Page #1
--------------------------------------------------------------------------
________________
संस्कृत सोपानम्
भाग 4
Page #2
--------------------------------------------------------------------------
________________
संस्कृत सोपानम्
भाग 4
लेखक
डॉ. सुरेन्द्र गम्भीर एम० ए० (संस्कृत, भाषा-विज्ञान)
साहित्यशास्त्री, पी-एच.डी. भू॰पू॰ अध्यक्षः, संस्कृत विभागः
मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली
पीताम्बर पब्लिशिंग कम्पनी प्रा० लि. 888, ईस्ट पार्क रोड, करौल बाग़, नई दिल्ली-110 005 (भारत)
शाखाएँ बैंगलोर : आवास न. 6/2, III मेन रोड, एस के गार्डेन, बेन्सन टाउन पोस्ट, बैंगलोर-560046
दूरभाष : 080-23534673 चेन्नई : 10, हंटर्स रोड, प्रथम तल, चुलाई, चेन्नई-600112 दूरभाष : 044-25322333 हैदराबादः ए जी-18, शांति बाग अपार्टमैंट्स, बेगमपेट, हैदराबाद-500016दूरभाष : 040-23737423 जयपुर : 113, इंद्रा कालोनी, बनी पार्क, जयपुर-302016
दूरभाष : 0141-2203440
Page #3
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रकाशक: पीताम्बर पब्लिशिंग कम्पनी प्रा. लि. 888, ईस्ट पार्क रोड, करौल बाग़, नई दिल्ली-110 005 (भारत) दूरभाष : 23670067,23522997,23625528 फैक्स :91-11-23676058, 91-11-25765754 ई-मेल : pitambar@bol.net.in
संस्करण : प्रथम, 1972
पुनर्मुद्रण, 1973, 1974, 1975 द्वितीय, 1976 पुनर्मुद्रण, 1976, 1977, 1978, 1979, 1980, 1981, 1982 तृतीय, 1983 पुनर्मुद्रण, 1984, 1985, 1986, 1987, 1988, 1989, 1990, 1991 चतुर्थ, 1992 पुनर्मुद्रण, 1993, 1994, 1995 पंचम, 1996
प्रिय ग्राहक पुनर्मुद्रण, 1997, 1998, 1999, 2000
आपको जाली/नकली पुस्तकों से बचाने के लिए संशोधित एवं परिमार्जित संस्करण, 2001 हमने इस पुस्तक में यह होलोग्राम चिपकाया हुआ
है। यदि यह होलोग्राम यहाँ नहीं है तो कृपया पुनर्मुद्रण : 2002, 2003
पुस्तक को न खरीदें क्योंकि यह जाली/नकली हो।
सकती है। अगर आपको बिना होलोग्राम कोई सर्वाधिकार : © सुरक्षित
पुस्तक प्राप्त हो तो कृपया हमें सूचित करें।
प्रकाशक
कोड नं.
: 12645
आवरण : (1) महाकवि कालिदास शकुन्तला की रचना करते हुए। (2) जर्मन विद्वान मैक्सम्यूलर- जिन्होंने संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद जर्मन भाषा में किया तथा गीता-उपदेश का चित्र ।
ISBN
: 81-209-0549-0
मूल्य
: 63/- रुपये
DEOS ProEFEES-080
इस पुस्तक पर आधारित अभ्यास-पुस्तिका भी प्राप्य है।
पीयूष प्रिंटर्स पब्लिशर्स प्रा० लि०, नई दिल्ली-41 द्वारा मुद्रित ।
Page #4
--------------------------------------------------------------------------
________________
किञ्चित्
प्रस्तुतमाला-विषयकम्
1
भाषा-मनोविज्ञान-शास्त्रिणां शोधैः भाषा-शिक्षणमपि कला-रूपेण उपस्थापितम् । अल्पादपि अल्पतरे समये अधिकस्य शिक्षणस्य स्पर्धा सर्वत्र दृष्टिपथमवतरति । कस्या अपि भाषायाः शिक्षणस्य चतस्रः विधा भवन्ति, तथाहि श्रवणं, वदनं, पठनं लेखनञ्चेति । परं संस्कृत-सदृश्यै भाषायै पठनं तदवगमश्चैव प्राधान्येन लक्ष्यीकृतं स्याद् इत्यस्ति व्यवस्थिता मनीषा भाषा-शास्त्र-विदाम् । गौणरूपेण पठनविधायाः साधनरूपेण वदनादि-विधा अपि अनुशील्यन्ताम् । सत्यमेतत् यत् भाषा-भाषणेन छात्राणां विश्वासो वर्धते रुचिश्चापि वृद्धिं गच्छति । एतद् विचार्यैव अत्र ललितानि संस्कृत-पद्यानि, दैनन्दिन-व्यवहार-पराणि कानिचित् सरल-संस्कृत-वाक्यानि च पुस्तकारम्भे दत्तानि । अनुदिनम् एतेषाम् अनुशीलनेन छात्राणां संस्कृत-भाषां प्रति अनुरक्तिर्वर्धिष्यते इत्याशासे । भाषा शिक्षण - विधानां प्रधान्य- गौण-व्यवस्थाया विस्मरणं न भवेत् इत्यावश्यकम् । लक्ष्ये स्पष्टे पन्था अपि स्पष्टो जायते ।
प्रत्येकं पुस्तकं छात्रस्य आयुस्स्तरमावश्यकताञ्च विलोक्यैव प्रणीतम् । भाषा-ज्ञान-भित्तिः आदित एवं दृढमूला सुसंहता च भवेदिति दृशा सर्वमत्र क्रमिकं मितं नियतञ्चास्ति । प्रत्येकं शब्दः कयापि योजनयैव सन्निवेशितः । प्रस्तुत-मालायां शब्दा इत्यं प्रयुक्ताः, वाक्य-रचना एवमायोजिता व्याकरणञ्चेत्थं क्रमेण अल्पाल्पशः गुम्फितं येन बालः सारल्येनैव सर्वं शिक्षेत । क्रमिक-शिक्षणं क्रमिक विकासाय आवश्यकम् । भाषा-शिक्षणेन साकं साहित्यस्य रुचिरा ललिताश्चांशाः सन्निवेशिताः । संस्कृत वाङ्मय - महोदधि मंथनोत्थानि कथा - रत्नानि पद्य - रत्नानि निदर्शनभूतानि चात्र गुम्फितानि । अन्यच्च, विज्ञान संस्कृति - सामाजिक-ज्ञानादि-विषयान् अन्तरेण पाठा अप ( चात्र सन्निविष्टा सन्ति ।
प्रत्येकं पाठस्योपरि पाठ्य-संकेतेन पाठे यदुद्दिष्टं तदवगमे सौकर्यं भविष्यति । सन्धीनां समासानां चाप्रयोगः सारल्यनिमित्तकः । पुस्तकस्यान्ते दत्तश्शब्दकोशः बालान् शब्दकोशस्यानुशीलनाय प्रवर्तयिष्यते । पाठेभ्यः व्यतिरिक्तमभ्यासेष्वपि अन्ये प्ररोचकाः बुद्धयुत्तेजकाः प्रयोगाः प्रश्नाश्च दत्ताः ।
वस्तुस्थितिरियं यत् न वयं छात्रेषु बहु आशास्महे । शिक्षाविदां तर्कानुभवानुमोदितं वचः यत् यावत छात्रेषु सम्भाव्यते तावत्येव ते कृत-प्रयत्नाः भवन्तीति शम् ।
-गम्भीरः
Page #5
--------------------------------------------------------------------------
________________
198
P
f
पाठ:
प्रथमः
द्वितीय:
तृतीय :
चतुर्थ:
पंचमः
विषय
षष्ठः
सप्तमः
अष्टमः
नवमः
दशमः
एकादश:
द्वादश:
त्रयोदशः
चतुर्दश:
पंचदशः
षोडशः
सप्तदशः
अष्टादशः
नवदश:
विंशतितमः
एकविंशतितमः
द्वाविंशतितमः
की।
वंदना
संगति-प्रभावः
अवाञ्छितः उपदेश:
न्यायालयः
संगणकम् (कम्प्यूटर:)
पण्डित-पुरन्दरः अम्बिकादत्त-व्यासः
पत्रम् मित्रं प्रति
यशोलिप्सुः कर्णः
स्वतंत्रता संग्राम : (क)
स्वतंत्रता संग्राम : (ख)
पद्यानि
गणतन्त्र दिवसः
नृत्य कला
पाण्डव-दूत:
मैक्समूलर :
गीता
दुर्ललित: भरतः
संगीतम्
प्रकीर्ण-पद्यानि
गृध्रः मार्जारः
भारतीया संस्कृतिः
सूक्तयः
व्याकरणम्
शब्द-कोश:
सूची
1978 VISITS
FISTS FOR
DETER
FFF PRISIPTIDES
पृष्ठ:
1
5
8
12
16
20
24
28
32
35
38
43
47
51
55
58
62
66
70
73
77
82
86
104
FOR
Page #6
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point : आत्मनेपदम्-लट्
लाकामी विकाजोल
प्रथमः
नाकावन्दना
पाठः
पृथिवी मानुष्यम् वन्द मलयजः शस्यम् श्यामल
ज्योत्सना यामिनी द्रुमः सुखद वरद
,
-(अथर्ववेदः) -(अज्ञातम्)
माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः दुर्लभं भारते जन्म मानुष्यं तत्र दुर्लभम् वन्दे मातरम्! सुजला सुफलां मलयज-शीतलाम, शस्य-श्यामलां मातरम्! वन्दे मातरम्! शुभ्र-ज्योत्सना-पुलकित-यामिनीम्, फुल्ल-कुसुमित-द्रुमदल-शोभिनीम्, सुहासिनीम्, सुमधुर-भाषिणीम्, सुखदां वरदां मातरम्! वन्दे मातरम्!
-श्री बंकिमचन्द्र-चट्टोपाध्यायः।
Page #7
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥
||
||
||
||
||
||
|
||
||
|
||
||
|
शब्दार्थाः पृथिवी = पृथ्वी, जमीन
(the earth) दुर्लभ
= कठिनता से मिलने वाला (difficult to get) मानुष्यम् । मनुष्य-रूप
(human form) वन्द
प्रणाम करना
(to salute) सुजल
बहुत जलों (नदियों) से युक्त (having many rivers) सफल बहुत फलों वाला
(having many fruits) मलयज
चन्दन वृक्ष
(sandal tree) शीतल ठंडा
(cool) शस्यम्
अन्न, अनाज
(grains) श्यामल
काला
(black) शुभ्र
उज्ज्वल
(bright) ज्योत्स्ना
चाँदनी
(moonlight) पुलकित
प्रसन्न
(rejoiced) यामिनी
रात
(night) फुल्ल खिला हुआ
(blossomed) कुसुमित = फूलों से युक्त
(flowered) द्रुमः - पेड़
(tree) दलम = समूह
(large number) शोभिनी = शोभा वाली
(elegant) सुहासिनी = सुन्दर रूप से
(one that smiles मुस्कुराने वाली
beautifully) सुमधुर = बहुत मीठा
(very sweet) भाषिणी = बोलने वाली
(speaker) सुखद = सुख देने वाला
(giver of comfort) वरद
- श्रेष्ठ वस्तु देने वाला (giver of the best) नया धातु (New Root)-वन्द A* नए विशेषण (New Adjectives) विशेषणानि दुर्लभः दुर्लभा
दुर्लभम् सुजलः सुजला
सुजलम् सुफलः सफला
सुफलम् शीतला
शीतलम्
||
||
|
||
||
||
शीतलः
Page #8
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्यामलः शुभ्रः पुलकितः -यामिनीकः फुल्लः कसमितः शोभी सुहासी सुमधुरः भाषी
श्यामला शभ्रा psniwollol पुलकिता -यामिनी (-यामिनीका) फुल्ला कुसमिता का शोभिनी सुहासिनी सुमधुरा भाषिणी सुखदा वरदा
श्यामलम् शुभ्रम् पुलकितम् -यामिनीकम् फुल्लम् कुसुमितम् शोभि सुहासि सुमधुरम् हा भाषि सुखदम् वरदम्
सुखदः
वरदः
अभ्यासः
पाठगतम
4.
1. मेरा सुन्दर भारत-इस विषय पर एक छोटा-सा निबन्ध लिखिए (Write a short
essay on My Beautiful India). 'भारत-माँ'-इस शब्द से क्या अभिप्रेत है (What is meant by Mother
India) ? भाषा व्याकरणंच3. 'वन्द्' के रूप लट् लकार में लिखिए (Conjugate वन्द in लट्).
निम्नलिखित विशेषणों का उचित रूप बनाकर रिक्त स्थान भरिए (Fill in the blanks with the appropriate form of one of the following adjectives) - दुर्लभ, सुजल, शुभ्र, पुलकित, सुखद, वरद । विद्या
धनम् देशः
भूमिः चन्द्रः रमा
पिता बालः बाला
.... देवः माता
गृहम् शारदा
प्रभुः
राष्ट्रम्
दैवम्
वस्त्रम् मित्रम्
* आत्मनेपदी धातुओं के बाद इस पुस्तक में A चिह्न लगा रहेगा। Atmanepada roots will be marked with A throughout this book.
Page #9
--------------------------------------------------------------------------
________________
संस्कृत-लेखनम्
TREATISE
5. उत्तर दीजिए (Answer the following questions): (क) पाठे का माता कः च पुत्रः ?
प्रथमस्य पाठस्य चित्रे बालाः कि कुर्वन्ति ?
6.
ख
(ग) कि त्वं प्रातः पितरौ वन्दसे ?
(घ) किं छात्राः विद्यालयम् आगत्य गुरून् वन्दन्ते ?
अनुवाद कीजिए (Translate) -
(क) हम सब अपने देश को प्रणाम करते हैं । ( We salute our country). (ख) हमारे बाग़ में फूलों वाले वृक्ष हैं । (In our garden there are flower
trees).
(ग) गर्मियों में ठंडा पानी मुश्किल से मिलता है । (In summer, cold water is hard to get).
(घ) उज्ज्वल चाँदनी बड़ी सुखदायक होती है । (Bright moonlight is very
comforting).
(घ) प्रिय देश भारत को नमस्कार ! (Salutations to my beloved country India !)
RE-ESTR
TapoMed
4
Page #10
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point : (i) क्त वत् (ii) सः एषः + anv consonant)
JN (विसर्गलोप)
द्वितीयः
संगति-प्रभावः
पाठः
शूकरः अनु+सू (सर) उपरि प्र+ह (हर्) आर्यः 20 विसदश
गवाशनः आवासः
उच्चैः आ+क्रुश् शीलम् । अन्तरा
प्र+आप
श्र
भिद्
आसीत् निषध-देशे चित्रसेनः नाम नृपः । स कदाचित् मृगयार्थं वनं गतवान् । तत्र स कञ्चन शूकरं दृष्ट्वा तम् अनुसृतवान् । अचिरमेव स गवाशनानाम् आवासं प्राप्तवान् । गिरिकः नाम कश्चित् शुकः वृक्षस्योपरि स्थितः आसीत् । एष दूरतः एव नृपं दृष्ट्वा 'प्रहरत प्रहरत! मारयत मारयत! एतस्मात् सर्वस्वं हरत' इति उच्चैः आक्रोशत् । तत् श्रुत्वा नृपः विस्मितोऽभवत् दूरतः एव चान्यत्र चलितवान् । chunt
अचिरमेव स मुनीनाम् आश्रमं प्राप्तवान् । तत्र एकः अन्यः शुकः तं दृष्ट्वा उदितवान्-आर्य, प्रविश, स्वागतम्! अये, जलं फलानि च आर्याय आनय इति ।
तत् श्रुत्वा विस्मितः नृपः शुकं पुष्टवान्-एतस्मिन् एव वने एकः अन्यः शुकः अपि वसति । स परुषाणि वचनानि वदति त्वं च मधुराणि एव । त्वमपि शुकः, सोऽपि शुकः । समाना एव जातिः । कथं युवां विसदृशौ शीलेन । कथमेतत् अन्तरं तं त्वां चान्तरा ?
शुकः प्रत्युदितवान्-श्रीमन्, न केवलं जातिः एव समाना, आवां सहोदरौ । तं गवाशनाः नीतवन्तः मां च मुनयः अत्र आनीतवन्तः । स गवाशनानां वचनानि आकर्णयति अहं च मुनीनाम् । अतः भिद्यावहे शीलेनावाम् । संगतेः एव एष परिणामः ।
Page #11
--------------------------------------------------------------------------
________________
शब्दार्था :
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
आर्य
॥
॥
॥
॥
॥
विसदृश शीलम्
॥
॥
शूकरः = सअर
(hog) अनु+सृ (सर) = पीछे जाना
(to follow) गवाशनः
= जाति से बहिष्कृत, चाँडाल (outcast) आवासः निवास, बस्ती
(place of residence) प्र+आप
प्राप्त करना, पहुँचना (to obtain, to reach) उपरि
ऊपर
(above) प्र+ह (हर्)
आघात करना है । (to hurt) उच्चैः __जोर से
(loudly) आ+ श् गाली देना
(to abuse) = सुनना
(to listen) सज्जन
(gentleman) स्वागतम्
स्वागत
(welcome) अये = अरे
(oh) परुष
कठोर
(harsh) अलग-अलग, भिन्न (dissimilar) = स्वभाव
(nature) अन्तरम् = अन्तर, फ़र्क
(difference) अन्तरा = बीच में
(between) भिद् (भिद्य्)
= अलग-अलग होना (to be different) नए धातु (New Roots)-श्रु, भिद् (भिद्य्)A नए उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Roots)
अनु+सृ (सर्) प्र+आप् प्र+ह (हर्) आ+क्रुश् नए विशेषण (New Adjectives)आर्यः आर्या
आर्यम् परुषः
परुषा विसदृशः विसदृशा
विसदृशम् नए अव्यय (New Indeclinables)-उपरि, उच्चैः, अये, अन्तरा उपपद-विभक्तिः
(i) अनु के योग में आए शब्द में द्वितीया विभक्ति आती है ।
(ii) अन्तरा के योग में आए दोनों शब्दों में द्वितीया विभक्ति आती है । विशेषः
र 'किम्' के रूपों को अनिश्चयवाचक विशेषण बनाने के लिए 'चित्' के स्थान पर 'चन' भी आ सकता है (We can use चित् or चन् after किम् for making indefinite adjectives)
॥
परुषम्
Page #12
--------------------------------------------------------------------------
________________
अभ्यासः
पाठगतम
इन दो तोतों के माध्यम से लेखक हमें क्या कहना चाहता है (What is the writer trying to tell us through these parrots)? मनुष्य पर अच्छी संगति का प्रभाव जल्दी पड़ता है या बुरी संगति का? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए (What affects more good company or bad company ? Support your answer with examples.)
भाषा व्याकरण च
3. यथापृष्ट रूप लिखिए (Provide the forms as required) गम्+क्तवत् पुंल्लिगम् वद्+क्तवतु स्त्रीलिंगम् प्रच्छ्+क्तवतु स्त्रीलिंगम् सृ+क्तवतु पुंल्लिगम् आप्+क्तवतु स्त्रीलिंगम्
सन्धि या सन्धिच्छेद कीजिए (Join or disjoin)सः बालकः, एष वृक्षम्, स आवासे, सः शुकः, एषः नृपाय, स आश्रमः, एष शूकरम्, एष वने, इत्यपि, विस्मितोऽयम् वृक्षस्योपरि, चान्तरा।। उत्तर दीजिए (Answer the following): (क) नृपः वनं किमर्थं गतवान् ? (ख) प्रथमः शुकः नृपाय किमकथयत् ? (ग) नृपः द्वितीयाय काय किमकथयत् ? (घ) संगतेः प्रथमे शुके कः प्रभावोऽभवत् ?
अनुवाद कीजिए (Translate the following): (क) कथा सुनकर हम क्या करेंगे? (What shall we do after listening to
the story . (ख) महाराष्ट्र और तामिलनाडु के बीच में मैसूर है । (Mysore lies between
Maharashtra and Tamilnadu). (ग) शिष्य भी गुरु के पीछे चले गए। (Disciples followed the teacher). (घ) अरे, ज़ोर से बोलो । (Oh! speak louder). (ङ) पेड़ों पर मत बैठो । (Don't sit on trees).
या - 00
6.
Page #13
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point : शानच
तृतीयः
अवाञ्छितः उपदेशः
पाठः
नीडम् : धारासारः 1 वर्ष कम्प्बाध आर्त हन्त वेप क्लिश् उपदेष्ट्रकुपित प्रकोपः
पयःपानम् भुजंगः
CONU
- गंगा-तटे आसीत् कश्चन वृक्षः । तत्र अनेकानि नीडानि आसन् येषु खगाः स्वैः शावकैः सह सुखेन वसन्ति स्म ।
एष वर्षर्तुः आसीत् । एकस्मिन् दिने धारासारैः अवर्षत् देवः । स्वान् प्राणान् रक्षितुं सर्वे पशवः इतस्ततः अधावन् । केचित्तु किञ्चित् शरणमविन्दन् अन्ये तु बहिः एव कम्पमानाः स्थितवन्तः । शीतं तान् सर्वान् बाधते स्म । परं खगाः अतीव आनन्दिताः आसन् । ते सुखेन स्वेषु नीडेषु कूजन्ति स्म ।
तदा कश्चित् वानरः तरु-तले आगतवान् । तं शीतातं दृष्ट्वा स्वनीडात् एकः खगोऽवदत्-'हन्त वानर, त्वं शीतेन वेपमानः क्लिश्यमानः च तिष्ठसि । मनुष्यस्य इव ते अपि हस्तौ पादौ च सन्ति । पश्य, वयं निर्बलाः अपि स्वगृहाणि रचयित्वा सुखेन निवसामः' इति ।
Page #14
--------------------------------------------------------------------------
________________
वानरः क्षुद्रम् उपदेष्टारं दृष्ट्वा तस्मै भृशमक्रुध्यत् अचिन्तयत् च-क्षुद्रोड्यं जन्तुः माम् उपदिशतीति । वर्षायाः अनन्तरं कुपितः वानरः उत्पत्य वृक्षं गत्वा खगानां नीडानि अनाशयत् । सत्यमेव यत्क .ATE
F(Joot उपदेशः हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।xitary पयःपानं भुजङ्गानां केवलं विष-वर्धनम् ।।
| शब्दार्थाः |
अवाञ्छित
अनचाहा
तटम्
तट
॥
नीडम् वर्षर्तुः धारासारः
॥
वर्ष
॥
||
शरणम् कम्प
शीतम्
बाध् तलः
॥
आर्त
॥
(unwanted)
anted) (shore) (nest) (rainy season) (non-stop rain) (to rain) (refuge) (to shiver) (cold) (to trouble) (below) (distressed) (oh !) (to shiver) (to be distressed) (weak) (to live) (advisor) (rain) (angry) (indeed) (anger) (serving milk)
= घोंसला
वर्षा ऋतु = मूसलाधार = बरसना
शरण = काँपना
= सर्दी नाम = तंग करना
नीचे का भाग
दुःखी OETS = अरे = काँपना = दुःखी होना
कमज़ोर
रहना = उपदेशक = बारिश = क्रोधित = वास्तव में
क्रोध = दूध पिलाना
हन्त
||
वेप क्लिश् निर्बल नि + वस् उपदेष्ट्र वर्षा कुपित
||
ह
॥
प्रकोपः पयःपान
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________
भुजंगः - विषम माना
निर्बलः
= साँप
(snake) = जहर काराड
(poison) वर्धनम्
बढ़ाना
(increasing) नए धातु (New Roots) वर्ष, कम्प् A, बाध् A, वेप A, क्लिश् A नया उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Root) नि + वस नए विशेषण (New Adjectives)अवाञ्छितः अवाञ्छिता
अवाञ्छितम् आर्तः आर्ता
आर्तम् निर्बला
निर्बलम् उपदेष्टा उपदेष्ट्री
उपदेष्ट्र कुपितः कुपिता
कुपितम् नये अव्यय (New Indeclinables)– हन्त, हि नये महावरे (New Idioms)- देवः वर्षति, शीतं बाधते विशेषः
'युष्मद्' शब्द के षष्ठी विभक्ति एकवचन में दो रूप होते हैं-'तव' या 'ते' । परन्तु 'ते' वाक्य के आरम्भ में नहीं आता । (युष्मद् has two genetive Singular forms-तव and at I The second form a does not occur in the beginning of a sentence).पाठगतम्
कथा का सार है कि मूर्ख को उपदेश न दिया जाए। परन्तु यदि मूर्ख को उपदेश न दिया जाए तो वह निरा मूर्ख ही रह जाएगा। ऐसी अवस्था में क्या किया जाए ? युक्ति -संगत उत्तर दीजिए ? (The moral of the sotry is that we should not give advice to foolish people. But it is also true if a foolish person is not given any advice he or she will continue to remain foolish. In such a situation, what should we do? Support your
answer with arguments.) भाषा व्याकरणं च2. यथापृष्ट रूप लिखिए (Give forms as required)
पंल्लिगम स्त्रीलिंगम्
नप्सकालगम वन्द् + शानच् कम्प् + शानच बाध + शानच क्लिश् + शानच्
Page #16
--------------------------------------------------------------------------
________________
3. अव्यय छाँटिए (Select indeclinables) -
शरणम्, अये, पृथिवी, आर्त, हन्त, हि, इत्थम्, अन्तरिक्षम्, अतीव, अन्तरा, तटम्,
उच्चैः, कारणम् । संस्कृत लेखनम् 4. संस्कृत-पर्याय दीजिए (Give Sanskrit synonyms)4 वर्षा, प्रकोपः, कुपितः, कम्प्, गमय, ज्ञा, वन्द् । - अनुवाद कीजिए (Translate)(क) माँ को नमस्कार करती हुई लड़की प्रसन्न है । (Bowing to mother the
girl feels happy). (ख) सर्दी से दुःखी बन्दर काँप रहा है। (The distressed monkey is
shivering with cold).
बाहर मूसलाधार वर्षा हो रही है । (Outside, it is raining heavily). (घ) जीवन में मूर्ख ही दुःखी रहते हैं। (Only foolish people remain
distressed in life). (ङ) बच्चों को सर्दी नहीं लगती । (Children do not feel cold).
