Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । कोबातीर्थमंडन श्री महावीरस्वामिने नमः ।। ।। अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामिने नमः ।। ।। गणधर भगवंत श्री सुधर्मास्वामिने नमः ।। ।। योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः ।। । चारित्रचूडामणि आचार्य श्रीमद् कैलाससागरसूरीश्वरेभ्यो नमः ।। आचार्य श्री कैलाससागरसूरिज्ञानमंदिर पुनितप्रेरणा व आशीर्वाद राष्ट्रसंत श्रुतोद्धारक आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. जैन मुद्रित ग्रंथ स्केनिंग प्रकल्प ग्रंथांक :१ जैन आराधना न कन्द्र महावीर कोबा. ॥ अमर्त तु विद्या श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-३८२००७ (गुजरात) (079) 23276252, 23276204 फेक्स : 23276249 Websiet : www.kobatirth.org Email : Kendra@kobatirth.org आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर त्रण बंगला, टोलकनगर परिवार डाइनिंग हॉल की गली में पालडी, अहमदाबाद - ३८०००७ (079)26582355 - - - For Private And Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला प्रबन्ध सम्पादक डा. पद्मधर पाठक [निदेशक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर] ग्रथांक 156 राजस्थानी-हिन्दी संक्षिप्त शब्दकोश प्रथम-खण्ड सम्पादक "पद्मश्री' सीताराम लालस प्रकाशक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राज.) Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur 1986 प्रथमावृत्ति 1000 ] [मूल्य रु. 120.00 For Private And Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला प्रबन्ध सम्पादक डा. पद्मधर पाठक [ निदेशक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ] ग्रंथांक 156 प्रथमावृत्ति 1000 ] राजस्थानी - हिन्दी संक्षिप्त शब्दकोश प्रथम - खण्ड [ 'अ' से 'न' ] सम्पादक 'पद्मश्री' सीताराम लालस प्रकाशक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राज.) Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1986 For Private And Personal Use Only [ मूल्य रु. 120/ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित सामान्यतः अखिल भारतीय तथा विशेषतः राजस्थान प्रदेशीय पुरातनकालीन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी, राजस्थानी आदि भाषा-निबद्ध विविध वाङ्मय प्रकाशिनी विशिष्ट प्रन्थावली प्रबन्ध-सम्पादक डा० पद्मधर पाठक ग्रन्थाङ्क 156 प्रकाशक राजस्थान राज्य संस्थापित राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर (राज.) मुद्रक श्री पुखराज जांगिड, पंकज प्रिण्टर्स, जोधपुर विक्रमाब्द 2043] [शकार 1986 For Private And Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org समर्पण पूज्य नानाजी स्व. श्री साईलसिंहजी बोगसा सरवड़ी, मित्रवर ठा. गोरधनसिंहजी मेड़तिया ई. ए. एस., तथा कर्नल ठा. श्यामसिंहजी रोड़ला की पावन स्मृति में समर्पित - सीताराम लालस For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रबन्ध सम्पादकीय 'पद्मश्री' श्री सीताराम लालस द्वारा संकलित कर सम्पादित किये गये संक्षिप्त राजस्थानी-हिन्दी शब्दकोश के मुद्रण एवं प्रकाशन का उत्तरदायित्व इस विभाग को सौंपा गया था। उक्त कोश को दो खण्डों में प्रकाशित कर विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत करले हुए हमें अतीव प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। प्रस्तुत कोश का कलेवर विस्तृत होते हुए भी उसे पूर्वत: उपलब्ध अन्यान्य कोशों की तुलना में सकलनकर्ता ने संक्षिप्त नाम से अभिहित किया है। दूसरे, इस कोश में यद्यपि संस्कृत और अरबी-फारसी के कतिपय शब्दों का यथावत् समावेश किया गया है, परन्तु वह संकलनकर्ता की अपनो दृष्टि है, उसकी अपनी मान्यताएं हैं। विश्वास है, प्रस्तुत कोश से विद्वान् एवं अध्येता-छात्र लाभान्वित होंगे। प्रफ-संशोधन प्रादि का कार्य स्वयं श्री लालस द्वारा किया है। उनका परिश्रम निस्संदेह प्रेरणास्पद है। पंकज प्रेस, जोधपुर के व्यवस्थापक श्री पुखराज जांगिड ने मुद्रण में पर्याप्त तत्परता एवं लगन से काम किया है जिसका यहाँ उल्लेख प्रौपचारिक धन्यवाद से हट कर है। दुसरे खण्ड का मुद्रण भी प्रायः समाप्ति पर है। गंगा-दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल १० संवत् २०४३ जोधपुर पद्मधर पाठक निदेशक For Private And Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संकेत पु० स्त्री० बि० क्रि० यौ० श्रव्य ० क्रि०वि० ... སྠཽ བྷྲ དྭྱ ཨྰཿ www.kobatirth.org संकेत चिह्न पूर्ण संज्ञा पुलिंग संज्ञा स्त्रीलिंग विशेषण क्रिया यौगिक अव्यय क्रिया विशेषण संस्कृत अरबी फारसी देशज शब्दावली देखो For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजस्थान सरकार राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह, संरक्षण, शोधपूर्ण सम्पादन एवं राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला के अन्तर्गत महत्वपूर्ण ग्रन्थों का प्रकाशन । शोधार्थियों के लिए विविध विषयक हस्तलिखित ग्रन्थों, सन्दर्भ पुस्तकों, जीरोक्स फोटो स्टेट, एवं माइक्रोफिल्म की पूर्ण सुविधा । प्रतिष्ठान-पत्रिका | वार्षिकी । वर्ष १९८५ से विशिष्ट शोधपूर्ण सामग्री सहित नियमित प्रकाशन । मूल्य रु. 31/ निदेशक For Private And Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org राजस्थानी - हिन्दी संक्षिप्त शब्द-कोश श्रं पु० [सं०] १ कमल । २ पूर्ण ब्रह्म । ३ दुःख | ४ विरक्ति । ५ शंभु ६ भक्ति । ७ श्री कृष्णा । अंकार, अंऊकार - देखो 'ओंकार' | श्र- देवनागरी वर्णमाला का पहला स्वर वर्ण । इसका उच्चारण कण्ठ से होता है । समस्त व्यंजनों का उच्चारण इसी की सहायता से होता है। भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से इसके तीन भेद-ह्रस्य दीर्ष और प्लुत तथा अठारह अवांतर भेद | होते हैं। -अ अंकणी- देखो 'प्रकरणी । अंकणौ-देखो 'प्रकरणी । अंक - पु० [सं०] १ प्रारब्ध, भाग्य । २ जन्मान्तर । ३ दुःख । ४ अपराध । ५ पाप । ६ एहसान । ७ शरीर, अंग । = कटि प्रदेश, कमर । गोद कोड । १० चिह्न, निशान ११ ० से ६ तक की संख्या । १२. दाग धब्बा | १३ अक्षर, वर्ण । १४ लिखावट, लेख । १५ पत्र, चिट्ठी । १६ अंश, भाग । १७ अध्याय । १८ नाम । १६ छाप मुहर, मुद्रा । २० सामयिक पत्र-पत्रिका का कोई भाग । २१ परीक्षा की योग्यता सूचक इकाइयां । २० नौ की संख्या * । २३ पार्श्व, बगल । २४ पर्वत । -कार-गणितज्ञ । - गणित संख्याओं की जोड़ बाकी से फल निकालने की विद्या धारी - वि० मुद्रा धारित, चिह्नित । पाली-स्त्री० ०धाय माता माँ। पालित कन्या । मात्र, माळा, माला स्त्री० कंठ में लगाने. भेंटने ग्रथवा गाद में लेने की क्रिया, ग्रलिंगन, परिरंभन । -विद्या स्त्री० गणित शास्त्र । अंकड़ी-१ देखो 'प्रांख' । देखो 'अंकाड़ो । अंकड़ों वि० [सं० अंक--रा०० १ वीर बहादूर २ टेढ़ा वक्र । ३ देखी 'प्रकोड़ो' ४ देखो 'ग्रांकड़ी' । अंकज - पु० [सं० | एक देश का नाम । वि० जो अंक से उत्पन्न हो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करणी, (बी) - देखो 'ग्रांकरणौ (बौ ) ' । अंकधारण पु० बी० [सं०] मुद्रांकित या चिह्नित करने की क्रिया । शंकरास देखो 'उकरास' । अंकवाळी- वि०-१ अमीम, अधिक, बेहद । २ जिसमें अंक हों । विचार पु० [सं०] ६४ कलाओं में एक अंकस - देखो 'अंकुर' | कस्थ वि० [सं० अंक+स्थित] १ गोद लिया था. दत्तक । २ गोद में बैठा हुआ । लेखा पु० यौ० मंत्री, दीवान अंका, अंका' [स्त्री०-१ हद, सीमा २ चरम सीमा, पराकाष्ठा । ३. देखो 'आकास' अंकाई नाप-तौल परिमाण, मृत्य आदि का अनुमान करने की क्रिया या भाव। २ मुल्यांकन । ३ मुद्रांकन । ४ दागने या चिह्नित करने की क्रिया । अंका गाडी जी० [सं० प्रकाशकटिक वायुयान हवाई जहाज । अंकारणी. (बौ) क्रि०म० १ मूल्य या परिमाण का अनुमान कराना । २ मूल्यांकन कराना । ३ चिह्नित कराना। ८ मुद्रांकन कराना । ५ दाग लगवाना | अंकामूठ - स्त्री० एक देशी खेल । कायत - वि० सं० अंक - ०प्र० प्रायत | गोद लिया हुआ. दत्तक । ५० दत्तक पुत्र । का वो) कारण (बी). अंडावणी (बी) देखो काळ (लो)- पु० [सं०] अर्का १ बाक की लकड़ी का छिलका २ दत्तक पुत्र । - वि० [सं० अंक + ग्रालुच ] दत्तक । अंकित वि० [सं०] १ वस्ति लिखित २ चिह्नित । ३ दागा हुआ । ४ चित्रित । ५ शोभित । अंकुड़ी देख अंकोटी अंकुडीदार वि० कांटा या हुक लगा था। For Private And Personal Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकुडो प्रग ग्रंकुडौ-देखो 'अंकोटी। अंखमीचणी-देखो 'अांखमीचणी' । ग्रंकूर-T० म० १ नवोद्भव प्ररोह, अंखुवा। २ डाभ, कल्ला, अंखि, अंखी-देखो 'प्रांख'। कोपल कनखा। ३ नोक । ४ कली। ५ नत्र पल्लव, अंग-प० सं०] शरीर. देह। : देह का कोई भाग किसलय । अाशा। ७. मांस के छोटे दाने । अवयव । ३ भाग, हिम्मा. खण्ड, अंश। ८ मन, इच्छा, - देखो 'अफर'। ६ मुखद भविष्य के सूचक चिह्न । वृत्ति। ५ प्रकृति, पादत, स्वभाव । : उपाय, तरकीब । १० मनान. मंतति । ११ रक्त, खुन । १. गेम, लोम । ७ पक्ष। ८ मित्र, माथी, महायक । ६ तरह, भांति, १३ मनोगत भाव। प्रकार । १० वेद के छ: अंग । ११ मेना के चार अंग । अंकुरणो, (बौ) क्रि० ग्र. म. अंकुर१. अंकुरित होना, १२ पार्श्व, बगल । १३ राजनीति के सात अग । उगना, उपजना। २ पल्लवित होना. फलना। ३ बजना, १४ कार्य का साधन । १५ छः की संख्या ।* १६ पाट ध्वनित होना। ४ वालों का खड़ा होना । की संख्या ।* १७ एक प्राचीन देश का नाम । १८ जैन अंकुरित-वि० सं०] १ उगा हुआ, प्रस्फुटित । शास्त्र विशेष, वि०-प्रिय । - पल्लवित । -----उधार-पु० बिना रेहन के लिया जाने वाला ऋगा । ग्रंकुस-पु. म. अंकुश | १ हाथी को हांकने का छोटा कांटा, -पोळग-पृ० अंग रक्षक। अनुचर । - - खंभ-पृ० हाथी,गज । अकृश । २ नियंत्रण, दबाव । ३ प्रतिबंध, रोक । ८. भय, ---गथ-पु० कामदेव, मदन । ग्रह-पु० शारीरिक पीड़ा। हर, पातक । ५ शंका, लिहाज, शर्म । ६ मर्यादा, सीमा । ---ज, जात-पु. शरीर में उत्पन्न । पुत्र, बेटा । बाल, एक प्रकार का शस्त्र । ८ तीन लघु मात्रा का नाम । गेम । पसीना । मद । रोग। कामदेव। काम, क्रोध एक प्रकार का मामुद्रिक चिह्न।। पादि विकार । जु । -जा-स्त्री. पुत्री, बेटी।--त्राण-पृ० -----ग्रह-पु. फीलवान, महावत ।-बंती, दंतौ--पु. एक दांत कवच । अंगरखा, कुरता। दान-पृ० मंभोग के लिये झुका तथा दुसरा सीधे दात वाला हाथी । -दुरधर-पु० ममपंग । ---दार-वि• ग्वाभिमानी। ---द्वार-पु. गरीर उन्मत्त व मस्त हाथी।-धारी-पु. महावन, फीलवान । के दश द्वार । नौ की संख्या* । - -धारी-पु० प्राणी।। -मुख-पू० रथ । --पाळ-वि० अंक रक्षक । ---कूटणी-स्त्री० शारीरिक दर्द, अंकुसरणी, (बौ) -क्रि०-१ चुभना। २ दर्द होना, मालना । पीड़ा । ---बळ-पु० घी, घृत । ---बूत-शरीर के टुकड़े, ३ कसकना। खण्ड ।-भंग, भंगी-वि० खंडित, अपाहिज । स्त्री० वशीअंकूर-देखो 'अंकुर'। करणिक शारीरिक चेष्टा । -भाव-भाव-भंगिमा। अंकूरी-पु०-१ बड़े कार्य का प्रारंभिक सूक्ष्म रूप । भू-पु०- वंशज । पुत्र, नेटा । - भूत-वि• अान्तरिक, २ जन्माक्षरी। भीतरी। -पृ० पुत्र, बेटा। मरदन स्त्री० मालिश । रनि अंकेई-क्रि० वि०-१ अंकों में । देखा 'अंगेई' । क्रिया. ७२ कलाओं में से एक। - रक्ष, रक्षक-पृ० अग अंकोड--पु०-१ रहट में ऊबड़ियो के ऊपर लगा रहने वाला रक्षक। रखि, रखी-स्त्री०-कवच । - रळी-म्बी प्रानन्द. लकड़ी का मोटा इटा। २ रहट के चक्र के बीच लकड़ी मौज। मभोग । -- राग-पु० मुगंधित उबटन। वस्त्राके. स्तंभ को नियंत्रित करने वाला उपकरण । भूषण । शृगार । मुगंधित बुकनी । - राज, राजा-पु० । देखो 'अकोड़ो'। कर्ग । ...ळज-वि० मूवं, अजानी। बट-पृ० प्रकृति, अंकोडियौ, अंकोडौ-पु०-१ किमी लंबे बाम के मिरे पर लगा स्वभाव । -वायु-पु० घारों का n रोग। . वारी.. रहने वाला लोहे का हमियानुमा कांटा। २ लोहे का किसानों का पारम्परिक महयोग । -विक्रति, विक्रती, कांदा । ३ तीर का टेढा फन । ४ टेढ़ी बस्तु जिसमें कुछ विक्रिती-स्त्री. अपस्मार, मृगीगेग, मुर्छा, पक्षाघात । अटकाया जा सके। विक्ष प, विखेप-पु० अंगों की मटकन । नृत्य, नन्न । कलाअंकोट, अंकोल-पु०-१ देरा नामक जंगली वृक्ष। २ पिश्ते बाज ।---विद्या-स्त्री. मामुद्रिक शास्त्र |---वोट-पु० देह का पेड़। का गठन,ढांचा। संग-पु० म्पर्ण । संभोग। -संसकार-पृ० अंको-देखो 'ग्राको। म्वभाव, प्रकृति ।- सुद्धि-स्त्री. शरीर की मफाई। अंख, अंखड़ी-देखो ‘ग्राख । ---सेवक-पु. अंतरंग मेवक । -होण-पृ० कामदेव । ग्रंखफोड़-देखो ‘यांग्वफोड़। वि अपर्ण । वंटित ।- होमा-स्त्री० मनी । For Private And Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अगड़ाई अंगिया अंगड़ाई-स्त्री० १ पालस्य या जम्भाई के साथ देह में होने | अंगरेज-पू० प. इंग्लज | १ इंग्लैट का निवामी। २ अांग्ल ___वाला तनाव । २ देह की टूटन। ३ करवट । जाति । अंगड़ाणी, (बौ)--क्रि० १ अंगड़ाई लेना, पालस्य में शरीर अंग्रेजी-स्त्री० इंग्लैंड की भाषा । वि. अंग्रेजों का, अंग्रेजी को तानना । २ करवट लेना । संबंधी। विलायती। अंगचालन पृ० शरीर का संचालन । । अंगरेल-पृ. एक सुगंधित पदार्थ । • देखा 'अगरबत्ती' । अंगजितमल्ल, अंगजीतमल्ल-वि० शत्र के मर्मस्थलों पर जान अंगरी-पु. १ बैला का एक रोग । देखो 'अंगारौ' बुझ कर चोट करने वाला। अंगळ-देखो 'प्रांगळ' । अंगठ-पु० बैलगाड़ी के थाट के नीचे का उपकरण जो घोड़े के अंगळो-देखो ‘प्रांगळी' । मुम की प्राकृति का होता है । अंगळीलंग-पृ. हंस । अंगण, अंगणि १ देखो 'श्रांगणौ'। २ देखो अंगना' । अंगलेखक-पु० राज्य पदाधिकारी विशेष । अंगद, अंगद्द-संपु० १ बाहु का आभूषण । २ नूपुर। अंगलेडौ-पु० अंगलियों पर होने वाला एक फोड़ा। : बालि नामक वानर का पुत्र । ४ लक्ष्मण के एक पुत्र अंगवारौ-पु. किसानों द्वारा पारस्परिक सहयोग से कृषि कार्य का नाम । न करने की प्रथा, क्रिया। अंगन-देखो 'ग्रांगा। अंगसंपेख-पु० [सं० अंगसंप्रेक्ष] अंग देश का एक नाम । अंगना-स्त्री० [सं०] सुन्दर स्त्री । सुन्दरी। २ गाय, गौ। अंगसी-स्त्री [सं० अंकुश १ हलका फल । २ स्वर्णकारों की ३ उत्तर दिग्वर्ती हाथी की हथिनी। ४ वामन नामक छोटी बं कनाल । दिग्गज की पत्नी। अंगसूत्र-पु० जैन साधुओं के प्राचरण सूत्रों में से एक । अंगनि-देखो 'अगनि'। अंगां, अंगा-देखो 'अंगे' । अंगन्यास-पृ० मंत्र पढ़ते हुए अंगों का स्पर्श । अंगागी-पु० [सं० अंगांगी| १ शारीरिक अवयवों का पारस्परिक अंगफूटणी-श्री० एक रोग विशेष । संबंध । २ अंश का पूर्ण से संबंध । अंगमणी, (बौ) देखो 'नांगमगौ, (बौ)'। अंगाठी-देखो 'अंगारी'। अंगमरद, अंगमरदन-पु० १ हड्डियों का दर्द । २ हाथ-पैर अंगार-पु० सं० १ अग्निकरण, अंगारा। २ अग्नि, प्राग । दवाने वाला नौकर । ६ शरीर के अंगों को दबाने की ३ अंगीठी। ४ लाल रंग । ५ एक गजा। ६ मंगल किया। ४ मालिश। ग्रह । ७ जैन मत में एक दोष । अंगमाठ-वि० १ बलिष्ठ, बलवान । दृह, मजबूत । ----करम-पृ० अग्नि मंस्कार. दाह क्रिया -पुसप, पुसब, ३ कृपण, कंजूम। पुस्प-लाल पृष्प । इंगुदी का वृक्ष । ---मण, मणि, मणी अंगरक्षा-स्त्री० [सं० अंगरक्षा] शरीर की रक्षा । स्त्री० लाल मणि. मुगा । ---मति कर्ण की म्बी । अंगरखी, अंगरखौं-पु०म० अंगरक्षक] १ एक प्रकार का बली-चिग्मी. घची। कमीज या कुर्ता । २ अचकन । ३ बड़े किले के चारों ओर अंगारक-पु० म०] १ सूर्य, रवि । २ मंगल ग्रह । ३ एक बने हा पनाह लेने के छोटे गड्ढों में से एक । अमर का नाम । ४ कोयना। ५ चिनगारी। अंग-रखौ-१० अदने स्वभाव का व्यक्ति (स्त्री० अंग-रखी)। अंगारक-चौथ-स्त्री० माघ शुक्ला चतुर्थी तिथि व इम तिथि अंगरण पु० [सं० अग--ग.प्रा. रण वस्त्र । का व्रत . अंगरस-पु० [सं०] १ किमी पत्ती या फली का रस (वैद्यक)। अंगारी-स्त्री० गायों के स्तनों का एक रोग । संभोग, सुरति ।। अंगारुउ, अंगारौं देखो 'अंगार'। ' अंगरह-पु० व्यायाम करने का स्थान, अखाडा । अंगि-१ देखो 'अंग' । २ देखा 'अंगी'। अंगिका-देखो ‘अगिया'। अंगराज-पृ० १ गजा लोम पाद । २ गजा कर्ग । अंगिखट--पु० सं० पट : अंग | वदों के छ अंग । अंगरी--पृ० १ कवच, मनाह । २ गोह के चमड़े या दस्ताना अंगित-देखो ‘इंगित। जो धनुप चलाते समय पहना जाता था। अंगिना-देखा 'अंगनी । अंगह-१० पुत्र, बेटा। अंगिया-स्त्री०० अंगिका | कंचकी, चोली. अगिका । For Private And Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लागियो अंगालियो अंगियौ देखो 'अंगरखौ' । देखो 'जांमौ' अंगूठ, अंगूठउ-देखो 'अंगूठौ'। अंगिरस-[.. एक प्रजापति । २ एक प्राचीन ऋषि । अंगूठी-स्त्री०१ मुद्रिका, अंगूठी। २ स्त्रियों के पांव की अंगुली ३ बृहस्पति । ६ तारा । ५ अंगिरासंहिता' के रचयिता का प्राभूषण । ३ दर्जी की अंगुली की टोपी। ऋपि । ६ अथर्ववेद के चौथे खण्ड का नाम । ७ एक अंगूठौ-पु० [सं० अंगुष्ठ| हाथ या पांवों की मोटी अंगुली, देव गगण । अंगूठा। अंगी-वि० सं० अंग+ ई] १ शरीर धारी। २ देखो 'अंग'। अंगूथली, अंगूथलीयक-स्त्री० मुद्रिका, अंगूठी । अंगीकरणी, (बौ)-देखो ‘अंगीकारगी, (वा)। अंगूथळी-पु० अंगूठे में पहनने का प्राभूषण । अंगीकार-पृ० सं० १ स्वीकार करना, मंजुर करना । २ ग्रहण | अंगूर-पू० [फा०] १ गीली या कच्ची दाख, किशमिश या करना, लेना। मुनक्का । २. उक्त फल की वेल । अंगीकारणौ (बी)-क्रि० [सं० अंगीकरणम् ] १ स्वीकार करना, अंगूरियौ-देखो 'अंगूरी'। मंजूर करना। ग्रहण करना, लेना। अंगूरी-वि० १ अंगूर का, अंगूर से सम्बन्धित । ० अंगरों से अंगीत-वि० [सं० अंगीकृत १ मंजुरशुदा, स्वीकृत । बना हुआ। ३ अंगुर के समान रंग का। २ गृहीत । ----पु. १ अंगूर का शर्बन । २ अंगुर जैसे रंग का वस्त्र । अंगीकृति-स्त्री० मंजूरी, स्वीकृति । -स्त्री० ३ अंगूर की शराब । अंगीठ-पृ० सं० अग्निस्था| १ अंगारा। स्त्री० २ अग्नि, अंगूलीयक-स्त्री० अंगुठी, मुद्रा (जैन) । प्राग । ३ दाह जलन । ४ देखो 'अंगीठी- वि०-अग्नि अंगे, अंगेई-क्रि० वि० १ कतई, नितान्त, विल्कुल । २ किचित, की तरह लाल । थोड़ा, लेशमात्र । ३ वास्तव में, वस्तुतः। ४ स्वभाव अंगीठी-स्त्री० [म० अग्निस्था, प्रा० अग्गिठा १ कोयले गे. प्रकृति से। जला कर भोजन बनाने का चूल्हा । २ भट्टी । अंगेजणौ, (बौ)-क्रि० १ स्वीकार या मंजूर करना। २ लेना, अंगीरौ-देखो 'ग्रंगारौ'। ग्रहगा करना। धारमा करना, मानना। ४ जिम्मेदारी अंगीली-पु० रस्सी बनाने में काम पाने वाली म्यूटी. मेख । वि०-- लेना । (स्त्री० अंगीली) स्वभाव के विरुद्ध प्राचरगा को सहन न अंगेठी-देखो 'अंगीठी' । करने वाला, स्वाभिमानी । अंग, अंगई -देखो 'अंगे। अंगुछौ-देखो 'अंगोछौ'। अंगोअंग, अंगोअंगि-क्रि० वि० १ देह के अनुसार, मन के अंगुठी-देखा 'अंगूठी। अनुसार । पूर्णरूपंगा। : अंग-प्रत्यंग मे । अगुठौ-देखो 'अंगूठौ'। --वि० युक्तियुक्त, ठीक, उचित । २ मम्पूर्ण, पूर्ग । अंगुरो- देखो 'अंगुरी'। अंगोछ, अंगोछियौ, अंगोछौ-पु. मं. अग-प्रोक्षगग] १. नोनिया, अंगुरिया देखो 'अंगुरिया' । गमछा। २. उपवस्त्र । अंगुळ, अंगुल-पु० म० अंगुल ] १ अंगुली, अंगुठ।। २ अंगुली अंगोट, अंगोटौ, अंगोठ-वि• अडिग, दृढ, अटल । के बगवर की लम्बाई । ३ पाठ जी के बराबर का माप । ...पु. १ अंग-प्रत्यंग। शारीरिक गटन, मुडौलना । ४ ग्राम का बारहवां भाग (ज्योतिष)। ५ हाथी की अंगोठी-देखो 'ग्रंगूठी'। मुटु का अग्र भाग। अंगोठौ-देखो 'अंगूठो'। अंगुळि, अंगुळी, अंगुळीय-स्त्री० [सं० अंगुलि १ हाथ या पांव अंगोपांग-पु० म० अंग--उपांग | अंग-उपांग । अंग-प्रत्यंग । की गली। : हाथी की संड की नोक । ३ नाप अंगोभव, अंगोभ्रम-पु० पुत्र, बेटा। विशेष । ४ अंगुठी, मुद्रिका। ---त्रांण-० अंगुली की अंगोल, अंगोलगू-पृ. १ पुत्र. बेटा। २ अग रक्षकः । टोपी। -यक-स्त्री० अंगुठी। अंगुसट, अंगुस्ट-देखो 'अंगूठौ । अंगोळणौ (बौ)-क्रि० स्नान करना, नहाना, धोना । अंगुस्ठासण, अंगुस्ठासन-पृ० सं० अगष्ठामन | योग के चौगगी अंगोळिया-त्री० नाइयों की एक शाखा । प्रागनों में से एक। अंगोळियौ-पु० १ ग्नानघर । पेशाबघर। ६ 'अंगोळिया अंगू-देयो अंग। जाति का नाई। For Private And Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org अंगाळी अंजागा अंगोळी-स्त्री० १ स्नान, मज्जन । २ स्नानागार । प्रकार काजल (अंजन) विशेष जिसको प्रांखों में लगाने ३ पेशाबघर । वाला अदृश्य हो जाता है । अंग्रेज-देखो 'अंगरेज'। -अरिस्ट-पु० रत्न। अंग्रेजी-देखो 'अंगरेजी'। ----केस-पु० दीपक, दीया । -केसी-वि० काजल के अंधड़-पु० [सं० अंघ्रि निम्नवर्गीय स्त्रियों के पैर के अंगूठे का समान काले केशों वाला (वाली) । -योग-पु० जेवर। ६४ कलाओं में से एक । —सळाक, सळाका-स्त्री० अंघियो-पु० जांघिया नामक अधोवस्त्र । सुरमा सारने की सलाका, सलाई । अंघ्रप-पु० [सं० अंघ्रिप] वृक्ष, पेड़ । अंजनवादी-वि० जिसकी अांखों में अदृश्य कर देने वाला अंजन अंघ्रि, अंघ्रिप, अंघ्रियस, ग्रंध्री, अंघ्रीयस-पु० [म अंघ्रि] १पैर । लगा हो। २ जिसने अदृश्य कर देने वाला अंजन बनाया हो। चरण । २ चतुर्थाश। ३ वृक्ष। ४ वृक्ष की जड़। अंजनांमिका-स्त्री० नेत्रों का एक रोग । अंच-देखो 'पांच'। अंजना-स्त्री० [सं०] हनुमान की माता । ग्रंचणी (बौ)-कि० म० अच्] १ बांधना, लटकाना । -नंद, नंदन-पु. हनुमान । २ लगाना, भूषित करना। ३ पुजना, पागधना करना। अंजनी-पु० मं०] १ काला अंजन । २ कटक वृक्ष। ३ घोड़ों ८ लेपन करना। का एक अशुभ चिह्न। ४ उक चिह्न बाला घोड़ा। - स्त्री०-५ गंध पदार्थो का लेपन करने वाली स्त्री। ग्रंचळ, अंचल-पु० [सं० अंचल | १ वस्त्र का छोर, पला। ६ अांख की पलक पर होने वाली फंसी, गुहंजनी । २ वस्त्र । ३ मीमांत भाग । ४ किनाग, तट । ५ गठबंधन । ६ वक्षस्थल पर रहने वाला स्त्रियों की अोढ़गगी का ७ हनुमान की माता। - चौथे नरक का नाम (जैन) पल्ला । ७ कुच, म्नन । ८ सीमा. हद । -ज, नंदन, पूत-पु० हनुमान । अंजरि, अंजरी-देखो 'अंजळी' । ----बंध-पु० वर-वधु का गठ-बंधन । अंजरूत-पु० गोंद । अंचळी-पु. १ साधु-संन्यासियों का ढील व मोटा कुर्ता, । अंजळ-१ देखो ‘अन्नजळ'। २ देखो 'अंजली' । चोला । - देखो 'अंचल'। अंजळउ देखो ‘ग्रंचळ'। अंचित-वि० सं०] १ पूजा हुअा, पूजित । २ प्रतिष्ठित, | अंजळि, अंजळी, अंजली-स्त्री० [सं० अंजलि १ दोनों हथेलियों मम्मानिन । ३ मुडा हुआ, झुका हुआ। ४ मिला हुआ. को कनिष्ठानों की ओर से सटाकर बनायी हुई मुद्रा । बना हुअा। ५ तप्त, नपाया हुअा। • इस मुद्रा का एक परिमारण। ३ इस मुद्रा में समाने अंच्या, अंछा-देखो 'इच्छा' । लायक वस्तु । ४ इस मुद्रा में भरा जाने वाला जल जा अंछाबस-वि० [सं० इच्छा-वण | लोभी, लालची। पितृ-तर्पण के काम आता है। ५ कर संपृट । अंछाबाळी-वि० लोभी। -- उपेत-वि० करबद्ध । अंछया-देखो 'इच्छा'। ---गत-वि० हस्तगत. प्राप्त । अंछया-संपत-पृ० या० म० इच्छा-मम्पति | धनपति कुबेर । -पुट-पु० कर संपृट । अंजरण-१ देखो 'अंजन'। २ देखो 'इंजन । --बंध, बध-वि० करबद्ध , हाथ में पाया हुया प्राप्त । अंजणकेस-पु. | सं० अंजन-केश] दीपक । -क्रि० वि० हाथजोड़कर ।। अंजणा-देखो 'अंजना'। अंजस पृ० १ अभिमान, गर्व । खुशी. प्रसन्नना। ३ यश, अंजणी-देखो 'अंजनी। कीति । -वि० गौरवान्वित, अकुटिल, मीधा । अंजणेव-पु० अंजनी पुत्र. हनुमान । अंजसणी (बौ)-नि० १ गर्व या अभिमान करना। २ खुणी अंजणौ (बी)- देखो प्रांजग्गो (बो)। मनाना। ३ गर्वोन्नत होना। अंजन-पु० [सं०] १ मृग्मा । २ काजल । ३ लेप । ४ रात्रि. अंजसा क्रि० वि० [सं०] १ शीघ्रता से, तुरन्त । • मीधाई गत । ५ स्याही । ६ माया । ७ पश्चिम दिशा। मे। ३ सच्चाई से। ८ उचित ढंग से । ८ इस दिशा का हस्ती। एक सर्प विशेष। १० एक -स्त्री० १ बेग, तेजी। २ मरलता। ३ मच्चाई । पर्वत का नाम । ११ वक्ष विशेष । १२ अग्नि । १३ एक अंजांण देखो ‘अजांगण' । For Private And Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंजारण अंजारणे देखो ‘ग्रजांगणे । अंडौ-पू० [सं० अंड] १ वह गोला या पिड जिससे अंडज अंजाम-ए• [फा०] १ परिणाम, नतीजा. फल । २ ममाप्ति, प्राग्गियों की उत्पत्ति होती है, अंडा । २ शरीर, देह, पिड । अंत। पति । इन्द्रा-मपनि । ३ देवालय के शिखर का कलश । अंजार-पु. एक तीर्थ का नाम । अंढी-पु० दिन का तीमग प्रहर । अंजीर -पृ० [फा०] १ गूलर जाति का एक वृक्ष । इम वृक्ष अंणंद-देखो 'पागंद' का फल जो रेचक होता है। अंणराय -देखो 'अगगय" अंजील-देखो ‘इंजील'। अंणहार-देखो ‘उणियार' अंजुरणौ, (बौ)-क्रि० अंकुरित होना । नंणियाळ-देखो ‘अग्गियाळी' अंजुळि, अंजुळी, अंजूळि, अंजूळी- देखो ‘ग्रंजळी' । अंणि, अंणी-देखो 'अगि' । देखो 'अणी । ग्रंज्या-देखो ‘अजा। अंत-पु० म०] १ समाप्ति, पूर्णता, इति, अवसान । २ मृत्यु । अंट-पु. १ भाग्य के लेख । २ अधिकार, कब्जा। ३ कलम : नाश, खात्मा। ४ सीमा, हृद। ५ छोर, किनारा । की नोक । ४ कलम । ५ लिखावट, लेख। ६ कवच ६ चरमसीमा । ७ वस्त्र का आंचल । ८ सामीप्य, का हक । ७ कमर के ऊपर धोती की लपेट, ऐठन । नजदीकी। ६ पड़ोम। १० उपस्थिति । ११ पिछला = जगरत, बदमाशी। कांटा या फास निकालने की। भाग । १. जीवन की ममाप्ति । १. परिणाम, नतीजा क्रिया १० ऐंठन । १८ शब्द का अंतिम अक्षर। १५ प्रकृति स्वभाव । अंट-संट-वि. १ व्यर्थ, निरर्थक । २ अस्त-व्यस्त । १६ प्रलय । १७ अन्तः करा, अन्तरात्मा। १८ यमराज, प्राणी, (बी)-क्रि० १ छल-बल से किसी वस्तु या धन को | अतक । १६ पूर्ति । २० अंतिम भाग ___कब्जे में करना। २ छीनना।। वि० १ ममाप्त, पूर्ण। • नाट, खत्म । ३ अखीर । अंटि, अंटी-स्त्री० [सं० अंड या अष्ठि, प्रा० अट्ठि] १ कमर ४ निकृष्ट, नीच । ५ असीम, अपार । ६ अत्यधिक, बहुत । के ऊपर धोती की लपेट, ऐंठन । २ अंगुलियों के बीच की ७ सुन्दर, प्यारा । ८ लधुतम, छोटा । ६ पीछे का, जगह । ३ तर्जनी पर मध्यमा को चढ़ाने से बनने वाली पिछला। मुद्रा । ४ चलने या भागने वाले को दी जाने वाली पैर की क्रि० वि० १ अन्त में, आखिरकार । २ देखो 'ग्रांत' पाड़ । ५ सूत या रेशम की गुंडी । ६ मूत लपेटने की -----अक्षरू-आखर-पुल पद,शब्दया वर्णमाला का अन्तिम वर्ण । लकड़ी। ७ अधिकार, कब्जा । : क्षमता। १ विरोध । ---- करण-पु. हृदय, मन, अन्तरात्मा । वि०-नाश करने १० लड़ाई, झगड़ा । ११ बिगाड़, नुकमान । १२ कुश्ती का दाला, मंहारक। दाव। करम-पृ० अन्त्येष्टि क्रिया. अंतिम संस्कार । अंड-पु. [सं० अंडः १ अंडा । २. अंडकोश । ६ ब्रह्माइ। कार, कारक-पृ० यमराज । -वि० महार करने वाला। ४ शिव का एक नामान्तर । ५ मग-नाभि । ६ वीर्य ।। - काळ-१० अन्तिम ममय,अवमान, इति । मृत्यु का समय । 3 कस्तूरी। ८ कामदेव । ६ कोश । १० सुवत । --किरिया-स्त्री० अन्त्येष्टि क्रिया, अन्तिम संस्कार । - कटाह पु० ब्रह्मांड, विश्व । ---कुटिळ-वि. कपटी, धोखेबाज ।। - कोस-पु. वृषण, फाता। -- ऋत, क्रित-पु० यमगज । वि. महारक । -ज. ज्ज-पु० ब्रह्मा। अंडों से पैदा होने वाले जीव । -क्रिया-स्त्री० अन्त्येष्टि क्रिया ।--अर-'अंन पावर' अंडबंड-पु. ऊटपटांग, अमम्बद्ध, व्यर्थ का गत-वि० मृतिः प्राप्त करने वाला। पृ० मोक्ष, निर्वाण । अंडब्रद्धि, अंडबधी, अंडवृद्धि, अंडबधी स्त्री० [सं० अंडवृद्धि] एक मूत्र । अडकोश बढ़ने का एक रोग विशेष । ---गति स्त्री० मीत, मृत्यु । अन्तिम दशा । वि० अन्त को अंडाकार, अंडाक्रति-वि० सं० | अ के समान गोल । प्राप्त होने वाला । नष्ट होने वाला। अंडियौ - वि० १ नमक । २ कमजोर, निर्बल । देखो 'अंडो' घाती--वि० दगाबाज, कुटिल, घातक । देखो 'प्रांड' । ...चर-पु० सीमा पर जाने वाला, कार्य पूरा करने वाला। अंडी-देखो रंडी'। -- ज-पु० न्यून कुलीन व्यक्ति, शूद्र । वि० अछूत । अन्न पंडे-ग्रव्य, यहां । का, अन्तिम । For Private And Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अंत www.kobatirth.org - जथा स्त्री० डिंगल काव्य रचना की एक प्रणाली । -बिन- पु० मृत्यु दिन, धायु का अन्तिम दिन । -पाळ- पु० द्वारपाल । मंतरी । दरबान । सीमांत प्रहरी । प्रतिहार । --पुर- पु० रनिवास, हरम । - पुळ- पु० अन्तिम समय --वरण, वरण-पु०यन्तिम व -मेळ- पु० दोहा नामक छन्द जिसके प्रथम चरण और अंतिम चरण का तुकांत मिलता है । - विदारण--पु० सूर्य व चन्द्र के दश प्रकार के मोक्षों में से एक । " - समय, समं समौ पु० ग्रंतिम समय अवसान काल - स्नान पु० यवनानहीन वि० श्रीम अपार । अंतक, १ यमराज । अंतकराय-पु [ सं . अंतक - राज ] २ शनिश्चर । डर भय ४ महादेव, रुद्र ५ मृत्यु । मौत ६ सन्निपातक ज्वर । वि० नाश करने वाला । लोक- पु० यमपुरी । अंतकापुर, अंतकापुरी स्त्री० १ तीर्थ स्थान । २ देखी 'अंतकलोक ' अंतरा - वि० [सं० अंतक ] १ पारंगत, निपुणा । २ संहारक | पु० यमराज | अंतगड - पु० १ जन्म मरण से मुक्त तीर्थंकर । २ एक सूत्र का नाम (जैन) मोक्ष, निर्वाण । अंतत - प्रव्य० | सं०] १ आखिरकार अंत में । २ सब से पीछे ३ कुछ-कुछ। ४ प्रन्दर, भीतर । अंतरंग, अंतरंगी - वि० १ प्रभिन्न, घनिष्ठ । २ विश्वस्त । ३ प्रतिप्रिय । ४ भीतरी, आन्तरिक । ५ मानसिक । ६ भेदिया । पु० घनिष्ठ मित्र । २ भीतरी अंग, हृदय, मन । ३ विश्वस्त व्यक्ति । -क्रि० वि० बीच में, दरम्यान । अंतर-गु० [सं०] १ २ अलगाव | ३ भीतरी भाग ४ आत्मा, मन, हृदय । ५ अवकाश । ६ अवधि, काल । ७ भिन्नता, विभेद 5 फासला, दुरी । ग्रोट ग्रा । १० परदा ११ छिद्र, छेद, रंध्र । १२ जल, पानी १३ समय अवधि । १८ विछोह, वियोग | १५ पार्थक्य, जुदाई । १६ छल, कपट । १७ नर्क की मंजिल । १= श्रग्नि १९ अन्तःपुर । २० फर परिवर्तन | २१ भेदभाव परायापन | २२ हिसाव की भूल । २३ विषमता । २४ शेषांश २५ इत्र | वि० १ भीतरी । २. प्रिय, प्यारा । ३ अन्तर्धान, अलोप ४ भिन्न, दूसरा ५ समान । क्रि० वि० अन्दर भीतर २ समीप, पास में । ३ मध्य में, बीच में । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -आत्मा, आत्मा स्त्री मन, आत्मा, प्रन्तःकरण । い ब्रह्म मूलतत्व | सार ་ --कांण, कांणम, कांरणी - स्त्री० तराजू के संतुलन का दोष या फर्क प्रतर- मुख - गत- वि० भीतरी, अन्तर्भुत । अधीन । सम्मिलित । गुप्त आत्मिक, मानसिक क्रि०वि० बीच में, दरम्यान । - गति स्त्री० प्रान्तरिक दशा मन का भाव, चित्त वृत्ति । भावना, इच्छा । -- गिरा- स्त्री० अन्तःकरण की आवाज । --ग्यांन पु० आत्मज्ञान, सूक्ष्मज्ञान । -घट पु० हृदय, श्रन्तः कररण | ---चकर, चक्र- पु० शरीरस्थ छे चक्र । पक्षियों की आवाज के अनुसार शकुन विचारने की विद्या । -छाळं-स्त्री० वृक्ष की छाल के नीचे की झिल्ली । जांमी, वि० मन की बात को जानने वाला । भुत, भविष्य को जानने वाला, त्रिकालदर्शी । पु०ईश्वर । -दवार, द्वार -- पु० गुहा-द्वार। खिड़की । -दसा स्त्री० मन की अवस्था । ग्रहों की चाल का विधान (ज्योतिष) - दाह-स्त्री० भीतरी जलन (रोग) । विरह की प्राग । कष्ट, पीड़ा। ईर्ष्या, द्वेष | -दिस, दिसा स्त्री० विदिशा कोण । --द्रस्टी, द्रस्टी स्त्री० [प्रांतरिक सूक्ष्म । ग्रात्मचितन । -धांन, ध्यान-विल्लोप, ग्रोझल । तब्लीन, मग्न । -पट- पु० परदा, ग्राड, ओट छिपाव, दुराव । औषधि का संपुट । ग्राड़ बनाने का वस्त्र । - पणौ1-पु० घनिष्ठता, आत्मीयता, अपनत्व | --पुरख, पुरस-पु० ईश्वर | आत्मा | -पुरी-स्त्री० स्वर्ग, वैकुण्ठ । 1 --बंध- पु० ग्रात्मज्ञान, अध्यात्मज्ञान । विप्राश्नवलि । 1 For Private And Personal Use Only भाव, भावना पु० मन का भाव प्राशय प्रयोजन । भावना | ग्रात्मावलोकन | आत्मचितन । -भूत वि. मिला हुआ। संयुक्त ग्रस्तित्व वाला | मध्यमत पुरु जीवात्मा । -मुख वि० जिसका मुख भीतर की ओर हो। गुरुग्रा Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रतर-यांमी www.kobatirth.org रिक फोड़ा या फुंसी । शल्य चिकित्मा की कैची । कि० वि० भीतर की ओर उन्मुख । -यांमी-'अंतरजांमी' रत, रति स्त्री० रति क्रिया का एक आसन । लोण, लीन- वि. जो ग्रात्म चिन्तन में लीन हो ध्यानावस्थित। भीतर छुपा हुआ । -वस्त्र- पु० मुख्य वस्त्र के नीचे का वस्त्र । अधोवस्त्र | विकार - पु० भूख-प्यास आदि शारीरिक धर्म ! मन का विकार । , वेग - पु० उत्साह, स्फुति । उमंग। प्रशांति चिता । छींक, पसीना आदि आन्तरिक वेग । ज्वर विशेष । वेदना- स्त्री० अशांति, दुःख, कष्ट पीड़ा। मानसिक कष्ट । -संचारी- - पु० वे अस्थिर मनोविकार जो काव्य में रससिद्धि करते हैं। २ तीर्थ की परि संपाड़ौ, सनांन पु० यज्ञान्त स्नान, प्रवभृत, स्नान । अंतर- अयण पु० १ एक देश का नाम । क्रमा । ३ तीर्थ यात्रा । अंतर-१ देखो 'ग्रांतरों' । २ देखा' अंतरी' । ३ देखो 'अंतर' | अंतरलापिका-स्त्री० यौ० वह पहेली जिसका अर्थ उसी के शब्दों में होता है । अंतरवेद, अंतरवेध-पु०यौ० [सं० अन्तर्वेद | गंगा यमुना के मध्य मथुरा प्रदेश का प्राचीन नाम । अंतरवेदी - पु० [सं०] [अन्तर्वेदी] उक्त प्रदेश का निवासी अंतरसेवी-देखो 'अंतरेवी' | अंतराई, अंतराय स्त्री० [सं० तस्य या अंतराय १ विघ्न, बाधा । २ दूरी, फामला । ३ भेद, भिन्नता ४. समय अवधि ५ दो घटनाओं के बीच का समय अवकाश । | अंतस्थ वि० [सं०] अन्दर की ओर स्थित, भीतरी 1 ६. अड़चन, दिक्कत। ७. योग सिद्धि को नौ बाधाएं व्याधि, स्त्यान प्रमाद, संशय, आलस्य, अविरति भ्रांतिदर्शन, ग्रन्ध भूमिकत्व व अनवस्थित तत्व । = विपन्नावस्था १० आठवां कर्म जो आत्मा के अनन्त वीर्य रूप गुरण का घातक होता है। (जैन) ११ रुकावट रोक १२ मन मुटाव | अंतरायण - वि. नजरबंद, मोह में आबद्ध अंतरायांम पु० एक प्रकार का वात रोग । अंतराळ, अंतराळ- पु० [सं० अन्तरालम् | १ ग्राकाश, नभ । २ घेरा, मंडल । ३. घिरा हुआ या बीच का स्थान या भाग ४ बीच का समय मध्यान्तर । पु० अभ्यंतर । -क्रि० वि० १ बीच में । २ देखो 'यंत्र' | अंतराळ सं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंतरास देखो 'अंतराय' अंतरि देखो 'अंतर' अंतरिक अंतरिक्ष अंतरिक्ष अंतरिख, अंतरिखि, अंतरिन्छ, अंतरिछ- पु० [सं० अन्तरिक्ष | १ आकाण अन्तरिक्ष | एक केतु ४ एक प्रसिद्ध योगेश्वर २ स्वर्ग ५. ऊंचा स्थान । ६ भूला । - वि० गुप्त, अप्रगट २ अंतर्धान लुप्त 1 अंतरित - वि० १ अन्तर्धान लुप्त । २. भीतर रखा हुआ । ३ ढका हुआ । अंतरी- वि० भीतर की २ मार्मिक कठोर । अंतरीक अंतरीख- देखो 'अंतरिक' अंतरीज - पु० [सं० अंतःकरण | हृदय, अन्तःकरण | अंतरीप पु० [सं०] १ द्वीप, टापू । २ समुद्र में दूर तक गया हुआ पृथ्वी का भाग । अंतरीय पु० [सं०] अधोवस्त्र | अंतरे देखो 'प्रांतरें । अंतरे देखो अंतरिक अंतरेवी जाने वाला टांका। पंति लहंगे की लम्बाई करने के लिये बीच में लगाया अंतरं- देखो 'प्रांतरे । अंतरी- पु० गाये जाने वाले पद का चरण । २ देखो 'प्रांत' देखो 'प्रांतरी ४ देखो 'अंतर' | अंतay - पु० रावण का एक योद्धा । अंतवरण-पु.] शूद्रवर्ण । २ अन्तिम वर्ण या ग्रक्षर । अंतस पु० [सं०] १ हृदय मनःकरण २ चित्तवृति भावना ३ हार्दिक इच्छा ४ बुद्धि | - पु० यरलव वर्ग जो स्पर्श और उष्म वर्गों के बीच के माने जाते हैं । For Private And Personal Use Only अंतकरण पृ०पी० [सं०] अंतकरण १ मा । २ भावना । ३ बुद्धि, विवेक । ८ अन्दर की इन्द्रियां । तहपरिजन, अंतहपरोजन - पु० यौ० अंतःपुर के दास-दासी । अंतहपुर, अंतहपुरग्रह, अंतहपुर, अंतहपुरी-पु०यी | संयंतःपुर | रनिवाम, जनानखाना । अंताक्षरी, अंताखरी स्त्री० [सं० प्रत्याक्षरी | पुर्व पठित उद या कविता के अंतिम वर्ग से अगला पथ प्रारंभ करने की प्रतियोगिता | ताळ, तावळ देख तावदेव उतावळ ति० [सं० [पय] निय 1 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir याधू णू प्रादेस पण, (ण! 1-शि वि० पश्चिम की ओर । प्रादाब-पु० [अ०] १ नियम, कायदा । २ लिहाज, इज्जत । गाय एक 'साथ' के बदले वृपक का कार्य करने वाला व्यक्ति। ३ अभिवादन । ---अरज-पु० निवेदन । प्राण-देखो 'प्राथूरा'। आदासीसी-देखो 'याधासीसी'। प्रायोमण (मणी)- वि० प्रयोजन वाला । प्रादि-वि० [सं०] १ प्रथम, पहला । २ प्रारम्भ का । अादत-नि० वि० सं० प्रायंत प्रारम्भ से अन्त तक । -वि० ३ बिगुल, नितांत ८ मूल अग्र । -पु० १ उत्पत्ति स्थान । ग्रादि तथाल। २ प्रारम्भ । ३ दुनियाद। ४ मूलकारग ५ ईश्वर । ग्रादतर-देतो शान्तर'। ६ पुत्री। ---अव्य० इत्यादि । वगैरह। अाद १ देशी गाया' । २ देखो 'ग्रादि' । ३ देखो 'इत्यादि'। प्रादिकवि • [0] वाल्मीकि ऋषि जिन्होंने सर्व प्रथम आदक-वि० [सं० आदिक] १ आदि, प्रथम । २ प्रारम्भ छोक काब्य को रचना की थी। २ शुक्राचार्य । वा, अरूका । ३ नितांत । -पु० एक प्रकार का रोग । प्रादिकारण -पु०सं०] मूलकारण, पूर्वनिश्चित बात । बदक-प्रत्य इत्यादि। प्रादि सुगाद (दि)-कि० वि० सष्टि के प्रारम्भ से अंत तक । आरकवि (कयो)-देवो सादिकवि'। डादित, (वित्त दि)-पु० [सं०ग्रादित्य] १ मूर्य । २ इन्द्रादिक पाद जथा पीगिन गीतों की रचना का एक नियम । देवता । ३ द्वादश ग्रादित्यः - विष्णु का पांचवां अवतार । आदजुगार, (दि, पी)-देखो बादिजमाद' । पुन, सुनु पु० अदिति पुत्र, देवता । सूर्यपुत्र । मग दिल-पु. का प्रवहन] दाल, चावल आदि पकाने के ब्राह्मण । -गर-पु० रविवार । लिए गर्म किया जाने वाला पानी। | प्रादिपक्य. (ख)-देखो 'प्रादपख' । प्रादत, (ति)-स्त्री. ] १ स्वभाव, प्रकृति । प्रादिपुरुक्सा, (पुरस)-पु० [सं० आदिपुरुप] १ विष्णु, ईश्वर । अन्नान । ३ देव । मातिया. आदत्या-पु० [सं० यादितेय ] देवता । अादिन-दे की 'यादम'। ग्राद नि. वि० आदि, इत्यादि । अादियारापात, प्रादियासगत (सी)-स्त्री० [सं० श्राद्य शक्ति] डावखरणी, चिफेस्वरी)--श्री राठौड़ों की कुल देवी। १ दुगः, देवी । २पावती। प्रादपर, प्रादापख-पु. [सं० प्रादिपक्ष कृष्ण पक्ष । आदिपाठ, सादिषा-देयो 'शाधिनौ' । प्रादपुरख, (रस)-देवो 'शादिपुरख' (स) । प्रादिरस-खो 'अादरस'। आदभ-पु० [अ] १ मानव सृष्टि का आदि पुरुष । २ मनु । | आदिल-वि० [अ०] १ उदार । २ न्यायी। ३ महादेव । -चस्म-पु० मनुष्य को सी प्रांखों आदिवराह-पु० [सं०] १ विष्णु का वराह अवतार । २ शूकर, वाला घोड़ा। सूपर। आदमी पृ० [अ०] (स्त्री० पावभग्ग) १ आदम की संतान, प्रादिविपुळा-स्त्री० ग्रार्या छन्द का एक भेद । मतप्प, मानव । २ पति । ३ मजदुर । आदिसराव-पु० [सं० नादिधाद्ध] मृत्योपरान्त मृतक के पीछे प्रादर-पु .] १ सम्मान, इज्जत । २ आस्था, था। ग्यारहवें दिन किया जाने वाला श्राद्ध । ३ गकार, शिष्टाचार । आदी-वि० [अ०] १ अभ्यस्त । २ अादत वाला । ३ देखो 'पादि' । आदरखौ (वी)-कि० १ मम्मान व इज्जत करना । २ सत्कार | प्रादीत, अादीता (तो)-देयो 'यादित' । करना । ३ थद्धा रखना । ४ महत्व देना। ५ स्वीकार | आदीस्वर-पु० [सं० यादीवर १ जैनियों के प्रथम तीर्थ कर । करना । ६ निश्चय करना, रढ़ करना । ७ प्रारम्भ करना। आदरस गु० [सं०पादर्श] १ दर्पण, शीशा । २ अनुकरणीय | प्राद- वियादि१पाभका, आदिहालक । २ बुनियादी। वायं । ६ नमूना। ___ --ख -वि. निर्दोग, स्वच्छ । आदरा (रियौ)-देखो ‘ग्राद्रा'। आदरणी-नि:स्त्री० प्रादुगा) परम्परागत । बादली-श्री० [अ० अदन] न्याय, इन्साफ । प्रादूपंथी-पु. हिवादी'। यादवराह देखो 'ग्रादिवराह' । | आपरा, (परगो)-T० शुन्यात, आदि । प्रादसगत-देना 'पादियामगत' । प्रादेस (लि)-पु० [सं० श्रादेश] : ग्राजा, हाम । २ उपदेश । आदान-पु० [सं० अादान] ग्रहण, स्वीकार । -प्रदान-पु.। ३ नमस्कार, प्रणाम । ४ निर्देश । ५ ग्रहों का फल । परम्पर लन-देन । वस्तु विनिमय । ६ अक्ष परिवर्तन । (व्याकरण) For Private And Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अंतिक - क्रि० वि० आखिरकार अंत में । श्रंतिक - क्रि०वि० अन्त तक पहुंचने वाला । ---पु० पढ़ीम, सामिप्य मानिव्य " [सं०] पास, समीप, निकट । वि० पास का, www.kobatirth.org अंतेस्टि तेरी देखो 'प्रत्येस्टी' | [ ९ ] अंतपुर- देखो 'तहपुर' | - पु० [सं०] अन्तिम वर्ग में उत्पन्न व्यक्ति द ---वि० नीच, दृष्ट 1 । अंतिम - वि० [सं०] १ सब से पीछे या अन्त का आखिरी । २ सब से बढ़कर | -जातरा, जात्रा, यातरा, यात्रा स्त्री० महा प्रस्थान, मरगा, मृत्यु | अंदाद देखा 'पा''। अंतेउर, अंतेउरि, अंतेउरी, अंतेवर, अंतेवरि अंतेवरी -स्त्री० १ अन्तःपुर की रानी, ठकुरानी । २ स्त्री पत्नी, भार्या । --० धन्यःपुर। अंदार, अंदारी- देखो 'अंधारी' | अंदाळी- देखो 'वारी' | अंदाळी-देखो 'अंधारी' । ! अंतेवासी - पु० [सं०] [स्तेयाम ] १ शिक्षा गुरु के पास रहने अंदाही अंदाहोळी रेखी 'पाळी' । वाला शिष्य । २ भंगी, हरिजन । दिवारी-देखो 'प्रधारी । प्रत्यवरण-पु० [ सं० ] १ अंतिम वर्ण, शूद्र वर्ण । २ वर्णमाला का अंतिम वर्ण । ३ किसी कविता या छंद का अन्तिम अक्षर । अंत्यविळा-स्त्री० [सं०] का एक भेद अंत्याक्षरिका, अंत्याक्षरी स्त्री० [सं०] ६४ कलायों में से एक । अंत्यानुपरास, अंत्यानुप्रास - पु० [सं० ग्रंत्यानुप्रास | किमी छन्द या कविता की पंक्तियों में तुकांत मेल से बनने वाला एक शब्दालंकार | स्पेस्टिस्पेस्ट-स्त्री० [सं०] अन्त्येष्टि ] शह-संस्कार, अंतिम संस्कार | अंत्र, यंत्रक, अंत्राळ-स्त्री० प्रांत, प्रांत । अंदाजन अंदाजी - देखो 'अंदाज' | अंदाता-देखो 'ग्रन्नदाना' । अंक-१ देखो 'अंधक' । २ देखो 'अंक' । अंदर कि०वि० [फा०] १ बाहर ही भीतर २ देखी 'इ। अंदरी वि० [फा०] १ बारिक भीतरी २ देखो 'इन्ट्री' | अंदरूणी, अंदरूनी - वि० [फा. अंदरूनी ] भीतरी, ग्रान्तरिक । - दे तरीका ३ युति, अंदाज पु० [फा०] १ अनुमान अटकल | ४ करीब, लगभग ५ नाप-तौल ६ हाव-भाव, चेष्टा । ७ उचित मात्रा । 2 वि० [फा०] करीवन धनुमानतः अनुमान से Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रदु, अंदुआ देखो 'अंदुक' | अंक पु० [सं०] १ हाथी का पैर बांधने का समा, सांकल श्रृंखला | २ हाथी के पैर में डालने का कांटेदार यंत्र । ३. स्त्रियों के पैर का ग्राभूषण, पायजेव । " चंदेख, प्रदेसी- पृ० [फा० संदेशा १ संजय संदेह भ्रांति । ३ प्राशंका, संभावना, भय । ग्रंथरूप २ भ्रम, ४ अनुमान, अंदाज पिता, फिक, सोच ६ असमंजस, ग्रागापीदा। बंदोरान शोर चंद्र-०१ देखी 'बांध देखो ' संद्रजीत देखो 'इंद्रजीत' । सत्र देखो 'इंद्रसस्त्र' | --कूज, कूजन - पु० ग्रांतों की गड़गड़ाहट । प्रांतों की ग्रावाज । -यदि वधी स्त्री० प्रांतों का रोग कोण यदि का एक रोग । मंत्री० [० त्रास से वाली मंत्र, मंद्रिय मंत्री चंद्रीय देखो 'डी' । फुंसी, फोड़ा अंत्रावळ, अंत्रावळि, अंत्रावळी, अंत्रावाळ, अंत्रि- देखो 'यंत्र' | अंद-पु० १ दोष, पाप । २ देखो 'इंद्र' । ३ देखो 'अं' । ४ देखो अंक ५ देखी । --संद राजा गु० एक देशी खेल विशेष । दोळणौ (बौ) - क्रि० १ प्रांदोलित करना, विलोड़ना । २ हिलाना । ३ इधर-उधर करना । श्रंदोह - पु० १ दुःख, संताप । २ खटका खतरा । ३ निता फिक्र ४ खेद । वि० दुखद | देखो''। चंद्रायल इंद्रायण चंद्रासरण देखो 'द्रासरण' । For Private And Personal Use Only अंध - वि० [सं०] १ दृष्टि हीन, अंधा । २ अत्रेत असावधान । ३ निर्बुद्धि, जड़. बुद्धि । ४ उन्मत्त, पागल । - पु० १ अंधा प्राणी । २ अंधेरा, अंधकार । ३ जल, पानी । ४ एक मुनि ५ अंधकार शिकारील गीतों का काव्य संबंधी एक दोप देखो 'ध' | - क पु० १ एक दैत्य । २ ने ज्योतिहीन व्यक्ति । - कार - पु० १ यं । २ पाताल ३ शिव ४ अज्ञान । ५. मोह-कारी पृ० १ शिव, महादेव २ एक रागिनी । -कूप- पु०१ घास-फूस से भरा सूखा कुप्रा । २ एक नरक का Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधक [ १० । अंबा नाम । ३ अज्ञान । ८ घोर अंधकार ।-खोपड़ी-वि० | अंध्र-देखा 'प्राध' वृद्धि रहित मस्तिष्क वाला, मूर्ख ।--घाती, अंध्रय-पु. एक देश का नाम । घातीक-पु० शिव । सूर्य । चन्द्रमा । अग्नि । दीपक। अंन-देखो 'अन्न'।-दाता, दातार 'अन्नदाता' । ड़ पु० गांधी, तुफान । ण-स्त्री० अन्धता। अंधापन । ---पूरणा - ग्रन्न पूरणा' । - तमस पु० घोर अंधकार । - ता-स्त्री० दृष्टिहीनता अंनार-देवो 'अनार' । की स्थिति, अन्धापन । नेत्रों का एक रोग । मूर्खता, । अंनि, अंनेरौ-देखो 'अन्य' । अज्ञानता । ....नामस, तामिस्र-पु० घने अंधकार वाला अंनेसडौ-देखो 'अनेमौ' । एक नरक। घोर अंधेरा । -परंपरा-स्त्री० अंधानुकरण अंब, अंबक-पु०-[सं०] १ णिव, महादेव । २ चन्द्रमा । मात्र । भेड़ चाल ।-पूतना-स्त्री० बालकों का एक रोग। ३ अाभा, कांति । ४ देखो 'अंबिका' । ५ देखो 'अंबुधि' । ---विसवास, विस्वास-पु० रूढ़िगत संस्कार । विवेकहीन ६ देखो 'अंबु'। ७ देखो 'अंबुद' । ८ देखो 'ग्रांबौ' । धारण ।-सुत-पु. धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव ।। ६ देखो 'अंबर'। १० देखो 'ग्रंबा' । ११ पिता । १२ अांख, अंधक --पृ० मं०] कश्यप व दिति का पुत्र एक दैत्य । नेत्र। - रप, रिप, रिपु, रिम-गु० शिव, महादेव । अंबकास, (खास)-देशो 'यांमखाम' । बिस्णि गु० मार देश का गजा व कुंति का पिता। अंबकेसर, (केस्वर)- देखो 'अंबिकेस्वर' । अंधकार-१० ग] १ अंधेरा । २ पाताल। ३ शिव, शंकर। अंबज-देखो ‘अंबुन' ।। ४ अजान, माह। अंबजंत्र-पु० फव्वाग। अंधकारयुग-पृ० तिहाम का अजातकाल । अंबंध (धि) देखो 'अंबुधि' । अंधाधुध कि० वि० १ बिना किसी नियम या मिलमिले के। अंबनिध (निधि)-देखो 'अंबुनिधि' । २ बेहताशा । ३ बिना विचार के । ४ अधिकता से। अंबर-पुल-मं०] १ अाकाश, नभ । २ वस्त्र। ३ कपाम । ... पृ. १ अव्यवस्था, गड़बड़ी । २ अन्याय । ४ कमर । " इत्र । ६ एक मगंधित द्रव्य विशे।। ७ अमृत । नीगामस्ती। ४ घोर अंधकार । ८ अभ्रक । ९ अामेर नगर । १० घेरा, परिधि । ११ पड़ोस । अंधारक-पु० [सं०] अंधेरा, तिमिर । १२ पाप । १३ शून्य । १४ बादल । १५ देखो 'ग्रांबौ' । अंधारी स्त्री. १ हाथी के कुंभस्थल का प्रावरण । २ अंधड़ गांधी। --चर-पु० पक्षी। प्राकाण में घूमने वाला । --डंबर-पु० ३ अंधेरा, अंधकार। ४ दृष्टिहीनता की दशा। ४ मूछा। सूर्यास्त का समय । संध्या की लालिमा ।- मरिण पु. सूर्य । ६ कृष्णपक्ष की रात्रि । ७ योगियों द्वारा रखी जाने - राव-पु० सूर्य । वाली चिमटी। ८ वैल की प्रांखों पर बांधने की पड़ी। अंबरखेल, (वेलि)-देखो 'अमरबेल । ----वि० अंधकारमय । | अंबराई स्त्री० संपाम्र-गजि| ग्राम वृक्षों की पंक्ति, ममुह । अंधार, अंधारु, अंधारू, अंधारी, अंधियार, अंधियारी-पु. [सं. ! | अंबराळ-पु० [सं० अंबर-रा-+याळ| प्राममान, अाकाश । ग्रंधकार, प्रा०-अंध्यार] १ अंवेरा, अंधकार । २ धुंधलापन । अंबरि-देखो 'अंबर'। --पख-पृ०--कृष्ण पक्ष । अंबरीक, (ख, स ), अंबरीसक-पृ० [मं० अंबरीप| १ विष्णु । २ शिव, महादेव । ३ सूर्य, सूरज । ४ एक मुर्यवंशी अंधियारणौ (बौ)-कि० अंधेरा होना, अंधेरा करना। राजा । ५ भाड़। ६ एक सर्प । अंधियावरणौ-वि• धुंधला, अंधकार पूर्ण, । अंबवेळा-पु० [सं० अम्बु-वेला । समुद्र, सागर । अंधीझाड़, अंधोझाडौ-देखो 'अांधीझाडौ' । अंधेर- देखो 'अंधारी अंबस्ठ-पु० [सं० अम्बाठ] १ चिनाब नदी के पास बसा एक प्राचीन जनपद । २ उक्त स्थान का निवासी। अंधेरखाती-पू०म० अंधकार-1 फा० खातो] १ अव्यवस्था, अंबस्ठा-स्त्री० म अम्बष्टा| मानती। कृपबंध । २ व्यतिकम । ३ अविवेक । ४ अनाचार। अंबहर, अंबहरि पृ० म० अम्बुधर १ इन्द्र। २ बादल । अंधेरी-स्त्री. बैलों के प्रांखों पर की पट्टी (मेवात)२ देखो 'अंधारी' ३ समुद्र, सागर । ८ अाकाश, प्राममान । ५ देखो 'ग्रंबुहर'। अंधेरौ-देखो 'अंधारी'। | अंबा-स्त्री० [सं०] १ देवी, दुर्गा, शक्ति । २ माता, जननी। अंधौ-देवो 'प्रांधा'। ३ पार्वती, उमा। ४ काशीराज की बड़ी पुत्री । ५ शीतला अंध्य-देखो 'यांन'। मातृका । ६ पृथ्वी, धरती। ७ ग्राम । ८ यमुना की एक अंध्यारी देखो 'अंधारी' ।। नहायक नदी। -देवी-स्त्री. देवी,दुर्गा ।-पौहरण पु. शीतला For Private And Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंबाड़ी | ११ ] ग्रंवारियां की सवारी, गधा। - य, यजी-स्त्री. दांता गज्य की नामान्तर । आराध्या देवी। अंबु-देखो अंबु'। अंबाड़ी-स्त्री० १ हाथी की पीठ पर रखा जाने वाला हौदा। अंबूऔदही-पु० खट्टा दही।। २ पौधा विशेष जिमकी छाल से रस्सी बनती है। अंबूडौ-देख 'प्रांवो'। अंबाडौ-वि० मिलने वाला। अंबोड़ल, अंबोड़ो-पु० [सं० आम्र-चूड़क]-१ केरीनुमा चोटी, अंबार-पु० [फा०] ढेर, समूह । राशि । वेगि। २ एक प्रकार का जूड़ा। अंबारत, अंबारथ-देखो 'इमारत' । अंबोद-देखो अंबुद' । अंबारी-देखो 'अंबाड़ी। अंबाळा, अंबाळिका, अंबाळी-स्त्री० [सं० अंबालिका १ काशी अंभ-पृ० [सं० अंभस्] १ जल, पानी। २ इज्जत, मान, नरेश की कन्या ।२ मालती लता । ३ जननी, माता। प्रतिष्ठा । ३ प्राकाश, नभ । ४ लग्न से चौथी राशि । ५ चार की संख्या । ६ देव । ७ असुर । ८ पितर । अंबि, अंबिक, अंबिका, अंबिको- स्त्री० [सं० अम्बिका] ह राशि । १० बादल । ११ देखो 'अंबा' ।-ज-पु. १ माता, जननी, दुर्गा, पार्वती। ३ माधवी लता। चन्द्रमा । सारस पक्षी । कमल । -द, धर-पु० बादल, मेघ । ४ काशीराज की मध्यमा पुत्री। ५ जैनियों की एक देवी । -धि, निध, निधि, रासि-पु०समुद्र,सागर । -आलय-पु० देवी का मन्दिर ।-नाथ पत, पति-पु. -रुह,रू,रूह-पु० कमल । सारस । शिव, महादेव ।-वन-पु० पुराण प्रसिद्ध इलाव्रत खण्ड अंभा-देखो 'अंबा'। जहां जाने से पुरुष स्त्री हो जाते थे ।-सुत-पु० धृतराष्ट्र। अंबिल-देखो 'ग्रामिल' । अंभोज, अम्भज-पु. १ कमल । २ चन्द्रमा । ३ मोती । अंबोहळद (दो)---देखो 'प्रवाहळदी'। ४ शंख । ५ घोघा । ६ वज्र। ७ जल से उत्पन्न वस्तु । ८ ब्रह्मा। ९ बत। १० सारस पक्षी। ११ ब्रह्मा की अंबु-पु० [सं०] १ पानी, जल । २ रक्त का जलीय अंश । उपाधि। ३ जन्मकुंडली का चतुर्थ स्थान ।-स्त्री० ४ कान्ति । ५ चार की संख्या।-ज-पु० चन्द्रमा। कमल । बेंत । अंभोद-पु० [सं०] बादल, मेघ । शंख । कपूर । मारस पक्षी । घोंघा । ब्रह्मा । वस्त्र । श्वेत अंभोनिध, (निधि, रासि)-पु० समुद्र, गागर । वर्ण। एक सामुद्रिक चिह्न। जल से उत्पन्न प्राणी। | अंभोरु, अंभोरुह, अंभोरू, अंभोरह-पु० [सं० अंभोरुह] कमल । -वि० जल से उत्पन्न । --जात--पु. कमल । -द-पु. ग्रंमणीमांण-देखो 'अमलीमाण' । मेघ, बादल । -धर-पू० बादल, मेघ। अमीहळद (दी) देखो 'प्रांबाहळदो' । इन्द्र। -धि-पु० समुद्र, जल निधि । जलपात्र । अंम्रत-देखो 'अमरत'। नाथ-पु० समुद्र, सागर ।-निध, निधि-प० समद्र.। अंम्हां--सर्व० हम । सागर। बादल, मघ ।-प-पृ० समुद्र । वरुण । शतभिषा अवर---१ दखा 'अबर' । २ दखा 'अवर'। नक्षत्र ।-वि० पानी पीने वाला ।---पत, पति, पती, राज अंवळउ. अंवळऊ-देखो 'अंबळौ । पु०-सागर, समुद्र । वरुण । -बाह, वाह-पु० बादल । अंवळाई-स्त्री० १ चक्कर, घुमाव, । २ टेढ़ापन, वक्रता । --रासि, रासी-पु. समुद्र । -सायी-पु० विष्णु । असुर। ३ कुटिलता । ४ दुरूहता। पितर। चार की संख्या* | -हर-पु० सूर्य, अग्नि। अंवळौ--वि० (स्त्री० अंवळी) १ विरुद्ध, विपरीत । २ कष्टअंबुऔ–'अंबुवौ' दायक, दुखदाई । ३ वक्र, टेढा, तिरछा । ४ दुर्गम, दुरूह । अंबुज-सुत-पु० यौ० [सं०] ब्रह्मा, विरंचि । ५ धुमावदार, चक्करदार । ६ सुन्दर । ७ अद्भुत, विचित्र । अंबुजा-स्त्री० [सं०] १ एक रागिनी विशेष । २ कमलिनी। -पु० १ शत्रु । २ गिरवी रखा हुआ माल । ३ प्रसव के ३ कुमुदिनी। समय बच्चे का गर्भ में ही टेढ़ा होने की क्रिया या स्थिति । अंबुजासण, अंबुजासन-पु० [सं०] १ ब्रह्मा जिनका प्रासन | ४ बुरा समय, पापाद् स्थिति। ___ कमल है। २ सरस्वती । ३ कमलासन । अंबार-स्त्री० १ विलंब, देर । २ अवसर, मौका, । ३ शीघ्रता, अंबुजासना-स्त्री० [सं०] लक्ष्मी जिसका ग्रामन कमल है। त्वरा । ३ झड़ बेरी के कटे पौधों का बड़ा गोला। अंबुवा, अंबुवी-वि० १ आम्र के रंग का । २ खट्टा। अंधारणौ-देखो ‘वारणी' अंबुवाळ-वि० तेजस्वी कांतिवान । -पु० पाबू राठौड़ का । अंदारियां, अंवारिये-स्त्री० एक प्रकार की अचेतावस्था (रोग) For Private And Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिममें किमी व्यक्ति का जीव कुछ अवधि तक विभिन्न लोकों | अ, अ-उप० [सं०] संज्ञा या विशेषण शब्दों के पूर्व में लग कर में भ्रमण कर पुन: लोट पाता है । (रूढि) विपरीत अर्थ सुचित करने वाला उपसर्ग। स्वर शब्दों के अंवेर-स्त्री० १ देखभाल, निगरानी। २ हिफाजत, सुरक्षा पूर्व लगते समय इसका रूप 'अन्' हो जाता है । ३ विलंब, देरो। ४ निवृत्ति । ५ समेटना क्रिया। --पु० १ विष्ण, ब्रह्म । २ ब्रह्मा । ३ अग्नि । ४ इन्द्र । अंवेरणौ (बौ)-क्रि० १ देखभाल करना, निगरानी करना। ५ वायु। ६ कुबेर । ७ अमृत । ८ विश्व । ९ ललाट । २ हिफाजत या सुरक्षा करना । ३ ममेटना, पूर्ण करना । १० शिव। ११ कृष्ण। १२ मूर्य । १३ चन्द्रमा । अंस पु० म० अंश-अमः] १ भाग, हिस्सा । २ भाज्य अंक । १४ प्राण । १५ सुख । १६ समय का भाग। १७ यश । ३ भिन्न का अंश (लकीर के ऊपर का अंक)। ४ सोलहवां कीति । १८ प्रजा । १९ शिखा । २० पादपूरक वर्ग । भाग । ५ चौथा भाग। ६ वत्त की परिधि का ३६० वां | अइंधांण-देखो 'ईधरण। भाग (रेखा ग.) ७ लाभ का हिस्सा । ८ बारह आदित्यों अइंसउ-देखो ऐसौ' (स्त्री० अइंसी) में से एक । ९ दिन । १० कंधा । ११ कला । १२ वंशज।। अइ-देखो 'अति', 'गई। १३ वीर्य । १४ शक्ति। १५ अक्षांश । १६ देखो 'सु' । अइसउं-सर्व०१ यह, ये । २ इसकी, इनकी। --कूट-स्त्री० वृबड़, कुकुद । -धारी-वि० दैवि शक्ति अइयाळ-देखो 'अयाळ' । मे युक्त। अवतारी। वंशज । बलवान, शक्तिशाली, अइयौ-देखो 'अईयौ'। वीर, बहादुर । हिस्सेदार, भागीदार । अइराक, अइराकि, (को) १ देखो 'ऐराक' । २ देखो 'ऐराकी' । अंसक पु० म० अंशकः] १ मेप अादि राशि का तीसवां भाग । अइरापत, अइरापति, अइरापती-देखो 'ऐरावत' । २ अंशधारी। ३ भाग, हिम्मा । ४ दिवम, दिन । अइरावती-देखो 'ऐरावती'। अंसळी-वि० अंश का। अइरेग-देखो ‘अतिरेक' । अंसाप, (फ)-देखो 'इंसाफ' । असि-देखो ‘ऐसी'। अंसावतार-पु० [सं० अंश-अवतार] वह पुरुष जिममें ईश्वरी अइहद्द-क्रि० वि० ऐसा, ऐमी । शक्ति का ग्रंश हो। अइहवि-क्रि०वि० [सं० अर्बाक] १ अब । २ ऐसे। अंसी-वि० अंशधारी, हिस्सेदार । अई, अईज-क्रि०वि० १ व्यर्थ, फिजूल, बेमतलब । २ ऐसे ही। अंसु-पु० [सं० अंशु] १ सूर्य । २ तेज। ३ किरण, रश्मि । पई, अईयो-अन्य [सं० अपि] १ अरे, हे । (संवोधन) २ वाह८ दीप्ति, कांति, ज्योति । ५ छोर, सिरा । ६ सूक्ष्मांश, वाह । (ध्वनि) परमाणु। ७ किचित, लेशमात्र। ८ वेग। ९ पोशाक । १० गति, रफ्तार । ११ देखो 'ग्रांसु' । अउ-सर्व० १ प्रो का प्राचीन रूप, वह । २ यह । -- जाळ-पु० किरण जाल, ममूह। -धर, धारी-पु० अउक-पु० गर्भवती स्त्री का जी मचलाने की अवस्था या भाव । गयं । अग्नि । चन्द्रमा । दीपक । ब्रह्मा। देवता। वीर अउगाढ-देखो 'अवगाढ' । पुरुष । वंशज । ---पति, पती-पु० सूर्य । चन्द्रमा । अउगाळ-१ देखो 'अवगाळ' । २ देखो 'प्रोगाळ' । ..भरतार -पु० सूर्य । ---मांण, मान-पु. सूर्य । चन्द्रमा । अउगुण-देखो 'अवगुगा'। मूर्यवंशी राजा सगर का पौत्र । —माळी-पु० सूर्य । प्रउड़ी-देखो 'अहोड़ी'। चन्द्रमा । अग्नि । दीपक । देवता ।-वन--पु० आंसू, अथु । प्रउछाड़-देखो 'पौछाड़'। अंसुक-पु० [सं० अंशुक] १ बारीक या महीन वस्त्र। अउज-स्त्री० अयोध्या। २ रेशमी वस्त्र। अउझकई-क्रि० वि० [प्रा०] अकस्मात, अचानक, महमा । अंसुपात-पु० अश्रुपात ।। अउझणई, अउझण-पु० १ दहेज । २ देखो 'उजमगौ' । अंसू---१ देखो 'अंसु' । २ देखो 'प्रांसु' अउटणौ, (बौ)-क्रि०१ देखो 'ग्रोहटग्णौ' । २ देखा 'ऊठग्णौ (बी) अंह, अंहतम-पु० [सं०अंहस् , अहंति] १ बाधा, रुकावट, विध्न। ३ देखो 'नौटगौ (बौ)। २ काट, पीड़ा । ३ दुख, चिन्ता। ४ व्याकुलता, त्वरा। अउठ-देखो 'पाठ' । २ देखो 'ऊठ' । ५ अपमान, अनादर । ६ पाप । सर्वo-मैं । अउत-देखो 'अऊत' । अनु०-खांसने या टसकने का शब्द । अउथि, अउथी-देखो 'ग्रोथ' । अंहति-स्त्री० [सं०] १ बलिदान, त्याग । २ दान । ३ रोग, अउधारिक-पु० अाधार । व्याधि । ४ कष्ट, पीड़ा। ५ अभिमान, गर्व । अउब-वि० [सं० अद्भुत आश्चर्यजनक, अदभुत, विलक्षण । For Private And Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रवरणौ -गत, गति, गति स्त्री० विचित्र गति, भूत रीति । -मत क्रि०वि० विचित्र ढंग से। श्रवण- १ कांपना, थर्राना । २ देखो 'ऊबरणी' (बौ) उर-१ देखो 'और' । २. देखो 'उर' । ३. देखो 'ओर' ४. देखो 'पर' | श्ररति-देखो 'श्रीरत' । उरसिहर - पु० एक प्रकार का भवन । श्रउळगउं, अउळगऊं, - क्रि०वि० www.kobatirth.org २ अलग । पु० प्रवास | उळगण - पु० [प्रा० ] प्रवास | यात्रा । स्त्री० प्रवास में साथ रहने वाली स्त्री । उळजरणौ, (बौ) - देखो 'उळभरणी, (at)' उळी-देखो 'क' अउसर - देखो 'अवसर' । १३ ) [प्रा०] १ प्रतिदूर दूर । श्रकड़ी (डी) - वि० शक्तिशाली, बलवान । अकड़, अकड़ बाज-देखो 'वाज' | अकड़त देखो 'लत' । अलंकार-१ देखो 'कार' २ देखो 'धावकार' | देखो 'बळी' (स्त्री० सी श्रग्राहणौ (बौ) देखो 'उगारणी (बौ ) । ऊठ (ठौ) देखो 'हूंठा' । , अऊत, अऊतियों वि० [सं० पुत्रक] १ निःसंतान ना पोलाद | [सं०] युक्त) २ अयोग्य (संतान) ( कुपुत्र) ३ अनुचित ४ बेवकूफ । ५ अधोगति गया हुया । अऊब देखो १ 'उब' २ देखो 'ऊब' । घोड़ी देखो 'मोह' । कंटक - वि० [सं०] १ निविघ्न, निष्कंटक । २ शत्रुहीन । कंपण, (न) - वि० [सं० अकंपन] कंपन रहित स्थिर । - पु० १ कंपन का प्रभाव । २ रावण की सेना का एक योद्धा । अक- पु० [सं०] १ रंज, चिंता । २ कष्ट, पीड़ा, दुःख । ३ पाप, धर्म | बक- स्त्री० बकवास, प्रलाप । धड़का, खटका । चतुराई । वि० निस्तब्ध, भौंचक्का । देखो 'अरक' | अकड़ - स्त्री० १ ऐंठन, तनाव । २ अहंकार, घमंड, स्वाभिमान । ३ ढिठाई, बेशर्मी । ४ हठ, जिद्द, दुराग्रह । ५ वक्रता, बांकापन। ६ लड़ाई । ७ बंधन । " बाई बाई, वायु वावत्री० एक बात रोग जिसमें शरीर की नसों में तनाव आ जाता है ।—बाज वि० हेकड़ीबाज शेखीबाज । घमंडी ।-बाजी-स्त्री० हेकड़ी, ऐंठ पदमक-स्वी० न ताव गवं तेजी, 1 ग्रान-वान । अकड़रणौ, (बौ) - क्रि० १ सूखने के कारण सिकुड़ कर ऐंठ जाना । २ ऐंठन या तनाव पड़ना, मरोड़ खाना ३ कड़ा पड़ जाना, मस्त हो जाना । ४ सर्दी से ठिठुरना । ५ मुन्न होना । ६ टेढ़ा होना, वक्र होना । ७ शरीर को तानना, तान कर चलना हठ या जिद करना । ९ अभिमान या गर्व करना । १० किसी बात पर ग्रड़जाना । ११ गुस्सा या क्रोध करना । १२ धमकी देना, डराना, रौब दिखाना । १३. धृष्टता करना । अकड़ाई देखो 'मकड़' | अकड़ाळ - वि० १ जबरदस्त । २ हेकड़, ग्रडियल । ३ घमंडी | अकड़ाव - पु० अकड़ने की अवस्था या भाव, ऐंठन, तनाव । अकड़ौ देखो 'झाकडी' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - Anarrant चकच वि० [सं०] केश रहित, गंजा १०१ केतु का नामान्तर । २ जैन साधु । कच्छ-वि० गंगा नग्न २ व्यभिचारी, पट अकज, अकज्ज - देखो 'प्रकाज' | कठ स्त्री० वह मादा पशु जिसका दूध ग्रासानी से निकलता हो । कठौ-देखो 'ऊकठौ' । अकडोडियो-देखो 'आकडोडियो' । प्रकट, धडियोड़ों कड़ियाँ[वि० [सं० क्यथित] बिना गर्म किया हुआ (दूध ) कतार, प्रकतियार, अकत्यार - देखो 'इखत्यार' | अकत्थ, अकथ - वि० न कहा जा सके, [सं० अ + कथ् ] १ न कहने योग्य । अवर्णनीय । २ कथन या वर्णन शक्ति से परे । कथ, कथा स्त्री० अकथनीय बात या कहानी । कथा - स्त्री० [सं०] १ कुकथा । २ अपभाषा, बुरीबात । अकथ्थ, अकथ्य- देखो 'प्रकथ' । कनकंवार स्त्री० [सं० प्रखण्ड + कौमार्य ] १ कुंवारापन, कौमार्य, अविवाहिता अवस्था [सं० [ण्ड-कुमारी) २ कुमारी कन्या विवाहिता कन्या । वि० अविवाहिता कुमारी, अक्षत योनि । कन कुमारी, अकन कुंवारी वि० [सं० प्रखण्ड + कौमार्य ] ( स्त्री० अकन कुंमारी, अकन कुंवारी ) १ अविवाहित, कुंवारा । २ प्रखंड कौमार्य व्रत धारण करने वाला । कपट वि० [सं०] १ कपट रहित निम्न २ सरल, सोचा। reas - वि० अवाक, निस्तब्ध । स्त्री० व्यर्थ बकझक असंबद्ध । प्रलाप । For Private And Personal Use Only अकबकणौ (बौ), अकबक्करणौ (बौ) क्रि. १ व्यर्थ प्रलाप करना, । २ व्याकुल होना, चिंता करना । ३ अवाक् या निस्तब्ध रह जाना । Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकबरी प्रकलारणो अकबरी-स्त्री० प्राचीन सोने का सिक्का। २ एक प्रकार की अकरार-वि० कमजोर, अशक्त, निर्बल । मिठाई । ३ लकड़ी पर की जाने वाली खुदाई । अकराळ-देखो "विकराळ'। ---वि० अकबर का, अकबर संबंधी। अकरास-देखो 'उकरास'। अकबार-देखो, 'अखबार'। अकरितौ-देखो 'अकरतौं'। प्रकबाल-देखो 'इकबाल'। अकरुण-वि० [सं०] १ जिसमें करुणा न हो, दयाहीन । अकयस्थ, अकयथ, अकयश्थ-वि० [प्रा.] अकारथ, व्यर्थ । २ जिसमें कोमलता न हो, सख्त, ठोस । ३ निर्दयी, हृदय अकर-वि० [सं०] १ कर रहित, बिना हाथों का। २ जो कुछ हीन, यूर । ४ करुण रस से हीन । करने योग्य न हो, अकर्मण्य । ३ न करने योग्य । ४ कठिन, | अकरूर, अकरूरि - देखो 'अक्रूर'। दुष्कर । ५ जिस पर कोई कर या महशूल न हो, कर मुक्त। अकराळरणौ (बौ) अकरेळरणौ (बौ)-देखो 'उकराळणी, (बी)। ६ जबरदस्त, भयंकर । ७ पराक्रमी। ८ निष्पाप। अकळंक-वि० [सं० अ-कलङ्क] १ कलंक रहित, निष्कलंक । प्रकरण -पु० [सं०] १ इन्द्रियों से रहित, परमात्मा । २ फल | २ दोष रहित, निर्दोष । ३ बेदाग, स्वच्छ । रहित कर्म । ३ न करने योग्य कार्य । ४ पाप । -ता-स्त्री० निष्कलंकता । निर्दोषता । स्वच्छता। [सं० अ-कर्णः] ५ सर्प, सांप । ६ बहरा व्यक्ति । अकळ-पु० [सं० अकल] १ ईश्वर, परब्रह्म। २ शिव । ३ परब्रह्म -वि० [मं० अ-कर्ण] १ कर्ण रहित, बिना कानों का। की उपाधि विशेष । २ बहरा सं० [अ+कारण] ३ बिना कारण का। -वि० १ जो विभक्त न हो सके, अविभाज्य, पूर्ण, । २ अपार, ४ असंभाव्य ।--करण-पु० ईश्वर परमात्मा । असीम विशाल । ३. अगम्य । ४ अगोचर । ५ निराकार, अकरता-वि० [सं० प्र+कर्ता] १ कर्म न करने वाला, अक- निर्गगा । ६ अखिल, सम्पूर्ण। ७ समर्थ, शक्तिशाली। मंगण । २ जो कर्मों से निर्लिप्त हो । कर्म मुक्त । जबरदस्त । ८ वोर, बहादुर। ९ व्याकुलता रहित । करब-यु० -वृश्चिक राशि । २. मुख पर श्वेत बालों वाला १० दोष रहित निर्दोष । ११ व्याकुल, पातुर । १२ अशुभ घोड़ा । ३ बिच्छु । अविचल । १३ पूर्ण, पूरा । १४ चतुर, निपुण । १५ भव्य । प्रकरम-पु० [सं० अ. कर्म] १ न करने योग्य कार्य, अनुचित १६ चंचल । १७ दृढ़, अटल। १८ भयंकर, भयावह । कार्य । २ बुरा काम, पाप अधर्म । ३ अपराध, भूल । १९ निष्कलंक-गति-स्त्री० वह अवस्था या गति जिसका ४ बुरा प्राचरण या व्यवहार । ५ संन्यास । ६ काम न ज्ञान मनुष्य न लगा सके। की दशा। अकल-स्त्री० [अ० अक्ल] १ बुद्धि, ज्ञान, समझ । २ युक्ति । --वि० [मं० अक्रम] १ बेकार, काम रहित, अकर्मण्य । ३ चतुराई। २ बिना क्रम का, अस्त-व्यस्त । २ निस्क्रिय, पालमी, --वाड, दाढ-स्त्री० वयस्क होने पर निकलने वाली दाढ़ निकम्मा ४ क्रमहीन । विशेष ।-दार-वि० बुद्धिमान,समझदार । नधान, निधानअकरमक-स्त्री० [सं० अकर्मक] एक प्रकार की क्रिया जिसमें वि० बुद्धिमान। चतुर। पंडित ।-बायरी-वि० मूर्ख, कर्म की अावश्यकता नहीं होती।-पु. कर्म से परे तत्त्व, अजानी। -मंद-वि० बुद्धिमान, ममभदार । चतुर । ईश्वर । -मंदी-स्त्री० बुद्धिमानी, चतुराई–वान, वाळी-वि० बुद्धिमान । अकरमरणय, अकरमण्य -वि० [मं० अकर्मण्य] १ निकम्मा, अकलकरौ-पु० [सं० प्राकर-करभ] एक प्रकार की औषधि ग्रामी। २ कर्म रहित, वेकार, निटल्ला। ३ किमी विशेष । कार्य के प्रति अयोग्य । ४ पापी, दुष्कर्मी। ५ अपराधी। प्रकळकुमारी-स्त्री० यौ० [सं० अखण्ड-कुमारी] पृथ्वी, धरती। अकरमी -वि० [सं० अ. कमिन्] १ बुरा काम करने वाला। -वि० अखण्ड कौमार्य व्रत धारण करने वाली। २ पापी, दुष्कर्मी। ३. अपराधी। ४ सुस्त, पालसी। प्रकलपनीक-वि० साधु की मर्यादा के विरुद्ध या विपरीत (जैन) ५ पतित, नीच। ६ अयोग्य । ७ जो कर्म न करता हो, अकलमस-वि० [सं० अ-+कल्मष निष्पाप, निष्कलंक । संन्यासी । अकळा-स्त्री० बिजली। अकरम्म-देखो 'अकरम'। अकळारणी, (वरणी)-वि• घबराहट पैदा करने वाला, अकुला अकराइजरणौ, (बौ)-क्रि० कंकरयुक्त ठोस जमीन पर नंगे देने वाला । (स्त्री० अकळावणी) पाव अधिक चलने से पैरों के तलों में विकार होना, तनाव | अकळाणी, (बौ)-क्रि० १ व्याकुल होना, अातुर होना। होना। २ घबराना, भयभीत होना। For Private And Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अकळावणी अकाळ अकळावरणौ, (बौ)-घबराहट पैदा करना, अकुला देना । ३ नाश, संहार ।-वि० १ कामना रहित, निष्काम, अकलाळौ-देखो 'अकलवाळी' । इच्छा रहित । २ उदासीन । ३ अकारण, व्यर्थ । अकलि-देखो 'अकल'। ४ देखो 'अकाज'। अकळीम-पु [अ० अकलीम] १ देश, राष्ट्र, राज्य । २ बाद- अकांमी-वि० [सं० अ-कामिन्] १ कामना रहित, निष्काम, शाहत, शासन । ३ ऊपर का सांतवां लोक । निस्पृह । २ जितेन्द्रिय । ३ बेकाम, निकम्मा । अकलीस, अकलेस-पु० [सं० अ-क्लेश] दुख का विपर्याय, सुख । अकाई-वि० पूर्ण, सम्पूर्ण । ___-वि. क्लेश रहित, सुखी । देखो 'अखिलेस' । अकाज-पु. [सं अ। कार्य] १ कार्य की हानि, हर्जा, नुकसान । अकलेसर, अकलेसुर, अकलेस्वर-देखो 'अखिलेस'। २ अनिष्ट, अहित, अमंगल । ३ विघ्न, बाधा, अड़चन । अकळी-पु० १ गर्मी, उष्णता । २ उमस, तपन । ४ बुरा कार्य, कुकर्म । ५ नाश, ध्वंस । ६ मृत्यु, अवसान । अकल्पत, अकल्पित-वि० [सं० अकल्पित] १ जो कल्पित न ७ दुख, कष्ट, पीड़ा । ८ अधर्म । ९ देखो 'अकांम'। हो, सच्चा, वास्तविक । २ जो कल्पना से बाहर हो या -वि० १ बुरा, खराब । २ कायर, डरपोक ।-क्रि०वि०बिना परे हो। मतलब से, व्यर्थ में। अकल्पनीक-देखो 'अकलपनीक'। अकाजि, अकाजी-वि० १ 'अकाज' करने वाला । अकल्यवंत-वि० बुद्धिमान । २ देखो 'अकाज'। अकल्याण-पु० [सं० अकल्याण] १ अमंगल, अशुभ । २ अहित । अकाथ-क्रि०वि० १ अकारण, वृथा । २ देखो 'अकथ' । अकवानन्द-पु० भीम । -वि० [सं० अकथ] अकथनीय । अकवीस-देखो 'इबकीस'। अकाय-वि० [सं०] १ काया या देह, रहित, अदेह, निर्गण, अकस-पु० [अ०] १ ईर्ष्या, द्वेष, डाह । २ विरोध, वैर, शत्रुता । निराकार। २ जन्म न लेने वाला, अजन्मा । ३ कोप, क्रोध । ४ अमर्ष। ५ समता, बराबरी। ६ गर्व, -पु० १ ईश्वर, परमात्मा, ब्रह्म । २ कामदेव । ३ पवन । घमंड । ७ जोश । ८ शौर्य, पराक्रम [फा० अक्म । ९ छाया। ४ शक्ति, बल । १० प्रतिबिध । ११ चित्र, तस्वीर । १२ प्रभाव । अकार-पू० [सं०] १ 'अ' वर्ग । २ देखो 'प्राकार'। -[संपाकाश] १३ व्योम, आकाश ।-क्रि०वि० १ गर्व से। वि० [सं०--कार-सीमा] १ मर्यादा रहित, सीमा २ ऐठन के साथ ।३ ईर्ष्या से, द्वेष से । रहित, बेहद । २ बेकार, बेकाम । अकसरणौ, (बौ)-देखो 'अकस्सणी' (बी)। अकारज-देखो 'अकाज' । अकसमात-देखो 'अकस्मात'। अकारण, अकारणीक, अकारनीक-वि० १ बिना कारण का, अकसर-क्रि०वि० [अ०] प्रायः, बहधा, अधिकतर । हेतु रहित । २ स्वयंभू । -क्रि० बि० बिना कारण के, अकसीर-स्त्री० [अ० अक्सीर] १ रसायन, कीमिया। ३ सब व्यर्थ में, बेसबबसे । रोगों को नष्ट करने वाली दवा--वि० १ अचूक, अमोघ, अकारथ-वि० [सं० अकार्यार्थ ] बेकार, व्यर्थ, फिजूल । अव्यर्थ । २ निश्चित प्रभाववाली। अकारिम-वि० [सं०-कार्मिक ] अकृत्रिम, स्वाभाविक । अकसौ-देखो 'अकस'। अकारी-स्त्री० कूऐ पर बैलों को बारी-बारी से जोतने का निर. अकस्मात-क्रि०वि० [सं०] १ सहसा, यकायक, अनायास । धारित समय ।-वि० १ बुरी, खराब । २ दर्द करने वाली, २ संयोगवश । दर्दनाक । ३ तेज, तीव्र। अकस्स-देखो 'अकस'। अकारौ-वि० (स्त्री० अकारी) १ तीव्र, तेज । २ कठोर, कड़ा अकस्सरण-वि० [अ० अकस] १ कोप करने वाला। २ ईर्ष्या करने वाला। सख्त । ३ महातेजस्वी, प्रोजस्वी । ४ बलवान, शक्तिशाली । ५ समर्थ, सक्षम । ६ भयंकर, भीषण । ७ तीक्षा, तेज अकस्सरणी, (बौ)क्रि० १ कोप करना। २ ईर्ष्या करना । ८ अत्यधिक, ज्यादा । ९ विकट, संकट पूर्ण, । ३ जोश में आना। अकह देखो 'अकथ'। अकारच-देखो 'अकाज' । अकहौ-वि० बिना कहा हुआ, बिना प्राज्ञा का । अकाळ-पु० [सं० अकाल] १ दुभिक्ष, दुष्काल। २ कुममय, अकांपा-वि० [सं अ-न-कम्पित] १ न कांपने वाला, कंपन | असमय । ३ अनुपयुक्त समय, अशुभ समय । ४ अनुपयुक्त रहित । २ जितेन्द्रिय । अवमर । ५ घाटा, टोटा, कमी। ६ मौत, मृत्यु । ७ काल अकांम-पु० [सं० अकाम] १ बुरा कार्य, दुष्कर्म । २ विघ्न ।।। में परे, परमात्मा । ८ अमर । For Private And Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra काळकी www.kobatirth.org - क्रि०वि० असामयिक, बेसमय । - कुसम, कुसुम-पु० बिना मौसम या ऋतु का फूल । —जळव पु० असमय के । सिक्ख । बादल पुरस, पुरुस पु० from धर्म का ईश्वर ( १६ ) F पुरुष पुरुष अकाल कुसुम मूरत पु० प्रवि नामी पुरुप, ईश्वर । मीत, तु, म्रित्यु स्त्री० [असामयिक निधन, अल्पायु की मृत्यु । –वरसटो, वरसठी, व्रस्टी, व्रस्ठी - स्त्री० ० असमय की वर्षा । 1 काळकी स्त्री० बिजली, विद्यत । काळी स्त्री० काली सपिणी । काळि अकाळी ० [सं०] अकाल + ई] १ सिक्खों का एक संप्रदाय । २ इस सम्प्रदाय का अनुयायी । वि० १ भयंकर, भीषण, कराल । २ जो श्याम वर्ण का न हो, श्वेत । काळौ - वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ जो श्याम न हो । प्रकास - देखो 'ग्राकास' । कासवांरणी, अकासवांनी- देखो 'ग्राकासवांरणी' | अकालबेल अकास देखो 'काम'। प्रकाविरत देवं 'खाकासति' प्रकासि अकासी देखो 'ग्राहासी' । afear, aeone fr० [सं० किचन] १ निर्धन, कंगाल दीन । २ असमर्थ । ३ तुच्छ, न्यून । ४ कर्मशून्य, अपरिग्रह ५ महत्वहीन कियारथ- देखो 'अकारथ' । किल - १ देखो 'अखिल' । २ देखो 'अकल' । किलज्योति-देखो 'अखिल ज्योति'। अकिलवाड, अकिलदाढ - देखो 'अकलदाढ़' | ग्रीक, अकीकी पु० [फा० प्रकीक] एक प्रकार का लाल पत्थर । जो गंडा - ताबीज में काम आता है । नीतिकरण पैना ना 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अबू धरत अकूत वि० अपरिमित, अत्यधिक । अकूपार - देखो, 'अकुपार' । अकूरड़ी-देखो 'उकरड़ी' । कीन - पु० [० यकीन ] विश्वास, भरोसा । एकली' (स्त्री० [घकेली ) कीनी - वि० [अ० यकीनी ] १ विश्वास करने योग्य, विश्वासी । श्रकेवड़ियौ, अकेवड़ी केवळौ - देखो 'इकेवड़ी' । २ निश्चित । प्रकीरत, अकीरति, अकीरती देखी अपकीरति' । अकीरतिकर अकीरतीकर- वि० [सं० कारी, बदनामी करने वाला । कीरत देखो 'पकीरति' । कुंठ, अकुठल, अकुठित वि० [सं० कुठ] १ ती २ तीव्र, वेगवान । ३ खरा, उत्तम । ४ खुला हुआ । ५ स्वतन्त्र | ६ निर्दिष्ट । ७ अत्यधिक ८ जो कुंठित न हो । कुटिल वि० [सं०] १ जो टेड़ा न हो, व न हो। २ सीधा । ३ सरल सहज । अकुपार पु० [सं० अकूपारः ] १ सागर, समुद्र । २ सूर्य भानु । ३ बड़ा, कच्छप । ४ वह विशाल कछुआ जिसकी पीठ पर भूमि टिकी हुई है। प्रकुरुड - वि० १ अक्रूर, - पु० १ नीच कुल कुळ वि० [सं० - प्रकुलीन । पु० १ नीच कुल २ परमात्मा, परमेश्वर । कठोर । २ प्रक्रोधी । ३ सरल चित्त । । २ शिव का एक नाम । ] । कुल १ परिवार होन २ नीच कुल का कुणी वि० १ व्यभिचारिणी २ नीच कुल की। श्रकुळणी - । श्रकुळरणों (बौ) - देखो 'ग्राकुळणौ, (बौ) । कळारणौ वि० १ उत्तेचित २ धातुर व्द भयभीत ४ शीघ्र प्रवेश वाला । अवकळा कुळारण, (बौ), श्रकुळावरणौ (बौ) - क्रि० १ व्याकुल होना, आतुर होना, व्यग्र होना । २ घबराना । ३ विह्वल होना । ४ उत्तेजित होना । ५ कुद्ध होना ६ संज्ञाहीन या वेतना हीन होना । ७ ऊबना, उकताना । ८ दुःखी होना । कुळी, अकुळी कुळीन, अकुलीन वि० [सं० अकुलीन ] १ नीच कुल का, कुजाति । २ वर्ण संकर । ३ शूद्र । ४ कमीना, नीच, प्रधम । प्रकुसळ - वि० [सं. अकुशल ] १ अमंगलकारी, अशुभ, बुरा । २ पक्ष भाग्यहीन, हतभाग्य ४ गुणहीन ५ प्रयोग्य | [असा] [स्त्री० [सं० प्रकुशलता] १ धमंगलता अशुभता । २ अक्षता, अनाड़ीपन ३ अयोग्यता ४ गुणहीनता । कुसळी - वि० १ कौशलहीन । २ अप्रसन्न, नाखुश । ३ अयोग्य, गुणहीन । श्रकूरौ - वि० १ पूर्ण पूरा । २ अधिक । ३ निपुण, दक्ष । 1 तर वि० अपार, अपरिमित । कोर अकोट वि० [सं० बा+कोटि ] १ करोड़ तक। २ करोड़ से कम । ३ विना कोट का । ४ जहाँ परकोटा न हो । कोतर - देखो 'इकोतर' | अकोतरी देखो 'इकोतरसी' । कोतरी देखी इत - पु० १ भेंट उपहार । २ उत्सर्ग, बलि । कोविद - वि० [सं०] १ मूर्ख, नासमझ, अज्ञानी । २ अपठित । ३ अनाड़ी । अक्क- १ देखो 'आक' । २ देखो 'अरक' । अक्कल - देखो 'अकल' । For Private And Personal Use Only अवकळा - स्त्री० भयंकर रूप धारण करने वाली देवी दुर्गा, कालिका | - वि० अंगहीन, खण्डित | Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अक्सर ( १७ ) अक्षरचत अक्खड़-वि० उद्धत, शरारती, उद्दड । २ वात-बात पर अकड़ने १६ ज्ञानेंद्रिय । १७ अात्मा। १८ प्रतिविव, छाया। वाला। ३ झगड़ालू । ४ असभ्य, बदतमीज। ५ निर्भय, १९ तस्वीर । २० गड़। २१ तूतिया । २२ सुहागा । निडर । ६ स्पष्ट वक्ता,खरा। ७ मस्त, मोजो। ८ पका-, २३ बेहड़ा । २४ सर्प । २५ अक्षयकुमार । हुआ। --क-पु० बेहड़ा।—कुमार-पु० रावण का एक पुत्र । अक्खरणौ (बौ)-- देखो 'ग्रावगी' (बी) --माळा-स्त्री० रुद्राक्ष की माला। अक्खत-देखो 'अक्षत'। अक्षत-वि० [सं०] १ बिना टूटा हुअा, अखंडित। २ जिसकी अक्खर-देखो 'अक्षर'। क्षति न हो । २ समूचा। ३ जो विभाजित न हो, अविअक्खरावळी-देखो 'अक्षरावळी'। भाजित ।-पु. १ शिव । २ चावल । ३ अनाज, अन्न । अक्खरू-देखो 'अक्षर'। ४ यव, जौ। ५ कल्याण, मंगल। ६ हिंजड़ा नपुंसक । अक्खाया-पु० १ अनाज के कण । २ तीर्थकर (जैन) –जोनि, योनि-स्त्री. वह युवती या स्त्री, जिसका पुरुष प्रखे वड़-देखो 'अक्षयवट । से समागम न हुआ हो। प्रक्यारथ, अक्यारथौ-देखो 'अकारथ' । अक्षम-वि० [सं०] १ क्षमता रहित, असमर्थ । २ अशक्त, प्रक्रम-देखो 'अकरम' । कमजोर । ३ विवश, लाचार । ४ अधीर, पातुर । ५ क्षमा प्रक्र-स्त्री०१ नृत्य की एक पद मुद्रा । २ नृत्य का एक भाव ।। रहित, असहिष्णु। ६ ईर्ष्यालु ।-ता-स्त्री० असामर्थ्य, अक्रत-पु. [सं०---कृत्य] पाप, अपराध, कुकृत्य, दुष्कर्म ।। असमर्थता । अशक्तता, कमजोरी। विवशता, लाचारी। अकर्म । -वि० [सं० अ+कृत] १ बिना किया हुआ । अधीरता, । असहिष्णुता। ईर्ष्या । २ बिगड़ा हुआ । २ स्वयंभू । अक्षय-वि० [सं०] १ अनश्वर, अविनाशी। २ सदा बना रहने अक्रतघण-वि० [सं० प्रकृतघ्न | कृतन । वाला, स्थाई। ३ जिसकी क्षति न हो। ४ जो कभी प्रति-स्त्री० [सं० य-कृति] बुरी करनी, अकार्य, कुकृत्य । समान न हो। ५ अमर । -पु. परमात्मा, ईश्वर । प्रतिम, अकृत्रिम-वि० [सं० अकृत्रिम १ जो बनावटी न हो, । ----प्रमावस-स्त्री० वैशाख की अमावस्या । कुमार-पु० प्राकृतिक । २ स्वाभाविक । ३ वास्तविक । रावण के एक पुत्र का नाम ।-त्रितिया, तीज-स्त्री. प्रक्रम-पू०१ समय बेला। २ क्रम का अभाव ।-वि० १ क्रम वैशाख शुक्ला तृतीया ।-धांम-पु० मोक्ष, वैकुण्ठ ।-नम, हीन बिना क्रम का । २देवो 'अकरम' । नमी, नवमी-स्त्री०थाद्धपक्ष की नवमी तिथि । कात्तिक शुक्ला अक्रमण्य---देखो 'अकरमण्य' ।। नवमी तिथि ।—पाद -पु० गौतम ऋषि ।-वड़, वट-पु. अक्रमांदालत-वि० पाप नष्ट करने वाला । (ईश्वर) प्रयाग (गया) में स्थित वट वृक्ष जो अक्षय माना गया है। अक्रम्म-१ देखो 'अकरम' । २ देखो 'अकम'। अक्षर पु० [सं०] १ अक्षर, वर्ग, हर्फ । २ ध्वनि मंकेत, म्वर । अक्रांत-पृ० आक्रमण, हमला ।-वि० प्राराजित । ३ शब्द । ४ अाकाशादि तत्व। ५ परमानन्द, मोक्ष । प्रक्रित-देखो 'अक्रत'। ६ शिव । ७ विष्ण । ८ ब्रह्म । यात्मा। १० ग्राकाण। प्रक्रिति, प्रक्रिती-देखो ‘ग्रक्रति' । ११ खग। १२ जल । १३ तपस्या । १४ गत्य । प्रक्रित्रिम-देखो 'अकत्रिम' । १५ इंद्रा सन । १६ प्रारब्ध, भाग्य ।-क्रि०वि० प्रक्रिय-वि० निरूप निराकार ।-पु० परमात्मा। ईश्वर । १ प्रायः अक्सर । २ अचानक, महमा ।-वि० प्रक्रीत-वि० [सं०] १ जो खरीदा हुया न हो । १ अविनाशी, अनश्वर, अक्षय । २ अपरिवर्तनशील, २ देखो 'अकीरति' स्थिर । ३ नित्य । ४ अच्युत। ५ सत्य । निर्विकार । प्रकर, प्रकरियौ, प्रक्र रौ पु० एक यादव जो कृष्ण के चाचा -अबली-पत्री० अक्षरों की पंक्ति, अक्षर समूह । थे। -वि० क्रूर न हो, दयालु, सहृदय । --कळा स्त्री०६४ कलाओं में से एक ।--गणित-स्त्री अक्रोध-पु. क्रोध का अभाव । बीजगणित ।-च,चण, चु-पु०-लेखक । प्रतिलिपि कार । अक्रोधा-वि० [सं०] क्रोध रहित, शान्त । लिपिक ।-च्युतक-पु० किमी अक्षर के जोड़ देने से किसी अक्ष-पु० [सं०] १ चौसर का खेल । २ चौसर का पामा । शब्द का भिन्न अर्थ करना । एक खेल विशेष । ३ चक्र। ४ धुरी । ५ पृथ्वी की धुरी। ६ पृथ्वी की अक्षांश ----भवन-पु. भाल, ललाट । भाग्य ।। रेखा ७ गाड़ी । ८ रुद्राक्ष । तराजू की डांडी। --..-मुस्टिका कथन पु० चौमठ कलानों में मे एक । अंगलियों १० सोलह माणे का एक तोला, कर्प। ११ एक पैमाना । के मंकेत द्वारा बोलना। १२ कान्न । १३ मुकद्दमा । १४ अांख, नेत्र । १५ ज्ञान । अक्षरम्रत-पू० थतज्ञान के चौदह भेदों में में प्रथम। (जैन) For Private And Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अक्षांस www.kobatirth.org ( १ ) अक्षांस - पु० [सं०] अक्षांश ] १ भूमध्य रेखा से उत्तर-दक्षिण का अन्तर २ किती मानचित्र में उत्तर से दक्षिण की और खिवी हुई रेसाया उस रेखा का अंश । ३ भूमंडल पर पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाली कल्पित रेखा । अक्षि स्त्री० [सं०] १ ग्रांख, नेत्र । २ दो की संख्या । अक्षर देखो 'अक्षर' । प्रक्षी देखो 'ग्रक्षि | 1 पक्षी १५० [सं०] १ क्षीण का पर्याय मोटा तात्रा पुष्ट । २ सवल । ३ सक्षम । ४ अविनाशी, अनश्वर । ---महांणसी, महारणसी, मांणसी - स्त्री० अन्नपूर्णा शक्ति, दान के लिये खाद्यान्न प्रक्षय रहने की सिद्धि । प्रक्षण - वि० [सं० प्रक्षुण्ण ] १ कभी न खुटने वाला, समाप्त न होने वाला । २ अनन्त, असीम । ३ श्रखण्डित, अभग्न । ४ समस्त, समूचा । ५ अपराजित । ६ अनाड़ी, अकुशल ७ असाधारण, विशिष्ट । ८ सदैव व निरन्तर रहने वाला । श्रक्षोभ पु० [सं०] १ दुख:, शोक या कष्ट के प्रभाव की अवस्था । २ शान्ति । ३ स्थिरता, दृढ़ता । ४ धीरता । ५ नोभ रहित अवस्था । - वि० १ स्थिर । २ धीर, गंभीर शान्त | अक्षौहिणी स्त्री० [सं०] १ पूरी चतुरंगिनी सेना । २ मेना का एक परिमाण या संख्या जिसमें १०९३५० पैदल ६५६१० घोडे २१८७० रथ व २१८७० हाथी होते थे । श्रखंग- पु० १ बेदाग पशु । २ देखो 'अखंड' | प्रखंड - वि० [सं०] १ जो खण्डित न हो, प्रभग्न । २ कभी न टूटने वाला, अटूट ३ जो निरन्तर हो, अविच्छिन्न, प्रवाध । ४ श्रविभक्त। ५ सम्पूर्ण समूचा ६ अजर, अमर, अनश्वर । - पु० १ ईश्वर, परमात्मा । स्त्री० २ गिरिजा, पार्वती 1 - कुमारी - स्त्री० गिरिजा, पार्वती, कुमारी कन्या । गोमति' । अखंडन ०ि० घमण्डन] मंग १ जिसका खण्डन न हो, अखण्डित २ पूर्ण पूरा ३ स्वीकृत, मंजूर | १ जहां खण्डन का प्रभाव हो । २ परमात्मा, ३ कान, समय । पु० ईश्वर | अखट पु० अकड़ता हुआ चलने वाला घोड़ा (शा. हो. ) | कभी अखडी - ० प्रक्षर श्रखरण- पु० मुख, मुंह | प्रखरणी स्त्री० १ मांस का शोरबा । २ यक्षिणी । ३ जिह्वा, जीभ । ४ कहनी, कथनी । अखंडळ. अजंडळीस-देखो 'ग्राखंडळ' | खंडित - वि० [सं०] १ जो खण्डित न हो, प्रभग्न । २ पुरा, ममुचा । ३ जो निरन्तर हो, जिसका क्रम न टूटता हो, अटूट निर्वाद ४ विभाग रहित, पविच्छिन । घडियाल स्त्री०क्षतयोनि स्त्री, कौमारिका । अखंड, अखंडौ- देखो 'अखंड' | 1 श्रख पु० बाग, बगीचा | खगरियो - पु० [फा. अखगरिया ] एक प्रकार का प्रशुभ घोड़ा । अखड़ - स्त्री० बिना जोती हुई भूमि, परती । पु० १ एक अशुभ घोड़ा जो ठोकर खाकर चलता है। २ देखो 'ग्रक्स' । श्रखखौ (ब)-देखो 'लकड़ी (बी)' । श्रखड़भूत-पु० घोड़ो का एक रोग । प्रखत Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि० १ अकड़ने वाला २ घड़ियल झगड़ालू । ३ बलवान, शक्तिशाली । ४ योद्धा, वीर । -पु० पहलवान, मल्ल । अखज, अखज्ज - वि० [सं० अखाद्य ] जो खाने योग्य न हो, अखाद्य कुपथ्य | खणी, ( बौ) - देखो 'आखणी' (बी) । प्रखणियाँ - वि० कहने वाला । प्रखत- वि० १ प्रटल, स्थिर, निश्चल २ देखो 'प्रक्षत' । खतपीळा - देखो 'पोळायाखा' अखर श्रखतियार अखत्यार, श्रख्तियार देखो 'इखत्यार' | अखत्यारपण, (पणौ ) - पु० १ स्वत्वाधिकार की भावना | २ अधिकार की भावना । अखत्र - वि० १ भयंकर ३ देखो 'प्रश्नत' | श्रखन- देखो 'अखंड' । भयावह । २ अगरिणत, अपार । नारी-देखोनकुपारी' (स्त्रीप्रान कंवारी, कुमारी ) | अखनी - पु० [फा० यस्ती ] १ पका हुआ मांस या मांस का शोरबा । २ संचित अन्न या धन राशि । अखबार पु० [20] दैनिक समाचारपत्र, समाचारपत्र । नवीस पु० पत्रकार । अखम वि० १ दृष्टिहीन यंत्रा २ देखो 'अक्षम' । श्रखमता- देखो 'क्षमता' । श्रपमाळा स्त्री० १ वशिष्ठ की २ देखो 'अक्षमाळा' । प्रखय देखो 'अक्षय' । पत्नी प्रखयकुमार देखो 'अक्षयकुमार' | कुमारी देखो न कंवारी' | For Private And Personal Use Only सामायिक अस्ती । (वड़, वट ) देखी 'अक्षपट' | त्री० [सं. चतवा]] १ देवी, दुर्गा, महामाया । २ देखो 'प्रक्षय' | प्रखर-देखो 'अक्षर' | Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रखरगी अमोल अखरणी, (बौ)-कि० १ बुरा महशुम होना, मलना । अखिर-१ देखो 'या खिर'। देखो 'अक्षर' । २ खटकना। चुभना। ३ कष्टप्रद लगना। ४ पमंद अखिल, अखि लि-वि० [गं०] १ पूर्गा, सम्पुर्ण । २ अखाद । न पाना। अखि लज्योति पु० परब्रह्म, परमात्मा, ईश्वर । अखरब-वि० अन्यधिक, अपार । अहिलेसर, अखिलेस्वर पु० [सं० अखिलेण, अनिलेश्वर प्रखरावळि, (वळी)-देखो 'अक्षरावळि' । १ ईश्वर, परमात्मा। २ परब्रह्म ३ श्रीकृष्ण। ८ श्रीरामचंद्र । अखरे, अखर-वि० [सं० अक्षर] १ अपरिवर्तनीय, निश्चित । अखी-वि० विख्यात, प्रसिद्ध ।-स्त्री०१ विजय, जीत । २ दृढ़ पक्का । ३ अविनाणी । ४ अंकों की बजाय अक्षगे २ देखा 'अक्षि'। : देखो 'अक्षय' । में लिखित । अखीप्रमावस- देखो 'अक्षयअमावस । अखरोट-- म० अक्षोट] १ एक प्रकार का गुबा भेवा । अखीचड़ देखो 'अक्षयवट । २ इस मेवे का वृक्ष । ३ जायफल । ४ जायफल का वृक्ष । | अखीरण-देखो 'अक्षीगा। ५ वयगण मगाई का एक भेद । अखीर-देखी 'पाखिर'। अखरों-वि० १ जो खरा न हो, खोटा । २ झूठा । ३ कृत्रिम । अखू तौ-वि० (स्त्री० प्रखूनी)। १ उतावला । २ ग्रातूर । अखल-वि० [सं० अ+खलः] १ जो दुष्ट या खल न हो। --पु० योद्धा।। २ देखो 'अखिल'। अखनी-स्त्री०१ यवनों की एक जाति । २ इस जाति का अखलीस, अखलेस, अखलेसवर, प्रखलेसुर, अखलेस्वर- व्यक्ति, मुसलमान । देखो 'अखिलम'। प्रखूट,प्रख ठ-वि० | मं० अ-1-क्षुत] (स्त्री० अबुटी) १ कभी न अखव-देखो 'अखिल' । खुटने वाला, अक्षुण्ण । २ अत्यधिक, अपार । ३ अखण्डित, अखसत्र-देखो 'अक्षत'। अभग्न । ८ समस्त, समूचा । ५ निरन्तर, अटूट । अखा देखो 'अक्षन'। अखेग, अखेगौ-देखो 'अखंग' । अखाड़-१ देखो 'अखाड़ो' • देखो 'ग्रामाढ़ । अखे देखो 'अक्षय' । अखाड़मल, (मल्ल), अखाड़सिद्ध, अखाड़सिध (ध्ध)-पु०१पहल- अखेद-पु० [सं० अखेद | प्रसन्नता, शांति । शोक या खेद वान मल्ल । २ योद्धा, वीर । ३ बलवान, शक्तिशाली व्यक्ति का अभाव। ४ महापुरुष, महात्मा । अखेनम-देखो 'अक्षयनम' । अखाड़ांमंड पु० योद्धा, वीर । अखेपाद-देखो 'अक्षयपाद' । अखाड़ौ-पु० [मं. अक्षवाट | १ कुश्ती या मल्ल-युद्ध करने का | अखेवड़, अखेयबड़, अखेयवट, (बड) देखा 'अक्षयवड़' । स्थान, व्यायामशाला । २ साधु-मंडली । ३ साधु-सम्प्रदाय | अखेट--देखो 'पाखेट। का मठ । ४ गाने बजाने या तमाशा दिखाने वालों की जमात । ५ दल-समूह । ६ सभा, दरवार । ७ रंग भूमि, | अखेल-वि० १ न खेलने वाला ईश्वर । २ देखो 'अखिल'। नाटयशाला। ८ अहा। युद्धस्थल । १० युद्ध । | अखेली, अखेली-वि० [सं० अ-न-कल्प] १ रुग्णावस्था से बचन ११ चमत्कारपूर्ण कार्य । १२ दंगल । व्याकुल। २ जो बलता न हो। ३ विचित्र अद्भुत । अखाड़ियो-वि० 'अखाड़े' में खेलने वाला, दंगली। ४ जो खेला न जा सके। अखाज, अखाध-देखो 'अखज' । अखेस-वि० [सं० अक्षम | १ युद्ध से निलिप्त । अखाड (ढ) देखो 'पासाढ़' । [सं० अशेष | २ शाश्वत, नित्य । ३ परब्रह्मा, ईश्वर । अखाडउ-देखो 'अखाडौ' । अखेह, अखेहय-वि० १ जिम पर रज न हो, निर्मल, साफ । अखि १ देखो 'अक्षि' । २ देखो 'अक्षय' । ३ देखो 'अखिल'। देखो 'अक्षय'। अखि ग्रात. अखिमाति-देखो 'अखियात'। अखंग, अखंगौ देखो 'अखंग' । अखित- देखो 'अक्षत'। अखै-१ देखा 'अक्षय' । २ देखो 'अक्ष' । अग्वियात स्त्री | गं. अख्यानि] १ कीनि, ख्याति, प्रसिद्धि । अखकुमार देखो 'अक्षयकुमार' । २ अद्भुत या पाश्चर्यजनक बात । ३ अपकीति, बदनामी। अखबाद-दखा 'अक्षयपाद' । ८ म्मरणीय बत या कार्य। - वि० १ प्रसिद्ध, मशहर । अखबड़, अखवड़, अखबट-दखा 'अक्षयवट'। • अदभूत, अनौखा । चिस्यायी अविनाशी । प्रखमाळ - देशो 'अक्षमाला' । ८ देखो अख्याति' । | अखोड़, अखोड १ देवा 'अखराट' । देखो 'खो' । For Private And Personal Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसारण अगद प्रखोरण, अखोरणी, प्रखोहरिण, अखीहरणी, अखोहिण, अखोहिरिण, देखो 'अघजीत'-भू='अग्निभु' ।-हर='अघहर' । अखोहीणी-देवो 'अहिणी'। - हरणी 'अघहरगी। अखादा ग्रामा' (स्त्री प्रवी) । २ देखो 'अक्षयकुमार। अगई-दखो 'प्रगाड़ी। खोड वि. म. ग. मोड़। १ सज्जन, साधु, भद्र। | अगउवी-देखो 'अगो ' । गि निष्कनवः । : मुन्दर । ४ अवगुण रहित ।। अगड-वि. म. अघटनम्] १ अवटित । २ अगम्य । पदमा अखाद । भयंकर । ४ अागे रहने वाला, अग्रगी।-पु० १ दर्य, अवारण, अखोरणी, अखाहरण, अखौहरिण, अखौहिण, अखौहिरिण, एट । -क्रि०वि०-१ अगाड़ी, आगे । २ देखो अखोहिणी, प्रखोहोरिग, अखौहीणी-देखो 'अक्षौहिणी' । 'अगर ।-बगड़-वि० व्यर्थ, निरर्थक । असम्बद्ध, क्रमहीन । प्रखरणी, (बौ) देखा 'मानी (बी)। —पृ० व्यर्थ प्रलाप । प्रखर देखो 'अक्षर' । अगड, अगड्ड, अगढ़-पु० । देश] १ रोक, प्राड, प्रोट । २ बांध, प्रस्तावर, अस्त्तावर-पु० [फा० प्रास्तः] वह घोड़ा जिसके बंध, अवरोध । ३ प्रतिबंध, रुकावट, मनाही। ४ व्यवधान, जन्म से ही अण्डकोश की कौड़ी न हो । बधिया घोड़ा । बाधा । ५ मर्यादा, मीमा । ६ दो हाथियों के बीच की अख्यर -देखा 'अक्षर'। दीवार । ७ हाथी का बंधस्थल । ८ हाथियों का अखाड़ा। प्रख्यात-वि० [सं० अख्याति] १ जो प्रसिद्ध या मणहर न हो।। ६ देखा 'अकड़' ।-झाट-वि० भयंकर, डरावना । कुरूप । २ अविदित, अनजाना । ३ बदनाम, निद्य | अगढ़ाळ, अगढ़ाळिपौ-पु. १ मकान के अग्र भाग पर बना १. देखो 'अखियान'। दलुवां छप्पर । २ दनुव छप्पर वाला भाग। प्रख्याति, अध्याती-स्त्री० [म० अध्याति]१ अपकीति | अगणंत-देखा 'अगणित। बदनामी, निदा । २ अप्रसिद्धि । ३ देखो 'अखियात'। | अगण--पु० [सं०] १ काव्य रचना में अशुभ माने जाने वाले अख्यारत-देखो 'अक्यारथ' । गगा । २ देखो 'अग्नि' । ३ देखो 'अन'। ४ देखो 'प्रगण्य' । अगज, अगंजरण. अगंजणी- वि० सं० अगजन|१ जिसके पाम | अगरगत, अगरिणत-वि० [सं० अगणित] १ जिसकी गगाना न कोई पहुंच न मर, अगम्य । जिसे कोई जीत न मके. का जा सक । २ असख्य, अपार । अजय । ३ वीर योद्धा । ---पृ०१ काम देव ।। अगरणी-दखो 'अगनी'। देखा 'अगंजी। अगणी-वि० सं० अग्र+ग. गौ] पूर्व का, पहले का, प्राचीन, अगला। प्रगंजणी. (बौ) क्रि० मा [म. ग्रगन्जनम् ] विजय अगष्य वि०१ जिसकी गगाना न हो। २ देखो 'अगरण'। करना, जीतना। अगत. अगति. प्रगती-स्त्री० [सं० अगति] १ दुर्गति, दुर्दशा। अगजी-पु० मि० अगञ्जन] १ गढ़ । २ देखो 'अगंज'। २प्रेत योनि । ३ नरक वास । ८ दाहादि क्रिया। ५जीव ____ --- गज, गंजरणी-वि• अजेय को जीतने वाला, अप्रतिहत । की अधोगति में होने की अवस्था । ६ जड़ता, स्थिरता । अगंजी- देखो 'अगंज । ---वि. १ जिसमें गति न हो, गतिहीन । २ उपाय रहित । अगंभ वि. म.. +गर्भ ] जो गर्भाशय वाम न करे, अवतारी। ? मोक्ष से वंचित । ४ प्रेत योनि प्राप्त । ५ बुरी गति का। .. पु० १ ईश्वर, परमात्मा, ब्रह्म। २ ब्रह्मा । । विस्थिर । ७ दीर्घ मुत्री, आलसी । विष्णु । . म., शिव । प्रगतियार- देखो 'इखत्यार'। अग-वि.मं. १ चलने में ग्रगमर्थ । २ जिमवः पाग कोई | अगतियौ. प्रगतीयौ-वि० सं० अगति+रा. यौ] १ जिमकी गीन ग । अगम्य । ३ स्थावर। ८ वक्रगति । गति या मोक्ष न हया हो, मोक्ष से वंचित । २ प्रेत योनि पु. अगः | १ पहाड़। पेड़, वृक्ष । ३ घड़ा, में गया हुआ। घट । ८ मयं. रवि । ५ मर्प, मांप । ६ मान की मया । अगती--पृ. | देश| १ अहिमा या देव पूजा की दृष्टि से किया या अप। - देवा 'अग्य'। देखा 'अग्र'। जाने वाला कार्यावकाश । २ मजदूरों का अवकाश दिवम । १. दखा 'अग्नि। ११ यश कीति । १२ मर्यादा, मीमा । अगत्थ, अगत्थि, अगथ, अगथि, अगथी, अगथ्य, ...ज-वि• पहाड़ से उत्पन्न । पहाड़ों में रहने वाला । वृक्ष अगथ्यौ, अगथ्यौ- देखा 'अगस्त' । पर रहने वाला । .....पु. सिंह । हाथी । पक्षी । शिलाजीत । अगद-पु० [सं०] । १ स्वास्थ्य २ विष नाश करने का -----जा-स्त्री० पार्वती।-नग- 'अग्नि-नग' । ---जीत-वि० | विज्ञान । ३ वैद्य । ४ दवा. औषधि । --वि० १ स्वस्थ, जो जीता न जा सके, अजेय । विजय में अग्रणी।। निगेग । २ न बोलने वाला, मौनी।-राज-पृ० अमृत, मधा । For Private And Personal Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रगन प्रगम अगन-स्त्री० १ दक्षिण-पूर्व के मध्य की दिशा, आग्नेय । २ इस -ज्वाळ, झाळ-स्त्री० १ ग्राग की लपट ज्वाला । दिशा का दिक्पाल । ३ देखो 'अगनी'।-करण 'अगनी-करण'। कलिहारी नामक पौधा, धव वृक्ष ।--दाग, दाह -कोट = 'अगनीकीट' । -कुंड = 'अगनीकुड' । ---पु० अग्नि संस्कार । दग्ध करने की क्रिया -कुळ='अगनीकुल'। -कूण, कोण.. 'अगनीकोण' । -दीपक, दीपरण-पु० पाचन शक्ति बढ़ाने वाली श्रीपधि । अगनग-पु० [सं० अग्नि-नग] ज्वाला मुखी पर्वत । -देवा-स्त्री. कृत्तिका नक्षत्र । -नग--पु० ज्वालामुखी अगनियौ-पु० १ एक कांटेदार वृक्ष विशेष । २ एक रोग विशेष । पहाड़ ।-पत्थर-पु० चकमक का पत्थर ।--परीक्षा-स्त्री०, ३ देखो 'प्रागियौ। अग्नि-स्नान । सोना, चांदी अादि को तपाने की क्रिया । अगनि, अगनी-वि०१ काला, श्याम । २ रक्त मिथित रंग का ---पुरांरण पु० अठारह पुराणों में से एक । -प्रतिस्ठा, -स्त्री० [सं० अग्नि] १ आग, अग्नि । २ गार्हपत्य, प्रतीस्ठा--स्त्री० विवाहादि मांगलिक कार्यों पर अग्नि की पाह्वनीय तथा दाक्षिण तीन प्रकार की हवन की अग्नि । विधिवत् स्थापना । --प्रवेस, प्रवेसरण-पु० सती होने की ३ उदरस्थ पाचन शक्ति, जठराग्नि, वैश्वानर । ४ पंच तत्वों क्रिया। -बांग-पु० वह तीर जो अग्नि की वर्षा करे । में से एक, तेज, प्रकाण । ५ गरमी, उष्णता। ६ पित्तनामक तोप । बंदूक । -बाय, बाव, वायु-स्त्री० चौपायों, विशेषदोष । ७ अग्नि-देव । ८ माया । ९ सोना, स्वर्ण । कर घोड़ों का एक वात रोग। --बाहु-पु० धुश्रा, धूम्र। १०चित्रक, चीता । ११ भिलावा । १२ नींबू । १३ घोड़े के ---बीज-पु० मोना, स्वर्ण ।' र' वर्ण। -बोट-पु. भाप से म.थे की भौरी । १४ तीन की संख्या । १५ 'र' का प्रतीक । चलने वाली नाव, छोटा स्टीमर । -भं, भु, भू-पृ० कृत्तिका १६ अग्निकोण का देवता । नक्षत्र । गोना, स्वर्ग । जल, ग्वामिकात्तिकैय का एक नामान्तर ।-मंथ-पु० यज्ञ के लिए प्राग निकालने का अरणी --अगार, प्रागार पु० अग्निदेव का मन्दिर, प्राग का घर। --अस्त्र पु० एक प्राचीनकालीन अप जिसे मंत्र में नामक वृक्ष । .... मरण, मणि, मणी, मिरण, मिणि, मिरणी चलाने पर प्राग की वर्षा होती थी। नोप । बन्दुक । --स्त्री० मूर्यकान्त मणि । आतशी, शीशा, प्रारमी। -मांद -प्राधान-पु० अग्नि की विधिवत स्थापना । अग्निहोत्र । -पु० मंदाग्निरोग-मुख-पु० देवता । ब्राह्मण। प्रेत । खटमल । -उत्पात-पु० अग्नि का कोई अशुभ संकेत । अग्नि का ---रोहणी, रोहिणी-स्त्री० कांख का एक फोड़ा जिससे उपद्रव । उल्कापात ।-कंवर, कंवार, कुमर, कुमार, कुवर, तीव्र जलन होती है। ----वंस-पु० अग्निकुल । --वाह पु० कुवार, कुमार-पु० स्वामिकात्तिकैय, षडानन । एक धुम्र, धुपा। --वीरज-पु० मोना, स्वर्ण । -वि० रसौषधि । -करण-पु. अंगारा, शोला, चिनगारी । शक्तिशाली । -संसकार, संस्कार-पु० दाह संस्कार, -करम-पु० अाग का पूजन । अग्निहोत्र, हवन । शवदाह । अंत्येष्टि संस्कार । शव दाह । -सखा-सहाय-काठ, कास्ठ-पु० अगर का वृक्ष व लकड़ी । पु० पवन, हवा । वीर अर्जुन । जंगली कबूतर । -किरिया, क्रिया-स्त्री० दाह संस्कार, अंत्येष्टि क्रिया । धुपा, धूम्र । -साक्षी, साख-स्त्री० अग्नि ---कीट-पु० बाग में निवास करने वाला समंदर नामक (यज्ञ की) की साक्ष्य में किया जाने वाला शुभाशुभ कीड़ा। -कुंड--पु० अाग जनाने का कुण्ड । यज्ञ कुण्ड । कार्य । -साळ, साळा-स्त्री० वह स्थान जहां पवित्र अग्नि गर्म जल का मोना । एक तीर्थ का नाम । -कुळ-पु० एक रखी जाय । हवनस्थल । -सिखा-स्त्री० आग की लपट, क्षत्रिय वंश। -कूण, कोप-पु० दक्षिण-पूर्व का कोण, लौ, ज्वाला । --सुद्धि, सुधी-स्त्री० अग्नि स्पर्श से आग्नेय दिशा । केत, केतु ---पु०-शिव का एक शुद्धिकरण । अग्नि-स्नान ।-होतर, होत्र-पु० नियमपूर्वक नामान्तर । धूम, धुआ । क्रिया-स्त्री० दाहसंस्कार । किया जाने वाला वैदिक कर्म । यज्ञ । --होतरी, होत्री -क्रीडा-स्त्री० ग्रातिशबाजी । प्रकाश, दीपमालिका, -वि० अग्निहोत्र या यज्ञ करने वाला। --पु० ब्राह्ममा रोशनी । गरब, गरभ-वि० जिसके भीतर पाग हो ।-पु० का एक वंश। शमीवृक्ष । पृथ्वी, धरती । सूर्यकांत मणि । --जंतर, | अगनीव्रत-पु० [सं. अग्निव्रत] वेद को एक ऋचा का नाम । जंत्र,-पु० बंदुक, तोपादि अस्त्र । --ज, जात-वि० ग्राम अगनीति-स्त्री० जैनों के ८८ ग्रहों में से ७९ वां ग्रह । से उत्पन्न ।-पु. सोना, स्वर्ण । विष्णु । पडानन । --जीभ अगन्न-देखो 'अगनी'। -स्त्री० आग की लपट या लौ। अग्नि की मात जिह्व अगन्या देखो 'अगिना'। कराली, धूमिनी, श्वेता, लोहिता, नील लोहिता, सुवर्णा अगम-वि० [सं.] १ जो चलने में असमर्थ हो। २ जिगवे और पद्यरागा। ---जुग, युग-पु० ज्योनिप के पांच-पांच पास कोई जा न सके। ३ पहले का । ८ दुरदर्गी । वर्ष के १२ युगों में से एक। मं० अगम्य ५ जहां कोई पहं व न मके, पहुंच गे परे । For Private And Personal Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रगम ( २२ ) अगासुर दुर्गम । ६ दुर्बोध, बुद्धि से परे। ७ न जानने योग्य । अगवारणी, अगवाई-स्त्री० [सं० अग्र-+रा वाणी] १ स्वागत, ८ काठन। ९ विकट । १० दुर्लभ्य। ११ अप्राप्य । अगवाणी । २ नेतागिरी, नेतृत्व। -वि० अगुवा, १२ विकट । १३ बहुत गहरा, अथाह । १४ अत्यधिक, अग्रणी नेता। अपार । ---पृ० १ ईश्वर, परमात्मा। २ पर्वत, पहाड़। अगवाडौ, अगवार, अगवारौ-पु० [सं० अग्र-पाटक] घर के ३ वृक्ष, पट। ४ मार्ग, रास्ता। ५ भविष्यतकाल । । आगे का भाग। पिछवाड़ा, पृष्ठ भाग । ६ दूरदशिता। ७ सर्प । --गम-पु० भीम । -द्रस्टी, अगवारे, अगवार-क्रि० वि० आगे, अगाड़ी, मामने, सम्मुख । बुद्धि, बुद्धी बुधी-वि० दूरदर्शी। भविष्यदृष्टा। अगस, अगसत, अगसत्त, अगसथ, अगसथ्य, अगस्त, अगस्ति, --भाखो-वि० भविष्य वक्ता । अगस्तिय, अगस्त्यौ, अगस्थ, अगस्थियौ--पु० [सं अगस्तिः, अगमांगम-वि० [सं०] १ अथाह, अपार । २ अगम्य । अगस्त्यः ) १ एक पौराणिक ऋषि, कुम्भज । २ एक -पु० भीम । तारा। ३ एक पेड़ विशेष । अगमू, अगम्म. अगम्य-देखो 'अगम' । अगहट, अगहटौ-देखो 'पागाहट' । अगम्या-स्त्री० संभोग या मैथुन के लिए अयोग्य या अगहरण, अगहन-पु० [सं० अग्रहायन] मार्ग-शीर्ष मास । निषिद्ध स्त्री। | अगहर-वि० १ प्रथम, पहला । २ देखो 'अघहर' । अगर-पु० [सं० अगम्] १ एक वृक्ष जिमकी लकड़ी| अगरणी-पु० [देश] रहट के किनारे पर रखी जाने वाली शिला सुगंधित होती है । २ एक औषधि । ३ चंदन । या बड़ा पत्थर । ४ वेलिया मागोर का एक भेद । ५ एक छंद विशेष । अगांळी-स्त्री० [देण] जीपने (लान करने) की क्रिया । ----प्रव्य० [फा.| १ यदि । जो, मगर । २ देखो 'अन'। अगा- देखो 'मागे'। -----चे-प्रव्य० यद्यपि । -दान-पु० सुगंधित अगर रखने अगाउ, अगाऊ-देखो 'पागाऊ'। का स्थान । .--बती, बत्ती, वती बत्ती-देखो 'अगरबत्ती'। ।। अगामी क्रि० वि० म० अग्र, प्रा० अग्ग-।-रा. डी] १ ग्रागे। मी िfram. Tn अगरगणी, (गांमी)-वि० सं० अग्रगण्य ] १ 'प्रधान मुखिया । मामने, सम्मुख । ३ भविष्य में । ४ पूर्व, पहले । २ थोप्ठ, उत्तम । ३ अगा। ५ पारा नजदीक । --पु० १ घोड़े के अगले पैर का बंधन । अगरणी देखो ‘ग्रागरगा' । २ ग्रागे का भाग। ३ सेना का प्रथम अाक्रमण । अगरच-मगरच-कि- वि० पागे पीछे, यथा विधि । --पिछाड़ी, पीछाडी- क्रि० वि० प्रागे-पीछे। -स्त्री. अगरब अगरभ-वि० [सं० अ-गर्भ] १ जिसने गर्भाशय में घोड़े के अगले व पिछले पैरों में बांधी जाने वाली वाम न किया हो, अवतारी। [सं० अ-गर्व] २ गर्व रहित । सांकल या रस्सी। ---पु० ब्रह्म, ईश्वर । स्वयंभू । अगाजणी, (बौ) देखो, अग्राजणी, (बी)। अगरबत्ती-स्त्री० अगर आदि से बनी सुगंधित वर्तिका । अगाढ़, अगाद, अगाध-वि० [सं० अगाध] १ बहुत गहग, अगरवाळ-पु० एक वैश्य-जाति । इस जाति का व्यकि। अथाह । २ असीम, अपार । ३ अत्यधिक, वहन । ८ घनिष्ट, अगराजरणौ, (बौ)-देखो 'अनाजणी, (बौ) । घना, गाढा । गहन । ५ दुर्योध्य । ६ बनवान शक्तिशाली। अगरासण-देखो 'अग्रामग' । ७ गंभीर। ---जळ-पु० अथाह-जल । नालाब, सरोवर। अगरेजी-पु. एक प्रकार का घोड़ा विशेष । ------वि० अनलस्पर्शी । अगाध जल वाला। --परण-पु० अगरेळ-पु० [सं० अगर] ऊद । अगर । गहराई, गंभीरता, गहनता, घनापन । अमीमता । ग्रगळ स्त्री० [सं० अर्गला] १ अर्गला। २ पार्श्व ।-ज-वि० गई । अगात-वि० गरीर रहित, निराकार। --पू० काम देव । -बंध-पु. एक प्रकार का प्राभुपग । बगळ-क्रि० वि०इधर परब्रह्म, ब्रह्म । -उधर, ग्रास-पाम, पार्य में। अगार-देखो 'ग्रागार'। अगळ-डगळ-पु० अंटमंट, अनर्गल प्रलाप । अगाळ-वि० १ अत्यधिक, बहत। २ विशेष, खाम । अगनू गौ, अगलूरणी-वि. ग. अग्र . रा नगगी (स्त्री० अगगी देखो 'अकाळ' । अगनूगगी) । १ पूर्व का,पहले का । २ प्राचीन, पुराना । | अगालग-क्रि०वि० निरंतर । अगलौ देखो 'प्रागनी' (त्रा० अगनी)। अगाळा -स्त्री० [देश | बरछी । अगवारण-वि० [सं० अग्र रा बांगा| १ अगुवां, ग्रागे वाला। | अगास देखो 'पाकाम । २ प्रधान, नेता, प्रमुख । ६ अगवानी करने वाला। अगासुर-देखो 'अघामृर' । For Private And Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रगाह अगाहट, प्रगाठ देखो 'धागाहट' । अगि १ देखो 'अग्नि' । २ देखो 'गे' । श्रमिश्रर - देखो 'अजगर' | अगिन-देखो 'अग्यांन' | मित्रांनी- देखो 'अग्यांनी' । अगाह - वि० [फा० ग्रागाह] १ प्रगट विदित अविनाशी । ३ जो जीता न जा सके, ४ ग्रहण किया जाने वाला। पु० क्रि० वि०- १ आगे से आईन्दा । २ पहले से । ३ प्रगाड़ी । अगिया- देखो 'प्राग्या' । अगियार, अगियारं-देखो 'इग्यारे' | मिली गिल देखो 'धागनी' (स्त्री० मा अगियां देखो 'बागीवांण' | मिहिळ पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष | अगी- देखो 'अग्नि' । अगिना स्त्री० [सं० च्या] १ गाय, गौ २ देवो''। अगिनाभू-देखो 'अगनीभू' । अगियांन- देखो 'अग्यांन' | अगियांनी- देखो 'अग्यांनी' । www. kobatirth.org २ अनश्वर अजेय । [सं० गृ] परब्रह्म, ईश्वर । , ( २३ ) श्रगीत - वि० १ न गाये जाने योग्य । २ न गाया जाने वाला | ०१ आगे चलने वाला य २ मुखिया, प्रधान । ३ नेता । ४ श्रेष्ठ । ५ मार्ग दर्शक | -कि० वि० गाड़ी पाने aat - देखो 'वी' । अवि० मूर्ख मूढ 7 · गुण- वि० [सं] १ जिसमें कोई गुग्ण न हो, गुणहीन, निर्गुण । २ जिसमें कोई सद्गुरण न हो, श्रवगुणी । ३ निकम्मा । ४ मूर्ख । ५ अनाड़ी । पु० १ अपराध, २ खराबी, बुराई । ३ देखो 'उगूरण' । दोप | श्रगुप्त - वि० १ [सं.] जो ग्रात्मा का गोपन न करें। २ जो गुप्त न हो, प्रगट । वाणी-देखो 'गवांगी'। नंबर अगे देखो 'आगे' | अवामी दी। वि० [सं० [देव] बेदाग गेरी (ब)(ब)' - पु० [सं०] मे] १ हिमालय २ मेपर्यंत Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मर्गदेखो 'मागे' श्रह - वि० [सं० प्र + गृह] जिसका कोई घर न हो, बेघरबार । - पु० परब्रह्म, ईश्वर । श्रगोगा - क्रि०वि० १ आगे, अगाड़ी । २ पूर्व, पहले । गोखड़ी० [सं० ग्र+वाट] घर का अग्रभाग अगोचर वि० [सं०] इन्द्रियातीत । २ प्रत्यक्ष ३ अप्रगट, अदृश्य । - पु० विष्णु, ईश्वर, परमात्मा । परब्रह्म । गोणी-देखो 'उगुणी' । गौलग-देखो 'गोलग' | अग्ग - १ देखो 'अ' । २ देखो 'अगनी' । ३ देखो 'व' | ४ देखो 'अग' | अगो-देखो 'धगनी । श्रग्गमबुद्धि, अग्गमबुद्धी - देखो 'ग्रगमबुद्धि' । अग्गर-१ देखो 'अगर' । २ देखो 'ग्रागार' | जिसका अनुभव इन्द्रियों से न हो श्रग्येय अग्गळ. अगळी क्रि०वि० १ सम्मुख समक्ष । २ देखो 'आगळ' | अगळौ - देखो 'ग्रागल' (स्त्री० अग्गळीं ) । अग्गलो-देखो 'ग्रग्गली' (स्त्री० प्रगळी) । अगस्त- देखो 'अगस्त' । अग्गाळि, अग्गाळी-देखो 'सकाळ' | श्रग्गि- देखो 'अगनी' । २ देखो 'अग्र' | अग्नि, श्रग्गियांग - देखो 'प्रग्यांन' । २ देखो 'ग्रागीवांण' । अग्मी अग्नि-देखो 'अगनी' । , अन्य वि० [सं०] १ घनपद प२ जड़ बुद्धि, सूर्य ३ प्रविवेकी । ४ ज्ञान हीन, अनुभव हीन । - ता०-स्त्री० ग्रज्ञानता। जड़ता । मुर्खता । प्रम्यांन पु० [सं० प्रज्ञान] १ नागमभी नादानी २ ता जड़ता । ३ श्रविद्या | ४ मिथ्या ज्ञान । ५. ज्ञानहीन अवस्था । J For Private And Personal Use Only " अग्यांनी वि० [सं० अज्ञानी ] १ नासमझ, नादान । २ जड़बुद्धि मूर्ख पति पनाड़ी ४ मिथ्या ज्ञानी । अग्या- देखो 'ग्राग्या' । वि० [सं०] १ जो या रहस्यमय न हो, सीधा, अध्यात वि० [सं० ज्ञान] १ जो ज्ञान हो। २ गुप्त, छपा सरल । २ जो छिपा न हो, प्रगट । ३ स्पष्ट । १ देखो 'धगुण २ देखो 'उग्र' हुआ । ३ परिचित । ४ बेसुध । ५ ज्ञानी । ---जोवला, बीवला स्त्री० उभरते पीवन के प्रति वसुध मुन्धानादिकवास- गुप्त निवास स्थान, गुप्तवास अग्यारस (सि, सी) - देखो 'एकादमी' । अध्येषवि० [सं०] १ जो जानने योग्य न हो जिस जाना न जा मके । २ जो बुद्धि से परे हो, ज्ञानातीत । दूध | Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २४ ) प्रघात नि-वि० [गं०] १ ग्रागे का, अगला । २ सामने का, सम्मुख का। अग्रिम-वि० [सं०] १ पेशगी, एडवांस । २ पहला, पूर्व का। ३ प्रथम, पहला । ४ पूर्व का अागे का । ५ श्रेष्ठ उत्तम। ३ अगला, बादका। ४ उत्तम श्रेष्ठ। ५ प्रधान मुख्य । -क्रि०वि०१ प्रागे, अगाडी।२ सामने, सम्मुख।३ पहले, पूर्व। सब से बड़ा। -पु० बड़ा भाई। -पृ०१आगे का भाग, सिरा। २ अवलंबन, सहारा। अग्र-क्रि० वि० [सं०] १ अगे, अगाड़ी। २ सामने सम्मुख । ३ ममूह। ४ शिखर। ५ नेता, नायक । ६ आहार की ३ आदि में, पहले। --ण-क्रि० वि० अग्र भाग से। मात्रा। ७ प्रारंभ, शुरुयात । ८ मोर के ४८ अडों के ---सर-वि० अगुवां । मुख्य, प्रधान । प्रारम्भ कर्ता । बगबर का तौल । कर-पु० अंगुली। पहली किरण । -क्रि० वि० आगे की पोर, प्रागे।-सुर, स्वर-पु० गणेश, –कारी-वि• अग्रगी, अगुवा ।--ग, गण्य, गन्य-वि० गजानन । गगाना में प्रथम । मुख्य । नेता, नायक ।---गांमी-वि० । अघ-पु० [सं० अघं] १ अधर्म, पाप। २ अपराध, जुल्म । पागे चलने वाला, अगुवा । प्रधान, नेता।-ज, जनमा, ३ कुकर्म, दुष्कर्म । ४ व्यसन । ५ अशौच, सूतक । ६ दुःख, जन्मा, जात, ज्ज-पु० बड़ाभाई । ब्रह्मा । ब्राह्मण नेता, विपत्ति । [सं० अघः] ७ कम का सेनापति, अघासुर । नायक ।-वि० प्रथम जन्मा। श्रेष्ठ, उत्तम । प्रधान । ...दि. १ खराव, बुरा, निकृष्ट । २ दुष्ट, पापी, अधम, .. जाति, जाती-J० ब्राह्मण ।-दांनी- वि० प्रथम दान नीच । ...जोत वि. धर्मात्मा । पापियों को जीतने वाला। करने वाला । -पु. मृत-कर्म में दान लेने वाला पतित --पु० श्रीकृष्ण । -डंडी -पु. ईश्वर । यमराज । ब्राह्मगा ।---दूत-पु० आगे चलने वाला दूत, हलकारा । न्यायाधीग । -नासक, मार, मारण, मारन, मोचण, -भाग-पु० अागे का हिन्मा। मिरा, नोक । शेष भाग। मोचन-वि• पापों का नाश करने वाला ।—पृ० विष्णु । --भागी-वि० प्रथम भाग का अधिकारी।---महिसी-स्त्री० श्रीकृष्ण, दान, जप ।-स्त्री० गंगा ।--वांन वि० पटरानी।-लेख-पु० मुख्य लेख, खास समाचार-वारण, पापी । ----वारण-वि० पापों का निवारण करने वाला। घांणी-वि० अग्रगण्य । नेता, प्रधान-संध्या-स्त्री० प्रातः -हता-पु० थोकृष्ण, विष्णु । ईश्वर, श्रीराम । काल, सवेरा ।-स-क्रि० वि० प्रारंभ से। सर-वि० अग्रगण्य । ---हर, हरण-वि० पापों का हरण करने वाला। -पु० अगुवां । प्रारंभ करने वाला। मुख्य प्रधान ।-प्रव्य० पागे ईश्वर ।-हरणी-स्त्री० महादेवी । दुर्गा । गंगा। हाताकी पोर। आगे-पागे। साळ, साळा-स्त्री० सायबान, स्त्री० पापों का नाशकर मोक्ष देने वाली गंगा देवी। ग्रोमारा ।-सोचि, सोची-वि० दूरदर्शी ।-स्थांन-पु० -हारी-वि० पापों का हरण करने वाला । प्रथम स्थान । हस्त-पु० अंगुली । हाथी की सूड । --पु० ईश्वर, विष्णु । - हायण-पु० अगहन मास । अधड़-देखो 'ग्रगणघड़' । अग्रणी -वि० प्रागे चलने वाला, अगुवा, नेता, श्रेष्ठ, उत्तम । अघट-वि०१ घट रहित, जो घटिन न हो, न होने योग्य, कठिन दुर्घट,जो ठीक न घटे अनुपयुना।२ अक्षय ।३ देखो 'अघटित ।' अग्रम-देखो 'अगिम' । अघटणी, (बौ)-कि० वि० सं० अ- घटनम् विचित्र ढंग से अग्रवाळ-देखो 'अगरवाळ' । होना, अद्भुत तरीके से घटना। अग्रसरण-देखो 'ग्रामगग' । अघटित, अघट्ट वि० [म० अपटित १ जो घटित न हया हो। अग्राज म्बी० [सं० अ गर्जनम् ] जोश पूर्ग अावाज गर्जन, २ जिसका घटना संभव न हो। ३ असंभव । ४ अवश्य होने दहाड़। हुंकार। वाला, अनिवार्य । ५ अनुचित अयोग्य । ६ अनुपयुक्त । अनाजणी, (बौ) क्रि० स० जोण पूर्ग अावाज करना, गर्जना, ७ अद्भुत, अनौखा, अपूर्व । ८ अपार, असीम, बहुत । दहाड़ना, हुंकार भरना। अघट्टणौ, (बौ)-देखो 'अघटणी' (बौ)। अधण, अधन-१ देखो 'अगनी'। २ देखो 'अगहन' । अग्रासण-पु० [सं० अग्राशन] १ भोजन का अंश जो देवता, | अघरणी-देखो 'नागरणी' । गो ग्रादि के लिये सर्व प्रथम निकाला जाय। अघरायण-वि० [देश] भयंकर, भीषण। --स्त्री० अत्यधिक •सं• अग्रासन] २ सम्मान पूर्ण प्रासन या स्थान । गर्म व तेज वायु, । अग्राह्य-वि० [सं०] १ जो ग्रहण करने योग्य न हो। २ जो अघहट-देखो 'पागाहट'। धारण करने योग्य न हो, त्याज्य। ३ जो विचार करने अघहरण-पु० मार्ग शीर्ष का मास, अगहन । मानने, स्वीकारने योग्य न हो। ४ अविश्वसनीय । अधारणी (बी)-कि० [सं० याघ्राण] तृप्त होना, अघाना । अनि-देखो 'अग्र। | अघात-देखो 'ग्राघात' । For Private And Personal Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रघारि पड़णौ प्रधारि, अघारी-पु० [सं. अध+परि] १ श्रीकृष्ण । उद्दण्ड, बदमाश, गंवार । हठी, जिद्दी ।-दार-वि० २ विष्णु, ईश्वर ।-वि० पापों का नाश करने वाला। अड़ियल । ऐंठदार, मस्त, मतवाला । 4-स्त्री. प्रघावरणौ (बी)-देखो 'अघाणी (बी)। हठ, दुराग्रह । साहस, बल, शक्ति । प्रतिस्पर्धा, अघासुर-पु०- [सं०] कंस का सेनापति व पूतना का होड़ । प्रभाव, रौव ।-पत, पति, पती, पत्त, पत्ति, पत्तीभाई एक राक्षस । बि० हठी, जिद्दी ।-अरबपति, अड़ियल । उद्दण्ड, अघि, अघी-वि० १ पापी, दुराचारी । २ देखो 'अघ' । उपद्रवी । साहसी, वीर। -बंक, बंग, बंगी, भंग, भंगीअघोर-वि० [सं०] १ जो घोर न हो। २ सौम्य, सुहावना। वि० शक्तिशाली, जबरदस्त, दृढ़, अटल, अडिग । हठी, ३ प्रिय, प्यारा । ४ मुलायम, नाजुक । ५ देखो 'अघोरी' जिद्दी । उद्दण्ड, , कठिन, विकट। टेढ़ा-मेढा, ऊंचा-नीचा, -----पु० १ शिव का एक रूप । २ एक शैव ऊबड़-खाबड़ । विचित्र, अनौखा । चंचल, चपल । सम्प्रदाय । ३ तंद्रा। -कुंड-पु. एक तीर्थ का नाम । -बंध-पु० कब्जियत । -बी, वी-स्त्री० विघ्न, बाधा। -नाथ-पु० शिव, महादेव । अघोर पंथ का मुखिया । आपत्ति विपत्ति । हठ, विरोध । झगड़ा । वैर, शत्रुता । -वि० भयंकर, डरावना। -पंथ-पु. एक शैव संप्रदाय । बहस । -बीलो-वि. विघ्नकारक, बाधक । हठी, जिद्दी। -पंथी-पु० उक्त संप्रदाय का अनुयायी। (स्त्री० अड़वीली)। अघोरा-स्त्री० [सं०] भादव कृष्णा चतुर्दशी। अड़क-पु०१ बिना बोये स्वत: उगने वाला कदन्न । २ कड़वी अघोरियौ-देखो 'अघोरी' । बादाम। अघोरी, अघोरी-पु० [सं० अघोरी] १ एक प्रकार का | अड़करण-देखो 'अडोकण' । शैव सम्प्रदाय जो गहित-तांत्रिक क्रियाएं करवाता है । पड़करणी-स्त्री. किसान स्त्रियों की बांह का चांदी का प्राभूषण । २ उक्त सम्प्रदाय का अनुयायी जो गहित पदार्थों का सेवन अडकणी, (बौ)-क्रि. [देश॰] १ मा जाना, स्पर्श होना । करता है । औघड़। -वि० १ असभ्यता से खाने वाला। | २ चिढ़ना। ३ अड़ना। २ घृणित, गंदा। अड़कन-देखो 'प्रडोकण'। अघोस-वि० [सं० अघोष] १ जो शब्द, ध्वनि या घोष रहित अड़काडणौ (बौ), अड़कारणौ (बौ), अड़कावणी, (बौ)-क्रि० हो, नीरव । २ अल्प ध्वनियुक्त ।-पु० १ एक वर्ण समूह १ सहारा देना । २ अड़ाना, रोकना । ३ द्रव पदार्थ को जिसके प्रत्येक वर्ग के प्रथम दो अक्षर तथा 'स' होते हैं ।! एकाएक उड़ेलना। अड़कियौ-देखो 'अड़क'। २ प्लुत स्वर । अड़खंज-देखो 'अड़खंजौ'। अधौ-देखो 'पागौ'। अड़खंजाबाज-वि०१ आडंबर या ढोंग करने वाला। २ बहु धंधी। अध्य-देखो 'अघ'। ३ उद्यम करने वाला, उद्यमी। अध्घोर-देखो 'अघोर'। अड़खंजौ-पु. १ आडम्बर, ढोंग । २ प्रपंच, बखेड़ा । ३ उद्योग, अध्योरी-देखो 'अघोरी'। धंधा । ४ अड़गा। अघ्रमाण-देखो 'ग्रागेवांगण' । अड्ड, अडडाट-स्त्री० [अनु॰] १ सजाकर रक्खी वस्तुप्रों या अघ्राण-देखो 'प्राध्राण' । दीवार के गिरने की ध्वनि । २ लगातार अड़-पड़ अघ्रायण-देखो 'अघरायण'। की ध्वनि । ३ बरसने की क्रिया व ध्वनि । अड़गाबाज-वि० विघ्न कारक । अड़चरण, अड़चन-स्त्री० [देश] १ बाधा, रुकावट । २ विघ्न, अड़गी-वि० १ अमम्य, मूर्ख, अनाड़ी। २ रोड़ा लगाने वाला। व्यवधान । ३ दिक्कत, कठिनाई, परेशानी। ४ रोड़ा, अड़ गौ-पु० [देश] १ विघ्न, बाधा । २ अवरोध, रुकावट ।। अटकाव । ३ ढोंग, पाखंड । ४ हस्तक्षेप । ५ स्वार्थसिद्धि की युक्ति। अडचल-स्त्री० [देश] १ कष्ट, तकलीफ । २ कठिनाई, दिक्कत। ६ हथकंडा । । ३ विघ्न । ४ बीमारी, रोग । अड़-स्त्री० [देश.] १ वह सीधी लकड़ी जो कूऐ पर पाट के अड़णी, (बौ)-क्रि० [देश॰] १ अटकना । २ स्पर्श होना । नोचे लगती है। २ फलसे के द्वार पर लगाया जाने वाला ३ सट जाना, लग जाना । ४ जुड़ जाना । ५ उलझना । लट्ठा । ३ विधन, बाधा । ४ रोक, रुकावट । ५ जिद्द, हठ। ६ अटल या अडिग होना । ७ अपनी बात पर दृढ़ होना । ६ टेक, प्रतिज्ञा, प्ररण । ७ लड़ाई, झगड़ा ।-वि० १ उद्दण्ड, ८ रुकना । ६ फंस जाना । १० भिड़ना, टक्कर लेना। अड़ियल । २ जिद्दी । ३ अशुद्ध । -की, कोलौ-वि० ११ हठ करना, जिद्द करना। For Private And Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अड़ताळीस ( २६ ) प्रडाळ अड़ताळीस-वि० [सं० अष्टचत्वारिंशत् १ सैतालीस से आगे या अडवड़ियो-वि० उतावला, अातुर । बाद का । २ चालीस और पाठ ।-पु० १ चालीस व अड़वड़ी-देखो 'अड़बड़' । पाठ की संख्या । २ इस संख्या का अंक यथा-४८ । अड़वाड़-स्त्री० बराबर दौड़ आगे से घेरना क्रिया, भाग अड़ताळीसौ, अड़ताळी-पु० अड़तालीसवां वर्ष । ____ आना क्रिया ।—क्रि० वि० सामने सम्मुख । अड़तीस-वि० [सं० अष्टत्रिंशत्] १ सैंतीस से आगे या बाद का। अड़वी-देखो 'अडबी'। २ तीस और पाठ ।-पु. १ तीस व पाठ की संख्या । अडवौ-पू० खेत में फसल की सुरक्षार्थ एवं पशु-पक्षियों को २ उक्त संख्या का अंक-३८ । डराने के लिए खड़ा किया जाने वाला पुतला । अड़तीसौ-पु० अड़तीसवां वर्ष । -वि० विघ्न कारक, व्यर्थ व्यवधान डालने वाला। अड़तो-वि० (स्त्री० पड़ती) स्पर्ण करता हुआ । क्रि० वि० छुते | । अड़स-स्त्री० १ डाह, ईर्ष्या । २ कोप, क्रोध । ३ जोश । हुणे, स्पर्श करते हुऐ। अडस, अडसट्ट, अड़सट्ट, अड़सट्ठि. अड़सठ-वि० [सं० अष्टषष्टि] अडथडणौ (बौ)-देखो 'अडवडणी' (बी)। १ सड़सठ, के आगे या बाद का । २ साठ व पाठ। अड़दू-पु० १ उत्पात, उपद्रव । २ पाखंड, ढोंग । ३ माहौल। । -पु० १ साठ व पाठ की संख्या । २ इस संख्या का अड़प-स्त्री० १ साहम । २ बलशक्ति । ३ हठ, जिद्द । अंक-६८। ४ प्रभाव रौब । ५ होड़. स्पर्धा। अड़सटौ, अड़सठौ-पु० अड़सठवां वर्ष । अडपरणौ, (बौ)-देखो 'अडपरणौ, (बी)। अड़पाई-स्त्री० १ हठ, जिद्द । २ प्रतिष्ठा, मान । अड़सल, अड़साल, अड़सालौ-वि० [सं० अरि+शल्य] १ जो ---वि० १ हठी, जिद्दी । २ पान पर मरने वाला। शत्रुओं के लिए शल्य रूप हो । २ वीर, बहादुर । अड़पायत, अड़पायती, अडपायतौ, अडपायल, अडपाल-वि०३ इष्यालु । ४ हला, जिद्दा । १ बलवान, शक्तिशाली । २ भयंकर । ३ जबरदस्त । ४ वीर, अडसूल-देखो 'अड्ड।। योद्धा । ५ निडर, निर्भीक । ६ साहसी। ७ हठी, जिद्दी। अड़ा-स्त्री० [देश] लड़ाई, झगड़ा । २ युद्ध, समर। -ई-स्त्री० ८ अड़ियल । ६ स्थायी, टिकाऊ । बाधा, विध्न । अटकाव । रुकावट ।क, की, कू, ग-वि० अड़प्पणौ (बौ), अड़पफणी (बौ)-देखो 'अडपणौ' (बौ) । १ अकड़ने वाला, अकडू । २ जिद्दी । ३ अड़ियल । ४ शक्ति अड़ब-देखो 'अरब'। शाली. बलवान । जबरदस्त, भयंकर । -खड़ी-स्त्री० अड़बड़णौ, (बौ)-देखो 'अडवड़णो' (बौ)। लड़ाई, टंटा, फिसाद । ईर्ष्या, द्वेष । व्यर्थ की परेशानी। अड़बड़ाट-देखो 'अड़वड़ाट'। --भड़ो, भीड़-स्त्री० भीड़ समूह । -वि० शस्त्र सुसज्जित । अड़बड़ियो-देखो 'अडवड़ियो' । -यत, यती, यतौ-वि० शक्तिशाली, बलवान । अड़ियल । अड़बड़ी-देखो 'अडवड़ी' । हठी, जिद्दी । प्रोट करने वाला, आड करने वाला। अड़ब-पसाव -देखो 'अरवपसाव । -ल-वि० अड़ियल । अड़बी-स्त्री० १ विघ्न, बाधा, रुकावट । २ विरोध । अड़ाड़-देखो 'अडाट'। ३ प्रतिस्पर्धा। अडाझड़ (भड़)-स्त्री० ध्वनि विशेष ।-क्रि० वि० निरन्तर, अडव-देखो 'अरब'। लगातार । अड़बड़-स्त्री० ध्वनि, विशेष ।-वि०१ पातुर, व्याकुल । अडाट-पू०१ तेज प्रवाह या गति की ध्वनि । २ तेज वायु २ कठिन, दुर्गम । ३ अटपटा । की ध्वनि । प्रडवडणी (बौ)-कि० १ धक्का -पेल करना, एक के ऊपर एक अडाणी (बी)-क्रि. १ अटकाना । २ स्पर्ण कराता, छूमाना। चढ़ना । २ हड़बड़ाना, घबराना । ३ एक साथ चलना । ३ सटाना, संलग्न करना। ४ जोड़ना । ५ उलझाना । ४ अातुर होना, व्याकुल होना । ५ शीघ्रता करना । ६ अडिग या अटल करना । ७ फंसाना, भिड़ाना । अडवडाट-पु० १ भीड़-भाड़ । २ सामान या कार्य की उलझन । ८ भिड़ाना, टक्कर लिराना । ९ हठ या जिद्द करने के ३ ध्वनि, विशेष । लिए प्रेरित करना। अडवडाणौ (बौ)-क्रि० १ तेज चलाना या हांकना । २ शीघ्रता अड़ापड़ी-वि० साधारण, मामूली । या ताकीद करना । ३ डांट-फटकार लगाना । ४ तंग अडाभड़-स्त्री० ध्वनि विशेष । करना, जोश दिलाना। | अडाळ-पु० मयूर नृत्य । For Private And Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अड़ाव प्रचागळ अड़ाव (बौ)-१०१ विधन, बाधा । २ प्रतिबंध रोक । ३ रोक, २ अद्भुत या विचित्र वस्तु, कार्य या घटना। मनाही । ४ परहेज । ५ आवश्यकता, जरूरत । ६ गरज । अच-पु० [सं० अच्] १ स्वर वर्ण। २ देखो 'पाच' । ७ परती छोड़ा हुआ खेत । ८ देखो 'अड़णौ'। अचकन-पु० [सं० कञ्चुक प्रा० अंचुक] लंबा अंगा, चोगा। अड़ाव पो (बौ)-देखो 'अड़ावौं' (बौ)। अचगळ, अचगळी, अचग्गळ, अचग्गळी-देखो 'अचागळ' । अड़ि, अड़ी-स्त्री० १ अत्यन्त आवश्यकता, सख्त जरूरत । | प्रचड़, अचड-वि० १ श्रेष्ठ उत्तम । २ महान, बड़ा । २ जिद्द, हठ, दुराग्रह । ३ दिक्कत, परेशानी । ४ बाधा, | ३ अचल, स्थिर ।-स्त्री०१ उत्तम कार्य । कीति, यश । रोक । ५ मौका । ६ लड़ाई, झगड़ा। ७ दंगा, फिसाद । प्रचरणौ, (बौ)-क्रि० [सं०पाचमनम्] १ आचमन करना । ८ विरोध, शत्रुता । -खंभ-वि० शक्तिशाली, बलवान । २ खाना, भोजन करना । हृष्ट-पुष्ट, तगड़ा । अडिग, अटल, अचल । -जंत-वि० अचपड़ा-पु. ब. व. चेचक से मिलता-जुलता एक रोग । मजबूत, दृढ़ । सावधान, तैयार ।-जोध-वि०-योद्धा, वीर, अचपळाई-स्त्री० १ चंचलता, चपलता, २ शैतानी, उद्दण्डता । महावीर । -यल, यल्ल याल-वि० अभिमानी, घमण्डी। अचपळ, अचपळउ, अचपळो अचप्पळ, प्रचप्पळउ, अचप्पळी अड़ियल, अकड़ । उद्दण्ड । जिद्दो, हठी, वीर, बहादुर । -वि० [सं० चपल] (स्त्री अचपळी) १ नटखट, चंचल, रुक-रुक कर चलने वाला । —लौ-पु० अस्त-व्यस्त या चपल । २ उद्दण्ड, बदमाश । ३ उत्पाती, उपद्रवी । बिखरा हुया सामान । योद्धा, वीर । देखो, 'अड़ियल' ।। अचमन-देखो 'पाचमन' । अड़ोसल, अडोसाल, अडोसालौ देखो 'अड़सल' । अचर-वि० [सं०] १ न चलने वाला, स्थिर, ठहरा हुमा । अड़ औ-देखो 'अड़ सौ'। २ जड़ । ३ स्थावर ।-पु. १ ऊंट का एक रोग । अड़ ड-पु० खेत में स्वतः उगने वाली कंटीली झाड़ियां । २ उक्त २ देखो 'अप्सरा' । झाडियों को काटने की क्रिया ।-वि०१ जोरदार, जबरदस्त । | अचरज अचरज्ज. अचरिज. प्रचरिज्ज-० [सं० प्राश्चर्य] २ श्रेष्ठ, उत्तम । ३ अत्यधिक । आश्चर्य, विस्मय। अडू वौ, अड़े सौ-पु० [सं० बाटरूप] १ एक प्रकार का वृक्ष । २ एक पौधा विशेष जिसकी पत्तियां औषधि के काम अचरजणौ (बौ)-क्रि० आश्चर्य युक्त होना, चकित होना। आती हैं। प्रचरियौ-बचरियो-पु० १ मिश्रण। २ सूर्य पूजा के दिन प्रसूता अड़े गड़े, अड़गडे-वि० समान, सदृश । क्रि० वि० पास-पास, के लिये बनाया जाने वाला विभिन्न सब्जियों का मिश्रण । लगभग, करीब । अचळ,अचळल-वि० [सं० प्रचल] १ जो चलायमान न हो,स्थिर । अड़े च, अड़े ज-१ प्रति बंध, परहेज । २ देखो 'अड़चण' । २ गमन शक्ति हीन । ३ अडिग, अटल । ४ दृढ़, पक्का। अडेल, अड़े ल-देखो 'अड़ियल' । -पु० [सं० अचलः] १ पर्वत, पहाड़ । २ सूर्य । अड़ोई-स्त्री० गौ-चारक ग्वाले को दिया जाने वाला भोजन । ३ इन्द्रासन । ४ ध्रुव । ५ सुमेरू पर्वत । ६ यश, कीर्ति । अड़ोस-पड़ोस-देखो 'पाडोस-पाड़ोस' । ७ श्रेष्ठ व उत्तम कार्य । ८ ब्रह्म, ईश्वर । ६ जैनियों के अड़ोसी-पड़ोसी-देखो 'पाड़ोसी-पड़ोसी'। प्रथम तीर्थ कर । १० सात को संख्या ।-कीला-स्त्री० अचंक-देखो 'अचाणक' । पृथ्वी, धरती। अचंचळ-वि० [सं० अ+चंचल] १ धीर, गंभीर । २ शान्त । अचळा-स्त्री० [सं० अचला] पृथ्वी, धरती । ३ स्थिर । अचळेस, अचळेसर, अचळेसुर, प्रचळेसुरय -पु० [सं० अचलेश्वर] अचंट-पु० रुपया ।--वि० सीधा-सादा, सरल । १ शिव, महादेव । २ अाबू पर्वत का शिव मन्दिर । अचंड-वि० [सं०] १ जो उग्र न हो, शान्त । अचल्लणौ-वि० पीछे न हटने वाला। २ सुशील, सीधा-सादा । अचवन-देखों 'आचमन'। अचंडी-स्त्री० [सं०] १ सीधी गौ । २ शान्त स्त्री । अचांचक, अचारण, अवांणक, अचारणचक, अचारणचूकौ, अचंब, अचंभ-देखो 'अचंभौ' । अचारणजक, अचारणी, अचान, अचानक, अचाक-क्रि० वि० अचंभरणी, (बौ)-कि० चकित होना, दंग रहना । अकस्मात, यकायक, अचानक, सहसा एक दम । अचंभम, प्रचंभव-देखो 'अचंभौ' । प्रचागळ, अचागळी-वि० [सं० प्रतिकर्ण] १ नटखट, चंचल अचंभित-वि० [सं० स्तंभित] चकित, विस्मित, स्तंभित । चपल । २ उद्दण्ड, बदमाश । ३ तेज, फुर्तीला । ४ प्रचण्ड, प्रचंभौ, अचंभ्रम-पु० [प्रा० अच्चभूप्र] १ आश्चर्य, विस्मय ।। भयंकर । ५ वीर बहादुर । [सं० अच्छ] ६ यशस्वी, For Private And Personal Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधाचूक ( २८ ) अच्युत कीर्तिवान । ७ उदार, दातार । ८ विचारवान, बुद्धिमान ९ निर्जीव ।-पु. १ जड़ पदार्थ । २ प्रकृति । ३ अज्ञान । [सं० अचल] ६ अटल, अडिग, दृढ़, मजबूत । ४ माया । अचाचूक-देखो 'अचांणक'। | अचेलय-वि० [सं० अचेलक] वस्त्रहीन, नंगा। प्रचारणौ, (बौ)-देखो 'प्रचणौ' (बी)। प्रचन, प्रचन-वि [सं० अ+शयन] विकल, बेचैन । प्रचार-पु०१ मिर्च मसालों के साथ तेल में डाल कर तैयार --स्त्री० १ विकलता, बेचैनी । २ अशान्ति । किया गया आम की केरी, निंबू आदि का चटपटा खाद्य । ३ परेशानी । ४ कष्ट । २ देवो 'माचार' । अचोट-पु० [सं० अ-चुट=काटना] किला गढ़ । अचारज-देखो 'प्राचारच'। प्रचोळ-वि० १ शिथिल, सुस्त, पालसी । २ जो लाल न हो। अचारवती. अचारवांन-वि० जिसका प्राचरण शुद्ध हो। अचौ-पु० मवेशी के बालों में रहने वाला कीड़ा, कीट । अचारवेदी- देखो 'प्राचार वेदो' । प्रच्चंकारी, प्रच्चंकी-वि० सहसा उत्तेजित होने वाली । अचाळ-वि० १ अत्यधिक बहुत,। २ भयंकर, प्रचंड । अच्च जणौ (बौ)-क्रि० आश्चर्ययुक्त होना। ३ तेज, तीव्र । ४ देवो 'अचळ' । अच्छ-वि० [सं०] १ स्वच्छ, निर्मल । २ विशुद्ध, पवित्र । अचित, अचितरणीय, चितनीय, अचितु-वि० [सं० अचिन्त्य, ३ उत्तम, श्रेष्ठ । ४ सुन्दर । -पु. १ म्फटिक । अचितनीय] १ मन और बुद्धि से परे। २ अबोध गम्य, २ रीछ, भालू । ३ स्वच्छ जल । ४ देखो 'अक्ष' । अज्ञेय । ३ कल्पनातीत । ४ अतुल, असीम । अच्छइ-देखो 'अछई'। ५ प्राशा से अधिक ।-पु० १ ब्रह्म । २ शिव । अच्छकछक-बेखो 'अछकछक' । अचित्यौ-वि० [सं० अचिंतित] १ जिसका विचार न किया अच्छड़-देखो 'अचड़' । ___ गया हो, बिना सोचा हुआ,। २ आकस्मिक । अच्छत-देखो 'अछत'। प्रचित-वि० [सं०] १ जो सोचा न गया हो, अविचारित । प्रता-स्त्री० [सं० अच्छप्र. ता] १ स्वच्छत अच्छता-स्त्री० [सं० अच्छ+प्र. ता] १ स्वच्छता, निर्मलता। २ अनेकत्रित, बिखरा हुआ। ३ गया हुआ । २ पवित्रता, विशुद्धता । ३ श्रेष्ठता । ४ सुन्दरता । ४ नासमझ, विवेकशून्य । ५ धर्म विचारशून्य । अच्छतौ-देखौ 'अछतौ' । ६ उल्टा, औंधा । ७ निर्जीव । (जैन)। प्रच्छर-वि० [सं० अच्छ] १ उत्तम, अच्छा । २ देखो 'अक्षर' । अचिरज, अचिरज्ज, अचिरिज, अचिरिज्ज-देखो 'अचरज' । । ३ देखो 'अप्सरा'। प्रचीत-देखो 'अति'। अच्छरा, अच्छरि, अच्छरी-देखो 'अप्सरा' । प्रचीतौ-देखी 'अगणचींती' (स्त्री० अचींती)। अच्छाई-स्त्री० १ अच्छापन । २ भलाई । ३ विशेषता, अचीत-देखो 'अचित'। खासियत । ४ महत्ता । ५ सुदरता, सुघराई । ६ श्रेष्ठता। प्रचीतौ-देखो 'अगणचीतौ' । (स्त्री० प्रचीती)। अच्छारौ-देखो 'अच्छ' । अचूक, अचूकौ देखो 'अचूक' । अच्छिज्जदोस-पु० किसी दुर्वल पर दबाव डाल कर पाहार अचूंड, अचूडौ-देखो 'अचंड' । दिलाने का दोष । अचूक-वि० [सं० अच्युत्कृ] १ जिसमें कोई चूक न हो, भूल न हो। अच्छूगाळ-देखो 'अचूगाळ' । २ कभी न चूकने वाला, लक्ष्य सिद्ध । ३ अमोघ । | अच्छी-१ देखो 'पाछी'। २ देखो-ख । ४ कारगर । ५ भ्रम रहित । ६ अव्यर्थ । अच्छृतौ-देखो 'अछूतौ'। ७ निश्चित, सही। अच्छेप-देखो 'प्रछेप'। अचूको-वि० [सं० अच्युत्क] १ अद्भुत, अनौखा, विचित्र । अच्छेर-देखो 'पद्धसेर' । २ निश्चित, नि: शंक। अच्छेरु, अच्छेरु-देखो 'अछेरु' । प्रचुकाळ, अचूगाळ-पि० जो स्वच्छता का विशेष ध्यान रखे, अच्छेहौ-देखो 'अछेहो' । मफाई पसंद । अच्छोहीणी-देखो अक्षौहिणी' । अचेत, अचेतण, अचेतन, अचेतौ-वि० [सं० अचेतन] अच्छौ-देखो 'पाछौ'। १ चेतना रहित, बेहोश, मूच्छित । २ संज्ञा शून्य। अच्युत-वि० [सं०] १ अटल, दृढ़ । २ अविनाशी, अनश्वर । ३ जड़, मूढ़। ४ ज्ञानहीन । ५ असावधान, गाफिल । -पु० १ विष्णु । २ श्री कृष्ण । ३ परमेश्वर । ४ वैमानिक ६ ना समझ । ७ माया रत । ८ विकल, व्याकुल बेचैन । श्रेणी के कल्पभव देवताओं का एक भेद (जैन)। For Private And Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २९ ) प्रज-मोद -अग्रज-पु. बलराम, बलभद्र ।-मानंद-पु. परब्रह्म, | अछेक-वि० [सं० अछिद्र] १ छिद्र रहित । २ अभंग । ईश्वर ।-वि० जिसका प्रानन्द नित्य हो । ३ अखण्डित । ४ निर्दोष, त्रुटि रहित । प्रचज, अन्नज्ज-देखो 'अचरज'। ५ जो चोटिल न हो। प्रछंट-वि० १ अलग, पृथक । २ दुर ।-क्रि० वि० अचानक, अछेद-वि० [सं० अछेद्य] १ जिसे छेदा न जा सके, अभेद्य । अकस्मात । २ अखण्ड । ३ निष्कपट । अछइ (ई)-वि० [सं० प्रस्] है, वर्तमान, मौजूद । अछेप-वि० अछूत, अस्पृश्य । अछक-वि० [सं० अ-+चक तृप्तौ] १ न छका हुआ, अतृप्त । अछेर-देखो 'अद्धसेर'। २ भूखा । ३ उन्मत्त, मस्त । -छक-वि० अपार, असीम । अछेरु, प्रछह-वि० [सं० अच्छ] १ अपेक्षाकृत बढ़िया श्रेष्ठ । अछकरणो, (बो), अछक्करणो, (बी)-क्रि० १ अतृप्त रहना । -पु० आश्चर्य, विस्मय । २ भूखा रहना। ३ उन्मत्त होना । अछेह, अछेहौ-वि० १ अनन्त, अथाह । २ अत्यधिक । ३ मर्यादा अछड़-देखो 'अचड़'। या सीमा रहित । ४ अखण्डित । ५ छेह न देने वाला। प्रछड़ी-स्त्री० सफेद रंग की घटिया किस्म की ज्वार । -क्रि० वि० लगातार, निरन्तर ।-पु० परब्रह्म । प्रछत-वि० १ छिपा हा, गुप्त । २ अविद्यमान |-क्रि० वि० | प्रछ-देखो 'छै'। १ विद्यमानता में, उपस्थिति में । २ सिवाय, अलावा । | अछोड़ी-देखो 'माछी'। ३ होते हए । --स्त्रो० अभिलापा इच्छा कामना । अछोतौ-देखो 'अछुतो'। २ सम्मान । ३ विद्यमानता । ४ देखो 'अक्षत' । प्रलोभ-देखो 'प्रक्षोभ'। अछता-वि०(स्त्रा० अछता) १ निबल, दुवल । २ गायब, अलाप। अछोर-वि० [सं०] जिसका कोई छोर या मीमा न हो, ३ निधन, गरीव । ४ अभूतपूर्व, अनौखा । ५ असंभव । असीम। अछर-१ देखो 'अक्षर' २ देखो' प्रच्छर' ३ देखो 'अप्सरा'। अछोह-देखो 'अक्षोभ'। अछर-वर, अछरांवर-पु० [सं० अप्सरा+वर] वीर, योद्धा । अछराणि, अछरा, अछरायण, अछरायन, प्रछरी-देखो 'अपसरा'। अछ्यौ-देखो 'ग्राछौ'। प्रछरोक-वि० बहुत, अधिक । प्रजप-वि० अकथनीय, अवर्णनीय । प्रछरोट-देखो 'अखरोट' । प्रज-वि० [सं०] १ जन्म रहित, स्वयंभू । २ अजर, अमर । प्रछळ-पु० [सं० अ- छल] १ छल का विपर्याय । २ कपटहीन | ३ अनादि । ४ क्रूर ।-पृ० १ ब्रह्म । २ ईश्वर । अवस्था या भाव ।-वि० छल-कपट से रहित । ३ विष्णु । ४ शिव । ५ श्रीकृष्णा। ६ ब्रह्मा । ७ देवता । अछांनी-वि० (स्त्रो० अछांनी) १ जो छुपा या गुप्त न हो। ८ कामदेव । ९ श्रीराम के पितामह का नाम । २ प्रगट । ३ प्रसिद्ध । ४ परिचित । ५ अज्ञात । १० बकरा। ११ मेढ़ा. मेष ।-स्त्री० १२ माया, शक्ति । अछाड़-वि० पाहत, घायल । १३ शुक्र की गति से तीन नक्षत्रों की वीथी। १४ छाया। प्रछाय, अछायो-वि० १ अाच्छादित । २ भरा हया परिपूर्ण । --क्रि० वि० [सं० अद्य, प्रा. प्रज्ज] १ अव । ३ व्याप्त । ४ जोशीला । ५ प्रमिद्ध, मशहूर ।। २ अभी तक । ३ अाज । गलका, गल्लका, गल्लिका६ स्वाभिमानी। स्त्री० बच्चों का एक रोग ।-देवता-पु. अग्नि । अछिप-देखो 'अछांनौ'। पूर्वा भाद्रपदा नक्षत्र ।-नंद, नंदन-पु. राजा दशरथ । प्रछी-देखो 'अपसरा'। -पत, पति पती-पु० मंगल। सब से ऊंचा वकरा। अछीज-वि० जिसकी क्षति न हो। --पु० ईश्वर । -~-पथ-वीथि, वीथी-पु० अजवीथी, छायापथ । अछु, अछू-क्रि० वि० हूँ। -पाळ-पु. राजा दशरथ के पिता । गडरिया । अछूत-वि० [सं० अछुप्त, प्रा० अछुत] १ बिना छुपा हुआ । -बंधु-वि० मूर्व, मूढ़ ।-भक्ष, भख-पु० बबूल का पेड़ । २ कोरा, नया । ३ पवित्र, शुद्ध । ४ अस्पृश्य । भड बेरी के सूखे पत्ते । शमी वृक्ष के मूखे पत्ते । -पु० अन्त्यज, शूद्र। -मंडल-पु. पायर्यावर्त, भारत ।-मार-पु० कमाई । अछूतौ-वि० (स्त्री० अछूती) १ नया, ताजा, २ जो बरता न अजमेर ।-मोढ-पु० अजमेर का एक नाम । युधिष्ठिर गया हो। ३ बिना छुपा हुआ। ४ कोरा । ४ पवित्र, की उपाधि । पुरुवंशीय हरित का बड़ा पुत्र । -मुखी-स्त्री० शुद्ध । ६ अस्पृश्य । ७ अक्षय, अखण्ड । ८ अभूतपूर्व, अपूर्व ।। अशोक वाटिका की एक राक्षसी । --पू० पर्ण करने का भाव । ---मोद-पृ० अजवायन का एक भेद । For Private And Personal Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रजखपुर --सुत-पु० ० शिव, महादेव । राजा दशरथ । श्रजइपुर पु० अजमेर का एक नाम । अजक -१ बेचैनी, घबराहट | २ देखो 'ग्रजका' | www.kobatirth.org - ( १० ) ग्रालस्य । अजगरियो वि० अजगर का अजमेर संबंधी । अजगरीअकर्मण्यता ग्रामस्य । अजगव श्रजगाव - पु० [सं० अजगवा, अजगाव: ] शिव का धनुष, पिनाक । प्रजमेव श्रजगंव - क्रि० वि० अकस्मात अचानक अनजाने । श्रजड, अजडौ प्रजड़ श्रजडौ वि० [सं० + जड़ ] १ जो जड़ न हो । २ सजीव ३ मूर्ख, ना समझ । ४ उद्दण्ड । ५ असभ्य । ६ स्वर्ण जटित ( मेवात ) । -- पु० प्रशिक्षित बैल, ऊंट या भैमा । प्रजचक- देखो प्रचारक' । श्रजटा - वि० केश या जटा रहित । 1 ग्रंजकरण, अजकररणक, अजकव, श्रजकाव-पु० [सं० प्रजकष: ] १ अमन वृक्ष । २ साल वृक्ष । ३ देखो 'जगाव' । ग्रजको वि (स्त्री० [पत्री) १ व्याकुल, बेचैन २ चंचल, चपल । ३ सतर्क । ४ वीर । श्रजगं स्त्री० १ व्याकुलतानी । २ चंचलता, चपलता । ३ सतर्कता । - क्रि० वि० १ चंचलता से । २ सतर्कता से । - गौ वि० चंचल, चपल । उद्यत तैयार I जगंधा, गंधणी, गंधा, गंधिनी) स्त्री० यन तुलसी, अजमोदा, अजमेरौ १० १ चौहान वंशीय क्षत्रिय २ गौड़ वंशीय क्षत्रिय । ३ अजमेर का निवासी । ४ अजमेर प्रदेश का बैल | ५ देखो 'अजमेरी' | । अज शृंगी पौधा | अजगर - पु० [सं० | १ एक जाति विशेष का मोटा सर्प । २] बालमी व्यक्ति वरती यति विती स्त्री० यकर्मण्यता, । 7 J भजन [गं०] १ मा स्वयंभू २ सुनसान निर्जन । पु० १ निर्जन स्थान 1 २ महान ३ अर्जुन | अजनबी | फा०] अपरिचित, अनजान । जनम जनमौ-वि० [सं० अजन्मा ] १ जन्म रहित, स्वयंभू अवतारी २ नित्य अनादि अनश्वर अविनाशी । ० १ ब्रह्मा । २ विष्णु । ३ शिव । ४ सूर्य । जनी बजा १ २ देखो 'जन' | अजन्न- देखो 'अजन' । अजन्म-देखो 'प्रजनम' । अजप, श्रजपौ-पु० [सं० जप ] १ परब्रह्म । २ गायत्री ३ गायत्री मंत्र जिसका जाप श्वास-प्रश्वास होता है । ४ देवता । ५ हंसमंत्र 'मोहम्' ६ एक तांत्रिक मंत्र । ७ संव्यान करने वाला ब्राह्मण ८ गडरिया । श्रजपाळ देखो अजयपाळ' । " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रजब, अजब्ब - वि० [अ०] अद्भुत, आश्चर्यजनक, विलक्षण । -घर० प्राचीन व अद्भूत वस्तुओं का प्रदर्शनालय | | प्रजयत (ति) स्त्री० [अ०] १ ज्ञान प्रतिष्ठा गौरव । २ सम्मान, इज्जत प्रदर । ३ बड़ाई महत्व । ४ बुजुर्गों । ५ प्रताप, प्रभाव । ६ चमत्कार | अजमाइस, अजमाईस देखो आजमाइस' । अजमाती (बी) - देखो 'प्राजमारणी' (बी) 1 अजमेरा ० १ चौहान राजपूत वंश २ मौड़ राजपूत वंश अजमेरी वि० अजमेर का अजमेर सम्बन्धी | पु० १ अजमेर का निवासी । स्त्री० २ अजमेर प्रदेश की बोली । श्रज रायक बजमो गृ० मं० यवनिका १ अजवायन | २ अजवायन का पौधा । ३ एक लोक गीत । अजय - वि० [सं०] १ जो जीता न जा सके, अविजित । २ जो कभी पराजित न हो, जो हार न माने । स्त्री० १ हार पराजय | २ एक नदी । पु० ३ विष्णु । ४ अग्नि । ५ एक छन्द | अजयगढ - पु० अजमेर का किला । अजयरण, अजयरणा - स्त्री० [सं० अयत्नता ] १ हिंसा । असावधानी, प्रयत्नता । ३ जैन धर्म के विपरीत आचरण । वि० विवेक रहित २ श्रजयपाळ- पु० [सं० अजयपाल ] १ एक राजा का नाम । २ जमाल घोटा | अजया स्त्री० [सं०] १ दुर्गा देवी । २ माया । ३ भांग, विजिया । ४ बकरी । वि० जो जीति न जा सके, अविजित । For Private And Personal Use Only अजर - वि० [सं०] १ जरा रहित, सदैव युवा । अनश्वर, अविनाशी ३ जिसका कभी क्षय न हो, ग्रमर, स्थाई । ४ बलवान, जबरदस्त । ५ अविजित । ६ सुन्दर । ७ जो हजम न हो सके । पु० १ देवता । २ परब्रह्म, ईश्वर । ३ शिव, महादेव । ४ विष्णु । ५ श्री कृष्ण । ६ हनुमान । ७ ग्रात्मा एक प्राभूषण । - श्रमर- वि० जरावस्था व मृत्यु से रहित । पु० ईश्वर । आशीर्वचन | अजरख - स्त्री० तहमद, लुगी । अजरट, अजरठ-वि० [सं० अ + जरठ] १ नर्म, नाजुक, मुलायम । २ युवा । ३ बलवान | ४ कच्चा । ५ सहृदय । अजरामरा- स्त्री० एक महा विद्या । अजरायक, अजरायळ, अजराळ, अजरायर, अजरावळ, अजरेत, अमरे अजरंत अजरं अजरौ - वि० [सं० श्रजर रा. प्र. ग्रायल ] १ सदा नवीन । Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजवारण अजिर २ अपरिवर्तनीय । ३ पक्का, दृढ़ । ४ अमिट । अजाच, अजाचक, अजाचौ-वि० [सं० अ--याचक,ग्र+याची] ५ चिर स्थाई । ६ निर्भय, निडर, निशंक । ६ शक्तिशाली। जो कभी याचना न करे, जिसे कुछ मांगने की आवश्यकता ८ चंचल, नटखट । ९ उद्दण्ड, उत्पाती। १० पहलवान ।। न हो। सम्पन्न । ११ वीर, योद्धा । १२ जोशीला । १३ भयंकर, भयावह । प्रजाजती, प्रजाजिती-स्त्री[फा०] इजाजत, प्राज्ञा, हुबम, प्रादेश । अजवांण, अजवारणी, अजवाइन, अजवायण, अजवायणि, | -क्रि० वि० आज्ञा से, हुक्म से । प्रजात-वि० [सं०] १ जो अभी उत्पन्न न हुअा हो, अनुत्पन्न । अजवायन-स्त्री० अजवायन, अजमा । अजन्मा २ जातिहीन, अजातीय । ३ अविकसित ।। अजवाळ-१ देखो 'उजळ' । २ देखो 'उजाळी' । ------अरि, सत्र, सत्र -वि० जिसका कोई शत्र न हो। अजवाळणी (बौ)-देखो ‘उजाळणी (बी)। -पु० युधिष्ठिर को एक उपाधि । शिव का एक अजवाळी-देखो 'उजाळी' । नामान्तर । मगध नरेश बिबसार का पुत्र । अजस-पु० [सं० अ-यश] १ अपयश, अपकीति, बदनामी । प्रजाति, प्रजाती-वि० १ जातिहीन, अजातीय । २ अन्य जाति २ निंदा, बुराई। का, विजातीय । ३ जातिच्युत या बहिष्कृत । ४ पतित । अजसी-वि० १ यश या कीति विहीन २ निदित ।। प्रजाथर-पु० [देश] बोझा, वजन । २ संकट, दुःख । ३ कलंक । ३ जो विख्यात न हो। प्रजाप-देखो 'अजप'। अजन-क्रि० वि० [सं०] १ सदा, सर्वदा । २ निरन्तर, लगातार ।-वि० चिरस्थाई । अजामळ, अजामिळ, अजामीळ, अजामेळ-पु० [सं० अजामिल] एक पापी ब्रह्मरण जो अपने पुत्र 'नारायण' का नाम अजहति, अजहत्स्वारया-स्त्री [सं० अजहत्वार्था ] लक्षणा शब्द | लेकर तर गया। शक्ति का एक भेद । अजामेघ-पु० [सं०] एक यज्ञ जिसमें बकरे की बलि दी अजहद-वि० [फा०] अत्यधिक, अपार, असीम । जाती है। अजहु, अजा-क्रि० वि० अभी तक । अब तक । अजायब-देखी 'ग्रजब'। अजाण-वि० [मं० प्रज्ञान] १ अनभिज्ञ, अनजान, अजायबखांनौ, अजायबघर-देखो 'अजवघर' । अपरिचित । ३ मूर्ख । अज्ञानी । ४ ना समझ ।-ता-स्त्री अजायबी-स्त्री० विचित्रता । अनभिज्ञता, अपरिचय । मूर्खता, अज्ञानता ना समझी ।। अजायो-वि० [सं० प्रजात] जन्म न लेने वाला, अजन्मा । अजाणकग्ग-देखो 'पाजांन बाहु' । -पू० ईश्वर । प्रजाणवक, अजागजक, अजाणजख-देखो 'अचाणक' । अजारौ-देखो 'इजारौ' । अजाणवौ, अजाणु-देखो 'ग्रजांग' । अजिउ-देखो 'अजै'। अजांरिणयौ, अजाण्या-वि० सं० अज्ञान] (ग्त्री० अजांगी) | अजिठा-स्त्री० मगछाला। १ अपरिचित । २ अज्ञात । ३ अज्ञानी, मूर्ख । अजित-वि० [सं०] जो जीता न जासके, अजय ।-पू० ४ जिसे जानकारी न हो । क्रि० वि० १ बिना जाने ही ।। १ विष्णु । २ शिव । ३ कृष्ण। ४ बुद्ध । ५ अजितनाथ । २ अकस्मात, अचानक । दूसरा तीर्थकर (जैन)।-वीरज, वीरथ-यु० २०वें अजांन-स्त्री० [अ० अजान नमाज के लिये मुल्ला द्वारा लगाई विहरमान तीर्थ कर । जाने वाली अावाज ।-वि० [सं० अफा, जान| अजितेंद्रिय, अजितेंद्रीय-वि० [सं० अ-जितेन्द्रिय ] इन्द्रियों का १ प्रागगरहित, निर्जीव । २ देखो 'ग्रजांग' । वशी भूत, इन्द्रियासक्त, इन्द्रियलोलुप । अजानक्रग्ग, अजांनबाह, अजानबाह-देवो 'ग्राजांनवाह' । अजिन-स्त्री० [सं० अजिनम्] मग चम, मग छाला । अजांबिका-स्त्री० १ भादव कृष्णा एकादशी । अजिय-देखो 'जिन'। २ उम तिथि का व्रत। अजिया-देखो 'ग्रजा'। अजा-स्त्री० [सं०] १ माया, शक्ति । २ दुर्गा, पार्वती। अजीय, अजीय-कि० वि० यद्यापि अभी, ठीक अभी इस समय । ३ प्रकृति । ४ बकरी। ५ भादव कृष्णा एकादशी। अजिर-पु. सिं०] १ अांगन, सहन । २ चौक । ३ अखाड़ा। ६ इम तिथि का व्रत। [अ०७ शोक, मातम, मातमपुस । शरीर। ५ इन्द्रियगम्य कोई पदार्थ । ६ पवन, हवा । --वि. जन्म हित, जो उत्पन्न न की गई हो। मेंढक ।-वि०१ तेज, तीव्र । २ फुर्तीला, चुस्त । For Private And Personal Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजहिम अजी अजिहम-पु० [सं० अजिह्म | मेंढक, दादुर ।-वि० [सं अजिह्मः[ | अजूंस-देखो 'अजेस' १ मीधा-सादा, मरल । २ ईमानदार । ३ निष्कलंक, | अजु-१ देखो 'अज'। २ देखो 'अजु' । बेदाग । अजूग्राळ-देखो ‘उजाळी' । अजिमग प० [सं० प्रजिह्मगः] तोर बाग ।-वि० अजूणी-देखो 'अजोगी' । सं० अजिह्मग अपनी मीध में जाने वाला। अजूबा (बौ)-वि० [अ०] अनोखा, अद्भुत, विचित्र । अजी-देवो 'अन'। अजूयाळ-देखो 'उजुाळ' । अजी-अव्य [म. अयि] १ सम्बोधन सूचक अव्यय शब्द, | अजूबाळउ-देखो 'उजाळौ' । अरे, ए। २ देखो 'ग्रज'। अजूह-पु० १ युद्ध, लड़ाई । २ ममूह, युथ । अजीउ देखो 'ग्रज'। अजे-देखो १ 'अज' । २ देखो 'अजय' । अजीज-वि. अ. १ प्रिय, प्यारा । २ सम्माननीय, अजेज-क्रि०वि० शीव्र, तुरन्त अविलंब । प्रतिप्ठिन । पृ० १ मित्र दोस्त। २ सम्बन्धी, रिश्तेदार । अजेजौ-वि० जो शीघ्रता करे, उतावला। ३ देखो 'ग्राजिजी' अजे-देखो ‘अजित'। अजीठी-गु० स्वर्णकारों का औजार विशेष । अजेय-वि० [सं०] जो जीता न जा सके। अजीत देखो 'अजित'। अजेव-१ देखो 'ग्रजीव'। : 'अजेय'। अजीतनाथ -देखो 'जिननाथ' । अजेस, अजै कि वि० [सं० प्रद्य] १ अब तक । २ अभी तक। अजीय वि० [अ०१ विलक्षा, विचित्र, अन्टा । अजैरण-देखो 'प्रजवरण। २२ वह स्थिति जिनसे हम ग्रादि न हो। : अममान्य | अजपाळ अजगाळपो अजैपाळ्यौ -वेधो 'अजयपाल' । अनुभुति। अज-विज अजै-विजे-देखो इ-किन'। अजीय- देखो 'जिन'। दमो 'अज'। बजौकती, तोगती -40 जो नियुक्त न हो। असंगत। अजीया -देखो 'अजा'। अप्रासंगिक ।--स्त्री० अप्रत्याशित तीर-तुक्का वाली अजीर रण, अजीरण अजोरण-पु० [सं० अजीर्ग| १ अपच, बात ! बदहजमी । २ मदाग्नि । ३ वीर्य । ४ शक्ति, पराक्रम । अजोग-१ देखो 'अयोग्य' २ देखो अयोग'। ५ ग्रीज, पारुप। --वि० १ पचा हुअा। २जो जीगणे न अजोगाई-स्त्री० [सं० अयोग्यता] १ नाकाबलित, अयोग्यता। हो, नया । २ अभाव कभी। अजीरनग्रह पु. पो. पारगियों की तीसरी नमाज का अपरा-1 प्रजोगौ-देखो 'अयोग्य' । अजोग्य देखो 'अयोग्य' । अजीव, अजीवन-वि० [सं. १ जीव या प्राग रहित, निर्जीव । अजोग्य-जोग्य-जथा-पु० डिगल गीत रचना का एक नियम २ मत, मरा हुना। ३ चेतना, शून्य, मूछित । ---पु० मृत्यु, जिम में अयोग्य के माथ योग्य का वर्णन हो। मौत। अजोड़, अजोड़ो-वि० [सं० अ-न-युग्म] १ अद्वितीय, बेजोड़ । अजु-प्रया ? और, अन्य । २ जो । ३ देखो 'अजे'। २ अदभुत, विशेष । ३ विरुद्ध । अजुमाळ-देखो 'यजुयाळ' । अजोयानाथ-देखो 'अजोगीनाथ । अजुग्राळणी (बौ)-क्रि १ प्रकाशित करना, गेणन करना, | २ उज्ज्वल करना । जोरिणय, अजोरगी (नी)-वि० [सं० अयोनि] १ जिसकी कोई अजुमाळी, (चाळी)-देयो 'उजाळी' । योनि न हो । २ जो उत्पन्न न हुआ हो । -पु० १ ईश्वर, अजुक्त, अजुगत -वि० [सं० अयुक्त १ जो युक्तियुक्त न हो, परमात्मा। २ शिव । ३ ब्रह्मा । -नाथ-पु० शंकर, ब्रह्म। अनुचित । २ अयोग्य । ३ जो मिला हुआ न हो, जुड़ा हुआ अजोत-वि. ज्योतिहीन । न हो । ४ अलग। ५ असत्य, झूठा। प्रजोधिया, अजोधीया, अजोध्या-स्त्री० [सं० अयोध्या]-सरयू अजुगति स्त्री० [सं० प्रति] असंगत बाल । अनुचित वात । नदी के किनारे वसा एक प्राचीन नगर । -नाथ-पु० अजुध्या -देखो अयोध्या। श्रीरामचन्द्र। अजुसार-पु. वेग । अजोरी-वि० अद्वितीय । अंजू-देखो १ अजु' । २ देयो 'अजै'। अजारौ वि० निर्वल, कमजोर, अणका अजूझौ वि० भयंकर, डरावना । अजी-कि० वि० [सं० अद्य] अब ना, अब भी। For Private And Personal Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रजी ग्रटाळिका अजौ-वि० [सं० अज+रा० प्रौ] १ अजन्मा, जन्मरहित । अटखेल, (लो)-[सं० अष्ट-क्रीड़ा] १ मनोरंजन, दिल बहलाव । [फा० अजब] २ अजब, अद्भुत । -पु० १ ब्रह्मा। २ खेल, क्रीड़ा । ३ कौतुक । ४ मखौल, मजाक । ५ ढीठाई, २ वकरा। चंचलता। ६ मस्त चाल । अज्ज-पु० [सं० आर्यावर्त] १ भारतवर्ष । २ देखो 'अज'। अटण-पु० [सं० अतनः] १ पैर, चरण । २ पर्यटक, यात्री। अज्जरण-देखो 'अजन'। अटणी (बौ)-कि० [सं० अतनम्] १ चलना, फिरना । अज्जमंडल-पु० भारतवर्ष । २ घूमना । ३ यात्रा या भ्रमण करना । अज्जब-देखो 'अजब'। अटपट-१ देखो 'अटपटी' । २ देखो 'अटपटी' । प्रज्जणचक, अज्जांरगजक, प्रज्जाणजक-देखो 'अचांगाक' । अटपटाई-स्त्री० १ अड़चन, असुविधा । २ झुंझलाहट । अज्जरणवी-देखो 'अजाण' । ३ असुहावनी । ४ हिचक । अज्जा, अज्या-देखो 'अजा'। अटपटारणौ, (बौ), अटपटावरणौ, (बौ)-कि० १ अटपटा लगना। प्रज्जुरण-देखो 'अरजुग'। २ झुंझलाहट होना । ३ हिचकना । ४ घबराना । प्रज्यास, अज्यासौ-पु. १ अशांति । २ असंतोष । ३ अविश्वास । ५ असुविधा होना। ४ क्षोभ । ५ अस्थिरता । ६ अनिश्चय । अटपटी-वि० १ तिरछी, टेढी । २ नटखट, चंचल । ३ विचित्र, अझड़, प्रझर-वि०१न बरसने वाला । २ न झडने वाला। अद्भुत । ४ तुभने वाली, असुहावनी । ५ उलझन वाली। प्रझळकरणों (बौ)-क्रि० उत्तेजित होना, पापे में न रहना ।। अटपटी-वि० १ टेढ़ा-मेढ़ा । २ कठिन, विकट, दुस्तर, गूढ़ अझाळ-वि० १ देदीप्यमान, तेजस्वी । २ ज्वालास्वरूप । ___ गहरा । ३ अनुचित, अनोखा । अटम-सटम-वि० यो० १ अंट-संट । २ बेतरतीब । ३ पराक्रमी। अटयासो-देखो 'इठियासी' । अटकौ-वि० १ निशंक, निडर । २ जबरदस्त । ३ अधिक। अटयासीयौ-देखो 'इठियामियो' । अटक-स्त्री० १ रुकावट, रोक । २ बाधा, अडचन । ३ उलझन | अटळ, अटल-वि० [सं० अटल ] १ न टलने वाला, अडिग । दुविधा, हिचक । ४ सिंधु नदी का नाम । ५ परहेज । २ दृढ़, पक्का । ३ धब । ४ नित्य, शाश्वत । ६ कारागृह, जेल। ५ अवश्यंभावी । ६ अचल, स्थिर । अटकरण, अटकणी-स्त्री०१ रोक या बाधा देने वाली वस्तु । अटळज-स्त्री० पृथ्वी, भूमि । २ महारा। ३ अर्गला, रोक । अटल्ल-देखो 'अटल'। अटकरण-बटकरण-पु० यो एक देशी खेन । अटवि, (वी)-स्त्री० [सं०] १ वन, जंगल । २ हिल जंतुषों का प्रटकरणी, (बी)--कि०१ रुकना, अटकना । २ उलझना, फंसना। ग्रावास स्थान । ३ क-कक कर बोलना, हक नाना। ४ अड़ना। ५ डिगना अटध्यासण (न)-पु० जंगन का निवाग, वनवाम । ६ रोकना। अटसट-देखो अडमठ। अटकळ (पच्चू)-स्त्रो० १ नरसीव, युक्ति। २ अनुमान, यंदाज। अटांन-देशो 'अटा' । ३ कल्पना। अटांमरण -देखो 'अटायन' । अटकळरणी (बौ)-क्रि० १ तरकीब या युक्ति लगाना, उपाय | अटा-स्त्री० १ अटारी । २ बादलों की घटा । करना । २ अनुमान या अन्दाज लगाना । ३ क पना | प्रटाटूट --वि० १ बिल्कुल, नितान्त । २ अत्यधिक । करना। अटाटोप-वि० १ ग्राच्छादित । २ श्रावृत्त । अटकांण-देखो 'अटकगा' । अटायण (न)-स्त्री० खाट की निवार । अटकारणौ (बी)-क्रि० १ रोकना, अटकाना । २ उलझाना, अटारी स्त्री० [सं० अट्टाल] १ मकान की दूसरी मंजिल । फंमाना। ३ अड़ाना । ४ डिगाना । २ प्रासाद, महल । अटकाव -पु०१ रुकावट । २ बाधा । ३ विध्न । ४ परहेज । अटाळ-स्त्री० [सं० अदाल] १ऊंचा स्थान । २ वर्ज, मीना। ५ अड़चन । ३ कोठा । ४ मचान । ५ विवाह के अवसर पर उपयोग में अटकावरणी, (बौ)-देखो ‘अटकागौ, (बी)। लिया जाने वाला एक प्रकार का उबटन । अटकी-पु. देव-मंदिरों में नैवेद्य बनाने का बड़ा पात्र व नैवेद्य ।। ६ देखो 'पौटाल'। २ देवो 'पटकाव। अटाळि, अटाळिका-स्त्री० [सं० अट्टालि, अट्टालिका] १ महल, प्रटक्कतो, (यौ)-देखो ‘ग्रटकरणी' (बौ)। भवन । २ राज्य-प्रासाद । ३ अटारी। For Private And Personal Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रटाळौ २ कचरा, कूड़ा | (डी) वि० (स्त्री०टी) १ अपाहिज अटूट वि० [सं० त्रुट] १ न टूटने वाला २ निरन्तर । ३ हढ़, मजबूत । ४ अपार, ५ श्रजेय । www.kobatirth.org ( ३४ ) अटाळी पु० [सं० प्रट्टाल ] १ बेकार वस्तुओं का ढेर ठमासियो अठमासी पु० १ धाठ मासे का खोल । २ गर्म वि० आठ महीने का । के आठवें मास से उत्पन्न शिशु । अठयासियो देखो'वासियों'। श्रठयासी देखो 'इठियासी' श्रठळारणौ (बौ), अठळावणौ (बौ) - क्रि० १ इटलाना, इतराना । २ नखरे करना, चोंचले करना । ३ गर्व करना । ४ मदोन्मत्त होना । अठवाड़ौ-पु० १ प्राठ दिन का समय या अवधि । २ प्राठवां दिन । अठवाळी - स्त्री० [सं० प्रष्ट + आलुच] ग्राठ कहारों द्वारा उठाई जाने वाली डोली । -- अठसठ (डि) - देखो 'स' - घटे (ट) देखो'' | , अटेर - वि० ० १ न मुड़ने वाला । २ विजयी । चरस प्रटेरणीपु० मूत की बड़ी बनाने का उपकरण । अटेरी, (बौ)- कि० १ सूत को लपेटना, लच्छी बनाना । २ अधिक भोजन या नशा करना । अट्ट - देखो 'अटारी' । अट्टहास (स्य ) - पु० [सं० श्रट्टहास:, श्रट्टहास्यम् ] अत्यधिक जोर से हंसने की क्रिया, भाव या शब्द, ठहाका । श्रट्टी-स्त्री० १ सूत की लच्छी । २ आधी दमड़ी । ३ देखो 'प्राटी' । ४ देखो 'अठी' । बड़ी-पु० [सं० ग्रहम्] १ मचान ३] देखो 'बट्टी' । बहू देखी 'घाट' २ पंगु । बंद अनंत । श्रद्धांनी वि० प्रठांगु के स्थान वाला । श्रद्वांग - वि० नब्बे और आठ के योग के बराबर । पु० नब्बे और आठ के योग की संख्या ६८ । ठतीस (त्रीस) देखो 'अड़तीस' । अठत्तर - देखो 'इयंतर' | घटत्तरमौ देखी 'इतरम' 1 २ अदल-बदल । श्रठांग - देखो 'अट्ठांगू' । air- देखो 'ग्रांक' । ग्रहोत्तर श्रोत्तरसउ श्रट्टोत्तरसौ पु० [सं० ग्रष्ट-उत्तर- शत] एक सौ ग्राठ की संख्या । अठतर देखो 'इट' । अ ंतरौ देखो 'इठतरी' | ठ - देखो 'आठ' | ठप - वि० [देशज ] १ चंचल । २ न रुकने वाला । ३ दृढ़ | ठकळ देखो 'ग्रटकल' । केल (ली), सेल (ली) देखो 'सेल' । प्रठड़ोतर - पु० एक सौ ग्राठ की संख्या । घटताळी- पु० १ डिंगल का एक गीत या छन्द । २ देखो 'तो' । अट्ठांक - वि० अट्ठानवे के लगभग । अट्ठाइस अट्ठाईस - वि० [सं० अष्टविंशति ] बीस और ग्राठ के श्रठाण - देखो 'ग्रांगू' । बराबर । बीस और प्राठ के योग की संख्या, २८ । अट्ठाइसौ पु० अट्ठाइसवां वर्ष । वि० [सं० टन्टल] घाट पार्श्व या कोने वाला - पु० १ अठपहला । २ भ्रष्ट भुजा । अठस्रवण- पु० [सं०] अष्ट श्रवण ] ब्रह्मा । वि० आठ कानों वाला । वो देखो 'मी' ठरणी - वि० [सं० प्रष्ठणु ] १ दृढ़, मजबूत, अडिग । २ आठ । ३ बलवान, शक्तिशाली । ४ अधिक, बहुत 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठांस वि० १ दृढ़, मजबूत । २ गंभीर । ३ वीर । ठाइ, अठाई - स्त्री० व्रत अष्ट दिवसीय २ देखो 'प्राइस' | मठाइदेवो बाइसी ठाउँ ठाऊं कि० वि० यहां से, इधर मे । अठो योग की संख्या, १८ । अठारौ - पु० ग्रठारह का वर्ष । ग्रठालग - क्रि०वि० यहां तक अठार (रे) - वि० [सं० ग्रष्टादश ] दस और ग्राट के बराबर । --पु० १ दस और ग्राठ की संख्या २ पुराणों की संख्यासूचक शब्द | ३ चौसर का एक दाव । अठारटंकी देखो 'प्रहारकी' । ग्रठारभार-पु० अष्टादश भार वनस्पति । अठारह - वि० दस व आठ के बराबर । - पु० दस व ग्राठ के - 1 (जैन) अठावन - वि० पचास व आठ पु० अट्ठावन की संख्या, ५८ । अठावनौ- पु० अठावन का वर्ष । पठायोस देखो 'बाइस' अठासी देखो 'इठियासी' । पठि (ठी) क्रि०वि० [सं०] १२ For Private And Personal Use Only वि० [सं० ग्रष्ट ] १ ग्राठ । २ देखो 'ग्राठी' । श्रठिकांणी - (नी) - क्रि० वि० इधर, इधर से, इधर की ओर । अहिना (ऊं) शि०वि० यहां से इधर से अठी-क्रि०वि० ० इधर, यहाँ । Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रठी उठी मठी उठी कि०वि० [अ०] यहां-वहां इधर-उधर । ठीक- वि० झूठ, मिथ्या । ग्रीनली ठीली- वि० (स्त्री० [मठीनली, घठीली) इधर का प्रठीने क्रि० वि० इस तरफ, इस प्रोर । अठोतरसी - पु० [सं० ग्रष्ट शत ] १०८ की संख्या । अठोतरी - स्त्री० १०८ मनिकों की माला । महोतरी देखो 'इठेतरी अठोर, ठोरी - वि० दृढ़, मजबूत २ तीव्र, तेज । अठ्ठी-१ देखो पाठी २ देखो 'मठ' । www.kobatirth.org ठीको वि० (स्त्री० प्रठीपी) हृष्ट-पुष्ट, मजबूत | - P श्रठीलौ - वि० (स्त्री० ग्रठीली ) इस प्रोर का इधर का । ठे ( 8 ) - क्रि०वि० यहां, यहां पर । ठेल, ठेलमौ - वि० १ जिसे हटाया न जा सके, अचल । २ वीर डायटो - पु० प्रोढ़ने का सूती वस्त्र । महारगिर देखो 'बढ़ारगिर' | अडारटंकी देखो 'पहारकी' | ३ बहुत, अपार । ठोकी वि० १ शक्तिशाली, बलवान २रह मजबूत वीर अठोट अठोठ वि० १ पढ़ा-लिखा २ विद्वान् । अठोतर- देखो 'इतर' ठ्ठ - देखो 'प्रटे' । पट्टी पु० डिंगल का एक गीत (इंद) । गाबाज देखो 'बाज' ( ३५ ) भी दण्ड देने वाला । पु० ईश्वर । अड' बर- देखो 'आडंबर' । डर - वि० डररहित, निडर । श्रडळ - पु० सोलह मात्रा का छंद जिसमें नदी का नियम न हो । पर पुताई आदि करते समय रस्से बांध कर बनाया जाने वाला आधार । ३ कमजोर छत के नीचे लगाया जाने वाला सहारा । डांणी, डांग, श्रडांगौ- वि० गिरवी, रेहन । —स्त्री० १ गिरवी रखने की क्रिया या भाव। २ गिरवी रखी हुई वस्तु । अडाइ, घड़ाई देखो 'पढ़ाई'। डी० १ सिचाई की क्रिया २ सिचाई की भूमि । अडवाळरणौ (बौ) क्रि० अधिकार या वश में करना । डांण पु० १ मकान बनाते समय लठ्ठे बांध कर बनाया जाने वाला चढ़ने-उतरने का रास्ता । २ ऊंची एवं खड़ी दीवार । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - डागर - पु० एक प्रकार की नागरवेल व उसका पत्ता । गो-देखो 'गो' । अडंड- देखो १ 'दंड' । २ देखो 'उदंड' । -चकर, चक्र पु० देवी प्रकोप भाग्य का चक्र | डीरळ - वि० १ वीर बहादुर । २ भयंकर 1 'डगीय वि० [सं०] दण्डनीय जो दंड पाने योग्य न हो, घडील (लो)- वि० १ बिना शरीर का देहविहीन २ रढ़। प्रदण्ड्य । अरवि० , धत्यधिक बहुत २ निडर, निर्भय । अडंडा - डंड - वि० जिसको दण्ड देने की सामर्थ्य न हो, उसे डेल - वि० १ अड़ियल । २ सुस्त । श्रढ़ती महारौ पु० अजीर्ण, अपच । अडिग - वि० १ स्थिर, चल । २ दृढ़, मजबूत । ३ वीर । पडिला पहिल्ला-० गोलह मात्राओं का छंद जिसमें 'जगण' वर्जित है । अडींग - वि० १ जबरदस्त, भयंकर । २ बलवान । अडीक देखो 'उडीक' । अंडीकणी (ब)- देखो 'उडीकरणौ' (बी) | अडीठ - वि० [सं० अदृश्य ] १ अदृश्य लुप्त । २ छुपा हुआ, गुप्त । ३ दृष्टि से परे । ४ प्रन्तर्धान । पु० १ एक प्रकार का विपना फोड़ा २ दुर्भाग्य ३ प्राकृतिक उत्पात ग्रडकारणों, (बौ)-क्रि० १ मारना, वध करना । २ खाना, हजम डोळ (ळी) - वि० (स्त्री० ग्रेडोळी) १ अचल स्थिर । २ स्तब्ध कर जाना । डग, अडगी- देखो 'अडिग' | ३ बिना गढ़ा हुआ । ४ सूखा हुआ । ५ ग्राभूषण रहित । - पु० १ पहाड़ । २ बड़ा पत्थर । अडगनियो देखो 'योगनियों' (मेयात) | डपणौ ( बौ) - क्रि० १ हठ या जिद्द करना । २ साहस करना । ३ अपनी बात पर अडिग रहना । डपेंच धडपेच- ० पगड़ी को पड़ी नपेट " अडबंध - देखो 'ग्राडबंध' । डोकरण- पु० लुढ़कने वाली वस्तु को स्थिर रखने के लिए लगायी जाने वाली वस्तु, रोक 1 For Private And Personal Use Only डोळरणौ (बौ) - क्रि० १ मारना, वध करना । २ भक्षण करना खाना । ३ भ्रमण करना । ४ देखो 'डोळणं' (वौ) । घड्डी - ० ठहरने का स्थान २ यारियों या धावारा व्यक्तियों के बैठने का स्थान । ३ वेश्याओं का स्थान, चकला । ४ केन्द्र स्थान । ५ बांस की पट्टी का गोला जिसमें कपड़ा फंसा कर कसीदा किया जाता है । ६ स्वर्णकारों का प्रौजार विशेष | यांनी गौ-वि० १ विकट दुर्गम २ भयंकर ३ धोखा, विचित्र पु० कामदेव । श्रढढढ़ - प्रव्य० खेद, क्लेश, शोक या ग्राश्चर्य सूचक ध्वनि । श्रढ़तौ वि० १ समान बराबर । २ विशिष्ट । Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रदर प्रदर - वि० १ सुंदर । २ दृढ़, मजबूत । महरह देखो 'अठारह । अढळक - वि० उदार । श्रवौ वि० १ अधिक । २ विशेष । ३ प्रद्द्भुत । अढ़ाई वि० दो धाये के बराबर दाई २।। या २३ । बाइट- देखो 'घडा' | बड़ायौ पु० ढाई का पहाड़ा। प्रहार - वि० १ अत्यधिक । २ देखो 'अठारह' - टंक, टंकीधनुष विशेष । --- प्रहारियौ वि० लफंगा । श्रदारगर (गिर, गिरि, गिरी ) - पु० १ ग्राबू पर्वत का एक नाम । २ अठारह भार वनस्पति वाला पर्वत । प्रहारदांनी स्त्री० एक प्रकार का दीपक । बड़ारभार देखी 'मठारभार' - www.kobatirth.org ( ३६ ) पु० ढ़ाई की संख्या, देखो 'अनंतचतुरदमी' । - - अढ़ारे (रं) देखो 'प्रहार' देखो 'गु' अरक - पु० गर्व अभिमान ।-ळ- वि० दोष रहित, निष्कलंक | निर्भय, निडर । वीर । स्वाधीन, स्वतंत्र | अपार असीम | प्र णंजर पु० ईश्वर | -भाय भावतो. भावियो वि० अवांछित । --मनिती- वि० मान्यताहीन । दुहागिन । [ माप, मापी, मापै वि० असीम, ग्रपार मायौ, माव, मावतौ - वि० असीम ग्रपार । - मिळियां-क्रि० वि० वगैर मिले । -मीत वि० अपार, असीम | - मोल मोलौ- वि० अमूल्य । रतौ, रागी वि० वैरागी, विरक्त । सादा । - रुचि स्त्री० ग्ररुचि । रूपवि० निराकार। -लेख, लेखे- वि० ग्रगोचर | अपार । -वंछक, वंछी वि० शत्रु । अवांछनीय | - वारीयां क्रि० वि० इस समय, अभी । विद्या स्त्री० श्रविद्या । – बिलोयौ वि० बिना मथा हुया । संकी संख-वि० निशंक | सोम - वि० सौम्य | -हद- वि० बेहद । -हित- पु० ग्रहित । -हितु हितू वि० शत्रु । —हंती, हूत वि० अनहोनी । गैर वाजिव । असंभव हूतौ प्रशोभनीय । हूणी, प्रांत-देखो 'अनंत' । चोदस (चौदस श्र णंद- देखो 'ग्रानंद' । प्रणंवर देखो 'अगावर' । श्ररण वि० विना, वगैरे । होली वि० धनहोनी । , वि० अन्य दूसरा । देखो 'इ' । - अंजन पु० ईश्वर | - श्रपराध-पु० निरपराध । - अवसर - पु० कुग्रवसर, बेमौका । श्रवकाश का प्रभाव । - उदम-पु-बेकारी। कमाऊ वि० निठल्ला, निकम्मा -कळळ-पु० विष्णु शिव कूंत वि० बिना धका । । हुधा खोलियो खोलो - वि० बंधन रहित छूट - वि० अक्षय । - गरणत, गिरणत, गिरगती- वि० श्रगणित, बिना गिना -गंम, गम, गम्य-वि० अगम्य । गेम - वि० निष्पाप, अपार बहुत । निष्कलंक । चर- वि० प्रचर, जड़ । चायौ, चाहत चाहौ वि० ग्रनीति चेत वि० [प्रचेत। -देह वि० अपार जलविघनजान |--जाची वि० कीलो वि० १ तुनक मीजाज । याची जीत वि० अपराजित।जीमिषी वि० भूला धक वि० [सं०] १ कुत्सित निदित २ छोटा तुच्छ । ३ अधम, नीच । ४ प्रभागा | श्ररणकळ - वि० १ वीर । २ निष्कलंक | बेदाग । ३ शुभ्र । ४ अपार । ५ बेचैन । ६ स्वतंत्र, निर्भय, निर्भीक । - क्रि०वि० बिना विचारे । कांनी क्रि०वि० इस घोर -जेज - क्रि०वि० अविलंब । - डग - वि० ग्रडिंग । -- डीठ- वि० १० प्रदृश्य । डोल, डोलक- वि० अचल, स्थिर । -तोल- वि० अपरिमित । शक्तिशाली, बलवान । -थग, थाग, थाह - वि० अथाह, गंभीर । - थिर - वि० अस्थिर, चंचल । दगियो, दम, दाग, वागळ - वि० बेदाग, प्रदग्धं । - दिट्ठौ - वि० ग्रदृश्य | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देह, ही वि० निराकार शरीर-धार-वि० निराधार -अधिकार- वि० ग्रनधिकृत | धीर - वि० अधीर । - ध्याय- पु० अवकाश, छुट्टी। - नाथ - वि० लावारिस | नमियो, नामी विनम्र ही जिद्दी वीर -नीती वि० धन्यायी पड़. पड़ियौ वि० अपठित अनपढ़ मूर्ख या वि० अत्यधिक शक्तिशाली । - पार- वि० प्रपार । - पीणग-वि० न पीने वाला । - फेर-वि० न फिरने वाला, वीर । —बंध - वि० अपार । -बंधन- वि० बंधु वा मित्र रहित बीह-वि० विहर। -बोल, बोलियो, बोलौ वि० मौन, मोनी रंगा, मूक -भंग, भंगी, भंगौ – वि० प्रखंड । ग्रमिट अटूट । वीर । - - पु० सिंह, शेर। गरुड़ । -भग- वि० ० न भागने वाला । -भजियो-वि० नास्तिक | -भरिणयौ वि० अनपढ़ । मांनतरण, श्रखळी - For Private And Personal Use Only । २ ईर्ष्यालु । व० [सं०] वनक्ष] १ कोष कोप २ दुख ३ ग्लानि । ४ ईर्ष्या । ५ भुंझलाहट । ६ नजर । अखखगाट-स्त्री० नाराजगी उदासीनता, ग्रटपटी । अरणखौ (बौ) - क्रि० १ ईर्ष्या करना । २ टोकना | ३ चिढ़ाना | ४ तिरस्कार करना । श्रगखरब वि० १ बहुत अधिक। २ अपार । स्त्री० भूमी, चागढ़ Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्ररणखादी खादी, (धी)- क्रि०वि० प्रकारण, बेकार में । खावणा, (ग) वि० १ अप्रिय । २ खिन्नचित्त । चरखी (लो) वि० १ क्रोधी २ ईर्ष्यालु ३ अरणगंज-पु० १ कामदेव । २ वीर । गम-देखो 'धगम | अरगळ - वि० ० १ बिना छना हुआ । २ अपार असीम | अणगारौ - पु० १ साधु । २ त्यागी । श्रणगाळ - वि० वीर । असलि (त) - वि० पगार असीम बेहद अरणगेम - वि० निष्कलंक, बेदाग । गौ- पु० श्रावण शुक्ला चतुर्दशी का आयोजित एक नागव्रत । - वि० बेडोल | www.kobatirth.org चित, चितव्य, साचित्व, भाचीत, अरणचीत्यी-वि० १ अकस्मात अचानक, सहसा २ प्रसंभव धनहोनी अचूक - देखो 'अचूक' । श्ररणचेत-देखो 'प्रचेत' । श्ररणछक-क्रि०वि० ० अकस्मात सहसा । वि० अपार, असीम | छारियो ( छांया) - वि०यौ० बिना छाना हुया । प्ररगडंड - वि० प्रदण्डनीय । ( ३७ ) बांधने का ताम्रा प्रत०] [] धनन्त] १ भुजा पर २ चौदह गांठों वाला सूत का गंडा | ३ देखो 'अन्त' | -मूळ पु० जंगली, चमेली । एक औषधि | -- विजय पु० दुधिष्ठिर के प्रतियो वि० अनन्त चतुर्दशी का व्रत रखने वाला । अगदी त्री० [देव] कुए की मोट के रस्से से जुड़ा लकड़ी का नाम का एक उपकरण । श्ररणमौत - क्रि० वि० बेमौत, प्रकाल, प्रसमय । अणराय - देखो 'गाय' । अरगदोह - देखो 'प्रदोह ' । अरणपार - देखो 'अपार' । धरण देतो 'बूम'। अभिग, घाभिग्य विनभिज्ञयज्ञानी । २ अनजान । ग्रनाड़ी । ता स्त्री० अज्ञानता । अनाड़ीपन । श्ररणमेव (भं, भंव) - वि० १ प्रत्युत्पन्नमति । २ विचित्र, अद्भुत । ३ निडर, निर्भय । ४ मौलिक उपज वाला । श्रमण, ( गौ) - देखो 'उनमनी' | श्ररणमा - वेखो 'प्रणिमा' । श्ररणवरण, (त) - स्त्री० १ अनवन खटपट 1 ३ मनमुटाव | ] घरेस पसरेह, घरेही वि० [सं० धन्-रेखा पार श्रमीम । २ निराकार । ३ रेखाहीन । ४ निष्कलंक । ५ विजयी । स्त्री० पराजय । १ प्रणसाधु- देखो 'असाधु' । धरणसार देवी प्रसार' प्रणवर - पु० विवाह के समय साथ रहने वाला दुल्हे का साथी या दुल्हिन की साथिन । धरम, (ब)- देखो 'असंभव' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्ररणसुरियो, (णी, गौ) - वि० बिना सुना, अनसुना, प्रश्रुत । धम्म (सुन) देखो 'शुभ' धरासूया देखो 'अनसूया' । श्ररणसंदाई - स्त्री० परिचय, वि० अपरिचित । प्रसंदौ (धौ) - वि० अपरिचित, अजनबी । धरणहद (नाव)-१ देखो 'अनहद' २ देखो 'अनाहत' | श्ररणहार - पु० १ अनाहार व्रत । २ जय-विजय । प्रहार ( हारी)- देखो 'उशिवार'। श्ररणादर- पु० अनादर । अरणाय स्त्री० याद, स्मृति । श्ररणागम - पु० [सं० अनागम ]१ आगमन का प्रभाव । २ अज्ञान । गाद, (दि) - देखो 'अनादि' । श्ररणीखा श्रगाळ पु० झूठ, असत्य । धावड़ी (सौ) पु० [देश०] स्मृति। अवी-१ देखो 'योगी' २ देखो 'गावडी' । प्ररणास स्त्री० कठिनाई । श्ररणाहार - पु० अभक्ष्य पदार्थ (जैन) । श्रणि, (णी ) - स्त्री० [सं०] १ सुई, भाला आदि की नोक । २ शस्त्र की धार । ३ किनारा, कौना । ४ सीमा, हद । ५ सिरा ६ भाला । ७ धुरी ८ शिखर। [सं० ग्रनीक] ९ सेना, फौज । १० सेना का ग्रग्रभाग । ११ देखो 'इ' । -श्राळी स्त्री० ० कटार, टिटहरी । पति पृ० सेनापति 1 - पांरणी स्त्री० मान प्रतिष्ठा बल । भमर, मल-वि० वीर । - मेळछ- पु० शस्त्र संघर्ष भिड़ंत, टक्कर | यार- वि० नुकीला पैना । स्त्री० प्राकृति, शक्ल | -याळा, याळी वि० नौकदार, पु० उंट, भाला। प्रणिमा - स्त्री० [सं०] १ लघुता । २ ग्रष्ट सिद्धियों में रो एक । ३ प्रति सूक्ष्म परिमाण । ०१ कानों का प्रभाग २ देखो 'पणि' । यामर (भंवर) ० १ सेनापति 1 २ योद्धा । ३ शौकीन व्यक्ति । लियारे (२) ० से मिलता-जुलता । प्रतिहारी, सूरत चेहरा। , अणीक-स्त्री० [सं० ग्रनीक] १ सेना, फौज । २ कुण्ड, दन | -fas १० बुरा, खराव । २ विरोध । श्रणोखा (खौ) - वि० [सं० प्रतक्ष ] २ जिसके सामने न देखा जा सके । १ भवानक भयंकर । For Private And Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयुताई ( ३८ ) प्रतात प्रणुताई -स्त्री. १ हद से बाहर बात । २ अन्याय । ३ उद्दण्डता। -क्रि०वि० यहां, इस जगह ।-एव-क्रि०वि० इसलिये, अणुतौ-वि० स्त्री० अणूती, अति करने वाला , उद्दण्ड । इस प्रकार । -खंभ-पु० भाला। -ताई-वि० प्राततायी। अणु (ग)-पृ० [सं० अणु] १ परमाणु संबंधी । ३ कण, | -प्रसंग-पु० अत्यन्त मेल । अति विस्तार । व्यभिचार । जर्रा । ३ रजकरण । ४ लेश मात्र । ५ विष्णु। ६ शिव । -प्राण-वि० बलवान, शक्तिशाली।-वेध-पु० युद्ध, समर । ७ नैयायिकों द्वारा स्वीकृत पदार्थ विशेष जो पदार्थों का -सय-वि० अतिशय । मुल कारण होता है। ---वि० १ अत्यल्प । ३ सूक्ष्म । अतग, (गी)-वि० [सं० उत्तु'ग] ऊंचा, उच्च । ३ लघुतम । --पातक-पु० ब्रह्म हत्या के बराबर पाप । अतट, अतड-० १ पर्वत-शिखर, चोटी । २ टीला । --बंध-देखो 'अनुबंध' । -भामा-स्त्री० विद्य त । ३ समुद्र, सागर। -राव-पु० अनुकरण । -वाद-पु० दर्शन शास्त्र का प्रतण, (नौ)-पु० [सं० अतन] १ कामदेव । २ ईश्वर, ब्रह्म । सिद्धांत । -वीक्ष्ण-पु० सूक्ष्म पदार्थ देखने का यन्त्र । -वि०१ तन रहित । २ निर्बल । ३ पुसत्वहीन । -हारणौ-वि० नंगै पर। प्रतमभवन, अतमभू-देखो 'पातमभू' । अणुकंपा-देखो 'अनुकंपा'। अतरंग-वि० १ तरंग रहित । २ शान्त ।-पु०शान्त समुद्र । अनुबंध-देखो 'अनुबंध'। अतर (ह)- वि० १ अधिक, बहुत । २ तिरने में कठिन । अणुवाद-सं पु० [सं० अणुवाद:] १ सिद्धान्त विशेष जिस में -पु०१ समुद्री। २ देखो 'अत्तर' । ३ देखो 'इतर'। जीव या प्रात्मा अणु माना गया है : २ सिद्धान्त अतरुज-देखो 'प्रत ज'। विशेष जिसमें पदार्थों के अणू नित्य माने गये हैं। अतरे (र)-क्रि०वि० १ इतने में । २ इस अवसर पर । ३ देखो 'अनुवाद'। अतरो'क-वि० [स्त्री० अतरी] १ इतना । २ अधिक । अणुव्रत-पु० श्रावक के बारह व्रतों में से प्रथम पांच व्रत । अतरौ-वि० [स्त्री० अतर] १ इतना । २ अधिक । अणुहार-देखो ‘उणियार'। अतळ, (ळी)-वि० [सं० अतल:] १ तल रहित । २ बिना पेंदे अणुहारौ-देखो 'उगियारी' । का । ३ अधिक । ४ निकृष्ट । ---पु० [सं० प्रतलम्] प्रगत-स्त्री०१ शैतानी, बदमाशी । ३ अन्याय । ३ असम्भव दूसरा पाताल । कार्य । ४ अभाव ५ बेहद । अतळस, (स्स)-पु० [अ०] एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । अणूतौ (अरण तौ)-वि० (स्त्री० अणूती) १ बदमाश, उद्दण्ड । प्रतळसो-वि० प्रतलस का, प्रतलस संबंधी । --पु० खोजायों का २ अन्यायी, प्रातताई। ३ चंचल, चपल । ४ अत्यधिक । एक भेद । अणहार-देखो 'उणियार'। अतळा-स्त्री० [सं० अचला] १ भुमि । २ नेत्रों की सुन्दरता । अरणहारौ-देखो 'उणियारौ'। अतळाग-स्त्री० [देश॰] याद । अरणे, (गो)-पु० रथ ।-अव्य० और ।-ती-वि० असंभव । अतळीबळ (वर)- देखो 'अतिबळ' । अरोवर-स्त्री० दुल्हिन की महचरी। प्रतळज-स्त्री० श्वास नली में होने वाली खरखराहट । प्रण सौ-पृ० १ दुःख, शोक । २ मानगिक कष्ट । ३ विरह। प्रतळो-वि० १ अाधार शून्य, सराब, बुरा । ४ ग्राणका । ५ ईर्ष्या, दाह । प्रतवार-वि० १ बेहद, अपार । २ देखो 'ग्रादित्यवार' । अगोपाई, अरगोई, (हाई)-स्त्री० श्वास रोग, दमा। ३ देखो 'एतबार'। अरणोखौ-देखो 'अनोखौ' । प्रतस, अतसय-पु० [सं० अतिशय ] बहुत, अधिक, अपार । प्रगोटपोळ-पु० स्त्रियों के पांव का आभूषण । प्रतसी-स्त्री० अलसी। प्रतंक देखो 'नातंक'। प्रता-देखो 'इता'। अतंग-वि० दक्ष, निपुण । प्रताई-वि० १ अधिक । २ प्राततायी । ३ देखो 'इत्तेई' प्रतंत-देखो 'अत्यंत'। ४ देखो 'इताई। अतंद्र-वि० १ निरालस्य, चंचल । २ विकल, अातुर । अताक-वि० गुप्त । अत. (त:)-वि० [सं० प्रति] १ अत्यधिक, बहुत । २ उच्चतर, प्रताग-वि० [सं० अत्याज्य] १ त्यागने योग्य । २ देखो 'प्रथाग' श्रेष्ठतर । ३ बेहद । -स्त्री०१ अधिकता। २ शीघ्रता। प्रतागे, (ग)- क्रि० वि० जल्दी, शीघ्र । -पु० ३ ईश्वर, परब्रह्म । ४ अधिकता सूचक उपसर्ग । अतात-वि० निराश्रित, अनाथ । -पु० ईश्वर । For Private And Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतार प्रत्थ प्रतार-पुo (स्त्री० प्रतारी) १ पंसारी । २ आततायी, दुष्ट । का ज्ञान । ३ मुसलमान । ४ देखो 'अत्तार' । अती-अव्य० १ इतनी। २ देखो 'अति' । अतारां (रा)-क्रि०वि० इतने में। प्रतीत-पु० [सं०] १ भूत काल । २ ईश्वर ।-वि० १ बीता हुआ, प्रतारी-वि० १ शीघ्रगामी, तेज । २ चंचल । विगत, भूत । २ पुराना। ३ विरक्त, निर्लेप । ४ पृथक, अतारु, (रू)-देखो 'अतेरु' । अलग ।-क्रि०वि० बाहर, परे। देखो 'अतिथि' । प्रतारौ-वि० अधिक, बहुत । अतीत्य, अतीथ-देखो 'अतिथि' । प्रताळ-वि० १ अत्यधिक । २ भयंकर। ३ तीव्र । ४ शीघ्र।। अतीर-पु० समुद्र, सागर । प्रताळी-वि० (स्त्री. प्रताळी) १ बलवान । २ दृढ़, मजबूत । अतीसीळ-पु० हस्ती, गज । ३ भयंकर । ४ तीक्ष्ण । ५ देखो 'उतावळी' । अतु-देखो १ 'अति' । २ देखो 'अतू'। अति-वि० [सं०] अधिक, ज्यादा ।-स्त्री० अधिकता, ज्यादती । अतुर-देखो 'पातुर'। -कम, कमरण, क्रम, क्रमरण-पु० सीमोल्लंघन । अपमान । अतुराई-देखो 'अातुराई'। -काय-वि० मोटा, स्थूल । -क्रांत-वि० अत्यन्त अतुळ-वि० [सं० अतुल] १ जिसकी तुलना न की जा सके, कांतिवान, बीता हुआ । –गंज-पु० ज्योतिष का एक अनुपम । २ जिसे तौला या मापा न जा सके, असीम, योग । -गत, गति-स्त्री० १ अत्याचार । २ मोक्ष । अपार । ३ जबरदस्त ।-बळ-वि० अत्यधिक शक्तिशाली, -चार--पु० दोष । विघात, व्यतिक्रम (जैन) । ग्रहों की | वीर, योद्धा। शीघ्र चाल । व्रत भंग की चार श्रेणियों में से तीसरी | अतुळित-वि० [सं० अतुलित] १ अपरिमित, अपार । २ असंख्य, (जैन)। किसी ग्रह का एक राशि से दूसरी में समय से अगणित । ३ अनुपम, अद्वितीय । पूर्व गमन । -चारी-वि० अत्याचारी। अन्यायकारी अतुळीबळ-देखो 'प्रतिबळ' । -चाह-स्त्री० उत्कण्ठा । -वि० अातुर । --दरप-वि० अतू-१ दखा 'यात घमण्डी, गविला । -देव-पु० शिव । विष्णू । बडा देवता। अतूट, अतूठ, (ठौ)-वि० [सं० प्र+तुष्ट] १ अप्रसन्न, नाराज। -पात-पु० अव्यवस्था । —पातक-वि० महापापी । अतुष्ट । २ जो तुष्टमान न हो । [सं० अ- त्रुटित] -प्रसंग-देखो 'प्रतप्रसंग'। -प्रांरण-देखो 'अतप्रांण' । ३ अखण्ड, अपार । न टूटने वाला। -बरसण-स्त्री० अतिवृष्टि । -बळ-वि० योद्धा अतेरु, (रू)-वि० जो तैरना न जानता हो ।-पु० सागर, समुद्र । शक्तिशाली, बलवान । -बळा-स्त्री० एक प्रचीन युद्ध प्रतै-देखो 'इतै'। विद्या । ककई नामक पौधा । --मत्र-पृ० बहमत्र रोग। अतोट-पु०१ वज्र । २ देखो 'अतूट'। ---रंग-पु० अत्यन्त प्रानन्द । घनिष्ठ प्रेम । ---रंजन-स्त्री० अतोताइयो-वि० (स्त्री० ग्रतोताई) १ अधिक प्यार के अत्युक्ति । अधिक प्रसन्नता । -रथि, (थी)-पु० एक | कारण उन्मत्त । २ उद्दण्ड । ३ उन्मत्त । ४ मस्ताना । ५ पागल । कारण उन्मत्त । २ उद्दण्ड । ३ उन्म प्रकार का महारथी । ---रय-पू० तीव्र वेग। अतोर-वि० १ न टूटने वाला, दृढ़ । २ अभंग । -वाद-पु० डींग, बी । कटोक्ति, सच्चीबात । अतौल, अतोली, अतौल, अतौली, (लो)-१ पहाड़, गर्वत । -वादक (वादी)-वि० सत्यवक्ता । कटुवादी । डींग २ देखो 'अतुल'। मारने वाला ।—सय-वि० अत्यधिक । -सार-पु० पेचिश, ! दस्त विकार । -हसित-पु० अट्टहास । अत्तर--पु० [फा० इत्र] पुष्पसार, इत्र । प्रतिकांतभावनीय-पुल्यौ० वैराग्य सम्पन्न योगी। प्रत्ता-देखो 'इता'। प्रतियाचार-देखो 'अत्याचार' । अत्तार-पु० इत्र या तेल बेचने वाला। अतिथि-पु० [सं०] १ मेहमान । २ एक स्थान पर एक रात से अत्ति (त्ती) देखो अति । देखो 'इती' । अधिक न ठहरने वाला मन्यासी । पूजा-स्त्री० ऐसे सन्यासी अत्तीत-देखो 'अतीत'। का सत्कार । अतिथि का सत्कार । अत्त-स्त्री० खाते की अवधि से पूर्व कर्ज पेटे जमा की जाने अतरिक्त, अतिरिगत-क्रि०वि० [सं० अतिरिक्त] मिवाय, वाली रकम । अलावा। प्रत्तोता, (यौ)-वि० (स्त्री० अत्तोताई) १ उतावला । २ इतराया अतरेक-पु० [सं] ग्राधिक्य, अतिशयता। हुया । ३ देखो 'ग्रातताई। अतींद्रियग्यांन-पू० [सं० अतीन्द्रियज्ञान इन्द्रियों के ऊपर प्रत्थ-कि० वि० १ अब । २ देवो 'अथ' । For Private And Personal Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पत्थटी अदनासियो प्रत्थडी-देखो 'रथ'। अथाई-देखो 'हताई। प्रत्याकार-पु० [सं०] हार, पराजय । अथाग, (गौ, घ, ब)-देखो 'अथाह' । अत्याचार-पु० [सं०] १ अन्याय । २ अतिक्रमण । ३ ज्यादती। अथार-पु० योनि, भग। ४ ग्राउंबर, ढकोसला । ५ विरुद्ध प्राचरण । प्रथाल, अथाह-वि० [सं० अथाह] १ अत्यधिक गहरा, अगाध । अत्याचारी-वि० [सं०] १ अत्याचार करने वाला, प्राततायी। २ अपार, अपरिमित । ३ गंभीर, गूढ़ । ४ बढ़िया । २ उद्दण्ड । ५ अगम्य ।-पु० १ सागर, समुद्र । २ बड़ा जलाशय । प्रत्र-कि०वि० [सं०] यहां, इस जगह । -सरण-वि० निर्लोभी।। ३ गड्ढा । ४ गहराई। -- स्थ-वि. यहाँ का। अथि, (थी)-वि० [सं० प्रथिन्] -१ धनी, धनाढ्य । अत्रय, अत्रि-पू० [सं० अत्रि] १ सप्तऋपियों में से एक । २ देखो 'अरथ' । २ मप्तऋषि मंडल का एक ताग । -ज, जात-पु० अत्रि अथिर-वि० [सं० अस्थिर[१ जो स्थिर न हो, चलायमान । के पुत्र, चन्द्रमा, दत्तात्रय, दुर्वासा ।-प्रिया-स्त्री० सती २ नाशवान । ३ जंगम । अनुसूया । प्रधूळ-वि० [सं०म०- स्थूल] १ जो स्थूल न हो, पतला। २ स्थूल । अत्रिपत-वि० [सं० अतृप्त] अतृप्त, असंतुष्ट । अथोग-देखो 'अथाह। प्रथ-सं०पु० [सं०] १ शुभारंभ । २ ग्रंथ या लेख का मंगल अथ्य-देखो 'अथ' । सूचक प्रारंभिक शब्द । ३ मंगल । ४ संदेह, संशय । अदंक-पु० [सं० अातंक] अातंक, डर, भय । ५ पुर्णता । -क्रि०वि०१ अब, इस समय । २ तदनन्तर । अदंग-वि० [सं० अदग्ध] १ बेदाग । २ निर्दोष । ३ शुद्ध, पवित्र । ३ प्रारंभ में । ४ देखो 'अरथ'। ५ देखो 'अस्त' । ४ प्रातकित । ५ स्तभित । ६ सुखी। अथइणौ (बी) देखो 'पाथमगौ' (वौ)। अदंड-वि० [सं० अ-दण्ड[ १ जिसे दंड न दिया जा सके, प्रधऊ-पु० मूर्यास्त से पूर्व का भोजन । (जैन)। अदंडनीय । २ दंड रहित । ३ निर्भय । अथक -कि०वि० बिना रुके, बिना थके, । —वि० न थकने | अदंत-वि० [सं० प्रदंष्ट्र] १ दन्त रहित । २ दुधमुहा, अबोध । वाला । अथांत । ३ अत्यधिक वृद्ध । -पु० १ युवावस्था के दांत न पाया अथग-पु० १ हाथी । २ समुद्र । ३ प्रथाह । हुया ऊंट या बछड़ा २ विप दंत रहित सर्प । ३ जोंक । अथगरणी, (बी) क्रि० रुकना, (सूर्य) । ठहरना । अदंतिका-स्त्री० एक देवी का नाम । अथग्गरौ-पु० मि. अर्थग्रह] चोर डाकू । अदंभ, (भी)-पु० [सं० + दंभ] १ शिव । २ दंभ का अथड़णौ, (बी) देखो 'पाथडणौ' (बौ)। अभाव । -वि० १ सच्चा, निश्छल । २ सीधा, सरल । प्रथमणी-पुल पश्चिम। ३ नम्र । ४ शिष्ट । प्रथमरणौ, (बौ) देखो 'ग्राथमगौ (बौ)। प्रदंस-वि० [सं० अ-दंश] १ दंत क्षन रहित । २ विषैले कीड़ों प्रथर-वि० अस्थिर के दंत क्षत रहित । ३ विना घाव का। अयरब, (ग) [सं० अथर्व] १ अथर्ववेद । अद-पु० मं०] १ भोजन, वाना । २ ग्राहार । ३ प्रतिष्ठा । २ इम वेद का एक मन्त्र । -सिर-पु० यज्ञ वेदी की ईट। --सिरा-स्त्री० वेद की ऋचा।। अदग, (घ)-वि० १ अस्पष्ट । २ बचा हुप्रा । ३ देखो 'अदंग' । अथरवण, (रिण,न)-पु० [सं० अथर्वन] १ शिव, महादेव । २ एक अदति, (ती)-देखो 'अदिति' । ऋषि । ३ अथर्ववेद में निष्णात ब्राह्मण । प्रदतीपूत, (सुत)-देखो 'अदितिसुत' । प्रथरवणी-पु० [सं० अथर्वरिण] कर्मकाण्डी पुरोहित । प्रदतेव-पु० [सं० आदितेव] अदिति की संतान, देवता, सुर । अथरूज, (ळ ज)-देखो 'अतळ ज' । अदतौ-वि० कृपण, कंजूस । अथळ-स्त्री० लगान पर दी जाने वाली भूमि । प्रदत्त, (त) वि० [सं०] १ न दिया हुआ । २ न देने योग्य । मथळस-स्त्री० १ घोड़े की लिंगेंद्रिय सहलाने की क्रिया। २ हस्त- ३ अनुचित ढंग से दिया हुआ । ४ कृपण, कंजूस । मैथुन । -पु० मुकरा हुअा दान। -दान-पु० चोरी । अपहरण । अथवा-अव्य० [सं०] या, वा, किवां । प्रदन-पु० [सं०] १ भक्षण, आहार । २ भोजन, खाना । प्रथहा-देखो 'अथाह। ३ अरब सागर का बंदरगाह । -वि० १ हतभाग्य । अथांणु, (पौ)-पु. केरी, मिर्च, नीबू आदि का प्राचार । २ देखो 'अदिन'। -बदन-क्रि०वि० इधर-उधर । प्राथामणौ (बौ)-देखो 'पाथमरणी' (बौ)। | अदनासियो-वि० १ खिन्न-चित्त, दुःखी। २ दृष्ट । ३ णत्र । For Private And Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवनौ अदिव्य अदनौ, (ह) वि० [अ० अदना] (स्त्री० अदनी) १ तुच्छ, | प्रदळद, (ळिद्र) वि० [सं० अ + दारिद्रय] धनवान । साधारण । २ शूद्र, नीच । -पु० खुशहाली। अदन्न-१ देखो 'अदन' । २ देखो 'अदिन' । अदळी (ली)--वि० [सं० अ + दल] १ बिना पत्तों का। अदपत, (पति, पती) देखो 'अधपति' । ' २ बिना सेना का । [१०] ३ न्यायी । -पातसा-वि. अदफर-पु० १ पहाड़ या टीबे के बीच का हिस्सा । २ मध्य १ मस्त । २ ब्रह्मज्ञानी । ३ न्याय कर्ता । भाग । -क्रि०वि० १ बीच में । २ आधी दूरी तक। अदल्ल-देखो 'अदल'। ३ देखो 'अधर'। अदव, (वौ)-वि० कृपण, कंजूस । अदब-पु० [अ] १ शिष्टाचार, विनय । २ अनुशासन । ३ मान, प्रदवीटौ-वि० अधूरा, प्राधा । सम्मान, आदर । ४ लिहाज । अदांत-देखो 'अदंत'। अदबदाकर-क्रि०वि० १ हठ करके । २ अवश्य । अदांन, (नौ)-वि० १ कृपण, कंजूस । २ नादान, नासमझ । अदबी-वि० अदब संबंधी। ३ अनजान । अदबे, अदब-क्रि०वि० १ संभवतः । २ अपेक्षाकृत । प्रदांव, (दाव)-पु० [अ०] १ बुरा दांव । २ असमंजस, अदभुत, (भुत, भूत)-वि० [सं० अद्भुत] १ विलक्षण, कठिनाई। -वि० कृपण, सूम । विचित्र, अनोखा । २ सुन्दर । ३ आश्चर्यजनक । अदा, (ह)-स्त्री० [अ०] १ हाव-भाव, नखरा । २ आकर्षक -पु. काव्य के नौ रसों में से एक । चेष्टा । ३ ढंग । -वि० १ चुकता, भुगताया हुआ । अदभुज-देखो 'उदभिज'। २ पूर्ण, प्रस्तुत । ३ कथित, कहा हया ।-वांन-वि० नखरे अदभुतालय-पु० अजायबघर। करने वाला। अदभ्र-वि० [सं०] असीम, अपार । अदाग, (गो)-वि० [सं० अ०+दग्ध] १ निष्कलंक, बेदाग । अदम, (मु)-वि० १ दमन रहित । २ इन्द्रिय-निग्रह न. २ निर्दोष । ३ पवित्र, शुद्ध । ४ स्पष्ट । -पु० पशुओं का करने का भाव । ३ स्वतंत्र, स्वाधीन । ४ दम रहित, | संकेत चिन्ह । निरर्थक । ५ देखो 'अदम्य' ।-पु० [अ०] अनस्तित्व, प्रभाव अदात, (ता, तार)-वि० कृपण । -पता-पु० अनिश्चित दशा । -परवी-स्त्री० बिना प्रदाप-वि० १ दर्पहीन, निरभिमानी। २ शिष्ट, सज्जन । कार्यवाही का मुकद्दमा। --सबूत-पु० प्रमाण का प्रभाव । -पु० १ नम्रता । २ निरभिमान । -हाजरी-स्त्री० अनुपस्थिति । अदाब-देखो 'अदब'। अदाबद, (दी)-स्त्री०१ प्रतिस्पर्धा, होड़ । २ ईर्ष्या । अदमू, अदमी-वि० (स्त्री० अदमी) १ तुच्छ, छोटा । २ नीच । अदायगी-स्त्री० चुकारा । अदम्य-वि० [सं०] १ जिमका दमन न किया जा सके। अदालत-स्त्री० [अ०] न्यायालय, कचहरी । २ प्रचंड, प्रबल । ३ उत्कृष्ट । अदालति, (ती)-वि० न्यायालय संबंधी। अदय-वि० निर्दय, निष्ठुर । अदावत, (ती)-स्त्री० दुश्मनी। प्रदरंग-पु० घोड़ों का एक रोग । अदिठ-देखो 'अडीठ'। अदर-पु० १ तीर, बांण । २ देखो 'अधर' । अदिति, (ती)-स्त्री० [सं० अदिति] १ कश्यप की पत्नी एवं प्रदरक-स्त्री० [फा०] कच्ची व गीली सोंठ, एक औषधि । देवताओं की माता । २ पृथ्वी । ३ प्रकृति । ४ गौ । -की-स्त्री० सोंठ व गुड़ से बनाई जाने वाली एक दवा । ५ वाणी । ६ मृत्यु । ७ निर्धनता । ८ असीमता । अदरस-वि० [सं० अदृश्य] १ जो दिखाई न दे, अोझल । ६ स्वतन्त्रता । १० ईश्वर का एक विशेषण । ११ दूध । २ लुप्त, गायब, अलोप । १२ पुनर्वसु नक्षत्र । १३ अंतरिक्ष । १४ माता-पिता । --नंदन, सुत-पु० देवता, सुर । सूर्य । अदरसण, (णि)-पु० [सं० प्रदर्शनम्] १ अविद्यमानता । २ लोप । अदिन-पु० [सं०] १ बुरा दिन । २ पापात्कालीन समय । ३ विनाश । ३ अभाग्य । अदरा-देखो 'याद्रा'। अदिपुरख, (पुरस)-देखो 'आदिपुरख' । अबळ (ल)-पु० [अ०] न्याय, इन्साफ । ---वि० १ न्यायशील । अदियण-वि० कृपण । २ मुख्य । ३ बढ़िया । ४ दिव्य । -इनसाफ-पु. न्याय । अदिव्य-वि० [सं०] (स्त्री०-अदिव्या) १ लौकिक, माधारण । ---बदळ-पु० हेरफेर, विनिमय । २ बुरा । -पु. लौकिक नायक । For Private And Personal Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यदिस प्रधंतर अदिस-वि० दिशा रहित । प्रदोड़ो-पु० मृत गाय या बैल का साफ किया हुआ प्राधा अदिस्ट-वि० [सं० अदृष्ट] न दिखने वाला, लुप्त, गुप्त ।। चमड़ा। अदिस्टी-स्त्री० [सं० अ+इष्टि] १ अन्धापन । २ बुरी दृष्टि । अदोत-पु० [सं० उद्योत] १ प्रकाश । २ शोभा, कांति । ३ अदूरदर्शिता । ----वि० १ दृष्टिहीन, अन्धा । २ अदूर- ३ उन्नति, विकास । ४ वृद्धि । -वि० १ द्युतिमान, दर्शी । ३ मुर्ख । ४ अभागा । प्रकाशित । २ शुभ्र, स्वच्छ । ३ उत्तम, श्रेष्ठ।। प्रदीठ, (ठौ)-देखो 'अडीठ'। . अदोरौ-वि० सुखी। पाराममय । अदीठि (ठो) देखो 'अदिस्टी' । प्रदोळी-स्त्री० १ घी, तेल, दूध आदि लेने का कटोरीनुमा प्रदीत-देखो 'यादित्य' । -वार-देखो 'आदित्यवार' । उपकरण । २ फसल में होने वाला आधा हिस्सा। अदीति, (ती)-देखो 'अदिति' । ३ देखो 'अदोड़ी। अदीन-वि० [सं०] १ धनवान, सम्पन्न । [अ.] २ अनम्र ।। प्रदीफर-देखो 'अदफर' । ३ नास्तिक। प्रदोह-पु० १ दुःख, शोक । २ चिन्ता, सोच । ३ पश्चाताप । प्रदीयरण-देखो 'अदियण' । प्रद्दण-वि० १ खाने वाला। २ देखो ‘पादण' । प्रदीस्ट,(स्ठे, स्ठ)-वि० अधिष्ठित । प्रद्ध-१ देखो 'पाध' । २ देखो 'अध' । अदीह-पु० [सं० अ-+दिवस] दिवस का प्रभाव । प्रद्धरयण-देखो 'आधीरात' । -[सं० अ- दीर्घ] जो लम्बा न हो, छोटा । अधिकारी-देखो 'अधिकारी' । प्रदुद (दुद)-पु० सं अद्वन्द[ १ द्वन्द्व का प्रभाव, निर्द्वन्द्व । अद्धियावसौ-देखो 'अधियावरणी' । (स्त्री० अद्धियावगी)। २ शांति । ३ सुलह । -वि० १ निश्चित । २ अद्वितीय, प्रद्धी-देखो 'पाधी'। बेजोड़ । प्रद्धौ-वि० बाधा ।-रुक, रूक-पु० लहंगा। प्रदुखति, अदुखित-वि० [सं० प्रदूषित] १ दोप रहित, निर्दोष । अद्य-क्रि वि० [सं०] आज, अब, अभी । --पु. प्रारंभ । २ शुद्ध, पवित्र । ३ स्वतन्त्र । __-अप, अवधि-क्रि०वि० आजतक । अदुतिय, प्रदूत-वि० [सं० अद्वितीय] बेजोड़। अधूत-देखो 'प्रदूत'। प्रदूखरण (सण) [सं० अ+दूषण] दूषण रहित । अद्र, (नि)-पु० [सं० अद्रि] १ पर्वत, पहाड़। २ वृक्ष । ३ सूर्य । अदूर-क्रि० वि० [सं०] निकट, पास, समीप । -जा-स्त्री० १ पार्वती, गिरिजा । २ गंगा । ___ --दरसी-वि० स्थूल बुद्धिवाला, अदूरदर्शी । जमुना। ३ नदी। अदेख, प्रदेखी-वि. १ जो न देखा गया । २ जो देखा न जा अद्रक-देखो 'अदरक' । सके । ३ छिपा हुआ । ४ न देखने योग्य । ५ अदृश्य । अद्रको-पु० डर, भय, अातंक । ६ ईर्यालु । अद्रमरणौ देखो ‘अधियावणो' (म्बी० ग्रद्रमणी) अदेली-देखो 'अधेली। अद्रस्ट-देखो 'अडीठ'। अदेलौ-देखो 'अधेलो'। अद्राजणी, (बौ) क्रि० नगाड़ा बजना। प्रदेव-पु० १ शिव, महादेव । २ वायु । ३ मनुष्य । अद्रि, (न), अद्री-देखो 'पद' । ४ असुर राक्षस । ५ मुसलमान । -वि० कृपरण, क जूस ।। अद्रियांमरणो-देखो 'अधियावणी' (स्त्री० अद्रियांमणी) प्रदेवाळ-वि० १ न देने वाला। १ देने में असमर्थ । अद्वितिय, (तीय, द्वीत)-वि० [सं० अद्वितीय] १ बेजोड़ । ३ कृपण। २ अपूर्व । ३ अनुपम । ४ अतुल्य । ५ अद्भुत । ६ एकाकी, प्रदेस-पु० [सं० अ-देश[ १ पराया देश, विदेश । अकेला । ७ प्रधान, मुख्य । २ देखो 'आदेश'। अद्वैत,(द्वत)-वि० [सं० अद्वैत] १ द्वैत भाव से रहित ।२ द्वितीय प्रदेह-पु० [सं० अ+देह] १ परमात्मा । १ कामदेव । शून्य । ३ अपरिवर्तनशील । ४ अनुपम । ५ बेजोड़ । ३ निषेधात्मक शब्द । -वि० १ देह रहित, विदेह । ६ एकाकी । -पु० १ जीव व ब्रह्म के बीच ऐक्य का ३ कृपण, कंजुस । भाव । २ जीव-ब्रह्म के ऐक्य संबंधी शंकर चार्य का मत । प्रदोख, (स)-पु० [सं० अ+दोष] अग्नि, आग।-वि० निर्दोष ।। ३ ब्रह्म । ४ सत्य । -वाद-पु० ब्रह्म-जीव में ऐक्य मानने निर्विकार । निष्कलंक । निरपराध । का दर्शन । -बादी-पु० उक्त दर्शन का अनुयायी। अबोखो (सी)-वि० १ जो शत्रु न हो, मित्र । २ देखो 'ग्रदोख'। अधंतर-देखो 'पाधतर' । For Private And Personal Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रध प्रधव अध-वि० [सं० अर्घ, अर्द्ध] १ आधा, प्राधे का सूक्ष्म रूप । अधको, (डौ)-देखो 'अधिकौ' । (स्त्री० अधकी)। २ तुल्य, सम । -क्रि०वि० [सं० अधस्, अध;] १ नीचे, अधक्ष-देखो 'अध्यक्ष'। नीचे की ओर। २ तल में, तले।-पु. १ तल, पाताल । अधड़ची-पु० शत्र , दुश्मन । २ नीचे की ओर की दिशा । अधधपत, (पति,पती)-पु० [सं० उदधिपति] समुद्र, सागर । --अांनौ-पु० अधन्नी। -कचरियौ, कचरौ-वि० अधुरा । प्रधनौ-देखो 'अदनौ' । (स्त्री० अधनी)। आधा कुचला हुआ । प्राधा कुटा या पीसा हुआ । आधा | अधप-वि० भूखा, अतृप्त ।-पु० १ भूखा सिंह । [सं० अधिप] जानकार । --कच्चौ. काचौ-वि० अपरिपक्व । | २ पति, स्वामी । ३ राजा । ४ प्रभु। ५ सरदार । -कपाळी-पु० आधे सिर का दर्द, सूर्यावर्त । –कर अधफर-देखो 'अदफर'। ---वि० प्रौढ़, अधेड़ ।-कालौ-वि० प्राधा पागल मुर्ख । अधभुत-देखो 'अदभुत' । -कोस-पु. एक मील की दूरी। --खड़='अधकर'। अधम-वि० [सं०] (स्त्री० अधमा) १ नीच, निकृष्ट, क्षुद्र । -खण-पु० प्राधा क्षण । -खरी- स्त्री० अर्द्धरात्रि । २ पापी, पातकी । ३ दुष्ट । ४ निर्लज्ज, धूर्त । ५ निंदित । --खायो-वि० प्राधा खाया, प्राधा पेट । --खिलौ-वि० -उधारण-पु० ईश्वर, विष्णु । -रति-स्त्री० आधा खिलती, अद्धं विकसित।-खुलौ-वि० प्राधा खुला। स्वार्थजन्य प्रेम। -गति, गती-स्त्री० अधोगति । -गावळी-वि० अंगहीन, | अधमई. (माई)-स्त्री० नीचता, दुष्टता । निकम्मा, नपुंसक । -गेलौ-वि० अर्द्ध विक्षिप्त, मूर्ख, अधमता-स्त्री० अधम होने की अवस्था या भाव । तुच्छता, पागल । -चरौ-वि० प्राधा चराया हुआ। (चौपाया)। नीचता । -प-वि० अतृप्त, असंतुष्ट ।-स्त्री० तृष्णा, आकांक्षा। अधमा-स्त्री० [सं०] १ दुष्टा स्वामिनी । २ कलहप्रिय स्त्री। --पई, पाई-स्त्री० एक सेर का आठवां भाग । प्राधी पाई। | ३ कटुवचनों में संदेश देने वाली दूती। ४ देखो 'अधम' । पत, पति, पती, पत्त, पत्ती, प्पत-पु० अधिपति ।-पतन, अधर-पु० [सं०] १ नीचे का होंठ । २ बिना आधार का पतन्न. पात-पु० अधःपतन । दुर्गति । दुर्दशा । स्थान । ३ अंतरिक्ष । ४ अधस्थल । ५ खंड, विभाग । --फर, फरौ-प्रदफर। -बिच बीच क्रि०वि० मध्य में। ६ पाताल। ७ रतिगृह । ८ योनि । ९ दक्षिण दिशा। --बिचलौ, बीच लौ-वि० बीच का मध्य का, मध्यस्थ । १० बीच का स्थान । ११ शरीर का अधोभाग । १२ होंठ । -बीठौ-वि० अधूरा, अपूर्ण । पृथक्, भिन्न । -बुद्धि. बुध १३ अग्नि, आग । –क्रि०वि० १ बीच में । २ बिना --वि० अर्द्ध शिक्षित । -बूढ़, बूढौ-वि० प्रौढ़ । आधार से ।-वि० ३ नीच, बुरा । ४ घटिया। ५ पराभूत, अधेड़। -मरण, मरिणको-पु० प्राधा मन का तौल । पराजित । ६ चुप किया हुअा । ७ चंचल । ८ रक्ताभ, --मरियौ, मरौ, मुया, मुवी-वि० अधमरा, मृत प्रायः, लाल । -रज-स्त्री० होंठों की लाली। -पांन-पु० होंठों अत्यधिक घायल ।-मोलौ-वि० प्राधे मूल्य का ।। का चुम्बन, एक रति क्रिया । –बंब-क्रि०वि० त्रिसंकु की -रांगो-वि० प्राधा पुराना । —रत, रात, रेनि, रैणी- तरह, बीच में । -बिब-पु० बिंबफल जैसे होंठ । ---स्त्री० अर्द्धरात्रि ।- रतियौ, रातियो-वि० साधी रात --मधु, म्रत-पु. अधरामृत ।-रांरणौ-पुराना । को होने वाला । -पु० अाधी रात का भोजन । ---लोक पाताल । ---राजियो-वि० प्राधे राज का स्वामी -लोक-पु० । -लाक-पु० | अधरम-पु० [सं० अधर्म] १ धर्म का विपर्याय, धर्म विरुद्ध पाताल । --वसन-पु० अधोवस्त्र ।-वीटो, वीठी, कार्य । २ दुष्कर्म, पाप । ३ अन्याय ।-आचार-पु० अधर्म वीधौ-देखो ‘पदवीठौ' -सिर, सिरौ-पु० त्रिसंकु । का कार्य या व्यवहार ।-काय-पु० पाप । द्रव्य के छ: -सेर, सेरौ-वि० प्राधा सेर ।-पु० प्राधा सेर का बाट । भेदों में से एक। अधक-देखो 'अधिक'। –मास-देखो 'अधिकमास' । अधरमास्तिकाय-पु० छः द्रव्यों में से दूसरा द्रव्य (जैन)। अधकारणी, (नी)-वि० अत्यधिक । अधरमी-वि० [मं० अमिन्] १ पापी, अन्यायी । २ अधर्म अधकाई-देवो 'अधिकाई'। करने वाला। अधकार, (रौ) देखो 'अधिकार' । अधराज-देखो 'यधिराज' । अधकाव-दि० अधिक, ज्यादा । -पु० अधिकता, विशेषता। अधल-देखो 'अदल' । अधकावणौ, (बौ)-क्रि० अधिक करना । अधव, (वा)-वि० [सं० अ+धब] १ बिना पति की, विधवा । प्रकि, (को)-स्त्री. विशेषता । अधिकता । | २ बिना स्वामी का।-पु० [सं० अध्व] पथ, रास्ता, मार्ग । For Private And Personal Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org प्रधवर प्रधीत अधवर-० [सं० अध्वर] १ यज्ञ । २ आकाश । ३ वायु । ६ ज्ञान । ७ कर्तव्य । ८ प्रभुत्व । ९ पद । १० स्थान । -वि० १ मीधा, सरल । २ अबाध या निरन्तर ११ राज्य । १२ नाटक में पात्र की विकसित स्थिति । चाने वाला। १३ मुख्य नियम । १४ मान, प्रतिष्ठा । अथवाचर पृ० भ्रमर, भौंरा । अधिकारी वि० [मं०] १ हकदार, दावेदार । २ स्वामी, अधसाय पृ० श्रीकृष्ण। मालिक । ३ कब्जा करने वाला । ---पू०-१किसी संस्था प्रधांम-वि० [सं० अ-धाम] १ जिसका कोई स्थान न हो। या विभाग का अफसर । २ शासक । ३ अधिकार प्राप्त स्थान रहित । २ सर्वत्र मिलने वाला । --पु० परब्रह्म । व्यक्ति। ४ किसी कार्य के प्रति विशेष योग्यता वाला प्रधाप वि०१ अनुप्त, भूखा । २ देखो 'अधिप' । व्यक्ति । ५ प्रधान फल प्राप्त करने वाला नाटक का पात्र । अधायउ, (योड़ो, यौ)-वि० (स्त्री० अधायोड़ी) १ भूखा, अतृप्त । अधिकौ-देखो 'अधिक' । (स्त्री० प्रधिकी) २ असंतुष्ट । ३ बिना दौड़ा हुआ । अधिछिपत्र-वि० तंगड़ाया हुआ । अधार-देखो 'ग्राधार'। अधिटौ-देखो 'प्राधेटौ'। अधिदेव (ता)-पु० १ इष्टदेव, प्रधानदेव । २ पदार्थों के अधारणी (बौ)-देखो 'ग्राधारगी' (वौ) अधिष्ठाता देवता, रक्षक देव । प्रधारमिक-वि० [सं० अनामिक] १ पापी, दुष्ट । २ नास्तिक।प्रशिटव-प० [सं अधिदेव] १दैविक । २ अाकस्मिक । ३ धर्म को न मानने वाला। देखो 'अधिदैवत'। अधि-उप. मं शब्दों के पूर्व लगने वाला उपमर्ग जो ऊंचा, अधिदेवत-पु० [सं० अधिदैवतम] १किसी पदार्थ का अधिष्ठाता ऊपर प्रमुख प्रादि अर्थों का बोध कराता है ।-करण- पु० देवता । २ अनेक पदार्थों में रहने वाला मूल तत्व । व्याकरण का सातवां कारक । -देव, देवता-पु० इष्टदेव, अधिप, (पत, पति, पती)-पू० [सं० अधिप, अधिपति] १ राजा । कुलदेवता । -नाथ, नायक-पु० स्वामी । मरदार । २ नायक, सरदार । ३ स्वामी, मालिक । ४ ईश्वर, प्रभु। - रति-स्त्री० अर्द्धरात्रि । --रथ-पु० रथ का गारथी। कर्गा का पिता । बड़ा रथ । -वि० अधिभत-पू० मब प्राणियों की नाम रूपात्मक नाशवान स्थिति ग्थारूढ़ ।-राज, राजा-पु०सम्राट, राजा । अधीक्षकः । का नाम । ---रोहण पू० चढ़ना, चढ़ाना, फहराना आदि की क्रिया। अधिमाख-देखो 'अधिकमास' । --वि० चढ़ने वाला । सवार होने वाला । ऊपर उठने अधियग-प० [सं० अधियज्ञः परमेश्वर । २ प्रधान यज्ञ । वाला। रोहरणी, रोहिणी-स्त्री० निसैगी । सीढ़ी। अधियांमण, (पौ)-देखो 'अधियावगी' । (स्त्री-अधियांमगी) जीना । लोक-पु० ससार । ब्रह्माण्ड ।-वर- अधियाळ-वि० प्राधा, अर्द्ध । देखो 'अधवर' । ----वात-पु० निवास स्थान । -स्त्री० अधियावरण, (पो)-वि० (स्त्री० प्रधियावणी) १ बोर, बहादुर । सुगंध । -वासी-१० मिवामी । -वेसन--पु० ममारोह, अधियावणी-स्त्री० कटार, कटारी। मभा।-सथान, स्थान-पृ० शहर, नगर ।। प्रचंड, भयंकर । ३ ध्वंसकारी। अधिक, (उ, त)-वि० [सं०] १ बहुत, ज्यादा, विशेष। अधियो-पु० १ अर्द्ध भाग, प्राधा हिस्मा। २ गांव में प्राधी २ बढ़कर । ३ उत्कृप्ट । ४ अतिरिक्त । ५ घना, गाढ़ा। पट्टी का जमींदार । ३ फनल का प्राधा भाग । ४ छोटी ६ विशिष्टतम । -अंस-वि० ज्यादातर । -जथा- रेलगाड़ी।-वि० प्राधा, अर्द्ध । देखो 'इधकजथा' । --तम-वि० सर्वाधिक । –तर-वि० अधिस्टाता, (स्ठाता)-वि० [सं० अधिष्ठाता] (स्त्री० अधिस्टात्री) अत्यधिक । -कि०वि० प्रायः । -ता-स्त्री० बाहल्य। १ अध्यक्ष । २ मुखिया, प्रधान । ३ रक्षक । ४ स्वामी। बढ़ोतरी, वृद्धि । -दंत, दंती, दंतौ-वि० अधिक दांत -पु०-ईश्वर, परमात्मा । वाला । --पु. एक प्रकार का अशुभ घोड़ा। अधिस्टात्री, (स्ठात्री)-स्त्री० [सं० अधिष्ठात्री] १ देवी, दुर्गा । -.-मास-पु० भारतीय ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक तीसरे २ देखो 'अधिस्टाता' (स्त्री०) वर्ष पड़ने वाला पुरुषोत्तम मास, मल-मास । अधिनपरणी, अधिस्रयणी स्त्री० [सं० अधिश्रपणी, अधिश्रमणी] अधिकाई-स्त्री० १ विशेषता । २ अधिकता । ३ महिमा। गुल्हा, अंगीठी । ४ वरपन । आधी-देखो 'अधि'। अधिकार-पु०- [सं०] १ हक, म्वत्व । २ कब्जा। अधीठ-देखो 'अंडीठ' । ३ याधिपत्य, स्वामित्व । ४ शक्ति, मामथ्र्य । ५ योग्यता । | अधीत-वि० [सं०] पढ़ा हग्रा, पठित । For Private And Personal Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधीन ( ४५ ) अनंजळ अधीन-वि० [सं०] १ वशीभूत, वशवर्ती । २ आश्रित । ३ प्राधे का पहाड़ा ४ प्राधानाप । ---अव्य०- १ नीचे। ३ मातहत । ४ नीचे । ५ आज्ञाकारी । ६ पराधीन । २ तले । ३ देखो 'पाधौ'। ७ स्वाधिकार युक्त । ८ दीन । -ता, ता-स्त्री० 'अधीन' प्रध्ये-वि० [सं० ऊर्ध्व] १ ऊपर । २ उल्टा । होने की दशा या भाव । विवशता । वशवर्तित्व । नम्रता। अध्यक्ष-पु० [सं०] (स्त्री० अध्यक्षा) १ स्वामी, मालिक । अधीर, (रौ)-वि० [सं०] (स्त्री० अधीरा) १ धैर्यहीन, आतुर, २ सरदार, नायक । ३ मुखिया, प्रधान ! ४ अधिष्ठाता। उद्विग्न । २ भयभीत, घबराया हुआ। ३ उतावला । अध्यक्षर-क्रि० वि० अक्षरशः, अक्षर-अक्षर । ४ असंतोषी। ५ चंचल । ६ विह्वल। अध्ययन-पु० [सं०] पठन-पाठन, पढ़ना क्रिया । अधीरज-पु० [सं० अधयं] १ धैर्य का प्रभाव । २ त्वरा। अध्यांमण, (गो)-देखो 'अधियावरणौ' । (स्त्री० अध्यांमणी)। __ ३ चंचलता । ४ घबराहट । -वि० चंचल । अध्यातम, (त्म)-पु० [सं० अध्यात्म) १ प्रत्येक शरीर में रहने अधीरा-स्त्री० [सं०] १ विद्युत । २ मध्या या प्रौढ़ा नायिका वाली परमात्मा या परब्रह्म की सत्ता का नाम । २ आत्मा, का एक भेद । ३ नायक को पर-नारी-रत देखकर प्रत्यक्ष मन व देह । --विद्या-स्त्री० ब्रह्मविद्या । आत्मतत्व विषकोप करने वाली नायिका। यक शास्त्र । अधीस, (र)-पु० [सं० अधीश] १ स्वामी, मालिक। अध्यातमिक-वि० [सं० अध्यात्मिक अध्यात्म संबंधी। यात्मा २ अधीश्वर, मंडलेश्वर । ३ अध्यक्ष । ४ राजा, नृप । संबंधी। अधुना-क्रि०वि० [सं०] १ आजकल । २ इस समय ।। अध्यापक-पु० [सं०] (स्त्री० अध्यापिका) विद्यागुरु । अधुर-देखो 'अधर' । शिक्षक । मास्टर। अधूत-वि० [सं०] १ अकंपित । २ निर्भय, निडर । ३ सज्जन ।। अध्यापको, (पिकी)-स्त्री० पढ़ाने का व्यवसाय व कार्य । ४ उचक्का । अध्यापरण, (न)-पु० [सं०अध्यापन] अध्यापक का कार्य । शिक्षण । अधूरी-वि० (स्त्री० अधूरी) १ अपूर्ण। २ अर्द्ध पूर्ण । ३ बाकी अध्याहार--पु० [सं०] १ तर्क-वितर्क, बहस । २ अस्पष्ट को रहा हुआ। ४ विचाराधीन । -पु० अपरिपक्व गर्भ । स्पष्ट करने की क्रिया । अधेड़-वि० प्रौढ़। अध्येय-पु० [सं०] १ पठन-पाठन । २ निरुद्देश्य । अधेटौ-देखो 'प्राधेटौ'। अध्रम-देखो 'अधरम'। अघेली-स्त्री० प्राधा रुपये का सिक्का, अठन्नी। प्रध्यांमरण, (पौ), अध्रियांमरण, (पौ) अध्रीयांमरण, (पौ) अधेलौ-पु. १ आधा पैसा । २ लगभग एक तौले का अध्रीयांवरण, (पौ)-देखो 'अधियावरणौ' [स्त्री० अध्रियांमणी] । एक प्राचीन तौल । अघ्र व-वि० [सं० अ+ध्रुव] १ अस्थिर । २ चलायमान । अधोक-पु० प्रणाम, नमस्कार । अध्व-पु० [सं०] १ मागं, रास्ता। २ देखो 'अध्वर' । अधोक्षज, अधोखज-पु० [सं० अयोजन] १ परब्रह्म । २ विष्णु । --ग-पु० पथिक, राही । सूर्य । ऊंट । खच्चर । ३ कृष्ण । -वि० इन्द्रियातीत । अध्वर-पु० [सं०] १ यज्ञ । २ वसुभेद । ३ सावधान । अधोगत, (गति, गती)-वि० अवनत, पतित । -स्त्री० १ पतन, ४ अन्तरिक्ष । -यु-पु० यज्ञ में यजुर्वेद पढ़ने अवनति । २ दुर्गति, अधःपतन । ३ भूत, प्रेत आदि गति । वाला ब्राह्मण। अधोगमण, (न)-पु० [सं० अधोगमन] पतन, अधःपतन । अध्वासरण, (न)-पु० [सं०] चौरासी आसनों में से एक । अधोगांमी-वि० [सं० अधोगामिन्] १ अधोगति को प्राप्त होने अनंक-पु० १ परब्रह्म । २ नगाडा। -वि० चिह्न रहित । वाला। २ पतित । अनंग-पु० १ [सं०] ब्रह्म । २ कामदेव । ३ आकाश । ४ मन । अधोड़ी-देखो 'प्रदोड़ी'। ५ पवन-वि० १ बिना देह का । २ प्राकृतिहीन । ३ अंगहीन । अधोफर-देखो 'अदफर'। ---क्रीड़ा-स्त्री० रति, संभोग, मैथुन । -पु० मुक्तक अधोभवण, (भवन, भुवन)-पु० [सं० अधोभवन ] पाताल । नामक विषम वृत्त । --तेरस-स्त्री० चैत्र शुक्ल पक्ष की अधोमारग--पु० [सं० अधोमार्ग] १ पतन का मार्ग । २ नीचे का | त्रयोदणी । --वती-स्त्री० कामवती। ---सेखर-पु० दण्डक रास्ता । ३ सुरंग का रास्ता ४ गुदा । वर्ण वृत्त का एक भेद । -सेना-स्त्री० पिंगला का एक अधोमुख-वि० [सं०] जिमका मुख नीचे हो, उल्टा, प्रौंधा । नामान्तर । -क्रि० वि० नीचे मुह किये हुए, मुह के बल । अनंगारि, (री)-पु० [सं० अनंगारि] शिव, महादेव । अधोवाय, (वायु)--स्त्री० अपान वायु । अनंगी-देखो 'अनंग'। अधौ, (धौ--पु० [सं० अधः] १ नरक । २ प्राधा भाग। अनंजळ-देखो 'अन्नजळ' । For Private And Personal Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रनंजा www.kobatirth.org ( ४६ ) नंदे'नुजा'। लक्ष्मण अनंतगुरु मं धन+यंत] १ विष्णु। २ शेषनाथ बलराम । ५ आकाश । ६ श्रीकृष्ण । ७ शिव, महादेव । रुद्र ९ शंख । १० वासुकि । ११ बादल | १२ श्रभ्रक । १३ श्रवण नक्षत्र । १४ तांत्रिक सूत्र, गंडा १५ एक ग्राभुवरण । बि०- ( स्त्री० अनंता ) १ ग्रन्त रहित । २ अपार असीम । ३ बेहद । ४ अक्षय, अखण्ड । चतुरदसी, चवदस - स्त्री० भाद्रपद शुक्ला चतुर्दशी, एक पर्व दिन । -दरसरण, दरसन पु० सम्यक दर्शन (जैन) नाथ- पु० चौदहवें तीर्थकर (जैन) । -- मूळ- पु० एक रक्त शोधक वनस्पति । वात-पु० शिर का एक रोग विजय पु० युधिष्ठिर के का नाम - व्रत - पु० श्रनन्त चतुर्दशी का व्रत । नंतर कि०वि० [सं०] १ पीछे उपरांत, उपरांत, बाद में २ बावजूद | ३ पास, समीप । ४ निरंतर, लगातार । अनंता स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी । २ पार्वती । ३ पीपल । ४ दूर्वा दूब 1 ५. अनंत मूल । ६ - पति पत्ती, पु० राजा नृप । | भद्दा । बाहे अनइ, (ई) - क्रि०वि० औौर । I श्रनख पु० [सं० ग्रनक्ष ] १ क्रोध, रोप । २ अप्रसन्नता, नाराजगी । ३ खिन्नता दुःख । ४ ग्लानि । ५ ईर्ष्या, द्वेष ६ भट - वि० विना खून या नख का श्रनग - पु० १ आश्चर्य, विस्मय । २ देखो 'अनघ' । अनघ वि० [सं०] १ अथ रहित निष्पाप २ निर्मल विष । ३] पुण्यवान पु० पुण्य | श्रनड़- वि० [सं० ग्रनन्दः श्रनड् | १ वीर बलवान । २ नम्र श्रनंद- पु० १ भोजन खाना । २ हर्प, खुशी । वि० १ विना अनढू-पु० दुर्ग, किला, गढ़ । 1 पुत्र का । २ देखो 'ग्रानंद' । श्रनंदी वि० अनंद्री - ३० देवता । [० ग्रानन्द युक्त | । - श्रवसर अन पु० [सं०] १ श्वास । २ कुछ शब्दों के पूर्व में लगने वाला निर्णय या प्रभाव सूचक उपसर्ग | -क्रि० वि० १ विना, वगैर । २ और, तथा । ३ देखो 'अन्न' | ४ देखो 'अन्य' | ५ देखो 'ग्रीन' [क्रि.वि० बेमांके, असमय -इच्छा-स्त्री० श्ररुचि । -कार, कारौ वि० वीर योद्धा | कोट - पु० दीपावली के दूसरे रोज या कुछ दिन बाद तक मनाया जाने वाला पर्व इस पर्व में भगवान के भोग के लिए बनाये जाने वाले विभिन्न व्यंजन कुछ देखो 'मनु' गड़, गढ़-वि० बिना गढा हुम्रा, बेडौल, बात चाहने वाला निर्मोही - कूट, | - क्रि० वि० बेमन से । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उ' । ३ न झुकने वाला । ४ बन्धन रहित, स्वतन्त्र । पु० ९ किला, गढ़ । २ पहाड़, पर्वत । ३ राजा । ४ हाथी । ५ सांड, वृषभ । ६ सदैव आकाश में उड़ने वाला पक्षी, अनलपक्षी I -नड़ वि० वीरातिवीर । उहाँ को वश में करने वाला पं० एक प्रकार का कल्पित श्राकाशी पक्षी, अनलपक्षी । - पण, पण पु० ही वीरता उदण्डता, बदमाशी स्वतंत्रता । - पै, राज - पु० सुमेरु पर्वत । अनड़ी स्त्री० मूर्खता, अनाड़ीपन । वि० मूर्ख, अनाड़ी । अनचार - देखो 'अनाचार' । अनजळ-देखो' ग्रन्नजळ' | नज्ज- देखो 'अनुज' । नज्जवंस पु० अनार्यवंश । बांग, (बांन, वांण बांन) - वि० [सं० अनड्वान ] बंधन में रहने का अनभ्यस्त | पु० सांड, वृषभ । अनडर - वि० १ निडर, निर्भय २ बलवान । अनडीठ-वि० बिना देखा । अनडुह, (हौ ) - पु० [सं० अनुदुह ] बैल, वृषभ । अनत वि० [सं०] [स्त्री० धनता]-१न का हुआ सीधा । २ नम्र, नम्रता रहित । - क्रि० वि० १ अन्यत्र कहीं श्रर । २ देखो 'अनंत' | अनता देखो 'अनंता' । श्रनमंद अनथ, (पू) - वि० १ विना नाथा हुआ, स्वतंत्र । २ उद्दंड | ३ देखो 'अनरथ' | अनदान-पु श्रमदाता (र) देखो 'अन्नदाता' । श्रनदास - वि० १ भोजन भट्ट, पेटू । २ खुदगर्ज । 1 श्रनथांनथ-वि० ० १ प्रनाथों का नाथ, स्वामी । २ उद्दण्डों को काबू में करने वाला । ● अन्न का दान | For Private And Personal Use Only अनधिकार- वि० [सं०] १ अधिकार रहित । २ अनुचित । [१०] १ बेवमी २ योग्यता पेस्ट-स्त्री० अनुचित पु० । । हरकत । अनन्नास- देखो 'ग्रनायाम' | -- अनन्य वि० [सं०] १ भिन्न २ एकनिष्ठ एकाश्रयी । ४ घनिष्ठ । ५ ग्रविभक्त । ६ अद्वितीय । अनपच- देखो 'प्रपच' । श्रनपाणी-देखो 'अन्नजन्य' । श्रनपूरण, (पा) - देखो 'पूरा' | श्रनर्भ-देखो 'ग्रा'भ' | अनमंद, (मंध, मंधी, मंधौ) वि० १ अपार असंख्य । २वीर, Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनम अनाड़ी बहादुर । ३ स्वतंत्र, आजाद । -पु. १ परमेश्वर, ३ तीन की संख्या। -कुड-देखो 'अगनी कुड' ।-चूरणईश्वर । २ शत्रु, दुश्मन ।। बारूद । -पंख-देखो 'अनड़पंख' । ----पंखचार--पु० हाथी। अनम-वि० [सं० अनम्र] १ न नमने वाला, अनम्र। २ उद्धत --पुड़-पु० पहाड़ । ----मुख--देवता । ब्राह्मण । --वि० जो बली । ३ उद्दड । ४ जिसमें नमी न हो, शुष्क ।-पु० ब्राह्मण । अग्नि द्वारा पदार्थों को ले । २ देखो 'अनिल'। अनमख-पु० [सं० अनमिप] समय । अनळप-देखो 'अनल्प। अनमद-वि० मद या अहंकार रहित । अनळस-वि० [सं० अनला] आलस्य रहित, परिश्रमी । अनमान-देखो 'अनुमान'। अनळा-स्त्री० १ कश्यप ऋषि की एक पत्नी। २ माल्यवान अनमांनांम-वि० उद्दण्डों को झुकाने की सामर्थ्य रखने वाला। राक्षस की कन्या । ३ देखो 'अनळ' । ४ देखो 'अनिळ' । अनमाई-स्त्री० अनम्रता। अनल्प-वि० [सं०] अत्यधिक, अपार । अनमाप, (मापौ)-वि० जो नापा न जा सके । अपार, असीम । अनवय-पु० [सं० अन्वय] १ वंश, कुल । २ वाक्य विन्यास । अनमिख, (मेख)-वि० [सं० अनिमेष] निमेष रहित, निनिमेष । | अनवार-वि० अन्य दूसरा । -क्रि०वि० १ एक टक । २ निरंतर । -पु० १ देवता। अनवी-वि० १ नहीं नमने वाला । २ वीर । २ मछली । ३ सर्प । अनसन-पु० [सं० अनशन] १ निराहार व्रत, उपवास । अनमित, (मिति)-वि० अपरिमित अपार, असीम । २ भूख हड़ताल। अनमत्ति, अनमित्ती-वि० १ अप्रमाण, अनिदर्शन । अनसवर-वि० [सं० अनश्वर] १ अनश्वर, अविनाशी । २ देखो 'अनमित'। २ अटल । ३ नित्य, सनातन । ----पु० ईश्वर, परमात्मा । अनमियौ, अनमी, (मौ)-वि० १ अनम्र, उदंड । २ न झकने अनसार-पु० भोजन । वाला । ३ बलवान, शक्तिशाली । -खंध-वि० जो अपना अनसूया, अनसोया-स्त्री० [सं० अनसूया] १ अत्रि ऋषि की कंधा न झुकने दे। शक्तिशाली बलवान । पत्नी । २ शकुन्तला की एक सखी । ३ अन्-ईर्ष्या । द्वेष अनमुखाद-देखो 'अनमिख' । भावना का अभाव । अनमुनी-स्त्री० [सं० उन्मुनी] हटयोग में अंगविन्यास की मुद्रा। अनस्व-पु० [सं० अनश्व] गधा, गर्दभ । अनमेळ-पु० शत्रु, दुश्मन । –वि० बेमेल । अनस्वार-देखो 'अनुस्वार' । अनम्म, (म्मी)-देखो 'अनम' । -खंध-देखो 'अनमीखंध'। अनहद, (६)-वि० जिसकी कोई हद नहीं, अपार, प्रेहद । अनम्र-वि० [सं०] १ अविनीत । २ धृष्ट । ३ उद्दण्ड । -पू० अनाहत नाद । अनय-पु० [सं० अन्याय] अनीति, अन्याय । अनाम, (मी)-वि० [सं० अनाम] १ बिना नाम का। अनयास-देखो 'अनायास' । २ अप्रसिद्ध । २ देखो 'इनाम' । अनरगळ-वि० [सं० अनर्गल] १ बेहदा । २ व्यर्थ । ३ बेरोक, अनांमति (ती)-वि० [सं० अनन्यमति] कुशलबुद्धि, चतुर । बेधड़क । ४ विचारहीन । ५ मनमाना । लगातार । अनामय-वि० [सं० अनामय] निरोग, तन्दुरुस्त । ७ अनियंत्रित, निरंकुश। अनांमा,अनामिका-स्त्री० [सं० अनामिका] मध्यमा के बाद अनरत-पु० [सं० अनृत] झूठ, असत्य । -वि० भूठा। की उंगली। अनरत्थ, अनरथ-पु० [सं० अनर्थ] १ उपद्रव । २ अन्याय । अनाक-क्रि० वि० नाहक, व्यर्थ । --कर, कार-वि० निराकार । ३ अत्यधिक हानि । ४ विनाश । ५ सरासर मिथ्या । अनाकांनी-देखो 'प्रांनाकांनी' । ६ अत्याचार । ७ अधर्म का कार्य । ८ खराबी। अनागत-वि० [सं०] १ अनुपस्थित । २ आगे आने वाला। -वि० १ जिसका कोई अर्थ नहीं, निरर्थक । २ व्यर्थ ।। ३ अज्ञात । ४ होनहार । ५ अनादि, अजन्मा । ६ अपूर्व । -क-वि० निरर्थक । व्यर्थ । ---कारी-वि० अनिष्टकारी, ७ अद्भुत । उपद्रवी, उलटा मतलब निकालने वाला। अनाग्रह-कि० वि० बिना आग्रह के । --पु० ग्राग्रह का प्रभाव । अनरध-देखो ‘अनिरुद्ध'। अनाघात--वि० [सं०] १ ग्राघात या चोट रहित । २ अकारमा । अनरस. (रसा, रसौ)-पु० १ रसहीनता, शुष्कता, रुखाई। अनाड़-देखो 'अनड़' । २ कोप । ३ मनोमालिन्य, पुट । ४ दुःख, खेद, रंज। अनाडवी, अनाड़ी-वि. १ अनाड़ी। २ मूर्ख नासमझ । ५ उदासी। ६ अन्य रस । ३ नादान । ४ अकुशल । --परण, पणौ -पु० मुर्खता, अनरूप-वि० १ कुरूप, भद्रा । २ असदृश । नासमझी, उद्दडता। अनळ स्त्री० [ग अनल] १ अग्नि, ग्राग । २ पिन । अनाडौ-देनो 'अनड़' । For Private And Personal Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनाचार ( ४८ ) प्रनिपुरण अनाचार-पु० [सं०] १ दुराचार, पापाचार । २ अन्याय, | अनास-पु० १ एक प्रकार का फल । २ देव वृक्ष । अंऔर । ३ अत्याचार । --ता-स्त्री० दुराचारिता, कुरीति, --वि० कायर। वृग पाचरगा। | अनासती-स्त्री० १ सतीत्वहीनस्त्री । २ कुसमय । अनाज-पु० [सं० अन्न | अन्न, धान्य । -वि० १ बुरा । २ दुःखप्रद । ३ कायर । अनातप-पु० [सं०] धूप या गर्मी का अभाव । अनासिक-वि० नाक रहित, नकटा । --वि० ताप रहित, शीतल । अनासुरति (ती)-क्रि० वि० अकस्मात्, अचानक । अनातम-वि० [सं० अनात्म] पात्मा रहित, जड़ । अनास्था-स्त्री० [सं०] १ आस्था का प्रभाव, अश्रद्धा । अनाथ-वि० [सं०] १ जिसका कोई स्वामी या मालिक न हो, | २ अविश्वास । ३ अप्रतिष्ठा । ४ अनादर । लावारिस । २ असहाय, अशरण । ३ माता-पिता से हीन । अनासम-वि० १ आश्रयहीन । २ पतित । ३ बिना श्रम का। ४ दीन, दुःखी ।-प्रालय, प्रास्रम-पु० लावारिस बच्चों को | अनासमी-वि० [सं० अनाश्रमी] पाश्रम भ्रष्ट, पतित । रखने का स्थान, यतीमखाना । ---नाथ-वि० ईश्वर, | अनास्रय, अनास्रित-वि० [सं० अनाथय] १ निराश्रय, निरालंब। विष्णु । --वि• अनाथों का सहायक । २ दीन, अनाथ । अनाथी, (यौ)-वि० १ बिना नाथ का । ३ उद्दण्ड । ३ स्वतन्त्र । अनाह-पु० [सं० ग्रानाह] कब्ज का रोग, आफरा । देखो 'अनाथ' ४ अनाथ । -क-कि०वि० नाहक, व्यर्थ में । अनाद-देखो 'अनादि'। अनाहत, (हद)-वि० [सं०] जो आहत न हो। -पु. १ दोनों अनादर-पु० [सं०] अपमान, अवज्ञा, तिरस्कार, अवहेलना। कानों को बंद करने पर सुनाई देने वाला शब्द । (योग) अनादि, (दी)-वि० [सं०] १ उत्पत्ति रहित, स्वयंभू । २ योग के पाठ कमल चक्रों में से एक । २ नित्य, सनातन । ३ परम्परागत । --जोगी योगी-पु० ३ इन्द्रियों को अंतर्मुखी कर सुनी जाने वाली मंत्र ध्वनि । शिव, महादेव । --नाद-पु० प्रकृति में व्याप्त ध्वनि । अनाधार-वि० [सं०] १ प्राधार रहित, निराधार ।। -वारणी स्त्री० आकाशवाणी या देववागगी। ३ बेसहारा । अनाहार पु० [सं०] १ भोजन का अभाव या त्याग । २ निराहार अनानास-पु० एक फल विशेष । व्रत । ---वि० १ निराहार, भूखा । २ विजयी । मानाप पु० [सं० अन्न-|-अप] अन्नजल । -वि० १ नाप रहित । अनिद, (द्य)-वि० [सं० अनिद्य] १ जो निंदा योग्य न हो । २ अपार । .. सनाप-वि० वेहद, अपार । ऊट-पटांग ।। २ दोष रहित । ३ उत्तम,श्रेष्ठ । ४ जिसे नींद न आती हो। निरर्थक । -पु० व्यर्थ प्रलाप । -क-वि० जो किसी की निंदा न करे । अनायक-वि० १ नायक रहित । २ रक्षक रहित । अनिदित-वि० [सं०] १ जिसकी निंदा न हो। २ उत्तम । अनायत-देखो 'इनायत'। अनिद्रा-पु. १ देवता । २ अनिद्रा का रोग । अनायास-क्रि० वि० [सं०] १ बिना प्रयास के, महज में । अनिद्री, अनिद्रीपित-पु० [सं० इन्द्रियपति] मन । २ अचानक, सहसा । अनि-सर्व० १ अन्य, दूसरा । २ भिन्न। अनार-पु० [फा०] लाल दानों वाला फल दाडिम । -दारणी अनिअन्नी-क्रि०वि० १ भिन्न-भिन्न । २ तरह-तरह से । --पु० अनार का दाना। अनिमाई, (याई)-देखो 'अन्यायी'। अनारज, अनारिज-पु० [सं० प्रनार्य] अनार्य, अमूर, दस्यु । अनिकार-पु०वीर, योद्धा । ---वि० नीच, न्यून । अनिच्छ-स्त्री० [सं०] इच्छा का अभाव । --वि० १ इच्छा अनारी-देखो 'अनाड़ी' । रहित । २ न चाहने वाला । ३ अनिश्चित । अनाळ-वि० सर्वत्र । अनिच्छा-स्त्री० १ इच्छा का अभाव । २ अरुचि । अनाळसी-वि० चुस्त । परिश्रमी। अनित्य-वि० [सं०] १ जो सदा न रहे। २ नश्वर । ३ क्षणिक । अनावस्यक वि० [सं० अनावश्यक] व्यर्थ, निरर्थक । ४ अनियमित। ५ असत्य, झूठा । ६ अस्थायी । ७ अस्थिर । -ता-स्त्री० जरूरत का अभाव । -ता-स्त्री० नश्वरता । अस्थिरता । अनावत, (वित)-वि० [सं० अनावृत्त प्रावरण रहित, खुला।। अनिनज-पु० [सं० अनन्यज] कामदेव, मदन । अनावस्टि, (बस्टी, ब्रिस्टो) स्त्री० [सं० अनावृष्टि] वर्षा का अनिप, (पति,पती)-पु. [सं०] सेनापति, सेना नायक । अभाव, अकाल । जलकष्ट । | अनिपुण-वि० [सं०] १ अकुशल, अपटु । २ अनाड़ी। For Private And Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनिबंध अनुक्रमी अनिबंध, (धी, धौ), अनिमंध, धी धौ)-देखो 'अनमंध'। । अनीत, (नीति)-स्त्री० [सं० अनीति] १ अन्याय, बेइन्माफ । अनिमिख-देखो 'अनमिख' । २ अत्याचार । ३ अव्यवस्था, अन्धेर । अनिमित, (त)-वि० [सं० अ-निमित्त] १ बिना निमित्त का, हेतु अनीतौ-वि० (स्त्री० अनीती) १ अन्यायी। २ आततायी । __ रहित । २ अकारण। ३ दुराचारी। ४ दुष्ट । ५ चंचल । अनिमिस, (मेख)-देखो 'अनमिख' । अनीप-देखो 'अनिप'। अनियत-वि० [सं०] १ अनिश्चित । २ अस्थिर । ३ अनित्य । अनीम-वि० [सं० अनम्र] १ न झुकने वाला। २ वीर । अनियाई, (यायी)-देखो 'अन्यायी' । अनीयाव-देखो 'अन्याय'। अनियाऊ, (याव)-देखो 'अन्याय'। अनीळबाजी, (वाजी)-पु० जिसके घोड़े श्वेत हों, अर्जुन । अनिरणय-पु० [सं० अनिर्णय] १ निर्णय का अभाव । अनीस-वि० [सं० अनीश] १ सर्वश्रेष्ठ, सर्वोपरि। २ जो किसी २ दुविधा । ३ संशय, संदेह। का स्वामी न हो। ३ लावारिस, अनाथ ।-पु० १ विष्णु । अनिरत, (रित)-पु० [सं० अनृतम्] झूठ, असत्य । २ जीव । ३ माया । ४ सेनापति । अनिरुद्ध, (रुध, रुध्ध)-पु० [सं० अनिरुद्धः] श्रीकृष्ण का पौत्र | अनीस्वर-वि० [सं० अनीश्वर] १ असंयत । २ अयोग्य । व उषा का पति । -वि० जो अवरुद्ध न हो। -पिता ३ नास्तिक । ४ जो ईश्वर संबंधी नहीं हो। __कामदेव, मदन, प्रद्युम्न । अनीह-वि० [सं०] १ निःस्पृह, निरपेक्ष । २ अनिच्छुक । अनिळ-स्त्री० [सं० अनिल] वायु, पवन, हवा । -कुमार-पु० ३ निर्लोभी ४ निष्काम । ५ निःश्चेष्ट । ६ आलसी । भीम, हनुमान । ६ निराश । --पु० समय, वक्त । अनिळासी-पु० [सं० अनिलाशिन] १ सर्प । २ एक व्रत विशेष। अनीहा-स्त्री० [सं०] अनिच्छा । ३ केवल वायु के आधार पर रहने वाला प्राणी। अनुद्यमी-देखो 'अन्युद्धमी' । अनिवारित-वि० [सं०] जिसका निवारण न हो सके । अनु-अव्य० [सं०] १ शब्दों के आगे लगने वाला उपसर्ग । अनिस-क्रि०वि० [सं० अनिश] निरन्तर, लगातार । २ हां, ठीक । ३ अब । ४ आगे। ५ पीछे, पश्चात् । __-वि० निशा रहित । ६ साथ, पास-पास । ७ अोर, तरफ । ८ एक के बाद एक, अनिसचित-वि० [सं० अनिश्चित] १ जिसका निश्चय न हो। क्रमश: --कंपा-स्त्री० दया, कृपा, अनुग्रह । सहानुभूति । २ अनियत। ३ अनिदिष्ट । करुणा । -कथरण (न)-पु० बाद का कथन । वार्तालाप । अनिस्ट-वि० सं० अनिष्ट] जो इष्ट न हो, अवांछित । अनुकूल कथन । पुनरुक्ति कथन । -करण-पु० नकल । -पु० १ अमंगल, अहित । २ बुराई । ३ विनाश, हानि । प्रतिरूपकरण । देखा-देखी कार्य। -करणीय-वि० अनु----कर, कार, कारी-वि० अहितकर । अमंगलकारी। करण करने योग्य । -करता-वि० नकल करने वाला। हानिकारक । --कार-वि० समान, तुल्य, सदृश, बराबर। --गमन-पु० अनिस्ठुर-वि० [सं० अनिष्ठुर] दयावान, सरलचित्त । अनुसरण । समान आचरण । सहगमन । स्त्री का अनिस्ठा-स्त्री० [सं० अ+ निष्ठा] १ अश्रद्धा, अविश्वास । मती होना । २ विराग । ३ अप्रतिष्ठा । -वि० अवांछित । अनुकूळ-वि० [सं० अनुकूल] १ मुग्राफिक, मनोज्ञ । २ पक्ष में, प्रनिहद-देखो 'अनाहत' । तरफदार । ३ प्रसन्न, खुश। ४ सदय, दोस्त। ५ समर्थनीय । अनींद-देखो 'अनिंद'। ६ विश्वत । ७ हितकर । -पु. विवाहिता स्त्री में ही अनौंद्र-देखो 'अनिंद्रा'। अनुरक्त नायक । -ता-स्त्री० पक्षपात । सहायता । अनी-१ देखो 'परिण' । २ देखो 'इण' । देखो 'अनि'। प्रसन्नता । हित होने की दशा। अनीक-पु० [सं०अनीक: अनीकम्] १ सैन्य-समूह । २ युद्ध ।। अनुकूला-स्त्री० एक प्रकार का छंद । ३ योद्धा, ४ साथी । सुभट । ५ भागीदार । ---वि० जो | ठीक न हो। बुरा। अनुकोस-पु० [सं० अनुक्रोश ] कृपा, दया, अनुग्रह । अनीकनी-स्त्री० [सं० अनीकिनी] १ सेना, फौज। अनुक्रम-पु० [सं०] १ क्रम, सिलसिला । २ यथाक्रम, तरतीय । २ अक्षोहिणी सेना का दशांण। ३ परिपाटी। ४ विषय सूची। अनोच-वि० [सं०] १ उत्तम, श्रेष्ठ । २ ऊंचा, उच्च । अनुक्रमणिका, (गीका)-स्त्री० [सं०] १ विषय मुची । २ गुची, ३ जो तुलना में कम न हो। फहरिस्त, तालिका। अनीठ-देखो 'अनिम्ट' । | अनुक्रमि-क्रि० वि० अनुक्रम से, कमणः । For Private And Personal Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुग अनुलोम अनुग, (गत)-वि० [सं०] १ अनुगत, अनुगामी । २ अनुयायी। अनुभवी-वि० [सं०] व्यावहारिक या प्रत्यक्ष ज्ञान वाला, ३ ग्राज्ञाकारी। ४ साथी, सहचर । ५ पिछलग्गु । ६ अनुकूल, | तजरबेदार, भुक्त-भोगी। माफिक । --पु० १ नौकर, अनुचर। २ दास, सेवक । अनुभाव-पु० [सं०] १ महिमा, बड़ाई । २ चमक-दमक । ३ शिष्य। ३ अधिकार । ४ प्रभाव । ५ काव्य-रस के चार अंगों में अनुग्या, (ग्गिया)-स्त्री० [सं० अनुज्ञा] प्राज्ञा, आदेश । से एक । ६ निश्चय । अनुग्रह-पु० [सं०] १ दया, कृपा । २ प्रसन्नता । ३ अनिष्ट- अनुभूत-वि० [सं०] १ अनुभव किया हुआ । २ परीक्षित । निवारण । ४ करुणा। ३ भोगा हुआ। अनुभूति-स्त्री० [सं०] प्रत्यक्ष अनुभव, परिज्ञान, बोध । अनुचर-पु० [सं०] १ नौकर, सेवक, दास । २ अनुयायी, ___ अनुगामी । ३ साथी । ४ पिछलग्गु । अनुमत, अनुमति-स्त्री० [सं० अनुमतम्, अनुमतिः] १ इजाजत । अनुचित-वि० [सं०] १ जो उचित न हो, गैरवाजिब । २ बुरा, २ स्वीकृति । ३ सहमति । ४ सम्मति । ५ चतुर्दशी अयोग्य । ३ नीति विरुद्ध । ४ अयुक्त । ५ असाधारण । । के योग की पूर्णिमा। अनुमरण-पु० [सं०] १ सहमरण । २ सती होना, पीछे मरना। अनुज, (ज्ज)-पु० [सं०] (स्त्री० अनुजा) छोटा भाई। -वि० १ छोटा । २ पीछे जन्मा। ३ पिछला।। अनुमान-पु० [सं० अनुमान] १ अटकल, अंदाजा । २ कल्पना । ३ न्याय शास्त्र के चार प्रमाणों में से एक । -वि० समान, अनुजीवी-वि० [सं०] १ पराधीन, पराश्रित । २ परावलम्बी। __ तुल्य, बराबर । -क्रि०वि० अनुसार । ३ आश्रित । --पु० दाम, नौकर । | अनुमित, (मिति)-देखो 'अनुमति'। अनुताप-पु० [सं०] १ ताप, तपन । २ दाह, जलन । ३ दुःख, अनुमोदक-वि० [सं०] समर्थक, अनुमोदनकर्ता । रंज। ४ पश्चाताप । ५ अफसोस, खेद । अनुमोदन-पु० [सं०] १ समर्थन, सहमति । २ स्वीकृति । अनुद्यमी-वि० [सं०] १ जो थम न करे, पालसी । २ उद्यम ३ प्रसन्नता का प्रकाशन । रहित, बेकार, ठाला। अनुमोदित वि० [सं०] १ समथित । २ स्वीकृत । अनुद्र त -पु० [सं०] संगीत में ताल का एक भेद । अनुयायी -वि० [मं०] १ अनुगामी । २ अनुकरण करने वाला। अनुधावण, (न)--J० [सं०] १ अनुगमन । २ अनुसरगा। ३ पीछे चलने वाला। -पु० १ नौकर, सेवक । २ शिष्य । ३ अनुसंधान । ४ पीछा । अनुयोग-पु० [सं०] १ योग, जोड़। २ प्रश्न । ३ खोज, शोध । अनुनय-पु० [सं०] १ विनय, प्रार्थना । २ विनम्र कथन । ४ परीक्षा । ५भर्त्सना । ६ याचना । ७ प्रयास । ८ चितन । ३ गान्त्वना । अनुयोजन-पु० [सं०] १ प्रश्न, जिज्ञासा । २ शोध, खोज । अनुनासिक-वि० [सं०] नासिका की सहायता से उच्चारित | अनरंजण (न)-प० [सं०] १ मनोरंजन । २ अनराग. प्रीति । होने वाले वर्ण। अनुरक्त, (रत, रति)-वि० [सं०] १ आसक्त, लीन, रत । अनुप, (पम)-वि० [सं०] १ अद्वितीय, बेजोड़ । २ अतुल्य । । २ अनुराग युक्त। ३ अनोखा, अद्भुत । अनुराग, (ग्य)-पु० [सं०] १ प्रेम, प्यार, मोह । २ आसक्ति । अनुपयुक्त-वि० [सं०] १ जो उपयुक्त न हो । २ अयोग्य । ___३ भक्ति । ४ संगोग, रति । ५ प्रशंसा । ६ ललाई । ३ असंगत, अनुचित । | अनुरागी-वि० [सं०] १ अनुराग करने वाला, प्रेमी । २ आसक्त, अनुपात-पु० [सं०] १ गणित की राशिक क्रिया, गणना । अनुरक्त। २ मात्रा। ३ माप । अनुराधा-स्त्री० [सं०] २७ नक्षत्रों में से १७ वा नक्षत्र । अनुपातक-पु० ब्रह्महत्या के बराबर का पाप । अनुरूप-वि० [सं०] १ सदृश, समान । २ एक जैसा । ३ उपयुक्त। अनुपादक-पु० [सं०] अाकाश से भी सूक्ष्म एक तत्व । (तंत्र) ४ अनुकूल। अनुप्रास-पु० [सं०] एक प्रकार का शब्दालंकार । अनुरूपक-पु० [सं०] प्रतिमूर्ति, प्रतिबिंब । अनुबंध-पु० [सं०] १ बंधन, लगाव । २ इत्संज्ञक वर्ण। अनुरूपता-स्त्री० [सं०] १ समानता, सादृश्य । २ अनुकूलता । ३ मिलसिला, प्रारंभ । ४ क्रम । ५ बंधान । ६ टेका। अनुरोध-पु० [सं० अनुरोधः, अनुरोधम्] १ विनय, प्रार्थना । ७ इरादा, उद्देश्य । । २ अाग्रह । ३ प्रेरणा । ४ उतेजना। ५ बाधा, रुकावट । अनुभय, (भाव)-वि० [सं० अनुभव] १ साक्षात् करने पर ६ दवाव । ७ अनुवर्तन ।। प्राप्त हुना ज्ञान । ३ व्यावहारिक ज्ञान । ३ समझ। | अनुलोम-वि० [सं०] १ केश सहित । २ क्रमानुसार । ४ गंवेदन। ३ अनुकुल । ४ संकर। ५ अविलोम, सीधा । ६ नियमित । For Private And Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रनुलोमनी www.kobatirth.org (x) - पु० १ नीचे उतरने का कार्य । २ स्वरों का अवरोह ( संगीत ) । -ज- वि० उच्चवर्णीय पुरुष तथा निम्न वर्गीय स्त्री की संतान वर्णसंकर । अनुलोमनी - स्त्री० [सं०] दस्तावर दवा | अनुवाद - पु० [सं०] १ भाषांतर । उल्था । तर्जुमा । २ पुनरुक्ति, दोहराना । —क-पु० अनुवाद करने वाला । -वित्त-वि० धनुवाद किया हुआ । अनुसंधान पु० [सं०] शोष, अन्वेषण, खोज। । । अनुसर पु० [सं० अनुसर: ] १ अनुगामी २ साथी ३ अनुचर । अनुसरण पु० [सं० अनुसरणम् ] धनुगमन, पीछा करना। अनुसार क्रि० वि० [सं०] १ मुताबिक । २ अनुरूप | ३ समान, सदृश । अनुसासक - १० [सं० अनुशासक ] १ अनुशासन करने वाला अधिकारी । २ शिक्षक । ३ निर्देशक । वि० १ शासक । २ हुकम देने वाला । ३ प्रबन्धक अनुसासरण (न) - पु० [सं० अनुशासन] १ प्राज्ञा, आदेश । २ शिक्षा, उपदेश । ३ नियम पालन । ४ मर्यादा । ५ शिष्टता पूर्ण व्यवहार | अनुसीलग पु० [सं० अनुशीलन | २ अभ्यास । अनुप (स्व० [सं० अनुष्टुप ] एक प्रकार का ववृत्त अनुस्टांन' (ठांन) पु० [सं०] अनुष्ठान कार्य सिद्धि निमित्त - ] देव विशेष की पूजा । धनुषा (पेपी) देखी 'धग' १ चिंतन, मनन 1 पु० श्राज्ञा, आदेश । अनुरौ - वि० नूर रहित, कांतिहीन । श्रने क्रि०वि० और, तथा । अनेक, (के, के) वि० [सं० अनेक] १ एक से अधिक २ बहु संख्यक । ३ अगणित, अपार । ४ भिन्न भिन्न । ५ वियुक्त, जो नेक न हो, बदमाश । - श्ररथ, अरथी - वि० जिसके कई अर्थ हो। (शब्द) ता स्त्री० अधिकता, बाहुल्य भेद-विभेद I मताविनय प-५० हाथी, गज - लोचन - पु० इन्द्र । कार्तिकस्याम | अनेकांत वि० १ जो एकान्त न हो। २ चंचल अनियत, अनिश्चित । ४ वास्तविक । ५ अनन्त धर्मों के समन्वित रूप को पूर्ण सत्य मानने का भाव (जैन) वाद - पु० जैन दर्शन, आत दर्शन । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकी स्त्री०९ बुराई । २ अपकार । ३ अन्याय । ४ बदमाशी । अनेड़ - वि० [सं० प्रनेड ] १ निकम्मा । २ टेढ़ा, तिरछा | ३ खराब, बुरा । ४ उद्दण्ड । ५ मूर्ख, अनाड़ी । अनेत वि० [सं० नेति] अंतहीन नेति । अनेम वि० [सं० प्र नियम ) जिसका कोई नियम न हो, नियम रहित । 1 7 अनेर, (री, रौ) - वि० [सं० [अन्य] अन्य दूसरा, अपर । नेररण- वि० १ न झुकने वाला । २ अजेय । अनेस - वि० १ स्नेह रहित । २ घर रहित अनेसी स्त्री० खोटी वात, बुरी बात । । ग्रनोड़ ३ अनेक | अनोखी । २ अतुल्य, बेजोड़ । सौ-पु० १ शक, संदेह । २ दुःख, खेद । ३ देखो 'अनसो' । अनुहरणी ( बौ) - क्रि० समान होना, तुल्य होना, समानता श्रनेह - पु० [सं० प्रस्नह] १ स्नेह या प्रेम का अभाव । करना । २ विरक्ति । ३ समय, काल । अनैस - देखो 'अनेस' | अनुहार स्वी० [सं०] १ प्राकृति मत २ देखो 'अनुसार' । तो- देखो 'अणू'तो' (स्त्री० प्रती ) । अनुकंपा - देखो 'अनुकंपा' । अनुग्रह देखो 'धनुष' अनूठी - वि० [सं० अनुत्थ, प्रा० अनुठ्ठ ] ( स्त्री० अनूठी ) १ अनोखा भुत, विचित्र २ उत्तम बढ़िया । अनुढ़ - वि० [सं०] ( स्त्री० अनूढ़ा ) १ अविवाहित कुमारा। २ न ढोया हुआ । पु० क्वांरा व्यक्ति । अनुदा स्त्री० [सं०] १ किमी पुरुष से प्रेम संबंध रखने वाली अविवाहिता स्त्री । २ वेश्या । ३ एक प्रकार की नायिका । - गांमी - वि० व्यभिचारी, वेश्यागामी । अविवाहित स्त्री से व्यभिचार करने वाला । अनूप, अनूपम - वि० अतुल्य अनोखा । - जथा स्त्री० डिंगळ छंद श्रनोख, (खौ) - वि० (स्त्री० - अनोखी ) १ सुन्दर, रचना का एक विधान । ३ विचित्र -तर पु० ग्राम का पेड़ व फल । २ अनुठा, निराला, अद्भुत । पासी पु० सुन्दरता, पठान अनोड़ देगी 'यन' । अनंसी- देखो 'अनेसी' । असी वि० १ दूर २ परिचित WORL - वि० १ अद्भुत, धनेहा पु० [सं०] १ समय, काल २ अवसर मौका 1 धनेही दि० शत्रुता रखने वाला, द्वेषी। नेही वि० शत्रुता रखने वाली होगी। , For Private And Personal Use Only अनं पु० [सं० अनय ] अनीति, अन्याय । - अव्य० १ फिर, पुनः । २ और, तथा । लापरवाह ४ निशंक, निर्भय । ५ अप्रिय । बुरा । ६ देखो 'अनेसी' । श्रनोअन, (अन्न) - क्रि०वि० [सं० ग्रन्योन्य ] परस्पर, आपस में । अनोकह, (कुह ) - वि० [सं०] १ अपना स्थान न छोड़ने वाला । २ स्थावर । - पु० वृक्ष, पेड़ । खूबसूरत । । ---परण, Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनौप ( ५२ ) मपड़रणौ अनोप, (पम)-देखो 'अनुपम' । अन्हायतर-स्त्री० शीघ्रता। अन्न-० [सं०] १ अनाज, धान । २ भोजन खाना । ३ खाद्य | अन्हेरौ-वि० (स्त्री० अन्डेरी) अन्य दसरा। पदार्थ । ४ भात । ५ विष्णु। ६ सूर्य । ७ जल । ८ पृथ्वी। अपंग-वि० [सं० अपांग] (स्त्री० अपंगा, अपंगी) १ अंगहीन । ६ देखो 'अन्य' । -कूट-पु० अन्न का पहाड़ । देखो 'अनकूट'। २ लंगड़ा, लूला । ३ अशक्त, निर्बल । ४ असमर्थ, असहाय । -क्षेत्र, सत्र-पु० भूखों को भोजन देने का स्थान । अपंथ-पु० [सं० अपथ] १ कुपथ, कुमार्ग । २ बीहड़ रास्ता, ----जळ-० अन्न-जल । खाने-पीने का योग । -जी, विकट मार्ग, ३ पथ का अभाव। जी, बाजी-पु० भोजन। -ड़-देखो 'अनड़' । ---था-देखो अपंपर-देखो 'अपरंपार'। 'अन्यथा' । -दान-पु० अन्न का दान। -दाता-वि० पोषक, परिपागक, अन्न का दान देने वाला। -दास-पु० अप-अव्य० [सं०] शब्दों के आगे लगकर विरुद्ध या उल्टा अर्थ भोजन-भट्ट, पटू । -पाणी-'अन्नजळ' । -पूरण देने वाला उपसर्ग । सर्व० श्राप, अपने । -वि० बुरा, (रणा)-स्त्री० अन्न की अधिष्ठात्री देवी । काशीश्वरी, अशुभ । -पु० [सं० अप्प्] पानी, जल । -अप्प, विश्वेश्वरी, वरवड़ी देवी का नाम । दुर्गा, पार्वती का आप-क्रि०वि० अपने आप, स्वयमेव । -इणएक नाम । -प्रतग्या, प्रतिग्या-स्त्री० अन्न त्याग का सर्व-अपना । - कंठ-पु० बालक । -क-पु. पानी । संकल्प । --प्रासन-पु० अन्न खिलाने का प्रथम संस्कार । --कज-क्रि०वि० अपने लिये । --करण-पु० दुराचार । -मयकोस-पु० त्वचा से वीर्य्य तक का समुदाय । अनुचित कार्य । -करता-वि० हानिकारक । अनिष्ट पंचकोशों में से प्रथम । कारक । पापी। -करम-पु० दुष्कर्म, कुकर्म । -काजीअन्नण-चन्नण-पु० यौ० चन्दन का ईधन । वि० स्वार्थी । -कार-पु० बुराई । हानि । क्षति । अनिष्ट । अन्नल, (ला)-देखो 'अनळ' । निगदर, अपमान । दुर्व्यवहार । -कारक कारी-वि० अन्नाद-देखो 'अनादि'। दुष्कर्मी । नीच । विरोधी । अनिष्ट कारक । द्वेषी । अन्नाहत-देखो 'अनाहत'। --कीरत, कीरति, कीरती-स्त्री० अपयश । बदनामी। अनिबंध-देखो 'अनमंद' । निदा । हंसी। —पक्ख-पक्ष रहित । असहाय । पंख रहित । अन्न क-देखो 'अनेक'। ---ऋति-स्त्री० निरादर । अपमान । हानि बुराई । अन्य-वि० मं०] १ दूसरा । भिन्न, २ विचित्र । ३ पगया, अपकार । --घन-पु. शरीर, देह । ---घातक, घातीक-वि० गैर । ४ अतिरिक्त । ५ नया । ६ अधिक ।-क्रीत-वि० हत्यारा, हिसक, प्रात्मघातक । —घात-स्त्री० आत्महत्या । दूसरों का खरीदा हुअा। -पुरुस-पु० सर्वनाम का तीसरा हिमा, हत्या । धोखा । --चय-पु० नाश, संहार । भेद । दुगग व्यक्ति। --चाल-स्त्री० बुरी चाल । खोटाई । --चित-वि० पूज्य । अन्यत्र-कि वि० [सं०] १ दूसरी जगह पर । २ कहीं और । -छंद-वि० कुमार्गगामी । -जय-स्त्री० पराजय । अन्यथा-क्रि० वि० [सं०] १ नहीं तो । २ प्रकारान्तर से । ---जस-पु. अपयश । -जोग-पु० बुरा योग, कुसमय, अन्याई, (यो)-वि० [सं० अन्यायी] १ अन्याय व अत्याचार अशुभयोग । -जोर-पु० सामर्थ्य । --जोरो-वि० करने वाला । २ पातताई। ३ पक्षपात करने वाला। निरंकुश । -तंत्र-पु. एक प्रकार का वात रोग । अन्याय, (ब)-पु० [सं०] १ न्याय का अभाव । २ अत्याचार, -तर-वि० नीच, पतित । कृतघ्न । -स्त्री० न जोती जुल्म । ३ नीति विरुद्ध आचरण । हुई भूमि । -ताई-स्त्री० निर्लज्जता । नीचता। अन्योक्ति-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का अर्थालंकार । -तानक-पु० गर्भपात से होने वाला रोग । -ताप-पु० २ अप्रत्यक्ष कथन । सूर्य । -वि० नीच । -दत, दत्त-वि० अपना दिया। अन्योन्य -क्रि०वि० [सं०] आपस में, परस्पर । ---प्रास्रय पु० धांत, ध्यांत-पु० चन्द्रमा । -ध्वंस-पु० अधःपतन । परस्पर पाथित होने की दशा या भाव । सापेक्ष ज्ञान । नाश । अप्रतिष्ठा । -नाम-पु० अपकीति । शिकायत । एक अर्थालंकार । अपक्षपात-पु० [सं०] १ पक्षपात का अभाव । तटस्थ नीति । अन्वय-पु० [सं०] १ परस्पर संबंध । २ संयोग, मेल । ३ कार्य। २ न्याय । ३ न्याय पूर्ण निर्णय। कारण संबंध । ४ वंश। अपखी-वि० जिसका कोई पक्षधर न हो, अमहाय । अन्वेसक-वि० सं० अन्वेषक १ शोधार्थी, गवेषक । २ खोज अपगा-देखो 'पापगा'। करने वाला। अपगौ-वि० (स्त्री० अपगी) १ अविश्वासी । २ देखो 'अपंग' । अन्वेसरण-पु० [सं० अन्वेपण] अनुसंधान, खोज, शोध । तलाश। अपडणौ, (बौ)-क्रि० [सं० आपल] १ पकड़ना । २ रोकना, For Private And Personal Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रपच www.kobatirth.org - 1 थामना । ३ बंदी करना । ४ दौड़ में किसी के बराबर या श्रागे जाना । अपच, (च) पु० [सं० [प] १ बजी ग्रजीर्ण, २ बद परहेजी । ३ कुपथ्य । ४ अपथ्य । बात न रहने की दशा ( लाक्षणिक ) । श्रपची स्त्री० ० कण्ठ का एक रोग । दहजमी ५ मन में कोई ( ५३ ) पाणवि० स्वतंत्र माजाद | अपच्छर, (च्छरा छर, घरा) - स्त्री० [सं० अप्सरा ] १ स्वर्ग लोक या इन्द्रलोक की नर्तकी, अप्सरा, परी । २ सुन्दर स्त्री । - लोक-पु० इन्द्रलोक, स्वर्ग वर ५० इन्द्र बीर गति प्राप्त योद्धा । 1 - | अपछर - पु० अफसर, अधिकारी । प्रपजससोर पु० यौ० अपकीर्ति का फैलाव । बदनामी । अपट - वि० ० १ बेहद प्रपार । २ मर्यादा रहित । ३ वस्त्रहीन | ४ नंगा, दिगंबर | " घर (बी) क्रि० १ मर्यादा से बाहर होना । २ उमड़ना उबकना । ३ उपलब्धि न होना । ४ वसूली न होना । ५ मन-मुटाव होना । श्रपटां क्रि०वि० बेहद मात्रा में, अपटाव-स्त्री० रोग, बीमारी । पटी - स्त्री० [सं०] १ कनात ४ आवरण । ५ वस्त्र । अपटु वि० [सं०] १ अदक्ष, चतूर २ निर्बुद्धि, अनाड़ी ३ रोगी । ४ मुस्तता स्त्री० कुशलता या चतुराई का प्रभाव । 3 पट (ड.) [वि० [सं० पठित] चनपढ़ नाड़ी २ प्रशिक्षित । श्रपड - वि० ग्रजेय वीर । खूब 1 , पु० मन-मुटाव । । २ शामियाना । ३ पर्दा । अपरण, (राउ, पू, खौ) - वि० [सं० श्रात्मन् ] ( स्त्री० अपणी ) अपना, निज का निजी । - पु० ग्रात्मीयजन, स्वजन । अपरणात अपराइत, ( ईतु यत) - स्त्री० अपनत्व का भाव । अपलाणी (बौ) फिल् अपनाना । २ ग्रहण करना । ३ संभाल लेना । ४ अपना बना लेना । ५ अपने अधिकार | में या संरक्षण में रखना । ६ सहारा देना । परणापरण. ( परणौ ) - पु० अपनत्व | अपरणास, अपरणेस - पु० अपनापन, अपनत्व | अपणे, (ण) - पर्व ० अपना । अपत वि० [सं० + पत्र ] १ पत्र या पत्तों से हीन । २ ग्राच्छादन या ग्रावरण रहित । ३ नग्न, नंगा | 1 १ पुत्र ४ देखो 'प्रति' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ अधम, नीच । ५ निर्लज्ज । ६ अविश्वासी । ७ कायर, कमजोर नपुंसक ९ पतनोन्मुख गु० [सं० पर ] २ संतान, ग्रौलाद । ३ अप्रतिष्ठा । परवी श्रपति स्त्री० [सं०] १ अग्नि, श्राग । २ देखो 'पती' । प्रपतियारौ - पु० प्रविश्वास । अतिथी वि० विश्वासपात्र नीच अपती - वि० [सं० अ + पत्ती ] १ पापी, दुराचारी । २ प्रमादी । ३ कायर । ५ श्राततायी । [सं० अ + पति ] ६ पति विहीना । स्त्री० १ दुर्गति, दुर्दशा । २ प्रापत्ति । ३ श्रग्नि ग्राग । ४ अनादर । ४ कृतघ्न अपथ पु० [सं०] १ कुमार्ग । २ कुपथ्य । गांमी, चारी - वि० दुराचारी, कुमार्गी | अपथ्य- पु० [सं०] कुपथ्य । पद - पु० [सं०] १ बिना पैर वाला जंतु । ३ सर्प । २ कर्मच्युत। ३ पैदल २ देखो 'आपदा' । वाला प्राणी, उरग । २ रेंगने - वि० १ पद रहित, पंगु । क्रि०वि० १ अनुचित रूप से । अपवरजन पु० [सं०] अपवर्जनम्] १ दान २ त्याग, उत्सर्ग अपबाहुक - पु० बाहु का एक वात रोग । अपभ० योद्धा वीर For Private And Personal Use Only अपभ्रंस, (सी) - स्त्री० [सं० प्रपभ्रंश ] १ प्राकृत भाषा का परवर्ती रूप जिससे पुरानी राजस्थानी व हिन्दी की व्युत्पत्ति मानी जाती है । पु० २ पतन, गिराव ३ विगाड़, विकृति प्रपमल (स्ल, हलो) बि०१ मतवाला, मस्त, २ उद्दंड । अपमान ५० [सं० अपमान ] १ अनादार, तिरस्कार | २ अवहेलना । ३ फटकार, दुत्कार । अपमांनी वि० तिरस्कार या अनादर करने वाला । अपमारग पु० [सं०] अपमार्ग ] कुमार्ग अपरंच प्रव्य० १ ग्रागे । २ और भी । ३ पुनः । ४ श्रतः । ५ उपरांत । परंपर, (परू, पार ) - पु० ईश्वर, परमेश्वर । २ महादेव शिव । ३ विष्णु, अनंत । - वि० प्रभार, असीम, बेहद । अपर - वि० [सं०] १ पूर्व का पहला । २ इतर अन्य दूसरा, भिन्न । ३ पिछला । ४ अपकृष्ट, नीचा । ५ गैर । ६ देखो 'अपार' | -बळ बळी- पु० शक्तिशाली । अपरचन - वि० गुप्त । अपरचौ प्रविश्वारा पक्ष- पु० कृष्णपक्ष । प्रतिपक्ष । दूसरे का बल । वि० श्रीम Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपरगा ( ५४ ) अपात्र अपरणा, (रणा)-स्त्री० [सं० अपर्णा] १ गिरिजा, पार्वती। अपवितर, अपवित्र-वि० [सं० अपवित्र ] अशुद्ध, गंदा । नापाक । २ देवी, दुर्गा । --वि० [सं० अपर्ण] पत्ता विहीन । -ता-स्त्री० अशुद्धि, गंदगी। अपरतौ पु०१ स्वार्थ । २ अविश्वास । ३ शंका । ४ बईमानी। अपव्यय-पु० [सं०] निरर्थक व्यय, फिजूलखर्ची । अपरमाण-दे वो 'अपरमांग' । अपस-पु. १ मृगी नामक रोग, अपस्मार । २ डिंगल गीतों की अपरस वि० [सं० + स्पर्ण १ जो किमी का छपा न हो। रचना का एक दोष । ३ कार्य करने में असमर्थ व्यक्ति । न छूने योग्य, अस्पृथ । ३ पवित्र, शुद्ध । ४ अछूत, शूद्र। -वि० ग्रालसी, सुस्त। अपरांठौ- देखो 'अपूठौ'। (स्त्री० अपरांठी)। अपसकुन, (सगन, सगुन)-पु० [सं० अपशकुन] १ बुरा शकुन । अपरा-स्त्री० [सं०] १ लौकिक विद्या । २ पश्चिम दिशा । २ अशुभ चिह्न। ३ अमंगल के लक्षण । ३ गर्भाशय की झिल्ली । -एकादसी-स्त्री० ज्येष्ठ कृष्णा | अपसद, (सद्दन)-वि० [सं० अपसदः] नीच, अधम । एकादशी। अपसब्द-पु० [सं० अपशब्द] बुराशब्द, गाली, कुवाक्य । अपराजित-वि० [सं०] १ जो पराजित न हो, अजेय । अपसर, (सरा)-पु० [सं० अप्सरा] १ देवांगना, अप्सरा । २ एक देव जाति । २ विजयी। -पु० १ विष्णु । २ शिव । अपराजिता स्त्री० १ विष्णु कान्ता लता । २ दुर्गा । ३ कोयल । अपसवारथी-वि० स्वार्थी, खुदगर्ज। ४ ईशान कोण। अपसारण, अपसुकन-देखो 'अपसकुन' । अपसोस-देखो 'अफसोस' । अपराद, अपराध-पु० [सं० अपराध] १ गल्ती, भूल । २ दोष, दूषण । ३ चूक । ४ जुर्म । ५ अनीति । ६ पाप । ७ दुष्कर्म । अपस्ठ-पु० [सं० अपस्ठं] अंकुश का अग्रभाग। अपस्मार, (री)-पु० त्रिदोष (कुपित) से होने वाला एक अपराधी-वि० सं०] १ अपराध करने वाला । २ कसूरवार, वात रोग। दोषी । ३ पापी । ४ अाततायी। अपराधीन-वि० [सं०] स्वतंत्र, स्वाधीन । अमहड़-पु. १ राजा । २ दानी पुरुष। ३ योद्धा । -वि० अपरिग्रह-पु. मि० अपरिग्रह] १ अस्वीकृति । २ गरीबी, १ दानी, दानवीर । २ उदारचित । ३ अप्रतिहत । ४ अजेय । ५ पूर्ण । ६ जो धोखा न दे। अभाव । ३ धन का त्याग । --वि० रंक, गरीब।। अपरोगी-वि० (स्त्री० अपरोगी) १ डरावना, भयंकर । अपहरण-पु० [सं०] १ बलात् कुछ ले के भागने की क्रिया, हरण, चोरी । २ लूट । ३ छिपाव । ४ छीना झपटी। २ अजनबी, अपरिचित ३ अप्रिय, अरुचिकर । ५ अमिलनसार । ६ रुखी प्रकृति वाला। अपहरता-वि० [सं० अपहर्ता] अपहरण करने वाला, वीर, लुटेरा। अपलंग-वि० (म्त्री० अपलंगी) निर्वल, कमजोर, अशक्त । अपल वि० १ बेहद, अमीम । २ दानी, दातार । ३ योद्धा वीर। अपहार-पु० त्याग। अपहास-देखो 'उपहास'। अपलच्छ, (लच्छरण)-पु० [सं० अपलक्षण] १ कुलक्षण । २ बुग चिह्न। ३ अवगुण । अपह्नति-पु० [सं०] एक काव्यालंकार । अपां-देखो 'पापा'। अपलांणियो, (लारणौ)-पु० विना चार जामाकसा (ऊंट)। अपांग-पु० [सं] १ कटाक्ष । २ आंख की कोर । अपलाप-पु० मिथ्या बात । वकवाद, वाग्जाल । ३ देखो 'पापगा' । ४ देखो 'अपंग' । अपल्ल -देखो 'अपल'। | अपांग-वि० [सं० अ-पागि १ बिना हाथ का । २ बिना अपवन पु० [सं० उपवन | बगीचा उद्यान । कलप लगा । ३ धारहीन (शस्त्र)। [मं० अ+प्राण] अपवरग, (ग्ग)-० [मं० अपवर्ग] १ मोक्ष, निर्वाण, मुक्ति । ४ अशक्त । ५ अतृप्त । --पु० बल, शक्ति । २ त्याग, दान । ३ एक स्वर्ग का नाम । ४ पूर्णता, अपारणे-देखो 'पापरण' । ममाप्ति । ५ स्वर्गीय आनन्द । ६ त्याग । अपांन-पु० [मं० अपान] १ पांच वायुप्रों में से एक । २ अपानअपवस-वि० [सं० अपवश] स्ववश, स्वाधीन । वायु । ३ गुदा । --वायु-स्त्री० अपानवायु, पाद । अपवाद-पु० [सं०] १ अपकीति, अपयश, । २ दोष, कमी। अपा-स्त्री० १ गर्व, गुमान । २ अात्मभाव । ३ साधारण नियमों से विपरीत नियम । ४ खण्डन । ----क्रि० वि० दूर । अलग ।-मारग-पु. चिचड़ा अपधार-पु० अत्यधिक कार्य । नामक एक झाड़ी। अपवाहक-वि० एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने वाला। अपाटव-वि० अपटु । --स्त्री० मूर्खता । बौदागन । अपवाहक-देखो 'अपवाहक' । अपात्र-दि० कुपात्र। मूर्य । For Private And Personal Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रपादांन अपादान - पु० [सं० अपादान ] व्याकरण में एक कारक । पाप - पु० [सं०] १ पुण्य । २ शुभ कार्यं । ३ धर्म । अपायत- देखो 'आपायत' । www.kobatirth.org ( ५५ ) ४ बहुत अधिक, अपार । अपावन वि० [सं०] अपवित्र अमुद्ध मलिन । 9 अपाहिज वि० [ अपभंज] १ ला संगढ़ा अपंग २ बहुत ही असमर्थ । ३ अशक्त । ४ आलसी । - अपि अभी पु० सूर्य श्रपीतजा स्त्री० अग्नि, आग अपीधी- वि० (स्त्री० पीधी) सूचित, प्यासा बिना पिया। पुत्र ( क ) - [सं०] ( स्त्री० ग्रपुत्री) १ पुत्रहीन । २ संतान रहित । ३ निर्वंश | ४ अपने वंश को कलंकित करने वाला बुरे श्राचरण वाला पुत्र, कुपुत्र । अपुनीत वि० [सं०] १२ दूषित गंदा अपूठ वि० १ उल्टा । २ पीठ की ओर का । ३ पीछे का । ४ प्रसन्न | 1 अपार (र) - वि० १ सीमा रहित, असीम, अनंत बेहद २ जो नजदीक न हो दूर । ३ असंख्य । अपारथ - वि० [सं० अपार्थं ] अर्थहीन, निरर्थक | अपौचरण, अपचियो, पोची वि० (स्त्री० प्रपोचणी, घीची) प्रपा प्रवाय वि० अनेक बहुत १ अपरिश्रमी । २ प्रालसी, सुस्त ३ निर्बल, प्रशक्त । अपाल - वि० रुकने वाला । २ बेरोक-टोक । ३ रोकने वाला । पाळ - वि० १ जिसका पालन करने वाला न हो । २ जिसका अप्प, अप्परण, अप्परा ं श्रप्यरण, अप्परखौ (नू) - सर्व० [सं० आत्मन् ] पालन न किया जाता हो । मैं हम, अपन । - वि० अपना, निजका । (बौ) - देखो 'आपण' ( बौ) । अप्परमारा वि० [सं० २ असीम बेहद । में न माना जाय । 1 प्रमाण ] १ प्रमाण रहित, अविश्वस्त । ३ अप्रामाणिक । ४ जो प्रमाण के रूप ५ अदृष्टान्त | श्रप्पलांगियो, ( लांखौ) - देखो 'अपलांणी' | अप्पवासी पु० १ जल जंतु । २ जल के प्राणी - वि० गुप्त रूप से रहने वाला । प्रपित्त स्त्री० श्रग्नि, ग्राग । प्रपंच-देखो 'अपरंच' । अपूठी - वि० (स्त्री० [अपूठी ) १ पीठ घमाया हुआ । २ विमुख । ३ उल्टा । ४ विरुद्ध । ५ पीठ फेरकर बैठने वाला | - कि०वि० पैसे वापिस पूणौ - वि० पूर्ण पूरा । अपूत वि० [सं० प्रपुत्र) १ कुपुत्र कपूत २ पहीन । [सं० [अपूत] अशुद्ध, प्रपचित्र पूरवि० भरपूर पूरा अपूरण वि० [सं०] १ जो न हो, अपूरा यपूर्ण २ कम होने वाला । - ता स्त्री० अधूरापन, कमी। - भूत-पु० वह भूतकाल जिसकी क्रिया की समाप्ति न हुई हो। अपूरणी, ( बौ) - क्रि० १ पूर्ण करना । २ कम करना । ३ कम होना । , । अपूरव, (पुरव, बी) वि० [सं० पूर्व] १ विलक्षण अनोखा २ अपूर्व श्रद्वितीय । ३ उत्तम श्रेष्ठ । ४ पूर्व जन्म का पहले का । -ता-स्त्री० श्रनोखापन, अद्वितीयता । अपेक्षा० [सं०] १ का अभिलाषा, इच्छा २ धाणा, उम्मीद ३ तुलना, मुकाबला । ४ आवश्यकता | अपेक्षित वि० [सं०] १ इच्छित वांछित । २ आवश्यक । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रप्रबळ o नगीने योग्य प्रवेय वि० [सं० + पेय अपेल - वि० १ ग्रटल, स्थिर, दृढ़ । २ बहुत, अपार असीम । प्रपैठ - वि० [सं० प्रप्रविष्ठ ] १ दुर्गम, अगम । २ कठिन । दुःसाध्य । ३ अविश्वासी । स्त्री० अविश्वास । पोड़ी स्त्री० निद्रा से उठने की किया या भाव। अपर देखो 'अपरंपार' । अप्रप्रम- पु० परब्रह्म | ईश्वर । अप्रकास - पृ० -वि० बहुत । [० [सं० + प्रकाश] १ अंधकार । २ ग्रज्ञान | - क्रि०वि० छिपकर, गुप्त रूप से । प्रकाशित वि० [सं० प्रकाशित] १ गुप्ता हुआ २ तिमिराच्छन्न । ३ ढका हुआ । अप्रकास्य - वि० [सं० प्रप्रकाश्य] जो प्रकट करने योग्य न हो, गोपनीय । प्रखर - वि० [सं०] मृदु, कोमल । २ नर्म । ३ मंद (घ) वि० [सं०] १ गुप्त, दिया या २ प्रकट | ३ दुष्ट | प्रजौ - वि० अपार बल वाला । प्रतिबंध - पु० [सं०] प्रतिबंध का प्रभाव, स्वच्छन्दता । अप्रतिम वि० [सं०] १ प्रतिभा शून्य । २ जवाब देने में असमर्थ प्रत्युत्पन्नमति ४ वेष्टहीन ५ उदा For Private And Personal Use Only ६ सुस्त | शीलवान । ७ लजालु मंद | अप्रतिम वि० [सं०] ग्रद्वितीय, बेजोड़ | - प्रतिस्ठ, (तिडित) वि० [सं० पत्रनिष्ठत] १ जिसकी प्रतिष्ठा न हो । २ अप्रसिद्ध ३ तिरस्कृत । ४ लोकप्रिय । अप्रतीत पु० काव्य रचना का एक दोष । -वि० अविश्वस्त | प्रप्रत्यक्ष - वि० [सं०] परोक्ष | अप्रधांन वि० गौरण । अप्रबळ - वि० १ अति प्रबल शक्तिशाली २ महान पराक्रमी । ३ जो प्रबल न हो, निर्वल । ० दैत्य | -पु० Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पनियो www.kobatirth.org ( प्रभिसी देखो 'अपभ्रंस' | श्रप्रमत्त- वि० सदा सावधान । श्रप्रमत्तावस्था स्त्री० ग्रात्म विकास के लिए सतत् जागरूकता । २ चौदह स्थानों में से ७ से १४ तक गुरण स्थानों में गुण जीव की अवस्था । ३ सावधानी । ४ अप्रमाद (जैन) । प्रमाण- देखो 'प्रमाण' | श्रप्रमाद - पु० चुस्ती, स्फुर्ति । वि० १ प्रमाद रहित, चुस्त । २ गर्व रहित । प्रमित वि० [सं० प्रपरिमित] अपार असीम प्रमेह - वि० [सं० प्रमेय ] अथाह प्रगीम | श्रप्रम्म पु० परब्रह्म, ईश्वर । - पु० वि० जो प्रयुक्त एक साहित्यको गया हो । अव्यवहृत | अप्रवीत-देवी पवित्र' | अप्रसन्न - वि० [सं०] १ नाखुश । २ ३ असंतुष्ट | ४ गंदला ५ मलिन । ५६) विभूतविलक्षण प्रोगी देखो 'रोगी' (स्त्री० प्रोगी) | अगी देखो 'रोगी' (स्त्री० अप्रोगी) । उदास, खिन्न, सुस्त 1 -ता- स्त्री० ना खुशी । उदासी, खिन्नता । सुस्ती, मलिनता । प्रस्तुत वि० [१०] १ जो प्रस्तुत या उपस्थित न हो। २ जो [सं०] तैयार न हो। ३ अप्रासंगिक, गौगा प्रसंसा पु० एक पर्यालंकार | | श्रप्राप्त - वि० [सं०] १ जो प्राप्त या उपलब्ध न हो । २ जो सुलभ न हो । ३ अप्रस्तुत । अप्रिय वि० [सं०] १ जो प्रिय न हो। २ रुचिकर प्रीति स्त्री० [सं०] १ प्रीति या प्रेम का प्रभाव । २ शत्रुता, विरोध | अफताब - देखो 'आफताब' । काबीच सूर्य संबंधी नवी काम में न लिया अफलातू. (तून) वि० १ प्रौढ़ - वि० [सं०] १ जो प्रौढ़ न हो, युवा या वृद्ध । २ नाबालिग | अप्सर १ देखो 'अफसर' । २ देखो 'परा' | अप्सरा- देखो 'अपछरा' । फंड (०१ पूर्तता ठगी २ पाखंड, ढकोसला । ३ टोंग, स्वांग । ४ अड़ंगा, बाधा । ५ झगड़ा, टंटा। ६ बवंडर | फंडी - वि० १ फंड करने वाला, धूर्त, पाखंडी | २ स्वांग रचने वाला, ढोंगी । ३ झगड़ालु । श्रकंद - पु० १ बंधन रहित, २ बाधा रहित । अफर, (ब) क्रि० भिड़ना, टक्कर लेना । फर, (घरा) - देखो 'पछरा' | ३ फफर - वि० न मुड़ने वाला, न फिरने वाला । अफर - स्त्री० ० १ पीठ, पृष्ठ । २ पृष्ठभाग ४ द्व ेष, ईर्ष्या । वि० १ न मुड़ने वाला जाने वाला । अफरांठी देवो 'टी' (स्त्री० [अफठी) | अफरा, (री) - स्त्री० बड़ी सेना । वि० १ न मुड़ने वाली । २ शक्तिशाली । फरीदी स्त्री० पठानों की एक जाति | फटी (डी) देखो 'टी' (स्त्री धफरठी) | , अफळ- वि० [सं०] अफल] १ फलहीन बिना फल का २ निष्फल, निरर्थक | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अत्यधिक घमंडी २ बेपरवाह । ३ बेहद असीम ४ अत्यधिक बहुत । पु० प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो का नामान्तर । अफवा, (वाह) - स्त्री० [अ०] १ उड़ती बात । २ झूठी खबर । ३ गप्प ४ किवदंती जनश्रुति । - । ग्रव 3 1 - शत्रुता, वैर । २ न फाड़ा अफवाज - स्त्री० [अ०] १ वीरता २ फौज, सेना । अकसर १०] [फा.] बड़े लोहदे का नायक, सरदार अधिकारी, पु० प्रधान । अफसरी त्री० [पविकार, हुकूमत ठकुराई, शासन अफसोस स- पु० [फा०] खेद, रंज, दुःख । कारी - वि० १ बहुत अधिक । २ शक्तिशाली । ३ बहादुर । ४ कुपित, क्रुद्ध । ५ भयानक । ६ अपार । ७ विस्तृत । ८ श्रेष्ठ बढ़िया । फाळणौ, (बौ), क्रि० १ तेजी से चलना / चलाना । २ देखो 'फळणी' (बी) । प्रकोण, प्रफोम पु० [सं० प्रहिफेन प्र० अन] १ पोस्त के ढोंढ का रस जो नशे व श्रौषधि के काम आता है । २ अमल ३ विष । -ची- वि० अफीम का नशेबाज । फीरणी - वि० - प्रफीम का अफीम संबंधी । For Private And Personal Use Only प्रफुल्ल वि० [०] १ बिना फूला हुआ, अविकसित २ पुष्प रहित अफूटों (ठौ) - देखी 'अपूटो' । (स्त्री० फूटी, ठी) । श्रफेर, (रौ) - वि० १ नहीं फिरने वाला, न मुड़ने वाला । २ योद्धा । अफौ- पु० एक कंटीला क्षुप | अबंक, ( क) - वि० [सं० प्रवक] (स्त्री० प्रबंकी) १ जो वक्र या टेढा न हो, सीधा । २ सरल, सहज । ३ सीधा-सादा । बंद (मंत्र) वि० [सं० प्रबंध] १ बन्धन रहित, मुला, मुक्त । , २ विकसित, खिला हुया । = अब क्रि०वि०-१ अभी इसी समय । २ फिनहाल । ३ तदनन्तर, ४ तत्पश्चात् । Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रबक प्रबीर अबक-वि० [सं० अ-वच्] न कहने योग्य, अकत्थ्य । -ली, ल अबळ-वि० [सं०-अ-बल] १ निर्बल, कमजोर, अशक्त । ... क्रि०वि०-इस बार । दूसरी बार । पुनः ।। | २ दुर्बल, कृश । ३ असमर्थ ।- पु०१ बल का अभाव । अबकाइ, (ई)--स्त्री. १ अड़चन, बाधा । २ कठिनाई । २ देखो 'अबळा'। ३ अापत्ति । ४ भार या बोझ । ५ रजो दर्शन। (स्त्रियां)। अबलक, (की)-पु० [सं० अवलक्ष] सफेद या काला, या सफेद अबकी-क्रि०वि० १ इस बार । २ दूसरी बार। ३ पुनः । या लाल रंग का घोड़ा ।-वि० १ चितकबरा । वि० १ दुर्गम, दुरूह । २ संकटमय । २सद व लाल रंग का । प्रबके, (क)-देखो । अबकी' (क्रि० वि०) । अबलका, (खा)-स्त्री० [सं० अभिलाषा] १ इच्छा, अभिलाषा । प्रबको, (खौ)-वि० (स्त्री० अबकी, अबखी) १ कठिन, २ ग्राशा। मुश्किल । २ टेढ़ा । ३ दुर्गम, दुरूह । ४ संकटमय । अबलख, (खो)-देखो 'अबलक'। प्रबखाणौ (बी)-देखो 'आबखणौ' (बौ)। प्रबलखा-स्त्री०१ एक चिड़िया विशेष । २ देखो 'अबलका'। प्रबखाई-देखो 'अबकाई'। अबळण-वि० १ सत्य । २ अटूट । ३ घमंडी। -स्त्री० १ एक प्रबगरौ-देखो, 'अभिग्रह' । गति । २ लौटना क्रिया या भाव । ३ न लौटना। प्रबगात-वि० बेदाग, निष्कलक । अबळांबकी-वि०१ निर्बल का बल, सहारा । २ निर्बल, अशक्त । प्रबचळ. (छळ)-वि० [सं० अविचल] १ अटल दृढ़ । २ निश्चल, अबळा-स्त्री० [सं० अबला] स्त्री, औरत, नारी । वि०-बल अविचल । ३ निष्कंटक । ४ स्थाई । ५ निरन्तर । हीना । —भूल-स्त्री० सोलह श्रृंगार युक्त महिला । —पु० प्रबछर-देखो 'अपसरा'। अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित योद्धा । —पण, परणों-पु० अबछांड-वि०१ सहायक, मददगार । २ रक्षक । स्त्रीत्व । कमजोरी, निर्बलता । -सेन-पु. रतिपति, प्रबज-देखो 'अब्ज'। कामदेव । अबजात-पु० दुश्मन, शत्रु । अबलाको-देखो 'अभिलामी'। अबझळगौ, (बो)- क्रि० १ जोश करना । २ उत्साह करना । अबळी-वि० (स्त्रो० अबळा) कमजोर, अशक्त, निर्वल । ३ आकाश छूने की इच्छा करना। अबवेल-स्त्री०१ सहायता मदद । २ रक्षा, सुरक्षा । प्रबट-पु० (सं० अ--वट) १ बुरा रास्ता । २ बिटक मार्ग । अबात-वि० [सं० अ-वात] १ वातहीन, वायु रहित, निर्वात । ३ कुसंगति। २ वार्तालाप या वृत्तांत रहित । प्रबड, (डो)-वि० (स्त्री०प्रवडी) १ बलवान, साहसी । २ निडर। अबाबीळ-स्त्री० [फा०] काले रंग की एक चिड़िया । ३ इतना । ४ बिना कटा या काटा हुआ। प्रबार, (रू)-क्रि०वि० १ अभी, इसी समय । २ तुरंत, शीघ्र। अबणासो-देखो 'अविनासी' । अबाळ-वि०१ बिना बालक का । २ बाल्यावस्था रहित, प्रबदार-स्त्री० शराब, मदिरा । जवान, युवा । —क्रि०वि० बालक पर्यन्त । प्रबदाळ-पु. १ महान ईश्वर भक्त, जिनकी संख्या तीस मानी प्रबास-वि० (सं० अ+वास) १ प्रावास रहित, विश्राम रहित । गई है। (मुसलमान) २ यवन, मुसलमान । ३ शत्रु, २ गंध रहित । ३ सुगंध रहित । ४ देखो 'पावास' । दुश्मन । -वि० १ महान, श्रेष्ठ । २ उदार । अधिरणास (नास)-देखो 'अविनास' । प्रबदूर-क्रि०वि० पाम, समीप । अबिरगासी, (नासो)-देखो 'अविनासी' । अबद्ध-वि० [सं०] बंधन रहित, मुक्त । अबिरच-वि०१ प्रसन्न, खुश। २ अनुकूल । प्रबधू, (धूत)-देखो 'अवधूत' । अबिरचणी, (बौ)-क्रि० -१ प्रसन्न होना, खुश होना। अबध्य-देखो 'अवध्य'। २ अनुकूल होना। प्रबन मौ, (निमो, नीमौ)-देखो 'असनमौ' । अबिरळ-देखो 'अविरळ' । प्रबनाइ-पु० पर्वत, पहाड़ ।-वि०१ अनम्र । २ वीर । प्रबोंद-वि० [सं० अबिद्ध] १ बिना वेधा हया। प्रतिदिन। अबरक, (ख)-देखो 'अभ्रक' । ३ अक्षत । ४ निष्कलंक । प्रबरके, (क)-देखो 'अबके' । अबीढ़ी-वि० (स्त्री० प्रवीही) १ ग्रा , अनाना । २ दुर्गम, प्रबरण-देखो अवरगा'। दुरूह । ३ कठिन, टेढ़ा। ८ भयंकर । ५ जोशीला। अबरस-पु० १ एक प्रकार का वक्ष । २ घोड़ों का एक रंग । ६ प्रोजस्वी, वीर रस पूर्ण । प्रबरी-१देखो 'अभी'। २ देखो 'अबरी'। अबीर. (री)-पु. पीली गुलाला । —मई, मय, मपी-वि. प्रबरोसियो, अबरोसौ- देखो 'अभरोसौ' । अवीर-गुलाल ने चुन। कायरता युक्त । For Private And Personal Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रवीरी बुवा - देखो 'अंबुवा' । बुध - वि० [सं० + बुद्ध] १ निर्बुद्धि, ग्रज्ञानी । २ मूर्ख नाड़ी । प्रबूज, बूज, (झ) वि० [सं० + १ अबोध नादान अ बुद्ध] प्रबोध, । अबीरी वि० अबीर के रंग का । अम्बाहि वि० निडर, निर्भय, निशंक । वीह, प्रवीही वि० [सं० अ + भय] १ र निशंक, बी-पु० [फा० बाब] पानी जल कि० वि० अभी, . निर्भय । २ महान जबरदस्त । इसी समय । अब्बीर देखो 'अबीर' । २ सूझ-बूझ से हीन । ३ मूर्ख ४ बिना पूछा हुआ, बिना जाना हुआ। ५ श्रज्ञेय । - परण, (ग) १ मुर्खता, नादानीं । २ अज्ञान । देखो 'अमुरगी' ( बौ) । www.kobatirth.org । ( ५८ ) २ सुव्यवस्थित करना, संवारना । अबेरी पु० देखभाल करने की क्रिया । अबूझरणौ (बौ) - १ २ देखो 'बूझरगौ' (बौं) । अबूझौ - वि० ग्रचतुर, प्रदक्ष । प्रबेध - वि० [सं० प्रविद्ध] १ जिसे वेधा न जा सके । २ बिना बेधा हुआ । ३ छिद्रित । परस्त्री० [सं० [घवेना] १ विलंब देर । 1 (बी) - क्रि० १ सम्हालना, देखरेख वेळी स्त्री० १ + बेस - वि० [फा०] वेश] १ ३ वेश रहित, नंगा । बेह, अब क्रि०वि० १ असमय २ कुसमय ३ सम्हाल देखरेख क्रि०वि० अविलंब मीघ्र । । अबेरणी, , -- [सं० अ-पृच्छ ] करना । 1 ममय, कुममय २ बिलंब देरी अधिक, ज्यादा । २ आयु रहित । पु० जोश, ग्रावेश । कुसमय । २ अब इस समय । | श्रब्द- पु० [सं०] ग्रब्दः ] १ मेघ । २ ग्राकाश । ३ वर्ष साल । अब्धि - पु० [सं०] समुद्र, मागर । अब्बल देखी 'अवल' । अब्बळा- देखो प्रबळा' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभय अन्न- देखो 'अभौं । अभिमान देखो 'अभिमान' | श्रब्याई - वि० १ बिना प्रसव की ( मादा पशु ) । २ कुंआरी । अभ्यागत - देखो 'अभ्यागत' । अनक- देखो 'अभ्रक' | श्रब्रद्ध - वि० [सं० प्र-वृद्ध] १ जो वृद्ध न हो । २ युवा । ३ बालक । यत्री स्त्री० [पुस्तकों आदि की जिल्द पर लगाने का छींटदार कागज । अभंग - वि० [सं०] १ जो भंग न हुआ हो, अखंड, अटूट २ अक्षत | ३ पूर्ण । ४ वीर बहादुर । ५ निर्भय, निश्चित 1 ६ बेहद, असीम | पु० १ सिंह, शेर। २ पद, भजन । -पद- पु० श्लेष अलंकार का एक भेद । अभंगी, (घ) वि० [सं० प्रमदिन] १ न भागने वाला, अडिग । २ देखो 'अभंग' । , अभंगुर वि० [सं०] लण्ड टूट २ र मजबूत ३ न मिटने वाला । " मंत्र (न) - वि० [सं०] घमण्ड टूट अभ-देखो 'ग्राभी' । ३ इस वार | प्रबोचन देखो 'बोचन' । बोट - वि० १ पवित्र, शुद्ध । २ साफ, स्वच्छ ३ यता । ४ सं । ५ बिल्कुल नया । ६ तथ्यहीन | बोटी - स्त्री० १ पवित्र वस्त्र । २ शाकद्वीपीय ब्राह्मणों का भडवेट, ( छोत ) - देखो 'ग्राभछोत' । एक गौत्र । (बी) देखो' (वी)। श्रभड़ीजियोड़ी - वि० रजस्वला | प्रभवृत-देशो 'भूत' । बोद, (ध) - वि० [सं० प्रबोध ] १ जिसे वोध न हो । २ वयस्क नादान । ३ ना समझ, मुर्ख । ४ अज्ञानी । बोल, ( लौ) - पु० (स्त्री० अबोली ) १ मौन, चुप्पी । २ शांति । - क्रि०वि० बिना बोले, चुपचाप ' बोलपौ - वि० नहीं बोलने वाला, मुक । पु० १ परस्पर न बोलने की अवस्था या भाव। २ शत्रु वैरी । ३ पशु । ४ शत्रुता । अब्ज - वि० [सं० श्रब्जम् ] १ जल में उत्पन्न हुआ जलज । २ कमन । ३ श्वेत । ४ रक्तवर्णं । भक्त - वि० [सं०] १ जो भक्त न हो। २ नास्तिक । ३ श्रश्रद्धालु | अभक्स, (क्ष, क्ष्य, ख, खज) - वि० [सं० ग्रभक्ष्य ] १ न खाने योग्य, अखाद्य । २ जिसका खाना निषिद्ध हो । भणी-देखो 'भागी (स्त्री० भी ) | For Private And Personal Use Only " " अमन ० १ २ पो प्रपोज देखो 'अभिनय'। प्रभनमौ श्रभनवौ - ० १ अपने पूर्वजों के गुण धारण करने वाला । २ दूसरा द्वितीय । ३ समान, सदृश । ४ अभिनव । ५ वंशज । 1 प्रभूप-पु० [सं० प्राभा-भूप] कवि प्रभम, प्रभमान-देखो 'अभिमान' | मानव-देखो 'अभिमन्यू' प्रभमांनी- देखो 'ग्रभिमानी' । अभगाती पु० [सं०] प्रभ्यमिष] शत्रु दुश्मन। अभय - पु० [सं०] १ भयहीनता । २ शरण । ३ कुशलता । ४ निश्चितता । वि० निर्भय, निडर, कुशल 1 -धांम Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org प्रभयो अभिप्राय पु० मोक्ष, निर्वाण । स्वर्ग, वैकुण्ठ । ---पद-पु० मोक्ष, अभावी-वि० [सं०] न होने वाली। मुक्ति । निर्भय-पद। -वचन-पु० रक्षा का वचन। अभावौ-वि० [सं० प्रभात] १ अप्रिय, अरुचिकर । २ भयावह । अभयदान । अभितरेण-क्रि० वि० [सं० अभ्यंतर] भीतर । अभया-स्त्री० [सं०] १ दुर्गा, देवी, भगवती । २ आर्या, अभि-अन्य० [सं०] १ शब्दों के आगे लगकर योर, तरफ, साध्वी । ३ कन्या । ४ हरीतकी, हरें। वोधक उपसर्ग । २ देखो 'अभी'। ---अंतर-क्रि०वि० अभयास-देखो अभ्यास'। भीतर। प्रभर-वि० [सं०] १ निहाल, कृतकृत्य । २ दुर्भर, दुर्वह, अभिषेक-देखो 'अभिसेक'। गुरुतर । ३ खाली, रिक्त । ४ अपूर्ण । अभिगम, अभिग्गम (ग्रह)-[सं० । अभिग्रह] आहारादि ग्रहण अभरण-पु० १ अंत गुरु की चार मात्रा का नाम । '' करने संबंधी कठिन से कठिन प्रतिज्ञा। (जैन) २ देखो 'पाभरण' । अभिचार-पु० [सं० अभिचारः] तांत्रिक प्रयोग । अनुष्ठान । प्रभरांण-वि० धन-धान्य पूर्ण, सम्पन्न । | अभिचारक, अभिचारी- [सं०] अनुष्ठानकर्ता, जादूगर, प्रभराभरण-वि० १ भूखों को भोजन देने वाला । २ अपूर्स को तांत्रिक । पूर्ण करने वाला। अभिच्छ-वि० [सं० अभिक्षा] याचना रहित । मभरी-वि० [सं० पाभरीगौ] १ धनाढ्य, संपत्तिशाली । अभिजरण (न)-पु० १ कुल, वंश, कुनबा । २ पूर्वजों का निवास २ संतुष्ट, तृप्त । ३ देखो 'अब्री' । स्थान। ३ जन्मभूमि, जन्म स्थान । प्रभरोसौ-पु० अविश्वास, शक, सन्देह । अभिजागरण-वि० कुशल, दक्ष, पटु । प्रभल-वि० जो भला न हो, बुरा, अश्रेष्ठ । अभिजात-वि० (सं०) १ कुलीन । २ शिष्ट । ३ उत्तम । प्रभलाक, (ख)-देखी 'अभिलासा'। ४ सुन्दर । ५ पंडित । अभालाकी, (खी)-देखो 'अभिलासी' । अभिजित-वि० विजयी। -पु०१ श्रवण नक्षत्र के प्रथम अभलेखां, (लेखौ)-देखो 'अभिलामा' । चार दण्ड । २ उत्तरासाढ़ा नक्षत्र के अंतिम पन्द्रह दण्ड । अभवनमत-पु० [सं०] काव्य का एक दोष । ३ तीन तारों वाला एक नक्षत्र । ४ विष्णु का एक नाम । अभवहार-पु० [सं० अभ्यवहारः] भोजन, खाना । अभिणांसी-देखो 'अविनासी'। अभवी-वि० [सं० अभव्य] १ न होने योग्य । २ विलक्षण, अभित्ति-वि० निर्भय, निडर, निशंक । अद्भुत । ३ भद्दा, बुरा । ४ अशुभ । अभिधांन-पु० [सं० अभिधानम्] १ कथन । २ शब्दकोश । प्रभाए-वि० [सं० ग्रभात | १ अमुहावना । २ अरुचिकर। ३ नाम । प्रभाग-पु० [सं० अभाग्य] १ दुर्भाग्य, बुरा भाग्य । अभिधांनी-वि० नामधारी । २ मंद भाग्य । अभिधा-स्त्री० [सं०] १ तीन प्रकार की शब्द शक्तियों में से प्रभागियौ, (गी, गौ, ग्यौ)-वि० [सं० अभिगिन्] -(स्त्री० एक । २ नाम । ३ उपाधि । ४ वाचक शब्द । प्रभागरण, अभागिण) १ भाग्यहीन, बद किस्मत । अभिधेय-वि० [सं०] १ नाम लेने योग्य । २ निरूपित । ३ हतभाग्य या मंदभाग्य बाला । अभिनंदन-पु० [सं०] १ स्वागत । २ प्रशंसा । ३ बधाई। अभायौ-वि० १ अप्रिय, खराव । २ अरुचिकर । ३ बुरा । ४ अभिवादन । ४ भययुक्त। अभिन-देखो 'यभिन्न'। अभाळ-वि० [सं० अ-न-भाल्य] १ न देखने योग्य । २ जो न अभिनमौ, (वौ)-देखो 'अभनमौ' । देखा जा सके । ३ अप्राप्त । -स्त्री० ललाट, भाल । अभिनय-पु० [सं०] १ किसी नाटक या खेल के पात्र का कार्य । प्रभाळौ-वि० विना देखा, अनदेखा। २ स्वांग । ३ किसी की बोल-चाल या हाव-भाव अभाव-पु० [सं०] १ कमी, अभाव । २ घाटा, टोटा । ३ त्रुटि । की नकल । ४ अविद्यमानता, असत्ता । ५ अपूर्णता खामी। अभिनव-वि० [सं०] १ नवीन, नया । २ कोश । ६ विरोध । ७ बुरा भाव । ८ नाश । ६ मृत्यु। अभिन्न-वि० [सं०] १ एकाकार, एकमय । २ जो पृथक् न हो अभावरण, (वणी)-गु० (स्त्री० अभावणी) १ अरुचि । सके । ३ सटा हुआ, चिपका हुआ । ४ अपरिवर्तित । २ इच्छा का प्रभाव । --वि० १ अप्रिय । २ अरुचिकर । ५ घनिष्ठ । ---ता-स्त्री० अपार्थक्य । लगाव । संबंध । ३ अमुहावन।। घनिष्ठता। ग्रभावरणौ, (यौ)-कि० १ ग्राह्य होना। २ अमचिकर होना। अभिप्राय--पु० [सं०] १ प्राशय, मतलब । २ अर्थ, तात्पर्य । For Private And Personal Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रभिवादन www. kobatirth.org ( 80 ) अभिवादन - देखो 'भिवादन' अभिभव० [सं०] १ पराजय हार २ हीनता । ३ तिरस्कार, 1 अनादर ४ वश काबू । ५ दमन । अभिमत पु० [सं०] १ अर्थ, प्राशय । २ सम्मति । ३ इच्छा, अभिलापा । श्रभिया देखो 'अभया' । अभियागत देखो 'श्रभ्यागत' । अभियास देखो अभ्यास' । अभियुक्त पु० [सं०] दोषी, अपराधी । श्रभियोग - पु० [सं०] १ अपराध । २ मुकद्दमा । अभियोगी वि० [सं०] अभियोग चलाने वाला। श्रभिराम, (रांमा) - वि० [सं० अभिराम ] १ सुन्दर, मनोहर, रम्य । २ प्रिय । पु० ९ श्रानन्द, हर्ष । २ प्रमोद । ३ अंत गुरु की चार मात्रा का नाम । श्रभिरामी - वि० [सं० श्रभिरामिन् ] रमणकर्त्ता । अभिरुचि (ची) - स्त्री० [सं०] १ पसंद । २ चाह, इच्छा, अभिलाषा । ३ यश की चाह । ४ महत्वाकांक्षा । श्रभिरुता स्त्री० [०] १ संगीत की एक मूर्च्छना । २ ग्रावाज, पुकार । प० [सं०] अभिरूप] १ मनोहर सुन्दर २ स २ प्रिय ० १ विष्णु २ शिव ३ चन्द्रमा | ४ कामदेव । ५ पंडित । ६ वीर । (बी) देवो''। । अविमन ( मन्त्र मधु )- पु० [सं० श्रभिमन्यु] प्रर्जुन-पुत्र पवि० [सं०] १ प्रगटीकरण, प्रागट्य २ प्रकाशन, श्रभिमत मन्यु) प्रदर्शन | ३ स्पष्टीकरण । ४ साक्षात्कार । अभिमन्यु ] अभिमांग (मान) ० [सं० अभिमान १ अहंकार, गर्व, अभिसाप वि० [सं० अभिशप्त १ जिसे शाप लगा हो, शापित । पु० घमंड । २ व्यक्तित्व | २ मिथ्या दोष से आरोपित । निमी ( ) वि० [सं० अभिमानी ] घमंडी, अहंकारी अभिसव पु० [सं० अभिषव] १ एक प्रकार की शराब । २ अभिषेक । श्रभिलाप - पु० [सं०] १ कथन । २ वाक्य । ३ वार्तालाप | अभिलास देखी 'अभिलासा"। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -- पु० - शत्रु, दुश्मन । 2 भिमुख० [सं०] सम्मुख सामने २ समीप ३ अनुकूल प्रभाव पु० [सं० अभिशाप ] १ शाप २ दुषा दुराशीय १ । । । बदुग्रा, । -- क्रि०वि० १ ग्रामने-सामने। २ ओर तरफ । ३ बड़ा इल्जाम, दोष । ४ झूठा दोषारोपण | अभिसार पु० [सं०] १ युद्ध । २ हमला, आक्रमण । ३ प्रेमीप्रेमिका के मिलन के लिए संकेत स्थान पर गमन । ४ प्रेमी-प्रेमिका के संकेत स्थान पर मिलने का समय । प्रमिलासी० [सं०] अभिलाषी ] अभिलाषा करने वाला इच्छुक | अभिवादन - पु० [सं०] १ प्रणाम, नमस्कार । २ सम्मान, स्वागत ३ वंदना | अभिवहार देखी 'अभवहार'। अभिलासगो, (बौ) - क्रि० १ आशा करना, अभिलाषा करना । २ इच्छा करना, चाहना । श्रभीस्ट अभिसारिका, श्रमिसारिणी स्त्री० [सं०] सांकेतिक स्थान पर नायक से मिलने जाने वाली नायिका । अभिसेक (० [सं० अभिषेक] १ जन से सिंचन २३ जल सिंचन एवं मंत्रों से किया जाने वाला शिव पूजन । ४ राजतिलक की क्रिया । ५ ऊपर से जल डालते हुए किया जाने वाला स्नान । अमिर देखो 'अभीस्ट' | अभि-क्रि०वि० ठीक इसी समय, इसी क्षण। वि० निडर, निर्भय । - ड़ौ वि० सुहावना, अरुचिकर | कटु । जोशपू । -च- वि० वीर । - पु० योद्धा, सुभट । - त ति ती तौ वि० निडर, निशंक साहसी अभिलाख, (खा) - देखो 'अभिलासा' । प्रभिलाखो देखो 'अभिलासी' । ० शत्र, दुश्मन अभीनमौ- देखो 'अभनमो' । अभीमत देखो 'अभिमत' । भलाक (तक) - वि० [सं० अभिलापुक] १ अभिलाषा करने अभीमता स्वी० अभिमान गई। 0 7 श्रीमान- देखो 'अभिमान' । वाला । २ लोभी । ३ इच्छुक श्रभिहडदोस पु० [सं० श्रभिव्तदोष ] रास्ते में सम्मुख लाकर भोजन देने का दोष (जैन) । प्रनिहांरण - देखो 'अभिधान' । अभीमुख देखो 'भिमुख' । अभीवास देतो 'अभ्यास' | समोर वि० जिसका कोई महान हो, बेसहारा - पु० १ गोप, ग्रहीर । २ प्रत्येक चरण में ग्यारह मात्रा का छंद । For Private And Personal Use Only अभिलासा - स्त्री० [सं० अभिलाषा ] १ इच्छा, ग्राकांक्षा, अभीष्ट - वि० [सं० ग्रभीष्ट ] १ वांछित इच्छित । कामना, चाह । २ यावा, अभिलाषा । २ मन चाहा । Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रभुत प्रमंद पसंद, इच्छानुरूप । ३ प्रिय, प्यारा। ४ कृपापात्र ।। अभ्भरी-देखो 'अभरी'। -पु० मनोरथ, कामना । अभ्यंतर-पु० [सं०] १ मध्य, बीच । २ हृदय । -क्रि०वि० अभुत-देखो 'अभूत'। १ भीतर । २ निकट, समीप । ३ दरम्यान । अभुखरण, (न)-देखो 'आभूसण' । अभ्यसरणी, (बौ)-कि० अभ्यास करना, साधना करना । अभूत, (तो)-वि० [सं० अभूत, अद्भुत,] १ अनस्तित्व । अभ्यस्त-वि० [सं०] १ आदी । २ अभ्यास किया हुआ। २ अद्भुत, विचित्र । ३ अपूर्व, अद्वितीय । ---पूरब (वी) ३ दक्ष, निपुण । -वि० अपूर्व, अद्वितीय। अभ्यागत-वि० [सं० अभ्यागत:] १ गरीब, दरिद्र । प्रभूनी-देखो 'अभिमन्यु'। २ अशक्त, निर्बल । ३ असमर्थ । -पु० १ अतिथि, अभूनौ-वि० (स्त्री० अभूनी) १ सुनसान, निर्जन । २ बिना मेहमान । २ संन्यासी। भुना हुआ । ३ मूर्ख । ४ उटपटांग । अभ्यागम-पु० [सं० अभि+ग्रागम] १ युद्ध, समर । अभूमौ-वि० (स्त्री० अभूमी) १ विचार शक्ति शून्य । २ मूर्ख, २ शत्रुता, वर। अज्ञानी। ३ अनाड़ी। अभ्यामरद-पु० [सं० अभ्यामर्दः] १ युद्ध । २ दंगल । ३ हमला, अभूलरणी, (बी)-क्रि० याद या स्मरण रखना, न भूलना । अाक्रमण । अभेख-वि० [सं० अभेष] १ असाधु । २ दुष्ट । ३ निर्वेश । अभ्यास-पु० [सं०] १ कोई विद्या या कला सीखने का प्रभेडौ-वि० कठिन, मुश्किल, दुश्तर । निरन्तर प्रयास । २ साधना । ३ परिश्रम, श्रम । ४ प्रयत्न, प्रभेद-पु० [सं०] १ एकत्व, अभिन्नता । २ भेद या दुराव का कोशिश । ५ पादत, टेव । ६ पाठ, अध्ययन । ७ कसरत । अभाव । ३ घनिष्टता। ४ अतिसमानता । ५ रूपक ८ युद्ध, समर । -कळा-स्त्री० योग की चार कलाओं में अलंकार का एक भेद । -वि० १ अभिन्न । २ एक सा। से एक। ३ अविभक्त । ४ समान, सदृश । -वादी-वि० अभ्यासी-देखो 'अभ्यस्त' । अद्वैतवादी । अभ्युदय-पु० [सं०] १ उदय । २ उत्थान । ३ प्रादुर्भाव । अभेधांम-देखो 'अभयधांम' । ४ तरक्की । अभेळणी, (बौ)-क्रि० १ न लूटना । २ न मिलाना या मिश्रण अभ्र, (य)-पु० १ मेघ, बादल । २ अाकाश । ३ स्वर्ण । करना। ४ अभ्रक, धातु । ५ धन । ६ जीरो का अंक । शून्य । अभेव-देखो 'अभेद'। -वि० श्वेत । --क-पु. एक धातु । एक रसौषधि । अभै-देखो 'अभय' । -दांन='अभयदांन' । -पद- 'अभयपद' । -वि० श्वेत-श्याम । -त,त्त-वि० पालन-पोषण रहित । -वचन-'अभयवचन' । भाई रहित । सेवक रहित । अपार । -मारग-पु० अभमुनि-देखो 'अभिमन्यु'। आकाश । प्रभोक्ता-वि० [सं०] १ जो भोग न करे। २ जो व्यवहार | अभ्रमरण, (मांन)-देखो 'अभिमान' । न करे। अभ्रम, (म्म)-पु० भ्रम का अभाव । अभोखरण-१ देखो 'पाभूसग' । २ देखो 'अवोचन । अभ्रस्यांम, (स्यांमी)-पु० [सं० अभ्रस्वामी] इन्द्र । प्रभोग, (गत)-पु. १ विस्तार, फैलाव । २ भोग का अभाव । अभ्रांत-वि० [सं०] १ भ्रम या भ्रांति रहित । २ स्थिर । ३ विलास का अभाव । --वि० [सं० अभोग्य] १ जो अभ्रांति-स्त्री० [सं०] १ भ्रम या भ्रांति का अभाव । २ स्थिरता । भोगने योग्य न हो। २ जिसका भोग न किया गया हो। अमंख-देखो 'प्रांमिख' । ३ अनुपयोगी, अप्रयोज्य । ४ जो कार्य या व्यवहार में न प्रमंखांचरेळ-पु०१ पलचर, मांसाहारी । २ सिंह । ३ गिद्ध । पाया हो। अमंग, (ण)-वि० १ न मांगने वाला, अयानक । २ न मांगने प्रमोगी-वि० [सं०] इन्द्रिय-सुख से उदासीन, विरक्त। योग्य । अभौचन-देखो अवोचन' । अमंगळ गु० [सं० अमंगल] १ अकल्याण, अनिष्ट । २ कष्ट, प्रभौ-देखो 'पाभौ । ___दुःख । -वि० अशुभ । अभौतिक-वि० [सं०] १ अगोचर । २ पंचभूतों से संबंधित | अमंत्र'द-पु० [सं० अमित + इंद्र] शत्र, रिप, वरी। न हो। अमंद, (दो, ध)-१ तीन तेज : २ चंचल । ३ वेग पूर्ण । अम्भ-देखो 'ग्राभौ'। ४ उद्यमी । ५ चूस्त । ६ उत्तम, श्रेष्ठ । ७ बड़े जोर का । For Private And Personal Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रमलीमांरग चर, चरौ 'ग्रांमिखचर' । बुद्धिमान ।९ स्वस्थ, निरोगी । १० उग्र । ११ दृढ़ । १२ प्रतिभावान | १ अधिकारों को भोगने वाला दानी | २ दातार, | श्रम सर्व० [सं० ग्रस्मद] हम हमारा, मेरा अपना । श्रम (स्त्री० प्रमी) हमारा अपना मेरा अमरुडियो धमकी- देखो 'अमुक' अमके देखो 'ब' । प्रमख - देखो 'प्रांमिब' । श्रम (ग) पु० [सं० + मार्ग] २ धर्म । श्रमत्र - पु० [सं०] वर्तन, पात्र । धमय वि० [सं०] दयारहित मत देखो 'यमदूत' | । www.kobatirth.org ) ( १२ १ कुमार्ग, बुरा मार्ग श्रमड़ौ - पु० वृक्ष विशेष । ( मेवात ) । अ० [सं० ग्राम चूर्ण] २ इन फांकों का चूर्ण | श्रमचूर श्रमट (दृ), श्रमठ - वि० १ दातार, उदारचित । २ देखो 'ग्रमिट' | श्रमणी - सर्व० [सं० ग्रस्माकम् ] ( स्त्री० श्रमणी ) हमारा, अपना । हमको, हमें । १ कच्चे ग्राम की सूखी फर्के - । - द श्रमन - पु० [अ०] १ चैन, ग्राराम । २ शांति । ३ रक्षा, बचाव । श्रमम-स्त्री० ० ममता । वि० निर्मम । श्रमर वि० [सं० श्रमर ] १ जो न मरे, चिरजीवी । २ अविनासी ग्रतश्वर । ३ चिरस्थायी । ४ नित्य । पु० [सं० प्रमरः १ ईश्वर परमेश्वर । २ देवता । ३ गंधर्व । ४ सुवर्ण । ५ पारा । ६ कुलिश । ७ श्राकाश | पृथ्वी । ९ अमरकोश | १० हड्डियों का ढेर । १९ उनचास पवनों में से एक। १२ डिंगल के वेलियो सागोर का एक भेद । १३ अवध्य माना जाने वाला बकरा | १४ तैंतीस की संख्या । -प्रापगा स्त्री० देवनदी, गंगा - कंटक पु० सोन व नर्मदा नदियों का संगम स्थल । - गिर- पु० ग्रामेर का किला । ग्रामेर का पर्वत । सुमेरु पर्वत । नदी स्त्रीगंगा, सुरसरी मौ० यश, कीर्ति । वि० जिसका नाम अमर हो । नाथ- पु० काश्मीर का एक प्रसिद्ध तीर्थ पनि पितृ पक्ष - । | पतिपु० विष्णु इन्द्र पद- गुरु मोध, निर्वाण मोक्ष, | देव पद । स्वर्ग, वैकुण्ठपुर, पुरी, पुरौ-पु० देव लोक, स्वर्ग, वैकुण्ठ । बेल, वेल-स्त्री० बिना जड़ व पत्तों - । । यानी लता नारियल | भुव (न) पु० सुखपु० अग्नि । कुण्ड भेंट पु० लोक-पु० देवलोक, 1 1) इन्द्रपुरी । स्वर्ग । हो । - सुहाग- पु० जीवन । सतीत्व 1 रहने वाली स्त्री । सती । वेश्या । अमरकोट पु० सिंध का एक नगर । अमरक-देखो 'श्रमरख' । अमरकं देखो 'अब । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - वंस- पु० देव वंश । जो वंश अमर अखण्ड सुहाग | सुहाग पूर्ण समस्त -सुहागरा- स्त्री० जीवन पर्यन्त सुहागरण अमरक्ख- देखो 'अमरख' । मरी (बी) देखो 'भ्रमर' (बी) | अमरख पु० [सं० श्रमर्ष] १ क्रोध, गुस्सा । २ जोश उत्साह । ३ असहिष्णुता । ४ प्रतिशोध की सामर्थ्यं । ५ एक संचारी भाव | अमरखौ (ब)- क्रि० १ क्रोध या गुस्सा करना । २ उत्साहित होना । ३ प्रतिशोध लेना । अमरति श्रमरखी - वि० [सं० प्रमर्षिन् ] १ क्रोधी, गुस्सेल । २ जोशीला, उाही महि४ प्रतिशोधक श्रमरत, (त) - पु० [सं० अमृत ] १ अमरत्व देने वाला पेय पदार्थ । २ प्रत्यन्त मधुर एवं स्वादिष्ट पेय । ३ अन्न । ४ दूध । ५ श्रौषधि । ६ विष । ७ बच्छनाग ८ पारा ६ स्वर्ण । १० धन । ११ मीठी वस्तु । १३ यज्ञ की अवशिष्ट सामग्री 1 १४ १५ सोमरस । १६ जल । १७ धी । १८ स्वर्ग । १९ ब्रह्म । १२ देवता । वन मुंग । २० धन्वन्तरी 1 - वि० जो मृत न हो, अमर । -कर- पु० चन्द्रमा । -कारी हरीतकी, हरें --दान- पु० सुधा दान | श्री आदि रखने का चीनी का पात्र । -धारा स्त्री० पीपरमेंट, अजवायन के फूल व कपूर के योग से बनने वाली श्रौषधि । प्रमरता स्त्री० [सं०] धमरख यमृता] १ पमर रहने की श्रमरत्व, अवस्था या भाव ग्रमरत्व । २ स्थाइत्व । ३ गिलोय । [४] दुर्वा ५ तुलसी । ६ मदिरा ७ ग्रामलकी । हरीतकी९वि। (ती) - ० [सं० अमृत] १ अमर । २ देखो 'उमरसी'। यमरा । प्रमरस पु० [सं० आम्ररस] १ ग्राम का रस २ देखो अमरख' । For Private And Personal Use Only पुर (पुरी) देखो धमनीक' | - अमरांमाळ स्त्री० [सं. घमरमाला ] १ देव पंक्ति । २ देव वृद या समूह | यमलोक -पु.] देव लोक | अमरलोक । अमराई [सं० पराजि] १ आम का बाग २ ग्रामों स्त्री० । के वृक्षों का झुरमुट । ३ अमरत्व | Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रमरः शक्खि www.kobatirth.org अमरावती स्त्री० १ देवलोक, इन्द्रपुरी । २ स्वर्ग । प्रमरित-देखो 'अमरत' । ( १३ ) मक्खि देखो 'भ्रमर' मराज पु० दैत्य | धमरालय पु० [सं०] १ देवालय २ स्वर्ग वैकुण्ठ भ्रमराव - पु० [अ० अमीर ] १ सामंत, सरदार । २ प्रतिष्ठित व्यक्ति । ३ धनाढ्य, अमीर । ४ उदार । ५ कार्याधिकार रखने वाला | प्रमरियो - पु० वह बकरा जो बलि नहीं किया जाता हो । २ देखी 'भ्रमर' | अमरी स्त्री० [सं०] १ देवांगना, देवपत्नी २ देवकन्या । ३ अप्सर । । ४ दूर्वा, दूब । ५ एक वृक्ष । ६ आसन । ७ गिलोय । ८ बहत्तर कलाओं में से एक । अमरीक, (ख) - पु० [सं० अमरीष ] एक सूर्यवंशी ईश्वर भक्त राजा । श्रमरु (रू) - देखो 'अमर' । भ्रमरूद - पु० १ जामफल २ इसका वृक्ष । नामक फल, सफरी 1 मरेस, (स्वर) - पु० [सं० अमरेश ] देवराज इन्द्र । अमरौ - पु० [सं० अमरा] १ दूब । २ थूहर । ३ काली कोयल । ४ गर्भस्थ शिशु पर निपड़ी रहने वाली भिल्ली। ५ ग्रांवला । ६ देखो 'अमर' । श्रमळ - वि० [सं० अ + मल] (स्त्री० श्रमळा ) १ मल रहित । २ पवित्र, शुद्ध, स्वच्छ । ३ निष्कलंक । ४ सफेद । ५ चमकदार । 1 अमलतास - पु० १ एक ग्रोवधि विशेष २ इसका वृक्ष । श्रमलांचाक - वि० ग्रफीम के नशे में चूर । श्रमा स्त्री० [सं०] १ लक्ष्मी । २ पृथ्वी । ३ देखो 'ग्रांवळा' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमलियौ, अमली, श्रमलीड़, (डौ) - ग्रफीमची नशेबाज । भ्रमतीमांस देखो 'अंमलीमांण' । श्रमलौ- पु० [अ० अमला ] १ कार्याधिकारी । २ कर्मचारी, कारिंदा | [सं० श्राम्र ] ३ ग्राम । अमवौ - पु० [सं० आम्र] आम | श्रम सर्व० [सं० प्रस्मद्] हम हमारे हमकी अव्य० ऐ, अरे । श्रमारी " श्रमांण, ( लौ) - वि० [देश०] १ बिना हिलाये - डुलाये, सीधा । २ देखो 'श्रमांन' । सर्व० हमारा, मेरा । For Private And Personal Use Only धमांन वि० [सं० प्रमान] १ बहुत बेशुमार २ अपार, - असीम। ३ हढ़, मजबूत । ४ अटल, स्थिर । ५ निरभिमान । १ प्रमाण, प्रमाण रहित ७ मान रहित, तिरस्कृत। ८ तुच्छ । पु० १ पांडु पुत्र भीम । २ रक्षा शरण । ३ देखो 'अमानत' | धमांनत स्त्री० [० प्रमानत] धरोहर, थाती दार- वि० जिसके पास कोई धरोहर रखी जाय । 1 - धमांनी वि० जिसे अभिमान न हो ० १ मजदूरी से काम करने का ढंग विशेष कर जिसमें केवल दैनिक मजदूरी दी जाती है, काम का कोई मान निश्चित नहीं होती । २ अनुमान या कूत के आधार पर लगान में दी जाने वाली छूट । श्रमांनुस - बि० [सं० श्रमानुष] १ जो मनुष्य संबंधी न हो । अमानवीय । २ अलौकिक । ३ अपौरुषेय । ४ हैवान । ५ जो मनुष्य की सामर्थ्य के बाहर हो । मी- वि० [सं०] मानुषीय] मानव स्वभाव के विपरीत। धमनिता (न) स्त्री० दुहागिन श्रमांम - वि०१ बढ़िया श्रेष्ठ ४ अद्भुत विचित्र अमांमी वि० (स्वी० प्रमांगी) १ प्रवासीद्भुत विचित्र । ३ बहुत । ४ वीर बहादुर । ५ अपार शक्ति वाला । अमा- स्त्री० [सं०] १ अमावस्या की तिथि । २ माता, मां । श्रमाई - वि० ० अप्रमाण । अमल, (ल्ल) - पु० [अ०] १ अधिकार, शासन । २ व्यवहार । ३ श्रादत, टेव । ४ प्रभाव असर । ५ समय, वक्त । ६ नीला रंग । ७ प्रारंभ | ८ अफीम । ९ कार्य । १० विश्राम । ११ सिंह | १२ कपूर । १३ श्रभ्रक | १४ व्यसन, नशा । - वि० [सं० ग्रम्ल] खट्टा, तुर्श । - वस्तूर- पु० राज्याभिषेक की रश्म -दार वि०ग्रफीमची । -दारी स्त्री० राज्य शासन अधिकार । अफीम का ग्रादी होने की अवस्था । - पट्टी-पु० अधिकार-पत्र | --पित० [० ग्रम्ल पित्त, अजीर्ण । श्रमाडौ - पू० युद्ध | अमात्य पु० [सं०] मंत्री, सचिव । अमलड़ौ - देखो 'श्रमल' । श्रमrt fast - स्त्री० किसी जागीर के अधिकार के संबंध में श्रमाप, (पियो, पी) - वि० [सं० श्रमापनम् ] जो गागा न जा राजा द्वारा चौधरियों को लिखा जाने वाला पत्र | सके, अपार, असीम । श्रमार-देखो 'बार' | अमार पु० [१] बुरा मार्ग कृमार्ग धमारौ सर्व० (स्त्री० [समारड़ी अमारी-१ देखो 'हमारी' २ २ तमाम सब । ३ बहुत, अपार । दस्ती देखी 'हमांमदस्ती'। २ कुसंगति | हमारा मेरा। 'प्रवाही' । Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रमाण मारू - वि० दूसरा अन्य श्रमारौ - सर्व ० • हमारा, मेरा । क्रि०वि० अभी, अब । धमिय १० [सं०] अमृत] मृत सुधा " www. kobatirth.org श्रमासव- देखो 'श्रमावस' । श्रमास्ती - सर्व० हम, हमारे । श्रमिट (ट्ट) - वि० १. न मिटने वाला, स्थायी । २ दृढ़, पक्का | प्रमित, (ती) - वि० ग्रपरिमित, अपार असीम । पु० १ अमृत । २ थूक । ३ शत्रु, दुश्मन । श्रमित्र - वि० [सं०] १ जो मित्र न हो । -ता स्त्री० मित्रता का प्रभाव । शत्रुता । प्रमिरत (ति तौ देखी 'समरत' + ( ६४ ) धमाव वि० १ अत्यधिक असीम बेहद । २ योद्धा, सुभट अकारणी (बी) क्रि० निकलवाना , ३ शक्तिशाली । ४ सहनशील । श्रमूजरौ - (बौ) - देखो 'श्रमूभरणौ' । अमूज़ौ - देखो 'अमूझौ' | श्रमावड़ - १ देखो 'प्रभाव' । २ देखो 'श्रमावस' । श्रमावस, ( वस्या, वास्या) - स्त्री० [सं० श्रमावस्या ] प्रत्येक मास प्रभूशरणी, देखो 'प्रभू'जणी' । के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि । श्रमूझरणौ, (बौ), श्रमूझाखौ (बौ) - क्रि० १ दम घुटना । २ मूर्छा श्रमास - पु० ग्राना | ३ दिल घबराना । ४ अत्यन्त गर्मी होना । ५ उमस होना । [सं० प्रवास] १ निवास स्थान, आवास । २ देखी 'ग्रामखास' । ३ देखो 'प्रभाव' । श्री- पु० १ दम घुटने का भाव । २ उमस, गर्मी । ३ तपन । मूढ़ वि० [सं०] जो मूड न हो। चतुर - अमूमन क्रि० वि० प्रायः बहुषा श्रमूळ - वि० [सं० अमूल ] १ मूल रहित, निर्मूल । २ कारण रहित, अकारण । ३ अमूल्य । ४ निराधार । २ शत्रु, वैरी । अमूल (क, लिक, मूल्य) - वि० [सं० अमूल्य ] १ बहु मूल्य, २ अनमोल । श्रमे सर्व० मेरा हम । क्रि० वि० अब । अमेद देखो 'उमेद' । अमेध - पु० [सं० श्रमेध्य ] १ ३ अपवित्र वस्तु । - वि० ३ बेजोड़ २ दूध ३ क । | धमेपु वि० [सं० घमेप] असीम, धपार, प्रमाण । - । श्रमिळणी (बौ) क्रि० १ न मिलना । २ प्राप्त न होना । मिठी वि१न मिलने योग्य २ बेमेल श्रमी श्रमिश्र धमी पु० [ प्रश० यमिष] १ चमूत सुधा । ४ पानी । - सर्व ० मैं, मेरा मुझे। हम हमारा, हमें । मीठी- वि० (स्त्री० अमीठी ) जो मीठा न हो। कड़वा । अमीरणी, (य) - सर्व० (स्त्री० प्रमीरिण, सी) हमारा, मेरा । श्रमीत देखो 'ग्रमित्र' | अमुक वि० १ फनां । २ कोई खास ३ ऐसा-ऐसा । प्रमुख - देखो 'यांमिख' । -चर 'ग्रांभिखचर' । अमीर, (छ) पु० [० अमीर] - १ सामंत सरदार । २ शासनाधिकारी । ३ धनवान | ४ अफगानिस्तान के शाह की उपाधि परा पणौ पु० अमीर होने की | - परण, परणौ- पु० अमीर होने की अवस्था या भाव। अमीरों का स्वभाव | अमीरस पु० मृत अमीरांनौ- वि० ग्रमीरों के समान । अमीरायत ( अमीरी-स्त्री० १ दौलतमंदी, संपन्नता, अमीरी । २ उदारता । ३ रईसी, अमीर होने का भाव । मूंजी-स्पी० [सं०] का रोग। २ घुटन । ३ अचेतन अवस्था | श्रमूं जौ, (बी) - देखो ग्रमुभी (बी) | अमुक वि० [सं०] जो १ गंगा न हो, वा, वक्ता । २ चतुर अमूकरण (बौ) - क्रि० निकालना | - अमेळ - पु० १ मेल या मंत्री का प्रभाव । २ तनाव, मन-मुटाव । ३ विरोध, शत्रुता । ४ शत्रु, दुश्मन । ५ डिंगल के छोटे सागोर छन्द का एक भेद । वि० १ वेमेन । २ बेतरतीब । ३ भद्दा । सर्व हम । ง श्रमीन - पु० [ प्र० ] १ अदालत का कर्मचारी । २ भू-प्रबंध श्रमे ( मैं ) क्रि० वि० श्रव, अभी । विभाग का कर्मचारी । वि० पडित । चतुर । श्रमेव- वि० १ प्रमीम । २ प्रज्ञेय । पु० श्रभिमान, घमंड प्रमीया-१ देखी 'मी' २ देवी 'उमा' । अमोद प्रमोध (घी) वि० [सं०] १ श्रेष्ठ, बढ़िया। २ अपार । ३ अचूक । ४ अव्यर्थ । ५ समर्थ । ३ पूर्ण । ७ भरपूर पु० १ २विष्णु समुद्र अमोड़ी- वि० १ न मुड़ने वाला । १ पीछे न हटने वाला । २ वीर, योद्धा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अम्रत प्रमोल ( लक, लख, लिख) अमोल्य- देखो 'मूल्य' । अमोध देखो 'प्रमोष' । अम्नाय - देखो 'ग्रांमना' । श्रम्मर देखी 'अमर' । अम्मरांईसर - देखो 'अमरेस्वर' । अम्मरी-देखो 'धम अम्मलीमांग - देखो 'मनीमांरण' । धम्मा- स्त्री० जन्मदात्री जननी माता , मुर्ख । २ मल विष्ठा । अपवित्र । " For Private And Personal Use Only कोस० [सं०] अमरकोश ] १ मृगनाभि २ प्रमोश अम्रत देखो 'ग्रमरत' । कर 'समरतकर' । Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रम्रतचररण तचरण - पु० यौ [सं० श्रमृत चरण] गरुड़ । अतदान-देखो 'श्रमरतदान' । तबंधु - पु० यौ० [सं०] देवता । श्रतमई, (मय ) - पु० यौ० चन्द्रमा । लोक ० पी० स्वर्ग । तास (तेस) - पु० [सं० प्रमृताश ] देवता । 1 प्र म्रतधारा - देखो 'अमरतधारा' । अतपुनि (ध्वनि) स्त्री० पी० [सं० प्रमृतध्वनि] चौबीस प्रयार वि० शत्रु, दुश्मन मित्र । - । मात्राओं का एक छंद । पाळ-पु० घोड़े या सिंह के गर्दन के बाल www.kobatirth.org ( ६५ ) , प्रवास (सि) पु० [सं० प्राकाम] १ प्राकारा, घासमान २ चिह्न, लक्षण । ३ देखो 'आदेश' । श्रयी - अव्य० १ अरे ! हे । २ ग्रोह, हाय । ३ ग्राहा । सिद्धियोग पु० पी० [सं० अमृतसिद्धयोग] एक प्रकार प्रयुक्त वि० [सं०] गुक्ति संगत न हो, अनुचित प्रसंगत। का शुभ योग । अयोग्य | म्हार - सर्व हमारा, मेरा । अहि सर्व० ० हम । अम्लपित्त देखो 'पित्त'। श्रम्ह, (म्हां ) - सर्व० [सं० अस्माक, अस्मदीय] हम हमारे, मेरे, मेरी, मैं, मैंने । तरणी सर्व० हमारी, मेरी । श्रम्हक - वि० [सं० ग्रहमक ] मूर्ख । उद्दण्ड | म्हस्यू - सर्व० हमसे । म्हिणी म्ही सर्व० (स्त्री० [बम्हिणी म्हणी ) हमारा, मेरा । अम्हे, हे सर्व० हम, हमें मेरे । । । अति पु० अमृत सुधा वि० मधुर, मीठा वैणी दि० प्रयोग पु० [सं०] १ संयोग का प्रभाव । - । " मधुभाषिनी मधुरकण्ठी । - पु० [सं० प्रयस् ] १ शस्त्र, हथियार । २ लोहा । २ श्रग्नि । - वि० आगे आने वाला । ---- श्रयणौ - सर्व० अपना । चयत देखो 'प्रयुत'। यथा - वि० [सं०] १ झूठा, मिथ्या । २ अयोग्य | पराक देखो 'ऐया' । श्रयण, (न) - पु० [सं० प्रयन] १ गति, चाल । २ दिन । ३ राशि चक्र की गति । ४ ग्राश्रम, स्थान ५ घर । ६ ज्योतिषशास्त्र । ७ काल, समय चरण । १० दो की संख्या । क- पु० ८ अंश । ९ पैर, मार्ग, रास्ता । -काळ- पु० लगभग छः मास का समय । - संक्रम, संक्रांति स्त्री० ० मकर व कर्क की संक्रांति । श्रयरावई, श्रयरापति- देखो 'ऐरावत' । अयस स्त्री० १ आज्ञा, हुक्म । २ आसमान । ३ अपयश, निंदा । ४ देखो 'अय' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir याचक, (ची) - वि० [सं० प्रयाचिन् ] १ जिसने कभी कुछ मांगा न हो । २ जिसे मांगने की जरूरत न हो । ३ समृद्ध, सम्पन्न | - T writer (न), अवांखी (नौ) वि० [सं० यज्ञान] (स्त्री० अवारी) १ अज्ञानी, मूर्ख २पनाड़ी अभ्य - पु० प्रज्ञान, प्रजानता । श्ररक्क प्रयुत- पु० [सं०] दश हजार की संख्या व उसका स्थान । | ३ दुष्काल ४ संकट, कठिनाई । योग्य वि० [सं०] १ जो योग्य न हो, यनुपयुक्त २ अनुचित । ३ अपात्र निकम्मा ४ असमर्थ, अक्षम । 3 घरका पु० सूर्य । अरकासार - पु० तालाब, वापी । श्ररक्क देखो 'ख' । २ कुसमय । ५ अप्रशस्त, बुरा । अयोध्या देखो जोध्या' । योनि (नी) वि० [सं०] १ २ जन्मानि २ ईश्वर । ३ विष्णु । ४ ब्रह्मा । प्रयोसा- पु० [सं० प्रयोषा ] पुरुष, नर । रंग (पी)- १० सुगंध का झोंका २ श्रानन्द रहित । ३ भयावह । प्ररंड - देखो 'एरंड' | रंडी घडल्या स्त्री० एरंड के बीज या डोडा । अरंद, प्ररंढ़ौ- देखो 'अंढी' | परंत वि० [सं० परिहंतु] १ शत्रुओं का नाश करने वाला । २ युद्ध में अड़ने वाला । घरंद] ( ) पु० [सं० परि-इन्द्र] शत्रु, दुश्मन घर अव्य० १ र २ घरे, परं० [सं० परि] परि शत्रु । स्त्री० २ शीघ्रता । - वि० पीला । For Private And Personal Use Only जिसकी कोई योनि न हो । पु० [सं० प्रयोनि] १ शिव श्ररक - पु० [सं०] १ सूर्य । २ इन्द्र । ३ तांबा । ४ स्फटिक । ५ पंडित । ६ ज्येष्ठ भ्राता । ७ रविवार । ८ ग्राक या मंदार वृक्ष । ९ ९ विष्णु । १० बारह की संख्या | ११ शराब । १२ नदी । १३ एक पुष्प विशेष । - वि० १ तेज । २ उतारा हुआ, निचोड़ा हुआ । -गीर-पु० जीन कसने का उपकरण । -ज, सुत-पु० यम, शनि । अश्विनी कुमार सुग्रीव कीं । सारं मनु । -जा-स्त्री० यमुना व ताप्ती नदी । वि० १ बिना रंग का Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अरखी अरखी - क्रि०वि० शीघ्र, फौरन । धरणी० [सं० पारिग] तलवार श्ररगजौ-पु० सुगंधित उबटन | श्ररगणौ (बौ) - देखो 'ग्ररघणी' ( बौ) । www.kobatirth.org (६६) श्ररगत, (ती, तौ) - पु० लोहा छीलने या घिसने का उपकरण । घरगनी स्त्री० [देश०] कपड़ा सुखाने के लिए लटकाई जाने वाली रस्सी या लकड़ी । की एक विधि अ २ जन . धरजमा पु० [सं० प्रमा] सूर्य - वि० अजन्मा | अरजळ - वि० १ व्याकुल । २ घायल। -पु० घोड़ा, जिसका एक पांव श्वेत हो । अरजाऊ - वि० अर्ज करने वाला, प्रार्थी, निवेदक । अरगळा स्त्री० [सं० अर्गला ] दोनों कपाटों के बीच लगाई प्ररजित वि० [सं० प्रजित] १ कमाया हुमा, उपार्जित । २ जोड़ा हुआ, संगृहीत । ३ प्राप्त । जाने वाली रोक, अर्गला । अरघ गु० [सं०] धर्ष १ पूजन परजु की अंजलि । - पात्र - पु० पूजन का जल पात्र । श्ररघणौ, (बौ) - क्रि० जल के अर्ध्य से पूजा करना । अरघळ पघळ - वि०यौ० [अनु०] प्रचुर, बहुत । श्ररघौ-पु० पूजन का जल पात्र । रजी स्त्री० [फा०] १ प्रार्थना निवेदन । २ फरियाद ३ प्रार्थना-पत्र | दावौ पु० दीवानी दावे का श्रावेदन-पत्र । (न, अ)- पु० [सं० अर्जुनः] १ पांच पांडवों में से एक । २ सहस्रार्जुन । ३ स्वर्ण । विशेष । वि० १ श्वेत, सफेद ४ चांदी ५ एक वृक्ष । घर-स्त्री० १ पेड़ या मोटी लकड़ी टूटने की ध्वनि २ स या ऊंट की आवाज । ३ बलात् धंसने की क्रिया । ४ भय, प्रातंक | धरी (बी) देखो 'राणी' (यो) अरड़ारण- पु० रुदन, विलाप । रहाट (०१ प्रांधी की आवाज आवाज | ३ दर्द या दुःख भरी आवाज की आवाज । २ तेज वर्षा की । ४ भैंस या ऊंट अरड़ारणौ, (बौ), श्ररड़ावणौ, (ब) - क्रि०१ चिल्लाना, चीखना । २ दर्द या दुःख भरी आवाज करना । ३ धंसाना, फंसाना । ४ भैंस या ऊंट का दर्द पूर्ण प्रावाज करना । अरड़ाव - पु० १ चीख, चिल्लाहट । २ ध्वनि । पड़ग (डोंग, हींगी) वि० १ बलवान, २ सहनशील । ३ योद्धा, शुरवीर । पु० व्यवधान | घरची (सौ) देखो हमी' । अरड़ौ वि० बलात् घुसने वाला पु० धक्का । श्रश्चरणौ (बी) - क्रि० [सं० अर्चनम् ] पूजन करना, पूजा करना । अर्चना करना । श्ररचन - पु० [सं० श्रर्चनम् ] पूजन अर्चन । अरचा स्त्री० [सं० अर्चा] १ पूजा । २ श्रृंगार । ३ मूर्ति या प्रतिमा । ४ चर्चा । श्ररचारणौ ( बौ), अरचावरणौ (बी) - क्रि० पूजा कराना । प्ररचित वि० [सं०] प्रचित ] पूजित, पूजा हुआ । रवी (बी) 'घरची' अरज - स्त्री० [अ०] ग्रर्ज ] १ प्रार्थना, निवेदन, ग्रर्जी । २ चौड़ाई ० ३ राजा ४ अर्जुन (न, न ) - पु० [सं० अर्जनम् ] १ उपार्जन, ग्राम १ उपार्जन, प्राय कमाई । २ उपलब्धि, प्राप्ति । ३ संग्रह । ४ देखो 'अरजुगा' । अरज शक्तिशाली । श्ररजणौ (बौ) - क्रि० उपार्जन करना, कमाना, प्राप्त करना । अरजनपता, (पिता) - पु० १ इन्द्र का नामान्तर । २ पांडु । श्ररजनी-स्त्री० ० गाय, गौ 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 धरणोद ध्वज - पु० हनुमान का नाम । -सखा- पु० श्रीकृष्ण । अरजुनी - स्त्री० [सं० अर्जुनी] गाय । श्ररज्ज- देखो 'रज' । बरक्स (ज्जन, ज्यूल) देखो 'घर' । घरला स्वी० जमीन अरट, बरटियी धर-पु० [सं० घरपट्ट] १ कुऐ से पानी निकालने का मालाकार यंत्र । रहट । २ डिंगल का एक गीत ( छंद ) । ३ एक प्रकार की बन्दूक । ४ सूत कातने का चरखा । ५ एक लोक गीत विशेष । वन-देनो 'रडींग' | २ काला श्याम -घुज, धरौ (सौ) - १ एक प्रकार का क्षुप विशेष । २ इस क्षुप के समान पत्तों वाला वृक्ष । (मेबात ) [सं० अरण्य ] · २ अग्नि याग । ६ देखो 'ख' अरण, (य) - पु० [सं०] धरणिः] ५ देखो'' अरणव- पु० [सं० अवि: ] १ समुद्र सागर । २ इन्द्र | ३ सूर्य । -मंदिर- पु० वरुशादेव । For Private And Personal Use Only १ जंगल । वन, ३ युद्ध । ४ चांदी | पण (ली) स्वी० [सं० पर िधरणी] १ काष्ठ से उत्पन्न नि । २ श्रौषध बूटी । ३ अग्निमंथ । ४ सूर्य । ५. एक लोकगीत विशेष । -अगनी स्त्री० यज्ञाग्नि । दावानल | अरणी पु० ० परण्य] १ जोधपुर के दक्षिण में स्थित एक तीर्थ कुंड । २ जगली भैंसा | [सं० अरणि] ३ छेकुर का वृक्ष या उसकी लकड़ी । वि० [सं० ग्रारण्य | जंगल का, जंगल संबंधी । श्ररणौद, श्ररणौवय - पु० [सं० प्ररुणोदय ] १ उषाकाल, अरुणोदय । २ सूर्य, भानु । Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरण्य अरमान अरण्य, (ण्यु, प्यू)-पु० [सं०] १ दशनामी गोस्वामियों का एक प्ररधंग-स्त्री० [सं० अर्द्धा गिनी] १ स्त्री, भार्या, पत्नी। -पु० भेद । २ कायफल । ३ वन । ४ देखो 'अरणौ' । [सं० अर्धग] २ शिव । ३ अर्धा गवात का रोग, पक्षाघात । -सस्टी-स्त्री० ज्येष्ठ शुक्ला षष्ठी का व्रत । अरधंगा, (गि, गी)-स्त्री० [सं० अर्द्धा गिनी] स्त्री, अरत-पु० [सं० अराति] १ शत्रु, बैरी । २ देखो 'भारत'। भार्या, पत्मी। अरतिमर-पु० यौ० [सं० अरि+तिमिर] सूर्य । परध-वि० [सं० अर्द्ध, अधः] आधा ।-क्रि०वि० अंदर, परत्त-वि० [सं०] १ जो लीन न हो, विरक्त, अलिप्स । भीतर, नीचे। -कूरमासन-पु० एक योगासन । २ जो रक्त वर्ण न हो। ३ देखो 'भरत' । –गोख, गोखौ-पु० डिंगल का एक गीत या छंद । प्ररत्थ, (त्थि), अरथ-पु० [सं० अर्थः] १ शब्द का अभिप्राय, -चंद, चंद्र-देखो 'अरद्धचंद।- नाराच-पु० नाराच छंद माने । २ प्रयोजन, मतलब, आशय । ३ कारण, हेतु । का एक भेद । -निसा-स्त्री० अर्धरात्रि । –पादासरण४ प्राधार, जरिया। ५ इंद्रियों का विषय । ६ धन, पु० एक योगासन । -पुंड-पु० संन्यासियों का खड़ा संपत्ति । -क्रि०वि० लिये, वास्ते । -कर-वि० तिलक । ---भाख-पु० डिंगल का एक छन्द या गीत । लाभकारी। फायदे मंद । -ग-क्रि०वि० लिये, वास्ते। -सरीरी-स्त्री० अर्द्धा गिनी। -पु०' प्राधे शरीर का --मंत्री-पु० वित्त सचिव, वित्तमंत्री। -बाद-पु. तीन | शिव, महादेव । -सावझड़ौ-पु० एक डिंगल गीत । प्रकार के वाक्यों में से एक। -सचिव-पु० वित्त अरधांग, (गि, गो)-देखो 'अरधंग'। सचिव। प्ररधाभेदक-पु० [सं० अर्द्धावभेदक] अर्ध शिरशूल । सूर्यावृत्त । मरथांतरन्यास-पु० [सं०] एक अर्थालंकार । अरधियो अरधौ-देखो 'पाधौ' । प्ररथाऊ-क्रि०वि० उदाहरण के तौर पर । अरधी-देखो 'अरध'। प्ररथारणी, (बौ)-क्रि० १ अर्थ करना, व्याख्या करना । २ अर्थ अरधूस-स्त्री० [सं० अरिध्वंस] सेना, फौज । समझाना । ३ विवेचन करना। प्ररनाद-पु० सूर्य । प्ररथात-अव्य० [सं० अर्थात् ] यानि, अर्थात्, फलतः । अरनी-स्त्री० १ विद्य त, बिजली। २ देखो 'अरणि' । प्ररथाभास-पु० [सं० अर्थाभास] १ शब्दार्थ का आभास । अरपरण, (न)-पु० [सं० अर्पण] १ भेंट, नजर । २ दान । २ अर्थ का प्रभाव । ३ समर्पण, देना । ४ त्याग । ५ वापसी। प्ररथालंकार-पु० [सं० अर्थालंकार एक साहित्यिक अलंकार। अरपरणौ, (बौ)-क्रि० १ भेंट या नजर करना। २ दान देना। प्ररथावरणौ (बौ)- देखो 'अरथारणौ (बी)। ३ समर्पण करना। ४ त्यागना। ५ वापस करना, प्ररथि, अरथी, (न)-पु० १ वादी, प्रार्थी, मुद्दई । २ सेवक । लौटाना। ३ याचक । ४ धनी। -स्त्री० ५ मृतक को श्मशान ले जाने अरबंद-देखो 'अरविंद'। की बांस की सीढ़ी, मृतक यान । -वि० १ चाहने वाला, अरब-पु० [सं० अर्बुद] १ सौ करोड़ की संख्या । इच्छित । २ पैदल । ३ देखो 'अरथ' । [अ०] २ दक्षिण एशिया का एक रेगिस्तानी प्रदेश । प्ररथ्य (थ्य)-देखो 'अरथ' । ३ इस देश का व्यक्ति । ४ इस देश का घोड़ा। -पसावअरद-देखो 'अरध'। पु० करोड़ का पुरस्कार। प्ररदली-पु० सेवक, कर्मचारी । हाजरिया। अरबजियौ, (वजियौ)-पु० साधारण कांटेदार वृक्ष विशेष । अरदास (दासा)-स्त्री० प्रार्थना, अर्ज, विनती, स्तुति । अरबद (दियौ, दीयौ, अरबद्द)-पु० [सं० अर्बुद] १ अरावली अरवित-वि० [सं० अदित] १ पीड़ित । २ दुखित, हिसित ।। पहाड़ का एक हिस्सा । २ आबू पहाड़। -गिर-पु० पाबू -पु० १ मुख का एक वात रोग विशेष । २ लकवा। पहाड। अरद्धग-देनो 'अरधंगा'। अरबद्ध-पु० १ गठिया रोग । २ देखो 'अरबद' । अरद्ध-वि० [सं० अर्द्ध] १ प्राधा । २ खंड, टुकड़ा ।-चंद्र-पु० | अरबिंद (ब्यंद)-देखो 'अरविंद'। प्राधा चन्द्रमा । एक प्रकार का त्रिपूड । हथेली की एक अरबी, (ब्बी)-वि० [अ०] अरब देश का, अरब संबंकी। मुद्रा । -समव्रत-पु० एक वर्ग वृत्त । --पु० १ अरब का घोड़ा। -स्त्री० २ अरब की भाषा । अरद्धांगरणी, (गिरणी)-स्त्री० [सं० अर्द्धा गिनी] स्त्री, अरबुद-देखो 'अरबद'। __पत्नी, भार्या । अरभ, (क)-पु० [सं० अर्भक] बालक । प्ररद्धाली-स्त्री० दो चरण की या आधी चौपाई। अरमान-पु० [तु० अरमान] इच्छा, अभिलाषा, मनोकामना । For Private And Personal Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्ररयंद अरि परयंद-देखो 'अरिद'। अरहर-पु० [सं० आढकी] १ एक द्विदल मोटा अनाज, तुर । प्ररय्यमा-पु० [सं० अर्यमन] बारह आदित्यों में से एक । . २ शत्रु, रिपु। परर-ग्रव्य पु० [सं० अररे] दर्द, शोक, आश्चर्य व व्यग्रता | अरहित-वि० [सं० अहित] पूजित, अचित । सूचक अव्यय ध्वनि । -पु० [सं०] कपाट, किंवाड़। अरहौ-पु० [सं० अर्ह ] अत्यावश्यक कार्य। परराट (टौ)-पु० [अनु०] १ घोर ध्वनि । २ दर्द की आवाज, अरांरिण-पु० [सं० रण] युद्ध । कराहट । अरांन, (नी)-पु० [सं० अरि]१ रिपु, शत्रु । २ ऐबवाला घोड़ा। परळ-स्त्री० १ अर्गला, व्योंडा । २ शत्रु । अरांनौ-पु० बहादुर, वीर ।। अरळारणौ, (बौ), अरळावरणौ (बौ)-देखो 'अरड़ावणौ'। प्ररांम-देखो 'पारांम'।-खोर='आरामखोर'। परळु-स्त्री०१ कड़वी लौकी । २ एक औषधि का नाम ।। अराई-स्त्री० [सं० अहार्य] घास-फूस की गेंडुरी, इंडुरी । ३ एक फल। अराक-वि० १ अकडने वाला। २ देखो 'ऐराक' । प्ररवत, अरवा-पु० [सं० अर्वन] घोड़ा, अश्व । अरड़ारणौ (बौ)-१ ऊंट, भैस आदि पशुओं द्वारा कष्ट में परवळ-पु० घोड़े के कान की जड़ में होने वाली भौंरी। कराहना, आवाज करना। २ जोर से रोना, चिल्लाना। परवाचीन-वि० [सं० अर्वाचीन] १ आधुनिक । २ नवीन । अराज-वि० बिना राज्य का। -पु० राज्य का प्रभाव । अरविंद-पु० [सं०] १ कमल । २ सारस । ३ तांबा । ४ कमल अराजक-वि० [सं०] १ राजा या शासन विहीन । २ उपद्रवी, का फुल । -मयन-पु० विष्णु । कमल नयन । -नाम- विद्रोही। पु० विष्णु । -बंधु-पु० सूर्य । -योनि-पु० ब्रह्मा । अराजकता-स्त्री० [सं०] १ शासन का अभाव । २ अशान्ति । -लोचन-पु० विष्णु । कमल नयन । ३ क्रान्ति। अरवी-स्त्री० एक प्रकार का कंद जिसकी तरकारी बनती है। अराट-पु० [सं० अरि + राट्] १ शत्रु-राजा २ देखो 'अरराट'। अरस, (सि)-पु० १ आकाश । २ सबसे ऊंचा स्वर्ग जहां | अरात, (ति, ती)-पु० [सं० पाराति] १ शत्रु, दुश्मन । ईश्वर रहता है । [सं० अर्शस्] ३ बवासीर रोग । २ रात्रि का अभाव । ३ दुष्ट, आततायी । ४ फलित ४ छत, पटाव । ५ महल। -वि० [सं०] १ रसहीन, नीरस ।। ज्योतिष में कुंडली का छठा स्थान । २ फीका । ३ मंद, निस्तेज। ४ निर्बल। ५ अगुणकारी। रातो-वि० विरक्त, उदासीन । ६ शुष्क । अरादौ-देखो 'इरादौ'। अरस-परस-पु० [सं० दर्श-स्पर्श] १ दर्शन, साक्षात्कार । अराधक-देखो 'पाराधक' । २ अांख मिचौनी का खेल । -क्रि०वि० प्रत्यक्ष, रूबरू । अराधरणा-देखो 'पाराधना' । प्ररसाधनी-स्त्री० [सं० अरिसाधिनी] सेना, फौज। अराधरणौ (बौ)-देखो 'आराधणौ' (बी)। अरसाल, (लौ)-पु० [सं० अरि-शल्य] १ गढ़, दुर्ग, किला। अरापत-देखो ‘ऐरावत' ।। २ राजा कर्ण । ३ बीर, योद्धा। अराब, अराबा, अराबी-स्त्री० [फा०] १ तोप रखने की अरसिक -वि० [सं०] १ जो रसिक न हो । २ विरक्त । ३ रूखा, ___ गाड़ी । २ फौज की टुकड़ी । ३ एक प्रकार की छोटी शुष्क । ४ अभावुक । तोप । ४ युद्ध वाद्य विशेष । परसौ-पु० [अ० अर्सा] १ समय, अवधि । २ विलंब, देर । अरावळ-पु० [फा० हरावल ] सेना का अग्र भाग । अरस्स, (ए), अरस्सि-देखो 'अरस' । अरावी-पु० सांप की कुडली। अरहंत-देखो 'अरिहंत'। अराह-स्त्री० कुमार्ग। अरहट, (ट्ट, ठ)-देखो 'अरट' । अरिद-पु० [सं० अरि + इन्द्र] शत्र , दुश्मन । अरहटणी-बि० शत्रुनों का नाश करने वाला। अरि-पु० [सं०] १ शत्रु, वैरी, रिपु । २ काम, क्रोधादि प्ररहटरणौ, (बौ)-क्रि० शत्रुओं का नाश करना । आन्तरिक शत्र । ३ पहिया, चक्र । -अव्य० और । अरहड-देखो 'अरहर'। -प्ररण, यण, यांरण-पु० शत्र गण । -क-पु० संदेह, शंका । -केसी-पु० श्रीकृष्ण । -घड़-पु० शत्र दल । --धन अरहरण-देखो 'अरिहंत'। -पु० शत्रुध्न । -- जरण, ज्जए-पु० शत्रु गण । -थंड, अरहणा-स्त्री० [सं० अर्हणा] १ पूजा, अर्चना । २ उपासना । थाट-पु० शत्रु समूह । -द-पु० शत्र । -दम ३ सम्मान । ४ शिष्ट व्यवहार । -वि० शत्रुओं का दमन करने वाला। -दळ-पु० शत्रु प्ररहत-देखो 'अरिहंत'। सेना । -भंजण-वि० शत्रों का संहार करने वाला For Private And Personal Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्ररिया -राज-पु० शत्र राजा । शत्रओं का नेता । --साल | अरुझाणी, (बौ)-देखो 'उळझाणो' । -वि० शत्रुओं के लिये शूल-समान । -हंत-पु० जैनियों | अरुण-पु० [सं० अरुण] १ सूर्य । २ सूर्य का सारथी । ३ गुड़ । के तीर्थ कर । -वि० शत्रुओं का हनन करने वाला। ४ कुमकुम । ४ सिन्दूर । ६ संध्याराग। ७ प्राक, मंदार । पूजनीय । -हंतनर-पु० ईश्वर। हरण, हन-पु० शत्रुघ्न । ८ अव्यक्त राग। ९ कुष्ट रोग । ७ माघ मास का सूर्य । अरिया-स्त्री० १ तर ककड़ी । २ फुसी। ११ सुवर्ण । १२ लाल रंग । १३ रौप्य । १४ केसर । अरियौ-पु० फोड़ा। १५ युद्ध । -वि० [सं० अरुण] लाल, रक्ताभ। -चूड़अरिल्ल-पु० एक मात्रिक छंद । पु० मुर्गा, कुक्कुट । -ता-स्त्री० लालिमा, ललाई। अरिस्ट-पु० [सं० अरिष्ट, अरिष्ठ] १ दुःख, कष्ट । २ पीड़ा, -प्रिया-स्त्री० सूर्य पत्नी । अप्सरा। -सिखा-पु० मुर्गा । वेदना । ३ विपत्ति, आपत्ति । ४ दुर्भाग्य । ५ अमंगल, अरुणा-स्त्री. १ मजीठ । २ इन्द्रायण । ३ उषा । अहित, ६ उत्पात, उपद्रव । ७ पौष्टिक मद्य (वैद्यक)। | -वरज-पु० गरूड़। ८ नीम । ९ कौया । १० गिद्ध । ११ दही का मट्ठा। अरुणाई-स्त्री० लालिमा । १२ लहसुन । १३ वृषभासुर । १४ सूतिका गृह । अरुणी-स्त्री० १ ललाई । २ मेंहदी। १५ शराब । -वि०१ दृढ़, पक्का । २ अनश्वर । ३ बुरा, अरुणोद, (दय)-पु० [सं० अरुणोदय] १ उषाकाल । अशुभ । -नेमि-पु० दक्ष प्रजापति का नाम । जैनियों | २ ब्राह्म मुहूर्त । के तीर्थ कर। अरुणोदधि-पु० मिश्र व अरब के बीच का लाल सागर । अरिस्टा-स्त्री० [सं० अरिष्टा] दक्ष प्रजापति की पुत्री । अरुठ-देखो 'अरथ' । ४ देखो 'पारुढ़' । अरिहर, (हरि, हरौ)-पु० शत्रु वंश का व्यक्ति । शत्रु । अरू-अव्य० और। अरिहा-पु० [सं० अरिघ्न] शत्रुघ्न । अरूह-वि० १ अत्यधिक । २ बढ़िया, श्रेष्ठ । परी-अव्य० १ स्त्री वाचक संबोधन । २ बुलाने की सांकेतिक 'अरूडरगो, (बौ)-क्रि० १ धक्का मार के भीड़ में घुसना । ध्वनि । ३ देखो 'अरि'। -अंधार-पु० सूर्य । २ आवश्यकता से अधिक घुसना । अरीझ-वि० जो प्रसन्न न हो । अरूच-देखो 'अरुचि'। अरीठो-देखो 'अरेठौ'। प्ररूढ़-वि०१ कुद्ध, नाराज । २ बलवान, जबरदस्त । अरीढ़-वि० पीठ न दिखाने वाला वीर । ३ प्रसन्न, खुश। प्ररीत-स्त्री० [सं० अरीति] कुरीति, बुरी रश्म । अरूदरणी (बी), अरूहणौ (बी)-देखो 'पारूढणी' । परीपुलोम-पु० यौ० इन्द्र । अरूप-वि०१ रूप रहित, निराकार । २ कुरूप । -पु० विष्णु । अरबंधु-पु० चन्द्रमा । प्ररूपी, अरुवी-वि०१ जिसमें वर्ण, रस, गंध और स्पर्श भौतिक परोयरण, (यांण, हरण)-देखो 'अरिअरण' । ____ गुण न हो (जैन) । २ जिसमें रूप का अभाव हो । अरीहरि-देखो 'अरिहर'। अरे-अव्य० आश्चर्यमय संबोधन । अखिका-स्त्री० शिर के बाल उड़ने का रोग । अरेटौ (मैं)-पु० [सं० अरिष्टक] १ रीठा का वृक्ष, अरेटा । अरुंधती-स्त्री० [सं०] १ वशिष्ठ मुनि की पत्नी । २ दक्ष २ इस वृक्ष का डोडा। प्रजापति की कन्या । ३ नासिका का अग्रभाग । ४ सप्तर्षि प्ररेत-वि० [अ० + रय्यत] दूसरों की प्रजा । -स्त्री. मंडल का छोटा तारा । ५ जिह्वा । -ईस-पु० धूलि रहित । वशिष्ठ मुनि । अरेध-देखो 'याराधना' । अरु-अव्य ० १ और । २ पुनः, फिर । -ख-वि० विरुद्ध, विमुख । अरेस-वि० १ निष्कलंक, दाग रहित । २ शत्रु, दुश्मन । अरुचि-स्त्री० [सं] १ अनिच्छा । २ अग्नि मांद्य रोग। ३ घृणा, ३ पराजित न होने वाला । -पु. १ अाकाश, प्रासमान । नफरत । ४ विरक्ति, उदासीनता । -कर-वि० अरुचि २ जीत, विजय । पंदा करने वाला । जो रुचिकर न हो। प्रचिख-स्त्री० अग्नि, आग। प्ररेह(हण, ही)-वि० १ निष्कलंक, बेदाग। २ नहीं नमने अरुज-वि० [सं०] निरोग, स्वस्थ । वाला वीर। अहजण, (न)-देखो 'अरजुग्ग' । अरेहौ-पु० दुश्मन, शत्रु । अरुझण-देखो 'उलझण' । अरेट-देखो 'अरट'। अरुझणौ, (बौ)-देखो 'उळझगो' । अर-अव्य० सम्बोधन व ग्राश्चर्य बोधक अव्यय । For Private And Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रारीग ( ७० ) मलखमारणौ प्ररोग-वि० [सं० प्रारोग्य] रोग रहित, निरोग, स्वस्थ । प्रलंत-वि० व्यर्थ, निरर्थक । -पु०१ सुख । २ रोग का अभाव । ३ खाना किया। अलंब, प्रलंब-वि० [सं० अवलंबित] आश्रित, अवलंबित, अरोगण-देखो 'पारोगा। निर्भर । प्ररोगणौ-वि० (स्त्री० अरोगणी) भोजन करने वाला, खाने | अलंबुसा-स्त्री० [सं० अलंबुषा] १ गोरख मुडी । २ स्वर्ग की वाला । भक्षण करने वाला। । एक अप्सरा । प्ररोगरणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रारोग्य] खाना, भोजन करना, अळ-देखो 'इळा' । भक्षण करना। अल-वि० [सं० अलम्] व्यर्थ, निरर्थक । -पु० [सं० अलि] प्ररोगारणौ, (बौ)-क्रि० भोजन कराना, खाना, खिलाना । १ भ्रमर, भौंरा । २ बिच्छु का डंक । ३ बिच्छु । प्ररोगी-वि० १ निरोग, स्वस्थ । २ देखो 'प्रारोगी'। ४ पानी, जल । ५ वंश, गौत्र। . अरोड़ (डौ)-वि०१ जबरदस्त । २ न रुकने वाला। अल-अली-वि० काला, श्याम । ३ वीर बहादुर । ४ बहुत, अधिक । ५ समुदाय, झुड। अलमार, (रो)-वि० निस्सार, निरर्थक । .. ६ देखो ‘अरोड़ो'। अळइयौ-देखो 'अळियौ' । अरोडणी-वि० (स्त्री० अरोड़णी) रोकने वाला। अलक-स्त्री० [सं०] १ घुघराले बालों की लटिका । जुल्फ । प्रारोपा-वि० दृढ़, मजबूत । २ घुघराले बाल । ३ हरताल । ४ मंदार । ५ महावर । अरोम-वि० [सं०] रोम या बाल रहित, निलोम । ६ केसर का उबटन । –अवली-स्त्री० बालों की राशि, प्ररोळ, अरोळी-पु० [फा० हरावल] सेना का अग्रभाग, बालों का समूह । बालों की पंक्ति। -नंदा-स्त्री० गढ़वाल हरावल । की नदी। -मध्य-पु० भाल, ललाट । -लडेती-वि० अरोहक-देखो 'आरोहक' । प्यारा, दुलारा । अरोहरण-देखो 'ग्रारोहरप' । अलका-स्त्री० [सं०] १ कुबेर-नगरी । २ बालों की लटिका, प्ररोहणौ, (बौ)-- देखो 'पारोहणौ' (बी)। अलक, जुल्फ । ३ केश । --धारी-पु० श्रीकृष्ण । अरोहित, अरोही- देखो 'पारोहित' । -नगरी-स्त्री० कुबेरपुरी । -पत, पति-पु० कुबेर । अरौ-पु० बैल गाड़ी के पहिये का एक अवयव । आठ दिग्पालों में से एक । –पुरी-स्त्री० कुबेरपुरी। अरौड़-पू० १ वेग । २ देखो 'अरोड़। . -वळ, वळि-स्त्री० केशों की लटिकाएं। अलकार--पृ० [सं०] १ आभूषण, जेवर । २ काव्य रचना की अलकाब-पु० [अ० अल्काब] उपाधि, पदवी । चमत्कारिक विधि । ३ : साहित्य के अलंकार । अलक्क-देखो 'अलक'। ४ नायिका के सौंदर्य को बढ़ाने वाले हाव-भाव । अलक्ख, अलक्ष (क्षौ)-वि० [सं० अलक्ष, अलक्ष्य] १ जो ५ बहत्तर कलाओं में से एक । ६ प्रथम गुरु सहित चार | लक्ष या लाख के बराबर हो, लाख । २ न देखा हुग्रा, मात्रा का नाम । ७ उपाधि विशेष । अलक्षित । ३ अदृश्य, अज्ञात ।-पु० १ ईश्वर, परमेश्वर । अलंक्रत, (क्रिन)-वि० [सं० अलंकृत]१ सजाया हुअा, शृंगारित । २ दश नामी संन्यासियों द्वारा भिक्षा मांगते समय उच्चारण २ ग्राभूपण या उपाधि धारित । ३ काव्यालंकार युक्त । किया जाने वाला शब्द। ४ चारू, चमत्कृत । अलक्षण-पु० [सं०] अशुभ, बुरा लक्षण । -वि० लक्षण रहित । अलंकिती-वि० [सं० अलंकृति:] अलंकारों का जानकार । अलक्ष्य-देखो 'अलकख'। -पु० १ सजावट । २ अाभूगण । अलंग, (ती), अलंगां, (ण)-पू०१ सेना का पक्ष । २ दिणा।। अलख पु०१ तीर । २ एक प्रकार का रोग । --पुरख-पू० ३ आलिंगन । -वि० [स० अनुलंघय] १ ऊचा, उत्तंग । ईश्वर । ---अवन, भुयरण-पु० स्वर्ग । २ पहुंच मे परे । ३ बहुत । -क्रि०वि० ४ ऊपर, दूर। अलखलडेतो, अलखलडौ-वि० (स्त्री० अलखलडी) प्यारा, ५ अतिदूर । प्रिय, प्रियतम । अलंगणौ, (बी)-देखो 'प्रालिगणौ' (बौ)। अलखांमरण-स्त्री० १ शरारत, उद्दण्डता । २ उदामीनता, अलंगारणौ, (बौ) - देखो 'आलिंगगौ' (बौ)। खिन्नता। अलंगार-पु० योद्धा, वीर। अलखांमरणौ, (वरणी)-वि० (स्त्री० अलखामणी) १ अप्रिय, अलंगी-देखो 'अलंग'। अरुचिकर । २ बुरा, खराब । ३ खिन्न-चित । ४ उद्दण्ड, प्रलंघा कि०वि० दूर, अति दूर । शरारती। ५ अजनबी। ६ अनोखा, असह्य । For Private And Personal Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org पळखेलियो अळसोटौ अळखेलियो-पु० योद्धा, वीर। अलबेस-पु०१ पहनावा, वेश। २ वेश-भूषा । अलग-वि० [सं० अलग्न] १ पृथक् । २ दूर, अति दूर । अलबेसर-वि० अत्यन्त सुन्दर । अलगगीर-पु० घोड़े की जीन के नीचे की कंबल । अलभ्य-वि० [सं०] १ न मिलने योग्य, अप्राप्य । २ दुर्लभ्य, अलगचौ-देखो 'अलगोजो'। दुष्प्राप्य । ३ अमूल्य । अलगरज, (जी)-वि० [अ. अलगर मस्त, उन्मत्त, बेपरवाह। अलम-पु० [अ०] १ रंज, दुःख । २ झंडा, पताका । अलगरद-पु. [सं. अलगदं] विषहीन जल-जंतु । ३ पहाड़, पर्वत । ४ भीड़, समूह । ५ सामर्थ्य । ६ निषेध । अलगोजौ-पु. एक प्रकार की बांसुरी । -वि० १ व्यर्थ, निरर्थक । २ बहुत । [सं० अलम्] अळगौ, (ग्ग, गौ) अळघ, (घौ)-क्रि० वि० दूर, अलग । ३ यथेष्ट, पूर्ण । ४ पर्याप्त । (स्त्री० अळगी)। अलमसत-वि० मौजी-मस्त । अलड़-वि० १ जो लड़ा न हो । २ लापरवाह, अल्हड़ । अलमारी-स्त्री० (पु० अलमारियौ) पदार्थो को रखने के लिए अलड़-बलड़-वि० १ अंट-संट । २ अव्यवस्थित । खानादार बड़ा लंबा संदूक या दीवार में बना प्रालय । अलड़ौ-वि० (स्त्री० अलड़ी) १ मन मौजी, मस्त । २ लापर- | अलमित्र-पु० गरुड़ । ___ वाह । ३ भोला। अलरक-पु० [सं० अलर्क] १ पागल कुत्ता । २ सफेद पाक । अलज-वि० बुरा, खराब। प्रलल, प्रलल्ल, (ल्लौ)-पु० [देश] १ घोड़ा । २ भाला। अळजउ-पु० १ मन-मुटाव । २ देखो 'अलजौ' । क्रि०वि० ऊपरा-ऊपरी।-टप्पू-वि० बेहिसाब, अंदाजिया। अळजगउ (जयउ] कि० वि० १ दूर, फासले पर । २ पृथक् से। थोड़ा । --हिसाब-पु० अंदाज से गिना जाने वाला हिसाब । अलजी-पु० १ विरह-स्मरण, वियोग-दुःख । -स्त्री० २ चिन्ता, | अलवदौ-पु. १ प्राफत । २ कलंक । ३ बोझ। उद्विग्नता । ३ उत्कंठा, अभिलाषा । पळवळाट-स्त्री०१ बकवास । २ निरर्थक कार्य । ३ भीड़ । अलज्ज-वि० [सं०] निर्लज्ज, बेशर्म । ४ चंचलता। अलट-वि० बलवान, शक्तिशाली। अळवळियौ-वि० १ शौकीन । २ सुन्दर, मनोहर । अलट-पलट-देखो, 'उलट-पलट'। अळवारणी-वि० [सं० अनुपनाह] (स्त्री० अळवाणी) नंगे पैर । अलटौ-पु० १ जुल्म । २ कलंक । बिना जूते पहने। अलता, अलत्ता-स्त्री० [सं० अलक्तक] मेंहदी, महावर । अलवावळी-स्त्री० [सं० अलिअवली] भौरों की पंक्ति । अलतो, अलत्तौ पु० ध्वंस, नाश । अलवेलौ-देखो 'अलबेलौ' । (स्त्री० अलवेली) अळथा-वि० १ बहुत, अधिक । २ देखो 'प्रलता'। अलवौ-वि० (स्त्री० अलवी) १ चंचल, नटखट । २ निरर्थक अलद्ध-वि० [सं० अलब्ध] १ अप्राप्य । २ पृथक् अलग, भिन्न । बातें करने वाला। ३ अविश्वास पात्र । ४ अजीब । अळप-वि० ध्वनि रहित । अलस-पु० १ अजीर्ण रोग । २ देखो 'पाळस' । ३ देखो 'पाळमी' । अलप, (प)-वि० [सं० अल्प] थोड़ा, किचित् । -ता, ताई प्रलसक-पु० एक प्रकार का कुष्ट रोग । स्त्री० कमी न्यूनता । छोटाई, सूक्ष्मता, तुच्छता, अोछापन । अळसरणी, (बौ)-क्रि० १ पालस्थ करना, सुस्ताना । २ प्रमाद शैतानी। करना। अलपतौ-वि० (स्त्री० अलपती) १ चंचल, २ बदमाश, उदंड, अळसाक-देखो 'आळस' । उत्पाती। अलफ-पू० पिछले पांवों पर खड़ा होने का भाव या क्रिया। अलसारणा, (बी)-क्रि० १ आलस्य करना, सुस्ताना । २ मुरझाना, (घोड़ा)। कुम्हलाना। अलबत्त, (ता, त, ता)-कि० वि० (अ० अलबत्ता) १ निस्संदेह, अळसियो-पु० केंचुपा नामक बरसाती कीड़ा । बेशक, २ हालांकि, यद्यपि । ३ किन्तु, परन्तु, लेकिन, अळसी-स्त्री० [सं० अतसी] एक पौधा विशेप व उसके बीज । -वि० ४ किचित, न्यून । ५ कुछ, थोड़ा। अळसीड़ो-पु० कूड़ा कचरा, घास-फुस । अलबतौ-वि० १ घुमाया हया, हिलाया हुअा। २ उद्दण्ड । ३ देखो 'अलपतौ'। अळसूद-देखो 'अतरूज'। अलबेलियौ, अलबेलौ-वि० (स्त्री० अलबेली) १ छैल-छबीला, अळसेट-स्त्री० [सं० अलस] १ लापरवाही । २ सुस्ती, ढिलाई । बांका । २ सुन्दर, मनोहर । ३ बना-ठना । ४ अनोख।। ५ प्रल्हर, मन-मौजी। | अळसोटी पु० फसल के सार होने वाला घास । For Private And Personal Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 77 www.kobatirth.org चळ वि० [सं० प्रसफल] १ व्यर्थ निरर्थक २ लग पृथक्, भिन्न । अलहदी देखो 'लावदी' । अलहिया स्त्री० [कोमल स्वरों की एक रागिनी । अलहरी - पु० एक प्रकार का अरबी ऊंट । अलांग, अलांन पु० [अ० इलान] जिसके झाड़ बनते हैं । २ घोषणा ३ देखी 'चाल'। ( ७२ ) १ एक प्रकार का घास एलान श्रांणौ-पु० बिना चारजामा कसा ऊंट । लांबु - पु० [सं०] एक फल विशेष । अलांम वि० [प्रप्राम] १ बदमाग २ चंचल नटखट । ३ नीच, दुष्ट । ४ चालाक, वृत्तं । ५ बकवादी ६ चोर | अळा- देखो 'इळा' । बता देखो 'प्रवाह' । अळाईस्त्री० [सं०] १ गर्मियों की मौसम में शरीर पर होने वाली वारीक फुंसी । २ सुस्ती | ३ ग्राफत । ४ पोड़ों की एक जाति । लाखौ-देखो 'इलाको' | अलाग-स्त्री० लक्ष्य पर ठीक न लगने वाली बन्दूक | - वि० १ पृथक्, भिन्न । २ संक्ति रहित, विरक्त । - क्रि०वि० दूर फासले पर । - लाग- पु० नाचने का एक ढंग । धलादौ देखी 'सायद'। प्रलाप - देखो 'ग्रालाप' । लागीर - पु० मुसलमान । लागौ - पु० (स्त्री० [लागी ) १ नहीं लगने वाला । २ बिना लगाव का । ३ विरक्त । लाचारी-देखो 'ग्रालापचारी' | अलाज-१ देखो 'अलज्ज' । २ देखो 'इलाज' | (थ) देखो 'माळी' (बौ प्रलात सं० पु० [सं०] १ अधजला काठ । २ अग्नि-करण, अंगारा । ३ अग्नि समूह । ४ पलीता । ५ चक्र | -चकर, चक्र- पु० प्राग का घेरा, अग्नि वृत्त । एक नृत्य विशेष | लापरणी (बौ) - देखो 'आलापणौ ' ( बौ) । मालाब - वि० १ क्रोधित । २ लाल । ३ देखो 'लाव' | अलाबला, अलाय, ( बलाय ) - स्त्री० [फा०] १ इल्लत, आफत | २ व्यर्थ का झंझट । ३ बेकारी । श्रलायचा- देखो 'इलायची' । सायद वि० [अ० हवा ] (स्त्री० [नामदी) १ अलग पृथक् । fo To २ जुदा, न्यारा । ३ भिन्न । - क्रि०वि० एक तरफ, एक ओर, दूर। अलाव पु० [सं० धात] १ अग्नि-समूह या ढेर, अंगारा २ बड़ी प्राग । ३ कुम्हार का प्रावां । ४ जलती हुई लकड़ी, लुबाङ ५ यह लकड़ी जो दोनों घोर से जलाकर घुमाई जाती है । अलावा क्रि०वि० [अ०] सिवाय, अतिरिक्त । अलास - पु० गले का एक रोग । अलाह-1 - वि० १ लाभ रहित । २ विरक्त, वैरागी २ देखो 'बल्लाह'। अलाहिदो देसी 'प्रलावदी' श्रलिंग-वि० १ लिंग रहित । (द) २ दोनों लिंगों (स्त्री० नाहिदी) 1 २ चिह्न रहित । पु० १ ईश्वर में प्रयुक्त होने वाला शब्द | बलि पु० [सं० चलिः] १ भौरा भ्रमर । २ गरुड़ | ३ कोयल । ४ बिच्छु । ५ काक, कौश्रा । ६ वृश्चिक राशि । ७ मदिरा । वि० १ प्रतिशय, बहुत । २ चंचल | ३ देखो 'प्रालि' | - अळ - पु० भ्रमर, भौंरा । —क - पु० ललाट, माथा, भाल। - वि० निष्कलंक । पवित्र, शुद्ध । —केंदु-पु० ० शिव, महादेव – पवि० ग्रलिप्त, निर्लेप | -पद-वि० छः । --यळ- पु० समुद्र, सागर । भ्रमर, भौंरा । अग्नि, आग । - यार पु० योद्धा । - वि० मस्त । अलिकावळि, (ळी), अलियावळि, (ळी) - देखो 'श्रलकावळि' | ळियौ - वि० १ नटखट, चंचल । २ उद्दण्ड, बदमाश, शरारती । ३ व्यर्थ, बेकार । ४ बुरा, खराब। ५ बिना बीना हुआ (अनाज) । ६ बिना सफाई किया हुआ (सेत)। -पु० १ एक प्रकार का घास । २ फोड़ा । ३ केंचुआ । अलियो - वि० छैला, शौकीन । - भंवर-पु० शौकीन । श्रली- १ देखो 'अलि' । २ देखो 'प्राली' । ३ देखो 'अलिअळ' । ४ देखो 'अलियळ । - लोक वि० [सं०] १ ३ अप्रतिष्ठित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रलीलौ अलोत-वि० प्रलिप्त । अलीप्रभ ( प्रभा) - वि० श्याम | अलीबंध - पु० ढाल का बंधन । अलीमन पु० यवन, मुगल । श्रलीयळ - देखो 'अलियळ' | For Private And Personal Use Only मिथ्या, झूठा २ श्रप्रिय । पु० १ कुमार्ग । २ श्रमर्यादा । असीरा ( लीन) - वि० [सं०] १२नुपयुक्त " ३ नाजायज । अलील - पु० समुद्र, सागर । अलीलो पु० १ ईश्वर २ घोड़ा वि० [१] लीला रहित क्रीड़ा रहित । २ जो हरा न हो । Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अनाड़ www. kobatirth.org ( ७३ ) 2 अळुजाड़, (साड़, साड़ी) ० १ गुत्थी उलझन २ बाधाएं, (झाड़, - । कावटें । ३ अय्यवस्थित सामान का ढेर ४ झाड़ी समूह । ५ परस्पर उलझा होने की अवस्था या भाव। अळुज्झ स्त्री० उलझन, गुत्थी । वि० १ उलभत्र हुग्रा । २ फैला हुआ, व्यापक । अळवावरणौ (बौ) - क्रि० निद्रायुक्त होना, उनिन्दा होना । (ब) क्रि० किसी देवता के नाम पर संकल्प करके कोई वस्तु रखना । जाड़ी देखो 'जाड़' | " अलूक देखो 'उ' । अलूकी स्त्री० [सं० उलूपी ] मछली । अळून ( ) - स्त्री० उलभन । अळूजरणी, (बौ), अळूझणी ( बौ) - क्रि० १ उलझना । २किसी उलझन में फंसना । ३ फंसना, अटकना । ४ विवाद में पड़ना । ५ लड़ना, भिड़ना । ६ ध्वस्त होना । ७ लपेट में श्राना कठिनाई में पड़ना । प्रेम में फंसना १० समस्या में पड़ना । अलोकिक देखो 'अलौकिक'। । सोखी (बी) - देवो मोळखी (बी) । लोच देखो 'मालोच अळूजारौ, (बौ) अळूझारणी ( बौ) - क्रि०१ उलझाना | २ किसी उलझन में फंसाना । ३ फंसाना, अटकाना । ४ विवाद में पटकना । ५ लड़ाना, भड़ाना | अळूझाड़, (डौ) - देखो 'प्रळ जाड़' । अतुल वि० [सं०] अलावलिक] (स्त्री० [बी) १ नमक रहित, प्रलीना फीका २ नीरस, सारहीन ३ लावण्य या कान्तिहीन ४ विना ऊन कटी (भेड़) | अळूधरणी, (बौ) - क्रि० फंदे में फंसना, उलझना । अळूधाली (बी) कि० पदे में उलझाना अलूप देखो 'अलोप' । वि० ऊल-जलूल उटपटांग 1 १ जो लेख, ( खां, खू) - वि० [सं० श्र + लिखु, अलेख्य ] लक्ष्य न किया जा सके । अज्ञेय, दुर्बोध । २ जो लिखने योग्य न हो । ३ गरिणत, अपार । ४ -पु० १बुरा २ ईश्वर श्रलेखी - वि० १ प्राततायी अन्यायी । २ असंख्य श्रमरित । दृश्य । ५ व्यर्थ | | प्रहरी - ० एक ककुद वाला अरवी ऊंट । लोक - वि० [सं० + लोक] १ निर्जन । २ जो इस लोक से संबंध न रवसे । ३ अदृश्य पु० १ पातालादि लोक । २ कांति, दीति प्रभा । ३ देखो 'प्रतीकिक' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोज - वि० स्वस्थ, निरोग 1 लोणी (बी) क्रि० [सं० प्रान] १ मिलाना, मिश्रित करना । २ आटा, मैदा आदि में पानी डालकर गीला करना । लोप - वि० [सं० प्रलुप्त ] १ लुप्त, अन्तर्धान, अदृश्य । २ श्रप्रगट, गुप्त । - पु० परमेश्वर, ब्रह्म । लोणी (लौ) - १ उल्लंघन करना, लांघना । ३ लुप्त होना । अलोम - वि० [सं०] लोम या बाल रहित । प्रलय वि० [सं० प्रलोचन] १ ख रहित नेत्रहीन | २ ग्रनुचित | सोळ- वि० [सं० प्रलोल] १ स्थिर, अचल २ हद, पक्का ३ युवा, जवान । लोणी (लौ) - देखो 'लोगो' । मलोह वि० १ शस्त्रों के घावों से रहित २ शस्त्ररहित लोहित - पु० लाल कमल । अलौकिक - वि० [सं०] १ जो इस लोक का न हो, लोकोत्तर । २ अद्भुत, मनीषा | ३ अपूर्व अद्वितीय । ४ चमत्कारिक । ५ श्रमानुषी, देवी । ६ दिव्य | अल्प, (क, अल्पी) - वि० [सं० अल्प] १ बहुत कम, अत्यल्प । २ न्यूनतम ३ तुच्छ छोटा जीवी वि० बल्पायु यस्य वि० [सं० अल्पश] १ कम बुद्धि वाला २ सीमित ज्ञान वाला । ३ नासमझ । ता स्त्री० नासमझी । ज्ञान की कमी । अल्पता स्त्री० [सं०] कमी, छोटापन, न्यूनता । अल्पायु - वि० [सं०] कम आयु वाला । प्रत्यंग पु० बालिंगन । अल्ल- देखो 'अल' । अल्लांम देखो 'अलांम' । अल्ला, (ह) - पु० [० ] ईश्वर, खुदा । 1 देखो उल्लू' । श्रव प्रलेप वि० १ निलिप्त, विरक्त । २ निर्दोष | अळेवरण । पु० [सं०] लेपन] १ सामग्री सामान २ वैभव अल्हड़ वि० १२ मनमौजी मस्त धनग । ३ | 1 धन । ३ शरीर की बनावट । ४ ढंग । वि० [१ लेन-देन रहित २ विरक्त ४ भोला पण पसो १० लापरवाही मस्ती । भोलापन । - बल्हड़ - अनु० ० प्रंट-संट । सवंडी-वि० [सं०] १, सीपा २ ब सरल । ३ निधड़क, वीर । या स्त्री० एक रागिनी । - For Private And Personal Use Only 1 (ति) अतिका ती स्त्री० [सं० पतिः पती] उज्जैन नगरी का प्राचीन नाम । अ० [०] एक उपजो निश्वय अनादर ग Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवर नीवाई आदि अर्थों का बोध कराता है। -प्रत्त-देखो ९ मारना । १० चलाना । ११ ध्वस्त करना, नाश करना। 'अव्यक्त' । -कंद, (ध)-पु० १ डाकू । ३ वीर, बहादुर । १२ टटोलना । १३ तपासना, जांच करना। ----कर--पु० कचरा, कूड़ा करकट । -कार-वि० विकार अवगुठन-पु. १ घूघट । २ पर्दा, आवरण । ३ छिपाव । रहित । -पु० ईश्वर । -कास-पु० समय । अवसर । अवगुण-पु० [सं०] १ दोष, बुराई, ऐब । २ दुर्गुण, बुरे गुगा । छूटी। खाली समय : आकाश । शून्य स्थान । दूरी, -वाद-पु० निन्दा। फासला। -कीरण-वि० फैलाया या छितराया हुआ। अवगुणगारौ (नौ)-देखो 'प्रोगुणगारी'। ध्वस्त, नष्ट । -कीरणी-वि० वृत्त तोड़ने वाला। अवगुणी-वि० १ दोषी, ऐबी, । दुर्गुणी। २ कृतघ्न, कुकर्मी। अवकी देखो 'अबकी' । अवग्या-स्त्री० [सं० अवज्ञा] १ आज्ञा की उपेक्षा, अवहेलना । प्रवक्कीबांरण-स्त्री० [सं० अवाच्यवचन] न कहने योग्य वचन २ अपमान, अनादर । ३ पराजय, हार । ४ एक अलंकार या वागणी। विशेष । अवक्र-वि० [सं०] जो वक्र न हो, सीधा । सरल, सहज । | अवग्रह-पु० [सं० अवग्रहः] १ रुकावट, अड़चन, रोक, बाधा। अवखय-वि० अक्षय । (जैन) २ गज समुह । ३ हाथी का माथा । अवखळणी (खळ्ळ)--देखो 'पोखळणौ' । अवघट-देखो 'प्रोघट। प्रवखारण, (पो)-देखो 'उखांणी' । अवड़ी-१ देखो 'मोहड़ौ'। २ देखो 'प्रवडो' । प्रवखा-स्त्री० [सं० अभिख्या] १ नाम । २ कीर्ति, यश । अवचळ-देखो 'अविचळ' । ३ चमक-दमक सौन्दर्य । अवचार-देखो 'ग्राचार' । अवखाळणी-वि० १ प्रसिद्ध । २ वीर, बहादुर । अवचीत-वि. अचितित । -क्रि०वि० अचानक, अकस्मात । अवगत, (त्त)-वि० [सं० अवगत] १ विदित, ज्ञात । । अवछन-वि० [सं० अविच्छिन्न] १ जो अलग-अलग न हो, टुकड़ों ३ जाना हुया, परिचित । ३ गिरा हुआ। ४ अज्ञात । में न हो । बिना टूटा । २ सीमा बद्ध । ३ अविभाजित । ५ विचित्र, अद्भुत । -पु० १ विष्णु । २ ईश्वर । ३ वेग । ४ बाधारहित, निर्बाध । ५ निरन्तर, लगातार । ६ विशेष ४ लीला, रचना। ५ अधोगति । गुणयुक्त । ७ गुप्त । अवगति-स्त्री० [सं० अवगतिः | १ बुद्धि, समझ, ज्ञान । अवछर, (रा)-देखा 'अपसरा' । २ धारगगा। ३ बुरी गति । ४ देखो 'अवगत'। प्रवछळ-वि० [सं०अविचल] १ अटल, अविचलित । २ निरन्तर । अवगन-पु० [सं० अपगुन] १ ईश्वर । २ निर्गुण । ३ स्थाई। ४ कपट या छन रहित । अवगाढ़-पु० [सं०] युद्ध, समर । -वि० १ वीर, वहादुर । ग्रवछाड़ देखो 'यौछाड़'। २ प्रबल, ममर्थ, शक्तिशाली । ३ गंभीर, महान । अवछारणौ (बौ)-कि० छाना, पाच्छादित करना/होना। ४ निमज्जित । ५ छिपा हुया । ६ घना, गाढ़ा । अवछाह-पु० [सं० उत्साह] उत्साह, जोश, खुशी। ७ अथाह, गहरा। अवजझा--देखो 'अयोध्या'। अवगात वि० निष्कलंक, बेदाग । अवजाती, (जीत) -पु० [सं० अपजाति] शत्रु, बैरी । प्रवगाळ पु० [मं० उद्गार) १ ताना, व्यंग । २ कलंक, दोष । अवजास -देखो 'उजास'। ३ निन्दा । ४ शर्म, लज्जा । ५ देखो 'योगा'। अवजासणी (बौ)-देखो ‘उजासगी' (बौ) । प्रवगाह-० [सं०] १ हाथी का ललाट । २ युद्ध । ३ कठिनाई। अवजोग-देखो 'अपजोग'। ४ संकट का स्थान । ५ अवगाहग । अवज्ज-देखो 'नावाज'। प्रवगाहण, (न)-पु० [सं० अवगाहन] १ स्नान, निमज्जन । अवज्झड़, अवझड़, (झाड़)-देखो 'ग्रीझाड़'। २ जल में डुबकी या गोता। ३ लीन होने या तल्लीन होने अवझाडौ , (बौ)-देखो 'पौझाड़गगो' (बौ)। की क्रिया। ४ खोज, छानवीन । ५ ग्रहण । ६ अथाह जल । अवरक-देखो 'उपटक' । ७ गहरा स्थान । प्रवट-क्रि०वि० [सं० अवम] १ बिना रास्ते, बेरास्ते । अवगाहणौ, (बौ)--कि० १ नहाना, म्नान करना । २ डुबकी २ कुमार्ग में।-पु०१ कुमार्ग, कुराह । २ रास्ते का प्रभाव । या गोता लगाना । ३ लीन या तल्लीन होना । ४ खोज ३ पाताल । ४ प्रायु, उम्र । ५ गर्व, घमंड । ६ गड्ढा । या छानवीन करना। ५ ग्रहण करना । ६ देखना, ७ हाथी को फंसाने का गर्त । ८ बुरी दशा । विचारना । ७ पार करना । ८ हिलाना, विचलित करना। --दि० असीम, अपार । For Private And Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवटरणी ( ७५ ) अवधू प्रवटणौ, (बौ)-क्रि० [सं० अपवर्तयति] १ युद्ध करना । अवदंस-पु० [सं० अवदंशः] १ मद्यपान पर अच्छा लगने वाला २ घूमना, फिरना । ३ चक्कर लगाना। ४ देखो 'पावटणौ'। नमकीन पदार्थ । २ गजक । ३ बलवर्द्धक पदार्थ । प्रवटारणी, (बौ) (वरणौ, बौ)-क्रि० [सं० अपवर्तापयति] | अवदान-पु० [सं० अवदान, अपदान] १ अच्छा कार्य । १ उबालना । २ ताप देकर द्रव पदार्थ को कम करना । २ शुद्ध पाचरण । ३ तोड़-फोड़, खण्डन । ४ त्याग, उत्सर्ग । ३ हैरान करना। ५ कुत्सित दान । ६ वध । ७ आच्छादन । अवठारणौ (बौ)-क्रि० पराजित करना, हराना। देखो 'अवटारगो' अवदात, (दीत)-वि० [सं० अवदात] १ साफ, स्वच्छ । अवठौ-वि० कटु । कड़ा । तीक्ष्ण । -पु० उपालंब । कटु शब्द । २ सुन्दर । ३ बेदाग । ४ सफेद । ५ पीला । ६ शुभ्र, • अवड, (ढ), अवढ़ियौ-वि० जो कटा न हो। उज्ज्वल । ७ चितरंगा । ८ पुण्यात्मा । ९ शुद्ध, निर्मल । प्रवडौ, (ढौ)-सर्व० (स्त्री० अवडी, अबढ़ी) १ ऐसा । २ इतना। -पु० [अवदातः] १ हंस । २ एक मात्रिक छंद । -वि० १ बहुत बड़ा। २ भयंकर । ३ विचित्र । ४ कठिन, ३ शुल्क वर्ण, गौरवर्ण । ४ श्रेष्ठता । ५ चरित्र । दुर्गम । ५ टेढ़ा, तिरछा । ६ संकटमय । ६ नतीजा, परिणाम । -चळ-पु० हंस । प्रवरणासी-देखो 'अविरणासी'। अवदारण (क)-पु० [सं०] १ फावड़ा। २ कुदाल । ३ खुरफा । अवरिण (पी)-देखो 'अवनि'। अवदाळ-देखो 'अबदाळ' । अवदिसा-स्त्री० [सं० विदिशा] १ विपरीत दिशा । २ दिशा । अवतंस-पु० [सं०] १ भूषण, अलंकार । २ शिरोभूषण टीका । ३ सिरपेच । ४ श्रेष्ठ व्यक्ति । ५ दूल्हा । ६ सबसे ३ दिशाओं के बीच का कोण । उत्तम हार । ७ मुकुट । -वि० निष्कलंक, पवित्र । प्रवदीक-पु० युद्ध, समर । अवदोह, (ण)-पु० [सं० प्रवदोहः] १ दूध । २ दोहन । अवतमस-पु० [सं० अवतमसम्] अंधेरा, तम । प्रबद्ध-देखो 'अबद्ध'। अवतरण-पु० [सं० अवतरणम्] १ तरना, उतरना, पार होना। | अवद्या-देखो 'अविद्या'। क्रिया । २ जन्म ग्रहण करना। ३ अवरोहण । ४ नमूना। | अवध, (धि, धी)-स्त्री० [सं० अयोध्या] १ अयोध्या नगरी । ५ प्रतिकृति, नकल । ६ प्रादुर्भाव, उदय । ७ उद्धरण । २ अवध की भाषा । [सं० प्रायुध] ३ शस्त्र, अस्त्र । अवतार। [सं० अवधि] ४ अवधि, समय । -क्रि०वि० अल्प काल अवतरणी-स्त्री [सं०] १ ग्रंथ की भूमिका, प्रस्तावना ।। के लिये । -ईस, नरेस, पति, पती, राज-पु. अवधेश, २ परिपाटी । श्रीरामचन्द्र । अयोध्या के राजा । -पुर, पुरी-स्त्री० अवतरणौ (बौ)-क्रि० [सं०अवरतणम्] १ प्रगट होगा। २ उत्पन्न अयोध्या नगरी। होना, जन्म लेना । ३ अवतार लेना। ४ पार होना, तरना। | अवधांन-पु० [सं० अवधान] १ चित की एकाग्रता, मनोयोग । ५ उतरना । ६ उदय या प्रादुर्भाव होना। ७ उद्धरित होना । २ समाधि । ३ सावधानी, चौकसी । [सं० प्राधान] अवतार (रौ)-पु० [सं०] १ ईश्वर या किसी देवता द्वारा ४ गर्भ। [सं० अभिधाम्] ५ नाम । ६ कथन, निरूपण । शरीर धारने की अवस्था । २ जन्म । ३ नीचे पाना या अवधा-स्त्री० [सं० अभिधा] १ नाम । २ अभिधा । उतरना क्रिया । ४ आगमन । ५ प्रादुर्भाव । ६ आकार । अवधार-पु० [सं० अवधारः] १ सहायक, रक्षक । २ निश्चित, ७ चौबीस की संख्या । ८ दश की संख्या । निर्णय । ३ निश्चित मत । अवतारणौ (बौ)-क्रि० [सं० अवतारणम्] १ ईश्वर या देवता | अवधारण-वि० सीमा बद्ध करने वाला, बंधन बांधने वाला । का शरीर धारण करना । २ द्विव्य शक्तियों सहित | अवधारणौ (बौ)-क्रि० [सं० अवधारणाम] १धारण करना । जन्मना । ३ नीचे पाना, उतरना । ४ आगमन होना।। ग्रहण करना । २ मानना, स्वीकार करना । ३ पूजन ५ प्रादुर्भाव होना । ६ रचना करना । करना । ४ नमस्कार करना । ५ विचार करना, निश्चय अवतारी-वि० [सं०] १ अवतार लिया हुआ । २ दिव्य शक्ति करना । ६ सहायता करना । सम्पन्न । अवधि, (धी)-स्त्री० [सं० अवधि:] १ समय, काल । २ मियाद । प्रवतौका - स्त्री० [सं० अवतोका] वह स्त्री या गाय जिसका ३ अंत समय । ४ सीमा। ५ अयोध्या । ६ अवध प्रदेश की कारणवश गर्भपात हुअा हो। भाषा। -ग्रव्य तक, पर्यन्त । -ग्यांन पु० अतीन्द्रिय ज्ञान । प्रवत्यी-स्त्री० [सं० अपस्थानम् ] पराजय, हार । -मान-पु० सागर, सिंधु। प्रवथरि, (री)-क्रि० वि० तीव्र वेग से । | अवधू, अवधूत-पु० [सं० अवधूतः] १ योगी, संन्यागी । For Private And Personal Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रवधेस www.kobatirth.org ७६) २ त्यागी पुरुष । ३ तन्मतानुयायी साधु । ४ दशनामी संन्यासी, गोस्वामी । वि० कंपित उदासीन । मस्त । ( स्त्री० अवतरण अवधूतांगी) । | " वस (२) पु० [सं० प्रवपेश, अवधेश्वर ] १ श्रवधपति २ श्रीरामचन्द्र । Marat, श्रवध्य - वि० [सं० अवध्य] १ जो वध करने व मारने योग्य न हो। २ अनाहत | श्रवध्वंस - पु० [सं०] १ त्याग, परित्याग । २ करना । ४ संहार, नाश । ५ असम्मान, श्रवन- देखो 'अवनि' । अवनत - वि० [सं०] १ झुका हुआ । २ गिरा हुआ, पतित । ३ नम्र । ४ दुर्दशाग्रस्त । ५ अस्त | ति (सी) स्त्री० [सं०] १ अधोगति, पतन २ मा ३ झुकाव । ४ न्यूनता, कमी । ५ प्रणाम, नम्रता । ६ ग्रस्त होने की क्रिया । अवना देखो 'सनद' । अवनि, अवनी - स्त्री० [सं० प्रवनि] १ पृथ्वी, धरती । २ नदी । ईस पु० राजा । नाथ पु० - ईस - पु० राजा । - नाथ- पु० पत, पति, पती--राजा, नृप । । भ्रमर पु० ब्राह्मण पृथ्वी पति, राजा । प, अवनीत - वि० [सं०] प्रविनीत ] अविनम्र । प्रशिष्ट । (जैन) । अवनीता स्त्री० [सं० + विनीता] कुला। श्रवन, (ar) - देखो 'अवनि' । भव भव० [सं० [स] १ कामदेव २ ईश्वर । पाटिक ० पुरुद्रिय संबंधी रोग श्रवपात पु० [सं० प्रवपातः ] १ हाथियों को फंसाने का गड्डा । २ पतन, ग्रध: पतन । श्रवबोध - ० १ जागन । २ बोध, ज्ञान । श्रवभांमिनी-स्त्री० [सं० श्रवभामिनी] ऊपरी त्वचा । व० [सं०] ] १ यज्ञ के बाद काले कर्म । २ यज्ञान्त स्नान । श्रवमरव - पु० [सं० श्रवमर्दः ] युद्ध लड़ाई । प्रहरण- पु० एक प्रकार का ग्रहण | , श्रवयव - पु० [सं०] १ अंश भाग हिस्सा । २ शरीर के अंगप्रत्यंग । ३ तर्क पूर्ण वाक्य का एक भेद । निंदा । ३ कचूमर | श्रवरी - स्त्री० १ कुमारी कन्या । २ अप्सरा । ३ नाग कन्या । भर्त्सना । ४ सुसज्जित सेना । श्रवर - वि० [सं० प्रवरः ] १ ग्रायु में छोटा । २ अनुवर्ती । ३ अपेक्षा कृत नोचा, घटिया । ४ नीच । ५ देखो 'अपर' । ज-पु० छोटा भाई । शुद्र, नीच । श्रवरजा स्त्री० छोटी बहन । श्रवररणवाद - पु० निन्दा (जैन) । वरती स्त्री० [सं० प्रवर्ती] घोड़ी। प्रवरळ - देखो 'अविरळ' । प्रवरण, (णी) - वि० [सं० प्रवर्ण] १ व रहित । २ रंगरहित ३ बदरंग । ४ नीयन जाति वाला । -वरण-पु० ० ईश्वर | अवरसरण (सौ) पु० [सं० प्रवर्षण] दुष्काल धनावृष्टि अवरसर- पु० [सं०] अवस] १ जासूस, भेदिया । २ राजदूत, एनबी वराह देखो 'अपराध' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रवलाद , अवरेख पु० [सं० प्रयलेख] १ लेख लेखन २ विचार, ध्यान ३ प्रतिज्ञा । ४ लकीर पंक्ति । ५ निश्चय । श्रवखरणी ( बौ) - क्रि० १ देखना, अवलोकन करना । २ लिखना । ३ विचार करना, सोचना, अनुमान करना । ४ निश्चय करना । ५ प्रतिज्ञा करना । अवरेण - वि० अन्य दूसरा, पराया । श्रवरेब - स्त्री० १ कपड़े की तिरछी काट, उरेब । २ पेंच, उलझन । अवरोध, (न) - पु० [सं०] १ रुकावट, रोक । २ बाधा, अड़चन । ३ घेरा । ४ ग्रन्तःपुर । ५ अनुरोध । क- वि० बाधा डालने वाला, बाधक । वळाई देखो 'वाई'। अवलाद - देखो 'ग्रौलाद' । वशेष० [सं० प्रवरोपण] उपाड़ना किया। अवरोसौ-देखो 'अभरोसो' । अवरोह ० १ उतार २ पतन ३ सीटी, सोपान ४ स्वरों - का उतार । ' (लंबलंबन ) - १० [सं०] १ प्राश्रय, सहारा , २ सहायता । ३ संरक्षण । ४ प्राधार । ५ पांच प्रकार के कफ में से एक । प्रवल बरौ (ब) - क्रि० ९ श्राश्रय या सहारा लेना । २ सहायता लेना । ३ संरक्षण प्राप्त करना । ४ आधार पाना । ५ लटकना । संवत वि० [सं० विलंबित शीघ्र तुरन्त । पु० वेग 1 अवलंबित वि० [सं०] १ आश्रित । २ प्राधारित । ३ लटका हुआ । ४ संरक्षित । अवलंबी- वि० १ सहारा, २ संरक्षक | आश्रय देने वाला । सहायक । प्रवल - वि० [अ०] अव्वल ] १ प्रथम, सर्व प्रथम । २ उत्तम, श्रेष्ठ । ३ पहला । क्रि०वि० प्रादि या प्रारंभ में । श्रवळणौ (बौ) - क्रि० १ वापस मुड़ना, लौटना । २ न लौटना । अवळा- देखो 'अवळा' | For Private And Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रबलियौ ( ७७ ) सिध्ध, सुध - वि० समय पर कार्य सिद्ध करने वाला । युद्ध में विजयी । वीर गति प्राप्त करने वाला । अवसान - ० १ भोजन २ युद्ध देखो 'वसांरा' । श्रवसाऊ - वि० श्रावश्यक, जरूरी। -क्रि०वि० अवश्य । अकस्मात । अवसाद (न) - ० [सं०] अवसाद] १ विषाद, दुःख २ दीनता ३ नाश, क्षय । श्रवसाप - देखो 'प्रोसाप' | श्रवसायिता स्त्री० अष्ट सिद्धियों में से एक । प्रवसि (सी) - १ पराधीनता । २ असहाय अवस्था । ३ देखो 'अवस्य' । 1 अवसे ( पन) पु० [सं०] १ उबटन, मालिश २ लेपन । ३ पुताई । ४ उपर्युक्त कार्य संबंधी पदार्थ । श्रवसिस्ट - वि० [सं० श्रवशिष्ट ] बचा हुआ शेष । अवलेह-पु० [सं०] १ चटनी, माजून । २ गाढ़ा द्रव पदार्थ । अवसेख - क्रि० वि० प्रवश्यमेव । - वि० [सं० अवशेष ] १ बचा ३ लेई । हुआ । २ देखो 'अभिसेक' । प्रवळं-देखो 'ओळ" । २ अन्त समाप्ति । । श्रवसेचरण - पु० [सं०] १ सींचन, पानी देना । २ पसीना । लोकरण (ब)- कि० १ देख-भाल करना। २ निरीक्षण अबसेस पु० [सं० [अवशेष ] १ शेष, बाकी करना । ३ दृष्टिपात करना । श्रवलोकनन पु० । [सं०] १ देख-भाल । २ निरीक्षण । - वि० १ बचा हुआ । २ धर्म रहित समान । ५ देखो 'अभिसेक' । अवस्कंद पु० [सं० अवस्कंद] १ सेना का पड़ाव, शिविर । २ अाक्रमण, हमला | ३ दृष्टिपात । अवस्ता अवस्था स्त्री० [सं० अवस्था ] १ दशा, हालत । २ परिस्थिति । ३ श्रायु, उम्र । ४ जीवन की आठ दशायें । ५ चार की संख्या । अवलिश्री, प्रवलियो - वि० १ महान, श्रेष्ठ । २ उदार । - पु० सिद्ध पुरुष - पातसा, पुरख पुरस- पु० ब्रह्मज्ञानी सिद्ध पुरुष । मस्ताना । , अवळी-१ देखो 'अंवळी' । २ देखो 'ओोळी' । ३ देखो 'अमली' । बळीमांस देखो 'मीम'। प्रवचन - पु० [सं०] १ काटना क्रिया । २ छेदना क्रिया । ३ उखाड़ना या नोचना क्रिया । अवळ (डी) - देखो 'पोळ' । देखो 'बळी'। श्रवळी- देखो 'श्रंवळी' (स्त्री० प्रवळी) । अवल्ल - देखो 'अवल' । www.kobatirth.org अववेल - स्त्री० ० सहायता मदद | श्रवस - वि० [सं० प्र + वश] १ विवश, लाचार । २ पराधीन । २ समर्थं । ४ बेकाद् ५ देखो 'सवस्व' -ता- स्त्री० विवशता, लाचारी । पराधीनता । , अवस्य क्रि०वि० [सं० प्रवश्य] १ निस्सन्देह, जरूर अवश्य ! २ सर्वथा संभव । ३ निश्चित रूप से । " श्रवसपिरिण- देखो 'अवसरपिणी' । अवस्स- १ देखो 'प्रवस्य' । २ देखो 'अवस' । समिव भवसमेव क्रि० वि० [सं० यवश्यमेव] निश्चय अवस्सांख १ देखो 'अवसांण' २ देखो 'अवसान' । ही अवश्य ही । स० [सं०] अवश्याय[ बर्फ, पाला, हिम 1 श्रवसर - पु० [सं०] १ समय । २ मौका । ३ अवकाश, फुरसत ४ विश्राम, विराम । ५ महफिल, सभा ६ प्रस्ताव । ७ मंत्र विशेष । ८ वार, दफा । - क्रि०वि० भीतर, अंदर । -वादी वि० स्वार्थी । मौके का फायदा उठाने वाला । - अवसरव० [सं० [अस] श्रवसरप-पु० २ राजप्रतिनिधि ३ एलबी श्रवसरपणी - स्त्री० [सं० श्रवसर्पिणी ] दश कोड़ाकोड़ी सागरोपम । प्रमाण ( समय ) समय-समय पर हानि दिखलाने वाला छ: आरा परिमित काल विभाग, उतरता समय ( काल ) (जैन) । सांग, (ख) (सांन) - पु० [सं० [अवसान] १ अवसर मौका २ समय । ३ विश्राम, विराम, अवकाश । ४ अंत | ५ सीमा, हद ६ मरण मृत्यु । ७ सायंकाल ८ चेतना, होण, संज्ञा । ९ एहसान । १० युद्ध | --सद, सध, सिद्ध, श्रवसर्प १ गुप्त दूत । जासूस - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवांतर - क्रि० वि० [सं०] मध्य, भीतर 1 वारियां धारिये देखो 'वारियां'। सवाई श्रवहरण-पु० १ दूर हटाना । २ चुरा लेना । ३ लूट लेना । ४ सेना का पीछे हटकर ठहरना ५ देखो 'अपहरण' । श्रवहार - पु० [सं० अवहारः ] १ बंधन । २ नक्र, मगर । ३ चोर । ४ शर्क मछली । अवहि-देखो 'अवधि' । अवहित्वा अवहिया स्त्री० [सं० प्रवहित्वा ] साहित्य का एक संचारी भाव । वहनांस देखो 'अवधिग्यांन श्रवहेलरण (न, ना ) अवहेला - स्त्री० [सं० ग्रवहेलना ] १ श्रवज्ञा । २ तिरस्कार, अपमान । ३ लापरवाही । - For Private And Personal Use Only ३ भेदक । ४ तुल्य अवांस देखो 'प्रवास' । अवाई - स्त्री० १ आगमन । २ खबर, संदेश ३ ध्वनि शब्द । ४ गहरी जुताई । Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रवाक ( 15 ) श्रवाक, ( कि, की ) - वि० १ विस्मित, स्थंभित । २ चुप, मौन । श्रविकार वि० [सं०] १ विकार रहित, निर्विकार । २ निर्मल, पु० शत्रु, वैरी 1 ब्रह्म । स्वच्छ । ३ पवित्र । ४ जन्म-मरणादि से रहित -पु० १ विकार का प्रभाव । २ ईश्वर, अविकारी - वि० [सं०] १ जिसमें कोई विकार न हो । २ परिवर्तन शून्य । ३ अविकृत । ४ सदा एक रस रहने वाला पु० ईश्वर ब्रह्म ३ बहादुर, बलवान । ४ ग्रप्रामाणिक प्रवाड़ - पु० चोरों के पद चिह्नों की खोज । अवाड़ी (ड.) नि० चारों के पद चिह्नों की खोज करने वाला । - पु० चिकित्सक www.kobatirth.org श्रवाड़ी पु० १ कूऐ के समीप बना पशुओं के जल पीने का स्थान । २ देखो 'उवाड़ी' । श्रवाचक - पु० काव्य का एक दोष । श्रवाचा पु० वादा या वचन का निरस्तीकरण । प्रवाति (ची० [सं० प्रावि] दक्षिण दिशा । श्रवाच्य - वि० [सं०] १ जो कहा न जा सके, अकथ्य । २ प्रनिंदित ३ विशुद्ध ४ मौनी, चुप। ५ नीच, अधम । - पु० कुवाक्य, गाली । प्रवाज देखो 'प्रावाज' । अवाड, (ड) - वि० १ विपरीत, विलोम, उल्टा । २ द्वेष रखने वाला । ३ बुरा । यात वि० [सं०] जहां वायु न लगे वातन्य । प्रवादी पु० मियाद, अवधि । श्रवाप - पु० [सं० प्रावापक] कर-भूपगा, कंगन । प्रवार - देखो 'वार' । प्रवारणौ (बौ) - देखो 'वारणा' (बौ) । वारु' (रु) देखो 'पवार'। प्रवारयां प्रवार देखो 'वारियां'। श्रवाळ - १ रहट के चक्रों के कंगुरेदार भाग के मिलने की क्रिया । २ रहट के चक्र के मिरे । ३ जल प्रवाह के साथ ग्राने वाला कूड़ा | श्रवाळा- देखो 'प्रवाड़ी' । प्रबास - वि० १ ग्रावास रहित । २ गंध रहित । - पु० [सं० उपवास] १ व्रत, उपवास, लंघन । २ देखो 'ग्रावास' | ३ देखो 'ग्राभास' । वाहों का बना बड़ा चूल्हा, भट्टी २ वर्तन पकाने का कुम्हार का श्रावां । ३ योगिनी का खप्पर - वि० जिस पर प्रहार न हो सके क्रि०वि० [सं०] अनाथ] निरंतर, लगातार । प्रवाह देखो 'प्रवाह' । अविद ( विद्य) - वि० अछिद्रित, अविद्ध , श्रवि पु० [सं०] १ बकरा । २ भेड़ | अट, अट्ट, अट्ठ आट पु० युद्ध योढा, वीर शुण्ड समूह बन स्त्री० तलवार, कृपारण। वि० ललित, मनोहर । - प्रविद्धवि० [सं०] अविकल] १ ज्यों का त्यों परिवर्तनरहित । २ सम्पूर्ण पूरा ३ नियमित । ४ निरन्तर । ५ निश्चल, शांत ५ व्याकुल । ६ वीर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रविकुळ (ल) - वि० पूर्ण पूरा विगत, (ति, ती ) - वि० १ जिसकी गति जानी न जा सके । २ जो नष्ट न हो । ३ शाश्वत, नित्य । - पु० ईश्वर 1 प्रविग्रह - वि० १ जो स्पष्ट रूप से जाना न जा सके । २ निराकार । अविचळ - वि० [सं० अविचल ] १ अचल, अटल । २ अमर । ३ स्थिर । ४ जो विचलित न हो, निडर, धीर, वीर । प्रविचार पु० [सं०] १ विचार का प्रभाव। २ अविवेक । ३ अन्याय । अविच्छिन्न- वि० [सं०] १ अटूट, अखंड । २ निरन्तर, लगातार । प्रविच्छेद पु० [सं०] अखण्डता निरन्तरता । - प्रविडौ- वि० १ दुर्गम टेडामेडा | २ वीर, बांकुरा । ३ देखो 'अवढ़ौ' । प्रवास (नास) - ५० [सं० अविनाश] १ विनाश का विपर्याय। २ अक्षयता स्थायित्व । ३ ईश्वर, ब्रह्म । प्रविशासी, (मासी) वि० [सं० अविनाशी ] १ जो नाथ को प्राप्त न हो, अक्षय, अमर । २ नित्य, शाश्वत । - - पु० १ ईश्वर, परमात्मा । २ शिव । प्रविभ्रस्थ श्रवितंस - देखो 'अवतंस' । विदित - वि० [सं०] श्रज्ञात । गुप्त । प्रविध- देखो 'अवधि' | प्रविधांन पु० १ विधान का अभाव नियम का प्रभाव । २ देखी 'अभिधान' | प्रविधा- देखो 'अभिधा' । विधूत देखो 'भूत'। श्रविन - देखो 'अवनि' । , अविनय पु० [सं०] १ अशा अनम्रता | २ उद्दण्डता, उ खलता । ३ अशिष्टता । For Private And Personal Use Only अविनासी वि० [सं० अविनाशिन्] १ जिसका नाश न हो, अनाशवान । २ अक्षय, नित्य, शाश्वत पु० १ ईश्वर, परब्रह्म । २ जीव । ३ प्रकृति । 1 प्रविनीत - वि० [सं०] जो नम्र न हो, ढीट, अशिष्ट । प्रविबुध पु० [सं०] प्रदीप राक्षस प्रविभक्त-वि० जिसका विभाजन न हो। २ संयुक्त अवस्य विधेयंत पु० साहित्य का एक दोष । Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवियट प्रसंजती अवियट, अवियाट-देखो 'अविअट' । अवैतनिक-वि० बिना वेतन कार्य करने वाला। अविरथा-क्रि०वि० वृथा, फिजूल । अवोडौ-देखो 'पोहड़ौ। प्रविरळ-वि० [सं० अविरल १ मिलाहा, अपृथक । अवोचरण (न)-पु०[सं० प्रवंचन] पर्दानसीन औरतों के शिर पर २ अभिन्न । ३ घना, सघन । ४ निरंतर, लगातार प्रोढ़ने का श्वेत वस्त्र । ५ स्थूल, मोटा । ६ जिसमें टूट या व्यवधान न हो। अव्यक्त-वि० [सं०] १ जो प्रत्यक्ष न हो, अप्रत्यक्ष । २ अदृश्य, अविरांम-क्रि०वि० [सं० अविराम] १ बिना रुके । २ बिना अगोचर । ३ अज्ञात । ४ अनिर्वचनीय । ५ अस्पष्ट । विश्राम किये । ३ निरंतर, लगातार । ४ शीघ्र, जल्दी। ६ अप्रकाशित । ७ अनुत्पन्न । ८ अचिन्त्य । ९ जो अवगत अविरद्ध-वि० [सं०] १ जो विरुद्ध न हो, पक्ष में । २ स्पष्ट । न हो । -पु० [सं० अव्यक्तः] १ विष्णु । २ शिव । अविरोध-पु० [सं०] १ विरोध का अभाव । २ मैत्री । ३ साम्य, ३ कामदेव । ४ मूल प्रकृति (सांख्य) । ५ परमात्मा । सादृश्य । ४ एकता। ६ ग्रात्मा। ७ क्रिया रहित ब्रह्म, जीव, सूक्ष्म शरीर । अविलंबत-क्रि०वि० शीघ्र, तुरन्त । अव्यय-वि० [सं०] १ सदा एकसा रहने वाला । २ अविकारी। अविळ-वि० टेढ़ा, तिरछा । -क्रि० वि० १ शीघ्र । ३ नित्य । ४ श्राद्यतहीन । ५ अनश्वर । ६ अक्षय । २ देखो 'अवल'। ७ जो व्यय न किया गया हो । ८ मितव्ययी । अविवेक-पु० [सं०] १ विवेक का अभाव । २ अज्ञान । --पु. १ ब्रह्म। २ विष्णु ३ शिव । ४ व्याकरण का वह ३ नासमझी, नादानी । ४ अन्याय । शब्द जो सब लिंगों, विभक्तियों और वचनों में समान रूप अविसेख-देखो 'अभिसेख' । से प्रयुक्त हो। अविस्वास-पु० विश्वास का अभाव । अव्ययीभाव-पु० यौ० [सं०] समास का एक भेद । अविस्वासी-वि० [सं० अविश्वासी] १ जिसका विश्वास न हो। | अव्यवस्थित-वि० [सं०] १ जिसकी कोई व्यवस्था न हो, २ जो किसी पर विश्वास न करे । अस्त-व्यस्त । २ असंगठित । ३ शास्त्र मर्यादा रहित । अविह-वि० निडर निर्भीक । ४ चंचल अस्थिर। प्रविहड-वि० सं० अविघट] १ दृढ़, मजबुत । २ अखंड, अव्यापी-वि० [सं०] १ जो सब जगह पाया जाय । २ जिसका अटूट । ३ अभग्न, सातत्ययुक्त । -सर्व० ऐसा । सर्वत्र गमन न हो। प्रवीध-देखो 'अबींद' । अवत-वि० व्रत का अभाव । प्रवी-देखो 'अवि' । अव्वर-१ देखो 'अपर' । २ देखो 'अवर'। अवीट-देखो 'अविग्रट' । अव्वल-देखो 'अवल'। अवीचि-पु० [सं०] एक नरक का नाम । असंक-वि० [सं० अशंक] १ निर्भय, निशंक । [सं० असंख्य] अवीदात-देखो 'अवदात' । २ असंख्य, बहुत । -पु० १ युधिष्ठिर। २ भय, अातंक । प्रवीयाट-देखो 'अविनट'। असंका-देखो 'प्रासंका'। अवीहड़-देखो 'अविहड़' । असंकित, असंकी-वि० [सं० प्रशंकित] १ निर्भय, निडर । अठरणो(बौ)-क्रि० वर्षा न होना, अनावृष्टि रहना । २ शंका रहित । प्रवेखरणों (बौ), अवेखिरणौ (बौ)-क्रि० [सं० अवेक्षणम् ] देखना, असंख, (खी, खै,) असंख्य, (ख्यात)-वि० [सं० असंख्य अपार. ध्यान लगाना। ___अगणित, असंख्य । प्रवेढ़ी-वि० १ प्रतिकूल । २ एकान्त । असंग-वि० [सं०] १ संग रहित, अलग। २ विरक्त, निलिप्त । अवेर-१ देखो 'अबेर' । २ 'देखो ग्रंवेर' । ३ एकाकी, अकेला । ४ जवरदस्त, बलवान । ५ अपार, अवेरणौ (बी)-देखो 'अवेरणौ' । असंख्य । -पु० १ बुरासंग, कुसंग । २ वृक्ष, पेड़। प्रवेरी-क्रि०वि० १ बेवत, असमय । -पु० निवृत्ति, समाप्ति । असंगति-स्त्री० १ कुसंगति, बुरी सोहबत । २ अगवद्धता । २ देखो 'अबेन'। ३ बेसिलसिलापन । अवेळी-पु० [सं०प्रवेला] १ देर, विलंब । २ असमय । ३ रात्रि। असंगौ-वि० जो किसी संग की परवाह न करे। ___-क्रि०वि० शोध, तुरन्त । असंग्यी-वि. १ जिसकी संज्ञा न हो । २ चेतना शुन्ध । प्रवेव-पु० भेद, रहस्य । -वि० निर्बल, दुर्बल । अवेस-देखो 'प्रबेस'। ___ -पु० चेतना शून्य प्राणी। असंजती-वि० असंयमी। अवै पर्व उमने । .--क्रि० वि० अब । For Private And Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रसंजोग ग्रसत प्रसंजोग-पु० [सं० प्रसंयोग] १ बुरा संयोग । बुरायोग। असकन्नौ-पु० तलवार की म्यान साफ करने का लोहे का एक २ अनायास घटित । ३ भिन्नता, पार्थक्य । अौजार। असंत-वि० [म.अमाधु । २ खल, नीच, दुष्ट । ३ दुर्जन । असकाज-पु० भाला । बरछा । असंतुस्ट-वि०म० असंतुष्ट] १ जिसे संतोष न हो। असकुन, (सगुन)-पु० [सं० अशकुन] अमंगल, सूचक लक्षण २ अप्रसन्न । ३ अतृप्त । अपशकुन । असंतुस्टि, (स्टी)-स्त्री०१ असंतोष होने की दशा या भाव । असकेल-देखो 'असखेल' । २ अप्रसन्नता। ३ अतप्ति । असक्त-वि० [सं० अशक्त निर्बल, कमजोर, दुर्बल । असंतोस-पु० [सं० असंतोष १ संतोप का अभाव । २ अप्रसन्नता। असखपरणौ-पु० धनुष से तीर चलाने की क्रिया। ३ अतृप्ति । असखेल-स्त्री० १ हंसी मजाक, मखौल । २ लापरवाही, असंतोसी-वि० जिसे संतोष न हो । अप्रसन्न । अतृप्त । असावधानी । ३ मौज, मस्ती, खेल । असंध, (धौ)-पु० [सं० प्रसन्नद्ध] कवच, सनाह । -वि० असगंध-स्त्री० [सं० अश्वगंधा] गर्म देशों में होने वाली एक १ कवच धारी । २ कवच रहित । ३ हथियार रहित। औषधि । [सं० प्रसंनद्ध, असंधि] ४ संधि या जोड़ रहित ।। प्रसगी, (ग्गौ)-वि० १ जो रिश्तेदार या संबंधी न हो । २ शत्रु। ५ न मिला हुमा । ६ बंधन रहित, स्वतंत्र । असडौं (डौ)-देखो 'इसड़ौ' (स्त्री० असड़ी)। [सं० असधिक] ७ अपूर्व अद्वितीय । असज्जन-वि० [सं०] दुष्ट, नीच, खल । असंधरणौ (बौ)-वियोग होना, पृथक होना। असज्य-वि० [सं० असह्य] जो सहने योग्य न हो, असह्य । प्रसंधौ-वि० १ असहमत । २ देखो 'असेंधौ' (स्त्री० असंधी)। असटंग-देखो ‘असटांग'। असंप-पु० स्नेहाभाव । विरोध । शत्रुता । असटंगी-देखो 'असटांगी'। असंपड़-वि० [सं० असंपुट] १ असंभव । २ बिना स्नान | असट-वि० [सं० अष्ट] पाठ । -पु० आठ की संख्या । किया हया। -~-पुळ-पु० सर्यों के पाठ कुल । --कुळी-पु० सर्प । असंभ-वि० [सं० अ-न-संभाति अ-1-संभ] १ भयंकर, भयावह । -पद, पदी-स्त्री० मकड़ी। पाठ पदों का छंद या गीत । २ बहुत, अपार । ३ वीर, बहादुर । -पु० १ युद्ध, लड़ाई । सिंह, शेर स्वर्ग, सोना। --पात-पु० शरभ, शार्दूल । २ देखो 'असंभव'। मकडी । -पौर-पु० अष्ट प्रहर । -विधांन-पु० असंभम, असंभव (वी)-वि० [सं० प्रसंभव] १ जो संभव या काव्य के आठ चमत्कार । एक साथ विभिन्न पाठ कार्य मुमकिन न हो, नामुमकिन । २ अजन्मा, अज, स्वयंभू । करने की क्षमता। ३ वीर, बहादुर । ४ अद्वितीय, अपूर्व । ५ जन्म व उत्पत्ति असटमी-देवो 'अस्टमी' । रो रहित। -पु. एक प्रकार का अलंकार । असटांक-पु० [सं० अष्टांग] १ योग की क्रियानों के पाठ भेद । असंभावना-स्त्री० [सं०] १ संभावना का अभाव, प्रभवितव्यता, २ अायुर्वेद के पाट विभाग । ३ शरीर के आठ अंग या अनहोनापन । २ एक प्रकार का अर्थालंकार विशेष । अवयव । असंभ-देखो 'असंभव' । असटापद, असटापाद-पू० देखो ‘अस्टपद' । असम-वि० राग रहित । असरण (न)-पु० [सं० अशन] १ भोजन, खाना । २ पाहार, असंयती-देखो 'असंजती'। भक्षण । ३ चित्रक, भिलावा । ४ तीर, वाण । ५ सवार अससय-वि० [सं० प्रसंशय] १ संशय रहित । २ निश्चित । ६ आग्रह । ७ जिद्द । ८ गड्ढा । ९ वर्षा ।१०देखो असणी' । ३ यथार्थ । असणी-पु० [सं० अशनि, असन] १ इंद्रास्त्र, वज्र । २ विद्य त, प्रसंसारी-वि० [सं०] १ अलौकिक । २ विरक्त, वैरागी। बिजली । ३ अस्त्र । ४ भाला, बरछा। ५ शस्त्र की नोक । ६ इन्द्र । ७ अग्नि । ८ देखो 'अस्नती' । प्रस-वि० [सं० ईराण] १ ऐसा, इस प्रकार का। २ तुल्य, समान। --क्रि०वि०१इस तरह इस भांति, ऐसे । २ देखो 'मत्व असत (त्त)-वि० सं० अमत्] १ मिथ्या, झूठ, असत्य । ३ देखी 'अस्त्र' । -साळ, साळा-स्त्री० अश्वशाला। २ असाधु । ३ अन्यायो, अधर्मी । ४ अनुचित, गलत । ५ बराब, बुरा । ६ दूचित । ७ पापी। ८ कायर, डरपोक । असइ-स्त्री० [सं० असती] कुल्टा, व्यभिचारिणी। ६ श्याम, काला। १० छिपा हुअा, तिरोहित । ११ नष्ट । असकंदर-पु. सिकंदर। १२ शत्रु, दुश्मन । १३ दुष्ट, पतित, नीच । -पु० असकत -देखो असक्त'। भुटी बास, मिथ्या वचन । For Private And Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत असमाधरणौ असत-पु. १ अनस्तित्व । २ जड़ प्रकृति । ३ सत का अभाव । प्रसन्नी-वि० [सं० असंज्ञिन] मन की संज्ञा रहित, मनोज्ञान ४ देखो 'अस्त' । ५ देखो 'अस्थि'। से रहित । सम्यग दृष्टि भिन्न । असतन-देखो 'स्तन' । प्रसन्न , (न्नू)-पु० १ असुर, राक्षस । २ देखो 'असण'। असतर-पु० [सं० अस्त्र] १ फेंक कर चलाया जाने वाला प्रसप-पु० [सं० अश्व] घोड़ा, अश्व । -पत, पति, पती-पु० हथियार । २ फैके हुए हथियार को रोकने का उपकरण । घोड़े का स्वामी। बादशाह । रिसालदार । ३ मंत्र द्वारा चलने वाला हथियार । ४ शल्य चिकित्सा के | असपका-स्त्री० [सं० अश्वपंक्ति] घोड़ों की पंक्ति । उपकरण । ५ खच्चर । ६ देखो 'अस्तर'। असपताळ-पु० औषधालय, चिकित्सालय । असतरी-१ देखो 'स्त्री' । २ देखो 'इस्त्री'। असपतिराइ, (राय, राव) असपतीराई, (राय, राव) असपत्त, असतळ-देखो 'अस्थळ' । (पत्ति, पत्ती)-पु० [सं० अश्वपतिराज] १ घुड़ सेनापति । असता-देखो 'असांति'। २ बादशाह । ३ मुसलमान । असताचळ-देखो 'अस्ताचळ'। प्रसपथ-पु० [सं० अश्वत्थ] पीपल । असति, असती-वि० [सं० अ -- मती, अ+ सत्] १ जिसका असपरा-पु० [सं० अस्परा] देवता । -स्त्री० [सं० अप्सरा सतीत्व भंग हो गया हो। २ कुलटा व्यभिचारिणी। देवांगना। ३ अधर्मी, पापी, दुराचारी । ४ कायर, डरपोक । प्रसप्पति-देखो 'असपति' । ५ अशक्त, कमजोर । ६ काला, श्याम । -पु० १ असुर, Pमजार। ६ काला, श्याम । -पु० १ असुर, असबझ-देखो 'समझ'। राक्षस । २ देखो 'असत'। असबाब-१ सामान, सामग्री । २ अप्रयोज्य वस्तुएं। असतूत, (ति, तो)-स्त्री० [सं० स्तुति [ १ स्तवन, कीर्तन। असभ्य-वि० [सं०] १ अशिष्ट, गंवार २ अनाड़ी। ३ उद्दण्ड । २ प्रार्थना, विनती, स्तुति । ३ यशोगान, गुणगान । | ४ प्रशिक्षित । ४ प्रशंसा, बड़ाई। असमंजत-पु. एक सूर्यवंशी अत्याचारी राजा। असतूळ-देखो 'स्थूळ' । असमंजस-पु० [सं०]पशोपेश, दुविधा । हिचकिचाहट । संकोच । असतोत्र-पु० [सं० स्तोत्र] १ स्तुति, स्तवन, कीर्तन । २ किसी असमंद्र -देखो 'पासमुद्र'। देवता को प्रसन्न करने का मंत्र या छन्द । असम-पु० [सं० अश्मन] १ प्रस्थर,पत्थर । २ एक अलंकार विशेष । असतौ-वि० निलप। स्त्री० [सं० अ- शम] ३ लुब्धता । ४ अशांति । प्रसत्र-पु० [देश.] १ सूअर, शूकर । २ तीर, बारण। -वि. ५ प्राग, अग्नि । -वि० [सं०] १ विषम, २ ऊबड़-खाबड़, [सं०अ+शस्त्र] १ निहत्था, निःशस्त्र । [सं० अ+ शत्र] ऊंचा-नीचा। २ मित्र, दोस्त । ३ देखो ‘असतर'। असमझ-स्त्री० १ समझ की कमी । २ अज्ञानता । मूर्खता । असत्री-देखो 'स्त्री'। --वि० बेसमझ, मूर्ख। असथन-पु० मज्जा। असमत्थ, असमथ-देखो 'असमरथ' । असथळ-देखो 'अस्थळ' । असमनेत्र-वि० जिसके नेत्र विषम हों। -पु० शिव, महादेव । असथांन-पु० [सं० स्थान] स्थान, जगह । असमय-पु० [सं०] १ विपत्तिकाल, कुसमय । २ कुअवसर । असयांमा-देखो 'अस्वथांमा' । -वि० सिद्धान्तहीन, प्रतिज्ञाहीन । असथि, असथी-स्त्री० [सं० अस्थि] अस्थि, हड्डी। | असमर-स्त्री० १ तलवार, खड़ग । २ देखो 'स्मर'। ----पंजर-पु० हड्डियों का ढांचा, कंकाल । असमरथ, असमरथ्य-वि० [सं० असमर्थ] १ अशक्त, दुर्बल, प्रसद-वि० [सं०] दुष्ट, नीच । कमजोर । २ अयोग्य । ३ अक्षम । असन-वि० [सं० प्रस्न] १ मूर्ख । २ देखो ‘असण' । असमसारण असमसर -पु० कामदेव । असनान-पु० [सं० स्नान] नहाना क्रिया, स्नान, मज्जन । असमारण, (न)-देखो 'पासमांन' । असनि, (नी)-१ देखो 'असगी' । २ देखो 'अस्विनी' । असमांरिण-(रणी, नी)-देखो 'ग्रासमांगी' । -कंवार, कुमार ='अस्विनी कुमार' । असमाय-देखो 'असमरथ' । असनेह-पु० [स० प्रस्नेह] १ स्नेह का अभाव । २ शत्रता, दुश्मनी। असमाध-स्त्री० [सं० असमाधि] १ बीमारी, रोग । २ कर प्रसन्न-क्रि०वि० १ पास में, पास, निकट । २ देखो 'पासीन' । पीड़ा । ३ उपद्रव, कलह । ४ अशांति । ५ युद्ध । ३ देखो 'अमा' । | असमाधरणौ (बौ)-क्रि० मरणा, अवसान होना । For Private And Personal Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रसमाधि समाधि ( धी) - देखो 'असमाध' । , श्रसमाथि १ बीमार, रुग्ण । २ प्रशांत, बेचैन । समाप्त - वि० १ अपूर्ण । २ बाकी रहा हुया । ३ कभी समाप्त न होने वाला । www.kobatirth.org समाहित स्त्री० [चित की अस्थिरता - वि० पंचन समेद (मेघ) देखो 'धस्वमेष' । सम्मर, प्रसम्मी-देखो 'समर' | श्रसयांनी- वि० १ नादान, नाबालिक। २ सीधा-सादा । असर - पु० [ | १ प्रभाव, दबाव २ लाभ फायदा ३ गुरण । [सं०] ४५ देखी 'असुर' । असरची-प्र० भागड़ा, टंटा । तकरार। तनातनी । सर वि० [सं० शरण १ निराश्रय, निरानंद | २ ग्रनाथ । सररण-पु० ईश्वर । सरधा स्त्री० [देश ] १ रुग्णता । २ कमजोरी। [सं० श्रश्रद्धा ] ३ श्रद्धा का अभाव, अश्रद्धा । सरफी स्त्री० [फा०] मुद्रा, सोने का एक फुल । रफी ] १ सोने की मोहर २ स्वर्ग सिक्का । पु० ३ पीले रंग का असरम (म्म ) - स्त्री० शर्म या लज्जा का प्रभाव । -वि० बेशर्म निर्लज्ज । सरांण - पु० [सं० र १ र २ यवन, मुसलमान । ३ वादशाह | सराफ - वि० [अ० अशराफ] शरीफ, भद्र, सज्जन । सभ्य असरायळ - देखो, 'ग्रस्सरा' । ( २ ) असरार- पु० [सं० असुरारि ] १ देवता । २ देखो, अस्सरा' | प्रसरियो-देखो आसरी' | (उ० [सं०] सामान्य असाधारण असराळ-देखो 'अस्मराळ' । असलस देखो 'आळस' । असल वि० [अ०] १ सही, वास्तविक । २ सच्चा । ३ शुद्ध, खालिश ४ कुलीन । ५ प्राकृतिक । ६ मुल । -पू० १ जड़ मूल २ बुनियाद । ३ मुलधन । " सळसळ स्त्री० घोड़ों की चाल से उत्पन्न ध्वनि । असळक, (ख), ग) देखो 'बाळ' | असलियत ( लोयत ) - स्त्री० [अ०] १ वास्तविकता, सच्चाई | २ बुनियाद ३ सार तत्व | 1 असली (न) वि० [अ०] १ सच्चा, वास्तविक । २ खरा । ३४ प्रकृत्रिम | जदा- पु० श्रेष्ठ 'कुल का, कुलीन । असलील वि० [० अश्लील | अशिष्ट, भद्दा, असभ्य | नंगा | -ता स्त्री० शिष्टता, भट्टापन फूहड़पन नंगापन | सखा (सा) - पु० [सं० प्रश्लेपा] सत्ताइस नक्षत्रों में से एक असल्ली-देखो 'असली' | प्रसव- देखो 'स्व' । घरात (त्व) देखो '' प्रसवनी- देखो 'अस्विनी' I असवान देखो 'असमांरण' । सवाड़ा देखो, 'या'पा''। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असवार पु० [सं० अश्ववार ] १ सवार । २ चढ़ना क्रिया । असवारगी स्त्री० १ फैलने का भाव । २ सवारी | श्रसवारी स्त्री० १ चढ़ना क्रिया । २ सवारी । असवेत - देखो 'स्वेत' । प्रसाद्धि श्रसव्वार - देखो 'ग्रसवार' | असह (ण) वि० [सं० [असा] जो सहन न किया जा सके, ग्रसहा, दुस्सह । पु० १ शत्रु । २ दुश्मन । ३ यवन, मुसलमान । ४ हृदय । ५ अग्नि, आग । ६ पीड़ा । ७ घोड़ा । सहल (न) - पु० [सं० असहन] दुश्मन, शत्रु । असहाय ( यौ) - वि० निराश्रय | अनाथ । सही देखो 'सम' । यही वि० [सं०]] महनीय, बुरा, राब | असांव - वि० सत्य, झूठ । असांजन सर्व० हमारा, अपना । (सात) वि० [सं० शांत] जो शांत न हो, चंचल, व्याकुल ग्रस्थिर । संष्ट | तिती० [सं० राजांति शांति का प्रभाव, व्याकुलता | चंचलता । अस्थिरता । श्रमन्तोष । समरथ - वि० सामर्थ्यहीन, परामर्थ। असामान्य- वि० १० असाधारण । विशेष । साउळी स्त्री० [सं० प्रश्वाली ] ग्रश्व सेना । असाकल - पु० [सं० प्रशाकल्य ] अखंड | साक्षी - पु० [सं०] १ धर्म में जिसकी गवाही वर्जित हो । २ साक्ष्य का प्रभाव । प्रशाद (कु) दि०१ प्रसाद वि० साडी देवो'गा'। साठी (टी) देव यासाड़ी' | सात पु० [सं० प्रशास] १ अपयश, अपकीर्ति । २ दुःख । असातना, सत्ता-स्त्री० १ साता का प्रभाव । २ बेचैनी, शान्ति, कष्ट । (जैन) सदनीय कर्म का एक भेद (जैन) । स्था For Private And Personal Use Only माघ, दुसाध । २ देखी 'साव' | । Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसाध ( ८३ ) असुभ प्रसाध, (धु)-वि० [सं० प्रसाधु, असाध्य, असाधीय] १ असज्जन, असिमेध-देखो 'अस्वमेध' । बुरा, दुष्ट, प्रसाधु । २ प्रचंडकाय। ३ असाध्य, दुस्तर । | असिम्म-देखो 'असीम' । कठिन । ४ असंभव ।-ता-स्त्री० अशिष्टता, दुष्टता, असिम्मर-देखो 'असिबर' । खोटाई। प्रसिय-पु० [सं० अश्व] १ घोड़ा।-स्त्री० २ अस्सी की संख्या । प्रसाधारण-वि० विशेष । वि० अस्सी। प्रसाधि, प्रसाध्य-वि० [सं० असाध्य] १ जो साधा न जा सके, असियो-पू० अस्सी का वर्ष । -वि. अस्सी के स्थान वाला। दुस्साध्य । २ कठिन । ३ जिस पर काबू न पाया जा सके । असिव-वि० [सं० अशिव] अशुभ, अमंगल । ४ कठोर, तेज, तीव्र । असिवर-वि०१ तलवार चलाने वाला वीर । २ योद्धा । असार-वि० [सं०] १ सार रहित, निःसार। २ तुच्छ । ३ देखो 'असिबर'। ३ बेमतलब, फालतू । -पु० १ चिह्न, लक्षण । अाससत-पु० [स० असिसतु] गरुड़ । २ देखो 'पासार'। -ता-स्त्री० निःसारता । तुच्छता । असी-स्त्री० [सं० अश्विनी] १ घोड़ी। २ काशी के दक्षिण की प्रसारौ-देखो 'इसारौं'। एक नदी । -क्रि०वि० १ ऐसी । २ देखो 'असि' । असालत-स्त्री० [अ०] १ कुलीनता । २ सच्चाई । ३ देखो 'अस्सी'। –ब्रख-पु० पीपल का वृक्ष । प्रसाळियौ, असाल्यू-पु० [सं० अहालिसम] चन्द्रसुर, हाली। असीख-स्त्री० [सं० अ+ शिक्षा] १ शिक्षा का अभाव । असावधान-वि० [सं० असावधान] १ जो सचेत न हो, २ बुरी सलाह, बुरी शिक्षा । ३ बिना सीखी हई बात । गाफिल, लापरवाह । २ बेखबर । ३ अनजान । असीत-वि० [सं० अशीत] १ शीत रहित, गर्म । २ तीव्र, तेज । -ता-स्त्री० असावधानी। असीम-वि० [सं०] १ सीमा रहित, बेहद । २ अपार । ३ असंख्य । असावधानी-स्त्री० [सं० असावधानी] १ सतर्कता का प्रभाव ।। असील-वि० [सं० अशील] १ शील रहित । [अ० अशील] २ बेपरवाही, लापरवाही । ३ अज्ञानता । २ खरा । ३ सच्चा । ४ सुशील । ५ कुलीन । -पु. असावरी-देखो 'पासावरी'। [सं० असिल] १ योद्धा । २ एक प्रकार का शस्त्र । प्रसास-वि० श्वास रहित, निःश्वास । -पु० आशीर्वाद । असीस-स्त्री० [सं० असि] १ गदा । २ आशीष, आशीर्वाद । असाह-वि० निर्धन, कंगाल । -पु० वायु, पवन । -वि० बिना शिर का। असि-पु० स्त्री० [सं०] १ तलवार, खङ्ग। [सं० अश्व] | असीसणौ (बौ)-क्रि० १ आशीर्वाद देना । २ दुपा देना । वि काला असु-पु० [सं० अश्व] १ अश्व, घोड़ा। [सं० असुः] २ प्राण, श्याम । २ ऐसी। -धारण-वि० तलवार धारी। -धावक, । प्राण वायु । ३ जीवन । -क-पु० रक्त, खून। धारव-पू० सिकलीगर । -हत्थ-पू० खङ्गधारी योद्धा असुकन, (सुगन)-पु० [सं० अशकुन] १ बूरा शकून, अप असिक्षित-वि० [सं० प्रशिक्षित] १ अनपढ़, अज्ञानी । शकुन । २ अमांगलिक चिह्न । ३ बुरे लक्षण या चिह्न। २ उज्जड़, अनाड़ी। प्रसुख-पु० वैर, शत्रुता, दुश्मनी। प्रसिणि-देखो 'अस्वनी' । २ देखो 'असणी' । असुच, असुचि, (ची)-वि० [सं० अशुचि] १ अपवित्र, अशुद्ध । २ गंदा, मैला । ३ काला। -पु० १ अपवित्रता । २ सुतक । असित-वि० [सं०] १ काला, श्याम । २ दुष्ट, बुरा, कुटिल । | ३ गंदगी। -पु० कृष्ण पक्ष । –अंग-वि० श्याम वर्ण का, काले असुद्ध-वि० [सं० अशुद्ध] १ अपवित्र । २ असंस्कृत । ३ दोप रंग का। या गल्ती युक्त । ४ गलत । ५ गंदा । -ता-स्त्री० असिता-स्त्री० यमुना नदी । अपवित्रता । गल्ती, दोष । गंदगी। प्रसिद्ध-वि० [सं०] १ जो सिद्ध न हो। २ अप्रामाणिक । असुद्धि-स्त्री० [सं० अशुद्धि] १ अपवित्रता । २ दोष, भूल, ३ व्यर्थ । गल्ती । ३ गंदगी। प्रसिद्धि-स्त्री० [सं०] १ अप्राप्ति । २ अपूर्णता । ३ कच्चापन । प्रसुध-पु० बालक। -वि० १ बेमुध, वेटोग, २ अशद्ध । असिनी-स्त्री० [सं० अश्विनी] १ घोड़ी। २ एक नक्षत्र असून पू० [सं० श्वान] कुत्ता, श्वान । विशेष । अनुभ-वि० [सं० अशुभ] अमंगलकारी, बुरा, खराब । असिपति, (पत्ति)-देखो 'अमपति' । -पु० १ अमंगल, अनिष्ट । २ अहित । ३ अपराध, पाप । प्रसिबर, असिभर, (मरि)-स्त्रो० तरवार, खडग । -भंवर-पु. वह घोड़ा जिसके शरीर का रंग श्याम हो। For Private And Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra समकारियों www.kobatirth.org ( ८४ ) सुभकारियो, ( कारी) - वि० अशुभ करने वाला। - पु० वरिणक, श्रसेर - देखो 'आसेर' । बनिया । असुर - ० मं०प्रसुरः ] १ दैत्य, राक्षस । २ नीच वृत्ति का पुरुष । ३ भूत, प्रेत । ४ सूर्य । ५ बादल । ६ राहु की उपाधि । ७ विधर्मी । ८ यवन । ९ आठ दिक्पालों में से एक, नैऋत्य । १० बुरा स्वर, अस्वर । स्त्री० [सं० प्रसुरा ] ११ रात्रि । १२ वेश्या । - वि० काला, श्याम । -गुर, गुरु- पु० शुक्राचार्य । पत पति, पती- पु० रावण । कंस । हिरण्यकश्यप 1 यवन बादशाह । — पुरोहित-पु० शुक्राचार्य । -लोक-पु० राक्षसों का लोक, लंका, पाताल । -बहरा पु० श्रीकृष्ण विष्णु । श्रीरामचन्द्र । श्रसुरांड- देखो 'असुर' । प्रसुरांण, - राइरा (रांमण. रायरण, राइण, रायण राई ) - पु० [सं० असुरराट् ] ( स्त्री० असुरांणी ) १ यवन बादशाह | २ राक्षस राजा । ३ यवन । धमुरारि (री) पृ० [सं०] १ श्रीविष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ श्रीरामचन्द्र । ४ लक्ष्मण । ५ देवता । श्रसुरी - स्त्री० दानवी, राक्षसी, असुर धर की स्त्री। सुरेगुर पु० [सं० [सुरेश्वर ] १ दानवेन्द्र, असुरराज २ यवन बादशाह | प्रहर पु० मन् रिपू, वंरी अनुहाइ (ई)-वि० यमुहावनी, दुःसह। धमुहारणौ वि० [सं०] प्रणोभन] १ अप्रिय दुःखद २ रुचिकर अहाणी ( यौ), प्रसुहावरणी (बी) ०ि प्रप्रिय या अरुचिकर लगना । स्त्री० [सं०] [] किरण, रश्मि प्रभा २ देखो '' प्रसूजतो, प्रसूझतौ वि० शुद्धता रहित । अपवित्र (जैन) असूया स्त्री० [सं०] १ ईर्ष्या, डाह । २ निंदा, आलोचना | ३ अपवाद । ४ असहिष्णुता । ५ क्रोध, रोष । ६ निदावाद । ७ साहित्य में एक संचारी भाव । सूर वि० [सं० पर जोर न हो, कापर, दरपोक | मूल देवो 'अमूल' | प्रसूस - वि० पूर्ण तृप्त । प्रसेदौ (धौ) - वि० [सं० अ + सद्धि] ( स्त्री० [असेंदी ) अपरिचित, अजनबी । सेवतौ सेवा - वि० गहरा, अगाध । असेस देखो 'असेख' । असे क्रि०वि० ऐसे अमेण वि० [सं० अशेष] १ पूर्ण पूरा समस्त २ विक बहुत । ३ जिसका शेष कुछ न हो । प्रसेत वि० [सं० प्रश्वेत] १ जो श्वेत न हो । २ काला, श्याम । असे वि० [सं० प्रसह्य ] १ ग्रसह, जो सहन न हो । २ शत्रु, वैरी । T सुविधा - स्त्री० [सं०] सुविधा की कमी । २ अड़चन, कठिनाई | सोममंत्र - पु० १ बन्दूक । २ तोप । ३ नारदमुनि की वीणा । दिक्कत । सौ क्रि०वि० १ ऐसा तैसा । २ देखो 'ग्रासी' । 3 प्रस्खलित - वि० धारा प्रवाह । (जैन) प्रस्टंग - देखो 'सटांग' । श्रसेदौ (धौ) - देखो असेंदों' । (स्त्री० प्रौंदी ) | संधाई - स्त्री० अजनबीपन, परिचय | असं स्त्री० श्रसाध्वी असती, " कुल्टा । २ लाल । ३ पारद । असोक ( ग ) - वि० [सं० प्रशोक] १ शोक रहित । - पु० १ विष्णु । २ एक वृक्ष विशेष । ४ एक मौर्य वंशीय प्रशिद्ध सम्राट - छठ-स्त्री० चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी । वाटिका स्त्री० लंका का एक बाग विशेष | (पौराणिक) प्रसोगी- वि० शोक रहित । असोज- देखो 'सोज' | - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असोम वि० [सं०] सोभा] १ शोभा रहित २ कुरूप बुरा। , अस्टापव ३ अनगढ़, भट्टा । स्त्री० श्रशोभा । सोमता, सोभा स्त्री० [सं० प्रशोभा ] १ शोभा का प्रभाव । २ भद्दापनी हंसी ४ अपकीति । असोम - वि० [सं० सौम्य ] १ गर्म । २ बुरा, अप्रिय । ३ भयानक । ४ भद्दा । ५ प्रकोमल ठोस । ६ अशुभ , अस्ट - वि० [सं० प्रष्ट ] आठ । स्त्री० प्राठ की संख्या, ८ । - क - पु० आठ वस्तुओंों का संग्रह । आठ छंदों का काव्य । -- कमळ - पु० हठयोग के अनुसार शरीरस्थ आठ चक्र | - कुछ 'प्रसटकुळ' कुळी 'घसटकुळी कोण- पु० आठ कोण वाला क्षेत्र, भवन या कक्ष | दळ - पु० आठ दलों वाला कमल । दिसा स्त्री० आठ दिशाऐं । - द्रव्य - पु० हवन के काम आने वाले आठ पदार्थ । -धातु गु० घाट मुख्यधापदी स्त्री० मकड़ी। पाठ पदों का छंद भुजा स्वी० [दुर्गादेवी मंगळपु० ग्राठ मांगलिक वस्तुएं । मंगळीक-पु० शुभ लक्षणों वाला घोड़ा । - मूरती पु० शिव का एक नामान्तर । - वरग-पु० आठ श्रौषधियों का समाहार । -वळीकि०वि० पाठों दिलायों में सिद्धि तिथि स्त्री० योग की आठ सिद्धियां | -- For Private And Personal Use Only - श्रस्टांग ( जोग) - देखो 'असटांग' | टाक्षर (खर)-पु० [सं०] अष्टाक्षर] बाठ अक्षरों का मंत्र श्रस्टापद - पु० १ स्वर्ण, सोना । २ सिंह । ३ शरभनामक गुग । Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्ठाक ( ८५ ) प्रस्साड ४ मकड़ी । ५ धतूरा । ६ आदिगुरु की चार मात्रा अस्र-पु० [सं०] १ रक्त, रुधिर । २ प्रांसू । —पीवणीका नाम । -वि० १ पीत, पीला। २ पीत-श्वेत । स्त्री० जोंक। प्रस्टावक्र-पु० [सं० अष्टावक्र] एक ऋषि जिनका शरीर पाठ असांनिक-पु० [सं० अश्रमिक] बलभद्र । से स्थानों से वक्र था । अस्र-पु० [सं० अश्रु] प्रांसू । -पात-आंसु गिराना, रुदन । प्रस्टोलो-एक प्रकार का रोग। प्रस्र त-वि० [सं० अश्रुत] जो सुना हुअा न हो। अस्त-वि० [सं०] १ छिपा हया, डूबा हा, तिरोहित । | अस्ली-देखो 'असली'। २ ह्रासोन्मुख । ३ अदृश्य, अोझल । -पु० १ अवसान । | अस्लील-देखो 'असलील' । -ता-'असलीलता' । २ पतन । ३ लोप। ४ प्रदर्शन । ---मित-स्त्री० अस्त | अस्लेस-पु० १ श्लेषाभाव, अपरिहास । २ श्लेषभिन्न । होने की क्रिया। -मुख-पु० कुत्ता, श्वान । ३ देखो 'अस्लेसा'। अस्तबळ-पु० घुड़शाला। अस्लेसा-पु० [स० अश्लेषा] २७ नक्षत्रों में से नौवां नक्षत्र । अस्तर-पु० [फा०] १ मुख्य वस्त्र के नीचे लगने वाला वस्त्र । अस्व-पु० [सं० अश्व] १ घोड़ा, अश्व । २ सात की संख्या । २ अंतरण्ट । ३ देखो 'असतर'। -वि० १ सात । [सं० अस्व] २ गरीब, अकिंचन । -पतिप्रस्तळ-देखो 'अस्थळ'। -पु० घड़ सेनापति । बादशाह । अश्विनी कुमार । -बंधप्रस्तस्व-पु० एक शुभ रंग का घोड़ा। --पु० एक प्रकार का चित्रकाव्य । -बळ-पु० अश्वशाला । अस्ताचळ-पु० [सं० अस्ताचल] वह पर्वत जिसके पीछे सूर्य -मुख-पु० किन्नर । --मेध-पु० चक्रवर्ती राजा द्वारा अस्त होता है. पश्चिमाचल । किया जाने वाला बड़ा यज्ञ । - रूढ-पु० रथ । -विद्या अस्तीफी-देखो ‘इस्तीफौ' । -स्त्री० घुड़सवारी संबंधी विद्या। अस्त-अव्य० [सं०1। खैर अच्छा । २ चाहे जो हो। जोमा | अस्वक्रांता-स्त्री० [सं० अश्वक्रान्ता] संगीत में एक मूर्च्छना । ही हो। अस्वत्थामा-पु० [स० अश्वत्थामा] द्रोणाचार्य का पुत्र । प्रस्तुति-देखो 'अनतुति'। अस्वत्थ (थ)-पु० [स० अश्वत्थ] पीपल का पेड़ । अस्तेय-पु० चोरी न करना क्रिया। अस्वनी-स्त्री० [सं० अश्विनी] १ सत्ताइश नक्षत्रों में से प्रथम अस्त्र-पु० [सं०] १ हथिहार, आयुध । २ देखो 'अस्तर' । नक्षत्र । २ घोड़ी। ३ सूर्य की पत्नी । कुमार-पु० सूर्यके दो अस्त्रकार-पु० हथियार बनाने वाला। पुत्र जो देवताओं के वैद्य माने गये हैं। -तात-पु० सूर्य । अस्त्रचिकित्सा-स्त्री० शल्य चिकित्सा । | अस्वप्न-पु० [सं०] १ सुर, देवता । २ यथार्थ । अस्त्रसाळा-स्त्री० हथियार रखने का कक्ष । शस्त्रागार । अस्वस्थ-वि० [सं०] रोगी, बीमार । अस्त्रिय, (स्त्री, स्त्रीय)-देखो 'स्त्री'। अस्वार-देखो 'असवार'। अस्थळ, (ळि)-पु० [सं० अस्थल] १ दादू पंथियों का गुरुद्वारा अस्वालंब–पु० [सं० अश्वालंभ] यज्ञोपरांत किया जाने वाला या राम द्वारा । २ मैदान । ३ बुरा स्थान, कुठौर। अश्व-दान । अस्थांनस्थनपद-पुख्यौ० काव्य का एक दोष ।-क्रि०वि० अनुचित अस्विनी-देखो 'अस्वनी'। -कुमार='अस्वनी कुमार' । स्थान में । अस्वीकार-पु० [सं०] इन्कार, नामंजूरी। अस्थाई-वि० [सं॰ अस्थायी] १ जो स्थाई न हो, अस्थिर । अस्वीकुमार-देखो 'अस्वनी कुमार'। २ क्षणिक । अस्वेत-वि० [स० अश्वेत] काला, श्याम । अस्थि-स्त्री० [सं०] १ हड्डी । २ फल का छिलका या गुठली। अस्व-१ दखा 'अस्व' । २ दखा 'अस। -संसकार-संस्कार-पु० हड्डियों का गंगा में विसर्जन ।। | अस्सरिण, अस्स पी-१ देखो 'अमणी' । २ दे वो 'अस्वनी' । अस्थिकुंड-पु०पी० [सं०] एक नरक का नाम । अस्सर-देखो 'असर'। अस्थिर-वि० [सं०] १ जो स्थिर न हो । २ चंचल, चलायमान । अस्सराळ (ळू )-वि० [सं० ग्राशरारु] १ भयंकर, भयानक । अस्थिरा-वि० [सं०] चंवला । -स्त्री० लक्ष्मी । २ शक्तिशाली । ३ घातक । ४ बहन । ५ चंचल, चपल । अस्पताल-देवो 'असपताळ' । ६ अविरल, निरंतर । अमरी--स्त्री० [सं० अश्मरी] म्वेन्द्रिय का एक रोग। अस्सवार-देखो 'असवार'। अस्मिता -सी० [ग] पांव प्रकार के क्लेगों में एक (योग)। अस्सांउ--सर्व० हमारे, मेरे । For Private And Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्सि प्रहसकर अस्सि-१ देखो 'अस्व' । २ देखो 'अस्सी'। अहदी (धी)-वि० [म० अह दी] १ आलसी । २ अकर्मण्य, अस्सी--वि० म० अशीति] सत्तर और दश का योग। निठल्ला । -पु० वादशाही अनुचर विशेष । ___-जी उक्त योग की संख्या, ८० । | अहनांग-देखो 'ऐनांगण' । अहं-मर्व [स० ग्रहम्] मैं, स्वयं । -वि० यात्म सबंधी। अहनाय-क्रि० वि० [सं० अह्नाय] शीघ्र तुरन्त । -पु. १ अहंकार, घमंड । २ पाप, दुष्कर्म, अपराध । अहनिस, (निसा, निसी)-अव्य० [सं० अहिनिश] रात-दिन, ३ विघ्न, बाधा । ४ क्रोध । ५ दुःख। -कार, कारज-पु० ___सदा, नित्य । लगातार, निरन्तर । -पु० रात व दिन । अहंकार. घमंड, गर्व । ---कारण, कारिणी-वि० घमंडी, अहम-देखो 'अधम' । देखो, 'अहं'। गविला --कार तन-पु० योद्धा । -कारी-वि० गविला ।। अहमक-वि० [अ०] मूर्ख, बेवकूफ । -वाद-पु० शेखी, डीग । आत्मश्लाघा । अहमकर, अहिमकर-पु० [सं० अहिमकर] सूर्य, भानु । अहंचौ-पु० १ पाश्चर्य, अचंभा । २ देखो 'यांचौ'। प्रहमत, (ति)-पु० [सं० प्रहम्मतिः] गर्व, अहम्, अहंकार । अहंड-वि० [सं० अहिंड] लंगड़ा । अहमह-सर्व [सं० अहमस्मि] मैं । -पु. गर्व, अहंकार । अहंता-स्त्री० [सं०] अतंकार, घमंड । अहमेव-पु० अभिमान, गर्व । अहंति, (तो)-पु. दान । प्रहर -पु० [सं० अधर] १ अधर, होंठ । २ नीचे का होंठ । अहंसी-देखो 'प्राईसी'। ३ दिन। -वि० [सं० अफल] १ व्यर्थ, फिजूल । अह-पु० [स० अहन्, अहः, अहि] १ दिन । २ विष्णु । ३ सूर्य । २ असमर्थ, बेकाम । ३ नीचे । ४ अन्य, दूसरा । ४ शेषनाग । ५ सा । : राहु । ७ वृत्तासुर । -अळग-पु० छप्पय छन्द का एक भेद । ५ हाथी।-स्त्री० ९ चोटी, वेगी । १० देखो 'पाह'। अहरण (रिग)-पु० [सं० अर्णव] १ समुद्र, सागर । -सर्व० यह । देखो 'अहि । देखो 'अध' । देखो 'अथ'। २ देखो 'एरण' । --कर-पु० सूर्य, भानु । --काम-पु० नियम । हुक्म । प्रहरनिस-देखो 'अहनिस' । -----कार-पु० अहंकार । -गळो-क्रि०वि० सम्मुख सामने, प्रहरु, (रू)-देखो 'ऐरू' । अगाड़ी । -इस-पु० तनाव । वैमनस्य । -चळ-पु० अहळ, (हु)-वि० [सं० अफल] व्यर्थ, बेकार । शेषनाग। -वि० अचल । निश्चल । -छनौ-वि० चंचल । -क्रि० वि० व्यर्थ में । -----टारगौ-(बी)-क्रि० पता लगाना । पाहट करना । अहलकार-पु० [फा०] कर्मचारी, कारिदा । -देव-पु० शेषनाग । सूर्य । -नारण-पु० निशान । | अहलगो, (बौ)-क्रि० हिलना-डुलना । कांपना । चिह्न । -नाथ-पु० शेषनाग । मूर्य । -पत, पति, पती-पु० अहलमद-पु. [अ. अहलमेद] अदालत का कर्मचारी । मुर्य, भानु । -पंखाळ, पंखाळी-पु० उड़ना, सर्प, पंखधारी अहलारण-देखो 'ऐनांण' । मर्प । -पर, पुर-पु० नागलोक । पाताल लोक । नागौर | अहला-देखो 'अहिल्या'। नगर का नाम । ---प्रभु-पु० शेषनाग । -फीरण, फोन, प्रहलाद-पु० [सं० प्राह लाद] प्रसन्नता, खुशी । फेण, फेन-पु० अफीम, अमल । सर्प के मुख की लार। प्रहलो-देखो 'ऐलौ' । --बेल-स्त्री० नाग लता । —मरण, मरिण-पु० सूर्य । | अहल्या-स्त्री० [सं०] गौतम ऋषि की पत्नी का नाम । -मात-स्त्री० देवी, शक्ति । सो की माता । --रांरण, | अहव-१ देखो 'पाहब' । २ देखो 'अथवा' । राउ, राज, राव-पु० शेषनाग । -लोक, लौक-पु० संसार । अहवांनियो-वि० १ श्याम, काला । २ अभिनन्दनोय । नागलोर । --वाळ-पु० चिह्न, निशान । संकेत । वृत्तांत, -पु० योद्धा, वीर । कथा, चरित्र । अहवात-देखो 'अहिवात' । प्रहक-पृ० [सं० ईहा] इच्छा, आकांक्षा, कामना । अहवारिय- देखो 'अंबारिये । अहड़ौ-वि० [अहड़ो] ऐसा । अहवाळ -पु० [अ० हाल का बहु] १ वृत्तान्त, विवरण, हालात । अहड-देखो 'याखेट'। २ चिह्न, निशान, लक्षमा । अहत्थ, अहथ-पु० [सं० अहित] अहित, अनर्थ, बुरा काम ।। अहवास-पु. [सं० प्रावाम] मकान, भवन । अह वि-देलो 'बाहर। अहद-पु० [अ०] १ वादा, प्रतिज्ञा, संकल्प । २ शासन, । राज्य । ३ एक प्रकार का राज्य कर । --दार-पु० राज्या- दार-प० राज्या- अहवी-वि० (स्त्री० अहवी) ऐमा । हवा १ (स्ता अहम।। " धिकारी । -नांमौ- पू० प्रतिज्ञापत्र, इकरार नामा । | अहसकर-पु० [गं० मारकर सूर्य, रवि। For Private And Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अहसारण ( ८७ ) अहेडौ अहसारण (न)-देखो 'एहसान'। -मंद='एहसानमंद' । अहितू-वि०१ अहित करने या चाहने वाला। २ शत्रु दुश्मन । अहह, अहा-प्रव्य० आश्चर्य, खेद, दुःख के भाव प्रगट करने | अहिधर, (धरण)-पु० [सं०] १ शिव, महादेव । २ शेष नाग। वाली ध्वनि। अहिनांण, (नाणी)-देखो 'ऐनांण' । अहातौ-पु० [अ० अहाता] १ घेरा, अहाता । २ चहार अहिनाथ, (नाह)-पु. १ शेष नाग । ३ महादेव । दीवारी, प्राचीर । अहिनिस, (निसी)-देखो 'अहनिस'। अहार-देखो 'याहार'। अहिमकर-पु० [सं०] सूर्य, रवि । प्रहारणौ, (बौ)-क्रि० १ अाहार करना । २ आचमन करना। | अहिमती, अहिमेव-देखो 'अहमत' । अहारा-स्त्री० अंगीठी (मेवात) । अहिर-१ देखो 'अहीर' । २ देखो 'अहर'। अहारी-देखो 'आहारी'। अहिरण-देखो 'एरण'। अहि कार-देखो 'ग्रहंकार'। अहिळ-देखो 'अहळ'। अहि कारि, (री)-देखो 'अहंकारी'। अहि लारण-देखो 'ऐनांगा' । अहिंसक-वि० [सं०] १ जो हिंसा न करे । २ जो कष्ट अहिला, अहिलिक-देखो 'अहल्या' । दायक न हो। अहिवात-पु० [सं० अहिवातः] स्त्री का सौभाग्व, मधवापन । अहिंसा-स्त्री० [नं०] १ हिंसा का अभाव । २ ऐसा कार्य | अहीं, अहींज-वि० व्यर्थ, बेकार। जिसमें किसी को कष्ट न हो। | अही-पु० [सं० अहि] १ ठगण को छ मात्रा के छठे भेद का अहि-पु० [सं०] १ मर्प, नाग । २ सूर्य, भानु । ३ बादल, मेघ । नाम। २ देखो 'अहि' -राजा, राव-'अहिराज' । ४ राहु। ५ जल, पानी। ६ पृथ्वी। -स्त्री० ७ गौ, अहोठांरण-देखो 'प्राइठांण'।। गाय । ८ नाभि । ९ ठगण का छठा भेद । १० इक्कीस अहीरणौ-पु० [सं० अधेनुक] दूध देने वाले मवेशी का अभाव । अक्षरों के वृत्तों का एक भेद । ११ आठ की संख्या । अहीयांह-सर्व० इन। १२ बाके टिक नाग । १३ दिन, दिवस । -वि० १ कुटिल, अहोर-पु० [सं० अाभीर] १ पशु पालन व दूध दही का दुष्ट । २ दगावाज, धोखेबाज । ३ भोगी। ४ देखो 'अह'। व्यवसाय करने वाली जाति । २ इस जाति का व्यक्ति । -कर-'अहकर' । -धोत्र-पु० दक्षिण पांचाल की ३ एक मात्रिक छंद। राजधानी । --गण-पु० सर्पगण। विष्णु । ठगण का अहीवलभ-देखो 'अहिवल्लभ' : मातवां भेद । वेलियो सांगोर का एक नाम (डिंगल)। अहीस-पु० [सं० अहीश] शेषनाग । ----गति-स्त्र' सर्प चाल । -गाह-पु० गाड़ । प्रहुड़-पु० १ युद्ध । २ टक्कर, भिडंत । ----ग्राव, ग्रीव-पु. शिव, महादेव । -पत, पति-पु०१ शेष अहुटणौ (बी)-क्रि० १ हटना । २ दूर होना, अलग होना। नाग, वासुकि । --पिय, प्रिय-पु० चंदन । -पुर, ३ वापस लौटना। पुराह, पुरी, प्पुर-'अहपुर'। -फीरण, फेरण-'अहफीण' । | अटारगी (बी)-क्रि० १ हटाना, अलग करना । २ दूर करना । -बंध-पु० डिगल का एक छंद । --बांरण-पु० घोड़ों की | ३ वापस लौटाना। एक जाति । -बेल-स्त्री० नाग लता। -भक, भख-पु० अठ-वि० [सं० अध्युष्ठ ] तीन और प्राधा, साढ़े तीन । मोर मयुर । --मंत्री-पु. मंत्रवादी, गारुडी। ...-मन-पु० | प्रहुड-देखो 'पहुड़' । चंदन । –माळी-पु० शिव । -मिस-स्त्री. नागमगि । अडरगौ (बौ)-क्रि० भिड़ना, लड़ना । युद्ध करना । ----मुख-पु० अशुभ घोड़ा । – मेध-पु० सर्प यज्ञ। अहरणी-देखो 'अहोगी' । ---राट, राव-पु० शेष नाग । लक्ष्मण । -रिपु-पु० गरुड़। अहरमज्द-पु० [फा०] ईश्वर का एक नाम (पारमी)। --लोक-ग्रहलोक । पाताल । -लोळ-पु० समुद्र। अह-सर्व० [सं० अहम् ] मैं । ___-वल्लभ-पृ० चंदन । --सुता-स्त्री० नागवन्या ।। अहूट-देखो 'अहठ । अहिणतजथा स्त्री० यौ० डिंगल गीत रचना का एक नियम ।। अहूत-देखो 'अपुत्र' । अहिड़ो (डी)-देखो 'ग्राहेड़ी'। अहिठारण देखो 'आइटांगा'। अहेड़-देखो 'याखेट'। अहित-प० [मं०१ हित का अभाव । २ अनिष्ट, अमंगल. अहेड़ी (डी)-दखा 'आहेड़ी' । नुकसान, हानि। ३ शत्रुता । --वि० शत्रु, वैरी। अहेड़ौ, अहेडौ-वि० ऐगा, इस तरह का। ---क्रि० वि० ने, हानिकारा । __ इन प्रकार । For Private And Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org अहेज ( ८८ ) प्रख प्रहेज-क्रि० वि०१ इसी समय, अभी। २ स्नेह छोड़कर। अहो, अहौ-देखो 'अहह' । आहेत-पु. १ प्रेम का अभाव । २ वैर, वैमनस्य ।। | अहोड़ो-देखो 'मोहड़ौ'। अहेतु ग. १ कारण या हेतु का अभाव । २ देखो 'अहितु'। अहोरणौ-वि० १ असंभव । २ अयोग्य । अहेर-देखो 'याखेट'। | अहोनस, (निस, निसि)-देखो 'अहनिस'। अहेवी-कि० वि० ऐसे । -वि० ऐसा । आहेस-पु० [सं० अथ-+ ईश] १ गणेश, गजानन । अहोभाग, (ग्य)-पु० अच्छा भाग्य, सौभाग्य । २ देखो 'ग्रहीम' । अहोरात, (रात्रि)-क्रि० वि० अहिनिश, रात दिन, महेसुर, (स्वर)-पु० [सं० अहि+ईश्वर, अह+ईश्वर] लगातार नित्य । १ शेषनाग । २ मुर्य । | ब्रह्मोसो गर्व० (स्त्री० ब्रह्मीगी) हमारा, मेरा । - आ पा-पु० वर्णमाला का द्वितीय स्वर जो 'अ' का दीर्घ रूप है। प्रकलणौ, (बौ)-देखो 'यांकगो (बी)। प्रां, प्रा-सर्व० इन, इन्होंने । -पु० [अनु०] बच्चों के प्रांकवरणौ (बौ)-देखो 'प्रांकणी (बी)। रोने का स्वर। प्रांकस-देखो 'अंकुस'। प्रांइटण-देखो 'आइठरण' । प्रांकारणी, (बी) प्रे० कि०१ अंकित कराना । २ दगवाना। ग्राइणी-स्त्री० वह गाय या भैम जो दूध देने की अवस्था ३ चिह्न लगवाना। ४ नाप तौल का अनुमान कराना। में न हो। ५ जांच कराना, परखाना । ६ निश्चित कराना। प्रांइपो-देखो 'अहीणो' । प्रांकिल-वि० अंकित, चिह्नित । प्रांऊ-पु० अहंकार, गर्व । प्रांकुडौ देखो 'अंकोडो' । प्रांक-पु० [सं० अंक १ भाग्य, भाग्य के लेख । २ चिह्न, निगान । ३ पशुओं के शरीर पर दागा जाने वाला चिह्न। | प्रांकुर-पु० [सं०] अंकुर । 3 ४ अक्षर । ५ स्वर्णकारों का औजार विशेष । ६ संख्या के प्रांकुस-देखो 'अंकुस' । अंक, ० से १ तक । ७ लिखावट । ८ प्रतीक । प्रांकूर, (कोर)-देखो 'अंकुर'। प्रांकड़ो-स्त्री० १ पंक्ति, चरण (पद्य) २ देखो 'अांख'। प्रांकेल-देखो 'यांकल'। प्रांकड़ो-पु० [सं० अंक+-रा.प्र.डौ] १ आय-व्यय का लेख पत्र ।। प्रांकोड़ियौ-देखो 'अंकोड़ो' । २ आय-व्यय की राशियां । ३ भाला । ४ चन्द्राकार तोर या शस्त्र । ५ देखो 'ग्रंकोड़ो'। प्रांको-पु० १ होनी, भवितव्यता । २ अंत, समाप्ति । प्रकरणी स्त्री [सं० अंकनिकः] कविता या पद का प्रथम स्थायी प्रांख, प्रांखड़ेली, प्रांर्खाड़य, प्रांखड़ी-स्त्री० [सं० अक्षि] पद जो टेक के रूप होता में है, टेक । १ प्राणियों के शरीर की वह इन्द्रिय जिसमें देखने की प्रांकरणौ-वि० अंकित करने वाला, 'गने वाला । --पु० अंकित भक्ति होती है। नेत्र, नयन, दृग, लोचन । २ नजर, दृष्टि । करने का उपकरण । ३ पालु, जमीकंद, आदि का अर्धा कुरित भाग । ४ पेड़ अांकरणौ, (बौ)-क्रि० १ अंकित करना । २ दागना । ३ चिह्न पौधों का संधिस्थल । ५ बांस की ग्रंथि का बंशलोचन लगाना । ४ नाप-तौल का अनुमान लगान।। ५ जांचना, निकलने वाला भाग । ६ केमरे आदि यंत्रों का दर्पण युक्त परखना । ७ ठहराना, निश्चित करना । भाग । ७ इमारती लकड़ी में पड़ने वाली ग्रंथि । ८ फोड़े प्रांकल (ल्ल)-वि० [स० अकल] १ अंकित किया गया। का मुह । ६ सुई का छेद । १० मोर पंख का चंदौवा । २ दागा हुआ। ३ व्यभिचारी । ४ साहसी, वीर । ११ चरस (मोट) के किनारे का छेद । १२ नारियल के ५ चिह्नित । ---गु० दागा हवा या चिह्नित पशु । मुह पर बना गया। For Private And Personal Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रांखड़ी ( ८९ ) प्राटी प्रांखड़ो-पु. १ कोल्हू के बैल की आंखों का ढक्कन । प्रांगुळी, प्रांगूळी-देखो 'अंगुळी' ।। २ देखो ' ख'। प्रांगू, प्रांगौ-पु० १ स्वभाव, प्रकृति । २ कवच, बस्तर । प्रांखफूटणी, प्रांखफोड़-स्त्री० एक प्रकार की लता व उसका फल । ३ शरीर, अंग । ४ कृषि कार्य में हिस्सा । ५ रूप, स्वरूप । अांखमीचरणी-स्त्री० अांख-मिचौनी का खेल । पांच-स्त्री० [सं० अचिष्] १ आग, अग्नि । २ आग की लो। प्रांखरातंबर-पु० ऊंट। ३ ताप, गरमी । ४ प्रकाश, तेज । ५ जोर, भार । प्रांखांलाल-स्त्री० १ कमेड़ी, पंडुकी। -पु० २ ऊंट । ६ कष्ट । ७ परेशानी । ८ हानि । ६ चोट, प्रहार । प्रांखि, प्रांखी-देखो 'प्रांख' । १० भय, डर । ११ क्रोध । १२ जोश ।-वि० किंचित, थोड़ा। प्रांखुडणौ, (बी)-देखो 'आखड़णो' (बौ)। पांचभ (भौ)-देखो 'अचंभौ'। प्रांग-पु० [सं० अंग] शरीर, अंग । प्रांचळ-पु० [सं० अंचल] १ उरोज, स्तन । २ देखो 'अंचळ' । प्रांगड़ियो-वि० अंगरक्षक । प्रांचळरणी, (बौ)-क्रि०१ आच्छादित करना। २ प्रक्षालन करना । प्रांगण, (गउ)-पु० [सं०अंगण] १ घर का भीतरी भाग, सहन, प्रांचळी-देखो 'अंचळ' । चौक । २ धरातल । ३ गुनाह, अपराध । पांचांतरणौ--वि० ऐंचाताना । प्रांगणारीडावडी-स्त्री० दासी, परिचारिका । प्रांच-क्रि०वि० तेज, शीघ्र, शीघ्रता से । प्रांगरिणयौ, प्रांगणी-देखो 'प्रांगण' । पांचौ (छौ)-पु० शीघ्रता, ताकीद । प्रांगणौ (बौ)-देखो 'प्रांगमणी' (बौ)। प्रांडू-पु० ग्राभूषण विशेष ।। प्रांगनियौ-पु० स्त्रियों के कान का प्राभूषण । प्रांजणी-स्त्री० प्रांख की पलकों पर होने वाली फुसी। प्रांगम, (रण)-पु० १ साहस । २ उत्साह । ३ शक्ति, बल । | प्रांजणी-पु० दहेज । (जाट)। ४ निश्चय । ५ काबू अधिकार । ६ विचार । ७ स्वीकृति, प्रांजरणौ, (बौ)-क्रि० १ अांखों में अंजन लगाना । स्वीकार । -वि० दबाने वाला। २ साफ करना। प्रांगमणी-स्त्री० १ अधीनता । २ पराजय । ३ अधिकार ।। प्रांजळी-देखो 'अंजळी' । ४ देखो 'प्रांगमण'। प्रांजस-देखो 'अंजस'। प्रांगमणी, (बौ)-क्रि० [सं० अभ्यगमनम्] १ निश्चय करना। प्रांजसरणौ, (बौ)-देखो 'अंजसणी' (बी)। २ साहस करना । ३ सहन या बरदाश्त करना। ४ साध्य | प्रांजुळी-देखो 'अंजळी' । समझना, गालिब होना । ५ पराजित करना, दबाना। प्रांट, प्रांटड़ी-स्त्री० १ ऐंठन, तनाव । २ क्रोध । ३ शत्रता, ६ स्वीकार करना । ७ विचार करना । ८ अधिकार में दुश्मनी । ४ हेकड़ी । ५ हठ, जिद्द । ६ कपट । ७ दांव, करना। वश । ८ प्रतिज्ञा, संकल्प । ६ मोड़, घुमाव । १० बांकुरा प्रांगळ-पु० [सं० अंगुल] १ अंगुली की मोटाई । २ अंगुली। पन, वीरता । ११ घमंड, गर्व । १२ मनमुटाव । ३ आठ जव के बराबर का नाप । -वि० अंगुली की १३ अंगूठा और तर्जनी के मध्य का भाग । १४ देखो 'अंट' । मौटाई के बराबर का माप । १५ देखो 'प्रांटौ' । १६ देखो 'अंटी'। प्रांगळड़ी, प्रांगळी-देखो 'अंगुली' । प्रांटण-पु० [सं० अट्टन]१ गांठ, ग्रंथि । २ ऐंठन । ३ चर्मग्रंथि । प्रांगळीझल-पु० पुनर्विवाह में स्त्री के साथ रहने वाली पूर्व प्रांटरोकोट-पु० यौ० पान-वाला वीर । पति की संतान । प्रांटल -वि० १ शत्रु, दुश्मन । २ द्वेषी । ३ नीच, दुष्ट । प्रांगवरण-देखो 'प्रांगमरण' । प्रांट-सांट-स्त्री०यौ० १ गुप्त अभिसंधि, साजिश । २ मेल-जोल । प्रांगवरणी,(वारणी)-देखो 'प्रांगमरणी' । प्रांटा-क्रि०वि० निमित्त, लिए, वास्ते। -दार-वि० घुमावदार, प्रांगस-देखो 'अंकुस'। वक्र । लपेटदार । वीर । प्रांगिमिरिण-देखो 'यांगमणी' । प्रांटायत, (तौ)-पु. (स्त्री० प्राटायती) शत्रु , दुश्मन । प्रांगी-१ अंगिया, चोली, कंचुकी । २ पुरुषों का एक पहनावा । प्रांटियौ-पु० कवच को जोड़ने की कड़ी। ३ जैन मूर्ति का पहनावा । श्रांटी-स्त्री० [सं० अंड] १ ईर्ष्या, द्वेष । २ शत्रु ता, वैर । ३ ऐंठन, तनाव । ४ उलझन, फंदा। ५ कुश्ती का एक प्रांगीठ-देखो ‘अंगीठ'। दांव । -वि० १ टेढ़ी, तिरछी, वक्र । २ ऐंठनभरी । प्रांगुठौ-देखो 'अंगूठौ'। ३ घुमावदार । ४ देखो 'अंटी' । —परण, पणौ-पु० शक्ति, प्रांगुळ-देखो 'अंगुळे'। बल । वैर, शत्र ता। द्वेष । -लौ-वि० गविला, घमंडी । For Private And Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चांटी-टाटी मान-मर्यादा वाला । रूठने वाला । वैर लेने वाला । गेटर (स्त्री० घांटीनी)। प्रांटी-डाटी स्त्री० एक देशी खेल । (ट) कि०वि० लिऐ वाग्ले, निमित्त द 1 प्रॉटेल- देखो 'ग्रांटीली' | ग्रांटी - पु० [सं० श्रट्ट ] ( स्त्री० ग्रांटी) १ बदला । २ शत्रुता, वैर । ३ लपेटा । ४ युद्ध । ५ घुमाव, चक्कर । ६ उलझन । ७ बंधन | = कोई ऐसा पदार्थ या बात जिसके उद्देश्य से या उसके प्रति कोई कार्य या प्रक्रिया की जाती है। - वि० १ जैसा का तैसा । २ व टेढ़ा । ३ उलझन भरा। अंबळौ - वि० टेढा-तिरछा । दुःखी । -टूटो, टेढ़ौ-वि० टेढ़ा-मेढ़ा। जीर्ण-शीर्ण । प्रांठ-गांठ- वि० ० १ पूर्ण पूरा । २ सव तरह से बढ़िया । प्रां पु० १ चौपाये जानवरों के अगले पैर व छाती के जोड़ का स्थान । २ साहस, हिम्मत | प्रांठेब (व) - पु० सहायक, रक्षक । ब्रांड - पु० [सं० अंड] अंडकोश 1 प्रांडळ - वि० १ बड़े अण्डकोश वाला । २ आलमी सुस्त । प्रांडिया- पु० अण्डकोश । श्रांडू - वि० ग्रण्डकोश युक्त । श्रां पु० करोल का काला फल । प्रांत स्त्री० [सं० प्राज्ञा १ - ३ श्राज्ञा, आदेश । ४ हुकूमत ६ वायु - वि० अन्य दूसरा डांस स्त्री० दुहाई, सौगंध दुबाई - स्त्री० दुहाई, आज्ञा, प्रां' - देखो 'ग्रसरण' । प्रांगण - देखो 'प्रांनन' । करना । www.kobatirth.org गौगंध २ घोष दुहाई। [ सं०अधुना ] ५ चालू वर्ष । सर्व० इन इस यह । " दवाई, बांस, दुधाई, प्रदेश । | 'प्रांतन पांच' । पंच (बी) प्र० [सं० घामयन] १ पाना २ उपलब्ध प्रांरण- मांरण-पु० इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । आरणा स्त्री० [सं० प्राज्ञा ] हुक्म, आदेश, आज्ञा । लाल बो०क्रि०१ मंगवाना २ उपलब्ध कराना | रियाली पु० १ गौना, विदाई२ बहु को सुसराल व बेटी को मायके ले जाने का बुलावा । ३ बुलावा । --एढौ, टांगौ-मांगलिक अवसर | विवाह आदि विशेष उत्सवों का समय मुकळावी पु०गीना, द्विरागमन (डीडी) पु० [सं० यंत्र ] १ प्राणियों के शरीर में होने वाली पेट से गुदा तक की नली, अंतड़ी, यंत्र । २ ममता । प्रांत प्रांतर-१ देखो 'अंतर' । २ देखो 'प्रांत' । प्रांतरउ - देखो 'प्रांतरी । प्रांतरड़ौ-१ देखो 'प्रांत' । २ देखो 'अंतर' । प्रांतरगड़ी (व गेढ़ी) स्त्री० पशुयों के प्रांतों की यल देकर थी हुई पिंडी जिसे सेंक कर खाया जाता है। प्रांतराळ - देखो 'प्रांत' । तरिया १ देखो 'पति' २ देखी 'अंतर' प्रांत-देखो 'पान' प्रांतरे (१) ०वि० [सं० [अन्तर] दूर, दूरी पर परे श्रांतरौ, प्रांतारौ प्रांतिरौ - पु० [सं० अन्तर ] १ फासला, दूरी । २ वियोग, विछोह । ३ क्लिम्ब । ४ देखो 'प्रांत' । -पु० कष्ट, दुःख । जिसके पत्ते वात रोग में काम प्रांती- वि० तंग, हैरान परेशान। प्रतिरौ - पु० कांटेदार लाल वृक्ष आते हैं । 7 , प्रांतली पु० पशुओं की पीठ पर लादे भार का संतुलन प्रांत्र, श्रांत्रवळ-देखो 'प्रांत' । प्रांथरण- देखो 'प्राथा' । सांपोटी देखो। देखो 'पांधी' (हलो) देवो'घाउली'। प्रदाझाड़-देखो 'प्रधाझाड़ौ' । चांदाही धाउळी' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रांधावली वि० 'अंधेरी' । श्रांधरी, प्रांधळ-देखो ग्रांथौ । 1 प्रांदी देखो 'प्रांधी'। प्रांरसी' प्रांधीआरसी' । - 'प्रांधी खोपड़ी' । झांड़ौ = 'प्रांधा झाड़ी' ="प्रांची दंडुळ बाई 'घांधी बाई । घोळ पु० [सं० पांदोलन] १ हलचल । २ धूमधाम । ३ विद्रोहात्मक कार्य । ४ बार-बार हिलाबदलाव घोळ 2 बांधी प्रांदोबाली - पु०नहरुप्रा रोग जिसका कीड़ा बाहर नहीं निकलता । शादी देखो पांच' । For Private And Personal Use Only धळपट० एक खिलाड़ी की बांधकर खेला जाने वाला एक खेल । ळि घळांची आंधळी स्त्री० [सं०] अधः पुष्पी ] १ लटजीरा या चिड़चिड़ा नामक क्षुप जो छितरा कर उगने वाली वनस्पति होती है। वह औषधि के काम आती है । प्रांधाझाड़ी, प्राधोझाड़ौ-पु० अपामार्ग नामक पौधा । होळी देखाउ - खोपड़ी डंडूळ, डंबर प्रांधी-स्त्री० १ प्रखर व तीव्र वात चक्र जिसमे जमीन की गर्द उड़कर आकाश में छा जाती है, तूफान, भावान Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रांधी श्रध्यारी- देखो 'अंधारी' । ब्रांप्यारी-देखो 'अंधारी' (स्त्री० [अंधियारी) । । - । [२] बंधी प्रारसी स्त्री० धुंधला दर्पण घोपड़ी । वि०सूर्य, भांडू, निर्बुद्धि डंबर- पु० तूफान, -- डूडळ, भंझावात बाई - स्त्री० नेत्रहीन स्त्री। एक बात रोग विशेष | | श्रांधौ - ( नेत्र वि० [सं०] [प] [स्त्री० प्रांधी) १ नेष होन, दृष्टिहीन अंधा । २ विवेकहीन, अज्ञानी । ३ लापरवाह, बेपरवाह । ४ धुंधला, अस्पष्ट । पु० वह प्राणी जिसकी प्रांखों में ज्योति न हो । -काच- पु० धुंधला काच । - कूश्री- पु० सौ-पु० एक देशी खेल www.kobatirth.org ( ११ ) आंध्र पु० भारत का एक प्रान्त । - स्त्री० [सं० प्राणि] १ मर्यादा, प्रतिष्ठा । २ शान-शौकत । ३ अदब- लिहाज । ४ टेक, इज्जत । ५ प्रतिज्ञा पत्र | - वि० ग्रन्य दूसरा । क-पु० नगारा, ढोल । मृदंग । भेरी, दुंदुभी गरजता बादल - द्व, ध-पु० नगारा, ढोल । - वि० मंढा हुआ, कसा हुआ । घनन पु० [सं०] धानन] चेहरा, मुख, स्पा० - सिंह, शेर। महादेव शिव । श्रांनाकानी स्त्री०१ अस्वीकृति । २ टालमटूल । ३ सुनी-अनसुनी । ४ मनाही । क्रि० वि० इधर-उधर । ना-देखो 'पद' । श्रांनादेस - पु० [सं० अन्यदेश] अन्य देश, विदेश, पराया देश । श्रांनी कानी-क्रि०वि० ० इधर-उधर, सर्वत्र | नुरवी स्त्री० [सं० धानुपूर्वी] नाम कर्म की १४ प्रकृतियों में से एक जो वक्रगति से जन्मांतर गमन के समय जीव को आकाश प्रदेश की सी के अनुसार गमन कराती है (जैन) इनको इन्हें । २ देखो 'यांनी' । श्रांनेक- देखो 'अनेक' । श्रांनं सर्व० इन्हें इनको । घांनी पु० [सं०] धारणक] १ एक सिक्का जो रुपये का गोलहवां हिस्सा होता था, इकन्नी । २ एक सेर का सोलहवां भाग, एक तौल। छटांक । या देवो'धारण' । श्रांपारौ सर्व० • अपना हमारा । आपे सर्व हम अपन 0 , क्रि०वि० स्वतः । श्रांब- देखो 'ग्रांम' । -खास = 'ग्रांमखास' । यांवर देखो 'अंवर' (ख) - अपने श्रांपणौ, ( प्रांपांणी) -- सर्व० [सं० आत्मन् ] ( स्त्री० प्रांगी पांणी) अपना । श्रीषा - सर्व० प्रपन, हम । । । थांबली देवी यांनी' आंबाडी देखो 'अंबाडी' | - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रामनौ बाहळद, (हळदी) स्त्री० कपूर हल्दी जो चौषधि में काम प्राती है । व्रत धांबिल पु० [सं० प्राचाम्य] १ यत विशेष जिसमें रूखा-सूखा दिन में एक बार खाया जाता है (जैन) २ रंग परित्याग नामक तप का एक भेद | बिल वरधमान एक प्रकार की तपस्या । प्रांजली (ब)- १ शरीर में ऐंठन (जैन) । प्राना २ पेट में विकार होना । ३ खटाई थाना । ४ दांतों में खटाई बैठना । ५ कंकरीली भूमि में चलने से पैरों का सूत्र होना बीहळद- देखो 'प्रवाहळदी' | श्रांबी- पु० [सं० ग्राम्र ] १ ग्राम का वृक्ष एवं फल । २ पुत्री की विदाई पर गाया जाने वाला लोक गीत । श्रमं देखो 'मिस' ग्रांम पु० [सं० थान, ग्राम) १ एक सुप्रसिद्ध रसीना एवं स्वादिष्ट फल व इसका वक्ष । २ श्रामाशय का रोग । ३ अपचकृत मल, आंव । ४ रोग । [ ग्र० ग्राम ] ५ जन साधारण । ६ साधारण खानौ पु० दरबार ग्राम, राज सभा । खास-पु० राज महल का भीतरी प्रकोष्ठ वह राज सभा जिसमें सब जा सके। गोम पु० असमंजस । -- जीररण- पु० अजीर्ण रोग | -रख रस- पु० ग्राम का रसरसती, रासौ पु० राजपथ, सार्वजनिक मार्ग । --वात- पु० रोग विशेष । —सूल - पु० रोग विशेष । प्रमक (देवयामित' ) । ग्रांमटी-स्त्री० भय, ग्रातंक, डर । ग्रांमी (बी) कि० मटना, नष्ट होना । श्रमर-मर ( दूम लौ) - वि० (स्त्री० ग्रामरण दुमली) खिन्न, उदास, विक्षिप्त । For Private And Personal Use Only प्रांमरणा मरणा स्त्री० उदासीनता । ग्रांमखा ( प ) - देखो 'घांमना'। (घ) श्रमदां (दनी, दांनी ) - स्त्री० [फा० ग्रामद] १ ग्रामदनी, ग्राय । २ प्रावागमन | श्रमदरफत पु० [फा० ग्रामदरफ्त ] ग्रावागमन, प्राना-जाना । ग्रांमना (य) स्त्री० [सं० आम्नाय ] १ इच्छा कामना । २ प्ररण, प्रतिज्ञा । ३ अभ्यास । ४ पुण्य । ५ वेद, श्रुति । ६ ब्राह्मण, उपनिषद् तथा प्रारण्यक संहिता । ७ परम्परा प्राप्त प्रचलन फूल या राष्ट्रीय प्रथाएं परामर्ग या शिक्षण । आमने-सामने कि०वि० एक दूसरे के सामने प्रत्यक्षा मुखातिव मन० १२३ । " Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गांमनी ( १२ ) प्रांइठारण प्रांमनौ-सामनौ-पु० परस्पर मुकाबना। | प्रांवरण-१ देखो 'जावरण' । २ देखो 'प्रांवळ' । प्रांममारग-१० ग्राम राम्ना । राज पथ । प्रांवरत-पु० १ सेना का घेरा । २ युद्ध । प्रांमय पु० सं० प्रामय] १ रोग, बीमारी । २ प्राधात, चोट । प्रांवळ-पु. १ गर्भस्थ शिशु पर लिपटी रहने वाली झिल्ली । सर्व० इनमें। २ एक पौधा विशेष । ३ बैल गाड़ी के पहिये का एक प्रांमल--. भाला । २ राज्य कर्मचारी। ३ छोटी फौज । उपकरण । ४ देखो 'प्रांवळ' । ---नाळ-पु० जरायु, जर । प्रांमळणी (बी)-क्रि० १ जोश बताना। २ भुजा ठोकना। प्रांवळणी, (बौ)-क्रि० १ मरोड़ना, ऐंठना । २ घुमाना । ३ उत्तेजित होना। ३ लपेटना। प्रांमलबागी, (बांगो)-स्त्री० गुड़ मिला इमली का रस । प्रांवळा-पु० १ स्त्रियों के पैर व हाथों में धारण करने वाला प्रांमळी-वि. निर्मल, विमल । सोना या चांदी का आभूषण । २ औषधि के काम प्रामली-स्त्री० [सं० इम्लिका] १ इमली का पेड़ या फली। आने वाला एक फल । -इग्यारस-स्त्री० फाल्गुन २ जटित सिरपेच । शुक्ला एकादशी। -मूल-वि० शृगार युक्त । सुसज्जित । प्रांमसामहा, प्रांमौ-सांमही-क्रि०वि० मुखातिब, प्रत्यक्ष, सामने ।। योद्धा। -मम, मी, नौमी-स्त्री० कार्तिक शुक्ला नवमी। प्रांमाजीरण-प्रांव के कारण होने वाली बदहजमी । ----सार, सार गंधक-पु० साफ किया हया पारदर्शक गंधक । प्रांमास-पु० [सं० ग्रावाम] १ आवाम, घर, मकान । २ आकाश। प्रांवळो-स्त्री० १ गुदा की नलिका । २ देखो 'प्रांवळ' । ३ आमखाम। प्रांवळी-पु० [सं० आमलक] १ औषधि में काम आने वाला एक प्रआमासय-पु० सं० ग्रामाशय] पेट के अन्दर की वह थैली फल व उसका वृक्ष । २ स्त्रियों के पैरों का आभूषण । ___जिसमें भोजन एकत्रित होकर पचता है। ३ बैलगाड़ी के पहिए पर बांधा जाने वाला डंडा । प्रांमिक्ख,प्रांमिख-देखो'पामिम'।-चर, आहारी = 'प्रांमिसचर'। ४ देखो 'ग्रंवळी' (स्त्री० आंवळी)। प्रांमिल-पु० [अ० अामिल) १ हाकिम, अधिकारी। २ दक्ष, प्रांवा, पावा-पु० कुम्हारों का, बर्तन पकाने का गड्ढा । कारीगर । ३ जादू टोना करने वाला । ४ देखो 'प्रांबिल'। प्रांसढ़ियौ-पु. एक प्रकार का अशुभ घोड़ा। प्रमिस-पु० [सं० ग्रामिप] मास, गोस्त । आंसू, (मांसूड़ा,) अांसूड़ौ-पु० [सं० प्रथु] अश्र, प्रांसू । - प्रहार, चर, हार-वि० मांसाहारी, मांस भक्षी। ___-ढाग-स्त्री० घोड़े के नेत्र के नीचे की अशुभ भौंरी। प्रांमिहणौ-देखो 'अम्हीण' (स्त्री० प्रांमिहणी)। प्रांहचौ-देखो 'पांचौ'। प्रांमीजरणौ, (बौ)-देखो ‘प्रांबीजणौ' । हा-अव्य० नकारात्मक ध्वनि, इन्कार । प्रामीणो (हरणी)-देखो 'अम्होगी। प्रांहोरगी-देखो 'प्राइणी'। प्रांमुख-पु० [सं० प्रामुख] १ किमी रचना की प्रस्तावना। प्रांहीरगौ-देखो 'ग्रहीगौ' । २ देखो 'यांमिस'। ग्रा-पु० [सं०] १ शिव । २ कल्पवृक्ष । ३ ब्रह्मा । ४ चन्द्रमा । प्रांमू-देखो 'ग्राम'। ५ चागपय । ६ पितामह । ७ हाथी । ८ घोड़ा। प्रमोद-पु. स. ग्रामोद] १ मनोरंजन, दिल-बहलाव । परिश्रम । १० नेत्र । -स्त्री० ११ स्तुति । १२ लक्ष्मी। २ अानन्द, हर्ष । ३ मौरभ, सुगंध । -प्रमोद-पु. -वि० श्वेत। -क्रि०वि० १ और । २ इसको । ३ शब्दों के मनोरंजन । भोग विलास । हसी-खुशी। पूर्व लगने वाला उपसर्ग । -सर्व० यह । (स्त्री०) प्रांमौ-सांमहौ-क्रि०वि० सम्मुख, सामने । आपरौ-देखो 'पासरौ'। प्राम्नाय-देखो 'आमना' (य)। आइंदा-पु० [फा० पाइन्द] आने वाला समय, भविष्य । प्रांम्रकूट, (गिरि)-पु. एक पर्वत विशेष । कि० वि० भविष्य में, आगे से, दुबारा, फिर से । प्राम्ही-सांम्हौ, (सांमा, सांम्हौ)-देखो 'सामने-सामने' । --वि० प्रागंतुक । प्रायणी, प्रांयिणी-देखो 'प्राइगणी' । प्राइ-सर्व यह । -क्रि०वि० १ इस प्रकार, ऐसे । २ देखो 'आई' । प्रायणी-देखो 'ग्रहीगौ' । आइइता-क्रि०वि० १ प्रादि, इत्यादि । २ इसी प्रकार । प्रांर-पु. आंसू, अथु। प्रांरे-म० इनके। प्राइडौ-पु० वर्णमाला का 'अ' स्वर । प्रारौ सर्व० (स्त्री० प्रांरी) इनका । पाइठरणा, प्राइठाण-पु० [सं० अधिष्ठानम्] १ हाथ या पांव प्रांव -० [सं० ग्राम] १ कच्चा व प्राचगत मल । २ एक की अगुलियों में अधिक कार्य या रगड़ से सुत्र होकर पड़ने रोग । ३ देखो 'प्राम' । वाली चमड़ी को ग्रथि, चर्मग्रंथि । २ चिह्न, मंकेत । For Private And Personal Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राइणो ग्राकवाक प्राइणौ-देखो 'पाईनौ'। आऊ देखो 'पायु'। पाइयळ-स्त्री० [सं० प्रार्या] १ देवी, दुर्गा, शक्ति । २ ग्रावड़ | पाऊखद, प्राअखौ-देखो, 'पावखौ' । देवी । ३ करणीदेवी। पाऊठारण-देवो 'ग्राइठांगण' । प्राइयो-अव्य० [सं० अपि] ऐ, अरे, हे । प्राएड़ी-देखो 'ग्राहेड़ी'। प्राइस-पु० [सं० आदेश] १ आदेश, आज्ञा । २ माधु, प्राकंप-पु० भय, घबराहट । फकीर. सन्यासी । ३ प्राशीर्वाद । ४ प्राशा । देखो 'प्रायस' प्रापरणौ, (बौ)-क्रि० कांपना, धूजना । ५ देखो 'पायास' । प्राक, पाकड़, (डौ)-पु० [सं० अर्क] १ प्राक, मंदार, । प्राइसा, प्राइसु-स्त्री०१ आज्ञा । २ आयु । २ बैलगाड़ी के थाटे के नीचे लगाया जाने वाला एक अवयव । -डोडियौ-पू० पाक का डोडा। प्राईबड़ौ-पु० वृक्ष विशेष । प्राकड़ा-काकड़ा-पु० हल्की चेचक । प्राई रौ-पु० [सं० आश्रम] कच्चा मकान, कोठा। प्राकड़ियौ-पु० १ गेहूं के साथ होने वाला एवं घास । प्राई-स्त्री० [सं० आर्या] १ देवी, दुर्गा, शक्ति । २ करणीदेवी । २ देखो 'पाक' । ३ प्रावड़ देवी। ४ बिलाडा की देवी । ५ सांकल, प्राकर-पु० [सं०] १ खदान,खान । २ झड, समुह । ३ खजाना। श्रृखला । ६ उपमाता, धाय ७ माता, जननी। ४ भेद, किस्म, जाति । ५ देखो 'पावर'। ...-ग्यांन-पू० -सर्व० यही, यह । ६४ कलाओं में से एक । पाईइता-देखो 'पाइता'। पाकरखण-देखो 'पाकरमण। पाईप्री-अव्य० हे, ओ, अरे। प्राकरखणौ, (बौ)-देखो 'ग्राकरमणौ (बी)। प्राईड (डी, डो)-देखो 'आहेड़ी' । प्रकरणांत -क्रि० वि० कान तक । प्राईठाण-देखो 'प्राइठाण' । प्राकरती-देवो 'आक्रती' । पाईनौ-पु० [फा०पाइना] १ शीशा, दर्पण । २ देखो 'अहीगी'। पाकरस-पु० [सं० आकर्ष] १ खिचाव, तनाव । २ वशीकरण । पाईपंथ-पु० 'पाई' देवी का सम्प्रदाय । --पंथी-पु० उक्त ३ पास का खेल व पामा । ४ जानेन्द्रिय । ५ कसौटी। सम्प्रदाय का अनुयायी। पाकरसक-वि० [सं० आकर्षक] १ खींचने वाला। २ मोहने आईरौ-देखो 'ग्रासरौ' । वाला । ३ सुन्दर -पु० चुम्बक पत्थर । प्राईवाळी-देखो, 'पाहीवाळौ' । पाकरसरण-पु० [सं० आकर्षण] १ खिचाव, तनाव । २ मोहने प्राईस-१ देखो 'प्राइस' । २ देखो 'प्रायास' । की क्षमता, मोहकता। ३ वशीकरण । ४ काम के पांच आउ-देखो 'आयु'। बाणों में से एक । -क्रीड़ा-स्त्री० ६४ कलायों में आउखउ (खौ)-देखो 'पावखौ' (स्त्री० ग्राउखी) । एक कला। पाउगाळ-पु० १ वर्षा ऋतु का आगमन । २ उत्तरासाढ़ा | पाकरसणौ, (बौ)-क्रि० १ खींचना, तानना । २ अपनी पोर नक्षत्र। ग्राकर्षित करना । ३ केन्द्रित करना । ४ समेटना । पाउगौ-देखो 'पाखौं' । (स्त्री० ग्राउगी)। प्राकरी-स्त्री० १ खान खोदने की क्रिया । २ देवो 'पाकरौ' । प्राउज-पु० वाद्य विशेष । ३ देखो 'पाखरी'। प्राउट्ठमो-वि० पाठवां । पाउदौ-देखो 'पासूधौ' । (स्त्री० पाउदी) आकरौ-वि० (स्त्री० पाकरी) १ बहुत, अत्यधिक । २ अमूल्य, पाउध-देखो 'प्रायुध'। ३ खरा, शुद्ध । ४ श्रेष्ठ, उतम । ५ कठोर। ६ क्रूर । पाउधि-वि० ताजा, स्वस्थ । -पु० आयुध । युद्ध । ७ भयंकर । ८ अप्रिय । ९ हठी, जिद्दी। १० उग्र । पाउधिक, (धीक)-वि० शस्त्र धारण करने वाला, योद्धा । ११ तेज, तीव्र । १२ बहादुर । १३ महंगा। पाउधौ-देखो 'पासूधौ' । आकळ-वि०१ बुद्धिमान, मेधावी । २ देखो ‘मामला। पाउपदोस -पु० ग्रामंत्रित होकर किसी के घर का भोजन करने ---वाकळ-वि० व्याकुल । का दोष (जैन)। प्राकलकरौ-देखो 'अकलकरौ' । आउरदा-देखो 'आवड़दा'। पाकळरणी (बौ)-१ युद्ध करना, भिड़ना । २ गमभना । पाऊखाण-पू०१ मवेशी का चमडा । २ चमड़े पर लिया जाने ३ देखो 'श्राटणी (बा)। वाला कर। | ग्राफवाक-वि० हल्का-बक्का, विस्मित । For Private And Personal Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्राकसमात www.kobatirth.org ( २४ समात - देखो 'अकस्मात' । श्राकांक्षा स्त्री० [सं०] अभिलाषा, इच्छा । अाकांक्षी वि[सं०] लुक, प्रवाणी। आकाडकउ वि० १ क्रोध में अपनी मर्यादा छोड़ देने वाला । २ मिं १ भीमकाय, आकाप-स्त्री० १ चिता की अग्नि । २ चिता । ३ शक्ति बल । ४ हिम्मत, साहम । ५ वीरता, शौर्य । वि० प्रबल काय । २ वीर, वहादुर । श्राकार (रौ ) पु० [सं० प्राकारः ] १ स्वरूप । शान । ३ डीलडी । ४ कद । ५ बनावट ७ 'ग्रा' ग्रक्षर । ८ पाताल | ६ प्राह्वान, -ग्यांन-पु० चौसठ कलाओं में से एक । प्राकारोड (रीठी)-१० प्रा० सामा]ि १ बुद्ध २ शस्त्र प्रहार । ३ शस्त्र प्रहार की ध्वनि । - वि० १ अत्यन्त तीक्ष्ण स्वभाव वाला । २ जबरदस्त, बलवान | स्त्री० [सं० प्राकालिकी] विजयी २ प्रकृति, ६ ढांचा । बुलावा । संग्राम | -- श्राकास पु० [सं० प्रकाश ] १ श्रासमान, नभ, गगन | २ श्राकाश तत्व ३ शून्य स्थान | ४ स्थान । ५ ब्रह्म । ६ प्रकाश । ७ स्वच्छता । अभ्रक ९ सूर्य, भानु । - गंगा स्त्री० [प्राकाश में उत्तर-दक्षिण में फैला हुआ तारा समूह - गाड़ी स्त्री० हवाई जहाज चारी- पु० पक्षी । आकाश में विचरण करने वाला, विमान । नदीस्त्री० [ग्राकाश गंगा | - बाणी, वाणी- स्त्री० देव वाणी - बेल, वेल-स्त्री० अमर बेल नामक लता । -मंडळ - पु० खगोल । मुखी - पु० नभ की ओर मुंह करके तप करने - लोचन - पु० ग्रहों की गति व स्थिति देखने का स्थान । - व्रत्ति स्त्री० अनिश्चित प्राय । श्राकासी स्त्री० १ धूप से बचने के लिए तानी जाने वाली चादर । २ चील । पु० बादल, मेघ । वि० १ आकाश का, आकाश संबंधी । २ ईश्वरीय, देवी। -विरत = 'आकास व्रति 1 वाला । | आाकीद, ग्राफोन- पु० [फा०] यकीन] विश्वास, एतवार, वकीन -दार वि० विश्वसनीय | श्राकुळ, (ळी, ळेव) - वि० [सं० ग्राकुल ] १ व्यग्र, व्याकुल । २ दु:खी, क्षुब्ध । ३ विह्वल, कातर । -ता-स्त्री० व्याकुलता, घबराहट । धाकुळणी, (बौ) कि० १ व्याकुल होना, विकल होना। २ दुःखी होना । ३ विह्वल होना । ४ तड़फड़ाना | ५ लुब्ध होना। धाकूत पु० १ ग्राशय, श्रभिप्राय । २ भावना, इच्छा | ३ ग्राश्चर्य । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकेड स्त्री० उत्तर और वायव्य कोण के मध्य (सप्तऋषि के अस्त स्थान) से चलने वाली वायु जो फसल को हानि पहुँचाती है। साली-देखो 'एसी' | आनंद (वन) १०१ सदन, विलाप २ ची ३ तीक्ष्ण शब्द । ४ बुलावे की फरियाद । ६ युद्ध, संग्राम | घात (ति ती) आति (ति ती) - प्रखर ढाई आखरी 1 For Private And Personal Use Only आवाज । पी० [सं० प्राकृति ] १ सूरत, शक्ल । २ बनावट ढांचा । ३ गठन । ४ स्वरूप । ५ मुख । ६ मूर्ति रूप । ७ ग्राकार | ८ चेष्टा । ९ भाव । १० बाई का एक श्राक्रम - पु० १ पराक्रम, शौर्य शक्ति, साहस, बल । २ श्राक्रमण चढाई । श्राक्रमरण - पु० [सं०] १ हमला, धावा । २ सीमोल्लंघन । प्राक्रात वि० [सं०] १ जिस पर आक्रमण हो । २ घिरा हुआ । ३ पराजित ४ वशीभूत ५ सित ६ दुः प्राक्षप पु० [सं०] १ आरोप, दोष । २ अपराध । २ प्रापत्ति । ४ कटु व्यंग, ताना । ५ ग्रंथ का अध्याय । ६ कोशिश, प्रयत्न । -क-वि० आक्षेप करने या लगाने वाला । घायंडळ पु० [सं०] इन्द्र सुरेश व संपूर्ण पूर्ण ग्राखंडल । । प्रखंडळी स्त्री० १ इन्द्राणी । पु०२ इन्द्र । - क्रि०वि० आगे, प्रागादी। झाखड़, (ब)- कि० [सं० ब्रासनम् ] १ ठोकर खाना । २ ठोकर खाकर गिरना । ३ गिरना, स्खलित होना । ४ लड़खड़ाना | शाखां स्त्री० उदासीनता । आखड़ी पी० [सं०]शा स्वाग ३ सौंगध । ४ सिद्धान्त । खाक [सं०] सूबर वाट ५ पुकार, श्राखणी (at) - क्रि० [सं० प्रख्यानम् ] कहना, बयान करना । श्राखत स्त्री० [सं० प्राख्यात] १ बयान, कथन । २ ग्राख्यान । - क्रि० वि० तेजी से । श्राखती - पाखती - क्रि० वि० अगल-बगल, पार्श्व में । ग्रावती- वि० [स्त्री० [ती] इतगामी उतावना तीव्र ३ उग्र, क्रोधी । ४ अधीर, व्यग्र । परेशान | [फा० ग्राखतः ] ६ बधिया - क्रि० वि० शीघ्र, तेज 1 ५ प्राखर - पु० [सं० प्रक्षर ] १ किसी भाषा या लिपि के वर्ण, हरूफ । २ अंक । ३ देखो 'आखिर' ४ देखो 'प्रखर' | -वंत - पु० प्रतिम समय । पावर बाईपाली स्वदाप्रेनन । निकट | २ ते ऊवा हुना, किया हुआ । Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राखरी प्रागळतू प्राखरी-स्त्री० १ पशुओं का रात्रि विश्राम स्थल । —बोट-पु० अग्नि बोट । -मई-वि० अग्नियुक्त । २ कुएं से पानी निकालने का समय । ३ देखो 'अाखिरी'। | प्रागइ, प्रागई-क्रि० वि० आगे, अगाडी। पाखळी-स्त्री० १ पत्थर बेचने का स्थान । २ पथरीले रास्ते | प्रागड़-पू० चन्द्र के आगे का स्थान या घेरा। का गड्ढ़ा। प्रागड़दि, (दी), प्रागड़े-क्रि० वि० ग्रागाडी, गम्मुग्न । प्राखा-पु० [सं० अक्षत] १ मांगलिक अवसर पर काम आने वाले प्रागडो-त्रि० वि० दूर। अलग। ---पु. १ कप पर लगी गिरी चावल या गेहूं के दाने । २ भिक्षा में दिया जाने वाला में रस्मी से पड़ा हुआ गड्ढ़ा । २ अनुमान, अन्दाज । अनाज । ३ अक्षय तृतीया । -वि० [सं० अखिल समस्त, प्रागरण-पु. १ मार्गशीर्ष मास । २ देखो, 'पागड़' । सम्पूर्ण । --तीज, त्रीज-स्त्री० बैशाख शुक्ला तृतीया । | प्रागत-वि० [सं०] १ प्राया हुआ, प्राप्त । २ आने वाला। उक्त तिथि को राजस्थान में मनाया, जाने वाला त्यौहार । ३ उपस्थित । -स्त्री० १ सबसे पहले बोई हुई फसल । -नवमी-स्त्री० कातिल शुक्ला नवमी । ३ देखो 'पागतरौ' । -स्वागत-पु० पाने वाले का सत्कार । प्राखाई-पु० अनेक युद्धों में विजयी योद्धा । -वि० सम्पूर्ण। प्रागतरौ-वि० (स्त्री० प्रगतरी) समय के कुछ पूर्व बोया गया । प्राखाड़, प्राखाड़ो-देखो 'अखाडौ'। (अनाज) प्राखाड़मळ, (मल्ल, सिद्ध सिध्ध)-देखो 'अखाड़मल' । प्रागतो-देखो 'पाखतो' (स्त्री० अागती) । प्राखाड (ढ)-देखो 'पासाढ' । प्रागन-देखो 'ग्राग'। पाखापाती-देखो 'ग्राखा'। प्रागना, (न्या)-स्त्री० [सं० प्राज्ञा] १ प्रादेश, हम । २ अाज्ञा, प्राखारीठ-देखो 'प्राकारीठ' । २ इजाजत । पाखिर, (खीर)-क्रि० वि०-१ अन्त में, आखिर को, अंततः । प्रागनि, (नी)-देखो 'अगनी' । २ अवश्य । ३ मगर । -पु. १ अंत, समाप्ति । २ सीमा। पागम, (म्म)-पु० [सं० अागमः १ अाना, प्रागमन । ३ परिणाम । --वि० १ अंतिम, पिछला।२ पीछे का । २ आमदनी, अर्थागम । ३ भविष्य । ४ भवितव्यता, होनी। ----कार-क्रि० वि... अंततः, अन्त में, खैर । अवश्य । ५ णास्त्र । ६ पद सिद्धि में पाया हया वर्ग । ७ बहत्तर आखिरी-वि० [अ०] १ अन्तिम । २ सब से पीछे का। कलायों में से एक । ८ जन्म, उत्पत्ति । ९ वेद । पाखी-देखो 'पाखौ'। १० परम्परागत सिद्धान्त । ११ ज्ञान । -वि० प्रथम, पहला । पाखी-प्रणी-वि० १ अटल । २ सम्पूर्ण । ३ अग्रगण्य । -ग्यांनी, जारण, जारणी-पू० भविष्य की जानने वाला। पाखु. प्राखू-पु० [सं० पाखुः] १ चूहा, मूसा । २ छन्दर । वेदांती । शास्त्रज्ञ । -वक्ता-वि० भविष्य की कहने वाला। ३ सूअर । ४ चोर। -वारणी-स्त्री० भविष्य वागी । वेद वाक्य । --दिसट, प्राखेट, (ठ), पाखंट-पु० [सं० आखेट] शिकार, मृगया। दिसटी-स्त्री०दूरदर्शिता । -सोची-वि० दुरदर्णी, अनमोची । —टक, टी-पु० शिकारी। आगमरण (पौ), प्रागमन-पु० १ पाने की क्रिया या भाव, पाखेप-पु० १ कटाक्ष, नजारा । २ देखो 'पाक्षेप' । ग्राना । २ ग्रामद । ३ प्राप्ति । प्राखौ-वि० [सं० अक्षत] (स्त्री०पाखी) १ अखण्ड । २ अक्षय । प्रागमि, (मी)-१ देखो 'पागांमी' २ देखो 'पागम' । ३ पूरा, समूचा । -पु० १ अन्न का दाना । प्रागमियाकाळ-पु० भविष्यकाल । २ अबधिया नर पशु । आगर-१ देखो 'पाकर'। २ देखो 'ग्रागार' । प्राख्यांन, (क)-पु० [सं० पाख्यान] १ वृत्तांत, कथन । प्रागरणी-स्त्री० गर्भवती स्त्री को दिया जाने वाला पौष्टिक व २ कहानी। ३ पौराणिक कथा । --वि० १ प्रसिद्ध, | स्वादिष्ट भोजन । विख्यात । २ कहा हुआ। प्रागरबंध-पु० रोग विशेष, कंठमाला । प्रागंतुक-वि० [सं०] १ आने वाला । २ भूला-भटका पाया प्रागळ-स्त्री० [सं० अर्गला] १ अर्गला । २ रोक । -वि० हुमा । ३ अकस्मात पाने वाला। ४ अाकस्मिक । १ रक्षा करने वाला, रक्षक । २ विशेष, अधिक । --क्रि०वि० -पु० १ अतिथि । २ आगन्तुक व्यक्ति या प्राणी। अगाड़ी, सम्मुख । -~-कूची--स्त्री० अर्गला की कुनी। ३ अकस्मात होने वाला रोग। -खूटौ-पु० बुनाई में काम आने वाली बूटी । प्राग-स्त्री० [सं० अग्नि] १ प्राग, ज्वाला । २ जलन, ताग । प्रागलउ, प्रागलड़ा-वि० (ग्वा. यागनदा) आग का पागलउ, पागलड़ौ-वि० (स्त्री याग नही) आगे का, अगला । आग्नि । ८ देखो 'ग्राघ'। -कड-प० यज्ञकड। आगळणौ (बौ)-क्रि० ऊंट का वदना । -जंतर, जंत्र-पु० तोप, बन्दुक । --सळ, झाळा-स्त्री० पागळतू, (तौ)-वि० (स्त्री० पागळती) १ अधिक, अावश्यकता अग्नि की ज्वाला, ली। -बह-पृ० धुम्र, धूग्रा से अधिक, विशेष । २ व्यर्थ, फिजूल । For Private And Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ग्रामळसोंगी श्रागळसोंगो - पु० वाला बैल | अग्रगण्य | ३ विशेष अधिक । ४ दूसरा ५ पूर्व का, पूर्व जन्म का ६ विगत, पुराना - क्रि०वि० सामने, सम्मुख 1 स्त्री० [ग्रामोंगो) जागाड़ी के हुए सींगों ग्रामीपाद बागीपाखी देखो 'बागापाछी। श्रागवरण- देखो 'ग्रागमण' । चावी देखो 'वो' www.kobatirth.org प्रागळि, (टी) देखो 'आगळ' | गठिया (बाळ) प्रावलिहार वि० वा पी । गळू (च) 'गळ' आगळे । गळे (से)- वि० पहले के पूर्व के आगे, आगाड़ी । श्रागळौ-देखो 'आगळ' (स्त्री० ) । प्रागली - वि० (स्त्री० आगली ) १ अगला, आगे का । २ अगुवा, + ( 2 ) श्रागस पु० १ श्रग्नि, याग । २ दोष, अपराध । श्रागस्त, प्रागस्ति-देखो 'अगस्त' । श्रच क्रि०वि० १ पहले से पूर्व में । २ अग्रिम, पेशगी । धागू क्रि०वि० पहले से पेशगी २ बागाड़ी बि० मार्ग दिखाने वाला, अगुवा । -कथ-स्त्री० भविष्यवाणी । 1 , धात (तो)- डि०वि०१ आगे आगाड़ी २ अग्रिम ३ सामने । - क्रि० वि० धागून कि०वि० घाने की घोर बागाड़ी । ग्रागे 10 आगे (गँ) - क्रि०वि० ग्रागाड़ी आगे । भविष्य में, सामने । बाद में । - वांग - वि० अग्रगण्य । नेता | प्रागेटी-स्त्री० १ सेकने या तापने की धीमी अग्नि । २ देखो 'अंगीठी' | अन्य अपर । ७ ग्रागामी । श्रागाऊ पु० [० सेना का अग्र भाग, हरावल । वि० १ ग्रागाड़ी का प्रथम । २ अग्रिम | बागाडी देखो 'बगारी' | श्रीगाज पु० १ क्रोध, रोष । स्त्री० २ गर्जना ध्वनि । श्रागा पाछी स्त्री० १ चुगली । २ निन्दा | ३ परस्पर भिड़ाने की वात । श्रागार - पु० [सं०] १ ग्रावासस्थान, घर । २ स्थल स्थान | ३ खजाना । ४ भण्डार । ५ छूट (जैन) । । घावाली-वि० (स्त्री० [बामाली) १ पाने का पता २ अधिक, विशेष | श्रागामि (सो) - १ देखो 'प्राकास' । २ देखो 'आकासी' । श्रागाहट, (ठ) - पु० [सं० प्रघात्य ] चारणों की जागीरी के गांव । प्रति-कि०वि० १ २ पहिले पूर्व । आगे गाडी | प्रागे, ३ देखो 'आग' | आगिना देखो 'ग्राग्या' | प्राणिमि (मी) देखो'बागी'। 1 प्रागियों ० १ जुगनु २ एक तांत्रिक मंत्र । ३ छोटे बच्चों का एक रोग | ४ एक प्रकार का पशुयों का रोग । ५ एक प्रकार की पास | - धाविती देवी यानी' (स्त्री घाली । श्रागी - वि० १ ऋतुमती, रजस्वला । २ देखो 'ग्रागौ' । - वांग - वि० [० अग्रगण्य, नेता । प्रगत ग्रामदेवी सा आगह कि०वि० पहले पूर्व श्रागौकढ़ियाँ - पु० वेगार | बेमन का कार्य । - । यागांमि (मी) वि० [सं० आगामिन्] १ धाने पाने वाला धामी पाछी कि० बि० इधर-उधर २ कभी आगे कभी १ । २ भविष्य में होने वाला । पीछे । ३ हस्तान्तरण । ४ देखी 'आगोपीछौं' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाला जन्म | घासण १ पहला जन्म पूर्वजन्म २ भविष्य में होने श्रागोर स्त्री० १० १ जलाशय के प्रास-पास की पड़ती भूमि जिसके वृक्षादि काटे नहीं जाते । २ जलाशय या खेत की परिसीमा । ३ सारंगी में ठाठ की भोर से पहिला तार । 1 गोपीछौ पु० १ शरीर या वस्तु का अगला या पिछला भाग । २ ग्रागे पीछे का विचार । १ निरन्तर लगातार । ग्रालय (लगा) २ बराबर । ३ क्रमश: । आग्या स्त्री० [सं० प्रज्ञा ] १ ग्रादेश, हुम । स्वीकृति । ३ शासन । ४ प्रदेश पत्र । श्रादेश का पालन करने वाला । चक्र - पु० चक्रों में से छठा । —पत्र - पु० आदेश पत्र | आग्रह - पु० [सं०] १ अनुरोध मनुहार । ३ तत्परता । For Private And Personal Use Only २ अनुमति —कारी - वि० योग के आठ २ हठ, जिद्द | श्राग्राज स्त्री० जोश पूर्ण ग्रावाज । गर्जना | जली (बी) त्रिगर्जना करना, दहाड़ना। आप (पि) जु० [सं०] [] १ मान प्रतिष्ठा २ बादर, सत्कार । ३ देखो 'ग्रध' । -उ-देखो 'प्राधी' । —रत - पु० - । यादर, सत्कार । आप घड़ी देखो 'बाय' (स्वी० वाघड़ी। | प्राण- देखो 'ग्रागण' । २ देखो 'बागड़' | देखा' (स्त्री० पाती। श्राघमा ( णौ न, नौ) - ०१ प्रग्रणो । २ उदारचित | ३ उत्साह युक्त । ४ स्वागत करने वाला ५ देखो' आगमण' । श्रावसणी (बी) - कि० घण करना, घिसना । Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राघसतड़ो प्राच्छौ प्राघसतड़ी-देखो 'अगस्त' । प्राचमरणौ (बी)-क्रि० १ भोजन के बाद हाथ धोना, कुल्ला ग्राघांगुण, (घुरण)-पु० भौंरा, भ्रमर । करना, आचमन करना । २ भक्षण करना । प्राघात-पु० [सं०] १ प्रहार, चोट । २ अाक्रमण, हमला, बार। | आचमन, (न्न)-पु० [सं० पाचमनम्] १ भोजनोपरांत जल से ३ धक्का, टक्कर । ४ दुःख, कष्ट । ५ ध्वनि । -वि० हाथ-मुह की सफाई, पाचमन । २ अनुष्ठान या पूजन के भयंकर । ---क-वि० चोट पहुंचाने वाला, घातक । प्रारम्भ में दाहिनी हथेली से जलपान । आधार-पु० [सं०] १ घी, घृत । २ छिड़काव । ३ हवि । प्राचमनी-स्त्री० पूजा का छोटा चम्मच जिससे पाचमन करते ४ हवि-मंत्र। तथा चरणामृत आदि देते हैं । प्राघाहट-देखो 'आगाहट'। प्राचरज-पु०१ पाश्चर्य, विस्मय । २ प्राचार्य । आधेरौ-वि० (स्त्री० आधेरी) दूर । पाचरण-पु० [सं० पाचरणम्] १ व्यवहार, बर्ताव । २ चालप्राधे-देखो 'पागै'। चलन । ३ आचार-विचार । ४ रीति-नीति । प्राधौ-वि० (स्त्री० ग्राघी) १ प्रागे, प्रागाड़ी । २ दूर, फासले ५ चिह्न, लक्षण । पर । ३ पृथक, अलग, । ४ परे । प्राचरणो (बौ)-क्रि० १ व्यवहार या बर्ताव करना । २ विचार माघ्रांण-स्त्री० १ गंध, महक । २ गंध ग्रहण । ३ सूघना, | करना । ३ भक्षण करना, खाना। ४ उपयोग करना। वास लेना क्रिया। ५ आचमन करना। आघ्रात -पु० [सं०] ग्रहण का एक भेद । प्राचवरणौ (बौ)-क्रि० आचमन करना । प्राग-पु. १ वर्षा-पागमन के पूर्व की उमस, गर्मी। २ वर्षा पाचवन-देखो 'आचमन' । के लक्षण। प्राचार-पु० [सं०] १ व्यवहार, बर्ताव । २ चरित्र । ३ रीति पाड़त-स्त्री० अन्य व्यापारी का माल अपने स्तर पर बेचने रिवाज । ४ सदाचार, शील । ५ स्नान । ६ आचमन । का कार्य । दलाली । २ उक्त कार्य में मिलने वाला ७ दान-पुण्य । ८ नियम । ९ लक्षण । १० शुद्धि । कमीशन । ३ पुराने समय का एक लगान । ४ गरज, ११ धार्मिक नियमों उप-नियमों का पालन करना (जैन)। आवश्यकता, मतलब । १२ देखो 'अचार' । -गळ-गळी-देखो 'अचागळ' । -वांनपाड़तियो-पु० पाड़त का कार्य करने वाला व्यापारी । दलाल।। वि० सदाचारी, शीलवान । पवित्रता रखने वाला। प्राडाजीत-पु० देखो, 'पाडाजीत' । प्राचारज-पु० [सं० प्राचार्य] १ गुरु, प्राचार्य, पंडित, विद्वान । पाड़ी-स्त्री० १ बराबर की जोड़ी, युग्म । २ तबला या मृदंग २ शुक्राचार्य । ३ कवि । ४ मृतक के पीछे कर्म कराने बजाने का ढंग। २ कलह, लड़ाई। -गारौ-वि० कलह- वाला । ५ उपाधि विशेष । ६ पुरोहित । प्रिय । झगड़ालू । -वाळ-वि० बराबर का । प्राचारजी-स्त्री. १ प्राचार्य । २ प्राचार्य का काम । समान । समवयस्क । प्राचारणौ (बौ)-देखो 'पाचरणी' (बौ)। प्राड़-वि०१ उदंड, बदमाश । २ अड़ियल । ३ हठी, जिद्दी । प्राचार-विचार-पू० [सं०] १ सोचना-समझना । २ विवेक । ४ उज्जड़, गवार, असभ्य । -पु. १ एक प्रकार का फल ।। ३ सद्भाव, चरित्र । ४ व्यवहार । ५ शौच । २ एक प्रकार का पत्थर जो संवारा नहीं जा सकता है। प्राचारवेदी-पु० [सं०] भारतवर्ष । प्राई-पाड-क्रि० वि० १ अगल-बगल में, इधर-उधर । प्राचारहीरण-वि० आचरण-भ्रष्ट । अचरित्रवान । ___ आस-पास, निकट । प्राचारि-देखो 'पाचार' । पाड़ोस-पाडोस-पु० अगल बगल के घर, स्थान प्रादि । आचारिज-देखो 'प्राचारज' । आड़ोसी-पाड़ोसी-वि० अड़ोस-पड़ोस में रहने वाला । प्राचारी, (क)-वि० [सं० याचारिन्] १ प्राचारवान् । प्राडो-पु० १ हठ, जिद्द । २ बालहठ । ३ किसी वस्तु के लिए २ शास्त्रानुगामी । ३ चतुर, दक्ष । ४ चरित्रवान । ५ समान, बराबर रुदन । ४ युद्ध । ५ चमड़ा साफ करने वालों से तुल्य । ६ दातार, उदार । लिया जाने वाला कर । ६ मवेशी खेत में घुसने पर लिया | जाने वाला दण्ड । प्राची, (चू)-देखो 'पाच' । प्राचंत-वि० शोभायमान, सुशोभित ---कि० वि० है। प्राचूगाळ-देखो 'अचूगाळ'। प्राच-पु०१ हाथ, हस्त । २ समुद्र, सागर। --गळ, गळौ- प्राच्छादन-पु० [सं०] १ ढकना, ढाकन । २ छप्पर । देखो 'अचागळ' । ---प्रभव -पु० क्षत्रिय, राजपूत । ३ आवरण । ४ वस्त्र, कपड़ा। -मरण='पाचमन'। प्राच्छौ-देखो 'पाछौ' (स्त्री० ग्राच्छी)। For Private And Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राछंटरणी प्रासो पाछ टणी (बी)-क्रि० १ दुर फैकना । २ छिटकाना। प्राजाजीत-वि० [सं० प्राज्यजित] १ अजेय, अपराजित । ३ पछाड़ना । ४ प्रहार करना । ५ टकराना । २ बलवान, शक्तिशाली । ३ उत्पात करने वाला, उदंड । पाछ-स्त्री० छाछ या तक के ऊपर पाने वाला पीला पानी। ४ चंचल । प्राछइ, (ई)-देखो 'अछइ। आजाद-वि० [फा०] १ स्वतन्त्र, मुक्त । २ उन्मुक्त, मस्त । प्राछउ -देखो 'आछौ'। ३ निडर, निर्भय । ४ स्पष्ट वक्ता। ५ सूफी फकीर । प्राछट-स्त्री० १ झटका, धक्का । २ पछाड़ । ३ आघात, चोट। अाजादगी, प्राजादी-स्त्री० [फा०] १ स्वतंत्रता, स्वाधीनता। -क्रि ०वि० तीत्र वेग से। २ मुक्ति । ३ छूट। प्राछट गौ (बौ)-देवो 'माछंटगो' । प्राजानेय-पु० घोड़ों की एक श्रेष्ठ जाति व इस जाति का घोड़ा। प्राछरण (रणी)-देखो 'पाछ' । पाजार-पु० [फा० पाजार] १ रोग, बीमारी, व्याधि । पाछत-स्त्री० [सं० प्राच्छन्न] छिप कर रहने का भाव । २ लक्षण, चिह्न। --क्रि०वि०होते हुए। प्राजि-पु० [सं० प्राजि:] १ लड़ाई, युद्ध । २ गति, गमन । पाछन्न-क्रि०वि० [सं० ग्रासन्न पाम, निकट । ३ घी, घृत । ४ देखो 'पाज' । ग्राख्यौ-देखो 'पाछौ'। प्राजिज--वि० [अ०] १ विनम्र, नम्र । २ दीन । ३ हैरान । प्राछाबूच (झ)-क्रि०वि० अचानक, अकस्मात । प्राजिजी-स्त्री० [अ०] १ नम्रता । २ दीनता । ३ हैरानी। प्राछाद, (दित)-वि० [सं० आच्छादित] १ ढका हा। आजी-देखो 'माजि'। २ अावृत्त । ३ छिपा हुआ, तिरोहित । प्राजीजी-देखो 'आजिजी' । प्राछादलो (बी)-क्रि० १ ढकना । प्रावृत्त करना । २ छिपाना। आजीवका, (विका) प्राजुका-स्त्री० [सं०ग्राजीविका] १ रोजगार, ३ छा देना। रोजी । २ जीवन का सहारा । ३ जागीर । प्राछो-स्त्री० १ भलाई, अच्छाई । २ अावड़ देवी की बहिन । आजीवन-क्रि०वि० [सं०] जीवन पर्यन्त, जीवन भर । ___३ ज्वार नामक अन्न । ४ देखो 'माछौ' । –सिल-वि० | प्राजुत-पु० [सं० आयुत] दश हजार की संख्या । स्फटिक सिला । स्फटिक मणि । -वि० दश हजार । पाछेलौ-वि० (स्त्री० पाछेली) श्रेष्ठ उत्तम, अच्छा । आजूरगौ, (जूणौ)-वि० (स्त्री० प्राणी, आजूणी) आज का । प्राछोड़ी-स्त्री० १ वालू रेत । २ चीनी शक्कर । ३ ज्वार । -क्रि०वि० जीवन पर्यन्त । ४ देखो 'माछी'। प्राजू-पु. बेगार । बिना प्राय का श्रम । -क्रि०वि० अभी तक । पाछोड़ो, पाछौ-वि० [सं० अच्छ] १ अच्छा, उत्तम, श्रेष्ट । प्राजूरगई-वि० ग्राज का, नवीन । -क्रि०वि० आज । २ गुन्दर । ३ पवित्र, शुद्ध । ४ स्वस्थ, निरोग । ५ श्वेत, आजूबाज-क्रि०वि० ग्रास-पास, अगल-बगल । प्राजे-क्रि०वि० अाज ही, प्राज से। प्राज- कि०वि० [सं० अद्य, प्रा० अज्ज] १ जो दिन वर्तमान है, प्राजौ-पु० १ बल, पौरुष । २ साहस, हिम्मत । ३ आत्मबल । नित्य, वर्तमान में । २ अब । -पु० [सं० ग्राजि] १ घृत । ४ विश्वास, भरोमा । ५ सहारा । ६ आश्विन शुक्ला २ युद्ध । -- कल, काल-कि०वि० इन दिनों, इस समय । प्रतिपदा को दोहित्र द्वारा सम्पन्न किया जाने वाला नाना--जुगाद-क्रि०वि० परम्परा से । नानी की श्राद्ध। प्राजगव-देखो 'अजगव'। आजौको-वि० अाज का। अाजन्म-क्रि० वि० [सं०] जीवनपर्यन्त, प्राजीवन । प्राजोळी-स्त्री० जलती लकड़ी से किया जाने वाला प्रकाश । प्राजमखांनो-पृ. एक राजकीय विभाग विशेष । प्राज्यस्थाळी-स्त्री० एक यज्ञ-पात्र । प्राजमाइस-स्त्री० [फा० प्राजमाइश] परीक्षा, जांच, परख । । | माझा-स्त्री० इच्छा, कामना । प्राजमारणौ (बी), प्राजमावरणौ (बौ)-क्रि० परखना, परीक्षण | प्राझाडौ-वि० १ काटने वाला, मारने वाला । २ योद्धा, वीर । करना । काम लेकर देखना। माझाळ-स्त्री० [सं० ज्वाला] आग की लपट, ज्वाला । प्राज-क्रि०वि० अाज तक, अब तक । माझाळौ-वि० (स्त्री० ग्राझाळी) १ वीर बहादुर । २ जोशीला । प्राजांन, प्राजांनु-वि० [सं० ग्राजानु] १ जांध या घुटने तक ३ तेजस्वी, ज्वाजल्यमान । ४ मार-काट करने लंबा । २ ग्राजानबाह । ---देव-पु० सष्टि के आदि | प्राझौ-पु० १ साहम, उत्साह, जोश । २ शक्ति, बल, पराक्रम । देवता । --कर, करग, बांह, बाहु, बाहू, भुज-पु० जानु तक ३ दोष, कलंक । -वि० १ निकटतम, धनिष्ठ । २ बहुत लवी बाहों वाला, विशालबाहु । गहरा । ३ उदार। For Private And Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राट प्राडिया-काठिया पाट-देखो ‘पटाकिका'। ५ तुरही की आवाज । ६ अभिमान, मद । ७ रोप, क्रोध । पाटइयो, पाटड़ियो-देखो 'पाटौ'। ८ हर्ष, खुशी। ९ तड़क-भड़क । १० तंबू । ११ युद्ध वाद्य । अाटपाटा, पाटणटा-कि०वि० १ दोनों किनारों से ऊपर होकर | १२ युद्ध की घोषणा । १३ ललकार। १४ हाथियों की भरपूर अवस्था में (नदी) । २ ओत-प्रोत । चिंघाड़। १५ तैयारी। पाटबाट (वाट, वाटi)-कि० वि० इधर-उधर । माउंबरो-वि० [सं०] आडंबर करने वाला, ढोंगी, पाखंडी। प्राटियौ-देखो माटौ'। प्राड, (ई)-स्त्री० १ प्रोट, सहारा । २ परदा । ३ रोक, पाटो-स्त्री० १ मृत की गुटी । २ वेणी । ३ वेणी की डोरी।। बाधा । ४ सीमा, हद ५ अाथ य, सहारा, मदद । -बंद -पु० रहट की माला का एक बंध । ६ बहाना । ७ प्राशा । ८ लम्बी टिकली। ९ स्त्रियों का पाटोड़ियो, पाटौ-पु० १ अनाज का पिसा हुया चूर्ण, चून, कंठा भुषण । १० मस्तक का प्राडा तिलक । ११ रक्षा, पिसान । २ पूर्ण, बुकनी । –साटौ-पु० वस्तु विनिमय । शरण । १२ आधार । १३ तालाब में पानी आने की छोटी अदला-बदली। कच्ची नहर । १४ बतख । १५ सेतु । १६ पाल । १७ कमर पाठ (क) वि० सं० प्रष्ट] मात और एक का योग । -स्त्री. या चंदन का तिलक । १८ सहायक । १९ संन्यासियों उक्त योग की संख्या, ८ । --प्रांनी-स्त्री० पचास पैसे का का कमर बंध । २० फलसा में लगाई जाने वाली पड़ी सीधी सिक्का । ---क-वि० पाठ के बराबर, लगभग । - करम- लकड़ी। --क्रि० वि० ओर, तरफ। --पलांग, पिलांग पु० पाठ प्रकार के कर्म (जैन) । -द्रगन-पु० ब्रह्मा, -पु० ऊंट पर दोनों पैर एक ओर करके बैठने का ढंग । विरंचि । --पग-पु० सिंह । मकड़ी । अप्टापद । -पुहर, ग्राड झौया (फा)-स्त्री० उछल कूद । पौहर-कि०वि० अन्दप्रकार, दिन-रात, हर समय । श्राडण, (सी)-स्त्री० १ ढाल । २ झाड । ३ अन्तर पर । पाठकि-पु. प्रहार, साघात । ४ जूना की बाजी, दाव । ५ चार पाये वाला चौकोर अाठम, (मि, मी)-स्त्री० अष्टमी तिथि । ग्रामन, छोटा तख्त, चौकी । ६ पहेली। पाठकों (वी)-वि० (स्त्री० पायपी, वीं) सात के बाद बाला, पाउरणौ (बी)-कि० १ जूया में दाव लगाना । आठवा। २ देखो अर डागी (को)। अाठमाट--10ना:। पाउत-रेही 'पाड़ा'। पाठांजाम-कि०वि० [सं० अष्ट-यामअष्ट महर, हर ममय । प्रातियो देखो 'याडतियो' । पाठांनी-देखो 'ग्राउप्रांनी' । आडबंद, (बंध)-गु० १ लंगोटी । २ कटिबंध या कोपीन पाठां-पौहर-देखो 'पाठपौहर' । की रस्सी ३ दुल्हे की लालपगड़ी पर बांधा जाने पाठांभुजा-स्त्री० [सं० अष्ट + भुजा] १ देवी, दुर्गा, पार्वती। वाला सफेद वस्त्र (भांभी)। २ आठ भुजा वाली। प्राडबाहरु-वि० १ हद तोड़ने वाला । २ अपने पापको प्राठियौ-पु. १ ऊंट पर कसी जाने वाली बड़े मुह की बंदूक । रोकने वाला । २ छोटी बंदुव । पाडवळी-० [सं० अर्बुदावलि] अरावली पर्वत माला । पाठी-स्त्री० १ पाठ चिह्नों वाला ताश का पता । आडवाहौ-वि० सम्मुख, सामने । २ देखो 'पाटी'। प्राडागिर (रि)-पु० विध्याचल पर्वत । प्रा-वि० [सं० अष्ट] आठों हो। प्राडाचौताळी-पु० १४ मात्राओं की एक ताल । पाठू जाम-देखो 'माठांजांम' । प्राडाजीत-वि० वीर, वहादुर, शक्तिशाली। पाढूपहर-देखो 'अपार'। प्राडाडंबर-देखो 'साडंबर'। पाळूवळा-किलबिल पाठों दिशामों में, सब तरफ । प्राडायली-स्त्री० [सं० अर्गला] १ किंवाड़ के पीछे लगने वाली पाठू वेळा--किन हर समय । पाड़ी लकड़ी, अर्गला, व्योंडा । २ कपाट । ३ अवरोध । प्राठी-पु० [सं० अन्ट] १ पाठ का अंक । २ पाठ की संख्या ४ करूनोल । ५ मूर्योदय या सूर्यास्त के समा दिखने वाले का वर्ग । ३ बाट बूटी वाला ताश का पत्ता । वादल । ६ तलवार। आडंगौ-पु० बैलगाड़ी का चमड़े का नाड़ा । प्राडावळ (टौ)-देवो 'पाडवळी । प्राडंबर-पु० [सं०] १ होंग, पाखंड । २ दिखावा, बनावटी आडि-१ देवो 'पा'। २ देखो 'पाडी'। पन । ३ मजावट, गार । ४ गंभीर बावाज गर्जन ।। प्राडिया-काठिया-वि० बाधक । For Private And Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राडियो प्रातम प्राडियौ-गु० १ सामान लादते समय गाड़ी के आगे लगाया का एक भेद । ६ एक वणिक छंद । ७ प्रथम ढगण के भेद जाने वाला डंडा । २ एक प्रकार का पारा । ३ बांह से नाक का नाम । -उद्भवन-पु० वीर्य । -कंद-पु० ईश्वर, पोंछने की क्रिया या भाव । ----वि० समान, बराबर । विष्ण । -कर, कारी-वि० सुखकर, हर्षप्रद । –घरण-पु० प्राडी-स्त्री० १ पहेली । २ धरातल के साथ लम्बाई ।। ईश्वर । श्रीकृष्ण । श्रीविष्णु । -निध, निधी-पु० ३ देखो 'याड' । ४ देखो 'पाडौ'। ५ देखो ‘ाड़ी'। ईश्वर । अानन्द का सागर । --प्रोळ-वि० समस्त, सम्पूर्ण । -टांग-स्त्री० रास्ता आणंदरणी-वि० प्रानन्द देने वाला। रोकने या चनने हो को गिराने हेतु लगाई जाने वाली पांव पाणंदरणौ (बौ)-क्रि० आनन्दित होना, हर्षित होना । की रोक, लत्ती । २ वाधा, विध्न । -धार-स्त्री० तलवार आणंदित-वि० [सं० ग्रानन्दित] हर्षित, प्रसन्न । की धार । ---माळ-स्त्री० गांव की सरहद की समस्त कृषि प्रारण-देखो 'मासन'। भुमि । इस भूमि में होने वाली एक सी फसल । प्राणौ, (बौ)-क्रि० १ आना, प्रागमन होना । २ उपस्थित - लीक, लोह-वि० हद से ज्यादा, असीम । होना। ३ जन्मना, अवतरित होना । ४ प्राप्त होना। प्राडीयौ देखो 'ग्राडियौ'। ५ लौटना । ६ जानना, समझना । ७ किसी कार्य की क्रिया प्राडू पु० १ लकड़ो या पत्थर चीरने का लौहे का बड़ा अौजार ।। याद होना। ८ सीख लेना । २ खट्टे-मीठे स्वादवाला एक प्रकार का फल । अातंक, (ख, ग)-पु० [सं० अातंक] १ भय, डर । २ प्रभाव, -क्रि० वि० सम्मुख, प्रागे । रौब । ३ तनाव जोश । ४ उपद्रव । ५ वेग । ६ क्रोध, प्राडेअंक-वि० बेहद, अपार । गुस्सा । ७ रोग, पीड़ा। प्राटेकट-त्रि० वि०१ आम लोगों के लिए। २ ग्राम तौर पर । प्रातकरी-वि भयानक डरावना. ग्रातंकित करने वाला। -वि० समस्त, सम्पूर्ण । मातंगी-पु० यमराज। पाखंड-वि०१ निर्वाध, खुला। २ स्वतन्त्र । ३ विरुद्ध ।। प्रात-देखो 'ग्राथ' । कि वि० वेरोक-टोक । प्रातरणी-स्त्री० १ पुजारिन । २ देखो 'प्राथगी'। प्राडेछाज-पु० भूप से अनाज साफ करने की क्रिया विशेष । प्राडेफरे-पु० रेतीले टीबे या पहाड़ का मध्य भाग । प्रातताई, (तायी)-वि० [सं० आततायी] १ अत्याचार करने प्राड अंक- देखो 'या अंक' । वाला, सताने वाला । २ क्रूर शासक । ३ हत्यारा । पाडोवळौ-देखो 'पाडवळो' । ४ दुष्ट, अत्याचारी। -पु० डाकू । प्राडोस-पाडोस -'पाड़ोस-पाड़ोस' । प्रातप-पु० [सं०] १ धूप, घाम । २ गर्मी, उष्णता । ३ प्रकाश । प्राडोहल्लणौ (बौ)--क्रि० १ मदद करना । २ विरुद्ध चलना । ४ अांच, ताप । ५ ज्वर । -वारण -पु० छत्र, चंवर, छाजा । प्रातपत्र-पु० [सं०] १ छत्र, चंवर । २ छतरी। पाडौ-वि० (स्त्री० पाडी) १ विरुद्ध, विमुख । २ चौड़ाई के पआर-पार । ३ सम्मुख, सामने । ४ महायक, मददगार । प्रातम-पु० [सं० पात्मन] १ अात्मा । २ अंधकार, अज्ञान । ५ रक्षक । ६ रोकने वाला, वाधक । ७ धरातर के ३ मन । ४ अहंकार । ५ धर्म । ६ स्वभाव । ७ बुद्धि, चित । ८ संसार । ९ परमात्मा । १० ब्रह्म । ११ जीव । ममानान्तर । -पु० १ द्वार, दरवाजा । २ कपाट, : किवाड़ । ३ प्रोट, परदा । ४ शयन । ५ निंदायुक्त कविता । [सं० पात्मज] १२ संतान । -वि० निजी, अपना । प्रात्म, ६गेक। -क्रि० वि० वीच में, मध्य में । अंबळो-क्रि० स्वकीय । ----ग्यांन-पु० जीव और ब्रह्म के विषय में जानकारी, ज्ञान । सत्यज्ञान । -ग्यांनी-पु० आत्म ज्ञानी, वि० वर-उधर । जैसे-तैसे । ---वि० टेढ़ा । -तिरछा । ऋषि, ज्ञानी । -धात-स्त्री० अात्महत्या। -घातक, प्राडि, श्राडी-कि० वि० रुकावट डालते हुऐ। -खेमटौ-पु० घाती-वि० अात्महत्या करने वाला । -ज, जात-पु. मगंद की तेरह मात्रीय ताल --घंस = 'गाडी मारग' ।। पुत्र, लड़का । कामदेव । रुधिर । शरीर। ---जोरणी-पृ० --- चौताको ठेकौ-पु. एक ताल । --मारग-पु० प्रांखों के ब्रह्मा । वि। शिव । कामदेव । प्रात्मजात । ..त्यागममानान्तर दाई-बाई ओर का मार्ग । -० स्वार्थों का त्याग । --दरस, दरसरण-पु० समाधि प्राढ़त देवा 'पाड़ा'। द्वारा प्रात्मा व परमात्मा का दर्गन, जीणा, दर्पण । श्राढ़ातियो-देखो 'ग्राइनिया' । -----द्रोही-वि० स्वयं को कष्ट देने वाला । ---भु, भू-वि० पाणंद-पु० [सं०ग्रानन्द] १ हर्ष, खुशी। २ मनोरंजन, ग्रामोद- स्वतःउत्पन्न, स्वयंभू । -पु० ब्रह्मा। विष्णु । कामदेव । प्रमोद । ३ उत्माह । ४ विष्णु, ईश्वर । ५ 'वेलियो नागोर' पुत्र । -रांम-पु० परमात्मा । आत्मज्ञान प्त योगा। For Private And Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रामता ( १०१ ) प्राण जीव । ब्रह्मा । तोता। -सर्व० स्वयं, खुद । --विद्या-स्त्री० आत्तोताइयो, (तायौ)-देखो 'अतोतायौ' (स्त्री० आत्तोतायी) आत्म या अध्यात्म विद्या । ब्रह्म विद्या । —समुद्भव- आत्मज-पु० [सं०] १ पुत्र । २ कामदेव । ३ रुधिर । पु० ब्रह्मा । विष्णु । शिव । कामदेव। -साक्षी-पु० जीव । आत्मिक-वि० [सं०] प्रात्मा संबंधी, मानसिक । द्रष्टा । -सिद्ध-वि० बिना प्रयास से होने वाला । स्वयं प्राथ-पु० [सं० अर्थ] १ दौलत, द्रव्य, धन । २ प्राशय, सिद्ध । --सिद्धि-स्त्री० मुक्ति । -हत्या-स्त्री० खुदकुशी । मतलब । ३ सुथार, कुम्हार, नाई प्रादि जातियों को वर्ष प्रामता-स्त्री० पात्मा । ---प्रानंद-पु० यात्म ज्ञान का मुख । भर के कार्य के बदले किसानों द्वारा दिया जाने वाला -राम-पु० खुद, स्वयं । अनाज। प्रातमासी-स्त्री० मछली, मीन । प्राथडणी (बो)-क्रि० १ युद्ध करना, लड़ना । २ भिड़ना, प्रातमिक-वि० [सं० अात्मिक [ प्रात्मा संबंधी । मानसिक। । टक्कर लेना । ३ संघर्ष करना । ४ लड़खड़ाना । प्रातमीय-वि० [सं० प्रात्मीय[ १ निजी, अपना । २ अंतरंग, ५ अंधाधुध चलना । ६ उमड़ना। घनिष्ठ । ३ प्रात्मा का, यात्मा संबंधी। -पु० नजदीकी | पाथरण-स्त्री० [सं० प्रस्तमन] १ संध्या, सांझ । २ निवास रिश्तेदार। स्थान, घर। प्रातर-देखो 'पातुर'। पाथरणलौ-वि० (स्त्री० पाथणली) संध्या संबंधी, सायंकालका। प्रातरणौ (बी)-क्रि० निकालना, बाहर करना । पाथरणी-स्त्री० १ दूध जमाने का पात्र । २ देखो 'पाथरण' । प्रातलीबळ-देखो 'प्रतिबळ' । प्रायध-पु० लगान, कर । पातळी-वि० (स्त्री० पातळी) दुष्ट, आततायी। प्राथमण, (मरण, मणी, पौ)-स्त्री० [सं० प्रस्तमन्] १ पश्चिम प्रातस (स्स)-स्त्री० [फा० पातश] १ अग्नि, प्राग । २ गर्मी दिशा । २ सायंकाल, संध्या। ३ अस्त होने की क्रिया । उष्णता । ३ क्रोध गुस्सा । ४ सूर्यमुखी । ५ आतिशबाजी। प्राथमरिणयौ-वि० १ अस्त होने वाला । २ पश्चिम दिशा का। ६ तोप, बन्दूकः । -क-स्त्री० फिरंगरोग । --खांनौ-पु० प्राथमणौ (बौ), प्राथम्मरणौ (बौ) प्राथम्मिरणौ (बौ)-क्रि० अग्नि का भण्डार । प्रातिशबाजी का भण्डार । -बाज-पु० [सं० प्रस्तमन] १ अस्त होना, तिरोहित होना । २ अवसान बारूद के पटाखे बनाने वाला । -बाजी-स्त्री. बारूद के होना । ३ समाप्त होना । ४ लोप होना । पटाखे । --फूल-पु० सूर्यमुखी का फूल । प्राथमारण-देखो 'पाथमग' । आतसी-वि० [फा०यातशी] १ अग्नि संबंधी । २ अग्नि-उत्पादक । प्राथमारणी-वि० द्रव्य का उपभोग करने वाला। प्राताप-देखो 'पातप'। प्राथर (रियौ)-स्त्री० [सं० प्रास्तर] १ सर्दी से बचाव के लिये प्रातापना-स्त्री० १ धूप में बैठकर तपस्या करना, तपना । मवेशियों की पीठ पर डाला जाने वाला वस्त्र । २ जीन के २ धूप में बैठना क्रिया । (जैन) नीचे देने का वस्त्र । ३ चादर । ४ बिछौना। प्रातापी-स्त्री० [सं० तापिन] १ चील पक्षी। २ एक असुर । | प्राथवरण-देखो 'प्राथमंग'। आतापूजी, प्रातापोती (पोथी)-देखो 'प्राथापूजी'। आथवणौ (बौ)-देखो 'पाथमणी' (बौ)। | प्राथांण, (णि, णी)-पु० [सं० स्थानम्] १ स्थान, जगह । पाताळ, (ळी)-वि० [सं० उत्ताल] १ शीघ्रगामी, तेज । २ नगर, शहर । ३ घर । ४ गढ़ किला । ५ सिंह की मांद । २ उतावला। ३ आतुर, व्यग्र । ४ तेज मिजाज । ५ भयंकर।। ६ राजधानी। ७ पश्चिम दिशा । -क्रि० वि० तेजी से। प्राथापूजी, (पोतो) स्त्री० १ जमीन, जायदाद । २ सम्पूर्ण आतिथ, (थ्य) प्रातीय-पु० [सं० आतिथ्य] अतिथि सत्कार, सम्पति। ३ घर का सामान । ४ वैभव, ऐश्वर्य । मेहमानदारी। आथिभुक-पु० मोती। प्रातिम, (मि)-देखो 'पातमा' । प्राथिमणौ, (बौ)-देखो ‘ग्राथमगी' (बौ)। प्रातुर-वि० [सं० ग्रातुरः] १ व्याकुल, अधीर । २ घबराया | प्राथोडौ-साथीड़ौ-पु० दोस्त, मित्र प्रादि । हुअा, उद्विग्न । ३ उत्कंठा युक्त । ४ घायल । ५ उतावला । पायीत-देखो 'पानिथ'। ६ उत्सुक । ७ दुःखी, कातर । ८ रोगी। निबंल, कमजोर।। श्रायुड़णो (बी)-देखो 'प्राथड़ागो' (बी)। १० अस्थिर । --कि० वि० शीघ्र, जल्दी । --ता-स्त्री० । प्रापुरग-१ देखो 'प्राथूग' । २ खो 'पाथांगा'। अधीरता । घबराहट । उत्सुकता । दुःख कातरता, बीमारी। प्राथुस-पु० लोहा । कमजोरी । शीघ्रता । प्राथूण, प्राणी-स्त्री. पश्चिम दिगा । -क्रि० वि० पातुराई-स्त्री० अधीरता। पशिधापीयो। For Private And Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir याण ( १०२ ) प्रादेस - - माथूरण, (णौ )-क्रि० वि० पश्चिम की ओर । प्रादाब-पु० [अ०] १ नियम, कायदा । २ लिहाज, इज्जत । ग्रायपु० 'ग्राथ' के बदले कृपक का कार्य करने वाला व्यक्ति। ३ अभिवादन । -अरज-पू० निवेदन । प्राङ्गण-देखो 'प्राथूण'। आदासीसी-देखो 'याधासीसी'। प्राथोमण (मरणो)-वि० प्रयोजन वाला। आदि-वि० [सं०] १ प्रथम, पहला । २ प्रारम्भ का । प्रादत-क्रि० वि० [सं० पाद्यंत] प्रारम्भ से अन्त तक। -वि० ३ बिल्कुल, नितांत ४ मूल अग्र। -पु० १ उत्पत्ति स्थान । ग्रादि तथा अन्त। २ प्रारम्भ । ३ बुनियाद। ४ मूलकारण ५ ईश्वर । श्रादतर-देखो 'प्रावतर' । ६ पृथ्वी । --अव्य० इत्यादि । वगैरह । अाद-१ देखो 'ग्राद्रा' । २ देखो 'पादि' । ३ देखो 'इत्यादि'। प्रादिकवि-पु० [सं०] वाल्मीकि ऋषि जिन्होंने सर्व प्रथम प्रादक-वि० [सं० आदिक] १ आदि, प्रथम । २ प्रारम्भ छंदोबद्ध काव्य को रचना की थी। २ शुक्राचार्य । का, गुरू का । ३ नितांत । -पु. एक प्रकार का रोग। आदिकारण -पु० [सं०] मूलकारण, पूर्वनिश्चित बात । - बादक-अत्य० इत्यादि ।। प्रादिजुगाद (दि)-कि० वि० सष्टि के प्रारम्भ से अंत तक । पादकवि (कवी)-देखो 'आदिकवि' । आदित, (दित्त,दिल)-पु० [सं० ग्रादित्य] १ सूर्य । २ इन्द्रादिक प्रादजथा-स्त्री० डिगल गीतों की रचना का एक नियम । देवता । ३ द्वादश अादित्य। ४ विष्णु का पांचवां अवतार । आदजुगाद, (दि, दी)-देखो आदिजुगाद'। -~-पुत्र, सुनु पृ० अदिति पुत्र, देवता । सूर्यपुत्र । मग अादरण-पु० [सं० प्रदहन] दाल, चावल आदि पकाने के | ब्राह्मए। -वार-पु० रविवार । लिए गर्म किया जाने वाला पानी । आदिपक्स, (ख)-देखो 'प्रादपख' । प्रादत, (ति)-स्त्री० [अ०] १ स्वभाव, प्रकृति । प्रादिपुरुक्ख, (पुरुस)-पु० [सं० आदिपुरुष] १ विष्णु, ईश्वर । २ अभ्यास । ३ टेव।। २ ब्रह्मा । श्रादतिया. पादत्या-पु. [सं० ग्रादितेय ] देवता । आदिम-देखो 'ग्रादम'। प्राददे-क्रि० वि० श्रादि, इत्यादि । पादियासकत, आदियासगत (ती)-स्त्री० [सं० प्राद्यशक्ति] पादपंखरणी, (चक स्वरी)-स्त्री० राठौड़ों की कुल देवी । १ दुर्गा, देवी । २ पार्वती । पादपख, प्रादमपख-पु० [सं० प्रादिपक्ष कृष्ण पक्ष । प्रादियाळ , आदियो-देखो 'प्राधियो' । पादपुरख, (रस)-देखो 'ग्रादिपुरख' (स) । प्रादिरस-देखो 'आदरस'। प्रादम-पु० [अ] १ मानव सृष्टि का आदि पुरुष । २ मनु । | आदिल-वि० [अ०] १ उदार । २ न्यायी। ३ महादेव । -चस्म-पु० मनुष्य की सी प्रांखों | प्रादिवराह-पु० [सं०] १ विष्णु का वराह अवतार । २ शूकर, वाला घोड़ा। सूअर । प्रादमी-पु० [अ०] (स्त्री० आदमण) १ आदम की संतान, आदिविपुळा-स्त्री. आर्या छन्द का एक भेद । मनुप्प, मानव । २ पति । ३ मजदूर । पादिसराध-पु० [सं० आदिश्राद्ध] मृत्योपरान्त मृतक के पीछे प्रादर-पु० [सं०] १ सम्मान, इज्जत । २ आस्था, श्रद्धा । ग्यारहवें दिन किया जाने वाला श्राद्ध । ३ मत्कार, शिष्टाचार । प्रादी-वि० [अ०] १ अभ्यस्त । २ आदत वाला । ३ देखो 'पादि' । प्रादरणी (बौ)-क्रि० १ सम्मान व इज्जत करना । २ सत्कार | प्रादीत, पादीता (तो)-देखो 'पादित' । करना । ३ श्रद्धा रखना । ४ महत्व देना। ५ स्वीकार प्रादीस्वर-पु० [सं० प्रादीश्वर] १ जैनियों के प्रथम तीर्थकर । करना । ६ निश्चय करना, दृढ़ करना । ७ प्रारम्भ करना। २ ईश्वर । ३ आदि पुरुष । आदरस--पु० [सं० प्रादर्श] १ दर्पण, शीशा । २ अनुकरणीय | प्राद-वि० [सं० ग्रादि] १ प्रारंभ का, पादिकालक । २ बुनियादी । कार्य । ३ नमूना। ---खरग-वि० निर्दोष, स्वच्छ । प्रादरा (रियौ)-देखो 'आद्रा'। प्रादूरणी-विक स्त्री० श्रादुणी) परम्परागत । आदली-स्त्री० [अ० अदल] न्याय, इन्साफ । प्रादूपंथी-पु० रूढिवादी' । प्रादवराह-देखो 'पादिवराह । आदुपरण, (परगी)-पु० शुरुयात, आदि । प्रादसगत-देखो 'आदियासगत' । प्रादेस (लि)-पु० [सं० श्रादेश] १ प्राज्ञा, हुक्म । २ उपदेश । आदान-पु० [सं० प्रादान] ग्रहण, स्वीकार । -प्रदान-पु० ३ नमस्कार, प्रणाम । ४ निर्देश । ५ ग्रहों का फल । परस्पर लेन-देन । वस्तु विनिमय । ६ अक्ष परिवर्तन । (व्याकरण) For Private And Personal Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रादेसरणी ( १०३ ) प्राध्यात्मिक मादेसरणौ, (बी)-क्रि० १ आज्ञा देना । २ अभिवादन करना । प्राधि-पत्य-पु० अधिकार, स्वामित्व । पादोड़ो-देखो 'पाधोड़ी। प्राधिनौ, (यौ)-पु० ग्राधे अंश का भागीदार । प्रादोत-देखो 'पादित'। प्राधिदेव, (वैव, दैविक)-वि० [सं० आधिदैविक १ देवता की प्रादोफर-देखो 'अदफर'। प्रेरणा से होने वाला । २ प्रारब्ध से होने वाला । ३ प्रेत प्रादौ-पु० [सं० अद्रक] १ कच्ची सोंठ, अदरक । २ देखो 'प्राधौ'।। बाधा से उत्पन्न । ४ प्राकृतिक । ५ स्वभाव बल कृत। प्राद-वि० [सं० आर्द्र] १ गोला, नम । २ हरा । -स्त्री० उक्त सभी कारणों से उत्पन्न विपत्ति । --क-पु० भय, अातंक। प्राधिभूतक, (भूतग, भौतिक)-पु० [सं० प्राधिभौतिक] भौतिक प्राद्रकरणी, (बौ)-क्रि० भयभीत होना, डरना । कारणों से उत्पन्न संकट । प्रादा-स्त्री० [सं० प्रार्द्रा] सताईस नक्षत्रों में से एक, इस प्राधियाळ, प्राधियाळी, प्राधियाळी-१ प्राधा हिस्सा या भाग। नक्षत्र में होने का सूर्य का समय । २ देखो 'ग्राधिौ ' । प्राधंतर, (तरि.घर)-वि० १ अाकाश के मध्य का । २ बीच का। प्राधी-वि० [सं० अर्द्ध] १ अपूर्ण । २ देखो 'पाधी'। ३ अाधा, अर्द्ध । -क्रि०वि०१ बीच में, मध्य में । २ ऊंचाई -स्त्री० १ अर्ध रात्रि । २ देखो 'ग्राधि' । पर । ३ आकाश में। -पु० १ अाकाश । २ सुमेरु पर्वत । प्राधीन-देखो 'अधीन'। माध-पु० [सं० अर्द्ध] १ ठीक आधा हिस्सा, भाग या अंश। प्राधीनता, प्राधीनी-देखो 'अधीनता'। २ आधी सम्पत्ति या प्राय का हक । [सं० आधि] ३ चिंता, प्राधीपौ-पु० १ उपज का आधा भाग । २ आधा अंश । व्यथा । -वि० श्राधा । -ख-पु० प्रभुत्व, अधिकार। ३ आधे भाग की मिल्कियत । --खड़-पु० अधेड़ । —पति, पती-पु० अधिपति, राजा । आधीरात-स्त्रो० अर्द्धरात्रि । -~-रत्त, रत्ति-स्त्री० अर्धरात्रि। प्राधुनिक-वि० [सं०] वर्तमान, नवीन । प्राधरण-देखो 'प्रादण'। प्राधू-वि० आधे हिस्से के लिए कार्य करने वाला। प्राधम-देखो 'अधम'। प्रामाध-देखो 'प्राधौग्राध' । प्राधमी-स्त्री० १ उपज का आधा भाग कृषक ब प्राधा प्राधूमऊखै-क्रि०वि० आधी कीमत में। मालिक को, इस शर्त पर की जाने वाली खेती । २ आधे प्राधेटौ-पु० दूरी या लंबाई का मध्य भाग । मध्य स्थान । मूल्य पर व पालने के लिए सौंपा जाने वाला पशु । आधे-क्रि० वि० आधे हिस्से की बुनियाद पर । प्राधर-क्रि०वि० धीरे, आहिस्ता। प्राधेय-वि० किसी आधार पर टिकी हुई। प्राधांन पु० [सं० प्राधान] १ गर्भाधान, गर्म । २ स्थापना, प्राधोप्राध, (आधि)-देखो 'प्राधौग्राध' । रखाव । ३ गिरवी, रेहन । -वती-स्त्री० गर्भवती। माधोक, आधोके'क-वि० आधे के लगभग । प्राधाईक-वि० प्राधा, अर्द्ध । आधे के लगभग । माधोड़ी-स्त्री० मृत गाय या भैंस का साफ किया हा प्राधा प्राधाकम्म, प्राधाकरम-पु० भिक्षाचार संबंधी ४७ दोषों में से चमड़ा। प्रथम दोष जो गृहस्थ की तरफ से लगता है। प्राधोफर, (फरई, फरौ)-देखो 'अदफर' । प्राधाकरमी-वि० प्राधाकरम दोष युक्त। प्राधोफेर-पु० १ छज्जा । २ ढाल, जमीन । ३. उपत्यिका । प्राधार-पु० [सं०] १ आश्रय, अवलंब । २ मूलाधार । -क्रि० वि० पृथ्वी-प्राकाश के बीच बहुत ऊंचाई पर । ३ बुनियाद । ४ उपाय. तरकीव । ५ सहारा, मदद। प्राधोरण-पु० [सं०] महावत । ६ बांध । ७ नहर । ८ योग के अनुसार मुलाधार। | प्राधोळी-स्त्री०१ लकड़ी की गोलाई देखने का उपकरण । ६ अधिकरण कारक । -वि० आश्रय दाता। २ देखो 'पाधोड़ी। प्राधारणौ (बौ)-कि० १ सहारा व आश्रय देना । २ उठाना। प्राधोसल-क्रि० वि० प्रार-पार । ३ लगाना । ४ सम्हालना । ५ सहारा देकर रखना। प्राधौ-वि० [सं० अर्द्ध ] (स्त्री० प्राधी) १ ग्राधा, ग्रई । २ अपुर्ण । ६ धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाना। -पु० आधा भाग या हिस्सा । --ग्राध, प्राधि-फि० वि० प्राधारि, (री)-वि० सहारे पर रहने वाला । प्राचित ।। बराबर दो भागों में। --मनौ-वि. दिन टूटा हा, प्राधासी, प्राधासीसी स्त्री० [सं० श्रद्ध- शीर्य | पात्र सिर कायर, डरपोक को पीडा, अधकपाली । मूर्यावृत्त । प्राध्मान, प्राध्यमांन-पु० [सं०अध्यमान] एक वात रोग, ग्राफरा । प्राधि-स्त्री० [सं०] १ मानसिक पीड़ा । २ विपत्ति, बाधा। प्राध्यात्मिक-वि० [सं०] १ आत्मा संबंधी। २ ब्रह्म और जीव ३ चिन्ना, गोक। मंबंधी। For Private And Personal Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रानंद www.kobatirth.org यानंद (दी) १० [० घानंद) १ हर्ष, गुणी प्रसन्नता २ सुख । ३ मस्ती । ४ उत्साह । ५ फलित ज्योतिष का एक योग | कंद - पु० ईश्वर । श्रीकृष्ण । —दत, दातावि० ग्रानन्ददायक । स्त्री० प्रसन्नता । -- बधाई स्त्री० मांगलिक उत्सव भैरव- पु० एक रसौषधि । भैरवीस्त्री० एक रागिनी । - मंदिरासरण पु० चौरासी आसनों में से एक । आप गर्व० [सं०ग्रात्मन, प्] १ स्वयं खुद । २ तुम और वह का श्रादर सूचक | पु० जल पानी। करमी-वि० भाग्यशाली, स्वकर्मी । गरजी- वि० स्वार्थी । -घात पु० श्रात्म हत्या | घाती वि० श्रात्म हत्यारा । --च-स्त्री० आत्म हत्या | चक-स्त्री० घबराहट, बेचैनी, भय । प्रापगा स्त्री० [सं०] नदी, सरिता श्रापड़रौ ( बौ) - क्रि० १ पकड़ना । २ दौड़कर पहुंचना । पड़ा (बी० फि० पकड़ना श्रापण सर्व० अपना । श्रापड़ी - वि० (स्त्री० आपणड़ी ) अपने वाला | श्रारणपू (पौ) - पु० अपनत्व, ममत्व । ( १०४ ) श्रावण - स्त्री० [सं०] १ दुकान, हाट । २ बाजार । - पु० [सं०] अर्पण] ३ श्रद्धा पूर्वक दान सर्व० [सं० श्रात्मन्] । अपना, अपने अपन | प्रापरिणयाँ - वि० अर्पण करने वाला । प्रापणीय (स्त्री० [बाप थापणी) अपना हमारा " श्रापणी (बी) - क्रि० १ देना । २ अर्पण करना, भेंट करना । हुम देना । ४ धारण करना । , प्राप्त कि० बि० ग्राम में परस्पर। स्त्री० [सं० प्रपत्ति ] संकट, विपत्ति कष्ट हार, हारी वि० विपत्ति व संकट का हरण करने वाला | श्रापताप ( ताब) देखो 'ग्राफताब ' । श्रापती - सर्व० ग्रपन, स्वयं । ग्राप । प्रापति स्त्री० [सं०] १ विपत्ति, संकट । २ दुःख, क्लेश । ३ विघ्न, बाधा । ४ दोषारोपण । ५ ऐतराज, उज्र । ६ दुर्गति, दुर्दशा कष्ट काल । प्रापयी आप स० अपने प्रान स्वयं श्रापद- देखो 'आपत्ति' । 1 श्रपदतपुर दत्तात्रेय मुनि । आपदथित वि० [सं० प्रापादग्रस्त ] विपत्ति में फंसा हुआ । श्रापदा स्त्री० प्राफत ग्रड़चन । श्रापद्धरम- पु० आपात्कालीन धर्म । श्रापनांमी - वि० [सं० आत्मन्, नाम्न] अपने नाम से प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला, लब्ध प्रतिष्ठित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आपन्न- वि० [सं०] १ प्राप्त उत्पन्न । २ गिरा हुआ । ३ ग्रापाद् ग्रस्त । श्रापपर, प्रापबीच क्रि०वि० आपस में परस्पर । प्रापमरणी - वि० सतर्क, सचेत । प्रायमल (लो)- वि० [सं०]पनी इच्छा से कार्य करने वाला । २ स्वतंत्र । ३ योद्धा, वीर । आपमा है - क्रि०वि० परस्पर आपस में । श्रापमुरादी (दौ), श्रापरंगी - वि० १ स्वेच्छाचारी । २ स्वतंत्र, आजाद | ३ अपने हाल में मस्त । आय वि० मूर्तिमान साक्षात् 1 प्रापरोळ- स्त्री० ० सहज स्वभाव, मस्ती | श्रापस - पु० १ परस्पर । २ निज संबंध, नाता । ३ भाई चारा । ४ साथ । ५ अत्यधिक श्रम । ६ गुस्सा | श्रापां सर्व० • हम । श्रापांगआपण पु० [सं० प्रापोपरि - । प्रापसवारची धापस्वारथी बि० प्रपनी स्वार्थ सिद्धि में तत्पर । चाहनांमी देखो 'धापनांमी' | श्रापहमला- देखो 'आपली' । प्रापणा ( ) - सर्व० अपने अपना । २ अपनापन । वि० उन्मत्त, मस्त । श्रापणाणौ श्रापणावरण - लाख (श्री) पायी (बी) ० १ अपनाना, स्वीकार प्रापांणी वि० बलवान मक्किताली पराक्रमी सर्व अपनी । | करना । २ अधिकार में करना । प्रापोरगी सर्व० [स्त्री० यापांगी) अपना । प्राण १ गति, बल, साहस For Private And Personal Use Only श्रापांन - वि० १ उन्मत्त मस्त । २ देखो 'पान' | हर (रो) वि० अपनी सामयं से अधिक कार्य करने वाला । २ जोशीला । ३ सवेग तीव्र । श्रपापंथी - वि० १ कुमार्गी । २ स्वार्थी । ३ मनमानी करने वाला । श्रपापणी- पु० • अपनत्व | पावाली अपार बली । • श्रायत (तो, तौ) - वि० [० प्राप्यायित] १ बनवान शक्तिशाली । २ साहसी ३ वीर बहादुर । ४ असंयत, असंयमी । ५ स्वेच्छाचारी ६ उदंड । ७ श्रदम्य । ८ दुष्ट । बौ०१ टकराना २ देखी 'बाफळी'। प्रापित स्त्री० [सं०] अमित चग्नि, प्राग । पुषा - वि० अपने आप स्वतः कार्य कराने वाला । श्राश्राप, श्रापे, श्रापेज, श्राप सर्व० अपने ग्राप, स्वतः । ०० वीर । आपोआप प्रापोप क्रि०वि० ग्रपने ग्राप, स्वतः । आपोपरि क्रि०वि० परस्पर, ग्रापस में । Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रापो प्राभारी प्रापी-पु० १ स्वत्व । २ अस्थित्व । ३ अपना असली रूप । प्राबदारखांनौ-पु० १ पेयजल कक्ष या स्थान । २ महाराजा या ४ अपनी सता । ५ प्रात्मा । ६ ब्रह्म । ७ भरोसा, राजा के पेयजल के प्रबंध का विभाग । विश्वास । ८ अहंकार, गर्व । ९ जोश । १० होश-हवास । प्राबध-देखो 'पायुध'। ११ शक्तिबल । १२ अवतार । -पाप-सर्व अपने आप आबनूस-पु. [फा०] एक प्रकार का जंगली वृक्ष । स्वत:। प्राबनूसी-वि० १ काला । २ आबनूस की लकड़ी का। प्राप्त-वि० [सं०] १ प्राप्त । २ किसी विषय का पूर्ण ज्ञाता, माबपासी-स्त्री० सिंचाई । कुशल । ३ विश्वस्त । ४ पूर्ण तत्वज्ञ का कहा हुअा | प्राबरत-देखो 'पावरत'। प्रामाणिक । -पु० ऋषि । प्राबरी-वि० प्रतिष्ठित । प्राबरु (रू)--स्त्री० [फा०] इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । -दारप्राफत-स्त्री० [अ०] १ विपत्ति, संकट । २ परेशानी, उलझन । वि० इज्जतदार, प्रतिष्ठित । ३ दुःख, कष्ट । ४ बाधा, रुकावट । पाबळ-स्त्री० [सं० बल] शक्ति, बल, सामर्थ्य । -बायरीप्राफताब-पु० [फा०] सूर्य । वि० अशक्त, कमजोर । प्राफताबगीरी-स्त्री० एक प्रकार का राज्य छत्र, सूरजमुखी। प्राबहवा-स्त्री० [फा०] जलवायु, मौसम । आफताबी-वि० १ सूर्य संबंधी। २ कांतिमान, चमकीला। प्राबाद-वि० [फा०] १ बसा हुआ । २ प्रसन्न, खुश । --पु० पान के आकार का पंखा जिस पर सूर्य का चिह्न हो। | ३ उपजाऊ। प्राफरणी, (बी)-क्रि० १ वायु प्रकोप से पेट फूलना । आफरा प्राबादी-स्त्री० [फा०] १ बस्ती, जन-स्थान । ३ जनसंख्या । अाना । २ सूजन आना। पाबी-वि० [फा०] १ पेयजल संबंधी । २ हल्के रंग का, फीका। प्राफरीबाद (वाद)-पु० धन्यवाद, साधुवाद । -स्त्री० १ चमक-दमक । २ तलवार का पानी। प्राबू, प्राबूड़ी-पु० [सं० अर्बुद] १ अरावली पहाड़ का एक प्राफरी-पु० [सं० प्रास्फार] १ पेट का वायु प्रकोप, अाफा, | " हिस्सा अर्बुदाचल । २ इसके समीप बसा एक नगर । गैस । २ अजीर्ण। पाबूव-पु. १ आबू पहाड़ । २ इस प्रदेश के निवासी। प्राफळ-स्त्री० १ प्रयत्न, कोशिश । २ युक्ति उपाय । प्राबो-देखो 'अाभौ'। अाफळरणो, (बौ)-कि० [सं० प्रास्फारणम्] १ श्रम करना, | प्राभ-१ देखो 'प्राभा' । २ देखो 'पाब' । ३ देखो 'पाभी'। परिश्रम करना । २ प्रयत्न करना, प्रयास करना । ३ चेष्टा | प्रामग्रंधारी-स्त्री० स्त्रियों की कंचुकी बनाने का बहुमूल्य कपड़ा। करना । ४ तड़फना । ५ हैरान होना, तंग होना। ग्रामडयो-देखो 'भाभी', ६ टककर बेना, भिड़ना । ७ लड़ना । ८ तेजी से चलाना । आभड़, (चेट, छेट, छौत)-पु० १ अछूतोस्पर्श का दोष, अशौच । अाफू-पु० अफीम, अमल। २ स्पर्श । अाफूमाफे, प्राफेई, प्रार्फ-क्रि०वि० अपने-आप, स्वतः । पापडणी, (बौ)-क्रि० १ छूना, स्पर्श करना । २ व्याप्त होना । माफीबाद-देखो 'आफरीबाद' । ३ लिपटना, आलिंगन करना । ४ भिड़ना, टक्कर लेना। पाबंद, (वंद)-स्त्री० आमदनी, पाय । ५ शौच लगना। प्राब-पु० [फा०] १ पानी, जल । २ चमक आभा, कान्ति ।। प्राभमंडल-पु० अाकाश मंडल । ३ शोभा, रौनक, छबि । ४ प्रतिष्ठा, मान। ५ तलवार की प्राभय -पु० [सं० अभ्रम्] १ बादल, मेघ । २ अाकाश, प्रासमान । चमक का पानी । ६ शराव । -कार-पु० शराब का व्यापारी, प्राभरण, आभूरण, अभूसरण (पौ)-पु० [सं० प्राभरणम्] कलाल । --कारी-स्त्री० शराब का व्यवसाय । इस | आभूषण, गह्ना । व्यवसाय पर निगरानी रखने वाला विभाग। -खोरौ-पु० प्राभा-स्त्री० [सं०] १ चमक, दमक, कान्ति । २ रूप, सौंदर्य । जल पात्र । ----दार--वि० चमकीला । कान्तिमान । -१० ३ झलक, छबि । ४ ज्योति, प्रकाश । ५ शोभा । तोपों की देखभाल करने वाला । पानी पिलाने वाला ६ प्रतिबिंब । ७ बादल मेघ । नौकर। प्राभानरां-स्त्री० तलवार । प्राबवणी. (बो)-क्रि० १ परिश्रम करना । २ युद्ध करना । प्राभार-पु० [सं०] एहसान, उपकार । धन्यवाद । ३ टक्कर लेना। प्राभारी-वि० [सं०] एहसान मंद, उपकार मानने वाला। प्राचड़छेट (छोट)-देखो 'प्राभइछेट' । कृतज्ञ । For Private And Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राभास ( १०६ ) प्रारंभ प्राभास-पु० [सं० ग्राभास] १ मालूम, पता । २ ज्ञान, जानकारी।। प्राबिल-देखो 'प्रांबिल' (जैन) ३ संकेत । ४ प्राभा, चमका । ५ भावना । ६ समानता | प्रायबौ-पु० एक प्रकार का घास। मादृश्य । ७ तात्पर्य, अभिप्राय । ८ झलक । पायरिय-पु० [सं० प्राचार्य] प्राचार्य, गुरु । प्राभि-देखो 'अाभौ'। प्रायरिस-पु० [सं० आदर्श] दर्पण, आईना, काच । आभीर-पु० [सं०] १ अहीर, ग्वाला। २ एक प्रकार का राग। आयल-स्त्री० [सं० प्रार्या] १ पुश्चली स्त्री। २ प्रावड़ या ३ एक देश विशेष । ४ प्रत्येक चरण में ११ मात्रा व अंत में करनी देवी का एक नाम । ३ देवी, दुर्गा । डगा का एक छन्द । --नट-पु० एक संकर राग । ४ एक लोक गीत । ५ माँ, माता। प्राभीरी-स्त्री० भारत की एक प्राचीन भाषा । प्रायलड़-देखो 'पांगळीझल'। प्रभील-पु० [सं० आभीलम्] दुःख, क्लेश, कष्ट । -वि० प्रायव-पु० शब्द, ध्वनि। भयानक, भयप्रद । प्रायवात पु० एक प्रकार का रोग । प्राभुकरण, प्राभूखरण, (सरण)-पु० [सं० आभूषण] १ गहना, ! प्रायस, (सी, सु)-पृ० [सं०प्रायस, प्रायसम्] १ लोहा । २ लोहे जेवर, आभूषण। २ वेलियौ सागोर का एक भेद। का कवच । ३ लोहे की वस्तु । ४ हथियार, शस्त्र । ५ नाथ प्राभूखत-वि० [सं० ग्राभूषित] १ अलंकृत, सजा हा, आभूषणों सम्प्रदाय के फकीरों की पदवी । ६ सिद्ध, तपस्वी। से युक्त । २ विराजमान । ७ जोगियों का एक भेद । ८ आज्ञा, आदेश । प्राभोग-पु० [सं० प्राभोग:] १ पूर्ण लक्षण । २ किसी पद्य के पाया-देखो, 'आयु'। बीच कवि के नाम का उल्लेख । ३ भोगने की क्रिया या भाव। ४ ध्र पद का चौथा भाग जिसमें वाग्गेयकार का आयात-पु० [सं०] विदेशी सामान मंगाने की क्रिया, पागम । नाम होता है। ५ विस्तार, घेरा,परिधि । ६ भोग विलास। प्रायास, (सि, सी)--वि० काला, श्याम -पु. आकाश, गगन । प्राभी-पु० [सं० अभ्र] प्राकाश, पासमान, नभ, गगन । प्रायो-देखो 'आई'। प्राभ्ररण-देखो 'आभरण' । पायु-स्त्री० [सं०] १ उम्र, वय । २ जीवन, जिंदगी। प्रामंत्रण-पु० निमंत्रण, बुलावा । आह्वान । आयुख-स्त्री० [सं० आयुष] उम्र, प्रायु । आमियांजी-कितरणौ-पाणी-पु० एक देशी खेल । आयुत-देखो 'प्रायत'। प्रामूझरणी (बौ)-देखो 'अमूझणौ' । प्रायुद्ध, प्रायुध-पु० [सं० आयुध] १ अस्त्र-शस्त्र, हथियार । प्रायंदा-देखो 'माइंदा'। २ ढाल । ३ उपस्थ । ४ लिंग ।५ पांच मात्रा का प्रायंबिल-देखो 'प्रांबिल'। एक नाम । प्राय-स्त्री० [सं०] १ ग्रामदनी, धनागम । २ प्रारित, उपलब्धि । प्रायुधन-देखो 'प्रायोधन'। ३ लाभ नफा । ४ आगमन । [सं० अायु] ५ आयु ।। उम्र । -कर-पु० आमदनी पर लगने वाला कर, टेक्स । आयुबळ-पु० आयु, उम्र, आयुबल । प्रायटण (ठरण)-देखो 'प्राइठरण' । पायुरबेद, (वेद)-पु० [सं० आयुर्वेद] १ चिकित्सा शास्त्र । प्रायण-वि० [सं० प्रज्ञान] मूर्ख, अज्ञानी। -पु० अज्ञान । २ धन्वन्तरी प्रणीत अायुविद्या। ३ अथर्ववेद का उपवेद । प्रायणौ-वि० (स्त्री० प्रायणी) १ आने वाला। २ देखो 'अहीणो'। | जा प्रायुस-स्त्री० [सं० पायुस] १ उम्र, आयु [सं० प्रादेश] २ अाज्ञा, प्रादेश। मायत, (ति)-वि० [सं० प्रायत, आयत:] १ विस्तृत । २ लंबा-चौड़ा, विशाल । ३ लंबा । ४ जिसकी सीमा हो, आयेदिन-कि० वि० प्रति दिन, नित्य, हमेशा। छोटा । ५ रुद्ध, मुड़ा हुआ । -पु० [स०] १ समानान्तर प्रायोधन, प्रायोधन -पु० [सं० प्रायोधनं] संग्राम, रण। चतुर्भुज क्षेत्र । -स्त्री० [अ०] २ आवेष्टन, घेरा, परिधि । प्रारंक-वि० समान, सदृश । ३ कुरान का वाक्य । ४ शब्दों के पीछे लगाने वाला एक प्रारंग-पुर-पु० [सं०] मकान का ऊपरी भाग, छत । प्रत्यय । ५ देखो 'प्रायत्त' प्रारंव-राय-पु० राठौड़ों की कुलदेवी । प्रायत्त (तर)-वि० [सं०] १ अवलंबित, आश्रित । २ पराधीन । प्रारंभ-पु० [सं०] १ प्रारंभ, शुरूपात । २ आदि । ३ प्राथमिक अवस्था । ४ भूमिका । ५ बड़ा कार्य । ६ उपद्रव । ७ युद्ध । ३ शिक्षणीय । ४ नम्र। ८ उत्सव, जलसा । ९ तयारी। १० वैभव । ११ शीघ्रता, प्रायत्तन-पु० स्थान, जगह । (जैन) तेजी । १२ चेष्टा, प्रयत्न । १३ वध, हनन । -राम-पु०प्रायबळ -देखो 'ग्रायुबळ' । श्रीराम की तरह कार्य करने वाला व्यक्ति । For Private And Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रारंभणौ www.kobatirth.org ( १०७ ) प्रारंभ (बौ) ० १ प्रारंभ करना शुरू करना २ युद्ध भारत पु० [सं०] करना, चढ़ाई करना । ३ युद्धार्थ तैयार होना । पुकार । ३ परिश्रम प्रार - पु० [सं०] १ अस्वच्छ या अशुद्ध लोहा । ६ देखो, 'भारती' कोना । ३ पहिए का आारा । ३ स्वस्थ, पीड़ित । ६ पतली कोल । ७ नुकीली वस्तु प्रारतड़ी- देखो 'भारती' । १० तांबा | ११ भारतड़ी-देखो 'पारस'। २ किनारा, ४ कांटा । ५ अंकुश । ८ हरताल । ९ शनि । १२ वयामधुमी का डंक । १३ मंगल ग्रह । १४ हठ, जिद्द । १५ चमड़ा सीने का सूत्र । १६ देखो 'ग्रास्य' । ( ५ ) धारकगिरी० [सं० बारक गिर] सुपर्वत । धारकूट पु० [सं०] पीतल आरश्य-देखो, 'धारण' श्रारक्त - वि० [सं०] लाल । -ता- स्त्री० - लालिमा । आरक्षक - पु० [सं०] १ गज- कुंभ के नीचे का भाग । २ चौकीदार, संतरी । ३ सुरक्षा करने वाला । ४ देहाती न्यायाधीश । ५ पुलिस 1 श्रारख श्रारखइ - वि० समान तुल्य । स्त्री० १ दशा अवस्था । २ चिह्न, निशान । ३ गुरण। ४ शक्ति, बल । ५ जोश । ६ परीक्षा । ७ प्रभाव । धारौ वि० [स्त्री० भारती) समान सपा श्रारगत (त) - देखो 'आरक्त' । श्रारगबध- पु० अमलतास । श्रारणौ (बौ) - देखो 'अरड़ाणौ' । 1 भारत पु० [सं०धायें]]] (स्त्री० [प्रारजिया) १ श्रेष्ठ पुरुष, उच्च कुलीन । २ सर्वप्रथम सभ्यता प्राप्त करने वाली मानव जाति । ३ हिन्दू तथा ईरानियों का नाम । ४ ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य वर्ण । ५ गुरु, शिक्षक । ६ मित्र - वि० १ उत्तम श्रेष्ठ । २ बड़ा । ३ प्रतिष्ठित । -धरम - पु० हिन्दु धर्म मार्य धर्म घोम-स्त्री० आर्य भूमि भारतवर्ष । - वंस पु० प्रर्यवंश, प्रार्य । - वरत-पु० उत्तरी भारत का प्राचीन नाम । प्रारजिया स्त्री० [सं० ग्रार्या ] जैन साध्वी । आरजू स्त्री० [फा०] १ अनुनय विनय, विनती । २ इच्छा, वांछा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रारभट २ दुःख, पीड़ा, । ४ क्रोध । ५ आपदा, वि० १ दुःखी व्याकुल २ दीन - नाद- पु० वेदना भरा शब्द । जनफ विपत्ति । प्रारति, (ती) - स्त्री० [सं० प्रारात्रिक] १ किसी मूर्ति या तस्वीर की धूप-दीप के साथ की जाने वाली पूजा । २ किसी पात्र में धूप-दीप रख कर, घंटा ध्वनि व स्तोत्र गायन के साथ घुमाने की क्रिया । ३ धूप-दीप करने का पात्र । ४ प्रारती का स्तोत्र या कविता । ५ अभिलाषा, इच्छा । ६ दुःख । ७ श्रार्त वाणी । ८ देखो 'भारत' । ९ तोरण द्वार पर दूल्हे की जाने वाली नीरांजन | भारतौ, श्रारत देखो 'प्रारत' । भारतव० [सं०] प्राव] स्त्रियों का रज वि० ऋतु संबंधी । आरती- देखो, 'आरती' । श्रारदा- देखो 'आद्रा' । शारदास-देखो 'अरदास' । 1 भारत वि० [सं०] भाई] गीला नमक-स्त्री० प्रदरक -ता- स्वी० बीलापन, नमी श्रारद्रा - देखो 'श्राद्रा' । श्रारनौ- पु० १ चांदी साफ करने का राख का पात्र । २ देखो 'आरणी' । आरपार - क्रि० वि० १ एक छोर से दूसरे छोर तक । २ सतह को चीरते हुऐ पार । ३ एक तल से दूसरे तल तक । - वि० सीधा । पु० दोनों किनारे । प्रारब-पु० [सं० आरव ] १ शब्द, श्रावाज । २ ग्राहट । ३ तोप । ४ तोप रखने की गाड़ी । ५ मुसलमान । ६ युद्ध । ७ एक देश का नाम । - वि० भयंकर कष्टजनक । For Private And Personal Use Only प्रारबळ - पु० [सं० प्रयु + बल] १ शक्ति, बल । २ प्रयु उम्र । - वि० अरब देश का । । प्रारट (ट्ट, ट्ट ) - स्त्री० सेना, फौज । धारण पु० [सं०धारण धरण्य] १ वृद्ध, समर २ लुहार की भट्टी । ३ तलवार । ४ प्र ेत मंडली । ५ वन, जंगल, प्ररण्य । ६ ऐरन । ७ ग्रग्नि, आग देखो 'ग्रारणों' । प्रारणियों-छांरणौ-पु० सूखा हुआ गोवर, कंडा । धारणी १० [१०] पारय] १२ जंगली भैमा वि० जंगल संबंधो । श्रारण्य - वि० [सं०] १ जंगल का, वन संबंधी, जंगली । २ देखो श्रारब्बी - देखो 'प्रारवी' | 'अरण्य' । रुदन- पु० कानन रुदन । प्रारबौ- पु० १ युद्ध सामग्री । २ ग्रस्त्र-शस्त्र । ३ युद्ध का वाद्य । ४ छोटी तोप । ५ तोपों का समूह । 1 श्रारब्ब देखो 'श्रारख' । प्रारभट - पु० एक म्लेच्छ जाति । । धारबी (ब) पु० १ घोड़ा अश्व २ अरब देश का घोड़ा। ३ एक यवन जाति । ४ अरबी भाषा । ५ कुरान शरीफ । ६ युद्ध का वाद्य वि० अरब संबंधी । Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org प्रारयामत ( १०८ ) प्रारोगी पारयामत-पु० आर्य समाज की विचारधारा । प्राराहणा-देखो 'पाराधना'। प्रारय्या-स्त्री० [सं० प्रा-] १ एक प्रकार का अर्ध मात्रिक पाराहरणी, (बौ), पाराहिणौ (बौ)-देखो 'पाराधणौ'। छन्द । २ जैन साध्वी। -गीत-पु० आर्या छंद का एक | पारि-स्त्री० १ एक प्रकार की चिड़िया । २ झिल्ली। ३ देखो भेद। -वरत-पु० यार्यावर्त । 'पारी'। पारव-देखो 'प्रारब'। पारिख, (खि, खे)-वि० समान, बराबर, मदृश । -पु० १ निशान, प्रारवार-पु० [सं०] भोम या मंगलवार । चिह्न, संकेत । २ रक्षा-स्थान । पारस-पु० [सं० पार्ष, पार्षम्, पार्षः] ऋषि प्रणीत ग्रंथ । | पारिज-देखो 'पारज'। -वि० लाल, रक्ताभ। पारिजधर-पु० आर्यावर्त्त, भारतवर्ष । प्रारसि, (सी)-स्त्री० १ शीशा, दर्पण। २ शीशा जड़ा आभूषण।। पारितवंत, (य)-वि०१ दुःखी, पीडित । २ कातर । ३ अस्वस्थ । ३ स्त्रियों के हाथ का आभूषण । पारियण-देखो 'पारीयण' । प्रारहट-पु०१ युद्ध, समर । २ तोप । ३ तोप चक्र । ४ शत्रु, | प्रारिया-स्त्री० एक प्रकार की ककड़ी। दुश्मन । ५ सेना। आरियापंथ-पु० आर्य समाज । पारांक-पु० निशान, चिह्न, संकेत । प्रारियामत-पु. आर्य समाज की विचारधारा । पारांण, (णि, णी, पो), पारांन-पु० [सं० अर्णव] १ युद्ध पारिस्ट-देखो 'अरिस्ट' । भूमि, रणांगण । २ युद्ध, समर । ३ सागर, समुद्र । | प्रारी-स्त्री० [सं० पारा] १ लकड़ी चीरने का उपकरण । ४ सूर्य । ५ श्मशान । ६ प्रांगन । -वि० [सं० अरण्य] २ छोटा पारा । ३ छोटी करोती । ४ देखो 'गेंडुरी'। १ जंगल का । २ शून्य निर्जन । ५ देखो 'पार' । ६ देखो 'रि'। –कारी-स्त्री० कार्य । पारांम-पु० [सं० प्राराम] १ उपवन, वाटिका । २ मकान, | व्यवस्था । ढंग । उपाय । निवास स्थान । [फा०] ३ चैन, सुख । ४ विधाम, आरीख, (ख)-देखो 'आरिख' । शांति । ५ चंगापन, स्वस्थता। -कुरसी-स्त्री० एक प्रकार प्रारीयरण-पु० [सं० आर्यजन] १ आर्यस्थान, भारत । की लम्बी कुरसी जिस पर लेटा जा सकता। -खोर- २ आर्यजन, हिन्दू । [सं० अरिजन] ३ शत्रु, दुश्मन । -वि० श्राराम तलब पाराम करने वाला । -तळब-वि० प्रारीस, (उ)-देखो 'पारसि' । सुख की इच्छा रखने वाला । सुस्त, आलसी । प्रारूड, पारूढ़-वि० [सं० प्रारूढ] १ चढ़ा हुआ, सवार । पारा-पु० भोजन (जैन) २ बढ़, स्थिर । ३ सन्नद्ध, तत्पर । --हंस-पु० ब्रह्मा । प्राराडौ-देखो 'पाराहड़ौ' । -स्त्री० सरस्वती। प्रारात-क्रि०वि० [सं० पारात्] १ निकट, पास, समीप । आरूढणौ, (बौ) प्रारूहणो, (बौ), प्रारूहिणौ, (बौ)-क्रि० २ दूर फासले पर। १ सवार होना, सवारी करना, चढ़ाई करना । २ आक्रमण पाराति-पु० [सं० पारातिः] शत्रु, दुश्मन । करना। पाराध, (ग)-देखो 'पाराधना'। पारे-ग्रव्य० [सं० उररीकृत] १ स्वीकार, मंजूर । -पु० १ तट, प्राराधक-वि० [सं०] आराधना करने वाला। किनारा । २ अधिकार, वश । पाराधरणौ, (बी)-क्रि० १ प्रार्थना करना, स्तुति करना। आरेख-देखो 'पारिख' । २ पूजा करना। ३ रक्षा करना । ४ वश में करना, अधीन पारेटौ, (ठौ)-देखो 'अरेठी' । करना। ५ ध्यान देना । ६ प्रसन्न करना । पारेरण-देखो 'पारांण' । प्राराधना-स्त्री० [सं०] १ प्रार्थना, स्तुति । २ सेवा, पूजा। पार-देखो 'पारे। ३ पुकार, फरियाद । पारल-पु० एक प्रकार का मोटे दाने का अनाज । प्राराबा-स्त्री० तोप। पारोगरण-पु० १ भोजन करने या खाने की क्रिया । २ अाहार, पाराबौ-पु० तोपें ले जाने का शकट । भोजन । पारालिक-पु० [सं० पारालिक] रसोईदार । पारोगणी-देखो 'अरोगणौ'। (स्त्री० आरोगणी)। पारावी-पु० १ गोला बारुद । २ देखो 'पारुब' । ३ देखो 'पारौ'। ग्रारोगणौ (बौ)-देखो 'अरोगणी' (बी) । पारास-स्त्री० १ सजावट । २ देखो 'पारसी'। प्रारोगारणौ, (बौ)-देखो 'अरोगाणी' (बौ)। पाराहड़ौ-वि० [सं० पाराहडी] शक्तिशाली, बलवान । | प्रारोगी-स्त्री० चिता। For Private And Personal Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रारोगीवन प्रालप पारोगीवन-स्त्री० [फा० आरिगीदना] उद्गार, डकार । प्रारच-पु० [सं०] हिंदुओं और ईरानियों का नाम । प्रारोड़, प्रारोड़ी, प्रारोड़ो-वि० बलवान, वीर । प्रारयावरत-पु० [सं० आर्यावर्त] भारतवर्ष । पारोडणी (बौ)-क्रि० रोकना, छेकना। प्रारयावरती-पु० [सं० आर्यावर्ती] भारतवासी। प्रारोड़ी-पु० केसर कस्तूरी युक्त अफीम । प्रालंक्रत-देखो 'अलंक्रत'। प्रारोध-१ देखो 'अवरोध' । २ देखो 'आयुध' । प्रालंग-स्त्री० घोड़ी की मस्ती। -क्रि० वि० १ दूर, जुदा । प्रारोधरणी (बी)-क्रि० १ रोकना । २ छेकना । ३ प्राड देना। २ पृथक, भिन्न । पारोप-पु० [सं०] १ कलंक, दोष, इल्जाम । २ संस्थापन, पालंगरण-देखो 'प्रालिंगण' । स्थापन । ३ लगाना क्रिया । ४ थोपना क्रिया। ५ रोपन, | पालंगणी (बी)-देखो 'प्रालिंगरणी' (बी)। जमाव । ६ मंढ़ना क्रिया । ७ कल्पना । ८ भ्रम । प्रालंबरण, (न)-पु० [सं० प्रालंबन] १ आश्रय, अवलंबन । ६ प्रत्यारोपण। -क-वि० आरोप लगाने वाला। । २ सहारा । ३ साहित्यिक रस का एक विभाग । प्रारोपण-पु० [सं०] आरोपित करने की क्रिया या भाव । प्रालंबरणी, (बौ)-क्रि० १ प्राश्रय, अवलंबन लेना। २ सहारा प्रारोपणौ, (बी)-क्रि० १ अारोपित करना । २ स्थापित करना। लेना। ३ लटकना । ३ लगाना, जमाना । ४ मंढना । ५ रोपना । ६ धारण | पालंभरण, (न)-पु. १ छूना, स्पर्श । २ पकड़ । ३ मिलन । करना । ७ शोभित होना । ८ दोष लगाना, कलंकित ४ वध । करना। प्राळ-स्त्री०१ युद्ध, लड़ाई । २ झंझट,बखेड़ा । ३ झूठ, असत्य । आरोपा-वि० दृढ़, अटल । ४ मोर,मयूर । ६ खेल, केलि । ७ छेड़-छाड़ । ८ आलस्य । पारोपित-वि० [सं०] लगाया हुआ, स्थापित, मंढ़ा हुआ, ९ मादा पशुओं की योनि। १० घोंसला। ११ कलंक । रोपा हुआ। १२ विपदा । १३ संसार चक्र । -वि० व्यर्थ, फिजूल । पारोपौ-पु० १ चमत्कार, देवप्रभा । २ बड़ा या उत्तम कार्य। सामान्य,साधारण। -जंजाळ, झंझाळ-पु० प्रपंच, मायामोह, __३ देखो 'आरोप'। मोहाजाल स्वप्न, जंजाल । पारोमार-पू० स्तनों से दूध सूखने की क्रिया या भाव।। पाल-स्त्री० १ हरताल । २ एक पौधा जिसकी जड़ व छाल से __-वि० लुप्त । लाल रंग बनता है। ३ इस पौधे से बना रंग । ४ लौकी, पारोह-पु० [सं०] १ चढ़ाई । २ आक्रमण । ३ सवारी। धीया । ५ गीलापन, प्रार्द्रता। ६ लड़की की संतान । ४ क्रमशः उत्तमोत्तम योनि । ५ विकास, उत्थान । ७ आंसू । -ौलाद-स्त्री० बाल-बच्चे, परिवार। वंश । ६ आविर्भाव । ७ नितंब । ८ स्वरों का चढ़ाव । ९ सीढ़ी । एक कीडा। १० ग्रहण के दश भेदों में से एक । ११ सवार । -क- पालका-स्त्री० छिपने की क्रिया या भाव । पु० सवार, आरोही । -ए-पु० सवारी, चढ़ाई। पाळग-देखो 'अळग'। प्रादुर्भाव । सीढ़ी, निसेनी । प्राळगणी, (बौ)-क्रि० [सं० प्रालग्न] १ मन लगना, बहलना । प्रारोहणौ (बौ)-१ प्रारूढ़ होना, सवार होना। २ चढ़ना ।। २ संतोष या चैन मिलना । ३ अच्छा लगना, सुहाना ३ प्रादुर्भाव होना । ४ अंकुरित होना । लगना। प्रारोहा-स्त्री० सवारी । चढ़ाई। पाळटोळ-स्त्री० टालमटोल, बहाना । प्रारोहित-वि० चढ़ा हुअा, ऊपर गया हुआ । प्रालण-पु० [सं० आद्रण] १ खीच में दाल का मिश्रण। पारोही-पु० १ चढ़ा हुआ सवार । २ पारोहण करने वाला। २ रसदार सब्जी में दही व बेसन का मिश्रण । ३ मालस्य । ३ संगीत में स्वर साधन का भेद विशेष । पाळणी (बी)-क्रि०१ मालस्य करना । २ थकना, निराश होना। ३ पराजित होना, हार मानना । पारोहौ-पु० तीर, बाण । २ चढ़ने वाला, सवार । पालणौ (बौ)-क्रि० १ देना । २ गमन करना, जाना। पारोह य-देखो 'आरोह' । ३ कहना । ४ छोड़ना, त्यागना । प्रारी-पु० [सं० पारक] १ बड़ी गंडुरी। २ भट्टी का चूल्हा । पालत-स्त्री० हँसी-मजाक । ३ सर्प की कुडली । ४ चक्र । ५ कपड़े या रस्सी का चक्र । पालतौ-वि० लाल । ६ बैलगाड़ी के पहिये का एक भाग । ७ हल्ला, अावाज । पालथी-पालथी-स्त्री० पालथी। ८ समय । ९ जैनियों द्वारा माने गये दश काल विभागों प्राळपंपाळ-देखो 'पाळ झंझाळ' । में से एक । १० देखो 'पार' । | ग्रालप-देखो 'अल्प'। For Private And Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पानवलो www. kobatirth.org ( ११० ) पालवी (बी) पू० देखो''। बाळ बाळ - पु० पाखंड । २ देखो 'प्रतिवाळ' | श्रालम, (डौ), प्रालमौ ग्रासम्म पु० [अ० प्रालम] १ दुनिया, संसार, विश्व । २ जनता, जन-समूह । ३ दशा, अवस्था । ४ खुदा, ईश्वर । ५ तमाशा, नकल । ६ नगाड़ा, निशान । ७ ढोली । ८ स्वामी, बादशाह । ६ मुसलमान । १० पंडित । -खांनी पु० राजासों के समय का एक विभाग विशेष जिसमें गाने वाली जातियों को दिये जाने वाले दान आदि का विवरण रहता था । नगार खाना । गीर- पु० विश्वविजयी । विश्वव्यापी । औरंगजेब का नाम । पत, पति, पती - पु० बादशाह, राजा । ईश्वर । -पना, पनाह पु० संसार को शरण देने वाला, बादशाह, ईश्वर । प्रालमारी-देखो 'अलमारी' । श्रालमीन- पु० [० 'ग्राम' का बहुवचन । श्रालय - पु० [सं०] १ घर, मकान, श्रावासस्थान । २ कक्ष | । ३ स्थान, जगह । ४ श्रधार । कालर-पु० १ दान । २ उदारता । धारणी (बी) १ वर्षा होना २ दान देना। ३ फिसलना । ४ द्रवित होना। घालवली (बी) देखो 'मातापणी' (बी)। माळवाळ - पु० [सं० प्रलवाल ] १ वृक्ष के चारों ओर का घेरा, थांबला, बाला २रा मंडल, वृत्त । श्राळस ( गौ) - पु० [सं० प्रालस्य ] १ सुस्ती, बालस्य, प्रमाद । २ बेपरवाही । ३ अकर्मण्यता । श्राळसरणो (बौ) - क्रि० १ प्रालस्य करना । २ बेपरवाही करना । ३ विलंब करना | श्राळवी, प्राळसी - वि० [सं० प्रालस ] सुस्त, आलसी, काहिल, अकर्मण्य | आळसुवाय स्त्री० सद्यप्रसूता गाय । मासेट कि०वि० १ मानन्द के लिये । २ देखो 'धळसेट' । श्रालस्य पु० [सं०] सुस्ती प्रमाद । बालांग, (न) - पु० [सं० बालानम् ] १ हाथी को बांधने का स्तंभ या खुंटा २ हाथी को बांधने का स्थान ३ हाथी । । के बांधने का रस्सा, बेड़ी । ४ जंजीर, सकड़ी । ५ बंधन । श्राळांणौ पु० १ निश्चय या इरादे का स्थगन । २ आलस्य । प्रामा वि० [प० प्रथता] श्रेष्ठ, बढ़िया, उत्तम श्रालाठक- वि० ० दुष्ट, नीच । पाळी (ब)-प्रे०शि० १ हराना २ बकाना । श्रालात स्त्री० जलती हुई लकड़ी । प्रालाप स्त्री० [सं०] १ संभाषण, बात-चीत । २ कथोपकथन । ३ रागालाप, तान । राग विस्तार । ४ सात स्वरों का Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साधन । ५ वाणी । - वि० बोलने वाला। -चारी स्त्री० स्वर साधन की क्रिया, स्वरों का आलाप करने की क्रिया । -पक - वि० बोलने वाला । बालापक-पु० [सं०] १एक ही संबंध के वाक्यों का समूह (जैन) २ ग्रंथ का थोड़ा भाग (जैन) - वि० १ वार्तालाप करने वाला । २ गाने वाला । ३ बातचीत करने वाला । बालापली (बी) १ बोलना संभाषण करना। २ स्वर खींचना, गाना । ३ ध्वनि या श्राबाज करना । - श्रालापी - वि० गाने वाला । धालुक श्राला मुसाब- पु० १ राजा का प्रधानमंत्री । २ श्रेष्ठ दरबारी । ३ खास आदमी । आळवली (बी) ०१ जुगाली करते समय ऊंट के दांतों का टकराकर आवाज करना । २ देखो 'प्राळारणी' (बो) । ३ देखो 'आलापणी' (बौ) । बालावरत पु० [सं० प्रावि] पंखा, पंखी। प्रालिंग, ( गण, गन ) - पु० [सं० आलिंगन] १ स्पर्श, छूना क्रिया । २ परिरंभरण, सप्रीति । ३ परस्पर मिलन । ४ लिपटना या चिपटना क्रिया ५ भेंट ६ रतिक्रिया । श्रलिंगी (ब) - क्रि० १ लिपटना । २ स्पर्श करना, छूना । ३ परस्पर मिलना । ४ हृदय लगाकर भेंटना । ५ लिप्त होना । ६ रतिक्रिया करना । श्रालिंगी - वि० प्रालिंगन करने वाला । प्रालीनक- पु० कलई, रांगा । बालीमा वि० व्यर्थ निरर्थक , प्रालि स्त्री० १ मधु मक्खी । २ बिच्छु । ३ पंक्ति, धवली, रेखा । ४ भ्रमरी । ५ सेतु । ६ तुच्छ वस्तु । ७ देखो 'प्राली' । - वि० १ ईमानदार । २ सुस्त, निकम्मा । बालिगों (बी) देखो 'लिगल' प्रालिम - देखो 'प्रालम' | प्राळियो-१ देखो 'असालियो' । २ देखो 'आळी' । प्राली स्त्री० १ सखी सहेली । २ रेखा, पंक्ति । ३ सेतु बांध । - वि० १ गीली, नम, श्रार्द्रा । २ श्रेष्ठ, उत्तम । ३ बड़ा, उच्च । ग्रानीगारी, मालोजी वि० (स्त्री० प्रालीवारी, बालीजी) १ शौकीन, छैला । २ रसिक ३ मस्त, मौजी । ४ उदार । बालीपन देखो, 'मालिंगन । ग्रामीणौ वि० [सं०] बालोन] १ तन्मय, लीन २ धनुर ३ लिप्त । थालीसांन वि० [अ० प्रालीशान] १ भव्य, सुन्दर । २ विशाल । ३ श्रेष्ठ, उत्तम । For Private And Personal Use Only प्रालीह-पु० शरसंधान के समय का शासन । वि० मुक्तः । आलुक पु० १ शेष नाग । २ सर्प । ३ छेड़-छाड़ । Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चालू धो आलू धरणौ (बौ)- क्रि० उलझना । भालू- पु० गोलाकार एक प्रसिद्ध कंद । प्राळूजणी (बी) - क्रि० उलझना । बाळू (ख) स्त्री० [सं०] अवरुद्धनम् ] १ उभल घटकाव २ गिरह, ग्रंथि । ३ बाधा, रुकावट । ४ पेच । ५ ऐंठन । ६ फेर चक्कर । ७ समस्या ८ टकराव, लड़ाई । 1 www. kobatirth.org आळूझरणी (बी) - क्रि० १ उलझना, फंसना, अटकना । २ लपेट में आना । ३ तकरार या लड़ाई करना । ४ काम में फंसना | ( १११ ) 1 प्राजूद, (वी) वि० (स्त्री० आदी) सजा हुआ बताता। धारणी (बी) देखो''' श्रालूबुखारा - पु० [फा०] आलुत्र नामक वृक्ष का फल । श्राले क्रि० वि० [सं० श्रद्य-कल्य] आज-कल इस समय । - - वि० अव्वल, बढ़िया, प्रथम । , श्रालेप-पु० मलहम, लेपन । श्राळेमाट, श्राळयमाट - वि० व्यर्थ, निरर्थक । श्रालेख - पु० [सं०] १ लिखावट, लिपि । २ ईश्वर । ३ देखो | श्रल्हाद - पु० प्रसन्नता खुशी । 'धन'। धारा १ देखो 'चांदल' २ देखो 'जावण'। आलेड़ी पु० [सं० घाईता] १ गीलापन, नमी तरी भावंड धावंता-वि० ग्रागामी, भायी। २ कीचड़ । । क्रि० वि० इधर । पास । , घास का कीड़ा । २ ग्रालस्य । ब्रासीलिगतर गु० एक देशी खेल श्रात्यंगन देखो 'आलिंगन' । अस्थिर 1 श्रालोमल्ल - वि० १ शौकीन, छैल छबीला । २ वीर योद्धा । बालपण देवो पालोचना' । श्रालोळ - वि० चंचल, चपल, आलोवरणा स्त्री० ० [सं० आलोचना] १ अपने पापों को गुरु के सम्मुख अपने ही मुख से यथा रूप वर्णन करनेकी क्रिया । (जैन) २ आलोचना | श्राळौ पु० [सं० आलय, आलुच] १ ताक, आला । २ घोंसला । - वि० अपरिपक्व । अव्य० का । क्रियान्तक प्रत्यय | - रोटी-पु० कच्ची ककड़ी | बाली वि० [सं० पाई] (स्त्री० पाली) गीला नम २ बढ़िया अद्वितीय । ३ ताजा । पु० १ प्रकार का J श्रावंद- देखो 'ग्रांमदनी' । श्राव - पु० १ उत्साह । २ ग्राव भगत, अतिथि सत्कार । ३ आयु ४ आय । प्रादर पु० स्वागत सत्कार । श्रावकार - पु० १ एक सरकारी लगान । २ सत्कार । श्रावखांन पु० मवेशी का साफ किया हुआ चमड़ा | श्राळ - पु० उत्सर्ग, त्याग, दान । - नाहर - पु० - सिंह की मांद | - । । लोक ० [सं०] १ प्रकाश उजाला २ चमक, यति बावडी वि० (स्त्री० धावसी) १ पूरा पूर्ण २ प्रति । । ३ संदर्भ | -भोमका स्त्री० लोकोत्तर क्षेत्र । ३ बिना बधिया किया। पु० [सं० प्रायुष्मं ] जीवन, प्रायु । श्रावगमन- देखो 'आवागमन' । श्रावगौ - वि० १ स्वयं का निजी । २ देखो 'प्रवखी' | ( स्त्री० [प्रावगी ) । श्रावड़ (डा ) - स्त्री० चारण कुलोत्पन्न देवी विशेष जो भाटी राजवंश की इष्टदेवी है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - बाटली श्रालोकन - पु० १ दर्शन । २ अवलोकन | बाळीच बालोच पु० [सं० पालोच] १ सोच चिन्ता । २ सोच-विचार, मनन । ३ सलाह, मंत्ररणा । ४ हाल, वृत्तान्त । ५ विवेचन । ६ गुप्त रहस्य । ७ उद्विग्नता । प्रालु चन, बीनाई । 8 दर्शन । श्रालोचक - वि० [सं०] १ देखने वाला । २ समीक्षक श्रावणी, (बौ) - क्रि० [सं० प्रापटन] १ मन लगना, सुहाना । ३ निन्दक | २ अटपटी महसूस न होना । ३ युद्ध करना । प्रायड़दा (स्वा) स्त्री० [सं० चायु] धायु, उम्र बड़ी जी० [सं० प्रावृति) १ एक दिन में जोतने लायक खेत का भाग । २ फसल की कटाई के लिए क्रमशः बनाई जाने वाली लम्बाई । ३ एक कल्पित लम्बाई । ४ प्रायु, उम्र । बावड़ी - वि० भयंकर । चावट पु० [सं०] धावतं] १ नाम संहार । २ युद्ध ३ सेना । ४ इच्छा । ५ हलचल । ब्राोषण (ना) स्त्री० [सं० प्रासोचनं] १ गुण दोष निरूपण, समीक्षा | २ निन्दा | ३ दर्शन । ४ गुप्तमंत्रणा । श्रालोचरणी (बौ) - क्रि० १ आलोचना करना, समीक्षा करना । २ निन्दा करना । ३ समझना, विचार-विमर्श करना । आलोचना स्त्री० [सं०] समीक्षा, विवेचन निन्दा प्रालोज, प्रालोझ-पु १ बात-चीत । २ संकल्प, प्ररण। ३ भाव, विचार | क्रि० वि० सोच कर समझ विचार कर । श्रालोजणी, (बौ), श्रालोझणी, (बी) देखो। 'घालोचरणों' (बी) । श्रावटकूट (टौ ) -पु० १ संहार, नाश । २ युद्ध | श्राळो-दीवाळी 1-पु० ताक । आालोप- देखो 'अलोप' । थाळी-भोळौ वि० नासमझ For Private And Personal Use Only आवरण, (बौ) - क्रि० [सं० आवर्त्त] १ गर्म होना, उबलना । २ औटना । ३ क्रुद्ध होना, कुढना । ४ जलना, भस्म होना । ५ युद्ध में मरना या मारना । ६ दुःखी होना । ७ नष्ट होना । Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रावटना । ११२ ) प्राविल प्रावटना-पु० [सं० पावर्त] १ हलचल, उथल-पुथल । २ डावां- प्रावळ मूल-देखो 'प्रांवळाभूल' । डोलपन, अस्थिरता । ३ जलन, कुढन । प्रावळणौ, (बौ)-क्रि० १ बट देना, ऐंठन देना । २ तनाव देना । प्रावटियळ-वि० वीर, योद्धा । ३ मोड़ना। पावट्ट-देखो 'पावट'। पावळियौ-वि० गर्व या अभिमान रहित । -पु. एक देशी खेल । पावट्टणौ (बौ)-देखो 'प्रावटणौ' (बौ)। आवळी-वि० भयंकर। -स्त्री०१ पारी, बारी (ट्रिप)। २ अायु । प्रावढ़ देखो 'पावड़ी'। ३ अभिलाषा । ४ पंक्ति, श्रेणी। ५ वह विधि जिसके द्वारा प्रावण-देखो ‘प्रांवल' । (३) उपज का अनुमान किया जाता हो । --घड़ा-स्त्री. प्रावणियौ-कूदावरिणयौ-पु० एक देशी खेल । सुसज्जित सेना । विकट सेना। प्रावण-वि० अागन्तुक । प्रावळी-वि०१ मस्त उन्मत्त । २ देखो 'अंवळी' (स्त्री० अवळी) प्रावरणौ (बी)--देखो 'पाणी' (बी)। पावस-१ देखो 'अवस्य' । २ देखो 'पावास' । प्रावदांनी-स्त्री०१ प्रवेश । २ देखो 'प्रांमदानी' । श्रावस्यक-वि० [सं० यावश्यक] जरूरी। सापेक्ष । प्रावदा-स्त्री० आयु, उम्र। प्रावस्यकता-स्त्री० [सं० अावश्यकता] जरूरत । मतलब । प्रावद्ध, (द्धि), प्रावध-पु० [सं० प्रायुध] १ हथियार, शस्त्र । | श्रावह-पु० [सं० पाहवः] युद्ध। २ पाय, प्रामद । -नख-पु० सिंह, शेर । -पाण-पु. प्रावा-पु० [सं० पापाक] वर्तन पकाने का कुम्हारों का गड्ढा । गगेश, गजानन । ---मांजरण-पु० सिकलीघर । पावागम, (गमण, गमन, गवन, गौन)-पु० [सं० पावागमन] प्रावधान-देखो 'प्राधांत' । १ पावागमन, पाना-जाना । प्रामदरफ्त । २ बारम्बार प्रावधी. (क)-वि० [सं० आयुधिक] १ शस्त्र रखने वाला। जन्म-मरण। शस्त्रधारी । २ वीर, योद्धा । आवाचि, पावाचौ-देखो 'अवाची' प्रावभगत, (भाव)-स्त्री० पादर-सत्कार । प्रावाज (जि)-स्त्री० [फा० आवाज] १ शब्द, ध्वनि, नाद । मावबळ-पु० [सं० आयुर्बल] प्रायु का बल । २ बोली, वाणी । ३ शोर । पावर-देखो 'अवर'। पावाजणी (बी)-क्रि० १ आवाज होना, २ ध्वनि होना । प्रावरण-पु० [सं०] १ परदा । २ आच्छादन । ३ ढक्कन । | ३ बोलना, बजना। ४ ढाल । ५ दीवार आदि का घेरा । ६ प्रज्ञान । -सक्ति, | प्रावाजाण-देखो 'आवागमन' । सगती-स्त्री० आत्म व चेतन्य की दृष्टि पर परदा डालने | पावादांनी-स्त्री० पाय, आमदनी । वाली शक्ति। प्रावांन-पु० [सं० अाह्वान] बुलावा, आह्वान, प्रामन्त्रण । पावरत-पु० [सं० पावर्त, आवृत्त] १ पानी का भंवर || पावाप-पु० [सं० पावापः] थांवला, थाला । २ चक्कर, फेर, घुमाव । ३ न बरसने वाला बादल । आवारा, पावारी-वि० [फा०] (स्त्री० नावारी) १ निकम्मा, ४ चिता, सोच । ५ प्रलयकाल । ६ एक प्रकार का रत्न । निठल्ला। ७ संसार । ८ हस्ती । ९ झुड, समूह । १० सेना, फौज । २ गुंडा, बदमाश, नुच्चा । -गरद-वि० व्यथ घूमने या ११ समुद्र, सागर । १२ घनी बस्ती । १३ सोना मक्खी। गुडापन करने वाला। -गरदी-स्त्री० व्यर्थ भटकने या १४ युद्ध, संग्राम । १५ संहार ध्वंस । १६ देखो 'पावरतो'। उद्दण्डता करने की क्रिया । पावरतक-वि० [सं० पावर्तक] १ प्राने वाला। २ नियमित प्रावास (सि)-पु० [सं० प्रावामः] १ घर, मकान । २ निवास प्राप्त होने वाला। स्थान । ३ निवाम, रहवास । ४ विधाम ५ पासमान । प्रावरती-स्त्री० [सं० आवृत्ति] १ परिक्रमा । २ किसी कार्य की| ६ अाभास । ७ चिह्न, लक्षण । पुनरावृत्ति । ३ चक्कर । ४ बार-बार जन्म-मरण। आवाह-देखो 'पावह'। ५ बार-बार किसी बात का अभ्यास । ६ प्रत्यावर्तन । आवाहण, (हन)-पु० [सं० अाह्वान] १ बुलावा, प्रामंत्रण । ७ पलटाव । ८ पाठ पढ़ना। २ आह्वान मंत्र । पावरत्त-देखो 'पावरत' । अावाहणी (बी)-कि० १ ग्राह्वान करना, बुलाना । २ प्रहार पावरदा-देखो 'पावड़दा'। करना, शस्त्र चलाना प्रावरित-देखो 'पावत'। प्राविढ़ा-वि० बीर, बांकुरा । पावरौ-पु० १ आय का स्रोत । २ आमदनी । आविद्धा-स्त्री० तलवार चलाने की एक कला । प्रावळ-पु० १ शक्ति, बल, पुरुषार्थ । २ देखो 'प्रांबळ' । | माविल-वि० [सं०] गंदा, गंदला । For Private And Personal Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राविस्कार प्रासनौ प्राविस्कार-पु० [सं० प्राविष्कार] कोई ऐसा पदार्थ तैयार प्रासका-स्त्री० [सं० पास्यका] १ विभूति, राख । २ अगरबत्ती, जो पहिले न हो, ईजाद। धूप या महात्मानों की धूनी की राख । आविस्कारक-पु० [सं० प्राविष्कारक] आविष्कारकर्ता। प्रासक्त-वि० [सं०] १ अनुरक्त, मुग्ध । २ लीन, लिप्त । आवेग-पु० [सं०] १ जोश, उत्माह । २ साहित्य का संचारी ३ आशिक, प्रेमी। __भाव । ३ उद्विग्नता। प्रासक्ति-स्त्री० [सं०] १ अनुरक्ति, मुग्धता। २ लगाव, प्रावेर-स्त्री० देख भाल, संभाल । लिप्तता । ३ इश्क, प्रेम। प्रावरणौ (बौ)-देखो 'अंवेरणौ' (बौ)। प्रासचरज-पु० [सं०पाश्चर्य] १ विस्मय, आश्चर्य । २ चमत्कार । पावेस–पु० [सं० अावेश] १ जोश, उत्साह । २ प्रेरणा। ३ विलक्षणता। -वि० अद्भुत, अलौकिक, विचित्र । ३ वेग। ४ रोष, क्रोध । ५ अहंकार। ६ प्रेतबाधा। पासण, (न), प्रासरिणयौ-पु० [सं० प्रासन] १ बैठने की विधि, बैठक । २ बैठते समय बिछाने की वस्तु, चटाई, मृगचर्म । ७ मृगी रोग। प्रावेसटन-पु० [सं० यावेष्टन] खोल, घेरा, लपेटने या ढकने ३ पीढ़ा, तिपाई । ४ ८४ योगासनों में से एक । की वस्तु। ५ रतिक्रिया का एक ढंग । ६ अष्टांगयोग का तीसरा प्रावत, प्रावति-स्त्री० [सं०यावृत्ति] १ परिक्रमा । २ प्रत्यावर्तन । अंग । ७ घोड़े, ऊंट, हाथी आदि की पीठ । ८ घोड़े ३ पुनरावृत्ति । ४ चक्कर, फेरा। ५ दोनों हाथों से चरण ऊंट हाथी की पीठ,पर डाला जाने वाला वस्त्र । ९ निवास स्पर्श कर अपने शिर पर लगाकर की गई वंदना। ६ पाठ । डेरा । ९ नितंब । १० शत्रु के मुकाबले की फौज । -वि० [सं० प्रावृत्त] १ घिरा हुआ। २ छिपा हुआ । ११ सवारी, वाहन । १२ दशनामी संन्यासियों का मठ । ३ लिपटा हुअा। -पु० युद्ध समर। प्रासरगोट-पु० घोड़े की पीठ का तंग । पासत-पु० [सं० प्रस्] १ अस्तित्व । २ सामर्थ्य, सत्ता । प्रासका, प्रासंक्या-स्त्री० [सं०पाशंका] १ डर, भय । २ संदेह, ३ देखो 'पासथा' । ४ देखो 'पासतिक' । शक । ३ संभावना । ४ त्रास, आतंक । आसता-देखो 'आसथा' । प्रासंग-पु० १ साथ, संग, संसर्ग । २ संबंध, लगाव । ३ प्रासक्ति, प्रासति-स्त्री० [सं० आस्तिकता] १ आस्तिकता, श्रद्धा, अनुराग । ४ हिम्मत, साहस । ५ सामर्थ्य । ६ बल, शक्ति, प्रास्था । २ शक्ति, बल । ३ सत्यता। ४ देखो 'प्रासथा'। पराक्रम । | प्रासतिक, (तीक)-वि० [सं० आस्तिक] १ ईश्वर व धर्म प्रासंगणौ, (बौ)-क्रि० १ साहस करना। २ दिल बहलना, मन ग्रंथों में प्रास्था, श्रद्धा व विश्वास रखने वाला । २ सच्चा, लगना। ३ स्वीकार करना। ४ अधिकार या वश में पवित्र । ३ श्रद्धालु । ४ समर्थ, शक्तिशाली । प्रासती-वि० १ शक्तिशाली, समर्थ । २ अच्छा, सुन्दर, उत्तम । प्रासंगरू-वि० शक्तिशाली, समर्थ । ३ आस्तिक । -पु. १ अस्तित्व का भाव । २ समय । प्रासंगायत-वि० श्राश्रमवर्ती, अधीन । (जैन) —पण, पणौ-पु० बहादुरी, शौर्य । सत्यता । अस्तित्व । प्रास्तिकता। प्रासंगिरी-स्त्री० साहस । प्रासते, (त)-क्रि०वि० [फा० आहिस्ता] धीरे-धीरे, पाहिस्ता, प्रासंगीर-वि०१प्राशावान । २ साहसी । ३ बलवान, शक्तिशाली।। शनैः शनैः। पासंगौ-पु० १ विश्वास, भरोसा । २ बल, पौरुष। ३ साहस, | प्रासथांन-पु० [सं० स्थान] १ बैठने का स्थान, बैठक । २ सभा, हिम्मत ४ प्राशा। समाज। प्रास-स्त्री० [सं० प्राशा] १ आशा, लालसा, उम्मीद । २ काच । प्रासथा-स्त्री० [सं० प्रास्था] १ श्रद्धा, पूज्य भाव । २ विश्वास, ३ वेग । ४ दम । ५ युद्ध। ६ तांबा । ७ देखो 'पास्य' । भरोसा । ३ प्राशा । ४ सहारा, आश्रय । ४ समारोह । ८ देखो 'पासा'। -इखु, ईखु-पु० धनुष । –उदर-स्त्री० ५ सभा । ६ शक्ति, बल । ७ अंगीकार । अग्नि, जठराग्नि । -कंद-देखो-'ग्रासगंध'। -क-वि०- पासना-स्त्री० [फा० प्राशना] चाहने वाली, प्रेमिका । पाशिक, प्रेमी ।--कर, कारियो-पु. याचक, भिखारी । पासनाई,प्रासनाही-स्त्री० [फा०प्राशनाई]पर स्त्री से प्रेम संबंध । आशावान । -गंध-स्त्री० अश्वगंधा । -गिरी-स्त्री० पाशा, उम्मीद । -गोर-वि० आशावान । --पण, परणी-पु० पासनोट-देखो 'पासणोट'। आस्तिकपन । ---पास-क्रि० वि० इधर-उधर, निकट | ग्रासनौ-पु० [सं० प्राश्रयण] प्राश्रय स्थल । -क्रि०वि० निकट, सपीप, चारों ओर। नमाप। For Private And Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रासन असल (प्री) वि० श्रासप देखो 'ग्रासव' । हुआ । निकटवर्ती समीपस्थ २ पास बैठा १ । ३ शेष । ४ उपस्थित । पु० अवसान ।-सिद्धि ० सिद्धि के निकट मोगामी (जैन) श्रासषद पु० [सं० ग्रास्पद ] घर, सदन | श्रासब देखो 'प्रासव' । www.kobatirth.org श्रासमांग, (मांन) - पु० [फा० ग्रासमान ] १ प्रकाश, गगन, व्योम । २ स्वर्ग, देवलोक । ब्रामणी (मांनी ) ० [फा० प्रातमानी ] १ आसमान जैसा, हल्का नीला । २ आसमान संबंधी । ३ देवी । - क्रि०वि० अकस्मात् अचानक । श्रासमुद्र क्रि०वि० समुद्र तक, समुद्र पर्यन्त | श्रासमेद, (मेध, मेधी) - देखो 'अस्वमेध' । श्रासय पु० [सं० श्राशय ] १ अभिप्राय, मतलब, तात्पर्य । २ नीयत, कामना । ३ वासना । ४ बुद्धि । ५ शयन गुह, विश्रामस्थल । ६ घर । ७ स्थान ८ मन हृदय । ९ प्रारब्ध | ( ११४ ) असर पु० १ अंत २ असुर ३ श्मशान भूमि । ४ अवसर । ५ देखो 'सार' | " आगीरवाद'। ग्रासरन १ देखो 'असुर' । २ देखो 'ग्रासरी' । श्रातरी पु० [सं० ग्राश्रय] १ सहारा, श्राश्रय, अवलंब । २ भरोसा विश्वास । ३ प्राशा । ४ जीवन निर्वाह का हेतु सहायता का विश्वास [सं० घाश्रम] मकान, घर । ७ मकान का छोटा भाग जो चारों ओर से आच्छादित हो । ८ शरण, पनाह । ९ प्रतीक्षा, इन्तजार । १० अनुमान अंदाजा । प्रसाद - पु० [सं०] वर्षा ऋतु का प्रथम मास श्रासादाऊ, प्रासादी - वि० आसाढ़ का प्रसाद संबंधी । - पु० १ खरीफ की फसल । २ बासा की पूर्णिमा । श्रासातना स्त्री० सत्कार न करना मान न देना क्रिया । श्रासावाळी - पु० प्रशोक वृक्ष । श्रातरम पु० ग्राश्रम | श्रासापुरा - स्त्री० वरवड़ी देवी । - । सरित वि० [सं० बाधित] महारा पाया हा प्राचित घासापुरी पु० देय पूजन में काम पाने वाला प प्राश्रित] १ निर्भर । २ भरोसे पर रहने वाला । ३ अधीन । ४ सेवक, नौकर | -स्त्री० चौहानों की कुल देवी दुर्गा । श्रासरियो - देखो 'आमरी' । बासरी-वचन ( बाद बाद आसवार पु० सवार । श्रासल-पु० हमला, आक्रमण | श्रासलेट स्त्री० मकान की दीवार के कोने या बीच में लगाये जाने वाले चौड़े पत्थर, स्तंभ । श्रासव व पु० [सं०] १ भभके से खींच कर बनाया हुआ बढ़िया व उत्तम शराब, मद्य । २ फलों का खमीर । ३ प्रर्क । ४ काढ़ा । (बी) देवी (बो (ब) कि० याकरता पाया Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 धाता (न) - वि० [फा०] धामान ] सरल, सुगम, सीधा । - पु० [फा० एहसान ] उपकार, एहसान । प्रासांणी (नी ) - स्त्री० [फा० ग्रासानी] सरलता, सुगमता । सुभीता । प्राशा असामी पु० [फा०] [मागामी १ अभियुक्त २ देनदार। ३ काश्तकार । ४ धनवान या प्रतिष्ठित व्यक्ति । ५ लगान पर खेत जोतने वाला किसान । ६ व्यक्ति विशेष । -दार पु० मुखिया, प्रधान । बाला स्त्री० [सं०] बाबा ] १ अभिलाषा, इच्छाकामना । २ भरोसा, उम्मीद | ३ दिशा । ४ दक्ष प्रजापति की कन्या । ५ एक देवी का नाम । ६ गर्भ । श्रासाऊ - वि० ० प्राशावान, प्राशार्थी, उम्मीदवार । सागज पु० [सं० आशागज ] दिक्पाल | श्रासागीर - देखो 'प्रसगीर' । प्रासींगणौ प्रासाभरी - वि० [० आशावान | सामुखी वि० उम्मीदवार। प्रासार - पु० [अ०] १ चिह्न लक्षण । २ दीवार की नींव की मोटाई । ३ दीवार की चौड़ाई । ४ अतिवृष्टि ५ आश्रय । आताळु श्रासालुध्धी (लूध, लू धौ) श्रासाळू (त) - वि० १ मतावान, उम्मीदवार २ प्रेमा। आसावंत - वि० ग्राशावान । For Private And Personal Use Only श्रासावरी - स्त्री० [सं०] १ श्री नामक प्रसिद्ध राग - ५० २ एकप्रकार का सुगंधित पदार्थ । ३ एक प्रकार का कबूतर | ४ एक प्रकार का बढ़िया कपड़ा । प्रासादार स्त्री० [माशापूर्णा देवी । मासिक वि० [सं० प्राधिक] (स्त्री० धामिका) इश्क करने वाला, प्रेमी । २ अनुरक्त, मुग्ध । श्रसिख १ देखो 'ग्रासीस' । २ देखो 'सिक' | श्रासि -पासि- देखो 'आस-पास' । श्रासिरौ - देखो 'ग्रासरौ' । श्रासी स्त्री० सर्प की दाढ़ । श्रासींगो ( ब ) - क्रि० मन लगना, दिल बहलना । Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पासीद www.kobatirth.org ( ११५ ) श्रासीत - वि० [सं०] १ बैठा हुआ, विराजमान । २ उपस्थित । ३ स्थित । ४ सुशोभित । श्रासीरबाद, (वाद) - पु० [सं० प्राशीर्वाद] १ शुभकामना सूचक शब्द | २ वरदान ३ दुग्रा, आशिस । प्रासीविव (स) १० [सं० चाशीविष] सर्प, सांप सोस (डी) [स्त्री० [सं० सि] आशिस प्राशीर्वाद, स्त्री० [पं प्राशुवति] मन्नि बाग घासे देखो 'घासव' । धातुपाठी देखो 'ग्रावपाळी' धार पु० [सं०] १ रक्त, सून २ देखो 'घर' । -fão ० असुर संबंधी । श्रासुरांग - देखो 'असुर' । । प्रामुरी दि० [सं०] पर संबंधी, राक्षसी स्त्री० १ संख्या । २ राक्षसी, पिशाचनी । ३ शल्य चिकित्सा । -धरम पु० श्रसुरों की प्रकृति, स्वभाव, धर्म । धामू १० [सं० प्राश्विन] १ पाश्विन मास प्रासोज । २ देखो 'प्रसू' । ३ देखो 'ग्रासु' । आसूदगी - स्त्री० सम्पन्नता, वैभव । श्रासूदी आसूदी (धी)- वि० [फा० मासूद] ( स्वी० पासूदी, पी) १ आलसी, अकर्मण्य । २ संतुष्ट तृप्त । ३ सम्पन्न । ४ भरा-पूरा ५ बिना जुना । ६ थकान रहित । श्रासुररण-पु० मुसलमान । प्रास्त पु० प्रापत्ति, कष्ट, विपदा, दुःख । वि० श्रास्तिक । मास्तर पु० [सं० प्रस्तर] बिछोना। मंगल प्रास्तिक वि० [सं०] ईश्वर व धर्म में प्रास्वा रखने वाला । श्रास्तिकता - स्त्री० [सं०] ईश्वर व धर्म में प्रास्था । कामना । दुआ । प्रासीसी (बी) कि० १ आशीर्वाद देना, दुआ देना २ मंगल प्रस्थांन पु० [सं० स्थान] १ बैठने का स्थान २ सभा, - । कामना करना । ३ वरदान देना । । बैठक, मंडप 1 धातु क्रि० वि० [सं० धातु] जल्दी शीघ्र तत्काल पु० । १ वर्षाकालीन एक धान्य । २ प्रारण । ३ आश्विन मास । --कवि-पु० तत्काल कविता रचने वाला व्यक्ति । कवि । झाग पु० [सं० प्राशुग] १ बाण, शर, तीर । २ वायु । ३ मन । - वि० द्रुतगामी । - प्रासन पु० धनुष । श्रासुती स्त्री० [सं० ग्रासुतिः ] शराब, आसव 1 श्रासुतोस - वि० [सं० प्रशुतोष ] शीघ्र तुष्टमान होने वाला । ० शिव, महादेव । - घासेर पु० १किला, गड़ २ एक राजपूत यंग श्रासोज-पु० [सं० प्रश्वयुज ] आश्विन या क्वार माम । चासोजी वि० उक मास संबंधी । —स्त्री० मास की तिथि । श्रासौ पु० [सं० प्रामत्र, ग्राश्रम] १ लाल रंग की एक शराव विशेष | २ तपस्या के समय काम आने वाला काष्ठ उक्त Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्राहंची का उपकररण । ३ सोने या चांदी से मंढा डंडा । ४ प्रोषधियों का अर्क । ५ बढ़ई का एक उपकरण । ६ यम पाश । ७ एक राग विशेष । प्रास्था स्त्री० [सं०] श्रद्धा, भक्ति । प्रास्थिसंस्कार - पु० एक प्रकार का दाह संस्कार । श्रास्पद - पु० [सं० प्रास्पदम् ] १ स्थान । २ कारण । ३ प्रतीक । श्रास्फाळ - पु० [सं०] १ भुजा ठोकने की आवाज । २ हाथी के कानों की फड़फड़ाहट । प्रास्य- पु० [सं० श्रास्यं ] १ मुख । २ डाढ़ । ३ चेहरा, शक्ल । ४ छेद । ५ कमजोर गाय के गर्भाशय का भाग जो प्रसव के बाद बाहर निकल जाता है । ६ छाछ के ऊपर पाने वाला पानी । [ सं प्राशय ] ७ प्रयोजन, मतलब, तात्पर्य । श्रास्यप - देखो 'सौ' । चास्या स्त्री० घामा, प्रमिलाया पुरी स्त्री० एक देवी । -भंग - स्त्री० निराशा । प्रास्रम, (म्म ) -- पु० [सं० श्राश्रम] १ ऋषि-मुनियों का निवास स्थान, तपोवन । २ कुटिया । ३ मठ । ४ विश्राम स्थान । ५ स्थान । ६ आर्यों के जीवन की चार अवस्थाऐं | ७ विद्यालय ८ वन उपवन चार की संख्या । - वि० ० चार। श्रात्रय पु० [सं० श्राश्रय ] १ ग्राधार, अवलम्ब । मदद | ३ आधार वस्तु । ४ शरण, पनाह । ५ घर, मकान । द्यावयास स्त्री० [सं० प्राथवाश] चग्नि, धाग प्रास्रव - पु० [सं० श्राश्रव] १ कर्मों का प्रवेश द्वार, कर्म बंध । । हिंसा आदि । २ दोष । ३ प्ररण । श्रावकाळ (ळ) - पु० यौ० समय की ऐसी अवधि जब नवीन कर्म पुद्गल आत्मा के द्वारा गृहीत होते हैं। प्रात्रित वि० [सं० प्रार्थित) १ किसी पर पाचारित भय लंबित । २ शरणागत । - पु० सेवक, दास । प्रास्रीवाद - देखो 'आसीरवाद' । प्रास्वाद - पु० [सं०] स्वाद, जायका । For Private And Personal Use Only २ सहारा, आस्वासन पु० [सं०] चखना या स्वाद लेना किया। घावात [सं०] वामन] सांरखना ती ढास (ब) ० [सं०] [भ्यंचन] १ भटका देना देता । २ मारता, ध्वंस करना । ३ छीनना, झपटना । Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचि प्राह वान प्राहंचि-वि० अभिमानी, गविला । पाहार-पु० [सं०] १ भोजन, खाना । २ भक्षण । ३ खाद्य पाहंस-गु० [सं० अभ्यंण] १ साहम, हिम्मत । २ शक्ति पदार्थ । [सं० प्राधार] ४ घी, घृत। बल, पराक्रम । पाहारन, (रांज, रिज)-पु० पहाड़, पर्वत । प्राहंसरणी (बी)-क्रि०१ साहस व हिम्मत करना । २ बल | आहारी-वि० भोजन करने वाला। प्रयोग करना। प्राहाल-पु० चिह्न, निशान । प्राहंसी (क)-वि० साहसी, बलवान, शक्तिशाली। पाहावि-देखो 'आहब'। पाह-सर्व० यह । -ग्रव्य- पीड़ा व शोक सूचक ध्वनि । -स्त्री० पाहि-देखो 'अहि' । १ तड़पन, उमान, ठंडी सांस । २ हाय। -क्रि० वि० पाहिज, (जि)-१ देखो 'ग्राही' । २ देखो 'पाहज' । १ अगी, अब । २ देखो 'ग्रास्य' । पाही, (ज)-सर्व० यही। पाहड़प-त्री० १ सेना, फौज । २ युद्ध, समर । ग्राहीड़ी (डो-देखो 'गाईड' (ड़ी) । ग्राहड़ी (ग्राहेड़ी)-पु० [सं० प्राखेटक] १ शिकारी। २ भील । | ग्राहीठांण (न)-देखो 'आइठांग' । पाह-पाहई-क्रि० वि० अगळ-बगळ, ग्रासपास । माहीर-देखो 'अहीर'। प्राहचरणौ (बौ)-देखो 'ग्राहचरणौ' (बौ) पाहीवाळी-पु० ऋण संबंधी शतनामा। आहज (ज्ज)-पु० [मं० प्राज्य] १ घृत, घी। २ पाहुति । प्राहु, पाहुई-देखो 'पाहब' । ग्राहट-स्त्री० १ ध्वनि, शब्द । २ खटका । प्राहुड़-पु० युद्ध, संग्राम । प्राहटणी (बौ), पाहणौ (बौ)-क्रि० पीछे हटना, पराजित | प्राडो (दो)-क्रि० युद्ध करना, लड़ना, भिड़ना। होना । पाहुट-पु० युद्ध, समर । अाहट । पाहण-पु० [सं० ग्राहवनम्] १ युद्ध। २ प्रहार । ३ यज्ञ, प्राहुट गौ (बौ)-क्रि० १ वीर गति प्राप्त होना । २ युद्ध करना । होम । ४ देखो 'पासन'। ३ मिटना, नाष्ट होना । ४ मिड़ना, टकार लेना। पाहणणौ (बौ)-क्रि० वार करना । प्रहार करना । ५ हटना, दूर होना । ६ वापिस मुड़ना । पाहरिण, (य) पाहणी-स्त्री० १ फौज, सेना। २ युद्ध, समर। आहुटि-देखो 'आहट' । पाहणौ, (बी)-क्रि० १ युद्ध करना । २ वार करना । ३ मारना | पाहुडपो (बौ)-देखो 'पाहुडणौ' (बौ)। ४ हनन करना। पाहुति, (ती)-स्त्री० [सं० पाहुतिः] १ मंत्रोच्चारण के साथ प्रहित-वि० [सं०] १ घायल । २ कुचला हुआ । ३ चोट | यज्ञाग्नि में साकल्प डालने की क्रिया । २ साकल्य की वह खाया हुअा, पिटा हुया । ४ मरा हुअा । मात्रा जो एक बार में यज्ञ में डाली जाय । ३ हवन, यज्ञ । प्राहमौ-साहमो-देखो 'प्रांमौ-सांमहौ' । ४ हवन सामग्री । ५ आह्वान, आमंत्रण । प्राहर-पृ० [सं० अहः] १ समय, वक्त, काल । २ दिन । पाहूत-वि० १ बुलाया हुप्रा, निमत्रित । २ देखो ‘पाहुति' । ३ देखो 'पाहव'। पाहूतरण-स्त्री० ग्राग। प्राइट, (१)-० १ फौज. सेना । २ युद्ध । ३ संहार । पाहूति (नी)-देखो पाहुती । पाहरण-पु. १ हरण, अपहरण । २ छीना-झपटी, लूट । | अाहे-कि०वि० है। ३ हस्तान्तरण । ४ ग्रहण, प्राप्ति । ५ दहेज । ६ प्राभूषण। अाहेड़ (डा)-स्त्री० [सं० याखेट] शिकार। -पु० [सं०याखेटक पाहरणौ (बौ)-क्रि० १ युद्ध करता, भिड़ना । २ टक्कर लेना। शिकारी। २ भील । ३ देखो 'माहेड़ी' । प्राहरौ-पु० १ घास-फूस की कुटिया । २ देखो ‘प्रासरौ' । आहेड़ियो, पाहेड़ो-पु० [सं० अाखेटव] १ शिकारी। २ भील । ग्राहळागौ-देखो ‘ाळांगो' । ३ लुब्धक नामक तारा । ४ पार्द्रा नक्षत्र का नाम । प्राहव-० [सं० ग्राहव] युद्ध रगा। आहेस-पु० [सं० अहीश] १ शेषनाग । २ नशा । ३ अफीम । माहवान-पु० [सं० अाह्वान नियंत्रण, बुलावा । २ देवताओं पाहोडणी, (बौ)-कि० चलाना, निशान लगाना । का आह्वान । अाहोटगो, (बी) -देखो 'पाहुटगौ' (बी)। प्रावि, (वी)-पु. १ योद्धा, वीर । २ देखो 'पाहब'। पाह लाद-पु० [सं०] अत्यन्त हर्ष, अानन्द । पाहां--प्रव्य० [सं० ग्रहह १ हर्ष-विस्मय युक्त ध्वनि । २ खेद | सानु वड़सौ (बौ)-क्रि० अाक्रमण करना । मूचक ध्वनि । प्राह वन-वि० प्रागंतुक, अतिथि । पाहाडाखंड-पु० मेदपाट, मेवाड़। अाह वध-पु० १ नाम । २ तीतर-बटेर प्रादि की लड़ाई। प्राहाट-देखो 'ग्राहट'। प्राह वांन-० [सं०] १७ नावा,निमंाग । २ देवताओं का ग्राद्वान । For Private And Personal Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra इ-देव नागरी लिपि का तीसरा स्वर । ई - सर्व० इस इसने । - क्रि०वि० व्यर्थ में, बेकार में । " इं (ऊं) - क्रि०वि० इस प्रकार, ऐसे। इंकलाब पु० [अ०] १ कोई बड़ा परिवर्तन इंग, इंगन पु० १ कान हिलना इंगरेज- देखो 'अंगरेज' । इंडकाकड़ी-देखो 'एरंड काकड़ी' । इंडोली- देखो 'इडांणी' । इंडियो देखो 'आरंद' । इंडो- पु० अंडा, गोला 1 हंडी-देखी 'इडांगी'। इस इंसि सर्व० इसने । इंतकालदेखी 'अंतकाळ' | २ अंति २ चिह्न संकेत । 2 इंगलयान (सतांन) - पु० अंग्रेजों का देश, इंग्लिस्तान, इंग्लैंड । इंगलस (लिसी० जी इंदल (लो)। इंदर देखो 'इन्द्र' www. kobatirth.org ( ११७ ) इंगळा - स्त्री० to इड़ा नामक नाड़ी । इंगलंड-स्त्री० अंगरेजों के देश का नाम । इंगार ५० पनि, अंगारा | इंगाल- पु० एक प्रकार का आहार संबंधी दोष । (जैन) इंगित - पु० [सं०] संकेत, चिह्न । इंच पु० [० ] एक छोटा नाप । इंछा स्त्री० इच्छा | इंजन- पु० १ किसी मशीन को चलाने वाला यंत्र । २ रेल का इंजन । इंजीनियर - पु० [अ०] यंत्र विद्या का पूरा जानकार | यांत्रिक, अभियंता । इंजीन स्पी० ईसाइयों की धर्म पुस्तक । दंडे, इंडेक०वि० यहां - लोक इंद्रलोक | -इ इंतजाम पु० प्रबंध, व्यवस्था इंतजार स्त्री० [प० प्रतीक्षा ईद-०१, सुरेश २ मा शशि३ पदका बारहवां भेद । ४ एक की संख्या । परि० अगुर, स्य -- गोप- पु० १ वीर बहूटी नामक कीड़ा । २ जुग । - पत्थ पु० इन्द्रप्रस्थ - पुरी - स्त्री० स्वर्ग । पूत- पु० जयंत बालि । अर्जुन बघू स्त्रो० शवी वीर बहूटी -- लोक स्त्री इंद्रपुरी। 1 3 सप्ततर पु० वज्र । ० [० | पाकुट के बीज | जाळ 'इंद्रजाल' धनक'इंद्रधनुख' । इंदरा - देखो 'इंदिरा' - वर 'इंदिरावर' । इंदराढपु० कपाटों में लगने की साड़ी लकड़ी। इंदरी देवी 'हंदी' । - इंदब- पु० एक छन्द विशेष इंदसेन --- देखो 'इंद्रसेन' । इंदारी- देखो 'अंधारी' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध इंदिरां स्त्री० [सं०] १ लक्ष्मी । २ मोभा ३ ग्रामा, कांति - वर- पु० लक्ष्मीपति विष्णु । आश्विन के कृष्ण पक्ष की एकादशी । इंदीवर पु० [सं०] कमल । - इंदु पु० [सं०] १ चन्द्रमा २ देखो 'इंद्र' -नां स्त्री० नर्वदा नदी । सुन्दरी - वार पु० सोमवार इंद्र पु० [सं०] १ देवताओं का राजा क ' अंदुक' । बदना स्त्री० चन्द्रमुखी, ज्योतिष का एक योग | २ स्वामी, पति ३ पूर्व दिशा । ४ पूर्व दिशा का दिग्गज । ५ ग्राठ दिग्पालों में से एक । ६ छप्पय छंद का बारहवां भेद । ७ एक की संख्या । -जाळ- पु० जादूगरी, नजरबंदी की कला । मायाजाल । बहत्तर कलाओं में से एक। श्ररि पु० असुर राक्षस गोप-पु० वीरबहूटी नामक जंतु क-पु० जादूगर, । - जाळक-पु० ऐंद्रजालिक जीत० मेघनाद जीत, जेन पु० लक्ष्मरण । - धनुख, धनुस, धांनक- पु० वर्षाकालिक विविध रंगी इन्द्रधनुष पुर पुरी ५० -बध-स्त्री० वीर बहूटी। शची। -मंडळ-पु० सात नक्षत्रों का समूह । लुप्त - पु० शिर के बाल उड़ने का रोग। -लोक-१० स्वर्ग । -वाड़ी - स्त्री० नन्दनवन 1 - वाहरण पु० -- पु० वज्र । - सुत- पु० बालि, जयंत, अर्जुन इंद्रकील स्त्री० हिमालय का एक शिखर । इंद्रजव-देखो 'हंदज । १ ऐरावत । २ गज हाथी । - ससतर-सस्त्र इंद्रध्वज - पु० १ एक बहुत ऊंचा ध्वज जिस पर हजार छोटी-छोटी झण्डियों होती हैं । (जैन) २ तीर्थ करों के चौतीस प्रतिशयों में दसवां अतिशय । For Private And Personal Use Only इंद्रांण, (गो), इंद्रा - स्त्री० [सं० इंद्राणी ] १ इन्द्र- पत्नी शची । २ देवी दुर्गा इंद्राणिक पु० [सं० इन्द्रारिएक] एक श्रृंगरिक ग्रासन | इंद्रानुज - पु० [सं०] १ विष्णु हरि । २ श्री कृष्ण । ३ वामन | इंद्रापुर (री) - देखो 'इंद्रपुर' । इंद्रा (पी) त्री० [इंद्रायन] एक प्रकार की बनाव उसका फल | इंद्राध-पु० [सं० इन्द्रायुध] इन्द्र का वज्र । Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इंद्रावरज इकलंग इंद्रावरज-पु० [सं०] ईश्वर। इकतर (त्तर)-वि० १ सत्तर से एक अधिक । २ एकत्र । इंद्रावाहण-देखो 'इंद्रवाहण' । -स्त्री० सत्तर व एक की संख्या, ७१ । इंद्रासण-पु० [सं० इन्द्रामन] १ स्वर्ग का राज्य । २ इन्द्र का इकतरफौ-वि० एक ही पक्ष का, पक्षपातपूर्ण । सिंहासन । ३ ढगण के प्रथम भेद का नाम । इकता-देखो 'एकता'। इंद्रि, इंद्रिय, इंद्री-स्त्री० [सं० इन्द्रिय] १पंचेन्द्रिय जिनसे ज्ञान इकतार-वि० एक रस, समान, बराबर । -क्रि० वि० प्राप्त होता है । २ शारीरिक शक्ति । ३ वीर्य । ४ शिश्न, निरन्तर । लिंग । ५ शक्ति, बल । ६ पांच की संख्या । ७ दस की | इकतारौ-पु० १ एक तार का वाद्य । २ इकहरे सूत का वस्त्र । संख्या । -जुलाब-पु० मूत्र विरेचन । -सुर-पु. इकताळ-पु. १ एक क्षण, पल । २ बारह मात्राओं की ताल । इन्द्रियों के देवता । इकताळी (स)-वि० चालीस व एक । -पु० चालीस व एक की इंद्रोको-पु० एक वृक्ष विशेष । संख्या, ४१ । -क्रि० वि० जल्दी। इंद्रौ-देखो 'इंद्र'। इकताळीसौ, ईकताळी-पु० ४१ का वर्ष । इंधरण (धारण, णी)-० [स० इंधन] जलाने की लकड़ी, कंडा, | इकतीस-वि. तीस व एक। -पु. तीन व एक की तेल आदि। संख्या, ३१ । इंधारी-देखो 'अंधारी'। इकतीसौ-पु० ३१ का वर्ष । इंधारीजरणौ (बौ)-क्रि० अंधकार मय होना । इकदरौ-पु०१ पुरानी इमारतों के नीचे बना तहखाना । इंधारौ-देखो 'अंधारौ'। २ एक दरवाजे का कमरा या कोठड़ी। इनण, इनणी-देखो 'इंधरण' । इकपतनी-स्त्री० पतिव्रता। इंयु-प्रव्य० यों, ऐसे। इकपदो-स्त्री. राह, रास्ता, मार्ग । इंसान-पु० [अ०] मनुष्य । इकपोत्यौ-पु. एक ग्रंथि वाला लहसुन । इंसाफ-पु० [अ०] १ न्याय । २ फैसला, निर्णय । इकबाल-पु०१ स्वीकार, कबूल । २ भाग्य । ३ प्रताप । इहकार-देखो 'अहंकार'। इकमन्ना-वि० एक मत वाला, संगठित । इहंकारी-देखो 'अहंकारी' । इकमात-भाई, ईकमायौ-पु० यौ० सहोदर । भाई। इ-पु० [सं०] १भेद । २ कोप । ३ खेद,संताप,दुःख । ४ अनुकम्पा । इकमोलो-वि० एक ही मूल्य का । ५ अपाकरण, खंडन । ६ भावना । ७ पवित्रता । इयासियो-पु. ८१वां वर्ष । ८ कामदेव । ९ ग गश । १० शिव । ११ सूर्य । १२ स्वामि | इकयासी-वि० अस्मी और एक की संख्या के बराबर । कात्तिकेय । १३ ब्रह्मा । १४ इन्द्र । १५ चन्द्रमा । इकरंगौ-वि० समान रंग का। १६ सर्प । १८ दया। -सर्व० इन, इसने । इस । इकर, इकरां-क्रि० वि० एक बार । -अव्य ० १ पाश्चर्य, दया, क्रोध सूचक ध्वनि । २ निश्चयार्थ सूचक शब्द । २ पादपूर्त्यक प्रत्ययशब्द । इकरक्खों-वि० (स्त्री० इकरक्खी) सदा एकसा स्वभाव वाला। -वि० व्यर्थ। इकरथ-वि० व्यर्थ । इन. इए--सर्व० यह । --अव्य० इतने में । इससे । इकरदन-पु० यौ० गजानन,, गणेश । इउ', (ऊ)-क्रि० वि० इस तरह, ऐसे । -वि० व्यर्थ । इकरवा (चाप)-स्त्री. दीवार में लगाया जाने वाला सीधा इकत इकांत-देखो 'एकांत'। पत्थर। इकरांणवौ-पु० ९१ का वर्ष । इक (को)-वि० [सं० एक] एक । -टक-क्रि० वि० अपलक, निस्पंद नेत्रों से, लगातार । -डंकी-स्त्री० एक छत्रता। इकरांणु, (ए)-वि० नब्बे व एक । -पृ० नब्बे व एक की -डंडी-वि० एकाधिकारी। -ढाळियौ-वि० एक तरफ __ संख्या , ६१ । ढालू छत वाला । -साखियो-पु० खरीफ की इकरांणमौ-वि० इकारण के स्थान वाला। फसल वाला । इकरार-पु० [अ०] वादा, प्रगण, संकल्प । -नांमौ-पु० प्रतिज्ञा इकखरौ-पु० डिगल का एक गीत, (छंद)। पत्र, शर्तनामा। इकठो, इकठौ (छौ)-वि० एकत्र, संगृहीत । इकरारा-क्रि० वि० १ एक बार । २ तेजी से । इकडंकी-स्त्री० एक छत्रता, एकाधिकार । | इकला-क्रि० वि० लगातार, निरन्तर । २ देखो एकलिंग' । For Private And Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इकलवाई ( ११६ ) इक्यावन इकळवाइ (ई)-पु. स्वर्णकारों का एक औजार । इकार-पु० वर्णमाला का तृतीय स्वर, 'इ'। ---क्रि० वि० इकलांण-वि० एकांत, निर्जन । -क्रि०वि० १ एक दफा, एक | एक दफा, एक बार। बार । २ देखो 'इकळासियो' । | इकावन-वि० पचास व एक । -पु० उक्त की संख्या, ५१ । इकळाई-स्त्री०१बढ़ई का एक प्रौजार । २ मोची का एक | इशावनौ-प० इक्कावन का वर्ष । औजार । ३ एक तह वाला वस्त्र । ४ अकेलापन । इकियासियो-पू० इक्यासी का वर्ष । इकलाप (पौ)-वि० अकेला, एकाकी (स्त्री० इकालापी)। इकियासी-वि० अस्सी व एक। -पु. अस्सी व एक इकळायौ-देखो 'इकळासियौं' । ____ की संख्या, ८१। इकलाळियौ-वि०१ समान स्वभाव वाला। २ एकता और प्रेम इकी इकीस-देखो 'इक्कीस'। का बर्ताव करने वाला । ३ देखो ‘इकळा सियो'। इकीसौ-पु० २१ का वर्ष । --वि० पूर्णतया विश्वस्त, खरा। इकळास-पु० अ० इखलास] १ प्रेम, मेल, मित्रता। इकेलौ-देखो 'एकलौ' (स्त्री० इकेली)। २ देखो 'इकळामियो'। इकेवड़-स्त्री० १ एक धागे की रस्सी । २ वस्त्र की एक परत । इकळासियो-पु० एक सवारी का ऊंट । इकेवड़ी ताजीम-स्त्री. राजा महाराजाओं द्वारा दिया जाने इलिग-देखो 'एकलिंग'। वाला सम्मान विशेष । इकलियौ-देखो 'एकलियो' । इकेवड़ौ-वि०१ एक तह वाला। २ एक परत वाला । ३ एक इकलीम-देखो 'अकळीम' । धागे वाला । ४ इकहरा । ५ ममाज में एकाकी। इकलोयण-पू०[सं० एक लोचन] १ कोया, काग । २ शुक्राचाय । इकोतर-वि० [सं० एक सप्तति] सत्तर व एक, इकहत्तर । ३ काना-व्यक्ति। -वि० एक नेत्र वाला। -पु० सत्तर व एक की संख्या, ७१ । इकळोतो-पु० (स्त्री० इकळोती) मां-बाप का अकेला पुत्र । इकोतरी-पु० इकहत्तरवां वर्ष । इकवीस-देखो 'इक्कीस' । इको-देखो 'इक्कौ'। इकस-देखो 'अकस'। इक्क-वि० एक। इकसठ-वि० [सं० एकषष्टि] साठ व एक । --पु० साठ व इकबाल-पु० [अ० एकबाल] एक ग्रहयोग । (ताजक एक की संख्या, ११। ___ ज्योतिष) । इकसठौ-पु० इकमठ का वर्ष । इक्कड़--बिक्कड़-पु० १ एक देशी खेल । २ इस खेल के बोल । इकसांसियो-क्रि० वि० १ बिना विश्राम या सांस लिये । इक्कल-वि० एक, अकेला । २ तेजी से। -वि०३एक सांस में सब काम करने वाला। इक्कारणमौ (बौ)-देखो 'इकांणमौ' । ४ बहुत तेज । इक्कावन-वि० पच्चास व एक। -पु० पच्चास व एक इकसाखियो-वि० एक फसल वाला। ___ का अंक, ५१। इकसार (रौ)-वि० समान, एक जैसा । -क्रि० वि० इक्कावनौ-पु० इकावन की संख्या का वर्ष । लगातार, निरन्तर । इक्कावांन-पु० इक्का (तांगा) चलाने वाला । इकसूत-वि० एक साथ, एक सूत्र में । इक्की-स्त्री. १ कटार रखने की चमड़े की पेटी । २ एक । इकहतर (त्तर)-देखो 'इकोतर'। इक्कीस-वि० १ बीस व एक। २ बढ़िया, श्रेष्ठ, उत्तम । इकहती (ती, त्यो, थी)-स्त्री० शस्त्र विशेष । -पु० बीस व एक का अंक, २१ । इकारणमौं, (वौं)-वि नब्बे के बाद वाला। -पु० इक्काणू | इक्कीसौ-पु० २१ का वर्ष । ही का वर्ष। इक्केकई-वि० एक। इकांग-वि० नब्बे व एक । ---पु० नब्बे व एक की संख्या, ६१। इक्कौ-पु० १ शस्त्र विद्या में प्रवीण बड़े-बड़े काम करने वाला इकांत-देखो 'एकांत'। योद्धा । २ अपने झुड से बिछड़ जाने वाला पशु । इकांत, (र)-क्रि० वि० एक दिन छोड़ कर । ३ अकेला बैल । ४ तांगा । ५ एक बूटी वाला ताश का इकांतरौ-देखो 'एकांतरो'। पत्ता। --वि० १ अकेला, एकाकी । २ अद्वितीय, वे जोड़। इकाई-स्त्री० १एक को संख्या । २ एक ग्रंश या विभाग । इक्ख गौ (बौ)-क्रि० देखना, अवलोकन करना। इकाबहादुर -पु. एकेला व्यक्ति। | इक्यावन-देखो 'इक्कावन'। For Private And Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इक्यावनी ( १२० ) इडांगी इक्यावनौ-देखो 'इक्कावनौ' । इच्छुक-वि० [सं०] चाहने वाला, अभिलाषी । -पु० ईख । इक्यासी-देखो 'इकियासी'। इछणौ (बौ)-कि० चाहना, इच्छा करना । इक्ष्वाक, इक्ष्वाकु-पु० [सं० इक्ष्वाकु] १ सूर्यवंश का प्रथम इज-देखो 'ईज'। राजा । २ इस नाम से चलने वाला वंश । इजगर-देखो 'अजगर'। इखगौ (बौ)-देवो 'इक्वरगो(बौ)। इजत, (ति) -देखो 'इज्जत । इखत्यार. (री) - [अ० इख्तियार] १ अधिकार, काबू, इजमौ-देखो 'ग्रजमी'। वश । २ प्रभुत्व । -क्रि० वि० अधिकार में, वश में। इजराय-पु० [अ०] १ जारी करना । २ अमल में लाना । इखवाळ-पु० तीर । ३ प्रचार करना। इखळास-देखो 'इकळास' । इजळकरणौ (बौ)-क्रि० छलकना, मर्यादा बाहर होना। इखु, ईखू-पु० [स० इषु] तीर, वाण । इजळको-पु० छलकने की क्रिया या भाव । उफान । इख्य-स्त्री० [सं० इष्य] वसंत ऋतु । इजळास-पु० [अ०] १ बैठक । २ न्यायालय । इख्यारत, (थ)-वि० व्यर्थ, निष्फल । इजहार-पु० [अ०] १ प्रकाशन । २ बयान, गवाही । इगताळी, (स)-देखो 'इकताळी' । इजाजत,(ती)-स्त्री० [अ० इजाजत] प्राज्ञा, स्वीकृति, अनुमति । इगताळीसौ, इगताळौ-देखो ‘इकताळीसौ' । इजाफे, (फे, फौ)-पु० [अ० इजाफा] १ तरकी, बढ़ोतरी। इगतीस-देखो 'इकतीस'। २ बचत । इगतीसौ-देखो 'इकतीसौ' । इजार-पु० [अ०] पायजामा, सूथल । -बंध-पु. नाड़ा, नारा। इगसट (8)-देखो 'इकसठ' । इजारदार, इजारेदार-पु० ठेकेदार ।। इगसटौ (ठौ)-देखो 'इकसठी' । इजारानांमौ-पु० [अ० + फा० नाम] इजारे का शर्तनामा। इगियार-देखो 'इग्यारे'। इजारौ-पु० [अ० इजार] १ उधार या किराये पर देने का इनियारस-देखो 'एकादसी' । अधिकार । २ छत के ऊपर उठी हुई मकान की दीवार । इगियारे (२)-देखो 'इग्यारे'। इज-विज-वि० बराबर, समान, लगभग । इगियारौं-देखो 'इग्यारौ'। इज्जत-स्त्री० [अ०] मान, प्रतिष्ठा, आदर। इगुणहत्तरि-वि. १ साठ और नौ के योग के बराबर, इटियासी-देखो 'इठियासी' । उनहत्तर । २ उनहत्तर की संख्या, ६९ । इटीडांड इट्टी-स्त्री० गुल्ली। इगुरगीस-देखो 'उगग्गीस'। इठंतर-वि० [सं० अष्टसप्तति] सत्तर व पाठ । -पु० सत्तर व इग्या-देवो 'पाग्या'। --कारी- देखो 'पाग्याकारी'। पाठ की गंख्या, ७८ । इग्यारस (सि)-देखो 'एकादसी'। इठतरौ पु० इठत्तर का बयं ।। इग्यारे(रं-वि० दश व एक । -पु० दश व एक की संख्या, ११। इठत्तर-देखो 'उठतर' । इग्यारोतडी, इग्यारौ पु० ग्यारह का वर्ष । इठरणमौं (वी)-देखो 'अठारगयो' । इड़ा स्त्री० [सं० इड़ा] १ शरीर में वाम भाग में रहने वाली नाड़ी। इठाग-देखो 'अठाणु' । २ श्वास नली । ३ बुध की पत्नी। ४ पृथ्वी । ५ वाणी। इठासी-देखी 'इठियासी'। ६ गौ । ७ दुर्गा, पार्वती। ८ सरस्वती । ९ स्तुति । इठियासियौ-पु० ८८ का वर्ष । इड़ो-देखो 'ऐडो'। | इठियासी-वि० [सं० अष्टाशीति] अस्मी व पाठ। -पु० अस्सी इचरज-पु० आश्चर्य, विस्मय । -वंत-वि० आश्चर्यान्वित । व आठ का योग। इच्छ-देखो 'इच्छा'। इठे (8)-क्रि०वि० यहां, इस जगह । इच्छ गो, (बी)-क्रि० १ इच्छा करना, चाहना । २ अभिलाषा इडकरी-वि० मस्त। रखना। इडग-देखो 'अडिग'। इच्छना-देखो इच्छा। इडारणी इहरणी इढारणी-स्त्री० माथे पर जलपात्र के नीचे रखने इच्छा-स्त्री० [सं०] १ चाह, कामना, अभिलाषा । २ मनोवृत्ति। की कपड़े की गोल चकरी, गिरी, गेंडरी । २ गेंडूरी के ३ भावना । -भेदी-स्त्री० जुलाब की औपधि । आकार का मस्तक में बालों का चक्र । ३ गेंडूरी के प्राकार इच्छु (जू)-पु० [सं० इक्षु] १ ईग्छ । २ गुड़ । की बनी रोटी जो अाग में सेक कर खाई जाती है। For Private And Personal Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra इ इढ़ - क्रि०वि० यहां, यों । इस सर्व० इसने इस । - क्रि०वि० इधर, यहां । -गी- क्रि०वि० ० इस ओर क्रि०वि० इधर, यहां क्रि०वि० इस प्रकार | -बीच क्रि०वि० इतने में । इणां सर्व० इन्होंने इन इरिण. (गी ) - पर्व ० इसीने। इसी । - क्रि०वि० इसमें । इरिया गिरिया - वि० इने-गिने, कुछेक । इरियाळ - देखो 'अणियाळी' (स्त्री० इरिणयाळी ) 1 इणी-देखो 'गी'। देखो 'अणी - पांणी' । इस इस फि० वि० १ इधर इस ओर २ यहाँ इतर सर्व इतनी । www. kobatirth.org ( १२१ ) 1 इतफाव० [अ०] इत्तफाक ] १ मौका अवसर । २ संयोग । सहयोग | इतफाकी - क्रि० वि० संयोग से होने वाला । ३ सहमति इतबार देखो 'एतबार । , इति स्त्री० समाप्ति, अंत, पूर्णता । सूचक ध्वनि । गतइधर । इतवारी- देखो 'एतबारी' । इमाम- पु० [० एहतमाम ] १ व्यवस्था, प्रबन्ध । २ बादशाह की सवारी के प्रागे नकीब की आवाज । - क्रि०वि० बेरोकटोक 1 इतमीनान पु० [० इतमीनान] विश्वास भरोसा, संतोष I इतमीनांनी - वि० विश्वास पात्र । इतर (त) - वि० [सं०] १ दूसरा । २ अपर अन्य । ३ भिन्न । ४ साधारण । ५ पामर, नीच, ६ देखो 'इत्र' | इतररणी (बौ) - क्रि० इठलाना, मचलना । घमंड करना । इतराज - देखो 'एतराज' । इतराशी (बी), इतरावली (बी) देखो 'इतरणी' (बी) । इतरे, (२) कि० वि० इतने में। इतरी वि० (स्वी० इतरी) इतना इतळड वि० इतनी मात्रा का । इतला स्त्री० ० सूचना । - नांमी - पु० सूचना पत्र | इतले क्रि० वि० इतने में । इतवरी - स्त्री० [सं० इत्वरी ] १ कुलटा या छिनाल स्त्री । इतवार, इत्तवार १ देखो 'प्रादित्यवार' । २ देखो 'एतबार' | इता (ता. ईजि इतने सर्व० इन्होंने ०वि० इतने में अव्य० समाप्ति इतिहासी वि० ऐतिहासिक । इती - वि० इतनी । इतेह क्रि० वि० इतने में इतै क्रि०वि०१ इतने में । २ तब तक । ३ अब तक । ४ इधर । इतोल (ब) - देखो 'उत्तोलणी' (बौ) । इतौ (त, सौ) वि० (स्त्री० इती) इतना इत्तला - स्त्री० [अ० इत्तला ] खबर, सूचना, समाचार । इत्ते (इ), इतै - देखो 'इ' । इत्याचार देखो 'प्रत्याचार' । इत्थंतरी - क्रि० वि० [सं०] इस समय ऐसे मौके पर । 1 इत्थ - क्रि० वि० [सं०] ऐसे, यों, इस तरह । साल- पु० o कुंडली में सोलह योगों में से एक । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इत्र- पु० [अ०] पुण्यसार, धतर हब, इथिवे (६) क्रि० वि० यहां इदक, (को) - देखो 'अधिक' इदकाइ ( इकाइ) देखो 'अधिकाई' | इदकार ( इधकार ) - देखो 'अधिकार' | इदत, इद्ध - वि० प्रकाश मान, शोभित । इधक देखो 'अधिक इत्याद, (दि, दिक, दिका, दीक) - अव्य० [सं० इत्यादिक ] आदि, प्रभूति, पौर इन्यांम इधकजथा - स्त्री० डिंगल गीत रचना की एक विधि । इधकार - देखो 'अधिकार' । मास देखो 'अधिकमास । इधकारी- पु० मान, सम्मान | इधरौ, इधकौ - वि० (स्त्री० इधकेरी) अधिक विशेष । इतियाचार देखो'त्याचार' इलियास इतिहास पु० [सं०] [इतिहास] १ पूर्व वृत्तांत २ पूर्व इनायाय (पाव) - देखो अन्याय' । काल का वर्णन । ३ वह पुस्तक जिसमें बीते युग का वृत्ता । लिखा हो । ४ बहतर कलाओंों में से एक । इधणहार - पु० लकड़हारा | धरा (ब) धरावी (बी) देखो 'उद्धारणी' (मी) । इयु० [सं०ग्रभिज्ञान] १ निशान, विह्न २ देखो 'ई' इनकार - स्त्री० [अ०] नामंजूरी, मनाही । इनसांन० मनुष्य । इनसांनियत स्त्री० मनुष्यत्व, भलमनसाहत | इनसाफ देखो 'इंसाफ' । इनाम पु० [फा० इनग्राम) पुरस्कार, पारितोषिक | इनायत - स्त्री० [अ०] १ कृपा, अनुग्रह । २ एहसान । ३ ग्यौछावर । ४ बक्शीस करने की क्रिया । ५ तुष्टमान होने का भावनांम०कृपापूर्वक दी हुई वस्तु का लेख यत्र । For Private And Personal Use Only । " इने इन सर्व० इसे इसको कि० वि० इस घोर इस तरफ इन्यांस देखो 'इनाम' । Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra इफरात www.kobatirth.org - । इकरा - [प्र० । वि० [अ०] अधिकता बाहुल्य वि० बहुत अधिक इब - क्रि० वि० १ ऐसे । २ देखो 'ब' | बी० (१०) इतना ऐसा 7 इबादत स्त्री० [अ०] ईश्वर की उपासना । पूजा अर्चना । -यांनी पु०यादतगृह मंदिर इबारत स्त्री० [०] १ लिखावट । २ लेखन शैली । ३ गद्यलेख । ( १२२ ) ४ मजमून 1 इबारती - वि० गद्यात्मक | इभ पु० [सं०] [स्त्री० - कोस- पु० तलवार हस्ती कोड़ा। इचार पु० [सं० भा. राजा - बर] गुप्तचर । भोपाळप इन्याळियाँ (छौ) -१० (स्त्री० इभीयाळी पाळी माता-पिता रहित गरीब बच्चा । - वि०१ अशक्त, कमजोर । २ दवा पात्र ३ मातृ-पितृ हीन । इम क्रि० वि० इन प्रकार, ऐसे इमलिन इत्यनिपु० [अ० इम्तहान ] परीक्षा, जांच इमदाद - स्त्री० मदद सहायता । इमरत - देखो 'समरत' । इमरती पु० मिलट का बना हुक्का । इमरती स्त्री० [कंनननुमा बनी रसदार मिठाई । इमरस- देखो 'अमरख' । इमरित - देखो 'अमरत' । इमली ० १ पेरेदार फलीनुमा खट्टा फल [२] इसका वृक्ष इमाम- पु० [अ०] पथप्रदर्शक, नेता । - बाड़ौ-पु० ताजिए दफनाने व उनका मातम मनाने का स्थान । इमारत स्त्री० [0 बड़ा और पक्का मकान, बड़ा भवन । इमि, (मी) - क्रिवि ऐसे, इस प्रकार | देखो 'अमी' | दुनिया देखो 'उमा' । इत-देखो 'श्रमरत' । इति-देखो 'इमरती' | इयां क्रि० वि० १ ऐसे, इस तरह । २ इधर । इयाजी - स्त्री० समधियों की दासी । -- २ तलवार । भी ) १ हाथी | की म्यान रमणौ पु० इस स्पी० [सं०] वृहस्पति को माता । । - १ इबार देखो 'प्रयार' । इवाळी वि० [स्त्री० [दवाळी) इधर का इयं (यू) - क्रि० वि० ऐसे, इस प्रकार । इथे ( ये ) - सर्व० इस इसने । वि० ऐसा । क्रि० वि० " 1 १ यहां, इधर । २ ऐसे । । इ० एरंड ककड़ी-री० पता। | इरकांणी ( इरकी ) - स्त्री० १ ऊंट के घुटने के ऊपर का भाग । २ कोहनी । - पु० इरकियों बनने पांव के ऊपरी भाग ( इरकी ) से जस्मी ऊंट । इरकुरणी- देखो 'इरकांरणी' | इरखा - देखो 'ईरसा' । इरची मिरची - पु० एक देशी खेल । इरद-गिरद - क्रि० वि० १ चारों ओर । २ आस-पास । ३ इधर-उधर । इरमद-स्त्री० [सं०] मेयोति इसी (रांनी) - वि० ईरान का ईरान संबंधी पु० १ ईरान का निवासी । स्त्री० २ ईरान की भाषा । २ पृथ्वी । ३ वाणी । ४ भाषा । ५ शराव । ६ सरस्वती । ७ जल । ८ भोज्य पदार्थ । ६० पश्चिम एशिया का एक देश । इराकी - पु० इराक का निवासी । देखो 'एराकी' । इरादौ - पु० १ विचार, उद्देश्य, मंसूबा । ३ प्रेम, मित्रता । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir की एक नदी । इरिण - स्त्री० [सं० इरिणम् ] बंजर भूमि । इळ - देखो 'इळा' | इलका (काव ) - देखो 'अलका' । इरावत पु० [सं० इरावत् ] १ एक पर्वत का नाम । २ एक सर्प का नाम । ३ नाग कन्या । ४ उलूपी व अर्जुन का पुत्र । ५ सागर, समुद्र । इरावती स्त्री० १ कश्यप की एक कन्या । इलजाम इल्जाम पु० [प्र० इलजाम] १ २ प्रक्षेप । ३ अभियोग । इळजी - पु० मेंहदी। इळपत (ति) - देखो 'इळापति' । पत इलम्म इलकार, इळगर- पु० १ जोश, उत्साह । २ गर्व, घमंड | ३ हर्ष, प्रसन्नता । ४ प्रस्थान, कूच । इळगौ- वि० १ अलग, जुदा, पृथक। २ भिन्न । इळक गु० [सं० इलाक] १ जिनिज, जहां पृथ्वी-प्रकाश मिलते नजर आते हैं । २ धूमिल वेला । कलाकार । जानने वाला । चतुर । २ संकल्प | इलमी - वि० 'इलम' जानने वाला । । इलम्म देखो 'इलम' । For Private And Personal Use Only २ ब्रह्म देश पु० पृथ्वी इलम ५० ( ० इलम १ विद्याज्ञान २ कला, हूनर, 1 १३ जानकारी, ग्राभासगीर, दार वि० ज्ञानी, पंडित । Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra इलल्ला इलल्ला, (ह) - पु० [अ० इल्लिल्लाह ] १ ईश्वर खुदा । २ ख़ुदा को याद करने का सब्द (ईश्वर सहायता करे। इलविला स्त्री० कुबेर की माता २ पुलस्त्य की पत्नी । इलवीस पु० आदम के पास रहने वाला शैतान । इळा स्वी० [सं०] १ पृथ्वी भूमि २ लि रजा । रजकरण । 7 " ३ हठयोग में इड़ा नामक नाड़ी कंत, पत, पति - पु० राजा, बादशाह । - थंभ - पु० राजा । शेषनाग | --यत- पु० जम्बूद्वीप के नौ खण्डों में से एक। इला स्त्री० खेल से दूर रहने के लिए उच्चरित शब्द । इलाको पु० [अ०] इलाका] १ अपना क्षेत्र २ रियासत ३ अधिकार क्षेत्र कोई क्षेत्र विशेष । इलाज - पु० [अ०] १ चिकित्सा । २ उपाय । ३ प्रबन्ध, इन्तजाम । इलाजी वि० १ चिकित्सक २ प्रबन्धक । इलापरणौ (बौ) - देखो 'ग्रालापणी' (बौ) । इलायची स्त्री० [सं० एला + ची ] १ तीव्र सुगंध वाले बीजों का डोडानुमा सूखा फल । २ इस फल का पौधा । ३ एक प्रकार का घोडा । www. kobatirth.org बादशाह अकबर का चलाया हुग्रा सन् । इळि - देखो 'इला' | इसी देखो 'इम्सी' ( १२३ ) इलायची- पू० एक प्रकार का कीमती वस्त्र । लाल बिलाली (स्त्री० - वि० रसिक, छैला | इलाह- पु० [अ०] खुदा, ईश्वर चलाया हुआ गज या - गज-पु० अकबर बादशाह का जो २२.२ / ५ इन्च लम्बा होता था और इमारतों के निर्माण में काम श्राता था । सन - पु० - । [इलाली विलानी) शौकीन, इलूरौ पु० एक प्रकार का पत्थर । इलोजी ० १ होती पर बनाई जाने वाली मनुष्य की विशाल नंगी मूर्ति २ व्यक्ति । गति २ ढंग रीति ३ लहर तरंग ०१ इल्जाम देखी 'इनाम' इल्म देखो 'इलम' इल्लत स्त्री० [अ०] १ रोग, बीमारी । २ भट से ३ फालतू का बोझ ४ जबरदस्ती का कार्य । इल्ली-स्त्री० ० १ एक छोटा कीटाणु जो अनाज, ग्राटा, मेदा ग्रादि में पैदा हो जाता है। २ एक प्रकार का प्राभूषण । इल्ली-बिल्लीपु० १२ परि इल्वल - पु० एक असुर विशेष । इस्लामी पांव तारों का एक समूह | इव प्रव्य० सावश्यार्थक अव्यय । -- क्रि० वि० १ ऐसे, ऐसा । २ अब । इवा सर्व वह । 0 इवे, इव - क्रि० वि० ग्रब । सर्व० वे । (० (स्त्री० इवड़ी) ऐसा | इन्वाक - देखो 'इक्ष्वाकु' । इस कि० । ० इस प्रकार ऐसे पु० [सं०] इषः ] प्राश्विन मास । इस ( उ ) - श्रव्य० ऐसे । - वि० ऐसा, ऐसी 1 इसकंदर - देखो 'सिकंदर' । इसकपेवी १० एक प्रकार की लता। । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसक पु० [अ०] इश्क ] प्रेम मुहम्बत। वि० साविक माक " 1 इसकी - वि० [अ० इश्की ] इश्क करने वाला, ग्राशिक । रसिक । इसकेल - देखो 'असखेल' । इसबगुल (गोल) देखो 'इस' इसांन क्रि० वि० ऐसे । – पु० अहसान । इसा वि० ऐसे इस्तरी इस (से) कि० ० १ ऐसे इस प्रकार २ इतने में । , इसी वि० (स्त्री० इसी) ऐसा इसट- देखो 'इस्ट' | इसारत, इसारौ - पु० [ प्र० इशारा ] १ संकेत, सैन । २ संक्षिप्त कथन । ३ सूक्ष्म आधार । ४ गुप्त प्रेरणा । ५ सूचना । इसि - - पु० [सं० ऋषि ] ऋषि, मुनि । (जैन) इसिइं, इसी - वि० ऐसी । इसुपु० [सं०] [] वारा तीर । इसुध - पु० ठगरण की पांच मात्रात्रों के तृतीय भेद का नाम । इसुधी - पु० [सं० इधि ] तूणीर, तरकस । इस वि० ऐसा इसूपळ - स्त्री० [सं० इप्पल ] किले के द्वार पर रहने वाली तोप विशेष । इस क्रि० वि० ऐसे, इस तरह । इसोसोक - वि० ऐसा, इस प्रकार का । इसी - वि० (स्त्री० इसी) ऐसा । इस प्रकार का । इस्कूल - स्त्री० स्कूल, पाठशाला । इस्ट - वि० [सं० इष्ट ] १ चाहा हुग्रा, अभीष्ट । २ पूज्य, पूजित । ३ अनुकूल ४ प्रिय । ५ उद्दिष्ट । ६ मान्य । ७ कृपापात्र । - पु० १ यज्ञादि शुभ कर्म । २ इष्टदेव । ३ कुलदेव । ४ मित्र । ५ अधिकार । ६ पति कर पु० एक प्रकार का घोड़ा । -काळ - पु० किसी घटना का ठीक समय । देव देवता-० पाराध्यदेव कुल देवता । 1 इष्टि (स्टी) वि० [सं० इष्टि] इष्ट रखने वाला - पु० १ पति । २ यज्ञ । इस्सरी देखो 'इस्त्री' | For Private And Personal Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस्तिहार ( १२४ ) ईडरियो इस्तिहार-पु० [अ० इश्तहार] १ विज्ञापन । २ सूचना, नोटिस। इहंकारी-देखो 'अहंकारी'। इस्तीको-पु० [अ० अस्त ग्रफ-स्तैफा] त्याग-पत्र । इह-सर्व० [सं० एषः] यह। इस । -वि. ऐसी, ऐमा । इस्तीयार, इस्तीहार-देखो 'इस्तिहार'। -कि० वि० [सं०] १ यहां, इस स्थान पर। २ इस इस्तेमाल-पु० [अ०] उपयोग, व्यवहार । समय । ३ इस प्रकार । ४ देखो 'अहि' । इस्त्री-स्त्री०१ कपड़ों की तह बैठाने का धोबियों, दाजियों का | इहड़ौ-वि० (स्त्री० इहड़ी) ऐसा । उपकरण विशेष । २ देखो 'स्त्री'। इहनारण-देखो 'ऐनांण'। इस्दी-वि० ऐसी। -सर्व० इसकी। इहलौकिक-वि० इस लोक से संबंधित । इस्यउ-देखो 'इस्यौ'। इहां, इयां-क्रि० वि० यहां, इस ओर, इधर । इस्यू-क्रि० वि० इस प्रकार, ऐसे । इहि-देखो १ 'इह' । २ देखो 'अहि' । इस्यौ-वि० ऐमा। इहे, इहै-सर्व० इस, यह । इस्लाम-पु० [अ० इस्लाम] १ मुस्लिम धर्म । २ मुसलमान । इहौ-क्रि० वि० ऐसे, इस प्रकार । -वि० ऐसा। इहंकार-देखो 'अहंकार'। -म० यह, इस । ई-देवनागरी वर्णमाला का चौधा म्वर । । ईए-सर्व० इस, इसी, ये। ई-सर्व इसने, इस, यह। -कि० वि० बिना काम के। | ईकंत-देखो 'एकांत' । वैसे ही, याही: ईकड़-पु. एक प्रकार का पौधा । ई गुर-पु० [प्रा० इंगुल चटकोली ललाई लिये हये एक खनिज | ईकरकौ-देखो 'एकरको'। (स्त्री० इकरकी) पदार्थ । हिंगुल । ईकार-पु० 'ई' अक्षर । -क्रि०वि० एक बार । ईट, ईटोड़ी-स्त्री० १ चिकनी मिट्टी का पकाकर तैयार किया | ईख-स्त्री० [सं० इक्षु] गन्ने की फसल, गन्ना । खण्ड । २ ताश में एक रंग । ईखरण-पु० [सं० इक्षणम् ] नेत्र, चक्षु । ई ठौ-देखो 'ऐठौ'। ईखरगौ (बौ)-क्रि० देखना। ईडौ-देखो 'अंडी'। ईखद-वि० [सं० ईषत् तनिक । ई-स्त्री० [सं० ईश] समानता, बराबरी । ईग्या-देखो 'पाग्या'। ईरिणी, ईढ़ा, ईढ़ी, ईर्णी -देखो 'इडाणी' । ईडा-देखो 'इडा'। ईत-स्त्री० पशुओं के शरीर से चिपक कर चून चूसने वाला ईछणौ (बौ)-क्रि० इच्छा करना, अभिलाषा करना। एक कीड़ा। ईज-अव्य० निश्चयात्मक ध्वनि, ही। ईद-देवो 'इंद्र'। ईजत, (ति, तो)-देखो 'इज्जत' । ईदरापुर-देखो 'इंद्रपुर' । ईटकोळ-पु० १ गेंद बल्ले का एक देशी खेल । २ एक प्रकार का ई दीवर-पु० कमल । क्षुप । ३ अर्गला। ई धरण (न), ईधरणी (गो)-देखो 'इंधरण' । ईठ-देखो 'इस्ट'। ईने-कि०वि० इधर, इस पोर । -सर्व० इसने । इसको। इस । | ईठि-स्त्री० मित्रता, दोस्ती। ईसू-सर्व इससे। ईठी-पु० भाला। ई-पु. १ कामदेव । २ महादेव । ३ ईश्वर । ४ काच । ईठे, (8)-क्रि०वि० यहां। ५ टेढ़ापन । ६ बगुला । -स्त्री० ७ लक्ष्मी । ८ पुत्रवती। ईड-देखो 'ईढ़' । ९ बांझ स्त्री । १० शंका । ११ स्मृति । १२ उदासी । १३ दुःख । १४ देखो 'ईस'। -वि. लाल, अरुण । -सर्व ० ईडक-पु० नगाड़ा। यह, इम, यही । -ग्रव्य० किसी शब्द पर जोर देने की ईडगरौ-देखो 'ईढ़गरौ' । ध्वनि । भी। ईडर-पु० ऊंट की छाती पर बना गद्दी के आकार का चिह्न । ई'-देखो 'ईस'। ईडरियौ-पु० १ वह ऊंट जिसके ईडर में जरूम हो । २ ईडर ईऊ-क्रि० वि० से। प्रदेश का निवासी। For Private And Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ईड " ईडरी-देवो 'ईडी' (स्त्री० [डरी) । ई-०वि० यहां (मेवा)। क्रि०वि० ईढ़ स्त्री० १ बराबरी । २ नकल । ३ चेष्टा । ४ ईर्ष्या, डाह । ५ शत्रुता ६ जिद्द, हठ। - वि० समान बराबर, तुल्य । गर गरी बारवि० बराबरी करने वाला, ईर्ष्यालु ईरो - वि० (स्त्री० ईढरी) १ ईर्ष्यालु । २ समान बराबर का । ईदांगी, ईसी देखी 'दणी' ईसाईलि (सी), ई-वि० यह अब पु० यह जन्म, ईकार्ड देखो 'अधिकाई । नरणी - देखो 'इंधरण । ईनलौ - वि० (स्त्री० ईननी) इधर का, इस ओर का । ईम-देखो 'इम' www.kobatirth.org ( १२५ ) ईरखावाळ, ईरखाळू- ठू-देखो 'ईरसाळ' | सी० [सं०] [ई] डा. जसन, पुढन ईमरति (ती) - देखो 'इमरती' । ईमान पु० [अ०] १ धर्म २ धर्म संबंधी विश्वास | ३ प्रास्तिकता । ४ सच्चाई । ५ कर्त्तव्य परायणता । ६ सद्वृत्ति-दार वि० कर्तव्य परायण एवं सच्चा । पानिका स्त्री० ईमानदार होने की क्रिया या भाव । ईमी- देखो 'श्रमी' । ई - सर्व ० ० इस ईर्व० इन्होंने क्रि० वि० ऐसे। यहां, इधर । ईया - क्रि० वि० इधर, यहां ऐसे । ये ( ) - सर्व ० इसने । -वळ क्रि० वि० इस तरफ ईरखा (बी) देखो 'ईरसा' । इहलोक ईल (ति, सी) पु० [सं०] ईति] फल के लिये हानिकारक इसको पु० द्वेष, ईर्ष्या २ बराबरी ३ नकल उपद्रवी तत्व । ईसतत्व - पु० [सं० ईशत्व ] यज्ञ । ईतर-वि० १ इतराने वाला । २ गुस्ताख, ढीठ । ३ नीच । ईसता, (ति, ती ) - स्त्री० [सं० ईशिता ] आठ प्रकार की सिद्धियों में से एक। ४ देखो 'इत्र' । 1 ईद-स्त्री० [अ०] मुसलमानों का एक स्पोहार या स्त्री० ईद ईसबगुळ, (गोळ) १० १ फारस की एक भाड़ी जिसके बीज की नमाज पढ़ने का स्थान । दवाइयों में काम आते हैं । २ एक प्रौषधि । ईदी - स्त्री० [ प्र० ] १ त्यौहार का तोहफा । २ त्योहार संबंधी ईसबर - देखो 'ईश्वर' । कविता | ईसर, (जी) - पु० १ ' गणगौर' पर्व पर बनाई जाने वाली ईश्वर या शिव की प्रतीकात्मक मूर्ति । २ देखो 'ईस्वर' । ईसरता देखो 'ईसता २ देखो 'इला' । ईसाळू वि० [सं०] १ दूसरे का उत्कर्ष देखकर जलने वाला । २ डाह करने वाला । ३ ईर्ष्या करने या रखने वाला । इंल स्त्री० १ मर्यादा । २ दुःख । ईसा वि० १ ईसी-देखो''। . ईब देखो 'हव' स० [सं०] ई] १ ईश्वर देव । ३ प्रभु, मालिक । ४ पति । ६ राजा । ७ प्रधान, मुखिया परमात्मा । २ इष्ट ५ शिव, ५ शिव, महादेव । अधिष्ठाता, अधिकारी । । ९ शासक | १० पारा । ११ आर्द्रा नक्षत्र । १२ आश्विन मास । - स्त्री० १३ बाट की लम्बाई १४ लम्बाई । १५ गाड़ी की एक बाजू १६ ग्यारह की संपाप-पु० राजा । - सख- पु० कुबेर । ईसउ - देखो 'इस उ' । ईसरि (री) - देखो 'ईस्वरी' । ईसरेस-पु० [सं०] ईश्वर] शिव, महादेव ईसवर (ड.) देवी 'ईश्वर' ईसवरी-देखो 'ईश्वरी' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ईसी वि० ईसा संबंधी स्त्री० [ईसा संवत् । ईससीस - स्त्री [सं० ईश- शीश ] गंगा । इंसां, इंसां पु० [सं० ईशान] १ शिव ४ राजा । ५ उत्तर-पूर्व मध्य की ६ गिरिजा, पार्वती । ५ एहसान दुर्गा, पार्वती । ईसांनका स्त्री० देवी, दुर्गा, भवानी । ईसा - वि० ० लम्बा । क्रि० वि० ऐसा । ईसीय For Private And Personal Use Only २ विष्णु ३ सूर्य दिशा । —स्त्री० का स्त्री० देवी, पु० १ ईसा मशीह । [सं० ईषा ] २ हल का लम्बा लकड़ा, हरीसा । ईसाई पु० ईसामजीह द्वारा चलाया हुआ धर्म २ इस धर्म का अनुयायी । ईसाब- पु० [सं०] ईशान] १ महादेव २ विष्णु शिव, । । ३ शासक । ईसार पु० [सं० ईश + अरि] कामदेव | ईसालय पु० शिवालय, देवालय । ईसा सुदंत - पु० लम्बे दांत वाला हाथी । ईसिता देखो 'ईसता' । सीय वि० ऐसी Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org उकटरणी ईसुर-देखो 'ईस्वर'। ईह-सर्व० १ यह । २ देखो 'ईहा'। ईसुरी-देखो 'ईस्वरी'। ईहग-पु० १ कवि । २ चारण । ईसून-देखो 'ईसांन'। ईहड़ौ-वि० (स्त्री० ईहडी) ऐसा । ईसौ-देवो 'इसौ' । (स्त्री० ईसी) ईहण-पु. १ कवि । २ चारण । ईस्वर-पु० [सं० ईश्वर] १ परमेश्वर, ईश्वर । २ शिव, महादेव । ईहणौ (बौ)-क्रि० इच्छा करना, चाहना । ३ स्वामी । ४ राजा । ५ धनी, धनवान । ६ समर्थ पुरुष। ईहा-स्त्री० [सं०] १ इच्छा, कामना। २ चेष्टा ---ता-स्त्री. प्रभुत्व, ईश्वरत्व । -वि० ऐसा। ईस्वरी-स्त्री० [सं० ईश्वरी] १ दुर्गा, भगवती, महामाया। ईहित-वि० [सं०] इच्छित, अभीष्ट । २ पार्वती। ३ श्रीकरणी देवी । ४ श्रीमावड़ देवी। प्रयत्न । -उ उ-नागरी वार्णमाला का पांचवां स्वर । | उ-पु० [सं० उ:] १ ब्रह्म । २ शिव । ३ नारद । ४ प्रजापनि। -प्रव्य० [सं०] विरोध, कष्ट आदि भाव प्रगट करने । ५ सूर्य । ६ स्वामिकात्तिकेय । ७ सार । ८ आशीर्वाद । वाली ध्वनि। ६ रावण । १० काल । ११ त्रिकाल संध्या १२ निपुग । उंगस्तनी-स्त्री० जादू का अंगूठे का छल्ला [मेवात] । १३ बिजली । १४ पार्वती । -वि० मधीन । - सर्व० उंचाई-देखो 'ऊंचाई'। वह । -अव्य० अनुकम्पा, नियोग, पादपूर्ति या स्वीकृति उचा गौ-देखो 'ऊंचाणौ' (बौ)। सूचक अव्यय। उंचास-देखो 'ऊंचास'। उअंकार-पु० प्रणवमंत्र, ऊंकार । उंछाती-पु० एक दांत की कमीवाला घोड़ा। उअर, (अरि, अवर)-देखो 'उर'। उंडांग, उंडाई, उंडायत-देखो 'ऊंडवरण' । उपल्लो-वि० (स्त्री० उपल्ली) इस ओर का। उरण-देखो 'उण' । उग्रह-पु० [सं० उदधि] सागर, समुद्र । उंरगौ-देखो ऊंगो'। उपहारगउ-देखो 'उ खांणी'। उतावळ, उताबळी, उताळ, उतावळ उतावळी-देखो 'उतावळ' । | उपा-सर्व० अ का विकारी रूप, वह, उस (स्त्री)। उतावळू, (ळी)-देखो 'ऊताकळी'।