Page #17
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point:
णिच्
चतुर्थः
न्यायालयः
पाठः
विविद नृत् लिपिकः लेख्यम यथाकालम् उप स्थापय् वैत्तिक तथ्यम प्रायेण otuw अभिवक्ता यक्तिः
प्रमाणीक खण्डय
अवधानम्
सम्यक् प्रति क्षिप्
न्यायस्य आलयः एव न्यायालयः भवति । विवदमानौ पक्षौ अनागत्य न्यायमिच्छतः । अत्र एकः न्यायाधीशः वर्तते । एकः च तस्य सहायकः लिपिकः भवति । एष लिपिकः सर्वाणि लेख्यानि अवधानेन रक्षति यथाकालं च तानि न्यायाधीशस्य सम्मुखम् उपस्थापयति। न्यायाधीशः यत् किञ्चित् अपि लेखयितुमिच्छति सः तेन लिपिकेन लेखयति।
केचन न्यायालयाः वैत्तिक -विवादेभ्यः एव भवन्ति,अन्ये च दुश्चरित्राणाम् अभियोगेभ्यः भवन्ति । अभियोगेषु द्वौ पक्षौ भवतः । न्यायाधीशः द्वयोः एव पक्षयोः कथनानि आकर्णयति । कदापि राज्यमेव एकतरः पक्षः भवति । न्यायाधीशः सर्वाणि तथ्यानि सम्यक् विचार्य स्वं निर्णयं श्रावयति ।
12
Page #18
--------------------------------------------------------------------------
________________
न कोऽपि जनः प्रायेण स्वं पक्षं स्वयमेव उपस्थापयति । द्वयोः एव पक्षयोः अभिवक्तारौ भवतः । अभिवक्ता एव एकं पक्षं तर्कपूर्वकं स्थापयति, अन्यस्य पक्षस्य चाभिवक्ता ताः युक्तीः प्रतिक्षिपति । एwal)
न्यायालयाः त्रिविधाः भवन्ति । प्रथमः माण्डलिकः न्यायालयः । एष न्यायालय: प्रत्येक नगरे एव प्रायेण वर्तते । महानगरेषु एकाधिका अपि न्यायालयाः भवन्ति । यदि कस्मैचित् अपि पक्षाय माण्डलिक-न्यायालयस्य न्यायः मान्यः न भवति तदा सः तस्य न्यायस्य विरोधे उच्च-न्यायालयं प्रमाणीकरोति । अस्य न्यायालयस्यापि निर्णयः न मान्यः भवेत् चेत् तदा देशस्य सर्वोच्च-न्यायालयं प्रमाणीकरोति । सर्वोच्च-न्यायालयस्य निर्णयः एव अन्तिमः भवति । न तं खण्डयितुं कोऽपि समर्थः
कणार oideperas | शब्दार्थाः
॥
॥
||
||
||
||
न्यायालयः न्यायः आलयः वि + वद् पक्षः न्यायाधीशः वत् लिपिकः लेख्यम् अवधानम् न्यायालयः यथाकालम् उप + स्थापय् वैत्तिकः विवादः दुश्चरित्र अभियोगः कथनम् तथ्यम् सम्यक्
DOESH वि + चारय्
॥
= अदालतामाना (court of law) = इंसाफ़
(justice) = घर
(house) = झगड़ा करना
(to dispute) = पक्ष
T0008 borihsry (side) = न्यायाधीश जी
(judge) DATE होना
(to be) स्टेनोग्राफ़र
(Stenographer) महत्त्वपूर्ण काग़ज़
(document) ध्यान
(care) अदालत
(court of law) समयानुसार
(at proper time) = सामने रखना
(to present) = धन सम्बन्धी
(financial) झगड़ा
(dispute) = बुरे चरित्र वाला
(bad character) = मुकदमा
(legal case) = कहना, उक्ति
(statement) = असलियत
(fact) __ अच्छी प्रकार से
(properly) = विचार करना
(to think)
॥
13
Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥
॥
॥
॥
1॥
Pा
॥
॥
॥
॥
चेत्
॥
॥
(judgement) प्रायणाम अक्सर को कर (often) मधीकार अभिवक्तृ = वकील
(lawyer) PIRATE तर्क-पूर्वकम् = तर्कों के साथ न्याय
(logically) का यक्तिः जमा दलील
की
(argument) का प्रति + क्षिप् = दलील काटना
शिर
(to refute) डिश त्रिविध 555 = 1 तीन प्रकार का
(of three kinds) कमाण्डलिक मारpen
मंडल-सम्बन्धी
(divisional) विरोधः = विरोध
(opposition) उच्च-न्यायालयः
उच्च-न्यायालय
(high court) प्रमाणी + कृ
अपील करना
(to appeal) मान्य
मानने योग्य
(agreeable)
यदि सर्वोच्च-न्यायालय : सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) अन्तिम
(final) खण्ड तोड़ना
(to break) नए धातु (New Roots) - वृत् A, खण्ड् नए उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Roots) -
वि + वद् A, उप् + स्थापय्, वि + चारय्, प्रति + क्षिप्, प्रमाणी + कृ नए विशेषण (New Adjectives)वैत्तिकः वैत्तिकी
वैत्तिकम् दुश्चरित्रः दुश्चरित्रा
दुश्चरित्रम् त्रिविधः त्रिविधा
त्रिविधम् माण्डलिकः माण्डलिकी
माण्डलिकम् मान्यः मान्या
मान्यम् अन्तिमा
अन्तिमम् नए अव्यय (New Indeclinables)
.यथाकालम्, सम्यक्, प्रायेण, चेत्
= आखिरी
॥
॥
अन्तिमः
अभ्यासः
पाठगतम्__ 1. यदि न्यायालय न होते तो क्या स्थिति हाती ? (If there were no courts of law
what would be the condition?)
14
Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________
2. विभिन्नन न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है ? (Who appoints
judges in different courts ?) भाषा व्याकरणं च3. णिजन्त रूप बताइए (Make causatives) देखिए पृष्ठ (See page 101)
लिख्, स्था, श्रु, चर् 4. आत्मनेपदी एवं परस्मैपदी धातुएँ अलग-अलग कीजिए (Separate Atmanepada
and Parasmaipada roots) --
वृत्, वन्द्, खण्डय्, क्लिश, वद्, वि + वद्, वर्ष, वेप् संस्कृत-लेखनम प र
उत्तर दीजिए (Answer)(क) न्यायालये लिपिकः किं करोति ? (ख) न्यायाधीशः न्यायं कथं करोति ? (ग) न्यायालयाः के सन्ति ? अनुवाद कीजिए (Translate)(क) न्यायाधीश अच्छी प्रकार से विचार करे । (The judge should consider
it well). (ख) सारे महत्त्वपूर्ण काग़ज़ उपस्थित करो । (Present all the important
documents). (ग) इन युक्तियों को कौन काट सकता है ? (Who can rebut these
arguments). (घ) रास्ते में वर्तमान आदमी घोषणा कर रहा है । (A man standing on the
way is making an announcement). (ङ) आज गुरु लोग परिणाम सुनाएँ। (Today, the teachers should
announce the result).
या
PETTE
15
Page #21
--------------------------------------------------------------------------
________________
a Teaching Point :कारिकी कि शिवाज विमान (i) वाच्य, (ii) महत्-declension
Prarupam a pur
पञ्चमः
संगणकम् (कम्प्यूटर:)
पाठः
कौतुकम् यथार्थतः
अतिक्रान्त उपकल्पनम् । निमिषः । विषम सूक्ष्मता शक समाधानम् . मष
रचयिता कीदृश
Sri--asibner
blue S
विज्ञानस्य एतत् युगम् । यत्र कुत्रापि दृष्टि: गच्छति तत्रैव विज्ञानेन आविष्कृतं किमपि दृश्यते । गृहं स्यात् कार्यालयः वा, आपणः स्यात् उद्योगालयः वा, सर्वत्रैव विज्ञानस्य चमत्कारान् पश्यामः ।
अपि चन्द्रयात्रा भवेत् मंगलयात्रा वा, नानुभूयते किमपि कौतुकमद्य। नवीनेन आविष्कारेण विगतः आविष्कार: अतिक्रान्तः दृश्यते। कि यन्त्रमपि मस्तिष्क-युक्तं भवितुमर्हति इति केन पूर्वं चिन्त्यते स्म । परं सत्यमेवैतत् यत् मस्तिष्कमपि भवति यन्त्रेषु । तानि यन्त्राणि आकर्णयन्ति, विचारयन्ति विचारस्य पश्चात् च समुचितानि उत्तराणि यच्छन्ति।
किमेतत् यन्त्रम् ? किं ज्ञायते युष्माभिः ? एतस्याभिधानम् अस्ति संगणकम् (कम्प्यूटरः) इति । महत्सु आपणेषु विक्रयस्य गणना, महत्सु उपाहारगृहेषु मूल्य-पत्रकाणाम् उपकल्पनं निमिषेणैव संगणकस्य सहायतया भवति ।
__16
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
एतत् संगणकं द्विविधं भवति-आंकिकम् (डिजिटल) विश्लेषकं (ऐनलाग) च । प्रथमेन तावत् विषमतमानामपि गणनानां विधानं क्षणेनैव क्रियते । निर्वाचनस्य मतानां गणना स्यात्, चन्द्रयात्रायाः कार्यक्रमः वा स्यात्, विविधानां परीक्षाणां परिणामस्य उपकल्पनं वा भवेत्, सर्वमपि एतत् आंकिकेन संगणकेन यथार्थतः सूक्ष्मतया च कर्तुं शक्यते ।
विश्लेषकं च संगणकं समस्यानां समाधानं करोति । विविधानां विषयाणां समस्याभ्यः विविधाः संगणकाः भवन्ति । तस्यैव विषयस्य या काऽपि समस्या भवेत्, सा तस्य पुरः उपस्थाप्यते । तस्य उत्तरं द्राक् एव तेन दीयते । यदि उत्तरं न ज्ञायते तदा संगणकेन कथ्यते-'मृष्यतु भवान् । न ज्ञायते' इति ।
महत् एतत् यन्त्रम् । परं कोऽस्ति एतस्य रचयिता ? कीदृशी महती बुद्धिः भवेत्तस्य इति चिन्तयत । oido
माजी
hoaiswal
| शब्दार्थाः
नि
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
आविष्कृत कार्यालयः उद्योगालयः आविष्कारः विगत अतिक्रान्त यन्त्रम् मस्तिष्कम् अर्ह समुचित उत्तरम् विक्रयः गणना मूल्यपत्रकम् उपकल्पनम् महत्
॥
आविष्कार किया हुआ
दफ़्तर = कारखाना
आविष्कार पिछला पीछे रहा हुआ मशीन दिमाग़ योग्य होना बिल्कुल उचित = जवाब
बिक्री = गिनती बिल तैयार करना
बड़ा = पलक-मात्र = होटल
(invented) (office) (industrial house) (invention) (last) (surpassed) (machine) का (brain) (to be able) (very appropriate) (answer) (sale proceeds) (counting) (bill or invoice) (preparing) (big) गण (twinkle of an eye)
॥
॥
॥
॥
निमिषः
उपाहारगृहम्
(hotel) arrespont
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
||
॥
॥
॥
विविध गावाशी दो प्रकार का वी-1 (of two kinds) विसरणER
कठिन
ISIST difficultuकाका विधानसभामाशा करनाPाउdoing) निर्वाचनम् = चुनाव कोण
(election) प्रयोग मतम् शाशीला = वोट
तिनना (vote) यथार्थतःकार गठीक रूप से छातीमा (accurately) उडी सूक्ष्मताका
बारीकी
- (precision) शक् सकना
(to be able) समस्या किशोर समस्या
(problem) समाधानम् संदेह-निवारण
(clearing doubt) विषयः विषय
(subject) मृष् क्षमा करना
(to pardon) रचयितृ बनाने वाला
(maker) कीदृश
कैसा
(of what sort)
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
नया रूप (New Declension)-महत् (पृष्ठ 87) नए धातु (New Roots) -अहूं, शक्, मृष्
ag faSTOUT (New Adjectives) आविष्कृतः peacual आविष्कृता बाग
आविष्कृतम् विगतःenilosm) विगता
विगतम् अतिक्रान्तः hiandi अतिक्रान्ता
अतिक्रान्तम् समुचितः हात
समुचिता को समुचितम् महान् dadi महती माजी
महत् विषमः Sans विषमा
विषमम् रचयितृ saal रचयित्री
रचयितृ कीदृशः - कीदृशी
कीदृशम् odiovitriotlidar विशेषः
विधिलिङ् प्रयोग वाले वाक्य के आरम्भ में 'अपि' का प्रयोग होता है-सम्भावना के अर्थ में (31f4 is used in the beginning of a sentence with a fafufete verb form. The meaning conveys probability).
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
अभ्यासः
पाठगतम्
संगणक कितने प्रकार के होते हैं और उनका कार्य क्या-क्या है ? (What are different types of computers and what are their functions ?)
..."बालेषु
प्रभुणा
भाषा व्याकरणंच2. 'महत्' के उचित रूपों से रिक्त-स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks
with appropriate forms of महत्)- fi. जनाः "नार्यः
नगरीय "यात्राम्
"गणना
रोगी Py लतासु
"शारदायै संस्कृत लेखनम्3. संस्कृत-शब्दान् लिखत (Give equivalents in Sanskrit)-गली की
पिछला, कैसी, रचना करने वाली, चुनाव, पलक, बिल, बिक्री । काय अनुवाद कीजिए (Translate)(क) यह गिनती उससे ज्यादा मुश्किल है । (This number system is more
difficult than that). (ख) कम्प्यूटर बिल्कुल ठीक तरह से गिन सकता है। (A computer can
count very precisely). क्षमा कीजिए, मैं होटल नहीं जा सकता । (Excuse me, I cannot go to
the hotel). (घ) मातृभूमि हमारे लिए क्या नहीं करती ? (What doesn't our
motherland do for us?) (ङ) हमारे द्वारा महान् पुरुष देखे जाते हैं । (Great people are seen by us). (च) वह क्यों हँसता है ? (कर्मवाच्य) । (Why does he laugh ?) (in Passive)
Page #25
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: (i) क्त्, (ii) इदम्-declension
षष्ठः
पण्डित-पुरन्दरः अम्बिकादत्त-व्यासः
पाठः
विश्रत
प्रानी अन्तरायः
पुरन्दरः गद्यम् निकष: साहित्यिक समकालिक प्रांजल मारोचिष्ण अतिरिच
शतावधान प्रशंस्की रुच मा गद्यं कवीनां निकषं वदन्तीति साहित्यिकानां मण्डले प्रसिद्धा उक्तिः । संस्कृत-साहित्ये पद्ये एव रचना अधिकम् अधिगम्यते। गद्यस्य लेखकाः न सन्ति बहवः । सुबन्धुः दण्डी बाणभट्टः चेति त्रयः एव विश्रुताः गद्ये कृतिकाराः । अम्बिकादत्त-व्यासेन अपि गद्ये एव लिखितम् । श्री व्यासः हिन्दी-भाषायाः प्रसिद्धस्य लेखकस्य भारतेन्दु-हरिश्चन्द्रस्य समकालिकः आसीत् ।।
श्री व्यासः संस्कृते शिवराजविजयः इति नाम उपन्यासं लिखितवान् । शिवाजी-वीरस्यैव कथात्र गुम्फिता । हिन्दी-भाषायाः उपन्यासस्य शैली एव तेनात्र अनुसृता । उपन्यासे द्वादश निःश्वासाः वर्तन्ते । भाषाऽस्ति अतीव प्रांजला सुमधुरा सुललिता च । उपन्यासोऽयम् अतीव रोचिष्णुः । शिवराजविजयमतिरिच्य पञ्चाशत् अन्यान्यपि पुस्तकानि हिन्दी-भाषया संस्कृत-भाषया चानेन प्रणीतानि ।
किमा श्री व्यासः शतावधानः आसीत् । सः संस्कृतेन पद्यानि अपि प्रणीतवान् । श्री भारतेन्दुना अपि तस्य कविताः प्रशंसिताः । एकया घटिकया शतं श्लोकान् स प्रणयति स्म । शास्त्रार्थाः अपि तस्मै रोचन्ते स्म । सर्वदा सर्वत्रैव शास्त्रार्थेषु तस्य विजयोऽभवत् । आर्थिकाः अन्तरायाः तेन प्रतिपदम् अनुभूताः ।
देशस्य अनेकाभिः सभाभिः अनेकैः पदैः पदकैः च स सम्मानितोऽभवत् ।
20
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
स
रonday
| शब्दार्थाः
पुरन्दरः गद्यम्
||
निकषः
॥
॥
साहित्यिक मण्डलम् पद्यम् रचना विश्रुत समकालिक
उपन्यासः
||
||
शैली इदम् निःश्वासः प्रांजल सुललित सम्मानित रोचिष्णु अति + रिच्
= इन्द्र, राजामा (king) अष्टवान = गद्य
(prose) = कसौटी
(testing stone) = साहित्यिक (connected with literature)
समुदाय, समूह (circle) पद्य
TApी
(verse) रचना
(creation, work) प्रसिद्ध
(well-known) जीवन समकालीन
(contemporary) pppl उपन्यास
(a novel) = शैली
(style) यह
(this) = अध्याय
(chapter) = स्पष्ट
(lucid) = अति रुचिकर (very interesting) m = प्रतिष्ठित
(respected) मनोहर
(charming) = पीछे छोड़ना, के अलावा (to leave behind, in addition
to) = रचना करना
(to compose) = अनेक बातों का एक (one who attends to many
साथ ध्यान करने वाला things at a time) = प्रशंसा करना (to praise) = 24 मिनट
(24 minutes) = संस्कृत-पद्य (Sanskrit verse) = शास्त्रीय विवाद (scriptural discussion) = अच्छा लगना (to be pleasing) = जीत
(victory) = धन-सम्बन्धी (financial) - कठिनाई
(difficulty) माजी
150sarv
॥
प्र + नी शतावधान
प्र + शंस् घटिका श्लोकः
शास्त्रार्थः
रुच विजयः आर्थिक अन्तरायः
॥
21s
Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रतिपदम्
हर कदम पर (at every step) सभा
सभा
(society) पदम् = दर्जा, पद
(rank) पदकम्
= तमग़ा, पदक (medal) नया रूप (New Pronoun)—इदम् (पृष्ठ 89) नया धातु (New Root) रुच् A नए उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Root)
अति + रिच् A, प्र + नी, प्र + शंस् नए विशेषण (New Adjectives) साहित्यिक (ORE साहित्यिकी
साहित्यिकम् विश्रुतः विश्रुता
विश्रुतम् समकालिकःGovo समकालिकी
समकालिकम् प्रांजलः ( प्रांजला
प्रांजलम् सुमधुरः सुमधुरा
सुमधुरम् सुललितः सुललिता
सुललितम् सम्मानितः सम्मानिता
सम्मानितम् रोचिष्णुः रोचिष्णुः
रोचिष्णु शतावधानः bapath.शतावधाना
शतावधानम् आर्थिकः Sadarlmi आर्थिकी
आर्थिकम् 18 शायर नया अव्यय (New Indeclinable)-प्रतिपदम् उपपद विभक्तिः
'रुच्' धातु के योग में जिसे रुचिकर हो उसके वाचक शब्द में चतुर्थी विभक्ति (The word for the person who likes gets the fourth vibhakti when the root so is used). नया- मुहावरा (New Idiom)—पण्डित -पुरन्दरः र
itions
(Gosaipzibistory
rani2salasdom
अभ्यासःजार
पाठगतम
1.
श्री व्यास के व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषताएँ बताइए (Tell main points of Vyasa's personality).
22
Page #28
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाषा व्याकरणं च2. क्तवतु' के स्थान पर 'क्त' का प्रयोग कीजिए और वाक्यों में अन्य आवश्यक
परिवर्तन कीजिए (Replace क्तवतु with क्त and make necessary changes in sentences) नृपः वनं गतवान् । ते चलितवन्तः । नृपः शुकं पृष्टवान् । मुनयः माम् आनीतवन्तः । कविः कवितां प्रणीतवान् । 'इदम्' के विभिन्न रूपों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks with G4 forms) वनानि । ग्रन्थेभ्यः
राज्ये।ाउला परीक्षा। फले ।
धर्मः । "जनेषु । गतिः ।
दिवसानाम् । संस्कृत-लेखनम्4. उत्तर दीजिए (Answer)
(क) शिवराजविजयस्य रचयिता कः आसीत् ?
(ख) शिवराजविजयस्य भाषा कीदृशी अस्ति ? का5. अनुवाद कीजिए (Translate)
(क) उनके द्वारा क्या किया गया ? (What was done by them ?) (ख) इसके अलावा पचास और पुस्तकें उनके द्वारा लिखी गईं। (Besides this,
another fifty books were written by him.) (ग) इस उपन्यास की भाषा मधुर है । (The language of this novel is
lucid.) (घ) उन्होंने अनेक पदक प्राप्त किए । (He received many medals.) -
FACNETH
23
Page #29
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: तव्य यही मितिका
सप्तमः
पत्रम मित्रं प्रति
पाठः
atmidioवातजाति हो कि निकायकाहीही चिरम् सम् + पद् वृत्तान्तः ग्रह वस्तुतः अभियन्ता अनुसन्धानम्या वृत्तिः तावत् यावत् पुरातन अपि च गृध् महत्त्वाकांक्षा व्यवस्थित मनीषा मन् नि + वेदय
सी-3/26, रोहतक-मार्गात्,
नवदिल्लीतः
29-8-2002 प्रिय मित्र संदीप,
अत्र कुशलं, तत्रास्तु । प्राप्तं ते पत्रम् । चिरमुत्सुकः आसम् ते पत्रमधिगन्तुम् । ज्ञातः च सर्वः वृत्तान्तः । मासेनैव परीक्षा सम्पत्स्यते । अस्याः परीक्षायाः अनन्तरं नवम्यां कक्षायां के विषयाः अस्माभिः ग्रहीतव्याः इति त्वया अहं पुष्टः । अस्मिन् विषये मया बहु विचारितम् । अत्रास्ति च मे सम्मतिः - _____ वस्तुतः ये अपि विषयाः अस्मभ्यं रोचन्ते ते एव अस्माभिः पठितव्याः। तेषु एव कृत-परिश्रमाः छात्राः प्रसीदन्ति सफलतां चाधिगच्छन्ति । प्रायेण तु मेधाविनः छात्राः चिकित्सकाः अभियन्तारः वा भवितं चिन्तयन्ति । नास्ति तत्र काचित् अपि हानिः । परं चिन्तयामि यत् कथं न मया भौतिक-शास्त्रं पठित्वा तस्मिन् एव विषये अनुसन्धानं कर्तव्यम् ? अस्यां वृत्त्यां नास्ति बहु धनं, नास्ति बहु सुखं च । परं किम् एतत् धनादिकमेव जीवनस्य सर्वस्वम् ?
किं त्वमपि न चिन्तयसि यत् विज्ञान-क्षेत्रे अस्माकं देशे न तावती उन्नतिः दृश्यते यावती वर्तते अन्येषु देशेषु । अतः कथं न बहुभिः जनैः विज्ञानं पठित्वा अत्रापि किञ्चित् कर्तव्यम् ? अतः देशस्य आवश्यकतां दृष्ट्वा वयमपि जीवने वैज्ञानिकाः भूत्वा देशम् उन्नयेम ।
विज्ञान-विषयेण सह अस्माभिः संस्कृतमपि पठितव्यम् । संस्कृतस्य पुरातनं सुललितं साहित्यं पठित्वा वैदेशिकाः अपि चमत्कृताः अभवन्, तत् च अस्माभिः अपि पठितव्यम् । अपि च, संस्कृते अस्ति पुरातनं विज्ञान-साहित्यमपि । तत् पठितुं संस्कृतस्य विज्ञानस्य च द्वयोः एव ज्ञानम् आवश्यकम् ।
24
Page #30
--------------------------------------------------------------------------
________________
किं बहुना ! न वयं गृध्याम अर्थेषु । नास्ति मे महत्त्वाकांक्षा धनमूला । देशस्य आवश्यकता एव मे आवश्यकता । एषा मम व्यवस्थिता मनीषा । मन्ये यत् तव सम्मतिः अपि अत्र भविष्यतीति ।
गुरुभ्यः मे प्रणामं निवेदय ।
of
चिरम् i)
उत्सुक
सम + पद्
वृत्तान्तः
नवम
ग्रह
वस्तुतः कृत-परिश्रम
सफलता
मेधाविन् चिकित्सक:
(stiesb)
(availsd of)
(bls)
(b)
अभियन्तृ
हानिः
भौतिक-शास्त्रम् अनुसन्धानम्
वृत्तिः
आदिक
तावत्
यावत् पुरातन वैदेशिक
चमत्कृत
अपि च
= बहुत देर से
||||||||||||||||
= उत्सुक
=
=
=
=
=
|| || | ||
H
= सफलता
||||||||||
=
=
=
=
=
॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
=
=
शब्दार्थाः
सम्पन्न होना
हालचाल
नवाँ
ग्रहण करना
वास्तव में
जिसने परिश्रम किया है
बुद्धिमान्
डाक्टर
इंजीनियर
हानि
भौतिकी
शोध-कार्य
पेशा
आदि
काडीही
छिट
TFFIF
उतना
जितना
25
(for a long time) (eager)
(to be accomplished ) boxcilor (state of being)
(29vila (ninth) (to take)
(in fact)
का
TERSTARS
पुराना विदेशी विस्मयपूर्वक चकित
और
(doctor) "(engineer) (harm)
2015
(one who has put in hardwork) fra f
(success) कशी (intelligent)
(physics)
(research)
(profession)
(etc.)
अभिन्नः तेशचीन्द्रः
((that much) (as much) (ancient)
(foreigner)
(charmed)
(moreover)
Page #31
--------------------------------------------------------------------------
________________
बड़े
0008
गधार का लालच करना
(to be greedy) की महत्त्वाकाक्षा PIEETपदेच्छा ETEREE (ambition) धनमूल = जिसकी जड़ में धन है। (one having money at
the root) व्यवस्थित = निश्चित
(determined) मनीषा इच्छा
(desire) मन मानना
(to believe) गुरु
(elder) प्रणामः - नमस्कार
(regards) नि + वेदय = निवेदन करना
(to offer) अभिन्न amols TO) = अभिन्न मा (inseparable) नये धातु (New Roots) - ग्रह, गृध, मन् A उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Roots)- सम् + पद् A, नि + विदेय् नये विशेषण (New Adjectives) -
उत्सुकःHALODउत्सुका मात उत्सुकम् मितमामात नवमः i) नवमी
नवमम् कृतपरिश्रम: HC कृतपरिश्रमा काम
कृ तपरिश्रमम् गण मेधावी drawbus मेधाविनी
मेधावि आदिक (2202012) आदिका
आदिकम तावान् uringilish तावती
तावत् यावान् (10bob यावती
यावत् पुरातनः (1356ons) पातनी
प्रातनम् वैदेशिकः
वैदेशिकी चमत्कृतः (blavido चमत्कृता
चमत्कतम धनमल: (2180237) धनमूला क-शाह धनमूलम्मा व्यवस्थितः को व्यवस्थिता अलग व्यवस्थितम् अभिन्नः अभिन्ना जीतिमा
अभिन्नम् नये अव्यय (New Indeclinables) चिरम्, वस्तुतः कारक-विभक्तिः
जब समय एवं दूरी सूचक शब्दों द्वारा कार्य की पूर्णता प्रकट हो, तो समय-दूरी-सूचक शब्दों में तृतीया विभक्ति लगती है (Words denoting time or distance gets the third vibhakti if the completion of work is implied).
वैदेशिकम्
26
Page #32
--------------------------------------------------------------------------
________________
विशेष:
nioggnidoest आदिक और इसके पर्यायवाची शब्द विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं (आदिक or its synonyms behave like adjectives)—
रामकृष्णादिकेष पुरुषेषु । सीतासावित्र्यादिकासु नारीष
अभ्यासः
पाठगतम
1. आपके जीवन की महत्त्वाकांक्षा क्या है ? संक्षेप में लिखिए (What is the
ambition of your life? Write in brief.) भाषा व्याकरण च 2. 'तव्य' के रूपों से स्थान पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks with तव्य forms)
बालैः ग्रन्थाः ........ । बालाभिः मातृभूमिः ...... त्वया बहिः न । छात्रैः संस्कृतम् .. ।
गुरुभ्यः प्रणामः । अस्माभिः किं ... ? 3. निर्दिष्ट रूप दीजिए (Give the required forms)
कृ + तव्य, पठ् + क्त, पी + क्तवतु, श्रु + कृत्वा, ग्रह् + तव्य, दृश् + क्त संस्कृत-लेखनम्4. अनुवाद कजिए
(क) क्या हालचाल है ? (How are you?) | (ख) क्या डाक्टरों को भी ग्रन्थ पढ़ने चाहिएँ ? (Should doctors also read
books?) DHE (ग) हमें देश को प्रणाम करना चाहिए । (We should salute our country.) (घ) हमें गुरुओं के साथ नम्रतापूर्वक बोलना चाहिए। (We should talk teachers to our politely.) पोषक
00 शाक
Page #33
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: गो-declension
अष्टमः
जा यशोलिप्सः कर्णः
पाठः
यशोलिप्सु अभेद्य कवचम् कुण्डलम् लभ याच नमस + क तिरस् + क गो सहस्रम् महर्तकम् क्षीरम् वाजिन् आ + रुह वारण वृन्दम् कनकम् शिरस् अविधा
नि+ कृत् Frame widtimensidadhinining) m es
Huiltin
(देवाः आसन् पाण्डवानां सहायकाः । इन्द्रः कर्णस्य अभेद्यं कवचं कुण्डले च लब्धुमिच्छति । तदर्थमेव ब्राह्मणस्य रूपे सः कर्णमुपगच्छति) कमाणका ब्राह्मणः भोः कर्ण ! महत्तरां भिक्षां त्वां याचे । कर्णः दृढं प्रसन्नः अहम् । कर्णोऽहम् । भवन्तं नमस्करोमि। ब्राह्मणः (आत्मगतम्) किं मया वदितव्यम् ? यदि दीर्घायुः भव इति वदामि तदा दीर्घायुः
भविष्यति । यदि न वदामि तदा मूढोऽयम् इति मां तिरस्करिष्यति । भवतु, दृष्टम् । (प्रकाशम्) भोः कर्ण ! सूर्यः इव चन्द्रः इव हिमवान् इव सागरः इव
तिष्ठतु ते यशः। कर्णः किं न वदितव्यं दीर्घायः भवेति ? अथवा एतत् एव शोभनम् । भगवन् !