-(स्त्री० उतावळी)। उग्राडो-१ देखो ‘उवाड़ी' । २ देखो 'अवाड़ौ'। उदर (रौ)-देखो 'ऊंदर'। उपारण-वि० रक्षा करने वाला। -(स्त्री० न्यौछावर) । उंदापली-देखो 'ऊधायलो'। उपारगौ-पु०१ यौछावर, वलया । २ रक्षक । उंधाड़कौ-देखो ऊधाड़ को (स्त्री० उधाड़की)। उपारणी (बौ)-कि० [सं० अवतारणम्] न्यौछावर करना, उधाह डौ-पु० वह घोड़ा जिसके अगले पैर लम्बे हों। २ बलैया लेना । ३ रक्षा करना । बचाना । उंधीखोपड़ी-वि० नासमझ, मूर्ख । जिद्दी । उइखरणौ (बौ)-क्रि० उपदेश करना । उनमन-पु. मनस्थैर्य । -वि० मनका, मन संबंधी। उइल्लौ-वि० (स्त्री० उइल्ली) इस ओर का। उंबर, उंबुर -स्त्री० [सं० उम्बर, उम्बुरः] १ चौखट के ऊपर उग्रोल-देखो 'अवाळ'। वालो लकड़ी। २ देखो 'उमर'। उकडच्छी-वि० १ उत्कट इच्छा वाली । २ बड़ी यांखों वाली। उंबरण-पु० एक बड़ा वृक्ष जिसका तना स द व फल नीम्बू जैसे होते हैं। उकडणौ (बौ)-देखो 'उकढ़णी' (बौ)। उबरी-स्त्री० एक कांटेदार वृक्ष ।। उकड़ (डू)-पु० [सं० उत्कृतोरु] पांवों पर बैठने का एक ढंग । उंबरौ-१ देखो 'अमराव' । २ देखो 'ऊमरी'। -वि० उक्त प्रकार से बैठा हुअा। उंबाई-J• जलाने की लकड़ियों का गट्ठर । उकटपौ बौ)-क्रि० १ कसिया जाना । २ क्रोध करना। उंबी-देखो 'ऊबी'। ३ बार-बार कहना । ४ स्थान छोड़ कर निकलना। उवार-देखो 'अवार'। ५ भागना । ६ तलवार निकालना । ७ अाक्रमण करना, उंवारणौ, (बौ)-देखो 'वारणौ' (बौ)। हमला करना । ८ यागे बढ़ना । ६ मुख जाना । १० उत्पन्न उहूं-देखो 'ऊहूं'। होना । ११ बढ़ना। For Private And Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उकडू www.kobatirth.org ( १२७ ) उकट्ट पु० १ जोश। २ एहसान । कट्टर (बौ), उकठरणौ (बौ) देखो 'उकटणी' | उकडच्छी - वि० [सं० उत्कट + प्रक्षी] मादक नेत्रों वाली । उड़ी (बी), (दली व क्रि० १ बाहर निकलना, पढ़ना। २ ग्रामरण करना । ३ चमकना । ४ निकालना । उकत - १ देखो 'उक्त' । २ देखो 'उकति' । उकताखौ (बौ) - क्रि० १ ऊबना, उकता जाना । २ खीजना । ३ अधीर होना । ४ जल्दी मचाना । उकति स्त्री० [सं०] उक्ति] १ चमत्कार पूर्ण कथन वचन । ३ भाव व्यक्त करने की शक्ति । चमत्कार पूर्ण वचन कहने वाला । उकतौ- वि० ० शस्त्र युक्त व प्रहार करने को उद्यत । उकली देखी 'कति' । २ वाक्य - - वांन - वि० उकर - पु० तीर, बारा । उकरड़ी उदार त्री० [सं० उत्करी] फुस, कचरा आदि का बड़ा ढेर । खत, खरच - पु० गांव के सामूहिक खर्च का पंचायत का खत | बरेली (ब) क्रि० १ जमी हुई राख प्रादि को खोदना, कुरेदना | २ ढेर को इधर उधर करना । उकरास पु० १ उपाय, युक्ति । २ मौका अवसर । ३ खेल का दांव । , उकळणौ (बी) - क्रि० १ खोलना । २ उबलना । ३ क्रोध करना । ४ अकुलाना । ५ ऊपर उठना । ६ विकट रूप होना । उकलरणौ (बौ) - क्रि० १ दिमाग में उपजना । २ समझ में प्राना । ३ उधड़ना । ४ उच्चारण करना । ५ अलग होना, उखड़ना । बावरी (बी) १ खौलाना गर्म करना । २ उबालना । ३ क्रोध कराना । ४ अकुलाहट पैदा करना । ५ ऊपर उठाना । ६ विकट बनाना । उकस - पु० १ जोश । २ अभिलाषा, लालसा | उकसरणी (बी) - क्रि० १ जोश प्राना, उत्तेजित होना । २ उभरना, ऊपर उठना । ३ निकलना, अंकुरित होना । ४ उघड़ना, खुलना । ५ शत्रुता रखना । ६ उचकना । ऊंचा होना, ७ ऊपर उठना । उकसारणो (बौ), उकसावणो ( बौ) - प्रे०क्रि० १ जोश दिलाना, उत्तेजित करना । २ उभारना । उठाना । ३ निकालना । ४ उड़ना, खोलना । ५ शत्रुता कराना । ६ उचकाना । उकांनह पु० [सं० उकानह] लाल और पीले रंग का घोड़ा । उकाब - पु० [अ०] १ बड़ा गिद्ध । २ गरुड़ । वि० चालाक, दूर्त । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उकाळरणौ (बी) - क्रि० १ खोलाना, गर्म करना । २ उबालना । ३ गिराना । ४ डिगाना | उकाळी स्त्री० काष्ठादि श्रौषधि का काढ़ा, क्वाथ । उकाळी1- पु० उवाल । उस (बी) देखो 'उसी' (वी)। उकीरौ - पु० गोबर का कीड़ा । उकील - देखो 'वकील' । उपरविष उकलायत देखो 'वकालात' । उकुसलौ (बी) कि० १ उजाड़ना २ उबेदना दे ''(यो। 1 उके-विमु उभरणौ (बौ) - क्रि० कोरना, चित्र बनाना । उकेरी- देखो 'उकीरी' । उलगो-देखो 'उखेल गौ' । कंठरणी (बौकि० उत्कंठित होना। उक्कंबरणौ (बौ) - क्रि० ऊंची गर्दन करना । उक्कति (ती) - देखो 'उकति' । उक्तोस वि० १ उत्कृष्ट २ उस्कोस ऊंचा उक्त वि० ऊपर कथित पूर्व कथित । कहा हुआ । स्त्री० डिंगल 1 3 छंद रचना का एक नियम उकरणी (बौ) - क्रि० १ जोश बताना । २ गर्जना, दहाड़ना । उमी (ब) क्रि० १ कूदना २ नृत्य करना । ४ छलांग लगाना । उक्त देवी उसी' (बी) उक्ष, उख पु० [सं० उक्षन् ] १ बैल। सूर्य । २ देखो 'ऊख'। उखड़ (बौ) - क्रि० १ जमी हुई वस्तु का स्थान से हटना, उखड़ना । २ जड़ सहित निकलना । ३ जमी हुई स्थिति का बदलना । ४ चाल में भेद पड़ना । ५ हटना, अलग होना । ६ क्रोध करना । ७ हारना । श्वास की गति बिगड़ना । वाला ऊंट । २ ऊपर उखड़ियोडौं- पु० जानु (घुटने) में कसर उखरणरणौ (बौ) - क्रि० १ बोझा सिर पर उठाना । उठाना । ३ उत्तरदायित्व लेना । ४ नोचना । ५ शस्त्र उठाना । ६ खोदना । उता स्त्री० [सं० पा] काणी मिर्च । उखरणाखौ ( बौ), उखलावरणौ, ( बौ) - प्रे० क्रि० १ सिर पर बोझा उठवाना । २ ऊपर उठवाना । ३ उत्तरदायित्व डालना । ४ नुचवाना । ५ शस्त्र उठवाना। ६ खुदवाना | उषध - देखो 'प्रोखध' । For Private And Personal Use Only उखरड़ौ, (ड) - देखी उकरड़ो' । उखरबिध ( बुध, विध) - स्त्री० [सं० उपर्बुध] अग्नि, आग । Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उखरांटी www.kobatirth.org ( १२८ ) उखरांटी, उखरांमटौ, (राटौ ) - वि० (स्त्री० उखरांटी ) बिस्तर उगत - स्त्री० १ युक्ति, उपाय । २ बुद्धि, ज्ञान । ३ रहित । तरीका । ५ न्याय, उखराळी स्त्री० १ बिना बिस्तर की खाट । २ ऐसी खाट पर मोने वाली स्त्री । ३ कुत्ते आदि की गुसाली, खड्डा । ३ उथल-पुथल । उत्पति, जन्म ४ ढंग ६ उक्ति । ७ कथन । उयति (सी) देखो 'उरुति' । उखळगी (बी) देखो 'उकळी'। उनी (श्री) देखो 'उकलर' (वी)। उखांखियाँ - वि० १ जोशीला, जोश पूर्ण । २ वीर, साहसी । ३ क्रुद्ध । । उखां, (, खौ) - पु० ० उपाख्यान] १ कहावत उक्ति । उगमगियो- देखो 'ऊगमगियौ' । २ दृष्टान्त । ३ मुहावरा । उगमली-देखो 'गती' । उद्या स्त्री० [सं०] उप] १ सवेरा तड़का, प्रभात २ अरुणोदय का प्रकाश 1 ३ बारणासुर की कन्या । ४] रात्रि ५ नाय ईस पत, पति, पती-पु० अनिरुद्ध कामदेव । 1 स्त्री० [सं०] १ उखाड़ने या हटाने की क्रिया । २ लगाव पादपछाड़ पिछाड़ स्त्री० ० उथल-पुथल, उलटपलट करने की क्रिया । उत्पात । जोड़-तोड़, दांव-पेष (ब) १ उखाणी (० ० [सं०] उत्पातनम् ] जमी हुई वस्तु को स्थान से हटाना, उखाड़ना । २ जड़ सहित निकालना । ३ जमी हुई दशा को मिटाना । ४ हटाना, अलग करना । ५ क्रोध दिलाना । ६ हराना । ७ नष्ट करना, ध्वस्त करना ८ खोदकर निकालना । ९ खोलना । उखि- देखो 'उब' | उखेड़ा (बौ), उखेडपो ( बौ) - देखो 'उखाड़ी' (बी) | उखेल (लौ ) - पु० [सं० उत्खेल ] १ युद्ध । २ उत्पात । ३ कलह । ४ उपद्रव, उत्पात । ५ देखो 'उखाड़' | उखेल दिउखाड़ने वाला मिटाने वाला । उगाऊ - देखो 'उगुणी' । उगलित (सीस) वि० [दन और ९ के योग के समान - । 1 दश और नौ के योग की संख्या, १९ । (ब) देखो उघाड़ी (बो) उखेवरणौ (बौ) - क्रि० देवताओं के आगे धूप-दीप करना । उगटी (बी) - क्रि० [सं० उद्घटन] १ उदय होना । २ प्रगट होना कसिया जाना ४ देखो 'उकटणी' (बो) उगट्टि (ट्टी) - वि० प्रगट, प्रत्यक्ष, उत्पन्न । उपतरी देखी 'गुणतरों उगरगतीसौ-देखो 'उनतीसौ' । उगरणीसौ-पु० १९ का वर्ष । १० पु० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उगनियाँ (नीयौ) - देखो 'श्रोगनियों' । 1 उगम ० [सं०] उद्गम] १ प्राविर्भाव उदय २ अंकुरन । ३ उत्पत्ति स्थान । ४ सूर्योदय के समय का प्रकाश । ५ मादा पशुओं के स्तन का रोग विशेष । उगमण स्त्री० १ पूर्व दिजा २ देखी 'उगम' उगारण उद्भव, नीति । - । – । दिशा की ओर पु० पूर्व दिशा । रहना । ३ गाना उगम पु० पूर्व दिशा कि० वि० पूर्व उगमरणी - वि० पूर्व का, पूर्व दिशा संबंधी । उगमन (यो) देखो 'ऊगणी' । उरण (बौ) - क्रि० १ बचना । २ शेष प्रारम्भ करना । ४ देखो 'ऊगाणी' (बौ) । उपरांती देवो'उपरा' (स्त्री० उगरांटी ) । उगम (बी) क्रि० [सं० उग्रहणम् ] १ प्रहार हेतु पर उठाना। २ प्रहार करने को उद्यत होना । उगराणी (बी) उपरावली (बी) उगराहणी (बी) क्रि०१ वसूल करना । २ बदला लेना । ३ प्राप्त करना । ४ दण्ड स्वरूप लेना । ५ बकाया लेना । ६ रक्षा करना । बचाना | उगळ-स्त्री० [सं० उद्गल ] १ रुपये-पैसे व सामान की अधिकता । २ आवश्यकता । बौकि० [सं० उन्] १ वस्तु या बात मुंह से निकालना, उगल देना । २ उल्टी करना, के करना । ३ गुप्त बात प्रगट करना । ४ पुनः लौटाना । ५ भीतर से बाहर निकालना ६ गर्भपात होना। 7 उगळत (तौ) - देखो 'गळतू' । उगळांची स्त्री० [सं० उत्कंचुकि] बिना कंचुकी खुले स्तन वाली स्त्री । For Private And Personal Use Only उगळां वि० [स्त्री० उगलांणी] निर्वस्त्र, नंगा उपळाली (बी) प्रे०क्रि० यात या वस्तु मुंह से निकल वाना, उगलवाना । २ उल्टी कराना, के कराना । ३ गुप्त भेद लेना । ४ भीतर से बाहर निकलवाना | उगळी स्त्री० उल्टी, वमन, क 1 उगवली- क्रि०वि० पूर्व की ओर पु० पूर्व उगसारणी (बौ) - देखो 'उकसारणी' (ब) | उपहसी (बी) देखी 'ऊगणी' (बो) 1 उगांची देवो'गाळाची उगांरा देखो 'मां' । Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उगाई करना । ६ तानना । ७ प्रहार हेतु शस्त्र उठाना । उपारो (बी) देखी 'उदारणों' (बी) उगाळ-१ देखो 'श्रोगा' २ देखी 'जुगाळ' उगाळली (बी) देखो घोगाळी' (बी) उगाळांन० पीकदान, यूकदान उगाळबंध- देखो 'ओगाळबंध' । उगाही स्त्री० १ सूर्योदय २ जुगाली उगाव - पु० १ उदय । २ अंकुरण । उगवणी, (बी) - देखो 'उगाणी' (बी) । उमाह (हा, हौदेखी 'उमा' | उगाही (बी) - देखो 'उगाणी' (बौ) । उगाही - देखो 'उगाई' | उपाही ० १ 'उमाई' करने वाला २ देखो 'उगाह उगुरण, उगूरण-स्त्री० पूर्व दिशा । उगाई - स्त्री०१ वसूली । २ वसूली का धन । ३ ऊगने की क्रिया । उगाड़- पु० १ समझ | २ खुलासा । ३ प्रागट्य । ४ निराकरण । उगाड़ो, (बौ) - देखो 'उघाडणी' (बौ) । उगाड़ी वि० (स्त्री० अनाड़ी) १ बुलासा २ नंगा, निर्वस्त्र ३ निरावरण । ४ स्पष्ट । उपाशी (बो) ० १ उगाना उत्पन्न करना । २ अंकुरित करना । ३ उदित करना । ४ प्रगट करना ५ वसूल | , www.kobatirth.org उगुणी उगूलाऊ, उसी उमूली - वि० पूर्व का, पूर्व दिशा संबंधी । उरणी (बौ) - क्रि० गाना प्रारंभ करना । उगेरे, उगैरे - अव्य० इत्यादि, वगैरह । उमेल- १ देखो 'ओगाळ' । २ देखो 'उगळ' | - । उळ (ब) रक्षा करना, बचाना २ देखो' बोगाळणी (बी) उगोड़ी वि० (स्त्री० उबोड़ी) १ उत्पन्न, अंकुरित २ उदित ३ वसूल । उग्गमणी (बी) देखो 'ऊनलो' (बी) । उग्गाह - पु० ग्रार्या छन्द का एक भेद । ( १२ ) -- दि० पूर्व की घोर । उत्पाहरुबाट पु० द्वार खुला कर भिक्षा लेने का एक दोष (जैन) उप्र - वि० [सं०] १ कोधी । २ तेज मिजाज । ३ प्रचंड । ४ तेज, तीव्र | ५ भयानक । ६ कठिन । ७ निष्ठुर ८ हिंसक । बलवान १० वी ११ उच्चकुलीन १ शिव, महादेव । २ बच्छ नाग ३ सूर्य । ४ ऊंचा स्वर । ५ रौद्र रस । -कारी वि० भयंकर । वीर। -गंध- पु० चंपा का वृक्ष लहसुन हींग वि० तेज महक या गंध वाला । - गंधा स्त्री० - गति, गती पु० हंस । गरुड़ । मे अजवाइन | बच । - चंडा - स्त्री० दुर्गा, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उड़व शक्ति । तप-पु० कठिन तपस्या । ऋषि, मुनि, तपस्वी । -ता, ताई-स्त्री० तेजी, प्रचण्डता, तीव्रता | कठोरता । शौर्य । तारा - स्त्री० मातंगिनी नामक देवी की मूर्ति । -ताळ-वि० भाग्यशाली। धन, धनु-पु० इन्द्र । शिव । - भागी - वि० भाग्यवान । उसी (बी) देखो 'उपहसी' (बी) । उग्रम - वि० तेजस्वी, पराक्रमी । पु० तेज, पराक्रम । उपसेख (न) - ५० मथुरा का राजा व कंस का पिता । उपग्रह (बी० [सं० उद्यहणम् ] १ छोड़ना, मुक्तकरता। २ रक्षा करना । ३ बदला लेना । ४ ग्रहण करना । ५ खाना, भक्षरण करना । उग्रा - स्त्री० [सं०] १ दुर्गा । २ कर्कशा स्त्री । ३ अनवाइन । ४ बच । ५ धनिया । उग्रावरणी (बौ) - देखो 'उग्राहणी' (बी) । उग्राहरणारि पु० भाला । उपाहणी (बी) देखो 'उगराणी' (बी)। उघउ ( घौ) - देखो 'प्रोषी' । उपड़रौ (यौ) फ० [सं० उद्घाटनम् ] १ बनारस या निरावरण होना । २ खुलना । ३ नंग्न होना । ४ प्रगट होना, प्रकाशित होना ५ दिखने योग्य होना । ६ भण्डा फूटना । ७ भेद खुलना । ८ परिचय देना । उघट - पु० [सं० उत्कथन] १ संगीत में ताल या सम । २ उछाल । ३ उदय । उधटरणी (बी) - क्रि० १ उदय होना । २ उभरना । ३ उछलना । ४ कसिया जाना । ५ क्रोध करना । उपरणी (बी) क्रि० प्रवेश करना । 'उपरांत (बी) देखो 'मी' (बी)। उपरासी (बी) उधराखौ (बी) देखो 'उगराणी' (बी)। उधाई - देखो 'उगाई' । उपाड़ देखो 'वाड' । उघाड़ा - वि० १ खोलने वाला । २ निरावण या नंगा करने वाला । ३ काटने वाला । बौ) उपासी (क)- कि० १ निरावरण, अनावरण करना । २ खोलना । ३ नंगा करना । ४ प्रगट करना प्रकाशित करना । ५ भेद खोलना, भण्डा फोड़ना । ६ परिचय देना । उघाड़ी - देखो 'उगाड़ी' (स्त्री० उगाड़ी ) उपासी (बी) देखो 'उगाणी' (बी) उरण (बी) देखो उमेर' (बी)। उप्पड़-देवो 'पराग' For Private And Personal Use Only उड़द-पु० एक प्रकार का मोटा अनाज, द्विदल अनाज । - परणी 'उदयपरणी' रेख, रेखा - स्त्री० पैर के Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उदायो तलवे की सीधी रेखा । —बेगण, विगण, वेगरण, वेगणा, गाली, वेणी, वंगण स्त्री० मर्दाने वेश में रहने वाली शाही दासी, शैतान स्त्री । उड़दी स्त्री० वर्दी, पोशाक । उड़दावी- पु० १ घोड़ों का एक खाद्य पदार्थं । २ घोड़ों को उचांत, उचांयत स्त्री० ऊंचाई, ऊंचापन | खिलाने के लिए तैयार किया हुआ चारा । उड़ांगर - पु० प्रनल पक्षी । पक्षी । उड़ी-१ ऐसी वैसी २ देखो 'उडी' 1 www.kobatirth.org उड़दू पु० १ बड़ा जलसा । २ उर्दू भाषा । ३ सेना, फौज । ४ छावनी का बाजार । ५ देखो 'प्रदू' । उचंगी वि० (स्पी० उचंगी) - ( १३० ) अजनबी | उचंडणी (ब) - क्रि० आकाश में फैलना । उच- देखो 'उच्च' । उचक्का, उठाईगीर 1 १ ऊपर फेंकना, उछालना । २ उडना, उचकरणौ (ai) - क्रि० १ उचकना । २ ऊपर उठना । ३ उछलना । ४ श्राक्रामक होकर आना । ५ चौंकना, चमकना । वाला घोड़ा । उचकाली (बी) उचकावली ( प्रे०क्रि० १ उचकाना (बौ) उचळरणौ (बौ) - क्रि० उचरण (ब)- कि० १ चलायमान होना, कंपित होना । २ देखो 'उछळणी' (बी) । उचस्ट- देखो 'उच्छिष्ट । उचरणौ (बौ) - क्रि० [सं० वच् ] १ कहना, कथना । २ बोलना । उचत देखो 'उचित' । उचरंग- देखो 'उच्छरंग' । उचरणौ (बौ) - देखो 'उच्चारणौ' (बौ) । उचरी स्त्री० कीर्ति, प्रशंसा, यश । उचारण (ब) - देखो 'ऊंचारणों' (बी) । उचार, उचारण- देखो 'उच्चारण' । उचात (ट, टन) उचाटी वि० [सं० उच्चाट] १ विरक्त २ खिन्न उदास । ३ पीड़ित । ४ व्याकुल । ५ चितित । स्त्री० १ चिता, व्यग्रता । २उदासीनता, उदासी, विरक्ति । ३ कं, वमन । उचकन खोराबाप पु० पांचों से धांसू गिरते रहने उचिसव, उचीत देसी 'उच्चीया'। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उचारी (बी) देखो 'उच्चारण' (बी) उचारि ० [सं० उत्तम] १ कुबेर २ सेठ महाजन । उचाउ उचाली-देखो''। उचाळणी (बौ) - देखो 'उछाळरणौ' (बौ) । उचास - देखो 'उच्चीस्रवा ' | उबासिरी देखो ऊंचासरी' | उचित वि० [सं०] १ठीक, मुनासिब, वाजिब । २ योग्य । समीचीन । उचित स्त्री० प्रकृति, कुदरत । पति-पु० ईश्वर । उच्चोल - उचूळ - वि० [सं० उच्चूल ] ऊंचा । उबेलब उचैव देखो 'उच्चीलवा'। उचैस्रव - उदल (ब) देखो 'उड' (दो)। । २ ऊपर उठाना । ३ उछालना । ४ प्राक्रमण कराना । ५ चोर लेना, चोरी करना । उचकणी (बी) देखो 'उबकणी' (बो) । उचक्को - वि० १ चोर । २ ठग । ३ बदमाश, उद्दंड । ४ छली, पाखंडी । ५ ऊंचा, तेज । - । उप (ब) क्रि० १ जमी हुई या चिपकी हुई वस्तु का अलग उच्चय- पु० [सं० उच्चयः] १ कटिबंध, नाड़ा । २ साड़ी होना । २ पृथक होना । ३ जाना भागना । ३ लहंगा उनी उपसण (ब) ० १ उछल कर वार करना, होना पटना । २ शस्त्र उठाना। ३ वार करना । उचटणी (ब) ० [सं० उच्चाटनम् ] १ जमी हुई वस्तु का उखड़ना, उचड़ना । २ उखड़ना । ३ अलग होना । पृथक होना । ४ भड़कना, चमकना । ५ विरक्त होना । ६ उदास होना । ७ मन न लगना । ८ बिचकना, चौंकना । उच देवो'बाट' | 1 1 उच्च - वि० [सं०] १ श्रेष्ठ, महान, ऊंचा । २ उन्नत उत्तरंग । ३ उत्तम बढ़िया । ४ बड़ा । ता - स्त्री० श्रेष्ठता, महानता । ऊंचाई । उत्तमता, बड़ाई । मन, मनौ- वि० ऊंचे विचारों वाला । उदार हृदय । उच्चरणौ (बी) देखो 'उच्चारणी (बी)। उच्चळचित्तौ वि० अस्थिर चित्त वाला । उच्चाट-देखो 'उचाट' उच्चारण (न) - पु० एक तांत्रिक अभिचार या मंत्र । उच्चातुरपु० [सं०] राक्षस For Private And Personal Use Only उच्चार उच्चार पु० [सं० उच्चारः] मुंह से निकले वाली किसी शब्द की आवाज । २ कथन, वर्णन | ३ निरुपण । ४ विसर्जन । ५ मल, विष्टा । (जैन) उच्चारणौ (बौ) - क्रि० उच्चारण करना, बोलना । कहना । उच्चीस, उच्चीस्रवा, उच्चैस्रवा - पु० [सं० उच्चश्रवा ] इन्द्र का घोड़ा । वि० १ बड़े बड़े कानों वाला । २ बहरा । उच्चील - पु० [सं० उल्लोच ]१ चन्द्रातप, वितान । २ शामियाना । ३ राजछत्र । Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra छंग उच्य (गो) देखो 'उ' , उच्छुक वि० [सं० उत्सुक] १ चातुर, उद्विग्न, व्याकुल २ उत्कंठित | (बी) ०१ टूटना, टूटकर दूर पड़ना २ उछलना उच्छब- देखो 'उत्सव' । उच्छलग - पु० उच्छरंग-१ देखो उधरंग' २ देखो 'उत्सव' । उच्छरणौ (बौ) - क्रि० १ बड़ा होना । २ पुष्ट होना । ३ उछलना । ४ उच्चारण करना । ५ उखाड़ना । ६ देखो ''। उच्छळतो (बी) -- देखो उछळणी' । उच्व देखी 'उत्सव' । ० उत्सव | उघंटी - वि० www.kobatirth.org ( १२ ) उच्छवाह, उच्छा उच्छाह पु० [सं० उत्साह] १ उत्साह, जोश। २ हर्प, उमंग ३ धूम-धाम उत्सव । उच्छाळणी (बौ) - देखो उछाळगौ' (बी) । वि० [० उत] ऊंचा, उन्नत ऐंठन वि० ठा 1 उच्च उच्छेदरणौ (बौ) - क्रि०१ छेदन करना । २ तोड़ना । ३ उखाड़ना । ४ सीमोल्लंघन करना । उरण (बी) देखी उर' (बी) । उच्छं खल - वि० [सं० उच्छृंखल ] १ चंचल । २ उद्दण्ड, बदमाश । ३ स्वेच्छाचारी । ४ उछल कूद करने वाला । ०१ पर्वत वृक्षादि की ऊंचाई २ उच्च परिणाम । उछंग (गति) - पु० [सं० उत्संग] १ गोदी, अंक २ मध्य भाग ३ ऊपरी भाग [उत्सुक] १ निर्लिप्त, विरक्त २ उत्सुक, उत्कंठित | उद्यत देखो, 'नन' | ० १ अधिक । २ बड़ी । उछंडणौ (बौ) - क्रि० छोड़ना, त्यागना । उes - देखो 'प्रोछौ' । उछक स्त्री० १ मस्ती, उन्मत्तता । २ देखो 'उच्छक' । उछक छाक - वि० मदोन्मत्त । 1 उको (बी) देखो 'उचकी' (बी) उरण (बौ) - क्रि० १ जोश में प्राना । २ फूलना । उछट-स्त्री० १ तरंग लहर । २ गति, चाल । ३ उदारता । -वि० अधिक । उछौ (बौ) - क्रि० १ कूदना, उछलना । २ कटना । ३ खण्डित होना । उछब- देखो 'उत्सव' । उरंग (मिमी)००+] १ इच्छा अभि लापा । २ उत्सव | ३ हर्ष, आनन्द । ४ उत्साह, जोश। ५ सुखद मनोवेग, उमंग। वि० २ ऊंचा, उन्नत । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उछांवळो-देखो 'उछांधळी' । उछानणी (बी) देखो 'उ' (बो उछाळलो उधरंगण (at) - क्रि० १ भयंकर युद्ध करना । २ प्रबल पराक्रम दिखाना । ३ प्रलय नृत्य करना । ४ उच्छृंखल होना । ५ प्रसन्न होना । ६ उत्साह दिखाना । । ', उधरंजय (न) पु० [सं० उत्सर्जन) दान उत्सर्ग - त्याग - पु० दान । उछरणौ, (बौ) - क्रि० १ जन्मना, उत्पन्न होता । २ उछलना, कूदना । ३ पोषण पाना । ४ चरने के लिए जंगल में जाना ( मवेशी ) । ५ लम्बी दूर जाने के लिए रवाना होना। उराणी (7) ० ० १ उछालना कुदाना २ पैदा करना । ३ पोषण करना । ४ चराने के लिए जंगल में ले जाना । १ उत्सुक । उछरेळ - वि० जबरदस्त, बलवान । उछळंग - देखो 'उच्छ खल' । उछळ - स्त्री० १ छलांग, कुदान । २ लाभ वाला हिस्सा । ३ चुनाव में प्राथमिकता वि० बढ़िया श्रेष्ठ I -द-स्त्री० खेलकूद अत्यधिक प्रयास हलचल द धूप अधीरता । चंचलता । गड़बड़ी । -पांती-स्त्री० लाभ वाला हिस्सा । प्रथम इच्छा । उछळग-पु० १ उत्सव | २ देखो 'उच्छ खल' | ०ना कूदना २ फांदना ३ भटके के साथ ऊपर उठना । ४ ग्राह्लादित होना, प्रसन्न होना । ५ चौंकना, चमकना । ६ क्रोध में बकना । ७ तूट कर पृथक गिरना, दूर पड़ना । उच्छयदेवो'' | उच्छवाह १ देखो 'उच्छवाह २ देखो 'उत्सव' | उछांछळ (वळी) - वि० (स्त्री० उछांछळी, उछांवळी) चंचल, चपल । २ मग्न । ३ मदोन्मत्त । उछांट - स्त्री० १ इच्छा, उत्कंठा । २ प्रबलता । ३ शक्तिबल ४ वमन, उल्टी, कै । उछारक - पु० [सं० उत्सारक ] द्वारपाल, प्रतिहार । उछाळ स्त्री० १ सहसा ऊपर उठने की क्रिया या भाव । For Private And Personal Use Only २ कुदान, छलांग । ३ उछलने की सीमा ४ वृष्टि, वर्षा I ५ ऊपर फेंकने की क्रिया । ६ पानी का छींटा । ७ लहर, तरंग ८ उल्टी, वमन ६ शव आदि के प्रस्थान पर ऊपर फेंका जाने वाला रुपया पैसा । उछाळण (बौ) - क्रि० १ कुदाना । २ ऊपर उठाना। ३ ऊपर फेंकना । ४ वर्षा करना । ५ उत्साहित या प्रेरित करना । ६ प्रकट करना । ७ बात का प्रचार करना । Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उछाळौ उछाही - देखो 'उत्साही' । उस्टोस्ट उछाळी - पु० १ उछालने की क्रिया या भाव । कुर्सी । ३ सामूहिक पलायन । ४ पलायन । ५ क्रोध प्रवेश । ६ वमन, के, उल्टी । उछाव (ह) देखो 'उत्साह' २ देखो उत्सव | www. kobatirth.org ज० [सं०]] सू उजाळ (ळौ) - देखो 'उजाळी' | ( १३२ ) २ इमारत की उछोरो- पु० [सं० प्रक] खून, रक्त । उछेट पु० सीना । उद्देव पु० [सं० उच्छेद] १ खण्डन नाश। २ छेदन | उर- पु० वंश | संतान । औलाद । - वि० चलाने वाला । उरण ) ० १ चराने निमित्त मवेशियों को एकत्र करके (बौ) - जंगल में ले जाना । २ भेजना। ३ हांकना । उछ्रित- वि० [सं०] १ ऊंचा, उत्तुंग । २ बढ़ा हुआ, उन्नत । ३ उठा हुग्रा, ऊंचा किया हुआ । ४ ऊपर गया हुआ । उजंक - वि० १ निःशंक, साहसी । २ उद्दण्ड | उजड़ - १ देखो 'ऊजड़' । २ देखो 'उजाड़' | उजड़गी बौकि० १ वीरान होना, सुना होना। २ उखड़ना । ३ ध्वस्त होना, नष्ट होना । ४ बिखरना । ५ पृथक होना । ६ फट जाना । उजड़ी - वि० उजड़ा हुआ, वीरान २ विनष्ट। उजड, उजड्डु - वि० १ मूर्ख, अनाड़ी । २ असभ्य । ३ ढीट | ४ प्रदक्ष । ५ निरंकुश । पण, पणौ-पु० मूर्खता । असभ्यता । ढीटाई । प्रदक्षता । उजदार - पु० वजीर, मंत्री । उजबक, (की), उजबक्क (क्की) - पु० १ तातारियों की एक जाति । २ एक प्रकार की घास । ३ एक प्रकार का घोड़ा । - वि० मूर्ख अनाड़ी उद्दण्ड श्राततायी । ०वि० विचित्र ढंग से । उजमणी - पु० [सं० उद्यापन ] १ किसी व्रत का उद्यापन । २ उद्यापन का उत्सव | । ३ माच्छादित उजली (बी) - ० वर्षा होना २ घटा छाना क्रि० १ । होना । ४ उद्यापन करना । J उजाळी-देखो 'उजाळी (स्त्री० उजवाळी) उजर पु० [० उ] १ विशेष धापत्ति २ विरुद्ध वन वक्तव्य या विनय । ३ हक दावा, स्वत्व । ४ अधिकार । उजरत - पु० १ 'उजर' के बदले दिया जाने वाला द्रव्य । २ पारिश्रमिक | उजळ (को) - वि० [सं० उज्ज्वल ] ( स्त्री० उजळी ) १ दीप्तिमान, कांतिमान प्रकाशित । २ शुभ्र, स्वच्छ । ३ श्वेत | ४ निर्मल । ५ बढ़िया । सुन्दर मनोहर । स्वच्छता | सफेदी | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उजाळणी ६ यशस्वी । ७ पवित्र, शुद्ध । ता स्वी० कांति, दीप्ति । -ता-स्त्री० उजळी स्त्री० सरस्वती, शारदा । उजळणी (बौ) - क्रि० १ प्रकाशित होना । २ स्वच्छ होना । चमकना । ४ निर्मल होना । ५ गौरवान्वित होना । ६ कीर्ति बढ़ाना । ७ उद्धार करना । उजळाई - स्त्री० १ कांति, दीप्ति, चमक । २ स्वच्छता । ३ शौचादि की निवृत्ति के उपरांत की जाने वाली सफाई, आवदस्त । उजळाणी (बौ) - प्रे०शि० १ प्रकाशित करना । २ स्वच्छ करना | ३ चमकाना । ४ गौरवान्वित करना । उनळी-लोहड़ी-देखो 'कोलोह' । उजवणी-देखो 'उजमली' | उजय (बाळ) देखो 'उ' (बी)। उजवाळरणौ (बौ - देखो 'उजाळणी' (बी) । उजवाळी-देखो 'उजाळी' | उनवाळी- देखो 'उजाळी' (स्त्री० उजवाळी) ०१ हिम्मत साहस २ शक्ति पुरुषार्थ वि० बाहदुर साहसी वीर उजागर - वि० 7 १ जगमगाता हुआ, प्रकाशित । २ उज्ज्वल । ३ प्रसिद्ध, विख्यात । ४ लब्ध प्रतिष्ठित । ५ समर्थ, शक्ति शाली । ६ उदार । ७ अद्भुत, विचित्र ८ जागृत करने वाला, जगाने वाला | ९ उज्ज्वल करने वाला | - पु० १ सूर्य । २ प्रकाश, तेज | उजाड़ वि० १ निर्जन, वीरान २ ध्वस्त नष्ट, बर्बाद । ऊसर । - पु० नुकसान, हानि । विनाश । उजाड़ो (बौ) - क्रि० १ वीरान करना, जन शून्य करना । । For Private And Personal Use Only २ नष्ट करना, बर्बाद करना । ३ नुकसान करना । ४ बिखेरना, छिन्न-भिन्न करना । ५ उधेड़ना । उजाथर पु० १ बोझा भार । २ संकट । ३ तलवार । ३ देखो 'उजागर' | उजार-स्त्री० १ रोशनी प्रकाश २ उजारो देखो 'उजाळो' । 1 उजाळ - पु० [सं० उज्ज्वल ] १ उजलापन, चमक। २ उज्ज्वल करने की क्रिया । ३ उजाला, प्रकाश । ४ कान्ति, दीप्ति ५ रोशनी, प्रकाश । ६ हंस । वि० १ प्रकाशमान, उज्ज्वल । २ कीर्ति बढ़ाने वाला । -क-वि० उज्ज्वल करने वाला । उजाळउ - देखो 'उजाळी' । उजाळणौ-वि० उज्ज्वल करने वाला । । देखो 'उजाड़' | Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उजाळरणौ उठाणी मरना। उजाळणी (बी)-क्रि० उज्ज्वल करना, प्रकाशित करना। उन-देखो 'उजर' । २ साफ करना, निर्मल करना । ३ जलाना। ४ यश, कीर्ति उज्वळण-देखो 'उजळ'। या गौरव बढ़ाना। उझकरणौ, (बौ) उझक्करणो, (बौ)-क्रि० १ झिझकना । उजाळदान-पु० रोशनदान । २ चौकना । ३ उछलना, कूदना । ४ ऊपर उठना । उजाळी-स्त्री० घोडे के प्रांखों पर डाली जाने वाली जाली।। ५ उभरना । -वि० १ उज्ज्वल, प्रकाशित । २ शुक्ल पक्ष की, शुक्ल | उझड़-१ देखो 'उज्झड़'। २ देखो 'ऊजड़'। पक्ष संबंधी। उझरणों-देखो 'ऊझणो'। उजाळी-पु० [सं० उज्ज्वल] १ प्रकाश, उजाला, रोशनी । उझळणी (बौ)-क्रि० १ छलकरण । २ छिल-छिलकर निकलना । २ तेज । ३ कुल जाति से श्रेष्ठ व्यक्ति । ३ छिछोरापन करना। ४ आवेग में आना । ५ हद या ४ एक प्रकार का घोड़ा । ५ चांदनी, चंद्रिका । ६ कुल का | मर्यादा से बाहर होना । ६ उमड़ना, बढ़ना। ७ पति को दीपक । -वि० १ उज्ज्वल, प्रकाशित । २ उज्ज्वल करने | छोड़कर अन्य पुरुष के साथ जाना। वाला। ३ श्रेष्ठ उत्तम। -पख-पु० शुक्ल पक्ष । | उसळळ-देखो 'उज्झेल' । -वि० निष्कलंक। उझांकणी (बौ)-क्रि० १ झांकना, ताकना । २ ऊपर सिर उजास, (डी, णो)-पु० [सं० उद्भास] १ प्रकाश रोशनी। करके देखना। २ कांति दीप्ति । ३ किरण । ४ तेज । ५ हंस । उझाखो-पु० उजाला, प्रकाश । उजासणी (बौ)-क्रि० १ प्रकाशित करना, चमकाना।२ उज्ज्वल उझाळ-स्त्री० [सं० ज्वाला] १ आग की लपट, ज्वाला । करना । ३ प्रज्वलित होना। २ देखो "उज्झेल'। उजासी-स्त्री० रोशनी, प्रकाश । उझाळणी (बी)-क्रि० १ छलकाना । २ बहाना । उजियार-१ देखो ‘उजागर' । २ देखो 'उजास' । ३ देखो 'उजाळणी' (बौ)। उजियारो, (याळी)-देखो 'उजाळी' । उझेळणी (बौ)-क्रि०१ उमड़ना । २ मर्यादा का उल्लंघन करना उजियास-देखो 'उजास'। प्रागे बढ़ना । ३ बढ़ना, अग्रसर होना । ४ तेजी से बढ़ना । उजीर-देखो 'वजीर'। ५ तरबतर होना । ६ मस्ती में पाना । ६ खुश होना । उजुमाळ-वि०१ उज्ज्वल करने बाला। २ देखो 'उजाळी'।। ८ दान देना। उजुयाळी-देखो ‘उजाळी' (स्त्री० उजुयाळी)। उझेळ-देखो ऊभेळ । उजूबा-पु० [अ० अजूबां] बैगनी रंग का एक पत्थर विशेष । उझेल-स्त्री० उछलने की क्रिया या भाव । उजेड़-वि० बिगाड़ या विनाश करने वाला। उटझ-स्त्री० [सं०] पर्णकुटी, झोंपड़ी। उजेळो-देखो 'उजाळी'। उटिंगण-पु० उद्वेग। उज-पु० प्रकार, तरह । उजोत-पु० [सं० उद्योत] १ प्रकाश, चमक । २ कांति । ३ ग्रंथ उठंग-पु० [सं० उत्तंभ] तकिया । ___ का अध्याय । --वि० उज्ज्वल । उठतरी-देखो 'उठांतरी'। उजौ-पु० साहस, पुरुषार्थ, शक्ति । उठ-१ देखो 'ऊंट' । २ देखो 'ऊठ' । उज्जळ-क्रि०वि० १ नदी के चढ़ाव की ओर । २ देखो 'उजळ' । उठणी (बौ)-देखो 'ऊठणी' (बी)। उज्जळी-देखो 'उजळी'। उठावरणी-स्त्री० नेतापन, नेतागिरी । २ देखो 'उठावरणी' । उज्जारण-पु० समूह, दल। उज्जागर-देखो 'उजागर। उठाण, (न)-स्त्री० [सं० उत्थान] १ उठने की क्रिया या भाव । २ उत्थान उन्नति । ३ वृद्धि, बढ़ोतरी । ४ उदय, उद्गम । उज्जोयकरद-वि० [सं० उद्योतकर] प्रकाश करने वाला। ५ विकास । ६ उत्पत्ति । ७ क्रियाशीलता । ८ स्फूर्ति । उज्झड़ (ड)-वि० १ झक्की, बकवादी । २ उद्धत । ३ मूर्ख । ९ हर्ष, आनन्द । १० शक्ति, बल, पौरुष । ११ युद्ध । ४ मन मौजी। ५ देखी 'ऊजड़' । १२ सेना । १३ प्रारम्भ । १४ बाढ़। १५ व्यय । १६ उज्जैल, (लत)-देखा 'ऊझेल' । सीमा, मर्यादा । १७ प्रांगन । १८ मण्डप । १९ सजगता, उज्यागर-देखो ‘उजागर । जागरुकता । २० व्यवस्था । उज्यास-देखो 'उजाम'। | उठाणौ-देखो 'उठावरणी' । For Private And Personal Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उठांतरी उडि, उसे उठांतरी-स्त्री० [सं० उत्थान्तरम् ] १ उठाने की क्रिया या भाव । उडंबर-पु० गूलर । २ मौएफ, खारिज, विजित । ३ नाश । ४ जागीरदार की | उडंबरी-स्त्री० एक तार वाद्य विशेष । भूमि जब्त हो जाने पर उसे पुनः अधिकार में लेने की उड-पु० [सं० उडु] तारा, नक्षत्र । -गण, गन, गांरण-पु० राजाज्ञा । तारागरण, नक्षत्रगण । ---पत, पति, पती-पु. चन्द्रमा, उठांमणी-देखो 'उठावणी' । शशि । –माळ-स्त्री० तारागण । नक्षत्र, सितारे । उठाईगीर, (गोरौ)-वि० (स्त्री० उठाईगीरी) चोर, उचक्का, -राज-पु० चन्द्रमा । बदमाश, ठग। उडण-स्त्री० उड़ने की क्रिया । -वि० उड़ने वाला ।-खटोलड़ी, उठाईगीरी-स्त्री० १ किसी के पदार्थों को उठा कर ले जाने की खटोळणी, खटोळी-पु. छोटा विमान । हेलीकोप्टर। क्रिया, चोरी। २ देखो उठाईगीर'। उडणौ (बौ)-क्रि० [सं० उड्डयन] १पंख, मंत्र शक्ति या मशीन उठाउ (ॐ)-क्रि०वि० वहां से। के जरिये याकाश में विचरण करना, उड़ना । २ हवा में उठाः (ऊ)-वि०१ उठाने वाला उचक्का । २ हस्तान्तरण योग्य । तैरना। ३ लम्बी छलांग भरना । ४ शून्याकाश में वायु के उठा-क्रि०वि० उधर वहां । -क-वि० उठाने वाला । -पु० शीघ्र सहारे बहना। ५ बहुत तेज चलना । ६ कट कर अलग ___उठाने की क्रिया या भाव । होना । ७ कपूर आदि पदार्थों का गैस बन कर अदृश्य उठाडणौ (बौ), उठाणौ (बी)-प्रे०क्रि० [सं० उत्थानम्] होना, समाप्त होना । ८ रंगादि का फीका पड़ना। १ उठाना, खड़ा करना । २ जगाना। ३ पड़े हुऐ को हाथ ६ अफवाह आदि का फैलना । १० हवा में फहरना। में लेना । ४ नीचे से ऊपर करना । ५ धारण करना । ११ वायु के सहारे आकाश में फैलना । १२ अलोप या ६ वहन करना । ७ अपने ऊपर लेना । ८ निकालना । गायब होना । १३ खर्च होना । १४ भोगा जाना । १५ मार ९ ऊपर किये रहना । १० उन्नत करना, बढ़ाना । या प्राघात पड़ना । १६ धोखा या चकमा देना । १७ बारूद ११ चढ़ाना । १२ गोद में लेना । १३ प्रारम्भ करना । अादि से नष्ट होना, ध्वस्त होना । १४ तैयार करना, उद्यत करना । १५ उत्साहित करना ।। उडप-देखो 'उडुप' । १६ बंद करना । १७ समाप्त करना, पूर्ण करना । १८ खर्च उडळभरि (भरी)-पु० हाथी, गज । करना । १९ किराये पर देना । २० भोग करना। उडवा-स्त्री० [सं० उटज) कुटी, झोपड़ी। २१ अनुभव करना । २२ कुछ लेकर सकल्प करना।। | उडारण, (डान, य)-स्त्री० [सं० उड्डयन] १ उड़ने की क्रिया २३ उधार देना । २४ लगान पर देना । २५ जिम्मेदारी | या भाव । २ छलांग । ३ कवि तर्क । लेना । २६ सहन या बर्दाश्त करना । २७ स्वीकार करना। उडाऊ-वि०१ उड़ने वाला। २ उड़ाने वाला । ३ अपव्ययी। २८ प्राप्त करना । २६ खोलना । ३० हटाना । उडाक-वि० उड़ने में निपुण । उठाव-देखो 'उठांग'। उडाडणौ, (बौ) उडारणौ (बौ)-प्रे०त्रि०१ पंखों द्वारा,मंत्र शक्ति उठावरणी-स्त्री० १ तेजी से लपकने की क्रिया । २ आक्रमण, या मशीन के जरिये प्राकाश में उड़ने को प्रेरित करना, हपला । ३ नेतापन । उड़ाना । २ हवा में तैरना । ३ वायु में ऊंचा उठाना । उठावरणौ-पु. मृतक के पीछे रखी जाने वाली तीन या बाहर ४ हवा में फेंकना । ५ लम्बी छलांग भराना । ६ काट कर दिवसीय बैठक की समाप्ति । अलग करना। ७ गायब करना, चुराना । ८ छक कर खाना। उठावरणौ (बी)-देखो 'उठागौ' (बौ) । ९ प्रहार करना, मारना । १० बर्बाद करना । ११ खर्च उठावौ-वि० १ जिसका कोई स्थान निश्चित न हो । करना । १२ हवा में फहराना। १३ धोखा देना । १४ बात २ जो उठाया जाता हो। ३ उठाने वाला। ४ चुपके से को टालना । १५ निंदा या मखौल द्वारा हतोत्साहित उठाकर चलने वाला। करना । १६ तेज दौड़ाना, भगाना । १७ फरार करना, उठा-किवि० उधर, उस पोर । भगाना । १८ प्रतिस्पर्द्धा कराना। उठे (8)-क्रि.वि. वहां, उस जगह, उधर । उठेल-पु० फेंकने की क्रिया या भाव । उडायण-क्रि०वि० १ अत्यन्त तीव्र गति से । २ देखो 'उडियण' । उडा-वि० १ उड़ने वाला, उड़ने योग्य । २ चलने, फिरने या उडाळणी (बी)-देखो 'उ'करणी' (बी)। डोलने वाला। उडावरणौ (बी)-देखो ‘उडारणों' (बौ)। उडंग, उडंड, उडडाणी-देखो 'ऊडंड'। उडि, उडी-पु० १ पक्षी । -स्त्री० २ आकाश में उड़ने वाली उडत पु. कृशती का एक दाव । -क्रि० वि० उड़ता हुआ। धूलि । -यण-पु० तारे, पक्षी, पंवेरु । --उडियांरण-पु० For Private And Personal Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उडीक ( १३५ ) उत्तरण प्राकाश, प्रासमान । अोढ़ने का वस्त्र । हठ योग का एक | उणी-देखो 'उरिण' । बंध विशेष, कटि पर का लंगोटी का बंध । | उणीयार, उणीयारो, उणीहार, उणीहारौ-देखो 'उरिणयारी । उडीक-स्त्री० [सं० उदीक्षा] १ प्रतीक्षा, इंतजार । २ चिता। उपौ-पु० [सं० ऊन] १ अपरिपक्व गर्भ । २ देखो 'ऊणो' । ३ पूर्व व प्राग्नेय के मध्य की दिशा । ४ चाह, अभिलाषा। -पूणौ-वि० अपूर्ण । उडीकरणौ (बौ)-क्रि० [सं० उदीक्षण] १ प्रतीक्षा व इंतजार | उण्यारौ-देखो 'उणियारों'। करना । २ चिंता करना। उतंक-पु० [सं० उत्तंक] १ वेदमुनि के शिष्य । २ गौतम ऋषि उडु ()-पु० [सं०] १ तारा, नक्षत्र । २ पक्षी। [सं० उदक] | के शिष्य ३ देखो 'उत्तंग'। ३ जल, पानी। -वि० सफेद, श्वेत । -पत, पति, राज, | उतंग (ह)-पु. सूर्य । देखो 'उत्तंग'। -पु. चन्द्रमा, चांद । -पथ-पु० आकाश, गगन । उत-उप०एक उपसर्ग | -क्रि० वि० १ वही । २ उधर । ३ उस उडुप-पु० [सं०] १ चन्द्रमा, शशि । २ गरुड़ । ३ बड़ा पक्षी। ओर । -पु० [सं० वत्स] पुत्र, लड़का।। ४ अाकाश, नभ । ५ तारा, नक्षत्र । ६ नाव, डोंगी। उतकंठ-वि० [सं० उत्कंठ] १ ऊपर की गर्दन उठाए हुए। ७ नाविक । ८ नृत्य का एक भेद । -पत, पति, राज-पु. | २ तत्पर । ३ उत्सुक । चन्द्रमा । प्रथम लघु व दो दीर्घ मात्रा का नाम । उतकंठा-देखो 'उत्कंठा'। उडुस, उडूस-पु० खटमल । उतकंठित-देखो 'उत्कंठित' । उडेल-स्त्री० १ हल के पीछे लगने वाली छोटी लकड़ी। | उतकंठिता-देखो 'उत्कंठिता' । २ घास,पू.स । उतकट-देखो 'उत्कट'। उडेलणौ (बी)-कि० १ एक बर्तन से दूसरे में डालना, उतकळिका-स्त्री० [सं० उत्कलिका] १ उत्कंठा । २ लहर, उलना । २ ढालना। ३ गिराना, दलकाना । ४ रिक्त या | तरंग । ३ फूल की कली। खाली करना । उतकस्ट-देखो 'उत्क्रस्ट'। उडेळभरी-देखो 'उंडळभरि'। उतकू-क्रि० वि० वहां। उडे-क्रि०वि० वसे । उतथ्य-पु. [सं०] १ अंगिरा के पुत्र एक मुनि । २ वृहस्पति के उडणौ (बो)-देखो 'उडणी' (बौ)। ___ ज्येष्ठ सहोदर । उड्डयन, उड्डीयन-स्त्री. १ उड़ान । २ देखो 'उडि (डी) यांण'। उतन, उतन-पु० [अ० वतन] १ अपना देश । २ जन्म-भूमि । उढ़ग-वि० अत्यन्त ऊंचा । उन्नत । उतनौ-वि० (स्त्री० उतनी) निश्चित मात्रा का। उढ़गौ-वि० (स्त्री० उढंगी) १ ऊंचे शरीर वाला। २ बेढंगा। उतपत, (पति, पती, पत्ती)-देखो 'उत्पत्ति' । उणंतरौ-देखो 'गुणंतरौ'। उतपन, (न्न)-देखो 'उत्पन्न' । उरण-सर्व० उस, उसने । वह । उतपनरणी (बौ)-क्रि० उत्पन्न होना, पैदा होना । उरणगी-क्रि०वि० उस ओर, उधर । उरणत (प)-स्त्री० [सं० ऊनत्व] १ कमी । कसर । २ याद, उतपळ-देखो 'उत्पळ'। स्मृति । ३ अभिलाषा, इच्छा । ४ निर्धनता। उतपात-देखो 'उत्पात'। उणमण, (मणियो, मणौ)-वि० [सं० उन्मनस्] (स्त्री० उणमणी) उतपाती-देखो 'उत्पाती'। १ खिन्नचित्त, उदास । २ व्याकुल, बेचैन । | उतफुल-वि० [सं० उत्फुल्ल] विकसित, प्रफुल्लित, उणमुख (मुखौ)-बि० [सं० उन्मुख ] (स्त्री० उणमुखी) १ उदास, खिला हुआ । खिन्न । २ चितित । ३ उत्सुक । -ता-स्त्री० उदासी । उतबग, उतमंग-देखो 'उत्तमांग'।। चिन्ता । उत्सुकता। उत्तम (मि)-देखो 'उत्तम' । -तर-देखो 'उत्तम-तरु' । उणहार (रि)-देखो 'उणियार' । -दशा-देखो 'उत्तम-दशा' -रस-देखो 'उत्तम-रस' । उणायत (रत, रथ)-देखो 'उरणत' । उतरंग-पु० मकान के दरवाजे के ऊपर-नीचे लगने उणि-सर्व० उस, उमी, उसीने । वही। वाला पत्थर । उणियार, उणियार, उणियारो,उरिणहार (रो)-वि०१ हमशक्ल । उत्तर-देखो 'उत्तर'। बराबर । ३ उपयुक्त । ४ अनुकूल । -स्त्री० १ शक्ल,सूरत । | उतरण-स्त्री० १ उतरा हुआ वस्त्र । २ उतरन । ३ पुरानी आकृति, मुखाकृति, चेहरा । २ समानता । वस्तु। ५ उतरने की क्रिया । For Private And Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उतरणौ उतारणी उतरणौ (बौ)-क्रि० [सं० अवतरण] १ ऊंचाई से नीचे आना, उतसरपरणा-स्त्री० [सं०उत्सर्पणा] दश कोडा-कोड़ी सागरोपम नीचे उतरना । २ अवनति पर होना। ३ ढलना । ४ हड्डियों प्रमाण समय । उत्कर्ष या उन्नति बतलाने वाले छ पारा का संधिस्थल से हटना। ५ फीका पड़ना । ६ लज्जित या परिमित काल विभाग । (जैन) उदास होना । ७ कांति या दीप्ति मंद पड़ना । ८ घटना, | उतसारक-पु० [सं० उत्सारकः] १ प्रतिहार, द्वारपाल । कम होना । ९ उद्वेग कम होना । १० पूर्ण होना, २ सिपाही । ३ चौकीदार । समाप्त होना । ११ बेसुरा होना। १२ काम में आने | उतसाह-देखो 'उत्साह'। योग्य न रहना । १३ खोला या हटाया जाना (वस्त्र)। वस्त्र)। उतसुक-देखो 'उत्सुक' । १४ ढल कर या निर्मित होकर आना। १५ कम होना, उतसूर-पु० [सं० उत्सूरः] संध्याकाल, शाम । घटना (भाव) । १६ पकना (रोटी, फल)। १७ रा देना, उतांन-पु० ध्रुव के पिता। -जात-पु० ध्र व । देखो 'उत्तान'। पड़ाव डालना । १८ लेख बद्ध या नकल होना । १९विशिष्ट उतांनसहाय, (सहि, सही)-पु० [सं० उत्तानशय] बालक । क्रिया से तैयार होना । २० माप-तौल में ठीक बैठना। उतांमळी (उतांवल)-देखो 'उतावळ' । २१ चूकता होना । २२ एकत्रित होना । २३ जागीरी जब्त होना । २४ पद से हटना । २५ अरुचिकर होना । २६ पार उतांमळउ (लौ)-देखो 'उतावळो' । (स्त्री० उतामळी)। होना । २७ भूलना, भूल में पड़ जाना । २८ कट कर अलग उताग्रह-वि० जल्दी करने वाला। होना, कटना । २६ ऊपर बहना, चलना । ३० जाना, | उताप, (पौ) देखो 'उत्ताप' । गमन करना । ३१ देव मूर्ति के आगे धूप दीप, आदि उतायळ, उतायळी (वळी)-वि० १ अातुर, जल्दबाज । घुमाया जाना। -स्त्री०२ शीघ्रता । ३ देखो 'उतायळी'। उतरांरण-देखो 'उत्तरायण' । उतार-पु०१ उतरने या क्रमशः नीचे आने की क्रिया । उतरा-देखो 'उत्तरा'। २ उतरने योग्य स्थान । ३ क्रमशः होने वाली कमी। उतराई-स्त्री० १ उतरने की क्रिया । २ नदी पार करने का | ४ घटाव,कमी। ५ समुद्र का भाटा । ६ ढाल भूमि, ढलान । पारिश्रमिक । ३ नदी पार करने की क्रिया ४ ढलान, ७ उतारन, त्यक्त। ८ न्यौछावर । ९प्रभावशून्य करने निचाई। उतराद (ध)-स्त्री० उत्तर दिशा । -क्रि० वि० उत्तर | वाली वस्तु । १० बहाव । ११ पतन, अवनति । १२ चढ़ाई का विपर्याय । १३ नदी पार करने की प्रासान जगह । दिशा में। १४ उद्वग में कमी। १५ पूर्णता या समाप्ति की अवस्था। उतरादी (धी)-वि० (स्त्री० उतरादी) उत्तर दिशा की ओर । उतरादौ-वि० उत्तर दिशा का, उत्तर, दिशा संबंधी । उतारण (गो)-वि० १ उतारने वाला। २ पहुंचाने वाला। उतराघू, (धौ)-देखो 'उतरादौ'। ३ मिटाने वाला। उतराफाळगुणी (नी)-देखो उत्तराफालगुनी । ! उतारणौ (बौ)-क्रि० १ ऊंचाई से नीचे लाना, उतारना। उतरायरण-देखो 'उत्तरायण'। २ अवनति करना । ३ ढलाना । ४ हड्डियों को संधि-स्थल उतरायी-देखो 'उतराई'। से हटाना । ५ फीका पटकना । ६ लज्जित करना । उतराव-देखो 'उतार'। ७ उदास करना। ८ श्रीहीन करना । ६ घटाना, कम उतरासग-पु० कंधे पर के दुपट्टे को हाथ में लेकर साधु से वंदना करना । १० आदेश या उद्वेग कम करना । ११ ढीला करना [जैन] । या बेसुरा करना । (वाद्य) १२ काम में पाने योग्य न उतरासण (रिण, रणौ)-पु० १ गृह-द्वार के छज्जे के नीचे रखना । १३ खोलना, हटाना। १४ . .ढालना, निर्मित समानांतर लगने वाला पत्थर । २ देखो 'उतरासंग' । करना । १५ पकाना। (रोटी प्रादि) १३ डेरा दिरवाना, उत्तरेस-पु० [सं० उत्तर+ईश] कुबेर । ठहराना । १७ लेख बद्ध या नकल करना । १८ विशिष्ट उतरोक, उतरौ-वि० (स्त्री० उतरी) उतना, उतना-सा । क्रिया से तैयार करना। १९ माप-तौल में ठीक बैठाना । २० चुकाना । २१ एकत्र करना । २२ जागीरी जब्त उतळ-स्त्री० उदारता की प्रत्याशा । करना । २३ पद से हटाना । २४ पार करना । उतळीबळ-देखो 'प्रतिबळ' । २५ भुलाना, भूल में डालना । २६ काट कर अलग करना । उतवंग-देखो 'उत्तमांग'। २७ छीलना । २८ चित्रांकित करना। २९ खाड़ना । उतसरजन -देखो 'उत्सरजन' । ३० पृथक् करना। ३१ प्रभावशून्य करना । ३२ न्यौछावर For Private And Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उतार ( १३७ ) करना । ३३ पीना । ३४ नजरों से गिराना। ३५ तोड़ना, उत्क्रमण-पु० [सं०] १ अतिक्रमण, उल्लंघन । २ मृत्यु । चुनना । ३६ मुकाबले में लाना। ३७ कष्ट निवारणार्थ उत्क्रस्ट-वि० [सं० उत्कृष्ट ] श्रेष्ठ, सर्वोत्तम । कोई वस्तु वारणा । ३८ आरती करना, देवमूर्ति के प्रागे उत्क्रस्टता-स्त्री० [सं० उत्कृष्टता] श्रेष्ठता, बड़प्पन । धूप, ज्योति प्रादि घुमाना । उत्त'ग, (गौ)-देखो 'उत्तुंग' । उतारु (रू)-बि० १ उद्यत, तैयार, तत्पर । २ उतरा हुआ। उत्त-पु० [सं० उत्] १ आश्चर्य, संदेह । २ पुत्र, लड़का। ३ काम में लिया हुमा। -क्रि०वि० उधर, उस पोर । उतारी-पु० १ ठहरने का स्थान, पड़ाव डेरा। २ ठहरने की उत्तन-पु० [अ० वतन] १ वतन, देश । २ जन्म भूमि । क्रिया । ३ नदी पार करने की क्रिया । ४ नदी पार कराने उत्तपत्त (त्ति)-देखो 'उत्पत्ति' । पर दिया जाने वाला पारिश्रमिक । ५ टोना का दस्तूर । उत्तपाती-देखो 'उत्पाती' । ६ नकल । ७ फहरिश्त । उत्तप्त-वि० [सं०] १ खुब तपा हुआ । २ तप्त, संतप्त । उताळ-देखो 'उतावळ' । ३ दुःखी पीडित । ४ दग्ध । ५ चितित । उत्ताळे-क्रि० वि० शीघ्र जल्दी। उत्तमंग-देखो 'उत्तमांग'। उताळी-देखो 'उतावळो' । (स्त्री० उताबळी) उत्तम-वि० [सं०] १ श्रेष्ठ, बढ़िया। २ पवित्र, शुद्ध । ३ मुख्य, उतावळ (ळि, ळी)-स्त्री० जल्दी, शीघ्रता, त्वरा । प्रधान । ४ सर्वोच्च । ५ सबसे बड़ा । ६ प्रथम । -पु. उतावळी-वि० (स्त्री० उतावळी) १ अातुर । २ जो हर काम में १ विष्णु का नाम । २ श्रेष्ठ नायक । ३ राजा उत्तानपाद शीघ्रता करता हो। ३ उत्सुक । ४ बिना विचारे शीघ्रता व सुरुचि का पुत्र । -अंग-पु० मस्तक, शिर । -गंधा करने वाला। -स्त्री० मालती -तया-क्रि० वि० भली प्रकार, अच्छी उतिग-पु० चीटियों का घर । तरह । –तर, तरु-पु. चंदन वृक्ष । -ता, ताई-स्त्री० उतिम, उतिम, उतीम-पु. १ पांच सगण व एक ह्रस्व का श्रेष्ठता । पवित्रता । मुख्यता, प्रधानता । सर्वोच्चता । छन्द विशेष । २ देखो 'उत्तम' । -रस-देखो 'उत्तमरस' ।। भलाई । उत्कृष्टता । -वसा-स्त्री० ज्योति । दीपक । उतिपति-देखो 'उत्पति'। श्रेष्ठ दशा । -पद-पु० श्रेष्ठ पद, मोक्ष । -पुरुष-पु० उतुळीबळ-देखो 'प्रतिबळ' । सर्वनाम के अनुसार प्रथम पुरुष, कर्ता । ईश्वर। -रसउतै-क्रि० वि० वहां, उधर, उस पोर । पु० दूध । --संग्रह-पु० सम्यक् संग्रह । एकांत में पर उतोलणी (बी)-क्रि० १ तौलना । २ शस्त्र उठाना । ३ मारना, स्त्री से प्रालिंगन । वध करना। उत्तमांग-पु० [सं०] मस्तक, शिर । उतो-वि० (स्त्री० उती) उतना । उत्तमा-स्त्री० [सं०] सर्वश्रेष्ठ स्त्री। उत्कंठा-स्त्री० [सं०] १ प्रबल इच्छा, अभिलाषा, त्वरा। उत्तमाई-स्त्री० उत्तमता, पवित्रता।। २.खेद । ३ एक प्रकार का संचारी भाव । उत्तर-पु० [सं०] १ दक्षिण के सामने की दिशा । २ प्रश्न उत्कंठित-वि० [सं०] १ उत्सुक, चिंतित । २ व्याकुल आतुर । बात या पत्र का जबाब । ३ अस्वीकृति, मनाही । ४ मांग ३ प्रबल इच्छा वाला। के बदले किया जाने वाला कार्य । ५ बहाना, मिस, ब्याज। ६ प्रतिकार । ७ एक प्रकार का अलंकार । ८ उत्तर दिशा उत्कंठिता-स्त्री० [सं०] उत्सुका-नायिका । का पवन । ९ शिव । १० विष्णु । ११ भविष्य । १२ राजा उत्कट-पु० [सं०] १ हाथी का मद । २ मदमाता हाथी । विराट का पुत्र । -वि० १ पिछला, बाद का । २ ऊपर -वि० १ श्रेष्ठ, उत्तम । २ लम्बा चौड़ा, विस्तृत । का । ३ श्रेष्ठ। ४ तेज, तीव्रगामी। ५ अपेक्षाकृत ऊंचा। ३ शक्तिशाली । ४ विकट, भयंकर । ५ उग्र । ६ अत्यधिक । ६ बायां । ७ सम्पन्न । -क्रि०वि० पीछे, बाद में, अनन्तर । ७ नशे में चूर, मदोन्मत । ८ विषम । ६ प्रबल, तीव्र । -प्राखाडा-स्त्री० आषढ़ा नामक २१ वां नक्षत्र । --प्रासरण-पु० एक योगासन । -कळा-स्त्री० बहत्तर कलाओं में से एक। --काळ-पु० उत्करम-पु० [सं० उत्कर्ष] १ श्रेष्ठता, उत्तमोत्तम गुण । भविष्यत् काल । -काशी-स्त्री. उत्तर का एक तीर्थ स्थान । २ बड़ाई. प्रशंसा । ३ उन्नति । ४ प्रसिद्धि । ५ समृद्धि । --कुरु, कुरु-पु० जम्बू द्वीप के नव वर्षों से एक, जनपद, ६ उदय, विकास । ७ हर्ष, प्रानन्द । ८ अहंकार । देश । -क्रिया-स्त्री० अन्त्येष्टि क्रिया । पितृकर्म, ६ प्रभाव । १० प्रचुरता। श्राद्ध । जीवन के अंतिम समय में ली जाने वाली प्रतिज्ञाएं। For Private And Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उतरणी उत्सरंग (जैन) अस्थायी रूप से ली जाने वाली प्रतिज्ञाएं | उत्तिमांग-देखो 'उत्तमांग' । (जैन) । --दाता-वि० जवाब देने वाला ।—दायित्व- उत्तीरण-वि० [सं० उत्तीर्ण] १ परीक्षा या प्रतियोगिता में पु० जिम्मेदारी । -दायी-वि० जिम्मेदार । --दिकपति, । सफल, पास । २ पारंगत । ३ पार गया हुमा । दिसपति-पु० कुबेर । वायु । ---पक्ष, पख-पु० जवाब की | उत्त ग,उत्त गि(गी)-पु० [सं० उत्तुग]घोड़ा अश्व । -वि०१ बहुत, दलील । —पति-पु० कुबेर । वायु । -पथ-पु० देवयान । ऊंचा । २ लंबा । ३ दीर्घ । ४ बढ़िया, श्रेष्ठ । ५ बुलंद । -पद-पु० यौगिग शब्द का अंतिम अंश । –फालगुनी- उत्त-पु० [फा०] कसीदे के कार्य का एक प्रौजार ।। बारहवां नक्षत्र । -भाद्रपद-पु. छब्बीसवां नक्षत्र । उत्तं-क्रि०वि० १ तब तक । २ वहां तक । --सर्व० उतने । -मानस-पु० गया तीर्थ का एक सरोवर। -मीमांसा- उत्थथ-पु० १ उखड़ने की क्रिया या भाव । २ देखो 'उत्थाप' । स्त्री० वेदान्त दर्शन । -मोड़-पू० उत्तर दिशा का रक्षक । | उत्थपणौ (बौ)-देखो 'उथपणी' (बौ)। हिमालय । उत्थळरणौ (बौ)-देखो 'उथळणी' (बी)। उत्तरणौ (बौ)-देखो 'उतरणी' (बौ)। उत्थवरणौ (बौ)-देखो 'उथपणौ' (बी)। उत्तरा-स्त्री० [सं०] १ उत्तर दिशा । २ विराट की कन्या का | उत्थान-पु० [सं० उत्थान] १ उठने का कार्य, उठान । नाम । -खंड-पु० भारत का उत्तरी प्रान्त । २ उन्नति, बढ़ोतरी। ३ विकास । ४ प्रारंभ । ५ समृद्धि । उत्तराड़-स्त्री० उत्तर दिशा की ओर से आने वाली हवा । ६ वृद्धि । ७ जागृति । -एकादसी-स्त्री० कार्तिक शुक्ला उत्तराद, (घ)-देखो 'उतराध' । एकादशी। उत्तरादी (धी)-देखो ‘उतरादी'। उत्थाप-पु० मिटाने या हटाने की क्रिया । -वि० उन्मूलन उत्तरायण-पु० [सं०] १ वे छः मास जिसमें सूर्य की गति उत्तर करने वाला। की ओर झुकी हुई होती है। २ मकर से मिथुन तक के सूर्य उत्थापन-पु० [सं०] १ उठाना, खड़ा करने की क्रिया । का छ: मास का समय व अवस्था । सूर्य की मकर । २ भड़काने की क्रिया । ३ जगाना । ४ वमन, के। रेखा से उत्तर बकं रेखा की पोर की गति । ३ छः मास | उत्पत्ति-स्त्रा०स०] १ जन्म । २ उद्गम । ३ सृष्टि । निमाण । का ऐसा समय जब सूर्य मकर रेखा से चलकर बराबर ४ प्रारंभ । ५ उदय । ६ लाभ, मुनाफा । ७ उद्गम स्थल । उत्तर की ओर बढ़ता है । ---एकादसी-स्त्री० मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की उत्तरासरण-देखो 'उतरासण' । एकादशी। उत्तरियाण-वि० १ उत्तराखंड का, उत्तर भारत का । २ देखो| उत्पन्न-वि० [सं०] १ जन्मा हुमा । २ उदित । उगा हमा। 'उतरायण' । ३ निमित, सृजित । उत्तरी-स्त्री० उत्तर दिशा की वायु । -वि० उत्तर की। उत्पन्ना स्त्री० [सं०] अगहन कृष्णा एकादशी। उत्तरु-देखो 'उतर'। उत्पळ -पु० [सं०] नील कमल । उत्तांन -वि० [सं०उत्तान] ऊवं मुख, चित्त । -पु० राजा उत्तान उत्पात-पु० [सं०] १ उपद्रव, दगा । उत्पात-पु० [सं०] १ उपद्रव, दंगा । २ उधम, बदमाशी। - पाद का नाम । -जात-पु० ध्रुव । -पाद-पु० ध्रुव के ३ विद्रोह, क्रान्ति । ४ अशान्ति । ५ आकस्मिक दुर्घटना । का नाम। ६ शरारत । ७ अशुभ सूचक चिह्न। उत्ता-सर्व० उतने। उत्पातक -पु० [सं०] कान का एक रोग । -वि० उत्पात करने उत्ताप-पु० [सं०] १ कष्ट, पीड़ा । २ ज्वर, बुखार । वाला। ३ उष्णाता, ताप। उत्पाती-वि० [सं० उत्पातित्] उत्पात या बदमाशी करने उत्तारणौ (बो)-देखो 'उतारणौ' (बौ)। वाला, उपद्रवी। उत्ताळ-वि० [सं० उत्ताल] १ उत्कट । २ भयानक । ३ उग्र, उत्पादक-वि० [सं०] उत्पन्न करने वाला, सृष्टा । तेज । ४ दुरूह, कठिन । ५ ऊचा, लंबा । ६ त्वरित । उत्पादन-पु० [सं०] १ पैदावार, उपज । २ उत्पत्ति, जन्म । -स्त्री० शीघ्रता, त्वरा। ३ निर्माण, सृजन। उत्साळी, (उत्तावळी)-देखो 'उतावळी' । (स्त्री० उतावळी) उत्यमतर-देखो 'उत्तमतरु'। उत्तावळी-स्त्री० अातुरता, जल्दबाजी, शीघ्रता । उत्रा स्त्री० उत्तरा । -प्रभ-पु० परीक्षित । उत्तिमंग-देखो 'उत्तमांग' । उत्संग (गि)-स्त्री० गोद, क्रोड । उत्तिम-देखो 'उत्तम'। उत्सरंग-पु० उत्सव, आनन्द, उमंग । For Private And Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उत्सरग www.kobatirth.org ( १३९ ) उत्सरग पु० [सं० उत्सर्ग] १ त्याग । २ न्यौछावर । ३ दान । ४ समाप्ति । ५ प्राणदान । उत्सरजन - पु० [सं० उत्सर्जन ] त्याग | दान | उत्सव (बु) - पु० [सं०] १ मांगलिक महोत्सव । २ हर्ष प्रानन्द या खुशी का कार्य । ३ त्यौहार पर्व । ४ जलसा । ५ ग्रामाद-प्रमोद | उत्साही - वि० [सं०] साहसी । उमंगी। जोशीला । उत्सुक - वि० [सं०] अत्यन्त इच्छुक, प्रातुर। उत्कंठित । उता स्त्री० [सं०] १ प्रबल इच्छा उत्कंठा २ व्याकुलता । ३ एक प्रकार का संचारी भाव । उथ, उथक क्रि० वि० वहां । उप (ब) क्रि० कूदना दलांग लगाना । उपड़ी (बी) २ गिराना. पटकना । उथप- देखो 'उत्थाप' । उथली (बी), थप्पणी ( बौ) - क्रि० १ ऊपर उठाना । २ तानना । ३ मिटाना, नाश करना। ४ श्राज्ञा का उल्लंघन करना । ४ उटलना । ५ अनुष्ठान करना | ७ प्रारम्भ करना । ७ उन्मूलन करना । उथळ (ल्ल) - स्त्री० १ चाल गति । २ मस्तिष्क की उपज शक्ति । ३ गिरने का भाव । –पथल, पथल्ल, पुथल, पूथल - स्त्री० उलटनर हेरा-फेरी । उधली (यो उपलो (बी) कि० १ उलटना, फेर देना। २ डगमगाना । ३ उलट फेर होना । ४ पानी का कम होना । ५ प्रौधा कर देना । ६ गिराना । ७ मारना । ८ उड़ना । ९ गिरना । १० मादा पशु की पुनः गर्भ धारण करने की कामेच्छा होना । उथली - वि० १ कम गहरा, छिछला । २ उल्टा । - पु० १ उल्टा गिराने का भाव २ मादा पशुओं के प्रथम समागम में गर्म न रहने पर होने वाली कामेच्छा ४ अनुवाद भाषांतर | । " (बी) क्रि० १ गिरना, गिर पड़ना । उत्साह-पु० [सं०] १ उमंग, जोश । २ साहस, हिम्मत। उथालरणी (बी) - देखो उथापरणी' (बी) । देखो' उथेलरणौ' (बी) । ३ वीर रस का स्थायी भाव । उबाल देखो 'उनी' । उचि उदिये कि विव उरण (ब) - क्रि० १ उण्डेलना । २ उखेलना । ३ उन्मूलन । करना । ४ गिराना । उथाप पु० उन्मूलन नाश उलट-फेर प्रतिरोधात्मक कार्य । उथापरण- वि० उन्मूलन करने वाला, मिटाने वाला । स्त्री० उन्मूलन की क्रिया या भाव। उथापा - वि० ० १ मिटाने वाला । २ उन्मूलन करने वाला, ध्वंम करने वाला | उप (बौ-क्रि० १ उन्मूलन करना। मिटाना । २ उलटना, उल्टा करना । ३ उखाड़ना । ४ जब्त करना छीनना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदक उथापना स्त्री० नवरात्रि में अष्टमी का दिन । उपाधियाप वि० बनाने बिगाड़ने वाला उन्मूलन करने की शक्तिवाला । - उथापा - वि० उलटने वाला उन्मूलन करने वाला । उबाल - स्त्री० १ उन्मूलन, नाश । २ उखाड़ पछाड़ । ३ मस्तिष्क की उपज । स्थापित करने और उथेर (ब) - देखो 'उतरणी' (बौ) । उथेल - वि० पछाड़ने वाला उन्मूलन करने वाला। स्त्री० १ड़कीया २ उलटने पलटने की क्रिया । ३ मस्तिष्क । उरण ( उयो कि०१ पछाड़ना २ गिराना ३ उल्टा या रौंधा करना । ४ उठाना । ५ हटाना । ६ मिटाना । For Private And Personal Use Only ०१ जवाब तर २ प्रत्याक्रमरग । ३ पुनः स्मरण । ४ उलटना, गिराना या पछाड़ने की क्रिया । उर्थ क्रि० वि० वहां । उथोपरखौ ( बौ) - १ निश्चय करना । २ स्थापित करना । ३ देखो 'उथापणी' (बौ) । उबंगळ-पु० १ उत्पात, उपद्रव २ दंगा, फिसाद । ३ लड़ाई युद्ध । ४ भमेळा, टंटा, विवाद । उदंड ० [सं०] १मा टउड ३ धनाड़ी, उज्जड़ । ३ निडर, निर्भीक । ४ भयंकर डरावना | ५ प्रचण्ड । उडी दि० (स्त्री० उरी) १ उदंड व्यक्तियों को दण्ड देने वाना । २ बदमाशों का उस्ताद । ३ देखो 'उदंड' | उदंत- वि० [सं० प्रदंत ] १ जिसके दांत न हो, दंत रहित । २० व २ मतांत विवरण। ३ देवो 'प्रदंत' । उबर उमर पु० [सं० उम्बर]१ बट्टारह प्रकार के कृष्ठ रोगों में से एक । २ एक ब्राह्मण वंश - पु० तांबा, 1 गूलर I उदगिरि पु० उदयगिरि पर्वत । - उदई स्त्री० चींटीनुमा एक श्वेत हीड़ा। दीमक । | - , उदक - पु० [सं०] १ जल, पानी २ शासन । ३ माफ की हुई दान की भूमि । ४ संकल्प लेकर दी हुई वस्तु । - पंजळि-स्त्री० जलांजलि, जल तर्पण हि पु० हिमालप पर्वत । क्रिया स्त्री० जलतरण, स्त्री० बहत्तर कताओं में से एक कराल | धरा स्त्री०-जन संकल्प तिलांजलि । -घात । -ज-पु० मोती । द्वारा दान की हई Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपकरणो ( १४० ) उदमाद भूमि । -परीक्षा-स्त्री० हाथ में पानी लेकर दी जाने | उदघाटक-वि० [सं० उद्घाटक] १ उद्घाटन करने वाला। वाली शपथ । -वाद्य-पु. चौसठ कलाओं में से एक। २.प्रकाशक । ३ खोलने वाला। उदकरणी (बी)-क्रि० १ निमित्त लेकर त्यागना । त्याग देना । | उदघाटणी (बौ)-क्रि० १ प्रकट करना । २ प्रकाशित करना । २ जल लेकर संकल्प लेना । ३ काम पाना । । खोलना। ३ उद्घाटन करना। ४ उछलना, कूदना। उदघातक-वि० [सं०] १ धक्का या ठोकर मारने वाला। उदकारणी -स्त्री जल संकल्प द्वारा दी हुई भूमि । 'देखो उदकी'। २ प्रारंभ करने वाला। उदको-वि० [सं० उदक+रा. प्र. ई] उक्त प्रकार की भूमि उदरणौ (बौ)-क्रि० उदय होना, प्रकट होना। को ग्रहण करने वाला । उदद, उदद्ध, उदध (धि, धी) उदध (धि)-पु० [सं० उदधि] उदक्क (को)-देखो उदक' । १ समुद्र । २ तालाब । ३ झील । -खीर-पु० क्षीर सागर । उदग-देखो 'उदक'। -मत-वि० गंभीर बुद्धि वाला। -मेखळा-स्त्री० पृथ्वी । उदगरपो (बौ)-क्रि० १ उगलना । २ देखो 'उदकणी' (बी)। -सुत- पु. चन्द्रमा । अमृत । —सुता--स्त्री० लक्ष्मी । उदगम-पृ० [सं० उद्गम] १ उदय, आविर्भाव । २ उत्पत्ति रंभा । कामधेनु ।। स्थान । ३ प्रस्थान । ४ उत्पत्ति, सृष्टि । ५ ऊंचाई, ऊंचा उदनमत (बत, वांन)-पु० [सं० उदनवत् ] समुद्र, सागर । स्थान । ६ पौधे का अकुर । ७ वमन, के। ८ नदी उदबाह-पृ० विवाह, शादी। का निकास। उदबुद, (दि), उदबुध-वि० [सं० अद्भुत, उबुद्ध] १ विचित्र, उदगमन-पु० [सं०] ऊपर जाना । ऊध्वंगमन । अद्भुत। २ विकसित, प्रबुद्ध, चैतन्य । -स्त्री० माया । उदगरनरणौ (बौ)-क्रि० १ देने का विचार करना । २ संकल्प | उदबेग-पु० [सं० उद्वेग] १ उद्वेग, भप । २ कंपन । ३ आशंका । करना। ३ संकल्प द्वारा छोड़ना । ४ चिता । ५ आश्चर्य । उवाता-पु० [सं० उद्गातृ] यज्ञ के चार प्रकार के ऋत्विजों | उदभज-देखो 'उदभिज' । से एक। उदमट-वि० [सं० उद्भट] प्रबल । श्रेष्ठ । दातार । उदगाथा-स्त्री० आर्या छन्द का एक भेद । उदभणी (बौ)-क्रि० प्रकट होना, उद्भव होना । उदगार-पु० [सं० उदूगार] १ मन के भाव । २ इन भावों का उदभव-पु० [सं० उद्भव] १ उत्पत्ति, जन्म । २ निर्माण, सहसा प्रगटीकरण । ३ उबाल, उफान । ४ वमन, के।। सृष्टि । ३ विकास । ४ वृद्धि। -रतन-पु० सागर । ५ डकार । ६ थूक । ७ बाढ़ । उदभावना-स्त्री० [सं० उद्भावना] १ उत्पत्ति । २ प्रकाश । उभारणी [बी]-क्रि० १ मन के भाव व्यक्त करना । २ बाहर ३ मन की उपज, कल्पना । ४ रचना । ५ तिरस्कार । निकालना । ३ फेंकना । ४ उभाड़ना, उतेजित करना। उदभास-पु० [सं० उभास] १ प्रकाश, दीप्ति, प्राभा । २ मन ५ डकार लेना । ६ के करना । ७ उगलना । में किसी बात का उदय । उदगारी-पु० [सं] बृहस्पति के बारहवें युग का द्वितीय वर्ष । उदभिज-पु० [स० उद्भिज) भूमि को फोड़कर निकलने वाले उदगारू-वि० १ जल संकल्प द्वारा दान देने वाला । पेड़ पौधे, वक्षादि । २ दान देने वाला। -पु० प्ररब्ध का फल । उदभूत-वि० उत्पन्न, निकला हुमा, अंकुरित । देखो 'अद्भुत' । उदगीत, (गीति)-पु० प्रार्या छंद का एक भेद । उदभेद (भेदन)-पु० १ अंकुरन । २ उद्घाटन । ३ प्रगटो___-वि० उच्च स्वर से गाया हुआ । __ करना, प्रकाशन । उदगीरणौ (बौ)-देखो 'उदगारणौ (बौ)'। उदभ्रांत-वि० [सं०] १ घूमता हुआ, चक्कर खाता हुआ। उदग्ग-देखो 'उदक'। २ भूला-भटका । ३ भ्रमित । ४ भौंचक्का । उदग्गरण, (ग्गनि, ग्गिनि)-वि० १ ऊंचा । २ उन्नत । ३ नंगी | उदम-पु० [सं० उद्दाम, उद्यम] १ बंधन रहित पशु । (तलवार)। ४ उग्र, प्रचंड । २ स्वतन्त्र । ३ प्रयास, उद्योग । ४ उत्साह । ५ काम धधा। उदन-वि० [सं०] १ ऊंचा। उन्नत । ऊंचा उठा हुआ । २ बाहर! ६ अध्यवसाय । ७ परिश्रम । ८ देखो 'उदंबर' । निकला हुा । ३ चौड़ा प्रशस्त । ४ बूढा। ५ मुख्य,प्रसिद्ध । । उदमरणौ (बो)-देखो 'ऊधमणी' (बौ)। ६ प्रचण्ड । ७ भयानक, कराल । ----वंती-पु० लंबे व ऊंचे ! उदमाद--स्त्री० १ हर्ष, प्रसन्नता, पानंद । २ उमंग । ३ उत्साह, दांतों वाला हाथी। जोश । ४ कामक्रीड़ा, सति । ५ इच्छा, अभिलापा। उदघटणी (बौ)-क्रि० १ प्रकट होना । २ उदय होना। ६ खलबली। ७ उन्मत्तता, मस्ती, व्याकुलता । ८ उद्योग, ३ निकलना । ४ उद्घटित होना। परिश्रम । ६ प्रबन कामेच्छा । १० देखा उनमाद'। For Private And Personal Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदमादरणी ( १४१ ) उदीचि उदमादरणी (बौ)-देखो 'ऊधमणो' (बी)। उदाधि, (धि)-देखो 'उदधि' । उदमादियौ, (मावी)-वि० (स्त्री० उदमादण) १ मतवाला, | उदायन-पु० [सं० उद्यान] उद्यान, बगीचा। मस्त । २ आमोद-प्रमोद करने वाला । ३ उत्पाती, उदार -वि० [सं०] १ दाता, दानी., दानशील । २ श्रेष्ठ, महान् । उपद्रवी। ३ ऊंचे विचार वाला। ४ सरल, सीधा । ५ अनुकूल । उदमी-वि० उद्यम करने वाला, परिश्रमी, उद्योगशील । ६ धर्मात्मा । ७ ईमानदार। ८ विशाल हृदय । -पु. उदय-पु० सं०] १ प्रागट्य, उद्गम । २ निकाल, निकास ।। १ शिव, महादेव । २ एक काव्यालंकार । ३ २८ वर्ण का ३ उत्पत्ति । ४ विकास । ५ वृद्धि, बढ़ोतरी । ६ उद्गम एक छंद विशेष । ३ देखो 'उधार'। -चरित-वि० ऊंचे स्थान । ७ उदयाचल । ८ प्रकाश । ९ मंगल । १० उपज । दिल वाला । स्वभाव से ही दानी । -चेता-वि० उदार ११ पदोन्नति, उन्नति । १२ सृष्टि । १३ लाभ, नफा । हृदय । कृपालु, दयालु।-ता, परण, परणी-पु० दानशीलता। १४ ब्याज। १५ कांति, दीप्ति । १६ आय । १७ प्रागमन । सहृदयता । उच्च विचार । अचल (गिरि)-पु. उदयगिरी । -अद्रि-पु० उदयाचल उदाळी-वि० उन्मूलन करने वाला । -पु० प्रकाश, रोशनी। पर्वत। -काल-पु० प्रभात काल । '---परणी-स्त्री० एक उदावरत, (त)-पु० १ गुदा का एक मात रोग, गुदा ग्रह । २ एक जड़ी विशेष । रंग विशेष का घोड़ा। उदयरणौ (बौ)-क्रि० उदय होना, निकलना । उदास-वि० [सं०] १ खिन्नचित्त, चिंतित । २ दुःखी, परेशान । उदयागिरि, उदयाचल-देखो 'उदयगिरि' । ३ बिरक्त । ४ निरपेक्ष, तटस्थ । ५ दार्शनिक । ६ मुरझाया उदयातिथि-स्त्री० सूर्योदय से प्रारंभ होने वाली तिथि । हया । ७ निर्जन, शून्य । उदयादीतइ-पु० सूर्योदय । उदासत-पु० तेज। उदयोतकर-वि० [सं० उद्योतकर] दीपायमान, प्रकाश युक्त। उदासन-वि० तटस्थ । उदर-पु० [सं०] १ पेट । जठर । २ गर्भ । ३ वस्तु का मध्य उदासी, (न)-वि० [सं०] १ विरक्त, वैरागी । २ त्यागी। भाग । ---ज्वाला-स्त्री० जठराग्नि, भूख । -प्राण-पु० । ३ संन्यासी । ४ एकांतवासी। ५ खिन्नचित्त । -पु० नानक कमर पेटी। शाही साधु । -स्त्री०१ खिन्नता, चिन्ता । २ निरुत्साह । उदरक-पु० [सं० उदकं] १ भविष्यत्काल । २ भविष्य का ३ कांति का अभाव। परिणाम । उदाहरण-पु० [सं०] १ मिसाल, आदर्श । २ कीर्तिमान । उदरच-स्त्री० अग्नि, प्राग ।। ३ सबूत । ४ दृष्टांत, निदर्शन । ५ तर्क के पांच अवयवों में उदराग्नि-स्त्री० [सं०] जठराग्नि, भूख । से तीसरा । ६ एक साहित्यालंकार विशेष । उदरि, (रिल) उदरी-वि० १ बड़े पेट वाला, तोंदू । उदिचित-स्त्री० [सं० उदश्वित] छाछ, तक्र । दधि । २ देखो 'उदर'। उदित-वि० [सं०] १ जो उदय हो गया हो, उद्गत । २ प्रकाशित, उदलणौ (बौ)-देखो 'ऊदळगौ' (बो)। पालांकित । ३ उज्ज्वल, स्वच्छ । ४ प्रफुल्लित । ५ प्रसन्न । उदांत-पृ० [सं० उदवांत] मद उतरा हा हाथी । ६ कथित । ७ उगा हृया । ८ उत्पन्न । ९ ऊंचा, लंबा । उदस-पु० [सं० उवश्वित] १ दही, दधि । २ सूखी खांसी। १० उच्च रित । -जोवना-स्त्री० मुग्धा नायिका । उदसटियो-वि० बुद्धिहीन, मूर्ख । उदियणौ (बौ)-देखो 'उदयणी' (बौ)। उदस्त-देखो 'उदम' । उदान-पु० [सं० उदान] १ शरीरस्थ १२ प्रकार के वायु में से उदियान-पु० विकट वन, घना जगल एक । २ एक सर्प विशेष । उदियांमणी-देखो 'उदियावरणौ'। (स्त्री उदियांमणी)। उदांम-वि० [सं० उद्दाम] १ श्रेष्ठ, महान । २ उदंड, शैतान । उदियाडौ-पु० बुरा समय, बर्बाद होने का समय । ३ बंधन रहित, स्वतंत्र । -पु० वरुण । उदियारप-देखो 'उदाहरण' । उदाई-देखो 'उदई'। उदात, (दाता), उदात्त-वि० सं० उदात्त] १ऊंचे स्वर से उदियावरणौ-वि० (स्त्री० उदायवणी) भयप्रद, भयावना । उच्चारित । २ कृपालु, दयालू । ३ दातार । ४ श्रेष्ट । उदासीन खिन्नचित्त । ५ पवित्र, निर्मल । ६ उन्नत । ७ प्रख्यात । -प०१ वेद- उदीच-वि० उत्तर दिशा का उत्तर दिशा संबंधी। -पृ० ब्राह्मणों मंत्रोच्चारगा का एक स्वर भेद । २दान । ३त्यान। की एक शाखा । ४ दया । उदोचि (ची)-स्त्री० उत्तर दिशा । For Private And Personal Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदीपरण ( १४२ ) उद्यान उदोपण, (पन)-देखो 'उद्दीपन' । उद्दीपण (न)-पु० [सं० उद्दीपन] १ भड़काने व उत्तेजित करने उदीरण-पु० कथन । वाक्य । उच्चारण । -स्त्री० सत्तागत को क्रिया । २ रस सिद्धान्त में एक विभाव । ३ भड़काने कर्मों के प्रयत्न विशेष से खींचकर नियत समय से पहिले ही वाली वस्तु । उनके फल का भोग [जैन] । -वि० दातार । उद्देस, उद्देस्य-पु० [सं० उद्देश्य] १ इच्छा, अभिलाषा । उदुंबर-पु० [सं०] १ ताम्र, तांबा । २ गूलर। ३ देहली, २ मंशा, आशय । ३ मतलब, प्रयोजन, स्वार्थ । ४ हेतु, ड्योढ़ी। ४ कुष्ठ रोग। -वि० नपुंसक । कारण । ५ अन्वेषण । ६ नाम निर्देश पूर्वक वस्तु निरूपण । उदुखळ-पु० अोखली। ७ लक्ष्य । उदे-देखो 'उदय'। उद्दोत-पु० [सं०] १ प्रकाश ! २ उदय, वद्धि । -वि०१ प्रकाउदेई-देखो 'उदई'। शित । २ उदित । ३ प्रगटित । ४ देखो 'उद्योत' । उदेक, उदेग-देखो 'उद्योग' । उद्ध-क्रि० दि० ऊपर। उदे तुरंप (बाज)-पु० रंग विशेष का घोड़ा । घोड़ों की एक जाति । उद्धरणौ (बौ)-क्रि० ऊपर उठना, फैलना। उद-देखो 'उदय' । ---प्रद्र='उदयप्रद्रि' । उद्धत-वि० [सं०] १ नंट, उदंड । २ उग्र प्रचण्ड । ३ अड़ियल । उदोगर-पु० उदयगिरि। ४ धृष्ट. दुष्ट । ५ असभ्य, अन । ६ निडर, निर्भीक । उदोत-वि० [सं० उद्योत प्रकाशित -कर-वि. प्रकाशमान ।। ७अभिमानी। -पु० चामीच मात्रा का एक छंद। -धांम-पु० दीपक। उद्धरण-१० [सं०] १ उद्धार, वारा । २ पुस्तक या लेख का उदोता-वि० प्रकाशित करने वाला। अंश जो उदाहरण के तौर पर लिखा गया हो। उदोति-पु० १ प्रकाश, उजाला । २ चमक, आभा । ३ उदय । -वि० उदार या।। -स्त्री० ३ वृद्धि, बढ़ोतरी। -वि० १ उदित, प्रकाशित । उद्धरणौ (बौ)-कि० [सं० उद्धरणम् ] १ करना। २ धारगा २ प्रगट । करना । ३तरना, पार होना। ४ उद्धार करना । उदौ-पु० [सं० उदय] १ उदय । २ अच्छा समय । ३ प्रारब्ध, ५ छूटना, त्राण पाना । ६ अलग होना । ७ मुक्त होना । होनहार । उद्धरौ-देखो 'उधरौ'। उद-वि० [सं०] १ चंट, बदमाश । २ शैतान, झगडाल । ! उद्धव-पु० [सं०] १उत्सव । २ ग्रामोद-प्रमोद। ३ यज्ञ की अग्नि । ३ अड़ियल । ४ निर्भीक । ४ श्रीकृष्ण का मित्र । उद्दत-वि० [सं०] १ वृहदंत, दंतुला । २ देखो 'उदंत'। उद्धार-१० [सं०] १ मुक्ति, छुटकारा, निस्तार, यांण । २ रक्षा, बचाव । मबार । ४ विकास, उन्नति । ५. दुरुस्ती, उद्दम-देखो 'उद्यम'। मरम्मत । ----वि० उद्धार करने वाला। उद्दमी, उहम्मी-देखो 'उद्यमी'। उद्धारगो (बा)-क्रि० १ तारना, पार करना । २ मूक्ति देना उद्दान-पु० बधन । छुटकारा देना । ३ उवारना, बनाना। ४ अलग करना । उद्दांम-वि० [गं० उछाम १बधन रहित, स्वतन्त्र । निरकशा सुधारना । ६ विकसित करना। ऊपर उठाना । ३ उग्र। प्रबल । ५ उदण्ड । ६ गम्भीर । महान । उद्धोर-To एक छंद विशेष । ८अकषित । - ० १ बरा । २ एक प्रकार का उबंधरा-पु० बंधन, प.वा, जाल । दंडक वृत्त । उद्बोधक--वि० [सं०] १ बोध कराने वाला । २ चेताने वाला। उद्दालक-पु० [सं०] १ ग्रामरिण नामक एक प्राचीन ऋषि । ३ जगाने वाला । ४ सूचित करने वाला। ५ उत्तेजिन करने २ एक व्रत विशेष । ५ वाला। ६ प्रेरक । ७ प्रकाशक : -T० मूर्य का एक नाम । उद्दास-देखो 'उदास'। उद्भिज (भिद)-देखो 'उदभिज'। उहित-देखो 'उदिा'। उद्यत-वि० [सं०] १ तैयार । २ तत्पर, सावधान । ३ ऊपर उद्दिम-देखो 'उद्यम'। उठा हुआ । ४ उत्सुक । ५ तुला हुग्रा । ६ तना हुआ। उद्दिस्ट-वि० [सं० उद्दिष्ट] १ दिखाया हुमा । २ इंगित विद्या - उद्यम-पु० [सं०] १ काम धन्धा । २ रोजगार । ३ व्यबसाय । हुआ। ३ अभिप्रेत, सम्मत । -पु० मिगत (छदशान्त्र) ४ उद्योग, प्रयास । ५ परिशम । ६ अध्यवसाय । ७ तयारी। के प्रत्यगों में से एक। उद्यमी-वि० [सं०] उद्यम करने वाला । परिश्रमी । उद्दीपक-वि०नंजकः । । उद्यान-पु० बाग, बगीचा। For Private And Personal Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्यापन ( १४३ ) उनज उद्यापन-पु० [सं०] किसी व्रत की समाप्ति का उत्सव । उधरौ-देखो 'ऊधरौ' (स्त्री० उधरी)। उद्योग-पु० [सं०] १ काम, धंधा । २ व्यवसाय । ३ व्यापारिक | उधळणौ, (बौ)-देखो 'ऊदळणी' (बी)। सामान का निर्माण । ४ प्रयत्न । ५ परिश्रम । ६ उपाय । उधसि, (सी)-पु० [सं० ऊधस्यं] दुग्ध, दूध । उद्योगी-वि० [सं०] उद्योग करने वाला । उधामरणौ (बौ)-क्रि० १ प्रहार के लिए शस्त्र उठाना । २ प्रहार उद्योत (ति, ती)-पु० [सं०] १ ज्योति, प्रकाश । २ दीपक । करना । ३ उदास होना । ४ आनन्द, उप भोग या उदारता ३ शोभा, कांति । ४ उन्नति, वृद्धि। -वि० प्रकाशित, से द्रव्य खर्च करना। प्रदीप्त । -वंत-वि० दीप्तिवान, कांतिवान, प्रकाशवान । उधाड़-पु० कुश्ती का एक दाव । उद्र-पु० [सं०] १ उदबिलाव । २ उदर, पेट । ३ गर्भ । उधात-पु० अशुद्ध धातु । -बट-वि० अत्यधिक । उधार-पु० [सं० उद्धार] १ मुक्ति, मोक्ष । २ ऋण, कर्ज । उद्रक-पु० [सं०] १ भय, डर । २ आधिक्य । ३ खाते में नाम लिखकर सामान देने की क्रिया । ४ ग्राहकों उद्राव-पु० भय, आतंक। की तरफ बकाया रकम । ५ अमानत के रूप में दी जाने उद्रावणो, उद्रियांमरण, उद्रियावरणौ-देखो 'अधियांमणौ' । वाली वस्तु । -वि० १ जो नगद न हो। २ बकाया, शेष । उद्रीधको-पु० टूटते समय सीने में धक्का मारने वाली बन्दूक । ३ बेकार, निकम्मा, कायर । उद्रेक-पू० [सं०] १ वृद्धि, बढोतरी । २ ज्यादती । ३ उन्नति, | उधारक-वि० [सं० उद्धारक] | उधारक-वि० [सं० उद्धारक] उद्धार करने वाला, मुक्ति उत्थान । ४ प्रारम्भ । ५ उपक्रम । ६ काव्यालंकार दिलाने वाला। विशेष । उधारण-वि०उद्धार करने वाला। -पु० समुद्र, सागर । उद्वाह-पु० विवाह । उधारणौ-वि० (स्त्री० उद्धारणी) उद्धार करने वाला। उद्विग्न-वि० [सं०] उत्तेजित । व्याकुल, व्यग्र । चितित । उधारणौं (बौ)-देखो ‘उद्धारणौ' (बौ)। -ता-स्त्री० उत्तेजना । व्यग्रता । चिता। उधारियो-वि० उधार लेने वाला। उद्वेग. (गौ)-पु० [सं०] १ मन की अकुलाहट, पातुरता ।। उधारौ-पु०१ उधार दी गई वस्तु या रकम । ३ देखो 'उधार' । २ घबराहट । ३ चिंता । ४ आवेश, जोश, उत्तेजना । उधाळ-वि० उल्टा, औंधा । ५ तीव्र वृत्ति । ६ एक संचारी भाव । ७ सात प्रकार के उधि-देखो 'अवधि' । चौघड़ियों में से एक। उधियार-देखो 'उधार'। उद्वेगी-वि० जो उद्विग्न हो, पातुर । उधेड़णी, (बौ), उधेरणी, (बी)-क्रि० १ सिलाई या टांके उधड़णौ (बौ)-क्रि० १ सिलाई खुलना, टांके खुलना । खोलना । २ चीरना काटना । ३ लगाया हुआ वापस २ चिपका या जमा हुआ न रहना । ३ अलग होना पृथक हटाना । ४ छितराना। ५ मंग करना । ६ तह या परत होना । ४ उखड़ना । ५ उजड़ना । ६ कटना कट, कर दूर हटाना । ७ खाल उतारना । पड़ना । ७ खुलना । उधड़वाई-स्त्री० १ उधेड़ने की क्रिया या भाव । २ उधेड़ने उधेड़बुन-पु० यौ० १ सोच-विचार । उहापोह । २ उलझन । ___ की मजदूरी। उधोर-वि०१ श्रेष्ठ वीर । २ उद्धारक । -पु. बारह या उधध (पति)-देखो 'उदद' । चौदह मात्रा का छंद जिसके अन्त में जगण होता है । उधम-पु० [सं० उद्धम] १ बदमाशी, शतानी, उद्दण्डता, | उध्यांन-देखो 'उद्यांम' । उत्पात । २ चंचलता, नटखटपन । ३ हल्लागुल्ला । | उनंग-वि०१ बिना म्यान की तलवार । २ शस्त्र उठाने ४ देखो 'उद्यन'। ___ की क्रिया । उधर-क्रि० वि० उस अोर, उस तरफ, दूसरी तरफ । उनंगरणी (बौ)-क्रि० प्रहार हेतु शस्त्र उठाना । उधरणौ, (बो)-देखो 'उद्धरणो' (बौ)। उधरत-स्त्री० १ बिना लिखा पढ़ी का ऋण । २ ऋण, उधार ।। उनंगी, (नग्गौ)-वि० [सं० नग्न] (स्त्री० उनगी) १ नंदा । ३ ऋण का धन । २ म्यान रहित तलवार या कटार । उधरती-स्त्री० उद्धार, मुक्ति, छुटकारा । २ देखो 'उधरत'। उनंद्र-वि० [सं० उन्निद्र] १ निद्रा रहित, जागृत । २ कलियों उधराणी (बी)-कि० [सं० उद्धरण] १ हवा में छितराना।। से युक्त, फैला हुग्रा। २ बिखेरना, तितर-बितर करना। ३ ऊधम मचाना।। उनमरणौ (बी)-देखो 'उमडणी' (बी)। ४ उन्मत्त होना। | उदज-देखो 'अनुज'। For Private And Personal Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समताळिस ( १४४ ) उन्मादी उनताळित (ळीस)-वि० [सं० ऊनचत्वारिंशत्] तीस और उनाळ-पु० १ उष्णकाल, गर्मी। २ अग्नि, पाग। ___ नौ का योग । -पु० तीस व नौ के योग की संख्या, ३९। उनाळी (छ)-स्त्री० १ रबी की फसल । २ दक्षिण पश्चिम की उनताळीसौ-पु० उन चालीसवां वर्ष । हवा । -वि० ग्रीष्मऋतु की। -साख-स्त्री. रबी उनतीनाह-० [सं० उन्नतिनाथ] पक्षीराज गरुड़ ।। की फसल । इस पर लिया जाने वाला सरकारी लगान । उनतीस-वि० तीम से एक कम । -पु० बीस व नौ के योग की | उनाळो-पु० [सं० उष्णकाल ] ग्रीष्म ऋतु । गर्मी का मौसम । संख्या, २६ । उनासाही-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । उनतीसौ-पु. उन्तीसवां वर्ष । उनि-सर्व० उन । उसने । उनत्थ, उनथ-वि० [सं० उन्नाथ] १ बंधन, रहित, स्वतन्त्र । उनींदौ, (द्रौ)-वि० [सं० उनिद्र] नींद से भरा हपा, ऊंघता २ उदंड। -नथ-वि० बंधन रहित को बंधन में हुआ। निद्रित । डालने वाला। उने (न)-क्रि० वि० उस पोर, उस तरफ। उनमंदा-देखो 'उमदा' । उनमरणो, उनमन. (मनौ)-वि० [सं०उन्मनस] (स्त्री० उनमणी) उनोदरी-पु. बारह प्रकार तप में से दूसरे प्रकार का तप उदास, खिन्न, चिंतित । विकळ व्याकुल, बेचैन उद्विग्न, प्रिय जिसमें जितनी भूख हो उससे कम पाहार किया जाता है। वियोग से संतप्त । उनौ-देखो, ऊनौ (स्त्री० उनी)। उनमत (स)-वि० [सं० उन्मत्त] १ मस्त, मौजी । २ मदमस्त । उन्नत-वि० [सं०] १ ऊंचा, उत्तुंग । २ ऊपर, उठा हा। ३ मदान्ध । ४ पागल । ३ श्रेष्ठ, उच्च । ४ विकसित । ५ विख्यात, प्रसिद्ध । उनमनी-देखो 'उनमुनी' । ६ उन्नति पाया हुप्रा । ७ किसी कला या विद्या उनमांम-देखो 'अनुमान'। में निपुण । उनमाव-पु० [सं० उन्मादः) १ पागलपन, विक्षिप्तावस्था। उन्नता उन्नति-स्त्री० [सं० उन्नति] १ तरक्की, बढ़ोतरी, वृद्धि। २ नशा । ३ उन्मत्तता, मस्ती । ४ शैतानी, शरारत । २ ऊंचाई, चढ़ाव । ३ समृद्धि । ३३ संचारी भावों में से एक। -वि० [सं० उन्माद] उन्नतोदर-१० [सं०] १ गगेश, गजानन । २ चाप या वृत्त का पागल, सनकी, डांवाडोल । ऊपरी भाग। उनमादक-वि० [सं० उन्मादक १ उन्मत्त करने वाला। उन्नयन -पु० [सं०] १ ऊर्ध्व प्रयाण । २ ऊपर का खिंचाव । २ नशा युक्त, नशीला । : पागल या भ्रमित करने वाला। ३ विचार, अटकल । ४ हर्ष प्रद । -पु. काम के पांच बाणों में से एक ।। उनमादी-वि०१उन्माद रोग से पीडित। २ पागल । ३ विक्षिप्त । उन्नाव-पु० [अ०] बेरनुमा एक प्रौषधि । उनमुनी-स्त्री० हठ योग की एक मुद्रा विशेष । उन्नानी-वि० [अ० उन्नाव + रा. प्र.+६]. उन्नाव के रंग का, उनमुनौ-देखो 'उनमणी' (स्त्री० उनमुनी)। कालापन लिए हुए लाल । उनमळरण (न)-पु० नष्ट करने, मिटाने या उखाड़ने की क्रिया उन्नायक-वि० [सं०] उन्नत करने वाला। या भाव । उन्नाळो-देखो 'उनाळो'। उनमछरणी (बी)-कि० नष्ट करना । मिटाना । उखाड़ना। उन्नासी-वि० [सं० ऊनाशीति, प्रा० एगुणासीइ] प्रस्सी से एक उनसट (8)-वि० [सं० ऊनषष्ठि] साठ से एक कम । -पु० कम । -स्त्री० सत्तर व नौ के योग की संख्या, ७९ । पचास व नौ को संख्या, ५६ । उनसठो-पु. उनमाठवां वर्ष । उन्मत्त-वि० [सं०] मदमाता, नशे में चूर, पागल, सिड़ी। उनहरणौ (बी)-क्रि० उमड़ना, उमड़ कर छा जाना । घना उन्मत्ता-स्त्रा० स० उन्मत्तता | उन्मत्त हान का दशा या भाव, होना । सघन होना । उमड़-घुमड़कर पाना । पागलपन, मस्ती । नशा। उनहोत्रो (डो)-वि० सघन । घनघोर (स्त्री० उनहीअोड़ी)। उन्मन-वि० मनस्थैर्य । मन का, मन संबंधी। उमाम (ब)-पु० १ वर्षा के जल की फसल वाला खेत । २ वर्षा | उन्मथ-पु० [सं०] कर्ण लुच का एक रोग । का जल एकत्र होने का स्थल । उन्माद-देखो 'उनमाद'। उनाग-देखो 'उनंगौ' । उन्मादक, (ण)-देखो 'उनमादक' । उनारण-पु० उष्ण पदार्थ । उन्मादी-देखो 'उनमादी'। For Private And Personal Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उम्मीलित उपजस उन्मीलित-वि० [सं०] १ खुला हुमा । २ विकसित । उपगारी, उपगारू-देखो 'उपकारी' । २ देखो 'उपकार' । ३ प्रस्फुटित । ४ तना हुआ । ५ जागृत । -पु० एक प्रकार उपगीत, (गीति)-पु. १ प्रार्या छन्द का एक भेद । का अर्थालंकार। उपगृहन-पु० पालींगन, भेंट। उन्मेस-पु० [सं० उन्मेष] १ विकास । २ खिलावट । ३ वृद्धि, | उपग्रह-पु० [सं०] १ छोटा ग्रह (राहु केतु) । २ प्रधान ग्रह के बढ़ाव, विकास । ४ रोशनी, प्रकाश । ५ चमक, कांति । प्रास-पास रहने वाला कोई छोटा ग्रह। ३ वैज्ञानिक ६ जागति । ७ ज्ञानवृद्धि । ८ पलक । परीक्षण से छोड़े गये कृत्रिम उपग्रह । ४ उपद्रव । ५ कैद, उन्याळी-देखो 'उनाळो' । पकड़ । ६ हार, पराजय ७ बंदी, कैदी । ८ अनुग्रह । उन्हड-देखो 'ऊनौ' (स्त्री० उन्ही)। ९ योग । १० प्रोत्साहन । उन्हाणी, (बौ)-क्रि० तपाना, गर्म करना । गर्मी देना । उपघात-पु० १ नाश करने की क्रिया । २ रोग, पीड़ा। उन्हाळ, (ळउ , ळसी) उन्हाळी-देखो 'उनाळो'। ३ आघात । ४ आक्रमरण । ५ छल, कपट। उन्हू, उन्ही-सर्व०१ उसका । २ देखो 'ऊनौ' । (स्त्री० उन्ही)। | उपड़णौ (बौ)-क्रि० १ खर्च होना। २ समाप्त होना, खत्म उपंखी-पु० पक्षी, पंछी। होना । ३ उठना। ४ उभरना (चोर)। ५ उखड़ना। उपंग-पु. [सं० उणंग] १ शरीर का अवयव । २ अवयवों की ६ उड़ना, आकाश में छा जाना । ७ वीरगति प्राप्त, पूर्ति करने वाली वस्तु । ३ तिलक, टीका । ४ एक प्राचीन होना, रणांगन में युद्ध करते मरना । वाद्य । ५ उद्धव के पिता का नाम । उपंगी-वि० १ नसतरंग बजाने वाला । २ देखो उपंग' । उपड़ारणी (बी)-क्रि० १ उन्मूलन करना, मिटाना। २ उमड़ाना। ३ ऊभारना। ४ भार उठाना । ५ उठाना। ६ दौड़ाना । उपंत-देखो 'ऊपांत'। ७ व्यय कराना। ८ समाप्त कराना । ९ उखाड़ना। उप-उप० [सं०] १ शब्दों के पूर्व लगने वाला उपसर्ग जो शब्द के अर्थ को प्रभावित करता है। [सं०प०१२ पानी, जल । उपचय-पु० [सं०] १ उन्नति, तरक्की । २ वृद्धि । ३ संचय ३ देखो 'वपु'। -क्रि०वि० निकट, समीप । संग्रह । ४ परिणाम, ढेर । ५ जन्म कुंडली में लग्न से --कंठ, कंठइ-पु० किनारा, तट । सामीप्य । पड़ोस । तीसरा, छठवां और ग्यारहवां स्थान । -क्रि०वि० निकट, पास, पड़ोस में । -करण-पु० अौजार । उपचार-पु० [सं०] १ इलाज, चिकित्सा । २ सेवा शुश्रूषा । सामग्री। साज-बाज । शोधक वस्तु । राजसीचिह्न । गौण ३ व्यवहार, प्रयोग । ४ परिचर्या । ५ पूजन । ६ सत्कार । वस्तु या द्रव्य । पूजन सामग्री। ७ नमस्कार, प्रणाम । ८ उपाय । ६ व्यवस्था, प्रबन्ध । उपकार (डौ,न)-पु० [सं०] १ भलाई, नेकी, हित । २ सलूक । १० रीतिरिवाज। ३ लाभ, फायदा । ४ सहायता, मदद । ५ कृपा, अनुग्रह । उपचारक-वि० [सं०] १ चिकित्सक । २ उपचार करने वाला। ६ श्रृंगार । ७ 'प्राभार'। ३ सेवा करने वाला। उपकारक, (कारी)-वि० [सं०] १ उपकार करने वाला, उपचारणी (बौ)-क्रि० १ व्यवहार में लाना । प्रयोग में लाना। हितेषी । २ सहायक, मददगार । काम में लेना । २ सेवा करना, परिचर्या करना । उपकूप, (क)-पृ० वापिका । ३ चिकित्सा करना। उपक्रत-वि० [सं०] कृतज्ञ । उपक्रम-पु० कार्यारंभ । प्रयत्न । प्रायोजन । भूमिका । उपचारी-देखो 'उपचारक' । उपक्रमणिका-स्त्री० पुस्तक की विषय सूची । उपछंद-पु० चौबीस से अधिक मात्रामों का छंद । उपक्रमरगी (बौ)-क्रि० उछलना, कूदना, छलांग लगाना । उपछर-देखो 'अपछर'। उपखीण-पु० [सं० उपक्षाग] शोक सूचक वस्त्र । उपज-स्त्री० १ उत्पत्ति, उद्भव । २ पैदावार । ३ सूझ-बूझ। उपगत-वि. १ प्राप्त । २ स्वीकृत । अंगीकृत । ३ ज्ञात । ४ काल्पनिक बात । ५ स्फूति, स्फुरण । उपगरण-पु० [सं० उपकरण साधु के काम आने वाले उपकरण, | उपजरण-पु० जन्म । रजोहरणादि (जैन) । उपजणौ (बी)-क्रि० १ जन्मना । २ उपजना, उगना, पंदा उपगरणी (बी)-कि० १ ग्रहण करना. लेना । २ पकडना । । होना । ३ उत्पन्न होना । ४ सूझना । ५ होना। ३ उपकार करना। उपजलपण (न)-पु० [सं० उपजल्पनम् ] वार्तालाप । उपगार-देखो 'उपकार' । उपजस-वि० १ काला, श्याम । २ देखो 'अपजस' । For Private And Personal Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उपजाऊ , उपजाऊ - वि० जहां पैदावार अच्छी हो, उर्वरक । उपजाणी, (ब) उपजावरणौ (बौ)- क्रि० १पैदा करना, उत्पन्न करना । उगाना । २ सुझाना 1 उपा० [सं० उपजाप] कानाफूसी चुपचाप कान में कहना । उपजीविका स्त्री० [सं०] रोजी, जीविका । उपजीहा स्त्री० दीपक । उपज्जर (बी) - देखो 'उपजणी' (बी) । उपकूलर-पु० एक प्रकार का छंद । उपटक पु० उपाधि खिताब | उपट- 1 १ दान । २ उदारता । ३ लिखावट के निशान । - क्रि० वि० ऊपर | - घट-क्रि० वि० ऊपर तक । उपटणौ (बी) - क्रि० १ उभरना, निशान पड़ना । २ उखड़ना । ४ उमड़ना । ४ मर्यादा या हव से बाहर होना । ५ उछलना ६ उत्पन्न होता । उपट्टणी (ब) - देखो उपटणी (बी) । उपो कि उन होना पैदा होना । उपत १ देखो 'ग्रोगत' । २ देखो 'उत्पत्ति' । www.kobatirth.org उपटां क्रि० वि० ऊपर से विशेष तौर पर वि० विशेष । 1 1 जौ ( बौ) - क्रि० कष्ट पाना दुःखो होता | उता पु० [सं०] व्यापि बीमारी उपतारौ - स्त्री० १ क्षत्र नक्षत्र २ नेत्रों की गोलक । उपति-देखो 'उत्पत्ति' । ( १४६ ) उपदिसा स्त्री० मुख्य दिशाओं के बीच का कोण । उपविस्ट वि० [सं० उपदिष्ठ] उपदेशितज्ञाति । उप ही ० दोहा छंद का एक भेद उपदेश (सि) ० ० उपदेश] १ शिक्षा बात । ३ नमीहत, सीख 1 [४] गुरुमंत्र का उपदेश । उपत्यका स्त्री० [सं०] पर्वत के निकट की भूमि तराई, घाटी । उपयंस पु० [सं०] उपदेश] १२ डंक की मार ३ गर्मी का रोग। ४ भूख-प्यास बढ़ाने वाली वस्तु। ५. शराब के बाद खाई जाने वाली गजक | उपदरौ देखो 'उपद्रव' । - उपदा - स्त्री० [सं०] १ भेंट, नजराना । २ दर्शन । ३ पीड़ा । ४ बाधा । उपदेस (बी) कि० १ शिक्षा देना ज्ञान देना - । बात कहना । ३ धर्म के सिद्धान्त समझाना | नसीहत देना । ज्ञान र हित की दीक्षा ५ धर्म । उप [० उपदेशक १ शिक्षा या ज्ञान की बात कहने उपदेसक - ] वाला । २ हितेषी । ३ नसीहत या सीख देने वाला । २ हित की उपनाय क-पु० नायक का सहायक । उपनाह पु० [सं०] १ सितार, वीणा यादि की टी । २ मरहम पट्टी । ४ मल्हम लेपन । ४ उबटन | उपनिभ-पु० [सं०] छल, कपट | 1 उपनित (सब) उपनीत १० [सं० उपनिषद] वेदों के वे अंग जिनमें ब्रह्मविद्या का निरूपण हैं । उपनौ - देखो 'ऊपनी' (स्त्री० उपनी ) । उपन्नणी (बी) देखो करनो' (यो) | उपपत (पति) - ० ( ०] किसी स्त्री का बार प्रेमी । जार । I " " उप(पत्नी) स्त्री० [सं०] प्रेमा उपबरतन ( वरतन ) - पु० [सं० उपवर्तन] १ देश, वतन २ जिला परगना । ३ अवाड़ा । । ४ सीख या Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपभोग उपदेहिका - स्त्री० दीमक | उपद्रव - पु० [सं०] १ उत्पात, गड़बड़ी । २ विप्लव, गदर । ३ दंगा-फसाद । ४ रोग विकार । ५ अत्याचार । ६ विपत्ति संकट । उपद्रवी - वि० [सं०] उपद्रव करने वाला । क्रान्तिकारी । भगड़ालू । उपध- १ देखो 'उपाधि' । २ देखो 'उपधा' । उपधान पु० [सं०] १ ऊपर रखने या व्हराने की क्रिया । २ सहारे की वस्तु । ३ तकिया, सिरहाना । ४ तप विशेष । (जैन) बासन० चौरासी ग्रामों में से एक। उपधा स्त्री० [सं०] १२ उपाधि ३ ईमान दारी की परीक्षा | o उपघात उपास्त्री० [सं० उपधातु] प्रधान धातुका मेल । २ चर्बी । ३ पसीना । उपधि-पू० छल, कपट । (atat semi' (at) i उपनय, (नवरण नयन ) - पु० [सं० उपनयन ] १ यज्ञोपवीतसंस्कार । २ यज्ञोपवीत । उपनहदेउपा उपनाम - पु० [सं० उपनाम् ] जाति, पदवी या उपाधि के कारण प्रचलित प्रतिरिक्त नाम । उपनाय - देखो 'उपनय' । उपवस (स० [सं० उपधः १ ग्राम बस्ती २ करने से पूर्व का दिन । उपवास (बाह्य) १० [सं० उपग्रह] १ राजा की सवारी का हाथी । २ राजा की सवारी । For Private And Personal Use Only | उपभोग ० [सं० उपभोग] १ वस्तु का भोग, उपयोग २ श्रानन्द ! ३ आस्वादन । ४ भोजन । ५ भोग-विश्वास, सहवास ६ सुख की सामग्री । Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपमजारणी ( १४७ ) उपवासी उपमजापोबी)-१ उपमर्दन करना। २ देखो 'उपजाणी' (बौ)।। उपरांम-पु० [सं० उपराम] १ निवृत्ति । २ विरक्ति । ३ उदाउपमारण, (मान)-पु० [सं० उपमान] वह वस्तु जिसको उपमा सीनता । ४ विराम, पाराम । ५ मृत्यु । दी जाती है। उपरांयत-वि० अधिक, विशेष । उपरांत । उपमा-स्त्री० [सं०] १ तुलना, समानता । २ एक प्रकार का उपरा-क्रि० वि० ऊपर । -उपरी-क्रि० वि० एक पर एक । अर्थालंकार। निरन्तर । -चढ़ी-स्त्री० प्रतिद्वंद्विता, स्पर्धा । उपमेय-वि० [सं०] १ जिसकी उपमा दी जाय। २ वर्ण्य ।। उपराठौ-१ चिंतालु । २ चिंतित । २ देखो 'अपूठौ' । उपयंद्र-पु० [सं० उपेन्द्र] १ इन्द्र का छोटा भाई । २ वामन । (स्त्री० उपराठी)। ३ विष्णु। ४ श्रीकृष्ण । उपराध-देखो 'अपराध'। उपयम, (यांम)-पु० [सं० उपयमः] विवाह । उपरायण-क्रि०वि० १ ऊपर से । २ शीघ्रता पूर्वक । उपयुक्त-वि० [सं०] ठीक, उचित, यथायोग्य । उपराळी-पु० १ पक्ष ग्रहण । २ सहायता, मदद । उपयोग-पु० [सं०] १ व्यवहार प्रयोग । इस्तेमाल । २ अाव- | उपरावटौ-वि० (स्त्री० उपरावटी) १ गर्वोन्नत । २ अकड़ा श्यकता। ३ योग्यता । ४ लाभ, फायदा । ५ प्रयोजन । हुप्रा । ३ देखो 'अपूठौ' (स्त्री० उपरावटी)। उपयोगिता-स्त्री० [सं०] १ आवश्यकता । २ काम में आने की उपरास-क्रि०वि० ऊपर से, ऊपरी। -वि० अधिक, विशेष । योग्यता, क्षमता । ३ लाभकारिता। ४ महत्व । उपरि-वि० ऊपर का। उपयोगी-वि० [सं०] १ महत्वपूर्ण । २ काम में आने योग्य । उपरियाळ-वि० एक से एक बढ़कर। विशेष, अधिक । ३ लाभकारी । ४ अनुकूल । उपरीजणी (बौ)-क्रि० बच्चे का रोग ग्रस्त होना । उपरंच-क्रि० वि० इसके बाद, पश्चात् । उपरेचौ-पु० दरवाजे पर लगने वाला काष्ठ का डण्डा । उपरंत-देखो 'उपरांत'। उपरोक्त-वि० [सं० उपर्युक्त] जो ऊपर कहा गया हो। उपर-देखो 'ऊपर'। उपरोध-पु० [सं०] १ अवरोध, अटकाव । २ रुकावट । उपरक्षरण, (रच्छण)-[सं० उपरक्षा] १ चौकी, पहरा । २ सेना पाच्छादन, ढक्कन । ४ प्राड । ५ प्राज्ञा, आदेश । की चदाई। उपलंगी-पृ० [सं०] पर्वत, पहाड़। उपरति-स्त्री० [सं० उपरनि: १ विषय से वैराग्य, विरति । उपल-पृ० [सं०] १ पत्थर । २ ग्रोला। ३ रत्न । ४ बाल । २ उदागीनता । ३ मृत्यु, मौत । ४ त्याग, निवति । ५ घास विशेष । ६ चट्टान । ५ संभोग से प्रगचि। उपलक्ष-पु० [सं०] १ चिह्न, संकेत । २ उद्देश्य, कारण । उपरम-पू० [सं० उपरमः] १ अदृश्यता, विलीनीकरण । ३ दृष्टि । ४ खूशी। २ विरति, वैराग्य । ३ मृत्यु । उपलक्षित-वि० [सं०] १ चिह्नित, लक्षित । २ सूचित । उपरमरणौ (बौ)-क्रि० विनीन होना, अन्तर्धान होना। उपलब्ध-वि० [सं०] १ प्राप्त । २ जाना हुआ। उपलब्धि (ब्धी)-स्त्री० [सं] १ प्राप्ति । २ वृद्धि । ३ ज्ञान । उपरमाड़ (वाड़ी)-क्रि० वि० ऊपर ही ऊपर | -स्त्री० महा ४ अनुभव। जनी गणित को एक प्रक्रिया । उपलेप-पु. १ मरहम, लेपन । २ लीपा-पोती। ३ लेपन करने उपरमाडौ-देखो उपरवाडौ' । की वस्तु । उपरलियां (ल्यां)--देखो 'मावलियां' । उपलेषण (न)-पु० [सं] लेपन का कार्य । उपरवाडी, उपरताडौ-पू० [सं० उपरि-वाट] १हिसाब या गुणन उपलो-वि० (स्त्री० उपली) ऊपर का, ऊपरी । -पू० जलाने की एक विधि विशेष । २ ऊपर का मार्ग : ३ गुप्त मार्ग।" का कडा, उपला। मूक्ष्म मागं । ४ पिछवाड़े या बगल का वह स्थान उपव-देखो 'उपमेय'। जहां से अनुचित रूप से आना-जाना हो । उपवन-पु. [सं०] १ बाग, बगीचा । २ छोटा जंगल । उपरवार-पु० नदी किनारे की भूमि। बांगर जमीन । ३ कृत्रिम बन। उपरस-१० [सं०] गंधक ग्रादि पदार्थ । उपवरतन, (नी)-देखो 'उपबरतन' । उपरांठ (रांठउ,रांठियौ राठौ) -देखो' गाठौ' । (स्त्री० उपरांठी)।। उपवसत -देवो 'उपबसथ' । उपरांत (ति ती)-क्रि०वि० १ तदनन्तर, बाद में । २ ऊपर से। उपवास-पु० [सं०] वत, लंघन । अनशन । ३ फिर। | उपवासी-वि० उपवास करने वाला, प्रता। For Private And Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपवाहा • उपाव उपवाह्य-देखो उपचाह्य' । ३ पुरस्कार । ४ सम्मान । ५ सामग्री। ६ गीत । ७ नृत्य । उपविद्या-स्त्री० [सं०] शिल्प कला । शिल्ल । ८ मेहमानों में बांटा हुआ भोजन । ९ बलि पशु । उपविस-पु० [सं० उपविषः] १ हल्का विष । २. धतूरा । उपहारीभूत-पुख्यौ० भेंट, उपहार । ३ अफीम । ४ कुचेला । उपहास-पु० [सं०] १ परिहास, हंसी । २ मजाक, मखौल । उपविस्ट-वि० [सं० उपविष्ट] बैठा हुअा, पासीन । ३ निन्दा, आलोचना। उपवोत-पृ० यज्ञोपवीत, जनेऊ । -उतार-पु० तलवार का | उपद् वर-प० [सं० उपहर] एकान्त स्थान । एक प्रहार । उपांग-पु० [सं०] अवयव, अंग। उपवेद-पु० [सं०] वेदों से निकले हुए शास्त्र । धनुर्वेद, गंधर्ववेद, उपांन, (नत, नह)-पु० [सं० उपानह] जूता, जूती। आयुर्वेद तथा स्थापत्य । उपांपळी-वि० (स्त्री उपांपळी) १ उत्पाती। २ नटखट, चंचल । उपसंरपान-पु० १ अधोवस्त्र । २ साड़ी के नीचे का वस्त्र। ३ व्यग्र, चितित । उपसंपादक-पु० [सं०] सहायक संपादक । उपाइक-वि० उत्पन्न करने वाला । २ यत्न करने वाला। उपसंहार-पु०सं०१ समाप्ति, पूर्णता । २ नाश । ३ निष्कर्ष । | उपाई, उपाउ (ऊ) देखो 'उपाय' । ४ शेष प्रश। ५ किसी लेख या पुस्तक का अंतिम अंश । उपाड़-देखो 'ऊपाउ'।। उपसरपी (बौ)-क्रि० १ फुलना । २ उभरना । उपाडपो (बौ), उपाडिणौ (बौ)-क्रि० १ उठाना । २ उखाड़ना, उपसप्थिरिण-देखो 'उसरपिणी' । , उन्मूलन करना । ३ खर्च, व्यय करना । ४ अधिकार में उपराम-गु० [सं० उपशम] १ इन्द्रिय निग्रह । २ शांति । करना। ५ बोझ उठाना । ६. भड़काना । बल पूर्वक आगे ३ क्षमा। ४ प्रतिकार । ५ सत्त गत कमों का उदय बिल्कुल बढ़ाना, झोंकना। कक जाने पर होने वाली अात्मशुद्धि । ६ आवेश का पाखिला जोपीला। समन (जैन)। उपाडो-पु. १ खर्चा, व्यय । २ बोझा, वजन । ३ झड़ बेरी के उपसमरण (न)-पु० इन्द्रिय निग्रह की क्रिया । दमन । निवारण । डंठलों का समूह। उपसय-पु० [सं० उपाय ] निदान । उपारणी-पु० [सं० उत्पन्न प्राय । उपसरत-ए० स० उपसर्ग| १ किमी शब्द के आगे लगने वाला उपारणौ (बौ)-क्रि० १ उत्पन्न करना, पैदा करना । २ उपार्जन अव्यय शब्द । २ एक रोग। ३ उत्पात, उपद्रव । ४ दैविक - करना । ३ रचना, बनाना। प्रकोप । ५ विघ्न । ६ कष्ट । ७ साधना में डाला जाने वाला विघ्न । ८ शुभाशुभ सूचक चिह्न । ९ साधना में मग्न उपादान-पु० [सं० उपादन] १ प्राप्ति । २ ग्रहण । ३ स्वीकार । व्यक्ति को साधना से विचलित करने के उपाय (जैन)। ४ अपने अपने विषयों की ओर इन्द्रियों का गमन । ५ कारण। उपसरजन-पु०[सं० उपसर्जन] १ ढलाई । २ उडेलना। ३ उपद्रव । उपाध, उपाधि-स्त्री० [सं० उपाधि:] १ उपद्रव । २ अन्याय, ४ दैविक उत्पात । ५ त्याग । ६ गौण वस्तु। छल, कपट । ३ युद्ध । ४ विघ्न, वाधा । ५ पदवी, खिताघ । उपसरपरण-पु० [सं० उपसर्पण १ उपासना । २ अनुवृत्ति । ६उपनाम । उपसरी-पु० सहायता, मदद। उपाय-पु० [सं० उपानह] १ युक्ति, तदबीर । २ इलाज । उपप्तास-पु० [सं० उपश्वास] निःश्वास । प्रह। ३ व्यवस्था । ४ नीति । ५ उपचार । ६ प्रयत्न । ७ साधन । उपस्त्री-स्त्री० [सं०] रखैल । . ८ निकट पहुंचने की क्रिया । ९ मार्ग, रास्ता। उपस्थ-पु० [सं० उपस्थः] १ मध्य या नीचे का भाग । २ पुरुष उपायरण-वि० चार । -स्त्री० [सं० उपायनम्] १ मान्यता, प्रण, चिह्न लिंग। [सं० उपस्थम् ] ३ स्त्री चिह्न, योनि । प्रतिज्ञा । २ निकट पहुंचना, शिष्यबनना । उपस्थळ-पु० [सं० उपस्थल] चूतड़, चूल्हा ।। उपायन-पु० [सं० उपायनम्] १ उपहार, भेंट । २ मान्यता । उपस्थित-बि [सं०] १ हाजर, मौजूद । २ वर्तमान, विद्यमान । ३ प्रण, प्रतिज्ञा । ४ निकट पहुंचना । ५ शिष्य बनना । ३ निकट बैठा हुअा। उजारजन (न)-पु० [सं० उपार्जन] १ कमाई, अामदनी, उपस्थिति-स्त्री० [सं०] १ हाजरी । २ मौजूदगी। अर्जन । २ लाभ, नफा । ३ एकत्रीकरण, संचय । उपहा--वि० सं०] १ नाट, बरबाद । २ बिगड़ा हना।। उपालभ, (न)-पु० [सं० उपालंभ] उलाहना, शिकायत, निद्रा। ३ क्षत-विक्षत । ४ निर्बल। उपाळी-वि. (स्त्री० उपाळी) १ नंगे पैर । २ पैदल । उपहार-T० [सं०] १ भेंट, नजराना दक्षिणा । २ दान । उपाव-पु० १ उत्पात, बखेड़ा, उपद्रव । २ देखो ‘उपाय' । For Private And Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पावर ० पूजा, उपासना करने वाला । करने वाला । www.kobatirth.org उपावर - वि० उत्पन्न करने वाला । उपावली (श्री) देखो उपारो (बी) उपासंग - पु० तर्कश । उपास- देखो 'उपवास' । उपासक - वि० उपासन सेवाशुश्रूषा २ धाराधना [वि० उपासना उबटणी (बी) - ०१ शरीर पर सुगंधित द्रव्य मलना, - पु० । । मालिश करना। २ रंग उड़ना । ३ उत्पन्न होना । ४ कसैला होना । उपासला (ना) - स्त्री० [सं० उपासना ] १ पूजा, आराधना । २ सेवा परिचर्या । ३ ध्यान । उबरण (न) - पु० [सं० उदुम्बर ] गूलर का बृक्ष या फल । उपासणी (बौ) - क्रि० उपासना करना । श्राराधना करना। उबरांगणौ (बौ) - क्रि० शस्त्र, लाठी, हाथ प्रादि प्रहार के लिए उठाना । उबरांखो-देखो 'वी' (स्वी० उबरांगी) | | उयरेड़ी (रेली) ० १ वर्षा के उपरांत बादलों की छंटनी २ वर्षा के बाद होने वाला कुछ कुछ सूखापन । उबरी-देखो 'अमीर'। उबळरणौ (बौ) - क्रि० खौलना । उफनना । पानी में उबल ( १४९ ) सेवा करना । उपासरी- पु० [सं०] उपाश्रय] जैन यतियों का निवास स्थान उपासी (क) उपासु (1) वि० उपासक 1 उपास्य - वि० [सं०] १ उपासक या पूजा करने योग्य । २ श्राराध्य, सेव्य । ३ पूजनीय । उपय-देखो 'उपासरी' | - उपाही- पु० उपालंभ | उपि पु० [सं०] उपेन्द्र ] ईश्वर । उपियळगाह - पु० गाथा छंद का एक भेद । उठो देखो 'अपूठी' (स्त्री० उपूठी ) । उपेंद्रवज्रा -५० एक वर्ण वृत्त । उपेक्षरण - पु० [सं०] १ विरक्ति का भाव । २ किनारा । ३: खिंचाव ४ तिरस्कार | ! उपेक्षित वि० [सं०] तिरस्कृत । निदित । त्यक्त । उपेट, उपेत- वि० सहित युक्त । एकत्रित । उपेक्षा स्त्री० [सं०] १ अवहेलना, लापरवाही । २ श्रसम्मान | ३ प्रस्वीकृति । ४ त्याग | ५ विरक्ति, उदासीनता । ३ तिरस्कार | उप्पारणी (बौ) -- देखो 'उपाड़गो' (बी) । उप्रवट, (वाट) - वि० अधिक, विशेष । उपोदघात - पु० [सं० उपोद्घात] प्रस्तावना, भूमिका । प्रारम्भ । उपरि-देखो 'ऊपर' । उफ अव्य० [अ०] अफसोस सूचक ध्वनि । ग्रह । उरी (वी) देखो 'रण' (दो) । उफांण, (न) - पु० १ उबाल । उफान २ जोश । ३ क्रोध । ४ आडम्बर । ५ फेन । उफारवां- वि० [० बड़ा दिखने वाला । उकारी 1-पु० ग्रहंकार । उबंध- देखो 'ऊबंध' । उवंबर (बरो) देखो 'वर' उब करण, (a) उबक्करणौ (बी) - देखो 'ऊबकरणौ' (बी) । उबड़ खाबड़ - वि० ऊंचा - तीचा, विषम । श्रसमतल । उपहार स्वी० उबकाई मिचली, यमन उबडियो देखो 'ऊबडियो' उबट - देखो 'ऊबट' | उबटर, ( टन, टौ ) - पु० [सं० उद्वर्तन] १ शरीर पर मलने का सुगंधित लेपनः । २ मालिश । बांदरी देवी 'ब' उबाई स्त्री० जंभाई । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर पकना । उबांगो (ब) - १ प्रहार के निमित्त उठाना । २ खड़ा रखना, करना । बांगो (हण) - वि० ( स्त्री० उबांरगी हुए । २ नंगे पैर । ३ नग्न । तलवार लिये । उब एक स्त्री० वमन, कै 1 उबाड़ स्त्री० चीर-फाड़ दरार । उबादि-देखो 'उबा' । उबासी ) For Private And Personal Use Only १ बिना जूते पहने क्रि० वि० ४ नंगी उबार पु० [सं० उद्धारण] १ छुटकारा, उद्धार, निस्तार । २ रक्षा, बचाव | उदारक (सी), उबारत (सी) वि० उबारने वाला, बचाने वाला, रक्षक | उबारणौ (बौ) - क्रि० उबारना, तारना, बवाना करना । शेष रखना । उन्मुक्त करना, छोड़ना । उबारु वि० १ रक्षक । २ बचाने वाला, हिफाजत करने वाला । उबारौ - पु०१ बचा हुआ सामान। २ रक्षा, सहायता । बचाव । उबाळ - पु० उफान, जोश । । रक्षा उबाळगो (बौ) - क्रि० १ ताप देकर खौलाना । १ उबालकर पकाना । ३ जोश दिलाना । ४ पसीजना । उबासी (बी) - ० जंभाई लेना, उबासी लेना । उबासी - स्त्री० जंभाई । Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपाहसी उमास उबाहरणौ (बौ)-कि० प्रहार हेतु उठाना । उलीचना । २ जोश । ३ ग्रानन्द, उल्लास । ४ अभिलाषा, इच्छा । उभारना। ५ एक डिंगल गीत। उधेड़-पु० को के पानी का उठाव । गहराई । उमंगणी (बौ)-क्रि० १ उत्साहित होना, सुखद मनो भाव जागृत उबेड़णी (बौ)-क्रि० १ उन्मूलन करना, उखाड़ना । २ टांके होना । २ जोश आना । ३ आनन्दित होना । ४ अभिलाषा खोलना । ३तोडना । ४ चीरना। या इच्छा करना। ५ उमड़ना, ऊपर उठना । ६ प्रावेश युक्त उबेड़ा-देखो 'ऊबड़ौ'। होना । ७ छा जाना, आच्छादित होना । ८ बढ़ना। उबेधौ-वि० उदण्ड । दुष्ट । उत्पाती । असुर । उमंडणी (बौ)-क्रि०अ० १ उमड़ना, ऊपर उठना । २ अावेश उखेत लण)-देखो 'ऊबेळ' (ल)। में आना । ३ बढ़ना । ४ खौलना । ५ छाना, पाच्छादित उबेल्टरगौ (बौ)-क्रि० १ रस्सी की ऐंठन खोलना । २ सीमा होना । ६ दान देना। रहित करना। उमंत (त्त)-१ देखो 'उनमत्त' । २ देखो 'उमत' । उबेलगो (बी)-कि० महायता, मदद करना । रक्षा करना। उमंदा-देखो 'उमदा'। बचाना। उमग-देखो 'उमग्ग। उबेळू-देखो 'ऊबेळ' । उमगणौ (बौ), उमगारणौ (बौ)-देखो 'उमंगरणी' (बी) । उब-देनो 'अभय'। उमग्ग-बिना मार्ग. उवट । उबैलौ-देखो ऊबेल'। उमड़ (रण)-पृ० १ बाढ, बढ़ाव । २ भराव । ३ घेराव, धावा । उन्बटणी (बौ)-देखो 'उबट गौ (बी) । ४ उठान । उन्म-देखो 'ऊमी'। उमड़ली (बी), उमटणी (बौ)-कि० १ जोर से बढ़ना, बढ़कर उन्म-देखो 'उभय'। पाना । २ऊपर उठना । ३ छाना, पाच्छादित होना । उमई-देखो 'उभय'। ४ फैलना । ५ घरना। ६ अावेश में माना। उभड़गी (बी)-किन उभरना । ऊंचा उठना । बहकना। | उन्नरग दूमरणो-देखो 'ऊमगमगी'। (स्त्री० उमरण दुमगी) भड़कना। उमत '.. [अ० उम्मन] १ धर्म विशेष के अनुयायी । २ देखो उभमत-पु० विचित्र, अद्भुत । उनमत । उभय-वि० [सं. दो, दोनों। -वादी-वि०द्विपक्षी। स्वर उमदा वि० [फा० उम्दा] १ श्रेष्ठ, उनम, बलिया । २ अच्छी ताल दोनों का बोध कराने वाला। -विपुला-स्त्री० आर्या । जाति का । -पृ० ऊंट । छद का एक भेद। उमया-देखो 'उमा' । -- ईस्ट वर-पु० शिव । उपरांग, (रांगो)-देखो 'उबाणौ' । (स्त्री० उभरांणी)। उमर-स्त्री० [अ० उम्र] १ अवस्था, वय, आयु । २ एक प्रकार उभांखरियो, उभांखरौ-वि० (स्त्री० उभांखरी) १ भ्रमणशील । का वृक्ष । २ योद्धा, वीर। उमराव, उमरौ-देखो 'अमराव' । उभारणौ-देखो 'उबांणी'। (स्त्री० उभाणी)। उमस-स्त्री० उष्णता, गर्मी । अत्यधिक गर्मी । २ वर्षा सूचक उभांबरौ-देखो ऊबांबरौ' । गर्मी। उभाड़, उभार-पु० [सं० उद्भिदन] १ उठान, ऊंचाई । । उमा--स्त्री० [सं०] १ पार्वती, देवी, दुर्गा । २ कान्ति, दीप्ति । २ अोज । ३ विकास । ४ जोश । -दार-वि० उभरा ३ कीर्ति । ४ शांति । ५ रात्रि । ६ हल्दी । ७ अलसी। - कंवर, कुमार-पु० कातिकेय । गणेश । --गुरु-पु० हुप्रा। हिमाचल। -धव, पत, पति-पृ० शिव । उभारणौ (बौ)-क्रि० १ ऊपर उठाना, ऊंचा करना । २ प्रगट उमाज-पृ० उनमाद। करना । ३ स्पष्ट करना । ४ विकसित, करना । ५ उठाये उमादे-पु० राजस्थानी लोक गीत । रखना । ६ प्रहार हेतु शस्त्र उठाना । ७ उकसाना, उत्तेजित उमायो-वि० (स्त्री० उमायो) उमंगित । करना । ८ मूछ पर हाथ रखना, ताव देना । ९ बचाना, उमाव (डौ), उमावी-पु० १ उत्साह, उमंग । २ उत्कण्ठा । रक्षा करना। ३ अभिन्नापा । ४ याद, स्मरण । -वि० उत्कंठित । उभीकील-स्त्री० सीधी जड़ । मुसला जड़ । उत्साहित । उत्सुक । उभे, उभ्भय. उम्भ-देखो 'उभय' । उमावरणौ (बी)-देखो 'उमाहगौ' (नौ) । उपंग-स्त्री. १ चित का उभाड़, मुखद मनोवेग, उत्साह । | उनास-स्त्री०१ उमंग । २ उमस । For Private And Personal Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उमाह ( १५१ ) उरमला उमाह, (हउ)-देखो 'उमाव' । उरज-पु. [सं० ऊर्ज] १ कात्तिक मास । २ देखो 'उरोज'। उमाहड़ (हड़ौ)-देखो 'उमाव' । उरजस-पु० [सं० ऊर्जस्] १ अवसर, मौका । २ सामर्थ्य । उमाहणौ (बी) उमाहिणी (बौ)-क्रि० १ उत्साहित होना, -वि० समर्थ शक्तिशाली। उमंगित होना । २ हर्षित होना, प्रसन्न होना। ३ आवेश | उरण-पु० [सं० उरणः] १ भेड़, मेष । २ बादल । ३ भेड़ की में पाना, जोश में पाना । ४ कटिबद्ध होना । ५ उत्कट ऊन । ४ एक दैत्य जिसे इन्द्र ने मारा था। ५ यूरेनस-ग्रह । इच्छा करना । ६ उमंगित होना। ___-वि० [सं० उऋण ऋणमुक्त । उमाहौ-देखो 'उमावौ'। उरणियौ-पु० भेड़ का बच्चा । मेमना । उमिया-स्त्री० उमा । -पत, पति, वर-पु. शिव । उरतल-पु० [सं०] १ वक्षस्थल के नीचे का भाग । २ स्तन । उमिरायत-देखो 'अमीरायत' । उरदी-देखो 'उड़दी'। उमीर-देखो 'अमीर'। उरदुत-पु० स्तन । उमीरी-देखो 'अमीरी'। उरद्ध-वि० [सं० ऊर्ध्व] १ उन्नत, ऊंचा । २ उल्टा, विपरीत । उमेद-स्त्री० [फा० उम्मीद] १ ग्राशा, भरोसा । २ आश्रय । ३ उठा हुअा, उभरा हुअा । ४ खड़ा हुआ, सीधा । ५ टूटा ३ एक प्रकार का घोड़ा । -वार-पु० अाशार्थी ।। हुा । -पु० आकाश । -क्रि० वि० ऊपर, ऊपर की ओर । परीक्षार्थी । रंग विशेष का घोड़ा। -लोक-पु० देवलोक, स्वर्ग । उभेलरणौ (बौ)-क्रि० [सं० उन्मेलनम् ] उठाना । उरद्धर-पु० हृदय, दिल । उमेस-पु० [सं० उमा+ईश] १ शिव, महादेव । २ गर्व, घमंड। उरध-देखो 'उरद्ध' । उदा-देखो 'उमदा'। उरधनोक-पु. अट्टालिका । अटारी । उम्मया-देखो 'उमा'। उरधगत (गति)-स्त्री० १ ऊर्ध्व गति । २ स्वर्ग । -वि० ऊंचा । उम्मो-स्त्री० रोहं या 'जौ' की बाली। उरर्धापड-पु० इन्द्र। उम्मीद, उम्मेद-देखो 'उमेद' । -वार- उमेदवार'। उरधबाहू-देखो 'ऊरधबाहु' । उम्हारणी (बौ)- देखो 'उमाहगौ' (बी)। उरधमूळ-पु० शिर। उयइ- म० उम। उरलिंग-पु. शिव । उयबर--पु० तकिया। उरधसास-पु. ऊर्ध्व श्वास, उल्टी श्वास । उयां- सर्व० उन, उन्होंने । उरध्यांनी-पु० ऋषि । ज्य-सर्व० इस । उरन-१ देखो 'उरण' । २ देखो उरिण' । उरंग, (गम)-पु० [सं० उरग] सर्प, सांप । उरनेम-स्त्री० सती। उर-पु० [सं० उरस्] १ हृदय । २ मन । ३ वक्षःस्थल, छाती। उरनौ-पु० भेड़ का बच्चा (मेवात)। ४ स्तन, कुच । [सं० उरः] ५ भेड़ । उरप-पु० एक प्रकार का नृत्य । उरग-पु० [सं०] सर्प, सांप । --परि-पु० गरुड़ । उरबरा-स्त्री० [सं० उर्वरा] १ उपजाऊ भूमि । २ पृथ्वी। उरगाद-पु० गरुड़। ३ एक अप्सरा । उरगाधोप-पु० शेषनाग । उरबळ (ळ्ळ)-पु० १ साहस । २ शौर्ष । बहादुरी। उरड़ (डौ)-स्त्री० १ युद्ध, लड़ाई। २ आक्रमण, हमला। उरबसी (ब्बती)-स्त्री० [सं० उर्वशी] १ एक अप्सरा का नाम ३ माहम, पराक्रम । ४ जोश, आवेश । ५ उमंग । ६ जबर २ अप्सरा । दस्ती । ७ निकिता । ८ ध्वनि विशेष । ९ उत्कंठा । उरबाणी. (भांगो)-देखो 'उबांगौ' (स्त्री० उरवांगी)। १० शक्ति, बल । ---उरड़-क्रि०वि०-धींगामस्ती से । । उरबी (ब्धिय)-देखो 'उरबो' । -वि• अधिक, बहुत । उरमंड ग, (मंडन मांडग)-पु० स्तन, उरोग । उरडणी (बी)-क्रि० १ अागे बढ़ना । २ जोश में प्राना। माहस करना । ४ लड़ाई या अाक्रमण करना । ५ उत्सा- म हित होना । बलात् धंसना । उरमळ -पु० अज्ञान । उरडो-पु. जबरदस्ती धमने का भाव । -वि० जबरदस्ती धंसने उरमला, (मिला)-स्त्री० [सं० उमिला लक्ष्मण की पत्नी का नाम । For Private And Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उरमो ( १५२ ) उलच उरमो-देखो 'ऊरमी'। --माळ, माळा, माळी-देखो'ऊरमीमाळ'। | उरासेव-पु० बंधन, पाश । उरमउ (ळो)-वि० (स्त्री० उरळी) १ उदार । २ विशाल, उराह-पु० [सं०] काली पिंडलियों वाला श्वेत घोड़ा । विस्तीर्ण । ३ हल्का, शांत । उराही-पु० बंधन। उरि (री)-१ देखो 'उर' । २ देखो 'भरि'। उरलारण उरळाई-स्त्री० १ अधिकता । २ विस्तीर्णता ।। उरिण (न)-वि० [सं० उ ऋण] १ ऋण मुक्त, एहसान मुक्त । ३ खुला मैदान । -स्त्री० ४ अवकाश, फुर्सत । ५ मुविधा। २ जिम्मेदारी से मुक्त। ५ विस्तार चौड़ाई। उरिया-क्रि०वि०१ इधर, इस प्रोर । २ पास, नजदीक । उरले-परले-क्रि०वि० इधर-उधर । इस अोर से उस प्रोर। उरीस-देखो 'उरस'। उरळी-वि० (स्त्री० उरळी) १ चौड़ा, विस्तृत । २ खुला । उरु-वि० [सं०] १ विस्तृत, बड़ा । चौड़ा । २ देखो 'ऊरू' । ३ हल्का । ४ भार मुक्त। उरुद्धि, (ध)-पु. १ वक्षस्थल, छाती । २ हृदय । --वि० ऊंचा, उरलो-क्रि० वि० (स्त्री० उरली) नजदीक, पास, निकट । इधर ऊपर, उर्ध्व । नजदीक का, इधर का। उरुस्तंभ-पु० एक रोग विशेष । उरवड़ (बड़)-पु. १ ध्वनि, कोलाहल । २ पशु समूह की तेज उरू-देखो 'ऊर। चाल की ध्वनि । ३ ऊपरा-ऊपरी धंसने की क्रिया । ४ एक उरे (र)-क्रि०वि० इस ओर, इधर । साथ लगने की क्रिया । ५ आक्रमण । -वि० सन्नद्ध, उरेडणौ (बौ)-क्रि० ढकेलना, धक्का देना। तयार। उरेडो-देखो 'ऊरड़ो। उरवसियो-पु० प्रेमी, पाशिक, प्यारा। उरेब (रंब)-पु० [सं० उर] हृदय । -वि० [फा०] १ टेढ़ा, उरवसी-देखो 'उरबसी'। तिरछा । २ धूर्ततापूर्ण । उरवाणी-देखो 'उबांणो' । उरोड़ो-देखो 'ऊरेड़ो'। उरवार-पु० प्राकाश का मध्य भाग। उरोज-पु० [सं०] स्तन, कुच । उरवार-पारु-क्रि० वि० आर-पार । उरोही, उरौ-वि० (स्त्री० उरी) १ यहां । इधर । २ वापस । उरवि-स्त्री० [सं० उवीं] भूमि, पृथ्वी । -ईस, ईस्वर, धव, पति । ३ नजदीक पास। -पु. राजा नृप। उलंगरणी (बौ) उलंघरणी (बौ)-क्रि० १ लांघना, फांदना। उरविज-पु० [सं० उर्वीज] मंगल ग्रह । २ उल्लंघन करना । ३ यशगान करना । ४ गीत गाना। उरवी-स्त्री० भूमि । -जा-स्त्री० सीता। उलंडरणौ (बौ)-क्रि० १ त्यागना, छोड़ना । २ उल्लंघन करना। उरवड़णी (बी)-१ एक साथ भागना । २ ऊपरा-ऊपरी घसना, उलंदे-क्रि०वि० इस तरफ । घसना । ३ शीघ्र चलना । ४ अाक्रमण करना । उलंभो-देखो 'पोळ भौ'। ५ तड़फड़ाना। उलक-१ देखो 'उलूक' । २ देखो 'उल्का' । -पातः='उल्कापात'। उरस-पु० [सं० उरस्] १ आकाश । २ स्वर्ग । ३ वक्षस्थल, | उलका-देखो 'उल्का' । -पात='उल्कापात' । -पाती छाती। ४ हृदय, मन । [अ० उर्स] ५ मुसलमान पीरों का ___'उल्कापाती'। मेला या उत्सव । ६ मरण तिथि पर होने वाला उत्सव । (मुसलमान) ७किसी की मरगा तिथि पर दिया जाने उळखणी (बो)-देखो 'पोळखगो' (बी)। वाला भोजन । (मुसलमान) -थळ, थळी, स्थळ, स्थळ- उळखाणो (बो)उळखावरणी (मवरणो(बो)-देखो'पोळखाए पु० सीना, छाती । स्तन, कुच।। उलग (गई, गई)-स्त्री०१ सेवा, चाकरी । २ कीतिगान । उरहाणी-पु० १ उलाहना, उपालंभ । २ देखो 'उबाणी' । । ३ परदेश, विदेश । -क्रि०वि० इधर । उळगरणी (बी)-क्रि०१ गायन करना, गाना । २ यशगान उरहौ-देखो 'उरौ' । (स्त्री० उरही) करना । ३ वंशावली पढ़ना । उराणो-देखो 'उबांणो' । (स्त्री० उरांणी) उलगांणी-वि० प्रवासी प्रीतम । उरा-क्रि०वि० इधर, इस पोर । -वि० थोड़ा, अल्प। उलगि, (गो)-पु० १ विदेश, परदेश । २ एकान्त । -स्त्री०पृथ्वी। | उलड़णौ (बी)-क्रि० उमड़ना, उलटना । उराट, उराळ-पु० हृदय, छाती, सीना। • उलच-पु० [सं० उल्लोचः] बितान, चंदोवा । For Private And Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उळच पौ www.kobatirth.org उळचरणौ (बौ) - देखो 'उळी चरणौ ' ( बौ) । उरण (वी) देतो 'उभरी' (वी)। उळजारणी (बौ) - देखो 'उभारणी' (वा) । उरण (न) - स्त्री० १ बाधा, रुकावट । २ समस्या । ३ गांठ | ४ फंसाव ५ चिता । ६ झगड़ा । उळझरणी (ब) - क्रि० १ फंसना, अटकना । २ रुकना । ३ बाधा में पड़ना । ४ लपेट में थाना । ५ व्यस्त होना । ६ लड़ाई, तकरार होना । ७ कठिनाई में पड़ना । ८ प्रेम में फंसना । ९ समस्या पड़ना । उड़देव भा ( १५३ ) - उरण (ब)- क्रि० १ नीचे ऊपर करना । २ श्रधा या उल्टा करना । ३ बदलना, पलटना । ४ पीछे मुड़ना । ५ घुमाना । ६ उमड़ना, टूट पड़ना । ७ उफन कर आना ८ विरुद्ध होना । ९ अस्त-व्यस्त होना । १० करना । १२ औंधा गिराना । १३ करना । १५ श्राक्रमरण करना । उलट-पलट ( पालट पुलट) उलटफेर पु० १ दल-बदन २ परिवर्तन । ३ अव्यवस्था । उलटा (बौ) - क्रि० १ नीचे ऊपर कराना । २ औंधा या उल्टा कराना । ३ बदलाना, पलटाना I ४ पीछे मोड़ना । ५ लौटाना । ६ शराब को प्रौटाना । ७ विरुद्ध करना । उलटापलटी, ( पलटी) - देखो 'उलट-पलट ' । उलटी-स्त्री० ० वमन के वि० विरुद्ध विपरीत। - क्रि०वि० T वापस । उलटी खड़ी स्त्री० एक प्रकार की कसरत । उलटी - वि० (स्त्री० उलटी) १ औंधा, उल्टा । २ विपरीत । ३ पीठ की ओर का । - क्रि०वि० क्रम से । बेठिकाने । विपरीत न्याय से । कलंक, दोप 1 इतराना । इतराना ११ पमंड दोहराना । १४ वमन २ रोकना । में उलझाना । ८ प्रेम में उळवड - वि० प्रच्छन्न, गुप्त । उळझारणी (बौ) - क्रि० १ फंसाना, अटकाना | ३ बाधा में पटकना । ४ लपेटना । ५ काम ६ लड़ाई करना । ७ कठिनाई में पटकना । फंसाना । ९ समस्या में डालना । उलवरण - वि० [सं० उल्वरण] १ प्रगट । २ स्पष्ट । ३ प्रकाशित, उळझाव- पु० १ बाधा, रुकावट । २ रोशन । ४ फंसाव । ५ झगड़ा । ३ चिता उळवांगी-देखो 'उबांरणों । उलट-०१ परिवर्तन २ तब्दीली उलटने की क्रिया उससी (बी) देखो 'उत्तम' (यो) । | | समस्या । ३ गांठ | ७ चक्कर । ३ या भाव । उहांसी देखो 'उपरणों । विरुद्ध, विरुद्ध पु० उलट्टी (बी) देखीयो उळणौ (बौ) - क्रि० १ फलों का पकता । २ वृद्ध होना । ३ आंख में कच्चापन प्राता । ४ मुंह में दाग फफोले पड़ना । उलत स्त्री० अग्नि, ग्राग । उलता-त्रि लाल, अरुण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लाली उलथौ पु० अनुवाद, खुलासा । निवारण । उलथ्थिणी (बौ) - क्रि० १ उलटना, पलटना ३ भार मुक्त होना । ४ अनुवाद करना । उळबंग स्त्री० प्रजान। पुकार । उलमुक ( ख ) - पु० [सं० उल्मुख ] कोयला, खीरा, अंगारा । उलरखौ (बौ) - देखो 'श्रोलरणी (बौ ) ' । उलळणौ (बौ) - क्रि० १ कूदना, फांदना । २ ढरकना, ढलना । ३ हमला करना । ४ कमजोर, निर्बल होना । ५ कच्चा पड़ना । ६ भार का सन्तुलन बिगड़ने से उल्टा होना, झुकना । ७ हुलस कर आता ८ किमी पर अधिक झुकना । ९ बंधन होता होना उलळी- वि० ढोली । । २ उतरना । उलहौ - पु० उत्साह, उमंग । हर्ष । उलां क्रि० वि० इस तरफ · उलांगांरगउ-वि० विदेशी प्रवासी । उलांगणी, (बौ), उलांघी, (बौ) उलांडली, (बौ) - क्रि० [सं० उल्लंघनम् ] १ लांघता, फांदना । २ प्रवज्ञा करना । उतांख वि० शान्ति, पेन उलांम- देखो 'अलांम' । For Private And Personal Use Only उला - वि० १ इधर का इस ओर का नजदीक का। २ युवा । - क्रि० वि० इधर । उतालवेली वि० (स्त्रीउालती पोनोत उलाक स्त्री० वमन, कँ | उलाकरण (बौ) - क्रि० के या वमन करता । उलाट- पु० धक्का, झटका। उलारी (बौ) - क्रि० धक्का देना, झटका देना । गिरा देना । उला पैला - क्रि० ० इधर-उधर का । - क्रि० वि० इधर-उधर । उताळ-०१ भार का संतुलन २ पीछे की योजन का दबाव ( शकट ) | ३ उल्टा उताळी (बौ) क्रि० १२ टिमाना करना । ४ पीछे झुका कर खाली करना ( गाड़ी ) । ५ दूर फेंकना | फेंकना । ६ उठाना । ७ ऊंचा करना । ८ प्रहार हेतु उठाना ( शस्त्र) । ९ तेज दौड़ाना । १० उड़ाना । ११ फेंकना उछालना । Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उलाल्यौ ( १५४ ) उवाड़ उलाल्यौ-पु० चड़स या मोट के साथ बांधा जाने वाला वजन ।। उल्लसरणौ (बी)-क्रि० १ उत्साहित होना, उमंगित होना । उलावरणौ (बी)-क्रि० [सं०पलापनम्] १ पुकारना प्रावाज देना। २ उत्कंठित होना। ३ प्रफुल्लित. हर्षित होना । ४ जोश में बुलाना । २ जपना। ३ ध्वनि करना। ४ उपभोग करना । ग्राना । ५ ऊंचा उठना, ऊपर उठना । ६ चमकना, मौज करना। ५ देना । ६ कामना करना। ७ उछालना, दमकना । ७ प्रभावान होना, कांतिवान होना । ८ प्रानंदित फेंकना। होना, प्रसन्न होना । ९ वर्षा का होना, बरसना । उलास-देखो 'उल्लास'। उल्लाई-क्रि०वि० इस ओर के भी। -स्त्री० स्थान की सुविधा । उलासित-देखो ‘उल्लासित' । उल्लाळ-पु० १ एक मात्रिक छंद । २ देखो 'उलाळ' । उलाहरणौ (नौ)-पु. [प्रा० उवालहन] उपालंभ, उलाहना। उल्लाळणी (बौ)-देखो 'उलाळणी' (बी)। मानभरी शिकायत । उल्लाळी-पु० धक्का, झटका। उलिगण (गणउ, गांरणइ, गांरणउ, गांरणौ)-वि० बिदेशी, उल्लालौ-पु० एक मात्रिक छंद । परदेशी. प्रवासी। उल्लावरणौ (बौ)-देखो 'उलावरणी' (बौ)। उळियोकाचर-१ एक राजस्थानी लोक गीत । २ परिपक्व उल्लास-पू० [सं०] १ हर्ष प्रानन्द । २ चमक-दमक, पाभा ककड़ी। दीप्ति । ३ उत्साह, उमंग । ४ पालस्य । ५ ग्रंथ का एक उळी-देखो 'प्रोळी'। भाग । ६ एक पालकार । उलीग (गांरण, गारगो)-देखो 'उलिगण' । उल्लासक-वि० हर्षित । हर्ष-प्रद । उळीचरणौ (बौ)-क्रि०'१ अंजली या तगारी भर कर बाहर | उल्लू-पू० [सं० उल्क] दिन में अंधा रहने वाला एक पक्षी। फेंकना (पानी) । २ दान करना। -वि० मूर्ख, बुद्ध । उलीपैली-वि० इधर-उधर की । दोनों ओर की । ऐसी-वैसी। | उल्लेख-पू०[सं०] १ जिक्र, चर्चा, हवाला, दाखिला । २ वर्णन । उळीसुळी-वि० भली बुरी । खरी-खोटी। । ३ एक काव्यालंकार । उलुको-स्त्री० मछली। उल्हण-पु० मद्यपात्र । उलुक्क, उलूक-पु० [सं० उलूक] १ उल्लू नामक पक्षी। उल्हरणौ (बी)-देखो 'पोलरणी' (बी)। २ करणादि मुनि का एक नाम । ३ लूता के समान आकाश | उल्हवरण-वि० हर्ष-प्रद, मनोरंजक । का धूम समूह । -वि० क्रूर। उल्हसरणी (बौ)-देखो 'उल्लसणी' (वी)। उनूत-पु० अजगर जाति का सांप । उल्हास-देखो 'उल्लास' । उलेपास-क्रि०वि० इस तरफ । उवंग-देखो 'उमंग'। उलेळ-स्त्री० १ तरंग, हिलोर । २ उमंग । ३ जोश । उबंध-देखो 'उबंध' । उल-क्रि०वि० इस पोर । नजदीक । उवचरणौ (बी)-देखो 'उच्चारणौ' (बौ)। उवट-१ देखो 'अवट' । २ देखो 'उबट' । उलोचि-पु० [सं० उल्लोच] राजछत्र । उलो-देखो 'ऊलौ'। उवटण (रणौ)-देखो 'उबटन' । उवटणौ (बौ)-देखो 'उबटगो' (बौ)। उल्लंघरणी (बौ)-देखो 'उलंघर्णा' (बी)। उवरणस-देखो 'उपदेश' । उल्का-स्त्री० [सं०] १ आकाश से गिरने वाला अग्नि खण्ड । २ अग्नि, प्राग । ३ प्रकाश, रोशनी । ४ मशाल, चिराग । | उवर, (रि रो)-पु० [सं० उर हृदय, उर । -क्रि०वि० ऊपर । ५ दीपक । -पात-० आकाश से टूट कर अग्नि खण्ड । -वि० १ ऊंचा । २ दूसरा, अपर । गिरने की क्रिया। -मुख-पु. शिव । गीदड़, प्रेत । उवलखरगौ (बौ)-देखो 'ग्रोळखगो' (बी)। उल्टी-देखो 'उलटी'। उवसग्ग-देखो 'उपसरग'। उल्लट-पु० हर्ष, प्रसन्नता। उबह-सर्व० बह । उसे । --पु० [सं० उदधि] समुद्र, सागर । उल्लटरपो (बी)-देखो 'उलटगो' (बी)। उवां-सर्व० उन्होंने, उन, उसी, उस, उन्हीं, वह । उल्लस-देखो ‘उल्लास'। -क्रि०वि० वहां। उल्लसण (न)-स्त्री० प्रानन्द, हर्ष प्रादि की क्रिया या भाव। उवारणी (बी)-देखो 'वारगो' (बौ)। रोमांच। उवाड़-पु०१ पद-चिह्न। २ विचार । For Private And Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उवाड़ो उवाड़ी - पु० २ देखो 'अवाडी' । [सं० ऊधस] १ गाय, भैंस आदि का ऐन उसाड़ी- देखो 'उवाड़ी' । उबारा ५० या वर उवारस (बी) देखो 'वारी' (बौ उबारसी स्त्री० ० सहायता मदद - वि० मददगार । उवारी - वि० १ रहित, वंचित २ देखो 'उबारों' । उवासी- देखो 'उबासी' । उवे सर्व० वे, उन, उस । उसने । वेली (बी) देखो'' (दो)। उवेलौ- 1-पु० १ विलंब । २ देखो 'ऊबेळ' । उवै सर्व० ० १ वह दे । २ उस उन । 1 , www.kobatirth.org उनौ गर्व० वह उम । १ 1 उस - सर्व ० १ वह का विभक्ति रूप । २ देखो 'ऊस' । उसी दि० (स्त्री० उगा ऐसा २ देखो 'इस'। उसरण (न) वि० [ उपल] प्रागम स्त्री०ग्रीष्म ऋतु । उसतरी- देखो 'स्त्री' । • उसन- देखो 'उस्ण' | उसनरसम ० [सं० उ-रश्मि ] सूर्य । उसना - पु० [सं० उशनस् ] १ शुक्र ग्रह । २ शुक्राचार्य | उस देवो''। ( १५५ ) उसतरौ पु० बाल साफ करने का उपकररण उस्तरा । उसताज, उसताब- पु० १ युद्ध लड़ाई । २ उस्ताद, गुरु । - वि० ० १ दक्ष, चतुर । २ चालाक, धूर्त । उसध - देखो 'ध' । उसम पु० [सं० प] ऋषभ। उसर - पु० [सं० औप्सरस] १ नाच नृत्य । २ देखो 'ऊसर' । ३ देखो 'असुर' | 15 उसरण (बी) कि० १ गर्म पानी में पकता । २ वर्षा का होना । ३ कुऐ के पानी में उतरना (बर्तन) । ४ बटोरना, एकत्र करना । ५ निकालना । ६ पीछे रवाना होना, जाना । ७ हटना, टलना ८ बीतना, गुजरना । ९ श्राक्रमण करना । १० भूलना । ११ फैलना, व्यापना | उसरांग ( यरण ) - देखो 'असुर' । उस (रु) देश धर उसवास पु० [सं० उच्छवास ] उच्छवास, उसास । उस (बी) देउसी' (श्री) । उसरणी (बौ) - क्रि० उठाना, ऊंचा करना । 'उसांस देखो 'उमास' । उसा स्त्री० [सं० उम्रा ] १ गाय २ तड़का भोर [सं०] ३ बाणासुर की पुत्री का नाम । - पति-पु० अनिरुद्ध कामदेव | काळ- पु० ● प्रतिःकाल | उसारणी (बी) - क्रि० १ गर्म पानी में पकाना । २ कुठे में उतारना, पानी में उतारना ( पात्र ) । ३ बटोरना एकत्र करना । ४ निकालना ( चक्की में से चुन ) । ५ पीछे रवाना करना, भेजना । ६ हटाना, टालना । ७ कुए से पात्र द्वारा पानी निकालना ८ आक्रमण कराना । उसास उसासौ-पु० [सं० उच्छवास ] १ लंबी सांस, निश्वास | २ उच्छवास ग्रह । ३ ठंडी सांस । ४ श्वास । उसोनर १० [सं० उत्तीर] मिवि का पिता एक राजा । २ गांधार देश । ३ इस देश का निवासी । उसीर ( क ) - पु० [सं० उशीर] गांडरनामक घास, खसखस । उसीली- पू० वसीला, सहायता, मदद जरिया । उसीस (सौ) - पु० [सं० उत्शीर्ष या उपशीर्ष ] तकिया । चौकि० देवता के निमित्त संकल्प पूर्वक कुछ वस्तु रखना । उसूल - पु० सिद्धान्त । उस्ट पु० [सं० उष्ट्र]] ऊंट शासन पु० पौरामी पासनों में से । । एक प्री- पु० भगंदर रोग [गी- पु० एक प्रकार का घोड़ा । उरुण वि० [सं० उष्ण] १ गर्म, उत २ तेज, तीव्र । ३ फुर्तीला । ३ तीक्ष्ण । स्त्री० १ अग्नि । २ गर्मी । ३ ताप । ४ धूप ५ ग्रीष्म ऋतु । —कटिबंध- -पू० कर्क और मकर रेखाओं के बीच का भू-भाग । ता - स्त्री० गर्मी, ताप, धूप । उणां १० [० उष्मां] सूर्य रवि उरणारस्म - पु० [सं० उष्णरश्मि ] सूर्य रवि । उस्रा - स्त्री० [सं०] गाय । पु० तड़का | प्रकाश । उत्सपि उस्सविषिणो ) पु० [० उत्] चढ़ना द्वारा पूर्ण होने का समय, काल 1 उह सर्व० वह । ० १ त्याज्य । २ देखो 'उह' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उहकाळणी (बौ) - क्रि० १ उछालना, कुदाना । २ डिगाना । उदौ - देखो 'प्रोहदौ' । उहब - वि० उख For Private And Personal Use Only उहां क्रि० वि० वहां, उधर । उहा देखो 'पोहा। ३ तेज | उहास (त) - १ प्रकाश, चमक। २ विद्युत रेखा | ४ उत्साह । -हास - पु० परिहास | उहासियो - वि० उमंगित उत्साहित जोशीला | उहि उहि उ.ही (ज) उहे सर्व वही वह । उस उसी । -कि० वि० 1 J सर्व० उन्होंने । उन । उमवि०वि० [सं०] इस वर्ष इस माल 1 o Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऊ ध्वनि । पु० ब्रह्मा । ऊ-पु० [सं०] देवनागरी वर्णमाला का छठा स्वर वर्ण । ॐ सर्व० उस । वह । क्रि० बि० ऐसे -स्त्री० १ बच्चों के रोने की ॐ कार देखो 'ओंकार' । खळ (ळी) - देखो 'ऊखळ' । ऊंग - देखो 'ऊंघ' । अंगट, (ठ, ठौ) - देखो 'अंगठ' । अंगलगल' www.kobatirth.org ( १५८ ) ध्वनि । उधर । उस तरफ २ निषेधात्मक --3- ऊंगली (बी) देखी 'पी' (दो)। ऊंगौ-पु० एक प्रकार का कांटेदार घास । ऊंघ-स्त्री० तन्द्रा, नींद की झपकी । पड़, ऊंपल वि० निद्रालु तन्द्रा में रहने वाला पु० रहट पर लगने वाला एक डंडा । कंपनी - पु० ० निद्रा - वि० उनिंदा, तन्द्रायुक्त । धरणी (बो० १ नींद की भी लेना, कंपना २ नींद लेना । ३ सुस्ती से कार्य करना । ऊंचाई - स्त्री० तन्द्रा, झपकी । निद्रा । अंधाकळी-देखो 'ऊंपण'। (स्त्री० की। ऊंघाळु - वि० निद्रालु, तन्द्रा में रहने वाला । ऊंच - स्त्री० [सं० उच्च ] १ ऊंचापन, ऊंचाई । २ श्रेष्ठता । - वि० (स्त्री० ऊंची) उच्च, श्रेष्ठ, कुलीन । - परण, पणौ-पु० ऊंचाई । उच्चता । बड़प्पन | १ भाग्यशाली 1 ऊंचांत, ऊंचाई-स्त्री० १ उच्चता, ऊंचापन | २ लम्बाई ३ बड़ाई । ४ ऊपर उठी हुई भूमि । ५ गौरव । ऊंचारणी ( बौ) - क्रि० १ उठाना, उठाकर सिर पर रखना । २ ऊपर करना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | ॐ चावो, ऊ चास (सौ) ऊंचाही - १५० ऊंचाई । २ ऊंचास्थल । ३ देखो 'उच्चीसवा' । ऊंचास (सिरी) पु० [सं० उच्चाधय १ पूर्वजों का निवास स्थान । २ ऊंचा श्राश्रय । वि० उदारचित्त । वीर । श्रेष्ठ । गर्वोन्नत । ऊंचासौ-देखो 'उच्चीस्रवा' । ऊंचियांरण स्त्री० विलम्ब से ऊंची- वि० उच्च, लंबी । गर्भवती होने वाली मादा पशु । क्रि० वि० ऊपर ऊंचाई पर । -तांग- स्त्री० महत्वाकांक्षा घरा-स्त्री० महत्वाकांक्षी, उदारचित्त । । ऊंचीस्रवस देखो 'उच्चीस्रवा' । पीवाह पु०पी० [सं० उचैथवाह ] इंद्र, सुरेश । देखो 'कवी'। ऊंचरण (ब)- क्रि० १ बोझ उठाया जाना । २ कोई वस्तु उठा कर सिर या कन्धे पर रखना । ३ उठाना । ऊंचमोली - वि० कीमती, बहुमूल्य ऊंचरतौ - वि० [सं० २] महत्वाकांक्षी मूल्य । उम्बरित] ऊंच पु० [सं०] उच्चस] मन, अन्तःकरण ऊंचलौ - वि० (स्त्री० ऊंचली ) ऊपर वाला । ॐचवही वि० [सं०] उच्चव] १२ बोझ उठाने ऊर्ड- देखो 'उ' । वाला । ३ सहिष्णु । ऊंठ्यांवड़ी ऊंचे क्रि०वि० १ ऊंचाई पर ऊपर । २ ऊपर की ओर । ३ जोर से । ऊंचेरौ, ऊंचोड़ी, ऊंची-वि० [सं०उच्च ] ( स्त्री० ऊंची, ऊचेरी, ऊचोड़ी ) १ कुछ ऊंचा । २ ऊपर वाला । ३ ऊपर उठा हुआ, उन्नत । ४ उत्तम, श्रेष्ठ, बढ़िया । ५ महान । ६ बुलंद | ७ कुलीन ऊंझाडेह - वि० प्रौधा, उल्टा । ऊंट - पु० [सं० उष्ट्र ] ( स्त्री० ऊंटड़ी, ऊंटगी ) कंटाळी टोळी ० कंटीली झाड़ी दलाली स्त्री० एक प्राचीन सरकारी कर एक प्रकार का फोग । ऊंट उष्ट्र । गाड़ी फोन पु० ऊंटड़ी, ऊट, ऊटरी, ऊटियो - पु० १ बैलगाड़ी के अग्रभाग का एक उपकरण । २ देखो 'ऊट' । ऊंटादेवी स्त्री० एक देवी । ॐठ पु० [सं० उष्ट्र] लंबी गर्दन व लंबे पांव वाला प्रसिद्ध मरु देशीय चौपाया जानवर | कठियाँ पु० २ एक जाति विशेष का सिह २ देखी ''ड' For Private And Personal Use Only ॐ ठ्यांमरणौ - पु० मकान के बाहर जूटे बर्तन मांजने का स्थान । यांबड़ी पाबड़ी) स्त्री० व्यभिचारी स्त्री । ॐ व्यांवड़ौ (यावड़ी ) - पु० (स्त्री० ऊठयावड़ी ) १ उच्छिष्ट (जूठन खाने वाला व्यक्ति २ उष्ट वर्तन साफ करने तथा उठाकर रखने वाला । Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऊंड ऊंड स्त्री० १ गहराई २ सिचाई की नाली । ऊंडळ - पु० ९ मोट पर लगा लकड़ी का उपकरण । २ गोद, अंक । ३ बाहुपाश । ४ बैलगाड़ी के नीचे लगाया जाने वाला डंडा विभूत बाधीन । ॐ वरण, ऊ डांग, ऊडांत, ऊ डायरण, ऊडायत, ऊडाई-स्त्री० गहराई नीची भूमि गंभीरता । डाकी स्पी० नीची भूमि वि० (स्वी० डाळी (डी) गहरा। ॐ ॐ डियरण - वि० गहरा, प्रथाह । ॐडौ - वि० ( स्त्री० ऊडी ) १ गहरा । २ गंभीर । ३ श्रगाध, अथाह । पु० तहखाना | ॐ अव्य० [सं०] अधुना] इस वर्ष www.kobatirth.org ( १५० ) ऊतोळ स्त्री० संहार, वध, नाश । तोळी (बी) देखो 'उतोळखी' (बी)। ॐ रंगत, अंगारत-देखो 'उरगत' । कणी वि० (स्त्री० ॐणी) १ निर्धारित समय से पूर्व जन्मा २ अधूरा, अपूर्ण । ३ उदास, खिन्न । - पु० छोटा बच्चा । - पूणौ- वि० अपूर्ण, अपरिपक्व (बालक) । ॐताळ (वळ) देखो 'उतावळ' | 'ॐ' तावळी-देखो 'उतावळी' । (स्त्री० ऊतावली ) ऊदायलौ- देखो 'ऊं धायळो' । ॐध-स्त्री० ॐ धाफूली - देखो 'प्रधाहुली' । ॐ धायलौ -५० १ उल्टा गाड़ कर शकरकंद सेकने का पात्र । २ उल्टा चढ़ाया जाने वाला तवा । ३ छाजन के मध्य का खरेल वि० (स्त्री० धावती) विरुद्ध बुद्धि का ॐ नतभद्रा - स्त्री० तुंगभद्रा नदी । 'नादेखी 'उनी'। ऊनाळी- देखो 'उनाळी' । ऊनियाँ (नोयो) - देखो 'ऊनियाँ' । ऊनी देखो 'ऊनी' । ऊने (नं) देखो 'उन' । ऊनी देखो 'उनी' । ॐ दफोग- पु० एक प्रकार का फोग । ॐ वर (रियो) अंबरी-पु० (स्त्री० ऊंदरी) १ हा गुसा देवो'' २ दोहा छंद का एक भेद | ॐ दरी स्त्री० १ शिर के बाल उड़ने का एक रोग । २ मादा चूहा । मूर्ख ऊं धौ-वि० (स्त्री० अंधी) १ बाँधा उल्टा २ विलोम, । विपरीत । ॐ धोखोपड़ी-देखो 'घांधीखोपड़ी' -धी-वि० उल्टा-सीधा । इन देखो 'उन' ऊब - पु० कम जल वाला बादल जो प्रायः दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व गति वाला होता है। कंबरी-देखो 'ऊमरी' । ॐ बालू बां-पु० ऊंट के चारजामे में लगने वाले फुंदे | कवी, कमी त्री० गेहूं की बाल '१ देखो 'ळ' २ देखी 'ही' (स्त्री० केळी) ॐ ही सर्व ० उसी, वही । - क्रि० वि० वैसे ही । कहूँ हूँ अप० निषेधात्मक शब्द या ध्वनि । ऊ सर्व ० ० वह उस । पु० १ शिव । २ ब्रह्मा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ सूर्य । ४ चन्द्रमा । ५ पवन । ६ आकाश । ७ अग्नि । ८ मोक्ष । ६ प्रेत । १० कुत्ता । ११ शेषनाग । १२ मुनि । १३ स्थल । १४ भाव । १५ निर्धनता । १६ रक्षा। वि० १ मुख्य, प्रधान । २ दातार । ३ सुखी । ४ व्यभिचारी । ५ लघु, छोटा । प्रव्य० १ विभक्ति चिह्न से । २ प्रारम्भ सूचक ध्वनि। ऊमर देखो 'उर' | ऊग्रह | ऊईज - सर्व० वही । ऊएले - वि० इधर के । ऊकस ० उत्तर और वायव्य के मध्य की दिशा । अंधाको ० (स्त्री० ऊंघाड़ी) उल्टे या अनुचित कार्य ऊटी, ऊठी पु० घोड़े व ऊंट का चारजामा कसने का चमड़े - करने वाला । विपरीत बुद्धि वाला । का फीता । ऊक पु० १ बन्दर २ देखो 'प्रोक' । अक्टो (बौं), ऊकटिसी, (ब) ऊकठिणी (बी) १ देखो उगटी (बी) २ देखो 'उक्टसी' ( वो) । अकलंबली (बी) - क्रि० घोषा लटकना । श्रौंधा ऊकळ स्त्री० ध्वनि, आवाज । ऊकळरणौ (बौ) - देखो 'उकळणी' (बी) । ऊल (बी) देखो 'उकली' (दो) । ऊकळापात स्त्री० बेचैनी, घबराहट । ऊकस देखो 'उकस' । - rest - देखो 'उकड़' | ऊकरड- पु० एक पर एक का ढेर । २ जबरदस्ती उसने का भाव | ३ देखो 'उकरड़ी' । For Private And Personal Use Only । उकरांटी - वि० (स्पी० उकरांटी) १ बितातुर २ बिना बिस्तर के बिना बिछोने के Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊचाट ऊकसणौ (बौ)-देखो 'उ कसणौ' (बौ) । ऊगमरिणयौ-वि० १ उदय होने वाला, उगने वाला । २ पूर्व ऊकांटउ, ऊकांटौ-वि० [सं० उत्कठ] (स्त्री० ऊकांटी) उत्साह दिशा का,पूर्व दिशा संबंधी । -पु० पूर्व दिशा का निवासी। का उद्रेक, रोमांच युक्त।। ऊगमणी-स्त्री० १ पूर्व दिशा । २ अंकुरित होने की क्रिया। ऊकाळरणौ (बौ)-देखो 'उकाळणी' (बौ)। ३ उदय काल। ऊकू-स्त्री० ऊंट के चारजामें के आगे लगी खटी । ऊगमणौ-१ देखो 'ऊगणौ' । २ देखो 'उगमणी' । ऊख-पु० [सं० इक्षु ] १ गन्ना, ईख । २ वन, जंगल । ३ मादा । ऊगमरणो (बौ)-देखो 'ऊगणी' (बौ)। पशुओं के स्तन । -रस-पु० गन्ने का रस, दूध । ऊगरण-पु० उपकरण (जैन)। ऊखड़णौ (बौ)-देखो 'उखड़णौ' (बौ)। ऊगरणी(बी)-क्रि०१ गिरना, पड़ना। २ देखो 'उगरगो' (बौ)। ऊखरगणौ (बौ) (णिणो, बौ)-देखो 'उखरणगौ' (बौ)। ऊगळणौ (बौ)-देखो 'योगाळणौ' (बौ)। १ देखो 'उखड़गौ' (वी)। ऊगळतू-देखो 'आगळतू' । ऊखणौ (बौ)-कि० उखड़ना, उठना । ऊगवरण-पु० १ उदय । २ देखो 'उगुरण' । ऊखध, ऊखवी-देखो 'पोखध' । ऊगवरणौ-देखो 'उगवणो' । ऊखमल (भेलौ)-पु० १ युद्ध, लड़ाई। २ उपद्रव, उत्पात । ऊगवणौ, (बौ), ऊगवरणौ, (बी)-देखो 'ऊगणों' (बी)। ३ योद्धा, वीर। ऊगसणी (बी)-क्रि० ऊपर उठना, ऊंचा होना । ऊखळ-पु० [सं० उदू खल] मूसल से अनाज कूटने का पात्र या ऊगांण-पु० १ उदय । २ उदयकाल । ३ अंकुरित होने खुड्डा, प्रोखली। की क्रिया। ऊखलणी(ब)- देखो 'उकलणी' (बौ) । देखो उखलणी' (बौ) ।। ऊगाणी (बौ)-क्रि० सुकाना । उगाना। ऊखळी-स्त्री० लोहे की चूल । चुल का पत्थर । देखो 'उखळ'। ऊगारणौ (बौ)-देखो 'उबारणौ' बौ) । ऊखवगौ (बौ)-क्रि० १ दौड़ना । २ देखो 'खेवणौ' (बौ)।। ऊगाळ-१ देखो 'उगाळ' । २ देखो 'जुगाळ' । ऊखांखरगो (बो)-क्रि० १ कोप करना । २ जोश में आना । ऊगाळणौ (बौ)-देखो 'नोगाळरणो' (बौ)। ऊखांरपो-देखो 'उखांगौ'। ऊगाव-पु. उदय, उदयकाल । ऊखा-देखो 'उखा'। ऊगूरण (पी, सौ)-देखो 'उगुण' । ऊखापति-देखो 'उखापति'। ऊगेरणी (बौ)-देखो 'उगेरणी' (बो)। अग्रहरणौ (बौ)-कि० १ उगलित करना । २ कहना। ३ कथन । अखाड़णौ (बौ), ऊखेडणौ, (बौ)-उखाडणौ (बौ)। ४ कै करना। ५ देखो 'उग्रहगो' (बौ) । ऊखेल (लो)-देखो 'उखेल' । ऊघड़ली (बौ)-देखो 'उघडणौ' (बी)। ऊखेलणौ (बौ)-देखो 'उखाड़णौ' (वौ) । ऊघरण-वि०१नंगा,नग्न । २ खुला। ३ स्पष्ट । -स्त्री० उपजशक्ति। ऊखेवरणौ (बौ)-देखो 'उखेवणौ' (बौ) । ऊघरणौ (बौ)-देखो 'उघटणी' (बौ)। ऊगडेणौ (बी)-देखो 'उघडणौ (बौ)। ऊघसरणौ (बौ)-देखो 'प्रोघसरणौ' (बौ)। ऊघाड़ऊ, ऊघाडौ-वि० देखो 'उगाड़ौ' । [स्त्री० ऊघाड़ी] ऊगट, ऊगठ (रणौ)-पु० सुगंधित लेप, उबटन । ऊघाडणी-देखो 'उघाडणौ'। ऊगटसौ, (बौ) ऊगठखौ, (बौ)-देखो 'उगटणौ' (बौ) । ऊधाड़णौ (बौ)-देखो उघाडणी (बी)। ऊगटि-देखो 'उबटा'। ऊड़क-पु० वाद्य विशेष (बाजा) । ऊगटौ (ठग)-देखो 'ऊकठौं'। ऊड़ीयंद-पु० [सं० उडु--इन्द्र] चन्द्रमा । ऊगरण पु० १ उदय काल । २ पूर्वदिशा । ३ रहट चलाने वाले ऊडौ-वि० (स्त्री० उड़ी) ऐसा, वैमा । के बैठने के स्थान के पीछे का डंडा। • ऊचंउ-देखो 'ऊंचौ' । ऊगरणौ (बौ) क्रि० १ उदय होना, निकलना । २ अंकरित ऊचड़णी(बी)-१ देखो'उचंडगाँ' (बौ) । २ देखो उचड़गौ(बी) । होना । ३ पैदा होना । ४ नशा आना। ऊचरणौ (बो)-देखो 'उच्चारणौ' (बौ) । ऊगत-१ देखो 'उगत' । २ देखो 'उकति' । ऊववहौ-देखो 'ऊंचवहीं'। ऊगम-देखो 'उगम'। ऊचार-वि० १ बड़ा । २ ऊंचा । ३ उतम, श्रेष्ठ । ऊगमण-देलो 'उगमग'। ऊचाट-देखो 'उचाट'। For Private And Personal Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऊचाळउ ऊचाळउ, ऊचाळी- देखो 'उछाळी' । ऊचासरी देखो 'चारी' | ऊण्डकरणी (ौ) देखो 'उचरणों' (वी) | करौ (बो-देखो' बो ऊचीस्रव (स्रवा ) -- देखो 'ऊच्चीस्रवा' । ऊचेड़रणी (बौ) - देखो 'उखाड़णौ' (बौ) । ऊ ऊ ऊच्चीव (वा) पु० [सं०] उच्चैःश्रवस्] उस देखो 'प्रो' | घोड़े का नाम । www.kobatirth.org ऊच्छरांवर - वि० [सं० अप्सरा + वर] युद्ध में वीर गति प्राप्त करने वाला योद्धा, वीर । ऊच्छव-देखो 'उत्सव' । ( १५९ ) ऊछौ (बौ) - देखो 'उछटगो' (बी) । ऊधरी (यौ) देखो उधरणी' (वी) । देखो''। ऊछव-देखो 'उत्सव' । (क) देखो ऊछाळणौ (बौ) - देखो 'उछाळणौ' (बी) | काळी-देखो 'उनी' । उछाह - १ देखो 'उत्साह' । २ देखो 'उत्सव' । ऊछेर - देखो 'उछेर' । ऊजड़ - वि० निर्जन, जन शून्य । क्रि० वि० राह छोड़कर । बिना मार्ग के पु० १ मार्ग का प्रभाव । २ देखो 'ऊझड़' । ऊनडली (बी) देखो 'उजड़ी' (बी) । , ऊजटल - वि० १ चंचल । तेज । २ जबरदस्त । ३ वीर बहादुर । ऊजम - पु० १ उत्साह । २ देखो 'उद्यम' । नगरी-देखो 'उजनी' । ऊजळ (ळौ) - वि० [सं० उज्ज्वल ] ( स्त्री० ऊजळी ) १ उजला, चमकीला २ देखो 'उजळ' | --दांन पु० रोशनदान । —पंख, पाखपु० शुक्ल पक्ष । जळली (बी) देखो उजळ (चौ । उरण (बी) देखो 'नमणी' (वी) ऊच्छेरणी (बौ) - देखो 'उछेरणी' (at) | ऊस (ळी) -१ देखो 'उगल' २ देखो '' ऊछजणी - । (ब) कि० १ प्रहार हेतु स्वादि उठाना २ देखो अळणी (बी) देखो 'उ' (बी)। 'बौ। उझाळ- पु० समूह ऊजळो कोह-पु० यौ० १ तलवार । २ अच्छे लोहे का शस्त्र । बाळ-देखी 'बळी' | जाळीदेखील ऊजांगरणी (बौ) - क्रि० प्रवज्ञा करना । ऊजाळगर - वि० १ उज्ज्वल करने वाला, चमकाने वाला | २ स्वच्छ व निर्मल करने वाला । ३ कीर्ति व मान बढ़ाने वाला - पु० रोशनदान | (बी)। ऊजास- देखो 'उजास' । ऊजासड़उ (डौ) - देखो 'उजास' । ऊजासह, ऊजासी- देखो 'उजास' । ऊजी - वि० शक्तिशाली, बलवान पु० साहस हिम्मत । ऊझर्टल - देखो 'ऊजटल' । ऊझड़ वि० १ विकट, दुर्गम । २ ऊंचा-नीचा, ऊबड़-खाबड़ । ४ असभ्य । ४ देखो 'ऊजड़' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अक्षरगड अशी पु० पुत्री के द्विरागमन के समय दिया जाने वाला वस्त्रादि सामान । ऊझेल - पु० १ तूफान, अंधड़ । २ टक्कर । ३ प्रहार । ४ दान | ५ तरंग, हिलोर - वि० अपार असीम, अत्यधिक । - क्रि० वि० पूर्ण जोश से । झेलसी (बी) देखो 'उ' (यो। ऊटपटांग - वि० अव्यवस्थित । अंट-संट | बेमेल । ऊठ-स्त्री० [सं० उड] १ उठने की क्रिया या भाव। २ स्मृति चंचलता । ३ पुरुषार्थं । ४ शक्ति, बल । ५ ग्राभा, कान्ति । ६ तिनका, तृण । ७ ऊ पत्ता । ८ देखो 'ऊ'ठ' । ऊठणौ (बौ) - क्रि० १ उदय होना । २ ऊपर उठना, ऊंचा उठना । ३ उन्नत होना । ४ चढ़ना । ५ खड़ा होना । ६ जागना । ७ उद्गम होना । ८ हटना | आकाश में छा जाना । १० उछलना । ११ निकलना । १२ उभरना । १३ महता प्रारम्भ होता । १४ उत्पन्न या पैदा होना । १५ चैतन्य होता । १६ तैयार, उद्यत होना । १७ उन्नति करना । १८ उपटना, खमीर माना । १६ बंद होना । २० टूटना | २१ चल पड़ता । २२ दूर होना, मिटना । २३ व्यय होना । २४ उपजता, याद माना । २५ क्रमशः ऊपर उठना, जुड़ना । २६ जवान होता । २७ उद्दीप्त होना । २८ तन्दुरुस्त होना । ऊठतड़ - वि० फुर्तिला । कठमली (बली देवो'री'। ऊठांगी, उठाव (पी) देन्री 'उठावग्पो' । ऊठी- देखो 'मोठी' । ऊडण तेज स्वर, ध्वनि, शब्द | कडपु० घोड़ा, पश्य ऊडर - स्त्री० ढाल | For Private And Personal Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊडणी ( १६० ) ऊधमा ऊडणौ (बौ)-देखो 'उडणौ' (बौ)। ऊथलणौ (बौ)-देखो 'उथलणौ' (बौ)। ऊडवरणी (ग)-क्रि० अ० १ प्रहार करना । २ देखो | ऊथल-पथल (पुथल, पूयल)-देखो 'उथल-पुथल'। _ 'उडणी' (बौ)। ऊयापरणौ (बौ)-देखो 'उथापणी' (बी) । ऊडारण-स्त्री० उड़ने की क्रिया, तेजचाल, छलांग, कुदान । ऊयालणौ (बौ)-१ देखो 'उथेलणी' (बौ) । २ देखो ऊढंगौ-देखो 'उढ़गो' (स्त्री० ऊडंगी)। __ 'उथापरणी' (बी)। ऊढ-पु० [सं० ऊठः] (स्त्री० ऊढा) १ दूल्हा । २ विवाहित | ऊथि (थी)-देखो 'उथि' । पुरुष । ३ पर स्त्री से प्रेम करने वाला नायक । ऊथेड़णौ (बौ)-देखो 'उथेलणी' (बौ) । ऊढरणो-देखो 'प्रोढणौ'। ऊथेल-देखो ‘उथेल'। ऊढरणी (बौ)-देखो 'पोढ़ौ ' (बी) । ऊथेलणी (बौ)-देखो 'उथेलणी' (बौ) । ऊढा-स्त्री. १ विवाहिता स्त्री। २ विवाहिता किन्तु अन्य पुरुष । ऊदंगळ-देखो 'उदंगळ'। से प्रेम करने वाली स्त्री। ऊद (ण)-पु० १ गाड़ी का मुख्य उपकरण। २ डोंडी, घोषणा । ऊरण-क्रि० वि० [सं० अधुना] इस वर्ष, इस साल । ३ देखो 'ऊदबिलाव' । ऊरणत, ऊरणांयती, ऊरणायत, उरणारत-देखो 'उणत' । ऊदक-पु. १ अातंक । २ देखो 'उदक' । ऊरणमरणो, ऊरणमनौ-देखो उगमण' (स्त्री० ऊणमणी)। ऊदड़ी (डौ)-वि० एक मुश्त, एक साथ । ऊरिणया-स्त्री०१ भाले की नोंक । २ हरावल । ३ आवश्यकता। ऊदधि-देखो 'उदधि'। ऊरिणयारो, ऊणीयारो, ऊरणीयाळी, (हार, हारौ)-देखो ऊदबिलाव-पु० बिलाव नामक प्रारणी। _ 'उणियारौं' । ऊदम-देखो 'उदम'। ऊरणी-वि० [सं० ऊन ] (स्त्री० ऊरणी) १ कम, न्यून । २ अधूरा, | ऊदमाद-देखो 'उदमाद' । ___ अपूर्ण । ३ उदास, खिन्न । -सर्व० उसका । -प्रव्य ० का। ऊदळणी (बौ)-क्रि० १ स्त्री का किसी पर पुरुष के साथ भाग ऊतंग-देखो 'उत्तुंग'। जाना । २ प्रावारा फिरना या घूमना ३ अपहरण होना । ऊत-वि० [सं० अपुत्र] १ निःसंतान, निपूता। २ मूर्ख । '| ऊदळवाली-वि० असामाजिक ढंग से किसी के साथ भाग जाने ३ उज्जड़, असभ्य । ४ भूत प्रेतादि की योनी वाला। वाली युवती। ऊतजरणौ (बौ)-क्रि० त्यागना, छोड़ना । ऊतर-देखो 'उत्तर'। ऊदाळ, ऊदाळू-वि० उद्योगी, परिश्रमी । ऊतरणौ (बौ)-देखो ‘उतरणी' (बौ) । ऊदाळणी (बी)-क्रि० [सं० उद्दलित] बलात् छीन कर लेना। ऊतरायरिण-देखो 'उत्तरायण' । छीन लेना। ऊतळीबळ-देखो 'अतिबळ' । ऊदेइ (ई)-देखो 'उदई' । ऊतारणौ (बौ)-देखो उतारणौ (बौ)। ऊदेक-देखो 'उद्रेक'। ऊतारौ-देखो 'उतारौ'। ऊद्रभरणौ (बौ)-क्रि० दौड़ना, भागना। ऊताळो-देखो 'उतावळी' (स्त्री० ऊताळी)। ऊधंगी-वि० कलह प्रिय । उत्पाति । ऊतावळी (लो)-देखो 'उतावळी' । ऊध-पु. १ मादा पशुप्रों का ऐन । २ देखो 'ऊद' । उतावळु, उतावळी-देखो 'उतावळी' । (स्त्री० उतावळी)। ऊधड़णौ (बौ)-देखो 'उधड़णी' (बी)। ऊतिम-देखो 'उत्तम'। ऊधड़ौ-वि० १ एक मुश्त । २ सामूहिक । ३ ठेके में । ऊतोलगो (बौ)-देखो 'उतोलणौ' (वी)। ४ सब समस्त । -क्रि० वि० बिना तौल व भाव किये। ऊतौल-वि० अत्यधिक, भरपूर । ऊधम-१ देखो 'उधम' । २ देखो ‘उद्यम' । ऊय-क्रि० वि० वहां। ऊधमरणी-वि० १ मस्त, मन-मौजी। २ दानी । ऊथपणी-वि० (स्त्री० उथपरगी) मिटाने वाला, उन्मूलन करने ऊवमणी (बी)-क्रि० १ दान करना। २ आमोद-प्रमोद में वाला, नाश या नष्ट करने वाला। खर्चा करना । ३ बहादुरी दिखाना। ४ उदंडता या ऊथपरणौ, (बौ), ऊथप्पणौ, (बौ)-देखो 'उथपणी' (बौ)। उपद्रव करना। ऊथल-देखो 'उथल'। | ऊधमा-स्त्री०१ मौज, मस्ती। २ उत्सव । For Private And Personal Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org জঘনী ऊपरलीपुळ ऊधमी-वि०१ उपद्रवी, उदंड । २ बहादुर । ३ देखो 'उद्यमी'। ऊनोदरी-स्त्री० बारह प्रकार के तप में दुसरा तप जिसके ऊधरण, (पौ)-देखो 'उद्धरण' । अन्तर्गत जितनी भूख हो उससे कम पाहार किया ऊधरणी (बी)-देखो 'उद्धरणौ' (बौ)। जाता है। (जैन) ऊधरौ-वि० (स्त्री० ऊधरी) १ उत्तुंग, ऊंचा । २ उत्कृष्ट, श्रेष्ठ। ऊनौ-वि० [सं० उष्ण] (स्त्री० ऊनी) उष्ण, गर्म । ३ बहुत, अधिक, अपार । ४ जोशपूर्ण । ५ तीव्र विकट ऊन्याळी-देखो 'उनाळो' । उग्र। ६ दानशील, दानी। ७ सरल सीधा, अनुकूल ।। ऊन्हा-क्रि० वि० उस तरफ। ---सं० पु० मला ऊपर उठाए हुए चलने वाला बैल । ऊन्हाळइ (ळ उ, ळो)-देखो ‘उन्हाळी' । ऊधळणौ (बी)-देखो 'ऊदळणी' (बी)। ऊन्हाळागम-पु० [सं०उष्णकालागम] ग्रीष्म ऋतु, उष्णकाल । ऊधस-पु० [सं० ऊधम्, ऊधस्य, ऊर्ध्व] १ दूध,पय । २ पशुओं के | ऊन्हाळी (ह)-देखो 'उनाळी' । स्तन । ३ ऊंचा, उच्च । ४ सूखी खांसी । ५ देखो उधार'। ऊन्हौ-देखो 'ऊनौ'। ऊधसणौ (बौ)- कि० १ स्पर्ण करना, छूना, रगड़खाना । २ लड़- ऊप-वि० [सं० उपम] १ समान, तुल्य । २ उपम लायक । खड़ाना, लड़ वडाकर गिरना । _ -क्रि० वि० ऊपर। ऊधांमरणौ (ौ)-देखो 'उधांमणी' (बौ)। ऊपड़पो (बौ)-देखो 'उपड़णौ' (बौ) । ऊधारणौ (बौ)-देखो 'उद्धारगौ' (बौ)। ऊपजरषौ (बी)-देखो उपजणी (बौ)। ऊधारियौ-देवो 'उधारियो'। ऊपजस-देखो 'अपजम'। ऊधूळ-वि० वीर बहादुर । ऊपजाणौ (बौ)-देखो 'उपजाणी' (वी) । ऊधोळरणौ (बी)-क्रि० धुलि से ढकना, पाच्छादित करना । ऊपटणौ, (बौ) ऊपट्टणी, (बौ)-देखो 'उपटणौ' (बौं) । ऊधौ-पु० [सं० उद्धव] श्रीकृष्ण का मित्र, उद्धव । ऊपनरणी, (बौ), ऊपन्नणौ, (बौ)-क्रि० १ उत्पन्न होना, पैदा ऊध्वनी-स्त्री० ऊंची या तेज ध्वनि । होना। २ उपार्जन होना । ३ उपजना । ऊनंग-देखो 'उनंग'। | ऊपनौ-वि० (स्त्री० ऊपनी) १ पैदा हुवा हुआ । २ अंकरित । ऊन-स्त्री० [सं० ऊर्ग] १ भेड़-बकरी के बाल । २ इन बालों -पू० विक्रय की प्राय । का ढेर । ३ इन बालों का डोरा । ४ उष्णता। ऊपम-देखो 'उपमा'। ५ जोश, आवेग । ६ क्रोध । ७ ज्वर । [सं० ऊन्] ८ छोटी ऊपर (रि)-क्रि० वि० [सं० उपरि] १ ऊंचाई या ऊंचे स्थान तलवार -वि० कम, थोड़ा, अल्प । -अधोड़ी-स्त्री० एक पर । २ आकाश की ओर । ३ प्राधार या सहारे पर। प्राचीन सरकारी लगान। ४ ऊपर की ओर । ५ ऊपरी सतह पर । ६ प्रकट या ऊनकूळ-देखो 'अनुकूल'।। सामने । ७ उच्च श्रेणी में । ८ तट पर । ९ अतिरिक्त तौर ऊनरणी, (बौ) ऊनमरणौ, (बौ)-देखो 'उमड़गौ' (बौ)। पर । १० प्रथम,पहले। -स्त्री०१ सहायता,मदद । २ रक्षा। ऊनय-देखो 'उनथ'। ३ दया, कृपा । ४ संरक्षण । -वि० १ अधिक, ज्यादा । ऊनयु-वि० [सं० उन्नत] 'उन्नत'। २ अतिरिक्त । ३ प्रतिकूल । - टली, छूटौ-वि० अतिऊनवणी (बौ)-देखो 'उमड़गौ' (बौ)। रिक्त । --तळे-क्रि० वि० एक पर एक, लगातार । ऊनांगी-देखो 'उनंग' । --नेत, नैत-स्त्री० एक प्रकार की भेंट । -माळ-स्त्री० ऊना-स्त्री. एक प्रकार की ईरानी तलवार। -क्रि० वि० पहाड़ के ऊपर की भूमि । -वट-पु० दो में से एक पक्ष । इस ओर, इधर । स्त्री० अधिकता । -क्रि० वि० बढ़कर । -वाड़ी ऊनागरणी (बी)-क्रि० १ प्रहार के लिए शस्त्र निकालना। 'उपरवाड़ी'। --वाडौ='उपरवाड़ौ' । --सांपर-स्त्री. _२ नंगा होना । निरावरण होना । निगरानी । देखभाल । सहायता । ऊनागौ-देखो 'उनंगी(स्त्री० कनांगी)। ऊपरकीन्यां-स्त्री० स्त्रियों के कान का प्राभूषण विशेष । ऊनाळ-दखो ‘उनाळो'। ऊपरचौ-पु. १ सहायता, मदद । २ रक्षा । ऊनाळी (छ)-देखो 'उनाली' । ऊपरट-वि० विशेष, अधिक । ऊनाळी-देखो 'उनाळो'। ऊनियो-[i० ऊर्ण| छोटा मेढा, भेड़ का बच्चा। ऊपरणी-स्त्री० पगड़ी पर बांधा जाने वाला वस्त्र । ऊनी-वि० १ का का, ऊन संबंधी। २ ऊन का बना । गर्म | ऊपरलीपुळ, (रुत)-स्त्री० १ वर्षा ऋतु । २ इस ऋतु के पूर्व या उष्ण । ८ देखो 'नि'। पश्चात् का समय । ३ दैनिक अवसर । ४ अवसर । For Private And Personal Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊपरलौ ऊरडारपो ऊपरलौ-पु० ईश्वर, परमात्मा । -वि० (स्त्री० ऊपरली) ऊब-स्त्री० १ खिन्नता, उकताहट । २ अरुचि । ३ परेशानी। १ ऊपर वाला । २ ऊपर का । ३ उस्ताद । ४ बलवान । ४ पाकुलता । ५ धबराहट । ६ धीमी गति से लगातार । ऊपरबाड़ (डो)-वि०१ श्रेष्ठ, बढ़िया। २ देखो 'उपरवाड़ी'। __ बरसने वाले बादल । ७ खड़ा रहने का ढंग । -छठ-स्त्री० ३ देखो 'उपरवाडौ'। भादव कृष्णा षष्ठी। इस तिथि का व्रत । ऊपरांऊपरी-देवो 'उपराऊपरी' । ऊबकरणौ (बौ)-क्रि०१ कै करना,वमन करना । २ जोश करना । ऊपरांटौ-१ देखो 'उपरांठौ' । २ देखो 'अपूठौ' । ३ ऊंचा होना । ४ उगलना। ५ उमड़ना । ६ द्रव पदार्थ का ऊपरा-देखो 'पर'। आधिक्य के कारण ऊपर उठना । ऊपरि, (री)-वि० १ ऊपर का । २ अतिरिक्त । ३ मुख्य के | ऊबको-पु० पोकाई, मिचली की पूर्वावस्था । सिवाय । ४ बाहरी । ५ विदेशी। ६ पराया । ऊबगणी (बौ)-देखो 'ऊबकरणी' (बी)। ७ देखो 'ऊपर'। ऊबड़खाबड़-देखो 'उबड़खाबड़' । ऊपरे (२)-क्रि० वि० ऊपर, पर । ऊबड़णौ (बौ)-क्रि० १ उखड़ना । २ खुलना । ३ उभरना, ऊपर ऊपळी (लो)-स्त्री०१ गाड़ी के थाटे या खाट में चौड़ाई की उठना । ४ फटना । दरार पड़ना। ५ विदीर्ण होना । ___ ओर लगने वाली लकड़ी। २ चौड़ाई का हिस्सा । ऊबड़ियौ-पु० रहट के चक्र के मध्य का सीधा लंबवत काष्ट या ऊपल्हारगौ-वि० बिना चारजामा का ऊंट या घोड़ा। लोहका दण्ड । ऊपसरणौ (बौ)-क्रि० रोटी का अांच पाकर फूलना, ऊपर ऊबड़ी-स्त्री० एक प्रकार की घास । उठना । २ क्रोध करना । ३ आवेग में आना । ४ चोट | ऊबट-क्रि० वि० [सं० उदवृत्त] १ बिना रास्ते, बेवाट । लगने से अंग की चमड़ी फूलना। २ उज्जड़। -वि. विरुद्ध, विपरीत । ऊपहरौ-वि० १ विशेष, अधिक । २ पृथक, दूर, अलग। ऊबटणौ-देखो 'उबटणौ'। ऊपांत-वि० [सं० उपांत्य] अन्त वाले से पूर्व का । ऊबटणौ (बौ)-देखो 'उबटणौ' (बौ)। -तिथि-स्त्री० मासांत की चतुर्दशी। मासांत के पहले । ऊबटौ-पु. चारजामे का ररसा : का दिन। | ऊबरणी (बौ)-क्रि० १ खिन्न होना · २ उदास होना । ३ परेशान ऊपान-वि० क्रुद्ध, कुपित। होना। ४ अरुचि की दशा में होना । ५ उकताना । ६ देखो ऊपाई-देखो 'उपाय'। 'ऊभरणी' (बी)। ऊपाड़-पु० १ नाश, विनाश । २ सूजन । ३ फोड़ा। ४ खर्च । ऊबता (ताळ)-स्त्री० हाथ उठा कर बड़े मनुष्य की ऊंचाई अपाडणौ (बौ)-देखो 'उपाडणौ' (बौ) । का माप, पुरुष । ऊषाणो(बो)-क्रि०१ उत्पन्न करना,पैदा करना,उपार्जन करना। ऊबताल-क्रि० वि० यकायक । २ देखो 'उपाणौ' (बी)। ऊबर-१ देखो 'पर' । २ देखो 'अमीर' । ऊपाव-१ देखो 'उपाय' । २ देखो 'उपाव' । ऊबरणौ-पु. रक्षा ५. वाद । ऊपावरणौ (बौ)-देखो उपावणौ (बौ) । ऊबरणी (बी)-क्रि०१ उद्धार पाना । २ मृत्य होना । ३ बचना, ऊप्रवट-देखो उप्रवट'। रक्षा पाना । ४ अमर होना, बचना, शेष रहना । ऊफणरणो(बी)-क्रि० [सं० उत्फरणनम्] १ उबलना, उफान पाना । ऊबराव-देखो 'अमराव'। २ अनाज को हवा में उछाल कर साफ करना । ३ जोश में ऊबरियौ-देखो 'ऊबड़ियो' । पाना । ४ उमड़ना । ५ कोप करना। ६ हद से ऊबळ-वि० चंचल । बाहर होना । ऊबह-पु० [सं० उदधि] समुद्र । ऊफतरणौ (बो)-क्रि० हैरान होना, परेशान होना, तंग होना। ऊबांणरणौ (बौ)-देखो 'उबांगगरणी' (बी)। ऊफरांठउ (ठो)-देखो 'अपूठौ' (स्त्री० ऊफरांठी) । ऊबाणी-देखो 'उबांणौ । (स्त्री० ऊवांगी)। ऊफराटौ (ठो)-वि० (स्त्री० ऊफराटी) चिंतातुर, उद्विग्न । ऊबांबर (रौ)-वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ साहसी । ३ वीर ऊबंध (धि, धी)-वि० [सं० उबंधन] १ बंधन रहित, मुक्त। बहादुर। ३ अमर्यादित । २ अपार, असीम । ४ उद्दण्ड, बदमाश। | ऊबाऊब-क्रि० वि० यकायक, खड़े-खड़े, अचानक । ऊबंबर (री, रौ)-वि० १ ऊंचा । २ बहादुर। ३ शक्तिशाली, ऊबाडणी (बौ)-क्रि० १ खडा करना । २ उखेड़ना । उन्मूलन समर्थ । ४ प्रोजस्वी । ५ कांतिवान । ६ साहमी । करना। For Private And Personal Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊबाड़ी ऊरबी ऊबाड़ौ-पु० कुवचन, अपशब्द । -वि० १ अपशब्द कहने वाला। ऊमण-वि० १ उत्सुक, व्याकुल । २ उदासीन, चिंतित । २ विरुद्ध, विपरीत । ३ खिन्न । -दूमणी (णौ)-वि० खिन्न, उदास । ऊबारणौ (बौ)-देखो 'ऊभारणी' (बो)। ऊमतौ-देखो 'उनमत्त'। ऊबारणौ (बौ)-देखो उबारणौ' (बौ) । ऊमदा-देखो 'उमदा'। ऊबारौ-देखो 'उदारौ'। ऊमर-१ देखो 'उमर'। २ देखो 'अमीर' । ऊबास (सी, सौ)-देखो उबासी' । ऊमरड़-वि० १ जोश पुर्ण । बलवान, शक्तिशाली । २ विरुद्ध । ऊबाहणौ-१ देखो 'उबांणो' । -पण, पणौ-पु० जोश । बल । आतंक। ऊबियोबगार-पु० बिना छौंक का साग । ऊमरदराज-वि० दीर्घायु । ऊबीठ-वि. निविड़, गाढ़ा, घना । ऊमरी-पु०१ हल की लकीर, सीता । २ देखो 'अमराव' । ऊबेड़खंभ-वि० बलवान, शक्तिशाली। ऊमस-देखो 'उमस'। ऊबेडणी (बौ)-देखो 'उखेड़णी' (बी) । ऊमहणौ (बौ)-क्रि० १ उमंगित होना, उत्साहित होना । ऊबेड़ो-वि०१दाहिनी ओर से आने वाला (भेडिया)। २ दाहिनी २ उमड़ना। ३ उठना, उभरना । ४ उत्साह युक्त होना, ___ अोर से बोलने वाला (तीतर)। ३ विरुद्ध, विमुख । उमंग युक्त होना। ऊबेछाज-पु० [सं० उच्छुर्पण] अनाज साफ करने की एक क्रिया। ऊमारणी (बी)-देखो 'उमाहो ' (बौ) । ऊबेल-स्त्री० १ सहायता, मदद । २ रक्षा । ३ शरण । -वि० ऊमाह, ऊमाहौ-देखो 'उमाव' । रक्षक । सहायक। ऊमिया-देखो 'उमा'। ऊबेलणौ (बी)-देखो 'उबेलणौ' (बौ) । ऊमी-देखो 'उम्मी'। ऊबेलू-वि० सहायक, रक्षक। ऊमीणो-देखो 'उमीणो' (स्त्री० ऊमीणी) । ऊबेलौ-देखो 'उबेल'। ऊयइ-सर्व० उस, वह । ऊबोड़ो-देखो 'ऊभोड़ी' (स्त्री० ऊबोड़ी) । ऊरंग-देखो 'उर' । देखो 'उरग' । ऊव्हाणौ-देखो 'उबांग्गी' (स्त्री० उन्हांणी) । ऊरंगी-वि० खिन्नचित्त, उदास । ऊभ-स्त्री० १ खड़े होने की क्रिया या भाव । २ देखो 'ऊब'। ऊरड़ (ड)-देखो 'उरड़। ऊभणौ (बो)-क्रि० १ खड़ा होना । २ ठहरना । ऊर-वि० [सं०ऊर] प्रौर । अपर । स्त्री०जंघा, जांघ । देखो'उर'। ऊभति-पु० [सं० उद्भक्ति खराब भात । ऊरज-वि० [सं० ऊर्ज] बलवान । जबरदस्त । ऊभरणी (बौ)-क्रि० १ धारण करना । उठाए हुए रखना। ऊरजस-देखो 'उरजस। २ उठाना । : शोभा देना। ऊरण-पु० [सं० ऊरणः] १ मैढ़ा, मेष । २ देखो 'उरण' ऊभरांणी-देखो 'उबाणौ' । (स्त्री० ऊभरांणी)। देखो 'उरिण'। -नाम-स्त्री० मकड़ी। ऊभसूक-पु० खड़ा हुआ सूखा वृक्ष । ऊरणा-स्त्री० [सं० ऊर्णा] १ ऊन । २ चित्ररथ-गंधर्व ऊभारणौ (बौ)-क्रि० १ खड़ा करना । २ ठहराना । की स्त्री। ऊभापगां, ऊमीताळ-क्रि० वि० अचानक, सहसा । तुरन्त । ऊरणियौ-देखो 'उररिणयो' । खड़े-खड़े। ऊरणी-स्त्री०१ मादा भेड़। २ एक प्रकार का अोठों का रोग। ऊभारणौ (बौ)-देखो 'उभरगी' (बौ) । ऊरणी (बौ)-क्रि० १ चक्की में अनाज डालना । २ खेत में अभीकंटाळी-स्त्री० बृहती कंटाली। अनाज बोना । ३ युद्ध में घोड़े झोंकना । ४ मुट्ठियां भर-भर ऊमोड़ो, ऊभा-वि (स्त्री० ऊभी, ऊभोड़ी) १ खड़ा हुआ। खाना । ५ आक्रमण करना। ६ गिराना, डालना। २ सीधा ऊपर उठा हुअा। ऊरध-देखो 'उरद्ध'। ऊमंगरणौ (बो)-देखो 'उमंगरणी' (बौ) । ऊरधपाद-पु० एक प्रकार का प्रासन । एक कीड़ा विशेष । ऊमंड-स्त्री० [सं० उन्मण्डन] १ बाढ़, बढ़ाव। २ घिराव । ऊरधपुड-पु० ललाट का खड़ा तिलक। ३धावा, हमला । ४ावेश । ऊरधबाहु-वि० एक बाहु ऊपर उठाकर तपस्या । ऊमंडरपो (बौ)-देखो 'उमंडगो' (वी)। करने वाला। ऊम-देखो 'ऊच' । ऊरबांणो-देखो 'उबांगो' (स्त्री० अरबांणी)। ऊमड़रणौ, (बौ), ऊमटणौ. (बौ)-देखो उमड़णी' (बौ) | ऊरबौ-पु० १ आशा, उम्मीद । २ भरोसा विश्वास । ३ इज्जत । For Private And Personal Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऊरमि ऊरमि, (मी) ऊरम्म स्त्री० [सं० ऊर्मी ] २ कपड़े की सलवट । ३ पीड़ा, कष्ट । १ ४ छै की लहर, -माळ माळा, माळी, म्माळ- पु० समुद्र सागर । लेणी (बी) देखो 'उनी' (बी) उभोउदेगी। www.kobatirth.org ऊरबड़ व्बड़ देखो 'उरब्बड़' । वाणी-देखो 'उदास' (पी० करो | ऊरि-देखो 'उर' | ऊरिण- देखो 'उरण' । ऊरु (रू) -स्त्री० [सं०] जांघ, जंघा । -ज-वि० जांघ से उत्पन्न | - पु० वैश्य जाति । बल । -त्र-स्त्री० रान । रान का कवन । १२ नजदीक वाला । ( १६४ ) तरंग | संख्या । अरेड़ी, डी०बाने की क्रिया ऊळ - पु० नेत्रों में होने वाला वात नाड़ी शूल । ऊल स्त्री० १चमड़े की मिली २ जिल्लाका मेल ऊलकणौ (बौ)- क्रि० कुदाना, छलांग भराना | ऊळखणी (बौ) -- देखो 'ग्रोळखणौ' (बौ) । अलग- देखो 'अलग' अलजी (बी) 1 क्षणी (बी) देखो' (बो ऊलजाणौ (बौ) ऊलझाणौ (बौ) - देखो 'अभागी' ( बौ) । ऊलजलूल वि० अंट-संट असंबद्ध । नासमझ, असभ्य । ऊलट-पु० उमंग, जोश, उत्साह, आवेग | ऊटी (बी) देखो 'उनी' (बी) | ऊलोच - पु० चंदोवा | 'ऊल्क देखा 'उल्का' | उनको बो देगो ऊबकर (बी) ऊवट देखो 'ऊबट' । rait (at) - देखो 'उबटरणी' (बी) | ऊबट्ट -देखो 'ऊबट' | ऊलफैल - पु० १ उत्पात, उपद्रव । २ नखरा । ३ अनावश्यक खर्च । ऊरण (ब) देखो 'बोर' (ब) । अळी (बौ लौ (यो) - देखो 'उतळणी' (बी) अल्सर (बी), अलहणी (बी) देखो 'उल्लस (बी) कला - वि० १ निकट पास, नजदीक । २ विपरीत, उल्टा । - क्रि० वि० इधर । (बी) लाळिणी, (ब) देखो 'उगाळणी' (बौ ऊली क्रि० वि० इस ओर - वि० इस ओर की, इधर की नजदीक वाली । सर्व० इस । कलेरन - पु० गर्व, दर्प । । ऊलोड़ी, ऊलौ वि० (स्वी० मोड़ी उनी १ बाला - पैलौ - वि० ० इधर-उधर का । वणी (बी) देखो 'उमड़ी' (बौ ऊवरणौ (बौ) - देखो 'ऊबरणों' (बी) | ऊवर, ऊवरि - देखो 'ऊर' । ऊवळणी (बौ) - १ बचना शेष रहना । २ देखो 'उबळणी' (त्री) । ऊवस्स - वि० [सं० उद्वस ] निर्जन, जनशून्य । (ब) ० १ ऊंचा होना। २ वचना | ऊर्जा, ऊवा - सर्व० वे, उन्होंने । क्रि० वि० वहां । ऊवाड़ौ - १ देखो 'उवाड़ी' । २ देखो 'प्रवाड़ी' । ऊवारणी (बी) देखो 'वार' (बी)। ऊवाळ- १ देखो 'ऊहाळ' । २ देखो 'घोळ' | वेग (यौ) फि० उपेक्षा करना । बेली (ब) देखो 'उ' बो वेळी ० (स्त्री० [वेळी मुक्त उऋण ऊर्व प० । ऊat - सर्व वह उस 1 o - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊहाँ ऊस- पु० १ मादा पशु का ऐन । २ क्षार । ३ ऋषभ । ऊसन वि० [सं० अपरान] उत्सुक खिन्न वन्न । ऊसमक- पु० [सं० उष्मक ] १ गरमी, 1 तप्त, तपन २ ग्रीष्म ऋतु । ऊसर - पु० १ अनउपजाऊ भूमि । २ असुर - वि० कटु, कड़वा । ऊसरणी (बी) देखो 'उतरणी' (बी) ऊसा - देखो 'उसा' । ऊसारणी (बी) देवो'सार' (ब)। ऊसारी- पु० बरामदा । उत्तरोष देखी 'धनुर' । ऊसस - पु० १ जोश, आवेग । ऊससमो (बौ०ि [सं० उत्सति] १ जोश में धाना २ उठना । ३ जोश में शरीर का फूलना, फैलना बढ़ना । ४ बढ़ना । ५ उमंग युक्त होना । ६ जोश में आना । ७ तेज गति से श्वास लेना । I For Private And Personal Use Only ऊसासणी (बी) क्रि० बांध का किनारे फोड़ कर निकलना । तेजी से श्वास लेना । ऊसीसी देखो 'प्रोसीसी ऊह पु० तर्क | विचार | सर्व० वह । ऊहरण देखी 'एरगा'। ऊहविणौ (at) - क्रि० विचार करना । तर्क-वितर्क करना । ऊहा- अव्य०ग्रोह, ग्रह (ध्वनि) । पु० १ अनुमान । २ विचार । ३ तर्क, दलील ४ किवदंती । उहाड़ी देखो 'वाड़ी। कहाळ - पु० [सं० उहावलि ] जल के साथ बहने वाला कूड़ा । ऊहौ क्रि० वि० उस तरफ । सर्व० वहीं । Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकबारगी ए-देवनागरी वर्णमाला का सातवां स्वर-वर्ग । तार का वाद्य । -ताळ-पु० एक रस, एक स्वर, एंकार, एंकारी, एंठ-पु. १ मन मुटाव । २ अनादर सूचक | समताल । -दंत, दंतौ, दसन-पु० गजानन, गगेश । हाथी __संबोधन । ३ अस्पष्ट ध्वनि । ४ देखो 'ऐंठ'। विशेष । एक की संख्या । -नयन-पु० कौमा। कुबेर । एंधारण-देखो 'इंधण'। शुक्राचार्य । काना । -पग, पिंग-पु० कुबेर । -पत, पतिएंबूलेंस-स्त्री० [अ०] रोमीवाहन । -स्त्री० पतिव्रता। -मंडळ-पु० वह घोड़ा जिसके नेत्र की ए-पु. [सं०] १ विष्णु । २ सूर्य । ३ शेषनाग । ४ जीव । पुतली सफेद हो । -मते,मते-क्रि०वि० एक मत से । संगठन ५ द्विज । ६ बालक । ७ दानव । ८ बाण। -स्त्री. से । --मनौ-वि० एक मत । संगठित । -मुखो-वि० ६ अनुसूया । १० अनुकम्पा । -वि०१ संबंधी । २ सिद्ध । एक मुख या छिद्र वाला । -रंग, रंगी रंगौ-वि० समान, ३ बुद्धिमान । ४ उद्यत, तैयार। ५ द्वषी। -अव्य० हे, तुल्य । निष्कपट । एक सा। एकीभूत । प्रानन्दित । एक अरे । -सर्व० ये, यह, इस । ही स्वभाव या प्रकृति वाला । -रक्खी, रक्खो-वि० एक एम, एउ-सर्व० यह, इस । -क्रि० वि० ऐसा। रंग या स्वभाव वाला । -रदन-पु० गणेश, गजानन । एकंकार-देखो एकाकार' । -रवा-पु० एक तरफ से टांचा हुआ पत्थर । -वारएकंग-वि० एकांग, अकेला। क्रि०वि० एक दफा,एक बार। -रस='एकरंग' । -रूप = एकंगौ-वि० (स्त्री० एकंगी) एक ही रंग व एक ही स्वभाव में "एक रंग' । -वचन-पु० इकाई सूचक शब्द । -वेणीरहने वाला। स्त्री० विरहणी । विधवा। -संग-पु० विष्णु । सहवास । एकंत, (ति, ती, तु), एकंथ-देखो 'एकांत' । -संथ-पु० एकमत। -सरा-वि० सब एक साथ । एक-पु०[सं०]१ अंक माला की प्रथम इकाई एक को संख्या, १। एकड़-पु० [अ०] ४८४० वर्ग गज के बराबर कृषि भूमि २ इकाई। ३ विष्णु --वि०१ दो से प्राधा, एक केवल ।। का एक नाप। २ जो इकाई के रूप में हो। ३ पहला, प्रथम । ४ अद्वितीय. | एकचित-वि० एकाग्रचित्त, तन्मय । बेजोड़ । ५ मुख्य, प्रधान । ६ प्रकेला, एकाकी । ७ सत्य । एकट, (8), एकठो-वि० [सं० एकस्थक:] (स्त्री० एकठी) ८ भेद रहित, एक रूप । ९ इकहरा । १० दृढ़ । ११ अपरि | एकत्रित, इकट्टा । -क्रि० वि० एक साथ, साथ-साथ । बतित । १२ समान। १३ कोई। -क-वि० अकेला। एकडा-क्रि० वि० एक स्थान पर । -वि० एकत्रित, इकट्ठा। असहाय । निराला। -कारण-पु० शिव, महादेव । एकरण (रिण, पी)-वि० १ एक, एकही । २ अकेला। -कुडळ-पु० शेषनाग । -ग-क्रि० वि० एक साथ । ३अद्वितीय । -मल्ल-वि० अद्वितीय वीर। -साथ-प्र='एकाग्र' । -चक्र-पु० सूर्य । सूर्य का रथ । क्रि० वि० अकस्मात । एकदम । एक साथ । समग्र । चक्रवर्ती । --चख-वि० एक आंख वाला । काना । | एकताळीस-देखो 'इकताळीस' । -पु० काग । शिव का नामान्तर । शुक्राचार्य। --छात्र-40 एकताळीसौ-देखो 'इकतालीसौ' । वह राज्य या राजा जिस पर किमी का अधिकार न हो। एकत्र-वि० [सं०] १एक स्थान पर । २ साथ-साथ । ३ सब पुर्ण स्वतन्त्र । --क्रि० वि० एकाधिकार से, निरन्तर । एक साथ । ४ इकट्ठा । -ज-पु० अब्राह्मण, शूद्र। राजा । -वि० एक-मात्र एकत्रित-वि० संग्रहीत । एकत्र किया हुअा । जमा । ----टगौ-वि० लंगडा । -टक-क्रि० वि० निनिमेष, एकदम-क्रि० वि०१ यकायक, एकाएक, अकस्मात । २ निरंतर, लगातार । ---की-स्त्री० टकटकी । स्तब्धदृष्टि । लगातार । -डंकी- 'इकई को' । ....डाळ-स्त्री० मूठ सहित एक धातु एकदाई-१ सम-वयस्क । २ देखो 'एकदा'। की कटार। -ढाळ-वि० एक समान, सदृश्य, तुल्य । ---ढाळियौ--पु० कच्चे मकान के किमी कक्ष के आगे बनाए एकदा-क्रि० वि० एक बार । एक समय । ढनवा छप्पर । तरफौ-वि० एक पक्ष का । पक्षपात एकपत (ति, ती)-स्त्री० पतिव्रता. साध्वी स्त्री। युक्त । एकखा । -ता-स्त्री० प्रेम, मेल-जोल । एकबारगी-क्रि० वि० १ एक बार में, बिल्कुल । २ अकस्मात । मगठन की भावना । समानता । -तारौ-पु. एक एक दफा । For Private And Personal Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकबाल एकाधपत एकबाल-पु० [अ० इकबाल] १ प्रताप, ऐश्वर्य । २ सौभाग्य । एकहत्यी (थी)-देखो 'इकहत्थी'। ३ इकबाल स्वीकार । एकांग, (गो)-वि० [सं०] १ एक अंग का। एक पक्ष का । एकबीज (जौ)-पु० फल में एक ही बीज वाला वृक्ष । २ एक ओर का । ३ हठी। एकम--स्त्री० प्रत्येक मास की प्रतिपदा तिथि । एकारण (रिण)-वि० एक। एकमेक-वि० १ बराबर, समान, तुल्य । २ एकाकार । ३ रूप, एकारणव (वै), एकारणवी-पु० इकवानवां वर्ष । इकावन । ___ गुण,वर्ण की दृष्टि से भिन्न न हो। ४ अभिन्न, घुले-मिले। एकारणौ-देखो 'एकासणी' । एकर, एकरां (रा, रयौ)-क्रि० वि० एक बार । एकांत (ति, ती)-वि० निर्जन, शून्य । सूना। पृथक, अलग । एकरखौ-वि०१निरन्तर एक ही स्वभाव या प्रकृति में रहने वाला -पू० शून्य-स्थान । २ सदा एक ही रूप या अवस्था में रहने वाला। एकांतरकोण-पु० एक तरफ का कोण । एकरसी (सु. सू)-कि० वि० एक बार, एक दफा । लगातार । एकातरौ-पु० [सं० एक-अन्तर] १ एक दिन छोड़ कर पाने एकरार-देखो 'इकरार'। वाला दिन । २ एक दिन छोड़कर पाने वाला ज्वर । ३ एक ऐकरिये, एकरू-क्रि० वि० एक बार, एक दफा । के अन्तर से चलने वाला क्रम । एकल (उ)-पु० अकेला रहने वाला सूपर, बड़ा सूपर। -वि० एकांती-पु० अनन्य भक्त। १ अकेला, एकाकी । २ अद्वितीय वीर । एकांयंत, एकांयत-देखो 'एकांत' । एकलखोरौ-वि० (स्त्री० एकलखोरी) १ एकान्तवासी । २ सदा एका-स्त्री० दुर्गा । वि० एक । अकेला रहने वाला। २ स्वार्थी, ईर्ष्यालु । एकाई-देखो 'इकाई'। एकलगिड़-पु० सूपर वराह । २ देखो 'एकल' । एकाउळि (लि)-देखो 'एकावळहार'। एकलड़ी-वि० (स्त्री० एकलड़ी) १ अकेला। २ एक लटिका एकाएक (की)-क्रि० वि० अचानक, अकस्मात । -वि० या पटवाला। इकलौता। एकलबरणी-पु० डिंगल का एक गीत विशेष । एकाकार-पु० [सं०] १ रूप, गुण, प्राकार की दृष्टि से अभिन्नता एकलमल (ल्ल)-पु० परब्रह्म, विष्णु । -वि० १ अकेला। की अवस्था या भाव । -वि० एक रूप । समान, तुल्य । २ अद्वितीय वीर। एकाकी-वि० अकेला। एकलवाई-स्त्री० लुहार, मोची बढ़ई आदि का प्रौजार विशेष । एकाक्ष-वि० काना। -पु० कोना।२ शुक्राचार्य । एकलवाड़-पु० बड़ा व शक्तिशाली सूपर । एकाक्षरी-वि० एक अक्षर का । -पु० १ एक अक्षर का मंत्र, एकलव्यु-द्रोणाचार्य के शिष्य एक भील का नाम । ओंकार । २ एकाक्षरी छन्द । एकलापी,(ला)-वि० (स्त्री० एकलापी) १अकेला । २ असहाय । एकागर-देखो 'एकाग्र' । -पु. १ अकेला कार्यकर्ता । २ अकेलापन । एकागार (गारक, गारी)-वि० [सं० एकागारिक] १ दुष्ट, एकलिंग-पु० शिव का एक रूप । नीच, पतित । २ चोर । एकलि (ली)-वि० एक। एकाग्र-वि० [सं०] १ अचंचल, स्थिर । २ ध्यानावस्थित । एकलियौ-वि० १ अकेला । २ एक से संबंधित । -पु. एक बैल ३ एकाग्रचित्त । -चित्त-वि० चित्त या वृत्ति को एक जगह केन्द्रित किए हए । ध्यानावस्थित।--ता-स्त्री० चित्त का हल । की स्थिरता। स्थिरता । मनोयोग । एकलीम-देखो 'अकलीम'। एकातपत्र-वि० एक छत्र । सार्वभौम । चक्रवर्ती । एकलोतो-देखो ‘इकलोतो'। एकात्मा-स्त्री० एकता, अभिन्नता, एक रूपता । आत्मिक एकलौ-वि० (स्त्री० एकली) अकेला, एकाकी । एकता। एकल्लपल्ल-देखो 'एकलमल' । एकादस-वि० [सं० एकादश] दश और एक, ग्यारह । -पु० एकल्लौ-देखो 'एकलौ'। ___ ग्यारह की संख्या, ११ । -रुद्र-पु. हनुमान । रुद्रगण । एकवीस-देखो 'इक्कीस'। एकादसी-स्त्री० [सं० एकादशी] चन्द्रमास के प्रत्येक पक्ष की ग्यारहवीं तिथि, ग्यारस । एकसांस, एकसांसियौ-देखो 'इकमांसियो' । एकाधपत, एकाधपति, एकाधपत्त, एकाधपत्ति, एकाधिपत्य-पु. एकसाखियौ-देखो ‘इकसाखियाँ' । [सं० एका धिपत्य] १ पूर्ण प्रभुत्व की अवस्था, एकाधिकार । एकसौ-वि० (स्त्री० एकमी) एक जैसा, समान, तुल्य । २ महान योद्धा । ३ चक्रवर्ती सम्राट । For Private And Personal Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकाचादर एधस एकाबादर, एकाबाहदर-देखो 'इकाबहादुर'।। एखट, एखटौ-वि० [सं० एकस्थः] (स्त्री० एखटी) एकत्रित, एक एकार-पु० १ वर्णमाला का 'ए' स्वर । २ देखो 'एकाकार'। स्थान पर इकट्ठा किया हुआ। एकारको-वि० (स्त्री० एकारकी) एक बार की। एक दफा की। एगरउ-क्रि०वि० एक बार, एक समय । एकारां, एकार-क्रि०वि० एक बार । एक समय । एग्गारह-देखो ‘ग्यारह'। एकावन-देखो 'इकावन'। एडणी (बौ)-क्रि० एकत्र करना, संगृहीत करना, जोड़ना। एकावनो-देखो 'इकावनो'। झुंड बनाना। एकावळहार-पु० एक प्रकार का अमूल्यहार । एड-छेड़-क्रि०वि० इधर-उधर। ओर-छोर पर । अासपास । एकावळि, (ळी)-स्त्री० १ एक से सौ तक की गिनती । २ एक- एडौ-देखो 'ऐड़ो' । लड़ी की माला । ३ एक प्रकार का अर्थालंकार । ४ एक एड़ी-बेडौ-क्रि० वि० ऊपर-नीचे । -वि० ऐसा-वैसा । प्रकार का आभूषण। -पु० द्विघटक । गगरी। एकावरणौ, एकासरणी-पु० १ दिन में एक बार एक प्रासन | एछी-स्त्री० प्रावड़देवी की बहन । से किया जाने वाला भोजन । २ उक्त प्रकार का व्रत । एठित-देखो 'ऐठित' । एकासरणी-वि० एकासना व्रत रखने वाला । एडंक (डक)-पु० [सं० एडक] मेंढा, भेड़ा। एकासियो-देखो 'इकियासियौ । एड-पु० [सं०] नर भेड़ । -स्त्री० ऐडी। एकास्रित-वि० एक पर ही आधारित, प्राश्रित । एडगज-पु० [सं०] पुवाड, चकवड़ । एकास्री-वि० अकेला। एडी-स्त्री० १ पांव तले का पिछला भाग, एड । २ नीचला एकाहिक-वि० एक दिन का, एक दिवमीय । शिरा। एकी-स्त्री० १ इकाई। २ अविभाज्य संख्या। ३ छात्र द्वारा एडो-पु०१हर्ष या शोक का अवसर । २ ईर्ष्या, द्वेष । ३ वैर । एक अंगुली उठा कर अध्यापक को दिया जाने वाला पेशाब | एढी-पु० विशेष अवसर । खास मौका । का संकेत । -वि. एक । -करण-पु. एकत्रीकरण, | एण-पु० ।स० एण:] (स्त्रा० एणा) १ एक जाति संग्रह । मिलाकर एक करने की क्रिया । ---बेकी-पु० एक हरिण, कृष्णमृग । २ हरिण । ३ मृगचर्म, मृगछाला । राजस्थानी खेल। [सं० अयन] ४ घर, मकान । -सर्व० [सं० एतेन] इस एकोस-देखो 'इक्कीस'। यह । इन। -पताका-स्त्री० चन्द्रमा । -सार-पु. एकीसार-वि० समान, एकसा। मृगमद, कस्तूरी। एरिण (पी)-१ देखो 'इणि' । २ देखो 'पण' । एकूको-क्रि०वि० एक-एक करके, क्रमशः । एक ही । -वि० एतड़ा (डा)--वि० इतने । (म्बी० एकूकी) प्रत्येक, हरेक । एतत-सर्व० [सं०] यह । -वि० इतना । एकेंद्रिय (बी)-वि० [सं०] १ अपनी इन्द्रियों को विषयों से | एतबार-पू० [अ०] भरोसा, विश्वास । हटाकर मन में केन्द्रित करने वाला । २ एक ही इन्द्रिय | एतबारी-वि० [अ०] जिस पर विश्वास किया जाय, वाला। विश्वसनीय । एके, एक-वि० एक । एक और एक । एक मत, एक राय। एतराज (जी)-पु० [अ०] आपत्ति, विरोध । एकोतड़, एकोतड़ौ-वि.क सौ एक । -पू० उक्त प्रकार की एतलई, एतल (ल)-वि० इतने । -क्रि० वि० तब तक, संख्या, १०१ । २ देखो 'इकोतर' । अब तक। एकोतर-देखो 'इकोतर'। एतलौ-वि० (स्त्री० एतली) इतना । ऐसा । एकोतरसौ-वि० एक मौ एक । -पु० १ एक सौ एक की संख्या, एतां, एता-सर्व० इतने । १०१ । २ सात हजार एक सौ की संख्या, ७१००। एति, एती-वि० इतनी, ऐसी है - सब इस । एकोतरौ-देखो 'इकोतरौ'। एतेह-वि० इतना। एकोळाई-स्त्री० बढ़ई का एक औजार । एतौ-वि० [सं० इयत्] (स्त्री० एती) इतमा । एको (ककौ) -पु० १ एक का अंक, १ । २ एकता, संगठन । एथ, (ऐथि) एथिये, एथी, एथीय-क्रि० वि० यहाँ, इस ३ देखो 'इक्को'। ओर, इधर । एक्कावान-देखो 'इनाकावांन', । एधस-पु० [सं०] १ यज्ञ का इंधन । २ इंधन । For Private And Personal Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra एघां एम- क्रि०वि० इस प्रकार ऐसे । सर्व० यह इस । एमौ-क्रि०वि० ० इस ओर । एन-देखो 'समरत' । एधारण - १ देखो 'इंधण' । २ देखो 'इधारण' । एवळी- देखो 'ऐधुळी' (स्त्री० एधुळी ) । एम० [सं०] १ रास्ता मार्ग [सं०] [] २ पाप - क्रि०वि० [अ०] ठीक से । विशेष या खास मौके पर । एनां देवी 'ऐनांगा' । www.kobatirth.org एरंडकाकड़ी स्त्री० परीता । एरंडी-स्त्री० प्रोढ़ने का वस्त्र विशेष । एरंडोळी - स्त्री० एरंड का बीज । ( १६८ ) एरंड. एरंडियौ पु० [सं० एरंड ] १ रेंडी का पौधा । २ पपीता का पौधा । एलादी० [सं० एला] इलायची एलाज देवी 'इनाम' । एलाबेला (बेली) - क्रि०वि० परस्पर विपरीत दिशा में । एळियौ, (ळवी) - पु० घी कुमार रस एक प्रौषधि विशेष । एवं एव क्रि०वि० [सं०] इसी प्रकार, ऐसे हो । और, तथा । भी। निश्चय ही । स्त्री० सादृश्य, समानता । एवड़ - पु० [सं० जपटल ] १ भेड़ों का झुण्ड समूह । २ भेड़ चराने वालों से लिया जाने वाला प्राचीन कर । एवड़फ़ेबड़ - क्रि०वि० अगल-बगल । प्रास-पास किनारे पर । एवज - पु० [अ०] १ प्रतिफल । २ प्रतिकार, बदला । ३ स्थानापन्न | एवजांनी - पु० १ प्रतिफल । २ बदला । ३ हरजाना । एवजी स्त्री० १ बदले में काम करने की क्रिया या भाव। २ बदले में काम करने वाला ३ देखो 'एवज' । एस० [सं० बाहरण लोहे की चौकी जिस पर लोहार लोहा व सुनार सोना-चांदी पीटता है। एस (सौ) देखो 'एसी' (स्त्री० एरसी) एरा देख ऐराक' | एराकी, एराकौ - देखो 'ऐराकी' । एापत देखो 'ऐरावत'। राव ( ब ) देखो 'ऐ' एरिसो, एरेसो- वि० (स्त्री० एरसी) इतना । ऐसा । एरी- वि० ऐसा ग्रव्य० है, अरी । एरो ५० [सं०] एक ] एक प्रकार की घास सर्व० ऐसा एळ- १ देखो 'एला' । २ देखो' इळा' । एलबी-१० [१०] १ राजदूत २ पत्रवाहक ३ देखी 'इलायची' एहम सर्व० ये यही वि० इसी मही एलम - देखो 'इलम' । गीर - ' इलमगीर' । एलवळ (विकी) - पु० [सं० एलविल: ] कुबेर । एह एलवी- वि० (स्त्री० एलांग-पु० निशान चिह्न एहळा - वि० [सं० अफल] एव (वां, एलांग-१ देखो 'ऐलान' । २ देखो 'ऐनांग' । एकादेखी 'इ'। - एवड, (ड, डो) - वि० [सं० इवत् ] ( स्त्री० एवडी ) १ इतना | ऐसा । २ देखो 'एवड़' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एवहौ - वि० (स्त्री० एवही ) ऐसा । एवाड़ी - पु० भेड़-बकरी- समूह को रात्रि में बैठाने या रखने का स्थान । एबाळ (ळिपी छौ)पु० [सं० प्रजापाल ] १ भेड़ पराने वाला गडरिया । २ ग्वाला । ३ जलाशय के किनारे एकत्र होने वाला कूड़ा-करकट | एवास देखो 'प्रवास' । , एवासी - पु० निवासी । एवाही एवं वि० (स्त्री० एवाही) ऐसा - एवे ( ) - सर्व० । एस सर्व० यह । इसका । क्रि० वि० इस वर्ष । एसानुमति स्त्री० [सं० एषा समिति] ४२ प्रकार के दूस दूर कर शुद्ध प्रहार प्राप्त करने की गवेषणा । एसरब गु० मुसलमानों का तीर्थ स्थान विशेष एसांन देखो 'एहसान'। एह सर्व० [सं० एप ] १ यह ये । २ इस । वि० ऐसा । एहडली (डी) वि० [स्त्री० एडली) १ ऐसा २ स्वर्थ । एहो एहसांरग (सांन) - पु० [अ०] १ उपकार । २ भलाई । ३ नेकी | - मंद - वि० उपकृत । एहास वि० [सं० एारत] ऐसा एहि एहि. (ही) वि० १ एहवा, एवी) ऐसा । स्मृति चिह्न । (स्त्री० एहळी) निष्फल, व्यर्थ | ब० (रुपी० एवी) ऐसा For Private And Personal Use Only २ऐस एह एहू - वि० यह ऐसा । इस प्रकार का । एहौ - वि० (स्त्री० ऐही ) ऐसा, इस प्रकार का (संबोधन) प्रव्य० हे, अ Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org ( १६९ ) --ऐ- ऐ- वर्णमाला का आठवां स्वर वर्ण । ऍ - अव्य० आश्चर्य सूचक या प्रश्न वाचक अव्यय ध्वनि । ऍचरण - स्त्री० खिंचाव, तनाव । ऍचणी ( वो) क्रि० लींचना, तानना । ऐंठना ऍचात वि० (स्त्री० ऐवातांगी) तिरया या टेड़ा देखने वाला। ऐड-५० रु. दुराग्रह | ऐंट-देवो''। ऐडियो-वि० ऐसा ऐंटी- देखो 'ऐंठो' । ऐडौ - वि० (स्त्री० ऐड़ी ) ऐसा, इस प्रकार का | ऍठ ( ख ) - स्वी० १ बकड़ ऐंठन २ ग ३ राग-द्वेष, ऐजन अव्य० [०] तथा पौर, उदय विरोध | ४ जूटन | ऐंठणी (ब) - क्रि० १ जूठा करना । २ चखना । ३ मरोड़ना, बल देना । ४ बलात् वसूल करना । ५ प्रकाड़ना ६ तानना, खींचना । ऍठाळ (ज) विष्ट, पानी, गोर ऐंटित वि० [सं० उष्टि] जुठा, उष्ट पु० जूठन ऍडियोड़ी, ऍठोड़ी, ऍठी वि० (स्त्री०डी) ठाउन्टि । - पु० जूठन । - चूंटो, चूठो ठौ पु० जूठन । जूठा पदार्थ | ऐंडवाडी स्त्री० १व्यभिचारिणी स्वी० २ टन ३ नूठा पात्र ऐड़ी पु० अवसर, मौका ऍठवाड़ी ५० १ जूठा, उछिष्ट २ जूठन । ऐस १ देखी 'घपन' ऐंठारणी (बी), ऐंठावरणौ (बौ) - क्रि०१ जूठा कराना । २ चखाना । ४ देखो 'इ' । ३ बल दिराना । ४ बलात् वसूल कराना । ५ तनवाना, ऐतड़ौ देखो 'ऐतौ' । खिंचवाना | ऐतराज-देखो 'एतराज' | ऐसे क्रि० वि० इतने में । ऐतौ - वि० व० इतना । (स्त्री० ऐती ) ऐम ऐवी देखो 'एव'। ऐदी (धी) - देखो 'अहदी' | 'ऐघृत-देखो 'अवधूत' । ऐडी (at) fho चलना, विचरना। ऐंडणौ - ऍड अॅड - वि० १ प्रंट-संट, निरर्थक । २ अस्त-व्यस्त । ३ अनाप ऐस देखी 'गु' । ऍड पु० ज्योतिष का एक योग ऐडि (डी) त्री० [सं०] चौसठ में से अद्रावनवी योगिनी । ऍडी-देखो'' (स्त्री० की। सनाप । ऍडीडी दि० (स्त्री० [सीधाड-संट ऐंडों, ऐंढी- पु० १ अंदाज, अनुमान । २ भोजन के समय साथ ले जाया जाने वाला बालक । वि० १ ऊबड़-खाबड़ दुर्गम । विकट भयावह । २ टेढ़ा-मेढ़ा, अकड़ा हुआ । ३ विरुद्ध ४ साथ वाला । 1 ऐ-पु० [सं०] ऐ: ] १ शिव । २ कामदेव । ३ बालक । ४ कपि, बंदर । ५ असुर । ६ ऊंट । ७ निमंत्रण । ८ वचन | ६ बीज 1 १० राजा । ११ विश्व १२ कुम्हार स्त्री०१३ सरस्वती १४ मुक्ति वि०१२ विषम ३ व्यापक । ४ पूज्य । ५ एकत्र । सर्व० यह, ये । - अव्य० संबोधन सूचक शब्द है, अरे । ऐक्य पु० [सं०] ऐ] १ समता का भाव २ एकर ३ प्रेम मेल । ४ प्रभेद । ५ जोड़, योग । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऐजनमाळी वि० (स्त्री० ऐजन-गाळी) नखराला, ला छैला I ऐठति, ऐठित - देखो 'ऐंठित' । ऐबात | ऐठ पैठ स्त्री० १ परिचय । २ विश्वास ३ इज्जत । ४ साख । | ऐठी- देखो 'ऐंठी' । . ऐपूळी- वि० (स्त्री० ऐधूळी) शौकीन, छैला | मस्त । वीर, बहादुर । मेड़ी-वि० तिरखा, टेड़ा। २ देखी 'एस' ३ देखी 'ऐन' ऐन पु० [सं० प्रयन] १ घर मकान । २ नेत्र नयन । - वि० [अ०] १ ठीक, उपयुक्त २ खास ३ बिलकुल ४ पूरा ५ निश्चित । For Private And Personal Use Only ऐनक-पु० पांख का चश्मा | ऐनांरग पु० १ निशान चिह्न । २ देखो 'ऐलांग' । ऐफेरण - पु० मादक वस्तु | अफीम | ऐब- पु० [अ०] १ अत्रगुरण, बुराई, दोष २ कलंक । ३ बुरी आदत । ४ गुनाह, दोष । --- गैब- क्रि०वि० श्रचानक । गुप्त रूप से वि० [प्रंट संट । अनोखा । ऐबाकी - वि० १ जबरदस्त । २ विशाल । ३ प्रचंड । ४ भयभीत करने वाला । ऐबात - देखो 'वात' । Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रेबी ऐहो ऐबी, ऐबीलो-वि० (स्त्री० ऐबण) १ अवगुणी, बुरा, दोषी। ऐल-स्त्री० १ किंचित क्षति । २ साधारण जोर, दबाव या २ कलंकित । ३ बुरी आदत वाला । ४ गुनाहगार, दोषी। कष्ट । ३ हल्का झटका, धक्का । ४ प्रवाह, बाढ़। ५ दुष्ट । ६ विकलांग। ऐलकार-पु० [अ० ग्रहलकार] कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी। ऐम-क्रि०वि० इस प्रकार, ऐसे । ऐलके-क्रि० वि० इस समय, अभी । ऐलची-पु० राजदूत । ऐमक-वि० [अ० अहमक] बेवकूफ, मूर्ख । ऐलमंद-पु. किसी विभाग का प्रथम कर्मचारी । ऐमौ-क्रि०वि० १ इधर, इस ओर । २ इस प्रकार । ऐलांण, ऐलान-पु० १ घोषणा । २ विज्ञापन, प्रकाशन । ऐयार-वि० [अ० ऐय्यार] १ धूर्त, चालाक । २ छलिया, ठग । ३ निशान, चिह्न । ४ लक्षण, गुण । ३ मायावी, प्रपंची। ऐळा-देखो 'इळा'। ऐयास (सी)-वि० [अ०] १ विषयी. भोगी । २ लंपट । ऐळौ-वि० (स्त्री० ऐळी) निष्फल, व्यर्थ । __-पु० भोग-विलास । ऐवंविह-क्रि०वि० [सं० एवं विधि] इस प्रकार, इस तरह । ऐरंगपत्तो-पु० स्त्रियों के कान का प्राभूषण । ऐवडउ (डौ)-क्रि०वि० ऐसा। मव० इतना । ऐरंड-देखो 'एरंड'। ऐवाकी-देखो 'ऐबाकी'। ऐरण, ऐरन-देखो एरण । ऐवात-देखो 'अहिवात'। ऐरपत-देखो 'रावत'। ऐवाळ-देखो 'एवाळ'। एरसौ-वि० (स्त्री० ऐरसी) ऐसा । -क्रि०वि० इस प्रकार, ऐसे। | ऐवाळियो-देखो 'एवाळियौ' । ऐराक-पु० १ एक प्रकार की शराब । २ एक रण वाद्य विशेष । ऐवास-देखो 'पावास' । ३ घोड़ा । ४ अरब देशोत्पन्न घोड़ा । ५ अरब देश । | ऐवेहे, ऐवैहै-सर्व० वे। ६ तलवार । --वि०१तेज.प्रचंड । २ भयंकर । ३ जबरदस्त । | ऐवौ-सर्व० वह । -वि० ऐसा । (स्त्री० ऐवा, ऐवी) -~-राग-स्त्री० सिंधु राग का एक नाम । ऐस-अव्य० [सं० ऐषमः] इस वर्ष । इस मौके । -पु० [अ० ऐश] ऐराकी-वि० १ ईराक देश का, ईराक देश संबंधी । २ अरबी। आराम, चैन । भोग-विलास । [सं० अश्व] घोड़ा। पु० घोड़ा । देखो 'ऐराक'। ऐसांन-देखो 'अहसांन'। ऐरापत (डौ) ऐरापति-देखो 'ऐरावत' । ऐसे-वि० इस प्रकार के ।-क्रि०वि० इस तरह । इस प्रकार । ऐराब-स्त्री० १ एक छोटी तोप । २ शतरंज की एक चाल । | ऐसौ, ऐह, ऐहड़ौ-वि० ऐसा, इस तरह का । (स्त्री० ऐसी, ऐरावण-वि० [सं० ऐरावणः] इंद्र का हाथी। | ऐहड़ी, ऐही) ऐरावत-पु० [स० ऐरावत:] १ इंद्र का हाथी । २ हाथी । | ऐहकार-देखो 'अहंकार' । ३ पूर्व दिशा का दिग्गज । ४ इंद्र धनुष । ५ बिजली से | ऐहदौ-वि. (स्त्री० ऐहढी) १ विकट, दुर्गम । २ भयानक । चमकता बादल । ६ बिजली । ७ प्रथम लघु व दो दीर्घ (पांच) मात्राओं का नाम । ८ पाताल निवासी नाग जाति | ऐहमकाई-स्त्री० मूर्खता । बेवकूफी । का मुखिया। -वि० श्वेत, सफेद । ऐहरौ-वि० ऐसा । (स्त्री० ऐहरी) ऐरावता (ती)-स्त्री० [सं० ऐरावती] १ बिजली, विद्युत । ऐहळ-देखो 'ऐल'। २ हथिनी। ३ पंजाब की रावी नदी का नाम । ऐहलांण-देखो 'ऐलांण' । ऐरिसा-क्रि०वि० एतादृश, इस प्रकार । ऐहळौ-देखो 'ऐळो'। (स्त्री० ऐहळी) ऐरी सौ-पुख्यौ० जंगली भैसा । बिना बधिया किया भंसा। | ऐहवात-देखो 'पहिवात'। ऐरू-पु० [सं० अहिरूप] सब जाति के सर्प । -जांजरू-पु० | ऐहवी-वि० ऐसा । (स्त्री० ऐहवी) विषले जंतु । | ऐहिक-वि० [सं०] लौकिक, सांसारिक । ऐळ-देखो 'इळा'। । ऐहौ-वि० ऐसा । (स्त्री ऐही) For Private And Personal Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोगरणगारों ओ-देव नागरी वर्णमाला का नौवा स्वर-वर्ण । ओकूब-वि० बुद्धिमान । ओं-अव्य स्वीकृति सूचक ध्वनि । -पु० प्रो३म् का सूक्ष्म रूप । प्रोकेळ-देखो 'पोकळ । ओंकड़ो-पु० कोल्हु के बैल की आंखें बांधने का चमड़े का | पोखंगी- देखो 'श्रीखंगी'। उपकरण। पोखंभरणौ (बौ)-क्रि० चलायमान करना, चलाना। ओंकार-पु० [सं०] परब्रह्म वाचक प्रणव मंत्र - नाथ-पु. पोखड़-पु० चांक में अन्न राशि का उतरना, सीमा रेखा टूटना। शिव का एक लिंग। प्रोखड़मल-देखो 'अखाड़मल' । पोंगरणी (बौ)-देखो औंगणौ (बी)। प्रोखड़ी (डौ)-पु० सड़ा हुआ नारियल या गिरी। प्रोंबली-स्त्री० १ बैल गाड़ी के थाटे के अगल-बगल लगने वाले । प्रोखण-पु० अनाज काटने का मूसल, मस्तूल । हुक । २ देखो 'प्रांमली' । पोखद (दि, दी), पोखध, पोखधी-स्त्री० [सं० औषधि] प्रो-पु० [सं०] १ परब्रह्म । २ विष्णु । ३ ब्रह्मा । ४ शेषनाग । १ औषधि, दवा । २ जड़ी-बूटी। -प्रधीस-पु० चन्द्रमा । ५ बलराम । -सर्व० वह । यह । -पत, पति-पु० चन्द्रमा । मोघेहकार-देखो 'याकार'। पोखर-पु० मल, विष्टा, गू। प्रोपरी-देखो 'पोरी'। पोखराईयौ--पु० (स्त्री० पोखगई) वह पशु जिसे विष्टा खाने प्रोइंचरणौ (बी)-देखो 'ग्रोहींचणी' (बौ) । की आदत हो। श्रोईजाळी-पु० [सं० अवधिजाल] १ वस्तुओं का अव्यवस्थित देर। पोखरी-स्त्री० अोखली, ऊखल । २ वह स्थान जहां पर अव्यवस्थित सामान का ढेर हो। पोखळ-पु० १ प्रहार, वार । २ देखो 'ऊखळ' । प्रोईयाळौ-देखो 'प्रोयाळी' । (स्त्री० प्रोईयाळी) पोखळणी-पु० [सं० अपस्खलनम् ] अपस्खलन, पतन, गिरावट । प्रोक-पु० [सं० प्रोक] १ घर, मकान । २ छाया। ३ बचाव, | पोखळणी (बी)-क्रि० १ गिरना, फिसलना । २ पथ भ्रष्ट पाड़। ४ शरण, आश्रय । ५ पक्षी । ६ शूद्र । ७ स्थान, होना । ३ उत्तेजित होना । ४ ठोकर खाना । ५ प्रहार जगह । ८ल्याग, परहेज । ९ नक्षत्र समूह । १० देखो न करना या होना । ६ मारना । पोखळमेळो-देखो 'उखळमेळो। प्रोकखग-पु० वृक्ष। पोखळ, पोखळी- १ देखो 'अोकळी' २ देखो 'ऊसार। प्रोकड़-स्त्री० सप्तर्षि के अस्त होने के स्थान से चलने वाली वायु । प्रोखाण (रणी)-देखो 'उखाणौ' । प्रोकढ़ौ-देखो 'ऊकटौ'। प्रोखागिर-पु० गिरि-कंदरा । पहाड़ी गुफा । पोकरणौ (बौ)-क्रि० १ शस्त्र प्रहार करना । २ क्रूरता से देखना । | प्रोखापुरी (मंडळ)-पु० द्वारिका का एक नाम । प्रोकर-पु०१ ताना, व्यंग ।२ तू कहकर पुकारने का शब्द, पोखाळ-पु० [सं० अोखाल] १ युद्ध, रण । २ विरेचन । ____ अवज्ञा सूचक शब्द । ३ देवो 'पोखर'। प्रोखाळ मल-देखो 'अखाड़मल'। पोकरणी (बी)-देवो 'पोखरणी' (बौ)। पोखिद-देखो 'प्रोखद'। पोकळ, पोकळी--स्त्री० [सं० उत्कलिका] १ अधिक भूखा रहने पोखौ-वि० (स्त्री० अोखी) १ अटपटा । २ भद्दा । ३ अनुचित । या गर्मी में फिरने से होने वाली उष्णता । २ हवा के ४ व्यर्थ का निन्दक । ५ कठिन । ६ भयंकर, विकट । कारण उड़ उड़ कर बनने वाली धूल की लंबी हेरियां। ७ खराब, बुरा। प्रोकली--स्त्री० [नं० उत्कलिका] १ हेला, क्रीड़ा विशेष । २ लहर । ३ कली। ४ उत्कठा, चिता, विकलता । प्रोग-स्त्री० १ ताप, पांच । : जलन, दाह । प्रोका-पु० १ देवी का खप्पर । २ देखो 'क' । प्रोगड़-दोगड़े-वि० अव्यवस्थित, अस्त-व्यस्त । प्रोकाई (ोकारी)-स्त्री० वमन, के। प्रोगरा-देखो 'अवगुण'। भोकात- देखो 'ग्रीकात'। प्रोगणनारी-वि० ? अवनगा ग पुर्ण दगा युक्त। ग्रोकोरी-पु० [सं० अवकीट] गोबर-कीट । २ कृतघ्न । For Private And Personal Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भोगणियो प्रोज प्रोगणियौ-देखो 'प्रोगनियौ' । प्रोड़ -पु० कूऐ पर बना कोठा, कुण्ड । प्रोगणी, प्रोगणौ-वि० १ कृतघ्न । २ नीच । प्रोड़े-वि० समान, तुल्य, सदृश । प्रोमणीस-देखो 'उगणीस' । प्रोडौ-पु० १ पनाह स्थान,ग्राड । २ देखो 'पोहड़ौ' । मोगरणी (बौ)-क्रि० तंग करना । घर्षण करना । प्रोचक्करणौ (बौ)-क्रि० १ चौंकना ।२ उचकना । ३ लपकना । प्रोगत-स्त्री० अधोगति, बुरी गति । अगति । प्रोचरणौ (बौ)-क्रि० उच्चारण करना, बोलना। प्रोगतियो-वि० अधोगति को प्राप्त । प्रोचारणौ (बौ)-क्रि० मनोगत भावों में परिवर्तन होना। . प्रोगनियौ-पु० स्त्रियों के कान का आभूषण । मोठंडणौ (बौ)-क्रि० त्यागना छोड़ना । प्रोगम-देखो 'उगम'। प्रोछ-स्त्री० लघृता । २ कमी । ३ तुच्छता । ४ क्षुद्रता । ५ तुच्छ प्रोगळी-स्त्री० बाजरी के कटे पौधों का ढेर । भावना। प्रोगां-स्त्री० अपामार्ग का पौधा । प्रोछइ, प्रोछउ-देखो 'अोछौ' । प्रोगाजपो (बौ)-क्रि० गरजना। प्रोचरणौ-वि० तुच्छ या अोछी भावना वाला । प्रोगाढ़-देखो 'अवगाढ़' । प्रोचरणौ (बौ)-क्रि० कम होना, घट जाना। प्रोगाळ-पु० १ पशुओं की जुगाली । २ ताना, व्यंग । ३ कलंक। प्रोछब (व)-देखो 'उत्सव' । ४ अपयश । प्रोछाड़-देखो 'पौछाड़'। मोगाळणी (बौ)-क्रि० १ पशुओं का जुगाली करना । २ वमन प्रोछाड़णौ (बौ)-देखो 'पोछाड़गणी' (बौ)। करना । ३ के करना। प्रोछारप-पु० प्रहार के लिए शस्त्र उठाने का भाव । प्रोगाळ-बंध-पु० चौपाये पशु का एक रोग जिसमें वह जुगाली प्रोछारणौ (बौ)-देखो ‘ौछाणी' (बौ)। करना बंदकर देता है। प्रोछापण (परणी)-पु० १ ओछापन, क्षुद्रता, तुच्छता । २ छोटापन, प्रोगाळी-पु० पशुओं द्वारा चरने के पश्चात छोड़ा हुआ चारे का लघुता । ३ कमी। ८ नीचता । अवशिष्ट भाग। पोछाबोलौ-वि० १ अपशब्द बोलने वाला । २ असभ्य । मोगुण-पु० अवगुण, दोष। -गारौ'पौगरणगारौ'। प्रोध-पु० [सं० मोघः] १ समूह, ढ़ेर । २ बाढ़ । ३ जल प्रवाह प्रोछाळो-देखो 'उछाळी'। ___ या धार । ४ बहाव । ५ संतोष-स्त्री० ६ गर्मी, ताप, प्रांच। प्रोछाह-पु. १ आच्छादन । २ देखो 'उत्साह' । ३ देखो 'उत्सव' । प्रोघउ-देखो 'प्रोधौ'। प्रोछाहरणौ (बौ)-क्रि० १ आच्छादित करना, ढकना । प्रोघड़-पु. १ जोगियों की एक शाखा । २ परब्रह्म ज्ञान प्राप्स २ उत्सव करना, हर्ष करना । संन्यासी -वि. निकृष्ट, परिणत ।। प्रोछीजणी (बौ)-क्रि० कम पड़ना, घटना । कम होना। प्रोवट-स्त्री० १ बुरी घटना। २ विपत्ति, संकट । ३ मृत्यु । सिकुड़ना। ४ विकट स्थान । ५ दुर्गम-पथ । वि०-१ अघटित । प्रोछीढारण-स्त्री० कंट की एक चाल विशेष । २ विकट, भयंकर। ३ अद्भुत, विचित्र । -घाट-पु० दुर्गमपथ । -वि० भयंकर । -स्त्री० हिचकिचाहट । प्रोछीनजर-स्त्रीयो० १ अदूरदर्शिता। २ न्यून या हेय भावना। प्रोपनियौ-देखो 'प्रोगनियौं'। ३ दूसरे के प्रति असम्मान का दृष्टिकोण । प्रोघसरणौ (बौ)-क्रि० [सं० अवघर्षण] १ खुजली मिटाने के लिये पोळू पोछेरडू, प्रोछरडो, प्रोछौ-वि० (स्त्री० ओछी) १ जो किसी वस्तु से शरीर को रगड़ना । २ रगड़ना, घिसना । गहरा न हो, छिछला । २ शक्तिहीन, कमजोर, निर्बल । ३ जोश में भरना । ३ तुच्छ, अोछा । ४ क्षद्र, नीच । ५ ठिगना, बोना । ६ जो लंबा न हो । ७ छोटा लघ । ८ अल्प कम । प्रोघौ-पु० [सं: अोधः] जैन साधुओं के हाथ में रहने का ९ अपूर्ण । १० सूक्ष्म । ११ छोटी भावना वाला। चंवर-नुमा झाड़ । -मोछौ-वि० काम चला। जैमा-तैसा।। प्रोड़- क्रि० वि० अोर तरफ । -पार-क्रि० वि० चारों ओर ।। प्रोज-पु० [सं० प्रोजस] १ बल, पराक्रम शक्ति, प्राण बल । वि० समान, बराबर । २ कौशल । ३ आभा, कांति, दीप्ति । ४ काव्य गुण प्रोडा-क्रि०वि० ऐसे, इस कार । वि० ऐसा । विशेष । ५ जल । ६ उजाला, प्रकाश । ७ शरीरस्थ रसों प्रोड़ियाल, पोड़ी-पु. १ ऊंट के ईडर में होने वाली ग्रंथि ।। का सार भाग । ८ पेट । ९ मृत पशुओं के पेट का मेला । २ इम रोग से पीड़ित ऊंट । १० उष्णता, गर्मी । -वि०विषम । ऊंचा । प्राहार-पु० एक For Private And Personal Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोजक ( १७३ ) प्रोटोजट जन्म समाप्त करने के बाद जन्मातर को धारण करने वाला सामान । २ दहेज । ३ गौना। के समय ग्रहण किया जाने वाला आहार । प्रोझर-देखो 'प्रोजर'। प्रोजक-स्त्री० १ घबराहट, बेचैनी । २ झिझक । ३ चौंकने की | प्रोझरी-देखो 'प्रोजरी'। क्रिया या भाव । -वि० चौकन्ना। प्रोसळ-वि० [सं० अवरुन्धन] १ अदृश्य, नुप्त, । २ गुप्त। पोजकरणी (बी)-क्रि० १ चौंकना, चमकना । २ घबराना, बेचैन | ३ दूर । ४ छुपा हुप्रा । -पु० प्रोट, पाड़। होना । ३ कांपना । ४ भयभीत होना । प्रोझळरणौ (बी)-क्रि० १ कूदना, फांदना । २ चौंकना। प्रोजको (गो)-पु० १ रात्रि भर का जागरण । २ इस जागरण । ३ मिटना, नष्ट होना । ४ अदृश्य होना। ५ छुपना। से उत्पन्न थकावट । प्रोझळा-स्त्री० अग्नि की लपट । प्राग । प्रोजग-देखो 'प्रोजक'। प्रोझाड़-१ देखो 'पौझाड़' । २ देखो 'उजाड़'। प्रोजगी-पू० रात्रि में जागरण करने वाला व्यक्ति ।। प्रोझाड़पो (बौ)-देखो 'पौझाड़णो' (बी)। ___-स्त्री० रात्रि के जागरण की थकावट । प्रोजणी (बौ)-क्रि० १ जंचना, फबना, शोभित होना। | श्राझाड़ा-पु० १ गुस्से में डाट | प्रोझाडौ-पु० १ गुस्से में डांटना । २ प्रताड़ना । ३ झिड़की। २ देखो 'प्रोदणौ' (बी)। ४ धक्का, झटका। प्रोजर (रौ)-पु० [सं० उदर] पेट । | प्रोझाट-देखो 'प्रोझाड़'। प्रोजरी-स्त्री० [सं० उदर + रा.प्र.ई.] १ आमाशय । २ पेट। | प्रोझाळ-देखो 'पौझाळ'। ... ३ पेट की थैली। | प्रोझाळी-वि० (स्त्री०योझाळी) १ तेजस्वी । २ देखो 'पौझाळ' । प्रोजळा-पु० बिना सिंचाई मे अंकुरित होने वाले गेहूँ या जौ। | प्रोझावी-पु० भलक । (स्त्री० प्रोझाळी) प्रोजागरणौ (बो)-क्रि० १ रात भर जगना । जागरण करना ।। २ नींद न लेना। प्रोझीसाळी-देखो 'प्रोईजाळो'। प्रोजास-पु० १ अपयश, निदा । २ देखो 'उजास'। मोझी-पु. १ खतरा । २ बहाना । ३ उपाध्याय । प्रोजासरणी (बी)-कि० अपयश होना । देखो 'उजासम्मा' (बा)। | प्रोट-स्त्री० १ आड़, रोक । २ शरण, आश्रय । ३ सहारा, प्रोजासी-देखो 'उजासी'। आधार । ४ बाधा, व्यवधान । ५ दोष। ६ किनारे की प्रोजियाळी-देखो 'ओईजाळी'। गोट । ७ घास-फूस। प्रोजोंगरणी-स्त्री० पतली लकड़ी जिमको जलाकर दीपक का | | प्रोटण, प्रोटणी-स्त्री० १ चरखे का एक उपकरण । २ प्रोटाना काम लिया जाता है। क्रिया। ३ राख या मिट्टी से आग को दबाने की क्रिया । प्रोजू (झू)-क्रि०वि० अब भी । फिर, पुनः । अभी तक । ४ वस्त्र का छोर जरासा मोड़ कर की जाने वाली दुबारा। सिलाई। प्रोजू-पु० [अ० मुन] नमाज पढ़ने पूर्व शुद्धि के लिए हाथ पांब प्रोटणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रावर्तन] १ रूई और बिनौले अलग धोने की क्रिया । अलग करना । २ पुनरुक्ति करना । ३ चूर्ण बनाना, प्रोजोळी-स्त्री० बढ़ई का एक औजार । पीसना । ४ कष्ट देना । ५ बस्त्र के छोर को किंचित मोड़ प्रोजौ-पु० बहाना, मिस । कर सिलाई करना। ६ राख या धल के नीचे प्राग दबाना । प्रोस-देखो 'प्रोज'। ७ अांच पर उबाल कर गाढ़ा करना । ८ पैर के नीचे प्रोझक -देखो 'योजक'। दबाना । ६ प्रोढ़ना। १० अधिकार में करना । प्रोझकरणौ (बो)-देखो 'योजकणौ' (बौ)। प्रोटपौ-वि० (स्त्री० प्रोटपी) विचित्र, अद्भुत । प्रोझको-पृ० १ स्मति, स्मरण । २ देखो 'प्रोजको' । मोटरौ-वि० शरणागत । श्रोशख-स्त्री० लचक। प्रोटवरणौ (बौ)-देखो 'मोटरगौ' (वी)। प्रोमड़ (ड)--वि०१ भयंकर, प्रबल । २ अपार, असंख्य, प्रथाह। श्रोटवी-देखो 'प्रोटपौ'। ____-० १ प्रहार, चोट । २ देखो 'प्रोजर' । प्रोझड़ी देखो 'प्रोजरी'। प्रोटाळ-देखो 'ग्रौटाळ'। प्रोझडौ-पृ० १ झटका, धक्का । २ देखो 'प्रोजरी'। प्रोटि (टी)-१ देखो 'प्रोट'। २ देखो 'मोठी'। प्रोझरण (शु. रणौ)-पु.१ कन्या की विदाई के समय दिया जाने ओरीजट-देखो अोठीजट'। For Private And Personal Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोटो मोतारी प्रोटौ-पु० १ जलाशय का वह नाला जिसमें से आवश्यकता से | प्रोडव-स्त्री० १ ढाल, फलक । २ एक राग विशेष । अधिक पानी पाने पर स्वतः बाहर निकल जाता है। प्रोडवरण-देखो 'प्रोडण'। मोरा । २ ऊंचा स्थान । ३ देखो 'अोठी'। प्रोडवणी (बौ) प्रोडारणौ (बौ)-१ देखो 'प्रोढणी'(बी) २ देखो प्रो ठंगौ, प्रोठंभ, अोठंभौ, प्रोठण, (ठम)-पु० [सं० अवष्टम्भ] ___'योडणी' (बौ)। १ सहारा, अटकन । २ आश्रय । ३ महायक । ४ रक्षक । प्रोडाळणी (बौ)-क्रि० १ कपाट देना, थोडा बंद करना । ५ रक्षा का स्थान । २ कब्जे में करना । मोठ-पु० [सं० अोष्ठः] अधर, ओठ । देखो 'प्रोट' । प्रोडावणी (नी)-स्त्री० विशेष अवसरों पर कन्या के पिता प्रोठारणौ (बौ)-देखो 'मोठावणौ' (बी)। द्वारा, कन्या व उसके पति के परिवार को दिया जाने अोठारु (रू)-पु. उंट। वाला वस्त्राभूषण। अोठावरणौ (बौ)-क्रि० १ ऐंठा करना, ऐठाना । २ दृष्टांत देना। प्रोडावणौ (बौ)-देखो 'अोढ़ाणा' (बौ) ३ देवो 'उठावरणी' (बौ)। | प्रोडियाळ (प्रोडो)-देखो 'प्रोडिया'। प्रोठियो, श्रोठी (डो)-पु० [सं० प्रीष्ट्रिक:] १ ऊंट सवार। प्रोडियो, प्रोडी-स्त्री०१ बांस की खपचियों की छोटी-बड़ी २ ऊंट पर सरकारी डाक आदि ले जाने वाला व्यक्ति । डलिया । टोकरी । २ कूऐ पर बनी घास की झोंपड़ी। ३ ऊंटों वाला डार। क्रि०वि०१ ओर, तरफ। २ देखो 'पोड़ो'। पोठोजट-स्त्री० कट के बाल । ऊंट की जटा । प्रोडू-देखो 'प्रोडू'। प्रोठीपौ-पू० १ 'नट का माल । २ अोठी । ३ अोठी के ऊंट का | प्रोडे, प्रोडे-क्रि०वि० शरण व पाश्रय में । -वि० समान, पालन पोषण । बराबर । गोठी-बाळदौ-पथ्यौ० १ ऊंट व बैल की जोड़ी। २ अनमेळ, प्रोडौ-पू०१ टोकरा, खांचा। २ प्राश्रय, पनाह, शरण । अममानता । ३ अनमल कार्य । प्रोढण-स्त्री० १ योढ़ने की क्रिया या भाव । २ अोढ़ने का अोठेभ-देखो 'यो ठभ। वस्त्र । : रक्षक । ४ देखो 'प्रोडग' । अोठ-क्रिवि. वहां । योट में । अोढरिणयौ (सौ)-देखो 'अोढणौ'। प्रोठी-पु. १ प्राड़, प्रोट । २ रक्षा, बचाव । ३ पाश्रय, शरण। प्रोढरणी-१ चादर । उपरैनी। २ देखो 'प्रोडणौ' । ४ सहारा । ५ विषय । ६ किसी देवता का छोटा चबूतरा । ७ भाव । ८ अभिप्राय । ६ मौका, अवसर । १० ऊंचा प्रोढणी-पु० स्त्रियों के शिर (शरीर) पर धारण करने का स्थान । ११ दृष्ठान्न । १२ ऊंट । १३ मादा ऊंट का दूध । वस्त्र । --वि० धारण करने वाला। -वि० विपरीत, विरुद्ध । | प्रोढणी (बी)-क्रि० शरीर को वस्त्र से ढकना । २ पहनना प्रोडंडी-वि• जो दटित न किया जाय। -स्त्री० मुष्टिका। । धारण करना । ३ आवेष्टित करना । ४ रक्षा करना । श्रोडंडीस-वि० [सं० ऊद्रदंडीग] बलवान, जबरदस्त । ५ जिम्मेदारी लेना। प्रोड-पु० (स्त्री० प्रोष्टण, प्रोडणी) १ कूऐ पर बना घास-फूस | प्रोढवण-वि०१ धारण करने वाला । २ देखो 'मोडण' । का छप्पर । २ तालाब की मिट्टी निकालने व पत्थर तोड़ने ! प्रोढाणी (बौ), प्रोढावरणौ बौ)-१ शरीर को वस्त्र से ढकवाना। का कार्य करने वाली जाति । ३ उक्त जाति का व्यक्ति। २ पहिनाना, धारण कराना । ३ आवेष्टित कराना । -क्रि०वि० पोर, तरफ । -वि० सभान, तुल्य । ४ रक्षा कराना । ५ जिम्मेदारी डालना य' उत्तरदायित्व प्रोडक-स्त्री० १ भेड़ की ऋतुमति होने की अवस्था । २ इस लेना या देना। अवस्था की भेड़। प्रोढी-वि० (स्त्री० ग्रोढी) १ विकट । २ टेढा । ३ भयंकर, प्रोडकप्रावरणौ (बौ)-क्रि० भेड़ का ऋतुमति होना । डरावना । -पु०१ मौका, अवसर । २ देखी 'योडो'। प्रोडण (रिण, पी)-स्त्री०१ हाल । २ निधि, खजाना। ३ प्रालय, घर । ४ देखो 'मोढण' । ५ प्रोड जाति की स्त्री । प्रोग-पु० [सं० रण:] १ कृष्णमग । २ हरिण । ३ देखो प्रोडणौ-देखो 'मोढगा। 'अोरण' । ४ देखो 'पोयम् । प्रोडणी (बो)-क्रि० १ सहन करना । २ भेलना । ३ स्पर्श | * अोतपोत-वि० १ बहुत उलझा हुया । २ गुथा हुया । ३ फैला करना ना ४ हाथ फैलाना ५ स्पर्धा करना, होड लगाना हुआ, व्याप्त । ४ भग हृया। ५ मना हुआ । ६. रथ प्रादि में बैलों को जोडना । सम्भालना। प्रोतार-१ देखी 'अवतार' । २ देखो 'उतारौ' । : धारण करना । उठालना, उठाना । देखो 'प्रोतणौ (बौ) | प्रोतारौ--१ देखो 'उतारौ' । २ देखो 'अवतार' । For Private And Personal Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोताळ प्रापवाणी प्रोताळ-देखो 'उतावळ' । प्रोधवार, मोधवाळ-वि० उत्तम वंश का, कुलीन । प्रोताळिरणी (बी)-कि० प्रहार करना, प्राधात करना। प्रोधादार-देखो 'मोदादार'। प्रोतु-पु० [सं०] बिलाव, बिल्ली। प्रोधायत-देखो 'प्रोदायत'। प्रोतोळणौ (बौ), प्रोतोळिरणौ (बी)-क्रि० १ झोंकना, डालना। पोधार, पोधारौ-१ देखो 'उधार' । २ देखो 'उधारी' । २ प्रहार करना, वार करना । प्रोधि (धी)-वि० १ धूर्त, चालाक । २ वंशज । ३ देखो 'मोद'। पोथ, पोथक-क्रि०वि० वहां । ४ देखो 'अवधि' । ५ देखो 'अवध' । प्रोथरणी (बी)-क्रि०वि० [सं० प्रस्तमन] १ अस्त होना। प्रोवळ, प्रोधळी-पु०१ प्रानंद, मौज, मस्ती । २ देखो 'ऐधूळो'। अवसान होना । २ बुरे दिन पाना । [सं० सुत्थ] | प्रोधळणी (बौ)-क्रि० धूलि से आच्छादित होना या करना । ३ उकताना, ऊबना । (स्त्री० अोधूळी) प्रोथिय, पोथी, प्रौथे-क्रि०वि० वहां, उस जगह । प्रोघेदार-देखो 'प्रादादार' । मोद-स्त्री० १ वंश, खानदान । २ औलाद । पोधौ-पु. १ पद । २ अधिकार । ३ दर्जा । ४ देखो 'मोदी'। प्रोदक-वि० १ भयभीत, डरा हुा । २ चौकन्ना । -पु० डर, | प्रोनाड़ (डो)-देखो 'अनड़' । - भय, आतंक। प्रोप ()-स्त्री. १ कांति, दीप्ति, चमक । २ शोभा छबि । प्रोदकणी (बी)-देखो 'प्रोद्रकरणी' (बी)। ४ रंग-रोगन । ४ उपमा । ५ जिरह, कवच । -वि० समान, मोदरण (धरण)-पु० गाड़ी के तख्ते के नीचे लगी, लंबी पूरी दो। अनुरूप । शोभायमान । --ची-पु० कवच धारी योद्धा । ___ मोटी लकड़ियां । -~-धार-पु० दीपक। प्रोदद, प्रोदध-पु० [सं० उदधि] समुद्र । प्रोपणंत-पु० ऊपर का होठ । प्रोदन-पू० [सं०] १ अन्न । २ भोजन । ३ खाद्य पदार्थ । प्रोपरणारणी (बौ)-क्रि०१ चमकाना । २धार पंनी करना। ___ ४ एक प्रकार का चावल । ५ देखो 'मोदण' । ३ उज्ज्वल करना। प्रोदनिक-पू० [सं० प्रौदनिक] रसोईया, पाक-शास्त्री। प्रोपणी (लो)-स्त्री०१ सोने पर घिसाई करने का पत्थर । प्रोदसा-स्त्री० [सं० अपदशा] १ बुरी दशा या हालत । २ फूहड़ २ स्वर्णकारों का लोहे का एक लंबा समतल नौकार खंड कुलक्षणी स्त्री। (अौजार) जो काठ की डंडी में कसा जाता है । ३ शस्त्र प्रोदादार, (पोहदेदार)-पु० [अ० पोहदः + फा. दार] | पंना करने की सिल्ली, शान । ४ चमक, कांति । ५ शोभा । पदाधिकारी। ६ कवच, जिरह । प्रोदायत--पू० [अ० अोहद:+रा. प्र. आयत] पदाधिकारी। | प्रोपणौ (बौ)-क्रि० १ चमकना, झलकना । २ शोभित होना, प्रोपगो (बो)-क्रि मोदी-स्त्री० १ शिकार के लिए बैठने का स्थान । २ मोर्चा । फबना । ३ उज्ज्वल करना, साफ करना । ४ धार देना, ३ सेंध । ४ भुई आंवला का पौधा या फल । पैना करना। प्रोदीजरणौ (बी)-क्रि० अधिक प्रांच व पानी की कमी के कारण प्रोपत-स्त्री०सं० उत्पत्ति] १ आय, आमदनी । २ उत्पादन । पकने वाले पदार्थ का बर्तन के पेंदे में चिपककर जल ३ धन, सम्पत्ति । ४ उत्पत्ति । जाना । बेस्वाद हो जाना, विकृत होना । प्रोपती-वि० (स्त्री० प्रोपती) १ शोभित, फबती। २ उपयुक्त। मोदी-पु० (स्त्री० अोदी) १ तीव्र प्रांच के कारण पकते समय ३ देखो 'प्रोपत'। पात्र के पेंदे में चिपक कर जला व जले की बदबू वाला प्रोपन-स्त्री० बहुमूल्य नग वाली अंगूठी। खाद्य पदार्य । २ देखो 'प्रोधी'। प्रोपम -पु० १ जेवर, प्राभूषण । २ उपमा । -वि० १ सुन्दर, प्रोद्यम-देखो 'उद्यम'। ___ अनुपम । २ समान, सदृश । प्रोद्रकरणी (बौ)-क्रि०वि०.१ डरना, भयभीत होना । २ चौंकना। प्रोपमा-देखो 'उपमा'। ३ झिझकना। प्रोपमाणौ (बौ)-क्रि० १ उपमा देना । २ प्रशंसा करना। प्रोत्रक, प्रोद्रको, प्रोद्रव, प्रोद्राव, प्रोद्रावौ-पु० १ डर, भय, प्रोपर-देखो 'ऊपर'। प्रातक । २ झिझक । ३ धाक । ४ प्रभाव । प्रोपरौ (हरौ)-वि० (स्त्री० प्रोपरी) १ अपरिचित, अजनबी। प्रोद्रास, प्रोद्राह-पु० १ संहार, नाश । २ अातंक । २ नया । ३ व्यंगात्मक, टेढ़।। ४ भयंकर, भयावह । प्रोध-१ देखो 'मोद' ।। २ देखो 'मोदण। मोधकरणौ (बौ)-देखो ‘प्रोद्रकरणो' (बी)। | प्रोपवणत-पु० ओंठ, प्रोष्ठ । मोधरण-देखो 'प्रोदण'। प्रोपवरणौ (बौ)--देखो 'प्रोपगौ' (बौ) । For Private And Personal Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोपवान प्रोळगि प्रोपवांन-वि० शोभायमान, शोभित ।। प्रोरियौ-देखो 'पोरौ'। प्रोपाणी (बी), प्रोपावरणी' (बी)-क्रि० १ चमकाना, झलकाना । | पोरी-स्त्री० १ हल्की चेचक का रोग। २ मकान में अन्दर की २ शोभायमान करना । ३ स्वच्छ व उज्ज्वल करना । पोर का छोटा कक्ष । ४ सजाना। पोरीसौ-पु० [सं० अवघर्षः] केसर-चंदन घिसने का छोटा प्रोफ-प्रव्य० पीड़ा या खेद सूचक ध्वनि । चकला (पत्थर)। प्रोबरड़ौ,प्रोबरौ-पु. १ पक्की कोठरी, पोरा । २ पीजरा।। पोर', प्रोरु, (रू)-क्रि० वि० पुनः दुबारा । मोबासरणौ (बौ)-क्रि० जमुहाई लेना, सुस्ताना । मोरूणौ-पु० वर्षा के अभाव में कूऐ के पानी से की जाने वाली प्रोबासी-देखो 'उबासी' । साधारण सिंचाई। प्रोम (मो३म) प्रोमकार-पु० [सं०] १ प्रणव मंत्र, ओंकार । | मोरेम-पु० केवट । २ ईश्वर, ब्रह्म। पोरी-पु० मकान का भीतरी कक्ष । स्टोर। प्रोमगोम-वि० १ गुप्त । २ अचानक । प्रोळंग, पोळंगरणी, पोळंगू-पु. १ परिचय, पहिचान । २ कन्या प्रोमजी-भोमजी -पु० साधारण व्यक्ति, अमुक, फलां । या वधू के लिये बुलावा । ३ पृथकता, दूरी। प्रवास । प्रोमाहरणौ (बो)-देखो 'उमाहणो' (बौ) । ४ ढोली गायक । -वि० (स्त्री० पोळगांणी) वियोगी। प्रोमाहौ-देखो 'उमावी' । पृथक, दूर। पोय-देखो 'मोह'। प्रोळंदी, (मोळूदी)-स्त्री० [सं० उपनंदिनी] नव वधू के साथ प्रोयडौ-पू०१ कृषकों द्वारा, जागीरदार या उसके प्रतिनिधियों | जाने वाली लड़की या स्त्री। सखी। को खलिहान में दिया जाने वाला भोज । २ सरकारी कार्य | प्रोळंबी, (भ, भौ)-देखो 'पोळबी' । से गांव में आने वाले कर्मचारियों को दिया जाने वाला | प्रोळ-पु० [सं० प्रोल्ल:] १ जमानती व्यक्ति । [सं० अवलि] भोजन । ३ गांव वालों की तरफ से ग्वाले को दिया जाने २ हल की रेखा, सीता । ३ पंक्ति, लकीर । ४ पैतृक वाला भोजन । परंपरा, संस्कार, गुण । ५ लिखावट । -वि० सामान, प्रोयण,प्रोयणु', प्रोयरणों-पु० [सं० उपवन] १ शूद्र । २ उपवन । तुल्य । -क्रि०वि० तरह से, भांति । ३ पैर, चरण । ४ देखो 'पोरण' । प्रोलइ (ई)-देखो 'योल'। प्रोयाळी-वि० [सं० प्राज्ञापालक] स्त्री० प्रोयाळी (दबकर) रहने | । रहन मोळक्खरणी (बी)-देखो 'ओळखणी' (बी)। वाला, दब्बू । प्रोळख, अोळखरण, (णा, पी)-स्त्री० जानकारी, ज्ञान । देखो पोर-पु० १ नियत स्थान से अतिरिक्त शेष विस्तार । २ दिशा। 'अोळखांरण'। ३ पक्ष । ४ किनारा, छोर । ५ प्रारंभ, प्रादि । ६ स्वीकार।। -क्रि०वि० १ तरफ । २ देखो 'और'। प्रोळखरगौ-वि० प्रसिद्ध, विख्यात । (स्त्री० पोळखणी) पोरडियो (ोरड़ौ)-वि० १ अन्य, दूसरा । २ देखो 'पोरौ'। अोळखणी(बौ)-क्रि०१ पहिचानना,जानना। २ शिनाख्त करना। पोरड़ी-१ देखो 'पोरी' । २ देखो 'पोरौ' । प्रोळखांण (णत)-स्त्री० १ परिचय, पहिचान । २ प्रसिद्धि । ओरठ-क्रि० वि० अन्य स्थान पर, दूसरी जगह । ३ पहिचान के चिह्न,संकेत । ४ ज्ञान । -वि०१ परिचित । प्रोरण-पु० [सं० उपारण्य] किसी देवस्थान या देवालय के २ देखो 'अोलखण'। पास-पास की गोचर-भूमि जहां की लकड़ी काटना वजित |. | पोळखाणौ (बौ) अोळखावरणी (बी) -क्रि० १ परिचय कराना, होता है। पहिचान कराना । २ शिनाख्त कराना। पोरगौ-पु. १ स्त्रियों की प्रोढ़नी, लूगड़ी । २ अनाज बोने की | ओळखणौ (बो)-देखो 'अोळखणी (बी)। बीजनी । ३ अनाज बीजने का ढंग । पोळग(गण)-स्त्री० १ स्मति, याद । २ कीति, यश । ३ स्तुति । पोरणी (बौ), प्रोवरणो(बी)-क्रि० १ वर्षा शुरू होना । २ वृष्टि | ४ सेवा । ५ विदेश । ६ प्रवास । -क्रि०वि० दूर, अलग । ___होना, बरसना । ३ देखो 'ऊरणौ' (बौ)। -वि० कीर्ति गाने वाला। पोरवसी-देखो 'उरवसी'। प्रोरस-स्त्री०१ लज्जा, शर्म । २ पश्चाताप । खेद। ३ देखो। पोळगरणी (गांणी)-स्त्री० वियोगिनी । 'पोरीसौ' । ४ देखो 'पोरस' । पोळगणौ (बौ)-क्रि० १ यशोगान करना । २ गायन करना। पोरसियौ-देखो 'योरीमौ' । ३ स्तुति करना। ४ यात्रा करना, प्रवास करना । प्रोरिया-कि०वि० इस पोर, इधर । पोळगि (गी), पोळगियो-वि० १ प्रवासी । २ देखो 'पोळग' । For Private And Personal Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra भोळगुवा वाला । ३ स्तुति करने वाला । ३ प्रवासी । घोळा-देखो 'घोळ' | www.kobatirth.org ( १०७ ) श्रीळगुवा, श्रोळ - ५० १ वंशावली गाने वाला । २ कीर्ति गाने प्रोलोंचरणौ (बौ) - देखो 'उलीचरणौ (बौ)। देखो 'प्रोहींचणी' (बौ) । श्रोलींगो (at) - क्रि० विचार में पड़ना, उलझना । प्रोलींडर ( बौ) - क्रि० १ ऊपर चढ़ना । २ उल्लंघन करना । लांघना । ३ पशुओं का संभोग करना । ओली-देखो 'बोळंदी | बोली (बी) फि० १ मिलाना, मिश्रित करना । २ ह की तरह बनाना । ३ भिगोना । तर करना । ४ छिपाता । श्रीळनाल - स्त्री० वह झिल्ली जिसमें बंधा हुआ बच्चा उत्पन्न होता है. जरायु भौ मौ० [सं० उपालंभ] १ उपालंभ, उलाहना २शिकायत वदनामी ४ कसुर ५ विलंब श्रोळमोळा - वि० समान, तुल्य । श्रोलरणौ ( बौ) --क्रि० १ झुकना २ झुककर बरसना । ३ श्राच्छादित होना । ४ तरंग या लहर उठना । ५ मंडराना उमड़ना । श्रोवर (बी) - देखो 'प्रोलणी' (बी) । श्रोलस वि० उमड़ा हुआ । प्रोलांडणी (बौ) - क्रि० उल्लंघन करना । त्यागना । पोळा, बोला- फि०वि० [सं० उपल] १ वर्षा में गिरने वाले हिमकरण । २ बिनोला । ३ मिश्री या दाणा शक्कर के लड्डू । ४ वज्र । ५ आश्रय, सहारा । - क्रि०वि० इधर, इस श्रर । - श्रोळ - वि० सब समस्त । —दोळा, दौळाक्रि०वि० ग्रास-पास, चारों ओर, इर्द-गिर्द । मोळा- वि० समान बराबर । - पु० भ्रम । , श्रोलाटरणौ (बौ)-क्रि० १ लौटना, वापस थाना । २ लुटना, श्रोळी-पु० [सं० उपल ] लोट-पोट करना । प्रोलागी १० बहाना । - 1 (बी) देखो 'बोली' (बी)। श्रोलज, ( झ ) - स्त्री० लज्जा, शर्म । लिहाज । श्रोण, श्रोलगियो- पु० रोटी के साथ लगा कर खाया जाने श्रोळी-स्त्री० [सं० अवली ] १ पंक्ति, रेखा । २ लिखावट | वाला पदार्थ । ३ हल की सीता । ४ कतार । दोळी- क्रि० वि० प्रासपास । चारों ओर । घोळावी पु० घाना, मिय श्रोळि देखो 'ग्रोळी' । श्रीलाखौ (at) - क्रि० १ मिलवाना, मिश्रित कराना । २ अवलेह बनवाना । ३ तर कराना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीलाद- देखो 'ग्रीलाद' । घोलाळ स्त्री० १ नन्ही बूंदों की मामूली वर्षा । २ देखो ओल्यू (डी) - देखो 'ओळ । 1 'उलाळ' | बोने का एक ढंग 1 पोळियो- पु० १ लिखने का लंबा पत्र चिट्ठी पर्चा २ खत । ३ गिरवा रहने वाला व्यक्ति । पोलियो-देखो 'अवलियाँ' । प्रासंकरणो 1 1 प्रोली, प्रोलोकांनी क्रि० वि० इधर, इस ओर नजदीक । पोलीसी (ब)- कि० विचार करना, विचार में पढ़ना । श्रीळंब (भौ), श्रीळू बी- पु० १ बिच्छू के डंक लगाने से होने वाला दर्द । २ देखो 'प्रोळी' । 1 घोळू (ही), घोळू (डी) स्त्री० [सं० धवलय] १ वाद स्मृति । २ प्रिय की याद, वियोग ३ इस वियोग में गाया जाने वाला गीत । श्रोळंदी-देखो 'घोळंदी' । घोळू बोळू'- देखो 'ओोळादोळा' । श्रोळे, धोले- क्रि० वि० आड या पर्दे में दोळं क्रि० वि० चारों ओर आस-पास । प्रोलेड़ौ - वि० ( स्त्री० प्रोलेड़ी) १ जूठा । २ जगह-जगह जूठा करने वाला । ३ मुंह मारने वाला । श्रोळं, प्रोले क्रि० वि० १ आड़ या घोट में । २ परदे में । ३ शरण में। ४ छुप कर । ५ इस ओर इधर । ६ गुप्त रूप से । -दोळे-दोळे - क्रि० वि० आस-पास 1 अगल-बगल । चारों ओर । प्रोलोझणी (ब) - क्रि० १ उलझना । २ विचार करना । १ वर्षा में गिरने वाला हिम-करण । २ मिश्री या शक्कर का लड्डू । ३ बिनोला । ४वज्र । ५ रक्षा, बचाव । - प्रोळ - वि० पंक्तिबद्ध । क्रमशः । पूर्ण । प्रोली (प्रो' लौ ) - पु० १ प्रोट, प्रा । २ बचाव । ३ रक्षा, शरण । ४ श्राश्रय । ५ सर्दी से बचाव के लिये की जाने वाली व्यवस्था | श्रोळौ-दोळौ क्रि० वि० चारों ओर आस-पास । For Private And Personal Use Only घोल्हरणौ (बौ) - देखो 'प्रोलरणी' (बी) । बोड़ देव-पु.] मोर-छोर पादि पर त प्रोवड़ा (बौ) - देखो 'ग्रोलरणी' (बौ) । श्रोवरण- १ देवो प्रायण । २ देखो 'प्रोरण' । श्रावौ पु० हाथी- फंसाने का बड़ा गड्ढ़ा । श्रीसंकरण (बौ), प्रोसकणी (बौ) - क्रि० १ हारना, पराजित होना । २ शंका खाना, भिकना । ३ स्थान छोड़ना, स्थान पर न पाना ( जानवर ) । ४ त्यागना ! Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोस मोहोसणी प्रोस-पु० [सं० अवश्याय] वाष्प के कारण रात में गिरने वाले प्रोहं-सर्व० मैं । वह । जलकण जो सूर्योदय से पूर्व तक रहते हैं, शबनम । प्रोह-प्रव्य शोक, पीड़ा या खेद सुचक ध्वनि । -सर्व० यह। -क्रि०वि० अवश्य । पोहड़णौ (बौ)-क्रि० [सं० अवहिंडनम्] १ पीछे हटाना । प्रोसरण-वि० [सं० प्रोषणः] कड वा, कटु । अप्रिय । २ रोकना, बाधा देना । ३ पराजित करना । ४ हतोत्साहित -स्त्री० चरपराहट, तीक्ष्णता । करना । प्रोसरणरणो (बी)-क्रि० गूदना, भिगोना (पाटा)। प्रोसता (था)-देखो 'अवस्था'। पोहड़ौ-पु० [सं० अवहेडनम्] १ टोकना, वर्जन आदि का प्रोसध (धि धी)-देखो 'पोखध' । भाव । २ कटु उत्तर । ३ प्रत्युत्तर । ४ उपालंभ । प्रोसधीस-देखो 'पोखधीस'। पोहटणौ (बौ), पोहट्टणी (बी)-कि० [सं० अवटंक] १ ढकना, प्रोसप्पिरिण-स्त्री० [सं० अवसपिणी, उत्सर्पिणी] गिरने का | आच्छादित करना । २ हटाना । ३ थामना रोकना, थमना । समय, अधःपतन का समय । रुकना । ४ पीछे लौटाना । प्रोसर-पु० १ मृतक के पीछे किये जाने बाला विशेष भोज । प्रोहणौ (बौ)-क्रि० होना । २ अवसर, मौका । ३ असुर । पोहथरणौ (बी)-क्रि० १ ग्रस्त होना । २ बरे दिन माना। प्रोसरणौ (बौ)-क्रि० १ वर्षा प्रारंभ होना, बरसना, वृष्टि ३ पराजित होना। ४ अवसान होना, मरना । होना । २ तृप्त होना, अघाना । ३ गिरना, पड़ना । ओहदादार, प्रोहदेदार-देखो 'प्रोदादार' ४ देखो 'उसरणौ' (बौ)। प्रोसरी-पु. १ एक दिन छोड़ कर आने वाला ज्वर । २ किसी | प्रोहदो-देखो 'मोदी'। कार्य के लिए क्रमशः आने वाला अवसर, पारी । मोहरियौ-पु० [सं० पाश्रम] १ मकान, घर । देखो 'पोरौ' । प्रोसळ-वि० बराबर, समान, तुल्य । पोहरिसौ-देखो 'पोरीसौ'। पोसळणी (बी)-क्रि० १ डरना, भयभीत होना । २ भागना, | पोहसरणी (बौ)-देखो 'अोहोसणौ' (बौ) । युद्ध स्थल छोड़ कर भागना । प्रोसविरण-पु० चावलों का पानी। पोहार-पु० [सं० अवधार] रथ या पालकी का पर्दा । श्रीसारण-पु०१ एहसान, उपकार, अनुग्रह । २ अवसर, मौका। प्राहाळ-पु० [सं० ऊहावलि] पानी के साथ बहने या ऊपर ३ विश्राम, अवकाश । ४ अवसान । तैरने वाला कूड़ा करकट । पोसाप-पु. १ शौर्य, पराक्रम । २ साहस, हिम्मत । ३ शक्ति, प्रोहासणी (बौ)-कि० धूप-अगरबत्ती जलाना । सुवासित बल । ४ वदान्यता, उदारता। ५ प्रभाव, धाक । ६ दान ।। करना। ६ कीर्ति, महिमा। ७ एहसान । प्रोहि, प्रोहिज, प्रोही-सर्व० १ निश्चय यही । २ देखो 'मोह' । श्रोसारौ-पु० बरामदा, दालान । प्रोहिचरणौ (बौ), प्रोहीचरणौ (बो)-देखो ‘अळूचणौ' (बौ)। पोसावण-पु. किसी खाद्य पदार्थ के साथ उबाला हुआ पानी। प्रोहिनांरण-देखो 'अवधिग्यांन'। प्रोसास-पु० निश्वास । प्रोसियाळ, प्रोसियाळी-देखो 'मोयाळी' । (स्त्री० ओसियाळी) | मोहिनाणी-वि० [सं० अवधिज्ञानी] अवधिज्ञानी (जैन)। भोसीकरण, प्रोसींखल-पु० वारना लेना, बलया लेना क्रिया। मोहीनौ-वि० [सं० अवहीन] १ न्युन, छोटा । २ देखो उपकृत होना क्रिया । 'पोखरणो'। प्रोसोसद, श्रोसीसू, प्रोसीसौ-देखो 'उसीसौ' । मोसुर-देखो 'असुर'। मोहोड़ो-देखो 'पोहड़ो'। प्रोसौ-पु० [सं० अबसव] १ आंखों का सुरमा । २ अंजन, अोहोसरणौ (बौ)-क्रि० १ उद्भासित होना, प्रगट होना । काजल । ३ दवा, औषध । २ उदय होना। ३ प्रकाशित होना । For Private And Personal Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रौ श्री- वर्णमाला का दशवां स्वर वर्ण । श्रींकार देखो 'ब्रोंकार' | कारण (बौ) - देखो 'हुंकारणी' (बौ) । वि० बहरा (स्त्री० चौंडी - ईस बोखधीस' | www. kobatirth.org । श्री- पु० [सं०] १ परब्रह्म । २ शेषनाग । ३ अभिमान । ४ पृथ्वी । ५ शब्द । प्रस्य०१ संबोधन, पाश्वर्य, शोक श्रादि भावों की सूचक ध्वनि । २ अरे, हे ओो । सर्व० वह । यह । उस । - वि० और, अनन्त । औक स्वी० किसी मांगलिक अवसर (त्यौहार) के बाद या समाप्ति के पूर्व यदि किसी संबंधी या कौटुम्बिक व्यक्ति की मृत्यु से अहर्ष की दशा हो । श्रौषट्ट पु० संहार, ध्वंस बगल देखो दगुरा' । श्रीगत १ देखो 'अवगत' । २ देखो 'श्रवगति' । श्रीगाढ़ देवी 'अवगाढ़ श्रीगाळ - देखो 'प्रोगाळ' | ( १७९ ) बोदे (यो। --377- देखो 'उग्र' श्रीघ- देखो 'प्रोघ' । ओवाळीदेखी श्रोगाली। श्रीमाही (देवी)। श्रीगुरण (न) - पु० [सं० श्रवगुरण] दोष, बुराई । - गारौ - वि० कृतघ्नी, अवगुणी । - गाळौ - वि० अवगुरणों का नाश करने वाला । भौगो-देखो 'योगी'। श्रधड़ - देखो 'प्रोघड़' । श्रीघट - देखो 'प्रोघट' घाट 'प्रोघट-घाट' । घाटदेखी 'बोट' । बौधो-देखो 'दोषी' । मौकात स्त्री० [प्र० 'वक्त' का बहुव] १ सामर्थ्य । शक्ति । २ हैसियत, बिसात, । ३ वक्त, समय [सं० अभिषंग] १ भयंकर, भयावह । २ टेढ़ा, श्रखंगी - वि० तिरखा। प्रौख - वि० जबरदस्त जोरदार । स्त्री० त्याग, परहेज | देखो 'प्रोक' | श्रखरण (बौ) - क्रि० सूखा अनाज कूटना । श्री धी)- देखो 'प्रोबध' (ब) कि० छाना छादित करना या होना, ढकना, प्रखर - देखो 'प्रखर' । ढका जाना । - o ० [सं० [पस्थ] वीर बहादुर, टक्कर धीधारी (बी)- कि० १ चुराना २ गायब करना बाकषित लेने वाला । state-kat 'gate' i श्रीग- देखो 'योग' । करना । ४ देखो 'उछारणी' (बौ)। -- श्रीखंडण (बी) - देखो 'खंडणी' (बी) । श्रीछ- देखो 'प्रोछ' । मौड़ी-देखो 'प्रोहड़ी' । श्रीट स्वी० १ कठिनाई २ संकट ३ धर्म संकट, समंजस - क्रि०वि० सहसा अचानक । चार देवो 'उबाट । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पसरणी प्रौछाड़ (खौ) - पु० १ उमंग, लहर, तरंग । २ पर्दा । ३ उफान, उबाल । ४ आच्छादन । ५ छाया । ६ रक्षक । ७ वस्त्र विशेष | श्रीज देखो 'प्रोज' । श्रीछाड़रणौ ( बौ) - १ प्राच्छादित करना, ढकना । २ रक्षा करना, बचाना । १ देखो 'उत्साह' २ देखो 'उत्सव' । For Private And Personal Use Only श्रीजार पु० [०] १ कारीगरी में काम आने वाले उपकरण । २ हथियार | बीजास देखो 'जान' । - श्रीजासणी (ब)- देखो 'उजासरणी' (बो) | श्रीजी-देखो 'प्रोजी' । प्रौड़ ( झाड़ ) -पु० १ तलवार का तिरछा प्रहार । २ प्रहार, चोट । ३ धक्का, झटका ४ टक्कर। ५ प्रताड़ना, निंदा ६ भड़की क्रि०वि० लगातार निरुतर श्रौझड़णौ (बौ) - क्रि० [सं० प्रवभटनम् ] १ तलवार का तिरछा प्रहार करना । २ धक्का या भटका देना। ३ टक्कर लेना । ४ युद्ध करना । Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोझाडणों । १८० ) प्रोले प्रौझाडणौ (बौ)-क्रि० १ चीरना । २ काटना । ३ मारना, प्रौधूळियौ-वि० मस्त, उन्मत्त । बेपरवाह । संहार करना । ४ प्रहार करना, वार करना । ५ आक्रमण | पौधेस-देखो 'अवधेस । करना । ६ आड करना, रोकना । ७ अस्त-व्यस्त करना, | प्रौनाड़ (डो)-देखो 'अनड़' । बिखेरना । ८ प्रताड़ना देना, झिड़कना । प्रौनींदौ-देखो 'उनींदी'। प्रोझाट-स्त्री० झपट, उलटा प्रहार । औपणौ (बौ)-देखो 'अोपणौ' (बौ)। प्रौझाळ-स्त्री. १ प्राग की ऊंची लपट, तेज लपट । २ देखो | प्रौपत-देखो 'प्रोपत'। 'ग्रोभाळ'। औपम (मा)-१ देखो 'पोपम' । २ देखो 'उपमा'। प्रौटणी (बौ)-देखो 'प्रोटणी' (बौ)। प्रौबासरणौ (बौ)-देखो 'मोबासणौ' (वी)। प्रौटारगो (बौ)-देखो 'नोटाणौ' (बौ)। प्रौबासी-स्त्री० उबासी, जम्हाई। प्रौटाळ-वि० धर्त, चालाक, बदमाश । औमाह-देखो 'उमाव'। प्रोटो-देखो 'प्रोटौ'। प्रौमाहणौ (बौ)-देखो 'उमाहौ ' (बी)। प्रौठभण, प्रौठम-देखो अोठंभ' । औयण-१ देखो 'पोयण' । २ देखो 'प्रोरण'। प्रौठौ-देखो 'अोठौ'। औरंग-पु० [अ०] १ सिंहासन । २ भिन्न रंग । पौड-क्रि०वि० १ ओर, तरफ । २ ऐसे, इस तरह । -स्त्री० पौर-पु० पशु के मरने के बाद निकलने वाला पशु का मल । १ जाति, प्रकार । २ देखो 'प्रोड' । और-वि० [सं० अपर] १ अन्य, दूसरा । २ भिन्न । ३ अतिरिक्त, प्रोडणी (बौ)-देखो 'प्रोडणी' (बौ)। अलावा । ४ अधिक, ज्यादा । -अव्य० १ पुनः पुनः । प्रौढरणो-देखो 'प्रोढणौ'। २ संयोजक शब्द, अरु । प्रौढ़र-वि० मनमौजी, स्वच्छन्द । औरठ-क्रि०वि० अन्यत्र, दूसरी जगह पर । प्रौढ़ाळ-पु० ढलुवां भाग। औरणौ (नौ)-देखो 'पोरणो'। प्रौढ़ौ-देखो 'ओढ़ौ'। औरणौ (बौ)-देखो 'पोरणौ' (बौ)। औरण-१ देखो 'प्रोयण' . २ देखो 'पोरण' । औरत-स्त्री० [अ०] १ स्त्री, महिला । २ पत्नी, भार्या । प्रौतार-देखो 'अवतार'। औरती-पु० [सं० उरस्तापः] १ शक, संदेह । २ दुःख, शोक । प्रौतारी-देखो 'अवतारी'। ३ खेद, पश्चाताप । प्रौतारौ-१ देखो 'उतारौ' । २ देखो 'अवतार'। औरस-पु० [सं०] १ बारह प्रकार के पुत्रों में से श्रेष्ठ पुत्र जो पौत्तमि-पु० [सं० प्रौत्तमिः] चौदह मन्वन्तरों में से तीसरा । अपनी धर्मपत्नी के गर्भ से पैदा हुमा हो । २ देखो 'पोरस'। प्रौथरणौ (बौ)-क्रि० फैलना, विस्तार पाना । औरहकरणौ (बौ)-क्रि० वीररसपूर्ण राग गाना । औथि-क्रि०वि० वहां। और-वि० दूसरे, अन्य । -क्रि.वि. फिर, पुनः । प्रौदनिक-पु० [सं०] सूपकार, रसोईया। औराळ-वि० भयंकर, प्रचंड । औदयिक-पु. कर्मों के विपाकानूभव रूप होने वाली आत्मा की औराबी, (सौ)-पु० [सं० अवरोध] उदंड पशुत्रों को बांधते वैभाविक स्थिति। का लम्बा रस्सा। प्रौदसा- 'मोदसा'। और' (रू, रौ)-१ देखो 'पौरां' । २ देखो 'और' । श्रौदात-वि० [सं० अवदात] श्वेत, गौर । प्रौळंगु (गू) प्रौळग-देखो 'पोळगू' । औदुबर-पु. एक प्रकार का कुष्ठ रोग । प्रौळगणी (बौ)-देखो 'पोळगणी' (बौ)। प्रौदौ-१ देखो 'ग्रोहदो' । २ देखो 'मोदी'। प्रौळगि (गी)-देखो 'पोळगू' । प्रौद्रकरणौ (बौ)-देखो 'प्रोद्रकणी' (बौ) । सोलरणौ (बौ)-देखो 'पोलरणी' (बौ)। प्रौद्रव, प्रौद्राव-देखो 'पोद्रव' । प्रौलस-क्रि०वि० इर्द-गिर्द, आस-पास । चारों ओर । प्रौद्राह, (हौ)-पु० भय, अातंक । प्रौलाडणौ (बौ)-देखो 'उलटणौ' (बी)। पौध-१ देखो 'अवध' । २ देखो 'अवधि' । ३ देखो :ोद' । | प्रौलाद-स्त्री० [अ०] संतान, संतति । नस्ल । पौधकरणौ (बौ)-देखो प्रोजकरणौ (बौ)। प्रौलियौ-देखो 'अवलियो। श्रोधमोहरौ-पु. ऊंचा मुह करके चलने वाला हाथी। औलि (ळी)-देखो 'प्रोळी' । प्रौघूळणौ (बौ)--देखो 'गोधळणौ' (बौ) । प्रौले (ले)-देखो 'योल'। For Private And Personal Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीवात ( १८१ ) कंकोळ प्रोवात-पु० वियोग, विरह । विच्छोह । प्रौसारण (न)-१ देखो 'अवसांन' । २ देखो 'एहसांन' । औसरगणौ (बौ)-देखो 'प्रोसणणो' (बौ)। औसाप-देखो 'पोसाप'। औसत-पु० [अ०] समष्टि का सम विभाग । अनुपात । प्रोसार-देखो 'पासार'। -वि० सामान्य, साधारण । माध्यमिक । पौसास-देखो 'पोसास' । औसध (धि)-देखो 'पोखध'। प्रोस्था-देखो 'अवस्था'। प्रोसर (ौसर-मौसर)-देखो 'ग्रोसर'। प्रौहथणी (बौ)-देखो 'मोहथणी' (बी)। प्रोसरणी (बौ)-देखो 'प्रोसरणी' (बौ)। प्रौहरी-देखो 'पोरी। औसरि (री)-१ देखो 'अवसर' । २ देखो 'प्रोसर' । | औहिज (हीज)-देखो 'मोहीज'। क-देव नागरी वर्ण माला का प्रथम व्यंजन-वर्ण। कंकरणी (नी, नीय)-स्त्री० [सं० कंका] १ ग्रीधनी [सं० कंकणी] कं-पु० [सं० कम्] १ कामदेव । २ कमल । ३ कार्य । ४ शिर । २ पायल । ३ घंघरू, नूपुर । ४ बजने वाला प्राभूषण । ५ जल । ६ सुख । ७ स्वर्ण । ८ दूध । ९ हर्ष । १० दुःख। कंकतक-पु० [सं०] केश-मार्जक, कंधा । ११ विष । १२ अग्नि । -वि० शुभ । कंकर-१ देखो 'कंकड़' । २ देखो 'कंकरीट'। कंई (इ)-देखो 'कई'। कंकरी-१ देखो 'कंकर'। २ देखो 'कंकरीट' । कंइयां--क्रि०वि० [सं० कियत] १ कब तक । [सं० कथम्], कंकरीट-स्त्री० [अं० कांक्रीट] १ छोटे-छोटे कंकरों का समूह । २ कैसे, किस तरह। २ छत बनाने का मसाला। कई (ई), कंईक-सर्व० [सं० किम्] जिज्ञासासूचक सर्वनाम, कंकला-स्त्री० शोभा। क्या, कैसे, कैसी । -वि० १ बहुत अच्छा । २ कितना। कंकाणी-देखो 'कंकरणी' । [सं० किंचित्] ३ तनिक, थोड़ा। कंका-स्त्री० [सं०] १ कंस की बहिन का नाम । २ देखो कंक-पु० [सं०] (स्त्री० कंकी) १ श्वेत चील । २ एक 'कंकणी'। मांसाहारी पक्षी। ३ बगुला, बक । ४ यमराज । ५ नर कंकाड़ो-देखो 'कंकेडी'। कंकाल । ६ बारण, तीर । ७ क्षत्रिय । ८ अज्ञातवास में कंकाळ-पु० [सं० कंकाल:] १ अस्थिपंजर, ठठरी। २ युद्ध । युधिष्ठिर का नाम । ६ सूर्य । १० शिव । ११ युद्ध । ३ कलह । ४ सिंह । -मालण-स्त्री० पार्वती, दुर्गा । १२ शृगाल । १३ कोमा । १४ युद्ध । १५ कंस का भाई। -माळी-पु० शिव, महादेव । १६ बनावटी, ब्राह्मण । १७ एक की संख्या। -वि०१ तंग। कंकाळरण,कंकाळी-स्त्री० १ दुर्गा का एक रूप । २ कलहगारी स्त्री। २ थका हुआ । ३ एक । -पत्र-पु० तीर, बारण । ३ भैरवी । -वि० झगड़ालू, कलहप्रिय । कंकपाळण-देखो 'कंकाळगण' । कंकु, (म)-देखो ‘कुकुम'। कंकड़-पु० [सं० कर्कर] १पत्थर का छोटा खंड। २ धुलि कण ,रवा । कंकुपत्री-देखो 'कुकुमपत्रिका' । कंकूदमांन (वांन)-देखो ‘ककुदमांन'। ३ नगीना! कंकडीलौ-पु० [सं० कर्करिल ककड़ युक्त स्थान या भूमि।। कंकेड़, कंकड़ो-पु. १ करेले की जाति का छोटा शाक, इसकी लता प्रायः केर वृक्ष पर छितरा कर फलती है । २ एक कंकट-पु० [सं० ककट:] १ कवच मैनिक उपकरण। २ असुर, | प्रकार का कांटेदार वृक्ष । राक्षस । ३ अंकुश। -वि• दुष्ट, प्राततायी। कंकेळी-पु० [सं० ककेल्लि] अशोक वृक्ष । कंकरण-पु० [स० कंकण:] १ कलाई पर धारण करने का ककोड़ो-देखो 'ककेड़ो'। प्राभूषण, कड़ा, चूड़ी। २ विवाह सूत्र । ३ चोटी, कलंगी। ४ एक प्रकार का राग । ५ एक प्रकार का डिंगल गीत ।। क'कोतरी (त्री)-देखो ‘कुकुम पत्रिका' । ६ देखो 'कोकण' । -वि. कृटिल । के कोळ-पु० शीतल चीनी के वृक्ष का एक भेद । For Private And Personal Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कखणी ( १८२ ) कखणी-देखो 'कंकणी'। ३ पोशाक । ४ कवच । ५ अचकन । ६ अंत:पुर का क खबर-पु० पीला वस्त्र । -वि० पीला। नपुसक चौकीदार । ७ सांप, भुजंग । ८ वह घोड़ा जिसका कखा-स्त्री० [सं० अाकांक्षा] इच्छा । घुटने पर से एक पैर सफेद हो । कखी-वि० [सं०याकांक्षिन् ] इच्छुक, कामना करने वाला। कचोळौ-देखो 'कचोळी' । कंग-देखो 'कंगळ'। कंज-पु० [सं०] १ कमल । २ ब्रह्मा । ३ ब्रह्म । ४ महादेव । कंगड़ारीराय-देखो 'कांगड़ारीराय'। ५ अमृत । ६ फूल । ७ सिर के बाल । ८ चरण की एक के गड़ो-देखो 'कांगड़ों'। रेखा । ९ दोष । -वि० रक्त-वर्ण, लाल । -अरि-पु० कगण (न)-देखो 'कंकण'। चन्द्रमा । -कल्याणी-स्त्री० कमल नाल । -ज-पु० कंगर, कंगार (रौ)-पु. १ दीवार पर बना नोकदार किनारा।। पु० विधि, ब्रह्मा । -जूरण, जोनी-पु० ब्रह्मा, विधि । २ किनारा। -विकास-पु० सूर्य। कंगळ (ल्ल)-पु० [सं० कंकटः] कवच । कजर, कंजार-पु० [सं० कंजरः, कंजारः] (स्त्री० कंजरी) कंगली-वि० [सं० कंकालू] (स्त्री० कंगली) १ कंगाल, निर्धन । १ चन्द्रमा । २ हाथी । ३ ब्रह्मा की उपाधि । ४ उदर, पेट । २ दरिद्र । ३ अशक्त, निर्बल । ५एक पिछड़ी जाति व इस जाति का व्यक्ति । कंगवा-स्त्री. १ श्वेत रंग की ज्वार । २ ज्वार की फसल का | कंजासण (न)-पु० [सं०] ब्रह्मा, विधि । एक रोग। कंजुलिक-पु० [सं० किंजल्क] १ कमल का फूल । २ फूल । कंगवी-पु० खड़ी फसल में अनाज विकृत होने का एक रोग। । ३ फूल का रेशा। कंगस-पु० १ कवच । २ देखो 'कांगसी' । कंजूस-वि० कृपण, सूम। कंगहड़ी-पु. वृक्ष विशेष। कंजूसी-स्त्री० कृपणता। कंगसी-देखो 'कांगसी'। कंझ-पु० १ क्रौंच पक्षी। २ देखो 'कुज' । कंगाल-वि० [सं० कंकाल] (स्त्री० कंगालण, कंगालणी) निर्धन, | दरिद्र, गरीब। कझरणी (बी)-क्रि० १ कब्ज की दशा में शौच के लिए अधिक कंगाली-स्त्री. निर्धनता, गरीबी। जोर करना । २ उक्त प्रकार से जोर करते समय मुह से केगी (घी)-स्त्री० [सं० कंकती] १ स्त्रियों के केश सजाने का | टसकने की ध्वनि। छोटा उपकरण, कंघी। २ कपड़ा बुनने का एक उपकरण। कटक, (कि, की)-पु० [सं० कंरटः] १ कांटा । २ डंक। कंगूर, (रौ)-पु० [फा० कुंगर] १ मुकुट-मणि । २ प्राभूषणों ३ नख । ४ नोक । ५ लोहे का अंकुर । ६ मूल । ७ बाधा, पर बना छोटा रवा । ३ शिखर । ४ दीवार पर लगे तीक्ष्ण विघ्न । ८ कष्ट । ९ जन्म कुंडली में पहला, चौथा, प्रस्तर-खण्ड। सातवां व दसवां स्थान । १० अंकुर । ११ असुर, राक्षस । कंगो, कधौ-पु० [सं० कंकतक] १ बाल बनाने का उपकरण, १२ रावण । १३ शत्र । -वि० १ दुष्ट । २ कठोर, केश-मार्जक, कंघा । २ करघे में भरनी के तागों को कसने निर्दयी। ३ बाधक । ४ छोटा, लघु । ---प्ररि (री)-पु० का एक यंत्र । श्रीराम । उपानह,जूता । -असरण-पु० विष्णु । ऊंट । देवी। कचउ, कचको-देखो 'कचुकी' । कंटाळ, कंटाळउ, (कंटाळी)--वि० (स्त्री० कंटाळी) कांटेदार, कचरण (न)-पु० [सं० कंचन] १ स्वर्ण, सोना । २ धतूरा। कंटीला । -पु. एक प्रकार का घास । मल, निराग । -गर,गिरि-पु० कटाळियौ-पु० ऊंट का चारजामा विशेष जो बोझा लादने के ममेरु पर्वत । २ लंका का पर्वत । ३ जालोर का पर्वत। समय उपयोग में लिया जाता है। -बन्नी, बन्न-वि० सुनहरा । -शिखर-पु० १ सुमेरु पर्वत । कंटाळी-स्त्री० एक प्रकार की वनस्पति । कचरणी (नी)-स्त्री० १ वेश्या । २ नर्तकी। ३ वेश्यावृति करने कटि, कंटी-१ देखो 'कांटो' । २ देखो 'कठी'। वाली स्त्रियों का एक वर्ग ।। केटीर-देखो 'कठीर'। कचरी, कंचळी, क'चलो(वी)-स्त्री० १ मुसलमान वेश्याओं का | कंटीली-वि० (स्त्री० कंटीली) कांटेदार, कांटों वाला। एक भेद । २ देखो ‘कांचळी' । ३ देखो 'कंचुकी'। कंटेस्वरी-स्त्री० सोलंकियों की कुल देवी। कची-१ देखो 'कचकी' । २ देखो 'कांची'। कंटोळियौ-पु० गोखरू कांटो नामक औषधि या इमका फल । कच, कंचुक, कंचुकी, कवी, केचुवौ, कचूकी-स्त्री० कंठ-पृ० [सं०कंठः१ग्रीवा,गला । २ टेंटवा । : स्वर, आवाज । [सं. कनक १ अंगिया, चोली । २ सर्प चम, कंचुल । शब्ध । ५ अनुप्रास । ६ तलवार की मंठ की चकरी। For Private And Personal Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 良 www.kobatirth.org ( १८३ ) देखो'काळी' कठसरी - स्त्री० [सं० कंठश्री ] गले का हार, माला । करच वि० [सं०] स्थ] १ जवानी याद कंठाय २ कंठ से उच्चारण किया जाने वाला । ३ कंठगत । ४ गले में [सं० कांस] १ पति । २ ईश्वर । माना। । ७ पात्र का किनारा । पड़ोस ९ तलवार । कांत, (डी) (तौ) - पु० - वि० १ अच्छे स्वर वाला सुस्वर । २ बैंगनिया रंग का । ३ स्वामी, मालिक । ४ सात मात्रात्रों का एक मात्रिक - आमरण पु० गले का हार छंद । —हरख - स्त्री० शय्या, सेज ! का व जाली पट्टी कतारी० [सं०] कांता]] स्त्री, पत्नी कंठ पर होने वाली भंवरी (शुभ) कांतार, कांतारक - देखो 'कांतार' । का हार । गले का एक रोग । कतुकी - स्त्री० केतकी । पर होने वाली गौरी (अशुभ) कर- पु० १ खलिहान कला कंटोला वृक्ष विशेष बाल पु० म िस्त्री० घोड़े के । -माळ, माळा - स्त्री० गले -सूळ - पु० घोड़े के कंठ कंठ का रोग विशेष ०१ गते काभूषण २ देखो'काळ' अटका हुआ । कठाग्र, कंठाग्रहण - पु० प्रालिंगन । - वि० कंठस्थ । कंठाळ (क) - पु० ऊंट | कंठाळी- वि० १ बलवान । २ मधुर राग से गाने वाला । ३ देखी 'लक'। डाळ - पु० [सं० करनाल ] तुरही नामक वाद्य । कडी-स्त्री० टोकरी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कडी ०१ पत्थर की बुनाई करने वाला २ देखो 'कड़ियों' कंडीर [वि० [स्त्री० [कंडीरण) १ भयंकर भवाय २ पेटू बहु भक्षी । ३ बड़ा फीमची । स्त्री० करवीर । कडकर - पु० [सं०] कपिकच्छु नामक लता, कउंच 1 कडू, (य) या स्त्री० [सं० कंड्या ] खुजली । कर देखो 'क'। कशदोरी-देखो 'दो कायर - देखो 'कर' । सारी-देखो सारी क कठि ( का, य) - स्त्री० १ तट । २ कगार । ३ देखो 'कंठी' । -राव पु० सिंह, व्या कंठी-स्त्री० [सं०] १ गर्दन २ गले की माला गले का आभूषण । ४ रक्त चंदन की माला । ५ कुछ पक्षियों के गले की लकीर । ६ तलवार की म्यान का एक भाग । ७] गुंज, पट्टा कालरबंध वि० अनुवायी, शिष्य -र, रव ५० सिंह शेर कबूतर । मादा हथिनी । -रण, रणी - स्त्री० सिंह्नी रल, रवी, रोम्रौ पु० सिंह । कंठी पु० मणियों का हार २ बड़े मोिं की माला कंदरा (री) स्त्री० [सं०] कंदरा ] गुफा, गुप्त स्थान । ३ कंठ का प्राभूषण । ४ गला, कंठ । -कर-पु० पर्यंत पहाड़ कड, (म) - वि० १ चालाक, धूर्त । २ पाखंडी, ढोंगी । ३ बेकार, केवळ पु० [सं० कंदलः] १ नाश, संहार, ध्वंस । २ युद्ध, कलह । ३ शोरगुल । ४ सोना, स्वर्ण । ५ टुकड़ा । ६ समूह | (न)-१ देखो 'दळ' २ देखो 'कु ंदन' | कप, कदरप पु० [सं०] कंदर्प ] १ कामदेव २ श्रीकृष्ण के पौत्र का नाम । ३ पौरुष, पुंसत्व - वि० कुत्सित दर्पवाला, प्रभिमानी। यह स्त्री० त्रयोदशी । । । 7 व्यर्थ । ४ सवृत्त । में पड़ा रहने वाला भूसा । २ एक देखी 'कांतार' | कती, कांथ (थ) - देखो 'कंत' । बड़ (डी) - ० १ नाथ सम्प्रदाय का साधु २ देखो 'कंत'। कंपड़ी कधी स्वी० बीचड़ों को जोड़कर बनाया हुधा पहनने का वस्त्र । २ फकीरों का चोगा । ३ गुदड़ी। - धार, धारी- पु० शिव, महादेव, संन्यासी । कद - पु० [सं०] १ आलू, मूली, गाजर आदि जड़ीय पदार्थ । मूल, जड़ । २ गुलाब के फूल चीनी के साथ जमा कर बनाया हुआ खाद्य पदार्थ (गुलकंद ) । ३ मेघ, बादल । ४ योनि का एकरोग । ५ एक वर्ग वृत्त । ६ छप्पय छंद का एक भेद । ७ दु:ख, उदासी ८ कलंक । ९ श्यामता । १० नौ निधियों में से एक । ११ समूह । १२ कंधा । - वि० मूर्ख । --क-पु० वितान, चंदोवा । —चर - पु० सूर - मूळ- पु० जड़ीय पदार्थं । For Private And Personal Use Only कंदळी स्त्री० १ ध्वजा, पताका । २ देव वृक्ष । ३ छठी बार निकाला गया तेज शराब । ४ एक प्रकार का हरिण । ५ युद्ध, समर । ६ देखो 'कदळी' । बार देखो'गंधा' - कंदारौ पु० पथ, रास्ता । दा० [सं०] स्कंधालय ] धनुष कदीजलौ (बौ)-देखो 'किंदणी' (बी)। कंदील - पु० अंग्रा, नोक, तीर । कटुक--पु० [ कंदुकः ] गेंद । कंटू, कड़ी- पु० ग्वार या तिल के कटे पौधों का व्यवस्थितढेर | गंज । Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कदोई ( १८४ ) कंवाड़ी कदोई-पु० [सं० कांदविक] हलवाई । -लाग-स्त्री० हलवाइयों | कंबाइस-स्त्री० छड़ी, बेंत । से लिया जाने वाला कर । कंबु (बू)-पु० [सं० कम्बुः] १ शंख । २ हाथी । ३ घोंघा । के दोराबंध-वि० मेखला धारण करने वाला । -पु० वह ४ गर्दन । -ठाण-पु० हाथी बांधने का स्थान, हाथी व्यक्ति या बालक जिसके करधनी बंधी हो। बांधने का स्तंभ । के दोरौ-देखो 'करणदोरौं'। कंबोज-पु० [सं० कम्बोजः] १ घोड़ा। २ पंजाब से अफगानिके दौ-देखो 'कुदौ'। स्तान तक का भू भाग(प्राचीन) । ३ उक्त प्रदेश का घोड़ा। कंद्रप-देखो 'कंदरप'। ४ हाथी। कंध (क)-पु० [सं० स्कंध] १ कंधा, अंश । २ गर्दन, ग्रीवा । | कभ-१ देखो 'कंब'। २ देखो 'कभ' । ३ डाली । ४ प्राश्रय, सहारा । -क-पु० गला, गर्दन । | कभी-स्त्री० पिघले हुए सोने या चांदी की बनी सलाका । -रूढ़ा-स्त्री० एक देवी विशेष । कमन-वि० [सं० कमनीय] सुन्दर, मनोहर । कंधर-पु० १ तालाब । २ देखो 'गंधार' । ३ देखो 'कंधौ' । कमळा-देखो 'कमळा' । कंधाळधुर-पु. बेल । कमाड़-देखो 'कपाट'। कंधुर, कंधौ-पु० [सं० स्कंध] कधा, अंश । कमाळ-स्त्री० मुंडमाला। कन-१ देखो 'करण' । २ देखो 'कांन'। कमेडी-पु० कपोत । क नीर-देखो 'कणेर'। कब-देखो 'कांब'। कप (ण, रणी, न)-स्त्री० [सं० कम्प्र] १ कंपन, थर्राहट । | कवर-देखो 'कुमार' ।। २ चचलता । ३ धड़कन । ४ कंपकंपी। ५ दोष, कलंक । | कवर-कलेवो-पु० दूल्हे को तोरण द्वार पर कराया जाने वाला ६ महीन धूलि, रज । ७ भय, डर । ८ शृगार का एक स्वल्पाहार । २ दूल्हे का नाश्ता । सात्विक स्थाई भाव । -कपी-स्त्री० थरथराहट, भय । | कवरपद (पदौ)-पु० कुमारावस्था । कंपटुयरण-स्त्री० कंउच नामक लता । कंवरांणी-स्त्री० १ युवराज की पत्नी । २ पुत्र वधू । कपरणौ (बौ)-देखो 'कापणी' (बौ)। कवरांपति-पु० राजकुमार। क परणी (नी)-स्त्री० [अं॰] १ व्यावसायिक संघ । २ मित्र कंवराई-स्त्री० कुमारावस्था । मंडली। कंवराईपरणौ-पु० कुमारावस्था या भाव ।। कंपारणी (बौ)-प्रे०क्रि० १ कंपन, पैदा करना । २ डराना । कवरियौ-देखो 'कुमार'। ३ हिलाना । ४ झंकृत करना । कवरी-देखो 'कुमारी'। क पाळ-देखो 'कपाळ'। कवळ-१ देखो 'कमळ' । २ देखो 'कवळ' । : देखो 'कोल', कंपावरणौ (बौ)-देखो 'कंपारणौ' (बौ)। कपास-पु० १ दिशा ज्ञान कराने वाला एक यंत्र । २ पैमाइश केवळ पूजा-देखो 'कमळ पूजा'। में काम आने वाला यंत्र । ३ बढ़ई का एक औजार। कवळा-देखो 'कमळा'। कपित-वि० [सं०] कंपायमान, कांपने वाला । २ चंचल, कबळापति-देखो 'कमळापति' । अस्थिर । ३ भयभीत, डरा हुआ। केवळासड़ौ-वि० कोमल । कपी-स्त्री० १ कपन, थर्राहट । २ कंपकंपी। महीनतम, कवळियौ-पु. १ कामला रोग । २ देखो 'कंवळो' । रज, लि। ३ देखो 'कमळ'। कंपू (पू)-पु०१ सेना, फोज । २ संन्य शिविर । ३ जन समूह। कवळी-स्त्री० दरवाजे या खिडकी में चौखट के पीछे लगने ४ देखो 'कप'। नाला खड़ा पत्थर। कंब-स्त्री० [सं० कंबा १ छड़ी । २ देखो 'कंबू' । कवळी-वि० (स्त्री० कंवळी) कोमल, नरम, नाजुक । -पु. कंबड़ी-देखो 'कांबड़ी'। १ मुख्य द्वार में लगा खड़ा पत्थर । २ सफेद गिद्ध । के बंध-देखो 'कबंध'। ३ बिना मात्रा का व्यंजन । ४ देखो 'कमळ' । कंबर, कंबळ (ळि, ळी)-स्त्री० [सं० कंबलः १ ऊन का मोटा | कवाड़-देखो कपाट' । वस्त्र, कम्बल । २ गाय के गर्दन के नीचे लटकने वाला कवाड़ी-स्त्री० १ छोटी कुल्हाड़ी । २ छोटे दरवाजे, खिड़की या पांस । ३ एक प्रकार का हिरन । ४ दीवार । । ग्राले का कपाट । For Private And Personal Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंवार ( १८५ ) कक्खट कवार-स्त्री०१ कौमार्यावस्था । २ कुमारी। ३ देखो 'कुमार'। कइयां-क्रि०वि० कैसे, क्यों। -सर्व० कई। -छळ-स्त्री० वेश्या की कुमारावस्था । -परणी-पू० कइर-देखो 'करीर'। कुमारावस्था। कइळि-देखो 'कदळी'। कवारी-स्त्री० [सं० कुमारी] १ अविवाहित लड़की । २ कुमारी।। कइवार-देखो 'कैवार'। -वि० अविवाहिता । -घड़, घड़ा-स्त्री० युद्ध के लिए | कइसइ-क्रि०वि० कैसे । सुसज्जित सेना । -जांन-स्त्री०विवाह के एक समय या एक | कईक-वि० १ थोड़ा, किंचित । २ देखो 'कइक' । दिन पूर्व पाने वाली बरात व इस बारात को दिया | कई-वि० [सं० कति] १ अनेक, बहुत । २ कुछ । जाने वाला भोजन । -भाती, लापसी-स्त्री० विवाह से पूर्व | -क्रि० वि० कभी। देखो 'कस्सी' । बरात को दिया जाने वाला भोज । कईक-देखो 'कइक' । कवारी-पु० [सं० कुमार] (स्त्री० कंवारी) कुमार, लड़का । कईवरत (वरतक)-पु० [सं० कैवर्तक] मल्लाह । -वि० अविवाहित । -भात-पु० पाणिग्रहण से पूर्व | कउरण-सर्व० [सं० किम्] १ कौन । २ क्या । बरात का भोज। कउ-स्त्री० १ तापने की आग का छोटा गड्ढ़ा। २ संन्यासियां कस-पु० [सं०] १ राजा उग्रसेन का पुत्र व श्रीकृष्ण का । की धुनि । -सर्व० १ क्या। २ कोई। -अव्य० संबंधकारक मामा । २ कांस्य-पात्र । ३ पीने का पात्र । ४ झांझ- | चिह्न, का। मजीरा । ५ कसीस नामक धातु । -निकंदरण (न)-पु० कउनौ (कऊवौ)-पु० [सं० काक कौया । श्रीकृष्ण । विष्ण । -विधु सी-स्त्री० बिजली, विद्युत । कउडि (डी)-देखो 'करोड़' । -पु० श्री कृष्ण। कउरण-सर्व० १ कौन । २ क्या । कसरी-पु० कांसी-पीतल के बर्तन बनाने वाला कारीगर । कउतिग (ग्ग)-देखो 'कौतक' । क'सळो-पु० कनखजूरा नामक जंतु । कउतेय-देखो 'कौंतेय' । के सार-पु० [सं० कंसारि] १ श्रीकृष्ण । २ देखो 'कसार' । कजरव-देखो 'कौरव'। कंसारी-स्त्री०१ घरों में पाया जाने वाला छोटा जंतु विशेष, कउल-१ देखो 'कवल'। २ देखो 'कौल' । कसारी । २ देखो 'कंसार' । ३ देखो 'कसरौ' । ककखट-देखो 'कक्खट'। कंसाळ-पु० कांसी ग्रादि मिश्र धातु का बना बाजा । ककड़ाजोग-देवो 'करकटजोग' । कंसास-देखो 'कस'। ककड़ौ-पु. १ दाढ़ी-मूछों के लाल-केश । २ ज्योतिष का एक कंसासुर-पु० [सं०] कंस । अशुभयोग। क-पु० [सं०] १ ब्रह्मा। २ विष्णु । ३ सूर्य । ४ अग्नि । | ककट-पू० दंत-कटाकट । ५प्रकाश । ६ कामदेव । ७ दक्ष प्रजापति । ८ वायु। ककरेजियां-पु. स्याही लिए हुए रंग से रंगा कपड़ा। ९ राजा । १० यम । ११ आत्मा। १२ मन । १३ शरीर । ककसौ-पु० [सं० कक्ष, कक्षा] १ ग्रहों का भ्रमण-मार्ग । १४ काल । १५ धन । १६ मोर । १७ शब्द । १८ जल । २ परिधि । ३ बराबरी, समानता । ४ श्रेणी । ५ देहली। १६ ग्रंथि, गांठ । २० शिर । २१ मुख । २२ केश । ६ कांछ-कंछोटा । -वि० बराबर, तुल्य । २३ वन । २४ निवास । २५ दास । २६ ज्योतिषी। २७ पक्षी । २८ बादल, मेघ । २९ स्वर, शब्द । -अव्य. ककांण-पु० १ देश विशेष । २ देखो 'केकारण' । १ अथवा, या । २ कब । ३ पादपूर्ति अव्यय । -सर्व क्या।। ककी-पु० [सं० केकी] १ मोर, मयूर । २ मादा कौमा। कई-अव्य० क्यों। -लक-पु० कबच । कइ-अव्य० १ संबंध कारक चिह्न, का । २ अथवा, या।। ककुद-पु० [सं०] बैल के कंधे का कूबड़ । --मान-पु० बैल । ३ देखो 'कई'। ककुभ, ककुभा-स्त्री० [सं० ककुम्] १ दिशा । २ दक्ष की पुत्री व कइक (यक)-वि० सं० कतिपय] कई, अनेक । -क्रि०वि० | धर्म की पत्नी। [सं० ककुभः]३ वीणा की खूटी की लकड़ी। कहीं। -सर्व० किसी। कोई । ककुभाळी-स्त्री० आंधी, तूफान । कइकारण-देखो 'केकारण'। ककोड़ो-देखो कंकेडी'। कइबा-वि० कैसा। कको, कक्कौ-पु० १ 'क'वर्ण । २ व्यंजन । -सर्व० कोई। कइय-क्रि०वि० कब, कदा। -सर्व किन, कौत, कोई। कखट-वि० [सं०] १ कड़ा, कठोर मख्त । २ दृढ़ पक्का । For Private And Personal Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कक्ष ( १८६ ) कक्ष-पु० [सं०] १ बगल, कांख । २ दर्जा, श्रेणी । ३ वर्ग। कड़क्करणौ (बी)-देखो कड़कणों (बी)। ४ पार्श्व, भाग । ५ कमरा, भवन का कोई भाग। कड़ख-पु० किनारा । तट । ६ अंतःपुर। ७ वन, जंगल । ८ जंगल का भीतरी भाग। कड़खिरणौ (बौ)-देखो 'कड़कणी' (बौ)। ९ मूखा घास । १० भैसा। ११ फाटक । कड़खौ-पु. १ नदी तट का उभरा हुमा भाग । २ एक छंद कख-पु. १ प्रांख का कोना । २ कसौटी, परीक्षा । ३ एक विशेष । ३ विजय गान । प्रकार का पत्थर । ४ देखो 'कक्ष' । कड़ा-स्त्री० लकड़ी के लट्टे के चिरने या बिजली के गरजने की कखती-मगरी-स्त्री० यौ० एक प्रकार की तलवार । आवाज। कखवा-पु० [सं० कक्षवान] वन, जंगल । कड़डणी (बी)-क्रि० १ लकड़ी का लट्ठा जोर से फटना। कग (ग्ग)-पु० [सं० काक] १ कौआ, काग। २ देखो 'कंगळ'। २ फटने की आवाज होना। ३ बिजली का गरजना । कगण्ण-पु. १ कर्ण । २ देखो 'कंगळ' । कड़डाट-देखो 'कड़ड़। कगर-देखो 'कागज'। कड़च-क्रि०वि०१ जल्दी, शीघ्र । २ देखो 'कड़च्छ' । कगळी-देखो 'काक'। कड़चरणौ (बी)-देखो 'कड़छरणौ' (बी)। कगल्ल-देखो 'कंगळ' । कडच्छ-पु० बंध, बंधन । -वि० तैयार, सन्नद्ध । सुसज्जित । कगवा-देखो 'कंगवा'। कड़छ-स्त्री० कटाक्ष। कगार-पु० [देश] नदी या जलाशय का ऊंचा स्थान, तट । कड़छरणी (बी)-क्रि० १ तैयार होना । २ सन्नद्ध होना, सावधान कग्गर, कम्गळ-पु० १ किनारा तट । २ देखो 'कंगल'। होना । ३ शस्त्र सुसज्जित होना । ४ अाक्रमण के लिए ३ देखो 'कागज'। लपकना। कग्गौ-देखो 'काक'। कड़छलौ (ल्यौ)-पु० १ बड़ा करछुल । २ छोटा कड़ाहला। कड़-स्त्री० [स. कटि] १ कमर, कटि । २ करवट, पक्ष । वट, पक्ष। कडछु-पु० काठ का बना चम्मच (मि० डोई) ३ तट, किनारा । ४ पास, निकट । ५ चूतड़, नितंब । कड़जोड़ो-पु० कवच, सनाह । कडक-स्त्री०१ क्रोध, कोप । २ क्रोध या रोबीली आवाज। | कडढौ-प० खड्डा, गर्त । ३ बिजली की गर्जना। ४ बिजली । ५ बंदूक की आवाज । कडतल (त्तल)-स्त्री० [सं० कटि + तल] १ तलवार, खड्ग। ६ शक्ति, सामथ्य । ७ कड़ापन, दृढ़ता । ६ चटकन। २ झाला राजपूतों का विरुद । ९ देखो "किड़क'। -वि० सख्त, कड़ा, कच्चा, ठोस । कड़तू-स्त्री० कटि, कमर । कडकड-स्त्री० १ मुश्ती या गुड़िया शक्कर । २ कड़कने की कडतोडौ-१०१ ईश्वर, परमात्मा । २ कमर पर भौंरी बाला ध्वनि। बैल । ३ आभूषण विशेष । -वि० १ कमर तोड़ने वाला। कडकडाट-स्त्री० कड़कड़ाहट । २ भयंकर । ३ दुर्गम। कड़कड़ो-देखो 'किड़ किड़ो' । कड़थल-पु०१ संहार, नाश । २ देखो 'कड़तल' । कड़करणौ (बौ)-क्रि० १ जोश में दांत पीसना । २ कोध में कड़दौ-१ किसो द्रव पदार्थ के नीचे जमने वाला मैल । २ मोने गरजना । ३ बिजली का जोर से चमक कर गरजना। चांदी के साथ मिलाया जाने वाला विजातीय धातु । ४ डांटते हुए बोलना। कड़प-पु० खिजाब । कड़कनाळ-स्त्री० भयानक शब्द करने वाली तोप । कड़पौ-पु० १ खेत में काम करने वाले मजदूरों को दिया जाने कड़कम-पु० पुरुषों के कान का प्राभूषण । बाला गेहूँ का पुपाल । २ मुट्ठी में प्रावे उतना घासादि । कड़कारणों (बी)-क्रि० १ जोश दिलाना । २ कड़कने लिए कड़प्रोथ-पु० [सं० कटि-प्रोथः] नितंब, कूल्हा । प्रेरित करना। कड़बंध-पु० १ कटिबंध प्राभूषण । २ करधनी । ३ कमर बध । ४ तलवार । कड़कोलो, कड़कोल्यौ-१ देखो 'ठोलौ'। २ देखो 'कड़ खौ'। कड़को-१ अंगुलियों के चटकने की आवाज । २ जोर का शब्द । | कड़ब-स्त्री० ज्वार का सूखा पौधा जिस पर से अनाज की बाल । काट दी गई हो । -चेन-स्त्री० एक प्रकार की जजीर । ३ ताकत, बल । ४ जोर का झटका। ५ युद्ध का गीत । ६ बिजली । ७ कविता । ८ लंघन, उपवास । ९ निर्धन । | कड़बांध-स्त्री० मूज की करधनी। कडक्क-देखो 'कड़क'। कड़बोड़ो-स्त्री० ज्वार के चारे से भरी गाड़ी। कड़क्कड़-देखो 'कड़कड़। | कडब्बरणौ (बौ)-क्रि० प्रकुपित होना । For Private And Personal Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मूळ www. kobatirth.org ( १८७ ) मूळ स्त्री० [सं० लि-मूल] सेना, फौज कड़ लियो- पु० १ मिट्टी का बर्तन । २ मिट्टी का दीपक । ३ देखो 'कड़ी' । क' देखी 'व' । कयौ वि० [सं० कह] (स्त्री० कड़वी) १ कड़वा वारा २ कटु, श्रप्रिय । ३ स्वाद की दृष्टि से तीक्ष्ण । ४ तीक्ष्ण प्रकृति वाला। ५ एक बड़ा वृक्ष । - तेल - पु० सरसों या जाम्बे का तेल | कढ़ाई-स्त्री० [सं०] कटाह] १ अधिक मात्रा में भोजन बनाने का लोहे का चौड़ा पात्र । २ कड़ापन, सख्ती । ३ तलुए का फोड़ा । ४ देखो 'कराई' | कड़ाऊ - पु० १ दीवार की चुनाई का एक ढंग । २ ऐसी चुनाई में लगने वाला चौड़ा पत्थर । कड़ा देखा। कोला ० [सं०] कविनम्] चावट मिटाने के लिए कड़िया देवो 'करिया' । किया जाने वाला विश्राम । कड़ौ पु० स्त्रियों के पांव का बांदी का मोटा कड़ा। कड़व, कड़वाई, कड़वापरण, कड़वास - पु० १ कड़वापन, खारापन, कटुता । २ कठोरता । कड़वीटी [स्त्री० किमी की मृत्यु के दिन उसके पड़ोसियों द्वारा कड़ी स्त्री० [सं०] कटक] १ हाथ या पैर का धा - शोक संतप्त परिवार को भेजी जाने वाली रोटी । कड़ाकड़ स्त्री० [ धनु०] ध्वनि विशेष कड़ाको पु० १ टकराने की ध्वनि । २ देखो 'कड़को' । " कड़ाछी-स्त्री० बड़ा व मोटा चम्मच । काजूड (फूड), कढ़ाजूज ( मूझ) - वि० १ पहन ओढ़ कर तैयार । २ सन्नद्ध । ३ कटिबद्ध । ४ शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित । कड़ाबंध - वि० १ श्रावेष्टित । २ घिरा हुआ घेरा हुआ । ३ सज्जित । कड़ाबी (बीन) [स्त्री० [० वन] एक प्रकार की बन्दुक । कड़ाभीड़ - स्त्री० भीड़-भाड़ जमघट - वि० सुसज्जित । कड़ाय, कड़ायलियों, कड़ायलौं-१ देखो 'कड़ाव' । २ देखो 'कड़ायौ' । कड़ायी पु० १ लाल तने वाला एक वृक्ष २ छोटी कड़ाही कड़ाळ - गु० कवच | काय पु० [सं०] कटाह बड़े भोज का भोजन बनाने का नो का बड़ा पात्र । कड़ावलो, कड़ावौ पृ० १ छोटी कड़ाही । २ देखो 'कड़ायी' । कड़ाह (ही) - देखी 'कड़ाय' । २ प्रध (यह) स्वी० [सं०] करि] उनर कटि । खिला फूल । ३ कंकरण, कड़ा । ४ शृंखला का एक घटक । ५ स्त्रियों के पैर का ग्राभूषण कड़ी। गोद | -बांधीस्त्री० कटार | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कड़ियळ (याळ) - पु० १ कवचधारी योद्धा । २ कवच । कड़ियां स्वी० [सं०] कटि] १ कमर कटि २ स्त्रियों के पैरों में धारण करने का आभुषण । होमी कड़ियाळी स्त्री० १ घोड़े की लगाम । २ लोहे की कड़ियां लगा डंडा । कड़ियाळी - पु० १ अमलताश का वृक्ष । २ देखो 'कड़ियळ' । कड़ियौ पु० १ चुनाई करने वाला कारीगर । २ छोटा खेत । कटि । की कड़ी । ३ लगाम । ४ कवच । ५. कमर, ६ हुक्का । ७ मोटा रस्सा | ८ छंद का एक चरण । - वि० १ तेज, तीव्र तीक्ष्ण । २ कठोर । ३ भयंकर । --रुत स्त्री० ग्रीष्म व शीत ऋतु 1 " कड़कड़ी - स्त्री० १ दो बकरों या मेढ़ों को परस्पर लड़ाने के निमित्त जोश दिलाने का शब्द । २ जोश दिलाने का शब्द | कड़ीड़ - पू० १ प्रहार, चोट । २ प्रहार की ध्वनि । [ब] (बी) देखो 'कुटुम्ब' कड़ बवाळ-पु० किसान वि० जिसका कुटुम्ब बड़ा हो । कधी कधी देखो 'कवी' कड़ लौ - पु० कड़ा ( श्राभूषण) । कली नवी सफेद पांचों वाली बकरी । कड़ - क्रि०वि० पास, निकट, नजदीक । -छंट-स्त्री० मस्ती में आए हुए ऊंट का पेशाब करते समय पूंछ भटकना क्रिया । कड़ ली स्त्री० मिट्टी का ता कड़ोपौ वि० बदसूरत, भहा For Private And Personal Use Only -पु० ० १ दोनों आंखों में कुंडली वाला बैल । २ कड़ा । कड़ोमी देखो 'कुटु' कड़ोलियोकड़ी० [सं०] कटक] १ किसी धातु का गोल कड़ा २ ऐसा कड़ा जो किसी देवता के नाम से पहना जाता है । ३ स्त्रियों की भुजा का स्वर्णाभूषण पहुँची । ४ पैरों व हाथों में धारण करने का आभूषण ५ कंगन ६ पत्थरों को जोड़ कर बनाया जाने वाला अर्ध चन्द्राकार । ७ श्रावेष्टन, घेरा । ८ किसी उपकरण का पकड़ने का गोलाकार भाग । छत का चूना । १० झुंड, समूह ११ तट किनारा । १२ चक्र, पहिया । १३ वृत्त । वि० (स्त्री० कड़ी) १ कठोर, सख्त | २ कट, अप्रिय | ३ असा ४, मजबूत । ५ अड़ियल । ६ तेज । ७ धीर, गंभीर कड़ौट - स्त्री० पंक्ति उलटने की क्रिया या भाव ( काव्य ) । कमीने 'कट' । 1 Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नच कछी कच-पु० [सं०] १ केश, बाल । २ रोम । ३ चोटी, शिखा । | कच्चीनकल (रोकड़)-स्त्री० एक प्रकार की बही जिसमें व्या ४ सूखा हुआ जख्म । ५ झुंड । ६ अंगरखे का भाग। पारी दैनिक प्राय-व्यय का हिसाब रखता है। ७ काच । ८ देखो 'कुच'। -वि. १ कच्चा। २ श्याम । कच्चीपक्की-स्त्री० एक देशी खेल ! ३ देखो 'कच्छ' । .....कबरी-स्त्री० बालों में पुष्प गूंथने की | कच्चौ-देखो 'काचौ'। क्रिया। --कोळो-स्त्री० काच की चूड़ी । ---बीड़ी-स्त्री० कच्छ -पु० [सं०कच्छ, कक्ष] १ कांख, वगल । २ पार्श्व ३ तट, लाख की चूड़ी जिसमें काच जड़े हों। --मेड़ी-स्त्री० रंग किनारा । ४ हाशिया । ५ सीमा । ६ गोट, मग्जी । ७ नाव महल । —लूरण-पु. एक प्रकार का नमक । का एक हिस्सा । ८ सूखी घास। ९ जंगल । १० भूमि । कचनार-पु०१ एक प्रकार का वृक्ष । २ इस वृक्ष का पुष्प। ११ घर । १२ कांख का फोड़ा । १३ पाप, दोष । कचपच, (पिच)-स्त्री० अस्पष्ट ध्वनि या आवाज । १४ कांछ । १५जलप्रायः देश । १६ नदी या समुद्र किनारे की कचर-पु० १ कूड़ा-कचरा । २ कुचल कर किया गया चूरा । भूमि । १७ गुजरात के समीप एक प्रदेश । १८ धोती की ३ कोल्हू में अध कचरे तिलों का समूह । लांग । १६ छप्पय छंद का एक भेद । २० देखो 'कच' । कचरघण, (घन, घारण)-पु० कुचल कर किया गया चुरा ।। २१ देखो 'कच्छप'। २२ देखो 'काछी' । २ कचूमर । ३ कोचड़ । ४ संहार, नाश । ५ विध्वंस । कच्छप-पु० [सं० कच्छप:] १ कछुपा । २ विष्णु के चौवीस ६ अधकवरी अवस्था । अवतारों में से एक। ३ कुबेर की नौ निधियों में से एक । कचरणौ (बौ)--क्रि० १ कुचलना । २ मसलना । ३ चूरा करना। ४ दोहे छंद का एक भेद । ५ घोड़े के मस्तक का एक रोग। कघराबी (ह)-पु० ध्वंस, संहार। --वंस-पु० कछवाहा वंश । कचरोळी-पु०१ शोरगुल, हल्ला-गुल्ला । २ कचरा । कच्छपी-स्त्री० [सं०] १ सरस्वती की वीणा । २ कछवी । कचरौ-पु० १ कूड़ा-करकट । २ व्यर्थ सामान का ढेर । ३ कच्चा | कच्छियो-१ देखो 'कच्छप' । २ देखो 'कछियौ' । खरबूजा । ४ निरर्थक वस्तु, फूस । कच्छी-स्त्री० १ जांघिया । २ एक प्रकार की सलवार । ३ कच्छ कचहड़ी-देखो 'कचेड़ी'। का निवासी । ४ कच्छ का घोड़ा। ५ काछ का ऊंट या कचाई-स्त्री० १ कच्चापन, कच्चाई । २ कमजोरी । ३ अनुभव मादा ऊंट। की कमी। कछ-१ देखो 'कच्छप' । २ देखो 'कच्छ' । ३ देखी 'काछ' । कचारा-स्त्री० काच की चूडी बनाने का व्यवसाय करने वाली ४ देखो 'कुछ'। जाति। कचारों-पु० उक्त जाति का व्यक्ति । कछरपो-देखो 'कसणौ' । कचिया-स्त्री० कंचुकी। कछणा(बी)-क्रि० १ शस्त्रास्त्र से सुसज्जित होना । २ कसना। कबरि-स्त्री० बालों का जूड़ा । ३ बांधना। कचूर-पू. हल्दी की जाति की एक औषधि विशेष । नर कचूर। कछदाद-पू० पेड़ के संधिस्थल व अण्डकोश पर होने वाला कचेड़ी, कचड़ी-स्त्री० न्यायालय, अदालत । दरबार । दद् रोग। कचोट-स्त्री० घातक प्रहार। प्राघात । कछनो-स्त्री० १ कच्छी, जांघिया । २ कछौटा। कचोरी, कचौरी-स्त्री० [सं० कर्चुरिका] नमकीन खाद्य पदार्थ कछप-देखो 'कच्छप'। कघोळ (उ, डो)-१ निदा, बुराई । २ देखी 'कचोळी' । कछपी (बी)-देखो 'कच्छपी' । कचोलड़ी कचोलड़ौ कचौला, कचौली,कचौलु-स्त्री. १ कटोरी। कछर-पु० [सं० कच्छ्र] १ दुःख, क्लेश । २ कष्ट, पीड़ा। २ तश्तरी । ३ चिलम के नीचे का हिस्सा । ४ काच ३ पाप का दुःख । की चूड़ी। कछव-देखी 'कच्छप'। कचोळी-पु० १ कटोरा, प्याला । २ निंदा, अपवाद । कछवी-पु० १ घोड़ों का एक राग । २ देखो 'कच्छपी' कच्चर-वि० [सं०] १ मलिन, मैला । २ दूषित । ३ अस्वस्थ । ४ देखो 'कचर'। कछांट-स्त्री० कठिनाई से दूध देने वाली गाय या भैस । कच्ची कुड़क (को)-स्त्री० किसी मुकद्दमें के फैसले से पहले जारी कछियांगो-स्त्री. १ कच्छ देशोत्पन्न देवी। २ गावड़ या संगी देवी। किया जाने वाला आदेश जिससे जायदाद में हेरा-फेरी| कछियो-पु० जांधिया, कच्छा । -वि० रसिक । न हो कछी-देखो 'कच्छो' । विशेष । For Private And Personal Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कछोटियो कटखाडो कछोटियो-देखो 'कछोटी' । कज्जळ-१ देखो 'काजळ' । २ देखो 'कजली' । कछोटी (टौ)-स्त्री० लंगोट । कच्छा। -वन='कजळीवन' । कछौ-पु० ऊंट। कज्जा-देखो 'कजा'। कछ्छ-देखो 'कन्छ। कज्जि(ज्जी)-१ देखो 'कजि' । २ देखो 'कजी' । ३ देखो 'कज' । कज-पु० [सं० क+ज] १ बाल, केश । २ रोम । ३ ब्रह्मा। ४ देखो 'काज'। [फा०] ४ टेढ़ापन । ५ दोष । ६ कार्यक्रम । ७ युद्ध। कज्जे (ज्ज)-देखो 'कज'। -क्रि०वि० लिये, वास्ते, निमित्त । कझळारणौ (बौ)-देखो 'कजळाणों' (बी)। कजळ-पु० काजळ । ----अंक-पु. दीपक, चिराग । ज्योति । कट-पु० [सं० कटः] पु० १ कमर कटि । २ मेखला, करधनी । कजळारणी (बौ)-कि० कांतिहीन होना । बुझना । ३ हाथी का गंडस्थल । ४ चटाई । ५ शव, मुर्दा । कजळियो-वि० १ श्याम, काला । २ देखो 'काजळ'। ६ कटने की क्रिया या भाव । ७ शव-वाहन । ८ समाप्ति । कजळी-स्त्री० [सं० कदली] १ केला, कदली। २ केले की फली। ९ तीर, बाण। ३ एक प्रकार का हिरन । ४ गंधक व पारे की एक साथ कटक-पु० [सं० कटक:] १ सेना, फौज । २ झुड, समूह । पिसी बुकनी । ५ कालिख । ६ अंगारे के ऊपर की राख । ३ लुटेरों का गिरोह । ४ कंगन, कड़ा । ५ राज-शिविर । ----तीज-स्त्री० भादव कृष्णा तृतीया । -बन, वन-पु० ६ समुद्री नमक । ७ पहिया, चक्र । ८ नितंब । ९ पहाड़ के केले का जंगल । अासाम का एक जंगल । बीच का भाग । १० हाथी दांत का गहना । ११ सेंधा कजळीजणी (बी)-कि० १ दहकते अंगारे ठंडे पड़ना । २ ठंडा नमक । १२ घास की चटाई । १३ काबुल की एक नदी। पड़ना। १४ मेखला । १५ चढ़ाई। १६ उपत्यका। १७ राजधानी । कजा-स्त्री० [अ०] १ मृत्यु, मौत । २ बद किस्मत, दुर्भाग्य । १८ घर, मकान । १९ वृत्त, घेरा । २० पीठ, पृष्ठ भाग । ३ आफत। -ईस-पु० सेनापति । -बंध-स्त्री० सुसज्जित सेना। कजाई-स्त्री० घोड़े के चारजामे का उपकरण । कटकड़ी-स्त्री० [सं० कटन] सेना, फौज । कजानौ-पु० [फा० पजावः] १ ईट की भट्टी। २ खड़िया मिट्टी कटकड़ी-पु० सोना-चांदी के तारों पर खुदाई करने का उपकरण। पकाने का एक ढंग। कटकटाहट-स्त्री० [अनु०] १ परस्पर टकराने की ध्वनि । कजाक-वि० [तु० कज्जाक] १ मारने वाला, हिंसक । | २ दंत कटाकट । २ आततायी । ३ लुटेरा । ४ उद्दण्ड । ५ बलवान । | कटकरण-वि० क्रोधी। ६ भयंकर । ७ योद्धा । -पु० [अ० कजाकंद[ एक प्रकार | कटकरणौ (बो)-क्रि० १ कड़कना । २ बिजली का जोर से का पहनावा जिस पर रेशम लपेटा होता है । इस पर चमकना। ३ क्रोध करना । ४ आक्रमण करना । ५ उचक तलवार के प्रहार का असर नहीं होता । कर आना। कजाकरिण (पी)--स्त्री० साकिनी, पिशाचिनी। कटकारौ-पु० किसी के प्रस्थान के समय 'कठ' का उच्चारण । कजाकी-वि० [अ० कज्जाकी] १ नीच, पतित । २ देखो 'कजाक'। ग्राम और पया बोधक -स्त्री० लूटमार, डकैती। देखो 'कटक'। कजावी--पु० १ ऊंट का चारजामा विशेष । | कटकियो-पु० गांव-गांव फिर कर फुटकर व्यापार करने वाला २ देखो 'कजाग्रो'। | बिसाती। कजि-वि० १ लाचार, बेबस । २ देखो 'काज' । ३ देखो 'कज'। कटकी-स्त्री० १ सेना।२ कोप । ३ वचपात । ४ आक्रमण । कजियाखोर-वि० [अ० कजीयः + फा० खोर झगडालू । | कटकेस-पु० सेनापति । कलहप्रिय । | कटको-पु० १ अंगुली या किसी अंग के चटकने का पाब्द । कजियौ-पु० [अ० कजीयः १ युद्ध, लड़ाई २ दंगा-फिसाद । २ टुकड़ा, खण्ड। ३ कलह । | कटक्क-देखी 'कटक'। कजी-स्त्री० [फा०] १ हानि,नुकसान । २ दोष । ३ देखा 'कजि'। कटक्कट-देखो 'कटकटाहट' । ४ देखो 'कज' । ५ देखो 'काज' । कटक्यां-स्त्री० क्रोध में दांत कटकटाने की ध्वनि । २ क्रोध, कोप। कजे, (ज)-देखो 'कज'। कटखड़ी-स्त्री. कुए से पानी निकालने का काष्ठ का पात्र । काज-१ देखो 'कज । २ देखो काज । कटखड़ी, कटपरौ-देखो 'कटहड़ौ'। For Private And Personal Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कटरगी कट्टार कटणी-स्त्री. १ प्राभूषणों पर खुदाई करने का औजार । तीक्ष्ण दांतों वाला। कटार के समान दांतों बाला। --मल २ ऐंठन । ३ पेट की मरोड़। -पु० कटारी रखने वाला योद्धा । एक प्रकार का घोड़ा। कटरणौ (बौ)-क्रि०१ किमी शस्त्रादि से टुकड़े होना, कटना। कटारियाभांत, कटारीभांत-पु. एक प्रकार का वस्त्र । २ समाप्त होना, बीतना, गुजरना। ३ कतराना, दूर कटारी-स्त्री० [सं० कट्टार] एक बालिश्त लंबा, तिकोना और रहना । ४ मोहित होना। ५ पेट में मरोड़ चलना । ६ जलन दधारा हथियार। होना । ७ फीटा पड़ना, भैपना। ८ व्यर्थ व्यय होना। कटाली-स्त्री० १ भूइरिंगणी, भटकटैया । २ देखो 'कट्याळी' । ६ फटना । १० काट-छांट होना। कटाव-पु. १ कटने-काटने की क्रिया या भाव। २ भू-क्षरण । कटफाड़-स्त्री० [सं० काष्ठ पट्टिका] १ लकड़ी। २ लकड़ी की ३ अत्यन्त तेज शराब । ४ देखो 'कटणी'। पट्टी। ३ जलाने की लंबी लकड़ी। | कटि (टी)-स्त्री० [सं०] १ कमर, कटि । २ नितम्ब । कटमो-देखो 'कटवी'। ३ पीपल । --काळी-स्त्री० कड़ियों की पंक्ति।-ग्रह-पृ० कटमेखळा-स्त्री० करधनी. मेखला । कमर का एक रोग। --बंध-पु. कमरबंध । -मेखळा कटरि-पव्य पाश्चर्ग और प्रशंसा बोधक अव्यय । --स्त्री० करधनी। -सजियौ-वि० सन्नद्ध, तैयार । कटळी-पु. रद्दी मामान, रद्दी सामान बिकने का स्थान । कटियाळी- देखो 'कट्याळी'। कटवरण (न)-वि० निंदकः। कटियौ-पु० छोटी बोरी। कटवळ (कठवळ)-पु. मोठ, ग्वार, चौंला, मुंग आदि द्रिदल कटीर (क)-पु० [कटीरः, सं० कटीरकम्] १ चूतड़, अनाज। नितंब । २ गुफा, कंदरा । ३ कटि, कमर । ४ खोखलापन । कटवाड़-स्त्री० कांटों का अहाता । कटु (उ, क,)-वि० [सं०] १ कड़वा, खारा। २ कसैला। कटवी-स्त्री० निंदा, बुराई, अलोचना । ३ अप्रिय । ४ चरपरा, तीक्ष्ण। ५ ईर्ष्यालु । ६ तेज, कटसेली-देखो 'कटसेली' । तीव्र। ७ प्रचण्ड। ---- फळ--पु० बेहड़ा नामक वृक्ष व कटहड़ौ-पु० १ कठघरा। २ राज सिहासन के इर्द-गिर्द बनी इसका फल । काठ की प्रवेष्टिनी। ३ हाथी की पीठ पर रखा जाने वाला कटुंबर (री)-पु० मध्य प्रकार का वृक्ष विशेष व इसका फल । काठ का बना चारजामा । कटूम-देखो 'कुटु'व' । कटहळ-पु० कांटेदार बड़े फल वाला वृक्ष व इसका फल । कटेडो-पु० [सं० काष्ट+हिंड] १ बच्चे का झूला । २ हाथी कटांकड़ि-स्त्री० प्रहार की ध्वनि का चारजामा । ३ खिड़कियों में लगने वाला झूलता हुआ कटा-स्त्री० १ कटारी । २ कत्ले ग्राम । ३ छटा, शोभा। तख्ता। ४ कठघरा । ५ घास काटकर महीन करने कटाईजरणौ (बो)-त्रि० जंग लगना । का स्थान । कटाकट (टि)-स्त्री० १ दांतों को किट-किट । २ किट-किट की कटेल-दि० १ कटा हुआ । २ वीर गति पाया हुप्रा। ध्वनि । ३ तू-तू-मैं-मैं । ४ काटने की क्रिया या भाव। कटडो-देखो 'कटेडी । कटाक्ष, कटाख-पु० स० कटाक्ष] १ दृष्टि, नजर । २ तिरछी' कटल-देखो 'कटेल' । चितवन । ३ भृकुटिबिलाम । ४ नेत्रों का संकेत । ५ व्यंग, कटोर-पु०१ तलवार की मूठ का एक भाग। २ देखो 'कटोरी' आक्षेप। ६ वक्र दृष्टि । ७ नयन, नेत्र। -वि० अति ३ देखो 'कठोर'। तीक्ष्ण । कटोरदांन-पु० रोटी आदि रखने का दृक्कनदार, बर्तन । कटाडणी (बी)-देशो 'कटागो' (बी) कटोरी-स्त्री० १ छोटा प्याला, बटकी, कटोरी । २ पुष्पदल कटड़ी-देखो 'कटारी'! के बाहर को ओर हरि पत्तियों की प्यालीनुमा प्राकृति । कटाच्छ, कटाछ (छि)-देवो ‘कटाक्ष' । कटोरी-पु० १ चौड़े पैदे का खुले मुह का धातु का पात्र, प्याला, कटारणी (बी)-क्रि० १ किसी शस्त्रादि से टुकड़े कराना, खण्ड कटोरा । २ तलवार की मुठ का एक भाग। कराना, कटवाना । २ समाप्त कराना। ३ हटवाना, निरस्त | कटोल-देखो कट बल । करवाना। ४ व्यर्थ सर्वा कराना । ५ फडवाना । ६ काट- कट-देखो 'कट'। झांट कराना। कट्टक -देखो 'कटक'। कटायत-वि० वीर गति प्राप्त करने वाला। कट्टण-वि० कुपण। कटार-स्त्री० १ कटारी, छरी । २ मोचियों, चमारों, पिजारों । कट्टाधार -वि. कटारीधारी योद्धा। प्रादि का सिलाई का एक औजार विशेष! --रह, उढ़ौ-वि० कटार-देखो कटार' । For Private And Personal Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कट्टि कढरणौ कट्टि-देखो 'कटि'। कठाही-क्रि०वि० कहीं। कट्टिण-देखो 'कठिन'। कठिण (न)-वि० [सं० कठिन] १ कड़ा, सख्त । २ कठोर, कट्ठ-१ देखो 'कोढ़' । २ देखो 'कष्ट'। ठोस । ३ दृढ़, मजबूत । ४ दुर्गम । ५ निष्ठुर, निर्दयी। कट्याळी-स्त्री० कांटेदार छोटा क्षुप जो औषधि में काम | ६ अनार्द्र । ७ उग्र, प्रचण्ड । ८ कष्टकारक । ९ दुष्कर, प्राता है। दुसाध्य । १० तीक्ष्ण । -सं०पु० १ वन, जंगल । २ बेहड़ा। कठंजर (रौ)-देखो 'कठपीजरौ'। ३ दुःख, कष्ट । कठ-१ देखो 'काठ' । २ देखो 'कट'। कठिनाऊ-क्रि०वि० कहां से। कठकालर-स्त्री० कठोर व कंकरीली भूमि । कठियळ-पु० खड़ाऊ, पादुका । कठचित्र, चीत्र-पु० लकड़ी में खुदा चित्र, पुतली । कठियारा-स्त्री० १ लकड़ी काटने का कार्य करने वाली जाति । कठमंडळ (मंदिर)-पू० चिता । २ श्मशान में लकड़ी बेचने वाली जाति । कठकारौ-देखो 'कटकारी'। कठियारी-पु० 'कठियारा' जाति का व्यक्ति । कठट्ठरणो (बो)-देखो 'कठठरणो' (बौ)। कठियावाड़ी-देखो 'काठियावाड़ी' । कठठ-स्त्री० [अनु॰] सेना या बोझ से लदी गाड़ी के चलने | कठी-क्रि०वि०१ कहां, किस पोर । २ किधर । पर होने वाली 'कट-कट' की ध्वनि । कठीक-क्रि०वि० १ कहीं, कहीं । २ किधर । कठठणी (बो), कठठ्ठरणी (बी)-क्रि० १ निकलना,बाहर आना। कठीड़-पु. लकड़ी का हुक्का । २ चलते समय कट-कट की ध्वनि होना । ३ जोश में आकर | कठीयांणौ-देखो 'काठियावाड़ी' । चलना । ४ ऐठना। कठूमर-देखो 'कटूबर'। कठठौ-वि०१ बलवान । २ कठोर । कठेडो-देखो 'कटहडौ' । कठण (न)-वि० कठिन, कठोर । -कांचळी-स्त्री० नारियल । कठेयक-देखो 'कठेक' । -ता-स्त्री० कठिनता, कठोरता । कठ-क्रि०वि० कहां, किधर । कठणी (नी)-स्त्री० [सं० कठिनी] सफेद मिट्टी, खड़िया मिट्टी। कठई (क)कठक, कठय(क)-क्रि०वि०१ कहीं-कहीं । २ कहीं भी। कठपीजरी-पु० [सं० काष्ठ पंजर] काठ का बना पिंजरा। कठोर-वि० [सं०] १ कड़ा, सख्त । २ दृढ़, पक्का । ३ मजबूत । कठपुतळी (लो)-स्त्री० १ काष्ठ की बनी पुतली। २ तार द्वारा ४ निष्ठुर । ५ तीक्ष्ण । ६ सम्पूर्ण । ७ सुसंस्कारित । नचाई जाने वाली गुड़िया। कठौंतरौ-देखो 'कठपीजरो'। कठफोड़ो-पु० पेड़ों की छाल छेदने वाली एक चिड़िया । कठौती-स्त्री० [सं० काष्ठपात्री] १ काष्ठ की परात । २ काष्ठकठबंध (बंधरण)-पु० [सं० कठबंधन ] हाथी के गर्दन का रस्सा ।। पात्र । कठरूप-वि० कुरूप, बदशक्ल । कडकड़तौ-वि० (स्त्री० कडकड़ती) निर्दोष, शुद्ध, पवित्र । कठवल-देखो 'कटवल'। कडक्क-देखो 'कटक'। कठसेडी-स्त्री० कठोर स्तनों वाली गाय या भैंस । कडक्ख, कडख-पू० कटाक्ष । कठसेली-स्त्री० काले पीले पुष्प का पौधा विशेष । कडम-देखो 'कदम'। कठहडौ-देखो 'कटहडौ'। कडाळ, कड़ाहौ-१ देखो 'कड़ाई' । २ देखो 'कड़ाळ' । कठां-क्रि०वि० कहां। किस जगहें । कडि-स्त्री० कटि, कमर । -चोर, चोर-पु० अधोवस्त्र । कठाई-क्रि०वि० कहीं भी। कडियाळ-देखो 'कड़ियाळ' । कठांजरौ, कठांतरौ-देखो 'कठपींजरौ' । कडीलौ-पु० मिट्टी का बना तवा । कठा--क्रि०वि० १ कहां। २ कब । कडुवौ-वि० १ कठोर । २ देखो 'कड़वी' । कठाई-स्त्री. अोठों पर या दांतों पर जमने वाला मैल । कडुणौ (बौ)-देखो 'कढणौ' (बौ)। -क्रि०वि० कही भी। कढ़-पु० १ पानी का बहाव । २ पानी का नाला । ३ जंगल, कठाऊं-क्रि०वि० कहां से । वन । ४ खलिहान में भूसा गिराने का स्थान । ५ घास-फूस कठाती-कि०वि० कहां से। का कच्चा मकान । ६ ऊसर भूमि । ७ निकाल : कठामठौ-वि० कृपण, कंजूस । कढरणी (बौ)-क्रि० १ निकलना, निकल कर पाना । २ म्यान कठाला-क्रि वि० कहां तक । से तलवार निकाला जाना । ३ खेत में लकड़ी आदि काट कठासू-कि०वि० कहां से । कर मफ करना । ४ दुध ग्रोटाना । For Private And Personal Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कढ़मांगी करियर कढ़माणी (नी) कढ़ांमणी कढ़ावरणी-स्त्री० दूध प्रोटाने का | करणज-पु. एक प्रकार का वृक्ष । पात्र। करणडोर-पु० विवाह के समय बर-वधू के हाथ-पावों में बांधे जाने कढ़ाई-देखो 'कड़ाही'। वाले डोरे। कढ़ारणो (बो), कढावरणौ (बौ)-क्रि० १ निकलवाना। २ म्यान | कणणंकरणौ (बौ), करणगणी (बौ)-क्रि० १ युद्धार्थ उत्तेजित करने से तलवार निकलवाना। ३ खेत में लकड़ी आदि कटा कर लिए जोश पूर्ण ध्वनि करना । २ दहाड़ना, गरजना । साफ कराना । ४ दूध प्रोटाना । ३ वीरों द्वारा जोश पूर्ण ध्वनि करना । कढ़ार-पु० कोल्हू के ऊपर चारों ओर लगे तख्ते । करणणाट-स्त्री० जोश पूर्ण ध्वनि, दहाड़, गरजन । बकवाद । करणदोराबंध-देखो 'कंदोराबंध' । कढ़ी-स्त्री० छाछ में बेसन व मसाले मिलाकर बनाया जाने करणदोरौ-पु० कमर का आभूषण, करधनी। वाला एक पेय पदार्थ । साग । करणपण-वि० श्रेष्ठ, बढ़िया । -स्त्री० बढ़िया लोहे की पैनी कढ़ीरणी-पु० घी या तेल में तल कर बनाये जाने वाले खाद्य तलवार । पदार्थ। कराबार-देखो 'करणवार'। करण-पु० [सं०] १ अनाज का दाना, कण । २ अनाज । ३सार करणबारियौ-देखो 'कणवारियो'। भाग । ४ अणु, जर्रा । ५ स्वल्प परिमारण । ६ रज करण । करणबीक-देखो 'कुणबी'। ७ बुंद, कतरा । ८ अंगारा । गुंजाईश । १० खंडित करणमरणरणौ (बौ)-क्रि० १ हिलना-डुलना। २ गुन गुनाना । अंश । ११ हीरा या जवाहरात । १२ रत्न । १३ मोती। ३ दर्द भरी आवाज करना । १४ अनाज की बाल । १५ राजा कर्ण । १६ चाबल का करणमुठी-स्त्री० मुट्ठी भर अनाज की मात्रा । एकड़ा । १७ तीर, बागा । १८ युद्ध, रण। १९ सेना, फौज । करणय-देखो 'कनक' । २० साहम, हिम्मत । २१ पायल की ध्वनि । २२ भिक्षा । करणयर-देखो 'कणेर'। २३ बुद्धि । २४ बीज का अनाज । २५ कंचन, स्वर्ण । करण्याचल-पु० [सं० कनक-अचल] १ मुमेरू पर्वत । २ जालोर -सर्व० कौन, किस। का एक पर्वत । करणइपर-वि० किचित, अल्प । देखो 'कणेर' । करणलाल-पू० अनार । करणइट्ठ (एठिय, एठी)-देखो 'कणेठीय' । करणवार-स्त्री० १ 'कणवारिये' का पद व इस पद का वेतन । करणक-पु. १ सफेद गेहूँ । २ देखो 'कनक' । २ सहायता या संदेश देने की क्रिया। करण-करण-क्रि०वि० [अनु०] १ खंड-खंड । २ दाना-दाना करणवारियो-पु० किसी जागीरदार का चतुर्थ श्रेणी का नौकर । अलग । ३ तितर-बितर । -स्त्री. ध्वनि विशेष । करणसारौ-पु० गोबर व बांस की खपचियों का बना अनाज भरने करणकती-देखो 'करणगती'। का कोठा। करणकलौ-देखा ‘करणाकलौ' । (स्त्री० कणकली) करणसि (सी)-पु० एक प्रकार का शस्त्र । करणकांमरण-पृ० जादू-टोना । करणां-क्रि०वि० कब । कब से । करणको-पु० १ कण, रवा, जर्रा, सूक्ष्मांश। २ साहस । करणांई-क्रि०वि० कभी भी। ३ योग्यता । ४ क्षमता। ५ शक्ति, बल । करणांकलो (करणाकलौ)-वि० कभी का। (स्त्री करणांकली) करणक्करण-देखो 'करण-कण' । करणा-स्त्री० [सं० कृष्ण] पीपल : -क्रि० वि० कब । करणगज-स्त्री० एक औषधि । करणाउळि (ळी)-स्त्री० भिक्षा । करणगती-स्त्री०१ कमर में बांधी जाने वाली डोरी । २ करधनी। करणाद-पु० [सं०] वैशेषिक शास्त्र के रचयिता एक मुनि का काणगावळि-स्त्री० [सं० कनक + अबलि] १ एक प्रकार की कुत्सित नाम। तपस्या । २ कटि प्रदेश का प्राभूषण। | करणापीच-स्त्री० फसल की सिंचाई के लिये क्यारियों के बीच करणगिर (गिरि)-पु० [सं० कंचनगिरि] १ सुमेरु पर्वत । २ लंका बनाई जाने वाली नाली। का गढ़ । ३ जालौर का किला। करणारी-स्त्री० झी गुर । करणारौ-देखो ‘करणसारौ'। करणगूगळ (ळी)-पु० दानेदार गुग्गल ।। करणावा-पु० खेत का किनारा । करणगेट्यौ-पु० छिपकली जाति का एक जीप, गिरगिट । फरिणागरौ-देखो 'करिगयागर'। कमाछरपो(बौ)-क्रि० काटना, मारना। २ देखो 'कभरगो' (धौ)। करिणयर-देखो 'कणेर' । For Private And Personal Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करिणयां ( १६३ ) कत्थ करिणयारण-वि० शक्तिशाली, बुद्धिमान । कतरा'क (हेक)-वि० [सं० कियत्] (स्त्री० कतरी'क) कितने । करिणयागर (गरौ, गिर, गिरि, गीरी) करिणयाचळ-पु० [सं० | कतराणी (बौ), कतरावरणौ (बौ)-क्रि० १ कटाई कराना, कनक-गिरि १ सुमेरु पर्वत । २ जालौर का एक पर्वत । कटवाना। २ काटने के लिये प्रेरित करना। ३ किसी की ३ सोनगरा चौहान। निगाह बचा कर चलना। करिणयौ-पु० १ पतंग की खड़ी खपची में बंध कर त्रिकोण बनाने | कतरी-पु० जलकण, बूद, कतरा । -वि० (स्त्री० कतरी) वाला डोरा । २ पाये की गाड़ी लकड़ी में लगने वाला कीला | कितना। ३ कुऐ से पानी निकालने के चक्र की धुरी । ४ देखो कणी'। कतळ (ल)-स्त्री० [अ० कत्ल] वध, हत्या, संहार । करणी-स्त्री० १ खपरैल या छाजन में लगने वाला मोटा सीधा । -प्रांम='कतले-आम' । लट्ठा । २ कनेर का पौधा या पुष्प । ३ चावल के | कतले-ग्राम-पु०[अकल्लेग्राम ] प्राम-जनता का सामूहिक कतल । टक, करण । ४ एक खाद्य पदार्थ विशेष । ५ टुकड़ा, कण। संहार, वध। ६ तराजू की नोक पर बंधी रहने वाली छोटी डोरी जो | कतल्ल-देखो कतळ' । पलड़े की डोरी से बंधी रहती है। सर्व०-१ किस । कतवारी -स्त्री० सूत कातने वाली। २ कौन । ---कुड-पु० एक तीर्थ स्थान । कताई-स्त्री. १ कातने का कार्य । २ कातने का पारिश्रमिक । करणीसक-पु० [सं० कणिश] अनाज की बाल, भट्टा । -वि० कितने ही। करणको-१ देखो 'करण' । २ देखो 'करणकौ' । कतार-स्त्री० [अ० कितार] १ पंक्ति । २ पंक्तिबद्ध चलने कणे-क्रि० वि० कब । कब तक । -सर्व० किसने । वाला काफिला । कणेई-क्रि० वि० कभी का । बहुत पहले ।। कतारियौ-पु० ऊंटों के काफिले मे सामान ढोने वाला व्यक्ति । करोठ (ठी, ठौ करोठिय-पु० [सं० कनिष्ठ] छोटा भाई, | कति-स्त्री० कीड़ा। __ कनिष्ठ। वि० १ हीन, निकृष्ट । २ छोटा, लघु । ३ तुच्छ । कतियांण, कतियांणी-देखो 'कात्यांगी'। कणेर-पु. १ प्राय: बाग बगीचों में लगाया जाने वाला पौधा। कतिया-स्त्री० एक प्रकार की छुरी। २ इस पौधे का पूल । कतियौ-पु० १ छोटी कैंची। २ धातु काटने का एक प्रौजार । करोरीपाद (व)-पु० [सं० कृष्णपादः] नाथ सम्प्रदाय के एक | कतिलौ-पु. एक प्रकार का महीन कपड़ा । २ एक प्रकार __महात्मा, कृष्णपाद । ___ का गोंद । कण-पु० [सं० कंचन] सोना स्वर्ग । कती-वि० कितनी। -स्त्री० १ एक प्रकार का शस्त्र । २ छोटी कर्णई-देखो ‘क गेई'। तलवार । ३ तलवार । ४ छरी । ५ कटारी। कणगढ़-पु० [सं० कंचन-गढ़] १ जालौर का किला । २ सुमेरु | कतीन-पु० तक प्रकार का शस्त्र । पर्वत । ३ लंका। कतीरांमपुरी-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । कर्णगिर, कर्णगिरी-वेखो 'करिणयागिर' कतीरौ-पु० एक प्रकार का गोंद । करणी-पु०-१ खेत की सीमा। २ सीमा पर डाले हुऐ झाड़ी के | कतूळ, कतूहळ (ळि)-देखो 'कुतुहल । डंठल । ३ क्यारियों की सिंचाई के लिये बनी नाली। कतेई-अव्य० [अ० कतई] नितांत, बिल्कुल । ४ ग. का सूखा दलिया । ५ पहुँचा, कलाई। कतेड़-वि० कताई के कार्य में निपुण । कत-क्रि० वि० १ कहाँ । २ कब । ३ कैम, क्यों। -पू० १ मुंछों कतेब-पु० १ वेद । २ शास्त्र । ३ पुराण । ४ किताब । को कतरन । २ कतावट । कतोदई, कतोदईव-क्रि० वि० शायद, कदाचित । कतई-क्रि० वि० नितांत. बिल्कुल । कतौ-देखो 'किती। (स्त्री० कती) कत्तळी-स्त्री० १ कतरन, टुकड़े । २ संहार, नाश । कतक-पृ० केतकी के पुष्प । कत्तिन-स्त्री० एक प्रकार का शस्त्र विशेष । कतरण-स्त्री०१ काट-छांट करने की क्रिया या भाव । ३ कटाई कत्तियारणी-देवो 'कात्याणी' । की कला । ३ वस्त्रादि को काटने के बाद रहने वाला छोटा टुकड़ा (कुरपण)। कती-देखो 'कती। कतरणी (नी)-स्त्री० कंची। कत्त व-देखो ‘कतेब'। कसरणी (बौ)-कि० काटना । २ काट कर टकडे करना। कत्तौ-देखो किती। (स्त्री कती) : माग्ना महार करना । कत्थ- देखो कथ। For Private And Personal Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कत्थई कदेकरण कत्थई-पु. कत्थे की तरह का रंग। -वि० उक्त रंग का । कदधव-पु० [सं० कदध्वा] कुमार्ग, कुपथ । कत्थरणो (बो)-देखो 'कथणी' (बी)। कदन-पु० [सं० कदनम्] १ दुःख । २ युद्ध । ३ नाश, ध्वंस । कत्य-पु० [सं० कृत्य] अंतिम संस्कार। ४ पाप । ५ वध, हत्या। कत्यांणी, कत्याइपो-देखो 'कात्यांगी' । कदन्न-पु० [सं०] मोटा अनाज । कत्रदाकी-पु. सफेद पांवों वाला पीले रंग का घोड़ा। कदम, कदमू, कदम्म-पु. [प्र. कदम] १ डग २ पांव । ३ गति । कय-स्त्री० [सं० कथा, कत्थ्य] १ कथा, बार्ता। २ वृत्तान्त, ४ घोड़े की एक चाल । ५ कदंब । ६ एक डिंगल छंद । हाल । ३ विवरण । ४ वचन, शब्द । ५ कीति, यश ।। ७ पदचिह्न। ६धन, दव्य । ७ कहावत। ८ बकझक । | कदर-स्त्री० [अ० कद्र] १इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । २ श्रद्धा, कथक (ककड़-वि० [सं०] १ नर्तक । २ कथावाचक । | __ आदर । ३ मात्रा । ४ माप । ३ वक्ता । ४ वादी । ५ बड़ी लंबी चौड़ी कथा कहने वाला। कदरज-वि० [सं० कदर्य] १ नीच कुलोत्पन्न । २ पतित, नीच । कथरणी-स्त्री० १ कथन, कहने की क्रिया। २ बातचीत । ३ कहने ३ कायर । ४ कृपण। -स्त्री० धूल, मिट्टी। का हंग। ४ बकवाद, हज्जत । ५ रचना, काव्य । कदरदांन-वि० [अ०कद्र + फा. दात] गुण ग्राहक । कदर कथरगो (बौ)-क्रि० [सं० कथ्] १ कहना २ वर्गान करना। करने वाला । ३ जपना । ४ काव्य-रचना करना। कदराय-स्त्री० कायरता। कथन-पू० सं० १ कहने की क्रिया या भाव। २ वर्णन, कदरी-वि० (स्त्री० कदरी) कभी का । निरूपण । ३ विवरण । ४ उक्ति। ५ बयान । ६ वचन, कदळी-पू० [सं० कदली] १ केला । २ एक हिरन । ३ हाथी शब्द, बोल । ७ हुक्म । पर रखने का झंडा । ४ झंडा, ध्वज। -खंड, धन-पु. कथा-स्त्री० [सं०] १ कहानी। २ इतिवृत्त । ३ वृत्तान्त । | केले का जंगल । ४ वर्णन । ५ किस्सा ६ वार्तालाप ७ आख्यायिका। कदवद-वि० [सं० कद्वद] मूर्ख । ८ धार्मिक प्रसंग। ९ पुराणादि का पठन, पाठ या सुनाने कदा-क्रि०वि० कब, कभी। की क्रिया । १० चर्चा, जिक्र । ११ कोति, यश । कदाक, कदाच, कदाचि, कदाचित्-क्रि०वि० कदाचित्, शायद । कथित-वि० [सं०] कहा हुआ। कभी। कथोपो-पू० १ मंडप का वस्त्र। २ एक प्रकार का बढ़िया कदापि-क्रि.