किमिच्छसि ? किमहं यच्छानि ? बाह्मणः महत्तरां भिक्षां याचे।
28
Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________
कर्णः
कर्णः महत्तरां भिक्षां भवते दास्यामि । गवां सहस्रं यच्छामि । बाहह्मण: गावः इति ? मुहूर्तकं क्षीरं पिबामि । नेच्छामि कर्ण ! नेच्छामि । कर्णः किं नेच्छति भवान् । इदमपि आकर्णयतु । वाजिनां सहस्रं ते यच्छामि ! ब्राह्मणः अश्व इति ? मुहूर्तकमारोहामि । नेच्छामि कर्ण ! नेच्छामि ! कर्णः किं नेच्छति भवान् । वारणानां वृन्दमेतत् ते यच्छामि । बाह्मणः गज इति ? मुहूर्तकमारोहामि । नेच्छामि कर्ण ! नेच्छामि !
किं नेच्छति भवान् । अपर्याप्तं कनकं यच्छामि। बाह्मणः सुवर्णं गृहीत्वा गच्छामि । (किंचित् गत्वा) तेन किम् ? नेच्छामि कर्ण ! नेच्छामि ! कर्णः तदा जित्वा पृथ्वीं दास्यामि । ब्राह्मणः पृथिव्याः किं करिष्यामि ? ब्राह्मणोऽहम् ! कर्णः तेन हि मम शिरः यच्छामि । ब्राह्मण: अविधा ! अविधा ! कर्णः अलं भयेन । प्रसीदतु भवान् । इदं कवचं कुण्डले च दातुमिच्छामि । बाह्मणः यच्छतु यच्छतु ! कर्णः (आत्मगतम्) एष एवास्य कामः । किं नु कृष्णस्य एष उपायः । सोऽपि भवतु !
(निकृत्य यच्छति)
- भासकृत-कर्णभारात् | शब्दार्थाः यशोलिप्सु = यशलोभी
(fame-greedy) अभेद्य = अटूट
(unbreakable) कवचम् = रक्षाकवच
(armour) कुण्डलम्
= कान का आभूषण (ear-ring) लभ पाना
(to get) रूपम्
शक्ल भिक्षा = भीख
(alms) याच = माँगना
(to beg) दृढम् = अत्यधिक
(very much) नमस् + कृ = नमस्कार करना
(to salute) आत्मगतम् = अपने-आपको
(to oneself) - लम्बी उम्र वाला
(one with long life) मूढ
(foolish) तिरस् + कृ
तिरस्कार करना
(to insult) भवतु अच्छा !
(well !) 29
||
||
||
||
॥
॥
(form)
॥
॥
॥
॥
॥
दीर्घायु
॥
॥
मूर्ख
॥
॥
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
शिरस्
॥
प्रकाशम् स्पष्ट
(openly) हिमवत् हिमालय
(Himalaya) सागरः
समद्र
(ocean) शोभन
सुन्दर, ठीक
(alright) गाय
(cow) सहस्रम् हज़ार
(thousand) मुहूर्तकम्
क्षण-भर
(for-a-while) क्षीरम् दध
(milk) वाजिन् घोड़ा
(horse) आ + रु
चढ़ना
(to ride) वारण हाथी
(elephant) वृन्दम् झुण्ड
(multitude, herd) अपर्याप्त
बहुत अधिक
(a lot of) कनकम् = सोना
(gold) सुवर्णम् = सोना
(gold) पृथ्वी = पृथ्वी
(the earth) = सिर
(head) अविधा
= बचाओ, बचाओ (help! help!) सहर्षम् = खुशी के साथ
(happily) कामः = इच्छा
(desire) = (संदेह-प्रश्न-वाचक अव्यय) (particle denoting
doubt &question) नि + कृत् 3D काटना
(to cut) नया रूप (New Noun)—गो (पृष्ठ 87) नए धातु (New roots)—लभ् A, याच् A नए उपसर्ग युक्त धातु (New Prefixed Roots)-नमस् + कृ, तिरस् + कृ, आ + रुह्, नि + कृत् नए विशेषण (New Adjectives) लिप्सुः लिप्सुः
लिप्स अभेद्यः अभेद्या
अभेद्यम् दृढः दृढा
दृढम् दीर्घायुः दीर्घायुः
दीर्घायु मूढः मूढा
मूढम्
॥
॥
॥
॥
Page #36
--------------------------------------------------------------------------
________________
शोभनः अपर्याप्तः
नए अव्यय (New Indeclinables ) —
दृढम्, भवतु, प्रकाशम्, मुहूर्तकम्, अविधा, नु कारक विभक्ति:
पाठगतम् 1.
'याच्' धातु द्विकर्मक है। जिससे माँगा जाए और जो कुछ माँगा जाए, दोनों के वाचक शब्द द्वितीया विभक्ति में (याच् admits two objects. The words for the person asked of, and the thing asked for take the second vibhakti).
विशेष :
संख्या कहने के दो ढंग (Two ways for expressing numbers) - गवां सहस्रम्, सहस्रम्
गावः
शोभना
अपर्याप्ता
भाषा व्याकरणं च
2.
3.
अभ्यासः
कर्ण ने निजी यश की रक्षा के लिए अपने दल की परवाह न की । क्या आप इससे सहमत हैं ? युक्तिसंगत उत्तर दीजिए (Karna protected his own glory but did not care for the group he belonged to. How far do you agree with his action? Support your answer with arguments).
प्रथमा
द्वितीया
चतुर्थी
षष्ठी
सप्तमी
'गो' शब्द के रूप लिखिए (Decline गो) —
शोभनम् अपर्याप्तम्
संस्कृत-लेखनम् (Translate)—
अनुवाद कीजिए
(क) कर्ण हज़ार गाएँ देना चाहता था । ( Karna wanted to give a thousand cows).
(ख) गुरुओं से विद्या माँगो । (Ask for knowledge from teachers).
(ग) जो कीर्ति माँगता है वह नहीं पाता । ( One who asks for glory does
not get it).
(घ) गौओं के साथ किसे जाना चाहिए ? (Who should go with the cows ? ) (ङ) अच्छा, थोड़ी देर तो ठहरो । ( Okay, wait a minute.)
31
Page #37
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: आत्मनेपद-लङ्
नवमः
स्वतन्त्रता-संग्रामः (क)
पाठः
आयलयत यधभेटनीति अवलम्ब योजक अनुशासन-सत्रमा समाज-सेवकः धर्म-प्रवर्तक
शिक्षा-शास्त्री महत्त्वम् भावना पुरा भारतीयेषु एकतायाः अभावः आसीत् । एतत् दृष्ट्वा अनेके वैदेशिकाः अत्रागच्छन् अस्मान् चाजयन् । अनन्तरम् आंग्लीयाः अत्रागच्छन् । भारतम् आयत्तं कर्तुं षष्टि वर्षाणि ते अयतन्त । अस्मिन् काले महाराष्ट्रस्य पेशवानाना-साहबः (द्वितीयः), मैसूरस्य टीपू सुल्तानः, इन्दौरस्य च यशवन्तरावहोल्करःआंग्लीयैः सह प्रतिपदम् अयुध्यन्त । परम् आंग्लीयाः चतुराः आसन् । ते भेदनीतिम् अवलम्ब्य क्रमेण सर्वमेव भारतम् आयत्तमकुर्वन् ।
1857-तमे वर्षे भारतस्य प्रथमः स्वतन्त्रता-संग्रामः अभवत्। अस्मिन् संग्रामे अनेके वीराः आसन्, यथा-मंगल पांडे, धुन्धुपन्त, नाना साहब पेशवा, बहादुरशाह जफरः, झाँसी-रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, कुँवरसिंहः चेत्यादयः । परम् एतेषां सर्वेषां वीराणां योजकं किमपि. अनुशासन-सूत्रं नासीत् । अस्मात् एव कारणात् काऽपि योजना सफला नाभवत् ।
तदनु राजाराममोहनरायः, परमहंसः रामकृष्ण-देवः, अरविन्दघोषः, स्वामिदयानन्दः, सर सैयद अहमद खाँ अन्ये चापि केचित् समाजसेवकाः, धर्म-प्रवर्तकाः शिक्षा-शास्त्रिणः च स्वतन्त्रतायाः विचारान् महत्त्वं च सर्वत्र प्रासारयन् । एतेषां प्रयत्नैः स्वतन्त्रतायाः भावना सर्वत्र प्रसृतवती ।
32
Page #38
--------------------------------------------------------------------------
________________
1885-तमे वर्षे अखिल राष्ट्रिय-महासभा (इण्डियन नेशनल कांग्रेस) अस्थाप्यत । दादा भाई नौरोजी, गोपालकृष्ण गोखले, लोकमान्यः तिलकः, लाला लाजपतरायः,विपिनचन्द्रपालः अन्ये च केचन नेतारः स्वातन्त्र्यशिखां सर्वत्र प्राज्वालयन् ।
||
शब्दार्थाः एकता = संगठन
(unity) अभावः = कमी
(dearth, shortage) आयत्त = अधीन
(subservient, slave) यत्
= कोशिश करना (to try) युध्
= युद्ध करना । (to fight) भेदनीतिः = फूट की नीति
(policy of dividing) अव + लम्ब = सहारा लेना (to cling, to support oneself
on) स्वतन्त्रता = आज़ादी
(freedom) संग्रामः • = युद्ध
(war) आदि = आदि
(etc.) योजक
= मिलाने वाला (joining) अनुशासन-सूत्रम् = अनशासन-रूपी धागा (thread of discipline) = योजना
(plan) समाज-सेवक
= समाज-सेवक (social worker) धर्म-प्रवर्तक
धर्म का आरम्भकर्ता (founder of a religious sect) शिक्षा-शास्त्रिन् = शिक्षा-शास्त्री (educationist) महत्त्वम्
महत्त्व
(importance) भावना
भावना
(feeling) शिखा = ज्वाला
(flame) प्र + ज्वालय् = जलाना
(to kindle) नए धातु (New Roots)—यत् A, युध् A नए उपसर्गयुक्त धातु (New Prefixed, Roots) - अव+लम्ब् A, प्र+ज्वालय
योजना
॥
॥
॥
॥
33
Page #39
--------------------------------------------------------------------------
________________
योजकम्
Ftg farstoru (New Adjectives) आयत्तः आयत्ता
आयत्तम् योजकः
योजिका सेवक: सेविका
सेवकम् प्रवर्तकः प्रवर्त्तिका
प्रवर्तकम् विशेषः
संख्यावाचक विशेषण अपने विशेष्य की विभक्ति और लिंग का अनुसरण करते हैं (Numerative adjectives get the vibhakti and the gender of the nouns they wualify.)
अभ्यासः
पाठगतम्
हम पराधीन क्यों हुए थे? क्या वे अवगुण अब भी हम में हैं या नहीं ? युक्तिसंगत उत्तर दीजिए (Why were we ruled by others? Do we still have those
weaknesses ? Support your answer with arguments). 2. हमें आज़ादी पाने के लिए क्या कीमत देनी पड़ी-इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए
(What price did we pay for getting our freedom. ? Write a short
essay on this topic). भाषा व्याकरणं च
3. 'यत्' और 'युध्' के लङ् लकार में रूप लिखिए (Conjugate यत् and युध् in लङ्) 4. प्रत्येक शब्द से एक वाक्य बनाइए (Make a sentence from each of the
following)—
अव+लम्ब्, तिरस्+कृ, प्रमाणी+कृ, अनु+सृ संस्कृत-लेखनम् 5. उत्तर दीजिए (Answer)
(क) वैदेशिकाः कया नीत्या अस्माकं देशमजयन् ? (ख) स्वतन्त्रतायै अस्माकं प्रयत्नाः किमर्थ सफलाः न भूतवन्तः ? (ग) स्वतन्त्रतायाः भावना सर्वत्र कथं प्रसृतवती ? (घ) राष्ट्रिय महासभायाः स्थापना कदा भूतवती ?
34
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: आत्मनेपद-लङ् contd.
दशमः
स्वतन्त्रता-संग्रामः (ख)
पाठः
घट
काण्डम्
सूत्रधारः प्रबुद्ध लग क्रान्तिकारिन् महाभागः साचिव्यम् निर्माणम् बलिः
1919-तमे वर्षे 'जलियां-वाला-बाग' काण्डम् अघटत । तत्र सहस्राणि जनाः आंग्लीयसैनिकैः मत्यं प्रापिताः । एतेन काण्डेन सर्व भारतमकम्पत ।
1920-तमे वर्षे मोहनदास-कर्मचन्द-गान्धी स्वतन्त्रता-संग्रामस्य सूत्रधारोऽभवत् । तस्य असहयोगान्दोलनेन सर्वमेव भारतं प्रबुद्धमभवत् । श्री-गान्धिना सह पंडित जवाहरलाल-नेहरू:, सरदार-वल्लभभाई-पटेलः, डा. राजेन्द्रप्रसादः अन्ये च नेतारः सर्वाणि सुखानि त्यक्त्वा देश-कार्ये लग्नाः ।
चन्द्रशेखर आजादः, भगतसिंहः, रामप्रसाद-बिस्मिलः, लाला हरदयालः, खुदीराम-बोसः,
35
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
________________
विनायकः दामोदर-सावरकरः अन्य चानेके क्रान्तिकारिणः स्वं जीवनं दत्वा स्वतन्त्रता-दीपम् अज्वालयन् । सुभाषचन्द्र वसुः महाभागः जापान-वासिनां साचिव्येन बर्मा-प्रदेशे भारतस्य राष्ट्रिय-सेनायाः निर्माणमकरोत् । ____एतत् सर्वं विरोधं दृष्ट्वा सहौः बलिभिः च तृप्ताः भूत्वा आंग्लीयाः 1947-तमे वर्षे अगस्तमासस्य पञ्चदशे दिवसे भारतं त्यक्त्वा स्वदेशं गतवन्तः । वयं च इत्थं स्वतंत्रताम् अलभामहि ।
एषा अस्ति कथा भारतीयस्य स्वतंत्रता-संग्रामस्य ।
शब्दार्थाः
काण्डम्
काण्ड
(mishap) घट = घटित होना
(to happen) सूत्रधारः = नेता
(leader) असहयोगान्दोलनम् = असहयोग आन्दोलन (non-cooperation
movement) प्रबुद्ध = जागृत
(awakened) लग = लग जाना
(to attach oneself to) क्रान्तिकारिन् = क्रान्तिकारी
(revolutionary) दीपः
दीप
(lamp) महाभागः
= महोदय, भाग्यशाली (great, fortunate) वासिन् = निवासी
(inhabitant) साचिव्यम् 3 सहायता
(help) निर्माणम् = निर्माण
(making) बलिः = बलिदान
(sacrifice) नए धातु (New Roots) —घट A, लग् नए विशेषण (New Adjectives)प्रबुद्धः प्रबुद्धा
प्रबुद्धम् -कारी
-कारिणी महाभाग महाभागा
महाभागम् वासी वासिनी
वासि विशेषः
प्रस्तुत पाठ में संख्यावाचक विशेषण सहन शब्द का बहुवचन में प्रयोग है । इसका कारण यह हैं कि यह निश्चित संख्या का ज्ञापक नहीं है, बल्कि हजारों इस भाव का परिचायक है (In this lesson,
-कारि
36
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
the numerative adjective H is used in plural, the reason being that it denotes an indefinite number – 'thousands of).
2.
पाठगतम्
1. गांधी जी के असहयोग आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में लिखिए (What do you know about Gandhi's non-cooperation movement. Write briefly.)
क्रान्तिकारियों का जीवन किस प्रकार का था ? देश के लिए मरने की तड़प उनके दिल में क्यों थी ? (How was the life of the revolutionaries ? Why did they have such a burning desire to die for their country?)
भाषा व्याकरण च.
3.
यत्
युध्
याच्
अभ्यासः
लड् प्र० पु०
लड् म० पु०
लड् उ० पु०
सम्+पद्
लड् म० पु०
अव+लम्ब् लड् उ० पु०
यथानिर्दिष्ट रूप लिखिए (Give forms as required)—
5.
Www
संस्कृत-लेखनम्
4. देशस्य स्वतन्त्रता - इस विषय पर संस्कृत में दस वाक्य लिखिए (Write ten sentences
in Sanskrit on this topic.)
1111
अनुवाद कीजिए (Translate)—
(क) यह स्त्री प्रयाग की रहने वाली है । (This woman is from Prayaga).
(ख) उसके कमजोर दोस्त ने कोशिश भी नहीं की । ( His weak friend did not
37
even try).
(ग) सेना तीन प्रकार की होती है। (Armed forces are of three types).
इस प्रकार की सुखद माँ दुर्लभ है । ( Such a comforting mother is hard to get).
(ङ) सर्दी से सब स्त्रियाँ काँपी । (All the women shivered with cold).
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: (i) अः+ घोष
एकादशः
सुपद्यानि
पाठः
मृ (प्रिय) अभिषेकः मृगेन्द्रता विद् भारती वित्तम् श्रुतवान् आश्रि(श्रय) निरामय भद्रम् कम्(कामय) अपुनर्भवः आर्तिः शुभ(शोभ) बकः
स्वाभिमान-प्रशंसा एकः एव खगो मानी, चिरं जीवतु चातकः । म्रियते वा पिपासायां, याचते वा पुरंदरम् ।।
पराक्रम-प्रशंसा नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने । विक्रमार्जित-राज्यस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता ।।
विद्या प्रशंसा अपूर्वः कोऽपि कोषोऽयं विद्यते तव भारति। व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति संचयात् ।।
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
धनं प्रति व्यंग्यम् यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः,
स पण्डितः स श्रुतवान् गणज्ञः । स एव वक्ता स च दर्शनीयः,
- सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति ।। प्राणि-सेवा-समीहा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख-भाक् भवेत् ।। न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्ग नापुनर्भवम् ।
कामये दुःख-तप्ताना प्राणिनामार्ति-नाशनम् ।। भूषणं किम?
हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम् ।
श्रोत्रस्य भूषणं 'शास्त्रम् भूषणैः किं प्रयोजनम् ? शिक्षा-महत्तवम्
माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः । न शोभते सभा-मध्ये हंस-मध्ये बको यथा ।
शब्दार्थाः
॥
॥
स्वाभिमानम् प्रशंसा मानिन् चातक
स्वाभिमान
प्रशंसा = स्वाभिमानी = पपीहा
॥
॥
मृ (म्रिय) पिपासा पराक्रमः अभिषेकः संस्कारः विक्रमः मृगेन्द्रता
॥
(self-respect) (praise) (one having self-respect) (papiha-name of a particular bird) (to die) (thirst) (valour, strength) (coronation) (formal rite) (strength) (rank of the king of animals)
मरना प्यास ताक़त राज्यतिलक औपचारिक रीति ताकत पशुराज का पद
॥
॥
॥
॥
39
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
Q
अपूर्व कोषः
विद्
भारती
व्ययतः
आ + या
क्षयः
संचय
वित्तम्
कुलीन
श्रुतवत्
गुणज्ञ
वक्तृ
दर्शनीय
काञ्चनम् आ + श्रि (श्रय् ) निरामय
भद्रम्
दुःखभाक् कम् (कामय्)
स्वर्गः
अपुनर्भवः
तप्त
प्राणिन् आर्तिः
नाशनम् वैरिन् शुभ् (शोभ्)
बकः
||||||||||||||||||
=
=
=
=
=
=
=
||||||||||||||||||||||||
=
=
=
=
=
=
=
=
=
=
=
||||||||||
=
=
=
=
=
अद्भुत खज़ाना
होना
सरस्वती
ख़र्च करने से
आना
नाश
इकट्ठा करना
धन
अच्छे कुल वाला
ज्ञानी
=
भाषण देने वाला
देखने योग्य,
सोना
आश्रित होना
नीरोग
कल्याण
दुःख का भागी
चाहना
स्वर्ग
मोक्ष
दु:खी
प्राणी
दुःख
नाश
सुन्दर
वैरी
अच्छा लगना
बगला
(unique) (treasure).
(to be)
(goddess of Learning)
40
(by spending)
(to come)
(destruction)
(collecting)
(wealth)
(well-born)
(learned)
(knower of virtues)
(one who gives speeches)
(handsome)
(gold)
(to rest)
(healthy)
(welfare)
(sharer of distress)
(to want )
(heaven)
(freedom from birth and
death)
(distressed)
(creature)
(distress)
(destruction)
(crane)
नए धातु (New Roots) - मृ ( म्रिय्) A, विद् A, कम् (कामय्) A, शुभ् (शोभ्) A नए उपसर्ग यवत धातु (New Prefixed Roots) – आ + या, आ + श्रिं (श्रय्)
(enemy)
(to look pleasing)
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________
नए विशेषण (New Adjectives)मानी
मानिनी अपूर्वः
अपूर्वा कुलीनः
कुलीना श्रुतवान्
श्रुतवती गुणज्ञः
गुणज्ञा वक्ता
वक्त्री दर्शनीयः
दर्शनीया निरामयः
निरामया -भाक् वैरिणी
मानि अपूर्वम् कुलीनम् श्रुतवत् गुणज्ञम् वक्तृ दर्शनीयम् निरामयम् -भाक् वैरि
-भाक्
अभ्यासः
पाठगतम्
संसार में पराक्रम की ही पूजा होती है । बड़े देश छोटे देशों को दबा लेते हैं। बड़ी मछलियाँ छोटी मछलियों को निगल जाती हैं । इस भाव का अपने शब्दों में विस्तार कीजिए (Strength is worshipped inthis world. Big countries control smaller countries. Big fish swallow smaller fish. Elaborate this
idea in your own words). 2. मनुष्य की सबसे बड़ी कामना क्या हो सकती है? (What can be a human
being's highest desire ?) भाषा व्याकरणं च
सन्धि या सन्धिच्छेद कीजिए (Join or disjoin)खगः+मानी, अभिषेक:+न, व्ययतः+वृद्धिः, बालः+न, विस्मितः+नृपः, सोऽपि,
वृक्षम्+गत्वा, कार्यालयो वा 4. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks)
(क) याचक : (धनिक) (धन) याचते । (ख) छात्राः म (गुरु) (कृपा) याचन्ते ।
(अस्मद्) इदं यन्त्रं रोचते। (घ) (मोहन) (सोहन) च अन्तरा तस्य एकः अन्योऽपि पुत्रोऽस्ति । (ड) एष (स्वमित्र) अनुसरति ।
41
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
(च) ....... (नवदश) बालकानां भोजनस्य प्रबन्धोऽस्ति ।
(छ) अहम् एतान् प्रश्नान्..... (किम्) पृच्छानि । संस्कृत लेखनम्5. उत्तर दीजिए (Answer)
(क) कस्य कोषः अपूर्वोऽस्ति ? (ख) सर्वे गुणाः कुत्र आश्रयन्ति ? (ग) का स्यात् अस्माकं मनीषा ? (घ) बालस्य शत्रुः कोऽस्ति ? अनवाद कीजिए (Translate)(क) कोई स्वर्ग चाहता है तो कोई मोक्ष । (Some people want heaven
while others wish for liberation). (ख) ज्ञान ख़र्च करने से बढ़ता है। (Knowledge increases by spending
it). वह भाषण देने वाली स्त्री वास्तव में दर्शनीय थी । (The worth looking
at was lecturing was indeed). (घ) सभा में विद्यमान मूर्ख शोभा नहीं देता । (A foolish person present
in an assembly does not look good). (ङ) युद्ध में सैनिक मरे । (Soldiers died in the battlefield).
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: सन्धि = : +स्, त्
स
.
द्वादशः
गणतन्त्र-दिवसः
पाठः
गणतन्त्रम् सम् + नि + पत् आ + युज
प्रतिनिधिः
उत् + तुल उपकरणम्
ईक्ष्
प्रवर्तनम् अभि + वादय
. लक्षम् मुद् (मोद्)
उल्लासः
यावत् उभयतः
AISE
HOTE
भारतं स्वतन्त्रो देशः अस्ति । अत्र जनतायाः प्रतिनिधयः एव राज्यं चालयन्ति । एतेषां प्रतिनिधीनां पञ्च वर्षाणि अनु जनतयैव निर्वाचनं भवति । प्रजायाः कल्याणाय प्रजयैव यत् शासनमस्ति तत् गणतन्त्रमिति अस्माकं संविधाने उल्लिखितम् ।
एतस्य संविधानस्य च प्रवर्तनं 1950-तमे वर्षे जनवरी-मासस्य षड्विंशतितमायां तारिकायामभवत् । एष एव दिवसः अनुवर्षम् गणतन्त्र-दिवसः इति स्मर्यते मान्यते च ।
एतस्मिन् दिवसे सर्वस्मिन् देशे महान् उल्लासो भवति । महान्तः च संभाराः क्रियन्ते । प्रतिनगरं जनाः संनिपतन्ति, राष्ट्रिय-ध्वजम् उत्तोलयन्ति अभिवादयन्ति च । राष्ट्र प्रति अस्माकं . भारतीयानां किं कर्त्तव्यमिति स्मरन्ति सर्वेषां प्रदेशानां राजधानीष राजकीयस्समारोहः भवति यत्र स्वेन भाषणेन प्रदेशस्य राज्यपालस्सर्वेषां कर्त्तव्यं स्मारयति ।
43
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
भारतस्य राजधान्यां एतस्मिन् अवसरे विशेषस्समारोहो भवति । राष्ट्रपति-भवनतः रक्तदुर्ग यावत् एका शोभा-यात्रा आयोज्यते । एतस्यां शोभायात्रायां सैनिकानां प्रचलनं, तेषां युद्धोपकरणानां प्रदर्शनं च विशेषेण दर्शनीयं भवति । प्रति-प्रदेशं च एकं कौतुक-दृश्यमपि तत्र भवति । एतत् द्रष्टुं लक्षाण्येव जनाः मार्गम् उभयतः संनिपतन्ति । अन्ये च गृहे एव स्थितास्सर्वम् एतत् दूरदर्शननैव ईक्षन्ते मोदन्ते च ।
गणतन्त्रदिवसः अस्माकं महान् राष्ट्रियः उत्सवः ।
शब्दार्थाः
॥
॥
गणतन्त्रम् जनता प्रतिनिधिः शासनम् सविधानम् उत् + लिख् प्रवर्तनम् तारिका अनुवर्षम् उल्लासः संभार: सम् + नि + पत् उत् + तुल् अभि + वादय् राजधानी राजकीय समारोहः राज्यपाल: विशेष रक्तदुर्गम् यावत् शोभायात्रा आ+योजय प्रचनलम् उपकरणम्
प्रजातन्त्र
जनता = प्रतिनिधि %D शासन = संविधान = वर्णन करना %आरम्भ = तारीख = हर वर्ष = खुशी = तैयारी = इकट्ठे होना = फहराना = प्रणाम करना = राजधानी = शासन का = समारोह 3 राज्यपाल = विशेष = लालकिला 3 तक = जुलूस = आयोजन करना = प्रयाण, माचिंग = साधन सामग्री
(republic) (people) (representative) (rule) (constitution) (to mention) (beginning) (date) (every year) (happiness) (preparation) (to collect) (to hoist) (to salute) (capital) (official) (celebration) (governor) (special) (Red Fort) (till) (procession) (to organise) (marching) (implements
॥
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥
॥
॥
॥
॥
प्रदर्शनम्
दिखाना mom (demonstration) कौतुक-दृश्यम्
- झाँकी TREE (pageant) लक्षम् = लाख
(hundred thousand) उभयतः = दोनों ओर
(on both sides) ईक्ष = देखना
(to see) मुद् (मोद्) = प्रसन्न होना
(to feel happy) नए धातु (New Roots) ईक्ष् A, मुद् (मोद्) A नए उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Roots)- उत् + लिख्, सम्+नि+पत्, उत्+तुल्,
अभि+वादय, आ+योजय नए विशेषण (New Adjectives)राजकीयः राजकीया
राजकीयम् विशेषः
विशेषा नए अव्यय (New Indeclinables)अनुवर्षम्, यावत्, उभयतः कारक-विभक्तिः
'उभयतः' के योग में आए शब्द में द्वितीया विभक्ति (Second vibhakti is used with the word coming with उभयतः)
विशेषम्
अभ्यासः
पाठगतम्
गणतन्त्र दिवस और स्वतन्त्रता दिवस में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए (What is the difference between Republic Day and Independence Day ?
Explain.) 2. हमारे देश में जनता का ही शासन है-इस कथन पर अपना मत प्रकट कीजिए (It
is people's rule in our country — what is your opinion on thsi
statement). भाषा व्याकरणं च
3. सन्धि कीजिए (Join)बाल:+तरति, मनिः +तान्,
कृतः+सप्ताहे, छात्रः+सः, विशेषाः+संभाराः,
सज्जनः+स्मर्यते
45
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
5. निन
4. कर्मवाच्य का रूप दीजिए (Change into passive form)
दृश्, लिख्, भू, मानय, स्मृ, कृ, आ+तुल्, आ+योजय, गण, नी, प्र+शंस् संस्कृत-लेखनम्
निम्न विषय पर एक छोटा-सा निबन्ध संस्कृत में लिखिए (Write a short essay in Sanskrit on the following topic)— विद्यालये गणतन्त्र-दिवस समारोहः
अनुवाद कीजिए (Translate)(क) 15 अगस्त को हमारा स्वतन्त्रता दिवस होता है । (Fifteenth August is
our Independence Day.) (ख) विवाह की तैयारियाँ हो रही हैं । (Wedding preparations are going
on.) (ग) आओ, झंडा फहराएँ । (Come on, let us raise the flag.) (घ) हमारे विद्यालय के दोनों ओर डाक्टर और इन्जीनियर रहते हैं । (On both
sides of our school, doctors and engineers live.) W (ङ) इस प्रकार के राजकीय कार्य में कौन बाधा डाल सकता है ? (Who can cause obstruction in such a work of the government?)
00
2000000m
gopmpoompoppopTHYADR
NAGAPTITRAKARM
46
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point : सन्धि -पदान्त ए + अ
त्रयोदशः
नत्य-कलापमा
पाठः
अद्यत्वे
अतिरेक प्रकिटय
अभिव्यक्तिः आदिम प्रस्फुटम् प्र+चल्
उद्गमः आधारीक वैशिष्ट्यम् स्थलम्
नृत्य-नाटिका बहुशः प्रियंकर जनः स्वं हर्षातिरेकं प्रकटयितुं नृत्यति । हर्षातिरेकस्य अभिव्यक्तिः नृत्येनापि भवति । सन्ति अन्येऽपि प्रकाराः हर्षस्य अभिव्यक्तेः परं तेषु नर्तनमेव मानवस्य आदिमः प्रकारः इति प्रस्फुटम् । बालोऽपि यदा हृष्यति सः नृत्यति । उत्सवेषु जनाः नार्यः च नृत्यन्ति । कलासु नृत्यमेव आदिमेति केचित् ।।
नृत्यस्य द्वौ प्रकारौ स्तः-लोकनृत्यं शास्त्रीय-नृत्यं च। प्रत्येक प्रदेशे विविधानि लोक-नृत्यानि दृश्यन्ते, यथा पञ्चनद-प्रदेशस्य भंगड़ा इति, राजस्थानस्य घूमर इति, गुर्जर-प्रदेशस्य गरबा इति, महाराष्ट्रस्य कोली इति, हिमाचल-प्रदेशस्य पंगी इति, एवं चान्यत्र अनेकानि लोकनृत्यानि प्रचलन्ति । परं सन्ति तत्र अन्यानि नृत्यानि यानि राष्ट्रिय स्तरं प्राप्तानि, यथा1. भरत- नाट्यम्-तामिल-नाडु-प्रदेशस्य सैंजोर इति नाम स्थानेऽस्य उद्गमोऽभवत् ।
देवदासीनाम् आसीत् नृत्यमिदम् । देवालयेषु अस्य विकासोऽभवत् ।
478
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________
2. कत्थकली-पुराणानां कांचित् कथामेव आधारीकृत्य मुद्रा-प्रधानम् इदं नृत्यमस्ति । 3. कत्थक-मुग़ल-कालेऽस्य प्रसारोऽभवत् । श्री कृष्णस्यैव कथा अस्याधारः । 4. मणिपुरी-मणिपुरमेव अस्य उद्गमस्य स्थानम् । सामूहिक नृत्यमेव अस्य वैशिष्ट्यम् । __ इदमपि श्री कृष्णस्य कथामेव आधारीकरोति ।
GOOGOVER
5. ओडिसी-उड़ीसा-प्रदेशः अस्य उद्गमस्य स्थलम् । देवदासीनां नृत्यमिदं देवालयेषु एव विकसितमभवत् । अद्यत्वे नृत्य-नाटिकानां प्रसारः बहुशः दृश्यते । विश्व-विश्रुतः उदयशंकरः एवास्ति अस्य प्रकारस्य प्रवर्तकः । नृत्य-नाटिकायां काऽपि प्रियंकरा कथा नृत्येन उपस्थाप्यते।
शब्दार्थाः
नृत्यम् कला
॥
हर्षः
= नाच
कला = खुशी = अधिकता
प्रकट करना प्रकाशन तरीका
नाच = पहला
॥
अतिरेकः प्र + कटय अभिव्यक्तिः प्रकारः नर्तनम् आदिम् प्रस्फुटम्
॥
(dance) (art) (happiness) (excessiveness) (to show) (manifestation) (manner) (dance) (first) (obvious) (to be delighted) (folk dance)
॥
स्पष्ट
॥
॥
: खुश होना
लोकनृत्य
लोकनृत्यम्
॥
48
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________
शास्त्रीय नृत्यम् पञ्चनदप्रदेशः गुर्जर-प्रदेश:
________प्र+चल् स्तरः
उद्गमः
देवदासी
विकासः
आधारीकृ मुद्रा - प्रधान
प्रसारः
आधारः
सामूहिक
वैशिष्ट्यम्
स्थलम्
विकसित अद्यत्वे नृत्य-नाटिका
बहुशः
प्रियंकर
==
||||||||||||
- प्रधानः
सामूहिकः
विकसितः
प्रियंकर:
=
=
गुजरात प्रान्त
= प्रचलित होना
=
=
|| ||
=
विकास
= आधार बनाना
मुद्रा - प्रमुख
=
|||||||||||||||||||||
(amin =
=
=
=
शास्त्रीय नृत्य
पंजाब प्रान्त
= स्थान
=
स्तर
उत्पत्ति
मन्दिर की सेविका
=
=
प्रसार
आधार
सामूहिक विशेषता
= आजकल
विकसित
नृत्य-नाटिका
बहुत अधिक
अच्छा लगने वाला
आदि
- प्रधाना
सामूहिक
विकसिता
प्रियंकरी
नए अव्यय (New Indeclinables ) - प्रस्फुटम्, अद्यत्वे, बहुशः
49 08
(classical dance)
(Punjab State)
(Gujarat State) (to be prevalent) (standard)
(development)
(to make base) (prominent in + expressions) (propagation) (base) opd
sips (collective, group ) (characteristic)
(birth) mea
(female attendant in service of god)
mer
康運
नया धातु (New Root) - हृष्
Jamins
नए उपसर्ग युक्त धातु (New Prefixed Roots) प्र+कटय्, प्र+चल्, आधारी+कृ
नए विशेषण (New Adjectives)
आदिमः
ि
(place)
(developed) (these days)
(ballet)
(very much) (pleasing)
SVE20
आदिमम्
- प्रधानम्
सामूहिकम् विकसितम्
प्रियंकरम्
Page #55
--------------------------------------------------------------------------
________________
2.
पाठगतम्
1. नृत्य एक कलामय व्यायाम है- क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? तर्क-संगत उत्तर दीजिए (Dancing is an artistic exercise. Do you agree with this statement? Support your answer with arguments.)
(Sonsb Ishizer13: Jadaniy
Taara
4.
भाषा व्याकरणं च
3.
6.
अभ्यासः
भारत में शास्त्रीय नृत्य कौन-कौन से हैं? उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए (What are the classical dances in India? Give a brief description of each).
सन्धि कीजिए (Join)—
वृक्षे+अस्मिन् वने+अभवत्, अन्ये +अस्य, स्थाने+अपि, काले+अस्ति, बाले+अन्यः
संस्कृत-लेखनम् -
5.
'प्र' उपसर्ग को निम्नलिखित धातुओं के पूर्व लगाइए और अर्थ बताइए (Add प्र before the following roots and tell the meaning)
विश्, सद्, नश्, सृ, कटय्, हृ
उत्तर दीजिए (Answer) -
(क) जनस्य हर्षातिरेकस्य अभिव्यक्तिः कथं भवति ? (ख) कलासु का कला आदिमा कस्य चेदं मतम् ?
(ग) पञ्चानां लोकनृत्यानाम् अभिधानानि लिखत । (घ) नृत्य-नाटिकायां किं भवति ?
FEAT
अनुवाद कीजिए (Translate)
(क) कला से हीन मनुष्य पशु है, ऐसा कुछ विद्वानों का मत है। (Aman without art is an animal. This is the opinion of some escholars).
चटप
(ख) श्री राम की कथा को आधार बना कर नाटक हर नगर में होता है । (A play based on the story of Lord Rama is played in every city). (ग) यह कला मन्दिरों से विकसित हुई । (This art was developed in
temples).
(घ) जब सैनिक प्रयाण करते हैं तो सुन्दर लगते हैं । (When soldiers march, they look beautiful).
त्रिकोणी
(ङ) हमारे द्वारा नृत्य-नाटिका देखी गई । (The ballet was seen by us.)
oldsmissbr
50
Page #56
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point : आत्मनेपद-विधिलिङ्.
चतुर्दशः
पाण्डव-दूतः कोकण
पाठः
आसनम दःखम् जन माया
दूतः अनामय प्रभृतिमीसमयः सहदायाधम नामशेष
शठः पराङ्मुख सम्प्रतिगम हस्व इदानीम् दीर्घकालसंभ्रमःो
क्षिप
दुर्योधनः आः भवान् प्राप्तः । एतत् आसनम् । उपविशतु भवान् । भोः दूत ! अपि कुशलिनः
सर्वे मम बान्धवाः ! वासुदेवः एवम् । कुशलिनः सर्वे । युष्माकम् अनामयं पृष्ट्वा युधिष्ठिर-प्रभृतयः
निवेदयन्ति-समयेन वयं कालं वने अनयाम । अनेकानि दुःखानि असहामहि ।
अधना दायाद्यस्य अस्माकम अंशं प्रयच्छति । दुर्योधनः कथं कथं दायाद्यमिति ! वासुदेवः नृप ! मा मा भवान् ! एवं परस्परं विरोधेन शीघ्रं कुरु-कुलं नामशेषं जायेत ।। दुर्योधनः भोः दूत ! न जानाति भवान् समुदाचारम् ! वासुदेवः भोः सुयोधन ! ननु क्षिपसि माम् । भोः शठ ! भोः नृपाः ! गच्छामः तावत् । दुर्योधनः मा अयं गच्छेत् । न जानाति दूतस्य समुदाचारम् । तं कारागारे क्षिप।माम
(अनेके कौरवाः वीराः वासुदेवेन सह युध्यन्ते परं पराङ्मुखाः पतन्ति)
651
Page #57
--------------------------------------------------------------------------
________________
दुर्योधनः किं सर्वे एव असमर्था : ?
भवतु अहमेव दण्डयामि
एतं दूतम् । वासुदेवः किं सम्प्रति सुयोधनः
उत्तिष्ठति। भवतु, सुयोधनस्य सामर्थ्य
पश्यामि। (मायया भगवान् कृष्णः अनेकानि
रूपाणि धारयति) दुर्योधनः आः कुत्रास्ति केशवः ! अयं केशवः ! अहो हस्वः अयं केशवः ! आः तिष्ठ इदानीम् !
कुत्र केशवः ! अहो दीर्घः अयं केशवः ! अयं केशवः ! तत्र केशवः ! किमिदम् ! सर्वत्र केशवाः भवन्ति । किं करिष्यामि ? (संभ्रमेण सर्वे तिष्ठन्ति)
-भासकृत दूतवाक्यात् | शब्दार्थाः आसनम्
आसन
(seat) दूतः
(messenger) अनामय स्वास्थ्य
(health) प्रभृति
आदि
(etc.) समयः
समझौता
(agreement) दुःखम् दःख
(trouble) सहना
(to bear) दायाद्यम् = पैतृक संपत्ति
(inheritance) अंशः हिस्सा
(share) का प्र+दा प्र+ दाजी देना
(to give) नामशेष ॥ = समाप्त
(finished) समुदाचार
उचित व्यवहार
(proper behaviour) जन् होना, पैदा होना
(to be, to be born) = अपमान करना,फेंकना ! (to insult, to throw) = दष्ट
(wicked) कारागारः - जेल
post (jail) पराङमखाजगीत = पछाड़ खाया HP (one with face turned
( फलीजि हम
away) कली
त
॥
॥
॥
॥
॥
||
सह
||
॥
॥
॥
॥
क्षिप म
||
शठः
52
Page #58
--------------------------------------------------------------------------
________________
असमर्थ
॥
॥
सम्प्रति सामर्थ्यम् माया अहो
॥
असमर्थ
T (incapable) = अब
(now) ताकत
(strength) = माया (अवास्तविक आभास) (illusion-power). अरे !
(ah!) = छोटा
(small) अब
(now) बड़ा
(big) = घबराहट
(nervousness)
॥
इदानीम् दीर्घ संभ्रमः
॥
शठा
नए धातु (New Roots)- सह A, जन् A नया उपसर्गयुक्त धातु (New Prefixed Root) – प्र+दा नए विशेषण (New Adjectives) नामशेषः
नामशेषा शठः पराङ्मुखः
पराङ्मुखी असमर्थः
असमर्था हस्वः
हृस्वा.सात् दीर्घः
दीर्घा नये अव्यय (New Indeclinables)—सम्प्रति, अहो नया मुहावरा (New Idiom)—कालं नयति, नामशेष:
नामशेषम् । शठम् पराङ्मुखम् असमर्थम् हृस्वम् दीर्घम्
अभ्यासःENTREJEबुवाया
पाठगतम्___ 1. श्री कृष्ण दुर्योधन को सुयोधन क्यों कहते हैं (Why does Lord Krishna
call Duryodhana as Suyodhana ?) श्री कृष्ण ने किस प्रकार दुर्योधन को संभ्रम-युक्त किया ?(How did Lord Krishna
confuse Duryodhana ?) भाषा व्याकरणं च3. विधिलिङ् रूपों से स्थान-पूर्ति कीजिए. (Fill in the blanks with विधिलिङ् forms)- मोक्षार
53
Page #59
--------------------------------------------------------------------------
________________
पिसक
(क) अस्माकं देशे वीराः (जन्) । (ख) वयं सर्वे काठिन्यानि (सह्) । (ग) छात्रा: एतानि कार्याणि.......(क) । (घ) पक्षौ न्यायालयात् बहिः मा (वि+वद्)
(ङ) स्वपुस्तकम् वयम् (पठ्) । 4. यथापृष्ट रूप लिखिए (Give forms as asked)
स्त्री० नामशेषः
आदिमः प्रियंकरः मेधावी
वार्षिकः । संस्कत-लेखनम5. उत्तर दीजिए (Answer)
(क) दूतः दुर्योधनाय प्रथमं किमकथयत् ? TE (ख) दुर्योधनः श्रीकृष्णाय किमर्थम् अक्रुध्यत् ? (ग) किं कौरवाः श्रीकृष्णेन सह अयुध्यन्त, तेषा च किमभवत् ?
(ङ) दुर्योधनम् आगतं दृष्ट्वा श्रीकृष्णः किमकरोत् ? 6. अनुवाद कीजिए (Translate)(क) पाण्डवों ने जंगल में समय बिताया । (Pandavas spent time in a
forest.) (ख) पाण्डवों का कौरवों के साथ यह समझौता हुआ। (Pandavas had this
agreement with Kauravas.) (ग) पैतृक सम्पत्ति का हमारा अंश दिया जाए। (We should be given our
share of the paternal property.) BREA (घ) इस प्रकार कुरुकुल का नाम ही बाकी बचेगा । (Thus the Kuru family's
name alone will be saved.) En (ङ) अहो, अब आप भी आ गए। (Wow ! now you too have come!)
काजोindinaxnsidin) परीकि की कामना
iFi emote
54
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: विद्वस्-declension
पञ्चदशः
मैक्समूलरः
पाठः
वाद्यम्
प्रवत्त
भवन-प्रथित विद्वान विद्वद्-धौरेय सुप्रथित वि+स्मि (स्मय)
प्रभृति परिशीलनम्
भाषान्तरम् कृतिः अनु+रंज् विदेशेषु अपि अनेके भुवन-प्रथिताः संस्कृत-विद्वांसः अजायन्त, यथा-सर विलियम जोन्स, डा० जे०जी०वूलर,वैलण्टाइन,कीलहानमोनियर विलियम, डा० हर्मन जैकोबी, मैक्समूलर मैकडानल, कीथ-प्रभृतयः । एतेषु विद्वत्सु विद्वद्-धौरेयस्य मैक्समूलरस्य नाम भारते सर्वत्र सुप्रथितम् ।
मैक्समूलर 1823-तमे वर्षे अजायत । सः मातृभक्तः आसीत् । शैशवे मैक्समूलराय संगीतम् अतीव प्रियमासीत् । 'पियानो' तस्य प्रियं वाद्यम् अवर्तत । यदा मैक्समूलरः विश्वविद्यालये छात्रः आसीत् तदा एकदा ऋग्वेदं पठित्वा सः भृशं व्यस्मयत । तदैव एकदा फ्रांस-देशं गतः सः विदुषः वर्नफ-महोदयस्य वेद-विषयकाणि भाषणानि आकर्णयत् । तदा प्रभृति वर्नफ-महोदयं स गुरुम् अमन्यत संस्कृतस्य अध्ययनं प्रति च प्रवृत्तोऽभवत् । इंग्लैण्ड-देशस्य आक्सफोर्ड इति नाम विश्वविद्यालयमपि गत्वा सः संस्कृतस्यैव परिशीलनं कृतवान् ।
तस्मिन् एव विश्वविद्यालये सः संस्कृतस्य प्राध्यापकोऽभवत् । ऋग्वेद-विषयकं स्वं कार्य स तत्रैव प्रणीतवान् । अपि च, हितोपदेश-मेघदूतयोः भाषान्तरमपि तेन कृतम् । संस्कृत-साहित्यस्य इतिहासः संस्कृत-व्याकरणं चेति द्वौ ग्रन्थौ अपि तस्य कृती।
St
भारताय भक्तिः भारतीयेभ्यः च स्नेहस्तस्य हृदये सदैव अवर्तत । भारतीयाः अपि तस्मिन् अनुरज्यन्ते स्नेहेन च तं मोक्षमूलर इति कथयन्ति ।
1gminsombro brsavita
55
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥
॥
॥
॥
॥
(translation)
शासक
॥
शब्दार्थाः । भुवन-प्रथित = संसार-प्रसिद्ध
(world-famous) विद्वस् विद्वान
(scholar) विद्वद-धौरेय = श्रेष्ठ-विद्वान्
(best among scholars) सुप्रथित = बहुत प्रसिद्ध
(very famous) मातृ-भक्त = माता के प्रति भक्तिवाला (devoted to ones mother) वाद्यम् = संगीत-वाद्य
(musical instrument) विश्वविद्यालयः. = यूनीवर्सिटी
(university) वि+स्मि (स्मय) = चकित होना
(to be surprised) अध्ययनम् = पढ़ाई
(study) प्रवृत्त लगा हुआ
(engaged) परिशीलनम् सतत अध्ययन
(constant pursuit) विषयक विषय-सम्बन्धित जिरे
(concerned with the subject) प्रभृति से लेकर
(from, ever since) प्राध्यापकः = लेक्चरार
(lecturer) भाषान्तरम् = अनुवाद व्याकरणम् व्याकरण
(grammar) कृतिः = रचना
(work) भक्तिः
= भक्ति अनु+रज् = प्रेम करना
(to love) नया रूप (New Noun) -विद्वस् (पृष्ठ 87) नए उपसर्गयुक्त धातु (New Prefixed Roots) की
वि+स्मि (स्मय) A, अनु+रंज A नए विशेषण (New Adjectives) बाजार प्रथितः
प्रथितालमा प्रवृत्तः
- प्रवृत्ता व मा प्रवृत्तम् नया अव्यय (New Indeclinable)-प्रवृत्तिमा नया मुहावरा (New Idiom)–विद्वद्-धौरेयः विशेषः
प्रभृति के दो अर्थ-आदि, से लेकर। पहले अर्थ में विशेषण और दूसरे अर्थ में अव्यय है (प्रभृत्ति has two meanings-etc., since/from. In the first meaning it is an Adjectiveand in the second meaning, it is an indeclineable).
(devotion)
प्रथितम्
56
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________
अभ्यासः
पाठगतम्
1. विदेशों के पाँच संस्कृत-विद्वानों के नाम बताइए (Give names of five foreign
Sanskrit Scholars). भाषा व्याकरणं च 2. यथानिर्दिष्ट रूप लिखिए (Give forms as required)
विद्वस् (द्वितीया, तृतीया, षष्ठी) गो (चतुर्थी, पञ्चमी, सप्तमी)
महत् (प्रथमा, षष्ठी, सम्बोधन) 3. णिजन्त रूप लिखिए-खन्, नश्, कु, लिखु,
श्र
माणित संस्कृत लेखनम्4. उत्तर दीजिए (Answer)
(क) मैक्समूलरः संस्कृतं प्रति कथं प्रवृत्तोऽभवत् ? (ख) मैक्समूलरेण किं किं लिखितम् ? अनुवाद कीजिए (Translate)(क) विदेशों में मैक्समूलर आदि अनेक विद्वान हुए। (In foreign countries,
there were many Sanskrit scholars like Max Muller). (ख) लक्ष्मीबाई आदि नारियाँ भी आजादी के लिए लड़ीं। (Women like
Lakshmibai fought for freedom.) me (ग) क्या जीवन में धन आदि ही सब कुछ है ? (Is money everything in
life ?) (घ) मैक्समूलर विद्वानों में श्रेष्ठ है। (Max Muller is the best among
scholars.) (ङ) हम विद्वानों का आदर करें। (We should respect scholars.)
57
Page #63
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: (i)स्वर + घोष (ii) आत्मन्-dec.
(except अ, आ)
षोडशः
गीता
पाठः
गीना
दोग्धाभोक्ता परि+त्यजू व्र लक्षणम् धनुर्धरः भूतिः
छिद् क्लेदय शोषय सम्भू ग्लानिः अभ्युत्थानम् सृज गीता-प्रशंसा
सर्वोपनिषदो गावः दोग्धा गोपाल-नन्दनः ।
पार्थो वत्सः सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत् ।। ईश्वरस्य आदेशः
सर्व-धर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ।। विजय-लक्षणम्
यत्र योगेश्वरः कृष्णः यत्र पार्थो धनुर्धरः । यत्र श्रीर्विजयो भूतिः धुवा नीतिर्मतिर्मम ।। आत्मनः अमरता
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।। ईश्वर-प्रतिज्ञा
की परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । lodbe धर्म-संस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे। मिकी मत यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।
शब्दार्थाः
दोग्धृ
= दोहने वाला
(milk-man)
58
Page #64
--------------------------------------------------------------------------
________________
गोपाल नन्दन
पार्थः
वत्सः
सुधीः
भोक्तृ
अमृतम्
आदेशः
परि+त्यज्
व्रज्
शुचः
लक्षणम्
योगेश्वरः
धनुर्धरः
श्रीः
भूतिः
ध्रुवा
नीतिः
अमरता छिद्
पावकः
क्लेदय्
आपः
शोषय्
मारुतः
प्रतिज्ञा
परित्राणम् विनाश:
दुष्कृताम्
संस्थापनम्
अर्था
सम्+भू
ग्लानिः
भारतः
= ग्वालों का प्रिय ( श्रीकृष्ण)
पृथा-पुत्र अर्जुन
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||| IL
= बछड़ा
=
=
=
=
धनुर्धारी
लक्ष्मी
= ऐश्वर्य
=
=
= काटना
विद्वान् भोगने वाला
अमृत
आज्ञा
छोड़ना
=
जाना
शोक करो!
निशानी, परिभाषा
योगीराज
=
= नाश
=
निश्चित
नीति, विचार अमरता
= दुष्टों का
=
= स्थापना
आग
गीला करना
जल
सुखाना
हवा
व्रत
रक्षा
लिए जन्म लेना
नाश, क्षय भरत-वंशी
59
(beloved of cowmen-Krishna) (Pritha's son Arjuna) 88) (calf) (K
(wise)
(enjoyer)
(nectar) (order) (to leave)
(to go)
DA
(griee!)
(sign)
(king of yogis)
ws) F
(archer)
(fortune)
(prosperity)
(determined) quo (policy, thought) (immortality)
(to cut)
(fire)
(to make wet)
(water)
(to dry)
(air)
(vow)
(protection)
(destruction)
(of wickeds) (establishment)
प्रा
(for)
(to be born)
(decline)
(one born in the family of Bharatas)
Page #65
--------------------------------------------------------------------------
________________
अभ्युत्थानम् = उत्थान
(uplift) अधर्मः = अधर्म
(non-righteousness) सृज् RAc = पैदा करना
(to create) नया रूप (New Noun)—आत्मन् (पृष्ठ 88) नए धातु (New Roots)-व्रज्, छिद्, क्लेदय, शोषय, सृज् नए उपसर्ग-युक्त धातु (New Prefixed Roots)—परित्यज्, सम्+भू नए विशेषण (New Adjectives) भोक्ता
भोक्त्री
भोक्तृ
धुवः
धुवा
ध्रुवम्
विशेषः (i) 'युष्मद्' शब्द के द्वितीया विभक्ति एकवचन में दो रूप बनते हैं (Two forms of
युष्मद् in second vibhakti singular-त्वाम्, त्वा) (ii) जिसकी शरण में जाएँ, उसके वाचक शब्द में द्वितीया और 'शरण' शब्द में भी
Facitat farsfee (Words for 'refuge' and 'the one whose refuse is
sought'-both take second vibhakti) (iii) सम+भ के दो अर्थ (सम्+भू has two meanings)-सम्भव होना, जन्म लेना।
अभ्यासः
पाठगतम्
श्रीकृष्ण और अर्जुन क्रमशः बुद्धि और बल के प्रतीक हैं । जहाँ बुद्धि और शारीरिक बल दोनों विद्यमान हों, वहाँ विजय निश्चित है। इसी भाव की व्याख्या कीजिए (Lord Krishna and Arjuna are symbols of intellect and physical strength respectively. Where both are present victory is certain.
Elaborate this idea). काय पहले श्लोक में किसकी उपमा किससे दी गई है? (What is the simile in the
first verse Who is being compared with whom ?) भाषा व्याकरणं च- -
3. संस्कृत-पर्याय दीजिए (Give Sanskrit equivalents)आत्मा का, आत्माओं में, आत्मा से,
आत्माओं का, हे आत्मा, din आत्मा के द्वारा, आत्मा के लिए
608
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________
4.
anus dors
सन्धि या सन्धिविच्छेद कीजिए (Join or disjoin)— उपनिषदो गाव., सुधीर्भोक्ता, मतिर्मम, ग्लानिः + भवति, हानिः +नास्ति, मेधाविनः + भवन्ति, बालः+अयम्, मुनिः+ जयति
संस्कृत-लेखनम् -
5. उत्तर दीजिए (Answer) -
6.
(क) ईश्वरस्य कः आदेशोऽस्ति ? (ख) विजयस्य लक्षणं किं वर्तते ?
(ग) आत्मनः अमरता कथं सिध्यति ?
(घ) ईश्वरः कदा अवतरति ?
अनुवाद कीजिए (Translate) -
(क) गीता एक महान् पुस्तक है । (The Gita is a great book.)
(ख) आत्मा की अमरता को कौन खण्डित कर सकता है ? (Who can refute soul's immortality?)
(ग) ईश्वर की शरण में जाओ। (Go to God's shelter.)
(घ) धर्म की स्थापना के लिए श्रीकृष्ण जन्म लेते हैं । (Lord Krishna is born
to establish righteousness.)
शक्ति ही हमारे देश की निश्चित नीति हो । (Strength should be our country's definite policy.)