वि. हरगिज, किसी सूरत में, कभी भी। रेशमी वस्त्र। कदास-देखो 'कदाच'। कथीर (रू)-पु० बर्तनों पर कलाई करने का एक सफेद नर्म कदि-देखो 'कदी'। धातु । जस्ता । कदियक-क्रि०वि० कब, कभी। कथेब-देखो 'कतेब'। कदिया-क्रि०वि० किसी दिन । कथ्य-१ देखो 'कथ' । २ देखो 'कथा'। कदियो-पु० घी भरने या परोसने की कटोरी। कथ्थरणौ (बी)-देखो 'कथरणी (बो)। कदी, कदीक-क्रि०वि० १ कभी । २ किमी दिन । ३ कब । दंच-क्रि० वि० कभी। कदीको-वि० कभी का। (स्त्री० कदीकी) कब-पु० [सं०] १ एक सदा बहार वृक्ष । २ घास विशेष । कदीम-कि०वि० [अ० कदीम] १ परम्परा से, सदैव । ३ समूह, देर । ४ हल्दी। ५ सेना, फौज । ___-वि० १ प्राचीन । २ परंपरागत । कदंबरी-देखो 'कादंबरी'। कदीमी-वि० परंपरागत । प्राचीन । कद-पु० [अ०] १ ऊंचाई। २ शरीर की लम्बाई। ३ माप । कदीय-क्रि०वि० कभी। -क्रि० वि०१ कब । २ कभी। कदीरौ-वि० (स्त्री० कदीरी) कभी का। कवई-क्रि० वि० कभी। कदीसेक-क्रि०वि० कभी-कभी । कदक-पु० [सं० कदकं] १ डेरा, खेमा, शिविर । २ चंदोवा, कदू-पु० लोकी, घीया । पूष्मा। वितान । कदे, कदेइक, कदेई-देखो 'कदै'। कदकोई, कदको-वि० कभी का। कदेईन-कि०वि० कभी भी। कवच -देखो 'कदाचित'। कदेक--क्रि०वि० कब तक । बतारणी-क्रि. वि. कब तक। कदेकरण-क्रि.वि. कभी। For Private And Personal Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कदेकरी कन्यका कदेकरौ, कदेकौ-वि० कभी का । (स्त्री० कदेकरी) कनस्ट-देखो 'कनिस्ठ'। कदेय-क्रि०वि० कभी। कना-क्रि०वि० [सं० कर्णे] १ निकट, पास । २ या, अथवा । कदेरोई, कदेरौ-वि० कभी का । (स्त्री० कदेरी) __३ मानो, संभवतः। कदेव-पु० कृपण, कंजूस । कनापरण-पु० घोड़े के कान । कदेहिक, कदेहीक-क्रि०वि० कभी। कनाई-पु० श्रीकृष्ण । -क्रि०वि० पास, निकट । कदै (ई)-क्रि०वि० कब । कभी भी। कनात (थ)-स्त्री० [तु.] १ तीन तरफ से घेर कर किया जाने कदैईसेक-क्रि.वि. कभी-कभी । वाला आड़ा पर्दा । २ छोर, किनारा । कदक-देखो 'कदेक'। कनार-पु. १ घोड़े का एक रोग । २ देखो 'किनार'। कदैकदास, कदोकोई, कदोको-वि० कभी का। (स्त्री० कदोकी) कनारी-देखो "किनार'। कदौ-वि० श्याम, कृष्ण, काला । कनारौ-देखो 'किनारी'। कद्रदान-देखो 'कदरदान'। कनियान, कनिौ (यौ)-पु. छोटा भाई । कन-अव्य०१ या, अथवा । २ पोर, तरफ। -पु० [सं० कर्ण] | कनियांण, (रिण, रणी)-देखो 'किनियांणी'। १ कान । २ राजा कर्ण। ३ श्रीकृष्ण । -बाल-पु० कान | कनिस्ट (स्ठ)-पु० [सं० कनिष्ठ] छोटा भाई। -वि० १ सबसे के बाल या केश। ___ छोटा । २ छोटा, लघु । ३ कम । कनक (क्क)-पु० [सं० कनकं] १ सोना, स्वर्ण । [सं० कनकः] | कनी-स्त्री० [सं०] १ कन्या, बालिका । २ सेना, फौज । २ धतूरा । ३ एक प्रकार का घोड़ा । ४ पलाश । ५ छप्पय ३ हीरे का छोटा टुकड़ा । ४ देखो 'करणी' । छंद का एक भेद । ६ वेलियो सांगौर छंद का एक भेद । कनीप्रस-देखो 'कनीयस' । -वि० पीत, पीला । –प्रचळ-पु. सुमेरु पर्वत । | कनीपाव-पु० गुरु कृष्णपाद । — केसर-पु० एक रंग विशेष का घोड़ा । -गढ़-पु.] कनीयस-पु० [सं० अकनीयस] तांबा । लंका । जालौर का किला । -गिर, गिरि-पु० सुमेरु | कनीर-देखो 'कणेर'। पर्वत । जालौर का पर्वत । --लता-स्त्री० स्वर्णलता। कनूर (रौ)-पु. १ कान, कर्ण । २ कनपटी । -वरीसण-पु० सूर्य पुत्र कर्ण । -वेल, लि, ली-स्त्री० कनेउर-पु० कान का आभूषण विशेष । स्वर्णलता। -ववरण-पु० स्वर्णदान करने वाला राजा कर्ण। कन-क्रि०वि०१ समीप, पास । २ कब्जे में । ३ साथ में । कनकुकड़ी-स्त्री० १ कान के ऊपर का भाग जहां बाली पहनी | ४ निकट। जाती है । २ इस पर पहनी जाने वाली बाली। कनयो-पु० १ श्रीकृष्ण । २ एक छोटा पक्षी। कनखळ-पु. १ हरिद्वार के पास का एक तीर्थ स्थान । कनैले, कनोती, कनौती-स्त्री. १ घोड़े का कान। २ कान की २ हंगामा, शोरगुल। ___नोक । ३ कान का प्राभूषण। कनड़-पु० श्रीकृष्ण । कनड़ी-स्त्री० एक राग विशेष । कन्न-पु० [सं० कर्ण] १ कान, कर्ण । २ राजा कर्ण । कनड़ौ-पु. १ वस्त्र का छोर । २ कान । ३ देखो 'कानड़ी। ३ श्रीकृष्ण । ४ देखो 'कन्या' । कनन-वि० [सं०] एकाक्षी, काना। कन्नफड़-देखो 'कनफड़ौ'। कनपड़ी, कनपटी, कनपट्टी, कनफड़ी-स्त्री० कान के आगे का | कन्नि, कन्नी-पु० [सं० कर्ण] १ कान । २ छोटी पतंग । भाग । कन्यका, कन्या-स्त्री० [सं०] १ बालिका, कन्या लड़की । कनकड़ी-पु० १ कनफटा गोरखपंथी योगी । २ देखो 'कनपड़ी'।। २ अविवाहिता लड़की । ३ पद्य-काव्य की नायिका । · कनफटौ-पु. नाथ संप्रदाय का संन्यासी । ४ एक राशि । ५ दुर्गा का नाम । ६ बड़ी इलायची। कनकूळ-पु० [सं० कर्ण-फूल] कान का आभूषण, कर्ण फूल। । ७ पुत्री । ८ घृतकुमारी। ९ अक्षत योनि की स्त्री। कनमूळ-पु. कान के पास होने वाला एक ग्रथि-रोग । १० दिशा । ११ पांच की संख्या । --काळ-पु० कन्या का कनलौ-वि० (स्त्री० कनली) पास का, निकट का। का कुवारापन । लड़की की रजोदर्शन के पूर्व की अवस्था । लड़कियों का अभाव । -दान-पु० कन्या का विवाह या कनवत-पु० घोड़े के कान । दान । दहेज । गऊदान । -वळ, हळ-पु. कन्या के विवाह कनसळाई-देखो कानसळाई'। के दिन पाणिग्रहण होने तक रखा जाने वाला व्रत । कनमूरि (रौ)-पु. कान के आगे का हिस्सा, कनपटी । कन्यादान। For Private And Personal Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कन्ह-पु० १ श्रीकृष्ण का एक नाम । २ देखो 'कांन'। कपारण-स्त्री० [सं० कृपाण] १ कटार, कृपाए । २ तलवार, -क्रि०वि० या, अथवा । खड्ग । कन्हई, कन्हई-क्रि०वि०१ पास, निकट । २ समीप । ३ अगाड़ी। कपाट-पु० [सं०] १ द्वार-पट । २ दरवाजे का पल्ला, किवाड़ । कन्हड़, (डौ, ड, डो)-१ देखो 'कानडो' । २ देखो 'कन्ह' । ३ आड़ । कन्हर-पु० श्रीकृष्ण। कपारणी (बौ)-क्रि० कटाना, कतराना। कन्हलो-वि० (स्त्री० कन्हली) पास का, निकट का। कपायो-पु० [सं० कर्पास] १ कपास का बीज । २ हाथ या पैरकन्हा-क्रि०वि० पास में। __ तले में होने वाली चर्म ग्रंथि । ३ मस्तिष्क का सार भाग । कन्है-क्रि०वि० पास में। कपाळ-पु० [सं० कपाल] १ शिर का ऊपरी भाग । २ शिर, कन्हैयो (इयो)-देखो 'कनैयौ'। मस्तक । ३ ललाट, भाल । ४ भाग्य । ५ मिट्टी का भिक्षाकप-पु० [अं०] १ प्याला । २ देखो 'कपि' । पात्र । ६ याज्ञिक देवताओं का पुरोडाश पकाने का पात्र । कपड़-पु. कपड़ा, वस्त्र । -कोट-पु० पहिनने का वस्त्र । तंबू, ७ खप्पर । ८ प्याला । ९ ढक्कन । -किरिया, क्रिया वेमा। -छाण-पु० बारीक कपड़े से छानने की क्रिया।। स्त्री०-दाह संस्कार के समय शव के मस्तक को क्षत करने बारीक कपड़े से छाना हा पदार्थ। --दार, विदार की क्रिया। -पु. दर्जी । कपाळी (क)-वि० [सं० कपालिन्] १ कपालधारी। २ खप्पर कपड़द्वारी-पु० १ वस्त्रागार । २ राजा महाराजा, की राजकीय | धारी। ३ खोपड़ी का कनफटी से जुड़ने वाला भाग । -गु० पोशाक, जेवर, रोकड, जवाहरात संबंधी सामान को शिव, महादेव । २ एक नीच जाति । ३ देखो 'कपाल'। सुरक्षित रखने व उसकी व्यवस्था करने का विभाग विशेष । | कपाळेस्वर-पु० [सं० कपालेश्वर] शिव, महादेव । (जयपुर) कपालोंडी -स्त्री० ऊंट के शिर में होने वाली एक ग्रंथि । कपड़ा-रो-कोठार (भंडार)-पु० राजा महाराजाओं के वस्त्र संबंधी कपावरणी(बौ)-१ देखो'खपाणी (बौ)' । २ देखो'कपाणी' (बी)। एक विभाग का नाम । कपास-पु० [सं० कर्पास] १ रूई व बिनौले का पौधा । २ रूई । कपड़ा-पु० १ वस्त्र । २ रजस्वला स्त्री का दूषित रक्त।। ३ बिनौला। ३ रक्त प्रदर रोग। कपड़ाणी (बौ)-क्रि० १ कपड़ा लपेट कर किसी संचे में फिट कपासियो- १ देखो 'कपायौ' । २ देखो 'कपास' । करना । २ पकड़ाना । | कपासी-स्त्री० एक प्रकार का झाड़-वृक्ष । कपड़ौ-पु० [सं० कर्पट] १ वस्त्र । २ वस्त्र खण्ड । ३ चीर पट। कपिद-पु० [सं० कपि-+-इन्द्र] १ सिंह । २ हनुमान । ३ सुग्रीव । ४ पोशाख । ४ जाम्बवंत । कपट (ता, ताई)-पु० [सं०] १ धोखा, छल । २ पाखण्ड । कपि-पू० [सं०] १ बंदर, लंगूर । २ हाथी । ३ हनुमान । ३ दुराव । ४ बनावट । ५ लुकाव-छिपाव । ६ बहत्तर ! ४ सुग्रीव । -केत, धाय, धुज, धुजा-पु० अर्जुन । -पत्त कलाओं में से एक । ७ चालाकी, धूर्तता। -पु०-मुग्रीव । --- रथ-पु० श्रीराम । अर्जुन । -राज, कपटी-वि० [सं०] (स्त्री० कपटण) १ धोखेबाज, छलिया।। राय-पु० सुग्रीव । हनुमान । बालि । २ पाखण्डी। ३ बनावटी । ४ कुटिल । कपित्थ-पु० कैथा । कपरिणयौ-पु० दीपक की लौ से काजल बनाने का मिट्टी का बना कपिळ (ल)-पु० [सं० कपिळ] १ मांख्य शास्त्र के रचियता एक उपकरण । मुनि । २ शिव, महादेव । ३ वानर । ४ अग्नि । ५ चूहा । कपरणो-वि० काटने वाला, मिटाने वाला। ६ कुत्ता । ७ धूप । ८ मट मैला रंग । ९ देखो 'कपिला' कपणी (बो)-क्रि० १ कटना, नाश होना, मिटना । २ देखो | -वि० पीला, पीत। खपणी (बौ) । ३ देखो कपणौ (बौ)। कपिळा (ला)-स्त्री० [सं० कपिला] १ मफेद गाय । २ क.मकपरदो, कपरदोस-पु० [सं० कपर्दी] शंकर, शिव । धेनु । ३ पुडरीक दिग्गज की पत्नी व दक्ष की पुत्री। कपरी-पु० १ नमक पैदा होने की भूमि । २ पानी के पड़ाव का ४ शिलाजीत । ५ मटमैले रंग की गाय। स्थान । कपी-पु० १ सूर्य भानु । २ देखो 'कपि' । -केन- 'कपिकेन' । कपल-देखो ‘कपिल'। -मुक्खी-वि० बंदर जैसे मुख वाला। -राज, रायकपला-देखो 'कपिला । कपिराज' । For Private And Personal Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कपीलो कबुडी कपोलो-पु० [सं० कम्पिल्ल] एक प्रकार का छोटा वृक्ष व कबडौ-देखो 'कोडौ' । ___ इसके फल । कबध्य-वि० [सं० कुबुद्धि] नीच, दुष्ट, कुबुद्धि वाला। कपीस (स्वर)-पु० [सं० कपीश, कपीश्वर] १ वानरराज बाली, कबर-स्त्री० [अ० कन] शव दफनाने का गड्ढा या स्थान । सुग्रीव । २ हनुमान। -असतांन, प्रस्तांन-पु० शव दफनाने का क्षेत्र । कपूत-पु० [सं० कुपुत्र] दुराचारी या निठल्ला पुत्र । कबराजा-देखो 'कविराजा' । कपूती-स्त्री० कपूत का कार्य या गुण । कपूत होने का भाव।। कबरी-स्त्री० [सं०] चोटी, वेणी। कपूर-पु० [सं० कर्पूर] १ स्फटिक रंग का एक गंध-द्रव्य । कबरी-पु० एक पक्षी विशेष । -वि० चितकबरा । (स्त्री० कबरी) २ कपूरी रंग का घोड़ा। ३ सोलह वर्ण का एक छंद । कबळ (लो)-पु० ग्रास, कोर। -वि० १ श्वेत । २ काला। किबलेजहांन, कबलेजिहांन-पु० [अ. किबलः + फा. जहान] कपूरियौ-पु० बकरे, मर भेड़, (मेष) के अंडकोश का मांस या । बादशाहों के प्रति संबोधन शब्द । अंडकोश । कबल्लौ-पु. १ घोड़ा । २ सूअर । कपूरि, कपूरी-पु० १ एक प्रकार का पान । २ एक प्रकार का कारण (न)-पु० [फा० कमान] १ धनुष । २ लंबी टहनियों का घोड़ा। ३ देखो 'कपूर'। एक क्षुप । ३ धनुपाकार चुनाई। कपेलौ-पु० लाल मिट्टी। कबाणी-स्त्री० ऐंठन देकर नलीदार बनाया हुआ तार जो कपोत-पु० [सं०] १ कबूतर । २ पंडुकी ३ चिड़िया। ४ पक्षी। फैलता व सिकुड़ता रहता है । २ बढ़ई के काम आने वाला __-वि० बैंगनी रंग का । -वाय-पु० घोड़े का एक रोग। उपकरण । ----कतियो-पु० बढ़ई का एक प्रौजार –दारकपोळ-पु० १ गाल । २ हाथी का गंडस्थल । वि० जिसमें कमानी लगी हो । धनुषाकार । कप्पड़, कप्पड़ो-देखो 'कपड़ौ' । कबाइ-पु० [अ० कबा] चोगा। कप्पड़-कोट-देखो 'कपड़कोट' । कबाड़णौ (बौ)-क्रि० १ चतुराई से प्राप्त करना । २ दुर्लभ्य कप्पणी-वि० [सं० कल्पन:] काटना, कतरना । वस्तु दू ढ कर प्राप्त करना। कप्पोळ, कप्पौळ-देखो 'कपोळ' । कबाड़ी-पु. १ रही सामान का व्यापारी । २ लकड़हारा । कफ-पु० [सं०] १ श्लेष्मा, बल्गम । २ शरीरस्थ त्रिधातुओं में -वि० दुर्लभ्य वस्तुएं प्राप्त करने वाला । २ चतुर, निपुण । से एक । ३ फेन, झाग । ३ प्रपंची। ककत-वि० [सं० कफ्त] अयोग्य । कबाड़ौ-पु० १ कचरा-सामान, अटाला । रद्दी वस्तुओं का ढेर । कफन-पु० शव को लपेटने का वस्त्र । २ दक्षता का कार्य । ३ उपद्रव, बखेड़ा। ४ प्रपंच । कफनी-स्त्री० [फा०] साधुओं का चोगा। कबाब (बौ)-पु० [अ० कबाब] १ कीमे का तला हुआ मांस कफळ-स्त्री० [सं० कफल] सुपारी। टिकिया या सीखे पर भुना मांस । २ मसाले के साथ बनाए कफोणी-स्त्री० [सं० कफोणिः] हाथ व बाहु के जोड़ की हड्डी, हुए चावल । ३ चावल की मसालेदार खिचड़ी। ___ कोहनी । कबाबचीनी-स्त्री० [फा०] एक प्रसिद्ध बीज, शीतल चीनी । कबंध-पु० [सं० कवंध] १ शिर कटा धड़ । २ पेट । ३ बादल । कबाबी-वि० १ 'कबाब' बेचने वाला या खाने वाला। ४ धूमकेतु । ५ जल । ६ राहु । ७ एक राक्षस । ८ राठौड़ २ मांसाहारी। -वि० कबाब संबंधी। वंश का उपटंक। कबाय-पु. प्राचीन-कालीन एक वस्त्र । कब-क्रि० वि० १ किस समय । २ देखो 'कवि' । कबि-१ देखो 'कवि'। देखो 'कभी'। कबज-१ देखो 'कबजी' । २ देखो 'कबजौ' । कबिका-स्त्री० [सं० कविका] लगाम । कबजी-स्त्री० [अ० कब्ज] १ मलावरोध का रोग । २ कोष्ठबद्धता । कबी-१ देखो 'कभी' । २ देखो 'कवि' । ३ देखो 'कबिका। कबजौ-पु० [अ० कब्जा] १ अधिकार, आधिपत्य । २ नियंत्रण, कबीर-पु० [फा०] सुप्रसिद्ध निर्गुण पंथी महात्मा । -पंथ-पु. काबू । ३ बाजू । ४ दस्ता, बेंट । ५पीतल या लोहे का कबीर का मत । -पंथी-पु० कबीर के अनयायी। . पुर्जा। ६ स्त्रियों का वक्षस्थल ढकने का वस्त्र । -वि० महान, बड़ा, महात्मा। कबडाळी-पु० १ चितकबरा सांप । २ कोड़ियों से बना ऊंट का | कबारा-स्त्रा० उदरपूणाथ किया | कबीरी-स्त्री० उदरपूर्णार्थ किया जाने वाला छोटा-मोटा उद्यम । गहना । -वि० (स्त्री० कबडाळी) चितकबरा। कबीलो-पु० [अ० कबीलः] १ वंश । २ कुटुम्ब । ३ अन्तःपुर कबरियौ-पु. एक प्रकार का पक्षी। ___ का स्त्री समाज । ४ एक वृक्ष विशेष । ५ देखो 'कपीळी'। कबडी (ड्डी)-पु० १ एक खेल विशेष, कबड़ी । २ कौड़ी। कबुडी-त्रि०वि० कभी। . For Private And Personal Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कबू-१ देखो 'कब' । २ देखो 'कबूतर'। कमज्या-स्त्री० [सं० कर्मार्जन] १ कर्म, कार्य, कर्तव्य । कबूड़ो-देखो 'कबूतर'। (स्त्री० कबूड़ी) २ प्रारब्ध । कबूठाण-स्त्री० [सं० कुभिस्थान] हाथी बांधने का स्थान। | कमट्ठ, कमठ-पु० [सं० कमठ] १ कच्छप, कछुआ । २ धनुष, कबूतर (रौ)-पु० [फा०]१ एक प्रसिद्ध निरामिष पक्षी, कपोत । | कमान । ३ बांस । ४ घड़ा । ५ एक दैत्य । ६ एक प्रकार २ नट जाति या नट जाति का व्यक्ति । (स्त्री० कबूतरी) | का बाजा। ३ कबुतर के रंग का घोड़ा। कमठाण (णौ)-पु० [सं० कुभिस्थान] १ हाथी बांधने का स्थान कबूतरखांनो-पु० १ कबूतर पाल कर रखे जाने का या स्तंभ । २ भवन-निर्माण कार्य । ३ शरीर का ढांचा। स्थान । २ एक राजकीय विभाग जिसमें नटवादी या इस ४ भवन । प्रकार के खेल खेलने वाली जातियों के पुरस्कार प्रादि का कमठाऋत-हरि, कमठाधररूप-पु० यौ० विष्णु का कच्छपावतार। प्रबंध रहता था तथा इनके झगड़े, टंटे मिटाने का प्रबंध कमठाळ, कमठाळय-पु०१ हाथी । २ धनुषधारी योद्धा। ३ भील। रहता था । ३ अनाथालय । कमठेस-पु० कच्छपावतार । कबूल-वि० [अ० कुबूल] स्वीकार, मंजूर । कमठौ-पु० [सं० कमठः] १ धनुष । २ कच्छप । ३ भवनकबूलगो (बौ)-क्रि० १ स्वीकार करना, मंजूर करना । निर्माण कार्य । २ अंगीकार करना । कमण, कमणि-सर्व० [सं०किम्] १ कौन । २ किस । --वि. कबूलाइत, कबूलायत-स्त्री० कबूल करने की क्रिया या भाव । १ कितना । २ देखो 'कबाण' । २ मनौती । ३ जागीर के उपलक्ष में सामंत द्वारा स्वीकार कमणीगर-पु० धनुष बनाने वाला । की गई सेवाएं। कमणत-देखो 'कमनैत । कबूली-स्त्री० १ मांस-मसाले डाल कर पकाये हुए चावल । कमतर-पु० १ काम, धंधा । २ व्यवसाय, पेशा । ३ परिश्रम । २ स्वीकृति । ४ सामग्री। कबोल-देखो 'कुबोल'। कमतरी (रियौ)-पु. १ कमतर करने वाला । २ श्रमिक । कब्जौ-देखो 'कब्जो'। कमती-वि० [फा०] कम, अल्प । निश्चित से कम । कब-१ देखो 'काव्य' । २ देखो 'कवि' । ३ देखो 'कब'। कमद, कमध-देखो 'कबंध' । कम्बरौ-१ देखो 'कबरौं' । २ देखो 'काबरों'। कमदरणी-देखो 'कमोदरणी' । कमंडळ-पु० [सं० कमंडलु] साधु संन्यासियों का जलपात्र । कमद्धज (धज, धजियो, धज्ज, धारणी, ध्वज)-पु० १ राठौड़ वंशीय कमंद (दज, धज)-१ देखो 'कबंध' । २ देखो 'कमद्धज'। क्षत्रियों का उपटक । २ राठौड़ । ३ पति, खांविद । कम-वि० [फा०] थोड़ा, कम, न्यून । सर्व०-कौन, किस । कमन-वि० [सं०] १ विषयी, कामी । २ लम्पट । ३ सुन्दर, -क्रि०वि०१ कैसे । २ देखो 'करम' । ३ देखो 'क्रम'।-असल, मनोहर । ४ बढ़िया श्रेष्ठ । -पु. १ कामदेव । २ अशोक प्रस्ल-वि० दोगला । वर्णसंकर । -खरची, खरचीली- वृक्ष । ३ ब्रह्मा। वि०-मितव्ययी । -नसीब-बि० हतभाग्य । -बोलो कमनीय-वि० [सं०] १ सुन्दर, मनोहर । २ वांछनीय । ३ प्रिय। -वि० मितभाषी। ४ कोमल, नाजुक । कमक-पु०१ प्राभूषण। २ देखो 'कुमक' । कमनेत (नेत)-वि० तीरंदाज । कमकमौ (म्मौ)-देखो 'कुमकुमौ' । कमख-पु० [सं० कल्मष] १ पाप । २ देखो 'कुमक' । कममिख्यण-पु० [सं० कर्मावीक्षणः, कर्माभिक्षण:] यम । कमखाब--पु. एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । कमर-स्त्री० [फा०] १ कटि, कटि प्रदेश । २ शरीर का मध्य भाग (पशु)। -चड़ी-स्त्री० तलवार। -चाप-स्त्री० कमगर-वि०१ निरन्तर कार्य करने वाला । २ कार्य कुशल, दीवार के बीच लगने वाली पत्थर की पट्टी। -तोड़-पु० चतुर, दक्ष । एक प्रकार की पौष्टिक औषधि । -दुकूळ, पछेवड़ौ-पु. कमची-स्त्री० एक धार दार शस्त्र विशष । कटिबंध । कटि में बांधने का वस्त्र।–पटो, पट्टो-पु. कमर कमजा-देखो 'कमज्या! बंध। -पेटी-स्त्री० कमर का कवच । -बंद, बंध, बंधी कमजोर-वि० [फा०] १ दुर्बल, अशक्त । २ दुबला-पतला । | -पु० कटिबंधन, साफा, पगड़ी। ३ क्षीण। कमरख-पु. १ एक प्रकार का वृक्ष जिसमें पीले फूल लगते हैं । कमजोरी-स्त्री० [फा०] निर्बलता, कमजोरी, दुर्बलता । २ उक्त वृक्ष का फल । For Private And Personal Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमरांसचोका ( १९९ ) कसुब कमरांसचोका-वि० कटिबद्ध, तैयार। कमळू-देखो 'कमल'। कमरी-स्त्री. १ ऊंट का एक प्रकार का वात रोग। २ इस रोग | कमळी-पू० १ ऊंट । २ देखो 'कंवळी' । ३ देखो 'कमळ' । से पीड़ित ऊंट। ३ एक प्रकार की कुरती, अंगरखी। कमसल-देखो 'कमअसल' । कमरौ-पु० [ल० कमेरा] बैठक का कक्ष । कक्ष । कमसीस-पु. १ शिरस्त्राण, शिर कवच । २ गढ़ का कंगुरा । कमळ-पु० [सं० कमल] १ जलाशयों में होने वाला एक प्रसिद्ध जलाशया महान वाला एक प्रसिद्ध कमहत-पु० बादल । पौधा व इसका पुष्प । २ जल । ३ तांबा । ४ अर्क या दवा | कमांण (न)-पु. १ धनुष, कमान । २ कमाई। ३ मेहराव । विशेष । ५ सारस पक्षी। ६ मूत्रस्थली। ७ मुख, बदन। ४ प्राज्ञा, आदेश । ५ फौज का नेतृत्व । ८ एक हिरन विशेष । ९ ब्रह्मा । १० शिव । ११ मस्तक । कमाणी-देखो 'कबांणी' । १२ आकाश। १३ योग के अनुसार शरीरस्थ चक्र । कमाई-स्त्री० १ परिश्रम द्वारा की जाने वाली प्राय, अर्जन, १४ डिंगल का एक छंद । १५ छप्पय छंद का २९ वां भेद । उपार्जन । २ अजित धन | ३ लाभ, मुनाफा । ४ कार्य, १६ वेलियो सागौर का एक भेद। १७ मछली। १८ चन्द्रमा। व्यवसाय । -वि० अजित । १९ सूर्य । २० शंख । २१ मोती । २२ समुद्र । २३ एक कमाऊ-वि० १ कमाने वाला, उपार्जन करने वाला । २ उद्यमी। प्रकार का घोड़ा। २४ ऊंट । २५ पृथ्वी। -वि० १ कोमल । कमागर-स्त्री० शस्त्र बनाने का कार्य करने वाली जाति व इस २ श्वेत । ३ लाल, रक्ताभ । -कोसरी-वि० पीला, पीत। जाति का व्यक्ति । ---गट्टी-पु० कमल का बीज । ---ज, जूरण,जोण,जोणी जोनी कमाड़-देखो 'कपाट' । -पु० ब्रह्मा। -तन, भीतू-पु० चन्द्रमा ।--दळ-पु० कमल कमाड़ी-देखो “किंवाड़ी'। का पत्ता। --नयण, नियरण-पु० विष्णु । -वि० कमल के कमाणौ (बी), कमावणी (बो)-क्रि० १ परिश्रम द्वारा ग्रामदनी फूल के समान नेत्रों वाला, सुन्दर । –नाळ-स्त्री० कमल करना, कमाना । अर्जन करना । २ काम लायक करना, का डंठल । -पूजा-स्त्री० देवी के सम्मुख शिर काट कर सुधारना । ३ उत्पादन करना । ४ मुनाफा करना । अर्पण कर की जाने वाली देवी की पूजा । -भव,भू-पु० ५ घटाना, कम करना । ६ मांस साफ करना । ब्रह्मा। -योनि-पु० ब्रह्मा। -रंग-पु. एक प्रकार का कमावरिणयौ-वि० उपार्जन करने वाला कमाई करने वाला। घोड़ा। -विकास, विकासण-पु० सूर्य। -सुत, सुतन कमायचौ-पु० एक वाद्य विशेष । पु० ब्रह्मा। -सुरंग-पु० एक प्रकार का घोड़ा। कमायो-देखो 'कमाई'। कमळणी, कमालिणी (नी)-स्त्री० [स० कमलिनी] १ कमल कमाळ-स्त्री० मुंडमाला। -पु० ऊंट । का फूल । २ छोटा कमल । ३ अधिक कमलों वाला स्थान । कमाल-पु० [अ०] १ अद्भुत व चमत्कारी कार्य । २ पूर्णता, ४ कमल समूह। पर्याप्तता । ३ निपुणता, कुशलता । ४ कारीगरी । ५ ऊंट । कमला-स्त्री० [सं० कमला] १ सर्वोत्तम स्त्री । २ लक्ष्मी। ६ गुण, खूबी। ७ कला, फन । ८ चालाकी, धूर्तता । ३ देवी, शक्ति । ४ धन सम्पत्ति । ५ भूमि । ६ एक नदी विद्वत्ता, काबलियत । -वि० १ अदभुत, विचित्र । का नाम । ७ महामाया । ८ एक वर्ण वृत्त । ६ एक लोक २ अधिक बहुत । गीत । १० अंतगुरु की चार मात्रा का नाम । -एकादसी कमाळी-पृ० १ शिव, महादेव । २ भैरव । ३ भिखारी । -स्त्री० चैत्र शुक्ला एकादशी । -कंत-पु० विष्णु । ४ मुगल । ५ द्वार के ऊपर का काठ । श्रीकृष्ण । राजा। -कर-पु० विष्णु । छप्पय का ४६ वां कमाव-देखो 'कमाऊ' । भेद । --गेह, ग्रह-पु. लक्ष्मी का निवास, लक्ष्मी का घर। , कमी-स्त्री. १ कटौती । २ न्यूनता । ३ घाटा, हानि । पत, पति-पु०-विष्णु । श्रीकृष्ण । राजा। --सरण, संन कमीज-पु० [फा०] शरीर पर धारण करने का मर्दानी वस्त्र । -पु० ब्रह्मा। | कमीण-वि० [फा० कमीनः] १ नीच, शूद्र । २ तुच्छ बृद्धि कमलारणो (बौ), कमलावरणौ (बी) देखो 'कुमलाणी' (बी)। । वाला । ३ धूर्त, पाजी । ४ अकुलीन । [सं० कामंण] कमलि-स्त्री० १ कमला । २ पृथ्वी। -चख-पु० कमल-चक्षु । ५ किसी कार्य की सुचारु रूप से पूरा करने वाला। विष्णु। कमीरण-कार (कारू)-पु. [सं. कार्मण + कारु] १ सुथार, कमळिरणी (नी)-देखो 'कमलनी' । दर्जी, कुम्हार प्रादि वर्ग । २ शिल्प का कार्य करने वाला काळयौ-पु० [सं० कामला] रक्त की कमी के कारण होने शिल्पी । ३ किसी कार्य विशेष में निपुण व्यक्ति । ४ नोकर, वाला एक रोग। सेवक। कमळीक-पृ० एक नाम वंश व इम वंश का नाग । | कमुद-१ देखो 'कुमुद' । २ देखो 'कमोद' । For Private And Personal Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमेड़ी करकट कमेड़ी-स्त्री० १ फाखता नामक पक्षी, पंडुखी। २ पशुओं के करंडव-पु० हंस-जाति का एक पक्षी। मीग का एक रोग। करंडियौ-देखो 'करंड'। कमेडौ-पृ० १ ऊंटो के खाने का एक सफेद फूलों वाला पौधा। करंद्रराज-पु० [सं० करि-इंद्र-राज] गजराज ऐरावत । २ नर पंडक पक्षा। चढ़कर। करंबक-देखो 'करबौ' । कमेत, कमेतीय--पु० लाल रंग का घोड़ा । ---पिलंग-पु. करंबित-पु० फूलों का ढर या गुच्छा। शुभ रंग का घोड़ा। -सोनहरी-पु० शुभ रंग घोड़ा। | कर-पु० [सं०] १ हाथ । २ हाथ का अगला भाग । ३ किरगा । कमेद्धारी-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । ४ हाथी की सूड । ५ चुंगी, लगान । ६ पोका । ७ चौबीस कमेर-पु० कुबेर । अंगुल का एक माप । ८ हस्त नक्षत्र । ९ हाथी। कमैत-देखो 'कमेत। १० झरना । ११ विषयवासना । १२ रहट का एक पुर्जा । कमरौ-पु. कृषि मजदूर। -अल, माले-प्र० करतल, हथेली संज्ञा शब्दों के अगाड़ी कमोद-पु० १ कुई। २ रंग विशेष का घोड़ा। ३ तेरहवी बार लगने वाला प्रत्यय । ---कंधू-पु० बदरी फल, बेर । उलट कर बनाया हया शराब । ३ एक प्रकार का बढ़िया --कड़ो-पु० रीढ़ की हड्डी । अस्थिपंजर। --कारू-पु० चावल । ४ देखो 'कुमुद' । कुम्हडा । --काळ-पु० सांप, सर्प । ---कोच-पु० कमोदण (दरिण, दणी, नो)-स्त्री० [सं० कुमुदिनी] १ मफेद कर कवच । हाथ का दस्ताना । - ग, गि गा कमल का पौधा । २ कुई । ३ कुमुद पुष्षों का समुह ।। पु० हाथ । लगाम | कटारी। तलवार । -ग्रहण-पृ. ४ चांदनी । —हितू-पु. चन्द्रमा । पाणिग्रहण । -ग्राही-वि० कर ग्रहण करने वाला। कमोदी-पु० [सं० कुमुदिन] चन्द्रमा । -ठाळ, ठाळग-स्त्री० तलवार । भाला।-डंड-पु० तीर। कम्म-१ देखो 'करम' । २ देखो क्रम'। --तळ-स्त्री० हथेली । सिंह का पंजा । अंत गुरु की चार कम्मर-स्त्री० कटि, कमर । --सूत-प० करधनी, मेखला। मात्रा । छप्पय छंद का ४५ वां भेद । -ताळ, कम्पळ-१ देखो 'कंबळ' । २ देखो 'कमळ' । .--ताळीक-स्त्री० तलवार, खड्ग । प्रथम गुरु ढगरण के कम्मेडी-देखो 'कमेडी'। भेद का नाम । एक. वाद्य विशेष । --ताळी-स्त्री० कय-स्त्री० [सं०] कनपटी। दोनों हथेलियों से की जाने वाली प्रावाज । -धार-स्त्री० कयकारण--देखो 'केकाण'। शस्त्र । ----पल्लव-पु० हाथ की अंगुली । -बाळ-स्त्री. कयर-देखो 'केर' । तलवार । --भूसण-पु० हाथ का गहना । कंगन । कयळी-देखो 'कायळी' । --मठ-पृ० कृपण, कंजूस । --माळ, माळी, म्याळ-स्त्री. कयवार-देखो 'कैवार'। तलवार । -साख, साखा-स्त्रो अंगुली । --सीकर-पु. कया-कि०वि० १ मे. किस तरह, क्यो। २ देखा 'काया। हाथी की सूड का पानी। कयांहीक-क्रि०वि० सं० कोश] कैसे ही । कभी। करमळ, (ळि, यळ)-देखो 'करतळ' । -वि० १ कुछेक । २ कितने क । करक-पक मि० करक क:], कम इल । २ करवा । कयागरी-वि० प्राज्ञाकारी। नारियल की खोपड़ा। ४ ग्रनार । ५ हाथ । मौलमिरी। कयामत-स्त्री० [अ० १ पला । २ भयंकर विपत्ति । ३ बहुत | ७ कचनार । ८ करील वृक्ष । ६ महशुल' । १. एक पक्षी । बड़ी हलचल । ४ सृष्टि का अंत, जब मुर्दे उठ खड़े होंगे। ११ प्रोला । उपल । १२ पृथ्वी की बिपवत् रेखा के उत्तर कयास-प० [अ० १ खयाल, ध्यान. विचार । २ अनुमान । .. या दक्षिण में २३ अक्षांश पर निकलने वाली कल्पित कयाहिक-देखो कपाहिक' । खाणे । १३ बारह राशियों में से एक । १४ कंकडा । कयौ-सर्व० कौनसा। १५ अग्नि । १६ जलपात्र । १७ आईना । १८ सफेद घोड़ा। करक (उ, डइ, डो)-पु०१ अस्थिपंजर, कंकाल। २ रीढ़ की १९एक लग्न । २० शक्ति बल । २१ खेत । २२ नीस, पीडा, हड्डी। ३ पशुओं के बोलने का शब्द । ४ सुखी हड्डी। दर्द । २३ खटकन । २४ सूखी हड्डी, करंक । २५ रीढ़ करंग-कुरंग । | करकड़ो-पु० १ रीढ़ की हड्डी । २ हड़ी अस्थि । करंगळ-देखो 'कंगळ । करकट (क)-पु० [सं० कर्कट] १ ककड़ा । २ गिरगिट । ३ कर्क करंड (क)-पु० [स करंड:] १ बाम की पिटारी । २ लकडी की राशि । ४ सारस पक्षी । ५ लोकी, घोया । ६ कमल की पेटी जिममें देवी की मूति रखी जाती है। ३ मजपा। मोटी जड़ । ७ड़ा करकट । ८ घास-फस । ९ सफेद रंग ४ तलवार। का घोड़ा । -जोग, योग-पृ. ज्योतिष का अशुभ योग । For Private And Personal Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करकटरों करणानिधान करकटणी (बौ)-क्रि० १ मरना । २ कटना । जो अरबी-तुरकी का वर्णसंकर होता है। २ श्वेत अश्व । करकटिका (कटी)--स्त्री० ककड़ी। ३ एक प्रकार का सर्प। -लकड़, लक्कड़-वि० लकड़ी के करकरणौ (बी)-क्रि० १ दर्द से चिल्लाना । २ कराहना।। ममान ठोस । ३ कसकना । ४ रगड़ लगना। ५ फटना । ६ खटकना। करज (जौ)-पु० [सं० करज] १ नाखून, नख । २ एक करकर-स्त्री० [सं० कर्कर] १ समुद्री नमक । २ हड्डी । सुगंधित द्रव्य । ३ प्रकाश । [अ० कर्ज] ४ ऋण। -दार३ कंकर । ४ धूलि कण । ५ करीर-वृक्ष । वि० ऋणी। -बारी-स्त्री० ऋरण । लेनदारी। करकस-वि० [सं० ककं श] १ कठोर । सरूत। २ क्रूर, नेज । | करजायत-पु० कर्ज लेने-देने वाला। ३ तीक्ष्ण । ४ अप्रिय । ५ कलह प्रिय । करजड़ी-देखो 'कुरज'। करकसा-स्त्री० [सं० कर्कशा] १ असदाचारिणी, असती अपति- करमाळ-स्त्री० सलवार । व्रता स्त्री। २ कलह प्रिय । करट-पु० [सं० करटः] १ कौवा । २ हाथी का कपोल । करकांठ-स्त्री० अगुठा फैलाकर, मुष्टिका जितनी लंबाई । ३ पतित ब्राह्मण । -वि० १ दुष्ट । २ नास्तिक । का नाप । करठी-स्त्री० कठ। करका-वि० श्वेत, मफेद । करडू-देखो 'करड़। करको-देखो 'किरको। करण-पु० [सं०] १ करने की क्रिया या भाव । २ हथियार । करकरणौ (बी)-देखो 'करकणी' (बी)। ३ दश इन्द्रिय मन, बुद्धि और अहंकार । ४ देह । ५ क्रिया, करख-पु० [सं०कर्ष] १ खिंचाव, तनाव । २ हठ,जिद्द । ३ क्रोध, कार्य । ६ स्थान । ७ हेतु । ८ कान । ९ राजा कर्ण । रोष । ४ दुःख,कष्ट । ५ एक तौल । -धज-पु० दीपक । १० दो गुरु की मात्रा का नाम, 55 । ११ हाथ । १२ छप्पय करखरणी (गे),करखिरणौ (बो)-क्रि० [सं० कर्षणम् ] खींचना। छन्द का एक भेद । १३ व्याकरण का तीसरा कारक । तानना । १४ धनुष । १५ किरण । १६ समूह । १७ ज्योतिष में करगसा-देखो 'करकसा' ।। तिथियों का एक विभाग । १८ ज्योतिष की एक गणित । करड़-स्त्री० १ लंबे तंतुदार एक घास । २ कटि, कमर । १९ लिखित दस्तावेज । --अस्त्र-पु० धनुष । -ए-पु० ३ ध्वनि विशेष । ४ ऊंट के बालों का बना बिछाने का वस्त्र कान का एक गेग । -कारक-पु० साधन बताने वाला जिसे गंदा (गद्दा) भी कहते हैं। -वि० दृढ़, मजबूत । -कों कारक । -कारण-पु० कारण रूप ईश्वर । --त्राण-पू० -पु० कठोर वस्तु को खाने, तोड़ने आदि से उत्पन्न ध्वनि । शिर, मस्तक । --नाव-पु. कान का एक रोग । --पत्र -- दंतौ-वि० मजबूत दांतों वाला। -धज-वि• जबरदस्त भंग-पु. कानों के गहने बनाने का कार्य । ६४ कलानों में शक्तिशाली। गविला । सजा हुआ । ---पटीलो, बटीलो | से एक। -पसाव-पु० मुनने का भाव । ---पाण-पु. तीर, --वि० चितकबरा। -मरड़-स्त्री० चर्मर की ध्वनि । बाण । -- पाक-पु० कान का एक रोग । ----पित, पिता--वाळ-पु० दाढ़ी के श्वेत-श्याम बाल । पु० सूर्य, भानु । –पिसाचिनी-स्त्री० एक प्रकार की करड़करणी (बी)-क्रि० १ दांतों से काट कर खाना । २ टूटना ।। साधना । -पुरी-स्त्री० चंपापुरी । --पोत-पु० भाला टूटते समय ध्वनि होना । ---फूल-पु० कान का एक प्राभूषण । एक पुष्प विशेष । करडारण, करड़ाई, करड़ाट, करडापरण (रणी) करडावण-स्त्री. -- बिबाह पृ० पति । - मूळ-पु० कान के मूल में होने १ कडाई, कठोरता । २ अभिमान, गर्व । ३ करता।। वाला ग्रंथि-रोग । –रस= 'करुणरस' । ---रोगवाय-पु० ४एक ध्वनि विशेष । घोड़े का एक रोग : --लब-पु. गधा । -वि० लबे कानों करडारणी (बौ), करड़ावणी (बी)-कि० १ अकड़ना, ऐंठना। वाला । -सत्र-पु० अर्जुन। ---सूळ-पु. कान का रोग । २दांतों से काटना । ३ कुचलना । -सोच-वि० कायर, डरपोक। -म्राव-कान का रोग । करडीयाकां-स्त्री० रात्रि का द्वितीय प्रहर। ---हार-पु. ईश्वर । करडीमूठ-बी० १ कृपगाता, कजसी । २ कठोरता । --वि• कृपण। करणा-देखो 'कमगा। करड़-पु० अनाज का वह दाना जो पकाने पर भी पकता न हो। करणाकर (कार)-पु० [सं० करुणाकर | ईश्वर । करड़ी-वि० (स्त्री० करडी) १ कठोर, मरत । २ दृढ़ मजबुत । करणाधपत-पृ० [स० करूणाधिपति] १ ईश्वर । २ सूर्य, भानु । ३ कठिन, दुष्कर । ४ उग्र । ५ ठोस । ६ निष्ठुर । ७ चुस्त। करणानिधान-पु० [म. करुणानिधान] १ ईश्वर । २ दयालु, अपिल । अप्रिय । -पृ० १ एक प्रकार का घोड़ा पान । For Private And Personal Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करणामई ( २०२ ) करबक करणामई,करणामय-वि० [सं० करुणामय] करुणा, दया करने करताळी-स्त्री० दोनों हाथों से बजाई जाने वाली ताली। वाला। -पु० ईश्वर ।। करतिम-देखो 'ऋत्रिम' । करणाळ-पु० [सं० करुणालय] १ ईश्वर। [सं करण+पालुच] | करतुत, करतूत (ति, ती)-स्त्री० [सं० कर्तृत्व] १ काम, कार्य । सूर्य भानु । ३ करनी देवी। ४ एक वाद्य विशेष । कर्त्तव्य । ३ हरकत । ४ शरारत, बदमाशी। ५ छल, करणि-पु० १ कणेर का पुष्प । २ कनक । ३ कार्य, करनी। प्रपंच । ६ कला । ___ -क्रि०वि० करने के लिए। देखो 'करणी'। करतोया (यार)-स्त्री० जलपाइगुडी के जंगलों से निकलने वाली करणिका-स्त्री० [सं० करिंगका] १ सूड की नोक । २ अंगुली | नदी। का सिरा। करत्यां-देखो 'ऋतिका' । करणिकार-पु० १ क गेर का पौधा । २ कनक चंपा का वृक्ष । करद-पु० [सं०कर्दम] १ कीचड़ । २ गाढ़ा द्रव पदार्थ । करणियौ-देखो 'किरणियो' । २ मैल । ४ कूड़ा। ५ तलवार । ६ कटार, छुरा। करणी-स्त्री. १ कार्य । २ करतूत, हरकत । ३ लीला, रचना। -वि० [सं० कर+दा] १ करदाता। २ सहायक । ४ खुरपी। ५ मृतक-संस्कार । ६ हथिनी । ७ सार्थक दिन- करदमेस्यर-पु० [सं० करमदेश्वर काशी का मंदिर । चर्या ! ८ चाल-च नन, व्यवहार । ९चूना या सिमेंट की | करद्द (दम)-१ देखो 'करद' । २ देखो 'करदम'। लिपाई करने का उपकरण । १० एक वृक्ष विशेष । ११ एक | करधणी (नी)-स्त्री० [सं० कटि +धुनि] कटि का आभूषण, प्रसिद्ध देवी । ---गर-पु० ईश्वर । कर्ता। मेखला । करररोजप-वि० सं० करोंजप] १दृष्ट, खल । २ चगलखोर। करधार-स्त्री०१ शस्त्र । २ तलवार । -पु० सर्प, सांप। करन-देखो 'करण'। करणौ-पु. एक प्रकार का वृक्ष । -वि० करने वाला। करनल (ला, ल्ल)-स्त्री० करणीदेवी। करणौ (बो)-क्रि० १ कोई कार्य या कुछ करना । २ काम पूरा करनाटकीधोप-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । कर देना । ३ किसी क्रिया या कार्य में संलग्न रहना । करनाद-पु० १ एक प्रकार का वृक्ष । २ करनीदेवी। ४ जुट जाना। करनादे-स्त्री० करणीदेवी। करतब-पु० [सं० कर्तव्य] १ कार्य, कर्तव्य । २ धर्म । ३ उपाय, | करनाळ (ळि, ळी)-पु. १ एक प्रकार की तोप । २ एक वाद्य प्रयत्न । ४ दान । ५ कौशल, हुनर । ६ प्रारब्ध । ७ जादू विशेष, भोंपू । ३ एक प्रकार का ढोल । ४ सूर्य । के चमत्कार । [सं०करित्तव्य] ८ छल कपट । पाप कर्म। करनाळी-पु० वनस्पति विशेष । १० विस्तार, फैलाव । करनी-देखो 'करणी'। करतबी-वि० १ करतब करने बाला । २ प्रपंची, छली।। करनौ-पु० एक प्रकार का वृक्ष विशेष । ३ जादूगर । ४ पापी। करपट-पु० [सं० कर्पट] १ वस्त्र, कपड़ा । २ पुराना कपड़ा। करतमकरता-वि० १ किसी कार्य को पूरा करने का अधिकारी।। करपण-पु०वि० [स• कृपण] १ कजूस, सूम । २ दीन । ३ देखो २ अंतिम-निर्णायक, कर्ता-धर्ता । ३ मुखिया । करतरी-स्त्री० १ कैची। २ कटारी। ३ बाण का पिछला हिस्मा।| करपणता-देखो 'ऋपणता'। एक शस्त्र विशेष । करपत (पत्रक, पत्री)-देखो 'करोत' । करतव्य -देखो 'करतब। करपर--पु० [सं० कर्परः] भीख मांगने का खप्पर । ---दास-पु० करतां-स्त्री० अपेक्षा, तुलना, मुकाबिला, बनिस्पत । शिव, महादेव । करता-वि० [सं० कर्ता] १ करने वाला। २ बनाने वाला। करपारण (पान)-वि० १ कृपण, कंजूस । २ बढ़िया । ३ निर्माता । -वि० १ ईश्वर । २ ब्रह्मा, विधाता । ३ शिव । ३ देखो 'ऋपाण। की उपाधि । ८ श्रीकृष्ण।" व्याकरण का प्रथम कारक करपा-देखो 'क्रपा । ६ दुर्गा । ७ पार्वती। ---पुरस, पुरिस, पुरुस-पु०--रचनाकार करपाळ-देखो 'कपाळ'। ईश्वर । --वर-पु०-ईश्वर । करपास-पु० [सं० कर्पास] कपास । करतार-पु० सं० कार] ईश्वर, विधाता । रचनाकार । करपूर, (पूरक)-देखो 'कपूर' । करतारथ-देखो 'क्रतारथ'। करपौ-देखो 'कड़पा'। करताळ (ळीक)-स्त्री० १ तलवार, खड्ग ! २ एक वाच विशेष । | करब-पु. वन, जंगल । ३ प्रथम गुरु ढगगण के भेद का नाम । करबक -पृ. एक प्रकार का वृक्ष विशेष । For Private And Personal Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra करवट www. kobatirth.org ( २०३ ) करबट - पु० [सं० कर्बेट ] कुनगर जिसके चारों ओर दो-दो कोस तक कोई वस्ती न हो । करबळ - पु० शिकार के लिए सिंह की ख़बर देने वाला । करबला - स्त्री० [अ०] १ अरब का वह स्थान जहां हसैन मारा गया । २ ताजिये दफनाने का स्थान । करवाळ-देखो 'करवाळ' । करवीकर - प० श्मशान । करबुर - पु० [सं०] कर्बुर ] १ धतुरा । २ सोना, स्वर्ण । ३ राक्षस । ४ प्रेत । ५ शैतान । ६ चितकबरा रंग । ७ पाप । - वि० १ भूरा २ कबुतरिया ३ चितकबरा । करबुरक - ० ८८ ग्रहों में से १६ वां करबौ- पु० [सं० करंब या करंभ: ] ग्रह (जैन) । १ छाछ या दही में उबले हुए चावल डाल कर बनाया जाने वाला पेय पदार्थ । २ एक प्रकार का कीट या कीड़ा जो अनाज को हानि पहुंचाता है । करम - पु० [सं० करभः ] १ ऊंट । २ हाथी । ३ हाथी का बच्चा । ४ हाथ का मणिबंध से कनिष्ठा तक का पृष्ठ भाग । ५ दोहा नामक छंद का भेद । वि० १ क्रूर । २ बैंगनी रंग का । करभाजन - पु० नौ योगेश्वरों में से एक करमंदौ ३० कांटेदार छोटा प जिसके फल भी होते हैं। 1 - करम - ० [सं० कर्मः] १ कार्य काम । २ कर्त्तव्य । ३ मृतक संस्कार । ४ भाग्य, प्रारब्ध ५ ललाट, भाल । ६ अभिलाषा, मनोरथ । 3 संचितकर्म । ८ पाप, दुष्कर्म । ९ यज्ञ । १० वह शब्द जिसके वाच्य पर क्रिया का फल गिरे । ११ लक्ष्मी, धन । १२ नित्य क्रिया । १३ धंधा | १४ ग्राचरण । १५ देखो 'क्रम' । कमाई - स्त्री० भाग्य, प्रारब्ध । पूर्व संचित अच्छे कर्मों का फल । --कर-प० अनुचर सेवक । -कांड-पु० यज्ञादि विधान | धार्मिक कर्म । गत स्त्री० कर्म की गति । भवितव्यता । --चंदियौ पु० निर मस्तक । ललाट । भाग्य । चड़ी, P तलवार । शुभ संयोग 1 छड़ी-स्त्री० - जाळ - पू० कर्म का बंधन । —जोग - पु० देवयोग | - ठोक-चि० o हतभाग्य, बदनसीब । -- ध्वज - वि० अपने कर्म से पहिचाना जाने वाला । -बंध बंधन पू० जन्मादि का बंधन साखीपु० सूर्य । सिद्धि-स्त्री० to राफलता, मनोरथ की सफलता । -- हीरा - वि० हतभाग्य, बदनसीब । करमक - वि० शुद्धाचरण करने वाला करमकली - स्त्री० बंद गोभी । पु० शुद्धानन् " करमट - ( 3 ) - वि० [सं०] कर्मट ] १ कर्म निष्ठ । २ कार्य कुशल । ३ परिश्रमी ४ धार्मिक अनुष्ठानों में लीन । करण - पु० [सं० क्रम: ] दास । करनदी पु० छोटा काड़ीदार एक गुल्म | करमनासा- स्त्री० [सं० कर्मनाशा ] एक नदी का नाम । करमप्रसाद वि० भाग्यशाली किस्मत करमर-स्त्री० तलवार । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 7 करमांतरी- पु० मृतक के पीछे क्रियाकर्म कराने वाला ब्राह्मण । करमाळ (ळी) - पु० १ तलवार । २ सूर्य । करमाळी 1- पु० अमलताश वृक्ष | करमी वि० [सं०] कमिन्]१ कार्य निष्ठ, २ भाग्यशाली ३ अत्याचारी । करमंत - वि० १ वंश में उत्कृष्ट, कर्म करने वाला । २ वीर, करदो बहादुर । करम्म - १ देखो 'करम' । २ देखो 'क्रम' । करयल - देखो 'करतळ' । करयावर, करियावर - देखो 'क्यावर' | करयावरी, करियावरी- देखो 'क्यावरी' । कररावली (बौ) - क्रि० १ कराहना २ चिल्लाना । करळ - पु० १ हथेली का अग्रभाग । २ मुट्ठी में प्रावे उतना पदार्थ । ३ देखो 'कराळ' । ४ देखो 'कुरळ' | करळणी (बौ) - देखो 'कुरळणी' (बौ) । करळव-देखो 'कलरव' | करहाटी- देखो 'छायें। करळाणी (बी), करळावरणौ (बौ) - देखो 'कुरळणी' (बी) । करली - पु० १ युवा ऊंट । २ देखो 'कुरली' । करवाचीच देयो 'करवाचौथ ' करवट री० [सं०] करवतं] पा बगन २ पार्श्व पर सोने की क्रिया । ३ सोते हुए पार्श्व बदलने की क्रिया । करवत (तो. दत्त) - देखो 'करोत' । करवतीमगरी स्त्री० यौ० दुधारी तलवार | करवरसगौ- वि० १ उदार, दानी ३ अधिक खर्चीला । करबरी - १० साधारण फसल वाला वर्ष । करवलौ-पु० छोटा ऊंट । करवांरण - देखो 'ऋपांग' । करवन ( क ) - पु० एक प्रकार का पक्षी । करवाचौथ स्त्री० १ कार्त्तिक कृष्णा चतुर्थी । का व्रत । For Private And Personal Use Only २ इस तिथी करवाळ (ळक, वाळा ळी स्त्री० [सं० करवाल: ] तलवार खङ्ग । करवीराक्ष-पू० खर नामक असुर का सेनापति । 1 करवौ पु० [सं०] करक, करभ] १ छोटा जल-पाय, शिकारा २ छोटा ऊंट | ३ देखो 'कर' । Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करस करावळ करस-पु० म० कर्ष] १ सोना चांदी तोलने का बाट । २ तौल, | करांमाती (क)-वि० १ चमत्कार पूर्ण । २ प्रभावशाली । बाट । ३ खिचाव तनाव । -वि० [सं०कृश] १ दुबला । ३ निपुण । २ पतला। ३ क्षीण। ४ सूक्ष्म । ५ निर्बल । ६ तुच्छ, | कराइ (ई)-स्त्री० १ सुरक्षित रखा घास का ढेर । २ कुछ निर्धन । ७ सूखे गोबर का चूरा। करवाने का पारिश्रमिक । ३ खेत की मेढ़ या पाली बनाने करसक-पु० [सं० कृषक] किमान, खेतीहर । का उपकरण । ४ देखो 'कड़ाई'। -वि० खींचन वाला। कराखी-स्त्री० पहनने के वस्त्र का वह भाग जो कांख में लगाया करसरण-पु० [सं० कर्षण] १ खेती । २ कृषि कार्य । ३ बागवानी | जाता है। ____ का कार्य । ४ किसान । -स्त्री० ५ खिंचाव, तनाव । करसरगी-स्त्री० १ कृषक जाति । २ कृषक स्त्री। कराग-पु० [सं० कराग्र] १ हाथ का अग्र भाग । २ अंगनी । ३ अंगुली की नोक । ४ हाथ । -पू० [सं० कर्षणम् ] किमान, कृषक । करसरणीक-पु० किसान, कृषक । करागी-स्त्री० तलवार। करसरणी (बी)-क्रि० सं० कर्षणम् ] १ खींचतान करना, कराड-वि० १ प्रवल । २ तेज, तीव्र । ३ अधिक ।-स्त्री०१ सीमा, ग्वेचना । २ केन्द्रित करना। ३ एकत्र करना । ४ मन मुटाव | हद । २ देखो 'किराड़' । होना। ५ तनाव बढ़ना। कराडो-देखो 'किराड़। करसल-स्त्री० १ दीवार का निचला शिरा । २ प्रांगन में लगने कराटौ-पु० प्राग पर तेज सिकी रोटी। वाली पत्थर की गच । ३ देखो 'करसली' । करसलियो, करसलौ-पु० ऊंट । कराणौ (बौ)-कि० १ कोई कार्य या कुछ करवाना । २ कार्य करसारण-देखो 'किमान'। पूरा कराना । ३ संलग्न करना। करसाख, (खा)-स्त्री० [सं० करशाखा] अंगुली । कराबीग (बीरणी, बीन)--स्त्री० [तु० कराबीन] १ चौड़े मुह करसुक (सूक)-पु० [सं० करणूक] १ नाखून । २ किसान।। को तोड़ादार पुरानी बंदूक । २ एक प्रकार की छोटी करसोड़ी-स्त्री० मादा ऊंट । बंदुक । करसौ-पु० १ ऊंट । २ बाजरी की बाल में होने वाला कीड़ा। करार-पु० १ बल, शक्ति । २ जोश । ३ धैर्य । ४ नदी का ३ किमान, कृषक । ४ बैलों द्वारा खींचा जाने वाला एक किनारा । ५ इकरार, कौल, वादा। प्रकार का शकट । करारौ-वि० (स्त्री० करारी) १ बलवान, शक्तिशाली । करहंच-पु. एक छंद विशेष । २ समर्थ । ३ हृष्ट-पुष्ट । ४ दृढचित्त । ५ जोशीला। करह (उ, लउ, लौ) करहौ-पु० [सं० करभः] १ ऊंट । २ ऊंट ६ धैर्यवान । ७ कठोर, कडा । ८ दृढ, मजबूत । ९ भयंकर । का बच्चा । ३ हाथी का बच्चा । ४ फूल की कली।। १० कठिन, दुष्कर । ११ तेज सिका हा । ५ दोहा छंद का सातवां भेद । -पृ० १ विश्वास । २ किनारा । ३ कौवा । करहेलडी-स्त्री० मादा ऊंट । कराळ, (उ)-सं० [सं० कराल:] १ भयानक, भयंकर । २ लंबाकरां-क्रि०वि० कब, कब तक । चौड़ा, विशाल । ३ अत्यधिक फटा दमा या पला हा। कराई-क्रि०वि० कभी भी। ४ विषम । ५ नुकीला । ६ बड़े बड़े दांतों वाला। कगंक-स्त्री० कांख में होने वाली ग्रंथि । - पृ. १ हथेली अग्र भाग । २ गाड़ी या शकट का --क्रि.वि० कब तक । अग्र भाग । -कुमळ-पु० नीचे से लंबे जबड़े वाला घोड़ा। करांकियौ-पु० बाजरी के पौधे की ग्रंथि से निकलने वाला। ----तेज-पु० मोटी ठोड़ी वाला घोड़ा । ---दंतौ-५० बड़े दांतों वाला घोड़ा। करांगणी-स्त्री० कंगनी नामक अन्न । कराळक (ळिक)-पु० [सं० करालिका] वृक्ष । कगंगी-पू० एक प्रकार का कवच । कराळी-स्त्री० १ भूमि को समतल बनाने का उपकरण । करांचणी (बी)-क्रि०१ मंहार करना, माग्ना । २ चिल्लाना । ३ जोर करना। २ देखो 'कराळ'। करांछ-स्त्री० छलांग । कराळू (ळी)-देखो ‘कराळ' । (स्त्री० कराळो) करांमत, करांमात,करांमाति-स्त्री० [अ०करामात] १ चमत्कार, करावळ-पु० [तु० करावल १ मेना का मध्य भाग । २ वृद्ध प्रभाव । २ कोशल । सबार । ३ पहरेदार, संतरी । ४ मेना के ब सिपाही जो शत्रु For Private And Personal Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करिव ( २०५ ) करोत का भेद लेने जाते हैं । ५ युद्ध के मैदान को ठीक करने वाले करुण-वि० [सं०] १ कोमल । २ दया पात्र । ३ दुःखी। सिपाही । ६ बंदूक से शिकार करने वाला शिकारी। ४ करुणा जगाने वाला। -पु० [सं० करुणः] १ दया, करिद (दौ)-पु० [सं० करीन्द्र] हाथी । -प्रव्य ० १ करण और रहम, कृपा । २ अनुग्रह । ३ दुःख, शोक । ४ साहित्य में अपादानकारक चिह्न, मे। एक रस । ५ ईश्वर । करि-देखो 'कर'। करुणा-स्त्री० [सं०] १ कृपा, मेहरबानी, दया । २ दुःख, करिमळ (ळि, ळी)-देखो ‘करतळ' । कष्ट । ३ वियोग । ४ पात-पुकार । ५ अनुनय-विनय । करिगि-देखो 'कराग'। -कर, करण, करि-वि० दया करने वाला । -पु० ईश्वर, करिछय-पु० कामदेव । विष्णु श्रीकृष्ण। -निध, निधान, निधि-पु. ईश्वर । करिणि (रणी)-स्त्री० हथिनी। -वि० दया का भण्डार । -निलय-पु० दया का घर । करिबत-देखो 'करोत'। ईश्वर । -मय, मै-वि० कृपालु, दयालु । -सिंधु-१० करिमरि, करिमाळ-स्त्री० १ कृपारण । २ तलवार । दया का सागर । ईश्वर । करिया-पु. कुए के बाहर लगे लट्र जो मोट से पानी निकालने | करुप (पक)-देखो 'कुरूप' । के काम देते हैं। करू दौ-पु० बेर के आकार का खट्टा फल । इस फल का पौधा । करियावर-देखो 'क्यावर'। करू-देखो 'करु'। करियो-पु. छोटा ऊंट, करहा । करूकरणौ (बौ)-क्रि० १ कौवे का बोलना । २ चिल्लाना। करिवारण, करिवाल (ल)-स्त्री० [सं० कृपाण]तलवार, कृपाण । करूर-देखो 'कर'। करिसरण-देखो 'करसग'। करें-क्रि० वि० कब । कब तक । करीद-देखो 'करिंद'। करेंको-वि० [सं० करेंकी] कभी का। करी-पु० [सं०] १ हाथी, गज । -स्त्री० २ पथ्य, परहेज । | करेणपती पु० [सं० करेणु:-पति] हाथी, गज । ३ छत पाटने का शहतीर । ४ कृषक स्त्री। -अव्य. करण | करणा-स्त्रा० स० करणुः हाथनी । या अपादान कारक, का । विभक्ति चिह्न, से। करेणपती-देखो 'करेणपती'। करीट-देखो 'किरीट'। करे-रो-रोग-पु० पशुओं के अगले पांवों में होने वाला करीटी-देखो 'किरीटी' । भयंकर रोग। करीठ-वि० अत्यन्त काला। करेलड़ी-पु० १ ऊंट । २ एक राजस्थानी लोक गीत । करीनि (नी)-देखो 'करिणी'। करेलियौ, करेलौ-पु० १ तरकारी के काम का एक कड़वा फल । करीब-कि० वि० [अ०] १ पास, समीप, नजदीक । २ करील वृक्ष । ३ देखो 'करलौ'। | करेवी-पु० भूलिंग पक्षी। २ लगभग । ३ प्रायः । करें-देखो 'करें। करीम (मौ)-पृ० [अः करीम] ईश्वर का विशेषगण । करैंक-क्रि० वि० १ कब तक । २ कभी कभी। --वि० १ दयालु, कृपालु । २ उदार, दाता। करवी-पु. १ एक प्रकार का घोड़ा। २ देखो 'करेवो'। करीमार-पु. सिंह। करोई-देखो 'किरोई'। करीमी-स्त्री० [अ०] दया. कृपा, ईश्वर की माया । करोड़-वि० [सं० कोटि] लाख का मौ गुना । -पु० लाख की करीयळी -देखो 'करतळ'। सौ गुनी संख्या, १,०००००००। -पति-पु. धनवान, करीर (रौ)-पु० स० करीरः] १ बांस का नया बल्ला । वैभवशाली, करोड़ों की सम्पत्ति वाला। २ करील वृक्ष । | करोड़ी-वि० १ करोड़ की संख्या का स्वामी । २ देखो 'किरोडी'। करीळ-पु० [सं० करोर झाड़ीदार व विना पते का वृक्ष, केर। -धज, मल-पु० करोडपति । करीवर-पु० हाथी, गज। करोट-स्त्री०१ सहायता। २ रक्षा । ३ करवः । ४ देखो करीस-पु. [सं० करीषः] १ उपला, कंडा । २ उपलों का चूर्ण करोटि'। ३ महीनतम चूर्ण । [सं० करीण] ४ श्रेष्ठ हाथी, करोटि-स्त्री० [सं० करोटे, करोटिः] मस्तक की हड़ी। गजराज। --प्राग-स्त्रो० उपलों की अग्नि । करोत (ती)-० [सं० करपत्र लकड़ी चीरने की दांतेदार करु-पु० १ एक प्रकार का बाम। २ देतो 'कि' । पत्ती, पारा । करोती। For Private And Personal Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra करोती www.kobatirth.org ( २०६ ) करोती- देखो 'करोत' । करोल - पु० [तु०] १ शिकार को घेरने वाला व्यक्ति । २ वनरक्षक । वि० कराल । करोली- स्त्री० एक प्रकार की कृपाण । - वि० शिकार का पीछा करने वाला । करौ पु० [सं०] कृपक] [स्त्री० करो) १ किसान, कृषक | ३ अनाज का एक कीडा । ३ गिड़गिड़ी फंसाने का गड्ढ़ा । करौट-स्त्री० १० करवट । करौळ-देखो 'कगेल' | कळंक - पु० [सं० कलंक ] १ दाग, धब्बा । २ बदनामी, अपयश | ३ लांछन, आक्षेप । ४ काला दाग । ५ दोष, त्रुटि । ६ पाप वि० काला, श्याम । कळंकी - वि० [सं० कल किन्] १ दोष युक्त । २ दोपी, अपराधी । ३ बदनाम । ४ पापी । ५ दाग युक्त । पु० [सं० कल्कि] विष्णु का चौबीसवां अवतार, कल्कि । कलंग स्त्री० १ हिंदवाणी । २ एक पक्षी विशेष । ३ कलिंग देश | ४ एक राग विशेष । ५ भृंगी नामक कीट-पतंग | कलंगी-स्त्री० [सं० कलंगी | १ शुतुर्मुर्गं आदि चिड़िया के पंख २ मोती या सोने का आभूषण । ३ पक्षियों के सिर पर की चोटी । ४ इमारत का शिखर । कलंस पु० कष्ट, दुःख | कलंदर - पु० [फा० | १ एक प्रकार के फकीर जो मस्त रहते हैं, मस्त साधु । २ आाजाद, मस्त । ३ सुफी साधु । ४ योगी । ५ मदारी । स्त्री० ६ निर्धनता, गरीबी । कळदरी, कळंद्री- पु० १ एक प्रकार का तीर । २ देखो 'कालिंदी' 1 कलंब - पु० [सं० कलम्बः ] १ बाण, तीर । २ लोहे की कील । ३ कदम वृक्ष । कलंबी देखो 'कृती'। कळ - पु० [सं० कल, कलः, कलिः] १ यश, कीर्ति । २ चैन, सुख, शांति। ३ संतोष । ४ विश्राम। ५ यंत्र, पुर्जा ६ दु:ख, सकट । ७ कलह । ८ युद्ध लड़ाई । ९ प्रभाव, दबाव । १० कलियुग । ११ इतिवत्स, कथा । १२ शत्रु दुश्मन । १३ वीयं । १४ राक्षस । १५ संसार, जगत। १६ योद्धा, बोर १७ कुल, वंश । १८ कामदेव | १९ उपद्रव । २० कपट छल । २१ बन्दूक का घोड़ा । २२ बल पराक्रम । २३ समय, वक्त । २४ कल-कल ध्वनि । २५ कला । २६ युक्ति, तरकीब । २७ कांति दीप्ति । २८ कृपा दया । २९ गंगा के नौवें भेद का नाम । ३० छंद शास्त्रानुसार मात्रा वि १ सुन्दर, मनोहर, प्रिय मधुर । २ स्वस्थ । ४ काला, श्याम - क्रि० वि० तरह से, भांति, प्रकार से । - श्रथगली, आागली - वि० सेना में अग्रणी 1 - पु० सेनापति । - स्त्री० कोयल | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कल पु० [सं०] कल्पं] १ आगामी दिवस | २ विगत दिन । - क्रि० वि० १ अगले दिन । २ पिछले दिन । ३ कुछ दिन पूर्व । कळकंठी पु० १ पक्षी । २ कोयल । कलक- देखो 'क्लिक' । २ गर्म कळकरणी (बौ) - क्रि० १ प्रकाशमान होना, चमकना । होना, खोलना । ३ कड़कना गरजना, दहाड़ना | ४ श्रावाज करना । ५ संतप्त होना । कळकळ, कल-कल-स्त्री० [ग्रनु०] कल-कल ध्वनि । - वि० प्रति उष्ण । (बी) देखो 'फळवणी' (वी)। (a कळकळाट - स्त्री० १ कलह, लड़ाई । २ कष्ट, पीड़ा । कळकळी - स्त्री० गर्मी, उष्णता । - कंठ - वि० मधुर भाषिनी । कळलो कळकळौ - वि० ० उष्ण, गर्म । पृ० कलह, उत्पात | कळका स्त्री० [सं० कलिका] कौंच नामक लता व फली । कळकार - देखो 'किलकारी' । कळकाळ - स्त्री० कटारी । की पु० [सं०] कल्कि] विष्णु का चौबीस अवतार। कळकौ पु० पानी या द्रव पदार्थ को खोलने की अवस्था, उबाल, उफान । कळक्क- देखो 'किलक' | कलक्कल-- देखो 'कलकल' । कळकर (बी) देखो 'क' (वी) । वारी विकलभगडालु कळगली ( बौ) - क्रि० जोश पूर्ण आवाज करता । कळचाळ (ळी) - पु० १ युद्ध, भगडा | ३ छेड़-छाड़ । ४ उत्पात, उपद्रव वाला, चुगलखोर । कळजळ - देखो 'कळभळ' | وه For Private And Personal Use Only कलयुग - ० मं० कलियुग १ चारों में से अंतिम व बुरा युग। २ बुरा समय । गियो (जुगी २ दुराचारी, पापी । कळझळ स्त्री० १ कलह । २३ दुःख । ४ रुदन । ५ विलाप । ६ चिन्ता । २ युद्ध प्रिय योद्धा । ५ कलह उत्पन्न करने कळण स्त्री० बड़े-पका बनाने हेतु मूंग, मोठ आदि को भिगो कर बनाई हुई चटनी । २ कष्ट, दुःख ३ दल-दल । कळणौ (बी) क्रि० मूग मोठ प्रादि को भिगोकर पोनना । २ नाश होना, मिटना ३ दलदल में फंसना । ४ बना । Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कलौ www. kobatirth.org ( २०७ ) कळन - देखो 'कळण' । कळपंत-देखो 'कळपांत' । कलौ (ब)- कि० १ पहिचानना जानना। २ विचार करना कळपांत, (तर)-पु० [सं० कल्यांत] १ कप का धन्त युगांतकाल " २ प्रलय । ३ नाश, संहार । ४ ब्रह्मा का दिवावसान । कळपारणों (बौ) - क्रि० १ तरसाना, सताना । २ दुःख देना । ३ कुढ़ाना। ४ विलाप कराना, कलाना । ५ संकल्प कराना । कळपित वि० [सं० कल्पित ] १ मनगढ़ंत । २ कल्पना से - बनाया हुआ । ३ नकली । ४ प्रतीकरूप । समझना । कळत-देखो 'कळत्र' । कळकंठ ५० सं०कलित कंठ पपीहा । कळत-पु० लोहे की हमारी। कळतांन- पु० १ ऊपर तानने या बिछाने का वस्त्र । २ जूट का पतला वस्त्र, टाट २ महीनतम पीसने की क्रिया । कळतीतर पु० एक प्रकार का तीतर पक्षी । कळल करी० [सं० कल] १ स्त्री, पत्नी २ कटि कळबल्ली - वि० करुरणा जनक पुकार या आवाज । कळवांगी- देखो 'कळवांरणी' | कमर कूल्हा । कळदार - वि० जिसमें यंत्र, पुर्जे आदि लगे हों । पु० रुपये का कळबी-देखो 'कुनबी' । सिक्का | कळधन- पु० ० दीपक, ज्योति 1 कळधारण (न) - पु० इन्द्र । कळल (धोत, धीत) पु० [सं०] कलधौत] १ सोना, स्वर्ण २ चांदी । कळप कलप - पु० [सं० कल्पः ] १ वेद के छे अंगों में से एक । २ धर्मशास्त्र का प्रादेश । ३ ब्रह्मा का एक दिवस । ४ समय का एक विभाग जो ४३२००००००० वर्षों के बराबर माना गया है । ५ निर्दिष्ट या ऐच्छिक नियम । ६ संकल्प | ७ विधान रीति, ढंग । ९ प्रस्ताव । १० कल्प वृक्ष । ११ प्रलय । १२ दिन । १३ चिकित्सा विधि । १४ प्रकाश । १५ बुद्धि । १६ कपट । १७ रथ । १८ संकल्प विकल्प १९ साधु का आचार-व्यवहार, मर्यादा (जैन) । तर, तरु, तरू, तरूवर, तरोवर, तरौ, द्रुम पु० कल्पवृक्ष लता, वेलि स्त्री० स्वर्गीय लता विशेष । -- । बेलि, - विरख वृक्ष, विविध-पु० कल्पवृक्ष (ब) क्रि० [सं० कल्पनम् ] १ विलाप करना गेना | लिखना । २ दुःखी होना। ३ कुढ़ना, चिढ़ना । ४ वियोग में तरसना । ५ त्यागना । संकल्प करना । ६ चिल्लाना । ७ देखी 'कलपरणी' (बौ) । कलपरणी (बी) - क्रि० १ कल्पना करना । २ अंदाज लगाना । ३ संकल्प करना । ४ साधु का आचार-व्यवहार और मर्यादा के अनुसार कर्तव्य करना (जैन) । ५ देखो 'कळपणी' (बो) । कलपत - पु० दोष, कलंक । कलपना - स्त्री० [सं० कल्पना | २ सभावना । ३ रचना रचना ६ मन की उड़ान । कलपनी स्त्री० [सं० कल्पनी] कैची। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ कल्पना, कल्पित भावना | ४ उदभावना । ५ अध्यारोप, कलमी कळपौ-पु० फसलयुक्त जोती हुई भूमि में से बैल जोत कर घास काटने का एक उपकरण विशेष । कळवच्छता - पु० [सं० कल्पवृक्षपिता ] समुद्र । कळभ - पु० [सं० कलभः] १ हाथी का बच्चा । २ ऊंट का बच्चा, करभ । ३ हाथी । ४ धतूरे का पेड । ५ प्राश्रय । ६ शीघ्रता । ७ शकुन ८ आकाश ९ भादवमास । कलम- स्त्री० [अ०] १ लेखनी, कलम । २ भाषा । ३ किसी पौधे की हरी टहनी जो काट कर अन्यत्र लगाई जाय । ४ मान प्रतिष्ठा । [ ऋ० कल्मः ] ५ कलमा पढ़ने वाला मुसलमान ६ स्वर्णाभूषणों में जड़ाई करने का बीजार ७ रंग भरने की कूंची कनपटी पर रहने वाले बाल । । - कसाई - वि० लिखावट में ९ इस्लाम का मूल मंत्र मारने वाला । कलमख- देखो 'कलमस' | कळमत पु० युद्ध | । २ कुलबुलाना । कळमळरणौ (बौ) - क्रि० १ झुंझलाना ३ कराहना । ४ अपने अंगों को घुमाना । कलमस-पु० [सं० कल्मषः ] १ पाप । २ मैल । ३ नरक । ४ श्याम वर्णं । - वि० [सं० कल्मष] १ पापी, दुष्ट । २ मैला, गंदा । ३ श्याम, काला । कलमांछात, कलमांग, कलमांयण- पु० कल मांयरण - पु० १ वादशाह । २ मुसलमान । कलमा पु० वह बात, वाक्य जो मुसलमान धर्म का मूल मंत्र है । कलमास - वि० [सं० कल्माष: ] चितकबरा, सफेद और काले रंग वाला । कलमी - स्त्री० ० १ श्याम रंग की घोड़ी । २ श्रामों की एक जाति । कलमुख देखो 'कलमस' । कळ मूळ-पू० [सं० कलिमूल] १ सेना, फौज । २ सेनापति । ३ झगड़े का मुख्य कारण । कलमेपाक ( पाख) वि० कलमा पढ़ कर पवित्र । For Private And Personal Use Only कलमी पु० [अ० कल्म ] १ मुसलमान धर्म का मूल मंत्र । २ कलमा पढ़ने वाला मुसलमान । Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कळपट कळा कळपळ-१ देखो 'कळकळ' । २ देखो 'कळवळ' । चोट । ८ रास्ता । ९ नारद की उपाधि । १० दलदल । कळयुग-देखो 'कळजुग'। -वि० काला, श्याम*। --क्रित-स्त्री० युद्ध की प्रशंसा । कळरव-पु. म. कलरव] १ मंद-मधुर-ध्वनि । २ हल्का -गुर-पु० योद्धा, वीर । नारद मुनि। --प्री-वि. कोलाहल । ३ कूजन, गुजन । ४ करुण ध्वनि । ५ कल- झगडालु, कलहप्रिय । ---प्रेमा-स्त्री० रण पिशाचिनी, कल ध्वनि । ६ कपोत, कबूतर । ७ ऊसर भूमि । महाकाली। -बरीस-पु० योद्धा । कलहप्रिय । कळळ (स)-पु० [अनु०] १ युद्ध । २ युद्ध का शोर । कळहरणो (बी)-क्रि० युद्ध करना, झगड़ा करना । ३ कोलाहल । ४ युद्ध का वाद्य । ५ ध्वनि विशेष । | कळहळ-१ देखो 'कोलाहळ' । २ देखी 'कळ-कळ' । ६ हिनहिनाहट । [म. कलल:] ७ योनि, गर्भ की झिली। २ देखो 'कळळ'। कळळरणी (बौ)-क्रि० १ युद्ध का शोर होना । २ कोलाहल कळहळणी (बी)-क्रि० १ कोलाहल करना । शोर करना। होना । ३ हिनहिनाना। २ चमकना, दमकना । कळळ-हूँ कळ-देखो एकळकळळ' । कळहारो-देखो 'कळिहारी' ।। कळळाट (टो. हट)-पु० हाहाकार, चीत्कार । कळहिळ-पु० [सं० कटुहिल] शत्र , दुश्मन । कळवकळ-वि.१ भयभीत । २ अस्थिर चित्त घबराया हया । कळहिवा-पु० योद्धा। ३ विवेकशून्य । कळही-वि०१ झगड़ालु । २ देखो 'कळसी'। कलवर-पु० [सं० कलेवर] १ शरीर, देह । कळहीण (हीणो)-वि० [सं० कला-हीन] जिसमें कोई कला कळवरी-स्त्री० रहट की माल की कील । न हो, कलाहीन । २ अशक्त, कमजोर । कळवळ-स्त्री० अस्पष्ट ध्वनि। कळही-देखो 'कळह'। कळवाणी-स्त्री० १ गंदा पानी । २ मंत्रित जल । ३ जल पात्र कलां-वि० [फा०] बड़ा, बड़े वाला। ___ में हाथ डालकर गंदा करने की क्रिया। कळांतर-पु० ब्याज। कळवख. (वच्छ, बछ)--पु० [सं० कल्पवृक्ष] कल्पवृक्ष । कळांम-पु० [अ० कलाम] १ बातचीत, कथन । २ वाक्य, वचन । -~-केळी-पु० इन्द्र। ३ प्रतिज्ञा, वादा । ४ उज, एतराज, आपत्ति । ५ उक्ति । कळस (सौ)-पु० [सं० कलशः] १ कुभ, घड़ा, गगरी। ६ रचना। २ मंगल-कलश । ३ मंदिर आदि के शिखर पर लगे धातू | कळा-स्त्री० [सं० कला] १ अश, भाग।। २ चन्द्रमा का के पात्र । ४ चोटी, मिरा । ५ प्रधान अंग । ६ श्रेष्ठ सोलहवां भाग, चन्द्रकला । ३ सूर्य का बारहवां भाग । ध्यक्ति । ७नत्य की एक वर्तनी । ८ काव्य या ग्रंथ के ४ चतुराई । ५ कौशल निपुणता । ६ प्रतिभा । ७ समय का उपसंहार की कविता । ९ देवी का अचित जल । १० प्रत्येक । विभाग । कोई धन्धा । ९ सामर्थ्य, शक्ति । १० नौका । चरण में २० मात्रा का मात्रिक छन्द । ११ डिंगल का एक ११ विभूति, तेज । १२ चन्द्रमा । १३ शोभा, छटा, प्रभा । छन्द । १२ कुभ राशि । १३ सुवृत्त । १४ कीति, यश । १५ स्त्री का रज । १६ शरीरस्थ सात - -भव-पू० अगस्त्य ऋषि । विशेष भिल्लिया। १७ तीस काष्टा के समय का एक कळसियो-पु० १ छोटा जल-पात्र, लौटा । २ बैलों की पीठ का विभाग । १८ राशि के तीसवे अश का सातवां भाग । कुकूद । ३ तलवार की मुठ पर लगा उपकरण । १२ वृत्त की डिग्री का । २० वा भाग । २० कोतुक, लीला, ४ देखो 'कलस। खेल । २१ छल, कपट । २२ अग्नि मंडल का एक भाग । कळसी-स्त्री० पाठ मन अनाज का एक माप । २ मिट्टी का २३ किमी छद की मात्रा । २४ मनुष्य शरीर के सोलह बड़ा जल-पात्र । ३ कुंभ राशि । ४ देखो 'कळम'। प्राध्यात्मिक विभाग । २५ तन्त्रानुसार वर्ग या अक्षर । कळ सौ-देखो 'कळम' । २६ नटों की विद्या । २७ युक्ति, ढंग। २८ चमत्कार । कळहंस (क)-पु० [सं० कलहस] १ परमात्मा । २ ब्रह्मा । ३ श्रेष्ठ | २६ पुरुषों की ७२ कलाएँ । ३० कामशास्त्र को ६४ कलाएँ । राजा । ४ राजहंस । ५ हम । ६ बतक । ७ क्षत्रियों की ३१ बन्दूक चलाने की विद्या । ३२ बन्दुक छोड़ने का एक शाखा । -वि० सुस्वर* । खटका । ३३ कली। ३४ दीपक ३५ दीपक की लो, कळहत-पु. (स० कलिहंत] युद्ध, समर । ज्योति । ३६ किरण । ३७ व्याज । ३८ अणु । कळह (हरण, हरिण, हु)-पु० [सं० कलहः] १ झगडा, विवाद। ३९ भ्रूगा । ४० संगीत, काव्य आदि ललित कला । २ युद्ध, ममर । ३ तू-तू मैं-मैं । ४ दांव-पेच, ४१ अक्षर, वर्ण । ४२ शिव का नाम । ४३ संबंध । घात-प्रतिघात । ५ छल-कपट । ६ झूठ । ७ प्रहार, ४४ जीम, जिह्वा । ४५ एक प्रकार का नृत्य । For Private And Personal Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कळाइग कट्टि -धर-पु० चन्द्रमा, सूर्य, शिव, कलावंत । -धारी | कळाय,कळायरण (न) कळायर-पु०१ श्याम घन घटा । २ मोर, -वि० शक्तिशाली। वंशज । कलाधर । -धिप-पु० मयूर, विवाह । चन्द्रमा। -निध, निधि, निधी-पु० चन्द्रमा । कलाविद् । कलार-प०१संग्रहीत घास का लम्बा ढेर । २ एक प्रकार का ---तमंडी-पु० मोर, मयूर । -पाती-वि० नटखट । वृक्ष । ३ एक प्रकार का पुष्प । उद्दण्ड । ---पी-पु. मयूर, मोर । -बाज-कला-विद् ।। | कलारी-स्त्री० जमीन को समतल बनाने का उपकरण । नट । --बाजी-स्त्री० नट क्रिया, खेल। चाल । -लीक-पु० भौंरा, भ्रमर । -वंत. वत, वान-वि० कलाओं कलाळ-स्त्री० (स्त्री० कलाळी, कलाळण) १ शराब बेचने का ज्ञाता । कलाकार । चतुर, बुद्धिमान, समर्थ, शक्तिशाली का कार्य करने वाली एक जाति। -पु. २ इस जाति संगीतज्ञ, गया। -हीण-वि. कलाहीन, कमजोर, अशक्त, का व्यक्ति। अयोग्य । कलाळी-स्त्री०१ शराब, मदिरा । २एक राजस्थानी लोकगीत। कळाइण, (रिण, ईण)-देखो 'कळायण' । ३ एक सुगंधित पौधा । ४ कलाल जाति की स्त्री। कळाइणों (बौ)--क्रि० शोर करना, कोलाहल करना । | कळाव, कळावरण, कळावी-पु० [सं० कलापक] १ हाथी की कळाइयौ-पु० न्यौछावर । गर्दन । २ हाथी की गर्दन पर बांधने का रस्सा । ३ मोरकळाई-स्त्री० [सं० कलाची] १ हाथ की कलाई, मरिणबंध, पंखों का छत्र । ४ दल-दल । ५ रेतीली जमीन । गदा । २ कोठरी । ३ कोठरियों के बीच का अांगन । कळावांन. कळावादी-वि० १ कलायों का जानकार । ४ तरह. प्रकार. भांति । २ चतुर, दक्ष । कळाउ-देखो 'कळाप'। कळास-पु० [सं० कलाम] का । -वि० ममान, तुल्य । कळाकंद-पु. [फा०] खोये की मिठाई । कलाक-पु० [अं० क्लॉक] १ समय का विभाग। २ घड़ी। कळासणी (बौ)-क्रि० १ मल्ल युद्ध करना । २ कुश्ती लड़ना । कळातरी-१ देखो 'कळांतरौ'। २ देखो 'कातरौ'। ३ मारना, वध करना । कळाद-पु० [सं०] स्वर्णकार । कलाहक-पु० [सं] युद्ध के समय बजाया जाने वाला बाजा । कळाप-पु० [सं० कलाप] १ समुह, ढेर। २ झुण्ड । ३ गठड़ी, कळाहळ-देखो 'कळह' । गांठ । ४ संग्रह । ५ मोर की पूछ । ६ करधनी। ७ पायल। कलिंग-पु. १ पुरुषों के सिर का प्राभूषण, कलंगी। २ एक ८ तूणीर । ९ हाथी की गर्दन की रस्सी । १० तीर, बाण। प्राचीन देश । ३ एक पक्षी विशेष । ४ भ्रमर । ११ चन्द्रमा । १२ चतुर मनुष्य । १३ भौंरा, भ्रमर । ।। १२ चतुर मनुष्य । १३ भारा, भ्रमर । कलिंगड़ा-स्त्री० एक राग विशेष । १४ वेद की एक शाखा । १५ एक अर्द्ध चन्द्राकार शस्त्र ।। कलिंद-पु० [सं०] १ सूर्य, रवि । २ वह पहाड़ जिसमे जमुना १६ भूषण । १७ प्रयत्न, कोशिश । १८ प्रपंच, जाल । नदी निकलती है। १९ प्रक्रिया । २० विलाप, रुदन । २१ एक ही छन्द की रचना। कलिदा-स्त्री० [सं० कलिंद+जा] यमुना नदी। -वि० शीतल*! कळापक-पु० [सं० कलाप] हाथी की गर्दन का रस्सा। कळि-पु० [सं० कलि] १ लड़ाई, झगड़ा, कलह । २ युद्ध, कलापी-पु० [सं० कलापिन् ] मोर, मयर । -वि०१ प्रयत्न समर । ३ कलियुग । ४ क्लेश, दुःख । ५ तीर, बाण । ६ करने वाला । २ प्रपंच करने वाला । ३ धूर्त, चालाक । योद्धा, वीर । ७ शिव । ८ पाप । ९ कला । १० छंदशास्त्र में मात्रा का नाम । ११ टगण की छै मात्रा के नौवें भेद का कलाबाज--पु. १ कलापूर्ण ढंग से खेल दिखाने या खेलने वाला | नाम (su)। १२ बहेड़ा-वृक्ष । १३ देखो कळी'। -वि. व्यक्ति । -वि० धूर्त, चालाक । काला, श्याम* | -प्रळ-पु०-करुणरव । मधुर ध्वनि । कलाबाजी-स्त्री० कलाबाज की कोई क्रिया या खेल । -कछ-पु. श्वेत-काले मुंह वाला घोड़ा। -का-स्त्री. कळाबूत-पु० [तु० कलाबतुन] १ रेशम के डोरे पर चढ़ाया एकणिक छंद । कली। -कारक-पु० नारद । -वि. कलह हमा पतला सुनहरा तार। २ रेशम का सुनहरा तार । प्रिय। ---चाळ, चाळी-पु०-युद्ध । योद्धा । नारद । - जुग लपेट कर बनाया हुअा डोरा । --पु. कलियुग। -जुगि, जुगी-वि०-कलियुग का, कलियुग कलाबो-पृ० १ कपाट के ऊपर चल फैमाने का गहहा । । संबंधी । -मूळ-देखो'कळमूळ' । २ देखो 'कलाव' । । कळिज्जरणों (बौ)-देखो 'कळीज गी' (बौ)। कलापखंज-पू०एक प्रकार का बाग। - कटिटु-वि० [सं० क्लिम] क्लिष्ट। For Private And Personal Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कलित ( २१० ) कल्प कलित (2)-वि० [सं०] १ सुन्दर, मनोहर । २ विकसित, | कळुख-पु० [सं० कलुष] १ कलंक, दोष । २ पाप । ३ दाग । उन्नत । - स्त्री० [सं० कलत्र] १ स्त्री। २ कटि, कमर । ४ मलिनता । ३ पत्नी, भार्या । --कंठ-पु०-चातक । कळुजी-पु० कलियुग । वि० १ पापी। २ दृष्ट । कळिद्र म (बख)-पु० [सं० कलिवृक्ष ] बहेडा वृक्ष । कलुल-पु० पाप । दोष। कळिम-पु. १ कलियुग। २ पाप । कळुस-पु० १ गंदा पानी । २ देखो 'कलुख' । कळिमत्य (4)-पु. १ योद्धा । २ बीर, बहादुर । ३ युद्ध । कळू दर, कळूदरो-देखो 'कळोदरौ। कळिमूळ-पु० योद्धा, वीर। कळू-पु० [सं० कलि] १ कलियुग । २ बुरा समय । ३ देखो कलियर-पु० कलियुग। 'कळा'। -काळ-पु०-कलिकाल, कलियुग। कळियळ -पु. कलरव । कलूरी-पु० एक घास विशेष । कळियसी-वि० कलियुगी। कलूला-स्त्री० भोजन का नशा या भोजन के बाद का विधाम । कलियांण-देन्वो 'कल्यांग'। कळूस-१ देखो 'कळुख' । २ देखो 'कळम' । कलियार स्त्री० [सं० कलिचार] सेना । कळेधन-पु० [सं० कला+इन्धन दीपक । कळियुग-पु० [सं० कलियुग] चार युगों में चौथा युग । कळेज (उ)-देखो 'काळजो'। कळयुगि (गी)-वि० कलियुग का, कलियुग संबंधी। कळेजी-स्त्री० कलेजे का मांस । कळियौ-पु०१ बेमन का काम । २ देखो 'कळसौ'। कळेजो-देखो 'काळजौ'। कळिराज-पु० कलियुग। कलेबड़ो-देखो 'कलेवो'। कलिल-पु० पाप । कलेवर-पु० [सं०] १ शरीर, देह । २ प्राकार, प्रकार । ३ आकृति, शक्ल । कळिहण-पु० युद्ध, समर। कलेवी-पु० [सं० कल्यवर्त] १ नाश्ता, जलपान । २ स्वल्पाहार । कळिहारी-वि० कलह प्रिय, झगड़ालू । ३ पाथेय । कळी-स्त्री० [सं० कलिका] १ बिना खिला फूल, कलिका। कळेस-पू० [सं० क्लेश] १ दुःख, कष्ट । २ पीडा, वेदना । २ कन्या। ३ अक्षत योनि युवती या स्त्री। ४ स्त्रियों के ३ कलह, झगड़ा । ४ परिश्रम । लहंगे की परत । ५ छबि, शोभा । ६ वृक्ष। ७ बीज । कळंगारी-वि० (स्त्री० कळंगारी) कलहप्रिय, झगड़ालू । गप्प । ९ बाल,केश। १० नाक से बाल उखाड़ने का नाइयों | कलोंदरी-पु० बैलगाड़ी के थाटे में लगने का लोहे का उपकरण। का एक उपकरण । ११ शिव । १२ युद्ध । १३ कीर्ति, यश। कलोठ-स्त्री० करवट (मेवात)। १४ प्रकाश । १५ कला । १६ जस्ते या रांगे का बना हुक्का। कलोतर-पु० अजान । १७ छन्दशास्त्र में मात्रा का नाम । १८ टगरण का एक | कळोधर-पु० [सं० कुल+धर] १ पुत्र । २ चशज । भेद (51)। ११ मिट्टी का बड़ा जल-पात्र । -वि०१ कलोळ (ल)-पु० [सं० कल्लोल] १ आमोद-प्रमोद । २ क्रीड़ा, प्रानतायी । २ अनर्थकारी ३ अद्भुत कार्य करने वाला। केलि । ? उल्हास, खुशी, हर्ष । ४ मौज, मस्ती। ४ विकारग्रस्त । ५ समान, मदृश : ६ काला श्याम । ५ अठखेलि । ६ लहर, तरंग। ७ शत्रु । --क्रि०वि० इस तरह से।-दार-वि० जिसमें कलियां हों। कळोहळ-देखो ‘कोलाहळ' । कली-स्त्री० १ चूना जो कलाई के काम आता है । २ कलई, कळोजी-स्त्री. कालाजीरा । रोगन। ३ चमक-दमक । ४ देखो 'कळी'। -कोठार-पु.] कळो-देखो 'कळह' । भवन व्यवस्था का सरकारी दफ्तर । --दार-वि. जिसके। | कलौ-पु० १ आभूषण बनाने का एक प्रौजार । २ फेंफड़ा। कली की गई हो। चमकदार । ३ देखो 'किलो'। कळीट-वि० काला-कलूटा। | कल्कि,कल्की-पु० [सं०कल्किन्] विष्णु का भावी दशा अवतार कळीयंक-देखो 'कळक' । जो कलियुग के अन्त में कुमारी कन्या के गर्भ से संभल कळोयण-पु० युद्ध, समर । (मुरादाबाद) में होगा। (कल्पना) कलीळ-पु० [सं० कलिल पाप । कल्ड-पु० रहट की माल में लगने वाला लकड़ी का गूटका । कलीव-पु० [सं०क्लीव] १ हिंजडा, नपुसक । २ कायर,डरपोक । | कल्पंत-देखो 'कळपांत' । कळमार-पु० कलियुग। कल्प-१ देखो 'कळप' : २ देखो 'कलप' । For Private And Personal Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कल्पण ( २११ ) कवित कल्पण (न), कल्पणा (ना)-देखो 'कलपना' । कवता-देखो 'कविता'। कल्पणी (बौ)- देखो 'कळपरणौ' (बौ) । २ देखो कवर-देखो 'कुमार। 'कलपणी' (बौ)। | कवररस-पु० [सं० कमल-रस] हंस । कल्पत-पु० १ ईर्ष्या, द्वेष । २ वैर, शत्रुता । कवरांगुर-पु० [सं० कुमार-गुरु] १ प्रधान राजकुमार । २ राज कल्पतरौ (द्र म, रूख)-देखो 'कळपतरु' । कुमार का गुरु । कल्पांत-देखो 'कळपांत' । कवरांणी-देखो 'कंवरांणी'। कल्पित-पु० १ दुष्ट, हाथी । २ देखो 'कलपित' । कवरांपत (पति)-पु० युवराज । कल्पी-वि०१ कल्पना करने वाला । २ काव्य शास्त्र का कवराज (राजा, राय, राव)-देखो 'कविराजा'। रचयिता। ३ प्राचार व्यवहार का विशेष ध्यान रखने | कवळ, कवल-पु० [सं० कवल:] १ कौर, ग्रास ! २ देखो, वाला माधु (जैन)। ___ 'कमल' । ३ देखो 'कौल' । -धात-पु० सूर्य । कल्मो-देखो 'कलमौ'। | कवळापति -देखो 'कमलापति' । कल्याण-पु० [सं० कल्याण] १ मोक्ष, मुक्ति । २ मंगल, कुशल। कवलास-देखो 'कैलास' । ३ सुख । ४ सौभाग्य । ५ भलाई। ६ शुभ कर्म । ७ स्वर्ग। कवलियौ-पु० १ आभूषणों में खुदाई करने का प्रोजार ! ८ अभ्युदय । ९ सोना । १० विष्णु । ११ ईश्वर । १२ जल, २ कामला रोग । पानी । १३ एक घोड़ा विशेष । १४ एक राग विशेष । कवळी-स्त्री० [सं० कपिला] १ एक प्रकार की गाय, कपिला । १५ एक प्रकार का छंद । -कळस-पु० मंगल-कलश । २ देखो 'कंवळी'। ---कुवर-स्त्री० पंवार वंशोत्पन्न एक देवी।। कवळी-पु० १ बैल । २ स्पर। ३ मफेद रंग का मगर । कल्याणी-स्त्री० [सं० कल्याणी] सौभाग्यवती स्त्री, मधवा । ४ योद्धा । ५ देखो ‘कंवळी'। -क्रि० वि० १ पास, निकट । कल्ल-पु० एक प्रकार की घास । २ देखो 'कौल'। कल्लर-पु. १ एक प्रकार का छोटा कीड़ा । २ खट्टी छाछ का कवल्यापीड़-देखो 'कुबलयापीड़' । बना एक पेय पदार्थ । ३ एक प्रकार का रण-वाद्य । कवल्यासव-देखो 'कुवल्यासव' । कल्हरण-पु०१ युद्ध । २ संस्कृत का एक प्राचीन पण्डित । कवल्ली-पु० कुबेर। कल्हार-पु० १ पुष्प । २ श्वेत एवं सुगंधित कमल । कवसलेंद-पु० [सं० कौशलेन्द्र] श्रीरामचन्द्र । कबंद-१ देखो 'कविद'। २ देखो 'कवि' । कवसल्या-स्त्री० [सं० कौशल्या) श्रीराम की माता का नाम । कवक--पू०१ ग्रास, निवाला । २ वादा, वजन । --क्रि० वि० [कवाण (न)-देखो 'कमान' । १ कभी। २ कब । ३ कैसे। कार-पाठौ-देखो 'कुमार पाठौ' । कवच-पु० [सं०] १ बर्म, मन्नाह, जिहर-बख्तर । २ आवरण । कवाड़-देखो 'कपाट'। ३ ताबीज । ४ छाल । ५ बड़ा नगाड़ा। ६ शरीरांग रक्षार्थ कवाड़, पण, पणौ-पु० रक्षा करने का भाव । मंत्र द्वारा प्रार्थना । ७ ऐसी रक्षा का मंत्र या मंत्रयुक्त कवाड़ियो, कवाड़ी (डौ)-पु. १ छोटी कुल्हाडी । २ छोटा ताबीज । ९ क्रौंच । ---दीप-पु. क्रौंचद्वीप । कपाट । ३ लकड़ियों की बनी रोक । ४ अनाज को खाने कवडपंच-पु० [सं० कपट +प्रपंच] कपट जाल, षड्यन्त्र । वाला कीट। कवडाळी, कवडियो-वि० [सं० कपदिक] १ कौड़ियों जैमे | कवाज-स्त्री० [अ० कवायद] १ मेना का युद्धाभ्यास, परेड । छापे वाला । २ कौडियों से युक्त । ३ उमंग युक्त । -पु. २ नियम, कायदा। १ एक पक्षी विशेष । २ कोड़ी छाप मर्प । ३ ऊंट की कवाद-पु. १ कवि । २ सींग के टुकड़ों का धनुष । ३ कवायद सजावट का कपदिका युक्त उपकरण । कवाद दि)-स्त्री. कवायद । -वि. जिसे कवायद का कवडी-१ देखो 'कौड़ी' । २ देखो 'कबड्डी' । अभ्याम हो। कवडी, कवडु-पृ० १ बड़ी कौड़ी, कौडा । २ कौड़ी के रंग कवार-१ देखो 'कुमार' । २ देखो 'कंवार' । ---पाठौका घोड़ा । 'कुमार-पाठौ'। कवड्डी-१ देखो 'कबड्डी' । २ देखो 'कौड़ी' । कवारी-देखो ‘कंवारी'। -धड़-देखो 'कंवारीधड' । कवरण (न)--देखो 'कमण' । कवारी-देखो 'कंवारौ' । (स्त्री० कवारी)। कवत-देखो ‘कवित्त'। कविंद-पु० [सं०कवीन्द्र]१ कवियों में श्रेष्ठ । २ श्रेष्ठ काव्यकार । For Private And Personal Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir কৰি कसबी कवि-पु० [सं०] १ कविता, काव्य या पद्यों का रचयिता । | १४ गुजाईश । १५ मितव्ययता। १६ तलवार की लचक । काव्यकार, गायर । २ पंडित । ३ आदि कवि वाल्मीकि । -वि० थोड़ा, कम । ४ बृहस्पति । ५ शुक्राचार्य । ६ व्यासदेव। ७ ब्रह्मा। कसक-स्त्री०१ पीड़ा, वेदना, दर्द । २ टीस । ३ कसीस धातु । ८ सूर्य । १ घोड़ा। १० लगाम । -वि० १ बुद्धिमान, ४ चुभन । चतुर । २ विवेकशील । ३ सर्वज । ४ पलाध्य । कसकरणौ (बो)-क्रि० १ दर्द से कराहना, टीस उठना। २ टलना। ५ प्रतिभाशाली। -अण, य-पु. पंडित ममुदाय । हटना। ३ भागना। ४ लचकना । कविजन । ... रजा राज, गजा, राय, राव-पू० श्रेष्ठ कवि कसकत-देखो 'कसक' । या काव्यकार श्रेष्ठ वैद्य (उपाधि) । कसट (टि)-देखो 'कस्ट'। कविईलोळ -पु० डिगल का एक छंद ।। कसटरणी (बौ)-देखो 'कस्टगो' (बौ)। कवित (त्त)-पृ० सं० कवित्त १ छप्पय छन्द । २ इकतीस कसरण-पु० [सं० कृशानु] १ आग, अग्नि । २ कंचुकी का बंधन। अथवा बत्तीस अक्षरों का एक वृत्त । ३ कविता । ३ बधन । ४ कसावट । ५ देखो कसणो' । कविता (ई)-स्त्री० [सं०] १ कोई पद्यमय रचना । २ काव्य । | कसरणका (क)-पु. कवच । ३ पद्य । ४ गीत । ५ काव्य रचना की शक्ति । कसरणी(रपो)-स्त्री० १ कमौटी । २ कसौटी का पत्थर । कविति-१ देखो 'कविता' । २ देखो 'कवित्त' । ३ परीक्षा । ४ रगड़ । ५ कष्ट, तकलीफ । चारजामे का कविळास, (ळासि, ळासो)-देखो 'केळास' । बंधन । ७बंधन । ८ कंचुकी, डोरी। ९ कवच का हक । कविलो-पृ० ग विशेष का घोड़ा। १० कसने का उपकरण । ११ मर्प की गर्दन । १२ फीता। कबोंद (द्र)-देखो 'कविद' । कसणौ (बौ)-कि० १ डोगे से खींच कर बांधना । २ मजबूती से कवी-स्त्री. १ मादा कौना । देखो 'कवि' । गठित करना। ३ मजबूत, बांधना । ४ कसाटी पर घिसना । कवीयंद-देखो 'कविद। रगड़ना । ५ दबाना, भींचना । ६ कटिबद्ध होना । ७ मस्ती कवीयरण, यांरण-देवा 'कविनगा। में काम लेना। ८ प्रत्यंचा चढाना । ९ ननाव देना । १० कवीलौ-देखो 'कबीलो'। यत्र के पुर्जे कसना । ११ कमियाजाना। १२ कम होना, कवीस, कवीसर, कवीस्वर-पु०म० कवीश्वर] १ श्रेष्ठ कवि, घटना। कविराज । २ महर्षि । कसतूरियो-वि० १ कस्तूरी का, कस्तुरी संबंधी। २ कस्तूरी कवेरजा-स्त्री० कावेरी नदी। रंग का। -पु० कस्तूरी रंग का घोड़ा। ---म्रग, म्रिग, कवेळ-पु० [म० कैवल्य] १ श्रीकृष्ण । २ मोक्ष । म्रघ-पु० कस्तूरी वाला हरिन । कवेळा(ळो)-देखो 'कुवेळा'। कसतूरिय(रीय, पूरी)कसत्तरी, कसत्तू रीय-स्त्री० [सं० कस्तुरी) कवेळू -देखो 'केळ। एक सुगंधित द्रव्य. मृगमद, मुश्क । कवेस, (सर,सुर)-देखो 'कवीस्बर'। कसतौ-पु० कम तोलने की क्रिया या भाव, कम नापने की कवी--पृ० [सं० कबलः] ग्रास, कौर, निवाला । क्रिया। -वि० कम । कव्यद-देखो 'कविंद'। कसन-१ देखो 'स्गा' । २ देखो 'कगग' । कसनाग (नागर, नागरौ)-देखो 'किसनागर'। कव्य-पृ० पितरों के प्रति तैयार किया जाने वाला अन्न । कसनावास-पु० [सं० कृष्ण + प्रावास ] पापल-वृक्ष । कटवाल-पु० [अ०] १ मुसलमान गायक । २ 'कव्वाली' गाने कसप-पु. कश्यप । —तनु-पु० गरड़ । बाला गायक । कसपरजवाळी-स्त्री० पृथ्वी, भूमि । कव्वाली-स्त्री० [अ०] १ मुसलमान पीरों की स्मृति में गाया कसब-पु० १ वेश्या वृत्ति । २ व्यभिचार की कमाई । ३ धंधा, जाने वाला विशिष्ट गाना । २ इस राग का कोई गीत, पेशा । ४ एक प्रकार की बढ़िया मलमल । गजल । कसबन-स्त्री० १ वेश्या । २ वेश्या बनि करने बाली स्त्री। कस-पू० सं० कश, कशा, कप] १ मार, निचोड । २ तत्व।। कसबी-स्त्री० १ ऊंट के चारजाम का फीता या रस्सी। ३ रस । ४ छितराए हए छोटे२ बादल । ५ सश । ६ शक्ति, २ एक प्रकार का बढ़िया रेशमी वस्त्र । ताकत । ७ कंचुकी प्रादि बांधने की डोरी । - बांधने के | कसबोई (बोय, बोह, बौ)-देखो 'खमबू' । लिये किमी वस्त्र के लगी डोरी। कमौटी। १० चाबुक, कसौ-पु० [अ० कम्बा] १ छोटा शहर । बड़ा गांव । २ एक कौडा । ११ खिंचाव । १२ कमी । १३ फायदा। प्राचीन कर। ३ देखी 'खसधु' । For Private And Personal Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org कसम ( २१३ ) कसूबो कसम-स्त्री० [अ०] १ शपथ, सौगंध । २ प्रतिज्ञा, माक्षी।। | कसारणी (बौ)-क्रि० १ डोरी या रस्मी से बंधवाना । -पु० [अ० खसम] ३ पति, खाविंद । २ मजबूती से गठित कराना । ३ मजबूत बंधवाना । कसमल-पु० [सं० कश्मल] पाप, दुष्कर्म । -प्रिय-पु० भौंरा, ४ कसौटी पर घिसवाना । रगड़वाना। ५ मस्ती करवाना। भ्रमर । पापी। ६ प्रत्यंचा चढ़वाना । ७ दबवाना । ८ कटिबद्ध कराना। कसमसरणी (बी), कसमस्सपो (बौ)-क्रि० १ हिचकिचाना । ९ तनाव दिराना । १० किसी यंत्र के पुर्जे कसवाना। २ बेचैन होना, घबराना । ३ परेशान होना। ४ उलझन | कसाय-पृ० [सं० कषाय] क्रोध, मान, माया और लोभ । (जैन) में पड़ना । ५ दबना, झुकना। कसाय (ज, लौ)-वि० कसैला। कसमसाट-स्त्री० १ हिचकिचाहट । २ उलझन । ३ परेशानी। कसार-पु० [सं०] घी में सिके आटे में गुड या चीनी मिलाकर ४ बेचैनी। बनाया हुया खाद्य पदार्थ । कसमार-पु० दोनों ओर से बांधने का फीता, बनकल । कसारा-पु० धातु के बर्तन बनाने वाली जाति, उपरा। कसमोर-पु० [सं० कश्मीर] भारत के उत्तर में स्थित कसारी-स्त्री० १ भिंगुर नामक जंतु । २ कमारा जाति की एक प्रदेश । कश्मीर । -ज-पु. केसर । कश्मीर में पैदा - स्त्री। हुया । -सी-स्त्री० शारदा, सरस्वती।। | कसारौ-पु. (स्त्री० कसारी) १ ठरा। २ देखो 'कमार' । कसमीरी (मेरि, मेरी)-स्त्री० १ सरस्वती । २ कश्मीर का साल (लो)-१०१ निर्धनता, कंगाली। ० कष्ट, तकलीफ । निवासी। -वि० कश्मीर का, कश्मीर संबंधी। ३ संकट । ४ प्रभाव । --दार-वि० निर्धन, दरिद्र । कसर-म्बी० [अ०] १ कमी, न्युनता। २ खोट, दोष । ३ वैर । कसि-१ देखो 'कसौटी' । २ देखो 'कसी' । द्वेष । ४ हानि, घाटा । ५ त्रुटि । कसरत-स्त्री० [अ०] १ व्यायाम, दण्ड-बैठक । २ शारीरिक या न कासपु-पु० [स० काशपुन र पलग शव्या कसिपु-पु० [सं० कशिपु] १ पलंग शय्या । २ किया । । अन्न मानसिक श्रम। भात । ४ प्रह्लाद का पिता हिरण्यकशिपु । कसरायत-स्त्री० १ कमी, कसर । २ फसलों को पशुओं द्वारा कसियो-वि०१ कटिबद्ध, सन्नद्ध, तैयार । २ देखी 'कम्मी' । हानि पहुँचाने संबंधी एक प्राचीन सरकारी कर । कसी-स्त्री० १ कसौटी । २ कसौटी का पत्थर । ३ एक प्रकार -वि० कमी रखने वाला । का शस्त्र । ४ देखो 'कस्सी' । -सर्व० १ कैसी । कसरायलौ-वि० (स्त्री० कमरायली) दोष पूर्ण, कसर वाला। २ कौनसी । कसरियो-पु० बढ़ई का एक प्रौजार । कसीजरणौ (बौ)-क्रि० कसैला होना, विकृत होना । कसरी-पु० निशान, चिह्न। कसीनाली-स्त्री० दीवार के सहारे छत का पानी नीचे कसवटी-देखो 'कसौटी'। उतार का नल । कसवरण-पु० [सं० कु+ शकुन] अपशकुन । कसीनाळी-पृ० छत पर बना नाला । कसवर-पु० [सं० कस्वर] द्रव्य, धन, सम्पत्ति । कसवारू-पु० १ कमी। २ प्रभाव । ३ कसर । ४ देरी, विलंब । कसीत (क) . कसीस (क)-पु० १ विधवा स्त्रियों के प्रोढ़ने का वस्त्र । २ एक रंग विशेष । ३ कमीस नामक धातु । कससरणी (बी), कसस्सरणी (बो)-त्रि० १ जोश में एक साथ चलना । २ एक के पागे एक चलने की कोशिश करना। ___ कसीसणी (बी)-क्रि० १ कसा जाना। २ प्रत्यंचा चहाना । ३ आगे बढ़ना। ३ फिसलना। कसांबर (वर)-पु० पीताम्बर वस्त्र, भगवा वस्त्र । कसुबौ-पु० १ पानी में गला हा अफीम । २ लाल रंग । कसा-स्त्री० अभिमान, घमंड । -सर्व० कौनसा । कसुटी-देखो 'कसौटी'। कसाइलो-वि० १ कसैला, दुषित, विकृत । २ निर्धन । कसूण-पु० अपशकुन। -स्त्री० निर्धनावरथा। | कसूणी-वि० अपशकुनी। कसाई-पु० [अ०] १ बधिक, बुचड़ । २ मास का व्यवसाय ! कसू बल-वि० १ लाल । २ लाल रंग का । --पु. १ लाल रंग । करने वाली एक मुस्लिम जाति । -वि. १ कर, निर्दयी। २ लाल रंग का वस्त्र । २ हत्यारा । --- खांनी-पु० बचड़ खाना । वह स्थान जहां कसूबौ (भौ, मौ)-पु० १ वह क्षुप जिममें स लाल रंग निकलता जानवरों को काटा जाता है । -- - वाडौ-पु. कसाइयों का है। २ लाल रंग । ? गला हा अफीम । ४ अफीम । मूहल्ला । एक रंग बिशेष का घोड़ा। -वि० लाल रंग का । For Private And Personal Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कसू भी ( २१४ ) कहको कसूभी-वि० कुसुम के समान लाल । कस्सौ-सर्व० कोनसा । -पु० फीता। कसूमल-देखो 'कसूबल'। कह-पु० [सं० कथ] १ कोलाहल, शोर । २ कल-कल ध्वनि । कसूत-वि० मीधा न चलने वाला। ३ कथा। कसूम-देखो 'कुसुम'। कहक-स्त्री० [सं० कुहक] १ मोर, कोकिल प्रादि की बोली। कसूमल-देखो 'कसूबल'। २ कलरव । ३ कोयल की कूक । ४ बिजली की चमक ।। कसूमो-देखो 'कसूबो। कहकहाट, कहकहो, कहक्कह-पु० [अ० कहकाह] जोर की कसूर-पृ० [अ०] १ अपराध, गुनाह । २ दोष, बुराई। हंसी, ठट्टा। ___३ अवगुण । ४ त्रुटि, कमी। ५ भूल । -वार-वि० | कहड़ौ-वि० (स्त्री० कहड़ी) कैसा। गुनाहगार, अपराधी । कहण-स्त्री० [सं० कथन] १ कहना क्रिया या भाव । २ उक्ति। कसेरु (रू)-पु० [सं० कशेक] १ पीठ के मध्य की हही मेरुदण्ड । ३ वचन, वाक्य । ४ कहावत । ५ वर्णन, निरूपण । २ एक प्रकार का तृण । ३ जल में उत्पन्न होने वाला -सर्व० किस। एक फल विशेष । कहणन-क्रि० वि०१ किसलिये, क्यों। २ कहने के लिए। कसेल-वि० योद्धा, वीर । कहणार-वि० १ कहने वाला । २ कहने योग्य । कसोणी (बी)-क्रि० १ बिछाना । २ कसना । कहणावत-देखो 'कहावत'। कसोभी-वि० अशोभनीय । कहणी-स्त्री० [सं० कथन] १ कहने की क्रिया या भाव । कसोयरी-वि० [सं० कृशोदरी] पतली कमर वाली। २ कहावत । ३ चर्चा, कथनी। कसौ-वि० कैसा । -सर्व० कौनसा । देखो 'कस्सौ'। कहणी-पु० [सं० कथन] १ अपयश । २ डांट-फटकार । कसौटण, कसौटो-स्त्री०१ सोना, चांदी का परीक्षण करने का ३ ग्राज्ञा, प्रादेश । ४ कथन । ५ अनुरोध । पत्थर । २ परख जांच, परीक्षा । ३ कसौटी पर रखने की | कहणी (बौ)-क्रि० [सं०कथनम्] १ बोलकर अपनी बात कहना, क्रिया या भाव । ४ दुःख । ५ कष्ट । बोलना । २ व्यक्त करना, प्रगट करना । ३ उच्चारण कसौटो-पु० [सं० कष्ट] १ कष्ट, दुःख २ संकट । करना। ४ समझाना। ५ कहा-सुनी करना, डांटना । कस्ट-पु० [सं० कष्ट] १ दर्द, पीड़ा, बेदना । २ दुःख ।। ६ सूचना करना, खबर देना । ७ पुकारना । ८ बहकाना, ३ श्राफत, संकट, विपनि । ३ अड़चन, कठिनाई। ५ पाप । भूलाना। ६ दुष्टता । ७ तकलीफ, परिश्रम । कहत-पु० [अ० कहत] १ दुभिक्ष, अकाल । २ प्रभाव, कमी, कस्टणी (बी), कस्टीजरणों (बौ)-क्रि० १ कष्ट से पीड़ित होना। किल्लत। २ प्रमव पीड़ा से ग्रस्त होना। ३ आफत या कठिनाई | कहनाण-पु० [सं० कथन] कहने योग्य बात, शब्द, कथन । में पड़ना। कहबत-देखो 'कहावत'। कस्टी-वि० [सं० कष्ट] दुःखी, पीडित । कहर--पु० [अ० कह] १ प्रलय । २ घोर विपत्ति, संकट । कस्तूरियो-देखो 'बमतूरियो । ३ रीढ़ की हड्डी । ४ दर्द, कष्ट । ५ बज्राघात । ६ युद्ध । कस्तूरी-देखो ‘कमतूरी'। ७ क्रोध, कोप । ८ विष, जहर । . गेब, प्रभाव । कस्तो-देखो 'कमतौ'। १० तलवार । ११ शत्रु, दुश्मन । १२ भिक्ष, अकाल । कस्मल-वि• गंदा, मैला, घृणित । १३ कुप्रा । १४ नक्कारा-वाद्य । १५ भय, प्रातंक । कस्यप-पृ० सं० कश्यप, १ कछुपा । २ दिति र अदिति के १६ जोशपूर्ण ध्वनि, गरजन। १७ सातवीं बार उलट कर पति एक ऋषि । ३ देखो 'कसिपु' । बनाया गया शराब । १८ देवी विपत्ति । १९ अमानुषिक -प्रात्मज, सुत सुतन-पु० सूर्य । गरुड । कार्य । २० अत्याचार । २१ मौत, मत्यु । --वि०१ भयानक, कस्स--१ देखो 'कस' । २ देखी 'कमर' । भयावह । २ जबरदस्त । ३ महान् । ४ अत्यधिक, बहुत । कस्सरण-देखो 'कसण। ५ तीव्र, तेज । ६ उग्र । ७ दुष्ट । ८ नीच अोछा । कस्सरणी (बी)-देखो 'कसणी' (बी)। कहरवा-स्त्री० १ एक ताल विशेष । २ एक पत्र विशेष । कस्सी-स्त्री. १ एक प्रकार की खुरपी जिममे फसल के साथ उगे कहरी-पु. एक प्रकार का घोड़ा । घास को माफ किया जाता है। बधियाकरण (बल कहवत-देखो 'कहावत'। आदि)। : देखो 'कमी'। | कहवी-पु० [अ० कहवा] एक वृक्ष विशेष का बीज । For Private And Personal Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कहाणी ( २१५ ) कांचरणो कहाणी (नी)-स्त्री० [सं० कथानिका] १ कोई किस्सा, | कांकड़ेल-बि०१ सरहद पर रहने वाला । २ योद्धा, वीर । आख्यायिका । २ कथा, वार्ता । ३ गल्प, मन गढंत बात । कांकरण-पु०सं० कंकण] १ कंगन, कंकरण । २ विवाह के समय ४ काल्पनिक कथा। वर-वधू के हाथ-पावों में बांधे जाने वाले मांगलिक सूत्र । कहारेक (रेके)-क्रि० वि० १ कभी । २ कभी न कभी। ३ युद्ध । ---डोर, डोरड़ी, डोरणौ-पु० विवाह संबंधी कहार (क)-पु० १ पानी भरने व पालकी उठाने का व्यवसाय मांगलिक सुत्र । -छोड़, छोड़णी-पु. एक वैवाहिक रश्म । करने वाली जाति । २ उक्त जाति का व्यक्ति। ३ बोझा | कांकरणस. कांकरिणयौ-पू० स्त्रियों की चोटी में गुथी जाने वाली उठाने वाला। ___ऊन की डोरी। कहाव, कहावत (ति, ती)-स्त्री० १ लोकोक्ति, उक्ति । २ संदेश कांकरणी-स्त्री० हाथ की कलाई का प्राभूषण । कंगन । खबर । ३ वचन, शब्द, कथन । ४ अपयश, कलंक। कांकर-स्त्री० [सं० कर्कर] १ छोटे-छोटे कंकरों का समूह जो ५ प्रचलित बात। इमारत की छत, प्रांगन आदि में काम आता है । २ छोटा कहि-सर्व० १ किस । २ कोई। कंकड़ । ३ कंकरीली भूमि । ४ एक झाड़ीनुमा पौधा जिसके कहिके (क)-सर्व किसी। फल मीठे होते हैं। -क्रि० वि० कैसे, किस तरह । कहिणी-स्त्री० कथनी। कांकरड़ी, कांकरी-देखो 'कांकर' । देखो 'कांकरण' । कहिम-प्रव्य० चाहे। | कांकरौ-देखो 'कंकड़े। कहियो-पु० कहना, प्राज्ञा, प्रादेश । कांकळ-पु० [सं० किंकल] १ युद्ध । २ सरहद । ३ देखो 'कांकड। कहिर-पु० [सं० कंधरा] १ गर्दन । २ कंधा । ३ देखो 'कहर'। कांकी, कांक-सर्व० किसकी, किसके । कही-सर्व० १ कोई । २ किसी। कांख-स्त्री० [सं० कक्षः] १ बगल, कांख । २ पार्श्व । कही-क्रि० वि० कहां । कांगड़ारीराय-स्त्री० ज्वालामुखी देवी। कहीक-सर्व०किसी। कांगड़ी-पु. १ पश्चिमी हिमालय का एक प्रदेश । २ मटमले कहीका-क्रि० वि० कहीं। रंग का एक पक्षी। कही-अव्य० किमी। कांगरणी-स्त्री० १ माल कांगरणी । २ एक प्रकार का कदन्न । कहीय-क्रि० वि० कभी। कांगणी-देखो 'कांकरण'। कहीयौ-पु० कथन, कहना, प्राज्ञा, प्रादेश । कांगरि-देखो 'कांगरौ। कहुं (हूँ)-क्रि० वि० कहीं-कहीं। कहीं पर । कांगरु (देस)-देखो 'कामरूप' । कहुकरणौ (बौ), कहकरणौ (बौ)-क्रि० १ कोयल का बोलना। कांगरौ-पृ० [फा० कंगूर १ बुज। २ कंगुरा । २ पक्षियों का कूजन करना। ३ ऊंट का बोलना। कहूको-देखो 'कुहुक'। कांगळ-देखो 'कागज' । कहूर-पु० मोठ, ग्वार ग्रादि के फल । कांगसियो-पु. १ कंघा । २ एक राजस्थानी लोकगीत । कहेण-पु० [सं० कथन] कथन । कांगसी-स्त्री० [सं० कंकती स्त्रियों के केश संवारने की कंघी । का-ग्रव्य. १ का, के ग्रादि संयोजक अव्यय । २ क्या, कैसे। कांगाई-स्त्री०१दरिद्रता, कंगाली । २ याचकना । ३ नीचता। -सर्व० ३ क्यों, किसलिए । ४ बुरा स्वभाव । ५ झगड़ा । काइ (क)-सर्व० [सं० किम्] क्या। -क्रि० वि० क्यों, कैसे । | कांगारोळी, कांगीरोळी-पु०१ झगड़ा, फिसाद । २ तू-तू-मैं-मैं । -वि० कुछ, कुछेक, तनिक । ३ कलह । काहरणी-स्त्री. प्लेग की गांठ । कांगी-देखो 'कांगसी'। कांडणी-पू०१ संधिस्थलों पर पड़ने वाली मोच । २ तराजू | कांगरी-देखो 'कांगरौ'। ___ या पतंग का कोना। कांगो-वि० (स्त्री० कांगी) १ कंगाल, निर्धन । २ याचक । काई (क)-देखो 'काइक'। ३ बुरे स्वभाववाला। कांऊ-स्त्री० कौवे के बोलने का शब्द, कौवे की पावाज। कांच-स्त्री० [सं० कक्ष) १ देन्द्रिय का भीतरी भाग । २ देखो कांक-१ देखो 'कंक' । २ देखो 'कांख'। । 'काच । कांकड़-पु० [सं० कंकट] १ जंगल, वन । २ कृषि भूमि, खेत कांचरणौ (बी)-क्रि० अधिक कब्जियत की दशा में शौच जाने के __ प्रादि । : मीमा, सरहद । ४ क्षेत्रफल । लिये जोर लगाना, कामना । For Private And Personal Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काचळ कांत कांचळ, कांचळियौ-देखो 'कांचळी' । कांठायत-वि० १ नदी किनारे रहने वाला। २ अरावली पहाड़ कांचळाचळ-पु० सुमेरुपर्वत । __ का निवासी । ३ लुटेरा। कांचळपंथ-पु० वाम मार्ग का एक भेद। कांठ-क्रि० वि० नजदीक, पास । कांचळी (ळी), कांचव (उ, वो)-स्त्री० [सं० कंचुक] १ सर्पादि | कांठलियौ-पु० १ पहाड के पास रहकर प्लूट-पाट का कार्य करने के शरीर पर होने वाली झिल्ली, केचुल । २ स्त्रियों की वाला व्यक्ति । २ देखो कांठायत' । कंचुकी । कांठौ-पु० १ सीमा,सरहद । २ किनारा,तट । -क्रि०वि० समीप, कांचि, कांची-स्त्री. १ कर्धनी,मेखला । २ कौया । ३ सप्तरियों पास, निकट । ___में से एक । -पद-पु. कमर, कटि । कांड (डौ)-पु० [सं० काण्डम् ] १ भाग, अंश । २ किसी ग्रंथ कांनु (यो) कांचू-पु० [सं० कंचुक | कंचुकी। का अध्याय, परिच्छेद । ३ दुर्घटना, घटना । ४ धनुष के कांची-पु. कौमा। बीच का मोटा भाग । ५ तीर, बाण । ६ हाथ या पांव की कांछा-स्त्री० [सं० कांक्षा] १ इच्छा, अभिलाषा,चाह । २ लोभ । सीधी लंबी हड्डी। -वि० कुत्सित, दुरा ।-पट-पु० कांजर, कांजरियो-पु. (स्त्री० कांजरी) कंजर जाति का व्यकि। यवनिका, पर्दा। कांजिक, कांजी-स्त्री० [सं० काजिकम् | एक हाजमेदार पेय कांडी, कांडीरय-पु० [सं० कांडीर:] १ भील । २ धनुष । पदार्थ । -वि० धनुर्धारी। कांजीवड़ी-पु० एक देशी खेल। कारण (रिंग)-स्त्री० [सं० कारण] १ इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । कांझर-वि० नीच। २ शर्म, लिहाज । ३ मर्यादा । ४ तराजू के संतुलन का कांट-स्त्री० [सं०कंटक] १ घास के महीन कांटे। २ ग्वार, मोठ अन्तर । ५ महत्व, बडाई । ६ मृत प्राणी के परिवार वालों ग्रादि का भूमा । ३ कांटों के टुकड़े व ढेर । को दी जाने वाली सांत्वना । ७ कानापन । ८ संकोच । ---कंटोलौ वि० कांटेदार । -कांटाळो, किंटाळी-वि० ९ सीमा, हद । १० फलों का एक रोग । ११ अट्ठाईस कांटेदार, कांटों से परिपूर्ण । योगों में से एक । १२ देखो 'कांणा' । -क्रि०वि० लिये, कांटरखी-स्त्री० जूती, पगरक्षिका। वास्ते। -कुरब-स्त्री० मान, प्रतिष्ठा । कांटाळ, (ळौ)–पु० [सं० कंटक] १ कांटेदार घास जिसे ऊंट कारोटौ, कारणोटौ-देखो 'कांगेठी' । खाता है । २ सिंह ३ सर्प, बिच्छु आदि । ४ वीर, योद्धा। कारगण-पु० [सं० कानन] वन, जंगल । --रांग, राव-पु० -वि० कांटेदार, कंटोला । सिंह, शेर । कांटावेड़-पु० कांटेदार पाहता वाला मकान । कांगम-स्त्री० तराजू के संतुलन का अंतर । काटियो-पु० १ लोहे का एक हुकदार उपकरण । २ हंसिया । ३ हंमली की हड्डी। ४ हृदय, दिल । ५ कफन । कांरिण-देखो 'कांण'। कांटी-स्त्री. १ भूमि पर छितराने वाला कांटेदार घास । कांगियर-पु० १ कणेर । २ कनक चम्पा। २ छोटा तराजू । ३ कांटों का समूह । -वि० ममान, काणी-देखो 'कहांगी'। सदृश । काणीदीवाळी-स्त्री० दीपावली का पूर्व दिवम । कांटो-पु० [सं० कटक] १ पेड़ या घास का कांटा । २ लोहे का कारगेटौ, कांसोटो-पु० मध्य का दांत । नकीला सण्ड । ३ अंकुश । ४ अंकुड़ा : ५ विषैले जीव । कांगौ-वि० [सं० काग] (स्त्री० कारणी) १ एक नेत्र वाला, ६ विच्छ का डंक । ७ बड़ा तराजू । ८ स्त्रियों के नाक का एकाक्षी । २ कीड़े पड़ा हुआ (फल)। -पु. १ शुक्राचार्य । याभूषण । ६ स्वर्णकारों का प्रौजार विशेष । १० बाधा। २ कौमा। -घूघट, घूघटौ-पु० दो अंगुलियों को बीच ११ शूल । १२ कष्ट,पीड़ा। १३ राक्षस । -वि० १ बाधक । में डाल कर बनाई जाने वाली धुघट की स्थिति जिसमें २ दुःखदाई तत्व । ३ प्राततायी, दुष्ट । --काढ़रिणयौ, केवल एक प्रांख खुली रहती है। ---सूकर-पु. शुक्राचार्य । काढ़णी-पु. बारीक कांटा निकालने का उपकरण । कांण्हडी-पु० [प्रा. कण्ह] १ श्रीकृष्ण । २ क गग विशेष । कां'टौ-पु० १ दरवाजे की कुडी । २ अातुरता । ! कांत-पु० [सं० कांत (स्त्री० कांता) १ पति, प्रियतम । कांठळ (ळि, ळी)-स्त्री० काली घन घटा। २ आशिक । ३ पक्षी विशेष । -वि०१ मुन्दर, मनोहर । काठलियो, कांठळी-पु० १ गले का आभषण, कंटा। २ हाथी २ प्रिय, प्यारा । ३ इष्ट । ४ देखो 'कांनि' । --मरिण-विर के कट का आभूषण। ग्या, मफेद। -लोह ० बढ़िया लोहा । For Private And Personal Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कांतर ( २१७ ) कापरणो कांतर-पु० वरुण । कांनलौ-वि० (स्त्री० कानली) ओर की, तरफ की। कांता-स्त्री० [सं०] १ पत्नी, प्रिया । २ सुन्दर स्त्री। कांनवौ, कांनव्हौ-पु० श्रीकृष्ण । ३ प्रियंगुबेल । ४ बड़ी इलायची । ५ पृथ्वी । -वि० सुन्दरी। कानस-स्त्री० १ अर्द्ध वृत्ताकार प्राकृति । २ लोहा साफ करने कांतार-पु० [सं०] १ सघन-वन, महावन । २ निर्जन वन । का औजार । ३ दीवार का कंगुरा । ३ ऊबड़-खाबड़ सड़क या रास्ता । ४ गड्ढ़ा । ५ एक | कानसळाई (सळायौ)-पु० कनखजूरा नामक जानवर । प्रकार का ईख । कांनाकड़मत-स्त्री० पा की मात्रा । कांति, कांती-स्त्री० [सं० कांति] १ आभा, चमक, दीप्ति । कानाफूसी-स्त्री० १ गुप्तगू । २ गुप्त वार्ता, ३ फुसफुसाहट । २ प्रकाश, रोशनी । ३ यश, कीर्ति । ४ सौंदर्य, मनोहरता। कांनामात (मात्रा)-स्त्री० १ वर्ण के प्रागे की खड़ी पाई ॥' । ५ कामना, इच्छा । ६ सुन्दर स्त्री । ७ दुर्गा की एक | २ आ की मात्रा। उपाधि । ८ रुक्मिणी की एक सखी। कांनिया, कांनी-क्रि० वि० ओर, तरफ । स्त्री० किनारा, छोर । कांतेर (रण)-स्त्री० कंटीली-झाड़ी। कांनियौ, कानुड़ौ, (डौ) कानू-पु०१श्रीकृष्ण । २ किनारा, छोर। कांथड़ी-स्त्री० [सं० कथा] संन्यासियों की कथड़ी, झोला। ३ पृथकत्व, अलगाव । ४ देखो 'कांनी'। कांबसीक-वि० [सं० कान्दिशीक] भयभीत । कांनूगो-पु. १ जमीन-बन्दोबस्त-विभाग का कर्मचारी । कांदियौ-देखो 'कांधियो'। २ कानून का जानकार । कांदौ-पु० [सं० कंद] १ प्याज। २ देखो 'कांधौ' । कानूडी (डौ)-पु. श्रीकृष्ण । कांध-स्त्री० [सं० स्कंध] १ कंधा । २ वयान या अर्थी को | दिया जाने वाला कंधा । --मल-वि. वीर, योदा। कानून-पु० [अ० कानून] १ राज्य का विधान, नियम । सहायक । । २ न्याय की विधि । कांधार-देखो 'गंधार'। कांन-क्रि० वि० १ तरफ, ओर । २ पास, नजदीक । ३ दूर, कांधाळ-वि० १ बड़े कंधों वाला । २ वीर । दूरी पर। कांधियो-वि० [सं० स्काधिक] शवयान को कंधों पर उठा कर कांनो-पु. १ 'पा' की मात्रा का चिह्न। २ बर्तन का किनारा । श्मशान ले जाने वाला। ३ पाव, बगल । ४ किनारा । ५ तटस्थता। ६ श्रीकृष्ण । कांधी-स्त्री० [सं० स्कंध] १ बैल की गर्दन जहां जूमा रक्खा | ७ पगड़ी का एक प्रकार का बंधन जिसका बायां भाग जाता है । २ इस स्थान पर होने वाला रोग । ३ कंधा। नुकीला होता था। -वि० अलग, दूर, पृथक । कांघेलो, कांधोटो-पु०१ सर्दी से बचाव के लिए घोड़े को कान्यकुबज-पू०१ कन्नौज के पास-पास का प्रदेश । २ इस स्थान पोढ़ाया जाने वाला वस्त्र । २ कंधे का सहारा । __ के ब्राह्मण। कांधोधर-वि० १ बड़े कंधों वाला । २ वीर, योद्धा । कान्ह.-१ देखो, 'कन्ह' । २ देखो 'कांनगाय' । कांधौ-पु० [सं० स्कंध] कंधा । कान्ह (हु)-देखो 'कन्ह' । कांन-पू० [सं० कर्ण] १ श्रवणेन्द्रिय, कर्ण, कान । २ बन्दूक | कान्हड़ी-स्त्री. दीपक राग की स्त्री एक राग । की नली पर टोपी रखने का स्थान । [सं०कृष्ण प्रा०काह] | कान्हडो-पु. १ एक राग जो मेघराग का पुत्र माना जाता है। ३ श्रीकृष्ण । ४ देखो 'कान्ह'। -कुचरणियो, कुरेदणी २ कान, कर्ण । ३ देखो 'कन्ह' । --पु० कानों का मैल साफ करने का उपकरण । -खजूरी -पु० अत्यधिक पांवों वाला रेंगने वाला जानवर । -गाय कान्हरी, कान्हौ-पु० १ श्रीकृष्ण। २ कृष्ण का वंशज । -स्त्री० कान्ह गाय । बांझ गाय । -वि० कायर, डरपोक ।। ३ यादव । -झड़-स्त्री० सुनकर याद की गई कविता । -वि. कान्ही, कान्है-क्रि० वि० १ ओर, तरफ । २ पास, निकट । श्रुतिनिष्ठ। -पसाव-पु. कर्णगोचर। ---फाइ-पू० नाथ | कान्हू, कान्ही-पु०१ श्रीकृष्ण । २ 'पा' की मात्रा । सम्प्रदाय का कनफड़ा योगी। कांप-स्त्री० तालाब आदि का पानी सूखने पर जमने कानड़ (डो), कानजी-पु० [सं०कृष्ण] १ श्रीकृष्ण। २ ईश्वर।। वाली पपड़ी। ३ देखो 'कान्हड़ो' । ४ देखो 'कान' । | कापणी-स्त्री० १ कंपकंपी । २ एक वात रोग । कानन-पु० [सं०कानन] वन, जंगल ! -चारी-वि० बनवासी। कापणी (बौ)-क्रि० १ कांपना, थर्राना । २ डरना, घबराना । ऋषि, मुनि । -भ्रखी-स्त्री० हरिणी। ३ रोग से धूजना। For Private And Personal Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कांब (२१८ ) कांब (डी)-स्त्री० [सं० कंबा] १ हरे वृक्ष की डाली। स्त्री० सलमे-सतारे के बने बेल बूटे । -दा-स्त्री० २ छड़ी, बेंत । कामधेनु । ---दुधा, दुहा-स्त्री० कामधेनु । -देव-पु० रति कांबड़-पु. चमार जाति का याचक । क्रिया की प्रेरणा देने वाला एक देवता । -धंधी-पु० कांबड़ी-पृ० कपड़ा धोने की लकड़ो। व्यवसाय, रोजगार । -धज-पु. काम के रथ की ध्वजा, पताका, मछली । -धनि-स्त्री० कामधेनु । --धरम-पु० कांबळ, कांबळियौ, कांबळी-देखो 'कंबळ' । विषय-वासना, रतिक्रिया । -धीठ-स्त्री० नयन, नेत्र । कांबी-स्त्री० स्त्रियों का प्राभूषण विशेष । -धुक, पेन घेनि, धेनु. घेनुका-स्त्री० कामधेनु गाय । -पाळ कांबोजणी (बौ)-क्रि० १ पशुनों के पेट में ऐंठन होना । -पु० बलराम । श्रीकृष्ण । -बांग-पु. कामदेव के पांच २ मादा पशुओं को प्रबल कामेच्छा होना । बाण । -भुरुह-पु० कल्पवृक्ष । --रिपु-पु० शिव, कांबोज-पु० [सं०] १ घोड़ा । २ कंबोज देश का । महादेव । --रुचि-पु० विश्वामित्र द्वारा रचित एक ३ देखो 'कंबोज'। शस्त्र । -रूप-पु० देवता । -रूपी-वि० स्वेच्छित रूप कांबोजौ-पु० काबोज देश का घोड़ा। धारने वाला । -लता-स्त्री० एक लना विशेष। -वन कांम-पु० [सं० काम] १ कामदेव । २ शिव, महादेव । -पु. वह वन जहां कामदेव को भस्म को किया गया। ३ मैथुनेच्छा । ४ मनोरथ, इच्छा। ५ इन्द्रियों की स्व. -वांन, बाळ-वि० विषयी, कामी। -वच्छ-पु० कल्पवृक्ष । विषयों की ओर प्रवृति । ६ स्नेह, प्रेम । ७ चार पदार्थों ---सखा-पु० वसंत ऋतु । -सास्त्र-पु० कोक शास्त्र । में से एक । ८ पाशा, अभिलाषा । ९ बलराम । १० प्रद्युम्न -सुत-पु० अनिरुद्ध । कांमखांनी-पु. क्यामखानी जाति व इस जाति का व्यक्ति । का नाम । ११ पुरुषार्थ विशेष । १२ अभीष्ट वस्तु । कामगर-देखो 'कमगर'। १३ वीर्य । १४ विष्णु । १५ तृष्णा । [सं० कम | १६ कार्य, कामड़, कामड़ियो-पु० रामदेव का भक्त चमार जाति का व्यक्ति व्यापार, कर्म । १७ प्रयोजन उद्देश्य । १८ स्वार्थ, मतलब। | १९ वास्ता, गरज. लगाव । २० व्यवहार, उपयोग, जो तंदूरे पर रामदेव के भजन गाता है । कांमड़ी-स्त्री०१ छड़ी। २ कामड़ जाति की स्त्री। –कसी इस्तेमाल । २१ रोजगार, धंधा । २२ रचना, कारीगरी। २३ बेल बूटे आदि नक्काशी का कार्य । २४ पदवी। -पु. छड़ी प्रहार से चलने वाला ऊंट । २५ बादल । २६ पृथ्वी। २७ यथेष्ट वार्ता । २८ स्वीकृति। कांमठ-पु० धनुष। कांमठड़ी, कांमठो-देखो 'कांमड़ी' । २६ छड़ी । -वि० १ काला । २ देखो 'कांमणी' । कामठियौ-पु. १ कमठावतार । २ कच्छप । ३ देखो 'कांमठ' । -अंकुर, अंकूर-पु० कुच, स्तन । नख । पुरुषेन्द्रिय । -अंध-स्त्री० कोकिल । -वि. वासना में अंधा । कांमठो-पु० १ धनुष का चन्द्राकार होने वाला भाग । -~-अंधा, अंधी-स्त्री० कस्तूरी । कामातुर स्त्री । २ देखो 'कांमठ'। --पातुर-वि० मैथुन के लिए व्याकुल । -कला-स्त्री. कांमण-स्त्री० [सं० कार्मण] १ शीतल हवा । २ वशीकरण कामदेव की स्त्री, रति । संभोग क्रिया । –कांता-स्त्री. मंत्र, जादू टोना । ३ एक राजस्थानी लोक गीत । कामदेव की स्त्री रति ।-कांमा-स्त्री. भवानी, दुर्गा । ४ पार्द्रता, नमी। ५ देखो 'कांमणी'। --गर, गारो-वि० का-स्त्री० कामिनी स्त्री। –काळ-पु. शिव, महादेव । वशीभूत करने वाला। -हार-वि० जादूगर । ...-की-स्त्री० वेश्या, गणिका । स्त्री, नारी। ---केळि-स्त्री० कांमरिण (रणी)-स्त्री० [सं० कामिनी] १ सुन्दर स्त्री। २ प्यार रति क्रिया, मैथुन । -केळू-वि० विषयी, भोगी । करने वाली स्त्री। ३ स्त्री, औरत । ४ डरपोक स्त्री। ---कौतूहळ-पु० रति क्रीडा, संभोग । -ख-पु० पति, ५ मदिरा, शराब । ६ युवती । ७ मालकोश की एक खाविंद । -गवी, गा-स्त्री. कामधेनु गाय । रागिनी । ----मोहरणा-स्त्री० बीस मात्रा का एक छंद । ---चलाऊ-वि० तत्कालीन कार्य साधने योग्य, अस्थाई। कामदार-वि० [अ० कामदार] बेल तूटे आदि नक्काशी के -----चोर-वि० आलसी। कार्य से जी चुराने वाला। काम से युक्त, नक्काशीदार । -पु०१ जागीर या किसी बड़ी ----छंद-पु. एक वणिक छन्द विशेष । ---जुर ज्वर जायदाद का प्रबंधक । २ प्रमुख कर्मचारी । -----पु० कामेच्छा के कारण होने वाला ज्वर । कामना-स्त्री० [सं०कामना] १ इच्छा, अभिलाषा । २ मनोरथ । --तर, तरु-पु. कल्पवृक्ष । --तिथ-स्त्री० त्रयोदशी। कामनि (नी)-देखो 'कांमणी' । ~द-वि० इच्छा पूर्ण करने वाला। -दम, बमरणी-स्त्री० । कामरू-स्त्री० अासाम की एक देवी । ---देस-पु० पासाम का मणि विशेष । . --दहरण-पू० शिव, महादेव । --दांनी- प्राचीन नाम । For Private And Personal Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कांमळ ( २१९ ) कांमळ-देखो 'कंबळ'। कायगौ-पु. १ रहट की माल की एक लकड़ी । २ देखो 'कंघी'। कांमळा-स्त्री० एक वणिक छंद विशेष । कायरणो-देखो 'कांइगो'। कामळियौ, कामळी, कामळो-पु० [सं० कंबलः, कामला] कायरौ-सर्व० १ क्या। २ किसका । ३ काहेका । १ ऊनी वस्त्र, कम्बल । २ रक्त विकृति का रोग विशेष । | कांव-स्त्री० पतली-लंबी टहनी।। ३ एक बड़ा वृक्ष । ४ एक अन्य प्रकार का वृक्ष । कांवर-१ देखो 'कंवर' । २ 'काबर'। कांमवल्ली-देखो 'कांमलता'। कांवळी-स्त्री० चील। कांमही-स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी । कांवळी-पु. (स्त्री०कांवली) १ गिद्ध जाति का एक सफेद पक्षी। कांमांग-पु० [सं० काम-अंग] आम वृक्ष । २ कोया। कामाक्षी, कामाखी-स्त्री० [सं० कामाक्षी] १ आसाम की एक | कांस-पु० [सं० काश] १ एक प्रकार की घास । २ कंस । देवी । २ दुर्गा। कांसी-स्त्री० [सं० कांस्य एक प्रकार का मिश्र धातु । कांमागनि, (नी, ग्नि, ग्नी)-स्त्री० [सं० काम+अग्नि काम | कांसु, कांसू-क्रि० वि० कैसे। -सर्व० १ किससे । २ कौनसा । की ज्वाला। ३ क्या। कामातुर-वि० [सं० काम+पातुर] रतिक्रीड़ा के लिये व्याकुल । | कांसखीज-स्त्री० बिजली, विद्य त । कांमारि-पु. [सं० काम+अरि] शिव, महादेव । कांसौ-पु०१ भोजन परोसा हुआ थाल । २ आमंत्रित व्यक्ति के कांमि-देखो 'कामी'। न पाने पर उसके घर भेजा जाने वाला भोजन का थाल । कांमिण, (रणी, नी,)--देखो 'कांमणी' । ३ भोजन का प्रश । [सं० कांस्य] ४ कांसी का पात्र । कांमित-वि० इच्छित । [फा० कासः] ५ दरियाई नारियल का बना फकीरों का कामियो, कामी, कामुक-वि० [सं० कामी, कामुक] १ कामुक, भीख मांग ने का पात्र । खप्पर । विषय-लोलुप। २ व्यभिचारी, लंपट । ३ रसिक अय्याश। | कांहि, कांहिक-क्रि० वि० १ कसे । २ क्योंकर । -वि० कुछ, ४ प्रेमी । ५ इच्छुक,अभिलाषी, कामना करने वाला । -पु० कुछेक । [सं० कामुकः] १ चकवा । २ कबूतर। ३ चन्द्रमा । कांहिणनू-क्रि० वि० किसलिये । ४ सारस । ५ पति। ६ एक शुभ लक्षण का घोड़ा। कांही-वि० कुछ। कहीं। -सर्व० क्या। किसी। ७ बादल । का-पु०१ शेषनारा । २ रथ। ३ दिन । ४ प्रकाश । ५ निरादर । कांमु (को)-स्त्री० १ छिनाल या अय्याश औरत । २ एक वन ६ पृथ्वी। -वि० १ अल्प । २ कायर। -सर्व०१ क्या। का नाम। २ कोई। ३ कुछ । -अव्य० या, अथवा । -प्रत्य० षष्ठि कांमू-वि० १ उपयोगी । २ उपयोग के लिये महत्वपूर्ण। | विभक्ति का चिह्न । ३ अधिक कार्य वाला। ४ कार्य कुशल । ५ विषयी, कामी। काअंतार-देखो 'कांतार'। ६ गर्भ धारण करने वाली गाय । ७ देखो 'काम' । काउंति (ती)-देखो 'कांति' । कामेडो-वि० कार्य करने वाला। कार-देखो 'कायर'। कांमेत, कामेती, कांमैती-पु० (स्त्री० कांमेतण) कामदार, काइ-सर्व० १ कुछ । २ क्यों। ३ कोई । ४ अन्य । ५ क्या । प्रधान कार्य कर्ता। काइक-१ देखो 'कांइक' । २ देखो 'कोई'। कांमेतण-वि०प्रियतमा ।। काइब-देखो 'काव्य'। कामोद-पु. १ विष्ण । २ मालकोश का पुत्र एक राग। काइम-देखो 'कायम'। ३ चांदी, रूपा । ४ देखो 'कमोदणी'। काइमी-स्त्री० १ कमजोरी, अशक्तता । २ चक्कर, घबराहट । कामोद्दीपण, (पन)-वि० [सं० काम+उद्दीपन] कामेच्छा को | काइमौ (म्मौ)-पु. ईश्वर । -वि० कमजोर । उद्दीप्त करने वाला। काइयरता, काइरता-देखो 'कायरता'। कांमौ-देखो 'कांम'। काइर-देखो ‘कायर'। कांय-स्त्री० १ कौए की बोली। २ एक राजस्थानी खेल। काइरो-१ देखो 'कायरौ'। २ देखो 'कायर'। स्त्री० काइरी)। -क्रि०वि०किसलिये, क्योंकर । २ क्या। ---प्रव्य०-या, काई-स्त्री०१जल में होने वाली बारीक घास । २ पानी का अथवा । -सर्व० १ किम । २ क्यों। ३ कुछ । मैल । ३ मैल, पंक । ४ लील। -वि० १ क्लांत, थकित । कायक-देखो 'काइक'। २ परेशान, तंग। ३ कुछ । -सर्व० कोई । किसी। क्या । कांयगी-देखो 'की' (घी)। -अव्य० या, अथवा। For Private And Personal Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra काउ www. kobatirth.org काउ (ऊ) सर्व० कौन क्या । किस - पु० कौवे की काकी - स्त्री० १ चाची श्रावाज, कांव-कांव । चानियांव ताइयां - पु० चचिया श्वसुर । काउसग (ग्ग ) - पु० [सं० कायोत्सर्ग ] १ शारीरिक व्यापार का त्याग । २ शरीर की ममता का त्याग । (जैन) 1 काक - पु० [सं०] १ कौवा । २ बोतल का डाट । - वि० श्वेत । श्याम कंठ वि० व ६० कंकर कच्चे बेर । - ड़ा पु० कपास के बीज । एक वृक्ष विशेष । -नवी स्त्री० जैसलमेर की एक नदी । काकड़ पु० शुगाल, सियार काकड़ासिपी-स्त्री० [सं० कर्कटी] एक प्रकार की पर जीवी वनस्पति जो काकड़ा वृक्ष पर चढ़कर फैलती है । काकड़ियाँ ५० १ एक प्रकार का सुगंधित पास २ छोटी काकड़ी । ३ कंकर । ( २२० ) काड़ी वी० [सं०] कर्कटी] ककड़ी-फल काकड़ौ पु० १ एक प्रकार का वृक्ष २ एक प्रकार का हिरन ३ कपास का बीज । काकळ - पु० युद्ध, संग्राम । काकाहरी स्त्री० एक झाड़ी विशेष काकस स्त्री० चचेरी सास । काकसरी पु० चचिया श्वसुर । काकांरणी - वि० १ काका के वंशज । २ चचेरा । काका स्त्री. १ मसी २ काकोली । काकाई वि० पचेरा । काकपद पु० [सं०] घंटे हुऐ के लिए प्रयुक्त चिह्न कापुसट - स्त्री० [सं०] काकपुष्ट ] कोयल, कोकिला । काकब- पु० प्रौटा कर गाढ़ा किया हुआा गन्ने का रस । काकवी रवी० [सं०] काकबलि ] श्राद्ध के दिन कौवों को खिलाया जाने वाला भोजन । काकातुप्री- पु० तोते की जाति का एक सफेद पक्षी । काळा स्त्री० [सं० काकालिका] हरड़े। काका पु० [सं०] सफेद घोड़ा। काकडी- पु० गिरगिट काकांस (डी) - स्त्री० [सं० काकबंध्या ] एक संतान के बाद बंध्या होने वाली स्त्री । काकडी - पु० [सं० काकभुशु ंडि ] एक ब्राह्मणं जो लोमश ऋषि के शाप से कौवा हो गये । काकर स्त्री० [सं० कर्कर] १ कपड़ा धोने की सिला। २ कंकर । काकरी- देखो 'कांकरी' । काकरेची स्त्री० एक प्रकार का घोड़ा । २ एक प्रकार का रंग । काफरी-देखो 'कांकरी' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काकुराय (स्त, स्थ) - पु० [सं० काकुस्थ ] १ श्रीरामचन्द । २ एक सूर्यवंशी राजा, ककुस्थ । कुळ- पु० श्रीराम । ० " काकू सर्व किससे किसको । काकोजी पु० चाचा । काकोवर (घर) - पु० [सं० काकोदरः] (स्त्री० काकोदरी) सर्प सप काकोरी पु० छोटा कंकर । काकौ पु० १ पिता का अनुज, चाचा । २ कौवा । का स्त्री० कां विलाय पु० कां का फोड़ा। । - । काय स्त्री० [सं०] कौक्षयक] तलवार | " कोई स्त्री० [सं० कक्षालात] कांख का फोड़ा कंखवार काग - वि० सतर्क, सावधान। देखो 'काक' । देखो 'कागज' । कागड़ी - पु० एक रंग विशेष का घोड़ा । कागज पु० [फा०] सन, बांस, रूई आदि को गला कर बनाया हुमा पदार्थ विशेष जो लिखने व छापने के काम माता है, पत्र । २ चिट्ठी पत्र । ३ समाचार-पत्र । ४ प्रामाणिक दस्तावेज । ५ एक लोक गीत । 1 1 कागजी - वि० १ कागज का कागज संबंधी । २ लिखित | ३ कागज का बना । ४ दिखावटी । नींबू - पु० पतले छिलके का रसदार नींबू । - बादाम-स्त्री० पतले छिलके की बादाम । सबूत पु० लिखित साक्ष्य । कालियो । २ मादा कौवा । —बडियां सामू स्त्री० चचेरी सारा For Private And Personal Use Only - स्त्री० खुसरो प्रमाण । कागवि (दी) - वि० कठोर । कामडोह पु० डौल काक कागरण - पु० १ ज्वार की फसल का एक रोग । २ कागज पत्र । कामली-देखो 'कांगणी' | कागव ( इयौ) - पु० लिखा पढ़ी | कागदीजवान - वि० निर्बल, अशक्त । कागज । कागज की कागनर - पु० अरावली पहाड़ में होने वाला एक पौधा । कागांश, (डी) देखो 'काका' । - वाई-स्त्री० कागभसुंड, (भुसड, भुसुड) - देखो 'काकभुसु'डी' । कागमुखीसंडासी स्त्री०एक प्रकार की संडासी । कागमुखी (मुहौ) - पु० श्रागे से तीखा व लम्बा मकान । - वि० कौवे के मुख के समान । कागर, कागल- देखो 'कागज' । कालियो - पु० [सं० काफलक] १ तालू के पीछे गले में लटकने वाला मांस, गल तुडिका । २ कौवा । ३ बादल का छोटा खण्ड । ४ देखो 'कागज' 1 Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कागळी ( २२१ ) काजळिया कागळी-स्त्री० चिट्ठी-पत्री। --पंचाळ (ळी)-स्त्री० कच्छ और कच्छ के पास का पंचाल कागलौ-पु० [सं० काक] (स्त्री० कागली) कौवा । प्रदेश । उक्त प्रदेशोत्पन्नदेवी। -पाक-वि० जितेन्द्रिय । कागल्यौ-१ देखो 'कागलियो । २ देखो 'कागलौ' । सच्चरित्र । -राय-स्त्री० प्रावड़ देवी का नाम । -वाचूकागवाय (वाव)-पु. ऊंटों का एक रोग । वि० जितेन्द्रिय । कागवौ-पु० बैलगाड़ी की नोक । काछड़, काछड़ियो (डो)-पु. १ गाय का नवजात बछड़ा। कागारोटी-स्त्री० घास विशेष । २ घुटनों तक का पहनावा, कच्छा । कागारोळ (लो)-पु. १ शोरगुल, हुल्लड़ । २ कौवों की कांव | काचरण-स्त्री० कच्छ प्रदेश की घोड़ी। कांव की ध्वनि। काछनी-स्त्री० १ छोटी कच्छी । २ धोती, कछोटा । ३ कटि, कागोळ-स्त्री० श्राद्ध के दिन कौवों को खिलाया जाने कमर। वाला भोजन । | काछब, काछबियौ, काछबौ (वौ)-पु० [सं० कच्छप] १ कच्छप । कागोलड़-पृ० छोटे-छोटे बादल । २ ऊमर कोट का एक राजा । ३ उक्त राजा की प्रशस्ती का कागौ-पु०१ जोधपुर का एक तीर्थ स्थान । २ देखो 'काक'। एक लोक गीत । ४ कच्छप अवतार । काडालो-देखो 'कड़ाह'। | काछिबौ-पु. १ कछुए की पीठ के रंग का घोड़ा । २ देखो काच-पु० [सं० काचः] १ दर्पण, आइना, शीशा । २ एक पार | काछबौ'। दर्शक पदार्थ जो कई काम आता है । ३ जांघ । ४ नेत्रों | काछियौ-पु० कछनी, कच्छा, पुरुषों का छोटा अधोवस्त्र । का एक रोग । ५ मोम । ३ खारी मिट्टी । काछी-वि० कच्छ का, कच्छ संबंधी । -पु० १ घोडा, अश्व । -वि० काला, कृष्ण*। २ कच्छ का घोड़ा । ३ एक जाति विशेष । ४ ऊंट । काचड़कूटी, (गारौ)-वि० (स्त्री० काचड़कूटी (गारी) १ निंदक, -कुरंग-पु० हिरन के रंग का कच्छ का घोड़ा । -कुरियो चुगल खोर । २ बेगारी। ३ किसी कार्य में घास काटने पु० ऊंट । एक लोकगीत । -मंगळ-पु० जामनी रंग वाला। -पु०१ बेमेल वस्तुओं का मिश्रण । २ अव्यवस्थित का घोड़ा। कार्य। काछु, काळू-देखो 'काछ'। काचड़ी-पु० १ निंदा, अपयश । २ चुगली, शिकायत । काछेल-स्त्री० काछेला चारणों की देवी। -वि० कच्छ का । काचबीड़ी-स्त्री० काच के छोटे टुकड़े जड़ी हुई लाख की चूड़ी । | काइला-स्त्री० चारणों की एक जाति । -वि. कच्छ का । काचमय (म)-वि० काच युक्त, काच के योग से बना। काछौ-पु० डिंगल का एक गीत (छंद) विशेष । काचर (रियो, रौ)-पु० १ ककड़ी जाति का छोटा-फल । काज-पु० [सं० कार्य] १ कार्य, काम । २ कर्म, कर्तव्य, २ शोरबेदार मांस । ३ एक प्रकार का शिरोभूषण । व्यवसाय, उद्योग । ३ प्रयोजन, उद्देश्य । ४ सोलह काचळ-वि० १ काच का, काच संबंधी। २ कायर डरपोक । संस्कारों के अन्तर्गत एक । ५ पहिनने के वस्त्रों में बना काची-वि० (स्त्री० काची) १ अपरिपक्व, कच्चा। २ अपूर्ण, बटन का छेद । -क्रि०वि० लिये, वास्ते, निमित्त । अधुरा । ३ अस्थिर । ४ अशक्त, कमजोर । ५ नीच पतित । -किरयावर, किरियावर-पु० सोलह संस्कारों के अन्तर्गत ६ कायर, डरपोक । ७ अनुभवहीन । ८ जो पांच पर न महत्वपूर्ण कार्य । -मैन-पु० मुसलमानों का एक तीर्थ पका हो । ९ असत्य, झूठ । १० निराधार । ११ निकृष्ट । स्थान । १२ अस्थाई। १३ नया। ---कुररी-पू० अच्छी फसल न | काजकिरायवरौ, काजकिरियावरी-वि० श्रेष्ठ कार्य करने में होने वाला वर्ष । कच्चा।। ___यश प्राप्त व्यक्ति । काच्छिलो-वि० १ कच्छ देश का । २ कच्छ संबंधी। पु०१ कच्छ | काजळ-पु० [सं० कज्जल] १ दीपक के धुए की कालिख जो का निवासी। २ कच्छ का चारण। अांख में डाली जाती है, अंजन । २ सुरमा । ३ नील काछ (गि)-स्त्री० [सं० कक्ष] १ जाधों का संधिस्थल । कमल । ४ बादल । ५ एक पर्वत । ६ श्याम रंगी गाय । २ अंडकोश । ३ लंगोट । ४ धोती की लांग । ५ छोटी -वि. काला, श्याम* । ..-कर-पु० दीपक, ज्योति । नेकर, कच्छी । [मं कच्छः] ६ जल के पास की भूमि । -----गिर, गिरि-पु० काला पहाड़। -घलाई-स्त्री० विवाह ७ कच्छ देश । ८ कच्छ की एक देवी । ९ सयणी देवी का संबंधी एक रश्म । -धुजा, ध्वजा-पु० दीपक । एक नाम । १० कच्छ देश का एक घोड़ा। --जती-वि० काळिया (ळी)-वि० काले रंग की, श्याम वर्णी । .-तीजजितेन्द्रिय : चरित्रवान । ...ढ़, बढ़ौ-वि• चरित्रवान ।। स्त्री० भादव कृष्णा ततीया । For Private And Personal Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काळियौ ( २२२ ) कची काजळियौ-पु० काले रंग का वस्त्र। -वि. काले रंग का । -भ्रमरणी-स्त्री० काठ चकरी । –सेडी, सेढ़ी-स्त्री० काजळी-स्त्री. १ काली घटा । २ काजलियातीज । कठोर स्तनों वाली गाय या भैंस । काजी-पु० [अ०] १ न्यायकर्ता, मुंसिफ । २ निकाह पढ़ने | काठडियो-प० भैस का बच्चा। वाला । ३ उपदेश देने वाला। काठमांडू-पु० [सं० काष्ठ-मण्डप] १ नेपाल की राजधानी का काजू-पु० एक प्रकार का सूखा मेवा ।। नगर । २ लकड़ी का मण्डप । काजे, (ज)-क्रि० वि० लिए, वास्ते । | काठा-स्त्री० १ बादाम की एक किस्म । २ गेहूं की एक किस्म । काट-पु० [सं० किट्ट] १ लोहे का मैल, जंग । २ कलंक, दोष ।। ३ ढोलियों की एक शाखा । ३ दाग । ४ दुर्गुण, ऐब । ५ विरोध । ६ निंदा । ७ वैर । ८ कपट, छल । ९ पाप । १० क्रोध । ११ खण्डन । काठि (मारण, मारणी)- पु० १ काठियावाड की एक जाति । काटने की क्रिया या भाव । १३ कमी । १४ ताश के २ घोड़ा। -वि० काठियावाड़ का, काठियावाड़ संबंधी। खेल में तुरुप का रंग -क-वि० क्रोधी, उग्र । शक्तिशाली। काठिया-पु० [सं०कष्टिक] १ जिस कारण से जीव हित का कार्य काटक-वि० १ जबरदस्त, शक्तिशाली। २ देखो 'कटक' । न कर सके। २ बिना सिंचाई के होने वाले लाल गेहूं । काटकड़ी-स्त्री० कटाकट की ध्वनि । काठियावाड़-पु० १ गुजरात का एक प्रदेश । २ घोड़ा। काटकरणौ (बी)-क्रि० १ क्रोध करना । २ आक्रामक होकर काठियावाड़ी-वि० काठियावाड़ संबंधी । -पु० १ उक्त प्रदेश का आना । ३ कड़कना। घोड़ा। २ उक्त प्रदेश का निवासी। काटकि (को)-स्त्री० विद्युत, बिजली। काठी-स्त्री० १ घोड़े का चारजामा, जीन। २ लकड़ियों का काटकूटौ-पु० मार-काट । ध्वंस, विनाश । गट्टर, भारी । ३ शरीर का गठन । ४ लकड़हारा । काटण-स्त्री० १ काटने की क्रिया या भाव । २ काटने का | औजार । -वि० १ काटने वाला । २ नीच, दुष्ट । ५ म्यान । ६ एक जाति । ७ एक राजपूत वंश । ८ काठियावाड़ का घोड़ा। -वि० १ सख्त । २ कंजूस काटणी (बौ)-क्रि० [सं० कर्तन] १ किसी औजार या कैंची से ३ कठोर हृदय । ४ दृढ़, मजबूत । ५ काठियावाड़ का । काटना, कतरना । २ काट-छांट करना, कमी बेशी करना। काठीनी (यौ)-पु० [सं० कष्ठिक प्रा. कठ्ठिन] द्वारपाल । ३ लिखावट पर कलम फेरना । ४ खण्डित करना।। -वि० जीव के हितकारी कार्य में विघ्न डालने वाला। ५ पीसना । ६ रगड़ना । ७ निकालना, हटाना । ८ विछिन्न करना । ९ घाव करना । १० डंक मारना । ११ डसना । काठेड़ो, काठौड़यो-पु० १ नवजात भैसा । २ जयपुर राज्यान्तर्गत १२ विभाजन करना । १३ फाड़ना । १४ रद्द करना। | एक प्रदेश । काटळ-वि० १ जंग लगा हुआ । मुरचा युक्त । २ कपटी। | काठोड़ो-देखो 'काठी' (स्त्री० काठोड़ी) । ३ नीच दुष्ट । काठोतरी-पु० आटा गूदने का काष्ठ का पात्र, परात । काटी-पु. १ पहलवान । २ हृष्टपुष्ट, मोटा ताजा बल । काठौ-वि० (स्त्री० काठी) १ कृपण, कंजूस । २ मितव्ययी। ३ जग । -वि० १ शक्तिशाली । २ देखो 'काठी'। ३ सख्त, कठोर। ४ दृढ़। ५ तंग, संकुचित । ६ मोटा, काटीजणी (बी)-क्रि० १ जंग खाना, जंग लगना। २ काटा गाढ़ा । ७ कम लचीला । ८ बहुत, अधिक । ९ पूर्ण, पूरा । जाना। ३ कसला होना। काड-पु० शिश्न । उपस्थ । काटी-पु. १ रुपया या वस्तु के लेन-देन में कमी करके अलग | काडो काडणौ (बी)-क्रि० १ निकालना । २ बाहर करना । कि किया जाने वाला अंश । कमी। कटौती । २ रसीद देने पर ३ निरावरण करना । ४ खोलकर दिखाना । ५ अलग लिया जाने वाला कर। करना। ६ ढूढ निकालना । ७ घी या तेल में तलना । काठ-पु० [स० काष्ठ] १ लकड़ी, सूखी लकड़ी। २ शव दाह ८ बाकी निकालना । ९ कपड़ों पर बेलबूटे बनाना । की लकड़ी। ३ देव वृक्ष । ४ कैदी को यातना देने का मोटा | काडो-देखो 'काढ़ौ'। लट्ठा । ५ नाव, डोंगी। -वि० कठोर । -काट-पु० लकड़ काढ़-स्त्री० निकालने की क्रिया या भाव। हारा, बढ़ई, जंग खाने वाला। -गढ़-पु० लकड़ी का दुर्ग । -गणगोर-पु० एक प्रकार का छोटा वृक्ष । -गुरगौ-पु० काढणौ (बो)-देखो 'काडगो' (बी)। दीवार की चुनाई मापने का उपकरण। -परी-स्त्री० काठ / काढ़ाक-वि० खोजने, निकालने में निपूण । की चकरी । -भखण-पु० अग्नि । लकडी का कीडा। कढ़ची-स्त्री० एक देवी विशेष । For Private And Personal Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काढ़ो ( २२३ ) कापथ काढ़ौ-पु० [सं० क्वाथ] काष्ठादि औषधियों का क्वाथ । | काथरटी-देखो 'काठोतरी' । काणंखी-वि० कानी, एकाक्षी। काथरौ-वि० १ शीघ्रता करने वाला। २ स्थिर रहने वाला। कात-स्त्री. १ काटने का औजार । २ कतिया। ३ कैंची। काथळी-स्त्री० मिट्टी का घड़ा, मटकी। ४ एक प्रकार का शस्त्र । ५ कतरने का ढंग या क्रिया। काथी-पु० [फा० कत्था] खैर की लकड़ियों का काढ़ा जो पान ६ काता हुया धागा।-क-पु. कातने वाला । कात्तिकेय।। में खाया जाता है। -वि० १ बलवान, शक्तिशाली। कातकसांम-पु० स्वामि कात्तिकेय । २ भयंकर, जबरदस्त । ३ तेज, तीव । ४ शीघ्रता करने कातको-स्त्री० [सं० कात्तिको] कात्तिकी पूर्णिमा ।। वाला । ५ व्यग्र, आतुर । -क्रि०वि० शीघ्र, तुरन्त । -वि० कात्तिक संबंधी। कारब-पु० [सं० कदम्बः] १ मेघ, बादल । २ तीर, बाण । कातरणी (बो)-क्रि० चरखे, तकली या 'ढेरे' पर रूई, ऊन, कच्चे । ३ देखो 'कदंब' । ४ देखो 'कादंबनी'। सूत आदि का डोरा बनाना। कादंबनी-स्त्री० [सं० कादम्बिनी] मेघमाला । कातर-पु० १ भेड या ऊंट की ऊन काटने की बड़ी कैची। कादंबरी-स्त्री० [सं०] १ कदम्ब के पुष्पों की खींची शराब । २ कैंची। ३ कतरन । ४ एक प्रकार का शस्त्र । -वि० | २ शराब। [सं०] १ कायर, डरपोक । २ अधीर, व्याकुल । कादंबांरणी (बिरणी, बिनी)-स्त्री० [सं० कादम्बिनी] मेघमाला । कातरठी-देखो 'काठोतरी'। कादम (म्म)-पु० [सं० कर्दमः] १ कीचड़, दलदल । २ देखो कातरियौ-पु० १ स्त्रियों के भुजा का प्राभूषण । २ गाड़ी के । 'कादंबनी'। पहियों का लोहे का घेरा । ३ देखो 'कातरौं'। कादमियोबुखार-पुल्यौ० जीर्ण ज्वर । कातरौ-पु० खरीफ की फसल के साथ उत्पन्न होने वाला कादमी-स्त्री० १ कमजोरी से होने वाला पसीना । २ बौने के एक रेंगने वाला कीड़ा जो फसल को हानि पहुंचाता है ।। लिए कृषि भूमि दी जाने के उपलक्ष में ली जाने वाली कातरया-स्त्री० हजामत । रकम । कातळ-स्त्री० १ पर्त, परत । २ पत्थर की पट्टी का खण्ड । | कादर-वि० [सं० कायर] कायर, डरपोक । ३ बनजारों द्वारा रखा जाने वाला लकड़ी का एक शस्त्र। कादरियो-पु० सूफियों का एक सम्प्रदाय । ४ देखो 'कातिल'। कादरी-स्त्री. १ पहिनने का एक वस्त्र विशेष । २ कवच । कातळी-स्त्री० शरीर की बनावट । कादव-पु० [सं० कर्दम] कीचड़, पंक। कातळी-पु. १ कतरा । २ तकुप्रा । कादागौ-स्त्री० [सं० कर्दम गोधा] कीचड़ में रहने वाली गोह। कातिक, कातिग, कातिग्ग, कातिय-पु० [सं० कात्तिक] कादिम, कादू, कादो-पु० [सं० कर्दम:] १ कीचड, पंक, कात्तिक मास । -सुर-स्वामिकात्तिकेय । कादा। २ कूड़ा, कचरा। ३ मैल । ४ द्रव पदार्थ का मैल । कातियो (तीयौ)-पु० जबड़ा, जबड़े की हड्डी। ५ सोने-चांदी में मिलाया जाने वाला विजातीय धातु । कातिळ-वि० [अ० कातिल वध करने वाला, मारने वाला, काद्रवेय-पु० [सं०] नाग, सर्प । वधिक, हत्यारा । | काप-पु० १ वस्त्रों की कटाई । २ सिलाई के प्रागे छोड़ा जाने काती-पु० [सं० कात्तिक १ कात्तिक मास । २. शस्त्र विशेष ।। वाला या अन्दर दबाया जाने वाला वस्त्र का अंश । कातीन-पु० एक प्रकार का शस्त्र । कापड़-पु० कपड़ा, वस्त्र । --छांग-पु० महीन वस्त्र से छानने कातीरो, कातीसरी-पु० [सं० कार्तिक+राज. सरी) खरीफ की क्रिया। -वि० महीन वस्त्र से छना हुआ। की फसल । कापड़िया-स्त्री० भाटों की एक शाखा । कातुर-वि० [सं०] कायर, भीरु । कापड़ी-स्त्री. गणगौर का उत्सव मनाने वाली क्वारी कन्या । कात्याइन, कात्याइरणी कात्यांणी, कात्यायरणी-स्त्री० [सं० | २ देखो 'कापडिया'। कात्यायणी १ उमा, पार्वती। २ नौ दुर्गायों में से एक । कापड़ी-पु० कपड़ा, वस्त्र । ३ चौसठ योगिनियों में से नौवी योगिनी । ४ कापाय वस्त्र | कापरण (गो)-वि० १ काटने वाला । २ नष्ट करने वाला, धारी स्त्री । ५. अवेड प्रायु की विधवा । मिटाने वाला । ३ संहार करने वाला। कात्र-देखो 'कातर'। कापरणौ (बौ)-क्रि. १ काटना कतरना । २ नष्ट करना, काय-पु. १ शरीर । २ सामर्थ्य, शक्ति । ३ क्षमता । ४ चरित्र ।। मिटाना । ३ संहार करना, मारना । ४ कम करना । ५ वृत्तांत, कथा । ६ वैभव । ७ शीघ्रता। ८ क्वाथ, काढ़ा। ५ व्यय करना । ६ खण्ड-खण्ड करना। --कि० वि० शीघ्र तुरंत । कापथ-पृ० [सं०] १ खराब सड़क । • कुपथ कुमार्ग । For Private And Personal Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कापरी ( २२४ ) कायस कापरी-पु० कपड़ा, वस्त्र । कौन । किस । कोई । -वि० १ थोड़ा, कुछ । २ काया कापाळ (ळिक)-पु० [सं० कापालिक] शैव सम्प्रदाय के अन्तर्गत संबंधी, दैहिक । तांत्रिक एवं अघोरी साधु । कायजौ-पु०१ सवारी के लिए घोड़े को सुसज्जित, करने का ढंग। कापी-स्त्री० पंजिका। २ सुसज्जित घोड़े की लगाम को खींच कर दुमकी में कापुर-वि० १ तुच्छ, हीन । २ नीच, दुष्ट । ३ नगण्य । बांधने की क्रिया। ३ इस प्रकार बांध कर तैयार किया कापुरख, कापुरस (पुरुष)-वि० [सं० कापुरुष] १ कायर, हुना घोड़ा। डरपोक । २ कृपण, कंजूस । ३ नीच, पतित । ४ हीन । काफर-वि० [अ० काफिर] १ भिन्नधर्मावलंबी । २ नास्तिक । कायथरण-पु०१ऐश्वर्य, वैभव । २ मलबा । काफरी-स्त्री० एक बहुमूल्य बन्दूक । कायथा-स्त्री० [सं० कायस्था] हरीतकी, हरें। काफलौ. काफिलो-पु० [अ० काफिलः] यात्रियों का समूह, | कायदाई-वि० नियम संबंधी। कायदौ-पु० [अ० कायद] १ नियम । २ कानून । ३ परम्परा, काफी-स्त्री० १ एक राग विशेष । २ कहवा । -वि० पर्याप्त, रीति । ४ रश्म । ५ मान, प्रतिष्ठा, शर्म । -कुरब-पु० बहुत। प्रतिष्ठा, इज्जत। काबर-स्त्री० १ एक प्रकार का पक्षी । २ देखो 'कांबरी'। कायफळ-पु० [सं० कट्फल] एक वृक्ष विशेष की छाल जो काबरडो-पृ० चितकबरा सांप । -वि० चितकबरा । औषधि में काम आती है। काबरियौ-पु० १ कबूतर के आकार का एक पक्षी । २ कबरा कायव (बो)-देखो 'काव्य' । कुत्ता। ३ एक प्रकार का मर्प । -वि० (स्त्री० काबरी, कायम-वि० [अ०] १ ठहरा हुअा, स्थिर । २ तय शुदा, काबरकी) चितकबरे रंग का। निश्चित । ३ मौजूद, तैयार । ४ दृढ़, पक्का, ठोस । काबरी-स्त्री० १ कबरी गाय । २ कबरी चिड़िया । -क्रि० वि० अधिकार में । -मुकाम-वि० एवजी, काबरौ-पु० कबरा सर्प । -वि० चितकबरा । स्थानापन्न । काबल-१ देखो 'काबिल' । २ देखो 'काबुल'। कायमांन-स्त्री० घास-फूस की झोंपड़ी। काबलियौ-पु० १ मुसलमान, यवन । २ काबुल का निवासी। । कायमो-वि० (स्त्री० कायमी) १ अशक्त, कमजोर । २ अयोग्य । काबलियत-स्त्री० योग्यता, विद्वत्ता, पांडित्य । ३ दुर्बल । ४ कायर। काबली-वि० काबुल का, काबुल संबंधी। -पु०१ सफेद चना । | कायम्म-देखो 'कायम' । २ काबुल का घोड़ा। कायर-वि० [सं० कातर] १ डरपोक, भीरु । २ कमजोर । काबा-स्त्री०१ एक लुटेरी जाति । २ चूहों की एक जाति । ३ नपुंसक ।। ३ छोटा बच्चा। कायरता (कायरी)-स्त्री० [सं०] १ भीरुता, डर । २ कमजोरी। काबाड़ी-देखो 'कबाड़ी। ३ नपुसकता। काबिज, काबिल -वि० [अ०] १ योग्य, लायक । २ विद्वान, कायरो-वि० (स्त्री० कायरी) भूरी आंखों वाला। -पु. एक पंडित । ३ योग्य, अधिकारी, हकदार । प्रकार का घोड़ा। काबिली, काबिलीयत-स्त्री० काबलियत, योग्यता । | कायल-वि० [अ०] १ तर्क-वितर्क में परास्त । २ हार मानने काबी-स्त्री० [फा० काबा] कुश्ती का एक दाव । बाला । ३ कायर, भीरु । ४ प्रभावित । ५ डरपोक । काबुल-पु० [फा०] १ अफगानिस्तान की राजधानी का नगर । ६ हैरान, तंग, पीड़ित । २ इस नगर के पास वाली नदी। कायलाणी-पु० १ ऐसा वन जहां जलाशय होता है तथा सब काबुली-देखो 'काबली'। प्रकार के प्राणियों की शिकार मिल सकती है। २ इस वन काबू-पु० [तु.] १ अधिकार । २ वश, जोर । ३ अधीनता । के मध्य का तालाब। ४ दबाव । कायली-स्त्री० [अ० काहिली] १ सुस्ती, पाल स्य । २ थकावट, काय-स्त्री० [सं०] १ देह, तन, काया। २ तना । ३ मूल धन।। कमजोरी। ३ लज्जा, ग्लानि । ४ शराब का नशा उतरने ४ समुदाय । ५ तार रहित वीणा। ६ संग्रह । ७ घर । के बाद की थकान या सुस्ती । ५ मटकी । सरा । ९ स्वभाव, प्रकृति । -क्रि०वि० [सं० किम्] कायस-स्त्री० १ चिढ़ने से होने वाला दुःख । २ शाह, जलन । क्यों, कैसे । -अव्य. या, अथवा, क्योंकि । -सर्व० क्या । ३ बक-भक । For Private And Personal Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कायसपा ( २२५ ) कायसवा-स्त्री० [सं० कायस्था] हरीतकी, हरे। | कारट-पु. १ मृतक-संस्कार कराने वाली एक जाति व इस काया-स्त्री० [सं०] १ शरीर, देह, तन । २ तना, पेड़ । ३ एक जाति का व्यक्ति । २ खेल में दिया जाने वाला चकमा । प्रकार की छरी । -कल्प-पु० उपचार । चिकित्सा से ३ पोस्टकार्ड। शरीर में आने वाला निखार । --द-हरणी-स्त्री० हरे, | कारटून-पु० हास्य चित्र । हरीतकी। --चाळी-पु० युद्ध । -जळ-पु० नेत्र, नयन । | कारण (रिणयौ)-पु० [सं०] १ वह प्राधार जिस पर किसी बात -धर, धार-पु० मनुष्य । -पलट-पु. नव निर्माण । का निर्णय अवलम्बित हो। २ वजह । ३ हेतु, निमित्त । -लज-पु० नेत्र, नयन । ४ प्रयोजन, उद्देश्य । ५ साधन जरिया । ६ तत्त्व, सार । ७ मूल बात । ८ कर्ता, जनक । ९ गर्भ, अाधान । कायौ-वि० (स्त्री० कायी) हेरान, परेशान, तंग । १० वंशज । ११ प्रीति, प्रेम । १२ इन्द्रिय । १३ शरीर । कारंजो-पु० एक वृक्ष विशेष । १४ चिह्न । १५ दस्तावेज, प्रमाण । १६ निदान, हल । कारंड, कारंडव-पु० [सं० कारंडवः] १ एक प्रकार की बतख । १७ विष्णु । १८ शिव । १९ श्रीकृष्ण । २० मान, प्रतिष्ठा । २ एक प्रकार का हंस । २१ गौरव । -करण-पु० ईश्वर। -माळा-स्त्री० एक कार-स्त्री० [सं० कारा] १ सीमा, सरहद । २ सीमा रेखा। अर्थालंकार। -सरीर-पु० नैमित्तिक शरीर (वेदान्त)। ३ मर्यादा । ४ काम, कार्य । ५ मदद, सहायता । कारणई-देखो 'कारण।। ६ असर । ७ कगार । दूत, चर। ९ कुछ शब्दों के आगे कारणीक-वि०१ कुछ करने योग्य । २ बुद्धिमान, चतुर । लगकर संज्ञत्व बोध कराने वाला प्रत्यय । १० छोटी मोटर । ३ अद्भुत, विचित्र । ४ काम करने वाला । ५ कारण .-प्रामव-वि० उपयोगी । -गर-वि० असरदार । उत्पन्न करने वाला । ६ प्रतिष्ठावान, प्रभावशाली । ---गुजार-पु० भली प्रकार कर्त्तव्य पालन । कार्य कौशल । ७ चालाक, धूर्त । ८ उत्पाती। ----चोभ-पु० जरीतारी का कार्य । -बार-पु० व्यवसाय, | कारण-क्रि० वि० कारण से, वास्ते, लिए। व्यापार । -मुख-पु० अर्जुन । धनुष । –साजो-स्त्री० | पु० अजुन धनुष साजात्रा० कारणोपाधि-पू० ईश्वर । कार्य बनाने की कला । होशियारी, चालाकी। कारतक-देखो 'कारतिक'। कारक-पु० [सं०] १ व्याकरण में सात प्रकार के कारकों में कारतबीरज (वीरज)-पु. कृतवीर्य का पुत्र सहस्रबाहु । से कोई एक । २ संज्ञा व सर्वनाम का क्रिया से संबंध जोड़ने | कारतिक-पु० [सं० कार्तिक] १ स्वामिकात्तिकेय । घाला शब्द । ३ विधाता, विधि । ४ शब्दों के आगे लगकर २ कात्तिक मास । गुणबोध कराने वाला प्रत्यय । -वि० करने वाला। कारतूस-पु. बन्दूक की गोली। -दीपक-पु० एक अर्थालंकार । कारत्तिक-देखो 'कारतिक' । कारकून-पु० [फा०] १ लिपिक, लेखक (क्लर्क) २ किसी के कारनीक-देखो 'कारणीक' । प्रतिनिधि रूप में काम करने वाला। ३ किसी की ओर से | कारमुकासरण (न)-पु० [सं० कामकामन] चौरासी प्रासनों प्रबन्ध करने वाला। में से एक। कारख-स्त्री० [सं० कालुष्य] १ राख, भस्मी। २ कारिख, कारमौ-वि० (स्त्री० कारमी) १ कमजोर अशक्त । २ कायर, भीरु । ३ व्यर्थ बेकार। कालिख । ३ विद्वेष । ४ विषजन्य बुरी भावना । ५ मन का मेल । कारय, कार्य-देखो 'कारज' । कारखांनो-पु० [फा० कारखाना] १ लकड़ी, लोहा आदि का | कार्यारथी-वि० [सं० कार्याथिन] १ अपने कार्य को सफल व्यापारिक सामान बनाने की दुकान या यन्त्रशाला । करने का इच्छक । २ लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील । २ निर्माण-कक्ष । ३ उद्योग-स्थल । ४ कारबार, व्यवसाय ।। ३ प्रार्थी । ४ किसी दावे की वकालात करने वाला। ५ खजाना, धनागार । ६ टकशाल । ७ जवाहिर खाना । कारवां, (न)-पु० [फा०] यात्री-समूह, काफिला । ८ अप्तःपुर विशेष । २ विभाग, महकमा । १० निजी, कारस्कर-पु० [सं० कारस्कर] किपाक नामक वृक्ष । निवास के अतिरिक्त भवन । कारा-स्त्री०१ कैद । २ बंधन । ३ कैदखाना, कारागार । कारड़--देखो 'कारट'। ४ पीड़ा, क्लेश । [सं० कार्यु :] ५ गोबर का महीनतम मूखा कारज (जो)-पु० [सं० कार्य] १ काम, कार्य। २ कर्तव्य ।। चूरा । -गार, ग्रह-पु० कैदखाना, जेल । -ग्रह-राक्षस-- ३ उद्देश्य, मतलब । ४ मृत्यु भोज । ५ अन्तिम संस्कार। पु० इन्द्र । ..-सदन-पू० कागगार । For Private And Personal Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कारायण काळाब कारायण-पु. १ भाग्य, नसीब । २ मस्तिष्क । प्रलय की रात । दीपावली के पूर्व की रात । शिव रात्रि। कारिदौ-पु० [फा० कारिंद:| कर्मचारी । गुमाश्ता । चौसठ में से बाईसवीं योगिनी। कारिज (जो)-देखो 'कारज' । काल (उ)-पु० [सं० कल्यं] १ तड़का, सबेरा । २ आने वाला कारिमौ-देख। 'काग्नी' (स्त्री० कारिमी)। दिन, अगला दिन । ३ तृतला कर बोलने की क्रिया। कारी-स्त्री०१ युक्ति, उपाय। २ समाधान । ३ इलाज, | -वि० तुतला कर बोलने वाला। चिकित्सा । ४ अांख की शल्य चिकित्सा । ५ फटे वस्त्र या काळउ-१ देखो 'काळो' । २ देखो 'काळ' । टूटे-फूटे बर्तनों में लगाया जाने वाला जोड़। ६ हस्त- काळकंध-पु० [सं० कालस्कंध] तमाल-पत्र । कौशल । काळक-देखो 'काळिका' । कारीगर--पू० [फा०] १ शिल्पी । २ कलाकार । ३ मिस्त्री। काळकड़ो-देखो 'काळो' । (स्त्री० काळकड़ी) कारीगरी-स्त्री० [फा०] १ कला। २ शिल्प । ३ कौशल, | काळका-देखो 'काळिका' । दक्षता । ४ चतुराई । ५ कारीगर का कार्य । ६ कारीगर | कालकी-वि०१ पगली। २ कल की। का पारीश्रमिक । काळकी-देखो 'काळी'। कारीस-पु. [सं० कारीष] उपलों का चुरा । काळक्क, काळक्ख, काळख, काळग-पु० [सं० कलुष. कल्मष] कारुणसिंध, (सिंधु)-देवो 'करुगामि'। १ कालिया । २ काला रंग । ३ तवे की कालिख । कारू-पु० [सं० काम] १ करने वाला, कर्ता । २ कारिदा, [सं० कालिकम् ] ४ कलंक, दोष, पाप । ५ कृष्ण चंदन । नौकर । ३ कलावाला कारीगर। ४ युवा हाथी या हाथी काळचाळहो (चाळी)--पृ० १ युद्ध । २ युद्धोन्मत्त योद्धा। का बच्चा। काळज-देखो 'काळजौं'। कारी-पु० १ झगड़ा, तकरार । २ दंगा, फिसाद । ३ निंदा, | काळजवन-पु. १ कालयवन, राक्षम । २ गोपाली अप्सरा व अपकीति । ४ शिकायत । ५ एक जाति विशेष का घोड़ा। लोगो से उत्पन्न एक यवनराज कालंक (ग)-पु० कल्कि अवतार । काळजुर (ज्वर)-पु० घोड़े का एक रोग विशेष । कालंतर-देखो 'कालांतर'। काळजियौ-देखो 'काळजौ' । काळंदर (दार)-देखो 'काळिदर'। काळजीवो (जीमौ)-वि० (स्त्री० काळजीबी) १ काली जिह्वा काळंदी, काळंद्री-त्री• जमुना। -सौदर-पु० यमराज । वाला । २ अशुभ भाषी। काळ-पृ० [सं० काल] १ यमराज, महाकाल । २ मृत्यु, मौत। काळजौ-पू० [सं० कलेज] १ प्रागी के शरीर का रक्त संचारक ३ अंतिम, समय । ४ शनिग्रह । ५ शिव । ६ विष्णु । प्रमुख अवयव, दिल, हृदय । २ छाती, वक्षस्थल । ७ सर्प, सांप । ८ लोहा । ९ अकाल, दुष्काल । १० समय । ३ हिम्मत, साहस । ४ मन । समय का विभाग। १२ सिह । १३ तान का सख्या* काळरिण-स्त्री. अंधेरी, अंधकार । ५४ सातवां चौघड़िया । १५ वीररस । १६ व्याकरण में काळदार-देखो 'काळिदार'। क्रियाओं के रूपों से मूचित होने का समय ।-वि. काळद्री-देखो 'काळिदी' । १ फाला । २ कर । ३ तीन*। -अंजनी-पु० सीने पर श्याम रंग को भंवरी वाला घोड़ा । -पाखरी-पु० मृत्यु काळनळ-देखो 'काळानळ' । मंदेशक । मृत्यु की खबर का पत्र ।-फूट-पु० विष, काळप-स्त्री०१ दुष्काल की अवस्था या भाव । २ दया, करुणा। जहर, भयंकर विष । काला बच्छनाग । सींगिया जाति | कालप-स्त्री० पागलपन । का पौधा । ---कोठड़ी (री)-स्त्री० कंद खाने की बहुत | खान का बहुत काळपी-स्त्री० मिश्री का एक भद। . तंग और अंधेरी कोठरी जहां कैदी रखे जाते थे। -क्रीटपु० यमराज । -गत-वि० मत । भूत । व्यतीत । -स्त्री० काळपूछियौ-वि० १ शैतान, जबरदस्त । २ काली पूछ वाला। काल गति, चक्र । -चकर, (चक्क, चक्र)-पु० समय का -पु. १ काली पूंछ का मर्प । २ काले बालों वाली पुछ का बल । फेर । ---जीपण-पु० मृत्युजय। -झंप, झंपो, झापौ-वि० मौत से लड़ने वाला । -दंड-पु० ज्योतिष का एक योग । काळपूछीस्त्री० काले बालों वाली पूछ की भैस । ---दूत-पु० यमदुत । -रयण, रात, रात्रि, रात्री-स्त्री० काळब-पु. १ श्वेत शरीर व काले पांवों वाला घोडा। कालरात्रि । अमावस्या की रात । भयंकर अंधेरी गत । २ यमदूत । For Private And Personal Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काळयूट काळीताली काळबूट-पु० [फा० कालबुत] चमारों के काम आने वाला एक काळागर-पु० अफीम। लकड़ी का गट्टा। काळानळ (नळ)-पु० [सं० काल-अनल] १ मृत्यु की अग्नि । काळबेलियौ-पु. १ संपेरा, गारुड़ी । २ काळबैलिया जाति का २ प्रलय की अग्नि । ३ काल, मौत । ४ योगियों के व्यक्ति। अग्निकुण्ड की आग । काळजतक-पु० [सं० कालवृन्तक] उड़द की तरह एक मोटा | काळायण-देखो 'कळायण'। अनाज। काळायस-पु० [सं० कालायस] १ लोह । २ देखो 'काळास' । काळम-देखो 'काळिमा'। काळाहरिण (हपी)-वि० [सं० काल-प्रयन] १ प्रलय कारिगी। कालम-पु० १ पागलपन । २ मस्ती। ३ कोष्ठक । २ देखो 'कळायण' । काळमा-देखो 'काळिमा'। काळिक (ग), काळिगड़ौ, काळिगौ-पु० १ उषा कालीन एक काळमो-स्त्री० श्याम रंग की घोड़ी। राग विशेष । २ तरबूज की जाति का वर्षा ऋतु में काळमुह, (मुखी, मुहौ)-पु० काले मस्तक व मुह वाला घोड़ा। होने वाला एक फल बिशेष । ३ एक पक्षी विशेष । काळमूक-पु० अर्जुन । ४ देखो 'कल्कि' । काळमेछ-पु. कालयवन । काळिंदर, काळिदार-पु० १ सर्प, सांप । २ काला सर्प । काळमोख-स्त्री० दाख, द्राक्ष । काळिदी (दी)-स्त्री० [सं० कालिन्दी] १ यमुना नदी। काळयौ-देखो 'काळो'। २ श्रीकृष्ण की एक पटरानी । ३ एक रागिनी । कालर-पु० १ घास का संग्रह यार । २ पत्थर का एक कीड़ा। काळिका (क्का)-स्त्री० [सं० कालिका] १ शक्ति, देवी, ३ स्त्रियों के पैरों का एक आभूषण विशेष । ४ खराब महाकाली । २ कालिका देवी । ३ दुर्गा देवी । ४ कालिख । भूमि । ५ ऊसर भूमि। ६ कीचड़, पंक । ७ पहनने के वस्त्र ४ स्याहि, मसि । ५ शराब मदिरा । ६ प्रांख की पुतली। में गले के ऊपर लगने वाली पट्टी। ८ स्त्रियों का कण्ठा- ७ चार वर्ष की कन्या । ८ दक्ष की कन्या । ९ कश्यप भरण। ऋषि की पत्नी । १० हरे, हरीतकी । -वि. श्याम काळव-पु० [सं० काल] महाकाल, मृत्यु, मौत । रंग की। काळवाचक, काळवाची-वि० [सं० कालवाचक कालवाच्य] | काळिज, (जौ)-देखो 'काळ जौ' । समय सूचक, समय बोधक (व्याकरण)। काळियर, काळियार-पु० १ कृष्ण मृग । २ कृष्ण सर्प । काळवादी-वि० १ जगत को काल कृत मानने वाला। २ काल -वि० कपटी धूर्त । (समय) की पक्ष करने वाला। (जैन) काळियौ-पु. १ अफीम । २ काली नाग । ३ श्रीकृष्ण। काळवी-देखो 'काळमी' । ४ साधारण घास । ५ शिरीष जाति का एक बड़ा वृक्ष । काळस-स्त्री० [सं० कालुष्य] १ कालिमा, कालिख । -वि० काला, श्याम। २ कलंक, दोष। काळीगड़ौ, काळीगौ-देखो 'काळिंगड़ौ'। काळसार-पु० [सं० कालसार:] काले रंग का हिरन, कृष्णमृग। काळींदर-देखो 'काळिंदर'। काळसेय-पु० [सं० कालेशयम् ] १ दही । २ मट्ठा, छाछ। काळी-पु० १ काली नाग । २ नाग, सर्प । ३ अफीम । -स्त्री काळाण (न)-पु० १ एक प्रकार का छोटा वृक्ष जिसकी लकड़ी | ३ महाकाली, दुर्गा । ४ काली माता । -वि० १ कृष्ण ___मजबूत होती है । २ देखो 'कळायण' । वर्णी, काला । २ जबरदस्त । -कांठळ, घटा-स्त्री० काळांतर-पु. उल्लिखित समय से भिन्न या बाद का समय । श्याम घटा। -दमण-पु० श्रीकृष्ण । काळापाखरियौ, काळापाखरी-पु. मत्यु का समाचार देने काली-वि० पगली. पागल । वाला पत्र तथा इस पत्र का वाहक । काळीउ-पू० एक प्रकार का आभूषण । कालाई-स्त्री० १ पागलपन । २ नादानी । ३ मूर्खता । | काळीचकर (चक्र)-पु० महाकाली का अस्त्र । काळाकंबल-पु० १ करणीदेवी का एक नाम । २ काली ऊन काळोचीठी-स्त्री० १ राजाओं द्वारा राजपूत को पुरस्कार में का वस्त्र। दी गई भूमि का प्रमाण-पत्र । २ मृत्यु संदेश-पत्र । काळाकेस (बाळ)-पु. १ गुप्तेन्द्रिय के बाल । २ युवावस्था के काळोजीरो-स्त्री० एक अौषधि विशेष । बाल । काळीताली-स्त्री० अकाल के ममय लिया जाने वाला एक काळाक्खरी-देखो 'काळापाखरी'। लगान विशेष । For Private And Personal Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काळीवह ( २२८ ) काव्य काळोदह (दाह, वो, द्रह)-पु. १ वृन्दावन के पास यमुना नदी भूमि । वर्षा के पानी से फसल होने वाले खेत ।-जुर का एक कुण्ड । २ अत्यन्त काला। -पु. काला-ज्वर । -तुड, प्रह-वि० गहरा काला। -नमक काळोधार (ध्रह)-क्रि०वि० १ बहुत बुरे ढंग से । २ देखो -पु० एक प्रकार का नमक । —पटौ-पु० नौकरी के 'काळीदह' । उपलक्ष में मिलने वाली जागीर की 'सनद' । -पारणी कालीनदी-स्त्री० १ यमुना। २ मालवा की एक नदी का नाम।। -पु० एक प्रकार की सजा । अंडमान निकोबार । काळीपहाड़ (पाड़)-पु० एक प्रकार का पहाड़ी पौधा विशेष । -भजरंग, भूछ, मिट-वि० अत्यन्त काला । -भांगड़ी--पु० काळीपोळी (बोळी)-वि० १ अशुभ एवं भयंकर । २ क्रोधावेश कुष्ण भृगराज । -मोडल-पु० कृष्ण अभ्रक । -मूडौ-पु० युक्त । -स्त्री० १ भयंकर व गहरी अांधी। २ अंधेरी। अपकीति, कलंक । देश निकाला। हमेशा के लिये स्थान का काळीबूई-स्त्री० एक प्रकार का क्ष प विशेष । त्याग । -लूण='काळोनमक'। -सुरमौ-पु० कृष्णांजन । कालीमिरच-स्त्री० काली एवं गोल मिरच । कालौ-वि० (स्त्री० काली) १ पागल । २ उन्मत्त। -पाणी काळीमूसली-स्त्री० एक औषधी विशेष । शराब, मदिरा । कालीरात-देखो 'काळरात्रि'। काल्ह, काल्हि, काल्हे-देखो 'काल या कल' । काळीसर-स्त्री० कृष्ण सारिवा । कावड़ (डि)-स्त्री० १ काष्ठ पट्टियों की चित्रित पुस्तिका । काळीसिंध-स्त्री० चम्बल की एक सहायक नदी। २ इस पुस्तिका संबधी कविता । ३ टोकरियों का तराजू कळीसीतळा-स्त्री० एक प्रकार की चेचक । बहंगी। ४ एक जाति विशेष । -वि० १ कुटिल । २ बुरा । काळीसुतन-पु० गणेश, गजानन । ३ कुबड़ा। कालुगौ-पु०-एक प्रकार का घोड़ा। कावड़ियो-वि० १ कावड़ दिखाने वाला । २ बहगी में बोझा काळूडी-स्त्री० [सं० कालतुण्ड + रा. प्र. ई) १ बदनामी, ढोने वाला। अपकीति । २ कलंक, दोष । कावतरौ-पु० धोका, छल, कपट, प्रपंच । कालूप्रौ-देखो 'कालुनौ' । कावर-देखो 'काबर' काळूस-देखो 'काळस' । कावरजाळी-वि० कपटी । धूर्त । काले-क्रि० वि० [सं० कल्य] १ आने वाले या गत दिवस को । कावळ-वि० १ बुरा । २ निकृष्ट । ३ विपरीत। २ कल। कालेज-पु० [अं॰] स्नातक एवं उससे ऊपर की पढाई का कावळयार-वि० १ कपटी, छलिया । २ धूर्त, चालाक । विद्यालय । ३ उत्पाती । ४ विघ्नकारक। ५ कुटिल । ६ पाखंडी। कालेयक-पु० [सं० कालेयम्, कालीयकं] १ केसर । २ कलेजा। ७ दोषी । ८ खोटा। ३ एक प्रकार का चंदन । कावळयारी,कावळाई-स्त्री०१ चालकी, धूर्तता । २ छल, कपट । काळेरौ-पृ० काला हिरन । ३ उत्पात । ४ विघ्न, बाधा। ५ कुटिलता। ६ पाखंड । . ७ दोष । ८ खोट। काळेनळ-पु० कालाग्नि । कावळियार, कावळियाळ कावळियो-देखो 'कावळयार' । काल-देखो 'काले'। कावळी-स्त्री० १ बंगड़ी, चूड़ी । २ देखो काबली । कलोप-वि० काल या यमराज के सदृश, भयंकर, भयावह । कावळो-वि० (स्त्री० कावळी) भयंकर, भीषण । -पु० १ एक काळोवा, काळोवाव-पु० पशुओं का एक वात रोग । प्रकार का रण वाद्य । २ कौवा ।। काळी-पु० [सं० कालः] १ काला सर्प । २ हाथी । ३ काला रंग। कावेरी-स्त्री० [सं०] १ रंडी, बेश्या। २ हल्दी । ३ दक्षिण ४ अफीम। ५ श्रीकृष्ण । ६ कलंक । ७ काला भैरव । ८ काला भारत की एक नदी। ४ एक रागिनी विशेष । पदार्थ । ९ अपयश का या अवैधानिक कार्य । १० अनिष्टकारी कार्य । ११ घोड़ा विशेष । १२ ऊंट विशेष । -वि. कावो-पु० [फा० काबा] १ घोड़े को वृत्त में घुमाने की क्रिया। १ कृष्ण वर्णी, श्याम, काला । २ प्रकाशहीन,अंधकार युक्त ।। २ चक्कर, कर ३ कपटी, धूर्त । ४ बदनाम, कुख्यात । ५ अस्वच्छ, मलिन । काव्य-पु० [सं०] १ पद्य मय कोई रचना। २ कविता, शायरी। ६ निंदनीय, बुरा । ७ योद्धा, वीर । ८ अशुभ, भयंकर , ३ कविता या पद्य मय रचना की पुस्तक । ४ पद्य मय ६ नीला । १० महान, जबरदस्त । –कट, कीट, कुट-वि० कथा या इतिवृत्त । ५ कोई रसात्मक वाक्य या पंक्ति। अत्यन्त काला । -खेत-पु० काली मिट्टी की उपजाऊ [सं० काव्यः] ६ शुक्राचार्य का एक नाम । ७ कवि । For Private And Personal Use Only Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कास काहेली ८ प्रसन्नत।। ९ स्वस्थता। १० बुद्धि। ११ ईश्वरीय कास्ठ-पु० [सं० काष्ठ] १ लकड़ी, काष्ठ । २ इन्धन । प्रेरणा । १२ स्फुति । १३ विद्वान, पण्डित । १४ चौबीस | कास्ठा-स्त्री० [सं० काष्ठा] १ अवधि । २ सीमा, हद । मात्राओं का एक छंद विशेष । १५ बहत्तर कलाओं ३ चरम सीमा । ४ उत्कर्ष । ५ ऊंचाई, चोटी । में से एक। ६ अट्ठारह पल का समय या काल का ३०वां भाग । कास-पु० [सं० काशः या काशम्] १ एक तृण विशेष । ७ चन्द्रमा की कला । ८ दिशा। २ इस तृण का पुष्प । ३ खांसी रोग । -वि० श्वेत*। कास्त-पु० [फा० काश्त] १ कृषि कार्य । २ जुताई। कासग-सर्व० १ किसका, किसकी। २ देखो 'काउसग' । -कार-पु. कृषक । खेतिहर । कासगरहींउ, कासगि-देखो 'काउसग'। | कास्मीरी-पु० एक प्रकार का वस्त्र। -वि. काश्मीर का, कासप (ब)-पु० [सं० कश्यप] १ कश्यप ऋषि । २ मांस । काश्मीर संबंधी। ३ कछुप्रा । -सुतन-पु० सूर्य । गरुड़, अरुण का नाम । । कास्यावत-पु० एक प्रकार का घोड़ा। कासपी-पु० [सं० काश्यपि] १ गरुड़ । २ सूर्य । काह-स्त्री० [सं० काश] नदी किनारे दल-दल में होने वाली कासबाणी-पु. १ सूर्य । २ गरुड़ । ३ गरुड़ का बड़ा भाई । घास । -क्रि० वि० १ कहां से । २ अथवा, या । -सर्व० कासमेरी-स्त्री०१एक देवी का नाम । २ काश्मीरी ऊन का वस्त्र । १ कौनसा । २ क्या । ___-बि० काश्मीर का। काहण-क्रि० वि० क्यों, किसलिये । कासर-पु० [सं० कासर:] १ जंगली भैसा । २ देखो 'कासार'। | काहरउ (3)-पु. काढ़ा, क्वाथ । कासळक (क्क)-देखो 'कासलक' । काहरां-क्रि० वि०१ कब, किस समय । २ कहां। कासार-पु० [सं० कासार] १ तालाब । २ देखो 'कासर'। काहल-पु० [सं० काहल] १ युद्ध में बजने वाला बड़ा ढोल । कासारी-स्त्री० [सं० कासर] भैस, महिषी। २ दो लघु के रणगग के द्वितीय भेद का नाम। ३ शीघ्रता । कासि-देखो 'कामी'। ४ भय। कासिका-स्त्री० पाणिनीय व्याकरण पर एक प्रसिद्ध वृत्ति ग्रंथ । काहलगो (बी)-क्रि० १ डरना, भयभीत होना । २ कांपना, कासिदा (सीद)-पु० १ संदेश वाहक । १ दूत । २ इरादा धूजना। ___ करने वाला। काहलाई-देखो 'कालाई'। कासिदी, कासोंवी-स्त्री०१ संदेश वाहक का कार्य । २ इस काहलि-वि० [अ० काहिल] १ डरपोक, कायर । २ काहिल, ___ कार्य संबंधी पद । ३ दूतकर्म । ४ उक्त कार्य की मजदूरी। सुस्त । ३ अधीर,व्यग्र। [सं०काहल] ४ परेशान । ५ सूखा। कासी-स्त्री० [सं० काशी] १ सप्त मोक्ष पुरियों में से एक पुरी। ६ मुरझाया हुअा । ७ उत्पाती। ८ देखो 'कायली' । २ आधुनिक बनारस का नाम। ३ उत्तर भारत का एक | काहली-स्त्री० [सं०] युवती । युवास्त्री। तीर्थ । ४ कास रोग, खांसी । -वि० विपुल, बहुत । काहिक-सर्व० कौनसी, किस । ---करबत, करवत, करोत-पु. काशी का एक तीर्थ स्थान । काहिरण-क्रि० वि० किसलिए। मोक्ष के लिए काशी में जाकर कटने का प्रारा। काहिणी-स्त्री० [सं० कथनी] कथन, कथनी, वचन । -पत, पति-पु० ° शिव, शिव, महादेव । महादेव । -फळ-पु० काहिल (लो)-देखो 'काहलि'। -फळ-पु० कुम्हड़ा, कद्। काही-सर्व. किसी। कासीद (क)-देखो 'कासिद' । कासीदी-देखो 'कासिदी'। काहुल-देखो 'काहलि'। कासीस (क)-पु० एक धातु विशेष । काहुलणौ (बौ)-क्रि० [सं० क्रोध-विह्वलम्] १ क्रोध करना, कासु, कासू, कासू-क्रि० वि० १ कैसे, किस प्रकार से । जोश करना । २ युद्ध करना । ३ भिड़ना। २ किस कारण से। ३ क्या। -स्त्री० [सं० कास|| काहू-सर्व०१ क्या। २ कैसा।३ कोई। ४ किमी। -वि. कछ। १ बरछी । २ शक्ति नामक शस्त्र । काहूल-देखो 'काहलि'। कासौ-पु० [फा० कास.] मुसलमान फकीरों का भिक्षापात्र । काहे. काहेर-क्रि० वि० क्यों । कास्टघटन-पु० बहत्तर कलाओं में से एक । काहेक-सर्व किस, कुछ। कास्टफळ-पु० दाख, द्राक्षा। काहेली-स्त्री० [सं० काहेऽऽलय] १ मटकी । २ शराब की कास्टा-स्त्री० दिशा । -वि० कष्ट प्रद । देखो कास्ठा' । खुमारी। For Private And Personal Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir + { २३० ) किं-सर्व० [सं किम् क्या।। १० जुगुप्सा । -वि० १ प्रसन्न । २ तुच्छ । ३ वृथा। किंकि-वि० १ कुछ । २ क्योंकि । -अव्य० १ मानो । २ या, अथवा । ३ किस तरह, कैसे । किकरण (रिण, रणी)-स्त्री० [मं० किंकिणी] १ करधनी, -सर्व० क्या। ___ मेखला । २ छोटी घंटी। किपावर-देखो 'क्यावर'। किंकर-पु० [सं०] (स्त्री किकरि,री)१ सेवक, दास । २ अनुचर । किग्रावरी-देखो 'क्यावरी' । ३ राक्षसों की एक जाति । ४ घोडा । ५ कामदेव । किउं, किऊ-क्रि०वि०१ क्यों। २ कैसे, किस तरह । -वि० कुछ। भ्रमर । ७ लाल रंग । किकंध-देखो 'किस्किधा'। किकिनी-देखो 'किंकणी'। किकर-क्रि०वि० कैसे ।-वि० कैसी, किस प्रकार की। किंचित-वि० [सं०] १ थोड़ा, अत्यल्प । २ तनिक । ३ न्यून। किको-देखो ‘कीको' । किचुळ-पु० [सं० किंचुलुक केंचवा । | किखि-पु० [सं० कीश] बंदर । -वि० [सं० कृश] दुर्बल, किंजळक (ळिक)-पु० [सं० किजल्क] १ केसर । २ पराग, कृश । पुष्प रज । ३ कमल का पुष्प । ४ पुष्प का रेशा। | किड़क-स्त्री० १ उचक कर या चमक कर भागने की क्रिया या किंदरणी (बौ)-क्रि० हरे पौ। या नमी वाले पदार्थों का दबे भाव । २ देखो 'कड़क' । रहने या उमस वाले स्थान पर अधिक रहने के कारण किड़करणी (बौ)-देखो 'कड़कणो' (बी) । सड़ना। किडकिडी-स्त्री० १ क्रोध में दांत पीसने की क्रिया या भाव । किंदर-१ देखो कंदरा । देखो 'किन्नर' । २ सर्दी के कारण होने वाली दांतों की किट-किट । किंदरग्रह-पु० कंदरा निवासी, सिंह । ३ जोश, आवेश । ४ साहस, हिम्मत । ५ बल शक्ति । किंदू, किदूडो-देखो 'कदुड़ौ'। ६ देखो 'कड़ीकड़ी'। किंधू-अव्य० १ अथवा. या। २ मानो । किड़को-देखो 'कड़को'। किनरेस-पु० [सं० किन्नर-+-ईश] कुबेर । किड़वा-स्त्री० किसी के आने-जाने, बोलने-चालने, हिलने-डुलने किपाक-पु. एक प्रकार का वृक्ष । से होने वाला धीमा शब्द, आहट । किपि-वि० [सं० किम्-अपि] कुछ, कुछ भी। किचकारी-स्त्री० पशुओं को हांकने के लिए मुह से की जाने किंपुरखेस (खेसर) किंपुरुख, किंपुरुस, किंपुरुसेस-पु० वाली किचकिच ध्वनि । [सं० किंपुरुष] १ कुबेर । २ किन्नर । किचकारौ-देखो 'किचकारी' । किबाड़ी-देखो किंवाड़ी'। किचकिच, किचकिचाहट-स्त्री० १ पशुओं को हांकने की ध्वनि । किमाड़-देखो 'कपाट'। २ स्त्रियों की सांकेतिक ध्वनि । ३ किसी बात पर किंवदंती-स्त्री० [सं०] १ जन-श्रुति । दंतकथा । २ कहावत । असहमति या नकारात्मक उत्तर देने की ध्वनि । ४ विवाद, किवाड़-देखो 'कपाट'। तकरार । ५ चर्चा । किवाड़ियो-पु० [सं० कपाट] १ छोटा कपाट । २ वक्ष स्थल के | किचकिची-स्त्री०१ क्रोध में दांत पीसने की क्रिया । २ साहस , ___एक बाजू का हिस्सा। हिम्मत । ३ जोश आवेश । ४ अरुचि । किंवाड़िया (रिया) दोस-पु० कपाट खोलकर भिक्षा लेने के लिए। किचपिच-देखो 'कचपिच' । अन्दर जाने व बाहर आने पर लगने वाला दोष । किचरणौ (बी)-क्रि० १ रोंदना, कुचलना । २ चबाना । किवाड़ो-स्त्री० १ खपचियों या पट्टियों का छोटा दरवाजा, किचळावरणौ (बी)-क्रि० रद्द होना। कपाट । २ छोटा कपाट । ३ पशुओं के बाडों पर लिया जाने वाला कर । किटकड़ौ-पु० १ शिर, मस्तक । २ खोपड़ी। किसारी-देखो 'कसारी'। किटकली-स्त्री० जलाने की छोटी लकड़ो। किसुक, (ख)-पु० [स० किंशुक] १ पलाश, ढाक । २ तोता, किटकिट-स्त्रा० १ वान विशेष । २ दत कटाकट । सुप्रा । -वि०१ कुछ । २ लाल* । ३ देखो 'किचकिच'। किह, किही-सर्व० किसी। कोई। किटिम-पु० [सं०] १ मत्कुण, मच्छर । २ खटमल । ३ जू। कि-पु० १ श्रीकृष्ण । २ इंद्र। ३ सुर्य । ४ शिकारी । ५ गण।/ किट्टी-स्त्री० [सं० किट्ट] १ कान का मैल । २ तलछट । ६ विचार । -स्त्री० ७ लक्ष्मी । ८ अग्नि । ९ निंदा। किठड़े-क्रि०वि० कहां, किस जगह । For Private And Personal Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra किरण किस सर्व० [सं० किम] १किस किसने २ कौन ५० कितां, किता-बि० (स्त्री० किती) कितने । [सं० किरण: ] १ 'आईठांण' नामक निशान । २ जखम भरने के बाद रहने वाला निशान । किरणकती स्त्री० ० १ करधनी । २ कमर पर बंधी पतली डोरी किरणको पु० १ दाना, करण २ टुकड़ा, खण्ड | ३ पतंग | 1 ४ शक्ति बल । किरणगच स्त्री० एक प्रकार की झाड़ी, करंज । को-०१ वारवार विना २ कृपणता दिखाना। ३ टसकना ४ पछतावा करना । किrवाली (बौ), किराबावली (बी) - ० १ बार-बार चिढ़ाना २ कृपणता कराना । ३ पछतावा कराना । ४ टसकना । किरणजी (बौ) - क्रि० १ टसकना । २ जोर लगाना । किरण-म० १ किमी २ किसने । कोई कभी । किसारी-देखो 'कसारी' | काहिक (होक, हेक) देवकिक' । किरणा- क्रि०वि० किधर । किरणायै देखो 'करणसारी' । किणि सर्व० १ किस किसीने २ कोई । ३ कौन । 10 - क्रि० वि० कभी । किरिणयन - सर्व० किसी ने । किरिण्यागर (गिरी) - देखो 'करियार' | किलियो 'कलियों किसी किल्ली-देखो 'किरण' । किलीयक- देखो 'किरणयक' । किणं सर्व० किस, किसको किसने । किली सर्व० किसका । . www.kobatirth.org ( २३१ ) कितरी 'क वि० कितनी । तिरेक, कितरंक (जे) वि० कितने कितरोइ, कितरोइक, कितरों क कितलाइक, कितली वि० कितना । कितव-वि० [सं० कितव: ] १ छली, कपटी | जवार ३ जुहारी | ४ गुण्डा | क्रि०वि० कित क्रि० वि० कहां, किधर । किनएक मंत्र कितने । कि देखो 'कतिका २ देखो 'कितना'। किला (ना) वि० तिने कितनक स्त्री० किस्मत, भाग्य । कितरउ सर्व० कितना । कितराइक, कितराई. कितरफ, कितरायक, (हिक, हेड) -- वि० ० १ कितनेक २ कितने ही । ३ कुछेक । कितक कितरौ. कितरौ कितरोहेक, २ लंपट, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । किताइ, किताइक, (ई, ईक, एक) किताक - वि० कितने ही । किताब - स्त्री० [अ०] १ किताब पुस्तक । २ ग्रन्थ । ३ पंजिका । ४ बही । ५ देखो 'खिताब 'खांनी पु० पुस्तकालय | किताबें रखने का स्थान । किताबी दि०१ पुस्तक का पुस्तक संबंधी २ केवल पुस्तक तक सीमित । किति देखो 'कीरति' । किति, कितिक, कितिक, कितियक किती कितीइश, कितीक कितीयक, कितीयेक, कितेएक, किसक, किस एक, किस वेक ( हेक) - वि० १ कितनी कितनी ही । २ ज्यादातर । ३ बहुत, कितने । किले (एक), किर्तीक (हेक) क्रि० वि० कहा कि २ देखो 'किक' | किलेय-देखो 'ते' - · कितौ वि० (स्वी० किमी) कितना । किaise, (एक) कितीक, किलोधक ( रोक दि 1 कितौसीक, कितौसोक-वि० कितना सा थोड़ा मा । कित्त देखो 'कित' । कित्ती - १ देखो 'कीरति' २ देखो 'किती' । किसी देखो 'किती' (स्त्री० कित्ती ) । किलोइक, कित्तौएफ, कित्तीक, कित्तीयक देखो 'कितीक'। किय वि० कहां। किया - सर्व० ० क्या । किचिए, कथिये, किचीय, किये, किये, किचौकि० वि० कहां किधर - क्रि० वि० कहां, किस ओर । frog (a) कि प्रव्य० १ या, अथवा । २ मानो । 1 किन सर्व० कौन किस का बहुवचन । क्रि० वि० कहां । , अथवा, या । किनियांरगी किनक, किनकी पू० १ पतंग २ देखो किराको किनर - देखो 'किन्नर' । पत, पति (ती) किन्नरपति' । किनरेस 'किन्नरेस' | = किनां, किना- क्रि० वि० १ या अथवा २ मानो । सर्व० १ क्या । २ किसका । For Private And Personal Use Only T किनारी स्त्री० १ छोर किनारा । २ वस्त्र के छोर पर लगने वाली जरी गोट आदि । , किनारी पु० [फा०] किनारा] १ नदी वा जनावर किनारा, तट । २ वस्त्रादि का छोर । ३ सीमा हद ४ हाशिया । ४ लम्बाई की ओरकी कोर । ५ पाए बगल । ३ तटस्थता । -क्रि० वि० तरफ, ओर 1 किनिसी स्त्री करणी देवी का एक नाम। 0 Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org किमिया ( २३२ ) किरची किनिया-देखो 'कन्या' । -वळ-देखो 'कन्यावळ' । किरंड-देखो 'करंड'। किन-सर्व० किसे, किमको । -क्रि० वि० किस तरफ । पास, | किरडी-पु० सर्प, सांप । निकट। किर-प्रव्य. मानो । -पु० १ निश्चय । [सं० किरि] २ सूअर, किन्न-देखो 'क्रसरण'। वराह । ३ किरण । ४ पृथ्वी। किन्नर--पू० [सं० किन्नर] (स्त्री० किन्नरी) १ संगीत विद्या में किरइ-स्त्री० रहट की माल या रस्से को जोड़ने के काम आने कुशल एक प्रश्वानर देव जाति। २ इस जाति का वाली लकड़ी।। देवता । ३ गाने बजाने वाली एक जाति ।। किरक-१ दर्द । २ अस्थियों की पीड । ३ देखो 'करक' । किन्नरी-स्त्री० १ सारंगी । २ एक प्रकार की छोटी तंबूरी। किरकटौ-पु० गिरगिट । २ किन्नर जाति की स्त्री। किरकर-देखो 'किरकिर'। किन्नरेस-पु० [सं० किन्नरेश धनपति, कुबेर । किरकोट (8)-१ देखो 'करकांट'। २ देखो 'कुरकांट'। किन्ना-१ देखो किना' । २ देखो 'कन्या'। किरकांट, (कांटियो, कांट्यो, कांठियो, कांठी)-पु०१ गिरगिट । किन्नी-म्बी० पतंग के मध्य का डोरा जिस पर मंझा बांधा | २ एक देशी खेल (शेखावाटी)। जाता है। किरकिर, (री)-स्त्री० [सं०क कर] १ पिसे हुए आटे या चूर्ण के किन्या-देखो 'कन्या' -बळ, वळ='कन्यावळ' । --रास, रासि, अन्दर रह जाने वाले धूलि कण । २ बारीक धूलि कण । (सी)='कन्यारासि'। ३ निदाजनक यां हास्यास्पद अवस्था । ४ हंसी। किप-देखो 'कपि'। | किरकिरी खांनौ-पु० [१० किरकिराकखांनः] १ऊन । २ ऊनी किपरण-देखो 'क्रपण' । वस्त्र । ३ बादशाह या राजा के सब प्रकार के बिना सिले किफायत-स्त्री. १ काफी ३. अमित होने का भाव । २ कम | कपड़ों का संग्रह स्थान । ४ इस प्रकार के कपड़ों संबंधी खर्च । ३ थोड़े में काम चलने की स्थिति । ४ बचत । विभाग। किफायती-वि० कम खर्च करने वाला, मितव्ययी। किरकिरी-वि० [सं० कर्कर] (स्त्री० किरकिरी) १ कंकर या किबला-स्त्री० [अ०] १ पश्चिम दिशा । २ मक्का नामक धूलिकणों से युक्त । २ कंकरीला । ३ बेस्वाद । -पु० मोटे पवित्र स्थान । लोहे में छेद करने का एक औजार । किपि-वि० कुछ, कुछ भी। किरकोळ-पु० परचून या फुटकर सामान । किम-सर्व० [सं० किम्] क्या । -क्रि०वि० कैसे। किरको-पु० १ टुकड़ा, खण्ड, दाना । २ शक्ति, बल । ३ साहम । किमए-क्रि०वि० महान कष्ट से । किरकोड़-स्त्री० कंकाल, अस्थिपंजर । किमकरि, किमत्र-क्रि०वि० कैसे । किरखी-स्त्री० [सं० कृषि] खेती, कृषि । किमाड़, किम्माड़-देखो 'कपाट' । किरग-पु० [सं० करटी] हाथी। किमाढ़ी-देखो 'विवाड़ी'। किरगांठियौ-देखो 'किरकांटियौ' । किमि-वि० कम । २ देखो 'किम' । किरडणी (बौ)-क्रि० १ किमी ठोस वस्तु को दांतों से चबाना। किम्हइ-क्रि०वि० कैसे। २ क्रोध या निद्रावस्था में दांत पीसना। ३ दांत पीसने से कियंकर-देखो "किकर'। ध्वनि उत्पन्न होना। कियां, किया-क्रि०वि०१ कैसे । २ क्यों, क्योंकर । ३ किधर । किरडा-स्त्री० [सं० क्रीड़ा] क्रीडा, खेल, पामोद-प्रमोद । कियारथ-देखो 'ऋतारथ'। किरड़ियो-देखो 'किरडो' । कियारी (रो)-स्त्री॰ [सं० केदार] क्यारी, केदार । किरड़ी-पु. १ गिरगिट । २ हाथी । कियावर--देखो 'क्यावर'। | किरड़-स्त्री० १ रहट का रस्मा जोड़ने की काष्ट की कील । कियावरी (रौ)-देखो 'क्यावरि'। (रौ) २ अनाज को भिगोने या पकाने पर भी सूखा या सख्त रह कियाह-पु. लाल रंग का घोड़ा। -क्रि०वि० कहां। जाने वाला दाना। किये, किय-क्रि०वि० कहां। किरड़ी-पु० गिरगिट। कियो-पु. १ कहने का कार्य । २ आदेश । -सर्व० कौनसा । | किरच-स्त्री०१एक प्रकार की सीधी तलवार । २ टुकड़ा या खण्ड । । किरंटी-पु० [सं० किरीटी] १ इन्द्र । २ अर्जुन । -वि०किरची-स्त्री० १ रेशम की लच्छी । २ कोई लंबूतरा टुकडा, --वि• मुकुटधारी। खण्ड । ३ टुकड़ा, खण्ड । For Private And Personal Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किरची ( २३३ ) किरि P3 किरचौ-पु० १ टुकड़ा, खण्ड, करण । २ सुपारी का टुकड़ा । किरमाळ-स्त्री० [सं० करवाल] १ तलवार । [सं० किरणमाली] किरट, किरठ-वि० श्याम, काला। २ सूर्य, भानु । किरड-देखो "किरड'। किरमाळी-पु० [सं० कृतमाल] अमलताश । किरण-स्त्री० [सं०] १ सूर्य, चन्द्रमा या दीपक प्रादि से | किरमिज-पु. १ एक प्रकार का रंग । २ इस रंग का घोड़ा। निकलने वाली प्रकाश की सूक्ष्म रेखा, रश्मि । प्रभा । ३ किरिमदाने का चूर्ण। २ रजकरण । -उजळ, ऊजळ-पु. चन्द्रमा । -केतु-पु० किरमिजी-वि० [सं० कृमिज] १ किरमिज रंग का। मूर्य । -माळ-पु० तपता सूर्य । -पत, पति, पती-पु० २ चितकबरा। सूर्य । -बाळ-पु० एक प्रकार का घोड़ा। -माळी-पु० | किरमिर-पु० [सं० किर्मीरः] १ भीम द्वारा वधित एक राक्षस । सूर्य । -सेत-पु० चांद, चन्द्रमा। २ पांडु पुत्र भीम। किरणांपत (पति, पती) किरणार-पु० सूर्य । किरम्माळ किरम्माळा-स्त्री. तलवार । किरणाळ (र)-वि०१ तेजस्वी । २ वीर, योद्धा। -पु० सूर्य। किरळक्क, किरळी-स्त्री०१ चीत्कार, चिल्लाहट । २ किलकारी। किरणाळी-पु० [सं० किरण-पालुच] सूर्य । किरळावरणौ (बौ)-क्रि० १ चिल्लाना, चीत्कार करना । किरणावळी-स्त्री० किरण समूह । २ किलकना। किरणि-देखो 'किरण'। किरवाणी-देखो 'करवाळ'। किरणियौ-पु० १ छाता । २ संकेत देने का उपकरण । ३ एक किरसाण (न)-१ देखो 'किसान' । २ देखो 'कमांण' । बड़ा वृत्ताकार पंखा जो राज्य चिह्न होता है और जिस किरसारणी (नी)-देखो 'किसाणी' । पर सूर्य का चित्र होता है। किरांणी-पु० [सं० क्रयरण] १ नमक, तेल, मसाले प्रादि पसारी किरत-वि० [सं० कृत] किया हमा, कृत। -पु० १ नितंब के | का सामान । २ इस वर्ग की कोई एक वस्तु । ऊपर का हिस्सा । २ स्तन का ऊपरि भाग। ३ कार्य, किरांत-स्त्री० [सं० क्रांति ] शोभा, प्रकाश । काम । ४ जाल, प्रपंच । --गुरणी-वि० कृतघ्न, उपकार न | किराड-पु. १ वैश्य, बनिया, व्यापारी। २ नदी का तट । मानने वाला, गुणचोर। किराड़ी-पु० पशुओं का एक चर्म रोग। किरतका-देखो 'ऋतिका'। किराडो-देखो 'किराड़। किरतब (व, व्व)-देखो 'करतब' । किरात-पु० [सं०] (स्त्री० किरातणी, किरातिणी) १ एक किरतबी-देखो 'करतबी' । प्राचीन जंगली जाति, भील । २ चिरायता । ३ एक किरतम-वि० बनावटी, कृत्रिम । प्राचीन प्रदेश । ४ सईस, घुड़सवार । ५ शिव । ---पत, किरतार-देखो ‘करतार'। पति-पु० शिव । किरतारथ-देखो 'क्रतारथ' । किरातासी-पु० [सं० किरताशी] गरुड़। किरति, किरतियां, किरती (यु)-देखो 'ऋतिका' । किराती-स्त्री० [सं०] १ दुर्गा । २ स्वर्ग गंगा । ३ चंवर डुलाने किरतू-पु० दो रस्सों को परस्पर जोड़ने की काष्ठ की कील । | वाली स्त्री । ४ जटामासी । ५ किरात जाति की स्त्री। किरत्यां-देखो 'ऋतिका' । किरायची (तो)-पु० प्याज के काले बीज जो प्राचार में डाले किरन-देखो 'किरण'। जाते हैं । किरनाळ-देखो 'किरणाळ' । किरायणी (बौ)-क्रि० १ चिल्लाना, चीत्कार करना । किरपरण-देखो 'ऋपण' । २ कराहना। ३ रोना । किरपारण (पी)-वि० मजबूत, दृढ़ । देखो 'क्रपाण'। किरायाभट्टी-स्त्री० चूने के भट्रों के मालिकों से लिया जाने किरपा-देखो 'पा'। वाला कर। किरपाळ-देखो 'ऋपाळ' । किरायो-पु० [अ० किराया] १ मकान, सवारी प्रादि का भाड़ा । २ ढोवाई। ३ किसी वस्तु के उपयोग के बदले किरबांण (न)-देखो 'करवाळ' । दिया जाने वाला धन । किरम-पु० [सं० कृमि] कीट, कीड़ा । किरावर-देखो 'क्यावर'। किरमची-पु. १ मट मैला या करोंदिया रंग । २ इस रंग का | किरावळ-देखो करवाळ । कपड़ा । ३ इस रंग का घोड़ा। | किरि-अव्य. १ मानो, जैसे । २ देखो किरी' । किरमर (म्मर)--स्त्री० १ तलवार, कृपारण । २ मुसलमान। ३ देखो 'केरी' । For Private And Personal Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किरि । २३४ ) किलिविख किरिश, ()-देखो 'किरट'। किळकटारी-स्त्री० गिलहरी । किरिण-देखो 'किरण' । किलकरणी (बी)-क्रि० खिलखिला कर हंसना । २ किलकारी किरित्यां-देखो 'कतिका'। मारना । ३ कलरव करना। ४ कोलाहल करना । ५ कल्लोल किरियांणी-पु० पौष्टिक पदार्थों का बना पाक, अवलेह | या क्रीड़ा करना । ६ पक्षियों (चीलादि) का बोलना। या लड़। किलकार, (री, रौ)-स्त्री० १ खिल-खिलाहट । २ जोर की किरिया-देखो 'क्रिया'। -करम='क्रियाकरम'। हर्षध्वनि । ३ चीख, चिल्लाहट । ४ पुकार या किरियावर-देखो 'क्यावर। तीखी आवाज। किरियावरी-देखो 'क्यावरी' । किलकिचित-पु० संयोग श्रृगार के ११ हावों में से एक । किरियावरौ-देखो 'क्यावरौं' । किलकिल-देखो 'खिलखिल'। किरिराज-पु० [सं० करीराज] १ बड़ा हाथी । २ अंजन किलकिलणौ (बी)-क्रि० खिलखिलाना, हर्ष ध्वनि करना। नामक दिग्गज । किलकिला (ली)-स्त्री० [सं० किलकिला] १ हर्ष ध्वनि, किरी-स्त्री० काष्ठ का भीतरी ठोस भाग। किलकारी । २ एक प्रकार की बड़ी तोप । ३ समुद्र किरीट-पृ० [सं० किरीट:] मुकुट, ताज । का वह भाग जहां लहरें भयंकर शब्द करती हैं । किरीटो-वि० [सं० किरिटिन्] मुकुट धारी। -पु. १ इन्द्र ।। ४ मछलियों पर झपट्टा मारने वाली चिड़िया । ५ गुदगुदी। २ अर्जुन। ३ राजा । ४ मुर्गा। मुकूट । ६ २४ वर्णों। किलकिलाट (हट)-स्त्री० किलकिलकी ध्वनि, खिलखिलाहट । का एक छंद । किलकी-पु. १ एक प्रकार का बाण । २ देखो “किलक' । किरुण-देखो 'करुण। ३ देखो 'कलकी'। किरू-पु०१ हिन्दुवारणी या इन्द्रायण के फलों का देर किलक्क-देखो 'किलक'। २छाजन के महारे के लिए लगाई जाने वाली लकड़ी। किलक्करणी (बौ)-देखो 'किलकरणी' (बी)। किरे (र)-प्रव्य० मानो, जैसे।। किळचू-पु. एक प्रकार का पक्षी। किरोई-स्त्री०१ संधि स्थान की नर्म हडो। २ वक्षस्थल के मध्य | किलणा (बा)-दखा 'कालगा (बा) । की हड्डी जो पसलियों को जोड़ती है। किलब (बांइण) किलम, किलमांण, किलमायण, किलमी, किरोड़-देखो 'करोड़। किलमीर, किलम्म-पु० [अ० कलमः] १ मुसलमानों का किरोड़ी-पु०१ राज्य के लिए माल गुजारी उगाहने वाला धार्मिक मूल मन्त्र, कलमा । २ उक्त मन्त्र का पाठ करने कर्मचारी। -वि० १ करोड़, कोटि । २ देखो 'करोड़ी'। वाला मुसलमान । ३ मुसलमान । -नाथ, पत, पति, राई, रा -पु० बादशाह । किरोध-देखो 'क्रोध'। किललोळ-स्त्री० केलि, कोड़ा, कल्लोल । किरोळी-स्त्री० रहट की माल में लगने वाली लकड़ी की किलवांक-पु. काबुल देशोत्पन्न एक घोड़ा। छोटी कील । किलवारण (रणी)-वि० मुसलमान संबंधी । किरो-पु० अंगारेयुक्त राख का हर । किलविख (स)-पु० [सं० किल्विष] पाप, कल्मा । किलका-देखो 'किलक' । किलांग-देखो 'कल्याण' । फिलंग-पु० [सं० कल्कि १ विष्णु का १० वा कल्कि अवतार । किलांणी-स्त्री० [सं० कल्यागी] १ पार्वती। २ दुर्गा, देवी। २ कलिंग का निवासी। किलाजात-पु० किले या दुर्गों के प्रबंध संबंधी एक विभाग। किलंगी-देखो 'कलगी'। (जयपुर) किलगो-पु. एक प्रकार का पुष्प । किलादार-पु० किले का अधिकारी। किलब (बि, व, वि)-पु० [अ० कल्मः] यवन, मुसलमान । किलाबंदी-स्त्री०१ दुर्ग का निर्धारण । २ व्यूह र बना। ३ सुरक्षा ----- राइ, राय-पु० बादशाह । ४ शतरंज में बादशाह की सुरक्षा । किळ, किल-प्रव्य[सं०किल] १ निस्सन्देह, निश्चय ही. जरूर। किलावो-पु०१ स्वर्णकारों का एक प्रौजार । २ हाथी के गले २ उसी प्रकार वैसे. ही। में बंधा रहने वाला रस्सा। किलक, (का)-स्त्री०१ हर्षध्वनि, खिलखिलाहट । २ किलकारी । किलि-अव्य० निश्चय ही। ३ कलरव । ४ कोलाहल । ५ कल्लोल, क्रीड़ा। किलिविख-देखो 'किलविख' । For Private And Personal Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org किलिच्चि ( २३५ ) किस्टारण किलिच्चि, (च्छ)-पु. १ असुर । २ मुसलमान । | किसना-पु० [सं० कृष्णा] १ दक्षिण भारत की एक नदी । किलीखांनो-पु० १ लोह के उपकरण अस्त्र-शस्त्र बनाने का २ द्रौपदी । ३ देवी, दुर्गा । -वि० काली, श्यामा । कारखाना । २ अौजारों की खरीद व उनके मरम्मत आदि ___-गर, गरि-पु. १ अफीम, अमल । २ एक प्रकार का की व्यवस्था करने वाला विभाग । सुगंधित पदार्थ विशेष । —मिख-पु. लोहा। किलेदार-देखो 'किलादार'। किसनियो, किसन्न-देखो 'किसन' । किलोडौ-पु. छोटा बैल । किसब-पु० [अ० कस्ब] १ वेश्यावृत्ति, व्यभिचार । २ व्यभिचार किलोळ-देखो 'कलोळ'। की कमाई । ३ व्यवसाय, धंधा । ४ भावाभिव्यक्ति । किलोहड़ी-देखो किळोड़ो' । किसबरण (न)-स्त्री० १ वेश्या, रंडी। २ व्यभिचारिणी स्त्री। किलोळी-पु० वर्षा उपल, गिड़ा। हिमकण । किसम-देखो 'किस्म'। किलो-पु० [अ० किला] १ दुर्ग, गढ़, किला । २ सुरक्षित | किसमत-देखो 'किस्मत' । स्थान। किसमिस-स्त्री० [फा० किशमिश] सूखा अंगूर, दाख, द्राक्षा । किलो-लूटणी-पु० एक देशी खेल। किसमिसी-वि०१ किशमिश का, किशमिश से बना । २ अग्री किल्याण (ल्लाण)-देखो 'कल्याण' । | रंग का -पु० १ इस रंग का घोड़ा । २ देखो 'किसमिस' । किल्लयो (बी)-देखो 'कीलणी' (बी)। किसांक-वि० कैसा । किल्लादार-देखो "किलादार'। किसाण (न)-पु० [सं० कृषाण] १ कृषि कार्य करने वाला, किल्लाहर-पु० पुष्प । __ कृषक, किसान । २ रहस्य सम्प्रदाय में शरीर की इन्द्रियां । किल्लेदार-देखो 'किलादार'। किसणी (नी)-वि०१ किसान का, किसान संबंधी । २ कृषि किल्लौ-देखो 'किलो'। संबंधी। ३ देखो 'क्रसारण'। किव-क्रि० वि० १ किस, कारण, क्यों । २ देखो 'कृपाचार्य' । किसाक, (उ) किसायक. किसाहिक (हीक, हेक)-वि० १ कैसा । ३ देखो 'कवि'। -राज, राय-'कविराज' । २ कौनसा । ३ किसका । -क्रि० वि० कैसे, किस तरह । किवळी-अव्य. केवल। किसारी-देखो 'कसारी' । किवहरि-पु० १ बिना मात्रा का व्यंजन । [सं० कृपाचार्य गृह] | किसियक, किसी (क, यक)-सर्व० १ कौन, कौनसी । २ कोई। २ कृपाचार्य का भवन । ३ कैसी । ४ कुछ। किवारण (रणी)-स्त्री० [सं० कृपाण] तलवार खड्ग । किसू-सर्व० क्या, कौन । -वि० कैसा, कौनसा। -क्रि० वि० किवाड़-देखो 'कपाट'। किसी तरह। किवाड़ी-देखो "किंवाड़ी'। किसूक-सर्व० कोई। किवाचार-पु० [सं० क्लीव+प्राचार्य] क्लीवाचार्य । किसोइ, किसोइक, (ईकी) किसोक, किसोयक-वि० सं० किश] किवि-वि० [सं० किमपि] कुछ, कुछ भी। १ कंसा । २ कौनसा ।। ३ किसका। किवे-वि० [सं० क्लीब] क्लीब, नपुसक, हिजड़ा । किसोयरी-पु० [सं० कृशोदरी] पतली कमर वाली स्त्री । किस-सर्व० कौन । क्या । विभक्ति का पूर्व रूप । किसोर-पु० [सं० किशोर] (स्त्री० किशोरी) १ ग्यारह से पन्द्रह किसइ (ई)-वि० कौनसा। -क्रि० वि० किस प्रकार । वर्ष को प्रायु का लड़का। २ पुत्र, बेटा। ३ घोड़े का किसउ-वि० १ कौनसा । २ कैसा । बच्चा। ४ बछड़ा । ५ सूर्य । ६ एक मात्रिक छंद । -वि० किसकंदा, किसकंधा-देखो 'किस्किधा' । किशोरावस्था संबंधी। किसड़ी, किसड़ी'क-वि० कैसी। कोनमी । किसोरया-स्त्री० १ एक प्रकार की जड़ी। २ एक पक्षी विणेष । किसई, किसड़ौ-वि० कमा । कौनसा । किसौ, किसौ'क-वि० [सं० किदश] (स्त्री० किसी) १ कौनसा । किसण, किसणी-१ देखो 'किसन' । २ देखो 'क्रमणपक्ष' । २ कैसा । -सर्व० १ कौन । २ देखो 'किस्सो' । किसत-देखो 'किस्त'। किस्किध (धा)-पु० [सं० किष्किधा] १ मैसूर के पास-पास का किसतूरी (पूरी)-देखो ‘कसतूरी' । एक प्राचीन प्रदेश । २ इस प्रदेश की राजधानी । ३ इस किसन-वि०१ काला श्याम । - देखो 'क्रसरण' । - ताळ ताळू | प्रदेश के पास का एक पर्वत । ४ रामचरित मानस का -पु० काले तानु का घोड़ा या हाथी। वरण-पु० श्याम, | एक काण्ड । काला। -हर-पु० वर्षा ऋतु का एक लोक गीत । किस्टारण (न)-वि० ईसाई मत का अनुयायी । For Private And Personal Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किस्त कोचर किस्त-स्त्री० [अ०१ सम्पूर्ण ऋण का चुकाया जाने वाला कीट-पु० १ बच्चा, शिशु । २ अौलाद, संतान । ३ फल । एक निश्चित अश । २ उक्त प्रकार से अंशों में ऋण कोठे, कोंठे, कोंडे-क्रि० वि० कहां, किस जगह, कहां से। नकाने की विधि । ३ बकाया या जमा राशि में से निर्धा- कहीं-वि० कुछ । रित समय में प्राप्त होने वाला अंश । ४ पराजय, हार। को-पु० १ घोड़ा । २ हाथी । ३ सर्प । ४ वृषभ । ५ गुलाबी ५ शतरंज में बादागाह की कमजोर स्थिति। -बंदी-स्त्री. रंग। ६ व्यभिचारी व्यक्ति । ७ पुरुष । ८ बांस । ९ कुल । छोटे-छोटे टुकड़ों में ऋण चुकाने की व्यवस्था ।-वार-पु० १० क्रोध । -स्त्री० ११ पृथ्वी । १२ कमला १३ चींटी। पटवारियों के भूमि संबंधी दस्तावेज । -क्रि० वि० किश्तों १४ जिह्वा । १५ कुबुद्धि । १६ कुजी। --अव्य० १ एक में । किश्तों पर। विभक्ति । २ या, अथवा। -मर्व० क्या । -वि. कौनसा, किस्ती-स्त्री० [फा० किश्ती] छोटी नाव, नौका । --नुमा-वि० कौनसी। ___नाव के आकार का। की (ॐ) (क)-क्रि०वि० क्यों। -वि० कुछ । किस्म-स्त्री० [फा०] १ जाति, श्रेणी । २ प्रकार, भेद । ३ ढंग, कोकट-पु० [सं० कीकट:] १ कीड़ा । २ निर्धनता, कंगाली । रीति । ४ तरह भांति । ५ चाल, तर्ज । ३ मगध देश । -वि० निर्धन, कंगाल । किस्मत-स्त्री० [अ०] भाग्य, तकदीर। प्रारब्ध । -वर-वि० कीकर-कि० वि० १ कैसे, किस प्रकार । २ देखो 'कीकरियौ' । भाग्यशाली। कोकरियो-पृ० बबूल का वृक्ष । किस्मती-वि० १ भाग्यवान । २ किस्मत संबंधी। कोकस-पु० [सं० कीकसम्] १ हड्डी, अस्थि । २ क्षुद्र कीट । किस्यउ, किस्या, (क) किस्यु, किस्यो (क)-वि० १ कैसा । -वि० [सं० कोकम] दृढ़, मजबूत। २ कौनसा । कोको-स्त्री. १ प्रांत की पुतली । २ बच्ची, लड़की । ३ पुत्री, किस्सी-पु० [अ० किस्सः | १ कहानी, कथा। २ पाख्यान । बेटी। ३ घटना का विवरण । ४ हाल, वृत्तान्त । ५ ममाचार । ६ झगड़ा, तकरार। कोको-पु० (स्त्री० कीकी) १ बच्चा, शिशु । २ लड़का, बेटा । बिहडो-बि० (स्त्री० किहड़ी) कैसा ।। कीड़-स्त्री० [सं० क्रीड़ा] केलि, क्रीड़ा । किहां (ई)-क्रि० वि० कहां, किधर, किस जगह । कहीं पर। कोडापरबत-पुल्यौ० [सं० कीट-पर्वत] दीमक द्वारा बनाया किहारण-सर्व० कौन । किम । गया मिट्टी का ढेर । टीबा। वल्मीक । किहांगन-वि० कौनको, किसको। -क्रि० वि० किसलिये। सालय। बीबी की, नीती जिता कीड़ी-स्त्री० [सं० कीटी] १ चींटी, पीपिलिका । २ ज्वार के किहाड़ौ-वि० (स्त्री० किहाड़ी) कैमा । -पु० घोड़ों की पौधे का एक कीड़ा । -नगरौ-पु. वह स्थान जहां क जाति । कीड़ियां अधिक मात्रा में रहती हैं । चीटियों का घर। किहारि-क्रि० वि० १ किस पोर, किस तरफ । २ किस समय । अंगुलि पर्व या पैर के तले में होने वाला एक रोग। किहि-क्रि० वि० कहां, किधर । कीडीरीखाल-स्त्री० १ कुलांचे मार कर खेला जाने वाला एक किहिक-सर्व० कोई । किम । -वि० कुछ, जरा। खेल । २ कठिन कार्य । किहि (ही)-सर्व० १ किसी । २ कोई। किहिक, किहीक-देखो 'किहिक' । कीडो-पु० [सं० कीट] १ कीड़ा, चींटा, मकौड़ा।२ कीट, कृमि । किहिण, किहीण--पु. कथन, कहना । ३ गिरगिट । ४ माप । ५ जु । ६ खटमल । ७ थोड़े दिनों कहां-क्रि० वि० कहीं पर । का बच्चा । ८ पशुपों के रक्त विकार का एक रोग । कों-वि० [सं० किम कुछ, जरा, किचित। -मर्व०किम । कीच-पु० १ कीचड़, पंक, कादा । २ दलदल । ३ गाढ़ा दूध कॉक-वि० कुछ तो, जरा, किंचित। पदार्थ, मैला । ४ मेथी को भिगोकर तैयार किया गया कोंकर-क्रि० वि० [सं० किकर कंसे, किंग प्रकार । -पु० स्वर्ण-करण चिपकाने का पानी। ५ कीचक । -वि. काला, नौकर । दास । गुलाम। श्याम । कोंकू-सर्व० किसको। -पु० कुकुम । --पत्री-स्त्री० वैवाहिक | कोचक-पु० [सं०/ १ विराट राजा का माला जो भीम द्वारा ___या मांगलिक निमंत्रण-पत्र । मारा गया । २ खोखला बांस । ३ कीचड़ । .--अरि, कोंकोड़ो-देखो 'कंकेड़ो' । प्ररी, मारण-पु० भीम । रिपि, रिपु, सूदन-पांडपुत्र भीम कीजरौ, कोंगरौ-पृ. १ कलंक, दोष। २ कल-कलंक । का नाम । ३ लांदन। । कीचड़ (ल)-पृ० दलदल, कीच, पंक। गंदी बात । For Private And Personal Use Only Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोर फूळ कीट-पु० [सं०१ रेंगने वाला या उड़ने वाला छोटा जीव, कीरति (ती, ती)-स्त्री० [सं० कीतिः] १ यश, बड़ाई, प्रशंसा। कीड़ा । २ बच्चा । ३ तेल या घी का मैल जो बर्तनों पर २ ख्याति, प्रसिद्धि । ३ अनुग्रह । ४ विस्तार, फैलाव । जम जाता है। -वि० काला, श्याम*। ५ पुण्य । ६ प्रसाद । ७ सीता की एक मखी । ८ राधा की कोटी-स्त्री०१ दूध का खौया । २ देखो 'कीट' । माता। ९ दक्ष की कन्या व धर्म की पत्नी। १० एक मातृका । कोटौ-देखो 'कीट'। ११ दीप्ति, कांति, प्राभा । १२ अावाज । १३ कीचड, कोठ-पु० १ लोहे का शिरस्त्राण । २ देखो 'कीट'। पंक । १४ शब्द । १५ ार्या छन्द का एक भेद । १६ दश कोठे (8)-क्रि०वि० कहां । अक्षरों का एक वृत्त । -वि० १ श्वेत, सफेद । २ उज्ज्वल । कोडीऊ, कीडीप्री-पु. मोती विशेष, 'चीड' । -थंभ, थम, स्तंभ-पु. कीर्ति का आधार या प्रतीक । कोरगौ-पू० [सं० कयण] शाक, तरकारी प्रादि खरीदने के बदले | कील-स्त्री० [सं०] १ कील, परेक, खील । २ पिन । ३ कांटा, दिया जाने वाला अन्न। अंकुश । ४ जड़ । ५ खूटा । ६ धुरी । ७ खूटी। ८ एक कीत-१ देखो 'कीरति' । २ देखो "कित' । ३ देखो 'क्रीत' । तांत्रिक देव । १ स्तम्भ, खंभा। १० अनाज पीसने की चक्की कोतबर (वर)-देखो 'कीरतवर'। के मध्य की 'टी। ११ कांटा लगने से या जूती की कील कोति (ती)-देखो 'कीरती' । पैर में गड़ने से होने वाली मांस ग्रंथि । १२ देखो 'नील'। कीन-पु० कृत । -पु० मांस । कोलक-० [सं० कीलक:] १ किमी मंत्र की शनि, या उसके कानास-पु० स० कोनाशः। १ यमराज । २ एक प्रकार का प्रभाव का नाशक मंत्र । २ स्तंभित करने वाला। बन्दर । ३ किसान। कोलणी (बौ)-क्रि० [सं० कील बंधनं १ कीलें लगाकर मजबूत कोतू (ने, नौ, न्हो)-सर्व० किमको । करना, सुरक्षित करना । २ मंत्रों से वश में करना । कोप-पु० कीचड़, पंक । २ रम,पानंद । -वि० काला, श्याम* । ३ देखो खोलगो' (बी)। कोपला-पी० (नं० करपीठ] कोई छोटा सिक्का । कीला-स्त्री० [सं० क्रीड़ा] १ केलि, क्रीड़ा । २ खेल, कौतुक । कीम-सर्व० कैसे, किस प्रकार । ३ निसारणी छंद का एक भेद । ४ अग्नि, पाग । ५ ताप, कीमखाब-पु. स्वर्ण-चांदी के तारों से युक्त एक कीमती वस्त्र । पांच । -नंद-पृ० प्रत्येक चरण में छः यगरण का एक कीमत-पु० [अ०] १ मूल्य, दाम । २ महत्व । वर्ण वृत्त । -पति-पु० सूर्य, भानु । कोमति (ती)-वि० [अ०/१ मूल्यवान, बहुमूल्य । २ महत्वपूर्ण । | कीलाल-पु० [सं०] १ अमृत । २ शहद । ३ जल, पानी। ३ परीक्षक। ४ हैवान । ५ जानवर । ६ खून, रक्त । ७ सोमरम । कीमियागर-वि० रासायनिक । कोलालप-पु० भ्रमर । कीमियागरी-स्त्री. रासायनिक विद्या । कीलित-वि० [सं०] १ मंत्र से स्तंभित या रोका हमा। कोमियो-पु. १ रासायनिक क्रिया । २ देखो 'कीमियागर'। सरक्षित। कील से जडा मा। कीमो-पु० [अ० कीमा] हड्डी रहित खाने का गोश्त । कीलियो-१० मोट के रस्से में कील लगाने व निकालने वाला। कीयो-वि० कौनसा । कोली-स्त्री० [सं० कीलिका] धुरी, कील । कीर-पु० [सं०] १ तोता, शुक । २ धीवर, केवट । ३ कहार। कोस-पु० [सं०कोश:] १ बंदर । २ चिड़िया । ३ सूर्य । ४ पक्षी। ४ बहेलिया, व्याध । [सं० कीरम] ५ मांस, गोश्त । ५ गाय या भैंस का प्रथम बार दुहा हुया दूध । ---बर, कीरडणी (बौ)-देखो 'किरडणी' (बौ)। वर-पु० हनुमान। कीरत-देखो 'कीरति'। कीसउ-वि०१ कौनसा । २ कैमा। कोरतका-देखो 'कतिका'। कीसक-स्त्री० [सं० कीकम हड्डी, अस्थि । कोरतन-पु० [स० कीर्तन] १ भगवत भजन, कथा, कीर्तन । | कीसु (सू, सौ)-सर्व० सं० कीदृश्] कैसा, क्यों । २ यशोगान, कीर्तिगान । ३ जाप, जप । ४ किसी के नाम | कोहं, कोहां-क्रि० वि० कहाँ । को बार-बार कहने की क्रिया ।। कोरतनियो (तन्या)-वि० [सं० कीर्तनम् ] १ भगवान की कथा कोहुक-वि० तनिक, जरा थोड़ा। भजन आदि करने वाला । २ रामलीला के मेल करने वाला कु-कि०वि० १ क्यों। २ कैमे । ३ कौन । -वि० कूछ । व्यक्ति। कुपर (रु)-देखो 'कुमार' । कीरतबर (वर राय)-पृ० सं० की निबर या राज] १ उदार.। कुअरी-दखा 'कुमारा। यशस्वी । २ त्यागी। कुळ (छौ)-१ देखो 'कमळ' । २ देखो 'कोमळ' । For Private And Personal Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २३८ ) के डाळ कुमार-मो. [सं. कौमार्य] १ कुवारापन, कौमार्य । कुड-पु० [सं० कुण्ड:] १ छोटा जलाशय । २ हौज । ३ चौड़े २ देखो 'कुमार' । ३ देखो 'कुमार' । मुह का गहरा बर्तन । ४ अग्निहोत्र करने का गड्ढ़ा या कुमार मग-पु० अाकाश गंगा। पात्र । ५ लोहे का टोप । ६ चन्द्रमा या सूर्य के चारों ओर कुपारी-देखो 'कुमारी'। - घड़, घड़ा-देखो 'कुमारीघडा' ।। का वृत्त विशेष । ७ खप्पर । ८ कूप । ९ तगारी। १० शिव । कुमारी-वि० [सं० कुमार] अविवाहित । ११ एक नाग । १२ चन्द्र मण्डल का एक भेद । १३ अग्नि, कुई, कुईक-वि० कुछ। प्राग । १४ पर पुरुष की संतान । १५ कौमार्यावस्था की कुंौ-देखो 'कवौं'। मन्तान । -कीट-पु० चार्वाक मत का अनुयायी। पतित कुंकूड़ती-देखो 'कुकुमपत्री' । ब्राह्मण। -दामोदर-पु० द्वारका के निकट एक तीर्थ । कुंकरण-पु० दक्षिण भारत का एक प्रदेश, कोंकरण । | कुंडळ-पु० [सं० कुडल] १ मंडलाकार कान का आभूषण । कुंकम, कुकु, कुकु, कुकुम-पु० [सं० कुकुमम्] १ केसर । २ बाला । ३ मुरकी । ४ संन्यासियों के कान का भूषण । २ कुकुम, रोली। ३ हाथी। ४ कश्मीर । -पत्रिका, पत्री | ५ कोल्हु के चारों ओर लगा बंद । ६ सूर्य या चन्द्रमा का --स्त्री० विवाह प्रादि मांगलिक अवसरों का निमंत्रण-पत्र ।। वृत्त । ७ मोट के मुंह पर लगा रहने वाला मोटा गोल कुंकुमी-वि० १ केसरिया। २ कुकुम के रंग का । छल्ला । ८ ढोल पर लगाया जाने वाला गोल कडा, कुंगळ-देखो 'कंगळ' । छल्ला । ९ शेषनाग । १० मर्प । ११ नाभि । १२ छन्द में कुचकी, कुंचवउ-देखो 'कंचुकी' । द्विमातक गण । १३ बाईस मात्रा का एक छन्द । १४ प्रांख कुचित-वि० सं०] १ वक्र, टेढ़ा । २ मिकुड़ा हुआ । ३ मुड़ा का गड्ढ़ा। हमा, झुका हमा। कुंडळणी (नी)-स्त्री० सं० कुण्डलिनी] १ हठयोग के अनुसार कुचुक, कुचूक-देखो 'कंचुकी' । नाभि के नीचे प्रायः सुषुप्तावस्था में रहने वाली एक शक्ति । कुज-पु० [सं०] १ वक्ष व लताओं से परिवेष्टित सघन स्थल, ! २ इमरती नामक मिठाई। ३ सोमलता। ४ हाथी की लतागृह । २ हाथी का दांत । ३ मंगल ग्रह । ४ कमल । सूड । ५ डिंगल का एक छंद ।। ५ क्रौंच पक्षी । ६ अनाज रखने की मिट्टी की कुंडळिका-स्त्री० [सं० कुण्डलिका] दोहा व रोला युक्त एक कोठी -वि० लाल, रक्तवर्ण* | -क-पु० कचुकी । डिंगल छंद। --कुटीर-पु. लतावेष्टित कुटीर । -गळी-स्त्री० कुडळियौ-पु०१ वृत्ताकार रेखा । २ परा, वृत्त, गोला। ३ एक नतावीथी । तंग गली, रास्ता। -बिहारी विहारी-पु० मात्रिक छंद । ईश्वर । श्रीकृष्ण । --माळा-स्त्री० वनमाला, फुलमाला। कूडळी-स्त्री० [सं० डली १ जलेबी या इमरती-मिठाई। कुंजटियो-पु० घिसा हुअा व छोटा झाड़ । २ कचनार । ३ जन्म पत्री। ४ जन्म काल के ग्रहों की कुंजर-पु० [सं०] १ हाथी । २ एक नाग। ३ बाल, केश। स्थिति बताने वाला चक्र। ५ सर्प की बैठकः । ६ गेडुरी । ४ एक पर्वत । ५ छप्पय छन्द का इक्कीसवां भेद । -वि० ७ सर्प । ८ विष्णु । ९ मोर । १० धनुष । ११ मुर्रा भैस । श्रेष्ठ, उत्तम । ---परि, पाराति-पु. सिंह । --असण, १२ भैस के सींगों की बनावट । १३ वरुण । १४ एक प्रसन-पु० पीपल का पेड़। -प्रारोह-पु. महावत । वाद्य । १५ चितकबरा हिरन । १६ कुडल । १७ लोहे में कुजरच्छाय-पु० ज्योतिष का एक योग । छेद करने का अौजार । १८ पशुओं का वृत्ताकार दाग । कुजळ-पृ० १ छाछ, मट्ठा । २ हाथी, गज । १९ अांखों का एक रोग । २० अगुठी के ऊपर का घरा । कुंजा-देखो 'कुरज'। कुडळीक-पु० सुदर्शन चक्र । कुजी-स्त्री० [सं० कुचिका] १ चाबी, ताली । २ किसी पुस्तक | | कुडसूरज-पु० सूर्य कुण्ड नामक तीर्थ । की टीका । ३ उपाय । कुडादड़ी-स्त्री० गेंद का एक वेल । कुजो-पृ० [अ० कूजा| १ पुरबा, चुक्कड़ । २ सुराही। कुडापंथ-पु० वाम मार्ग का एक भेद या शाखा । कुश-देखो 'कुज'। कुडापंथी-वि० कुडापंथ का अनुयायी । कुट-पृ० [सं० कुट| वक्ष । कुडारी-देखो 'कुडळी'। कुंठ, कुठित-वि० [सं० कुठित] १ जो तीक्ष्ण न हो, भोटा। कुडाळी-स्त्री० १ चौड़े मुह का मिट्टी का पात्र । २ मर्रा भैम । २ स्थूल बुद्धि । ३ मुर्ख । ५ उदाम । ६ मंद, फीका। कुंडाळ (ळियौ), कुंडाळी-पु० १ गोल चक्र । २ घरा, वृत्त । ७ निकम्मा। ३ मिट्टी का बना चौड़ा व गहरा जल पात्र । ४ नगारा । For Private And Personal Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुडियो ( २३६ ) कुभिला कुडियो-देखो 'कृडियो। के बावळ-देखो 'कुभाथळ' । कुडी-स्त्री० १ घोडा । २ मच्छी पकड़ने का यन्त्र । ३ मिट्टी या कुबारियौ-देखो 'कुभारियो' । पत्थर का बना गोलाकार पात्र । कबी-देखो 'कुभी'। कुडेळ-पु० [सं० कुण्ड] चन्द्रमा या सूर्य के इर्द-गिर्द बना वृत्त कुभ--पु० [सं० कुभः] १ मिट्टी का घड़ा, मटका । २ हाथी के जो वर्षा या वायु का सूचक माना जाता है। शिर के दोनों ओर उभरे हुए भाग । ३ बारह राशियों में से कुडोदर-पु० शिव का एक गण । एक । ४ प्राणायाम का एक भाग । ५ प्रति बारहवें वर्ष कुडो-देखो 'कूडौ'। पड़ने वाला एक पर्व मेला । ६ गुग्गल । ७ संपूर्ण जाति का कुरण-सर्व० कौन । एक राग । ८ उन्नीसवें अर्हत । ९ प्रहलाद का पुत्र । कुत-पु० [सं०] भाला, बरछी । -अप-पु. भाले की नोक ।। १० कुभकरण । ११ कुभकरण का पुत्र । १२ एक वानर । ---ग्रह-पु० वीर । योद्धा । १३ वेश्यापति । १४ अगस्त्य ऋषि । १५ मोर, मयूर । कुतळ-पु० [सं० कुतलः] १ सिर के बाल । २ बरछी। १६ हाथी । १७ हाथी का मस्तक । १८ धन । १९ प्रार्या ३ सम्पूर्ण जाति का एक राग । ४ बहुरूपिया। ५ एक गीत का एक भेद । २० शिव का एक गण । २१ देखो प्राचीन देश। -मुखी-स्त्री० कटार । 'कुभीपाक' । -कंदन-पु० श्री रामचन्द्र । ---क-पु० कता-देखो 'कुती' । प्राणायाम का एक भाग । -करण-पु० रावण का छोटा कतिभोज-पु० [सं०] पृथा को गोद लेने वाला राजा।। भाई । -कदन-पु० ईश्वर । श्रीराम । -- करन्न कती-स्त्री० [सं०] १ कुरु नरेश पाण्डु की ज्येष्ठ पत्नी।। 'कुंभकरण' । --कळत-पु० विवाहादि में बंदाने के काम पृथा। २ वरछी। आने वाला मांगलिक कलश । -कार-पु० मिट्टी के पात्र कुत्तल-देखो 'कु तळ' । बनाने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति । कुक्कट, कुथबौ-देखो 'कूथबौ' । मुर्गा । --कारी-स्त्री० कुलथी नामक औषधि । कुभकार कुद-पु० [सं०] १ कुबेर की नो निधियों में से एक । २ सफेद स्त्री । -क्रन (न)='कुभकरण' । -ज, जात-पु० फूलों का पौधा । ३ एक पर्वत का नाम । ४ विष्णु । -संभ्रम-अगस्त्य । द्रोणाचार्य । वसिष्ठ । कुभकरण । ५ कमल । ६ मोगरा । ७ नौ की संख्या*। -वि॰ [फा०] -थळ-पु. हाथी का गंडस्थल । -दासी-स्त्री० दुती, १ उदास, मंद । २ खिन्न । ३ कुण्ठित । ४ श्वेत, सफेद । कुटनी । -नरक-पु० कुभीपाक नरक । -नी-स्त्री० -लता-स्त्री० छब्बीस अक्षरों की एक वर्णवृत्ति । पृथ्वी, धरती । मच्छी फंसाने का यंत्र । –ळा-स्त्री० कुदण, (न)-पु० [सं० कुदन] १ स्वच्छ एवं उत्तम स्वर्ण । गोरखमुडी औषधि । -संधि-पु. हाथी के मस्तक के २ शुद्ध सोने का पत्र । ३ इस रंग का घोड़ा। -वि. बीच का गड्ढ़ा। -स्थळ, स्थळि-पु० हाथी का गंडस्थल । १ खालिश, शुद्ध । २ स्वच्छ । ३ उत्तम । ४ स्वणिम । - हनु-पु० रावण दल का एक राक्षस । ---साज-पु० मोने के स्वच्छ पत्तर बनाने वाला। कुंभावळ-पु० [सं० कुंभस्थल] हाथी का गंडस्थल । कुबरणी (नी)-वि० सुवर्ण का, मोने का। कुंभार-पु० [सं० कुंभकार] (स्त्री० कुभारी) मिट्टी के बर्तन कदम-पु० [सं०] १ कुन्द पुष्प । २ बिल्ली। बनाने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति । कुदाळ-पु. एक प्रकार का शस्त्र विशेष । | कुभारियो-पु. १ सिन्दुरिया रंग का एक विषैला सर्प । कुदी-स्त्री. १ धुले या रंगे हुए वस्त्र को लकड़ी से पीट कर तह २ देखो 'कु'भार'। जमाने की क्रिया । २ कूट-पीट । -गर-पु० उक्त कार्य कुभि (भी)-पु० [सं० कुंभी] १ हाथी । २ मगर । ३ एक करने वाला व्यक्ति । विषला कीड़ा । ४ कुभ संक्रांति । ५ बच्चों का एक रोग । कुदेरणौ (बो)-क्रि० १ छीलना । २ खरोंचना । ३ कुरेदना । ६ सर्प । ७ कुभीपाक नरक । ८ कायफल । ६ छोटा पड़ा। कुंदौ-पु० १ बन्दूक का पृष्ठ भाग, कुदा । २ प्राभूषणों में १० हंडिया। मोती पिरोने के लिए लगाया जाने वाला घेरा । ३ दरवाजे का कुडा। -वि० (स्त्री० कुदी) १ दृढ, मजबूत । २ हृष्ट कुभिक-स्त्री० एक प्रकार का नमक । पुष्ट, मोटा-ताजा। कुंभिका-स्त्री० [सं०] १ वेश्या । २ कुभी। ३ कायफल । कुबुध-बंधु-पु० चन्द्रमा । ४ यांख का एक रोग । ५ सूक रोग । ६ परवल की लत।। कुब-देखो 'कुभ'। कुभिनी-स्त्री० [सं०] पृथ्वी, भूमि । क बांग-त्री. १ बृरी व खोटो पादत । २ देखी 'कांग'। कुभिला-स्त्री० गक्षमों की एक देवी । For Private And Personal Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कभी ( २४० ) कुभी-देखो 'कुभि' । कुमार-पु० १ आश्विन मास । २ देखो 'कुमार'। कुभीक-पु० [सं०] १ जल कुभी । २ पुन्नाग वृक्ष । ३ एक | कुमारौ-देखो ‘क बारौ' । (स्त्री० कुमारी)। प्रकार का नपुसक। कुइलो-देखो 'कोयली'। कभीधान्य-पु० एक मटका अनाज । कुईजणी (बो)--क्रि० सड़ना खुमार उठना, विकृत होना । कुभोनस-पु० [सं०] १ क्रूर सांप । २ एक विषेला कीड़ा। (फल, हरि सब्जी आदि)। ३ रावण। कुनौ-देखो 'कूवौ' । कुंभीपाक-पु० [सं०] १ एक नरक विशेष । २ एक प्रकार का कुकड़लो-पु०१ दामाद संबंधी एक लोक गीत । २ देखो' कूकड़ो'। सन्निपात। कुकड़ी-स्त्री० १ सूत की लच्छो । २ काले बालों वाली भेड़ । कुंभीपाळक-पु० हाथीवान, फीलवान, महावत । __ ३ मुर्गी। कुभीपुर-पु० [सं०] हस्तिनापुर का प्राचीन नाम । | कुकड़ो-देखो 'कूकड़ो'। कुंभीमुख-पु० [सं०] नरक मतानुसार का एक फोड़ा। कुकर (रियो)-पु० [सं० कुक्कर] (स्त्री० कुकरी) १ कुत्ता, कुभीर-पु० [सं०] १ मगर, नक्र । २ एक प्रकार का कीड़ा। श्वान । २ कुत्ती का बच्चा। ___ ----प्रासरण (न)-पु. एक प्रकार का योगासन । कुकरड़ी-स्त्री० १ एक प्रकार का पौधा । २ कुतिया । कुभेण (भैरण)-देखो 'कुंभकरण' । कुकरड़ी-पु० कुता, श्वान (बच्चा)। कुभोदर-पु० [सं०] शिव का एक गण । कुकरम-पु० [सं० कुकर्म] बुरा कर्म, पाप, कुकृत्य । कुंभोलूक-पु० [सं०] बड़ा उल्ल् । कुकरमी-वि० बुरे कर्म करने वाला, पाप कृत्य करने वाला। कुभौ-देखो 'कुभ'। कुकरीनेपाली-स्त्री० एक प्रकार का शस्त्र विशेष । कुमकुमपत्री-देखो 'कुकुपत्री' । कुकव (वि, वो)-पु० मूर्ख कवि । कुंमळाणी (बी)-क्रि० १ मुरझा जाना, कुम्हलाना । २ सुस्त | कुकस-पु० १ अभक्ष्य एवं निकृष्ट अन्न, कदन्त । २ भूसी चारा । होना, उदास होना । ३ फीका या मंद पड़ना । कुकसाई-वि० १ नीच, दुष्ट । २ निर्दपी । ३ हत्यारा, वधिक । कुमुद-देखो 'कुमुदिनी' । कुकाई-स्त्री०१ कूकने की क्रिया या भाव । २ चिल्लाहट, पुकार । कुयर-१ देखो 'कुमार' । २ देखो 'कुमारी' । कुकाउ (ऊ)-वि० पुकारने, चिल्लाने या कूकने वाला। कुयुई-क्रि० वि० क्यों। कुकुदर-पु० १ चूतड़ का गड्ढा । २ कुकरोंधा। कुंळु-१ देखो 'कोमळ' । २ देखो 'कमळ' । (स्त्री० कुळी)। कुकुद (क)-पु० [सं० ककुद] बैल का कूबड़ । -बान-पु० कुवर-देखो 'कुमार'। -कलेवी-देखो 'कंबरकलेवौ'। बैल, वृषभ। कुवरी-देखो 'कुमारी': कुकुभ-पु० [सं०] १ एक राग विशेष । २ एक मात्रिक कुवरेस-पु० [सं० कुमार+ईश] ज्येष्ठ पुत्र । छन्द विशेष । कुवळ-१ देखो 'कमळ' । २ देखो 'कोमळ' । कुकुर-पु० [सं०] १ एक सांप । २ कुत्ता । --खांसी-स्त्री० कुंवाड़-देखो 'कपाट'। सूखी खांसी। कुवाड़ी-स्त्री० १ छोटी कुल्हाड़ी । २ देखो 'कपाट' । कुकुळ-पु० [सं० कुकूल] १ तुषाग्नि । २ नीव वंश। कुंवार-पु० १ आश्विन मास । २ देखो 'कुमार' । कुकुस्त-देखो 'काकुस्थ'। कुवारी-देखो 'कुमारी'। ---घड़ा='कंवारीघड़ा' । कुकोह-पु० [सं० कुक्रोध] १ अनुचित क्रोध । २ पर्वत । कुंवारो-देखो ‘कवारौं'। कुक्क-देखो 'कूक' । कु-पु० [सं० कु:] १ पृथ्वी । २ हृदय । ३ पोखर, ताल । कुक्कटवाहणी-स्त्री० बहीचरा देवी । ४ तट । ५ सरसशब्द । -वि० तनिक, थोड़ा। -उप० कुक्कुट-पु० [सं०] मुर्गा। -पासण (न)-पु. एक योगासन । -पाद-पु० एक प्राचीन पर्वत। -व्रत-पु० भादव शुक्ला संज्ञा शब्दों के आगे लगने वाला एक उपसर्ग । सप्तमी का व्रत । -सिखा-वि० रक्ताभ, लाल । कुपर-देखो 'कुमार'। कुक्कुर-पु. [सं०] १ कुत्ता, श्वान । २ एक ऋषि । कुअरि-पु० [सं० कु + अरि] १ वैरी, शत्रु, दुश्मन । कुक्याउ, कुक्याऊ-देखो 'कुकाउ'। २ देखो 'कुमारी'। कुक्ष, कुक्षि, कुख, कुखि-स्त्री० [सं० कुक्षि] १ पेट, उदर । कुप्रवर-देखो 'कुमार'। २ कोख, गर्भ । ३ गोद । ४ भीतरी हिस्सा। --भेद-पू० कुमाडो, कुलाड़ियो-देखो कवाड़ियो' । ग्रहण-मोक्ष का एक भेद । For Private And Personal Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra क. खत कुबेत पु० बुरी भूमि । कुठौर । कुख्यात वि० [सं०]] बदनाम, निदित । कुख्याति स्त्री० [सं०] बदनामी, निदा कुगति (ती) - स्त्री० दुर्दशा, दुर्गति । कुगात - पु० बेडौल, बुरा शरीर । www. kobatirth.org ( २४१ ) कुघट, कुघाट - पु० १ बुरा शरीर, बेडौल । २ विनाश, नाश । - वि० १ कुरूप । २ बेढंगा । भद्दा । कुड़की - पु० कठोर वस्तु चबाने से होने वाला शब्द । कुड़चियो पु० छोटा चम्मच । कुड़वी, कुछ कुधात स्त्री० [सं०] १ कुअवसर । २ छल-कपट । कुड़-पु० १ हिरन पकड़ने का लोहे का यंत्र, फंदा । २ कूप, कूश्रा (मेवाड़) । कुचार, कुचाल, कुचाली - वि० १ दुष्ट, नीच । २ उद्दण्ड । ३ कुमार्गी । स्त्री० १ बदमाशी, शंतानी २ कुचाल । ३ बुरा श्राचरण, दुष्टता । । कुचालक - वि० जिसकी चाल या प्राचरण बुरा हो । कुवाब- पु० १ बुरा कुचित वि० १ व कुचियादड़ी - स्त्री० एक देशी खेल । कुचिल वि० कुमा शौक । २ बुरी भावना । टेड़ा, तिरखा २ कुटिल ३ कुड़ (कुकी) स्त्री० [फा० कुर्क ] १ ऋणी व्यक्ति की मन या प्रचल संपत्ति जब्त करने का प्रदेश २ कान में डाला इलिया । । । ३ | जाने वाला तार का छल्ला । कान का बाला । ४ जानवरों को फंसाने का फंदा ५ नौ नाम वंशों में से एक । ६ इस वंश का नाम । ७ मुर्गी की कुछ समय के लिये बो देना बंद कर देने की अवस्था प्रमीन पु० सम्पत्ति कुर्क करने वाला राज्य कर्मचारी : कुड़कली - स्त्री० ० कान का आभूषरण विशेष, बाली । कुकुड़ती स्त्री० एक प्रकार की चिड़िया। कुड़ती देखो 'कुरती'। कुड़ती (त्यो ) - देखो 'कुरतो' । कुड़बड़ी - पु० चड़स के बीच लगने वाली लकड़ी । कुड़सी देखी 'कुरसी' । कुडाछाल-स्त्री० कुड़, बो-देखो 'कुटु' | ० कुटज की छाल । कड़ी - पु० (स्त्री० कुड़ी) १ लड़का, पुत्र । २ देखो 'कूड़ो' । कुवरण (न) - पु० [सं०] १ रक्त चंदन । २ कुकुम । कुच पु० [सं०] १ स्तन, उरोज २ पक्ष स्थल, छाती १ संकुचित । २ कठोर । ३ कृपण, कंजूस । ४ प्रति तीक्ष्ण कमली स्त्री० एक देशी खेल वि० । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कृषक पु० [सं०] षड्यन्त्र कुचक्री - वि० [सं०] षड्यन्त्रकारी । कुचमादी० [१]पालकी पूर्तता २ बदमाशी । ३ छेड़-छाड़ । कुचमादी वि० (स्त्री० कुमाल) १ चालाक, धूर्त २ बदमाश । ३ छेड़-छाड़ करने वाला । कृधरकी, कृचरड़ी, चरीत्री० इधन की पतली लकड़ी। कुचरड़ौ पु० १ अपयश, निंदा २ देखो कुचरकी' । कुचरणी (बी) कि० १ पाव को खरोंचना, कुचरना। २ रगड़ कर साफ करना । कुवरी- देखो 'कुचरको' । कुचरणी (ब) - क्रि० १ पैरों से रौंदना । २ मसलना । ३ तोड़नाफोड़ना, फूटना। बड़ा चम्मच कुचोप - वि० खराब, बुरा। -पु० असुर । कुड़ (at) - क्रि० १ कमर से झुक जाना । २ मोठ मा ज्वार कुच्चडढ़ौ- वि० कूची के समान दाढ़ी वाला । का पौधा अत्यधिक सूख जाना . कुचील - वि० [सं० कुचेल ] (स्त्री० कुचीलरणी) १ गंदा, मलिन । 1 २ मैले वस्त्रों वाला । ३ दुष्ट । ४ नीच, पतित । स्त्री० दुष्टता, नीचता । कुचीलो पु० एक काण्डो विशेष कुचेन पु० १ दुःख । २ व्याकुलता, व्यग्रता । कुचेस्टा - स्त्री० [सं० कुचेष्टा ] १ बुरी चेष्टाएँ । २ बुरी चाल । ३ बुरे भाव | कुछ - वि० [सं० किंचित्] १ तनिक, थोड़ा । २ कम मात्रा या संख्या में । सर्व० [सं० किश्चित् ] कोई पु० कुश । 'कोट' 1 कृति - वि० [सं० कुत्सित] निंदनीय, कुत्सित । कवि० जरासा बोड़ा बहुत कुज - पु० [सं०] १ मंगल ग्रह । २ वृक्ष । ३ नरकासुर । सर्व० कोई । वि० १ कुछ । २ रक्त वर्ण, लाल । कोई- वि० हरेक, प्रत्येक । साधारण, सामान्य । तुच्छ, छोटा । - वार- पु० मंगलवार । बुजरी वि० (स्त्रो० कुजरबी) १बुरा खराब २ विकट, ३ प्रतिभयंकर | For Private And Personal Use Only कुजळपणी - पु० [सं० कु + जल्पनं ] बकवास | कुजस पु० [सं०] कुश] अपयश, अपकीर्ति बदनामी। कुजांणी - वि० भ्रम में डालने वाली । कुजा स्वी० [सं०] सीता, जानकी। कुजात स्त्री० १ नीच जाति, शुद्र जाति । २ बकरी । - पु० ३ पतित पुरुष । कुजाब- पु० १ अपशब्द, गाली । २ अनुचित जवाब | Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुजीब कुढ़ियो कजीव (वौ)-पु० (स्त्री० कुजीवी) नीच या बुरा जीव, दुष्ट । । कुटब-पु० [सं०] १ परिवार । २ वंश, कुल । -जातरा, जात्रा, कुजोग-पु० [सं० कुयोग] १ बुरायोग, बुरा संयोग । यात्रा-स्त्री० संन्यास लेने के पश्चात् भिक्षार्थ पुनः परिवार २ अशुभ योग। में आकर भिक्षा मांगने की प्रथा । कुज्जी-पु० [फा० कूजा] १ मिट्टी का प्याला। २ मिश्री का कुटेव, (टेब)-स्त्रो० बुरी आदत, बुरा स्वभाव । डला, खंड । ३ देखो कुजौ' । कुट्टण-वि० १ पाजी, दुष्ट, बदमाश । २ मारने वाला। ३ सिंधी कुटंब-देखो 'कुटुंब । -जातरा, जात्रा, यात्रा='कुटुबयात्रा'। मुसलमानों की गाली। कुट-पु० [सं० कुटः] १ गृह, घर । २ गढ़, कोट । ३ घड़ा, कुट्टिम-पु० [सं०] १ पक्का प्रांगन, फर्श । २ अनार, दाडिम । कलशा जलपात्र । ४ हथौड़ा । ५ घन । ६ वृक्ष । ७ पर्वत। कुट्टी-स्त्री० घास की कतरन, भूसा। ८ एक बड़ी झाड़ी। कुठांम-पु० [सं० कु+स्थान] १ बुरा स्थान, कुठौर । कुटक (को, कक)-पु०१ विष, जहर । २ एक औषधि | २ अनुचित जगह । ३ नाजुक जगह । ४ अपात्र, कुपात्र । विशेष । ३ हल के पीछे हलवानी के साथ लगने वाली | ५ देखो 'कुठौर'। लकडी । ४ एक लता की जड़ । ५ खट्टा टुकड़ा। | कुठार -स्त्री० [सं० कुठारः] १ कुल्हाड़ी, परसा । २ विध्वंसक । ६ खण्ड, टुकड़ा। ३ कठिनाई से दूध देने वाली भैस या गाय । कुटकड़ो-पु० स्वर्णकारों का पीतल का बना सांचा जिसमें तारों कुठाळियौ-देखो 'पलाणियो' । की विभिन्न डिजाइने खुदी रहती हैं । कुठाली-स्त्री० स्वर्णकारों का औजार विशेष । कुटज-पु० १ एक वृक्ष का नाम । २ अगस्त्य ऋषि का नाम । कुठोड़ (ठौड़, ठौर)-स्त्री० १ बुरा स्थान । २ गुप्तांग। ३ द्रोणाचार्य का नाम । ३ देखो 'कुठांम'। कुटकरणौ (बौ)-क्रि० चबाना । कुडंड-देखो 'कोदंड'। कुटकी-स्त्री०१पहाड़ी प्रदेशों में होने वाला एक क्षुप । २ टुकड़ा। कुड-स्त्री० चट्टान, शिला। कुटको-पु० १ खण्ड, टुकड़ा। २ विभाग। ३ छोटा कण। | कुडांदड़ी-देखो 'कुडादड़ी' । ४ सुपारी का टुकड़ा। | कुडाव-पु० घातक या बुरा दाव, कुदाव । कुटणी (नी)-स्त्री० [सं० कट्टनी] १ दूती, कुट्टनी । २ भली कुडुब (उ)-देखो 'कुटुब'। स्त्रियों को बहका कर भ्रष्ट करने वाली स्त्री। ३ कूटने का कुडौ-पु० १ साफ किये अन्न की खलिहान में पड़ी ढेरी। हथियार । ४ कूटने की क्रिया । । २ इन्द्रयव का वृक्ष । ३ देखो 'क्रूड़ो'। कुटम-देखो 'कुटु'ब'। कुड्यापट्टी-स्त्री० १ घोड़े को गोल चक्र में दौड़ाने का ढंग । कुटळ-वि० [सं० कुटिल] १ वक्र, टेढ़ा तिरछा । २ छली, । २ इन्द्रयव का वृक्ष । कपटी । ३ दुःखदायी, क्रूर, दुष्ट । ४ मुड़ा हुमा । ५ झुका कुढंग-पु० १ बुरा ढंग, कुरीति । २ कुचाल । ३ अनुचित हुआ । ६ बेईमान । ७ चंचल । ८ श्वेत, पीत और लाल प्रणाली । -वि० १ खराब । २ बेढंगा । ३ भद्दा । नेत्रों वाला। -पु० तगर का फूल। -पण, पणी-पु० कुढं गौ-वि० (स्त्री० कुढंगी) १ कुमार्गी, चरित्रहीन । २ बेड़ेगा। टेढ़ापन । खोटाई। छल कपट। ३ कुरूप, भद्दा। कुटलांण, (लाई)-स्त्री० कुटिलता। छल, कपट । कुढ-१ देखो ‘कुढण' । २ देखो 'कढ' । कुटाई-स्त्री० १ कूटने की क्रिया या भाव । २ कूटने का कुदण (न)-स्त्री. १ मन में दबा हुआ क्रोध । २ घुटन। ३ चिढ़, पारिश्रमिक । ईर्ष्या । ४ अान्तरिक्ष दुःख । कुटाणौ (बी)-क्रि० कुटवाना, पिटवाना । कुटिळ-देखो 'कुटळ' । कुढ़णी (बी)-क्रि० १ मन ही मन क्रोध करना । २ खीजना, कुटिळकीट-पु० [सं० कुटिलकीट:] सांप । चिढ़ना । ३ मन मसोसना। ४ डाह करना । ५ बुरा कुटिळता-स्त्री० [सं० कुटिलता] १ टेढ़ापन । २ खोटाई । मानना । ६ शरीर को समेट कर चलना । ३ छल, कपट। कुढब-देखो 'कुढग'। कुटिळा-स्त्री० [सं० कुटिला] १ सरस्वती नदी ।२ एक कुढारणौ (ग), कुढ़ावरणौ (बौ)-कि० १ मन ही मन क्रोध हो, प्राचीन लिपि। ऐसी हरकत करना । २ खीजाना, चिढ़ाना । ३ दुःख देना, कुटो, कुटीरडो-स्त्री० [सं०] १ कुटिया, पर्णशाला। झोंपड़ी । तरसाना । ४ उंडेलवाना, डलवाना । २ घास का भूसा, चूरा। कुढ़ियो-पु. कूए पर काम करने वाला । For Private And Personal Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org ( २४३ ) कुवार कुण-सर्व० १ कौन । २ किस । [सं० क्वण] -पु० शब्द, | कुतालिकणी-स्त्री० एक प्रकार का ठुड्डी (हिचकी) पर होने आवाज। वाला रोग । २ कुत्तों के खाने पीने के लिए रोटी प्रादि कुणका-पु० अन्न, अनाज। डालने का पत्थर का पात्र । कुणकाई, कुरणको-स्त्री० 'मां' का अपमान सूचक संबोधन । कुतिक, (ज) -देखो 'कौतुक' । कुणकियो-पु० "पिता' का अपमान सूचक संबोधन । कुतियौ-देखो 'कुत्तौ'। कुणकुण, कुणकुणाहट-स्त्री० १ कुनकुनाहट, गुनगुनाहट । कुतुक-देखो 'कौतुक' । २ कलह । कुतुबनुमा-पु. दिशा निर्देश करने वाला यंत्र । कुरणकरणौ-वि० (स्त्री० कुणकुणी) गुनगुना, कम गर्म । कुतुहळ, कुतूहळ-पु० [सं० कुतूहल] १ कुछ जानने या देखने की कुणको-पु० अनाज का दाना। उत्कंठा, उत्सुकता । २ अभिलाषा ।३ क्रीड़ा, विनोद, कुणछल्यो-पु० छोटी कड़ाई। कौतुक । ४ विस्मय, आश्चर्य । ५ विनोदपूर्ण खेल । कुणद-पु० [सं० क्वणन] शब्द, आवाज । कुत्तर-देखो 'कुतर'। कुरणप-पु० [सं०] मृत शरीर, शव । कुत्ता मिनी-स्त्री० एक देशी खेल । कुणबी-पु. एक कृषक जाति व इस जाति का व्यक्ति । कुत्ती-पु० [सं० कुक्कुर] (स्त्री० कुत्ती) १ प्रायः ग्राम या कुणबु, कुणबी-पु० कुटुंब । नगरों में रहने वाला, मांस व अन्न भक्षी चौपाया छोटा कुरणरिवी-पु० बालक की दर्दपूर्ण अावाज । जानवर, श्वान, कुत्ता । २ पाइप यादि कसने का रिच । कुरणसोड़ो, कुणसौ-वि० कौनसा । कुत्र-क्रि० वि० कहां, कहां पर । कुरिण-देखो 'कुरण। कुथ-पु० [सं० कुथः] १ गिलाफ, खोल । २ कुश, दर्भ । ३ हाथी कुरणे-सर्व० किसे, किसको। की झूल । ४ गलीचा। कुण-सर्व० कोन, किसे । | कुथपरणौ (बी)-क्रि० १ विलोम या विपरीत होना या करना। कुण्यां-देखो 'कुण'। २ खराब होना। कुत-देखो 'कूत'। कुयांन-देखो 'कुठांम'। कुतक, कुतको-पु. १ डंडा । २ छोटी लकड़ी। कुथाळ-वि० १ विपरीत, उल्टा। २ खराब । ३ विपरीत कुतड़ौ-देखो 'कुत्तौ' (स्त्री० कुतड़ी)। दिशा में। कुतदबी-पु० एक प्रकार का घोड़ा। कुतप-पु० [सं० कुतपः, कुतुपः] १ मध्याह्न में होने वाला कुथि-पु० एक सूर्यवंशी राजा । ___पाठवां मुहर्न । २ तेल डालने का चमड़े का बना कुप्पा। । कुदतार, कुदतौ-वि० १ कृपण, कंजूस । २ नीच । कुतब (ब्ब)-पु० [अ० कुत्ब] १ मुसलमान महात्मा विशेष । कुदरत, (ता)-स्त्री० [अ०] १ प्रकृति, पंचभौतिक प्रकृति । २ कुतुब मीनार । ३ ध्रुव तारा । २ माया, लीला । ३ अदृश्य शक्ति । ४ महिमा, प्रभाव । कुतर-पु. १ वस्त्रों के चिपकने वाली घास । २ ज्वार-बाजरी के ५ स्वभाव, प्रादत । ६ बनावट, आकार । -पत, पति-पु. ईश्वर। डंठलों के कटे हुए छोटे टुकड़ों का ढेर । ३ कतरन । -वि० नीच, दुष्ट। कुदरती-वि० [अ०] १ प्राकृतिक । २ स्वतः निर्मित । ३ स्वाभाविक । ४ दैवी, ईश्वरीय । कुतरक-पु० [सं० कुतर्क] १ बुरा तर्क, बेढंगी दलील । २ बकवाद । ३ वितंडावाद । कुदरसरणी (नी)-वि० दिखने में भद्दा, अशुभ । कुतरड़ौ-देखो 'कुत्तौ' । (स्त्री० कुतरड़ी)। कुदान-पु० [सं० कु-दान] १ बुरा दान । २ अपात्र को दिया जाने वाला दान । ३ कूदने की क्रिया या भाव । ४ एक कुतरवेड़-पु० कुत्तों का समूह । छलांग की दूरी।५ पैर की जूती। कुतरौ-देखो 'कुत्तौ' । कुदाणी (बौ)-क्रि० १ कूदने के लिए प्रेरित करना । कुतवार-पु०१फसल का कूता करने वाला व्यक्ति । २ कोतवाल । २ उछालना। कुतवी-पु० एक प्रकार का खाद्य पदार्थ, चूरमा । कुदात-वि० कृपण, कंजूस । कुतवारी-स्त्री० कोतवाल का पद या कार्य । कुदार, कुदारा-स्त्री० [सं० कुदारा] १ बदचलन स्त्री पतिता। कुतांधासी-देखो' ककरखांमी' । २ कलहगारी स्त्री। For Private And Personal Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुदाळ ( २४४ ) कुबलय कुदाळ, (ळी,ळी)-स्त्री० [सं० कुद्दाल] १ मिट्टी खोदने का कुपळी-स्त्री० कोंपल। बड़ा उपकरण । २ कुदाली, फावड़ा। -वंती-पु. १ लम्बे कुपह-पु० [सं० कुप्रभु] १ दुष्ट व अन्यायी राजा । २ कुपथ, जबड़े का घोड़ा। (अशुभ) २ देखो 'कुदाळ' । । कुमार्ग। कुदाव-पू० [सं०] १ बुरा व घातक दाव । २ बुरा अवसर । | कपटी-वि० [सं० कपय +] Ful ३ बुरी चाल । दुष्ट, नीच। दिन--पू० [सं०] १ बुरा दिन । २ पापात् कालीन समय । कूपातर (पात्र)-वि० [सं० कुपात्र] १ अयोग्य, कुपात्र । २ जिसे ३ दुःख का दिन । ४ एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच दान देना शास्त्रों में निषिद्ध हो । ३ कपूत । का समय। | कुपाती-वि०१ कुपथगामी, नीच, पामर । २ उद्दण्ड । ३ उत्पात कुविस्टी-स्त्री० [सं० कुदृष्टि] १ बुरी नजर । २ कोप दृष्टि । करने वाला। ३ पाप भरी नजर। कुपाळी-स्त्री० [सं० कपाल] १ खोपड़ी, कपाल । कुदीळ-देखो ‘कुदाळ' । -पु० २ [सं० कापालिक] श्मशान योगी। कुदेव-पु० [सं० कुः+देव] १ भूदेव, ब्राह्मण। [सं० कुदेव] | कुपि-देखो 'कुप्पी'। २ दैत्य, गक्षस । कुपियौ-पु. १ सुराईनुमा मिट्टी का जल-पात्र । २ मशीनों में कुदौ-देखो 'कु'दो' (स्त्री० कुदी)। तेल देने का पतले व लंबे मुंह का पात्र । ३ कुप्पा । कुद्दाळ-देखो ‘कुदाळ'। | कुपी (प्पी)-स्त्री० [सं० कुतुप] १ मशीनों में तेल देने की कुधन-पु. [सं०] १ पाप की कमाई । २ काला धन । ३ लूट कुप्पी । २ छोटे व संकरे मुंह वाला मिट्टी या धातु का ____ का माल । ४ बकरी। बना जलपात्र। कुधर-पु० [सं० कुः+ध्र] पहाड़, पर्वत । कुपीच-पु. १ कष्ट । संकट । २ यातना । ३ कुपथ्य । कुधार-वि० १ क्रोधी । २ क्रुद्ध । कुपुरिस-पु०१ कापुरुष । २ कुपुरुष । कुधिक-वि० क्रुद्ध । कुफंड-पु० धूर्तता, पाखंड, ठगी। कुधी-वि० मंद बुद्धि, मूर्ख । कुफंडी-वि० धूर्त, पाखंडी, ठग । कुनख-पु० नाखून का फोड़ा। कुबंग, (गौ)-वि० विरुद्ध । कुनटी-स्त्री० [सं०] मन:शिल, मैनशिल । कुबड़-देखो 'कूबड़'। कुनण-१ देखो 'कुदन' । २ देखो 'कुनैन' । कुबड़ौ-देखो 'कूबड़ौ' । (स्त्री० कुबड़ी)। कुनणपुर-पु० १एक प्राचीन नगर । २ लंका का एक नाम । कुनफौ-पु. नुकसान, हानि । कुबज-वि० १ नीच २ नीचा । ३ टेढ़ा, वक्र । ४ कुबड़ा। कुनबी-देखो 'कुणबी'। -पु० एक वात रोग विशेष । कुनबौ-देखो 'कुटुंब'। कुबजक-पु० १ कुज । २ कूजा नामक वृक्ष । कुनर-पु० बुरा आदमी। कुबजका, कुबजा, कुबजीका, कुबज्जा, कुबज्या-स्त्री० [सं० कुनाम (नाव)-वि० बदनाम, निदित । कुब्जिका] १ दुर्गा का एक नाम । २ अाठ वर्ष की कन्या। कुनांमि-पु० धन, द्रव्य । ३ कंस की एक कुबड़ी दासी। कुनार-स्त्री० [सं० कुनारी] पतिता स्त्री। कुबर्णत-पु० बाण विद्या में निपुण । कुन-कि०वि० किस तरफ । कुबत-स्त्री० [अ० कुप्रत] १ बुद्धि, अक्ल । २ उपज। ३ बुरी कुनैन-पु० बुखार की कड़वी औषधि । बात । ४ चालाकी। कुन्नण-देखो 'कुदन'। कुबद (ध)-स्त्री० [सं० कुबुद्धि] १ धूर्तता, नीचता। २ चालाकी कुन्याय-पु० १ पक्षपात पूर्ण न्याय । २ अन्याय । बदमाशी । ३ छेड़-छाड़ । ४ मूर्खता, खराब बुद्धि । कुपंथ-पु० कुमार्ग। -मूळ-वि० चोर । कलह प्रिय ।। कुपंथी-वि० कुमार्गी। कुबदी, कुबदीडो, कुबधिड़ी, कुबधी-वि० [सं० कु-+बुद्धि] १ धूर्त, कुपड़ो-देखो 'कुप्पी'। चालाक । २ नीच, शैतान । ३ उद्दण्ड, नटखट । ४ पाखंडी। कुपछि. कुपथ, कुपथ्य-पु० [सं० कुपथ्य] १ स्वास्थ्य के लिए -पु० चोर । हानिकारक पदार्थ । २ गरिष्ठ भोजन । ३ कुपथ, कुमार्ग। कुबलय-वि० नीला, ग्रासमानी । For Private And Personal Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुबलयापीड़ ( २४५ ) कुमारणो 'युमा कुबलयापीड़-पु० कंस का एक हाथी।। कुमकुमौ (कमकुम्मौ)-पु० [तु० कुमकुमा] १ लाख का खोखला कुबळयासव-पु० [सं० कुबलयाश्व] १ सूर्य वंशी राजा धुधुभार गोला। २ कुकुम । ३ सिंदूर । ४ रंग विशेष का घोड़ा। का नाम । २ पाताल केतु को मारने वाला घोड़ा । ५ गुलाब । ६ केसर, कस्तूरी, कपूर को मिलाकर घिसा कुबस-वि० अमांगलिक, अशुभ । हुमा वंदन । ७ मकान की छत में लटकाए जाने वाला कुबांरण-स्त्री० १ बुरी आदत । २ अशुभ वाणी । ३ देखो काच का गोला। ___'कबांग'। कुमक्ख, कुमख-स्त्री० १ क्रोध, गुस्सा । २ हीरा । कुबाक-पु० [सं० कुवाक्य] कटु वचन । ३ देखो 'कुमक'। कुबुध-देखो 'कुबद'। कुमखणी (बौ),कुमक्खरणी (बौ)-क्रि० कोप करना, क्रोध करना । कबुधि-देखो 'कुबदी'। कुमखा-स्त्री०१ कुदृष्टि । २ प्रकोप । कुबेणी (नी)-स्त्री० [सं० कुबेनी] १ मछली फंसाने का यंत्र । कुमजा-देखो 'कमज्या'। २ शिकार की मछली रखने की डलिया।। कुमट, कुमटियो-पु० १ एक कांटेदार वृक्ष जिसकी फली के कुबेर-पु० [सं०] नौ निधियों के भण्डारी व यक्षों के राजा एक बीजों का शाक बनता है। २ उक्त वृक्ष का बीज । देवता। | कुमणा-स्त्री० क्रोध, गुस्सा । कुबेरियां-देखो 'कवेळा' । कुमणेती-स्त्री० बांण विद्या में निपुणता। कुबेरी-स्त्री० १ कुबेर की स्त्री । २ दुर्गा का एक नाम। कुमत, (ति,ती)-स्त्री० [सं० कुमतिः] कुबुद्धि, दुर्बद्धि । ३ लक्ष्मी । उल्टी मति । कुबेळा-स्त्री० [सं० कु + वेला] १ असमय, कुसमय । कुमद-देखो 'कुमुद' । २ अनुपयुक्त समय । कुमदरणी-देखो 'कमोदणी'। कुबैरण-पु० [सं० कु-वचन] बुरे व कड वे वचन । अपशब्द ।। कुमददंती-पु० नैऋत्य दिशा का दिग्गज । कुबोध-पु० [सं० कु+ बुद्धि] १ मूर्खता, नासमझी । २ ज्ञाना- | कुमदनि (नी)-देखो 'कमोदनी'। भाव । ३ दुर्बोध । कुमदबंधु-पु० [सं० कुमुदबंधु] चंद्रमा, चांद । कुबोल-देखो 'कुबैण'। कुमया-स्त्री० नाराजगी, गुस्सा । कुबोलौ-वि० (स्त्री० कुबोली) अपशब्द कहने वाला । कटुभाषी। कुमर-देखो 'कुमार'। कुबौ-वि० (स्त्री० कुबी) मुड़ा या झुका हुमा । कुबड़ा । कुमरक-पु० [सं० कुबरक] भयानक गड्ढ़ा। कुब्ज-पु० वात विकार से होने वाला कूबड़ का रोग । कुमरांणी-स्त्री० [सं० कुमार-रानी] १ राजकुमार की पत्नी। कुमच्छ-वि० अभक्ष्य । कुपथ्य । २ राजकुमारी। कुभट-वि० कायर, डरपोक । कुमरि-स्त्री० राजकन्या, राजकुमारी । कुमारी। कुभरी-पु. एक प्रकार का वृक्ष । | कमरिया-स्त्री० हाथियों की एक उत्तम जाति । कुभारजा-स्त्री० [सं० कुभार्या] १ कुपत्नी, कलह प्रिय स्त्री। कुमल, कुमलय-पु० कमल। २ पतिता स्त्री। कुमखी-वि० क्रोध करने वाला। कुमळणी (बौ) कुमलाणी (बी) कुमलावणी (बौ)-क्रि० कुमंख्या-स्त्री० पासाम की कामख्या देवी। कुम्हलाना, मुरझाना। कुमंत्री-पु० [सं०] बुरी सलाह देने वाला अमात्य । कुमलियापीड़-देखो 'कुबलियापीड़' । कुमक-स्त्री० [तु० कुमुकी] १ सैनिक कार्यों के लिए दी जाने कुमला कुमली-वि० महामलिन, नीच । वाली सहायता । २ सेना, फौज । ३ सेना द्वारा दी जाने | कुमारण, (एस)-पु० [सं० कु-मानस] १ बुरा व नीच मनुष्य । वाली मदद । ४ किसी प्रकार की मदद या सहायता । २ राक्षस । -वि० १ दुष्ट । २ क्रूर, निर्दयी। ३ कपटी, कुमकरणी (बो) कुमखरणो (बौ)-क्रि० कोप करना । छलिया। ४ पतित । कुमकी-स्त्री० [तु० कुमक] १ हाथियों को पकड़ने में सहायता ! कुमांनेतरण-वि० दुहागिन । देने वाली हथिनी । २ देखो 'कमक' । कुमाई -देखो 'कमाई'। कुमकुमई-देखो 'कमकुमौ'। कुमाया-स्त्री० ढोंग। कम कुमो-स्त्री० नस्ती. उन्मत्तता । कुमारणौ (बौ), कुमावरणौ (बौ)-देखो 'कमाणी' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमार कुमार-पु० [सं०] (स्त्री० कुमारी) १ पांच वर्ष की आयु तक | कुमेड़ियो-पु० एक छोटी जाति का हाथी। का बालक । २ पुत्र, बेटा । ३ वह लड़का जिसका पिता | कमेत, (मैत)-पु० स्याहि लिए हुए लाल रंग का घोड़ा । जीवित हो। ४ युवराज । ५ राजकुमार । ६ स्वामि | कुमेर(रो)-स्त्री०१ पाठ नामक लता । २ महरबानी का प्रभाव । कात्तिकेय । ७ अग्नि । ८ तोता । ९ सिन्धु नद । १० मंगल- ३ देखो 'कुबेर'।। ग्रह । ११ एक प्रजापति । १२ सनत्कुमार । १३ बालकों कुमेळ-पु. १ अनबन, द्वेष, वैमनस्य । २ बेमेल । ३ शत्रु । पर असर करने वाला एक ग्रह । १४ सोना, स्वर्ण। कुमोदरणी-देखो 'कमोदरण' । १५ अविवाहित अवस्था । १६ देखो 'कुभार'। -वि० कुमौज-पु० १ कष्ट, दुःख । २ नाखुशी । ३ अनिच्छा । अविवाहित, कुवारा । -पण, पणौ-पु० कुमारावस्था। ४ अशिष्ट क्रीड़ा। कौमार्यावस्था । -मग-पु० आकाश गंगा । -महि, कुमौत-पु० अकाल मत्यु, बेमौत । मही-पु० मंगल । कुम्म-पु० [सं० कूर्म] कच्छप, कछुना। कुमारग-पु० [सं० कुमार्ग] १ बुरा मार्ग, बुरी राह । २ बुरा कुम्माथळ-देखो 'कुम्भस्थळ' । कर्म । ३ बुरा पाचरण । ४ जीवन की असामाजिक | कुम्मेव-देखो 'कुमेत'। दिशा । ५ अधर्म । --गांमी-वि० बुरे रास्ते जाने वाला। | कुम्मेर-देखो 'कुबेर'। बदचलन । अधर्मी। कुम्हलणौ, (बी), कुम्हलाणी (बो)-क्रि० १ मुरझाना, कुमारड़ी-देखो 'कुमारी'। कुम्हलाना । २ सूखना। ३ उदास या खिन्न होना । कुमारपाठी-पु० घृतकुमारी का क्षुप । कुम्हार-देखो 'कु भार'। (स्त्री० कुम्हारी)। कुमारिका--देखो 'कुमारी'। कुम्हारियो-पु. १ अत्यन्त जहरीला सर्प । २ देखो 'कुभार'। कुमारिकाखेत्र, (मण्डळ)-पु० वर्ण व्यवस्था वाला देश, कुयोजणी (बौ)-क्रि० खमीर उठना, सड़ना। भारतवर्ष । कुयोग-पु० १ बुरायोग, कुअवसर । २ बुरा मौका । ३ अशुभ कुमारियो-पु० १ एक प्रकार का सर्प । २ देखो 'कुमार'। योग । -वि० अयोग्य । कुमारिल-भट्ट-पु० [सं०] एक प्रसिद्ध मीमांसक । कुरंग (गांरण) (गि, गो)-पु० [सं० कुरंग] १ हिरन, मृग । कुमारी-स्त्री० [सं०] १ बारह वर्ष तक की लड़की, कन्या । २ 'कुमेत' रंग का घोड़ा । ३ संसार । ४ पतग । ५ अशुभ २ घीकुपार । ३ श्यामा पक्षी । ४ सीताजी का या बुरा रंग । -वि० १ बदरंग । २ असुहावना । एक नाम । ५ राजकुमारी । ६ पार्वती। ७ दुर्गा । ३ चंचल । ८ चमेली । ९ बड़ी इलायची। १० नव मल्लिका । ११ एक | कुरंज-पु. क्रौंच पक्षी। नदी । १२ भारत के दक्षिण का एक अन्तरीप । द्वीप। कुरंड-स्त्री० एक प्रकार का वृक्ष व उसकी छाल । १३ कुंभकार स्त्री, कुम्हारी। १४ एक प्रकार की मक्खी। | कुरंद (दा, द्रा)-स्त्री० निर्धनता, दरिद्रता । -वि० अविवाहिता । -घड़ घड़-स्त्री० बिना युद्ध | कुरंब- देखो 'कुरब' । की हुई सेना। -पूजन-पु. देवी पूजा के समय कुमारी | कुरंभ-पु० [सं० निकुरंभ] समूह । बालिकाओं का पूजन। कुरंभी, कुरंम (म्म)-देखो 'कूरम' । कुमार (क)-देखो 'कुमार'। कुर-१ देखो 'कुरु' । २ देखो 'कौरव' । कुमो-देखो 'कमी'। कुरक–देखो 'कुड़क'। -नांमौ='कुडकनांमौ' । कृरकांट (कांठ)-देखो 'करकांट' । कुमीठ-स्त्री० कुदृष्टि । कुरकर-पु० १ कुत्ता, श्वान : २ शब्द, ध्वनि । ३ कड़ी वस्तु के कुमुख-पु० [स०] १ दुर्मुख नामक रावण का एक योद्धा ।। | टूटने की आवाज। २ सूअर । ३ देखो 'कुमक्ख' । -वि० भद्दे चेहरे कुरकरी-स्त्री० लाव या वरत के छोर पर लगाई जाने वाली वह वाला, कुरूप । कील जो लाव को बैलों के जुए से जोड़ती है । कुमुद-पु० १ विष्णु । २ एक दैत्य । ३ कमल, कोका । ४ एक | कुरकुरी-स्त्री० १ घोड़ों का एक रोग । २ पेट का दर्द । द्वीप । ५ आठ दिग्गजों में से एक । ६ एक केतु तारा । कुरकरौ-वि० दरदरा, मोटा । ७ चांदी। ८ कपूर । ६ एक नाग। १० एक बन्दर । कुरको-डंको-पु० एक देशी खेल । ११ श्वेत कमल । १२ रक्त कमल । कुरख-पु० [सं० कुलक्षय] १ क्रोध । २ कवच का हक । ३ शत्रु । कमुदणी (नी)-देखो 'कमोदनी'। ४ राजा, नृप। For Private And Personal Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुरखेत ( २४७ ) कुरियो कुरखेत (खेतर)-देखो 'कुरुखेत'। कुरब्ब-देखो 'कुरब'। कुरड़-स्त्री. १ पीठ, पृष्ठ । २ देखो 'कोरड़' । ३ देखो 'करंड'। कुरम (म्म)-देखो 'कूरम' । कुरड़ी-पु० १ अरबी व तुरकी जाति के घोड़े-घोड़ी के संयोग से | कुरराव-पु० कुरुराव । कौरवराज, दुर्योधन । उत्पन्न घोड़ा । २ देखो 'कुरळी' । कुररि, (री)-स्त्री० [सं० कुररी] १ मादा, भेड़ । २ एक पक्षी कुरचणी (बी)-देखो खुरचणों' (बी)। विशेष । ३ क्रौंच पक्षी । ४ प्रार्या छंद का एक भेद । कुरचिल-पु० [सं० कुरचिल्ल:) केंकड़ा । कुररौ-वि० १ अप्रिय, कटु । २ कच्चा । ३ तीक्ष्ण । कुरछी-स्त्री० गोल चम्मच । कलछी। ४ देखो 'करवरी'। कुरज-स्त्री. १ क्रौंच पक्षी । २ एक राजस्थानी लोक गीत। कुरळ-पु. लाल रंग। -वि. लाल रंग का, लाल। कुरजरिणयो, कुरजणी, कुरजिणी-पु. एक राजस्थानी लोकगीत।। कुरळणी (बौ)-क्रि० १ दर्द से चिल्लाना । २ कराहना । २ एक बरसाती घास ।। ३ चीखना । ४ कलह करना । ५ रुदन करना, रोना। कुरजीत-पु० [सं० कुरु-जित्] युधिष्ठिर । ६ व्याकुल होना । ७ कलरव करना, किल्लोल करना। कुज्झ, कुरझ. (ण, झो)-देखो 'कुरज'। | कुरळाट (टो), कुरळाहट-पु० रुदन विलाप। कुरट-वि० काला, श्याम । -स्त्री० दांतों से कुतरने की क्रिया कुरळारणौ (बौ)कुरळावरणो (बौ)-देखो 'कुरळणी' (बी)। ___ या भाव। कुरलौ-पु० [सं० कुरल:] १ गरारा, कुल्ला । २ पाचमन । कुरटणी (बी)-क्रि० १ दांतों से कुतरना । २ छोटे-छोटे | ३ देखो 'कड़पौ'। टुकड़े करना। कुरवंशी-पु० कुरुवंशी, कौरव-पांडव । कुरणा-स्त्री० १ हल्का-बुखार । २ पालस्य, सुस्ती । कुरव-१ देखो 'कौरव' । २ देखो 'कुरब' । ___३ देखो ‘करुणा'। कुरवावरत-पु० घोड़े का एक अशुभ चिह्न । कुरणाटौ-पु० १ बक-झक करने की क्रिया । २ रह-रह | कुरसी-स्त्री० [अ०] १ सिंहासननुमा बैठने एकः प्रासन । कर कराहना। चौकी । २ किसी इमारत की नीचे की सतह । ३ पीढ़ी, कुरणी-स्त्री० [सं० करेणु] हथिनी । वंश । ४ पद । -नामो-पु० वंशावली । -बंध-वि० कुरत-स्त्री० [सं० कु+ऋतु] बेमौसम । सदा पास रहने वाला सेवक । कुरती-स्त्री० औरतों की कमीज, बड़ा कब्जा । कुरस्ती-पु० बुरा रास्ता, कुमार्ग । कुरतौ-पु० पुरुषों की कमीज, कुर्ता, चौला । कुरहाणौ (बौ), कुरहावरणौ (बौ)-क्रि० [सं० कुश्लाघनम्] कुरवसियो-वि० कुलक्षणों वाला। १नापसंद करना । २ अवगुण बताना, दोष बताना । कुरदांतळी-स्त्री० एक प्रकार की चिड़िया । ३ बदनाम करना । ४ अपशय देना । ५ घृणा करना। कुरांड -स्त्री० १ बदचलन स्त्री । २ कलहगारी स्त्री। कुरदाळ (ळी)-स्त्री० चावल दाल का भोजन । कुरांण (न)-पु० [अ० कुरान] मुसलमानों का प्रमुख कुरनस-पु० [तु० कुर्नु श] प्रणाम, अभिवादन । धार्मिक ग्रंथ। कुरबक-पु. वस्त्र या चमड़े के कटे हुए छोटे टुकड़े, कतरन । कुरारिणन, कुरांगी-पु० कुरान के अनुयायी, मुसलमान । -वि० कृपण, कंजूस। कुरापाती-वि० (स्त्री० कुरापातण) १ दुष्ट प्रकृति या स्वभाव कुरपत, कुरपति-पु० [सं० कुरु-पति] कौरव पति । दुर्योधन । वाला · २ उपद्रव करने वाला । ३ उत्पाती । कुरपौ-पु० वस्त्र या चमड़े का बेकार टुकड़ा। कुरापिंड-पु० चावल या आटे के पिंड । कुरब-पु० १ इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । २ सत्कार । ३ राजा के | कुरावरणौ (बौ)-देखो 'कुरहाणी' (बी)। दरबार में प्राने पर राजा द्वारा हाथ उठाकर सम्मान देने कुराह-स्त्री० [सं० कु + श्लाघा] १ अपशय, अपकीति । की क्रिया या संकेत। निदा । २ कुमार्ग, बुरी राह । कुरपरण-पु० [सं० कुरबक] एक कांटेदार पौधा । कुराही-वि० बदचलन । दुराचारी। कुरबरा-स्त्री० इज्जत प्रतिष्ठा । कुरिद, कुरियंद-पु० [सं० कुध्र] १ पहाड़ । २ निर्धनता, कुरबांण (न)-वि० १ न्यौछावर । २ बलिदान । -पु. एक गरीबी । ३ भील । [सं० कुरुरेन्द्र] ४ रुद्र, महादेव । प्रकार का धातु का बना बर्तन विशेष । -वि० दरिद्र, निर्धन। कुरबाणी (नी)-स्त्री० १ त्याग । २ बलिदान । ३ उत्सर्ग। कूरियो-पू. १ ऊंट का बच्चा । २ देखो 'करवरौ' । For Private And Personal Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कुरी-पु० १ शत्रु, दुश्मन । २ दुष्ट, नीच । ३ एक प्रकार का -करता (ता)-वि० कुल या वंश का संस्थापक । घास । -पु० आदि पुरुष । -कारण-स्त्री० वंश का गौरव । कुरीजणी (बो)-क्रि० चित्रित होना, रेखांकित होना, कोरा | --काट-वि० कुल को कलंकित करने वाला ।-किसब-पु० जाना । २ मंडित होना, खींचा जाना । सूर्य वंश । -कुडळिणी (नी)-स्त्री० तंत्रानुसार एक कुरीति-स्त्री० १ कुप्रथा । २ गलत परंपरा। महाशक्ति । -खय, खयक, खायक-वि० कुल का क्षय कुरु-पु० [सं०] १ दिल्ली के पास पास का एक प्राचीन प्रदेश । करने वाला । -स्त्री० मछली। -गांम, गांव-पु. छोटा २ उक्त प्रदेश का राजा। ३ देखो 'कौरव' । ..--ईस, नाय ग्राम । -गुर, गुरु (रू)-पु० वंश का गुरु, पुरोहित । -पु. कुरु राज । युधिष्ठर, दुर्योधन । भीष्म । -खेत, खेत्र, -चार, चाळी-पु० वंश मर्यादा के अनुसार कार्य । (त्रि)-पु. एक प्राचीन प्रदेश । एक तीर्थ स्थान । -जा-स्त्री० पुत्री । -उसरण-पु० एक प्रकार का कुरुक्षेत्र । --वळ-पु० कौरव सेना। महाविषेला सर्प । -थंभ-पु० कुल स्तम्भ, कुल रक्षक । कुरुकुत्तौ-पु० जंगली कुत्ता विशेष । -दीत-पु० श्रीराम । -देव, देवता-पु. वंषा परम्परा । कुरुख-पु. बेरुखी, नाराजगी। से माना जाने वाला देव । -देवी-स्त्री० वंश परम्परा से कुरुगुट्ट-पु० [सं० कुक्कुटः] मुर्गा । पूज्य देवी, कुल की देवी । -ध-स्त्री० क्षेष्ठ कुलीन । कुरुजंगल-पु. पांचाल के पश्चिम का एक प्रदेश । -धर-पु० वंश का नाम चलाने वाला,पुत्र । -नायिका-स्त्री० कुरुदेव कुरुनरिव-पु. १ भीष्म । २ कुरुनरेश । वाम मार्ग में पूजी जाने वाली स्त्री। -पत, पति-पु० घर कुरुब-१ देखो 'कौरव' । २ देखो 'कुरब' । का मालिक । सरदार । अधिष्ठाता। वंश का गौरव रखने कुरुरी-पु० १ मच्छी खाने वाला एक प्रकार का पक्षी ।। वाला । महंत । -पांति-स्त्री० वंश । —पाजा, पाजू-स्त्री० २ देखो 'कुररी'। कुल की प्रतिष्ठा । -बधू. बहू-पु० कुलीन स्त्री। घर की कुरुल-पु० [सं० कुरल] बांकुरे केश, बाल । नव वधू । -बाहिरौ-वि० कुल हीना । जाति बहिष्कृत । कुरू-पु. एक प्रकार का जंगली काला कुत्ता जिसका मुह लंबा | -बती-स्त्री०-कुल का व्यवहार । -भऊ='कुळवधू' । होता है। ---माण-पु० कुल दीपक । सूर्य वंश। -भार-वि० वंश कुरूड़ो-पु० कूए पर कार्य करने वाला । -वि० बुरा । का उत्तरदायित्व लेने वाला । –मंड, मंडण-स्त्री० कुरूप-वि० [सं०] बदसूरत, बदशक्ल । भद्दा, बेडौल । अग्नि -वि. कुल में श्रेष्ठ व्यक्ति । -लीक-स्त्री० वंश कुरूपत (ति)-देखो 'कुरपति' । परम्परा । वंश गौरव । -वट (बट्ट)-स्त्री० वंश कुरूपता-स्त्री० बदशक्ल होने की अवस्था या भाव । भद्दापन । परम्परा । वंश गौरव । -वधू, बहू ='कूळबधू' । कुरेभौ-पु. एक प्रकार का व्यंजन । -वाट='कुळवट'। -सार-पु० कुलधर्म । कुलरीति । कुरेस, कुरेसी-स्त्री० मुसलमानों की एक जाति । -स्वासणी-स्त्री० पुत्री। -हाणी-स्त्री० कुल का विनाश । कुरोगी-वि० भयंकर रोग से पीड़ित ।। कुल-वि० [अ०] सब, समस्त, सम्पूर्ण, पूर्ण, पूरा। कुलक. कुलंग-पु० [फा० कुलंग] १ लाल शिर व मटमैले रंग कुळक-स्त्री०१ खुजली, पीड़ा । २ रति क्रीड़ा की प्रबल इच्छा । ___ का पंक्षी । २ शिर पर वार करने का हथियार विशेष ।। -पु० [सं०] २ किसी गुट का प्रधान । २ बांबी । ३ मुर्गा । ३ समूह । ४ जोड़ा (सेट)। कूलछणु-पू०१ अपराधियों व दासों को दागने का उपकरण । | कुलकत-स्त्री० गायन की मधुर ध्वनि । २ देखो 'कुलक्षण'। कुखक्खरण, कुलखरण-पु० [सं० कूलक्षण] १ बुरा लक्षण । कुलंजन-पु० [सं०] १ अदरक की जाति का एक पौधा। २ बुरी आदत । ३ बुरा चिह्न। ४ अवगुण, ऐब । २ नागरबेल की जड़। कुलक्खरणी, कुलखरणौ -वि० (स्त्री० कूलखणी) १ बुरी आदतों कुळ (कुल)-पु० [सं० कुल] १ वंश, खानदान । २ जाति गोत्र । वाला । २ दुराचारी । ३ अवगुणी । ३ घर, घराना । ४ घर, मकान । ५ स्थान । ६ झुड, कुळगच्छ.(चि,छि)कुळगुचियो-पु० १ चिकना कंकड़ । २ कुरंज । समूह । ७ संघ । ८ देश । ९ शरीर। १० अग्र भाग। कुलड़, कुलड़ियो, कुलडो-पु० [सं० कुम्भक] मिट्टी का छोटा ११ समुदाय । १२ तंत्र के अनुसार भौतिक तत्त्व ।। १३ संगीत में एक ताल । १४ तीन लघु के ढगण के तृतीय पात्र, कुल्हड़। का नाम । ---ऊधोर-वि. वंश का गौरव कुलच-पु० अवगुण, दोष, कुलक्षण । वाला । -कंटक-वि० परिवार का दुखदायी । कुलचौ-पु० पिछले पैर से लंगड़ा कर चलने वाला ऊंट । For Private And Personal Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कृच्छयंत कुलटाई - स्त्री० नीचता, दुष्टता । बुराई । कुळरणौ (बौ) - क्रि० टीस मारना, दर्द करना । कुलत स्त्री० बुरी प्रादत, ऐब । अवगुण । कुललियो वि० बुरी बात वाला, ऐवी प्रवगुणी । देखो 'कृत' २ देखो 'कुलपी'। 1 कुळथी (यौ) - स्त्री० उरद की तरह का एक मोटा अन्न । कुछग्यो पु० कुलच के रंग का घोड़ा। कुलच्छवंत, कुलच्छरणो-देखो 'कुलखणी' । (स्त्री० कुलच्छणी) । कुळांच (छ)- स्त्री० छलांग, कुदान, फर्लांग । कुलछ, कुल-देखो 'कुल'। कुळट (टा) स्त्री० [सं० कुलटा ] १ व्यभिचारिणी स्त्री । २ नृत्य में पैरों की एक मुद्रा ३ या ४ घोड़े की एक पास ५ नृत्य नाथ ६ टेड़ी धाकृति ७ जमीन भूमि - वि० चंचल । कुळदातरी स्त्री० श्याम रंग की चिड़िया । कुळदेवली-देखो 'कुळदेवी' । कुळनारू (नास) - पु० ऊंट । www.kobatirth.org ( २४९ ) होना । २ व्याकुल होना । ३ चंचल होना । कुलवट - पु० कुटुम्ब के रीति रश्म कुटुम्ब के शुभगुण । कुल - देखो 'कुल' । कुल - क्रि० वि० गुप्त रूप से । कुळमी - पु० १ एक कृषक जाति । २ इस जाति का व्यक्ति । कुलय (या) - स्त्री० [सं० कुल्या] १ छोटी नदी । २ नदी । कुळराईजली (बी) - कि० व्याकुल होना, धातुर होना । कुलल - पु० [सं० कलिल ] पाप । । कुल- वि० स्वी० कुली १ सय गंवार २ श्रेष्ठ । ३श्लील बोलचाल वाली। कुळवंत (ति, ती, वांन) - वि० [सं० कुलवान् ] ( स्त्री० कुलवंती ) श्रेष्ठ कुल का कुलीन । कुलप (फ) - पु० १ ताला । २ पालतू चीतों की प्रांखों पर बांधने कुलाळी - स्त्री० दूरबीन । कुळ संकुळ - पु० [सं० कुल संकुल ] एक नरक का नाम । कुळस पु० [सं०] कुनिश] वच । कुळसणी-देखो 'कुलखणी' (स्त्री० कुलसरणी ) । कुळसिणगार ( री) - वि० कुल में श्रेष्ठ, कुल को सम्मानित करने वाला । कुळसुद्ध ( सुध) - वि० उच्च कुल का, कुलीन । पु० उच्चकुल, श्रेष्ठ कुल । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुळकुळ पु० [सं० कुलाकुल] तन्त्र के अनुसार कुछ निश्चित नक्षत्र, वार और तिथियां । की पट्टी । ३ मोट को लाव से जोड़ने का कड़ा कुळावळ रत्री० संधिस्थानों में होने वाली ग्रंथि कुलफी - स्त्री० १ मीठा पानी, दूध या रबड़ी का वैज्ञानिक तरीके से जमाया हुआ खण्ड । २ पेंच । कुळाह - पु० [सं० कुलाह ] १ घुटने के नीचे से काले पैरों वाला भूरा घोड़ा । २ श्वेत घुटने का पीला घोड़ा । कुळाहळ - देखो 'कोलाहळ' । कुलवधु-स्त्री.] मर्यादा में रहने वाली स्त्री । कुलबस (बो) क्रि० १ छोटे जीवों के हिलने-डुलने से घाट कुलिंग (क) पु० १ एक प्रकार की चमकीली तर चिड़िया । २ चटकचिड़ा। कुळाच (घ) देखो 'कुलांच' कुळाची (बौ) ० छलांग, मारना, कूदना। कुळाचल पु० एक पर्वत का नाम, कुल पर्वत । कुळातरौ - पु० १ मकड़ी नामक जीव । २ मनुष्य के श्रोठों का एक रोग । ३ देखो 'कातरों' । कुळाप्रम (म्म) देखो 'कुळधरम' कुलाबी ०१ कपाट के चूल का कड़ा २ हुक्के की नलिका का बंद । ३ तलवार की मूठ की धनुषाकार शलाका । कुळायती देखो 'कुळातरी' । कुलालची - वि० अत्यन्त लोभी ( बुरा) । । जी कुलाळ - पु० [सं० कुलाल: ] १ कुम्हार, कुम्भकार । २ ब्रह्मा, विधाता । ३ जंगली मुर्गा, हुक । लालच पु० प्रतिशय लोभ । कुलिजन देखी 'कुलंजन' कुळि - १ देखो 'कुळ' । २ देखो 'कुळी' । कुळियांमड़ी ५० छोटा ग्राम कुलित -- वि० निन्दनीय, कुत्सित । कुळि - मंड- वि० कुल रक्षक । स्त्री० अग्नि, आग । बुद्धियाँ ० १ धूल का गुब्बारा २ स्त्री पुरुष के गुप्तेन्द्रिय के पु० । आगे का उभरा हुआ भाग । कुलिर-देखो 'कुलीर' | For Private And Personal Use Only कुळिस - पु० [सं० कुलिश ] १ इन्द्र का वज्र । २ नोक । ३ हीरा । ४ बिजली । ५ कुठार। ६ गर्जन, गाज | - कोल पु० छः की संख्या वर पु० घोड़े का एक रोग - धर-पु० इन्द्र | कुळिसी स्त्री० एक देवोक्त पाकाशीय नही। कुळी - पु० [तु० कुली ] १ यात्रियों का सामान ढोने वाला मजदूर । २ गूदा, मिगी । ३ बीज, दाना । ४ पुष्प, फूल । ५ तरबूज के आकार का एक लता फल । ६ कृषि भूमि को उर्वरक व पोली बनाने का उपकरण । ७ देखो 'कुळ' । पानी । - नस-पु० जल, Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुळीक कुमम्मी कुळीक (ण, न)-वि० [सं० कुलीन] १ वंश का, वंश संबंधी। कुवी-पु० [सं० कूप, सं० कवल]१ कूमा, कूप । २ ग्रास, कौर । २ उच्च वंशीय । -पु० अच्छी नस्ल का घोड़ा । -ता-स्त्री० | कुसंग (संगत)-स्त्री० १ बुरी संगति, दुरी सोहबत । २ बुरे उत्तम कुल के लक्षण । लोगों से मित्रता। कुलीर-पु० [सं०] १ केंकड़ा, कर्क । २ कर्क राशि । | कुसंगी-वि०१ बुरा संग करने वाला । २ बुरे लोगों में बैठने कुळु-देखो 'कुळ' । वाला। कुळेस-देखो 'कुळिस'। कुसंप-पु० द्वष, वर, वैमनस्य । कुलोक-पु०१बुरा आदमी। २ बुरा लोक । . . कुसंस्कार-पु० बुरे संस्कार, बुरी भावना । कुल्यंकका, कुल्यकर, कुल्या-स्त्री० [सं० कुल्यंकषा कुल्या] नदी। कुस-पु० [सं० कुश] १ जल । २ एक पवित्र घास, तृण, दर्भ, कुल्ली-पु. [सं० कुरल] १ मुंह साफ करने के लिए मुंह में डाभ । ३ सात द्वीपों में से एक । ४ लोहे का लम्बा व - भरा जाने वाला पानी। २ उक्त प्रकार से पानी भर कर नुकीला कीला । ५ फाल, कुसिया, कुसी । ६ श्रीराम के थूकने की क्रिया । ३ पाचमन । बड़े पुत्र का नाम । -वि० १ मस्त, मतवाला। २ पापी। कुल्हड़, कुल्हड़ियो, (डो)-पु० मिट्टी का छोटा पात्र । -कंडिका-स्त्री० वेदी पर अग्नि स्थापना का अनुष्ठान । कुल्हाड़ौ-पु० कुठार, गंडासा । -ताळु-पु० मस्तक पर काले चकत्ते वाला घोड़ा। कुवंक पू० टेढ़ापन, बांकापन । -बीप, द्वीप-पु० सात द्वीपों में से एक। -ज, धुज, ध्वज कुबड़ी-स्त्री० छोटा कूआ। -पु० राजा जनक के छोटे भाई । कुवच (वचन)-पु. १ कटुवचन । २ अपशब्द । कुसड़ी-पु० कूए पर काम करने वाला। कुकवज-देखो 'कमलज'। कुसती-वि० १ पतिता, कुल्टा । २ असत्यवादी । ३ कायर, कुवजा-स्त्री० कुब्जा। डरपोक । ५ देखो 'कुस्ती' । कुवट-पु० बुरा रास्ता, बुरा पथ । कुसनेही-वि० १ कपटी, छलिया। २ अहितषी। कुवटो-पु० कूमा। कुसब-वि० [सं० कुशुभ] अशुभ । कुवयण-देखो 'कुवचन'। कुसम (क)-पु० [सं० कुसुम] १ फूल, पुष्प । २ लाल फूल । कुवरपर (पवौ)-देखो 'कुवरपद' । ३ अांख का एक रोग । ४ रजोदर्शन । ५ एक मात्रिक छन्द कुवळ-पु० [सं० कुवलं] १ कमल विशेष । २ मोती। विशेष । ६ छप्पय का साठवां भेद । ७ ठगरण का कुवलय-पु० [सं० कुवलयम्] १ मील कमल । २ पृथ्वी।। छठा भेद । ३ कमल । कुसमगर-पु० कुसुमों का ढेर । कुवलयापीड़-देखो 'कुबलयापीड़' । कुसमद-पु० पेड़, वृक्ष। कुवळयास्व-देखो 'कुबलयास्व' । कुसमळप्रिय-पु० भौंरा, भ्रमर । कुवळी-स्त्री० [सं० कुवली] बेरी। कुसमसर-पु० [सं० कुसुमशर] कामदेव । कुवल्यापीड़-देखो 'कुबलयापीड़। कुसमांडा-स्त्री० १ नौ दुर्गाप्रों में से एक । २ शिव का एक कुवां-स्त्री० कावेरी नदी का प्राचीन नाम । अनुचर । ३ कुम्हड़ा । कुवारण-स्त्री० [फा०कबाण] १ कमान, धनुष । २ तलवार । कुसमाक (र) कुसमागर-पु० [सं० कुसुम+प्रागर] १ कुसुमों [सं०+वाच्] ३ कुवाक्य । ४ बुरी आदत । का घर । २ वसंत । कुवाड़-देखो 'कपाट'। कुसमाद-पु. १ फूल वाले वृक्ष या पौधे । २ घूर्तता, चालाकी। कुवाड़ियाफार-वि० १ बकवादी । २ कटुभाषी । ३ कुल्हाड़ी से कुसमायुध देखो 'कुसुमायुध' । फाड़ा हुमा। कुसमाळय-पु० भौंरा, भ्रमर । कुवाड़ियो, कुवाड़ी, कुवाडौ-देखो ‘कवाड़ियो' । कुसमावळत-पु० [सं० कुसुमावर्त] वसंत । कुसमावळी-पु० [सं० कुसुमावलिट] भौंरा, भ्रमर । कुवाच-देखो 'कुवच'। कुसमाहिम-पु० चंपा। कुवाट-स्त्री०१ कुमार्ग, बुरा पथ । २ देखो 'कपाट' । कुसमित-वि० १ प्रफुल्लित । २ फूलों से पूर्ण । कुवादीवाट-पु० शत्रु। कुसमै-क्रि० वि० [सं० कु+समा] कुसमय, बुरे समय । कुवाव-स्त्री० विपरीत हवा। कुसम्मो-पु० [सं० कु+समा] १ दुभिक्ष, दुष्काल । कुवेळा-स्त्री. १ असमय, बुरा समय । २ संकट कालीन स्थिति।। २ बुरा समय । For Private And Personal Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org कुसरागो कुसराणौ (बौ), कुसरावरणौ (बौ)-क्रि० दोष बताना, अप्रशंसा, | कुस्त्री-स्त्री० [सं०] बुरी या कलह प्रिय स्त्री। ___ करना । निंदा करना, भर्त्सना करना । कुस्रती-स्त्री० [सं०कुसूति] १ ठगाई, धूर्तता । २ माया, इन्द्रजाल । कुसळ-वि० [सं० कुशल] चतुर, दक्ष, निपुण, थेष्ठ, भला। कुस्वारथ-पु० [सं० कु + स्वार्थ] अहित, बुरा स्वार्थ । -पु. १ कुशल-मंगल, खैरियत । २ शिव का एक नाम । कुस्सम-देखो 'कुसम'। -खेम-स्त्री० खैरियत । -ता-स्त्री० चतुराई, निपुणता । कुह-स्त्री० [सं० कुहूः] १ मधुर स्वर या ध्वनि । २ अमावस्या। योग्यता । खैरियत । -पांग-पु. मोर, मयूर । ३ कोयल की बोली । ४ पक्षियों की ध्वनि । [सं० कुहः] -समाध-स्त्री० कुशल-मंगल। ५ कुबेर । कुसळा, कुसळाई, कुसळात, कुसळाता, कुसळायत-देखो 'कुसळता'। कुहक- [सं० कुहकः] १ माया, इन्द्रजाल । २ धोखा, छल । कुसळी-स्त्री० [सं० शकली] मछली। ३ धूर्तता, मक्कारी । ४ मेंढ़क । ५ नाग विशेष । ६ एक कुसवावळ-स्त्री० [सं० कुसुमावली] १ पुष्प, कुसुम । २ पुष्प अस्त्र विशेष । ७ मुर्गा। ८ मदारी। १ ऐन्द्रजालिक । माला। १० नाजायज हक । ११ मोर या कोयल की आवाज । कुससथळी, (स्थळी)-स्त्री० द्वारका का एक नाम । १२ भय । -वि० धूर्त, ठग । -बाण-पु. एक बारण कुसागड़ी-पु० अक शल गाड़ीवान । विशेष । अग्निबाण। एक तोप विशेष । कुसाग्र-वि० [सं० कुशाग्र] १ नुकीला, पैना । २ तीक्ष्ण तेज । कुहकरणी-स्त्री० १ कोयल । २ कफोणि, कोहनी । -पु. कोरड़ा. चाबुक । कुहकणी (बी)-क्रि० १ कोयल का बोलना । २ पक्षियों का कुसामद-देखो 'खुशामद'। चहकना। कुसामदो-देखो खुशामदी' । कुहक्क, कुहक्कड़ो-पु० १ जोर की आवाज, आवाज । २ करुण कुसाबरत-पु० हरिद्वार के पास का एक तीर्थ । क्रंदन । ३ रुदन, विलाप। कुसासन-पु. १ कुश का प्रासन । २ बुरा शासन । कुहड़ि-देखो 'कूड़'। कुसिक-पु० [सं० कुशिक] १ एक प्राचीन प्रार्य वंश । २ हल कुहटणी (बी)-क्रि० बंधन में करना, बांधना । का फाल। | कुहटाऊ-पु. हुक के समान एक उपकरण । कुसियो-पु. स्वर्णकारों का एक प्रौजार विशेष । कुहरिण (नी)-स्त्री० [सं० कफोणि कोहनी। कुसी-स्त्री० १ घास काटने का औजार । २ वीणा । ३ देखो 'खुसी'। कुहन-वि० मक्कार । ईर्ष्यालु । -पु० [सं० कुहन;] १ चूहा । कुसीक-क्रि०वि० खुशी से। २ सांप । [सं० कुहनम् ] ३ मिट्टी का पात्र । ४ शीशे का पात्र। कुसीलि, कुसील, कुसीलो-वि० [सं० कुशील] १ दुराचारी, | पतित । २ प्राचार मर्यादा को भंग करने वाला (जैन)। कुहनी-उडांन-पु० कुश्ती का एक पेच । कुसुम, कुसुमी-वि० लाल रंग का, लाल । कुहर-पु० [सं० कुहर] १ अमावस्या की रात । २ अमावस्या कुसुधउ-पु० अपशकुन। को देवी । ३ प्लक्ष द्वीप की एक नदी । ४ अंधेरा। कुसुम-वि० १ लाल, रक्त वर्ण । २ कोमल । ३ देखो 'कुसम'।। ५ पाताल । ६ कुहरा । ७ कूमा। ८ रंध्र, छिद्र । ९ गुफा, कुसुमायुध-पु० [सं०] १ कामदेव । २ कामदेव का बाण । बिल। कुसू-पु. केंचुमा । कुहाउउ, कुहाड़ी-पु० [सं० कुठारः] १ विध्वंसक । २ विरुद्ध । कुसेसय-पु० [सं० कुशेशय कमल । ३ कुल्हाड़ी। कुसोभौ-वि० अपयश, अपकीति । कुस्ट-पु० [सं० कुष्ठ] रक्त विकार जनित एक रोग । कुहीक-वि० कुछ, कुछेक । कुस्तमकुस्ता-पु० गुत्थमगुत्था, लड़ाई मुठभेड़ । कुही-स्त्री. १ एक शिकारी पक्षी। २ एक घोड़ा विशेष । कुस्ती-स्त्री० [फा० कुश्ती] १ मल्ल युद्ध । २ द्वन्द्व युद्ध । कुहु, (हू)-स्त्री० [सं० कहुः, कहः] १ अमावस्या, अमावस । ३ दो व्यक्तियों की लड़ाई । ४ दंगल । -गीर, बाज-पु० २ अमावस्या की देवी । ३ अमावस्या की रात्रि । पहलवान, दंगली। योद्धा। ४ कोकिल की कूक। कुस्तौ-पु० [फा० कुत] रासायनिक क्रिया द्वारा धातुओं को कुहुक -स्त्री० १ कोकिल या मोर की आवाज । २ देखो 'कुहक'। फूककर बनाई गई भस्म । फू-प्रव्य० दितीया विभक्ति, को, षष्टि विभक्ति, की । कुस्याळी-स्त्री० खुशहाली, खैरियत । -वि० कुछ। -सर्व० कोई। For Private And Personal Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । २५२ ) कथा कूपर-१ देखो 'कुमार' । २ देखो 'कुमारी' । कूटी-स्त्री० किसी की वेशभूषा, स्वांग । रहन-सहन, हाव-भाव कुंपरी-देखो 'कुमारी'। का ज्यों का त्यों अनुकरण । कूकड़ो-पु. १ ऊंट के मस्तक का एक रोग। २ एक प्रकार का कूटौ, कूठ, कूठी-पु० [सं० कुण्ठ] १ दरवाजे का कुन्दा । ___घोड़ा । ३ मुर्गा। २ द्वार बंद का ताला लगाने की शखला । ३ जंजीर की कूकरण-देखो 'कुकरण'। कड़ी । ४ दाढ़ और सामने के दांत के मध्य का दांत । कूकरणी (बी)-देखो 'कूकणी' (बी)। ५ लकड़ी मादि छीलने व काटने का औजार । कूकतड़ी-देखो 'कुंकमपत्री' । कुंड-पु० १ लोहे का टोप । २ देखो 'कुण्ड' । कूकम-देखो 'कुकम'। कूडळ-देखो 'कुंडळ'। कूकावटी-पु० कंकुम का पात्र । कुंडळी-पु० १ घोड़ा। २ देखो 'कुडळी' । कुंकू-पु० कुकुम । -पत्री-स्त्री० विवाह का निमंत्रण-पत्र । कूडळो-देखो 'कुडळ'। -वरणी-वि० कुंकुम के रंग की। कुंडाळी-देखो 'कुडाळी' । कूक्कय-देखो 'कुकुम'। कुंडाळिय, कूडिय-स्त्री० वृत्ताकार घूमने या घमाने की क्रिया। कुंख, (खि, खो)-देखो 'कुक्ष' । कूडाळियौ-देखो ‘कूडौं'। कूखौ-पु. १ काला पदार्थ विशेष (जैन)। २ देखो 'कूगचौ'। कूडियो-पु० [सं० कुड] १ घेरा, वृत्त । २ गोल मैदान । कुंगचौ (सौ), फूगौ-पु० इमली का बीज । ३ चक्र । ४ चौड़े मुंह का मिट्टी का पात्र । ५ घोड़े को कूघौ-पु० इमली का बीज । गोल घुमाने की क्रिया । ६ गोल घुमाने से बनने वाला कूच-देखो 'कूच'। चिह्न । ७ देखो ‘कूडौ'। 'चला-पु० दाढ़ व सामने के दांतों के बीच के दांत । कंडी-स्त्री० [सं० कुडी] १ घोड़ा । २ मिट्टी या पत्थर का कूची (य)-स्त्री. १ ताले की चाबी, ताली । २ छोटा अंश । गोल चौड़ा पात्र । ३ अग्निहोत्र करने का स्थान । ४ जंजीर की कड़ी। ३ मकान की पुताई करने का झाड़ । ४ ऊंट का चारजामा। ५ ऊंट का शिश्न । ६ अर्गला खोलने का उपकरण । कूडौ-पु० [सं० कुंड] १ लोहे या मिट्टी का चौड़ा व गोल ७ गूढ़ विषय या रहस्य समझने की विधि । ८ जड़ क्रीड़ा पात्र । २ कुण्ड । ३ वृत्त, घेरा। दळी-देखो 'कुंडळी' । का एक प्रकार । -कस-पु० चाबियां डालने की कड़ी। कूढी-स्त्री० १ गोल सींगों वाली भैस । २ देखो 'कू'डी' । कूची-पु० १ छोटा मार्ग, गली । २ वनस्पति समूह । ३ एक | | कूरण-१ देखो 'कूण' । २ देखो 'कुण' । प्रकार का तृण विशेष जिसकी सरकी या मूज बनती है। कूणी-देखो 'खुणी'। कूज-पु० १ एक मिट्टी का बर्तन विशेष । २ देखो 'कुरज'। त(डी)-स्त्री०१ पांडु की पत्नी, कुती। २ करामात, चमत्कार। कुंजड़ा-स्त्री० सब्जी बेचने वाली जाति विशेष । ३ तंत्र । ४ अनुमान, अंदाज । ५ प्रक्ल, बुद्धि । ६ भाला, जडि (डी)-१ देखो 'कुरज' । २ देखो 'कू जड़ी' (स्त्री)। बरछी । ७ इज्जत, मान, प्रतिष्ठा । ८ कीति, यश । फूजड़ो-पु. (स्त्री० कूजड़ी) कूजड़ा जाति का व्यक्ति । कूतरणी (बौ)-क्रि. १ अनुमान करना, अंदाज करना । २ नापकूजरणी (बौ)-देखो 'कूजणी' (बी)। तौल निर्धारित करना। कूजा-बरदार-पु० पानी पिलाने वाला सेवक । कूतळ-देखो 'कुतळ। कूतहर-पु. भाला, बरछी। कूल, (डी)-देखो ‘क रज'। कूता-देखो 'कुतो'। कूट-स्त्री. १ कोण, दिशा । २ किनारा, छोर । ३ ऊंट के पर कूताई-स्त्री० १ 'कू'तो' करने की क्रिया या ढंग । २ इसका का बधन । ४ देखो 'कटी' । कूटाळो-वि० चित्रित । पारिश्रमिक । ३ एक देशी खेल । कोनेदार । -बार-स्त्री० एक प्रकार की जूती विशेष । कूटणी (बी)-क्रि० १ ऊंट का एक पैर मोड़ कर बांधना। २ माप-तौल तय करवाना । २ बंधन में रखना । ३ ऊंट के पैरों में बंधन डालना। कति (ती)-देखो 'कुती'। ४ बांधना। कृती-पु. १ खड़ी फसल का तय किया जाने वाला परिणाम । फूटाळी-दखी 'कूटदार' । । २ अंदाज, अनुमान । टियो-पु. १ अंकुश, अकुश नुमा कीला । २ देखो 'कूटौ'। थवौ, क्पूवी-पु. एक वीन्द्रीय पति सूक्ष्म जीव । (जैन) For Private And Personal Use Only Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कूपी - स्त्री० तेल की कुप्पी । स्त्री० [सं० कंपनी सेना फोन कूंबूळ - पु० मस्तक, शिर । कुंबरी वि. कोमलांगी। कूद - स्त्री० गोल लकड़ी के बने चक्र पर लंबा पड़ा रहने वाला कूक स्त्री० १ चिल्लाहट, चीख २ पुकार, फरियाद । ३ लम्बी लट्ठा जिसके एक सिरे पर बैल जोते जाते हैं । आवाज । ४ रुदन । ५ कराह । ६ त्राहि-त्राहि । ७ कोयल की बोली । ८ हल्ला । कूं बड़ौ, कूं दवौ पु० घास का छोटा ढेर । कून- १ देखो 'कूण' । २ देखो 'कुरण' । कूंपळ (ळी) - पु० [सं० कुपल्लव] १ वृक्ष या पौधे की नई पत्ती । २३ पसलियों के संधिस्थल पर रहने वाली छाती की हड्डी । पल (सौ. लौ० स्त्रियों को काजल रखने की काष्ठ की कूकलो- १ देखो 'कुटनी' । , डिबिया । ३ देखी 'कोकड़ी' | होना । फू पळणी (बी) - क्रि० वृक्षों, पौधों का पल्लवित या अंकुरित लकड़ियो, कूकड़ीयो-१ देखो 'कूकड़ी' । २ देखो 'कोकड़ी' । कड़ी पु० [सं० कुक्कुट ] १ सोने-चांदी को गलाने का पीतल का गोला । २ मुर्गा । ३ पशुओं के शिर का एक रोग । ४ ऊंट के कंठ का एक रोग। ५ लोकगीत विशेष । कुक (ब) ० १ चिल्लाना, चीखना । २ करना । ३ रोना । ४ कराहना । ५ पुकार या फरियाद करना । ६ हल्ला करना । ७ लम्बी आवाज करना । ८ कोयल, मोर आदि का बोलना । कुंभ'कुभक' | कुंभट - पु० एक प्रकार का कांटेदार वृक्ष । कूमाथ, कूं भावळ (ळौ ) - देखो 'कुंभस्थळ' | कुमार-देखो 'कु'भार' | कुभिलापी० एक देवी विशेष । कुंभ - देखो 'कुंभ' ' - कळस - देखो 'कु' भकळस' । - संभ्रम देखो 'कुभसंभ्रम' | कू' भौ- देखो 'कुंभ' | कुम देखो 'कोम'। कूपर (रु) - देखो 'कुमार' (स्त्री० कुयरी ) । कूपार - देखो 'कुमार' | यारि (री) - देखो 'कुमारी' | कूंछ पु० कमल कूळो-देखो 'कंवळी' (स्त्री० कूळी ) । 'देखो 'बळी'। ड्रंस वि० दुष्ट | कू' हटो-देखो 'कू'टो' | www.kobatirth.org २५३) कू पु० १ कुश्रा । २ राजा । ३ कुंभ ६ द्रव्य । ७ प्रकाश । ८ कूजने वि० [१] गम्भीर २ मंद - । । प्रव्य० ( २५३ चिह्न का · कूत (ति) स्त्री० [० कुप्रत] बुद्धि । कूप्रळउ (ळी) - देखो 'कंवळी' (स्त्री० कुमळी) । कुईरुपी छोटा प पी० प 2 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कूकड़ - पु० [सं०] कुक्कुट ] मुर्गा, कुक्कुट । की गर्दन की प्रकृति बाला पोड़ा। कड़ी स्त्री० एक बरसाती पौधा जिसके पतों का साग बनता है । - कंध, कंधौ-पु० मुगे हल्ला | कूकियो-०१ चीकार, २ हल्ला कुकी स्त्री० लड़की ४ कारण ५ कार्य | का शब्द । ९ भूमि । कुल ५० बर्फ, तुषार । व्य० द्वितीय विभकुपाट (टी) पु० १ बिस्माहट २ धावाज, कोलाहल । । कूक - पु० (स्त्री० कुकी) १ शिशु । २ लड़का । ३ देखो 'कुक' | कूक्याऊ6- देखो 'कूकाऊ' । कूख, कूखड़ली कूखि - स्त्री० कुक्षि. कोख २ देखो 'कुकड़ी' | कुरूवी देखो 'कवी' । कूकर, (डी) कूकरियों, कूकरौ पु० [सं० कुक्कुर ] १ श्वान, कुत्ता । २ छोटा कुत्ता । ३ कुती का बच्चा । -खांसी स्त्री० सूखी या काली खांसी । बगरौ, भांगरौ-पु० बरसात में होने वाली एक जड़ श्रौषधि, ककरौंधा । कवी -१० दर्द भरी आवाज जाहि वाहि । कूकस देखो 'कुरुस' कूका - स्त्री० नानकशाही सम्प्रदाय की एक शाखा । कूकाऊ वि० धार्त पुकार करने वाला रोने वाला माहि त्राहि करने वाला | काली (बो) कि० १ वृकने वा चीवने के लिए मजबूर करना । २ रुलाना । ३ हल्ला कराना I ४ पुकार या फरियाद कराना । ५ लम्बी आवाज कराना । कूकारोळ, कूकारोळी - पु० चीख-चिल्लाहट रोना-धोना रुदन । For Private And Personal Use Only धारण-स्त्री० माता । ० [सं०] कूट पट १ झूठ मिथ्यासस्य २ कुऐ के मुंह पर लगा पत्थर जिस पर मोट खाली किया जाता है। ३ रहट में लगने वाला एक काष्ठ का डंडा ४ कुबड़ापन । Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५ ऊंट या बल का ककद । ६ कपट, छल ।-चाळी-स्त्री०कूटी-पु०१ रद्दी कागज या चिथड़ों की लुगदी। २ हरि मिर्च कपटी। मिथ्यावादी। की सब्जी । ३ देखो 'कू'टौ'। कूड़मूड-अव्य. बिना किसी प्राधार के, झूठमूठ । कूठ-पु० कुष्ठ । फूड़ापण-स्त्री० झूठापन, असत्यता। कूठोड़-देखो 'कुठोड़। कूड़ाबोलो-वि० (स्त्री० कूड़ाबोली) मिथ्या भाषी । कूड-पु० १ कुए के मुंह पर लगा पत्थर जिस पर मोठ खाली कूडियो-पु० कुए पर घूमने वाले चक्र (भूण) की धुरी रखने की होता है । २ रहट में लगने वाला काष्ठ का डंडा । लकड़ी। २ ऊंट के चमड़े का कुप्पा । ३ देखो 'कूड़। कूडौ-वि० (स्त्री० कूडी) १ झूठा, मिथ्यावादी । २ असत्य. | कूडीउ-वि० [सं० कूटिक] कपटी, छली, धोखेबाज । गलत । ३ निकम्मा । ४ शैतान, जबरदस्त । ५ कपटी, | कूडौ-पु० खलिहान में पड़ा अनाज का ढेर । छली, धोखेबाज। -पु०१ कचरा, करकट । २ बुरा समय । कूरण-स्त्री०१ दिशा। २ कोना। ३ देखो 'कुरण' । ३ वया। ४ कुटज । ५ देखो 'कूडौ'। कूणन-स्त्री० [सं० क्वणन] शब्द, ध्वनि । कूच(उ)-पु० [तु.] १ रवानगी, प्रस्थान । २ फौज का प्रयाण। कूणिका-स्त्री० [सं०] वीणा, सितार आदि तारों की लूटी। ३ टुड्डी पर की दाढ़ी। [सं० कूर्च] ४ मृत्यु, मौत । | कूणी-देखो 'खूणी'। ५ देखो कुच'। कूरणों-पु. कोना, कोण । कूचबंदिया-स्त्री० एक पिछड़ी जाति । कूचा-स्त्री० [फा०] संकरा रास्ता, गली। कूत-पु० १ एक छोटा मच्छर । २ एक प्रकार की घास । फूचील-वि० गंदा, मैला। फूतरणौ (बौ)-देखो 'कूतणी' (बी)। कूचीलो-देखो 'कुचीलो'। कूतर (डो)-१ देखो 'कुतर' । २ देखो 'कुत्तो' । फूचौ-पु० १ घास, भूसा । २ मुहल्ला । कूतरड़ौ-देखो 'कुत्तो' । (स्त्री० कूतरड़ी) कूजणौ (बी)-क्रि० [सं० कूज्] १ मधुर ध्वनि में बोलना। कूतरियौ-वि० १ घास की कुट्टी करने वाला । २ देखो 'कुत्तौ' । २ चहकना। कूजा-पु० १ मोतिया या बेले का फूल । -स्त्री० २ क्रौंच पक्षी। कूतरौ, कूत्तिरी, फूथरौ-देखो 'कुत्तौ'। (स्त्री० कूतरी) कूजित-वि० [सं०] ध्वनित । बूदरणी-स्त्री० बच्चों का एक खेल । कूट-पु० [सं०] १ अनाज का ढेर या संग्रह । २ हथौड़ा। कूदगौ-पु. १ एक प्रकार का घोड़ा । २ कूदने की क्रिया या ३ छल, कपट । ४ गुप्त वैर । ५ म्यान में छुपा हथियार । | भाव । -वि० कूदने के स्वभाव वाला । ६ गुप्त रहस्य । ७ नगर का द्वार । ८ व्यंग । ९ अगस्त्य । | कूवरणौ (बौ)-कि० [सं० कूर्दनं] १ उछलना, छलांग लगाना, मुनि का एक नाम । १० प्रांखों के ऊपर का भाग। फांदना । २ उछल कर नीचे पाना । ३ अत्यन्त प्रसन्न ११ नकल, चिढ़ाने का भाव । १२ किनारा । १३ शिखर । होना । ४ गुस्से में तमकना । ५ लांघना, पार करना । १४ ऊट के पैर का बंधन । १५ पहाड़ । १६ वृक्ष । १७ एक ६ एकाएक हस्तक्षेप करना। . औषधि विशेष । १८ कूटने-पीटने की क्रिया या भाव । | कूदायण-स्त्री० कूदने या छलांग मारने का भाव । १६ कुटी, झोंपड़ी। -वि० १ झूठा । २ छलिया, कपटी। ३ दुष्ट । ४ बनावटी, नकनी । ---जुद्ध-पु. कपट युद्ध । कूदारण-स्त्री० कुदाली। बटनीतिक लड़ाई। कूधर-पु० [सं०] पर्वत, पहाड़ । कूटपउ-वि० [सं० कुट्टनम् ] दुवंचन । कूप (क)-पु० [सं०] १ कूमा । २ गड्ढा । ३ छेद । ४ नदी के फूटपो (बी)-क्रि० १ मारना, पीटना । २ प्राधात करना, चोट | | बीच अवस्थित वृक्ष या चट्टान । ५ मस्तूल। ६ कृपाचार्य । मारना। ३ किसी उपकरण के आघात से छोटे-छोटे खण्ड | कूपर-देखो 'कूरपर'। या बारीक टुकड़े करना । ४ सिल या चक्की टाचना ।। | कूपल, कूपली-स्त्री. १ काजल रखने की डिबिया । ५ बंधन में डालना। २ देखो 'कूपल' । कूटपाठ-पु० मृदंग के चार वर्षों में से एक । कूपाग-पु० [सं० कपार] समुद्र। फूटळ (ळी)-पु० १ कूडा, कचरा । २ रद्दी कागजों की लुगदी। कूबड़-स्त्री० [सं० कुब्ज] १ पीठ का टेढ़ापन । २ वक्रता। कुटि (टी)-स्त्री. १ ऊंट के पैर का बंधन । २ देखो 'कुटी'। । ३ नाथ सम्प्रदाय का एक प्रसिद्ध साधु । For Private And Personal Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कूबड़ी कुमी - स्त्री० [सं० कुम्भिका ] छोटा पात्र । धूम देखो 'कोम'। www.kobatirth.org कूमेतकसमोरी- पु०यौ० एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा । कुमेव पु० एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा । ( २५५ ) बड़ी स्त्री० कुब्जा नामक कंस की दासी कूबड़ी - वि० [सं० कुब्ज (स्त्री० कूबड़ी) झुकी हुई या उठी हुई पीठ का कुब्ज । वक्र । कूल्यस - देखो 'कुळिस' । कूबियो, वि० [स्त्री० [कूबी) १ जिसका पीठ, मुह टेड़ा या ल्हो (बौ) कि० तिरछी निगाहें या घावों को कुछ छोटी मुड़ा हुआ हो । २ कुबड़ा । कूल्हरणो - करके एकटक देखना । कूमटी-पु० एक प्रकार का कंटीला वृक्ष । कूरबारण- पु० एक प्रकार का पात्र विशेष । कूरम (म्म ) - पु० [सं० कूर्म] १ कच्छप, कछुग्रा । २ विष्णु का कच्छप अवतार ३ पृथ्वी ४ प्रजापति का एक अवतार । ५ नाभिचक्र के पास की नाड़ी । ६ एक प्रसिद्ध राजपूत वंश । ७ शरीरस्थ दश वायुनों में से एक। ८ एक तांत्रिक मुद्रा ९ छप्पय छन्द का एक भेद । चत्र- पु० एक. तांत्रिक चक्र । द्वावसी स्त्री० कच्छप श्रवतार की पौष मुक्ता द्वादशी की तिथि पुरी ० एक पुराण । -वंस- पु० कच्छवाहा वंश । 1 क्रूरमा स्त्री० एक प्रकार की वीरणा । कुरमासरण (न) - पु० एक । कुरम्म करिब देखो 'कुरम' कूड़ी (डी) मिट्टी का छोटा पात्र पूळातरी-देखो 'कुळवरी' । कूलीय - पु० [सं० कवलिका ] कौर, ग्रास । कुलीर - पु० केंकड़ा । फूरि (री) - स्त्री० एक प्रकार की घास । कुरो - पु० मेवाड़ की तरफ होने वाला एक अनाज । कूळ (कु) - । (छ) पु० [सं०]] १ तट किनारा २ सेना का पृष्ठ भाग । ३ बड़ा नाला । ४ तालाब । - क्रि०वि० पास, समीप । 'कुमोत-देखो 'कुमीत' | कूवौ - पु० [सं० कूप ] कूप । कूप्रा । - सर्व० कौन । कूसमांड - पु० कुम्हड़ा, कोला । फूह - १ देखो 'कुहर' । २ देखो 'कुह' । पूर्व कोई भी । कुरंम-देखो 'कुरम'। कूर पु० [सं० दूर:] १ भोजन खाना २ भात ३ चावल कंकड़-० [सं० कर्कटः ] पाठ पांचों का एक जंतु । । । - । वि० [सं०] १ निर्दयी क्रूर खोटा । ४ कुमार्गी । ५ झूठा, असत्य । । २ नीच दृष्ट ३ बुरा, । ६ भयंकर, डरावना । - कपूर- पु० एक प्रकार का खाद्य पदार्थ । - पर-स्त्री० कोहनी कूरका स्त्री० एक देशी खेल । कुरडी देखो 'उकरही' । कूल्हर - स्त्री० घी में भुना व शक्कर मिला आटा । ही स्त्री० पांचों पर बांधने की पट्टी कूल्हो - पु० जांघ का संधि स्थान । नितंब । कूबड़ी (डी) [स्त्री० [छोटा व संकरा कुमा वाळी वि० कृमा संबंधी। । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । , कॅवार स्वी० मोर के बोलने की ध्वनि मोर की आवाज । कैंडी - स्त्री० स्वर्णकारों का एक प्रौजार । कँडी - पु० बढ़ई का एक श्रीजार । [सं० कूर्मासन] चौरासी ग्रासनों में से | केईक - वि० कितने ही अनेकों । कुछेक । केवर-देखो 'केयूर' कैका केंद्र पु० [सं०] १ किसी वृत्त के ठीक बीच का बिन्दु २ किसी क्षेत्र का मध्यस्थल । ३ मुख्यस्थान । ४ किसी कार्य या शासन का प्रमुख स्थान । ५ ज्योतिष में ग्रहों का केन्द्र । ६ जन्म कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम व दशम स्थान । ७ बीच का स्थान । कवच - स्त्री० एक प्रकार की प्रोषधि । के पु० १ रत्न । २ खान ३ मयूर ४ प्राण। वि० १ कुछ । २ कितने कई । सर्व० १ कौन । २ किस । ३ क्या । - प्रत्य० १ संबंध कारक का विभक्ति चिह्न का का बहुवचन । २ देखो 'के' । केइक - वि० कितने ही, अनेक । केई वि० १ अनेक बहुत कई २ कितने ही सर्व किस, किसी । केकंद, केकंध- देखो 'किस्किंधा' । के पु० मोर, मयूर वि० कुछ कितने कई बहुत सर्व० १ किसी २ देखो केकी' । । । काल-१० (स्त्री० [केकाली घोड़ा ब केका स्त्री० मादा मोर, मोरनी । । केक पु० [सं०] १. एक प्राचीन देश २ इस देश का राजा। केकयी - स्त्री० [सं०] १ केकय देश के राजा की पुत्री । २ भरत की माता । For Private And Personal Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कैकिना २ सुस्वर । केगह देखो 'केकयी' । केडिया के देखो 'किस्किंपा'। केकी० [सं० केकिल्] (स्त्री० [केका) १ मोर, मयूर । www.kobatirth.org ( २५६ ) - केगर - पु० एक वृक्ष विशेष जिसकी लकड़ी मंदिर के ध्वज दण्ड केतूड़ी-देखो 'केतु' । में काम आती है । केहि (ही) देखो 'केकयी' । केड़-पु० १ वंश २ पीछा केवाइत, केडात वि० वंशज केई कि०वि० [१] पीछे २ बाद में पश्चात् 1 केड़ी पु० १ बछड़ा । २ घास का ढेर । ३ पीछा । ४ वंश | केच पु० एक देश विशेष । 3 -माळ- पु० - जंबू द्वीप के नौ खंडों में से एक । व्रक्ष पु०- एक पौराणिक वृक्ष । केतुहल देखो 'कुळ' । केतू - वि० १ विध्वंसक । २ श्रेष्ठ । ३ देखो 'केतु' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir केलेऊ- वि० [सं० कियत्] कितना । केतेक - वि० कितने । पु० केतकी, केवड़ा । केची - पु० कच्छ देशोत्पन्न घोड़ा । केज (देखो केज' केण सर्व० १ को २ किस किसने । कैलिका स्वी० मा । केत स्त्री० [सं० केतः ] १ बस्ती आबादी । २ घर, मकान । ३ जगह, स्थान । ४ भंडा, पताका ५ संकल्प । ६ मंत्ररणा । ७ बुद्धि, विवेक ८ धन ९ प्रकाश । १० निमंत्रण । ११ केतु । केतक - पु० [सं०] १ केवड़ा, केतकी । २ केतकी का फूल । ३ पताका । वि० कितने । बहुत। -क्रि०वि० किस कदर । केतकी स्त्री० [सं०] १ एक पुष्प वृक्ष, केवड़ा २ इसका पुष्प ३ केवड़ा जल । ४ यात्रा में साथ रखने का जल पात्र । ५ श्वेत-सुगंधित पुष्प | केली (ड़ा) वि० [सं० केतन] कितना कितने । केतन - पु० [सं० [ १ निमंत्रण, आह्वान । २ ध्वजा । ३ चिह्न । ४ अनिवार्य कर्म । ५ घर । ६ स्थान । केम - पु० [सं० मत्र- केतु] कामदेव । केतळउ - वि० (स्त्री० केतली ) कितने । केतलायक, केतलायक - वि० कितने । केतली - स्त्री० यात्रा में साथ रखने का जलपात्र । - वि० कितनी । केतलत, केतली - वि० (स्त्री० केतली ) कितना । केतां, केता-वि० कितने कितना । " केलाई केतिय वि० कितने ही क्रि० वि० कहां तक केती- वि० कितनी । केरक - पु० [सं०] हाथी । केतु-पु० [सं० केतुः] १ ध्वजा, पताका २ चिह्न, निशान । ३ दीति, प्रकाश । ४ पुच्छल तारा ५ नौ ग्रहों में से एक ६ एक राक्षस का कबंध । —कुंडळी - स्त्री० - बारह कोष्ठों का एक चक्र जिससे प्रत्येक वर्ष का स्वामी देखा जाता है। (ज्योतिष) मानव तेजवान तेजस्वी बुद्धिमान - | केरड़, केरड़ियो, केरडौ- पु० १ बछड़ा । २ देखो 'कैर' । केरल पु० भारत का एक दक्षिणी प्रान्त । केरब० १ रहट का एक पत्थर २ देखो 'ख' केतोइक, केतौ वि० कितने । केथ, केथि ( थी, थे) - क्रि०वि० १ कहां, किधर । २ कहीं । hat - पु० एक प्रकार का कंटीला वृक्ष । - क्रि०वि० क्या । केदार (रि, री) पु० [सं० केदार:] १ एक प्रसिद्ध तीर्थ २ हिमालय की एक प्रसिद्ध चोटी । ३ शिव का एक रूप । ४ पर्वत शिखर । ५ पानी से भरा खेत । ६ चारागाह । 1 ७ एक प्रसिद्ध राग । —नट - पु० एक संकर राग विशेष । - नाथ- पु० हिमालय स्थित एक तीर्थं शिव का एक रूप । केदारि (री) स्त्री० १ दीपक राम की पांचवीं रागिनी । २ एक जाति विशेष । केदारेस्वर - पु० [सं० केदारेश्वरः ] काशी स्थित शिव मंदिर | केदारी पु० १ राग विशेष । २ पोचापन, दिवालियापन | केन पु० केन उपनिषद । सर्व० किस । केवल देखो 'कहावत । केवल देखो 'बाण'। केसी देखो 'वि' । कहाँ केम क्रि०वि० [सं० किम्] १ किस प्रकार से किधर । - द्रुम - पु० ज्योतिष में चन्द्रमा का एक योग । केमर (री) - पु० [सं०कार्मुक] १ धनुष २ झाड़ीनुमा छोटा वृक्ष । केमि-देखो 'फेम' | केमु (मू) - क्रि०वि० कहां, किधर । केस (क) देखो 'केक' । केपुर (पूर) - पु० [सं० केपूर:] १ बाजूबंद । २ ताबीज केरंडी (डी) १० [सं० रंडी ] १ मास्य मकर।२। १३ देखो 'किरीटी' | " केर - अव्य० १ संबंध सूचक अव्यय, का, के, की । २ देखो 'कैर' । ३] देखो 'केह' । For Private And Personal Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir केररोटी ( २५७ ) केसट केरांटी (ठी)-देखो 'केरंटी'। केवट-वि० १ निभाने वाला । २ संभालने या बटोरने वाला। केरा-प्रव्य० १ संबंध सूचक अव्यय का, के । २ जैसा, समान । ३ सुधारने वाला। ४ चतुराई से काम लेने वाला। केरी-स्त्री० १ कच्चा आम । २ जुलाहे की एक लकड़ी। ३ निवार लपेटने की एक लकड़ी । -अव्य० संबंध सूचक केबडीग्राळी-देखो 'कबडाळो' । शब्द, की। केवडी-देखो 'केतकी'। केरु, केरू-देखो 'कौरव' । केहड़ी-स्त्री० १ मिट्टी का बना छोटा पात्र विशेष । २ मिट्टी का | केवडो-वि० (स्त्री० केवडी) कितना, कैसा । बना रोटी पकाने का तवा । केवत-स्त्री० यश-अपयश। कहावत । केरे-देखो 'कर'। केवळ-पु० [सं० केवल] १ विष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ कल्याण, केरौ-प्रव्य० संबंध बोधक अव्यय । -सर्व० किसका। मोक्ष । ४ सर्व श्रेष्ठज्ञान । ५ एक छंद विशेष । केळ-पु० १ भाला । २ कामदेव। -स्त्री० [सं० कदली] १ केले -वि०१ विशिष्ट । २ एक मात्र, अकेला । ३ अद्वितीय, का वृक्ष व फल । २ किसी वृक्ष की शाखा, डाली। ३ केले बेजोड़ । ४ समस्त, समूचा । ५ बिना ढका, खुला । का चित्र । ४ कोंपल । ५ देखो 'केळि' । ६ शुद्ध, साफ। ७ अमिश्रित । -अव्य० [सं० केवलम्] केलड़ी-स्त्री० मिट्टी का तवा । सिर्फ, मात्र, फकत । -गत, गति-स्त्री० चार प्रकार केळरसक्यारी-स्त्री० काम क्रीड़ा का साधन, योनि । की मुक्तियों में से एक ।---ग्यांणी (नी)-पु० कैवल्य ज्ञान केळवरणौ (बी)-क्रि० १ सुधार करना । २ शुद्ध करना। प्राप्त महात्मा । २ निकटस्थ और दूरस्थ रहते हुए भी केळवर-पु० [सं० कलेवर शरीर, देह, ढांचा। अन्य की प्रकृति को जान लेने का ज्ञान (जैन) । केळा, केळि. (ळी)-स्त्री० [सं० केलि] १ स्त्री प्रसंग, संभोग, | --यांन-पु० आत्म-परमात्म संबंधी ज्ञान । दुःखों की रति क्रीड़ा । २ क्रीड़ा, खेल । ३ मनोरंजन, आमोद- निवृत्ति । निरहंकार की भावना । अद्वितीय ब्रह्म भाव प्रमोद । ४ हंसी-मजाक । ५ हर्ष, खुशी, आनन्द । ६ पृथ्वी। की प्राप्ति । ७ एक प्रकार का घोड़ा । —प्रभ-पु० केले का तना। केवळी-पू०१ केवल ज्ञानी । २ ब्रह्मात्म ज्ञानी । ३ मुक्ति का -ग्रह-पु० रतिगृह, शयनागार । क्रीड़ा स्थल । अधिकारी । ४ तीर्थंकर और सिद्ध भगवान (जैन)। केळिनि (नी)-स्त्री० [सं० कदली] केले का वृक्ष तथा फल। । -विधिकळा-स्त्री० बहत्तर कलाओं में से एक । केळियो-पु० १ छोटा शमी वृक्ष । २ अंकुर निकला हुअा छोटा केवांरण, केवाणी-देखो 'ऋपाण' । पौधा। केवा-स्त्री. १ आपत्ति, दुःख, कष्ट । २ द्वेष, शत्र ता । ३ कमर, केळिहर-पु० [सं० केलिगृह] केलिघर । कमी । ४ दोष, अवगुण । ५ कलंक । ६ कहावत । ७ युद्ध केळू, केळूडो-देखो 'केळौ'। झगड़ा । ८ दंगा, फिमाद । ९ कलह । केलू, केलूडो (रो)-पु० खपरैल । केवाड-देखो 'कपाट' । केळी-पु० [सं० कदली] १ केले का वक्ष या फल । २ छोटा | केवाट-पु० सिं० किवृत्तम्] १ वृत्तांत, हाल । २ समाचार, शमी वृक्ष । केवडो-पु. १ खुशबुदार सफेद फुलों वाला पौधा । २ इसका | केविय, केवी(बी)-पु० शत्र । -क्रि०वि० कैसी।-वि० कोई भी। फुल । ३ इसके फूलों का पासव, केवड़ा जल । ४ एक केवी-पु० १ प्रतिकार, बदला, वैर । २ देखो 'केवा' । लोक गीत। | केस-पु० [सं० केश] १ बाल । २ अयाल । ३ जानवरों के केवट-पु० [सं० कैवर्त] १ भल्लाह, नाविक । २ एक वर्ण- बाल । ४ विश्व । ५ सूर्य । ६ विष्णु। ७ केशी नामक संकर जाति । दत्य । --काट-पु० नाई, नापित । -कार-पु० बाल केवटणी (बौ)--क्रि० १ निभाना, निर्वाह करना । २ बटोरना, संवारने वाला 'हज्जाम । -बाळ, बाळी-स्त्री० घोड़े की संभालना । ३ चतुराई से काम लेना । ४ मांस को कमा गर्दन के बालों के पंक्ति । घोड़े की गर्दन का जालीनुमा कर तैयार करना । ५ देखभाल, हिफाजत करना। प्राभूषण । -मारजन-पु० कंघा । ६ मितव्ययता करना। केसट--पु० [सं० केशट) १ कामदेव का एक बाण । २ विष्णु । केवटियो-देखो 'केवट' । ३ भाई। ४ बकरा । ५ खटमल । खबर। For Private And Personal Use Only Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir केसर-स्त्री० [सं०] १ ठंडे मुल्कों में होने वाला एक पौधा | केहि (ही)-सर्व० किम । कौन । क्या। -वि० कोनसा, कैसा । जिसके फूलों के रेशे स्थाई सुगंध व पीले रंग के लिये अनेक, कई । प्रसिद्ध हैं, जाफरान । २ फूलों के बीच के रेशे । ३ सिंह की केहेक-वि० कुछ । थोड़ा। गर्दन के बाल । ४ नाग केसर । ५ बकुल । ६ मौलश्री। केहौ-वि० (स्त्री० केही) कैसा । कौनसा । -सर्व० क्या । ७ स्वर्ग । ८ देववृक्ष । -वि० लाल, रक्तवर्ग* | -प्राळो क्रि० वि० क्यों। -वि० केसरिया रंग का। -बाई -स्त्री० करगी देवी | केको-सर्व० (स्त्री० कैकी) किसका। की बड़ी बहन । कैंची-स्त्री० [तु०] १ वस्त्रादि काटने का उपकरण, कतरणी। केसरक्क-देखो 'क्रासळक' । २ परस्पर तिरछी करके रखी गई तीलियां या लकड़ियां । केसरिपूत-पु० हनुमान, बजरंग । ३ क्रोस चिह्न। ४ कुश्ती का एक दाव । ५ मालखंभ की केसरियाकंवर-पु०१ राजस्थान के एक लोक देवता । २ पति । । एक कसरत । ६ दोहरी समस्या । केसरियौ-पु०१ अफीम । २ नायक, रगिक । -वि० केसर जैसे | कैडे-क्रि० वि० कहां। रंग का। कैत-पु० कपित्थ का वृक्ष । केसरी-पु. सं. करिन्] १ सिह । २ घोड़ा । ३ नाग | कैपा-पृ० इमली के बीज । केसर । ४ पुन्नाग । ५ बिजौरा नींबू । ६ हनुमान के पिता। कैवार-स्त्री० [सं० कीति+वार कीति, यश । प्रशंसा, स्तुति । ७१क प्रकार का बगुला । ८ सर्वोत्तम व्यक्ति। -वि० कै-न० १ हिजड़ा, क्लीव । -पु० २ मर्द । ३ पुरुष । ४ वायु । केसरिया रंग का, पीला । -नंदन (नि, नी), पूत-पु० ५ शब्द । -स्त्री०६ सरस्वती। ७ वारणी । ८ वमन, के, हनुमान। उल्टी । -वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ पवित्र, शुद्ध । केसव (बु)-पु० [सं० केशव १ परमेश्वर, ब्रह्म । २ विष्णु। ३ नम्र । ४ कितने, कितना । -अव्य० [सं० किम्] या, ३ श्रीकृष्ण । ४ विष्णु की एक मूर्ति । –राइ-पु० अथवा । से। -सर्व०१ किस । २ क्या । श्रीकृष्ण। कई-वि० कई, अनेक, कितने ही । केतवाळी स्त्री० [सं० केश, अवली] १ केश राशि । केशों कैक-वि० कितने। पक्ति । अलक । २ देखो 'केसबाळी' । कैकळ-पु० एक प्रकार का गारा । केसवी-देखो 'केमव'। कडो (क)-वि० (स्त्री० कड़ी) कैसा । केसि-देखो 'कसी। कैजम (म्म)-पु० १ घोड़े की झूल । २ युद्ध के समय घोड़े को केसिनो-त्री० [सं० केशिनी] १ जटामासी । २ सुन्दर व बड़े | धारण कराया जाने वाला कवच या पाखर । वालों वाली स्त्री। ३ एक अप्सरा । ४ रावण की माता का कटन-प० [सं०1 मधु नामक दैत्य का छोटा भाई।-अरि, नाम । ५ दुर्गा। कदन, कदन, जित, रिपु, हन-पु० विष्णु । ईश्वर । केसिधौ-१०१ सिर के प्राजू-बाजू बालों में लगाया जाने वाला | करण-स्त्री० १ चमड़े की छोटी रस्मी। २ देखो 'केण' । स्त्री । २ मिक। | करणा-सर्व० क्या। केसी-६० म० केशिन] १ सिंह । २ घोड़ा । ३ श्रीकृष्ण द्वारा करणावत-स्त्री०१ कहावत । २ किंवदंती। बधित एक राक्षस । ४ इन्द्र द्वारा बधित एक अन्य राक्षस । कणी-स्त्री० [सं० कय] १ कहने की क्रिया, भाव या ढंग । ५ श्रीकृष्ण । ६ एक यादव । -वि. १ प्रकाश बाला। २ कथनी, चर्चा । ३ कहावत । • अच्छे बालों वाला। करणौ (बी)-देखो 'कहणी' (बो)। केसू, के मूल (लो)-पु. १ पलाश वक्ष, टेम् । २ पलाश का पुष्प । केह-सर्व कोन, किम । कुछ । कैतन-देखो 'केतन'। केहइ-वि० कौनसा, ऐसा । कुछ । कंतलयक-वि० कितने, कितना । केहड़लौ-वि० (स्त्री० केहड़ली) कैसा, कमी। कैतव-पु० [सं० कैतवः] १ छल, कपट, धोखा । २ जुया, द्यूत । केहड़ी-वि० (स्त्री० केहदी) कमा। ३ बहाना । ४ ठग, छलिया । ५ धतुरा । ६ वैदूर्यमणि । केहर-पु० केमरी ? सिह, शेर । बाल, केश । ७ मगा। ८ चिरायता। केहरि (री) -देशो 'केसरी' । कैतवापनति-स्त्री० [सं० कंतवापह्न ति] एक अर्थालंकार । केहवौ -वि० (स्त्री० केहबी) कैसा । कौनमा । कैतसाली-स्त्री० [अ० कहत---फा. साली] अकाल, दुष्काल । केहा-विल कंमा ! -कि.विः कैसे। | केतूहळ-देखो 'कुतुहल'। For Private And Personal Use Only Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेय कोइल कैथ-पु. १ कपित्थ वृक्ष। २ देखो 'केथ' । केळासी-पु० [सं०कैलासिन्] १ कैलासनिवासी शिव । २ कुबेर । कंद-स्त्री० [१०] १ कारावास, जेल । २ बंधन । ३ अवरोध, लि-देखो केळि'। रुकावट । ४ शर्त, प्रतिबंध । -खांनो-पु० बंदीगृह, कैलू-पू० खपरैल । जेलखाना । --तनहाई-स्त्री० जेल की काल कोठरी में कवच-देखो 'केंवच'।। अकेले रहने की सजा । -महज-स्त्री० सादी कैद । कैवरणौ (बी)-देखो 'कहणी' (बी)। केदारो-स्त्री० वासुदेवा नामक भाटों की जाति । कैवत-स्त्री. १ कहावत। २ किंवदंती। कैदी-पु० [अ०] बंदी। कैवल्य-पु० [सं० कैवल्यम्] १ मोक्ष विशेष । २ एकत्व । कंधौ-अव्य० या, अथवा, मानो। कैवा-देखो 'केवा'। कैन-सर्व० कौन। कैवाणी (बौ)-देखो 'कहाणी' (बौ) । केनु, कने-सर्व किसको। कैवार-पु. १ डिंगल का एक गीत । २ एक मात्रिक छंद कंफ-पु० [अ०] १ नशा, मद । २ अफीम । ३ माजून । विशेष । ३ स्तति. प्रशंसा । ४ देखो 'कैवार'। ४ अानंद, हर्ष । कैवावरणौ (बो)-देखो 'कहाणी' (बौ)। कैफियत-स्त्री० [अ०] समाचार, हाल, विवरण । कवी-देखो 'केवा'। केबर-पु० तीर, बारण। कैसिको-स्त्री० नाटक की चार प्रमुख वृत्तियों में से एक । कैम-पु० १ एक वृक्ष विशेष । २ देखो 'केम' । कैसीक-वि० कैसी। कैमखांनी-पु० १ राजपूत से मुसलमान हई एक जाति । | कैसोहेक-वि० कैसा। __२ इस जाति का व्यक्ति, क्यांमखांनी । कहवत-देखो 'केवत'। कैमर (रो)-पु० धनुष । कही-वि० १ कैसी। कैसा । २ कई। -सर्व० कौनसी । कैमल-पु० [सं० क्रमेलक] ऊंट । कोंकरण-स्त्री० १ परशुराम की माता रेणुका का एक नाम । कैयां-क्रि० वि० कसे, किस तरह । _२ दक्षिण भारत एक प्रदेश । कर (डियो)-पु०१ एक कांटेदार झाड़ी, करील वृक्ष । २ इस वृक्ष का फल । ३ देखो 'केर'। कोंकरिणयार-स्त्री० रहट पर लगने वाली एक लकड़ी की कील । करव-पु० [सं० कैरवः] १ जुमारी। २ ठग, प्रवंचक । ३ शत्र । कोंकरणी-स्त्री० [सं०] १ कोंकण देश की भाषा जो प्रार्य एवं द्रविड़ भाषा के मेल से बनी है । २ चांदी का एक कंगन ४ सफेद कमल । ५ कुमुद, कूई । ६ देखो 'कौरव'। --दळण-पु० भीम। -बंधु-पु० चन्द्रमा । विशेष । करवि (वी)-पु० [सं० करविन्, करवी] १ चन्द्रमा । | कोंकर-क्रि०वि० क्योंकर, कैसे। २ कुमुदिनी। ३ चन्द्रमा की चांदनी, जुन्हाई । कोंचा-स्त्री० बहेलियों की चिड़िया फंसाने की छड़ । करसाली-स्त्री० दुभिक्ष, दुष्काल । कोण-सर्व० कौन। कैरी-पु. १ प्रांख में वलय कुडली वाला अशुभ बैल । २ एक को-पु० १ शोक । २ सोना । ३ चातक । ४ बालक । ५ क्रोध । मांख में चक्र वाला घोड़ा। ३ कच्चा आम । -वि० भूरे रंग | ६ बाज पक्षी। -सर्व० [सं० कोऽपि] कोई, कौन, कुछ, की । २ तिरछी (प्रांख)। -सर्व किसकी। कितना। -क्रि०वि० कभी नहीं । -प्रव्य. संबंध सूचक करू -पु० कौरव । अव्यय, का। करू दौ-पु० बेर के प्राकार का एक खट्टा फल व इसका वृक्ष। को-१ देखो 'कोह' । २ देखो 'कोस' । ३ देखो 'कोनी' । करूड़ी-स्त्री० मिट्टी का छोटा तवा । कोअरण-देखो 'कोयण'। करौं-वि० १ भूरे रंग का । २ तिरछा । -सर्व०१ किसका। कोई, कोइक (यक)-सर्व० [सं० कोऽपि] कोई। २ देखो 'कौरव' । कोइट (टो)-देखो 'कोयटौ' । कलड़ी-स्त्री० मिट्टी का तवा । कोइडो-देखो 'कोयडी'। केळास-पु० [सं० कैलास] १ हिमालय की एक चोटी जो तिब्बत कोइयन-सर्व० कोई नहीं । में है। २ शिव का निवास स्थान । --- उथाल-पृ. रावण । ---नाथ-पु० शिव । कुबेर । -अप-पु० महादेव, शिव । | कोइयो-देखो 'कोयौ'। कुबेर । --पत, पति, पती-पु० महादेव, शिव । कुबेर। कोइल (ली)-स्त्री० [सं० कोविल कोयल । For Private And Personal Use Only Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir को ( २६० ) कोजागरीपूनम कोई (क)-सर्व० [सं० कोऽपि] १ ऐसा एक जो अनिर्दिष्ट व कोकिल, (ला)-स्त्री० [सं० कोकिला] १ कोयल । २ छप्पय अज्ञात हो । २ बहुतों में से जो चाहे एक ।-क्रि०वि० छंद का उन्नीसवां भेद । ३ जलता हुआ अंगारा । १ एक भी। २ लगभग, करीब। ४ युद्धप्रिय बावन वीरों में से एक । -पासण (न) कोईको-वि० (स्त्री कोइकी) कोईसा । -पु० चौरासी आसनों में से एक । कोईठो-देखो 'कोयठौ'। कोको-स्त्री० चकवी। कोईरो-देखो 'कोहिरौ'। (स्त्री० कोईरी) कोकीन-स्त्री० कोका वृक्ष की पत्तियों से बनी एक तेज औषधि । कोईली-१ देखो 'कोइल' । २ देखो 'कोयली'। कोको-वि० १ थोथा, पोला, खोखला । -पु० नाक का कोईलौ-देखो 'कोयलौ'। एक प्राभूषण विशेष । कोउ (ऊ, क)-सर्व० [सं० कोऽपि] कोई । -स्त्री० [सं० कुपक] | कोख-स्त्री० [सं० कुक्षि] १ उदर, पेट । २ गोद । ३ गर्भाशय । अग्निकुंड। | -जली-स्त्री० वह स्त्री जिसके संतान होकर मर जाती कोक-पु० [सं०] (स्त्री०कोकी) १ चक्रवाक पक्षी। २ कोकिल । है। --बंद, बंध-स्त्री० बंध्या स्त्री, बांझ । ३ मेंढक । ४ भेडिया । ५ विष्णु । ६ रतिविद्या । कोखयक-स्त्री० [सं० कौक्षेयक] तलवार । कृपाण । ७ काम शास्त्र । ८ काम शास्त्र का ज्ञाता, पंडित । कोखा-पु० गेहूँ का भूसा। ९ संगीत का छठा भेद । -सर्व० कोई । -कळा-स्त्री० कोगत-स्त्री० [सं० कौतुक हंसी, मजाक, दिल्लगी। रति विद्या, काम कला । काम शास्त्र । संभोग । --देव-पु० कोगति, (ती)-वि० मजाकिया, दिल्लगी करने वाला । कोक शास्त्र का पडित । -नद-पु. लाल कमल । कमल । -स्त्री० बुरी गति, अधोगति। श्वेत कमल । --सार, सास्त्र-पु० काम शास्त्र, रतिशास्त्र। कोड़, (डि)-वि० [सं०कोटि] करोड़, कोटि । -स्त्री० १ करोड़ कोकड़-पु. [सं० कौकुट] १ बाल-बच्चे । २ पीलू के सूखे फल । की संख्या। [सं० कोड] २ वक्षस्थल, गोद । ३ सूअर । कोकड़ियौ-देखो 'कोकडी'। -पसाव-पु० करोड़ रुपयों का दान, पुरस्कार । -वरीस कोकड़ी-स्त्री. १ कच्चे सूत की लच्छी । २ डोरे की गिट्टी। -वि० उक्त पुरस्कार देने वाला । ३ मदार का डोडा या फल । ४ पीलू के सूखे फल । कोडिक-पु० [सं० कोटिक] कसाई। ५ बंधन । ६ बाहु (भुजा) की मांस पेशी । ७ देखो कोडिटंकावळी-वि० करोड़ रुपयों के मूल्य का । 'कोकरड़ी'। कोड़ी-पु० [सं० कोड] १ सूअर । २ बीस की संख्या । कोकरणौ (बौ)-क्रि० १ कच्ची सिलाई करना । २ प्रहार हेतु ---पाळ-पु० सूपर । ----डढ्डो-पु० सूअर, वराह । -धज शस्त्र उठाना। ३ बुलाना । ४ भाले से छेदना । ५ मारना। -पु० करोड़पति। कोकन, कोकम-पु० दक्षिण भारत का एक प्रदेश । कोड़ीक, (ग)-वि० [सं० कोटिक] १ करोड़, अगणित । कोकर-पु० ककड़। २ करोड़ रुपये के मूल्य का, अमुल्य ।। कोकरडी-स्त्री०१ छोटे कानों की बकरी । २ कान कटी बकरी।| कोड .कोड क-वि० करोड़ के लगभग, करोड़ । ३ देखो 'कोकड़ी। कोड़े सरी-पु० [सं० कोटि+ईश्वर-नई] करोड़पति । कोकरी-स्त्री० हल के जूऐ के मध्य लगने वाली काष्ठ कोच-प० [अं०] १ गद्देदार सीटों वाली गाड़ी या डिब्बा । की कीली। २ देखो 'कवच' । -बकस, बक्स, वगत--पु० घोडागाड़ी कोकरू (रू)-पु० स्त्रियों के कान का आभूषण । का वह ऊंचा स्थान जहां पर चालक बैठता है। -वान कोकरौ-पु० रहट के जूऐ में लगा कीला । -पु० घोडागाड़ी का चालक । कोकळ-स्त्री० बाल-बच्चे । कोचर-पु. १ कोचरी । २ दांतों में होने वाला छेद । कोकल, (ला)-स्त्री० [सं० कोकिल] १ कोयल । २ ककड़ी । २ ३ सुराख । ४ कोटर।। ___ के सूखे टुकड़े । कोचरणौ (बौ)-देखो 'कुचरणौ' (बौ) । कोकव-पु. [सं०] एक संकर राग विशेष । कोचरी-स्त्री० उल्लू की जाति की एक चिड़िया । कोका-स्त्री० [सं०] १एक वृक्ष की सुखी पत्तियां जो चाय की | कोचीन-पु० दक्षिण भारत की एक प्राचीन रियासत । तरह मानी जाती हैं । २ कंकड़ । कोज-मर्व० कोई। कोकारी-स्त्री० १ चीत्कार, चीख । २ तेज आवाज । कोजळिया-पु० बिना धोया लट्टा । कोकाह-पु० सा..द रंग का घोड़ा। कोजागरीपूनम-स्त्री० आश्विन मास की पूर्णिमा । For Private And Personal Use Only Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोजो (२६१ ) कोडायलो कोजो (ो)-वि० (स्त्री० कोजी) १ कुरूप, भद्दा । २ बुरा, कोठ-पु० [सं०] १ एक प्रकार का कोढ़ । २ कोष्ठक, ग्वाना। अनिष्टकारी। । -वि० कुठित । कोट-पु० [सं० कोट्टः] १ दुर्ग, गढ़, किला । २ शहर-पनाह, कोठड-क्रि० वि० कहाँ । प्राचीर । ३ करोड़ की संख्या। ४ कमीज पर पहनने का, कोठलियो पु० मिट्टी की बनी छोटी कोठी, टंकी। पूरी बांहों का मोटा वस्त्र । ५ शहर, नगर । ६ बिल, कोठाकुचाल-पु० हाथियों का एक उदर रोग। कोटर । [अं० कोर्ट] ७ ताश का खेल । -वि० रक्षक । कोठानील-पु० रंगरेजों से लिया जाने वाला कर । -चक्र-पु० शुभाशुभ जानने का एक तांत्रिक चक्र । कोठार, कोठारियो-पु. १ अन्नादि का भण्डार कक्ष, कोष । -पाळ-पु० किलेदार । २ गाड़ी के नीचे बना सामान रखने का कोठा। ३ कुठार, कोटक-वि० [सं० कोटिश] करोड़।। कुल्हाड़ी। कोटड़ी (क)-स्त्री० [सं० कोट्टम्] १ छोटा कमरा, कक्ष। कोठारी-पु० भण्डारी, कोषाध्यक्ष, कोष प्रबंधक । २ बैठक । ३ छोटे जागीरदार की कचहरी । ४ छोटी कोठाळियौ-देखो 'कोठार' । जागीर । --खरच-पु० जागीरदारों द्वारा वसूल किया कोठी-स्त्री० १ बड़ा व पक्का मकान, भवन, हवेली, बंगला। जाने वाला एक कर। -दावी-पु० आतिथ्य । मेजबानी । २ बड़ी दुकान । ३ लोहे, मिट्टी या सीमेंट की टंकी, अनाज कोटबबर-पु० युद्ध में कटे वीरों के शिरों का ढेर । डालने का लंबोतरा मिट्टी का बड़ा पात्र । ४ बन्दुक में बारूद कोटर-पु. [सं० कोटरः] १ पेड़ का खोखला भाग, बिल । रखने का भाग । ५ म्यान की साम । ६ बड़ा व गोल पात्र । २ दुर्ग की रक्षार्थ चारों ओर का कृत्रिम वन । ७ कूमा, कूप । ८ कोल्हू में तिल डालने का स्थान । ९ कुए कोटरा-स्त्री० बाणासुर की माता का नाम । के नीचे का भाग। -चल-स्त्री० एक प्रकार की बन्दुक । कोटवाळ-पु० [सं० कोट्टपाल] १ दुर्गरक्षक, किलेदार ।। -चाली, वाळ-पु०साहूकार, कारोबारी । महाजनी अक्षर। २ कोतवाल । ३ नगर न्यायाधीश। ४ फककड़ों का चिमटा। कोठे, कोठेड़-क्रि० वि० कहाँ, किधर । ५ पिजारा जाति की एक शाखा। कोठेसर (स्वर)-पु० [सं० कोठेश्वर] शिव, महादेव । कोटवाळी-पु०१ नगर न्यायाधीश का कार्यालय । २ कोतवाल | कोठ-देखो 'कोठे। या किलेदार का कार्य । ३ देखो 'कोतवाली' । कोठी-पु० [सं० कोष्ठक] १ बड़ा व चौड़ा कक्ष, कमरा । कोटसलेम-पु. राजा या जागीरदार को बंदी बनाकर रखने का २ कोष, भण्डार। ३ भवन का ऊपरी कमरा, अटारी। __स्थान । सलेमकोट । ४ उदर. पेट । ५ गर्भाशय । ६ खाना, कोष्ठक, घर । कोटांरण-पु० करोड़। ७ किसी एक अंक का पहाड़ा। ८ शरीर या मस्तिष्क का कोटि (टी)-स्त्री० [सं० कोटि:] १ धनुष का शिरा, नोक । कोई भीतरी भाग । ६ जलकुण्ड, हौज । १० अनाज आदि २ शस्त्र की नोक या धार। ३ समूह, जत्था। ४ वर्ग, के लिये बना गृह या तलगृह । श्रेणी। ५ श्रेष्ठता, उत्कृष्टता। ६ अग्र भाग । ७ घाट | कोठ्यार-देखो 'कोठार' । या तीर । ८ चरम सीमा या बिन्दु । ६ चन्द्रकला । | कोडंड-पु० [सं० कोदण्ड] १ धनुष, कमान । २ भौं। १० करोड़ की संख्या। ११ राज्य या सल्तनत । १२ कोना। -धर-पु० धनुर्धारी योद्धा। -वि० करोड़। | कोडंडी (स)-४० [सं० कोदण्ड + ईश] १ अर्जुन का गांडीव कोटिक (क्क)-वि० [सं०] १ करोड़ों। २ असंख्य, बहुत । धनुष । २ बड़ा धनुष । ३ धनुष । -पु० १ एक तरह का मेंढ़क । २ इन्द्रगोप, वीर बहूटी। कोड-पु० १ चाव, उत्साह, उमंग, जोश । २ हर्ष, खुशी । ३ मांस बेचने वाला कसाई। ४ खटीक। -तीरथ-पु० ३ उत्कण्ठा, अभिलाषा। ४ लाड, प्यार। ५ शौक । एक तीर्थ विशेष । ६ सत्कार । ७ सूपर, वराह। ८ करोड़ की संख्या । कोटीक-देखो 'कोटिक'। ९ कोढ़ । कोटीर-पु० [सं० कोटीर:] १ मुकुट, ताज । २ कलंगी। कोडयाळी-स्त्री० १ ज्वार (अन्न) की एक किस्म । २ देखो ३ चोटी। ___ 'कोडायलो' (पु०) । कोटेसर (स्वर)-पु० [सं० कोटीश्वर] १ शिव का एक रूप । कोडारणौ (बौ)-क्रि० हर्ष करना, उमंगित होना । २ धनवान, करोड़पति । कोडायती, कोडायतो, कोडायौ. कोडायलो-वि० (स्त्री० कोडायती कोट्टवी-स्त्री० [सं०] १ बाल खोले नंगी स्त्री। २ दुर्गा ।। कोटाई, कोडायली) १ उमंगित, उत्साहित । २ जोशीला । ३ बाणासुर की माता। ३ हर्षित, खुश, शौकीन । For Private And Personal Use Only Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोडाळी ( २६२ ) कोपट कोडाळी-वि० (स्त्री० कोडाळी) १ स्वागत करने वाला । कोणाघात-पु० [सं०] एक लाख हुडक व दस हजार ढोलों की २ प्यार करने वाला। ३ उमंगित । -पु० १ एक | एक साथ बजने की आवाज । प्रकार का धब्बेदार सर्प। २ ऊंट के गले का प्राभूषण। कोत-पु० बन्दूकों का जुड़ा। ३ छोटा शंख। कोतक (ग)-देखो 'कौतुक'। कोडि-स्त्री. १ किनारा, तट, कोर । २ देखो 'कोडो'। कोतकी (गी)-देखो 'कौतकी' : कोडिमाळ (नौ)-पु० [सं० कोड़-पाल] १ सूअर, वराह । कोतरणौ (बौ)-देखो 'कू'तणौ' (बौ)। २ वराह अवतार । ३ देखो 'कोडायतौ' । | कोतल-पु० [फा०] १ बिना सवार का सजा-सजाया घोड़ा। कोडियाळी-स्त्री० १ कौड़ियों की माला। २ एक प्रकार की २ राजा की सवारी का घोड़ा । ३ आवश्यकता के लिए चिड़िया । ३ देखो 'कोडयाळी' । तैयार रहने वाला अन्य घोड़ा। कोडियो-पु. १ कुम्हार का एक उपकरण । २ घास विशेष । कोतवाळ-पु० [सं० कोट्टपाल] १ नगर रक्षक, पुलिस कोडियो-देखो 'कोढ़ियो' । अधिकारी । २ साधु का चिमटा । ३ कुत्ता । ४ देखो कोडी-स्त्री० [सं० कपर्दिका] १ कौड़ी, कपर्दिका । २ अांख के कोटवाळ'। अदर का श्वेत भाग । ३ अांख का टेला। ४ उमंग, उत्साह ।। कोतवाळी-स्त्री० १ कोतवाल का पद । २ कोतवाल का कार्य । ५ तट, किनारा। -वि० १ हर्षित, प्रसन्न । २ अभिलाषी, ३ कोतवाल के कार्य करने का दफ्तर । उमंगित । ३ श्वेत, सद*। ४ देखो 'करोड़' । कोता-वि० [फा० कोतह] १ छोटा, लघु । २ कम, अल्प । ५ देखो 'कोड़ी' । --खांनी-स्त्री० एक प्रकार की कटार । कोडीको (ळी)-वि० (स्त्री० कोडीली) हर्षित, उमंगित, कोताई-स्त्री० [फा० कोताही] १ कमी, अल्पता । २ लघुता, शौकीन । । छोटापन । ३ भूल, गफलत । ४ लापरवाही । कोडे, (.)-क्रि०वि०१ उत्साह से,उत्सुकता से । २ कहां किधर। कोताड़ी-स्त्री० छोटे कानों की बकरी। कोडौ-पु. १ एक प्रकार का धब्बेदार सर्प । २ बड़ी कौड़ी। कोतिक (क्क, ग)-देखो 'कौतुक' । ३ बच्चा, बालक । ४ कुढ़न, जलन । ५ वर्षा की छोटी कोतिल-देखो 'कोतल' । छोटी बूदें। कोतुक-देखो 'कौतुक'। कोड्याळी-देखो 'कोडियाळी' । कोतुहळ (हल)-देखो 'कौतुहळ' । कोढ़-स्त्री० [सं० कुष्ठ] रक्त एवं त्वचा संबंधी एक संक्रामक कोथळियौ, कोयळी-स्त्री०१ कपड़े की छोटी थैली। २ ऐसी थैली __रोग, कुष्ठरोग। में भरा सामान। कोढरण (णी)-स्त्री० कुष्ठ रोग से पीडित कोई स्त्री। कोथळी-पु० १ बड़ा थैला । २ जाटों की एक वैवाहिक प्रथा । __ -वि० दुष्टा। कोयी-स्त्री० म्यान के शिरे पर लगा धातु का छल्ला । कोढ़ियो, कोढी-पु० (स्त्री० कोढ़णी) कुष्ठ का रोगी । कोदंड-पु० [सं०] धनुष। कोद-स्त्री० १ दिशा । २ कोना । ३ नोक । -क्रि०वि० ओर, -वि० दुष्ट । तरफ। कोण-पु. १ कोना । २ दो रेखामों के बीच का अंतर । कोदाळ-पु० १ एक प्रकार का अशुभ घोड़ा । २ कुदाल । ३ दिशा । ४ दो दिशामों के बीच की विदिशा । ५ सितार कोवाळी (लो)-देखो 'कुदाळी' । बजाने की नखिया । ६ मंगल ग्रह । ७ शनिग्रह । ८ तलवार कोदू-पु० कौंदा नामक हल्का अनाज । आदि शस्त्रों की पैनी धार । ९ जन्म कुंडली में लग्न से | कोन, कोनन-देखो 'कोरण'।। नवम व पंचम स्थान । -दंड-स्त्री० घर के कोने में की कोनार-स्त्री० किसानों से लिया जाने वाला एक कर । जाने वाली कसरत । -- लग--पु० चलते हुए लगड़ाने वाला कोनी (कोन्यां)-क्रि०वि० नहीं, कभी नहीं। घोड़ा। ----संकु-पु० सूर्य की एक स्थिति जब वह न तो कोगवृत्त में होता है न उन्मडल में । कोनीयौ-पु० चौकोर वस्तु की मजबूती के लिए चारों ओर लगाया जाने वाला लोहे की पत्ती का बंद । कोणप-पु० [सं० कोणप) १ राक्षस, असुर, दैत्य । २ शव, | कोप-पु० [सं०] १ क्रोध, गुस्मा, रोष । २ रूठने का भाव । मुर्दा। -कोरण-पु० नैऋत्य कोण । ३ नायिका का मान । ४ नाराजगी। --भवन-पु० राज कोणस्त-पु० शनिश्चर। महल का एक कक्ष जिसमें रानियां हठ कर जाती थीं। कोणाकोणी-क्रि०वि० एक कोने से दूसरे कोने तक । कोपट-पु० संहार, ध्वंस । For Private And Personal Use Only Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org कोपरगी कोरड़ी कोपरणों (बौ)-क्रि० [सं० कुप्] १ कुपित होना, क्रोध करना। कोयटौ (ठौ)-पु० [सं० कूगोत्थर] चरम से पानी सींचा जाने २ नाराज होना। ३ क्रूर दृष्टि डालना। वाला कूया। कोपनळ-पु० कोपाग्नि । क्रोधाग्नि कोयण (न)-पु० [सं० कोचन] १ अांख का कोना । २ अांख कोपर, कोपरियो, कोपरी-पु० १ पत्थर का छोटा खण्ड । का देना। ३ अांख, नेत्र । [सं० कोपन] ४ शत्रु । २ मकान के द्वार में दोनों ओर लगाये जाने वाले चपटे कोयनी -देखो 'कोनी'। पत्थर । -स्त्री० [सं० कूर्परः] ३ कोहनी । ४ बढ़ई का कोयनळ-देखो 'कोपानल' । एक औजार । कोयर-देखो 'कोहर'। कोपवाळ-पु० क्रोधी व्यक्ति, गुस्सैल । कोयरी-देखो कोईरौ'। (स्त्री० कोयरी) को'पान-पु० [सं० कोशपान खुद को निर्दोष सिद्ध करने के | कोयल (डी)-स्त्री० [सं० कोकिल] १ काले रंग की एक मधुर लिए अभियुक्त द्वारा किया जाने वाला देव-कलश का भाषी चिड़िया । २ सफेद व नीले फूलों की एक लता जलपान। विशेष । ३ एक लोक गीत । कोपानळि-स्त्री० क्रोधाग्नि । कोयलक-पु० [सं० कौलकेय] कुत्ता, श्वान । कोपायत-वि० क्रुद्ध। कोयलारांणी-स्त्री०यौ० १ लक्ष्मी । २॥क देवी विशेष । कोपि (पो)-वि० क्रोधी, गुस्सेल । कोई भी। कोयली-स्त्री०१ बाहुमूल के नीचे पीठ में होने वाली एक ग्रंथि । कोपीन-पु. [सं० कौपीन साधु या ब्रह्मचारी की लंगोटी, २ इस ग्रंथि से व्यर्थ होने वाला शरीरांग । ३ रम्सी के कच्छा । सिरे में अटका रहने वाला लकड़ी का एक टकड़ा। कोफळा-९० १ बकरा, बकरी। २ ककड़ी के सूखे टुकड़े। ४ अपराजिता । ५ देखो 'कोयल' । कोफ्त-पु० [फा०] १ लोहे पर सोने-चांदी की पच्चीकारी। कोयलौ-पु० [सं० कोकिल] १ अधजली लकड़ी का खंड या २पके मांस का मालन विशेष । ३ रंज, दुःख, खेद ।। बुझा हुआ अंगारा जो दुबारा जलाने के काम आता है । ४ हैरानी। -गरी-स्त्री० पच्चीकारी का कार्य । २ रेल के इंजन या अंगीठी में जलाने का एक खनिज कोपतौ-पु० [फा० कोफ्ता] मांस व अन्य मसालों के योग से पदार्थ। बना एक गेंदनुमा नमकीन व्यंजन । कोयी-देखो 'कोई'। कोबिद-देखो 'कोविद'। | कोयौ-पु० [सं० कोच १ अांख का कोना । २ प्रख की पुतली । कोबीदार-पु० [सं० कोविदार] कचनार का वक्ष । ३ सूत की छोटी लच्छी या गट्टा । कोमंकी, कोमंखी-वि० [सं० कोपांकी] १ क्रोधी स्वभाव कोरंभ-पु० १ मिट्टी का बर्तन, कुभ । २ देखो 'कृरम' । वाला। २ उग्र योद्धा। कोर-स्त्री० [सं० कोटि]१ किनारा, छोर । २ सिरा। ३ सीमा। कोमंड-देखो 'कोदंड'। ४ पंक्ति, कतार । ५ दृष्टि । ६ कोना । ७ अंतराल । कोम-पु० [सं० चूर्म] १ कछुप्रा, कच्छप । २ कूर्मावतार । ८ हासिया । ९ दोष, ऐब । १० हथियार की धार । ३ देखो 'कोम'। ११ द्वेष, वर । १२ स्त्रियों के वस्त्रों में लगने वाला तार कोमळ-वि० [सं० कोमल] १ मुलायम, नरम । २ मृदु, मधुर । गोटा । -कतरणी-स्त्री० एक देशी खेन । -कसर-स्त्री० ३ मंद, धीमा । ४ सुकुमार । ५ सुन्दर, मनोहर । कमी, दोष, ऐब । -गोटौ-पु० तार-गोटे का फीता । ६ कच्चा । -पु० संगीत में एक स्वर भेद । -ता-स्त्री० --पारण (गो)-वि० मांड लगा या बिना धुला (कपड़ा)। मुलायनी, नरमी । मधुरता, मदुलता । धीमापन । -स्त्रा० रबी की फसल की प्रथम सिचाई। मुकुमारता । सुन्दरता। कोरक-पु० [सं० कोरक] १ कली (पुष्प)। २ सुगंध द्रव्य कोमाव-पु०१ एक प्रकार का चमकीला काच । २ सफाई। विशेष । कोरड़ (डी)-पु. १ एक प्रकार का घास । २ मोठ की फनी, कोमारी-देखो 'कुमारी' । दाना आदि महित मोट का चारा । कोनुड-देखो 'कोदंड'। कोरड -१० भिगोने या प्रांच पर पकाने पर भी सुखा रह जाने कोप-सर्व० १ कोई । २ किमी को । --वि• कुछ । वाला द्विदल अनाज का दाना । कोयक-सर्व० कोई एक, कोईसा । कोरडो-पु०१ लकड़ी का दस्ता लगा चाबुक । २ उनंजक बात । कोयडौ-पु. १ एक प्रकार का चाबुक । २ कपड़े की बनी गेंद । । ३ मर्म की बात। ४ कृती का एक दाव। --क्रि.वि. ३ एक देनी खेल विशेष । ४ देनो कोयौ' । मात्र, मिर्फ। For Private And Personal Use Only Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोरट ( २६४ ) कोविंद कोरट-पु० [अं० कोर्ट] १ अदालत, कचहरी। [रा०] २ कटारी। विशेष । १८ देखो 'कौल'। -मुखी- स्त्री० सूअर के कोरङ-देखो 'कोरड़'। समान मुंह वाली एक तोप। कोरण-पु० १ काले बादल के किनारे का श्वेत बादल । कोलक-पु० [सं०] १ अखरोट का वृक्ष । २ काली मिर्च । २ धूल की प्रांधी। ६ पारी तेज करने का एक औजार । कोरणावटी-स्त्री० मारवाड़ के अन्तर्गत एक प्रदेश । कोळखेम-देखो ' कुसळ-क्षेम'। कोरणियो-पू० वधू के मामा की ओर से दी जाने वाली पोशाक | कोलगिरि-पु० [सं०] दक्षिण भारत का एक पर्वत । विशेष । कोळजोळियौ-पु० विवाह के समय दुल्हिन के पहनने का वस्त्र । कोरणी (नी)-स्त्री० सं० कोटनी] १ चित्रकारी। २ पत्थर कोलणी (बौ)-क्रि० खोदना, गहरा करना । पर खुदाई, संगतराशी । ३ एक प्रकार की हजामत। कोलर-पु० हड्डी, अस्थि । -वार-वि० चित्रित । कोळाण-पु० गुलाबी फूलों वाला एक छोटा वृक्ष । कोरणी (बो)-क्रि० [सं० कोटनम्] १ चित्रकारी करना कोळांमरण-पु० वर्षा ऋतु का भूरा बादल । २ पत्थर पर खुदाई करना । ३ प्राडी, तिरछी रेखाएं कोलात, (यत)-पु० [सं० कपिलपद] बीकानेर के पास स्थित खींचना। कपिल मुनि का एक प्राधम जो तीर्थ माना जाता है। कोरम-पु० [अं०] १ किसी सभा या समिति के सदस्यों -स्त्री० कुशलक्षेम। ___ की अपेक्षित संख्या । २ देखो 'कूरम' । | कोलाल, (क)-पु० [सं० कुलाल] १ कुम्भकार, कुम्हार । कोरमो-पृ० १ खलिहान में अनाज साफ करने पर अवशिष्ट रहा २ जंगली मुर्गा। अनाज व भूसा। २ मूग या चने की दाल का चूरा । | कोलाळी-पु० [सं० कुलाल] १ ब्रह्मा। २ उल्लू । ३ जंगली ३ एक प्रकार का भुना हया मांस । -वि० (स्त्री० कोरमी) मुर्गा । ४ कुम्हार । ५ एक पक्षी विशेष । चित्रित । कोलाहट-पु० [सं०] नृत्य कला में प्रवीण व्यक्ति । कोराह वाइट-पु० एक प्रकार का बारूद विशेष । कोलाहळ (छ)-पु० [सं० कोलाहल] १ शोर गुल, हल्ला-गुल्ला । कोरवांरण-देखो 'कोरपाण' । २ चीख, चिल्लाहट । ३ जोर की अस्पष्ट ध्वनि, पावाज । कोराई-म्त्री० १ रूखापन, रूखाई। २ चित्रकारी या नक्काशी कोळियो-पु० [सं० कवलक] पशु के मुंह में एक साथ घास ___का कार्य । ३ चित्रकारी का पारिश्रमिक । । आदि का दिया जाने वाला भाग । कोराडो-पु० आकाश से बादलों के हट जाने पर मूखा दृश्य । कोलियो, कोली-वि०१ छोटी आंख वाला । २ तिरछी अांख से का कोराणो (बो), कोरावणौ (बौ)-क्रि० १ चित्रकारी कराना । ___ देखने वाला। २ पत्थर पर खुदाई कराना । | कोळी-स्त्री० १ एक जंगली जाति । २. काठियावाड़ की एक शासक जाति । ३ भुजबंध । -कांदौ-पु० एक औषधि कोरो-वि० (स्त्री० कोरी) १ जिसका अभी उपयोग न हुआ हो। विशेष । --बाड़-स्त्री० मकड़ी। नया, अछूता । २ जिस पर लिखा न गया हो, खाली, रिक्त, सादा । ३ साफ । ४ जिससे जल-स्पर्श न हना हो । कोळू-पु० पश्चिमी राजस्थान का एक स्थान जहां प्रसिद्ध वीर ५ वंचित, रहित । ६ निर्दोष, बेदाग, निष्कलंक । पाबु राठौड़ का स्मारक है। ७ शुष्क, रूखा । ८ रूखे स्वभाव का । ६ उदासीन । कोलेयक-पु० [सं० कोलकेय] कुना, श्वान । १० प्रशिक्षित, मुढ़। ११ निरोग। -गोफियौ-पु. एक कोळं-क्रि० वि० सकुशल, कुशलता पूर्वक । प्रकार का शस्त्र। -मोरौ- वि०- बिल्कुल कोरा। "| कोळो-पु० १ कुष्मांड नामक फल, कुम्हड़ा । २ सूअर । टकामा । | कोल्हू-पु. १ तेल निकालने या ऊब पेलने का यन्त्र । कोलबक-पु० [सं०] बीणा का डंडा व तूबा । बीगा का ढांचा। २ खपरैल। कोळ, कोल-पु० [सं० कोलः] १ सूअर, वराह। २ वराह कोवंड-देखो 'कोदंड'। अवतार । ३ नाव । ४ बेड़ा। ५ वक्षस्थल । ६ गोद । ७ कूल्हा । ८ कबड़ । ९ प्रालिंगन । १० शनिग्रह । ११ एक कोवंस-पु० [सं० को-वंश्य] श्राद्ध के दिन कौनों को खाने जंगली जाति । १२ एक प्राचीन प्रदेश । १३ पुरुवंशीय राजा के लिय बुलान का आवाज । अाक्रीड़ का पुत्र । १४ एक तोले का तौल। १५ एक प्रकार | कोविद-वि० [सं०] १ बुद्धिमान, पंडित, विद्वान । २ अनुभवी। का बेर । १६ काली या गोल मिर्च । १७ क्रौंच नामक लता ३ चतुर, दक्ष । For Private And Personal Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोस ( २६५ ) कोतल कोस-पु० [सं० क्रोश] १ प्राय: दो मील की दूरी का नाप। कोहनूर-पु० १ एक प्रसिद्ध हीरा, कोहिनूर । २ मुसलमानों का [सं० केश, कोष] २ पंच पात्र नामक पूजा का पात्र । एक तीर्थ स्थान । ३ तलबार की म्यान । ४ वह ग्रंथ जिसमें किसी भाषा | कोहमंद-पु० कोदंड । के शब्दों का अर्थ सहित क्रमशः संग्रह किया गया हो। कोहमा-स्त्री० धलि, रज । ५शब्द संग्रह । ६ संग्रह । ७ खजाना,भण्डार । ८ अण्डकोश। कोहर-पु० [सं० अपार] कूप, कूमा। ६ प्रावरण, खोला । १० अण्डा । ११ गर्भाशय । | कोहा-सर्व० कौन । १२ योनि। १३ लिंग । १४ गोला। १५ गेंद । १६ फल की कोहिक-सर्व० कोई।। गुठली। १७ फुल की कली। १८ जायफल । १९ सूपारी। कोहिर-देखो 'कोहर' । २० कठौती। २१ बाल्टी । २२ संदूक । २३ धन, कोहीरो-वि० [सं० क्रोधी] १ क्रोधी स्वभाव का । २ तुच्छ दौलत । २४ सोना-चांदी। २५ वेदान्त के अनुसार पांच विचारों वाला । ३ मन ही मन कुढ़ने वाला । ४ द्वेषी, प्रकार के कोश । २६ मोट, चरस । २७ रेशम का ईर्ष्यालु । कोया । २८ कपट-छल । २६ ऊंट का गुल्ला । कोहेलुबानांन-पु० मुसलमानों का एक तीर्थ स्थान । -कार-पु० शब्दकोश बनाने वाला । म्यान बनाने वाला। कौंअर -देखो 'कुमार'। -नायक, पति-पु० कोषाध्यक्ष, खजांची। कौंकुम-पु० [सं०] पुच्छल तारा । कोसक-देखो · कौमिक ' । कौंच (छ, छि)-पु. १ कौंच नामक लता । २ क्रौंच पक्षी । कोसरणी (बौ)-क्रि० १ छीनना, झपटना । २ लूटना ।। कॉग-१ देखो 'कोण' । २ देखो 'कौन'। ३ भला-बुरा कहना । ४ विलाप करना, रोना । कौतयस, कौंतेय-पु० [सं० कौंतेय[ कुन्ती का कोई पुत्र । ५ शाप देना । ६ निंदा करना । कौंपळ-देखो 'कोंपळ'। कोसल, कोसल्या-पु० [सं० कोशल] १ अयोध्या का एक नाम । ऊभ-पु० [सं०] सौ वर्ष पुराना घी। २ देखो 'कौसल्या'। -नंदण (न)-पु० श्रीरामचन्द्र ।। कौंसलर-पु० [अं॰] परामर्श दाता, सलाहकार । पार्षद । कोसातकी-स्त्री० तोराई, तोरू। कौंसिल-स्त्री० [अं०] सलाहकार समिति, परिषद् । कोसाध्यक्ष-पु० [सं० कोषाध्यक्ष] खजांची, कोष का अधिकारी। | को-पु०१ वृषभ । २ नर । ३ कामदेव । ४ यम । ५ कार्य, कोसिक-देखो 'कौसिक'। कर्म। -वि० धृष्ट । -सर्व० कोई । -प्रव्य० संबंध सूचक कोसी-स्त्री० [सं० कौशिकी] १ नेपाल के पहाड़ों से निकलने अव्यय, का। __ वाली एक नदी । २ एक राग विशेष । [सं० कोशी] | कौगत-स्त्री० हंसी, मजाक, दिल्लगी। ३ फली। कौगतियौ, कौगती-वि० १ हंसी मजाक करने बाला । २ ठिठोली कोसीटौ-देखो 'कोयटौ'। करने वाला। कोसीद-पु० [सं० कोसीद्यम् ] पालस्य, सुस्ती । कौडि-१ देखो 'कौड़ी' । २ देखो 'कोडि' । कोसीस-पु० [सं० कपि-शीर्षक] १ किले या गढ़ की दीवार के | कौडियाळी-वि० (स्त्री० कौडियाळी) १ कोड़ियों से युक्त । कंगूरे । २ शिखर । [फा० कोशिश] ३ प्रयत्न, प्रयास । २ कौड़ी के रंग का। -पु० १ केकई रंग । २ एक विषैला कोसे'क-क्रि०वि० कोस के लगभग । सर्प। कोसेष-यु० [सं० कौशेय] रेशम । कौडियो, कौडीयो-पु० खंजरीट नामक पक्षी । कौच-पु० कवच, बख्तर । कोसौ-पु. कोल्हु में से खली हटाने का लोह दण्ड । २ बादल | कौचुमार-पु० कुरूप को सुन्दर बनाने की विद्या । में पानी का संग्रह । ३ देखो 'कोस । कौडी-स्त्री० [सं० कपदिका] १ कपदिका, कौड़ी । २ सबसे कोस्तब-देखो 'कौस्तुभ' । कम मूल्य का एक प्राचीन सिक्का । ३ अांख का हेला। कोह-पु० [फा०] १ पर्वत, पहाड़ [सं० कोषपान] २ अपराध | | ४ पसलियों का संधिस्थल । या कलंक से मुक्ति हेतु किया जाने वाला देवजल का पान । कोरण-१ देखो 'कौन'। २ देखो 'कोग' । ३ क्रोध, गुस्मा । ४ धुल, रज । --काफ-पु० यूरोप व कौतक-देवो 'कौतक'। पगिया के बीच का पहाड़ । देखो 'कोम'। कौतकी-वि० [सं० कौतुक + ई] १ कौतुक करने वाला। कोहक-देखो 'कुहक'। २ विदूपक । ३ हंसी मजाक करने वाला। कोहग्गि-स्त्री० [सं० क्रोधाग्नि] क्रोधाग्नि । गुस्सा। | कौतल-देखो ‘कोतल'। For Private And Personal Use Only Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org कोतिक ऋतंत कौतिक, कौतीक (ग) कौतुक-पु० [सं०कौतुकं] १ खेल, तमाशा । | कौसिक-पु० [सं० कौशिक १ विश्वामित्र । २ इन्द्र । २ क्रीडा, प्रामोद-प्रमोद । ३ हंसी, मजाक । ४ हर्ष ३ उल्लू । ४ कोशकार । ५ संपेरा । ६ नेवला । ७ गूगल । पाह लाद । ५ महोत्सव । ८ गूदा, मज्जा, सार । ९ शृगार । १० एक राग विशेष । कौतुहळ, कौतूहळ-पु० [सं० कौतुहलं] १ कौतुक उत्सुकता । कौसिकी-स्त्री० [सं० कौशिकी] १ बिहार की एक नदी । २ कौतुहल । ३ आश्चर्य, विस्मय । -वि० १ अद्भुत, २ एक रागिनी। ३ काव्य में एक वृत्ति । ४ दुर्गा देवी । विलक्षण । २ श्लाघ्य, प्रसिद्ध । ५ चौसठ योगिनियों में से त्रेपनवीं योगिनी। कौदाळ-देवो कुदाळ'। कौसीतकी-स्त्री० [सं० कौषीतकी] १ अगस्त्य की स्त्री। कौन-मर्व प्रश्नवाचक मर्वनाम । २ ऋग्वेद की एक शाखा। कोनस-पु० बढ़ई का एक औजार । कौसेय (या)-वि० [सं. कौशेय] रेशम का, रेशमी। --पु. रेशमी कौफ-देखो ' खौफ'। वस्त्र, लहंगा। -स्त्री० [सं० कु-शय्या बुरी शय्या। कौकरी-वि० काफिर की, काफिर संबंधी । कौस्तुभ-स्त्री० [सं०] १ ममुद्र मंथन से प्राप्त एक प्रसिद्ध कौम-स्त्री० [अ० | १ जाति वर्ण । २ वर्ग । मरिण । २ विष्णु की एक उपाधि । ३ एक तांत्रिक मुद्रा । कौमदी-स्त्री० सं० कौमुदी] १ चांदनी । २ प्रकाश देने वाला क्यउं, क्यऊ-क्रि० वि० क्यों, किमलिये । किस प्रकार । पदार्थ । ३ कात्तिक मास की पूगिमा। क्यम-देखो 'किम'। कौमार-देखो 'कुमार' । क्यव-देखो 'कवि' । -राज-'कविराज' । कौमारी-स्त्री० १ -६४ योगनियों में से एक। २ देखो 'कुमारी'। क्या-क्रि० वि० क्यों, किमलिय । -सर्व प्रश्नवाचक सर्व नाम । कोमियत-स्त्री० अ० जातीय भावना। -क्रि० वि० कौम के | किस । कौन । बारे में। क्यांमखांनी, क्यांमळकुळ-देखो कैमखांनी ' कौमी-वि० कौम या जाति संबंधी । क्यार-क्रि. वि. कैसे । ---वि० कैसा । कोरव-पु० स०] १ राजा कुरु की संतान । २ धृतराष्ट्र के | क्यांहरो-वि० (स्त्री० क्याहरी) कैसा । किस बात का । मौ पुत्र । --दळण- पु० भीम । -सर्व किसका। कोळ-१ स्त्री० एक प्रकार बड़ा चूहा । क्यांहि, क्यांही, क्यांहीक-सर्व० किस, कौन । -वि. कुछ । २ देखो 'कोळ'। -कि० वि० किधर, कहीं। कौल-पु० [अ० १ बादा, वचन, इकरार । २ प्रण, प्रतिज्ञा । क्या-सर्व० [सं० किम्] एक प्रश्न वाचक सर्वनाम । ३ गथन । ४ प्रतिज्ञापत्र। [सं] ५ वाम मार्ग के सिद्धांत । क्याड-क्रि० वि० १ किस प्रकार, कैसे । २ देखो 'कपाट'। .. वाम मार्ग का तांत्रिक । ७ ब्रह्मज्ञानी। क्याड़ी-देखो किंवाड़ी'। - वि. १ कुलीन । २ पैतृक । ३ देखो ' कोल'। क्याबर-देखो 'क्यावर । . नामो-पृ. इकरारनामा। क्याबरो-देखो 'क्यावरी'। कोलका-वी०सं० कोलक| कालीमिर्च । क्यारी-स्त्री० स० केदार खेत या बगीचे की क्यारी । कौलखेम-देखो 'कुसलक्षेम । क्यारौ-सर्व किसका । --पु० खेत या बगीचे का क्यारा । कौलव पु० ज्योतिष में एक करण । क्यावर-पु० १ कार्य, काम, बड़ा काम । २ दान । ३ एहसान, कोला-स्त्री० [सं० कोलापिप्पली । उपकार । ४ उदारता । ५ यश, गौरव । ६ यशस्वी कार्य । कौळियौ-पू. १ बैल के मुख में हाथ से एक माथ खिलाया जाने क्यावरि (री, रौ)-वि० १ उदार, दातार । २ यशस्वी । वाला घास । २ ग्राम, कोर। ३ बड़ा काम करने वाला । ४ देखो 'क्यावर' । कोसक-पु० इन्द्र । -बाहरण, वाहन-पु. इन्द्र का हाथी | क्याहई-क्रि० वि० कहीं-कहीं पर । गवत । क्यु', क्यू, क्यों, क्यों-प्रव्य० सं० किम] क्यो, किसलिए। कोसको-देखो 'कौसिकी। वि० कुछ। कौसतब, कोसतभ-देखो 'कौस्तुभ । कपड़, कंगळ-पु० कवच । कोसया-स्त्री. कुश की शय्या । कोसळ-पू० म० कोणल | १ कुशलक्षेम, प्रसन्नता। २ समृद्धि। ऋजा, कहा-स्त्रा० काचपक्षा, कुरज । ३ कुशलता, दक्षता, चतुगई। कंत-देखो ‘कांति'। कौसलि, कौसल्या-स्त्री०म० कौशल्या श्रीराम की माता। ऋखि (खो)-स्त्री० कृषि, खेती । For Private And Personal Use Only Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंदन ऋपीट ----................. कंदन-पु० [सं० कंदन] १ रुदन, रोना, विलाप । २ पारस्परिक | ऋतु (तू)-पु० [सं० ऋतुः] १ विष्ण की एक उपाधि । २ विष्णु । ललकार (युद्ध)। ३ निश्चय, संकल्प । ४ इच्छा, कामना । ५ विवेक, प्रजा । ऋग (ग्ग)-देखो 'करग'। ६ इंद्रिय जीव । ७ ग्राषाढ़ । ८ धर्म, पुण्य । १ ब्रह्मा का क्रगल, ऋगलियू (ल्ल)-देखो 'कगल'। एक मानस पुत्र । १० सतयुग । ११ यज । --ध्वंसी-पु. करण-१ देखो 'करण' । २ देखो 'करण' । शिव, महादेव । --पशु-पृ० घोड़ा, अश्व । -भखरण - I. प्रतंत-पु० [सं० कृतांत] १ यमराज, काल । २ मृत्यु, मौत । देवता, मुर। ३ शनिग्रह। ४ शनिवार । ५ देवता । ६ पूर्व जन्म के ऋत्तिकांजि-पु० सं० अश्वमेध यज्ञ के घोड़े का ग कटाकार शुभाशुभ कर्मफल, प्रारब्ध । ७ सिद्धांत । ८ पाप । तिलक । ९ भरणी नक्षत्र । १० दो की संख्या । -वि० अन्त ऋत्तिका-देखो 'ऋतिका' । करने वाला। कत्य-१ देखो 'ऋत' । २ देखो क्रतिका'। ऋत-पु० [सं० कृत, कृत्य] १ कार्य, कर्म । २ शुभ कार्य । त्या-स्त्री०सं० कृत्या | १क देवी विशेष । २ तांत्रिकों की ३ कर्त्तव्य । ४ सेवा । ५ क्रिया । ६ फल, परिणाम । एक राक्षसी । ३ दुष्टा व कर्कशा स्त्री। ४ अभिचार । ७ प्रयोजन, उद्देश्य । ८ चार युगों में प्रथम, युग । सतयुग। कन-देखा 'करण । ९ चार की संख्या । १० कपट, छल । [सं० कृतिन् कृती] | क्रनतात -पु० सं० कर्णतात | मूर्य । रवि ११ कवि, पडित । १२ विद्वान व्यक्ति । १३ देवता। कनाण-१ देखो 'किरण' । २ देखो 'किरगाळ' । -स्त्री० १४ की ति । -वि० [कृत, कृतं] १ किया हुआ। कनाळ-स्त्री० १ बंदुक । २ देखो 'करगाळ' । २ करने योग्य, उपयुक्त । ३ सभव-साध्य । ४ विश्वासपाती। ऋन्न-देखो 'कगा। ---गुण-वि० भाला या उपकार करने वाला, उपकारक । --धरण, घरणी, घन, घनी, घ्न, घ्नी-वि० उपकार न अन्ना-स्त्री० [सं. कृष्णा| १ यमुना नदी । २ द्रौपदी। मानने वाला कृतघ्न । ----जुग-पु० सतयुग । --त्रु खार-पु. ऋप-वि० सं० कृप | दयालु -पु. १ कृपाचार्य । -स्त्री. इंद्र। -धंती, घुसी, ध्वंसी-पु. शिव, महादेव । -पूर २ कृपा. दया। शोभायुक्त । -भुज-पु० देवता । -माळा-स्त्री० दक्षिण | कपण (न)-वि० [सं० कृपण| १ कजूस, मूम । २ कायर, की एक छोटी नदी । -मुख-वि० कुशल । पुण्यात्मा। डरपोक । ३ क्षुद्र, नोच । -ता-स्त्री० कंजूसी, नीचता । -वासा-पु० शिव, महादेव । क्रपणासय-पु० कंजूसी, कृपणता । कतका-देखो 'ऋतिका'। क्रपया-क्रि०वि० कृपा करके, अनुग्रह पूर्वक । ऋतब-देखो ‘करतब। ऋपर (दोस)-देखो 'करपरदोम' । ऋतवरमा-पु० [सं० कृतवर्मन् ] कौरव पक्षीय एक योद्धा । पारण (क), कपांणिका, पाणी--स्त्री. म. कृपाग क्रतवीरज (य)-पु० [सं० कृतवीर्य] कृतवर्मा का भाई। १ तलवार । २ कटार । ३ बाण, तीर । ४ कैची। ऋतांत-देखो 'ऋतंत'। ५ दंडक वृत्त का एक भेद । ऋतांन-स्त्री० [सं० कृत्वन्न] अग्नि । पा-स्त्री० [सं० कृपा] १ दया, अनुग्रह । २ क्षमा, माफी । कतारथ (थी)-वि० [सं० कृतार्थ] १ मफल । २ संतुष्ट । ३ भलाई. हित । -प्राचार्य-पु. कृपाचार्य । - नाथ, ३ प्रसन्न । ४ निहाल । ५ कृतकृत्य । ६ दक्ष, चतुर । निधान, निधि-पु० ईश्वर । --वि• दयावान । --पात्रक्रति-स्त्री० [सं० कृति १ काम, कार्य । २ रचना । ३ करतूत । वि० दया या कृपा का अधिकारी । जिस पर दया की गई ४ पुरुषार्थ । ५ चोट । ६ जादू टोना, इन्द्रजाल । ७ पंडित, या की जाती है। ----सिंधु-पु० ईश्वर । विष्णु । श्रीकृष्णा। विद्वान । ८ बीस की संख्या । वि० दयालु, दया का भण्डार । ऋतिका-स्त्री० सं० कृत्तिका १ सत्ताईश नक्षत्रों में से तासरा। कपाळळू,ळू)--वि. म. कृपालु | दयावान, दयाल । -. २ इस नक्षत्र के तारों का समुह । -नंद-पू० स्वामि ईश्वर, परमात्मा । ---तानी दया, अनुग्रह । कातिकेय । -सुत, सूत-पु० स्वामिकात्तिकेय । माळी-देखो कपाळी'। क्रतिम-वि० बनावटी, नकली। कपी-यो [म • कृपी द्रोणाचार्य की थी। क्रती-देवो 'कति । पी.-पु. ग. कृपोटम् | नीर, जल । For Private And Personal Use Only Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra क्रम www.kobatirth.org " क्रम - पु० [सं० क्रमः ] १ पैर रखने या क्रमशः चलने की क्रिया । २ किसी कार्य की गति । ३ वस्तु या कार्यों के आगे पीछे का नियम । ४ नियम । ५ शैली, प्रणाली । ६ सिलसिला, धनुष्म । ७ लीला, रचना | ८ कार्य क्रिया । ९ वेद पढ़ने की शैली । १० पैर, चरण । ११ डग कदम । १२ मार्ग, रास्ता । १३ तरीका, ढंग १४ पकड़ । १५ तैयारी, तत्परता । १६ शक्ति, बल । १७ देखो 'करम' । कम क्रि० वि० क्रमशः शनै शनै । -गत स्त्री० ० प्रारब्ध नि क्रमशः मिलने वाला । -जा-स्त्री० लाख | क्रमण - पु० [सं०] क्रमरण, क्रमरण] १ पैर, कदम । २ गति, चाल । ३ गमन । ४ उल्लंघन, भंग। ५ घोड़ा, अश्व । कमरगक पु० [सं० कमाक] घोड़ा, एय *माळ-देखो 'करमाळ | ( २६८ ) क्रमरगा - स्त्री० [सं० कर्मणा ] काम । *मण (ब) - क्रि० [सं० क्रम] १ जाना । २ चलना । ३ वार करना । ४ गुजरना । ५. निकल जाना | ६ कूदना । ७ चढ़ना । ८ कब्जा करना । ९ ढकना । १० बढ़ जाना । ११ पुरा करना सम्पन्न करना । १२ स्त्री मैथुन करना । क्रमनासा- देखो, 'करमनासा' । क्रमपासी पु० [सं०] कर्मपानी | पमराज | कमसाखी देखो 'करमसाखी' । *मेल (क) पु० [सं० क्रमेलः ] ऊंट, शुतुर । क्रम्म १ देखो 'क्रम' । २ देखो, 'करम' | माळी स्त्री० [सं०] कमेलक] मादा ऊंट ऊंटनी । श्रम (मो) - ० [सं०] कृमि] १ रोग का कीटाणु २ कीड़ा। ३ चींटी ४ पेट में कृमि पैदा होने का रोग। ५ मकड़ी ६ गधा । ७ लाख ८ देखो 'करमी' । क्रमिक - वि० [सं०] १ क्रमशः होने वाला । २ सिलसिलेवार । ३ पैतृक, पुश्तैनी । *मिजा - देखो 'मजा' । क्रमिक्रमि क्रि० वि० क्रमशः । मु. मुक पु० [सं० फमुः कः] १ सुपारी का पेड़ । २ सुपारी । ३ नागर मोथा । ४ कपास । ५ शहतूत | क्रय ( ग ) - पु० [सं० | खरीद | ऋor - पु० [सं०] कच्चा मांस । क्रव्याद - पु० [सं०] १ मांसाहारी । २ राक्षस असुर । ३ त्रिता की आाग ४ ढूंढ नामक राक्षस । क्रम - वि० [सं० कृण] १ दुबला-पतला, क्षीण काय । २ तुच्छ, अल्प थोड़ा । ३ निर्धन । ४ देखो 'करम' । ५ देखो 'सि' | --भाव पु० दुबलापन । - पु० 1 कसक - पु० [सं० कृषक ] १ किसान, कृषक । २ हल का फाल । क्रसरण ( न ) - पु० कसरा (न) पु० [सं०] कृष्ण कृष्णम् ] १ श्रीकृष्ण । २ वेद व्यास । ३ अर्जुन। ४ कोयल । ५ काक, कौश्रा । ६ लोहा । ७ सुरमा । ८ कालिख ९ प्रांख की पुतली । १० सीसा । ११ कलियुग । १२ कृष्ण पक्ष । १३ काली मिर्च । १४ काला मृग । १५ काला रंग । १६ प्रगर की लकड़ी । १७ छप्पय छंद का एक भेद । १८ देखो 'कसरणपक्ष - वि० १ श्याम, काला २ दुष्ट, नीच । I रैवतक व नीलगिरि पर्वत । श्रभिसारिका -स्त्री० एक प्रकार की नायिका । अस्टमी स्त्री० भादव कृष्णा अष्टमी । - पायन - पु० वेदव्यास । --पक्ष, पख पु० अंधेरापक्ष । - वररण- वि० काला सखा पु० श्रर्जुन। राणा (ना) -स्पी० [सं० कृष्णा] १ द्रौपदी । २ यमुना । ३ पीपल । ४ काली दाख । ५ काली देवी । ६ पार्वती । -श्रचल ७ एक योगिनी । ८ अग्नि की सात जिह्वाम्रों में से एक । ९ दक्षिण की एक नदी पित पिता ० सूर्य । । - पुळा स्त्री० काली मिरच । सनी [स्त्री० [कसी] बिजली वित सन्न - देखो 'करण' । , Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋणमाग्रज - पु० [सं० कृष्ण + अग्रज ] बलराम । कस्ता स्त्री० [सं०] कृष्णाला पूराची गुंजा ऋणवरतमा स्त्री० [सं० कृष्णवर्त्मन] अग्नि, श्राग । खा-देखी 'कणा' । सांरग (न. नु) - स्त्री० [सं० कृशानु] १ आग, अग्नि । २ किसान, हलधर । द्रग, रेता- पु० शिव । ऋसि (सी) - स्त्री० [सं० कृषि ] खेती का काम । काश्त । कसिक स्वी० हल की हलवानी। क्रस्ट (स्टि, स्टी) - पु० [सं० कृष्टि ] पंडित, कवि, विद्वान । ऋण (न) - पु० [सं०] कृष्ण ] १ श्रीकृष्ण । २ अर्जुन । ३ कृष्ण पक्ष । ४ अग्नि, आग । ५ शनिश्चर । - पिंगळा स्त्री० चौसठ योगिनियों में से एक । मुख- पु० लोहा । - वि० विमुख ऋहूका स्त्री० ऊंट की आवाज । ऋांइत, क्रांती, क्रांक- स्त्री० क्रांति, क्रांत- वि० [सं०] १वीता हुआ " For Private And Personal Use Only कोल - कहकरणी (श्री) क्रि० भूत-प्रेत का युद्ध के समय प्रसन्न होना । पु० [० हवाह] १ भूत प्रेत की हंगी। कहकहा । २ अट्टहास ध्वनि । स्त्री० ३ चमक-दमक । ४ प्रभा, कांति । दीप्ति । २ लांघा हुआ । ३ दबा हुआ | ४ चढ़ा हुआ । ५ गया हुआ, गत । ६ सुन्दर, Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्रांति के लड़ो मनोहर । ७ भयभीत । ८ ग्रस्त । -पु० १ घोड़ा । २ पैर । या किये जाने के वाचक हों, खाणी, सोणो अादि । ३ देखो 'कांति'। -करम-पु० मृतक-संस्कार। -कांड-पु० कर्म कांड का शास्त्र । कांति-स्त्री० [सं०] १ उपद्रव । २ विद्रोह । ३ अान्दोलन । ----जोग-पु० देव पूजन । देवालय निर्माण । ----फळ-पु.. ४ उलटफेर । ५ भारी परिवर्तन । ६ आक्रमण । ७ गति । | कर्मानुसार फल । ---सक्ति-स्त्री कार्य करने की क्षमता। ८ अग्रगमन । ६ पग, कदम । १० विषुवत रेखा से किसी ईश्वरीय शक्ति । -सून्य-वि० कर्मशून्य, कर्महीन। --स्नान ग्रह मण्डल की दूरी । ११ एक कल्पित वृत्त जिस पर सूर्य | -स्त्री० स्नान की एक विधि । भूमि के चारों ओर भ्रमण करता है। किस-देखो 'क्रस'। क्रांतिसाम्य-पु० [सं०] ज्योतिष में ग्रहों की तुल्य क्रांति । क्रिसन-देखो 'क्रमगा। कांमत (ति, ती)-स्त्री० १ चमत्कार, करामात । २ शौर्य, क्रिसनवरतमा-स्त्री० [सं० कृष्णवर्मन् | अग्नि, प्राग । पराक्रम । ३ युद्ध । ४ देखो 'कांति' । क्रिसनागर (रौ)-देखो 'किसनागर' । कांयंती-१ देखो 'क्रांति' । २ देखो 'कांति' । क्रिसारण (न, नु)-स्त्री० [सं० कृशानु] १ अग्नि । २ किसान, काय-क्रांय, क्रांव-क्रांव-स्त्री० कौवे की बोली, कांव-काव । कृषक । काथ-पु० [सं०] १ एक नाग का नाम । २ एक बंदर। क्रिसोदरीय-वि० [सं० कृशोदरी] पतली कमर या कटि की। कासळक (क्क)-पु० मस्ती में पाए हुए ऊंट के दांतों के टकराने | क्रिस्णागर (रौ)-देखो 'क्रिसनागर' । की ध्वनि । किस्स-देखो 'क्रम'। कासलको (क्को)-पु० मस्ती में दांत बजाने वाला ऊंट । कोडणी (बी)-क्रि० क्रीड़ा करना, मलना । काह-स्त्री० पशुओं को बांधने की रस्सी, पाश, राम । क्रीड़ा-स्त्री० सं० १ केलि, कल्लोल । २ खेल । ३ प्रामोदकाहि-स्त्री० करुना क्रन्दन, त्राहि-त्राहि । प्रमोद । ४ रति-क्रीड़ा, सम्भोग । ५ मजाक, दिल्लगी। क्रिखि (खी)-देखो 'सि'। ---प्रिय-वि• विलासी। रसिक । क्रिगळ-देखो 'कंगळ' । कोट-१ देखो 'किरीट' । २ देखो' कीट'। क्रित-देखो 'ऋत'। क्रीडणौ (बौ)-क्रि० क्रीड़ा करना, खेलना । क्रितक्क-देखो 'ऋतिका'। क्रीत-वि० [सं०] खरीदा हुया । मोल लिया हुमा । -पु० १ बारह क्रित-क्रित-देखो 'ऋतक्रत्य' । प्रकार के पुत्रों में से खरीदा हा पुत्र । २ देखो 'कीरती' । क्रितमन-पु० [सं० ऋतुमनाः] इन्द्र । क्रीतड़ी-देखो 'कीरती'। क्रितानंत-देखो 'क्रांत'। क्रीला-देखो 'क्रीड़ा। क्रितारथ-देखो 'कतारथ' । क्रोस-स्त्री० चिग्घाड़। क्रितारथी-कि० वि० १लिए वास्ते । २ देखो 'क्रतारथी' । कुचपद-पु० एक वणिक छन्द विशेष । ऋिति-देखो 'ऋति' । झड़ी कु झि झी, कुम-देखो, 'कुरज' । क्रिपरण-देखो 'ऋपण'। कुद्ध, ऋध-नि० [सं०] कुपित, क्रोध युक्त। क्रिपांरण-देखो 'ऋपारण'। क्रुधांगरणी (नो)-स्त्री० क्रोधाग्नि । क्रिपा-देखो 'क्रया'। -नाथ = 'क्रपानाथ' । क्रुधार-वि० क्रोधी। क्रियमाण-वि० [सं० क्रिपमाण] १ करने योग्य । २ किया जाने वाला । -पु०१ कर्म के चार भेदों में से एक । २ वे कर्म जो क्रूझ (डी)-देखो 'कुरज। वर्तमान समय किए जाते हों। कर-वि० [सं०] १ निर्दयो। २ नगंस। परपीड़क । क्रिया-स्त्री० [10] १ कोई कार्य, कर्म । २ प्रयास, प्रयत्न, ४ पातयायी। ५ नीच, बुरा । ६ घोर । ७ तीक्षा, तीखा। चेष्टा । ३ प्रक्रिया, विधि । ४ अनुष्ठान । ५ प्रारंभ । ८ उष्ण, गरम । ९ भयानक । -पु० १ ज्योतिष में विषम ६ शौचादि नित्य कर्म । ७ प्रायश्चित । ८ उद्यम, उद्योग, राशियां । २ पाप ग्रह । -वंती-स्त्री० दुर्गा का एक नाम । व्यापार । ६ उपाय । १० उपचार । ११ परिश्रम । ---द्रक-पु० शनिग्रह । मंगल ग्रह । --वि० दुष्ट, नीच । १२ शिक्षण । १३ व्याकरण का एक अंग । १४ मतकसंस्कार । १५ अभ्यास । १६ श्राद्ध आदि कर्म । १७ न्याय ऋता-वि० [सं० वेतृ] खरीददार । -पु०म० क्रतुः सतयुग । या विचार का साधन । १८ पूजन । १६ शुभाशुभ कर्म । यन्व २० व्याकरण में वे शब्द जो किसी कार्य,घटना प्रादि के होने के लड़ौ-पु० ऊट । For Private And Personal Use Only Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रींच कोंच- पु० [सं०] २ देखो 'च' । कोड (ड) - स्त्री० २ गोद | [सं० कोड: ] १ वक्षस्थल । ३ सूअर । ४ मध्य भाग । ५ वृक्ष का खोहर । ६ वराह अवतार । ७ देखो करोड़ पग- पु० कछुआ । कन्या । क्रोधार, (छ) वि० [सं० क्रोधी - वि० [सं०] क्रोध करने नामक संवत्सर । , १ हिमालय की एक पर्वती । पर्वत श्रेणी । क्षणिक - वि० [सं०] क्षण भर का दम भर का -ता- स्त्री० अस्थिरता, क्षरण भर की बात । अ० [०] बिजली विद्युत क्षत - पु० घाव, जख्म । २ फोड़ा । ३ भय । ४ दुःख । ५ खतरा । - वि० १ घायल । २ टूटा हुआ । ३ कटा हुआ । ४ भंग । ५ चीरा हुआ। —ज - वि० घाव से उत्पन्न लाल, सुर्ख । - पु० एक प्रकार की खांसी । क्षतज- देखो 'क्षितिज' । क्षत्रिय, क्षत्री- पु० [ सं क्षत्रिय ] चार वर्णों में दूसरे वर्ग का पुरुष, क्रोधंगी - वि० गुस्सैल, क्रोधी। वीर योद्धा । क्रोध - पु० [सं० क्रोधः] १ कोप, गुस्सा, रोष । २ कृष्ण पक्ष । -धनळ-स्त्री० क्रोधाग्नि । -झाळा स्त्री० क्रोधाग्नि । श्री गुल - वसा स्त्री० दक्ष प्रजापति की एक www.kobatirth.org धानुषी वाला ( २५० राजपूत । क्षत्रवट- पु० क्षत्रित्व | क्रुद्ध | गुस्सैल । - पु० क्रोध | क्षत्री- पु० [सं० क्षत्रिय ] क्षत्रिय, राजपूत । 1 क्रौंच पू० [सं०] १ कुरर पक्षी । २ एक पर्वत 1 -दार पु० स्वामिकात्तिकेय । दीप पु० सप्त महाद्वीपों में से एक । क्रौंचार - पु० | मं० क्रौंचारि ] स्वामिकार्त्तिकेय । अपरा, अपरकवि० [सं०] निर्लज्ज बेशर्म ०-१ वौद्ध संन्यासी या भिक्षुक । २ जैन यति । ३ विक्रमादित्य की सभा का एक रत्न । क्षपा स्त्री० [सं०] १ रात रजनी । २ हल्दी | 1 - पु० चन्द्रमा । कर्पूर । । २ धैर्य, सहन दुर्गा का एक ५ क्षमा स्त्री० [सं०] १ माफी, प्रतिकार की दया शीलता । ३ पृथ्वी । ४ दक्ष की एक कन्या । नाम - प-पु० भूमि और जल । क्षय-पु० [सं०] १ यक्ष्मा रोग, टी. बी. । २ हास, ३ नाश, अंत । ४ प्रलय । क्लांति - स्त्री० [सं०] थकावट । परिश्रम । कमजोरी क्लांमना - स्त्री० १ थकावट मुराहट, उदासी । २ पीड़ा | क्षयी पु० [सं० क्षयिन् ] १ चन्द्रमा । २ क्षय रोग । - वि० कष्ट (जैन) क्षय का रोगी । काँची - स्त्री० [सं०] कश्यप व ताम्रा की पांच कन्यायों में से एक । कोड - १ देखो 'करोड़' । २ देखो 'कोड' | क्लांत वि० [सं०] १ चकित परिक्षा २ ३ उदास । ४ निर्बल । क्वांरी- देखो 'कंवारी' । (स्त्री० क्वांरी) कुल्हाड़ी २ देखी 'कपाट' | लिस्ट वि० [सं० विष्ट १ कठिन मुश्किल २ ३ क्लेशयुक्त ४ दुःखी । ५ मुरझाया हुआ । क्लीव- वि० सं० १ नपुंसक हिजडा, नाग २ कायर डरपोक । ३ सुस्त, काहिल । क्वाय- पु० [सं० | औषधि का काढ़ा । क्वार - पु० १ प्राश्विन मास । २ देखो 'कुमार । क्लेवरण (न) - पु० पांच प्रकार के कफों में से एक । क्लेस - पु० [सं० क्लेश | १ कलह, लड़ाई झगड़ा । २ दुःख, कष्ट । ३ व्यथा, वेदना, दर्द । ४ क्रोध । ५ संकट | स्वरण - पु० [सं० | १ वीणा की भंकार । २ घुंघरू की ध्वनि । क्वांर देखो 'कंवर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षण क्षणि-पु० [ सं . ] १ समय का अत्यल्प भाग पल । लहमा । २ अवसर मौका । ३ समय वक्त । ४ अवकाश फुर्सत । -दा-स्त्री० रात्रि -दाकार पु० चन्द्रमा | -भंगुर-विज क्षण में नष्ट होने वाला । क्षणिक | क्षेत्र - -कर, नाथ For Private And Personal Use Only क्षांताकारी - वि० [सं० क्षांतिकारी ] १ क्षमा करने वाला । २ सहनशील, शांत । ३ रस, सार ५ श्रौषधि सुहागा। ७ भस्म राख । क्षार - पु० [सं०] १ खार, नमक । २ पानी, जल । ४ श्रौषधियों के लिए तैयार किया हुग्रा नमक विशेष ६ सज्जी खार | ९ शोरा । १० खारापन वि० खारा कड़वा । क्षिति-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि । २ गृह, निवास स्थान । ३ हानि नाश । ४ प्रलय । -ज-पु० श्राकाश वृक्ष । केंचुला । मंगल ग्रह । -जा-स्त्री० सीता । श्रीरदरौ पु० [सं० श्रीरहद] दूध को दूध का होज सोरोवक क्षीरोदधि० क्षीरसागर कमी । क्षीरण- वि० [सं०] १ दुबला पतला, कृश । २ नाजुक । ३ स्वल्प, थोड़ा । ४ धनहीन । ५ निर्बल क्षणी - स्त्री० [सं० क्षोणी ] पृथ्वी भूमि । 1 क्षुधा स्त्री० [सं०] १ भोजन की इच्छा, भूख । २ अभिलाषा । क्षेत्र - पु० [ सं क्षेत्रम् ] १ खेत मैदान, भूमि । २ भू-सम्पत्ति । ३ स्थान, आवास । ४ पुण्य स्थान तीर्थं । ५ जन्म स्थान । ६ स्त्री । Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra क्षेत्रपाळ www.kobatirth.org ( २७१ ) क्षेत्रपाळ - पु० [सं०] १ एक देव विशेष । २ खेत का रखवाला । ३ ४९ भैरवों में से एक। ४ द्वारपाल । ५ व्यवस्थापक । क्षेत्रफल ० [सं०] स्थान की लम्बाई-चौड़ाई का परिमाल क्षेप - स्त्री० [सं०] १ उछाल, कुदान । २ फेंकना क्रिया । ३ ठोकर ४] निदा अपकीर्ति कलंक ६ दूरी ७ अक्षांश | ८ गुजारना, बिताना । ९ चालान । १० पर्यटन भ्रमण । ११ समूह । १२ आवृत्ति । क्षेपणी- स्त्री० [सं०] १ नाव की बल्ली, डांड । २ जाल । ख- नागरी वर्णमाला का द्वितीय व्यंजन वर्मा | खंक- देखो 'खंख' | ३ एक प्रकार का शस्त्र मंकरी स्त्री० १ एक चिड़िया विशेष २ देखो 'क्षेमकरी' । कार (1) देखो संचार' । खंख स्त्री० [सं० + क] बादल या धुंए की तरह उठने वाले धूल के बारीक करण समूह । गर्द, रज । खंखर (रौ) - वि० १ बहुत पुराना । २ प्रति वृद्ध । ३ सूखा हुआ व थोथा । ४ जो आकर्षक न हो। ५ निर्जन, उजाड़ । वळ, पंचाड़-स्त्री० [सं०] खोल] प्रांची खंखाट स्त्री० तेज श्रांधी की श्रावाज । खंखार (रौ ) - पु० १ धीमे से खांसने की क्रिया या भाव। २ हल्की खांसी । ३ गाढ़ा थूक, बलगम, कफ । ४ नाश, ध्वंस | खंखाळ - देखो 'खंखल' । - ख खंखाळणी (बी) - देखो 'खंखोळणो (बौ) 1 बेरी (०१ पकड़ कर ओर से हिलाना | १ पानी में डुबो कर २ झकझोरना । ३ झाड़ना । खंखोळणी (बौ) - क्रि० [सं० क्षालनं ] निकाल लेना । २ हल्के से धोना ४ स्नान करना । खंखोळी (ळौ) - स्त्री० १ स्नान । २ स्नान के लिए लगाई जाने 1 ३ प्रक्षालन करना । वाली डुबकी । खंग- देखो 'खग' | गवा देगा। खंगापति (ती) - देखो 'खगांपत' । खगाळ पु० १ तीर, बारण । २ नाश, ध्वंस | क्षेम-पु० [सं०] १ सुरक्षा, प्राप्त वस्तु की रक्षा । २ कुशल । क्षेमकरण ० अर्जुन का एक पौष क्षेमकरी - स्त्री० [सं०] १ श्वेत गले की चील । कुशल करने वाली। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षेमकल्पां ०१ कुलक्षेम २ एक राग विशेष । क्षेमकारी- देखो 'क्षेमकरी' । क्षोण (खा, सी) स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि २ एक की संख्या । क्षोणिप - पु० [सं०] राजा । सोहरण (रिणी) देखो 'पक्षोहिणी'। खंगालो - वि० संहार या नाश करने वाला । गाळणी (बौ) - क्रि० संहार या नाश करना । गेल-देवो''। खजरी खंजरी - स्त्री० विशेष | २ एक देवी, खंच - स्त्री० [सं० कर्ष ] १ खिचावट, तनाव | २ कमी । ३ तंगी । ४ मन-मुटाव । ५ शत्रुता । ६ तिरछापन । ७ भौंह का तनाव | ८ खींच-तान । ६ प्राग्रह, मनुहार । १ खिंचना, खींचा जाना । ४ चिह्नित या मंडित खंचरण (ब) - क्रि० [सं० कर्षणम् ] २ तन जाना । ३ ऐंठ जाना । होना । ५ तंगी या कमी सहना । खंचमास स्त्री० अर्द्ध मंडलाकार पत्थर की चपटी गढ़न । पंचाबी० १ सिवाना २ नवाना ३ ऐंठन डलवाना । ४ चिह्नित या मण्डित कराना । ५ तंगी या कमी में रखना । , पंज जवि० [सं० [ज] १ लंगड़ा पंगु २ का का एक रोग । २ खंजन पक्षी । For Private And Personal Use Only - पु० १ पैर जकड़ जाने ३ एक खेल विशेष । खंजड़ी - देखो 'खंजरी' । खंजन- पु० [सं०] सुन्दर ग्राखों वाला एक पक्षी विशेष । वि० ० काला, श्याम । - प्रासन-पु • चौरासी आसनों में से एक । खंजर - पु० [फा०] १ एक प्रकार का शस्त्रद्वरा । २ वृद्ध, बुढ़ा । ३ देखो 'खंजन' । ० १ छोटी डफली । २ स्त्री के हाथ का आभूषण Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जरीट www.kobatirth.org ( २७२ ) ताल । गंजा ० एक मात्रिक छंद विशेष खंड जौ - । वि० [स्त्री० [पंजी) वह जिसके सिर के बाल न हो, गंजा ० [सं०] १ विभाग, अनुभाग २ हिस्सा भाग, अंश । ३ टुकड़ा । ४ अध्याय, सर्ग । ५ समूह, झुण्ड । ६ शक्कर, चीनी । ७ रत्न का दोष । ८ देश, मुल्क | ९ काला नमक । १० दिशा । ११ वन । १३ महादेव । १४ परिच्छेद । १७ नी की संख्या १२ मंजिल । खंजरीट (र) - पु० [सं०] १ खंजन पक्षी । २ एक प्रकार की खंडाळि स्त्री० [सं० खंड + प्रालिः ] १ तेल का एक नाप । २ सरोवर झील । ३ देवी, दुर्गा । ४ कामेच्छा वाली स्त्री । खंडाळा - पु० [सं० खंड + आलुच ] खड्गधारी योद्धा । चंडाळ स्त्री० [सं० खंड + बबली नंगी तलवारों की पंक्ति ] । डिक स्त्री० [सं०] कुक्षि च । खंडित - वि० [सं०] १ टूटा हुआ, भग्न । २ अपूर्ण । खंडिता स्त्री० [सं०] १ वह स्त्री जिसका पति अन्यत्र रात्रि व्यतीत करता हो । २ आठ प्रकार की नायिकाओं में से एक । खंडिनी - स्त्री० [सं०] पृथ्वी, भूमि । १५ तलवार । १६ मांस । - काव्य-पु० काव्य का अंश । लघु राजा परस पर पु० शिवखंडियन देखो 'खांडब' । । " । काव्य - पति पु० महादेव | परशुराम विष्णु राहु । दांत टूटा हुआ हाथी । --चीन स्त्री० मछली पुरी स्त्री० मीठी पुडी (पुरी) 1 - प्रळय-पु० ब्रह्मा का एक दिन बीतने प्रलय | -फरण-पु० एक प्रकार का सांप। विहंड - पु० विध्वंस, नाश । वि० - अपूर्ण मेह-पु० पिल की एक रीति । खंडण - (न) पु० [सं०] १ तोड़-फोड़ की क्रिया । खण्डन २ छेदन । ३ किसी बात या सिद्धांत की काट, निराकरण । ४ विरोध । ५ विप्लव ६ विसर्जन । वि० १ तोड़ा हुआ । २ टूटा हुआ । ३ कटा हुआ । ४ विभाजित । (ब) ० [सं० खण्डनम् ] १ टूट-फूट होना, टूटना। खंडित होना । २ कम होना, घटना । ३ विभक्त हो जाना । ४ खंडन करना, तोड़ना । ५ नष्ट करना । ६ संहार करना । ७ मारना । ८ निराकरण करना । ९ साथी को छोड़ देना । १० पृथक होना । खंडत - देखो 'खंडित' । पर होने वाला - बंड, बिहंड, । टूक-टूक । 4 खंडर-पू० १ नाग, संहार, ध्वंस २ देखो 'खंडहर'। खंडरणौ (बी) - क्रि० १ विध्वंस या नाश करना। २ मारना, संहार करना । खंड-पु० [सं०] मंडल] १ गवारी योद्धा, वीर २ देखो 'खंड' | खंडव- देखो 'खांडव' । खडवाळिपौ- ० [सं०] [ माच] गान से पत्थर निकालने वाला श्रमिक | खंडहर - पु० [सं० खंड + धर] इमारत का भग्नावशेष | टूटा मकान । खंड-स्त्री० [सं० खंड ] तलवार, खड्ग । खंडक - वि० [सं० खंड: + रा० प्र० प्राक] संहार करने वाला । खंडी (पी) - स्त्री० [सं० क्ष द्राण्डपीन] मछली । मंदार देखो रहर' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंडी - स्त्री० [सं० खंडिनी ] १ पृथ्वी । २ एक प्रकार का व्यंजन । ३ देखो 'खंड' । ४ देखो 'खांडव' । ५ देखो 'खांड' । खंडीवन- पु० खांडववन । खावक - पु० अग्नि, आग | खंडोखंडि - वि० खंड-खंड, ट्रक-ट्रक | खंडौ- पु० [सं० खण्ड ] १ चुनाई का पत्थर । २ देखो 'खंड' | ३देखो 'खांडी' | धाबार jat - पु० १ धातु के बर्तनों की आवाज । २ झणझरणाहट । [सं० जनक] ३ चूहा । यंती १ अभिलाषा, इच्छा उत्कण्ठा । २ दाढ़ी । ३ देखो 'खत' । सि (ती) - स्त्री० १ लगन, इच्छा, अभिलाषा २ होश, चेतना । ३ देखो 'माति' । 'खंतौ- देखो 'खातो' । खंदक (डी) - स्त्री० [अ०] १ शहर या किले के चारों ओर खोदी हुई खाई । २ खदान | ३ खाई, खड्डा, गर्त । खंदाखिौ - देखो 'खंधी' | दाखल स्त्री खंदार - देखो 'गांधार' । बंदी देखो 'संधी' । खदेड़ी (दो) देखो 'पेड़ों' खो-देखो 'बंधी' । हस्ती हाथापाई 2 For Private And Personal Use Only खंध - पु० [सं० स्कंध ] १ कंधा अंश । २ शवयान के कंधा देने की क्रिया । ३ शरीर ४ गर्दन । ५ काव्य छन्द का एक भेद । ६ श्रार्या छन्द का एक भेद । खंधवालि - वि० [ स्कंध + बाल] वह जिसके कंधे पर बाल बिखरे हुए हों। खंधारण (न) - पु० [सं० स्कंधानम् ] गाह्रा छन्द का एक भेद । धागळि स्त्री० [सं० स्कंधकलि ] एक प्रकार का खेल । धाबार बंधार५० [सं० स्कंधावार:] १२ मंग्य शिविर ३ फौज, सेना ४ घोड़ा । ५ राजा, सरदार | ६ एक प्राचीन देश, 'कांधार' । Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धारी बंधारी (रो) वि० कंधार का कंधार संबंधी ० कंधार का घोड़ा । बंधियो - पु० १ मकान के बाहर की छोटी दीवार । २ देखो 'संधी' । खंधी - स्त्री० [सं० स्कंधक ] ऋरण की किश्त ।-वाळ - वि० किश्त देने वाला ऋणी । पेड़ (डीडी) देखो 'खां' । बौ- पु० १ मकान की त्रिकोणात्मक ऊंची दीवार । २ देखो 'खांधी' । खंभट - पु० नौकर, सेवक । खंभो (ब) कि० रोकना अवरुद्ध करना। भावच (ची) - १ देवो 'बम्मान' खंमारी - पु० हाथी बांधने का स्थान । मूठांग (गो)- पु० खंब (भ) - पु० [सं० स्कम्भः ] १ स्तंभ, खंबा । २ सहारा, श्राश्रय । ३ पहाड़ की तलहटी का मध्य भाग ४ कंधा । ५ टेढ़ापन, तिरछापन ६ गुफा, कंदरा ७ हाथी खंबायची- १ देखो 'खम्माच' । २ देखो 'खमायची' । खंबौ- देखो 'खंब' । खंभउ - देखो 'खंब' । स्थान खो-देखो 'खंब' | www.kobatirth.org · ( ५०३ ) २ देखो 'मी' [सं० कु भी + स्थान ] हाथी बांधने का खडंग-पु० [फा० खिंग] घोड़ा, प्रश्व । खइ-देखो 'क्षय' । बद-देखो 'खाविद । rat - पु० [सं० स्कंध ] १ कंधा । २ रहट के मध्य का स्तंभ | खसी (बी) - १ देखो 'खसरणी' (बौ) | देखो 'खांसरणी' (बो) ' । ख- पु० [सं० खः, खं] १ सूर्य । २ स्वर्गं । ३ आकाश । ४ शून्य । ५ गड्ढ़ा गर्त । ६ छेद, बिल 1 ७ कुप्रा । ८ इन्द्रिय ९ कर्म । १० मुख । ११ बिन्दु । १२ शब्द | १३ ब्रह्मा । १४ सुख, आनन्द । १५ कमल । १६ पहाड़ । १७ प्रलय । १८ निर्गम, निकास । १९ अनुस्वार | २० ज्ञान । २१ ब्राह्मण । २२ घाव । २३ प्रबरक । २४ लक्ष्मी । २५ पृथ्वी । २६ खाई । खकट - वि० ० १ सा कठोर । २ प्रतिवृद्ध, बूढ़ा | ० मोर खड्ग-पु० खड्ग, तलवार । खइरु (रौ ) - देखो 'खैर्' । ई-स्त्री० कंटीली झाडियों का ढेर । खईस - वि० [सं० ख + शीर्ष । १ नीच, पापी, दुष्ट । २उण्ड, आततायी । ३ परिश्रमी । ४ वेशिर का भूत, प्र ेत । लिम (म) देखो 'दालिग' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खकार पु० १ 'ख' वर्ग । २ खंखार | खम्बड़ देखो 'सब' । खख - देखो 'ख' । खखड़ - पु० [सं० ख + खंड १ आकाश । १ जोरदार, जबरदस्त । २ वृद्ध | बलशाली, वृद्ध खखपति - वि० ० कंगाल, निर्धन 1 खखळ-स्त्री० ० कलकल की ध्वनि । खखाटी स्त्री० खांसी, खरखरी 1 खगंब - देखो 'खगेंद्र' । खग- पु० [सं०] १ पक्षी, पंछी । २ चिड़िया । ३ मोर | ४ पवन ५ टिड्डा । ६ बादल । ७ तारा । चन्द्रमा । ९ ग्रह । १० सूर्य । ११ देवता १२ गरुड । १३ खड्ग तलवार । १४ तीर, बारण । १५ गिद्धनी । १६ सूर व ऊंट के मध्य के दांत । १७ गंधर्व । १८ गेरे की थूथन के प्रगाड़ी का अवयव विशेष ईस, ईसवर पु० गरुड़ । - खेल - पु० लड़ाई युद्ध घर० खड्गधारी योद्धा । आकाश । - पत, - मेळ- पु० युद्ध । बाळी १० पुढो " धार पु० तलवार । पंथ, पथ-पु० पति, पती- पु० पक्षिराज, गरुड़ । राज, राजा, राय, राव- ० गरुड़ । -वाट पु० युद्ध, समर । - वाह वाहौ पु० तलवार चलाने में निपुण योवा । खगट वि० उदार, दातार । २ कुक्कूट । -धज - वि० खगरी (at) - क्रि० नाश करना। खंडित करना । 10 खगेल ( खर्गल ) - पु० ३ योद्धा वीर 1 For Private And Personal Use Only बग्ग खगांधर- पु० १ पेड़, वृक्ष । २ म्यान । धी (पत, पती राज ) - पु० [सं० वय प्रयो] गरुड़ खगाट स्त्री० १ तलवार, खड्ग । २ योद्धा, वीर । खगाधिप० । खगाररण- १० गरुड़ | खगाळी स्त्री० देवी । वि० खड्ग धारगा करने वाली । खगंद, खगिंद्र खर्गोद्र- देखो 'खगेंद्र' । खग प-देखोग खगेंद्र पु० [सं०] गरुड़ । - ० प्रचंड । १ सूअर । २ लम्बे दांतों वाला हाथी । खगेस (र) - पु० [सं० खगेश ] गरुड़ । पर परि १० शेषनाग खगोल - पु० [सं०] १ ग्राकाश मण्टन । २ ज्योतिर्विद्या | खग्ग, (ग्गि. मी ) - पू० १ तलवार । २ पक्षी । बग्ग पु० तलवार का युद्ध । - बांणी, वांगी-स्त्री० तलवारों की झनझनाहट । पक्षियों का कलरव । वारी स्त्री० तलवार की धार । -वाही देखा। Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खग्गाट पड़ीड़ २चलाना देना। खग्गाट-देखो 'खगाट'। खड़चराई-स्त्री० एक प्रकार का प्राचीन लगान । खपास-पु० सूर्य, चंद्र का पूर्ण ग्रहण । खड़जंत्र-पु० षड़यन्त्र। खड़-स्त्री० [सं० खड] १ घास । २ सोनापाठा वृक्ष । ३ वन, | खड़ज-पु० [सं० षडज] संगीत के सात स्वरों में प्रथम स्वर । जंगल । ४ एक ऋषि । ५ खर । ६ पयांल । ७ गति, चाल । | खडपी (नी)-स्त्री० [सं० खेटनम्] १ खेत की जुताई। २ वाहन ८ हांकना क्रिया। चलाने की क्रिया या ढंग। खड़क-स्त्री०१ जलाशय या नदी तट। २ बांध । ३ चिता। खड़णौ (बी)-क्रि० [सं० खेटनम्] १ खेत की जुताई करना। ४ एक प्रकार का खाद्य, पदार्थ । ५ खटका, ध्वनि । २ चलाना, हांकना । ३ मरना। खड़करणौ (बी)-क्रि० [सं० खिट्] १ खडकना, झंकृत होना। खडदोखड़, (डौ)-पु० यौ० चारे के प्रभाव वाला वर्ष । दुभिक्ष । २ बजना। ३ ध्वनि करते हुए बहना । ४ तह पर तह | खड़बड़-स्त्री० १ खट-खट ध्वनि । २ व्यतिक्रम, उलटफेर । लगाना । ५ खटकना। ६ खट-पट होना। ७ उत्तरदायित्व | ३ हलचल । ४ बोलचाल, लड़ाई। खड़बड़पो (बो) क्रि० १ खट-खट होना । २ हलचल होना। खड़काचर--पू० बड़ा काचर, छोटी ककड़ी। ३ लड़ाई होना । ४ उतावला होना। ५ चौंकना। ६ सतर्क खडकारणी (बौ)-क्रि० १ बजाना । २ झंकृत करना । होना। ३ अावाज या ध्वनि करना। ४ खटकाना। ५ ऊपर ऊपरि खड़बड़ाहट, खड़बड़ी-देखो 'खड़बड़' । रखाना, चुनाना। खड़बूझौ-देखो 'खरबूझौ' । खडकारौ-पु०१खटका, शब्द । २ इशारा, कटाक्ष । खड़बो-पु० १ मोटा लौंधा । २ छीलकर उतारा हा भाग। खड़कियापाग-देखो 'खिड़कियापाग' । ३ हिंदवानी का विकृत फल । खड़की-स्त्री० १ घर का मुख्य द्वार, मुख्य द्वार बंद करने के खड़भड़, खड़भड़- देखो 'खड़बड़' । कपाट । २ खिडकी। खडभड़ों बो)-देखो 'खड़बड़णी (बी)। खड़को-पु. १ खटका, ध्वनि । २ नदी, तट, किनारा । खड़वा-स्त्री० १ जोती हई भूमि । २ पशु की चाल । ३ यात्रा। ३ मृत्यु-भोज के बाद बजने वाला ढोल । खड़सल-स्त्री० चार पहियों का रथ । खड़क्कणौ (बौ)-देखो 'खड़कणी (बो)। खड़हड़-स्त्रो० १ एक बारगी ऊपर से नीचे, कूदने या गिरने की खड़क्खड़-देखो 'खड़खड़' । ध्वनि । २ देखो 'खड़बड़' । खड़ख-देखो 'खड़क'। खड़हड़पी (बी)-क्रि० १ लड़खड़ाना। २ गिरना। ३ बिजली खड़खड़-स्त्री० खट-खट ध्वनि । ___ चमकना। ४ ध्वनि होना । ५ देखो 'खड़बड़णी (बो)। खड़खड़ाट (त)-स्त्री० खड़-खड़ ध्वनि । खड़हरी-स्त्री० एक प्रकार की गाड़ी, शकट । खड़खड़ियो-पु० १ पालकी, पीनस । २ घोडागाड़ी, तांगा । खड़हियो, खड़हीयो-देखो 'खड़ियो' । ३ टूटी गाड़ी। -वि० खड़-खड़ करने वाला। खड़ाऊ-स्त्री० काष्ठ की चरण पादुका । खड़खड़ी (डो)-स्त्री० कंपकंपी। खड़ाक-क्रि० वि० १ एक ही झटके से, खट्ट से । २ सहसा, खड़खड़-देखो 'खड़खड़'। __ अचानक । -वि० सीधा, खड़ा। खड़ग (गी, ग)-पु० [सं० षडज] १ सरगम का प्रथम या चतुर्थ खडाखड़-स्त्री०१ शस्त्रों के टकराने की ध्वनि । २ शस्त्र प्रहार । स्वर पड़ज । --स्त्री० [सं० खड्ग] २ तलवार, कृपाण । -क्रि०वि० तेजी से, तुरत-फुरत । फटा-फट । ३ गेंडा, हाथी । ---खेल्ह-पु० युद्ध । -झल, झल्ल-पु० खड़ाखड़ी-क्रि० वि० १ खड़े-खड़े ही। २ एकाएक । -स्त्री० योद्धा, वीर । -धर, धारी-पु. योद्धा । -धारणी-स्त्री० १ खट-पट, लड़ाई । २ शत्रुता । ३ ध्वनि विशेष । दुर्गा। --सिध-पु० बीर । —हत, हथ-वि० योद्धा, शस्त्र खड़ाखर--पु० [सं० षडाक्षर छ: वर्ग का मंत्र या जाप । से पाहत वीर । खडारणौ (बो), खड़ावरणौ (बौ)-क्रि० [सं० खेटनम्] १ जुताई करना । २ चलवाना, हंकवाना । ३ खिलाना । खड़गी-पु० [सं० खुगिन् ] १ गेंडा । २ योद्धा । खड़ि-स्त्री० खड़िया मिट्टी । -वि० सालेद, श्वेत । खडड-स्त्री० [अनु० ध्वनि विशेष । खड़ियो-पु० याचकों का झोला । खरडपो (बौ)-क्रि० १ घबराना, हडबड़ाना । २ भवनादि का खड़ीखंभ-वि० १ पूर्ण स्वस्थ । २ शक्तिशाली, बलवान । गिरना। ३ इस प्रकार गिरने से ध्वनि होना । __३ खड़ा, मीधा। खड़चर -पृ० पश. मवेशी। । खड़ीड़-पु० भारी वस्तु के गिरने का शब्द । For Private And Personal Use Only Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra डीडी www.kobatirth.org खड़ीडंकी - स्त्री० मालखंभ की एक कसरत | खड़ी - स्त्री० वर्षा का पानी एकत्र होने वाली नीची भूमि । बड़ौदे 'लो' । ( २०५ ) खड़ी वि० [सं० खड्क] (स्त्री० बड़ी) शिर प्रकाश की ओर करके सीधा धरती पर दूसरा ग्रासमान में रहने आड़ा न हो, ऊभा । ४ ऊपर उठा हुआ । ६ सीधा तना हुआ । ७ प्रस्तुत, उपस्थित | सन्नद्ध । ९ जो गतिमान न हो, ठहरा हुआ । १० बनावट के अनुसार अपनी सही दशा में स्थित ११ प्रारंभ, जारी १२ बिना कटा । १३ समूचा, पूरा । १४ चैतन्य | १५ उठाया हुम्रा, विचाराधीन । १६ जलाशय की मिट्टी की जमी हुई तह | खचत - वि० [सं० खचित] १ लिखित । २ चित्रित, अ ंकित खटकोण - वि० छः कोणों का । - पु० वज्र । ३ जड़ित । ४ निर्मित । खचाखच क्रि० वि० ठसाठस । लबालब । - १ पृथ्वी पर पैर रखकर खड़ा । २ एक शिरा की दशा में । ३ जो खचर - पु० [सं०] १ सूर्य, रवि । २ बादल । ३ हवा । ४ पक्षी । ५ आकाशचारी । ६ देखो 'खच्चर' | ५ उन्नत । तैयार खच्चर - पु० गधे व घोड़ी के संयोग से उत्पन्न पशु । खज - पु० [सं० खाद्य ] १ खाद्य पदार्थ । २ देखो 'खाज' । खजक पु० [सं०] मथनी । खजमत - स्त्री० [अ० खिदमत ] १ हजामत । २ देखो 'खिदमत' । खजर - वि० क्रोधित, क्रुद्ध । बजली- पु० बाजा | । खजांची पु० खजाने का अधिकारी । केसियर । जनावेळ पु० उपद्वार का अनुभाग विशेष जिसमें ऐसी रकम रहती थी जिसके वर्ष का हिसाब नहीं पूछा जाता था । ( जयपुर ) जनावर पु० धन, दौलत संपत्ति । " 1 (नौ) पु० [अ०] सजान] १ धनागार को खजाना | २ तलवार का एक भाग । बजार (बी) १ खिजाना चिहाना २ क्रोधित करना खजार स्त्री० बंध्या बकरी । खजनी देखो बानी' | खटक - पु० १ खटका, ग्रावाज । २ दर्द, कष्ट । ३ मानसिक कष्ट । कसक । ४ द्वेष । ५ शत्रुता । ६ प्रहार । ७ आशंका | ८चिता । त्रुटि, गलती । 1 खटकड़, खटकरण - देखो 'खटकळ' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खटकाय पु० जीया - जूण । खटकूसी - पु० [सं० पट्कोणी] बख खड़पटियो खटकरणौ (बी) - क्रि० १ गिरने, पड़ने या टकराने से खटका होना, शब्द होना । २ चुभना । ३ दर्द या कष्ट होना । ४ बुरा लगना । ५ विरक्त होता । ६ डरना । ७ प्रहार होना । ८ अनिष्ट की प्राशंका होना । ९ न सुहाना । खटकरम पु० [सं० पटकर्म ] ब्राह्मणों के छः कर्म । खटकळ स्त्री० १ दरवाजे पर लगी छोटी फाटक २ छः मात्रा का समूह (पिंगल) | खटको पु० १ 'खट' की श्रावाज, खटका २ भय, दर ३ चिता आशंका | ४ 'खट' से खुलने वाला पेच । ५ चिटकणी । खटखट - स्त्री० खटखट का शब्द कट, झमेला | झगड़ा, तकरार | खटखटा (at) - क्रि० १ दरवाजे पर खट-खट करना । २ स्मरण करना । ३ पुकारना । टक्कर (च) ० [सं० पट्] तरीरस्थ पक यथा- आधार स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, धनाहत, विशुद्धि और प्रज्ञा । खटचरण (चल) - पु० [सं० षट् चरण] भौंरा, भ्रमर । टिड्डी । खटजती - पु० [सं० पट्-यति ] लक्ष्मण, हनुमान, भीष्म, भैरव, दत्त और गोरख छः यति । खटजाति - वि० छः प्रकार की जातिएं । खटणी - स्त्री० १ खड़िया मिट्टी । २ सहनशक्ति, सहनशीलता । खरौ (बी) - क्रि० १ समाना । २ निभना । ३ महन होना । ४ पर्याप्त होना ५ हजम होना । ६ जरूरत होना । ७ उपार्जित करना, प्राप्त करना ८ जीतना । खटदरसरण - पु० [सं० षट्दर्शन] १ छ: प्रकार के दर्शन न्याय, वैशेषिक, सांख्य, मीमांसा, वेदान्त, योग। २ छः की संख्या । ३ ब्राह्मरण, जोगी, जंगम, भाट, संन्यासी और साध इन छः जातियों का समूह । ४ इन जातियों से संबंधित एक विभाग । खटदरी पु० [सं० पदर्शनी १ प्रकार के दर्शनों का ज्ञाता, पंडित । २ छः दर्शन समूह से संबंधित ज्ञान । १ जातियों से संबंधित | खजूर, खजूरड़ी, खजूरि- पु० [सं० खजूर ] छुहारे का पेड़, छुहारा, खजूर । खजूरियाँ - पु० जलाशय में छितरने वाली घास विशेष के फल । रियां खजूर के वृक्ष जैसा लंबोतरा बल । टंग-० [सं० पान] वेद के पु० संग खट - वि० [सं० पट ] छः । - पु० खटका, ग्रावाज - क्रि०वि० खटपटरी (बौ) - क्रि० १ टकराना। २ लड़ना, भगड़ना । खटपटियौ खटपटी - वि० १ झगड़ालू । २ प्रपंची। शीघ्र, जल्दी । For Private And Personal Use Only खटपट - स्त्री० १ लड़ाई, अनवन । २ काम, कार्य । ३ टकराहट का शब्द । Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खटपटो www.kobatirth.org ४ छप्पय छंद । ( २७६ ) खटपटी-पु० १ काम, कार्यं । २ देखो 'खटपट' । खटपब- पू० [सं० षट्पद | १ छ: चरण । २ भौंरा, भ्रमर । ३ टिड्डी । ४ छ: की संख्या । पी० [सं०] नदी]१ जू२ भरा अमर ३ टिड़ी। खटन ( वन्न ) - देखो 'खटदरमण' । भावभी० [सं०] भाषा] च भाग-संस्कृत प्राकृत, शौरसेनी, प्राच्या, ग्रावन्ती, नागरापभ्रंश । ( छः स० [सं० बटवा मल] १ मटमैले रंग का कीड़ा, उडुस गीत । । खाट में रहने वाला २ एक राजस्थानी लोक एक राजस्थानी लोक खटमात, (माता, मातुर) - १० [सं० पाण्मातुर] स्वामिकार्तिकेय । खटमिट्टी (मिठौ. मीठौ) - वि० खट्टे व मीठे स्वाद का । मुखपु० [० पट - स्वामिकार्तिकेय । रस० [सं०] परस] १ खाद्य पदार्थों के माने गये रस, स्वाद । २ छः रसों से युक्त ग्राचार । ३ खटाई । खटराग (रास) - स्त्री० [सं० पट राग] १ संगीत के प्रसिद्ध छ : राग । २ भट । ३ झगडा ४ छ की संख्या । (1)[सं०] छः कतुएं । बटरी-देखी 'बाहरी' (स्त्री० मटरी) खटवदन- पु० [सं० पट्वदन] स्वामिकार्त्तिकेय खटवांग - पु० [सं०] १ एक शस्त्र विशेष राजा । ३ चारपाई का पाया या पट्टी मुद्रा । खटवांगी पु० [सं०] शिव, महादेव 1 खटवाटी - स्त्री० १ जिद्द, हठ । २ प्ररण, प्रतिज्ञा । खटाई - स्त्री० १ अम्लता, खट्टापन । २ खट्टा पदार्थ । ३ छल, कपट । ४ वैमनस्य, मन-मुटाव । खटाऊ - वि० १ प्राप्त करने वाला । २ सहन करने वाला । ३ निभने वाला । ४ समाने वाला । खटाक, खटाखट - क्रि०वि० १ खटके के साथ । २ तुरन्त शीघ्र । ३ जल्दी-जल्दी । स्त्री० खटखट ध्वनि । 1 । २ एक सूर्यवंशी । ४ एक तांत्रिक खटाखरी- पु० [सं० षडाक्षरी ] छः ग्रक्षरों का मंत्र । खटारणी (बौ) - क्रि० १ समाहित कर देना । २ निभाना । ३ सहन करना । ४ उपार्जन करना । ५ समझाना । खटापट (पटी) - देखो 'खटपट' । खटायत-देखो 'खटाऊ' । खटाळियो, खटाळौ खटाल्यौ वि० [सं० खट् वामन | १ टूटाफुटा । २ जीर्ण-शीर्ण । ३ व्यर्थ, बेकार । ४ खट-खट करके चलने वाला। -पु० ऊंट पर पत्थर ढोते समय चार जामा के नीचे लगाया जाने वाला उपकरण । खटाव (व) ० १ निर्वाह गुजर-बसर २ सहनशीलता, धैर्य शांति । ३ देर विलम्ब । ४ प्रतीक्षा, इंतजार | ५ प्रतीक्षा करने की क्षमता । I खटाव (बी) देखो 'बटाणी' (बी)। खटास - पु० १ खट्टापन, खटाई । २ मन-मुटाव । ३ तनाव, खिंचाव | खटासिपी- पु० पशुओंों के शरीर में होने वाली एक खटि (टी) स्त्री० खड़िया मिट्टी वि० का, छठी सटीक पु० (स्त्री० खटीका) १ खटीक - पु० ( स्त्री० खटीकरण) १ एक अनुसूचित जाति । २ चमड़ा बेचने वाली एक जाति या उसका व्यक्ति । ३ कसाई । बबरी वि० या o Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खटीकरण - पु०दूध जमाने के लिए दूध में या शाक का स्वाद बढ़ाने के लिए शाक में डाला जाने वाला खटा पदार्थ । एक वृक्ष विशेष खडोली वी थैली 1 पांच के बाद खटेत वि० योद्धा, वीर । खटोलड़ी ( णी), खटोलियो, खटोली- स्त्री० १ छोटी खाट, खटिया । २ उड़न खटोला । खटोलवी, श्रटोळी- पु० १ खाट, पलंग । २ वायुयान । खट्ट - देखो 'खट' | खट्टणौ (बौ) - देखो 'खटणी' (बी) । खट्टाचक - वि० अत्यधिक खट्टा | खड- पु० वन । खडकी (बी) देखो' (बौ खडकी- देखो 'खड़की' । खट्ट - पु० जैसलमेर में पाया जाने वाला पीले रंग का पत्थर । खडंगी - पु० [सं० पदांग) गा खडंजा - स्त्री० ईटों की खड़ी चुनाई । asबूज - देखो 'खरबूजौं । खडदंड - देखो 'खरहंड' । लौ (बी) देखो'' (बी)। खडखाटी - पु० घास संबंधी एक प्राचीन कर । खडखोर ( पीरण ) - स्त्री० [सं० पडक्षीरण] मछली । खडग - देखो 'खड्ग' | खडगी (गौ ) - पु० [सं० खड्ग ] नाक पर पैने सींग वाला गेंडा । खडज - देखो 'खड़ज' । For Private And Personal Use Only खडांत स्त्री० १ नीची भूमि । २ गड्ढा । खडाळ ( खडाल ) - ५० १ ४९ क्षेत्रपालों में से ४७वां । २ जैसलमेर का एक प्रदेश । खडली - पु० खडाल का निवासी । Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खड़ाबूज खत्र खड़ाबूज-देखी ‘खाडाबूज'। खत-पु० [अ० खत] १ चिट्ठी, पत्र । २ लिखावट, अक्षर । खडियाळी-पु० अधिक दांतो वाला घोड़ा। ३ ऋण-पत्र, दस्तावेज । ४ दाढ़ी के बाल, दाढ़ी । खडो-स्त्री० खड़िया मिट्टी। [सं०क्षत्र] ५ घाव, जखम । [सं०क्षिति] ६ पृथ्वी, जमीन । खडुअौ-पु० सिर का साफा । ७ क्षत्रियत्व । खडूलौ-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक कंद । खतकस-पु० बढ़ई का एक आजार । खडोग्रलो-स्त्री० १ आमोद-प्रमोद के लिए बनाया हुआ जल खतजात-पु० [सं० क्षतजात] रुधिर, वन । कुड । २ मनोरंजन के लिए बनी छोटी नाव । खतरणौ (नौ)-पु० [अ० खत्न सुन्नत । खडौ, खड्डु,, खड्डौ-पु० [सं० खात्] गड्ढ़ा, गर्त, खड्डा । खतमंडौ-पु० श्वेत व श्याम, पूछ के बालों वाला बैल । (अशुभ) खड्ग-पु० तलवार, खांडा । खतम-वि० [अ० खत्म] १ अंत, समाप्त । २ नष्ट । ३ पूर्ण । खड्डू-पु० मध्य प्रकार का एक वृक्ष विशेष । ४ अत्यन्त । खणक-स्त्री० ध्वनि, झंकार । खतमाळ-पु० धुआ। खणंकरणी (बी)-क्रि० १ बजना, झंकृत होना । २ तलवार का खतमेटण-पु० लाख, लाक्षा। प्रहार होना । ३ तलवारों के प्रहार की ध्वनि होना। खतम्म-देखो 'खतम'। खरण (गु)-पु० [सं०] १ प्रण, व्रत, संकल्प । [सं० क्षण] खतरनाक-वि० [अ०] १ भयानक, डरावना । २ उद्दण्ड, २ पल, क्षगा। ३ समय, बक्त । [सं० खण्ड] ४ खंड, बदमाश । ३ अनिष्टकारी । ४ धोखेबाज, कपटी । विभाग । ५ मंजिल । ६ कोष्ठक, कोठा । ७ घर । ८ एक ५ वीर, बहादुर । विषला जीव । -नाडिका-पु. धर्म घड़ी । शुभ या खतरौ-पृ० [अ० खतर] १ डर, भय । २ जोखिम (शिरक) । मांगलिक समय। ३ आशंका, संभावना । ४ संकट, ग्राफत । खरएक-स्त्री० [सं० खनक] १ झंकार, ध्वनि । २ चूहा, मूसा। खतवट (ट्ट)-पु० [सं० क्षत्रियत्व] १ क्षत्रियत्व । २ बहादुरी, ३ कनछ, कैवच । -वि० नितान्त मूखा । शौर्य, पराक्रम । खरणका-स्त्री० [सं० क्षणिका] बिजली, विद्युत । खता-स्त्री० [अ०] १ अपराध, कसूर । २ भूल, गल्ती । खरणकारी-पु० खटका, ध्वनि । ३ बदमाशी, उद्दण्डता। ४ धोखा, फरेब । ५ धक्का, खरणकरण, खणखरण, खरणखणाट, खणखणाटो, खरणखरणाहट- झटका । ६ दण्ड, सजा । ७ झगड़ा, फिसाद । स्त्री० १ खन खन ध्वनि, झंकार । २ शस्त्राघात ।। खतावरण (वणी)-स्त्री० खाता बही का कार्य । ३ द्रव पदार्थों का उबाल, उबाल की ध्वनि । खतावणी (बी)-क्रि० खाता बही का कार्य करना । खरगणो (बी)-क्रि० १ खोदना । २ कुचरना, खिनना । ३ टीका खति (ती)-स्त्री० [सं० क्षति] १ हानि, नुकसान । २ कमी, लगाना (शीतला)। घाटा। ३ ह्रास। ४ विनाश । ५ तलवार की मुठ के खरणत-वि० नीचा, अध । नीचे का भाग । [सं० क्षिति] ६ पृथ्वी, भूमि । खरपदा-स्त्री० [सं० क्षणदा रात्रि । खतिया-पु० लोह-कीट, जंग। खरणस (सौ)-पु० १ शत्रुता, दुश्मनी । २ नाराजगी । ३ खटक । खतेड़-देखो 'खातरोड़' । खरणारणी (बी)-क्रि० १ खुदवाना । २ कुचराना, खिनाना । खतीब-वि० [अ०] १ खुतबा पढ़ने वाला । २ लोगों को संबोधन ३ टीका लगवाना। करके कुछ कहने वाला। खतोती-देखो 'खतावरणी'। खरिणज-पु० [सं० खनिजः] १ खदान । २ खनिज पदार्थ ।। खतौ-पु. १ एक घटिया ऊनी वस्त्र । २ मुसलमानों का ३ खजाना। अधोवस्त्र । खणु-देखो 'क्षण'। खत्ती-त्री० [सं०क्षत्रिय क्षत्रियानी, गजप्त स्त्री। खणोतरौ-पु० मिट्टी खोदने का प्रौजार । खत्थे (थ)-क्रि० वि० शीघ्रता से, तेजी मे । खतंग-वि० [सं० क्षत-अंग] १ निडर, नि:शंक । २ साहसी। खत्थी-१ देखो 'खायौ' । २ देखो 'खती'। ३ शक्तिशाली पराक्रमी । ४ तीक्ष्ण, तेज । ५ घायल । खत्र-पू० [मं० क्षत्रः] (स्त्री० खत्रणी, खत्रांणी) १ क्षत्रियत्व, ६ ग्राश्चर्यजनक । ७ श्रेष्ठ, उत्तम । ८ संतान रहित । वीरता । २ शत्र, दुश्मन । ३ युद्ध । ४ क्षत्रिय । ५ प्रभुता, ९ अंग हीन । -पु० १ अाकाश । २ विष-बाण । ३ बागण अधिकार । -वि० श्रेष्ठ, उत्तम. बढ़िया, अच्छा । -दाव, तीर । ४ घोड़ा। ५ अभिमान । ६ एक कबूतर विशेष। । धौड़, वट, वाट-पु० क्षत्रित्व, बहादुरी । -वेध-पु० युद्ध । For Private And Personal Use Only Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्रि ( २७८ ) खबीडरपो खत्रि, खत्रिय, खत्री-पु० [सं० क्षत्रिय] १ वेदोक्त चार वर्षों में खपरियौ-पु० [सं० खर्परी] १ भूरे रंग का एक खनिज पदार्थ । से द्वितीय वर्ण, क्षत्रिय । राजपूत । २ वेश्य वर्ण के अंतर्गत २ अनाज का कीड़ा। एक जाति विशेष या इस जाति का व्यक्ति । -प्रम- | खपरी-स्त्री० तरबूज के प्राधे भाग का खोल । पु० क्षात्र धर्म। खपा-देखो 'खफा'। खत्रियाण-पु० [सं० क्षत्रिय (स्त्री० क्षत्रियांणी) क्षत्रिय, खपाऊ-वि० १ संहार या विनाश करने वाला । २ परिश्रमी। राजपूत । खपाक-क्रि० वि० तुरंत, शीघ्रता से । खत्रीठ, खत्रीयांवट, खत्राळ, खत्रीवाट, खत्रोट-स्त्री० [सं० खपाखप-क्रि० वि० शीघ्र, अतिशीघ्र। ___ क्षत्रियत्व] १ क्षत्रित्व, रजपूती । २ बहादुरी, वीरता। खपारणौ (बो), खपावणो (बौ)-क्रि० [सं० क्षेपणम्] १ समाहित खत्रे स-पु० [सं० क्षत्रिय ---ईश वीर, योद्धा। करना, मिलाना । २ नाश करना, मारना। ३ व्यय करना, खथीयो-देखो 'खतौ'। खर्च करना। ४ निभाना। ५ खपा करना। ६ परिश्रम खदंग-पु० [फा०] तीर, बाण । कराना, प्रयत्न कराना। खद-पु० [सं० क्षुद्र] १ यवन । २ शूद्र । खपीड़-पु० [सं०क्षपति] १ हानि, नुकसान । २ अत्यन्त वृद्ध । खदको-पु. १ प्रहार, आघात । २ चोट। ३ कष्ट, दुःख । खपुप्रा-स्त्री० मुगलकालीन एक प्रकार की छोटी तलवार । ४ मस्ती। ५ खदबद ध्वनि । खपुर-पु० [सं०] १ गंधर्व मंडल । २ राजा हरिश्चन्द्र की पुरी। खदबद-स्त्री० १ खाद्य पदार्थ की आग पर पकने की क्रिया। ३ बाघ-नख । २ पकते समय होने वाली ध्वनि । खप्पत-देखो 'खपत'। खदबदणौ (बौ), खदवदरणी (बी)-क्रि० खदबद ध्वनि करते हुए खप्पर-पु० [सं० कर्परः] फकीरों का भिक्षा-पात्र । पकना। खप्पराल (राळी)-स्त्री० खप्पर धारिणी काली देवी । खदराळ-पु० मुसलमान । खप्फा-देखो 'खफा'। खदीव-पु० [फा० खिदेव बादशाह । खप्र-देखो 'खप्पर'। खदेडणी (बी)-क्रि० बलपूर्वक हटाना, खदेड़ना। खप्राळी-देखो 'खप्पराळी'। खद्द, खद्दन, खद्दाह, खद्दाहू, खद्ध-देखो 'खद' । खफगी-स्त्री० [फा०] १ नाराजगी। २ क्रोध, कोप। खद्योत-पु० [सं०] १ सूर्य । २ जुगनू । खफत-देखो 'खपत'। खद्राळ-पु० यवन । खफनी-स्त्री० कफन। खनंक, खननक-देखो 'खगंक' । खफा (फ्फा)-वि० [अ०] १ नाराज । २ क्रुद्ध। ३ तंग, खन-क्रि० वि० पास, समीप, निकट । परेशान । -स्त्री० कुश्ती का एक दाव । खप-स्त्री. १ खपणी क्रिया का भाव। २ खपत। ३ नाश, खबड़दार-देखो 'खबरदार'। विनाश, संहार । ४ परेशानी। ५ प्रयास, श्रम, प्रयत्न, खबड़दारी-देखो 'खबरदारी'। कोशिश। खबचौ-पु० १ पानी भरा छोटा खड्डा, गड्ढ़ा। २ क्रिया, कार्य। खपड़ौ-पु० [सं० खर्पर] खप्पर । ३ विघ्न, बाधा। ४ झगड़ा, टंटा । ५ दंगा, फिसाद । ६ हाथ के पंजे की एक प्राकृति विशेष । खपणी (बी)-क्रि० [सं०क्षेपरणम] १ मरना, समाप्त होना। । खबर-स्त्री० [अ०] १ समाचार । २ सन्देश, सूचना । ३ सुधि । २ व्यय होना, खर्च होना। ३ काम में प्राना, लगना। ४ जानकारी, मालूम। ५ पता, खोज। ६ देख-भाल । ४ गुजारा होना, निभना। ५ प्रयास, प्रयत्न करना।। ७ अफवाह । ८ जांच, परीक्षा। ६ परेशान होना । ७ तड़पना । ८ खपा होना। खबरदार-वि० [अ०] १ होशियार सावधान । २ चैतन्य, खपत (ती, ति)-स्त्री० [सं०क्षपति] १ मांग। २ समावेश, सजग । ३ प्रवीण, दक्ष । ४ सन्देह वाहक । समाई। ३ गुजाईश । ४ माल की बिक्री । ५ नाश, संहार। खबरदारी-स्त्री० [अ०] १ होशियारी, सावधानी। २ चेतना, ६ सनक । ७ खर्च, व्यय । लागत । ८ परिश्रम, मेहनत । सजगता । ३ दक्षता । ४ सन्देहवाहक का कार्य । ९ कोशिश, प्रयत्न । खबरनवेस-पु०१ सन्देह वाहक, डाकिया । २ दूत। खपती, (त्ति)-वि० [अ० खन्ती १ सनकी। २ विक्षिप्त, खबरि (री)-देखो 'खबर'। पागल । ३ देखो 'खपत'। खबीडपो (बी)-क्रि० १ मारना, पीटना। २ प्रहार या चोट खुपर-देखो 'खप्पर'। करना । ३ पुरा भरना । ४ धोखा देना। For Private And Personal Use Only Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बोडो खरखरियो खबीड़ौ-पु० [सं० खवेष्टनः] १ प्रहार, चोट । २ धोखा । खनीर ()-पु० [अ०]१ प्रकृति, स्वभाव । २ नशा, मादकता। ३ झटका, धक्का । ४ सदमा । ५ नुकसान। ३ गीले आटे या मेदे की सड़न । ४ औषधियों को मरा कर खबीस-वि० [अ०] १ पापी । २ नीच, दुष्ट । ३ प्रचण्ड, निकाला जाने वाला ग्रामव । भयंकर । ४ कृपण, कंजूस । -पु० १ दैत्य, दानव । २ भूत, खम्मया-देखो 'क्षमा'। प्रेत । (मि० खईस)। खम्माच-स्त्री० मालकोश की दूसरी रागिनी। --कान्हड़ा-पु० खबोचियो-देखो 'खबचौ'। एक प्रकार की संकर राग । -टोरी-स्त्री सम्पूर्ण जाति खब्बी-पु० कंधा। की एक रागिनी। खमोळी-पु० चोट । खम्मिया-देखो 'क्षमा'। खमंकणी (बौ)-क्रि० [सं० खमंकि+मंडन] चमकना, दमकना। खम्या-स्त्री० [सं० क्षमा] १ आर्या छन्द का एक भेद । २ पृथ्वी। खम-पु० [सं० क्षम] १ संतोष । २ क्षमता । ३ धैर्य । ४ टेढ़ापन, ३क्षमा, माफी। -सुपात-स्त्री० पृथ्वी। बल । खयंकर-बि० [सं० क्षयकर] संहारक । खमकरी-स्त्री० १ चंचलता। २ व्यग्रता। ३ आतुरता। खयंग-पु० [फा० खिग] १ घोड़ा, अश्व । २ तलवार । ४ उतावलापन । ५ बौखलाने की क्रिया । ३ फौज, सेना । ४ नाश, संहार । खमकरौ-पु० 'क्षमा' सूचक शब्द । खय-पु. क्षय, नाण। -कर, कार-पू० नाश, विनाग, संहारक । खमडोळ-स्त्री० मखौल, हंसी, मजाक । खयरण-वि० नाश करने वाला । खमरण, खमरणा, (सी)-स्त्री० [सं० क्षपण;] १ क्षमा शीलता । खयपत्र गिर-पु० बज्र । २ सहनशीलता । ३ सहनशीलता रखने वाला साधू । खयानत-स्त्री० [अ०] १ अमानत का गबन । २ वेईमानी, बद४ तप, उपवाम । नियती। ३ विचार । खमणी (बो)-क्रि० [सं० क्षमणं] १ क्षमा करना । २ सहन खयाबळ-पु० [सं० क्षया+ बल] नाश करने की क्षमता। करना। ३ फल भोगना। ४ अपने ऊपर लेना। ५ क्षमा खयाल-देखो 'ख्याल'।। याचना करना। खरंड-देखो 'खरहंड'। खमत-स्त्री०१ अग्नि, प्राग । २ देखो 'खमता'। खर-पु० [सं० खरः] १ गधा । २ खच्चर । ३ पशु । ४ बगला । खमत-खांमरणा-पु० क्षमा याचना। ५ कौया । ६ तोता । ७ रावण का भाई एक राक्षम । खमता-स्त्री० [सं० क्षमता] १ सामर्थ्य, पोकात, क्षमता। ८ तृन, घास । ९ उष्णता, गरमी । १० माठ संवत्सरों में २ शक्ति, बल । ३ महन शीलता। से पच्चीसवां संवत्सर । ११ छप्पय छन्द का बीसवां भेद । खमदार-स्त्री० कष्ट सहने की क्रिया या भाव । -वि० [सं० खर] १ तेज, तीक्ष्णा । २ गर्म. उरण । खमया-देखो 'क्षमा । ३ कड़ा, कठोर । ४ मोटा । ५ घना, सवन । ६ निष्ठुर । खमसा-स्त्री० १ एक प्रकार की गजल । २ संगीत की एक ताल। ७ हानिकर । ८ बेंगनी रंग का । ९ ड्रम वर्ण । १० मुर्ख, खमा-स्त्री० [सं० आयुष्यमान] १ राजा महाराजाओं का किया नासमझ । -ईस-पु० कुम्हार । -कर-पु० सूर्य, भानु । जाने वाला एक सम्मान सूचक अभिवादन जिसका अर्थ -कोण-पु. तीतर विशेष । -खर-पु. एक प्राचीन चिरायु होता है। २ एक लोक गीत । ३ देखो 'क्षमा'। लगान । -दंड-पु. कमल । -दुखण, दूसण-पु. खमाई-स्त्री० १ सहनशीलता । २ क्षमाशीलता। खरदूषण राक्षस । -ध्वंसी-पु० श्रीरामचंद्र । श्रीकृष्ण । खमाच-देखो 'खम्माच'। -नाद-पु० गधे की रेंक। -नाळ-स्त्री० कमल । खमारणौ (बी),खमावणी (बौ)-क्रि० क्षमा करवाना या करना। खरउ-देखो 'खरौ' । क्षमा मांगना । खरक-पु० १ जुलाहे का एक औजार । २ एक दिशा विशेष। खमायची-पु० १ एक राग विशेष । २ जामाता को गाया जाने ३ बकरियों का बाड़ा। वाला एक लोक गीत। खरखर-गु० प्रति हल लिया जाने वाला कर । खमार-देखो 'खुमार'। खरखराणो (बी)-कि० १ खांसी होना, खांसना । २ तवे पर खमियाजौ-पु. १ हानि, नुकसान करने का फल । २ हानि हल्का सेंकना। नुकगान के उपलक्ष में लिया या दिया जाने वाला धन । । खरखरियो-पु० बिना मजदुरी लिये केवल भोजन के लिये खमि-पु० [सं० अमा क्षमा । जागीरदार के खेत में काम करने वाला। For Private And Personal Use Only Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खरखरी ( २८० ) काम खरखरी-स्त्री० गले में होने वाली खरास । खरतरो-वि० (स्त्री० खरतरी) तेज, तीक्ष्ण । बरखोदरियौ, खरखोदरौ-पु०१ वक्ष का खोखला भाग । खरदांवरणी-पु० स्त्रियों का एक प्राभूषण । घर का छोटा-मोटा कार्य, गृहकार्य । खरघरौ-देखो 'खुरदरौ' । (स्त्री० खरधरी) खरगड़ो-पु० एक प्राचीन लगान । खरपट, खरपटौ-वि० [सं०खर्पट] १ अति वृद्ध । २ देखो 'खुरपौ' । खरगू (गो), खरगोस-पु० शशक, खरहा। खरपतवार-पु० निराई के समय खेत से निकाला जाने वाला खरड़ (क, को)--स्त्री० १ शस्त्र प्रहार की ध्वनि । २ अफीम घास-फुस । का बुरादा । ३ बडी दरी. जाजम । ४ रगड़ घर्षण । | खरपांट-स्त्री० बांस आदि का महीन या बारीक खंड जो शरीर ५ घसीट की लिखावट । ६ ऊंट के बालों का वस्त्र, गंदा। में घुस जाता है, कमाची । फांस . .. ७ पानी वहने की ध्वनि, कलकल । खरब-वि० [सं० खर्व] १ सौ अरब । २ नीच, बुरा । ३ नाटा, खरड़करणौ (बौ)-क्रि० १ टकराना । २ चुभना, खटकना । बौना, वामन । ४ छोटा लघु । -पु० १ सौ अरब की ३ कसकना। संख्या । २ नव निधियों में से एक । ---साख-वि० नाटा, खरडणौ (बौ), खरडिणौ (बो)-क्रि० १ कुचलना । २ कुचल | बौना। कर मैल दूर करना । ३ घसीट में लिखना । ४ खरोंचना। खरबूजी-पु० [फा० खर्बुजा] ककड़ी जाति का एक लता-फल । ५ वेदना से तड़फना। खरळ-स्त्री० [सं० खल] १ औषधियां कूटने की पत्थर आदि की खरड़ा-पू०१ ऋण का दस्तावेज । २ सुचना पत्र । ३ लंबा नावनुमा कुण्डी । २ एक दिशा । पत्र । ४ एक प्रकार का प्राचीन कर । ५ घसीट में लिखा खरळकरणों-पु० एक ध्वनि विशेष । लंबा पत्र। खरळकरणो (बो), खरळक्करणो (बो)-क्रि० १ ध्वनि करना, खरच-पु० [फा० खर्च ] १ व्यय । २ लागत । ३ हाम, कमी। __ खड़कना । २ खिसकना । ३ निकलना । ४ कलकल की ४ त्याग । ५ क्षय, नाश । ६ मृत्यु-भोज । ध्वनि करते हुए बहना। खरचरणौ (बी)-क्रि० खर्च करना, व्यय करना । | खरळी-स्त्री० १ स्नान । २ खेत में पानी देने की नाली। खरची-स्त्री०१ निर्वाह योग्य धन । २ यात्रा-व्यय, खर्ची । । ३ बरबादी, हानि । ४ नाश । वरचीलो-वि० (स्त्री० खरचीली) १ अधिक व्यय करने वाला। खरव-देखो 'खरब'। २ अधिक खर्च का। खरवळा-पु० पैर, खुरयुक्त पैर । खरचौ-देखो 'खरच'। खरबांस-पु० [सं० खरमास] पौष व चेत्र मास । खरविता-स्त्री० [सं० खविता] १ चतुर्दशी मिली अमावस्या। खरतर-पु० [सं० खजूर] १ रजत, चांदी । २ हरताल । २ कम कालमान की तिथि । ३ खजूर का वृक्ष । -वेध-पु० ज्योतिष का एक योग । खरसंडियौ-पु. एक प्रकार का बैल । खरतरी-स्त्री० [सं० खजूरी] खजूर का वृक्ष । खरसरिणयौ, खरसरणी-पु० १ शमी, करील आदि वृक्ष की खरड-पु० निकृष्ट कोटि का व्यक्ति, नीच व्यक्ति । झाड़ी। २ एक प्रकार का क्षुप । खरडवो-पु. गे की फसल में होने वाला एक घास । खरसल-स्त्री० एक प्रकार की गाड़ी। खरण-स्त्री० १ शस्त्र पंना करने की मान । २ उबलने खरसुमो-पु० गधे के समान सुमों वाला घोड़ा। की ध्वनि । खरहंड खरहन, (हड्डु)-पु० १ घोड़ा। २ सेना, फौज । ३ चिता। खरणियो-देखो 'खिररिगयो' । ४ युद्ध में शस्त्र खण्डन । खरणी-स्त्री० १ मुखबरी करने के लिये चोरों को दिया जाने । | खरहर-स्त्री० [प्रा०] खरखराहट, व्वनि विशेष । वाला गुप्त धन । [सं० क्षीरगी] २ मौलश्री का वृक्ष व खरांडक-पु० शिव का एक अनुचर . फल । ३ राजाओं द्वारा दिया जाने वाला कर । खरांसु-पु० [सं० खरांशु] सूर्य । खराई--स्त्री० १ खरा होने का भाव । २ पक्कापन । खरगो-पु० [सं० क्षरण] वश, कुल, गोत्र । ३ विशुद्धता। खरणी (बी)-क्रि० [सं०क्षरगं]१ वीर गति प्राप्त होना, मरना। खराखर (री)-१ पक्का । दृढ़ । २ ठीक, उचित, मही। २ गिरना, पड़ना । ३ झड़ना । ४ रिसना, टपकना । ३ कठिन, मुश्किल । -स्त्री ० १ दृढ़-निश्चय । २ कठिनाई। खरतर-पु० नेजस्विता का भाव । -वि० १ तेज, जीक्षण। खराडणौ (बी)-क्रि० १ खिलाना । २ पक्का कराना। २ कठिन, अतिकठिन । ---गछ-पु० एक जन सम्प्रदाय। खराडो-पु. पशुओं का एक संक्रामक रोग । For Private And Personal Use Only Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खराणी ( २५१ ) खळखळरणी खराणी (बी)-कि०१ किसी बात पर पक्का व रढ़ करना। खरोंच-स्त्री० [सं० क्षुरण] १ जोर से लगने वाली रगड़ । २ वचन लेना। २ ऐसी रगड़ से पड़ने वाला चिह्न । खराब-पु० [फा०] १ लकड़ी या धातु की सतह चिकनी करने का खरोड़ी-स्त्री० घास से भरी गाड़ी। प्रौजार । -स्त्री० २ बनावट, ढंग । खरोट -देखो 'खरोंच'। खरादरणी (बी)-क्रि० १ खराद लगाकर साफ करना । २ सुडौल खरोटो-पु० १ एक प्रकार का जागीरदारी कर। २ लेपन के बनाना। लिये गोबर के साथ मिलाई जाने वाली मिट्टी विशेष । खरादी-देखो 'खैराती'। ३ देखो 'खरोंच'। खरापण (पौ)-पु० १ पक्कापन, दृढ़ता। २ सत्यता। खरोदक-पु० [सं० क्षीरोद] १ समुद्र । २ श्वेत वस्त्र । ___३ विशुद्धता। खरौ-वि० (स्त्री०खरी)१विशुद्ध,खालिश । २ सच्चा, स्पष्टवादी। खराब-वि० [अ०] १ बुरा, नीच । २ निकृष्ट, हीन । ३ भ्रष्ट । ३ तीखा, तेज । ४ सेका हुमा, करारा । ५ पक्का, बढ़। ४ नष्ट, बर्बाद । ५ दुर्दशा ग्रस्त । ६ पतित । ६ सख्त, कड़ा । ७ नकद । ८ ईमानदार । ९ कटु सत्यवादी। खराबी (बो)-स्त्री० [अ०] १ बुराई, नीचता। २ दोष, अवगुण। १० श्यामल,गेहूंग्रा । ११ महान,जबरदस्त । १२ निश्चित । ३ दुरावस्था। ४ गंदगी । ५ क्षति, हानि, बर्बादी। खळ-वि० [सं० खल] १ नीच, दुष्ट, पापी । २ क्रूर । ३ चुगल. ६ दुर्दशा। खोर । ४ धोखेबाज, कपटी । ५ शत्र. विरोधी। ६ मूर्ख । खरारि (री)-पु० [सं०] १ विष्णु । २ श्रीराम । ३ श्रीकृष्ण । -पु० १ सूर्य । २ रावण । ३ राक्षस । ४ खलिहान । ४ ईश्वर । ५ बलराम । ५ युद्ध भूमि । ६ खरल । [सं० खलिः] ७ तिलों की खली। खरारौ-पु० एक अप विशेष का झाडु। ८ अफीम का बुरादा। खरास-स्त्री० खगैंच, रगड़ । खलक-पु० [अ०] १ सृष्टि जगत. दुनिया । २ अधिक भीड़ या खरियळ-वि० खरी कमाई करने वाला। समूह । खरी-वि० १ निश्चय । २ देखो 'खरौं । खळकट (ई)-पु० संहार, विध्वंस । खरीको (खौ)-वि० (स्त्री० खरीकी, खी) स्पष्टवादी, सञ्चा। खळकरणी (बो)-क्रि० १ बहना, प्रवाहित होना । २ छलकना । खरीघाहि-पु० विश्वास । ३ कलकल ध्वनि करना । ४ निकलना । ५ खड़कना, खरीटिया-स्त्री० बकरी की एक जाति । खनकना । ६ ढहना । ७ बहना । खरीटियौ-पु० खरीटिया जाति का एक बकरा । खळकत-देखो 'खलक'। खरीटी-देखो 'खिरैटी'। खळकळी -वि. (स्त्री० खळकळी) ढीलाढाला, दिलढिला । खरीती-पु० [अ० खरीत] १ थैला, थैली। २ जेब, खीसा। खळकारणी (बी), खळकावरणौ (बो)-कि० १ बहाना, प्रवाहित ३ आज्ञापत्र का लिफाफा । करना । २ उड़ेलना । ३ छलकाना। ४ निकालना । खरीद-स्त्री. १ क्रय, क्रयण । २ क्रय की गई वस्तु । ५ खड़काना, खनकाना । ६ ढहाना । ७ प्रहार करना । खरीदणी (बी)-क्रि० क्रय करना, मोल लेना। ८ बंधन में डालना । ९ खौलाना । १० कह डालना, खरीददार-वि० १ क्रय करने वाला, ग्राहक । २ चाहने वाला, कह देना। इच्छुक । खळकाळ-पु०१ श्रीकृष्ण । २ श्रीरामचन्द्र । ३ तलवार । खरीददारी-स्त्री० मामान क्रय करने की क्रिया। खळकी-स्त्री० स्नान । खरीदौ-पु० खरीददार, ग्राहक । खळकुलीक-वि• नीच, दुष्ट, क्रूर । खरूंखांनळ-पु० ४९ क्षेत्रपालों में से अठारहवां क्षेत्रपाल । खळको, खलको-पु० १ कुर्ता, झग्गा । २ नाला । ३ प्रवाह । खर-देखो 'खरौ'। ४ स्नान । ५ कल-कल ध्वनि । ६ देखो 'खिलको' । ख रूट-पु० फोड़े-फु मी पर जमने वाली सूखी पपड़ी। खलक्क-देखो 'खलक'। खरेड़ी-स्त्री० घास-फूस का छप्पर । खळक्करणौ (बौ)-देखो 'खळकरणी' (बी)। खरेबरकत, खरेलाभ-पु० शुभारंभ । खळखट-देखो 'खळकट'। खरै-क्रि० वि० निश्चय ही। खळखळ-पु० [सं० कलकल] १ पानी आदि पदार्थ का कलकल खरैटी-स्त्री० [सं० खरयष्टिका] अष्टवर्ग की एक औषधि कर बहने की क्रिया । २ ऐसे बहाव से उत्पन्न ध्वनि । विशेष । | खळखळ पो (बो)-क्रि० कलकल करते हुए बहना । For Private And Personal Use Only Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org खळखळी ( २८२ ) शालीन खळखळी-वि० (स्त्री० खळखळी) १ कुछ ढीला । २ आसानी से खळहळणी (बौ)-क्रि० १ कलकल करके बहना । २ देखो पिरोने लायक । ३ अधिक विशेष । ४ पर्याप्त । खळबळणी' (बी)। ५ उदारता पूर्ण। | खळहारणौ (बौ)-क्रि० १ नष्ट करना । २ संहार करना । खळखल्ल-१ देखो 'खिलखिल' । २ देखो 'खळखळ' । खळहिउ-पु० दूसरों द्वारा दिया जाने वाला कष्ट । खळखायक-वि० दुष्टों का संहार करने वाला। खळांडळां-वि० खंड-खंड । खळखेदू-पु० १ ईश्वर । २ विष्णु । खळांहळ-स्त्री० कलकल ध्वनि । खलखुला-पु० संसार (मेवात)। | खळांत-पु० दुष्टों का अंत । शत्रुओं का विनाश । खळखळ-देखो 'खळखळ' । खळांभयंकर-पु० ईश्वर, परमेश्वर । खळगट (ट्ट)-देखो 'खळकट' । खळांहळि-स्त्री० कलकल ध्वनि । खलड़ी-स्त्री० [सं० खल्ल] १ छाल । २ चमड़ी। खळाक-पु० [सं० स्खलन] १ चिकित्सा के अनन्तर परहेज तोड़ने खळचरणौ (बौ)-कि० मारना, नाश करना । की क्रिया या भाव । २ कपड़ा बुनने की नली से उत्पन्न खळजाररण-पु० [सं०] १ सुदर्शन चक्र । २ दुष्ट संहारक । शब्द । ३ वर्ष भर की बेगार के बदले फसल पर दिया जाने खळणी (बो)-क्रि० [सं० स्खलन] १ हिलना-डुलना ।। वाला अनाज। २ विचलित होना, डिगना । ३ गिरना, पतन होना। खळाट-पु० [सं० खल] २ वैरी, शत्रु । २ दुष्ट, खल । ४ अधीर होना । ५ बिगड़ना । ६ पथभ्रष्ट होना। खळाडला-वि० खण्ड-खण्ड । ७ मरना । ८ संहार करना । ९ मिटाना । खलावर-स्त्री० धौंकनी। खळधांन-पु० [सं० खल-स्थान] खलिहान । खलास-वि० [अ०] १ खतम, समाप्त । २ रिक्त, खाली। खळबट-पु० [सं०] १ युद्ध । २ संहार, नाश । ३ छूटा हुआ, मुक्त । खळबत-स्त्री. १ प्रेमालाप । २ मेल-जोल । ३ गोष्ठी । खलासी-स्त्री० [अ०] १ समाप्ति, खातमा। २ रिक्तता, रीतापन। खळबधकर-पु० शिव, महादेव । ३ मुक्ति, छुटकारा । -पु० ४ यंत्र या मोटर चालक का खळबळ-स्त्री० १ हलचल, कुलबुलाहट । २ शोर, हल्लागुल्ला। सहायक । ५ तोपची। ३ अशांति, बेचैनी, घबराहट । ४ पेट में होने वाला लिद (दौ)-पू० [अन०] १ ऊपर से गिरने से होने वाली, विकार। । ध्वनि । २ नाश, ध्वंश । खळबळणी (बौ), खळबळारणौ (बो)-कि० १ हलचल होना, खळि-पु० [सं० स्खलि] १ पाप, दोष । २ देखो 'खळी' । कुलबुलाना । २ शोर गुल या हल्ला होना । ३ बेचैन होना, घबराना। ४ वात विकार से पेट कुरकुराना। ५ खौलना। खळित-वि० [सं० स्खलित] १ गिरा हुमा। २ टपका हुग्रा । ६ हिलना-डुलना । ७ विचलित होना । ८ चौंकना। ३ पतित, भ्रष्ट । ४ उत्तेजित । ५ चलायमान । ६ चंचल । -पु० [अ० खिलप्रत] राजा द्वारा सम्मानार्थ दिया जाने ९ चमकना। खळबळी, खळभळ-देखो 'खळबळ'। वाला वस्त्र । खळभळणी (बी)-देखो 'खळबळगो' (बी)। । खलियो-पु० छोटे बच्चे की जूती। खळमळी, खळभळ-देखो 'खळबळ' । खळींगरणी (बी)-क्रि० १ उंडेलना। २ खाली करना। ३ खोलना। खलल-स्त्री० [प्र.१ रिक्तता । २ कमी । ३ रोक, बाधा। खलींदौ-१०१नाश, चकनाचूर । २ गिरने पर होने वाली ४ विघ्न । ५ टूट । ६ व्यवधान । ७ गलती, भूल। ध्वनि ८ हंसी मजाक । खळी-स्त्री० [सं० खलि:] १ ग्वार, मोठ आदि के फुस का ढेर । खळळ, खळळाट-स्त्री० १ तेज प्रवाह से उत्पन्न ध्वनि । २मिचलाहट । ३ गिलहरी। ४ देखो 'खळ'। ५ देखो २ छन्छनाहट । 'खल'। खळवट-पु० युद्ध । खलीता-वि० व्यर्थ, निरर्थक । खळसाल-पु० [सं० खल-शल्य] १ युद्ध । २ वज्र । ३ विष्णु । खलीती-देखो 'खलेची' । ४ श्रीराम । ५ रावण । खलीती-पु० [अ० खरीतः] १ थैला । २ जेब । ३ प्राज्ञा-पत्र का खळसेरणी (बी)-देखो 'खंखेरणी' (बौ)। लिफाफा। खळहळ स्त्री०१ कलकल ध्वनि । २ देखो 'खळबळ' । | खलीन-स्त्री० [सं०] लगाम, रास । For Private And Personal Use Only Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खलीफा खहरण खलीफा-पु० [अ० खलीफ] १ अध्यक्ष । २ अधिकारी। ३ कोई खसकरणौ (बौ)-क्रि० १ धीरे से चल देना । २ स्थान छोड़ बूढ़ा व्यक्ति । ४ हज्जाम, नाई। ५ उत्तराधिकारी । देना । ३ इधर-उधर हो जाना । ४ सरक जाना । ६ अनुयायी । ७ मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारी। ५ विचलित होना। खलील, खलीलू-वि० [अ० खलील] १ वीर, योद्धा । २ जोर- | खसकारणी (बौ)-क्रि० १ धीरे से या चुपके से जाने के लिए दार, जबरदस्त । ३ सच्चा मित्र । ४ देखो 'खलीन' । प्रेरित करना । २ स्थान छुड़ा देना । ३ इधर-उधर कर खळू-१ देखो 'खळ' । २ देखो 'खाळू' । देना । ४ खिसकाना, सरकाना, धकेलना । ५ विचलित खलेची (चौ)-स्त्री० त्रिकोणात्मक मुंह का ढक्कनदार एक थैला करना। विशेष । खसखस-पु० [सं० खस्वस] पोस्त के दाने । खळी-पु० [सं० खल:] १ खलिहान । २ खलिहान में पड़ा हुआ ! खसखसारणी (बी)-क्रि० परास्त होना, पराजित होना । अनाज । ३ राशि, ढेर । ४ युद्धस्थल । ५ संहार, नाश।। खसखसिया, खसखसी-वि० खसखस की, खसखस संबंधी, खसखलौ-पु० १ जूता, जूती । २ राज्य की तरफ से मिलने वाला खस युक्त । -स्त्री० १ खसखस की भांग । २ खरखराहट । भोजन । खसड़को-पु. १ रगड़, खरोंच । २ घमीट की लिखावट । खल्ल, खल्लड़- १ देखो 'खल' । २ देखो 'खाल' । खल्लासर-पु० [सं०] ज्योतिष में दमवां योग । खसण-स्त्री० १ खिसकने की क्रिया या भाव । २ लड़ाई, युद्ध । खल्ली-पु० [सं०] चौरासी प्रकार के वात रोगों में से एक ।। खसरणी (बी)-क्रि० [सं० कष्=हिंसायाम] १ लड़ना, भिड़ना । खल्लीट--पु० [सं०] १ गंजा होने का रोग । २ गंजापन । २ युद्ध करना । ३ खुजालने के लिए रगड़ खाना । खल्लौ-देखो 'खलौ'। ४ प्रयत्न या कोशिश करना । ५ खिमकना । ६ गिरना, खल्व, खल्वाट-वि० [सं० खल्वाट] गंजा। ढह जाना। खल्हो-देखो ‘खलौ'। खसपोस-पु० खम का पर्दा । खबरणौ (बी)-१ देखो 'खोणी' (बी) । २ देखो 'खिवणी' (बी)। खसबोई, खसबोय खसबोह. खसबो- देखो बसबू' । खवांखांच-वि० [सं० स्कंध-खचित] कंधे तक का । खसम-पु० [अ० खस्म १ पति, खांविद । २ स्वामी । खवांनो-पु० सरदार, खान आदि लोग । खसर-पु० युद्ध, लड़ाई। खवारणी (बौ)-क्रि० १ खिलाना, खाने के लिए प्रेरित करता। खसरौ-पु० [अ०] १ राजकीय अभिलेख में प्रत्येक खेत का नाप २ खाने के लिए देना। व संख्या । २ किसी हिसाब का कच्चा चिट्ठा । ३ सिर का खवाब-पु० [अ० स्वाब] स्वप्न । सूखा मैल । खवार (री)-स्त्री० [फा० रुवारी] १ बरबादी, नाश, दुर्दशा। खसाखस-स्त्री० १ लड़ाई। २ कलह । ३ वैमनस्य । ४ खींचतान । २ धोखा, कपट । ३ बुरा काम । ४ बदनामी। ५ दुःख । -क्रि०वि० ठसाठस । खवारू-वि० [फा० ख्वार + रा. ऊ.] दुर्दशाग्रस्त । बदहाल। खसियो-वि० बधिया । खवास-पु० [अ० खवास] (स्त्री० खवासण) १ राजा रईसों खसू-स्त्री० खांसने की ध्वनि । का खिदमतगार । २ नाई, हज्जाम । ३ दासी, सेविका। खसेरण-स्त्री० [सं० ख + क्षरण] रजकरण, धुलिका । ४ उप-पत्नी, रखेल । -वाळ-पू०१ रखैल स्त्री की खसोलरणी (बौ)-क्रि० किमी में कुछ घुसाना, फंसाना । संतान । २ रखैल स्त्री। खसी-पु० नाश, संहार। खवासि, (सी)-स्त्री० [अ०] १ खवास का कार्य, चाकरी। खस्ता-स्त्री० [फा० खस्तः] टक्कर भिड़त । -वि० १ नाजुक । २ इस कार्य की मजदूरी । ३ हाथी के होदे के पीछे का २ कमजोर । ३ दयनीय । ३ टूटा हुआ, भग्न । ४ दबाने स्थान । ४ देखो 'खवास'। से जल्दी टूट जाने वाला, चुरमुरा । ५ पायल । खवासोरण-पु०१ उपपत्नी की संतान । २ उपपत्नी युक्त (राजा)। ६ दुःखी, खिन्न । खवीस-देखो 'खबीस'। खस्म-देखो खमम'। खवयो-वि० १ खाने वाला। २ घेवया. नाविकः । खहड-पृ० १ अश्व, घोड़ा । २ मेना । ३ देखो 'खंड' । खो-देखो 'खंवो'। खह-पु० [सं० | १ प्राकाश, व्योम । २ रज, लि । खसंग-पु० [सं० ख + मंग] हवा, वायु । ३ गर्म राख । खस-पु० [फा०] १ एक प्रकार की सुगंधित घास की जड। खहक-पू० प्रहार । २॥क देश का नाम । खहण (रिण, पी)-पु. युद्ध । For Private And Personal Use Only Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खहणो ( २८४ ) खाण्य खहणौ (बौ)-देखो 'खसणी' (बौ)। खांडगळी-पु० एक देशी खेल । खहदळ-पु० आकाश, गगन । खांडरगोत-वि० संहारने वाला, मारने वाला । खह-सुधार -पु. सं० क्षत + सुधार घी। खांखणौ, खांडरिणयौ, खांडण्यू-पु० मूसल । खहाव्रत-वि० धूल से आच्छादित । खांडणी (बौ)-क्रि० १ मूसल से कूटना। २ मारना। ३ काटना । खहोड़णौ (बौ)-क्रि० मारना, पीटना । खांडतारौ-देखो 'खांड खोपरी' । खहेड़-वि० बलवान, जबरदस्त । खांडबारौ-पु. मृतक के पीछे द्वादशे का भोज । खां-पु० [फा०] १ मुसलमानों के नाम के आगे लगने वाला खांडभील-पु० एक पहाड़ी जाति विशेष । शब्द, खान। २ मुसलमानों का एक सम्बोधन। ३ देखो खांडरणी (बौ)-१ देखो 'खांडणी' (बौ)। २ देखो 'खंडगो'(बी)। 'खान'। खांडली, खांडल्यू-देखो 'खांडियो' । खांक (ख)-१ देखो 'कांख' । २ देखो 'खांखर' । खांडव-पु० [सं० खांडवम्] १ कुरुक्षोत्र के समीप इन्द्र का एक खांकोळाई-स्त्री० [सं० कुक्ष+अलात्] बगल में होने वाली प्राचीन वन । [सं० खांडवः] २ मिश्री, कंद । ग्रंथि। खांडहल-स्त्री० तलबार । खांखर-स्त्री० १ एक प्रकार का शस्त्र । २ वह मादा ऊंट जिसने खांडादेवळ राय-स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी, खूबड़ देवी । एक बार ही बच्चा दिया हो । -वि० १ वृद्ध, बुड्ढ़ा। खांडाधर (धार), खांडायत-पु० [सं० खड्ग-धारिन्] तलवार२ अत्यन्त पुराना । ३ जीर्ण-शीण । धारी, योद्धा। खांखरियो. खांखरौ-देखो 'खाखरौ' । खांडाळी-स्त्री० टूटे सींग की गाय या मैंस । खाखरी-स्त्री० बंध्या ऊटनी। खांडा सरभु-पु० तलवार से युद्ध करने वाला, तलवार से मुकाबला खांखळ-स्त्री० आकाश में छा जाने वाली गर्द, रज, धूलि । ___करने वाला। खांखळरणौ (बौ)-कि० धूलियुक्त होना । धूलि छा जाना। खांडियौ-पु० १ टूटे नींग वाला पगु। २ एक कृषि उपकरण । खांखो-देखो 'खांवर'। -वि० खण्डित । खांखोळणों (बी)-देखो 'खंखोळगी (बौ)। खांडोव-देखो 'खांडव' । खाखौ-पु० (स्त्री० खांखी) १ वृद्ध पुरुष । २ वीर पुरुष । खांडू-देखो 'खांडो'। खांगड़ो-वि० १ टेढा । २ अड़ियल, अक्खड़ । ३ उद्दण्ड, बदमाश। | खांडेराउ-पु० खड्गधारी योद्धा । ४ योद्धा, वीर । ५ अटल, अडिग । खांडेल (लो)-पु० १ होली जलाने के लिए प्रत्येक घर से डाला खांगीबंध-पु. १ साफा बांधने का एक ढंग । २ इस ढंग से साफा __ जाने गाला लकड़ी का डंडा । २ जंगली जमीकंद विशेष । ___ बांधने वाला व्यक्ति । ३ राठौड़। ३ देखो 'खांडौ'। खांगो, खांघड़ी, खांघो-देखो 'खांगड़ो' । खांडो-पु० [सं० खड्ग] १ तलवार । २ दुधारी तलवार । खांच-स्त्री० [सं० खच] १ बाहु पर धारण करने का स्त्रियों का ३ टूटे सींग का पशु । -वि० खण्डित, भग्न। चूड़ा । २ प्राग्रह, मनुहार । खांरण-पु० [सं० खाद्य, खान] १ भोजन सामग्री, भोजन, खाना। खांचरणौ (बौ)-देखो खींचरणी' (बौ)। २ भोजन का ढंग । स्त्री० [सं० खनि] ३ धातु-पत्थर खांचातांण (णी, न, नी)-देखो खींचातांण' । प्रादि का खदान, खान । ४ उत्पत्ति स्थान । ५ भण्डार, खांचौ-पृ० १ मधि स्थान, जोड़ । २ कोना । ३ बीच की खाली खजाना । ६ चार प्रकार की सृष्टि । ७ कुए की सफाई। जगह । ४ खीच कर बनाया हया निशान, गठन । ५ तनाव, | खारणकी-देखो 'खांनगी'। खिचाव। खरिणखडौ (दो), खाणगंडौ-वि० (स्त्री० खांणखंडी, खांणगंडी) खोट-स्त्री० १ आसानी से न दुहाने वाली गाय । -वि० असभ्य, भोजन-प्रिय, भोजन भट्ट । जंगली। खाणघर-पु०१ रसोईधर । २ लोहा । खांड (डी)-स्त्री० [सं० खंड] १ बिना माफ की हुई चीनी, खांगास-वि० १खाने वाला । २ नाश करने वाला । कच्ची शक्कर । २ संहार, विनाश । खाणि (सी)-स्त्री. १ खाने का ढंग, रीति । २ जाति । खांडखोपरौ-पु. मृत्युभोज के पश्चात् पुत्री या बहन द्वारा पिता ३ प्रकार, दंग। ४ खान, खदान । (स्वर्गस्थ) के नाम पर छोटी २ कन्याओं को शक्कर भरकर | खारण करण-पु० हलवाई, कंदोई । दिया जाने वाला खोपरा । खाणेराव-पु० बादशाह । खाडखोरी-पु० शक्कर खाने का प्रादी। खाण्य-देवो 'खांग'। For Private And Personal Use Only Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खति www.kobatirth.org ( २८५ ) प्रवीण, निपुण । खांदियाँ (खांधियो ) - पु० १ अर्थी के कंधा देने वाला । २ दाह संस्कार में जाने वाला । । खांत (तिती) यांति स्त्री० [सं० + अंत] १ खयाल यांनापूरी स्त्री० [फा०] किसी चक्र या सारणी में माप, स्थान, ख विचार ध्यान २ चतुराई, बुद्धिमानी इच्छा रुचि ४ व्यवस्था । ५ उमंग । ६ लगन । ७ बुद्धि । ८ सावधानी । ९ भिन्नता, भेद । १० धर्म । क्रि० वि० १ गौर से । २ विचारपूर्वक शब्द या संख्या लिखना, नक्शा भरना । क्रिया । खानाबदोस - वि० [फा०खानाबदोश ] १ अपनी गृहस्थी का सामान कंधे या सिर पर रखकर इधर-उधर घूमने वाला । २ वह जिसका घर बार न हों। खांतिल यांतील वि० (स्त्री०वांतीली) १ चतुर, बुद्धिमान यांनामुमारी स्त्री० [फा० मानावारी] किसी शहर ग्राम पा कस्बे के मकानों की गणना । खांनी क्रि०वि० र तरफ खांनेजाद- देखो 'खांनाजाद' । खांनौ पु० [फा० खानः ] ३ आलमारी का खरण या चक्र का विभाग । १ वंश, विभाग खांप स्त्री० १ गोत्र वंश । २ वर्ण, भेद, जाति । ३ शाखा | 1 ४ तलवार । ५ तलवार की म्यान । खांदी स्त्री० ० राज मिस्त्रियों से लिया जाने वाला कर । खांदेदी (देखो 'खांडों'। खांध - स्त्री० [सं० स्कंध ] १ अर्थी के कंधा देने की क्रिया या भाव । २ कंधा । ० कंधा । खांधड़ौ - पु० खांधीवाळ (ळौ) - वि० किश्तों में ऋण चुकाने वाला । पु० मिट्टी का दान गांधी० [सं०] कंप] १ कंपास २ पीठ ३ गर्दन खांन० [फा० बान] १ फारस और पठान सरदारों की उपाधि । २ कई ग्रामों का सरदार । ३ देखो 'खांण' | ४ देखो 'खां' । यांना० [० सागवानां] १ बहुत बड़ा सरदार २ बादशाह द्वारा मुगलों को दी जाने वाली उपाधि । खानगी वि० [फा० बानगी ] १ घरेलू निजका २ यांतरिक - सांनी दीर बहादुर पु० मुसलमान वदन । खांनजादौ पु० १ मुसलमान शाहजादा । २ अमीर घराने का पुत्र । ३ मुसलमान बना अच्छी जाति का हिन्दू | निदानका बान्दन] कुल वंश खांदांनी वि० [फा० खान्दानी ] १ ऊंचे कुल का, कुलीन । २ परंपरागत, पुश्तैनी, पैतृक । खानपान - पु० १ खाना-पीना । २ खाने-पीने का ढंग । नबहादुर पु० [फा०] ब्रिटिश काल की उपाधि विशेष | खांनसांमी पु० [फा०] रसोइया । ०१ भोजन २ भोज्य पदार्थ ३ एक वचन प्रदेश खराब वि० [फा०] खानासराव १ बिगाड़ करने वाला। २ चौपट करने वाला । ३ श्रावारा, लफंगा । ४ पथभ्रष्ट । ५ दोगला । ६ प्रभागा , आजाद, आवारा, दुष्ट । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खोप पु० [अ०] कफन] कपन [सं० अपरण] बौद्ध या जैन साधु, बौद्ध भिक्षुक । कमी प्रभाव । 1 बांक ०१ विना सत्यानाश २ संहार । खापो वि० कलहप्रिय लड़ा २ विकार ३ लकड़ी १ । विघ्नकारक । आदि की फांस, घोचा। खरड़ौ, खीलों-वि० उद्दण्ड, खांमी कुल । २ घर, मकान । ४ कोष्ठक । ५ सारणी । खांभी- पु० कुए पर बैल हांकने वाला । खांमंद - देखो 'खांवंद' । खांभ - देखो 'ब' । मी (मी), निलो (वी) ० १ मारना, संहार करना। २ रोकना । For Private And Personal Use Only खांम स्त्री० [सं० स्कम्भ ] १ संधि जोड़ने की क्रिया या भाव। २ रोक, अवरोध । ३ चपड़ी प्रादि लगाकर मुहरबंद करना । ४ सीमेंट, चूना आदि लगाकर बंद कर देना । ५ खान । ६ पहाड़ की कंदरा । ७ दल सेना वह माल गुजारी जो चावी दर से वसूल की जाती है। खामखां (मी) - क्रि०वि० व्यर्थ ही बेकार में यांचा स्त्री० चतुराई, हस्तकौशल खांमची - वि० चतुर, दक्ष । खांमरण-देखो 'खांम' । infant पु० १ छोटा गड्ढ़ा । २ ल्हे के प्रांग बर्तन रखने का स्थान वि० मुहर बंद करने वाला। रोकने वाला । खांमरणौ- पु० १ कद । २ देह । 1 खांमली (बी) - क्रि०वि० [सं० स्कम्भु ] १ सधि जोड़ना । २ रोकना । ३ मुह बंद करना । ४ सीमेंट आदि लगाकर बंद करना । नाग (गो० १ लाई २ खांनाजाद - ० १ घर में पलानीसा या पैदा हुआ। २ सेवक, दास, गुलाम । यांनाळासी पी० [फा०] वनातलाशी बोई हुई चीज के यांनी स्त्री० [फा०] बाबी कमी कर लिए मकान में तलाशी करना । ३ कच्चावट | ४ प्रभाव । Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खामेड़ी । २८६ ) खटिए खांमेड़ो-पु० लाव की कील जोड़ने वाला । कुए पर बैल खाखलौ-पु० गेहूँ का भूसा। हांकने वाला। खाखसि-स्त्री० जंभाई। खामोखांम, खांमोखा-देखो 'खामखां' । खाखी-देखो 'खाकी'। खामोस-वि० [फा० खामोश] १ चुप, मौन । २ शांत । खाखोळाई-स्त्री० कांख के अंदर होने वाली ग्रंथि । खामोसी-स्त्री० [फा० खामोशी] १ चुप्पी, मौन । २ शांति ।। खाखौ-देखो 'खाकी'। खविंद, खांविद-पु० [फा० खाविंद] १ पति, भर्ता । २ स्वामी, खाखौ-बिलखो-वि० व्याकुल, बेचैन, उदास । मालिक । खाग-पु० [सं० खड्ग] खड्ग, तलवार । -बंद-वि० योद्धा, खांसड़ौ-देखो 'खू सड़ौ। वीर । —बळ-पु० तलवार का बल । -हथ, हथौ-वि० खांसपी (बौ)-कि० [सं० कासनम्] १ खांसी लेना, खांसना । । तलवारधारी, योद्धा । २ खंखारा करना। खागड़ेल-पु० १ सूबर । २ गेंडा । ३ योद्धा । खांसी-स्त्री० [सं० कास] १ कफ या जुखाम से गले में होने खागचाळी-देखो 'खगचाळी' । वाली खरास । २ खखारा। ३ जुकाम । ४ छींक । खागरणौ (बी)-क्रि० तलवार चलाना, तलवार का प्रहार करना । खा-स्त्री० १ लक्ष्मी । २ पृथ्वी । ३ खाई। -पु० ४ पहाड़। तलवार से मारना, संहार करना। ५ कमल । खागरणी-स्त्री० तलवार । खाडौ-देखो 'खू सड़ी। खागवळ-स्त्री० तलवार, कृपारण। खाइको-'खायकी'। खागवाहो-देखो 'खगवाहो'। खाइयाळ-वि. १ खाने वाला । २ कपटी । ३ दुष्ट । खागाट-स्त्री० तलवार, खड्ग । खाई-स्त्री० [सं० खानि] १ लंबा बड़ा खड्डा, गड्ढा ।। खागल-पु० [सं० खग + ऐल] १ सूमर । २ ऊंट । ३ गेंडा । २खंदक । ४ योद्धा । खाउकड़ो-देखो 'खाऊ'। खाड़ती-पु०१ गाड़ी हांकने वाला, चालक । २ हलधर । खाऊ-वि० १ बहुत खाने वाला, पेटू । २ कुछ खाने के लिए | खाड़ो-देखो 'खारड़ो'। .. लालायित रहने वाला । ३ रिश्वतखोर । ४ मुह से | खाज-स्त्री० [सं० खुर्ज] १ खुजली, चुनचुनाहट । २ गुदगुदी। काटने वाला। [सं० खाद्य] ३ खाद्य पदार्थ । -वि. १ निकम्मा। खामौ (वी)-पु० सूरत, शक्ल । २ डरपोक, कायर । ३ दीन । खाक-स्त्री० [फा०] १धूल, रज ।२राख, भस्म । ३ पथ्वी खाजटरपी (बो)-क्रि० १ खाना, भक्षण करना । २ झिड़की भूमि । ४ देखो 'कांख'। -वि० अकिंचन, तुच्छ । –रोब भरना। -पु० झाड़ देने वाला मंगी। खाजरू-पु० मांस खाने के लिए मारा जाने वाला बकरा । खाकलौ-देखो खाखलौ'। खाजल्यो-पु० बूढ़ा घोड़ा। खाजी-पु० [सं० खाद्य १ खाद्य पदार्थ, खाद्य । २ मेदे की खाकी पु. १ शिव, महादेव । २ भस्मी रमाने वाला साधु । छोटी पुडी। ३ वैरागी माधुनों का एक सम्प्रदाय । ४ मटिया रंग । खाट-स्त्री० [सं० खट्वा] चारपाई, खाट, पलंग । -वि० मटिया रंग का। खाटक-वि० १ खटकाने वाला । २ प्राप्त करने वाला। खाको-पु० [फा०] १ मानचित्र । २ ढांचा । ३ तखमीना।। ३ महान् ।४ प्रचंड, जबरदस्त । ५ वीर, योद्धा । ४ कच्चा चिट्ठा, मस्विदा। ५ डौल । ६ सूरत, शक्ल । -स्त्री. १ टक्कर, भिड़त । २ खटक, कसक । खाख-१ देखो 'खाक' । २ देखो 'कांख'। खाटकरणौ (बौ) -क्रि० [सं०] १ प्राप्त करना । २ प्रहार करना । खाखण-स्त्री० भस्मी लगाने वाली स्त्री। ३ कोप करना। खाखरियो, खाखरी-पु० [सं० खरखर] १ चना या मोठ को खाटकाई-स्त्री० पैतृक संपत्ति, जायदाद । बनी पतली रोटी। २ गेहूँ की सूखी रोटी । ३ पलाश वृक्ष । खाटको--पु० [सं० खट्टिक) बूचड़, पशुओं को काटने वाला। ४ खेत में चिड़ियां उड़ाने का, ऊंट के चमड़े का बना उपकरण विशेष । ५ होली का दूसरा दिन, धुलेंडी। खाटखड़, (डि, डी)-स्त्री० खटखट ध्वनि । ६ गोवरद्धन पूजा के दिन गाय व भैस में मस्ती आने | खाटड़ खली-पु० पुरानी व ढीली-ढाली खाट । का भाव। | खाटण (णी)-वि० खाने वाला । प्राप्त करने वाला। For Private And Personal Use Only Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खटणी ( २८८ ) खाध खाटणी (बी)-क्रि० १ प्राप्त करना । उपार्जन करना। खातर-स्त्री० [अ० खातिर) १ विश्वास, भरोसा । २ साख । २ अधिकार में करना। ३ इच्छा, मर्जी । ४ पादर, सम्मान । ५ स्वागत । ६ दया, खाटम, (मा)-स्त्री०१ धन लक्ष्मी । २ उपार्जन । ३ कीर्ति, यश । | कृपा । ७ ध्यान, विचार । ८ खाद । -क्रि० वि० लिये, खाटरौ-वि० (स्त्री० खाटरी) १ ठिंगना, नाटा । २ बौना, निमित्त। --वारी-स्त्री०-मेहमानी, स्वागत । वामन । खातरजमा-देखो 'खातिरजमा' । खाटलौ-पु० खाट। खातरी-स्त्री. १ स्वागत । २ मान मनुहार, पावभगत । खाटी-स्त्री. १ कीति, यश। २ वैभव । -वि० खट्टी। ३ सम्मान, पादर। ४ सेवा, बंदगी। ५ देखो 'खातर'। खाटू-देखो 'खाटी' । (स्त्री० खाटी) खातरोड़--स्त्री० १ बढ़ई के कष्ठादि का धंधा करने का स्थान । खाटूल-पु० पहाड़ों में होने वाला एक छोटा वृक्ष । २ बढ़ई से लिया जाने वाला कर। खाटो-वि० (स्त्री० खाटी) १ खट्टा, अम्ल । २ बेमजे, बेस्वाद। खाताबई (बही, वही)-स्त्री० व्यक्तिवार लेखों की पुस्तिका, ३ बेरस । ४ उत्साह रहित, खिन्न । -पु. १ छाछबेसन । खाता बही (लेजर बुक)। की बनी कढ़ी। २ मिश्रण । ३ एक प्रकार की वनस्पति । खाताई, खाताळ (वळ)-देखो 'खाथाई' । -तूड़, बड़छ, बड़स-वि० अत्यन्त खट्टा । खाताळी (वळी)-वि० (स्त्री० खाताळी, खातावळी) नेज चाल खाटयौ-पु. एक प्रकार का हल्का शराब । से चलने वाला, शीघ्रगामी शीघ्रता करने वाला, त्वरायुक्त। खाड-स्त्री० [सं० खात्] १ गड्ढा, गर्त । २ बड़ी कंदरा। खातिका-स्त्री० खाई। खाडखौ-पु० उबड़-खाबड़ भूमि । खातिर-देखो 'खातर'। खाडरौ-देखो 'खाड'। खातिरजमा-स्त्री० तसल्ली, संतोष । खाडव-स्त्री० [सं० षाडवः] १ राग की एक जाति जिसमें केवल | खातिरदारी-देखो 'खातरदारी' । छः स्वर (स रे ग म प ध) लगते हैं । २ संगीत । | खाती-स्त्री० (स्त्री० खातण, खातणी) १ बढ़ई जाति। २ इस खाडाबूज (बूझ)-वि० [सं० खात + रा. बूझ] जमींदोज ।। जाति का व्यक्ति, सुथार। -खांनो-पु० बढ़ई के बैठने भूमिगत। व काम करने का स्थान । -चिड़ा, चीड़ो-पु० तीखी चोंच खाडाळियौ-पु० खाडाल प्रदेश का एक प्रकार का ऊंट । का पक्षी विशेष। -छोड़-पु० एक देशी खेल। खाडाळी-स्त्री० भैस । खातून-स्त्री० [तु] भले घर की स्त्री, भद्र स्त्री। खाडी-स्त्री० [सं० खात] १ नीची भूमि, जिसमें वर्षा का पानी | खातोड़-स्त्री० १ बढ़इयों, खातियों से लिया जाने वाला एकत्र होता है । २ समुद्र का एक भाग । राजकीय कर। २ देखो 'खातरोड़। खातौ-पु० १ व्यक्तिगत हिसाब । २ मद, विभाग। ३ निजी खाडू-पु० भैसों का समूह । -कर-पु० उक्त समूह की देख-रेख करने वाला। खातों की बही । ४ रहट का एक भाग । ५ कटा हुमा स्थान, खांचा । ६ देखो 'खायौ'। -पीती-वि०-सम्पन्न । खाडेती-स्त्री० स्वर्णकारों का एक चिनी मिट्टी का पात्र । | खाथाई, खायाळ (वळ वळी)-स्त्री० शीघ्रता, उतावली, त्वरा । खाडौ-पु० गड्ढ़ा, गर्त । खायो-वि० (स्त्रो० खाथी) १ शीघ्र गति का, तेज, तीव्र । खाणकी (गी)-स्त्री० रिश्वत, घूम । -वि० काटने के स्वभाव उतावला । क्रि०वि० १ शीघ्र, जल्दी। २ तेजी से । वाली। खाद-पु० [सं० खाद्य] १ खेत में डालने का एक उर्वरक पदार्थ । खाणी-पू० [सं० खादन] १ भोजन । २ देखो 'खावणो' २ सूखे गोबर का चूरा । ३ देखो 'खाध' । (स्त्री० खाणी) खादण (न)-पु० [सं० खादन] १ भोजन । २ भक्षण । खाणी (बी)-क्रि० [सं० खादन] १ कुछ खाना, भक्षण करना। ३ दांत । ४ खाने की क्रिया या भाव । २ भोजन करना । ३ काटना, डंक लगाना, दंशना । खादर-स्त्री० कछाई या तराई की भूमि । खादरौ-पु० [सं० खातक] छोटा गड्ढा, पोखर । खात-स्त्री०१ खेत में डालने का खाद । २ गोबर का सूखा चूरा। खाविडियामटको-पु० घोड़े के पैरों के मुर्चे में शोथ होने का ३ सेंध । खातक-पु० छोटा जलाशय । खादी-स्त्री० सूती वस्त्र की एक किस्म । खातमो-पु० प्र० खातिम] १ अंत, समाप्ति, खात्मा । | खाध-स्त्री०१ भोजन । २ खुराक । ३ खाद्य पदार्थ । २ विनाश । ३ मृत्यु । ४ देखो 'खाद'। For Private And Personal Use Only Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खाधोका ( २८८ ) खालको खाधोकड़-वि० (स्त्री० खाधोकडी) १ भोजन भट्ट । २ चटोरा। खारच-स्त्री० [सं० क्षार + स्थल] खारी व बंजर भूमि । ३ महत्वपूर्ण। खारचियो-पु० खारे पानी से उत्पन्न गेहूँ। -वि० खारे पानी का। खाप-स्त्री० १ तलवार । २ म्यान को पट्टी। -वि० स्वच्छ खारज-वि० [अ० खारिज] १ रद्द, निरस्त । २ निकाला हुआ, उज्ज्वल। बहिष्कृत । ३ अलग, भिन्न । खापगर-पु० घोड़ों की काठी बनाने वाला (बागड़)। खारण-पु० अजवाइन । खापगा-स्त्री० [सं० ख---आपगा] गंगा, सुरसरी । खारतीकूई-स्त्री० एक देशी खेल । खापड़ो-देखो 'खाप'। खारभंगणा (भंजण,भनणा)-पु० १ अफीम लेने के बाद मीठे का खापट-स्त्री० १ बांस पट्टी । २ प्रस्तर पट्टिका । सेवन । २ गजक, चुरबुण।। खापटारोकोठार -पु० जवाहर खाना ।। खारवाळ-पु० १ नमक का व्यवसाय करने वाली जाति व इस खापटौ-पु० १ एक शस्त्र विशेष । २ पत्थर की लंबी जाति का व्यक्ति । २ एक प्रकार का देशी खेल। चौड़ी शिला। खारवौ-पु० पानी या कीचड़ में पांव रहने से होने वाला चर्म खापन-१ देखो 'खाप' । २ देखो 'खांपरण'। विकार। खापर-देखो 'काफिर'। खारसमुद-पु० [सं० क्षार-समुद्र] लवणोद, समुद्र । खापरियो-पु० [सं० खर्पर] १ धूर्त, बदमाश । २ चोर, ठग। खारास-पु० खारापन, तीखापन, कड़वाहट । ३ अनाज का एक कीड़ा । ४ भूरे रंग का एक खनिज। खारिक-देखो 'खारक'। खापरी स्त्री० खड़िया मिट्टी का बना स्वर्णकारों का एक खारियौ-पु० १ बाजरी का सूखा पौधा । २ चने के सूखे पत्ते। ममाला । ३ पशुयों को घास डालने का टोकरा। ४ क्षार युक्त पदार्थ । खापी-स्त्री० अावश्यकता जरूरत । एक देशी खेल। खाफर- देखो 'काफिर'। | खारी-स्त्री०१ वह चौकोर छबड़ा या डलिया जो किसानों के खाबको--पु० १ शाहीदरबार । २ राजारानी की निजी अनाज या अनाज की बालें भरने के काम आता है। मजलिण। ३ उक्त मजलिश करने का स्थान । ४ राजा- २ बाजरी के सूखे डंठल । ३ अनाज प्रादि का एक रानी का शयनगार। निश्चित माप । ४ बनास की सहायक एक नदी । खाबड़ौ-पु० पोखर, गड्ढ़ा। ५ खराब नमक । -माट-स्त्री. नील का रंग तैयार खाबेडो-वि० बायें हाथ से कार्य करने का अभ्यस्त । -पू० बायां करने का एक ढंग। -लूरण-पु० एक प्रकार का नमक । हाथ । खारीलो-वि० (स्त्री० खारीली) क्रोधी, गुस्सेल । खाबोचियो-पु०१ पानी का गडढ़ा । २ योनि । खारीवा-पु० [सं० क्षीरवाह] केवट । खाबौ-पु० १ पांव का पंजा । २ एक सींग ऊपर एक नीचे मुड़ा खारीवार-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । पशु । -वि० १ऐंचाताना । २ बायां । ३ वीर, बलवान । खारोटियो, खारौ-पु० [सं० क्षार] १ नमक । २ क्षार । खायक-वि० १ खाने वाला, चर्वया । २ नाश करने वाला, ३ पापड़ बनाने का क्षार । ४ कटु वचन । ५ बड़ा टोकरा । मारने वाला। ६ चनों का भूमा। ७ मैथुन । -वि० १ कड़वा, कटु । खायको-स्त्री० १ रिश्वत, घुस । २ खयानत, गबन । २ अप्रिय । ३ अनिष्टकर । ४ अरुचिकर । ५ जोशीला। ग्वायस-श्री. [फा०स्वाहिश] चाह, इच्छा, लालमा। ६ तेज, तीव्र । ७ क्रोधी, ऋर । ८ कडा, कठोर । खार-पु० [फा०] १ क्रोध, गुम्मा । २ ईर्ष्या. द्वेष । ३ कांटा, ९ भयंकर । कंटक । ४ रज, धूलि । ५ राख । ६ खारापन । ७ नमक । खारोळ-देखो 'खारवाळ' । ८ अम्लता । १. बंदूक की नाल में पड़ी हुई तिरछी व खाळ-पु० १ नीची भूमि । २ मोरी। ३ गहरा खड्डा । ४ नाला। सीधी धारियां, जिन पर छोटी-छोटी बिंदियां होती हैं। । ५ छोटी नदी । ६ कबड्डो में खेल का स्थान । ७ 'चीखड़' नामक खेल में कीड़कों द्वारा बनाया जाने वाला दाव । खारक-स्त्री० १ गुखा खजूर, छुहारा । २ देव वृक्ष । तोडियो खाल-स्त्री० [सं० खल्ल] १ किसी जानवर की चमड़ी । पु. एक प्रकार का लोग गीत । २ त्वचा। ३ खाली जगह । ४ देखो 'ख्याल'। खारकियाबोर-पु० छुहारे के प्राकार के मी वेर । खालक-देखो 'खालिक' । खारखंध (धौ)-वि० प्रति क्रोधी। खालड़ (डौ)-पु० १ जूता । २ वृद्ध, बुड्ढ़ा । ३ देखो 'खाल' । खारडो-पु० पुराना जूता । जूता । | खालपणी -पु० स्वर्णकारों का औजार विशेष । For Private And Personal Use Only Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बालसाई ( २८९ ) विवरण खालसाई-वि०१ सरकारी । २ खालसा संबंधी। खासकर-क्रि०वि०विशेषत: विशेषरूप से । खालसौ-पु०१ सरकारी भूमि या सम्पत्ति । २ सिक्खों का एक | खासड़ी ()-पु० जूता, उपानह । सम्प्रदाय । ३ सिख। खासमहल-पु. १ वह महल जिसमें विवाहित रानी रहती हो। खाला-स्त्री० [अ० खालः] १ मौसी । २ वेश्या, गणिका। २ विवाहिता रानी। खाळाखोळी-पु० बर्तन को साफ करने के बाद का पानी । खासरसोडौ-पु० राजा के निमित्त भोजन बनने का स्थान । खाळाय-देखो 'खाळो। खासरुको-पु. शासक द्वारा भेजा जाने वाला पत्र । खालि-देखो 'खाली'। खाससवारी-स्त्री. राजा के लिए प्रारक्षित सवारी। खालिक (कि,की)-पु० [अ०] १ सृष्टिकर्ता, ईश्वर । २ संसार। खासियत-स्त्री० [अ०] १ विशेषता । २ महत्ता । ३ प्रधानता। खाळियौ-पु० पानी बहने का छोटा नाला । नाली। ४ स्वभाव प्रकृति, पादत । ५ गुण । खाळी-स्त्री० [सं० क्षालक] १ छोटी नाली २ मोरी। खासी-स्त्री० राजा की खास वस्तु । खाली-वि० १ जिसमें कुछ न हो, रिक्त । २ जहां कोई न हो, शून्य, मूना । ३ रहित, विहीन । ४ कार्यहीन, निकम्मा। खासौं-वि० [अ० खासः] (स्त्री० खासी) १ बहुत, अधिक । ५ जिसके पास कुछ न हो, रिक्त-हाथ । ६ जो काम में न २ पर्याप्त, पूर्ण । ३ अच्छा भला। ४ उत्तम । ५ मध्यम पा रहा हो, निरर्थक । ७ व्यर्थ, निष्फल । ८ अशुभ । श्रेणी का । ६ सुडौल, स्वस्थ । -पु. १ राजा का भोजन । -क्रि०वि० केवल, मात्र, सिर्फ । -पु० तबला। २ राजा की सवारी का हाथी या घोड़ा । ३ एक प्रकार का खालीचोपरण-स्त्री. प्राभूषणों पर नक्काशी करने का औजार।। सूती वस्त्र । ४ राजा या बादशाह का निजी अस्तबल । खाळू-पु. १ कबड्डी खेल का नायक । २ टोली-नायक । ५ ग्वभाव, प्रकृति। ३ चीखड़ या चीकू नामक खेल का वह क्रीड़क जिसमें दाव खाहड़ौ-देखो 'खासड़ौ'। होता है। खाहणी (बौ)-देखो खाणी' (बौ) । खालेड़-वि० १ आवारा । २ रिक्त, खाली। -पु० १ व्यर्थ गया खाही-देखो 'खाई'। प्रयत्न । २ शिकार की निराशा । ३ देखो 'खालड़' । खालेडणी (बी)-क्रि० मरे पशु की खाल उतारना । खाहेडियो-पु. १ कोचवान । २ सारथी । खाळी, खाल्यो-पु० १ वर्षा के पानी का प्रवाह । २ बड़ा नाला, खिमाळ, खिमाळी-पु० कोयला।। मोरा । ३ स्रोत । ४ प्रवाह से पड़ा हुमा खड्डा । खिखर-स्त्री० हंपी, मजाक, मशकरी, छेड़छाड़ । खालो-वि० (स्त्री० खाली) १ खाली, रिक्त । २ निकम्मा। खिग-पू० सफेद रंग का एक घोड़ा विशेष जिसके मुंह पर पट्टा -पु० स्वर्णकारों का प्रौजार विशेष । हो और चारों पर गुलाबीपन लिए सफेद हों। खावंद-देखो 'खाविद'। खिजर-देखो 'खंजन'। खावरण-स्त्री० १ खाने की क्रिया या भाव । २ खाने का ढंग । खिटर. खिटोर-पू. व्यर्थ में तंग करने की क्रिया या भाव । -खंडो, खंदौ-वि० चटौरा, भोजन भट्ट । छेड़छाड़। खावणौ-वि० (स्त्री० खावरणो) १ खाने वाला । २ खाने या खिडपो (बी)-कि०१ धीरे-धीरे छंटना, बिखरना । २ जाना । काटने के स्वभाव वाला । ३ नाश करने वाला। ३ भेजना। खावरणौ (बौ)-देखो खागौ' (बौ)। खिडाणी (वी), खिडायणी (बौ)-कि० १ धीरे-धीरे छंटाना, खाविंद-पु० [फा०] १ पति, भर्तार । २ स्वामी, मालिक। बिखेरना । ३ भेजना। ४ खडित करना। खास-वि० [.] १ मुख्य, प्रधान । २ विशेष । ३ निजी, खिदाणी (बौ) खिदावरणौ (बौ)-देखो 'खिडाणी' (बी)। निज का । ४ प्रिय । ५ प्रात्मीय । ६ टेठ। --खजांनौ-पु० 3° खिबता, खिमिया-स्त्री० [सं० क्षमा क्षमा, दया। शामक निजी खजाना, राज कोषागार। --खेळी स्त्री० मंडली । --जात-पु. प्रधान अधिकारी। --डोबड़ा खियाळ-पु. वह ऊजिसके अगले पांव चनने ममय रगड़ -पु० एक पकवान विशेष । -नवीस-पू० राजा या बादशाह खाते हों। का मुरुप । लेखक । -बरदार-पू. वह जो राजा या खियाळी-देखो 'खिमाळो' । बादगाह के अम्ब-शस्त्र लेकर चलता हो। -बाड़ौ, बाड़ो। खिवरण-स्त्री० १ चमक, दमक । २ प्रकाश, रोशनी । ३ बिजली। -पु० मुख्य वेरा। ४ भाला। ५ अाक्रामक दृष्टि । ६ सहन करना किया। For Private And Personal Use Only Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बिवली करना । वि० [सं० बिन्] इन्द्र खिप्राति-देखो 'ख्याति' । farm (at) - क्रि० १ चमकना, दमकना । २ प्रकाशित होना । ३ बिजली चमकना । ४ श्राक्रामक दृष्टि रखना । ५ सहन www.kobatirth.org ( २९० ) (ब) देखो किस्कंधा' | क्षण ख) वि० १ बिखेरने वाला, छितराने हाना, फैलाने खिलभंग- वि० समंदर, प्रनित्य । वाला । २ तितर-बितर करने वाला । खिरणमंत - क्रि०वि० ० क्षरण मात्र । खिड़क- पु० १ दरवाजा, कपाट । २ द्वार । ३ खिड़की । खिड़करणों (बौ) - क्रि० तह पर तह जमाना । खिडकियापाग-स्त्री० १ सिर पर धारण करने की एक प्रकार की पगड़ी २ सिर पर पगड़ी का बंधन या धारण करने की । एक प्रकार का क्रिया या ढंग । खिड़की - स्त्री० १ गवाक्ष । २ द्वार के कपाट । ३ छोटी बारी । asit (at) - क्रि० १ टीका लगाना । २ बिखरना, इधर-उधर होना । ३ हांकना । ४ कूग्रा खोदना । ५ खिड़कना, जमाना । जिस (बी) देखो 'लोजी' (दो)। खिजमत (ति, ती ) - स्त्री० १ हजामत । २ देखो 'खिदमत' । खिजाखौ (at), खिजावली ( बौ) - क्रि० १ क्रोधित करना, गुस्सा दिलाना । २ तंग करना, छेड़ना । खिजाब- पु० श्वेत बालों को काला करने की प्रौषधि । बिटर (बौ) - क्रि० १ क्रोध करना । २ द्वेष करना । खिडकी देतो 'खड़की' । खिलौ पु० जंगली जमीकंद । " (ब) ० टकराना, भिड़ना, लड़ना खड़ा (ब) फि० १ टीका लगवाना २ विधेरना, इधर खिताब पु० [अ०] पदवी उपाधि - उधर करना । ३ हांकना । ४ भगाना । ५ खुदवाना । ६ खिड़कवाना, जमवाना । खिचड़ी [स्त्री० [सं०] कुसर ] १ मूंग की दाल व पावलों को मिश्रित कर पकाया हुआ भोजन २ मिरच मसालों के । साथ बनाई हुई पागलों की स्पारी ३ कबुली ४ काली व सफेद वस्तुनों का मिश्रण | ५ मिश्रण । - लाग-पु० जागीरदार द्वारा अपने जागीर में दौरा करने के निमित्त । । किसानों से लिया जाने वाला कर । विटाली (ब) खिटावल (बी) क्रि० १ गुस्मा दिनाना। २ द्वेष कराना । अस्थाई । स्त्री० क्षरण, पल खिक - पु० १ चूहा । २ गोदने वाला । ३ क्षणभंगुर । खिल स्त्री० [सं०] १ क्षण पल २ बिजली। खिलक-वि० [सं० क्षणिक] १ क्षण का, क्षणभंगुर । २ श्रनित्य खिलकर ० सिंह खिसकात्री० [सं० क्षणिका] बिजली विद्युत खिरगणो (बौ) - क्रि० १ टीका लगाना । २ खुजलाना, कुचरना । ३ खोदना । जिवा, विगवरी० [सं० क्षरणदा रात्रि । बिमारी० [सं० क्षणप्रभा] बिजली, विद्युत खिबाळी - स्त्री० भूमि । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खिरवारणी (बी), खिगालो (बौ) - क्रि० १ टीका लगवाना । २ खुजलवाना, कुचराना । ३ खुदवाना । खिणारौ - 1- पु० १ टीके लगाने वाला । २ खोदने वाला । खिणि-देखो 'अ' । खित स्त्री० [सं० क्षिति] १ पृथ्वी, भूमि २ द्रव्य पन , [सं० क्षति] ३ हानि, नुकसान ४ क्षति कमी ५ पोड़ा, अश्व । गखितंग' । - जात-पु० रुधिर, खून । - डसरण - पु० भाला, बरछी । -धर, धारी, नाथ, पतिपु० राजा नृप । पुड़-पु० पृथ्वीतल छह पु० वृक्ष । खितवा स्त्री० [अ० खुत्ब] प्रशंसा, तारीफ | खिमा । खिति (ती) स्त्री० [सं० क्षिति) पृथ्वी, धरती । खितिज - पु० [सं० क्षितिज ] अन्तरिक्ष जहां पृथ्वी प्राकाश मिले दिखते हों। खिति देखो 'तिरह' । चित्रवट-देखो 'वट' । खित्री- देखो 'खत्री' । - वट- 'खत्रीवट' । - । खिदमत स्त्री० [अ०] १ सेवा टहल चाकरी - गार-गु० सेवक, नौकर । हज्जाम । खिदर - पु० खैर का वृक्ष । खिनी स्त्री० बिजली विद्युत खिनगो (बौ) - देखो 'खिगगी' (बी) । खिमाली (बी) खिनावणी (बी) कि० १ भेजना, पहुंचाना। २ देखी 'बी' (बी) । खात्री० [सं० शिपा] रात्रि (बी) देखो 'बड़ी' (बी)। वि०वि० [सं० क्षिप्र भीम तुरन्त । चिमरण स्त्री० १ सहनशीलता २ देखो 'वि' देवियो खिमत (ता) स्त्री० [सं० क्षमता] १ सामर्थ्य शक्ति २ सहन शीलता । ३ क्षमता, धैर्य । For Private And Personal Use Only खिमावंत - वि० [सं० क्षमावान् ] दयालु, कृपालु | खिमा, खिमिया, खिम्या स्त्री० [सं० क्षमा ] १ दुर्गा का एक नाम | २ क्षमा । Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खियाळी खोवो खियाळी-देखो 'खिहाळी । खिलाणी (बो), खिलावरणौ (बौ)-क्रि० १ भोजन कराना । खियो-पु० १ प्लीहा, तिल्ली रोग । २ जेबः, खीसा । २ खाने के लिए देना। ३ खेलाना । ४ विकसित करना । खिर-देखो 'खैर'। ५ प्रसन्न करना । ६ सजाना, शोभित करना। खिरक (का)-स्त्री० [अ०] १ बुनाई का एक उपकरण, खर- | खिलाफ-वि० [अ०] १ विरुद्ध, विपरीतः । २ सामने, प्रतिकूल । करवट । २ मुसलमान फकीरों की गुदड़ी । ३ साधु, -क्रि०वि० मुकाबले में । ----त-स्त्री. विरोध । सामना, त्यागी। ४ देखो 'खरक'। मुकाबला । प्रतिकार। खिरकोळियौ, खिरकोळी-पु. बुनाई के उपकरण का खूटा। खिलाहर-वि० १ योद्धा, वीर । २ खेलने वाला । ३ खिलाने खिरतर-देखो 'खजूर'। वाला। खिरणियो-वि० १ कच्चा । २ जिसका स्वतः क्षय हो। -पु० सूखी | खिलियार-पु० १ खिलाड़ी। २ देखो 'खिलवाड़। झाड़ी या कंटीला वृक्ष । खिलोरी-पु० [सं० खिलचारी] गडरिया । -वि० १ असभ्य, खिरणी-देखो 'खरणी'। जंगली । २ मूर्ख । खिरणी (बौ)-क्रि० १ स्वतः टूट कर गिरना । २ गिरना। खिलौगो-पु०१ किसी धातु या पदार्थ की बनी बच्चों के खेलने ३ मरना। की वस्तु, खिलौना । २ दूसरों के हाथों में नाचने वाला। खिराज-पु० [अ० खिराज] राजस्व कर, माल गुजारी। | खिल्लत-देखो "खिलअत' । खिरैटी-स्त्री० [सं० खरयष्टिका] बीजबंद, बल।। खिल्ली-स्त्री० १ किसी का उपहास । २ हंसी. दिल्लगी। खिल-स्त्री०१ पड़त की भूमि की प्रथम जुताई । २ नई भूमि। खिल्लो-खिल्ल-वि० १ एकाकार । २ धुले-मिले । ३ प्रफुल्ल, खिलमत-पु. [अ०] किसी के सम्मानार्थ राजा या बादशाह की प्रसन्न । प्रोर से दिया जाने वाला वस्त्र। | खिवरण-देखो 'खिवरण'। खिलकत-स्त्री० [अ० खिल्कत] १ सृष्टि, संसार । २ भीड़, खिवरणी-स्त्री० १ बिजली, विद्युत । २ सहनशक्ति । समूह। खिवरणौ (बौ)-देखो 'खिवणी (बी)। खिलको-पु० १ खेल, तमाशा । २ हंसी, दिल्लगी। ३ विनोद। खिसकरणौ (बौ)-देखो 'खसकणो' (बी)। खिलखिल (लाट, हट)-स्त्री० मुक्त हास्य, खिलखिलाहट। खिसकारणी (बी), खिसकावणी (बी)-देखो 'खसकाणी' (बी)। खिलखिलणी (बौ)-क्रि० १ खिलखिलाकर हंसना। २ प्रफुल्लित | खिसणौ (बी)-क्रि० १ पीछे हटना । २ अलग होना, दूर होना। होना। ३ फिसलना । ४ क्रोध करना । ५ खिसियाना । ६ भागना । खिलखिली-स्त्री० १ हंसी, मजाक । २ देखो 'खिलखिलाट'। ७ लज्जित होना । ८ झपना। खिलणी (बी)-क्रि० [सं० स्खल] १ खिलना, विकसित होना। खिसांण, खिसांपो-वि. लज्जित, शर्मिदा । २ प्रसन्न होना, खुश होना । ३ जंचना, शोभित होना। खिसारणी (बी) खिसावरणी (बी)-क्रि० १ पीछे हटाना। ४ खेलना। २ अलग करना, दूर करना । ३ फिसलाना । ४ क्रोध खिलत-देखो 'खिलात'। कराना । ५ लज्जित करना, झेपाना । ६ भगाना । खिलबत (वत)-स्त्री० १ साथ रहने का भाव, संभ । २ सभा- खिसिरणी (बी)-देखो 'खिसणी' (बी)। समाज । ३ मैत्री । ४ हंसी, मजाक । ५ खिलवाड़। खिसौ-सर्व० १ कौनसा । २ देखो 'खीसौ' । ६ केलि, क्रीड़ा । ७ एकान्त स्थान । खिहाळी-पु० कोयला। -वि. निज का, निजी । खानगी। | खिहालौ-पु० खाद्य वस्तु विशेष । खिलवाड़, (खिलस)-पू० १खेल, तमाशा । २ हंसी, दिल्लगी। वहाला पुरु खाच वस्तु सिप । ३ विनोद । ४ कौतुक ।। खों-देखो ‘खी'। खिलवार-स्त्री० हमी, मजाक, दिल्लगी। खींचरणौ (बी)-क्रि० [सं० कर्षणम्] १ किसी वस्तु को पकड़ कर खिलसणी (बौ)-कि० १ क्रीड़ा करना, खेल करना । २ हंसी | अपनी ओर बढ़ाना, करना, खींचना। २ किसी वस्तु के आगे ___करना, मजाक करना । ३ खुश होना । होकर चलाते या घसीटते हुए कहीं ले जाना। ३ बलपूर्वक खिलहरी-देखो 'खिलोरी'। कहीं ले जाना । ४ आकर्षित करना । ५ बाहर निकालना। खिलाई-स्त्री० खिलाने का कार्य । ६ तानना, तनाव देना । ७ खोसना, छीनना । खिलाड़ी-वि० १ खेलने वाला । २ खेलने में दक्ष । ३ जादुगर । ८ सोखना, चूसना । ९ अर्क निकालना । १० सत्व ४ चतुर । निकालना । ११ रेखांकित या चित्रांकित करना । For Private And Personal Use Only Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खींचतारण ( २९२ ) खीलहरी १२ आवरण वस्त्र प्रादि हटाना। १३ रोक रखना । खोजाणों (बो), खीजावरणौ (बौ)-क्रि० १ क्रोध दिराना। १४ व्यापार का माल मंगाना । १५ चारों ओर से । २ चिढ़ाना, खिजाना । एकत्र कर लेना। १६ किसी बात पर अड़ जाना। खीजाळ-वि०१खोजने वाला। २ अातंक जमाने वाला। खींचतारण (न), खींचातारणी (नी)-स्त्री० १ खींचा-खींची। | खीझ-देखो 'खीज'। खीचातान । २ गूढ विषय पर विचार विमर्श, अर्थ निकालने | खोटपो (बो)-देखो 'खिटणी' (बी)। का प्रयास । ३ प्रयास, प्रयत्न । ४ जोड़-तोड़ । ५ प्राग्रह | खीटली-देखो 'खींटली' । पूर्वक मनुहार । ६ आपाधापी। खोटारो (बी)-देखो 'खिटाणी' (बो)। खींचारणौ (बी), खींचावणौ (बो)-क्रि० १ पकड़ कर अपनी ओर खीण (पौ)-वि० [सं० क्षीण] १ दुर्बल, निर्बल, कृश । बढ़वाना । २ घसीटवाना, चलाने के लिए खिंचवाना। २ अत्यन्त पतला । ३ सूक्ष्म, बारीक । ४ मंद, मध्यम । ३ लेजाने के लिए प्रेरित करना । ४ आकर्षित कराना। ५ उदासीन, चितित । -ता-स्त्री० दुर्बलता, निर्बलता। ५ बाहर निकलवाना । ६ तनाव दिराना, तनवाना । पतलापन । सूक्ष्मता । मंदापन । ७ सोखाना, चूसाना । ८ अर्क निकलवाना । ९ सत्व खीनखाप-पू० एक जरीदार बढ़िया रेशमी वस्त्र । निकलवाना । १० रेखांकित या चित्रांकित कराना। खीबर, खीमर-देखो 'खीवर' । ११ प्रावरण हटवाना । १२ रुकवाना । १३ व्यापारिक खीर (रि)-स्त्री० [सं० क्षीर] १ दूध । २ दूध में चावल-शक्कर माल मंगवाना । १४ एकत्र कगना । १५ बात अडाना। डालकर बनाया हुआ पकवान । ३ पानी। ४ प्रार्य गीत खोटणी (बी)-देखो 'खिटणी' (बी)। या कंधारण का भेद विशेष । -कंठ-पु० बालक । खींटली-स्त्री० स्त्रियों के कान का प्राभूषण । -काकौली-स्त्री० एक औषधि विशेष । -ज-पु० दही, खीरगो-वि० १ नष्ट, नाश । २ देखो 'खीरण' (गो)। दधि, घृत, घी । -वध-पु. समुद्र । क्षीर-सागर । खींप-पु० मरुस्थल में होने वाला एक तंतुदार क्षुप । -दधि, पत, पति, पती-पु. समुद्र । -संध, समंव, खींपोळी-स्त्री० 'खौंप' की फली । समुद्र, सागर-पु. क्षीर सागर । खोयाळ-देखो 'खियाळ'। खीरड़ी-स्त्री. १ एक पौधा विशेष । २ देखो 'खीर'। खींवर-देखो ‘खीवर'। खीरसागर-पु. १ खीर परोसने का पात्र । २ क्षीर समुद्र । खींवली-स्त्री० गले का एक प्राभूषण विशेष । खोरू-देखो 'खीर'। खी-पु० १ विधि, विधाता । २ कामदेव । ३ इन्द्र । ४ कुशल क्षेम । ५ श्रृगाल । ६ अप्सरा । खीरोद-पु० [सं० क्षीरोद] समुद्र, सागर । खीखां-स्त्री० १ क्षति, हानि। २ हंसी, मजाक, मखौल । खीरोदक-देखो 'क्षीरोदक'। खीच, श्रीचड़-पु० [सं० कृसर] १ बाजरी या गेहूँ आदि को खीरी-पु० सं० क्षरण] १ जलता हुमा कोयला, अंगारा । प्रोखली में कूट कर पकाया हुआ खाद्य पदार्थ । २ जाल, । २ एक प्रकार की लकड़ी। ३ दूधिया दांत वाला बैल । करील, नीम आदि वृक्षों का बौर । ३ बैर के वृक्ष पर खीरौलियौ(लो)-पु० १ एक प्रकार का जंगली प्याज । २ बाजरी होने वाला विकृत पदार्थ । के आटे की खीर। खीचड़ी-देखो 'खिचड़ी'। खीचड़ो-देखो 'खीच'। खील-स्त्री० [सं० कील] १ लोहे या काष्ठ का कीला, कील । खीचरणौ (बौ)-देखो 'खींचणी' (बी)। २ खुटी । ३ नुकीला फोड़ा या फुसी । ४ रहट का स्तंभ । ५ चक्की की धुरी । ६ भूज कर फुलाए हुए खीचारणौ (बौ)-देखो 'खींचारणो' (बी)। खोचियो-पु० [सं० क्षार + चित्] साजी या क्षार के पानी में । चावल, जौ आदि। पाटे को पका कर बनाया हुअा छोटा पापड़ ।। खीलण-स्त्री. १ दो वस्त्रों को परस्पर जोड़ने की क्रिया । खोज-स्त्री० [सं०क्षीज] १ कोप, क्रोध । २ चिढ़। ३ झल्लाहट, २ एक प्रकार की सिलाई । ३ अंकुश । ४ मंत्रों द्वारा किया झिड़की । ४ शीतकाल में होने वाली ऊंट की मस्ती। जाने वाला वशीकरण । खोजणी (बी)-क्रि० [सं० श्रीज] १ कोध करना, गुस्सा करना। खीलणी (बी)-क्रि० १ दो वस्त्रों परस्पर जोड़ना । २ चिढ़ना, खीजना । ३ झल्लाना । ४ झुझलाना । | २ सिलाई करना, टांकना। ३ बांधना । ४ जूती गांठना ५ निरुत्साहित करता या होना। ६ ऊंट का मस्ती में | | सीना । ५ मंत्रों द्वारा वश में करना । प्राना। खोलहरी-देखो खिलोग। For Private And Personal Use Only Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खीलाड़णो ( २९३ ) खुरपणी खोलाड़णौ (बौ), खोलाणौ (बौ), खीलावणी (बौ)-क्रि० | खुड़द-पु० १ संहार नाश । २ खुरद । -बीन= 'खुरदबीन' । १ दो वस्त्रों को परस्पर जुड़वाना । २ सिलाई करवाना।। खुड़दसारणौर-पु० डिंगल गीत का एक भेद । ३ बंधवाना । ४ जूती गंठवाना। ५ वश में कराना। खुड़दा-स्त्री० [फा० खुर्दः] १ छोटी-मोटी वस्तु । २ छोटा खीली-देखो 'खील'। सिक्का । ३ सूक्ष्म चीज । -फोस-पु० फुटकर सामान खोलीखांनौ-पु० १ बढ़ई का कारखाना । २ देखो 'किलीखांनो', __बेचने वाला व्यापारी। खीलोरी, खीलोहरी, खोल्योरी, खील्हैरी-देखो 'खिलोरी'। खुडदियौ-पु० [फा० खुर्द.] रेजगारी, कौड़ी आदि छोटे सिक्कों खीव-पु० [सं० क्षीवृ] योद्धा, शूरवीर । ___का विनिमय करने वाला बनिया । खोवण-पु० १ स्त्रियों के नाक का आभूषण विशेष । खुडाणौ (बौ), खुड़ावणौ (बौ)-क्रि० लंगड़ा कर चलना । २ देखो खिवरण'। लंगड़ाना। खीवर-देखो ‘खीव'। खुड़ियो-खाती-पु० पक्षी विशेष । खीस-पु. गाय या भैंस का प्रसव के बाद पहली बार निकाला खुड़ी-स्त्री० ऐड़ी। जाने वाला दुध । खुचखुचिय-क्रि०वि० छोटे डग या कदम से । (चाल में) -स्त्री. खीसारणी (बौ), खोसावरणौ (बौ)-देखो 'खिसाणो' (बौ)। चलने की एक क्रिया। खीसौ-पु० [अ० कीस] १ जेब, खीसा, पाकेट । २ थैला, खुचरणौ (बौ)-क्रि० १ धंसना, फंसना । २ चुभना । ___खलीता । ३ अोठों के बाहर निकला हुआ दांत । खुचरी-पु० १ वस्त्र विशेष । २ देखो 'कुचरी'। खुजाळणी (बौ)-देखो 'खुजाळणी' (बौ)। खुचाणी (बौ)-क्रि० १ धंसाना, फंसाना । २ चुभाना । खुट-वि० १ दुष्ट, पतित, नीच । २ निरंकुश, स्वतत्र । | खुजळणी (बी)-देखो 'वुजाळणौ' (बौ)। ३ देखो 'खुट'। खुजळाणी (बौ)-देखो 'खुजाळणौ' (बौ) । खुटणौ (बी)-देखो 'टणी' (बौ)। खुजळी, खुजाळ (ळि)-स्त्री० १ खाज, खुजलाहट । २ एक खुडासींग, खुडो-पु० १ वृत्ताकार मुड़े हुए सींगों वाला पशु।। चर्म रोग । २ मुड़ा हुआ मींग। खुजाळणी (बौ), खुजावणौ (बौ)-कि० नाखून से कुचरना, खुद-देखो 'खूद'। खुजालाना। खुदवारणौ (बो)-क्रि० १ पांवों से दबवाना । २ पांवों से खुटक-देखो 'खटक'। रोंदाना। खुटकणी (बी)-क्रि० १ कसकना, दर्द करना, पीव पड़ना । खुदाळिम-देखो 'दालिम' । २ ठोकर खाना, लड़खड़ाना । खुप-पु० सिर का पुष्प शृगार । खुटणौ (बी)-क्रि०१ नष्ट होना, बर्बाद होना । २ समाप्त होना। खुभी-स्त्री० स्तंभ की आधारशिला । __३ खुलना । ४ मुक्त होना। ५ मिटना । खुवणी-स्त्री० क्षमाशीलता, सहनशीलता। खुटहड़-वि० १ जबरदस्त, शक्तिशाली । २ उन्मत्त, मस्त । खु-पु. १ कामदेव । २ विकल या दुःखी व्यक्ति । ३ उल्लू । खुटारणौ (बो)-क्रि० १ नष्ट करना, बरबाद करना । २ समाप्त ४ ब्रह्मा । ५ स्थान । ६ सिखावन । ७ खद्योत । करना । ३ खोलना, मुक्त करना । ४ मिटाना। खुक-स्त्री. १ प्यास । २ प्यास की अवस्था में सूखा मुख । खुटिया-स्त्री० एक प्रकार का खाद्य पदार्थ । खुखरी-स्त्री० एक प्रकार की छुरी । खुटोड़ो-देखो 'खूटोडौ' । (स्त्री० खुटोड़ी)। खुगाहडो-पु. एक प्रकार का घोड़ा। खुट्टणी (बौ)-देखो ‘खुटणो' (बी)। खुड़-पु० १ पाद चिह्न । २ ऐड़ो । ३ पर। -खोज-पू० पावों खुडी-पु० १ वर्तन विशेष । २ देखो 'खुडी'। के निशान । खुडौ, खुड्डौ-पु० [सं० खात] १ मुर्गा प्रादि रखने का कठघरा, खुड़क-पु. १ जलाशय या नदी तट । २ पशूपों का एक दड़बा । २ गुफा प्रादि का मुख, द्वार । ३ ऊंची भूमि । ___ संक्रामक रोग । ३ खटका । ४ पर्वत की तलहटी। ४ छोटा टीबा। खुड़करणी (बी)-क्रि० १ खटखट ध्वनि होना । २ खटकना। खुढ्ढी-पु० १ कुत्ते की गुखाली, मांद । २ छोटा घर । ३ गुफा । खुड़कारणी (बी), (वरणी) (बी)-क्रि० १ खंड-खडकी ध्वनि | खुरणखुरिणयौ-पु० १ खन-खन बोलने वाला खिलौना । २ योनि । करना । २ हुक्का पीना । ३ हक्के की ध्वनि करना। - खुणचियो, खुणचौ-पु० अंजली । चुल्लू । खुड़की-पु० १ खटका, ग्राहट । २ देखो खड़को'। खुणणौ (बौ)-देखो 'खिणणौ' (बौ) । For Private And Personal Use Only Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खगस ( २९४ ) बृरबारणी खुणस-स्त्री० १ क्रोध, गुस्सा, रोष । २ मन-मुटाव । खबाणी (बौ), खुबावरणौ (बौ), खुमारणी (बौ), खुभावरणी खुणौ-पु० कोना। (बौ)-१ चुभाना । २ धंसाना, गड़ाना । ३ रोपना। खुतंग-देखो 'खतंम'। खुमर-स्त्री० जलन, दाह, ईर्ष्या (मेवात)। खुतराळी-स्त्री० पशु द्वारा खुर से जमीन कुचरने की क्रिया । खुमरी-स्त्री० एक चिड़िया विशेष । खुथौ-पु० बकरी के बालों की दरी जो कृषि कार्य में उपयोगी खुमार (री)-पु० [अ०] १ हल्का नशा, उन्माद । २ मस्ती। ___ होती है । पट्ट। ३ नशे के उतार की अवस्था । ४ जागरण की उदासी। खुदंग-पु० एक प्राचीन देश । ५ गर्मी में भिगो कर प्रोढ़ने का वस्त्र । खुब-प्रव्य० [फा०] स्वयं । आप । -कास्त-स्त्री. निजी खेती। खुरंट-पु० [सं० क्षुर + अंड] १ घाव पर जमने वाली सूखी निजी खेती की भूमि । -कुसी-स्त्री० पात्महत्या ।। पपड़ी। २ कटु बात, जो दब चुकी हो। खुदकशी । -गरज-वि० स्वार्थी । —गरजी-स्त्री० खुर-पु० [सं० खुरः] १ चौपाये जानवरों के पैरों का निचला स्वार्थीपन । -मुख्तार-वि० अनिरुद्ध । स्वछन्द । स्वतंत्र ।। सख्त भाग, खुर, टाप । २ नख नामक गंध द्रव्य । ३ पैर, -मुख्तारी-स्त्री० स्वच्छन्दता। चरण । ४ छुरा, उस्सरा । ५ तीर, बाण। खुदडपो (बो)-क्रि० [सं. क्षुदिरम्] १ कुचलना, रोदना । | खुरखुरारणौ (बौ), खुरखुरावरणौ (बौ)-देखो'खरखराणों (बौ)। २ कुचरना, खुजलाना।। खुरखुरी-स्त्री० रहट के स्वामियों से लिया जाने वाला कर । खुदरणी (बी)-क्रि० खोदा जाना । स्वतः खुद जाना । खुरखुरौ-वि० खुरदरा, दरदरा । -पु० पशु की चाल विशेष । खुदरी-पु० [फा०] अपने आप उगने वाला (पौधा या वृक्ष)। खुरखू-स्त्री० पृथ्वी। खुदवाई-स्त्री. १ खुदाई का कार्य । २ खुदाई की मजदूरी। खुरडणी (बौ)-क्रि० १ घसीटना । २ कुचरना । ३ छटपटाना । खुदाई-स्त्री० [फा०] १ ईश्वरत्व । २ संसार सृष्टि । ३. खोदने खरड़ौ-पु० पैर, चरण। का कार्य । ४ खोदने की मजदूरी।। खुरचरण (रणी)-स्त्री० [सं० कूर्चनम्] १ बचा-खुचा सामान । खुदा (य)-पु० [फा०] १ ईश्वर, परमात्मा, स्वयम्भू । २ किसी पदार्थ का पकाते समय बर्तन में चिपका रहने २ दक्ष निर्माता। जाने वाला भाग । ३ इस प्रकार कुचरकर एकत्र किया खुदाणी (बौ), खुदावणी (बी)-क्रि० खुदवाना । गया पदार्थ । ४ एक औजार विशेष । खुदायबंद-पु० १ ईश्वर, खुदा । २ स्वामी मालिक । खुरचरिणयो, खुरचरणौ-पु० कुचरने का उपकरण । छोटी खुरपी । खुदाळ-पु. १ रथ । २ सूर्य का रथ, वाहन । खुरचरणौ (बौ)-क्रि० [सं० क्षुरणं] १ कुचरना, कुचर कर एकत्र खुदाळम-देखो 'खूदाळम'। करना । २ कुरेदना । ३ कुरेद कर अलग करना। खुदिया, खुद्या, खुधा-स्त्री० [सं० क्षुधा] क्षुधा, भूख । खुरज-स्त्री० खाज, खुजली। खुधार, खुधाळ, खुधावंत-वि० क्षुधित, भूखा । खुरजी-स्त्री० घोड़े पर दोनों ओर लटका रहने वाला थैला, खुधियारत-वि० [सं० क्षुधात] भूखा, क्षुधा पीडित । __झोला। खुध्या-देखो 'खुधा'। खुरपोख-स्त्री० धूलि, रज, गर्द । खुन्यायो-वि० हल्का गर्म, गुनगुना । खुरतार, खुरताळ, (ळि, ळी, ळु)-स्त्री० [सं० क्षुरत्रांण] १ घोड़े खुपणो (बो)-देखो 'खुबणी' (बी)। या गधे की टाप, सुम । २ सुम के नीचे लगने वाली लोहे की खुपरी-स्त्री० १ खोपड़ी । २ तरबूज को खपरी। नाल । ३ जूती की मजबूती के लिए उसके तल में लगाई खुपारणी (बौ), खुपावणी (बो)-देखो 'खुबारणी' (बी)। जाने वाली लोहे की नाल । खुफिया-वि० [प्र. खुफीयः] १ गुप्त । २ मुढ, पेचीदा। खुरद-देखो 'खुडद'। -पु० पुलिस का एक विभाग । खुरदम, खुरप-पु० गधा, खर ।। खुफियौ-पु० [अ० खुफीयः] १ गुप्तचर, भेदिया । २ जासूस। खुरपी-स्त्री० १ कुरेदने या कुचरने का एक छोटा उपकरण । खब-स्त्री० धोबी की भट्टी। २ एक औजार विशेष । खुबक-पु० घोड़ों का एक रोग विशेष । खुरपो (फौ)-पु० १ कड़ाई में पकवान बनाते समय हिलाने का खुबली (बौ)-क्रि० १ चुभना । २ धंसना, गड़ना। ३ रुपना। उपकरण । खुरपा । २ तलवार । खुभरणी(बी)-क्रि० १ उत्तेजित होना, करना। २क्षब्ध होना, खुरप्र-पु० तीर, बाण । करना । ३ आंदोलन करना, हिलना। खुरबाणी-देखो 'खूबांनी'। For Private And Personal Use Only Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खुरभी खुल्लमखुल्ल खुरभी-पु० छोटा, बछड़ा। -वि० १ कायर, डरपोक । २ कमजोर, | घोड़ा । ६ एक प्रकार की तलवार । ७ देखो 'खुरसारण' । निर्बल । खुरियोखाती-पु. एक देशी खेल । खुरमली-पु० खाद्य पदार्थ विशेष । खुरी-स्त्री० १ चुराए हुवे पशुओं को लौटाने के लिये दिया जाने खुरमुरी-स्त्री. १ जोश, आवेश । २ होशियारी. सावधानी। वाला गुप्त धन । २ खुरों से जमीन खोदने की क्रिया । खुरमौ-पु० [अ० खुरमा] १ एक प्रकार का पकवान, चूरमा। ३ मौज, आनन्द । ४ घोड़ा फेरने की क्रिया विशेष । २ छुहारा । ३ एक प्रकार का घोड़ा। ५ खुर, सुम । ६ खुर वाला पशु । ७ घोड़ा, अश्व । खुररांट-वि० [सं० खुर्राट] १ बुढ़ा,वृद्ध । २ अनुभवी । ३ चालाक | खुरौ-पु. १ फर्श, प्रांगन । २ ऊंची भूमि । ३ शिर का मेल । होशियार। खुलखुलणी (बौ), खुळखुळाणौ (बौ)-क्रि० कोड़ियों को या पैसों खुररी-पु० [सं० क्षुरक] १ पशुओं की पीठ से मेल उत्तारने को हाथ में लेकर बजाना, हिलाना या हिलाते हुए का उपकरण । २ पशुओं की पीठ से मेल उतारने की डालना। क्रिया । ३ ऊंची भूमि पर चढ़ने का ढलुप्रां रास्ता । खलखुलिधौ-पु० कुक्कर खांसी । खुरळणी (बी)-क्रि० नावून या क्ष रों से खोदना । खुळखुळी-स्त्री० १ अव्यवस्था । २ खांसी । ३ शीघ्रता, उतावली। खुरलियौ-पु० खाद ढोते समय गाड़ी पर लगाया जाने वाला | ४ गुदगुदी। उपकरण। खुळणौ (बी)-क्रि० १ पानी से धोया जाना । २ दाब फेंका खुरळी-स्त्री० शस्त्र विद्या । जाना । ३ मुट्ठी में डालकर हिलाना । खुरसनी-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । खुलणी (बो)-कि० १ ढक्कन आदि का खुलना, अलग होना । खुरसळी-स्त्री० चौपाये पशुत्रों के खुर । २ जुड़ा हुआ अलग होना। ३ बंधन मुक्त होना। ४ दरार खुरसारण-पु०१ तलवार । २ यवन, मुसलमान । ३ घोड़ा। पड़ना, फटना । ५ चालु होना । ६ प्रारम्भ होना । ७ जारी ४ तीर, बाण। ५ सेना, फौज । ६ बादशाह । ७ शस्त्र होना । ८ प्रतिबन्ध हटना । ९ शिकार के पशु की चमड़ी पैना करने का उपकरण । ८ देखो 'खुरासांण' । उतरना । १० बात प्रकट होना, रहस्य खुलना। ११ भेद खुरसारणज-पु. तीर, बाण। देना । १२ मन की बात साफ कहना । १३ शोभित होना, खुरसारिणयो-वि० १ शस्त्र पैना करने वाला । २ खुरसारण का खिलना । १४ निकलना, उदय होना । १५ स्थापित होना। निवासी। १६ अवरोध हटने से साफ होना । खुरसारखी--पु. १ खुरसान देश का निवासी। २ खुरसाम का खुलमखुल्ला-क्रि०वि० खुले प्राम, चौड़े में । प्रगट रूप में । घोड़ा । ३ एक प्रकार का अजमा। -वि० मुसलमान । खुलारणी (बौ), खुलावरणी (बी)-क्रि०१ खोलाना.अलग कराना। खुरसांन-देखो 'खुरसारण। २ जुड़ाया, अलग कराना। ३ दरार पटकाना,फड़वा देना। खुरसाडौ-पु० पशुओं के खुरों में होने वाला एक रोग । ४ चालु कराना। ५ प्रारंभ कराना। ६ जारी कराना। खुरसी-देखो 'कुरसी' । --बंध- 'कुरसीबंध' । ७ बंधन मुक्त कराना, खोलाना । ८ प्रतिबंध हटवाना। खराई-स्त्री०१ पशुषों के दोनों पैर परस्पर बांधने की रस्सी। ९ शिकार के पशु की चमड़ी उतराना । १० बात प्रगट २ उद्दण्ड बैल को पकड़ने का फंदा । कराना, रहस्य खुलाना। ११ भेद दिलाना। १२ मन की खुराक-स्त्री० [फा०] १ भोजन की क्षमता । २ भोजन, आहार । बात कहाना । १३ खिलाना, शोभित कराना । ३ एक बार में ली जाने वाली औषधि की मात्रा। ४ एक | खुळारणौ (बौ)-क्रि० १ धुलाना । २ दांव फेंकाना । ३ मुट्ठी में समय का भोजन । डालकर सारी आदि हिलाना। खराको-स्त्री० भोजन का नकद-भुगतान । -वि० अधिक खाने खुलासाळ-स्त्री० वरामदा । खुला बरंडा । वाला । अच्छी खुराक वाला। खुलासौ-पु० [अ० खुलास:] १ सारांश, संक्षेप । २ निपटारा। खुराट-देखो 'खुररांट'। ३ फैसला । ४ स्पष्टीकरण । ५ व्याख्या । ६ खुली बात । खुराफात-स्त्री० [सं०] १ बेहुदी या भद्दा हरकत । २ उद्दण्डता, | खुलेपा-वि० १ मुक्त, आजाद । २ उच्छखल । बदमाशी। ३ छेड़-छाड़। ४ झगड़ा, कलह । ५ उपद्रव । खुली-वि० (म्बी० खुली) १ बंधन रहित, मुक्त । २ प्रावरण खुराफाती-वि० खुरापात' करने वाला। रहित । ३ स्वच्छन्द । ४ स्पष्ट, प्रगट । खुराळणी (बौ)-कि० नाखून या क्ष रों से खोदना। खुल्यो-वि० पथ भ्रष्ट, पतित । खुरासारण (न)-पु० १ अफगानिस्तान का एक प्रान्त । २ मुसल- खुल्लमखुल्ल-क्रि० वि० खुले प्राम, चोड़े में । -वि० मान, यवन । ३ सेना, फौज । ४ बादशाह । ५ इस देश का १ अव्यवस्थित । २ अट संट । -पु० बेकार सामान, अटाला। For Private And Personal Use Only Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मला -हाल- वि० सुखी । सम्पन्न | सुख । अच्छी दशा । www.kobatirth.org खुल्लम खुल्ला- - देखो 'खुलमखुल्ला' | खुल्हरणी (बौ) - देखो 'खुलणी' (बौ) । वाणी (बी) देखो 'बाण' (बी) बुवार १० [फा०] व्या] १ खराबी, दोष ३ विध्वंस, नाश । ४ अनर्थ । - वि० खराब । खुस - वि० [फा० खुश ] १ प्रसन्न, खुश । २ हर्षित प्रानन्दित। ३ मस्त, मग्न । ४ अच्छा - किस्मत- वि० भाग्यशाली । -खत- वि० सुन्दर लिखावट वाला बरी स्त्री० शुभ समाचार | अच्छी खबर बिल-वि० प्रसन्नचित्त । मस्त रहने वाला | मसखरा । नवीस 'खुसखत' -नवीसीस्त्री० सुन्दर लिखावट । लेखन कला । - नसीब - वि० भाग्यशाली । —नसीबी-स्त्री० सौभाग्य । सुन्दर मनोहर । मुजदिल -नुमा - वि० - मिजाज-वि० विनोद प्रिय । रंग वि० मटकीले रंगों वाला सुन्दर - हाली - स्त्री० सम्पन्नता । ( २९६ ) सामंदी, सादी- वि० चापलूस, चाटुकार । खुसाळ - देखो 'खुस्याळ' । खसाळी- देखो 'खुम्याळी' । खुसियाळ. सुखियावळ (हाळ) - देखो 'खुस्याळ' | खुसियाळी (हाळी) - देखो 'खुस्याळी' । सीपी० [फा०] प्रहर्ष धानन्द खुशी १ घटना । २ नशा । इसकी देखो 'स्की' । खस (बी) कि० निकट पहुंचना नजदीक थाना, बरबाद करना, लुटजाना । o खुसबू (बोय, बो) स्वी० [फा०] खुशबू सुगंध, सुगंधित हवा -दार वि० सुगंधित, अच्छी बुशबू बाला । समंद सामद-स्त्री० [फा० खुशामद १ गरज, जी हजुरी। २३ नूठी प्रशंसा गोव-वि० खुशामदी २ भ । शुभ खसुरसुर - स्त्री० कानाफुसी गुप्तगू । खस्क - वि० [फा०] खुश्क | १ सूखा । २ नीरम । ३ रूखे स्वभाव वाला । खस्की स्त्री० [फा० खुश्की ] १ सूखापन । २ नीरसता । ३४ शारीरिक ५ स्थल या खुष्की । ६ पैदल यात्रा । ७ अकाल, अवर्षण । खुस्याळ - वि० [फा० खुशहाल ] १ प्रसन्न, खुश, श्रानन्दित । २ सुखी, सम्पन्न । - पु० एक प्रकार का घोड़ा । खस्याळी - स्त्री० [फा० खुशहाली ] १ प्रसन्नता, हर्ष । २ सुख, सम्पन्नता । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हम-पु० तीर, वारण .. कियौ कौ वि० वह जिसका टूटा हुआ हाथ पुनः जोड़ने पर टेढ़ापन रहा हुआ हो । खू खाट पु० तेज हवा या प्रांधी की आवाज, खाट । खू खाणौ ( बौ) - क्रि० १ तीव्र ध्वनि करना । चलाना । खूंटो २ तीव्र गति से वार- वि० [फा० ख्वार] १. क्रोधी 1 २ प्रचंड, भयंकर । २ रक्तपिपासु । ४ निर्दयी । पु० विनाश, ध्वंस । खू गाळी - स्त्री० गले का एक प्राभूषरण विशेष । गाळी-देखो ''माळी' 'च स्त्री० गधे की चाल । चणी १० दोष अवगुण, ऐव । खूं जियो, खूं जीयौ, खूं जो पु० खीसा, जेव । " ज्यौ ०१ बिना बधिया किया बैल सांडवेल २ देखो 'कूट'। ३ देखो खुट । ४ देखो 'खूंटो' । ५ देखो 'खू' जौ' । खरगी - स्त्री० १ चुनाई । २ चुनने या बीनने की क्रिया या भाव । ३ तोड़ने योग्य होने की अवस्था । टी (बी० [सं० पुट छेदने] १ तोड़ना चुनना, बीनना। २ तोड़ना । खूंटा उखाड़ ( उखेड़) - वि० वंश मिटाने वाला । निकम्मा | खूंटाउपाड़ ( ऊपाड़) - पु० १ वक्षस्थल पर भौंरी वाला घोड़ा । २ घोड़े के वक्षस्थल पर होने वाली भौंरी । खूंटागाड़ - स्त्री० घोड़े के घटने के नीचे होने वाली भौंरी । टाचिकरण - पु० पांवों से चट चट ग्रावाज करने वाला बैल । डांबराई स्त्री० एक प्रकार का जागीरदारी कर । खूंटास (बी), टायर (ब) ० १ तुड़वाना २ चुनाव बीनाना 1 - For Private And Personal Use Only खूंटापाड़- पु० घोड़े की जांघ के संधिस्थल की भौंरी । खूंटारोप - पु० एक प्रकार का घोड़ा । (शुभ) खूंटियो - पु० खेती में काम लिया जाने वाला बधिया किया हुआ बैल | 1 भूमिकूटी स्त्री० [१] दीवार में लगने वाली लकड़ी की कील २ कील, । परेक। ३ ज्वार-बाजरी के डंठलों का खंड | ४ बालों का नुक्का । उखाड़ गाड पु० घोड़े की एक भौंरी । खटौ - पु० १ पशुओं को बांधने के लिए गेवी जाने वाली मोटी लकड़ी । २ पशुओं को बांधने का स्थान । ३ ज्वार बाजरी चादि के काटने पर पीछे रहा । Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra डिपो www.kobatirth.org खूरो (बी) - देखो 'खू'दणी' (बौ) । खूनी- देखो 'खूनी' | पली (बी) - कि० गोता लगाना। ( खं पु-पु०पुष्पों का सेहरा जो दुल्हिन या दूल्हे को धारण कराया जाता है। [डियो - ० एक तरफ मे मुडी हुई लाठी डी-स्त्री० मुड़े हुए सींगों वाली भैंस । खूणी - स्त्री० कोहनी | गौ- पु० १ कोना । २ कोण । खूब पु० [फा० खाविंद ] मालिक । ३ पांवों से दबाने तकलीफ । ५ रोंदने की ७ सहनशील खूदरी (बी) - क्रि० १ रौंदना, कुचलना । २ पांचों से दबाना । (मौ) देखो 'दाम' १ बादशाह, राजा । २ स्वामी की क्रिया या भाव। ४ कष्ट क्रिया या भाव। ६ योद्धा | कार बादशाह मुसलमान " दाड़ो (बौ), दाणी (बी), बूंदावरणौ (बी) - क्रि० १ पांवों खुरा - देखो ‘खूणौ' । गौ देखी ''गौ'। खूतणी ( बौ) - क्रि० डुबकी लगाना गोता लगाना । से रोंदाना । कुचलाना । २ पांवों से दबवाना । खू बाळम, खूदाळिम-पु० [फा० खुदा प्रालय] १ बादशाह, राजा । २ मुसलमान । वि० सहनशील वीर विनम्र । देखो''। खूब पु० १ हरे जब जो घोड़ों को बिलाए जाते हैं। २ देखो 'खुद' ३ देखो 'युद्ध' । खूब देखो ''दणी' (बी) २ देवी 'सोणी' (बी) खूदाळम, खूद्दाळम- देखो 'खुदाळम' । बूंदी (भी) स्त्री० [१] वर्षा ऋतु में स्वतः पैदा होने वाला बिना पत्त का एक पौधा, भू फोड़ । २ शिखर, गुंबज । 'म-देखो 'सूम' खू सड़ी (डौ ) - स्त्री० जूती । ख- पु० १ कविजन । २ बृहस्पति । ३ सूर्य । ४ जीव । ५ किनारा ६ पृथ्वी के जीव । ७ देखो 'खूब' । २९७ ) खूबू पु० सूअर, शुकर । जियो, खुजो-देखो 'खू'जियो' | स्त्री० [१] बारमा पूर्णता ३ मौत मृत्यु लूटणी (बी) - क्रि० १ समाप्त होना, खत्म होना। २ पूर्ण होना, पूरा होना ३ चुक जाना, चुकता होना । ४ मरना । ५ नष्ट होना । ६ बंधन मुक्त होना । ७ हारना । 1 फहरना । खटळ - वि० निर्लज्ज, बेशर्म । खूटवरण- - वि० समाप्त या संहार करने वाला । टवणी (बो) - क्रि० ममाप्त करना, शिक्षा देना । बूटाणी (वी), टावणी ( वी ) ० १ समाप्त करना खत्म करना । २ पूर्ण करना, पूरा करना । ३ चुकता करना । ४ मारना । ५ नाश करना । ६ बंधन मुक्त करना । ७ हराना। फहराना । १ निदाजनक कार्य करना । खटोड़ौ - वि० ३ निकम्मा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (स्त्री० बूटोड़ी) १ समाप्त खूमारी 1 २ मृतक । यूटी वि० [स्त्री० त्रूटी) २ धन स्त्री० १ की रेखा मीता २ देखो 'फूड' खूण स्त्री० [सं० कोरा ] १ कोना । २ कोण । ३ नदी का एक भाग । ४ पहाड़ की गुफा, कंदरा । ५ मकान का एक तरफ का अधिक लंबा भाग । For Private And Personal Use Only मुखियौ ० १ रहट का एक हिना २ देवो'' रणी - देखो ''गी'। खूणीदार - वि० कोणधारी कोने वाला । खून पु० [फा०] १ रतन २ बघ हत्या । रुधिर, लहू । वध, ३ अपराध, गुनाह । लिप-स्त्री० रक्त प्लीहा । खूनि (नौ) वि० [फा०] १ हत्यारा कातिल, मारने वाला। २ अपराधी, गुनहगार । ३ जालिम, अत्याचारी । ४ क्रुद्ध । - पु० १ बवासीर । २ सिंह | खूब वि० [फा०] १ अधिक बहुत W बढ़िया उत्तम ३ भला । ५ तारीफ लायक । - क्रि०वि० अच्छी तरह, भली प्रकार । खूबकळा स्त्री० पोस्त की तरह की एक औषधि व इसका पौधा । खूबड़ स्त्री० एक देवी विशेष । खूबड़-खाबड़ - वि० ऊबड़-खाबड़ । खूबसुरंग पु० एक प्रकार का घोड़ा । खूबसूरत - वि० [फा०] सुन्दर रूपवान मनोहर । खूबसूरती - स्त्री० सुन्दरता । सौन्दर्य । - खूबांरगी (नी) - स्त्री० [फा० खूबानी] जरदालु नामक फल । खूबी स्त्री० [फा०] १च्छाई बच्छापन २ गुण विशेषता । ३ विलक्षणता । ४ प्रानन्द, मौज ५ भलाई । ६ शांति । खूम - पु० १ मुसलमान । २ एक प्रकार का सूती साफा । ३ बांस की खपचियों की बनी एक प्रकार की डलिया । ४ हिस्सा, विभाग । ५ गुच्छा । खूमचौ- पु० १ चाट - नमकीन या फल आदि बेचने का ठेला । २ ऐसी ही वस्तुओं का पात्र । खोंचा । खूमपोस - पु० थाल यादि पर ढकने का वस्त्र । मागी वि० १ भयंकर प्रनिष्टकारी २ देखो 'वाणी'। Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२९८ ) खेत खूर-पु० १ घोड़ा । २ फौज, दल । ३ समूह, झुंड । ४ बाण, -स्त्री० १४ अप्सरा । १५ दुर्गा । १६ पिशाचिनी। तीर । ५ सेना, फौज । -वि० १ घना, अधिक । २ देखो १७ योगिनी । १८ बहत्तर कलाओं में से एक । 'खुर'। -दम-पु० गधा, गर्दभ । -गुटका, गुटिका-स्त्री० तांत्रिक योग सिद्धि की गोली। खूरन-स्त्री० हाथी के पांवों की बीमारी। - मुद्रा-स्त्री० तांत्रिक मुद्रा विशेष । खूसड़ी (औ)-देखो 'सड़ी' । खेचरी-स्त्री० जीभ को तालु से लगाने की एक मुद्रा। खूसणौ (बौ)-क्रि० १ बढ़ाना, अगाड़ी करना । २ छोनना । खेचल-स्त्री० १ श्रम, परिश्रम । २ कष्ट, तकलीफ । ३ तंगी, ३ ठूसना। ४ देखो 'खोसणी' (बी)। परेशानी। खूसारणौ (बौ). खूसावरणौ (बौ)-देखो 'खोसाणो' (बौ)। खेचलणी (बी)-क्रि० १ थकाना । २ कष्ट देना । ३ परेशान खूह-पु० १ कूया. कूप । २ देखो 'कूड' । करना । ४ चलाना। खें-खें-देखो 'खे-खें। खेचाई, खेचौ-स्त्री० १ ईर्ष्या, द्वष । २ शत्रुता, वैर । ३ व्यंग, खेंखार-देखो 'खंखार'। ताना । ४ मखौल, दिल्लगी। खेखाट-पु. १ तीव्र वायु का झौंका । २ तीव्र वायु की ध्वनि। | खेज-पु० खाद्य पदार्थ । खेंखारौ-देखो 'खंखारी'। खेजड़, खेजड़लौ, खेजड़ियो, खेजड़ी, खेजड़ी-पु० छोटो पत्ती व खेंगरणो (बौ)-क्रि० नाश करना, मारना, संहार करना । छोटे कांटेदार एक मरुप्रदेशीय वृक्ष, शमी। खंच-स्त्री० खींचने की क्रिया या भाव, खिचाव, तनाव । | खेट-पु० [स०] १ सूर्यादि ग्रह । २ घोड़ा । ३ ढाल । खे-पु० १ कवि । २ पक्षी। ' ३ दुःख, खेद । ४ सभा द्वार । ४ चमड़ा । ५ एक अस्त्र विशेष । ६ युद्ध, संग्राम । ५ नभचर । ६ प्रागा । ७ तलवार । ८ शिव । ९ आकाश । ७ आयुध रूप मूसल । ८ कफ । ९ वह बस्ती जिसके चारों १० धूल, गर्द । ११ राख । १२ अंगारों का ढेर । ओर धूल का कोट हो। खेई-स्त्री० झड़ बेरी के सुखे डंठलों का समूह 'पाई' । खेटक-पु० [सं०] १ बलरामजी का मूसल, गदा । २ ढाल । खेउ-पु० खेद, रंज, उदासीनता। . -वि० १ शक्तिशाली, समर्थ । २ देखो 'खेट'। खेको (खी)-पु० बड़ा अफीमची। खेटको-स्त्री० ढाल । -पु० योद्धा । खेगाळ-पु० १ तेज प्रवाह । २ तेज गति । ३ देखो 'खोगाळ'। | खेटणी (बी)-क्रि० १ नाश करना, संहार करना । २ हराना । खेड़-स्त्री. १ बड़ा भोज । २ खेत की जुताई । ३ यात्रा की खेटर, (खल)-पु० फटा पुराना जूता। दूरी। ४ एकत्रीकरण । खेटाणो (बौ), खेटावरणौ (बौ)-क्रि० १ हराना, पराजित खेड़णी (बो)-क्रि० १ चलना । २ चलाना, हांकना । २ खेत की करना । २ क्रोधित करना । जुताई करना । ४ एकत्र करना । ५ दूरी तय करना । | खेटायत-वि० वीर, बहादुर । खेड़ा-स्त्री० १ कुछ-कुछ दिनों के फासले से होने वाली वर्षा । | खेटी-वि० [स० खेटिन्] १ नागर । २ कामुक । २ करण। खेटौ-पु० [सं० खेट] १ युद्ध, झगड़ा । २ ईर्ष्या, द्वेष । खेड़ाऊ-पु० अकाल पड़ने पर मवेशियों को चारा-पानी के लिए खेड-पु० १ तीर, बारण । २ युद्ध । अन्य प्रदेश में ले जाने वाला। खेडणौ (बी)-देखो 'खेड़णी' (बौ) । खेड़ी-स्त्री० १ पक्का लोहा, फौलाद । २ युद्ध । खेडार-वि० ग्रामवासी, देहाती । खेड़ालाग-पु० नए बसे हुए गांवों व ढाणियों वालों में लिया | खेडूर-वि० बहादुर, जबरदस्त । जाने वाला कर। खेडूलौ-पु० एक प्रकार का कंद । खेड़-वि० हांकने वाला, चलाने वाला । खेडौ-पु० खड्ग, तलवार । खेगो (बी)-क्रि०स० [सं० खेव] १ नाव चलाना, खेना । गौ-पु. एक प्रकार का कंद विशेष । २ काल क्षेप करना, ममय बिताना । ३ देव पूजन के लिए खेड़ेच, खेड़े चउ खेड़े चौ-पु० राठौड़ राजपूत । अप दान करना। खेडो-पु० [सं० क्षेत्र छोटी ढाणी या बसा हुअा छोटा गांव। खेत (डो), खेतर-पू० [सं० क्षेत्र] १ वह भूखण्ड जिसमें किसी खेचर (रु)-पु० सं०] १ नभचारी ।२ सूर्य, चन्द्रादि ग्रह । प्रकार की खेती की जाती है । २ खेत में खड़ी फसल । ३ तारागण । ४ देवता । ५ विमान । ६ पक्षी। ७ बादल । ३ उत्पति स्थान या प्रदेश । ४ रण क्षेत्र, युद्धस्थल । ८ राक्षस । ९ शिव । १० भूत-प्रेत । ११ कमीस । ५ श्मशान भूमि । ६ वंश, खानदान । ७ पृथ्वी । ८ तलवार १२ चौराठ भैरवों के अन्तर्गत एक । १३ वायु।। की धार का मध्य भाग । ९ भूखण्ड । ---गर-पु० किसान । For Private And Personal Use Only Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खेतल www.kobatirth.org ( २९९ ) योद्धा वीर -पाळ- पु० जीव-पु० किसान, कृषकपाळपु० क्षेत्रपाल, ये ४६ माने गये हैं । खेल (खेतली)- पु० १ रथ वाहण-पु० श्वान खेतिहर - पु० [सं० क्षेत्रधर] ती स्त्री० [० क्षेत्र कृषि] बोवाई । २ फसल । एक जाति । - पाती-स्त्री० किसान काश्तकार । 1 खेतु (तू) - देखो 'खेत' । खेत्तर, खेत्र - १ देखो 'क्षेत्र' । २ देखो 'खेत' । खेमा स्त्री० [सं० क्षमा ] पृथ्वी, भूमि । खेत, खेमाळ- स्त्री० ० तलवार । । क्षेत्रपाल ३ द्वारपाल बस बेमौ पु० [अ०] मा] तंबूरा मिरि । । कुत्ता । खेयारा- पु० [सं० खचार ] नक्षत्र । किसान, कृषक | खेरज-पु० रजत, चांदी | १ कृषि कार्य कारकारी प्रनाज की -गर पु० किसान । कुम्हारों की खेर , कृषि, काश्तकारी । -बळ बाड़ी, बाड़ी स्त्री० कृषि कार्य । क्षेत्रज-०१ क्षेत्र संतान २ सोलंकियों की धाराध्य देवी । । वेपाळ-देखो बेतरपाळ' । खेप स्त्री० [सं० क्षेप] १ आतंक, भय, डर । २ गाड़ी या नाव की एक बार की यात्रा । ३ एक बार में लाई-लेजाई जाने वाली वस्तु । ४ थोक । ५ नर भेड़ों का समूह । ६ खजाना । ७ मिल्कियत, जायदाद । खेपणी स्त्री० नाव की बल्ली, डांड । ब- देखो 'खेप खेम पु० [सं० क्षेम ] १ रक्षा, सुरक्षा । २ कुशलता, प्रानन्द मंगल । करी, कल्यांणी-स्त्री० श्वेत रंग की चील । -कुसळ - पु० कुशल क्षेम | आनन्द मंगल । खाप-पु० एक प्रकार का वस्त्र । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षेत्र वि० [सं० क्षरण १ नाम करने वाला २ नोकर गिराने वाला । ३ बचा खुचा । पु० १ बचा खुचा या अवशिष्ट भाग । २ बार, प्रहार । ३ चलनी । ४ एक प्रकार का वृक्ष । रखियो पु० १ हिन्दू हार, सिकलीगर । करने का उपकरण । ३ छोटी चलनी । खेरली स्त्री० १ चलनी २ देखो 'मेरा' । । खेरणौ- पु० बड़ी चलनी । र यो० [सं० जर १ गिराना, टपकाना २ उखाड़ना, पटकना । ३ तोड़ना । ४ संहार करना, मारना । ५ वृक्ष को जोर से हिलाकर कमल पत्ते गिराना । खेरागौ (बी) - क्रि० १ गिरवाना, टपकवाना । २ उखड़वाना, बेजाड़ो-देखो 'खोत्रादों त्रि (श्री)- १ देखो येती' २ देखो 'खेव' वेद पु० [सं०] १ अफसोस, कष्ट, पीड़ा । २ रंज । ३ पश्चाताप । ४ ग्लानि, घृणा । ५ थकान । ६ उदासी, खिन्नता । ७ ईर्ष्या, द्वेष । पटकवाना । ३ तुड़वाना ४ संहार कराना, मरवाना । ५ वृक्ष को हिला कर फल-फूल व पत्ते गिरवाना । वेदवर पु० घोड़ा का उवर विशेष खेदी (बौ) - क्रि० १ भागना । २ पीछा करना । ३ खदेड़ना । खेरी - पु० १ एक प्रकार का पुष्प । २ देखो 'खेड़ी' । ४ तंग करना । ५ कष्ट या पीड़ा देना । सेबाई स्त्री० १ लदेड़ने की क्रिया । २ खदेड़ने का पारिश्रमिक ३ वैमनस्य ४ ईर्ष्या । वेदित वि० [सं०] दुःखी चित्र खेदी - पु० [सं० खेद] १ हठ, जिद्द । २ शिकार, श्राखेट ३ पीछा । ४ शिकार का हाका । ५ देखो 'खेद' । वेध - पु० १ विरोध । २ युद्ध, रण । ३ क्रोध । ४ वाद-विवाद | ५ देखो 'खेद' । खेधाऊ - वि० १ क्रोध करने वाला । २ ईर्ष्या करने वाला । ३ विरोध करने वाला । खेधी - पु० शत्रु, री दुश्मन । खेधो-देखो 'खेदो' । 1 खेल खेरू खेरू - पु० १ नष्ट ध्वंस । २ क्रोध । ३ गिराने या पटकने की क्रिया ४ व्यर्थ में खर्च, क्षय या कमी होने की दशा । ५ पशुप्रों द्वारा पांव से धूल उछालने की किया बि० ध्वस्त, बर्बाद, विकृत खेरौ - पु० अंश, करण । खेळ - पु० १ कुल-भेद । २ देखी 'खेळी' । - २ अनाज साफ खेल ( ग ) - पु० [सं०] १ क्रीड़ा, आमोद-प्रमोद । २ कोई खेल विशेष । ३ नाटक अभिनय । ४ चलचित्र सिनेमा | ५ हंसी, दिल्लगी, मनोरंजन ६ काम-क्रीड़ा । विषय बिहार । ७ लीला, रचना, माया 8 पंक्ति, परम्परा | का खेल । कोई अद्भुत कार्य । त्री० नट विद्या नहीं तरी For Private And Personal Use Only खेतड़ी देखो 'बेलरी । खेलरी (बौ) - क्रि० १ ग्रामोद-प्रमोद करना, क्रीड़ा करना । २ कोई विशेष प्रकार का खेल खेलना। ३ नाटक करना, अभिनय करना । ४ हंसी करना, दिल्लगी करना । ५ रतिक्रीड़ा या संभोग करना । ६ लीला करना, रचना करना । ७ प्रद्भुत कार्य करना । खेलरी- पु० [सं०] [] १ ककड़ी आदि का काटकर सुखाया हुआ टुकड़ा । - वि० कृशकाय । अत्यन्त सूखा । खेलवाड़ - पु० [सं० केलि) खिलवाड़, क्रीड़ा, तमाशा । Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org पेला । ३०० ) खांच खेला-स्त्री० [सं० केलि क्रीड़ा, कौतुक । खेह-स्त्री० १ घूल, मिट्टी, रज, गर्द । २ खाक, राख, भस्म । खेलाई-स्त्री. १ खेलने की क्रिया । २ खेलने का पारिश्रमिक । । ३ गर्म राख । ४ मस्ती, उन्मत्तता। खेलाडी-देखो 'खिलाड़ी'। खेहड़णौ (बो)-क्रि० क्त्तव्य पर चलना, कर्तव्य निभाना । खेलाणी, (बी), खेलावणी, (यो)-क्रि० १ खिलाना । २ खेलने खेहड़ली, खेहडो-देखो 'खेह' । के लिए प्रेरित करना । ३ नाटक या अभिनय करना । खेहटियो-वि० मिट्टी का बना । -विनायक-पु. विवाह के ४ विशिष्ट खेलों में मार्गदर्शन या नियन्त्रण करना। अवसर पर प्रतिष्ठित की जाने वाली गजानन की मिट्टी ५ हंसी-मजाक कराना । ६ रतिक्रीड़ा या संभोग के लिए की मूर्ति । प्रेरित करना । ७ लीला या रचना कराना। खेहरी-१ देखो 'केहरी'। २ देखो 'खेह' । खेळी-स्त्री० १ मवेशियों के लिए पानी पीने का छोटा-कुण्ड । खेहा, खेहाट-स्त्री० रज, धूलि । २ पत्थर की कुण्डी । ३ सहेली, सखी । ४ मस्त-स्त्री। खेहाडंबर (रव, रवण)-पु० १ धुल का बादल । २ प्रचंड प्रांधी। ५ मित्र मंडली। खेहू-देखो 'खेह'। खेळू-वि० १ मुख्य, प्रधान । २ देखो 'खाळू'। खैकार-देखो 'खू खार'। खेलूर-वि० अति-वृद्ध । खैकाळ-देखो 'बंगाळ'। खेळो-पु.१ लड़का । २ नौजवान, पट्टा । -वि० १ मूर्ख, खैखाड़ (8)-देखो 'खेंखाट'। नासमझ। २ पागल । ३ मस्त । खंखार-देखो खंखार'। खेलौ-पु० कौतुक, तमाशा । खंखारी-देखो 'खंखारी'। खेल्हरणो (बो)-देखो 'खेलणी' (बो)। खे-खें-स्त्री० तेज हवा या आंधी की आवाज । खेव-क्रि० वि०१ शीघ्र, तुरन्त । २ देखो 'खेप' । खंग-देखो 'खेंग'। खेवट-पु. १ परिश्रम, कोशिश । २ देखो 'केवट' । खेंगरणौ (बी)-देखो 'खंगरणी' (बी)। खेवटियो-देखो 'केवट'। खेंगाळ (ळी)-पु. १ संहार, नाश । २ ध्वंम । ३ वध । खेवटणी (बी)-क्रि० नाव वेना । नदी पार करना, पार कराना। -वि. विनाश लीला करने वाला । खेबल, खेबरणी-देखो 'खेपणी'। खंच (चौ)-१ स्त्रियों के सिर का प्राभूषण । २ देखो 'खांच' । खेवरणौ (बो)-देखो 'खेणी' (बी)। | ३ देखो 'खेंच'। खेवाई-स्त्री० [सं० खेव] १ नाव चलाने का कार्य । २ नाव | खैचरणौ (बी)-देखो 'खेंचरणो' (बी)। का किराया। ३ नदी पार करने का पारिश्रमिक । ४ धूप-खंचातांण (पी)-देखो 'खींचाताण'। दीप करने का कार्य। खंडूर-वि० शक्तिशाली व बलवान योद्धा । खेवाणी, (बो) खेवावरणी, (बौ)-क्रि० १ नाव चलवाना, खैरण-देखो 'क्षय' । खेवाना। २ पार कराना । ३ धूपदीन करना। खैपाण-पु० १ मुसलमान यवन । २ संहार, नाश । -वि० वृद्ध । खेवी-वि० खेनेवाला, केवट। खै-पु० १ शिव । २ नंदीगण । ३ भाई। ४ लड़का । [सं० क्षय] खेस-पु० १ दो सूती वस्त्र । २ ऐसे वस्त्र की चादर । ३ मिटना ५ क्षय । ६ नाश ७ संहार, नाश, ध्वंस । ८ देखो 'खे' । क्रिया । ३ द्वेष, वैमनस्य । ४ क्षति, कमी, अभाव । -वि० खकार-वि० [सं० क्षयकार] १ नष्ट । २ ध्वस्त । -पु. १ नाश, १ नष्ट । २ लुप्त । ३ समाप्त, खत्म । २ संहार । ३ अाकाश । खसणी (बी)-क्रि० १ नष्ट करना, मिटाना । २ विनाश करना, खकारी-वि० [सं० क्षयकारी] विनाश करने वाला। ध्वंस करना । ३ मारना, संहार कराना । ४ समाप्त करना, खैकाळ-पु० १ नाश, संहार । २ युद्ध संग्राम । खत्म करना । ५ हराना, पराजित करना । ६ युद्ध करना, | खैगमल-पु० घोड़ा। ७ पीछे हटाना । ८ धक्का देना । । छीनना । बंगरणी-वि० विनाश करने वाला। खेसलियो, खेसलौ-पु० १ दो सूती तार का चादरा, वस्त्र । खैगरणी (बौ)-क्रि० १ संहार करना, मारना । २ विनाश २ सूत व ऊन के मिश्रण से बना मोटा वस्त्र । करना। खेसवरणो (बो)-देखो 'खेसणौ' (बौ) खेसोत-वि० संहार या विनाश करने वाला। खंगाळ-वि० संहारक । -पु० संहार, विनाश । खेसो-पु०१ एक प्रकार का अशुभ घोड़ा । २ वैर। ३ द्वेष, खंगोळ-देखो 'खगोळ' । पाह। खेड़च-देखो 'खेड़ेच'। For Private And Personal Use Only Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खंडो www. kobatirth.org खेड़ी - पु० [सं० खेट] १ छोटा गांव । २ गांव के पास वाला खेत । ३ बरं, ततैया का छत्ता ४ मृत्युपरांत का भोज । ५ एक प्रकार का सरकारी कर । ( ३०१ ) शून्य | बोळी वि० (स्त्री० बोखली पोला, खाली ग्य खोखाळ-देखो 'खोगाळ' | खोखाळणी (बौ:- क्रि० पोला करना, खाली करना । खोखो - पु० १ एक प्रकार का खेल। २ देखो 'खोकी' | बर पु० हिमालय का पश्चिमी दर्रा । मरण (न) - वि० [सं० क्षयवान ] नाश होने लायक - पु० नाश, खोगळ - स्त्री० १ वृक्ष के तने का मोटा खड्डा, पोला भाग । ध्वंस, संहार । २ कंदरा, गुफा । ३ मांद । खोगसींगी - पु० तलुवों में भौंरी वाला घोड़ा | |खोगाळ - स्त्री० १ संहार, नाश । २ खोखलापन । ३ गुफा, मांद । खोगी (१) १० [फा० बोगीर] घोड़े के चारजामें के नीचे लगाया जाने वाला ऊनी वस्त्र । यंग - पु० [फा० खिंग] घोड़ा । खेर- पु० [सं० खदिर ] १ बबूल की जाति का एक वृक्ष । २ कत्थे का वृक्ष व इस वृक्ष का गोंद । ३ कत्था । [फा०] ४ दान | खाह, ५ पुण्य । - क्रि०वि० अस्तु, खेर, कोई बात नहीं । वा पु० भलाई चाहने वाला, शुभ चिंतक स्त्री० शुभ चिंतन | भलाई सार पु० संर, वृक्ष का खैरो - पु० क्रोध पूर्ण दृष्टि से देखने का भाव । सचर (चार) देखो 'बेवर' । सवली (बी) देखो 'बेस' (श्री)। यह देखो 'सेह' रस, कत्था । राहत देखो 'रात' । राती देखो 'ती' । रात स्त्री० [अ०] दान, पुण्य खैराती - वि० दान लेने वाला - पु० खराद का कार्य करने वाली जाति या इस जाति का व्यक्ति । राव पु० १ हाथी दांत की पूड़ी बनाने या लकड़ी के खिलौने बोडस- देखो 'मोड' आदि बनाने का यंत्र । २ देखो 'खैरात' | खराबी - पु० १ चूड़ी आदि बनाने का कार्य करने वाला कारीवर २ मुसलमानों की एक जाति । ३ बढ़ई। ४ देखो 'खराती' । खरायत - देखो 'खैरात' । ० खांसने का शब्द खाही Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खगाह पु० पीलापन लिये सफेद रंग का घोड़ा । खो- पु० १ खंजन । २ सूर्यं । ३ पुण्य । ४ सम्मान । ५ भय । ६ नाश, संहार । ७ गर्त, गड्ढा । ८ एक प्रकार का खेल । खो' - स्त्री० १ खोज । २ गुफा, कंदरा । ३ एक देशी खेल । खो खौ पु० दूध का खोया, मावा. फीटी 1 खोको पु० १ हल्की या पुरानी लकड़ी की पेटी जिसमें सामान पेक किया जाता है । २ खाली पात्र । ३ शमी वृक्ष की फली । खोड़-स्त्री० [सं०] वोट] १ ऐब बुरी बादत २ दोष गुण 1 ३ कमी कसर । ४ शत्रु सेना । ५ धूर्तता, चालाकी । T देखो 'खोळ' | ६ कलंक । ७ बुरी बीमारी । ६ देखो 'खोड' | खोजारौ खोड़ियो - पु० [सं० खोल] १ हनुमान । २ कंधा । ३ देखो 'खोड़ी' । खोड़ी - स्त्री० खेत की मेढ़ पर बनी पगडंडी या संकरा रास्ता । यति (ती) देखो राती'। री-पु० है एक फूल विशेष २ एक वृक्ष विशेष -द-५० खोड़ीलाई स्त्री० १ व्यर्थ की छेड़छाड़ २ परेशान करने की वृक्ष का गोंद । क्रिया । ३ शरारत, शैतानी, दुष्टता । ४ विघ्न, बाधा । खैर - देखो 'वे"। खोड़की - वि० लंगड़ी । स्त्री० १ बच्चों का एक खेल । २ बलों का एक रोग । खोड़चौ- पु० सुनार, लुहारों के ऐरन के नीचे लगा रहने वाला मोटा लकड़ा - वि० लंगड़ा । । खोडाणी (बी), पोडावती (बी) लंगड़ाना | खोड़ियाळ - स्त्री० चारण वंशोत्पन्न एक देवी । वि० बाधक विघ्नकारक । खोड़ीला - वि० (स्त्री० खोड़ीली ) १ व्यर्थ की छेड़-छाड़ करने वाला । २ बाधा डालने वाला, व्यवधान डालने वाला । ३ चिड़चिड़े स्वभाववाला । ४ शरारती तानष्ट | ५ विघ्नकारक, बाधक । " For Private And Personal Use Only खोड़, खोड़ो- वि० (स्त्री० खोड़ी) लंगड़ा । - पु० कैदी का पांव डालकर कैद किया जाने वाला एक उपकरण । खोज-स्त्री० १ तलाश छान-बीन २ अनुसंधान, गोध ३ पदचिह्न । ४ निशान, चिह्न । ५ पता, ठिकाना । ६ पूछ-ताछ । ७ वंश, कुल 1 खोजक - वि० ० १ तलाश करने वाला । २ शोधकर्त्ता, गवेषक । खोजरणी (बौ) - क्रि० १ तलाश करना ढूंढना । २ अनुसंधान, शोध करना । ३ पद चिह्न देखना । खोजागो (बी), खोजावणी (बो०ि १ ला कराना, ढ़वाना । २ शोध कराना । ३ पद चिह्न दिखाना । Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खोजी www.kobatirth.org T ( ३०२ ) खोजी - वि० १ ढूंढने, तलाश करने वाला । २ पद चिह्न विशेषज्ञ । पु० वह ऊंट जिसके जन्म से ही अंडकोश की गोली न हो। बोजी० [फा०] [रवाजा १ नपुंसक व्यक्ति जो मुसलमानी ] रनिवास का द्वाररक्षक होता था। २ बकरी के बालों की । । दरी ३ नपुंसक व्यक्ति ४ विना गोली के अंडकोशों वाला ऊंट । ५ सेवक, धनुचर वि० वह जो महलों में सेवा करने के लिए हिजड़ा बनाया गया हो । बोओ पु० [फा०] १ व २ छोटा चैना खोटंगो - वि० (स्त्री० खोटंगी) १ छली, कपटी, धूर्त २ अंगहीन, अंग-भंग | खोट-स्त्री० [सं० क्षोट] १ भूल, गलती । २ अशुद्धि । ३ दोष अवगुण । ४ मिलावट ५ कपट, छल । ६ पाप । ७ अपराध । ८ हानि, क्षय, कमी 8 कलंक । १० काम से जी चुराने का भाव । ११ असत्य झूठ। वि० १ लंगड़ा । २ मिथ्यावादी । ३ नाशवान गौ-वि० छली, कपटी, धूर्त। अंगहीन करमी, करमौ-वि० - दूषित कर्म करने वाला पापी छली कपटी व्यभिचारी खोवाड़ी-पु० [सं० खोज] १ र २ बीर बहादुर । । । । । - खबाड़ स्त्री० भूल-चूक । खोथ पु० ऊंट या बकरी के बाल उड़ने का एक रोग । खोटड़-वि. बलवान, शक्तिशाली । खो खोपी पु० (स्त्री० पोथी बोली) बोतरी (बी) पु० वह ऊंट जिसके शरीर के बाल उड़ गये हों। खोतौ- - पु० १ ऊन के अन्दर का मेल । २ गधा। वि० १ जाति च्युत । २ देखो 'खोथी' । १ बिना साफ की हुई ऊन का गुच्छा । २ खोथ रोग से पीड़ित ऊंट या बकरी ३ नपुंसक, हिजड़ा। खोद पु० [फा०] १ लोह का टोप शिरा २ खुदाई। शिरत्राण । atri (at) - क्रि० [सं० खन् ] १ जमीन या किसी स्थान की खुदाई करना । २ उखाड़ना । ३ बर्तनों आदि पर खुदाई का कार्य करना, नक्काशी करना । खोदरड़ी पु०हस्थ संबंधी कार्यों का सिलमिता ', खोदाई स्त्री० १ उदंडता उज्जडपन लिन २ देखो 'खुदाई" । खोदाणी (बौं), खोदावणी (बौ) - क्रि० १ जमीन या किसी स्थान की खुदाई कराना। २ उखड़वाना । ३ बर्तनों पर नक्काशी कराना । खोटण-स्त्री० बालों को कूटकर अनाज निकालने का डंडा । खोटर (बौ) - क्रि० १ ठोकना । २ पीटना । छोटी छोटी (बी) ५०१ प्बल २ हीच क्रिया गुप्तांग । । पोट-रखी वि० कपटी पूर्त छलिया पोट खोटहडियो-वि० १ वीर बहादुर २ फूला हुआ। ३] विस्तृत 1 । २ क्षुद्रता, तुच्छता । ५ हरामखोरी । ६ श्रालस्य । पोटाई स्वी० [१] बुराई, धवगुण ३ मिलावट । ४ कपट, छल । खत्री० सीमा हद 1 खोटी - क्रि० वि० १ प्रतीक्षा में, इन्तजार में । २ व्यर्थ में । -स्त्री० प्रतीक्षा, इन्तजार - वि० दोषपूर्ण । खराब | - कथ - स्त्री० ० झूठी बात । खोटीपी- पु० १ विलम्ब देर । २ कार्य का व्यवधान । ३ कार्य रुके रहने की दशा । ४ प्रतीक्षा में व्यर्थ गंवाया हुआ समय । छोटी ० स्त्री० [खोटी वी, दोषी। २ बुरा, अनुचित । ३ मिथ्यावादी, झूठा ४ कामचोर । ५ निकम्मा | ६ विकट, भयंकर । ७ भाग्यहीन, अभागा । जो खरा न हो । ६ अशुद्ध । " खोड- पु० [सं०] १ नाश होने वाली वस्तु । २ शंख । ३ शरीर । ४ जंगल । स्त्री० ५ खेतों में क्यारी बनाने की विधि | ६ देखो 'खेड' । ७ लकड़ी, काष्ठ। वि० १ नाशवान । २ लंगड़ा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खोडसोपचार- देखो 'सोडसोपचार' । खोडि, (डी) - स्त्री० १ कमी न्यूनता । २ चूरा, भूसा ३ दाढ़ी बनाने का रेजर । ४ एक कृषि उपकरण । ५ बेरों को कूटकर महीन किया हुआ चूर्ण । ६ मुरट नामक घास के बीज । ७ देखो 'खोडी' । खोपड़ी छोटी पु० १ वेत की पारी २ नमक को क्यारी । ३ साद । । खाद्य पदार्थ विशेष । , खोल खणा, (णि खी) स्त्री० [सं०] सोणि] पृथ्वी धरती । खो' णौ (बौ) - देखो 'खासगी' (बी) । खोणी (at) - क्रि० १ गंवाना, खोना । २ नष्ट करना, नाश करना । ३ हाथ से निकल जाने देना । खोत - देखो 'खोथ' । खोतरणी (बौ) - क्रि० कुरेदना । कुचरना । रगड़ना । खोतलौ - देखो, 'खोथली' । , खोदालाग स्त्री० नये आबाद गांवों व ढाणियों वालों से वसूल किया जाने वाला एक कर । खोबी खो-देखो 'खोदो' । खोध-पु० कोष, शेष, गुस्सा For Private And Personal Use Only खोनेड़ी-स्त्री० [सं० खन् । मिट्टी की खदान खान । खोपड़ी - स्त्री० [सं० कर्पूर ] १ शिर का ऊपरी भाग, ऊपरी हड्डी | २ कपाल | ३ मस्तक । ४ बूढ़ी गाय | खोपड़ी - पु० १ नारियल । २ नारियल की गिरी का श्राधा भाग । ३ सिर कपाल ४ बूढ़ा बैल 1 Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खोपयो ( २०३ ) खौंगाळ खोपणो (बी)-क्रि. १ रोपना,गाड़ना । २ चुभाना। ४ धंसाना। ११ मन की बात कहना । १२ नष्ट करना। १३ वस्त्र खोपरी-देखो 'खोपड़ी। पादि उतारना। खोपरेल-पु० नारियल का तेल । खोलदी-स्त्री० धनाढ्यों या गैर कृषकों से लिया जाने वाला कर। खोपरौ-देखो 'खोपड़ौ'। खोळारणौ (बौ) देखो 'खंखोळारणो' (बी)। खोपाणी (बो) खोपावणो (बो)-क्रि० १ रोपाना, रुपवाना। खोलाणौ (बौ), खोलावरणौ. (बी)-क्रि० १ ढक्कन हटवाना, खुला गड़वाना । २ चभवाना । ३ धंसवाना। कराना। २ जुड़े हुऐ को अलग करवाना। ३ अवरोध हटवाना, खोपी-स्त्री० मस्तक का ऊपरी भाग । रोक हटवाना । ४ आवरण हटवाना। ५ बंधन खोपो-पु० (स्त्री० खोपी) वृद्ध बैल ।। मुक्त करवाना। ६ कड़वाना । ७ चालु करवाना। प्रारम्भ खोबाबाजी-स्त्री० अफीम का पानी चुल्लू में भर कर पीने या करवाना । ९ शिकार के पशु की चमड़ी उतरवाना । १० मन पिलाने की क्रिया। की बात उगलवाना । ११ भेद या रहस्य खुलवाना। खोबो-पु. अंजली। १२ नष्ट कराना । १३ वस्त्रादि उतरवाना। खोभ-पु० [सं० क्षोभ] १ भय, घबराहट । २ दुःख, रंज। खोळायत (ती)-वि० गोदलिया हुआ, दत्तक । ३ शोक, पश्चाताप । ४ क्रोध । ५ सोच, फिक्र । ६ रोपाई, | खोळीयौ-देखो 'खोळी' । रोप। खोळी-स्त्री० १ गिलाफ, आवरण । २ झोली। ३ केसर का खोमणी (वी)-क्रि० १ घबराना । २ दु:ख या रज करना । शरीर पर किया हुमा लेप । ३ ऊंट के चारजामे का एक ३ शोक या पश्चाताप करना । ४ क्रोध करना । ५ फिक्र वस्त्र विशेष । करना । ६ रोपना। खोळीड़ी-स्त्री० बोने के बीज की थैली जो कृषक के कमर में खोम-स्त्री० बुर्ज। बंधी रहती है। खोमणी-स्त्री० सोने या चांदी की गोली बनाने का उपकरण। खोळी-प०१ शरीर, गात । २ गोद, अक। ३ प्रावरण । खोय-पु० दोष, कलंक। ४ गिलाफ । ५ भैंस । ६ देखो 'खोळो' । खोयण-स्त्री० अक्षौहिनी सेना। खोवरणी-वि० १ नाश करने वाला। २ गुमाने वाला। खोर-पु० १ बाल कटाई, क्षौर कर्म, हजामत । २ कुत्रों के मालिकों | | खोवरणौ (बी)-देखो 'खोणी' (बौ) । से लिया जाने वाला कर । ३ देखो 'खौर' । -वि० खो'वरपी (बी)-देखो 'खोसणी' (बी)। १ लंगड़ा। २ शब्दों के आगे लग कर 'वाला' अर्थ देने वाला खोबाखू दौ-पु० १ लूट-पाट । २ छीना-झपटी । ३ मारकाट । प्रत्यय । खोवारणी (बौ)-क्रि० १ नष्ट कराना, नाश कराना । २ हाथ खोरडी-पु०१ एक प्रकार का घोड़ा । २ वृद्ध । से निकल जाने का अवसर देना । ३ गुम कराना, खोरो-देखो ‘खौरी'। गमवाना। खोळ-पु० १ पर्वतों का दर्रा । २ शरीर, गात । ३ अंक, गोद । ' खो'वारणी (बौ)-क्रि० १ नष्ट कराना। २ देखो 'खोसाणी' (बी)। ४ प्रावरण, गिलाफ । ५ खोखला भाग । ६ दुल्हिन की खोसरणी (बी)-क्रि० १ छीनना, झपटना । २ लूटना, डाका झोली भरने की क्रिया या रस्म । ७ सिंह की मांद । डालना । ३ जबरदस्ती ले लेना । ४ गुमाना, खो देना। ८ देखो 'खोळो'। खोसरी-पु० वेश्या का दलाल । खोलड़ (डौ)-पु० खंडहर । खोसारणी (बौ), खोसाबरणी (बौ)-क्रि० १ छीना-झपटी कराना । खोलजोळियौ-देखो 'कोळजोळियौ' । २ लुटवाना, डाका डलवाना । ३ जबरदस्ती लिवा लेना। खोळरण-पु० १ देवमूर्ति का प्रक्षालन कराया हुआ जल, चरणा-खासा पु० लुटरा, डा शा-खोसी-पु० लुटेरा, डाकू। मृत । २ धोवण। ३ पात्रादि को धोकर लिया गया जल। | खोह-स्त्री० [सं० गुहा] १ गुफा, कन्दरा । २ बड़े पेड़ के तने ___ का खोखलापन । ३ सूखने, सोखने या झुलसने का भाव । खोलणी (बो)-देखो 'खंखोळणौ' (बी)। खोहण (एपी)-स्त्री० अक्षौहिणी सेना। खोलणौ (बी)-क्रि०१ढक्कन हटाना, खुला करना । २ जुड़ खोहल देखो खोह'। हए को अलग करना । ३ अवरोध या रोक हटाना। खोहळी-पु० १ पानी का गड्ढा । २ जलाशय । ३ देखो 'खोळी' । ४ ग्रावरण हटाना । ५ बंधन मुक्त करना । ६ फाड़ना।। ७ चालु करना, जारी करना । ८ प्रारम्भ करना । ९ शिकार | खोहिरण (रिण, पी)-देखो 'खोहग'। के पशु की चमड़ी उतारना । १० भेद, रहस्य प्रगट करना। खौगाळ-देखो 'खोगाळ' । For Private And Personal Use Only Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खडी गंगा औंडो-देखो 'खांडो'। ६ यश, ख्याति । -वि०१ प्रसिद्ध । २ विदित । औखाट--देखो 'खेंखाट'। ख्यातवी, ख्याति-स्त्री० [सं० ख्यातः] १ प्रसिद्धि, यश । औड़ों-१ देखो 'खोड़' । २ देखो ‘खोळ' । शौहरत । २ गौरव । ३ पदवी, उपाधि । ४ प्रशंसा । खोड-पु० १ शंख । २ देखी 'खोड़ो' । ५ वर्णन। ६ ज्ञान। खोडियो-पु. खजूर नामक फल । ख्याल-पु० [अ० खयाल] १ ध्यान, विचार स्मृति, याद । खौडी-देखो 'खोडी'। २ अनुमान, अंदाज, कल्पना । ३ भाव, सम्मति । ४ मादर, खोडौ-देखो 'खोडौ। लिहाज । ५ एक गायन विशेष । ६ खेल, क्रीड़ा । ७ नाचखोबो-पृ० बिना बधिया किया बैल, सांड, बिजार । २ उद्दण्ड गाना । ८ हंसी-मजाक । ९ इतिवृत्तात्मक प्रेमगाथा जो एव बदमाश व्यक्ति । ३ उज्जड़, अड़ियल । अभिनय के साथ नाच-गा के सुनाई जाय । खोप (क)-पु० [अ० खौफ] १ डर, भय, आतंक । २ सदमा। ख्यालक-वि० १ ख्याल करने वाला।२ कलाकार । ३ वाद्यकार। ३ खतरा, जोखम । ४ संदेह, सुबहा । ख्यालवती-स्त्री० हंसी, दिल्लगी करने वाली। खोर--स्त्री० १ वृद्ध मादा ऊंट, वृद्ध ऊंटनी। देखो 'खोर'। ख्याली-वि० [अ० खयाली] १ मन-गढन्त, कल्पित । २ फर्जी, खोरी-पु. १ खजली का एक रोग। २ बालों के नीचे जमने झूठी । ३ खन्ती, सनकी । ४ ख्याल संबंधी। __ वाला मैल । ३ भैस । ४ वृद्ध ऊंटनी । ख्योगी-स्त्री० [सं० क्षोणी] पृथ्वी, धरा । -पति-पु. राजा, खोळ, खौ'ळ-स्त्री. १ कोमल घाम । २ टीका । ३ पर्वत की | नरेश । गुफा । ४ देखो 'खोळ' ।। खब-देखो 'खरब'। खोळायत (ती)-देखो 'खोळायत' । ख्वाजा-पु० [फा०] १ मालिक सरदार । २ ऊंचा फकीर । खोळियो-पु. १ शरीर, देह । २ देखो 'खोळो'। ३ नबाबों के हरम का नपुसक प्रहरी । ४ अजमेर की एक खोळो, खोळो-पु० १ गोद, अक । २ पहने हुए वस्त्र का कुछ दरगाह । ५ एक बादशाही पद । डालने के लिए बनाया हुअा झोला । ३ इस झोले में | ख्वाजेसरौ-पु. बादशाह के हरम का नपुसक प्रहरी । पाने वाला सामान । ४ देखो 'खौळ' । ख्वाब-पु० [फा०] स्वप्न । खौहरण-देखो 'खोहण'। ख्वार-वि० [फा०] १ नष्ट, बर्बाद । २ खराब, बेकार । ३ तिरस्कृत । ४ दुर्दशाग्रस्त । ज्यत्री-१ देखो 'क्षत्री'। २ देखो 'खत्री' । स्वारी-स्त्री० [फा०] १ खराबी । २ बरबादी, विनाश । त्यांत-देखो ‘खांत'। ३ अनादार, तिरस्कार । ४ दुर्दशा । ज्यांतीलो-देखो 'खांतीलो' । (स्त्री० ख्यांतीली) ख्वास-देखो 'खवास'। ख्यात-स्त्री० [सं०] १ इतिहास संबंधी विवरण । २ प्रशस्ति ख्वाहिस-स्त्री० [फा०] इच्छा, अभिलाषा । ...-मंव-वि० सूचक रचना । ३ वृत्तान्त, वर्णन । ४ कथा । ५ वन । इच्छुक, अभिलाषी। ग-नागरी लिपि के क वर्ग का तीसरा वर्ण । महादेव । ---वर-पु०सागर, समुद्र ।-वरु-पु० शिव, गं-पु. [स] भजन, गीत ।। महादेव । -वार-पु०-गगाजल । -सिर, सीस-पृ. गंऊ (डो)-पु० [सं० गोधूमः) गेहूं। शिव, महादेव । गंऊंग्राळ (वाळ)-देखो 'गंवाळ' । गंगई-स्त्री० मैना जाति की चिड़िया। गंग--पु. १ अकबर कालीन एक कवि। २ नाक का दाहिना गगला-स्त्री० एक का प्रकार शलजम । छिद्र (योग) । ३ तीर, बाण । ४ गंगा नदी । ५ गंगा-स्त्री० [सं०] १ भारत की एक प्रधान नदी जो हिमालय मकान की नीव । --काज-पु० भीष्म । -गरधर-पु० से निकल कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। २ राजा शिव, महादेव । -जळ-पु० गंगाजल । ...-घर-पु० शिव, शांतनु की स्त्री, भीष्म की माता । --वि० श्वेत, सफेद, For Private And Personal Use Only Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गंगिकाज उज्ज्वल*। -गड़दी, गडदी-स्त्री०-हुंकार की आवाज । ११ युद्ध । १२ कोष, खजाना । -जमना, जमनी-स्त्री०-दो पदार्थों के मेल से बनी | गंजका-स्त्री० एक वणिक छंद विशेष । वस्तु । एक प्रकार की चिलम । एक वस्त्र विशेष । एक | गंजगोळी-पु० तोप का वह गोला जिसमें छोटी-छोटी गोलियां प्रकार का प्राभूषण विशेष । एक देशी खेल । -वि.दुरंगा,| भरी हों। श्वेत-श्याम*। -जळ-पु०गंगा नदी का पवित्र जल। गंजण (न)-पु० [सं. गंजन] संगीत का एक ताल भेद । -वि. घोड़ों की एक जाति, उक्त जाति का घोड़ा। एक । नाश करने वाला, मिटाने वाला। २ पराजित करने उत्तम श्रेणी का वस्त्र । डिंगल के वेलियो साणोर का एक वाला। ३ दबाने वाला। भेद । --जळी-पु०कांच या धातु का बना एक पात्र | गंजणरोर-पु. १ मेघ, बादल । २ ईश्वर । ३ दातार । विशेष । टोंटीदार जल पात्र । एक प्रकार का प्रश्व । मृतक | गजणा-दखा 'मजण । की अस्थियां गंगा प्रवेश करने के उपरांत निश्चित समय पर | गंजरणी (बी)-क्रि० १ नाश करना, नष्ट करना, मारना । किया जाने वाला भोज । -जात्रा-स्त्री गंगा की | २ जीतना पराजित करना। ३. दबाना, दमन करना । यात्रा। मृत्यु के समय गंगा की ओर गमन । मृत्यु । गंजबाळ-वि० १ पराजित करने वाला । २ नष्ट करने वाला। -समी-स्त्री० ज्येष्ठ शुक्ला दशमी। -द्वार-पु० मंगा गंजा-स्त्री० खदान, खान । का उद्गम स्थल । हरिद्वार । -धर-पु. शिव महादेव। गंजाग्रह-पु० [सं. गंजागृह] शराब खाना । एक औषधि विशेष । चौबीस अक्षरों का एक वर्णवृत्त । गंजार-स्त्री० १ तोप की आवाज । २ देखो ‘गुजार'। -नंद, नंदरण-पु० स्वामिकात्तिकेय । भीष्म। -पथ-पु० गंजी-स्त्री० १ कपड़े की सिली हुई बनियान । २ गुड़ और चावल गंगा का रास्ता । आकाश, व्योम । आकाश गंगा। के साथ बना खाद्य पदार्थ (मेवात) । ३ बिना बालों की। -पुत्र-पु० भीष्म । स्वामिकात्तिकेय । गंगाघाट के पंडे। गंजीफा-पु० [फा०] ताश का एक खेल विशेष । गंगा नदी से प्राप्त छोटे-छोटे पत्थर । -मग-पु० | गंजेकेरू-पु. भीम । आकाश । तोन की संख्या* । ----सपतमी, सप्तमी-स्त्री० गंजेडी-वि० गांजे का नशेबाज । वैशाख शुक्ला सप्तमी। -सागर-पु. कलकत्ते के पास गंजो-वि० [सं० कंज] गंज रोग से उड़े बालों वाला, गंजा। का एक तीर्थ जहां गंगा समुद्र में मिलती है । एक टोंटीदार | -पु० गांजा। जल पात्र -सुत-पु० भीष्म । स्वामिकात्तिकेय । गंठ-देखो 'गांठ'। गंगिकाज-पु. १ गंगा सुत, भीष्म । २ स्वामिकात्तिकेय । गंठकटौ-वि० जेब कतरा, चोर । गंगेउ (ऊ)-देखो 'गांगेय'। मंठड़ी-देखो 'गांठ'। गंगेड़-स्त्री० १ नशा । २ नशे की दशा में आने वाला चक्र। गंठडो-देखो 'गंठो' । गंगेड़ियो, गंगड़ो-१ देखो 'घडोटियो' । २ देखो 'गांगूडो'। गठजोड़ो-देखो 'गठजोड़ो'। गंगेटियो-पु०१ जाति विशेष का घोड़ा । २ देखो 'घड़ोटियो'। | गंठणी (बो)-क्रि० [सं० ग्रंथन्] १ गांठा जाना । २ मित्रता गंगेय-देखो, 'गांगेय'। होना । ३ धन प्राप्त होना, मिलना। ४ जूती की सिलाई गंगेरण-पु० [सं० गांगेरुकी] नागबला । किया जाना । ५ कस कर बंधना। गंगेव-देखो 'गांगेय'। गंठाई-स्त्री. १ गांठने या सीने का कार्य । २ ऐसे कार्य की गंगेस-पु० [सं० गंगेश] शिव, महादेव । __ मजदूरी। ३ मित्रता। गंगोतरी-स्त्री० [सं० गंगावतार] गंगा का उद्गम स्थल ।। गंठाणी (बी), गंठावरणौ (बौ)-क्रि० १ गंठवाना । २ मित्रता कराना । ३ धन प्राप्त कराना। ४ जूता सिलवाना । ५ कस गंगोद (बक)-पु० [सं०] १ गंगाजल । २ चौबीस अक्षरों का | कर बंधवाना। एक वर्ण वृत्त । गंठि-देखो 'गांठ'। गंगोळियौ-पु. एक प्रकार का नींबू । गंठियो, गंठीलियौ-पु० [सं० ग्रथिल] १ जमीन पर छितराने गंज-पु० [सं० कंज] १ शिर के बाल उड़ने का एक रोग । २ ।। वाला एक घास । २ एक प्रकार का बात रोग। शरीर में फुसियां उठने का एक रोग । ३ चौबीस अक्षरों ३ देखो 'गांठियो'। का एक वर्ण वृत्त । ४ काव्य छंद का एक भेद । ५ ज्यो- गंठेली-वि० गांठ वाला। तिष के २७ योगों में से एक। [सं. गंजा] ६ शराब। गंठो-पु० [स० ग्रथिक] १ गांठ, गट्टर, बोझा । २ ऊंट पर लादा ७ शराबघर । ८ ढेर, समूह । ९ घुघची। १० ऊंट। जाने वाला लकड़ियों का गट्टर। For Private And Personal Use Only Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गंधार गंड-पु० [सं०] १ कनपटी, गंडस्थल । २ हाथी का कुम्भस्थल । बाला, भ्रष्ट । ५ सड़ा हुआ, बदबूदार । -पु. ऊंट के ३ तावीज, गंडा । ४ मलद्वार, गुदा । बालों की बनी दरी । -पाणी-पु० शराब, मद्य । गंडक (डौ)-पु० (स्त्री० गंडकी, गंडकड़ी) कुत्ता, श्वान ।। धातु, वीर्य। गंडको-स्त्री० १ भारत की एक नदी । २ एक ताल विशेष । गंद्रप, गंद्रव-१ देखो 'गंधक' । २ देखो 'गंधरव' । ३ कुतिया। गंध-स्त्री० [सं०] १ वास, बू । २ सुगंध । ३ बदबू । ४ पृथ्वी गडमाळ-स्त्री० [सं० गंडमाला] १ गले में ग्रंथियां होने का एक तत्त्व का गुण । ५ गंधक । ६ सुगंधित द्रव्य । ७ चंदन । रोग । २ घोड़े का एक रोग । -रस-पाळक-पु० भौंरा, भ्रमर । गंडसूर-पु० ग्राम शुकर, टट्टी खाने वाला सूपर। गंधक-स्त्री० [सं०] १ एक पीला खनिज पदार्थ जो औषधि व गंडासी (सौ)-स्त्री०१ किसी वस्तु को पकड़ने का औजार । । बारूद बनाने के काम आता है । -वि० पीत, पीला*। संडासी । २ एक प्रकार शस्त्र । ३ झाड़ी आदि काटने का -वटो-स्त्री० एक औषधि विशेष । उपकरण। गंधगज-पु० [सं०] मस्त हाथी । गंडियो-देखो 'गांडू'। गंधगात-पु० [सं०] चंदन । गंडी-स्त्री० १ दीपावली पर बनी मोर पंख की माला ।। गधग्राही (जांण)-स्त्री० घ्राणेन्द्रिय, नासिका। (मेवात) । २ मूर्ख स्त्री । ३ देखो 'गांड' । गंधपत्र-पु० तमाल-पत्र । गंडूपदभव-पु० [सं०] १ शीशा नामक धातु । २ जस्ता। गंधबह-देखो 'गंधवाह'। गंडूपदी-पु० एक कीट विशेष, गिजाई। गंधमद, गंधमाद-पु० हाथी, गज । गडो-पु० [सं० गंडक] १ गांठ, ग्रथि । २ ताबीज के लिए | | गंधमादन-पु० [सं०] एक प्रसिद्ध पर्वत का नाम । बांधा जाने वाला गांठदार धागा, ताबीज, गंडा ।। गंधमायण-देखो 'गंधमादन'। ३ घोड़े की गर्दन का बंध । ४ ईख का पौधा । गतव्य-वि० [सं०] १ जानने योग्य । २ गम्य । ३ निर्धारित गंधम्रग-पु० [सं० गंधमग] कस्तूरी मृग । . लक्ष्य। गंधरब (व), गंधव-पु० [सं० गंधर्व] १ एक देव जाति जो गंता-वि० राहगीर, यात्री । गायन कार्य करते थी। २ घोड़ा । ३ गवैयों का भेद । गवक-देखो 'गंधक'। ४ कस्तूरी मृग । ५ काली कोयल । ६ एक जाति जिसकी गदगी-स्त्री० [फा०] १ मलिनता, मैलापन । २ मल, मैल। कन्यायें वेश्यावृत्ति व गायन करती हैं। --विद्या-स्त्री. ३ कूड़ा, कचरा । ४ अशुद्धता, अपवित्रता । ५ दुर्गन्ध । संगीत । -विवाह-पु० प्रेम विवाह । -वेद-पु० चार ६ भ्रष्टता। उपवेदों में से एक। गंदणी (बी)-देखो 'गोदणी' (बी) | गंधवती-स्त्री० एक पौराणिक नगरी। गदरप-१ देखो 'गंधरव' । २ देखो 'गंधक'। गंधवह, (वहण)-पु० [सं० गंधवाह] १ वायु, हवा । २ नाक, गवळ-स्त्री० [सं० कंदल] १ कोंपल, किसलय । २ मूली, प्याज नासिका। ___ प्रादि की रसदार कच्ची नाल । गंधवाद-पु० बहत्तर कलाओं में से एक । नंबळी-वि० (स्त्री० गंदळी) १ मैला, कुचेला। २ गंदा। | गंधवाह-पु० [सं०] १ वायु, पवन । २ नाक, नासिका। ३ अपवित्र । -पु० गंदला पानी। -सुत-पु० भीम । हनुमान । गंदाबगळ-पु० दोनों बगल में भौंरियों वाला घोड़ा। गंधविरोजा-पु० चीड़ वृक्ष का गोंद । गंदियो -पु० १ गेहूं की फसल के साथ होने वाला एक घास । गंधसार-पु० [सं०] चंदन । २ वर्षा ऋतु में होने वाला एक कोट । ३ देखो 'गंदी'। | गंधसुख-पु० [सं०] भ्रमर, मधुप । गंदीवाड़ी-पु० १ गंदगी मैलापन । २ किसी स्थान पर पड़ा हुआ | गंधहर-पु० [सं०] नासिका, नाक । कूड़ा, कचरा, मल । ३ भ्रष्टाचार । गंधहस्ती-पु० [सं०] मदोन्मत्त हस्ती। गंदेली, गंदोली-स्त्री० एक खुशबूदार घास । गंधार-स्त्री० [सं० गांधार] १ सिंधु नदी के पश्चिम का प्रदेश । गंदी-वि० [फा० गंदा] (स्त्री० गंदी) १ मैला, कुचेला, गंदा । २ इस प्रदेश का निवासी । ३ सगीत में एक स्वर । २ मलिन, अशुद्ध । ३ घिनौना । ४ गंदे कार्य करने । ४ प्राणवायु । ५ स्वरस्थान, नासिका । ६ एक राग For Private And Personal Use Only Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org गंधारि ( ३०७ ) गगनांगना विशेष । -पंचम-स्त्री० एक मांगलिक राग। -भैरव-ग-पु० [सं.] १ श्रीकृष्ण। २ गणेश । ३ प्रधान व्यक्ति । पु० एक राग विशेष । ४ हाथ । ५ पक्षी । ६ प्रारण । ७ जल । ८ एक राग । गंधारि (री)-स्त्री० [सं० गांधारी] १ गांधार देश की राज ९ वायु । १० गंध । ११ प्रीति १२ छंदशास्त्र में गुरु कन्या । २ धृतराष्ट्र की पत्नी व कौरवों की माता । बोध सूचक अक्षर । १३ गंधर्व । ३ मेघराग । ४ गांजा । [सं० गंधहारिन्] ५ हवा, पवन । गईद, गवरु (रू)-१० [स. गजेन्द्र, गजवर] हाथी, गज । ६ शरीरस्थ नो नाड़ियों में से एक । गइ-१ देखो गति' २ देखो, 'गज'। गंधिनी-स्त्री० मदिरा, शराब। गइजह-पु० [सं० गज-युथ] हस्ती समूह, गज-समूह । गंधियौ-देखो 'गंदियो। गइणंग गइणग, गइणांग (गि, रिण) देखो 'गगन' गंधी-देखो 'गांधी'। गइन-१ देखो, 'गजेंद्र' २ देखो, गहन ३ देखो 'गगन' । गंधीलो-१ देखो 'गंदौ' । २ देखो 'गंदियौ' । गइली-स्त्री० सवारी। -वि० पगली। गंधीवाड़ो-देखो 'गंदीवाहो' । गइलौ-पु० रास्ता, पथ । -वि० पागल। गंघेल. (धेल)-पू. एक खुशबूदार घास । गई व (ध)-देखो गईंद' गंध्रप, (ब व)-देखो 'गंधरव' । गई-स्त्री० [सं० गति] १ गति । २ गमन । ३ मार्ग। ४ गंध्रवपति. (पती)-पु० गंधर्व पति, कुबेर । उपाय । ५ दशा ।६ धूप। ७ किसी बात को छोड़ देने की गंभारी-स्त्री० [सं०] एक वृक्ष विशेष । क्रिया या भाव । -वाळ-वि० अयोग्य । अपात्र । गंभारी-पु. गर्भ-गृह ।। ----वाळरण-वि० गुमी हुई को प्राप्त करने वाला । गंभीर-वि० [सं०] १ गहरा, अथाह । २ सघन, घना, गहन । गउ-देखो 'गऊ'-खांनी 'गऊखांनौ' ३ गूढ, जटिल । ४ घोर, महा, भारी। ५ शांत, सौम्य । | गउख-देखो गऊख' २ संगीन । ७ दृढ़ । ८ दुरभिगम्य । -पु० १ समुद्र । गउधूळक-देखो 'गोधुळिक' । २ कमल । ३ शिव । ४ एक राग । ५ गुदा में होने वाला गउर (उ)-पु० [सं० गौरव] १ वर के सम्मानार्थ कन्यापक्ष की एक फोड़ा । ६ नीम्बू । ___ोर से दिया जाने वाला भोजन । -स्त्री० [सं० गौ] गंभीरता-स्त्री० १ गहराई । २ गहनता, घनत्व । ३ गूढता । २ पृथ्वी, भूमि । ३ देखो 'गवर' । ४ देखो 'गऊ' । ४ घोर व संगीन होने की दशा । ५ शांति, सौम्यता। | गउव-देखो 'मऊ'। ६ दृढ़ता । ७ बड़प्पन, गौरव । ८ दुर्गम्यता। गऊ-पु० गेहू नामक अनाज । गंभीरवेदी-पु० अंकुश की परवाह न करने वाला हाथी। गऊ (ब)-स्त्री० [सं० गौ] गाय, गौ। --खांनौ-पु० गौशाला। गंभीरा-स्त्री० एक नदी विशेष । २ बैलगाड़ियां, रथ आदि रखने का स्थान व इनकी व्यवस्था गंभीरिमा-स्त्री० गंभीरता, गहरापन । करने का राजकीय विभाग । -चरौ-पु० गोचर । -बानगंभीरी-पु० समुद्र। पु० गाय का दान, गौदान । ---भेक, भेख-वि० भोला भाला, गंमर-पु० गर्व, दर्प। सीधा मादा। कायर। -मुख='गोमुख'।-मुखी- 'गोमुखी' । गंमार, गंवार-वि० [सं० ग्राम्य] (स्त्री० गंवारी) १ ग्रामीण, गऊडौ-स्त्री० [सं० गौ] गाय का वंशज । बैल । -वि. देहाती। २ असभ्य, अनाड़ी। ३ मूर्ख । ४ अनजान । गरीब. निर्जल।। अज्ञानी। | गएण, गगण (न, न)-पु० [सं० गगन] १ प्राकाश, नभ । गंवारिया-स्त्री० चूड़ी, कांच, कंधे का व्यवसाय करने वाली २ अन्तरिक्ष । ३ शून्य । ४ स्वर्ग । ५ छप्पय छंद का ६१ वा एक जाति । भेद। ६ प्रार्या का एक भेद । -कुसुम-पु० आकाश गंवारी-स्त्री० १ गंवारपन, देहातीपन, ग्रामीणता । पुष्प । ---गति,चर-पु० नभचारी । पक्षी। विमान । सूर्य, २ मूर्खता। ३ अज्ञानता। चन्द्रादि ग्रह । देवता । असुर । बादल । --ध्वज-पु० सूर्य । गंवारू-वि० १ गंवार की तरह । २ गंवार जैसा। ३असभ्यता | बादल । -पति-पु० इन्द्र । --भेदी-वि० अधिक ऊंचा। पूर्ण । अधिक जोर का । --मंडळ-पु. नभमंडल । मस्तिष्क । गंवाळ-पु० [सं० गोधुममाल] रबी की फसल की भूमि । --मिण-पु० सूर्य । -वटी-पु. सूर्य। --वांगी-स्त्री. गंस-स्त्री० १ क्रोध, गुस्सा । २ ईर्ष्या, द्वेष । ३ ग्रथि, आकाशवारणी । --स्परसी-वि० गगनचुम्बी। गांठ । ४ कसक । ५ व्यंग्योक्ति, ताना । गगनांगना-स्त्री० देवांगना, अप्सरा। For Private And Personal Use Only Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गगनांग । ३०८ ) गज गगनांग-पु० एक मात्रिक छंद विशेष । कार्य । ४ अव्यवस्था, कुप्रबंध । ५ खराबी। -बि० १ ऊंचागगनांबु-पु० वर्षा का पानी, वृष्टि-जल । नीचा । २ क्रमविहीन । ३ अनियमित । ४ बुरा, खराब । गगनाग-पु० मात्रिक छंद विशेष ।। गड़बड़ाट-स्त्री० १ घबराहट । २ गड़बड़ी। गगनापति (पती)-पु० [सं० गगनपति] सूर्य । बादल । गड़बड़ारणौ (बौ), गड़बड़ावरणौ (बौ)-क्रि० १ क्रम 'भग होना। गगनि-देखो 'गगन'। २ विघ्न पड़ना । ३ भूल पड़ना । ४ घबराना। ५ अव्यगगनेचर-देखो 'गगनचर' । वस्था होना । ६ बिगड़ना, नष्ट होना । ७ खराब करना, गगन्न-देखो 'गगन'। बिगाड़ना। गगरड़ी, गगराडी-स्त्री० मिट्टी का छोटा पात्र जो लक्ष्मी पूजन | गड़बौ-पु० १ टूटा हुआ मिट्टी का पात्र । २ विकृत हिंदवानी में काम आता है। का फल । गगराज-देखो 'गधराज'। गडागड़-पु० १ लुढ़कने का क्रम । २ लुढ़कने की ध्वनि । गग-पु० ऊंट। -क्रि०वि० लुढ़कते हुए। गघराज (राब)-पु० ऊंट। गड़ासंध (सिंध)-पु० सीमा, हद । गधळ-स्त्री० पशुत्रों की जुगाली की ध्वनि । डिदौ-पु. १ लुढ़क कर पड़ने की क्रिया । २ सिर टकराने की गध्धरनिसारणी-स्त्री० निसांणी छंद का एक भेद । ध्वनि । ३ किसी वस्तु के गुड़कने की ध्वनि । गड़ग-देखो 'गिड़कंद'। गड़ियडणौ (बौ) गड़ियणौ (बौ)-१ देखो ‘गड़गड़गो' (बौ)। गड़-पु० [सं० गडु] १ गांठ व पीपदार बड़ा फोड़ा । २ ग्रंथि, २ देखो 'गुडकणी' (बौ)। गांठ । ३ वराहावतार । ४ देखो 'गिड़' । गड़ीजरणी (बौ)-क्रि० [सं० गुर्वरणम्] १ भैस का गर्भ धारण गड़कंव-देखो 'गिड़कंद' । करना । २ गड़ा जाना । गड़करणौ (बो) गड़कारणौ (बौ)-देखो 'गुडकारणौ' (बौ)। गड़ करणी (बौ)-क्रि० १ गड़गड़ शब्द करना । २ गर्जना । गड़क्क-स्त्री० १ डुबकी की आवाज । २ नक्कारे की ध्यनि । ३ मांसाहारी पक्षियों का मस्ती में बोलना । ४ दहाड़ना। गड़क्करणौ (बो)-१ देखो 'गुड़कणौ' (बौ) । २ देखो [ड़कणा (बा) । २ दखा | गड़ स्थल, गड़ थल, गड़ थलौ, गड़ोत्थल, गड़ोथल, गडोयलौ-पु० रथल 'गड़गड़णो' (बी)। कुलांच। गड़गड़-स्त्री०१ गड़गड़ ध्वनि, गड़गड़ाहट । २ तोप की आवाज। ३ नगाड़े की ध्वनि । ४ बादलों की गर्जन । ४ अपच से गड़ स-देखो 'घड़ स'। गड़ी-पु० अोला, हिमकण । पेट में होने वाली ध्वनि । गड़गड़णौ (बो)-क्रि० १ गड़गड़ाहट होना । २ नगाड़े बजना। गडौथळ-देखो 'गङ थल'। ३ गर्जना । ४ दहाड़ना। ५ भागना, दौड़ना । ६ हुक्के गच-स्त्री० १ पैनी वस्तु का किसी में घुसने की क्रिया या की गुडगुड होना । ७ लुढ़कना । ८ कोप करना । ६ तोप ध्वनि । २ प्रांगन का मसाला। ३ मसाला जमाया हुप्रा को आवाज होना । १० समुद्र की ध्वनि करना । ११ मस्ती प्रांगन । से चिंघाड़ना (हाथी)। गचक-पू० धक्का , झटका । गड़गड़ाट-स्त्री० गड़गड़ाहट, गर्जन, ध्वनि । गचकारी (गीरी)-स्त्री० गच भरने का कार्य, चूने का कार्य । गड़गड़ारणौ (बी)-क्रि० १ गड़गड़ाना। २ नगाड़े बजाना। गचगर-पु० गच भरने वाला कारीगर । ३ भगाना, दौड़ाना । ४ लुढ़काना । ५ हुक्का पीना। गचरको-देखो 'गुचरको'। गड़गड़ी-स्त्री० १ अपराधियों को दण्ड देने का एक काष्ठ | गचलाण-देखो 'गिचलाण' । यन्त्र २ बड़ी गिरी। गच्छ-पु० [सं०] १ वृक्ष । २ अंक गणित का पारिभाषिक गड़गड़ौ-देखो गुड़गुडौ। शब्द विशेष । ३ जैन साधुनों का ममूह या समुदाय । गड़गूदड़-पु० चिथड़े, लत्ते । ४ साधु समुदाय । ५ एक ही जैन मम्प्रदाय के अनुयायो । गड़गूबड़ (गूमड़)-पु० फोड़े फुसी का चर्म रोग । गच्छी-स्त्री० मकान की छत । गडडणौ (बौ)-देखो 'गड़गड़णी' (बी)। गछंत-स्त्री० जाने की क्रिया, गमन । गड़त्थल, गड़थलो-देखो 'गड़ थल'। गजंद, द्र)-देखो 'गजेंद्र' । गड़दनी (दांनी)-स्त्री० गर्दन का पिछला भाग। गज-पु० [स०] १ हाथी, हस्ती । २ महिषासुर का पुत्र एक गड़बड़-स्त्री. १ क्रम भंग । २ बाधा, विघ्न । ३ नियम विरुद्ध | राक्षस । ३ राम सेना का एक वानर । ४ गंडासा, परशु। For Private And Personal Use Only Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गज-प्रान गजाबोह ५ एक प्रकार का सर्प । ६ बंदूक में बारूद जमाने की छड़ । --बांक, बाग-पु० हाथी का अंकुश। -बीथो-स्त्री० शुक्र ७ वस्त्र नापने का उपकरण । ८ बैलगाड़ी के पहिये में की गति । --बेल-पु० कातिसार, लोहा । --बोह, बौह- . लगने वाली एक पतली लकड़ी । ९ सारंगी बजाने का 'गजांबोह' । -भांत-पु. एक प्रकार का वस्त्र । धनुषाकार उपकरण । १० ज्योतिष की नक्षत्र वोथियों में -भार, भारा-पू० हाथियों का दल । --भीम-वीर, से एक । ११ आठ की संख्या । १२ चार मात्रा के डगरण योद्धा । -भ्रमी-पु. भीम । --मरणी, मुक्ता-स्त्री० हाथी के के प्रथम भेद का नाम । १३ अंत गुरु की चार मात्रा का मस्तक से निकलन वाली एक मरिण, मोती। --मुख, मुखी नाम । -प्रांनन-पु० गणेश । -अर, अरि-पु० सिंह । -पु० गणेश । गजानन । एक तोप विशेष । -वि. ---उछाळ, उपाड-पु० भीम । -वि. बलवान, शक्तिशाली। हाथी के समान मुंह वाली। —मोचरण-पु० विष्णु । -उजळ-पु० सफेद हाथी । इन्द्र का हाथी। -कान-वि० -मोती='गजमुक्ता'। -रथ-पु० हाथी से चलने वाला चंचल । -कुभ-पु. हाथी के मस्तक के दोनों पोर उठे रथ । -रद-पु. हस्तीदत । -राज-पु० बड़ा हाथी। हुए भाग। -खंभ-पु० शक्तिशाली, बलवान, प्रचंड प्रबल ऐरावत । डिंगल के वेलियो 'सांणोर' का एक भेद । वीर। -गत, गति-स्त्री० हाथी की चाल । मस्त चाल । -रिपु-पु० सिंह, ग्राह । -वदन-पु० गणेश । ----वांन-पु० डिगल का एक गीत । एक छंद विशेष । रोहिणी, मृगशिरा महावत । --वाग-पु० अकुश। -विभाड़-पु. हाथी को और प्रार्द्रा में शुक्र की स्थिति या गति । -गमणी, गवणी, पछाड़ने वाला वीर । --वेळ, वेळि = गजबेल' । गांभिणी-स्त्री. हाथी की तरह मस्त चाल से चलने वाली --साळा-स्त्री० हस्तीशाला । -सिक्षा-स्त्री० बहत्तर स्त्री। --गह,गा,गाव गाह, प्राह -स्त्री० हाथी की झूल । घोड़े कलाओं में से एक । के चारजामे के साथ बांधा जाने वाला उपकरण । युद्ध । गजक (ग)-स्त्री० १ शराब आदि पीने के बाद मुह का स्वाद संहार नाश, ध्वंस । हाथियों का दल । वीर पुरुष । एक सुधारने के लिए खाई जाने वाली वस्तु । २ तिलपट्टी, प्रकार का घोड़ा । हाथी का दान । -वि० गजगामिनी। तिलशकरी । ३ भोजन। -गोरी-स्त्री० बढ़िया लोहा । -घड़ा-स्त्री० हस्ती गजट-पु० [अ०] सरकारी समाचार-पत्र । सेना। -च्छाया-स्त्री० ज्योतिष का एक योग । गजरगौ-वि. १ गर्जने वाला । २ नाश करने वाला । -जिबा-स्त्री० योग की नौ नाड़ियों में से एक । --सल, (ल्ल)-वि० जबरदस्त, शक्तिशाली। गजरणी (बी)-क्रि० १ गर्जना करना, गर्जना । २ क्रोध से -ठेल-वि० शक्तिशाली, बलबान । -ढल्ल, ढाल-स्त्री० बालना । ३ नाश करना । हाथी के मस्तक का कवच । -तार, तारण-पु० विष्णू। गजनीय-स्त्री० नींव। -थट्ठ, थाट-पु० हस्ती सेना । -दंत-पु० हाथी का दांत। गजब (बी, ब्ब)-पु० [अ० गजब] (स्त्री० गजबरण) १ कोप, दांत पर निकला दांत । एक प्रकार का घोड़ा । नृत्य की गुस्सा । २ खौफनाक कार्य या घटना । ३ आफत, एक मुद्रा । --दंती-वि० हाथी दांत का बना । —दसा- विपत्ति । ४ दैवी प्रकोप । ५ आश्चर्यजनक बात । स्त्री० गणित ज्योतिष में ग्रह की दशा । -धर-पु. मकान ६ आश्चर्य । -वि० १ अद्भुत, अजीब । २ भयकर, प्रचण्ड । बनाने वाला मिस्त्री । दर्जी । सरकारी बढ़ई । एक प्रकार ३ अत्यन्त अधिक । ४ विशेष । ५ अद्भुत कार्य करने वाला। की बनावट का भवन विशेष । --नांमौ-पु० हाथी चलाने | गजर-पु० [सं० गर्जन] १ निरन्तर होने वाला प्रहार । २ ऐसे का अंकुश ।-नाळ, नाळी-स्त्री० एक बड़ी तोप । हाथी पर प्रहार से उत्पन्न ध्वनि । ३ खट-खट ध्वनि । ४ प्रहर का रखी जाने वाली एक अन्य तोप । -पत, पति, पत्ति-पु० घंटा बजने का स्वर । ५ प्रात: काल, उषाकाल । ६ हंसी, हाथियों वाला राजा । ऐरावत हाथी । -स्त्री० बुद्धि, अक्ल । मजाक । ७ तमाशा । ८ नगाड़ा। ९ शोरगुल, कोलाहल । मध्य गुरु की चार मात्रा का नाम। -पात-पु० १० गर्जन । ११ प्रात: चार बजे का घंटा । -वि. विशाल, वह कवि जिसे राजा द्वारा हाथी दिया गया हो । बड़ा । -प्रध-पु० स्वर साधने की क्रिया। ---पाळ-वि० महावत । -पीपर, पीपळ (ळी) गजरी-स्त्री०१ स्त्रियों की कलई का प्राभूषण । २ छोटी गाजर । -स्त्री० मंझोले कद का पौधा विशेष । बड़ी पीपल । गजरौ-पू०१ फूलों की माला । २ एक प्राभूषा विशेष । -पुट-पु० धातुओं को फूकने की प्रक्रिया। --पुर-पु. ३ गाजर का पत्ता। हस्तिनापुर । --बंद, बंध-पु. एक प्रकार का चित्रकाव्य । गजल-स्त्री० [अ०] ऊर्दू-फारसी में गार रस की कविता । हाथी वाला। --बंधी-वि० हाथी रखने में समर्थ । गजवड-पु० एक प्रकार का बढ़िया कपड़ा। -~-बदन-पु० गगेश। -बध-पु० भीम का एक नामान्तर। गजांबोह-पृ० सं० गज-व्यूह ) गजव्यूह, हाथीदल । For Private And Personal Use Only Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गजाईयो ( ३१० ) गजाड़णो (बौ)-देखो 'गजाणौ (बौ) । गटाणौ (बी), गटावणी (बौ)- १ देखो 'घटाणौ' (बी) । गजाणण-देखो 'गजानन' । २ देखो 'गिटागो' (बौ)। गजाणौ (बो)-क्रि० १ गुजायमान करना । २ गर्जना करना । गटी-स्त्री. १ अनाज पीसने की चक्की । २ घोड़े के पैर की गजानद, गजानन-पु० सं० गज-प्रानन] १ हाथी के समान | लोहे की कही। 3 am: लोहे की कड़ी । ३ काष्ठ की छोटी गोल चकरी। मस्तक वाला। २ गगेश । गटूकड़ो-देखो 'गटकूड़ौ'। गजारि-पु० [सं०गज-परि सिंह । गटौ-पु० १ एक पक्षी विशेष, जिसका मांस अच्छा होता है । गजारोहरण-पु० १ हाथी पर सवारी । २ बहत्तर कलामों में २ तम्बाकू की डिबिया । ३ एक प्रकार का घोड़ा। ४ बेसन या मोठ का गट्टा । ५ पांव की नली के नीचे की गांठ । गजारोही-पु. हाथी पर सवार व्यक्ति । ६ हथेली और पहुंचे के बीच का जोड़ स्थान । ७ धागे गजाव-देखो 'गज'। का गट्टा । ८ हुक्के के नीचे की गांठ। ९ प्राभूषण विशेष । गजासन-पु० [सं० गज-प्रसन] अश्वत्थ का वृक्ष । पीपल । १० एक देशी खेल । ११ घने बादल । गजिद्र-देखो गजेंद्र'। गट्ट-पु० गुटकी भरने की आवाज । गज-स्त्री० १ एक प्रकार का मोटा वस्त्र । २ हस्तिनो। गट्टी-स्त्री०१ हाथी दांत का खण्ड जिसको चूड़ियां उतारी गजेंद्र-पु० [सं०] १ गजराज । २ ऐरावत । ३ हाथी । -गुरु- | जाती हैं । २ धागे की गट्टी या लच्छी। पु० रुद्र ताल का एक भेद । गट्टी-देखो 'गटो'। गजोवर-पु० अच्छा हाथी। गठकटौ-वि० जेबकतरा, चोर । गज्ज-देखो 'गज'। -गाह- यजगाह' । -नाळ = गजनाळ' । गठजोड़, गठजोड़ो-पु० [सं० ग्रंथि-जोड़] १ गांठ लगाकर गज्जणी-देखो ‘गजरणौ'। जोड़ने की क्रिया। २ वर-वधू का गठबंधन । ३ गांठ गज्जरणौ (बौ)-देखो 'गजगौ' (बौ)। का जोड़। गज्जायो-स्त्री. एक प्रकार का कोट । गठण-पु० [सं० ग्रंथन] १ बनावट, रचना । २ क्रमशः जमाना। गज्र-देखो 'गाजर'। ___क्रमबद्ध करना । ३ व्यवस्था प्रबन्ध । ४ एकीकरण । गटक-स्त्री० १ निगल ने का भाव । २ ग्रन्थि विशेष । ३ देखो | गठरणौ (बौ)-क्रि० १ गांठ लगकर जुड़ना । २ बनाना या रचा 'घटक' । जाना। ३ क्रमबद्ध होना। ४ मेल-मिलाप होना । गटकणौ (बौ), गटकाणौ (बौ), गटकावणौ (बौ)-क्रि० ५ सिलना । ६ किसी गुप्त विचार में सहमत या सम्मिलित [सं०गजगलन] १ निगलना । २ गुटका भरना । ३ हड़पना, होना। दबा लेना। गठबंधण (न)-पु० [सं० ग्रथि-बंधन] १ गांट का बंधन । गटकूड़ी-स्त्री० फाख्ता, पंडुकी। २ जुड़ावत । ३ गठजोड़ । ४ किमी कायं या बात के लिए गटफूडो-वि० (स्त्री० गटकूडी) १ सुन्दर, सुडौल । २ प्रिय । गुप्त समझौता। ३ छोटासा । -पु० कबूतर । गठरी-स्त्री० पोटली, गठरी । गटको-पु० १ घूट । २ रस । ३ आनन्द । ४ मजा, चस्का । | गठाणौ (बौ), गठावणौ (बौ)-क्रि० [सं० ग्रथन] १ गांठ ५ नतीजा, परिणाम । ६ हड़पने का भाव । लगाकर जुड़वाना। २ बनवाना, रचवाना । ३ क्रमबद्ध गटक्कणी (बौ)-देखो 'गटकरणी' (बी)। करवाना। ४ मेल-मिलाप कराना । ५ सिलवाना । ६ गुप्त विचार में सहमत या सम्मिलित कराना। गटक्को-देखो 'गटको'। | गठालौ-वि० [सं० ग्रन्थिल] (स्त्री० गठीली) १ गांठदार, गटगट, गटग्गट-पु० १ घुट-घूट पीने की क्रिया या भाव ।। जिसमें कई गांठे हों। २ गठा हुया, मुडौल । ३ दृढ़, २ इस प्रकार पीने से उत्पन्न ध्वनि । -क्रि०वि० निरन्तर । मजबूत। लगातार, धड़ा-धड़। गठुली-स्त्री० १ घोड़े का एक रोग । २ देखो 'गुठली' । गष्टपट-स्त्री. १ परस्पर मेल, मिलावट । २ सहवास, प्रसंग। गठूगण-पु० गठिया नामक वात रोग। ३ संयोग । ४ गुप्त मंत्रणा । ५ काना-पू.सी । गडंक (ग)-पु० १ ऊंट । २ कुत।। गटरगू (गू)-पु० कबूतर या पंडुकी के बोलने की आवाज।। गड-पु० [स०] १ प्रोट, पाड़ । २ चाहर दिवारी । ३ गढ़, गटळी-वि० छली, कपटी, धोखेबाज । किला। ४ पर्दा, टट्टी। ५ खाई। ६ रोकथाम । गागट-देखो 'गटगट'। ७ अटकाव । ८ एक प्रकार की मछली । For Private And Personal Use Only Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गडगड ( ३११ ) प्रगग्रम गडगड-स्त्री० द्रव पदार्थ के पीने से होने वाली ध्वनि । गढ़त-स्त्री० बनावट, निर्माण कला । रचना । गडगडणी (बी)-देखो 'गड़गड़णो' (बी)। गढ़पत, (पति, पती, पत्ति)-पु० १ गढ़ का स्वामी, राजा । गडणी (बी)-क्रि० १ धंसना, चुभना । २ मिट्टी के नीचे दबना। ३ गढ़ रक्षक, किलादार । ३ चारण । __ ३ जमीन में धंसना । ४ समाना, पैठना । गढ़बंध-पु. राजा। गडत-स्त्री० हल्की नींद, तंद्रा । गढ़मंगों-पु. राजानों का याचक ढोली। गडत्थल, गडथल (ल्ल)-देखो 'गड़ थळ' । गढ़राज (राव)-पु० राजा। गडवार-पु० मदोन्मत्त हाथी के साथ भाला लेकर चलने वाला | गढ़रोह (रोहऊ, रोही)-पु० गढ़ पर किया जाने वाला अाक्रमण। व्यक्ति। गढ़व-पु० चारणों की एक उपाधि । गडमडणौ (बी)-क्रि० प्रति ध्वनि होना या करना । गढ़वाडौ-देखो 'गडवाडौ'। गडमेळ-वि० १ गहरा, गम्भीर, घना। २ पहाड़ के समान, | गढ़वी (वो)-पु०१ राजा, ठाकुर । ३ चारण । ३ कवि । गढ़ के समान । | ४ छोटा जलपात्र विशेष । गडवाडौ-पु० [सं० गढ़वृत्ति चारणों को जागीर में दिया | पति-टेखो 'गदपति' । हुप्रा गांव । गढ़ाणौ (बो)-देखो 'गडाणौ' (बी)। गडवी-पु. १ चारण कवि । २ राजा । -स्त्री० लुटिया। गढ़ी-स्त्री० १ छोटा किला, गढ़। २ गांव के चारों पोर का गडवी-पु.१ छोटा लोटा, कलसा, जलपात्र । २ चारण। पाहता। ३ ग्वार की फसल खाने वाला कीड़ा। ३ कवि। गढ़ीस-पु० गढ़पति, दुर्ग रक्षक । गडसूर (रौ)-देखो 'गंडसूर'। गढ़ोई-पु० मकान की नालियों का पानी एकत्र होने वाला गडढ़ा। गडागड-क्रि० वि०१ जगह-जगह, स्थान-स्थान पर । २ पास-गण-पू० [सं०] १ झण्ड,समूह, । २ गिरोह.संघ, दल। ३ श्रेणी, पास । -पु० घनिष्ठ प्रेम। कक्षा । ४ नौकारों की टोली । ५ शिव के गण । ६ संस्था । गडाणी (बी), गडावणी (बी)-क्रि० १ घंसाना, चुभाना । ७ एक सम्प्रदाय । ८ परिषद का सदस्य जो किसी वर्ग २ मिट्टी के नीचे दबाना । ३ जमीन में फंसाना । या क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हो । ९ सैनिकों की छोटी ४ समवाना, पठाना। टोली। १० संख्या । ११ कविता में पाद । १२ गणेश का गडि, गडी-क्रि० वि० पास, निकट । -स्त्री० १ गाड़ी । २ छोटा एक नाम । १३ एक ही श्रेणी के मनुष्यों का समुदाय । ____ लोटा, जलपात्र। १४ नक्षत्रों की तीन कोटियों में से एक । १५ छन्द शास्त्र गौ (बौ)-पु० छोटा जल पात्र विशेष । में तीन-तीन वर्गों के पाठ गण । १६ दूत, सेवक । गडुळ-पु० कुबड़ा व्यक्ति । १७ हाथी । १८ प्रार्या छन्द की चार मात्रा का नाम । गडूबौ-पु० १ इन्द्रायन फल । २ विकृत तरबूज । १६ मात्रिक छंदों के पांच गण । -ईस-पु० गणेश, गड्डू-वि० जीर्ण-शीर्ण, पुगना । गजानन । -तंत्र-पु० लोकतन्त्र, प्रजातन्त्र । --धर-पु० गडूत्थळ, गडथळ-देखो 'गड़ थळ' । मैनाचार्य। महावीर स्वामी का पट्ट शिष्य। -बाय, गडर (रौ)-स्त्री० १ आवाज, ध्वनि । २ देखो 'गंडसूर' । नायक, पत, पति (ती)-पु. गणेश। –नायिका-स्त्री. गडूस (स्स)-देखो 'घडूस'। दुर्गा, पार्वती । -परवत-पु. कैलास पर्वत । --राजगडे-क्रि० वि० पास, निकट । पु० गणेश । गणराज्य । गडौं-पु० [सं० गंड] १ हाथी का गंडस्थल । २ बड़ा पत्थर । | गणक-पु० [सं०] १ अकगणित जानने वाला। २ ज्योतिषी, गडोत्थळ, गडौथळ, गडोथळी-देखो 'गड़ थळ'। देवज्ञ । ३ गणना करने का उपकरण । ४ बनिया, वणिक । गड-पु० १ गड्ढ़ा, खड्डा । २ गढ़ किला। -केतु-पु० धूम्रकेतु । गड्डी-स्त्री. १ एक ही प्रकार की वस्तुयों को तह करके रखा | गणका-देखो 'गणिका'। हुआ ढेर । २ ढेर, समुह, गंज । गणगवर, गणगौर-स्त्री० [सं० गुणगवरी] १ पार्वती, गड्डो-पु. १ खड्डा । २ खेलने का छोटा कंकर । ३ वृद्ध व्यक्ति । गौरी । २ राजस्थान का एक पर्व विशेष । ३ इस पर्व पर गडद, गढ़-पु० १ किला, दुर्ग, कोट । २ खाई। ३ एक देशी पूजी जाने वाली गौरी की मूर्ति । खेल । -किला-पु. एक सरकारी लगान। गणगोरियो-पु० शमी वृक्ष के पुष्प के बाद होने वाले फल गढ़णी (बी)-क्रि० १ बनाना, निर्माण करना । २ गढ़कर तैयार | का नाम । करना । ३ कल्पित बात करना । ४ मारना, पीटना। गरणग्रभ, (ग्राम)-पु० [सं० ग्रहनाम] आकाश, नभ । For Private And Personal Use Only Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरणणंकरणो ( ३१२ ) गत्तो गणणंकरणो (बौ)-क्रि० १ पक्षियों का आकाश में मंडराना । | गरणीस, गणेस-पु० [सं० गणेश] १ गणों के ईश, गजानन । २ ध्वनि विशेष का होना । २ छप्पय छन्द का बाईसवां भेद । -खूटी-स्त्री० हाथ गरणण-स्त्री० ध्वनि विशेष । करघे की एक खूटी । --चतुरथी, चौथ-स्त्री० भादव गरगणक-पु० १ आकाश में पक्षियों के मंडराने की क्रिया । कृष्णा चतुर्थी । -पुराण-पु. एक उपपुराण । ३ ध्वनि विशेष । -भूसरण-पु० सिंदूर। गणपणो (बो)-क्रि० १ प्रतिध्वनि होना । २ व्यतीत होना, गणेसर, (सुर)-पु० [सं० गगेश्वर] १ शिव । २ गणेश । गुजरना। ३ हाथी । ४ ईश्वर, परमात्मा । ५ चित्रकूट पर्वत । गरगणा-देखो ‘गणना' । गष्णो देखो 'गरणो'। गणगाट, (टो)-पु० १ चक्कर, परिभ्रमण । २ चहल कदमी। गतड-न० [स० गताण्ड] हिजड़ा, नपुसक । ३ जोर की ध्वनि । ४ आकाश में पक्षियों के मंडराने से | गत-वि० [सं०] १ बीता हरा, विगत । २ गया हुअा। ३ मृत, उत्पन्न ध्वनि । मरा हुा । ४ रहित, हीन । ५ रिक्त, खाली। ६ प्राया गणगाणी (बो), गणणावणी (बो)-क्रि० १ चक्कर खाना । हुआ, पहुंचा हुआ । ७ अवस्थित, स्थापित । ८ गिरा हुआ। २ भनभनाना । ३ मंडराना । ४ गुनगुनाना । ५ गणना ९ कम किया हुआ। १० संबंधित। -स्वी० १ समय, कराना । ६ प्रतिध्वनित करना । अवधि । २ अवस्था, हालत । ३ वाद्यों का मिलान । गणणेटो (णोटो)-देखो ‘गणणाट'। ४ नृत्य की मुद्रा। ५ तरह,प्रकार । ६ गति,चाल । ७ मोक्ष, गणगौ (बौ)-देखो 'गिणणो' (बी)। मुक्ति । ८ लीला, रचना । ९ गाय । --प्रग-स्त्री० गंगा। गणती-देखो 'गिणती'। -तार-पु० प्राभूषण । --पंचमी-स्त्री० मोक्ष, मुक्ति। गणधर, गणधार-पु० [सं० गणधर] तीर्थंकर भगवान का -वंत-पु० पांव, चरण । -वन्हीं-स्त्री० केसर । प्रधान या मुख्य शिष्य । गतबायरी-वि० (स्त्री० गतबायरी) १ हतप्रभ । २ बुद्धिहीन गणन, गणना-स्त्री० [सं०] १ गिनने की क्रिया । २ गिनती। ३ नाकुछ। ३ वर्गीकरण। गणप-पु० [सं०] गणेश । गतराडो-न० १ हिंजड़ा, नामर्द । २ कायर, डरपोक । गणयळ-पु० [सं० गणकल] चन्द्रमा, शशि । __ -वि० अनाड़ी। गरणलो-देखो 'गरणौ' । गतागत-वि० [सं०] पाया गया। -स्त्री० १ पावागमन । गणव-पु. गणेश। २ जन्म-मरण । ३ गति, लीला, रचना । ४ ढग । गरणहर-देखो 'गरणधर'। गति (ती, ती)-स्त्री० [सं० गतिः] १ गति, चाल । २ गमन । गरणाई-स्त्री. १ गिनने की क्रिया । २ गिनने की मजदूरी। ३ हरकत, हलचल । ४ चलने की क्रिया । ५ प्रवेश । गरपाणी (बौ), गणावणो (बो)-क्रि० १ गिनती करना, गिनना । ६ विस्तार । ७ पथ, रास्ता । ८ हालत, दशा । ९ फल, २ समझाना । ३ संख्यातय कराना । ४ जुड़वाना । परिणाम । १० उपाय, तरकीब । ११ पहुच । १२ शरण ५ प्रतिष्ठा कराना। स्थान । १३ बचाव । १४ रंग, रूप । १५ उत्पत्ति, निकास । गणाधपत, (धिप, धीस, पत)-पु० १ गणेश, गणपति । १६ कर्म फल । १७ भाग्य । १८ नक्षत्र पथ । १९ घाव, २ शिव । ३ वृद्ध या प्रतिष्ठित जैन साधु । ४ सेनापति । | नासूर । २० ज्ञान, बुद्धि । २१ पुनर्जन्म । २२ प्रायु की ५ गुरु । दशा । २३ लीला, रचना, माया । २४ मुक्ति, मोक्ष । गणिग्रो (गणियो)-पु० [सं० गणक] ज्योतिषी। २५ तरह, प्रकार । २६ कुश्ती की चाल । २७ ग्रहों की गणिका-स्त्री० [सं०] १ रण्डी, वेश्या । २ नर्तकी । चाल । २८ संगीत में लय। २९ वाद्यों का मिलान । ४ हस्तिनी । ४ पुष्प विशेष । ३० पांच की संख्या*। .-कार-वि० गति वाला। गति गणित-पु० [सं०] १ संख्यात्रों की जोड़-बाकी कर परिणाम | देने वाला । -वंत-पु. पांव, चरण । ज्ञात करने की विद्या । २ हिसाब-किताब । ३ जोड़। गतू (त्त )-वि० पूर्ण, सम्पूर्ण। -क्रि० वि० पूर्ण रूप से । ४ बहत्तर कलाओं में से एक । ५ ज्योतिष । गत्त-१ देखो गत' । २ देखो ‘गात' । गणितम्य-वि० [सं० गरिणतज्ञ] १ गणित जानने वाला। गति (ती)-देखो ‘गति' । २ ज्योतिषी। गत्तौ-पु० [सं० ग्रंथ] १ किताब के ऊपर को दस्तरी । २ पुस्तक गणी-पु० [सं० गणिन् ] प्राचार्य या सुरि, गच्छ का प्रधान । । का भावरण । ३ मोटा कागज या दफ्ती । For Private And Personal Use Only Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गत्र ( ३१३ ) गको गत्र-पु० [सं० गात्रं] शरीर देह, तन । गदेडियो, गदेडौ-पु० १ चरखे का एक डंडा । २ देखो 'गधौ' । गत्वर-वि० [सं०] १ गमनशील । २ नाशवान । ३ चल, | गदेलो-वि० गंदला. धंधला, मटमैला । -पु०१ गद्दा । २ देखा चलायमान। 'गादेल'। गथ (ग्थ)-१ देखो 'गरथ । २ देखो 'गाथा'। ३ देखो 'गत'। गद्दरौ-देखो 'गदरौ' । गथियो-न० [सं० गत नपुसक, नामर्द, हिजड़ा। गद्दहड़ो १० सर्दी में पशुयों की पीठ पर रखा जाने वाला वस्त्र : गद-पु० [सं०] १ 'वष । २ एक रोग । ३ पीडा । ४ श्रीकृष्ण का गद्दा-देखो 'गदा' । छोटा भाई । ५ राम सेना का एक बंदर । ६ एक असुर । गद्दी-देखो गादी'। ७ कवि पंडित । ८संभाषण, भाषण । ९ वाक्य । गद्य-पु० [सं०] १ कविता या पद्य रहित लेखन, वात्तिक । १० गर्जन, गर्जना । २ वात्तिक काव्य का एक भेद । गदका-पु० नाज-नखरा । गधाचीतरी-स्त्री० छितरे हुऐ बादल । गदकाळ-पु० अनार, दाडिम । गधापचीसी-स्त्री. १६ से २५ वर्ष तक की अल्हड़, अवस्था । गधामस्ती-स्त्री. ऊधम, उत्पात, धक्का-मुक्की । गदगद-वि० [सं० गद्-गद् ] १ श्रद्धा व हर्ष के प्रावेश में निमग्न। गड़ियो, गधेड़ी-१ देखो 'गदेडियो' । २ देखो 'गधौ' । २ अत्यन्त हर्षित । ३ प्रेम रस भीना । गधौ-पु० [सं० गर्दभ] घोड़े की जाति का कुछ छोटा चौपाया गदगदी-स्त्री० १ ग्राह्लाद, उल्लास, गुदगुदी १ २ हंसी, ठट्ठा। जानवर जो बोझा ढोने में मजबूत होता है । खर । ३ एक प्रकार का रोग। -वि० मूर्ख, नासमझ । गदचांम-पु० [सं० गदचर्म ] हाथी का एक रोग। गनका-देखो 'गणिका'। गदपाळ-पु० अनार । गनगौर-देखो 'गणगौर' । गदफड़-पु० एक मांसाहारी पक्षो। गनापत-देखो 'गिनायत'। गदवंधवचनिका-स्वी० अनुप्रास व समास युक्त राजस्थानी गद्य ।। गनिका-देखो 'गणिका'। गदबड़णी (बौ), गदबदणी (बौ)-क्रि० घाव या फोड़े में मवाद | गनीम-पु० [अ०] १ लुटेरा, डाकू । २ शत्रु, वरी। भरना। | गनीमत-स्त्री० [अ०] १ संतोषजनक बात या दशा । गदर-स्त्री० [अ०] १ क्रान्ति, विप्लव, विद्रोह । २ उपद्रव, २ खैरियत । ३ लूट का माल । ४ शत्र सेना का माल । हंगामा । ३ देव मूर्ति को पहनाने की रूईदार बगलबंदी। | -वि० उत्तम, अच्छा। -गडीडी-स्त्री० उपद्रव । गनीमांण-देखो 'गनीम' । गदरौ--पु० [फा० गद्दा] रूई से भरा मोटा बिछौना, गद्दा । गनीस, गनेस-देखो 'गणेस' । --खूटी-'गगेसखू टी' । गदळ-पु० [सं० गजदल] हाथियों का समूह, गजदल । गनौ, गन्न, गन्नौ-पु० १ संबंध, रिश्ता । २ ईख, गन्ना। गदहडौ-देखो 'गधौ'। गप (प)-स्त्री० [सं० गल्प] १ कल्पित या झूठी बात, गप्प । गदहरणो-स्त्री० हरे, हरीतकी। २ जी बहलाने की निरर्थक बात । ३ डींग । ४ अफवाह । गदहलोट-पु० कुश्ती का एक पेच । ५ किसी चीज को एक साथ निगलने की क्रिया । ६ कोई गदा-स्त्री० [सं०] १ लोहे का बना मोटा भारी शस्त्र, गुर्ज । चीज कहीं धंसने से उत्पन्न ध्वनि । २ कसरत करने का एक उपकरण । -धर, धरु धारी, | गपड़चौथ-स्त्रा० १ गड़बड़ा । २ गपड़चौथ-स्त्री० १ गड़बड़ी । २ बेईमानी । ३ व्यर्थ की गोष्ठी। -धीस-पु०--विष्णु । हनुमान । भीम । --पाणि, पाणी- गपसप-देखो 'गप'। -पु० विष्णु, भीम, हनुमान ।-वि० जिसके हाथ में गदा | गपागप-कि०वि० झटाझट, जल्दी, शीघ्र । हो। -चळवान-पु० भोम । गपियो, (हौ) गपी (पी)-वि० १ गप्प हांकने वाला। गवारो-पु. एक प्रकार की तलवार । २ मिथ्याभाषी। गदियौ-पु. १ तांबे या चांदी के मिश्रण से बना एक प्राचीन गपोड़, (डो)-पु. १ कोई बड़ी गप, अफवाह, डींग । २ निरर्थक सिक्का । २ देखो 'गधौ' । या थोथी बात । गदी-वि० [सं०] १ रोगी । २ गदा लिये हऐ। -स्त्री विष्णु गप्फो (फो)-पू० १ खाने का बड़ा ग्रास । २ स्वादिष्ट भोजन की एक उपाधि । | या मिठाई । : फायदा, लाभ । For Private And Personal Use Only Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गफलत ( ३१४ ) गवर गफलत, गफिलाई-स्त्री० [अ० गफलत १ असावधानी,लापरवाही। गमक-स्त्री० १ तबले घुघुरू आदि की अावाज । २ संगीत की २ भूल, भ्रम, चूक । एक प्रणाली । ३ अानंद, मौज । ४ स्वर का कंपन । गपकूर-वि० [अ० गफूर] दया करने वाला । -पु० ईश्वर । ५ पांच मात्रा का मात्रिक छंद विशेष । गब-क्रि०वि० एकाएक अचानक, अकस्माप्त । गमगलत-स्त्री० शोक या चिंता दूर करने का भाव या प्रयास । गबड़कारणौ (यौ), गबड़कावरणौ (बो)-क्रि० फटकारना, गमछी-स्त्री० घोड़े के जीन को रस्सी। दुत्कारना । गमछौ-पु० शरीर पोंछने का छोटा वस्त्र, तौलिया । गबड़को-पु० व्यर्थ की बात । गमण-देखो 'गमन' । गबन-पु० [अ०] १ चोरी । २ अमानत में खयानत । ३ सौंपा | गमणी (बौ)-क्रि० १ खोना, खो जाना । २ गायब हो जाना । हुप्रा माल दबा लेने की क्रिया। ३ नष्ट होना । ४ भूलना । ५ चलना । ६ जाना। गबरू-वि० [फा० खबरू] १ उभरती जवानी का तरुण । ७ बिताना, गुजारना । ८ धर्म मर्यादा के अनुकूल होना । २ भोला-भाला, सीधा । ३ बेखबर । ६ मानना। १० नाश करना। गबरोळी-देखो 'गबोळो । गमत-देखो 'गम्मत'। गबागब-स्त्री० गड़बड़ी. अव्यवस्था । बेईमानी। गमन (त्र)-पु० [सं०] १ चलने-फिरने या जाने की क्रिया । गबीडो-पु० १ नुकसान, हानि । २ धोखा । ३ चोट, आघात । २ रवानगी, प्रस्थान । ३ पलायन । ४ यात्रा । ५ संभोग, ४ अफवाह। मधुन । ६ राह. रास्ता । ७ पैर । ८ नाश । ९ वैशेषिक गबूरियो-पु० फटा हुअा वस्त्र । दर्शन के अनुसार पांच प्रकार के कर्मों में से एक । गबोळणी (बी)-क्रि० १ गड़बड़ी में डालना। २ उलझन | गमर-पु० [प्रा० गय] हाथी। ___ में डालना। ३ गंदला करना । ४ डुबकी लगाना । गमलौ-पु० फुलवारी का पौधा लगाने का पात्र । गमांगमां-कि०वि० १ चारों ओर । २ धमक या झमक के साथ। गबोळी-पु. १ गड़बड़ घोटाला । २ उलझन । ३ विघ्न ।। गमा-स्त्री० १ दिशा । २ भेद, रहस्य । ३ जानकारी । ४ झंझट, बखेड़ा । ५ भूल । गमागम-क्रि०वि० [सं०] १ यत्र-तत्र, जहाँ-तहाँ । २ निरंतर गब्ब-पु० [सं० गर्व] १ अभिमान, गर्व । २ नासमझी। लगातार । ३ चारों ओर । ४ एक साथ । ५ धमाधम । ३ देखो 'गब'। ४ देखो 'मप'। -पु० १ अावागमन । २ रहस्य, भेद । गम्बू-वि० १ मूर्ख, नासमझ । २ भोला । ३ दब्बू । गमारणौ (बौ), गमावरणौ (बो)-क्रि० १ खो देना । २ लुप्त या गन्भ-पु० [सं० गर्भ] १ गर्भ । २ देखो 'गब्ब'। गायब कर देना । ३ नाश करना । ४ व्यर्थ बिताना । गम्भूती-देखो 'गब्यूति'। ५ व्यर्थ खर्च करना । ६ मिटाना । गम्भो, गभी-पु. (स्त्री० गब्भी , गभी) १ वस्त्र, कपड़ा। गमार-देखो ‘गवार' । २ गाय का बछड़ा। गमी-स्त्री० [अ० गम] १ मृत्यु, मौत । २ गम या शोक की 'गम्यूति-स्त्री० [सं० गव्युतिः] १ चार मील की दूरी । २ चार अवस्था। मील की दूरी का माप । गमे-क्रि० वि० १ एक तरफ, एक अोर । २ अथवा, या। गभु-देखो 'गरभ' । गमेगमें-क्रि० वि० १ चारों ओर । २ इधर-उधर । गमेताई-स्त्री० १ गांव के मुखिया का कार्य या पद । गभेलउ-वि० [सं० गभिल] गर्भ में निवास करने वाला, गमेती-पु० १ ग्रामीण । २ गांव का मुखिया । गर्भस्थ बालक । गमोगम-देखो 'गमागम'। गम-पु० [सं०] १ गमन । २ प्रस्थान । ३ आक्रामक कूच । गम्मत-स्त्री० १ हंसी, दिल्लगी। २ मौज. अानन्द । ३ खेल, ४ मार्ग, रास्ता । ५ अविवेक । ६ अज्ञानता । ७ स्त्री क्रीड़ा। मैन । ८ चौपड़ का खेल । ९ प्रवेश, पहुँच । १० बुद्धि । ११ विचार शक्ति । १२ पता, इल्म । [१०] १३ दुःख, गम्य-वि० [सं०] १ जाने योग्य । २ गमन योग्य । ३ संभोग शोक, रंज । १४ क्षमाशीलता, क्षमा । १५ पता, खबर । __या मैथुन योग्य । ३ सहज, सरल । ४ साध्य । ५ प्राप्य । १६ जानने योग्य बात । १७ क्रोध । -क्रि०वि० दफा, वार । गयंडोथळ-देखो ‘गड़ थळ' । -खोर-वि० सहिष्णु । -गीन-वि० दुःखी । उदास । गयंद (दो)-पु० [सं० गजेन्द्र] १ हाथी, ऐरावत । २ एक प्रकार खिन्न। ___का घोड़ा । ३ दोहे का दशवां भेद । For Private And Personal Use Only Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गय www. kobatirth.org गय- पु० [सं०] १ प्रकाश, गगन । २ अन्तरिक्ष । ३ घर । ४ धन । ५ प्राण | [सं० गज ] ६ गज, हाथी । ७ ऊंट | गति चामल, गमणी, गमणी-स्त्री० गजगामिनी । गयगंग, गयंगण, गणंगण, गयणंगरिण, गयण, (खु) गयरगग्ग - देखो 'गगन' | , ( ३१५ ) गयरणमरण, (मणि, मिरा. मिलि, मिणी) - पु० [सं० गगन मरिण ] गरड़धज - देखो 'गरुड़ध्वज' । सूर्य, धानु गांग (गण) गयाग गरि देखो 'गगन' । , गयरिगमणी ( मिरगी ) - देखो 'गयगमणि' । गर्याग (णी ) गय-पु० १ बादल, मेघ । २ सूर्य । ३ नक्षत्र । ४ नभ । गयतौ पु० हाथी के समान दांतों वाला सूर । गयनाळ स्त्री० गजनाल । गयन्न- देखो 'गगन' । गयमर - देखो 'गयवर' । गयराज - देखो 'गजराज' । गली - वि० (स्त्री० गयली) पागल, मूर्ख । गवर ० [सं०] गजवर १ष्ठ हाथी २ इन्द्र का हाथी गसिर ० [सं०] गवतिर] चाकाश अन्तरिक्ष २ गया तीर्थ । ३ इस तीर्थ के पास का पर्वत । गरवक- देखो 'गरक' । गरग पृ० [सं०] गर्म] १ एक प्राचीन ऋषि । २ बैल, ३ ब्रह्मा के एक मानस पुत्र । ४ संगीत में एक ताल । गरगज - पु० १ किले की बुजं जहां तोपें रहती हैं। 1 टीना । ३ फांसी का तख्ता । गर- पु० [सं० गरं गरः । १ जहर, विष। २ वत्सनाभ ३ रोग, बीमारी । ४ ज्योतिष का पांचवां करण । ५ पर्वत । ३ घर, गृह । ७ गर्दन । ८ समूह, झुण्ड । ९ दल, सेना । [फा०] करने वाला या बनाने वाले का अर्थ बोधक प्रत्यय । गरक, (काब, काव. क्काव) - वि० [अ० गर्क] १ डूबा हुआ, निमग्न । २ विभोर । ३ संलग्न, लीन। ३ सना हुआ. भीगा हुआ ४ रंगा हुआ । ५ नष्ट, बरबाद । ६ नशे आदि से मस्त चूर ८ गहरा, घना | ९ काला । १० प्रावेष्टित । गरकी - स्त्री० [अ० गर्की ] १ डूबने या निमग्न होने का भाव । २ बाढ़ का फैलाव सांड | गरगराट - देखो 'गिरगिराट' । गरगाव (गाव)- देखो 'गरकाव' | गरगेवड़ा स्त्री० शमी वृक्ष की विकृत फली । गरड़-पु० १ बन्दूक की आवाज । २ देखो 'गरुड' | गरड़गांमी- देखो 'गरुड़गांमी २ कृत्रिम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गया- पु० [सं०] बिहार का एक प्राचीन तीर्थ स्थान जहां पितरों को पिंडदान किया जाता है । गोबीती (बीती- वि० (स्त्री० [गवीवीती) १ गया गुजरा, गुजरा, निकम्मा । २ जीर्णा-शीर्ण । गरंद, गरंद्र - पु० [सं० गिगेंद] १ हिमालय पर्वत । २ सुमेरु गरजमंद (वांन) - वि० जरूरतमंद । इच्छुक । | पर्वत । ३ पर्वत । गरौ (ब), गरड़ारणौ (बौ), गरड़ावणौ (बी) - क्रि० १ गधे का रेंगना । २ गर्जना | गरड़ा-देखो 'मुरड़ा' । गरड़ी - पु० १ एक रंग विशेष का घोड़ा । २ चावल का पौधा । ३ भूरी प्रांख का घोड़ा । ३ देखो 'गुरड़ो' । I गरज स्त्री० [सं० गर्जन] १ गम्भीर व तुमुल ध्वनि गम्भीर गर्जना | २ गड़गड़ाहट । ३ वज्र ध्वनि । ४ क्रोध भरी आवाज । [अ०] ४ स्वार्थ, मतलब । ५ प्राशय प्रयोजन । ६ आवश्यकता, जरूरत। ७ इच्छा, कामना ८ खुशामद | कि० वि० १ निदान धावि२स्तु खैर 1 गरज त्री० [सं० गर्जन] गर्जना | गरजरगो - वि० गर्जने वाला । गरण गरजी (बी) - ० १ गम्भीर व तुमुल ध्वनि होना या करना। गर्जना । २ व्रजपात होना । ३ क्रोध में बोलना । ४ गड़गड़ाना | गरजदार - वि० १ जरूरत मंद । २ स्वार्थी । गरजदारी स्त्री० गरज, स्वार्थ । (इ.इ.) ० [सं० पर २ सेना, फौज । ३ राशि ढेर ६ पाताल, गर्त । वि० १ घना, गहरा गरौ (बौ) - देखो 'गरणी' (बी) । रजापत पु० [सं० गिरिजापति] शिव, महादेव । गरजित पु० मस्त हाथी । वि० गर्जा हुआ । गरजियो, (जी, जू) - वि० १ स्वार्थी, मतलबी । २ इच्छुक । परज-देखो 'गरज' । गरज्जौ (बौ) - देखो 'गरजणी' (बी) । परभणी (बी) देखो 'गरज' (बौ For Private And Personal Use Only समूह दल पुण्ड ४ घेरा । ५ वृक्ष । २ देखो 'गरिस्ट' । गरडापण पु० वृद्धावस्था | गरडू-पु० १ बेर व शमी वृक्ष की टहनियों की ग्रंथि । २ प्रांख की गांठ । गरड, गरड, (ब) ० [सं० गरि (स्त्री० गरी) | १ वृद्ध पुरुष । २ पुराना, वरिष्ठ । गरण - देखो 'गिरण' । Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गरगट www.kobatirth.org गरणगट, गरबाट, गरगाटौ पु० १ चक्कर, वात चक्र । २ वृताकार तेज घूमने की ध्वनि ३ शून्य स्थान की वायु की प्रावाज । (२१५) गरणाली (बौ), गरणावरण (बी) - क्रि० १ वृत्ताकार घूमना, चक्कर खाना । २ दर्द भरी प्रावाज करना, कराहना । ३ गुंजायमान होना ४ भिनभिनाना फैलना, । । ५ छितरना। गरणी - स्त्री० [सं० गलन] अफीम गला कर छानने का उपकररण । गरणौ- पु० [सं० गलन] जल छानने का वस्त्र । गरत (त) - पु० [सं० गतं ] १ गहरा मोटा खड्डा । २ जलाशय । ३ एक नरक का नाम । ४ पाताल ५ दरार ६ घर ७ रथ । गरतमांन० [सं०] गुम-मान] गरता - पु० [सं० गतं ] पाताल | गरत्व, एरथ पु० [सं० ग्रंथ, प्रा. गल्प] १ धन संपत्ति | २ द्रव्य । ३ गूढ़ार्थ । ४ सार तत्त्व । ५ सामग्री । ६ खर्चा | -घ्रत स्त्री० हवन की अग्नि । गरब (६) पु० [सं०] गरद] १ विष, जहर २ एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । ३ सभा, मंडली । [फा० गर्द] ४ धूलि, गर्द । ५ नाश, संहार । ६ झुंड, समूह | ७ पृथ्वी । - वि० १ विषप्रद । २ मस्त. मदोन्मत्त 1 गरदन - स्त्री० [फा० गर्दन] १ धड़ व मस्तक को जोड़ने वाला अंग, ग्रीवा । २ किसी पात्र का लंबा संकरा मुंह । - घुमाव - पु० कुश्ती का एक दाव । तोड़-पु० कुश्ती का एक दाव । एक प्रकार का ज्वर बांध - पु० कुश्ती का एक दाव । गरदब (अ)-५० [सं० गर्दभ) गधा गरदय स्त्री० [फा०] गर्द] १ धूलि र २ संहार, ध् गरदास (बौ), गरवावणी (बी) - क्रि० १ घेरा डाल कर आक्रमण करना । २ घेरना, प्रावेष्टित करना । ३ धूल उड़ाना । गरवावळि स्त्री० ० धूल की परत रजकरण । गरविस स्त्री० [फा० गर्दिश] १ चक्कर, घुमाव । २ विपत्ति, संकट | परी-देखो 'गदी'। । मरदी स्त्री० [फा०] गर्दा १ भी समूह २ परिवर्तन ] भीड़, । ३ धूलि, रज । ४ क्रांति । गर-१ देखो 'गरद' २ देखो 'गरदन'। गरब (भ) - देखो 'गरदब' | गरनाळ - स्त्री० चौड़े मुंह की एक तोप । गरनार (नार) - देखो 'गिरनार' । गरब १ देखो 'गरव' । २ देवो 'गरम' गरबरणी- देखो 'गरभणी' । गरवणी (बौ) देखो 'गरवणों' (दो) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरभाघोन गरबरफ - पु० [सं० गिरि + फा. बरफ ] हिमालय पर्वत जो सदैव बर्फ से ढका रहता है। गरबा देखो 'गिरवां'। गरवासी (ब) रावी (बी) देखो 'गो' (दो) | गरबावरणौ - 'गरवणी' । गरबी - वि० १ धर्यवान, गंभीर । २ गविला । ३ साफ । - पु० १ दो खिड़कियों के बीच रखा जाने वाला पत्थर । २ एक प्रकार का गायन । गरबौ-पु० एक लोक गीत विशेष गरब्ब - १ देखो 'गरव' । २ देखो 'गरभ' । गरब्बौ (बौ), गरब्यारणौ (बौ) - देखो 'गरवरणों (बी) । गरब्बित- देखो 'गरवित' । गरब्भ- १ देखो 'गरभ' । २ देखो 'गरव' । गरवणी-देखो 'गरल' गरमी (बो) देखो 'रवी' (बी)। 1 गरम - पु० [सं० गर्भ ] १ पेट के अन्दर का बच्चा, हमल, भ्रूण । २ गर्भाशय । ३ पेट, उदर । ४ भीतरी भाग ५ गहराई, तह । ३ चक्र का मध्य भाग, केन्द्र । ७ फलित ज्योतिष में नए मेघों की उत्पत्ति । ८ छेद ९ अग्नि । १० भोजन । ११ देखो 'गरब' केसर पु० पुष के मध्य के पतने तंतु । ग्रह-पु० घर का मध्य भाग या मध्य कक्ष । निज मन्दिर जहां मूर्ति स्थापित हो । दास-पु० दासी पुत्र | - दिवस पु० गर्भकाल १९५ दिनको अवधि जिसमें मेघ का गर्भ होता है । (वि. वि. यह समय प्राय: कार्तिक की पूर्णिमा के बाद आता है।) नाळ स्त्री० पुष्प की नाल । -पात-पु० [० गर्भ का असमय पतन । -मास - पु० गर्भाधान का मास 1 -वंती, वती स्त्री० गर्भिणी स्त्री । -बास पु० गर्भ में निवास गर्म की अवधि गर्भाशय । -व्यूह-पु० ० सेना की एक व्यूह रचना विशेष । संकु पु० । पेट में मेरे बच्चे को निकालने पोवार हत्या स्त्री० गर्भपात । गरभज- वि० [सं० गर्भज ] १ गर्भ से उत्पन्न २ जिसे साथ लेकर कोई उत्पन्न हो । गरमी० [० मिली जिसके पेट में बना हो गर्भिणी । गरभणी ( ब ) - क्रि० For Private And Personal Use Only १ गर्भ धारण करता, गर्भ रहना । २ देखो 'गरवण' (बी) | गरभद - वि० [सं० गर्भद ] १ गर्भ देने वाला । २ जिसमें गर्भ रहे। गरभाणी ( बौ) - क्रि० १ गाय, बैल आदि का रंभाना । २ देखी 'गरवाली' (बी) | गरभाधान - पु० [सं० गर्भाधान] गर्भ धारण । Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरभावास ( ३१७ ) गरिमा गरभावास-देखो 'गरभवास' । गरवा (गरवित)-वि० [सं० गर्वित] गविला, अभिमानी। गरभासन-पु० [सं० गर्भासन] योग के चौरासी ग्रासनों में गरवाणी (बौ), गरवावरणौ (बौ)-क्रि० घमंड करना, गर्व से एक। करना। गरभासय-पु० [सं० गर्भाशय] बच्चादानी । गरविता-स्त्री० [सं० गवितागर्व एवं मान करने वाली गरभिरणी-देखो 'गरभणी' । नायिका । गरभीजणी (बी)-क्रि० १ गर्भ धारण किया जाना । गरवी-देखो 'गरबी'। २ गवित होना। | गरवोलौ-वि. [सं. विला) (स्त्री० गरवोली) १ घमंडी, गरभु-पु० [सं० गर्व] १ गर्व, अभिमान । २ देखो 'गरभ'। अहंकारी २ गम्भीर। गरम-वि० [फा० गर्म] १ जिसमें गर्मी हो, उष्ण । २ जो उष्ण गरवु, गरवी-वि० (स्त्री० गरवी) १ गंभीर । २ धैर्यवान । कारक हो । -वि० ३ तीक्ष्ण, तेज । ४ उग्र । ५ उत्साह व ३ बड़ा । --राजा-पु० दामाद के आने पर गाया जान आवेग पूर्ण । ६ तपता हुआ। वाला गीत । गरमाळी-पु० अमलतास वक्ष । गरव्वरणौ (बौ)-देखो 'गरभणी' (बो) । गरमास (हट)-स्त्री० उष्णता, गर्मी। गरसली-स्त्री० एक प्राभूषण विशेष । गरमी-ग्त्री० [फा० गर्मी] १ उष्णता, ताप, जलन । २ गर्म | गरह-देखो ‘ग्रह' । ऋतु । ३ हरारत । ४ तेजी, क्रोध । ५ प्रावेश, जोश, | गरहरणा-स्त्री० [सं० गर्हणम्] १ फटकार, डांट । २ उपालभ, उत्साह । ६ गर्व, घमंड । ७ उपदंश रोग । ८ उग्रता, शिकायत । ३ निंदा, पालोचना । ४ घृणा । ५ नकारे की प्रचण्डता । ६ शीघ्रता, त्वरा । १० हाथी घोड़े आदि | ध्वनि । ६ शब्द, ध्वनि । पशुओं का रोग। गरहर-स्त्री० अावाज, ध्वनि । गरमोजणी (बौ)-कि० १ हाथी घोडे आदि के 'गरमी' का रोग | गरहरणौ (बौ)-क्रि० १ रण वाद्य बजना । २ नगाड़े बजना । होना । २ ताप लेना, गरम होना । ३ बिजली कड़कना, बादल गर्जना । ४ दहाड़ना। गरर-स्त्री० एक ध्वनि विशेष । गरहा-स्त्री० [सं० गाँ] १ निंदा, भर्त्सना । २ शिकायत । गरळ-पु० [सं० गरल] १ जहर, विष । २ सर्प विष । ३ घास | ३ गाली। ___ का गट्ठर। गरांजणी-देखो 'गुरांजणी' । गरळक-पु० [सं० गरल+क] १ शेषनाग । २ सर्प । गरांपत-पु० [सं० गिरिपति सुमेरु पर्वत । गरळधर-पु० [सं० गरलधर] १ जो विष को धारण करे, गरा-देखो 'गिरा'। शिव । २ सर्प। गराज-पु० उपाय, तरकीब । गरळस-पु० [सं० गरल+म] सांप, सर्प । गराजा-स्त्री. गर्जना। गरळारणौ (बी), गरळावरणौ (बो)-क्रि० १ रुदन करना, विलाप गराढ़-पु. गर्व, घमंड। करना । २ चिल्लाना। ३ मुह में पानी डाल कर गरारा करना। गराज-पु० ऊंट खींच सके ऐसी छोटी तोप । गरळी-पु० गरारा। गरायरो, गरारौ-पु०१ मुह में पानी भर कर गल-गल करने की गरव-पु० [सं० गर्व | १ अभिमान, दर्प । २ ऐंठन, अकड़ । क्रिया । २ ढीली मोरी का पजामा । गरवरिणयौ-पु० रहट के ऊपर बनाया जाने वाला एक चबूतरा । गराळ-पु० [सं० गिरि पहाड़, पर्वत । गरवणी (बी)-कि० १ गर्व करना, घमंड करना । २ अकड़ना, गरासरणौ (बी)-क्रि० [सं० ग्रास] १ निगलना, गुटकी भर ऐंठना। ३ मान करना। लेना । २ ग्रम लेना, ग्रसना । गरवत-पु० १ डिंगल के 'मारणोर' गीत का एक भेद । गरासिया-देखो 'ग्रासिया'। २ गंभीरता। -वि. गवित । -निसारणी-स्त्री० डिंगल का निसागी नामक छन्द । गरासियो-देखो 'ग्रासियो। गरवर-पु. [सं० गवं] १ घमंड, दर्प। [सं. गिरिवर] गरिटु-देखो 'गरिस्ठ' । २ पहाड, पर्वत। गरिमा-स्त्री० [सं०] १ महिमा, प्रतिष्ठा, विशेषता, महत्त्व । गरवरणौ (बो)-क्रि० समूह के रूप में इकट्टा होना । २ गौरव । ३ उत्तमता । ४ भारीपन, गुरुता, बोझ। गरवाण-देखो "गिरवांग' । ५ पाठ सिद्धियों में से एक । ६ गर्व, अहंकार । For Private And Personal Use Only Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरिस्ट ( ३१८ ) गळगंठ गरिस्ट (स्ठ)-वि० [सं० गरिष्ठ] १ अत्यन्त भारी, गुरुत्तर। गरुवत्व-पु० [सं०] १ गौरव । २ महत्त्व, बड़प्पन । ३ भारीपन . २ पचने में कठिन । ३ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण । -पु. १ एक | बोझ। राजा। २ एक राक्षस । ३ एक तीर्थ विशेष । गरुवाई-स्त्री० १ बड़ाई, गौरव । २ अहंकार, गर्व । ३ भारीपन, गरी-१ देखो 'गळी' । २ देखो 'गिरी' । गुरुता। गरीट-देखो गरिम्ट। गरुवी-देखो 'गरवौ' । गरीठ, गरीठौ-वि० [सं० गरिष्ठ] १ प्रबल, प्रचंड । | गहठ-वि० जबरदस्त, प्रचण्ड । २ शक्तिशाली। ३ भयंकर । ४ प्रभावशाली। -पृ० १ हाथी। | गहतमांन-देखो 'गरुतमांन' । २ ऊंट । ३ देखो 'गरिस्ट'। गरूर (री)-पु० [अ० गुरू र] १ अभिमान, घमंड, गर्व । २ शेखी, गरीरण-वि० १ दीर्घ, विशाल । २ बड़ा । अहंवाद । -वि० १ बड़ा, दीर्घ । २ प्रचंडकाय, जबरदस्त । गरीत (च)-देखो 'गरिस्ट'। ३ भयंकर। गरीब (डो)-वि० [अ०] (स्त्री० गरीबण, णी) १ निर्धन, | गरूरौ-वि० गर्व युक्त। कंगाल । २ दरिद्र । ३ दीन-हीन । ४ नम्र। -खांनौ- गरेडौ (डो)-पु० वृक्षों की टहनी के बीच में होने वाली ग्रंथि । पु० घर । गरीब का घर । ---गुरबी-पु० गरीब आदमी। गर-क्रि०वि० १ पास, समीप, निकट । २ देखो 'ग्रह' । -नवाज, निवाज, नेवाज -वि. दयालु, कृपालु। | गरोळणी (बी)-कि. मिलाना, मिश्रण करना। -पू० ईश्वर । --परवर-वि० गरीबों का पालन करने गरोळारणौ (बी). गरोळावली (बी)-क्रि० मिलवाना, मिश्रण वाला, ईश्वर। करवाना। गरीबी-स्त्री० १ दरिद्रता, निर्धनता । २ दीनता, नम्रता । गरोळी-स्त्री० छिपकली। गरु-देखो 'गुरु' । गरोह-देखो 'गिरोह'। गरु प्रत-पु० बड़प्पन, गौरव । -वि० बड़ा, महान । गरौ-पु० १ झड़बेरी के पौधों का बड़ा गोला । २ ढेर, समूह । गरुडो-स्त्री० माहात्म्य. बड़प्पन, मोटाई। ३ झुड । ४ नाश, संहार । ५ साहस, हिम्मत । ६ शक्ति, गराउ, गरुग्री (वी)-वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ गंभीर । __ बल । ७ देखो 'गिरोह'। ३ बोझिल, भारी । ४ महान, बड़ा । | गलंढी-स्त्री० दुध निकालने का बर्तन (मेवात)। गरुघंटाळ-पु० धातु का बना बड़ा घंटा । -वि० अत्यन्त चतुर । गळ-पु० [सं० गल] १ गला, गर्दन, कंठ । २ स्वर, आवाज । धूर्त, चालाक। ३ वाद्ययंत्र । ४ मछली, मीन । ५ मांसपिंड । ६ फांसी। गरुड़-पु० [सं० गरुड] १ पक्षियों का राजा एक बड़ा पक्षी। ७ डाली, शाखा । -वि० मीठा, मधुर । -क्रि०वि० पास, २ उकाव पक्षी । ३ सेना की एक ब्यूह रचना । ४ गरुड़- निकट, समीप । इर्द-गिर्द । नुभा भवन । ५ चौदहवें कल्प का नाम । ६ छप्पय छंद का | गल-देखो 'गल्ल' । ५५ वां भेद । ७ देवालयों में पूजा की घटी। ८ रंग विशेष | गळकळ-स्त्री. गाय के गले के नीचे लटकने वाला भाग। का घोड़ा। -प्रारूद-पु. श्री विष्णु । -पासण (न) | गळकट-वि० हत्यारा। -पु० चौरामी पासनों में से एक । विष्णु, ईश्वर । गळका-स्त्री. १ म्वादिष्ट पदार्थ खाने की क्रिया । २ देखो ---केतु-पु. विष्णु । ---गांम, गांमी-पु० विष्णु । 'गिळका'। ---घंटो-पु० देवालयों में पूजा का घंटा । -धज, ध्वज-पु० गळकाणी (बी), गळकावणी (बी)-क्रि० [स० गलकलितम्] विष्ण। गरुड़ की प्राकृति में बना स्तम्भ । -यक्ष-पु०१ खाना, निगलना । २ हजम करना । नृत्य की एक मुद्रा। -पति-पू० विष्णु। -पास-स्त्री. गळकोड-स्त्री० बैलगाडी के जूऐ के नीचे लटकने वाली लकड़ी शनों को बांधने का फंदा, पाम। ..पुरांण-पु. अठारह जिमके सहारे गाड़ी खड़ी की जाती है। उप पुराणो में से एक । --वाह-पु. विष्णु । - वेग गलकोर-स्त्री० जट की बनी पतली रम्मी जो बैल के गले पर -पु० अत्यन्त तीव्र गति । -- व्यूह-पु० सेना को एक बांधी जाती है। व्यूहरचना विशेष । गरुड़ा-स्त्री० चमारों के गुरु, एक ब्राह्मण जाति । गळ को-पु० ग्रास । गरुड़ो-पु. चमारों के गुरु गुरुड़ा जाति का व्यक्ति । गळखोड़-स्त्री० घोड़े के गले में बांधने की चमड़े की पट्टा । गरुत-पु० [सं०] पक्षी का पर, पंख । गळगठ, (गंठौ, गड)-पु० [सं० गलगण्ड] गले में होने वाला गरतमान--पु. [सं० गरुत्मत् गरुड़ । ग्रंथि रोग। For Private And Personal Use Only Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "गळगच्छ घलमुच्छौ गळगच्छ-वि० अधिक घृत युक्त भोजन या कौर । | गळतकियो-पु० १ सिरहाने का तकिया । २ मकान की पट्टियों गळगळ-स्त्री० मुह या गले में पानी भर जाने की अवस्था, के संधिस्थलों पर लगाया जाने वाला पत्थर । गद्गदवस्था। गळतकोढ़-पु. एक प्रकार का कुष्ठ रोग । गळगळरणी (बी)-कि० निगलना । गळतनांमौ-पु० शुद्धि-पत्र । गळगळी-वि० [सं० गद्गद्] (स्त्री० गळगळी) १ अश्रुपूर्ण नेत्रों गळतफहमी, (फे'मी)-स्त्री० भ्रम भ्रामक बोध । वाला । २ गद्गद् या आर्द्र कण्ठयुक्त। ३ भाव विभोर । गळतारण (तांन)-वि०१ तल्लीन, निमग्न । २ अनुरक्त । ४ घी से तर । ५ मुह तक भरा पात्र । ३ मस्त, उन्मत्त । ४ नशे में चूर । गळगेटौ-पु० खिचड़ी घाट आदि में पकते समय पड़ने | गळतियो-पु० १ ऊंटों का एक रोग । २ एक रोग विशेष जिससे वाली गांठ। शरीर दिन प्रति दिन भीरण होता जाता है। गळगोत-स्वी० गिलोल । गळती-स्त्री० १ भुल । २ अनुचित कार्य । ३ त्रुटि । ४ लापरगळग्रह-पु० गले का एक रोग। वाही । ५ अशुद्धि । ६ कमी। गळग्रहवाई-स्त्री० घोड़े के गले का एक रोग। गळ परिणयो-वि० [सं० गलस्तन] १ बकरी के गले के नीचे लटकने गळछट-वि० १ टुकड़ खोर, भिखारी। २ घृत से तर । वाली स्तननुमा ग्रंथि । २ पशुओं के गले का बंधन । गळछेदक-पु० एक प्रकार का शस्त्र ।। ३ देखो 'गळयौ'। गळजोड़ (जोड़ो)-पु० १ वर-वधू का गठबंधन । २ दो पशुओं | गळथैली-स्त्री० बंदरों के गले के नीचे की थैली। को गले में रस्सी से परस्पर बांधने का ढग । ३ बांधने का गळयौ-पु० [सं० गल-हस्त] १ गले को पकड़ कर दिया जाने उप-करण । ४ जोड़ा, युग्म । वाला धक्का । २ देखो ‘गळयरिणयौ'। गळझप-स्त्री० हाथी के गले का कवच । गलथ्थरण, गळश्थियौ--पु० [सं० गलस्थाणु] गले का बंधन । गळझट-देखो 'गळछट'। गळवाई-स्त्री. मंदाग्नि के कारण होने वाला एक कंठ रोग । गळटौ-पु० १ पशु की गर्दन के चारों प्रोर लपेटा जाने वाला, वस्त्र या रस्सी । २ गले का बंधन । गळनही-पु० हाथियों का एक रोग । गळडब (डबौ)-पु० १ तलवार रखने का चमड़े का पट्टा गळपटियो (पटौ)-पु. १ स्त्रियों के कंठ का प्राभूषण । २ कुत्तों विशेष । २ हाथ में चोट आने पर हाथ व गले से बांधने के गले का पट्टा । ३ गर्दन के चारों ओर का वृत्ताकार की पट्टी । ३ पशुओं के गले का पट्टा । भाग । ४ कुरते, कमीज प्रादि का वह भाग जो उक्त भाग गळडळ-पु० मांस पिंड । पर रहता है। गळणी-स्त्री० [सं० गलनी] १ अफीम गलाने का उपकरण । गळपूछियौ-पु० एक प्रकार का घास । २ गर्दन। गळप्रोत-पु. कंठ का प्राभूषण । गळफड़ो-पु० गाल का भीतरी भाग । गळरपो-देखो गरगो'। गळफांसी-स्त्री० १ गले की फांसी। २ ग्राफत, कष्टप्रद कार्य । गळणी(बो)-क्रि०१ किसी वस्तु का विकृत हो कर क्षय होना, रज-गळबंध-पू०१ कंठावरोध । २ कंठ का ग्राभूषण । रज होकर गिरना । २ घुलना, सूक्ष्माणु होकर घुलना। गळबत्थ (बथ)-स्त्री० प्रालिगन । ३ जीर्ण-शीर्ण होना । ४ नाश होना, मिटना। ५ अधिक पकने पर ठोसपना समाप्त हो जाना ! ६ मिटना, नष्ट गळबळ-पु० १ कोलाहल । २ गड़बड़ी, खलबली । होना । ७ कृश या क्षीण होना। ८ खेल में खिलाड़ी का --वि• अस्पष्ट । हारना । ९ बीतना, समाप्त होना । १० ढलना । गळबाई (बांह. बांही, बाखड़ी. बाथ)-स्त्री० गले में बांहें डाल ११ निगलना, हजम करना । १२ खाना । १३ पिघलना।। कर मिलन, आलिंगन, मेंट। गळतंग-पु० काठी कसने के लिए ऊंट के गले से बांधा जाने गळबाह-पु० रहट के स्तंभ पर लगा लकड़ी का अंकोड़ा। गळबूचियो (बूचौ)-पु. हथेली की अर्द्धचंद्राकार प्रवस्था जिससे वाला तंग । गला पकड़ कर धक्का दिया जाता है। गळत-वि० [अ० गलत] १ जो ठीक, उचित या सही न हो। गळबोबो-देखो 'गलथरिणयो। २ असत्य, झूठ । ३ अशुद्ध । ४ दोष या त्रुटिपूर्ण । गळवौ-पू० १ गले का फंदा, बंधन । २ अस्पष्ट ध्वनि । ५ अनुचित, नाजायज । ६ भ्रममूलक । -पु० १ एक प्रकार | गळमाळ-स्त्री० गले में डालने की जयमाला । का कुष्ठ रोग । २ लावारिस सम्पत्ति । गळमुच्छौ-पु० गालों पर बढ़े बालो का गुच्छा । For Private And Personal Use Only Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गळेमुद्री ( ३२० ) गळी गळमुद्रा-स्त्री० [सं० गल-मुद्रा] शिव पूजा में गाल बजाने की ६ कृशकाय या क्षीण कराना। ७ मिटवाना, नष्ट कराना। मुद्रा, गलमंदरी। ८ अधिक पकाना । ९ जीर्ण-शीर्ण कराना । १० सूक्ष्माणु गळमेव-स्त्री० गले में होने वाली बड़ी गांठ । करके घुलाना, घुलवाना । ११ विकृत कर रज-रज करके गलर-पू०१ वक्ष या पौधे का रस भरा भाग । २ स्वाद या गिरवाना, क्षय कराना। रम लेने की क्रिया। गलांनि (नी)-स्त्री० १ ग्लानि, घृणा । २ अरुचि । ३ खिन्नता, गळळ-पू०१ निगलने की क्रिया या भाव । २ द्रव पदार्थ के पश्चाताप, दुःख । ४ खेद, अफसोस । ५ थकान । ६ ह्रास । निकलने से उत्पन्न ध्वनि । ७ निर्बलता बीमारी। गळळाटौ-पु० १ निगलने का शब्द । २ शोक का विलाप, गळाफड़ो-देखो 'गळफड़ो' । रुदन । गलार-स्त्री० १ भेड़ की ध्वनि । २ गिद्ध पक्षी की ध्वनि । गळळाणौ (बी), गळळावरणौ (बौ)-क्रि० १ रोना, विलाप । ३ आनन्द, मोज। करना । २ डबडबाना । ३ मुह में पानी भरकर गल-गल गलाळ-पु० १ मांस पिंड । २ गोश्त खण्ड । ३ देखो 'गुलाल' । ध्वनि करना। गळावट-स्त्री० १ गलाने की क्रिया या भाव । २ गलने गळवांगी-स्त्री० पाटे व गुड़ के योग से बना मीठा पेय पदार्थ । का गुण । गळवाणी-पु० १ गले का बंधन, फंदा । २ एक प्रकार का गळि-स्त्री० १ गर्दन, गला । २ देखो ‘गळी' । बरमाती घास । ३ देखो 'गळवारणी' । गळि चौ, गलिचौ-देखो 'गलीचौ'। गळवांन-वि० नश्वर । गळित्रागौ-पु० १ यज्ञोपवीत धारी ब्राह्मण । २ द्विज । गळवाह-पु. गर्दन पर किया जाने वाला प्रहार । ३ जनेऊ, यज्ञोपवीत । गळसरी, (सिरो)-स्त्री० [सं० गलश्री] कंठश्री नामक ग्राभूषण। गळियांभमर-पु० गलियों में घूमने का शौकीन । गळसांकळी-पु० कंठ का प्राभूषण विशेष । गळियार, (रौ)-वि० [सं० गली-चार] १ गली-गली घूमने गळसुड (डी)-स्त्री. १ गले के अन्दर की उल्टी जीभ । वाला, अवारा । २ पाहत, घायल । ३ उन्मत्त, मस्त । २ तालू का एक रोग । ३ देखो 'गोरो' । ___-पु० गली, बीथी। गळसुनौ-पु० [सं० गलसूती] शीतकाल में मस्त ऊंट के मुंह से गळियौगुळसरौ-पु० गला हुप्रा अफीम । निकलने वाला गुल्ला। गळियौ-वि० मीठा, स्वादिष्ट । गळहार-पु० गले का आभूषण । गळिलारणो (बी)-देखो 'गरळाणौ' (बौ)। गळांछळी गळांठी-पु० [सं० गलोच्छन] गले तक भरा हुआ गळी-स्त्री० [सं० गली] १ घरों के बीच का तंग व पतला बर्तन । रास्ता, गली । २ मुहल्ला । ३ उपाय, तरकीब । ४ सुगम गळांडौ-देखो १ 'गळकोर' । २ देखो 'गळांठी'। रास्ता। ५ भेद, रहस्य । ६ छिद्र. छेद । -कूची-स्त्री. गलांण-देखो ‘गलांनि'। भेद, रहस्य । -वि० मीठी (वस्तु)। गलांगो, गलांमणी-पु. १ किसी पात्र के गले का बंधन। गलीच-वि०१ मैला-कुचेला, गंदा । २ घृणित । --पु०१ मल २ गले में बांधने की रस्सी । ३ एक प्रकार का वर्षा ऋत विष्ठा । २ भूत, प्रेतादि । में होने वाला घास जिसे पशु नहीं चरते हैं । गलीचौ-पु० [फा० गलीचा] मोटा बुना, रोएंदार व चित्रित गलांवडो-पु० पशुओं के गले से बांधी हुई रस्सी । एक बिछौना, गलीचा। गळा-क्रि०वि० पास, निकट, समीप। गलीडुरिणयौ-पु० गुल्ली डंडे का खेल। गळाई-स्त्री. १ किसी धातु को पिघालने का कार्य । २ इस | गळु-देखो 'गळी'। ____ कार्य को मजदूरी । -पु० प्रकार, तरह, मानिद, समान। गळेबाज-बि० अच्छी प्रावाज वाला, अच्छा गाने वाला। गळाकौ-पु० १ गला निकाल कर झांकने की क्रिया । २ निगलने | गळेहाथ-पु० शपथ के लिए गले के लगाया जाने वाला हाथ । की क्रिया। गळेटौ-देखो 'गळगेटौ'। गळागळ-स्त्री० जल्दी-जल्दी निगलने की क्रिया । गळे-क्रि० वि० पास, समीप, निकट । -क्रि०वि० शीघ्रता से। गळोबळ (बळ)-वि० गुत्थमगुत्था । -क्रि० वि० १ चारों ओर । गळाणी (बी)-क्रि० १ पिघलाना, द्रव मान कराना। २ देखो ‘गळबत्थ'। २ खिलाना । ३ हजम कराना । ४ बीताना, समाप्त गळी-पु० १ शरीर का, मस्तक व धड़ जोड़ने, वाला अंग । कराना । ५ खेल में किसी खिलाड़ी को परास्त कराना। गर्दन । २ कठ। ३ कंठस्वर । ४ टेंटुवा, लंगर । ५ मुह । For Private And Personal Use Only Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऐलो गप्ता ६ पहनने के वस्त्र का गले के पास रहने वाला भाग। गवाक्ष (न) गवाख, (खि, खेस)-पु० [सं० गवाक्ष] १ छोटी ७ पात्र का मुह। खिड़की । २ झरोखा । ३ राम सेना का एक सेनापति । गलौ-पु. १ कोलाहल, शोरगुल । २ झुड, समूह, दल । | गवाड़-पु०१ चौक । २ बाड़ा, पाहता । ३ मुहल्ला। ३ अनाज। [सं० ल्गौ] ४ चन्द्रमा । गवाडी-पु० मकानों के सामने या बीच का खुला स्थान । गळौध-पु० गाल में सूजन पाने का एक रोग। गवारणी (बी) गजावणी (बी)-क्रि० गाने के लिए प्रेरित गल्ल (डी)-स्त्री० १ छोटी कहानी या कथा । २ कल्पित | करना, गवाना । बात । ३ गप्प, डींग । ४ कपोल, गाल । ४ यश, कीति । गवार-पु० १ ग्वार का पौधा व उसका बीज । २ देखो 'गंवार'। ६ पुकार । ७ बात। गवारणी (नी)-स्त्री० १ गंवार स्त्री। २ चूड़ी प्रादि बेचने गल्लका (को)-स्त्री० गंडक नदी । वाली स्त्री। गल्ल-बल्ल-पु० १ कोलाहल । २ अस्पष्ट ध्वनि । गवारपाठौ-पु० घी कुवांर, ग्वारपाठा । गल्लवर-पु० हाथी। गवारफळी-स्त्री० ग्वार की फनी जिसका शाक बनाया गल्लवल्ली-देखो 'गल्ल-बल्ल' । जाता है। गल्लिका-पु० डिंगल का एक वर्ण वृत्त । गवारिया-स्त्री० एक जन जाति विशेष । गल्लौ-पु०१ दुकानदार की पंसा रखने की पेटी, सन्दुक । | r am जातिका गति २ अनाज । ३ देखो 'गलसुनौ'। गवालंव-पु० [सं० गवालम्भ] यज्ञोपरांत किया जाने वाला गल्ह-देखो 'गल्ल'। गौ-दान। गल्हौ-वि०१ पागल, मूर्ख । २ देखो 'गल्लौ' । गवाळ (लो)-पु० [सं० गौपाल] १ गाय चराने वाला, ग्वाला गव-स्त्री० [सं० गौ] १ गाय, गौ। २ राम सेना का एक एक | गोप । २ रहट का गोल चक्र जहां बैल घूमते हैं । ३ रक्षा । वानर । -गवंती-स्त्री० दुधारु गाय । ४ देखो ‘गोपाळ'। -वि० रक्षक । गवड़-१ देखो 'गौड़' । २ देखो 'गवाड़' । गवाळणी-स्त्री० ग्वालिन । गोपिका । गवरण-देखो 'गमन'। गवाळणी (बी)-क्रि० १ गायें चराना । २ रक्षा करना। गवणि (रणी)-स्त्री० मादा भालू। -वि० १ गमन करने वाली । गवाळियौ-देखो ‘गवाळ' । २ गाने वाली। गवाळी-स्त्री० १ गाय चराने का कार्य। २ इस कार्य की गवरणौ (बौ)-क्रि० गमन करना, जाना। मजदूरी । ३ रक्षा। गवतम-१ देखो 'गौतम' । २ देखो 'गोतम' । गवास-पु० [सं० गवाशन] गौ हत्यारा, कसाई। गवन-देखो 'गमन'। गवाह-पु० [फा०] १ किसी घटना या मुकद्दमें में साक्षी देने गवय-स्त्री० [सं०] १नील गाय । २बैल की एक जाति ।। बाला. साक्षी। २ देखो 'गवाही'। ३ गैंडा । ४ देखो 'गव' । गवाही-स्त्री० [फा०] किसी घटना की साक्षी। गवर-वि० गोरे रंग का, गौर वर्ण । -स्त्री०१ गौरी, पार्वती। गविल-वि० दुध का बना (मीठा)। २ गणगौर । गवेसा-स्त्री० [सं० गवेषणा] अनुसंधान, खोज । गवरजा (ज्या)-देखो 'गोरज्या। गव-पु० राम सेना का एक वानर । गवरमिट (मेंट)-स्त्री० [पं०] १ सरकार, शासन, शासक | गवैयौ-पु० गायक । ___ मंडल । २ राज्य । गव्य-वि० [सं०] १ गाय से उत्पन्न । २ गाय से प्राप्त । गवरल, गवरांवे -स्त्री० १ पार्वती, गौरी । २ गणगौर । ३ मवेशियों के लिए उचित । -पु० १ गायों का झुण्ड, गवराणो, (बौ) गवरावणो, (बो)-देखो ‘गवाणी' (बौ)। समूह । २ गोचर भूमि । ३ गाय का दूध । ४ पीला रंग । गवरि-देखो 'गौरी'। ५ पीला रोगन या पदार्थ । ६ कमान को डोरी । ७ चार गरिजा-देखो 'गोरज्या' । मील के बरावर एक माप । गवरी-स्त्री० पार्वती। --नंद,नंदन, पुत्र-पु० गोरी पुत्र गणेश । गस-स्त्री० [फा० गश] १ मुच्छा, बेहोशी । २ नेत्रों में होने गवल-पु० [सं०] १ जगली भैसा । २ नोल गाय । वाली लाल रेखा । गवळू-पु० १ ग्वाल, गोपाल । २ देखो 'गोळ'। गसत, (ती)-देखो 'गस्त' । गवाई-देषो 'गवाही। गसा (सी)-देखो 'गस'। For Private And Personal Use Only Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गस्त www.kobatirth.org ( ३२२ ) गश्त १ गस्त स्त्री० [फा०] ] घुमाई, भ्रमण, टहलाई । २ पहरा, चौकीदारी के लिए लगाया जाने वाला चक्कर । ३ वेश्याओं का एक नाच । ४ दौरा । - सलामी - स्त्री० दौरे पर भाने वाले अधिकारी को दी जाने वाली भेंट | वस्ती स्त्री० [फा० गश्ती ] १ गश्त का कार्य पौकीदारी २ दौरा चौकीदार, सिपाई वि० १ गश्त लगाने वाला । २ सुरक्षा या चौकसी करने वाला । ३ व्यभिचारिणी कुल्टा । 