61
DET
www
ह
Page #67
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point : आत्मनेपद-लोट-लुट्
Nabiomicomकिनी कमलगी यांना
दुर्ललितः भरतः
सप्तदशः
पाठः
दुलीलता जुम्भ
गणतापसी लंघ लंघय)
पीड विरमय
उटज
चेष्टितम्रा
ra
Laya
बाल:
जुम्भस्व सिंह, दन्तान् ते गणयिष्ये ! प्रथमा तापसी अविनीत, कथम् एतान् पशून पीडयसि ? नृपः अतीव सुन्दरोऽयं बालः । अहो, सिंह-शावकेन सह खेलति । मे हृदयं सत्यं
स्नेहयति । द्वितीया तापसी एषा केसरिणी त्वां लंघयति यदि तस्याः पुत्रकं न मुञ्चसि । बाल: (सस्मितम्) अहो, भीतोऽस्मि (अधरं दर्शयति) नपः
तेजस्वी अयं बालः । प्रथमा तापसी वत्स, एनं शावकं मुञ्च ! अपरं ते क्रीडनकं दास्यामि ! बालः कुत्र ? दीयताम् ? (हस्तं प्रसारयति) द्वितीया तापसी हन्त, नार्हति एष शब्दमात्रेण विरमयितुम् । गम्यताम्, मदीये उटजे
समृत्तिका-मयूरकः तिष्ठति । तम् अस्य कृते उपहर ? प्रथमा तापसी तथा ? (निर्गच्छति)
62
Page #68
--------------------------------------------------------------------------
________________
बालः नुपः
अनेनैव तावत् क्रीडिष्यामि (तापसी दृष्ट्वा हसति)
स्पृहयामि खलु दुर्ललिताय अस्मै ? तापसी (नृपं दृष्ट्वा) भद्रमुख, आगच्छ, मोचय च एनं शवकम् । एष बालः मां तु न
गणयति ! दार तय (बालमुपगम्य) भोः महर्षि-पुत्रक ! मा एवं कुरु ! भद्रमुख ! नायं ऋषि-कुमारकः ।
सत्यम्, अस्य आकारः चेष्टितमपि चैवं कथयति । तदा कोऽस्य व्यपदेशः ? तापसी (सात पुरुवंशीयः क्षत्रियः !
- कालिदास-कृत-शकुन्तलात्
तापसी
शब्दार्थाः
(mischievous) शाही (to yawn)
॥
(to count) w97) (female ascetic)hi
॥
= शरारती = जम्भाई लेना
गिनना
तपस्विनी = ढीठ
तंग करना
प्रेमयक्त करना = शेरनी
हमला करना
|
दुर्दलित जृम्भ गण् तापसी अविनीत पीड़ स्नेहय केसरिणी 1 लघ् (लंघय्) पुत्रकः सस्मितम् अधरः वत्सः
||
||
||
(obstinate) (to tease) (to make one affectionate) (lioness) (to attack) (son) H1Bsbian (with a smile) (lower lip) (endearing child) (toy) (mere, only) (to stop) (my) (cottage) (clay) (peacock) (to bring)
क्रीडनकम्
||
||
%3D मुस्कुराहट के साथ = ओंठ (नीचे का) = प्रिय बालक खिलौना केवल रोकना मेरा कुटिया मिट्टी
||
मात्र वि+रमय मदीय उटज मृत्तिका मयूरकः उप+ह
||
||
||
||
||
remo
लाना Emoitous
63
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________
तथा
अच्छा !
(right!) स्पृह् = चाहना
शाही (to long) खलुक - सचमुच
नशा (truly) भद्रमुखः सुमुख
(good sir) आकारः ____ = शक्ल -सीमा (appearance) चेष्टितम् = चेष्टा
(action) व्यपदेशः = वंशज
(family!) वंशीय वंश का
(belonging to family)
नए धातु (New Roots)
जृम्भ A, गण् A, पीड्,
स्नेहय् लंघ् (लंघय्), स्पृह्, नए उपसर्गयुक्त धात् (New Prefixed Roots) वि+रमय्,
र उप+ह नए विशेषण (New Adjectives)दुर्ललितः दुर्ललिता
दुर्ललितम् अविनीता
अविनीतम् -मात्रः -मात्रा
-मात्रम् मदीयः मदीया
मदीयम् -मुखः -मुखी
जो मुखम् वंशीयः वंशीया
वंशीयम् नए अव्यय (New Indeclinables) तथा, खलु कारक-विभक्तिः
'स्पृह्' धातु के योग में चाहे हुए व्यक्ति या वस्तु के वाचक शब्द में चतुर्थी विभक्ति (The word for a person or a thing longed for takes the fourth vibhakti when
अविनीतः
स्पृह is used.) निल
अभ्यासः
पाठगतम्1. तापसी सिंहशावक को भरत से क्यों छुड़ाना चाहती है (Why does the ascetic woman want to free the cub from Bharata ? )
64
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
2. बच्चे को देखकर राजा के मन में क्या प्रतिक्रिया हुई ? (What was king's
reaction after seeing the child ? ) भाषा व्याकरणं च3. जृम्भ और गण के लोट्लकार तथा लुट्लकार में रूप लिखिए (Conjugate जृम्भ
and गण in लोट् and लृट्). 4. पद-परिचय दीजिए (Tell the base form and the following suffixes,
etc.)
दर्शयति, प्रसारयति, विरमयितुम् दृष्ट्वा, दीयताम् । संस्कृत लेखनम्5. उत्तर दीजिए (Answer)_
Bही -का (क) सिंह-शावकेन सह कः खेलति स्म ? (ख) तापसी भरतं किमवदत् ? घामाजिक शार (ग) प्रथमा तापसी द्वितीयायै किमुदितवती ? र धामी (घ) भरतस्य व्यपदेशः कः आसीत् ?
किन 26.1 अनुवाद कीजिए (Translate)- मार
(क) इन बालकों के लिए खिलौने लाओ । (Bring toys for these children.) (ख) बच्चा माता-पिता के हृदय को स्नेह-युक्त करता है । (The child makes
the parents' heart full of affection.) (ग) शरारती बच्चा ओंठ दिखाता है। (The naughty child shows his
lips (घ) बेटा, मिट्टी से मत खेलो । (Son, don't play with clay.) (ङ) कुटिया में कोई है ? (Is there anyone in the hermitage?) .
शा-मनाली
65.
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point : wो
त् + च
गाकर अज किन (birdaarities its noiionary
अष्टादशः
का
संगीतम गालि
पाठः
वादकः
संगीत-प्रिय विनोदय संगीत-प्रिय
m ohaardedi 113वकिपी
अन्तरेण उल्लेखः वीणा वर्ण (वर्णय) शंख: वेणुः कचित्तम् परिवर्तनम् भेदः
श्रेष्ठ
सम्+मेलय् जनः संगीत-प्रियः । कदाचित् स गीतं श्रुत्वा प्रसीदति, कदाचिच्च वाद्यानां संगीतेन आत्मानं विनोदयति ।।
लोन लगा-
काज) प्राचीने साहित्ये अनेकानि वाद्यानि अन्तरेण उल्लेखोऽस्ति । एतानि वाद्यानि पञ्चशतात् अपि अधिकानि आसन् । वेदेषु यथा-दुन्दुभिः भूमि-दुन्दुभिः, अदम्बरः, अदम्बर-घट्टः, अघातिः, करकरी, कन्दवीणा। रामायणेऽपि लवकुशौ वीणायाः संगीतेन सहैव रामायणं गीतवन्तौ । रावणस्य प्रासादेषु तु अनेकानि वाद्यानि वाल्मीकिना वर्णितानि । महाभारतेऽपि तथैव वाद्यानाम् उल्लेखः । शंखस्य प्रयोगोऽपि अत्र दृश्यते। श्रीकृष्णस्य पाञ्चजन्यः अर्जुनस्य च देवदत्तः इति शंखौ आस्ताम् । श्रीकृष्णस्य वेणुः कस्य चितं नाहरत् । )
समयेन एतेषु वाद्येषु अपि परिवर्तनं विकासः च अभवताम् । अद्यत्वेऽपि अनेकानि वाद्यानि प्रचलितानि, यथा-इयं वीणा। उत्तरभारतीयायां दक्षिणभारतीयायां च वीणायाम् अस्ति कश्चित् भेदः। slodinbepe
Sradai) कि गाडीक (1)
1
Moodoo
अयं सितारः । मुग़लकाले अस्य वाद्यस्य विकासोऽभवत् । पंडित रविशंकरोऽस्ति विश्व-विश्रुतः सितार-वादकः ।
Page #72
--------------------------------------------------------------------------
________________
Footwo
इयं शहनाई। श्री बिस्मिल्लाखां अस्ति श्रेष्ठः शहनाई-वादकः । एतान् अतिरिच्य मृदंग-तबला-पखध्वजः-इकतारा-गोपीचन्द-सारंगी-इसराज
arre spogrammes
इत्यादीनि अनेकानि वाद्यानि । एतानि वाद्यानि सम्मेल्य अपि वाद्यन्ते । तच्च यन्त्र-सम्मेलनं वाद्यवृन्दं वा कथ्यते ।
नाकामी नामक
र: Juoritiheoanta शब्दार्थाः संगीत-प्रिय संगीत-प्रिय
(lover of music) वि+नोदय दिल बहलाना
(to entertain) 87 अन्तरेण aviD = के विषय में शिक) (about) PREP उल्लेखः
= उल्लेखi issiarm TO (mention) raiano
-||
||
67
Page #73
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥
वीणा
||
||
||
||
||
||
||
वीणा
(Veena,) वर्ण (वर्णय) वर्णन करना
(to describe) शंखः शंख
(conch-shell) वेणः बाँसुरी
(flute) चित्तम् हृदय
(heart) परिवर्तनम् तबदीली
(change) भेदः फर्क
(difference) वादकः = बजाने वाला
(instrument-player) श्रेष्ठ सबसे अच्छा
(best) सम्+मेलय मिलाना
(to assemble) नया धातु (New Root)—वर्ण (वर्णय) नए उपसर्गयक्त धात (New Prefixed Roots)वि+नोदय, सम्+मेलय् नए विशेषण (New Adjectives) -प्रियः
-प्रिया वादकः वादिका
वादकम् श्रेष्ठः
श्रेष्ठा नया अव्यय (New Indeclinable)-अन्तरेण कारक-विभक्तिः
की 'अन्तरेण' के योग में आए शब्द में द्वितीया विभक्ति (The word coming with अन्तरेण takes the second vibhakti).
-प्रियम्
श्रेष्ठम्
अभ्यासः कंगन पाठगतम्
को 1. साहित्य, संगीत और कला से हीन मनुष्य पशु के समान है-ऐसी एक प्राचीन संस्कृत
उक्ति है। आपका क्या विचार है ? (A person without any knowledge of literature, music and art is like an animal. This is an old
saying. What is your opinion?) की 2. पाँच प्राचीन एवं पाँच नवीन वाद्यों के नाम बताइए (Give names of five ancient and five modern musical instruments).
68
Page #74
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाषा व्याकरणं च3. सन्धि या सन्धिच्छेद कीजिए (Join or disjoin)
तच्च, कदाचित्+च, गजो धावति, नरोऽस्ति, गतिः+मम्, नीतिः+जगतः,
वृक्षः+सः 4. पद-परिचय दीजिए (Give the base form, suffixes, etc.)
वर्णितानि, रविशंकरोऽस्ति, अतिरिच्य, सम्मेल्य संस्कृत-लेखनम5. उत्तर दीजिए (Answer)
(क) वाद्यानाम् उल्लेखः केषु पुस्तकेषु अधिगम्यते ? (ख) विश्रुतस्य वादकस्य नाम लिख्यताम्-सितार, शहनाई। (ग) श्रीकृष्णस्य शंखस्य नाम किमासीत् ?
(घ) अर्जुनस्य शंखस्य नाम किमासीत् ? 6. अनुवाद कीजिए (Translate)-P F
(क) आज रेडियो पर रविशंकर का कार्यक्रम है । (On today's radio there is
_Ravi Shankara's programme) (ख) संगीत सुन कर सब का चित्त प्रसन्न होता है। (Everyone feels pleased ITTrafter listening to music.) PEE (ग) शायद वह आज आ जाए । (He might come today.) (घ) तुम सब क्यों नहीं पुरस्कार पाओगे ? (Why won't you all get the म reward ?)
काशा (ङ) दूरदर्शन लोगों का मन बहलाता है । (Television entertains people)
माघasharabnoवार माता पवता (Onmassignup नेता
690
Page #75
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: (i): + च (ii) आः + घोष (iii) अः + स्वर (except अ)
Faratोलीकारली
शालोपलोप
नवदशः
samaan
प्रकीर्ण-पद्यानि
पाठः
अव+धारय प्र+भू (भव)
सम्+आ+चर् सवित प्र+जन्मणारी पास आतपः लघु-चेतस्...साड उदार-चरित
संपत्तिः सन्निमित्तम् - वसुधा
नियत
धर्म-लक्षणम् 005मामा मागा)
श्रयतां धर्म-सर्वस्वं, श्रुत्वा चैवावधार्यताम् ।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् ।। हिज महापुरुष-लक्षणमै Canarmstoore BAIRIT Gaalaa उदये सविता रक्तो रक्तश्चास्तमये का तथा ।
संपत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता ।। लोभ-निन्दा-81binodraniगावा Sadris लोभात् क्रोधः प्रभवति, लोभात् कामः प्रजायते ।
लोभात् मोहश्च नाशश्च, लोभः पापस्य कारणम् ।।
परोपकार-प्रशंसा
छायामन्यस्य कुर्वन्ति, तिष्ठन्ति च स्वयमातपे। फलान्यपि परार्थाय, वृक्षाः सत्पुरुषा इव ।। धनानि जीवितं चैव परार्थे प्राज्ञ उत्सृजेत् ।
सन्निमित्ते वरं त्यागो विनाशे नियते सति ।। उदार-चरित-लक्षणमै
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।।
शब्दार्थाः
अव+धारय diy = समझनाscalinstrume प्रतिकूलम्
अप्रिय
7020
(to understand) (unpleasant)
Page #76
--------------------------------------------------------------------------
________________
।।
||
॥
संपत्तिः
।
॥
॥
सम्+आ+चर् व्यवहार करना
(to practise, perform) उदयः उदय
(rise) संवितृ = सूरज
(sun) अस्तमय अस्त होने वाला
(setting) ऐश्वर्य
(prosperity) क्रोधः lanto 5 = क्रोधdos Durga
(anger) प्र+भू (भव)
(to originate) प्र+जन्म = पैदा होना
(to originate) मोहःoboasd = मोह 25sunn
(delusion) नाशः = नाश
(ruin)
brov आतपः 3 धूप
(sunshine) सत्पुरुषः = अच्छा पुरुष
(gentleman) उत्+सृज् = छोड़ना
(to leave) सन्निमित्तम् = अच्छा उद्देश्य
(good cause) वरम् अच्छा
(better) त्यागः त्याग
(sacrifice) नियत = निश्चित
(inevitable) सति = होने पर
(on being) उदार-चरित = उदार हृदय
(broad-minded) निजः = अपना
(one's own) लघुचेतस् = छोटे दिल वाला
(narrow-minded) वसुधा । = पृथ्वी
(the earth) कुटुम्बकम् = परिवार
Shr (family) किमान नया रूप (New Form) पर- like तद्म या किम्वोति शिवानको नए उपसर्गयुक्त धतु (New Prefixed Roots) कोरिक
अव+धारय् प्र+भू (भव्) 320mody septionist 221180 सम्+आ+चर् उत् + सज
योर कानी
॥
॥
-मयम
नये विशेषण (New Adjectives)-मयः
मया नियतः सावन-नियतामा नियतम् उदार-चरितः विशात उदार-चरितामा उदार-चरितम् लघुचेताः किरणापि लघुचेताः हति लघुचेतः
Page #77
--------------------------------------------------------------------------
________________
| अभ्यासः
पाठगतम्1. आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् यह धर्म का सार बताया गया है।
आपकी क्या राय है ? (This is said to be the essence of religion. What is your opinion ?) सन्निमित्ते वरं त्यागो विनाशे नियते सति-इन शब्दों को आधार बना कर एक छोटा-सा निबन्ध लिखिए (Write a short essay based on the above
words). भाषा व्याकरणं च-onidasise 3. सन्धि या सन्धिविच्छेद कीजिए (Join or disjoin) :
चैव, वृक्षाः+अपि, मोहः+च, सत्पुरुषा इव, निजः जनः, पुरुषोऽस्ति, हरिश्च, मदीयः+तु, आतपः+सवितुः, वसुधा+एव, इति+अति, चापि, अन्वसरत् ।
संस्कृत-लेखनम्4. उत्तर दीजिए (Answer)
(क) वृक्षा कथं परेषाम् उपकारं कुर्वन्ति ? (ख) धर्मस्य लक्षणम् किम् ? (ग) महापुरुषस्य लक्षणं किमस्ति ? (घ) उदार-चरितस्य लक्षणं किं वर्तते ? बायका (ङ) लोभेन का हानिर्भवति ? अनुवाद कीजिए (Translate)(क) अच्छे पुरुषों की संपत्ति दूसरों के लिए होती है। (Wealth of good
people is for others.) (ख) जो दूसरों को पीड़ित करता है, ईश्वर उसे पीड़ित करता है। (God
causes pain to those who cause pain to others.) श जितना धन दे सकते हो उतना दो। (Give as much money as you
can.) (घ) सर्दी की ऋतु में आम का फल संभव नहीं है । (A mango tree is not
possible (to grow) in winter.) (ङ). प्रत्येक युग में ईश्वर जन्म लेता है । (In every age, God is born.) वायसी
को- undestion72EFee
Page #78
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point :
— (i) शत् (ii) गच्छत्– declension
विशतितमः
पाठ:
पश्चिम दूष् (दूषय्)
पक्षिन्
शुश्रुष्
आ+रभू
दिवा
द्वित्र
bone Fl कोहरा
गृधः मार्जारः च फीर
प्र+स्था
अभि+नि+विश् शंकालु
कृतज्ञता विविक्तम्
कुत्रचित् वृक्षे आसीत् पश्चिमे वयसि वर्तमानः कश्चित् गृध्रः केचिच्च पक्षिणः । यदा दिवा पक्षिणः विहर्तुं प्रस्थिताः तदा वृक्षे एव तिष्ठन् अयं गृध्रः तेषां शावकान् रक्षति स्म । कृतज्ञतया सायं किंचित् भोजनं तस्मै यच्छन्तः पक्षिणः सुखेन कालम् अनयन् । एवमेव अगच्छत् महान् कालः ।
एकंदा कश्चित् मार्जारः खगानां शावकान् खादितुं तत्रागच्छत् । तं दृष्ट्वा गृध्रः तमदूषयत् अचिरमेव च प्रणष्टुम् तस्मै अकथयत् । तदा मार्जारोऽवदत्
'भगवन्! भवान् अपि एवं वदति । धर्मम् आचरतः भवतः ख्यातिं श्रुत्वा तु अहमत्र आगतः । भवति शुश्रूषितव्यमिति च मे बुद्धिः । परं भवान् अतिथिमेव दूषयति । अहं तु गंगायाः तीरे निवसन् प्रतिदिनं शास्त्राणि पठामि । धर्मं पालयन् च अहिंसाम् आचरामि । नित्यम् ईश्वरं चाभिनिविशते मे मनः । ज्ञानं लब्धुम् अहमत्र आगतवान् परं भवतः दुर्व्यवहारं पश्यन् अहमधुना किं करवाणि इति नावगम्यते इति ।
73
Page #79
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्वप्रशंसाम् आकर्ण्य गृधः विनम्रोऽभवत् अकथयच्च-मार्जारः मांसरुचिर्भवति । अतोऽहम् एवम् अकथयम् । पर त्वं तु धर्मरुचिः। आगम्यताम्, तुभ्यं धर्मस्य उपदेशं दास्यामीति । ततः मार्जारः तत्रैव विविक्ते वृक्षस्य एकस्मिन् कोटरे वस्तुमारभत ।
प्रतिदिनम् अवसरं लब्ध्वा मार्जारः तान् शावकान् अखादत् । द्वित्रेभ्यः एव दिनेभ्यः अनन्तरं पक्षिणः शंकालून दृष्ट्वा मार्जारस्तु तूष्णीं प्राणश्यत् । गृधमेव हन्तारम् अवगच्छन्तः पक्षिणस्ततः तमेव अमारयन् ।
शब्दार्थाः
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
॥
||
पश्चिम अन्तिम
(last) पक्षिन् । पक्षी
(bird) गृधः गीध
(vulture) दिवा दिन में
(during the day) प्र+स्था जाना
(to go) कृतज्ञता एहसान
(obligation) मार्जारः बिलाव
(he-cat) दूष् (दूषय्) गाली देना
(to abuse) ख्यातिः प्रसिद्धि
(fame) शुश्रूष् = सेवा करना
(to serve) नित्यम् प्रतिदिन
(daily) अभि+नि+विश् = मन लगाना
(to get inclined) दुर्व्यवहार = बुरा बर्ताव
(ill-treatment) मांसरुचिः = मांस में रुचि वाला (interested in meat) धर्मरुचिः
धर्म में रुचि वाला कि (interested in religion) विविक्तम् = एकांत
(lonely place) = खोखल
(hollow of a tree) आ+रभ् आरम्भ करना
(to begin) अवसरः र = मौका
(opportunity) Pा द्वित्राको दो-तीन
11 (two or three) शंकालु शी - शंका-युक्त
(suspicious)
O s नया रूप (New Form)_गच्छत (पष्ठ 88)TSTITEगा नए धातु (New Roots)—दूष् (दूषय्), शुश्रूष् A भोकको
2 74
||
कोटरम्
||
Page #80
--------------------------------------------------------------------------
________________
नये उपसर्ग - युक्त धातु (New Prefixed Roots)
प्र+स्था A, अभि+नि+विश् A, आ+रभ् A
(
नये विशेषण (New Adjectives) पश्चिमः
मांसरुचिः
धर्मरुचिः
ATE
मांसरुचिः
धर्मरुचिः
द्वित्राः
शंकालुः
नये अव्यय (New Indeclinables) – दिवा, नित्यम् ।
द्वित्राः (नित्य बहुवचन)
शंकालुः
पाठगतम् 1.
2.
पश्चिमाshilbst
कारक विभक्तिः
'अभि+नि+विश' के योग में आए शब्द में द्वितीया विभक्ति (The word coming with अभिनिविश् takes the second vibhakti).
नया मुहावरा (New Idiom ) – पश्चिमे वयसि वर्तमानः
4.
IF (TS)
()
YO
अभ्यास :
पश्चिमम्
मांसरुचि
धर्मरुचि
द्वित्राणि
शंकालु
गीध का क्या दोष था ? (What was the vulture's fault?) भाषा व्याकरणं च
3.
मनुष्य की सबसे बड़ी कमज़ोरी अपनी प्रशंसा सुनना है । अपनी प्रशंसा सुन कर अच्छे-अच्छे लोग दूसरे के बस में हो जाते हैं । इस कहानी के आधार पर इस भाव का विस्तार कीजिए ( A human beings greatest weakness is to listen to one's own praise. The strongest people can be controlled through praise. Expand this idea on the basis of this story.)
75
एक-एक वाक्य बनाइए (Make a sentence with each) - अभिनिविश्, पश्चिमे वयसि वर्तमानः, पण्डित-पुरन्दरः, विद्वद्धौरेयः, देवः वर्ष् शत्रन्त रूपों से स्थान पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks with शतृ forms)(क) विद्यालय (गम्) बालान् पश्य ।
(लिख्) लेखकाः ख्यातिं लभन्ताम् ।
(ख) कथाः (ग) कार्यं
(कृ) नरः भ्रदाणि पश्यति ।
Page #81
--------------------------------------------------------------------------
________________
(घ) ग्रामे .... (स्था) सा प्रसीदति । (ङ) देवं (नम्) नरौ जयताम् ।
सी (च) दानम् .. (आ+चर्) नरस्य उन्नतिर्भवति । 5. गच्छत् के रूप लिखिए (Decline गच्छत्). संस्कृत लेखनम्6. अनुवाद कीजिए (Translate)(क) विद्या में रुचि वाला मनष्य विद्वान हो जाता है। (One interested in
knowledge becomes a scholar.) (ख) हम दो-तीन दिनों के लिए गाँव जाएँगे । (We will go to the village for
a couple of days.) (ग) यह बूढ़ा आदमी अध्ययन से बड़ा प्रेम करता है । (This old man loves 103 by studying.) (घ) धीरे-धीरे बहुत समय बीत गया । (Gradually a lot of time passed.) (ङ) दिन में वे घूमने निकले । (During the day, they went out for a
walk.) (च) वह चलता हुआ खा रहा है । (He is eating while walking.)
30
CRETTE
SAACो
76
Page #82
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: किना जगत्-declension
एकविंशतितमः
भारतीया संस्कृतिः
पाठः
जगत् चिन्तनधारा विशिष् अन्तरेण निदर्शनभूत सहिष्णता प्रापक लक्ष्यम् अन्ततः अवलम्बिन् अनुव्रत कलहाय __प्र+ यत् रम् सत्कारः सम्+मानय्
जगति कस्या अपि जातेः काचित् चिन्तनधारा संस्कृतिः वा भवति यया सा जातिः अन्याभ्यः विशिष्यते। संस्कृतिमन्तरेण न काsपि जातिः राष्ट्रस्य रूपेण जीवति । भारतीयानामपि च स्वा विशिष्टा जीवनपद्धतिः चिन्तनपद्धतिश्च । अस्माकं संस्कृत्यां यानि कानिचित् प्रमुखानि वैशिष्ट्यानि सन्ति, तेषु एव निदर्शन-भूतानि कानिचित् वयं विचारयिष्यामः ।
भारतीयस्य जीवनस्य प्रथमं वैशिष्ट्यमस्ति-परमधर्म-सहिष्णुतेति । भारतीयाः अनुभवन्ति यत् जगतः सर्वे एव धर्माः ईश्वर-प्रापकाः मोक्ष-प्रापकाः वा । सर्वे धर्माः एकमेव लक्ष्यम् अन्ततः गच्छन्ति । एतत् एव कारणं यत् अनेकेषां धर्माणाम् अवलम्बिनः परस्परमनुव्रताः अत्र स्नेहेन वसन्ति परस्परं च न कलहायन्ते ।
द्वितीयं वैशिष्ट्यमस्ति-आत्मशुद्धिरिति । आत्म-शुद्ध्यै एव स्थान-स्थाने सत्संगा भवन्ति । राग द्वेषं च त्यजत, दयां परोपकारं च नित्यं कुरुत-इत्यादिभिः उपदेशैः जनाः तथा भवितुं प्रयतन्ते ।
778
Page #83
--------------------------------------------------------------------------
________________
सन्तोष एव सुखस्य कारणामति सर्वत्र उपदिश्यते, एतमेव च सर्वशास्त्राणां मूलम् । निर्मल- चित्ताय निर्मल शरीरमपि आवश्यकम् । प्रतिदिनं सूर्योदयात् प्राक् जागरणं, प्रतिदिनं
स्नानं, दन्तधावनं, निर्मल-वस्त्राणां च धारणम् इत्यादयः गुणाः शरीरमपि पुष्टं स्वस्थं च कुर्वन्ति ।
तृतीयं वैशिष्ट्यमस्ति - नारी सम्मानमिति । 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः' इति मनूक्तिः । सर्वत्र नारीषु आदरभावः अस्माकं संस्कृतिः । यथा मातुः सम्मानं क्रियते, तथैव अन्यासां नारीणामपि स्यात् इत्यावश्यकम्। 'मातृवत् परदारेषु' इति सारः ।
चतुर्थं वैशिष्ट्यमस्ति अतिथि सत्कार इति । सर्वदेवमयः अतिथिः इति किञ्चित् शास्त्रम् । गृहमागतः अतिथिः अस्माकं सम्मानमर्हति । निर्धनोऽपि जनः यथाशक्ति जलेन मधुर वचनैश्च तं सम्मानयितुं समर्थ एव ।
78
Page #84
--------------------------------------------------------------------------
________________
शब्दार्थाः
जगत् चिन्तनधारा वि+शिष् अन्तरेण विशिष्ट पद्धति निदर्शन-भूत सहिष्णुता प्रापक मोक्ष
= संसार = विचार-पद्धति = भिन्न होना = बिना = विशेष = ढंग = उदाहरण-रूप
सहनशीलता
प्राप्त कराने वाला = मुक्ति
॥
लक्ष्यम् अन्ततः अवलम्बिन् अनुव्रत कलहाय् आत्मशुद्धिः सत्संगः द्वेषः
(world) (way of thinking) (to be different) (without) (special) का (way) (illustrative) (tolerance) (one that leads to) (freedom from birth and death) (destination) (ultimately) (follower) (full of faith) (to quarrel) (self-purification) (religious assembly) (hate, dislike) (to try) (contentment) (root) (waking up) (wearing) (nourished) (honour) (to rejoice)
॥
॥
॥
॥
= लक्ष्य = आखिरकार = अनुयायी = निष्ठा-युक्त = झगड़ा करना = निज की सफ़ाई
सत्संग द्वेष यत्न करना सन्तोष जड़ जागना पहनना पुष्ट इज्जत प्रसन्न होना देवता आदर
आवभगत = युक्त
प्रझ्यत् सन्तोषः मूलम् जागरणम् धारणम्
॥
||
||
पुष्ट
||
||
सम्मानम् रम
॥
॥
(god)
॥
देवता आदरभाव सत्कारः -मय
॥
(respect) (hospitality) (made of)
79
Page #85
--------------------------------------------------------------------------
________________
निर्धन __= गरीब
(poor) सम्+मानय् = इज़्ज़त करना
(to respect) नया रूप (New Form)—जगत् (पृष्ठ 88) नए धातु (New Roots)
कलहाय A, रम् A नए उपसर्गयुक्त धातु (New Prefixed Roots)
प्र+यत् A, सम्+मानय नए विशेषण (New Adjectives)विशिष्टः विशिष्टा ।
विशिष्टम् -भूतः
-भूतानमार -भूतम् प्रापकः प्रापका
प्रापकम् अवलम्बी अवलम्बिनी
अवलम्बि अनुव्रतः अनुव्रता
अनुव्रतम् निर्धनः
निर्धनम् नए अवयव-अन्तरेण, अन्ततः विशेष:
अन्तरेण' के दो अर्थ- के विषय में, बिना (अन्तरेण has two meanings- about, without.
निर्धना
अभ्यासः
पाठगतम् 1. कुछ लोग कहते हैं कि भारतीय संस्कृति का पूरा पालन आज के युग में सम्भव नहीं
है। परन्तु पाठोक्त चारों बातों में एक भी ऐसी नहीं जो कठिन लगती हो। आपकी क्या सम्मति है ? युक्तिसंगत उत्तर दीजिए (Some people say that observing every rule of the Indian culture in today's age is not possible. But among the four points discussed in this lesson there is not one that seems difficult to follow. What do you think? Support your
answer with arguments.) भाषा व्याकरणं च
2. जगत् के रूप लिखिए (Decline जगत्).
80
Page #86
--------------------------------------------------------------------------
________________
यत्
'पठ्' का एक रूप बनता है 'पठित्वा' । यहाँ कौन-सा प्रत्यय है ? इसी प्रकार के
अन्य रूप बनाइएलिख्, प्र+नम्,
आ+गम्, लभ् । याच नम्
क्षिप्,
प्रति+क्षिप् संस्कृत-लेखनम् 4. Jer afsty (Answer)—
(क) संस्कृत्याः कि महत्त्वं भवति ? (ख) भारते विविधानां धर्माणाम् अवलम्बिनः कथं स्नेहेन वसन्ति ? (ग) आत्मशुद्धिः कथं जायते ? (घ) नारी-सम्मानमन्तरेण मनुना किमुक्तम् ? अनुवाद कीजिए (Translate)(क) आख़िरकार सबका लक्ष्य एक ही है । (Finally, everyone's aim is the
same.) (ख) सूर्योदय से पहले उठना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है । (Waking up before
sunrise is good for health.) प्रत्येक संस्कृति दूसरी से भिन्न होती है । (Every culture is different
from the other.) (घ) सन्तोष प्राप्त करो, यही सुख का मूल है। (Be content. This is the
essence of religion.) अतिथियों का आदर-सत्कार सबका धर्म है । (Showing hospitality to guests is everybody's duty.)
(ग)
Page #87
--------------------------------------------------------------------------
________________
Teaching Point: Revision
जीराव
द्वाविंशतितमः
सूक्तयः
पाठ:
विप्र
नि+बुध्
प्रवद्
मनीषिन्न
परिकीर्त
जठर
स्वत्वम्
देहिन्
(ऋग्वेदः)
(यजुर्वेदः)
27
(सामवेदः) (अथर्ववेदः) (शतपथब्राह्मणम्) (शतपथब्राह्मणम्)
1. एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति 2. भूत्यै जागरणम् अभूत्यै स्वपनम् 3. देवस्य पश्य काव्यम् 4. जीवेम शरदः शतम् 5. संगनमो वै क्रूरम्
श्रीर्वै राष्ट्रम् असतो मा सद गमय। तमसो मा
ज्योतिर्गमय। मृत्योर्माऽमृतं गमय। 8. यो वै भूमा तत्सुखम् नाल्पे सुखमस्ति
न वित्तेन तर्पणीयो मनुष्यः 10. जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत 11. मन्त्रमूलं च विजयं प्रवदन्ति मनीषिण : 12. एकश्च अर्थान् न चिन्तयेत्
संभावितस्य चाकीर्ति: मरणाद् अतिरिच्यते मन्त्र-रक्षणे कार्य-सिद्धिर्भवति
न दत्वा परिकीर्तयेत् 16. आत्मनमेव मन्येत कर्तारं सुख-दुःखयो 17. यावद् भ्रियेत जठरं तावत् स्वत्वं हि देहिनाम् 18. पुराणमित्येव न साधु सर्वम्
13.
(बृहदारण्यकोपनिषद्) (छान्दोग्योपनिषद्) (कठोपनिषद्) (कठोपनिषद्) (रामायणम्) (महाभारतम्) (गीता) (कौटिल्याशास्त्रम्) (मनुस्मृतिः) (चरक-संहिता) (श्रीमद्भागवतम्) (मालविकाग्निमित्रम्)
15.
82
Page #88
--------------------------------------------------------------------------
________________
शब्दार्थाः
॥
सत्य = बुद्धिमान् पुरुष = अनेक प्रकार से = ऐश्वर्य का अभाव = सोना
काव्य काम
॥
वर्ष
॥
॥
सत् विप्रः बहुधा अभतिः स्वपनम् काव्यम्
शरद् वैमा
क्ररम् नामा असत् तमस् ज्योतिः मृत्युः भमा तर्पणीय जागृ
॥
॥
॥
॥
॥
॥
FFFFFEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE
(truth) (wise man) (in various ways) (loss of prosperity) (sleeping) (poetry) 3 (year) (truly) (cruelty) (falsehood) (darkness) (light) (mortality) या (enough) (satisfied) (to wake up) (best person) (to know,to understand) (one that has consulta(tion/secrecy at its root) (to say) (thoughtful) (money) (respected) (bad name) (death) (success) (to announce) (doer) (to fill) (belly) (wealth)
वरः
॥
॥
नि+बुध मन्त्र-मूल
सचमुच पाया। = अत्याचार
असत्य अँधेरा प्रकाशमानामा मृत्यु
अधिक = सन्तुष्ट
जागना श्रेष्ठजन जानना, समझना सलाह/रहस्य है मूल में जिसके कहना विचारशील धन सम्मानित अपयश मृत्य सफलता घोषणा करना करने वाला
भरना = पेट = धन
॥
॥
॥
॥
॥
प्र+वद् मनीषिन् अर्थः सम्भावित अकीर्तिः मरणम् सिद्धिः परि+की कर्तृत
॥
॥
॥
॥
॥
जठरम् स्वत्वम्
॥
Page #89
--------------------------------------------------------------------------
________________
देहिन्
(human being) (old) (good)
साधु
= शरीरधारी पुराण
= पुराना
= अच्छा नया धातु (New Root)- जागृ, भृ नए उपसर्गयुक्त धातु (New Prefixed Roots) नि+बुध (बोध), २० प्र+वद्, परि+की (कीर्तय)
नए विशेषण (New Adjectives) तर्पणीयः
तर्पणीया मनीषी
मनीषिणी सम्भावितः
सम्भाविता मना की
देहिनी पुराणः
पुराणा साधुः
साध्वी नए अव्यय (New Indeclinables) बहुधा, वै
तर्पणीयम् मनीषि सम्भावितम् कर्तृ देहि पुराणम्
कर्ता
देही
साधु
अभ्यासः
पाठगतम
आपको सबसे सुन्दर सूक्ति कौन-सी लगी और क्यों ? (Which is the most
beautiful saying according to you, and why ? ) 2. क्या पहली सूक्ति का इसी पुस्तक के किसी अन्य पाठ से सम्बन्ध है ? यदि हाँ तो
क्या ? स्पष्ट कीजिए। (Does the first saying has any connection with any other lesson in this book ? If yes, what is that ? State your point
clearly.) भाषा व्याकरणं च3.या 'बहुधा' शब्द की तरह 'धा' प्रत्यय सब संख्यावाची शब्दों के बाद लग सकता है।
निम्नलिखित संख्याओं के बाद लगाइए। The suffix धा as in बहुधा can be attached with other numerals. Attach it with the following)—
एक, द्वि, त्रि, चतुः, पञ्च, शत।
84
Page #90
--------------------------------------------------------------------------
________________
4. भूतिः-अभूतिः, सत्-असत्, कीर्तिः-अकीर्तिः- इन शब्दों की रचना में कोई
समानता है तो स्पष्ट कीजिए। क्या इस प्रकार अन्य शब्द भी बनाए जा सकते हैं ? यदि हाँ, तो उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। (What is common in these pairs
of words ? Can you think of other similar words ? Give examples). संस्कृत-लेखनम्
5. अनुवाद कीजिए (Translate)(क) राष्ट्र में सम्पत्ति हो।
May there be wealth in the nation. (ख) मनुष्य केवल धन से सन्तुष्ट क्यों नहीं होता है ?
Why a human being is not satisfied with money alone ? (ग) रहस्य की रक्षा करने से सफलता प्राप्त होती है।
(Protecting a secret is the key to success. (घ) हे ईश्वर, मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
(Oh Lord ! take me from darkness to light. (ङ) युद्ध है तो कठिन, लेकिन फिर भी हमारे सैनिक निश्चित जीतेंगे।
(The war is indeed difficult, but our warriors will certainly win.
85
Page #91
--------------------------------------------------------------------------
________________
व्याकरणम् (Grammar)
संज्ञा शब्दाः तकारान्त-पुंल्लिग-शब्दः 'महत्' एकवचनम्
द्विवचनम् महान
महान्तौ - महान्तम् महता
महद्भ्याम् महते महतः
बहुवचनम् महान्तः महतः महद्भिः महद्भ्यः
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया तृतीया " चतुर्थी " पञ्चमी " षष्ठी " सप्तमी " सम्बोधनम्
महतोः
महताम् महत्सु हे महान्तः
महति हे महन् हे महान्तौ ।
ओकारान्त पुंल्लिग-शब्दः 'गो' एकवचनम् द्विवचनम् गौः
गावौ
गाम
बहुवचनम् गाव: गाः गोभिः गोभ्यः
गोभ्याम्
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया तृतीया चतर्थी " पञ्चमी " षष्ठी सप्तमी " सम्बोधनम्
"
गवोः
गवाम्
गोषु
हे गौः
हे गावः
हे गावौ सकारान्त पुंल्लिग-शब्दः 'विद्वस्' एकवचनम् द्विवचनम् विद्वान्
विद्वांसौ
प्रथमा विभक्तिः द्वितीया "
विद्वांसम्
बहुवचनम् विद्वांसः विदुषः विद्वद्भिः विद्वद्भ्यः
तृतीया "
विद्वद्भ्याम
"
चतुर्थी " पञ्चमी " षष्ठी ,
विषा विदुषे विदुषः
विदुषः
विदुषोः
विदुषाम्
86
Page #92
--------------------------------------------------------------------------
________________
सप्तमी विभक्तिः सम्बोधनम्
प्रथमा विभक्तिः
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी
पञ्चमी
77
तृतीया
चतुर्थी पञ्चमी
11
षष्ठी
सप्तमी
सम्बोधनम्
77
11
"
"
प्रथमा विभक्तिः
11
द्वितीया
"
11
77
षष्ठी
सप्तमी
सम्बोधनम्
प्रथमा विभक्तिः
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी
पञ्चमी
षष्ठी
सप्तमी
सम्बोधनम्
"
"
"
एकवचनम्
विदुषि
विद्वन्
एकवचनम्
आत्मा
11
आत्मानम्
आत्मना
आत्मने
आत्मनः
द्विवचनम् विदुषो : हे विद्वांसौ
नकारान्त पुंल्लिंग-शब्दः 'आत्मन्'
आत्मनि
हे आत्मन्
एकवचन
गच्छन्
गच्छन्तम्
गच्छता
गच्छते
गच्छतः
गच्छतः
गच्छति
हे गच्छन्
जगता
जगते
जगतः
,"
एकवचनम्
जगत्
11
जगति
हे जगत्
लड
द्विवचनम्
आत्मानौ
17
16
आत्मभ्याम्
27
"
हे आत्मानौ
तकारान्त पुंल्लिंग - शब्दः 'गच्छत्'
द्विवचनम् गच्छन्तौ
आत्मनोः
11
"
गच्छद्भ्याम्
"
77
तकारान्त नपुंसकलिंग शब्दः 'जगत्'
द्विवचनम् जगती
11
गच्छतोः गच्छतोः हे गच्छन्तौ
जगद्भ्याम्
17
11
जगतोः
77
87
हे जगती
बहुवचनम् विद्वत्सु
हे विद्वांसः
बहुवचनम्
आत्मानः
आत्मनः
आत्मभिः
आत्मभ्यः
11
आत्मनाम् आत्मसु
हे आत्मानः
बहुवचनम्
गच्छन्तः
गच्छतः
गच्छद्भिः
गच्छद्भ्यः
"
गच्छताम् गच्छत्सु हे गच्छन्तः
बहुवचनम् जगन्ति
11
जगद्भिः जगद्भ्यः
11
जगताम्
जगत्सु हे जगन्ति
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________
चतुर्थी " पञ्चमी "
"
"
सप्तमी"
सर्वनाम-शब्दाः
तद्, एतद्, यत्, अन्य, सर्व, अनेक, पूर्व, किम्इन सर्वनाम शब्दों के रूप पिछली पुस्तकों में हम पढ़ आए हैं । प्रस्तुत 'इदम्' शब्द के रूप भी उनके रूपों में मिलते-जुलते हैं।
इदम्-यह (this) [पुंल्लिगम्] एकवचनम् द्विवचनम्
बहुवचनम् प्रथमा विभक्तिः अयम
इमौ
इमे द्वितीया " इमम्
इमान् तृतीया " मापन अनेन आभ्याम्
एभिः अस्मै
एभ्यः अस्मात् षष्ठी " अस्य
अनयोः । एषाम् अस्मिन्
एषु इदम्-यह this (स्त्रीलिंगम्) एकवचनम् द्विवचनम्
बहुवचनम् प्रथमा विभक्तिः इयम
इमाः द्वितीया " कर
इमाम् तृतीया " अनया आभ्याम्
आभिः चतर्थी " अस्यै
आभ्यः अस्याः षष्ठी " गान
अनयोः
आसाम् सप्तमी” अस्याम्
आसु इदम् (नपुंसकलिंगम्) एकवचनम् द्विवचनम्
बहुवचनम् प्रथमा विभक्तिः इदम्
इमे
इमानि द्वितीया " तृतीया " अनेन आभ्याम्
एभिः चतर्थी " अस्मै
एभ्यः पञ्चमी "
अस्मात् अस्य अनयोः
एषाम् सप्तमी "मा
पञ्चमी"
षष्ठी "
अस्मिन्
88
Page #94
--------------------------------------------------------------------------
________________
धातवः
नियमित-धातुः वन्द (नमस्कार करना) आत्मनेपदम्
लट-लकारः एकवचनम्
द्विवचनम् वन्दते
वन्देते वन्दसे
वन्देथे वन्दे
वन्दावहे
बहुवचनम् वन्दन्ते
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुष उत्तमः पुरुष
वन्दध्वे
वन्दामहे
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
एकवचनम् अवन्दत अवन्दथाः अवन्दे
लंङ्-लकारः
द्विवचनम् अवन्देताम् अवन्देथाम् अवन्दावहि
बहुवचनम् अवन्दन्त अवन्दध्वम् अवन्दामहि
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
एकवचनम् वन्दिष्यते वन्दिष्यसे वन्दिष्ये
लुट-लकारः द्विवचनम् वन्दिष्येते वन्दिष्येथे वन्दिष्यावहे
बहुवचनम् वन्दिष्यन्ते वन्दिष्यध्वे वन्दिष्यामहे
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
एकवचनम् वन्दताम् वन्दस्व वन्दै
लोट-लकारः
द्विवचनम् वन्देताम् वन्देताम् वन्दावहै
बहुवचनम् वन्दन्ताम् वन्दध्वम् वन्दामहै
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
एकवचनम् वन्दे त वन्देथाः वन्देय
बहुवचनम् वन्देरन् । वन्देध्वम् वन्देमहि
विधिलिङ द्विवचनम् वन्देयाताम् वन्देयाथाम्
वन्देवहि अर्धनियमित-धातुः
वृत्त (होना) लट्-लकारः
द्विवचनम्
वर्तेते 89
प्रथमः पुरुषः
एकवचनम् वर्तते
बहुवचनम् वर्तन्ते
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
________________
मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
प्रथमः पुरुषः
मध्यमः पुरुषः
उत्तमः पुरुषः
प्रथमः पुरुषः
मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः
उत्तमः पुरुषः
प्रथमः पुरुषः
मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः
उत्तमः पुरुषः
वर्तसे
वर्ते
एकवचनम्
अवर्तत
अवर्तथाः
अवर्ते
एकवचनम् वर्तिष्यते
वर्तिष्यसे
वर्तिष्ये
एकवचनम् वर्तताम्
वर्तस्व
वर्ते
एकवचनम्
वर्तेत
वर्तेयाः
वर्तेय
एकवचनम् शक्तोति
शक्नोषि
शक्नोमि
एकवचनम् अशक्नोत्
अशक्नोः
अशक्नवम्
वर्तेथे
वर्तावहे
लड्-लकारः
द्विवचनम्
अवर्तेताम्
अवर्तेथाम्
अवर्तावहि
लृट्-लकारः
द्विवचनम्
वर्तिष्येते
वर्तिष्येथे
वर्तिष्याव
लोट्-लकारः
द्विवचनम्
वर्तेताम्
वर्तेथाम्
वर्ताव है
विधिलिङ्
द्विवचनम्
वर्तेयाताम्
वर्तेयाथाम्
वर्तेवहि
अनियमित धातुः
शक् (सकना) परस्मैपदम्
लट्-लकारः
द्विवचनम्
शक्नुतः
शक्नुथः
शक्नुवः
लङ्-लकारः
90
द्विवचनम्
अशक्नुताम्
अशक्नुतम्
अशक्नुव
वर्तध्वे
वर्तामहे
बहुवचनम् अवर्तन्त
अवर्तध्वम्
अवर्तामहि
बहुवचनम्
वर्तिष्यन्ते
वर्तिष्यध्वे
वर्तिष्यामहे
बहुवचनम्
वर्तन्ताम्
वर्तध्वम्
वर्तामहै
बहुवचनम्
वर्तेरन्
वर्तेध्वम्
वर्तेमहि
बहुवचनम्
शक्नुवन्ति
शक्नुथ
शक्नुमः
बहुवचनम्
अशक्नुवन्
अशक्त
अशक्नुम
Page #96
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
एकवचनम् शक्ष्यति शक्ष्यसि शक्ष्यामि
बहुवचनम् शक्ष्यन्ति शक्ष्यथ शक्ष्यामः
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
एकवचनम् शक्नोतु शक्नुहि शक्नुवानि
लुट्-लकारः द्विवचनम् शक्ष्यतः शक्ष्यथ:
शष्यावः लोट-लकारः द्विवचनम् शक्नुताम् शक्नुतम्
शक्नवाव विधिलिङ् द्विवचनम् शक्नुयाताम् शक्नुयातम्
शक्नुयाव धातु-सूची नियमिताः ।
बहुवचनम् शक्नुवन्तु शक्नत शक्नवाम
प्रथमः पुरुषः मध्यमः पुरुषः उत्तमः पुरुषः
एकवचनम् शक्नुयात् शक्नुयाः. शक्नुयाम्
बहुवचनम् शक्नुयुः शक्नुयात शक्नुयाम
लङ
लात
क्र० धातुः 1. वर्ष
वर्षति अर्ह अर्हति 3. लग्
लगति
व्रजति 5. क्लेदय क्लेदयति 6. शोषय शोषयति 7. स्नेहय् स्नेहयति 8. वन्द A वन्दते
कम्प् A कम्पते 10. बाध A बाधते 11. वेप A वेपते 12 याच A याचते 13. यत् A यतते 14. घट A घटते 15. ईक्ष् A ईक्षते 16. सह् A F सहते 17. जम्भ A जम्भते 18. शुश्रूष् AT शुश्रूषते
वषिष्यति मा अवर्षत् अर्हिष्यति आर्हत् लगिष्यति अलगत् व्रजिष्यति अव्रजत् क्लेदयिष्यति अक्लेदयत् शोषयिष्यति अशोषयत् स्नेहायिष्यति
अस्नेहयत् वन्दिष्यते अवन्दत कम्पिष्यते अकम्पत बाधिष्यते अबाधत वेपिष्यते अवेपत याचिष्यते अयाचत यतिष्यते अयतत घटिष्यते अघटत ईक्षिष्यते ऐक्षत सहिष्यते असहत जृम्भिष्यते अजृम्भत शुश्रूषिष्यते अशुश्रूषत
वर्षेत् अर्हत् लगतु व्रजत क्लेदयत शोषयत् स्नेहयत् वन्दताम् कम्पताम् बाधताम्
विधिलिङ वर्षेत अर्हेत् लगेत् व्रजेत क्लेदयेत् शोषयेत् स्नेहयेत् वन्देत कम्पेत बाधेत वेपेत याचेत यतेत घटेत ईक्षेत सहेत जृम्भेत
वेपताम्
याचताम् यतताम् घटताम् ईक्षताम्
सहताम्
।
।
जृम्भताम् शुश्रूषताम्
शुश्रूषेत
91
Page #97
--------------------------------------------------------------------------
________________
लोट
पीडयतु
लंघ
क्र० धातुः लट
विधिलिंड 19. कलहाय A कलहायते कलहायिष्यते अकलहायत कलहायताम् कलहायेत 20. रम् A
रमते रंस्यते अरमत
रमताम् रमेत
अर्धनियमिताः 21. भृ भरति भरिष्यति अभरत्
भरतु
भरेत् 22. खण्ड खण्डयति खण्डयिष्यति अखण्डयत् खण्डयत् खण्डयेत् 23. मृष् मृष्यति मर्षिष्यति अमृष्यत् मृष्यतु मृष्येत् 24. गृध् गृध्यति गर्धिष्यति अगृध्यत् गृध्यतु गृध्येत् 25. हृष् हष्यति हर्षिष्यति अहृष्यत् हृष्यतु
हृष्येत 26. सृज् सृजति स्रक्ष्यति
असृजत् सृजतु
सृजेत् पीडयति पीडयिष्यति अपीडयत्
पीडयेत् लंघयति लंघयिष्यति अलंघयत् लंघयत् लंघयेत् 29. स्पृह स्पृहयति स्पृहयिष्यति । अस्पृहयत् स्पृहयतु स्पृहयेत् 30. वर्ण वर्णयति वर्णयिष्यति अवर्णयत वर्णयतु वर्णयेत् 31. दूष दूषयति दूषयिष्यति अषयत् दूषयतु दूषयेत् 32. भिद्य A भिद्यते भेत्स्य ते । अभिद्यत भिद्यताम् भिद्येत 33. क्लिश ASFक्लिश्यते क्लेशिष्यते अक्लिश्यत क्लिश्यताम् क्लिश्येत 34. वृत् A
वर्तते
वर्तिष्यते अवर्तत वर्तताम् वर्तेत 35. मन् A मन्यते
मंस्यते
अमन्यत मन्यताम् मन्येत 36. लभ् A लभते लप्स्यते अलभत अलभताम् लभेत 37. युध् A युध्यते योत्स्यते अयुध्यत युध्यताम्
यध्येत 38. मृA म्रियते मरिष्यते अम्रियत म्रियताम् नियेत 39. विद् A विद्यते वेत्स्यते अविद्यत विद्यताम् विद्येत 40. कम् A कामयते कामयिष्यते अकामयत कामयताम् कामयेत 41. शुभ् A शोभते शोभिष्यते अशोभत शोभताम् शोभेत 42. मद् A मोदते मोदिष्यते अमोदत मोदताम् मोदेत 43. जन् A जायते जनिष्यते अजायत जायताम् जायेत 44. गण A गणयते गणयिष्यते अगणयत गणयताम् गणयेत 45. रुच् A रोचते रोचिष्यते अरोचत रोचताम् रोचेत
अनियमिताः 46. श्रु शृणोति श्रोष्यति अशृणोत् शृणोतु शृणुयात् 47. शक् शक्नोति शक्ष्यति अशक्नोत् शक्नोत् शक्नुयात् 48. ग्रह गृह्णाति ग्रहीष्यति अगृह्णात् गृह्णातु गृह्णीयात् 49. छिद् छिनत्ति छेत्स्यति अच्छिनत् छिन। छिन्द्यात् 50. जाग जागर्ति जागरिष्यति अजागःोन जागर्तु जागयात्
नोट- अनियमित धातुओं में से केवल 'शक्' धातु के रूप ही पीछे पूरे दिए गए हैं। शेष धातुओं के कृदन्त रूप सरल हैं और इन्हीं कृदन्त रूपों का ही प्रसंग में प्रयोग किया गया है। छात्र इन्हीं कृदन्त रूपों का प्रयोग करें। (From among irregular verbs, only शक् is fully conjugated. The
Gra form of other irregular verbs are easy and are given in appropriate contexts. Students are also encouraged to use cera forms.)
92
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
(mod ad
उपसर्ग-युक्ताः धातवः
जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि उपसर्ग-युक्त धातुएँ संस्कृत में शब्द भंडार को बढ़ाने की सबसे सरल विधि है। अब तक उनतीस उपसर्गयुक्त धातुएँ पढ़ाई जा चुकी हैं। इस भाग में 54 धातुएँ और प्रयोग में आई हैं। (As discussed earlier, prefixed roots are an easy way to enrich Sanskrit vocabulary. Twenty-nine such roots have been introduced earlier. Another 54 are being introduced here.)
आ.
onns of)
अव
अति
उप
1. आ+क्रुश्
2. आ+रुह्
3. आ+या
4. आ+श्रि
5. आ+योजय्
6. आ+रभू A
7. अनु+सृ
8. अनु+रज् A
9. अव + लम्ब् A
10. अव+धारय्
11. अति+रिच्A
12. उप+स्थापय् 13. उप+ह
toly
15. प्र+हृ 16. प्र+नी (6.17. प्र+शंस्
01)
प्र
(Niraogordor.modedo1) .14. प्र+आप्
Saso
18. प्र+ज्वालय्
19. प्र+कटयू
Pulse of) 20. प्र+चल्
21. +228 03)
गाली देना
चढ़ना
आना
आश्रित हो
आयोजन करना।
आरम्भ करना
TFF
पीछे जाना
प्रेम करना
सहारा लेना
समझना
सामने रखना
लाना
पीछे छोड़ना, के इलावा
करि
प्राप्त करना
आघात करना
रचना करना
प्रशंसा करना
जलाना
प्रकट करना प्रचलित
देना
93
(to abuse)
(to ride) es
nun (to come) (to depend)
(to organise)
(to begin)
OF
J
SC
की ६६
(to follow)
(to love) E
(to present)
(to bring)
कीटह
(to cling, to support oneself on)
(to understand)
A रात्री+की (to leave behind, in addition to)
HB
अ+
(to obtain, to reach)
(to hurt)
(to compose)
(to praise)
(to kindle)
(to show)
(to be prevalent)
(to give)
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
रियो
22. प्र+भू 23. प्र+जन् AF 24. प्र+स्था A 25. प्र+यत् A 26. प्र+वद् 27. परित्यज् 28. परि+की
पैदा होना
(to originate, to be born) पैदा होना काल (to originate, to be born) जाना-ममWISF (to go) यत्न करना ha baap (to try) कहना POLICE (to savyudspowanal छोड़ना
(to leave) घोषणा करना (to announce)
29. प्रति+क्षिप्
दलील काटना
(to refute argument)
नि
30. नि+वस् bon 31. निवेदय् । 32. नि+कृत् 33. नि+बुध्
रहना निवेदन करना काटना जानना, समझना
(to live, reside) (to offer) (to cut) (to know, to understand)
34. वि+वद् A 35. वि+चारय् 36. वि+स्मि AROD 37. वि+रमय 38. वि+नोदय 39. विशिषA
झगड़ा करना विचार करना चकित होना । रोकना दिल बहलाना भिन्न होना
(to dispute) (to think) (to be surprised) (to stop) (to entertain) (to be different)
40. उत् + लिख 41. उत् + तुल् 42. उत् + सृज्
वर्णन करना फहराना छोड़ना
(to describe, mention) (to hoist) (to leave)
43. सम्+भू 44. सम्+मेलय
जन्म लेना, सम्भव होना (to be born,to be possible) मिलाना
(to assemble something).