1 गह- पु० [सं० गर्न, गह ] १ गर्व, अभिमान, घमंड । २ मस्ती, उन्माद । ३ बहादुर व्यक्ति । ४ ग्राह. घड़ियाल । ५ घर गृह । ६ ध्वनि, आवाज | ७ मान, प्रतिष्ठा ८ मकान का एक भाग ९ शक्ति बल । १० युद्ध | ११ मारकाट, संहार । १२ ग्रहण करने की क्रिया । वि० १ महान, जबरदस्त भयंकर । २ गहरा, गंभीर । ३ मस्त । ४ घना, सघन । ५ दुर्गम । गहक स्त्री० १ कविता की लय, ध्वनि २ एकषीकरण । गहकरणी (बी) - क्रि० १ इकट्ठा या एकत्रित होना । २ नगाड़ा बजना | ३ गाना । ४ गर्व करना ५ पक्षियों का बोलना, चहकना । ६ मंडराना । ८ चाह या उमंग से विकसित होना । गहकारणों (at), गहकावरणौ ७ जोशपूर्ण आवाज करना । भरना ! ९ प्रफुल्लित होना, (बौ) - क्रि० १ इकट्ठा या एकत्र | करना । २ नगाड़ा बजाना । ३ गवाना । ४ जोश पूर्ण आवाज कराना । महको पु० १ राग, तान 1 ध्वनि । ५ ढंग प्रयास महवकरण (बौ)- देखो 'गहकणी' (बो)। मगध-स्त्री० [सं० प + गंध] घाणेन्द्रिय नाक गहगह वि प्रसन्न प्रफुल्लित धानंदमग्न 1-fo fao गहरणौ - पु० गहना, ग्राभूषण, अलंकार । गहणौ (बी) - क्रि० १ गेंदना खूदना । २ कुचलना, नष्ट करना 1 ३ धारण करना । ४ पकड़ना । ५ ग्राच्छादित करना । ६ ध्वंस करना । ७ ग्रसित करना । गहतंग (तंत) - वि० नशे में चूर, उन्मत्त । गहन वि० [सं०] १ गंभीर २ गहरा ४ गुप्त । ५ सघन, गाढ़ा ६ घना दुःखदायी । ९ प्रखर प्रचण्ड । १० [सं० गहनम् ] ३ कष्ट, विपत्ति । 1 १ वन जंगल । ४ बंधक, रेहन । ६ युद्ध लड़ाई । ७ सेना, फौज । ९ झुण्ड समूह । १० गहराई । १९ गर्त । स्थान । १३ गुफा । १४ कलंक, दोष । गहपति-देखो 'ग्रहपति' । महपूर पु० सिंह। गहबरणौ (बौ) - क्रि० घबराना, व्याकुल होना । गहबरा - स्त्री० गहबरात्री० [सं० गरी] पृथ्वी, भूमि । गहबळ - वि० बलवान, जबरदस्त । २ लय, ताल । ३ चहक । ४ हर्ष गहम - पु० गर्व, घमंड गहमत, (मत्त, मसी) स्त्री० सलाह, राय, - वि० १ गंभीर । २ उन्मत्त । ३ मदोन्मत्त । गहमह (गमहाट) स्त्री० १ भीड़, समूह २ अधिकता, बहुलता । ३ उत्सव धूमधाम । ४ जगमगाहट । ५ ध्वनि विशेष | · गहमहरणौ ( बौ) - क्रि० प्रफुल्लित होना । गहमातौ-वि० (स्त्री० गहमाती) मदोन्मत्त । गर्वोन्नत । गहम्रग पु० [सं० गृह मृग ] श्वान, कुत्ता । गहर- वि० १ गंभीर । २ भयंकर । ३ प्रथाह । ४ घना, अधिक - पु० १ घमंड, गर्व । २ बड़प्पन । ३ ध्वनि विशेष | धूमधाम से I गहगहणौ (बौ). गहगहाणौ. ( बौ) - क्रि० १ प्रसन्न या खुश होना । २ प्रफुल्लित होना । ३ धूम मचना । ४ सघन, घनः होना । ५ महकना । ६ जोश करना। ७ उत्साहित होना । उत्सुक होना । ९ हर्षित होना । महगीर - वि० १ वीर बहादुर । २ गंभीर । गहगाह पु० १ झुण्ड समूह । २ पक्षियों का झुण्ड | ३ देखो 'गहगह' । गहघट्ट पु० १ समूह, झुण्ड । - वि० घना, सघन । गघूमरणौ (बौ) - क्रि० मंडराना । गहड़, गहड़ 'र- वि० १ गंभीर । भयंकर । २ जमघट । ३ युद्ध, समर । २ वीर बहादुर । ३ विकट, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गहट्ट, (ट्ठ) - पु० १ नाश, विध्वंस, संहार । २ वैभव, ऐश्वर्यं । ३ समूह | गहडंबर, (भर, मर) - वि० घना, सघन, गहरा । गहरा, (गि, पी) - पु० १ युद्ध, समर । २ सेना, फौज ३ फेरा, चक्कर ४ समूह । वि० १ गंभीर, गहरा । २ देखी 'गहन' | गहरापरण महरी (बी) क्रि० ध्वनि करना, गर्जना । गहराई त्री० १ बहरापन, गांभीर्य २ बाह For Private And Personal Use Only ३ दुर्गम, कठिन | ७ क्लिष्ट । १० रहस्यमय । २ गुप्त स्थान । ५ ग्रहरण, पकड़ । ८ फेरा, चक्कर १२ छुपने का सम्मति । गहराणौ (बौ) - क्रि० १ गर्जना । २ गद्गद् होना । ३ अधिकार में करना । महरा (सो-देखो 'बहराई'। Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गहरी गांठणी गहरी-स्त्री० [सं० गह्वरी] पृथ्वी। गांगनौ-वि० (स्त्री० गांगनी) १ मूर्ख, विक्षिप्त । २ चंचल, गहरी-वि० [सं० गहन] (स्त्री० गहरी) १ गंभीर, अथाह । अस्थिरचित्त । २ अधिक, ज्यादा । ३ घोर, प्रचंड । ४ दृढ़, मजबूत। गांगरत, गांगरी-पु० १ व्यर्थ की टांय-टांय । २ बकवास । ५ भारी, कठिन । ६ पर्याप्त । ७ धना, घनीभूत । गांगली-स्त्री० १ श्रावण व आषाढ़ मास में चलने वाली दक्षिण गहळ-स्त्री० [सं० ग्रहल] नशा, उन्माद । पश्चिम की हवा । २ एक संन्यासी का नाम । गहळीजणी (बी)-क्रि० १ नशे में चूर होना । २ उन्माद या गांगवरण, गांगरणी, गांगी, गांगुण-देखो 'गांगड़ी'। उदासी छाना । ३ सर्पविष से प्रभावित होना। गांगड़ी-पु० १ किसी बर्तन के मुह का टूटकर अलग हुपा गहलोत-पु० एक राजपूत वंश ।। घेरा । २ मरणोपगन्त किया जाने वाला गंगाप्रसादी का गहलो-वि० [सं० ग्रहिल] (स्त्री० गहली) पागल, बावला । भोज । गहल्ल-स्त्री. १ प्रावड़ देवी की बहन, एक देवी। २ देखो 'गल्ल'। गांगेउ, गांगेय. गांगोय-पु. [सं० गांगेय] १ भीष्म । २ स्वामि गहवंत (तो)-वि० १ गंभीर, गहरा । २ वीर. बहादुर । कात्तिकेय । ३ सोना, स्वर्ण । ३ गविला । ४ अटल, स्थिर । गांगौ-पु० बर्तन के मुंह का घेरा। -वि० विक्षिप्त । गहवग-पु० मल्ल युद्ध । गांधा-स्त्री० बांस की डलिया आदि बनाने वाली जाति । गहवर-पु० [सं० गह्वर] १ गुफा, कंदरा । २ बड़ा छेद या | गांछउ, गांछौ-पु० उक्त जाति का व्यक्ति। खड्डा । ३ वन । ४ गहराई, अतलता। ५ अगम्य स्थान । गांज (रणो)-वि० १ नाश करने वाला । २ तोडने वाला। ६ दम्भ, पाखंड । गांजणी (बी)-क्रि० १ तोड़ना । २ खंडित करना । ३ मिटाना, गहवरणौ (बो)-क्रि० १ गर्व करना । २ निडर होना । ३ घना, | नाश करना । ४ पराजित करना । सघन होना । ४ उत्तेजित होना। ५ फूलना। गांजर-स्त्री० मोट के साथ बंधा रहने वाला रस्सा, वरत्रा। गहवरा (री)-स्त्री० [सं० गह्वरी] पृथ्वी, भूमि । गांजरौ-वि० (स्त्री० गांजरी) ढलमुल । गहवान-वि० १ गविला, अभिमानी । २ जबरदस्त । गहाणी-स्त्री० वेलिया गीत का एक भेद । गांजवणी (बौ)-देखो 'गांजणी' (बी)। गहाणी, (बौ) गहावरणी, (बी)-क्रि० १ संहार कराना। २ ग्रहण गांजागिर-पु. १ राजा, नृप । २ भाग्यविधाता । कराना, पकड़ाना । ३ धारण कराना । गांजीव-देखो 'गांडीव' । गहि-पु० [सं० गृही] कुत्ता, श्वान । गांजेडी-वि० गांजे का नशाबाज । गहिर-देखो 'गहीर'। गांजौ-पु० [सं० गंजा] १ भंग की तरह का एक प्रतिमादक गहिलारणो (बौ)-क्रि० प्रवाहित होना, बहना । पदार्थ । २ भाला, बरछा । गहिलो (ल्लो)-देखो 'गहलौ' । (स्त्री० गहळी)। गांट, गांठ, गांठडी (डो)-स्त्री० [सं० ग्रंथि] १ रस्सी व धागा गहीर (ह)-वि० [सं० गम्भीर१ गम्भीर, गहरा । २ अथाह । । ३ घना, सघन । ४ जटिल, गहन । ५ भारी। ६ सौम्य, प्रादि में पड़ी हुई ग्रंथि. गिरह । २ वस्त्र के छोर में लगाई जाने वाली ग्रंथि । ३ गठरी गट्ठा । ४ ईख, बांस प्रादि शांत । ७ मधुर । -पु. १ महादेव, शिव । २ हाथी । की पेरी। ५ प्रग का जोड़। ६ गांठदार जड़ । ७ एक ३ समुद्र। गहीलौ-देखो 'गहलौ' । (स्त्री० गहीली)। प्रकार का गहना । ८ समूह। ९ गिल्टी, गुमड़ा। १० टेढ़ापन । ११ सूजन। गह (हूँ)-देखो 'गेहूं'। -गोमी-स्त्री० एक प्रकार की गोभी। गहेठो-देखो 'गाप्रटी'। गहेलड़ो, गहेलू (लो)-१ देखो 'गेलो'। २ देखो 'गहलो'। गांठडी-पु० १ बड़ा गट्ठर । २ ऊंट के पेट में होने वाला गह्वर-देवो 'गहवर'। एक सेग। गांठरणी (बौ)-क्रि० [सं० ग्रथनम्] १ गांठ लगाना । २ सिलाई गह्वरी-त्री० [सं०] पृथ्वी. भूमि। करना. टांका लगाना। ३ जूते की मिलाई करना । गांगड़ी-स्त्री. १ क प्रकार का पौधा । २ इस पौधे के फल ।। ४ अपने पक्ष में करना । ५ वश में या काबू में करना । ३डूंगरपुर की एक नदी। ६ किसी से पैसा या कोई वस्तु ऐंठ लेना । ७ प्राप्ति गांगड़ौ-पु० हल का एक उपकरण । करना । ८ दबाना, दबोचना । किसी स्त्री को सम्भोग गांगरिणय (यौ)-पु० 'गांगड़ी' का फल । के लिए राजी करना। १० कल्पना करना । For Private And Personal Use Only Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गठिाई गाइब गांठाई-स्त्री० गांठने का कार्य, इस कार्य की मजदूरी । गांम, गांमड़ियौ (डो)-पु० [सं० ग्राम] १ गांव, देहात । २ पुरा। गांठारणी-स्त्री० बुनाई के लिए सूत के धागों को साधने का कार्य। ३ जाति, समाज । ४ समूह, समुदाय । ५ सरगम के स्वर । गांठियो-पु० १ हल्दी, सोंठ प्रादि की जड़ । २ गांठ के रूप में ६ राग। -खेर-पु. गांव की गायों का समूह । -गोचरप्याज, लहसुन आदि । ३ एक प्रकार का घास। पु० चारागाह भूमि । -भाभी-पु. गांव में हरकारे का गाठी (उ)-वि० मन में तनाव या ऐंठन रखने वाला । -पू० कार्य करने वाला भांबी। १ स्त्रियों का एक प्रकार का प्राभूषण । २ देखो 'गंठियो'। गांमड़ी-वि० ग्रामीण, ग्रामवासी। गांठ-क्रि०वि० पास में, अधिकार में । गांमतरी-पु० [सं० ग्रामान्तर] एक गांव से दूसरे ग्राम की गांठौ-पु० १ केसर की गठरी। २ देखो 'गंठी' । यात्रा, ग्राम यात्रा । यात्रा। गांड-स्त्री० [प्रा० गड्ड] १ मल-द्वार, गुदा । २ योनि । | गांमाऊ-वि० गांव का, गांव संबंधी। ३ पेंदी, तला। गांमि, गांभी-वि० [सं० गामिन्] १ चलने वाला, गतिमान । गांडर-स्त्री० १ किसी वस्तु की पेंदी, तला । २ एक प्रकार | .२ घूमने वाला । ३ सवार होने वाला । ४ संबध रखने की घास। वाला। ५ संभोग या रमण करने वाला। ६ श्रीकृष्ण । गांडीव-पु० [सं०] अर्जुन का धनुष । गांमेड़-देखो 'गांवेड। गांडू-वि० १ गुदा मैथुन कराने वाला । २ कायर, डरपोक । गांमेट (6)-पु० मुहल्ले में एकत्र होकर बहने वाला वर्षा गांरण-देखो “गांन'। का पानी। गांणपत-देखो 'गणपति'। गांमेती-वि० ग्राम-वासी, ग्रामीण। गांव का स्वामी । गांरणवर-पु० शिव, महादेव। ... गांमोगांम-क्रि०वि० प्रत्येक व सभी गांवों में । एक गांव से गांती-देखो 'गाती'। दूसरे गांव तक। गांती-देखो 'गांथी'। गांव-पु० ग्राम । -खेर-पु० गायों का समूह । -घाट-पु. गांथरणौ (बी)-क्रि० [सं० ग्रंथन] १ गूंथना, गुथाई करना । | मरणोपरान्त किया जाने वाला भोज । २ मोटी सिलाई करना, गांठना । ३ दो पशुओं को परस्पर | गांवड़ियो. गांवड़ो-देखो 'गांम' । बांधना। गांवेड़-पु० ग्रामीण, ग्राम का निवासी। गांथी-पु० [सं० ग्रंथन] १ बंधन । २ दो पशुओं का परस्पर गांस, गांसी, गांसु-स्त्री० १ रोक-टोक, प्रतिरोध । २ प्रतिबंध । का बंधन । ३ बंधन । ४ ईर्ष्या, द्वेष । ५ कपट, छल । ६ वैर भाव । गांदिनी-स्त्री० [सं०] १ गंगा । २ अक्रूर की माता । ७ नोक, नुकीला भाग । ८ तीर, बाण । ९ दुष्ट स्वभाव, गांधरव-वि० [सं०गांधर्व] १ गंधर्व संबंधी । २ गंधर्व देशोत्पन्न । दुष्ट प्रकृति । -पु० १ गंधर्व । २ घोड़ा, अश्व । ३ सामवेद का एक | गा-स्त्री० [सं०] १ पार्वती । २ लक्ष्मी । ३ गंगा। ४ पृथ्वी । उपवेद । ४ आठ प्रकार के विवाहों में से एक, प्रेम विवाह । ५ सरस्वती। ६ शक्ति । ७ गाय । ८ नाभि । -पु० ९ बुद्ध । ५ गंधों की कला। -वेद-पु० संगीत शास्त्र । १० ज्ञान, विवेक । ११ धनी । १२ बुद्धिमान, पंडित । गांधार-पू० सं०] १ एक पश्चिमी प्रदेश, कांधार । २ संगीत | १२ गीत, भजन । में तीसरा स्वर । ३ एक राग विशेष । -पंचम-पु० एक | गाठौ-पु. १ खलिहान में अनाज की बालों व डंठलों का षाडव राग । -भैरव-पु० एक राग विशेष । किया जाने वाला चूर्ण, रोदन, कुचलना । २ रोंदने, गांधारी-स्त्री० [सं०] १ गांधार देश की राज कन्या जो कौरवों कुचलने की क्रिया, कचूमर । ३ नाश, विध्वंस । की माता थी। २ मेघ राग की पांचवीं रागिनी। ३ तंत्र के गामणो-देखो 'गायणी' । अनुसार एक नाडी । ४ जैनों के एक शासक देवता। गाप्रणौ (बौ)-क्रि० १ खलिहान में अनाज की बालों व डठलों गांधी-पु० [सं० गांधिक] (स्त्री० गांधिण, गांधणी) १ तेल, इत्र को रोंदना, कुचलना । २ गेंदना, कचूमर निकाल देना। का व्यवसाय करने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति । ३ नष्ट करना । ४ देखो 'गाणो' (बी) । २ वर्षाकालिक एक कीड़ा विशेष । ३ हींग । ४ राष्ट्रपिता | गाइ-स्त्री० गाय । महात्मा गांधी। गाइक-देखो 'गायक' । गान (नि)-पु० [सं० गान] १ गायन । २ गीत, गाना । | गाइडमल-देखो 'गायडमल' । ३ संगीत । -गर-पु० गायक । -वंत-वि० गाने वाला, गाइणी (रणी)-देखो 'गायणी'। गान योग्य । | गाइब-देखो 'गायब'। For Private And Personal Use Only Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२५ ) गाई-स्त्री. गाय, गौ। गाडरिया-पु. १ एक लता फल विशेष । २ श्वेत बादल । गाऊ-पु० दो मील या एक कोस की दूरी या लम्बाई । गाडरी-पु० नर भेड़, मेष । गाग-स्त्री० धाव या चोट से पड़ने वाला खड्डा, पाव । गाडलिया-देखो 'गाडोलिया। गागड़ (डो)-पु० कच्चा बेर, बेर । गाइलियौ-देखो 'गाडोलियो' । गागड़रणी, (बी)-क्रि० ददं भरी आवाज करना, चिल्लाना । गाडांसरण-पु० गाड़ी या छकड़े पर रखा मामान । गागड़दा-वि. अधिक गाढ़ा, घना। गाडी-स्त्री० [सं० शकटी] १ बैल या घोडों से ग्वींचा जाने गागणी, (बो)-कि० १ चिल्लाना, कुहराम मचाना । वाला पहियादार यान । बैलगाड़ी, शकट, रथ । २ इसी २ विलाप करना, रोना । तरह मशीन द्वारा चलने वाले-यान यथा रेलगाडी, मोटर गागर-स्त्री० [सं० गर्गर गगरी, घट, घड़ा। गाड़ी, प्रादि । ३ अंगीठी, छोटा चूल्हा । ४ बैल गाड़ी के गागरौ-देखो 'घाघरौ'। अग्रभाग में लगाया जाने वाला लकड़ी का गुटका । गागोलिया-स्त्री० गुजराती नटों की एक शाखा । गाडीणी-पु० मिट्टी के बड़े-बड़े जल पात्रों से लदा हुया शकट गाघ-देखो 'घाघ'। या बैलगाडी। गाधरणौ, (बी)-क्रि० कराहना, दर्द भरी आवाज करना । गाडीत, गाडीती-पु० १ देसवाली मुसलमानों का एक भेद । गाघरांरणी-पु० पुनर्विवाह, विशेषकर देवर के साथ । २ गाडोलिया लुहार । ३ गाड़ी चलाने वाला । गरियो, गाधरौ-१ देखो 'घाघरौ' । २ देखो 'गाधरांगो' । गाडूलो-पु० १ छोटी बैल गाड़ी । २ शकट । ३ सामान लादने गाछ-पु० १ दीर्घकाय वृक्ष । २ वृक्ष । | का ठेला । ४ तीन पहियों का, बच्चों का खिलौना जिसके गाज-स्त्री० [सं० गर्जन] १ गर्जना । २ बादल की गर्जना। सहारे बच्चा चलना सीखता है। ३ बिजली, वज्र । ४ मदोन्मत्त ऊंट की आवाज । गाडेती-पु० १ गाडी में ही घर रखने वाले लुहार । २ गाडीवान । ५ भारी या तेज आवाज । गाडेसर (हर)-पु० गाड़ी आने-जाने का मकान का बड़ा द्वार! गाजरगौ-वि० (स्त्री० गाजणी) १ गर्जने वाला । २ दहाड़ने | गाडोलिया-पु० गाती लुहार । वाला । ३ बजने वाला । ४ जोर से बोलने वाला। गाडोली-स्त्री० १ भूरी-छोटी चिड़िया । २ छोटी गाड़ी। गाजरणी, (बो)- क्रि० १ गर्जना, कड़कना। २ दहाड़ना। गाडी-पु० [सं० शकट] १ बड़ी गाडी । २ सामान से भरी ३हुंकार भरना। ४ जोर से बोलना। ५ बजना । गाड़ी । ३ गाड़ी में एक बार में भरा जाने वाला सामान, ६ प्रसन्न होना । ७ चिल्लाना । चारा आदि । ४ बीस मन का परिमाण । गाजनमाता-स्त्री० बनजारों की कुलदेवी । गाढ़-पु० १ शक्ति, बल । २ मान प्रतिष्ठा । ३ गर्व अभिमान । गाजर-स्त्री० मूली की तरह का एक मीठा कंदफल । ४ कड़ाई, कठोरता । ५ दृढ़ता, मजबूती। ६ ठोसपना । गाजरियौ-पु० १ गाजर का बना खाद्य पदार्थ । २ गेहूं की ७ धैर्य, धीरज । ८ सहनशीलता । 8 गंभीरता, गहराई। ___ फमल के साथ होने वाला घास । १० प्रेम, आग्रह । ११ साहम. हिम्मत । १२ वृद्धावस्था । गाजी, गाजीऊ-पु० [अ० गाजी] १ धर्म के लिए लड़ने वाला १३ गाढ़ापन । १४ सघनता, घनत्व । १५ कपट । १६ श्वान, वीर पुरुष । २ एक प्रकार का ऊंट । ३ घोड़ा। -वि० श्रेष्ठ कुत्ता । १७ ध्यान, सतर्कता। १८ भ्रम, डर, अातंक । वीर । -मरद-पु. बहुत बड़ा वीर । घोड़ा। -वि १ अत्यधिक, ज्यादा, बहुत । २ रढ़, मजबूत । गाटक-पु० १ गुटका । २ घूट। ३ घना, गाढा । ४ कठिन, विकट । ५ पूर्ण, युक्त, गाटा-पु० बैलगाड़ी के थाटे के नीचे लगने वाले डंडे । परिपुर्ण। --गुर-वि० महान, बड़ा । वीर, योद्धा। गा'टो (बी)-देखो 'गाग्रठो' । अहंकारी, अभिमानी। -यंभ-वि० वीर । -वाळ-वि० गाड-पु० [सं० गत] १ गत, गड्ढा । २ गाडी, बैलगाड़ी। धीर, गंभीर । ३ भय । ४ आपत्ति । ५ देखो 'गाढ़' । गाढउ-देखो 'गाढ़ौ'। गाउरणी, (बो)-क्रि० [सं० गर्तन| १ गड्ढा खोदकर मजबूत ग्रेप देना । २ खड्डे में डालकर ऊपर मिट्टी से दबा देना ।। | गाढ़म-स्त्री० [सं० गालिम १ गर्व । २ गंभीरता । ३ वीरता, दफनाना, गाड़ना । ३ घुसेडना, धमा देना। ४ जमाना, बहादुरी । ४ मान, प्रतिष्ठा । ५ शक्ति, बल । जमाकर स्थिर करना। गाढ़मल-देखो 'गायडमल' । गाडर, (री)-स्त्री० भेड़. मेष । -तांतियो-पू० वर्षा ऋतु का गाढांगुर-देखो 'गाढ़गुर'। एक घास। गादाक-देखो 'गाढ़ी। For Private And Personal Use Only Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गाढ़ामार www. kobatirth.org 67 ( ३२६ ) गाढामाह - पु० १ शौकीन छैन । २ प्रार्य पुत्र । ३ लोक गीतों में पति के प्रति प्रयुक्त शब्द । शादिम देखो 'वाम' । गाली गाडू, गाड़ राव, गाईल, गाई राय - वि० (स्त्री० गाढ़ीली, गाढ़राव-वि० गाढ़ेली ) १ वान गंभीर । २ वीर बहादुर । ३ शक्तिशाली बलवान । गाड़ी वि० [सं०] गाड़] (स्त्री० गाड़ी) १ जो पतला न हो, मोटा, गाढ़ा । २ जिसमें तरलता कम हो, पानी कम हो, गाढ़ा द्रव 1 ३ गहरा, घना । ४ बहुत अधिक सख्त, मजबूत, ठोस, दृढ़ । ५. जिसमें घनिष्ठता हो पनिष्ठ । ६ अत्यधिक बहुतायत में बनावट में मोटा । ८ धीर, गंभीर । जबरदस्त शक्तिशाली । १० जोशीला, जोश वाला । गीत | गाली - पु० [सं० गान] १ गायन की क्रिया । २ गाना, गाणी (बौ) - देखो 'गाणी' (बो) । गाणौ ( बौ) - क्रि० १ गायन करना 1 २ गीत भजन आदि गाना । ३ मधुर ध्वनि करना 1 ४ स्वर ताल में ध्वनि अलापना । ५ गुनगुनाना । ६ स्तुति करना । ७ वर्णन करना । गात पु० [सं० गात्र ] १ शरीर, अंग, तन । २ शरीर का अवयव । गातरियों, गात गातो-५०१ कपाट के बीच लगने वाला डंडा । २ निश्र ेरेणी में आड़ा लगने वाला डंडा । ३ देखो 'गात' । गातियौ- पु० १ जबड़ा । २ देखो 'गाती' | गातरी, गाति, गाती-स्त्री० [सं० गात्रिका] १ साधुओं का शरीर पर वस्त्र लपेटने का एक ढंग । २ उक्त ढंग से लपेटा जाने वाला वस्त्र चादर । माती-देखो 'गातरों' । गात्र देखो 'गात' । गात्रगुप्त - पु० श्रीकृष्ण का एक पुत्र । गावरण - पु० स्वर साधन की एक प्रणाली । मात्र पु० हाथी । गाथ - स्त्री० १ गाथा । २ कीर्ति । ३ दौलत, धन । ४ ५ देखो 'बात' यश । गाथा ( थी ) - स्त्री० १ स्तुति । २ काव्यात्मक कथा । ३ वृत्तान्त, हाल । ४ वह श्लोक जिसमें स्वर का नियम न हो । ५ छन्द । ६ गीत । ७ फारसियों के धर्म ग्रंथ का एक भेद । ८ एक प्रकार का श्रर्द्ध मात्रिक छन्द । ९ यशगान । गाव- पु० शब्द, वचन । गादड़ गावड़ियो, गावड़ी - पु० गीदड़, सियार । - वि० कायर, डरपोक । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गायटी गावरणौ - पु० मंजरी, कोंपल । गावरणौ (बौ) - क्रि० १ प्रकुरित होना । २ उत्पन्न होना । ३ गदराना । - । । यादरित वि० १ गद्गद् प्रसन्न २ सुडौल, पुष्ट ३ गदराया हुआ । ४ स्थूल । गादह-पु० गर्दभ गया। गावी स्त्री० १ छोटा गद्दा २ गद्देदार बिछौना ३ जीन पर । । डाला जाने वाला वस्त्र । ४ बैठक । ५ राज्य सिंहासन । ६ उत्तराधिकार में प्राप्त पद । ७ गाय, भैंस, बकरी आदि का थन । - धर-पु० राजा । उत्तराधिकारी। -नसीन १०] सिंहासनारूद। गाल - पु० रहट में लगा मोटा लट्ठा जिसके एक शिरे पर बैठ कर बैल हांके जाते हैं । गादोतरी पु० [सं०] गोवधोतर ] १ जमीदार या शासक से उब कर किसी वंश या जाति का गांव या देश त्याग | जाते समय ये गांव या प्रदेश की सरहद पर गो-शिर की पत्थर की मूर्ति खड़ी कर जाते थे । २ भूमिदान के समय उस भूमि की सीमा पर गाय व बछड़े का चित्रांकित पत्थर खड़ा करने की क्रिया । गादौ पु० १ कीचड़ । २ गधा | गाध-पु० कुत्ता, श्वान | गाधि-पु० [सं०] विश्वामित्र के पिता का नाम नंब, पुत्र, सुत, सुनंद- पु० विश्वामित्र - पुर- पु० कान्य कुब्ज । गाय पु० [सं०] विश्वामित्र गाधौतरी-देखो 'गादोतरी' | गाफल, गाफिल - वि० [अ० गाफिल ] १ बेखबर असावधान | २ लापरवाह | गाफिली- स्त्री० असावधानी, गफलत । लापरवाही । गावड़ (छ) स्त्री० [ग्रीवा, गर्दन 1 गाबरू - वि० जवान, युवा ( मेवात ) । गावलियो पानी देखो 'नामी' । गाभ - देखो 'गरभ' । गाभी - पु० १ वस्त्र, कपड़ा । २ हल्का भोजन । गाय - स्त्री० [सं० गो] १ अत्यन्त सीधा सादा व दुधारु मादा चौपाया जानवर, गऊ । २ सीधा-सादा प्राणी । । गायक ( को ) - पु० [सं० गायक] १ गाने वाला गर्वया । २ ग्राहक । For Private And Personal Use Only गायड़ - पु० गर्व, अभिमान । वि० १ गम्भीर । २ बहादुर । ३ अभिमानी, स्वाभिमानी । — गाडौ- वि० गम्भीर । - मल- पु० लोक गीतों का नायक । वीर योद्धा । (डी) देखो 'बाथ' Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गायरा । ३२७ ) गाव गायरण (न)-पु.]सं०गायन] १ गाने की क्रिया, गायन । ३ गीत, ६ दर्रा । ७ बड़ा छेद । ८ जहर. विष । ६ संहार, नाश । भजन । ३ ईश्वर का नाम, संकीर्तन। ४ गायक । ५ वेश्या । १० गाढ़ा द्रव पदार्थ, गाढ़ा नमक युक्त द्रव पदार्थ जो गायणी, (नी)-स्त्री० १ गाने वाली, गायिका । २ गणिका, पशुओं को 'नाळ' में पिलाते हैं। ११ समय, काल । वेश्या। १२ कीचड़ में खेलने से बच्चों के पैरों में होने वाला गायणौ-पु० विश्नाइयों का गुरु । विकार । १३ बरस चुकने वाले बादल । -क, गर-वि. गायत्री (य)-स्त्री० स०] १ अार्यों द्वारा उपास्य एक अत्यन्त १ गलाने वाला । २ नाश करने वाला। पवित्र वैदिक मंत्र । २ चौबीस अक्षरों का एक वैदिक छन्द गाल, गालड़ियो, गालड़ी-पु. कपोल । विशेष । ३ दुर्गा । ४ गंगा । ५ गाय । -ईस-पु. गाळण-स्त्री० १ तपाकर पिवलाने या गलाने की त्रिया। ब्रह्मा, ईश्वर । २ मिटाने या नष्ट करने की क्रिया । -वि० १ मिटाने गायब-वि० [अ०] लुप्त, गुम, अन्तर्धान । -पु० गाने | बाला । २ गलाने वाला। की क्रिया। गाळणी (खौ)-क्रि० १ गलाना, पिघलाना । २ मिटाना, नष्ट गायबिट-पु० [स०] गोबर । ____ करना । ३ मर्दन करना। ४ क्षीण करना, कृश करना । गार-स्त्री० [सं० गाल] १ गोबर में चिकनी मिट्टी मिला गालफदार-पु० अर्द्ध चन्द्राकार दरवाजे के कपाट । दीवार या प्रांगन का लेपन । २ मिट्टी, रेत । ३ कीचड़, गाळबौ-पु. गर्व अभिमान । पंक । ४ दल-दल । ५ चिकनी मिट्टी का गारा । ६ गहरा गालमसूरी (से)-१० गले के नीचे लगने वाला नर्म तकिया। खड्ढा । ७ गुफा, कंदरा। गाळनौ-वि० (स्त्री० गाळमी) गला हवा. तरल । -पु. गला गारक-पु० [सं० गरिक] सोना, स्वर्ण । हा अफीम । गारगी-स्त्री० [सं० गार्गी] १ अत्यन्त विदुषी एवं ब्रह्मनिष्ठ गालरकोट, (गोटे, पोट)-वि० १ बाले या सिट्टे निकलने की वैदिक स्त्री। २ दुर्गा । अवस्था में । २ पूर्ण युवा । ३ योवनोन्मुखी। गारड़व (डीड)-देखो 'गारडव' । गालव-१० विश्वामित्र के शिष्य एक ऋषि । गारट-पु० [अ० गारत] समूह, झुण्ड । | गाला..स्त्री . एक वृक्ष विशेष । २ एक औषधि विशेष । गारडव (डी, डू)--पु० [सं० गारुडिक] १ मपेरा । २ सर्प विष उतारने वाला। -बंध-पु० गले के बांधने की रस्सी। गारत-वि० [अ०] नष्ट, बरबाद । गळि-१ देखो 'गाळ' । २ देखो 'गाळी' । गारद-स्त्री० १ सेना की एक टुकड़ी। २ पहरा, चौकी। गालिब-वि० [अ० गालिब] १ विजयी, जीतने वाला । २ समर्थ, ३ गारदी। बलवान । -पु० उर्दू के एक प्रसिद्ध शायर । गारब-देखो 'गरब'। गाळी-स्त्री० १ कान के प्राभूषण का पिछला गोल भाग । गारवण-स्त्री० रबी की फसल की प्रथम बार सिंचाई करने २ डोरे की गोल गिरी, गिट्टी (वासर) । ३ छोटा फंदा । की क्रिया। ४ घोड़े की रकाब से लगी चमड़े की रस्सी । ५ अपशब्द, गारि (री)-देखो 'गार'। गाली । ...--गलोच-पु० अपशब्दों का आदान-प्रदान । गारुड़ पु० [सं० गागड़] १ सोना, म्वर्ण । २ गरुड़ पुराण । र पुराण । गाळी-पु० १ गले का बंधन । २ फंदा । ३ जुलाहों की ढरकी ३ बहत्तर कलानों में से एक । ४ गरुड़ । ५ बड़ा, महान । के मध्य का रिक्त स्थान । ४ घोड़े के पांव का एक भाग । गारुड़ि (डी)-पु० [सं० गारुडी] १ संपेरा । २ विष वैद्य । ५ पीसने के लिए चक्की में एक बार में डाला जाने वाला गारुडिन, गारुडी-देखो 'गारडव' 'गारडी' । अनाज । ६ अनाज डाला जाने वाला चक्की का मह। गारतमत-पु० [सं० गारुत्मत] १ मरकत मणि । २ गरुड़देव ७ ग्रास, कौर । का अस्त्र। गावंत्री-१ देखो 'गायत्री'। २ देखो 'गाय'। | गाव-पु० [स० ग्राव] १ पहाड़ । २ चट्टान, पत्थर । ३ बादल । गारौ-पु० १ चुनाई में काम आने वाला नूने या मिट्टी का लेपन, गारा । २ कीचड़। ४ देखो 'गाय'। गाळ-स्त्री० [सं० गालि १ अपशब्द, गाली । २ संबंधियों को हा गावकुस-स्त्री० [सं० ग्रीवांकुश] लगाम । सम्बोधित करते हुए व्यंग वचनों में गाया जाने वाला गायकोहान-पु० पीठ पर कुबड़ वाला घोड़ा। लोकगीत । ३ कलक । ४ दुराणीष । ५ मध्य, बीच। गाव-स्त्री. १ गर्दन, ग्रीवा । २ ग्वाला, गोप । For Private And Personal Use Only Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गावडियो । ३२८ ) गिचपिचियो गावड़ियो-पू०१ गायों में रहने वाला बैल । २ गाय चराने २ गंदा होना। वाला। गिदफड़-देखो 'गदफड़। गावड़ी-स्त्री० गाय । गिदारणौ (बी), गिदावणी-क्रि० सड़ाना । गंदा करना । बदबू गावची-स्त्री० कलई पर का आभूषण । फैलाना। गावरण-देखो 'गायण'। गिदियो, गिदीयो-१ देखो 'गंदियो' । २ देखो 'गंदी'। गावरणी (बो)-देखो 'गाणो' (बी)। गिदुक-पु. उपधान, तकिया । गा'वरणौ (बौ)-देखो 'गाहणी' (बौ)। गिमार, गिवार-देखो 'गंमार'। गावतकियो-पु० बड़ा, गोल तकिया । गिवारी-देखो 'गंवारी'। गावत्रि, गावत्री-१ देखो 'गायत्री' । २ देखो 'गाय'। गिग-स्त्री० छहारे की गुठली। गावसुम्मी-पु० फटे सुम का घोड़ा। गिगन (न)-पु० आकाश । --पत, पति-पु० सूर्य, भानु । गावाळरणो-देखो 'गवाळी'।। -मंडळ ='गगनमंडळ'। गावाळरणी (बौ)-क्रि० १ गायों को चराना । २ गायों की गिगनार-देखो गिरनार'। रक्षा करना । ३ रक्षा करना। गिगाय-स्त्री. १ एक देवी का नाम । २ बच्चे का जोर से रुदन । गावित्रि. गावित्री-१ देखो 'गायत्री' २ देखो 'गाय'। गिड़ग-देखो 'गिडकंद'। गावी-वि० गाय का, गाय संबंधी। -धी-पु० गाय का घी। गिद-प० [सं० गिरींद्र] १ पहाड, पर्वत । २ हिमालय । गासमारी-देखो 'घासमारी'। ३ ऊंट। गास, गासियो-पु० [सं० ग्रास] कौर, निवाला ग्रास। गिड़-पु० १ योद्धा । २ सूअर । ३ फोड़ा । ४ कंट । ५ पर्वत । गाह-पू० [सं० गृह] १ गृह, मकान, घर । २ रक्षक। हिमकण। -वि. जबरदस्त, शक्तिशाली। ३ विध्वंस, नाश । [सं० गाथा] ४ गाथा, कथा । ५ गीत, गिड़कंद (कंध)-वि० [सं० गिरिकस्कंध] जिसके कंधे विशाल गायन । -वि० विध्वंस, संहार करने वाला। | हों। -पु० १ सूअर, वराह । २ ऊंट । गाहक-पु० [सं० ग्राहक] १ लेने वाला, खरीदने वाला, | गिड़करणौ (बौ)-देखो 'गुडकरणी'। परीददार क्रेता । २ चाहने वाला इच्छुक । ३ कद्रदान। गिड़काणी (बी), गिड़कावणी (बौ)-देखो 'गुडकारणो' (बो)। गाहकी-स्त्री० १ बिक्री । २ देखो 'गाहक'। गिड़गिड़ाणी (बौ)-क्रि० [सं० गद्गद्] १ विनम्र प्रार्थना गाहड़-देखो 'गायड' । -मल, मल्ल-'गायडमल' । करना । २ दया की भीख मांगना । ३ गिगियाना । गाहटणी (बौ)-देखो 'ग़ाहणी' (बी)। गाहटौ (ठो)-देखो 'गाअटो' । गिड़गिड़ाहट-स्त्री० विनम्र, प्रार्थना । दयनीय अवस्था । गाहरणी-स्त्री० १ गाने वाली । २ ढोली जाति की स्त्री। गिडगिड़ी-स्त्री. १ कूऐ पर लगी गोल चकरी। २ पतंग की ३ आर्या छन्द का एक भेद । डोर या डोरा लपेटने की चरखी । ३ देखो 'गड़गड़ी' । गाहरणौ (वो)-क्रि० [सं० गाह] १ संहार करना, नाश करना। | गिड़णौ (बौ)-देखो 'गुडणौ' (बौ)। २ मथना । ३ कुचलना, रोंदना । ४ लूटना । ५ दबाना।। रोदना । ४ लूटना। ५ दबाना। गिड़द-देखो 'गिड़दी'। ६ थाह लेना । ७ अवगाहन करना। गिड़दाव-पु० १ विस्तार । २ घरा । ३ क्षेत्रफल । गाहा-देखो 'गाथा'। । गाहिड़-देखो ‘गायड़' । --मल, मल्ल-गायडमल' । गिडदी-स्त्री० भीड़, जमघट, झुंड । गाह-पु०५८ मात्राओं का एक छन्द । गिड़दौ-पु. १ सिर का पिछला भाग, गुद्दी । २ देखो 'गुड़दौ' । गाहेरिण (रणी)-स्त्री० गाथा छन्द का एक भद। गिड़राज-पु० १ शूकर राज, सूपर । २ ऊंट । गाहौ-देखो ‘गाथा। गिड़राय-स्त्री० पावड देवी। गिजो-देखो 'गंजो'। गिडि (डी)-देखो 'गिड़' । गिडक-देखो 'गंडक'। गिडग-देखो 'गडंग'। गिड़ो-पु. १ पोला, हिमकरण । २ बड़ा व बेडौल पत्थर । गिडी-स्त्री. गेंद । गिचरणौ (बी)-क्रि० अधिक भार से दबना, पिचकना । गिदड़ी-स्त्री० गंदगी। गिचपिच-वि० उलझन भरा, अस्पष्ट । -पु. हिचकिचाहट । गिदरणी (बो-कि० सं० गधनम् ) १ सड़ना, बदल देना : गिचपिचियो-पु० छोटे तारों का पूज, कृत्तिका नक्षत्र । For Private And Personal Use Only Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गिचरको गिचरको-पु० १ नर्म वस्तु के जोर से दबने से होने वाली गिनांन-देखो 'ग्यांन'। आवाज । २ दबाव पड़ने पर निकलने वाला गूदा। गिनांनी -देखो ‘ग्यांनी' । ३ हिचकिचाहट । ४ देखो 'गुचर को' । । गिनायत (ती)-पु०१ स्वजातीय व्यक्ति । २ संबंधी, रिश्तेदार । गिचरपिचर-स्त्री० अस्पष्ट बात, झिझक । ३ लड़की या लड़के के ससुराल वाला कोई व्यक्ति । गिचळारण-स्त्री० मिचलाहट, घृणा, अरुचि । गिनारगो (बौ)-क्रि १ ध्यान देना, परवाह करना । २ महत्व गिचली-देखो 'गुचली'। देना । ३ समझना। ४ गिनना। गिच्चर-पिच्चर-देखो 'गिचर-पिचर'। गिनी-स्त्री० सोने का एक सिक्का । गिजा-स्त्री० [अ०] १ स्वादिष्ट द पौष्टिक खाद्य पदार्थ । गिनौ-देखो 'गनी'। २ ग्राफत। गिप्ती-स्त्री० सरस्वती। गिट, गिटक-स्त्री० १ ग्रंथि । २ निगलने की क्रिया या भाव। गियांन-देखो 'ग्यांन' । ३ गोल कंकर। गियांनी-देखो 'ग्यांनी'। गिटकिरी-स्त्री० तान लेने में स्वर का विशेष प्रकार का गियार-देखो 'गदार' । कंपन । गिरंडियो-पु० सूखा गोबर । गिटणों (बौ)-क्रि० [सं० गृ] निगलना, घुटक भरना । गिरंद (दर, ६, ध)-पु० [सं० गिरीद्र] १ हिमालय । २ सुमेरु । गिटपिट-स्त्री० निरर्थक शब्द या वाणी। ३ बड़ा पर्वत । -स्त्री० गर्द, धूलि । -मेर-पु० सुमेरु गिटारणी (बी), गिटावणी (बी)-क्रि० निगलाना, निगलने के । पर्वत । लिए प्रेरित करना। गिर-पु० पर्वत । -अठार, अढार='अढारगिर' । गिट्टक-देखो “गिटक'। -चर-पु० पर्वतों पर विचरण करने वाला । --पु० मेर गिडंक, गिड, गिडि-देखो 'गिड़' । सुमेरु पर्वत। गिरणगोर, गिरणगौर-देखो 'गरणगौर'। गिरकंद-देखो "गिड़कंध' । गिरगणी (बी)-क्रि० [सं० गणन] १ गणना करना, शुमार | गिरक-पु. १ गर्व, घमंड । २ ईर्ष्या, द्वेष, डाह । करना । २ संख्या तय करना । ३ हिसाब लगाना, गणित | गिरगड़ी-देखो 'गिड़गड़ी' । करना। ४ जोड़ना । ५ कुछ महत्त्व या कीमत समझना। गिर-गिराट-पु० १ हिचकिचाहट । २ मिचलन । ३ पश्चाताप ६ प्रतिष्ठा, सम्मान या अादर करना । ७ प्रभाव मानना । ४ असन्तोष । ८ निगलना। गिर-ग्रहरण-१० श्रीकृष्ण, गिरिधारी । गिरणत, गिणती-स्त्री० [सं० गणन] १ गणना, गिनती। गिरज (स, डो)-देखो 'गिद्ध' । २ संख्या । ३ तादाद । ४ किसी भाषा की अंक माला। गिरजपत, (पति, पती)-देखो 'गिरिजापति' । ५ उपस्थिति, हाजरी । ६ लेखा-जोखा । ७ मान्यता। गिरजा-स्त्री० पावती । --नदंन-पु० गणेश। -पत, पति, प्रतिष्ठा। वर-पु० शिव । गिणारणी (बी), गिरणावणी (बी)-क्रि० १ गिनवाना, गणना गिरजाघर-पु० ईसाइयों का चर्च । कराना । २ संख्या तय कराना । ३ हिसाब लगवाना । गिरजौ-पु. १ गिद्ध । २ गिरजाघर । गिद-पु० [सं० गद] १ कवि । २ वक्ता । ३ एक रोग विशेष । गिरझ-देखो 'गिद्ध'। ४ भाषण । गिरदृ-वि० [सं० गरिष्ठ] १ महान् बड़ा । २ देखो गिदबदणौ (बी)-देखो गदबदणी' (बी)। 'गरिस्ट' (ठ)। गिदरौ-देखो 'गदरौ'। गिरडू, (डी)-पु० पेड़ों के रस विकार से निकलने वाला गिदळणौ (बी)-क्रि० गंदला होना, गाढ़ा होना। पदार्थ। गिदावड़ (डो)-स्त्री० पर्वत के पास की कटी भूमि । (मेवात) गिरण-स्त्री०१ कराह, टीस । २ ग्रहण । ३ करुण-क्रन्दन । गिद्ध (ध)-पु० [सं० गृध्र] तेज उड़ने वाला एक मांसाहारी बड़ा गिरणगौ, (ब) गिरणारणी. (बो) गिरणावरणी, (बी)-क्रि. पक्षी, जिसकी दष्टि बड़ी तीक्ष्ण होती है। -पंख-पु० १ कराहना, दर्द भरी आवाज करना । २ करणाजनक शब्द तीर, बाण । ---राज-पु० जटायु । गरुड़। कहना । ३ गिड़गिड़ाना । गिनका-देखो 'गणिका'। गिरणी, (बी)-कि० १ गिर पड़ना, गिरना। २ खड़ी अवस्था गिनर, (त)-स्त्री० खयाल, ध्यान, परवाह । में न रहना । ३ ह्रास, अवनति या पतन होना । ३ नरी For Private And Personal Use Only Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गिरत । ३३० ) गिराळ प्रादि का समुद्र में मिलना । ५ कहीं पड़ जाना । ६ घेरे में | गिरमणी-स्त्री० [सं० गिरिमणि] पार्वती, गौरी। प्राजाना । ७ जकड़ जाना, ग्रसित होना। ८ दुर्बल या गिरराक (राका)-पु० [गिरि+प्रारक] सुमेरु पर्वत । क्षीण होना । । प्रतिष्ठा में कम हो जाना । १० युद्ध में गिरराज-देखो 'गिरिराज' । मारा जाना । ११ विफल होना । गिर(य-स्त्री०१ श्री प्रावड़ देवी । २ पार्वती । गिरत-पु० पर्वत । गिरवर-पु० पहाड़ । बड़ा पहाड़। -धणी, धर-पु० श्रीकृष्ण । गिरथ-देखो 'गरत्थ'। गिरवांण, (न)-पु० [सं० गीर्वाण] १ देव,देवता, सुर । २ ऊंट गिरद-पु० [फा०] चारों ओर का घेरा । -क्रि० वि० चारों ओर | की नकेल । -पत-पु० इन्द्र । पास-पास । देखो 'गरद'। गिरवांणी-स्त्री० १ देवी । २ अप्सरा, सुरबाला। ३ देववाणी, गिरदभ-देखो 'गरदभ'। संस्कृत भाष। गिरदवाई (वाय)-पु० विस्तार, फैलाव, प्रसार । गिरवाणी (बौ)-क्रि० १ गिराने का कार्य कराना, गिरवाना । गिरदारणी-पु० चुननदार पहनावे के नीचे का घेर । २ घेरने के लिए प्रेरित करना । ३ प्रतिष्ठा कम कराना। गिरदाणी, (बो)-क्रि० घेरा लगाना घेरना। ४ विफल कराना। ५ पटकवाना । गिरदाव-पु०१ चक्कर । २ विस्तार, फैलाव । | गिरवी (4)-वि० [फा०] बंधक, रेहन । -नांमौ, पत्र-गिरवी गिरदावर-पु० [फा० गिर्दावर भूप्रबंध विभाग का कर्मचारी।। का शर्तनामा। गिरदावरी-स्त्री० [फा० गिर्दावरी] १ 'गिरदावर' का पद या गिरवर, गात-वि० प्रचंड शरीर धारी । कार्य । २ कृषि भूमि की मौके पर जाकर की जाने गिरव्वर-देखो 'गिरवर' । वाली जांच। गिरस-देखो 'गिरीस'। गिरद्द-१ देखो 'गरद'। २ देखो 'गिरद' । ३ देखो 'गिद्ध'। गिरसर-पु० पर्वत शिखर । गिरध-देखो 'गिद्ध'। गिरसार-पु० [सं० गिरिसार] लोहा । गिरधर, (धरण, धरियो)-पु० [सं० गिरिधर] १ श्रीकृष्ण । | गिरसुता-देखो 'गिरिसुता'। ३ हनुमान । ३ ईश्वर । -स्त्री० ४ पृथ्वी । -नागर-पु. गिरस्ती-देखो 'ग्रहस्थी'। श्रीकृष्ण । -लाल-पु० श्रीकृष्ण का एक नामान्तर। गिरह-स्त्री० [फा०] १ ग्रंथि, गांठ । २ गज का सोलहवां भाग, गिरधरणि (णी)-स्त्री० पृथ्वी, धरती। एक नाप । ३ कलाबाजी । ४ पर्वत, पहाड़ । ५ मुसीबत । गिरधार (धारण, धारन, धारी)-देखो 'गिरधर' । ६ देखो 'ग्रह'। गिरनार-पु० १ गुजरात के एक पर्वत का नाम । २ इस पर्वत | गिरांमणी (णौ)-स्त्री० एक प्रकार की घास । पर स्थित तीर्थ। गिरा-स्त्री० [स०] १ सरस्वती । २ वाणी, बोली । ३ भाषा। गिरनारी-पु० १ गिरनार का निवासी । २ सर्प को रिझाने | ४ विद्या । ५ जिह्वा । ६ कविता, शायरी । वाली एक राग। ७ सरस्वती नदी। गिरफ्त (पति, पती)-देखो 'गिरिपति' । गिराई-पु० १ पुलिस या आरक्षी विभाग । २ पुलिस का बड़ा गिरफ्तार-वि० [फा०] १ पकड़ा हमा। २ हथकड़ी डाला अफसर, महानिरीक्षक । हुा । ३ कैदी । ४ ग्रसित । गिराक (ग)-पु० ग्राहक । गिरबांण, (ब्बांण)-देखो 'गिरवाण' । गिराणौ (बौ)-क्रि० १ गिराना, पटकना । २ खड़ी दशा में न गिरमट, (मिट)-पु. बढ़ई का एक प्रोजार । रहने देना । ३ पतन या अवनति कराना । ४ पदावनति गिरमा-देखो 'गरिमा'। कराना । ५ मिलाना, समाहित करना । ६ कहीं डाल देना, गिरमाथ-पु० [सं० गिरि-मस्तक] १ सुमेरु पर्वत । २ पहाड़ खो देना । ७ प्रतिष्ठा में कमी करना । ८ युद्ध में मार की चोटी। गिराना । ९ विफल करना । १० उखाड़ना, झाड़ना । गिरमाळ-स्त्री० १ पर्वत श्रेणो । २ अमलतास । गिरापति (पितु)-पु० [सं०] ब्रह्मा। गिरमास-देखो 'गरमास'। गिराब-पू०१ छरदार तोप का गोला । २ ऊमरकोट क्षेत्र गिरमिर-पु. [सं० गिरिमेरु] सुमेरु पर्वत । की भूमि । गिरमी-देखो 'गरमी'। गिरायक-देखो 'ग्राहक' । गिरमेर (मेरु)-पु० [सं० गिरिमेरु] सुमेरु पर्वत । गिरारक-पु० [सं० गिरि + प्रारक सुमेरु पर्वत । गिरयंद-देखो गिरीद', गिराळ-पु० पर्वत, पहाड़। For Private And Personal Use Only Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिराव गिलोय गिराव, गिरावट-स्त्री० १ गिरने की क्रिया या भाव, पतन, गिरीयक-देखो 'गिरिक'। कमी, ह्रास । २ उतार, घटती । ३ हीन भावना, तुच्छता । गिरीस-पु० [सं० गिरीश] १ शिव, महादेव । २ हिमालय, ४ घेराव। पर्वत । ३ कोई बड़ा पर्वत । ४ शिव लिंग। गिरावणो (बो)-देखो 'गिराणी' (बी)। गिरनौ-वि० १ सृन्दर मनोहर । २ सम्पन्न । ३ गम्भीर । गिरास-पु. १ उपाय, तरकीब । २ ग्रास । ४ गुणज्ञ । गिरासिया-स्त्री० अरावली पहाड़ के पास-पास बसने वाली गिर-स्त्री० [सं० ग्रह] १ अापत्ति, संकट, मुमीबत। २ देखो एक जाति । ___'गिरह'। ३ देखो 'ग्रह'। -गोचर='गोचर'। -बाज-पु. गिरासियो-पु० १ उक्त जाति का व्यक्ति । २ थोड़ी भूमि का कलाबाजी दिखाने वाला कबूतर । मालिक। गिरोवर-देखो ‘गिरवर'। गिरासमी-पु० [सं० गिराश्रमी] १ कवि । २ पंडित । गिलंका-स्त्री० हंसी, दिल्लगी। गिरिद-देखो 'गिरीद'। गिलका-स्त्री० नदी । --सिला-स्त्री० गंडक नदी। गिरि-पु० [सं०] १ पर्वत, पहाड़ । २ टीला । ३ चट्टान । | गिलगचियौ-देखो ‘गुळगुचियो । ४ एक प्रकार का नेत्र रोग । ५ दसनामियों का एक भेद । गिलगिली-स्त्री० १ गुदगुदी । चुनचुनाहट । २ हल्की खुजली। ६ पाठ की संख्या *। ७ खेलने की गेंद । ८ चूहा, मूसा । ३ घोड़ों की एक जाति । -पार-पु० पीतल । -कंटक-पु० वज्र । -गुड-पु० गिलट-पु. १ मुलम्मा । २ एक सफेद व चमकीला, हल्का धातु । कन्दुक, गेंद । -ज-पु. लोहा । -जा-स्त्री० पार्वती। गिलटी-स्त्री० १ ग्रंथि गांठ । २ एक प्रकार का रोग । ३ एक -धर, धरन-पु० श्रीकृष्ण । हनुमान । -धातु-पु०गेरू | प्रकार का छोटा कीटाणु। ---धारन, धारी-पु. श्रीकृष्ण । -ध्वज-पु० इन्द्र । गिलण-वि० निगलने वाला। -पु. १ गला, गर्दन । -नंदिणी -स्त्री. पार्वती । गंगा । नदी, सरिता ।। २ देखो 'गिलणी'। -नाथ-पु० शिव, महादेव । -राज-पु० बड़ा पर्वत, गिलणी, (नी)-स्त्री. १ भोजन उतरने की गले की नलिका । हिमालय, सुमेरु, गोवर्धन पर्वत । ---सार--पु० शिलाजीत । ठड़ी के नीचे का भाग । लोहा । —सुत-पु० मैनाक पर्वत । ----सुता-स्त्री० पार्वती। गिळणौ (बी)-क्रि०१ निगलना, खाना । २ अधिकार में गंगा। -संग-स्त्री० पर्वत की चोटी। करना । ३ संहार करना। ४ पिघलना, द्रवित होना। गिरिप्रौ-देखो "गिरियो । ५ घुट घुट कर पीना। गिरिक-पु० [सं० गिरिक:] १ गेंद । २ शिव, महादेव । गिलबिला-पु० मूसलमान । गिरिज-पु० [सं०] १ लोहा । २ अभ्रक । ३ शिलाजीत । गिलबिलाणी, (बी)-क्रि० १ व्याकुल होना । २ प्रलाप करना, ४ गेरू। बकना। गिरिजा-स्त्री० पार्वती, उमा । -पत, पति, पती-पु. शिव | गिलबौ-पु०१ कोलाहल, शोर । २ गाने की ध्वनि । ३ शिकायत । ४ देखो 'गलबौ' । महादेव। गिलम, गिलमो-पू० १ मुलायम गद्दा, बिछौना। २ तकिया । गिरिजावीज-पु० [सं०] गंधक । गिरित्र-पु० [सं०] १ शिव, महादेव । २ समुद्र। गिलारण, (पी) गिलान. (नी)-देखो 'ग्लानि'। गिलाफ-पु० १ आवरण । २ म्यान । गिरिमा-देखो 'गरिमा'। गिरियांडोब-क्रि०वि० टखने तक । गिलार-स्त्री० १ गला, गर्दन । २ देखो 'गलार'। गिलारी-स्त्री० गिलहरी नामक छोटा जानवर । गिरियो-पु० ऐड़ी के ऊपर बने हड्डी के गुटके, टखना। गिलास-स्त्री० पानी आदि पीने का लम्बा पात्र । गिरिसंधि-स्त्री० [सं० गिरि-संनिधि] दो पहाड़ों के बीच की | गिळित-वि० निगला हुआ। नीची भूमि, घाटी। गिली-१ देखो 'गुल्ली'। २ देखो 'गिलगिली'। गिरिस-देखो 'गिरीस'। गिलोड़ी-स्त्री० १ गुड-धी के मेल से बनी मोटी रोटी । २ घी गिरीद (द्र)-पु० [सं०] १हिमालय । २ बड़ा पर्वत । ३ सुमेरु । का छोटा पात्र । गिरी-स्त्री० १ नारियल का गूदा या उसका टुकड़ा । | गिलोणी (बो)-क्रि० १ गीला करना । २ पानी डाल कर गीला २ मिगी, गूदा। करना । ३ मिश्रित करना । ४ गूदना । गिरीप्रौ-देखो 'गिरियो । गिलोय-स्त्री० [फा०] वृक्षों पर चढ़ने वाली लता, गुरुच । For Private And Personal Use Only Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गिरोली ( ३३२ ) गुजारव गिलोरी-मांडिया-स्त्री० घी युक्त रोटी। गीतारी-स्त्री. १ झुण्ड बनाकर रहने वाला एक पक्षी। २ गायन गिलोळ-देखो 'गुलेल'। विद्या में प्रवीण स्त्री। गिलोळी-पु. १ मिट्टी की बनी छोटी गोली । २ गुलेल से फेंका | गीतिका-देखो 'गीतका'। जाने वाला कंकड़। गीतेरण-देखो 'गीतणी'। गिलोवरणी. (बो)-देखो 'गिलोगो' (बी)। गीदड़-पु० सियार, शृगाल । - गिलो-पु० १ झगड़ा, टंटा। २ निंदा, अपकीति । ३ खबर, गीदल-स्त्री०१ अांधी निकलने के बाद अाकाश पर छायी रहने सन्देश । ४ हंसी, मजाक । वाली गर्द । २ देखो 'गिद्ध' । गिल्ली-स्त्री०१ गुदगुदी । २ गुल्ली। गोदी-देखो 'गादी'। गिवल-पु० रोझ। गोध-देखो 'गिद्ध'। गिव्वर-पु० [सं० गिरिवर] पर्वत, पहाड़ । गोया-स्त्री० एक मात्रिक छंद विशेष । गिसी-वि० [अ० गिश्श] अशुभ, भयंकर । गीरंद-देखो 'गिरीद'। गिस्ती-देखो 'ग्रहस्थी'। गीरथ-पु० [सं०] १ बृहस्पति का नाम । २ जीवात्मा । गींऊ-देखो 'गंऊं'। गीरदेवी-स्त्री० [सं० गीदेवी सरस्वती, शारदा। गोंगरणी-स्त्री० पीले नेत्रों का एक छोटा पक्षी । गोरपति (ती)-पु० [सं० गीपंति] १ बृहस्पति । २ विद्वान, गोंडवौ-देखो 'गोंदवौ'। पंडित । गौंडाळियौ, गोंडाळी, गोंडोळियो, गीडोळी-पु० वर्षा ऋतु में होने | गीलापण (परणौ)-पु० प्रार्द्रता, नमी, तरी। वाला एक मोटा कीड़ा। गीलो-वि० (स्त्री० गीली) भीगा हुअा, नम, तर । गौंदवी-पु० [सं० गेंदुक] उपधान, छोटा गोल तकिया। गीलोपनौ (पन्नी)-वि० सुकुमार, सुन्दर, नाजुक । गी-स्त्री. १ शोभा. छबि । २ स्त्री । ३ वाणी । ४ सरस्वती । | गोल्लसणौ (बौ)-क्रि० निगलना, ग्रसना । ५ अमृत । -वि० १ कठोर । २ गत । गीसम-देखो 'ग्रीस्म'। गोग्रामाळती-स्त्री० एक मात्रिक छंद विशेष । गुगट-पु०१ धू-धू का शब्द । २ घूघट । गीखम-देखो 'ग्रीस्म'। गुछळ-देखो 'गूछळो'। गीगलौ, गीगौ-पु० (स्त्री० गीगली, गीगी) छोटा बच्चा, शिशु । गुंज-देखो 'गूंज' । गीगारणों. (बो)-क्रि० १ जोर से रोना । २ करुण क्रंदन करना। | गुजरणौ (बौ)-देखो 'गूंजणी' (बौ)। गीगोड़ी-स्त्री० बरसाती कीट विशेष । गुजन-पु० [सं०] १ भ्रमर गुजार की आवाज । २ मधुर गीजड़-पु० अांख का मैल । हवनि । गीजा-स्त्री० बिना नगीने की अंगूठी । गुजा-स्त्री० [सं०] १ घुघची नामक लता । २ इस लता का गोड-पु० [सं० किट्ट] आंख का मैल । फल या बीज। ३ धीमी आवाज। ४ ढोल । ५ ध्यान । गीण-स्त्री० टीस, कसक। ६ खाद्य पदार्थ विशेष । गीणणो (बी)-क्रि० १ कराहना । २ चीखना ! ३ रोना। गुजाइस (ईस, यस)-स्त्री० [फा० गुंजाइश १ स्थान, जगह । गीत-पु० [सं० गीतम्] १ गाने योग्य कविता । २ भजन, पद । २ सुभीता । ३ व्यवस्था, प्रबंध । ३ लोक गीत । ४ डिंगल का छंद विशेष । ५ चौसठ गुजाणी (बी)-क्रि. १ ढीलापन मिटाना, कसना, कसावट कलाओं में से एक। ६ बहत्तर कलाओं में से एक । लाना (बढ़ई) । २ देखो 'गुजारणी' (बी)। ७ मांगलिक गायन । ८ यश, कीर्ति ।। गुजाफळ-पु० धुघची, चिरमी। गीतका-पु० १ एक मात्रिक छंद विशेष । ३ बीस वर्ण का एक | गुजामाळ-स्त्री० धूचियों की माला। छंद विशेष । गुंजार-स्त्री० १ भौंरों की गूज । २ ध्वनि विशेष । गीतणी-स्त्री० १ गीतों की गायिका । २ एक पक्षी विशेष । [सं० गुह्यागार] ३ सामान गृह, भण्डार । ४ गोदाम । पीता-स्त्री० [सं०] १ भगवद् गीता । २ राम गीता आदि ५ तल गृह । वेदान्त ग्रंथ । ३ वृत्तान्त, हाल । ४ कथा । ५ छब्बीस गंजारणौ (बी)-क्रि० [सं० गुञ्जनम्] १ गुनगुनाना । मात्रा का एक मात्रिक छंद । ६ छबीस वर्ण का एक वृत्त। २ गर्जना। ३ झंकृत होना । ४ दहाड़ना। गौतारथ-वि० [सं० गीतार्थ] बहुश्रुत (जैन)। | गुजारव (रवरण)-पु. १ मधुर ध्वनि । २ गर्जना । For Private And Personal Use Only Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुजावरणी गुरेरक गुजावरणौ (बो)- १ देखो 'गूजाणी' (बौ) । २ देखो गुड़की-देखो ‘धुड़की' । 'गुजाणी' (बी) गुड़कौ-पु. १ लुढ़कने की क्रिया या भाव । २ ध्वनि, शब्द । गुजाहळ-देखो 'गुजाफळ' । गुड़गांठ-पु. १ एक प्रकार का खेल । २ इस खेल में काम पाने गुंजो-पु. एक प्रकार की मिठाई। वाला गोल बड़ा पत्थर । ३ अत्यन्त कसी हुई गांठ । गुज्जारणी (बौ)-देखो 'गुजारणी' (बी)। गुड़गुड़-स्त्री० १ द्रव पदार्थ में वायु घसने से उत्पन्न ध्वनि । गुंश-देखो 'गूज'। २ वात विकार से पेट में होने वाली ध्वनि या हलचल । गुंठड़ो-पु० [सं० गुठि] पूंघट । गुड़गुड़ाणी (बौ)-क्रि० १ गुड़-गुड़ शब्द करना । २ हुक्का गुठौ-पु० नाटे कद का घोड़ा। पीना। गुड-पु. १ मल्हार राग का एक भेद । २ गुण्डा। गुड़गड़ियो-पु० १ हुक्का । २ हुक्के के नीचे का जल-पात्र । गुंडो (ढ़ी)-स्त्री. १ कमीज प्रादि का बटन । २ ग्रंथि । गुड़गड़ी-१ देखो 'गुडगुड़' । २ देखो 'गुडगुड़ियो' । गुडो-वि० [सं० गुंडक] (स्त्री० गडी) १ वत्त, बदमाश। गुडगुडीलो-वि० गांठ-गंठीला, ग्रंथि युक्त। २ मन में गांठ रखने वाला । ३ लुच्चा, लफंगा, धूर्त। गुड़गुड़ी-वि० (स्त्री० गुड़गड़ी) मुह या किनारे तक भरा हुआ। गुढैल-देखो 'गुडल'। गुड़णो (बौ)-क्रि० १ लुढ़कना । २ गिर पड़ना । ३ खड़ी दशा गुथित-वि० [सं० ग्रंथित] गुथा हुया । में न रहना । ४ जाना, गमन करना । ५ मरना। गुदरइ-क्रि०वि० निकट, पास, समीप । ६ गुजरना, बीतना । ७ सोना, सो जाना । ८ बजना । गुफ-पु० [सं०] १ जाल । २ उलझन । ३ गुच्छा । ४ बंधन । ९ झूमना, झूमकर चलना । १० कवच युक्त करना या ५ गुथाई । ६ एकीकरण । ७ रचना । ८ क्रम निर्धारण । होना । ११ गड़गड़ शब्द करना । १२ कवच धारण करना । १३ निर्वाह होना । १४ देखो 'गुडणी' (बी)। ९ कराभूषण । गुबज-पु० [फा० गुबद] भवन या देवालय का गोलाकार | | गुड़थल (थेलो)-देखो 'गड़ थळ'। . शिखर। गडद, गड़दापेच-पु० गिराने, पटकने या मारने की क्रिया या भाव। गुमार (रौ)-पु० १ तहखाना । २ गुम्बज । गु-पु० [सं०] १ अर्क। २ प्राण । ३ कामदेव । ४ नर । गुड़दौ-पु० [फा० गुर्दः] १ रीढ़ के अगल-बगल रहने वाला ५ गुण । ६ पय । ७ कुत्ता । ८ खर । ९ भय । १० समाज। शरीर का एक अवयव । २ कान का एक प्राभूषण विशेष । ११ विष्टा, मल । १२ युक्ति, उपाय । ३ एक प्रकार की छोटी बन्दूक । गुपार-देखो 'गंवार'। गुड़-पाखर-वि० १ सुसज्जित । २ कवच धारण किया हुआ । गुमाळ (ळो)-पृ० १ गांव के बीच का चौक । २ ग्वाल, | गुड़फळ-पु० पीलू जाति का एक वृक्ष । ग्वाला। गुड़बारिणयौ-पु० चींटा। गुख-पु० गवाक्ष, खिड़की। गुड़मच-स्त्री० एक ध्वनि विशेष । गुगर-पु० घुघरू। गुड़वरण (रणी)-स्त्री० [सं० गौरवर्ण कसर । गुगळ (गुग्गळ, गुग्गुळ)-पु० [स० गुग्गुल] १ एक कांटेदार वृक्ष । | गुड़वाड़-स्त्री० [सं० गुडवाट] ईख, गन्ना । २ सलाई का पेड़ जिससे धूप या राल निकलती है । | गुड़हळ- देखो 'गुडहल'। -यूप-पु० उक्त गोंद से बना धूप। गड़ाकेस-देखो 'गुडाकेस'। गुग्घर-पु० घुघुरू। ----माळ-स्त्री० घुघुरू की माला। गुड़ारणौ (बो), गुड़ावणी (बो)-क्रि० १ लुढ़काना । २ गिराना, गुग्घस-पु. १ बिना जल के बादल । २ मृगी रोग। ३ मृगी | पटकना । ३ खड़ा न रहने देना । ४ मारना। ५ गुजारना, रोग से पीड़ित व्यक्ति के मुख के झाग । बिताना । ६ सुलाना। ७ बजाना। ८ कवच युक्त कराना । गुग्धी, गुधी-स्त्री० रूई या भेड़ की ऊन का बना वस्त्र विशेष। ९ निर्वाह कराना। १० निभाना। गुड़-पु. १ पका कर जमाया हुअा गन्ने का रस, गुड़ । २ हाथी गुड़िपाखर-देखो 'गुडपाखर' । का कवच । ३ गेंद। गुड़ियो-वि० कवच युतः । गड़करणौ (बौ)-क्रि० लुढ़कना। गुड़ी-देखो 'गुडी'। गुड़कारणौ (बौ) गुड़कावणो (बौ)-क्रि० १ लुढ़काना । गुड़ीकेस-देखो 'गुडाकेस' । २ धमकाना, इराना। गुड़े रक-पु० कौर, ग्रास । For Private And Personal Use Only Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गुडर्याणी www. kobatirth.org ( गुड्यांणी-देखो 'गळवांरणी' । चरको गुळकियो, गुळकी -१० १ पानी में लगाया जाने वाला गोता. डुबकी । २ डकार के साथ गले में छाने वाला पदार्थ । ३ कि, संकोच, हिचकिचाहट । reat, (च्छी ) - स्त्री० १ खेलने के लिए बच्चों द्वारा जमीन या प्रांगन में बनाया जाने वाला छोटा खड्डा । २ एक देशी खेल । ३ पानी का छोटा खड़ा । ३३४ ) गुच्छ - वि० १ बेहोश । २ प्रगाढ़ निद्रा में । ३ देखो 'गुच्छो' । गुच्छौ- पु० झूमका, गुच्छा समूह । I । । गुजर पु० [फा०] १ निर्वाह बसर २ गमनागमन क्रिया ३ पहुंच, पेठ । ४ कालक्षेप । ५ देखो 'गुजर' । - बसर- पु० निर्वाह । । गुजरणौ (बौ) - क्रि० १ बीतना, व्यतीत होना । २ आवागमन करना । ३ किसी रास्ते से चलना । ४ चल बसना, मरना । गुजरांरण - देखो 'गुजर' । गुजराणी (बी) क्रि० १ निवेदन करना २ गुजर कराना। गुजरात - पु० [सं० गुर्जर गोत्रा ] भारत का एक प्रान्त । गुजराती- वि० गुजरात का गुजरात संबंधी पु० १ गुजरात । । का निवासी २ एक प्रकार का नमूनिया रोग भाषा । ५ छोटी ज्वर, ३ नटों का एक भेद । ४ गुजरात की इलायची । ६ ब्राह्मणों का एक वर्ग । गुजारी (ब)- क्रि० १ बिताना, व्यतीत करना २ निर्वाह । करना, निभाना । ३ पूरा करना । ४ निवेदन करना । गुजारिस - स्त्री० [फा० गुजारिश : ] प्रार्थना, अर्जी 1 गुजारी-देखो 'गुजर' | गुजाहिक - पु० [सं० गुह्यक] देवयोनि विशेष, यक्ष । गुझवी वि० जुल्म करने वाला अत्याचारी धन्यायी 1 गुझियो - पु० मिश्री व इलायची युक्त खोए की मिठाई विशेष । गुटक देखो 'गुटकी'। गुटकरण, (बौ) - क्रि० १ निगलना, घूंट-घूंट पीना । २ कबूतर, फाख्ता आदि का मस्ती में बोलना । पुटकी स्त्री० १ २ जन्म पट्टी ३ प्रौषधि की 'ट गुटको पु० १ काष्ठ, रबर आदि का टुकड़ा, खण्ड । २ छोटी पुस्तक, गुटका ३ एक प्रकार की तांत्रिक सिद्धि । ४ नीम का फल या बीज । ५ घूंट, गुटक । ६ गोली । गुटरगूपु० कबूतर यादि की बोगी। गुटिका - स्त्री० १ गोली । २ दवा की गोली । ३ घूंट | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुटियो- पु० छोटा गोला पत्थर । गुट्ट पु० १ संगठन, गुट, दल २ समूह झुण्ड । ३ एक ध्वनि विशेष | गुट्टी, गुट्ठौ (ठौ) - पु० १ नीम का फल । २ नाटे कद का व्यक्ति । गुठली - स्त्री० आम, बेर आदि का बीज जिस पर ठोस प्रावरण होता है । । गुड पु० हाथी का कवच पावर-देखो 'गढ़पावर' । गुडगिरि-स्त्री० गेंद | गुड्डी गुजी (स्त्री० [सं०] गोदधि] १ छाछ का गाड़ा पेय गुडावलो १० लोहे का एक पात्र पु० । , पदार्थ । २ गेहूं मिला जो यव । डाळिया कि० वि० पटनों के ब गुज्जर- स्त्री० १ तीसरे विवाह की स्त्री । २ देखो 'गुजर' । ३ देखो 'गुरजर' । ४ देखो 'गुजर' । गुज्जरी-देखो 'गुजरी' । गुडगडोलो - वि० १ धूर्त, चालाक । २ कपटी । ३ गांठ-गंठीला । गुडलो (बी) देखो (बी)। - गुड़रणौ गुडळक, गुडळकियो-१ देखो 'गोधूळिक' । २ देखो 'गूडालियो' । गुडळरणौ, (बी) - क्रि० १ गंदा होना, गंदलाना । २ घुल आदि घुलना । ३ धूलि से गाढ़ा होना । गुडळता, गुडळपरण, (रणौ ) - स्त्री० १ गन्दलापन । २ गाढ़ापन । गुडळा, (ब) गुळवणी (बौ)- कि० १ गंदा करना, मयना । २ धूल आदि घोलना । ३ धूलि से आच्छादित करना । ४ गाढ़ा करना । गुडळि स्त्री० अधिकता। गुडडियो गुडळी वि० (स्त्री० गुडळी) १ गंदा गंदा आच्छादित । ३ धूलि मिश्रित । ४ घना । ६ देवो''। गुडहल ० १ बड़हर का वृक्ष गुडहल - पु० १ प्रहर का वृक्ष या पुष्प, जया । २ एक प्रकार का छोटा पौधा विशेष । गुडा - पु० १ कवचधारी हाथी । २ दाख । ३ कुलांछ । गुडाकेस - पु० [सं० गुडाकेश] १ अर्जुन। २ शिव, महादेव । - वि० नींद को वश में करने वाला । २ धूल मे । ५ गाढ़ा | गुडि पु० १ २ देखो 'गुडी' पक्चर- वि० सुसज्जित । कवच युक्त (हाथी) । गुडिया - स्त्री० कपड़े यादि की बनी पुतली, खिलोना | गुडियो पु० १ समाचार, खबर । २ गप्प, हींग ३ कवचधारी हाथी । 1 For Private And Personal Use Only गुडी-स्त्री० १ रस्सी आदि में ऐंठन से पढ़ने वाली ग्रंथि २ कपट, धूर्तता । ३ गुप्त या रहस्य की बात । ४ पतंग, किनका । ५ ध्वजा, झंडी । ६ कवच | ७ इच्छा । मांस । गुडेळ- पु० काष्ठ का एक गुटका जो बुनाई आदि में काम श्राता है । गुडीपु० १ रुपये रखने का चैना २ देखो 'गुड़ों' गुड्डी देखो 'गुडी' | 1 Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुढ़ी गुरसित्तर गुढ़ी- १ देखो 'गुढ़ौ' । २ देखो 'गुडी' । गुणचाळी, (स)-वि० चालीस से एक कम. उनचालीस । -पु. गुढ़ र-पु० एक फूल विशेष । तीस व नौ की संख्या, ३६ । गुढ़ी-पु० १ रक्षास्थल । २ छोटा गांव । ३ रहस्य । गुणचाळ' सौ, गुणचाळी-पु० [सं० ऊनचत्वारिंशत्] उनचालीस गुढ़-१ देखो 'गूढ़' । २ देखो 'गुडी' । का वर्ष। गुणंतर-वि० सत्तर से एक कम, उनहत्तर । -पू० साठ व गुणचास गुणपचास-वि० [सं० ऊनपंचाशत पचास से एक नौ की संख्या, ६९। कम, उनपचास । -पु० चालीस व नौ की संख्या, ४६ । गुणंतरी-पु० उनहत्तर का वर्ष । गुणचासौ, गणपचासौ-पु० उनपचास का वर्ष । गुण-पु० [सं०] १ किसी वस्तु या जीव का अच्छा स्वभाव धर्म | गुणणी-स्त्री० [सं० गुरणनी] छात्रों द्वारा बोली जाने वाली एक या लक्षण, विशेषता । २ निपुणता । ३ कला या विद्या । से सौ तक की गिनती। ४ असर, प्रभाव । ५ सदाचार, शील। ६ एहसान । | गुणणी (बी)-क्रि० [सं० गुणन् १ समझना, समझ लेना । ७ उपकार, भलाई । ८ आदत, प्रकृति, सिफत । २ विचार करना, ध्यान करना । ३ मनन करना। ४ गुणा ९ श्रेष्ठता । १० नामवरी. प्रतिष्ठा । ११ रस्सी, डोरी। करना । ५ वर्णन करना । ६ बोलना । ७ गुनगुनाना । १२ धनुष की प्रत्यंचा । १३ बाजे की डोरी। १४ नस । ८ बखान करना । ९ अनुभव प्राप्त करना । १० पालन १५ सांख्य के अनुसार सत्व, रज व तम तीन गुण । करना, निभाना । ११ पुनरावृत्ति करना । १६ तीन की संख्या *। १७सत की बत्ती । १८ ज्ञानेन्द्रिय । गणती, (स)-वि० [सं० ऊनत्रिशत्] तीस से एक कम, १९ नीति के अनुसार राजा के छः गुण । २० त्याग, वैराग्य। उनतीस । -पु० बीस व नो की संख्या, २६ । २१ भीम की उपाधि । २२ मित्र । २३ काव्य, कविता ।। गुरगतीसो-पु० उनतीसवां वर्षे । २४ प्रशस्ति काव्य । २५ यश, कीर्ति । २६ डिंगल का गीत | गुणद-वि० [सं०] गुणदायक । या छन्द । २७ दासी, परिचायिका । २८ रूप, स्वरूप. | गुणदा-स्त्री० हल्दी । प्राकार । २६ लगाम,बल्गा ।-वि० १ अति तीक्ष्ण । २ बड़ा, गुणन-पु० [सं०] १ गुणा । २ गिनती । -फल-पु० गुणा गुरु । -प्रतीत-वि० गुण रहित, निर्गुण । -पु० ईश्वर, | करने पर आने वाली संख्या, परिणाम । ब्रह्म। -प्राकर-पु० इन्द्रिय। -कर कारक, कारी-वि० गुणनिल-वि० गुणवान । लाभदायक, गुणकारी, सार तत्त्व। -पु० पाक शास्त्री। गुणनेऊ--वि० नब्बे से एक कम । -पु० अस्सी व नौ की भीम ।-गाथ गाथा-स्त्री० कीर्तिगान । प्रशंसा। -गाळ- संख्या, ८६ । वि० कृतघ्न । -ग्राहक, पाही-वि० गुणीजनों का आदर गणनेवी-पु० नब्बासी का वर्ष । करने वाला, कदरदान । --चोर-वि० कृतघ्न । -जोड़ो- गुणपंचासि-देखो 'गुणचास' । पू० कवि । कीतिगान करने वाला। -निधान, निधि-वि० गुणपत. (पति. पती, पत्त)-देखो 'गणपति'। गुणवान सर्वगुण सम्पन्न । विद्वान । -माळ, माळा-स्त्री० | गुणयल-पु० [सं० गुरिणकल] चन्द्रमा । काव्य, कविता। -रासि-पू० चन्द्रमा । गुणों का भण्डार। गुणवणौ बौ)-क्रि० विचार करना, मनन करना। ---वंत, वान-वि० गुणी. विद्वान. पंडित ।-सारण, सागर- | गुणवरदान-पु० गगेश, गजानन । वि० गुणवान । श्रेष्ठ । .....हीण, होण, हीणो-वि० गुण | गुणवांण (न)-वि० गुणवान, गुणी। रहित. निर्बुद्धि, मूर्ख । कृतघ्न । गुणवाचक-वि० [सं०] गुणों की प्रशंसा करने वाला। -स्त्री. गरणक-पु० [सं०] १ गुरगा करने का अंक। २ गुणा करने एक प्रकार की संज्ञा । वाला। गणवाद-पु० [सं०] मीमांसा के अर्थवाद का एक भेद । गुणवेलड़ी-स्त्री० गुणलता । गणगरण, गुणगुणाहट-स्त्री० गुनगुनाने की ध्वनि । गुणसठ-देखो 'गुणसाठ'। गुणगुणारणी, (बौ)-क्रि० मन ही मन कुछ बोलना, गाना, गुणसठौ-देखो 'गुण साठी' । गुनगुनाना। गुणसाठ-वि० [सं० ऊनपष्ठि] साठ से एक कम। -स्त्री. गुणग्य, (ग्याता)-वि० [सं० गुणज] गुणवान । पचास व नौ की संख्या, ५९ ।। गणग्यांन-पु० इन्द्रिय। गणसाठी-पु० उनसठ का वर्ष । गुणग्रांम-वि० [सं० गुणग्राम] सद्गुणों की खान । विद्वान । गुणसित्तर-वि० [सं० ऊनसप्तति] सत्तर से एक कम । -पु. साठ चतुर । वनौ की संख्या, ६९ । For Private And Personal Use Only Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गगसित्तरी गुनगुनो गुरणसित्तरी-पु० उनसित्तर का वर्ष । गुथणी (बी)-क्रि० १ गूथा जाना, पिरोया जाना । २ उलझना, गरणांक-पू० [सं०] गुणा करने का अंक ! फंसना ।३ रचना। गरणांकारी (रु)-देखो गम्भकारी। गुथाणी (बौ), गुथावणी (बौ)-क्रि० १ गुयाना, पिरोवाना। गरणांगहीर-वि० गुग्गवान । २ उलझाना, फंमाना। गरणांणी-स्त्री० माला। गुद-देखो १ 'गुदा' । २ देखो ‘गुट्टी' । गुणाग'-वि० गृगणवान । गुदगुदाणी (बौ)-क्रि० १ गुदगुदी करना, खुजलाना । २ विनोद गरणातीत-वि० गुणों से परे । निगु गा । -पु० ईश्वर । करना। गुणानुवाद-पु० [स० | यश-स्तवन । गुदगुदी-स्त्री० [सं० गुद् क्रीड़ायाम] १ कांख, तलवे प्रादि में गुणाढ्य-वि० गुण सम्पन्न । -पु० पैशाची भाषा का अंगुली से खुजलाहट करना, पुनचुनाट । २ उत्कण्ठा । प्रसिद्ध कवि। ३ विनोद, हंसी। गरणाधपति-पु. गण, गजानन । गुदड़ियो-पु. १ गुदड़ी पहनने या ग्रोढ़ने वाला । २ पटे पुराने गणावळ-स्त्री० सन्यासियों के गले की माला । वस्त्र पहनने वाला । ३ दरी, शामियाने प्रादि किराये पर गरणावळि (ळी)-स्त्री० १ प्रशंसा, यश । २ हार, माला । देने वाला । ४ गुदड़िया मम्प्रदाय का साधु । गुरिंणद-पु० [सं० गुणइंद्र] कवि । गुदड़ी (डो)-स्त्री० १ फटे पुराने वस्त्रों का बनाया हुआ गुरिणप्रण गुरिणजरण (न), गुरिणमजण, गुरिणयण (न)-पु० | बिस्तर, बिछौना । २ फटे पुराने वस्त्रों की कंथा। सं० गुग्गीजन १ गुरणवान । २ विद्वान, पंडित गुदभ्र स-पु० गुदा द्वार से कांच निकलने का रोग । ३ कवि । ४ गायक । -खांनो-पु. कलाकारों का विवरण गुदरणौ (बौ)-देखो 'गुजरणौ' (बौ)। रखने वाला विभाग। गुदरांण (न)-देखो 'गुजरांन' । गुदराणी(बौ), गुदरावणी (बी)-क्रि० १ पेश करना, प्रस्तुत गुरिणत-वि० [सं०] गुणा किया हुआ। करना, सामने रखना, उपस्थित करना । २ निवेदन करना। गुरिणयासियो-पु० उन्यासी का वर्ष । ३ हाल कहना। गरिणयासी-वि० अस्सी से एक कम, उन्यासी। -पु० सत्तर व गुदरी-देखो 'गुदड़ी'। ___ नौ की संख्या, ७९ । गुदळक (कियो)-देखो 'गोधूलिक' । गरिणयौ-पु. १ कमान, प्रत्यंचा । २ डोर। ३ तांत । ४ शिल्पियों गुदळणौ (बी)- देखो 'गुडलणी' (बौ)। ___ का एक उपकरण । ५ बढ़ई का एक अौजार । गुदळहक-देखो 'गोधूलिक' । गरणी-वि० [सं० गुणिन] १ जिसमें कोई गुण हो, गुण युक्त, गुदळाणौ (बौ) गुदळावरणौ (बो)-देखो 'गुडलाणी' (बौ)। गुणवान । २ दक्ष, निपुण । ३ उत्कृष्ट । ४ सराहनीय । गुदळियो, गुदळो-देखो 'गुडलौ' । (स्त्री० गुदळी) ५ नेक, शुभ । ६ मुख्य । -पु०१ कवि । २ विद्वान, गुदा-स्त्री० [सं० गुदं] १ मल द्वार, गुदा । २ अधोमुख । पंडित । ३ गया। ४ डोर, रस्सी । ५ अोझा । ६ प्रत्यंचा। बोर-क्रि० १ गोदना । २ चभाना । ३ प्रेरित करना। ७ कमान । ---अण, जण, यण-देखो ‘गुरिणअण' । ४ कुछ करने के लिए जोर देना । गणीजनमानौ-पु. कलाकारों का विवरण रखने का विभाग या गुदावणी (बी)-देखो 'गुदारणी' (बो)। महकमा । गुदियारौ-पु० एक प्रकार की घास । गुरणीयरण-देखो 'गुणिजन । गुदी-स्त्री०१ पशुओं के चरने के बाद चारे का अवशिष्ट भाग । गरणीस-देखो 'उगणीस'। २ देखो 'एवी'। गुरणेस, (सर, स्वर)-देखो 'गगेश' । गुद्दी गुद्धि--स्त्री० १ गूदा, मार, तत्व । २ गर्दन का पिछला गुणी-पु० [सं० गुणन १ गणित की एक प्रक्रिया । २ देखो भाग । ३ गर्दन के पिछले भाग के बाल । ४ हथेली का ___'गुनौ' । ३ देखो 'गूणौ' । ऊपरी शिरा। गण्य-वि० [सं०] १ गुरगी. गुगवान । २ श्लाघ्य, प्रशंसनीय । | गृधळक, गधळकियो-देखो 'गोधलिक' । ३ गुणा करने योग्य । गुधळणों (बौ)-देखो गुडळणी' (बो)। गत्थमगुत्थ-क्रि०वि० परस्पर लिपटे हुए, हाधा-पाई करते हुए। गुधळारणौ (बौ), गुधळावरणौ (बी)-देखो 'गुडळाणी' (बी)। -स्त्री० १ हाथापाई । २ उलझन । गुनकळी-स्त्री० एक राग विशेष । पत्थी-स्त्री०१ गांठ, गथि । २उलझन, समस्या । गुनगुनौ--वि० [सं० कदुष्ण] मामूली सा गर्म, हल्का उष्ण । For Private And Personal Use Only Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गुनह गुनह- देखो 'गुनी' | गुनहगार - देखो 'गुनाहगार । गुनहगारी गुनहरी स्त्री० [फा०] दिया जाने वाला दण्ड । २ दोष, अपराध । गुनागार - देखो 'गुनाहगार' । गुनागारी - देखो 'गुनहगारी' | गुना देखो 'गुला गुनाळी-स्त्री० ० १ प्रशंसा कीर्ति । २ गुण । गुनाह - देखो 'गुनी' । गुनाहगार - वि० १ दोषी, प्रपराधी २ पापी । www.kobatirth.org गुनाहगारी - देखो 'गुनहगारी' । गुनाही - वि० १ दोषी, अपराधी । २ सजा याप्ता । गनुं देखो गुनी'। २३७ } १ किसी अपराध के बदले गुफ्फामुध्य क्रि०वि० १ गुनेगारी - देखो 'गुनहगारी' । गुनगार- देखो 'गुनाहगार' | गुनेगारी- देखो 'गुनहगारी' । गुन - पु० [फा० गुनाह ] १ अपराध, दोष । २ पाप । ३ गलती, भूल । गुन्हगार - देखो 'गुनाहगार' | गुन्हेगार देखो 'गुनाहगार' । गुन्हेगारी- देखो 'गुनहगारी' । गुन्हौ - देखो 'गुनौ' । गृपचुप - क्रि० वि० १ गुप्त रूप से । २ छुपे तौर पर । ३ चुपचाप । - पु० १ गुप्त बात, रहस्य की बात । २ गुप्तगूं । मुफ्त वि० [सं० गुप्त १ छुपा हुआ गुप्त २ छुपाने लायक वाला ५ जुड़ा हुआ ६ सुरक्षित ० १ एक प्राचीन गोपनीय 1 ३ दृश्य । ४ ढका हुआ, ढका रहने । । | राजवंश | २ वैश्यों के नाम के साथ लगने वाला शब्द । - अंग-पु० यधोग, गुप्तांग । कछुवा कमठ । कासी ० हरिद्वार व बद्रीनाथ के बीच का तीर्थ स्थान --दांन पु० गुमनाम से किया जाने वाला दान । मारपु० प्रान्तरिक चोट । छल, धोखा । गुपता स्त्री० [सं० गुप्ता ] १ सुरति छिपाने वाली नायिका । २ रखेल स्त्री । गुपतिपंचग पु० कया । पती, पत्तिय, गुपत्ता- क्रि०वि० गुप्त रूप से स्त्री० शस्त्र विशेष | देखो 'गुप्त' । नदी । चर- पु० जासूस । गुफा त्री० [सं० गुहा] १ जमीन या पहाड़ के अन्दर का अंधकार युक्त गड्ढ़ा कंदरा । २ छिपाव दुराव ३ हृदय ! ४ बिल । गुफ्तगू स्त्री० [फा०] [ गुप्त वार्ता, मंत्रा२नीय बात । ३ गुपचुप । पालनपूर्वक २ गुत्था । गुयार, गुस्वार० [०] १ गर्द भूल २ को प्रवेश जोश ३ मन में दबी बात । ४ फुलाव | 1 गुरुवारी पु० [० गुवारा] १ हवा यावर की थैली । २ धूल आदि का गोट । ३ भेद, रहस्य । गुमानली स्त्री० [सं० वी + विभाजन पृथ्वी के विभाग गुम- पु० १ गर्व, घमड २ ज्ञान, जानकारी, पता । ३ रहस्य । - वि० १ अप्रकट. गुप्त । २ श्रप्रसिद्ध । ३ खोया हुप्रा । । नांम क्रि०वि० बिना नाम के । ४ लोप प्रदृश्य नामरहित। नांमखत- पु० वह खत जिसमें ऋण दाता का नाम न हो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गुमटी स्वी० १ इमारत के ऊपर का मोल गुंबज बंद २ इसी प्रकार का श्मशान में बना स्मारक । तुरमळ गुमर पु० १ गर्व, घमंड । २ मन में छिपा क्रोध । ३ कानाफूसी । देवो' गुमराह - वि० [फा०] १ भ्रमित । २ भटका हुआ । ३ कुपथ गामी ४ भूला हस्रा । गुमराही स्त्री० [फा०] १ गुमराह होने की स्था पथ भ्रष्टता २ भटकाव । गुमानपु० [फा० गुमान] १ २ गौरव | गुप्त - वि०स्० एक पौराणिक गुरंही देखो 'गुड्डी' | गुमसुम - वि० [फा० गुम + अनु. सुम] १ ग्रवाक्, स्तब्ध | २ बिना हिले डुले । ६ बिलकुल चुपचाप । गर्व, घमंड मान । गुरमंतर, (त्र) - देखो 'गुरुमंतर' । गुर-देवो'गुरु' | गुरदेवो' गुरसळ - पु० एक पक्षी विशेष 1 गुमांनी (डी)- वि० १ अहंकारी, घमंडी २ मान करने वाला। । - पु० एक प्रकार का घोड़ा । For Private And Personal Use Only भाव, गुमाणौ (बौ) - क्रि० १ खोना, खो देना । २ गायब करना, चुराना । ३ व्यर्थ जाने देना । गुमास्ती- पु० [फा०] गुमाश्ता] व्यापारी का मुनीम गुमी स्त्री० एक प्रकार की वीणा । गुमेज - पु० गर्व, घमंड, श्रहम् । अभिमान । गुम्मज - देखो 'गु'बज' । गुम्बर-१ देखो 'गुमर' । २ देखो 'घूमर' । गुरंड - देखो 'गराड़ी' । Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रा गुरगावी स्त्री० एक प्रकार गुरड़- पु० १ रंग विशेष का 'गुराहो' । गुरदेखो गुड़ा देखा। गुरड़ास का देशी जूता । घोड़ा । २ (न) देखो 'गमन' www.kobatirth.org ( गुरडोदगार - पु० सांभर का सींग । गुरखी-१ देखो 'गुणणी' । २ देखो 'गुरांणी' । गुरभाई पु० एक ही गुरु के शिष्य " ३३८ गराबी देखो 'गोरायी । देखो 'गरुड़' ३ देखी गुरिज-पु० [सं० गुरूर्ज] १ हाथी । २ गदा । ३ गुरज । गुरुपु० [सं०] [१] दीक्षा देने वाला प्राचार्य, मंत्रदाता २ शिक्षक, अध्यापक ३ माता-पिता । ४ वृद्ध । ५ शासक, अध्यक्ष । ६ देवाचार्य, वृहस्पति । ७ नये सिद्धान्त का प्रचारक, प्रवर्तक ८ पुष्य नक्षत्र । ९ ग्रह । १० दो मात्राएँ । ११ यज्ञोपवीत संस्कार कराने वाला । १२ गायत्री मन्त्र का शिक्षक । १३ गलितयादि की वह प्रणाली जिससे हल निकाला जाता है। 1 १४ ब्रह्मा । १५ विष्णु । १६ शिव । १७ ब्राह्मणों की एक जाति जो चमारों के विवाह आदि का कार्य करवाती है । १८ तीन की संख्या । - वि० १ भारी वजनी २ महान । ३ दीर्घ । + ४ श्रेष्ठ । ५ क्लिष्ट | ६ प्रचण्ड 1 ७ सम्मानित | ८ गरिष्ठ ९ प्रिय । १० अहंकारी । कुंडळी स्त्री० ज्योतिष के अनुसार एक चक्र कुळ- पु० शिक्षा देने का स्थान । विद्यालय । -गंधरव - पु० इंद्रजाल के छः भेदों में से एक गम-पु० गुरु द्वारा प्राप्त ज्ञान, उपदेश, गुरु शिक्षा, तत्त्वज्ञान, रहस्य । -घंटाळ - वि० महान धूर्त, निपट मुर्ख । इन वि० गुरुघाती । - जन पु० गुरु, मातापिता आदि । दक्षिणा, दखरणा, दखिरणा दछणा स्त्री० शिक्षा के बदले गुरु को दी जाने वाली भेंट चैवत। पु० पुष्य नक्षत्र -द्वारी- पु० गुरु गृह पूनम स्त्री० भाषाढ़ मास की पूर्णिमा -मंतर मंत्र- पु० गुरु द्वारा दी जाने वाली शिक्षा, गायत्री मंत्र । -मुख-वि० याद कंठस्थ । मुखी - स्त्री० १ पंजाबी भाषा । २ इस भाषा की लिपि । ३ कंठस्थ । ४ आत्मज्ञानी । -वार, वासर-पु० बृहस्पतिवार । - संथा - स्त्री० गुरु से प्राप्त शिक्षा, ज्ञान । गुरुप्रत - वि० महान, बड़ा । गुरदेखी 'गरुड' | गुरड़ौ - पु० १ गरु । २ एक रंग विशेष का घोड़ा । ३ देखो 'गुरंड' । ४ देखो 'गरुड़ी' | गुरज-पु० [फा० गर्ज ] १ गदा जैसा शस्त्र । २ सोंटा । ३ कोट या शहर की प्राचीर की बुर्ज । गुरजरगकत्तौ पु० एक प्रकार का कुत्ता । गुरजदार, गुरजबरदार पु० गुजं रखने वाला योद्धा या मिचाई। गुरजमार- पु० गुर्ज धारी मुसलमान फकीर । गुरजर- पु० [सं० गुर्जर ] १ गुजरात प्रान्त । वंश । ३ एक जाति या वर्ग । २ एक राजपूत गुरजरी - स्त्री० [सं० गुर्जरी ] १ गुजरात प्रान्त की स्त्री । २ गुजर जाति की स्त्री । ३ एक रागिनी । गुरजी- वि० [फा० गुर्ज] १ जार्जिया नामक देश का कुत्ता । २ इस देश का निवासी ३ सेवक, नौकर । गुरज्ज - देखो 'गुरज' | गुर-१ देखो 'गुरड़' २ देखो''। गुरडि-१ देखो 'गरुट' २ देखो 'गुढी'। गुरडी - स्त्री० १ गुड्डी. ऐंठन । २ कपट, छल । गुरहु-१ देखो 'गरुड' । २ देखो 'गरड' | गुरली (बी) क्रि० [सं० पुरम् १ कोध में गुर्राना । २ गर्जना । ३ जोर की आवाज करना । गुरव देखी 'गउरउ' । गुरवादित्य- ५० सूर्य और बृहस्पति एक ही राशि में आने की दशा । गुरवार - देखो 'गुरुवार' । गुरसा स्त्री० श्यामा चिड़िया । गुरांजणी - स्त्री० [सं० गड अंजनी ] आँख की पलक पर होने पर होने वाली कुंसी । गुरांणी स्वी० गुरुवरनी। गुरांसा - पु० [सं० गुरु ] १ गुरुजी । २ जैन यति । गुराड़, (डौ ) - पु० ( स्त्री० गुराडी) श्रग्रेज, गौरा । गुराब (बी) स्त्री० १ छोटी तोप २ पोड़े या ऊंट से खींची जाने वाली तोप ३ एक प्रकार की नाव, नौका । गुरुवत्री० [सं०] गिलोय गुरुड- देखो 'गरुड' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only -- गुरुदत्त पु० दत्तात्रेय । गुरुम पु० [सं० गुरुभ्र ] १ पुष्य नक्षत्र । २ मीन राशि । ३ धन राशि | गुरु-देखो 'गुरु' | गुरूप-पु० दल, झुण्ड, समूह, संघ । गुलंबर - पु० द्वार पर त्रिभुजाकार बना प्रांतरिक ताखा । गुळ-पु० गुड़ । गुल-पु० [फा०] गुलाब का पुष्य २ चिह्न, वाय ३ पुष्प, फुल । ४ दीपक की बत्ती का जला हुआ अंश । ५ चिलम की बाबू की राख । ६ किसी चीज पर बना भिन्न रंग का कोई गोल निशान । वि० बंद । लुप्त । Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुलमनार । ३३६ ) गुलप्रनार-पु० एक प्रकार का पुष्प । गुळमट, (मटियो)-यु० सीने तक घुटने समेट कर सोने का गुलप्रम्बास-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला लाल पीले रंग के फूलों एक ढंग। का पौधा। गुलमवाय-पु० घोड़े का एक रोग विशेष । गुलप्रसरफी-पु. एक प्रकार का पीले रंग का फूल । गुलमेहंदी-स्त्री० आश्विन मास में फलने वाला एक पोधा 4 गुलकंद-पु० गुलाब के फूल व शक्कर से बनी एक ठण्डी पोषधि । इसका फूल। गुलक-देखो 'गोलक' गुलरंगदार-वि० गुलाब के फूल के रंग का । गुलकागड़ी-स्त्री० सफेद, लाल व काले धब्बों वाली बकरी।। गुळराब-स्त्री० गुड़ की मीठी राबड़ी। गुलकारस-पु० मोती। -उद्भव-पु० हीरा। मोती। गुलरि, (री)-पु० गूलर का वृक्ष । गुलक्यारी-स्त्री० फूलों की क्यारी गुळरोवाद-शस्त्र का पैना भाग। गुलगचियो-देखो 'गुलगुचियो' । गुललंजा-स्त्री० सुन्दर स्त्री। गुळगली-पु० १ एक प्रकार का घोड़ा । २ एक खाद्य पदार्थ गुळवाड, (डि)-स्त्री० गन्ने की फसल, गन्ना । विशेष । गुलसन-पु० [फा० गुलशन] बाग, उद्यान, वाटिका । गुलगांठ-स्त्री० अधिक खिची या कसी हुई गांठ । गुलसफा-स्त्री० रात में फूलने वाला एक छोटा पौधा । गुलगीर-पु० चिराग का गुल काटने की कैची। गुलसरसक-पु. एक प्रकार का घोड़ा । गुलगचियो-पु० १ चिकना गोल कंकर। २ छितराने वाला एक गुलहजारी--पु० १ एक फूलदार पौधा, गदा, हजारा । र एक कंटीला पौधा। प्रकार का घोड़ा। गुलगुली-देखो 'गिलगिली'। गुलगुलौ-पु० गुड व पाटे का मीठा पकोड़ा, पूमा । गुळांच, (ची)-स्त्री०१ कलाबाजी, कुलांच । २ क्लाग । गुलचियो-पु० गोता डुबकी। गुलाम-पु० [अ० गुलाम) १ खरीदा हुमा नौकर । २ सेवक, दास । ३ ताश का एक पत्ता । ४ लड़का, बालक । गुलछररा-स्त्री० ऐश पाराम । शौक-मौज । ५ परतन्त्र, पराधीन व्यक्ति । गुलजार-पु० उद्यान, वाटिका । -वि० १ हरा-भरा । २ मानन्दयुक्त । ३ चहल-पहल से परिपूर्ण । ४ ग्राबाद। | गुलामी-स्त्री० [अ०] १ दासता, नौकरी। २ परतन्त्रता, गुलजारू-पु० फूल, पुष्प । पराधीनता। गुलदस्तो-पु० [फा० गुलदस्त] १ फूलों का गुच्छा । २ गमला । गुळाच-देखो 'गुलांच'। ३ एक प्रकार का घोड़ा। गुलाब-पु० [फा०] १ सुगन्धित फूलों का एक कंटीला पौभा । गुलदान-पु० [फा० गुलदान] फूल रखने का पात्र, गमला। २ पौधे का फूल । ३ तलवार की एक मूठ विशेष । गुलदाउद-पु० एक रंग विशेष का घोड़ा। --जळ-पु० गलाब के फूलों का अर्क। -जांमु, जांमुन-पु. गुलदाउदी-स्त्री० एक प्रकार की फुलवार । खोए व मेदे के योग से बनी एक मिठाई । गुलदार(रौ)-स्त्री० [फा०] १ एक रंग विशेष का घोड़ा ।। ---ताळ-पु० एक प्रकार का हाथी। -पास-स्त्री० गुलाब २सद कबूतर । जल का पात्र । गुलदुपहरिया-स्त्री० एक पौधा विशेष । गुलाबबाई-स्त्री० करनी देवी की बड़ी बहन । गुलनरगस (गिस)-स्त्री० [फा०] एक लता विशेष । गुलाबी-वि० [फा०] १ गुलाब के रंग का । २ हल्का या फीका गुलनार-पु० [फा०] १ अनार का फूल । २ गहरा लाल रंग । लाल । -पु. एक प्रकार का घोड़ा। गुलफानूस-पु. एक वृक्ष विशेष । गुलाल-स्त्री० [फा० गुल्लाला] १ एक प्रकार का लाल चूर्ण गुलबदन-पु० एक कीमती रेशमी वस्त्र। जो होली या मांगलिक अवसरों पर एक दूसरे पर डाला गुलमंड-पु० एक पौधा व उसका फूल । जाता है। २ महीन धूलि, गर्द । ३ एक प्रकार का लाल पुष्प । ४ रंग विशेष का घोड़ा। गुलम-पु० [सं० गुल्म] १ झाड़ी, झुरमुट । २ वन, जंगल ।। ३ जड़ से फलने वाला पौधा । ४ एक रक्षक दल विशेष ।। गुलाला-स्त्री० सोने-चांदी के आभूषणों पर की जाने वाली ५ दुर्ग, किला । ६ पुलिस चौकी । ७ घाट । ८ प्लीहा ।। खुदाई। ९ प्राभूषणों की खुदाई का काम । १० ऐसी खुदाई का गुलाली-वि० गुलाल संबंधी, गुलाल के रंग का। प्रौजार। गुलिक-श्री गटिका । For Private And Personal Use Only Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुलियल्ल जियो गुलियल्ल, गुप्ली-स्त्री० १ नील का पौधा या इस पौधे से गुहछठ-स्त्री० अगहन शुक्ला षष्टी तिथि । बनने वाला रंग । २ बडे कान की भेड़ । ३ लहसुन कान की भेड़ । ३ लहसुन गुहराज-पु० निषादराज । का बीज। गुहांजणी-देवो 'गुरांजणी' । 'गुलीडंडो-पु० [सं. कीलदंड] एक प्रकार का देशी खेल। गुहा-स्त्री० गुफा, कंदरा। गुलीबंद-पु० [सं० गलबंध] १ गले का एक प्राभूषण विशेष । गुहाचर-पु० ब्राह्मण । २ मर्दी से बचाव के लिए कान पर डाला जाने वाला गुहिक-स्त्री० [सं० गुह्यकः] एक देव जाति, यक्ष । वस्त्र, मफलर। गहियण-देखो 'गुणिजण'। गुलीबावळी-स्त्री० एक प्रकार का बबूल । गुहिर गुहिरइ (ई) गुहौर-वि० १ गहरा, गंभीर । २ भारी। गुळेचा, गुलेटौ-स्त्री० १ कुलांच । २ डुबकी, गोता। ३ देखो 'गहीर'। -पु० २४ मात्रा का एक छंद । गुळे डौ-पु० एक प्रकार का खाद्य पदार्थ। | गुह्यक-पु० [सं०] कुबेर के खजाने का रक्षक एक यक्ष । गुलेल-स्त्री० [फा० गिलूल] १ छोटे पक्षियों का कंकर से -ईश्वर, पति-पु० कुबेर । शिकार करने की छोटी कमान । २ गहरा आसमानी रंग। गगट (टो)-देखो 'घूघट' । -ची-पु० गुलेल से शिकार करने वाला व्यक्ति। गूगल, (लियो, लौ)-वि० (स्त्री० गूगली) गूगा, मूक। गुलेलौ-पु० [फा० गुलला] गुलेल से चलाई जाने वाली मिट्टी की -पु० १ गोबर का एक कीड़ा, जिसके पाठ पांव व दो पर . गोली। होते हैं । २ सर्दी में मस्ती भरा ऊंट । ३ गेहूं की फसल . गल्या-पु० बीज । का एक रोग। ४ एक छोटा जंतु । ५ नाक का मैल । गुल्लालो-पु० [फा० गुल्लाला] पोस्त के पौध के समान एक गूगिका-स्त्री० एक देवी विशेष । पौधा । इस पौधे का लाल फूल ।। गूगियो-देखो 'गूगो'। गुल्ली-स्त्री० चार या पांच इंच की काष्ठ की कीली जो खेलने गूगी-स्त्री० १ एक छोटा जंतु । २ मूक स्त्री । ३ दो मुहा सर्प। के काम आती है। गूगो-वि० (स्त्री० गूगी) १ मूक, गूगा । २ बोलने में गल्लो-पु० १ ताश का गुलाम । २ सर्दी की खोज में ऊंट के | असमर्थ । -पु. १ नाक का कीट । २ इमली का बीज । ___मुह से निकले वाला गुल्ला । ३ देखो 'गोलो' । गूंघट (टौ)-देखो 'घूघट'। गवाड़ (डी)-१ देखो 'गवाड़' । २ देखो 'गवाड़ी' । गंधळी-वि० १ मस्ती में पाया हृमा वह ऊंट जिसका गलसुमा गुवार-१ देखो 'गवार'। २ देखो 'गंवार'। न निकलता हो। २ ऊंट । गुवारफळी-देखो ‘गवारफळी'। गुवारवा-पु० वह खेत जिसमें ग्वार बोया गया हो। | गूछळ (लो)-वि० मूछित । -पु० जेवड़ी का पुलिदा, गड्डी। गुवाळ, गुवाळियौ, गुवाळी-देखो ‘गवाळ' । | गूछी-स्त्री० बैलों का एक रोग । गवाळी-देखो 'गवाळी'। | गूंज (झ)-स्त्री० [सं० गुज] १ गुजन, गुंजार । २ तेज गुवारणी (बो), गुवावरणौ (बौ)-देखो 'यवाणी' (बी)। प्रावाज, झन्कार । ३ देर तक सुनाई देने वाली ध्वनि । गविद, (वी)-देखो 'गोविंद'। ४ गुप्त रूप से बचाया या मंचित धन । ५ गप्त बात । गुसट-देखो 'गोस्ठी'। सलाह, परामर्श । ७ इरादा, विचार । ८ अंगूठी गुसळ-देखो 'गुस्ल'। (मेवात)। गुसळखांनी-पु० [फा० गुस्लखानः] स्नानागार । गूजरणी (बो)-क्रि० [सं० गुजन] १ गुनगुनाना, भनभनाना । गुसांई. गुसांइउ-देखो 'गोस्वामी'। २ तेज आवाज होना । ३ प्रतिध्वनित होना। ४ गर्जना, सैल-वि० क्रोधी स्वभाव वाला। दहाड़ना । ५ जोश में माना। गुसौ-देखो 'मुस्सौ'। गुस्ल-पु० [अ०] स्नान, मज्जन। --खांनो-पु० स्नानागार । | गूजा-स्त्री० दो तख्तों को जोड़ने के लिए लगाई जाने वाली कील। मुस्साळ, गुस्सेल (स्सल)-देखो ‘गुसैल'। गुस्सौ-पु० [अ० गुस्सा] १ क्रोध. रोष । २ जोश, मावेश। गूजाणो (बी), गूजावरणी (बो)-क्रि० १ तेज प्रावाज करना। गह-पू० [सं० गहः] १ स्वामिकात्तिकेय । २ घोडा।। २ जोर से बजाना । ३ प्रतिध्वनित करना । ४ गर्जाना । ३ निषादराज । ४ विष्णु । ५ कुबेर । ६ देखो 'गुहा'। ५ जोश दिलाना। देखो 'गृह'। गजियो-देखो 'गूजौ' । For Private And Personal Use Only Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org गूजी । [सं० गुह्य] १ गुप्त रूप से संचित धन । २ एक | गूबळरणो, (बो)-देखो गुडळणौ (बी)। प्रकार की मिठाई। गूदाळ-पु० मांस पिंड ।। गूजो, गूगो-पु० जेब, पाकेट । २ सूखा मेवा । ३ एक प्रकार गूदाळक-पु. मांसाहारी प्राणी । की मिठाई। दिया-स्त्री० छोटी गूदी के फल । गूझ-देखो 'गूज'। गू बी-स्त्री० १ एक प्रकार का वृक्ष । २ इस वृक्ष का छाटा फल । गुट-देखो 'घूट'। गूवी-पु. १ एक वृक्ष विशेष । २ इस वक्ष का कल. लिमोडा। गूठ-पु. १ मूल स्थान । २ आधार । ३ तना। गूधरणो, (बी)-क्रि० प्राटा, मिट्टी आदि में पानी डाल कर गूठडौ-पु. १ अगुष्ठ । २ तला । ३ देखो 'घू घट' । मसलना, रौंदना। गूड-पु० [सं० गूढ] १ पेड़ के तने के नीचे का भाग । २ मूल, गूधळणी, (बी)-देखो गुडळणी (बी) । जड़ । ३ मूल स्थान । गूधळियौ, गूधळो-१ वह ऊंट जो 'खोज' में प्राया हुमा गलगंडर-पु० १ तम्बू, शामियाना । २ देखो 'गूडर'। सूपा न निकाले । २ एक बरसाती कीट । डूडळरणौ (बौ)-देखो 'गुडळणी' (बी)। गंधारणी, (बौ)-क्रि० गूधने का कार्य कराना। गडेळ-पु० काष्ठ का गुटका । गूबड़, (डो, डो) गुमड़, (डी, डो) देखो 'गूमड़ौ । गूडो-पु० १ समूह, दल, झुड। ३ देखो 'गुढी'। ३ देखो | गूबाळो-पु० घोंसला । 'गुडौ। गूमर-१ देखो 'गुमर । २ देखो 'घूमर' । गूढ, (दो)-देखो 'गुड' । | गू-पु० [स० गूः] १ मल, विष्ठा, पाखाना । २ कूड़ा, कचरा । गूण, (ती)-स्त्री० [सं० गोणी] १ बोती. बोरा । २ गधे या| बैल की पीठ पर सामान भरकर लादा जाने वाला | गगरमाळ (ळा)-स्त्री० घुघरू की माला। बोरा विशेष । गूगरियो-पु० १ करील का फूल । २ छोटा घधरू । गूगो-पु० १ मूग, मोठ प्रादि पौधों के सूखे डंठल । गूगरी-स्त्री० १ उबाले हुए गेहूँ । २ एक प्रकार का कर जो २ देखो 'गूणौ'। कृषकों से अनाज के रूप में लिया जाता था । ३ कृषि गूत, (तो)-पु० १ गोमूत्र । २ प्रसव के बाद गाय भैंस का पंदावार की एक निश्चित राशि जो बोये हुए अनाज के पहली बार निकाला जाने वाला दूध । हिसाब से कर के रूप में ली जाती थी। गयणो, (बी)-क्रि० [सं० ग्रंथिन् ] १ कई तागों को कलात्मक गलिया (या)-स्त्री० हाथियों की एक जाति । ढंग से परस्पर लपेटना, गूथना । २ बुनाई करना । गूगलीउ, गूगलोप्री-पु० गूगलिपा जाति का हाथी। ३ जोड़ना । ४ पिरोना, तारबद्ध करना । ५ एक सूत्र में गूगळी-वि० १ मट मैला । २ धुंधला । ३ अस्पष्ट, अस्वच्छ । बांधना । ६ रचना, बनाना। ७ संवारना । ८ काव्य ___-पु० दो गलसुत्रों का ऊंट। रचना करना। गूगस, (बाड़ौ)-पु० १ बादलों से आच्छादित मौसम । २ बिना ग थाणी, (बौ)-क्रि० १ गूथाने का कार्य करवाना । २ बुनाई जल के बादल। कराना । ३ जुड़वाना। ४ तारबद्ध कराना। ५ एक सूत्र गूगू (राजा)-पु० [सं० धूक] उलूकपक्षी, उल्लू । में बंधवाना । ६ रचवाना, बनवाना । ७ संवराना। गधर-देखो 'घूघर'। -माळ = 'गूगरमाळ' । ८ काव्य रचवाना । | गूधरियू (यो)--देखो 'गूगरियो । ग थाळ-पु० १ गूथने की क्रिया या भाव । २ गूथने में दक्ष। । गुधरी-देखो 'गूगरी'। - ग धावणो, (बौ)--देखो 'गूंथागो' (बो)। | गूजर (डो डौ)-पु० स० गुर्जर] (स्त्री० गुजरी डी, डी) गूद-पु० [सं० गूथ ] १ वृक्ष के तने से निकलने वाला चिपचिपा १ एक हिन्दू जाति जिसके व्यक्ति खेती व पशु-पालन का तरल पदार्थ, वृक्षों का निर्यास गोंद । २ मांस-पिंड । कार्य करते हैं । २ तीसरे विवाह की स्त्री। --गौड़-पु. ३ एक राजपूत वश । --गरी-पु. एक प्रकार का पौष्टिक ब्राह्मणों का एक भेद। --पठाण-पु० मुसलमानों का पदार्थ । एक प्रकार का गन्ना। ---दांनी-स्त्री० चिपकाने एक भेद । का गोंद रखन का पात्र । गूजरात-देखो 'गुजरात' । ग बड़ौ-१ देखो 'गुदड़ो' । २ देखो 'गूद' । गूजरी-स्त्री० [सं० गुर्जरी १ महीरनो, ग्वालिन । २ कलाई गूबरपो (बी)-क्रि० पाटा आदि भिगोना। का प्राभूषण । ३ कठ का प्रावरण विशेष । ४ एक राग गदरी-देखो 'गुदगे। विशेष । For Private And Personal Use Only Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गूम-स्त्री० [सं० गुह्य] १ गुप्त मंत्रणा, सलाह । २ गुप्त बात । | गूबर, गूबरौ-पु० मणिबंध के आगे का भाग । -क्रि० वि० ___-पु० ३ शामियाना, तंबू । ४ संधि स्थान की हड्डी । १ पास, निकट, समीप । २ देखो 'गूदड़ो' । गूठलौ-पु० पैरों की अंगूठी (मेवात)। गूदळणी, (बौ)-देखो 'गुडळणी' (बौ)। गूडण-वि० १ लुढ़काने वाला, गिराने वाला । २ मारने वाला। गूवळो-देखो 'गुदळी'। गूडणौ (बौ)-क्रि० १ लुढकाना, गिराना । २ मारना । गूदाळ-देखो 'गूदाळ'। ३ गाड़ना। गूदाळक-देखो 'गूदाळक' । गडर-पू०१ पीठ में कटिप्रदेश के ऊपर का भाग। गौ-प० फलों का गदा मिगी। गूदौ-पु० फूलों का गूदा, मिगी । २ मांस, मज्जा । मां २ देखो 'गूडर'। । ३ भेजा, मग्ज। मूडळ, गूडळियौ-पु. १ मांस सहित हड्डो जो खाते समय चूसी गूधळणी, (बौ)-देखो 'गुडळणी' (बो)। जाती है। २ हड्डी। ३ देखो 'गुळ' । ४ देखो 'गुडळकियो'। गूर्धाळयौ, गूधळी-वि० (स्त्री० गूधळी) धूलि आच्छादित । गूडळो-वि० (स्त्री० गूडली) धूल से आच्छादित । गूधोळ-स्त्री० धूलिकण। गडी-देखो 'गुडी'। गूमड़, (डी, डौ)-पु. १ कोई बड़ा फोड़ा । २ बड़ी ग्रंथि, गांठ । गूढ़-पु० [सं०] १ छायादार बड़ा वृक्ष । २ छिपने का स्थान । ३ चोट लगने से आने वाली सूजन । ३ गुफा । ४ स्मृति में पांच प्रकार की साक्षियों में से एक । गूलर--पु० १ वट या पीपल जाति का एक वुक्ष विशेष । २ इस ५ एक सूक्ष्मालंकार । -वि० १ गुप्त । २ छुपा हुअा।। वृक्ष का फल। -कबाब-पु० मसालों के साथ मुनकर ३ ढका हुआ । ४ गहन, गंभीर । ५ अस्पष्ट । ६ सार गभित । ७ रहस्यमय । -चर-पु० चोर। -पग, पथ. बनाया हुआ मांस । पद, पाद-पु० सर्प, सांप । मन । पगडंडी। -व्यंग्य-पू० गूलरियौ-पु० गूलर का फल या इस फल का कीड़ा। लक्षणा शैली का वचन या वाक्य । गूलरी-पु० एक फल विशेष । गूढ़ा-स्त्री० पहेली। गूली-स्त्री० प्रावड़ देवी की बहन । गूढ़ावाच-पु० मंत्री। गृह-पु० [सं० गूद] १ मांस पिंड । २ देखो 'गुह' । ३ देखो गूढोक्ति-स्त्री० [सं०] एक अलकार विशेष । । 'गुप्त' । ४ देखो 'गू । गुढ़ोत्तर-पु० [सं०] एक काव्यालंकार विशेष । | गेंप्राळ-देखो 'गंवाळ' । गूढी-पु० [सं० गूढ़] १ वृक्ष का मूल । २ रक्षा स्थान, सुरक्षित | मेंडो-पु० [सं० गडक] मैंसे के आकार का एक जंगली पशु स्थान। जिमके चमड़े की ढालें बनती थी। गूण (ती)-देखो 'गूण' । गेती-स्त्री जमीन खोदने की कुदाल । गूणियो-पु० १ रहट का बड़ा गड्ढ़ा जिसमें बड़ा चक्र घूमता है। गेंद-स्त्री० [सं० गेंदुक] १ रबर, कपड़े आदि की खेलने की २ इस गड्ढे के किनारे लगा बड़ा पत्थर। ३ दूध दुहने या बड़ी गोली, दडी, गेंद, बाल । २ इसी प्रकार की जल भरने का पीतल का पात्र विशेष । कोई वस्तु । गूरणी-स्त्री०१ चरस खींचते समय बैलों के चलने का स्थान । गेंदवी-देखो 'गीदवौ' । २ देखो 'गूण। गेवर-पु० [सं० गजवर] १ हाथी । २ घोड़ा। गरणी-पु० १ जनाने वस्त्रों की किनार पर लगाई जाने वाली | गेवार-पु० १ गवार । २ ग्वार । गोट । २ देखो 'गूण'। ३ देखो 'गुणो' । ४ देखो 'गूगो'। गेवाळ-देखो 'गंवाळ' । गूषवत्थ, (गूवाबत्थर)-वि० गुत्थमगुत्थ । गे-पु० [सं० ग+ई] १ सूर्य । २ कामजन्य प्रेम । ३ यमकागूथरण-स्त्री० १ गूंथने की क्रिया या भाव । २ गूथने का ढंग ।। नुप्रास । ४ मूर्ख व्यक्ति । ५ पाप । ६ छन्द । ७ गीत । गूथरणो, (बी)-देखो 'गूथणौ' (बी)। ८ हाथी । ६ मल्हार राग । गूर-पु० [प्रा० गुत्त] १ मांस । २ मांस का गूदा, मज्जा । | गेऊ-देखो 'गंऊ'। ३ गर्त, गड्ढा । ४ सन्यासियों का एक भेद । गेऊमाळ-देखो 'गंवाल। गूब, गूबड़ियो, गूबडो-पु. १ फटा पुराना वस्त्र, चिथड़ा। | गेगरी-स्त्री० चने के पौधे पर लगने वाला डोडा जिसमें दाने २ ऐसे चिथड़ों को तह कर बनाया हुआ बिस्तर ।। पड़ते हैं । ३ चिथड़ों को जोड़ कर बनाया हुआ चौगा । ४ एक मोटे गेगरौ, गेधर-पु. १ ज्वार का सिट्टा । २ ज्वार का मीठा छिलके का नींबू । ५ संन्यासियों का एक भेद । पौधा । ३ चना। For Private And Personal Use Only Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न गेड़, (डी)-पु. १ घुमाव । २ चक्कर, फेरा । ३ पारी, | गेहरणी-स्त्री० [सं० गृहिणी घर की स्त्री, पत्नी, गृहलक्ष्मी । अवसर, नम्बर । ४ कारण । ५ परिभ्रमण। ६ समूह, | गेहर-देखी 'गै'र' । झुण्ड । गेहरियो (र्यो)-देखो 'गे'रियो' । गेड़णो, (बी)-क्रि० १ चक्कर देना, फेरना । ३ अवसर देना। | गेहलो-देखो 'गै'लौ'। ३ घेरना। ४ गिराना। गेहा गेहि-देखो गेह' । गेड-वि० प्राच्छादित । -पु. सोंठा। गेही-वि० घर का, घर संबंधी । गृहस्थ । गेडियो, (डौ)–पु० १ डंडा, सोंठा। २ लाठी। ३ गेंद का | गेहूँ अन-पु० भूरे रंग का एक भयंकर विषधर सांप । बल्ला । ४ एक शिरे से कुछ मुड़ी हुई छड़ी। ५ होकी। गेहैं, (गेहडो)-पू० [सं गोधूम] रबी की फसल में होने वाला ६ जुलाहे के काम आने वाला डंडा । प्रसिद्ध अनाज, गेहूं। गेडी, (ढी)-स्त्री० १ वस्त्र या चमड़े की गेंडुरी। २ ऊन या | गेहैं ग्राळ-देखो 'गंवाळ'। सत की गोल चकरी । ३ रहट की एक लकड़ी। ४ लाठा | मैं-प० [सं० गज] हाथी। लकड़ी, डंडा, सोंठा । ५ स्त्रियों के शिर का प्राभूषण, बोर गैंगण-देखो 'गांगडी'। के पीछे की नलिका। गैंडो-देखो 'गेंडो'। गेम-J० पाप, दुष्कर्म । गण, ऐणांग, (यर)-पु० [सं० गगन] गगन, प्राकाश । गेमर-देखो 'गैमर'। गेमी-वि० १ पापी, दुष्कर्मी । २ बागी, विद्रोही। गणो-देखो 'गहणौ'। गेय-वि० [सं०] १ गेय, गाने योग्य । २ जानने योग्य । गंती-देखी 'गेंती'। गेर-देखो 'गै'र'। गंद-पृ० १ हाथी । २ देखो 'गेंद' । गेरक-देखो 'गैरक'। गैंदगड़ा-स्त्री० हाथियों की टोली, दल । गेरको-स्त्री० आभूषण के किनारे पर लगने वाली सोने की | गैदा-स्त्री० १ गेंद । २ हजारा नामक पौधा व उसका फल । गोल चकरी। ३ तोंद । गेरणी-स्त्री० छोटी चलनी। गेंदाळ-वि० बड़ी तोंद वाला । गेरणी-पु. १ लोहे की बनी बड़ी चलनी। २ खलिहान में अनाज गवर-देखो 'गेवर'। साफ करने की तीलियों बनी बड़ी चलनी । गवार-देखो 'गंवार'। गरणी, (बो)-त्रि० १ छोड़ना, निस्सरित करना । २ गिराना । गे-पु० १ हाथी, गज। २ आकाश । ३ शिव ! ४ सूर्य । ५ शोक । ३ संहार करना । ६ पलास । ७ गति. चाल । ८ शोभा, छटा । गर्व गैरमोडल-देखो 'गैरमहल'। घमंड । १० मंजिल । ११ मकान । १२ मकान का हिस्सा। गेरियो-देखो 'गै'रियो। १३ मकान की ऊंचाई। गेरी-स्त्री०१ फाख्ता पक्षी। २ चमड़े की चकरी। गंगमरिण (णी)-देखो ‘गयगमणी' । गेल्यौं, गेरुवौं-वि० गेरुवा, भगवा । -पु० गेहूं की फसल का गैगाट, (घाट)-पु० तेज जल प्रवाह की ध्वनि । एक रोग। गघटाळ, गैघट्ट-स्त्री० [सं० गज-घटा] १ हस्ती सेना । गेरू', (रू)-पु० कड़ी व लाल मिट्टी के रूप में होने वाला एक ! ___ खनिज पदार्थ । -वि. भगवां गैरिक । २ गजदल । ३ बहुलता। ४ खुशी। गेरौ-पु. कबूतर। गंधू बरणी, (बौ). Gधूमणों, (बौ)-क्रि० मंडराना, उमड़ना, गेल-देखो 'गेलौ'। छा जाना। गेलड़, (डी)-पु.१ लम्बे पैरों वाला एक बड़ा जन्तु । २ पून- गजुह, (जह) स्त्री० [सं० गज-व्यूह] १ हस्ती सेना । २ हस्ती विवाहित स्त्री की पूर्व पति की संतान । -वि० पगला। सेना की व्यूह रचना। गेलि-देखो 'केलि'। गंडबर-पु० [सं० गगन-पाडंबर] बिना जल का बादल । गेलौ-पू० १ मार्ग, रास्ता । २ राह, उपाय । ३ देखो 'गैलौ' । गैडसरिण, (पी)-वि० वीर, बहादुर । गेल्यो-देखो 'गे'लो'। गणंग (रिण)-देखो 'गगन' । गेवाळिपौ, गेवाल्यौ-पु० [सं० गोपालः] ग्वाला, चरवाह ।। गैरण, (क)-पु० १ गगन । २ देखो 'ग्रहण' । गह-पृ. [सं० गृह] १ घर, मकान, गृह । २ समूह, झुण्ड । | गैरगकियो (को)-देखो 'गहरणो' । ३ भण्डार । ४ देखो 'गै'। ... पति-पु. घर का मालिक । । गैरणग-देखो 'गगन' । For Private And Personal Use Only Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गैरणगड़ा । ३४४ । गेहवत गरणगडडू-वि० लम्बा और पतला, लम्बोतरा। गैरमामूली-वि० [अ०] १ असाधारण, विशेष । २ नित्य-नियम गरणबटी-१० सूर्य। से विपरीत । गैरगमगी-वि० आकाशचारी। -पू० पाकाश मार्ग । गैरमुनासिब-वि० अनुचित । गरणमरिण, (मिण)-पु. सूर्य । गैरमुमकिन-वि० असंभव । गैरणांग, गैरणांण, गैग्गाक, (ग गि)-पु० गगन । गैरव-पु० [सं० गजवर] हाथी, गज। गैरगाघड-पू० स्वर्णकार। गैरवाजिब-वि० अयोग्य । अनुचित । गरणारण, गणारव, गंगारू, गैरणाळी-देखो 'गगन' । गैरसाली-वि० १ कपटपूर्ण, गन्दी । २ देखो 'कैरसाली'। गै'ण', ग'रणौ-देखो 'गहणों'। गैरहाजरी-स्त्री० [अ० गैरहाजिरी अनुपस्थिति। गैतूळ, (लो)-पु. १ अांधी, तूफान । • सेना, फौज। ३ गर्द, गैरहाजिर-वि० अनुपस्थित । धल । ४ समूह । ५ वायु, हवा । गराई-स्त्री० गहरापन, थाह । गंदंत--पु०१ हाथी का दांत । २ हाथी। गरिक, (रुक)-पु० [सं० गैरिक] १ सोना । २ गेरू। गदंतडी, गैदंती-पु० सूपर । गै'रियो-वि० होली खेलने वाला, होली के गीत गाने वाला। गैब-वि० [अ० | अप्रत्यक्ष, परोक्ष । -क्रि० वि० अचानक । गैरी-पु० १ शत्रु, दुश्मन । २ दृष्ट पुरुष । गंबको-कि० वि० सहमा, यकायक । गैरी-वि० (स्त्री० गै'री) १ अथाह. गम्भीर। २ अधिक, गंबवाणी (वाणी)-स्त्री० अदृश्य आवाज. आकाशवाणी। । पर्याप्त । ३ गहरा। गंदांगी, गैबाऊ-वि० १ गुप्त, छपा हा । २ परोक्ष, अप्रत्यक्ष । गळ-स्त्री० १ नशा, मदहोशी । २ वेहोगी। ३ नींद । ४ गफलत। ३ अचानक होने वाला। गैल-स्त्री० १ राह, मार्ग। २ पीछा ।-क्रि० वि० पीछे, गंबाबळ-पु० गुप्त गोला: बाद में । गैबी-वि० [अ० गब] १ गुप्त, छुपा हुआ । २ अज्ञात । गळक-वि० १ मदहोश, बेहोश । २ लापरवाह । ३ गाफिल । ३ प्रबोधगम्य । ४ अपराधी । -क्रि० वि० सहसा. गैलड़-देखो 'गेलड़'। अचानक । गैलणी-वि० (स्त्री० गैलणी) पागल, मूर्ख, नादान । गभूळी-वि० (स्त्री० गैभूली) १ गाफिल । २ अस्थिरचित ।। गेलाइत-पु. राहगीर, पथिक । गभर-पु० [सं० गजवर] हाथी। गैलाई-स्त्री० पागलपन, नादानी। गैया-स्त्री० गाय । गलागीर-गु० राहगीर, पथिक । गर-वि० [१०] १ पराया । २ अन्य, दूसरा । ३ अपरिचित। गलियो-१ देखा 'गला । २ दखा 'गला। ४ विरुद्ध, खिलाफ । ५ अनूचित। -स्त्री० निन्दा। गळीजरणी, (बौ)-क्रि० मादक पदार्थ या विष के प्रभाव से -अव्य० वगैरह, इत्यादि ।। बेहोश होना। गैर-स्त्री० १ होली के दूसरे रोज खेला जाने वाला पानी या गैलेरी-स्त्री० [अ०] बाहरशाली। गुलाल आदि का खेल । २ डफली पर होली के गीत गाने गैलो-पु०१ राम्ता, मार्ग । ३ गली। ३ उपाय । ४ पीछा, वाला दल । ३ दोनों हाथों में डंडे लेकर घूमर नाचने का अनुगमन । -क्रि० वि० पीछे । गे'लो-वि० (स्वी० गै'ली) १ पागल, मुखं । २ नासमझ, खेल । ४ मस्ता, उद्दण्डता। नादान । ३ मदहोश । मेरक-देखो 'गैरिक'। गैव-देखो 'गैब'। गरगढ़ी-स्त्री० एक देशी खेल। गवर (रौ)-पु० [सं० गजवर हाथी, गज । गरचाल-स्त्री० १ कूमार्ग । २ व्यभिचार । ३ कपट चाल, गंवरियो-१ देखो 'गै'रियो' । ३ देखो 'गैवर'। धोखा। गैस-स्त्री० [अ०] १ वायु मण्डल में व्याप्त एक अगोचर-सूक्ष्म गैरजबांन-स्त्री० अशिष्ट भाषा । अपशब्द । द्रव्य, बाष्प । २ अपानवायु । ३ पेट का वात रोग । गैरत, (थ)-पु० [सं० गीरथ] १ आकाश, गगन ।-स्त्री० [अ०] | ४ किसी पदार्थ की तीव्रगंध । ५ घुटन । २लज्जा, शर्म। ३ स्वाभिमान । गैसोत--वि० वर्णसकर, दोगला। गैरमनकूला-वि० [अ०] स्थिर, अचल, स्थावर । गहरणलियौ-देखो ‘गहणौ । गैरमहल-पु० [अ०] १ पराया गृह या महल । २ कलिगृह, गहरणौ-देखो ‘गहणौ' । जनाना महल। गहवंत-पु० गृहस्थ, गृहस्थी । For Private And Personal Use Only Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोंगरी ( ३४५ ) गोधी गोंगरौ-१ देखो 'गांगरौ' । २ देखो 'गांगड़ौ' । समूह । ३ गोशाला । -चंद, चव, नाय-पु. श्रीकृष्ण । गोगो-पु० खिड़की पर लगने वाला अर्धचन्द्राकार पत्थर । ईश्वर। गोंदळ-देखो 'कंदळ'। गोकुळस्थ-वि०१ गोकुल में स्थित । २ गोकुलवासी। गो-पु० [सं०] १ पशु, मवेशी। २ जल । ३ गौ का दूध। गोकुळेसरजी-पु०१ श्रीकृष्ण । २ ईश्वर। ४ सांड । ५ बैल । ६ रोम, लोम । ७ नेत्र । ८ चन्द्रमा। गोखंबर-पु० जालीदार वस्त्र । ९ घोड़ा। १० सूर्य । ११ नक्षत्र । १२ अाकाश । १३ इन्द्र गोख (डौ)-पु० [सं० गवाक्ष, गोक्ष] १ वातायन । २ झरोखा । का वज्र । १४ स्वर्ग । १५ तीर, बांण । १६ हीरा । ३ आंख, का नाक की ओर का कोना । ४ कान का विवर। -स्त्री० १७ वाणी। १८ सरस्वती । १९ माता । २० गौ।। ५ डिंगल का एक गीत. छंद । ६ मीमा, हद । २१ इन्द्रिय । २२ वृष राशि। २३ नौ की संख्या । गोखल(रू)-पु० [सं० गोक्षुर] १ वर्षा ऋतु में होने वाला एक २४ किरण । २५ दिशा । २६ पृथ्वी। -अव्य० [फा०] पौधा । २ इस पौधे का कंटीला फल । ३ इस फल के समान यद्यपि, अगरचे। लोहे का एक कांटा। ४ स्त्रियों का प्राभूषण विशेष । गो'-देखो 'गोह'। -कांटी-स्त्री० जमीन पर छितरने वाला पौधा व गोग्रम-देखो 'गोतम'। इसका फल । गोइतरौ-पु० (स्त्री० गोइतरी) १ छिपकली की जाति का एक गोखांनो-देखो 'गऊखांनो' । जंतु । २ गाय का बछड़ा। गोखो-देखो 'गोख'। गोइंद-पु० [सं० गो + इन्द्र] १ श्रेष्ठ, हाथी, ऐरावत। गोग-पु० १ झाग, फेन । २ सांप, सर्प। -घोड़ो-पु० वर्षा ऋतु २ देखो 'गोविंद'। में होने वाला एक लंबी टांगों का कीट । गोइ-देखो 'गोई'। गवेगण-स्त्री० सर्पिणी, नागिन । -पु० गायों का झुण्ड, गोहड़ी-पु० १ विष खोपरा नामक जंतु । २ पशुओं का खून | समूह। चूसने वाला कीड़ा । ३ देखो 'गोयड़ो'। गोगरा-स्त्री० गंगा की सहायक घाघरा नदी। गोइयाळ-देखो 'गोहीयाळ' । गोगामांगळी-स्त्री० मध्यमा अंगुली, मध्यमिका। गोइलो-देखो 'गोयलौ'। गोगाजीरीमासी-स्त्री० छिपकली जाति का एक जंतु । गोई तरी-स्त्री० गाय । गोगानम-स्त्री० भादव कृष्णा नवमी तिथि । गोई-पु० १ घुमाव । २ मोड़ । ३ चक्कर । ४ छल, कपट । गोगापीर-देखो 'गोगों'। ५ कूए पर चरस खाली करने वाला व्यक्ति । ६ शत्र, गोगामड़ी-स्त्री० गोगादेव का जन्म स्थान । दुश्मन । गोगाराखडी-स्त्री० गोगापीर के नाम पर बांधा जाने वाला गोईडौ-देखो 'गोइडो'। एक तांत्रिक धागा। गोईतरी-देखो 'गोई तरी'। गोगी-स्त्री. १ मुंह पर पाने वाले भाग । २ देखो 'घुग्घी' । गोऊ-देखो 'गंऊं'। गोगोचर-पु० ईश्वर । श्रीकृष्ण । गोऔ-पु. १ मस्ती चढ़ ऊंट के मुंह से निकलने वाली गोगौ-पु. १ ददोड़ा गांव के प्रसिद्ध गोगादेव चौहान जो पीर गलसुडी। २ देखो 'गोवो' । के रूप में पूजे जाते हैं । २ इनके नाम का एक लोक गीत । ३ सर्प, सांप। गोकन्ह, गोकरण-पु० [सं० गोकर्ण] १ बनास नदी के तट पर | पहाडी शिखर पर स्थित शिव मंदिर । २ मालाबार के | गाग्रास-पु० [स०J परार | गोग्रास-पु० [सं०] परोसी थाली में से भोजन करने से पूर्व पास स्थित एक शिव मूर्ति । ३ शिव का एक गण । | निकाला जाने वाला ग्रास। . ४ गाय का कान । ५ नत्य में एक प्रकार का हस्तक । | गोधड़-स्त्री० वैवाहिक रस्म के अनुसार बनाई जाने वाली ६ खच्चर । ७ सांप । ८ बालिश्त । ९ अवध प्रांत में | पुतली। गोरखनाथ का एक तीर्थ । गोघडमिनौ (नौ)-पु० बड़ी बिल्ली । गोकळ-देखो 'गोकुळ'। -नाय== 'गोकुळनाथ' । गाघाट-पु० जलाशयों का, पशुमों के पानी पीने का, पाट। " गोकळेस-पु० [सं० गोकलेश] श्रीकृष्ण । गोधात-स्त्री० गौ हत्या, गो-वध। गोकुळ-पु० [सं० गोकुल] १ जमुना किनारे बसा ब्रज का एक गोधाती-वि० गौ हत्यारा । महापापी। गांव जहां श्रीकृष्ण ने बाल लीला की थी । २ गायों का ! गोघी-देखो 'घुग्घी' ।। For Private And Personal Use Only Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गोघोच www. kobatirth.org ( ३४६ ) 4 गोड़ींदी - पु० [अ० ग़ोइन्दः] १ मुखबिर । २ गुप्तचर, भेदिया । गोड़ी स्त्री०१ हाथी की विवाह २ मस्ती, उन्मत्तता । ३ ध्वनि आवाज । ४ गर्जना । गोड़ोड़ - वि० १ हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताजा । २ विशालकाय दीर्घकाय । भ्रमरण । गोचार पु० बाला, गोप गो-पु० वस्त्र विशेष गोजरी - पु० गेहूं व जी का मिश्रण। गोजीत - वि० जितेन्द्रिय । गोघख ५० गोशाला। गोड़-पु० १ समूह २ नाम संहार । ३ वीर हाक, ललकार | प्रवाह की ध्वनि । ५ हाथी की चिंघाड़ । ६ मस्ती, उन्मत्तता । होना । २ दम घुटना, मूर्छित होना । ३ घुटन होना । ४ विशुचिका रोग से पीड़ित होना ५ ऊंट के बदहजमी का रोग होना । गोटेमिसुर पु० सुनहरे बादले का फीता । गोड़णी (ब) - क्रि० १ हाथी का चिघाड़ना । २ ललकारना । ३ प्रहार करना । ४ गिराना । ५ ध्वंसकरना । ६ गुड़ाना । ७ मारना, संहार करना । गोटो- पु० १ वातचक्र । २ प्रांघी, बवंडर । ३ नारियल का गोला । ४ घुटन । ५ हैजा रोग। ६ उन्माद रोग । ७ गड़बड़ी । ८ इन्द्रजाल । ९ रस्सी प्रादि का गट्टा | गोड़ा स्त्री० लम्बे कद का एक पक्षी जिसका मांस खाने में गोठ (डी) स्त्री० [सं०] गोष्ठी ] १ मित्र मण्डली का सामूहिक स्वादिष्ट होता है । गोड़ारव - देखो 'गौड़ारव' । भोजन, गोष्ठी । पिकनिक । २ वन भोजन । ३ मेजबानी । ४ दल, टोली । ५ समूह, दल । ६ छोटा गांव, खेड़ा। ७ प्रेम भरी बात देखो 'गोट' गुगरी, गूगरी- स्वी० वन- भोजन । गोली (सौ) स्त्री० गेहूं व चने का मिश्रण। गोचर - पु० [सं०] १ गोचर भूमि, चारागाह । २ जिला या प्रान्त । ३ विभाग | ४ इन्द्रियों की पहुंच के विषय । ५ पहुंच, लक्ष्य । ६ पकड़ शक्ति । ७ प्रभाव, काबू ८ द्गिमण्डल । गगनमंडल । १० नाम राशि के निकाले अनुसार हुऐ ग्रह योग - वि० १ गो का चरा हुआ। २ पृथ्वी पर घूमने वाला । ३ लक्ष्य के भीतर । ४ जानने योग्य । 1 गोचरी - स्त्री० १ योग की एक मुद्रा विशेष । २ कपट से बचाया हुआ धन भिक्षावृति ४ जैन मुनियों का भिक्षार्थ ३ । । समूह | गोटाजाय पु० एक पुष्प विशेष । गोटाळी देवो 'घोटाळी' | गोट-स्त्री० [सं० गोष्ठ ] १ किनारा, छोर । २ वस्त्र की किनार । २ किनार पर लगाया जाने वाला फीता । ४ चौसर की गोटी । ५ वातचक्र, तूफान, अंधड़ । ६ समूह । पोटको पु० १ सूखी कचरी । २ देखो 'गुटको' । पोटपोट - क्रि०वि० गोट के रूप में बादलों की तरह वि० अंधाधुंद, बेगा, अव्यवस्थित पु० बड़ी राशि बड़ा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोडांच पु० [सं०] मौनधान] नाय बांधने का स्थान गोठि-देखो 'गोष्ठी' । गोडि मोठियो गोठी- पु० (स्त्री० गोठा, सी) १ मित्र, साथी २ प्रियतम प्रेमी। . गोठी-देखो 'गोस्ठी' । गोड (उ) ० १ वृक्ष का तना २ जड़मूल ३ मूली नामक शाक की जड़ । ४ बाजीगर । ५ देखो 'गोडौ' । ६ देखो 'गौड़' | गोडसो (यो) गोडवली (यो) - क्रि० १ भूमि को खोद कर पोली करना । २ गिराना, पटकना । ३ देखो 'गोड़णी' (बी) । गोडवाड़ - पु० [सं० गौडपाटक] राजस्थान के पाली जिले का एक क्षेत्र । गोडवाड़ी स्त्री० १ गोडवाड़ को बोली । २ गोडवाड़ का निवासी - वि० गोडवाड़ का, गोडवाड़ संबंधी । गोडां देखो 'गो' । गोडांग - देखो 'गोहावल | गोडाफूट, ( फोड़. मार ) - पु० १ ऊंट की एक ऐव विशेष (अशुभ) २ इस ऐब वाला ऊट । गोडारणी (बौ) - क्रि० १ भूमि खुदवा कर पोली कराना । २ गिरवाना, पटकवाना | गोडाळ- पु० घुटनों पर झुकने का भाव । गोडापाही स्त्री० एक प्रकार की सजा, दण्ड | गोडालकड़ी - स्त्री० दोनों हाथों को पांवों से बांधकर बीच में लकड़ी फंसा कर दिया जाने का कठोर दण्ड । For Private And Personal Use Only गोटीबी पु० खरबूजा गोड गोडादेखो 'गुडाळियां'। गोटी - स्त्री० [सं० गुटिका ] १ खेल का मुहरा, गोट । २ टिकिया. गोडावण स्त्री० एक पक्षी विशेष जिसका मांस खाने में अच्छा होता है । गोली । ३ उपाय, युक्ति । ४ देखो 'गोस्ठी' । मोटी (यौ) ० १ बादलों का उमड़ उमड़ कर एकत्र गोडि (घ) देखो 'गोरे' - - । Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गोडियो गोडियो- पु० १ बैलगाड़ी का एक भाग । २ रहट का एक उपकरण । ३ घुंघुरू लगे चमड़े की पट्टी । ४ देखो 'गोड' । ५ देखो 'गोडौ' । www.kobatirth.org गोडी-स्त्री० १ ऊंट का अगला पांव समेटकर बांधने की क्रिया । २ बंधन । ३ गोडा, घुटना । ४ चरखे के लगने वाला डंडा । ५ उद्दण्ड गाय या बैल का घुटने के साथ सींग का बंधन । ६ देखो 'गोड़ी' । गोडीरव-देखो 'गौरव'। ( ३४७ गो बौ- पु० विकृत तरबूज । । गोडे - क्रि० वि० १ पास में, निकट । २ सामने सम्मुख ३ अधिकार में कब्जे में । T गोडौ - पु० १ घुटना । २ बैलगाड़ी का एक भाग । गोळवण ० मृतक के संबंधियों के सामने संवेदना करने की क्रिया । गोतरण - स्त्री० ० कुल में जन्म लेने वाली स्त्री । गोतम (म)-०१ ग गोढ़-देखो 'गोड' | " बोल (ला) क्रि० वि० निकट पास समीप गोड़ गोड़ गोड़, (ई) देखो 'गो' । गोण - पु० १ गमन । २ गगन । ३ पृथ्वी, भूमि । ४ प्रत्यंचा । गोणिय ०१ बढ़ई हार बादि का एक समकोण बौजार जिससे दीवार नापी जाती है। २ देखी 'गुणियों' गोली - पु० [सं० गमन] १ वधू की प्रथमवार सुसराल गमन की रश्म । २ गमन । , प्रगट गोत- पु० [सं० गोत्र ] १ कुल, वंश, खानदान । २ वंशगत । जाति । ३ समूह, दल । ४ लुप्त होने का भाव । ५ नाम । ६ संज्ञा । ७ गोशाला ८ वन । खेत । १० मार्ग । ११ वर्ग । १२ पर्वत, पहाड़ । -कदम पु० १ वंश के व्यक्ति की हत्या का पाप २ निकटतम कुल स्त्री के साथ संभोग, मैथुन । की गोतर- देखो 'गोत्र' | गोतराड़ - देखो 'गोतार' । गोहत्या स्त्री० सगोत्रीय की हत्या का पाप २ एक मंत्रकार ऋषि ३ एक क्षत्रिय वंश । ४ वसा, चर्बी । ५ देखो 'गौतम' | गोतमी स्त्री० [सं०] १ गौतम ऋषि की पत्नी महिष्या। २ देखो 'गौतमी' | गोतार पु० भावना यष्टमी, नवमी व दशमी को fear भादवणुक्ला किया जाने वाला व्रत विशेष मतान्तर से भादव शुक्ला १३, १४ और पूर्णिमा को किया जाने वाला व्रत । गोतिमी-१ देखो गोतमी' । २ देखो 'गौतमी' । पोतियो मोतीबि[सं० गोत्रीय] अपना सी ) गोतीत वि० [सं०] अदृश्य । - पु० ईश्वर, विष्णु । गोहरी - पु० इन्द्र | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इन्द्रिय ज्ञान से परे हो गोबर । गोतोरथक - पु० [सं० गीतर्यक ] शल्य चिकित्सा की एक विधि | गोते - वि० ० समान, सदृश, तुल्य । गोती-५०१ इनकी गोता । २ निराशाजन्य यात्रा । ३ चक्कर | ४ धोखा । ५ कष्ट । गोत्त-देखो 'गोत्र' । - गोवाळ = 'गोत्र-गोवाळ' । गोत्र-पु० [सं०] १ वंश, कुल । ३ संतान | ४ वर्ग । ५ २ कुल के अनुसार जाति । कुटुम्ब । ६ समूह, झुण्ड । गवाळ, गोवाळ - वि० शरक्षक. गोत्र ७ पहाड़, पर्वत । रक्षक सुता स्त्री० पार्वती, गोरी । गोत्रज-पु० [सं०] १ एक ही गोत्र में उत्पन्न व्यक्ति २ शिवा जित । ३ पत्थर । गोत्रभिदी ( भेदी ) - पु० [सं०] १ इन्द्र । २ वज्र । गोहर पु० [सं०] बज्र गोधन योत्रा [स्त्री० [सं०] पृथ्वी गोत्राचार - पु० विवाहादि अवसरों पर किया जाने वाला कुल का उच्चारण । गोत्री - वि० वंशज । स्वजातीय । गोवरपी- देखो 'गोस्तनी' । गो-पु० [सं०] गोस्तन ] हरीसा के छोर पर लगी काष्ठ की किल्ली । गोथली-देखो 'कोळी' गोदंती - स्त्री [सं०] १ एक प्रकार की मणि या मूल्यवान पत्थर । २ हरताल । वि० १ कच्चा । २ वेल | गोदत्री० [सं०] १ अंक, गोदी, उत्संग फोड़ | २ ग्रांचल । ३ सुखप्रद स्थान । गोवड़-पु० साधुत्रों का एक सम्प्रदाय व इस सम्प्रदाय का साधु । गोदसी स्त्री० सुई या कोई नुकीला चौजार । गोदसी (यो) त्रि० १सुईया की माना, पड़ना, गड़ाना। २ छेड-छाड़ या तंग करना । ३ अनिच्छित कार्य करने के लिए बार-बार कहना । गोपु० [सं०] गोदान ] गाय का दान गोदाम- पु० बड़ा कोठा या आगार । | गोदा, गोदावरी-स्त्री० [सं०] गोदावरी नदी गोवि (दी)- देखो 'गोद' । गोवी-देखो 'गोधौ' । For Private And Personal Use Only गोध- ध- पु० [सं०] १ मनुष्य । २ नर । ३ बबूल की फली । गोधन - पु० [सं०] १ गउम्रों के रूप में सम्पत्ति । २ गायों का झुण्ड समूह । Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोधप गोबरचन गोधम (धांम)-पु० १ झगड़ा, टंटा, फिसाद । २ ऊधम । | गोपाचळ-पु० १ ग्वालियर शहर का प्राचीन नाम । २ इस ३ उपद्रव, विद्रोह, । ४ उद्दण्डता, बदमाशी । ५ युद्ध, । शहर के पास का पर्वत । समर । ६ विद्रोह, विप्लव । गोपारडा-स्त्री० एक प्रकार की गोह । गोधर-पु० [सं०] १ पर्वत, पहाड़। २ चन्द्रमा। गोपायित-वि० [सं०] १ गुप्त, गोपनीय । २ रक्षित। गोळियो-पु० छोटा बैल । गोपाळ, (क)-पु० [सं० गोपाल] १ गउवों का पालन करने गोधार-पु० [सं०] १ इन्द्र । २ गोह नामक जंतु । वाला, ग्वाला, अहीर । २ श्रीकृष्ण। ३ राजा । ४ परमेगोधि-स्त्री० सं०] १ ललाट, भाल । २ मस्तक । ३ गंगा का श्वर । ५ इन्द्रियों का पालन करने वाला, मन । ६ एक नक्र। मात्रिक छन्द विशेष । --खवास-पु.एक प्रकार का घोड़ा। गोळिक (ळीक)-देखो 'गोधूळिक' । | गोपालिका- स्त्री० १ गिजाई या गुबरैला नामक बरसाती कीड़ा । २ गोपालन करने वाली ग्वालिन, ग्वालिन । गोधुळक्क--पु० गायों के खुरों से उड़ने वाली धूल, रज । गोपाळी-स्त्री० स्कन्द की एक मातृका । गोधूम-पु० [सं०] गेहूँ। गोपाळु-देखो 'गोपाल' गोधूळ-पु० १ गायों के खुरों से उड़ने वाली धूल । २ वह समय | गोपि, गापिका, गोपी- स्त्री० १ गोप की स्त्री, ग्वालिम, जब उक्त धुल उडती है। अहीरनी । २ ब्रज-बाला। -रास रमण (न) -पृ० गोषळक (ळिक)-स्त्री० [सं० गोधुलिक] १ सूर्यास्त का समय, श्रीकृष्ण। -सिरमण, सिरोमरिण-पु० श्रीकृष्ण । जब गायें जंगल मे चरकर लौटती हैं। २ इस समय होने | गोपीचंरण, गोपीचंद (चंद्र)-पू० - एक प्राचीन राजा जिन्होंने बाला मांगलिक मुहूर्त। माता के उपदेश से वैराग्य लिया था। गोधूळकियो (क्यो), गोधूळिकियो-पु० गोधूलिक समय का | गोपीचंदरग (न)-पु० [सं०] द्वारका के सरोवर की पीली वैवाहिक महतं । -वि० गोधूलिक वेला का या उस संबंधी। मिट्टी जिसका वैष्णव लोग तिलक लगाते हैं । गोपीजनवल्लभ-पु० [सं०] श्रीकृष्ण । गोषेय, गोधेर, (रक)-पु० [सं०] गोह नामक जन्तु । गोपीथ-पु० सं०] १ गउवों का, पानी पीने का, जलाशय । गोधौ-पृ० १ बड़ा बछडा । २ युवा बैल । ३ सांड । २ एक प्राचीन तीर्थ । गोनंद-पु० [सं०] १ स्वामिकात्तिकेय का एक गण । २ बछड़ा। गोपीनाथ, गोपीपत (पति) गोपीवर, (वल्लम), गोपीस-पु० ३ एक पौराणिक देश। [सं०] श्रीकृष्ण । गोपंगरण (न, ना)-स्त्री० [सं० गोपांगना] गोप जाति की गोपुर- पु० १ बड़े किले, नगर, मंदिर प्रादि का ऊंचा द्वार । स्त्री, गोपी। २ त्रिलोक. स्वर्ग लोक । गोप-पृ० १ गायों का पालक, ग्वाला । २ गोशाला का प्रधान । | गोपेंद्र-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण । २ गोप सरदार नंद । ३ राजा, भूपति । ४ श्रीकृष्ण । ५ ब्रजभूमि । ६ गाय। | गोपी-पू०१ गाय का बछड़ा। २ गाय बांधने का स्थान । ७ एक गंधर्व का नाम । ८ एक स्वर्णाभूषण। ९गाली. ३ गाप । अपशब्द । १० उत्तेजना । ११ दीप्ति, चमय., कांति । गोप्रवेस- पु० गायों का जंगल में लौटने का समय, गोलि १२ छिपाव । -वि० १ गुप्त । २ रक्षक । वेला । गोचरण-१ देखो ‘गोपन' । २ देखो 'गोफरण'। गोफरण, गोफरिणयौ गोफा-स्त्री० [सं० गोफरण] १ चमड़े की दो छोटी रस्सियों के बीच बनी फन जैसी पट्टी, जिस पर कंकर गोपत (पति)-पु० [सं० गोपति] १ शिव । २ विष्णु । ३ सूर्य ।। रख कर धुमा कर फेंका जाता है। यह फसल की रखवाली ४ राजा । ५ ग्वाल । ६ श्रीकृष्ण । ७ वृषभ, मांड । में काम माता है। २ स्त्री के बालों की वेणी में गूथा जाने गोपथ-पु० अथर्ववेद का एक ब्राह्मण । वाला आभूषण । गोपन-पु. गाय के खुर का चिह्न या गड्ढ़ा । गोफियौ- पु० १ 'गोफण' में रख कर फेंका जाने वाला कंकर। गोपरांन-पु० गुप्तदान । २ देखो 'गोफरण' गोपन-पु० [सं०] गोपनीयता, लुकाव-छिपाव । गोबड्डन- देखो 'गोवरधन' । गोपपति-पु० श्रीकृष्ण। गोबर- पु० [सं० गोविट] गौ-मल, गाय का का विष्टा, भैंस का गोपांनसि-पु० कच्चे मकानों की छाजन का दीवार से बाहर विष्टा । -गणेण-वि० बेडौल, भद्दा । मूर्ख, नासमझ । निकला हुआ भाग। गोबरधरण (धन)- देखो 'गोवरघन' । For Private And Personal Use Only Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोबरी गोरजर गोबरी-पु० कंडा, उपला, गोहरा । गोमेव, (वक)-स्त्री० [सं०] एक प्रसिद्ध मणि । गोबी- देखो 'गोभी' । गोमेध-पु० [सं०] अश्वमेध की तरह का गौ यज्ञ । गोव्यंद- देखो 'गोविंद' । गोमोबक-पु. १ नग । २ देखो 'गोमेद' । गोभी-स्त्री० एक प्रकार का शाक । गोयंद, (दो)-० [फा० गोइंद] गुप्तचर, जासस । गोम्रत-पु० [सं० गोभृत] पर्वत, पहाड़। गोय-पु० वचन, बोल। गोमंग-पु० १ आकाश । २ पृथ्वी। | गोयडो-पु. १ छिपकली जाति का, कुछ बडा, विषला जंतु । गोमंद- देखो, 'गोविंद'। २ रहट का एक पुर्जा । गोम-स्त्री० [सं० गो] १ पृथ्वी, भूमि। २ आकाश, मभ। गोयणौ-पु० १ पशुओं के शरीर से चिपक कर रक्त चूसने वाला ३ नगाड़ा। ४ मेघ । -पु० ५ वह घोड़ा जिसके पेट के एक कीड़ा । २ विश्नोइयों का पुरोहित । नीचे भंवरी हो। -वि. गुप्त, छुपा हुा ।-गंगा, गोयरपो (बो)-क्रि० छुपाना। गमण- स्त्री० गंगामदी। | गोयरो-देखो 'गोयड़ो'। गोमठ- स्त्री० पोकरण नगर के पास का स्थान जहां के ऊंट गोयलौ-पू. गेहं की फसल के साथ होने वाला एक घास । बढ़िया होते हैं। -वि० (स्त्री० गोयली) द्वेष रखने वाला, नीच । गोमठियो-पु० गोमठ के 'टोले' का ऊंट, एक जाति का ऊंट। गोयल्या-स्त्री० पक्षी विशेष । मोमतसर-पु० राजस्थान के भीनमाल नगर का प्राचीन नाम। गोया-क्रि० वि० अगरचे, यदि । गोमती, (त्ती)-स्त्री० [सं०] १ शाहजहांपुर की झील से निकल गोरंगी-देखो 'गौरांग' । कर सैदपुर के पास गंगा में मिलने वाला एक नदी। गोरंभ-१ देखो गोरम' । २ देखो 'गावरधन' । २ गोमंत पर्वत की देवी । ३ टिपरा की एक छोटी नदी। गोरम, (मी)-पु. १ योद्धा, वीर । २ युद्ध लड़ाई। ३ कलह । ४ ग्यारह मात्राओं का एक छंद । ५ स्त्री का एक प्राभूषण। ४ भण्डार । ५ पृथ्वी,भूमि । ३ अरावली पर्वत का एक भाग । गोमय-पु० [सं०] गोबर । [सं० गोमायु] सियार, गीदड़ । गोर-स्त्री. १ किनारा, तट । २ छोर । ३ मीमा हद । -जात-पु० गुबरैला, ग्वालिन, गिजाई । ___४ कब्र, समाधि । ६ गौरी, पार्वती । ७ सुन्दर स्त्री। गोमर-पु० १ आकाश, नभ । २ पृथ्वी। परी । ६ देखो गौर'। गोमरी-वि० १ भूखा । २ गंवार, असभ्य । ३ ग्रामीण । | गो'र-पु० १ गांव के बीच का चौक । २ गायों का झुण्ड । गोमळ-पु० गोबर। ३ रात में मवेशी रखने का बाडा, पाहता। गोपसावनडो-पु० डिंगल का एक गीत विशेष । | गोरक, (ख) गोरक्ष गोरख-पू० [सं० गोरक्षक) १ एक देव गोमान-पु० [सं० गोमान] गायों का स्वामी । वृक्ष विशेष । २ प्रसिद्ध हठयोगी गोरखनाथ । ३ गोरक्षक । गोमा-स्त्री० गोमती नदी। ४ जितेन्द्रिय । -प्रासरण, (न)-पु. योग के चौरासी गोमाय (यु, यू)-पु० सियार, गीदड़ । प्रासनों में से एक। गोमाळ-स्त्री० गायों का झुण्ड । गोमी-पु० [सं० गोमिन १ सियार, गीदड़ । २ गायों का | . गोरख प्रांबली-स्त्री० एक मोटे तने का वृक्ष विशेष जिसके फल व स्वामी । ३ पथ्वी। बीज औषधि में काम आते हैं। गोरखधंधी-पु. १ कच्चा सूत सुलझाने का कार्य । २ निरर्थक व गोमुख-पु० [सं] १ गाय का मुख । २ मगर, घड़ियाल ।। उलझन भरा कार्य । ३ गूढ़ बात । ३ एक वाद्य यंत्र । ४ एक प्रकार का शंख । ५ एक योगासन विशेष । ६ इन्द्र-पुत्र जयंत के सारथी का नाम । गोरखनाथ-पु० [सं० गोरक्षनाथ] पन्द्रहवीं शताब्दी के एक ७ चित्तौड़गढ़ के एक तीर्थ का नाम । सिद्ध योगी। गोमुखी-स्त्री० [सं] १ माला रखकर जाप करने की एक थैली। गोरखपंथ-पू० उक्त योगी के द्वारा चलाया हपा मम्प्रदाय । २ चित्तौड़ का एक तीर्थ स्थान । ३ गंगोतरी का एक स्थान गोरखमुंडी-स्त्री० एक औषधि विशेष । विशेष । ४ घोड़े के ऊपरी पोट पर होने वाली एक भंवरी। गोरखो-पु. उत्तर भारत के पर्वतीय प्रश का निवास)। -वि० गोमुख के अनुसार। गोरड़ी-देखो 'गोरी'। गोमूत, गोमूत, (मूत्र)-पु० [सं० गोमूत्र गाय का मुत्र। गोरज--स्त्री० गोलि । -वि० पीला *। | गोरजा, (ज्या)-१ पार्वती, गौरी। २ गौर वर्ण की सुन्दर स्त्री। गोमुत्रिका-स्त्री० [सं०] एक प्रकार का चित्रकाब्य । ? गणगौर । For Private And Personal Use Only Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३५० ) गोळतो . fr गोरजी--प. ब्राह्मण, द्विज।. गोरीसर-पु० हंसराज नामक जड़ी। गोरटौ-देखो 'गौर'। गोरीसुत- देखो 'गोरिसुत' । गोरण-पु. १ विवाह का दूसरा दिन । -स्त्री० २ ग्वालिन । गोरुत- पु० [सं गोरुतं] चार मील की लंबाई का नाप । गोरगी-स्त्री. १ स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला व्रतोत्सव । | गोरू-पु. गायों को चराने वाला, ग्वाला । २ इस व्रतोत्सव पर महागिन स्त्रियों को चौबीस पात्रों में | गोरूप-पु० [सं०] १ महादेव । २ पृथ्वी । मेवा प्रादि वितरित करने की क्रिया या संकल्प । गोरेल- पु० ढोलियों की एक शाखा । गोरपत (पति)-पु०१ शिव महादेव । २ बादशाह । गोरैया- स्त्री० कृष्ण वर्ण का एक जल पक्षी विशेष । गोरबंद. (बंध)-पु० १ ऊंट के गले का एक प्राभूषण विशेष । गोरोचन- पृ० [सं० गोरोचन | गाय के मस्तक से, मतान्तर से २ एक लोकगीत विशेष । पित्ताशय से निकलने वाल: सुगंधित पीला पदार्थ विशेष । गोरम-पू०१ नाथ सम्प्रदाय का एक सिद्ध । २ अरावली का -वि०पीला, पीत। एक भाग विशेष जहां हिंजड़ों का मेला लगता है। गोरी-पू०१ गौर वर्ण का एक भैरव । २ अंग्रेज, युरोपवासी। 3 हिजड़ों का देवता । ... -वि०१ गौरवर्णी । २ स द व स्वच्छ । गोरमटियो-पु० खरीफ की फसले का खेत । गोळंटोळ- वि० बिल्कुल गोल । गोमिट-१०१ सरकार शासन, राज्य, सत्ता। २ शासक दल । गोळदाज-पु० तोपची । गोमिटी-स्त्री० सरकारी, सत्ता। गोळ (क)- वि० [सं० गोल] १ अंडाकार, सर्ववतुल । गोरमा-पु. गांव का खुला चौक । ... २ वृत्ताकार या चक्करदार । ३ लुप्त। -पृ० १ दल, झुण्ड, गौरयौ, (वो)-पु० १ एक पक्षी विशेष । - गोरी चमड़ी का । समूह । २ सेना, फोज । ३ षड़यंत्र, जाल । ४ घेरा, घेराव। पुरुष । ३ मवेशियों का बाड़ा । ४ गौरा । ५ सेना का रक्षक दल, चंदावल । ६ सेना का केन्द्र दल । गोरल-स्त्री० गणगौर । ७ दुष्काल पड़ने पर अन्य प्रदेश में मवेशियों के साथ गमन गोरवु, गौरवो-पु० १ ग्राम के बीच का या बाहर का खुला । या ऐसा स्थान जहां मवेशी सहित ठहरा जाता हो। स्थान । २ सीमा । ३ जंगल । ४ देखो 'गौरव'। ८ पीपल का फल । ९ नहाने की क्रिया, स्नान । गोरस-पु० [सं०] १ दुध, दुग्ध । २ दही । ३ तक्र, मट्ठा। १० गड़बड़, गोटाला । ११ एक प्रकार का भाला। ४ मक्खन । ५ इन्द्रिय-सुख । १२ मंडलाकार क्षेत्र, घेरा । १३ गोलाकार पिंड, गोला। गोरस्यौ-पु० गोरस बेचने वाला। १४ अवसर, पारी, बारी । १५ फुटवाल आदि खेल में किसी गोरह-देखो 'गोरस'। दल की हार की परिधि । १६ आकाश । १७ पृथ्वी। गोरहर-पु० जैसलमेर के गढ़ का नाम । १८ एक प्रकार का वृक्ष विशेष । गोरा-स्त्री० १ पार्वती, गौरी । २ गौर वर्णी स्त्री। गोल-पु० [सं०] १ दास, सेवक । २ गलाम । ३ दासी पुत्र । गोराई-स्त्री० गोरापन । मुन्दरता । ४ वेण्या पुत्र । ५ गड़ । --वि० १ वर्गसंकर, दोगला। गोराया, (वी)-गौर वा का मर्प विशेष । २ हरामी। गोरि-१ देखो 'गो'र' । २ देखो 'भोर' । ३ देखो ‘गोरी'। गोलक-पृ० [सं०] १ विधवा का जारज पुत्र । २ वर्णसंकर गोरियावर- देखो 'गोरायौ'। संतान । ३ मा बचाने का छोटे मुह का पात्र । ४ प्रांख गोरियांराउ-पु. मुसलमान बादशाह । का इला, कोया। गौरियौ-पु० १ अग्रज । २ पशुओं का छोटा' बाड़ा । -वि० गौरा। गोलकाकड़ी-स्त्री० एक प्रकार की ककड़ी। गोरिलौ, (ल्लो)-पू. १ अफ्रिका के जंगलों में पाया जाने वाला गोळकूडियो (कूडौ)-पु० वृत्ताकार चक । गोळखांनौ-१० दरबार या सभा करने का गोलाकार कक्ष । एक वनमानुष । २ छापामार सैनिक । । गोळगट (ट्ट)- देखो 'गोळमटोळ'।। गोरिसुत--पु० १ गजानन, गणेश । २ स्वामि कात्तिकेय। गोरी- पू० [फा. १ कारस के गोर प्रदेश का निवासी। गोळची-पु०१ तोप या बन्दूक का निशाने बाज । २ खेल में २ बादशाह । ३ देखो 'गौरी'। गोल की रक्षा करने वाला खिलाड़ी। ३ बढ़ई का एक गो'री-पु. [प्रा० गोहरी] गाय चराने वाला, ग्वाला। अौजार। गोरीराय, (राव)- पु. १ शिव, महादेव । २ मुसलमान । गोलणी-पु० [अ० गुलाम] दास, सवक भृत्य । बादशाहा। गोळती- वि गोलाकार। For Private And Personal Use Only Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोळनी ( ३५१ ) गोसाला गोळनी- स्त्री० मिट्टी का बड़ा पात्र, मटकी, घड़ा। गोवंद-देखो 'गोविंद'। गोळमटोळ- वि० १ बिल्कुल गोल । २ अस्पष्ट । ३ नाटा एवं | गोवड़ी-स्त्री० १ पशुनों के शरीर पर चिपका रहने वाला कीड़ा, मोटा-ताजा। ईत । २ एक प्रकार की घास । ३ गौर वर्ण की स्त्री। गोळमदाज- देखो 'गोळंदाज' गोवरिणयौ-पु० पीतल का मध्यम आकार का जन-पात्र, इसी में गोळमाळ-स्त्री. १ अव्यवस्था, गड़बड़ी। २ छल, षड़यंत्र। दूध दूहा जाता है। गोलर- देखो 'गूलर' गोवरणी-पु० १ खलिहान में अनाज साफ करने की क्रिया। गोळवाळ (ळी)-- पु० दुष्काल में घास-पानी वाले स्थानों पर २ अधिक पीटने से शरीर की अवस्था । ३ नाश ध्वंस । पशु लेकर जाने वाला व्यक्ति । गोवरणो, (बो)-क्रि० गुप्त रखना, छिपाना । गोळविद्या- स्त्री० [सं० गोलविद्या] ज्योतिष विद्या का एक गोवध-पु० [सं०] गाय की हत्या। अंग। गोवर-स्त्री० १ गाय,। २ गुफा । ३ रहस्य, गुप्तबात। गोळवी- पु० एक प्रकार का व्यंजन । ४ गोबर । गोलांगूल-पु. [सं०] गाय की पूछ जैसी पूछ वाला बंदर।। | गोवरद्धन, (धन)-पु० १ ब्रज का एक प्रसिद्ध पहाड़ । २ श्रीकृष्ण गोळाई- स्त्री० १ गोल वस्तु की परिधि । २ वृत्त, घेरा । का एक नाम । ३ दीपावली के दूसरे रोज पूजन के लिए गोलाड़ी- स्त्री० एक बरसाती लता व उसका फल । बनाया गया गोबर का पिण्ड । -धर. धारी-पु० गोळिया- स्त्री० एक प्रकार की तलवार । श्रीकृष्ण। गोळियौ-पु० १ स्त्रियों के पैर की अंगुलियों का आभूषण। गोवळ-पु० १ गुड़ । २ गोप, ग्वाला। ३ गाय । -वि०१ रक्षक। २ गेहूं की फसल में होने वाला रोग । ३ कांसी का छोटा | २ देखो 'गोळ'। कटोरा । ५ पीतल का छोटा जल पात्र । ६ पके हुए मांस | गोवाळ, गोवाळियो, ()-१ देखो 'गोपाळ' । २ देखो 'ग्वाळ' । की हड्डियों का संधिस्थल । ७ एक प्रकार की तलवार। गोविद (दो)-पु० [सं० गोपेन्द्र] १ श्रीकृष्ण । २ परब्रह्म, गोळी- स्त्री० १ काच या धातु का बना कोई बिल्कुल गोल ईश्वर । ३ वेदांतवेत्ता । ४ बृहस्पति । ५ शंकराचार्य के दाना, गोली । २ प्रौषधि की टिकिया, गुटिका। ३ बन्दूक गरु । ६ मिक्खों के एक गुरु । -देव-पु० विष्णु का एक आदि का कारतूस । ४ दही की मथनी, गोल पात्र । ५ वृक्ष रूप। -पद-पु० मोक्ष, निर्वाण।। का तना । ६ शरीर का गठन । गोवी-पु० १ दो खेतों की मेढ़ों के बीच का मार्ग । गोली- स्त्री० १ दासी, सेविका । २ देखो 'गोलाड़ी' । २ देखो 'गोरो'। -जादौ-पु०- दासी पुत्र । गोव्यद-देखो 'गोविंद'। गोळीढ़ाळ-पु. एक प्रकार का शस्त्र । गोलीपौ-पु० दासत्व, गुलामी। गोवत-पु० [सं०] गौ हत्या के प्रायश्चित में किया जाने गोलीयो- देखो 'गोळियो' । वाला व्रत । गोलीवाड़- स्त्री० एक जंगली लता । गोस-पु० [फा० गोश] १ श्रवणेन्द्रिय, कान । २ देखो 'गोस'। गोळू- वि० दुष्काल में 'गोळ' जाने वाला। गोसक-पु० [सं० गोशक] इन्द्र । गोळे (ळे) वि० अधीन, वश में । गोसरणी, (बी)-क्रि० १ दुःख देकर धन लेना। २ धन का गोळोचन-देखो 'गोरोचन'। अपहरण करना। गौळी-पु० धातु प्रादि का बड़ा गोल पिण्ड । २ तोप का गोसमायल-पु० पगड़ी का, कान पर लटकने वाला छोर, जिस पर गोला। ३ पेट में वात विकार से होने वाला गल्म ।। मोती जड़े हों। ४ नारियल की साबुत गिरी, गोटा । ५ कोई गोल | गोसमाळी-स्त्री० [फा० गोशमाली] , प्रताड़ना, झिड़की। उपकरण । ६ सूत या ऊन का समेटा हुमा गोला । २ कान उमेठना। ७ लालटेन या चिमनी आदि का काच का गोला, हण्डा। गोसळ-देखो 'गुसळ' । -खांनो-देखो 'गसळखांनो' । ८ एक प्रकार की तलवार । गोसवारी-पु० [फा० गोशवारा] १ जोड़ योग । २ किसी मद के गोलो-पु० [सं० गोलक) (स्त्री० गोली) १ गुलाम, दास । आय व्यय का लेखा । ३ किसी पंजिका का कोष्ठक । २ वर्णसंकर संतान । गोसाई, गोसांई-देखो 'गोस्वामी'। गोल्डौ-पु० जूए की कीली। गोसाला-स्त्री० [सं० गोशाला] १ वृद्ध व प्रशक्त गायों को गोल्यो-१ देखो 'गोळियौ' । २ देखो 'गोलो'। रखने का स्थान । २ गायों के रखने का स्थान । ... For Private And Personal Use Only Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोतियह गोसियळ, (सेल)-वि० गुस्सैल, क्रोधी। गौख (डौ)-देखो 'गोख'। गोसी-पु० कुए पर पानी का मोट खाली करने वाला व्यक्ति । गौड़-पु० १ बंग देश का प्राचीन नाम । २ कायस्थों का एक गोसूक्त-पु० गोदान के समय पढा जाने वाला अथर्ववेद का अंश। भेद । ३ एक ब्राह्मण वर्ग । ४ एक क्षत्रिय वंश । ५ जलाशय गोसी-पु० [फा० गोशः] १ कोना । २ कोष्ठक । ३ कमान की की तरंग या हिलोर । ६ पशुओं के गले में होने वाला एक नौक । ४ प्रांख की पलकों के बीच का स्थान । ५ एक रोग ग्रंथि रोग । ७ देखो 'गोड' । ---नत-पु. एक संकरराग । विशेष । ६ अण्डकोश । -वि० गुप्त । -पाद-पु. शंकराचार्य के दादा गुरु । -मल्लार-पु.. गोस्ठी-स्त्री० [सं० गोष्ठी] १ लोगों का समूह । २ सभा। राग विशेष । -सारंग-पु० एक राग विशेष । ३ मण्डली। ४ वार्तालाप । ५ परामर्श, सलाह । ६ सैर, | गौड़ा-स्त्री० निंदा, आलोचना । सपाटे व खाने-पीने का प्रायोजन । ७ गुप्त मंत्रणा। । | गौड़ाटी, गौड़ावटी-स्त्री० गौड़ वंशीय क्षत्रियों के राज्य गोस्त-पु० [फा० गोश्त] मांस, आमिष । को भूमि । गोस्तनी-स्त्री० [सं] दाख, मुनक्का । | गौड़ारव, (गौड़ीरव) गौड़ीरव-पु०१ समुद्र, सागर । २ प्रवाह । गोग-पु० [सं० गोश ग] १ एक पौराणिक पर्वत । २ बबूल ३ प्रवाह की ध्वनि । ४ हाथी की मस्ती की ध्वनि । वृक्ष । ३ एक ऋषि का नाम । ५ समुद्र की लहरों के टकराहट की ध्वनि । ६ हाथी । गोस्वामी-पू० [सं०] १ गाय का स्वामी । २ ईश्वर। गोड़िया-बाजी-स्त्री०१ नट-विद्या । २ ऐन्द्रजालिक, जादुगरी। ३ संन्यासियों का एक भेद । ४ विरक्त साधु । ५ जितेन्द्रिय। प नि ३ छल, कपट । -वि० श्रेष्ठ। | गौड़ियो-पु० [सं० गारुडिकः] १ जादूगर, बाजीगर । २ संपेरा। गोह-स्त्री० [सं० गोधा] १ छिपकली जाति का एक बड़ा व ३ गौड़ रोग से पीड़ित पशु । विषला जंतु । २ उदयपुर राजवंश का एक पूर्व पुरुष । गोड़ा-स्त्रा० आज गुण काव्य का एक राति । २ एक ३ निषाद राज गुह । रागिनी। गोहरणो-देखो 'गहणी'। गौढा, गोटे-देखो 'गोढां'। गोहर-देखो 'गो'र'। गौण-वि० [सं०] १ जो मुख्य न हो । २ कम महत्त्व का। ३.प्रधान का उल्टा । ४ गुणवाचक । गोहरी-पु० गायों को चराने वाला ग्वाला । गौणी-स्त्री० एक प्रकार की लक्षणा। गोहरो-देखो 'गोह'। गौरणी -पु० १ खलिहान । २ गमन, विदाई । ३ देखो 'गोणी' । गोडिर-१०१ गांव या मोहल्ले के बीच का खुला स्थान । गायों गौतम - भरटाज ग्राषि का नाम । मतानन्द मनि ___ को रखने का स्थान। का नाम । ३ द्रोणाचार्य के साले कृपाचार्य का नाम । गोहिरी-देखो 'गोहरी'। ४ बुद्ध भगवान का नाम । ५ न्यायशास्त्र प्रवर्तक का नाम । गोहली-देखो 'गहलौ'। (स्त्री० गोहली) -संभवा-स्त्री० गोदावरी नदी। गोही, गोहीयाळ-वि० १ कपटी, धूर्त, चालाक । २ देखो 'गोई। गौती-देखो 'गोती'। गोई, गो-देखो 'गंऊ'। गौदान-देखो 'गोदान'। गोहूँ, माळ (वाळ) -देखो 'गंवाळ' । गौन-पु० [सं० गमन] १ गमन । २ विदाई। ३ देखो 'गौण'। गोही-देखो 'गोवो'। ।' गौम-देखो 'गोम'। दो-स्त्री० [सं०] १ गाय, गऊ । २ किरण । ३ सरस्वती। गौमुखी-देखो 'गोमुखी' । ४ वाणी। ५ जिह्वा । ६ पृथ्वी । ७ माता । ८ वृष राशि। गौमूत-देखो 'गोमूत' । ६ ख । १० दृष्टि । ११ बिजली । १२ नौका । गौमेद-देखो ‘गोमेद' । १३ दिशा । १४ इन्द्रिय। १५ सुगंध । १६ रोमावली। गौर गि-देखो 'गौरांग' । १७ बकरी । १८ भेड़ । १९ वसंत । -पु० २० सूर्य। गौर-वि [सं०] १ सफेद, श्वेत । २ पीला । ३ लाल । २१ चन्द्रमा । २२ घोड़ा । २३ बैल । २४ बंदर । २५ तीर, ४ चमकीला, दीप्ति युक्त । ५ गौरवर्णी । ६ विशुद्ध, बाण । २६ स्वर्ग । २७ कल्पवृक्ष । २८ वज्र । २६ घर । स्वच्छ । ७ मनोहर । -पु० १ सफेद रंग । २ पीला व ३० वृक्ष । ३१ पक्षी । ३२ हाथी। ३३ जल । ३४ शिव लाल रंग । ३ चन्द्रमा । ४ एक प्रकार का हिरन । ५ एक का गण । ३५ अंक । ३६. शब्द । ३७ केश। मैंसा विशेष । ६ चैतन्य महाप्रभु । ७ कमल-नाल । ८ केसर। -प्रव्य यद्यपि । अगरचे । ९ स्वर्ण, सोना। For Private And Personal Use Only Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गौ'र-देखो 'गो'र'। | ग्यानलक्षरण--पु० [सं० ज्ञान लक्षण] न्याय में अलौकिक प्रत्यक्ष गौरता-स्त्री० गोरापन । मफदी। का एक भेद । गौरम-पु० १ आकाश, नभ । २ देखो 'गोरम' । ग्यानलिंग-पु. शिव का एक लिग। गौरव-पु० [सं०] १ प्रतिष्ठा, इज्जत । २ बड़प्पन । ३ कुलीनता। ग्यांनसत-पु० [सं० ज्ञानिषद] स्वर्ग । ४ भारीपन । ५ वजन । ६ जरूरत । ७ सम्मान, प्रादर। ग्यांनासरण (न)-पु० [स० ज्ञानासन] एक प्रकार का योगासन । ८ कीति, यश । ९ वृद्धि। ग्यांनी-वि० [सं० ज्ञानिन्] (स्त्री० ग्यानण) १ ज्ञानवान्, गौरवौ-पु० १ चटक पक्षी, चिड़ा । २ देखो 'गो'र' । ___ अनुभवी । २ आत्मज्ञानी, ब्रह्मज्ञानी । ३ बुद्धिमान, प्रतिगौरहर-देखो 'गोरहर'। भावान । ४ ज्योतिषी । -पु० १ ऋषि, मुनि । गौरांग-पु०[सं०] १ विष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ चैतन्य महाप्रभु । २ कवि । ३ हंस। ४ अंग्रेज। -वि० गौरवगीं। प्यात-वि० [सं० ज्ञात] विदित, जाना, हुमा अवगत । गौरांतीज-स्त्री० चैत्र शुक्ला तृतीया तिथि । ग्यातजोबना (जौवना)-स्त्री० [सं० ज्ञान यौवना] मुग्धा नायिका गौरा-देखो 'गोरा'। जिसे यौवन का ज्ञान हो। गौरियो (बौ)-देखो 'गोरियो' । ग्याता-वि० [स० ज्ञातृ] १ जानने वाला, जानकार । गौरी-स्त्री० [सं०] १ पार्वती, उमा । २ दुर्गा। ३ चौसठ | २ अनुभवी, भुक्तभोगी। ३ कवि, पंडित । ४ वेदान्ती। योगिनियों में से दूसरी । ४ पाठ वर्ष की कन्या । ५ गौरवर्ण ग्याति (ती)-देखो 'जाति'। की व गुन्दर स्त्री। ६ युवा स्त्री । ७ लाल रंग की गाय । ग्याब-पु० [सं० गर्भ] गर्भ ! ८ गंगा नदी । ९ क्वारी कन्या । १० पृथ्वी । ११ हल्दी। ग्यावरण (रणी)-वि० गर्भवती। (मादा पशु) १२ गोरोचन । १३ वरुण की स्त्री । १४ मल्लिका लता। ग्यारमों (वौं)--वि० दश के बाद बाला । १५ तुलसी का पौधा । १६ प्रार्या छन्द का एक भेद । ग्यारस (सि, सी)-स्त्री० [सं० एकादशी] एकादशी की तिथि ! १७ देखो 'गोहरी'। -वि० गौर वर्ण की, सुन्दरी। ग्यास-स्त्री० हसी, मजाक । --संकर-पु० शिव-पार्वती । हिमालय की एक चोटी। ग्यासी-स्त्री० वेश्या, व्यभिचारिणी स्त्री । -सर-पु० पु० शिव । ग्येय-वि० [सं० ज्ञेय जानने योग्य । ज्ञातव्य । गोळ-पु० बादामी रंग के तने का बड़ा वृक्ष विशेष । प्रजन-पु० [सं०] प्याज। गौळणी-स्त्री० ग्बाले की स्त्री, ग्वालन। अथ पु० [स० ग्रंथः] १ किताब, पुस्तक । २ साहित्यिक रचना । गौस-पु. [म.] १ बली से बड़ा पद रखने वाला मुसलमान ३ धार्मिक पुस्तक । ---क, करता,कार- ग्रंथकर्ता, रचयिता, फकीर । २ गोता लगाने की क्रिया, डुबकी । ३ न्यायकर्ता ।। रचनाकार। गौसळ-देखो 'गुसळ' । -खांनी गुसळखांनो'। प्रथरण (न)-पु० स० ग्रन्थन् । १ दो वस्तुओं को जोड़ने की गौह, गौहक, गौह केसर-पृ० १ एक देव जाति । २ कुबेर। क्रिया या भाव । २ ग्रंथि, गांठ । ३ गूथना किया। गोहद-पु० [सं० गृहः। निषादराज मुह जो श्रृंगवेरपुर का ४ साहित्य रचना। गजा था। यसाहब-पु० सिक्खों का धार्मिक ग्रंथ । गौहर-पु० १ जैसलमेर का किला ! २ प्रासाद, महल । ३ मोती. थांण-देखो 'यथ'। ___ मुक्ता । ४ देखो 'गोहर' । प्रथि-स्त्री० १ गांठ बंधन । २ जोड़, संधि । ३ फोड़ा। ग्यांन-पु० सं० ज्ञान] १ जानकारी, पता । २ समझदारी। प्रथीलौ-वि० [स० ग्रंथिल] १ गांठदार । २ गूथा हुआ । ३ दक्षता, निपुणता । ४ बोध । ५ विद्वत्ता । ६ विवेक । प्रदप, गंधप ध्रप-१ देखो 'गधरव' । २ देखो 'ग'धक' । ७ अात्मज्ञान । ८ ज्ञानेन्द्रिय । ९ विषय विशेष का | प्रग-देखो 'गरग' । अध्ययन । कांड-पु. वेद का एक विभाग । ...त-पु० ग्रगाचार-पु० सं० गर्गाचार्य गर्ग ऋषि । जानबूझ कर किया हमा कर्म । पाप । -गोभा-स्त्री० ग्रझड़ (डौ)-देखो 'गिद्ध' । ज्ञान की जह, ज्ञान का गभं । -जग्य-पु० ग्रात्मा व प्रद, प्रद्ध, प्रध-१ देखो 'गरद' । २ देखो 'गिद्ध'। परमात्मा का एकीकरण । ब्रह्मज्ञान। -बद्ध-वि० अनुभवी। प्रधसी-स्त्री० [सं० गृध्रसी] एक प्रकार का वात रोग जो कूल्हे --साधन-पु० ज्ञान प्राप्ति का प्रयत्न । इन्द्रिय ।। से उठता है। ग्यांनजया-स्त्री० डिगल के गीतों की रचना का वह नियम अब (ब्ब, भ, म)-१ देखो 'गरम' । २ देखो 'गरव' । जिममे अवधानों का यथा संख्य वर्णन हो। -वासम्म गरभवास' । For Private And Personal Use Only Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसारण प्राम पसण (न)-पु० [सं० ग्रसनं] १ निगलने व खाने की क्रिया या नाड़ी। २ ग्रहणी रोग । ३ युद्ध । ४ ग्रहण। [सं० गृहिणी] भाव । २ पकड़ने की क्रिया । ३ जकड़न, कसाव । ४ ग्रहण । ५ घर की मालकिन । ६ पत्नी, भार्या । प्रसी (बौ)-क्रि० [सं० ग्रस] १ निगलना, खाना । २ पकड़ना । ग्रहणौ-देखो 'गहणो' । ३ कसना, जकड़ना । ४ ग्रसना । ग्रहणौ (बी)-क्रि० [सं० ग्रह्य] १ लेना । २ स्वीकार करना। ग्रस्त-वि० [सं०] १ पकड़ा हुआ । २ पीड़ित । ३ ग्रसा हुआ। ३ पकड़ना। ४ धारण करना । ५ अधिकार में करना । ग्रहमिण (मिरिण)-देखो ‘ग्रहमरिण' । ४ जकड़ा हुआ, कसा हुआ। [सं० गृहस्थ ] ५ गृहस्थ। ग्रहसणौ (बौ)-क्रि० १ ग्रहण करना, स्वीकार करना । ग्रह-पृ० सं० ग्रहः] १ नक्षत्र, तारा । २ सूर्य-चन्द्रमा। २ छीनना, झपटना। ३ ग्रहण । ४ पकड़ । ५ मकर, नक। ६ भूत-पिशाच । ग्रहस्थ-पु० [सं० गृहस्थ] १ पत्नी व बाल बच्चों वाला, घरबारी ७ ज्ञानेन्द्रिय । ८ भेद, रहस्य । ९ कृपा । १० नो की संख्या। व्यक्ति । २ ब्रह्मचर्य के बाद जीवन का दूसरा चरण । [सं० गृह] ११ घर, मकान । १२ ग्रावास । १३ कुटुम्ब । --प्राधम-पु. व्यक्ति के जीवन की दूसरी सीढ़ी जब बह १. कैदी । --इंद-पृ० सूर्य, भानु । कल्लोल विवाह करके गृहस्थी बसाता है व सांसरिक कर्म पु० राहु । -- गण-पु० ग्रह समूह, ग्रहावली। करता है। ----- गति, गोचर-पु० ग्रहों का चालु क्रम । -- चार-पु० सभोग, समागम, मैथुन । -चारी-वि० गृहस्थ, घर ग्रहस्थी-स्त्री० [सं० गृहस्थी] १ कुटुंब, परिवार, बाल-बच्चे । संबधी। -चितक-पु० ज्योतिषी। -वि० घर की चिता २ घर का सामान । ३ गृहस्थ का कार्य । ४ गृहस्थाश्रम में करने वाला । ---जुध-पु० गह कलह, झगड़ा । किसी राज्य __ प्रविष्ठ व्यक्ति। का प्रान्तरिक विद्रोह । सौर सिद्धान्त के अनसार एक प्रकार | ग्रहस्वर--पु० १ किसी राग का मुख्य स्वर । २ गहस्वामी। का ग्रहण । -- जोग पु० एक राशि पर दो ग्रहों का योग ।। ग्रहांग्रहण-पु० [सं० ग्रह-ग्रहण] रावण । ---- बसा-स्त्री० ग्रहों की स्थिति । ग्रहों के अनुसार किसी | ग्रहांचोप्रावास, (रहरण)-पु० प्राकाश, नभ । का अच्छा बुरा समय । अभाग्य । --धारी-पु. गृहस्थी।। ग्रहांपत, ग्रहांपति-देखो 'ग्रहपति' । --नार-स्त्री. गृहिणी, भार्या । ---नेम, नेमि-पू० | महाराज-पु० [सं० ग्रहराज] सूर्य, भानु । । चन्द्रमा। चन्द्रमा की एक गति । —प. पत. | ग्रहाधार-पु० [सं०] ध्र व नक्षत्र । पति, पती-पु० घर का स्वामी। श्वान, कूत्ता। पति, | ग्रहारांम-पु० [सं० गृह+पाराम] छोटा बगीचा, वाटिका । खांविद, चौकीदार । सूय, भानु । -पसु-पु० कुत्ता । ग्रहावणौ (बो)-क्रि० ग्रहण करना । गाय । --पाळ, पाळक-पु० घर का चौकीदार । सेवक, ग्रहास्रमी-पु० गृहस्थी। दास, दासी । श्वान, कुत्ता। -पुसु-पु० सूर्य, भानु । प्रहि (हो)-पु० [सं० गृह] १ घर, गृह । २ श्वान, कुत्ता । -- मंडण-पु. धन, दौलत. द्रव्य । ---मणि-स्त्री० दीपक । प्रकाश, ज्योति । सूर्य, भानु । ---मंत्र, मैत्री-स्त्री० वर-वधू पहिरिण (णी)-देखो 'ग्रहणी'। के ग्रहों की अनुकूलता । -म्रग-पु० श्वान, कुत्ता । अहित-वि० ग्रहण किया हुआ। ---- राज. राव-पु० सूर्य । चन्द्रमा । बृहस्पति। --वंत- गहिमिशि-देखो 'यहमगिा'। वि० भाग्यवान, सौभाग्यशाली। गृहस्थ । -वार-स्त्री० ग्रहीत-वि० [सं०] १ घिरा हुआ, प्रावृत्त। २ लिया हुआ । मछली। ---वास-पु. किसी के घर में रहवास, निवास । गोस- प डेगा मर्य। पत्नी के रूप में प्रावास । सहवास, समागम । -वेध-पु० ग्रहसणौ (बो)- देखो 'ग्रहसणो' । ग्रह की स्थिति का ज्ञान । ग्रा-पु० [सं०] १ यज्ञ का एक पात्र विशेष । २ पालतू पक्षी । महकेस्वर-पु० [सं० गुह्यकेश्वर] कुबेर । -वि० ग्रहण करने योग्य । -सूत्र-पु० संस्कार संबधी ग्रहक्करणो (बो)-देखो 'गहकरणो' (बौ)। पद्धति की पुस्तक। गहरण-पु० [सं० ग्रहणम्] १ सूर्य या चन्द्र ग्रहण। २ लेना | ग्रांजणी-देखो 'गुरांजगी' । क्रिया, ग्रहण करना। ३ दुःख, कष्ट, पीड़ा। ४ हाथ ।। ग्रांम (डौ)-पु० [स०] १ छोटी बस्ती, गांव, देहात। २ जन्ग ५ इन्द्रिय । -गंध, ग्रंध-पु० भौंरा, नाक। -वैरी-पु. भूमि । ३ समूह, केर । ४ शिव । ५ स्वरों का सप्तक । भाला । ---सुगंध-पु० नाक। -जाचक-पु. गांव के सभी घरों में याचना करने वाला । ग्रहरिण (रणी)-स्त्री० [सं० ग्रहरिण:] १ पेट में रहने वाली एक -पाळ-पु० गांव स्वामी, जागीरदार। गांव का चौकी For Private And Personal Use Only Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ग्रामीण दार । -ात-पु० ग्राम सेवक । रंडी नगर वधू । ग्रामीण - वि० गांव का " ग्राम्य पु० [सं० पाम्प २ काव्य का एक - वल्लभा - स्त्री० वेश्या, -सिंह, सोह- पु० श्वान, कुत्ता । गांव संबंधी, देहाती । १ रतिबंध, मुंगार का एक घासन दोष । - वि० १ ग्राम सम्बन्धी | २ मूढ़ । प्रायक- देखो 'ग्राहक' । ग्राव- पु० [सं० ग्रावन् ] १ पत्थर । २ ओला । ३ पर्वत । ४ मगर मच्छ - वि० दृढ़, मजबूत । पु० । ग्रास ( ) - १० [सं०] १ भोजन का कौर, निवाला ग्रासरण पु० खाने, निगलने, बसने आदि की किया। ग्रासणी (मो० १ खाना, निगलना www. kobatirth.org २ पकड़न, जकड़न । ३ ग्रहण । ४ विभाग हिस्सा । ५ श्राय, आमदनी । ६ खाद्य पदार्थ । ७ छोटा भू-भाग जो प्रासिया के अधिकार में हो । ( ३५५ ३ पकड़ना । ग्रासवेध - पु० ग्रसने, पकड़ने, काबू करने का मौका, अवसर । प्रासिया स्त्री० एक पर्वतीय जाति विशेष । करने वाला । २ इच्छुक । ग्राहम पु० अमर, भौंरा । २ प्रसना । हि-देखो 'ग्रह' पिवास देखो 'पहास हरिण (सी) देखो 'पहल' प्रासियो - पु० १ ग्रास, कौर । २ छोटा भू-स्वामी । ३ लुटेरा । प्रोहणौ- देखो 'गहणी' । ४ बागी । ५ नया राज्य पाने वाला । ग्राहगू - देखो 'ग्राहक' । ग्राह पु० हाथी, गज ग्रहणी (ब) - देखो 'ग्रहण' (बी) । ग्राही - पु० [सं०] १ ग्रहण या स्वीकार करने वाला व्यक्ति । २ पहिचान वाला । देवोग' । ) ग्राह पु० [सं०] ग्राह] १ मगर, पड़ियाल २ पहल ग्राहक (ग) पु० [सं० ग्राहक]] खरीददार, केता वि० १ ग्रहण ग्लांस (सी), ग्लांनि (मी) त्री० [सं०] ग्लानि] १, । - नफरत । २ प्ररुचि । ३ उदासीनता । घ- 'क' वर्ग का चौथा वर्ण । बंधळ (ल) स्त्री० १ झगड़ा, टंटा । २ बेचैनी घबराहट । बंघोळणौ (बौ) - क्रि० पोळी ० १ पानी को हिलाना हाथ डालकर हिलाना । २ घोलना, मथना । (ग) देखो 'गिद्ध' । ग्री-स्त्री० ग्रीवा, गर्दन । ग्रीक - पु० [०] १ यूनान देश । २ इस देश की भाषा । प्रीखम-देखो 'ग्रीस्म' | प्रीज, ग्रीस, प्रीच, पीड़ (ट) प्रीधन-देवो विद्ध' - गिद्धपंख' । प्रीधळ प्रीधस-पु० १ गरुड़ । २ देखो 'गिद्ध' । प्रीधांरगी - स्त्री० मादा गिद्ध, गिद्धनी । प्रधाळ पु० १ गिद्धों का समूह २ बड़ा विद्ध गरुड़ विध-देखो 'गिद्ध' । प्रीय ग्रावा स्त्री० [सं०] ग्रीवा ] गर्दन, बला रेख-स्त्री० तीन की संख्या । पीवाज पु० हयग्रीव अवतार | प्रीतम, ग्रीस्म-स्त्री० [सं० ग्रीष्म ] १ गरमी का मौसम ग्रीष्म ऋतु । २ उष्णता, गर्मी । - वि० गर्म, उष्ण । प्र वड़, (डी) - पु० वृक्षों के तनों में निकलने वाला विकार । प्रह-देखो 'ग्रह' पंचक पु० एक देव विमान का नाम पोळ-देखी 'गिद्ध' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - घ . घंटाकरण । ग्ली - पु० [सं०] चन्द्रमामा पु० शिव, महादेव । ग्वाड़ (डी) - देखो 'गवाड़' । ग्वार - देखो 'गवार' । पाठौ= 'मवारपाठी' | -फळी= "नवारफळी' | ग्वालंब - देखी 'गवालंब' | वाळ, ग्वालियो, ग्वाळौ - पु० [सं० गोपालः ] १ गोपालक, ग्वाला, अहीर। २ श्रीकृष्ण ३ गडरिया पति-पु० श्रीकृष्ण। ग्याळेर पु० [सं० गोपालगिरि ] ग्वालियर की रियासत व शहर घंट- पु० [सं० घट] १ गला, कंठ । २ देखो 'घंटो' । ३ देखो 'घट' । For Private And Personal Use Only घटका पु० १ २ देखो 'टिका' घुंघरू । | घंटाकर (ल)- पु० ( ० टाक] शिव का एक गा Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अष्टवर www. kobatirth.org (२५०) घंटाघर गु० स्तंभनुमा ऊंची इमारत पर स्थित बड़ी घड़ी जिसकी आवाज दूर तक सुनाई देती है। घंटारव - पु० घंटे की आवाज । । । घंटाळ. टाळ पाळी ० १ देवी दुर्गा २ एक प्रकार का मृग - वि० जिसके घंटा बंधा हो । जिसके सामने घंटा बजता हो । घंटावळि (ळी) - स्त्री० घंटिकाओं की पंक्ति । पटिक पेटीका, घंटी-स्त्री० [सं० पटिका) १ छोटा घंटा घटी । २ घुंघरू | ३ गले में लटकने वाला टेंट्वा, कौवा । घटियाळ-स्त्री० देवी का विशेषण, दुर्गा, देवी । घंटी पु० [सं० घंटा ] १ टन्टन् ध्वनि उत्पादक बड़ा यन्त्र घटा । २ दिन व रात का चौबीसवां भाग या साठ मिनट की एक अवधि ३ निर्धारित समय में बजने वाली घड़ी । घड़ी, 1 निद्रिय (बाजारू)। घंस- पु० [सं० घर्ष ] १ संहार, नाश । २ रास्ता. मागं । १. बुद्ध ६ पीछा, ३ दल, समूह | ४ फौज, सेना धंसार देखो 'धींसार' घंसि (सी) - १ देखो 'घस' । २ देखो 'घींसार' । घ- पु० [सं०] १ सुधर्म । २ हाथी । ३ शिव । ४ नरक ५ ककरण । स्त्री० ६ शची । ७ वसुमती । ८ राक्षसी । ६ घंटा । १० घर्घर शब्द । -वि० घातक । पहली स्त्री० नागर बेल । धकार - पु० 'घ' वर । arat - पु० १ होश हवास ४ व्यवस्था । परपरि देखो 'सरी' । घघ (राव, राज) पु० ऊंट घघर-स्त्री० ० एक नदी का नाम : पत्र १ छोटा लहंगा ३ छोटा घट । २ ध्यान, ख्याल | ३ चेतना । २ बच्चियों की फराक । धधियो, धध-पु० 'घ' वर । घघ्घू - पु० उल्लू ! घड़ ( उ ) - स्त्री० [सं० घट, घटा] १ सेना, फौज । २ मेघ, बादल 1 ३ करवट । ४ बड़ा घड़ा । ५ समूह, झुंड । ६ वस्तुनों की तह । ७ शरीर, तन । (छ) पु० डिगल का एक बंद (गीत) विशेष धड़क लियौ पु० छोटा घड़ा । घड़घड़, घडघड़ाट-स्त्री० १ गाड़ी या भारी वाहन के चलने की Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आवाज । २ बादलों की गर्जन । आवाज । घड़घड़ारणी (ब) - ० पड़घड़ ध्वनि होना, गर्जना । । घड़ड़ स्त्री० [धनु०] ध्वनि विशेष । घड़ण (न) - स्त्री० १ शिल्प क्रिया । ३ आभूषण घड़ौ पु० गहना प्राभूषण · घड़णी (यो) - क्रि० १ गढ़ना बनाना, रचना, पढ़ाई करना। २ कल्पना करना । ३ गप्प हांकना । ४ मारना पीटना । ५ वस्तु बेचकर पैसा बनाना । अनुधावन - वि० संहारक घसरणौ (बौ) - क्रि० १ संहार करना, नाश, करना । २ पीछा घड़ली स्त्री० [सं० घटिका] रहंट की माल का जल-पात्र करना । ३ देखो 'घसरणों (बी) । जिसमें पानी भर कर निकलता है। बड़ीयक घड़ली-देखो 'घड़ी' । घड़वंद - देखो 'घड़बंद' | ३ तोप आदि की । घड़त स्वी० १ पड़ाई, कारीगरी २ बनावट । ३ गढ़ाई का पारिश्रमिक | २ गढ़ने की क्रिया । - घड़नाव स्वी० कई घड़ों को बांधकर बनाई हुई नाव । पड़बंद पु० १ रहंट की मान की रस्सी २ सेनापति । घड़मोड़ - वि० शूरवीर, योद्धा । घड़लियो १० कुए पर काम पाने वाली 'पंजाली' में लगने वाला डंडा । २ देखो 'घड़ो' । घडवो - पु० १ गढ़ा हुआ पत्थर । २ घड़ा गागर । घड़ पड़ा देखो 'पढ़' घड़ाई - स्त्री० १ ग्राभूषण, पत्थर आदि गढ़ने की क्रिया या भाव । २ गढ़ने की मजदूरी । पहाणी (बी) क्रि० १ धाभूषणों की पढ़ाई कराना बनवाना २ पत्थर, गढ़ाने का कार्य कराना । For Private And Personal Use Only घाट (मोड़ पड़ाळ (लो)- वि० सुरवीर योद्धा । पावली (मी) देखो 'पहाणी' (यो) | aft (उ) देखो 'पढ़ी' । घडिया [स्त्री० भिती का कार्य करने वाली जाति घडियाल पु० [स० घटिकावलि ] १ देवस्थान का बड़ा घंटा । २ बड़ी घड़ी । ३ घटाघर ४ ग्राह, मकर घड़ियाली घडियौ ० १ स्वर्णकार २ पहाड़ा, गिनती। - पु० । ३ छोटा घड़ा | ४ घड़े से पानी भरने वाला व्यक्ति । ५ घड़ाई करने वाला कारीगर, शिल्पी । घड़ी स्त्री० [सं० घटिका ] १ समय सूचक यंत्र । २ समय या काल का एक विभाग । ३ अवसर मौका ४ मुहूर्त । घड़ीक- क्रि०वि० १ एक घड़ी के लगभग । २ कभी । घड़ी देखो 'घाभि घडीवक देखो 'घड़'क' । Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घड़ीसाज धरण घड़ीसाज-पु० घड़ियों की मरम्मत करने वाला कारीगर । घटावरणौ (बो)-देखो 'घटाणी' (बी)। घड़ को-देखो 'घटोत्कच'। घटावळी-स्त्री० १ एक देवी विशेष । २ मेघमाला। घड़ थळ-पु० डिंगल का एक गीत । घटि-वि० न्यून, कम। घर लो (ल्यौ)-पु० छोटा घड़ा। घटिकावधान (सत)-पु० [सं०] एक ही घड़ी में अनेक कार्य घड स-पु. १ गहरे बादल । २ सेना, फौज । ३ समूह, दल। करने की क्रिया। घड़ोटियो-पु० १ छोटा घड़ा । २ मृतक के बारहवें दिन का घटित--वि० [सं०] १ घटा हरा, हवा हवा । २ निर्मित । भोज । ३ मृतक के बारहवें दिन का एक संस्कार । घटिया-वि० १ बढ़िया का विपर्याय । २ निम्न कोटी का, घड़ी-पु० [सं० घट] १ मिट्टी का जल-पात्र, घड़ा, गग्गर । हल्का । ३ कम कीमती, सस्ता । ४ अधम, मीच, तुच्छ । २ इसी के अनुरूप किसी धातु का बना पात्र । ३ कलसा। घटियाळी-स्त्री० पावड़देवी की बहन एक देवी। घव-देखो 'गच'। घटी-देखो 'घड़ी'। घचोलणी-पु० विघ्न । घटीजंत्र-पु० १ घड़ी। २ रहट । घजीढ़-पु० पहाड़ी भागों में होने वाला वृक्ष विशेष । घटुलियो-पु० पत्थर की छोटी चक्की । घट-पु० [सं०] १ तन, देह, शरीर । २ मन, हृदय । ३ घड़ा, घटूको, घटोत्कच-पु० भीम व हिडिम्बा का पुत्र । जल-पात्र । ४ कुभराशि । ५ हाथी का मस्तक । घटोद्भव-पु० अगस्त्य मुनि । ६ प्राणायाम का एक भेद । ७ बीस द्रोण का एक तौल । घटोर, (री)-पु० [सं० घटोदर] मेंढा, भेड़, मेष । -कंचुकी-स्त्री० वाममागियों की एक तांत्रिक रीति । घट्ट-१ देखो 'घट' । २ देखो 'घाट' । ३ देखो 'घटा' । -करकट-पु. संगीत में एक ताल । -करण-पु० कुंभकर्ण । कुम्हार । -करतार, कार-पु० कुम्हार । घट्टित-पु० [सं०] १ नाच में पैर रखने की एक त्रिया। | २ देखो 'घटित'। -कक-पु० शरीर. देह । इकाई। -ज, जात-पु० अगस्त्य घट्टी-स्त्री० १ अनाज पोसने की पत्थर की चक्की। मुनि। --जोरणी, (नी)-पु. अगस्त्य मुनि । -संभव-पु० २ देखो 'गट्टी'। अगस्त्य मुनि। घटण-स्त्री० घटने की क्रिया या भाव । कमी । न्यूनता। घड-१ गढ़, किला । २ देखो 'घड़' । ३ देखो 'घटा' । ४ देखो 'घट'। घटणी (बो)-क्रि० १ कम होना, क्षय होना । २ न्यून होना। घडलियो-१ देखो 'घरळियौ' । २ देखो 'घड़ौ' । ३ घटित होना । ४ उपस्थित होना । ५ सम्पन्न या पूर्ण घडहडो-देखो 'घडो । होना। घटत (ती)-स्त्री०१ कमी, क्षय, न्यूनता । २ हानि, घाटा। घण (न)-पु० [सं० घनः] १ लोह कूटने का मोटा हथोड़ा। घटना-स्त्री० [सं०] वारदात, वाकया, कोई बात । २ लोहा । ३ मुख । ४ गदा । ५ शरीर । ६ समूह, घटबढ़-स्त्री० कमी बेशी। समुदाय । ७ संख्या का गुणनफल । ८ सेना, फोज । ९ पत्थर । १० ताव देने वाला बाजा । ११ चने या मोट घटवाळियो-पु० तीर्थ स्थान या सरोवर पर दान लेने वाला में पड़ने वाला एक कीड़ा। १२ संगठन । १३ बादल, मेघ । याचक। १४ प्रथम लघु व दो दीर्घ मात्रा का नाम ।-वि० १ अधिक, घटाण-पृ० [सं० धोटक] १ घोड़ा, अश्व । २ देखो 'घटा'। बहुत, ज्यादा । २ ठोस, दृढ़ । ३ श्वेत-कृष्ण । ४ धूमिल । घटा-स्त्री० [सं०] १ बादलों का समूह मेघमाला । २ झुड, ५ सघन, घना । ६ संकीर्ण । ७चिंता, फिक्र । -अप-पु० समूह । ३ धूए या धूल का गुब्बारा । ४ सेना, फौज । पानी, जल । -प्राणंद-पु० विष्णु । प्रानंद, हर्ष । ५ धूमधाम, समारोह । ६ सभा, गोष्ठी। ७ हाथियों का -उक्ता-वि० अद्भुत, विचित्र । चमत्कार पूर्ण । अधिक समूह । -कास-पु० घड़े का खाली स्थान । -घूम-स्त्री० उक्ति वाला। -कठ-पु० डिंगल का एक छंद । -कीलघनघोर घटा। -धोर, टोप-वि० बादलों से आच्छादित । पु० लोहा । -कोदंड-पु० इन्द्र धनुष । -करो, खरौपाच्छादित, छाया हुआ । सुसज्जित । ढका हुआ। वि० अधिकतर । .--खाऊ-वि० अधिक खाने वाला पेटू । घटाणी (बी)-कि. १ कम करना । २ न्यून करना । ३ बाकी ----घणा-वि० अत्यधिक । - धोर-वि० धना गहरा । घटा निकालना । ४ सम्पन्न या पूर्ण करना । ५ क्षीण करना । टोप । भीषण । -पु. मेघ गर्जन । --चक, चकर, चक्क, ६ काटना । चक्कर, चक्र-पू० युद्ध, रण । भीड़-भाड़ । गर्दिश, घटाळ--पु० सेना, फोज। चक्कर । मूर्ख । अवारा । ----जांण, जाणग-वि० चतुर, घटाव-पु. १ कमी. न्यूमता ! २ अवनति, पतन । बुद्धिमान, विद्वान, पडित । बहत जानने वाला । ---जीवो For Private And Personal Use Only Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धरणल www.kobatirth.org 1 । - - पानी प्रिय पु० मोर, मयूर । । । चातक करताल । -दाता-वि० बड़ा दानी ईश्वरघलोत्तम पु० [सं० धनोत्तम ] मुख । - दोहौ - वि० o वृद्ध, बूढ़ा पुराना । - नांमी पु० ईश्वर । श्रीकृष्ण । श्रीराम । प्रसिद्ध विख्यात । नाद - पु० रावरण पुत्र मेघनाद । मेघ गर्जना । मोर । - नादांनळ - पु० मोर, मयूर । --- पटळ - पु० बादलों का दल, समूह पति - पु० इन्द्र । वरुरण । — पत्र - पु० अधिक पत्तों वाला वृक्ष । -पथपु० आकाश, नभ । पात 'घरण पत्र' पुसष पु० फल पु० गुणनफल --मंख- पु० मोर, मयूर - मंड- पु० मेघ घटा। - माया-पु० ईश्वर । विष्णु कृष्ण । -माळ - स्त्री० मेघमाला | घन घटा। मुंड माला । - मूळ- पु० घनफल का मूल अंकोल मोलोह, मोली दि० बहुमूल्य कीमती I -रस-पु० पानी । हाथियों का एक रोग । राट - पु० मेघ । मेघ गर्जना । —राव - पु० मेघनाद, इंद्रजीत रूप, वरण-पु० ईश्वर विष्णु बहुरूपिया - वह, वाह-पु० हवा, पवन 1 पवन । - वाही- पु० लोह कूटने वाला वि० [प्रत्यधिक बहुत । सद्द पु० - सही वि० सहनशीलसार पु० जल पानी कपूर । डिंगल का एक छंद । सुर-पु० रावण पुत्र मेघनाद । -- सेड, सेढ़-वि० बहुत कार्यों का जानकार चतुर, बुद्धिमान । उदार, दातार । अधिक दूध देने वाली । - हर स्त्री० मेघमाला । बादल । वाहरण- पु० इन्द्र | । सगरण, सघण घन घटा की ध्वनि । 2 -- । { ३५८ १ - वि० निरायुगवि प्राचीनशी शी- पलेरउ, पोरड़ो, घरोरौ वि० (स्त्री० [पणेरी) बहुत, घणेरड़ो, वीर, योद्धा । -जोर पु० शि -ताळ-पु० अधिक । घरगरण - स्त्री० १ ध्वनि विशेष । २ चक्र की गति । घरणस्यांम पु० [सं०] घनश्याम ] १ श्रीकृष्ण । २ काला बादल । - वि० ० श्याम वर्णी । घरणाक - वि० १ ज्यादा अधिक । २ प्रायः । धरणाक्षरी - पु० [सं० घनाक्षरी] ३२ वर्णं का दण्डक छंद विशेष । घरणाखर - क्रि०वि० [सं० घनकार] प्रायः अधिकतर । धरणाधरण - पु० [सं० घनाघन] १ इन्द्र । २ बादल । ३ मस्त हाथी । घरणात्यय- पु० [सं०] शरद ऋतु । घरणारंगग-पु० साधुवाद, धन्यवाद, वाहवाही । घणियेर घणीक - वि० अधिक ज्यादा | धरणीवाल स्त्री० १ विशेषता " २ मान प्रतिष्ठा । । (ख) वि० [सं० पन] बहुत पर्याप्त पण वि० प्रत्यधिक। घड़ - वि० १ दातार, दानवीर २ बहुधंधी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 परणौ वि० [सं० घन] (स्त्री० पसी) १ बहुत अधिक २ पर्याप्त । ३ गहरा । घतरणौ (बौ) - क्रि० डाला जाना । घताणौ (बौ), घतावरणौ (बौ) - क्रि० करवाना | घमघमौ धर्मकरण (at) - देखो 'धमकरणी' (बो) । धमंघम देखो घमघम' । घनस्यांम- देखो 'घरणस्यांम' | घनाक्षरी (खरी) देखो 'पणाक्षरी'। घबड़ारणी ( बौ), घबरावणौ (बौ) - देखो 'घबराणी' (बो) । घबराट-स्त्री० १ भय 1 २ बेचनी व्याकुलता । ३ उतावली हरवड़ी ४ परेशानी । घबर, पबराली (बी) परायणी (बी) क्रि० १ भयभीत होना । २ बेचैन या व्याकुल होना । ३ उतावली या हबी करना । ४ परेशान होना । ४ चकित होना, हक्का-बक्का होना । ५ ऊबना । बराहट देखो 'पबराट'। डलवाना, अन्दर घर्मक- स्त्री० १ श्राघात से उत्पन्न ध्वनि । २ धमाका | ३ गर्जन । ४ झन्कार । ५ हिनहिनाहट । ६ प्रहार । ७ यथाशक्य परिश्रम घूमर नामक लोक नृत्य । घमंड पु० १ एवं अभिमान २ बल, शौ ४ सहारा, भरोसा 1 घमंडी - वि० १ गविला, अभिमानी । २ शोख । पावली स्त्री० [अ०] १ धन्याय, गैर इसाक २ प्रत्याचार धमकाली (दो), धमकावली (बी) ० १ प्रहार करना, ३ परिक्षा भाषिय | मारना पीटना । २ नचाना। ३ घुंघरू बजाना । ४ धमकी देना । ५ बजाना । ६ वेग पूर्वक बरसना । धमकार - स्त्री० भनभन शब्द, ध्वनि विशेष । शौर्य । ३ शेखी । घम-स्त्री० भारी प्राघात या भारी वस्तु के गिरने से उत्पन्न ध्वनि । घमक - देखो 'घर्मक' । For Private And Personal Use Only घमकरण ( बौ) - क्रि० १ प्राघात से ध्वनि होना । २ धमाका होना । ३ नाचना । ४ तेज बरसना । ५ अचानक आना । ६ तेजी करना । ७ बजना । ८ ध्वनि होना । ६ गर्जना । घमको पु० ९ श्राघात या पड़ने की ध्वनि । २ चलने से उत्पन्न पांवों की ध्वनि । ३ घुंघरू की भंनकार । - क्रि०वि० १ शीघ्र, घमघम - स्त्री० १ धमधम । २ झनकार तेजी से । २ निरंतर, लगातार । घमघमी (ब)-देखो 'धमकी' (नौ)। Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घमघमाणौ घमघमारणौ (बौ)-देखो 'घमकाणी' (बो)। ११ उत्पत्ति स्थान । १२ मूल कारण । १२ गृहस्थी, घमड़-१ देवो घमंक' । २ देखो 'घुमड़' । परिवार । १४ घर का मामान । १५ कार्यालय, कारखाना । घमचाळ (चौळ)-स्त्री० [सं० घर्मचाल) १ फौज, सेना ।। १६ कोठरी, कक्ष । १७ चौखटा, फेम । १८ भण्डार, २ युद्ध । ३ शस्त्र प्रहार । ४ मिचलाहट, मितली। ५ ऊंट खजाना । १९ देवालय, मंदिर । २० युक्ति, दाव । की एक चाल । ६ झनकार । ७ वमन, के। ८ बौछार ।। घरकणी (बो)-देखो 'घुड़करणो' (बी)।। ९ नशा खुमारी। १० कोलाहल, शोरगुल । घरकूलियौ, घरकोलियौ-पु० मिट्टी का घरोंदा । घमचोळणी (बी)-क्रि० १ जी मचलाना, घबराहट होना । | घरखूडियो-पु० एक देशी खेल । २ आघात करना, प्रहार करना । ३ कोलाहल करना, शोर घरगिणती-स्त्री० जन गणना। गुल करना। घरगिरस्ती-स्त्री० घर-गृहस्थी, परिवार । घमझोलौ-पु० झमेला, विघ्न, टंटा। घरघरांरगौ-पु० वश, कुल । घमडी-स्त्री० घुमाव, चक्कर । घरघराट (हट)-स्त्री० घर-घर की ध्वनि । घमर-स्त्री. १ ढोल, नगारे ग्रादि की ध्वनि । २ बादलों की | घरघाल, घर-घालणियो-वि०१ घर का नाश करने वाला । गर्जन । ३ गभीर ध्वनि । २ कुल में कलंक लगाने वाला। घमराळ (रोळ)-१ युद्ध, रण। २ शस्त्रों की बौछार । ३ तेज घरघेटियो (घोड़ियो)-वि० (स्त्री० घरघेटकी) १ निरंतर घर पर महक । ४ उछल-कूद, घना चौकड़ी। ५ शोरगुल, कोलाहल । घमरोळणी । बौ)-क्रि० १ युद्ध करना। २ संहार करना । ही रहने का प्रादि । २ अंत: पुर में ही रहने वाला । ३ रौंदना । ४ महकना। घरड़क-स्त्री० घर्षण। घमस-स्त्री० १ घोड़े की टाप की ध्वनि । २ पद-चाप। घरड़को-पु० रगड़, घर्षण । २ कुरेख । ३ खरोंच । ४ मृत्यु के २ अावाज, ध्वनि । समय कंठ से निकलने वाली ध्वनि । घमसारण (सांन)-वि० १ भयंकर,भीषण । २ घनघोर, घमासान। घरडणी (बौ)-क्रि० १ घिसका लगाना । २ रगड़ना । -पु० १ भयंकर युद्ध । २ संहार, नाश। ३ फौज, सेना। ३ परिश्रम करना। ४ तंग करना। ४ समूह, दल । ५ भीड़, समूह जमघट । घरचारी-वि० गृहस्थी। घमसाळ-वि० विशाल बड़ा। घरचारौ-पु० १ घरबार । २ गृहस्थाश्रम । ३ पति मानना । घमहम, धमाधम -देखो 'घमघन'। घरजमाई-पु. १ श्वसुर के घर में रहने वाला व्यक्ति । २ विवाह घमाको-देखो 'धमाको'। से पूर्व, कुछ निश्चित अवधि तक अपने भावी श्वसुर के यहां घमाघम (मी)-१ देखो 'धमाधम' । २ देखो 'घमघम' । रह कर कार्य करने वाला व्यक्ति । घमाडौ, धमोड़, घमोड़ो, घमीर घमेड़, घमेडो-पु० १ प्रहार, घरजांम, (जांमी) घरजायो-वि० घर में जन्मा । दास, गुलाम । चोट, प्राघात । २ धमाका । ३ धम्म की आवाज। ४ दुःख घरट, घरटियो-पु० [सं० घरट्ट] १ इमारती कार्य में चूना या शोक में छाती पीटने की क्रिया या भाव। ५ दही मंथन तैयार करने का पत्थर का मोटा चक्कर । २ इस चक्कर के की ध्वनि । फिरने का घेरा। ३ बड़ी चक्की। ४ एक जलचर पक्षी। घमोडणी (बी)-कि० १ मारना, पीटना, आघात करना । ५ डिंगल का एक गीत । २ प्रहार करना. वार करना । ३ दही मथना । घरटी-देखो 'घट्टी'। घमोडो-देखो 'घमीडो'। घरट्ट-देखो 'घरट'। घमोय-स्त्री० सत्यानाशी नामक पौधा । घरडू-स्त्री० गले में होने वाली खराश । घमोर-देखो 'धमीड़। घरण (रिण, रणी)-स्त्री० [सं० गृहिणी] १ पत्नी, भार्या । घम्म-देखो 'घम'। २ घर की मालकिन । घम्मघमतइ-क्रि० वि० १ घेरा बनाते हुए । २ घूमते हुए। घरत-देखो 'घिरत'। घर-पु० [स० गृह, घर] १ भवन, मकान, इमारत, बंगला। घरतार-पू० गृह घर । निवास, आवास । २ निवास स्थान, प्रावास । ३ जन्म भूमि, जन्म स्थान | घरदासी-स्त्री० गृहिणी. पत्नी। मातृ भूमि । ४ स्वदेश । ५ कूल, वंश, घराना. ६ किसी| घरधरणी-पु० (स्त्री० घरधरिणयांणी) १ घर का मालिक, गृह वस्तु का खोखा, चोगा । ७ खाना, कोष्ठक । ८ किसी वस्तु । स्वामी । २ पति, खांविंद । का निश्चित स्थान । ९ छेद, बिल। १० राग का स्वर। घरधारी-वि० गृहस्थी, घरबारी। For Private And Personal Use Only Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बरनापक घसरण धरनायक-पु० घर का म्वामी। घर-वेध-पु० गृहकलह । घरनाळ-स्त्री० एक प्रकार की तोप । घरसूत-पु. [सं० गृहसूध] घर की व्यवस्था । घरनी (न्नी)-देखो 'घरणी' । घरस्याळ-स्त्री० पशु-पक्षियों का बसेरा । घरफोड़ो-१०१ घर का झगड़ा, कलह । २ घरेलु कष्ट । ३ धर | धरहर-स्त्री० घर-घर ध्वनि, गर्जना। में चोरी हेतु किया गया छेद, सेंध । ४ चोरी, नकब । घरहरणो (बी)-क्रि० १ घर-धरं करना । २ गर्जना। ५ घर का भेदी। ३ गूजना । ४ बजना। घरबतावणी-स्त्री हाथ की प्रथम अंगुली, तर्जनी । घरांणी-पु० १ वंश, कुल, खानदान । २ घर । घरबार-पु. १ घर-गृहस्थी । २ घर का सामान । ३ परिवार । घराघरू-वि०१ स्वयं का, निजी । २ घर संबंधी। घरबारी-वि० घर-गृहस्थी वाला । बाल-बच्चेदार । घरिणी-देखो 'घरणी'। -पु. पारिवारिक साधु । घरियौ-पु० रहंट की लाट में बना छेद । घरधिकरी (बिखरी)-स्त्री० मिल्कियत, जायदाद । घरिसूतु, घरसूत्र-देखो 'घरसूत' । घरबूडो-वि० घर को बर्बाद करने वाला, डूबोने वाला। घरुवौ-पु० विवाह में दीवार पर बनाये जाने वाले चित्र । घरबोब-पु० प्रति गृह से लिया जाने वाला कर विशेष । घरू-वि० १ घर का, घर संबंधी, घरेलु । २ निजी। - लागधरभमतौ पु. १ मकान में फैलने वाला धूपा । २ अवारा पु० हाकिम के घरेलु खर्चों को पूरा करने के लिए लगाया घूमने घाला। जाने वाला कर। घरभेद-पृ० घर का रहस्य । घरेचो, घरेरौ-पु० पुनर्विवाह । घरभेदू-वि० घर का भेद देने वाला । घरोचियो (यो)-वि० प्रति घर । घरमंड (ण) -पु. १ धन दौलत । २ पति । घरोघर (घरि)-वि० प्रति घर, प्रत्येक घर से । घरम-वि. अनुरागी। घरो'घर-वि० निजी, स्वयं का, घर का। -क्रि०वि० घर-घर, घरमकर-पु० सूर्य । एक घर से दूसरे घर । घरमणि (पी), घरमेढ़ी-स्त्री० १घर का दीपक, ज्योति । घलणौ (बौ)-क्रि० १ डाला जाना, डलना । २ बंधना। २ कुल का दीपक। ३ फंसना । ४ लिपटना । ५ घुसना । धरमपुसप-पु० महल, भवन, अटारी। घलारणी (बी), घलावरणी(बी)-कि० १ उलवाना । २ बंधवाना। परर-स्त्री०१ घर-घर ध्वनि । २ मेघ गर्जन । ३ घर्षण की ३ फंसवाना । ४ लिपटवाना। ५ घूसवाना। ध्वनि। |घल्लयो (बो)-देखो 'घलणी' (बी)। घरराट-देखो 'घरघराट'। घल्लारणो (बौ)-देखो 'घलाणी' (बी)। धरराणों (बो), घररावणी (बो)- क्रि० १ घर-घर की ध्वनि की ध्वनि | धवको-पृ० अांख का दर्द । होना । २ धड़कना । ३ कांपना । ४ गर्जना। घस-पु० १ मार्ग, रास्ता. पथ । २ पथ चिह्न । -त्रि०वि० घरळियो (धुरळियौ)-पु० चडस खींचने के जुए का काष्ठ १ शीघ्र, जल्दी । २ देखो 'घम' । का डंडा। घसक-स्त्री० १ मुरत, शक्ल । २ ढांचा, ढंग । ३ हैसियत । घरलोचू-वि० १ बुद्धिमान गहस्थ । २ घर का शुभ चितक । ४ गप्प, डोंग । ५ ठसक । ६ शक्ति बल । घरवट (वाट)-स्त्री० [सं० गह-ति] १ वंश, कुल । २ कुल की मर्यादा। घसकरणौ (बी), घसकागो (बो), घसकावणी (बो)-क्रि० परवतावरणी-देखो 'घरबतावणी' । १ रगड़ना, रगड़ाई करना । २ धमकाना, दुत्कारना। घरवरताऊ-वि० घर की आवश्यकताओं को पूरा करने लायक । ३ स्त्री प्रसंग करना। ४ खिसकना । घरवाळी-पु० (स्त्री० परवाळी) १ पति । २ गृह स्वामी। घसकौ-देखो 'वसक'। घरवास (सौ)-पू० १ गृहस्थाश्रम, गहस्थी । २ पत्नी बन कर घसड़को-पु. १ घर्षण, रगड़ । २ अव्यवस्था। ३ लापरवाही रहना । ३ गहस्थ जीवन । ४ पति-पत्नी का संबंध का कार्य । ४ व्यय, खर्च । ५ खरोंच । घरवासीदार-वि० बाल-बच्चेदार। | घसटी-पु० [सं० धृष्टि] सूअर । घरविद (विध)-स्त्री० [सं० गृहविधि] १ स्नेह, प्रेम । घसरण-पु० [सं० घर्षण] १ घिसने या रगड़ने की क्रिया या २ पारिवारिक सदस्यों का परस्पर स्नेह । ३ घनिष्ठता, भाव। २ मार्ग, राह, रास्ता। ३ युद्ध, रण । ४ सेना प्रातीयता । -वि. घर संबंधी, घर की। फौज ! For Private And Personal Use Only Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बेसरणी घाट घसरणी (बौ)-क्रि० [सं० घर्षणं] १ रगड़ना, घिसना, मलना। घरणमाण (रणी)-पु. १ युद्ध, लड़ाई । २ नाश, संहार। २ घोटना। ३ अधिक काम लेना। ४ भक्षण करना। ३ उथल-पुथल । ४ मंथन । ५ अस्थिर विचार।। ५ पुनरावृत्ति करना । ६ भोटा होना । ७ शस्त्र की धार घांरिणयो-पु. १ एक ही बार में एक साथ निकाला हा पदार्थ । मिकालना। | २ कोल्ह में एक बार में पेरा जाने वाला पदार्थ । घसर, घसरी-पु० [सं० घस्र] १ एक दिन । २ सूर्य । ३ केसर। घांणी (रणो)-स्त्री० १ तेल निकालने का कोल्हू । २ कोल्हू में __-वि० हानिकारक । एक बार में डाला जाने वाला पदार्थ । ३ नाश, संहार । घसाई-देखो 'घिसाई'। -कुतौ-पु० तिल परने वालों से लिया जाने वाला घसारणी (बी), घसावरणों (बी)-क्रि० १ रगड़वाना, घिसवाना। कर विशेष । २ घुटवाना । ३ अधिक काम लिराना। ४ भक्षण कराना। | तिरडो-पु० गला, कंठ । ५ पुनरावृनि कराना । ६ भोटा कराना। ७ धार घांनर, (रौ)-पु० १ बहरा, व्यक्ति । २ बकरी । निकलवाना। घाम-पु० १ गर्मी। २ प्रकाश । ३ धूप । ४ फौज, सेना । घसि-पु० १ पाहार, भोजन । २ खाद्य सामग्री । ३ देखो 'घस'। -कर-स्त्री० रश्मि, किरण। -धूम-वि० उदास, सुस्त, घसियारी-पु० घास का व्यापारी। स्तब्ध, चुपचाप । घसीट-स्त्री० १ घसीटने की क्रिया या भाव । २ अस्पष्ट धांव-देखो 'घांम'। लिखावट । ३ रगड़ की रेखा, लकीर । ४ खरोंच । घांस-पु. एक प्रकार का पत्थर । ५ लिखावट । घांसाड़-स्त्री० सेना फौज । घसीटणी (बौ)-क्रि० १ जमीन पर पड़े प्राणी या वस्तु को खींच घांसाडणौ (बी)-क्रि० चीखना, चिल्लाना (बन्दर)। कर लेजाना, घमीटना। २ अस्पष्ट लिखना। ३ अपनी घांसाड़ो-पु० योद्धा, वीर। पोर आकर्षित करना। ४ निभाना । ५ रगड़ना । घांसार, घांसारु, घांसाहड़ (हर), घांसोहर-पु० १ दल समूह । घस्त-देखो 'ग्रहस्थ'। २ फौज. सेना । ३ देखो 'घींसार' । घस्त्र-देखो 'घमर'। घा-स्त्री०१ देवी। २ ध्वनि । ३ वसुमती। ४ राक्षसी । घस्सरणी (बौ)-देखो 'घसगी' (वी)। ५ब्रह्मा। घहर-धुमेर-वि० १ घना, गहरा । २ घना पल्लवित । घा'-देखो 'घास'। घहरणौ (बौ). घहराणी (बी), घहरावरणौ (बी)-क्रि० १ गर्जना, घाम-पु. १ नरक । २ कंकरण । ३ प्रहार, चोट । -स्त्री० गंभीर गर्जन करना । २ घोर शब्द करना। ३ भारी १ शची। २ धारा । गड़गड़ाहट करना। घाइ (ई)-स्त्री० १ नकल । २ चोट, प्रहार । ३ घाव । घां-पु. बादल, जलद । पाइल-देखो 'घायल'। घांधळ-स्त्री० कष्ट, तकलीफ । घाउ (र)-देखो 'घाव'। घांधां-क्रि० वि० स्थान-स्थान, ठोर-ठोर । घर-घर। धागड़ा-देखो 'गागड़ा'। ... घांची-स्त्री० दूध का व्यवसाय करने वाली हिंदू जाति व इस घाघ-वि० १ अनुभवी, सयाना। २ दक्ष, निपुण । ३ चतुर, ___ जाति का व्यक्ति । चालाक । -पु० १ बड़ा जख्म, घाव । २ वर्षा विज्ञान का घांची-वि०१ वीर, शक्तिशाली । २ अड़ियल । ३ देखो 'घोची'। एक पंडित । घाट (की. टी)-स्त्री० [सं० ग्रीवा] १ गर्दन, ग्रीवा । २ कंठ ।। घाघडदि (दो)-वि० गंभीर, गहरा । घाटाळ-पु० १ हाथी, गज। २ घंटा धारण करने वाली देवी। घाघड़ो-देखो 'गागड़' (डी)। घाटीतोड़जुर-पु. एक प्रकार का ज्वर, गर्दन तोड़ बुखार । घाघरट-पु० १ युद्ध, लड़ाई । २ समूह, झुण्ड । -वि० जबरदस्त, घांट-क्रि० वि० पास, समीप । बड़ा। घाटी-पु० १ गला, कंठ । २ मर्दन, ग्रीवा । घाघरा-स्त्री० सरयू नदी । घारण-पु०१ पानी की धार से भूमि के कटाव को रोकने के लिये घाघरौ-पु० स्त्रियों का बड़ा लहंगा, पेटीकोट, घाघर । रखा जाने वाला प्राधार । २ घाब, जस्म । ३ युद्ध, संग्राम, घाघस-वि० खराब, हल्का, न्यून । लड़ाई। ४ ध्वंस, नाश । ५ अधकचरा होने की अवस्था। घाट-पु० [सं० घट्ट] १ नदी या जलाशय का किनारा, घाट । ६ पिलाई । ७ समूह, झुण्ड । ८ कोल्हू । ९ सुगंध। -वि० २ तंग पहाड़ी रास्ता । ३ ढंग, प्रकार । ४ रचना, बनावट । १लथ-पथ, मेराबोर । २तर । .. ५ विचार । ६ स्थान, जगह । ७ दशा, हालत, स्थिति । For Private And Personal Use Only Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धियाळी ८ घात, दाव । ९ समूह, झुड, दल । १० घड़ों का समूह । | घालणौ (बी)-क्रि० १ डालना। २ घुसेड़ना। ३ किसी में ११ षड़यंत्र । १२ धोखा, कपट । १३ बनावट, गठन । समाहित करना । ४ स्थापित करना । ५ रखना। ६ फेंकना। १४ निंदा, बुराई। १५ शरीर । १६ गढ़े हुए ७ छोड़ना । ८ बिगाड़ना । ६ नष्ट करना। १० मारना । पदार्थ । १७ मेना, फौज । १८ निंदा, बुराई। १९ तलवार ११ प्रहार करना। १२ प्रवेश कराना। १३ निर्माण की धार । २० तह किये हुए वस्त्र । २१ मार्ग, रास्ता । करना । १४ मिलाना। २२ छाछ के साथ पका हा दलिया। -वि० कम, थोड़ा।घालमेल, घालामेलौ-पू० १ डालने-निकालने का कार्य । --घड़-स्त्री० सोच-विचार । -बराड़, बराळ-वि० २ उखाड़-पछाड़ । ३ कपट, छल । ४ चुगली । भयंकर । जबरदस्त, शक्तिशाली। -वाज-पु० शरीर की रचना. डील-डोल । --वाल-पू० घाट पर दान लेने वाला। | घाव-पु० [सं० घात] १ आघात, चोट आदि से होने वाला धाटि-१ देखो 'घाट'। देखो 'घाटी'। जख्म । २ फोड़ा। ३ जख्म का गड्ढ़ा । ४ चोट, प्रहार । घाटी-स्त्री०१ पर्वतों के बीच का रास्ता। २ पर्वतीय ढाल । ५ दो मील का फासला। ३ ढालु जमीन । ४ संकीर्ण या तंग रास्ता। ५ कठिनाई, | घावक-वि० १ घाव करने वाला। २ चोट या प्रहार करने बाधा।६ भयंकर मंकट । वाला । ३ घातक । ४ देखो 'घाव' । पाटू-वि. १ कम थोड़ा। २ वह जो गढा जासके (पत्थर) घावछक-वि० १ घावों से क्षत । २ घायल । -५० हानि, क्षति । घावड़-वि० १ घातक । २ प्रहार करने वाला। ३ शूरवीर, घाटे-बराड़ देखो 'घाटबराड़' । - पराक्रमी । ४ विचारशील, चतुर । घाटी-पु० १ कमी। २ हानि, नुकसान । ३ अरावली पर्वत । घावरणौ (बो)-देखो 'घाणी' (बी)। पर्वतीय घाटी। ५ पहाडी रास्ता। ६ मार्ग, रास्ता । घावबेल-स्त्री० समुद्र पान नामक प्रौषधि । 19 व्यापारिक तोटा, घाटा । ८ देखो 'घाट'। घावरियो-पु० चिकित्सक । पाठ-देखो 'घाट'। घावांपूर-वि० धावों से परिपूर्ण । धारणी (बी)-क्रि० १ ग्रसित होना, गिराना । २ पछाड़ना, पटकना, मारना । ३ रोंदना, कुचलना। घावो-देखो 'घाव' । धात नत्री० [सं०] १ चोट, प्रहार। २ हत्या, वध, संहार। घास-पु० [सं०] १ वर्षा होने पर स्वतः उगने वाले पौधे, ३ मार। ४ नाश, विनाश । ५ कपट, छल, धूर्तता। उद्भिज, तण, चारा । २ एक प्रकार का रेशमी कपड़ा। ६ मौका, अवसर। ७ धोखा । ८ तीर। ९ गुणनफल । घासण-वि० १ काटने वाला । २ संहार करने वाला। " १० प्रवेश, सक्रांति । ११ तलवार । १२ षड़यन्त्र. दाव । ___-पु० घास-फूस। १३ पत्थर । १४ उपला, कंडा। १५ विपत्ति, संकट । घासरणी (बौ)-देखो 'घसणी' (बी)। १६ मृत्यु, मौत । १७ चुगली। घासपात, (कूस, भूसौ)-पु० १ घास व पत्ते प्रादि का समूह । घातक (की, कू)-वि० [सं०] (स्त्री० घातकी, रिण, गी) २ कुडा-करकट । १ घात करने वाला। - संहारक, विनाशक । ३ मारने | घासमारी-स्त्री० १ मवेशियों की गणना । २ मवेशियों की वाल।। ४ हत्यारा । ५ शत्रु । ६ हानिकारक । ७ भयंकर । चराई पर लिया जाने वाला कर । धातणी (बी)-क्रि० १ घात करना। २ सहार करना। घासारण-स्त्री० घिसने की क्रिया। ३ दालना। ४ स्थापित करना । ५ निर्माण करना । घासाहड़, घासाहर-देखो 'घांसाहड़' । ६ रखना । ७ मिलाना। घासियो-पु० गद्दा, मोटा बिस्तरा। घातलो, घाता, घाती, घातीक, धातू-देखो 'घातक' । घासी-पु० पानी प्रादि में घिसकर दी जाने वाली दवा। । धाय-१ देखो 'घाव' । २ देखो 'धायक' । धाह-पु० १ वृत्त, घरा, घेर । २ झूल । घायक (त)-वि०१ घायल । २ क्षत-विक्षत। ३ देखो 'घातक'। घिटाळ, घिटियाळ-पु० १ 'फोग' के फूल । २ फोग का फल । घायन-पु० प्रहार, चोट, वार । | ३ देखो 'घटियाळ' । धायल (ल्ल)-वि. १ चोट खाया हुआ, जख्मी, पाहत । घिबड़ा-स्त्री० एक मुसलमान जाति । २क्षत। घियाळरणो (बो)-क्रि० १ खींचना । २ घमीटना। .. घारवाट--पु. फसल की सिनाई का किराया । घिसार-देखो 'घींसार'। घालणौ-वि० संहारक, विध्वंसक । घियाळी (योळी)--स्त्री० १ लकीर, रेखा । २ देखो 'घियोड़ी'। For Private And Personal Use Only Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 悔 www. kobatirth.org ( २६३ ) घि स्त्री० १ मृगतृष्णा । ४ विस्तार, फैलाव । चिचपिच वि० १ अस्पष्ट २ गड़बड़ ३ गंदगी ४ बेतरतीब २ चंवर, चामर । ३ धर्मं । घोंसार पु० [सं० घुष्टचार ] १ बड़ा मार्ग, राज पथ । २ दल, समूह । ३ सेना, फौज । पींसोड़ी देखो 'हिपोड़ी' । - पु० १ स्थानाभाव । २ संकरापन तंगी । ३ भीड़-भाड़ । घिटोरड़ी स्त्री० यह भेड़ जिसने बच्चा न दिया हो । दिवास्वी० सोही घात धिरणी - स्त्री० १ घुमाव मोड़ । २ देखो 'धरणी' । पिरलो (ब) ० १ किसी पेरे में धाना, प्रावृत होना। २ प्रावेष्टित होना, लपेट में चाना। ३ एकत्र होना, संगृहीत होता । ४ पुष्ट होना । ५ प्राप्त या उपलब्ध होना । ६ चारों ओर छाना । ७ देखो 'गिरणी' (बौ) । घिरत ( रित) - पु० [सं० घृत ] घृत, घी, गोरस, मक्खन । घिरळणौ (बौ) देखो 'घुरळणी' घिराई, घिराव स्त्री० १ घेरने (बी) । की क्रिया या भाव। २ घेराव | ३ आवेष्टन ४ पेरने को मजदूरी । ५ मवेशी चराने का कार्य व इसका पारिश्रमिक | पिल, पिलोडियो चिलोड़ी-स्त्री० भी रखने का छोटा पात्र । बिस्पो देखो 'परनियों' । घीकरणt (at) - क्रि० प्रहार करना। वार करना । घोड़ी-स्त्री० लकड़ी का वह उपकरण जिस पर हल रख कर | घीकुंभार ( कुंवार, कुमार ) - पु० [सं० घृत कुमार ] ग्वार पाठा । दीवाली (बी), पीपावली (बी) देवो 'गीगाणी' (बी)। घीड़-पु० एक बरसाती कीड़ा। बड़ी दीमक । खींचा जाता है। पिरणा-देखो 'घा'। atrift (तावरियो ) - पु० मक्खन को तपाकर घी निकालने का पात्र घीतोरू स्त्री० एक प्रकार की तोराई । घीतोळौ - पु० जलाशयों में होने वाला एक लता फल । घीद-देखो 'गिद्ध' । घीयड़ देखो 'घीड़' । घीयाई पु० कर । घीया भाटौ पु० एक प्रकार का पत्थर । संगेजर्राहत । धीरत-देखो 'पिरत घिसाई - देखो 'घसाई' | fuerit (at), घिसावरणौ (बौ) - देखो 'घसारणी' (बी) । घिसिरसिर-सो farai - पु० १ धोखा | २ झासा | ३ डींग | घोंगल पु० गोवर का कीड़ा विशेष चरण (ब) देखो 'घ' बो घींचा (बौ), घींचावरणी (बौ) - देखो 'घींसारखी' (बी) । घयो- पु० सिचाई की नालियां साफ करने का घास आदि का गुच्छा धीमरापू छो- पु० नदी का पसरणी (बो) ० १ पसीना २ खींचना, ऐं चना | ३ रगड़ना । ४ हांकना । ५ चलाना । साली (बी), पौसावली (दो) ० १ पसीटवाना २ बिच बाना । ३ रगड़वाना । ४ हकवाना । ५ चलवाना | घी-पु० [सं० घृत] १ घृत, गोरस, मक्खन २ तस्व, सार । पौधा-देखो 'पिया' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बुधराकी " ० घी उत्पादकों से लिया जाने वाला एक जागीरदारी 'पी-देखो 'पी'। धीवेल [स्त्री० वर्षा ऋतु में होने वाली एक नता विशेष घोसरणपू छौ- देखो 'सरणपू छो' । पीसणी (बी) देखो 'पीसो (बो)' घिव, घिवड़ौ - पु० [सं० घृतः ] घी, घृत । घिस पु० [सं० [प] भोजन घिसघस - स्त्री० १ विचारों की अस्थिरता । २ कानाफुसी । घीसारणी (बौ), घीसावरणौ (बौ) - देखो 'धींसारणी (बो) 1 ३ गड़बड़ी । घोसार - देखो 'घींसार' । घिसटर ( वो)- देखो 'घसीटरणी' (बो) । पीसाळ - ० दुर्ग किला । fuerit (बौ) - देखो 'घसरणी' (बौ) । घुंगची. घुंघची-स्त्री० [सं० गुंजा ] चिरमी का पौधा व फल । घुघट- देखो 'घुघट' | घिसपिस देखो 'घिचपिच' । 1 करी (कारी) स्वी० १ का काक के बैठने का खड्डा । घुंघराळी घु घरेदार पु० घुमावदार, छल्लेदार, घुंघराला । घुघरी-देखो 'घूघरी' | घुंडी - स्त्री० १ ग्रन्थि, गांठ । २ बटन । दार- पु० बटन वाला । घु पु० [सं०] १ कबूतर की गुटरगूं । २ स्पष्ट २ अस्पष्ट शब्द | ३ ग्रहि । वि० १ शठ, दुष्ट । २ दयालु, कृपालु । २३ कुबादि घुग्घर-पु० घग्घी स्त्री० रूई व ऊन की घोंधी । घुग्घू ( घुघु ) - पु० उलूक पक्षी । बुध-स्त्री० भड़ी। घुघराळौ - देखो 'घुंघराळी' । For Private And Personal Use Only Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पकडणी घरड़को घुड़करणो (बो)-क्रि० १ लुढ़कना । २ जोर से बोलना। ३ फट-घुरण, घणियो-[सं० घुरणः] १ मोठ, मूग, चना आदि का छोटा कारना, धमकाना। कीड़ा, घुन । २ कोई आन्तरिक बीमारी । घड़कारणी (बौ), धुड़कावरणौ (बो)-क्रि० १ लुढ़काना। २ फट-घुत-स्त्री० चोट या आघात से होने वाली सूजन । कारना, धमकाना। घुतको, घुती-स्त्री० छोटे कानों की बकरी। घड़को-स्त्री० धमकी. डांट। घुद-पु० घोदने का शस्त्र विशेष । -वि० पूर्ण, निपट । घडको-देखो 'परडको'। घुदो-देखो 'घोदी'। घड़चढ़ी-स्त्री० १ एक वैवाहिक रश्म । २ घोड़े पर रखकर घुबारियो-पु० तहखाना. तलगृह । __ चलाई जाने वाली तोप। घुमंड-पु०१ घूमने की क्रिया या भाव । २ एक प्रकार की मस्त घड़दौड़-स्त्री०१ घोड़ों की दौड़ । २ अश्व सेना की कवायद । चाल । ३ देखो 'घमंड'। घुड़नाळ-स्त्री० घोडे पर रखी जाने वाली तोप । | घुमंडरणौ (बौ)-देखो 'घुमडणो' (बी)। धुड़बहल-स्त्री० घोडागाड़ी, रथ ।। घुमंडी-देखो 'घमंडी'। धुडलो (ल्लो)-पु० १ घोड़ा । २ विवाह में पुत्री की विदाई पर घुमड़-स्त्री० १ बादलों को घटा । २ घनघोर घटा छाने की गाया जाने वाला एक लोक गीत । ३ गणगौर का गीत । अवस्था । ३ ध्वनि विशेष । ४ इस गीत के साथ, दीप रख कर घुमाया जाने वाला घुमड़णो (बो)-क्रि० घटाएं उठना, छाना । उमड़ना। छोटा घड़ा। घुमणी (बौ)-देखो 'घूमणी' (बौ)। घड़साळ-स्त्री० अश्वशाला । अस्तबल । | घुमरणो (बो)-क्रि० १ घमघम शब्द करना । २ घोर शब्द धुड़ी-स्त्री० घोड़ी . होना । ३ एक प्रकार का लोक नृत्य करना। धुचरियो-पु० कुत्ते का बच्चा, पिल्ला। घुमारणी (बो), घुमावरणौ (बौ)-क्रि० १ घुमाना. फिराना। घुट-पु० १ टखना, गुल्क, घुटना। २ गुटका । २ टहलाना । ३ मोड़ना । ४ लौटाना । ५ चक्कर घुटको-देखो 'गुटकी'। लगवाना । ६ मरोडवाना। धुटक्करणो (बौ)-क्रि० १ धूट भरना, घुट लेना, घुट-घुट घुमाव-पु० १ चक्कर, फेरा । २ टहलाव । ३ मोड़ । ४ बल । पीना। २ निगलना। ___-दार-वि० चक्करदार । वलवाला। घुटणी (बो)-क्रि० १ धूए आदि का कहीं एकत्र होना, अन्दर घम्मणी (बी)-देखो 'घुमड़णी' (बी)। ही अन्दर बदना । २ सांस, दम या कोई भावना का घुम्मरणो (बौ)-देखो 'घुमरणो' (बी)। अवरुद्ध होकर अन्दर दबना । ३ मन में घटन होना। घुम्मा-पु०१ धूसा, मुष्ठिका । २ गोल ककड़ी। ४ रगड़ खाकर चिकना होना। ५ अधिक मेल-जोल होना। घुर-स्त्री० नक्कारे की आवाज । ६ दक्षता या निपुणता प्राप्त करना । ७क्रोध करना। घुरक-स्त्री० १ छोटी गुफा। २ कुने, सियार प्रादि के बैठने का ८ तंद्रित होना । ९ ठंडाई आदि धोटा नाना । १० माल गड्डा । ३ धुर्राहट। ममाले बनना । ११ मुडित होना। |घरकरणो (बौ)-देखो 'घड़कणो' (बी)। घुटरगू-स्त्री. १ कबूतर की आवाज । २ कानाफुमी । घरकारणो (बौ)-देखो 'घुड़काणी' (बौ) ! घुटक-पु० १ घुटना । २ कबूतर की आवाज । घुरको (को)-स्त्री० गुर्राहट । धुटारो (बी), घुटावरणो (बी)-क्रि० १ धुए को एकत्र करना, घुरख, घुरखाली-देखो 'धुरक'।। धुकाना । २ सांस अवरुद्ध करना । ३ गला दबाना। घुरघुर-स्त्री० १ सूपर प्रादि की गुर्राहट । २ एक टक देखने ४ अनावश्यक रूप से दबाव डाल कर बोलने न देना। की क्रिया। ५ रगड़ना, चिकना करना । ६ अधिक मेल-जोल कराना। घरघराणी (बी)-क्रि० १ गुर्राना । २ एक टब देखना । ७ दक्ष व निपुण बनाना । ८ ठंडाई आदि घटवाना। धुरड़-स्त्री० १ घर्षण, रगड़ । २ रगड़ का निशान, खरोंच । ९ माल-ताल बनवाना । १० मुडन कराना। __ ३ झगड़ा। बुट्टी-देखो 'घूटी'। |घुरजको-पु० १ कफ, सर्दी आदि से होने वाली धरघराहट । घुणंतर (रि)-वि० सत्तर से एक कम । -स्त्री० साठ व नो की । २ अंतिम समय दिया जाने वाला दान । ३ अत समय संख्या, ६६ । की श्वास क्रिया, अंतिम सांस । ४ जोर से खींची जान धुरण-घृरण-मीगणी-पु. एक देशी खेल। वाली लकीर । ५ खरोंच। ६ रगड़। For Private And Personal Use Only Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org घुरडणी घूध घुरडणी (बी)-क्रि० १ रगड़ना । २ उस्तरे से बाल साफ घसेड़णी (बौ)-देखो 'घुसाणी (बी)'। करना । ३ कुचर देना। ४ खरोंचना । घुसौ-पु० १ गुप्तेन्द्रिय के वाल । २ देखो 'सौ'। धुरणौ (बौ)-क्रि० १ किसी वाद्य का गुजरित होना, गूजना। | घसरण (न)-स्त्री० [सं०घुसरण] १ केसर, जाफरान । २ प्रावाज, २ बजना, गर्जना । ३ देखो 'धूरणो' (बी)। ध्वनि। घुरनाळ-देखो 'घड़नाळ'। घुस्सर-स्त्री० सेना. फौज, दल। धुरराणी (बौ), घुररावणी (बौ)-देखो 'गुरराणी' (बी)। धूगटो, घट, घूघटयो, घूघटौ-स्त्री० स्त्रियों की प्रोटनी का घुरळणी (बी)-क्रि० बच्चे का वमन करना, के करना। वह छोर जो वे लज्जावश मुंह पर डाल देती हैं । ..-पटघुरळियौ--पु. १ जूए में लगने वाला डंडा । २ रस्सी या जेवड़ी पु० घूघट निकालने का वस्त्र । में बल देने का उपकरण । घूघर-पु० १ बालों की मरोड़, छल्ले । २ घुघरू । ....वाळो-- घरळी-स्त्री० १ लगाम । २ वमन, के।। पु० छल्लेदार बालों वाला। धुरस-स्त्री० घोड़े का भूमि खोदते समय पैर रखने का ढंग। घूघरी-पु० घुघरूं। घुरसली-स्त्री० १ मैना पक्षी । २ देखो 'घुरसाली' । घूघौ-पु० १ नाक का मेल । २ इमली का बीज । धुरसाळ (ळो)-स्त्री० १ अश्वशाला, अस्तबल । २ उल्लू का | धूची-स्त्री० कोल्हू में लगने वाला लकड़ी का डंडा । घोंसला । २ कुत्ते आदि के बैठने का गड्ढ़ा। चूंट-स्त्री० द्रव पदार्थ की गुटकी। घुरसाळी-पु० घोंसला। घुटणौ (बो)-क्रि० घुट-घुट कर पीना, पीना, गुटकना। . घुरस्याळ-देखो 'घुरसाळ' । |घूटळवाळी-पु० पांव समेट कर सोने की क्रिया। -वि० पांव धुराणी (बौ), धुरावरणौ (बी)-क्रि० १ घुर्राना। २ पीटना, समेट कर सोने वाला। मारना। ३ डराना, प्रांखें निकालना। ४ घोर शब्द धूटियौ-देखो 'धूट'। करना। ५ जोर से बजाना, गुंजरित करना । ६ प्रगाढ़ घूटी-स्त्री० १ दवा की गुटकी । २ घूट । ३ जन्म जात बच्चे निद्रा लेना। ____ को दी जाने वाली औषधि । ४ अपस्मार या मृगी रोग। धुरी-देखो 'घुरक'। ५ गुरु मंत्र । घुळणी (बी)-क्रि० [सं० घूर्णन] १ किसी पदार्थ का पानी घूडो-देखो 'घुडी'। प्रादि द्रव में मिल जाना, धुल जाना। २ किसी गांठ का | बूंदणी (बौ)-देखो 'गूदगो (बी)। कसना, गाढ़ा होना। ३ निरन्तर कमजोर होना, क्षीण दरौ-पु. एक कांटेदार बरसाती पौधा विशेष । होना । ४ व्यतीत होना, गुजरना, व्यर्थ जाना। ५ निद्रा दारणी (बौ), बूंदावणी (बौ)-देखो 'गूदाणी (बो)। युक्त होना, झपकना । ६ सुस्त होना । ७ बजना । ८ अधिक धूमटणी (बी)-देखो 'घूमड़णी (बी)। प्रेम होना। घूमरणो (बौ)-देखो 'घूमणी (बी)' । घुळारणी (बौ), धुळावरणी (बी)-क्रि.१ किसी पदार्थ को पानी घूमाडणी (बो)-क्रि० घमाना। ग्रादि द्रव में मिला देना, घोलना। २ गांठ को कसना, घूस-स्त्री०१ चूहे की जाति का बड़ा जंतु । २ रिश्वत, उत्कोच । गाढा करना। ३ क्षीण करना, कमजोर करना। ४ व्यर्थ गुजारना, व्यतीत करना। ५ नींद लेना । ६ बजाना।। घुसणौ (बौ)-क्रि० १ प्रहार करना, चोट करना । २ मृष्टिका । ७ अधिक प्रेम करना। प्रहार करना। घुळावट-स्त्री० १ घलने की क्रिया या भाव । २ घुलनशीलता। घूसौ-पु०१ मुक्का, मुष्ठिका । २ मुको का प्रहार । घसरण-स्त्री० प्रवेश की क्रिया । प्रवेश का ढंग । धसावट, | घू-पू० १ देवता । २ प्राकाश । ३ हाथी। ४ उल्ल । -स्त्री० फंसावट। ५ पृथ्वी । ६ गुदा । ७ मदिरा । ८ ग्यारह की संख्या । घुसणी (बी)-क्रि० १ घुसना, प्रवेश करना। २ धंसना, फंसना। घूक, घूकार-पु० १ उल्लू पक्षी। २ भय, डर । -स्त्री. ३ चुभना । ४ दखल देना। ५ पैठना । ६ ध्यान से काम ३ उल्लू की बोली । ४ ध्वनि, घोष । ५ धुर्राहट । करना। -परि-पु० कोा । घुसारणो (बौ), घुसावणो (बो)-क्रि० १ धुस ना, प्रवेश कराना। | घूगरौ-देखो 'घूघर'। २ धंसाना, फंसाना। ३ चुभाना। ४ दखल दिगना ।। ५ पैठाना । ६ ध्यान से काम करने के लिये प्रेरित करना। | घूगस-स्त्री० हेमंत ऋतु के बादल । घुसाळ-देखो 'घरसाळ'। धूध-पु० शिर का कवच, शिरत्राण । For Private And Personal Use Only Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धोई घूघर, घूधरियो, घूधरी, घूघरी-पु० घुघरू । छल्ला । --माळ, घेधूबणौ (बी)-क्रि० १ मंडराना । २ लूबना, लटकना। माळा-स्त्री० १ नूपुर । २ घुघरू की माला जो पशुओं की | ३ भिड़ना। गर्दन पर डाली जाती है । घेड़-देखो 'घडली'। घूधरी-देखो 'गूगरी'। घेचणी (बी)-क्रि० १ हांकना, हांक कर ले जाना । २ खदेड़ना । घूधी-देखो 'घग्घी'। ३ घसीटना। धूधू-पु. उगक पक्षी, उल्लू । घेटियो (घेटौं)-पु० १ भेड़ का पुष्ट बच्चा, मेमना । २ नाटा व घूड-पु० १ सुपर के मुह का अग्र भाग । २ इस भाग से किया। पूष्ट व्यक्ति । जाने वाला प्रहार। घेटुनौ-पु० टेंटुवा। घूड़िया-स्त्री. चरस की गिरी की खूटी। घेदी-वि० मोटा ताजा, हृष्ट-पुष्ट । घूची-स्त्री० कोल्ह के ऊपर की पोर का एक उपकरण । घेर-पु० १ वृत्त, घेरा, परिधि । २ मोड़, घुमाव । ३ चक्कर, घुटरगो (बौ) देखो 'घटरणो' (बी)। फेरा । ४ घर, गृह ।। घूतकार-पु० उल्लू को अावाज । घेरउ-पु० १ झुंड, समूह । २ देखो 'धेरी'। घूत्यौ-पु० एक देशी खेल। घेरघार-पु. १ चारों ओर से घिरने या पाच्छादित होने की घूथ-पु० चूमा, मुष्ठिका । प्रहार । अवस्था। २ घेरा, परिधि । ३ खुशामद । ४ विस्तार । घूब-स्त्री० १ कूबड़ । २ टेढ़ापन । ३ मोच । ५ हांकने की क्रिया या भाव । घूबौ-वि० १ कूबड़ा । २ मोच पड़ा हुमा । घेरघुमाळी, घेरघुमेर-वि० १ सघन, घनी छाया वाला। घूम-स्त्री० घुमाउ, चक्कर, मोड़ । २ विस्तृत परिधि वाला। घूमघूमाळी-बि०१ गहरे पत्तं व शाखामों वाला । २ घेरदार। घेरणी-स्त्री०१चरखे का हत्था । २ चलनी। ३ घुमक्कड़। | घेरणी (बौ)-क्रि० १ घरा लगाना, आवेष्टित करना, किसी घेरे धूमरणो (बी)-क्रि० १ धूमना, फिरना । २ टहलना । ३ सफर, में लेना । २ मवेशियों को हांकना । ३ रुख पलटना, करना, यात्रा करना । ४ लौटना । ५ पीछे या दाय-बाय विचारधारा बदलना। ४ मोड़ना, घुमाना । मुडना । ६ चक्कर खाना, गोल-गोल फिरना । ७ डोलना । घेरदार-वि० ज्यादा घेरे वाला। उन्मत्त होना, झूमना । घेराई-स्त्री० घेरने की क्रिया या भाव । घूमर--स्त्री० एक प्रकार का लोक नृत्य । घेराणी (बी), घेरावणी (बी)-क्रि० १ घेरा लगवाना, पावृत्त घूमरी-पु० १ समूह, झुण्ड । २ घेरा, वृत्त । कराना, किसी घेरे में लिराना । २ हांकने के लिए प्रेरित धूमाळो-देखो 'घूमघूमाळी'। करना । ३ विचाराधारा बदलाना । ४ मुड़वाना, घूमू. घूमौ-पु. १ घूमा, मुष्ठिका । २ देखो 'धम्मो'। धमवाना। धूर-पु. १ पैनी चीज के पाघात से पशुओं के पेट पर होने | घेराव-पृ. १ घेरा । २ घेरने की क्रिया या भाव । वाला रोग। २ नाश ध्वंस । ३ तीक्ष्ण दृष्टि, ताक । धेरौ-पु०१ चारों ओर का विस्तार, फैलाव । २ वृत्त, प्रावृत्ति, घूरण-स्त्री. धूरने की क्रिया या भाव । परिधि । ३ गोलाई । ४ चारों ओर से सुरक्षित या धूरणी (बो)-त्रि १ दृष्टि गढ़ाकर देखना, ताकना । २ क्रोध अधिकृत करने के लिए की जाने वाली व्यवस्था । ५ किसी में पावें दिखाना । २ प्रगाढ़ निद्रा में श्वास के साथ घरं चीज का गोल चकरा। धरै शब्द होना । ४ 'घुरणौ' (बी)। घेवर-पु. एक प्रकार की मिठाई जो चक्रनुमा होती है। घराणी (बो), घूरावणौ (बो)-देखो 'घराणी' (बो)। घेसली-पु. १ हास्य रस की भिन्न तुकांत कविता । २ छोटा धूरी-स्त्री० सियार प्रादि की माद । घुस-देखो 'धूस'। घंणी--स्त्री० ग्रा। घूसो. चूहो-पु० गुप्लेन्द्रिय के बाल । घेचणौ (बौ)-देखो 'घोंसगणो' (बो)। घसाड़ (हड़, हर)-देखो 'घांसाहर' । घे-स्त्री. १ गर्दन, ग्रीवा । घडी । ३ चौकी । ४ कीली।। (लो)-देखा 'घडली'। धंधू बणो(बो)-क्रि०१ भिड़ना,टक्कर लेना । २ पाच्छादित होना । घेउर (ऊर)-देखो 'घेवर' । घोंई-स्त्री० सिंचाई की नालियां साफ करने वाला झाड़ी का घेधू चणी (बी)-क्रि०१ मिलना । २ आलिंगन करना। गुच्छा । For Private And Personal Use Only Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org घाँधी घोटेवरबार घोंधौ-पु. शंखनुमा एक जल कीट । -वि०१ मूर्ख, मूढ़ । घोड़ी-स्त्री० १ मादा अश्य, घोड़ी। २ बच्चों को सुलाने का २ जड़, निर्बुद्धि । ३ निस्सार । एक प्रकार का काष्ठ का भूला। ३ काठ की पट्टी जो चढ़ने घोंटी-स्त्री. गर्दन, ग्रीवा। के लिए बनाई जाती है । ४ वैशाखी। ५ छाजन में लगने घोंसलो-पु० पक्षियों का नीड़। वाला काष्ठ का उपकरण । ६ लंगड़े व्यक्ति के चलने के घोई-स्त्री० १ वक्रता, टेढ़ापन । २ घुमाव, मोड़ । लिए बना लकड़ी का उपकरण । ७ प्राटे या मेदे की मेव घोउकार-स्त्री० वाद्यों की ध्वनि । निकालने का उपकरण । ८ ऊंट के "पिलांण' का एक घोक-पु० [सं० घोष] १ गर्जना, घोष । २ तेज वर्षा की भाग । ६ एक लोक गीत । १० एक देशी खेल । अावाज । ३ किनारा, तट । ४ अहीरों की बस्ती। ११ देखो 'घोड़लियो'। -बराड़-पू० मरहठों के घोड़ों को ५ नमस्कार, प्रणाम । ६ तीव्र प्रवाह । दूर रखने के लिए दिया जाने वाला कर जो किसानों से प्रति घोकणी (बौ)-देखो 'घोखरणी' (बी)। बीघा चार आना और दूसरों से प्रति परिवार एक रु. था। घोकारणी (बी)-देखो 'धोखाणी' (बी)। | घोड़ो-पु० [सं० घोटक] (स्त्री० घोड़ी) १ सवारी के लिए घोकार-स्त्री. प्रत्यंचा की ध्वनि । सबसे अच्छा व तेज दौड़ने वाला चौपाया जानवर, जिसे घोख-पु० [सं० घोष] १ तेज आवाज, भारी शब्द । २ उद्घोष । रथ या तांगे में भी जोता जाता है, अश्व । २ बंदूक का ३ गौशाला । खटका । ३ शतरंज का एक मोहरा । ४ चार पायों का घोउरणो (बी)-क्रि० [सं० घोषणम्] १ गिनती, पहाड़े या मंत्र लकड़ी का कुदा जो कसरत में काम आता है। ५ चार रटना, याद करना । २ किसी बात को बार-बार कहना। पायों का तख्ता । ६ घोड़े की मुखाकृतिनुमा बना लकड़ी ३ तेज आवाज होना। आदि का कोई उपकरण । घोखाणी (बौ). धोखावरणौ (बौ)-क्रि० १ रटाना, रटाकर याद घोचियो, घोची-पु० [सं०] १ तण तिनका । २ कोई कराना । २ बार-बार बोलाना। ३ तेज हांकना, दौड़ाना। काष्ठ खण्ड । ४ तेज आवाज करना। घोट (क, डो)-पु० [सं०] १ घोड़ा । २ सुपारी का वक्ष, घोघ-पु० झाग, पेन। सुपारी। ३ युवक, जवान । घोघडमिन्नौ-पु० बड़ी बिल्ली, बिलाव। घोटणी-स्त्री० १ दाल आदि घोटने का उपकरण । २ घुटाई घोधी-स्त्री० मूर्छा। करने का उपकरण । ३ बार-बार बोल कर याद करने की घोघी-पु० चने की फसल खाने वाला कीड़ा। क्रिया रटाई। घोड़ (तो)-पु०१ घोड़ा, अश्व । २ गधा । -वि० वयस्क एवं | घोटणी (बी)-क्रि० १ सिल-बट्र पर पीसना, महीन करना। चंचल । २ ठीक जमाने व जमाकर चमक लाने के लिये खूब घोड़ची-पु० १ अश्वारोही, घुड़सवार । २ छोटी घोड़ी। रगड़ना । ३ परस्पर रगड़ना । ४ खूब रटना । ५ बाल साफ ३ छोटे बच्चों को सुलाने का झोलीनुमा पालना । । करना, मूडना । ६ सांस अवरुद्ध करना, दम घोटना । घोड़राई-स्त्री० बड़ी राई। घोटमघोट-वि० १ खूब घूटा हमा । २ चिकना। ३ गोल व घोड़रोज-पु० तेज भागने वाली नील गाय । सख्त (स्तन)। ४ हृष्ट-पुष्ट । घोड़लियो, घोड़लो-पृ० (स्त्री० घोड़ली) १ घोडा, अश्व । घोटलियो-देखो घोटी'। २ घोड़े की मुखाकृति जैसा कोई उपकरण । ३ बच्चों का घोटाई-स्त्री०१ घोटने की क्रिया या भाव, घुटाई । २ इस कार्य झोलीनुमा पालना विशेष ।। की मजदूरी। घोड़सार, घोडसाळ-स्त्री० अस्तबल, घड़शाला। घोटारणी (बी)-क्रि० १ सिल बद्र पर पिसवाना, महीन घोड़ाकरंज-पु० एक वृक्ष विशेष । करवाना । २ रगड़वाना। ३ खूब रटाना। ४ बाल साफ घोड़ाकांमळ-पु० एक प्रकार का जागीरदारी कर । कराना, मुडवाना । ५ सांस अवरुद्ध कराना। घोडागांठ-स्त्री० रस्सी की एक मजबूत गांठ । घोड़ाचोळी-स्त्रील वैद्यक में एक औषधि । | घोटाफरस-पु. एक प्रकार का शस्त्र । घोड़ादमौ-पु० डिगल का एक गीत। घोटाळी-पु० गड़बड़ी अव्यवस्था । घोड़ानस-स्त्री० मनुष्य के पैर की एक बड़ी नश । घोटावणी (बी)-देखो 'घोटागो' (बी)। घोडामाख (माखी)-स्त्री० बड़ी मक्खी। घोटू-वि० घोटने वाला। घोड़ियो-१ देखी 'बोडो' । २ देखो 'घोडलियो' । घोटेबरदार--पु० चेला जाति के व्यक्तियों की उपाधि । For Private And Personal Use Only Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घाटा घोटौ-पु० १ घोटने का उपकरण। २ सिल-बट्टा। ३ बड़ा व छाना । ७ बच्चों का वमन करना। मोटा डंडा । ४ गदा। घोळवी-पु० १ मांस पकाने की एक प्रक्रिया। २ इस प्रक्रिया से घोडू-देखो 'घोडौ'। ___पका हुआ मांस। धोरण-स्त्री० [सं० धारण] १ नाक । २ बकरी के स्तनों पर घोळारणौ (बौ), घोळावरणी (बी)-क्रि० घोलने का कार्य किया जाने वाला एक लेपन । कराना। धोरणा, घोणी-पु० सूबर । घोळियौ-देखो 'घोळ' । घोदौ-पु० १ कोई नुकीली वस्तु चुभाने की क्रिया । २ धक्का । घोळी-स्त्री० न्यौछावर होने की क्रिया । ३ वाधा, अड़चन, विघ्न । घोल्या-स्त्री०१खरियत, कुशल । २ अस्तु । ३ देखो 'घोली' । धोनौ-पु०(स्त्री० धोनी)१बकरी । २ वृद्ध बकरी । ३ वृद्ध व्यक्ति । घोस-पु० [सं० घोष] १ शब्द, आवाज । २ गर्जना, भागे ४ नितान्त बहरा व्यक्ति । शब्द । ३ तालों का एक भेद । ४ शब्द-उच्चारण के ग्यारह घोबो-पु०१ पास के किसी पौधे का कटने के बाद जमीन में रहा बाह्य प्रयत्न में से एक। अंश । २ नुकीली चीज का धक्का। ३ अांख आदि में होने घोसणा-स्त्री० [सं० घोषणा] १ सूचना, इत्तला । २ सार्वजनिक वाला शूल, पीड़ा । ४ वात-विकार की पीड़ा। सभा में किसी नेता या अधिकारी द्वारा जारी की गई धोयणौ (बौ)-क्रि० नष्ट करना। सूचना । ३ आदेश । ४ सरकारी कार्यवाही का प्रकाशन या धोर--वि० [सं०] १ भयंकर, डरावना। २ जबरदस्त । ३ सघन, विज्ञापन । ५ गर्जना, आवाज। घना । ४ अत्यधिक गहरा। ५ कठिन, दुर्गम । ६ कठोर । घोसवंती-स्त्री० वीणा । ७ उग्र । -स्त्री० [अ०गोर] १ कब्र, समाधि । २ समाधि पर घोसी-पु० दूध बेचने वाली मुसलमान जाति या इस जाति का अंकित शब्द । ३ शब्द ध्वनि । ४ गर्जना, घोष। ५ प्रगाढ़ व्यक्ति । निद्रा का शब्द । ६ नगाडे की आवाज। [सं० घोर:] / प्रणा-स्त्री० [सं० घृणा] १ नफरत। २ ग्लानि । ३ दया, ७ भय, डर । ८ जहर । ९ शिव । कृपा। घोरणो (बी)-क्रि० १ पीटना, मारना । २ देखो 'घुरणों' (बौ)। व्रत-पु० सं० घृत] घी। -प्रातरण (न)-स्त्री० अग्नि । ३ देखो 'धुरगो' (बी)। घ्रताची, घ्रतायची-स्त्री०१ स्वर्ग की एक अप्सरा । २ अप्सरा। धोरमधोर-देखो 'घोर' । घ्रति-पु० घी। घोराउंबर-पु० गहरे बादलों की घटाएँ । घ्रस्टी-पु० [सं० धृष्टि:] सूअर । घोरारध-पु० १ शोक सुचक भयंकर शब्द । २ घोर ध्वनि । घ्राण, घ्राणा-पु० [सं० घ्राण:] नाक, नासिका । २ सुगंध । ३ उल्लू की बोली। ३ सूघने की शक्ति । घोरालो (बी), घोरावरणौ (बो)-१ देखो 'धुराणी (बी)। घ्राई-पु. भयंकर प्रहार करने वाला। २ देखो 'धुरागणी (बी)। | घ्रित (ति, ती)-पु० १ धी। २ यज्ञ । ३ अग्नि । -वि० तृप्त । भोळ-पू० १धूलो हा पदार्थ । पानी में घोल कर रखा हुप्राघ्रिताची, घ्रितेची-देखो 'घ्रताची'। पदार्थ । २ न्यौछावर । ३ धार कर दिया हुप्रा दान। घ्रिसि (सी)-पु० भोजन । घोळणी (बी)-क्रि० १ किसी द्रव पदार्थ या पानी में कोई वस्तु मिलाना, घोलना। २ घुल जाने के लिये हिलाना। घ्रिस्टी-पु० सूपर। ३ न्यौछावर करना, वारना। ४ जहरीले जंतनों का घोरण, ध्रोरणा-देखो 'घ्रांरण' । घटना। ५ क्रोधित होना । ६ प्रांखों में नीद या नशा | प्रोणी (नी)-पु० सुम्मर । व-देवनागरी वर्णमाला का अठा व्यंजन । 4ऊं-देखो 'च । चंक--देखो 'चक'। चंग-वि० सुंदर, मनोहर । चंग (डी, डो)-पु० [फा०] १ डफ। [मं० चं] २ पतंग, गुड़ी। ३ झंडी, पताका । ४ पवित्रता, शुद्धता। १ उत्तमता, श्रेष्ठता । ६ घोड़ों की एक जाति व इस जाति का घोड़ा। ७ यवन, मुसलमान । ८ सितार पर चढ़ा हुआ स्वर । ६ स्वस्थ व्यक्ति । १० डिगंल का एक गीत । ११ देखो 'चंगी'। For Private And Personal Use Only Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चंगरिय www.kobatirth.org ( me) बंगल० चक्कर, पेश, घुमाव बंगाल पु० गोमूत्र बंगाली (बी) क्रि० नाय का मूतना । चंगी - स्त्री० १ कीर्ति, यश २ श्रेष्ठता। वि० १ स्वस्थ, हृष्ट-पुष्ट । २ उत्तम । चंगुल - पु० [फा०] १ जाल, फंदा । २ षड़यंत्र । ३ हाथ की अंगुलियों का फंदा । पवित्र, निर्मल ६ उत्तम श्रेष्ठ । दुर्गा चंगेडी (री) - स्त्री० १ मिठाई रखने का पात्र । २ छाब, टोकरी। गौ-वि० [सं० पंग) (स्त्री० चंगी) १ निरोग, स्वस्व २ हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताजा । ३ साफ, ४ दृढ़, मजबूत । ५ सुन्दर, सुहावना । -पु० १ एक प्रकार का घोड़ा । २ डफ | चंचड (डी) - देखो 'चांचड़ली' । चंच (त्री० [सं० बंधु] १ चोंच २ पार्वती चंचरी, चंचरीक- पु० [सं०] १ भ्रमर, भौंरा । २ भारत में स्थाई रूप से रहने वाली एक प्रकार की चिड़िया एक मावि । ३ मात्रिक छंद विशेष ४ एक वर्ण वृत्त विशेष चंचळ (ळी) - वि० [सं० चंचल ] १ चलायमान, गतिशील । २ कांपने वाला, कंपकंपा । ३ अस्थिर | ४ अशान्त । ५ चंचल, नटखट । ६ फुर्तीला, चुस्त । ७ उद्विग्न, व्यग्र । ८ विल डांवाडोल । १० कामुक, ११ क्षणिक । - पु० १ पवन । २ घोड़ा । ३ मन । ४ चन्द्रमा । ५ पारा । ६ देखो 'चंचळा' । क्रि० वि० तुरन्त शीघ्र । चंचलता (ई) स्त्री० [सं०] १ अस्थिरता । २ गतिशीलता । 1 । करना । चंद, चंटेल - वि० १ धूर्त, बदमाश । २ चतुर, होशियार । । ३ नटखटपना । ४ स्फुर्ति । चंचळा स्त्री० [सं० पंचला] १ बिजली वित२ लक्ष्मी ३ माया । ४ नर्तकी । ५ मछली । ६ घोड़ी । ७ पिप्पली । ८ एक वर्ण वृत्त । चपळाई पंचाट (हट) देखो 'पंच' । चंचळी-१ देखो 'चंचल' । २ देखो 'चंचळा' | 'चंचळौ - देखो 'चंचळ' । (स्त्री० चंचळी) चचाळ - पु० १ पक्षी । २ देखी 'चंचळ' | पंचाळी स्त्री० मांसाहारी पक्षी -भात, चंचु-स्त्री | सं०] १ पक्षी की चोंच । २ तुड। ३ अरंड का पेड़ । ४ मृग, हिरन । -का, पुट-पु०- चोंच, तुड मांन० पक्षी चंचेड़ण, चंचेड़, चंछेड़रण- पु० मक्खन को तपाने पर निकलने वाला छाछ का अंश । छेड़ी (बोकि० हिलाना, कोरना। २ छेड़ना, नंग Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चंड- पु० [सं०] १ गर्मी, ताप । २ रोष, क्रोध । ३ एक दैत्य का नाम । ४ शिव का एक गए। ५ राम सेना का एक बंदर । ६ एक भैरव । ७ कुबेर के ग्राठ पुत्रों में से एक । ८ कार्तिकेय । वि० १ भयानक, उग्र । २ क्रुद्ध | ३ गर्म, उष्ण । ४ कर्मठ, फुर्तीला ५ तेज, तीक्ष्ण विकट घोर । ९ प्रबल । ६ कठोर । ७ कठिन १० देखो 'चंडी' | चंडकर - पु० [सं०] सूर्य भानु । चंडका - देखो 'चंडिका' । चंडपंत्री चौसठ योगिनियों में से एक । - चडडाक-पु० युद्ध का वाद्य । चंडता स्त्री० [सं०] तीता उता चलता चंडनयर देखो 'पंडीनगर' | च ू चंडनायिका स्त्री० [सं०] १ दुर्गा से एक । चंडमुंड-१० देवी के हाथों मारे गये दो राक्षम चंडमुंडा (डी) - देखो 'चामुंडा' । पंडवती स्त्री० [सं०] १ देवी २ म्रष्टनायिकाओं में से एक। चंडवारण - पु० [सं०] ४९ क्षेत्रपालों में से एक । चंडांसु - पु० [सं० चण्डांशु ] सूर्य, भानु । स्त्री० १ कोप, गुस्सा, क्रोध २ देखो 'बंडानिणी' । २ ग्रष्टनायिकाओं में चंडालक पु० [सं०] चंडातक] १ कृर्ती, छोटा कोट २ लहंगा चंडाळ - पु० [सं० चांडाल] (स्त्री० चंडाळण, पी) स्वपच, भंगी, मेहतर - वि० दुष्ट, पतित नीच । 1 चंडाळणी - स्त्री० १ एक प्रकार का दोहा छंद । २ चंडाल की स्त्री । चंडालिका स्त्री० ० एक प्रकार की वीणा । चंडाळी - स्त्री० कोप, For Private And Personal Use Only गुस्सा | चंडावळ - देखो 'चंदावळ' । चंडिक (का) - स्त्री० [सं० चंडिका ] १ देवी, दुर्गा । २ कर्कणा स्त्री - वि० कर्कशा लडाकु चंडी-स्त्री० [सं०] १ दुर्गा देवी 1 २ महिषासुर मर्दिनी देवी । ३ चंडिका । -नगर- पु० दिल्ली शहर का नाम । - पति-पु० शिव, महादेव । बादशाह -पुर-पु० दिल्ली नगर । — पुरौ - पु० दिल्ली का बादशाह । दिल्ली निवासी । मुसलमान चौहान राजपूत । । चंडीस (सुर ) - पु० १ शिव । २ एक तीर्थ स्थान । ३ वादशाह । चडू-पु० अफीम व शहद के योग से बना एक प्रत्यन्त नशीला अवलेह -बांनी पु० उक्त पदार्थ उपलब्ध होने का - बाज-पु० चंडू पीने का व्यसनी । | स्थान । Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org । ३७० । वंद्र कीरति चंडूळ-स्त्री० खाखी रंग की एक चिड़िया विशेष । -वि० मूर्ख । चंदळ-पु० चन्द्रमा । झगडालू। चंबळाई (लाई), चंदळियो चंबळेयो-पु. एक छोटा पौधा चंडेस्वर-पृ० [सं० चण्डेश्वर] शिव का एक गण । जिसकी पंत्तियों का शाक बनता है। चंडेस्वरी-स्त्री० [सं० चण्डेश्वरी देवी का एक रूप । चंदववरण (पी), चंदवचनी, चंदवयरिण (पी)-देखो 'चंद्रवदणी'। चंडोदरी-स्त्री० [सं०] सीता के पास नियुक्त रावण की एक | चंदवाळ-देखो 'चंदावळ' । अनुचरी। चंदवी-पु० [सं० चंद्रातप] देवी-देवता या राजा-महाराजाओं के चंडोळ, चंडोळ-स्त्री० १ हाथी की अंबाड़ीनुमा एक पालकी, सिंहासन के ऊपर तना रहने वाला छोटा मण्डप । ___डोली । २ मिट्टी का एक खिलौना। ३ चंदोल । वितान। चंडोळी-१ देखो 'चंदावळ' । २ देखो 'चंडोळ' । चंदाणरिण (एपी)-स्त्री. चंद्रबदनी, चंद्रमुखी। चंद (उ)-पु० [सं० चंदः] १ चन्द्रमा । २ कपूर । ३ चंदन । ४ नाक का बायां छिद्र (योग) । ५ चंद्रक रागिनी। | चंदिका-देखो 'चंद्रिका'। ६ डिंगल के 'वेळियो सांगोर' का एक भेद । ७ राजा | चंदिर, चंदिळ-पु० [सं० चंदिर] १ चंद्रमा, चांद । २ हाथी। हरिश्चन्द्र । ८ देखो 'चंदौळ' । -वि० १ श्वेत, सफेद । चंदेळो-देखो 'चंदळाई'। २ काला*। [फा०]३ थोडा, किंचित् । ४ देखो 'चांद'*|| चंदोउ-देखो 'चंदवी' । चंदक-पु० [सं०] १ चन्द्रमा, चांद । २ चांदनी, चंद्रिका । चंदोळ-देखो 'चंदाबळ'। चंदकांत-देखो 'चंद्रकांत'। चंदोळी-कि०वि० १ पृष्ठ भाग में, पीछे । २ देखो 'चंदाबळ'। चंदगी-स्त्री. १ धन. दौलत, सम्पत्ति । २ आर्थिक सहायता। चंदौ-पु० [सं० चन्द्र] १ चन्द्रमा, चांद । [फा० चंद] २ किसी चंदण (न)-पु० [सं० चंदनं] १ सुगन्धित लकड़ी वाला एक धार्मिक या सामाजिक कार्य में दान म्वरूप दिया या प्रसिद्ध वक्ष । २ इस वृक्ष की लकड़ी का टुकड़ा जिसे | लिया जाने वाला धन । ३ किसी पत्र-पत्रिका का वार्षिक घिसकर देव मूर्ति पर चढ़ाया जाता है । ३ उक्त प्रकार | शुल्क । ४ किसी संस्था का निर्धारित शुल्क । का घिसा हुआ लेपन । ४ छप्पय छन्द का तेरहवां भेद। चंदौळ-देखो 'चंदावळ' । ५ डिंगल का एक छंद विशेष । ६ डिंगल के वेलियो सांणोर | चंद्दर-१ देखो 'चंदिर' । २ देखो 'चंद्र' । का एक भेद । ७ केसर । -वि० श्वेत, सफेद *-गोह- चंद्या स्त्री० छोटी रोटी। स्त्री० मकर की जाति का एक विषैला छोटा जंतु । -धेनु- चंद्र, चंद्रई-पु० [सं०] १ चंद्रमा, चांद । २ कपूर । ३ अठारह स्त्री० चंदन से अंकित कर दान में दी जाने वाली गाय। उपमहाद्वीपों में से एक । ४ पिंगल में टगण के दसवें भेद का चंदरणता-स्त्री० ठंडक, चन्दनत्व । नाम । ५ मृगसिरा नक्षत्र । ६ एक की सध्या । ७ मोर पंख चंदरणहार-पु० कीमती चन्द्रहार । की चंद्रिका । ८ जल । १ सुवर्ग । चदणु-देखो 'चंदण'। चंद्रउ-देखो 'चंदवी'। चंदणी-देखो 'चांदणी'। चंद्रक-पु० [सं०] १ चंद्रमा। २ नख। ३ चन्द्राकार मण्डल । चदनगिरी-पु० [सं०] मलयागिरी पर्वत । ४ मोर, मयूर । चंदनाम (नांमौ)-पु० १ यश, कीति । २ उज्ज्वलता। चंद्रकन्या-स्त्री० [सं०] इलायची। चंदनि (नी)-१ देखो 'चांदनी' । २ देखो 'चंदरण' । चंद्रकळा-स्त्री० [सं० चंद्रकला] १ चन्द्र किरण । २ चांदनी । चदपहास (प्रहास)-स्त्री० चंद्रहास, तलवार । ३ स्त्रियों की एक बहुमूल्य ओढ़नी। ४ सोलह की संख्या। चंदप्रभु-देखो 'चंद्रप्रभु'। ५ चन्द्रमा का एक अंश । -धर- पु० शिव, महादेव । चवबारण-पु. एक प्रकार का तीर। | चंद्रकांत-पु० [सं०] १ एक काल्पनिक मणि, चंद्रकान्त मरिण । चंबभागा-देखो 'चंद्रभागा'। २ एक राग विशेष । चंदमा-देखो 'चंद्रमा'। चंद्रकांता-स्त्री० [सं०] १ चन्द्रमा की पत्नी। २ रात, रात्रि । चंदमारी-स्त्री० १ घोड़ों का एक रोग । २ चांदमारी। ३ चांदनी। चंदमुखी-देखो 'चंद्रमुखी'। चंद्रका-देखो 'चंद्रिका'। चंदरगढ़-पु० चित्तौड़गढ़ का एक नाम । चंद्रकार-पु. एक प्रकार का वाग । चंदरमरिण-स्त्री० चन्द्रकान्त मरिण। चंद्रकीरति (तो)-पु० ललाट पर दो भंवरियों वाला घोड़ा। . गा For Private And Personal Use Only Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org चंद्रकूळया छपाई चंद्रकुळया-स्त्री० काश्मीर की एक नदी। चंद्रसार-पु० डिंगल का एक गीत विशेष । चंद्रकूट-पु० [सं०] कामरूप प्रदेश में स्थित एक पर्वत । चद्रसाळ-पु० १ छत के कमरे के मामने का खुला भाग, चंद्रकूप-पु० काशी स्थित एक तीर्थ स्थान । ____ अटारी । २ चांदनी, चंद्रिका । चंद्रगुप्त-पु० [सं०] १ चित्रगुप्त का एक नामान्तर । २ मौर्य चंद्रसूरिए-पु० ललाट पर दो भंवरी वाला घोडा। वंशीय प्रथम मम्राट । चंद्र मेखर--पु. [मं० चन्द्रशेखर] १ शिव, महादेव । २ एक चंद्रगोळ-पु० चन्द्र मंडल। पर्वत । ३ संगीत की एक ताल । चंद्रघंटका (घंटा)--स्त्री० नव दुर्गाप्रों में से एक । चंद्रस्वारथी-पु० श्वेत-लाल वर्ग व श्वेत नेत्र का घोटा। चंद्रचूड़-पु० शिव, महादेव । चंद्रहार-पु० मरिणयों का एक हार विशेष । चंद्रज-पु० [सं०] चन्द्रमा का पुत्र, बुध । चंद्रहास-स्त्री० तलवार, खड़ग । चंद्रदारा-स्त्री० [सं०] १ दक्ष की २७ कन्याएं जो चन्द्रमा की | चंद्रांगण (रिण, पी), चंद्राणी--स्त्री० १ दुर्गा का एक नाम । स्त्रियां हैं। २ सत्ताईश नक्षत्र । २ चन्द्रमुखी, सुन्दरी। चंद्रदुरंग-पु० चित्तौड़गढ़ का नाम । चंद्रापीड़-पु० [सं०/१ शिव, महादेव । २ अर्जुन का एक मित्र । चंद्रद्य ति-स्त्री० [सं०] चांदनी, चन्द्र प्रकाश । चंद्रायण (रपो)-पु० १ गौरी पूजन के समय गाया जाने वाला चंद्रधर, (पीड़)--पु० शिव, महादेव । एक लोक गीत । २ देखो 'चांद्रायण'। चंद्रप्रभा-स्त्री० [सं०] चांदनी। चंद्रालोक-पु० चन्द्रमा का पालोक, प्रकाश । चंद्रप्रभु-पु० [सं० चंद्रप्रभु] अठारहवें तीर्थंकर का नाम । चद्रावळ-पु० चान्द्रायण व्रत । चंद्रप्रहास-देखो 'चंदपहाम'। चंद्रावळी-स्त्री० श्रीकृष्ण पर अनुरक्त एक गोपी। चंद्रबधूटी-स्त्री० वीरबहूटी। द्रिका-स्त्री० [सं०] १ चांदनी, ज्योत्स्ना । २ मयूर पंख का चंद्रवाला-स्त्री० [सं०] १ बड़ी इलायची । २ चांदनी। ३ चन्द्र सुनहरा मंडल। ३ पंजाब की चिनाव नदी। ४ जुही । किरण । ४ चन्द्रमा की स्त्री। ५ स्त्रियों के शिर का ५ चमेली। ६ संस्कृत व्याकरण का एक ग्रथ । ७ टीका, आभूषण विशेष । व्याख्या। चंद्रबिंदु-पु० [सं०] सानुनाशिक अक्षरों पर लगने वाली अर्ध- चंद्र प्रौ-देखो 'चंदवी' । चन्द्राकार बिंदी। | चंद्र यउ, चंद्रोदय-पु. १ चन्द्रमा का उदय। २ गंधक, पारा व चंद्रभाणु-पु. श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा का पुत्र । | स्वर्णभस्म के योग से बना एक रस । ३ देखो 'चंदवी'। चंद्रभाग-पु० [सं०] १ चन्द्रमा की कला। २ हिमालय का एक चनण-पु० १ चंदन। २ प्रकाश । शिखर । ३ सोलह की संख्या । चंप-पु०१ भय, डर । २ अाशंका, शंका । ३ चंपा का वृक्ष चंद्रभागा-स्त्री० चन्द्रभाग शिखर से निकलने वाली एक नदी। व पुष्प । ४ मार, प्रहार । चंद्रभाळ-पु० शिव महादेव । चंपई-देखो 'चंपाई'। चंद्रमण (मरिण, मणी)-स्त्री० चन्द्रकांत मणि । चपउ-देखो 'चपौ'। चंद्रमा-पु० [सं० चंद्रमस] पृथ्वी को परिक्रमा करने वाला एक चंपक-पु० १ चंपा । २ सम्पूर्ण जाति का एक राग। ३ पोला, उपग्रह, चांद । -ललाट-पु० शिव, महादेव । -माळा पीत वर्ण । -कळी-स्त्री० स्त्रियों के गले का प्राभूषण -स्त्री० चन्द्रहार । १९ वर्गों का वणिक छन्द । २८ मात्राओं विशेष । --माळा-स्त्री० चंपा के फूलों की माला। एक का एक छन्द विशेष । वर्ग वृत्त । ---वन्नी, वरणी-स्वी. गौर वर्ण की स्त्री। चंद्रमिण (मिरणी)-स्त्री० चन्द्रकान्त मरिण । चंपकळी-स्त्री० १ चंपा की कली। २ चंपा के समान नेत्र । चंद्रमौळी-पु० शिव, महादेव । चंपणौ (बो)-क्रि० १ भयभीत होना, डरना। २ छुपना । चंद्रलोक-पु. चन्द्रमा का लोक । ३ शंका खाना, संकोच करना । ८ पैर रखना, पैर जमाना। चंद्रवंस-पु० एक क्षत्रिय वंश । ५ दबाना, दाबना । ६ पकरना । ७ चौंकना। 5 लज्जित चंद्र बदरणी (नी, वयरिण, वयरणी)-स्त्री० [सं० चंद्रवदनी] | होना। चन्द्रमा के ममान उज्जवल मुख वाली सुन्दर स्त्री। चंपत-वि० गायब, लुप्त, भगा हुप्रा । चंद्रवधू-स्त्री० वीरबहटी। चपल, चंपलौ-देखो 'चंपो' । चंद्र वो-देखो 'चंदवो' । चपा-स्त्री० एक प्राचीन नगरी। चंद्रनत-देनो 'चांद्रायण' । चपाई-वि० चंपा के फूल के रंग का, पोला । For Private And Personal Use Only Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाकळी ( ३७२ ) वउसाळउ चंपाकळी-स्त्री. १ चंपा की कली। २ स्त्रियों के गले का | चउं-स्त्री० हाथी को हांकने का शब्द । -अव्य के । प्राभुषण विशेष । चइलो, चईलो-पु० १ रेल गाड़ी का रास्ता, पटरी, रेखा। चंपारणी (बी)-क्रि०१ भयभीत करना। २ चौंकाना । ३ लज्जित २ पहिया, चक्र । ३ परिपाटी, रूढ़ी। कराना । ४ छुपाना । ५ दबवाना । ६ रखवाना, जमवाना। चउं-पु. जमीन का छोटा खड्डा जिसमें तापने के लिए आग बंपाधप (धिप)-पु० [सं० चपाधिप] कर्ण का एक नाम । । रखी जाती है। चंपानगरी (नयरी, नरी)-स्त्री०१ चंपानगरी। २ एक प्रकार की | चउर-देखो 'चंवर'। तलवार । चउ-वि० [सं० चतुर] १ चार । २ देखो 'चरु'। -अव्य. का। चंपारण्य (रन)-पु० एक प्राचीन वन । चउपाळीस-देखो 'चमालीस' । चंपी-स्त्री० १ चांपने या दबाने की क्रिया या भाव । २ शिर की | चउक-देखो 'चौक'।। मालिश । ३ चापलुसी।। चउकी-स्त्री० चौकी। -वट, वट्ट-पु० काष्ठ की चौकी । चपू-पु० [सं०] १ गद्य व पद्य मिश्रित काव्य या ग्रंथ । चउगठि (ट्ठी)-देखो 'चौखट'। २ देखो 'चंपौ'। चउगरणउ, (गरणी, गिरणउ, गुरपउ, गुणो)-देखो 'चौगुणौ' । चंपेल, चंपेली, चंपेलू-पु० १ चमेली का तेल । २ चमेली। चउग्गइ-स्त्री० [सं० चतुर्गति] देव, मानव, नारक और तियंच चंपो-पु० [सं० चंपक १ हल्के पीले रंग के फूलों वाला एक इस प्रकार की चार गति (मोक्ष)। वृक्ष । २ इस वृक्ष का फूल । ३ चंपे के पुष्प के रंग का चउघड़यउ, चउघड़िउ-देखो 'चौघड़ियो' । घोड़ा । ४ एक देशी खेल । चउचाळक-पु० कछुपा। चंबक-देखो 'चुबक'। चउडोतरसउ-देखो 'चौड़ोतरसौ' । चंबल-स्त्री० राजस्थान की प्रसिद्ध नदी। चउतरौ-देखो 'चबूतरौ'। चंबुक-देखो 'चुंबक'। चउत्थ-पु. १ चार दिन का उपवास (जैन)। २ देखो 'चौथ' । च बेली-देखो 'चमेली'। ३ देखो 'चौथी। चमांट-देखो 'चिमटी'। चउत्थौ, चउयु-देखो 'चौथी' । चम्मर-देखो 'चंवर'। चउत्रीस-देखो 'चौतीस' । वंबर-पु० [सं० चामर] चामर, चंवर, चौंरी । -वि० श्वेत, चउथ, (थि, थो)-१ देखो 'चौथ' । २ देखो 'चौथी' । सफेद * । -गाय-स्त्री० सफेद बालों की पूछ वाली गाय ।। चउथउ, चउयो-देखो ‘चौथौ'। --दार-पु० चंवर डुलाने वाला सेवक । चउवंती (तो)-पु० [सं० चतुर्दन्ती] १ इन्द्र का हाथी, ऐरावत । चंवरी-स्त्री० १ घोड़े के पूछ के बालों का छोटा चामर । २ एक प्रकार का घोड़ा। -वि० चार दांत वाला। २ विवाह की वेदी । ३ विवाह के समय वर पक्ष से | चउदस, चउवसी-देखो 'चोदस'। लिया जाने वाला एक कर । ४ एक लोक गीत । ५ सफेद चउदह, (इह)-देखो 'चवदै'। पुंछ वाली गाय । -दापो-पु० पाणिग्रहण संस्कार के बाद चउपट-क्रि०वि०१ खुले आम । २ देखो 'चौपट । कुलगुरु को दिया जाने वाला द्रव्य । चउपन-देखो 'चौपन' । चंबरी-पु० १ सफेद बालों की पूछ वाला बैल । २ छाजन । चउफळा-क्रि०वि० चारों ओर । ३ स्नान करते समय मल उतारने का उपकरण । ४ छोटा | चउरसउ--वि० [सं० चतुस्र] १ चौसर, चौकोर । २ चार । चामर । चउरांग (ए)-देखो चौरांगू' । चवळाई-१ देखो 'चंदळाई' । २ देखो 'चंवळेरी'। चउरासियौ-देखो 'चौरासियौ'। चंबळरी (छोड़ी)-स्त्री० चौंले की दाल, चौंले की फली। चउरासी-देखो 'चौरासी' । चंबली-पु० चौंला नामक द्विदल अनाज, राजभाष । चउरित्र, चउरिमा, चउरि (री, प्रा)-१ देखो 'चंवरी'। च वार-स्त्री० मूग, मोठ आदि के पुष्प । २ देखो चूरी'। चं वाळियौ-पु. बड़े-बड़े पत्थर ढोने वाला मजदूर। चउवीस-देखो 'चौईस'। च-पु० [सं०] १ चन्द्रमा । २ चकवा । ३ चोर । ४ दुर्जन। चउवीसमउ-देखो ‘चौईसमो' । ५ कच्छप । ६ मुख । ७ समूह । ८ प्रालिंगन । ६ ज्वाला। चउवीह-क्रि० वि० [सं० चतुर्विधित् ] चार प्रकार से । १० अग्नि । ११ संपत्ति । १२ ग्रह । -वि० १ मनोहर । | चउसट्ठि (ठि)-देखो 'चौसठ' । २ मुर्ख । -अव्य० और, तथा। | चउसाळउ-देखो 'चौमाळा'। For Private And Personal Use Only Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भउहट्ट थका चउहट्ट (हट्टइ)-देखो 'चौवटो' । चकबंधु-पु० [सं० चक्र-बंधु] सूर्य । चउहूंगमाह-क्रि० वि० चारों ओर । चकबस्त-पु० भूमि की हदबंदी । चऊ-स्त्री० हल की नोक के नीचे लगी रहने वाली एक छोटी चकबी-देखो 'चकवी'। __नुकीली लकड़ी। चकमक-स्त्री० [तु०१ एक प्रकार का पत्थर जिसमें घर्षण से पाग चऊद, चऊदह, ()-देखो 'चवदै'। पैदा होती है। २ वह यन्त्र जिसमें उक्त पत्थर लगाकर चऊदमई-देखो 'चवदमौ'। प्राग जलाई जाती है, लाइटर । ३ चमक-दमक । बऊपट-देखो ‘चौपट'। ४ प्राग, अग्नि । चकरस-पु०१ छै वर्ण का एक वृत्त । २ देखो 'चौरस'। चकमार-देखो 'चूकमार'। चक-पु० [सं० चक] १ जमीन का बड़ा भाग, भू-खण्ड । चकमाळा (ळी)-स्त्री० छेड़छाड़ । २ हठ, जिद्द । ३ दांतों से काटने की क्रिया या भाव । चकमौ-पु० [सं० चक्र-भ्रांत] १ भुलावा, भ्रम । २ धोखा। ४ दांतों से काटने का चिह्न। ५ दिशा । ६ पृथ्वी, जमीन । । ३ हानि, नुकसान । ४ एक प्रकार का ऊनी वस्त्र । ७ देखो 'चक्र' । -क्रि० वि० ओर, तरफ । -वि० चकर-पु०१ चक्कर, फेरा । २ चक्र-पहिया। -प्रणदीठ, प्रदीठ, संतुष्ट, तृप्त। प्रदीठी, प्रदीठो-पु. देवी आपत्ति या प्रकोप । -धर, चकई-स्त्री० मादा चकवा, चकवी । धरण='चक्रधर'। चकड़ीकम-वि० १ स्तब्ध, चकित । २ प्रज्ञा शून्य । चकरड़ी-देखो 'चकरी'। चकडीटोप-पु. शिरस्त्राण, लोहे का टोप । चकरवरती-देखो 'चक्रवरती'। चकचक, (काहट)-स्त्री० १ पक्षियों का कलरव चहचाहट । चकरापो (बी), चकरावणी (बी)-क्रि० १ विस्मित या २ बकवास, जनरव । ३ लोकोपवाद । ४ चर्चा । ५ निदा। चकित होना । २ स्तब्ध या भौंचक्का होना। ३ वात चकचकी-स्त्री० १ एक प्रकार की छुरी। २ देखो 'चकचक' । विकार से शिर में चक्कर आना । ४ भ्रम में पड़ना । चकचक्क-देखो 'चकचक'। ५ बुद्धि चकरा जाना। चकचाळ-स्त्री० १ चर्चा । २ बात की शुरुग्रात । ३ छेड़छाड़। चकरायत-वि० शूरवीर ।। चकचाळी-पु. १ उपद्रव, उत्पात । २ युद्ध, लड़ाई। चकरियो-पु. १ जुलाहों का एक औजार । २ देखो 'चक्र' । चकचूदियो (ध, चूधियो)-पु० १ चकाचौंध । २ शाम का चकरी-स्त्री० [सं० चक्रिका] १ वृत्ताकार घूमने वाला कोई धुंधला वातावरण । ३ बाह्य प्रदर्शन, तड़क-भड़क । छोटा चक्र । २ फिरकी, फिरकनी । ३ छोटी गिरी। ४ चू-चू करके गोल घूमने वाला झूला। -वि० आकर्षक । ४ डोर लपेटने की चरखी। ५ प्रातिश बाजी। ६ ढेर, मनोहर, सुन्दर । समूह । ७ एक प्रकार की लता व उसका फल । ८ देखो चकचूर (ण)-पु० [सं० चकृचर्ण] १ नाश, ध्वस, विनाश । | 'चक्रो' । -वि. १ भ्रमित । २ अस्थिर, चंचल । २ मर्दन । ३ चूर-चूर, खण्ड-खण्ड । -वि० १ मदोन्मत्त, नशे में चूर । २ मग्न, मस्त । ३ तल्लीन । चकळ (ळी)-वि० भ्रमित । चकचोळ-वि० १ क्रुद्ध, कुपित । २ लाल । ३ मादक, मदयुक्त । चकळोटो (लो)-पु० [सं० चक्रलोट] १ रोटी बेलने का चकला । -स्त्री. १ क्रीड़ा । २ लाल नेत्र । ३ चपलता, चंचलता। २ चौराहा, कटला । चकचौंध (चौह)-देखो 'चकाचौंध' । चकव-देखो 'चकवा'। चकडोळ (डोळ)-वि० १ उन्मत्त, पागल । २ मुर्ख । -स्त्री चकवत (ती, तो)-देखो 'चक्रवरती' । १पालकी डोली। २ मादकता, खुमारी। ३ शव ले जाने चकवन-देखो 'वगताई'। का उपकरण। चकवाय-देखो 'चकवौ। चकत-१ देखो 'चगताई' । २ देखो 'चकित' । | चकवाविरह-पु० चक्रवाक पक्षी को विरह में जानने वाला, चकतो, (तो, त्यो, थो)-पु० १ दंतक्षत । २ खंड, टुकड़ा । चन्द्रमा । ३ रक्त विकार के चिह्न। ४ देखो 'चगताई'। चकवे (वै)-देखो 'चक्रवरती'। चकनचूर, चकनाचूर-वि० १ टूक-टूक, खण्ड-खण्ड । २ थका चकवो-पू० [सं० चक्रवाक (स्त्री० चकवी) १ चक्रवाक नामक हुना, क्लांत । पक्षी। २ एक प्रकार का घोड़ा। चकपत्त-पु० दिग्पाल । चकस्या-देखो 'चिकित्सा'। चकबंदी-स्त्री कृषि भूमि की सीमाबंदी का कार्य । चका-देखो 'चक्र' । For Private And Personal Use Only Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चकाचक www. kobatirth.org ( ३७४ ) चकाचक - वि० १ घी तेल प्रादि से तरबतर । २ चकचक । चकाध, चकाचौंध ( धी) - स्त्री० १ अत्यन्त तीव्र प्रकाश | २ अत्यधिक तड़क-भड़क । ३ तीव्र प्रकाश से प्रांखों की स्थिरता, चौंधापन । ४ तिलमिलाहट । चाबंध-० [सं०] चक्रबंध] सेना, फौर 1 चावोह (बी. बो)पु० [सं० चक्रह १ सेना, फौन २ सैन्य संगठन । ३ प्रक्रमरण हमला । ४ युद्ध, समर । ५ कोलाहल, हल्ला । ६ झुण्ड समूह | बहार पु० १ वर्णमाला का 'च' वर्ण २ गोलाकृति, वृत्त । ३ चारणों की जागीरी । ४ जमघट, भीड़ । ५ योनि । चकारी ०१ पेरा, चक्कर, घुमाव २ घुमाने की क्रिया । ३ दन्तक्षत । ४ समूह ढेर ५ बंध, बंधन, गांठ । ६ म्यान या शस्त्रों का आवरण । चकावळ-पु० [० घोड़ों के पांवों का एक रोग । वकास - वि० [सं० चकासृ दीप्तो ] १ चमकने वाला, प्रकाश युक्त । २ झगड़ालु । चकासौ-पु० १ लड़ाई झगड़ा २ प्रकाश, चमक afer - वि० ९ श्राश्चर्य युक्त विस्मित । २ भयभीत, स्तब्ध | fin० [सं० चीवन्त गधा। ant - देखो 'चक्की' । चकीय-स्त्री० चकवी । चकली - वि० [स्त्री० नकीली) १ सुन्दर छबीला २ चकमा देने वाला । चकु-देखो 'चाकू' | चकोट पु० चन्द्रमा । चकोतरौ पु० बड़ा नींबू । चकोर (डी) १० [सं०] १ एक प्रकार का बड़ा तीतर। २ एक वृत्त । वि० सावधान, सतर्क बंधु पु०वर्ण - । चन्द्रमा । } चक्क-१ देखो 'चक' । २ देखो 'चक्र' । — धरौ 'चक्रवरती' । arer - देखो 'कवी' । चक्की - स्त्री० [सं० चक्र ] १ अनाज पीसने का यन्त्र । २ चौकोर काटी हुई मिठाई ३ दातों से काटने का निशान । ४ तलवार । ५ आर्या छन्द का एक भेद । फेरा। arकर पु० [सं० चक्र ] १ घूमने-फिरने या घुमाने की क्रिया । २ चक्कर, फेरा, घुमाव | ३ पहिये का घुमाव, ४ व्यर्थ का आवागमन । ५ वात विकार से शिर की चकराहट । ६ जटिलता, उलझन । ७ पानी का भांवर | ८ जंजाल । ९ बलि पशु पर किया जाने वाला प्रहार । १० तलवार । ११ रास्ते का घुमाव । १२ देखो 'चक्र' | --- जीवन - पु० कुंभकार, कुम्हार । वार - वि० जिसमें चक्र हो। उलभागपूर्ण चक्करवरती, वरुड, चक्कवहि, पस्वत चक्क नकसिदेखो चक्रवरती' | चक्कौ - देखो 'चक्र' । चक्ख-१ देखो 'चख' । २ देखो 'चक' | खो-देखो 'चक्की | चखेव - देखो 'ख' । aru - वि० [सं० चकित] चकित स्वध च-देखो 'चांग चक्रंगी-स्त्री० [सं० चक्रांकी ] १ मादा हंस, हंसिनी । २ देखो 'चक्रांग' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चक्र - पु० [सं०] १ भगवान विष्णु का श्रायुध । २ पहिया । ३ हथियार, शस्त्र । ४ कुम्हार का चाक | ५ तेली का कोल्हू । ६ गोला. वृत्त. मण्डल । ७ दल, समूह | ८ राष्ट्र, राज्य । ९ प्रान्त । १० सेना, फौज । ११ सैनिक व्यूह । १२ युग । १३ अन्तरिक्ष । १४ भंवर । १५ नदी का घुमाव । १६ चक्रवाक । १७ वायु, पवन । १८ वायु का गोला । १९ वृत्ताकार गति । २० राजा नृप । २१ देवी का एक शस्त्र । २२ योग के षड्चक्र । २३ फेरा, चक्कर। २४ घेरा, वृत्त । २५ परिधि । २६ क्रोध, रोप । २७ सर्प । २८ विस्मय, ग्राश्चर्य । २९ भ्रम भूल । ३० सामुद्रिक 1 चिह्न । ३१ शरीर पर लगाये जाने वाले चिह्न विशेष । ३२ कुत्ता । ३३ काव्य रचना का एक भेद । ३४ एक छन्द विशेष | ३५ नदी की गूंज । ३६ सभा । ३७ अनाज पीसने का यंत्र । ३८ विष्णु पूजन के समय शरीर पर लगाया जाने वाला चिह्न । ३९ फेर दौर। ४० कुंभकार । ४१ तेली । ४२ जासूस । —प्रंग 'चांग' | --कुंड पु० नव्यूह का मध्य भाग । -चर- पु० तेली । कुम्हार | -जीवक पु० कुम्हारसाळ- संगीत की एक ताल तीरथ पृ० तुरंगभद्रा नदी किनारे का एक तीर्थ -दंड- पु० एक प्रकार का व्यायाम । - इंस्ट्र- पु० सूअर | -धर, धरण, धारि, धारी- पु० श्रीकृष्ण । श्रीविष्णु । सूर्य । सर्प, सांप। बाजीगर । पारण (रिप, रणी) - पु० श्रीविष्णु । श्रीकृष्ण । --पाद-पु० रथ । गाड़ी । - फळ- पु० एक अस्त्र विशेष बंध- पु० एक प्रकार का चित्रकाव्य । -- बंधु बांधव पु० सूर्य । भ्रत- पु० चक्रधारी भगवान । —भेदिनी स्त्री० रात्री । -भ्रमर-पु० एक प्रकार का नाच मंडळ- पु० एक प्रकार का नृत्य । -मडळी पु० धजगर, सर्प मुख० सूझर मुद्दास्त्री शरीर पर लगे विष्णु प्रायुध के चिह्न | । For Private And Personal Use Only - --- Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ० [सं०] रथ चक्रत- देखो 'चकित' । चति-देखो 'पति' । चक्रवत ( त, ति, ती ) - स्त्री० १ एक वणिक छन्द विशेष । २ देखो 'चक्रवरती' । चक्रवरत (ती) - पु० [सं० चक्रवर्तिन् ] स्वामी, राजा, सम्राट । २ बायें घोड़ा । ३ बड़ा राजा । ४ राजा । चांग-पु० चौथे समुद्र में स्थित एक पर्वत चक्रवाक - पु० [सं०] १ चकवा पक्षी । चारों पर सफेद, शरीर पीला व नेत्र - वि० पीता, पीत वियोग- पु० चन्द्रमा । । । चक्रवाळ - पु० १ एक प्रसिद्ध पौराणिक पर्वत । २ घेरा । ३ वृत्त, मण्डल । चक (ति ती) देखो 'चरत' । www. kobatirth.org ( १०५ ) ९ श्रासमुद्रांत भूमि का पार्श्व में भौरी वाला २ वह घोड़ा जिसके श्याम वर्ग के हों । निह्न । चांग-पु० [सं०] [स्त्री० वी १ हंस ३ रथ या गाड़ी । ४ कुटकी नामक औषधि | चक्रांस- पु० [सं० चक्रांश ] राशि चक्र का ३६० वां अंश । चक्रा पु० सर्प, सांप | चक्रिक - वि० [सं०] नक्रधारी । चकित देखो 'लकित । चकिन- देखो 'चकी' । चक्रात - पु० चक्र, चक्रव्यूह - वि० स्तंभित । चक्राथ पु० [सं०] कौरव पक्ष का एक योद्धा । चक्रायुध - पु० भगवान विष्णु । चक्राळ-पु० रथ, गाडी 1 चावळ - पु० घोड़ों के पैरों में होने वाला एक रोग । चक्रि-१ देखो 'पत्र' २ देखो 'वो' चक्रियवंत पु० गधा । चक्रियां वि० त्रधारी चक्री- पु० [सं० चक्रिन् ] १ धारी । ४ देवी, दुर्गा ७ देखो 'चकरी' । गधा । चक्रेश्वर (री) - स्त्री० राठोड़ों की कुल देवी । | चकवीर पु० [सं०] सूर्य चक्रब्युह, चक्रव्युह (व्यूह, व्यूह ) - पु० [सं० चक्रव्यूहः । युद्ध के चखतौ - देखो 'चगताई' | समय सेना की व्यूह रचना विशेष । २ चक्रवाक । पु० [सं०] चलु १ ३ लड़ाई झगड़ा । -एक-पु० दैत्य श्रीविष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ चक्र५ देखो 'चक्र' । ६ देखो 'चकित' । म । देखो 'नवरी' यांन पु० ख चखचकचक' | चांधी- देखो 'नानी' । चखचू दरी स्त्री० छू दर नामक जीव । खी-देखो का २ष्टि नजर [फा०] ४ घोड़ों के जबड़ों का एक रोग । एकदा काना , चक्र सुदसरण - देखो 'सुदरसगणचक्र' । चक्रांक- ० [सं०] गरौर पर लगाये जाने वाले विष्णु प्रायुध के | जखमग पु० [सं० पशुमार्ग] वष्टि-यच नजर । 9 चखा० [सं०] चक्षु अवस्] सर्प मां चखांमज्जीठौ-वि० लाल नेत्रों वाला, क्रोधित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ख] ० (स्त्री० मधी १ बहुत छोटी-छोटी व धुंधली नजर वाला । २ धुंधला व चमकीला । चखचौध-देखो 'चकाचौंध' | चखचौळ - वि० १ रक्ताभ नेत्र वाला । २ क्रुद्ध, कुपित । चखरण - स्त्री० १ चखने की क्रिया या भाव, स्वाद । २ चखने का पदार्थ । (ब) देखो 'बा' (बो चखताळ-पु० एक प्रकार का पकाया हुआ मांस । चखदेव पु० [सं० [देव] स्वामिकात्तिकेय । चख सहस - पु० शेषनाग । बाहर पु० [सं० द्वादश चक्षु] स्वामि कार्तिकेय । अगर For Private And Personal Use Only खांसर - ० [सं० सर्व चक्षु ] सूर्य, रवि । वाणी (बी) चावली (ब) क्रि० १ किसी वस्तु को बचाना, - स्वाद लेने के लिए प्रेरित करना २ अनुभव कराना । ३ थोड़ा सा खिलाना । चखि, खु, चख - देखो 'चख' । चखड़ाई स्त्री० खड़ा चारण की पुत्री एक देवी । चक्खु - देखो 'चख' । चग स्त्री० १ एक प्रकार की घास । २ तंतु क्षुप । गबाट देखो 'ववाहट । चगणी (बी) - क्रि० १ बूंद-बूंद टपकना, चुना रिसना । २ चिढ़ना, गुस्सा करना । ३ बहकना, धोखे में प्राना । ४ चूकना भूलना । चगत, चगतांण, चगताई, चगताळ चचगणी, चना एशिया का एक तुर्की वंश । मुसलमान । ४ चंगेजखां का पुत्र । चगदायळ - वि० घावों से पूर्ण, घायल | चगदी पु० १ पाव, क्षत, पोट २ वर्गे । निशान ४ कुचलने का भाव । ५ लुगदी । अगर स्त्री० घोड़ों की एक जाति । । चगताह, चगतो, चगस्थ, चगताई से चला मध्य २ बादशाह । ३ यवन, ३ चोट का Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चटपट चगाणी (बी), चगावणी (बो)-देखो "चिगाणी' (बी)। -वि० १ चंचल, चपल । २ नाजुक, नखरे युक्त। चगाहट-पु० १ ध्वनि, पावाज, जनरव, चकचक । २ कीर्तिगान। ३ चटपटा, चरपरा, तीक्ष्ण । ४ शोख । ५ फुर्तीला, तेज । चई'-देखो 'चड़स'। चटकउ-देखो 'चटको'। नखणी (बो)-क्रि० १ नुसना । २ चाटना । ३ क्रोध करना । | चटकणी-देखो 'चिटकणी'। चड़खाणो(बो), चड़खावरणौ (बी)-क्रि०१ चूसाना । २ चटाना। चटकणी-वि०१ चटकने वाला, टूटने वाला। २ चलने पर चट__ ३ गुस्मा दिलाना। चट ध्वनि होने वाला। (बैल, अशुभ)। चड्ड, चड़चड़-स्त्री० [अनुः] १ सूखी लकड़ी के टूटने या चिरने | चटकरणो, (बी)-क्रि० १ चटकना, टूटना, तड़कना । २ चट-चट से उत्पन्न ध्वनि, चड़ड़ । २ पेय पदार्थ चूसने की ध्वनि । ध्वनि होना। २ विषला जंतु का काटना, डंक मारना। ३ दात भींच कर पानी आदि पीने की ध्वनि । चटकमटक-स्त्री० १ तड़क-भड़क । २ चटकीलापन । ३ नाजघड़णी (ौ)-देखो "चिड़णो' (बी)। नखरा । ४ चुलबुलाहट । घड़बड़ (भड़)-स्त्री०१ तकरार, बोल-चाल, लड़ाई, वाग्युद्ध । | चटकारणो, (बो). चटकावणो, (बी)-क्रि. १ 'चट' करते हुए २ बकझक । तोड़ देना, तड़काना । २ चट-चट ध्वनि करना । ३ विषेला बड़मड़रगो (बी)-क्रि० १ लड़ना, झगड़ना । २ क्रोध करना । जंतु का काटना, डंक, मारना। चड़भडारणो(बी), चड़भडावरणौ (बी)-१ लड़ाना, झगड़ा करना । चटकाहट-स्त्री०१ चटकने या तड़कने की क्रिया या भाव । २ क्रोध कराना । ३ ललकारना । २ कलियों के विकसित होने का भाव । बड़स-स्त्री० १ गांजे के पेड़ का गोंद जो अत्यन्त मादक होता| चटकियो-पु० वह बल जिसके पैरों से चटचट आवाज होती हो। है। २ कूए से पानी निकालने का चमड़े या लोह का बड़ा चटकी-स्त्री० १ छड़ी, बेंत । २ शीघ्रता, स्फूर्ति । ३ चट-चट पात्र, मोट । ध्वनि । ४ गाय बैल आदि की लात । चडसियो-वि०१कए पर 'चड़स' खाली करने वाला । २'चरस' | चटकीलो-वि० (स्त्री० चटकीली) १ चटक-मटक से रहने वाला पीने वाला । ३ देखो 'चड़स' । तड़क-भड़क वाला। २ नाज-नखरा । ३ जल्दी चटकने चड़ाचड़-स्त्री० १ चड़चड़ की ध्वनि । २ छोटी-छोटी या टूटने वाला। आतिशबाजी । ३ देखो 'चटापट' । चटको-पु० १ बिच्छु द्वारा डंक मारने की क्रिया। २ तड़कचड़ापड़-देखो 'चटापट'। भड़क । ३ नाज-नखरा । ४ प्रहार-चोट, मार । ५ दर्द, चड़ापौ-पु० प्रहार, चोट। कसक, टीस । ३ स्वर्ण साफ करने का मसाला । ७ दो चड़ियड़-स्त्री० चड़चड़ ध्वनि । लकड़ियों को जोड़ने के लिए लगाया जाने वाला लोहे का चड़ी--स्त्री० [सं० चटक] १ अधिक चर्बी से उत्पन्न सिकुड़न ।। टुकड़ा । ८ अगुलियां चटकाने की ध्वनि । ६ चट-चट शब्द २ अधिक दबाव से होने वाली ग्रंथि । ३ देखो 'चिड़ी' । या ध्वनि । १० टुकड़ा, खण्ड। ११ शीघ्रता, त्वरा । च डोकलौ-देखो 'चिडोकलौ' । (स्त्री० चडोकली) ----मटको-पु० नाज, नखरा । चड़ो-देखो 'चिड़ो'। चटक्क-देखो 'चटक' । चचपट-स्त्री० झांझ, मंजीरे की ध्वनि । चटक्कड़ौ-पु० १ प्रहार, चोट, पाघात । २ छड़ी प्रहार चचौ-पु. १ 'च' वर्ग । २ चाचा, काका । की ध्वनि । घचौक (क्क)-वि० [सं० चकित] १ विस्मित, चकित ।। चटक्करणो, (बौ)-देखो 'चटकरणो' (बो)। २ नौकन्ना । ३ भयभीत । ४ सशंकित । चटक्को-देखो 'चटको'। चच्चौ-देखो 'चचौ'। चज-पु० १ छल, कपट । २ लक्षण । ३ बुद्धि । चटचट-स्त्री० [अनु॰] १ चटकने, तड़कने या टूटने की चट-क्रि०वि० [सं० चटुल] तुरत, शीघ्र । -पु० १ गर्मी का ध्वनि । २ चटपट । दाग । २ घाव, जरूम । ३ छत पर कंकरीट जम ने की चाहरणी, (बी)-क्रि० १ जीभ से चाटना । २ चटचट शब्द क्रिया । ४ पर्वतीय चौड़ी शिला, चट्टान । ५ किसी कड़ी करना। वस्तु के टूटने की आवाज । ६ देखो 'चट्ट'। चटणी-स्त्री० १ धनिया, पुदीना आदि मसालो को पीस कर चटक--स्त्री० १ गर्व, दर्प, घमंड । २ एक प्रकार की चिड़िया । बनाया हुअा अवलेह । २ चाटने की वस्तु । ३ किमी ३ नारियल की गिरी का टुकड़ा । ४ चालाकी । औषधि का अवलेह । ५ चटकीलापन, चमक-दमक । ६ स्फुति, शीघ्रता। चटपट-स्त्री० शीघ्रता । -क्रि० वि० शीघ्र, तुरन्त । For Private And Personal Use Only Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चटपटाणो चढ़ाऊपरी चटपटाणो, (बी)-क्रि० १ शीघ्रता करना, जल्दी मचाना । चठ्ठी-पु० खुशी, उत्साह । २ आतुर होना । ३ घबराना । चडणी (बो)-देखो 'चढ़णी' (बी)। चटपटी-स्त्री. १ शीघ्रता, उतावली, त्वरा । २ बेचैनी । चडतव-पु० समुद्र, सागर । ३ अातुरता। ४ घबराहट । चडमा-वि० १ चढ़ने योग्य । २ उन्नत । ३ सवारी योग्य । चटपटौ-वि० (स्त्री० चटपटी) तेज मसालेदार, चरपरा । चडवा-स्त्री० वस्त्रों की बंधाई करने वाली जाति । चटळ-वि० [सं० चटुल] चंचल, चपल । चडबौ-पु. इस जाति का व्यक्ति । चटसाळ, (साळा)-स्त्री० पाठशाला, विद्यालय । चडाचड-स्त्री० १ लड़ाई । २ अाक्रमण, हमला । ३ चढ़ने चटालट-स्त्री०१ टक्कर, भिड़त । २ युद्ध । ३ गुत्थमगुत्था । उतरने की क्रिया। घटाई-स्त्री० १ घास-तृण आदि को बुनकर बनाया हुया चडारणी (बो)-देखो 'चढ़ाणी' (बी)। बिछावन, प्रासन । २ आभूषण विशेष । चडापौ-देखो 'चढ़ापौ' । चटाक-क्रि० वि० चट से, शीघ्र, तुरंत । चडावणो (बी)-देखो 'चढ़ारणो' (बो)। चटाको-पु० चट की आवाज, चटको। धडावी-देखो 'चढ़ापौ'। चटाचट-क्रि० वि० १ फटाफट, शीघ्र, तुरंत । २ चटपटी। चड़-देखो 'चाड'। चटारणी, (बो)-क्रि० १ चाटने के लिए प्रेरित करना, देना। | चरण-स्त्री०१ चढ़ने की क्रिया या भाव । २ उप्रति । २ अवलेह आदि पदार्थ अंगुली पर लेकर किसी के मुंह में ३ विकास । --सितबारण-पु० इन्द्र । देना । ३ रिश्वत देना । ४ नाजायज ढंग से किसी को कुछ | चढ़रणो (बी)-क्रि० [सं० उच्चलन] १ नीचे से ऊपर या ऊंचाई खिलाना या सहायता देना। पर जाना । ऊपर चढ़ना । २ ऊपर उठना । ३ बढ़ना, चटापड़, चटापट, (टी)-देखो 'चटपटी'। विकसित होना । ४ उन्नति करना । ५ आगे बढ़ना । चटावरण-पु० चाटने योग्य पदार्थ । ६ सिकुड़ना, तंग होना । ७ उड़कर छा जाना । चटावरणी, (बौ)-देखो 'चटाणो' (बी)। ८ आवेष्टित होना, आवरण युक्त होना । ९ अाक्रमण के चटियो-देखो 'चिटियो। लिए तैयार होना, लड़ाई के लिए तैयार होना । १० सवारी चटी-स्त्री० १ लड़ाई, मुठभेड । २ कुश्ती । ३ चिड़िया ।। करना । ११ बाजार भावों का बढ़ना, तेजी माना। -वाळ-वि० लड़ने वाला, झगड़ालु । १२ नदी का पानी बढ़ना, वृद्धि होना । १३ किसी की चटु-पु० [सं०] १ प्रिय वचन । २ चापलूसी भरे शब्द । ३ पेट। शरण लेना, आश्रय लेना । १४ प्रस्थान करना, रवाना ४ कनिष्ठा अंगुली। ४ देखो 'चट्ट' । होना । १५ वाद्यों में खिचाव दिया जाना स्वर से अधिक चटुड़ी-स्त्री० कनिष्ठा अंगुली। बढ़ना। १६ नैवेद्य आदि देव मूर्ति या मंदिर में अर्पित चीड़ो-देखो 'चट्ट' । होना, भेंट होना, समपित किया जाना । १७ अंकित होना, चटल-वि० धूर्त । -पु. शीघ्रता का भाव । लिखा जाना । १८ निश्चित तिथि या अवधि से अधिक घटोकड़ो, चटोरौ-देखो 'चट्टो'। (स्त्री० चटोकड़ी, चटोरी) समय होना । १६ देय होना, बाकी निकलना । २० ऋण चट्ट-स्त्री० १ चोटी । २ विद्यार्थी । ३ देखो 'चट' । आदि बढ़ना । २१ अावेश या जोश पाना । २२ पकने के -साळ='चाळ'। के लिए पांच पर रखा जाना । २३ रोगन प्रादि का लेपन चट्टारण-स्त्री० प्रस्तरखण्ड, शिलाखण्ड । होना । २४ पसंद पाना, अच्छा लगना । २५ सामूहिक चट्टी-स्त्री० १ पड़ावस्थल । २ मंजिल । ३ देखो 'चटी'। प्रयारण करना । २६ नशे का प्रभाव होना । २७ लदना, ४ देखो 'चट्टो'। माल लादा जाना। चट्ट, चट्टी-वि० (स्त्री० चट्टी) १ स्वादिष्ट भोजन खाने का लोभी, माल मलीदा खाने वाला, स्वादू । २ रसलोलुप, चढ़ती-वि० (स्त्री० चढ़ती) १ अधिक । २ उन्नत, बढ़कर । लोभी। ३ चोटो. चोटी, शिखा । -क्रि०वि० वृद्धि या उन्नति की पोर । चठठ-स्त्री० बोझा लदी गाड़ी से चलते समय होने वाला चढ़ा-देखो 'चडमों। चटचट शब्द। चढ़ाई-स्त्री. १ चढ़ाई, चढ़ने की क्रिया । २ भूमि या रास्ते की चठठरणी (बौ)-देखो 'चटणी ' (बी)। ऊंचाई। ३ अाक्रमण या हमले का प्रयाण । ४ चढ़ावा । चठठाक (ख)- खो 'चठठ'। ५ उन्नति । चठमट्टी-दि० कृपण, कजूस । बड़ाऊपरी-स्त्री० प्रतिम्पर्धा । For Private And Personal Use Only Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चड़ाक । ३७८ ) चतुरघ बढ़ाक-वि० चढ़ने वाला, चढ़ने में दक्ष । सवारी करने में | चणायकां-स्त्री. १ चाणक्य नीति के श्लोक । २ इन श्लोकों ___ निपुण। की पुस्तक। चढ़ाचढ़ी-स्त्री० प्रतिस्पर्धा । प्रतियोगिता। | चणारी-स्त्री० १ एक प्रकार का काला जंतु । २ पैर के तलवे बढ़ाणी (बो), चढ़ावणी (बी)-क्रि० १ नीचे से ऊपर जाने के में होने वाला मोटा फफोला। लिये प्रेरित करना, ऊपर चढ़ाना। २ ऊपर उठाना। चरणौ-पु० [सं० चरणक] १ रबी की फसल में होने वाला ३ बढ़ाना, विकसित करना। ४ उन्नत करना, तरक्की प्रसिद्ध द्विदल अन्न । २ इस अन्न का पौधा । देना। ५ आगे बढ़ाना। ६ सिकोड़ना, समेटना, ऊपर | चत-देखो 'चित' । करना। ७ उड़ाना । ८ आवेष्टित या प्रावरण युक्त | चतड़ाचौथ-स्त्री० भादव शुक्ला चतुर्थी, गणेश चतुर्थी । करना । १ आक्रमण के लिये तैयार करना, उद्यत करना।। चतमाठो-देखो 'चितमठौ'। १० सवारी कराना। ११ भावों में तेजी लाना, बढ़ाना। चतरंग-स्त्री० १ चतुरंगिनी सेना । २ शतरंज । ३ चित्तौड़गढ़ । ११ वृद्धि करना । १३ किसी की शरण में जाने के लिये -वि०१ चतुर, निपुण, दक्ष । २ चालाक । प्रेरित करना । १४ रवाना करना। १५ वाद्यों को तनाव चतरगंणी-देखो 'चतुरंगिनी'। देकर स्वर युक्त करना। १६ नैवेद्य आदि भेंट करना, | चतर-देखो 'चतुर'। -भुज-'चतुरभुज'। समर्पित करना । १७ अंकित करना, लिखना। १८ अवधि चतरणौ (बौ)-क्रि० १ चित्रकारी करना। २ चित्रण करना। से अधिक समय होने देना । १९ देय या बाकी निकालना। चतरांम-देखो 'चित्रांम'। २० ऋण बढ़ाना। २१ अावेश या जोश दिलाना। चतराई-देखो 'चतुराई। २२ पकने के लिये प्रांच पर रखना। २३ रोगन आदि का चतारण-पु० [सं० चतुरानन] ब्रह्मा । लेपन करना। २४ पसंद कराना, ध्यान में लाना। चतारो-देखो "चितारौ'। २५ प्रयाण कराना। २६ लदवाना, चढ़वाना । २७ पीना, | चतुरंग-पु० [सं०] १ सेना के चार अंग, रथ, हाथी, घोड़े और पी जाना। २८ वधू के लिये जेवर भेजना । २९ धनुष पैदल । २ सेना, फौज । की प्रत्यंचा कसना। चतुरंगण (णि, पो)-देखो 'चतुरंगिनी' । चढ़ापो (वौ)-पु० देव मन्दिर में चढ़ाया जाने वाला नैवेद्य, फल- चतुरंग पत (पति)-पु. चतुरंगिनी सेना का स्वामी, सेनापति फुल, द्रव्य आदि। या राजा। बढ़ीरो-पु० १ सवारी के लिये तैयार ऊंट या घोड़ा। चतुरंगिणी (नी), चतुरंगी-स्त्री० रथ, हाथी, घोड़े व पैदल २ चारजामा। चारों अंगों से पूर्ण सेना । -वि०१ दक्ष, निपुण । २ चार चण चरणउ, चरणक-स्त्री० १ शरीर में पड़ने वाली मोच, अंगों वाली। लचक । २ एक ऋषि का नाम । ३ देखो 'चरणों'। चतुरंत-वि० [सं० चतुर्थ] चौथा, चतुर्थ । बरणकार-पु०१चने का खेत । २ चने की बोवाई के लिये चतुर-वि० [सं०] १ निपुण, दक्ष, पटु। २ तीक्ष्ण बुद्धि तैयार की गई भूमि । ३ ध्वनि विशेष । सम्पन्न । ३ फुर्तीला, तेज। ४ चलता पुर्जा, होशियार। चरणग-पु० १ चिनगारी । २ अग्निकण । ३ देखो ‘चणक'।। ५ भनोहर, सुन्दर, प्रिय। ६ अनुकूल। ७ धूर्त, चालाक । चरणणंक-स्त्री०१ रोमांचित होने का भाव। २ छन-छन की -पु० [सं० चत्वार] १ ब्रह्मा। २ चार की संख्या । प्रावाज। ३ कवि। ४ श्रृंगार रस का संभोग-चतुर नायक । पणणंकणी (बो)-क्रि० जोश या भय से रोमांचित होना। ५ कपट । चरण-स्त्री० १ रोमांचित होने का भाव । २ छन-छन की चतुरक-पु० चतुर व्यक्ति या नायक । पावाज । ३ तीर व गोलियों की बौछार की ध्वनि । चतुरगति-पु. कच्छप, कछुवा । चरणबाट (टियो, टो)-पु. १ विनाश, विध्वंस । २ बरबादी। चतुरजातक-पु० इलायची, दालचीनी, तेजपत्र व नागकेसर । ३ ध्वनि विशेष । ४ झन्नाटा। का मिश्रण। चरणरणारणी (बो)-क्रि० १ रोमांचित होना । २ झन्नाटा पाना । ३ चिनचिनाना। चतुरजुग-पु० चार युग। अपणो (बी)-देखो 'चुरगणो (बी)'। चतुरजोणि (जोगी)-पु० [सं० चतुर्यो नि] प्राणियों की चार चसाई-१ देखो ‘चणारी' । २ चुणाई। योनि, अंडज, जरायुज, स्वेदज, उभिज । परणाखार-पृ० चने के पौधे का सार । | चतुरथ-वि० [सं० चतर्थ] चौथा । For Private And Personal Use Only Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतरथी चतुरयो-स्त्री० [सं० चतुर्थी] चन्द्रमास के प्रत्येक पक्ष की चौथी चतरानन-पु० [मं ब्रह्मा । तिथि । -वि. चौथी, चतुर्थ । चतुरानम-पु० [सं० चतुराश्रम| मनुष्य जीवन की चार चतुरदंत (दंती)-पु. ऐरावत हाथी। अवस्थाएं, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, बागाप्रस्थ व संन्यास । चतुरवस-वि० [सं० चतुर्दश] दस व चार, चोदह । चतुरेस-पु० [स० चतुरेश] विष्णु । --वि० दक्ष, प्रवीण, निपुण । -स्त्री० चौदह की संख्या, १४ । चतुसकळ-वि० चार मात्रा वाला। चतुरदसी-स्त्री० [स० चतुर्दशी] प्रत्येक मास के प्रत्येक पक्ष चतसपद-पु० [सं० चतुष्पद १ चार पैरों वाला प्राणी । २ चार __ की चोदहवों तिथि। पदों वाला एक छन्द । -वि. चार मात्रामों वाला। चतुरद्रस्ट्र-पु० [सं० चतुष्ट्र] १ ईश्वर । २ स्वामि कात्तिकय । चतसपदी-स्त्री० १ प्रत्येक चरण में १४ मात्रा वाला एक छन्द । ३ एक राक्षस का नाम । २ चार पद का एक गीत। चतुरदिक, (दिस)-स्त्री० [सं०] चारों दिशाएं । -कि० वि० चतुस्कोरण-वि० [सं० चतुष्कोण चार कोणों वाला। चारों ओर। चतुस्ट्य-पु० [सं० चतुष्ट्य] १ चार वस्तुओं का समूह । चतुरधाम-पु० चारों धाम तीर्थ । २ चार की संख्या । ३ जन्म कुण्डली में केन्द्र लग्न और चतुरपणई-पु० चातुर्य, चतुराई । लग्न से सातवां तथा दसवां स्थान । चतुरपदी-पु० १ चौपाया जानवर । २ एक मात्रिक छंद विशेष ।। चतुस्पथरता-स्त्री० एक स्कन्द मातका । चतुरबाह (बाहु)-पु० [सं० चतुरबाहु] चारभुजा वाला देव ।। चतस्पद-देखो 'चतुसपद'। चतुरबह-पु० [सं० चतु! ह] १ चार पदार्थों का योग । २ चार चतुस्पदा-देखो 'चतुमपदा । मनुष्यों का समूह । ३ विष्णु । चतस्पदी-देखो 'चतृसपदी'। चतुरभुज-पु० [सं० चतुर्भुज] १ विष्णु प्रादि चार भुजा वाले चतस्पारणी -वि० [सं० चतुप्पाणि] चार हाथ वाला । देव । २ मंगल ग्रह । ३ सूर्य । ४ ब्रह्मा । ५ परमेश्वर । -पु० विष्णु, ब्रह्मा आदि देव । ६ दुर्गा, देवी। - वाहण-पु० गरुड़ । हंस। चत्ति-देखो "चित'। चतुरभुजा-स्त्री० [सं०] गायत्री प्रादि चारभुजा वाली देवियां । चत्रंग-१ देखो 'चात्रंग' । २ देखो 'चतुरंग' । ३ देखो "चित्तौड़। चतुरभुजी-स्त्री० [सं०] १ एक वैष्णव सम्प्रदाय विशेष । २ इस चत्रं गढ़-देखो 'चित्तौड़'। सम्प्रदाय का अनुयायी । ३ विष्णु । ४ दुर्गा, देवी । ५ एक | चत्र-देखो 'चतुर'। प्रकार की तलवार। चत्रकोट, (कोठ, गढ़ )-पु० चित्तोडगढ़ । चतुरमास-पु० [सं०] वर्षा ऋतु के चार मास । चत्रधा-वि० चार प्रकार का। चतरमूख-पु० [सं०] १ ब्रह्मा । २ विष्णु । ३ अनिरुद्ध का एकचत्रबांह (बाह)-पू० योद्धा, वीर। नाम । ४ सगीत में एक ताल । -वि० चारमुख वाला। चत्रभरण (न,न)-देखो "चित्रभारण' । चतुरमुगती-स्त्री० सायुज्य, मामीप्य, सारूप्य व मालोच्य चार |चत्रभुज (भुज्ज. भूज)-देखो 'चतुरभुज' । प्रकार के मोक्ष। चत्रसाळ (साळा)-देखो 'चित्रमाळा' । चतुरवरग-पु० [सं० चतुर्वगं] अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष का चत्रांम-देखो 'चित्रांम'। समुच्चय । चत्र गु-देखो 'चतुरंग'। चतरवरण-पु० म० चतुर्वर्ण] १ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्व व शूद्र चत्र-वि० १ चार । २ देखो 'चतुर' । ___ चार वर्ण । २ अनिरुद्ध का एक नाम । चत्वर-पु० [सं०] चबुतरा या मंडप । चतुरविद्या-स्त्री० चारों वेदों को विद्या। चत्वरबासिनी-स्त्री० एक स्कन्द मातृका । चतुरविध-क्रि०वि० चार प्रकार से। चत्वार-वि० [सं० चत्वर चार। -पु०१ चबूतरा। २ चौराहा । चदिर-पु० [सं०] १ चन्द्रमा । २ हाथी । ३ भाप, सर्प । चतुरवेद-पु० १ चारों वेद । २ ईश्वर । ४ कपूर । चतुरा-स्त्री० नृत्य की एक मुद्रा। चनण-देखो 'चंदग'। -~-गो, गोह'चंदणगोह' । चतुराई-स्त्री०१ निपुणता, दक्षता, पटुता । २ धूर्तता, चालाकी । | चनरिणयो-पृ० १ चन्दन । २ चन्दन जैमा रंग । -वि० चन्दन के चतुराणण-देखो 'चतुरानन' । रग का। चतुरातमक-वि० कुशाग्र बुद्धि । चनरमा-देखो 'चंद्रमा' ।। चतुरातमाविग्य-पु० अनिरुद्ध का एक नाम । चनवाई, चनवापी-स्त्री० स्वर्ण मंडित हाथी दांत की चूडी । चतुरात्मा-पु० [सं०] ईश्वर । विष्ा । चनाब-देखो 'चिनाब'। For Private And Personal Use Only Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चनेषक ( ३८० ) चमा चनेयक-वि० थोड़ा, तनिक, किंचित । | चपळा-स्त्री० [सं० चपला] १ दुर्गा । २ लक्ष्मी । ३ बिजली चन्नरण-देखो 'चंदण' । ----गो', गोह- 'चंदरणगोह'। विद्युन । ४ पुश्चली स्त्री, कुल्टा स्त्री। ५ जिह्वा, जीभ । चप-क्रि०वि० १ तुरन्त, फौरन, चट । २ अकस्मात, यकायक । ६ पिप्पली वृक्ष । ७ मदिरा । ८ प्रार्या छंद का एक भेद । चपक-पु० मेना का वाम भाग । -क्रि०वि० शीघ्र, तुरन्त ।। -वि० पीला*। चपकणौ (बौ)-देखो 'चिपकरणो' (बी)। चपळाई (लात)-स्त्री० चपलता, चंचलता। चपकारणी (बो), चपकावरणौ (बो)-देखो 'चिपकारणो' (बी)। चपलाहार-पु० हार विशेष । चपको-पु० रोग के स्थान पर लोहे की गर्म सलाका से दग्ध चपलु-देखो 'चपळ' । करने की क्रिया। | चपळी-पु० १ एक प्रकार का घोड़ा। २ देखो 'चपळ' । चपड़-चपड़-स्त्री० १ चप-चप की ध्वनि । • बकवास, हुज्जत । चपाचप-क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत । चपड़ास स्त्री० १ चपरासी का बिल्ला । २ मालखंभ की एक चपेट-स्त्री० १ तमाचा, थप्पड़ । २ वेग पूर्ण चलती हुई वस्तु कसरत। ! को लपेट, धक्का, झौंका, रगड़ । ३ मार करने की परिधि । थपड़ासी (रासी)--पु० (स्त्री० चपड़ासण) १ राज्य का छोटा चपेटणी (बौ)-क्रि० १ तमाचा या थप्पड़ मारना, पीटना। कर्मचारी । २ अनुचर, परिचायक । । २ वेग में लपेटना, झौंका देना, आघात करना । ३ मार चपड़ी-स्त्री० १ माफ की हई लाख जो मुहर लगाने के काम की परिधि में लेना । ४ दबाव में लेना। ___अाती है । २ तख्ती, पटिया । ३ परत । | चपेटारगी (बी), कपेटावरणी (बो)-क्रि० १ तमाचा या थप्पड़ चपड़ो-पु. १ शक्कर की चासनी की जमाई हुई पत्तरनुमा लगवाना । २ वेग में लपेटाना, झोंका दिराना, प्राघात मिठाई । २ अनाज का छिलका. भूसा । कराना । ३ दबाव में लिराना। चपट-१ देखो 'चपत'। २ देखो 'चपेट'। चप्पल-स्त्री० खुली ऐडी की पट्टीनुमा जूती। चपटणौ (बौ)-देखो 'चिपटणी' (बौ)। चबक-स्त्री० १ डर, शंका । २ चुभन । ३ पीड़ा, कसक । चपटाणी (बौ), चपटावरणौ (बी)-देखो 'चिपटाणौ' (बो)। चबकरणी (बो)-क्रि० १ चुभन होना, कसकना। २ भय खाना, चपटी-१ देखो 'चिमटी' । २ देखो 'चपटो' । (स्त्री०) शंका मानना। चपटौ-वि० (स्त्री० चपटी) १ सपाट, फैला हुआ, पथराया चबको-पु० १ सुई आदि नोकदार वस्तु की चुभन । २ ऐसी वस्तु हुमा । २ जिसमें उभार न होने, दबा हुमा, चिपका हुप्रा । के पाघात से होने वाला क्षत । ३ रह-रह कर उठने वाली चपणो (बो)-१ देखो 'चपणी' (बी)। २ देखो 'चिपकणो' (बी)। पीड़ा। बपत-स्त्री० [सं० चपट] १ थप्पड़ तमाचा । २ हथेली का चबरणौ (बो)-१ देखो 'चाबणो (बी)' । २ देखो 'चवणी (बी)'। प्रहार । ३ चोट, प्राघात । ४ हानि, नुकसान । ३ देखो 'चुभरणौ' (बौ)। चपदस्त-पु० सफेद पैर का घोड़ा विशेष । चबरक (को)-पु० १ विवाह में सह भोज की प्रणाली। २ देखो 'चबको'। चपरको-पृ० १ एक प्रकार का प्रहार । २ चुभन । ३ तीक्ष्ण चबलियो-देखो 'चबोलियो' । चबाणी (बी), चबावरणौ (बो)-क्रि० १ दांतों से कुचलना, चपळ-वि० [म० चपल) १ चंचल, अस्थिर। २ चस्त, फुर्तीला। चबाना। २ काटना, खाना। ३ नाजायज ढंग से हजम ३ कांपने या थरथराने वाला । ४ आतुर, व्यग्र । कर जाना। ५ जल्दबाज । ६ चुलबुला, नटखट । ७ अस्थाई, क्षणिक । | चबीरण (गो)-पु० १ चबैना । २ चुरबन । ८ कायर । नश्वर, निबंल । १० अविवेकी। पू० चबूतरी (रो)-पु० [सं० चतुरस्त, चत्वर] मकान के मागे या १ कामदेव । २पारा । ३ वेग । ४ मछली।५ बिजली। किसी खुले स्थान में, बैठने हेतु बनाया हा चौकोर व कछ ऊचा स्थान । ६ चातक पक्षी। ७ सुगंध द्रव्य । -क्रि०वि० शीघ्र, चल्दी। --भाव-पु० चंचलता। | चरणो-देखो 'चबीणो'। चबोलियौ-पु० छोटी डलिया। चपळता-स्त्री० १ चपल होने की अवस्था या गुण । २ चंचलता, | चम्बलियो-पु०१ पानी से भरा छोटा गड्ढ़ा । २ छोटी डलिया। स्फति । ३ चालाकी, धुर्तत। । ४ कंपन, थरथराहट । चम्बू-वि• वहुत चबाने वाला, चट्ट । ५ कायरता। चमकौ-देखो 'चबको'। चपळमती-वि० १ कुशाग्र बुद्धि । २ अस्थिर चित्त । चभड़-चमड़-स्त्री० १ किसी वस्तु को दांतों से चबाने की चपळवास-पु० गरुड़ । किया । २ चबाने से उत्पन्न ध्वनि । स्वाद। For Private And Personal Use Only Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चमक ain ( उ ) - देखो 'चमक' । चमंकी-स्त्री० १० १ तलवार । २ डुबकी । ३ देखो 'चमक' | धर्मको-देखो 'चमक' | चमंट - क्रि० वि० शीघ्र, तुरंत, चटपट । चमंड पु० विनाश तट मंडा-देखो 'चामुंडा' www.kobatirth.org 3 चमक- स्त्री० १ प्रकाश ज्योति । २ कांति, दीप्ति, प्रभा । ३ लज्जा, शर्म । ४ शंका, झेंप ५ कमर में पड़ने वाली लचक । ६ चौंकने की क्रिया या भाव। ७ भय, डर, आशंका ८ मिर्च मसाले आदि रखने का खानेदार पात्र । -आरती स्वी० तोरणद्वार पर सामू द्वारा दूल्हे की, थाल में दीपक रख कर की जाने वाली प्रारती । - चांदणी-स्त्री० ० रह-रह कर होने वाला प्रकाश । तड़कभड़क से रहने वाली कुल्टा स्त्री । -चोट-स्त्री० प्रचानक की चोट i Test - देखो 'चमकी' । चमकूर (बी) - देखो 'चमकणी' ( वो) । (३४ ) चमड़- पु० चमड़ा | मोस ० एक प्रकार का कर चमड़ी स्त्री० त्वचा चर्म । चमगादड़ चमगादड़ स्त्री० [सं० धर्मचटका] १ अंधेरे, निर्जन स्थान में उलटा लटका रहने वाला, उड़ने वाला एक प्राणी जो मांसाहारी भी होता है। २ चमगादड़ के समान उड़ने वाला प्राणी जो मांसाहारी नहीं होता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चमड़ी पु० १ जानवरों की बा २ वर्म चा चमचम- स्त्री० १ खोए की बनी एक प्रकार की मिठाई । २ देखो 'नमाचम' । चमचमाट, चमचमाहट-स्त्री० १ चमक, तड़क-भड़क । २ ज्योति, प्रकाश । चमचमारणौ (at) - क्रि० १ चमकना, प्रकाशमान होना । २ चमकाना, ग्राभा युक्त करना । anant - वि० (स्त्री० चमचमी) अधिक मिर्च मसालों वाला, तीकरण स्वादिष्ट, नमकीन । चमचाटक- स्त्री० चमगादड़ । चम -स्त्री० १ छोटा चम्मच । करने वाली । २ श्राचमनी । ਬਸ होना करना । ७ भय जागृत चमकचूड़ी - स्त्री० [सं० चमत्कृत] ग्राभूषण विशेष । चमको (ब) कि० १ प्रकाशित होना, ज्योतिष २ कांति युक्त या दीप्ति युक्त होना । ३ शर्म ४ पना, शंका करना । ५ लचकना । ६ चौंकना । खाना डरना । ८ चौकन्ना होना, सावधान होना होना । १० कौंधना दमकना । ११ उभरना, प्रगट होना । १२ प्रसिद्ध या प्रभावशाली होना । १३ भड़कना । चमकवाय पु० ऊंटों के होने वाला एक रोग । चमका (बो), मावी (यो क्रि० १ प्रकाशित ज्योतिर्मय करना । २ श्राभा या कांति युक्त करना, करना । ३ लज्जित करना । ४ पाना । ५ लचकाना । ६ चौकाना । ७ भयभीत करना, डराना ८ चौकन्ना करना, सावधान करना । ६ जागृत करना । १० उभारना, प्रगट करना । ११ प्रसिद्ध करना । १२ भड़काना । चमकीली - वि० (स्त्री० चमकीली ) १ चमकदार, ज्योतियुक्त, चमन - पु० [फा०] १ हरि क्यारी । २ उपवन बगीचा आभा या कांति युक्त । २ चौंकने वाला | फुलवारी ३ गुलजार । चमर-देखो 'वंबर | चमरक (ख, खौ) - स्त्री० चरखे का एक उपकरण । चमरबद (बंध) - पु० चमरधारी व्यक्ति, राजा, सम्राट । चमरबंबाळ - वि० १० १ महान, शक्तिशाली । २ वीर, बहादुर । २ योद्धा । ४ महान, तेजस्वी । चमरसिखा स्त्री० घोड़े की किलंगी । ३ चमचेड़ स्त्री० चमगादड़ । - पु० [फा० २ वापलूस । जुईची० [सं० चर्मयुक] शरीर के बालों की जड़ों में उत्पन्न होने वाला एक छोटा कीड़ा । चमटकार- देखो 'चमत्कार' | चमठाणी (बी) क्रि० कान ऐंठना, फोन पचना चमठी स्त्री० [सं० मुत्रुटी ] चुटकी । चमट्ठलौ (बौ) - क्रि० १ चुटकी में पकड़ता । २ चुटकी भरना । चमतकार - देखो 'चमत्कार' । चमतकारी- देखो 'चमत्कारी' । चमत्कररण - पु० [सं०] चमत्कार से कुछ होने की क्रिया । चमत्कार - पु० [सं०] १ श्रद्भुत घटना या कार्य । २ करामात, जादू । २ बाश्चर्य, विस्मय ४ उत्सव, तमाशा । ५ काव्योत्सर्ग | । चमत्कारिक (री० [सं०] १ सरकार प्रकट करने वाला, विलक्षण कार्य करने वाला । २ करामाती, सिद्ध । ३ विचित्र, विस्मयकारी । For Private And Personal Use Only मा] (स्त्री० [चमनी) १ नम , चमराळ (ळी) - ० १ मुसलमान, यवन । २ घोटा | ३ देखो 'चमरबंध' । चमरी-देखो 'चंवरी' । Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरूम चरखो चरस-पु०१एक ऋषि का नाम । २ नौ योगेश्वरों में से एक । | ७ चोर । ८ रेत, धूलि, रज । ९ सूअर । १० हाथी ३ चम्मच । का अनुचर । ११ चरने की क्रिया या भाव । १२ घास, चमसा-स्त्री० यज्ञ में आहुति देने का उपकरण, चम्मच, श्रवा । चारा। १३ किसी चीज के फटने से उत्पन्न चर्र की आवाज । समसोडूंद-पु० [सं०] प्रभास क्षेत्र के पास का एक तीर्थ ।। १४ विचरण । १५ जूग्रा । १६ मंगलवार । १७ ज्योतिष चमाचम-स्त्री० चमचमाहट, चमक, प्रकाश, कांति तेज। का देशांतर । १८ फलित ज्योतिष का एक योग । चमार-पु. स. चर्मकार] (स्त्री० चमारी) चमड़े का कार्य --वि० १ चलने वाला, चलायमान । २ जंगम । ३ कांपने करने वाली एक जाति व इस जाति का व्यक्ति । वाला । ४ जीवधारी । ५ चरने वाला, खाने वाला । चमाळ-देखो ‘चमाळीस'। ६ अस्थिर। चमाळियौ-पु० बड़े व भारी पत्थर उठाने वाला मजदूर । चरक-पु० [सं०] १ अनुवर, नौकर । २ दूत । ३ वैद्यक के एक चमाळी-देखो ‘चमाळीस'। प्रसिद्ध प्राचार्य । ४ इस प्राचार्य द्वारा रचित ग्रंथ । चमाळीस-वि० [सं० चतुश्चत्वारिंशत्] चालीस व चार, | ५ रमता साधु । ६ पापड़ । –संहिता-स्त्री. चरक ऋषि चवालीस । -स्त्री० चालीस व चार की संख्या ४४ । का ग्रंथ । चमाळीसो-स्त्री० चवालीस गांवों की जागीर । चरकचूडी-देखो 'चकचू धियो । चमाळीसौ. चमाळी-पु. ४४ का वर्ष । चरकटौ-पु. हाथियों का चरवादार । -वि० नालायक, नीच । धमीर. चमीरळ-देवो चांमीकर'। चरकरणी (बो)-देखो 'चिरकरणी' (बी)। चनू (म)-स्त्री० [म. चम् | १ वह सेना जिसमें ७२९ हाथी, चरकाई-स्त्री० १ मिर्च का स्वाद, चरकापन, चरपराहट । ७२५ रथ, २१८७ अश्वरोही तथा ३६४५ पैदल सिपाही २ तीक्ष्णता, तेजी। हो । २ सेना, फौज । ३ चार की संख्या*। चरकीकोळी-स्त्री० बलि के बकरे का मांस । चभूप (पत, पति)-० [सं०] सेना नायक, सेनापति । चरकीन-स्त्री० [अ०] विष्ठा, मल, पाखाना । -वि० हीन, चमूय-देखो 'चम्। ___ अधम, निकृष्ट । चमेडी-स्त्री. चमगादड़। चर-फर, चरकू-मरकू -पु० १ चरफरा या चटपटा, नमकीन चमेली-स्त्री० [सं० चम्पकवेलि] १ झाड़ीनुमा एक लता जिसमें । । पदार्थ । २ एक प्रकार की ध्वनि । सफेद व सुगंधित फूल लगते हैं । २ उक्त लता का पुष्प । | चरकूडियो-देखो 'चकचू दियौ' । चमोटियो-देखो “चिरमोटियो' । चरको-वि. (स्त्री० चरकी) १ मिर्च-मसालेदार, चरका। २ तेज, तीक्ष्ण । ३ नमकीन । ४ तेज स्वभाव का। चमोटो-पु. सं० चर्मपुट] १ चाबुक, कोड़ा । २ बेडी के नीचे चरको-फरको (मरको)-देखो 'चरक-फरक" । लगने वाला चमड़ा । ३ नाई का उस्तरा साफ करने का चमडा । ४ सान को घुमाने का चमड़े का फीता।। चरक्क, चरक्ख, चरख-स्त्री० १ तोप मींचने की गाड़ी। ५ देखो 'चूटियौ । २ देखो 'चरखी'। चम्मर, चम्मरो-देखो 'चंवर' । चरखरणी (बी)-क्रि० १ गाड़ी का चलने समय चर्र-चर्र करना। चम्मरबबाळ-देखो 'चवरबंबाळ । आवाज या ध्वनि होना। चम्माळीस-देखो ‘चमाळोम' । चरखलियौ, चरखलौ, चरखियौ-देखो 'चरखां'। चम्माळीसौ-देखो ‘चमाळीसौ । चरखी-स्त्री० १ तोप खींचने की गाड़ी । २ तोप । ३ छोटा पहिया, चकरी । ४ कूए पर लगी गिड़गिड़ी। ५ सूत चय-पु०सं०] १ समूह, झुण्ड । २ देर । ६ टोला । ४ परकोटा। लपेटने की चकरी । ६ छोटा चरखा । ७ कुम्हार की ५ दुर्गद्वार । ६ इमारत, भवन । ७ गढ़। ८ दिगपाल, चाक । ८ कपास की प्रोटनी । ९ गोल फिरने वाली दिग्गज । धैर्य, शांति । १० लकड़ी की टाल। प्रातिशबाजी । १० मस्त ऊंट के दांत बजने की क्रिया। चयन-पु० [सं०] १ चुनाव । २ संग्रह । ३ क्रमशः लगाने की ११ मज या रस्सी बनाने का यंत्र, उपकरण । १२ प्राचीन क्रिया, चुनाई। ४ बीनाई। काल में मृत्युदण्ड देने का एक यंत्र । १३ पतंग की डोर चयार (रि, री)-देखो 'चार' । लपेटने की गिरी। चर-पु. [सं०] १ त । २ जासूस, भेदिया। ३ अनुचर, नौकर, चरखौ (ख्यौ)-पु. १ हाथ से सूत या ऊन आदि कातने का यंत्र सेवक । ४ खंजन पक्षी । ५ मंगल, भीम । ६ पैदल व्यक्ति विशेष । २ कपास से रूई पृथक करने का प्रोजार। For Private And Personal Use Only Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३८३ ) चरणोई ३ पानी खींचने का रहट । ४ सूत की चरखी । ५ बड़ा | चरजा-स्त्री० [सं० चरचा] देवी की स्तुति जो लय से गाई पहिया । ६ झंझट का कार्य । ७ कुश्ती का एक दाव । | जाती है। ८ गन्ने का कोल्हू । चरट-पु० [सं०] खंजन पक्षी। चरह-स्त्री० एक प्रकार की ध्वनि जो बैलगाड़ी के चलने, नई चरणंग, चरण-पु० [सं० चरण] १ पैर, पांव । २ पैर का जूती या किसी वस्त्र के फटने से उत्पन्न होती है। चिह्न । ३ किसी वस्तु या कार्य का चतुर्थाश । -वि. लाल। ४ मूल, जड़ । ५ आवागमन । ६ चरने का कार्य। चरक (को)-पु. १ गर्म धातु के स्पर्श से होने वाला दाह । ७ भक्षण । ८ मृत पशु के प्रामाशय से निकलने वाला २ ऐसे स्पर्श से चमड़ी पर होने वाला दाग । ३ किसी बात मल । ६ सहारा । १० स्तंभ । ११ श्लोक का एक पाद । पर होने वाला गुस्सा । ४ हानि, नुकसान। १२ वेद की शाखा । १३ जाति नस्ल । १४ चाल-चलन । चरणौ (बौ)-क्रि० १ गर्म धातु से शरीर पर दाग लगाना, १५ व्यवहार, बर्ताव । -गांठ-स्त्री० ऐड़ी के ऊपर का जलाना । २ पशु का पोखर में पानी पीना। ३ क्रोध करना । टखना । -गुप्त-पु. एक प्रकार का चित्र काव्य । चरड़ी-पु० एक छोटा पक्षी जो झुंड बनाकर चलता है । -चिह्न-पु० पैर के निशान । किसी बड़े व्यक्ति या चरच-पु० [सं० चर्चन] १ लेपन, उबटन । २ अध्ययन, महापुरुष का प्रागमन । पांव की रेखाएं । -प्राण-पु. पुनरावृत्ति । [अं॰] ३ गिरजाघर । जूती। -दास-पु. एक प्रसिद्ध महात्मा । सेवक, दास । चरकरणी-स्त्री० अनामिका । -दासी-स्त्री० उक्त महात्मा द्वारा प्रचलित संप्रदाय का चरकरणौ (बी)-क्रि० [सं० चर्चनम्] १ उबटन करना, लेपन अनुयायी । जूती। सेविका। -टू-पु० गरुड़ पक्षी । मनुष्य । करना । २ अध्ययन करना । ३ समझना । ४ चरचा | -पादुका, पीठ-स्त्री० खड़ाऊ । पत्थर पर बने चरण करना । ५ पूजा, अर्चना करना । ६ लथपथ होना । चिह्न । -सेवा-स्त्री० सेवा-शुश्रुषा, टहल-बंदगी। पांव परकर-स्त्री० तेज बोलने की क्रिया या भाव । २ देखो 'चराचर'। दबाने की क्रिया। चरचराणी (बी)-क्रि० १ चर्र-चरं करना, चरमराना । २ जलन चरड-पु. चोर, लुटेरा, डाकू। -राय-पु० चोरों का राजा । होना, जलना । ३ पीड़ा या दर्द होना। परणप-पु० [सं०] पेड़, वृक्ष। चरचराहट-स्त्री० १ चरं-चर्र ध्वनि । २ जलन । ३ दर्द।। चरणाजुध-पु० [सं० चरणायुध] मुर्गा । चरणादूही-पु० एक प्रकार का मात्रिक छन्द । चरचरिका, चरचरी-स्त्री० [सं० चर्चरी] १ वसंत ऋतु का चरणानुग-वि० अनुगामी । शरणागत । एक गीत । २ एक रागिनी । ३ होली का शोर । ४ ताल चरणाम्रत, (ति)-पु० [सं० चरणामृत] १ किसी देव मूर्ति या का मुख्य भेद । ५ प्रामोद, क्रीड़ा। ६ चीं-चीं की आवाज । महात्मा के चरण प्रक्षालन का जल, चरणोदक । २ पैरों ७ एक वर्ण वृत्त विशेष । ८ चापलूसी। का धोवन । घरचरौ-वि० (स्त्री० चरचरी) १ स्वाद में चरका, तीक्षण, चरणायका-स्त्री० चाणक्य नीति । चरफरा । २ तेज मिजाज। ३ सुन्दर, सलोना । चरणायुध, (क)-देखो 'चरणाजुध'। चरचा-स्त्री० [सं० चर्चा] १ वर्णन, बयान, जिक्र । २ वार्तालाप, चरणारद्ध-पु० [सं० चरणाद] १ किसी वस्तु का पाठवा बातचीत । ३ शास्त्रार्थ, वाद-विवाद । ४ बक-झक, भाग । २ किसी छंद या श्लोक का प्राधा चरण । प्रलाप । ५ कुबेर की नौ निधियों में से एक । ६ पाठ, चरणारवंद (विव)-पु० १ चरण कमल । २ कमल के समान पुनरावृत्ति । ७ खोज, अनुसंधान । ८ लेपन । सुन्दर पांव । घरचारपो (बी), चरचावरणौ (बी)-क्रि० १ लेपन कराना। धरणि-पु० १ मनुष्य, प्रादमी । २ देखो 'चरण' । २ पूजा कराना । ३ अनुमान कराना । ४ अध्ययन कराना, चरणिया-पु. १ शिकार किये पशु के पांव । २ देखो 'चुनियो । समझाना । ५ लथपथ कराना । ६ वर्णन या जिक्र कराना । चरणियौ-वि० १ चरने वाला । २ विचरण करने वाला। घरचारी-वि० १ चर्चा करने वाला । २ निदक । ___३ राज-दरबार के सभासदों के पादत्राणों का चौकीदार । परचित-वि० सं० चचित] १ जिसकी चर्चा की गई हो, चरणी-स्त्री. १ चरने की क्रिया या भाव । २ चरने की वस्तु । वरिणत । २ पूजित । ३ लेपन किया हुआ । ३ चरने वाली। चरचणी (बी)-देखो 'चरचगो' (बौ । चरणोई-स्त्री० १ धाम । २ चरने का स्थान या भूमि । चरज-पु० एक पक्षी विशेष । ३ चरने का नंग। For Private And Personal Use Only Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra परसीदमः www. kobatirth.org २ देखो 'चुनियों' चरणोदक - पु० [सं० चरण- उदक] चरणामृत । चरणौ पु० सुननदार पहनावा विशेष । चरणों (बी) फि० १ पशुओं का पास खाना चारा चरना। ३ खाना, भक्षण करना । २ दिन भर खाते रहना । ४ विचरण करना, घूमना । परयो-१ देखी 'वरगियो' चरत - देखो 'चरित्र' । चरतणी (बो) - क्रि० १ ठगना, छलना । २ निंदा करना । रताळी देवो'चिरताळी (स्त्री० चरताळी) ( ३८४ ) चरन- देखो 'चरण' । चरनक्षत्र (नखत्र ) - पु० [सं०] स्वाति, पुनर्वसु श्रादि नक्षत्र । चरनाकूळक - पु० सोलह मात्रा का एक मात्रिक छंद विशेष । वरनिसा - देखो 'निसाचर' । रपट ० १ बौरासी सिद्धों में से एक 1 २ एक मात्रिक छंद विशेष | चरपराणौ (ब) - क्रि० मिरच प्रादि के स्पर्श से जलन होना । २ घाव में जलन होना । चरपराट, चरपराहट, चरफराट, चरफराहट - स्त्री० १ स्वाद की तीक्ष्णता । २ घाव की जलन 1 ३ ईर्ष्या, डाह । चरबेचर पु० १ जड़ व चेतन, चराचर । २ संसार सृष्टि । चरम ० [सं०] पर राशि पर गृह परभर ० एक प्रकार का मेल चरमवन- पु० चर नामक राशि । अवस्था । ३ सीमा । . चरम पु० [सं०] १ अंत । २ पतन या विकास की अंतिम [मं० चर्म] ४ चमड़ी, चर्म, त्वचा । ५ छाल । ६ ढाल । वि० १ अंतिम श्राखिरी । २ हद दर्जे का । ३ सर्वोत्कृष्ट कार पु० चमार, मोची । -काळ-पु० अन्त समय । कील स्त्री० एक प्रकार का रोग। बवासीर । चड़ी स्त्री० चमगादड़ । चर्मचटी । - तिस्वपर पु० महावीर स्वामी (जैन) २०-५० एक प्रकार का कुष्ठ रोग । - नग - पु० अस्ताचल पर्वत । -- फालिका स्त्री० कुल्हाड़ी, फरसा । 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरमणवती स्त्री० [सं० चर्मण्यवती] चंबल नदी । चरमराट, चरमराटी (हट ) - स्त्री० १ चरमर की ध्वनि । २ स्वाद की तीक्ष्णता । ३ घाव की जलन । परितारच चरमवस्त्र - पु० कवच । चरम चरम्म - देखो 'चरम' । चररासि स्त्री० [सं० चरराशि ] मेष, कर्क, तुला धोर मकर राशि। वि० ची के रंग का लाल ४ वाचालता । चरपरी - वि० ० (स्त्री० चरपरी) १ तेज मसालेदार, नमकीन । चराई स्त्री० १ मवेशी चराने का कार्य । २ इस कार्य का २ चुस्त, फुर्तीला । ३ वाचाल । पारिश्रमिक | चरवरण - पु० [सं० चर्वण] १ चना, चबैना । २ भुना हुआ या सिका हुआ खाद्य पदार्थं । ३ भोजनोपरान्त मुंह साफ करने के लिए खाये जाने वाले पान, सुपारी आदि पदार्थ । ४ चबा कर खाई जाने वाली वस्तु । चरबी स्त्री० [फा०] १ शरीरम्य सप्त धातुयों में से एक। मेद, बसा । चरचराहट - स्त्री० १ सन्नाटा । २ जलन । ३ चरं चरं ध्वनि । ४ कटु व तीक्ष्ण वारणी । चरवण-देखो 'चरव' । चरवाई देखो 'पराई'। चरवादार १० १ घोड़ों की देख भाल करने वाला, सईस । २ चरवाहा । चरवौ पु० १ तांबे, पीतल आदि का छोटा जल पात्र । २ शिकार किये पशु का आमाशय साफ करने की क्रिया । चरस - स्त्री० १ रीति रिवाज, परंपरा, रूढ़ि । २ श्रानन्द, उत्साह, खुशी । ३ एक प्रकार का मादक पदार्थ, चड़स । ४ ख । ५ देखो 'चड़म' - वि० उत्तम श्रेष्ठ। - क्रि०वि० परंपरा से । चराक (की), चराग - देखो चिराग' । चराचर पु० [सं०] १ घर व अचर, जड़ व चेतन २ संसार, सृष्टि, विश्व ३ ग्राकाश प्रन्तरिक्ष गुरगुरु ० ब्रह्मा । ईश्वर, परमेश्वर । For Private And Personal Use Only चरागो (बौ) - क्रि० १ पशुनों को घास खिलाना, चारा, चराना । २ खिलाना, खाने के लिए प्रेरित करना । ३ बार-बार व जोर देकर खिलाना । ४ विचरण कराना, घुमाना । चरावण गाय- पु० १ श्रीकृष्ण । २ ईश्वर । चरावली - स्त्री० १ चराने की क्रिया या भाव। २ चराने का ढंग | ३ चराई । चरावणौ (बौ) - देखो 'चराणी' (बी) । चरास - पु० [सं० चर+प्रास] सेवक, दास, चर । चरि चरिइ, चरिउ, चरिनु, चरिय- देखो 'चरित्र' । चरित (र), चरीत-देखो 'चरित्र' नायक'चरित्रनायक' | -air = 'चरित्रवान' । चरितारच वि० [सं० चरितार्थ) - [सं० चरितार्थ ] १ सफल । २ पूर्ण, पूर्ण रूप में । ३ संतुष्ट । ४ क्रिया रूप में उचित । Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरिताळी ( ३८५ ) चळवळ ५ वह जिसके अर्थ व अभिप्राय की सिद्धि हो चुकी हो। चळकाणी (बी), चळकावरणौ (बो)-देखो 'चिळकाणी (बी)। कृतकृत्य । ६ जो ठीक पूरा या खरा उतरा हो। चळकेतु-पु० पश्चिमोद्भवी एक पुच्छलतारा। चरिताळी-पु० (स्त्री० चरिताळी) १ चरित्र करने वाला, चळगत (ति)-स्त्री० १ चाल चलन, पाचगण । २ स्वभाव । चरित्रवान । २ अद्भूत, चरित्र वाला । ३ चकित करने ३ चरित्र । वाला । ४ पाखंडी, ढोंगी, धूर्त । ५ वीर । चळचत-वि० [सं० चलचित्र अस्थिर चित, चंचल । विक्षिप्त । चरित्त-देखो 'चरित्र'। चळवळ-वि० १ चलायमान । २ विनलित । ३ कंपायमान । चरित्तपुरस (पुरुस)-पु० चरित्रवान व्यक्ति । __४ देखो चळचाल'। चरित्तपुलाय-पु० दोष सहित चरित्र वाला साधु (जैन)। | चळचळरणौ (बी)-क्रि० १ चलायमान होना । २ विचलित होना। चरित्तबुद्ध-पु० [सं० चारित्र-बुद्ध] चरित्र रूप में प्राप्त बोध । ३ कंपायमान होना। चरित्तबोहि-पु० चरित्र रूप में धर्म प्राप्ति । चळचाळ -वि० [सं० चलचाल] चंचल, अस्थिर, चल । चरितमोह (मोहरण)-पु० चरित्र का अटकाव । चलचित-वि० १ अस्थिर चित्त । २ चिंतातुरा । धरित्तलोय-पु० [सं० चारित्र लोक] सामायिकादि पांच चळ~~-पु० चकोर । -वि० अस्थिर, चलायमान । चारित्र रूप लोक (जैन)। चळच्चळ-देखो 'चळचळ' । चरित्र (य)-पु० [सं०] १ स्वभाव, पाचरण, चाल-चलन । चलण-पु० [सं०] १ चलने का भाव । २ चाल. गति । ३ पैर, २ करनी। ३ व्यवहार । ४ शील, संयम, सदाचार । चरण । ४ रस्म रिवाज। ५ प्रयोग उपयोग । ६ हरिन । ५ नैतिकस्तर । ६ लीला, माया । ७ आदत, टेव । ७ लहंगा, घाघरा । ८ ज्योतिष में वह गति जब दिन और ८ करतब, कार्य। ६ कर्त्तव्य । १० ढोंग, पाखंड । रात दोनों बराबर होते हैं। -सार-वि० प्रचलित । चिर ११ छल, कपट । १२ स्वांग। १३ अभिनय । १४ धूर्तता। प्रचलित । बढ़िया लोह । १५ नखरा । १६ बहाना । १७ पालन, रक्षा । चळरणी, चलणी-स्त्री० १ आटा, मेदा आदि छानने का १८ अनुष्ठान । १९ इतिहास, वृत्तांत । २० साहसिक उपकरण । २ प्रथा, परंपरा । ३ प्रचलन । प्रथा, रस्म । कार्य । २१ नाटक का पात्र । २२ दीक्षा । -नायक-पु० चळरण-देखो 'चळी' । किसी नाटक, कथानक या काव्य का प्रमुख नायक । वळणी (बी)-क्रि० १ बासी होना, सड़ना । २ विकृत होना। -बान-वि० सदाचारी, नेक, कर्तव्यनिष्ठ । ३ छनना। चरी-स्त्री० १ पीतल आदि धातु का छोटा जल-पात्र । चलणी (बो)-क्रि० १ गतिमान होना । २ एक स्थान से दूसरे २ मवेशियों के चरने हेतु छोड़ी गई जमीन । ३ चरित्र। स्थान को जाना, गमन या प्रस्थान करना । ३ हिलनाचरिय, चरीय, चरीह, चरीत चरितौ-देखो 'चरित्र' । डुलना । ४ प्रारंभ होना, छिड़ना । ५ प्रवाहित होना, चर-पु० [सं०] १ हवन के लिये पकाई हुई सामग्री। २ ऐसी बहना । ६ प्रचलित होना । ७ काम में आना, व्यवहार में सामग्री पकाने का बड़ा पात्र, बड़ी चरी । ३ कड़ेदार मोटा। पाना । ८ तीर, गोली आदि छूटना । ९ मरना, अवसान पात्र । -सुकाळ, सुगाळ-वि० दानी, उदार । होना । १० कार्य निकलना, निभना । ११ प्रयुक्त होना, चहटियो-देखो 'चूटियो'। व्यवहृत होना । १२ परंपरा बनना । १३ प्राचरण करना । वरू-देखो 'चरु' । -सुकाळ, सुगाळ = 'चरुसुकाळ' । १४ वितग्गा या भेंट करना । १५ टिकना, अधिक चरी-पु० अबोध बछड़ा। काम देना। चर्या-स्त्री० क्रिया, प्राचरण । चलती-पु० (स्त्री० नलती) १ चलने वाला । २ चुस्त, चंचल । छळ, चल-पु० [सं० चल] १ शिव । २ विष्णु । ३ पारद, पारा। ३ प्रचलित । ४ शरीर । ५ सेना ।