45. सम्+मानय् 46. सम्+पद् A
इज़्ज़त करना सम्पन्न होना
(to respect) (to be accomplished)
अभि
प्रणाम करना
(to salute)
47. अभि+वादय् (अन्य) 48. सम्+नि पत्र
इकट्ठे होना
(to assemble)
94
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
(to despise) iswoy TIA)
49. सम्+आ+चर्
व्यवहार करना हाम (to practise, to perform) 50. अभि+नि+विश् मन लगना यमान (to get interested) 51. प्रमाणी+कृ मा अपील करना
(to appeal) 52. नमस्+कृ मा प्रश्न नमस्कार करना
(to salute) 53. तिरस्+कृ
तिरस्कार करना 54. आधारी+कृ
आधार बनाना फ ड (to base on) : aiqmers
सन्धिः 1.विसर्ग सन्धिः
सः एषः + कोई व्यञ्जन (any consonant) विसर्गलोप विसर्गलोप Examples : सः बालः = स बाल :
APER2iqrissa सः शुकः स शकः एषः छात्रः = एष छात्रः हां एषः देशः = एष देशः But सः + अस्ति = सोऽस्ति मकवान एषः + अमरः = एषोऽमर
वाया 2.विसर्ग-सन्धिः अः + घोषवर्णः
ओ
Examples : गजः + गच्छति - गजो गच्छति
बालकः + नमति = बालको नमति
अन्यः + जनः = अन्यो जनः But छात्रः + खेलति = छात्रः खेलति । ख घोषवर्ण नहीं है (ख is not a घोषवर्णः) 3.विसर्ग-सन्धिः
पादस्पी कि निgacxi
Examples : मीन + तरति = मीनस्तरति
मुनयः + ते साधोः + संगतिः = साधोस्संगतिः
रविः + तपति = रविस्तपति 4. स्वर-सन्धिःजवानोगतही कामकीन पदान्त ए +
अ hoolghibiopadarbhी । PिEDime TATE
95
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
का
Examples : वने + अस्मिन् = वनेऽस्मिन् का
(Do अन्ये + अपि = अन्येऽपि ल क कार 5.विसर्ग-सन्धिः अ आ को छोड़ कर कोई स्वर +:+ घोषवर्णः प्रकार (Any vowel excepting अ आ + + घोषवर्ण : Examples : सुधीः + भोक्ता = सुधीर्भोक्ता
मुनिः + भवति = मुनिर्भवति 6. व्यंजन सन्धिः
Examples : तत् + च = तच्च
कदाचित् + च = कदाचिच्च 7. विसर्ग-सन्धिः
+ च् श Examples : मुनिः + च = मुनिश्च
बाला : + च = बालाश्च 8. विसर्ग-सन्धिः आः + घोषवर्णः
एला नि
geet
sidhalisa
विसर्ग-लोपः Examples : नराः + गच्छन्ति = नरा गच्छन्ति
लताः + एताः + = लता एताः 9.विसर्ग-सन्धिः
अः + स्वर (अ के सिवाय excepting अ)
विसर्ग-लोपः Examples : सिंहः + एषः = सिंह एषः 5. जनः + इच्छति = जन इच्छति करनकोडियातापETE
वाच्या कारकीय 1. कर्तृवाच्य-कर्ता प्रथमा विभक्ति में, कर्म द्वितीया विभक्ति में, क्रिया सदा कर्ता के अनुसार (कर्ता in प्रथमा, कर्म in द्वितीया, and verb according to का) उदाहरण-बालः गीतां पठति ।
96
Page #102
--------------------------------------------------------------------------
________________
2. कर्मवाच्य-कर्ता तृतीया विभक्ति में, कर्म प्रथमा में, क्रिया सदा कर्म के अनुसार (कर्ता in तृतीया, कर्म in प्रथमा, and verb according to कर्म) उदाहरण-बालैः गीता पठ्यते ।
कर्म यदि न हो तो (If there is no कर्म, then)- पडएकाही क्रिया प्रथम पुरुष एकवचन (लकार क्रिया)ील. अथवा, क्रिया नपुसंकलिंग, प्रथमा वि०, एक व० (कृदन्त क्रिया) (verb in प्रथम पुरुष एकवचन form with लकार verb, or in नपुं०, प्रथमा वि०ए०व० with कृदन्त verb)उदाहरणम-बालैः पठ्यते । बालैः पठितम् । बालैः पठितव्यम् । 3. भाववाच्य-कर्ता तृतीया विभक्ति में, क्रिया प्रथम पुरुष एकवचन (लकार क्रिया) अथवा नपुंसकलिंग प्रथमा विभक्ति एकवचन (कृदन्त क्रिया) (कर्ता in तृतीया, and verb in प्रथम पुरुष एकवचन (लकार क्रिया) or नपुं० प्रथमा वि०ए०व० (कृदन्त क्रिया) उदाहरणम्-बालैः हस्यते । बालैः हसितम् । बालैः हसितव्यम् । नोट-भाववाच्य में केवल अकर्मक धातुओं का ही प्रयोग होता है और कर्मवाच्य में केवल सकमर्क धातुओं का प्रयोग होता है (In भाववाच्य, only अकर्मक verbs are used, and in कर्मवाच्य, only सकमर्क verbs are used). सकमर्क धातु-जिनके साथ कर्म आ सकता है । जैसे पट्, लिख् आदि (A verb capable of having an object, e.g., पठ, लिख, etc.) अकमर्क धात-जिनके साथ कर्म आ ही नहीं सकता; जैसे हस्, स्था आदि (A verb.not capable of having an object, e.g., हस्, स्था, etc.) नोट-धातु का कर्मवाच्य या भाववाच्य रूप बनाने के लिए धातु रूप के बाद य जोड़ दीजिए। ऐसी कर्मवाच्य धातु के रूप सदा आत्मनेपद में चलेंगे; जैसे- पठ्य, चल्य, खाद्य, के रूप बनेंगे-पठ्यते, चल्यते, खाद्यते । लुट में य नहीं लगेगा; जैसे-पठिष्यते, चलिष्यते, खादिष्यते (In order to make the कर्मवाच्य or भाववाच्य form of a.verb, add य after the root the conjugate in आत्मनेपदम्, e.g.,पाठ्य, चल्य,खाद्य becoming पठ्यते, चल्यते, खाद्यते, etc. (In लुट्, there will be no additional य in the middle.)
कृदन्त प्रत्ययाः 1. क्तवतु- (i) a इसका प्रयोग भतकाल के अर्थ में होता है (Used in past tense)
(ii) a इसका प्रयोग केवल कर्तवाच्य में होता है ( Used in कर्तृवाच्य)
(iii) a इसका प्रयोग क्रिया तथा विशेषण- दोनों रूपों में हो सकता है (Can be used as a verb as well as an adjective).
P
r e (1) उदाहरण-बालः पठितवान् । (क्रिया) पठितवान् बालः गृहं गच्छति । (विशेषणम्)
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
पठ + क्तवत्-पठितवत पुं०- पठितवत्- पठितवान् पठितवन्तौ । पठिवन्तः । (like गुणवत्) स्त्री- पठितवती- पठितवती क पठितवत्यौ पठितवत्यः (like नदी) नपुं०-पठितवत्- पठितवत् पठिवती पठितवन्ति (like जगत्) 2.क्त- (i) इसका प्रयोग भी भूतकाल के अर्थ में होता है (Usedin past tense)
(ii) इसका प्रयोग कर्मवाच्य में होता है (Used in कर्मवाच्य) (iii) गत्यर्थक धातुओं के साथ इसका प्रयोग कर्तृवाच्य या कर्मवाच्य दोनों में हो d, सकता है (Used in कर्तृवाच्य or कर्मवाच्य with गत्यर्थक verbs. __(iv) इसका प्रयोग क्रिया तथा विशेषण, दोनों रूपों में हो सकता है (used as a
"verb as well as an adjective) उदाहरण-बालेन पुस्तकं पठितम् । बालेन हसितम् । बालः हसितः । पठितम् पुस्तकं कुत्रस्ति ?
निजा की लाश विका पठ् + क्त = पठित पुं०- पठित- पठितः पठितौ पठिताः (like देव), स्त्री०-पठिता- पठिता
पठिते पठिताःvino (like लता) नपुं०- पठित- पठितम् पठिते पठितानि (like फल) 3. तव्य- (i) इसका प्रयोग 'चाहिए' के अर्थ में होता है (Used in the sense of
'should (ii) इसका प्रयोग सदा कर्मवाच्य में होता है (Used in कर्मवाच्य) (iii) इसका प्रयोग क्रिया तथा विशेषण, दोनों रूपों में हो सकता है (Used as a verb as well as an adjective)
को मिला उदाहरण-बालेन कथा पठितव्या । पठितव्या अस्ति इय कथा । पठ् + तव्य = पठितव्य पं०- पठितव्य- पठितव्यः पठितव्यौ र पठितव्याः (like देव) स्त्री०-पठित्वा- पठितव्या पठितव्ये पठितव्याः प (like लता) नपुं०-पठितव्य-11
12 पठितव्ये पठितव्यानि (like फल) नोट-क्तवतु क्त और तव्य से बने रूप यहाँ केवल प्रथमा विभक्ति में ही दिए गए हैं। क्रिया के रूप में केवल प्रथमा विभक्ति के रूप ही प्रयोग में आते हैं । परन्तु विशेषण के रूप में अन्य विभक्तियों के रूप भी प्रयोग में आ सकते हैं । (Forms of क्तवतु, क्त and तव्य are given in प्रथमा विभक्ति only.As a verb, only the प्रथमा विभक्ति is used. As adjectives, however, form in other vibhaktis can also be used.) 4. शत- (i) शतृ प्रत्यय से बना रूप शत्रन्त कहलाता है। यह-(A form made with
शतृ suffix is called शत्रन्त. This- वर्तमान काल में हो रही क्रिया का बोध कराता है (Express an ongoing action in present)
98
पठितव्यम्
Page #104
--------------------------------------------------------------------------
________________
(ii) केवल परस्मैपदी धातुओं के बाद ही लगता है (attaches to
परस्मैपदी verbs only) (iii) इससे बने रूप का प्रयोग केवल विशेषण रूप में ही होता है
(behaves as an adjective only). उदाहरण-क्रीडन् बालः मे अनुजः । पठन्ती इयं छात्रा का? पठ् + शतृ = पठत् पु०- पठत्- पठन्
पठन्तौ
पठन्तः (like गच्छत्). स्त्री०-पठन्ती- पठन्ती
पठन्त्यौ
पठन्त्यः (like नदी) नपुं०-पठत- पठत्कार पठती
पठन्ति (like जगत्) ___5. शानच्- (i) वर्तमान काल में हो रही क्रिया का बोध कराते हैं (Denotes an
ongoing action in present) (ii) केवल आत्मनेपदी धातुओं के बाद ही लगता है (attaches शा to आत्मनेपदी verbs only) माता (iii) इससे बने रूप का प्रयोग केवल विशेषण रूप में ही होता है ।
पE (behaves as an adjective only) नोट-शत और शानच-दोनों का प्रयोग एक ही अर्थ में होता है । अन्तर केवल इतना है कि शतृ परस्मैपदी धातुओं के बाद लगता है और शानच् आत्मनेपदी धातुओं के बाद (Both denote the same meaning. The difference is that gay is used after परस्मैपदी verbs and शानच् after आत्मनेपदी verbs).
उदाहरण-वन्दमानः सैनिकः । सेवमानाः भक्ताः । यतमाना बालिका । वन्द् + शानच् = वन्दमान
पुं०- वन्दमानः- वन्दमानः वन्दमानौ वन्दमानाः (like देव) स्त्री०-वन्दमाना- वन्दमाना वन्दमाने वन्दमानाः (like लता) नपुं०-वन्दमान- वन्दमानम् वन्दमाने वन्दमानानि : (like फल)
णिच् (प्रेरणार्थक) जब कर्ता स्वयं क्रिया न करके दूसरे से करवाता है तो धातु में णिच् लगाकर प्रेरणार्थक बनाया जाता है। (.When the agent causes someone else to do, then the verb admits fure suffix and the form becomes causative).
उदाहरण-पठ्+णि-पाठय्, कृ = णिच् = कारय् पठ् पढ़ना (to read) पाठय पढ़ाना (to teach) चल चलना (to walk) चालय चलाना (to make one walk) दृश् देखना (to see) दर्शय दिखाना (to show)
99
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
गम् जाना (to go)
गमय् भेजना (to send)
नोट- (i) धातु में अय् जोड़कर प्रेरणार्थक रूप बनता है । णिच् को ही, अय् समझिए । पूर्व का हस्ब कभी कभी स्वर दीर्घ हो जाता है (Add अय् (= णिच) after the root and the vowel in the root form is sometimes lengthened).
(ii) प्रेरणार्थक धातुओं के रूप परस्मैपद और आत्मनेपद दोनों में चल सकते हैं, परन्तु व्यवहार में प्रायः परस्मैपद रूपों का ही प्रयोग होता है (Causative forms can be conjugated both in परस्मैपद and आत्मनेपद. In परस्मैपद, however, they are more common.)
00
क्र०
1.
2.
23HSL LL LL22
丽丽可可不可可到可可和阿如何时限可同
4.
3. खेल्
6.
5. हस्
8.
9.
7. खाद्
10.
धातुः
पठ्
चल
11. दृश्
12. पा
18.
13. गै
पत्
14. दा
20.
15. नी
21.
लिख्
16. वस्
वद्
17. स्था
23.
नम्
24.
25.
19. पच्
26.
27.
22. कथ्
त्यज्
अर्च्
पच्छ्
स्मृ
सूच्
स्पृश्
मुच्
सद्
28. जि
तवत्
पठितवत्
पठित
चलितवत्
चलित
खेलितवत्
खेलित
रक्षित
रक्षितवत् हसितवत्
हसित
पतितवत्
पतित
खादितवत् खादित लिखितवत् लिखित
उदितवत् उदित
नतवत्
दृष्टवत्
पीतवत्
गीतवत्
दत्तवत्
नीतवत्
उषितवत्
स्थितवत्त्
दत्त
नीत
उषित
स्थित
त्यक्तवत्
त्यक्त
पक्ववत् पक्व
अर्चितवत्
अर्चित
पीत
गीत
पृष्टवत् कथितवत्
पृष्ट
कथित
स्मृत
स्मृतवत् सूचितवत् सूचित
स्पृष्टवत् स्पृष्ट
मुक्तवत् मुक्त
सन्नवत् जितवत् जित
कृदन्त-रूपाणि
तव्य
पठितव्य
चलितव्य
खेलितव्य
रक्षितव्य
हसितव्य
पतितव्यपतत्
खादितव्य खादत्
लिखत्
लिखितव्य
दिव्य वदत्
नन्तव्यक नमत्
प्रष्टव्य
कथितव्य
स्मर्तव्य
सूचितव्य
स्प्रष्टव्य
मोक्तव्य
शत / शानच् णिच्
पठत्
पाठ्य
चलत्
चालय्
खेलत्
खेलय्
रक्षय्
हासय्
पातय्
खादय्
लेखय्
द्रष्टव्य
पश्यत्
पातव्य
पिवत्
गातव्य
गायत्
दातव्य
यच्छत्
नेतव्य
नयत्
वस्तव्य
वसत्
स्थातव्य तिष्ठत्
त्यक्तव्य
पक्तव्य
अर्चितव्य
सत्तव्य
जेतव्य
रक्षत्
हसत् of
100
IP
पायय्
गापय्
दापय्
नायय्
वासय्
स्थापय्
त्याजय्
पाचय्
अर्चय्
प्रच्छ्य्
कथय
स्मरत्
स्मारय्
सूचयत्
सूचय्
स्पृशत् स्पर्शय्
मोचय
सादय्
जापय्
त्यजत्
पचत्
अर्चत्
पृच्छत्
कथयत्
वादय्
नमय्
दर्शय्
मुञ्चत्
सीदत्
जयत्
कर्मवाच्य
पठ्यू
चल्य्
खेल्यू
रक्ष्य्
हस्य्
पत्यू
खाद्य्
लिख्य्
उद्य्
दृश्य्
पीयू
गीय
दीय्
नी
उष्य्
स्थीय
त्यज्य्
पच्य्
अर्च्य
पृच्छ्य्
कथ्यू
स्मर्य्
सूच्य्
स्पृश्य्
मुच्य्
सद्य्
जीयू
Page #106
--------------------------------------------------------------------------
________________
कम्पित
OCॐ
घट्
ईक्षित
FITTE BERE EETEEEEEEEEE
वर्ण
वृत्य
युध
जनय
श्रुत
वन्द वन्दितवत् वन्दित वन्दितव्य
वन्दमान वन्दम्
वन्य 30. कम्प कम्पितवत्
कम्पितव्य कम्पमान
कम्पय्
कम्प्य् 31. बाध्
बाधितवत्
बाधित बाधितव्य बाधमान बाधय् बाध्य याच याचितवत् याचित याचितव्य याचमान
याचय
याच्य यत्
यतितवत् यतित यतितव्य यतमान यातय् यत्य् घटितवत् घटित घटितव्य घटमान घटय्
घट्य ईक्ष ईक्षितवत्
ईक्षितव्य ईक्षमाण ईक्षय ईक्ष्य 36. सह् सोढवत् सोढ सोढव्य सहमान साहय् सह्य 37. खण्ड
खण्डितवत् खण्डित खण्डितव्य खण्डयत् खण्डय्
खण्ड्य् पूजितवत् पूजित पूजितव्य पूजयत् पूजय पूज्य सृज् सृष्टवत् सृष्ट
स्रष्टव्य सृजत् सर्जय
सृज्य वर्णितवत् वर्णित वर्णितव्य वर्णयत्
वर्णय
वर्ण्य वृत् वर्तितवत्
वर्तित वर्तितव्य वर्तमान वर्तय लभ लब्धवत् लब्ध
लब्धव्य लभमान लम्भय लभ्य् युद्धवत् युद्ध
योद्धव्य योधमान योधय युध्य 44. मुद् मुदितवत् मुदित
मोदितव्य मोदमान मोदय
मुद्य् 45. . जन् जातवत् जात
जातव्य जायमान
जन्य 46. श्रु श्रुतवत्
श्रोतव्य शृण्वत् श्रावय 47. शक् शक्तवत् शक्त
शक्तव्य शक्नुवत् शाकम्
शक्य 48. ग्रह गृहीतवत्
ग्रहीतव्य गृह्णत् ग्राहय् गृह्य 49. छिद् छिन्नवत् छिन्न छेत्तव्य छिन्दत् छेदय 50. कृय कृतवत् 18) कृत कर्तव्य कुर्वत्
कारय्
क्रिय विभक्ति-प्रयोगाः
विभक्तिः उदाहरणम 1. अनु पीछे (after)
द्वितीया शिष्यः गुरुम् अनुगच्छति । 2. उप पास (near)
द्वितीया पुत्रः जनकम उपगच्छति । 3. अन्तरा
बीच में (in between) द्वितीया मा त्वां च अन्तरा सः तिष्ठति । 4. अन्तरेण ( lai के विषय में (about) द्वितीया रामम अन्तरेण कः अवगच्छति । 5. उभयतः 10-ba दोनों ओर (on both sides) द्वितीया नगरम् उभयतः नदी वहति । 6. याच्* . or माँगना (to ask for) द्वितीया तापसः देवं मोक्षं याचते । 7. अभि+नि+विश् लगना (to be involved) द्वितीया धर्मम् अभिनिविशते तस्य मनः । 8. (समय-दूरी-वाचक-शब्दः)**
तृतीया सः सप्ताहेन गीतां पठितवान् । कांड (Words denoting time and distance)
सः क्रोशेन गीतां पठितवान । अच्छा लगना
चतुर्थी तस्मै कथा रोचन्ते। (to be pleasing) 10. स्पृह
चाहना (to want) चतुर्थी बालः चित्राय स्पृहयति । जिससे माँगा जाए और जो कुछ माँगा जाए, दोनों के वाचक शब्द द्वितीया विभक्ति में (words for what is asked for, and who is asked of, in second vibhakti).
101
गहीत
छि
शब्दः
अर्थः
Page #107
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज
उपरि
*समय वाचक शब्द तथा दूरी वाचक शब्द यदि क्रिया की पूर्णता का बोध कराते हों, तो तृतीया faufta (Words denoting time and distance take third vibhakti if completion of work is implied). ***जिसको रुचिकर हो, उसके वाचक शब्द में चतुर्थी विभक्ति (The word denoting the person feeling interested takes चतुर्थी).
अव्ययाः इस पुस्तक में आए अव्ययों की सूची (List of indeclinables used in this book) ऊपर
(above) उच्चैः
ज़ोर सोणा (loudly) अये अरेजी
(oh) अन्तरा बीच में प्रगति
(between) हन्त अरे!
(ah!) वास्तव में काम (indeed) यथाकालम् समयानुसार
(at proper time) सम्यक अच्छी प्रकार से
(properly) प्रायेण अक्सर
(often) यदि प्रतिपदम् हर कदम पर
(at every step) बहुत देर से
(for a long time) वस्तुतः
(in fact) दृढम् अत्यधिक
(very much) भवतु अच्छा !
(well !) मुहूर्तकम् क्षण भर
(for a while) बचाओ ! बचाओ ! node (help! help !) मिटेड/पन-वाचक-अव्यय) (particle denoting doubt
& interrogation) अनुवर्षम्कीको हर वर्ष E avloynited (every year) यावत् तक
(till) उभयतः दोनों ओर
(on both sides) स्पष्ट
(obvious) अद्यत्वे आजकल
(these days) बहुशः
(very much) सम्प्रति
अब broatiabetesatolors (now)
Erot 102
चेत्
चिरम्
वास्तव में
अविधा होकर
प्रस्फुटम्
बहत अधिक
Page #108
--------------------------------------------------------------------------
________________
1930
अहो वाह!
(ah !) प्रभृति लेकर
(from, ever since) तथा अच्छा !
(right !) खलु सचमच
(truly) अन्तरेण के विषय में, बिना
(about, without) दिवा दिन में
(during th day) नित्यम् प्रतिदिन
(daily) अन्ततः आखिरकार
(ultimately) बहुधा अनेक प्रकार से
(in various ways) Feeen9/2200 सचमुच
(truly)
मुहावरे (Idioms) मुहावरों के प्रयोग से भाषा में मधुरता और सरसता आ जाती है। पिछले भाग में छः मुहावरों का प्रयोग बताया गया था । छः प्रयोग और देखिए (Use of idioms makes a language lucid. In your last book, we introduced six idioms. Here are six more for you to learn).
1. देवः वर्षति rolet) 2. शीत बाधते 3. पण्डित-पुरन्दरः 4. कालं नयति 5. विद्वद्-धौरेयः 6. पश्चिमे वयसि वर्तमानः
00
10 10FD)
midiaomi.ncbest
103
Page #109
--------------------------------------------------------------------------
________________
अ
अंश:
अकीर्तिः
अतिक्रान्त
अति+रिच्
अतिरेक
अद्यत्वे
अधरः
अधर्मः
अधीन
अन्तरम्
अन्तरा
अन्तरायः
अन्तरेण
अन्तिम
अपर्याप्त
(yabi gan
अनुशान-सूत्रम्
अनुसन्धानम् अनु+सृ (अनुसरति)
अन्ततः
(eusw anot
अपि च
अपुनर्भवः
अपूर्व
अभावः
Ayurba
(vistemite)
10
अध्ययनम् Hamalbia पढ़ाई
अनामयः
स्वास्थ्य
अनु+रंज्
प्रेम करना
(अनुरज्यति/ते, अनुवर्षम्
अनुव्रत
हिस्सा
अपयश
पीछे रहा हुआ
पीछे छोड़ना, के इलावा
शब्द-कोषः
अधिकता
आजकल
नीचे का ओंठ
अधर्म
अधीन
(Turn):
अन्तर
बीच में
TEVER
. हर वर्ष
निष्ठा - युक्त
अनुशासन रूपी धागा शोध कार्य
पीछे जाना
आख़िरकार
बहुत अधिक
और
मोक्ष
किर
कठिनाई
के विषय में, बिना आखिरी
अद्भुत
कमी
(share) (infamy). (surpassed)
(to leave behind, in
addition to)
lood tag (study)
(health)
(to love)
104
(excessiveness)
(these days)
(lower lip) (non-righteousness) Ts (subservient)
(between)
(difficulty)
REFERE
(about, without )
(final)
(a lot of)
जारी
(every year)
(full of faith)
(thread of discipline)
(research)
(to follow)
(ultimately)
(difference)
(unprecedented)
(shortage)
TEF
sagnsi
910m
(moreover)
(freedom from birth and
death)
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
अभिन्न
अभिन्न अभि+नि+विश् (अभिनिविशते) मन लगना अभियन्तृ
meanira इन्जीनियर अभियोगः
मुकद्दमा अभिवक्तृ attitunesan वकील अभि+वादय्
प्रणाम करना अभिव्यक्ति
प्रकाशन अभिषेकः
राज-तिलक अभूतिः
ऐश्वर्य का अभाव अभेद्यम्
अटूट अभ्युत्थानम्.ED उत्थान अमरता Ordos अमरता अमृतम्
अमृत अये b imardaa) अरे अर्थ
धन -अर्थाय
लिए अर्ह (अर्हति) अवधानम्
ध्यान अव+धारय् (अवधारयति । समझना अव+लम्ब (अवलम्बते) सहारा लेना
योरया
(inseparable) (to get inclined) (engineer) (legal case) (lawyer) (to salute) (manifestation) (coronation) (loss of prosperity) (unbreakable) (uplift) (immortality) (nectar) (oh) (money) (for) (to be able) (care) (to understand) (to cling, to support oneself on) (follower) (opportunity) (unwanted) (help! help!) (obstinate) (falsehood) (incapable) (non-cooperation
movement) (setting) (ah!)
अवलम्बिन् (misturney अवसरः अवाञ्छित intoos अविधा अविनीत p alesrmi) असत् असमर्थ असहयोगान्दोलनम्
अनुयायी मौका अनचाहा. बचाओ ! बचाओ! ढीठ असत्य असमर्थ असहयोग आन्दोलन
अस्तमय अहो
अस्त होने वाला
जा
अरे!
आ
Doodh अर
(oh)
105
Page #111
--------------------------------------------------------------------------
________________
आकार:
आ+क्रुश् (आक्रोशति)
आतपः
आत्मगतम् आत्मशुद्धिः
आदरभावः
आदि
आदिक
आदिम
आदेशः
(nusitoto)
आधारः
आधारी+कृ (आधारीकरोति)
आपः
आयत्त
आ+या (आयात) आ+योजय् (आयोजयति) आ+रभ् (आरभते) आ+रुह् (आरोहति)
आर्त
आर्तिः
आर्थिक
आर्य
(no
(19wolloi)
आलयः
आवास:
आविष्कारः
आविष्कृत
आ+श्रि (आश्रयति)
आसनम्
(unilisonga)
fbsthewou
इ
इदम् इदानीम्
ईक्ष् (ईक्षते)
(aldisqsuni)
o0o-non)
Framfom
उ
उच्च न्यायालयः
शक्ल
गाली देना
धूप
अपने आपको
निज की सफ़ाई
आदर
आदि
आदि
पहला
आज्ञा
आधार
आधार बनाना
जल
अधीन
आना
आयोजन करना
आरम्भ करना
चढ़ना
दुःखी
दुःख
धन- सम्बन्धी
सज्जन
घर
निवास, बस्ती आविष्कार
आविष्कार किया हुआ आश्रित होना
आसन
यह (नपुं.)
अब
देखना
19
उच्च न्यायालय
106
(appearance) (to abuse) (sunshine)
(to one's own self) (self-purification)
(respect)
(etc.)
(etc.)
(first)
(order)
(base)
(to base on)
(water)_ (subservient)
(to come)
(to organise)
(to begin)
(to ride)
(distressed)
(distress)
(financial)
(gentleman)
(house)
(place of residence)
(invention)
(invented)
(to depend)
(seat)
this (neuter)
(now)
(to see)
(high court)
Page #112
--------------------------------------------------------------------------
________________
उच्चैः उटजः उत्तरम् उत्+तुल (उत्तोलयति) उत+लिख (उल्लिखति) उत्सुक उत्+सृज् (उत्सृजति) उदयः उदारचरित उद्गमः उद्योगालयः उपकरणम् उपकल्पनम् उपदेष्टा (उपदेष्ट) उपन्यासः उपरि उप स्थापय् (उपस्थापयति) उप+ह (उपहरति) उपाहारगृहम् उभयतः उल्लासः उल्लेखः
ज़ोर से कुटिया जवाब फहराना वर्णन करना उत्सुक छोड़ना उदय उदार-हृदय उत्पत्ति कारखाना साधन-सामग्री तैयार करना उपदेशक उपन्यास ऊपर सामने रखना लाना होटल दोनों ओर खुशी उल्लेख
(loudly) (cottage) (reply) (to hoist) (to mention) (eager) (to leave) (rise) (broad-minded) (birth, source) (industrial house) (implements) (preparing) (preceptor) (a novel) (above) (to present) (to bring) (hotel) (on both sides) (happiness) (mention)
एकता
संगठन
(unity)
कथनम् कनकम् कम्प् (कम्पते) कर्ता (कर्तृ) कलहाय (कलहायते) कला कवचम् काञ्चनम्
कहना सोना काँपना करने वाला झगड़ा करना कला कवच सोना
(statement) (gold) (to shiver) (doer) (to quarrel) (art) (armour) (gold)
Bo107
Page #113
--------------------------------------------------------------------------
________________
काञ्चुकीयः
काण्डम्
कम् (कामयते)
कामः
कारागारः कार्यालयः
काव्यम् कीदृश
कुटुम्बकम्
कुण्डलम्
कुपित
कुलीन
कुसुमित
कृतज्ञता कृत - परिश्रम
कृतिः
केशवः
केसरिणी
कोटरम्
कोषः
कौतुक-दृश्यम् क्रान्तिकारी
(क्रांतिकारिन्)
क्रीडनकम्
(Jaied
क्षयः
क्षिप् (क्षिपति)
क्षीरम्
for-oil
(Jag)
(good
(nork
Ac
क्रूरम्
क्रोधः
क्लिश् (क्लिश्यते) atishi)
क्लेदय् (क्लेदयति)
क्षत्रियः
ख
खण्ड् (खण्डयति)
Talat):
राजा का प्रधान द्वार पाल
काण्ड
चाहना
इच्छा
जेल
दफ़्तर
काव्य
कैसा
परिवार
कान का आभूषण
क्रोधित
अच्छे कुल वाला
फूलों वाला
एहसान
जिसने परिश्रम किया है
रचना
श्रीकृष्ण
शेरनी
खोखल
खज़ाना
झांकी क्रान्तिकारी
खिलौना
अत्याचार
क्रोध
दुःखी
गीला करना
क्षत्रिय
तोड़ना
कि
नाश
फेंकना, अपमान करना
दूध
50 108
कटाम
(chief royal door-keeper) (mishap)
(to want) (desire)
(jail)
(office)
(poetry)
(of what sort)
(family)
(ear-ring)
(furious)
(born in a good family)
(flowered)
(obligation)
(one who has put in hard
work)
(work)
(Lord Krishna)
(lioness)
(hollow of a tree)
(treasure)
(pageant)
(revolutionary)
(toy)
(cruelty)
(anger)
(to be distressed)FF
(to moisten)
(warrior)
(destruction)
(to throw, to insult )
(milk)
(to break)
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
खलु ख्यातिः
Tubbamole)
ग
गण् (गणयति/ते)
गणतन्त्रम्
गणना
गद्यम्
गवाशनः
Gadgil
droom)
गुणज्ञ
गुरु गुर्जर-प्रदेशः
गृध् (गृध्यति)
गृधः
गो
Tutorie)
गोपालकः
गोपाल - नन्दन
ग्रह (गृह्णाति) ग्लानिः
चिरम्
चेत् चेष्टितम्
घ
घट् (घटते)
घटिका
च
चमत्कृत
चातकः
चिकित्सकः
चित्तम्
चिन्तन-धारा
छ
छिद् (छिनत्ति)
ज
जगत्
zib)
गे
Sed)
to)
failure
सचमुच प्रसिद्धि
गिनना
प्रजातन्त्र
गिनती
गद्य
जाति-बहिष्कृत, चाँडाल गुणों का ज्ञाता
बड़ा
ग्रहण करना
नाश,
क्षय
गुजरात प्रान्त
लालच करना
गीध
गाय
ग्वाला
ग्वालों का प्रिय (श्रीकृष्ण)
घटित होना
24 मिनट
विस्मित, चकित
पपीहा
डाक्टर
मन
विचार पद्धति
बहुत देर से
यदि
चेष्टा
Cine
काटना
संसार
55
109
(truly) (fame)
(to count)
(republic)
(counting)
(prose)
(outcast)
(knower of virtues)
(elder)
(Gujarat State)
(to be gready) (vultrue)
(cow)
(cowman)
(beloved of cowmen;
Krishna) (to take)
(decline)
(to happen)
24 minutes
(charmed)
(Papiha ) (doctor)
(mind)
(way of thinking)
(for a long time)
(if)
(action)
(to cut)
(world)
Page #115
--------------------------------------------------------------------------
________________
जठरम् जन् (जायते) जनता जागरणम् जाग (जागर्ति) जृम्भ (जृम्भते) ज्योतिः ज्योत्स्ना
होना, पैदा होना जनता जागना जागना अँभाई लेना प्रकाश चाँदनी
(stomach) (to be, to be born) (public) (waking up) (to wake up) (to yawn) (light) (moonlight)
तट
तटम् तथा तथ्यम् तप्त तमस तर्क-पूर्वकम् तर्पणीय तलः तापसी तारिका तावत्
अच्छा! असलियत दुःखी अँधेरा तर्कों के साथ सन्तुष्ट नीचे का भाग तपस्विनी तारीख उतना तिरस्कार करना
(shore) (right!) (fact) (distressed) (darkness) (logically) (satisfied) (below) (female ascetic) (date) (that much) (to despise)
तिरस्+ कृ
(तिरस्करोति) त्यागः त्रिविध
त्याग तीन प्रकार का
(sacrifice) (of three kinds)
दर्शनीय
देखने योग्य
दलम्
gralsana
समूह
दायांद्यम्o
pay
(worth seeing, handsome) (large number, group) (inheritance) (during the day) (lamp) (big) (one with long life)
दिवा
पैतृक सम्पत्ति दिन में दीप बड़ा लम्बी आयु वाला
110
दीपः दीर्घ दीर्घायु
Page #116
--------------------------------------------------------------------------
________________
दुःखम् दुःख-भाक्
दुःख दुःख का भागी
(trouble) (sharer of distress) (difficult to get)
दुर्लभ
bio.
दुर्ललित दुर्व्यवहारः into दुश्चरित्र दुष्कृताम् दूतः दूष् (दूषयति) दृढम् देवता देवदासी
Patro देहिन्- iativart दोग्धृe द्रुमःndmmsbm द्वित्र द्विविध द्वेषः
कठिनता से मिलने वाला शरारती बुरा बर्ताव बुरे चरित्र वाला कान दुष्टों का दूत गाली देनामा अत्यधिक देवता मन्दिर की सेविका
FREE शरीरधारी दोहने वाला पेड़ दो-तीन दो प्रकार का द्वेष
(mischievous) (ill-treatment) (bad character) (of wickeds) (messenger) (to abuse) (very much) (god) (female attendant in service of god) (human being) (milkman) (tree) (two or three) (of two kinds) (hate, dislike)
धनमूल
जिसकी जड़ में धन है
धनुर्धरः धर्म-प्रवर्तकः
धनुर्धारी धर्म के आरम्भ कर्ता
धर्म-रुचि
धर्म में रुचि वाला
(one that has money at the root) (archer) (founder of a religious sect)
interested in religion) (wearing) (torrential rain) (determined)
धारणम् धारासारः ध्रुव
पहनना मूसलाधार निश्चित
नमस्कार करना
नमस्+ कृ (नमस्करोति)
(to salute, greet)
111
Page #117
--------------------------------------------------------------------------
________________
नर्तनम्
नवम् नामशेष
नारायणः
नाश:
नाशनम् निःश्वासः
निकष:
नि+ कृत् (निकृन्तति)
निज
नित्यम् निदर्शनभूत
नि+ बुध् (निबोधति)
निमिषः
नियत
निरामय
निर्णयः
निर्धन
निर्बल
निर्माणम्
निर्वाचनम्
नि+ वस् (निवसति)
नि+ वेदय् (निवेदयति)
नीडम्
नीतिः
नु
नृत्यनाटिका
नृत्यम्
न्यायः
न्यायाधीशः न्यायालयः
(COT)
नाच
नवाँ
समाप्त
भगवान् कृष्ण
नाश
नाश
साँस बाहर
निकालना
कसौटी
काटना
अपना
प्रतिदिन
उदाहरण रूप
जानना
पलक मात्र
निश्चित
नीरोग
फ़ैसला
ग़रीब
कमज़ोर
निर्माण
चुनाव
रहना
निवेदन करना
घोंसला
नीति, विचार
(सन्देह-प्रश्न-वाचक
अव्यय)
नृत्यनाटिका
नाच
इन्साफ़
न्यायाधीश
अदालत
112
(dance) (ninth)
(finished)
(Lord Krishna)
(ruin)
(destruction)
(expiration)
(testing stone)
(to cut)
(one's own )
(daily)
(for example)
(to know)
(twinkle of an eye)
(inevitable)
(healthy)
(judgement)
(poor)
(weak)
(making)
(election)
(to live)
(to offer)
(nest)
5135
(policy, thought)
(Particle denoting
doubt and question)
(ballet)
(dance)
(justice)
(judge)
(court)
Page #118
--------------------------------------------------------------------------
________________
पक्ष
पक्षः पक्षिन् पंचनद-प्रदेशः पदकम् पदम् पद्धतिः ligdost पद्यम् asur) पयःपानम् nigure पराक्रमःdbala पराङ्मुख
पक्षी पंजाब प्रांत तमगा दर्जा, पद ढंग पद्य दूध पिलाना ताक़त पछाड़ खाया हुआ
(side) (bird) (Punjab State) (medal) (rank) (way) (verse) (serving milk) (valour) (one whose face has been turned away) (to announce)
घोषणा करना
छोड़ना
(to leave)
परि+ की (परिकीर्तयति) परि+ त्यज् (परित्यजति) परित्राणम् 55 परिवर्तनम् Jarosb परिशीलनम् go) परुष zommoot पश्चिम पार्थः sistinhole
रक्षा तब्दीली सतत अभ्यास कठोर अन्तिम पृथा-पुत्र (अर्जुन)
(protection) (change) (constant pursuit) (harsh) (last) (Pritha's son,
Arjuna) (fire) (thirst) (to tease) (son) (king) (ancient)
पावकः पिपासाय पीड (पीडयति) पुत्रकः पुरन्दरः ROY पुरातन पुराण Deritorial पुरुषोत्तमः Dangom पुलकित पुष्ट (Goinggdoing
आग प्यास तंग करना पुत्र इन्द्र, राजा पुराना पुराना श्रेष्ठ पुरुष । प्रसन्न पुष्ट
PL 113
(old)
(best among men) (rejoiced) (nourished)
Page #119
--------------------------------------------------------------------------
________________
पृथिवी प्र+ आप् (प्राप्नोति)
पृथ्वी, ज़मीन प्राप्त करना पहुँचना प्रकट करना तरीक़ा स्पष्ट क्रोध प्रचलित होना प्रयाण पैदा होना जलाना
(the earth) (to obtain, to reach) (to show) (manner) (openly) (anger) (to be prevalent) (marching) (to originate) (to kindle)
प्र+ कटय् (प्रकटयति) प्रकार: प्रकाशम् प्रकोपः प्र+ चल् (प्रचलित) प्रचलनम् प्र+ जन् (प्रजायते) all प्र+ ज्वालय् (प्रज्वालयति) प्रणामः प्रतिकुलम् प्रति+ क्षिप् (प्रतिक्षिपति) प्रतिज्ञा प्रतिनिधिः प्रतिपदम (noisastomo) प्रदर्शनम् प्र+ दा (प्रयच्छति) प्र+ नी (प्रणयति) प्रबुद्ध प्र+ भू (प्रभवति) प्रभृति
नमस्कार उलटा, अप्रिय दलील काटना
(regards, greeting) (opposite, unpleasant) (to refute)
व्रत प्रतिनिधि हर क़दम पर दिखाना
देना
रचना करना जागत पैदा होना आदि, लेकर
(vow) (representative) (at every step) (demonstration) (to give) (to compose) (awakened) (to originate) (etc., from, ever since) (to appeal)
अपील करना
ED
प्रमाणी+ कृ (प्रमाणीकरोति) प्र+ यत् (प्रयतते) प्र+ वद् (प्रवदति) प्रवर्तनम्m sions प्रवृत्त प्र+ शंस् (प्रशंसति) प्रशंसा प्रसारः (bordension
यत्न करना कहना आरम्भ लगा हुआ प्रशंसा करना प्रशंसा प्रचार
ER 114
(to try) (to say) (beginning) (got inclined) (to praise) (praise) (propagation)
Page #120
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्र+स्था (प्रतिष्ठते) प्रस्फुटम् प्र + हृ (प्रहरति) प्रांजल प्राणी (प्राणिन्) प्राध्यापकः प्रापक प्रायेण प्रियंकर
जाना स्पष्ट आघात करना स्पष्ट प्राणी लेक्चरार प्राप्त करने वाला अक्सर अच्छा लगने वाला
(to go) (obvious) (to hurt) (lucid) (creature) (lecturer) (one that leads to) (often) (pleasing)
फल्ल
खिला हुआ
(blossomed)
बकः बलिः बहुधा बहुशः बाध (बाधते)
बगला बलिदान अनेक प्रकार से बहुत अधिक तंग करना
(crane) (sacrifice) (in various ways) (very much) (to trouble)
ता
भक्तिः भद्रम् भद्रमुखः भवत् भारतः
भक्ति कल्याण सुमुख अच्छा ! भरत-वंशी
भारती balam भावना भाषान्तरम् Horse भाषिणी (स्त्री.) भिक्षा भिङ्घartoo भुजंगः जायजा भुवन-प्रथित भूतिः
सरस्वती भावना अनुवाद बोलने वाली भीख अलग-अलग होना त साँप संसार प्रसिद्ध ऐश्वर्य
(devotion) (welfare) (having a good face) (well !) (one born in the family of Bharatas) (goddess of learning) (feeling) (translation) (one that speaks) (alms) (to be different) (snake) (world-famous) (prosperity)
115
Page #121
--------------------------------------------------------------------------
________________
भूमा भृ (भरति)
भेदः
भेदनीतिः
भोक्तृ
भौतिक शास्त्रम्
म
मण्डलम्
मतम् मदीय
मन् (मन्यते)
मनीषा
मनीषिन्
मन्त्रमूल
-मय
मयूरक:
मरणम्
मलयज
मस्तिष्कम्
(op (1)
(awodyda)
महत्
महत्त्वम्
महत्त्वाकांक्षा
महाभागः
मांसरुचिः
माण्डलिक
मातृभक्तः
- मात्र
मानिन्
मानुष्यम् मान्य
(sotrose)
Boobay lil)
(loudy)
foliuon 01)
5)
(bjoul)
STD)
eoid)
Joyal)
How)
red)
imlsh
(virreg.com)
अधिक
भरना
फ़र्क
फट की नीति
भोगने वाला
भौतिकी
समुदाय, समूह
मत, वोट
मेरा
मानना
इच्छा
विचारशील
जिसके
मूल
सलाह या
रहस्य है
युक्त
मोर
मृत्यु
चन्दन वृक्ष
दिमाग़
में
बड़ा
महत्त्व
पदेच्छा
महोदय, भाग्यशाली
मांस में रुचि वाला मण्डल-सम्बन्धी माता के प्रति
भक्ति वाला
केवल
स्वाभिमानी
मनुष्य रूप
मानने योग्य
a
SRIE
116
(enough) (to fill) (difference)
(policy of dividing)
(enjoyer)
(physics)
(circle)
(opinion, vote)
(my)
(to believe)
(desire) (thoughtful)
(one that has
consultation or
secrecy in its root) (made of)
(peacock)
(death)
(sandal tree)
(brain)
(big)
(importance)
(ambition)
(great, fortunate) (interested in meat )
(divisional)
(devoted to one's
mother)
(only)
(one having)
self respect)
(human form)
(agreeable)
Page #122
--------------------------------------------------------------------------
________________
माया
मारुतः
मार्जारः मुद् (मोदते)
मुद्रा - प्रधान
मुहूर्तकम् मूढ
मूलम्
मूल्य-पत्रकम् मृ ( म्रियते)
मृगेन्द्रता
मृत्तिका मृत्युः
मृष् (मृष्यति)
मेधाविन्
मोक्ष
मोहः
य
यत् (यतते)
यथाकालम्
यथार्थतः
यन्त्रम् यशोलिप्सु याच् (याचते)
योगेश्वरः
यामिनी
यावत्
युक्तिः
युध् (युध्यते)
योजक
योजना
100)
anita)
(tetiges)
dion)
(ead adz
(ratiod)
माया (अवास्तविक
आभास)
हवा
बिलाव
प्रसन्न होना
मुद्रा - प्रमुख
क्षण भर
मूर्ख
जड़
बिल
मरना
पशुराज का पद
मिट्टी
मौत
क्षमा करना
बुद्धिमान्
मुक्ति
मोह
कोशिश करना
समयानुसार ठीक तरह से
मशीन
यश का लोभी
माँगना
योगीराज
रात जितना,
दलील
तक
युद्ध करना
• मिलाने वाला
योजना
an
15215
117
(illusion)
(air)
(he-cat)
(to rejoice) (prominent in expression)
(for a while)
(foolish)
(root)
(bill)
(to die)
(rank of the king
of animals)
(clay)
(death)
(to pardon)
(intelligent)
(salvation)
(delusion)
(to try)
(at proper time)
(accurately)
(machine) (name-greedy)
(to beg)
(king of yogis)
(night)
(as much, till)
(argument) (to fight) (conjoiner)
(plan)
Page #123
--------------------------------------------------------------------------
________________
रक्तदुर्गम् रचना रचयितृ रम् (रमते) राजकीय राजधानी राज्यपालः
लाल किला रचना बनाने वाला प्रसन्न होना शासन का राजधानी राज्यपाल अच्छा लगना शक्ल मनोहर
(red fort) (creation, work) (maker) (to rejoice) (official) (capital) (governor) (to be pleasing) (form) (charming)
रुच
रूपम्
रोचिष्णु
लक्षणम् लक्षम् लक्ष्यम् लग् (लगति)
निशानी, परिभाषा लाख लक्ष्य लग जाना
लंघ (लंघयति) लघुचेतस् लभ् (लभते) लिपिकः लेख्यम् लोकनृत्यम्
हमला करना छोटे दिल वाला पाना स्टेनो महत्त्वपूर्ण काग़ज़ लोक-नृत्य
(sign, definition) (hundred thousands) (destination) (to attach oneself to) (to attack) (narrow-minded) (to get) (stenographer) (document) (folk dance)
वा
वक्तृ
S
भाषण देने वाला लामा
वर्ण (वर्णयति) वत्सः (motioedia
वर्णन करना बछड़ा, प्रिय बालक गंग
=
वन्द् (वन्दते)
(one that gives speeches) (to describe) (calf, endearing child) (to salute) (best person) (one that gives the best) (better)
वरः
प्रणाम करना नाना श्रेष्ठ जनश्रेष्ठ वस्तु देने वाला अच्छा
118
वरद
वरम्
Page #124
--------------------------------------------------------------------------
________________
वर्धनम् वंशीय
वर्ष् (वर्षति)
वर्षर्तुः
वर्षा
वसुधा
'वस्तुतः
वाजी (वाजिन्)
वादक:
वाद्यम्
वासी (वासिन्)
वासुदेवः
वारणः
विकसित
विकास:
विक्रमः
विक्रयः
विगत
विचार:
(looge)
वि+चारय्
(विचारयति)
विजय:
वित्तम्
विद् (विद्यते) विद्वद्-धौरेय
विद्वस्
विधानम्
विनाश:
वि+नोदयू
(विनोदयति)
ongor
विप्रः
वि+रमय्
(विरमयति)
बढ़ाना वंश का
बरसना वर्षा ऋतु
बारिश
पृथ्वी
वास्तव में
घोड़ा
बजाने वाला
संगीत-वाद्य
निवासी
श्रीकृष्ण
हाथी
विकसित
विकास
ताकत
बिक्री
पिछला
विचार
विचार करना
जीत
धन
होना
श्रेष्ठ विद्वान्
विद्वान्
करना
नाश
दिल बहलाना
Heel
ब्राह्मण, बुद्धिमान् पुरुष
रोकना
119
(increasing) (belonging to family)
(to rain)
(rainy season)
(rain)
(the earth)
(in fact)
(horse)
(instrument-player) (musical instrument) (inhabitant)
(Lord Krishna)
(elephant)
(developed)
(development)
(strength)
(sale)
(last) (thought)
(to think)
(ope
(victory) (wealth)
(to be)
(best among
scholars)
(scholar)
(doing) (destruction) (to entertain)
(Brahmin, wise man) (to stop)
Page #125
--------------------------------------------------------------------------
________________
विरोध झगड़ा करना झगड़ा एकान्त भिन्न होना
(opposition) (to dispute) (dispute) (lonely place) (to be different)
विरोधः वि+वद् (विवदते) विवादः विविक्तम् वि+शिष् (विशिष्यते) विशिष्ट विशेष विश्रुत विश्वविद्यालयः विषम् विषम विषयः विषयक
विशेष विशेष
प्रसिद्ध
यूनिवर्सिटी ज़हर कठिन विषय विषय-सम्बन्धित
विसदृश वि+स्मि (विस्मयते) वीणा वृत् (वर्तते) वृत्तान्तः वृत्तिः वृन्दम् वेणुः वेप (वेपते)
अलग-अलग, भिन्न चकित होना वीणा होना हाल चाल पेशा झुण्ड बांसुरी काँपना सचमुच धन-सम्बन्धी विदेशी बैरी विशेषता वंश खर्च करने से निश्चित व्याकरणमा
(special) (special) (well-known) (university) (poison) (difficult) (subject) (concerned with the subject) (dissimilar) (to be surprised)
(Veena) (to be) (state of being) (profession) (multitude) (flute) (to shiver) (truly) (financial) (foreigner) (enemy) (characteristic) (family) (by spending) (determined) (grammar)
वैत्तिक वैदेशिक वैरिन् वैशिष्ट्यम् व्यपदेशः व्ययतः व्यवस्थित व्याकरणम्
ver_120
Page #126
--------------------------------------------------------------------------
________________
व्रज् (व्रजति)
जाना
(to go)
शंकालु शक् (शक्नोति) शंखः शठः शतावधान
शंका-युक्त सकना शंख
शरणम् शरद शस्यम् शासनम् शास्त्रार्थः शास्त्रीय-नृत्यम् शिक्षा-शास्त्रिन् शिक्षा
शिरस्
शीतम् शीतल शीतम् शुचः शुभ् (शोभते) शुभ्र शुश्रूष् (शुश्रूषते) शकरः शैली शोभन शोभा-यात्रा शोभिनी शोषय (शोषयति) श्यामल श्रीः श्रु (श्रृणोति)
अनेक बातों का एक साथ ध्यान करने वाला शरण वर्ष अन्न शासन शास्त्रीय विवाद शास्त्रीय-नृत्य शिक्षा-शास्त्री ज्वाला सिर सर्दी ठंडा स्वभाव शोक करो! अच्छा लगना उज्ज्वल सेवा करना सूअर शैली सुन्दर, ठीक जुलूस शोभा वाली सुखाना काला
(suspecting) (to be able) (conch-shell) (wicked) (one who attends to many things at a time) (refuge) (year) (grains) (rule) (scriptural discussion) (classical dance) (educationist) (flame) (head) (cold) (cool) (nature) (grieve!) (to look pleasing) (bright) (to serve) (hog) (style) (all right) (procession) (elegant-fem.) (to dry) (black) (fortune) (to listen)
लक्ष्मी
सुनना
121
Page #127
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्रुतव्रत् श्रेष्ठ श्लोकः
ज्ञानी सबसे अच्छा संस्कृत-पद्य
(learned) (best) (Sanskrit verse)
संगीत-प्रिय संग्रामः
संचयः
सत सति सत्कारः सत्पुरुषः सत्संगः सन्तोषः सन्निमित्तम् संपत्तिः सफलता संभारः संभावित संभ्रमः संविधानम् सभा समकालिक समयः समस्या सम्+ आ+ चर् (समाचरति) समाज-सेवक समाधानम् समारोहः समुचित सम्+ नि+ पत् (संनिपतति) सम्+ पद् (संपद्यते)
संगीत-प्रिय युद्ध इकट्ठा करना सत्य होने पर आवभगत अच्छा पुरुष सत्संग सन्तोष अच्छा उद्देश्य ऐश्वर्य सफलता तैयारी सम्मानित घबराहट संविधान सभा समकालीन समझौता समस्या व्यवहार करना
(lover of music) (war) (collection) (truth) (on being) (hospitality) (gentleman) (religious assembly) (contentment) (good cause) (prosperity) (success) (preparation) (respected) (bewilderment) (constitution) (society) (contemporary) (agreement) (problem) (to practise. perform) (social worker) (removing doubt) (celebration) (very appropriate) (to collect)
समाज सेवक संदेह निवारण समारोह बिल्कुल उचित इकट्ठे होना
सम्पन्न होना
(to be accomplished)
122
Page #128
--------------------------------------------------------------------------
________________
अब जन्म लेना ताका इज्ज़त इज्जत करना
(now) (to be born) (honour) (to respect)
प्रतिष्ठित मिलाना
(respected) (to assemble)
EP
(properly)
सम्प्रति सम+भू (संभवति) ana) सम्मानम् सम्+ मानय् रda (सम्मानयति) ) सम्मानित Spepar सम्+मेलय (सम्मेलयति) सम्यक् सर्वोच्च न्यायालयः सविता (सवित) and संस्कारः संस्थापनम् सस्मितम् सह (सहते) सहर्षम् सहस्रम् सहिष्णुता सागरः साचिव्यम् साधु सामर्थ्यम् bopbsit सामूहिकम साहित्यिक diboda सिद्धिः सुखद सुजल सुधीः सुप्रथित सुफल सुमधुर सुयोधन
अच्छी प्रकार से सर्वोच्च न्यायालय सूरज औपचारिक रीति स्थापना मुस्कराहट के साथ सहन करना खुशी के साथ हज़ार सहनशीलता समुद्र सहायता अच्छा ताक़त सामूहिक साहित्यिक सफलता सुख देने वाला बहुत जलों या नदियों वाला विद्वान् बहुत प्रसिद्ध बहुत फलों वाला बहुत मीठा जिससे लड़ना आसान हो (दुर्योधन का नाम) अति रुचिकर
123
म.51
(Supreme Court) (sun) (formal rite) (establishment) (with a smile) (to tolerate) (happily) (thousand) (tolerance) (ocean) (help) (good) (strength) (collective) (literary) (2 ) (success) (one that gives comfort) (having many rivers) (wise) (very famous) (having many fruits) (very sweet) (one easy to fight with, Duryodhan's name) (very interesting)
सुललित
Page #129
--------------------------------------------------------------------------
________________
सोना
सुवर्णम् सुहासिनी (स्त्री०)
संक्ष्मता सूत्रधार : सृज् (सृजति) स्तरः स्थलम् स्नेहय् (स्नेहयति)
सुन्दर मुस्कराहट
वाली बारीकीमा नेता पैदा करना स्तर स्थान प्रेम युक्त करना
(gold) (one that smiles beautifully) (subtlety) (leader) (to create) (standard) (place) (to make one affectionate) (to long for) (independence) (wealth) (sleeping)
स्पृह (स्पृहयति) स्वतन्त्रता स्वत्वम् स्वप्नः
चाहना आज़ादी धन सोना स्वर्ग स्वागत स्वाभिमान
स्वर्गः
(heaven)
स्वागतम् स्वाभिमानम्
(welcome) (self-respect)
अरे !
हन्त हर्षः हानिः
खुशी
3
(ah !) (happiness) (harm, loss) (indeed) (Himalaya)
(to be delighted) pr (small)
हानि वास्तव में हिमालय खुश होना छोटा
हिमवत्
tan
हृष् (हृष्यति)
हृस्व Horotish
भाजावट
जाsibones
124
Page #130
--------------------------------------------------------------------------
________________ (00 रामायण अभिज्ञान शाकुन्तलम् X अथवेद DID पीताम्बर /