६ स्वभाव, प्रकृति । ७ चलने की चळवळ (द्दळ)-पु० [सं० चलदल] पीपल का वृक्ष । क्रिया । ८ कंपकपी । ९ पवन । १० घबराहट विकलता। -वि०१ चंचल*। २ अधीर*। ११ सात प्रकार के चौघड़ियों में से छठा। १२ दोहे छन्द चळपत (पत्र)-पु० [सं० चलपत्र] पीपल का वक्ष । का १२वा भेद । -वि०१ अस्थिर, चंचल । २ चलायमान । चळविचळ-वि० १ घबराया हुअा । २ पातुर । ३ कंपित, डोलता हुअा । ४ निर्बल । ५ नाशवान । चळवळ-देखो 'चळविचळ' । ६ भयभीत। चळवणी (बौ)-देखो 'चलणौ' (बो) । चळकरणो (बी)--देखो 'चिळकरणो' (बी) । चळवळ, (ल)-पु० [सं० चलतल] १ रक्त, खून । पळकरण-पू० घोड़ा, अश्व । २ देखो 'नळविचळ' । For Private And Personal Use Only Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चळवळपी चवही चळवळरणी (बी)-क्रि० १ घबराना, विचलित होना । २ सड़ना। चळू-पु० [सं० चुलक] १ भोजनोपरान्त आचमन । २ एक हाथ ३ विकृत होना। ४ किलबिलाना। की हथेली में पानी भरने की मुद्रा । अंजली । ३ एक हाथ चळवळी-वि० (स्त्री०चळवळी) १ चितातुर, उदास । २ चंचल । में समाने लायक पानी की मात्रा । ४ भोजनोपरान्त हाथ चळविचळ, चळविळ-वि० १ जो विचलित हो गया हो, प्रक्षालन की क्रिया । अस्थिर, डावांडोल । २ चलायमान । ३ ऊटपटांग । चलू-वि० चालू, प्रचलित। -क्रि०वि० प्रारंभ, शुरू । ४कंपायमान। चळूळ (ळी)-वि० रक्त की तरह लाल । -पु० यवन, मुसलमान । चलसी-देखो 'चौरासी'। चळोपळ, चळोवळ-देखो 'चळवळ' । चलारण (न)-स्त्री० १ चलाने की क्रिया या भाव । २ रवानगी। चळी-पु० भैंस, गधे, घोड़े आदि का पेशाब । ३ रवानगी संबंधी पत्र । चल्लणी-देखो 'चलणी'। चलांणि-पु० पिप्पल का वृक्ष । चल्लरपो (बी)-देखो 'चलगो' (बी)। वळा-स्त्री० [सं० चला] १ लक्ष्मी । २ भूमि, पृथ्वी। ३ नारी, चल्लो-देखो 'चिल्लो'। स्त्री । ४ बिजली । ५ पिप्पली । ६ एक सुगन्ध द्रव्य | चवंड-देखो 'चांमुडा'। विशेष । चव-वि० १ चार, चतुर्थ । २ चारों ओर का। ३ देखो 'चऊ' । बलाऊ-वि० १ चलने योग्य । २ टिकाऊ । ३ काम निकालने चबड़े-देखो 'चौड़े। -धाई ='चौड़ेधाई' । लायक । ४ उपयोग में लाने लायक । चवड़ो -देखो 'चौड़ो' । चलाक-वि० १ चलाने में दक्ष । २ देखो 'चालाक' । चवरणी (बी)-क्रि० १ चू'ना, टपकना, रिसना । २ बूंद-बूंद कर चलाकी-देखो 'चालाकी' । गिरना । ३ कहना । ४ तर होना, लथपथ होना । चळाचळ-वि० १ चंचल, अस्थिर । २ चलायमान, गतिमान ।। झरना। -पु० १ गति, चाल । २ चमचमाहट । चवत्थ-१ देखो 'चौथ' । २ देखो ‘चौथी'। चळाचळा-स्त्री० देवी, दुर्गा । चवत्थी-वि० [सं० चतुर्थ] तीन के बाद का, चौथा । चलाचली-स्त्री० १ चलने की शीघ्रता । २ पावागमन । चवथ-देखो 'चौथ'। ३ चलने की तैयारी । ४ तकरार, लड़ाई । ५ तनाव । चवदंत-वि० प्रगट, प्रकाशित । ६ प्रतिस्पर्धा। चवद, (ई)-देखो 'चवदै'। चलाणी (बौ)-क्रि० १ चलने के लिए प्रेरित करना, चलाना । चवदमों-वि० (स्त्री० चवदमी) तेरह के बाद वाला, चौदहवां । २ रवाना करना, भेजना । ३ गतिमान करना, चालू चवदस-स्त्री० चतुर्थदशी की तिथि, चौदस । करना । ४ हिलाना, डुलाना । ५ प्रारंभ करना । | चवदह, चवदा, चवदे, चवद-वि० [सं० चतुर्दश] तेरह व एक, ६ प्रवाहित करना । ७ प्रचलित करना । ८ कार्य या चौदह । -पु० दस व चार की संख्या, १४ । व्यवहार में लाना । ९ तीर, गोली आदि छोड़ना। चवदौ-पु० चौदह का वर्ष । १० फेंकना । ११ काम निकालना । १२ परंपरा बनाना। | चवद्दस-देखो 'चवदस'। १३ वितरित या प्रसारित करामा । १४ निर्वाह कराना। | चवद्दह, चवई-देखो 'चवदह' । १५ अधिक काम में लेना, टिकाऊ करना । चवधार-देखो 'चौधार' । बळापळ-स्त्री० चमक-दमक, तड़क-भड़क । चवरंग-देखो 'चौरंग'। चलावको-देखो 'चालाक'। चवरग, चवरण-पु० 'च' वर्ग, वर्ण । बलावरणौ (बी)-देखो 'चलारणौ' (बी)। चवरासि (सी)-देखो 'चौरासी'। चलावी-पु० १ चलाने की क्रिया या भाव । २ किसी कार्य | चवरी-देखो 'चंवरी'। विशेष को पूर्ण करने की प्रक्रिया । ३ मृतक की अर्थी चवळी-देखो 'चंवळी'। आदि तैयार करने की क्रिया । ४ जौहर की तैयारी। चवसट्ट (ट्ठ, ट्ठि, ठ, ठि)-देखो 'चौसठ' । चलित-वि० [सं०] १ चला हुआ, प्रचलित । २ गतिमान, चलायमान । ३ चंचल, चलायमान । ४ हिला हुआ, चवहठ (8)-वि० कठोर, शक्त। आन्दोलित । -पु० नृत्य की एक मुद्रा । -प्रह-पु० भोगा चारणी-स्त्री० छत से टपकने वाला पानी। हुमा ग्रह । एक अन्य ग्रह विशेष । चवारणी (बौ)-१ देखो 'चबाणो' (बो)। २ देखो 'चवणो' (बौ). बलुमल-देखो 'चळवळ'। चवुबहौ--वि० चौहदवां । For Private And Personal Use Only Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चबू च-देखो 'चक्र'। चवेली- देखो 'चमेली' । चव्य-स्त्री० [पीपरामून की डंडी चसक-पु० ० [सं० चषक ] १ शराब पीने का पात्र । २ द्रव पदार्थ पीने से उत्पन्न ध्वनि । ३ देवी का खप्पर । ४ जायका लेते हुऐ पीने की क्रिया या भाव। ५ शौक, प्रादत। ६ कसक, पीड़ा । www. kobatirth.org ( २८० ) चसळक - देखो 'चसळको' । चसम (मांग) - स्त्री० [फा० चश्म] १ प्रांख, नेत्र । २ दृष्टि, नजर । - दीद - वि० प्रत्यक्षदर्शी, प्रांखों से देखने वाला । चमसाल (ब)- क्रि० कसकता दर्द करना । चसमौ (म्म ) - पु० [फा० चश्मा] १ झरना, स्रोत । २ ऐनक । - वि० स्नेहपूर्ण नेत्रों वाला । चकली (ब) ० १ जायका लेते हुए पीना २ शराब बहरली (ब)- कि० १ निदा करना, थालोचना करना। कलरव करना । पीना । ३ चुस्की लेना । ४ कसकना, टसकना । उसको दु० [सं० चपण] १ स्वाद २ शौक, बावत ३ दर्द, चहराली (बी), बहरावौ (ब) क्रि० १ निदा कराना। पीड़ा | चस्म - देखो 'चसम' । चस्मी देवो'सम' । २ कलरव करना । चरण (at) - क्रि० १ चमकना, दमकना । २ ज्योतिर्मय होना, बहरौ पु० १ शक्ल, सूरत, मुखाकृति । २ श्राकृति । प्रकाशित होना । चसीणी (बौ), चसेड़रणी (बौ), चसोइरणी (बौ), चसोड़गी (बौ) क्रि० - १ खूब चाव से पीना, पेट भर पीना। २ खाना भक्षरण करना । ३ दांतों को भींच कर पीना । ४ चाटना । पस्को-देखो 'नसकी' । -दीद'चसमदीद' | चहन - पु० [सं० चिह्न] १ लक्षण, चिह्न । २ संकेत | ३ ध्वजा, पताका । चहबची पु० [फा०] चाहयच्चा] १ छोटा जल कुण्ड, पोखर 1 २ हाथी का हौदा । ३ चारजामा । ४ गुप्त रूप से धन रखने का स्थान | वह स्त्री० १ चिता । २ इच्छा, चाह । ३ गड्ढा, गर्त । चहक स्त्री० पक्षियों की चहचाहट । कलरव । चकरणी (a), चकणी (बी), चचणी (बी), पहकाणी (ब) - क्रि० १ पक्षियों का चहचाहना । २ हर्ष पूर्ण ध्वनि करना । ३ जोश में कोलाहल करना । चहचाहट, चहचह स्त्री० १ पक्षियों का कलरव । २ ध्वनि, शोर । ३ मुंह से खींचकर पीने की क्रिया या भाव। ४ हर्ष - ध्वनि । चहर- पु० [सं० चिकुर ] १ शिर के केश, बाल । २ कलंक । ३ निंदा - वि० श्रेष्ठ, उत्तम । -बाजी-स्त्री० कलरव । चसळकरणी ( बौ) - क्रि० १ बोझ से लदी गाड़ी का प्रावाज चहवचौ - देखो 'चहबची' | चहि स्त्री० चिता | करना । २ मस्ती में ऊंट का दांत किटकिटाना । चसळकी - पु० ऊंट के दांत किटकिटाने की ध्वनि या क्रिया । antarit (at) - क्रि० १ चमकाना, दमकाना । २ ज्योतियुक्त करना, प्रकाशित करना । चहिजे, चहिये (# ) - देखो 'चाहिजे' । चहिरौ - देखो 'चहरी' । चही - १ देखो 'चहि' । २ देखो 'चहिये' | चहीजं प्रव्य० चाहिये । चहोलौ - देखो 'चईली' । वि० चार चारों - प्रांरण - पु० चौहान । घा, चक्कां तरफ, धां, ओर, सर्वत्र । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चहल क्रि०वि० चारों ओर स्त्री० रौनक -पहल-स्त्री० हलचल । रौनक । धूमधाम । बहुत से लोगों की उपस्थिति । चहलम पु० [फा० नेहलुम] मृतक का चालीसवां दिन (मुसलमान) चळवळी० बिजली की चमक । चहलावरणौ ( बौ) - क्रि० चमकना । 1 चपळ, चळ, (वळ, बळा) - वि० पंचल, स्थिर कि०वि० चारों ओर । । बहुबां कि०वि० चारों और विचारों चहुं वांण- देखो 'चौहान' । चहु - देखो 'च' । 'चहुंचना' । २ ag (mai, दिस. बळवळ यां) - कि०वि० चारों मोर चहुट, बहुटी पु० १ बाजार देखो 'चौवटी' । बहर-पु० [सं० चिकुर] बाल चळ देवो'पहल'। स केश 1 चहुवां - क्रि० वि० चारों ओर । चटणी (बौ० चिपकना, चिमटना चटणी (बौ), चहावरणौ (बौ) - क्रि० चिपकाना, चिमटाना । चहुवे (वं ) - देखो 'चहुं । (at) - देखो 'चढ़णी' (बी) । चहणी (बौ) - देखो 'चाहणी' (बो) । For Private And Personal Use Only -क्रि०वि० चारों धोर, सर्वत्र ऐवळा, श्रोर, गमां, गमे, गम्मा, बळ, वळ, वळा- क्रि०वि० चारों । 1 कूट, कोर, गम, चकां, बळ वळ 125 Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बहोडणी । ३८८ ) चविसूरज बहोड़णी (बी)-क्रि० १ उखाड़ना । २ काटना । ३ मानना, चांटीली-पु. (स्त्री० चांटीली) १ मुफ्त कार्य करने वाला व्यक्ति, चाहना । ४ देखो 'चसोडगो' (बी)। बेगारी । २ शीघ्रता से काम करने वाला। चहोतर (तर)-वि० सत्तर व दार । -पु. सत्तर व चार की चांटौ (ठौ)-पु०१ तमाचा, थप्पड़ । २ देखो 'चौवटी'। संख्या, ७४ । चांड-देखो 'चंड'। चहोतरी, चहीतरी-पु० चोहनर का वर्ष । चांडम-पु० आभूषण, जेवर । चां-अव्य० के । चांडाळ-देखो 'चंडाल' । चांक-पु. १ खलियान में अन्न की राशि पर चिह्न लगाने की | चांण-स्त्री० एक देवी का नाम । क्रिया। २ चिह्न। चाणक (क्य)-पु० [सं० चाणक्य] १ चन्द्रगुप्त मौर्य का महाचांकणी-पु० पशुओं का पहिचान चिह्न। मात्य, कौटिल्य, विष्णुगुप्त । २ चिंता । चांकणी (बी)-क्रि० १ प्रांकना, चिह्नित करना। २ बोवाई के | चाणचक (क्य)-क्रि०वि० अचानक, सहसा । लिये खेत में अन्न बिखेरना। ३ पशुओं के दाग लगाना । चांगुर, (गर)-पु० [सं० चाणूर] कंस का एक मल्ल जो कृष्ण ४ अन्न की राशि पर सीमा रेखा खींचना । द्वारा मारा गया। चांकाणी (बी), चांकावणी (बो)-क्रि० १ अंकवाना, चिह्नित | चांतरणी (बौ)-क्रि० पीछे हटना । कराना । २ बोवाई के लिये खेत में अन्न बिखरवाना | चांतरी-पु० चबूतरा। ३ पशुषों के दाग लगवाना । ४ सीमा रेखा खिंचवाना। । चांद, चांदड़ली (ल्यो), चांदड़ी-पु० [सं० चन्द्र] १ चन्द्रमा, चांख-स्त्री० हल की रेखा, सीता। शशि । २ एक अर्धचन्द्राकार प्राभूषण । ३ ढाल के ऊपर चांग-देखो 'छांग' । की फुलड़ी। ४ चांदमारी का लक्ष्य चिह्न । ५ घोड़े के चांगलाई-स्त्री. चंचलता, शैतानी, उद्दण्डता । नटखटपना। शिर पर होने वाली भंवरी । ६ भालू की गर्दन के नीचे की चांगलौ-वि० (स्त्री० चांगली) इतराया हुआ। -पु. एक रंग | श्वेत-केश-राशि । ७ मोर पंख की चंद्रिका । चन्द्राकार विशेष का घोड़ा। कोई प्राकृति । ९ गंजापन, टाट । चांगल्यौ-पू० मिट्टी के बर्तनों में तैयार किया हुप्रा अवैधानिक चांवणियो-प०१चन्द्रमा का प्रकाश, ज्योति । २ प्रतिबिंब । शराब । चांदणी-स्त्री०१ चन्द्रमा का प्रकाश, चांदनी । २ प्रकाश, ज्योति, पांच-देखो 'चोच। ज्योत्स्ना। ३ पर्दानशीन स्त्रियों के पर्दा करने का वस्त्र । चांचड़-पु० १ परिपक्वावस्था में बाजरी की बाल ।। ४ बिछाने की सफेद चद्दर । ५ चमेली की तरह सफेद फूलों २ देखो 'चोंच' । वाला वृक्ष । ६ पशुपों का एक रोग । ७ श्वेत नेत्रों वाली चांचड़ली, चांचड़ी, चांचली-स्त्री. १ बाजरी की बाल । भैस । ८ शिर पर सफेद टीके वाली मैस । ९ रथ या गाड़ी २ देखो 'चोंच। पर तानने का कपड़ा। १० मकान के ऊपर का खुला चांचली-वि० चोंचवाला। (स्त्री० चांचली) -पु. १ पक्षी । स्थान । २ देखो 'चांचौ' । चांदण (णो)-देखो 'चानणौ। ..-पख='चानणीपख' । चांचल्य-पु० [सं०] चंचलता, चपलता, नटखटपन । चांदतारौ-पु० १ चांद व तारों की छाप वाला वस्त्र । २ एक चांचवी-पु० ऊंट आदि पशुमों के शरीर पर लगा गोलाकार प्राभूषण विशेष । दाग। चांदबाळा-स्त्री० कानों का चन्द्राकार बाला। चांचाळ, चांचाळी-वि० नोचदार, चोंचवाला । (स्त्री० चाचाळी) चांदमारी-स्त्री. १ बन्दूक मादि चलाने का अभ्यास । -पु०१पक्षी । २ गिद्ध । | २ निशान, चिह्न। चांचियौ-पू०१ मा खोदने का उपकरण । २ पक्षी । ३ नीचला| चादराडण (ईण, यण)-देखो 'चांद्रायण'। होठ दवा हा प्राणी। ४ लैंकली से पानी निकालने का चोखो मांगी। कूपा । ५ देखो 'चोंचौ'। चांदळ (उ)-पु० चन्द्रमा, चांद । वांचू'-देखो 'चोंच'। चांदसलाम, चांदसलामी-पु०१ अमावस्या के बाद चन्द्रोदय के चांचौ-पृ० १ वह ऊंट जिसके दांत बाहर दिखाई देते हों। समय प्रजा से लिया जाने वाला एक प्राचीन कर । २ इस २ देखो 'चांचियौ'। अवसर पर छोड़ी जाने वाली तोप । बटिय, चांटी-देखो 'छांटी। | चौबसूरज-प० स्त्रियों के सिर का एक प्राभूषण । For Private And Personal Use Only Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चांदी । ३८९ ) चमोदर चांदी-स्त्री०१ आभूषण आदि बनाने का एक श्वेत धातु, रजत, चांपली-पु० छोटे होठों वाला ऊंट जिसके दांत दिखाई देते हों। रूपा । २ मांस तक पहुँचा घाव । ३ एक प्रकार की लाल चांपाधिप-पु० दानवीर राजा का कर्ण । मिट्टी । ४ शरीर पर घाव करते हुए किया जाने वाला चांपेयक-पु० चंपावृक्ष । सत्याग्रह। चांपी-पु०१ देववृक्ष, चंपा । २ गायों का समूह । ----कूल-पु० चांदोड़ी-स्त्री. मेवाड़ के रांगणा संग्रामसिंह (द्वितीय) के समय एक प्रकार का घोड़ा। प्रचलित एक सिक्का। चाब-१ हल की गहरी व मोटी रेखा, सीता । २ देखो 'चाम' । चांदी (चांद्यौ)-पु० [सं०चंद्र] १ चन्द्रमा । २ दूर दर्शक यंत्र चांबड़ (उ, डो)-देखो 'चांम'। लगाने का लक्ष्य-स्थान । ३ भूमि के नाप का स्थान विशेष । चांबर-पु० एक प्रकार का घास । ४ कच्चे छाजन की दीवार का उठा हुआ भाग । ५ रेखा चांबळ-देखो 'चंबळ'। गणित का उपकरण। -रांगो-पु. एक लोक गीत। चांबळी (रा', रास, राह)-स्त्री० चर्म पटिका, चमड़े को रस्सी। चांद्र-पु० [सं०] १ चंद्रमास । २ शुक्ल पक्ष । ३ चान्द्रायण । चांबोचाब-पु० पूरा खेत । -वि० सम्पूर्ण, पूर्ण । (खेत)। चांबी-पु० [सं० चर्म] १ चर्म, चमड़ी। २ खाल। व्रत । ४ चन्द्रकांत मणि । -वि० १ चंद्रमा संबंधी। २ देखो 'चांद'। -मसायरण-पु०-बुध ग्रह । -मारण चांमंड-देखो 'चामुडा'। -पु० चन्द्रमा की गति के अनुसार निर्धारित समय । चामंधर-पु० [सं० चर्मधारिन्] शिव, महादेव । -मास-पु. वर्तमान में प्रचिलत मास, महीना।-वरती चाम-स्त्री० [सं० चर्म] १ चमड़ी,त्वचा, चर्म । २ खाल । प्रतिक-पु. राजा । -वि० चान्द्रायण व्रत करने ३ देखो 'चांब'। -कस, घस-पु० जमीन पर छितरने वाला क्षुप । वाला। चांद्रायण-पु० [सं०] १ चन्द्रकला की स्थिति के अनुसार घटत चांमडियाळ-पु० यवन, मुसलमान । बढ़त ग्राहार पर मास भर किया जाने वाला एक कठिन चांमड़ी (डो)-देखो चांम' । व्रत । २ एक मात्रिक छन्द विशेष । चांमचोर-पु० व्यभिचारी व्यक्ति। चामचोरी-स्त्री. व्यभिचार, दुराचार । चांदिरणी-देखो 'चांदणी'। चामटी (ठी)-स्त्री० [सं० चर्म+यष्टि] चाबुक । चांद्रिणु-देखो 'चांनणो', | चांमणी-स्त्री० अांख, नेत्र । चानणछठ-स्त्री० १ भादव मास की शुल्क पक्ष की षष्ठी। चामर (रि)-पू०१ चवर । २ पूछ । ३ एक वणिक छंद विशेष । २ प्रत्येक मास की शुल्क पक्ष की षष्ठी। -प्राळ, याळ-पु० यवन, मुसलमान । चांनरिणयो-देखो 'चांनगो'। चांमरहारी-स्त्री० चंवर डुलाने वाला । चानणी-देखो 'चांदणी'। चामरियौ-पु० चमड़े का कार्य करने वाला, चर्मकार । घांनणी-पु. १ प्रकाश, उजाला । २ खुशहाली का प्रतीक । | चामरी-१० [सं० चामरिन्] घोड़ा, अश्व । --याळ = --पख-पु० शुक्ल पक्ष । ___ 'चांमरियाळ'। चांनी-स्त्री० १ गहगों पर खुदाई करने का उपकरण विशेष । चांमळ देखो चंबळ'। २ देखो 'चांदी'। चांमस-पु० [फा० चश्म] १ नेत्र । २ चश्मा, ऐनक । चाप (उ)-स्त्री. १ चंपा का वृक्ष । २ चंपी। चांमासौ-देखो 'चौमासी'। चापणी-स्त्री० १ चांपने की क्रिया या भाव । २ सेवा, टहल । चामिकर-देखो 'चांमोकर' । ३ डर, भय। बांमी-स्त्री०लाल मिट्टी। चापरणी (बी)-क्रि० १ पांव आदि दबाना, चांपना । २ सेवा करना, बंदगी करना । ३ अधिकार या कब्जे में करना। चामीकर, चांमीर-पु० [सं० चामीकर] १ स्वर्ण, सोना । ४ कुचलना । ५ भड़काने वाली बात करना । ६ डराना. २ धतूरा। -वि०-१ उज्ज्वल, उदार । २ सुदर, मनोहर। भयभीत करना या होना । ७ क्रोध करना । ८ जागृत होना, चांमुड़, चांमुडा-स्त्री० शुभ-निशुभ तथा चंड-मुड नामक चेतन होना । ९ गिरना । १० लज्जित होना । ११ दाबना, दैत्यों को मारने वाली देवी । २ पार्वती, गिरिजा । भींचना । १२ शीघ्रता करना। ३ चौसठ योगिनियों में से एक। -नंदन-पु. भैरव । चांपर-वि० १ हढ़, पक्का । २ तैयार, सन्नद । चामोदर-पु. चमड़े का बड़ा थैला । For Private And Personal Use Only Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाय चाटणी चांय-पु. शिर व दाढ़ी-मूछ के बाल उड़ने का एक रोग। चाख-स्त्री० १ व्यवसन, दुर्व्यसन । [सं० चक्षु] २ दृष्टिकोण । बायलो-वि० (स्त्री० चायली) उक्त रोग से पीड़ित । ३ दृष्टि, नजर । ४ देखो 'चाक' । पांवटौ-देखो 'चौवटौ' । चाखड़ (डा, डी)-स्त्री. १ चक्की के ऊपरी पाट के बीच में चांवळ-वि० १ उज्ज्व ल, श्वेत । २ देखो 'चावल' । लगी काष्ठ की मुष्ठिका । २ टूटी हड्डी को जोड़ने के लिये ३ देखो 'चंबल' । बांधी जाने वाली बांस की खपची। ३ खड़ाऊ । ४ मवेशियों चा-स्त्री० १ कार्य । २ कन्या । ३ द्रौपदी । ४ अग्नि । के मुह में हाथ डालते समय सुरक्षार्थ लगाया जाने वाला ५ कन्नोजिया ब्राह्मण । ६ चाह । ७ चाय । -अव्य० का। उपकरण । ५ मथ दंड के नीचे रहने वाला उपकरण । चामणी (बौ), चा' पो (बो)-देखो 'चाहणौ (बी)। ६ सेना। चापरौ-पु० चौपाया पशु । चाखणौ (बी)-क्रि० [सं० चष] १ चखना, चख कर देखना । चाइ-स्त्री०१ चाह, तमन्ना। २ लगन । ३ प्रकार, तरह। २ स्वाद लेना, पास्वादन करना । ३ अनुभव करना । चाइजे (ज), चाईज-प्रव्य० चाहिये, आवश्यक है। ४ भुगतना । चाउ-पु० दान, त्याग। चाखाळ-पु. रक्त, खून। चाउर (रि)-१ देखो 'चावर' । २ देखो 'चत्वर'। चागी-स्त्री० नकल, प्रतिकृति । चाउळ-देखो 'चावळ'। चाड-वि० १ चुगलखोर । २ निंदक । चाऊ-वि० १ शुभचिंतक । २ चाहने वाला, प्रेमी । ३ भोजन, | चाड़ी-स्त्री० १ चुगली, निंदा, पालोचना । २ शिकायत । भट्ट । ४ चटपटा व तर पदार्थ खाने का शौकीन । चाचपुट-स्त्री० ताल का एक भेद । ५ रिश्वत खोर । | चाचर(रि, री)-पु० [सं० चत्वर, चर्चरी] १ मस्तक, सिर । चाक, (चाकड़ली)-स्त्री० [सं० चाक्र] १ मिट्टी के बर्तन बनाने २ ललाट भाल । ३ भाग्य । ४ होली संबंधी लोक गीत । का मोटा पत्थर, चक्र, चक्कर । २ चक्र। ३ गिरी, चकरी। ५ उपद्रव । ६ शोरगुल । ७ युद्धस्थल, रणभूमि। ८ मैदान । ४ चक्की। ५ चाकू आदि पर धार देने की शान । ९ नगाड़ा । १० सात मात्रामों की ताल । ११ योग की ६ खड़िया मिट्टी । ७ इस मिट्टी की कलम । ८ स्त्री के एक मुद्रा । १२ चर्चरी नृत्य विशेष । सिर की चोटी में धारण करने का आभूषण । ९ वात चक्र चाचरे (1)-क्रि० वि० १ ऊपर से, ऊपर, पर । २ अत्यन्त बवंडर । १० सेना, फौज । -वि. १ तैयार, सन्नद्ध । दूर से । ३ ललाट पर। २ स्वस्थ, तंदुरुस्त । ३ पूर्ण रूप से तैयार, सुसज्जित । चाचरौ-पृ० १ मस्तक । २ भाग्य । ३ योनि, भग। ४ देखो ४ तृप्त, संतुष्ट, छका हुआ। -बांगर-पु० सेवक, दास | 'चाचर' । प्रादि । चाचेरी-वि० चाचा के परिवार का । चाकरणौ (बौ)-देखो 'चाखणी' (बी)। चाची-पु० पिता का छोटा भाई, काका। चाकर-पु० [फा०] (स्त्री० चाकरणी) सेवक, दास, नौकर । चाकरी-स्त्री० [फा०] १ नौकरी । २ सेवा, टहल । ३ दरबार | चाट-स्त्री. १ तेज मसालेदार व दही चटनी मिला स्वादिष्ट की सेवा में रहने वाले जागीरदारों के घोड़े व सवार । पदार्थ । २ स्वादिष्ट पदार्थ खाने की आदत, चसका। ३ प्रबल इच्छा, कामना । ४ लत, टेव । चाकलियो-१ देखो' 'चक्की । २ देखो 'चक्को' । ३ देखो 'चाकलौ'। चाटकाणी (बी), चाटकावणी (बो)-क्रि० १ तेज भगाना। चाकली-स्त्री०१ घोड़ों का एक रोग विशेष । २ देखो 'चक्की'। २ चाबुक मारना, फटकारना चाकलो-पु. १ कुए पर लगा रहने वाला काष्ठ का गोल चक्र । | चाटको-पु० (स्त्री० चाटकी) १ शोधन द्वारा अलग किया हा २ चक्की का पाट। ३ छोटा बिछौना। ४ देखो 'चकलौ' । | पदार्थ । २ चाबुक प्रादि का प्रहार । -वि०१ रस लोलुप । वाकवी-देखो 'चकवी'। २ चालाक, धूर्त । चाकाबंध-पु० १ वीर पुरुष । २ योद्धा। चाटण-स्त्री. १ चाटने की क्रिया या भाव । २ चाट कर खाने चाकी-देखो 'चक्की'। योग्य पदार्थ । ३ स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ -वि० चाट खाने चाकू-पु० [तु.] सब्जी प्रादि काटने का उपकरण । -चुगी का शौकीन । पु. एक प्रकार का शस्त्र । | चाटणी (बौ)-क्रि० १ जीभ या अंगुली से रगड़कर खाना । चाकोर-देखो 'चकोर'। २ चट कर जाना, साफ कर जाना । ३ बार-बार जीभ चाको-पु०१ रहंट का मूल चक्र । २ देखो 'चक्र' । फेरना, चाटना। For Private And Personal Use Only Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org वाटक वापारया चाटाळ-वि० १ रसलोलुप । २ रिश्वतखोर । ३ चाटने वाला। चातुक-देखो 'चातक'। ४ गिजा खाकर दूध देने वाला। चातुरंग-देखो 'चतुरंग'। चाटु, (कार)-वि० चापलूस, खुशामदी। चातुर-स्त्री० १ गणिका, वेश्या । २ बुद्धि । ३ देखो 'चतुर'। चाटुकारी-स्त्री० खुशामद, चापलूसी । चातुरई-देखो 'चतुराई'। चाद-पु०-काष्ठ का बड़ा चम्मच । -वि० १ खुशामदी, चाप- चातुरज-पु० [सं० चातुर्य] छल, कपट । लूस । २ रसलोलुप । ३ चाटने वाला। ४ चाट खाने | चातुरजात-पु० [सं० चातुर्जात] १ नाग केसर । २ इलायची । वाला। ३ तेज पात आदि का समूह । चाटौ (चा' टो)-पु० १ चाटकर खाया जाने वाला पदार्थ । चातुरदस-वि० [सं० चतुर्दश] १ चौदह । २ चतुर्दशी को २ स्वादिष्ट वस्तु । ३ नाजायज ढंग से कुछ खिलाने की उत्पन्न होने वाला। -पु० राक्षस । क्रिया या भाव । ४ दूध देने वाले पशु को खिलाया जाने चातुराई, चातुरी, चातरय-स्त्री० [सं० चातुर्य] १ चतुराई। वाला पौष्टिक पदार्थ । ५ दाग, धब्बा । निपुणता, दक्षता । २ बुद्धिमानी। चाठ-१ देखो 'चाट' । २ देखो 'छाट' । चातुरिम-देखो 'चतुराई। चाठी-पु. १ धब्बा, दाग । २ निशान, चिह्न । ३ दूध देने वाले | चात्रग (गि, गी), चात्रक (क्क, ग, ग्ग)-१ देखो 'चातक' । पशु को खिलाया जाने वाला पौष्टिक पदार्थ । | २ देखो 'चतुर'। ३ देखो 'चतुरंग' । चाड-स्त्री. १ रक्षार्थ बुलाने की आवाज, पुकार । २ त्राहि- चात्रण-पु० शत्र दल का संहार । त्राहि का आर्तनाद । ३ रक्षा, सुरक्षा । ४ सहायता, मदद । चानणी (गे)-क्रि० १ शत्रुओं का संहार करना । २ मारना। ५ वमन, के । ६ उन्नति, बढ़ोतरी । ७ युद्ध, लड़ाई। ३ विध्वंस करना। ८ घोड़े का नथूना । ९ चाह, इच्छा । १० ऊंचाई, चढ़ाई। चात्रिंग, चात्रिग-१ देखो 'चतुर'। २ देखो 'चातक' । ११ अभिप्राय, प्रयोजन । १२ घर का भेद । १३ कुए से | चावर-स्त्री० [फा०] १ बिछाने या मोढ़ने का वस्त्र, चद्दर । पानी खींचने के लिये खड़े होने का स्थान । १४ विपत्ति, २ किसी धातु की परत, पत्तर। ३ कंधे पर रखने का छोटा बाधा। -वि. १ दुर्जन, कपटी (जैन) । २ चुगलखोर । वस्त्र । ४ साधुओं का वस्त्र । ५ देव मूर्ति पर चढ़ाई जाने ३ रक्षक। वाली पुष्प राशि । ६ बांध या जलाशय के ऊपर से बहने चाडपो (बो)-क्रि० [सं० चडि] १ सत्ता के विरुद्ध विद्रोह | वाली पानी की परत । ७ जल की चौड़ी धारा । करना, बगावत करना । २ कोप करना । ३ देखो ८ शामियाना, तंबू । ९ साधुओं को चद्दर के प्रतीक रूप में 'चढ़ाणी (बो)। दी जाने वाली धन राशि । चारव-पु० [सं० चदियाचने] कवि, काव्यकार । चावरी-पु० बिछाने, प्रोढ़ने या पर्दा लगाने का बड़ा वस्त्र । चाडाउ-स्त्री० संकट के समय अपने इष्ट से की जानी वाली चाप-पु० [सं०] १ धनुष । २ इन्द्र धनुष । ३ धनुष राशि। प्रार्थना। ४ अर्धवृत्त क्षेत्र, वृत्तांश । ५ पैर की प्राहट । ६ पाहट । बाडापुरी-स्त्री० अप्सरा, परी । ७ प्रस्तर पट्टिका । ८ रस्सी की डोरी । ९ ठगण के तृतीय चाउ-वि० चुगली करने वाला, निंदा करने वाला। भेद का नाम । -धारी-पु०-धनुर्धारी। बाडी-पु० १ बुद्धि या विचार शक्ति का अंश। २ दही मथने | चापड़-देखो 'चापड़ी। का पात्र । ३ छोटी मटकी। चापडणी (बी)-क्रि० [सं० चपेटम्] १ दबाना, चापना । बाढ़-स्त्री० १ इच्छा, अभिलाषा । २ देखो 'चाड'। २ भयभीत होना। ३ तीतर पक्षी का बोलना । ४ भागना । ५ पीछा करना । ६ युद्ध करना । वाढणी (बो)-देखो 'चढ़ाणो' (बो)। | चापड़-क्रि० वि० १ खुले प्राम, प्रकट रूप में, प्रत्यक्ष में । चातक (ग)-पू० [सं०] (स्त्री० चातकी) पपीहा नामक पक्षी। यत में। -प्रानंदन-पु० वर्षा ऋतु । बादल । चापड़ौ-पु० १ अनाज पीसकर छानने से निकलने वाला भूसा । वातरंग, चातर, चातरक-देखो 'चतुर' । २ रहंट के चक्र में मजबूती के लिये लगाया जाने वाला चातळ-पु० बड़ा कछुवा । काष्ठ खण्ड । चाती-स्त्री० फोड़े, फंसी पर लगाने की मरहम-पट्री। -वि. चापट-स्त्री० [सं० चपेट] १ चपत । २ चपेट, लपेट । ३ चोट । १ अनावश्यक रूप से चिपकने वाला । २ जबरदस्ती साथ ४ देखो ‘चापड़ी। होने वाला। चापटिया-स्त्री० कुभट की फली व बीज । For Private And Personal Use Only Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चापटी । ३९२ ) चापटी-स्त्री० १ पतले कान वाली बकरी । २ चाबुक । चार-वि० [सं० चत्वार] १ तीन और एक । २ थोड़ा, कुछ । ३ देखो 'चपटी'। [सं० चारु] ३ सुन्दर, मनोहर । ४ सुकुमार । -पु. चापटौ-वि० (स्त्री० चापटी) चपटा । -पु० हांकने का डंडा या १ चार की संख्या, ४ । २ गति, चाल । ३ बंधन । चाबुक। ४ कारागार । ५ गुप्तचर । ६ कृत्रिम विष । ७ चारा,घास । वापर (रि. री)-स्त्री० [सं० चापलं, चापल्य] १ शीघ्रता, ८ मोठ की सूखी पत्तियां। भोज्य पदार्थ। -पानीताकीद । २ टिड्डीदल से प्रच्छादित भूमि । स्त्री० चार पाने का सिक्का । -प्राइनो-पु. एक प्रकार चापळणा(बी)-क्रि० १ दुबक कर बैठना । २ ताक लगाकर का वृक्ष । बैठना । ३ शांत किन्तु सावधान होकर बैठना । | चारक-पु० [सं०] १ भेदिया, जासूस, गुप्तचर । २ गडरिया । चापळी-स्त्री० [सं० चपला] विद्युत, बिजली। ३ गोपाल ग्वाल । ४ नेता । ५ हांकने वाला, सारथी। चापलूस-वि० [फा०] १ झूठी प्रशंसा करने वाला । २ हां में हां ६ सईस । ७ घुड़सवार । ८ बंदी-गृह । ६ गति, चाल । मिलाने वाला । ३ खुशामदी। १० सहचर । ११ ब्रह्मचारी। चापलूसी-स्त्री० [फा०] १ झूठी प्रशंसा । २ खुशामद, चाटुकारी। | चारक्खी-देखो 'चरखी' । चापी-वि० [सं० चापिन् ] धनुर्धारी । -पु. १ शिव महादेव । चारखांणी-स्त्री. जीव की उत्पत्ति की चार गतियां व इनसे २ धनुराशि । उत्पन्न होने वाले जीव । चाफळणी (बो)-देखो 'चापळणी (बी)। चारजांमौ-पु० घोड़े या ऊंट की पीठ पर कसा जाने वाला चाब-स्त्री० [सं० चव्य] १ एक पौधा विशेष (वैद्यक) । प्रासन । २ वस्त्र, कपड़ा। चाबक, चाबकयो, चाबिको, चाबख-पु० बैल, घोडा प्रादि चारण-पु. (स्त्री० चारणी) १ राजस्थान, मध्यप्रदेश व हांकने का चमड़े का कोड़ा । चाबुक । गुजरात में फैली एक प्रसिद्ध जाति । २ इस जाति का चावरण-स्त्री० १ चाबने या चबाने की क्रिया। २ चबाकर खाने व्यक्ति। ३ कवि। -विद्या-पु. अथर्ववेद का एक अंश । लायक पदार्थ । चारणियावंट-पु० भूमि या जायदाद का समान बंटवारा, पाबरणो (बो)-क्रि० १ दांतों से कुचलना, चबाना । २ खाना । भाईबंट। ३ हजम करना। ४ दंत क्षत लगाना । चारणी-स्त्री०१चारण जाति की स्त्री । २ चारण कुलोत्पन्न चाबली-स्त्री० १ एक प्रकार की खंजरी, बाजा। २ इस बाजे देवी । ३ चलनी । -वि. चारण संबंधी, चारण का । पर गाया जाने वाला गीत । ३ छोटी डलिया। चारणी (बौ)-देखो 'चराणो' (बी)। चाबी-स्त्री० १ ताले अादि की कुजी, ताली । २ यंत्र का वह पुर्जा जिसको घुमाने से यंत्र चलता है । ३ किसी भेद या चारदिवारी, (दीवारी)-स्त्री० किसी भवन या शहर के चारों रहस्य को समझने की विधि, प्राधार या सूत्र । प्रोर की दीवार, परकोटा । चाबुक-पु० हांकने का कोड़ा। -सवार-पू० घोड़े का शिक्षक || चारलोक-पु० १ दूत, हलकारा। २ चार प्रकार के लोक । अश्वचालक । चाराजाई-स्त्री० [फा०] नालिश, फरियाद । चायुकियो-देखो 'चाबक'। धारि-देखो 'चार'। बाबेदार-देखो 'चोबदार'। बारिणी-देखो 'चारणी'। चाय-स्त्री० १ पूर्वी भारत में होने वाला एक प्रसिद्ध पौधा। चरित, (त)-१ देखो 'चरित्र' । २ देखो चारित्र। २ इस पौधे की सूखी पत्ती या पत्ती का भूसा जिसे दूध व चारिताळी-वि० (स्त्री. चारिताली) विभिन्न चरित्र करने पानी में उबाल कर पीया जाता है । ३ इच्छा, कामना । वाला। ४ उत्साह, जोश। चारित्र-पु० [सं० चारित्रम्, चारित्र] १ पाचरण । २ चालचायक-देखो 'चाहक'। चलन । ३ ख्याति, कीर्ति । ४ साधुता । ५ चरित्र । चायगुर-पु० योद्धा, बीर। | चारी-वि० [सं० चारिन्] १ विचरण करने वाला, भ्रमण चायती-वि० (स्त्री० चायती) १ चहेता, प्रिय । २ इच्छित | करने वाला । २ चलने वाला, गतिमान । ___ वांछित । चार-वि० [सं०] सुन्दर, मनोहर । -धारा-स्त्री० इन्द्र की चायना-स्त्री० १ इच्छा, अभिभाषा । २ जरूरत, भावश्यकता। पत्नी, शची । -विव-पु० श्रीकृष्ण का एक पुत्र । For Private And Personal Use Only Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org चावरणी -वेस-पु० श्रीकृष्ण व रुक्मिणी का पुत्र । -वा-पु० चालाक-वि० १ धूर्त, कपटी । २ निपुण, दक्ष । ३ चतुर, श्रीकृष्ण का एक अन्य पुत्र । बुद्धिमान । चारू-वि० चारों। चालाकी-स्त्री. १ चाल, धोखा, कपट । २ धूर्तता पूर्ण चारू मेर-क्रि० वि० चारों तरफ, चारों पोर । व्यवहार । ३ दक्षता, निपुणता । ४ चतुराई, बुद्धिमानी। चारू-वि० चरने वाला । -वळ, वळा-क्रि० वि० चारों ओर । चालाको-वि० गतिवान, तेज चलने वाला। चारोळी-स्त्री० १ चिरोंजी मेवा। २ नारियल की गिरी का | चाळागर (गारियो, गारो)-वि० (स्त्री० चाळागारी) १ उपद्रवी, __ खंड । ३ होली का दूसरा दिन । झगड़ालु । २ पाखंडी, आडंबरी । ३ राजनीतिज्ञ, चारो-पु. १ पशुओं का घास आदि खाद्य । २ मूग मोठ के सूखे कूटनीतिज्ञ । ४ बीर, योद्धा । ५ बहाने बाज । पत्ते । ३ भोजन, खाद्य । [फा० चारा] ४ उपाय, | चाळाबंध-वि० १ उद्दण्ड, उपद्रवी । २ पाखंडी। तरकीब । ५ वश, काबू । ६ रास्ता। चाळि (ळी)-१ देखो 'चाळ' । २ देखो 'चाळीस'। चाळ - स्त्री० १ कुर्ते के अग्रभाग की झोली । २ धरा, धरती। चाली-देखो 'चाल'। ३ खलिहान में अनाज साफ करने की बड़ी चलनी। ४ छेड़ चाळीस-वि० [सं० चत्वारिंशत्] तीस और दश। -पु० चालीस छाड़ । ५ क्रोध, गुस्सा । ६ परगना । ७ भवन, लोक । की संख्या, ४०।। ९ वस्त्र का छोर। | चाळीसयौ (वौं)-वि० चालीसवां, चालीस के स्थान वाला। चाल-स्त्री० [सं०] १ चलने की क्रिया या भाव । २ गति । चाळीसौ-पु०१ चालीसवां वर्ष । २ चालीस पदों का ग्रंथ । ३ चलने का ढंग । ४ आचरण, चरित्र । ५ आकार, ३ चालीस वस्तुओं का संग्रह . ४ मृतक के चालीसवें दिन प्राकृति । ६ रीति-रिवाज, परंपरा । ७ चालाकी, कपट, का भोजन । ५ चालीसवां दिन । (मुसलमान) धूर्तता । ८ विधि, ढंग। ६ खेल में गोटी या पत्ता चलने चालुक (क्य)-पु० [सं० चालुक्य] दक्षिण भारत का एक की पारी । १० हलचल, धूमधाम । ११ नकल, अनुकरण । | राजवंश । १२ मर्प । १३ चर, जंगम । | चालू-वि० [सं० चल्] १ गतिमान, चलायमान । २ प्रचलित । चाळक-पु. आवड़ देवी का एक नामान्तर । ३ जो चल रहा हो । -क्रि०वि० प्रारंभ, शुरू । चालक-वि० १ चलाने वाला, गतिमान करने वाला। २ युद्ध | चालेवौ-पु० शव यात्रा, जनाजा। करने वाला। ३ संचालक, निर्देशक । -पु. १ निरंकुश चाळोरी-देखो 'चारोळी'। हाथी । २ नृत्य की एक क्रिया। चाळी चाळही-पु० [सं० चल] १ दैहिक या दैविक प्रकोप । चालकनाराय (नेची)-स्त्री० पावड़ देवी का एक नाम । २ युद्ध, झगड़ा, लड़ाई । ३ उपद्रव, विद्रोह । ४ छेड़छाड़। चालकरौ-वि० छेड़छाड करने वाला, युद्ध प्रिय । ५ चाल । ६ भूत-प्रेतादि का उपद्रव, बाधा । ७ खेलचालगारौ-वि० चाल करने वाला, धोखा करने वाला । तमाशा । ८ प्रेम । ६ उमंग, उत्साह । १० पाकस्मिक चालचलगत (चलन)-स्त्री० आचरण, व्यवहार, चरित्र । घटना, चमत्कार । ११ पाखंड, ढोंग, आडंबर । १२ वस्त्र चालढाल-स्त्री० चलने का ढंग, तरीका, ऊठ-बैठ । का छोर, अांचल । १३ रहस्य, भेद । १४ कल्लोल, क्रीड़ा। चालणी-देखो 'चलणी'। चावंडदे-स्त्री० चामुण्डा देवी । चाळरणी (बी)-क्रि० १ छानना । २ उकसाना । ३ छेड़ना । चाव-पू. १चाह, रुचि । २ इच्छा, अभिलाषा । ३ उत्साह, ४ प्रहार करना। उमंग, जोश । ४ उत्सव । ५ प्रानन्द, हर्ष। ६ स्वभाव । चालणौ (बो)-देखो 'चलणी' (बी)। ७ मान, प्रतिष्ठा । ८ दान । चाळनेच-स्त्री० प्रावड़ देवी। चावक-पु० एक प्रकार का बाण। चाळबंद (बंध)-पु० १ राजा, भूपति । २ जागीरदार, भूस्वामी।। चावगर (गुर)-वि० १ कद्र करने वाला, कद्रदान । २ रुचि चालबाज-वि० कपटी, धूर्त । रखने वाला, चाहक । ३ प्राकाक्षी, महत्वाकांक्षी। चालबाजी-स्त्री० धूर्तता, कपट । चावड़-स्त्री० १ चार लटिकायों की रस्सी । २ वस्त्र की चार चाळराय-स्त्री० अावड़ देवी । परतें। ३ चौड़ाई। चाळवणी (बौ)-देखो 'चाळणी' (बी)। चावड़े-देखो 'चोडे'। चालान-पु० न्यायार्थ अदालत में अपराधी की उपस्थिति का चावणो (बो)-१ देखो 'चाबणी' (बो) । २ देखो प्रादेश या रवानगी। -दार-पु० रवानगी देने वाला व्यक्ति । 'चाहणी' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चावर ( ३९४ ) चित्या चावर-पु० जुताई के बाद भूमि को समतल करने के लिए फेरा | चिचड़ी-देखो 'चीचड़ी'। जाने वाला मोटा पाट, हैगा । चिचौ-देखो 'चिनो'। चावरी-स्त्री० एक रंग विशेष की बकरी । -वि० ठिगनी, | चिजी-वि० चिरंजीव । बौनी। चिडाळ-देखो 'चंडाळ'। चावळ, चावळियो, चावल्यो-पु. सफेद रंग का एक प्रसिद्ध अन्न, | चिडाळी-देखो 'चंडाळी'। भात । -वि० श्वेत, सफेद। चित-१ देखो 'चिंता'। २ देखो 'चितण' । ३ देखो 'चित' । चायोड़ो, चावी-वि० (स्त्री० चावी) प्रख्यात, प्रसिद्ध । -पु० | चितक-वि० [सं०] १ चिंता करने वाला । २ चिंतन करने कूया खोदने के लिए काटी जाने वाली भूमि की सतह। । वाला। ३ सोच-विचार करने वाला। चास-स्त्री० [सं०] १ नीलकण्ठ पक्षी । २ खबर, सन्देश । | चितकरि-स्त्री० छल, कपट । ३ शौक । ४ धरती, पृथ्वी । ५ हल से खींची रेखा, | चितरण (न)-पु० [सं० चितन] १ ईश्वर का चिंतन, स्मरण, सीता। ध्यान, भजन । २ विषय चिंतन । ३ सोच-विचार, खयाल । चासणी (नी)--स्त्री० १ चीनी या गुड का लसीला रस । ४ अन्वेषण, शोध । ५ सम्मान, आदर । ६ अभ्यास, २ चस्का । ३ नमूना । ४ रंगत । ५ प्राभूषण विशेष ।। मनन । चासरणी (बौ)-क्रि० दीपक जलाना । चितरणीय-वि० [सं० चितनीय] १ सोचने विचारने योग्य । चास-मास-स्त्री० खबर, सूचना । २ मनन करने योग्य । ३ जिसका चिंतन या ध्यान किया चासविदार-पु० १ हल । २ सूअर । जावे । ४ चिंता करने योग्य । ५ सोचनीय । चासू, चासौ-वि० चुस्त, फुर्तीला । -पु० १ बंगाली कृषक । | चितरणी (बी), चितवरणो (बी)-क्रि० [सं० चितनम] २ कृषक। १ चिंतन, मनन या ध्यान करना । २ याद करना, स्मरण चाह-स्त्री० [सं०] १ इच्छा, अभिलाषा । २ प्रेम । ३ लगन । करना । ३ चिता करना, फिकर करना। ४ आवश्यकता, जरूरत । [फा०] ५ कूमा, कूप । चिता-स्त्री० [सं०] १ फिक्र, सोच। २ दुःख, शोक, उदासी। चाहक-वि० चाहने वाला । प्रेमी। ३ अाशंका, भय । ४ खेद, अफसोस । ५ व्यग्रता, पाकुलाई। चाहण-स्त्री० चाहने का भाव, चाह, इच्छा कामना । -देवी- ६ ध्यान, चिंतन । ७ याद, स्मरण । ८ परवाह । ६ करुण स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी। - रस का व्यभिचारी भाव । -आकुळ, प्रातर-वि०-चिंता चाहणी-वि० चाहने वाला। से व्याकुल, व्यथित । उत्सुक । चाहणी (बी)-क्रि० १ चाहना, इच्छा करना । २ प्रेम करना, | चितागियो-पु. एक प्रकार का घोड़ा। स्नेह रखना। ३ हित करना, भला करना । चितामण, (मरिण, मणी, मिणी)-स्त्री० [सं० चिंतामणि] चाहरो-देखो 'चाअरो'। १ वांछित फल देने वाली एक कल्पित मरिण । २ ब्रह्मा। चाहल-पु० उत्सव समारोह । जलसा । ३ परमेश्वर, ईश्वर । ४ सरस्वती का एक मंत्र । ५ कपिल चाहि-देखो 'चाह'। के यहाँ जन्म लेने वाला एक गणेश । ६ घोड़े के नाक या चाहिजे, (जै, यह, य)-प्रव्य० चाहिए, जरूरत है, उपयुक्त, | गले पर होने वाली एक भौंरी । ७ ऐसी भौरी वाला ___ अपेक्षित है। घोड़ा। ८ यात्रा का एक योग। चाही-स्त्री० कूए के पानी से सींचित भूमि । -वि० इच्छित । चितार-स्त्री० स्मृति, याद । चाहु (हू)-वि० चाहने वाला। चितारणौ (बौ)-देखो 'चितारणी' (बौ)। चाह्यौ-वि० इच्छित, वांछित । चितावंत-वि० चिता, सोच, फिकर, चिंतन करने वाला । चित्री-पु० इमली का बीज, चिया। चिगरण-स्त्री० [सं० चिंतागण] श्मशान भूमि की आग । चिताहर-वि० चिता का हरण करने वाला। -पु० ईश्वर, परमात्मा । चिता। चिगरज-स्त्री० [सं० चिह्नरज] भूमि, पृथ्वी। चितित, चितिय-वि० [सं० चितत] १ चिंता करने वाला, चिगौ-पु० घोड़ा, अश्व । उदास, खिन्नचित्त । २ जिसका चिंतन किया गया हो। चिघाड़-स्त्री० १ हाथी की आवाज । २ चीख, चिल्लाहट। | चिती-वि० चित्तवाली, बुद्धिवाली। चिघाडणी (बौ)-क्रि० १ हाथी का बोलना । २ चीखना. | चितू-देखो 'चित' । चिल्लाना। चित्या-देखो चिता'। For Private And Personal Use Only Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिदी बिगाडरपो चिदी-स्त्री० वस्त्र की धज्जी, वस्त्र पट्टिका । चिकारौ-पृ० १ एक प्रकार का हरिन । २ सारंगी की जाति का चिंध-पु० [सं० चिह्न १ चिह्न, निशानी । २ देखो 'चींध'। एक वाद्य यंत्र । -पट्ट-पु. खास निशान युक्त पट्टा (जैन)। चिकाळ-स्त्री० मदिरा, शराब । चिम-स्त्री. प्रांख के काले कोये पर होने वाला सफेद दाग। चिकिछा-देखो "चिकित्सा'। चियो-पु० [सं० चिचा] १ जलाशय या पानी के किनारे | चिकित्सक-पु० [सं०] रोगों का उपचार करने वाला वैद्य, उत्पन्न होने वाला घास । २ अविकसित कच्चा फल । हकीम, डाक्टर। ३ इमली का बीज । ४ वणिक, बनिया । ५ व्यापारी। । चिकित्सा-स्त्री० [सं०] १ रोग का उपचार, इलाज । २ उपाय, चि-पु० [सं०] १ सूर्य, भानु । २ संग्रह, ढेर । ३ आवाज । | व्यवस्था। ४ दीवार । ५ चित्र । ६ बकरी । ७ पिंड । ८ भय । चिकिल-पु० [सं०] कीचड़, पंक । -प्रव्य० की। चिकीरसव-स्त्री० [सं० चिकीर्षा] इच्छा, अभिलाषा । चिमार, (रि, रे)-वि० [सं० चत्वार] चार । चिकुर-पु० [सं०] १ सिर के बाल । २ पर्वत । ३ रेंगने वाला चिऊपाळीस-स्त्री० चालीस और चार के योग की संख्या, ४४।। जीव । ४ केश । -वि० [सं०] १ चंचल, अस्थिर । २ कांपने चिक-स्त्री० [तु०] १ बांस की खपचियों का पर्दा । २ गले का ___वाला । ३ अविचारी, दुस्साहसी। एक स्वर्णाभूषण। -चिकतो-वि० तर, चकाचक । चिक्कट-देखो 'चीकट'। चिकचिकी-स्त्री० १ तर माल के प्रति अरुचि । २ पसीने से चिक्कण, चिक्करिण, (पी)-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार की होने वाली गंदगी। ककड़ी । २ एक प्रकार की सुपारी। ३ देखो 'चिकन' । चिकछा-देखो "चिकित्सा' । -वि०१ चिकना, स्निग्ध। २ कोयल । ३ चमकीला । चिकट-देखो 'चीकट'। ४ फिसलाहट वाला। चिकटणी (बो)-क्रि० मैल या चिकनाई के कारण चिपचिपा | चिक्करणौ, (बो)-क्रि० १ हाथी का चिंघाड़ना। २ चोखना, होना। चिल्लाना। चिकटाई-देखो 'चीकट'। चिक्कस-स्त्री० [सं०] १ यव या जौ का बना भोज्य पदार्थ । चिकडोर-पु० जालीदार, कपाट । २ उबटन। चिकणाई, चिकणाट-स्त्री० १ स्निग्धता, चिकनाई । २ घी, चिक्खल (लो) चिक्खिल-देखो 'चीखलौ'। तेल आदि स्निग्ध पदार्थ । ३ खुरदरेपन का प्रभाव, चिख-पु० [सं० चक्षु] १ नेत्र, प्रांख, चक्षु । २ दृष्टि, नजर । फिसलन । ३ देखो 'चिक'। चिकरणाणो (बौ)-क्रि० १ चिकना करना, स्निग्ध करना । २ तर चिगंदौ-देखो 'चिगदी। - करना। ३ घिस कर चिकना करना, फिसलने योग्य करना। | चिग-देखो 'चिक'। चिकरणाय (वट, स, हट,)-स्त्री० १ चिकनाहट, स्निग्धता । चिगचिगी-स्त्री० कमजोरी या बुखार में होने वाला पसीना । २ खुरदरेपन का प्रभाव, फिसलन की अवस्था । ३ शक, | चिगट-देखो 'चीकट'। पाशंका। ४ स्निग्ध पदार्थ । चिगणी, (बो)-क्रि० चिढ़ना, खीझना, चिढ़ाया जाना। विकरणी (बी)-कि० १ द्रव पदार्थ का चूना, टपकना । २ घाव चिगत, चिगथळी, चिगौ-१ देखो 'चगताई' । २ देखो - से रक्त आदि उबकना । ३ देखो 'छिकणो' (बी)। ___'चिगथ्यौ'। चिकत्सथान-पु० चिकित्सालय । चि गथ्यौ-पु० वस्त्र या कागज का टुकड़ा । चिकन (न)-पु० [फा० चिकिन] एक प्रकार का कसीदा। चिगदरणी, (बौ)-क्रि० कुचलना, चूरा करना, रोंदना । चिगदी-पु० १ कूट-पीट कर किया गया चूरा, भूसा । २ घाव, चिकर-पु० [सं० चिकुर] १ रेंगने वाला जीव । २ छछदर । जख्म । ३ धब्बा । ४ खंड, टुकड़ा। ५ खरोंच । ६ चोट, ३ गिलहरी । ४ चिकुर । आघात या टक्कर का निशान । चिकलाला)-पु० स० गचाकल | १ काचड़, पक । २ पाना आदि चिगळरणी, (बौ)-क्रि० १ मुह में रखकर धीरे-धीरे खाना । फैलने से होने वाली गंदगी। २ दांतों से कुचलने का प्रयास करना । ३ तरसाना । चिकारणौ (बौ)-क्रि० प्रौषधियों में पुट देना। चिगाड़णो (बो), चिगाणी, (बौ)-क्रि० १ तरसाना । २ दिखा‘धिकार-पु० [सं० चिकीषति, चीत्कार] १ झुण्ड, समूह ।। दिखा कर चिढ़ाना । ३ भुलावा देना, फुसलाना । ४ लेने २ चीख, पुकार। ३ चिंघाड़। के लिए प्रेरित करना मगर नहीं देना । For Private And Personal Use Only Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिगाळी ( ३९६ ) चिट्ठिम चिगाळी-स्त्री०चिढ़ाने के लिए की जाने वाली किसी की नकल। चिड़ कलउ-पु० १ चिड़ियापक्षी। २ देखो 'चिडोकली'। चिगावणी, (बौ)-देखो 'चिगाणी' (बी)। चिड़ोकड़ (कड़ो, कलो)-वि० (स्त्री० चिडोकड़ी, चिडोकली) चिगी-देखो 'चिगाळी'। १ चिड़चिड़े स्वभाव वाला, चिढ़ने वाला । २ तुनक चिग्ग-देखो 'चिक'। मिजाज । चिड़-स्त्री० १ चिड़चिड़ाने या चिढ़ने की क्रिया या भाव । चिड़ो-पु० [सं० चटक:] (स्त्री० चिड़ी) चिड़िया नामक नर २ वह बात या संकेत जिससे कोई चिढ़ता हो । ३ कुढ़न । पक्षी। ४ नफरत, घृणा । ५ अप्रसन्नता । ६ विरक्ति । ७ चिड़ियों चिचकियो-पु. भग, योनि : का समूह । ८ एक प्रकार का छोटा पक्षी । ६ देव मूर्ति का | चिचान-पु० [सं० सचान एक प्रकार का बाज पक्षी। आभूषण। चिच्चि-स्त्री० तेज व भयंकर आवाज (जैन)। चिड़उ-देखो "चिड़ौ'। चिच्चिका-स्त्री० एक वाद्य विशेष । चिड़कल, चिड़कली-स्त्री. १ चरखे के हत्थे पर बना चिड़ी की | चिजारौ-देखो 'चेजारौ' । प्राकृति का उपकरण । २ देखो 'चिडी'।३ देखो | चिट-स्त्री० [सं० चीष्ठिका] १ कागज का टुकड़ा, पर्ची। 'चिड़ोकलो' (स्त्री०)। २ छोटा रुक्का । ३ वस्त्र का छोटा टुकड़ा । ४ जिद्द, हठ, चिड़कलौ, चिड़कोलो, चिड़कोल्यो-पु० १ चित्रा नक्षत्र ।। दुराग्रह । ५ रट। २ अश्लेषा नक्षत्र । ३ देखो 'चिड़ौ'। ४ देखो 'चिडोकलो'। चिटक-स्त्री० १ नारियल की गिरी का टुकड़ा । २ टुकड़ा, चिड़चिड़ाट (हट)-स्त्री० चिढ़ने की क्रिया या भाव । खण्ड, भाग । ३ पपड़ी। ४ चमक । चू-चप्पड़। चिटकरण-पु. १ बैलों का एक रोग । २ इस रोग से पीड़ित चिड़चिड़ियो-पु. एक प्रकार का घास । बैल । चिड़चिड़ो-वि० (स्त्री० चिड़चिड़ी) बात-बात पर चिढ़ने वाला, चिटकरणी (नी)-स्त्री० दरवाजे की छोटी अर्गला या कुदी। __ तुनक मिजाज । चिटकरणौ (बो)-देखो 'चटकणौ' (बी)। चिड़णो, (बौ)-क्रि० १ चिढ़ना, चिड़चिड़ाना ।२ क्रोध | चिटको-देखो 'चटको'। करना । ३ झल्लाना। ४ बकना । ५ द्वेष करना। चिटली-देखो 'चिटू'। ६ डांटना, फटकारना । ७ कुढ़ना, खीजना। चिटियो-पु. १ हाथ में रखने की छड़ी। २ ऐसी लकड़ी जिसका चिड़पड़ो-वि० (स्त्री० चिड़पड़ी) १ तुनक मिजाज । २ गीला, एक शिरा अर्ध चन्द्राकार मुड़ा हुआ हो । ३ छोटा कुल्हड़ा। कीचड़युक्त। (मेवात) चिड़मड़णी, (बी) चिड़भिडणी, बी)-देखो 'चड़भड़णी' (बी)। | चिटी-स्त्री० [सं०] १ चाण्डाल वेश धारी एक योगिनी।। २ देखो 'चिट्ठी' । ३ देखो 'चिटू'। चिडाणो, (बी), चिड़ावणी (बी)-क्रि० १ चिढ़ाना, चिढ़ने वाली टेखो 'ति'। न | चिटुड़ी (लो)-देखो 'चिटू'। वाली बात कहना, चिढ़ने वाला संकेत करना । २ कुढ़ाना खिजाना । ३ गुस्सा या क्रोध दिलाना । ४ नाराज करना । चिटुलो-पु० काले नाग का बच्चा। ५ किसी का उपहास करना । चिटु-स्त्री० कनिष्ठा अगुली । -वि० छोटा, अल्प । चिड़िया-स्त्री० [सं० चटक] उड़ने वाला एक छोटा पक्षी, चिटौ-वि० १ स्पष्ट, खुलासा । २ श्वेत, सफेद । चिड़ी। -खांनौ-पु० चिड़ियों को पालने का स्थान । चिट्ट-देखो 'चिट'। टा-स्त्रा० एक प्रकार का घास । -छट-स्त्री० भादव | चिट्टी-स्त्री०१ एक देशी खेल । २ देखो चिटी' । कृष्णा षष्ठी तिथि । -टूक-पु० वह पहाड़ी जिस पर चिट्टी-देखो 'चिटौ'। जोधपुर का किला स्थित है। -नाथ-पु. उक्त पहाड़ी पर रहने वाले एक सिद्ध। चिट्ठ-वि० बहुत, अधिक । (जैन) चिडियाळ-स्त्री० एक प्रकार की भंग। चिट्ठरण-वि० खड़ा, सीधा । (जैन) चिड़ी-स्त्री० [सं० चटक] एक छोटा पक्षी। ---खेत, खेतियौ, चिट्ठाणा-स्त्री० स्थिति, बंठक । (जैन) धांरिणयौ-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक घास । चिट्ठा-स्त्री० चेष्टा । (जैन) --मार-पु. शिकारी, व्याध । -मोठ, मोठियौ-पु० एक चिठ्ठिन, चिट्ठित-पु० [सं० चेष्टित] १ चेष्टा, सविकार प्रकार की घास। अंग । (जैन) २ अवस्था, स्थिति । (जैन) For Private And Personal Use Only Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org चिट्ठी चितौर चिट्ठी-स्त्री० [सं० चीष्ठिका] १ कुशल-समाचार का पत्र, चितरांण (रणौ)-पु० चित्तौड़ का राणा । खत । २ लिखा हुअा कोई पत्र । ३ सन्देश या आज्ञा पत्र । चितरांम-पु० चित्र, तस्वीर। ४ मृत्यु संदेश का पत्र । ५ हिदायत या शिक्षा का पत्र । चितराणी (बौ), चितरावरणौ (बौ)-क्रि० १ चित्रित करना, चित्र चिट्ठी-पु. १ प्राय-व्यय का विवरण-पत्र । २ हिसाब रखने बनाना । २ नक्काशी करना । ३ खराद उतारना । की बही । ३ किसी के खाते का ब्योरा। चितळ-स्त्री० [सं० चित्रल] १ मोटे प्राकार का चकत्तेदार चिडउ-देखो 'चिड़ो'। सर्प। २ एक प्रकार का हिरन । चिडिग-पु० [सं० चिटिक] पक्षी । (जैन) चितळती-स्त्री० चितकबरी बकरी। चिढ़-देखो 'चिड़। चितळी-वि० मन में बसी, चित्त चढ़ी। चिरण-स्त्री० चिनगारी। चितवण (रिण, णी)-स्त्री० १ चितवन । २ दृष्टि । ३ कटाक्ष । चिणक (ख, ग)-स्त्री०१ बुरी लगने वाली बात। २ बात से होने चितवरणौ (बौ)-क्रि० [सं० चिंतन] १ मन में सोचना, विचार वाला गुस्सा । ३ अग्निकरण । ४ ताव, जोश । ५ तुनतुनाहट। करना, चिंतन करना । २ इच्छा करना। ३ निश्चय ६ देखो 'चरणक'। करना। ४ देखना। चिरगटी-स्त्री० १ चपत, थप्पड़, तमाचा । २ छोटी जू। चितवाळी-वि० (स्त्री० चितवाळी) १ चंचल, चपल । २ सुदर, चिरणगार (री)-स्त्री० [सं० चूर्ण-अंगार] १ छोटा अग्निकण, मनोहर । ३ उदार । चिनगारी। २ कलह कराने वाली बात । चितविलास-पु० डिंगल का एक गीत, छंद विशेष । चिरणगियो-पु. पेशाब में जलन या दर्द होने का रोग। चितहर (ण)-पु० [सं० चित्तहर] वस्त्र । -वि० मनोहर, चिणगी-१ देखो चिरणगारी' । २ देखो 'चिणक' । सुन्दर । चिणणो (बो)-देखो 'चुणणी' (बौ) । चितांमरण (रिण, पी)-देखो 'चिंतामणि' । चिणाई-१ देखो 'चुणाई' । २ देखो 'चंणारी' । चिता-स्त्री० १ शव दाह के लिये चुनी हुई लकड़ियां । २ चित्रक चिरपाणी (बी), चिरणावरणी (बौ)-देखो 'चुणाणी' (बी) नामक औषधि । ३ चगतई वंश का मुगल । चिरिणयाकपूर-पु. एक प्रकार का कपूर। चितारणी (बौ)-क्रि० १ सचेत या सावधान करना । २ स्मरण चिरण-देखो 'चणी'। कराना, याद दिलाना। ३ आत्म-बोध कराना। ४ सुलगाना चिरणोठी (ठी)-स्त्री० [सं० चित्रपृष्ठा] धुघची, गुजा । प्रज्वलित करना। चिणी-पु० १ बन्दूक के कान पर लगाया जाने वाला उपकरण । चितानळ-स्त्री० दाहसंस्कार की अग्नि । २ तृण, तिनका । ३ चीनी कपूर । ४ देखो 'चणौ'। चिताभूमि-स्त्री० श्मशान भूमि । मरघट । चित-पु-[सं० चित्त] १ मन, दिल, हृदय । २ बुद्धि, अक्ल । | चितारणी-स्त्री०१ स्मृति, याद । २ स्मृति चिह्न। ३ ज्ञान, चेतना, वृत्ति । ४ विचार, विचार शक्ति। चितारणौ (बी)-क्रि०१ याद करना, स्मरण करना । २ चित्र ५ मनोयोग। ६ इच्छा । ७ प्रतिभा । ८ प्रात्मा । -वि० | बनाना । १ मुह ऊपर करके लेटा हुमा । २ जिसका मुख्य भाग | चितारौ-पु० (स्त्री० चितरी) १ चित्रकार । २ नक्काशी करने ऊपर हो, सीधा । ३ देखो 'चित्र'। -इलोळ-पु०-डिंगल वाला । ३ चित्रित करने वाला, वर्णन करने वाला। का एक गीत। -कबरौ-वि० काला व श्वेत, मिश्रित वर्ण ४ याद करने वाला। का।-चोजी-वि० मन मौजी। छैला. शौकीन, उत्साही। चिताळ-स्त्री० स्नान करने की शिला या पत्थर । -पुट-पु० एकदेशी खेल । -धारी-वि० उदार । चितावरणौ (बौ)-देखो 'चिताणो' (बो)। -बंकी-वि० उदार । वीर, साहसी । -बंगौ-वि० चितावर-पु० चित्तौड़। मति भ्रम । पागल । हीन बुद्धि । -बाहु-पु. तलवार का | चिति-पु० [सं० चैत्य] १ समाधि स्थान । एक हाथ । मति भ्रम। -भंग, भंगौ-वि० उन्माद रोग २ देखो 'चित' (जैन)। से पड़ित । उदास । -भरम, भरमियो-वि. चित्त भ्रम । चितेरण-स्त्री० १ चित्र बनाने वाली स्त्री। २ चित्रकार की पागल । --मठियो, मठौ-वि० कृपण कंजूस । स्त्री। ३ व्योरा, वर्णन । चितरंगताळ-पु० सुन्दर व छोटे-छोटे ताल-तलैया । चितेरणौ बौ)-क्रि० चित्र बनाना । चित्रित करना । चितरंगमहळ-पु० रंग महल, सुरतिमहल । चितेरौ-देखो चितारौ'। चितरणौ (बौ)-क्रि०१ चित्रित होना, चित्र बनना । २ नक्काशी चितौड-प०१ मेवाड़ की राजधानी का नगर । २ इस नगर में किया जाना । ३ खराद उतरना । स्थापित प्राचीन गढ़। For Private And Personal Use Only Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चितोड़ी ( ३९८ ) चित्रलेखा चितौड़ी, चितौड़ो-पु. १ चांदी का एक प्राचीन सिक्का । १२ अशोक वृक्ष । १३ श्रृंगार में एक प्रासन । १४ चम२ सिसोदिया राजपूत। कीला प्राभूषण । -वि० १ चमकीला । २ स्पष्ट, साफ । चिरांग-पु० [सं० चित्राङ्क] एक प्रकार का कल्प वृक्ष । (जैन) ३ विलक्षण, अद्भुत । ४ रंग-विरंगा । ५ रुचिकर, प्रिय । चितंगौ-वि० (स्त्री० चित्तंगी) चित्तभ्रम,पागल । -पु०चित्तौड़। -कर-पु० चित्रकार। -करम-पु. बहत्तर कलाओं के चित्त-१ देखो 'चित' । २ देखो 'चित्र' । अन्तर्गत एक। -कळा-स्त्री० चित्र बनाने की कला । वित्तउत्त-पु० सोलहवें तीर्थंकर का नाम । चित्रगुप्त । -कार-पु० चित्र बनाने वाला। -कारी-स्त्री० ६४ चित्तकरणगा-स्त्री० [सं० चित्रकनका] विद्युत्कुमारी नामक देवी | कलाओं में से एक । -काव्य-पु० चित्र के रूप में लिखा विशेष (जैन)। हा कोई काव्य । -मंदिर, महळ-पु० चित्रशाला । चित्तफूड-१ देखो 'चत्रकूट'। २ देखो 'चितौड़। -योग-पु० ६४ कलानों में से एक । -विद्या-स्त्री० चित्तग-पु० [सं० चित्रक] १ चीता। २ एक पशु विशेष (जैन) चित्रकला। -सारी, साळा, साळी-स्त्री० चित्रशाला । चित्तगुत्त-पु० चित्रगुप्त । चित्रक-पु० [सं०] १ एक प्रकार का छोटा क्षुप । २ हिरन । चित्तगुत्ता-स्त्री० [सं० चित्रगुप्ता] १ सोम नामक दिपाल की चित्रकूट, (कोट)-पु० [सं०] १ एक प्रसिद्ध पर्वत । २ चित्तौड़ । अग्र महिषी । २ दक्षिण रुचक पर्वत पर बसने वाली एक | चित्रकेतु-पु० [सं०] १ चित्रित पताका रखने वाला व्यक्ति । दिक्ककुमारी (जैन)। २ लक्ष्मण का एक पुत्र । ३ गरुड़ का एक पुत्र । चित्रांगो-वि० (म्त्री० चित्तंगी) उज्जवल, पाक दिल । चित्रगढ़-पु० चित्तौड़गढ़ । चित्तकावी-वि० अभीष्ट, वांछित । चित्रगुप्त-पु० [सं०] चौदह यमराजों में से एक । चित्तण्णु-वि० [सं० चित्तज्ञ] मन की जानने वाला । (जैन) चित्रघंटा-स्त्री० नौ दुर्गानों में से एक । चित्त-पक्ख-पु० [सं० चित्रपक्ष] वेणुदेव नामक इन्द्र का एक चित्रण-स्त्री० [सं०] १ चित्रित करने का कार्य । २ वर्णन । लोकपाल । (जैन) ३ व्याख्या। चित्तपत्तन-पु० [सं० चित्रपत्रक] १ चार इन्द्रियधारी जीव । चित्रणी-स्त्री० [सं०] चार प्रकार की स्त्रियों में से एक । २ विचित्र पंख वाला जंतु विशेष । (जैन) चित्रणौ (बी)-क्रि० १ चित्रित करना । २ वर्णन करना। चित्तप्रसादण (न)-पु० चित्त का एक संस्कार । चित्रपदा-पु० [सं०] एक प्रकार का छंद । -स्त्री० मैना पक्षी । चित्तभंग-देखो "चितभंग' । चित्रपुंख (पूख)-पु० [सं०] तीर, बांण । चित्तभू-पु० [सं०] कामदेव । चित्रविचित्र-वि० १ अद्भुत, विनित्र । २ रंग विरंगा। चित्तभूमि-स्त्री० चित्त की पांच अवस्थाऐं । (योग) चित्रमाण (भाण, मानु)-पु० [सं० चित्रभानु] १ अग्नि । चित्तभ्रम-वि० मूर्ख, पागल, मतिभ्रम । २ सूर्य । ३ अश्विनीकुमार । ४ भैरव । ५ मणिपुर के चित्तरस-पु० [सं० चित्ररस] एक कल्प वृक्ष । (जैन) राजा व अर्जुन के श्वसुर । ६ साठ संवत्सरों के बारह चित्तळ-देखो 'चीतळ'। युगों में से चौथे युग का प्रथम वर्ष । ७ चित्रक । ८ प्राक चित्तविक्षेप-पु० चित्त की अस्थिरता । का वृक्ष । चित्तविग्भम, (विभ्रम)-पु. मतिभ्रम ।। चित्रमरिण-स्त्री० घोड़े के पेट पर होने वाली सीप के प्राकार चित्तहिलोळ-पु० डिंगल का एक गीत (छन्द) विशेष । की भौंरी। चित्तारो-देखो 'चितारौं' । (स्त्री० चितारी)। चित्रमद-पुनायक का चित्र देखकर नायिका का विरह चित्तसाळा, (समा)-स्त्री० चित्रशाला । प्रदर्शन। चित्ता-स्त्री० १ चित्रा नक्षत्र । २ देखो 'चिंता' । चित्ररथ-पु० [सं०] १ सूर्य । २ एक गंधर्व । ३ श्रीकृष्ण का चित्तार-पु० चित्रकार । (जैन) एक पौत्र । ४ एक यदुवंशी राजा। ५ अंग देश के राजा चित्ति-देखो 'चित्त'। का नाम । चित्र-पु० [सं०] १ किसी वस्तु या जीव की तसवीर, फोटो, चित्ररेखा-स्त्री० [सं०] बाणासुर की कन्या उषा की एक चित्र, प्राकृति । २ किसी तसवीर या प्राकृति का ढांचा. सहेली। खाखा । ३ धब्बा, दाग । ४ स्वर्ग, आकाश । ५ कई प्रकार | चित्रल-वि० [सं०] चितकबरा । के रंगों का समूह । ६ काव्य में एक अलंकार । ७ रस, | चित्रलेख-देखो "चित्रगुप्त'। अलंकार युक्त कविता या काव्य । ८ कुष्ठ रोग का एक | चित्रलेखा-स्त्री० [सं०] १ एक अप्सरा । २ चित्ररेखा। भेद । ६ चित्रगुप्त । १० दृश्य । ११ यवन मुसलमान । ३ चित्र बनाने की कूची । ४ एक वर्णवृत्त विशेष । For Private And Personal Use Only Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चित्रवन चिवटी चित्रवन-पु० [सं०] गंडक नदी के किनारे का वन । चिन्न-वि० [सं० चीर्ण] १ आचरित, अनुष्ठित । २ विहित, चित्रसाळा (ळो)-स्त्री० [सं० चित्रशाला] १ रंग महल । कृत । ३ चिह्न, निशान । (जैन) २ वह स्थान जहां चित्र बनाये जाते हैं । ३ चित्रों की | चिन्योक-देखो 'चिनियोक' । सजावट का स्थान। चिन्ह-पु० [सं० चिह्न] १ निशान, संकेत। २ दाग, धब्बा। चित्रसिखंडी-पु० [सं०] सप्त ऋषि । ३ मोहर, निशानी। ४ लक्षण। ५ चपरास, बिल्ला। चित्रसिखंडीज-पु. बृहस्पति । ६ राशि। ७ लक्ष्य दिशा । ८ पताका, झण्डा । ९ प्रथम चित्रसेन-पु० [सं०] १ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । २ एक पुरुवंशीय लघु ढगण के भेद का नाम । राजा। चिन्हाई-पु० चीन देशोत्पन्न एक प्रकार का घोड़ा । चित्रांग (गदु)-पु० [सं०] १ राजा शांतनु का एक पुत्र । चिपक-पु० १ शिकार में सहायता करने वाला पक्षी विशेष । २ गंधों के राजा का नाम । २ चिपटने या सटने की क्रिया या भाव । चित्रांगदा-स्त्री० [सं०] १ अर्जुन की एक स्त्री। २ रावण की चिपकरण-पु० आभूषण विशेष । (मेवात) एक स्त्री। चिपकरणो (बो)-क्रि० [सं० चिपिट] १ गोंद आदि लसीली वस्तु चित्रांम-पु० १ चित्र, तस्वीर । २ नक्काशी। के योग से किन्ही दो वस्तुओं का परस्पर जुड़ना, सटना, चित्रांमरण (मरिण, मिण)-स्त्री० एक देवी विशेष । चिपटना। २ प्रगाढ़ रूप से लिपटना। ३ संयुक्त होना । चित्रांमि-देखो 'चित्र'। ४ प्रालिंगनबद्ध होना। ५ किसी काम में लगना, संलग्न चित्रा-स्त्री० [सं०] १ सत्ताईश नक्षत्रों में से चौदहवां नक्षत्र । होना । २ चितकबरी गाय । ३ एक नदी का नाम । ४ एक चिपकारणौ (बौ), चिपकावरणौ (बी)-क्रि० १ लसीली वस्तु के अप्सरा का नाम । ५ संगीत में एक मूर्छना । ६ एक योग से किन्ही दो वस्तुओं को परस्पर जोड़ना, सटाना, प्राचीन तार वाद्य । ७ एक सर्प का नाम । ८ एक छंद चिपटाना । २ गाढ़ा लिपटाना। ३ संयुक्त करना । विशेष । ४ आलिंगनबद्ध करना। ५ किसी काम में लगाना) चित्रारौ-देखो 'चितारौ' । संलग्न करना। चित्रावेलि-स्त्री० [सं० चित्रकवल्ली] चित्रकवल्ली। चिपड़ो-देखो 'चपड़ो'। चित्रित-वि० [सं०] १ वणित । २ चित्र द्वारा दर्शाया हुआ। चिपचिप चिपचिपाहट-स्त्री० १ लसीलापन । २ चिपचिपाने की ३ चित्रांकित । अवस्था या भाव। चित्र (त्र)-पु. १ शिकार के लिए शिक्षित चीता या कुत्ता। चिपचिपारणौ, (बौ)-क्रि० १ लसीलापन होना। २ चिपचिप २ चीता। ३ चित्र । करना । ३ छूने से चिपकना । चित्रोत्तर-पु० [सं०] एक प्रकार का काव्यालंकार । चिपचिपौ-वि० (स्त्री० चिपचिपी) लसीला, चेपदार । चिथड़ी (रौ)-देखो 'चीथड़ो' । चिपटरणौ. (बौ)-देखो 'चिपकणों' (बी)। चिदाकास-पु० [सं० चिदाकाश] परब्रह्म। चिपटारणौ (बी), चिपटावरणौ (बौ)-देखो "चिपकारणो' (बी)। चिदाणंद (नंद)-पु० [सं० चिदानन्द] परब्रह्म, ईश्वर । चिपटी-१ देखो 'चपटी' । २ देखो 'चिमटी'। चिदानंदी-वि० चित्त से प्रसन्न रहने वाला। चिपटौ-देखो 'चपटौ'। चिदाभास-पु० [सं०] जीवात्मा । चिपठी-देखो 'चिमठी'। चिद्रूप-पु० [सं०] चैतन्य स्वरूप परमेश्वर । चिपणी, (बी)-देखो 'चिपकरणो' (बी)। चिनंग-देखो चिरणग'। चिपाणी, (बौ), चिपावणौ, (बो)-देखो 'चिपकारणो' (बी)। चिनकियेक, चिनकियोक, चिनकोक-वि० किचित, अल्प,जरासा। चिपिड-वि० चिपिट, चपटा । (जैन) चिनख-देखा 'चिणग'। चिप्प-पु० नाखून के नीचे होने वाला एक फोड़ा । चिनाब-स्त्री० पंजाब की एक नदी। चिप्पिड़-पु० १ एक अन्न विशेष । २ क्यारा । (जैन) चिनियाकेलौ-पु. छोटी जाति का केला। चिबटियो-पु० १ छोटा कंकड़ । २ अंगुष्ट में अंगुली को अटका चिनियोक-वि० किंचित, अल्प । कर झटके से की जाने वाली चोट । ३ देखो 'चिरमोटियो। चिनियोघोड़ो-पु. वह घोड़ा जिसके चारों पांव सफेद हों। चिबटी, (ठी)-स्त्री० [सं० चुमुटि] १ चुटकी। २ चुटकी चिनीक-वि० ग्रल, किचित । बजाने की ध्वनि । ३ अंगुलियों के पंजों में पकड़ा जा सकने चिनौ-पृ० एक रंग विशेष का घोड़ा । वाला पदार्थ । ४ अंगुलियों की ऐसी ही मुद्रा। For Private And Personal Use Only Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिबळरणी । ४०० ) चिरपोटण चिबळरणौ, (बी)-क्रि० चबाना मुंह में डाल कर जिह्वा पर | चियत्त-वि० [सं० त्यक्त] छोड़ा हुआ, त्यक्त। (जैन) इधर-उधर करना। चियां-पु. १ कच्चे मकानों की छाजन के प्राजू-बाजू का भाग। चिबुक, चिम्बुक-स्त्री० [सं० चिबुक] ठोड़ी, ठुड्डी। . २ इमली का बीज । चिन्भड़-पु. १ ककड़ी विशेष । (जैन) २ सूअर का बच्चा। चिया-स्त्री० चिता । चिम-स्त्री० [सं० चिह्न १ प्रांख के काले कोये पर होने | चियाग, (य)-पु० [सं० त्याग] त्याग। (जैन) वाला, सफेद दाग । २ अांख में चोट लगने से होने वाला चियाप-स्त्री० मितव्ययता । दर्द या चिह्न। चियापू-वि० मितव्ययी। चिमक-देखो 'चमक'। चियाबास-पु० चैत्यवास। चिमकरणौ (बौ)-देखो 'चमकणी' (बौ)। चियार (इ) (रि, री)-देखो 'चार' । चिमकारणी, (बौ)-देखो 'चमकाणी' (बौ)। चियारै-वि० चारों। -पु. चार । चिमकी-स्त्री० डुबकी, गोता। चिरजी-पु० १ एक प्रकार का सूखा मेवा । २ देखो चिरंजीव' । चिमचिमाही-स्त्री० एक प्रकार का दर्द । चिरंजीत-क्रि० वि० चिरकाल तक। चिमचिमी-स्त्री० मस्सा, भगंदर प्रादि से होने वाली पीड़ा | चिरजीव, (वी)-वि० [सं०] दीर्घायु, चिरायु । -पु०१ मात विशेष । की संख्या । २ चिरायु होने का प्रार्शावाद । ३ कामदेव चिमचौ--देखो 'चमची'। की उपाधि । चिमटणी, (बी)-क्रि० १ सटना, जुड़ना । २ चिपकना । चिर-वि० [सं०] १ बहुत दिनों का, पुराना । २ बहुत, अधिक । ३ संलग्न होना। ४ गुथना। ५ आलिंगनबद्ध होना। -क्रि०वि० दीर्घकाल से, अधिक समय तक | -पु० ६ किसी कार्य में अधिक व्यस्त होना । ७ अधिक सम्पर्क में दीर्घकाल । -काळ-पु० अधिक समय । -जीव, जीवी, आना या साथ रहना। जीवौ-पु० विष्णु । मार्कण्य ऋषि । सेमर का वृक्ष । चिमटारणी (बी), चिमटावणी (बी)-क्रि० १ सटाना, जोड़ना। कौना। २ चिपकाना । ३ संलग्न करना । ४ गुथाना । ५ आलिंगन | चिरकरणो (बो)-क्रि० १ अपान वायु के साथ थोड़ा मल निकल बद्ध करना । ६ अधिक व्यस्त रखना । ७ अधिक सम्पर्क में जाना । २ बच्चों का मल त्यागना । करना, साथ लगाना। चिरको-पु० अपान वायु के साथ निकला थोड़ा मल । चिमटी, (ठी)-स्त्री० १ तर्जनी व अंगुष्ठ से पकड़ी जाने वाली | चिरचणी-स्त्री. अनामिका । नमक आदि की मात्रा । २ आटे की मात्रा जो भिखारियों | चिरचरणौ (बी)-क्रि० १ पूजन करना । २ चंदन आदि लगाना। को डाली जाती है । ३ भुरकी। ४ स्वर्णकारों का छोटा ३ चंदन का लेपन करना । ४ देखो 'चरचरणौ' (बौ)। अौजार । ५ चिमटे का सूक्ष्म रूप । चिरजा-देखो 'चरजा'। चिमटौ. (ठो)-पु० जलते अंगारे आदि को पकड़ कर उठाने चिरइि (ट्ठिय)-वि० दीर्घकाल तक जीवित रहने वाला। का लोहे की पत्ती का बना उपकरण, चिमठा । चिरणोटियौ-पु० सधवा स्त्रियों के प्रोढ़ने का वस्त्र । चिमठाणौ (बौ)-देखो 'चिमटाणो' (बौ)। | चिरणौ (बौ)-क्रि० १ फटना, विदीर्ण होना। २ सतह में दरार चिमतकारी-देखो 'चमत्कारी'। पड़ना। ३ लकीर की तरह को घाव बनना। ४ शस्त्र या चिमनी-स्त्री० १ मिट्टी के तेल से जलने वाला छोटा दीपक । चाकू से चीरा जाना। ५ लकड़ी आदि का कटना, विभक्त २ धू'मा निकलने के लिए लगाया हया लम्बा पाईप या होना । इसी तरह की कोई बनावट । चिरत, चिरतत, चिरत्त-देखो 'चरित्र' । चिमोटो-पु. उस्तरे की धार तेज करने का चमड़े का उपकरण।। चिरताळ, (ळ,ळी)-वि० (स्त्री० चरताळी) १ चरित्र करने चिमोतर-वि० [सं० चतुस्सप्तति] सत्तर व चार, चौहत्तर । वाला । २ चकित करने वाला। ३ पाखंडी, धूर्त । -स्त्री० चौहत्तर की संख्या, ७४ । ४ अद्भुत चरित्रवाला। ५ वीर । चिमोतरी-पु० चौहत्तरवां वर्ष । चिरनाटियो-पु० नाश, विध्वंस । चिय-पु० [सं चित] १ उपचय, बुद्धि । (जैन) २ जोर से चिरपड़ो-पू० १ रह-रह कर होने वाली वर्षा । २ ऐसी वर्षा से उच्चारण किया हुआ शब्द । होने वाला कीचड़।। चियका, (गा)-स्त्री० [सं० चिता] शव दाह के लिए चुनी | चिरपटी-स्त्री०१ ककड़ी। २ चिड़प । गई चिता। चिरपोटर-स्त्री० काक माची । For Private And Personal Use Only Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चिरपोटियो www. kobatirth.org ( ४०१ ) रिपोटियो- पु० एक पौधा विशेष जिसके बीज प्रौषधि में काम चिलगोजा पु० एक प्रकार का मेवा, नेजा । चाते हैं। चिरवरी (बो० घाव में जलन होना। चिरभट - स्त्री० [सं० चर्मटी] ककड़ी । चिरम- देखो चिरमी' । चिरमठड़ी, चिरमठि, चिरमही, चिरमिटी, चिरमी - स्त्री० चिरमी, घुघची या गुंजाफल । - ठो'लो पु० - एक देशी खेल । विरमेह ( ही ) पु० [सं०] चिरमेहिन्] गधा, गर्दभ । चिमोटियो- पु० १ चिमटी से चलाया जाने वाला कंकड़ २ देखो चिटियो' । विराणी (बी)- कि० चीखना, विल्लाना। चिरवाई, चिराई - स्त्री० १ लकड़ी प्रादि चीरने का पारिश्रमिक | २ चीरने का कार्यं । चिरस्थाई (यी) - वि० [सं०] १ सदा के लिए दृढ़ । २ दीर्घ काल तक टिकाऊ । ३ दीर्घ काल तक चालु रहने वाला । चिराक, चिराग- पु० १ मसाल । २ दीपक । ३ जोत चिराकी, चिरागी- पु० १ मसालची २ दीपक जलाने वाला अनुचर । ३ मजार पर जोत जलाने वाला । 1 चिराली (बी), बिरालो (ब) कि० १ फड़वाना विदीर्ण कराना । २ सतह में दरार कराना । ३ शस्त्र या चाकू से चिरवाना । ४ लकड़ी आदि कटवाना, विभक्त कराना । चिरायत पु० जागीर के क्षेत्रों में कर निर्धारित करने वाला अधिकारी । चिरायती - पु० [सं० चिरतिक्त] पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाला एक पौधा जो औषधि में काम आता है । चिरायु (पू) - वि० [सं०] १ अधिक जीने वाला, दीर्घायु । २ बहुत वर्षों तक टिकने वाला, स्थाई । चिराळ - पु० उगा का एक भेद जिसमें प्रथम लघु फिर गुरु हो । चिरिताळी- देखो 'चिरताळी' । 1 बिरी स्त्री० चिड़िया चिरंजी, चिरौंजी- पु० एक प्रकार का सूखा मेवा | चिक्कत०] । चिलक, चिलका स्त्री० चमक, द्युति, आभा, कांति । चिळकरणी (बो) - क्रि० १ चमकना, चमचमाना । २ द्युतिमान होना । ३ प्रकाशित होना । ४ सीमोल्लंघन करना, मर्यादा के बाहर होना । चिळकारणौ (at) चिळकावरणौ ( बौ) - क्रि० १ चमकाना, चमचमाना २ द्युतिमान करना । ४ प्रकाशित करना । सीमोल्लंघन करना, मर्यादा के बाहर करना । चिलकारी पु० १ सूर्यास्त से कुछ पूर्व का समय । २ प्रकाश । ३ चमक । ४ झलक । बिलड़ी पु० छोटा क्षुप विशेष चिलरणौ (बी) - क्रि० १ चमकना । २ फटना । ३ चीरा जाना । चिलत (ती) ५० एक प्रकार का चिलबिला - वि० (स्त्री० चिळवळी) नटखट, उद्दण्ड । चिलम (डी) - पु० १ हुक्के का ऊपरी भाग जिसमें तम्बाखू भर कर ऊपर आग रखी जाती है । २ तम्बाखू पीने का उपकरण । - गरदा स्त्री० हुक्के की नलिका -चट, बीवि० चिलम का व्यसनी पोस पु० धातु की जाली या पात्र जो हुक्के पर ढका जाता है। । चिलमरदो- पु० बैलगाड़ी के अग्र भाग में बंधी रहने वाली एक रस्सी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिलमियो, (म्यो ) - पु० चिलम पर रखा जाने वाला अंगारा । चिलाइया स्त्री० किरात देश की स्त्री । (जैन) चिलाईपूत पु० एक जैन साधु विशेष | चितालिया बिलाती स्वी० किरात देशोत्पन्न एक दासी (जैन) चिलाय पु० किरात देश । चिलिचिल्ल, (च्चिल, (बिल, स्वीत) बिलि वि० पवित्र, (जैन) । चिहू बेवळां चिलिमिणी, (मिलिया) - स्त्री० १ ढकने का वस्त्र । २ पर्दा । चिल्लग वि० [प्रकाश मान देदीप्यमान (जैन) - चिल्लड़-पु० १ शिकारी पशु विशेष । २ चीता । (जैन) जिल्ला (ब) क्रि० १ जोर से बोलना सीखना २ हल्ला या शोर करना । ३ करुण क्रन्दन करना । ४ बकना । चिल्लाहट स्वी० १ जोर से बोलने की क्रिया या भाव। २ ची पुकार । ३ हल्ला । ४ क्रन्दन । चिल्लित, चिल्लिय - वि० १ प्रदीप्त, चमकयुक्त । २ दे चिही स्त्री० चील पक्षी । चिटी (डी) देखो 'चिमटी' | 'दिल्ली' | चिल्लो- पु० [फा० चिल्ल] १ धनुष की प्रत्यंचा । २ चमच माहट, प्रकाश । चिह देखो 'वह'। | चिउ - क्रि० वि० चारों ओर । चिहन देखो 'चिन्ह' । चिहर-देखो 'चिहुर' चिहुं वि० चार, चारों कि० वि० चारों धोर For Private And Personal Use Only बंद, बंध 'चिहुरबंद' । क्रि० वि० चारों ओर । -aat बिर, बिर० [सं० चिकुर] बाल, केश बंद, बंध-पु० बंधन, बंध | 1 चिवे हि वि० बार चारों कि० वि० वारों पर frent - g० १ चमक, प्रकाश । २ आभा, कांति । ३ प्रतिबिंव चिह्न वेबळां क्रि० वि० चारों प्रोर । Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४०२ ) चिह्न पु० [सं० चिह्न] १ निशान, चिह्न । २ दाग, धब्बा । ३ ध्वजा, पताका । ४ मार्का । ५ संकेत । चीं स्त्री० १ पक्षियों की चहचाहट । २ चों की आवाज या शोर । ३ बक-भक । ४ चीख । ५ कराह । की, (ब) ० १ जानवरों का नाक से आवाज करना । २ चीं-चीं करना । ३ चीखना । चोकळमांदी - पु० गोबर का कीड़ा । चोंगट देखो 'चीकट' । चगण पु० १ प्राग्नेय कोण २ देखो 'चिगण' । बींगराड़ स्वी० रहट की 'पानी' की आवाज । योगी पु० पोड़ा, घरव चरण - स्त्री० १ दाह संस्कार में जलने से शेष रही लकड़ियां । २ चिता को व्यवस्थित करते रहने की लम्बी लकड़ी | ३ श्मशान भूमि, मरघट । ४ चींगण, चिगरण । चीचड़ (डौ)-५० (स्त्री० चचड़ी) १ पशुओं के शरीर से चींचड़ी) चिपक कर रक्त पीने वाला कीड़ा । २ हल में लगने वाली किल्ली । afers - देखो 'चींचाट' । चाल (बी) देखो 'बीचा' (बी)। चोंचाट - पु० चीं-चीं करने की क्रिया, शोर । चोंचारणौ (बी)- पु० चीं-चीं करना, चीखना, चिल्लाना । २ बकना, बकझक करना । ३ चिढ़ाना, रुलाना । ४ कष्ट देना, परेशान करना । चोटी-स्त्री० कोटी, चिटी चींटी I - बोट पु० कीड़ा, चींटा चरा स्त्री० १ लहंगे के ऊपर की पट्टी जिसमें नाड़ा डाला जाता है । २ रहंट में बंधने वाली मोटी भंभीर या रस्सी । ३ पत्थर की लम्बी पट्टी । बीतरी चिता गर वि० चिंता करने वाला शुभेच्छु। पती (बी) देखो तो (दो)। तरिधी, चतरी-देखो 'बीपी'। तर (बी) देखो''। aarit (at), बतावणी (बी) - देखो 'चितारणी' (बो) । चीतारौ - पु० चित्रकार, चितेरा । चोपड़, (डी, डौ ) - पु० १ वस्त्र खंड । २ फटा पुराना वस्त्र । atent (at) - क्रि० १ रौंदना, कुचलना । २ चलते समय किसी पर पैर रख देना । पॉवर (री, रौ) देखो 'चीबड़ी'। चचाणी (बी), बावली (बी) कि० रोंदवाना, कुचलवाना। चींद- देखो 'चींध' । चचड़ियों वळ, चीवळियो-देखो 'वध' पोंदी देखो 'विदी' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir air-स्त्री० [सं० चिह्न] १ झण्डी, पताका २ धूल, रज । घड़, चौघड़ियों, चपळ, चौधजिवी पु० घपने झंडे की रक्षा करने में समर्थ योद्धा, बीर । २ प्रकर्मण्य व्यक्ति । ३ भिखारी ४ नीच मलिन व्यक्ति । चोखो चींधाळ (ळौ ) - पु० १ झंडा बंधा रहने वाला हाथी । २ चींघड़ । 'बोधी-देखो 'बिंदी' । atri, (at) - देखो 'चीनणी' (बो) । चींप-१ देखो 'चीप' । २ देखो 'चींपियो' । पड़, (ड़ी, दौ) - ५०१ माई का छोटा चिमटा जिससे नाक के बाल उखाड़े जाते हैं। २ बांधों का मेल ३ जिसकी आंखों में मैल रहता हो । चपटी-स्त्री० चिमटे का अत्यन्त लघु रूप । चपटो-देखो 'चिमटी' । चोषियों देखो 'चिमटी' । चमड़ी पु० [सं० चिमेटी ] १ छोटी ककड़ी विशेष कचरी । २ सूअर का बच्चा । चीमटो, (ठो) देखो 'चिमटी' । चयो-देखो 'चियो' । चवटी १०१ कच्चा फल २३ देखो 'चिमटी' ची- स्त्री० १ स्याही । २ कंधी । ३ हस्तिनी । ४ माया । ५ शिव की जटा । अव्य० षष्टी विभक्ति 'की' । चीक- देखो 'चीख' । चौकट - पु० १ चिकनापन, चिकनाहट, स्निग्धता । २ घी, तेल यदि चिकने पदार्थ ३ स्निग्धता से जमा हुआ मैल 1 चीकरणाई देखो 'चिकरणाई'। । चीकी-वि० चिकनी, स्निग्ध-वि० गहरी चिकनी। arent - वि० (स्त्री० चीकरणी) १ चिकना, स्निग्ध । २ फिसलन युक्त । ३ सपाट व घुटा हुआ । ४ साफ सुथरा । ५ चाटुकार, खुशामदी। पु० चिकनी सुपारी का वृक्ष । चीकल देखो 'चीखत' । वीकार पु० [सं० चीत्कार] चीख पुकार चिल्लाहट । २ विघा चीकू पु० १ एक प्रकार का मीठा फल जो गेंद की तरह होता है । २ देखो 'चीखड़' । चीकूरण पु० एक प्रकार का वृक्ष । चीक्खल - देखो 'चीखल' । चीख- स्त्री० १ जोर की व तीक्ष्ण श्रावाज, चिल्लाहट । २ हाय For Private And Personal Use Only त्राय । चीखड़-पु० एक देशी खेल, इसका दूसरा नाम 'चीखू' भी है। चोखो, (बी) क्रि० १ जोर से बोलना, चिल्लाना २ जोरजोर से वकना । ३ कराहना । ४ हाय त्राय करना । Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir শীল थीपड़ी चीखल, (लि, लियो, लो, ल्ल)-पु० [सं० चिकिलः] १ कीचड़, चीत-१ देखो "चित्त'। २ देखो 'चित्र'। ३ देखो 'चीता' । पंक । २ गीलापन । ३ दलदल । ४ मिट्टी का छोटा जल- ४ देखो चिता'। पात्र । ५ सर्प का बच्चा। चीतकार-पु० [सं० चीत्कार] १ चीख, चिल्लाहट, हल्ला । चीखू-देखो 'चीखड़'। २ करुणक्रन्दन । ३ चित्रकार । चीगट, (डौ)-देखो चीकट'। चीतगढ़-पु० चित्तौड़गढ़। चीगटास-पु० चिकनाई, चिकनापन । चीतणी (बौ)-देखो "चिंतणो (बौ)। चीगटो-देखो 'चीकणो' (स्त्री० चीगटी)। चीतदुरंग-पु० चित्तौड़ का दुर्ग । चीघट-देखो 'चीकट'। चीतर-देखो चीतरौ'। चीटियो-१ देखो 'चीकरणौ' । २ देखो 'चीकट'। चीतरी-स्त्री० १ छितरे हुए छोटे-छोटे बादलों की परत । चीड़-पु० १ ऊंट का मूत्र । २ पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाला वृक्ष २ गीले या द्रव पदार्थ पर जमने वाली पपड़ी । जिसको लकड़ी मुलायम होती है । ३ बारीक मोती। । ३ मादा बघेरा। ४ काच की धुरिया। चीतरी-पु० (स्त्री० चीतरी) नर बघेरा । चौड़णी, (बो)-कि० ऊंट का पेशाब करना। चीतळ-पु. १ चीते के रंग का मृग । २ एक जाति विशेष का ची'डी-स्त्री० वस्त्र पट्टिका, लीरी । अजगर। -स्त्री० ३ शिला खण्ड । ४ खरगोश प्रादि का ची'डो-पु० चिथड़ा। शिकार करने का लकड़ी का उपकरण । चीज, (डी)-स्त्री० १ वस्तु, पदार्थ । २ द्रव्य । ३ प्राभूषण, | चीतळती-स्त्री० चितकबरी बकरी। गहना । ४ महत्वपूर्ण व विलक्षण वस्तु। ५ अच्छा गाना | चीतळी-पु० रंग विशेष का घोड़ा। या गीत। चीतवरणौ (बौ)-देखो 'चिंतणी (बौ)। चोटल, (लो)-पु० सर्प का बच्चा । चीतवर-वि० साहसी, वीर। चीठ-स्त्री०१ कंजूसी । २ मैल । ३ चिपकने की अवस्था चीताणी (बी)-देखो 'चिताणो (बौ) । __ या भाव। चीतारणौ (बो)-देखो 'चितारणी (बी)। चीठरणो, (बो)-देखो 'चैठणी' (बौ)। चीताळंकी-वि० चीते के समान पतली कमर वाली। चीठी-१ देखो 'चिट्ठी' । २ देखो 'चींठी' । चीताळ-स्त्री० कपड़े धोने की शिला । चीठो-वि० (स्त्री० चीठी) १ स्निग्ध, चिकना । २ आसानी से चीति-१ देखो 'चित्त' । २ देखो 'चीती' । न छूटने वाला । ३ मजबूती से सटने वाला । ४ कृपण, । चीती-स्त्री. १ मादा चीता । २ एक सर्प विशेष जिसके विष से कंजूस । ५ मजबूत. दृढ़ । ६ सटा हुआ। प्राणी सड़-सड़ कर मरता है। ३ देखो 'चित्त' । चीडोत्र-पु० चित्तौड़गढ़। चोतेरण-स्त्री० चित्रकार स्त्री। चीढ़-देखो 'चीड़। चीतेवाण-पु० चीते पाल कर शिक्षा देने वाला व्यक्ति । चोरण-स्त्री० लहंगे के ऊपर की पट्टी। -दार-पु० वह वस्त्र | चीतोड़ी-देखो 'चितौड़ी'। जिसमें 'चीण' लगी हो। चीतोड़व-पु० चित्तौड़पति, महाराणा । चीतोड़ो-देखो 'चितौड़ौ'। चीणंसुय-पु० [सं० चीनांशुक] १ चीन देश का बना रेशमी | चीती-पु० (स्त्री० चीती) १ शेर की जाति का एक हिंसक __ वस्त्र (जैन)। २ चीन देश की बनावट का वस्त्र । जानवर । २ जामुन की पत्तियों से मिलती-जुलती पत्तियों चीणपिट्र, (विद्र)-पु० चीन देश का बना उत्तम वस्त्र । (जैन) का एक बड़ा पौधा। चीणी-स्त्री. १ शक्कर । २ बारीक शक्कर । ३ चीन देश की चीत्र-५०१ तन. शरीर. देह । २ चित्र । मिट्टी । ४ देखो 'छीणी' । ५ देखो 'चीनी' । -वि० | चीत्रउड़, (कोट, गढ़)-पु० चित्तौड़गढ़ । बारीक । -चंपौ-पु. एक प्रकार का केला । एक प्रकार | चीत्रणौ (बो)-देखो 'चित्रणो' (बी)। का घोड़ा -माटी, मिट्टी-स्त्री० सफेद माटी। चीत्रस-पु० एक प्रकार का घोड़ा। चीणोटियो-पु० [सं० चीन-पट] स्त्रियों के प्रोढ़ने का वस्त्र। चीत्रांम-पु. चित्रांम, चित्र। चीरगो-पु० १ चना, चने का दारणा । २ एक रंग विशेष। चीत्रारो-देखो 'चितारौ' । ३ एक रंग विशेष का घोड़ा । ४ सफेद रंग का कबूतर। चीत्र डी, चीत्रोड़, (डि, डी), चीत्रौड़ (डी)-पु० चित्तौड़गढ़। ५ घटिया किस्म का अनाज । -वि० बारीक, महीन। चीथड़ो-देखो 'चीथड़ो' । For Private And Personal Use Only Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोषारपी ( ४०४ ) चीरो चीयारणों (बौ)-देखो 'चीथारणों' (बौ)। चोमड़ियो (डौ)-देखो 'चीभड़ो'। चीद, चीवड़-देखो 'चींधड़' । चीमटो-पु० १ प्रायः लोहे की पत्ती को मोड़कर बनाया हुआ चोध, चीधउ-देखो 'चींधड़'। उपकरण जो अंगारे प्रादि को पकड़कर उठाने में काम चीनणी (बौ)-क्रि० १ मांस काट कर छोटा करना । पाता है । २ उन्मत्त हाथी को वश में करने का उपकरण । २ पहिचानना, समझना। ३ अंदाज करना । ४ चिह्नित | चीये (य)-स्त्री० एक देवी विशेष । करना। चीर-पु० १ स्त्रियों के प्रोढ़ने का वस्त्र । २ वस्त्र, कपड़ा। चीनवड़ो-पु० एक विशेष रंग का घोड़ा। ३ पुराना वस्त्र, चिथड़ा। ४ गाय का स्तन । ५ गुग्गुल का चीनार-पु० एक प्रकार का घोड़ा। पेड़ । ६ साड़ी। ७ वृक्ष की छाल । ८ चीर-फाड़ । चीनी-पु० १ चोन देश का निवासी । २ चीन की मिट्टी । चोरड़ (ड़ी,डो)-पु० पुराना वस्त्र, चिथड़ा, लत्ता। --वि० १ चीन का, चीन संबंधी। २ चीन में बुना हुआ। चोरणी (गो)-स्त्री० १ चीरने की क्रिया या भाव । २ बढ़ई ३ देखो 'चीणी' । -----फरोस-पु० चीनी मिट्टी के खिलौनों | का एक प्रौजार । ३ पत्थर की खुदाई का एक प्रौजार । का व्यापारी। ३ लोहे की छेनी। चीह्नणी (बौ)-देखो 'चिनो' (बी)। चीरणी (बौ)-क्रि० [सं० चीर्णम्] १ फाड़ना, विदीर्ण करना, चोप-पु० १ ऊंट के चमड़े का बना बड़ा पात्र । २ ढोल या डफ चीरना । २ सतह में दरार करना। ३ लकीर की तरह का बजाते समय अतिरिक्त रूप में काम ली जाने वाली कोई घाव करना । ४ शस्त्र या चाक से चीर देना । ५ लकड़ी खपची । ३ चुनाई में खाली जगह भरने के लिये दिया जाने आदि को काटना, विभक्त करना। वाला पत्थर का छोटा टुकड़ा । ४ संधिस्थलों पर लगाया | चीर-फाड़-स्त्री० १ चीरने फाड़ने की क्रिया या भाव । २ शल्य जाने वाला पत्थर । चिकित्सा। चीपटी, चीपटौ-पु० १ ज्वार के कच्चे पौधों का चारा । चीरतल-पु० [सं०] एक पक्षी विशेष । (जैन) २ देखो "चिमटौ। चीराई-स्त्री. १ चीरने का कार्य । २ इस कार्य की मजदूरी। चोपडीउ चीपिडउ-पु० [सं० चिपटः] १ प्रांख का मैल || चीरागुर (गुरु)-पु. नाथ सम्प्रदाय में कान चीर कर दीक्षित २ चपटी नाक वाला व्यक्ति । करने वाला साधु । चीपी-स्त्री० १ दूध दुहने का पात्र । २ चीप की खपची। चौराजिण (न)-पु० [सं०] व्याघ्र या मृगचर्म । (जैन) ३ लड़ाई या द्वष बढ़ाने वाली बात । चीराणी (बौ)-क्रि० १ फड़वाना, विदीर्ण करवाना, चिराना। चीपियो-पु० १ चूल्हे में रखा जाने वाला खीरा पकड़ने का २ सतह में दरार कराना। ३ लकीर की तरह का घाव प्रोजार। २ कांटा निकालने का छोटा औजार । कराना । ४ शस्त्र या चाकू से चीरा दिराना । ५ लकड़ी चीपूखियो-पु० घास विशेष । फड़वाना। चीफाड-पु० चित्तस्फोटक । चीरायुस-पु. देवता। -वि. दीर्घायु । चीब-स्त्री०१ स्वभाव, आदत । २ ऐब । चीराळी-स्त्री० [सं० चर्तल] १ किसी वस्तु की चीरी हुई फाड़। चीबड़ी (डो)--स्त्री० [सं० चिर्भटी] १ ककड़ी। २ सूअर का २ छोटे-छोटे खण्ड। ३ लंबा घाव । ४ चीख । बच्चा । चीरावरणौ (बी)-देखो 'चिराणी' (बी)। चीबटौ (ठो)-देखो 'चीपटौं। चीरिग्ग, चीरिय-पु० [सं० चीरिक] १ एक जैनी भिक्ष वर्ग । चीवर, चीवरी-स्त्री० चमगादड़ । २ फटे कपड़े पहनने वाला साधु । चोबरी--पृ० १ उल्लू जाति का, कबूतर से छोटा एक पक्षी। चीरी-स्त्री० [सं० ०] १ फल आदि की चीरी हुई फाड़, २ मुसलमान। भाग । २ लम्बा घाव । ३ झींगुर । ४ मृत्यु भोज की चिट्ठी। बीबी-स्त्री० १ ऊंट के बच्चे की मस्ती जिसमें वह इधर-उधर ५ चिट्टी, पत्री। ६ पर्दा । ७ देखो 'चीर'। कूदता है । २ मादा ऊंट का ऋतुमती होने का भाव । चोरी-पु. १ नश्तर आदि से किया हुअा घाव, चीरा । २ चीरने चीबो-पु. १ मुसलमान । २ यवन । की क्रिया। ३ चीर । ४ पगड़ी, उष्णी। ५ वस्त्र का टुकड़ा, चीमड़वाल-पु. बहुत से बच्चों वाली मादा मूअर । खण्ड, धज्जी। ३ कृषकों या प्रजासे लिया जाने वाला एक चीभड़ी-देखो 'चीबड़ी'। जागीरदारी कर। ७ मकान बनाते समय दीवार के बहार चीमड़ी-पु० १ सूपर या सूअर का बच्चा । २ चिरभट । छोड़ी जाने वाली चार इंच जगह । ८ द्वार के ऊपर चोमड-स्त्री० एक देवी विशेष । लगाया जाने वाला चित्रित पत्थर । ९ कपड़े की छोटी For Private And Personal Use Only Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चील चुकाको पट्टी जो साफे या पगड़ी पर बांधी जाती है। १० लगान पर | चुंघारणी (बी), चुंघावरणौ (यो)-देखो 'चुंगाणी (बी)। कर निर्धारण का क्षेत्र । | चुनड़ी-देखो 'चूदड़ी'। चील, (क, ख) चीलड़ी-स्त्री० [सं० चिल्ल] १ गिद्ध की जाति चुंबक-पु. १ लोहे को आकर्षित करने वाला पत्थर या धातु । का एक मादा पक्षी । २ सर्प । ३ शेषनाग । ४ मार्ग, २ चुंबन करने वाला या चूमने वाला व्यक्ति । ३ धूर्त रास्ता । ५ गेहं की फसल में उगने वाला एक घास ।। व्यक्ति। ६ प्राभूषण विशेष । | चुंबरी (बी)-देखो 'बणी' (बी)। चीलड़ी-पु० [सं० चिल्लीशाकम्] १ गेहूं की फसल में होने चुंबन-पु० प्रेमोतिरेक की अभिव्यक्ति के लिये प्रोठों से दिया वाला 'चील' नामक घास । २ बेसन आदि का परांठा। जाने वाला चुम्मा, बोसा, पप्पी। चीलझपटौ-पु. एक देशी खेल । चुबित-वि० [सं०] १ चूमा हुआ। २ स्पर्श किया हया, छुपा चीलपत (पति)-पु० शेषनाग । हुअा। चीलप्यार-पु० चंदन वृक्ष । चुंबी-वि० चूमने वाला। चीलमण (मरिण)-स्त्री० सर्प की मरिण । चुंबौ-पु० चुंबन, बोसा । चीलम्मो-देखो 'चिलमियौ'। चुभी-स्त्री० डुबकी, गोता। चीलर-स्त्री० १ रेजगारी, सिक्के । २ पोखर, छोटा जलाशय । चुंबळी-पु० चवला नामक द्विदल अन्न । चीलराज (सेख)-पु० शेषनाग । चुहटी-स्त्री० चुटकी, चिमटी। चोलरियौ-देखो 'चीलर'। चु-स्त्री० १ पृथ्वी, भूमि । २ शरद । ३ काल । ४ बच । चीलबौ-पु० पत्तीदार शाक । ५ उपधान । चीलहांडी-स्त्री० एक देशी खेल । चुमणी (बी)-क्रि० १ बूद-बूंद टपकना, रिसना । २ झरना । चीसार-पु०११ देवता । २ गरुड़। ३ तर होना । ४ रसमय होना। चीलू-देखो 'चिल्लो'। चुमारणी (बो), चुनावणी (बी)-क्रि० १ बूद-बूद टपकाना, चीली (ल्लो)-१ देखो 'चइलो' । २ देखो 'चिल्लो' । रिसाना । २ झारना । ३ तर करना। ४ रसमय करना। चील्ह, (रिण)-१ देखो 'चील' । २ देखो 'चिलड़ो' । चुइणी (बौ)-देखो 'चुअणो' (बी)। चील्हर-पु० १ सूअर का बच्चा । २ देखो 'चीलर'। चुई-स्त्री० कपड़ा बुनने का प्रौजार। चील्हाराव-पु० शेषनाग । चुकंदर-पु० [फा०] एक प्रकार की गाजर । चील्ही-१ देखो 'चइलो'। २ देखो 'चिल्लो' । चुकडउ (डौ)-पु. कान का प्राभूषण विशेष । चीवणी-स्त्री० कपाटों की किनारी, सजावट । चुकरणो (बो)-क्रि० [सं० चुत्कृ] १ समाप्त होना । २ पूर्ण होना । चीवर-देखो 'चोर'। ३ उऋण होना । ४ निवृत्त होना । ५ चुगता होना । चीस-स्त्री० १ रह-रह कर होने वाली तीक्ष्ण पीड़ा, कमक । ६ देखो 'चूको ' (बी)। २चीख । ३ क्रन्दन । चुकमार-देखो 'चूकमार'। चीसो (बो)-क्रि० १ रह-रह कर दर्द होना । २ कसकना, चुकळणौ (बो)-क्रि० १ बदहवास होना, घबरानः । २ चूकना । कराहना । ३ चीखना, चिल्लाना। ४ सिसकना । ५ क्रन्दन चुकळारणी (बी)-क्रि० १ बदहवास करना । २ भयभीत करना। करना। ३ भ्रमित करना। ४ क्रम भंग करना। ५ गणना क्रम चीसल, चीसाळी, चीह-देखो ‘चीस' । । भंग करना। ६ ध्यान भंग करना। चीहलो-देखो 'चइलो'। चुकलियो (ल्यौ)-पु० मिट्टी का छोटा घड़ा। चीहिटिया-स्त्री० श्मशान भूमि, श्मशान । चुकली-स्त्री० १ मिट्टी की छोटी हंडिया। २ मृतक के बारहवें चीहोर-पु० एक प्रकार का घोड़ा। दिन भरे जाने वाले छोटे-छोटे मिट्टी के पात्र । ३ मृतक के चु-देखो 'चू'। . द्वादशे का भोज। चुंगळ-देखो 'चंगुत'। चुकाई-स्त्री० चकाने का कार्य । भुगतान । चुगलाल-पु० १ यवन । २ मुसलमान । चुकारणी (बी), चुकावणी (बी)-क्रि० १ समाप्त करना । २ पूर्ण चुगारणी (बी), चुंगावरणौ (बो)-क्रि० १ शिशु को स्तन पान करना। ३ उऋण करना। ४ निवृत्त करना। ५ चुगता कराना। २ चुमाना । करना, भुगताना । ६ भुलाना, भ्रमित करना । ७ धोखे में चुंगी स्त्री किसी व्यापारिक वस्तु का नगर पालिका का कर। डालना । ८ लक्ष्य भ्रष्ट करना । ९ अवसर चकवाना । For Private And Personal Use Only Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुकुमार चुतरी चुकुमार-देखो 'चूकमार'। चुड़ल, चल-स्त्री. १. भूतनी, डायन, प्रेतनी, पिशाचिनी । चुक्करणो(बौ)-१ देखो 'चुकणो' (बी) । २ देखो 'चूकरणो (बौ)। २ ऋ र स्वभाव वाली कर्कशा स्त्री। ३ कुरूपा स्त्री। चुक्खा-देखो 'चुखड़ो'। चुचुक-पु० [सं०] स्तन या कुच का अग्रभाग, कुच की घुडी चुख-पु० टुकडा, खण्ड, भाग । चुज्जेरण-स्त्री० चतुराई। चुखड़ो-वि० कृपण, कंजूस । चुटकलौ-पु० १ विनोद पूर्ण बात, हंसी की बात । २ चमत्कार चुखचुक्ख, चुखचुख, चुखच्चुख-वि० खण्ड-खण्ड । पूर्ण उक्ति । चुग-पु० १ पक्षियों का चुग्गा । २ पाहार, भोजन । चुटकि (की)-स्त्री०१ अंगुठे व तर्जनी से किसी चीज को चुगणो (बो)-क्रि० [सं० चयन] १ पक्षियों द्वारा चोंच से कोई पकड़ने का भाव । २ इस प्रकार से पकड़ में आने वाली वस्तु उठाना, चुगा करना। २ बीनना, एकत्र करना, । वस्तु की मात्रा । ३ अंगुठे व मध्यमा को मिलाकर उत्पन्न चुन-चुन कर रखना। ३ चयन करना, चुनाव करना ।। की जाने वाली ध्वनि । ४ सम्पूर्ण अंगुलियों के बीच ४ अनाज साफ करना। ५ पशुओं द्वारा चारा खाना । । समाने वाली वस्तु । ५ अंगुठे व तर्जनी से चमड़ी पकड़ कर चुगद-वि० [फा०] मूर्ख, बेवकूफ । भरी जाने वाली चिकोटी। चुगल-पु० [फा०] १ चिलम के छेद में फंसाया जाने वाला चुटियो-देखो 'चिटियो' कंकड़ । २ राक्षस, प्रसुर । ३ निंदक । ४ चुगली करने चुट्टणी (बौ)-देखो 'चूटणी' (बौ) वाला। -खोर-वि० चुगली करने वाला। निंदा करने चुडलिन (लिय)-पु० गुरु वन्दना का एक दोष । (जैन) वाला । -खोरी-स्त्री० किमी की शिकायत करने का चुरगणौ (बौ)- क्रि० १ चुन-चुन कर एकत्र करना । २ चयन कार्य, निदा। करना, चुनाव करना । ३ छांट-छांट कर लेना । ४ बीनना। चुगलणी (बौ)-क्रि० १ चूसना । २ स्वाद लेकर खाना। ५ पसंद करना । ६ एक पर एक या तह पर तह रख कर ३ टोकने के कारण भूलना, चूक जाना । सजाना, जमाना । ७ पत्थरों की दीवार बनाना, चुनाई चुगलाल (लो), चुगलियो-वि० १ चुगली करने वाला । करना । २ निदक। -पु. १ यवन । २ मुसलमान । ३ बादशाह। चुगाई-स्त्री०१ चुनने का कार्य । २ चयन, चुनाव । ३ छंटाई। चुगली-स्त्री० १ शिकायत । २ बुराई, निंदा। ३ किसी की पीठ ४ बीनाई। ५ दीवार की चुनाई। ६ चुनने की मजदूरी। पीछे उसके दोष कहने की क्रिया। ४ शिखा, चोटी। चुणारणी (बो)-क्रि० १ चुन-चुन कर एकत्र करना। २ चयन चुगवौ-पु० चुनिन्दा, चुना हुआ, छंटा हुअा, बढ़िया। कराना, चुनाव कराना। ३ छंटाई कराना। ४ बीनाना। चुगाई-स्त्री० १ चुगने का कार्य । २ इस कार्य का पारिश्रमिक । ५ पसंद कराना । ६ एक पर एक या तह पर रखवा कर ३ बीनाई। सजवाना, जमवाना । ७ दीवार बनवाना, चुनाई कराना। चुगारणौ (बी). चुगावणो (बो)-क्रि० १ पक्षियों को अनाज प्रादि चुरगाव-पु० [सं० चयन] १ बहुतों में से कुछेक का चयन, डाल कर चुगवाना । २ बीनवाना, एकत्र कराना,चनवाना। चुनाव । २ मतदान, निर्वाचन । ३ पसंद । ३ चयन कराना, चुनाव कराना। ४ अनाज साफ कराना। चुरगावट-स्त्री० १ चुनने की कला । २ देखो 'चुगणाई'। ५ पशुओं को चारा खिलाना । चुणावरणौ (बौ)-देखो 'चुणाणी' (बौ)। चुगुलखोर-देखो 'चुगलखोर'। चुणावी-पु० चुने हुए पदार्थ या व्यक्तियों का समूह । गौ (ग्गो)-पु. १ पक्षियों के खाने का दाना, अनाज । चुरिणदी-वि० १ चुना हुआ, छंटा हुआ । २ खास, विशेष, २ पाहार, भोजन । ३ चारा ४ एक प्रकार का बाग। मुखिया, प्रधान । ३ मन पसंद, बढ़िया। ५ स्वर्णकारों का एक अौजार । ६ बहत छोटी सी कंची।। चुणीती-स्त्री० १ ललकार, चुनौती। २ उत्तेजना । चुड़-१ देखो 'चूड़ी' । २ देखो 'चिड़ी'। चुण्ण-पु० चूर्ण, मंत्रित चूर्ण । (जैन) चुड़कली-स्त्री० चिड़िया। चुण्णकोसय-पु० एक ही जातीय खाद्य पदार्थ । (जैन) चुड़खरपी (बो)-क्रि० १ पीड़ा या वेदना से कराहना । २ छोटा- | चुण्णिी (यौ)-वि० [सं० चूणितः] चूर्ण किया हुआ । (जैन) ____ छोटा घास चरना, चूटना। चुतरंग-देखो 'चतुरंग'। -वळ= 'चतुरंगदळ' । चुड़खो-पु० छोटा हरा घास । चुलियो-देखो 'चूड़ो'। चुतरावेळ-स्त्री० एक लता विशेष । चुड़ली-देखो 'चूड़ी'। चुतरेस -पु० विष्णु, ईश्वर। चुड़लो (ल्यौ)-देखो 'चूड़ो' । | चुतरौ-पु० ब्रह्मा, चतुरानन । For Private And Personal Use Only Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org चुदक्कड़ ( ४०७ ) चुळचुळाणी चुदक्कड़-वि० १ बहुकामी, अधिक स्त्रियों से संभोग करने पर कष्ट प्रद लगना । ३ मन में खटकना । ४ व्यथा पैदा वाला । २ बहुत संभोग कराने वाली स्त्री, संभोग होना । ५ हृदय में अंकित होना, दिल में बैठ जाना । प्रिय स्त्री। | चुभारणी(बौ), चुभावरणी(बौ), चुभोरणी (बौ)-क्रि० १ कांटा या चुदणी-वि० बहु संभोग प्रिया। कोई नुकीली वस्तु किसी अंग में घुसाना, घंसाना । २ स्पर्श चुदणी (बी)-क्रि० किसी स्त्री का संभोग किया जाना । भोगा कराकर कष्ट देना, तकलीफ देना । ३ व्यथा पैदा जाना। करना। ४ मन में कोई बात बैठा देना । चुदवाई, चुवाई-स्त्री० १ संभोग कराने का कार्य । मैथुन । चुमकार (रो)-स्त्री० १ चुम्बन प्रादि की क्रिया । २ लाड-प्यार २ वेश्या वृत्ति से प्राप्त धन । से शान्त्वना देना, पुचकार । चुदाणी-स्त्री० अति कामी स्त्री। चुमकारणी (बौ)-क्रि० १ चुम्बन आदि देना। २ लाडप्यार से चुदाणी (बी), चुदावरणौ (बी)-क्रि० संभोग कराना, पुरुष | शान्त करना, धैर्य देना पुचकारना । से समागम कराना। चुमारणी (बौ), चुमावणी (बी)-क्रि० १ चूमने के लिये प्रेरित चुदास-स्त्री० मथुनेच्छा। करना, आग्रह करना। २ चूमने के लिये प्रस्तुत करना, चुद्रा-स्त्री० दाख, किसमिस , आगे करना। ३ चुम्बन लिराना । चुनड़ियो-पु० एक प्रकार का घोड़ा । चुमासू-देखो 'चौमासो'। चुनड़ी-देखो 'चूंदड़ी'। चुम्मक-देखो 'चुंबक'। चुनियोगूद-पु० पलास का गूद, कमरकस । चुम्मौ-देखो 'चुंबन'। चुनियो-पु० मीठा आदि खाने से बच्चों के पेट में होने वाला चुरडपो (बी) क्रि० १ द्रव पदार्थ को श्वास के जरिये मुह में श्वेत व बारीक कीड़ा । खींचनः । २ चूसना। चुनी (न्नी)-स्त्री. १ रत्न कण । २ छोटा नगीना । ३ छोटी | चुरडो-पु. चुल्लू, अंजली । लड़कियों की छोटी ओढ़नी । चुरट (8)-वि० १ लाल । २ हृष्ट-पुष्ट । -पु० एक प्रकार की चुप-वि० १ मौन, शान्त, खामोश । २ अवाक् । -स्त्री० चिलम जिसमें तम्बाखू भर कर बीड़ी की तरह पिया १ खामोशी, शान्ति । २ चुप्पी । जाता है। चुपके (क)-क्रि० वि० धीरे से, चुप-चाप । छुपे तौर पर। चरणाटो (ठो)-पू० १ एक ध्वनि विशेष । २ नाश, ध्वंस । शान्त भाव से। चुरणियौ, चुरनियौ-देखो 'चुनियौ'। चुपकौ-वि० मौन, शान्त । चुरमली-स्त्री० काष्ठ की छोटी फांस । चुपड़णो (बी)-क्रि० १ रोटी प्रादि पर घी लगाना । २ चिकना चुररौ-पु० चूरा, चूर्ण। करना,स्निग्ध करना । ३ लेप करना । ४ चापलूसी करना। चुरस, (सि, सी)-वि० १ उत्तम, श्रेष्ठ । २ देखो 'चरस' । चुपड़ाणी (बी), चुपड़ावरणौ (बी)-क्रि० १ रोटी प्रादि पर घी. चुराई-स्त्री० चोरी का कार्य। लगवाना । २ चिकना कराना, स्निग्ध कराना । ३ लेपन | चुराणौ (बौ), चुरावरणौ (बौ)-क्रि० १ किसी का धन या वस्तु कराना। चुपके से उठाकर ले जाना। २ हरण करना, अपहरण चुपचाप-वि० मौन, शान्त । -क्रि० वि० १ बिना कुछ बोले। करना। ३ कोई वस्तु छुपा लेना। ४ कोताई करना, २ शान्त भाव से । ३ निरुद्योग से बिना प्रयत्न किये। निश्चित कार्य न करना । ५ किसी कार्य के प्रति उदासीन चुपट-पु० चौगान । रहना, बचना, बहाने बनाना। ६ मोह लेना, प्राकृष्ट कर चुपाखर-पु० चारों ओर, चारों बाजू । (जैन) लेना। चुप्पक-वि० मौन, शान्त। चुरी-स्त्री. १ लग्न मंडप के चारों कोने पर चार मिट्टी के जल चुप्पालय-पु० १ विजय नामक देवता का शस्त्रागार । | पात्र रखने का ढंग या व्यवस्था। २ देखो 'चंवरी'। चुरु-देखो 'चरु'। २ शस्त्रागार । चुळ-स्त्री० [सं० चल] १ खुजलाहट, खुजली । २ गुदगुदी। चुबारौ-देखो 'चौबारौं'। ३ मैग्नेच्छा (स्त्री०)। ४ हरकत । चुभकी-स्त्री० डुबकी, गोता। चुळको-पु० १ हरकत, हलचल । २ एक मात्रिक छंद विशेष । चुभरणी (बी)-क्रि० १ किसी कांटे या नुकीली वस्तु का किसी चुळबुळारणौ (बौ)-कि० १ ग्खुजली चलना। २ गुदगुदी होना । अंग में घुम जाना, धंस जाना। २ बार-बार स्पर्श होने ३ मैथुनेच्छा होना । ४ हरकत करना। For Private And Personal Use Only Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बुळबुलाहट चुकचुळाहट, चुळबुळी-स्त्री० १ खुजली होने की क्रिया या भाव । चुसाळ-देखो 'चौसाळ' । २ गुदगुदी। ३ मै पुनेच्छा । ४ चंचलता । ५ हरकत । चुस्त-वि० [फा०] १ फुर्तीला, स्फूर्ति वाला । २ सावधान, चलणी-स्त्री० द्रुपद राजा की स्त्री। (जैन) । चौकन्ना । ३ तत्पर, तैयार । ४ दृढ़ । ५ हृष्ट-पुष्ट । -पिय-पु० भगवान महावीर का एक उपासक । (जैन) चुस्ती-स्त्री० [फा०] १ स्फूति । २ सावधानी । ३ तत्परता। चुळणी (बौ)-क्रि० १ हिलना-डुलना । २. हरकत करना। ४ दृढ़ता। ५ हृष्ट-पुष्टता ।। ३ पथ भ्रष्ट होना, पतित होना । ४ कोई पदार्थ विकृत चुहरणो (बी)-१ देखो 'चुअरणौ' (बी)। २ देखो 'चूसणी' (बी)। होना। ५ खुजलाहट होना। चुहळ-स्त्री० १ हंसी, मजाक, ठिठोली । २ छेड़-छाड़। ३ गंदी चुळबळ, चुळबुळ-स्त्री० १ हल-चल, हरकत । २ नटखटपन । हरकत । -बाज-वि० चुहल करने वाला । -बाजी३ चंचलता । ४ रक्त खून । स्त्री० चुहल करने का कार्य, हंसी, ठिठोली। चुळबुळारणौ (बी)-क्रि० १ हलचल करना, हरकत करना । चुहियो-पु. लोह की गर्म सलाका का दाग । २ अग्नि दग्ध की २ उद्दण्डता करना। ३ चंचल होना। ४ शान्त न रहना । क्रिया। ४ देखो 'चूहो'। चुळबुळी-वि० (स्त्री० चुळबुळी) नटखट, चंचल । चुहि, चुही-स्त्री० १ खान से पत्थर तोड़ने के लिये सेंध चुळवळ-देखो चुळबुळ'। । लगाने की क्रिया । २ देखो 'चार'। चुळसी (इ)-स्त्री० अस्सी व चार की संख्या, चौरासी । (जैन) चुहुटली-स्त्री० चचुपुट, चोंच। चुळाणी (बो), चुळावरणी (बौ)-क्रि० १ स्थान से हटाना, चुहुटु, चुहुटौ-देखो 'चौवटौ'। हिलाना, हुलाना । २ अस्थिर करना, डावांडोल करना । चू-पु० १ चिड़िया की बोली। २ चू-चू की ध्वनि । ३ पथ भ्रष्ट करना, पतित करना । ४ सड़ाना, विकृत चूक-देखो 'चूप'। करना । ५ हरकत कराना। चूकरणौ (बौ)-क्रि० १ ऊंट के छ बाद दो दांत और निकलना। चुल्ल-पु० छोटा बच्चा, शिशु । -वि० छोटा, लघु । -सयक(ग) २ टोकना। ३ देखो 'चूकणी' (बी)। ___-पु० महावीर स्वामी का एक श्रावक । (जैन)-हिमवंत- कळणौ (बौ)-क्रि० १ धंसना, घुसना, चुभना । २ टोकना। पु० एक पर्वत । (जैन) ३ चूकना। चुल्ली-स्त्री० १ छोटा चूल्हा । २ अंजली। चूंकलौ-पु. १ शस्त्रादि का नुकीला भाग। २ शस्त्र का प्रहार। चुल्लू (ल्लो)-पु० [सं० चुलुकः] १ एक हाथ का पात्र बनाने ३ म्यान के शिर पर लगा धातु का उपकरण । __ की मुद्रा। चुल्लू, अंजली। २ अंजली भर पानी। चूंकारी-पु० १ चूं-धूं की ध्वनि। २ विरोध में कहा शब्द । __ ३ चिड़ियों की चहचाहट (मेवात)। ३ आपत्ति, एतराज । चुवटी-देखो 'चौवटी'। चूको-पु० १ रूई या ऊन का छोटा गुच्छा । २ छोटा बादल । चुवणी (बौ)-देखो 'चुअरणौ' (बौ) । चूखरणी (बौ)-क्रि० १ स्तनपान करना। ५ रूई या ऊन के चुवारणी (बी)-देखो 'चुनाणी' (बी) । रेशों को अलग-अलग करना । ३ चूसना । चुवारी--पु० सुन्नत करने वाला व्यक्ति । चूंखारणी (बौ), चूंखावरणौ (बी)-क्रि० १ स्तनपान कराना। चुवौ- पु० मज्जा। २ रूई या ऊन के गुच्छों को पृथक-पृथक कराना । चुसकी-स्त्री० [सं० चपक] १ शराब पीने का पात्र । २ पेय ३ चूसाना । पदार्थ की घुटकी, चुस्की । ३ चुस्की के साथ पीने की | खो-देखो 'को'। क्रिया। | चूंग-पु० एक प्रकार का अस्त्र। चुसट-देखो 'चौसट'। चूंगरणी (बौ)-क्रि० १ स्तनपान करना। २ चूसना । चुसणी (बौ)-क्रि० १ चूसा जाना । २ सोखा जाना । चू गथणी (नौ)-पु० दूध मुहा बच्चा, शिशु । ३ निचुड़ना, सारहीन होना । ४ शक्तिहीन होना । चूगारणी (बी), चूगावरणौ (बो)-क्रि० १ स्तनपान कराना। ५ सूखना। २ चुसाना। जुसाई-स्त्री० चूसने की क्रिया या भाव । चूगी-देखो 'चुगी'। चुसारणी (बी), चुसावरणौ (बी)-क्रि० १ चूसने के लिये प्रेरित |च घणो (बौ)-देखो 'गणो' (बी)। करना, प्राग्रह करना, प्रस्तुत करना । २ सोखाना । घाणौ (बो), चूघावरणौ (बौ)-देखो 'चूगाणी' (बी)। ३ निचुड़ाना, सारहीन कराना। ४ निर्बल कराना। चूच-स्त्री० [सं० चंचु] १ पक्षी की चोंच, चंचु । २ चोंच की ५ मुखाना। तरह का कोई तीखा मुख । ३ उमंग, उत्साह । ४ जोश, For Private And Personal Use Only Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४०९ ) चूकरणी आवेग । -वि० १ पूर्ण, तृप्त, परितुष्ट । २ धुत्त । गंदा कराना । ३ कुचलाना, रोंदाना। ४ लुटवाना, डाका ३ मदोन्मत्त । डलवाना। चूचक (की)-पु. १ कन्या के प्रथम प्रसव के बाद विदाई के थी-स्त्री० छोटा कागज, छोटा पत्र । समय दिया जाने वाला सामान । २ देखो 'चूची'। चूची-पु१ चूथा हुआ पदार्थ । २ खाने के बाद प्रवशिष्ट बूचड़ी, चाड़ी-देखो 'चूची'। बचा भाग। -वि० १ चूंथा हुआ । २ उच्छिष्ट, अवशिष्ट । चूंचारणौ (बौ), चावणो (बो)-क्रि० १ गाड़ी आदि को ३ उलझन वाला। (कार्य) अधिक दौड़ाना । २ अधिक काम में लेना । ३ स्त्री-संभोग चूंदड़ी-स्त्री० १ दुल्हिन या सधवा स्त्रियों की चमकीदार लाल, करना। पीली प्रोढ़नी । २ रंग विशेष की साड़ी या प्रोढ़नी । चूंची-स्त्री० १ स्तन, कुच । २ स्तन का अग्र भाग, नोक, घुडी। -साफो-पु० उक्त प्रकार के रंग का साफा। ३ स्लेट पर लिखने की वर्तिका, कलम । ४ जलती हुई चूदौ (धौ)-वि० (स्त्री० चूदी) १ छोटी पाखों वाला। तीलिका । ५ प्राग । ६ कलह कराने वाली बात । २ कमजोर नजर वाला। चूंचौ-पु० १ ग्राग, पलीता। २ स्तन, कुच । चूध-स्त्री० तेज प्रकाश में होने वाली चकाचौंध । चुट-स्त्री० १ अंगुलियों से तोड़ने की क्रिया या भाव, बीनाई। धीजणी (बौ)-क्रि० चौंधिया जाना। २ फुटकर व्यय । ३ एक ही कार्य पर थोड़ा-थोड़ा व्यय । चून-पु०१ पाटा। २ चूर्ण। -वि० श्वेत, सफेद* । ४ शोषण । चूंनड़ (डी)-देखो 'चूदड़ी' । चूटणौ(बो)-क्रि०[सं० चुट] १ चुन-चुन कर अंगुलियों से तोड़ना, चूप-स्त्री० १ शौक, चाव, उत्साह । २ लगन । ३ उत्कंठा, तोड़-तोड़ कर एकत्र करना। २ चुनना, बीनना। ३ ऊपर प्रबल इच्छा । ४ स्वच्छता । ५ चतुराई, दक्षता। ६ नग, से काटकर छोटा करना, छांटना । ४ नोचना, नोच कर नगीना । ७ ऊपर के दांतों में ठीक सामने फंसा कर खाना । ५ शोषण करना । ६ व्यर्थ का खर्च कराना । पहनने का प्राभूषण । ८ चतुराई, दक्षता । ९ छोटी वस्तु चूंटारगी (बौ), टावरणी (बी)-क्रि० १ चुन-चुन कर तोड़ाना, के चटकने या तिड़कने पर, मजबूती के लिये लगाया जाने तुड़ा-तृड़ा कर एकत्र कराना। २ चुनवाना, बीनवाना। वाला तार का बंद । १० शोभा, सुन्दरता । -चाप-स्त्री० ३ कटवाना, छंटवाना । ४ नुचवाना । ५ शोषण कराना। सफाई। ६ व्यर्थ का खर्च करवाना। चपणी (बी)-क्रि० १ चूसना । २ श्वास से खींचकर पीना । चूटियों-पु. १ अंगुष्ठ व तर्जनी की नोक से चमड़ी पकड़ कर ३ स्पर्श करना, छूना। ४ देखो 'चूथरणी (बी)'। ली जाने वाली चुटकी, कचौटी, चमोटी। २ मर्म वचन । बरणी (बो)-क्रि० १ किसी का चुबन लेना, चूमना । २ स्नेह ३ एक प्रकार का चूरमा । प्रदर्शन करना । ३ पुचकारना । चुटौ-पु० १ छोटा घाम । २ छोटा डंठल । ३ मक्खन की बाणी (बी)-क्रि० १ किसी का चुबन लिराना । २ चूमने के टिकिया। लिये प्रस्तुत करना। ३ स्नेह प्रदर्शन कराना। चंडणी (बी)-क्रि० १ बनाना । २ प्राकृति या डौल तैयार| चूमरणो (बी)-देखो 'चूबरणो' (बो)। करना। माणी (बी), मावरणो (बौ)-देखो 'बागी' (बी)। चूडाळी-पु० (स्त्री० चूडाली) एक पक्षी विशेष । री-देखो 'चंवरी'। चुण-पु० १ चुग्गा, दाना । २ चूरणं । ३ प्राटा, चून । ४ जौ चूळाई-स्त्री० एक प्रकार का पत्तीवाला शाक । ___का पाटा। चूळाफळी-स्त्री० चौला नामक अनाज की फली। चूंळी-पु० चौंला नामक द्विदल अन्न । चुणौ (बी)-देखो चुग्रणी' (बी)। वाळीस-देखो ‘चमाळीम' । चूतरो-स्त्री० चबूतरी, चौंतरी। चक -स्त्री० १ भुल, त्रुटि, गलती । २ धोखा, छल, कपट । चूतरो-पु० चबूतरा, चौंतरा। ३ पड़यंत्र । ४ कमी, अभाव । मंभ्रम, गफलत, लापरवाही। चू थरणी (बी)-कि० १ किसी वस्तु को निरर्थक, मसलना इधर- ६ प्रदभुत कार्य । ७ अमलवेत या खट्टा शाक विशेष । उधर करना । २ बार-बार छूकर गंदा करना। ३ कुचलना ८ अपराध । रोंदना । ४ लूटना, डाका डालना। चूकणी (बौ)-क्रि० १ भूलना, श्रुटि या गलती करना । २ अपचू थाणी (बौ), चू थावणौ (बौ)-क्रि० किसी वस्तु को व्यर्थ । गध करना। ३ धोखा खाना, षड़यंत्र में फंसना । ४ कमी, मसलाना, इधर-उधर कराना।२ बार-बार हाथ में देकर रहना । ५ प्रमावधानी करना । ६ लक्ष्य भ्रष्ट होना । For Private And Personal Use Only Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमार ७ अवसर खोना। ८ क्रम तोड़ना। ९ निपटना, तय होना, | चूनी-स्त्री० १ रत्न करण । २ नग, नगीना । ३ देखो 'चुनी'। निर्णीत होना। -रंग-पु. एक रंग विशेष का घोड़ा। चूकमार-पु० एक प्रकार का अस्त्र विशेष । चूनू-वि० श्वेत*। २ देखो 'चूनौ'। चूकाणी (बौ), चूकावणौ (बी)-देखो 'चुकाणी' (बौ)। चूनेवाळियां-स्त्री० मुसलमान वेश्याएँ। चूको-पु० एक प्रकार का खट्टा साग। चूनौ (न्यौ)-पु० [सं० चूर्णक] १ पत्थर आदि को फूक कर चूड-स्त्री० १ स्त्रियों के हाथ का आभूषण । २ शिर के बाल । ___ तैयार किया हुआ एक तीक्ष्ण क्षार । चूना । २ हीरे, चड़लियो (लो, ल्यौ)-देखो 'चूड़ो' । जवाहरात । चूड़ाकरण, 'क्रम)-पु० [सं०] बच्चे का मुण्डन संस्कार । चूप-देखो 'चूप'। चूडामण, (णि, णी)-स्त्री० [सं० चूडामणि] १ शीशफूल | चूपणी (बो)-देखो 'चूपणौ' (बौ)। नामक प्राभूषण ।२ प्रधान, मुखिया । ३ सर्वोत्कृष्ट | चूबारा-स्त्री० रूई धुनने व चूने आदि का कार्य करने वाली एक व्यक्ति। जाति विशेष । चूडाळ-पु० दोहा नामक छंद का एक भेद । चूमणौ (बौ)-देखो 'चूमणो' (बो)। चूड़ाळी स्त्री० १ सधवा स्त्री । २ चूड़ा पहनी हुई स्त्री। चूमाणों (बौ), चूमावणी (बौ)-देखो 'चूमाणी' (बी)। चूर-पु० [सं० चूर्ण] १ चूर्ण, चूरा। २ ध्वंस, विनाश । चूडावण (न)-स्त्री०१ प्रेतनी, डाकनी, चुडैल । २ दुष्टा स्त्री। -वि० १ अत्यन्त महीन । २ नष्ट, समाप्त । ३ अत्यधिक, चूड़ावळ (ळि, ळी)-स्त्री० १ सौभाग्यवती स्त्री । २ चुड़ल, बेहद । ४ धुत्त, पूर्ण। पिशाचिनी। चूरण-पु० [सं० चूर्ण] १ किसी वस्तु का महीन बुरादा, पाटा। चूड़ी-स्त्री० १ परिधि, गोलाई, वृत्त । २ स्त्रियों के हाथ या २ आटे की तरह कूटी हुई कोई औषधि । ३ हाजमें आदि पैर में पहनने का गोल व पतला कंगन । ३ प्रौजार आदि पर के चूर्ण । ४ चूर-चूर होने का भाव । ५ आर्या छन्द का पड़ी धारी जिससे उसे परस्पर कसा जाता है । ४ ग्रामोफोन एक भेद। की रिकार्ड । ५ तंग मोरी (पजामा)। ६ सफेद पैरों वाली चूरणियो-देखो 'चुनियो। एक प्रकार की बकरी। -गर-पु० गोल चूड़ियां उतारने | वाला कारीगर । -वार-वि० जिसमें चूड़ियां पड़ी हों। चूरणी (बी)-क्रि० [सं० चूर्णम्] १ किसी पदार्थ को कूट-पीट -बाजो-पु० ग्रामोफोन नामक वाद्य । कर महीन करना, पाटा बनाना । २ चूरा करना । ३ रोटी चूड़ल, चूड़े लण-स्त्री०प्रेतनी, पिशाचिनी। या बाटी के महीन टुकड़े करना । ४ नाश करना, ध्वंस करना। चूडौ--पु० १ हाथी दांत आदि की चूड़ियों का समूह जो प्रायः विवाह के समय (कुछ जातियों में स्थाई रूप से) बांह में चूरण्यो-पु० मल में पड़ने वाले कीट । पहना जाता है। २ सौभाग्य चिह्न। ३ चोटी, शिखा। चूरमियो, चूरमू (मू)-देखो 'चूरमो' । ४ हरिजन, भंगी। चुरमुर -वि०१ चूर्ण के समान महीन, बारीक। २ चूर-चूर । चूची-देखो 'चूची'। __-क्रि० वि० चूर करके । चूजी-पु० मुर्गी का बच्चा । चूरमौ-पु० [सं० चूर्ण] १ रोटी या बाटी को बारीक कर चूडी--देखो 'चूड़ी' । घी-शक्कर मिला कर बनाया हुआ खाद्य पदार्थ । २ पाटे चूण, चूणि-पु० १ सौ कौड़ियों के योग की संख्या। २ देखो। या दाल को पीस कर घी में भुनकर बनाया हया खाद्य 'चुग'। पदार्थ । चूणो (बी)-देखो 'चुअणौ' (बौ) । चूरी-स्त्री० प्याज, मूली आदि को छीलकर किए हुए छोटेचूत -स्त्री० [सं० च्युति] स्त्री का गुप्तांग, योनि, भग । छोटे टुकड़े। चून-देखो 'चून'। चूनउ-पु० [सं० चूर्णकः] १ भुना हुआ या पिसा हुअा अनाज । चूरीभाटौ-पु० घीया पत्थर । २ चुना। चूरी-पु० [सं० चूर्ण] १ किसी चीज का बुरादा, चूर्ण । चूनगर-पु० चूने का कार्य करने वाला कारीगर । २ वारीक टुकड़ों के रूप में कोई वस्तु ।। चूनड़ (डी)-देखो 'वूनड़ी'। चूळ-पु. १ रहट का एक उपकरण । २ अन्य लकड़ी में फंसाने चूनारो-देखो 'चूनगर'। के लिये निकाला हग्रा किसी लकड़ी का साल । For Private And Personal Use Only Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चेपकी ३ कूल्हे की हड्डी। ४ देवी की भुजाओं का एक आभूषण। | चेट-पु० [सं०] १ दास, सेवक, नौकर । २ पति, स्वामी । ५ फरसे की तेज धार । ६ चूल्हा।। ३ अनुरागी, पाशिक । ४ नायक, नायिका का मध्यस्थ । चुलगी-स्त्री० छोटा चूल्हा चेटक (की)-पु. एक रंग विशेष का घोड़ा । -वि० १ क्रोधी चूळिका-पु० [सं० चूलिका] १ स्त्रियों का कर्णफूल । २ एक । स्वभाव का, उग्र। २ उद्धत, उद्दण्ड । भाषा विशेष । चेटल-पु० सिंह का बच्चा। धूळियाळ (लो)-पु० एक मात्रिक छंद विशेष । चेड-देखो 'चेद'। ळियौ-पु० १ कपाट की नोक । २ कूल्हा । चेढ़ीमरणो-वि० योद्धा, वीर, पराक्रमी । बुलियो-देखो 'चूल्हो'। चेढ़ी-पु० १ रत्न । २ नगीना । चूळो (लो)-१ देखो 'चूल्हो' । २ देखो 'चुळो' । चेत-पु० [सं० चेतस] १ चेतना, होश, संज्ञा । २ चित्त की चूल्हड़ी, चूल्ही-देखो 'चूलड़ी' । वृत्ति। ३ विवेक, ज्ञान । ४ बुद्धि, विचार शक्ति । चूल्हौ-पु० लकड़ी प्रादि जला कर खाना बनाने का उपकरण, ५ सावधानी । ६ तर्कना शक्ति। ७ मन, प्रात्मा। चूल्हा । ८ स्मरण, याद । चूवरणौ (बो)-देखो 'चप्रणी' (बी)। | चेतकी-स्त्री० १ हरीतकि, हरड़ । २ तीन धाारियों वाली हरड़े। चूवारणी (बो), चूवावरणी (बी)-देखो 'चुनाणी' (बी) । ३ एक रागिनी । चुसरणी (बी)-क्रि० १ होठों या दांतों के बीच दबा कर किसी चेतरणौ (बी)-क्रि० [सं० चेतनम्] १ चेतन होना, होश में वस्तु का जीभ व श्वास से रस खींचना । चूसना । २ सार पाना, संज्ञामय होना, जागृत होना । २ सावधान होना, तत्त्व ग्रहण करना। ३ किसी से नाजायज फायदा उठाना । होशियार होना। ३ प्रज्वलित होना। ४ विचार करके समार-पु० एक प्रकार का हिंसक पक्षी। संभल जाना। चूसा-स्त्री० [सं० चूषा] हाथी के कमर में बांधने की पेटी। चेतन-पु० [सं०] १ आत्मा, जीव । २ प्राणी, जीव । ३ मनुष्य, चूसाणी (बी), चूसावरणौ (बी)-क्रि० १ चूसने के लिये देना, प्रादमी । ४ ईश्वर, परमात्सा। -वि० १ सजीव, जीवित । प्रस्तुत करना। २ सार वस्तु ग्रहण कराना। ३ किसी को २ जीवधारी, प्राणवान । ३ जो जड़ न हो। ४ विकासनाजायज फायदा उठाने देना। वान । ५ दृश्यमान । चूसौ-पु० १ छूता । २ सारहीन खोखला भाग । ३ किसी प्रकार | चेतनता-स्त्री० चैतन्य होने की अवस्था या भाव । जागृति । ___का रेशा। चेतना-स्त्री० [सं०] १ होश, मंज्ञा, सचेतावस्था । २ बुद्धि, चूहो-पु० चूहा, मुपा। ज्ञान । ३ याद, स्मृति । ४ सावधानी, सतर्कता। ५ समझ, में-देखो 'चीं। विवेक । ६ जीवन । ठरणी (बी)-देखो चैठणी' (बी)। चेताचक-वि. १ बदहवास भयभीत । २ असंतुलित । ३ गाफिल, चे-पु० १ रवि । २ चन्द्रमा । ३ कृष्ण । ४ मन । ५ तलवार । बेसुध । ४ व्याकुल । ५ भ्रमित । . ६ समूह । ७ षष्टी विभक्ति, के । चेताषौ (बौ). चेतावरणौ (बो)-क्रि० १ चेतन करना, होश में चेइ-पु० [सं० चेदि] १ चेदि देश । (जैन) २ चैत्य । लाना । २ जागृत करना । ३ सावधान करना । ४ प्रज्वलित चेहय-देखो 'चैत्य'। करना । ५ विचार कर संभलना । चेयरुक्ख (रुख)-पु० [सं० चैत्यवृक्ष] १ कैवल्य ज्ञान प्राप्ति | चेतावणी (नी)-स्त्री०१ सावधान या सतर्क होने के लिये दी का देव वृक्ष (जैन)। २ विश्रामदायक कोई वृक्ष (जैन)। गई सूचना। २ असावधानी करने पर दी जाने वाली ३ ऐमा वृक्ष जिसके नीचे चबूतरा हो । हिदायत । ३ हिदायती-पत्र। चेउखेप-स्त्री० वस्त्र वृष्टि । | चेतुरा-स्त्री० एक प्रकार की चिड़िया । चेड़-पु० १ बड़ा भोज । २ विशाल मृत्युभोज। चेतौ-० [सं० चेतः] १ होश, संज्ञा । २ बोध, ज्ञान । चेड़ो-पु० १ भूत-प्रेतादि का उपद्रव । प्रेत बाधा । २ प्राफत, ३ स्मरण । ४ मावधानी । इल्लत विपत्ति । ३ वस्त्र का छोर । ४ अंत, छोर। चेत्रि-देखो 'चैतरी'। चेचक-स्त्री० शीतला नामक रोग।। चेदि-पु० एषा प्राचीन जनपद । -राज-पु. शिशुपाल । वेजारी-पु० दीवार की चुनाई का कार्य करने वाला कारीगर। चेप-पु० १ चिपकने का गुण या शक्ति। २ चिपकाने की क्रिया । खेजी-पु०१ दीवार की चुनाई का कार्य । २ प्राहार, भोजन। पकी-स्त्री. १ प्रावरण, ढक्कन । २ चुगली, निंदा । ३ गुजाग, निर्वाह । ४ देखो 'चुग्गो' । ३ चापलूमी। For Private And Personal Use Only Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धेपरणो ( ४१२ । चंबरी चेपणो (बी)-क्रि० १ चिपकाना, चेपना, गोंद प्रादि लगा कर चैत्रं-स्त्री० १ पक्षियों का कलरव । २ चू-चू । ३ बकवास । परस्पर जोड़ना । २ संलग्न करना । ३ सटाना। ४ प्रहार | चैट (8)-स्त्री० १ चिपकने की क्रिया या भाव । २ चिपकने का या ग्राघात करना । ५ जड़ना । गुण । ३ प्रयत्न, चेष्टा । ४ लगन, लाग । ५ चिंता। चेपारणो (बो), चेपावणो (बी)-देखो 'चिपकाणौ' (बो)। ६ एक प्रकार का विकार । ७ अंकुरित होने का भाव । चेपाचापौ-पु० १ जोड़-तोड़, साधारण व्यवस्था । २ निर्वाह, चिड़चिड़ाहट। गुजारा । ३ समझौता। चटणी (बो), चैठणी (बी)-क्रि० १ चिपकना । २ संलग्न चेपौ-पु०१ प्राहार, भोजन । २ गुजारा, निर्वाह । ३ किसी को होना। ३ प्रयत्न करना, चेष्टा करना । ४ लगन रखना, मुहरबंद करने के लिये द्वार या ढक्कन पर लगाई जाने लाग करना। ५ चिंता करना । ६ चिड़चिड़ाना । ७ डंक वाली चिटिका । ४ सरसों की फसल का रोग। (मेवात) या दांत से काटना।८ अंकुरित होना। चेबड़ो (से)-पु० सूअर का छोटा बच्चा । चैटारणी (बौ), ठाणो (बौ), चैटावरणी (बौ), चंठावरणी चेय-पु० चित्त । (जैन) (बी)-क्रि० १ चिपकाना। २ संलग्न कराना । ३ प्रयत्न चेर-पु. सेवक, दास, नौकर । शिष्य । कराना । चेष्टा कराना । ४ लगन रखवाना। ५ चिंता चेराई-स्त्री० नौकरी, गुलामी । सेवा । कराना । ६ चिड़चिड़ाने के लिये प्रेरित करना । ७ डंक चेरियो-पु० चरखे का एक उपकरण । या दांत से कटवाना। धेरी-स्त्री० [सं० चेटक] १ दासी, सेविका । २ शिष्या, चेली। चै-अव्य० संबंध सूचक अव्यय 'के' । -पु०१ दूत । २ चोर । चेरी-पु० [सं० चेटक] १ दास, सेवक, नौकर । २ शिष्य । ३ युद्ध । -वि. १ प्रेरक । २ दुष्ट। चेळ-पु० कपड़ा, वस्त्र। चड़ी-१ देखो 'चेरौ' । २ देखो 'छेड़ी'। चेल (क, कड़ौ)-पु० १ बच्चा। २ चेला । चैत-पु० [सं० चैत्र] फाल्गुन के बाद पड़ने वाला मास । चेलकाई-स्त्री. १ बचपन । २ शिष्यत्व । चैतन्य-वि० [सं०] १ जागृत, चेतन । २ सचेत, सावधान । -पु. चेलकी-देखो 'चेली'। १ चित्त स्वरूप प्रात्मा । २ परमात्मा । ३ ज्ञान बुद्धि । चेलको-देखो 'चेलो'। ४ एक प्रसिद्ध धर्म प्रचारक । ५ जीवन । ---भैरवी-स्त्री. चेलर--पु० सूअर का बच्चा। . एक भैरवी विशेष । खेला--स्त्री० एक मजदूर जाति विशेष । चैतरी-वि० चैत्र मास में होने वाला। चेलिय, चेली-स्त्री० १ शिष्या । २ दासी । ३ भक्तिन ।। चैतवाड़ो-पु० वसंत ऋतु। चेलुखेप-पु० [सं० चेलोत्क्षेप] प्राकाश में से वस्त्रों की वर्षा । | चैती-स्त्री० रबी की फसल । --वि० चैत्र का, चैत्र संबंधी । चेळो-पु०१ तराजू का पलड़ा, तुला पाट । २ पक्ष, पलडा। चैत्य-पु० [सं०] १ मंदिर,देवालय। २ यज्ञशाला। ३ देवमति । चेली-पु० (स्त्री० चेली) १ शिप्य । २ भक्त। ३ दास ४ सूबर ४ जैनियों का धार्मिक केन्द्र । ५ शव स्मारक । ६ चिता । का बच्चा। ७ श्मशान स्थान, मरघट । -परवाड़ी-स्त्री० अनुक्रम चेल्हर-पु० मुग्रर का बच्चा । से मंदिरों की यात्रा । (जैन) चेसटा-देखो 'चेस्टा'। चत्र (क)-देखो 'चैत'। चेस्टक-वि० [सं० चेष्टक] चेष्टा या प्रयत्न करने वाला। चत्ररथ-पु० [सं०] १ कुबेर का बगीचा । २ एक प्राचीन ऋषि । चेस्टा-स्त्री० [सं० चेष्टा] १ मन के भावों को प्रगट करने चैत्रावळि (ळी)-स्त्री०१ चैत्र मास की पूर्णिमा। २ चैत्र शुक्ला वाले कायिक व्यापार । २ नायक-नायिका के प्रेम प्रदर्शन त्रयोदशी । के प्रयत्न । ३ प्रयत्न, उपाय, यत्न । ४ इच्छा । ५ हाव चंत्रि (त्री)-देखो 'चंतरी'। भाव । -बळ-पु० गति के अनुमार ग्रहों की प्रबलता । चेह-स्त्री० [सं० चिता] १ चिता।२ मरघट, श्मशान । चैद-वि० चेदी देश का, चेदी देश संबंधी। चेहरणो (बौ)-देखो 'च'रणी' (बी)। चन-पृ० १ पाराम, सुविधा, सुख । २ शांति, तसल्ली । ३ प्रानन्द चेहरो-देखो 'चै'रौ'। हर्ष। ४ कष्ट, पीड़ा आदि से मुक्ति । ५ ऊंट का प्राभूषण विशेष । ६ देखो 'चहन'। चैकरणो (बो)-कि० १ चौंकना, चमकना । २ चहकना । चैनाळ-देखो 'छिनाळ'। कारणो (बी), चैकावणी (बी)-क्रि० चौंकाना, नमकाना। चंबचौ-देखो 'चहबची। चाट-स्त्री० चहचाहट । बरौ-पृ० गुअर का बच्चा । For Private And Personal Use Only Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra साधु । चंबास प्रव्य० [फा० शाबाश ] शाबाश, धन्य, बासी स्त्री० [फा०] शाबाशी वाह-वाही धन्यवाद । - पु० एक मरुस्थलीय पौधा विशेष । चैर-स्त्री० पालोचना, निदा 1 www. kobatirth.org ( ४१३ ) कराना । 'रौ - पु० [फा० चेहरा ] १ मुंह मुखाकृति, शक्ल, सूरत । २ मुखाकृति का चित्र या खिलोना ३ सामने की हजामत । - पु० [सं०] १ वस्त्र, कपड़ा । २ पोशाक । ३ वस्त्र खण्ड । लक- पु० एक प्राचीन वर्णसंकर जाति । चल चंहन - पु० [सं० चिह्न] १ चिह्न, निशान । २ ध्वजा, पताका । हरणी (बौ) - देखो 'चै'रणी' (बो) । चेहरी-देखो 'पै''। हैन- देखो 'चैन'। चो-देखो 'पू'। चोंगियो- पु० खाट की बुनाई का एक ढंग विशेष । ai (डली) - स्त्री० [सं० चंचु] १ पक्षी का एक मुख, चोंच । २ लंबा मुख । ३ कुए से पानी निकालने का उपकरण । ४ बैलगाड़ी का अग्रभाग -दार वि० चोंच वाला । चोंतरौ - पु० चबूतरा | चॉप-देव''' चोपो-देखो 'पापी'। चो- पु० १ मनुष्य । २ बैल | ३ प्रश्व, घोड़ा । ४ महावत । स्त्री०५ गो. गाय ६ चतुरंगिनी सेना प्रव्य० पष्ठी विभक्ति का चिह्न 'का' । । । 'बोधी-देखो 'बोबी' । रणी (बी) - क्रि० ग्रालोचना करना । निंदा करना । 'राखी (बी), 'रावली (बी) - कि० पालोचना कराना। निंदा बोध (बी) १दना, तलाश करना २ शोध करना। 3 देखना, गौर करना । चोकड़ - देखो 'चापड़' | चोकड़ी-देखो 'पौड़ी। चोकी - स्त्री० १ चार कोने की ताबीज, गंडा । २ पुलिस का एक घटक । 'चोको-देखो 'चौकी 1 चोख - स्त्री० १ स्फुर्ति । २ तेजी । ३ उमंग, जोश। ४ शौक, मौज | चोखळीदेखी चोखा पु० चावल, अक्षत चोखाई - स्त्री० अच्छापन प्रच्छाई. गुण । चोखो - वि० [सं० चोक्ष ] ( स्त्री० चोखी) १ अच्छा २ उत्तम, श्रेष्ठ । ३ प्रिय, मधुर । ४ स्वादिष्ट । ५ चतुर, दक्ष ६ विशुद्ध ७ सुन्दर । ८ सच्चा, ईमानदार। भला, चंगा । —बोंठो त्रि० भला-बुरा, श्रच्छा-बुरा । चोगड़, चोगड़द (हा) - देखो 'चौगड़द' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोर पु० उल्लू के समान पांचों वाला घोड़ा । चोगांन - देखो 'चोगान' | चोगुड़वाई स्त्री० चौड़ाई चोगी पु० ढीला कुर्ता, चोला, चोगा। चोघड़ियो-देखो 'चौघड़ियाँ' । चोटियो क्रि० वि० पारों पोर, चौतरफ चोधालो (बौ), चोचावणी (बो) कि० १ दवाना, तलाव कराना । २ शोध कराना । ३ दिखाना, गौर कराना । चोड़-धाड़ - देखो 'चौड़े धाड़े । चोच स्त्री० [सं०] १ चर्म, चमड़ी । २ खाल । ३ छाल ६ छल, कपट । ४ वल्कल । ५ आडम्बर चोळा पु० नाज-नसरे । चोळी ( ली) - वि० नखरेबाज चोवा स्त्री० [१] बड़ाई । २ -कारो- वि० चोचाळी- वि० (स्त्री० चोचाळी) कलह प्रिय, झगड़ालु । To झगड़ालु । निंदक | arat - वि० १ थोड़ी श्रल्प । २ साधारण । चोची-१० १ झगड़ा, लड़ाई २ उपद्रव, दंगा । ३ प्रलाप, बकवाद | ४ ग्राडम्बर ढोंग । योज पू० १ विनोद पूर्ण बात हंसी मजाक · For Private And Personal Use Only । निंदा, मालोचना । २ उमंग, उत्साह । ३ साहस । ४ चतुराई । ५ छल, कपट, धोखा । ६ रसास्वादन । ७ प्रानन्द, मौज, मस्ती । ८ स्थान, जगह । & श्राभा, कांति । १० प्रभाव, प्रसर ११ उदारता । चोजाळी, बोजोली- वि० (स्त्री० बोजाळी, चोजीसी) १ हंसी मजाक करने वाला, विनोदी । २ भेदिया । ३ धोखेबाज | ४ निपुर-वाक्पटु । ५ मस्त | -पु० १ धोखा, छल । २ चोज । चोजीचोट-स्त्री० १ प्राघात, प्रहार । २ टक्कर । ३ जख्म, घाव । ४ वार, आक्रमण ५ क्षति, नुकसान । ६ मानसिक आघात, दुःख । ७ चाल, षड़यंत्र | धोखा, विश्वासघात । ९ ताना, व्यंग । १० छेड़-छाड़ । ११ भटका | चोटड़ियाळ (कौ) - देखो चोटियाळ' | चोटलियो, चोटलो-देखो 'चोटी' । 1 चोटिया (श्री० [स्त्री० [पोटिवाळी) १ एक प्रकार का गीत । २ चोटी वाला । ३ हिन्दू । ४ दोहे का एक भेद । ५ चोटी या रेशेवाला नारियल जटावाला नारियल । चोटियो- पु० [सं० चूड] १ डिगल का एक गीत । २ राजस्थानी में दोहे का एक भेद । ३ छोटा रस्सा । ४ एक प्रकार का घोड़ा । ५ घास के मैदानों में खड़ी घास मे बनाया विभाजक चिह्न । ६ प्राक के रेशों की पूणी । ७ शिखर वाली ढेरी । Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोटी चोभी ८ घास का पुपाल । ९ चट्टा । १० तराजू की डंडी के | चोपड़ी-पु. १ तिलहन की फसल में होने वाला एक रोग। मध्य की डोरी। | २ देखो 'चौपड़ो'।। चोटी-स्त्री० [सं०] १ बालों की शिखा । २ स्त्रियों की वेणी। चोपण-स्त्री० लोहे को सुधारने का एक उपकरण । २ प्राभूषणों ३ शिर की किलंगी। ४ ऊपरी भाग, शिखर, पर्वत शिखर । की खुदाई का उपकरण । ५ कुर्मी । ६ सारंगी का ऊपरी भाग। -पाल-पाळी= | चोपदार--देखो 'चौबदार'। 'चोटियाळ' । ---कट -पु० अनुयायी शिष्य। -बंध-पु० चोपन-देखो 'चौपन' । स्त्रियों के शिर का प्राभूषण विशेष । २ शिष्य। -बडियो | चोपाड-स्त्री० चौपाल । -पु० चोटी कटा । मुसलमान । ईसाई शिष्य विशेष कृपा | चोपायी-स्त्री० १ चौपाई छन्द । २ चारपाई। पात्र । -याळ, याळो-'चोटियाळ'। -वाळ वाळी | चोपाळी-पु. डोली, पालकी, शिविका । --'चोटियाळ'। चोप्पालग-पु० मस्त हाथी। (जैन) चोटो-गु०१ मोटी शिखा। २ चोटा। चोफाड़-देखो 'चौफाड़। चो'ट्टो-वि० चोर। चोफाडपो (बौ)-क्रि. १ चार भागों में विभक्त करना । २ चार खोडाळ-पु. एक प्रकार की सवारी। वाहन । फाड़े करना । ३ काटना । ४ नष्ट करना । चोडी-स्त्री० कूए के मध्य का भाग, बीच का गड्ढ़ा। चोफाड़, चोफाडा-क्रि० वि० १ चारों भोर, चौतरफ। २ चार चोडोळ (ळी)-पु० हाथी. गज । फाड़ों से। चोढरी-पु० सवार, सवारी करने वाला। चोफेर-देखो 'चौफेर'। चोतरफ-देखो 'चौतरफ'। चोब-स्त्री. १ चुभने के क्रिया या भाव । २ चुभन । ३ तीक्ष्ण चोताळो-देखो 'चौताळो' । दर्द, पीड़ा । ४ कूए की खुदाई का प्रारंभ । ५ छोटे-छोटे चोय-स्त्री० १ आभूषण विशेष । २ देखो 'चौथ' । पौधों की बुवाई, अंकुरण । ६ इस प्रकार गाड़े जाने वाले चोदक (क्कड़)--वि० स्त्री संभोग करने वाला, बहु कामी । पौधे । ७ तालाब के मध्य का गहरा गड्ढ़ा । ८ शामियाने चोवरणी (बो)-क्रि. संभोग करना, स्त्री प्रसंग करना । का बीच का खंभा। ९ नगाड़े का डंडा। १० सोने चांदी चोदन-स्त्री० स्त्री प्रसंग, मैथुन । की मूठ वाली छड़ी। चोदस-स्त्री० चतुर्थ दशी की तिथि । चोबचीरणी-स्त्री. दीपान्तरवचा नामक जड़ी जो रक्त शोधन चोदाई-स्त्री. १ मथुन का कार्य । २ संभोग कराने का पारि- करती है। श्रमिक । चोबरपो-पु० जूते का कसीदा। चोदास-पु० कामेच्छा, मैथुनेच्छा । चोबरपो (बी)-क्रि० १ चुभाना, तीक्ष्ण वस्तु धमाना। २ धार चोदू-वि० भीर, डरपोक । की रगड़ लगाना। ३ कूए की खुदाई प्रारंभ करना । चोद्दग-वि० चौदह । (जैन) ८ छोटे पौधों को अलग-अलग गढाना, अकुरित करना। दोधरौ-देखो 'चौधरौ'। चोबदार-पु० राजा व जागीरदारों का एक अनुचर । छोधार (रण, रो)-देखो 'चौधार'। चोबाई-स्त्री. चोबने की क्रिया या भाव । घोप-स्त्री. १ सेवा, पूजा। २ प्रार्थना, विनती। ३ ध्यान । चोबारणी (बौ). चोबावरणो (बो)-क्रि० १ चुभवाना, तीक्ष्ण वस्तु ४ लगन । ५ भक्ति । ६ श्रद्धा। ७ कृपा, दया, अनुकम्पा । को धंसवाना। २ धार की रगड़ लगवाना । ३ कूए की -क्रि० वि० चारों प्रोर । खुदाई प्रारंभ कराना । ४ छोटे पौधों को अलग-अलग चोपद, चोपई-स्त्री० एक मात्रिक छन्द विशेष । गढ़वाना। चोपग (गौ)-देखो 'चौपगो' । चोबारी-देखो 'चौबारी'। खोपड़-पु. १ घी आदि स्निग्ध पदार्थ । २ देखो 'चौपड़। चोबोली-पु० एक मात्रिक छंद विशेष । चोपड़पो (बो)-क्रि० १ घी तेल प्रादि स्निग्ध पदार्थ लगा कर चोबो-पु० शक सन्देह, आशंका । चिकना करना । २ खिचड़ी आदि पर घी डालना। चोभ-देखो 'चोब' । चोपड़ारणी (बी), चोपड़ावणी (बौ)-क्रि० १ घी आदि स्निग्ध चोभको-देखो 'चभको' । पदार्थ लगाकर चिकना कराना। २ खिचड़ी प्रादि पर घी चोमणी-देखो 'चोबणी'। दलवाना। चोभरणौ (बौ)-देखो 'चोबरणो' (बी)। चोपड़ास-देवो 'चोपड़'। चोभौ देखो 'चोबी'। For Private And Personal Use Only Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra arenatal arenatai - पु० चार मुंह का दीपक । चोमुखो-देखो 'चोखो' । घोय-स्त्री० १ वचा चमडी २ छाल (जैन) चोरग- पु० एक सुगंधित वनस्पति । (जैन) चोरड़ो, चोरटो-देखो 'चोर' । www. kobatirth.org चोय - पु० एक प्रकार का फल | चोयरण- वि० प्रेरणा करने वाला । बोला- स्त्री० प्रेरणा (जैन) चोयाल - स्त्री० गढ़ के ऊपर का स्थान । (जैन) चोयाळा, चोयाळीसा वि० चमालीस । चोरग- देखो 'चौरंग' । चोर पु० [सं०] १ चुपके से किसी वस्तु का हरण कर लेने वाला. अपहरणकर्त्ता । उचक्का । २ ठग । ३ डाकू । ४ छिपा कर रखा ताश का पत्ता । ५ एक प्रकार का गंध द्रव्य । ६ एक प्रकार का सर्प । वि० १ जिसके वास्तविक बाह्य स्वरूप का पता न चले । २ काला, श्याम । - आळी - पु० गुप्त ताका । -कार, कारी, कळी, काळी-स्त्री० चोर का कार्य, चोरी । —खांनौ- पु० गुप्त खाना, कोष्ठक, दराज । - खिड़की - स्त्री० गुप्त द्वार । -गळी स्त्री० गुप्त व संकरा रास्ता । - गाय स्त्री० दूध दुहते समय दूध न उतारने वाली गाय | -जमी, जमीन-स्त्री० ऊपर से ठोस व अन्दर से पोली जमीन । ताळी- पु० गुप्त ताना दांत पु० पतिरिक्त दांत पहरो, 'रो-पु० -पहरी, पं' रौ- पु० गुम महरा, जासूसी । । ( ४१५ ) छोरो (बी) - क्रि० १ कोई वस्तु चुपके से लेना, उठा लेना । २ अपहरण करना । ३ आकर्षित करना । ४ मोह लेना । चोरकूटी पु० चोरी-डकैती का कार्य चोराबोरी - क्रि० वि० चुपके-चुपके, गुप्त रूप से । चोरावर (बौ) - देखो 'चुराणी' (बौ) । चोरिव स्त्री० १ बोरी २ मारपीट ३ डकैती (जैन) । । । चोरियो पु० पुताई प्रादि के समय रह जाने वाला धध्या चोरी - स्त्री० १ चुपके से किसी वस्तु को हथियाने की क्रिया । २ अपहरण, हरण । ३ ठगी । ४ डकैती । चोळगोळ - पु० प्राग से तथा लाल गोला । चोळचंचोळ पु० क्रोध से लाल नेत्र । चोळ (ल)- पु० [सं० चोल] १ दक्षिण भारत का एक जनपद । २ एक प्राचीन राजपूत वंश । ३ लाल रंग । ४ लाल रंग का वस्त्र | ५ चोला । ६ मजीठ । ७ कवन । श्रानंद, उमंग । ६ रति क्रिया । १० क्रीड़ा, विनोद । ११ रुचि, लगन । १२ कचुकी । - वि० लाल । चोळ-० रक्त चोळचख पू० शेर । चोळखी (खौ) - वि० क्रोध से लाल नेत्रों वाला । चोळबोळ - वि० १ लाल रंगा हुआ, रक्ताभ । २ उन्मत्त, मस्त । चोळरंग- पु० लाल रंग, मजीठ रंग । घोळवट ( उ ) - पु० [सं० चोलपट्ट] लाल वस्त्र, टूल । चोळain (अन्न) - वि० रक्त वर्ण, गहरा लाल । चोळियो-देखो 'चोळो' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (बी) मसलना चोळी स्त्री० [सं० पोली) १ स्त्रियों के कुचों पर पहनने का वस्त्र, अंगिया । २ मजीठ । ३ श्रंगरखीनुमा एक स्त्रियों का वस्त्र विशेष । ४ पान रखने की डलिया -मारग - पु० वाममार्ग का एक भेद । चोळीय-पु० नौ नाथों में से एक । चोळ वौ-वि० लाल । चोळी-पु० १ साधु फकीरों का चोगा । २ ढीला-ढाला कुर्ता । ३ देह, शरीर, तन । ४ इल्लत, आफत | बोल्यो- पु० १ टोकरा । २ देखो 'चोळी' । चोखो-देखो 'चोखो' । चोवड़ौ - देखो 'चौवड़ी' । चोटियों, चोवटौ देखो 'चौवटो' । चोवाचंनरण- पु० चंदनादि संगुधित द्रव्य । arat - पु० एक प्रकार का सुगंधित पदार्थ । चोपी देखो 'बोसांगी' | चौप - चोस - स्त्री० कांमी । चोसरी (बौ) - देखो 'चूमरणो' (बी) । चोसर - देखो 'चौसर' । चोरी देखो 'चीमरों' । चोसांगी, चोसींगो - पु० [सं० चतुःश्रृंगी ] १ चार सींग वाला । २ एक प्रकार का कृषि उपकरण । चोहट (टी) देखो 'चौवटी' | चोहवी देखो 'बौहवी'। चोहां वि० चारों । For Private And Personal Use Only चकरण (बौ) - क्रि० १ चमकना झिझकना । २ सावधान होना, जागृत होना । ३ गुस्सा करना । चकलो-देखो 'चुकलो' । चौकारणी (बो) क्रि० १ चमकाना, भिकवाना । २ सावधान करना, जागृत करना । ३ गुस्सा कराना । चौंगियो-देखो 'चोंगियो' । चौतरी देखी 'नवृत चौंतीस देखो 'चौतीम' । चौंप - स्त्री० १ कीर्ति, यश २ देखो 'चोग' । Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चोरी www.kobatirth.org बोरी-देवो'री' । चौवटौ - देखो 'चोवटो' । बो-पु० १ मनुष्य २ । २ बैल। ३ प्रश्व, घोड़ा । ४ महावत । ५ रस । ६ गौ, गाय - वि० चार चोईस वि० बीस व चार । चौबीस । ( ४१६ ) - पु० पोवीस की संख्या, २० । बोईसौ पु० २४ की संख्या का वर्ष या संवत । चौथौ १ देखो 'चोभौ' । २ देखो 'चोबी' । चौक- पु० [सं० चतुष्क] १ मुहल्ले या मकान के बीच की खुली जगह । २ चौराहा । ३ खुला मैदान । ४. चार कोने का खुला चबूतरा । ५ पीठ । ६ काष्ठ या धातु की चौकी । ७ भूल-चूक । ८ मांगलिक अवसरों पर घाटे, अबीर आदि से बनाया हुआ क्षेत्र । ६ एक देशी खेल । चौकड़ा-पु० [० मर्दों के कान के आभूषण । चौकड़ालगाम-स्त्री० एक प्रकार की लगाम चौकड़ी-स्त्री० ० १ चार व्यक्तियों की मंडली । २ चार का समूह । ३ चार युग । ४ चारों ओर से होने वाला तलवारों का प्रहार । ५ चारों पैरों से एक साथ भरी जाने वाली छलांग ६ चार कोने का खड्डा ७ वारा के पिछले । ८ पगड़ी बांधने की एक १० चार व्यक्तियों द्वारा - शिरे पर लगने वाला उपकरण । विधि । ६ चार घोड़ो की बग्घी । खेला जाने वाला ताश का एक खेल । चौकड़ी पु० १ घोड़े के मुंह पर लगाई जाने वाली लगाम । २ एक प्रकार का आभूषण । ३ एक विषैला विशेष | जन्तु चौकरणों (बौ) - क्रि० १ भूमि की जुताई करना । २ बुवाई के लिये खेत में अनाज के दाने विवेरना, छितराना ३ चारों ओर से आवेष्टित करना, घेरना । ४ चकित होना । चौकतोख स्त्री० मान प्रतिष्ठा । चौकनी-देखो 'चोसांगी' । पौनी वि० [स्त्री० चौकन्नी) १ सतर्क, सावधान सन्नद o तत्पर, तैयार । २ चार कान वाला । चौकळ पु० [सं० चतुष्कल ] चार मात्राओं का समूह । वि. चार कलाश्री वाला । , खोकळियो, चौकळी- वि० १ चार कलाओं वाला । २ चार-चार मात्रा के समूह वाला छन्द । ३ देखो 'चौखळो' | चौकस सचेत सतर्क, सावधान २ ठीक सही ३ पक्का निश्चित । ४ स्पष्ट । - पु० १ ढूंढने का प्रयास, खोज । २ शोध । ३ जांच पड़ताल । क्रि० वि० १ प्रत्यक्ष, सामने । २ निश्चय ही अवश्य । मोसाई पोसी-स्त्री० [सावधानी ज तलाश। ३ छान-बीन । ४ चौकीदारी ५ सुरक्षा | चौका स्त्री० तलवार की मुठ का एक भाग । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोटो चौकारणी (बौ), चौकावणी (बौ) - क्रि० १ भूमि की जुताई करवाना। २ बोवाई के लिये खेत में अनाज छितरवाना, छटवाना ३ देखी 'चौका' (बी)। चौकी - स्त्री० [सं० चतुष्की ] १ चार पाये या चार कोनों का आसन । २ मंदिर के ऊपर का चौकोर घेरा । ३ सिपाहियों का एक दल जो स्थान-स्थान पर चौकसी के लिये तैनात रहता है । इस दल का कार्य स्थान । ४ निगरानी, पहरा । ५ पड़ाव ठहराव । ६ चार कोनों की तावीज, गंडा | ७ चार कोने का आभूषण गले का एक आभूषण । ६ सेना की टुकड़ी । १० चकला । ११ राजा या जागीरदार को आमंत्रित कर भेंट की जाने वाली धन राशि । १२ छोटा चबूतरा १३ बेत की चौकीदारी के बदले दिया जाने वाला लगान | १४ चार पत्तियों वाला ताश का पत्ता । खांनी पु० पहरा देने का स्थान बार० पहरेदार, रखवाला । - दारी - स्त्री० पहरे का कार्य, निगरानी । चौकीदार का पद । चौकीदार का वेतन या पारिश्रमिक | - वट- पु० काष्ठ की चौकी, ग्रासन, पाट । चौकूट- देखो 'चोखूंट' । चोकूटी देखो 'चौकट' चौकूली वि० १ चार कोने का। २ समचौरस । चौकोर - वि० चार कोनों का, चारों ओर से बराबर । स्त्री० क्षत्रियों की एक शाखा । चौकौ - पु० [सं० चतुष्क] १ चार कोने का कोई खण्ड । २ चार का अंक | ३ गोबर लीप कर शुद्ध किया स्थान । ४ ब्राह्मणों का रसोईघर या रसोई के लिये निश्चित स्थान । ५ एक ही प्रकार की चार वस्तुनों का समूह । ६ चार पत्तियों का ताश का पत्ता । ७ दंत-क्षत का निशान । ८ सामने का दंत समूह । ६ चार की संख्या का वर्ष । चौखंड - पु० १ चार खण्ड । २ चौथी मंजिल वाला । चौखंडी-स्त्री० चौथी मंजिल । पौड़ी-देखो 'चौकड़ी' | चौखट-स्त्री० १ चार मोटी लकड़ियों का ढांचा जिसमें कपाट के पहले घटकाये जाते हैं। २ देहली ३ ताश के पत्तों की बोकोर खूंटी चोटियाँ (१) १०१ तस्वीर धादि की कम २ प्राकृति For Private And Personal Use Only ३ चार भाग शक्ल । चौखरणौ - वि० चार कोष्ठक या खण्डों वाला । - चोळी ० १ किसी गांव या प्रदेश के चारों ओर का क्षेत्र या प्रदेश २ चारों ओर का समुदाय । चौखट पु० [सं० चतुष्कोटि] १ चारों दिशा । २ चारों कोने । बोटी दि० पार कोने का Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धोगड़ा ( ४१७ ) चोपड़ी चौगद, चौगड़वाई-क्रि०वि० चारों ओर । चौत्रीस-देखो 'चौतीस'। चौगो-वि० चार । चौष-स्त्री० [सं० चतुर्थी] १ चतुर्थी तिथि । २ विवाह के बाद चौगट-देखो 'चौखट'। का चौथा दिन । ३ चौथा भाग। ४ मराठों द्वारा लिया चौगड-वि० चार गुना। जाने वाला एक कर । ५ लुटेरों से रक्षा करने के लिये चगणी-वि० [सं० चतुर्गुण] चार गुणा । दिया जाने वाला कर। ६ प्राभूषण विशेष ।-पण, पणौबोगरणी (बी)-क्रि० देखना । पु० चौथापन, वृद्धावस्था । -मक्त-पु० उपवाम । (जैन) चौगरव-देखो 'चौगड़द'। चौथड़ी-स्त्री० छोटा चबूतरा । पौगस-देखो 'चौकस'। चौथडौं-पु० बड़ा चबूतरा । चौगान-पु० [फा०] १ खुला व विस्तृत मैदान । २ खुला प्रांगन । | चौथाई-स्त्री० चौथा भाग । चौगांनियो-वि० चार तहों या परतों का । -पु० दशहरे के दिन चौथालो- देखो चौतालो' । काटा जाने वाला मस्त भैसा । चौथियौ-पु०१ हर चौथे रोज पाने वाला ज्वर । २ चौथे भाग चौगिरद, चौगुडवा-देखो 'चौगड़द' । का हकदार। ३ 'चौथ' वसूल करने वाला व्यक्ति । चौगुणो-वि० (स्त्री० चौगुणी) चार गुणा । चौथीपछेवड़ी-स्त्री० वृद्धावस्था । चौगौ-पु०१ चार दात वाला छोटा बैल या भैसा । २ चोगा, चौथी-वि० [सं० चतुर्थ] (स्त्री० चौथी) तीन के बाद वाला, चोला । ३ चार का अंक । ४ चार का वर्ष । चौथा, चतुर्थ। -ग्रासरम-पु० संन्यास प्राश्रम । चौगोनी-स्त्री० १ छड़ी, बेंत। २ गेंद का बल्ला । वृद्धावस्था। चौवंत (तो)-वि० १ प्रसिद्ध, ख्याति प्राप्त । २ प्रतिष्ठित । चौघड़ियो चौघडो-पु० १ लगभग चार घड़ी का समय, समय ३ चार दांत वाला। का एक विभाग । २ उक्त समय के अन्त में बजने वाला चौद-देखो 'चवदै'। घंटा । ३ मुहूर्त विशेष । चौड़-पु० नाश, ध्वंस । चौबस (सि, स्स)-स्त्री० चतुर्दशी की तिथि । चौड़ाई-स्त्री० चौड़ापन, मोटाई । अर्ज। चौधर-स्त्री० चौधगहट, चौधराई। चौड़-क्रि० वि० खुले में, प्रत्यक्ष में, प्रगट रूप में । -धाई चौधरण-स्त्री० चौधरी को स्त्री। क्रि० वि० खुले प्राम, दिन दहाड़े। चौधराई (रात)-स्त्री० १ चौधरी का पद ब कार्य । २ इस पद चौड़ोतरसौ-पु० एक सौ चार की संख्या । का या कार्य का वेतन । चौड़ी-वि० (स्त्री० चौड़ी) १ विस्तृत, फैला हुआ। २ लम्बाई चौधरी-पु० [सं० चतुर्धरी] १ जागीरदार के पास गांव का से भिन्न दिशा में फैला हुआ। प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति । २ राज्य का बड़ा सामन्त चौज- देखो 'चोज। जिसकी स्वीकृति हर महत्वपूर्ण कार्य में जरूरी होती थी। चौजुगी-स्त्री० चार युगों का समूह । (स्त्री० चौधरण) ३ जाट, सीरवी, पटेल आदि । चौडोळ-पु० १ हाथी । २ पालकी । | चौधरी-पु. चार दरवाजा का कमरा या कक्ष । चौतरफ-क्रि० वि० चारों ओर । चौधार, चौधारण, चौधारी-पु. १ चार धारों वाला भाला। चौतरी-देखो 'चौथड़ी' । २ एक प्रकार का बाण । -धारी-वि० भाला रखने वाला। चौतरो- देखो 'चबूतरौ'। चौनिजर, चौनिजरे, चौनीजर-क्रि० वि० १ प्रामने-सामने । चौतारी-पु० चार तारों का एक वाद्य । एक प्रकार का कपड़ा। २ सम्मुख, समक्ष । चौताळी-पु० किसी क्षेत्र के गांवों का समूह । चौतीणी-पु० चार मोट या चार रहंट एक साथ चलने लायक चौपइया. चौपई-स्त्री० एक मांत्रिक छंद विशेष । बड़ा कृपा। चौपग (गौ, ग्गो)-पु० चार पैर वाला पशु।। चौतीस-वि० [सं० चतुस्त्रिशत] तीस व चार । -पु. तीम व चौपड़-पु० [सं चतुष्पट] १ चौसर से खेलने का चार पट्टियों का चार की संख्या, ३४ । खेल । २ चौमर के खाने के अनुसार पलंग की बनावट । चौतीसौ-पु० चौतीस का वर्ष । ३ चौराह । ४ देखो 'चोपड़' । चौतुको-वि० चार तुकों वाला। चौपड़ी-स्त्री० १ छोटी बही। २ छोटो पंजिका। ३ कोपी। चौत्रप-देखो 'चोतरफ'। ४ छोटी पुस्तक । ५ चौपड़ । ६ चार परतों वाली वस्तु । For Private And Personal Use Only Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौपडो चौरिद्रय चोपडी-पु.१ पचांग-पत्र । २ कुकुम पत्रिका । ३ पूजा के लिये | चौमास-पु. चातुरमास, वर्षा ऋतु । कुकुम-चावल रखने का पात्र । ४ वंशावली लिखने की| चौमासियो-पृ० वर्षा ऋतु संबंधी। बही। ५ बही। ६ चार परतों वाला पदार्थ । चौमासी-स्त्री० वर्षा ऋतु संम्बन्धी एक लोकगीत । चोपट-वि० १ खुला । २ चारों ओर से वला । ३ नाश, ध्वस । | चौमासी-पु० [सं० चतुर्मास] १ वर्षा ऋतु, वर्षा काल । ४ देखो 'चौपड़' । २ बारिस का वातावरण । चौपथ-पु० [सं चतुष्पथ] चौराहा, चौरास्ता । चौमुडा-देखो 'चांमुडा'। चौपद (दी)-पु० [सं० चतुष्पद] चौपाया जानवर । चौमेळी-पु० दृष्टि मिलन, चार प्रांखें होना। चौपवार-देखो 'चोबदार'। चौमुख (मुखौ)-पु० १ ब्रह्मा । २ चार खानों का पात्र । चौपन-वि० पचास व चार ।-पु० पचास व चार का अंक, ५४ । चौरंग (गि, गी, गौ)-पु. १ तलवार का एक वार विशेष । चौपनियो-पृ० १ छोटी बही, रोजनामचा । २ चार पन्ने का । तलवार का हाथ । २ युद्ध, समर । ३ संसार का चौपनौ-पु० ५४ का वर्ष । प्रावागमन । ४ प्राणियों की चार योनियां । ५ मैदान, क्षेत्र । चौपाई-स्त्री० एक मांत्रिक छंद विशेष । ६ योद्धा, वीर । ७ चतुरंगिनी सेना। ८ सैना, फौज । ६ एक चौपायो-पु० [सं० चतुष्पद] चार पैरों वाला पशु । प्रकार का शस्त्र। १० हाथ-पांव काट डालने की क्रिया। चौफळी-पु०१ चारों पोर धारों वाला शस्त्र । २ चारों पांवों से ११ बलिदान में चार अंग बांध कर लाया गया मैसा । चौकड़ी भरने वाला पशु । १२ चार प्रकार की लक्ष्मी। १३ युद्ध स्थल । -वि. चौफाड़-देखो 'चोफाड़'। १ चार। २ चार अंगों वाला। ३ जिसके हाथ पैर काट चौफूली-स्त्री० १ एक प्रकार की परेख । २ आक के पुष्प के दिये हों। ४ चार रंगों वाला। ५ चार प्रकार का । अन्दर का भाग। चौरक (ग, गौ)-पु. श्वास पी कर मारने वाला सर्प । चौफेर-क्रि०वि० चारों ओर । चौरस-वि० [सं० चतुरस्र] १ चारों कोनों से समतल एवं चौफेरी-स्त्री०१चारों ओर की परिक्रमा । २ विवाह की प्रथम बराबर । २ वर्गाकार । -स्त्री० चौपड़ नामक खेल । रात्रि । (राजपूत) चौरसा-पु० एक वणिक छन्द विशेष । चौबंदी (बंधी)-स्त्री० १ छोटी व चुस्त अंगिया । २ घोड़ों के चौरसियौ-पु. प्रत्यन्त छोटा हथौड़ा। ___ चारों पावों में लगाई जाने वाली नालें। चौरसी-स्त्री० १ बढ़ई का एक प्रौजार। २ घंटियों की माला। चौबगळी-पु० कुरती, फुतही, अंगे आदि का एक भाग । चौरागि-पु. १ खुला मैदान । २ युद्ध । चौबळ-क्रि० वि० चारों ओर। चौरांरणवी-वि० तराणु के बाद वाला। चौबळवी-स्त्री० चार बैलों की गाड़ी। | चौरांणु (ए)-वि० नब्बे व चार । -पु. चोराणु की संख्या, चौबा-स्त्री० एक ब्राह्मण जाति । ६४। चौबाई-स्त्री० एक प्रकार की गांठ, ग्रंथि । चौरांणमा (वौं)-वि० चौराणु के स्थान वाला । -पु० चौराणु चौबायो-वि० चारों ओर का । का वर्ष । चौबार-वि० १ चार द्वार वाला । २ प्रगट, खुले प्राम। चौरा-पु० १ चौबारा । २ महल । ३ कक्ष । बोबारी-पु० १ चारों ओर से खुला कक्ष । २ बैठक का कक्ष। चौराई-देखो 'चौरासी'। ३ एक प्रकार की शराब । चौरायौ-पु० चौराहा, चौरास्ता । चोबिस, चौबीस-वि० बीस और चार । -पु० बीस और चार चौरासियो-पु० १ ८४ का वर्ष । २ बिना भूमि का राजपूत, की संख्या, २४ । चौबीसौ-पु० चौबीस का वर्ष । चौबोली-स्त्री. १ एक मांत्रिक छन्द विशेष । २ एक अन्य | चौरासी-वि० [सं० चतुरशीति] प्रस्मी और चार । -पु. १ चौरासी की संख्या, ८४ । २ चौरासी लाख जीव मांत्रिक छन्द । चौभंग-वि० निर्भय, निशंक । योनि । ३ पावों के घुघुरू विशेष । ४ पत्थर तोड़ने की छैणी। ५ योग के आसन । ६ काम शास्त्र के प्रासन । चौमट-वि० खुला प्रकट । ७ चौरासी गावों का समूह । ८ घुघरू की माला। चोभुजा-वि० चार भुजाओं वाला । -पु. श्री विष्णु । चौमक--स्त्री० हटड़ी। चौरासीबंध-पु० डिंगल का एक गीत । चौमाळ, चौमाळी, चौमाळीस-देखो 'चमाळीस' । चौद्रिय-पु. चार इन्द्रियों वाला जीव । (जैन) भमिहीन राजनीति] प्रस्मा सी लाख For Private And Personal Use Only Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौरी चौरी-१ देखो 'चंवरी'। २ देखो 'चोरी'। चौसाको-पु० चार कटोरियों या खानों का पात्र । चौळ-देखो 'चोळ'। चौसारौ-देखो 'चौसरौ' । चौलड़ो-देखो 'चोलड़ो' । चौसाळा (ळी)-स्त्री०१ मकान का, चारों ओर से बुला कक्ष । चौळाई-देखो 'चोळाई'। २ बैलगाड़ी में लगे लंबे इंगे। चौलावी-पु० वह कूप जिसका पानी चार मोट से निकाला चौसौ-पु० चार सौ तागों का ताना।। जाता है। चौहट (टी)-स्त्री. १ पेड़ की शाखा । २ देखो 'नौवटी' । चौधड़ो-वि० (स्त्री० पौषड़ी) १ चार परतों वाला। २ चार | चौहटौ (ट्टो)-देखो 'चौवटौ' । गुणा । ३ चार लड़ों वाला । चौहतर (तर)-वि० [सं० चतुस्सप्तति] सत्तर व चार । चौवटियो, चौवटो-पु० १ गांव के बीच खुला मैदान । २ चौराहा । -पु० चौहतर की संख्या, ७४ । ३ बाजार में दुकानों के मध्य का भाग । चौहतरौ-पु०७४ का वर्ष । चौवळ, (ळी, )-क्रि० वि० चारों ओर । चौवळी-देखो 'चौलड़ो। चौहथी-स्त्री. १ चार हाथ लंबी या चौड़ी वस्तु । २ बकरी के बालों की बनी मोटी पट्टी। ३ चार हत्थों वाली । चौवाळे-क्रि० वि० चारों ओर । चौवास्या-पु० वर्षा ऋतु के चार मास । चौहवंटौ-देखो 'चौवटी'। चौवितार-पु० चार प्रकार के ग्राहार । (जैन) चौहान-पु. एक क्षत्रिय वंश । मोवीस-देखो 'चौईस'। चौहोतर-देखो 'चौहतर' । चौवीसटौ, चौवीसौ-देखो 'चौईसौ'। भयंत, च्यांत-स्त्री० चिता, सोच । चौवी-पु०१ हाथ की अंगुलियों का समूह । २ देखो 'चोवी'। चौसंगी-देखो 'चौसांगी'। च्यहुपरि (परी)-क्रि०वि० च्यार प्रकार से । चौस-पु० फूलों का हार । च्यांदरणी, च्यांनरणी-देखो 'चांदणी'। चौसट (टी)-देखो 'चौसठ'। च्यार-देखो 'चार'। चौसठ (ठि, ठी)-वि० [सं० चतुषष्टि] साठ व चार । -पु० च्यारांनी-स्त्री० चौवन्नी । १ साठ व चार की संख्या, ६४ । २ चौसठ शक्तियां, योग च्यारइपासइ (ई)-क्रि०वि० चारों ओर । नियों का समूह। चौसठी-पु०६४ का वर्ष । च्यारमौ (वौं)-वि० चौथा । चौसर-पु. १ केश, बाल । २ चौपड़ की गोटी। ३ चौथी। च्यार, च्यारि-पु० चार। -भुज-पु० विष्णु । ब्रह्मा । पत्नी । ४ मूछ, श्मश्रु। ५ चौसरौ। च्यारू (रू)-वि० चागे। -मेर-क्रि० वि० चौतरफ । चौसरां (रा, रिय, रे)-क्रि० वि० चारों ओर । च्यारे-क्रि० वि० चारों। चोसरियो, चौसरी-पु. १ पुष्प हार । २ हार, माला । ३ मुड | च्यारचामर-क्रि० वि० चारों ओर । माला । ४ अविरल प्रश्र प्रवाह । ५ एक प्रकार की शराब ।। च्यारी-देखो 'चंवरी' । -नागरी वर्णमाला के च' वर्ग का द्वितीय व्यंजन । । छंचेड़, छछेड (1)-पु. मक्खन को गर्म करने पर निकलने वाला छह-देखो 'छ। मैल । छंगा-वि० कटा हुआ । छंछाळ (लो)-पु० १ हाथी, गज । २ एक प्रकार का घोडा । छंगाणी (बी), छंगावरणी (बो)-क्रि० १ करवाना । २ छंटवाना, -वि० मस्त, उन्मत्त । काट-छांट कराना । छंट-स्त्री० १ छंटाई, ऊंटनी । २ समुद्र के बीच की भूमि । For Private And Personal Use Only Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छटग्गी सकरियो ३ बदबू, दुर्गन्ध । ४ देखो 'चंट' । ५ देखो 'छांटो' । छंदागार, छंबागारौ (गाळौ)-वि० (स्त्री० छंदागारी, गाळी) छंटणी-स्त्री०१ छंटाई, छंटनी । नयन । २ द्रित गव, बिखगव । १ अपना भेद न देने वाला । कपटी, चालाक । २ सम्य, ३ पृथक्करण। व्यवहार कुशल । ३ प्राज्ञाकारी। छंटणौ (बो)-क्रि० १ छंटाई होना, छटनी होना । २ काटा छंदोबद्ध-वि० १ जिसमें छन्द शास्त्र के नियमों का पालन किया जाना। ३ छितराया जाना, बिखरना। ४ पृथक होना। गया हो । २ छन्दों से युक्त । ५ पिछड़ना, बिछडना । ६ चुना जाना, चयन होना। छंदोभंग-पु० छन्द के नियम का अतिक्रमण, छन्द रचना का ५ माफ होना. मैल निकलना । ८ श्रीगा होना, दुबला मन निकलना ।८ झीगा होना, दुबला दोष । होना, पतला होना। छंदौ-पु० [सं० छन्द] १ ब्राह्य पैम, दिखावा । २ गुप्त भेद, छटवाडी-पु० हल्की वर्षा । छींटे । ! रहस्य । ३ छिपाव दुगव । ४ देखो 'छंद' । छटाई-स्त्री० १ छांटने की क्रिया । छंटनी। कटाई । २ चयन || छम (म्म)-वि० [सं० क्षम] १ क्षमता वाला, सशक्त । ३ सफाई। ४ ऐसे कार्यों की मजदूरी। २ उपयुक्त । ३ योग्य । ४ समर्थ । -स्त्री० १ बचना क्रिया । छंटाणो (बौ)-क्रि० १ छंटाई करवाना, छंटनी करवाना । २ ध्वनि विशेष । ३ छमका । २ कटाई कराना । ३ छितरवाना, बिखरवाना। ४ पृथक छंयाळीस-वि० चालीस व छः। -पु. ४६ की संख्या । करवाना। ५ चुनवाना, चयन कराना। ६ साफ कराना, छंयाळीसौ-पु० ४६ का वर्ष । मैल निकलवाना । ७/जामत बनवाना । छंवरियो, छंवरी-पु० १ गेहूं की फसल का एक रोग । २ कड़वी, छंटाव--गु० छंटाई। ___ज्वार के पूपालों को खड़ा रख कर बनाया जाने वाला घंटेल-वि०१ धूर्त, चालाक । २ बदमाश, उदण्ड । छटा गोल ढेर। हुमा । ४ असाधारण, विशेष । छ-पु. १ केकी । २ रवि । ३ ध्वनि । ४ शशि । ५ कुज । छंडरपी (बी)-क्रि० १ छोड़ना, त्यागना । २ बगावत करना ।। ६ हाथ । ७ छवि । ८ कटाई। ९ खण्ड, टुकड़ा । १० घर, ३ लूटमार करना। कोष्ठक । -वि० १ निर्मल, स्वच्छ । [मं० षट्] २ छ । छंडारणी (बौ), छंडावरणी (बो)-क्रि० १ छुड़ाना, त्यागवाना। छइ-देखो 'छ' । ---बरसणाम घटदरसण' । २ बगावत कराना । ३ लुटवाना, लूटमार कराना। छहल्ल- देखो 'छल'। छंगकरणौ (बौ)-क्रि० १ छोंक लगाना, छोंकना । २ छन-छन छउम-पु० [स० छद्मन्] १ कपट, माया । २ प्रात्मा ___ करना। का प्राच्छादन करने वाले पाट कर्म । ३ छमस्थ छंगका-स्त्री० ध्वनि विशेष । अवस्था । (जैन) छंगेरी-स्त्री. उपले या कण्डे रखने का मालय या कोष्ठक। छउमत्थ-वि० [सं० छद्मस्थ] १ अपूर्ण ज्ञान वाला। २ राग द्वेष छंद-पु० [सं० छंदन] १ वर्ण या मात्रा के अनुसार बना वाक्य, वाला। (जैन) वृन, कविता, काव्य, पद्य । २ छंद शास्त्र । ३ वेद ।। | छएक-वि० छ: के लगभग । ४ अक्षरों की गणना के अनुसार वेद वाक्यों का भेद । ५ इच्छा, कामना । ६ अभिप्राय, प्राशय । ७ दश, काबू ।। , छएल-देखो 'छैल'। ५ चालाकी, धोखा । ९ विष, जहर। १० प्रसन्नता। छक-पु० १ वैभव, एश्वर्य । २ गर्व, प्रभिमान । ३ नशा, ११ प्राज्ञा, प्रादेश। १२ हृदय गत गुप्त भाव । १३ बहत्तर मादकता । ४ उत्साह, जोश । ५ प्रानन्द, बहार । कलानों में से एक । ६ अवसर, मौका । ७ युवावस्था, यौवन । ८ कांति, दीप्ति, छंदक-पु. १ श्रीकृष्ण का एक नाम । २ छल, कपट । शोभा । ९ शौर्य, बहादुरी । १० बल शक्ति । ११ भय, -वि० कपटी, छलिया। अातंक, डर । १२ दल, मेना । १३ लालसा, इच्छा। छंबगार (गारो, गाळ, गाळो)-देखो 'छंदागारौं' । (स्त्री० १४ हर्ष, प्रसन्नता । १५ साहम, हिम्मत । १६ मस्ती, छंदगारी, छंदगाली) उन्मत्तता। -वि०१ श्रेष्ठ, उत्तम । २ सुन्दर । ३ मस्त, छंदरणा (ना)-स्त्री० [सं०] जैन साधुनों की भिक्षा संबंधी मदोन्मत्त । ४ तीव्र, तीक्ष्ण । ५ पूर्ण । ६ तृप्त । -डाळ-पु० एक विधि । कवन । -डाळी-वि० कवनधारी। प्रचण्ड । बलवान । छंबरणी (बौ)-क्रि. १ स्वच्छंद होना, स्वतंत्र होना। उच्छ खल पुरुषार्थी । होना। छकड़-पु० [सं० शकट] बैलगाडी, थकड़ा। 5वनाच-पु० जल तरंग पर नाच करने वाला, चन्द्रमा । छकडियो-पु. १ कवचधारी, योद्धा। २ छका। For Private And Personal Use Only Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org छकड़ी छकड़ी-स्त्री०१ छः का समूह । २ तास का खेल । ३ तीव्र ४ भाले का डंडा। ६ भाले की नोक । -स्त्री०५ आभूषण गति । ४ छ: कहारों द्वारा उठाई जाने वाली पालकी। विशेष । ५ छोटा शकट । ६ होश-हवास । ७ छ: से बना हुआ। छड़करणों (बी)-देखो 'छिड़कणों' (बी)। छकडो-पु० [सं० शकट] १ बैलगाड़ी, शकट, छकड़ा। छड़कारणौ (बौ)-देवो 'छिडकाणी' (बी)। २ कवच । -वि० ढीले ढाले प्रस्थी पंजर का, टूटा-फूटा। छड़छड़ोलो, छड़छबोलौ-पु० [सं० शैलेय] एक लच्छदार पौधा छकरणी-वि०१ तृप्त, छका हुा । २ मस्त, मदोन्मत्त । विशेष जो प्रौषधियों में भी काम आता है। छकरणौ (बौ)-क्रि० [सं० चक] १ तृप्त होना, प्रधाना । २ नशे छड़णी (बी)-क्रि० १ अोखली में कूट कर सूप से अनाज साफ में चूर होना, मदोन्मत्त होना । ३ चकराना । ४ प्राश्चर्य । करना । २ घोड़े का फुदक-फुदक कर चलना । करना. हैरान होना । छड़बड़ौ (बड़ौ)-वि० १ झुकमुखा, झुटपुटा । २ थोड़ा, कम । छकबंबाळ-वि० महान शक्तिशाली । जबरदस्त । ३ समवयस्क। छकसार-पु० द्वारपाल, छड़ीबरदार । छड़हड़, छडहडौ-पु० घोड़े के टापों की ध्वनि । छकाछक-वि०१ पूर्ण रूपेण । २ तुप्त, संतुष्ट । ३ उन्मत्त, छड़ाछड़-स्त्री० १ छींक से उत्पन्न ध्वनि । २ ध्वनि विशेष । नशे में। -क्रि० वि० १ शीघ्र, जल्दी। २ निरंतर लगातार । छकारणौ (बौ)-क्रि० १ तृप्त करना, संतुष्ट करना। २ नशे में छडाळ (ळि, ळी), छड़ियाळ-पु० १ भाला, नेजा, । २ भाला चूर करना । ३ हैरान करना, परेशान करना । ४ थकाना। धारी योद्धा । ५ चकित करना । ६ पूरित करना,पूर्ण करना, युक्त होना । छड़ी-स्त्री० १ सीधी व पतली लकड़ी। २ मजार या देवालय में छकार (रौ)-पु० हरिन, मृग । चढ़ाई जानी झंडी। ३ लात लगाने की क्रिया या भाव । छकियार-वि० मध्याह्न में खेत में भोजन लाने वाला। ४ छेड़-छाड़, झगड़ा ५ सिलाई का एक ढंग। -वि० छकी-वि० मस्त । तृप्त । १ अकेली, एकाकी। २ स्वतंत्र, आजाद । ३ संतानहीन । छकोलो-वि० (स्त्री० छकीली) १ मस्त, मदोन्मत्त। २ छकाने -झाल, वार, बरदार-पु० राज दरबार का एक अनुचर । वाला । एक प्रकार का घोड़ा। छकेल, छल-वि० मद मस्त, उन्मत्त, पूर्ण तृप्त । छडीलो-पु० कंटीली झाड़ी। छको-देखो 'छक्को'। छड़ो-पू०१ चांदी या सोने की पायल । २ मोती या पोत की छकौड़ी-पु० समूह, पुज। लड़ों का गुच्छा । ३ लड़, लटिका । ४ रस्सी । -वि० छक्कड़ो-देखो 'छकड़ो' । १ अकेला, एकाकी । २ खाली हाथ, बिना सामग्री छक्करणौ (बो)-देखो 'छकरणी' (बी)। का। ३ स्वतन्त्र । ४ सन्तानहीन । छक्को-पु० १ छः की सध्या का अंक, ६ । २ ताश का छ: बूटी छचोकियो-पु० छः चौक वाला मकान, बड़ा मकान । वाला पत्ता । ३ चोपड़ में छः का दाव । ४ छ: का समूह । छच्छोह, छच्छोह-देखो 'छछोह' । ५ छ: अवयवों की वस्तु । ६ पांच ज्ञानेद्रियां व मन का छछक-स्त्री० धारा । ममह । ७ छ: अंगुलियों वाला पंजा। ८ छ: दांतों वाला छछबो (वौ)-पु० स्वेद करण । पशु । होश हवास । १० छ: की संख्या का वर्ष । छछवौ-वि० (स्त्री० छछवी) तीव्र, तेज । चचल । छग, छगड़ी-पु० [सं० छगल] बकरा । छछहौ-देखो 'छछोही'। छगरण-पु० सूखा गोबर । छछियार-पु० दही मंथन का पात्र । छगनमगन-पु० छोटे व प्यारे बच्चे। छछुदर (रौ --पु० [सं०] १ चूहे की जाति का एक जंतु । छगळ (ल, ल्ल)-पु० [सं० छगल] बकरा, छाग । २ एक प्रकार का यंत्र या ताबीज । छगां-छगां-स्त्री० एक चाल या गति विशेष । -क्रि०वि०विशिष्ट छद्रक-वि० १ गुनहगार । २ शत्र या घात करने वाला। __चाल से । छछोरौ-देखो 'छिछोरो'। छगाळियौ-पु० १छ: दांत वाला बेल । २ बकरा। छछोह, छछोहक, छछोहो, छछौ-पु. १ प्राभा, कांति । २ फुहार, छगी (ग्गो)-देखो 'छक्को' । प.व्वाग। ३ 'छ' वर्ग। ( स्पति । -वि० १ तीगा, तेज। छघलौ-पु० चाबुक । २ स्वच्छ, निर्मल । ३ उत्साह यन, जोश पूर्ण । ४ शीघ्रछग-वि० अकेला, एकाकी। गामी। ५ योद्धा, वीर । ६ स्फति वाल।। क्रि० वि० छड़-पृ० १ भाला, नेजा । २ लोहे की छडी, मलाका : ३ छड़ी।। वता में, छनछनाता हया । तीव्र गति मे। For Private And Personal Use Only Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छज ( ४२२ ) छितलोट छज-पु० १ बुद्धि, अक्ल । २ व्यवहार, पटुता। ३ छाजन की छणंक-स्त्री० १ तपे हुए पत्थर या धातु पर पानी लगने से उत्पन्न मामग्री । ४ छत । ५ छाजन । -वि० मर्यादा रखने वाला। ध्वनि । २ सन-सन ध्वनि । ३ छन्छनाहट । छजरणो (बौ)-क्रि० १ छाया जाना । आच्छादित होना। छरण-देखो 'क्षण' । २ शोभित होना । ३ जंचना. फबना। छणकरणौ (बौ), छपक्करणौ (बो)-क्रि० १ चमकना, दमकना । छजेड़ी-स्त्री० कच्चे मकान की छाजन । २ छन-छन शब्द करना। ३ झनझनाना। छज्जळ-देखो 'छाजड़ो' । छणक-मरणक-स्त्री०१ पायल की झन्कार । २ तलवार की छज्जीवरिण-(नी) स्त्री० जीवों की छ: योनियां । (जैन) झन्कार । ३ छन्छनाहट । छनौ-देखो 'छाजी'। छरणकार-स्त्री० झनकार । छटक-पू० रुद्रताल के ग्यारह भेदों में से एक । -क्रि०वि० शीघ्र, | छपछणाणो (बो)-क्रि० झन्झनाना, छन्छनाना । तुरंत, फुर्ती से । छणणंकरणौ (बौ)-देखो 'छणकणी' (बी)। छट करणी-वि० उड़ने वाला, उछलने वाला, चटकने वाला। छणणो (बो)-क्रि० १ छनना, छनकर निकलना । २ छाना छटकरणो (बो)-देखो 'छिटकणो' (बी)। जाना । ३ स्वच्छ होना, साफ होना। ४ प्रावरण भेद कर छटकारणौ (बी), छटकावणी (बौ)-देखो 'छिटकागो' (बौ)। निकलना (धूप)। ५ चूना, टपकना । ६ चोट खाना, विध छटपट-क्रि० वि० शीघ्र, झटपट, तुरंत । -स्त्री० बेचैनी, जाना । ७ छान-बीन होना । ८ गाढ़ा प्रेम होना। घबराहट, तड़फ। छगवा-स्त्री० [सं० क्षणदा] रात्रि, गत । छटपटारणी (बी)-क्रि० १ छटपटाना. तडफना । २ बेचैन होना, छरगमण छणहण-पु. १ छनछनाहट । २ खनखनाहट । ३ ध्वनि। घबराना । ३ व्याकुल होना, अधीर होना। छणाई-स्त्री० १ छानने का कार्य । २ छानने का पारिश्रमिक । छटपटी-स्त्री० घबराहट, बेचैनी। ३ पैर के तलुवे में होने वाला फोड़ा । ४ एक प्रकार का छटांक-स्त्री० सेर का सोलहवां भाग, एक नौल । जीव। छटांन-स्त्री० छटा. कांति, दीप्ति । छरणाको-पु० खन्माटा, झन्नाटा । छटा-स्त्री० [सं०] १ किरण-समूह, प्रकाश, चांदनी । २ प्राभा, छणारी-स्त्री०१ चूल्हे के पास उपले रखने का स्थान । २ देखो कान्ति, दीप्ति । ३ बिजली। ४ समूह, समुदाय । ५ प्रभाव, रोब । ६ शोभा । ७ सूअर के बाल । ८ अविच्छिन्न पंक्ति। छणारौ-पु० १ गुदा द्वार। २ उपलों का व्यवस्थित ढेर । -टोप-पु० २३वां क्षेत्रपाल । -यत-वि० कांतिवान ।। छरिणयारो-पु०१ कोसी के बर्तनों का व्यापारी। २ एक लोक छटाधर-पु० योद्धा। गीत । ३ देखो 'छणारी'। छटाधाब-पु० शेर, सिंह। छरगेरी-१ देखो 'छणारी'। २ देखो 'छगाई'। छट्ट,छट्ठ-स्त्री० [सं० षष्ठी] मारा के प्रत्येक पक्ष की छठी तिथि। छत-स्त्री० [सं० छत्र] १ किसी मकान या कक्ष का ऊपरी -मत्त-पु० लगातार दो दिनों का उपवास । (जैन) प्रांगन । २ ऊपरी प्रांगन में जमाया जाने वाला चूना, छट्टउ-देखो 'छट्ठौ' (स्त्री० छट्ठी) । कंकरीट मादि का मसाला। ३ भूमि, पृथ्वी । ४ स्थान, छट्ठी -स्त्री० [सं० षष्ठी] १ जन्म दिन से छठा दिन या रात । जगह । ५ छटा, शोभा । ६ छत्र । ७ घाव, व्रण, फोड़ा। २एक देवी। ३ मौत, मृत्यु । -वि० छ: के स्थान बाली, ८ खतरा, जोखिम । ६ प्रभुता, प्रधानता। छठी। छठी-वि० [सं० पाठ] (स्त्री० छट्ठी) छ: के स्थान वाला, छतड़ी-देखो 'छतरी'। छतड़ो-पु० छाता। छठा । -पु० छः की संख्या का वर्ष । छठ- देखो 'छट्ठ' । छतज-पु० [सं० क्षतज] रुधिर, खून । -वि० लाल । छठारीहरण-पु. छः दांत वाला युवा ऊंट । छतप--पु० [सं० छत्रपति] राजा, नरेश । छठोड़ो, छठौ, छछोड़ो, छठौ-देखो 'छट्ठौ । छतर-देखो 'छत्र'। --छियां, छीयां='छत्रछांह' । --धर, छ। (छडो)-देखो 'छट्ठी' (स्त्री० छडी) धारण, धारी='छत्रधारी'। - पत='छत्रपति'। छडक-पु० छिड़काव । छतरी-स्त्री० १ छाता । २ शव दाह के स्थान पर बनाया गया छडणी (बो)-क्रि० छिड़कना । छज्जेदार मण्डप, स्मारक । ३ वर्षा ऋतु में होने वाला एक छारणी (बी)-क्रि० १ छोड़ना, त्यागना । उद्भिज । ४ क्षत्रिय। २ देखो 'छाडगौ' (बौ)। | छतलोट-स्त्री० एक प्रकार की कसरत । For Private And Personal Use Only Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra छत www.kobatirth.org ( ४२३ छत कि० वि० १ होते हुए रहते हुए २ लिये वास्ते । -वि० तैयार मौजूद छति (ती) पु० [सं० छत्र] १ - बादशाह, राजा । [सं० क्षति, क्षिति] २ हानि, नुकसान । ३ वक्षस्थल, छाती । ४ भूमि, पृथ्वी । छतीस वि० [सं० पट्शत्]] तीस व छपु० तीस व छ 67 छत्रछांगीर ( छांहगीर ) - पु० वादशाह का छत्र । छत्रधर ( धरण, धार, धारी) - पु० [सं०] १ राजा, नृप । २ देवता । ३ सर्प । ४ राजा, बादशाह का छत्र पकड़े रहने वाला अनुचर । ५ राज्य चिह्न । ६ छाताधारी । छत्रधीस- स-पु० १ देवता । २ राजा, बादशाह । छत्रधोड़-पु० क्षत्रिय, धर्म । ) छत्रांधर - देखो 'छत्रधर' | छत्राकार- वि० छत्र के ग्राकार का छातामा । हत्राधीस देखो 'स्त्रधीस' । की संख्या, ३६ | -धरम छत्राळ (लो)- वि० छत्रधारी । पु० राजा, नृप । बादशाह | छतीसिका, छत्तीसी - स्त्री० १ छत्तीस छन्दों का काव्य । २ छत्तीस छत्रिय (यांरण ) - पु० [सं० क्षत्रिय ] राजपूत क्षत्रिय । वस्तुओं का समूह । छत्तीसौ पु० ३६ का वर्ष पु० क्षात्र धर्मं । - वि० लाल । - वि० कुल्टा, कुलक्षरणा । वि० मक्कार पूतं । छर्त देखो 'पता'। छती - वि० ( स्त्री० छती) १ प्रसिद्ध, विख्यात । २ प्रकट जाहिर । ३ मौजूद, तैयार । - क्रि० वि० होते हुए, रहते हुए । छत्री - स्त्री० [सं० छत्रिन्] १ छतरी, छाता । २ स्मृति भवन या देवालय [सं०] क्षत्रिय क्षत्रिय राजपूत - वि० छत्रधारी धरम- पु० क्षात्रधर्म वट-स्त्री० राजपूती । — । - क्षत्रिय गौरव । क्षात्रधर्मं । छत्तधारी-देखो छत्रधारी' । छत्तर - देखो 'छत्र' | छत्ति (ती) - स्त्री० १ एक शस्त्र विशेष । २ देखो 'छत्ती' । ३ देखी 'छाती" । छत्ती-देखो 'तो' | छत्रपत (पति, पती, पत, पति, पती) छत्रपती पु० [सं०] छत्रपति ] १ देवता । २ राजा, बादशाह । ३ सर्प, नाग । छत्रबंध ० १ राजा नृपति २ एक प्रकार का चित्रकाव्य छत्रभंग - पु० [सं०] १ राजा का नाशक एक योग ( ज्यो०) २ अराजकता । ३ हाथी का एक अवगुण । ४ एक प्रकार का घोड़ा (अशुभ) । छत्ररत्न - पु० १ सेना के ऊपर बनाया जाने वाला कई योजन लंबा चौड़ा (जैन) २ पत्रवर्ती के चौदह रत्नों में मे नौवां रत्न (जैन) छत्र - पु० [सं०] १ छाता, छतरी । २ देव मूर्ति पर लटकाई जाने वाली सोने या चांदी की छोटी छतरी । ३ राजा महाराजाओं के ऊपर तनी रहने वाली छतरी । ४ राजा, नृप । ५ क्षत्रिय । ६ चांदनी, चंदोवा । छद, छदन - पु० [सं०] १ पत्र, पत्ता । २ कागज पत्र । ३ पंख पर। ४ प्रावरण, आच्छादन । ५ म्यान । ६ चादर । ७ देखो 'छद्म' | मंडप | छदम - देखो 'छद्म' । छदमस्ती - वि० मस्त, शौकीन दमी-देखो 'ली' । छबर - देखो 'छिद्र' | ८ ज्योतिष का एक योग । ९ डिंगल के बेलियो सागोर का भेद । १० छाजन, प्राच्छादन । ११ उद्भिज, वूमी । वि० [श्रेष्ठ छह-स्त्री० संरक्षण र कृपा छत्रक पु० [सं०] १ कुकुरमृता मी २ छाता ३ स्मारकछवांम स्त्री० १ पैसे का चौथाई भाग २ एक प्राचीन तीन । । ४ देवालय । ५ मण्डप । ६ मधुमक्खी का छाता । छदामी पु० एक रुपये पर छदाम की दर से लिया जाने वाला ७ शिवालय । । | एक रियासती कर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छत्रेश्वरी छन्नी छत्रीस- देखो 'छतीस' । एते वि० छत्रधारी, छत्रपति । छत्र स्वर- पु० [सं०] ( स्त्री० छत्रेस्वरी) १ ईश्वर । २ देवता । ३ छत्रपति । ४ राजा । देवी, दुर्गा छरंभ - देखो 'छद्म' । 1 For Private And Personal Use Only छदामी देखो 'सुदामी' | छद्म-पु० [सं०] १ छल, कपट । २ दुराव, छिपाव । ३ व्याज । ४ कपट वेश । ५ धोखा, बेईमानी । ६ गोपनीयता । ७ ढोंग, दिखावा । - घातक - वि० छुप कर मारने वाला । छस्व ० वह व्यक्ति जिसका धर्मवज्ञान प्रकटन हुआ हो. जो सर्वज्ञ न हो। (जैन) उधी वि० [सं०] १ छलिया, कपटी २ पट पेश ३ ढोंगी, पाखंडी । ४ बेईमान । ५ भेदिया । देखो''। नकली (बी) देखो 'को' (बो छन- देखो 'क्षण' । उनीवर देखी सनिवर' | छन्नी स्त्री० हाथ का श्राभूषरण । ( मेवात ) Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छपई प्रमाई छपई-देखो 'छप्पय'। छबरणी-पु० द्वार की चौखट के ऊपर लगने वाला बड़ा पत्थर । छपको-पु. १ पानी का छपाका । २ बड़ा छींटा । ३ ध्वनि छबरणी (बी)-क्रि० १ स्पर्श करना, छूना। २ छवि देना, शोभा विशेष । देना । ३ छाया जाना, पाच्छादित करना । छपटी-स्त्री० लकड़ी का छिलका, टुकड़ा, छत्त । | छबभुत-वि० [सं० अद्भुत] विचित्र, अद्भुत । छपरणों (बो)-क्रि० १ मुद्रित होना, छापा जाना । २ चिह्नित छबर-छबर-स्त्री० [सं० शंवर] प्रश्रुधारा । -प्रव्य० सिसकहोना, अंकित होना। सिसक कर। छपद-पु० [सं० षटपट] भ्रमर, भौरा। छबल (लो, ल्यौ)-देखो 'छाब' ।। छपन-देखो 'छप्पन' । छबि, छबी-स्त्री० [सं० छवि] १ शोभा । २ कांति, प्राभा, छपनमौ (वौं)-देखो 'छप्पन मौं' । दीप्ति । ३ प्रभा, किरण । ४ सौन्दर्य । ५ तस्वीर, चित्र । छपनौ-देखो 'छप्पनौ' । ६ रूप, स्वरूप । ७ रंग वर्ण । छपन्न-देखो 'छप्पन'। छबिलौ, छबीली-वि० १ सुन्दर, छवि वाला। २ सजा हुआ। छपय-देखो 'छप्पय' । देखो 'छपद' । ३ शौकीन । छपर-देखो 'छपरौं'। छबीनी-पु० रात्रि में सेना के चारों प्रोर नक्कर लगाने वाला छपरबंदी-स्त्री० छपरा बनाने का कार्य । घुड़सवार। छपरी, छप्परी-स्त्री० १ ऊटों की एक जाति । २ खुला मैदान । छबू-पु. एक प्रकार का सुगंधित पुष्प । छपरौ-पु० १ घास फूस का छप्पर । २ छपरी जाति का ऊंट। छबोल (ड़ी, डो)-छबोलि (ली)-देखो 'छाब' । छपा-स्त्री० [सं० क्षिपा] रात्रि निशा। -कर-पु. चन्द्रमा। छब्बीस-वि० बीस व छः, छब्बीस । -स्त्री० बीस व छः की छपाई-स्त्री०१ मुद्रण, मुद्रण का कार्य । २ अंकन। । संख्या, २६ । छपाको-पु० १ बड़े छींटे की आवाज । २ पानी में कोई वस्तु के छब्बीसौ-पु० छब्बीस का वर्ष । गिरने से उत्पन्न ध्वनि, छपाका । ३ बड़ा छींटा ४ चकत्ता। छब्बी-पु० टोकरा । ५ रक्त विकार का एक रोग विशेष । छठ्यि -पु० हाथी का गंडस्थल । छपाणी (बी), छपावरपी (बी)-क्रि० १ मुद्रित कराना । छमा- देखो 'सभा' । २ मुद्रांकित कराना । ३ छिपाना । छमंक-स्त्री० पायल की झन्कार । छप, छप्पई-देखो 'छप्पय'। छमंटा-स्त्री. आग की लपट । छप्पन-वि० [सं० षट्पंचाशत् ] पचास व छः । -पु० छप्पन की छम-स्त्री० घुघुरू की ध्वनि, पायल की छम-छम । झन्कार । संख्या, ५६ । -वि० [सं० क्षम] समर्थ, बलवान । छप्पनमो (बो)-वि० छप्पन के स्थान वाला। छमकरणो (बो)-क्रि० १ घुघरू, पायल प्रादि बजना । २ अंकृत छप्पनौ-पु० ५६ का वर्ष । होना। ३ सब्जी छोंकना, छोंका लगाना । छप्पय-पु० [सं० षट्पद] १ छः चरणों का एक मात्रिक छन्द । छमकारणौ (बी), छमकारणौ (बी), छमकावणी (बी)-क्रि० २ देखो 'छपद' । १ घुघरू, पायल प्रादि बजाना । २ अंकृत करना । छप्पर- देखो 'छपरौ' । ३ सब्जी छोंकाना, छोंक लगवाना । छप्परहो, छप्परियो- देखो 'छागै'। छमको-पु० १ छोंका, तड़का । २ नूपुर ध्वनि । छप्पे-देखो 'छप्पय'। छमच्छर-पु० [सं० संवत्सर साल, वर्ष, संवत । छप्रभंग-स्त्री० घोड़े के पीट की भौरी । छमछम-स्त्री० छमछमाहट । मजीग । -क्रि० वि० झनकारते छव-वि० [सं० सर्व ] सब, सर्व, समस्त । -स्त्री० छबि, शोभा, स्पर्श। -काळ (ळो)-पु० डिंगल छंद रचना का एक छमछमणी (बी) कि० छम-छम करना, झंकृत होना । दोष । -वि० धब्बे वाला, चकत्तं वाला। -काळी-स्त्री. | छमछमारणो (बो)-क्रि० घुघरू या पायल बजाना, झंकृत रंग-बिरंगी। करना । छबको-पु० धब्बा, चकत्ता। छमछरी-स्त्री० [सं० संवत्सरी] १ बरसी, मृत्यु दिन । २ पर्दूषण छबक्करणी (बी)-क्रि० धारन करना। __ का आखिरी दिन । (जैन) छ बड़ि (डी, डो यौ)-देखो 'छाब' । छमा-देखो 'क्षमा'। छबजारण-पु० [सं० सर्वज्ञ] ईश्वर, सर्वज्ञ । छमाई-देखो 'छमासी'। For Private And Personal Use Only Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हमाछम छवाउ छमाछम-स्त्री० छम-छम की ध्वनि । छळकरणी (बी)--क्रि० १ द्रव पदार्थ का उबक कर बाहर पाना, छमायो-पु० छः मास का गर्म । उबकना, छलकना । २ उछलना, उमड़ना । ३ प्रथ छमास-पु० [सं० पाण्मातुर] १ स्वामि कात्तिकेय । २ छः मास निकलना। की अवधि । छळकाणी (बी)-क्रि० १ द्रव पदार्थ को हिला-डुला कर बाहर छमासियो-देखो 'छमायो' । निकालना, उछालना । २ उबकाना, उमड़ाना । छमासी, छमाही-स्त्री० १ छः मास की अवधि । २ छः मास की छळगारौ-वि० (स्त्री० छळगारी) कपटी, छली । प्रवधि पर्यन्त मृतक के पीछे किया जाने वाला श्राद्ध प्रादि छलड़ी-पु० १ चरखे का एक उपकरण। २ रेगिस्तान का एक कर्म । ३ अर्ध वार्षिकी परीक्षा। __ जंतु । -वि० छः परतों या लड़ों का। छमुख-पु० [सं० षड्मुख स्वामि कात्तिकेय, षडानन । छळछंड (छब)-पु० कपट पूर्ण कार्य, ढोंग, पाखंड, चरित्र । छमौ-वि० (स्त्री० छमी) छठा । छळ छळो-वि० (स्त्री० छळछळी) १ प्रश्र पूर्ण, डबडबाया छम्मास-देखो 'छमास' । हुप्रा । २ पूर्ण । ३ लबालब भरा हुआ । छम्माछोळ-स्त्री० उपद्रव, उत्पात ।' छळछिद्र-पु० १ छल, कपट, ठगी । २ ढोंग, पाखंड। ३ प्रेत छयल (लु, ल्ल)-देखो 'छैल' । लीला। छयां-देखो 'छाया' । छळण, छळणी-स्त्री० छलने की क्रिया या भाव । छयाणवइ (वे, 4)-वि० नब्बे तथा छः, छिनवे । छळरपो (बौ)-क्रि० १ धोखा देकर कार्य कराना, धोखा देना, छयांळी-वि० छियालीस । ठगना। २ भ्रमित करना, भुलावा देना। ३ षड़यंत्र में छयांसी-वि० छियासी । फंसाना । ४ मर्यादा का उल्लंघन करना । ५ मारना, संहार छरंडी-स्त्री० १ होली का दूसरा दिन । २ इस दिन का उत्सव । करना । ६ लहलहाना। छर-पु० [सं० क्षर] १ सिंह का अगला पंजा । २ कलंक, दोष । छळदार-वि०१ कपटी, प्रपंची, धोखेबाज । २ कूटनीतिज्ञ । ३ किसी वस्तु के वेग से निकलने की क्रिया व आवाज । छळमोम-स्त्री० युद्ध भूमि । छरछर, घरघराहट-स्त्री० ध्वनि विशेष । छळां-क्रि० वि० लिये, वास्ते । छरणी-स्त्री० बढ़ई का एक औजार । छलांग-स्त्री. पांवों से कूदने की क्रिया, कुदान फलांग । छरदी-स्त्री० [सं० छर्दी] वमन, के, उल्टी। छलांगरणी (बी)-क्रि. १ कूद कर जाना कूदना, कूद कर पार छरमर-पु० वर्षा होने का शब्द, झरमर । करना । २ चौकड़ी भरना । छररी-पु. १ जर्रा, करण। २ बजरी, रेत । छळाई-स्त्री० छलने का कार्य । छरहरी-वि० (स्त्री० छरहरी) १ पतला-दुबला। २ चंचल । । छळावी-पु० छल, कपट, धोखा। -वि० फुर्तीला । छराळउ-वि० मस्त । छलास-स्त्री० किसी धातु के तार से बनी सादी अंगुठी। छराळो, छरेळ-पु० १ सिंह का बच्चा । २ सिंह । ३ योद्धा. छळि-१ देखो 'छळ' । २ देखो 'छली' । वीर। छळियौ, छळी-वि० [सं० छलिन्] १ छल करने वाला, धोखेछरी-पु० १ सिंह का पंजा । २ कलंक, दोष । ३ हाथ । बाज, कपटी । २ ढोंगी, पाखंडी । -पु. चरखे का एक ४ तलवार । ५ इजारबन्द । ६ आक, सण आदि की छाल उपकरण । की रस्सी। छळु (ळू)- देखो 'छळ' । छलंग- देखो 'छलांग' । छळी-पु० १ घोड़े, गधे या भैस का पेशाब । २ बकरा । छळ (ल)-पु० [सं० छल] १ कपट, धोखा, दगा। २ ठगी । छलौ-पु० १ रेगिस्तान का एक जन्तु विशेष । २ देखो 'छल्लो' । ३ चालाकी, बेईमानी। ४ बहाना । ५ दुष्टता । ६ युद्ध, छल्लेदार-वि० जिसमें छोटे-छोटे वृत्त या मण्डल हों, घराला। रण । ७ वार, प्रहार । ८ यश, कीर्ति । ६ रक्षा, बचाव ।। छल्लो-पु. १ कोई छोटा वृत्त या घेरा । २ अंगुठी, मुदरी, १० कार्य, सेवा । ११ आभूषण, गहना । १२ अवसर, मौका। १३ मान, प्रतिष्ठा, मर्यादा । १४ भेद, रहस्य । छल्ला। ३ बालों का घुघरालापन । १५ बहादुरी, शौर्य, पराक्रम । १६ गुस्सा, क्रोध, कोप । | छव-वि० [सं० षट] छः, पांच व एक । - स्त्री० १ छ: की १७ कर्तव्य । -वि. १ श्याम, काला*। २ श्रेष्ठ*। संख्या, ६ । २ छबि, शोभा । -क्रि०वि०लिए, वास्ते। छवगाळ (ळो)- देखो 'छौगाळो' । (स्त्री० छवगाळी) । छळकरण-स्त्री०१ छलकने की क्रिया या भाव। २ उद्गार। छवडउ- देखो 'छोडो' । For Private And Personal Use Only Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डवली छात्र छवरणो (बी)-क्रि० १ स्पर्श करना, छूना । २ छाना, आच्छादित | छांटौ-पु० १ जल का छींटा । २ छींटा, धब्बा । ३ छोटा दाग । करना । ४ अनुचर। छवरी-पु० वृक्ष, पेड़। छांडणी (बी)-देखो 'छोडणी' (बी)। छवाई-स्त्री० १ छाने का कार्य । २ इस कार्य की मजदुरी। छारण-स्त्री० १ छान-बीन, जांच । २ अनुसंधान, शोध । ३ छानने ३ ग्रंथी, गांठ। की क्रिया या भाव । ४ सूखा गोबर । छवारणी (बी), छवावणी-(बो)-क्रि० १ छाने का कार्य कराना, | छांगणी-स्त्री० चलनी, जरिया। पाच्छादित कराना । २ स्पर्श कराना । छांणणौ (बो)-क्रि० १ पाटे, चूर्ण या द्रव पदार्थ को बारीक छवारौ-पु० खजूर । वस्त्र या चलनी में से निकालना, छानना । २ मिश्रित छवि-स्त्री० १ चर्म, चमड़ी। २ शोभा । वस्तुओं को जुदा-जुदा करना। ३ जांच पड़ताल करना । छवित्तांण, छविह-पु० [सं० छवित्राण] १ शरीर के वस्त्र । ४ ढूंढ़ना, खोजना । ५ छेदना । २ कंबल । ३ कवच, वर्म। (जैन) ४ देखो 'छविह। छांगत-स्त्री. १ कलंक, दोष । २ चुभने वाली बात । छवीस- देखो 'छटबीस'। छोरणबीरण-स्त्री. १ जांच, पड़ताल । २ शोध, अनुसंधान । छवयो-पु० छाने वाला कारीगर । छारणस-पु. पाटा छान कर साफ करने पर निकला हुअा भूसा । छवौ-पु० १ ऊमर भूमि । २ बच्चा। छारणी-पु० [सं० छगण] गोबर का उपला कण्डा । छविह-वि० [सं० षट्विध] छः प्रकार का । (जैन) छान-स्त्री० [सं० छन्न] १ कच्चे छाजन वाला कक्ष । २ कच्चा छसि-वि० [सं० षट्शतानि] छ: सौ । छाजन । ३ गुप्त रखने का भाव । ४ गुप्त धन । छह-देखो 'छ। ५ देखो 'छोरण'। छहड़ौ-पु० कलह, झगड़ा, बिवाद । छांनउ-देखो 'छांनी'। छहतरी-पु० छिहत्तर का वर्ष । छांनके (क)-क्रि०वि० छुपे तौर पर । छहलो-वि० (स्त्री० छहली) अन्तिम, आखिरी । छानवरण (वारण)-स्त्री० गुप्त रूप से संगृहीत सम्पति । छहोड़णो (बो)-देखो 'चहोड़ो' (बो)। छानु (नू)-देखो 'छांनौ'। छहोतरौ-देखो 'छियंतरी'। छांन-क्रि० वि० गुप्त रूप से, चुपके से । -छुरके (क), छां-अव्य० [सं० प्रस्] हैं, होने का भाव । -स्त्री० छाया। सीक-क्रि० वि० गुप्त रूप से, चुपके-चुपके । छांग-स्त्री० १ मवेशियों का दल या समूह । २ वृक्ष की कटी छांनउ, छांनौ-वि० [सं० छन्न] (स्त्री० छांनी) १ गुप्त, छपा टहनी। हुआ। २ शांत, चुप-चाप । ३ अप्रकट । -मांनी-वि० छांगड़ी-वि० काटने वाला, संहार करने वाला । चुपचाप, शांत । छांगरणी (बी)-क्रि० [सं० छजि] १ वृक्ष की टहनियां काटना । छामोदरी-वि० [सं० क्षामोदरी] छोटे पेट वाली । २ काट-छांट करना । ३ मारना । ४ कम करना । छाय, छायड़ी, छांया, छांव, छांवड़ी-देखो 'छाया'। छांगी, छांगीर-देखो 'छांहगीर' । छाया-छकड़ी-स्त्री० एक देशी खेल । छांछळी-स्त्री० बड़ी, भयंकर तोप। . छावरणी-देखो 'छावणी'। छांट, छांटडली, छोटड़ी-स्त्री० १ छांटने की क्रिया, छंटाई । छांवळ (ळी)-स्त्री० १ प्रतिछाया, परछाई । २ छोटे-छोटे २ काट, छांट। ३ कतरन । ४ चयन, चुनाव । ५ वर्षा बादलों से होने वाली हल्की-हल्की छाया । ३ एक प्रकार की बूद। का वाद्य । छाटणी-स्त्री० १ छांटने का कार्य । २ छंटनी । ३ छितराना, छांह (ड, डो)-देखो 'छाया' । उछाल कर फैलाना आदि क्रिया । छाहगीर-पु० राजछत्र । बड़ा छाता । छाटणी (बी)-कि० १ चयन, चुनाव करना । २ छंटनी करना । | छांहड़ी-पु० छोटा कंटीला पौधा । ३ छितराना, बिखेरना । ४ काट-छांट करना। ५ कतराना। छांहरी, छांही-देखो 'छाया'। ६ छींटे लगाना, छिड़कना । ७ कूटना, फटकना । ८ शेखी छा, छा'-स्त्री० १ क्रान्ति । २ छाया । ३ रक्षा । ४ छाछ । बघारना । ५ प्रावरण, ढक्कन । ६ चिन्ता या दुःख के कारण चेहरे छांटारणो (बौ)-देखो 'छटागो' (बौ) । पर होने वाला काला दाग । ७ एक प्रकार का नेत्र रोग । छोटी-स्त्री० १ बेगार, मुफ्त का कार्य । २ सेवा, चाकरी । वि० थे, था। ३ तेज गति, दौड़ । छाम-देखो 'छाया'। For Private And Personal Use Only Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org छापरण ( ४२७ ) छाडीगो छामरण-स्त्री० १ साग-सब्जी में दी जाने वाली खटाई । छाछेतो, छाछतौ-वि० छाछ का, छाछ संबंधी । २ छाजन । छाछ्यौ-पु० जीरे की फसल का एक रोग। छाई-देखो 'छाईस' । छाज, छाजइयो, छाजड़-पु० [सं० छाद] १ अनाज फटकने का छाईजणौ (बौ)-क्रि० छाया जाना, पाच्छादित होना । उपकरण, सूप । २ छप्पर, छाजन । ३ छज्जा । छाईस-वि० बीस और छः, छब्बीस । छाजड़कन्नौ-वि० बड़े-बड़े कानों वाला। (हाथी) छाईसौ-पु. छब्बीस का वर्ष । छाजरण-पु० [सं० छादन] १ छप्पर, छान । २ कच्चे मकान छाक-स्त्री० १ नशा, मादकता । २ मस्ती । ३ हल्के नशे के की छाजन, छप्पर । ३ छाने का ढंग । ४ शोभित होने लिये ली जाने वाली शराब की कुछ मात्रा। ४ शराब पीने __ का भाव। का प्याला । ५ किसान के लिये खेत में ले जाने वाला छाजणी (बी)-क्रि०१ शोभा देना, फबना । २ सुशोभित होना। भोजन, पाथेय । ६ दोपहर, मध्याह्न । ७ डलिया। -वि० ३ पाच्छादित होना । १ मस्त, उन्मत्त । २ लबालब, पूर्ण । छाजन-देखो 'छाजण'। छाकटाई-स्त्री० १ बदमाशी । २ दुष्टता । ३ चंचलता ।। छाजरसि (सु)-पु० एक प्रकार का घास । ४ नीचता। ५ धूर्तता, चालाकी। छाजलियो-१ देखो 'छाजलौ' । २ देखो 'छाजो' । छाकटौ-वि० [सं० साकट] (स्त्री० छाकटी) १ बदमाश, दुष्ट । छाजली-स्त्री० डलिया, टोकरी, छबड़ी। २ दुश्चरित्र । ३ चतुर, चालाक । ४ चंचल, नटखट । छाजली-पु० अनाज फटकने का उपकरण, सूप । ५ कृपण, कंजूस । ६ कृतघ्न । छाजारी-स्त्री० रहंट में लगने वाली घास या लोहे की बनी छाकरणौ (बी)-क्रि० १ अघाना, खा-पीकर तृप्त होना । २ शराब टट्टी । आदि के नशे में मस्त होना । ३ ललचाना । छाजियो-पु० मृतक के पीछे गाया जाने वाला विरह गीत । छाकां-स्त्री० दुपहरी, मध्याह्न। छाजौ-पु० १ दरवाजे या खिड़की पर छाजन की तरह लगा छाकी-वि० उन्मत्त, मस्त, मदोन्मत्त । पत्थर या लकड़ी का पाटिया । छज्जा । २ छज्जे पर बनी छाकोटौ-वि० मस्त, मदोन्मत्त । बालकानी। ३ टोप के आगे निकला हुया भाग। ४ सर्प छाग, (, को)-पु० [सं० छग] १ बकरा । २ मेष राशि । | का फन । छागटाई-देखो 'छाक टाई'। छाट (ण)-स्त्री. १ विपत्ति, संकट, उच्चाट । २ ऊपर से छागटो-देखो 'छाकटौ'। आच्छादित जलकुण्ड । ३ चट्टान, शिला । (जैन) छागरण-स्त्री० १ उपले की अग्नि । २ भाग। छाटक (को)-पु. प्रहार, चोट । -वि० (स्त्री० छाटकी) चतुर, छागमुख-पु० स्वामि कात्तिकेय का छटा मुख । स्वामि कात्तिकेय दक्ष, होशियार, धूर्त, चालाक । का एक अनुचर। छाटकाई-स्त्री० चतुरता, दक्षता, होशियारी, चालाकी, धूर्तता । छागर-स्त्री० बकरी। छाटी-स्त्री० सामान लाद कर ऊंट पर रखने का बकरी के बालों छागरत (थ)-पु० [सं० छागरथ] अग्नि । का बना मोटा थैला। छागळ-पु० [सं० छागल] १ बकरा । २ बकरे के चमड़े का छाड-स्त्री० [सं० छदि:] १ वमन, के, उल्टी। २ वर्षा के पानी जल पात्र । ३ पानी की केतली । ४ पायल, नूपुर । से घास उत्पन्न होने का स्थान । ३ कूए पर मोट खाली छागळियौ, छागळी-पु० [सं० छागल] १ यात्रा में साथ रखने करने का स्थान । ४ त्याग । का जल पात्र । २ एक प्रकार का घोड़ा । ३ बकरा। | छाडणी (बौ)-क्रि० [सं० छर्दनम्] १ वमन, के या उल्टी छागी-स्त्री० १ बकरी । २ नकल । करना । २ छोड़ना, त्यागना। ३ बगावत या विद्रोह करना। छाछ छाछड़, छाछड़ली, छाछड़लो-स्त्री० [सं० छच्छिका] छाडारणो-वि० विद्रोही, क्रान्तिकारी। -पु० बगावत, विद्रोह । १ दही मथ कर मक्खन निकाल लेने के बाद पीछे रहने | छाडारणी (बी)-क्रि० १ वमन कराना । २ छुड़वाना, त्यागाना । वाला पानी, मट्ठा, तक । २ चाच देश । ३ विद्रोह कराना। छाछण-स्त्री० साग-सब्जी में दी जाने वाली खटाई । छाडाळ (लो)-पु. १ भाला, नैजा । २ ईडर झुका हुअा ऊंट । छाछरो-वि० १ ठिगना, बौना, नाटा। २ मस्त । छाडि (डी)-स्त्री० १ गुफा, कदरा । २ रहंट में लगी रहने छाछि, छाछी-स्त्री. १ प्रावड़ देवी की बहन एक देवी । बाली एक नलिका। २ देखो 'छाछ' । | छाडीणो, छाडोणौ-देखो 'छाडांगो' । For Private And Personal Use Only Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra छारणौ www.kobatirth.org ( ४२८ ) डारी (बी) - फि० [सं० छादन] १ फैलना, पसरना । २ ब्याप्त होना । ३ श्राच्छादित होना । ४ श्राच्छादित करना । ५ परिपूर्ण होना, पूर्ण होना या करना । ६ बसना । ७ छिपना । ८ शोभित होना । ९ श्रावृत्त करना । १० तानना । ११ ढकना । १२ बिछाना, फैलाना । छात स्त्री० [सं०] छत्र ] १ छत का प्रांगन । २ समूह । ३ राज्य । ४ घाव, क्षत । ५ विवाह में नाई द्वारा किया जाने वाला दस्तूर विशेष व इस रस्म पर दिया जाने वाला नेग वि० इन्हें की पीठ के पीछे नाई अपना वस्त्र फैला कर रखता है, तब दूल्हा ऊपर से नेग की रकम नाई के वस्त्र में डालता है । ६ देखो 'छत्र' । वि० श्रेष्ठ, उत्तम । पत, पति, पत्ती'पति' । -रंगी- वि० जबरदस्त, प्रबल, चतुर, दक्ष । छातर-१ देखो 'छत्र' । २ देखो 'छात्र' । छात्र- पु० [सं०] १ विद्यार्थी, शिष्य । २ छत्रपति, राजा । ३ एक प्रकार की शहद। पत, पति-पु० राजा, नृप । --प्रति- स्त्री० विद्यार्थी को पुरस्कार स्वरूप या सहायतार्थ दिया जाने वाला धन । छात्राळ-वि० छत्र धारण करने वाला राजा, नृप । छावा (रणी ) - पु० [सं० छादन] १ उल्टी, वमन, कै । २ श्राच्छादन । छाबक स्त्री० छिपकली । छाबड़ (ली) - देखो 'छाव' । उत्तरको पु० छिलका | छाबड़ (डी) स्त्री० टोकरी | - । छातरी (ब) फि० १ जलमग्न होना, इबना २ फैलना, छाबड़ी-पु० १ बड़ा टोकरा २ कुंकुम रखने का काष्ठ-पात्र । । पसरना । ३ छितरना । छाबल ( लि, ली) स्त्री० १ खंजरी से मिलता-जुलता एक वाद्य । २ इस वाद्य के साथ गाया जाने वाला गीत । ३ देखो 'छाब' । छाती - स्त्री० १ किसी प्राणी के पेट व गर्दन के बीच का भाग, सीना । २ स्त्रियों के कुच, उरोज ३ हृदय, कलेजा । ४ चित्त, मन । ५ हिम्मत, साहस, दृढ़ता। ६ श्रावेश, जोश । -कूटी-पु० निरर्थक श्रम परेशानी, मगजपची कलह, लड़ाई, दु:ख, मजबूरी में किया जाने वाला कार्य छोली - वि० दु:खदायी, कलह करने वाला । - बंब - पु० घोड़ों का एक रोग । छाबोली छाबोपो-देखो 'छाबड़ी' | छाय देखो 'छाया' । । । छापल वि० १ बीर बहादुर २ गौकीन, रसिक । - । , छायांक- पु० [सं०] चन्द्रमा, चांद | छाती - पु० १ छतरी, छाता । २ देशी शराब । ३ झुंड, समूह | मधु मक्खी का छत्ता । 6 छाल (ब) कि० १ साच्छादित करना, कना । २ उल्टी करना, वमन करना । ३ छा देना | छावन - देखो 'छादरण' । छाप स्त्री० [१] वह वस्तु frent er feet धन्य वस्तु पर जिसका श्रंकन किसी किया जाये । २ मुद्रा, मुहर । ३ मुद्रांकन, चिह्न । ४ विष्णु के श्रायुधों के चिह्न । ५ किसी प्रकार का सांकेतिक चिह्न विशेष | ६ काव्य, गीत, पद आदि के अंत में लगा रचनाकार का नाम । ७ चित्र, तस्वीर। श्राभूषण विशेष । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 छापरणी ( बौ) - क्रि० १ मुद्रांकित करना, ठप्पा लगाना २ चिह्नित करना । ३ मुद्रित करना, छापना । ४ वस्त्रों पर छपाई करना । ५ झड़बेरी के कांटों से श्रावेष्टित करना । छापर (रि, री) - स्त्री० १ पहाड़ी, डूंगरी । २ पथरीली भूमि । ३ ऊसर भूमि । ४ रणक्षेत्र । ५ समतल भूमि, मैदान । छापरी वि० १ ठिगना, बीना, नाटा २ फैला हुआ, विस्तृत छापाखानी पु० मुद्रणालय, प्रेस | छापि (पी)- 5० जस पानी । छापौ - पु० १ मुद्रण । २ देखो 'छाप' । छाब स्त्री० १ बांस की पतली खपचियों की बनी छोटी टोकरी, डलिया २ानुमा कोई धातु का पात्र । छाळउ For Private And Personal Use Only छाया - स्त्री० [सं०] १ परछाई । २ पेड़ या इमारत की परछाई । ३ छोटे बादलों की प्रतिछाया । ४ प्रकाश में व्यवधान से होने वाला अंधेरा । ५ कालिमा । ६ प्रतिबिंब, प्रतिकृति । ७ साया, आकृति । ८ अनुकरण, नकल । ९ देव माया या भूत-प्रेतादिक का प्रभाव । १० प्रभाव असर । ११ सूर्य की पत्नी का नाम । १२ शरण, रक्षा । १३ कान्ति, दीप्ति, झलक । १४ दुःख या चिंता के कारण आँख के नीचे पड़ने वाला कुछ काला दाग । १५ समानता । १६ रंग की गड़बड़ी १७ माया । १५ भ्रम, धोखा । १९ सुन्दरता २० पंक्ति २१ दुर्गा देवी । २२ रिश्वत २३ श्रार्या छन्द का भेद विशेष । जंत्र - पु० समय सूचक यन्त्र, घड़ी । - टोडी-स्त्री० एक राग विशेष । - पथ - पु० आकाश गंगा, श्राकाश – पुत्र पु० शनिश्चर । पुरुसपु० मनुष्य की परछाई। मांन, बाळ- पु० चन्द्रमा, चांद । छायोड़ो- वि० (स्त्री० छापोड़ी) माया दिन प्रवेष्टित । छारंडी - स्त्री० होली का दूसरा दिन । छार पु० [सं० क्षार ] १ राख, भस्म । २ क्षार । छाट-देखो 'खाळी' | छाळउ-देखो 'छाळी' । - Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छाल छिछोर छाल (लि, ली)-स्त्री० [सं० छल्लि] १ वृक्ष का छिलका, छिहत्तर-देखो 'छियंतर' । वल्कल । २ छिलका, आवरण । ३ चर्म, त्वचा। ४ वमन, छि-स्त्री० [सं०] १ मर्यादा । २ नींव । ३ धिक्कार । ४ गाली। ५ घृणा सूचक ध्वनि । ६ घृणित वस्तु । ७ कुम्हार । छालणी (बी)-क्रि० १ छिलका उतारना, छीलना । २ छानना। ८ शिकारी । ६ कुठार १० समय । ११ देवता । ३ पूरा भर देना । | छिनंतर-देखो 'छियंतर' । छालवी-स्त्री० अाकांक्षा, इच्छा, वासना। छितरौ-देखो 'छियंतरी' । छाळी-स्त्री० [सं० छागली] बकरी। -नार, नारियो-पु० छिकरणी-स्त्री० छितराने वाली घास । बकरी आदि छोटे जानवरों का शिकार करने वाला छिकरणी-वि०१ जिसमें स्याही या रंग फैलता हो। २ कम धुटा हिंसक जानवर, भेड़िया । हुमा, छिनछिना। छाळी, (लो, ल्लो)-पु. [सं० छाग] (स्त्री० छाळी) १ फफोला, छिकरणौ (बी)-क्रि० १ स्याही आदि का फैलना । २ छितराना। फोड़ा । २ बकरा । ३ छाज । ३ देखो 'छकणो' (बी)। छाव-देखो 'छावा'। | छिकरो, छिक्कर-पु० [सं० छिक्कर तीव्र गति वाला एक मृग छावउ, छावक, छावड़-पु० [सं० शावक] १ बच्चा । २ युवक। विशेष । छावड़ी-स्त्री० रस्सी। छिक्की-स्त्री० विवाह की एक रस्म विशेष । (पुष्करणा) छाबड़ो-१ देखो छाबड़ो' । २ देखो 'छावड़' । छिग्गी-स्त्री० कमजोरी की दशा में आने वाला पसीना। छावणी-स्त्री० १ सैन्य शिविर, सेना का पड़ाव। २ सेना का छिडकरणौ )-क्रि० । छिडकाव करना।२ पानं बड़ा विभाग या केन्द्र। ३ छाने की क्रिया या भाव । के छींटे उछालना । ३ छितराना, फैलाना, बिखेरना । छावरणी (बो)-देखो 'छारणो' (बौ) । ४ न्यौछावर करना। छावळी-देखो 'छांवळी' । छिड़काई-स्त्री० १ छिड़कने का कार्य, छिड़काव । २ छिड़कने छावीस-देखो 'छब्बीस'। का पारिश्रमिक । छावो-पु० [सं० शावकः] (स्त्री० छावी) १ बच्चा, शिशु । | '| छिड़काणौ (बी)-क्रि० १ छिड़काव कराना । २ छींटे २ पुत्र, लड़का । ३ युवक । ४ विख्यात, प्रसिद्ध । उछलवाना । ३ बिखरवाना, छितरवाना । ४ न्योछावर छासट (8)-वि० [सं० षट्पष्टि] साठ व छः। -पु. साठ व कराना । छः की संख्या, ६६ । छिड़काव-पु० पानी, द्रव पदार्थ प्रादि को छिड़कने, फैलाने, छासटौ (ो)-पु० ६६ का वर्ष । छितराने की क्रिया। छाह (डी, डी, पी)-१ देखो 'छाया' । २ देखो 'छाछ' । छिड़कावरणौ (बौ)-देखो 'छिड़काणी' (बी)। छिकारणी (बो)-क्रि० छींक लेने के लिए प्रेरित करना । छिड़णी (बी)-क्रि० १प्रारंभ होना, शुरू होना । २ युद्ध होना। छिगास-देखो 'छंगास' । छिछ-देखो ‘छींछ' । ३ छेड़ा जाना । ४ कुपित होना। छिवगारौ-देखो 'छंदगारौ' । छिड़ाणी (बी), छिड़ावरणौ (बी)-क्रि० १ प्रारंभ कराना, शुरू छिया (डी)-देखो 'छाया' । कराना । २ युद्ध कराना । ३ छेड़ने के लिये प्रेरित करना। ४ कुपित कराना। छियाळी (स)-वि० [सं० षट्चत्वारिंशत्] चालीस व छः । छिछ, छिछकारी, छिछकी-स्त्री० १ उकसाने, जोश दिलाने का __ -पु० छियालीस की संख्या, ४६ ।। भाव । २ जोश दिलाने का इशारा, ध्वनि । छियाळीसौ, छियाळी-पु० छियालीस का वर्ष । छिछड़ी-पु. १ मांस का निरर्थक खण्ड, भाग, अंश । २ पशनों छियासियो-पु० ८६ का वर्ष । के मल की थैली। छियासी-वि० [सं० षड्शीति] प्रस्सी व छः। -पु० ८६ की छिछली. छिछिलो-वि० (स्त्री० छिछली) जो गहरा न हो, संख्या। उथला । छियासीमो (वौं)-वि० छियासी के स्थान वाला। छिछोर (रो)-वि० (स्त्री० छिछोरी) १ हीन विचारों वाला, छियौ-देखो चियो। पोछा । २ क्षुद्र । ३ घटिया किस्म का। -परण, परणी-पु. छिवरी (रौ)-स्त्री० घने पत्तों वाली वृक्ष की टहनी । क्षुद्रता, प्रोछापन। For Private And Personal Use Only Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिट जारणों छिपकली छिजारणी (बो) क्रि० १ नष्ट होने देना, क्षय कराना । छिदर-देखो "छिद्र' । २ सोखाना । ३ कुढ़ाना, चिढ़ाना। ४ चिंतित करना। छिबराळो-वि० [सं० छिद्रित] (स्त्री० छिदराळी) १ पाखंडी, ५ चूर्ण करना। ढोंगी। २ दोषी, अवगुणी। ३ छेद वाला, जालीनुमा । छिटक-स्त्री० १ जल्दी, शीघ्रता । २ पालकी के सामने का भाग। छिदारणी (बो), छिदावणी (बो)-क्रि० १ छेद मुक्त कराना, ३ चमक, शोभा। छिद्रित कराना । २ बिधवाना । ३ घायल कराना । ४ क्षत छिटकरणौ (बौ)-क्रि० १ अलग होना । २ बिछुड़ना । ३ गिर कराना। कर फैलना । ४ दूर-दूर रहना । ५ तितर-बितर होना। छिद्र-पु० [सं०] १ छेद, सूराख । २ घाव, क्षत । ३ दोष, ६ अनियंत्रित होना। अवगुण । ४ कमी, कमजोरी । ५ त्रुटि, गलती । ६ पाखंड। छिटका-कि.० वि० शीघ्रता से, तुरंत ।। ७ दरार। छिटकारणो (बौ), छिटकावणी (बौ)-क्रि० १ अलग करना। छिद्रघंटिका-स्त्री० [सं० क्षुद्रघंटिका] करधनी । २ बिछड़ाना । ३ गिरा कर फैलाना । ४ दूर-दूर करना। छिद्रदरसी-वि० १ दूसरों के अवगुण देखने वाला। २ कमजोरी ५ तितर-बितर करना। ६ अनियंत्रित करना । ७ छोड़ना, निकालने वाला। मुक्त करना । ८ त्यागना । छिद्रावळी-स्त्री० करधनी । छिटको-पु० १ छींटा, बूंद । २ धक्का, झटका, आघात। छिद्री-पु. एक प्रकार का बाण । ३ किसी जीव के काटने की क्रिया। छिन-पु० [सं० क्षण] १ क्षण, पल । २ प्राभूषण विशेष । छिरण-पु० [सं० क्षरण] क्षण, पल । छिनक-वि० थोड़ा, अल्प । छिरणगारौ-वि० रसिक, शौकीन । छिनकी (कीक)-वि० थोड़ी, तुच्छ, क्षणिक । छिरणगौ-पु० [सं० शृग] १ साफे के पीछे लटकने वाला छोर, छिनगारौ-वि० १ रसिक, शौकीन, छैला । २ स्वरूपवान । पल्लु । २ तुर्रा । ३ घास की बाल । ३ शृगार युक्त । छिपछिपी-वि० जो गाढ़ा या घना न हो, जालीनुमा। छिनरणी (बौ)-क्रि० १ छीना जाना, छिनना । २ कोसा जाना, छिरणमिण-स्त्री० १ ध्वनि विशेष । २ हल्की, रुग्णावस्था । झपट लिया जाना। ३ हरण होना। ४ बलात् ले जाना । -क्रि० वि० इधर-उधर । छिनदा-स्त्री० [सं० क्षणदा] रात्रि, निशा । छिणमिणौ-वि० (स्त्री० छिरणमिणी) रुग्ण, बीमार । छिनवी-पु० ६६ का वर्ष । -वि० ६६ के स्थान वाला। छिणवी-देखो 'छनवौ' । छिरिणय-क्रि० वि० [सं० क्षण] क्षण भर । छिनारणी (बौ)-क्रि० १ छिनवाना, छीनने के लिये प्रेरित छिणी-देखो 'छीणी'। करना । २ कोसाना, झपटवाना। ३ हरण कराना । छिौ , छिणवी-देखो 'छिनवौ' । ४ बलात् लेने में सहयोग करना । छित-स्त्री० [सं० क्षिति] पृथ्वी, भूमि । -नायक, पति-पृ० छिनाळ-स्त्री० १ कुल्टा, कर्कशा व कुलक्षिणी स्त्री । नृग, राजा । २ व्यभिचारिणी स्त्री। ३ पर-पुरुषगामिनी स्त्री। छितरणौ (बौ)-क्रि० १ बिखरना, फैलाना । २ अलग-अलग छिनी-१ देखो 'छिन' । २ देखो 'छीणी' । होन। । छिनुप्रौ, छिनुवौ-देखो 'छिनवौ' । छितराणी (बो)-क्रि० १ बिखराना, फैलाना । २ अलग-अलग | छिनू, छिन्न-वि० [सं० षण्णवति] नब्बे और छः । -पु० नब्बे करना। और छ: की संख्या । छिता देखो 'छिति' । छिति-स्त्री० [सं० क्षिति] पृथ्वी, भूमि । ---कंत-पु० राजा, छिनेक-क्रि०वि० क्षण भर के लिये । नृप । -रुह-पु० पेड़, वृक्ष । छिन्न-वि० [सं०] १ कटा हुआ। २ निश्चित, निर्धारित । छितो-वि० १ श्वेत । २ कृष्ण*। ३ देखो 'छिति'। ३ खण्डित । ४ भग्न । --गय-वि० स्नेहरहित । -पु० छितीस-पु० [सं० क्षितीश] राजा, नृप । साधु, त्यागी। -भिन्न-वि० खण्डित, टूटा-फूटा, जीर्णछिद-पु. [सं० छिद्र] १ छेद, सूराख । २ घाव । शीर्ण, अस्त-व्यस्त । --रह-स्त्री० बनस्पति । –सोय छिदरणी (बौ)-क्रि० [सं० छिद्रणम्] १ छेद युक्त होना, छिद्रित -वि० जिसने शोक का छेदन कर दिया हो। होना । २ छेदा जाना । ३ बिंधना, बेधा जाना। ४ घायल | छिन्नाळ-देखो 'छिनाळ' । होना। ५क्षत होना । छिपकली-स्त्री० गोह की तरह का एक बहुत छोटा जन्तु । For Private And Personal Use Only Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org छिपगो छोपो छिपणो (बो)-क्रि० १ किसी प्रोट या सहारे से, सामान्यतया न | छिलको-पु० १ किसी कंद, मूल, फल या वृक्ष आदि के ऊपर की दिखने की दिशा में होना । २ अदृश्य या अलोप होना । झिल्ली, छाल, छिलका । २ त्वचा, चर्म। ३ प्रावरण । ३ भूमिगत या गुप्त होना। ४ भेष बदल कर रहना । छिलणी (बो)-क्रि० १ छिलका उतरना, छोला जाना। २ जोर छिपलौ-पु० मुहं छुपाने या गुप्त रहने का भाव । को रगड़ लगने से चमड़ी उतरना । ३ छलकना, उमड़ना, छिपा-स्त्री० [सं० क्षपा] १ रात, निशा । २ हल्दी । ३ तम्बू, उबकना। ४ सीमा या मर्यादा खोना। ५ यापे में न रहना। खेमा। -वि० घना, सघन । -कर-पु० चन्द्रमा । -सत्र, ६ गले में खराश होना । ७ पूर्ण भर जाना । ८ फैलना, सत्र-पु० सूर्य । विस्तृत होना। छिपारणौ (बी), छिपावरणौ (बो)-क्रि० १ सामान्यतया न दिखने | छिलर, छिलरियौ-देखो 'छीलर' । की दिशा में करना, मोट में करना, छुपाना । २ अदृश्य या छिलिहिंडा-स्त्री० एक लता विशेष । अलोप करना। ३ भूमिगत या गुप्त करना। ४ भेष बदल छिलोड़ी-स्त्री० १ पांव के तले में होने वाला फफोला। २ एक कर रखना । ५ गुप्त रखना । प्रकार का जंतु विशेष । छिपाव-पु० १ छुपाने या गुप्त रखने का भाव । २ भेद रहस्य ।। छिल्लरपो (बी)-देखो 'छिलणी' (बी)। ३ गोपनीयता । ४ दुराव, भेद-भाव । छिल्लर, छिल्लरू-देखो 'छीलर'। छिन-देखो 'छबि' । -काळो='छबकाळी' छिल्लो-पु. बकरा। छिबरणौ-देखो 'छबरणो' । छिव-देखो 'छवि'। छिबणौ (बौ)-देखो 'छबणो' (बी) । छिवणी (बी)-देखो 'छवणी' (बी)। छिबदार (वंत)-वि० छबि युक्त कांतियुक्त । छिवारी-पु० छुारा, खजूर । छिबि, छिबी-स्त्री० [अ० शबी] १ माला, जयमाला। २ छबि, छिहतर-देखो 'छियंतर'। शोभा। -वि० १ तेज, तीक्ष्ण । २ पहली। छिहतरो-देखो 'छियंतरौ' । छिम-देखो 'चिम'। छींक-स्त्री० [सं० छिक्का] १ नाक में चुनचुनाहट होने पर छिमछिमिया-पु. मजीरे की जोड़ी, छोटे झांझ । झटके के साथ नाक से निकलने वाली हवा । २ इस हवा से छिमता-देखो 'क्षमता'। उत्पन्न 'छू' की तीव्र ध्वनि । छिमा-देखो क्षमा' । छौंकणी (बी)-क्रि० छींक लेना, छींकना । छियंतर-वि० [सं० षट्सप्तति] सत्तर और छः, छिहत्तर। छोंकल (बौ)-पु० (स्त्री० छीकली) एक जाति विशेष का मृग। -पु० छिहत्तर की संख्या, ७६ । छौंकाखाई-स्त्री० एक औषधि विशेष । छियंतरमो (बौं)-वि० ७६ के स्थान वाला । छींकी-स्त्री० शीत काल में मद चढ़े ऊंट के मुंह पर बांधी जाने छियंतरी-पु० ७६ का वर्ष । वाली जाली। छिया-देखो 'छाया' । छींको-पु० १ सीकों, तारों या रस्सियों को बुन कर बनाया छियांळीस-देखो "छियाळीस' । ___गया टोकरा जो छत, खूटी आदि पर लटका रहता है। छिरंग (गो)-पु० [सं० शृग] १ किसी वस्तु का ऊपरी शिरा या २ टोकरा । भाग । २ शिखर का ऊपरी शिरा । ३ घास की बाल । छौंछ-स्त्री० तेज धारा। छिरमिर-देखो 'झिरमिर' ।। छींट-स्त्री० [सं० क्षिप्त] १ जल कण, बूद, छांट, छींटा। छिररो-१ देखो 'छररौ'। २ देखो 'छेरौ'। २ चिह्न, दाग । ३ रंग-बिरंगे बेल-बूटों वाला वस्त्र । छिरेंटी-स्त्री० जल जमनी लता। (वैद्यक) ४ टुकड़ा, भाग। छींटरणी (बी)-क्रि० १ मवेशियों द्वारा पतला गोबर करना । छिरेवी-पु० हाथी का प्रथम बार टपकने वाला मद । २ दस्त लगना। ३ छांटना, छिड़कना । छिळक, छिलक-स्त्री० हल्का गुस्सा, आवेश । । छोटौ-पु० १ छींटा, बूंद, जल कगा । २ पतला गोबर। छिलकरणी (बौ)-देखो 'छलकरणी' (बी) । छोरण-स्त्री० पत्थर की पट्टी । चीण। छिलकारणी (बौ)-देखो ‘छलकाणी' (बी)। छौंतरी-स्त्री० १ वस्त्र पट्टिका । २ टूटी-फूटी डलिया । छिलकारी, छिलकारी-पु० १ बकरे या बकरी का पेशाब। २ छोटे-छोटे बादल । २ देखो 'चिलकारी'। छीपा, छौंपी-देखो 'छीपा'। छिलकावणी (बौ)-देखो 'छलकाणी' (बो) । छौंपी-पु० (स्त्री० छीपी) रंगरेज । For Private And Personal Use Only Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीमड़ी भडो देव या देवी 'पाया' । । दीप्रव्य० [सं०] दी] तिरस्कार या घृणा सूचक ध्वनि विशेष । स्त्री० १ बच्चे का पाखाना । २ घृणित वस्तु ३ कटि मेखला । ४ जीव । ५ । ६ सार । ७ कांति । दरी www.kobatirth.org छोरी स्त्री० [सं० [का] एक क्षुप जो पौषधि के रूप प्रयुक्त होता है । छीछी प्रव्य० घृणा सूचक ध्वनि। स्त्री० घृणित वस्तु । - ४१२ ) डीजी (बी० [सं० तीपू] कमी, पाटा या हानि । । होना २ क्षय होना ह्रास होना, क्षीण होना ३ खीजना, कुढ़ना । ४ दुःखी होना । ५ डरना । ६ जलना, शुष्क होना । झुंझलाना ८ व्याकुल होना । छीजत स्त्री० [सं० क्षीष] १ कमी, घाटा । २ क्षय, ह्रास | ३ कुड़न, खोज ४ चिता फिकर घुटन डीआरपी (यो), दोजावी (ब) ० १ कमी करना, घटाना । २ क्षय करना । ३ खीजाना, कुढ़ाना। ४ दुःखी करना । पाखाना । ग्रीज स्त्री० १ कमी, हानि, घाटा । २ खीज, कुढ़न । ३ क्षय । छीपा - स्त्री० ४ व्याकुलता, बेचैनी । हरियो पु० छिछला ताल तलैया । खीरा-१ देखो 'क्षीण' । २ देखो 'चीण' । 1 छोरो (बी) - क्रि० १ कोसना, लूटना, झपट कर लेना । २ बलात् ले लेना । ३ अनुचित कब्जा करना । छीनवो देखो 'निवो' । छीनाखो (बो), छीनावणी (बो)- क्रि० १ कोसाना, लुटवाना । २ बलात् लेने के लिए प्रेरित करना । ३ अनुचित कब्जा सागर । ५ डराना । ६ जलाना, शुष्क करना । छीरप पु० [सं० क्षीरप ] बच्चा, शिशु । खोजी - वि० (स्त्री० छीजी) १ डाह करने वाला, कुढ़ने वाला । छोरल - पु० [सं० क्षीरल ] एक प्रकार का सर्प । २ क्रोधी । छीरोदधजा-स्त्री० लक्ष्मी । हुआ । छीगती कपट, धोखा, माल, धूर्तता । छीदरियो, छोदरी, छोवौ - पु० (स्त्री० छोदरी) १ तरल पदार्थ । २ अधिक पानी मिली वस्तु । वि० १ छिछला, पतला । २बेदार छवि विरल, बारीक ४ चौड़ा । हीन देखो 'शी' २ देखी 'खो' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कराना । छीनो - वि० [सं० क्षीण] खिन्न, दुःखी, उदास । छीप-स्त्री० [सं० क्षिप्र ] शीघ्रता, जल्दी । वि० तेज, जल्दबाज । छीपरी (बौ) - क्रि० स्पर्श करना, छूना । १ वस्त्र रंगने का कार्य करने वाली जाति । २ गुजराती नहीं की एक शाखा । छोब देखो 'वि' | छोबरी स्त्री० १ एक पक्षी विशेष २ पतली छाछ ३ पहले व । । सफेद बादल । छावळी स्त्री० एक देशी खेल । छीपछीया स्त्री० [सं० त) छींक (जैन) छवां स्त्री० छाया छोर-पु० [सं० शीर] दूध -ज-पु० दही, चन्द्रमा, कमल, शंख । - जा - स्त्री० लक्ष्मी । समुद्र, सागर पु० क्षीर छीरातन वि० कृश काय, पतला दुबला । । स्त्री० [पत्थर तोड़ने या गढ़ने की लोहे की मोटी कील, छील स्त्री० प्राभूषण विशेष टांकी । 7 छी, (i) - क्रि०वि० टूटने से कटने से । छीपोटगी-स्त्री० बारीक जूं । छीलर [स्त्री० १ रेजगारी, रेजगी छोरि, छीलरियउ, छोलरियो, १ बिले पानी का गड्ढा ३ बेसन का नमकीन परांठा । छोली- पु० पलाश वृक्ष, ढाक । छीव - वि० मस्त, उन्मत्त । छीणो-देखो 'श्रीगा' । छीतर - स्त्री० १ पथरीली या पहाड़ी भूमि । २ एक प्रकार का पत्थर वि० [सं० छिबर] कपटी, धूर्त । पीतरी स्त्री० [पतली या अधिक पानी मिला मट्ठा, छोटे छीयोल्लम-पु० निदार्थक मुख विकार (जैन) छाछ, छोटे बादल - वि० छिछली, छितराई हुई । छीतरौ - वि० (स्त्री० छीतरी) छिछला बिखरा हुआ, छितराया हृद छीलरणी ( बौ) - क्रि० १ किसी वस्तु का छिलका उतारना, छीलना । २ प्रावरण हटाना । ३ मींगी या गूदा निकालना । ४ काटना । - पठीशी० ० रुई धुनने की आवाज । छुमुस- स्त्री० उत्कण्ठा । (जैन) दवि० ज्यादा (जैन) । २ देखो''। छीलरी - पु० [सं० छिद्रल] या २ छोटा तालाब For Private And Personal Use Only छु-स्त्री० १ मशक । २ जुगुप्सा । ३ तृष्णा । अव्य० कुत्ते को उत्साहित करने की ध्वनि । छुप्रात स्त्री० किसी को स्पर्शं करने, साथ रखने या सम्पर्क करने आदि का परहेज, अस्पृश्यता । Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छुपारणी । ४३३ ) छुपारणो (बौ)-देखो 'छुवाणी' (बौ) । छुन्न-वि० [सं० क्षुण्ण] १ चूर-चूर, चूणित । २ नष्ट । छुइमुई-स्त्री० लाजवंती नामक पौधा । ३ अभ्यस्त । ४ नपुंसक । छुई-स्त्री० बक पंक्ति। छुपरणौ (बी)-देखो छिपणो' (बी)। छुक्कारण-स्त्री० निंदा, धिक्कार । (जैन) छुपारणी (बौ), छुपावरणौ (बी)-देखो 'छिपाणी' (बी)। छुच्छ-वि० [सं० तुच्छ] क्षुद्र, तुच्छ । (जैन) छुबरणी (बी)-क्रि० टुकड़े-टुकड़े करना, काटना, छीलना । छुच्छम-देखो 'सूक्ष्म' । छुम-स्त्री० ध्वनि विशेष । छुच्छकार (क्कार)-पु० [सं छुच्छुकार कुत्ते को उत्साह दिलाने छुयाचार-वि० [सं०क्षत्ताचार प्राचार-च्युत । (जैन) की क्रिया या भाव । छुरंगो-देखो 'छिणगौ'। छुछक, छुटक-पु० पुत्री के संतान हो जाने पर दी जाने वाली छुर-पु० [सं० क्षुर १ छुरा, छुरी । २ उस्तरा। ३ पशु का भेंट । (मेवात) नख । ४ बाण, तीर । ५ वृक्ष विशेष । ६ गोखरू । छुछम-देखो 'सूक्ष्म' । ७ तृण विशेष । छुटकारी-पु० १ बंधन, मुक्ति । २ कार्य या उत्तरदायित्व से छुरघर, (घरय)-पु० छुरे का खोल, थैला । मुक्ति । ३ कष्ट निवारण । छुरमड्डि-पु० हज्जाम, नापित । छुटणी (बी)-देखो 'छूटणी' (बौ)। छुरि (मा, का, गा, या), छुरी (का)-स्त्री० [सं० क्षुरिका] छुटभई, छुटभाई-पु० १ पद या मान मर्यादा में वंश का छोटा काटने व चीरने का तेजधार का उपकरण, छुरी, चाकू । व्यक्ति । २ लघु भ्राता, छोटा भाई । छुरौ-पु० [सं० क्षुर] १ तेज धार का हथियार, छुरा । २ सिंह छुटाणौ (बो)-देखो 'छुडाणी' (बी)। का पंजा। छुटियो-पु०१ एक लोक गीत विशेष । २ गेंद खेलने की लकड़ी। छुळकरणौ (बौ)-क्रि० १ थोडा-थोड़ा मूतना । २ छलकना । ३ छड़ी। छुलगी (बी)-क्रि० १ वृक्ष प्रादि की छाल उतरना । छोला छुटौ-देखो 'छुट्टी'। जाना । २ रगड़ लगाने से चमड़ी उतरना। ३ छिलका छुट्ट-पु० छुटकारा, छूट । उतरना । ४ छाछ या पानी के साथ पके हुए पदार्थ का छुट्टण-स्त्री० छुट्टी, मुक्ति, छोटापन । विकृत होना । छुट्टणौ (बो)-देखो 'छूटणी' (बौ)। छुलागौ (बौ), छुलावरणो (बौ)-क्रि० १ वृक्ष प्रादि की छाल छुट्टी-स्त्री० १ अवकाश । २ कार्य या बंधन से मुक्ति । उतरवाना । २ चमड़ी उतरवाना। ३ छिलका उतरवाना। ____३ छुटकारा, निस्तार । ४ फुर्सत । ५ छूट, अनुमति । छुवाछूत-देखो 'छुआछूत' । छुट्टी-वि० (स्त्री० छुट्टी) १ खुला, मुक्त, स्वतंत्र । २ अकेला, छुवाणी (बी)-क्रि० १ स्पर्श कराना, छुआना । २ हाथ लग एकाकी। ३ खाली हाथ । ४ अवरोध या भार से मुक्त। थाना । ३ सटाना, अड़ाना । छुडणी (बी)-देखो 'छूटणी' (बी) । छुहारौ-देखो 'छुहारौ'। छुडाई-स्त्री० छोड़ने की क्रिया या भाव । छुहा-स्त्री० [सं० सुधा] १ अमृत, पीयूष । २ चूना । ३ क्षुधा । छुडाणी (बी), छुडावरणी (बी)-क्रि० १ बंधन मुक्त कराना, छुहारी-पु० खजूर का फल । स्वतन्त्र कराना। २ उलझन या फांसी से मुक्ति दिलाना। छुहाळ-वि० [सं० क्षुधालु] भूखा, बुभुक्षित । ३ जेल से छुड़वाना। ४ चिह्न मिटाना। ५ त्याग कराना । छु-स्त्री० एक ध्वनि विशेष । -क्रि० वि० हूँ। ६ रिश्ता तुड़ाना । छूकरण-स्त्री० छोंका, तड़का । छुहु-क्रि०वि० शीघ्र, तुरन्त । छूकणी (बौ)-क्रि० छोंका लगाना, छोंकना । छुड्डु-वि० [सं० क्षुद्र] तुच्छ, लघु । (जैन) छूछ-स्त्री० हृदय की उमंग, भावावेश। -वि. तृप्त, प्रधाया छुरणगौ-देखो “छिणगो' । हुआ। छुद्र-वि० [सं० क्षुद्र] १ प्रोछे विचारों वाला। २ नीच, दुष्ट । छूत (क, को), छूतरौ-पु० छिलका । ३ उद्दण्ड । ४ निष्ठुर । ५ गरीब । ६ कंजूस । छूरियो, छूरी-पु० १ फूलों का देर । २ पलाश वृक्ष । छुद्रघंट, (घंटा, घंटिका, घंटी)-स्त्री० करधनी, मेखला । ३ देखो 'छंबरौ'। छुद्रा-स्त्री० दाख, किशमिश । छू-पु०१ थाट । २ शब्द । ३ गज । ४ खुदा, ईश्वर । ५ मंत्र छुध, छुधा-स्त्री० [सं० क्षुधा] भूख, इच्छा । पढकर फूकने की क्रिया । ६ कुत्ते को उत्साहित करने छुनणौ (बौ)-देखो 'इनरणी' (बी)। की ध्वनि । For Private And Personal Use Only Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org ४३४) क- देखो 'छुछक' । " छी- वि० (स्त्री०) रिक्त, साली। छूट [स्त्री० १ छूटने का भाव, छुटकारा मुक्ति र स्वतन्त्रता, । २ आजादी । । । ३ रियायत किफायत ४ अवकाश, फुर्सत ५नुमति । ६ खुला या विस्तृत स्थान । ७ कारणवश न जोती हुई भूमि छूटक- वि० १ फेंका हुआा छे २ छोड़ा हुग्रा । पु० १ स्फुट पद । २ मुक्तक । टी (बी)- कि० [सं०] छूट १ बंधन मुक्त होना, स्वतंत्र त्रुट्, होना । २ पकड़ से निकल जाना । ३ अलग होना, विलग होना । ४ मुक्त होना, छुटकारा पाना । ५ अभाव या कमी रह जाना । ६ मिटना । ७ अभ्यास न रहना । ८पूर्ण रहना । ९ शेष या बाकी बचना । १० पीछे रह जाना । ११ बिछुड़ना । १२ ग्रस्त्रादि चलना, दगना । १३ फेंका जाना । १४ स्खलित होना । १५ रिस-रिस कर निकलना, चुना । १६ प्रसव पीड़ा से मुक्त होना । १७ घोड़े का मरना । टपल्ली टी० १ दम्पति का संबंध विच्छेद, तलाक २ प्रसव से मुक्ति । छूटी (ट्टी) - देखो 'छुट्टी' | छूटो (ट्टो) - देखो 'छुट्टी' । (बी० [सं० ग्रुप) १ स्पर्श करना, हाथ लगाना। २ छेड़ना, इधर-उधर करना । ३ सटाना, अड़ाना । ४ आलिंगन करना । ५ प्रतिस्पर्धा में बराबर प्राना। ६ निश्चित ऊंचाई पर पहुँचना । ७ थोड़ा उपभोग करना । छूत - स्त्री० १ छूने या स्पर्श करने का भाव । २ अपवित्र वस्तु या अस्पृश्य को छूने का दोष, प्रशोच । ३ भूत-प्रेतादिक का प्रभाव । इतकी, इतरौ- पु० छाल, छिलका, छूता । नरसी (बी) वि० १ छोटे-छोटे टुकड़े करना । (मांस) २ काटना । नौ वि० (स्त्री० [दनी) बढ़िया श्रेष्ठ । छूमंतर - पु० १ प्रकस्मात गायब होने की क्रिया या भाव | २ जादू टोना । " स्त्री० बार छूट झरौ-देखो 'छुरी' | छेक वि० १ छेदने वाला । २ कसकने वाला, दर्द करने वाला । ३ चतुर ०१ राम २ देकानुप्रा छेड़ (सी) पु० छेद, सुराख क्रि० वि० १ अंत में २ एक श्रोर, एक तरफ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । छेकड़लो - वि० (स्त्री० [देकली) घावरी, अन्त का छेकड़ौ - देखो 'छेक' । sent (बी), करणी (बी) क्रि० १ छेद करना, सूराब करना । २ चीरना। ३ काटना । ४ आर-पार निकलना । ५ आगे बढ़ना । छेकली- पु० छेद, सूराख । छेकाकी स्त्री० छेद करने या पैनी वस्तु घुसाने की किया। छेकौ - वि० (स्त्री० छेकी) उतावला, धातुर । छेड़-स्त्री० १ स्वर्ण करने की क्रिया २ व्यंग उपहास ३ हंसी ठिठोली ४ तंग करने की क्रिया । ५ झगड़ा, टंटा। ६ किसी वाद्य का निरन्तर बजने वाला स्वर । ७ बड़ा भोज ८ द्वादशे का भोज । ९ प्रारंभ । छेतरणो छोड़णी (बी) - क्रि० १ स्पर्श करना, इधर-उधर करना । २ कुरेदना । ३ व्यंग या उपहास करना । ४ हंसी करना । ५ तंग करना, दुःखी करना, चिढ़ाना। ६ झगड़ा करना । ७ प्रारंभ करना शुरू करना । ८ किसी कार्य के लिये कहना, प्रेरित करना । ९ चीरना, फाड़ना । १० छेद या सुराख करना । ११ कामोद्दीपन करना । लियो टेलीवि० (स्त्री० देहली) खिरी, अन्तिम छेड़ाछेड़ी-स्त्री० १ दूल्हे - दुल्हिन के वस्त्रों का परस्पर बंधन | २ बेड़-छाड़ छड़ियौ- पु० १ रहंट की माल का अंतिम छोर । २ स्त्रियों के गले का प्राभूषण विशेष । ३ जुलाहों का एक प्रौजार । ४ चरखे का एक उपकरण । ५ देखो 'छेड़ी' । छेड़ (ई) क्रि० वि० १ किनारे पर छोर पर २ एक तरफ, - । एक प्रोर ३ अलग, दूर । ४ तटस्थ । ५ तत्पश्चात् । छेड़ी-पु० १ छोर किनारा २ 'पट, पहला ३ हद, सीमा ४ अंत, समाप्ति । ५ चमड़े का रस्सा | ६ गठबंधन । जेपाली क्रि० बकरी का ऋतुमति होना । (ब) - देखो 'हूणी' (बौ छे- स्त्री० १ ऊमर भूमि । २ फांसी । ३ इन्द्रिय । ४ वेणी । छेडहइ - क्रि० अंत में, आखिर में । ५ वसुधा । ६ सियार । ७ छे, छः । ८ ध्वनि विशेष | छे'- देखो 'छेह' । छेजी - पु० जीव-जंतुनों का खाद्य । छेक्न वि० [सं० [देव] १ छेदने या बेधने लायक २ खण्डन करने योग्य | पु० छेद, सूराख । छेटी स्त्री० [सं० छित्तिः ] १ फासला, दूरी, अन्तर । २ बीच की दरार । ३ कसर, कमी । छतरणी (बौ) - क्रि० १ धोखा देना, ३ संहार करना, मारना । ४ ढूंढना, छतर (ए) स्त्री० [१] पथरीली भूमि २ श्मशान भूमि ३ कपट । ४ क्षेत्र | For Private And Personal Use Only छलना । २ ठगना । तलाश करना । Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छेतरी छोटो छतरी-वि० छली कपटी। गहराई। ६ हानि, नुकसान । -क्रि० वि० १ भोर, तरफ । छेताळीस-देखो 'सैताळीस' । २ अंत में । छेती-देखो 'छेटी'। छहड़ली, छेहड़ी, छहलउ, छेहलो-वि० (स्त्री० छेहड़ली, छहली) छत्त-पु० [सं० क्षेत्र] १ कृषि-भूमि, खेत । २ जमीन, भूमि। आखिरी, अंतिम । -पु० अंतिमस्थान, किनारा। ३ अाकाश । ४ बस्ती, नगर । ५ स्त्री, पत्नी। | छेहि, छेहि, छेहु-देखो छ है' । छेद-पु० [सं० छिद्र] १ छेद, सूराख । २ बिल, विवर । ३ ऐब, छताळीस-देखो 'सैताळीस'। दोष, अवगुण । ४ छेदन क्रिया । ५ कटाई। ६ नाश, छ-वि० [सं० षट्] पांच व एक । -पु० १ छः की ध्वंस । ७ खण्ड, टुकड़ा । ८ छः जैनागम ग्रंथ । संख्या । २ देव लोक । ३ मद पात्र । ४ तीक्ष्ण वस्तु । छेदक (ग)-वि० छेद करने वाला, छेदने वाला। ५ सेना । -क्रि० वि० होना क्रिया के वर्तमान काल का छेदरणी (बौ)-क्रि० [सं० छिदिर] १ छेद या सूराख करना। २ बिल या विवर करना। ३ छेदन करना । ४ काटना । | छैबासी-देखो 'साबासी' । ५ नाश करना। ६ दोष निकालना। छमायौ, छमाहियसै-वि० १ छः मास का । २ छः मासिक, छेदन-पु० छेदने की क्रिया या भाव । छः माही । छेदनी-स्त्री० पांचवीं त्वचा का नाम । छर-पु० भाले की तरह का तलवार का प्रहार । छेदाणी (बी), छेदावणी (बौ)-क्रि० १ छेद या सूराख कराना। छल-१ चतुराई, दक्षता । २ देखो 'छैलो' । ३ देखो 'छेल' । २ बिल या विवर कराना । ३ छेदन कराना। ४ कटाना। छलकड़ी-स्त्री० कान का एक प्राभूषण । ५ नाश कराना। ६ दोष निकलवाना । छलकड़ो-पु०१ हाथ का प्राभूषण। २ देखो 'छैलो' । छेम-देखो 'क्षेम'। छलछबीली (भंवर)-वि० शौकीन, रंगीला, रसिक । -पु० छेमकरी-देखो 'क्षेमकरी'। १ प्रपितामह के जीवित अवस्था में जन्म लेने वाला छेय-वि० [सं० छेक] अवसर का जानकार, होशियार, चतुर, बालक । २ प्राभूषण विशेष । दक्ष । (जैन) -पु०१ प्रायश्चित । २ विच्छेद । छलो-वि० (स्त्री० छैली) १ शौकीन, रंगीला, रसिक । छेयग-देखो 'छेदक'। २ जिसका प्रपितामह जिंदा हो । ३ सजा-धजा । ४ सुन्दर । छेयण-देखो 'छेदन'। ५ प्रिय, वल्लभ । ६ चतुर, दक्ष, होशियार । छेरु-देखो 'छेरौ'। छोंक-देखो 'छौंक' । छरे-देखो 'छेड़े। छोंकणी (बौ)-देखो 'छौंकरणी' (बी) । छेरौ-पु. १ काष्ठ खण्ड, टुकड़ा । २ एक प्रकार का टोकरा। छोत-देखो 'छूत' । ३ ऊंट का पतला पाखाना। छोतको (रौ), छोंती-देखो 'छूतरौ' । छल (ग)-पु० (स्त्री० छली) १ बकरा, अज । २ देखो 'छैल'। छो-पु०१ क्रोध । २ जोश । ३ पवन । ४ मृग । ५ भूगार । छेलण-वि० मर्यादा भंग करने वाला। ६ भय । ७ नरक । छोन-पु० [सं० छोद] छिलका, छाल । छलणौ (बौ)-क्रि० १ मर्यादा भंग करना, सीमा तोड़ना । छोइ (ई)-पु. १ क्रोध, गुस्सा । २ मट्ठा, छाछ । २ लांघना । ३ छल करना । ४ पूर्ण करना, भरना। छोकरड़ौ, छोकरी-देखो 'छोरो' । छेलिन (य)-पु० १ छींक । २ चीख, चीत्कार । छोग-पु०१ शोक । २ कष्ट, दुःख । छलिया, छली-स्त्री० बकरी । छोगौ-देखो 'छौगो' । छेलो, छेल्ही-देखो 'छेहलो' ।। छोछोनीब-पु० एक प्रकार का वृक्ष । छेवड़ा-देखो 'छेडौ। छोछौ-वि० (स्त्री० छोछी) १ सारहीन, थोथा । २ व्यर्थ, छेवट-क्रि० वि० आखिरकार । अंत में। निरर्थक । छेवटी-स्त्री० घोड़े का चारजामा विशेष । छोट-स्त्री० लघुता । हेवट्ट, छेवट्ट-पु० [सं० सेवातं] शारीरिक रचना । छोटकड़ो (कलौ, कियो) छोटको, छोटक्यौ-देखो 'छोटो' । छेह(उ)-स्त्री०१ अन्त । २ किनारा, छोर । ३ सहन शक्ति की| छोटाई-स्त्री० लधुता, अोछाई । अंतिम अवस्था । ४ विश्वासघात, धोखा । ५ थाह छोटी-वि० लघु, अल्प । For Private And Personal Use Only Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छोटीतीज योगाळ छोटीतीज-स्त्री० श्रावण शुक्ला तृतीया । छोरारोळ-स्त्री० उद्दण्डता, नादानी, नटखटपन, बचपना, छोटीमाता-स्त्री० हल्की चेचक । खिलवाड़। छोटोड़ो-देखो 'छोटो' (स्त्री० छोटोड़ी) । छोरियो, छोरीटी-देखो 'छोरी' । छोटोसांपोर-पु० डिंगल का एक गीत (छद) विशेष । छोरु, छोड़, छोरू, छोरी-पु० [सं० शोकहर] (स्त्री० छोरी) छोटौ-वि० (स्त्री० छोटी) १ आकार प्रकार से न्यून, छोटा, १ पुत्र, बेटा । २ लड़का, बालक । ३ संतान, प्रौलाद । लघु । २ प्रायु में कम । ३ महत्त्व के हिसाब से हल्का । ४ सेवक, दास । ४ प्रोछे विचारों वाला । छोरेट-देखो 'छोरवेड़' । (मेवात) छोड (प)-पु० १ त्याग । २ छुटकारा । ३ विच्छेद । छोळ-देखो 'छोळ'। छोडणौ (बौ), छोडवरणी (बौ)-क्रि० १ बंधन या पकड़ से मुक्त | छोळणी-पु० जंग कुचलने का उपकरण । करना । २ माफ करना, क्षमा करना। ३ त्यागना, त्याग छोळणी (बौ)-क्रि० १ जंग कुचर कर दूर करना, मैल मिटाना। करना। ४ संबंध विच्छेद करना। ५ वसूली का विचार २ वासना मिटाना। स्थगित कर देना । ६ स्थगित करना । ७ अस्वीकार छोलणी (बी)-क्रि० १ छिलका उतारना, छीलना। २ किसी करना । ८ पीछे या अलग रख देना । ९ वंचित धारदार शस्त्र से कुचरना। ३ मिंगी या गुदा निकालना । करना । १० अधूरा रख देना । ११ भूल करना । छोलवारी-स्त्री० १ तंबू, शामियाना । २ मोटा पर्दा । १२ शेष या बाकी रखना । १३ खुला करना । छोळवरणौ (बौ)-क्रि० १ वासना को नष्ट करना, मिटाना । १४ डालना, पटकना। २ देखो 'छोळणौ' (बौ)। छोडवरण-स्त्री० मुक्ति, छुटकारा, त्याग । -वि० छुटकारा दिलाने छोळवि-स्त्री० वासना, वासना की तरंग, आकांक्षा। वाला, मुक्ति दिलाने वाला । छोलो-पु. चने का कच्चा दाना। छोडारणौ (बी), छोडावरणौ (बो)-देखो 'छुडाणी (बी)। छोल्लो-देखो 'छोरो'। छोण-पु० [सं० सुनु] (स्त्री० छोरणी) १ पुत्र लड़का । २ शोण, छोह-पु० [सं० क्षोभ] १ क्रोध, गुस्सा । २ जोश, उत्साह । खून । २ देखो 'छोरणी'। ३ गर्व, अभिमान । ४ प्रेम । ५ मिलन, योग, संयोग । छोणी-स्त्री० [सं० क्षोणी] पृथ्वी, धरती। -तळ-पु० पाताल । ६ प्रोट, प्राड, पर्दा । ७ बर्थी की नोक। ८ दरवाजे के छोत-स्त्री. १ छिलका, छाल । २ छूत । ३ दोष, अशौच । पाड़ी लगाई जाने वाली पत्थर की शिला। ९ कांति, छोतको, छोतरी, छोती-देखो 'छुत रौ' । दीप्ति । १० शोभा, कीर्ति, यश । छोनिय, छोनी-देखो 'छोणी, । छोहणौ (बी)-क्रि० १ सोखना, चूसना।२ पीना। छोनीतळ-पु. पाताल । छोहरू (रो)-देखो 'छोरो'। छोनीमंडळ-पु. भू-मण्डल । छोनो-पु० [सं० सुनु] पुत्र, लड़का । छोहियो-वि० १ अभिमानी, गविला । २ क्रोधी, क्रुद्ध । छोन्भ-वि० [सं० क्षोभ्य] १ खल, दुर्जन, पिशुन । ३ कांतिवान । २ क्षोभनीय । (जैन) । छौंक-स्त्री० तड़का, बघार । छोभ-पु० [सं० क्षोभ, क्षोभ्य] १ दुःख, क्षोभ । २ विकलता। छौंकणी (बो)-क्रि० साग, सब्जी प्रादि को छोंकना, छोंका ३ कष्ट । ४ क्रोध । ५ दीन, असहाय । ६ कलंक, दोषा- लगाना । रोपण । ७ वंदन विशेष । ८ प्राधात । (जैन) छौत-देखो 'छोत' । छोभरणी (बो)-क्रि० १ दुःखी होना, क्षोभ करना। २ क्रोध छौंतको, छौंतरी, छोतो-पु० छिलका, छाल । करना । ३ विचलित होना । | छौ-पु. १ केतकी । २ विरक्ति। ३ दुकूल । ४ पर्वत । छोयेलो-पु० (स्त्री० छोयली) पुत्र, लड़का। ५ वानर। छौ'-प्रव्य० सहमति सूचक संकेत । प्रच्छा, ठीक । छोर-पु० १ किनारा, कोर । २ तट । ३ सीमा, हद । ४ नोक, सिरा। छोगाळ (लो)-वि० [सं० शृंग-पालुच ] १ श्रेष्ठ, उत्तम । २ वीर, बहादुर । ३ रसिक, शौकीन । ४ विलासी। छोरडो-देखो 'छोरो'। -पु० १ एक प्रकार का घोड़ा । २ साफा वाला व्यक्ति, छोरणी-देखो 'चाळनी' । साफे के पीछे लटकने वाला पल्ला । ३ श्रीकृष्ण । छोरवेड़, छोरांतर-पु० बाल-बच्चे । ४ मुर्गा । ५ मोर, मयूर । For Private And Personal Use Only Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra छौगौ www.kobatirth.org ( ४३७ ) छोगी पु० [सं०] [ग] १ साफे का तुर्रा, पीछे लटकने वाला पल्ला । २ घोड़े के सिर पर लगा तुर्रा । ३ गुच्छा -वि० श्रेष्ठ शिरोमणि । छोती-देखो 'ती'। यौन-देखो छोरा' | छोड़-स्त्री० स्त्रियों के गर्भाशय का एक रोग । छोड छोडल छोडियो छोडी ० १ छिलका, छाल, सुता छोल-स्त्री० फीत २ नाक का सूखा मल । ३ खुरंट | छो-देखो 'होत" | -देवनागरी वर्णमाला के 'च' वर्ग का तीसरा वर्ण । जं- क्रि० वि० [सं० यत् ] क्योंकि, कारण कि । (जैन) किवि श्रव्य० [सं० यत्किचित् ] १ जो कुछ । २ थोड़ा, न्यून जंबेरौ - १- पु० १ वायु का झोंका २ साधारण वस्तुओं का समूह । जंग - पु० [फा०] १ लड़ाई, युद्ध । २ आनंद का प्रसंग । ३ लोहे का मुरचा । ४ पीतल की गुरिया, छोटा घंटा । - आवरपु० योद्धा काली-वि० युद्धोन्मत्त बाळ-पु० युद्ध के लिये उपयुक्त घोड़ा। जूट- पु० शूरवीर, योद्धा । जंगड़ी स्त्री० छोटी कच्छी, जोगिया । जंगम (मांस) वि० [सं० जंगम] १ चलायमान पंचत २ अस्थिर, चल । ३ जीवधारी । ४ चैतन्य । पु० १ एक प्रकार का संन्यासी । २ घोड़ा । ३ छप्पय छंद का एक भेद । -काय - १० डीन्द्रिय प्राणी जस जीव विस पु० एक तीव्र विष । पु० त्रस । जंगरी - पु० योद्धा । जंगळ - पु० [सं० जंगल] १ वन, अरण्य । २ जन शून्य भूमि । ३ रेगिस्तान । ४ घोड़ा । ५ दिशा, मैदान । ६ मांस । -धर, धरा- स्त्री० जांगलू देश, बीकानेर राज्य राय, राव पु० बीकानेर का राजा श्री करणीदेवी सिंह, शेर वि० [सं० मंगल] जगदेश का बीकानेर का - पु० बीकानेर का राजा । o जंगळायत- पु० वन विभाग । जंगळी- वि० १ जंगल का, जंगल संबंधी । २ जंगल में रहने वाला । ३ जो पालतू न हो, स्वतंत्र । ४ असभ्य, गंवार | ५ मूर्ख बेवकूफ ५० घोड़ा । जंगसारधारण- पु० वीर, योद्धा, छौरावी देखो 'छोरी'। छौळ (ळि) - स्त्री० १ पानी की लहर, तरंग, हिलोर । २ बौछार । ३ उमंग, उत्साह । ४ खुशी का संचार ५ श्रीड़ा ६ खुशी ७ धारा प्रवाह रोम ८ । छोळांना पु० १ समुद्र । २ दानी व्यक्ति । छयाळी-देखो 'छाळी' । ना' रियो 'छालीना'र' । देवाली' । छपास देखो 'घास' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंगाळ - पु० १ सुहाग बिन्दी लगाने का लाल रंग । २ घोड़ा । १३ सेना का दक्षिणी भाग । ४ युद्ध का नगाड़ा । जंगाळी- वि० लाल रंग का । जंग - वि० जंगम का, जंगम संबंधी । (जैन) जंगी (गू) - वि० [फा०] १ लड़ाई या युद्ध संबंधी । २ फौजी; सैनिक । ३ बड़ा, दीर्घकाय । ४ मजबूत, दृढ़ । ५ वीर; योद्धा | ६ लड़ाकू । - कार - पु० एक प्रकार का तीर । - राग - स्त्री० सिंधु राग । लाट, लाठ-पु० फौज का अफसर हरड़ - पु० काली हरड़ । जंगेज स्त्री० [सं० यज्ञज ] श्रग्नि । जंगे-०१ जंग के लिये उत्सुक व्यक्ति २ युद्ध, जंग जंगोळ - पु० [सं० जांगलू ] विष उतारने की चिकित्सा । जंध- १ देखो 'जंघा' । २ देखो 'जंग' । ३ देखो 'जांघ' | जंघस्थल, जंवा रत्री० [सं० जंचा] १ जांच, रान २ ऐड़ी से घुटने तक का पांव, पिंडली । । -- जंघात्र- पु० [सं०] जांघ का कवच | जंघाळ- वि० [सं० जंघाल ] 'जंगाळ' | जंजण For Private And Personal Use Only १ तेज दौड़ने वाला । २ देखो जंघाळस-पु० [सं० जंगार ] १ तांबे का कसाव । २ एक रंग विशेष | जंघाळी-देखो 'जंगाळी जंधावरत - पु० एक प्रकार का प्रशुभ घोड़ा । चरणी (ब) - देखो 'जचरणी' (ब) । जंचा वि० जांचा हुग्रा, परीक्षित । चाणी (बौ). जंचावरणौ (बी) - देखो 'जंचारणों' (बो) जंज-पु० [सं० यथन] संयासी, फकीर । जंजल - पु० [सं० यजन ] यज्ञ । Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंजर जम जंजर-पु०१ ताला। २ एक प्रकार का शस्त्र । जंत्रि (त्री)-पु० [सं० यंत्रिन्] १ नारद । २ वाद्य बजाने वाला, जंजळ-देखो 'जरजर' । वादक । ३ तांत्रिक । ४ देखो 'जंतरी' । जंजाळ,जंजाल-पु. १ झंझट, बखेड़ा, प्रपंच । २ बंधन, अटकाव, जंद-पु० १ पारसियों का धर्म-ग्रन्थ । २ इस ग्रन्थ की भाषा । अवरोध । ३ उलझन, परेशानी। ४ स्वप्न । ५ एक प्रकार ३ देखो 'जिंद' । । की बंदूक । ६ बड़े मुह की तोप । -वि० असत्य, झूठा।। जप-पु०१ नक्कारे की आवाज । २ चैन, शांति । जंजाळियौ, जंजाळी-वि० उपद्रवी. फिसादी, प्रपंची। जंपग, जंपय-वि० [सं० जपन] बोलने वाला, रटने वाला। जंजीर, जंजीरा-स्त्री०१ श्रृंखला, सांकल । २ किंवाड़ की कुडी। जपरणो (बी)-१ देखो 'जपणौ' (बी)। २ देखो 'झपणी' (बी)। ३ किसी वस्त्र की जजीरनुमा किनार । ४ जंजीरनुमा कोई जपति, जपती-पु० [सं० जम्पती] १ पति-पत्नी दम्पति । वस्तु । २ जायापति। जंजीरेदार-वि० [फा०] १ जंजीर की तरह मिला हुआ । जंपारण-पु० एक प्रकार की डोली। २ जंजीरनुमा । जंपिर-वि० [सं० जल्पिन्] बोलने वाला । (जैन) जंजीरौ-पु० १ एक प्रकार का मंत्र । २ मोटी जंजीर । जफ-पु० युद्ध, लड़ाई। जझर--देखो 'जंजीर'। जंफीरौ-पु. एक प्रकार का घोड़ा। जमरी-स्त्री० एक प्रकार का वाद्य । जंबक-देखो 'जंबुक'। जोडणौ (बो)-क्रि० झकझोरना, छेड़ना, हिलाना-डुलाना । जंबवइ-देखो 'जांबवंती'। जंझौ-वि० [सं० योद्धा] योद्धा, वीर । जंबाळ-पु० [सं० जंबाल] १ कीचड़, पंक। २ काई, सिवार । जडे-स्त्री० जैसलमेर राज्य की भूमि । ३ केतकी का पौधा । ४ जरायु । जत-पृ० [सं० यंत्र] १ बैलगाड़ी के पहियों की पंजनी में बंधी जंबाळणी (नि)-स्त्री० [सं० जंबालिनी] नदी। रहने वाली रस्सी । २ यत्र, उपकरण । ३ बख्तर की कड़ी जबार, जबीरा-पु. एक प्रकार का नींबू । ४ कोई तांत्रिक मंत्र । ५ शासक । ६ छोटी जाति का | जंबु पु० १ जंबुक । २ जंबुद्वीप । ३ जंबुस्वामी। -अद्वीप व्यक्ति। ७ जंतु । ८ जूता। ६ स्वर्णकारों का प्रौजार । -महद्वीप-पु० जंबुद्वीप। -खंड, वीव, दीप, द्वीप-पु. जंतर-पु० १ ताला। २ देखो 'जंत्र'। -मंतर-पु० जादू-टोना। जंबुद्वीप । -मत-पु० जामवंत -मति-स्त्री० एक अप्सरा जंतरड़ी, जंतरपट्टी-देखो 'जंतरी'। का नाम । -स्वामी-पु० जैन स्थविर । जंतरणौ (बी)-क्रि०१ सजा देना, दण्डित करना । २ मारना, जंबुक-पु० [सं०] १ बड़ा जामुन । २ एक प्रकार का फूल । पीटना। ३ तंत्र-मंत्र से रक्षित करना । ३ सियार, गीदड़ । ४ कुत्ता, श्वान ।। जंतराणो (बी), जंतरावरणौ (बो)-क्रि० १ सजा दिराना, जंबू-पु० [सं०] १ जामुन का वृक्ष व फल । २ जंबुद्वीप । दण्डित कराना। २ मार-पीट करना, कराना। ३ तंत्र-मंत्र -गव, रणय-पु० सोना, स्वर्ण। -दीप, बीब, द्वीपसे रक्षित कराना । पु० जंबुद्वीप । एक शुभ रंग का घोड़ा। -नवी-स्त्री. जंतरी-स्त्री० [सं० यंत्रिःसंकोचे] १ स्वर्णकारों का प्रौजार ।। जंबुद्वीप की एक नदी। -पीठ, पेढ-पु. एक प्रदेश का २ तिथि-पत्रक । ३ बाजा बजाने वाला । ४ जादूगर । नाम । -फळ-पु० जामुन । एक सामुद्रिक चिह्न। जतुफळ -पु० [मं० जंतुफल] गूलर, उदुबर । जंबूर (क, नाळ)-स्त्री. १ ऊंट पर लादी जाने वाली तोप विशेष । जंतो-देखो 'जंत्र'। जबूरची-पु० 'जंबूर' नामक तोप चलाने वाला। जंत्र, जंत्रक-T० [सं० यंत्र] १कल, यंत्र। २ तांत्रिक यंत्र । री-स्त्री. एक प्रकार का प्रोजार । २ एक शस्त्र विशेष । ३ ताबाज या गडा। बाजा, वाघ । ५ वाणा। ६ ताप, जंबूरी-पु०१ संडासीनुमा एक औजार। २ एक प्रकार का बंदूकादि अस्त्र। ७ अस्त्र विद्या । ८ जन्म पत्री।-धर, घोडा। ३ बाण का फल । ४ बाजीगर के साथ वाला धार, पाणी-पु. नारद । -बांग-पु० एक अस्त्र विशेष । लड़का । --- मंच-पु० जादू-टोना। -सार-पु० तार वाद्य । जंबेरी-देखो 'जंबीरी'। जंत्ररणी-देखो 'जंतरी' । जंग-पु० [सं०] १ जंबीरी नींबू । २ प्रहलाद का एक पुष । जंत्रांणि (पी)-स्त्री० [सं० यंत्र] १ जंतर-मंतर । २ यंत्र ३ डाढ़, चौभड़। ४ दांत । ५ एक दैत्य । ६ भाग, अंश । कला । ७ तरकस, तूणीर । ८ ठोड़ी। ९ जमुहाई। -भेवी, राति जंत्राणी (बौ), जंत्रावरणी (बी)-देखो 'जंतरावरणी' (बी)। -पु० इन्द्र। For Private And Personal Use Only Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जभरणी जकाती जंभरणी-स्त्री० [सं० जुम्भरणी] एक प्रकार की विद्या । जइण-पु० [सं० जैन] जिनदेव का भक्त । -वि० १ जीतने जंमा, (माइ, ई)-स्त्री० [सं०] जम्भाई, उबासी। (जैन) वाला। २ वेग वाला। जमाणो (बो)-क्रि० १ गायों का बोलना, रंभाना । जइणा-वि० १ जितना । २ देखो 'जयणा' । २ जमुहाई लेना। जइ-देखो 'यदि' । जंभारात, जंभाराति, जंभारि-पु० [सं०] जंभ दैत्य का | जइत-स्त्री० जीत। -खंभ-पु० विजयस्तंभ । -वि. विजय शत्रु, इन्द्र । करने वाला। जंभाळणी-स्त्री० नदी। जइतवादी-देखो 'जैतवादी' । जंभासुरमारण-पु० इन्द्र । जइतवार-वि० जीतने वाला । जंभियो-पु० छुरा। जइतेल-पु० मालती का तेल । जंभीरीनीबू, जंभेरी-पु० एक प्रकार का नींबू । जइय-पु० [सं० जीव] जीव, प्राणी । जंम-देखो 'जन्म'। जइयां (या)-सर्व जिन्होंने, जिसने । जंमजाळ-वि० यमराज मे प्रबल । -पु० यम का फंदा । जइलच्छि-स्त्री. जयलक्ष्मी । जंमण-देखो 'जन्म'। जइवंत-स्त्री० [सं०जयवती] एक देवी का नाम । -वि. विजयी । जंमले-वि० [अ० जुम्ला] सब, कुल , समस्त । एक मुश्त । जइसर-पु० [सं० यतीश्वर] यतीश्वर । जम्मेरी-देखो 'जंबेरी'। जइसौ-देखो 'जैसौ' । जवरणावर-पु० द्रोणपुर। जई-वि० जीतने वाला, विजयी । -स्त्री० लकड़ी के दो सींगों जंबर-पु० १ तलवार आदि पर दिखाई देने वाली धारियां । वाला एक कृषि-उपकरण । -सर्व० जिस, उस । २ जौहर । ३ यमराज, मृत्यु, मौत । -क्रि० वि. जब । जंबरी-पु०१ जौहरी। २ जौहर । जईन-देखो 'जन'। जंबरौ-वि० १ जबरदस्त, शक्तिशाली । २ देखो 'जवर'। जईफ-वि० वृद्ध, बूढ़ा । जंवहर, जंवहार-पु० जवाहरात । जईफी-स्त्री० [अ०] बुढ़ापा, वृद्धावस्था । जंबहरी-देखो 'जौहरी'। जईमैरण-पु० [सं० मदनजयी] महादेव, शिव । जवाइ (ई)-पु० [सं० जामातृ] १ दामाद, जामाता । २ एक | जउं, जउ-प्रव्य० [सं० यत्] जो, यदि, अगर, कि । -सर्व० लोक गीत । [सं० यः] जो। -पु० [सं० जतु] लाख । जंबाडो-देखो 'जूनौ' । जउख-देखो 'जोख' । जवार-स्त्री. १ नमस्कार, जुहार । २ नमस्कार करने पर जमाई | जउणा-देखो 'जमना'। प्रादि को दिया जाने वाला धन । जउरांणउ-पु० [सं० यमराज] यमराज । जवारा-पु० पर्व दिनों में बोये जाने वाले गेहूँ या जव के पौधे ।। जउम्वेय-पु० यजुर्वेद । जवारी-देखो 'जंवार' । जउहर (रि)-देखो 'जौहर'। जंवारु-पु० जवाहरात । जऊ-देखो 'जउं'। जवाळिनी-देखो 'जंबाळनि' । जक-पु०१ चैन, पाराम । २ शान्ति, तसल्ली। ३ विधाम । जहंगम-पु० [सं० प्रजिह्मग] तीर, बाण । ४ यज्ञ । ५ कंजूस व्यक्ति । ६ देखो 'झख' । जही-वि० जैसा, समान । जकड़-स्त्री० कड़ा बंधन । जोर की पकड़ । ज-पु० [सं०] १ जन्म। २ जीव । ३ विजय । ४ योगी । जकड़णी (बी)-क्रि० १ कस कर बांधना। २ जोर से ५ मृत्युञ्जय । ६ पिता । ७ विष्णु । ८ विष । ९ तेज । | पकड़ना। ३ ऐंठन पड़ जाना। १० विशाच । ११ जड़, मूल । १२ उत्पत्ति । १३ प्राभा, जकरण-देखो 'जिकरण' । कांति । १४ छन्द शास्त्र का 'जगण'। -प्रत्य० उत्पन्न, जकरणो (बो)-क्रि० १ चैन पड़ना । २ लज्जित होना। जात। -अव्य. ही। -मर्व० १ जिस । २ उस । जकसेस-पु० [सं० जक्षेन्द्र] ऊंट। जब-क्रि०वि० १ जहाँ । २ जो, यदि । ३ जब । -पु० १ साधु, जका सर्व० जो। संन्यासी। २ छन्दों की यति । ३ मालती। -वि० जीतने वाला, विजयी । जकात-स्त्री० [अ०] १ दान, खैरात । २ चुंगी, महसूल । जइजइकार-देखो 'जैजैकार'। | जकाती-पु० चुंगी वसूल करने वाला व्यक्ति । For Private And Personal Use Only Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जकार जगतरण जकार-पु० 'ज' वर्ण। जगनाथ-देखो 'जगन्नाथ' । जकियो, जकीयो-पु० वृत्तान्त, हाल । जग-पु० [सं० जगत्] १ संसार, विश्व । ३ सांसारिक लोग । जको-सर्व० (स्त्री० जकी) १ जो। २ वह, उस । __ ३ देखो ‘यक्ष'। -ईस-पु० परमेश्वर, ईश्वर । जक-देखो 'जक'। जगइ (ई)-स्त्री० [सं० जगती] पृथ्वी, भूमि । जक्ख पु० यक्ष । -भद्द-पु० यक्ष द्वीप का अधिपति, देवता । | जगकरण (करता)-पु०१ सृष्टि कर्ता ईश्वर । २ ब्रह्मा, विधि । जक्खा-देखो 'यक्षी'। जगकरम-पु० १ यज्ञ कर्म । २ सांसारिक कार्य । जक्खिद-देखो 'योद्र'। जगकळपंत-पु० १ संहार । २ युगान्त, प्रलय काल । जक्खि (क्खी)-स्त्री० [सं० याक्षी] १ एक प्रकार की लिपि । | जगकारण-पु० ईश्वर ।। २ देखो 'जक्ष'। जगकाळ-पु० [सं० यज्ञकाल] १ यज्ञ करने का समय । जक्खोद-पु० [सं० यक्षोद] एक समुद्र का नाम । २ पूर्णमासी। जक्ष-पु० [सं० यक्ष] (स्त्री० जक्षणी) एक प्रकार की देव | जगगुरु, जगगुरू-देखो 'जगद्गुरु' । जाति, यक्ष । --नायक-पु. कुबेर । -पत, पति-पु० जगघण-पु० [सं० यज्ञध्न | राक्षसादि । कुबेर । --पुर, पुरी-पु. अलकापुरी । --रात-स्त्री० जगचक्ख (चक्ष, चक्ष, चख, चख चख्य, च्चक्ष, चख-पु. कात्तिक मास की पूर्णिमा की रात्रि । -लोक पु० यक्षपुर। [सं० जगचक्षु] सूर्य । जक्षस-पु० [सं० यक्षप] यक्षपति, कुवेर । | जगजगारणी (बी)-क्रि० १ जगमगाना, प्रज्वलित करना। जक्षाधिप-पु० [सं० यक्षाधिप] कुबेर । २ जगाना । जक्षस-पु० [सं० यक्षेस] कुबेर । जगजणरणी, जननी-स्त्री. १ जगत की माता पार्वती । २ देवी, जबकि धनवान धनाढ्य । २ दखा 'जक्ष' । ३ देखो 'जक' । दुर्गा । ३ गंगा नदी। जखचेर-पु० कुबेर । जगजांमी-पु० ईश्वर, परमेश्वर । जखरण-पु० [सं० जक्षणम् ] १ आहार । २ देखो 'जक्ष'। जगजा'र-वि० प्रसिद्ध, मशहर, विख्यात । जखणी-स्त्री० [सं० यक्षिणी] १ यक्ष की पत्नी। २ दर्गा की | जगजीत-वि० संसार को विजय करने वाला। एक अनुचरी। जगजीव (जीवण, जीवन)-पु० [सं० जगज्जीव] १ शंकर, शिव । जखन-देखो 'जखण'। २ ईश्वर, विष्णु । जखम-पु० [फा० जस्म] १ घाव, क्षत । २ मर्माहत दुःख। जगजेठ (जेठी, ज्जेठ)-पु० [सं० जगत्-जेष्ठ] १ ईश्वर । ३ सदमा। २ ब्रह्मा । ३ राजा । ४ योद्धा, शूरवीर । ५ पहलवान । जखमाइल (मायल), जखमी-वि० पाहत, घायल, जख्मी। जगजोनि-पु० ब्रह्मा। जखराज (राट)-पु० [सं० यक्षराज] यक्षराज, कुबेर । जगझंप-पु० एक प्रकार का रणवाद्य । जखरी-पु० सिध का एक यादव राजा। जगढाळ-पु० जगत का रक्षक, विष्णु । जखांणी-स्त्री० १ यक्ष कन्या । २ यक्ष पत्नी, यक्षिणी। जगण-पु० १ छन्द शास्त्र में एक गण । २ जलना, दाह । जखाराज-पु० [सं० यक्षराज] कुबेर । जगरणी-स्त्री० अग्नि । जखाधप (धिप)-पु० कुबेर । जगणौ (बौ)-देखो 'जागणी' (बौ)। जखाधी (धीस)-पु० कुबेर । जलि (बी)-स्त्री० [सं० यक्षी] १ यक्षिणी । २ कुबेर की | जगत-पु० [सं०] १ संसार,विश्व । २ सांसारिक लोक । ३ शिव । स्त्री । ३ यक्ष । ४ वायु । -अंबा-स्त्री० पार्वती, दुर्गा । -उपाता-पु० जखीर (रो)-पु० [अ०] १ वस्तुओं का संग्रह, देर, राशि । ब्रह्मा। -गुरु, गुरु-'जगद्गुरु' । -चख='जगचख' । २ खजाना। -ठाम-पु. ईश्वर, परमेश्वर, विष्णु । -पत, पति-पु० जखेंद्र-देखो 'यक्षेद्र'। ईश्वर। --पिता-पु० ब्रह्मा। -प्राण-पु० वायु । -भेदण-पु० शिव, विष्णु । --मावीत्र-पु० राजा। जखेरौ-देखो 'जखीर'। ----मोहणी-स्त्री० महामाया, दुर्गा । -रोपण-पु० विष्णु, जखेसर (सुर, स्वर)-पु० [सं० यक्षेश्वर] कुबेर । ईश्वर । --साखी-पु० ईश्वर, सूर्य। -साधार-पु. जहखरणी-देखो 'जखगी'। ईश्वर। -सेठ-पु० धनी व दानी सेठ । जयंप्रति-पु० [सं० यक्ष प्रीति] शिव । जगतण-स्त्री०१ सांसारिक स्त्री। २ वेश्या । (मेवात) For Private And Personal Use Only Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जगतारण ( ४४१ ) जगमोहरण जगतारण-पु० ईश्वर, विष्णु । जगनायक-पु० विष्णु, ईश्वर । जगति-स्त्री० १ द्वारिका । २ देखो 'जगती'। जगनाह-देखो 'जगन्नाथ' । जगती-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, धरती। २ मानव जाति । जगनेरलेप-पु० [सं० जगन्निर्लेप] विष्णु । ३ गो। ४ संसार । ५ जंबूद्वीप का कोट । ६ एक छन्द जगनैरण-पु० [सं० जगन्नयन] सूर्य । विशेष । -तळ-पु० पृथ्वी, भूमि । जगन्नाथ-पु० [सं०] १ संसार के स्वामी, ईश्वर । २ विष्णु । जगतेस-पु० ईश्वर । ३ पुरी नामक स्थान पर स्थित विष्णु की मूर्ति । जगतेसुर-पु० शिव, महादेव । जगत्रप-पु० [सं०] परमेश्वर । जगत्ति (त्ती)- देखो 'जगती' । जगपत (ति, त, ती)-देखो 'जगतपति'। जगत्माता- स्त्री० दुर्गा । जगपात्र-पु० यज्ञ पात्र। जगत्मोहिनी-स्त्री० महामाया दुर्गा । जगपाळ (पाळक)-पु० १ विष्णु । २ राजा । जगत्र-देखो 'जगत'। जगपावन-स्त्री० गंगा नदी। जगत्राता-पु० [सं० जगत्त्राता] १ संसार की रक्षा करने वाला, जगपुड़-स्त्री० जमीन, पृथ्वी । ईश्वर । २ राजा। ३ यज्ञ की रक्षा करने वाला। जगपुरस-पु० [सं० यज्ञपुरुष] विष्णु । ४ पंडित । जगप्राण-पु० वायु, हवा । जगत्साक्षी-पु० [सं०] सूर्य । जगफळ-पु० यज फल । -वाता-पु० विष्णु । जगदंब (बा, बि, बिका, बी, भा)-स्त्री० [सं० जगदम्बा जगबंद-वि० विश्ववंद्य । १ देवी, दुर्गा । २ पार्वती। ३ करणी देवी। जगबदक-पु० चन्द्रमा । जगद-देखो 'जगत' । जगबंधव (धु, बांधव)-पु० परमात्मा । जगदगुर (रु, रू)-पु. १ परमेश्वर, ईश्वर । २ शिव । जगबाहु-पु. प्राग, अग्नि । ३ शंकराचार्य । ४ पूजनीय व्यक्ति । ५ ब्राह्मण । जगभल-वि० १ यशस्वी, कीर्तिमान । २ हितेषी, भला चाहने जगवगौरी-स्त्री०१ दुर्गा, देवी । २ मनसा देवी । वाला। जगदजोणी-स्त्री० १ शिव । २ विष्णु । ३ पृथ्वी। जगभाग-पु० यज्ञ का एक भाग । जगदत-पु० [सं० यज्ञदत्तक] यज्ञ के फल स्वरूप प्राप्त पुत्र । जगभाळण-पु. प्रांख । जगदातार-पु० [सं०] १ ईश्वर। २ दानवीर । जगभावरण (न)-पु० ईश्वर, परमात्मा। जगदाधार-पु० [सं०] विष्णु । जगभासक-पु. १ प्रकाश । २ सूर्य । जगदानंद-पु० १ ईश्वर । २ श्रीकृष्ण । जगभूमि, (भोम)-पु० [सं० यज्ञभूमि] यज्ञ स्थल । जगदिवली (दीप)-पु० [सं०जगदीप] १ सूर्य । २ शिव । जगमंडळ-पु० यज्ञ मण्डल । ३ परमात्मा। जगमग-वि० तारों या दीपों आदि से प्रकाशित । २ चमकीला, जगदीस (सर, सवर, स्वर, स्वरू)-पु० [सं० जगदीश्वर] प्रकाशित । १ परमात्मा । २ श्रीकृष्ण । ३ विष्णु । ४ शिव । जगमगरणी (बी)-क्रि० १ चमकना, प्रकाशित होना । जगदीस्वरी-स्त्री० [सं०] भगवती, दुर्गा । २ झलकना । ३ प्रज्वलित होना। जगद्धाता-पु० [सं० जगद्धातृ] १ ब्रह्मा। २ विष्णु । जगमगाट (हट)-स्त्री० रोशनी, तारों या दीपों की रोशनी । जगडात्री-स्त्री० १ दुर्गा । २ सरस्वती । जगमगारणी (बो)-क्रि० १ चमकना, प्रकाशित होना । जगध-पु० [सं० जग्धि] भोजन । २ प्रज्वलित होना। जगधणी-पु० ईश्वर । जगमण-देखो 'जगमिण' । जगधर (धार)-पु० १ ईश्वर । २ शेषनाग । जगमनमोहणी-स्त्री० जमीन । जगन-देखो 'जिगन' । जगनराय-पृ० चंद्रमा । जगमाय-स्त्री० [सं० जगन्मान] जगत की माता, दुर्गा । जगनांमा-वि. विख्यात, प्रसिद्ध । जगमिरण-पु० सूर्य । जगनाती-पु० १ एक ही प्रकार का कपड़ा । २ छोटा जल जगमूरति-स्त्री० १ ईश्वर । २ विष्णु । पात्र । जगमोहरण (मोहन)-पृ० सं० जगन्मोहन] १ ईश्वर । २ विष्णु । जगनाथ-देखो 'जगन्नाथ' । ३ एक ही प्रकार की शराब । For Private And Personal Use Only Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जगय जगय-पु० [सं० यकृत] कलेजा। (जैन) जगारगो (बी)-क्रि० १ जागृत करना, जगाना । २ नींद से जगरंजण (न)-पु० ईश्वर। उठाना । ६ होश दिलाना । ४ ठीक दशा में लाना । जगर-देखो 'जिगर'। ५ प्रज्वलित करना । ६ विशेष तौर से तैयार करना । जगराणी-स्त्री० १ लक्ष्मी । २ दुर्गा । ३ सरस्वती। ७ देव को सिद्ध करना। ८ जागरण दिराना । जगराज-पु० १ चन्द्रमा । २ ऋषि, तपस्वी। जगात-स्त्री० [अ० जकात] १ दान, खैरात । २ कर, महसूल । जगराय (व)-पु० ईश्वर । शिव । जगातमा-स्त्री० [सं० यज्ञात्मा] विष्णु । जगराया-स्त्री० देवी, दुर्गा । | जगादीस-देखो 'जगदीस' । जगरौ-पु. १ प्राग की बड़ी लपट । २ शीघ्र प्रज्वलित होने | जगामग, (मगि, मगी)-देखो 'जगमग' । वाला, कचरा कूड़ा। जगार (रि, री)-पु० [सं० यज्ञारि राक्षस, असुर । जगलिंग-पु० [सं० यज्ञलिंग] श्रीकृष्ण का एक नाम । जगावरणौ (बो)-देखो 'जगाणी' (बी)। जगळ (ळांण)-पु० कोल्हू में अध कचरे तिल । | जगि (गी)-पु० [सं० यज्ञि, यजिः] १ यज्ञ की क्रिया । २ यज्ञ जगबंच-वि० संसार को धोखा देने वाला ठग, धूर्त । करने वाला । ३ यज्ञ । जगववरण (न)-पु० [सं० जगवंदन] ईश्वर ।। जगीस (सी)-स्त्री० १ इच्छा, अभिलाषा । २ जिज्ञासा । जगवलक-पु० याज्ञवल्क के पिता। ६ कीति, यश । ४ युद्ध । ५ ईश्वर । जगवारणी (बो)-क्रि० १ जगाने के लिये प्रेरित करना । जगु, जगू-देखो 'जग' । २ जागरण दिराना। ३ उत्साह दिलाना। ४ जलवाना, जगेसर (सुर, स्वर)-पु० [सं० यज्ञेश्वर] श्रीविष्णु । प्रज्वलित कराना। जग्ग-देखो 'जग' । जगवाराह-पु० विष्णु का एक नाम । जग्गीस-देखो 'जगीस' । जगवासग-पु० ईश्वर । जग्य, जग्यन-देखो 'यग्य' । जगवीरय-पु० विष्णु का एक नाम । जग्यामेनी-स्त्री० [सं० यज्ञसेनी] द्रौपदी। जगवेल-स्त्री० सोमलता। जम्योपवीत पु० [सं० यज्ञोपवीत] उपनयन संस्कार, जनेऊ। जगसंतोख-स्त्री० नदी। जघन्य-वि० [सं०] १ अंतिम । २ निकृष्ट, हेय । ३ नीच, दुष्ट । जगसत्र -पु० असुर, राक्षस । ४ गहित । ५ शूद्र । अगसाई (सामी)-पु० जगत का स्वामी, ईश्वर । जघन्यभ-पु० [सं०] छः नक्षत्र-पार्दा, प्रश्लेषा, स्वाति, ज्येष्ठा, जगसाखी-पु० [सं० जगत्साक्षी] सूर्य । भरणी और शतभिषा । जगसाधन-पु० विष्णु का एक नाम । जग-वि० [सं० जड़+अंग] मूर्ख, असभ्य, गंवार। जगसाधार-पु० विष्णु, ईश्वर । जड़-स्त्री० [सं० जड, जटा] १ किसी वृक्ष, पौधे, लतादि का जगसाळा-स्त्री० [सं० यज्ञशाला] यज्ञशाला । मूल, जड़ । २ नीव, बुनियाद । ३ मूल तत्त्व, मूल बात । जगसाळी-पु० [सं० जगण्यालक] वेश्या का भाई । ४ असली कारण । ५ सर्दी, शीतकाल । ६ ठण्डक । -वि० जगसास्त्र-पु० यज्ञ शास्त्र । • १ ठंण्डा, शीतल । २ निर्जीव, अचेतन । ३ गतिहीन, जगसूकर, जगसेन-पु० विष्णु। निश्चल । ४ मूढ़, मूर्व । ५ विवेक या ज्ञान शून्य । ६ सुन्न । जगसेव-पु० शिव। .. ७ गूगा, मूक। जगस्वामी-पु० ईश्वर, विष्णु । जड़करणी (बौ), जड़पकरणो (बौ)-क्रि० १ प्रहार करना । जगह-देखो जायगा'। २ मारना। ३ झटका देना। ४ फटकारना । जगहत्य (हय)-पु० दिग्विजय । -पत्र-पु० दिग्विजय का जड़ड़णी (बौ), जड़णौ (बो)-क्रि० [सं० जटन] १ कपाट बन्द चुनौती पत्र । करना, सटाना। २ नगीने आदि की जड़ाई करना, बैठाना। जगहरता-पु० ईश्वर, शिव । ३ प्रहार करना। ४ शस्त्र-कवच से सज्जित होना। ५ कान जगहेत-पु० ब्रह्मा। भरना, चुगली करना । ६ जमाना, स्थिर करना । ७ प्रविष्ठ जगहोता-पु० यज्ञ में देवताओं का आह्वान करने वाला। करना, जम कर रहना । ८ मजबूत बांधना, कसना । जगा-देखो 'जायगा'। ६ संश्लिष्ट होना । १० पतन होना, गिरना । जगचख-देखो 'जगचख'। जड़त-स्त्री० पच्चीकारी, जड़ाई । जगजोत (जोति)-स्त्री० जगमगाहट । जड़बंद-वि० समूल, जड़ सहित । For Private And Personal Use Only Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जड़ाई जटा जड़ाई-स्त्री० जड़ने का कार्य, इस कार्य का पारिश्रमिक । जजणी (बी)-क्रि० १ दान करना । २ उदारता दिखाना। जड़ाउ (अ)-वि० [सं० जटित] १ जड़ा हुआ। २ पच्चीकारी ३ यज्ञ करना । किया हुआ । जजमणी (बौ)-क्रि० शान्ति प्राप्त करना या होना। जड़ाकढ़-वि० समूल नष्ट करने वाला। जजमाण (मान)-पू० [सं० यजमान] १ यज्ञ करने वाला। जड़ाग-पु० १ आभूषण । २ पुत्र, बेटा । ३ घोड़ा । २ दान दक्षिणा देने वाला। ३ खातिरदारी करने वाला । जड़ाणी (बौ)-क्रि० १ कपाट बंद कराना, सटवाना । २ नगीने जजमानता (मांनी)-स्त्री. १ यजमान का धर्म या कार्य । आदि की जड़ाई कराना । ३ प्रहार कराना। ४ शस्त्र २ दान दक्षिणा। ३ खातिरदारी। कवच से सज्जित कराना। ५ जमवाना, स्थिर करवाना। जजमाणो (बी), जजमावणी (बी)-क्रि० सं० यजमानन] क्रोध ६ मजबूत बंधवाना, कसवाना । ७ संश्लिष्ट कराना। शांत कराना, धैर्य दिलाना । ८ पतन कराना, गिरवाना। जजरंग-पु०१ यमराज । २ वज्र। -वि० भयंकर । जड़ाव (वट)-पु. १ नगीना । २ जड़ाई का कार्य। ३ शिर के | जजर-पु०१ यमराज । २ वज्र । ३ देखो 'जरजर'। बालों का जूड़ा। जजरबौ-देखो 'जुजरबो' । जड़ावणो (बी)-देखो 'जड़ाणी' (बी)। जजराग (राट)-वि० १ भयंकर, डरावना । २ क्रुद्ध । जड़ित-वि० जड़ा हुआ। -पु० १ यमराज । २ वज्र । जड़िया-स्त्री० एक स्वर्णकार जाति । जजात (ति, तो)-पु० [सं० ययाति] यादव वंशी एक राजा । जड़ियाळ-वि० जिससे प्रहार किया जाय । जजायळ-स्त्री. ऊंट पर लाद कर चलाई जाने वाली जड़ियो-पु० १ प्राभूषणों में नगीने जड़ने वाला । २ जड़ाई का बड़ी बंदूक । कार्य करने वाला स्वर्णकार । ज़जार, जजाळ (लो)-पु० एक प्रकार की बड़ी बंदूक । जड़ी-स्त्री० पौधे या वनस्पति की जड़ जो औषधि में काम जजियो-पु० मुगलकालीन एक कर। प्राती हो। जजी-पु० यज्ञ । जड़ी-पु० घरेलु प्रशिक्षित पशु । जजुबेद, जजुरवेद-पु० [सं० यजुर्वेद] चार वेदों में से एक । जचणी (बी)-क्रि० १ जांच में पूरा उतरना। २ ठीक या जजुरवेदी-वि० उक्त वेद का ज्ञाता । उचित लगना। ३ ठीक बैठना । ४ शोभित होने की दशा | | जजुटवेय-देखो 'जजुरवेद' । में होना । ५ फबना । ६ कोई बात समझ में आना, किसी | जजेसर (स्वर)-पु० [सं० यक्षेश्वर] कुबेर । विचार का मन में निश्चय होना । जजोनी-पु० [सं० योनिज] किसी योनि विशेष का जीव । जचा-देखो 'जच्चा'। जज्जर-देखो 'जरजर'। जचाणो (बो), जचावणो (बौ)-क्रि० १ जांच में पूरा उतराना। जज्जरिय-वि० [सं० जर्जरित] जीर्ण-शीर्ण, पुराना । (जैन) २ ठीक या उचित लगवाना । ३ ठीक बैठाना। ४ शोभित जज्जीव-वि० [सं० यावज्जीव प्राणी मात्र । होने की दशा में करना। ५ फबाना। ६ कोई बात जन, जनक-देखो 'जजर'। समझाना, किसी विचार का मन में निश्चय कराना। जनजीव-पू०१यम । २ काल । ३ सिह । जच्च-वि० [सं० जात्य] १ स्वाभाविक । २ प्रधान, श्रेष्ठ । जबर-स्त्री०१ एक प्रकार की छोटी बन्दुक । २ देखो 'जरजर'। ३ सजातीय । जज्राट-देखो 'जजराग' । जच्चण्णिय-वि० [सं० जात्यान्वित] कुल में श्रेष्ठ, कुलीन : जच्चणी (बी)-देखो 'जचणी' (बी)। जझकरणी (बो)-देखो 'जिजकगो' (बी)। जच्चा-स्त्री० [फा०] प्रसूता स्त्री। जट-स्त्री. १ ऊंट व बकरी के बाल । २ देखो 'जटा' ----- गंगजच्चामां-स्त्री० एक मांगलिक लोक गीत । पु० शिव । -जूट-पु० जटा का समूह । -धर, धरण, जन्छ-देखो 'जक्ष'। धार, धारी-पु. शिव, महादेव । संन्यासी, फकीर ।-पंचजज-पु०१ कठोर बंधन । २ यज्ञ । ३ न्यायाधीश । ४ निर्णय ।। पु० जटाधारी सर्प । -वार-स्त्री० जाटों का समूह । जजक-देखो 'जिजक। जाटों का मुहल्ला । --संकरी-स्त्री० गंगा। जजकणी (बौ)-देखो 'जिजकरणो' (बी)। जटा-स्त्री० [सं०] १ शिर व दाढी-मूछ की केश राशि । जजटठळ-देखो 'जुधिष्ठिर' । २ अयाल । ३ उलझे हुए बाल । ४ नारियल के ऊपर की जजण-पु० [सं० यजन] यज्ञ । चोटी । ५ किमी प्रकार के रेशों की लटिका । ६ जुड़ा। For Private And Personal Use Only Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जटामासी ( ४४४ ) जणपय ७ जटामासी । ८ जड़ या मूल । -चीर-पु. शिव, | जठरि-देखो 'जउर'। महादेव । -जूट-पु. जटाओं का समूह । शिव की जठा-क्रि० वि० जहां, तहां, तत् । -प्रगनि='जठराग्नि' । जटा । -धर, धार, धारी-पु० शिव महादेव । संन्यासी, जठी (ठे, है)-क्रि० वि०१ जिस भोर, जिस तरफ । २ जहां, फकीर । एक भैरव। -माळी-पु० शिव । जिधर । ३ वहाँ । जटामासी-स्त्री० एक सुगंधित वनस्पनि विशेष । जडंबा-स्त्री० चौसठ योगिनियों में से एक । जटाय-देखो 'जटायु'। जड-देखो 'जड़' । जटायत-पु० शिव, महादेव । जडचर-पु० [सं० जडश्चर] ४९ क्षेत्रपालों में से एक । जटायु-पु० [सं० जटायु:] एक प्रसिद्ध गिद्ध । जडटोप-पु. शिरस्त्राण, टोप । जटायुज-पु० घोड़ा. अश्व । | जडणी (बौ)-क्रि०१ टिड्डी दल का घनी भूत होना । २ अधिक जटाळ (ळि, ळी, लौ)-पु० [सं० जटाल, जटाल:] १ शिव, या घना होना। ३ मोटा होना । ४ देखो 'जड़णी' (बी)। महादेव । २ जटाधारी व्यक्ति । ३ २४वां क्षेत्रपाल । जडता-स्त्री०१ मुटापा । २ देखो 'जड़ता। ४ वट वृक्ष । ५ ८८ ग्रहों में से ५३वां ग्रह । (जैन) | जडधर (धार, धारी)-पु० [सं० जटधर] १ शिव, महादेव । ६ जटा समूह । ७ शेर, सिंह । -वि० जटाधारी। २ कटारी, कृपाण । जटासुर-पु० एक राक्षस । जडभरत (भरतरी)-पु. एक पौराणिक राजा । जटि-पु० [सं० जटि:] १ जटाजूट । २ गूलर का वृक्ष । जड़लक (लग)-पु० १ तलवार । २ कटार, कृपाण । ३ जमाव । ४ शिव । ५ जटा। ६ वट वृक्ष । जडलगधी-स्त्री० कटारी। जटित-वि० जड़ा हुआ, जड़ित । जडलग-देखो 'जडलग'। जटियळ-पु० शिव। जडा-देखो 'जटा'। (जैन) -गि='जड़ाग'। -धर, धार, जटिया-स्त्री० १ चमारों की एक जाति । २ कुम्हारों की एक धारी='जटाधारी'। शाखा । जडाई-देखो 'जड़ाई'। जटिल-वि० [सं०] १पेचीदा, दुरूह । २ कर, दुष्ट । ३ परेशान जडाळी-स्त्री० कटारी, कृपारण । करने वाला । -पु० [सं० जटिल:] १ शेर, सिंह । जडि-देखो 'जटि'। २ बकरा । ३ ब्रह्मचारी। ४ शिव, महादेव । ५ फकीर। जडिल-देखो 'जटिल'। जटिला-स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मचारिणी। २ गौतमवंशीय एक जडीउ-देखो 'जड़ियों'। ऋषि की कन्या । जडौ-देखो 'जाडो'। जटी-वि० [सं०] १ जटाधारी । २ देखो 'जटि' । -क्रि० वि० जङ-पु० हाथी । (जैन) जहां, तहां। जड्डौ-देखो 'जाडो'। जटीपू-पु० [सं० धूर्जटि] शिव, महादेव । जण-स्त्री० १ जन्म, उत्पत्ति । २ संतान, पोलाद । ३ देखो जटेत, जटेल, जटेस, जटेसर, जटेस्वर, जटेल, जटस-पु० [सं० 'जन'। -वि० १ उत्पादक। २ सज्जन। -सर्व० जिस । जटा+ईश्वर] १ सिंह, शेर । २ शिव । ३ योद्धा, वीर । । क्रि० वि० जब । ४ जटाधारी। जरणअ-देखो 'जनक'। जट्ट-१ देखो 'जट' । २ देखो 'जटा'। ३ देखो 'जाट'। जणइ-वि० [सं० जननी] उत्पन्न करने वाली । (जैन) जट्टा-देखो 'जटा' । -क्रि० वि० उसी वक्त, तुरंत । जट्टाय-देखो 'जटायु'। जगइउ, जगईत्तर, जरणईत्त-पु० [सं० जनयितु] जनक, पिता। जट्टि (ट्टी, ट्ठी)-१ देखो जटि'। २ देखो 'जट' । जरणउ-१ देखो 'जण' । २ देखो 'जन' । ३ देखो 'जटी'। जणक-देखो 'जनक'। जठर-वि० [सं०] १ कठोर । २ दृढ़, मजबूत । ३ वृद्ध, बूढ़ा। जजण, जणज्जण-वि० प्रत्येक, हरेक । ४ निष्ट । -पू०१ उदर, पेट । २ मेदा, उदराग्नि । जणण-देखो 'जनन'। ३ कुक्षि, कोख । ४ गर्भाशय । ५ प्रान्तरिक भाग या जणणि (णी)-देखो 'जननी'। हिस्सा। -अगनि, अग्नि, अनल-स्त्री० अन्न पचाने वाली जणणी (बी)-क्रि० १ संतान को जन्म देना, प्रसव करना । पेट की अग्नि । २ जानना। जठराळ-देखो 'जठर'। | जणपय-देखो 'जनपद' । For Private And Personal Use Only Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जरगमिळ जथा जण मिळु पु० झुड, समूह, दल । जतळाणी (बौ), जतळावरणौ (बौ)-देखो 'जताणी' (बी)। जणवइ-देखो 'जनपति'। जतलौ-देखो 'जितरौ' (स्त्री०जतली)। जणवय-देखो 'जनपद'। जतारणौ (बो)-कि० १ शात कराना, जताना। २ बतलाना, जणवयकल्लाणिग्रा-स्त्री० जन पद कल्याणी, चक्रवर्ती राजा दिखाना । ३ प्रागाह करना। ___ की रानी। (जैन) जतालो-वि० [सं० यतवान] १ साहसी । २ ब्रह्मचारी। जणवा-स्त्री० सीरवियों की एक शाखा । जताव (वी)-पु. १ बतलाने का कार्य । २ प्रकट होने का भाव । जणां- क्रि० वि० जब । -पु. लोग, जन । ३ असर, प्रभाव। जणाणौ (बौ)-क्रि० १ प्रजनन कराना, प्रसव कराना । जतावरणौ (बौ)-देखो 'जतागो' (बो)। २ बतलाना, प्रकट कराना, जतलाना । जतिंद्र-देखो 'यती'द्र'। जणाव-पु० जानकारी, ज्ञान । जति-देखो 'जती'। जणावरसो (बौ)-देखो 'जणाणी' (बो) । जतिईस-पु० [सं० यतीश] १ यति । २ हनुमान । जरिण-स्त्री० [सं० जनि] १ माता, जननी। २ नारी, युवती । जतिचांद्रायण-पु० यतियों का एक व्रत विशेष । जणिपाणी-वि० प्रजनन करने वाली, माता । जती-पु० [सं० यति] १ जितेन्द्रिय एवं मोक्ष के लिये प्रयत्न जरिणया-स्त्री० [सं० यामिनी] रात्रि । शील व्यक्ति, विरक्त प्राणी । २ श्वेताम्बर जैन साधु । जरिणयार-पु० (स्त्री० जणियारी) १ राजा । २ उत्पादक । ३ योगी। ४ हनुमान । ५ लक्ष्मण । ६ संन्यासी, ऋषि । ३ पिता । ७ ब्रह्मा का एक पुत्र । ७ नहुष का एक पुत्र । ९ ब्रह्मचारी। जरिणयारी-स्त्री० माता, जन्मदात्री । १० रोक, अवरोध । ११ मनोविकार । १२ छप्पय छंद का जणियो-पु० १ पुत्र, बेटा । २ संतान । एक भेद । १३ अर्धविराम । १४ विधवा। -अव्य० यदि, जरणी-सर्व० १ उस । २ जिस। -क्रि० वि० १ जब । अगर। (जैन) २ देखो 'जगि' । जतीवाह-पु० गरुड़। जरणीता (ती)-स्त्री० जन्मदात्री, माता। जतीवती-वि० जितेन्द्रिय, वती । जरणीतौ-पु० पिता। जतु-पु०१ वृक्ष का गोंद । २ शिलाजीत । ३ लाख, लाक्षा। जम्मि -स्त्री० [सं० जनोमि] तरंग के समान मनुष्यों जतेंद्र-देखो 'जितेंद्रिय'। ___की पंक्ति। जतेक-वि० जितने। जणे (ण)-क्रि० वि० जब । जते जते-क्रि० वि० जब तक, तब तक । जणेता-स्त्री० माता। जत्त-देखो 'जत'। जणी-पु० [सं० जनक, जनितः] १ पिता । २ जन । जत्ता-स्त्री० [सं० यात्रा] प्रयाण, यात्रा । (जैन) -भयग्र, जण्ण-पु० [सं० यज्ञ] १ यज्ञ । २ इष्टदेव की पूजा । मयग-पु० यात्रा में साथ रहने वाला नौकर। -सिद्ध-पु. ३ देखो 'जन'। बारह वार समुद्र की यात्रा किया हुमा व्यक्ति। जण्ह-अव्य० जहां, जिसलिये । (जैन) जत्तिय-वि० [सं०यावत्] जितना। (जैन) जण्हवी-स्त्री० [सं० जाह्नवी] गंगा, भागीरथी । जत्ती-देखो 'जती'। जतंद्र, जतंद्रीयौ-देखो 'जितेंद्रिय' । जत्ते-क्रि० वि० जब तक । जत-पु० [सं० यतित्व] १ जितेन्द्रिय होने की दशा । २ शील, जत्ती-प्रव्य० [सं० यतस् ] जहां । (जैन) सतीत्व । ३ जन्म । ४ एक मुसलमान कौम । -धार-पू० जत्य, जत्यो-पु० [सं० यूथ] १ समूह, झुण्ड । २ गिरोह । हनुमान, जितेन्द्रिय । __-क्रि० वि० [सं० यत्र] जहां । जतन (नां, नि, नी)-पु० [सं० यत्न] १ प्रयत्न, कोशिश । | जत्र-क्रि० वि० [सं० यत्र] जहां, जहां पर । -पु. नाश संहार । २ उपाय। ३ साधन, व्यवस्था। ४ रक्षा, हिफाजत । जत्रकत्र-पु० नाश, संहार । ५ प्रबंध । ६ प्रादर, सत्कार । ७ प्रमाण, पुष्टि ।। जया-अव्य० [सं० यथा] जिस प्रकार, जैसे, ज्यों । -स्त्री० -क्रि० वि० लिए, वास्ते । १ डिंगल गीत रचना की एक विधि । २ एक प्रकार जतराव-वि० जितेन्द्रिय । का शब्दालंकार । ३ मंडली. समूह । ४ पूजी, संपत्ति । जतरे (1)-क्रि० वि० तब तक, जितने । ५ सत्य, सच्चाई । ६ यथा । -क्रम-क्रि० वि० क्रमशः, जतरौ-देखो 'जितरौ' (स्त्री० जतरी)। तरतीववार । ---जय-अव्य० यथातथ्य, ज्यों का त्यों। For Private And Personal Use Only Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नभो जद क्रि० वि० [ सं यदा] १ जब । २ देखो 'जादव' । -- जात वि० मंद बुद्धि मूर्ख, सुस्त, काहिल -जोग, atra - प्रव्य० यथायोग्य, उपयुक्त । - तथ, तथि - अव्य० ज्यों का त्यों । - वि० सत्य । —नियम- क्रि०वि० नियमानुसार । न्याय-अन्य यथान्याय। —रत, रथ - वि० यथार्थ सही । -अव्य० ज्यों का त्यों । - विधि प्रव्य० विधि पूर्वक । ---- संभब - श्रव्य० जहाँ तक हो सके। —सकती, सक्ति, सगती प्रव्य० सामर्थ्य के अनुसार । सम-श्रव्य० ठीक समय । -स्थान ग्रध्य० निश्चित स्थान पर । जथौ देखो 'जत्थो' । अवपत पु० [० यादवपति]] श्रीकृष्ण जबधि (पी)- क्रि० वि० [सं० यद्यपि] अगरचे यद्यपि जदरय पु० जयद्रथ । जव पृ० [सं० यदुराज] श्रीकृष्ण। जवंस देखो 'दुस अवि (बी०वि० [सं० यदि १ ज २ ग जदीक क्रि० वि० जब भी । पति-पु० श्रीकृष्ण पाल पु० श्रीकृष्ण पुत्र डू) पु० [सं०] यदु] १ राजा ययाति के सबसे बड़े २ यदुवंशी यादव । ३ श्रीकृष्ण । कुळ- पु० यदु का वश । --णंवरण, नंवरण, नंदन- पु० श्रीकृष्ण । नाथ, पत, । । पुर-१० रांम पु० बलराम । -राई, राज, राय वंस पु० यदुराजा का वंश वर, वीर पु० श्रीकृष्ण । मथुरा नगरी। । - पु० श्रीकृष्ण पु० यादव, श्रीकृष्ण । जशी क्रि० वि० जबसे । www. kobatirth.org ( ४४६ जहब देखी 'जादव | जये (वेद) देखो 'जद' | 1 महवि० [फा०] ज्यादा १ अधिक ज्यादा २ प्रचंड बलवान 1 ३ देखो 'जद' । ४ देखो 'जिद्द' | ० यादव वंश का, यादव वंश संबंधी । जहांणी- वि० न शंख देखो 'अगं'। १७ (ई) देखी। होती देखो 'जहांणी' । जद्यपि - क्रि० वि० [सं० यद्यपि ] अगरचे, यद्यपि । जनकेस - पु० राजा जनक | जनंगम - पु० [सं०] भंगी, चांडाल । जन- पु० [सं०] १ लोक, लोग, मनुष्य । २ प्राणी, जीव । ) । ३ प्रजा, रय्यत । ४ व्यक्ति, गरण, संसार, दुनिया ५ श्रनुयायी, दास । ६ झुण्ड समूह । ७ भक्तगण । ९ जन्म, उत्पत्ति । १० संतान, श्रीलाद । ११ सात लोकों में से एक । १२ एक राक्षस का नाम । वि० १ उत्पादक, - वंसी। - - -- Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्पन्न करने वाला । २ सज्जन । सर्व० जिस । - क्रि० वि० जब । जन- पु० [सं० जनक] पिता (जैन) जनक ( क ) - पु० [सं०] १ जन्म दाता, पिता । २ उत्पादक । ३ मिथिला के राजा निमि के पुत्र एक तस्व-ज्ञानी राजा । -वि० योग्य । - नंदिरणी-स्त्री० सीता । - महेस - पु० ब्रह्मा । जनकता - स्त्री० ० उत्पादक शक्ति । जनमेज जनकांगी - स्त्री० सीता, जानकी। वि० जनक के वंश का या बंश संबंधी । जनखी पु० [फा०] हिजड़ा । जनघर - पु० [सं० जनगृह ] १ मंडप । २ विश्राम स्थल | जनचक्ष, (ख) पु० [सं०] १ सूर्य । २ मनु । जनचरचा स्त्री० लोकवाद । जनता स्त्री० [सं०] १ जन समूह । २ प्रजा । ३ उत्पत्ति । ४ मानव जाति । जनन - देखो 'जागरण' । जननी- देखो 'जरगरणी' । जनपद-पु० [सं०] १ देश, प्रदेश २ जनता, प्रजा । ३ राज्य । ४ लोक, जाति । ५ नगरी । ६ मानव जाति । जनपाल-पु० राजा । जनमंतर (रि) पु० [सं० जन्मान्तर] दूसरा जन्म जनमंच (गंध) वि० [सं० जन्मांध ] जो जन्म से ही धंधा हो, जन्मांध । । - जनम पु० [सं० जन्म] १ उत्पत्ति पैदाइश २ उदय प्राविर्भाव । ३ निकास, उद्गम ४ सृष्टि ५ जीवन परितत्व ७ जन्म कुंडली का एक लग्न । - श्राठम-स्त्री० भादव कृष्णा भ्रष्टमी । - गांठ स्त्री० जन्मदिन । घूंटी स्त्री० बच्चे के जन्म पर दी जानी घूंटी तंत्र- पु० जन्म पत्री । -दिन- पु० ० प्रति वर्ष आने वाली जन्म की तिथि धरती भोम स्वी० जन्म भूमि मातृभूमि - संघाती- पु० जन्म भर साथ रहने वाला साथी । । जनमरणौ (बौ) - क्रि० १ जन्म लेना, पैदा होना । निकास For Private And Personal Use Only - | होना, उद्गम होना । ३ सृष्टि होना । ४ अस्तित्व में आना । जन्म-मरण-मेट १० मौ० ईश्वर परमात्मा त-पु० जनमांत पु० [सं० जन्मांत] १ जीवन, जिंदगी | २ जन्मान्तर । जनमाला (बौ) - क्रि० प्रसव कराना, उत्पन्न कराना । जनमेज, जनमेजय, जनमेजे- पु० [सं० जन्मेजय ] १ परीक्षित का पुत्र एक राजा । २ नीप का वंशज एक कुल घातक राजा । ३ राजा कुरु का पुत्र एक चंद्रवंशी राजा । ४ प्रविक्षित् का वंशज एक राजा । ५ एक नाग विशेष । ६ राजा कुरु का पुत्र एक अन्य राजा । ७ विष्णु । Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जनमोजनम । ४४७ ) जन्मेस जनमोजनम-प्रव्य० जन्म-जन्म तक । जनमणी-स्त्री० शरीर का श्याम, लाल व चिकना भाग जो जनम्म-देखो 'जनम'। जन्म के समय होता है। जनम्मरणौ (बो)-देखो 'जनमणो' (बी) । . जनेंद्र-पु० [सं०] राजा, नप । जनयंती, (त्री)-स्त्री० [सं० जनयित्री] माता, जननी । जनेऊ-पु० १ यज्ञोपवीत, उपनयन संस्कार । २ इस संस्कार जनयता-पु० [सं० जनयितु] पिता, जनक । के उपरांत शरीर पर धारण किया जाने वाला धागा। जनया-स्त्री० [सं० जन्या] रात्रि । ३ जनेऊ की तरह का एक स्वर्णाभूषगा । ४ यज्ञोपवीत जनरव-पु० [सं०] १ जनश्रुति । २ लोक निंदा। ३ शोर, पहनने के स्थान पर होने वाला रक्त विकार । -उतार,कट कोलाहल । बढ़, बाढ़, वढ़-पु० कंधे से कमर तक तिरछा निकलने वाला जनलोक-पु० सात लोकों में से पांचवां लोक । तलवार का वार, प्रहार । जनवास-पु० १ सार्वजनिक निवासस्थान, विश्रामस्थल । जनेत जनेता-स्त्री० [सं० जनयित्री माता । २ सभा। ३ देखो 'जांनीवासो' । जनेती देखो 'जांनेती'। जनवासौ-देखो 'जांनीवासौ' । जनेब-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । जनसंख्या-स्त्री० [सं०] किसी देश या राज्य के निवासियों की जनेसर(स्वर)-पु० [सं० जनेश्वर १ जितेन्द्रिय । २ विष्णु । संख्या, याबादी। । ३ सूर्य । ४ कुबेर । ५ बुद्ध । जनस-देखो 'जिनस'। जनोई-देखो 'जनेऊ'। जनस ति, (ती)-स्त्री० [सं० जनश्र ति] १ अफवाह । २ लोको जनौ-पु० तलवार की मूठ का एक भाग । पवाद । ३ किंवदंती। जन्न-पु० यज्ञ । (जैन) जनहरण-पु० [सं०] दण्डकवृत्त का एक नाम । जन्नक-देखो 'जनक' । जनां-सर्व जिस । जन्नट्ठी-वि० यज्ञ की इच्छा रखने वाला। (जैन) जनांनखांनौ-पु० [फा०] रनिवास । जन्नत-स्त्री० [अ०] स्वर्ग । जनांनीड्योढ़ी-स्त्री० १ रनिवास । २ रनिवास का द्वार। जन्नवाइ-पु० यज्ञवादी । (जैन) जनांनो-वि० [फा०जनान] १ नामर्द, नपुंसक । २ डरपोक, जन्नवाड-पु० यज्ञवाट । (जैन) कायर । ३ स्त्रियों की तरह आचरण करने वाला । -स्त्री० जन्नसिट्ट-पु० प्राध्यात्मिक यज्ञ । (जैन) १ स्त्री, औरत । २ स्त्री समाज । ३ रानियों का दरबार । जन्नारजन-देखो 'जनारजन'। जनाख (खि)-पु० [फा० जनख] ठोडी, चिबुक । जन्म-देखो 'जनम'। -अष्टमी= 'जनमाठम' । जनाजौ-पु० [फा०] १ शव । २ अर्थी । जन्मकील-पु० जन्म-मरण मिटाने वाला, विष्णु । जनाव-पु० देश, राष्ट्र। जन्मकुडळी-स्त्री० जन्म के समय के ग्रहों का पता लगाने जनारजन, जनारदन-पु० [सं० जनार्दन] १ विष्णु, ईश्वर । वाला चक्र । २ श्रीकृष्ण । जन्मऋत-पु० [सं०] माता-पिता। जनावर-देखो जानवर'। जन्मग्रहरण-पु० [सं०] उत्पत्ति । जनि-अव्य निषेध सूचक शब्द 'नहीं' । जन्मणौ (बी)-देखो 'जनमणो' (बौ) । जनित्री-स्त्री० [सं० जनित्रि, जनित] १ माता, जननी । जन्मतिथि-स्त्री० जन्म का दिन । २ पिता। जन्मप, (पति)-पु० [सं०] जन्म की राशि का स्वामी । मनी-स्त्री० [सं०जनि] १ माता, जननी। २ दासी, सेविका । जन्मपत्र (पत्री)-पु० [सं०] जन्म का समय, राशि व लग्नादि ३ देखो 'जनि'। के विवरण का पत्रक । जनीयित-पु० [सं० जनयित] पिता । जन्मप्रहार-पु० जन्म-मरण, प्राबागमन । जन्मभूमि (भौम)-देखो 'जनमभूमि' । जनु-प्रव्य० मानो। जन्मांत, जन्मांतर-पु० [सं०] दुसरा जन्म । जनुख-पु० [सं० जनुम्] जन्म, उत्पत्ति । जन्माधिप-पु० [सं०] १ शिव का एक नाम । २ जन्म लग्न का जनुवी-स्त्री० तलवार । स्वामी। ३ जन्म राशि का स्वामी । जनून-पु० [अ०] पागलपन, उन्माद । जन्मास्टमी-देखो 'जनमाठम' । जनुनी-वि० [१०] १ पागल । २ देखो 'जाणी' । जन्मेस-पु० [सं० जन्मेश] जन्म राशि का स्वामी । For Private And Personal Use Only Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४४८ ) जन्य-पु० [सं०] १ साधारण मनुष्य, जन । २ राष्ट्र । ३ पुत्र । जबरन-क्रि० वि० [अ० जनन] बलात्, हठात्, दबाव डाल कर। ४ पिता । ५ बराती। ६ जन्म । ७ मित्र । ८ किंवदन्ती । । मजबूर करके, अनीच्छा से । ६ उत्पत्ति, सृष्टि । १० शरीर । -वि० १ उत्पन्न हुमा, जबराई-स्त्री० [अ०] १ ज्यादती, अन्याय । २ सख्ती। पैदा हुआ। २ किसी कुल या वंश संबंधी । ३ ग्रामीण, | ३ जबरदस्ती, जोरावरी । गंवारू । ४ राष्ट्रीय । ५ योग्य, अनुरूप । जबरायल, (येल)-वि० शक्तिशाली, जबरदस्त । जन्ह-देखो 'जहनु' । जबरी-स्त्री. १ ज्यादती, अन्याय । २ कष्टप्रद कार्य । जन्हवी-स्त्री० [सं० जाह्नवी] गंगा । ३ जबरदस्ती। जप-पु० [सं०] १ किसी नाम, मंत्र या श्लोक का बारबार किया जबरेल (रेल)-देखो 'जबरायल' । जाने वाला उच्चारण । रट, पाठ । २ स्मरण, याद । जबरोड़ो, जबरौ-देखो 'जबर'। (स्त्री० जबरोड़ी, जबरी) ३ सेवा, बंदगी । ४ साधना । --जाप-पु० साधना, मंत्र | जबळ-पु० [अ० जबल] पहाड़, पर्वत । पाट, जप-तप । | जबह-देखो “जिबह। जपणी-स्त्री० १ जप करने की माला । २ ऐसी माला रखने की जबां, जबांन-स्त्री. १ जिह्वा, जीभ । २ वाणी, बोली। थैली । -वि० जप-जाप करने वाला । ३ वचन, शब्द । ४ वादा, संकल्प, प्रतिज्ञा । ५ वाचालता, जपणो (बौ)-क्रि० [सं० जप्] १ किसी नाम, मंत्र या श्लोक तर्क-वितर्क । ६ बहस । को बार-बार जपना, रटना, पढ़ना । २ स्मरण करना जबांनी-वि० [फा०] १ मौखिक, मुख से कहा हुआ । २ कंठस्थ । याद करना। ३ सेवा करना, बंदगी करना । ४ साधना ३ जो हर समम याद रहे, जबान पर रहे । करना । ५ कथना, कहना। ६ नींद लेना, झपकी लेना । जबाड़ी-पु० [सं० भ] मुह का दाढ़ों वाला भाग । " शांत होना । जबाध-स्त्री० एक प्रकार का सुगंधित पदार्थ विशेष । जपत-देखो 'जब्त' । | जबाब-पु० [अ०] १ उत्तर । २ बदला। ३ मनाही, इन्कार । जपतप-सं०पु० [सं०] पूजा-पाठ, संध्या वंदन, तपस्या । ४ जोड़, बराबरी । -तळब-पु० पूछताछ, समाधान । जपता-स्त्री० जटा । -दावी-पु० अदालत में प्रतिवादी का प्रत्युत्तर । -देह जपा-स्त्री० [सं०] गुलाब का फूल या पौधा, अड़हुल । -वि० उत्तरदाई, जिम्मेदार। -देही-स्त्री० जिम्मेदारी, जपाणी (बो)-क्रि० जप कराना, पाठ कराना, रट लगवाना, उत्तरदायित्व । --सवाल-पु० प्रश्नोत्तर, पूछताछ, बहस । जपने के लिये प्रेरित करना । जबाबी-वि०१ जबाब के लिये किया गया । २ जबाब संबंधी । जपियौ-वि० जप करने वाला । जबाबू-देखो 'जबाव' । जप्त-देखो 'जब्त'। जबुफळ-पु० एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा । जफरतकिया-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । जबून-वि० [फा० जबून] बुरा, खराब, नीच । जब-कि०वि० जिस समय । जबेह-देखो 'जिबह' । जबक-स्त्री० चोट, मार । जबोड़, जबोड़ो-पु० १ प्रहार, चोट । २ देखो 'जबाड़ो' । जबड़ो-देखो 'जबाड़ी' । जब्त-पु० [अं०] १ शासन द्वारा किसी वस्तु या संपत्ति का जबत-देखो 'जब्त' । बलात् हरण, कब्जे में लेने का कार्य या भाव । २ प्रबंध, जबरंग-वि. जबरदस्त । निगरानी। ३ सहनशीलता। -वि० अधिकार में, काबू में। जबर-वि० [अ०] (स्त्री० जबरी) १ बलवान, शक्तिशाली, | जन्ती-स्त्री० [अ०] जन्त होने की क्रिया । शूरवीर । २ क्रूर, आततायी । ३ प्रबल । ४ तीव्र, तेज। जब्ब-देखो 'जब' । ५ अधिक । ६ भयंकर । ७ बढ़िया, श्रेष्ठ । ८ महान् । जब्बर-देखो 'जबर' । जबरई-देखो 'जबराई'। जम्बू-देखो 'जबून'। जबरजगनाळी-स्त्री० एक प्रकार की तोप । जबन-देखो 'जबरन'। जबरण जबरणां-क्रि० वि० [अ० जबन] जबरदस्ती, बलात् । जभे-देखो "जिबह' । जबरबस्त-बि० [अ०] १ शुरवीर, बलवान, शक्तिशाली ।जमंद-पु० जामूनी रंग का घोडा । २ भयंकर । ३ ऋर, जुल्मी । जमंधर-देखो 'जमधर' ।। जबरदस्ती-स्त्रीअ.] १ ज्यादती, अन्याय, अत्याचार । | जम-पु० [सं० यम] १ एक साथ पैदा होने वाले बच्चों का २ प्रबलता । ३ जोरावरी। -क्रि० वि० बल पूर्वक, बलात् जोड़ा, यमज । २ दक्षिण दिशा का दिकपाल और मृत्यु का For Private And Personal Use Only Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जमक जमला देवता। ३ मन व इंद्रिय का निग्रह । ४ मन को धर्म की जमतात-पु० [सं० यमतात] सूर्य । ओर उन्मुख रखने का साधन, योग के आठ अंगों में से एक। जमदंत-पु० [सं० यमद्रष्ट] प्राण घातक वस्तु । ५ कौवा । ६ शनिश्चर । ७ विष्णु । ८ वायु । ९ यमराज, | जमदढ, जमदढ्ढ (वढ्ढा)--देखो 'ज़मडड' । १० दो की संख्या। -वि. अन्धा । -क्रि०वि० जैसे । जमदास--पु० यमदूत ।। जमक-देखो 'यमक' । जमदिस (दिसा)-स्त्री० [सं० यमदिशा] दक्षिण दिशा । जमकात, जमकातर-पु० १ मंवर । २ यम का खांडा। ३ एक | जमदूत-पु० [सं० यमदूत] यम का दूत । प्रकार की छोटी तलवार । जमदेवता-पु० १ यमराज । २ भरणी नक्षत्र । जमग-पु० [सं० यमक] १ देव कुरु । २ उत्तर कुरुक्षेत्र के एक जमद्दढ़, (द्दाढ़)-देखो 'जमडड' । पर्वत का नाम । ३ एक पक्षी विशेष। जमद्वार-पु० यमलोक का द्वार । जमघंट-पु० [सं० यमघंट] १ यमराज का घंटा। २ दीपावली जमधर-पु० कटारीनुमा एक शस्त्र । का दूसरा दिन । ३ देखो 'जमघंटजोग' । जमन-पु० १ यवन । २ जमुना। --भ्रात-पु० यमराज।। जमघंटजोग (योग)-पु० [सं० यमघंटयोग] शास्त्रोक्त एक | जमना-स्त्री० [सं० यमुना] १ उत्तर भारत की एक बड़ी नदी । अशुभ मुहूर्त विशेष । २ दुर्गा, देवी । ३ संज्ञा के गर्भ से उत्पन्न सूर्य की एक पुत्री। जमघट (ह)-पु० १ मनुष्यों की भीड़ । २ जमाव । ३ एकत्री- ४ यम की बहन, यमी। करण । ४ समूह । जमनायण-पु० मुसलमान । जमड़ी-देखो 'जमी' । जमनाह-पू० यमराज। जमचक्र-पु० [सं० यमचक्र] यमराज का शस्त्र । जमनि (नी)-पु. १ एक बहुमुल्य पत्थर, रत्न । २ देखो जमज-पु. एक साथ जन्मे बच्चों का युग्म । 'जमना' । जमजनक-पु० [सं० यमजनक] सूर्य । जमनोतरी-स्त्री० गढ़वाल के पास का एक पर्वत । जमजाळ-पु० १ यम का फंदा, यमपाश । २ वीर, योद्धा । ३ एक जमन्ना-देखो 'जमना'। प्रकार की छोटी तोप, बन्दूक । जमपास-स्त्री० [सं० यमपाश] यमपाश, मृत्यु का बंधन । जमझमा-स्त्री० तार वाद्यों को बजाने की एक क्रिया । जमपिता-पु० सूर्य । जमझाळ-देखो 'जमजाळ' । जमपुर (पुरी)-पु० १ यमलोक । २ नरक । -स्यांम-पु० जमउंड (डो)-पु० १ यमराज द्वारा प्रदत्त दण्ड । २ यमराज यमराज । का डंडा । जमबाहण-पु० [सं० यम-वाहन] भैसा । जमडड (उड्ड, डढ़, उढ़ा, डड्ढ)-स्त्री० [सं० यमद्रंष्ट्रा] १ कृपारण। जमबीज-स्त्री० [सं० यम-द्वितीया] १ चैत्र मास के कृष्ण पक्ष २ कटार । की द्वितीया । २ कात्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया । जमडांग (डारणी)-पु० यमदूत । जममगनी-स्त्री० [सं० यमभगिनी] यमुना । जमडाड (डाढ़)-देखो 'जमडड' । जमया-स्त्री० [सं० यमया] नक्षत्र संबंधी एक योग । जमडाढ़ाळ-वि० यमराज के समान वीर, योद्धा । जमरथ-पु० [सं० यमरथ] भैसा। जमरण, जमरणा-देखो 'जमना' । जमरांण (णौ), जमराउ (राज. राव)-पु० [सं० यमराज] जमणवार-देखो 'जीमणवार' । १ मृत्यु के देवता, यम, काल । २ भृगु ऋषि । ३ योद्धा, जमणिका-देखो 'जवनिका'। वीर। -पिता-पु० सूर्य । जमणिया-स्त्री० [सं० जमनिका] साधुओं का एक उपकरण जमरूद-पु० एक प्रकार का फल । विशेष (जैन) । जमरूप-पु० कटार। जमणी-देखो 'जमना' । जमरौ-देखो 'जमराण' । जमणी (बी)-कि० १ पानी का बर्फ होना। २ द्रव पदार्थ का जमल (उ)-वि० [सं० यमल] १ युग्म, जोड़ा। २ दुमग। ठोस वनना । ३ दृढ़ता पूर्वक बैठना । ४ निश्चित होकर बैठ ३ साथ । जाना । ५ एकत्र, जमा होना । ६ दूध का दही होना । जमलज्जुणभंजग-पु० [सं० यमलार्जुनभंजक श्रीकृष्ण । ७ चोट लगना । ८ अभ्यस्त होना, दक्ष होना। ९ टिकना, जमलपय-पु० [सं० यमलपद] आठ-पाठ का एक जत्था । (जैन) ठहरना। १० उचित प्रबंध होना। ११ घोड़े का टुमक- जमला-क्रि० वि० [सं॰यमल] एक साथ, एक मुश्त । तुमक चलना। जमला-स्त्री० [सं० यमला] एक प्रकार का हिक्का रोग । For Private And Personal Use Only Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जमलारजुल www.kobatirth.org जमल जमली (खु) देखो 'मला' जमलो ० [सं०] लौकिक ] यमलोकवासी देवता । जमलोक ० [सं०] यमलोक] १ यमपुरी २ नरक । जमवांन देखो 'जवान' | ( ४५० ) जमत्रारण (न) - पु० [सं० यमलार्जुन] गोकुल स्थित दो न | जमाती (बी) क्रि० १ पानी का बर्फ करना । २ द्रव पदार्थ वृक्ष विशेष । को ठोस बनाना । ३ हढ़ता पूर्वक बैठाना । ४ ठीक व्यवस्था करना । ५ अपने अधिकार या प्रभुत्व में करना । ६ एकत्र या इकट्ठा करना । ७ दूध में छाछ मिलाकर दही बनाना । ८ चोट लगाना, श्राघात करना । श्रभ्यास करना, हाथ साफ करना । १० डट कर खाना । ११ अच्छी तरह से कार्य संचालन करना । १२ घोड़े का ठुमक ठुमक चलना । १३ प्रयोग या सेवन करना । जमात स्त्री० [० जमाचत] १ बहुत से व्यक्तियों का गिरोह जत्था । २ सेना, फौज । ३ साधुग्रों की मंडली । ४ कक्षा, दर्जा, वर्ग । -दार 'जमादार' | जयवार स्त्री० [सं० यम- बेला] १ मृत्यु का समय अवसान - 7 काल । २ जीवन | जमहार - पु० जवाहरात | जमानत स्त्री० [० जमानत] उपस्थिति तथा कर्जदार के जिम्मेदारी । नामौ पु० जाने वाला पत्र | जमानती - वि० जमानत देने वाला, जामिन । जमवारउ, जमवा' (वारी) - देखो 'जमारी' | जवाण-देखो जमवाहण' । जमसाव- पु० [सं० यम-साद] प्रिय की मृत्यु पर किया जाने वाला रुदन । जमहंता वि० [सं०] महंतु] काल का विनाश करने वाला। [० सफेद पांव व काले शरीर वाला घोड़ा । जमहनक - पु० जमहर पु० [सं० जन्म-हर] यमराज | २ चिता । ३ जीहर जमानाबाज ( साज) - वि० अवसरवादी । जमांनासाजी स्त्री० अवसरवादिता । किसी अपराधी की अदालत में चुकारे के प्रति ली जाने वाली उक्त कार्यों के प्रति लिखा जमनी पृ० [० जमानः] १ समय, वक्त, काल २ फसल, पैदावार ३ संसार, दुनिया । ४ वर्षे, साल जमारत देखो जुमेरात' । 1 जमा वि० [अ०] १ एकत्र इकट्ठा, संग्रहीत। २ अमानत के तौर पर रखा हुआ । ३ प्राप्त किया हुआ । स्त्री० १ मूल धन, पूंजी | २ रुपया, धन । ३ मालगुजारी, लगान । ४ योग. जोड़ । ५ श्राय, श्रमदनी । ६ श्राय लिखने का बही का भाग ७ यमुना नदी । ६ यम लोकपाल की राजधानी । १० ८ । दक्षिण दिशा यमराज । - । जमा (ई) पु० [सं०] जामातृ] १ दामाद जामाता २ एक लोक गीत विशेष । ३ जमाने की क्रिया । ४ इस कार्य की मजदूरी | जमाउ- वि० ० १ अविचल निश्चल । २ अटल । जमाखरच पु० प्राय-व्यय । जमाखातर (री) जमावातिर स्त्री० [० स्वातिरजमा ] इतमिनान, तसल्ली । जमाज - पु० [सं० यमाद ] ऊंट । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जमाव जमाता- पु० जवांई, जामाता । जमातात - पु० [सं० यमुना-तात] सूर्य, रवि । जमाति (ती) - वि० जमात में रहने वाला । पु० १ जमाता । २ देखो 'जमात' | जमाद देवो 'जमान' | जमादार पु० [फा०] १ कुछ सिपाहियों का प्रधान। २ बड़ा सिपाही । ३ पहरेदार | ४ नगरपालिका का एक कर्मचारी । जमादारी - स्त्री० [फा०] १ जमादार का कार्य । २ जमादार का पद । जमापिता-पु० यमुना पिता, सूर्य जमाबंदी स्त्री० १ कई व्यक्तियों द्वारा एक ही स्थान पर जमा कराई हुई रकम । २ लगान संबंधी, पटवारी का एक प्रपत्र । जमामेवण-देखो 'जमुनाभेदी' । जमामरद - देखो 'जवांमरद' । जमायत-देखो 'जमात' । जमार, जमारइ, जमारउ-देखो जमारो' । जमारी पु० [सं० बमारि] विष्णु। जमारीक पु० जीवनधारी प्राणी । जमारी पु० [सं० जन्म कार] जीवन जिन्दगी २धायु ३ जन्म । ४ योनी, जूण । जमालगोटी (छोटी) पु० १ एक पौधे का बीज जो दस्तावर होता है । २ दन्ती पेड़ का फल । For Private And Personal Use Only जमालि पु० [सं०] महावीर स्वामी के दामाद का नाम । जमाव (ड़ौ, वट ) - पु० १ जमाने की क्रिया या भाव। २ हुकूमत या शासन जमाने का भाव । ३ गोष्ठी । ४ जमघट, भीड़ । ५ पड़ाव, देश । ६ जमा होने की क्रिया या भाव। ७ संग्रह एकत्रीकरण दूध का जावरण । ६ एक उदर विकार । १० टिकाव । 3 Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जमावणियो ( ४५१ ) जयरट्ठ जमावणियो (गो)-पु. दूध जमाने का पात्र । -वि० जम्मभूमि-स्त्री० [सं० जन्मभूमि मातृ भूमि । जमाने वाला। जम्मरांग-देखो 'जमराज' । जमावणी (बौ)-देखो 'जमाणौ' (बी)। जम्मा-स्त्री० [सं० याम्या] दक्षिण दिशा । जमियत-देखो जमीयत' । जम्माइ (६)-देखो 'जमाई। जमी-देखो 'जमीन'। जम्मात-देखो 'जमात'। जमींदार-देखो 'जमीदार'। जम्मारौ-देखो 'जमागे'। जमी-स्त्री० [सं० यमी] १ यमुना नदी। २ जमीन । जम्मी-देखो 'जमीन'। जमीकंद-पु० एक प्रकार का कंद, सूरन । जम्मु-१ देखो 'जनम' । २ देखो 'जंबु' । जमीक, जमीकरवत-पु० ऊंट। जम्मुना-देखो 'जमना। जमीत-देखो 'जमीयत' । जम्मौ-देखो 'जुमा। जमीर्थम-पु० १ योद्धा, वीर । २ राजा । जयंत-पु. [सं०] १ एक रुद्र । २ इन्द्र के एक पुत्र का नाम जमीदार-पु० [फा०] भू-स्वामी, जमीन का मालिक । ३ संगीत में एक ताल । ४ स्वामि कात्तिकेय, स्कंद । जमीदारी-स्त्री० [फा०] १ जमीदार की जमीन । २ जमीदार | ५ अक्रूर के पिता का नाम । ६ भीम का एक नामान्तर । का हक। ७ दशरथ का एक मंत्री । ८ एक पहाड़ । ९ यात्रा का एक जमीदोज (दोट)-वि० [फा०] १ जमीन के बराबर, समतल ।। योग । १० जम्मूद्वीप का पश्चिमी द्वार। ११ शिव । २ जमीन के अन्दर । ३ नष्ट, ध्वस्त । १२ चंद्रमा। १३ एक जैन मुनि । १४ रुचक पर्वत का जमीन-स्त्री० [फा०] १ पृथ्वी, भूमि। २ पृथ्वी की ऊपरी एक शिखरं । -पत्र-पु० अश्वमेधीय अश्व के ललाट सतह । ३ कृषि भूमि । ४ मैदान । ५ भू-भाग । ६ कपड़े पर बांधा जाने वाला पत्र । या कागज की ऊपरी सतह । -भरतार-पु. पृथ्वीपति | जयंता (ती)-स्त्री० [सं० जयंती] १ ध्वजा, पताका । राजा । जमीदार। २ विजयिनी । ३ इन्द्र पुत्री । ४ दुर्गा का नाम । जमीयत (रत)-स्त्री० [अ० जमईयत] सेना, फौज । ५ पार्वती । ६ किसी महापुरुष की जन्म तिथि का जमीरौकरोत-देखो 'जमीकरवत' । महोत्सव । ७ ज्योतिष का एक योग । ८ सातवें जिन देव जमुण (णा, ना)-स्त्री० यमुना। -अनुज-यु० यमराज ।। की माता का नाम । ९ प्रत्येक पक्ष की नवमी रात्रि -भेदी-पु० बलराम । का नाम । अमुर, जमुरक-पु० [फा० जंबूरक] एक प्रकार की छोटो तोप। जय-स्त्री० [सं०] १ विजय, जीत । २ सफलता । ३ संयम, जमुरी-पु० [फा० जंबूर] घोड़ों के नाखून काटने का एक निग्रह । ४ सूर्य। ५ इन्द्र पुत्र जयंत । ६ युधिष्ठिर । ___नालबंदी का प्रौजार। ७ विष्णु के द्वारपालों में से एक। ८ अर्जुन की एक उपाधि । अमूरक, जमूरो-देखो 'जमुरक'। ६ पताका विशेष । १० मार्ग। ११ ज्योतिष में ३, ८ व जमेंखातर (खातरी)-देखो 'जमाखातिर' । १३ की तिथियां । १२ विश्वामित्र का एक पुत्र । १३ धृतजमेरात-देखो 'जुमेरात' । राष्ट्र का एक पुत्र । १४ संसार । १५ छप्पय छंद का एक जमेरी-स्त्री० १ मिश्री। २ देखो 'जंबीरीनींबू'। भेद । १६ प्रयत्न, कोशिश। -कंकण-पु० विजयी पुरुष को जम-देखो 'जमा' । -खातर='जमाखातर' । -मरव दिये जाने वाले स्वर्ण कंकरण (कंगन)। -करणसत्र-पु० __ 'जवांमरद'। वीर अर्जुन । -कार, कारौ-पु० जयध्वनि, जय जय कार । जमौ-देखो जुमौं । --गोपाळ-पु० एक प्रकार का अभिवादन । -घोसजम्म-पू० यम । -घंटा-स्त्री० चौमट योगिनियों में से एक पु० जंजैकार का भारी शब्द | --ढक-पु० विजय सूचक जमघंट योग। वाद्य । -माळा-स्त्री० विजय. जीत के उपलक्ष में धारण जम्मरण-देखो 'जमना' । कराई जाने वाली माला । जम्मरणचरिय-पु० जीवन चरित्र । जयजयकार (कारू), जयजयकार-देखो 'जंजकार' । जम्मणभवरण-पु. प्रसूती घर । जयण-पु० [सं० यजन] १ याग, पूजा । २ अभयदान । ३ विजय, जम्मरणी-स्त्री० देवी, शक्ति। जीत । ४ प्राणी की रक्षा । ५ यत्न, उद्योग । -वि० जम्मदूती-स्त्री० [सं० यमदूती] यमदूती, दुर्गा, कालिका । १ वेगवान । २ जीतने वाला। जम्मना, जम्मन्ना-देखो 'जमना' । | जयण?-क्रि० वि० [सं० यतनार्थ] जीव रक्षार्थ । For Private And Personal Use Only Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जयरा ( ४५२ ) जरघर जयरणा-स्त्री० [सं० यत्ना] १ चेष्टा, प्रयत्न कोशिश । (जैन) माता का नाम। (जैन) १३ चौथे चक्रवर्ती की मुख्य स्त्री। २ प्राणी की रक्षा। (जैन) ३ हिंसा का परित्याग । १४ एक प्रकार की मिठाई ।-वि० विजय दिलाने वाली। ४ दया । ५ विवेक । ६ उपयोग । (जैन) -क्रि० वि. जब, जिस वक्त, यदा। जयत-पु० १ जयघोष, जयध्वनि । २ जय-विजय । जयार-सर्व० जिनका । -क्रि० वि० १ जब । २ तक, पर्यन्त । जयतसिरी-देखो 'जयसी'। - मयार-पु० 'ज' कार 'म' कार । अपशब्द । (जैन) नयती-देखो 'जयंती'। जयावती-स्त्री० १ एक स्कन्द मातृका । २ एक रागिनी विशेष । जयदेव -पु. गीत गोविन्द के रचयिता एक प्रसिद्ध संस्कृत कवि। जयी-पु० [सं० ययी] १ शिव । २ घोड़ा । ३ मार्ग, रास्ता। जयद्दह (दत्य, द्रथ, द्रथि, पू. द्रश्य)-पु० [सं० जयद्रथ] ४ अश्वमेध का घोड़ा। दुर्योधन का बहनोई व सिंधु देश का राजा। जयु-पु० [सं० ययु] अश्वमेध का घोड़ा। जयध्वज-पु० [सं०] जयध्वजा, पताका, जयंती । जयेत-पु० [सं०] एक राग विशेष । -गोरी-स्त्री० एक संकर जयनी-स्त्री० [सं०] इंद्र की कन्या । रागिनी । जयनेर-पु० जयपुर नगर। जयोड़ो-देखो 'जायोड़ो' (स्त्री० जयोड़ी) जयपत्त , जयपत्र-पु० [सं०] १ पराजित राजा द्वारा विजयी जयौ-पु० 'जय हो' का अभिवादन । राजा को लिखा जाने वाला पत्र । २ अश्वमेध यज्ञ के अश्व | जरंत-पु० भैंसा, महिष। के ललाट पर बंधा रहने वाला पत्र । जरंद-पु० १ प्रहार, चोट । २ प्रहार की ध्वनि । ३ किसी के जयपाळ-पु० [सं० जयपाल] १ जमाल गोटा । २ विष्णु । गिरने से उत्पन्न ध्वनि । ३राजा । जरंदी-वि० हजम करने वाला। -पु० १ एक ध्वनि विशेष । जयप्रिय-पु० [सं०] एक प्रकार की ताल । २ दुसाला । ३ उपयोग। जयमंगळ-पु० [सं० जयमंगल] १ विजयी राजा की सवारी का जर-स्त्री० १ चम्मचनुमा चलनी। २ धन,सम्पत्ति । ३ गर्भस्थ हाथी। २ ताल का एक भेद । ३ शुभ रंग का एक बालक पर रहने वाली झिल्ली। ४ वृद्धावस्था। ५ सोना, घोड़ा विशेष । ४ ज्वर की एक औषधि । स्वर्ण। ६ लोहे का मुरचा । ७ ज्वर । जयमल्लार-पु. सम्पूर्ण जाति का एक राग । जरई-स्त्री० अंकुर निकले हुए धान के बीज । जयमाताजी-स्त्री० शाक्त लोगों का एक अभिवादन । जरक-स्त्री० १ मोच, चोट । २ खरोंच, धाव । ३ प्रहार जयमाळ (माळा)-स्त्री० [सं० जयमाला] १ विजयी राजा को | की ध्वनि । ४ स्वर्ण खण्ड । ५ देखो 'जरख'। पहनाई जाने वाली माला । २ स्वयंबर में किसी पुरुष को जरकणी (बी)-क्रि. १ मोच पड़ना, चोट लगना । २ खरोंच वरण करके स्त्री द्वारा पहनाई जाने वाली माला । लगना, घाव पड़ना। ३ प्रहार की ध्वनि होना । ४ गिरना। जयरामजी-स्त्री० एक अभिवादन विशेष ।। जरकस (कसिया), जरकसी (सौ, स्स)-वि० १ स्वर्ण मंडित । जयवंत, जयवत-वि० [सं०] विजयी, जीता हुमा । २ स्वर्ण तारों में से युक्त । जयसंधि-पु० [सं०] पुडरीक राजा का एक मंत्री। (जैन) जरकारणौ (बी), जरकावरणौ (बी)-क्रि० १ मारना, पीटना । जयसद्द-पु० जयध्वनि । २ जमकर खाना । ३ प्रहार करना। जयसायर-पु० [सं० जयसागर] एक मुनि का नाम । (जैन) जरकी-वि० १ कायर, डरपोक । २ देखो 'जरक' । जयस्तंभ-पु० [सं] विजय स्तम्भ । जरको (क्क)-देखो 'जरक'। जयस्री-स्त्री० [सं० जयश्री] १ विजयश्री, लक्ष्मी । २ संध्या जरख (रुख)-पु० [सं० जरक्ष] लकड़बग्घा । -बाहरणी-स्त्री. ___ समय की एक रागिनी । ३ ताल के साठ भेदों में से एक । डाकिनी, चुड़ल । जरखेज-वि० [फा०] उपजाऊ, उर्वरा । जयहाथ-पु० [सं० जयहस्त] अर्जुन । जयहार-पु० विजय माला। जरगारखांना-पु० राजा-बादशाह या शासक का हीरे-जवाहरात, जया-स्त्री० [सं०] १ दुर्गा । २ पार्वती। ३ हरी दूब । प्राभूषणों का भण्डार। ४ हरीतकी, हरड़ । ५ दुर्गा की एक सहचरी। ६ ध्वजा, जरग्ग-वि० [सं० जरत्क] १ जीर्ण, पुराना । २ देखो पताका । ७ तृतीया, अष्टमी व त्रयोदशी की तिथियां । 'जरग्गव' । ८ माघ शुक्ला एकादशी। यमुना नदी। १० सोलह । जरगव-पु० [सं० जरगव] १ लकड़बग्घा । २ बुढा बैल । मातृकाओं में से एक । ११ भाग । १२ बारहवें तीर्थंकर की । जरघर-पु० स्वर्णकार, सुनार । For Private And Personal Use Only Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जर3 ( ४५३ ) जरारहित जरड़-स्त्री. १ वस्त्र के फटने या चिरने से उत्पन्न ध्वनि । | जरदाळ-देखो 'जरदाळ' । २ सहसा चीरने या फाड़ने की क्रिया या भाव । | जरब-स्त्री० [अ० जबं] १ चोट, ग्राघात । २ जंगल, वन । जरडो-वि० १ अशिक्षित । २ स्वतंत्र रहा हुअा। -पु० छेद, ३ तबले, मृदग प्रादि पर लगाई जाने वाली थाप । सुराख । ४ जूता। जरजर-वि० [सं० जर्जर] १ जीर्ण-शीर्ण । २ पुराना । जरबफत (बफ्त)-पु० [फा० जरबफ्त] १ एक प्रकार का रेशमी ३ टूटा-फूटा, खंडित । ४ वृद्ध । वस्त्र । २ तारी का काम किया हुआ वस्त्र । जरजराना-स्त्री० स्वामि कात्तिकेय की एक अनुचरी । | जरबाप (बाफ)-पु० [फा० जरबाफ] १ वस्त्रों पर सलमें जरजरित-वि० [सं० जर्जरित] १ पुराना, जीर्ण-शीर्ण ।। प्रादि का कार्य करने वाला कारीगर । २ ऐसा काम किया २ टूटा-फूटा । ३ बूढ़ा । ४ निर्बल । ५ घिसा हुआ। हुमा वस्त्र। ६ खण्ड-खण्ड व बिखरा हुआ । ७ निकम्मा किया हुआ। जरबाफी-वि० जिस पर जरबफ्त किया हुअा हो । जरजरी-स्त्री० १ एक प्रकार का प्राभूषण । २ एक प्रकार का जरमी-देखो 'जमीन' । जलपात्र। जरय-पु० [सं० जरक मेरु के दक्षिण का एक नरक । (जैन) जरजीत-पु० [सं० जराजित] कामदेव । -मज्झ-पु० उत्तर दिशा का एक नरक । (जैन) जरठ, जरद-वि० [सं० जरठ] १ जीर्ण-शीर्ण, पुराना । २ वृद्ध, | जरयावत्त-पु० [सं० जरकावर्त) पश्चिम दिशा का एक बड़ा बूढ़ा । ३ कर्कश । ४ कठिन । नगर । (जैन) जरण-स्त्री० [सं० जरा] १ वृद्धावस्था, जरा । २ दश प्रकार | जररार-वि० [अ० जर्रार] बहादुर, वीर । के ग्रहणों में से एक। ३ चन्द्रमा । ४ सहिष्णुता । जररारी-स्त्री० बहादुरी, वीरता । -वि० १ हजम करने वाला, पचाने वाला । २ वद्ध । जरराही-स्त्री० [अ० जर्राही] शल्य चिकित्सा । जरणा-स्त्री. १ सहन शक्ति । २ क्षमा । ३ वृद्धावस्या । जररौ-पु० [अ० जर्राह, जर्रा] १ शल्य चिकित्सक । जरणी-स्त्री० १ वृद्धा । २ देवी, दुर्गा । ३ माता। २ करण, दाना। जरणौ (बी)-क्रि० १ हजम होना, पचना । २ सहन होना। जरस-देखो 'जरख' । ३ जलना, भस्म होना। ४ लोहे के जंग लगना । जरसी-स्त्री० पूरी आस्तीन का स्वेटर । ५ परिपक्व होना । ६ संहार करना ।। जरहजीण-पु० एक प्रकार का कवच । जरत-वि० [सं० जरत्] १ प्राचीन, पुराना । २ वृद्ध । जरहर-पु० [सं० जलधर] १ बादल । २ वर्षा । जरतार (ताव)-वि० सलमे सितारे का काम किया हुआ। जरां-क्रि० वि० जब । जरद-पु०१ कवच २ पीला रंग । -वि० पीला । -व- जरा-स्त्री० [सं०] १ वृद्धावस्था, बुढ़ापा । २ निर्बलता स्त्री० एक नक्षत्र वीथि विशेष । —पोस, बंध-पु. कवच कमजोरी। ३ पाचन शक्ति । ४ गहरी नींद । ५ एक धारी योद्धा। राक्षसी । ६ देखो 'जरायुज । -वि० कम, थोड़ा, किंचित । जरदाउळि (बाळ दाळि, वाळू, दाळी)-पु. १ कवच । २ कवच- जराउन,(उज,उय, उया)-देखो 'जरायुज'। धारी योद्धा । ३ खुरबानी मेवा । -वि० तंबाखू का व्यसनी। | जराक-वि० जरासा, तनिक । -पु० चोट प्रहार । जरदी-स्त्री० १ पीलापन । २ अंडे के भीतर का पीला भाग। जराको-पु० १ भय, आतंक । २ चोट, प्रहार । ३ धक्का, झटका जरदुस्त-पु० [फा०] फारसी धर्म का प्रतिष्ठ ता । ४ मार। जरदैत-पु० [फा०] कवचधारी योद्धा। जराग्नस्त-वि० [सं०] वृद्ध, बुढ़ा । जरदोज-पू० [फा०] कपड़ों पर कलाबूती का कार्य करने वाला जराजर-क्रि० वि० शीघ्रता से, लगातार। -स्त्री० प्रहार कारीगर। की ध्वनि । जरदोजी-स्त्री० कपड़ों पर की जाने वाली दश्तकारी। जरादूत-पु० श्वेत बाल । जरवी-पु० [फा० जर दा] १ चावल व मांस के योग से बना जरापाखर-वि० १ मजबूत, दृढ़ । २ सन्नद्ध कटिबद्ध । एक व्यंजन । २ तम्बाख के सूखे पत्ते जो पान बाड़ी में | जरामीर (भीक)-पु० [सं० जराभीक] कामदेव । डाले जाते हैं । ३ खाने की सुगंधित सुरती । ४ कवच । जरायु-पु० [सं०] १ गर्भस्थ शिशु पर रहने वाली झिल्ली। ५पीले रंग का घोड़ा। २ केचुली। ३ गर्भाशय । ४ योनि, भग । ५ जटायु । जरदोत-देखो 'जरदैत'। ---ज-पु० गर्भ से उत्पन्न होने वाला, पिंडज । जरद- देखो 'जरद' । | जरारहित-पु० देवता । -वि० जो बूढ़ा न हो। For Private And Personal Use Only Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जरामर जळकरणी जरासंद, (घ) जरासिंध, जरासिंधु(धि,धो)-पु० [सं० जरासंध] | इन्द्र । -प्रासय-पु. जलकुण्ड, सरोवर । -प्रोक-पु० मगध देश का राजा (महाभारत)।-खय-पु० भीम । जलकीट विशेष । -कंत-पु० मरिण विशेष । दक्षिण दिशा जरासुत (सेन)--पु. जरासंध का एक नाम । का इन्द्र । इन्द्र का एक लोकपाल । -कतार, कांत,कांतार-- जरि, जरिन वि० [सं० जरिन्, ज्वरिन्] १ जरायुक्त, वृद्ध, पु० वरुण। -काक, काग-पु० जल में रहने वाला कोना। अतिवृद्ध ।२ बुखार से पीड़ित । -कार, कारी-पु. मेघ, बादल । चारइन्द्रिय एक जीव जरिउ-वि० [सं० जीर्ण] पुराना । जाति । -किट्ट-पु० जल का मैल, काई। -किड़ा, कीड़ा, जरियौ-पु० [सं० जरिया] १ चम्मचनुमा छोटो चलनी ।। कोला-स्त्री०श्रीकृष्ण, जलक्रीड़ा। -कुमी-स्त्री०जलाशयों २ लगाव, संबंध । ३ साधन । ४ सहारा। ५ संबंध के पानी पर फैली रहने वाली वनस्पति । -कूडियो, कूडौ स्थापित करने का तत्त्व, माध्यम । -पु० चन्द्रमा के चारों ओर दिखाई देने वाला वृत्त। -केतु जरौंद, जरीदौ-देखो 'जरंद'। -पु० पश्चिम में उदय होने वाला पुच्छलतारा ।-कोमा जरी-स्त्री० [फा०] १ वस्त्रों में लगने वाले सोने, चांदी प्रादि 'जळकाग'। -क्रीड़-पु० ईश्वर, श्रीकृष्ण । -क्रीड़ा-स्त्री० के चमकीले तार । २ उक्त प्रकार के तारों से युक्त वस्त्र ।। जल विहार । -खांनौ-पु० पीने का पानी रखने का कक्ष । जरीको-पु० १ चोट, प्रहार, प्राघात । २ टक्कर । -- खार-पु० समुद्र । -ख्यात-पु० नाविक, केवट । -गंग जरीब-पु० [फा०] १ भूमि का एक माप विशेष । २ उक्त | -पु० गंगा नदी । -गार-पु० जलाशय, सरोवर । -गौ माप का उपकरण । -कस-पू० उक्त उपकरण को खींचने पु० अग्नि । -प्रभ-पु० मेघ, बादल । -घड़ियोवाला व्यक्ति। पु० विष्णु पूजन में जल लाने वाला व्यक्ति । -घड़ीजरीबांनो (मांनो, वांनौ)-देखो 'जुरमानौ' । स्त्री० कटोरीनुमा एक पात्र जिसमें छेद होता है जरु (रू)-पु० १ काबू, वश । २ इख्तियार. अधिकार ।। पौर जिसे जल में छोड़ कर समय ज्ञात किया जाता है । ३ प्रत्यधिक शीत । -वि० १ वश में, काबू में । २ मजबूर, -चर-पु. जलजंतु । -चरी-स्त्री० मछली। -चारण विवश । ३ मजबूत, दृढ़ । ४ जबरदस्त, प्रबल । -वि० पानी पर चलने वाला । -चारी='जलचर' । ५ देखो 'जरूर'। --छत्र-पु० कमल । -जंत्र-पु० फव्वारा। -जांन-पु० जरूर क्रि० वि० [अ०] १ अवश्य, निस्संदेह । २ जब । जलयान, जहाज । --जनम, जात-पु. कमल, जौंक । जरूरत-स्त्री० [अ०] प्रावश्यकता, प्रयोजन । -~-जाळ-पु० मेघमाला, धनघटा । -जीव, जीवि-पु. जरूरी-वि० [फा०] १ प्रावश्यक, अनिवार्य । २ खास, विशेष ।। पानी में रहने वाले जीव । -जेता-पु० वरुण । -जैतअरूला-स्त्री० [सं० जरुला] चार इन्द्रियधारी जीवों की एक स्त्री० कान्ति, शोभा, यश, कीति । --जोग-पु० वर्षा का जाति । (जैन) योग । -मूलणी-स्त्री० भादव शुक्ला एकादशी। -ठाण जरे (रे)-क्रि० वि० जब, तब । -पु० जलाशय, पानी रखने का स्थान । -दाग-पु० शव को नदी में बहा देने की क्रिया । --दुरग-पु. चारों ओर पानी जरोवरणीय-पु० [सं० जरोपनीत] वृद्ध पुरुप । (जैन) से सुरक्षित दुर्ग। -देव, देवता-पु० वरुणदेव, पूर्वाषाढ़ा जरी-J• १ भय, अातंक, डर । २ देखो 'जर'। नक्षत्र । ---द्रव्य-पु० मुक्ता, शंख प्रादि द्रव्य । --धारीअळंबर (घर)--पृ० [सं० जलंधर, जलोदर] १ नाथ सम्प्रदाय पु० मेघ, इन्द्र, जल पिलाने वाला। --पक्खंद, पक्खवरण का एक सिद्ध । २ एक राक्षस । ३ जालौर नगर । ४ एक -पु० पानी में डूबने की क्रिया । (जैन) ---पत, पति उदर रोग विशेष । (ती)-पु० वरुण, समुद्र । -पथ-पु० नाली, नहर, समुद्री जळधरी (रौ)-पु० १ एक वृक्ष । २ देखो 'जलंधर' । मार्ग। -प्रिय-स्त्री० मछली, चातक । --बाळा, बाळि-पाव=देखो 'जलंधरनाथ'। स्त्री० विद्य त, बिजली। -मंड, मंडण, मंडळ-पु० बादल; जळनिद्ध (निध)-देखो 'जळनिधि'। मेघ । -मंडूक-पु० एक प्रकार का बाजा -मारग-पु० जळंबळ -स्त्री० नदी। यात्रा का समुद्री मार्ग । -माळ, माळयिण, माळा-स्त्री० जळ-पु. [सं० जल, ज्वल | १ पानी, नीर । २ शीतलता । नदी, सरिता । ----मुक, मुच-पु० मेघ, बादल। -रमण ३ पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र । ४ एक सुगंध द्रव्य । ५ किसी पदार्थ (रिण, णी)-स्त्री० बिजली, विद्युत, जलक्रीड़ा। -रांण, का पतला रम । ६ जन्म कुंडली में चौथा स्थान । राइ, राट-पृ० समुद्र । -हट, रुत-पु० कमल । ----लता ७ कोप, गुस्सा। आभा काति, दीप्ति । ६ वीरत्व, -स्त्री० लहर । ---विभू-पु० बरुण । वीरना। --बि० १ सुस्त । २ शीतल, ठंडा । -प्राधीन-पु० जळकरणों (बौ), जळक्करणी (बो)-देखो 'झळकणी' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जळज जळज-पु० [सं० जलज ] ४ चन्द्रमा । ५ वरुण www.kobatirth.org १ कमल । २ मोती । ३ शंख । - वि० शीतल । - ब्रासन - पु० ब्रह्मा । -- चख - पु० ईश्वर। -बर- पु० कमल । हर- पु० हंस, बादल । जळजळाकार - पु० जहां सर्वत्र जल ही जल हो । जळजळत वि० [सं० जाज्वल्यमान ] देदीप्यमान । जळजळी- वि० १ सजल नयन, डबडबाया हुआ । २ द्रवित । जळ जातव्यूह - पु० कमल के फूल के समान सेना की व्यूह रचना । जळजीव (वि) - पु० जलचर प्राणी । जळजुत - वि० कांतियुक्त, दीप्तियुक्त । २ गर्मी, उष्णता । गुस्सा । को जळण - स्त्री० [सं० ज्वलन] १ दाह, जलन । ३ अग्नि । ४ ईर्ष्या, डाह । ५ ६ अग्निकुमार देवता । जळणी (बौ) - क्रि० [सं० ज्वलनम् ] १ प्राग लगना । २ लपट या अंगारे के रूप में होना । ३ दग्ध होना । ४ भस्म होना । ५ झुलसना । ६ बहुत अधिक ईर्ष्या करना । ७ कोप करना, क्रुद्ध होना । जळसंग (तरंग) - पु० एक प्रकार का बाजा । जळतर (तरल)- पु० १ जहाज नाव । २७२ कलाओं में से एक । जळतबाई (ताई) - स्त्री० १ तेल के दीपक व उसके आस-पास जमने वाला कीट । २ गंदे स्वभाव का व्यक्ति । ४५५ ) जळतो' (रू) - स्त्री० मछली, मीन । नळद (इ) पु० [सं० जलद १ मेघ, बादल, घन २ कपूर ] । - वि० १ जल देने वाला । २ देखो 'जल्दी' । -काळ- पु० वर्षा ऋतु । - तिताळी- पु० संगीत में एक ताल । (बी) देखो 'जल्दी' । जळद्र - वि० जल से भीगा हुआ, आर्द्र, नम । जळध-पु० समुद्र । - प्राधीन- - पु० इन्द्र । जळधर (धरण) - पु० [सं० जलधर ] १ बादल, मेघ । २ समुद्र, सागर । - केदारा स्त्री० एक संकर रागिनी । ---माळा नवी० मेघमाला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जनवास (निवास) - पु० [सं० जल निवास] १ पानी के बीच बना महल । २ जल के अन्दर निवास | जळनायिका - स्त्री० जलक्रीड़ा या स्नानागार में साथ रहने वाली स्त्री । २ जल का जळनिध ( निधि निधी ) - १० १ समुद्र, सागर । भण्डार। -राज-पु० महासागर | जळनिवांण पु० [सं०] जल-निपान] पाताल, रसातल जळपणौ (बौ), जलपरी (बो) - क्रि० [सं० जल्प] १ बोलना, कहना । २ बातचीत करना । ३ श्रावाज करना । ४ बड़ बड़ाना । ५ तुतलाना । ६ गप्प लगाना । जळपरवा (वाई) - स्त्री० ईशान कोरण की वायु । अपराधी कि० वि० समुद्रपर्यन्त (जैन) २ घटिया किस्म का जळपवेस - पु० [सं० जलप्रवेश ] पानी में घुसने या डूबने की क्रिया । जळपान - पु० स्वल्पाहार, नाश्ता । जळवू (पौ, कुपु० १, भोटल वरक । ३ पतला व चमकीला कागज । जळप्पभ (ह) - पु० [सं० जलप्रभ] १ इन्द्र के चौथे लोकपाल का नाम । २ एक इन्द्र विशेष । (जैन) जळधरियो - पु० १ मेघ, बादल । २ जल लाने वाला व्यक्ति । जळधरी - स्त्री० १ पत्थर या धातु की बनी श्रर्घा जिस पर शिवलिंग स्थापित किया जाता है। २ देखो 'जळेरी' । जळधार (धारा) - स्त्री० [सं० जलधारा ] १ नदी । २ नहर | ३ पानी का प्रवाह । ४ तेज धार वाली कटारी या तलवार । ५ पनी की धारा के नीचे बैठकर की जाने वाली तपस्या । जळधि - पु० [सं० जलधि ] समुद्र । 1 जळधिगा स्त्री० [सं० जलधिगा ] १ नदी, सरिता । २ लक्ष्मी । ० [सं०] चन्द्रमा शशि जळधिया स्त्री० [० [सं० जलधिगा ] १ नदी, सरिता । २ लक्ष्मी जळमुरगाई-स्त्री० छोटी बतख । जळनध-- देखो 'जलनिधि' । अळय जळफळ- पु० बांस । जळबंब - वि० कान्ति युक्त । - पु० जल प्रलय । मळवटी-देखो'वट'। जळवळन मी पु० इन्द्र जळबाळक पु० विध्यापन पर्वत । जळबिडाळ - पु० ऊदबिलाव । जळत पु० जलाशयों के होने वाला एक वृक्ष विशेष जळबोळ-देखो 'जळाबोळ' । जगरी (मांगरी) १० एक औषधि विशेष । जलम - देखो 'जनम' । २ देखो 'जुल्म'। -पतरी 'जनमपत्री बोमजनमभूमि' । जळमई - वि० जलयुक्त, जलपूर्णं । जलमणौ (बी) - देखो 'जनमणी' (बी) । जलमांतर - देखो 'जनमांतर' । जळमानस-पु० एक कल्पित जल मानव जिसका श्राश्रा भाग मछली का होता है । जलमरणौ (बी) - देखो 'जनमणी' (बी) । जळमात्रका स्त्री० [सं० जलमातृका] जल में रहने वाली सात मातृकाएं। जमाव (बी) देखो 'जनमाली' ( वो)। जळमित जळमित्र - पु० [सं० जलमित्र ] दूध | जळय-१ देखो 'जळद' । २ देखो 'जळज' । For Private And Personal Use Only Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जळयर जलालोक जळयर (री)-पु० [सं० जलचर, चरी] १ जल के प्राणी । जळसूग-पु० [सं० जलशूक] जलकान्त इन्द्र के दूसरे लोक २ मछली। पाल का नाम । जळयांन-पु० [सं० जलयान] १ नाव । २ जहाज । जळसोयवाइ-स्त्री० [सं० जलशौचवादिन] पानी से शुद्धि मानने जळयात्रा-स्त्री. १ समुद्रीमार्ग से की जाने वाली यात्रा । २ पवित्र । वाले तपस्वियों की शाखा। जल लाने के लिये की जाने वाली यात्रा। ३ देवोत्थापिनी जळसौ-पु० [अ० जलसा] आनन्दोत्सव । एकादशी का उत्सव । ४ ज्येष्ठ की पूर्णिमा का एक उत्सव । जळस्तंभिनी-स्त्री० एक प्रकार की विद्या। जळयाळ-पु० जळागार, समुद्र। जलस्राव-पु० [सं० जलश्राव] सूर्य, भानु । जळरअ-पु० [सं०जलरत] इन्द्र के लोकपाल का नाम । (जैन) | जळहड्ड-पु० मोती, मुक्ता। जळरक्ख-पु० [सं० जलराक्षस] १ राक्षसों का पांचवां भेद । जळहर-१ सूर्य, भानु । २ पवन, वायु । ३ देखो 'जळधर' । २ देखो ‘जल रक्षक'। -जांमी-पु० इन्द्र। जळरक्षक-पु० [सं०] वझण । जळहळ-स्त्री० चमक, रोशनी । जळरास (सि, सी)-पु० [सं० जलराशि] १ कर्क, मकर, कुभ जळहळणी (बी)-क्रि० चमकना, झलकना । ___और मीन राशियाँ । २ समुद्र । जळहळी-वि० श्राग बबूला, अतिक्रुद्ध । जळरिप-पु० वायु, पवन । जळहस्ती-पु. सात-पाठ फुट लंबा सील जाति का जल जंतु । जळरूप, जळरूव-पु० [सं० जलरूप] १ मगर घड़ियाल । जळहि-देखो 'जळधि'। २ उदधि कुमार के इन्द्र जलकांत के तीसरे लोकपाल का जळांजळी-स्त्री० पानी से भरी अंजली। का नाम । (जैन) जळांधीस-देखो 'जळाधीस'। जळळ -वि० १ अति क्रोधी। २ भयंकर । ३ भारी। जळा-स्त्री० १ फौज, सेना। २ अपार सम्पत्ति, द्रव्य, धन । -पु. १ दण्ड, सजा । २ युद्ध, संग्राम। ३ लक्ष्मी । ४ माया । ५ बड़ी आपत्ति । ६ फैला हुआ जळवट (टो, दृ)-पु० [सं० जलवाट] १ जल मार्ग । २ समुद्र । सामान । ७ आभा, कांति । ३ द्वीप, टापू । --राय-पु० विष्ण । जळाकांक्ष-पु० हाथी। जळवळजांमी-पु० इन्द्र । जळाकार-पु० सर्वत्र जल ही जल हो जाने की अवस्था । जळवह (वहण)-पु० [सं० जलवाह] मेघ, बादल । जळारणौ (बौ) -क्रि० [सं०ज्वलन्] १ किसी वस्तु के आग लगाना, जळवा-स्त्री० नव प्रसूता स्त्री द्वारा किया जाने वाला जल पूजन । प्राग में संयुक्त करना । २ अधिक गर्मी या ताप देकर जलवाणी (बौ)-देखो 'जळारणो' (बी) । झुलसाना । ३ चिढ़ाना, कुढ़ाना । ४ सताना, व्यथित जळवासी-पु० जलचर जीव । करना । ५ दग्ध करना, दागना । ६ जलन पैदा करना। जळाधर-देखो 'जळधर'। जळवाह-गु० [सं० जलवाह] मेघ, बादल । जळाधिप-पु० [सं० जलाधिप] १ वरुण। २ संवत्सर में जल जळविभू-पु० [सं० जलविभु] वरुण । का अधिपति ग्रह । जळविसुव-पु० [सं० जलविषुव] तुला संक्रान्ति का योग। जळाधीस-पु० [सं० जलाधीश] १ समुद्र। २ वरुण । जळग्याघ्र-पू० [सं० जलव्याघ्र] सील जाति का एक जळाबोळ-वि० १ भयंकर, विकट । २ जलप्लावित । ३ वैभव हिसक जीव । पूर्ण, ऐश्वर्य पूर्ण । ४ गहरा व पूर्ण हुआ, रंग से तर। जळण्याळ-पु० १ पानी में रहने वाला सर्प । २ मेंढ़क ।। ५ चमकता हुआ । ६ क्रोधपूर्ण । -पु०१ समुद्र । जळवक्ष (विक्ष)-पु० [सं० जल वृक्ष] कमल ग्रादि पौधे । २ विनाश । ३ संहार । ४ बुरा समय, खराब समय । जलायत-देखो 'जिलायत' । जळसंब्रत-पू० वरुण । जलाल-पु० १ प्रेमी, प्रियतम । २ पति । ३ राजस्थानी लोक जळसपणी-स्त्री० [सं० जलसपिरणी] जौंक । गीतों का एक उदार नायक । -वि० १ प्रकाश मान । जळसाई (साई)-पु० [सं० जल स्वामी, जलशायिन्] १ ईश्वर । २ तेजस्वी, कान्तिमान । २ विष्ण । ३ इन्द्र । ४ वरुण । जलालियौ-पु. [अ० जलालियः] १ दरवाजे के बीच लगा रहने जळसोप- स्त्री० [सं०] मोतीवाला सीप । वाला पत्थर । २ बलवान व्यक्ति। ३ ईश्वर के जलाली जळसीर-स्त्री० जमीन । रूप का उपासक । ४ एक प्रकार का फकीर । जळसुत-पु० कमल । | जलालोक-पु० [सं० जलालुक] जौंक । For Private And Personal Use Only Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जलाली www.kobatirth.org ( ४५७ ) जलाली (स्पो) वि० १ . मजबूत २ जबरदस्त जोरदार ३ देखो 'जलाल' । ४ देखो 'जलालियो' । जळावरण - वि० जलाने वाला, भस्म करने वाला । जळावरणौ (बौ) - देखो 'जळारणी' (बी) । 1 जळासय पु० [सं० जलाश्य] सरोबर तालाब जलकुण्ड जळाहळ - स्त्री० १ चमक-दमक । २ तेज प्रकाश । ३ समुद्र । - वि० १ देदीप्यमान । २ प्रज्वलित । जहि-देखो 'जळ' जळियोतन - वि० १ ईर्ष्यालु । २ तुनक मिजाज । ३ असहिष्णु । जलिर - वि० [सं० ज्वलिर] जलने के स्वभाववाला । जहिर १ देखो ''देखो। - जलील [वि० [अ०] १ तुच्छ, बेकदर २ अपमानित ३ जित, शर्मिदा । । जल्फकार स्त्री० एक प्रकार की तलवार । जल्लं, जल्ल-पु० १ शरीर का मैल । २ एक देश का नाम । ३ प्रस्वेद | जळू (पू.) देखो 'जल'। जह, जाग (गा), जया देखो 'जोक' जळूस - पु० [अ० जुलूस ] १ भीड़, समूह । २ लोगों का समूह के रूप में कहीं जाने या भ्रमण करने की क्रिया । ३ खुशी मनाने का आयोजन | जलेला स्त्री० [सं०] एक स्कन्द मातृका विशेष । जळेस जलेसर (स्वर) ० [सं० जलेश्वर १ " 1 जसी स्त्री० शान शौकत वि० जुलूस से संबंधित जळेंद्र - पु० [सं० जलेन्द्र ] ९ वरुण । २ महासागर | ३ इन्द्र । जब जब स्त्री० [०] १ हाजरी उपस्थिति २ व्यवस्था तैयारी । ३ राजा की सवारी निकलते समय रास्ते के इर्दगिर्द लगाया जाने वाला मोटा रस्सा ४ इस रस्से को पकड़ने वाला अनुचर ५ धावृत या मेरा चौक पु० राजमहल के आगे का चौक बार पु० राजा का निकटवर्ती धनुचर। । । । जळेविय, जलेबी-स्त्री० कुण्डलीनुमा बनी हुई मिठाई विशेष जळेरिय, जळेरी - स्त्री० [सं० जलधरी ] १ सूर्य या चन्द्रमा के चारों ओर बनने वाला एक वृत्त । २ शिव लिंग के नीचे बना छोटा कुण्ड । ३ छोटा जलकुण्ड । २ समुद्र । ३ इन्द्र । जोक (का) पु० [सं०] जलुका] जीक जळोवर - पु० [सं० जलोदर ] एक प्रकार का उदर रोग । जलौ - देखो जलाल' । जब क्रि० वि० [अ०] शीघ्र, तुरंत, पटपट । -बाज- वि० उतावला । -बाजी- शीघ्रता, तेजी । जल्दी - स्त्री० [अ०] शीघ्रता, उतावली, फुर्ती । । जय () - पु० [सं०] १ कथन २ प्रलाप ३ बहस तर्क जल्परगौ (बी) - क्रि०१ कहना, बोलना । २ प्रलाप करना, बकना । ३ बहस करना । जल्लाद - पु० [अ०] १ हत्या करने वाला । २ प्रारण दण्ड की सजा में फांसी या मूली पर चढ़ाने वाला अनुचर । जल्लाल - पु० [सं० जलाल ] प्रातंक, प्रभाव | जल्लीसहि-स्त्री० [सं० जल्लोष धि ] एक आध्यात्मिक शक्ति विशेष | जवन- देखो 'जवन' । ६ अंगुली का एक सामुद्रिक चिह्न जाने वाली चोली। क्रि० वि० वेगवान, फुर्तीला । देखो 'जब' । । जब पु० [सं०] १ वेग, गति ४ 'जी' नामक अनाज | २ शीघ्रता, फुर्ती । ३ तेजी । ५ अंगुली का प्राठवाँ भाग । ७ कन्या को पहनाई शीघ्र, तुरंत वि० जवख पु० भूत, प्रेत, जिंद 1 जवखार - देखो 'जवाखार' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जवनाचारज - । जवगुडायला- पु० आभूषण पर खुदाई करने का प्रौजार | जवड़ी (डी) वि० (स्त्री० जबड़ी) १जैसा, तुल्य, समान २ जितना । - क्रि० वि० जिस मात्रा में । जवज्जव - वि० खण्ड-खण्ड, ट्रक-ट्रक । जवरण- १ देखो 'जव' । २ देखो 'जवन'। - पुर- 'जवनपुर' । जबलपुर- 'द्रोणपुर' | जवला स्त्री० [सं० पापना] १ शरीर निर्वाह जीवन निर्वाह । । २ संयम । जवरिण देखो 'जमना' । - जाणिवा स्त्री० [सं० यवनानिका] एक लिपि विशेष (जैन) जवळया स्त्री० [सं० पवनालिका ] कन्या को पहनाई जाने वाली चोली । (जैन) जवणिज्ज - पु० यापन, निर्वाह । जबलिया- देखो 'जवनिका' । जवरणी - स्त्री० ० यवन स्त्री । जवदोस - पु० रत्नों का एक दोष । For Private And Personal Use Only जयन ( जवनांग)-१० [सं० पवन, जवन] १ मुसलमान, यवन २ राक्षस, दैत्य । ३ घोड़ा । ४ बेग, गति । ५ पवन । ६ यूनान का निवासी, यूनानी । ७ काल यवन - वि० वेगवान, फुर्तिला । - पत, पति-पु० राजा, बादशाह । पुर- पु० यवनों का देश, नगर दिल्ली। जवनरपी-स्त्री० ० यवन स्त्री । वि० यवन की । 1 जवनांपत, ( पति, पती) - देखो 'जवनपति' । जवनाचारजपु० [सं०] यवनाचायें] १ यवनों का एक ज्योतिषा चार्य २ श्राचार्य Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जवनाळ - जयना पु० [सं० यवनाल] १ जुमार का पौधा २ प्यार जयादिकस्तूरी स्त्री० एक सुगंधित द्रव्य, गौरासार । नामक अन्न । ३ जो के सूखे डंठल । जवा पु० योद्धा वीर जबनासव (सु) - पु० [सं० यवनाश्व ] एक सूर्यवंशी राजा । जवाद्य, जवाधि- पु० एक प्रकार का सुगंधित पदार्थ । जवनिका स्त्री० [सं० यवनिका] १ नाटक का पर्दा २ कनात । जवाधिक पु० बहुत तेज दौड़ने वाला घोड़ा । ३ चिक । जवहर- पु० जवाहरात । जयहरड़ो (हरड़ हर छोटी हरडे जबहरी - स्त्री० १ जौहरी । २ जवाहरात | जव्हार स्त्री० १ जुहार अभिवादन २जवाहरात www. kobatirth.org जलनिस्ट पु० [सं० वनिष्ठ ] पवन । जवनेंद्र- पु० [सं० यवनेंद्र ] बादशाह । जवस १० [सं० यवनेस ] बादशाह । जवन्न- देखो 'जवन' । जयन्निय- वि० यवन की । जबफळ- पु० [सं० यवफल ] १ बांस । २ इन्द्र जौ । जवर पु० १ जवाहरात २ जवाहरखाना । ३ देखो 'जोहर' । -दार पु० जवाहरखाना का अधिकारी । जवरारौ - देखो 'जमराज' । अवरी पु० जोहरी । जबरीभरी पु० यम द्वितीया का व्रत जयलि वि० [सं०] मल] एक साथ शामिल एक मुश्त । जबलियो १० १ स्त्रियों का श्रावण २ देखो 'भायो' । जयवारय पु० [सं० यववारक ] जब के अंकुर । जववेदी पु० इन्द्र | २ तृण । ३ धान की बाल । जवस - पु० [सं० यवस] १ घास जवसट (स्ट) पु० [सं०] पविष्ट] १ छोटा भाई २ देखो 'जविस्ट' | ( ४५८ ) तरुण पुरुष । २ युवावस्था का प्रारणी । ३ ४ सिपाही । ५ सैनिक । ६ मुसलमान । युवावस्था, जवानी । जवाई पु० [सं०] जामातृ] १ दामाद जमाता २ जमावट जबरण - तरुण । जब नदि० [फा०] जवान] युवा का क्षार । जवाद पु० घोड़ा, ग्रश्व । ०१ युवक, योद्धा, सुभट । पणौ- पु० पण, ० जवांनी स्त्री० [फा० जवानी ] युवावस्था, यौवन, तरुणाई | जब मरद-पु० [फा० जवांमर्द] बहादुर व्यक्ति, पुवापुरुष, सिपाई । जबांसरी-री० [फा०जनांमद] वीरता, बहादुरी, युवावस्था जवाहर पु० रत्न, जवाहरात । जया स्त्री० [सं० जया] १ हरड़, हरीतकी २ एक प्रकार की वनस्पति । ३ जवा कुसुम खार पु० एक प्रकार 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जस जवार - स्त्री० १ सफेद दाने का एक अन्न । २ देखो 'जुहार' | जवाड़ा (दो) ० जुहार । जवारमल पु० एक लोक गीत । जवारात - देखो 'जवाहरात' । जवारी - स्त्री० १ दूल्हे या जंवाई द्वारा किया जाने वाला श्रभिवादन | २ इस अभिवादन के बदले में दिया जाने वाला द्रव्य । जवाल - पु० [अ०] १ जंजाल, झंझट । २ आफत, विपत्ति । ३ अवनति, क्षय । जवाळाजीह-स्त्री० [सं० ज्वाला-जिह्वा ] अग्नि । जवाळी - स्त्री० कायस्थों की एक वैवाहिक रश्म । जवास (सी) देखो 'जवासी' जवासीर- पु० [फा० जावसीर ] गंधाविरोजा । जवासी पु० [सं० बनासक] १ एक कंटीला पौधा विशेष । २ एक प्रकार की घास । जवाहड़ (ड े, ई) - देखो 'जवहरड़े' | जवाहर० १ जवाहिरात २ रन यांनी पु० रत्नादि रखने का स्थान, भवन । जवाहरात, ( जवाहिर, रात ) - पु० [अ० जवाहरात ] रत्न, मणि, नगीने हीरे जवाहरी देखो 'जोहरी' । जवि ( ग ) - वि० [सं० जविन् ] १ वेगवान । (जैन) २ चंचल | जविस्ट पु० [सं०यविष्ट ] श्रग्नि, प्राग - वि० छोटा, कनिष्ठ । जवेरी- पु० जोहरी । । अबी-०१ शुभ रंग का घोड़ा २ एक प्रकार का कीड़ा। जन्दाहर-देखो 'जवाहरात' । For Private And Personal Use Only जसंसी स्त्री० [सं०] यशस्विन्] यशस्वी जस- पु० [सं० यश ] १ कीर्ति, बड़ाई, ख्याति । २ प्रशंसा, बड़ाई । www. ४ डिंगल का एक गीत विशेष - सर्व० जिस । - कर, कररण- पु० यशगान करने वाला । ऋषभेदव का ४२ व पुत्र । - कित्ति स्त्री० यश, कीर्ति । खाटक- वि० यशस्वी - गाथ, गाथा स्त्री० यशोगान, यश की गाथा । -प्राहगवि० यशस्वी । डाक, ढोल-पु० कीर्तिवाद्य । -धरवि० यशस्वी । - नांमौ- पु० यशस्त्रियों में नाम । --बरवि० यशस्वी । -माळ, माळा-स्त्री० कीर्ति की शृंखला । एक छन्द विशेष लद्ध, लुद्ध - वि० यश लोभी, यशलोनुत । वरणी, वन-वि० यशस्वी । -वाउ, वाय-पु० Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जसकळस ( ४५९ ) जहरी यशवाद, धन्यवाद । -वास, व्वास-पु० यश । एक छंद | जसोधर-पु० [सं० यशोधर] श्रीकृष्ण का एक पुत्र । विशेष । जसोधरा-स्त्री० [सं० यशोधरा] १ गौतम बुद्ध की पत्नी । जसकळस-पु० [सं० यशकलश] वह घोड़ा जिसके तीन पांव २ पक्ष की चौथी रात्रि । ३ दक्षिण रुचक पर्वत की एक श्वेत हों। दिशा कुमारी । जसघोस-पु० [सं० यशघोष] एक जैन तीर्थंकर । | जसोनाम-पु० [सं० यशोनामन] नाम कर्म की एक प्रकृति जिसके जसड़ी-वि० (स्त्री० जसड़ी) १ जैसा, वैसा । २ देखो 'जस' । उदय से यश की प्राप्ति होती है। जसजोड़ो- वि०१ यशस्वी । २ उदार । -पु० कवि । जसोमत (मति, मती)-देखो 'जसोदा'। जसत-पु० [सं०यषद] एक धातु, जस्ता । जसोमाधव-पु० [सं० यशोमाधव] विष्णु । जसतलक (तिलक)-पु० वह घोड़ा जिसके चारों पांव श्वेत हों। जसोया-देखो 'जसोदा', जसतारण-पु. एक प्रकार का घोड़ा। जसोल-वि. जोश दिलाने वाला, उत्साहित करने वाला। जसथांनी-स्त्री० मुसलमानों की एक जाति । जसौ-वि० जैसा। जसपूल-पु० [सं० यश-स्थूल] यशस्वी । जस्त, जस्तो-पु० [सं० यषद] एक धातु विशेष । जसद-देखो 'जमत'। जस्यौ-देखो 'जैसौ'। जसब-पु० [अ० यशब] एक प्रकार का हरे रंग का पत्थर । जस्सुदा-देखो 'जसोदा' । जसभद्द-पु० [सं० यशोभद्र] १ शय्यम्भव सूरि के एक शिष्य का जहंगम-पु० [सं० जिह्मग] तीर, बाण, सर्प सांप । नाम । २ एक प्राचार्य । ३ एक कुल का नाम । ४ एक जहं. जह-अव्य० [सं० यथा] १ जिस जगह, जहां । २ जिस गणधर । प्रकार, जैसे। जसमंगळ-पु. एक घोड़ा विशेष । जहक्कम-क्रि० वि० [सं० यथाक्रम] क्रमानुसार, तरतीबजसमंत-वि० यशस्वी । -पु. एक कुलकर । (जैन) वार । (जैन) जसर-देखो 'जूसर'। जहक्खाय-पु० [सं० यथाख्यात] १ यथाख्यात नाम का पांचवां जसरुघवंसी-पु० [सं०यश रघुवंशी] लक्ष्मण का एक नाम । चरित्र । २ निर्दोष चरित्र । (जैन) जसवई (वती)-स्त्री० [सं० यशोमति] १ सगर चक्रवर्ती की | जहड़ो-वि० (स्त्री० जहड़ी) जैसा। माता का नाम । २ महावीर स्वामी की दोहित्री। ३ तृतीया जहट्ठिय-क्रि० वि० [सं० यथास्थित] यथास्थित । (जैन) अष्टमी व त्रयोदशी की रात्रि । (जैन) जहतह-क्रि० वि० जैसे-तैसे । (जैन) जसवाउ-पु० [सं० यशवाद] यशवाद । जहत्थ-वि० [सं० यथार्थ] यथार्थ (जैन)। जसस्सि-वि० यशस्वी। जहत्स्वारथा-स्त्री० [सं० जहत्स्वार्था] लक्षणा का एक भेद । जसहर-पु० [सं० यशोधर] १ सोलहवां तीर्थंकर । २ प्रत्येक पक्ष | का पांचवां दिन । (जैन) ३ दक्षिण रुचक पर्वत की चौथी जहब-स्त्री० [अ०] प्रयत्न, उद्योग । दिशा कुमारी। ४ प्रत्येक पक्ष की चौथी रात्रि का नाम || जहन, जहनि-पु० [अ० जिहन] १ मस्तिष्क । २ स्मरण शक्ति । ५ जम्बू सुदर्शना नामक वृक्ष । (जैन) -वि० यशस्वी । ३ बुद्धि, दिमाग । ४ देखो 'जहांन' । जसा-वि० जैसा । -स्त्री० [सं०यशा] १ कपिल की माता । जहन-पु० [सं० जह नु] १ विष्णु । २ गंगा को पी जाने वाला २ भृगु पुरोहित की स्त्री । (जैन) ऋषि । -तनया-स्त्री० गंगा नदी, जाह्नवी। जसामां-स्त्री० एक मांगलिक लोक गीत । जहन्न-देखो 'जहन' । जसाई-पु० यश का नगाड़ा, यशवाद्य । जहन्नुम-पु० [अ०] नरक, दोखज । जसियो-वि० जैसा। जहर-पु० [फा० जह] १ विष, हलाहल । २ आठवीं बार उलट जसी-वि० जैसी, यशस्वी । कर निकाला हुआ शराब। -जर-पु० शिव, महादेव । जसीलो-वि० यश प्रिय, यशलोलुप ।। धर, धार-पु० सर्प, नाग । शेष नाग । जहरीले जीव । जसु-सर्व०१ जिसकी। २ देखो 'जस'। -वाद-पु. एक प्रकार का रक्त विकार, जहर भाव । जस-क्रि० वि० जैसे । -वि० जैसा। -वायु-स्त्री० घोड़ों का एक रोग । जसोदा-स्त्री० [सं० यशोदा] गोकुल के नंद गोप की स्त्री, जहराळ-पु० शेषनाग । __ श्रीकृष्ण की एक माता । —नंद, नंदन-पु० श्रीकृष्ण । | जहरी (लो)-वि० (स्त्री० जहरीली) विषयुक्त, जहरीला, जसोधरण (धन)-वि० [सं०यशोधन] यशस्वी । -पु० एक राजा । विषाक्त । For Private And Personal Use Only Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जहवंत जांजर जहवंत-वि० यशस्वी। जहोवइट्ठ-अव्य यथा उपदेश । जहसत्ति-अव्य० यथा शक्ति । जह नवी-देखो 'जान्हवी'। जहां-अव्य० [सं० यत्र] जिस स्थान पर। -पु० [फा० जहान] | जह नुसप्तमी-स्त्री० [सं०] वैशाख शुक्ला सप्तमी, गंगा सप्तमी । संसार, जगत। जव्हार-देखो 'जुहार'। जहाण (न)-पु० [फा० जहान] संसार, विश्व । नां-सर्व जिन, उन, जिस । -क्रि० वि० जब, जबतक, जहां। जहांनमी (वी, नेवी, नवी)-देखो 'जान्हवी' । -वि० जितना। जहांपनाह-पु० [फ०] १ संसार का रक्षक, पालनहार । जाई-पु० १ जवांई, जमाता । २ देखो 'झाई'। २ राजा, बादशाह । ३ ईश्वर । जांउ-क्रि० वि० जब, जबतक । जहा-अव्य० [सं० यथा] जैसे, जिस प्रकार । (जैन) जांग-स्त्री० १ घोड़ों की एक जाति । २ जांघ, जंघा । जहाच्छंद-वि० [सं० यथाच्छन्द] स्वच्छन्द । (जैन) जांगड़-देखो 'जांगड़ो' । जहाजाय, (जायत्ति)-वि० [सं० यथाजात] १ माता के गर्भ से | | जांगड़ा-स्त्री० १ भाटों की एक शाखा । २ नाइयों की एक शाखा । ३ ढोलियों की एक शाखा । ४ वीर रस पूर्ण एक निकला जैसा नग्न । २ जड़, मूर्ख । राग । ५ एक बढ़ई जाति विशेष (शेखावटी)। जहाजी-वि० [अ०] जहाज से संबंधित । -पु०१ तलवार बनाने जांगड़ियो-पु० 'जांगड़ा' शाखा का व्यक्ति । का अच्छा लोहा । २ एक प्रकार की तलवार । जांगड़ो-पु. १ ढोली, दमामी। २ वीर रस पूर्ण राग। -वि. जहाजेठ-अव्य० [सं० यथाज्येष्ठ) बड़ाई के क्रम से, १ जबरदस्त, जोरदार । २ महान । ३ जांगड़ा जाति का वरिष्ठता से। व्यक्ति । -सागौर-पु० डिंगल का एक छन्द विशेष । जहाजोग-प्रव्य० यथायोग्य । (जैन) जांगळ-पु० [सं०] १ तीतर। २ सौराष्ट्र प्रदेश । ३ मरु प्रदेश । जहाठांण-अव्य० यथास्थान । (जैन) ४ मांस । ५ हिरन का मांस । ६ जहर, विष । -वि. जहातच्च-वि० यथातथ्य, वास्तविक, सत्य । (जैन) १ रम्य, सुन्दर । २ जंगली । ३ देहाती। ४ उजाड़, सूना । जहातह-पु. वास्तविकता, सच्चाई। (जैन) जांगळो-देखो 'जांगळवी'। जहाद-देखो 'जिहाद'। जांगळवा (वै), जांगळवौ, जांगळू, जांगळूवौ-पु० जांगलू देश । जहाभूत (भूय)-वि० [सं० यथाभूत] वास्तविक । (जैन) बीकानेर । -राय-पु० उक्त देश का अधिपति । श्री जहार-वि० [अ० जाहिर] १ प्रकट, विहित, जाहिर । | करणीजी । २ प्रकाशित । जांगळो-वि० योद्धा, वीर । जहालत-स्त्री० [अ०] मूर्खता, अज्ञानता । जांगियौ-देखो 'जांघियो' । जहासुय-अव्य० यथाश्रुत । (जैन) जांगी-पु० १ नगाड़ा, ढोल । २ ढोली, दमामी। --हरड़े, जहासह-प्रव्य० यथासुख । (जैन) ____ हरडं-पु. बड़ी हरड़। जहि (हि)-सर्व० १ जो, जिस । २ देखो 'जहीं'। जांगेस-पु० युद्ध का राग, सिंधुराग । जहिच्छ (च्छा), जहिच्छिय-प्रव्य० १ यथेच्छ । (जैन)। जांघ-स्त्री० [सं० जंघा] १ घुटने से कमर तक का भाग । २ यथेच्छा । (जैन) २ देखो 'जंघा'। जहीं (ही)-वि० जैसी । -अव्य० १ जैसेही, ज्यों ही। २ जब ।। | जांघियो-पु० १ जंघा पर पहनने का वस्त्र, अधोवस्त्र, कच्छी। ३ जहां। २ एक प्रकार की कसरत । जहीई-कि०वि० यदा-कदा । (जैन) जांच-स्त्री० १ निरीक्षण, देखभाल । २ परख, परीक्षण । जहीन-वि० [अ०] समझदार, विवेकशील । ३ पूछताछ, पड़ताल । ४ शोध, खोज । ५ याचना । जहूट्ठिलौ-देखो 'जुधिस्ठर' । जांचरणी (बी)-क्रि० १ निरीक्षण करना, देख भाल करना। जहूरी-पु० जौहरी। २ परखना, परीक्षण करना । ३ पूछताछ करना, पड़ताल जहूर-वि० [फा० जुहूर] १ प्रगट, जाहिर । २ प्रकाशमान । ___ करना। ४ शोध करना, खोजना । ५ याचना करना । -स्त्री. १ प्रगट व जाहिर करने की क्रिया या भाव, जांजरण-स्त्री० १ पीतल की बनी छोटी घंटिका । २ घुघुरू, प्रकाशन । २ कांति, प्राभा । गुरिया। जहेज-पु० दहेज। जांजर-देखो 'जांझर' । जहोइय (चित, चिय, च्चिय)-वि० यथोचित, मुनासिब, ठीक | जांजरु-पु० १ बिच्छु । २ विष जंतु । ३ देखो 'जांझर'। For Private And Personal Use Only Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जांजळो जानुविजांनु जांजळी-स्त्री० पावस ऋतु में वर्षा के प्रभाव का समय । जांगियार-वि० विज्ञ, जानकार । जांजा-देखो 'जादा'। जाणी-देखो 'जांगिग'। जांश-स्त्री० [सं० जंझा] १ वर्षा के समय चलने वाली तेज | जाणीगर-देखो 'जाणंग' । हवा । झंझावात । २ शमी वृक्ष की फली। ३ झांझर। जाणीज-अव्य० मानो। जांझर-पु० स्त्रियों के पैरों की पायल, नूपुर, पैंजनी। जाणीणो (बौ)-देखो 'जाणणी' (बौ)। जांझरको-पु० बड़ा सवेरा, तड़का, ब्राह्म मुहूर्त । जाणीती-वि० (स्त्री० जाणीती) १ प्रसिद्ध । २ जानकार । जांझरियाळ, जांझरीयाळ-स्त्री. १ 'जांझर' पहनने वाली। जाणीवांरण-वि०१ जानकार, ज्ञाता । २ परिचित । २ देवी, दुर्गा। जांणु-वि० ज्ञाता । (जैन)-पु० घुटना । (जैन)-प्रव्य० मानो। जांभळी-देखो 'जांजळी' । जाणे (3)-प्रव्य. मानो। जांझी-वि० १ बहुत सी, अधिक । २ देखो 'जांझ' । | जाणेउ (तो)-वि०१ जानकर, वाकिफकार। २ देखो 'जाणीती'। जांट-पु० शमी वृक्ष । जांत-स्त्री० खाट, चारपाई। जांणंग, जांणंगी-वि० [सं० ज्ञायक] १ जानकार, विज्ञ । जांदा-स्त्री० १ इच्छा, अभिलाषा । २ मुश्किल । २ चतुर । जांन-स्त्री० [फा०] १प्राण, जीव । २ जीवन । ३ श्वास । जाण-स्त्री० [सं० ज्ञान, यान] १ ज्ञान, जानकारी। २ जान- ४ बल, सामर्थ्य । [सं० जन्य:] ५ वर यात्रा, बारात । पहिचान, परिचय। ३ जानने की क्रिया या भाव । ४ सवारी। -[सं० यान] ६ सवारी, वाहन । ५ यमुना नदी । -वि० [सं० ज्ञानी] जानने वाला, | जांनउत्र-स्त्री० [सं० जन्य:-यात्रा] बारात । विज्ञ । -अव्य० मानो, मानलौ । जानकी-स्त्री० [सं० जानकी] जनक की पुत्री, सीता । -जीवन जाणई-देखो 'जानकी'। -पु० श्रीराम । -माथ-पु० श्रीराम । -मंगळ-पु० सीता जारणक-वि० जानने वाला, विज्ञ । -अव्य० मानो, जानो, जैसे। के विवाह सम्बन्धी काव्य । -रमण, वरण-पु. श्री जाणकार-वि० १ जानकार, विज्ञ । २ चतुर। ३ अनुभवी । रामचन्द्र । ४ जान-पहचान वाला। जानकीस-पु. [सं० जानकी-ईश] श्रीरामचन्द्र । जारणकारी-स्त्री. १ जानने का गुण, विज्ञता । २ ज्ञान । जांनड़, जानड़ली, जांनड़ी-देखो 'जान' । ३ परिचय । ४ अभिज्ञता । ५ निपुणता । जांनणी-स्त्री० बारात में जाने वाली युवती, स्त्री। जाणग (गर)-देखो 'जाणंग' । जानदार-वि० [फा०] १ जिसमें जान, प्राण या जीव हो । जाणण, जाणणा-स्त्री० १ जानने की क्रिया या भाव । २ ज्ञान । सजीव । २ बलवान, शक्तिशाली,। ३ दृढ़, मजबूत । जाणणौ (बो)-क्रि० [सं० ज्ञानम्] १ जानकारी करना, जानपदी-स्त्री० एक अप्सरा विशेष । जानना । २ परिचय करना, परिचित होना। ३ ज्ञान प्राप्त जांनपात्र-पु० [सं० यान-पात्र] नाव, नौका । करना, अनुभव करना। ४ समझना। ५ सूचना पाना। जांनमाज-स्त्री० [फा० जानमाज] नमाज पढ़ने का प्रासन । ६ सहायता करना, मदद करना। ७ पोषण करना । जांनराय-पु० राठौड़ों के कुल देव, विष्णु। जाणपणु (पणु, पणो)-पु० [सं० ज्ञान+त्वन् ] ज्ञान, जानकारी। जानवर-पू० [फा०] १ प्राणी, जीव । २ पशु । ३ चौपाया पशु । जाणपिछारण-स्त्री० जान-पहचान, परिचय ।। ४ हेवान । -वि० मूर्ख, बेवकूफ।। जांरणय-वि० [सं० ज्ञायक] जानकार, बुद्धिमान । (जैन) जांनसीन-पु० [फा० जानशीन] उत्तराधिकारी । जाण्या-स्त्री० [सं० ज्ञान] ज्ञान, समझ । (जैन) जाणरह-पु० [सं० ज्ञानरथ] एक प्रकार का रथ । जांनि, जांनिड़ो, जानियौ जांनी, जांनीड़ो-पु० [सं० जन्य] जाणवरणो (बो)-देखो 'जांरगणो' (बौ)। बाराती, वर पक्ष का व्यक्ति। -वि० प्रारण संबंधी। जाणवय-वि० [सं० जानपद] देश का, देशी । (जैन) | जानीवासउ, जांनीवासौ-पु० [सं० जन्य-न-पावासक] बारात का जांणसाला-स्त्री० [सं० यानशाला] वाहन कक्ष । (जैन) डेरा, जान का प्रवास । जाणारणी (बी), जारणावरणो (बौ)-क्रि० १ जानकारी कराना, जानु-पु० [सं० जानु] १ जांध व पिंडली के मध्य का भाग। जानवाना । २ परिचय कराना, परिचित कराना । ३ ज्ञान २ जांघ । ३ देखो 'जान्हो' । -सर्व० उनको । कराना, अनुभव कराना। ४ समझाना। ५ सूचना देना। -ग्रव्य० मानो। जांरिण-अव्य० मानो । -सर्व जिस । देखो 'जांग' । जांनुकोकंत-पु० श्रीरामचन्द्र । जाणिक-देखो 'जांगाक' । जांनुविजांनु-पु० तलवार का एक हाथ । For Private And Personal Use Only Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जांनू ( ४६२ ) जांमित्र जांनू-देखो 'जांनु। जांमरण-स्त्री० [सं० जामिन्] १ माता, जननी। २ जन्म । मानेती-पु. बाराती। ३ संतान । ४ पुत्री। ५ बहिन । -पु०६ दूध को जमाने जानेलौ-पु. एक प्रकार का घास । के लिये उसमें डाली जाने वाली छाछ या खटाई। ७ किसी जानेस-देखो 'जान'। पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन के लिये किया जाने वाला जानेसुरी--स्त्री० दुर्गा, महामाया । अन्य पदार्थ का मिश्रण । ८ जामुन । ९ देखो 'जांमणी' । जांनोई-देखो 'जनोई। -जाई-स्त्री० सहोदरा । -जायौ-पु० सहोदर । जांनोटण-पु० बारात के प्रस्थान से पूर्व वर पक्ष की ओर से -मरण, म्रत-पु० जन्म-मरण । दिया जाने वाला भोज । जांमरिण (पी)-स्त्री० १ दूध जमाने का पात्र । २ जननी, जांनोली-स्त्री० विवाह के बाद लौटते समय किसी बीच स्थान माता । ३ रात्रि, यामिनी। -चर-पु० निशाचर, असुर । पर बारात को दिया जाने वाला भोजन । जांमरणी-पु. प्रथम प्रसव के उपरान्त कन्या को दिया जाने वाला जांनौ-१ देखो 'जान्हौ'। २ देखो 'जानु' । वस्त्र प्राभूषणादि । जांन्यो-देखो 'जांनी'। जांमरणौ (बौ)-क्रि० [सं० जनि] जन्म लेना, जन्मना, पैदा जान्हक-पु० घोड़ों का एक रोग । होना। जान्हवी-स्त्री० [सं० जाह नवी] गंगा, भागीरथी। जांमवगनि (नी)-पु० [सं० जामदग्न्य] परशुराम के पिता, एक जान्हौ-पु० [सं० जानु] १ घुटने में होने वाला एक रोग । ऋषि । २ देखो 'जानु। जांमदांनी-स्त्री० चमड़े की सन्दूकची विशेष । जांबक-पु० [सं० जबुक] १ सियार, गीदड़ । २ कुत्ता। जांमदेवासुरां-पु० ब्रह्मा, विधि । जांबफळ-पु० अमरूद। जामन-देखो 'जांमण' । देखो 'जामिन' । जांबवंत (वत)-देखो 'जांबवान' । जांमनि (नी)-स्त्री० [सं० यामिनी] १ रात्रि, निशा । २ देखो जांबवंती (वती)-स्त्री० [सं०] श्रीकृष्ण की एक पत्नी। __ 'जांमिन' । जांबवान-पु० [सं० जाम्बवान] ब्रह्मा का पुत्र व सुग्रीव का जामनीस-पु० [सं० यामिनीश] चन्द्रमा, शशि । ___ मंत्री, रीछपति । जामनेमी-पु० इन्द्र। जांबवि-पु० [सं०] वज्र । जांमन्न-देखो 'जामिन'। जांमफळ-पु. १ एक देव वृक्ष विशेष । २ अमरूद नामक फल । जांबुमाळी-पु० [सं० जाम्बुमाली] हनुमान द्वारा मारा गया, जांमयं-स्त्री. रात्रि, निशा। रावण का एक राक्षस । जांमळ (ली)-वि० [सं० यामल] १ अतुल्य । २ मिला हुआ । जांबू-गु० [सं० जाम्बू] १ जामुन । २ रक्त विकार रो शरीर पर ३ युग्म । ४ दोनों । ५ साथ-साथ। -पु. १ जोड़ा, होने वाले चकत्ते । ३ एक प्रकार का घोड़ा। युग्म २ जन्म । ३ जुड़वां बच्चे। जांबूरणय-देखो 'जांबूनद' । जांमळणी (बी)-क्रि० १ मिलना, शामिल होना। २ एकाकार जांबूनव-पु० [सं०] १ स्वर्ण, सोना । २ धतूरा। होना । ३ मिश्रित होना । जांबूफळ-पु० जामुन । -वि० काला, श्याम । जामवंत (वत)-देखो 'जांबवांन' । जांबी (भौ)-पू० विश्नोई सम्प्रदाय का प्रवर्तक एक सिद्ध । जांमवती-देखो 'जांबवंती'। जांमंत-देखो 'जांबुवांन'। जांमाइरण-पु० यमराज । जांमति (ती)-देखो 'जांबवंती'। जामात (ता)-पु० [सं० जामातु] जवाई, दामाद । जांम-पु० [फा० जाम, याम] १ प्याला । २ शराब का प्याला। जांमामस्जिव-स्त्री० मुख्य मस्जिद । ३ शराब पीने का पात्र । ४ क्षण, पल । ५ समय । जांमि -स्त्री० [सं० जामि] १ बहिन । २ लड़की । ३ पुत्र-वधू । ६ प्रहर, घड़ी। ७ पिता, जनक । ८ पुत्र, बालक । ६ वस्त्र, ४ नातेदार स्त्री । ५ सती, साध्वी। कपड़ा। १० यादवों की एक शाखा । ११ रात्रि, यामिनी। | जांमिए-पु. योगी। -वि० दाहिना । -क्रि० वि० जब । जांमिक-पु० [सं० यामिक] १ चौकीदार, पहरेदार । २ रक्षक । मांमकी, (खी, गि, गी)-स्त्री० प्रातिशबाजी बन्दूक का पलीता -परण-पु० चौकीदारी। रक्षा । -दार-पु० जिस में पलीता लगा हो । जांमित्र-पु० [सं०जामित्र] १ लग्न से सांतवां स्थान । २ जन्म जांमघोस-पु० [सं० यमघोष] मुर्गा । से सातवां लग्न । -वेध-पु० ज्योतिष का एक योग । For Private And Personal Use Only Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नामिन www.kobatirth.org जमिन - वि० [अ० जामिन] १ जमानत देने वाला, साख भरने वाला, साक्षी । २ गवाह । ३ जिम्मेदारी लेने वाला । -दार-बि० ० जमानत देने वाला । ( ४६३ ) | जामिनी-स्त्री० [फा०] १ जमानत जिम्मेदारी [सं० यामिनी २ रात्रि, निशा । " जांमिप पु० [सं० जामिप] बहिन का पति बहनोई जांमिय, जामी - पु० १ पिता । २ स्वामी, मालिक । ३ योगाभ्यासी, योगी । ४ यमराज, यम । ३ भरणी नक्षत्र । उत्पन्न । , जाई स्त्री० [सं० जाया] १स्त्री २ कन्या पुत्री देखो 'जाति' सर्व० उस 1 जाउ पु० [सं० जायु] दवा, श्रौषधि जाऊड़ी-१० एक प्रकार का वृक्ष जांमीत पु० पिता । जांमु', । ०वि० [सं० यावत्] जब जब तक १० जाकजमाळा-वि० मोटा ताजा हृष्ट-पुष्ट , जाकेड़ी, जाकोड़ो-देखो 'जाखोड़ो' । १ दन्तक्षत, दाग । २ जामुन ३ देखो 'जांन्ही' । जांमुग (न) - पु० [सं० जंबु] १ जामुन का पेड़ । २ जामुन का फल । जामुनी (भी) - वि० जामुन के फल के रंग का, जामुनी । जति पु० पोढा, बहादुर जोमोपत पु० सन्तानोत्पत्तिवि० जन्मा हुमा जांमौ-पु० [फा० जाम: ] १ एक प्रकार का घेरदार पहनावा । २ पुत्र, बेट | ३ जन्म | जांभ्य वि० [सं० ग्राम्य] १ यमराज संबंधी यमराज का । २ दक्षिण का नवी० १ दक्षिण २ विष्णु ३ शिव । स्त्री० । । । ४ यमदूत । ५ चंदन वृक्ष । ६ अगस्त्य मुनि । जांभ्या स्त्री० [सं०] याम्या] १ दक्षिण दिशा २ राषि, निशा । जाग (ह) जाइगा, जाइगाइ (ई) - देखो 'जायगा । जाइलिग पु० [सं०] जातित्रिग) ग्यारह प्रकृति का समुदाय जाइथेर- पु० [सं० जातिस्थिविर ] साठ वर्ष से अधिक श्रायु वाला जैन साधु | जाइधम्मय- देखो 'जातिधरम' । जाइपह- पु० [सं० जातिपथ ] श्रावागमन का स्थान, संसार | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाइफळ - देखो 'जायफळ' । जाइय - वि० [सं० याचित] मांगा हुआ । (जैन) जाइमा स्वी० [सं० जातिवंध्या) बांध स्त्री (जैन) आई दो वि० [फा० जाईद] (स्त्री० जाईदी) जम्मा हुआ, जागरिका जांब (बी) क्रि० साथ होना शामिल होना जांबळि (ळी) - देखो 'जांमळ' | जांat - पु० एक सरकारी कर । जांसारी - स्त्री० To जूवा, द्यूत का खेल । जाहनवी देखो 'जान्हवी'। जा-स्त्री० १ माता, जननी । २ योनि । ३ फांसी । - वि० १ वृद्ध । २ चतुर । ३ उत्पन्न । सर्व० जो, जिस, जिन । जाइ वि० [सं० यायिन] १ जाने वाला (जैन) । २ जितना । ३ देखो 'जाति' । सर्व० जिन, जिस । जागतीकळा (जोत ) - १ दीपक, ज्योति । २ देवी चमत्कार | - वि० १ प्रभावशाली । २ कुछ करने योग्य | जाजीव० [सं०] जात्याजीव] जाति जान कर याहार लेने जागवती- पु० [सं० पाशदत्ति ] कुबेर । जाइप्राजीव । वाला साधु (जैन) । जागळिक पु० वाजवत्य ऋषि । जाप्रासीसि० [सं० जात्याजीवि जन्म से ही विता जागर० [सं०] १ध्यान कुत्ता २ कवच ३ जागृति । । । । प्राणी । - वि० जागने वाला । जागृत । । जाखत - पु० एक प्रकार का वृक्ष व इसका फल | जाखमांनि - पु० यक्ष । जावळ- पु० [सं०] बन] १ यक्ष २ देखी 'जायी' । जाखालपट्टी-स्त्री० बीकानेर राज्य का एक क्षेत्र जाखी - वि० १ दुष्ट, प्राततायी । २ पापी । पु० १ बलि का बकरा, बलिपशु । २ ऊंट | जारी जोड़ी० उंट । जावंगी पु० [सं० यज्ञांग] १ उदुंबर वृक्ष २ देखो 'जोगंगी'। जाग० [सं० याग] १ यज्ञ २ विवाह ३ जागरण । । । ४ अग्नि स्त्री० ४ घोड़ी की योनि । ५ घोड़ी का ऋतुमती होने का भाव । ६ देखो 'जायगा' | जागरण - १ देखो 'जागरण' । २ देखो 'जाग' । जागरणौ - वि० (स्त्री० जागणी) जगने वाला । जागली (बी० [सं० जागरणम् १ जागते रहना, नींद न लेना । २ नींद से उठना 1 ३ सावधान होना, जागरुक होना । ४ प्रज्वलित होना, चेतन्य होना । ५ उत्तेजित होना । ६ जगमगाना । ७ उन्नति करना । जागरि जागरिका स्त्री० जागृति जागतारण - पु० [सं० यागत्रातृ] यज्ञ का उद्धार करने वाला देव । जागती देखो 'जगती' । For Private And Personal Use Only जागरण - पु० [सं०] १ रात भर जगते रहने की क्रिया या भाव । २ रात भर जागकर ईश्वर भजन करने की क्रिया या भाव। ३ निद्रा का प्रभाव । ४ जागृति । ५ सावधानी, सतर्कता । १ जागरण जागृति २ देखी 'जागरी' | Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जागरिया जाडायाती करना। जागरिया-स्त्री० [सं० जागर्या] १ चित्तन । २ विचार । जाजम-स्त्री० [फा०] १ जमीन पर बिछाने का लंबा चौड़ा व जागरी-स्त्री० एक जाति विशेष । मोटा वस्त्र, दरी । २ गलीचा, कालीन । जागरुक (रूक)-वि० [सं०] १ जागत, जगा हुआ। २ सतर्क | जाजमलार-पु० [तु० जाजामलार] सम्पूर्ण जाति का एक राग । सावधान । ३ चैतन्य । जाजमाज (माट, माठ)-वि० कम थोड़ा। जागळ -स्त्री० एक मछली विशेष । जाजरउ-वि० [सं० जर्जरः] (स्त्री० जाजरी) १ जीर्ण-शीर्ण । जागवणी (बौ)-देखो 'जागरणो' (बौ)। २ वृद्ध, बूढ़ा । ३ क्षीण, कमजोर । जागवलक देखो 'जागबळिक' । जाजरणी (बो)-क्रि० १ संहार करना, मारना । २ नष्ट जागवी-स्त्री० अग्नि, प्राग । जागसेनी-स्त्री० [सं० याजमेनी] द्रौपदी। जाजर (रू)-पु० १ शौचालय, टट्टी। २ शौचालय का कूमा। जागा-देखो 'जायगा। जाजरौ-वि० (स्त्री० जाजरी) फटा पुराना । जागीर -स्त्री० १ राजा या बादशाह की ओर से दिया जाने जाजळ-पु० १ स्नान का पानी गर्म करने का बर्तन । वाला गांव या क्षेत्र, अपने शासन का गांव या भूमि । २ देखो 'जाजुळ' । -मान='जाजुळमान'। २ जोतने के लिए दी गई लगान मुक्त भूमि । -वार-पू० । जाजळी -देखो 'जाजुळ' । किसी जागीर का मालिक। जाजामलार-स्त्री० सम्पूर्ण जाति की एक राग । जागीरी स्त्री० [फा०] जागीरदार का गांव, क्षेत्र या भूमि ।। जाजी-वि० [सं० याजि] १ यज्ञ करने वाला, याज्ञिक । शासन, हुकूमत। २ देखो 'जाजी'। जागेवी-स्त्री० [सं० जागृवी] अग्नि, आग। | जाजीव-अव्य० [सं० यावज्जीवनम्] जब तक जिये, जागेसर (स्वर)-देखो 'जोगीस्वर' । जीवन पर्यन्त । जाग-स्त्री० ऋतुमती घोड़ी। जाजुळ (ळि)-वि० [सं० जाज्वली, जाज्वल्य] १ भयंकर, जाग्या-देखो 'जायगा। जबरदस्त । २ ऋद्ध, क्रोधित । ३ तेजस्वी जाज्वल्यमान । जाग्रत-वि० [सं० जागृत] १ जो जग रहा हो, जागृत, जगा ४ शक्तिशाली, बलवान । -मान-वि० तेजस्वी । हुप्रा । २ सतर्क, सावधान । ३ चैतन्य । -स्त्री. जगते रहने | जाजो-वि० (स्त्री० जाजी) १ अत्यधिक, बहुत । २ सघन, घना की अवस्था । चेतना, सतर्कता की अवस्था । गहन । ३ गाढ़ा। जागति-स्त्री० [सं० जागृति] १ जगे रहने की अवस्था। जा'श-देखो 'जा'ज'। २ उत्तेजना । ३ चेतना । ४ होश। जाझेरा-वि० पर्याप्त, बहुत । जाप्रवी-स्त्री० [सं० जागृवि] अग्नि, ग्राम । जाट (व)-पु. (स्त्री० जाटण, जाटणी) १ उत्तर, पश्चिम व जाड-१ देखो 'जाडो' । २ देखो 'झाड़' । मध्य भारत में बमने वाली एक प्रसिद्ध जाति व इस जाति जादी-स्वी० १ दाढ़ी के बालों पर बांधी जाने वाली पट्टी।। का व्यक्ति । इनका प्रमुख व्यवसाय कृषि है। २ कोल्हू का २ दाढ़ी, जबड़ा। एक उपकरण । जाडो-पु० १ शीतकाल, सर्दी । २ ठंडा मौसम । ३ जबाड़ा। जाटाबांमी (भाभी)-स्त्री० चमारों की एक शाखा व शाखा ४ समूह । ५ समाज । ६ देखो 'झाड़ो'। का व्यक्ति । जाचक (ग, रण)-वि० सं० याचक] १ याचना करने वाला, जाटाळिका-स्त्री० एक स्कन्द मातृका विशेष । २ भिखारी, मंगता । ३ जांच करने वाला। जाद-वि० १ जाटों संबंधी, जाटों जैसा । २ देखो 'जाट'। जाचणी (बौ)-[सं० याचनम्] १ याचना करना, मांगना । जाठर-वि० [सं०] १ पेट संबंधी । २ गर्भज । ३ पाचन शक्ति । २ भिक्षा वृत्ति करना । ३ जांच करना । जाठरागनी-देखो जठराग्नि' । जाचा-देखो 'जच्चा'। जाड (उ)-स्त्री० १ शक्ति, सामर्थ्य । २ मोटापा । ३ मूर्खता । जाचिक (ग)-देखो 'जाचक' । ४ जड़ता । ५ कठोरता । ६ अड, समूह । ७ एक देश का जाचेल-पु० तिल्ली का तेल । नाम । ८ अकर्मण्यता । ९ सुस्ती। -वि०१ जड़ । २ देखो जाज, जाज-स्त्री० [अ० जहाज] १ पानी में चलने वाला यान, 'जाडो'। -अव्य० चाहे, भले से। जलयान, जहाज । २ बैलगाड़ी का थाटा। जाडा-स्त्री० जबरदस्ती, जोरावरी । जाजत्री-स्त्री० एक शस्त्र विशेष । । जाडायती-क्रि० वि० हठात्, जबरदस्ती से । For Private And Personal Use Only Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जाडोजणी जादू जाडीजणी (बी)-क्रि० १ मोटा होना, मोटाई पाना । २ घना संस्कार विशेष । -धरम-पु० किसी जाति या वर्ण का होना, गहरा होना । ३ अधिक होना। ४ गाढ़ा होना।। कर्तव्य, धर्म । जाडो-वि० १ जिसकी मोटाई अधिक हो, मोटा । २ हृष्टपुष्ट, | जातिका-मरण-पु० ज्योतिष का एक ग्रंथ । तगड़ा । ३ अधिक, बहुत । ४ ठोस । ५ दृढ़, मजबूत । | जाति-पांति-स्त्री० जात-बिरादरी, जाति व वर्ग, श्रेगी। ६ सघन, घना । ७ मोटे-मोटे ताने या तंतु वाला। जातिफळ-पु० [सं०] जायफल । जाणौ (बी)-क्रि० १ जन्म देना, पैदा करना, प्रजनन करना । जातिब्राह्मरण-पु० केवल जन्म से ब्राह्मण, कर्म से नहीं । २ देखो 'जावणी' (बी)। जातिसंकर-वि० वर्णसंकर, दोगला । जात-वि० [सं०] १ जन्मा हुआ, उत्पन्न । २ कुलीन ! ३ निकला जाती-देखो 'जाति' । हुआ। -स्त्री० १ जीव, प्राणी। [सं० यात्रा] २ मनौती। जातीफळ-देखो 'जातिफळ' । ३ वर-वधू या दम्पति का किसी तीर्थ या देवस्थान पर जातीयता-स्त्री० जातीत्व, जाति गत भावना। जाकर अभिवादन करने की क्रिया या भाव। ४ तीर्थ यात्रा। जातीलौ-वि० जाति संबंधी । ५ देखो 'जाति'। जातीसमर, जातीस्मर-वि० पूर्व जन्म का ज्ञान रखने वाला। जातक-पु० [सं०] १ फलित ज्योतिष का एक भेद । २ बौद्ध, -पु० पूर्व जन्म का ज्ञान । कथानक । ३ बच्चा । ४ भिक्षुक । ५ जात कर्म । ६ समान | जातुधान-पु० [सं० यातुधांन] असुर, राक्षस । वस्तुओं का जोड़। जातू-पु. बैलगाड़ी के 'माकड़े' में खड़ा लगने वाला मोटा जातकम्म, जातकरम, जातक्रमयं-पु० [सं० जातकर्म ] हिन्दुओं डंडा। के दश संस्कारों में से चौया संस्कार । जात्र-देखो 'जातरा'। जातण-पु० यात्री । सती, सेवक । जात्ररिण-स्त्री० [सं० यात्रिगी] स्त्री यात्री। जातरणा-देखो 'यातना'। जात्रा-१ देखो 'जातरी' । २ देखो 'जात्' । जातरणौ (बी)-क्रि० [सं० यात्रण] यात्रा करना। जात्रा-देखो 'जानरा'। -वाळ = 'जातरी'। जातधांन-देखो 'जातुधांन'। जात्रिगु. जात्री-देखो 'जातरी' । जातना-देखो 'यातना'। जाद-पु० [सं० याद] १ पानी । २ यादव । -पत, पति-पु० जातपांत-देखो 'जातिपांति'। ___ समुद्र । श्रीकृष्ण । -प्रत्य० [अ० जाद] उत्पन्न, पैदा हुआ। जातबेद (बेध)-स्त्री० [सं० जातवेदस्] अग्नि । जावर (रु)-पु० १ एक प्रकार का सद रेशमी वस्त्र । २ रेशमी जातरा-स्त्री० [सं० यात्रा] १ यात्रा । २ तीर्थाटन । माला। जातरी (क)-पु० [सं० यात्री] १ यात्री, पथिक । २ तीर्थयात्री। जावरियौ-पु० गेहूँ या चने के कच्चे दानों का हलुवा । जादव-पु० [सं० यादव] १ यदु के वंशज, यादव । २ श्रीकृष्ण । जातरूप जातरूपक (रूव)-पु० [सं० जातरूपम्] १ सोना, -वि० (स्त्री० जादवण, जादवरणी, जादवी) यदु संबंधी। स्वर्ण । २ धतूरा । ३ चांदी । -वि० सुन्दर । कांतिवान । -पत, पति-पु० श्रीकृष्ण। -राइ, राई, राऊ, राज, जातविरुद्ध (विरुद्ध)-पु. १ डिंगल गीतों में एक दोष । राजा राव-पु० श्रीकृष्ण । -वंसउजाळ-पु० श्रीकृष्ण । २ जाति परंपरा के विपरीत कर्म । जादवांपत (पति)-देखो 'जादवपति' । जातवेद-स्त्री० [सं० जातवेदस्] अग्नि, प्राग । जादवेंद्र-पु० [सं० यादवेन्द्र] श्रीकृष्ण । जातसिखंडी-पु० [सं० शिखंडी-जात] बृहस्पति । जदवौ (व्व)-देखो 'जादव' । जातसंख, जातासंख-वि० मूर्ख, बेवकूफ । जादस-पु० [सं० यादम] १ मछली । २ जलजंतु । --पत, पति, जाति-स्त्री० [सं०] १ जीवों या प्राणियों की श्रेणी, वर्ग| पती-पु० वरुण । समुद्र । योनि । २ वर्ग, समूह, समुदाय । ३ समाज । ४ वंश | जादा-वि० [अ० जियाद:] १ अधिक, बहुत । २ तुलना में परम्परा के अन्तर्गत होने वाला कोई एक वर्ग । ५ समान अधिक, बढ़कर । ३ अति । धर्म या संस्कृति वाला वर्ग । ६ कुल, गौत्र । ७ वंश । | जादु-पु० [सं० यादस्] १ जल, पानी । २ यादव । ३ देखो ८ जन्म, उत्पत्ति । ९ एक ही कर्म करने वाला समुदाय । 'जादू'। -नाथ-पु० श्रीकृष्ण । समुद्र । -पत, पति-पु० १० क्षेत्र विशेष के निवासी । ११ चमेली का पौधा या श्रीकृष्ण । समुद्र । --रांग-पु० श्रीकृष्ण । फूल । १२ मालती का पौधा या फूल । १३ मनुष्यों के | जादू-पु० [फा०] १ इन्द्रजाल । २ चमत्कारी घटना । चार विभागों में से कोई एक । --कम्म, करम-पु० एक ३ अमानवीय कार्य । ४ कुछ तांत्रिक क्रियाएँ जिनका किसी For Private And Personal Use Only Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जारी जापक- वि० ० जाप करने वाला । - । । पर प्रयोग किया जाता है । ५ वशीकरण । ६ यादववंशी क्षत्रिय गर० ऐन्द्रजालिक जादुई खेल दिखाने वाला - गरी स्त्री० जादू के खेल । ऐसे खेल करने की वृत्ति । नजर - वि० आकर्षित करने की शक्ति वाला । जादौ वि० [सं० पास [फा०] जाद] (स्त्री० [जादी) १ उत्पन्न, पैदा हुया । २ वंशज । पु० १ पुत्र, बेटा । २ यादव | -राय- पु० यादवपति श्रीकृष्ण । जाप देखो 'जप' । www. kobatirth.org ( ४६६ ) जाताई देखो 'पती' भापती- पु० [अ०] जावित] १ प्रबंध इन्तजाम हिफाजत । ३ कानून | ४ कानूनी न्याय । जापावर पु० प्रसुती पर जापायती- वि० ● प्रसूता । जच्चा । आपी वि० जप करने वाला । जापअप पु० जप-तप । साधना । जापरणी (बी) - देखो 'जपणी' (बी) । जापत - स्त्री० [प्र० जियाफत ] १ भोज, दावत । २ व्यवस्था, प्रबन्ध २ सुरक्षा, २ सुरक्षा, जापूनी - वि० (स्त्री० जापूनी) अशक्त व निर्बल । निकम्मा । जापैलेदिन, जाबिन पु० पांचवां या छठा दिन । जापो पु० प्रसव, प्रसवकाल । आध्य - पु० [सं०याप्य] १ दुस्साध्य रोग । २ असाध्य रोग जिसमें पथ्य व साधन रख कर ही जिन्दा रहा जा सकता है । जाफ-स्त्री० [अ०] जोफ] बेहोगी, मुगल जाफत स्त्री० [प्र० जियाफत ] १ भोज, दावत । २ अतिथि सत्कार । ३ जावत । जाक (रांनी [० जाफरान] १ केसर २ फूल, पुष्प जाफरांनी वि० १ केसर का, केसर संबंधी । २ केसर युक्त । ३ केसरिया । - तांब-पु० उत्तम क्षेरणी का तांबा | जाफरी-स्त्री० [० जाफरान] १ केसर । २ जाली लगा बरामदा । ३ जाली का दरवाजा । जाब- पु० १ हिसाब, लेखा । ३ जवाब, उत्तर । ३ प्रश्न, सवाल । ४ प्राज्ञा, प्रादेश | जानक- वि० १ सब, समस्त । २ मूर्ख क्रि० वि० कतई, विस्कुल जाबड़ी-देखो 'जवाड़ों जाब ज्वाब - क्रि० वि० [फा० जा-ब-जा] १ स्थान-स्थान पर, जगह-जगह । २ यदा-कदा | जाबताई - देखो 'जापती' । जानतो देखो 'जापती' । जाबर - वि० [सं० जर्जर] वृद्ध, बुड्ढा । जाबसाल - पु० सवाल-जवाब, प्रश्नोत्तर | जाबाड़ी देखो 'जबाड़ी' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाबाळ- पु० [सं० जाबाल] सत्यकाम नामक ऋषि । जाबालि पु० [सं० जावालि] राजा दशरथ के गुरु व मंत्री एक कश्यप वंशी ऋषि । जान्तौ देखो 'जापती' । जामात देखो 'जमाता' । जायोड़ो - जाय[स्त्री० [सं०] पृथिका १ सफेद जूही (सं० याग २ यज्ञ ३ देखी 'जायो' | जायउ-देखो 'जायो' । जायक स्वी० १नही २ लौंग जायकम्म पु० [सं० जातकर्मन् ] १ प्रसूती कर्म २ जातकरम जायकेदार - वि० [अ०] स्वादिष्ट, मजेदार, सरस । जायको पु० [अ०] जायका] स्वाद मजा चानन्द, सज्जत जायग-पु० [अ० याजक ] यज्ञ करने वाला । (जैन) जायगा स्त्री० [फा० जायगाह] १ स्थान, जगह, प्रहदा । ३ मौका, अबसर । ४ भवन । जाय पु० [सं०] [जापान] ज्योतिष का एक अशुभ योग जायज वि० [०] १ उचित, ठीक, वाजिव २ नियमानुसार। ३ अपेक्षित । For Private And Personal Use Only २ पद, जायरण - स्त्री० [सं० यातना] १ कष्ट, पीड़ा । २ याचना । जायतेय स्त्री० [सं०] जाततेजस्] चग्नि, भाग जायद वि० [फा०] अधिक, ज्यादा । । - जायदाद स्त्री० [फा०] सम्पत्ति, धन । गैरममकूला स्त्री० सम्पत्ति जोजियत स्त्री० स्त्री के अधिकार की सम्पत्ति । - मककूला- स्त्री० गिरवी रखी सम्पत्ति । मनकूला स्त्री० [चन सम्पत्ति मुतनाजिया स्त्री० विवाद ग्रस्त संपत्ति सौहरी स्त्री० पति की सम्पत्ति । जायनमाज - पु० [फा०] नमाज पढ़ते समय बिछाने का वस्त्र । जायपत्री - स्त्री० [सं० जातिपत्री] जायफल का छिलका । जायफळ पु० [सं० जातिकर] बेर के आकार की एक सुगंधित औषधि जो खाद्य पदार्थों में भी डाली जाती है । जायकव० [सं० जातरूप) सोना, स्वर्ण (जैन) । जाया स्त्री० [सं०] १ स्त्री, महिला २ पली । कुण्डली का एक योग । ४ यात्रा । ५ शरीर - जीव पु० पत्नी की कमाई पर जीने वाला । जाया (ई) - पु० [सं० यायाजिन्] यज्ञकर्त्ता, याजक । जापी स्त्री० [सं०] जानि] १ संगीत में एक ताल | २ बेटी, पुत्री । ब ३ जन्म निर्वाह । -- जायोड़ो जायो-वि० [सं० जात] [स्त्री० जायांड़ी, जायी) १ जन्म दिया हुथा, पैदा किया हुआ । २ उत्पन्न, जन्मा हुमा पु० १ पुत्र, लड़का । २ बच्चा । Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जारग । ४६७ ) जाळिका जारंग-वि० हजम करने वाला। १६ कर्मबंधन । १७ मोतियों का गुच्छा । १८ पाखंड । जार-वि० [सं०] १ परस्त्री गामी । २ प्राशिक, प्रेमी । १९ अांख की पुतली पर की झिल्ली । २० प्याज की परत ३ व्यभिचारी। -पु० १ रूस के सम्राट की उपाधि । की भीतरी झिल्ली। २१ नींबू की जड़ में होने वाला एक २ ध्वंस, संहार । -करम-पु० व्यभिचार, परस्त्रीगमन । एक रोग। २२ चासनी या बगार की परिपक्वावस्था । ---ज-वि० पर पुरुष या यार की संतान । २३ देखो 'झाळ'। जारजजोग-प०सं० जारजयोग मलित योनि जाळउर-पु० [सं० ज्वालापुर] जालौर नगर का प्राचीन नाम । का एक योग । जाळक-वि० जलाने वाला। जाळकार-वि० जाल रचने वाला, जाली, षड़यंत्रकारी, जारटौ-देखो 'जार'। पाखंडी। -स्त्री० मकड़ी। जारठ-वि० वृद्ध, बूढ़ा। जाळकिरच-स्त्री० परतला मिली वह पेटी जिसके साथ तलवार जारण-पु० [सं०] १ जलाने या भस्म करने की क्रिया या | भी हो। भाव । २ पारे का ग्यारहवां संस्कार। ३ नाश, ध्वंस। | जाळकोसी-स्त्री० किसी वस्तु में बने छोटे-छोटे छेदों का समूह । जारणी-वि० (स्त्री० जारणी) १ मारने वाला, संहार करने जालग-पु० [सं० जालक द्विन्द्रिय जीव समूह (जैन)। वाला। २ नाश करने वाला । ३ जलाने वाला । जाळजीवी-पु० [सं० जालजीवी] मछुपा, धीवर । ४ पचाने वाला। जाळण-वि० [सं० ज्वलन] जलाने वाला । -स्त्री० अग्नि । जारणी (बो)-क्रि० [सं० जू] १ जलाना, भस्म करना । जाळणी-पु० जालीदार झरोखा। २ पचाना, हजम करना । ३ मारना, संहार करना । जाळणी (बी)-देखो 'जळाणी' (बी) । ४ सहन करना। ५ शांत करना। जाळदार-वि. १ जिसमें जाली लगी हों । २ कपटी, षड़यंत्रजारत, जारता-स्त्री० [अ० जियारत] तीर्थयात्रा। कारी, धोखेबाज। जाळपादेवी-स्त्री० एक देवी विशेष । जारदबी (वी)-स्त्री० [सं०] ज्योतिष में मध्य मार्ग की एक जाळप्राया-पु० [सं० जालप्राया] कवच । वीथी। जाळव-पु० बलराम द्वारा मारा गया एक दैत्य । जारां-क्रि० वि० जब। जारिणी-स्त्री० [सं०] छिनाल औरत, व्यभिचारिणी स्त्री। जालबउरणी (बो)-देखो 'झालणौ' (बो)। दुश्चरित्रा। जाळवणी (बौ)-क्रि० १ जलाना । २ सुरक्षित रखना, जारिसि (सी)-वि० [सं० यादृश] जैसे (जैन)। संभालना। जारी-क्रि० वि० [अ०] बहता हुआ, चलता हुअा। -स्त्री० | जाळसाज-वि० धोखेबाज, षड़यंत्रकारी । १ बदमाशी, बईमानी। २ व्यभिचार, पर स्त्री गमन ।। जाळसाजी-स्त्री. धोखाधड़ी। धूर्तता । षड़यंत्र, कुचक्र । ३ देखो 'झारी' । जाळा (जाला)-स्त्री० [सं० ज्वाला] १ अग्नि, आग । २ अग्नि जारोबकस (बगस)-पु० [फा० जारूबकश] झाड़ लगाने वाला, की लपट, लो। भंगी। जालाउ-पु० [सं० जालायुष] एक प्रकार का द्विन्द्रियजीव । जालंग-पु० बकरी के बालों से बना मोटा वस्त्र । जाळानळ-स्त्री० [सं० ज्वालानल] अग्नि, प्राग । जाळंधरा-स्त्री० एक देवी विशेष । जाळंधरी, जाळंधरीविद्या-स्त्री०१ माया, इन्द्रजाल । २ एक जाळाहळ-पु० [सं० ज्वालन] १ ज्वाला, अग्नि । २ एक प्रकार प्रकार की विद्या। का घोड़ा। ३ जलाशय, तालाब । जाळधरीनाथ, जाळं धी-देखो 'जळधरनाथ' । जाळि-१ देखो 'जाळी' । २ देखो 'जाळ' । जाळ-पु० [सं० जाल] १ एक प्रकार का बड़ा वृक्ष । २ एक जाळिक-पु० [स० जालिक] १ मछुवा, कवट । २ जाल बनान प्रकार की बंदूक । ३ डोरी या तारों का बना फंदा, जाल। । वाला। ३ जाल बिछ वाला। ३ जाल बिछाने वाला । ४ बाजीगर । ५ मकड़ी। ४ मकड़ी का जाल, जाली । ५ षड़यंत्र । ६ किसी बात ६ चिड़ी मार, बहेलिया । ७ गुण्डा, बदमाश । का ताना-माना । ७ मछली पकड़ने का फंदा । ८ रोशन जाळिका-स्त्री० [सं० जालिका] १ जाली, फंदा । २ मकड़ी। दान । ९ कवच । १० खिड़की। ११ माया । १२ भ्रम । ३ समूह । ४ कपट, छल । ५ एक जाति विशेष । १३ जादू । १४ झुण्ड, समूह । १५ सांसारिक प्रपंच ।। ६ जौंक । ७ कवच । ८ लोहा । ९ घूघट । For Private And Personal Use Only Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जाधिर जाळिधर- पु० जालौर का एक नाम । जालिम - वि० [अ०] १ गुण्डा, बदमाश ३ श्राततायी, जुल्मी । ४ झूठा । ६ वीर, योद्धा । जाळिया पु० जाल वृक्ष के फल, पीलू । जाळियौ- वि० ० जालसाज, धोखेबाज | जालि पु० [सं० जालिक] गले का एक आभूषण विशेष जाळियल स्त्री० अग्नि, आग | , 1 www.kobatirth.org । २ क्रूर, निर्दयी । ५ जबरदस्त जोरदार । ( ४६६ ) जाळी स्त्री० [सं०] जालिका] १ डोरों या तारों की बनी कोई चादरनुमा वस्तु २ एक प्रकार का कमीदा ३ छिद्रित । । ५ | 1 वस्त्र ४ भरोसा गवाक्ष जालीनुमा कवच ६ उंट के मुंह पर बांधने का उपकरण । ७ लट्ट चलाने की डोरी । ८ चासनी या छौंक के मसालों की परिपक्वावस्था । - वि० १ कपटी, जालसाज, घुर्त । २ नकली, झूठा, फर्जी । जाळीका स्त्री० १ एक प्रकार का कवच । २ जाली । जाळीदार जाळीबंद (बंध) - वि० जिसमें जाली लगी हो। -पु० डिंगल में एक प्रकार का चित्रकाव्य । जाळीळ-देखो 'जाळिवळ' | जाळोट पु० फोग वृक्ष का एक रोग विशेष जाळोदुसालौ - पु० एक लोग गीत । २ प्रांख की ४ अंधेरा । जाळोवळि (ळी) - स्त्री० अग्नि, श्राग । जाळौ - पु० [सं० जाल ] १ मकड़ी का जाल । पुतली पर पड़ने वाली भिल्ली । ३ जाल । ५ किसी पात्र में जमाया हुआ कंडों का ढेर । जावंत - वि० [सं० यावत ] जितने । (जैन) जाव - पु० १ कुए के पास की कृषि भूमि । २ मेंहदी । ३ देखो जाब' । - क्रि० वि० [सं० यावत्] जब तक । (जैन) जावक - पु० [सं० यावक ] महावर । जावजीव, जावज्जीव-अव्य० [सं० यावज्जीव] जीवन पर्यन्त जावरा - पु० [सं० यापन ] १ निर्वाह । (जैन) २ दूध को जमाने के लिए डाली जाने वाली छाछ या खटाई । जावली (बी० [सं० यानम् ] १ एक स्थान से चलकर कहीं दूसरे स्थान पर जान। । २प्रस्थान करना, खाना होना । ३ यात्रा करना । ४ चलना फिरना । ५ अलग । । होना, दूर होगा ६ स्थान छोड़ कर कहीं प्रत्यत्र होना ७ अधिकार या काबू से बाहर होना । ८ चोरी होना । ९ गुम होना, गायब होना १० व्यतीत होना, गुजर जाना । बीतना । ११ नष्ट होना बिगड़ना। अवसान होना । १३ बहना, जारी होना । होना । १५ मिटना, शान्त होना । १७ किसी बात या प्रसंग को छोड़ देना । जावत अव्य० जब तक, यावत् । १२ मरना, १४] कर्म अकर्मण्य १६ भागना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जावतीच वि० [सं० यावत्] जितना (जैन) जावती, जावत्री स्त्री० [सं० जातिपत्री ] जायफल का सुगंधित छिलका। जावनी स्त्री० यवन भाषा । जावयवि० [सं० यापक] १ व्यतीत करने वाला (जैन) । [सं० जापक] २ राग-द्वेष को जीतने वाला (जैन) । - पु० [सं० यावक ] लाख का रंग (जैन) । जायरी (1) वि० १ जीर्ण-शीर्ण पुराना २ वृद्ध (जैन) । जावालि स्त्री० [प्रग्नि । जावेल पु० [सं० जास्यतेलम् ] चमेली का तेल । जावो-पु० पशुषों की मंदाग्नि मिंटाने की औषधि । | जास क्रि०वि० जिससे जैसे सर्व० जिस जिन पु० [सं०] जाए] १ एक प्रकार का पिसाब (जैन) २ समूह ३ देखो 'ज्यास' | . - जियु जासती - वि० अधिक, प्रति । स्त्री० अत्याचार ज्यादती । J जासु ( सू सू ) - सर्व० जिस, जिन । जासूल - स्त्री० चमेली । जासूस पु० [अ०] गुप्तचर, भेदिया। जासूसी - स्त्री० [अ०] जासूस का कार्य, गुप्तचरी । जाह - स्त्री० [सं० ज्या] धनुष की डोरी, प्रत्यंचा । - सर्व० जिस । - वि० संकोची, शर्मीला । For Private And Personal Use Only जाहर देखो 'जाहिर' । जाहरां क्रि०वि० १ जब तब । २ देखो 'जाहिरा' । जाहरात १ देखो 'जाहिरा' २ देखो 'जवाहरात' । जाहरी स्त्री० प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा । जाहरु (रू) - देखो 'जाहिर' । " जाहिर वि० [०] १ प्रकट विदित २ प्रसिद्ध मशहूर जाहिरां (रा) - क्रि०वि० प्रत्यक्ष में प्रकट में । जाहिल वि० [०] १ मूर्ख बेवकूफ असभ्य । ३ नादान । जाही स्त्री० [सं०] जाति] घमेली, जूही जि- सर्व० जिस । जिद पु० [अ०] जिन] प्रेत भूत [फा०] जिन्द] २ जीव, १ । प्रारण । ३ शरीर । जिदगांरगी (गांनी), जिंदगी स्त्री० [फा०] जिदानी, जिंदगी ] - १ जीवन । २ जीवन काल, आयु । जिदड़ी स्त्री० १ पूहड़ व अनाड़ी स्वी ३ प्र ेतनी । जिवारोमात १० दामाद को परोसा जाने वाला चावल भात । । २ पानी, घनाड़ी, २ काया, शरीर । जिजीवि० [फा०] जिन्दः] १ जीवित, जीता-जागता । २ जी उठने वाला । - पु० १ मुल्ला । २ देखो 'जिद' । Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिभ्राळी ( ४६९ ) जिपणास जिभ्राळो-पु० जंभासुर राक्षस । जिट्ठ-वि० [सं० ज्येष्ठ] १ बड़ा। २ उत्कृष्ट, श्रेष्ठ। (जैन) जिस-स्त्री० [फा०] १ वस्तु । २ सामान, सामग्री। ३ अदद, | जिट्ठा-वि० बड़ी। -स्त्री० १ बड़ी बहन । २ जिठानी । नग। -वार-क्रि०वि० वस्तु वार, अलग-अलग । ३ भगवान महावीर की पुत्री । ४ ज्येष्ठा नक्षत्र । जिह-सर्व० १ जो । २ जिस । -मूळ-पु० ज्येष्ठ मास । जिही-क्रि०वि० जैसे। जिठांणी-स्त्री० जेष्ठ की स्त्री, पति की भाभी। जि-सर्व०१ जो, जिस । २ उस, वह । -प्रव्य ० निश्चय | जिडो-वि० जितना । सूचक, ही। जिणंद (दक, राय) जिणंदू-पु० [सं० जिनेद्र] जैनियों के जिअंती-स्त्री० [सं० जीवंती] एक प्रकार की लता (जैन)। | तीर्थ कर । जिन-वि० [सं० जित] १ जीतने वाला । २ देखो 'जीव' । जिण-सर्व० जिन, जिस । -वि० [सं० जिन] १ जीतने वाला। ___-ढाण-पु० जीव का स्थान भेद । (जैन) २ राग द्वेष से परे। ३ चौदह वर्ष पूर्व के ग्रंथों को जानने जिनां-सर्व० जो, जिन, जिन्होंने । -क्रि०वि० ज से, ऐसे, इस वाला। ४ अतींद्रिय ज्ञान वाला। -पु. १ जन, भक्त । प्रकार । २ संतान । ३ जिनदेव । ४ देखो 'जिन'। -कप्पि, जिप्रार-क्रि० वि० जब । कप्पिय-पु० उत्कृष्ट प्राचार वाला जैन साधु । जियारी-देखो 'जीवारी'। जिरणक्खाय-वि० [सं० जिनाख्यात] जिनेन्द्र का कहा हुमा । जिउ-अव्य० ज्यों, जैसे। जिरणगी-क्रि० वि० जिस जगह, जिस तरफ । जिउ-देखो 'जीव'। जरणचंद-पु० अर्हन देव । एक जैनाचार्य । जिए (ऐ)-सर्व० जो, जिस । जिरगरणी-देखो 'जननी'। जिकरण-सर्व० जो, जिस । उस । जिगणो (बौ)-देखो 'जगारणो' (बी) । जिका, जिका-सर्व० देखो "जिकरण' । जिणदिट्ठ-वि० [सं० जिनद्रष्ट्र] जिनेन्द्र द्वारा अनुभूत । जिकिर, जिक्र-पु० [अ० जिक्र] बातचीत । प्रसंग । चर्चा । जिरणदेव-पु० जैन तीर्थंकर । जिके (क)-सर्व० वे उस ।। जिरणदेसिन (देसिय)-वि० [सं० जिनदेशितः] जिनेन्द्र द्वारा जिको-सर्व० [सं० यः + कोऽपि] जो, वह । उस । प्रतिपादित । जिखयांणी-स्त्री० यक्षिणी। जिरणधम्म-पु. जैन धर्म । (जैन) जिगन, जिग (न, नि,नी)-पु० [सं० यज्ञ] १ यज्ञ । २ विवाह । जिएपडिमा-स्त्री० [सं० जिनप्रतिमा] १ अर्हनदेव की मूर्ति । ३ मांगलिक जलसा, समारोह । उत्सव । ४ यज्ञाग्नि ।। २ वृषभ, वर्द्धमान, चन्द्रानन आदि के नाम से पहिचानी जिगर-पु० [फा०] १ कलेजा, हृदय । २ यकृत । ३ दिल, चित्त, जानी वाली शाश्वती प्रतिमा । ___ मन । ४ हौसला। जिरणभद्द-पु० एक जैन प्राचार्य, ग्रंथकार । जिगरी-वि० [फा०] १ अत्यन्त प्रिय, खास प्रेमी । २ दिल | जिरणमय-पु० [सं० जिनमत जैन दर्शन । संबंधी, दिली। जिणवय-पु० जिनपति । जिगवासपत-पु० [सं० यज्ञाशिपति इन्द्र । जिरणवयण-पु० जिन वचन । जिगसाळ-स्त्री० [स० यज्ञशाला] यज्ञशाला। जिरणवर (वरू)-पु० [सं० जिनवर] जिनदेव, अहंन्देव । जिगांन-पु० [सं० यज्ञ] यज्ञ । जिणिप्रार-वि० प्रसिद्ध, विख्यात । -स्त्री० जननी माता । जिगि, जिगिन-देखो 'जिग' । जिणिरिण, जिरिणरणी-स्त्री० [सं० जननी] माता । जिगिर-देखो 'जिगर'। जिणु-१ देखो "जिण' । २ देखो 'जिन' । -तमजिगीसा-स्त्री० [सं० जिगीषा] जय प्राप्ति की इच्छा । | 'जिणोत्तम' । जिग्ग-देखो 'जिग'। जिरणेसर(सरु, सरू, सरौ)-देखो 'जिनेसर' । जिग्यास, जिग्यासा -स्त्री० [सं० जिज्ञासा] १ जानने की इच्छा। २ उत्सुकता उत्कण्ठा । जिणोत्तम-पु० जैन तीर्थंकर । जिग्यासु जिग्यासू-वि० [सं० जिज्ञासु] उत्सुक, इच्छुक । जिरणोवइट्ठ-पु० [सं० जिनोपदिष्ट] जिनदेव द्वारा प्रतिपादित । जिच्चमाण-क्रि० वि० [सं० जीयमानः] हारता हुग्रा (जैन)। जिण्ण-१ देखो 'जिण' । २ देखो 'जिन' । ३ देखो 'जीरण' । जिजक-देखो 'झिझक'। जिष्णकुमारी-स्त्री० वृद्धा स्त्री। जिजमान-देखो 'जजमान' । जिण्णास-स्त्री० [सं० जिज्ञासा] इच्छा, अभिलाषा, उत्सुकता । For Private And Personal Use Only Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जिल जितरणा- वि० जितना । जिल[वि० [सं०] १ जीता हुआ वशवर्ती २ प्राप्त । , (जैन) ४ जल्दी स्मरण श्राने वाला | ५ । क्रि०वि० जहां जहां पर देखो 'जीत' ३ कब्जिकृत । र जीतने वाला -इंद्रिय, इंडीजितेंद्रिप' जिव, जिद्द - स्त्री० [अ० जिद ] १ शत्रुता, वंर । २ हठ, दुराग्रह । जिद्दी - वि० [अ०] जिहो] १ हठी, दुराग्रही २ शत्रु वैरी । जिन पु० [सं०] १ विष्णु २ सूर्यं । ३ अर्जुन ४ बुद्ध । । । ५] जैनों के तीर्थंकर ६ जैन साधु ७ भूत-प्रेत सर्व० जिस का बहुवचन रूप । - श्रव्य० निषेध सूचक ध्वनि, मत । जिनकल्पी पु० उत्कृष्ट प्राचार बाला साधु (जैन) जिनचंद देखो 'जिद'। 1 जिना पु०] [40] व्यभिचार । जिनाकार - वि० [फा०] व्यभिचारी । जिनाकारी भी० व्यभिचार www.kobatirth.org जिततित क्रि० वि० जहां-तहां यत्र तत्र । जितरं क्रि० वि० जब तक, तब तक इतने में । जितरी वि० (स्त्री० जितरी) १ जिस भाषा में जितना । २ परिमारण विशेष का । जिताली (बी) देखो 'जीत' (दो) | नितिथि (द्विय) देखो 'तिंद्रिय' जिल'देखो 'जित' (स्त्री० जिती) | , जितेंद्र, जितेंद्र (द्रिय द्री) - वि० [सं० जितेन्द्रिय ] १ इन्द्रियों को वश में रखने वाला, संयमी । २ समवृत्ति, शांत । जिते (तं) - क्रि०वि० जब तक, तब तक । जितोक, जितौ, जितोक, जिलो- वि० (स्त्री० जिती, जितीक, जिमणवार, जिमणार- देखो 'जीमणवार' । जिमलिम कि०वि० जसे-तैसे जित्ती) जितना परिमाण विशेष के बराबर । जिनावर - देखो 'जानवर' । जिनिस देखो 'जिनस' । ( ४७० ) देव जिनेवा-१ देखो 'जनेता' । २ देखो 'जनेत' । जिनेसर (राय) जिनेस, जिनेस्वर [सं० जिन + ईश्वर जिन 1 जिनोई- देखो 'जनेऊ' । विना-देखो 'जिन' | विवर-देवो 'जानवर' जिन्ह देखो 'जिन' । - जिबह, जिबा स्त्री० [ श्र० जिबह ] गला काट कर मारने की क्रिया | जिग्म, जिन्भा स्त्री० जीभ, जिह्वा । दमन करने वाला । जिभिश्रा - स्त्री० [सं० जिह्विका] १ पानी निकालने की नाली । २ देखो 'जीभ' | जिम्मिदिय पु० जिह्वा, रसना । जिभे- देखो 'जिबह' | जिम्या देतो 'जीभ' । जिपति निपाल० जनों के तीर्थकर । जिनमत पु० [सं०] जौन दर्शन । जिम्मी- पु० [ प्र० जिमः ] उत्तरदायित्व, भार । | जिनराइ ( राज, राजी, राय, रायौ, रिस, रिसी, वर वर वरौ )पु० [सं०] जिनराज, जिन जिनवरों के तीर्थंकर जिम्हंग जिम्हग पु० [सं०] जिह्मगः] सर्प, सांप ] । जिनस स्त्री० [श्र० जिन्स] १ कोई वस्तु, चीज, पदार्थ । २ सामग्री । ३ खाद्य पदार्थ । ४ चित्र, नक्शा । ५ तरह, प्रकार, किस्म 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिभ्याप पु० [सं०] जिह्वाप] कुत्ता, श्वान | जिम प्रप० [सं० [प] १ जिस प्रकार जैसे २ देखो 'जम' जिम ( ) - १ देखो 'जीवणी' २ देखो 'जीमण' | जिमा (बौ), जिमावरणौ (बौ) - देखो 'जीमाणी' (बो) । जिमि (मी) - १ देखो 'जिम' । २ देखो 'जमी' | जिम्महग पु० [सं०] जिह्मग] तीर, बारा । जिम्मावार, जिम्मेदार - देखो 'जिम्मेवार' | जिम्मेवारी- देखो 'जिम्मेवारी' । जिम्मेवारी - स्त्री० २ गंभीरता । जियादा -वंत - वि० जिह्वा का जिम्मेवार - वि० [अ०] १ किसी कार्य या बात का उत्तरदायित्व रखने वाला । [प्र० ] १ उत्तरदायित्व जबाबदेही । जियंतग, जियंतय- पु० [सं० जीवान्तक] एक प्रकार की वनस्पति । जिन वि० [सं०] जो] १ जीर्ण-शीर्ण, पुराना २ देखो जिपावती देखो'ती' | 'जिए' । ३ देखो 'जिन' | जियंती - स्त्री० [सं० जीवंती ] एक प्रकार की लता विशेष । जिय पु० [सं० जीव] १ जीव प्राणी । २ जीवन, प्राण । ३ हृदय, मन, दिल । ४ ध्वन्यात्मक शब्द । स्त्री० [सं० जित ] ५ विजय, जीत । 1 जियसत्त (तू) - वि० [सं० जितशत्रु ] जीतने वाला । - पु० अजीतनाथ के पिता (जैन) । जियसेर पु० [सं० जितसेन ] भरत क्षेत्र के तृतीय कुलकर का नाम । (जैन) जियां (न) - ०वि० जैसे सर्व जिन जिन्होंने जियान पु० यज्ञ, हवन । For Private And Personal Use Only जियादा देखो 'ज्यादा' । - तर 'ज्यादातर' | Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जियाफत । ४७१ ) जिह्वास्तंभ जियाफत-स्त्री० [अ०] १ मेहमानदारी । [म. हिफाजत] जिल्द बनाने का कार्य । -साज-पु० जिल्द बनाने वाला २ हिफाजत, देखरेख, रक्षा। कारीगर। -साजी-'जिल्दबंदी'। जियार--क्रि०वि० जिस समय, जब । -पु० जीवन । जिल्लायत-देखो 'जिलायत' । जियारत-स्त्री० [अ०] १ तीर्थ यात्रा । २ दर्शन, दीदार । जिल्लो, जिल्ही-देखो 'जिलो' । जियारती-पु. १ तीर्थ यात्री। २ दर्शनार्थी। जिवड़ो-वि० १ जैसा, वैसा, समान । २ देखो 'जीव' । जियारां-क्रि०वि० जिस समय, जब । (स्त्री० जीवड़ी)। जियारि-पु० [सं० जितारि] तीसरे तीर्थंकर के पिता (जैन)। | जिवणी (बो)-देखो 'जीवरणो' (बी)। जियारो-देखो 'जीवारी'। जिवासभ-देखो 'जीवतसिभ' । किरह-स्त्री० [अ० जुरह] १ सच्ची बात उगलवाने के लिए जिवाणी-देखो 'जीवांणी' । घुमा फिरा कर की जाने वाली पूछताछ । २ वकीलों की | जिवाई-स्त्री० जीने की क्रिया या भाव । जीवन । प्रायु । बहस । ३ तर्क-वितर्क । [फा० जिरह] ४ कवच । जिवारणी (बो)-देखो 'जीवाणी' (बी)। जिरही-वि० १ कवचधारी । २ बहस करने वाला । जिबारी-देखो 'जीवारी'। जिराफ-पु० [अ० जुर्राफ] अत्यन्त लंबी गर्दन व ठिगनी पीठ | जिव्हा-स्त्री० [सं० जिह्वा] जीभ, रसना । का एक जानकार विशेष, जरख ।। | जिस (उ)-वि० विभक्तियुक्त विशेष्य के साथ 'जो' का रूप । जिलवत-स्त्री० [अ० जिल्वत] स्वयं को प्रगट करने की क्रिया -क्रि०वि० जैसे, जिस प्रकार । -सर्व विभक्ति लगने के या भाव। पहले 'जो' का रूप। जिलह-देखो 'जिलै'। -दार='जिलदार' । जिसउ, जिसड़ा-देखो 'जिसौ' । जिलहरी-पु० एक रंग विशेष का घोड़ा। जिसन (नु)-पु० [सं० जिष्णु] १ अर्जुन । २ इन्द्र । ३ विष्णु । जिलाइयत-देखो 'जिलायत' । ४ मूर्य । -वि० जीतने वाला, विजयी । जिलाणी (बी)-देखो 'जीवाणी' (बी)। जिसम, जिसिम-पु० [फा० जिस्म शरीर, देह, तन । जिलावारी-स्त्री० [फा०] १ जिलेदार या जिलायत का पद । जिसौ-वि० (स्त्री० जिसिइ, जिसी) जैसा, वैसा । २ इस पद के कर्त्तव्य । जिस्णु (स्ण)-देखो 'जिसन' । जिलायत-पु० [फा०] १ जिलाधीश, जिले का अधिकारी। जिस्यांन-क्रि०वि० जैसे, जिस प्रकार । -वि० जैसा । २ छोटा जागीरदार। जिस्यू, जिस्यौ-क्रि०वि० जैसे। -वि. जसा । जिलासाज-पु० सिकलीगर । जिहं-सर्व० जिस । -क्रि० वि० जहां । जिलो-वि० १ कमजोर, निर्बल । २ पतला, क्षीण । ३ देखो | जिह-देखो 'जीभ' । ___ 'झिल्ली'। जिहग-पु० [सं० जिह्मग] सर्प । तीर, बांण । जिलेवार-देखो 'जिलायत'। जिहडो-देखो 'जिसौ'। जिळेबो-देखो 'जळेबी'। जिहां-क्रि०वि० जहां, जिस जगह । -सर्व० जिन । जिल-स्त्री० [अ० जिला] १ प्राभा, कांति । २ शोभा छबि । जिहांनी-वि० संसार, संबंधी, सांसारिक । -दार-वि० चमकदार, कांति युक्त । बड़े जागीरदार के | जिहाद-पु० [अ०] मुसलमानों का धार्मिक युद्ध । धार्मिक अधीनस्थ छोटा जागीरदार । । आन्दोलन । जिली-पु० [अ० जिला] १ किसी एक जिलाधीश या प्रशासक | जिहाळत-स्त्री० [अ० जहालत] मूर्खता । अज्ञानता । के अधिशासन में रहने वाला क्षेत्र, प्रान्त । २ किसी बड़े जिहि जिहि-सर्व० जिस । -क्रि०वि० जैसे । -वि० जैसा । जामीरदार के अधीन छोटे-छोटे जागीरदारों का एक जिह्मग, जिह्मग-वि० [सं० जिह्मग] १ धीमा, मंद । २ टेढ़ामिश्चित क्षेत्र । ३ सेना, फौज। [तु.] ४ अधिकार, वश, । मेढ़ा चलने वाला। -पु. सर्प । काब । ५ लगाम । ६ राजानों की सवारी का कोतल | जिह्मगति-प० सर्प, सांप। . घोड़ा। जिह्वामूळ-पु० जीभ का पिछला भाग । जिल्द-स्त्री० [अ० १ ऊपर का चमड़ा । २ पुस्तक का प्रावरण । ३ दफ्ती लगाकर किसी पुस्तक के प्रावरण की जिह्वामूळी, (मूळीय)-वि० जिह्वामूल से संबंधित । मजबूत सिलाई। ४ किसी ग्रंथ की एक कृति, भाग या उप- | जिह्वालिट्ट-पु० [सं०] श्वान, कुत्ता। खण्ड। --गर, बद-वि० जिल्द बनाने वाला। -बंदी-स्त्री० जिह्वास्तंभ-पु० [सं०] एक प्रकार का वात रोग। For Private And Personal Use Only Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जीय जों-सर्व जिस । जोतरणताळ-पु० [सं० रणतालजित] तलवार, खड़ ग । जीका (ळी)-स्त्री० १ ईट व खपरैल का महीन चूर्ण। जीताड़णी (बौ), जीताणौ (बी), जीतावणी (बी)-क्रि० २ बारीक बूदें। १ विजय प्राप्त कराना, जीताना । २ सफलता प्राप्त जोंगड़ी-पु० (स्त्री० जींगड़ी) छोटा बछड़ा। (मेवात) कराना । ३ अधिकार या वश में कराना । ४ लाभ कराना, जोंजणियाळ-स्त्री० देवी. शक्ति । फायदा कराना। जीजणी-स्त्री० एक कंटीली झाड़ी विशेष । जीनत-स्त्री० [फा०] १ तैयारी । २ शोभा। जौंजो जीझ, जीझौ-पु० १ कांसी या पीतल का बना एक वाद्य, जीनोई-देखो जनेऊ । झांज । २ एक कंटीली झाड़ी विशेष । ३ एक वृक्ष विशेष। जीनौ-पु० सीढ़ी, जीना । जोमरणो-देखो 'जीवणी'। जीप-स्त्री. १ जीत, विजय । २ एक प्रकार की मोटरगाड़ी। जीमरणौ (बौ)-देखो 'जीमणौ' (बौ)! जीपणौ (बो)-देखो 'जीतणो' (बौ)। जीवरणी-वि० (स्त्री० जींवगी) १ दाहिना, दायां । २ दक्षिणी जीपल-वि० जीतने वाला, विजयी । पार्श्व का । -पु० दाहिना हाथ । जीब (बी)-स्त्री० [सं० जिह्वा] १ बढ़ई का एक औजार । जी-पु०१ पिता । २ पितामह । ३ हां का आदर सूचक रूप । २ जीभ का मैल उतारने की चिप्पी। ३ जीभ, जिह्वा । [सं० जीव] ४ प्राण, जीव, आत्मा । [सं० प्राज्यं] ४ जिह्वानुमा कोई उपकरण। ५ घृत, घी । -अव्य० १ एक संयोजक शब्द, कि । जीभ, जीभड़ली, जीभड़ी-स्त्री० [सं० जिह्वा] १ मुंह के अन्दर २ किसी के नाम के अन्त में या किसी बात के प्रत्युत्तर में स्थित एक मुख्य अंग जो खाने-पीने व बोलने की क्रिया बोला जाने वाला शब्द । करता है, जिह्वा । २ वाणी, बोली, जबान । ३ कलम जीउ, जीऊ-१ देखो 'जिउ' । २ देखो जीव' । की नोक। जीकार, जीकारौ-पु० बोलते समय 'जी' शब्द का प्रयोग करने जीभप-पु० कुत्ता, श्वान । की क्रिया। जीमण (न)-पु० [सं० जेमनस] १ खाना, भोजन । २ मिष्ठान्न, जीकाळी-देखो 'जीका'। मिठाई । ३ भोज, भोज का खाना -वार-पु० बड़ा भोज । जीखेस-पु० [सं० ऋषभेप] शिव का बल, नंदी। कई व्यक्तियों का सामूहिक भोजन । जीजा, जीजी-स्त्री० बड़ी बहन । जीमरिणयाळ-वि० दक्षिणी पार्श्व का या भाग का, दाहिना । जीजासा, जोजोसा, जीजी-पु० बहनोई, बड़ी बहन का पति। । जीमणी (बौ)-क्रि० [सं० जिम्] १ खाना, भोजन करना। जोरण-स्त्री० १ एक प्रकार का मोटा व मजबूत सूती वस्त्र । २ हजम करना। २ घोडे का चारजामा । ३ देखो 'जीवन' । ४ देखो 'जूण'। ५ देखो 'जीरण' । ६ देखो 'जिण'। -गर-पु० चारजामा जीमाड़ो (बौ), जोमाणी (बौ), जीमावणी (बौ)-क्रि० बनाने वाला मोची। —माता-स्त्री० एक देवी विशेष । भोजन कराना, खाना खिलाना। सीकर जिले में स्थित इस देवी की अष्टभूजी प्रतिमा। -पोस । जीमूत-पु० सं०] १ बादल, मेघ । २ इन्द्र । ३ एक मल्ल -पु० चारजामे पर बिछाने का वस्त्र विशेष । -सवारी-स्त्री० विशेष । ४ एक ऋषि । ५ शाल्मली द्वीप का एक देश । चारजामा रखकर की गई सवारी। -साज-पु० चारजामा --रिखि-पु० एक ऋषि । ---वाहरण (न)-पु० शालि वाहन बनाने वाला। -साल, सालियौ-पु० एक प्रकार का राजा का पुत्र । इन्द्र। कवच । जोम्हणो (बौ)-देखो 'जीमणो' (बी)। जीणी-१ देखो 'जिरण' । २ देखो 'झीणी। जीय-पु० १ परम्परा, प्रथा, रीति । २ व्यवस्था। ३ कर्तव्य, जीणी (बौ)-देखो 'जीवणौ' (वी)। धर्म । ४ देखो 'जीव'। -कप्प-पु. परम्परागत प्राचार । जीत-स्त्री० [सं० जिति] १ विजय, जय । २ सफलता । --कप्पीय-वि० उक्त प्रकार के प्राचार वाला ।-निवा ३ लाभ, फायदा। --स्त्री० पाप की निंदा । पापी के स्थान पर पाप की निंदा जीतरणौ-वि० (स्त्री० जीतणी) विजयी । करने वाला । स्वल्प निद्रा लेने वाला। -परिखह, परिसह जीतरणौ (बो)-क्रि० १ विजय प्राप्त करना, जीतना, विजयी -वि० परिसहों को जीतने वाला। -मारण-वि० नियम होना। २ सफल होना । ३ अधिकार में करना, पक्ष में से मान को पराजित करने वाला । ---माय-वि० माया को करना। ४ लाभ प्राप्त करना। पराजित करने वाला। -लोह-वि० लोभ को पराजित जीतब (व)-पु० [सं० जीवीतव्य ] जीवत, जिन्दगी। करने वाला। For Private And Personal Use Only Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जीयापोती । ४७३ ) जीवनचरित जीयापोती-स्त्री० एक प्रकार की जड़ी, पुत्रजीवक । जीवजनावर, जीवजांनवर-पु० जीव-जन्तु । जीय-सर्व० जो, जिस। जीवजूण-देखो 'जीवाजूण' । जोर, जीरउ, जीरक, जीरय-देखो 'जीरो' । जीवजोग-वि० विश्वसनीय, विश्वस्त । जीरण-वि० [सं० जीर्ण] १ पुराना, प्राचीन । २ पुराना होने जीवट्ठांरण-पु० [सं० जीवस्थान] गुप्त-स्थान । मर्म । (जैन) से फूटा-टूटा, जर्जर । ३ कमजोर, निर्बल । ४ बुड्ढ़ा, जीवण-पु० [सं० जीवन] १ जीवित रहने की अवस्था, वृद्ध । ५ घिसा हुआ । ६ पचा हुा । ७ नष्ट किया अस्तित्व । २ प्रायु, उम्र । ३ प्राण रहने की अवस्था या हुआ। -ज्वर-पु. एक प्रकार का बुखार। -ता-स्त्री० भाव । ४ जीने का प्राधार । ५ 'जल-पानी । ६ रक्त। पुरानापन, बुढ़ापा । ७ पवन । ८ पुत्र । ६ प्राणधारी जीव, प्राणी । १० पेशा, जीरणा-स्त्री० चार गुरु वर्ण का एक वृत्त विशेष । जीविका । ११ संजीवनी शक्ति । १२ हड्डी के भीतर का जीरणोद्धार-पु० मरम्मत, सुधार । गूदा, मज्जा । १३ मक्खन, घी । १४ परमेश्वर । -वि० जीरवणा-स्त्री० १ धैर्य, धीरज । २ सहनशक्ति । १ परमप्रिय, प्यारा । २ जीवनी शक्ति देने वाला। ३ पाचन क्रिया। जीवणसाल-देखो 'जीणसाल' । जीरवणी (बो)-क्रि० १ हजम करना, पचाना । २ धैर्य रखना। जीवरिणकाय-पु० [सं० जीव-निकाय] जीव राशि (जैन) । जीरांग-पु० श्मशान, मरघट । -वि० जीर्ण-शीर्ण । जीवरिणज्ज-वि० [सं० जीवनीय] जीने योग्य । जीरुय-पु० एक प्रकार की वनस्पति ।। जीवणी-वि० १ दायीं, दाहिनी । २ देखो 'जीवनी' । जीरी-पु० [सं० जीरक] १ सौंप के आकार का एक पदार्थ जो जीवणी-वि० (स्त्री० जीवणी) १ जीने वाला । ३ दायां, छौंक में डाला जाता है, जीरा। २ एक लोक गीत विशेष।। दाहिना । ३ शून्य का अंक, गोला। जीवणौ (बी)-क्रि० [सं० जीवनम्] १ जिंदा रहना, सजीव जील-स्त्री० सारंगी के तार । रहना । २ प्राण युक्त होना, जीना । ३ जीवन का समय जीवंजीवक (जीवग, जीव)-पु० [सं० जीवज्जीवक] १ चकोर निकालना, जिंदगी काटना । ४ निर्वाह करना । ५ होश में पक्षी। २ जीवन । ३ जीव का आधार, प्रात्म पराक्रम । प्राना, चैतन्य होना। ४ एक वृक्ष विशेष । ५ एक प्रकार की वनस्पति । जीवत-देखो 'जीवित'। जीवंती-स्त्री० १ संजीवनी । २ हरड़े, हरीतकी । ३ एक लता जीवतत (तत्त्व)-पु० [सं० जीवतत्व] १ शरीरस्थ चेतन तत्त्व, विशेष । आत्मा, जीव, प्राण । २ जीवन, जिंदगी। जीवंदौ-वि. जो जिंदा हो, जीवित, सजीव । जीवतसंभ (सिम), जीवतांसंभ (सिम)-पु० [सं० जीवित+शुभ] जीव-पु० [सं०] १ प्राणियों का चेतन तत्त्व, जीवात्मा, युद्ध में घावों से क्षत हुअा वीर । प्रात्मा । २ प्राण, जान । ३ प्राणी, प्राणधारी। ४ मन, जीवतो-देखो 'जीवित' । (स्त्री० जीवती) दिल, तबियत । ५ शरीर का मर्मस्थल । ६ बृहस्पति । जीवतौसंभ (संभू)-देखो 'जीवतसंभ' । ७ कर्ण का एक नाम । ८ सात द्रव्यों में से एक (जैन)। जीवत्थिकाय-पु० [सं० जीवास्तिकाय] १ चैतन्य उपयोग लक्षण ९ नौ तत्त्वों में से प्रथम तत्त्व । (जैन) १० खाट की बुनाई वाला छः द्रव्यों में से एक द्रव्य । २ जीव समूह । ३ कर्म के के मुख्य ताने । ११ बल, पराक्रम । १२ श्वास । १३ कटने करने व फल भोगने वाला । ४ सम्यक् ज्ञानादि के वश से से रहा हुआ सूक्ष्म अंश । १४ खाद्य पदार्थ प्रादि में पड़ने कर्म समूह का नाश करने वाला। वाला कीड़ा। जीवद-पु० [सं०] १ वैद्य, चिकित्सक । २ शत्रु । ३ जीवनदाता । जीवक-पु० [सं० जीविक] १ जीवधारी, प्राणी । २ जीव, जीवदब्ब-पु० [सं० जीवद्रव्य] छः द्रव्यों में से एक, जीवद्रव्य । प्राण । ३ सेवक । ४ सूदखोर । ५ नौका। ६ बौद्ध भिक्षुक । जीवदान (वांनु, दांनू)-पु० [सं० जीवदान] प्रारण रक्षा, प्राण ७ संपेरा, गारुड़ी। ८ वृक्ष, पेड़ । ९ एक काष्ठौधि। दान । मृत्यु से बचाव । जीवका-स्त्री० [सं० जीविका] १ जीवन निर्वाह का साधन, | जीवधन-पु० [सं०] १ पशु धन । मवेशी। २ जीवनधन । वृत्ति, रोजी। २ निर्वाह के लिए किया जाने वाला कार्य व जीवधारी-वि० [सं०] प्राणवान, चेतन प्रागी, जानवर । प्रामदनी। जीवन-देखो 'जीवण' । जीवकाय-पु० [सं०] जीवलोक, जीवराशि । जीवनचरित (चरित्त, चरित्र)-पु० [सं० जीवन चरित्र १ किसी जीवगाह-वि० [सं० जीवग्राह] जीवों का ग्रसन करने वाला। के जीवन के अच्छे कार्यों का विवरण, वृत्तान्त । २ ऐसे जीवड़लो, जीवड़ो-देखो 'जीव' । वृत्तान्त की पुस्तक । For Private And Personal Use Only Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवनद जु जीवनद-पु०१ कमठ । २ बादल मेघ । जीवाजीव-पु० [सं०] १ जीब और अजीव पदार्थ । २ जीव जीवनधन-पु० [सं०] १ परमप्रिय, जीवनसर्वस्व । अजीव समझने का उत्तराध्ययन का ३६वां अध्ययन । २ प्राणाधार, प्राणप्रिय । जवाजूरण (जोण)-पु० [सं०] जीवयोनि । प्राणी मात्र । जीवनबूटी-स्त्री० संजीवनी । जीवारणी (बौ)-क्रि० १ जिंदा रखना सजीव, रखना । २ प्राण जीवनव्रतंत (व्रतांत)-पु० [सं० जीवनवृत्त] किसी आदर्श युक्त करना, जिलाना। ३ जिंदगी कटवाना। ४ निर्वाह पुरुष के जीवन चरित्र का विवरण । जीवनी। कराना । ५ होश में लाना, चैतन्य करना । ६ चिंताओं से जीवनवत्ति-स्त्री० [सं० जीवनवृत्ति] आजीविका, रोजी। मुक्त करना । ७ आराम देना । ८ कष्ट निवारण करना । जीवना-स्त्री० हिम्मत, साहस। जीवात्मा-स्त्री० [सं०] किसी जीव की प्रात्मा, प्राण, जीवनि, जीवनी-स्त्री० [सं० जीवनी] १ किसी व्यक्ति विशेष | चैतन्य तत्त्व । के जीवन का परिचय । २ किसी व्यक्ति के आदर्श पूर्ण | जीवाद-पु० [सं० जीव-पादि] जीव जंतु, प्राणी। कार्यों का विवरण। जीवाधार-वि० प्राणों का अवलम्बन, परमप्रिय । जीवनीय-पु० [सं०] १ पानी । २ दूध । -वि० १ जीवन जीवापोतौ-पु० [सं० पुत्र जीवक] पुत्र जीवक । संबंधी । २ जीने योग्य । -गण-पु० बलवर्धक औषधि । | जीवारी-स्त्री० [सं० जीव] १ जीविका, रोजी। २ जीवन, जीवन्मुक्त-वि० [सं०] सांसारिक मायाजाल से मुक्त । प्राण । ३ जिंदा रहने का साधन । ४ निर्वाह, गुजारा । जीवण्णसिय-पु० विष्णुगुप्त प्राचार्य के मत का अनुयायी। | जीवाल()-वि० [सं० जीव+पालुच्] (स्त्री० जीवाळी) जीवपति-पु० [सं०] धर्मराज । १ साहसी, हिम्मतवर । २ जानदार, दमवाला । ३ तेज चलने जीवबंधु (बंधू)-[सं०] जीब बंधु, बंधुजीव, बंधूक । वाला। -पु० प्राण, जीवन । जीवमासा-स्त्री० जीव जन्तुओं, जानवरों की भाषा । | जीवावरणौ (बौ)-देखो 'जीवाणी' (बी)। जीवमाता, (मात्रका)-स्त्री० [सं० जीवमातृका] जीवों का | जीवाहन-देखो 'जीमूतवाहन' । पालन करनेवाली सप्त देवियां । जीवि-देखो 'जीवी'। जीवरखी-स्त्री० एक प्रकार का सन्नाह, कवच । जीवित-वि० [सं०] जो जिंदा हो, जिसमें प्राण हों, जो जी रहा जीवरखौ-पु० १ बड़े दुर्ग की रक्षार्थ चारों ओर बने छोटे-छोटे । | हो, सजीव चैतन्य । दुर्गों में से एक, गढ़ी। २ जीवन रक्षा का उपाय । ३ कवच जीवितेस-पु० [सं० जीवितेश] १ सूर्य । २ इन्द्र । ३ यम । समाह । ४ प्राण रक्षक । ४ देह की इड़ा-पिंगला नाड़ी । ५ प्राण प्रिय । जीवरि (खि) -देखो 'जिमूतरिखि'। जीविय-देखो 'जीवित' । जीवियट्ठ-क्रि० वि० जीवन के लिये, जीवनार्थ । (जैन) जीवलोक-पु० [सं०] भूलोक, मृत्युलोक । जीवियत-पु० जीवन का अन्त, जीवितान्त । (जैन) जीवसंभ-देखो 'जीवतसंभ' । जीवी-वि० [सं०जीविन] जीने वाला, प्रारणवान, प्राणी, जीव । जीवसम (समौ)-वि० (स्त्री० जीवसमी) परम प्रिय, प्यारा। -पु० जीवन । (हिसा)-प० [सं०1१जीवों को मारने की क्रिया | जीवेस-पु० [सं० जीवेश] ईश्वर, परमात्मा । जीववध । २ इस कार्य के करने से लगने वाला पाप । जीवोपाधि-स्त्री० [सं०] जीव की तीन अवस्थाएँ । ३ शिकार। जीसा-पु० पिता, पिता के बड़े भाई के लिए उच्चारण किया जाने वाला सम्मान सूचक शब्द । जीवाण-पु० जलाशय, तालाब । जीह-क्रि० वि० जहां । जीवांणी-पु० जल छानने से बचे जल जीव, जीव । जोहडा-स्त्री० घोड़ों की एक जाति । जीवाणुसासण-पु० [सं० जीवाणुशासन] १ जीव की शिक्षा जीहाळ-पु० १ बकरा । २ बकरे के रूप में लिया जाने एवं समझ । २ इससे सम्बन्धित ग्रंथ । (जैन) वाला कर । जीवांतक-वि० [सं०] जीवों का हत्यारा, वधक, व्याध। जीहिदिय-स्त्री० [सं० जिह्वन्द्रिय] जीभ, रसना। रसनेन्द्रिय जीवा-स्त्री० [सं०] १ संजीवनी । २ पृथ्वी । ३ धनुष की डोरी। जीहुँ, जीहूँ-क्रि० वि० जिस प्रकार, जैसे। ४ जीवन । ५ जल, पानी। ६ जीवनवृत्ति । ७ झंकार, जीहें (हैं)-सर्व० जो, जिस । ध्वनि । ८ वृत्तांशों को मिलाने वाली रेखा। जीहौ-क्रि०वि० जैसा, जिस प्रकार । जीवाउणौ (बी), जीवाड़गो (बौ)-देखो 'जीवाणी' (बी)। । जु-क्रि० वि० जैसे, ज्यों, जिस तरह । For Private And Personal Use Only Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाडो । ४७५ ) जुगळी जुपाड़ो-देखो 'जुनो'। जुक्त-वि० [सं० युक्त] १ जुड़ा हुआ, मिला हुआ। २ सहित, जुग,जुगड़ो,जुगलो, जुगु, जुगौ-१ देखो 'जंग'। २ देखो 'जूग'।। संयुक्त । जुजरण-पु० [सं० योजन] १ जोड़ने, संलग्न करने की क्रिया । | जुखांम-पु० [अ०] अधिक सर्दी या सर्द-गर्म से छाती में कफ २ योजन। या श्लेष्मा जमने का रोग, जुखाम । जुजाउ (ऊ)-देखो 'जूझाऊ'। जुगंत-देखो 'जुगांत'। जुंजार-देखो 'जूझार'। जुगंतर-देखो 'जुगांतर'। जुंजावाण-वि० जूझने वाला, वीर । जुग-पु० [सं० युग] १ पुराणानुसार सृष्टि के चार युगों में से जुटौ-पु० १ पाहता बनाने के लिए खड़ा किया हुआ पत्थर । कोई एक । २ संसार, विश्व । ३ समय, काल । ४ बृहस्पति २ एक छोटा पौधा विशेष । का पांच वर्ष तक एक राशि में रहने का समय । ५ पुश्त । जुवाडो-देखो 'जुनो। ६ पीढ़ी । ७ दो वस्तुओं का जोड़ा, युग्म । ८ यजुर्वेद । जुवारी-१ देखो 'जवारी' । २ देखो 'जुपारी'। ९ पुरुष । १० एक वाद्य विशेष । ११ चार की संख्या*। जुही-क्रि०वि० जैसे, ज्योंही। -वि० जुड़ा हुआ, युग्म । २ दो। ३ युक्त, संयुक्त ।। जु-प्रव्य० १ संयोजक अव्यय, कि, जो । २ पाद पूरक अव्यय । | -अंत-पु० प्रलयकाल, युगान्त । -प्रसक-पु० वर्ष साल ३ अवधारण सूचक अव्यय । -पु० [सं० द्यूत] जुवा, द्यूत। युग का विभाजक । -पति (ती)-पु० चन्द्रमा । -सर्व० जो। जगरणी-देखो 'जोगणी' । जुअ-१ देखो 'जुग' । २ देखो 'जुनी' । ३ देखो 'जो' । जुग(ति, तो)-स्त्री० [सं० युक्ति] १ विधि, ढंग । २ उपाय, जुअति (ती)-देखो 'जुवती' । तरकीब । ३ कौशल, चतुराई । ४ मेल, योग । ५ तर्क, जुअळ (ळई, ळि)-देखो 'जुगल' । दलील । ६ तरह, भांति प्रकार । ७ यथार्थ, सत्य । जुप्राणी (नी)-देखो 'जवांनी'। ८ देखो 'जगत'। जुमा-स्त्री० [सं० द्यूत] १ चूत का खेल, चूत । २ छाछ में अंगूठी | जुगनी-स्त्री० विष्णु मूर्ति के शिर का प्राभूषण । डाल कर वर-वधू को खेलाया जाने वाला एक खेल । जुगनू-पु० एक पतंगा विशेष, खद्योत । ३ जोखम । ४ देखो 'जुदा'। जुगपवरु-पु० [सं० युग-प्रवर] किसी समय या काल विशेष का जुपाडौ-पु० १ जेष्ठा नक्षत्र । २ देखो 'जुऔ' । महान् व्यक्ति । जुबाजुई-देखो 'जूवाजूवी'। जुगपहाणु-पु० [सं० युग-प्रधान] अपने युग का प्रधान पुरुष । जुगपसा-स्त्री० [सं० जुगुप्सा] निंदा, बुराई, घृणा । जुपार-१ देखो 'जुहार' । २ देखो 'जुपारी' । ३ देखो 'जवार' । जुगबाहु-पु० [सं० युग-बाहु] जैनियों का नौवां तीर्थ कर । जुपारी-पु० [सं० द्यूत-कारक] १ द्यूत का खिलाड़ी, जुमा -वि० श्राजानबाहु । (जन) खेलने वाला । [सं० युगन्धर] २ बैल वृषभ । ३ देखो | जुगमंधर-पु० एक जिनदेव ।। 'जंवारी'। जुगम-पु० [सं० युग्म] १ दो वस्तु या प्राणियों का जोड़ा, जुमाळी-वि० जुवान, युवा । युग्म । २ सम्मिलन, संगम । ३ यमज संतान । ४ दो की जुइ (ई)-स्त्री० [सं० द्यु ति] १ शोभा, कांति । २ ज्योति । संख्या । ५ मिथुन राशि । -वि० १ दो, युग्म । २ यमज । ३ देखो 'जुही' । -वि० १ भिन्न, जुदा । -क्रि०वि० जोड़े से। २ देखो 'जुनी'। जुगमित्त-पु० [सं० युगमात्र] क्षेत्र से चार हाथ प्रमाण देखने । वाला (जैन)। जुमो-जुमा-देखो 'जुदाजुदा' । जगरांरिण (रणी)-स्त्री० १ नगर वधू, वेश्या । २ संसार की जुप्री-पु० [सं० युग] १ बैलगाड़ी, हल आदि का वह भाग स्वामिनी, देवी, शक्ति। जिसमें बैल जोते जाते हैं । [सं० य त] २ चूत का जुगराज-पु० [सं० युवराज] युवराज । खेल । -वि० जुदा, पृथक, अलग। जुगळ-वि० [सं० युगल] १ दो, दोनों । २ पृथक, भिन्न, अलग । जुकत-१ देखो 'जुक्त' । २ देखो 'जुकती'। -पु०१ जोड़ा, युग्म । २ दम्पति का जोड़ा । ३ चरण; जुकति (ती)-स्त्री० [सं० युक्ति] १ उपाय, तरकीब । २ विधि, । पैर । ४ वस्त्र। तरीका । ३ मार्ग दर्शन । जुगळी-स्त्री०१ मित्र-मंडली । २ जोड़ा, युगल । ३ समूह, जुकाम-देखो 'जुखांम'। For Private And Personal Use Only Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जगवं जुटाहणी जुगवं, जुगव-प्रव्य० [सं० युगपत्] एक ही साथ, एक ही सटाना । ४ संलग्न कराना । ५ जोड़ में लाना । ६ एकत्र समय में। कराना । ७ सम्मिलित कराना, शामिल कराना, सरीक जुगवर-वि० [सं० युगवर] युग में श्रेष्ठ, उत्तम । कराना । ८ जमा कराना । चिपकवाना, चिमटवाना। जुगांत (क)-पु० [सं० युगांत] १ किसी युग का अन्त । १० प्रालिंगनबद्ध कराना । ११ परस्पर बंधवाना । २ प्रलय काल । ३ ४६ क्षेत्रपालों में से एक। १२ मिलवाना, एकाकार कराना । १३ बंद कराना, जुगांतर-गु० [सं० युगांतर दूसरा युग, दूसरा जमाना । सटवाना । १४ युद्ध कराना । १५ धारण कराना, जुगांवाळी-स्त्री० अनादि काल से बाल्यावस्था में रहने वाली | पहनवाना । १६ व्यवस्था कराना, प्रबंध कराना। देवी। १७ गाड़ी में बैलों को जुतवाना । १८ मतैक्य कराना, जुगाड़-पु० १ व्यवस्था, प्रबंध । २ साधन जुटाने की मुश्किल । अभिसंधित कराना। जुगात-स्त्री० श्राद्ध पक्ष की चतुरदशी की तिथि । जुज-स्त्री० १ जिल्दबंधी में एक प्रकार की सिलाई । २ छपे जगाव (दि, दी, दु)-पु० [सं० युगादि] १ युग का प्रादि, कागजों का फर्मा । ३ शतरंज की एक चाल विशेष । प्रारंभ । २ सृष्टि का प्रारंभ । ३ अतिप्राचीन । ४ युग के -बंदी, बंधी-स्त्री० पुस्तकों की जिल्द बांधने की एक प्रारंभ की तिथि । -क्रि०वि० परम्परा से, अनादि विधि । काल से। जुजटळ, जुजठर, जुजठळ, (रानो) जुजठिर (ठिळ, ठिल्ल), जगाळ-१ देखो 'जुगळ' । २ देखो 'जुगाळी'। जुजथर (थिर)-देखो 'जुधिस्ठर'। जुगाळपो (बो)-क्रि० [सं० उद्गिलन् ] मवेशियों द्वारा जुगाली | जुजमाण-देखो 'जजमान'। करना, उगालना। जुजरबौ-पु० १ तोपनुमा एक प्रस्त्र । २ छोटी तोप । जुगाळी-स्त्री० [सं० उद्गाली] मवेशियों द्वारा निगले हुए चारे | जुजवळ, जुजवौ-वि० जुदा, अलग, पृथक । ___को धीरे-धीरे चबाने की क्रिया, रोमंथ, पागुर । जुजसटळ (स्टळ, स्ठळ)-देखो 'जुधिस्ठर' । जुगि–देखो 'जुग'। जुजाण-पु० युद्ध । जगेस-पु० [सं० युग-ईश] १ ईश्वर, परमात्मा । २ देखो | जुजायळची-पु. 'जजायल' नामक बंदूक धारी । ___ 'जोगेस'। जुजिठळ, जुजिठिळ (ठिळि) जुजिस्टळ, जुजिस्तर, जुजीठळ, जुगोजुग-अव्य० [सं० युगोयुग] प्रतियुग, युग-युग । जुजीस्टर, जुजीस्टळ, जुजुठळ, जुजुठल्ल-देखो 'जुधिस्ठर' । जुग्ग-देखो 'जुग'। जुजुधांन-पु० [सं० युयुधान] १ सात्यकि का एक नाम जुग्गावि-देखो 'जुगादि'। (महाभारत)। २ इन्द्र । ३ क्षत्रिय । ४ योद्धा । जुड़, जुड़ग (रिण, णी)-पु० युद्ध, संग्राम । जुज्ज-१ देखो 'जुज' । २ 'जजुरबंद' । जुड़णौ (बौ)-क्रि० १ होना । २ संबंध होना, बनना। | जुज्जर, जुज्जर-देखो 'जजुरबेद' । ३ भिड़ना, टक्कर लेना । ४ अड़ना, मटना। ५ संलग्न | जुज्न-देखो 'जुध' । होना । ६ जोड़ में माना । ७ एकत्र होना । सम्मिलित | जुज्झण-वि० [सं० योधन] युद्ध में जूझने वाला। होना । ८ शामिल होना, सरीक होना । ९ जमा होना । जुज्झणी (बी)-देखो 'जूझणी' (बौ) । १० चिपकना, चिमटना । ११ आलिंगनबद्ध होना । | जुज्झाइजुज्म-पु० [सं० यद्धातियुद्ध] द्वन्द्वयुद्ध (जैन)। १२ परस्पर बंधना । १३ मिलकर एकाकार होना । | जुज्रबो-देखो 'जुजरबो'। १४ बंद करना । सटाना, भिड़ाना। १५ युद्ध करना। जुज्राट-देखो 'जजराट'। १६ संभोग करना, मैथुन करना । १७ धारण करना, | जुझक-स्त्री० स्फूर्ति, फुर्ती । पहनना । १८ व्यवस्था होना, प्रबंध होना । १९ उपलब्ध जुझाऊ-देखो 'जुझाऊ' । होना । २० गाड़ी में बैलों का जुतना । २१ अभिसंधित जुझार-देखो 'जू झार'। होना, एक मत होना। जुट-स्त्री० १ परस्पर जुड़ी या बंधी दो वस्तु । २ जोड़ी। जुड़वाई-देखो 'जोड़ाई'। ३ मंडली, गुट । ४ समूह । ५ अति मेल वाले दो मनुष्य । जुड़वौ-वि० युग्म, मिला हुआ । -क्रि०वि० जोड़े से । ६ जोड़ का आदमी या वस्तु । ७ साथ। ८ मेल-जोल । जुड़ाई-देखो 'जोड़ाई'। जुटणौ (बौ)-देखो 'जूटणी' (बौ)। जुड़ाणी (बी), जुड़ावणी (बी)-क्रि० १ संबंध बनवाना, जुटाड़णी (बी), जुटाणौ (बौ)-क्रि० १ किसी कार्य में रत करवाना । २ भिड़ाना, टक्कर लिराना । ३ अड़ाना, करना, संलग्न करना, लगाना । २ परस्पर मजबूती से For Private And Personal Use Only Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जुटाळ । ४७७ ) जुरम जोड़ना। ३ सटाना, सटा कर रखवाना । ४ भिड़ाना । -बाहु-पु. मल्लयुद्ध । -राव-पु० योद्धा, वीर । ५ युद्ध कराना । ६ आलिंगन कराना, लिपटाना । -विद्या-स्त्री० रणविद्या। ७ संभोग के लिए प्रेरित करना । ८ शामिल करना, | जुधसटर, (स्टर)-देखो 'जुधिस्ठर' । बातचीत कराना, मिलाना । ६ एकत्र करना, इकट्ठा जुधाजित-पु० [सं० युधा जित] कैकेयी के भाई का नाम । करना। १० व्यवस्था व प्रबंध करना । ११ जमा करना, जुधिठळ(ठिळ), जुधिस्टर, जुधिस्ठर (स्ठिर)-पु० [सं०युधिष्ठिर] जुटाना । १२ प्राप्त व उपलब्ध करना । १३ अभिसंधि पांच पांडवों में से सबसे बड़ा पाण्डव । युधिष्ठर । कराना, मतैक्य कराना । १४ भीड़ जमा करना। जुन-स्त्री० झूल, चारजामा। जुटाळ (ळो)-वि० युद्ध में जूझने या भिड़ने वाला। जुनाळी-वि० प्राचीन, पुरानी। जुटावरणौ (बो)-देखो 'जुटाणी' (बौ)। जुनीऋषीठ-स्त्री० [सं० कृपीटयोनि] अग्नि, प्राग । जुटी-स्त्री० बैलों की जोड़ी। जुनीगुजरात-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । जुटेत-वि० जूझने वाला। जुन्हा, जुन्हाई-स्त्री० [सं० ज्योत्स्ना] १ चांदनी, ज्योत्स्ना । जुतणी (बो)-क्रि० [सं० युज] १ बैल, घोड़े, ऊंट आदि का २ प्रकाश, रोशनी। किसी वाहन, हल आदि के आगे जुड़ना । २ कार्य में पूर्ण जुपरणो (बो)-क्रि० १ दीपक का प्रज्वलित होना । २ सुलगना, मनोयोग से लगना । ३ सयोग में लगना । ४ भिड़ना, जलना । ३ देखो 'जुतणी' (बौ)। लड़ना । ५ भूमि का जोता जाना। जुपारणो (बौ), जुपावणी (बौ)-क्रि० १ दीपक को प्रज्वलित जुतबेघ-पु० [सं० युतबेध] ज्योतिष का एक योग । कराना । २ सुलगवाना, जलवाना। ३ देखो 'जुताणो' (बो)। जुताई-देखो 'जोताई। जुबती-स्त्री० [सं० युवती] तरुण या युवा स्त्री, युवती । जुताड़णी (बी), जुतारणी (बी), जुतावणी (बौ)-क्रि० १ बैल, | जुबान-१ देखो 'जबांन' । २ देखो 'जवान'। घोड़े, ऊंट प्रादि को किसी वाहन, हल आदि के मागे | जबांनी-१ देखो ‘जबांनी' । २ देखो 'जवानी' । जुड़वाना । २ किसी कार्य में लगाना, संलग्न कराना । | जुम्बन-देखो 'जोबन'। ३ सहयोग में लगाना । ४ लड़ाना, भिड़ाना । ५ भूमि या जुमले (ले)-वि० एक मुश्त । -पु० कुल योग । खेत जुतवाना, जुताई कराना । जुमल्लां-वि० साथ। जति-स्त्री० [सं० ति] १ कांति, प्राभा । २ शोभा । (जैन) | जुमामसजित (मस्जिद)-देखो 'जांमामस्जिद' । ३ देखो 'जुक्त'। जुमालि (ली)-पु० एक प्रकार का घोड़ा । जुत्त-देखो 'जुक्त'। जुमेरात-पु० बृहस्पतिवार (मुसलमान) । जत्तसेण, जत्तिसेण-पू० [सं० यक्तिषेण] जम्बूद्वीप के ऐरावत | जुमै (म्मै)-वि० १ अधीन, वश में । २ उत्तरदायित्व में, क्षेत्र का पाठवां तीर्थ कर। जिम्मेवारी में। जुत्थ, जुथ, जुथ्य-देखो 'जूथ' । जुमौ (म्मौ)-पु० १ शुक्रवार (मुसलमान) । २ उत्तरदायित्व । जुथप-देखो 'जूथप'। ३ किसी पीर के नाम पर किया जाने वाला रात्रि जागरण । जुद-देखो 'जुध'। जुय-पु० [सं० युग] पांच वर्ष का समय । (जैन) जुदाई, जुदायगी-स्त्री० [फा०] १ मिलने का विपर्याय । जुर-पु० [सं० ज्वर] १ निरन्तर रहने वाला हल्का बुखार, २ अलग या पृथक होने की क्रिया या भाव । ३ विछोह, | ज्वर । २ देखो 'जर'। वियोग । ४ पार्थक्य । जुरक्क्र-स्त्री० १ चोट, प्राघात, प्रहार । २ झटका । जुदासिध-पु० [सं० युद्धसिद्ध] बलदेव । जुरड़ौ-पु. कांटों की बाड़ के बीच बना रास्ता । २ देखो 'सेरी'। जुदौ-वि० [फा० जुदा] (स्त्री० जुदी) १ पृथक, अलग, भिन्न । | जुरठ-देखो 'जरठ'। २ अतिरिक्त, अलावा। ३ विरक्त, मुक्त, तटस्थ । जुद्ध-देखो 'जुध'। जुरणी (बो)-क्रि० १ याद करना । २ याद में गेना, विरह जुद्धत-वि० युद्ध में प्रवृत्त। करना । ३ देखो 'जुड़गी' (बो)। जुद्धस्थिर-देखो 'जुधिस्ठर' । जुरती-स्त्री० आवश्यकता, जरूरत । जद्धाइजुद्ध-पु० [सं० युद्धातियुद्ध] दारुण व भयंकर युद्ध । (जैन) जरम-पू० [अ० जुर्मः] १ अपराध, दोष, गलती । २ चोरी, जुध-पु० [सं० युद्ध] संग्राम, लड़ाई, युद्ध, समर । -जय-पु० डकैती प्रादि के कार्य । -पेसा-पु० चोर, डकैत, गुण्डा हाथ । -बंध--पु० युद्ध के नियमों को जानने वाला योद्धा। For Private And Personal Use Only Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जरमांनी ( ४७८ ) जुरमानौ-पु० [फा० जुर्माना.] सजा के रूप में वसूल किया गया | जुवति (ती)-स्त्री० [सं० युवती] युवा स्त्री, युवती, तरुणी। धन, अर्थ दण्ड । जुवनासव-पु० [सं० युवनाश्व] एक सूर्यवंशी राजा का नाम । जुररी-पु० [अ० जहि] १ शल्य चिकित्सक । २ बाज या | | जबरज्ज-पु० [सं० यौवराज्य] १ राजा के मरणोपरान्त शिकारी पक्षी। युवराज का अभिषेक होने तक का समय । २ युवराज का जुरा-देखो 'जरा'। राज्याभिषेक होने से दूसरे युवराज की नियुक्ति होने तक जुराधीस -पु० [सं० जराधीश] कामदेव । का समय । ३ युवराजत्व । ४ देखो 'जुवराज' । जुराफ-देखो 'जिराफ'। जुबराज, जुवराजकुमार, जुवराय-पु० [सं० युवराज] किसी जुरारि (री)-पु० [सं० ज्वर+अरि] १ ताप या ज्वर नाशक राजा का ज्येष्ठ पुत्र व राज सिंहासन का उत्तराधिकारी। औषधि । २ ईश्वर । जुवळ -१ 'जूया' । २ देखो 'जुगळ' । जुराळ-वि० १ गहरा । २ बहुत । जवलिय-क्रि०वि० [सं० युगलित] युग्य रूप से, युग्म से । जरासंद (संध, सिंध, सिधि, सौंद)-देखो 'जरासंध' । जवांण (न)-१ देखो 'जवांन' । २ देखो 'जबांन' । जुळ-वि० पृथक, भिन्न, अलग । -स्त्री० हल्की खुजली। जुवाणी (नी)-स्त्री० १ छलांग, कुलांच । २ देखो 'जवांनी' । जुळकरणी (बी)-क्रि० टकटकी लगाकर देखना । ३ देखो 'जबांनी'। जुळख-वि० व्याकुल, पातुर । जुवाडौ-देखो 'जुनौ'। जळगौ-पु० जलाशय के आस-पास का घास का मैदान । जुवाब-देखो 'जबाब'। जळणी(बी)-क्रि० १ मंदगति' से चलना, विचरण करना । | जुवारी-१ देखो 'जुपारी' । २ देखो 'जंवारी' । २ गमन करना, जाना। ३ संयोग होना, योग बनना। | जुसिन, जुसिय-वि० [सं० जुष्ट] प्रसन्न (जैन)। ४ मिलना । ५ हलचल करना, हरकत करना । जुसोई-स्त्री० [सं० सेवायाम] आज्ञा, आदेश । ६ प्रज्वलित होना । ७ स्पर्श होना । ८ हल्की सी खुजली | जुहर-देखो 'जोहर'। होना, गुदगुदी होना। जुहल-पु० युद्ध । जुलफ-स्त्री० बालों की लट, अलक । जुहबिडार-वि० सेना का संहार करने वाला। जुलफकार-स्त्री० [सं० जुल्फिकार] हजरत अली की तलवार | जुहार-पु० [सं० युगधार] १ अभिवादन, नमस्कार । २ हीरा, का नाम । पन्ना प्रादि जवाहरात । ३ जौहरी । ४ नैवेद्य । ५ पूजा, जुलम-पु० [सं० जुल्म] १ अत्याचार । २ अपराध । ३ अन्याय अर्चना, विनय । ६ मनौती, मानता । ७ जवाहिर । अनीति । ४ जघन्य कार्य । ८ वीरगति प्राप्त योद्धा जो पीर माना जाता हो। जुलमांणी,जुलमी-वि० अत्याचारी, प्राततायी, जुल्मी। ९ देखो 'जंवारी' । १० देखो 'जवार' । जुळाणी (बौ)-क्रि० १ मंदगति से चलाना, विचरण कराना । जुहारड़ा (डौ)-देखो 'जुहार'। २ गमन कराना, भेजना । ३ संयोग बैठाना । ४ मिलाना । | जुहारणौ (बौ)-क्रि० १ अभिवादन करना, नमस्कार करना । ५ हलचल कराना। ६ प्रज्वलित करना । ७ स्पर्श कराना। | २ पूजा करना, अर्चना करना । ३ प्रसाद चढ़ाना । ८ सहलाना। ४ मनौती मनाना। जुलाब-पु० [अ० जुल्लाबः] १ दस्तावर दवा । २ दस्त, रेचन । | जुहारा-१ देखो 'जंवारा' । २ देखो 'जुहार' । जुलाळ-स्त्री० एक प्रकार की बड़ी बन्दुक । जुहारि (री)-१ देखो 'जंवारी' । २ देखो 'जुहार'। जलाहा (ल्लाहा)-स्त्री० [फा० जौलाह] कपड़े बुनने का कार्य | जहिय, जुही-स्त्री० [सं० यूथिका] सुगंधित सफेद फूलों वाला ___ करने वाली एक मुसलमान जाति ।। एक पौधा व इसका फूल । जुलाहो (ल्लाहौ)-पु० उक्त जाति का व्यक्ति । जू-स्त्री० [सं० यूका] १ मैल व पसीने से बालों में उत्पन्न होने जुळूस-देखो 'जळूस'। वाला एक कीड़ा जो कपड़ों में भी फैल जाता है। २ देखो ‘ज औ'। जुल्फ-देखो ‘जुलफ'। जूडो-देखो 'जुनौ' । जुवंगव-पु० [सं युवगव ] तरुण बैल । (जैन) जूंपरौ-पु० १ घास का मैदान । २ देखो 'जा' । जव-वि० [सं० युवन् ] युवा, तरुण । (जैन) जूपाडौ-देखो 'जुनो'। जवइ-देखो 'जूबती'। जंग, जूगड़ी, जूंगालौ, जू गौ-पु० [सं० जांघिक] १ ऊंट, उष्ट्र । जुवक-पु० [गं युवक] नौजवान, युवक, तरुगा । २ धावक । For Private And Personal Use Only Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जो www. kobatirth.org जुजर (बौ) - देखो 'जू'झरी' (बी) । 'जळ-देखो 'जू' मळ' । जळी स्त्री० एक प्रकार की पास जिसकी बुहारी बनती है भूधार १ देखो 'बुहार' २ देवी 'जवार' । । | - वि० मंद गति से काम करने वाली । जळी- पु० गोवर यादि में पैदा होने वाला एक मूंग-कीट - वि० (स्त्री० जू जळी ) धीमी गति से काम करने वाला । जू जाऊ देखी ''भाऊ' | 'जार देखी भार'। ( ४७९ ) जू - देखो 'ध' । जूझरी (ब) - क्रि० [सं० युद्ध ] १ युद्ध करना, युद्ध में जूझना । २ किसी महान् कार्य के करने में कठोर परिश्रम करना । ३ कोई महान कार्य करना । मंड, मल्ल वि० पीडा, वीर, सुभट जू । जूं नौ-देखो 'जूनो' (स्त्री० जूनी) बरिक - पु० [सं० जंबूरक] छोटी, तोप । वाड़ी - देखो 'जी' | उट्ट (उं) - देखो 'जूवदु" । जूसर (रू), जूसहरी, जूसारी- देखो 'जूसर' । जू' हर - देखो 'जौहर' | जू पु० १ हरिभक्त हरिजन २ मित्र ३ राक्षस ४ माकाश ५ वाक्य | ६ सांप, नाग । ७ देखो 'जुना । - वि० जीर्णशी, पुराना, प्रति प्राचीन क्रि० वि०शीम जल्दी जो कि सर्व० १ जो २ देवो''। 1 जड़ी देवो''। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " पु० १ कदम डग पैड २ पांव पैर ३ देखी 'जुगल' | जाड़ी- देखो 'जुश्री' | प्रारउ ( रत, री) - देखो 'जुवारी' । जूधारीपली पु० [सं० द्यूतकरित्य] जुआ खेलने का कार्य जुई-देखो 'दुई'। | जू झळ, जू झळाट - स्त्री० झुंझलाहट, क्रोध का प्रावेग । साऊ वि० [सं०] बौद्धिक] १ युद्ध संबंधी युद्ध का २ वीर जूड़ौ पु० १ स्त्रियों के सिर के बालों की मोटी गांठ २ एक । पशुओं के पैर बांधने की रस्सी । ४ देखो 'बुध' ४ देखो 'जोड़ी' रस पूर्ण । ३ कठोर परिश्रम का । साथ बंधे दो पशु जुझारवि० [सं० युद्धकार ] १ परोपकार के लिए युद्ध में वीर गति प्राप्त करने वाला । २ पीर । ३ शक्तिशाली । ४ वीर योद्धा । जूज - १ देखो 'जुध' । २ देखो 'जुज' । जूजग्री (बी) देखो 'जुजुषी' जूट -- देखो 'जूट' | जूजाऊ देखी 'भाऊ' । जूडी ० १ ज्वार बाजरे यादि का जड़ सहित उखाड़ा हुया जुजार देखो 'जु'भार' - पु० । पौधा । २ उक्त पौधे की जड़ । जूनियर (वार), जीवार पु० [सं० पुढकार] योद्धा, सुभट, जू (न) स्त्री० [सं० योनि] १ जन्म २ योनि जीय योनि । बहादुर । । । ५ - ३ जीवन, जिन्दगी ४ शरीर, देह [देशन] मूंज या घास की बनी छोटी रस्सी । ६ कच्चे मकान की छाजन में ऐसी रस्सी से लगाया हुआ बंध । ७ ऊंट को खिलाया जाने वाला मांस । ऊंट के पैरों का ऊपरी भाग १ ऊंट के बैठने का एक ढंग १० वाट की बुनाई जूती (बी) देखो 'जू'भी' (बी)। के मध्य के ताने । ११ मस्स्थल में होने वाला खोप जूशार देखो 'कार' | । नामक पौधा । १२ इस पौधे से बनी रस्सी । जूजुश्री जुजुधौ, जूजू (म्रो यौ, बौ) वि० [सं० युतायुत] (स्त्री० जूजुइ, जूजुई, जूजुत्री जूजूइ जूजूई, जूजूवी) पृथक, भिन्न, अलग - देखो 'जुध' । जूझ । । जूउं - देखो 'जुनी' | जूड वि० [सं०युत] १ सहित साथ २ सम्पन्न । जूप्रो- पु० १ हंस । २ देखो 'जुप्रो' । ३ देखो 'जुदी' । जूड़णी (बौ) - १ देखो 'जुड़णी' (बी) । २ देखो 'जोडणी' (बौ) जूड़ाजूड़ - वि० सघन, घना | जूठौ जूड़ियाँ - पु० ऊंट या बकरी के बालों की बनी रस्सी । जड़ी स्त्री० १ तंबाखू के पत्तों का छोटा पूचाल । २ शीत लगकर श्राने वाला ज्वर । जूट पु० [सं०] १ समूह २ समुदाय ४ बैलों की जोड़ी । ५ जोड़ी, युग्म । - जूट (बौ) - देखो 'जूटणी' (बौ) । जूठ-देखो 'जुठी'। जूठन स्त्री०बातें छोड़ा हुआ पदार्थ २ उष्टि भाग - वि० व्यवहार या काम में लिया हुआ । भुक्त जूठलौ, जूठिलु, जूठिलो ( ल्लु ) - १ देखो 'जुधिस्ठर' । २ देखी 'नूठी' ३ पटसन, वस्त्र | For Private And Personal Use Only जूठी - वि० [सं० जुष् जुष्ठ ] (स्त्री० जूठी ) १ खाने से बचा हुआ, खाते-खाते छोड़ा हुवा २ व्यवहार में लाया हुधा, भोगा । हुआ ० १ खाते समय छोड़ा हुया खाना, अवशिष्ट खाना । २ देखो 'झूठी' । Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जूरण ( ४८० ) जेठा जूरण, जरिणम-देखो 'जूण' । जूसण (णी)-पु० [सं०युष, फा० जोशन] १ कवच । २ आवरण। जूत, जूतड़-१ देखो 'जूतौ' । २ देखो 'जुत'। -वि० १ लिपटा हुग्रा, चिपका हुआ । २ मावेष्टित । जूतरणौ (बौ)-देखो 'जुतणी' (बी)। जूसणा-स्त्री० १ सेवा (जैन)। २ देखो 'जूसर'। जूताखोर-वि० १ जूतों से मार खाने का प्रादि । २ बेशर्म, जूसर-पु० [सं० युग-सर] १ जूमा । २ कवच । निर्लज्ज । जूसरणी (बी)-क्रि० १ कवच पहनना । २ बैलों के कंधों पर जूती, जूतीड़, जूती-पु० [सं० युक्त] पांवों में पहने की चमड़े। जुमा रखना। प्रादि की पगरक्षकी, उपानह पादत्राण, बूट, जूता । जूहणौ (बो)-क्रि० युद्ध करना, जूझना । -वि० युक्त, साथ, सहित । जूहवइ-पु० [सं० यूथपति] १ यूथपति (जैन)। २ गौ वर्ग का जूथंग, जय-पु० [सं० यूथ] १ समूह, झुण्ड, यूथ । २ समुदाय । । स्वामी (जन)। ३ दल, सेना । -नाय, प, पत, पति, पती, पाळ-पु० जूहार-देखो 'जुहार'। सेनापति, दल-नायक। जूहारणी (बौ)-क्रि० अभिवादन करना। जयका-स्त्री० [सं० यूथिका] सोन जुही । जूहारी-१ देखो 'जुपारी' । २ देखो 'ज'वारी'। ३ देखो 'जवार'। जूथप-पु० [सं० यूथप] १ समूह, दल । २ सेनापति ।। जूहिय, जूहिया-देखो 'जूही' । जूथार-पु० हाथी। जूही-देखो 'जुही'। जूनउं, जनु-देखो 'जूनौ' । (स्त्री० जूनी) जे-पु० १ बेटा, पुत्र । २ समूह । ३ सिंह । ४ टांड । -क्रि०वि० जूनेजा-स्त्री० सिंधी मुसलमानों की एक शाखा । [सं० यदि] १ यदि, अगर, जो । २ संयोजक अव्यय । जनौ-वि० [सं० जीणं] १ पुराना. प्राचीन । २ जीर्ण- ३ क्योंकि । -सर्व०१ वह, वे, जो। २ जिस। शीर्ण, टूटा-फूटा, जर्जर । ३ बुड्ढा, वृद्ध । -देव-पु० जेई-स्त्री० मोटी लकड़ी के एक शिरे पर लकड़ी के दो सींग महादेव, शिव। ___लगाकर बनाया हुआ एक कृषि उपकरण । जूप-पु० [सं० यूप] पशु बलि करने का स्थान । जेउ-सर्व जिस । -अध्य० षष्ठी विभक्ति, के । जूपणौ-वि० (स्त्री० जूपणी) १ जुतने वाला । २ प्रज्वलित होने | जेखल-पु० [सं० ज्यास्खल] सूअर, शूकर । वाला। जेखाधीस-पु० [सं० यक्षाधीश] कुबेर । जपणो (बौ)-१ देखो 'जुतणी' (बौ)। १ देखो 'जुपणी' (बौ)। जेज-स्त्री० १ विलम्ब, देरी। २ समय, अवधि । ३ किसी कार्य जूय-पु० [सं० यूप] १ यज्ञ-स्तंभ । २ हाथ-पावों का सामुद्रिक की पूर्णता के लिए अवशिष्ट समय । चिह्न विशेष। जेजकार-देखो 'जैकार'। जूयढइ-पु० [सं० द्यूत] जूमा, द्यूत (जैन)। जेश-देखो 'जेज'। जूया-पु० [सं० यूका] १ जू, यूका (जन)। २ देखो 'जूवा'। जेझळ-स्त्री० ज्वाला, आग । जूर-देखो 'हजूर'। जेट-स्त्री०१ तह पर तह किया हमा वस्तुओं का ढेर, समूह, जूल-देखो 'झूल'। राशि । २ गड्डी । ३ प्रावृत्ति । ४ देखो 'जेठ'। जूलसाई-स्त्री० १ सामग्री । २ तैयारी। जेटणी (बो)-क्रि० १ तह पर तह लगाकर रखना । २ खूब जूवटउं, जूवटु, जूवढें (टौ)-पु० [सं० द्यूत-वृत्तकम्] १ द्यूत, खाना। ३ जमाना। जुमा । २ देखो 'जुनी'। जेटौ-पु० समूह, ढेर । जूवरण, (गु, ग)-देखो 'जोबन' । जेट्टा, जेट्ठा-देखो 'जेस्ठा'। जबताइ (ई)-स्त्री० १ युवती । २ युवापन, जवानी। जेट्ठामूळ, जेट्ठामूळमांस-पु० ज्येष्ठ मास । जूवळ-पु० [सं० युगल] पैर, चरण । -वि० दोनों, युगल । जेठ्ठामुळी-स्त्री० ज्येष्ठमास की पूर्णिमा । जूवारण, जूवांन-देखो 'जवान' । जूबा-वि० [सं० युवा] १ युवा, जवान । २ पृथक, अलग । | जेठ (डौ)-पु० [सं० ज्येष्ठ] (स्त्री० जेठांणी, नी) १ पति का भिन्न । ४ देखो 'जूबाजूवी' । बड़ा भाई । २ ज्येष्ठ मास । ३ ज्येष्ठा नक्षत्र । -वि. जूवाछवी-स्त्री० परात में छाछ भरकर उसमें चांदी का छल्ला । बड़ा, ज्येष्ठ, अग्रज। डाल कर वर-वधू को खेलाया जाने वाला एक खेल । | जेठळ (ल)-पु० [सं० ज्येष्ठ] १ ज्येष्ठ भ्राता, बड़ा भाई। जूवाड़ो-देखी -जुनो। २ देखो 'जेठ' । ३ देखो 'जुधिस्ठर'। जूवारी-देखो 'जुवारी'। जेठा-देखो 'जेस्ठा। For Private And Personal Use Only Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जेठाई जेस्टास्त्रम जेठाई-स्त्री० १ बड़ाई, बड़प्पन । २ ज्येष्ठता । ३ बड़े भाई | जेरपी (बी)-क्रि० १ परास्त करना, पराजित करना । का वंशज । २ मजबूर करना विवश करना । ३ वश में करना । जेठि, जेठिय, जेठी-वि० [सं० ज्योष्ठिन्] १ बड़ा, ज्येष्ठ ।।। ४ अत्यधिक तंग करना। ५ मजबूत बांधना । २ ज्येष्ठ मास संबंधी। -पु० १ ज्येष्ठ भ्राता, बड़ा भाई । | जेरदस्त-वि० [फा०] १ अधीन, वशवर्ती । २ परास्त, २ पहलवान, मल्ल । पराजित । जेठीपाथ, (पारथ, पाराथ)-पु० अर्जुन का बड़ा भाई जेरपाई-स्त्री० [फा०] स्त्रियों के पैर की हल्की जूती । युधिष्ठिर, भीम। जेरबद (बंध)-पु० [फा०] घोड़े के अगले पांवों में बांधा जाने जेठीमधु-स्त्री० [सं० यष्टिमधु] मुलैठी, मीठी-काठी। वाला कपड़े या चमड़े का तस्मा। जेठीमल-पु० [सं० जेष्ठमल्ल] योद्धा, वीर, पहलवान । जेरबाद-पु० [फा०] घोडे का एक रोग विशेष । जेठुतौ-देखो 'जेठूतौ'। जेरबार-वि० [फा०] १ विपत्तिग्रस्त। २ तंग, परेशान, दुःखी। जेठूत, जेठूतरौ, जेठूतो (त्रो)-पु० [सं० ज्येष्ठ +-पुत्र] ३ क्षतिग्रस्त । (स्त्री० जेठूतरी, जेठूती, जेठूत्री) पति का भतीजा, जेठ का | जेरबारी-स्त्री० [फा०] दु:खी होने की क्रिया । जेरांणी-स्त्री० मृत व्यक्ति के पीछे गाया जाने वाला शोक जेडपो (बौ)-क्रि० विलंबकरना, देरी करना ।। सूचक लोकगीत। जेण, जेरिण, जेणी-सर्व० [सं० यः, येन] १ जो, जिस, जिससे, | जेराजेर-पु० १ हाकी का खेल । २ देखो 'जेर' । जिसने । २ उन, उन्होंने, वे -क्रि० वि० जहां । जेरीबरियां-पु. एक प्रकार का पका हुआ मांस । जेत-देखो 'जेथ'। जेळ-स्त्री० १ कैद, बंदीगृह । २ कैद में रखने की सजा। जेतळई (लई, लइ, लई)-क्रि० वि० जब तक, तब तक, २ इस सजा की अवधि । ४ खेल के मैदान की सीमा । इतने में। -वि० (स्त्री० जेतळी) इतना, जितना । ५ अंतिम छोर । ६ लक्ष्यस्थान । ७ एक प्रकार का खेल । जेतलउ जेतळु (ळ, लौ)-वि० (स्त्री० जेतली) जितना । -खांनो-पु० बंदीगृह । जेति-देखो 'जेथ'। जेलड़-पु. एक प्रकार का प्राभूषण । जेतिय, जेती-वि०१ जितनी । २ देखो 'जेथ' । जळणी (बौ)-क्रि० १ भेजना । २ बराबर करना । जेते (त)-क्रि० वि० १ जब तक । २ देखो 'जेथे' । जळदड़ी-स्त्री० हाकी की तरह का एक प्रकार का देशी खेल । जेत्राई-देखो 'जत्राई'। जेळियौ-पु० १ एक शिरे से मुड़ा हूँआ खेलने का डंडा । २ खेल जेथ, (थि, थी, थे, थे)-क्रि० वि० [सं० यत्र] जहां, जिस के मैदान का छोर । —दोटौ-पु० उक्त खेल में गोल की जगह । वहां। तरफ गेंद फेंकने की क्रिया । जेब-स्त्री० [अ०] १ सिले हुए वस्त्र प्रादि में बनी छोटी थैली, जेवड़ी-स्त्री० रस्सी । -वि० जैसी । खीसा । [फा०] २ शोभा, सौंदर्य । -कट-पु० जेब | जेवड़ी, जेवडउ, जेवडो-पु० १ बड़ा रस्सा । २ तोरण पर सासु कतरा, चोर । -खरच-पु. निजी खर्च, हाथ खर्च। द्वारा दूल्हे को अांचल से बांधने की एक रस्म । -वि. -घड़ी-स्त्री० जेब में रखने की छोटी घड़ी। [सं॰यावत] जैसा । जितना। जेबि (बी)-वि० [१०] १ जेब का, जेब संबंधी। २ जेब में | जेवर-पु० [फा०] अाभूषण, गहना, अलंकार । रहने लायक, छोटा । ३ सुन्दर । जेवलौ-देखो 'जेई' । जेम-क्रि० वि० [सं० येम] १ ऐसे, इस प्रकार, जैसे, जिस जेवहौ-वि० (स्त्री० जेवही) जैसा । जेवां-क्रि० वि० जैसे, जिस प्रकार । प्रकार । २ ज्यों, ज्योंहि । -वि० समान, तुल्य । जेवाल्यौ-देखो 'जेई'। जेमण-देखो 'जीमण' । जेबी-वि० (स्त्री० जेवी) जैसा। जेमिरिण (सी)-देखो 'जैमिनी' । जेस-पु० बारहवीं बार उलट कर तैयार किया हुआ शराब । जेयार-वि० [सं० जेतृ] जीतने वाला । -क्रि० वि० जब । जेसटासम, जेसठासम-देखो 'जेस्ठासम' । जेर-वि० [फा०] १ परास्त, पराजित । २ मजबूर, विवश । जेसौ-क्रि० वि० १ इस, प्रकार, ऐसे । २ देखो 'गैमौ' । ३ वश व काबू में । ४ बहुत तंग किया हुआ । ५ मजबूत जेस्टसुर-देखो 'जेस्ठसुर। बांधा हुा । -स्त्री० गर्भस्थ शिशु पर रहने वाली | जेस्टा-देखो 'जेस्ठा'। झिल्ली। जेस्टासम-देखो जेस्ठास्रम' । For Private And Personal Use Only Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जेस्टी ( ४८२ ) जर जेस्टी, जेस्टौ, जेस्ठ-वि० [सं० ज्येष्ठ] बड़ा, अग्रज । -पु. -पत्र-पु० जीत की सनद । -वंत, वान, वादी, वार, बड़ा भाई । पति का बड़ा भाई। -सुर-पु० ब्रह्मा । वारू-वि० जीतने वाला, विजयी। जेस्ठा-स्त्री० [सं० ज्येष्ठा] सत्ताईश नक्षत्रों में से अठारहवां जंतरति (ती)-वि० [सं० जैत्र+रति] शक्तिशाली, बलवान । नक्षत्र । ---सम-पु. गृहस्थ आश्रम, श्रेष्ठ प्राश्रम । जैतस्री-स्त्री० एक रागिनी विशेष । जेह-स्त्री० [फा० जिह] १ प्रत्यंचा। २ प्रत्यंचा का मध्य भाग। जैतहत्थ, (हथ, हथौ)-वि० [सं० जेत्र-हस्त] जिसके हाथ में ___-वि० जैसा। -सर्व . १ वे। २ देखो 'जे'। विजय हो, विजयो। जेहऊ (जेहऊ)-वि० जैसा। जैतां-स्त्री० एक पतिव्रता क्षत्रिय स्त्री। जेहड़ि (डी)-क्रि.वि. जैसे ही. ज्योंही। -वि० जैसी। जैताई-वि० १ विजयी । २ जीतने वाला। जेहड़ौ-वि० (स्त्री० जेहड़ी) जैसा । जंतार-वि० १ जीतने वाला । २ उद्धार करने वाला। जेहनउं (उ)-वि० (स्त्री० जेहनवी) जिसका। जैतून-पु० [अ०] एक सदाबहार वृक्ष । जेहर-पु० पांव का एक प्राभूषण । जैत्र-स्त्री० [सं०] विजय, जीत, जय । -वादी, वार-वि० जेहरांन-पु० आभूषण, जेवरात । विजयी । -साद-पु० जयघोष । -हथ, हथौ= जेहरि (री)-वि० १ जैसी । २ देखो 'जेहर'। 'जतहथ'। जेहरौ, जेहवउ, जेहवौ-वि० (स्त्री० जेहरी, जेहवी) जैसा ।। जंत्राई-स्त्री० जीत, विजय। -वि० १ विजयी । २ जितने ही। जहांरण (न)-देखो 'जहांन' । जथहय (हथौ)-पु० देखो 'जतहथ' । जेहा-स्त्री० [सं. जिह्वा] १ जीभ, रसना । २ देखो 'जैसा'। जैदरथ (थी, थ्यो)-जयद्रथ । जेहिं (हि)-देखो 'जेही'। जैन-पु० [सं०] १ अहिंसा को परम धर्म मानने वाला एक जेहिर-१ देखो 'जेवर' । २ देखो 'जेहर' । प्रसिद्ध सम्प्रदाय । २ इस सम्प्रदाय का अनुयायी। जेहिळ-पू० [सं०] वशिष्ठ गोत्रोत्पन्न आर्य नाग का शिष्य, जैनगर, जनेर, जैपर-पु० जयपुर नगर । ____ एक मुनि । (जैन) जैपरियौ-पु० १ जयपुर का निवासी । २ जयपुर की रंगाई का जेही-सर्व० जिस । उसी। -क्रि०वि० जैसे, ज्यों। -वि० जैसी। साफा। जेह, जहौ-वि० (स्त्री० जेही) १ जैसा । २ समान, तुल्य, सदृश । जैपरी-वि० जयपुर का, जयपुर संबंधी। -स्त्री. १ जयपुर की ३ एक निश्चित रूप-रंग या प्राकृति जैसा । ४ जो। बोली, भाषा । २ देखो 'जं परियो' । जैगड़ी -पु० बछड़ा। (मेवात) जपाळ-स्त्री० एक दस्तावर औषधि । जैट-पु० १ शमी वृक्ष । २ देखो 'जेट'। जैपुर-देखो ‘ज पर'। जै-पु० १ बृहस्पति। २ पुष्य नक्षत्र । ३ सूर्य । ४ ब्रह्मा । जैपुरियौ-देखो 'जपरियौ'। ५ पतंगा । ६ अग्नि । ७ जय-विजय । ८ जयकार शब्द, घोष । ९ देखो 'जे'। जैपुरी- देखो 'परी'। जैई-देखो 'जेई'। जपलविन-क्रि०वि० वर्तमान से पांचवें या छठे दिन को। जैकरी-स्त्री० [सं० जयकारी] चौपाई छन्द का एक भेद । जैबौ-जसा। जैकार-देखो 'जयकार'। जैमंगळ-देखो 'जयमंगळ' । जकारणी (बी)-क्रि०वि० जयध्वनि का उद्घोष करना, जय जमती-स्त्री० [सं० जयमती] १ ईहड़देव चालुक्य की दुश्चरित्रा बोलना। ज'ई-क्रि०वि० जब तक । तब तक । पुत्री। २ दुश्चरिया स्त्री । ज'डो-वि० (स्त्री० जै'डी) जैसा । जैमाळ (माळा)-स्त्री० [सं० जयमाला] १ विजय के उपलक्ष में जैजय, जैजेकार-वि० १ विजय का घोष । २ विजय की मंगल पहनाई जाने वाली माला। २ वरण करने लिये पहनाई कामना। जाने वाली माला । जजवंती-स्त्री० भैरव राग का एक भेद । | जैमिनि (नी)-पु० [सं] पूर्व मीमांसा का प्रवर्तक, व्यासजी जैढ़क-पु० [सं० जय-ढक] विजय के उपलक्ष में बजाया जाने का एक शिष्य । ___ वाला ढोल । जैयौ-पु० १ पशुओं के शरीर से चिपकने वाला एक कीड़ा। जैत-स्त्री० जीत, विजय। -कारी-वि० विजयी, विजय दिलाने | २ जवा । वाला । -खंभ-पु. विजयस्तम्भ । -वि. अजेय ।। ज' र-देखो 'जहर' । For Private And Personal Use Only Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org ज'रमो रौ ( ४८३ ) जोग जरमो'रौ (जै'रीमौरी)- १ सर्प का विष सोखने वाला एक जोइसी-पु० [सं० ज्योतिषी] ज्योतिष विद्या का जानकार, काला पत्थर । २ औषधि में काम आने वाला एक ज्योतिषी। हरा पत्थर। जोईजणौ (बी)-देखो 'जोइजणी' (बौ)। जै'रबाय-स्त्री० जहरवायु । जोईज-अव्य० चाहिये, आवश्यक है, उचित है मुनासिब है। जै' री (लो)-वि० विष युक्त विपला, जहरीला । जोक-देखो 'जळोक'। जैवत, जैवत-वि०विजयी। जोख-स्त्री० [सं० योषा] १ स्त्री, महिला, नारी । २ इच्छा, जैसळगर, जैसळमेर-पु० राजस्थान की पश्चिमी सीमा स्थित । अभिलाषा, स्वाहिश । ३ रुचि । ४ खुशी, मौज । ५ वैभव, एक ऐतिहासिक नगर जहां भाटी राजपूतों का राज्य था। ऐश्वर्य । ६ तोलने का कार्य । ७ वजन । ८ तोलने के जैसळमेरी-स्त्री. जैसलमेर की भाषा या बोली। उपकरण, बाट । ९ दावत । १० कामक्रीड़ा । ११ जेवर । २ देखो जैसेलमेरो । १२ भय, डर । १३ देखो 'जळोक' । जैसलमेरो-वि० जैसलमेर का, जैसलमेर संबंधी। -पु० जैसलमेर | जोखरणौ (बौ)-क्रि० १ किसी वस्तु को तोलना। २ वजन ज्ञात ___ का निवासी। करना । ३ भयभीत करना, आतंकित करना । जैसौ-वि०वैसा। -रांणी-पु. एक लोक गीत । जोखत (ता)-स्त्री० [सं० योषिता[ १ स्त्री, औरत । २ वेश्या, जहर-पु०१ सांप, सर्प । २ देखो 'जहर'। गणिका। जहरी-वि० जहरी। जोखम-स्त्री० १ धन, दौलत, अधिक रुपया । २ मूल्यवान जों-वि० ज्यों, समान । -क्रि. वि. ज्यों, जैसे। वस्तु । ३ संभाल कर रखने लायक कोई अमानत । ४ कोई जोंईडौ-स्त्री० यूका का बच्चा । बड़ी जिम्मेदारी। ५ आपत्ति, संकट । ६ खतरा, भय । जोज, जोंट-पु० शमी वृक्ष व इसका फल । जोखमरणौ (बौ), जोखमिणौ (बौ)-क्रि० १ वीर गति को जो-सर्व० [सं० यः] सम्बन्ध वाचक सर्वनाम, वह । -क्रि० वि | प्राप्त करना । २ टूटना। ३ भागना । ४ मरना । [सं० यत् यदि, अगर । -पु० जौ, जव । जोखमी-वि० 'जोखम' माना जाने वाली, विपत्ति लाने वाली जोग्रण- १ देखो 'जोबरण'। २ 'जोगण'। ३ देखो 'जोजरण' वस्तु । जोग्रणी (बी)-देखो 'जोवरणो' (बौ)। जोखसोख-पु० १ धन, दौलत । २ ऐश्वर्य, वैभव । ३ विषयजोइ-स्त्री० [सं० जोषित्, ज्योति] १ स्त्री, महिला । २ अग्नि । बिलास । ३ ज्योति, प्रकाश । (जैन) जोखहारी-वि० १ आमोद-प्रमोद का कार्य करने वाला । जोइजरणी (बौ)-क्रि० प्रावश्यक होना, जरूरी होना । जरूरत २ हास्यास्पद वेश-भूषा व क्रियाएँ करने वाला। महशूस करना। ३ हानिकारक। -पु. १ मजाकिया । २ हास्य अभिनेता। जोइठाण -पु० [सं० ज्योति-स्थान] अग्नि-कुण्ड । (जैन) ३ योद्धा । ४ शत्रु। जोइण-स्त्री० १ जोशी की स्त्री, जोशण । २ देखो 'जोवरण', | जोखा-स्त्री० [सं० योषा] स्त्री, नारी, महिला। जोगण, जोजरण'। जोखाई-स्त्री० तोलने या वजन ज्ञात करने की क्रिया । जोइणि (पी)-देखो 'जोगणी' । जोखारा-स्त्री० [सं० योषा] चूसने वाली स्त्री, वेश्या । जोइरणौ (बौ)-देखो 'जोवणो' (बी) । जोखित, जोखिता-देखो 'जोखता' । जोइय-वि० [सं० योजित] जोता हुआ । (जैन) जोखिया-स्त्री० मौज, खुशी, मस्ती। जोइयणौ (बौ)-देखो 'जोवणी' (बी)। जोखी-पु० १ हानि, नुकसान । २ खतरा, भय । ३ उत्तरजोइयांणी-स्त्री० 'जोइया' वंश की स्त्री या कन्या । दायित्व, जिम्मेदारी । ४ पीड़ा, दर्द । ५ दुःख, कष्ट । ६ धन, दौलत । ७ जोखम । ८ अमानत । आशंका । जोइया-पु. एक प्राचीन क्षत्रिय वंश। -वटी, वार-स्त्री० सतलज १० अापत्ति, विपदा, संकट । ११ हिसाब, लेखा। नदी व बहावलपुर के पास का क्षेत्र । १२ भविष्य में विपदा लाने वाली वस्तु या कार्य । जोइस-पु० [सं० ज्योतिष्क] १ ज्योतिषी । २ ज्योतिष । जोगंगी-पु० [सं० योगांगी योगाभ्यास करने वाला। ३ ज्योतिषीदेव । जोगंद (द्र)-देखो 'जोगेंद्र' । जोइसम-वि० [मं ज्योतिसमः] अग्नि के समान । (जैन) जोगंधर-पु० शत्रु के प्रहार से बचने की युक्ति । जोइसवंत-वि० ज्योतिषवांन । जोग-पु० [सं० योग, युजिर] १ अवसर, मौका । २ समय, जोइसालय-पु० ज्योतिष देवों का पालय । वक्त । ३ शिव, महादेव । ४ चन्द्रमा । ५ संयोग, मेल । For Private And Personal Use Only Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोग जोगासन मिलाप । ६ शुभ अवसर, शुभ काल । ७ उपाय, युक्ति । -संथा, संस्था-स्त्री. योग मंत्र, योग शिक्षा । -सकति, ८ औषधि, दवा । ९ ध्यान, तप, वैराग्य । १० प्रेम । सकती, सक्ति, सक्ती, सगति, सगती, सरती-स्त्री० ११ मुक्ति या मोक्ष के उपाय । १२ यौगिक क्रियाएँ.. योगबल, तपोबल । -समाउत्त-वि० योगों से युक्त । (जैन) योगाभ्यास । १३ ईश्वर भक्ति में चित्त की एकाग्रता । -साधन-पु० योग साधना, तपस्या। -सास्त्र- योगशास्त्र' । १४ संगति । १५ धोखा, छल । १६ धन, दौलत ।। -साहरण='जोगसाधन' । - सिधी= योग सिद्धि' । १७ साम, दाम, दण्ड, भेदादिक उपाय । १८ वशीकरण जोगड़ी (टौ)-देखो 'जोगी' । (स्त्री० जोगड़ी, जोगटी) क्रिया। १६ लाभ, फायदा । २० सुभीता । २१ भजन जोगरण (रिग,रणी)-स्त्री० [सं०योगिनी] १देवी, शक्ति, योगमाया। करने की विधि । २२ सम्बन्ध । २३ लेख, प्रारब्ध । २ रण चण्डी । ३ विधवा । ४ संन्यासिनी । ५ तपस्विनी । २४ संन्यास । २५ प्राज्ञा । २६ गणित में दो या अधिक ६ योगाभ्यासिनी । ७ भिखारिन । ८ आठ विशिष्ट राशियों का जोड़ा। २७ फलित ज्योतिष के अनुसार वार देवियों में से कोई एक । ९ ज्योतिष की पाठ देवियों में से व नक्षत्रों का एक समय विशेष । २८ सूर्य व चन्द्रमा के कोई एक । १० पार्वती । ११ तिथि विशेष को किसी दिशा राशि, अंश, कला और विकला के योग के काल का मान । विशेष में स्थित योगिनी । १२ रण प्रिय चौसठ योगिनियां । २९ संबंध, संसर्ग । ३० प्रयोग, उपयोग। ३१ परिणाम, १३ ज्वार की फसल का एक रोग। १४ आषाढ़ कृष्णा एका नतीजा । ३२ पेशा, धंधा। ३३ कवच । ३४ उत्साह । दशी । १५ दिल्ली नगर का एक नाम । -नगर,नग्गर पीठ, ३५ नियम। ३६ निर्भरता । ३७ वाहन, सवारी । पुर, पुरी-स्त्री० दिल्ली नगर का एक नाम । -पुरी ३८ चिकित्सा, इलाज। ३६ जादू टोना, इन्द्रजाल । --पु० बादशाह, दिल्ली, निवासी, मुसलमान, यवन । चौहान ४० जासूस, भेदिया । ४१ पंवार वंशोत्पन्न एक देवी । राजपूत, दिल्ली नगर । -वि० १ योग्य, काबिल, लायक । २ उचित, योग्य । जोगणेस-पु० [सं॰योगिनीश] १ दिल्लीपति, बादशाह । -अठंग-'अस्टांगजोग' । -अधीस-पु. योगाधीश, ब्रह्म । २ योगेश । ३ शिव, महादेव । - खेम, खेम-पु० योगक्षेम, कुशल-क्षेम। -जोगी-पु० जोगतंत (तत, तत्त तत्व) -पु० [सं० योग-तत्त्व] योग रहस्य, योगासन पर बैठा योगी। -धाता-पु० महादेव, शिव । योगत्व । नंद्रा, निद्रा-स्त्री०योगनिद्रा । निर्विकल्प समाधि । युगान्त में जोगत-स्त्री० [सं० योगतत्त्व] योग विद्या । विष्णु की नींद । तंद्रा, झपकी । देवी, दुर्गा, शक्ति। जोगता-स्त्री० योग्यता, कुशलता, काबलियत । -निद्राळु, निद्राळ-पु० प्रलय के समय योग निद्रा लेने वाले जोगती-वि० योग्य। भगवान विष्णु । -निधान- पु० योग का खजाना, | जोगतीजोत-देखो 'जागतीजोत' । योगस्थान । -पंथ-पु० योग का रास्ता । -पत,पति,पती-पु० जोगदोस-पु० [सं० योगदोष] पैर के ऊपर लेप करने से जो योगपति महादेव, शिव, विष्णु । योगी --परिणाम-पु० सिद्धि होती है उससे आहार आदि लेना । (जैन) जीव के परिणाम का एक प्रकार । (जैन)-परिवाइया- जोगरंभ-देखो 'जोगारंभ' । स्त्री० समाधि वाली परिवाजिका, संन्यासिनी। -पारंग, जोगराज गुगळ (गुग्गळ, गूगळ)-देखो 'योगराजगुग्गळ' । पारंगत-पु० शिव । -वि० योग विद्या में पारंगत । -पीठ जोगव-पु० [सं० योगवान] योग वाला, स्वाध्यायी। (जैन) --पु० देवतानों का योगासन । -बळ-पु० योग साधना से जोगांण-पु० महादेव, शिव । प्राप्त शक्ति, योगबल, तपोबल । -भ्रस्ट-वि० योग साधना से च्युत । -माता, माय, माया-स्त्री० देवी शक्ति, दुर्गा । जोगांतराय-देखो 'योगांतराय' । महामाया, पार्वती, विष्णु की माया भगवती। जसोदा के जोगांतिक-पु० [सं० योगान्तिक] बुध ग्रह की चाल विशेष । गर्भ से उत्पन्न कन्या। श्रीकरणी। – मुद्दा, मुद्रा-स्त्री० | जोगाग्नि-स्त्री० योगाग्नि । योग साधना की कोई मुद्रा। -रांगी-स्त्री० पार्वती, देवी, जोगाणंद-पु० [सं० योगानन्द शिव, महादेव । रणचण्डी । -राज-पु. शिव, विष्णु । -राया जोगानळ-स्त्री० योगानल, योगाग्नि । 'जोगरांणी'। -वंत, वत-पु० शुभ प्रवृत्ति वाला योगी, संन्यासी । -बट-पु० योगाभ्यास । --बटउ-पु. प्राचीन जोगाभास (भ्यास)-देखो 'योगाभ्यास' । कालिक एक वेशभूषा । योगपट्ट। -वारण, वाई-स्त्री० जोगारंब, (रंभ, रम)-पु० [सं० योग + प्रारम्भ] १ योग वैभव, सम्पत्ति, दौलत, योग्यता, स्थिति, ढंग । अवसर, क्रिया, साधना, योगाभ्यास । २ योग । मौका, व्यवस्था, प्रबंध । -विसोही-स्त्री० योग शुद्धि । | जोगासन-देखो 'योगासन' । For Private And Personal Use Only Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org जोगिद । ४८५ ) जोड़ारणी जोगिद, जोगिद्र-पु० [सं० योगीन्द्र] १ बड़ा योगी, तपस्वी, | जोड़ण-स्त्री० १ जोड़ने की क्रिया या भाव । २ योग, जोड़। महायोगी । २ महादेव, शिव । ३ श्रीकृष्ण । -वि० ३ जोड़ने वाला पदार्थ । संयमी। जोडगो (बी)-कि० [सं० जुड-बंधन] १ दो या दो से अधिक जोगि, जोगिय-१ देखो 'जोगी'। २ देखो 'जोग' । वस्तुत्रों को परस्पर संबंधित करना, जोड़ना । २ टूट-फुट जोगिया-स्त्री० एक रागिनी विशेष । -वि० १ गेरू रंग का। ठीक करना । ३ इकट्ठा करना, एकत्र करना । ४ संग्रह २ योगी संबंधी। ३ मटमैले रंग का। करना, जमा करना । ५ कविता करना । ६ किसी से जोगिया-भाट्या-पृ० स्वादिष्ट मांस वाला एक पक्षी विशेष । संबद्ध करना । ७ परस्पर बांधना । ८ मिलाना । क्रमश: जोगियो-१ देखो 'जोगी' । २ देखो 'जोगिया' । रखना । १० अंकों का योग करना । ११ यथा स्थान जोगोंद (द्र)-देखो 'जोगिंद्र'। स्थापित करना । १२ प्रार्थना या विनय करना । १३ संयक्त जोगी (डौ)-पु० [सं० योगिन्] (स्त्री० जोगण, जोगणि, या संश्लिष्ट करना। १४ बनाना, रचना । १५ जोतना । जोगणी) १ ईश्वर । २ शिव, महादेव । ३ श्रीकृष्ण । १६ सभा बनाकर बैठना । १७ दीप जलाना । १८ संबंध ४ अलौकिक शक्ति सम्पन्न सिद्ध पुरुष । ५ बाजीगर, | स्थापित करना । १९ अनुरक्त या लीन करना । २० मन मदारी । ६ योगदर्शन का अनुयायी । ७ संन्यासी । ८ एक लगाना। जाति विशेष । -वि० १ वैरागी, जितेन्द्रिय, आत्मज्ञानी। जोड़ली-वि० १ पास की, समीप वाली । २ बराबर की। २ योग द्वारा सिद्धि प्राप्त करने वाला । ३ योग्य, उपयुक्त । ३ देखो 'जोड़ी'। -कुड='योगीकुड'। –नाथ='योगीनाथ' । -राज= | जोड़लौ-वि० (स्त्री० जोड़ली) १ एक ही समय में होने वाला। 'योगीराज। सम-सामयिक । २ पास का । ३ बराबर का । ४ जोड़ी से जोगीस (सर, स्वर), जोगेंद्र, जोगेस (वर सर, सुर, स्वर)-पु० | होने वाला, यमज । ५ जोड़ी का । ६ जुड़ा हुप्रा । [सं०योगीश, योगी श्वर, योगेंद्र, योगेश, योगेश्वर १ शिव, | ७ देखो 'जोड़ौ'। महादेव । २ श्रीकृष्ण । ३ ईश्वर । ४ योगियों के स्वामी। | जोड़वां-स्त्री० रबी की फसल की अंतिम जुताई। -वि० जुड़े ५ याज्ञवल्क्य मुनि का नाम । ६ बड़ा सिद्ध, महात्मा। हुए, युग्म । ७ संन्यासी। ८ स्वरूप । (नाथ, योगी) जोड़वाई-देखो 'जोड़ाई। जोगेसरी (स्वरी)-देखो 'योगीस्वरी'। जोड़वाळ (वाळी)-देखो 'जोड़लौ'। जोगौ-वि० [सं० योग्य] १ योग्य, लायक, काबिल । २ उपयुक्त, जोड़ा-स्त्री०१ मिरासियों की एक शाखा । २ सारंगी के मुख्य ठीक । ३ उचित, वाजिब । ४ अधिकारी । ५ सम्माननीय । दो तार। जोग्ग-देखो 'जोग' । जोडाप्रत (इत)-देखो ‘जोडायत' । जोग्गया-स्त्री० [सं० योग्यता] योग्यता, लायकी (जैन)। जोड़ाई-स्त्री० १ जोड़ने की क्रिया या भाव । २ जोड़ने की मजदूरी । ३ चुनाई। जोग्य-देखो 'योग्य' । जोड़ाउ (ऊ)-वि० संग्रहकर्ता, जमा करने वाला, जोड़ने वाला। जोग्याजोग्यजथा-स्त्री०यौ० [सं० योग्यायोग्ययथा] योग्य जोड़ागुण-पु. काव्यकार, कवि । अयोग्य पदार्थों के साथ-साथ वर्णन की काव्य की एक जोडाजोडी-क्रि०वि०१ जोड़े से । २ आसपास । ३ निकट से । शैली। -स्त्री० १ पति-पत्नी, दम्पति । २ जोड़ने की क्रिया या जोग्याभास (भ्यास)-पु० [सं० योगाभ्यास] योगाभ्यास । भाव। जोड़-वि० सं० युज] १ समान, तुल्य, बराबर । २ मुकाबले | जोड़ाणी (बौ)-क्रि० १ दो या दो से अधिक वस्तुओं को परस्पर का । -स्त्री. १ जोड़ी, युग्म । २ टोली, मंडली, दल, संबंधित कराना, जुड़वाना । २ टूट-फूट ठीक कराना। समूह । ३ काव्य रचना । ४ अंकों का योग । ५ योगफल। ३ इकट्ठा या एकत्र कराना । ४ संग्रह कराना, ६ संधिस्थल । ७ संधि । ८ जोड़ा जाने वाला भाग । जमा कराना । ५ कविता कराना । ६ किसी से संबद्ध ९ समानता, बराबरी। १० परस्पर आश्रित दो प्राणी। कराना । ७ परस्पर बंधवाना । ८ मिलवाना । ११ साथ काम पाने वाली समानधर्मी दो वस्तुएं । ९ क्रमश: रखवाना । १० अंकों का योग कराना । १२ जोड़ने की क्रिया या भाव । ११ यथास्थान स्थापित कराना । १२ प्रार्थना या विनय जोड़ग (गर)-वि० १ रचनाकार, रचयिता । २ कवि । कराना। १३ संयुक्त या संश्लिष्ट कराना । १४ बनवाना, ३ समान शक्ति या क्षमता बाला । ४ संग्रहकर्ता । रचवाना । १५ जुतवाना । १६ सभा कराना । For Private And Personal Use Only Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जोज्जयत www.kobatirth.org ( ४८६ ) बराबर । जोड़ाळ (ळौ) पु० मुसलमान, यवन जोड़ का । जोड़ाव (बौ) - देखो 'जोड़ाणी' (बी) । जोड़ाव पु० युग्म जोड़ा। जोड़ियाळ - वि० जोड़ी का बराबर का साथ रहने वाला, . १७ दीप जलवाना 1 १८ संबंध स्थापित कराना। जोट- पु० [सं० योटक ] १ जोड़ा, युग्म । २ समूह, ढेर, राशि । १६ अनुरक्त या लीन कराना जोडायत स्त्री० पत्नी अर्धागिनी विजोड़ का तुल्य, 1 २० मन लगवाना | ३ दम्पति । ४ भैंसा । वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ हृष्ट-पुष्ट । ३ दो । जोटे ( ट ) - प्रव्य० साथ-साथ, शामिल । । - वि० जोड़ी का, साथी। जोड़ी स्त्री० १ एक ही प्रकार की दो वस्तु या प्राणियों का जोड़ा, युग्म । २ परस्पर श्राश्रित समानधर्मी दो प्राणी । ३ पति-पत्नी, दम्पति । ४ नर व मादा । ५ जूती, पादरक्षी । ६ ताल, मंजीरा । ७ युग्म, सेट । ८ बराबरी, समानता । - दार, वाळ, वाळौ वि० बराबरी का, समान धर्मी साथी, पति-पत्नी । 1 जोड़ीक देखो 'जोड़न जोड़ोगर- पु० जूती बनाने वाले मोची । कवि, काव्यकर्ता, जोणिय - वि० जन्म लेने वाला । कवि | जोज - पु० [अ०] जोज] १ सेवक, दास, चाकर २ पत्नी । जोजन पु० एक प्रकार की सन्दुकबी जोजन ( नि प्र ) पु० [सं०] योजन] १ लगभग पाठ गीत की दूरी का एक माप २ संयोग । ३ मेल-मिलाप । जोजनगंधा- स्त्री० [सं० योजन गंधा ] १ वेदव्यास की माता सत्यवती । २ सीता 1 ३ कस्तूरी जात-पु० । वेदव्यास | जोजरी-स्त्री० १ लूनी २ वृद्धावस्था । - वि० [३] सोनी ४ मुरी। जोजरू- पु० वर्षा ऋतु में होने वाला घास का एक पौधा । जोजरी - वि० [सं० जर्जर] (स्त्री० जोजरी) १ पोपना, पोधा खोखला । २ दरार खाया हुआ । ३ बेसुरा । ४ जीर्णशीर्ण, जर्जर । ५ शिथिल । ६ वृद्ध | जोजा-स्त्री० स्त्री, पत्नी । जोजिया स्त्री० [सं०] योधिक] योद्धाओं की नकल । जोजं (जं) स्त्री० [अ०] जोज] [स्त्री, पत्नी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नदी की एक सहायक नदी । १ वृद्ध । २ जीणी-शीर्ण । जोत रणौ जोटो - पु० १ तेज प्रवाह, हिलौल । २ रोक, बंध । ३ रुकावट । ४ जोड़ा । जोड, जोडलियो ( लौ ) - पु० १ घास का मैदान । २ तलैया, पोखर । ३ एक प्रकार का सरकारी लगान । ४ एक क्षेत्र विशेष - झाळ- पु० एक प्राचीन कर | - दरी - स्त्री० एक वस्त्र विशेष । जोडी देखो 'जोड़ी' । जोरण - देखो 'जू' | जोग - पु० उत्तर भारत का एक प्रान्त (जैन) । जोराग-पु० एक प्राचीन देश, प्रान्त । जोरि (गी ) - पु० [सं० योनि] १ पन्नवरण सूत्र के नाम । २ पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र । ३ योनि पन्नवरण सूत्र का एक पद । वि० [सं०] योनिविधान] उत्पत्ति शास्त्र । जोड़, जोड़ - क्रि०वि० १ साथ-साथ, पास में, बगल में । जोणिसूळ- पु० [सं० योनिशूल ] योनि का एक रोग । २ दोनों ओर । जोगीद-देखो 'जोगेंद्र । (बी) प्रकाश, उजाला । ४ अग्नि, ज्वाला | । । जोड़ी ५० १ युग्म जोड़ा २ समानता बराबरी ३ पुनर्वसु जोशी (बी), जो सौ (बो-देखो 'जोवणी' नक्षत्र का नाम । ४ देखो 'जोड़ी' । जोत स्त्री० [सं० ज्योति ] १ ज्योति, २ दीप, दीपक । ३ दीप शिखा । ५ अग्निशिखा । ६ दीपक की बत्ती । ७ देवी-देवताओं को किया जाने वाला धूप-दीप ८ प्रां । ९ दृष्टि नगर । १० किरण । ११ कांति, दीप्ति । १२ तारा । १३ संगीत में प्रष्टताल का एक भेद । १४ यज्ञ की अग्नि । १५ सूर्य । १६ नक्षत्र १७ विष्णु १८ ईश्वर परमेश्वर ब्रह्म । । । १९ ब्रह्म का प्रकाश । २० जूए के दोनों श्रोर बंधी रहने वाली छोटी रस्सियां । - वि० सुन्दर । नौवें पद का पद पु० For Private And Personal Use Only जोतक ( ख, ग ) - देखो 'जोतिस' । जोतकी (खी, गी ) - देखो 'जोतिसी' । जोती स्त्री० १ जोतने की क्रिया या भाव। २ भूमि की जुताई । जोतरण (दो) फि० १ घोड़े, आदि को गाड़ी आदि में - क्रि० बैल जोड़ना । २ वाहन ग्रादि के आगे बांधना । ३ भूमि की जुताई करना । ४ बल पूर्वक लगाना । जोत-व० [सं० ज्योति पाता। जोतर- देखो 'जोत' । जोतरणी (बौ)- देखो 'जोगी' (बी) | Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोतरियो ( ४८७ ) जोमधराज जोतरियौ, जोतरु (रू, रौ)-वि० जोतने योग्य । -स्त्री० हल की जोध-पु० [सं० योधः] १ योद्धा, शूरवीर, सुभट, वीर । २ पुत्र आडी रेखा । देखो 'जोत' । बेटा । ३ भैरव । -वि० १ जवान, युवा । २ शक्तिशाली, जोलिंग-पु० ज्योतिलिंग, शिव । बलवान । --गुर, गुरु(रू)-पु० मंत्री, महावीर । जोतलौ-पु० (स्त्री० जोतलो) कृषक, किसान । ---जवारण (न)-वि० पूर्ण युवा । शक्तिशाली, बलवान । जोतवंत-वि० ज्योतिवान । -जूझार-पु. एक प्रकार का घोड़ा । -जूप्राण (न) जोतसरूप (सरूपी)-देखो 'जोतिसरूप' । जूबांन-'जोध-जवांन'। जोतसिंघाळ-पु० ज्योति बढ़ाने वाला, ईश्वर । जोधण-पु० [संज्योधनम्] १ युद्ध । २ सैनिक, सिपाई। जोतसि (सी)--देखो 'जोतिसी' । जोधपुरी (रो)-वि० जोधपुर का, जोधपुर संबंधी । -स्त्री. जोतसुभ्र-पु० वज्र । १ जोधपुर की बोली । २ एक प्रकार की तलवार । -पु. जोताई-देखो 'जुताई। ३ जोधपुर का निवासी । ४ राठौड़ राजपूत । जोताड़णी (बौ), जोतारणी (बी)-क्रि० १ घोड़े, बैल आदि को जोधविद्या-स्त्री० [सं० युद्ध-विद्या] अस्त्र-शस्त्रों की विद्या, गाड़ि आदि में जुड़वाना, जुतवाना । २ वाहन प्रादि के युद्ध कौशल । प्रागे बंधवाना । ३ भूमि की जुताई कराना । ४ बलात् कार्य | जोधाण-पु० जोधपुर नगर । में लगवाना। जोधाणा-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । जोतात-स्त्री० खेत की मिट्टी की ऊपरी सतह । जोधांपो, जोधानेर-पु० जोधपुर नगर । जोतावरणौ (बो)-देखो 'जोताणी' (बौ) । जोधारंभ-पु० युद्ध, समर । जोति-देखो 'जोति'। जोधार, जोधाळी-पु० योद्धा, शूरवीर । जोतिक (ख, ग)-देखो 'जोतिस' । जोधौ-पु० [सं० योद्धा] सुभट, वीर । जोतिप्रकास (प्रकासो)-पु० [सं० ज्योति प्रकाश] ईश्वर । जोन-देखो 'जूण'। जोतिलिंग-देखो 'जोतलिग'। जोनपीट-पु० [सं० कृपीटयोनि] अग्नि । जोतिवंत-देखो 'जोतवंत'। जोनि (नो)-देखो 'जूरण' । जोतिवक्ष (विक्ष)-पु० [सं० ज्योतिवृक्ष] रात को सूर्य के समान जोनिकंद-पु० योनि का एक रोग । प्रकाशित रहने वाला वृक्ष । (जैन) जोन-क्रि०वि० जिसको , जोतिस-पु० [सं० ज्योतिष] १ ग्रह, नक्षत्रों की स्थिति बताने | जोन्ह-देखो 'जूण' । वाला छः वेदांगों में से एक । २ ज्योतिष विद्या । जोपरणी-स्त्री० शोभा । प्राभा, कांति । ३ प्रकाश, प्रभा। ३ सूर्य । जोपणो (बी)-क्रि० १ जोश में आना । २ उत्साहित होना । जोतिसप्रकासी-देखो 'जोतिप्रकास' । ३ शोभित होना । ४ देखो 'जोतणी' (बी)। जोतिसरूप (स्वरूप)-पु० [सं०ज्योतिस्वरूप] १ ईश्वर परमात्मा । जोपे (4)-प्रव्य० सं० यद्यपि यदि, अगर, यद्यपि । २ विष्णु । ३ श्रीकृष्ण । ४ सूर्य । जोबरण-देखो 'जोबन'। जोतिसिखा-स्त्री० [सं० ज्योतिशिखा] दीपक, लो, बत्ती।। जोबगेरी-स्त्री० एक देवी का नाम । जोतिसी-पू० [सं० ज्योतिषी] १ ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता, जोजन जोबनियो-० [सं० यौवन , यवा होने का भाव. ज्योतिषी । २ नक्षत्र, तारा । ३ डंक ऋषि की संतान एक यौवन, जवानी, तरुणाई । २ य वावस्था । ३ विकास की जाति, डाकौत । चरम सीमा । -वंत, वत -वि० यौवनयुक्त, तरुणाई जोती-देखो 'जोत'। लिए हुए, जवान । जोतीवंत (वत, वंती)-देखो 'जोतवंत' । जोबरलौ-देखो 'जेवरलौ' । (स्त्री० जोवरली) जोतीसरूप (स्वरूप)--देखो 'जोतिसरूप' । जोबराज-देखो 'जुवराज' । जोत्रणी (बी)-देखो 'जोतरणौ' (बौ)। जोमंग (गी)-वि. जोशीला, उत्साही । -पु. योद्धा । जोत्राणौ (बी), जोत्रावणो (बी)-देखो 'जोतणी (बी)। जोमंड (डी)-वि० बलवान, शक्तिशाली। जोन-देखो ‘जोत' । जोम-पु. [अ०] १ जोश, उत्साह । २ बल, शक्ति । ३ प्रावेश, जोत्सरणा (ना)-देखो 'ज्योत्स्ना' । क्रोध । ४ मस्ती, मदमस्तता । ५ गर्व, अभिमान । -अंगीजोदौ-देखो 'जोधौ' । 'जोमंगी'। जोद्धार-देखो 'जोधार'। । जोमधराज, जोमायत (तो)-वि० जोश पूर्ण, जोशीला । For Private And Personal Use Only Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जोप जो स्त्री० [सं०] जाया ] १ पत्नी स्त्री जोरू २ देखो 'जोग' | जोया (खु) - पु० १ नेत्र, ग्रांख । २ दर्शन । ३ देखो 'जोजन' । जोली (बी) देखो 'जोवरणों' (बो)। जोक्स (सी) पु० ज्योतिषी जोवळ स्त्री० १ दृष्टि नजर । २ प्रांख, जोपोज देखो 'जोईजे' । नेत्र । , www.kobatirth.org ( ४८८ जोरीपती-स्त्री० १ हुज्जत, तकरार । २ मानाकानी । ३ बकवाद । ४ लड़ाई । ५ अत्याचार | ६ छीना-झपटी । ७ खींचातान | जोवरळी-देखो 'जेरी' (स्त्री० जोवरी) । जोवराज- देखो 'युवराज' 1 जो जो स्त्री० [फा०] पत्नी स्त्री जोरौ - पु० १ जुल्म, प्रत्याचार । २ जवानी । ३ देखो 'जोर' । जोल पु० [सं०] बगल] र जोलहा - पु० जुलाहा । जोवत वि० [सं०] ज्योतिवंत ] प्रकाशवान, बाभावान कांतिवान । जोवण स्त्री० ० १ देखने की क्रिया या भाव। २ तलाश, खोज। - वि० १ देखने वाला, ढूंढने वाला । २ देखो 'जोबन' । जोवणी (बो) - क्रि०वि० १ तलाश करना, ढूंढना । २ देखना । ३ प्रतीक्षा करना, राह देखना । ४ जलाना, प्रज्वलित करना । ५ देखो 'जोतरणी' (बी) । जोवन जोवनराय, जोजो-देखो 'जोवन' । , जोबीली (बी) देखो 'जोवलो' (बो)। जोर पु० [फा०] १ बिन ताकत २ अधिकार वश शक्ति, । काबू । ३ परिश्रम, मेहनत । ४ तेजी, प्रबलता । ५ आवेश, वेग । ६ आसरा, सहारा - वि० प्रबल, तेज | जोरजट पु० एक प्रकार का उत्तम रेशमी वस्त्र । जोरजुलम पु० [फा०] अत्याचार ज्यादती । जोरतळव - वि० ग्रासानी से आज्ञा न मानने वाला । जोरदार वि० शक्तिशाली, बलवान । जोरवंत (बर वन ) देवो 'जोरावर' । " जोसा, जोसिया, जोसित, जोसिता स्त्री० [सं० जोषा, जोषित ] स्त्री औरत । जोरसिंह - पु० एक मारवाड़ी लोक गीत । जोसियो, जोसी, जोसीड़ी पु० [सं० ज्योतिषी १ ज्योतिषी । २ जोशी ब्राह्मण । जोरसोर पु० [फा० जोर-शोर ] अत्यधिक प्रबलता, प्रचण्डता । जोराजोरी कि०वि० बलपूर्वक जबरन स्त्री० उपादती । जोरावर वि० १ बलवान, शक्तिशाली २ प्रबल प्रचण्ड जोसीली, जोसेल वि० (स्त्री० जोसीली) १ प्रावेशयुक्त, क्रोध - पु० सुभट, सैनिक | युक्त | ३ उमंग भरा, उत्साही ३ तेजमिजाज । जोरावरी - स्त्री० [फा०] १ जबरदस्ती, ज्यादती । २ शक्ति, जोह- पु० [सं० योषः ] १ योद्धा, सुभट २ देखो 'जोस' । ३] देखो 'जोग' | 1 जोहट्ठरण- पु० [सं० योधस्थान ] युद्ध के समय का शरीर " बल, ताकत । ३ बलात्कार | ४ अत्याचार, अन्याय । -क्रि०वि० बलात् बलपूर्वक जबरदस्ती से जोरा जोरावार-देखो 'जोरावर'। ओरियल (न) १० जुगनू विन्यास | जोरी - स्त्री० जोरावरी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोबानो (बी) जोवाली (बो), जोवावली (यो) क्रि० १ तलाश, कराना, ढुंढवाना २ दिखाना देखने को प्रेरित करना । ३ प्रतीक्षा कराना, राह देखाना । ४ जलवाना, प्रज्वलित कराना । ५ देखो 'जोतारणी' (बी) | जोव्वरण (न) - देखो 'जोबन' । जोव्वालिया स्त्री० ० [सं० यौवनिका] युवावस्था (जैन) । जोसंगी- पु० शूरवीर, योद्धा । । जोस० [फा० जोश] १ मनोवेग प्रवेश ३ उफान, उबाल । ४ उमंग, उत्साह । ६ रक्त, खून | जोसरण (न) स्त्री० [सं० जोवा] १ ज्योतिषी की स्पी २ ब्रह्मणी । प्रीति (पैन) । ४ सेवा (जैन) पु० [फा० जोशन ] ५ जिरह - बख्तर, कवच । जोससिपी- वि० कवचधारी । जोहि पु० [सं० योधिन] योद्धा (जीन ) । जोहिया देखो 'जोया'। जोहो देखो 'जोषी' । जब जौहरी जौ - देखो 'जो' । जौक - पु० १ सच्च, सत्य । २ देखो 'जळौक' | जौख- देखो 'जोख' । जौजा जोहरण (न) - पु० [सं० योधन] १ योद्धा, वीर । २ देखो 'जोवण' । जोहर-१ देखी 'जोहर' २ देखो 'जाहिए'। जोहरी-देखो 'जोहरी'। । जोहल्ल- पु० मध्य लघु की पांच मात्रा का नाम । जोहार - पु० [सं० योधकार ] १ युद्ध करने वाला, योद्धा (जैन) । २ देखो 'जुहार' | ती स्त्री० [फा०] नोत] नगाड़ा, नौबत देखो 'जोहरी' | जौखार - पु० यवाक्षार । जोड़-पु० १ कवच । २ देखो 'जोड़' । जची स्त्री० जौ व चने का मिश्रण (वात) जीजा देखो 'जोसा' | For Private And Personal Use Only २ को तेजी क्रोध, ५ बल, शक्ति । Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जौतुक ( ४८९ ) ज्वाळा जौतुक-पु० [सं० यौतुकः] दहेज, यौतुक । ज्येस्ठिकासरण (न)-पु० [सं० ज्येष्ठकासन] योग के चौरासी जौधिक-पु० [सं०] तलवार के ३२ हाथों में से एक । आसनों के अन्तर्गत एक प्रासन । जोबन-देखो ‘जोबन'। ज्यों-क्रि० वि० जैसे, जिस प्रकार । जौर-देखो 'जौहर'। ज्यो-देखो 'जो। जौळा-वि० युक्त, सहित । -क्रि०वि० साथ-साथ । ज्योत-देखो 'जोत'। जीवन-देखो 'जोबन'। ज्योतखी-पु. १ तारा । २ नक्षत्र । ३ देखो 'जोतिसी'। जौहर-पु० १ जवाहिरात, रत्न । २ अच्छे लोहे की तलवार की | ज्योति-देखो 'जोत'। धारियां। ३ विशेषता, खूबी, गुण । ४ राजपूत स्त्रियों | ज्योतिक(ख)-देखो 'जोतिस'। द्वारा अपनी सेना की हार व आततायियों से अपने धर्म की ज्योतिकी (खि,खी)-देखो 'जोतिसी'। रक्षार्थ किया जाने वाला सामूहिक आत्म-दहन । ५ इस | ज्योतिधारी-वि० यु तिवंत । प्रकार के प्रात्मदहन हेतु बनाई गई चिता । ६ आततायी ज्योतिलिंग-पु० [सं० ज्योतिलिंग] १ शिव, महादेव । २ शिव शासन के विरुद्ध किया जाने वाला प्रात्म-दहन । के प्रधान बारह लिंग। जौहरि (री)-पु० [फा०] १ जवाहिरात, रत्न, हीरों का ज्योतिरूप-पु० [सं० ज्योतिस्वरूप] परब्रह्म, परमात्मा । ____ व्यापारी । २ रत्न परीक्षक । ३ गुण ग्राहक । पारखी। जोहारि, जोहारी-१ देखी 'जवारी' । २ देखो 'जहार'। ज्योतिसी-देखो 'जोतिसी' । ज्झांग-पु० ध्यान (जैन)। ज्योतिस्पय-पु० [सं० ज्योतिष्पथ] आकाश, व्योम । ज्यलं, ज्यउ, ज्यऊं. ज्यऊ-देखो 'जिउँ' । ज्योतिस्पुज-पु० [सं० ज्योतिष्पुज] नक्षत्रों का समूह । ज्यां-१ देखो 'ज्या' । २ देखो 'जा'। ज्योतिस्वरूप-देखो 'जोतिसरूप' । ज्यांन-पु०[फा० जियान] हानि नुकसान । -क्रि० वि०१ जैसे, ज्योत्सना, ज्योत्स्ना-स्त्री० [सं० पोत्स्ना] चन्द्रमा का प्रकाश; जिस तरह । २ देखो 'जैन'। ३ देखो 'जांन' । ४ देखो | चांदनी। 'जाण'। ज्यौं-क्रि०वि० जैसे, जिस तरह । ज्यांनकी (खी)-देखो जानकी'। विभाळी-पु० पर्वत, पहाड़। ज्या-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, धरती । २ प्रत्यंचा। विभ्रित-पु० श्रृंगार का एक प्रासन । ज्याग-देखो 'जाग। ज्वर-पु० [सं०] १ बुखार, ताप । २ एक प्रकार का रत्न । ज्याद-देखो 'ज्यादा'। ज्वळंत (तो)-वि० [सं० ज्वलंत] (स्त्री० ज्वळंती) । जलता ज्यादती-स्त्री० [अ० जियादती] १ प्रचुरता, बाहुल्य,अधिकता। हुआ, प्रकाशमान, दीप्त । २ प्रत्यक्ष, दिखता हुआ। २ अत्याचार, अन्याय । ज्वळरणौ (बी)-देखो 'जळणी' (बी)। ज्यादा-वि० [अ० जियादा] अधिक, बहुत । ज्वाब-देखो 'जवाब। ज्यार-क्रि० वि० १ जब । २ देखो 'जार'। ज्वाब-ज्वाब-क्रि०वि० स्थान-स्थान, जहां-जहाँ । ज्यारत (ता)-देखो 'जारता'। ज्वार-पु० १ समुद्री लहरों का उफान । २ देखो 'ज्वार' । ज्यारां-क्रि० वि० जब । -वि० जिनका । ज्वार-भाटी-पु०समुद्र के जल का विशेष चढ़ाव । ज्यास-पु० [सं० जयाश] १ विश्वास, भरोसा । २ प्राशा । ज्वाळ-देखो 'ज्वाळा'। ३ विश्राम, शान्ति । ४ धैर्य, धीरज । ५ गरमास, निवास । ज्वाळका-स्त्री० [सं० ज्वालिका] १ ज्वालाग्नि । २ क्रोधाग्नि । ज्यासती-देखो 'जासती'। ज्वाळजीह-स्त्री० [सं० ज्वालजिह्वा] अग्नि । ज्यु, ज्यू-देखो 'जिउं'। ज्वाळ-ज्वाळा-स्त्री० [सं० ज्वाला-ज्वाला] १ अग्नि । २ आग की लपट । ३ ज्वालामुखी। ४ दुर्गा का एक रूप । ज्येस्ट (स्ठ)-देखो 'जेठ'। ज्वाळमयाळ-स्त्री० १ ज्वाला । २ बिजली। ज्येस्ठता-स्त्री० [सं. ज्येष्ठता] बड़ाई, श्रेष्ठता । ज्वाळमाळा-स्त्री० अग्नि, आग । ज्येस्ठा-स्त्री० [सं० ज्येष्ठा] १ गंगा नदी का एक नाम ।। ज्वाळमाळी-पु० [सं० ज्वालमालिन् ] सूर्य । २.२८वा नक्षत्र । ३ समुद्र मंथन पर प्रथम निकलने वाली । ज्वालाखी जिवाला] । नक्षत्र । ३ समुद्र मथन पर प्रथम निकलन वाला ज्वाळा-स्त्री० [सं०ज्वाला] १ ताप, जलन । २ विष प्रादि के ताप लक्ष्मीदेवी । ४ मध्यमा अंगुली। -वि० बड़ी। का प्रभाव । ३ अग्नि, आग । ४ प्राग की लपट । ५ क्रोध, ज्येस्ठास्रमी-पु० [सं० ज्येष्ठाश्रमी] गृहस्थी । क्रोधाग्नि। ६ एक देवी का नाम ।-कार-वि० अग्निमय । For Private And Personal Use Only Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्वालामुखीजोग संपणौ ----देवी-स्त्री० शारदापीठ स्थित एक देवी।-नल-स्त्री० । ज्वाळिका-स्त्री० [सं० ज्वालिका] १ अग्नि, आग । २ ज्वाला आग की लपट। -माळिणी (नी)-स्त्री० एक तांत्रिक मुखी। ३ एक जड़ी विशेष । देवी । --मुख-पु० सुदर्शन चक्र। -मुखी-पु० वह पर्वत | ज्हांन-देखो 'जान्हौ' । जिसमें से आग की ज्वाला फुटती रहती हो । ज्वालादेवी। ज्हाज-देखो 'जा'ज' । ज्याळामुखी-जोग-पु० एक अशुभ योग । ज्होड-देखो ‘जोड'। झ-देवनागरी वर्णमाला के 'च' वर्ग का चौथा वर्ण । | झंखरौ, झंखेरौ-पु० १ बरसाती प्रांधी, तूफान, वातचक्र । झ-स्त्री० ध्वनि विशेष । २ जखीरा, सामान । झंक-पु० १ संताप, उलझन । २ देखो 'झंख' । झंगर-पु० १ घने वृक्षों का समूह, झाड़ी। २ वन, जंगल । झंकरण (न)-पु० समुदाय, झुण्ड । झंगरी- स्त्री० १ कब्रिस्तान । २ कब्र । ३ देखो 'झंगर'। झकरणी (बौ)-देखो ‘झंखणौ' (बी)। झंगार, झंगी-स्त्री० १ एक जंगली जाति । २ देखो ‘झंगर' । झंकार-स्त्री० [सं०] १ भ्रमर गुजार, भौंरे की आवाज । झगीव-पु० [सं० झांगव] ४९ क्षेत्रपालों में से २५ वां क्षेत्रपाल । २ किसी धातु खण्ड का 'छन्' शब्द । ३ पायल, घुघरू | झंगौ-पु० छाछ, मट्ठा ।। प्रादि की अावाज । ४ छनछनाहट, झनझनाहट । ५ तार झंजीर-देखो 'जंजीर'। वाद्यों की आवाज । झंझ-पु०१ सर्प, नाग । २ देखो 'झांझ' । झंकारणो (बौ)-क्रि० [सं० झंकार] १ किसी धातु खण्ड से झंझट-पु० १ व्यर्थ का झगड़ा, बखेड़ा । २ परेशानी, आफत । छन्-छन् आवाज कराना, बजाना । २ पायल, घुघरू आदि झंझर, झंझरा-देखो 'जांझर'। बजाना । ३ तार वाद्य बजाना, झंकृत करना। झंकारतन-पु० स्त्रियों के पैर का आभूषण, नूपुर । झंझरी-वि० १ ढीला-ढाला, जर्जरी भूत । २ देखो 'जांझर' । झकारी-पु० भ्रमर, भौंरा, मधुप । झंझा-स्त्री० [सं०] १ वर्षा के साथ प्रांधी, तूफान । २ इस तूफान झंकाळ (नौ)-पु० पत्ते विहीन या सूखा पेड़ । का शब्द, झन्-झन् शब्द । झंकि-पु. एक वाद्य विशेष । झंझावत (वात, वातू)-पु० [सं० झंझावात] १ बरसाती तूफान । झंको-वि० (स्त्री० झंकी) १ गर्द आदि से आच्छादित, धुधला। २ बरसाती शीतल वायु। ३ वातचक्र । २ नीरस । ३ उदास, खिन्न । झंझेडणौ (बौ), झंझेरणौ (बौ), झंझोड़णौ (बौ),झंझोरणा(बी)झकोळणी (बी)-देखो 'झकोळणी' (बौ)। क्रि० हिलाना, झकझोरना । छेड़ना। झंख-पु० १ धुधला दिखने का भाव या अवस्था । २ दीप शिखा | झंडाळ-वि० १ झंडा रखने वाला। २ देखो 'झंडी' । पर पंतगों का गिरना । ३ मोहित या प्राशक्त होने का झंडी, झंडो-पु० १ किसी धातु या लकड़ी के डंडे पर बांध कर भाव । ४ चमक, प्राभा । ५ उदासी खिन्नता। फहराया जाने वाला विविध रंगीय वस्त्र, पताका। झंखड़-पु० १ ग्रीष्मकाल की गर्म हवा, लू । २ देखो 'झंखर'। । २ राष्ट्रीय ध्वज । ३ देवालय पर लगी ध्वजा। शखरणी (बी)-क्रि० १ झलकना, चमकना । २ प्रकाशित या झंनीकार--पु० ध्वनि या शब्द विशेष । रोशन होना । ३ झलक दिखना। ४ दु:खी होना, परेशान झंप-देखो 'झपा'। होना। ५ चौंकना। ६ देखना । ७ धूमिल होना, धुधला | झंपटाळ (ताळ)-पु. १ चौदह मात्रीय एक छन्द विशेष । होना । ८ शर्माना । ९ बोलना, बकना । २ संगीत में एक ताल । झंखर (रौ), झंखाड़-पु० १ सूखा वृक्ष या सूखी झाड़ी। झंपणौ (बी)-क्रि० १ दीपक की लौ का हिलना । २ अस्थिर २ वृद्ध, बूढ़ा । ३ झाड़ी। । रहना । ३ आग का बुझना । ४ छलांग भरना, कूदना । For Private And Personal Use Only Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra झपा झंपो-देखो 'झांपी' । फसी (बी) देखो' (बो स्त्री० १ पेड़ की शाखा टहनी www. kobatirth.org , ५ झपटना टूट पड़ना । ६ पकड़ना, झांपना । ७ नींद सेना को लेना न भपना झंपा स्त्री० [सं०] १ छलांग, कुदान । २ गिरते समय किसी को पकड़ने का भाव झपटी | झंपाणी (बौ), सपावली (बो) त्रि० १ दीपक की लौ को - हिलाना । २ अस्थिर रखना । ३ आग को बुझाना | ४ छलांग भराना, कुदाना । ५ झपटाना, छिनवाना । ६ पकड़वाना । ७ निद्रा या झपकी लिराना । ८ लज्जित करना । ( ४९१ ) २ वृक्ष समूह, शुंड ३ ग्राश्वय, सहारा । ४ शरण, पनाह । झंभ स्त्री० १ दीपक की बत्ती । २ प्रकाश । अंबरी पृ० १ पत्तियां युक्त वृक्ष की टहनी २ टहनियों का गुच्छा । ३ शरीर का मैल उतारने का एक मिट्टी का उपकररण । झ - पु० [सं०] १ हाथ । २ मछली, मच्छ । ३ श्रम । ४ निदान | ५ नाम ६ मैथुन । ७ बरसाती तूफान झंझावात | ८ बृहस्पति । दैत्यराज । १० ध्वनि । शईवर पु० [सं०] धीवर) नायिक झउड़ी-१ देखो 'जुम्रो' २ देखो 'जाऊड़ी' । झक-स्त्री० १ सनक, धुन, तरंग । २ देखो 'जक' । ३ देखो 'झक्क' । ४ देखो 'झख' । झकक-स्त्री० ० छाया प्रतिबिंब | - झककेतु (तू)-१० [सं० अपनेतु] अनंग, कामदेव | झकड़ स्त्री० १ वर्षा के पूर्व की प्रांधी । २ तूफान । ३लू । झकड़ी - वि० रहस्यपूर्ण गुप्त - पु० दूध दूहने का बर्तन । कड़ी पु० धा झकझक स्त्री० बकवाद । झकझकाहट - स्त्री० २ बकवास । शकशोर स्त्री० १ हिलाने की क्रिया या भाव, छेड़-छाड़ २ झटका । ३ क्रीड़ा । वि० १ तेज, तीव्र, झौंकेदार । २ रक्ताभ, लाल । झकझोरणौ (बौ) - क्रि० १ पकड़ कर जोर से हिलाना । २ झटका देना । ३ छेड़छाड़ करना, परेशान करना । कसोरी पु० भाँडा, भटका झकझोळ-देखो 'झकझोर' । १ चमक, दीप्ति, कांति । जगमगाहट । झकट पु० [सं०] मारकाट, युद्ध । झकरणौ (बी) - क्रि० १ व्यर्थ की बकवास करना, बकना । २ क्रोध में बड़बड़ाना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झगझगौ झकबोळ - वि० भीगा हुआ, तर । लथपथ, सना हुआ । बोळी (बी) १ पानी या अन्य तरल पदार्थों में भिगोना, तरबतर करना। २गहरा रंगना । झकाझक - वि० उज्ज्वल, स्वच्छ । - अकाली (बी) क्रि० धाम सुलगाना, जलाना । झकाळ-स्त्री० बकवास, बक बक । झकी स्त्री० १ लड़खड़ाने की क्रिया या भाव। हिलोर । ३ देखो 'झक्की' । झकोड़ी स्त्री० पश्चाताप | झकोर (ळ ) - ५० १ वायु का भौंका २ क्रीड़ा, केलि । ३ युद्ध, लड़ाई । ४ उत्सव, झलसा । ५ प्रक्षालन । कोरी (a), शकोळी (बी) क्रि० १ मुलम्मा या मिलट चढ़ाना । २ भिगोना, तर करना । ३ वायु का झौंका लगाना । ४ क्रीड़ा करना । ५ प्रक्षालन करना, धोना For Private And Personal Use Only २ झौंका, ६ स्नान कराना । ७ गाना । झकोळी - स्त्री० १ झकोलने की क्रिया या भाव। २ स्नान । अकोळी ० १ सहर तरंग हिलोर । २ श्राघात, टक्कर, भटका | ३ अस्थिरता का भाव ४ देखो 'झकोळी । झक्क (ड़) - वि० १ स्वच्छ, उज्ज्वल । २ प्रतिश्वेत । ३ चमकदार, चमकीला । ४ मस्त, मुग्ध । ५ देखो 'झक' । झक्की - वि० १ व्यर्थ बकने वाला, बकवादी । २ सनकी । ३ धुन का पक्का | मख पु० [सं०] १ जंगल, निर्जन वन २ रेगिस्तान । । ५ गर्मी, ताप । ३ मत्स्य, मछली, मीन। ४ मीन राशि ६. इच्छा, घाशा । ७ देखो 'लक' केल, केतु (तू) 'झककेतु' 1 – क्रूर - वि० चूर-चूर, नाश, ध्वंस । - ध्वज - पु० कामदेव । निकेत पु० समुद्र, जलाशय । -बोळ 'झकबोळ' | -धक पु० मछली पकड़ने का यंत्र । झखौ (at) - क्रि० इच्छा करना, ग्राकांक्षा करना । झखोरखौ (बौ) - देखो 'झकझोरणी' (बी) । झगड़णी (बौ) - क्रि० [सं० झकट ] १ झगड़ा करना, लड़ाई करना । २ विवाद, तकरार करना । ३ कलह करना । झगड़ालू सगड़ी गड़ेल वि० [सं० शंकालु १ युद्ध प्रिय, कलह गारा । २ विवाद करने वाला । ३ दुष्ट । सगड़ी पु० [० कटाई युद्ध २ टंटा, फिसाद । ३ विवाद । ४ मन-मुटाव, वैमनस्य । झगझग झगझगाट, झगझगाहट - स्त्री० १ प्रज्वलित होने की क्रिया या भाव। २ दहकन । ३ तंग मुंह के पात्र से द्रव पदार्थ के निकलने की ध्वनि । गगरी (बी) - कि०प्रकाशित होना, प्रति होना कता । Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झगरणी झझियो झगरणौ (बौ)-देखो 'जागरणौ' (बी)। से भागना । ११ झटके से गिराना, झटकना । १२ काबू झगमग (मगि)-देखो 'जगमग' । या अधिकार में करना। झगमगणी (बौ)-देखो 'जगमगणौ (बी)। झड़पा-झड़पी-स्त्री० १ गुत्थमगुत्था, हाथापाई । २ छीना झगर-स्त्री० १ सूर्य की गर्मी । २ लू । झपटी। झगरी-पु० १ जलने के लिये एकत्र किया हुआ, घास-फूस प्रादि | झड़पौ, झड़फ (फौ)-देखो 'झड़प' । का ढेर । २ उक्त ढेर के जलने से प्रज्वलित अग्नि । झड़फड़णी (बी)-क्रि० रोग विशेष के कारण निर्बल होना, झगिया-पु० झाग, फेन । दुर्बल होना। झगौ-पु० १ छोटा, बच्चा । २ छोटे बच्चे की अंगिया । झड़फड़ारणी (बौ)-क्रि० १ पीटना, मारना । २ कष्ट देना, सघाट-वि० [सं० झकट] १ झगडालु, यद्ध प्रिय । २ जबरदस्त, तकलीफ देना। ३ छीनना, लूटना । ४ पक्षियों द्वारा परों जोरदार । को फड़फड़ाना। ५ झटका देना। झड़-पु० १ समूह, ढेर । २ पद्य, छन्द या गीत का चरण, पक्ति । | झड़फरणौ (बी), झड़फ्फरणौ (बो)-देखो 'झड़पणौ' (बौ)। ३ देखो 'जड़' । ४ देखो 'झड़ी'। झड़बेरी-स्त्री० छोटे-छोटे बेरों की कांटेदार झाड़ी। झड़उलट-पु० 'कुडलिया' छंद का एक भेद । झड़बोर-पु० उक्त झाड़ी का फल, बेर । झड़क-स्त्री० झटका। झड़मुगट-पु० खुड़द सांगोर गीत के अन्तर्गत एक गीत (छंद) झड़करणौ (बौ) झड़कारणौ (बौ) झड़कावरणौ (बौ)-क्रि० १ झटका विशेष । देना, झटकना । २ फटकारना, तिरस्कृत करना । झड़लपत, (लुपत)-पु० डिंगल का एक गीत विशेष । झड़क्को-पु० १ झटका प्रहार । २ प्रहार की ध्वनि । झड़वारण(वारणी)-स्त्री०१एक प्रकार की तोप। २ वर्षा की झड़ी। झडझड़-स्त्री० शस्त्र प्रहार की ध्वनि । झड़वायौ-वि० वर्षा संबंधी। झड़ झड़ाट-स्त्री० शस्त्र प्रहार की ध्वनि । झड़ाको-पु० १ तिरछी, चितवन, कटाक्ष । २ मुठभेड़, लड़ाई; झाड़-झांकड़, (झांकळ, झांकी)-स्त्री० निरन्तर होने वाली हल्की | झड़प । बारिस, बूदा-बांदी, फूहार । झडाझड़, झड़ाझडी-क्रि० वि० लगातार, बिना रुके, निरन्तर । -स्त्री० झड़ने की क्रिया या भाव । झड़णौ (बी)-क्रि० वि० १ पत्ते, फल आदि की तरह टूट कर झड़ापड़, (पड़ि, फड़, फड़ि)-स्त्री० १ फड़फड़ाहट । २ छीनागिरना,टूटना। २ खण्ड-खण्ड, कण-कण होना । ३ ढह पड़ना, । झपटी । ३ फिसाद-टंटा। गिरना। ४ टपकना । ५ प्रहार होना, वार होना । ६ टूटना | झडियाळ-वि० वीरगति प्राप्त करने वाला। ७ कट कर गिरना, कटना । ८ वारगति को प्राप्त हाना । झड़ी-स्त्री० [सं० झटि] १ लगातार होने वाली वर्षा । ९ मरना । १० वीर्य का स्खलित होना । ११ शस्त्रादि की २ छोटी-छोटी बूदों की बारिस । ३ लगातार गिरने या धार टूटना । १२ चेचक रोग से मुक्ति पाना । १३ दुर्बल झड़ने की क्रिया । ४ लगातार कहने या करने की क्रिया होना, कृशकाय होना । १४ कम होना। १५ मिटना । या भाव । ५ निरन्तर प्रहार । ६ निरन्तर काव्य पाठ । १६ निर्धन होना, कंगाल होना। गायन । ७ डिंगल का एक छंद विशेष । झड़प-स्त्री० १ छत में लटकने वाला कपड़े का बड़ा पंखा। | झडथळ, झड़ थळ-पु० डिंगल का एक गीत (छंद) विशेष । २ लड़ाई, झगड़ा, मुठभेड़ । ३ विवाद, तकरार, हुज्जत । झड़ लो-पु० [सं० चूडा,चूडाल] १ बच्चे के जन्म के समय के बाल । ४ गलफदार खिड़की के अन्दर की बाजू का पत्थर । | २ इन बालों का मुण्डन संस्कार, चूड़ाकरण संस्कार । ५ लकड़ी को घिसने का औजार । ६ झपटने या पकड़ने झडोफड़-वि० गुत्थागुत्थी, आलिंगनबद्ध । की क्रिया । ७ टक्कर, झपट । ८ हवा झलने की क्रिया या | झड़ोलो-देखो 'झड़ लो' । भाव । ९ सहसा किसी प्रकार के धन की उपलब्धि । झझक-देखो 'झिझक' । १० आग की लौ, लपट । झझकाडणी (बौ), झझकारणौ (बौ), झझकावणी (बो)माडपरणौ (बी)-क्रि० १ स्थान से अलग होना, गिरना, टूटना। देखो 'झिझकाणी' (बौ) । २द्रतगति से भागना । ३ अाक्रमण या हमला करना। झझरगण-स्त्री० १ वाद्य ध्वनि । २ झनझन का शब्द, झन्कार । ४ झगड़ा करना, उलझना । ५ झपट कर ले लेना।। ३ झन्झनाहट ।। ६ छीनना । ७ किसी तरकीब से प्राप्त कर लेना । ८ हवा | झझारौ-पु० स्वर्णकारों का एक औजार । करना । ९ काटना, मारना, संहार करना । १० द्रुतगति | झझियो, झझौ-पु० 'झ' वर्ण । झकार। For Private And Personal Use Only Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झट सपटणी झट-क्रि०वि० [स० झटिति] तत्काल, तत्क्षण, तुरंत, शीघ्र । झरणक-स्त्री. १ झन्झन् शब्द, ध्वनि । २ झंकार, मधुर ध्वनि । -पु० १ वेग, गति । २ देखो 'झाट'। ३ वीणा आदि की ध्वनि । ४ भ्रमर गुजार । ५ शस्त्रों झटक-स्त्री० झटका देने की क्रिया या भाव, झटका ।-क्रि०वि० | की ध्वनि। __तुरंत, शीघ्र। झरणकरणौ (बी)-क्रि० १ झंकृत होना, झन्झनाना । २ तार मटकणी (बौ), मटकारणी (बी)-क्रि०१ झटका देना । २ झटक वाद्य का बजना । ३ भौंरे प्रादि का गुजार करना । कर अलग करना । ३ वस्त्रादि को फटकारना । ४ झाडना, ४ शस्त्रों का शब्द होना। बुहारना । ५ जोर से हिलाना । ६ गिराना पटकना । झणकवात-पू० घोड़े का एक रोग । ७ तिरस्कृत करना, भर्त्सना करना । ८ ठगना । झणकारणौ (बौ)-क्रि० १ झंकृत करना, झन्झनाना । २ तार ९ कोई वस्तु बलात् लेना। १० मंत्रादि से प्रेत बाधा वाद्य बजाना । ३ शस्त्रों का शब्द कराना। हटाना । ११ डांवाडोल होना । १२ देखो 'झड़णौ' (बौ)। झरणकार (कारो)-देखो 'झंकार'। झटके (के)-क्रि० वि० [सं० झटिति] १ तत्काल, शीघ्र । झरणकारणौ (बो), झरणकावरणौ (बी)-देखो 'झंकारणो' (बी)। २ द्रुत गति से । ३ फटाफट । ४ झटकते हुए। झणक्करणौ (बो)-देखो 'झणकरणौ' (बी)। झटको-पु० [सं० झटिति] १ धक्का, झटका । २ चोट | झणझरण-स्त्री० झंकार, झन्-झन् शब्द । आघात । ३ प्रतिघात । ४ शस्त्र प्रहार । ५ वार । झणझणा'ट, अरगझरणाहट-स्त्री० १ झंकार । २ छन्-छनाहट । ६ सदमा, मानसिक, प्राघात । ७ कुश्ती का दाव । झणझणी, झणझण-देखो 'झणझण' । ८ इधर-उधर झौंका खाने की क्रिया या भाव । ६ आर्थिक झणण-स्त्री० [अनु॰] झंकार, छन्-छनाहट । हानि । ११ विद्युत का झन्नाटा। झणहण-देखो 'झणझण'। झटक्करणो (बो)-देखो 'झटकरणौ' (बी)। झगाट, झगाहट, झण्णाट, झण्णाहट-देखो 'झणझणाहट' । झटक्के-देखो 'झटके। झत्ति-क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी। झटक्को-देखो 'झटकौ' । झनकार-देखो 'झणकार' । झटपंख-पु० गरुड़ पक्षी। झप-स्त्री०१ दीपक की लौ भभकने की क्रिया । २ इस क्रिया झटपट-क्रि० वि० तुरन्त, तत्काल, शीघ्र । से उत्पन्न ध्वनि । ३ देखो 'झब' । झटपटी-स्त्री० १ शीघ्रता । २ देखो 'झटपट'। झपक-१ देखो 'झपकी'। २ देखो 'झबक'। झटपटौ-पु० १ बड़ा सवेरा, तड़का, उषाकाल । २ देखो | झपकरणौ (बी)-क्रि० १ नींद की झपकी लेना । ऊंधना । 'झटपट'। २ पलकें गिराना । ३ अांख झपकना । ४ झपना, मिदा झटसार-स्त्री० तलवार। होना । ५ झपटना, झपट पड़ना, हमला करना। झटा-स्त्री० झपट, चोट, प्रहार । ६ चौंकना । ७ डरना, सहम जाना। झटाको-पु० १ विवाद, तकरार । २ बहस । ३ देखी 'झटका । | झपकारपो(बी), झपकावरणी (बी)-क्रि० १ थपकी देकर निद्रित झटाछ-क्रि० वि० [सं० झटिति] शीघ्र, तुरन्त, झटपट ।। करना । २ पलकें गिराना । ३ मिन्दा करना । झटाझट-क्रि०वि० शोघ्र ही, तुरन्त, फुर्तीसे । -स्त्री० शस्त्र ४ झपटाना । ५ चौंकाना । ६ डराना । प्रहारों की ध्वनि । झपकी-स्त्री० १ हल्की नींद, तंद्रा, ऊघ । २ पलकों को झपकने झटायत-पु० योद्धा, वीर, बहादुर । ___ की क्रिया। ३ लल्जा, शर्म, भैप । झटारो-पु० प्रहार, प्राघात । झपके (क)-क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत, तेजी से । झटित-देखो 'जटित' । झपट-स्त्री० १ सहसा किसी चीज को झपटने की क्रिया या झटेल-क्रि० वि० शीघ्र, तुरंत । भाव, चपेट । २ छोटी लड़ाई, मुठभेड़ । ३ विवाद, झटोझट-देखो 'झटाझट'। तकरार । ४ हल्की चोट, प्रहार । ५ फटकार, झटका । झट्ट-१ देखो 'झट' । २ देखो 'झाट'। ६ टक्कर, धक्का । ७ खोंच । ८ छीनने की क्रिया या झट्टाक, झठाक-क्रि० वि० शीघ्र तुरंत । भाव । ९ हवा का झौंका । १० हवा करने की किया। ११ तेज चलने की क्रिया या भाव । मठाळी (ळी)-वि० १ भयकर । २ जलाने वाला । झपटणी (बौ)-क्रि० १ झटके के साथ किसी वस्तु को बलात् ले झणंक (को)-देखो 'झरणक' । लेना । २ पंखे आदि से हवा करना । ३ फटकारना । झणंका, झणंकार-स्त्री० १ वीणा । २ झंकार । ३ ध्वनि। । ४ दौड़ कर जाना । ५ सहसा आक्रमण करना । For Private And Personal Use Only Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झपटाड़णी झबोळ विशष। ६ भागना । ७ उलझना, झगड़ना । ८ छीना-झपटी झबकारौ-देखो 'झबको' । करना । ६ आघात या प्रहार करना । १० टक्कर या झबकौ-पु० १ क्षण भर दिखाई देकर अोझल होने की क्रिया धक्का मारना । ११ काटना मारना। या भाव, झांकी। २ क्षणिक प्रकाश, दमक । ३ झलक, झपटाडणी (बौ). झपटारणौ (बो), झपटावणौ (बी)-क्रि० १ तेज प्रकाश । ४ किसी वस्तु के होने का प्राभास । ५ कभी भगाना, दौड़ाना । २ दौड़ा कर आगे बढ़ाना । ३ हमला कभी धुंधलासा दिखने की अवस्था या भाव । या अाक्रमण कराना। ४ परस्पर लड़ाना, झगड़ा कराना। | झबक्करणौ (बौ)-देखो 'झबकरणी' (बी)। ५ काबू में कराना, पकड़वाना । ६ छिनवाना । ७ झपट | झबझब-क्रि० वि० चमक-दमक के साथ, चमकता हमा। कर ले लेना । ८ हवा कराना । ९ टक्कर लगवाना । | झबशबणो (बौ)-देखो 'झबकणौ (बी)। १० चोट करवाना, प्रहार करवाना । ११ संहार करवाना, झबरक-स्त्री० १ झिलमिलाहट, टिमटिमाहट । २ चमक-दमक । मरवाना। । -वि० चमकता हुअा, प्रकाशित । झपटी-देखो 'झपट'। झबरकरणौ (बौ)-क्रि० हिलना-डुलना, झूमना । २ हिलोरें खाना, झपटत-वि० १ झपटने वाला । २ प्रहार करने वाला। | झौंके खाना । ३ देखो 'झबकणी' (बी)। ३ आक्रामक । ४ तेज भागने वाला । ५ लड़ने वाला। झबरको-पु० १ शस्त्र की नोक । २ देखो 'भबकौ'। ६ विवादी । ७ पकड़ने वाला । ८ मारने वाला। झबरखरणी (बौ)-देखो 'झबरकणौ' (बौ) । सपटौ-पु. १ झपाटा, हमला । २ प्रहार, चोट । ३ फटकारा । | झबरखौ-देखो 'झबरको'। ४ झटका । ५ चपेट। . . झवळक-स्त्री. १ जल आदि का विलोडण । २ विलोड़ण से झपट्ट-देखो 'झपट'। उत्पन्न ध्वनि । ३ वस्त्र को पानी में डाल कर हिलाने झपट्टणी (बौ)-देखो 'झपटणी' (बौ)। .. की क्रिया या भाव । ४ छलकन, उफान । ५ देखो झपट्टी-देखो 'झपटौ'। 'झबरक'। झपरणौ (बौ)-१ देखो 'झपणी' (बौ)। २ देखो 'जपणो' (बौ)। झबळकरणौ (बौ)-क्रि० १ देदीप्यमान होना, चमकना । २ जल झपताळ-स्त्री० संगीत में एक ताल विशेष । पादि विलोड़ित होना। ३ विलोड़न से ध्वनि होना । झपां-स्त्री० टहनी, शाखा । ४ छलकना, छलक कर बाहर पाना । ५ झिलमिलाना; झपांण (न)-स्त्री० पहाड़ी सवारी विशेष । टिम-टिमाना। ६ हिलना-डुलना, झूमना । ७ देखो झपाणी (नी)-पु० 'झपांण' उठाने वाला, कहार । 'झबळरणो' (बी)। सपाक (को)-क्रि० वि० तुरंत, शीघ्र, फौरन । -स्त्री० शीघ्रता, झबळको-पु० १ स्नान के लिये लगाई जाने वाली डुबकी । __ जल्दी। २ देखो 'झबको'।। झपाझप-त्रि.०वि० द्रुतगति से, शीघ्रता से। झबळणी (बौ)-क्रि० वस्त्र को पानी में भिगोना, भिगोकर झपाटौ-देखो 'झपटौ'। हिलाना, मसलना। झपीड़-पु०१ चोट, प्रहार । २ झाट, चपेट । . झबाक-क्रि० वि० शीघ्र, तुरंत । झपेट (टो)-देखो 'झपटौ'। झबाको-पु० १ छपाको । २ छपाके की ध्वनि । ३ देखो झवको' । झपोझप-देखो 'झपाझप'। झबाझारी-स्त्री० एक प्रकार का दीपक । झफसमुद्र-पु० समुद्र लांघने वाला, हनुमान । झबू-पु० १ ऊंट के चमड़े का एक बर्तन विशेष । २ ताश झब, कबक-पु० १ समय का कोई अंश । २ बार, दफा, मर्तबा । २ रह-रह कर चमकने की क्रिया, चमक । का काला रंग । ३ काले रंग का इक्का । ३ झिलमिलाहट । -क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत । झबूकड़ो, झबूक्कड़ो-देखो 'झबको' । सबकइ (ई)-क्रि० वि० शीघ्र ही, तुरंत । झबूकरणौ (बो)-क्रि० १ लटकना, लू बना, पकड़ कर झूलना । झबकरणी (बौ)-क्रि० १ रह-रह कर कौंधना, चमकना । २ अटकना । ३ देखो 'झबकणौ' (बौ) । ४ देखो २ झलकना दिखाई, देना। ३ झिलमिलाना, टिमटिमाना।। 'झबरकणी' (बौ)। ४ भभकना । झबूकु, झबूको-देखो 'झबको'। सबकारणो (बौ), झबकावणो (बी)-क्रि० १ रह-रह कर झबोळ-स्त्री० १ शरीर पर वस्त्र की लपेट । २ पानी में वस्त्र कौंधाना, चमकाना । २ झलकाना, दिखाना। ३ झिलमिल डालकर हिलाने की क्रिया । ३ तरल पदार्थ में वस्तु । कराना, टिमटिमाना। ४ भभकाना । डालने की क्रिया। For Private And Personal Use Only Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झबोळणौ । ४६५ ) झरी 3/ होना। झबोळणौ (बो)-क्रि० १ शरीर पर वस्त्र लपेटना । २ पानी में | झमाल (लि, ली)-स्त्री० १ किरण-जाल । २ गुच्छा, समुह । वस्त्र भिगोकर हिलाना । ३ तरल पदार्थ में कोई वस्तु ३ मच्छर जाति का एक पतंगा । -वि० चमकदार, डुबाना। चमकता हुआ। झबोळी-पु० १ विघ्न, बाधा। २ कोई बड़ा काम । ३ देखो | झमेल-पु० १ एक उपकरण विशेष । २ देखो 'झमेलौ' । "झबळको' । झमेलियो-वि० भ मेला या उलझन डालने वाला, विघ्नकारक । झबौ-पु. १ स्त्रियों की चोली। २ बच्चों के पहनने का वस्त्र । झगड़ालू । __३ अनाज बोने की बीजणी का ऊपरी मुह। ४ चमक, | झमेलौ, अमोलौ-पु. १ झगड़ा, टंटा, बखेड़ा । २ उलझन, प्रकाश। ५ देखो 'भाबी'। पेचीदगी। ३ पेचीदा कार्य । ४ विघ्न, बाधा । झबोळी-देखो 'झबोळी'। झर-स्त्री. १ किसी द्रव पदार्थ के रिसने या टपकने की झब्बौ-पु० १ गुच्छा । २ समूह । ३ प्राभूषण विशेष (मेवात)। | क्रिया, स्राव । २ जलपात्र, बड़ा घड़ा (मेवात)। ४ देखो 'भबौ' । ५ देखो 'झाबौ' । झरड़क-स्त्री० १ शस्त्र का प्रहार । २ शस्त्र प्रहार की ध्वनि । झमकरणो (बी)-देखो 'झमकरणी' (बी)। ३ दधि मन्थन का घोष । ४ खरोंच या रगड़ लगने की झम-स्त्री० १ छम-छम ध्वनि । २ देखो 'झब' । क्रिया या भाव। झमक-स्त्री० १ छमक, झन्कार । २ घुघुरू की घोर । ३ चमक, झरड़करो (बौ)-क्रि० १ रगड़ लगाना, खरोंच लगाना। प्रकाश । ४ नखरे से चाल, ठसक । ५ यमक अलंकार । | २ फाड़ना, चीरना । ३ प्रहार करना । ४ प्रहार की ध्वनि ६ मजाक हँसी । ७ शस्त्रों की खनक । झमक-झमक-क्रि०वि० छम-छम ध्वनि करते हुए। झरड़को-पु० १ खरोंच, रगड़ । २ खरोंच पड़ने का स्थान । झमकरणौ (बो)-क्रि० १ छमकना, झन्कृत होना । २ घुघरू का | ३ दधि मंथन का घोष । ४ प्रहार, प्राघात । ५ प्रहार बजना । ३ चमकना, प्रकाशित होना । ४ ठसक से चलना। की ध्वनि। ५ मजाक करना, हँसना । ६ शस्त्र खनकना । ७ चेचक झरड़णौ (बौ)-क्रि० १ खरोंचना, रगड़ना । २ दधि मथना । रोग का विकृत होना। ३ नोचना। ४ चीरना, फाड़ना। झमक्राणौ (बौ), झमकावरणौ (बौ)-क्रि० १ छमकाना, झन्कृत झरड़मरड़-पु० दही मथने की ध्वनि । करना । २ घुघरू बजाना । ३ चमकाना, प्रकाशित करना । | झरझर, झरझरकतो (कथौ), झरझरो-वि० १ फटा-पुराना, ४ ठसक से चलाना । ५ मजाक कराना । हँसाना । | जीर्ण-शीर्ण । २ तर-बतर, टपकता हुआ। ६ शस्त्र खनकाना । झरणा'ट, झरणाटो, झरणाहट-स्त्री० १ घुघुरू, प्राभूषण, झमकीलो-वि० (स्त्री० झमकीली) १ ठसक या नखरे से चलने शस्त्रादि की तीव्र झंकार । २ किसी वाद्य या धातु की वाला । २ छैल छबीला । ३ चमकने वाला। वस्तु पर आघात पड़ने से होने वाली झन्-झन् ध्वनि । झमके (क)-क्रि०वि० शीघ्रता से, तुरंत । ३ बिच्छु के काटने या विद्युत के स्पर्श आदि से शरीर में झमको-पु० १ पायल या घुघरू का शब्द, ध्वनि, ठमका । होने वाली सनसनाहट । ४ पीड़ा, दर्द । २ देखो 'झुमको'। झररिण, झरणी (रणी)-क्रि० [सं० क्षरण] १ जल प्रपात, सोता, झमझम-स्त्री० छमाछम की ध्वनि, झन्कार । -क्रि०वि० छमा चश्मा । २ बहाव, प्रवाह । ३ क्षरण, पतन । -वि० छम करते हुए। १ झरने वाला, झरने योग्य । २ असहिष्णु । झमझमा'ट-स्त्री० छमाछम की ध्वनि, झन्कार । | झरणी (बी)-स्त्री० [सं० क्षरणम्] १ किसी तरल पदार्थ का झमझमारणी (बी)-क्रि० छमाछम करना, ध्वनि करना, रिसना, टपकना, स्राव होना । २ गिरना, पतन होना । झन्कारना। ३ प्रपात होना, ऊपर से निरन्तर गिरना । ४ टुकड़े-टुकडे झमझमौ-पु. एक प्रकार का वाद्य । होकर पड़ना । ५ बरमना । ६ स्खलित होना। झमर-पु० बालों का गुच्छा। झरपट-स्त्री० १ साधारण सी चोट या घाव । २ खरोंच । झमरतळी-स्त्री० एक प्रकार का वस्त्र । ३ झपट, चपेट । झमाको-पु० घुघरू या प्राभूषणों का घोर, शब्द, ध्वनि । झरमर-१ देखो 'झिरमिर' । २ देखो "झरड़मरड़' । जोर की झंकार। झरी-स्त्री०१ भूमि खोद कर बनाई गई भट्टी, भाड़ । २ दीवार समाळ-स्त्री० डिंगल का एक छन्द विशेष । की दरार । ३ झरना, चश्चा, प्रपात । ४ एक प्रकार For Private And Personal Use Only Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झटियो । ४९६ ) झलारणी का ज्वर । ५ एक प्रकार का रोग । ६ देखो 'जरी'। झळजीहा-स्त्री० [सं० ज्वाला-जिह्वा] अग्नि, माग । ७ देखो 'झड़ी'। झळझळणी (बौ), सळसळारणौ (बी)-क्रि० जगमगाना, मरूटियो-पु० खरोंच, रगड़ । चमकना। झरूको (खो), झरोक, झरोकडो झरोको. मरोख, झरोखो-पु० झळझळा'ट, मळझळाहट-स्त्री. जगमगाहट, चमक-दमक । . मकान के द्वार या खिडकी के ऊपर बना जालीदार गवाक्ष, | झळझाखसउ-स्त्री० [सं० चलद्ध्वांक्षम] उड़ती हुई या मोखा, गौखा । जालियों से आच्छादित बालकानी। काल्पनिक बात, अविश्वसनीय बात । झलंब-स्त्री. १ चमक, प्राभा, कांति । २ देखो 'झिलम'। झळझळि-स्त्री० अग्नि, आग । -वि० कांतिवान, चमकदार। झळण (न)-देखो 'जळन' । मळ-स्त्री० १ झड़ी, झागी । २ आग की लपट, अग्नि शिखा | झळणौ (बौ)-क्रि० १ पकड़ना । २ झपट कर ग्रहण करना। ज्वाला । ३ गरमी, ताप । ४ अग्नि, प्राग । ५ उग्रकामना, ३ देखो 'जळरणो' (बौ)। उत्कट इच्छा । ६ कांति, दीप्ति । ७ चमक-दमक । झलणों (बौ)-क्रि०१ सहन या बर्दाश्त करना । २ फैलना, ८ खुजलाहट, खुजली । ९ स्त्री की कामेच्छा, चुल । छितराना । ३ पकड़ा जाना, पकड़ में आना । ४ शोभित १० उष्ण वायु, लू । ११ मृगशिरा नक्षत्र का उदय-स्थान, होना। पूर्व दिशा। झळदकार-वि० ज्वालामय । झल-स्त्री०१ पकड़ने की क्रिया या भाव । २ धारण करने की झळपट-स्त्री० अग्नि की ज्वाला, प्राग की लौ । अांच । क्रिया या भाव । -वि० १ पकड़ने वाला । २ धारण करने वाला । ३ पूर्ण। झलम-देखो 'झिलम'। -टोप 'झिलमटोप' । झळक-स्त्री० [सं० ज्वलन्] १ प्राभा, कांति, धुति । २ चमक- शळमळणा (बा)-दखा झळामळणा (बा) । दमक, प्रकाश । ३ प्रतिबिंब । ४ आभास । ५ तरंग, झळमळारणी (बो)-देखो 'झिळमिळाणी' (बी)। उमंग। ६ क्षणिक, प्रकाश । झळमाळा -स्त्री० अग्नि, प्राग । मळकरणी-वि० प्राभावान, कांतिवान, चमकीला । झलर-पु. एक प्रकार का पेय पदार्थ । झळकरणी (बी), मलकरणी (बी)-क्रि० १ प्राभा देना, चमकना, | झळळ-स्त्री. १ जगमगाने या चमचमाने की क्रिया या भाव । प्रकाशित होना । २ हल्का दिखाई देना, स्फुटित होना । २ चमक-दमक । ३ जलने की क्रिया या भाव । ४ प्राग ३ दीखना, रष्टिगोचर होना । ४ आभास होना। ५ कुछ- की लपट । ५ सूर्य । ६ देखो 'झळहळ' । कुछ प्रगट होना। ६ प्रतिबिंब पड़ना, प्रतिबिंबित होना । झळसौ-देखो 'जळसौ' । ७ शोभा देना । ८ क्रोधित होना, क्रोध करना । ६ मर्यादा तोड़ना । १० छलकना, छलक कर बाहर होना। झळहर-पु० डिगल में वेलियो साणोर छंद का एक भेद विशेष । ११ हिलना-डुलना। झलहळ-स्त्री० १ अग्नि, आग । २ कांति, दीप्ति, ३ चमकझळकाणौ (बौ)-क्रि० १ प्राभा या ा ति युक्त करना, चमकाना, दमक । -वि० १ देदीप्यमान, प्राभा युक्त । २ तेजस्वी । प्रकाशित करना । २ हल्कासा दिखाना, स्फुटित करना । ३ चमक-दमक वाला । ४ धधकता हुअा, प्रज्वलित । ३ दिखाना, दृष्टि गोचर करना । ४ आभास देना। ५ कुछ | झळहळणी (बी)-क्रि० [सं० झलझला] १ देदीप्यमान होना, कुछ प्रगट करना । ६ प्रतिबिंब पटकना । ७ शोभित चमकना । २ प्रकाश फैलाना, प्रकाशित होना। करना । ८ क्रोधित करना, क्रोध दिलाना । ९ मर्यादा, ३ चमकना, कौंधना । ४ फहरना । ५ जाज्वल्यमान होना। तुड़ाना । १० छलकाना, छलका कर बाहर करना। ६ जगमगाना । ७ शोभित होना । ८ उमड़ना, सीमा ११ हिलाना-डुलाना । बाहर होना । ६ प्रज्वलित होना, धधकना । माळकारी-वि० (स्त्री० झळकारी) १ जगमगाता हगा। झळा-स्त्री० अग्नि, पाग। २ चमकदार, द्य तिवान । ३ देखो 'झळको' । झळाझळ-देखो 'झळाहळ' । झळको (क्को)-पु० १ चमक-दमक, झलक । २ प्राकृति, | झळाझळी-वि० चमकदार, चमकीला । प्राभास, प्रतिबिंब । ३ प्रकाश, कौंध । ४ लपट, लौ। झलाणौ (बी)-क्रि०१लौटाना, वापस करना । २ पकड़ाना । झलको-पु. गाड़ी में एक साथ भरे हुए घास या बाजरी | ३ देना । ४ फैलाना, छितराना । ५ शोभित करना। आदि के सूखे डंठल । सहन कराना। For Private And Personal Use Only Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra शळाबोळ हुआ । ५ चमचमाता हुआ । ६ जलता हुआ । झळाबोळ - वि० १ जाज्वल्यमान, तपा हुआ । २ आग-बबूला, प्रतिकृपित । ३ देदीप्यमान । जगमगाता हुआ । ४ भयंकर । ५ जबरदस्त । झळामळ स्त्री० ० १ चमक-दमक । - वि० चमकदार, चमकीला । २ एक प्रकार का घोड़ा । श्रारती स्त्री० तोरण द्वार पर दीपकों से की जाने वाली दूल्हे की आरती । झळामाळा स्त्री० सघनतायुक्त कांति, दीप्ति । झलार - वि० पकड़ने वाला । झळाळ - वि० चमकयुक्त, तेज । झळाळौ - वि० ० धारण करने वाला, ग्रहण करने वाला । झलावणी (बौ) - देखो 'झलाणी' (बी) । । २ आग की लपट । झळास, झळाहळ - स्त्री० १ ज्वाला, प्राग ३ अग्नि शिखा । ४ कांति दीप्ति । - वि० १ तेजस्वी । २ तीव्र, तेज । ३ भयंकर । ४ देदीप्यमान, जगमगाता झलू - वि० जिम्मेदारी लेने वाला । - इस वि० १ चमक-दमक युक्त २ देखो 'जळू' झळूसशळे वि० कांतियुक्त २ देखी 'जय' झळझळ - देखो 'झाळोभाळ' | शलोझल - वि० पूर्ण । झलो पु० टक्कर, प्राघात, आक्रमण । झल्ल - पु० रोकने या थामने की क्रिया या भाव। www.kobatirth.org ( ४९७ ) झल्लरण (गो) - वि० १ झेलने, पकड़ने या धारन करने वाला । २ उत्तरदायित्व लेने वाला । ३ चमकने वाला । सड़क ( कौ, क्क ) - १० १ शस्त्र प्रहार | ध्वनि । झल्ली (बी) देखो 'भी' (बो)। झल्लरि (री) झल्लिय स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का वाद्य । २ हाथी को पहनाई जाने वाली धुंध की माना । वणी (देखो 'झी' (बी) । झवाड़ी-देखो 'जुनी' । डावेरी देखी 'जोहरी । इसरो (बी) - क्रि० १ चवाना। २ काटना । सोयर - वि० [सं० झषोदर ] मत्स्य के सामन उदर तथा विशाल वक्ष वाला (जैन) । झांड (ई) - स्त्री० १ धुंधला दिखाई देने की अवस्था या भाव। २ महशुस प्रतीत या ग्राभास होने की अवस्था या भाव। ३ प्रतिबिंब, छाया I ४ हल्का प्रकाश, रोशनी । ५ झलक । ६ अत्यन्त मंद दृष्टि । ७ ग्राभा ८ ग्रांखों के नीचे पड़ने वाला काला दाग । झांक- स्त्री० १ झलक, झांई । २ ग्रांधी । ३ झांकने की क्रिया या भाव। झांकरण (बौ) - देखो 'भांखणी (बी) | सांकळी, सांकली स्वी० लड़खड़ाना त्रिया | झांकी देखो 'भांखी' । झांकी देखो 'भांखौ' । (डी) स्त्री० तेज प्रांधी, भावात झांखरणौ - वि० (स्त्री० भांखणी) उदासीन, म्लान, निस्तेज । झांखरणी (बौ)- क्रि० १ किसी ग्रोट, खिड़की या किसी माध्यम से देखना, ताकना । २ देखना, दृष्टि डालना । ३ लुक-छिप कर देखना । ४ ताक भांख करना । ५ झलकना, दिखाई देना । ६ सहसा कहीं देखना । ७ मुरझाना, कुम्हलाना, सूखना । ८ दुःखी होना पछताना | , Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झांखळ- पु० नाश्ता, अल्पाहार, कलेवा । झांखी-स्त्री० ० १ भांखने या देखने की क्रिया या भाव। २ दर्शन, अवलोकन । ३ झलक, आभास । ४ झरोखा, गवाक्ष | ५ प्रकाश चमक । ६ दर्शनार्थ किया गया देवमूर्तियों का शृंगार । ७ मंझावात, ग्रांधी ८ मंद प्रकाश, रोशनी । ६ एक देवी का नाम | - वि० १ उदास, खिन्न | २ धुंधली मेली शांगरिया पु० भिंगुर झांगी-स्त्री० ० एक पौधा विशेष वि० घना, गहरा घनीभूत । झांझ-पु० १ अनाज बोने के पश्चात अधिक समय तक वर्षा न होने की अवस्था । २ तेज हवा, प्रांधी 'तूफान, झंझावात | ३ वर्षा के उपरान्त शीतल वायु 1 ४ वायु के साथ वर्षा ५ मजीरा नामक वाद्य । ६ स्त्रियों की पैंजनी । ७ छड़ी । -चार पु० छड़ीदार २ शस्त्र प्रहार की | झांझर-पु० १ घोड़ों के घुटनों का प्राभूषण । २ देखो 'जांभर' । को-देखो 'जांझरकी' । झांझरि-देखो 'झांझरी' । झांझरियाळ स्त्री० झांझर धारण करने वाली देवी । झांझरी - स्त्री० १ एक प्रकार का वाद्य । २ देखो 'जांझर' | झांट (ठ) - पु० १ गुप्तेन्द्रिय पर होने वाले बाल । २ तुच्छ, हेप वस्तु । झांण- पु० [सं० ध्यान ] ध्यान । मांतीविधी शांती झांखी-पु० १ मंद प्रकाश ज्योति । २ बहुत कम दिखने की अवस्था या भाव। ३ झलक, भाई, श्राभास | ४ दर्शन, अवलोकन | ५ मंद दृष्टि - वि० धुंधला, ग्रस्पष्ट | - ' For Private And Personal Use Only Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झोप ( ४६८ ) झाड़णो बुदबुदा। झाप-स्त्री० [सं० झंप, भंपा] १ छलांग, कुदान, उछाल । झाकझमाला-स्त्री. १ जोर की ध्वनि । २ शोर गुल, हल्ला । २ छीना-झपटी । ३ श्वास या पाराम न लेने देने की ३ हो-हा । ४ देखो 'जाकजमाला' । ५ देखो अवस्था। -भैरव'भैरवझांप' । 'झाक-जमाल'। झापरणो (बो)-देखो 'झपणौ' (बौ)। झाकझोक-स्त्री० १ शस्त्र प्रहार की ध्वनि । २ बक-झक । सांपरौ-देखों झांफरौ' । झाकझोळ-वि० पसीना से तर, लथपथ । सांपो-वि० [सं झोपा] १ लुटेरा, डाकू । २ छीना-झपटी करने | झाकरौ-पु० घी रखने का पात्र । वाला । ३ बलवान, जबरदस्त । -पु० झांपने की क्रिया | झाकळ, झाकल-पु० ओस की बूंद, छोटी बूद । भाव। २ झाड़ी की सूखी टहनी। झाकाझीको-पु० १ छोटे-बड़े जेवर, आभूषण । २ टूटा-फूटा मांफ-१ देखो 'झांप' । २ देखो 'जाफ' । सामान । -भैरव 'भैरव-झोप' । झाको-देखो 'झांखौ'। सांफरी (रौ)-वि० धुघरू या छल्लेदार । झाखरपी (बौ)-देखो 'झांखणौ' (बी)। झांब-स्त्री० वृक्ष की टहनी, शाखा । झाखळ-देखो 'झाकळ' । झांमड़ी-देखो 'झांब'। झाग-पु० पानी आदि पर उठने वाला फैन, गाज। सामरझोळ (झोळी)-पु० १ उलझान, इन्द्रजाल । २ ढीला वस्त्र । | झागड़णौ (बी)-देखो 'झगड़णी' (बौ)। झांमलउ-पु० [सं० ध्यामन्] तेज प्रकाश । झागड़-वि० [सं० झकट] १ लड़ाई करने वाला, झगड़ा करने झांय-झांय-स्त्री०१ व्यर्थ की बकवाद । २ हवा का सन्नाटा, वाला । २ उद्दण्ड, बदमाश । ३ मुकद्दमेबाज । सांय-सांय ध्वनि। झागड-पु० ऊपर के बोल से संबंधित वाद्य का एक बोल । झांबड़ी-स्त्री० १ वृक्ष, पेड़। २ एक साथ उगने वाला वृक्ष समूह। झागरणौ (बौ)-क्रि० जगना, प्रज्वलित होना । झांवळी-१स्त्री० अांख की कनखी । २ झलक । ३ देखो'शावळो' । झागनाग-पु० अफीम । झांवळी-पु० [सं० ध्याम] कमजोरी या मंद ज्योति के कारण | झागला, झागूड, झागूड-पु० १ भाग, फैन । २ पानी का प्रांखों के आगे अंधकार छा जाने की अवस्था । मांस-स्त्री० झाड़ी, गुल्म । झाड़-पु० [सं० झाट:] १ छोटी झाड़ी । २ झाड़ीनुमा कोई झांसरणौ (बौ)-क्रि० १ झांसा देना, ठगना । २ धोखा देना ।। पौधा या वृक्ष । ३ वृक्ष, पेड़ । ४ झाड़ीनुमा रोशनदान । ३ किसी स्त्री को व्यभिचार के लिये प्रवृत्त करना । ५ एक प्रकार की आतिशबाजी । ६ लोक देवी या देवता झांसाबाज शांसियो, झांसू, झांसेबाज-वि० १ धोखेबाज, ठग । का शाप या वरदान । ७ जुलाब, रेचन । ८ वध, हत्या । २ गप्पी। ३ झूठा आश्वासन देने वाला। ४ डींग हांकने ६ पछाड़, झटका। १० झाड़-पोंछ या फटकार । ११ झाड़ी वाला। का चित्र या चिह्न । १२ बेर का पेड़ । -वि० १ तमाम, झांसी-पु० [सं० अध्यास] १ बहकाने की क्रिया, छल, बुत्ता ।। समस्त । २ बिल्कुल । २ झूठा आश्वासन । ३ छल, धोखा । ४ डींग । ५ झूठा झाड़कियो, झाड़को, (क्यो)-पु० १ जड़ बेरी का पौधा या वादा । मा-पु० [सं० उपाध्याय] १ मैथिली ब्राह्मणों की उपाधि | वृक्ष । २ झाड़ी। २ मथुन । ३ मुर्गा । ४ मत्स्य । ५ झरना । ६ पानी. जल।झाड़खंड-पु० अधिक झाड़ियों वाला जंगल । झाई-पु० न्याय । झाडझंखाड़-पु. १ कांटेदार झाड़ियों का समूह । २ वन। झाउलियो झाउलौ, झाउल्यौ-पु० कांटेदार व गेंद के समान ३ घने वृक्षों का समूह । शरीर वाला एक जंतु । | झाडण (न) झाडणी-पु० १ झाड़-पोंछ करने का उपकरण । झाऊ-पु० १ छोटा भाड़ विशेष । २ देखो 'झाउलियो' । -वि० २ झाड़-पोंछ कर उतारा जाने वाला गंदा पदार्थ । मूर्च, नासमझ । झाड़णी (बी)-क्रि० १ वार करना, प्रहार करना । २ काटना। झाम्रोलियो, झापोलो-पु० १ मिट्टी का बना पात्र । २ देखो ३ संहार करना, मारना । ४ दागना, छोड़ना । ५ झाड़ 'झाउलियौ । फटकार कर गर्द आदि उतारना । ६ झाड़ फटकार कर झाक-झमाळ (झमाळ)-वि० १ उत्साह के साथ विजय घोष सफाई करना । ७ डांटना, फटकारना । ८ गिराना, करने वाला। २ चमकदार, देदीप्यमान । ३ तेज, तीव्र । ढहाना । ९ बूंद-बूद या कण-कण के रूप में गिराना, ४ चंचल । ५ चमक-दमक । टपकाना । १० मंत्रादि से रोग या प्रेत बाधादि For Private And Personal Use Only Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra भावार www. kobatirth.org ( ४EE ) दूर करना । ११ हटाना, पृथक करना । १२ तोड़ना । १३ कम करना । १४ मिटाना । १५ निर्धन करना, कंगाल करना । १६ सब कुछ ले लेना । १७ बंधन खोलना । १८ वृक्ष या पौधे को हिलाकर फल-फूल नीचे गिराना । झाड़दार वि० १ बेल-बूटेदार २ कंटीला । पीटना । ७ फटकारना, डांटना भिड़कना घोड़ा दौड़ाना । ९ वेग से खींचना । १० ग्रहण करना । ११ देखो'' (बी)। झटपट पु० राजपूताने के प्रतिष्ठित सरदारों को मिलने वाली ताजीम | झाड़ छौ- पु० १ भांड़ के समान पूंछ वाला हाथी । २ वह झाटको पु० १ चंवर डुलाने की क्रिया या भाव। २ देखो बैल जिसकी पूछ जमीन से स्पर्श करती हो । 'झटको' । झाड़फांस ( फानूस) पु० कान के बने झाड़ इंडिया और शाटक्क देखो 'फाटक' | ग्लास जो छत में टांगे जाते हैं । झाड़फूंक ( फू की ) - पु० की क्रिया । झाड़बट, (बड ) - पु० झड़बेरी के पौधे काटने का फरसा । झाड़बुहार - पु० सफाई की क्रिया । ७ झाड़बोर (बोरड़ी ) - पु० १ छोटा बेर । २ झड़बेरी का पौधा । झाड़साही - पु० जयपुर राज्य का एक प्राचीन सिक्का । झाड़ाली (बी) १ छुड़ाना २ सफाई कराना | झाड़ि, झाड़ी-स्त्री० १ कंटीले पौधों का समूह, झुरमुट । २ छोटा व घना पौधा । ३ मूघर के बालों की कूची । झाड़ीगर - पु० मंत्रोपचार करने वाला । झाड़ीदार वि० १ जहां झाड़ी हो। २ देखो 'झाड़ीगर' । झाड़ीबोर - देखो 'झाडबोर' । झाड़ - पु० फूंस बुहारने का उपकरण, बुहारी । झाड़न । - दुमौ = 'झाड़पू' छो' | | 1 । 1 1 झाड़ बरदार, (बाळ) १० झाड़ देने वाला मेहत्तर | - पु० झाड़ोली- पु० चमड़े का मौजा । झाड़ौ - पु० १ मंत्रोपचार, झाड़फूंक । २ मल, पाखाना । ३ सफाई का कार्य । -झपटी, झपाटो- पु० मंत्रोपचार । झाझउ, झाभु, झाझेरड़, झाझौ - वि० (स्त्री० झाशी) १ अधिक, ज्यादा । २ गहरा, घना ३ तेज, तीव्र ४ बड़िया, श्रेष्ठ ५ सुन्दर । ६ अप्रिय, कटु । ७ बड़ा, महान् । हड़ मजबूत ९ मुहाना, मनमोहक झाट स्त्री० [सं० झट्] १ चोट, प्रहार । २ भिड़ंत, टक्कर । ३ फटकार । ४ मुकाबला । ५ झड़प, झपट | ६ चपेट ७ लड़ाई ८ चपत, तमाचा । ९ झड़ी | १० डसना क्रिया । ११ ध्वनि ग्रावाज । झाटककणी (बी) भटकलो (बी) मंत्रों द्वारा रोग या प्रेतबाधा निवारण झाटझड़ी स्त्री० १ शस्त्र प्रहरों की ध्वनि । २ शस्त्र प्रहरों की शृंखला झाटणी (बी) - क्रि० १ संहार करना, मारना । २ सांप का डसना । ३ देखो 'भाटकरणी' (बी) । झाटी (टी) स्त्री० [१] कांटेदार वृक्ष की टहनी २ कांटेदार छोटा वृक्ष । ३ जिद्द, हठ । ४ कष्ट, दुःख, आपत्ति । ५ कंटीली झाड़ियों का बना फाटक । हारकारि (री) स्त्री० [भस्वरी नामक बाद की ध्वनि । झापड़, झापट - स्त्री० [सं० चपट ] तमाचा, चपत, थप्पड़ । झापा (बौ) - देखो 'शंपणी' (बौ) । झाटकणी - पु० झटकने या झाड़ने का उपकरण । झाटकरणौ (बौ) - क्रि० १ झटका लगा कर अलग करना । २ चिपकी वस्तु को झटके से हटाना । ३ गर्द साफ करना । ४ सफाई करना । ५ प्रहार या चोट करना । ६ भारना, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 शापा पौ ५० छीना-झपटी झाफ-स्त्री० १ झपकी । २ देखो 'जाफ' । झास झार -- पु० १ समूह, झण्ड, यूथ । २ देखो 'जार' | झाटक वि० [सं० ट इति] १ प्रहार व वार करने झारणी- वि० मिटाने वाली नष्ट करने वाली । वाला । २ योद्धा । ३ देखो 'झाट' । 2 झाब स्त्री० मिट्टी का एक पात्र विशेष । 1 कि (की) क्रि० वि० १ एकाएक महा २ शीघ्र तुरंत झाबरौ वि० घने बालों वाला । झाबी स्त्री० कोल्हू से तेल निकालने का लकड़ी का छोटा पात्र । मायुकणी (बो-देखो। झाबोलियो, झाबोली, झाबो- पु० १ घी तेल आदि रखने का ऊंट के चमड़े का पात्र । २ चिथड़ों आदि को कूट कर बनाया हुआ पात्र । ३ सुरणाई वाद्य का खुला मुंह । ४ बच्चे के पहनने का वस्त्र । ५ चौड़े मुंह का बर्तन । ६ किसी वस्तु के प्रागे का चौड़ा भाग । ७सिर मस्तक ८ ग्राड़ रोक । झायणी (बी) - क्रि० [सं० ध्यै ] १ ध्यान लगाना, मन लगाना । २ चिन्तन करना । मनन करना । For Private And Personal Use Only झारखौ (बी) - क्रि० १ टपकाना, सवाना | २ निचोड़ना । पदार्थ को बूंद-बूंद कर गिराना ४ टुकड़े-टुक करके गिराना । ५ बरसाना । ६ स्खलित करना । ७ छिकड़ना । ८ प्रहार करना, वार करना । ९ मारना । झारा पु० ब.व. सांरगी के छोटे मात तार । Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मारिया लिगलिग झारिया-स्त्री० छनी हुई भंग । झालरी-स्त्री० [सं० झल्लरी] १ वस्त्र या किसी वस्तु की मारी-स्त्री० १ टोंटीदार पात्र । २ चम्मचनुमा छेददार एक शोभा के लिए नीचे लगाया जाने वाला हाशिया, झल्लरी। उपकरण विशेष । -बरदार-पू० पानी की झारी रखने २ देखो 'झालर'। ---दार-वि० जिसमें झल्लरी लगी हो। वाला व्यक्ति। झाळहळ-देखो 'झळाहळ'। झारोळी-स्त्री० वर्षा की धारा । झालरौ-पु० १ बड़ा कूप जिसमें चारों ओर सीढ़ियां बनी हों। मारो-पु० १ टोंटीदार एक जल-पात्र विशेष । २ नाश्ता, २ स्त्रियों के गले का एक आभूषण विशेष । कलेवा । ३ कन्दोइयों का एक उपकरण । ४ छोटा माळांमुख-पु० भाला। झरिया । ५ घाव आदि की सफाई के लिए गर्म जल या झाळा-देखो 'झाळ' । द्रव पदार्थ की डाली जाने वाली धारा । ६ द्रव पदार्थ को | झाला-स्त्री० तार वाद्य बजाने की एक विधि विशेष । झारने की क्रिया। झालाळी-वि० १ झल्लरीदार । २ संकेत करने वाला, हाथ का शाळ-स्त्री० [सं० ज्वलन] १ अग्नि, प्राग । २ अग्नि शिखा, इशारा देने वाला। ज्वाला, लौ। ३ क्रोधाग्नि, क्रोध । ४ सूर्य किरण, रश्मि । झालि-देखो 'झाल' । ५ तीव्र कामेच्छा । ६ चरपराहट, तीखापन । ७ देखो झालियो-पु० बैलगाड़ी की 'झाल' में लगने वाली लम्बी व 'झाळण' । ८ देखो 'झाल' । -बंबाळ-वि० अत्यन्त | मोटी लकड़ी। क्रोधी। झाळोझाळ-स्त्री० १ क्रोधाग्नि । २ कलहाग्नि । ३ अग्नि की हाल-स्त्री०१स्त्रियों का एक कर्णाभूषण । २ भूसा प्रादि भरने पूर्ण रूपेण प्रज्वलित होने की अवस्था । के लिए बैलगाड़ी पर खींप, कपास की टहनियों या बकरी | झालौ-पु० १ संकेत, इशारा । २ हाथ का इशारा । २ दोहों के बालों के पट्ट की बनाई गई कनात। ३ उक्त प्रकार की के बोल में गाया जाने वाला एक लोक गीत । बैलगाड़ी में एक बार में प्राने वाला मामान । ४ पकड़ना, झावलियो, झावल्यौ-देखो 'झानोलियौ'। क्रिया, पकड । ५ एक प्रकार का बड़ा जल-पात्र । झावी-स्त्री० स्त्रियों के पहनने का आभूषण । ६ देखो 'झाळ'। झावू-देखो 'झाऊ'। मालड़-१ देखो 'झाल'। २ देखो 'झालर'। ३ देखो 'झालरी'। झाबौ-पु० १ मिठाई परोसने का मिट्टी का पात्र विशेष । माळरण-स्त्री० धातु की वस्तुओं को जोड़ने का टांका, जोड़। २ एक प्रकार की जड़ी विशेष जो नदी के किनारे मालण-पु० १ अनाज ढोते समय गाड़ी पर बिछाया जाने | मिलती है। वाला वस्त्र । २ पकड़ना क्रिया, पकड़ । झिगर, झिगार-पु० १ वृक्ष व लताओं का झुरमुट, घनी झाड़ी। माळरणो (बौ)-क्रि० १ धातु की वस्तुओं के टांका लगाना । | २ देखो 'झिंगोर'। २ जलाना, भस्म करना। झिंगुर, झिगोर-पु० १ एक छोटा जंतु जो रात में भी-झी की मालगो (बी)-क्रि० १ पकड़ना, थामना । २ सहन करना। आवाज करता है । झिगुर, कसारी। २ मस्ती में झूमने की ३ स्वीकार करना । ४ धारण करना । ५ ग्रहण करना । क्रिया या भाव, कल्लोल । ३ झिगुर की आवाज । ६ प्राप्त करना, लेना । ७ थामना, रोकना । ८ उत्तर- झिंगोरणी (बी)-क्रि० १ मस्ती करना, मौज करना । २ कल्लोल दायित्व लेना । ९ पाश्रय देना । १० बंधन में डालना । करना । ३ झी-झी शब्द करना । झिगौर-देखो 'झिंगोर'। माळपूळो-वि० १ अत्यन्त क्रुद्ध, प्राग बबूला । २ तेजस्वी, तेजवान। झिंझोटी-स्त्री० सम्पूर्ण जाति की एक राग । झिकाडणी (बी), झिकारणौ (बौ), झिकावरणौ (बो)मालर (डी)-स्त्री० [सं० झल्लरी] १ पूजा या भारती के देखो 'भैकारणो' (बौ)। समय बजाया जाने वाला थालीनुमा बाद्य । २ एक अन्य झिकाळ-स्त्री० बकवास, बकझक । वाद्य विशेष । ३ एक लोक गीत । ४ जल-पात्र विशेष । झिकोळणी (बो)-देखो 'झकोळणो' (बी)। ५ देखो 'झालरी' । ६ देखो 'झालरौ' । -वि० मूर्ख, पागल । -दार'झालरीदार'। -बाव, वाव । -पु० शिखरणी (बौ)-क्रि० १ प्रकाशित होना । २ शोभा देना। ३ क्रोध करना । ४ टिमटिमाना । ५ चमकना । ६ बकएक सरकारी कर विशेष । झक करना। मालरियौ-पु० १ फेन युक्त छाछ । २ झल्लरीदार वस्त्र । झिगझिग, झिगझिगाट, झिगझिगाहट-स्त्री० १ चमक-दमक । ३ पुराना कपड़ा । ४ देखो 'झालरो', 'झालर', 'झालरी'। २ जगमगाहट । ३ व्यर्थ की बकवाद । For Private And Personal Use Only Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिगरणी झींझो झिगणौ (बो)-क्रि० १ प्रकाशित होना, जगमगाना, चमकना । झिल-वि०१ पूर्ण, परिपूर्ण । २ ठीक । २ मथना, विलोड़ना । ३ कुचलना, मसलना । झिळकारणौ (बी), झिळकावणी (बो)-देखो 'झळकाणी' (बी)। झिगमिग-देखो 'जगमग'। झिलको-देखो 'झलकौ' । झिगमिगाट, झिगमिगाहट-देखो 'जगमगाहट' । झिलणौ(बौ)-क्रि०१चमकना,देदीप्यमान होना तपना । २ ऐश्वर्य झिड़करणौ (बौ)-क्रि. १ फटकारना, तिरस्कार करना, क्रोध प्रकट करना, प्रभाव दिखाना । ३ पूर्ण होना। ४ शोभा करके बात कहना । २ देखो 'झड़कणी' (बौ)। देना, शोभित होना । ५ समृद्ध होना, वैभवयुक्त होना । झिड़की-स्त्री० १ डांट, फटकार, प्रताड़ना । २ अवज्ञा भरे ६ मस्त होना । ७ देखो 'झलणौ' (बौ)। शब्द, तिरस्कार। झिलम (टोप)-पु० युद्ध के समय पहनने का लोहे का टोप, झिझक-स्त्री. १ सहसा चौंकने की क्रिया या भाव । २ कुछ | शिरत्रागा। करते हुए सहसा रुकने की क्रिया या भाव, ठिठक । ३ शंका; मिळमिळ-स्त्री०१ मंद व क्षीण ज्योति । २ हल्की चमक; संकोच, हिचक । ४ शर्म, लज्जा । ५ क्रोध से बोलने की झिलमिलाहट । ३ टिमटिमाहट । ४ चमक-दमक । क्रिया या भाव, झिड़की । ६ सनक, पागलपन । ५ लोह-कवच। -वि० रह-रह कर चमकने वाला। झिझकरणौ (बौ)-क्रि० १ सहसा, चौंकना । २ कुछ करते हुए झिळमिळणी (बौ), झिळमिळारणी (बी)-क्रि० १ दीपक सहसा रुकना, ठिठकना । ३ संकोच करना, हिचकना। का मंद-मंद प्रकाश होना, मंद-मंद दीपक जलना । ४ शर्म करना, लज्जा करना । ५ क्रोध से बोलना, २ टिमटिमाना, झिलमिलाना । ३ चमकना । ४ रह-रह झिड़कना । ६ चमकना, भड़कना । कर चमकना । ५ हिलना, कांपना । ६ अस्थिर होना । झिझकारणी (बौ)-कि० १ सहसा चौंकाना । २ सहसा रोकना, झिळमिलाहट-स्त्री० झिलमिलाने की क्रिया या भाव । ठिठकाना । ३ संकोच कराना, हिचकाना । ४ शर्म कराना, झिलमिल्ल-देखो 'झिळमिळ' । लज्जित करना । ५ झिड़काना । ६ चमकाना, भड़काना। झिलम्म-देखो 'झिलम'। झिझकारणौ (बी)-क्रि० १ किसी को दुत्कारना, तिरस्कार | झिलाड़णौ (बौ), झिलारणों (बी), झिलावरणौ (बो) करना । २ डांटना, फटकारना । ३ गर्व करना, अहंकार १ देखो 'झलाणी' (बी) । २ देखो 'झुलाणी' (बी)। करना । ४ चौंकाना, भड़काना । ३ देखो 'झीलाणी' (बो)। झिझिकार-स्त्री० १ डांट, फटकार । २ तिरस्कार, अवज्ञा। शिळोमिळ-देखो 'झिळमिळ' । ३ चौंकाने या भड़काने की क्रिया या भाव । ४ अभिमान, झिलोरी (लो)-पु. लहर, तरंग, हिलोरा । छोल । घमण्ड । ५ भिड़ की। झिल्लणी(बी)-१देखो 'झिलणी' (बौ)। २ देखो 'झूलणौ' (बौ)। झिझिम-स्त्री० वाद्य का एक बोल विशेष । झिल्ली-स्त्री० [सं०] १ चमड़े या रब्बर का अत्यन्त पतला झिझीटी-स्त्री० एक राग विशेष । प्रावरण या तह । २ बहुत पतला छिलका । ३ अांख का झिरण-पु. १ दलिया आदि खाद्य पदार्थ । २ पतली छाछ, | __ जाला। ४ झिगुर । -दार-वि० जिस पर झिल्ली मछा। लगी हो। झिरणकार-देखो 'झरणकार' (बी)। | झींक-देखो 'झीक'। झिरणकारणो (बौ)-देखो 'झणकारणो' (बौ)। झींकरी-पु. कूए को गहरा करने के लिए तोड़ा हुआ पत्थर । शिबळ, झिबळक-देखो 'झबळक' । झोखरणौ-देखो 'झीकणो' । झिबळरणौ (बी)-१ देखो 'झबळरणी' (बौ) । २ देखो। झोखरणौ (बी)-देखो 'झीकरणौ' (बी)। 'झवळकरणौ' (बौ)। झोंखा, झीखाळी-देखो 'जीका' । झिरणी (बो)-देखो 'झरणो' (बी)। | झींगड़ि (डी)-स्त्री० १ नौबत वाद्य की ध्वनि । २ वाद्य बजाने के लिए किया जाने वाला प्राघात । झिरमट, झिरमटियो-पु० १ बालिकाओं का एक खेल विशेष ।। २ वृक्ष समूह, कुज । ३ एक लोक गीत विशेष । ४ एक झींगर-पु० [सं० धीवर] १ मछुवा, धीवर, केवट । २ देखो प्रकार का घास । "झिगोर'। झिरमिर-स्त्री०१ धीरे-धीरे होने वाली वर्षा, वर्षा की झडी।। झींगर निसांरगी (नी)-स्त्री० निसानीछंद का एक भेद । २ इस प्रकार की वर्षा से होने वाली ध्वनि । झींगोर, झींगौर-देखो 'झिगोर' । झिलंब-देखो 'झिलम'। झोझो-पु० १ एक पहाड़ी वृक्ष विशेष । २ देखो 'जीजी'। For Private And Personal Use Only Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra झींट सी देखो 'भोगी'। - " झट । । - पु० १ बाल, केश २ देखो 'भ' सोटाळी १० झीरोको, झीरोख, शीरोखो-देखो 'भरोको' घने वालों वाला । www. kobatirth.org झील सी झींत झोंथ स्त्री० १ अनाज या कपड़े भर कर पीठ पर लादने ( ५०२ ) झीखणी (बी) - देखो 'भीकरणी' (बौ) । झीखा- देखो 'जींका' । झोथरी- पु० १ एक प्रकार का घोड़ा । २ देखो 'झींपरी' । झीनातिझीन वि० अत्यन्त बारीक, महीनतम । झीखाळणी (बौ) - क्रि० १ खपरैलों को परस्पर रगड़कर महीन पूर्ण बनाना २ पड़ने की तख्ती पर उक्त चूर्ण छितराना । झी स्त्री० [सं० ध्वनि ] १ प्रावाज, ध्वनि । २ देखो 'जीरा' । ३ देखो 'झीरो' | , झीउ, झीगोडी, झील- वि० [सं० क्षीण] (स्त्री० भीसी) १ जो मोटा न हो महीन, पतला, बारीक । २ हल्का, पारदर्शक ३ मधुर, सुरीला । ४ कर्ण प्रिय । ५ जो स्थूल न हो, छरहरा । ६ कृशकाय । ७ सुकुमार, कोमल, लचीला | ८ । नर्म मुलायम, मृदुल धीमा हल्का, ९ मंद । १० अधिक छितराने से पतली सतह का । ११ जिसमें वेग न हो, धीमा । १२ जो भारी न हो, हल्का । १३ सूक्ष्म । १४ गूढ़ । १५ दुर्गम, कठिन । १६ संकरा, तंग । १७ अगम्य, दुर्बोध । १८ अत्यन्त छोटा । १९ सूक्ष्माणु युक्त । २० जिसमें प्रखरता न हो, क्षीण, मंद । २१ जिसमें उग्रता न हो, सरल, सहज २२ धुंधला । २३ अधिक तरल । २४ फैला हुआ । पु० १ घूंघट निकालने का एक ढंग २ महीन वस्त्र मोरियो पु० एक लोक । । गीत विशेष । । की गठरी, बोरा २ कपड़े का एक भोला विशेष । भोपरी, फरी-वि० (स्त्री० भींपरी, भीफरी) जिसके शरीर पर घने बाल हों, घने बालों वाला । झींवर पु० [सं०] धीवर ] मधुवा, मछेरा झोक स्त्री० १ भींखने की क्रिया या भाव, वकवाद । २ शस्त्र प्रहार । ३ शस्त्र प्रहार की ध्वनि । ४ ध्वंस, संहार । ५ युद्ध । ६ वर्षा की झड़ी । शोणौ पु० १ दुखः वर्णन, अपना दुःख रोने की क्रिया या शंकार स्वी० ध्वनि हुंकार | । 1 भाव । २ बकना । झोकणौ ( बौ) - क्रि० १ इच्छा करना, लालायित होना, तरसना । २ दु:खी होकर पछताना | ३ खीजना । ४ कुढ़ना । ५ न दुःख व्यक्त करना दुखड़ा रोना [६] [स्त्र प्रहार करना । ७ युद्ध करना बकना । । झीख- देखो 'भीक' । झोरोहर [वि० पूर-र - सीमर० [सं० धीवर] कहार जाति का एक भेद १ । [२] धीवर झील, झीलड़ी (डौ) - स्त्री० १ कुदरतन बना बड़ा तालाब, सरोवर २ एक छोटा पौधा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झीलो (बौ) - क्रि० १ नदी या तालाब आदि में नहाना । २ पानी में तेरना । ३ डुबकी लगाना । ४ मग्न होना, मस्त होना । झोलाली (बी), शीलावणो (बी) क्रि० १ स्नान कराना। २ पानी में तेरने के लिए प्रेरित करना । ३ मग्न या मस्त करना । ४ डुबकी लगवाना । झीवर देखो 'भीमर' । होना । भाऊ देवो 'तू'भाऊ' । सुसार, झुंझारि-देखो 'जू'कार' | | झुंड - पु० प्राणियों का समूह, गिरोह । झुंपड़ी देखो 'पड़ी' । मुंब-देखो 'ब' । लाख (यो) - ०१ चिड़चिड़ाना खिलाना २ परेशान बाली (बौ), झुंबाणी देखो 'झू'बारी' (बी) । 'बो-देखो 'बो' । सुकाणी For Private And Personal Use Only (बी), झुंबावरणौ (बौ) - झुकरण (बौ) - क्रि० [सं० युज् ] १ किसी खड़ी वस्तु का नीचे की ओर मुड़ना, नवना । २ समानान्तर बनी वस्तु का बीच या किसी शिरे से नीचे धंसना, दबना, नीचे की ओर झुकना । ३ नीचे की ओर उन्मुख होना । ४ किसी विशेष दिशा या अक्षांश की ओर उन्मुख होना । ५ बादल, तारे आदि का पृथ्वी के अधिक पास आना या पास दिखाई देना । ६ मजबूर होना हारना, विवश होना । ७ प्रवृत्त होना, मुखातिब होना, रजू होना । ८ तल्लीन होना । ९ ढीला या शिथिल होना १० मंडराना ११ शोभित होना । १२ व्यापक होना. चारों ओर फैलना । १३ हराभरा या सघनता युक्त होना । १४ नत मस्तक होना, विनीत होना । १५ प्रणाम करना १६ मोहित होना । १७ सीधे खड़े रहने की अवस्था में न रहना । कवाई, झुकाई स्वी० १ शुकने की क्रिया या भाव २ इस कार्य की मजदूरी । । । शुकाली (बौ), काशी (बी) १ किमी बड़ी बातु को नीचे की ओर मोड़ना नवाना । २ समानान्तर बनी वस्तु को नीचे धसाना, दबाना, झुकाना । ३ नीचे की ओर उन्मुख करना । ४ किसी विशेष दिशा या अक्षांश की ओर Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झुकाव भूमळ उन्मुख करना । ५ मजबूर करना, विवश करना, हराना । ८ झूमना, लटकना । ९ याद करना, स्मरण करना । ६ प्रवृत्त करना, मुखातिब करना । ७ रज़ करना । ८ तल्लीन | झुरनी-स्त्री० १ वृक्ष की शाखाओं से लटक कर खेला जाने करना। ढीला या शिथिल करना। १० शोभित करना। वाला खेल। २ उक्त खेल में काम आने वाला लकड़ी ११ व्यापक करना, चारों ओर फैलाना । १२ नत मस्तक का डंडा। करना, विनीत करना । १३ प्रणाम कराना । १४ मोहित | झुरमट, झुरमटियो, झुरमुट, झुरमुटियो-पु०१ झाड़ी या लताओं करना । १५ सीधे खड़े न रहने देना । का कुज । २ झुड, समूह । ३ वस्त्रादि से शरीर झुकाव-पु. १ झ कने की क्रिया, अवस्था या भाव । २ प्रवृत्ति ।। को पूरा ढक लेने की क्रिया या भाव । ४ सिकोड़ कर ३ मोड़, दबाव । ४ झ का हुआ भाग । ५ ढाल-उतार । बैठने का ढंग। झुकावट-स्त्री० १ झुकने की क्रिया या भाव । २ प्रवृत्ति, इच्छा, भुररी-स्त्री० शरीर की चमड़ी की सिकुड़न, सिकन, सलवट । चाह । ३ मुड़ी या दबी हुई अवस्था । भुररौ-पु. प्रांसुओं की झड़ी। झुकावणी (बी)-देखो 'झुकाणी' (बी)। भुराड़णौ (बो), मुराणौ (बौ)-क्रि० १ दु:खी करना, शोकाकुल अकेडो-पु० धक्का। करना । २ बेचैन करना, विकल करना। ३ बिलखाना । भुक्कणी (बौ) -देखो 'झुकणौ' (बो)। ४ रुदन कराना, विलाप कराना। ५ तड़फाना, तरसाना । मुखरण-पु० झड़बेरी के कांटों का समूह । ६ अधिक चिता ग्रस्त करना । ७ घुलाना, घुटाना । भुज्झमल (मल्ल)-वि० [सं० युद्ध+मल्ल] वीर, योद्धा।। ८ झूमाना, लटकवाना । ९ याद या स्मरण कराना । झुटपटियौ, अटपटी, झुटपुटियो, झुटपुटौ-पु. संध्या या बड़े भुरापौ-पु० वियोग का दुःख, विलाप, रुदन । सवेरे का समय, मुंह अंधेरे का समय । भुरावौ-देखो 'झुरापौ'। भुटाळक-वि० उत्पाती, उपद्रवी । झुळक-स्त्री० १ प्रांसू ढलकाने की क्रिया या भाव । २ चमकझुठाई-स्त्री० १ असत्यता । २ शरारत, बदमाशी। दमक । झुणकणो (बौ)-देखो 'झणकणो' (बी)। भुळकणौ (बो), मुलझुळणी (बौ)-क्रि० १ जगमगाना, भुणभुण-देखो 'झरणझण'। चमकना । २ ग्रांस ढलकाना । झुणण-स्त्री० झन-झन की ध्वनि, ध्वनि विशेष । झुळणौ (बी)-क्रि खुजलाहट होना, गुदगुदी होना। झुरिण-स्त्री० [सं० ध्वनि प्रावाज, ध्वनि । भुलर-देखो 'झूलर'। झुबझुब-पु० १ स्त्रियों की कलाई का आभूषण विशेष । मुलराणी (बी), झुलरावणी (बौ)-क्रि० झूला झुलाना, २ देखो 'झबझब' । हिंडोला देना। झूबी-स्त्री० पिछड़ी जाति की स्त्रियों का एक प्राभूषण विशेष । झुळसणौ (बौ)-क्रि० १ अधिक ताप या गर्मी के कारण काला झुमाडणी (बौ), झुमाणी (बौ) झुमावणी (बी)-क्रि० झुमने पड़ जाना । २ अधजला होना । ३ जल जाना । __ के लिए प्रेरित करना, मस्त करना । ४ कुम्हलाना, मुरझाना । ५ अधिक ताप से लाल हो झुरंट-स्त्री० खरोंच । जाना । ६ तपाना । ७ जलाना। झुरकण-स्त्री० १ भाड़ी का मूखा चूरा । २ ईधन की पतली झुलसाड़णी (बौ), झुलसाणी (बौ), झुलसावरणौ (बौ)-क्रि० लकड़ियां । १ अधिक ताप या गर्मी से काला पटक देना, तपाना । झुरको-पु० ऊंट की एक चाल । २ अधजला करना। ३ जलाना । ४ तपा कर लाल करना । झुलाड़णौ (बौ) झुलाणी, (बौ) अलावणौ (बो)-क्रि० १ स्नान अरड़णी (बी)-क्रि० १ खुजली मिटाना, खुजलाना। २ खरोंच, | कराना, नहलाना । २ लटका कर हिलाना, झोंका देना। लगाना, कुरेदना । ३ वृक्ष की टहनी के पत्ते सूत लेना । ३ भरोसे पर रखना। ४ झूला झुलाना । ५ झुमाना, ४ किसी को तंग करना। ५ कष्ट पहुंचाना । डोलाना । ६ मोहित करना । ७ जल में विचरण कराना। झुरणी-देखो 'झुरनी'। ८ अग्नि कुण्ड के पास बैठा कर तपस्या कराना । झुरणौ-पु० १ वियोग जनित दुःख, विरह । २ विलाप, रुदन । झुल्ल, अल्लो-वि० १ वृद्ध, बुड्ढ़ा। २ देखी 'झूलो' । झुरणौ (बौ)-क्रि० १ दुःखी होना, शोक करना । २ बेचैन | भुसांण-देखो 'झूसाण' ।। होना, विकल होना। ३ बिलखना, सुबकना । ४ रुदन | झूझणौ (बो)-देखो 'जूझणी' (बी)। करना, विलाप करना । ५ तरसना, आंसू बहाना । ६ रोग, | झूझळ-स्त्री० १ अटपटी, असहनीय दशा । २ दुःख व क्रोध चिता या अधिक श्रम से दुर्बल होना । ७ घुलना, घुटना। मिश्रित खिजलाहट । ३ भलकी, तेजी। ४ देखो 'जांजळी' । For Private And Personal Use Only Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झूमार ( ५०४ ) भूठिय झार (रि)-देखो 'जूझार'। २ फलों-फूलों आदि का गुच्छा । ३ समूह, झुण्ड । ४ दल, झूझो-पु० [सं० योद्धा] १ योद्धा, वीर । २ देखो 'जुध' । टोली। ५ पौधा। झूट-देखो 'झूठ'। झूमरणौ (बौ)-देखो 'झूबरणो' (बौ)। झूटरण, झटणियो-१ देखो 'झूटणी' । २ देखो 'जू ठरण' । झूमल, झूमलड़ौ (लियौ), झूमलो, झूमियो, झूमी, झूमौमूटणी-पु० स्त्रियों के कान का एक प्राभूषगा विशेष । देखो 'झूबौ'। इंट-साच-पु० झूठ-सच्च । झूसरणौ (बौ)-देखो 'झुळसणी' (बी)। टि-स्त्री० झपटी। भूसाड़णी (बौ), झू सारणी (बो), झूसावणौ (बौ)भूटिणौ (बौ)-क्रि० १ झपटने की चेष्टा करना, झपटना । देखो 'झुळसारणौ' (बौ)। २ हमला करना, आक्रमण करना। झूड़-पु० १ झाड़ने की क्रिया या भाव । २ लूटने की क्रिया झूठ, झूठरण-१ देखो 'जूठण' । २ देखो 'झूठ' । या भाव। झूठणियो, मूठणौ-देखो 'झूटणी' । मूड़णी-स्त्री० घास महीन करने का लोहे का लंबा छड़ । भूठौ-१ देखो 'झूठौ' । २ देखो 'जूठौ'। झूड़णी (बौ)-क्रि० १ एकत्र करना, बटोरना । २ काटना । झूथरा-पु० घने बाल । ३ पीटना । ४ लूटना । मूथरियो, झू थरौ-वि० घने बालों वाला । झूडो-स्त्री० १ ऊंट के तंग में लटकने वाला फूदा । २ बच्चे के भूप, झूपको, (कौ)-देखो 'झूपड़ौ' । पालने के बंधा चीथड़ों का खिलौना । ३ समूह, झुण्ड । मूपड़, झूपड़को, झूपड़ली, झूपड़लौ, झुपड़ियो, झुपड़ी, ४ स्त्रियों के बालों को बांधकर बनाया जड़ा। झूण्डौ, झू पली, झूपलो, झू पियौ-पु० लकड़ियां खड़ी करके भूज्झ, अझ-देखो 'जुध'। घास-फूस से छा कर बनाया हुमा कक्ष, कुटिया, पर्णशाला, | भूझणौ (बौ)-देखो 'जूझणौ' (बौ)। झोंपड़ी। मुझबारी-पु० युद्ध, लड़ाई। भूपी-स्त्री० १ झोपड़ी, कुटिया । २ एक प्राचीन कर। भूझार-देखो 'जूझार'। झूपौ-पु० १ बड़ी कुटिया, झोंपड़ा । २ झोंपड़ियों वालों की झंझाड़णी (बो), झूझाणी (बी), झंझावणी (बो)बस्ती या मुहल्ला। देखो 'जू झाणी' (बौ)। झूफ, झू फकी-देखो 'झूपी'।। झूटण-१ देखो 'जूठण' । २ देखो 'झूटणौ' । भूफको, झूफड़, झूफड़ो, झूफो-देखो 'झू पौ' । झूटणियौ, झूटणो-देखो 'झूटो '। झूब-स्त्री० १ झूबने की क्रिया या भाव । २ गुच्छा । झठ-वि० [सं० द्यतस्थ] १ सत्य का विपर्याय, असत्य । ३ देखो 'झूबौ'। २ अवास्तविक, निराधार । कल्पित । -पु. १ असत्य भूबड़ (को)-देखो 'झूबौ'। कथन, झूठी बात । २ गप्प, कल्पित बात । ३ क्रोध, मूबड़ी, झूबड़ौ-देखो 'झूबौ' । कोप । ४ उत्पात, शैतानी । ५ चंचलता नटखटपन । भूबरपो (बौ)-क्रि०१ आलिंगनबद्ध होना, गले मिलना, अंक ६ देखो 'जूठ'। में भरना, लिपटना । २ युद्ध करना, भिड़ना । ३ धावा झूठण-१ देखो 'जूठरण' । २ देखो 'झूटगो' । बोलना, झपटना । ४ लूटना, लूट-पाट करना । ५ लटकना, फूलना। ६ हाथापाई करना । ७ जीव जंतुओं अथवा झूठणियो, झूठणौ-देखो 'झुटणो' । पशुत्रों का काटना। झूठमी-वि० क्रोध युक्त, क्रोध वाली, क्रोधी । झूबर, (री, रौ)-पु० एक प्रकार का कर्णाभूषण । | झूठ-मूठ (मूठी)-क्रि०वि० बिना किसी आधार से, झूठ के झूबाड़णी (बौ), झूबाणी (बी), झू बावरणी (बौ)-क्रि० अाधार पर । व्यर्थ ही। १ आलिंगनबद्ध कराना, गले मिलाना, अंक में भराना, झूठिय, झूठौ-वि० [सं० द्यूतस्थ] (स्त्री० झूठी) १ असत्य लिपटाना । २ युद्ध कराना, भिड़ाना । ३ धावा बोलाना । वक्ता, असत्यवादी, झूठा । २ असत्य पर आधारित, झूठ । झपटवाना। ४ लुटवाना, लुट-पाट कराना। ५ लटकाना, ३ जो असली न हो, नकली। ४ जिसमें सच्चाई न हो। झू लाना । ६ हाथापाई कराना । ७ जीव जंतुनों या | ५ जबरदस्त, बलवान । ६ प्राण लेने वाला, खूख्वार । पशुओं से कटवाना। ७ क्रोध युक्त, क्रोधी। ८ चंचल । ९ उत्पात करने वाला, झूबियो, झूबी, झूबी, झू"बौ, झूम (क, कौ), (ख, खी, खौ), शैतानी करने वाला, उद्दण्ड । १० देखो 'जठौ' । (डी, डो)-पु० १ छोटी-छोटी वस्तुओं का समूह । ११ देखो 'भूठ' । For Private And Personal Use Only Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नूप www. kobatirth.org ( कूप ( की फौ ) भूपड़ (डी, डो) भूपली, भूपियाँ भूपी, भूपौ फूफ, फूफड (डी. हो) फली (लौ) फियो कूकी देखो पौ' । भूव (कु. कौ) देखो 'भू'बी'। भूम पु० १ झूमने की क्रिया भाव । ३ देखो 'भू'बी' | मकड़ी (डी), समयो भूमकी (की) देखो 'बी' भूख, (डो, ड़ौ). झूमखियो, झूमखी (खौ), झूमड़ ( की, कौ) मली (सौ) मड़ियो मड़ी (डी) देखो ''बी' भूपी (मौ) - देखो 'बो' । रंडियी १० खरोंच, रगड़, नक्षत क्रूर, झूरडियौ स्त्री० १ कंटीली झाड़ी की सूखी २ बारीक लकड़ियों का ढेर । ३ महीन चूर्ण पदार्थ के छोटे-छोटे टुकड़े ५ समूह । झुण्ड | 'जुर' | २ गायन विशेष | ५०५ ) भूम (, गौ ) - पु० १ एक प्रकार का कर्णाभूषण । २ गुच्छा, भूमखा । ३ कंठ का एक प्रकार का हार । भूमणी (बौ) - पु०१ झोंका खाना । २ मस्ती में घूमना, मदोन्मत्त होना। ३ हवा से हिलना, लहराना । ४ लटकना, लूमना । ५ किसी आधार के संलग्न होना । कूपर स्त्री० १ स्त्रियों द्वारा गाने के साथ, वृत्ताकार किया जाने वाला सामूहिक लोक नृत्य 1 २ इस नृत्य में गाया जाने वाला गीत । ३ संगीत में एक ताल । ४ काष्ठ का एक खिलौना विशेष । ५ स्त्रियों के शिर का प्राभूषण विशेष । ६ देखो 'भूमरी' | झूमरवे (पं) -५० एक रंग विशेष का वस्त्र भूमरियपु० १ एक कर्णाभूषण विशेष २ देखो 'म' भूमरी स्त्री० १त्रियों के कान का धनुष २ हाथी के कान का ग्राभूषण ३ मोटी लकड़ी की मोगरी । ४ देखो 'अमर' ५ देखो 'झमरी' झूमरौ - पु० १ लोहे का मोटा व भारी हथौड़ा । २ सड़क जमाने का उपकरण । फूलड़, झूलड़की, झूलड़ियो-१ देखो 'भूल' । २ देखो 'झूलो' । पोल (सी) स्त्री० १ने की क्रिया या भाव - । २ झोल, ढीलापन । ३ स्नान । ४ तैरना किया । ५. डुबकी। ६ ऊंट का एक अवगुण । भूलरिण (रणी) --स्त्री० १.३७ मात्राओं का एक छन्द विशेष । २.४० मात्राओं का एक अन्य छन्द विशेष । ३. २४ वर्णों का एक वर्शिक वृत्त । ४ जलने की क्रिया या भाव। — इग्यारस - स्त्री० भादव शुक्ला एकादशी । इस दिन देवमूर्तियों को सरोवर स्नान कराने का उत्सव | भूलरणौ - वि० ( स्त्री० भूलणी) १ विचरण करने वाली । २ देखो 'जलो' । टहनियां । ४ किसी ६ देख Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूसरणो भूलणी (बौ) - क्रि० १ हिडोले खाना, झूले में बैठकर भूलना । २ हिलना, डोलना । ३ झौंके खाना । ४ मस्ती में घूमना । ५ लटकना, लहराना । ६ मंडराना । ७ किसी कार्य का अधूरा पड़ा रह जाना 1 ८ मोहित होना । ६ स्नान करना, तैरना । १० जल विहार करना । ११ अग्नि कुण्ड के पास बैठकर तपस्या करना । १२ देखो 'झीलरणी' (बी) । मूलरियो - वि० १ झुण्ड में रहने वाला । २ देखो 'भुलरी' । मूलरी पु० लुण्ड, समूह, टोनी । भूला स्त्री० पृथ्वी, धरती । भुलाळ - वि० १ हिंडोले खाने वाला, भूलने वाला । २ हिलनेडुलने वाला । ३ लटकने वाला । ४ झूमने वाला । ५ भरोसे रहने वाला । ६ अनिरिंगत रहने वाला । ७ स्नान करने वाला । ८ जल विहार करने वाला । ६ तपस्या करने वाला । १० मंडराने वाला । ११ कवचधारी योद्धा । १२ मग्न मस्त रहने वाला । १३ देखो 'भूलो' । भूलि स्त्री० एक प्रकार का भूलानुमा पलंग । मूली पु० १ स्त्र-शस्त्रों को बड़े व सीधे जमा कर बनाया हुआ ढेर २ कड़बी यादि के छालों को बड़े व गोलाकार रखकर बनाया हुआ ढेर । ३ सूखने के लिए अलग-अलग रखे घास के गट्ठर । ४ झुण्ड, टोला, समुह । ५ जटाजूट । ६ पहनने का एक वस्त्र विशेष । | झूमर, शूर (रो)-पु० १ महीन पूर्ण २ नाश, ध्वंम भूरियो-देखो 'भूर' | समूह २ सेना, फौज, दल भूरी-स्त्री० किसी मकान या खेत के चारों चोर खोदी हुई नाई । मूळ पु०१ फूल - स्त्री० १ कवच, पाखर । २ चौपाये जानवरों की पीठ पर पहनाया जाने वाला वस्त्र । ३ चारजामा | ४ चारजामे के नीचे शोभा के लिये बिछाने का वस्त्र । मूळकियो, झूळकी पु० १ मथने का थोड़ा व साधारण दही । भूसरणी (बौ) - क्रि० १ कवच आदि पहनना 1 २ शस्त्रों से २ दही का विमोहन ३ देखी 'मूळ' सुसज्जित होना ३ जोतना भूली पु० हिंडोला, पालना 1 २ बडी-बडी र का भूला । ३ रस्सियों या तारों का पुल । ४ श्रावण शुक्ला तृतीया से पूर्णिमा तक होने वाला देव भुलाने का उत्सव ५ श्रावण मास में गाया जाने वाला एक लोक गीत । ६ देवो 'भूल' | For Private And Personal Use Only भूस, झूसरण-पु० १ कवच, बरूतर | २ तलवार, खड़ग ३ 'जूचा' | J Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूसर झोकाइरो मसर, (री, रौ), झूसारण-देखो 'झूम' । झेंपरणो (बौ)-क्रि० लज्जित होना, सकपकाना। शूसिय-वि० [सं० जूषित] युक्त, सहित । (जैन) | झपाडणौ (बौ), पारणी (बौ), झेपावरणौ (बो)-क्रि० लज्जित झें-में-अव्य० झन्-झन् । करना। झे पु० १ राम । २ लक्ष्मण । ३ वन । ४ शशि मण्डल । झै-पु० १ बृहस्पति । २ गुरु । ३ नाक, नासिका । ४ मैगुन । ५ चमार । ६ मर्यादा । ७ अग्नि । ५ स्वर्ग। ६ कृतिका । ७ आत्मा । -अव्य० ऊंट बैठाने झे-प्रव्य. मवेशियों को पानी पिलाते समय की जाने वाली की सांकेतिक अव्यय ध्वनि । अव्यय ध्वनि। काडणी (बौ), कारणो (बौ), कारणौ (बौ), कावणी (बी) झेडरणौ (बौ)-क्रि० १ प्राप्त करता । २ देखो 'झाडणौ' (बौ)। देखो 'झकाणी' (बौ) । झेडर-पु० एक लोक गीत विशेष । झैपाडणौ (बौ), झपाणौ (बी), संपावणौ (बौ)-देखो झेर-स्त्री० १ नींद का झौंका, तंद्रा । २ झरना, चश्मा । । 'भैपाणौ' (बौ) । __ ३ देखो 'जेर'। झोंक-देखो 'झोक'। झेरण, झेरणियो, झेरण. झेरणौ-पु० १ मथने का उपकरण, झोंको-देखो 'झोको'। मथ दण्ड, मथानी । २ एक प्रकार का धास । झोंपड़ो-स्त्री० कुटिया, पर्णकुटी। झेरणौ (बौ), झेरवणी (बौ)-क्रि० १ काटना, मारना। झोंपड़ो-देखो 'पड़ो' । २ तंग या परेशान करना । ३ प्राप्त करना । ४ देखो झोक-स्त्री. १ ऊंट के बैठने का स्थान, बाड़ा । २ ऊंट के 'जेरणी' (बौ)। बैठने लायक भूमि । मादा ऊंट के प्रसव करने की झेल, झेलण-स्त्री० १ झेलने की क्रिया या भाव । २ खुले द्वार, क्रिया । ४ जोश, उत्साह, साहस । ५ तराजू के पलड़े का झरोखे आदि के कमानदार पत्थरों पर लगा पत्थर । झुकाव । ६ झुकाव, प्रवृत्ति । ७ झुकना क्रिया का भाव । झेलणी (बौ)-देखो 'झालणौ' (बी)। ८ तिरछी चितवन, कटाक्ष । ९ तरंग, लहर । १० इधरझेलमो, झेलवी-पु० १ हाथ से पकड़ कर खाली किया जाने उधर हिलने-डुलने की क्रिया । ११ शोभा । १२ शाबासी, वाला कुरा का मोट । २ उक्त प्रकार का मोट चलने प्रशंसा। वाला कूपा । -वि० हाथ से पकड़ने योग्य । झोकड़ी-स्त्री० १ मस्ती, झूम । २ नींद की झपकी। झेला-स्त्री० बैलों के शिर पर बांधी जाने वाली रस्सी । (मेवात) झोकणी (बी)-कि० १ प्रहार करना, वार करना । २ जोश झेलाजोड़ (जोड़ी)-स्त्री० एक कर्णाभूषण विशेष । पूर्वक आगे बढ़ाना । ३ जबरदस्ती प्रागे बढ़ाना, ढकेलना, टेलना । ४ प्रवृत्त करना । ५ किसी वस्तु को झटके के झेली-स्त्री० १ कांटा उठाने की चिमटानुमा लकड़ी । साथ आगे फेंकना । ६ अंधाधुध व्यय करना । ७ पाहुति २ उत्तरदायित्व लेने वाला। देना। किसी कार्य में संलग्न करना. लगाना । आपत्ति झेलू-वि० १ झेलने, पकड़ने या थामने वाला । २ रक्षक में डालना, बुरी जगह ढकेलना, भेजना । १० डालना, मददगार । ३ महायक। पटकना । ११ अत्यधिक कार्य भार डालना । १२ बन्दूक डोली--पु० १ एक कर्णाभूपण विशेष । २ स्त्रियों के ललाट व दागना । १३ देखो 'झैकगौ' (बी)। मिर का ग्राभूषण । ३ हाथी के गर्दन में डाली जाने वाली झोका-अध्य० वाह, शाबास । घंटियों की माला । ४ सहारा, मदद । ५ कृए पर लगा झोकाइत झोकाई झोकाऊ-वि०१ वीर, बहादुर । २ लुटेरा, डाकू । पत्थर जहां मोट खाली की जाती है । ६ मकान के आगे का पाहता । ७ करघे पर लगी एक लकड़ी विशेष । झोकाडणौ (बौ), झोकाणी (बौ)-क्रि० १ प्रहार कराना, वार ८ जल भरी नडस बाहर पाने पर लाव से कील निकालने कराना । २ जोश पूर्वक प्रागे बढ़वाना । ३ जबरदस्ती आगे बढ़वाना, ढकेलाना, टेलाना । ४ प्रवृत्त कराना। का स्थान । ५ किसी वस्तु को झटके के साथ आगे फिकवाना । झ-देखो 'मैं'। ६ अंधाधुध व्यय कराना । ७ पाहुति दिराना । ८ किसी करणौ (ौ), कवरणी (बौ)-क्रि० ऊंट को बैठाना, बैठने के कार्य में संलग्न कराना, लगवाना । अापत्ति में डलाना, लिए प्रेरित करना। बुरी जगह भिजवान। । १० डलवाना, पटकवाना। काढणी (बी), बँकाणी (बी), अकारणौ (बी), झंकावरणी ११ अत्यधिक कार्य भार डलवाना । १२ बन्दुक दगवाना। (बी)-क्रि० ऊंट को बिठवाना, बैठाने के लिए प्रेरित करना । १३ देखो मैकारणो' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झोकायत । ५०७ ) नग झोकायत (ती)-देखो 'झोकाइत' । झोळी-स्त्री० १ किसी वस्त्र के चारों कोणों को रस्सी से बांधकर झोकावणो (बौ)-देखो 'झोकारणो' (बो)। बनाया हुआ झोला । २ वस्त्र के चारों शिरों को परस्पर झोको-पु० १ झपट्टा, धक्का । २ झटका, प्राघात । ३ हवा का बांधकर बनाया हुआ थैला। ३ वस्त्र को शरीर से ऐसे बांधना प्रवाह झकोरा । ४ रेला। ५ हिलने-डुलने की क्रिया । कि पीछे थैलानुमा बन जाय । ४ थैली । ५ घायलों को ६ प्रवाह । ७ लहर, तरंग । ले जाने के लिये प्रयोग किया जाने वाला बड़ा थैला, झोला, झोखणौ(बी)-१ देखो 'भैकणी' (बौ) । २ देखो 'झोकरणी' (बौ)। उपकरण । ६ बच्चों को हिंडाने की झोली । ७ याचना झोखाइत, झोखाई, झोखाऊ-देखो 'झोकाइत' । के लिये फैलाया जाने वाला दामन । ८ अंक, गोद । झोखाणौ (बौ) झोखावणो (बो)-देखो 'झोकाणी' (बी)। -झडौ, डंडो-पु. साधुओं की झोली व डंडा । झोड़-स्त्री० १ टक्कर, प्राघात । २ देखो 'झोड़। झोळी-पु० १ बड़ा थैला । २ कपड़े के चारों छोर मिला कर झोट-१ देखो 'झोटो' । २ देखो 'झोटौ' । बनाई गई गठरी । ३ ढीला-ढाला आवरण। ४ साधुओं का झोटी-स्त्री० युवा भैस । चोला । ५ गोद, अंक । ६ पहनने के वस्त्र का कोई झोटौ-पु० १ झूले का झोंका । २ धक्का, टक्कर । ३ हिलने- वस्तु डालने के लिये बनाया हुअा झोला । ___ डुलने की क्रिया या भाव । ४ युवा भैंस । -वि० हृष्ट-पुष्ट । झोलो-पु. १ वायु का प्रवाह, झौंका टक्कर, प्राघात । झोतिखिक, झोतिसिक-देखो 'ज्योतिसी' २ वायु-प्रकोप । ३ प्रवाह । ४ तरंग, हिलोर । ५ झूलने झोबा-झोब-वि० पसीने से तरबतर । को क्रिया या भाव । ६ जल-विलोड़न । ७ वात रोग झोर-पु० समूह. झुण्ड । विशेष । ८ पाश्विन मास में सप्तर्षि के अस्त होने के झोरो-पु० १ गुच्छा, झूमका । २ देखो 'झोरौ' । स्थान से चलने वाली वायु जो फसल के लिये हानिकारक झोळ-पु. १ धातुनों पर चढ़ाया जाने वाला मुलम्मा, निकल, होती है । ६ आपत्ति, संकट । १० पीड़ा, दुःख । कलाई । २ तरकारी का द्रव भाग, शोरबा । ३ वह घोल ११ विक्षेप, बाधा। १२ संग, सोहबत । १३ शोभित होने जो अन्न के आटे में मसाले मिलाकर पकाया जाता है। का भाव । १४ चितवन, दृष्टि । १५ अाक्रमण, झपट । ४ परदा, प्रोट । ५ हाथी की चाल का दुर्गुण। १६ उलझन, फंदा । १७ प्रभाव, असर। ६ देखो 'झोळो । -दार-वि० जिसमें झोल हो, रसदार, | झोबरी-स्त्री० एक प्रकार का आभूषण विशेष । शोरबेदार । झोवी-पु० मिट्टी का एक पात्र विशेष । झोल-स्त्री०१ रस्सी आदि का तनाव कम होने के कारण | झौंक-स्त्री० १ ध्वनि, अावाज । २ देखो 'झोक' । ढीलेपन का झुकाव । २ बीच में से मुड़कर झुक जाने की | झौंप-पु. शमी वृक्ष की टहनियों का बना उपकरण । दशा । ३ शिथिलता। ४ लटकाव । ५ दुःख । ६ देखो | झोक-१ देखो 'झोक' । २ देखो 'झौंक' । 'झोलौ'। -दार-वि० जिसमें झोल हो, ढीला-ढाला। झोका-देखो 'झोका' । झोलउ-देखो 'झोलौ'। झोड़-स्त्री० १ झंझट, प्रपंच । २ कलह, झगड़ा, टंटा । झोळणी-पु० यात्रा में साथ ले जाने का कपड़े का थैला। ३ राड़, तकरार । ४ बहस । ५ युद्ध । ६ विवाद । झोळणी (बी)-क्रि० १ हिलाना-डुलाना । २ झक-झोरना, -झपाड़, झपोड़-पु० टंटा, फिसाद । मथना। झोडो-पु० विवरण, हाल, वृत्तान्त । झोलणी-पु० लोहे का बना दीपक । झौर-देखो 'झोरौ'। सोळायत-पु० गोद लिया पुत्र, दत्तकपुत्र । झोरापो (बी)-देखो 'झुरापो' । झोळि-स्त्री० १ तलहटी ।२ देखो 'झोळी'। झोरौ-पु० खुजलाहट, खुजली । झोळियां-क्रि० वि० अंक में, गोद में । इयंकारतन-पु०स्त्रियों के पैरों को प्राभूषण विशेष । मोळियौ-पु०१ दही का मट्ठा, पतला दही । २ बच्चे का पालना ।। झ्याश-देखो 'जा'ज'। ३ बच्चों को सुनाने की कपड़े की झोली। झंग--पु. एक प्रकार का वाद्य विशेष । For Private And Personal Use Only Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५०८ ) ( ५०८ ) टकर ट-देवनागरी वर्णमाला का ग्यारहवां व्यंजन वर्ण । | टंकी-१ देखो 'टकौ' । २ देखो 'टंक' । ३ देखो 'टांको' । टं-पु० [सं० टम्] १ अंकुश । २ पुत्र । -स्त्री० ३ अांख । टंग, टंगड़ी-देखो 'टांग'। ४ पृथ्वी। ५ भौंह । -वि० १ गंभीर । २ वीर। टंगरणी (बौ)-क्रि० टांका जाना, लटकना, अटकना । टंक (उ)-पु० [सं० टकि, टंक] १ भोजन का समय । टंगपाणी-पु० [सं० टंकपाणि] ४६ क्षेत्रपालों में से २७ वां २ तलवार की नोक । ३ मिक्का । ४ तलवार । क्षेत्रपाल । ५ कुदाली। ६ छनी । ७ म्यान । ८ पहाड़ी की ढलान । टंगलो-वि० (स्त्री० टंगली) पैरों से चलने में असमर्थ । ९ एक ओर से टूटा हुआ पर्वत । १० क्रोध । ११ अहंकार । टंच-वि० १ तैयार । २ पूर्ण । ३ प्रस्तुत । ४ कृपण, कंजूस । १२ टांग । १३ सुहागा। १४ चारमाशे का एक तौल। टंचरणौ (बौ)-क्रि० टांचा जाना । १५ टकमाल में सिक्कों का धातु तोलने का एक टंचर-पु. शिर, शीश। मान । १६ धनुष की डोरी पर लटकाया जाने वाला एक | टंट, टंटी-स्त्री० घुटने से नीचे का भाग । मान । १७ सम्पूर्ण जाति का एक राग। -प्रठार, अढ़ार= | टंटेर-पु०१ मरे पशु का अस्थिपंजर । २ दुर्बल प्राणी। 'अढारटंकी'। टंटेरणी (बौ)-क्रि० लटकाना, लटकाये हुए फिरना । टंकण-पु० [सं० टंकणम्] १ सुहागा। २ घोड़े की जाति टंटोळपो (बौ)-क्रि० १ ढूंढना, खोजना । २ संभालना, विशेष व इस जाति का घोड़ा । ३ एक मानव जाति देखना । ३ स्पर्श करना, छूना। ४ थाह लेना । ५ परखना, विशेष। ४ टंकित करने की क्रिया। आजमाना । ६ सहलाना । टंकरणो-देखो 'टांकणो'। टंटी-पु० १ झगड़ा, लड़ाई । २ कलह, तकरार । ३ परेशानी, टंकणी (बी)-कि० १ टंकित करना, टाईप करना। २ टांका दिक्कत । ४ उलझन । जाना । ३ देखो 'टांकणी' (बी) । ४ देखो 'टंगणी' (बौ)। टंडीरो, टंडेरौ-पु० घरेलू सामान, व्यर्थ सामान । टंकपरीक्षा-स्त्री० बहत्तर कलाओं में से एक । टंपरणो (बौ)-क्रि० छलांग, भरना, कूदना । टंकसाळ-स्त्री० १ धनुष विद्या सिखाने का स्थान । २ देखो टंपाघोड़ी-पु० बच्चों का एक खेल विशेष। 'टकसाल'। टपाडणौ (बौ), टंपारणौ (बौ), टंपावणौ (बौ)-क्रि० छलांग टकाई-स्त्री० १ टांकने का कार्य । २ टांकने की मजदूरी। भराना, कुदाना। टकामाळि, टंकाउळि-देखो 'टंकावली'। टंमको-पु०१ ध्वनि । २ शब्द, अावाज । ३ नगाड़ा । ४ चमक। टंकाडिलो-वि० बहुमूल्य, कीमती । ५ हल्का प्रकाश। टंकार-स्त्री० १ धनुष की डोरी की ध्वनि । २ कगी हुईट-पु०१ योद्धा । २ देवदार । ३ पीपल । ४ चांदी। 'टोरी गा तार से निकलने वाली ध्वनि । टोबौ-पु० पैदा, तल। टकारगौ (बी)-क्रि० १ प्रत्यंचा से आवाज करना । २ ग्राघात टक-स्त्री० १ बिना पलक झपके देखने की क्रिया या भाव । से ध्वनि करना । ३ गिनना। ४ मानना, समझना। २ नजर, दृष्टि । ३ तक, पर्यन्त । ४ स्थिति । ५ क्षण, टंकारव, टंकारी-देखो 'टंकार' । पल । ६ देखो 'टंक' । ७ देखो 'ठक' । ८ देखो 'ठाक' । टकावळ. (ळि.ळी)-वि. बहुमूल्य,कीमती। -पु० हार,कंठाहार । | टकएक, टकेक-क्रि०वि० १ पलभर, क्षणेक । २ निरन्तर । टंकी-स्त्री० १ लोहे आदि का बड़ा पात्र, कोठी । २ पानी के टकटकरणी (बी), टकटकारणी (बौ)-क्रि० १ निरन्तर देखना, लिए बनाया छोटा जल-कुण्ड । ३ धनुष । टकटकी लगाना । २ टक-टक शब्द कन्ना। टंकेत-वि० खड़गधारी, कृपाणधारी। टकोर-देखो 'टंकार'। टकटको (क्की)-स्त्री० १ बिना पलक झरके निरन्तर एक ही जगह देखने की क्रिया या भाव । २ स्थिर दृष्टि । टंकोरियो, टंकोरौ-पु० १ देवपूजन के समय बजाया जाने वाला छोटा घंटा । २ ऐसा ही छोटा घंटा जो किसी स्थान या टकटक्को-वि० (स्त्री० टकटक्की) चकित, स्तंभित । पशु के गले में लटकाया जाता है। | टकर-देखो 'टक्कर'। For Private And Personal Use Only Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra टकरणो www. kobatirth.org ( ५०९ ) टकरी (बो) क्रि० १ टकराया जाना ३ मिलना, साक्षात्कार होना । टकरार (बौ), टकरावो (बौ) क्रि० १ परस्पर भिड़ना, टकराना । २ ठोकर लगना । ३ धक्का लगाना । ४ लड़ना, तकरार करना 1 ५ सम्पर्क में प्राना 1 ६ मिलना । ७ स्वार्थ सिद्धि के लिए मारा-मारा फिरना । ८ मिलान करना, जांच करना । टकसाळ स्त्री० [टकशाला ] यह संस्था, विभाग या कारखाना जहां राज्य द्वारा प्रचलित मुद्रा व सिक्कों का निर्माण किया जाता है । टकसाळी, टकसाळोक - वि० १ टकसाल का, टकसाल संबंधी । २ सर्वमान्य, प्रामाणिक । ३ पठित। पु० टकसाल का कर्मचारी | । २ टक्कर होना । टचरको पु० १ झगड़ा, कलह । २ व्यंग, ताना । चली स्त्री० कतिष्ठा अंगली दगनिया | टच्च क्रि०वि० तुरंत, शीघ्र । टटपू जियो-वि० कम पूंजी वाला । तुच्छ साधारण । टोळी (ब) खोटो' (यो। 0 कालीवाड़ी का एक उपकरण रकाशौ (यो) देखो 'टिकारी' (बी)। टकार - पु० 'ट' अक्षर । किया किया स्त्री० टके टके के लिए व्यभिचार करने टाकेल, टाकेल, की वि० वाली स्त्री । वारी० अत्यधिक सालवी, नीच, धन-लोलुप, शूद्र । टकोर देखो 'टंकोर' । टक्कदेस - पु० एक प्राचीन देश । टक्कर स्त्री० १ दो वस्तुओंों की वेग से होने वाली परस्पर भिड़ंत | टकराव | २ धक्का, भटका । ३ ठोकर | ४ मुकाबला । ५ घाटा, हानि । टक्कूणौ, टक्कूण्यौ टखणौ पु० एड़ी के ऊपर पांव के जोड़ की हड्डी । पाद ग्रंथि । गट्टा, टखना । टग स्त्री० किसी वस्तु के सहारे के लिए या ऊंचा रखने के लिए नीचे लगाया जाने वाला खण्ड | सहारा टगटगौ-क्रि०वि० मंदगति से धीरे-धीरे । , टगटगणी (बौ) - क्रि० निरन्तर देखना, ताकना, टकटकी लगाना । टगटगाट (टौ) - पु० एक प्रकार की ध्वनि विशेष । 'का' (बी) | टगटगी ( ग्गी ) - देखो टकटकी' । टगरण - पु० छः मात्रा का एक मात्रिक गण । टगमग स्त्री० विशेष प्रकार से देखने की क्रिया । टगं - पु० घोड़े आदि का चलते-चलते अचानक रुक जाने की क्रिया । 1 गौ- पु० विशेष अवसर, समय । टचटच स्त्री० मुंह से निकाली जाने वाली एक ध्वनि विशेष | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टट्टी स्त्री० १ मल, पाखाना, शौच । २ पाखाना करने का स्थान । ३ पाखाना करने की क्रिया । ४ देखो 'टाटी' । टट्टू-पु० १ छोटे कद का घोड़ा विशेष । २ शिश्न । टट्टी-पु० 'ट' वर्ण । टडी, टट्टी-पु० स्त्रियों के भूजा का पता विशेष टण - स्त्री० १ घण्टा ध्वनि । २ टन् टन् ध्वनि । २ देखो 'टणी' । टरणकचंद (चंदजी, सींग, सोंघ) - वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ विशेष प्रभाव या मान-मर्यादा वाला । टणकाई-स्त्री०१ जोर-जबरदस्ती । २ शक्ति का गर्व । टणकार - स्त्री० घंटे या किसी धातु की वस्तु पर प्राघात पड़ने से होने वाली 'टन्' ध्वनि । रडोरी-देखो 'कोरी' | टकt - पु० [सं० टक] १ दो पैसे का सिक्का, दो पैसे । २ प्राधी टरगणंकरणी (बौ) - क्रि० टन्न्टन् ध्वनि होना । छटांक का एक तौल । ३ कर टेक्स | टमरण-स्त्री० घंटियों की ध्वनि । टमली (बी) फ० टन टन नि होना । टरियों, टणौ-पु० स्त्रियों की १ बलवान, जाली शक्तिशाली, जबरदस्त । २ विशाल बड़ा । ३ महान् भारी । पु० स्त्रियों के पांव का चांदी का एक आभूषण । (बी) क्रि० टन्न्टन् ध्वनि होना, टनटनाना । टरगणक-स्त्री० ध्वनि विशेष । टपटप हुया भाग । टप स्त्री० १ बूंद टपकने की ध्वनि For Private And Personal Use Only योनि के मध्य का उभरा २ बूंद पड़ने की क्रिया । ३ तांगे के ऊपर मोटे कपडे का बना सायबान | ४ छोटी झोंपड़ी । ५ पानी रखने का चौड़ा पात्र । टपक स्त्री० १ बूंद-बूंद टपकने की क्रिया या भाव | २ शीघ्र, जल्दी । टपकली (बी) कि० १ गिरना । २ टूट कर गिरना (फनादि) । १३ प्रतीत होना, ग्राभास होना । ४ सहमा प्रकट करना । टपकारणी ( बौ) - क्रि० १ बूंद-बूंद कर गिराना । २ फलादि गिराना । ३ प्रतीत कराना आभास कराना । ४ महमा प्रकट करना । टपकार स्त्री० To नजर कुदृष्टि । दृष्टि दोष । टपकावरी (बौ) देखो 'टपकाणी' (ब)। टपकt - पु० १ बूंद छींटा २ टपकी हुई वस्तु । टपटप क्रि०वि० टप टप ध्वनि के साथ । Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टपर । ५१० ) टलन टपर, टपरियो, टपरी, टपरी-पु० १ छोटासा छप्पर, छान । टमरियौ-पु० वृक्ष विशेष । २ झोंपड़ी, कुटिया। ३ देखो 'टापरौ' । टमरु (रू)-पु० एक प्रकार का वस्त्र । टपली-स्त्री० १ छोटी खाट । २ शिर, टाट । टमाटर-पु. लाल या हरे रंग का, खट्टा फल व इसका पौधा । टपसियो, टपसौ-पु० छोटी झोंपड़ी। टमोरौ-पु० अांख का इशाग, मटरका । टपाक-क्रि०वि० तुरंत शीघ्र । महमा । टर-पु. १ अप्रिय या कटु शब्द । २ बकवाद । ३ ऐंठन भरी टपाटप-क्रि०वि० १ जल्दी-जल्दी, शीघ्र । २ टप-टप करते बात । ४ अक्कड़, घमंड । ५ तुच्छ बात । ६ मेंढ़क की __ हुए। ३ बूद-बूद कर । -पु० बूद-बूद गिरने का भाव।। आवाज। टपूकड़ो-पु. १ तरल या द्रव पदार्थ । २ सिंह, शेर । टरकरणी (बो)-क्रि० १ धीरे से चला जाना, खिमकना । टपौ-१ देखो "टिप्पौ' । २ देखो टपको' । २ कहीं से टलना। टप्प-कि०वि० १ तुरंत, शीघ्र. झट । २ महमा । टरकारणो(बी), टरकावणी (बौ)-क्रि० १ किसी को रवाना करना, टप्पर-देखो 'टपर'। खिसकाना । २ कहीं भेजना। ३ टालना, हटाना । टब-पु० १ नांद के आकार का खुला पात्र । २ उपाय,-स्त्री० १ऐंठ, गर्व । २ भेड । ३ अपान वायु की तरकीब । आवाज । -पंच-पु. स्वतः बना पंच । टबकियौ-पु० १ छोटी डलिया । २ मिट्टी का छोटा बर्तन । | टरड़को-पु० १ क्रोध करने का भाव । २ कराहट । ३ घोड़े टबक्क-पु० शब्द, ध्वनि, रव । की एक दौड़ । ४ अपान वायु की ध्वनि । टबक्कड़ी टबरको-देखो ‘टबूको' । टरटराणी (बी), टरणारणी (बो)-क्रि० १ मेंढ़क का बोलना। टबारी-पु० १ गृहस्थी का कार्य, गुजर-बसर । २ माधारण २ बकना, बकवाद करना। धंधा, उद्योग। टळकणी (बी)-क्रि० १ कंपायमान होना। २ चीरना फाड़ना। टबूको, टबूक्को-पु० १ संगीत की ध्वनि । २ बूद । काटना, विभाजित करना । ३ डिगना । ४ टरकना, टब्बर-पु० [सं० तर्परः] कुटुंब, परिवार । खिसकना। ५ धीरे-धीरे चलना। ६ स्थान से दूर होना। टब्बा-स्त्री० राजस्थानी में संक्षिप्त भाषानुवाद । ७ लुढ़कना। ८ देखो 'टरकरणों' (बी)। टमकरणौ (बौ)-१ देखो 'टमकरणो' (बौ)। २ देखो 'तमकरणौ'(बी)। टळकारणौ (बौ)-क्रि० १ कंपायमान करना, डिगाना । टमकरणौ (बौ)-क्रि० १ चमकना, दमकना । २ झलकना । २ टरकाना, खिसकाना । ३ धीरे-धीरे चलाना । ३ प्रगट होना, मालूम होना । ४ सर्दी पाना । ५ नगाड़े ४ स्थान से दूर करना । ५ लुढ़काना । ६ देखो आदि की ध्वनि होना । ६ कांपना, कंपन होना। _ 'टरकाणौ' (बौ)। ७ टमटमाना। टमकाड़णो(बौ), टमकारणौ (बो)-क्रि० १ चमकाना, दमकाना । टळक्करणौ (बौ)-देखो 'टळकणौ' (बौ) । २ झलकाना । ३ प्रकट करना । ४ नगाड़े की ध्वनि टळ टळणी (बो)-टळटळणी (बी)-क्रि० १ बुल-बुलाना, करना । ५ कंपाना। ६ टमटमाना । ७ पलकें हिलाना । छटपटाना, तड़पना । २ कंपायमान होना । ३ रेंगना आंख मीचना। टालमटोल करना। टमकार-देखो 'टमकारौ' । टळणी (बी)-क्रि० [सं० टल] १ स्थान से अलग हटना, टमकारणौ (बो)-देखो 'टमकारणो' (बौ)। खिसकना । २ पृथक, होना, अलग होना। ३ दूर होना । टमकारी-पु० १ प्रांख मीचकर किया जाने वाला इशारा ।। ४ मिटना, निवारण होना । ५ मर्यादा से हटना । २ घड़ियाल का शब्द । ६ कर्त्तव्य विमुख होना। ७ डोलना, कांपना । ८ अस्थिर टमकावरणौ (बौ)-देखो ‘टमकाणो' (बी)। होना । ६ नाश होना, मिटना, क्षय होना । १० बचना, टमकीलो-वि० (स्त्री० टमकीली) बनावटी शृगार वाला, बचित रहना । ११ व्यतीत होना, समाप्त होना । नखरे वाला। १२ अनुपस्थित होना । १३ स्थगित होना, गुजरना, टमको-पु० साज-शृगार, नाज-नखरा । चला जाना। १४ विपत्ति आदि का टलना। १५ लागू टमचरौ-पु० मस्तक, शिर, खोपड़ी। न होना, प्रभावशील न होना । १६ ऊंट का रोग टमटम-पु० १ एक प्रकार की घोड़ा गाड़ी। २ ध्वनि विशेष । । विशेष से पीड़ित होना । १७ गाय, भैस व बकरी का दूध टमटमारणी (बी)-देखो 'टिमटिमाणो' (बी)। देना बंद कर देना। टमरकटू-स्त्री० फाख्ता पक्षी की बोली। | टलन-स्त्री० आघात, टक्कर । For Private And Personal Use Only Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रळवळपो ( ५११ ) टांगरियो टळवळरणी (बी)-कि० १ हिलना, डुलना। २ अस्थिर होना, | टहिटी-स्त्री० एक वाद्य विशेष । चंचल होना । ३ छटपटाना, तड़पना, कुल बुलाना। टहुकड़ो-देखो 'टहुकौ' । ४ व्याकुल होना, परेशान होना । ५ लालायित होना, टहुकरणौ (बो)-क्रि० १ कोयल, मोर प्रादि पक्षियों का बोलना। इच्छुक होना । ६ रेंगना, चलना। | २ ऊची व लम्बी आवाज करना । ३ ध्वनि करना । टळवळा'ट टळवळाहट-स्त्री० १ बेचैनी, घबराहट । २ हिलने- टहुकौ-पु० १ कोयल, मोर प्रादि पक्षियों की बोली । २ ऊंची डुलने की क्रिया या भाव । ३ हरकत । व लम्बी आवाज । ३ ध्वनि, शब्द । ४ लंबी व तेज टळवळारणौ (बी), टळवळावरणी (बी)-क्रि० १ हिलाना, अावाज देने का ढंग । ५ ताना, व्यंग । ६ ऊट की बोली। इलाना । २ अस्थिर या चंचल करना । ३ तड़पाना। | टहूकरणौ (बो)-देखो 'टहुकरणी' (बो)। ४ व्याकूल करना । ५ लालयित करना. इच्छा कराना। टांक-स्त्री० १ धनुष । २ देखो 'टंक' । ३ देखो 'टाकी' । ६ रंगाना चलाना। टांकडो-देखो टांकणौ'। टळवाडणौ (बो)-क्रि० खींचकर निकालना। टांकणी-पु० १ शुभाशुभ अवसर, विशेष अवसर, मुहूर्त । टलौ, टल्लो-पु० हल्कासा धक्का, टक्कर, झटका । २ ऐसे अवसर पर पड़ने वाला कार्य, घर का विशेष कार्य । टवरग-पु० [सं०८ वर्ग] ट ठ ड ढ ण इन वर्गों का समूह । ३ समय । ४ स्त्री के मासिक धर्म का समय । ५ शिल्पी का टवाली-स्त्री० १ खेत की रखवाली । २ चौकीदारी। एक औजार विशेष । ६ ऊपर लटकता हया मांस । टवौ-पु० भाले का अग्र भाग । ७ लटकाने या अटकाने की क्रिया या भाव । टस-स्त्री० १ प्रान्त भारी वस्तु के खिसकने की किया। टांकरणौ (बौ)-क्रि० १ ऊपर लटकाना, अटकाना, टेरना । २ खिसकने से उत्पन्न शब्द । ३ सिलाई करना । ३ बटन आदि लगाना । ४ चिपकाना, टसक-स्त्री. १ दर्द, कसक, टीस । २ देखो 'ठसक' । चस्पा करना। टसकरणौ (बी)-क्रि० १ दर्द से कराहना, दर्द में टसकना। कमो-वि० (स्त्री० टांकमी) १ लटकाया हुअा, टांका हुमा । २ खिसकना, हिलना । ३ कब्ज की दशा में मलत्याग के २ लटकता हुमा। लिए जोर करना। ४ चरमराना । टांकरौं-पुएक तोले का वजन । टसकाई-स्त्री० टसकने की क्रिया या भाव । टांकल-वि० कुपुत्र । टसकीलो-वि० (स्त्री० टसकीली) १ अधिक कराहने वाला। टांकल उ. टांकलौ-१ देखो 'टांकरणौ' । २ देखो 'टंक' । २ देखो 'ठसकीलो'। टांकी-स्त्री. १ पत्थर गढ़ने का लोहे का उपकरण । २ सोना, टसको-पु० १ कराहने का शब्द । २ टसकने की क्रिया या भाव। जवाहिरात आदि तोलने का तराजू । ३ देखो 'टाकी' । २ देखो 'ठसकी'। -बंद-पु० इमारत में लगे पत्थर के टुकड़ों या आमनेटसणौ (बो)-देखो ठमरणो' (बौ) । सामने की कीलों की मजबूत जुड़ाई । उक्त प्रकार से बनी टसर-स्त्री० [सं० तसर] एक प्रकार का मोटा व मजबूत वस्त्र ।। इमारत । टसरियो, टसरीग्रो, टसरीयो, टसर्यो-पु० १ ऊंट की एक टांकोली-पु० पुनर्वसु नक्षत्र का एक नाम । चाल विशेष । २ अफीम रखने का पात्र । ३ एक प्रकार टांको-पु० [सं० टकि-बंधने] १ भूमि को खोदकर अथवा का वस्त्र। ऊपर दीवार उठाकर बनाया हुआ जलकुण्ड । २ सोने टहकरणो (बी)-१ देखो'टसकणी' (बौ) । २ देखो'टहुकणो' (बी)। चांदी के आभूषणों में मिलाया जाने वाला विजातीय टहकारणी (बौ)-क्रि० १ बजाना । २ ध्वनि करना । धातु । ३ कपड़े या किसी घाव की सिलाई । ४ चोर के टहको-पु० १ वाद्य ध्वनि । २ देखो 'टहुको' । पद निह्नों की खोज । ५ भूमि संबंधी एक प्राचीन कर । टहटह-स्त्री० १ हमने की क्रिया । २ अट्टहाग । ३ ध्वनि विशेष । टांग (डो डौ)-स्त्री० [सं० टंगा] १ पैर, पांव, पग । टहटहणौ (बौ)-कि० १ वाद्य ध्वनि होना, नगारा बजना । २ रहट के कूए के भीतर लगने वाली लकड़ी। खिलखिलाना। टांगरण-दे वो 'टैगम्।। टहनी-स्त्री० वृक्ष या पौधे की छोटी शाखा । टांगरणी (बौ)-देखो ‘टांकरणी' (बी)। टहल-स्त्री०१ सेवा, खिदमत, चाकरी । २ देखभाल । ३ घूमने- टांगर-पु० भैस । फिरने की क्रिया या भाव । -दार-पु० खिदमतगार, | टांगरियो, टांगरौ-पू० १ फेरी लगाकर सौदा बेचने वाला चाकर । कमाई। व्यापारी। २ किसी बात की रट । For Private And Personal Use Only Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टांगाटोळी टाप टांगाटोळी-स्त्री० १ दोनों हाथ व दोनों पांव पकड़कर ले टासणी (बौ)-वि० १ खूब खाना-पीना । २ तृप्त होना । जाने की क्रिया या भाव । २ खींचातान । ३ वस्त्रादि जबरदस्ती धारण करना, पहनना । ४ देखो टांघरण-देखो 'टैंगण' । 'ठासणी' (बौ) । टांचरणो (बो)-क्रि० १ पीसने की चक्की आदि की टंचाई | टा-स्त्री० १ बड़वानल । २ मच्छी । -पु० ३ देवता । ४ वस्त्र । करना, टांचना । २ चोंच का प्रहार करना । ३ तीक्ष्ण | ५ तोता । ६ भजन । ७ सिद्ध । ८ यश । शस्त्र से प्रहार करना। ४ धोखे से ले लेना, हड़पना। टाक-पु० [सं० तक्षक] १ नाग क्षत्रिय वंश की एक शाखा व टांचारणौ (बो). टांचावरणो (बी)-क्रि० १ पीसने की चक्की इस शाखा का सदस्य । [सं० टक्क] २ सिंधु व व्यास नदी ग्रादि की टंचाई कराना । टंचवाना । २ तीक्ष्ण शस्त्र से के बीच का प्रदेश । प्रहार कराना । ३ हड़पवाना, धोखा कराना। टाकर-स्त्री० १ टक्कर, झपट । २ घाव, चोट । ३ जख्म पर टांची (जी)-स्त्री० प्रामदनी का धंधा, रोजी। जमने वाली पपड़ी। ४ रगड़ या घर्षण के कारण सख्त टांट-स्त्री० १ पैर, टांग । २ टाट । -वि० १ दुबला-पतला। पड़ने वाली चमड़ी । ५ धूल, रेणु । २ अशक्त, कमजोर । ३ अयोग्य । टकारु-स्त्री० ऊंटों की एक जाति विशेष व इस जाति का ऊंट । टाटणौ-पु. मांस । टाकरी-पु०१ भूमि का ऊंचा उठा हा भाग । २ ऊसर भूमि । टांटळ-देखो टांट'। ३ देखो ‘टाकर' । टांटियो-पू०१ पाट व पलंग के पायों की मजबूती के लिए लगाई | टाकी-स्त्री० १ जख्म, घाव, क्षत । २ जख्म का निशान । जाने वाली लोहे की शलाख । २ बरं नामक पतंगा। ३ बंद तरबूज या खरबूजे का काटा जाने वाला चोकौर ३ टेढ़े मुख का व्यक्ति । -वि० दुबला-पतला, अशक्त । छोटा खण्ड । टांटी, टाटौ-वि० अपाहिज, अपंग। टाचकरणी (बी)-कि० १ अाक्रमण या हमला करना । टांड-पु०१ किसी दीवार के सहारे सामान रखने के लिये लागाया २ आक्रमण के लिये तैयार होना । ३ हमले के लिये जाने वाला लम्बा पत्थर । २ मचान । ३ मकान के बीच उछलना । ४ उछल कर आगे आना । लगा शहतीर । ४ शोभा । ५ देखो 'टांडौ' । टाचरको-पु० १ विशेष अवसर, मौका । २ देखो 'टचरको' । टांडी-वि० [सं० तुण्डकम्] शोभा युक्त, सौभाग्य युक्त। टाचरणो (बो)-क्रि० १ दूर करना । २ पृथक या अलग करना । टाचरौ-पु० शिर, मस्तक । -वि० शक्तिशाली । टांडो-पु० १ अंगारा, अग्निकण । २ बनजारे के बलों का टाट-स्त्री० १ बकरी, अजा । २ बिना बालों की खोपड़ी। समूह । ३ गांव के बाहर का, पशुचर्म निकालने का स्थान । ३ कपाल । ४ शिर के बाल उड़ने का एक रोग । ५ बोरी, ४ अधिक संतान के लिये प्रयुक्त शब्द । बारदाना। -वि० १ कायर, डरपोक । २ मूर्ख, अयोग्य । टांरण, टणी-पू०१ विवाहादि विशेष कार्य । २ वह समय जब | टाटर-पू० घोडे की झल । -वि. विवस्त्र, नंगा, वस्त्रहीन । विशेष कार्य हों। ३ उत्सव का दिन । ४ त्यौहार । टाटलो. टाटियौ-वि० (स्त्री. टाटली) गंजा। ५ समय, वक्त । ६ अवसर, मौका । टाटी-स्त्री० १ बांस की खपचियों से बनी कोई प्राड़ । २ पत्थर टांनर-टूनर-देखो 'टांमण-दूमण' । की पट्टियों की दीवार ।३ छोटी दीवार । टांपी-स्त्री० १ शमी वृक्ष । २ छोटा वृक्ष । ३ झोंपड़ी । टाटौ-पु० १ खस या कांटों की बनी टट्टी । २ बकरी, प्रजा । टांमक, टांमक-पु० १ नगाड़ा। २ नगाड़े पर प्रहार या चोट । । ३ बकरा । ४ देखो 'टाटी' । टांमको-स्त्री० ढोलक । टाड-पु० ग्राभूषण विशेष । टांमटीम, टांमट्रम-देखो 'टीपटाप' । टाडूकरणौ (बौ)-देखो 'ताडूकरणी' (बी) । टांमरण-कांमण, टॉमरण-टूमरण-पु० जादू-टोना, वशीकरण मंत्र । | टाढ-स्त्री० सरदी, ठंड । टांमेर-पु० एक प्राचीन राजपूत वंश च उसका व्यक्ति । टाढौ-देखो 'ठाडौ'। टाय-टांय-स्त्री० १ पक्षियों की अप्रिय या कर्कश बोली । टाप-स्त्री० १ घोड़े का क्षर । सुम । २ इस क्षुर का बना २ बकवाद, बकझक । ३ टिट्टिभ पक्षी की बोली । चिह्न । ३ घोड़े के पांव की आवाज । ४ घोड़े के अगले ___४ चिड़चिड़ाने की क्रिया या भाव । पांव का प्रहार । ५ छान, छप्पर । ६ टाटा । ७ फिट टांस-स्त्री० धर्य, धीरज । -वि० तृप्त । किया हुया किसी का ढक्कन । ८ खिड़की या प्रालय के टांसरगौ -वि० १ मजबूत, बढ़ । २ ताकतवर, शक्तिशाली । । पीछे लगा पत्थर । For Private And Personal Use Only Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टापदार टिगस टापदार-वि० जिसमें टाप लगी हो। क्रिया या भाव । ८ अलगाव । ९ चमत्कार पूर्ण एक खेल । टापर--स्त्री०१ घोड़े की झूल । २ घोड़े की जीन का एक १० देखो 'डाळी'। उपकरण । ३ सर्दी में पशुओं को प्रोढ़ाया जाने वाला टालो-पु० १ वृद्ध व निर्बल बैल । २ ऊंट पर लदा ईधन का मोटा वस्त्र। गट्ठर । टापरियो, टापरी, टापरी-पु० १ घास-फूस का मकान, कच्चा टावळ-स्त्री० घोड़ी। मकान। २ झोंपड़ी। ३ पुराना मकान । ४ घर । -वि० टावाटेवी-पु० विशेष अवसर । आगे से मुड़ा हुअा, छोटा (कान) । टावी-पु० १ विशेष अवसर । २ समय. मौका । ३ मृत्यु भोज । टापी-स्त्री० १ पतली, सीधी व नरम लकड़ी। २ खेत में बनी टाहुली-स्त्री० टहल करने वाली, परिचायिका, दासी। झोंपड़ी। टिचर-पु. १ पत्थर गढ़ने का औजार । २ घाव पर लगाने की टापू-पु० चारों ओर से जल से घिरा हुआ भू-खण्ड, द्वीप । एक तरल औषधि । टापौ-पु. १ टक्कर । २ आघात । ३ टापरौ । टिमची टिंवची-देखो 'तिमची' । टावर, टाबरियो-पु० [सं० तर्प] १ बालक, लड़का, बच्चा-टि-स्त्री. १ पैदा । २ देवता । ३ हथिनी । ४ पुतलीघर । बच्ची, शिशु । २ संतान, प्रौलाद । ३ नादान प्राणी। ५ पृथ्वी । ६ क्षमा। -वि० १ जिद्दी । २ बहुत । ---टींगर-पु० संतान । -दार-वि० बाल-बच्चों वाला । | टिकड़ियो-१ देखो 'टिक्कड़' । २ देखो 'टिकड़ो'। -परण-पु० बचपना, नादानी। टिकड़ी-स्त्री० टिकिया। टाबरीदार-वि० बाल-बच्चों वाला। टिकड़ो-पु. एक आभूषण विशेष । टार (डी, डो)-पू० [सं० टारः] दुबला-पतला या छोटे कद | टिकटिक-स्त्री० १ घडी आदि के चलने की आवाज । का घोड़ा। २ देखो 'किचकिच'। टाळ-स्त्री०१ कंघी से बनाई गई बालों के बीच की रेखा । टिकटिकी-देखो 'टकटकी' । २ गहराई । ३ बैल के गले में बंधी घंटी। ४ पृथक करने टिकरणी (बी)-क्रि०१ किसी आधार पर ठहरना, टिकना । की क्रिया या भाव । -क्रि०वि० १ सिवाय, अलावा । २ठहरना, रुकना । ३ बसना । ४ सतह या प्राधार २ अलग करने पर। को छना। ५ बना रहना। ६ थमना, रुकना, ठहरना । टाल-स्त्री० १ ईधन की लड़कियों की दुकान । २ बूढ़ी गाय । ७पैदे में जमना । ८ दृढ़ रहना। ९ मार पड़ना। टाळरणी (बौ)-क्रि० १ पृथक करना, अलग करना । २ दूरटिकाई-स्त्री०१टिकाने की क्रिया या भाव । २ टिकाने की करना, निवारण करना । ३ मिटाना, दूर करना, नाश | मजदूरी। करना । ४ बचाना, छिपाना । ५ रक्षा करना, बचाना। टिकाउ (3)-वि० कई दिन काम में आने लायक, मजबूत, दृढ़ । ६ चुनना, छांटना । ७ स्थगित करना, आगे तय करना । | टिकारणी (बी)-क्रि० १ किसी आधार पर ठहराना, टिकाना । ८ इन्कार करना, उल्लंघन करना । ९ सबके साथ न २ ठहराना, रोकना, थमाना । ३ बसाना । ४ सतह या रखना । १० किसी स्थान से हटाना, दूर करना। प्राधार को छुपाना । ५ बनाये रखना। ६ दृढ़ रखना। टाळमळ, टाळमटोळ-स्त्री० होला, हवाला-इन्कार करने का ७ मारना, पीटना । भाव । बहाना। टिकाव-पु. १ ठहराव, पड़ाव । २ टिकने की क्रिया या भाव । टाळमौ (वौं)-वि०(स्त्री० टाळमों, टाळवी) १ चुनिंदा, विशिष्ट । ३ धैर्य । ४ रुकने का स्थान । ५ स्थाइत्व । ६ स्पर्श । २ छांटा हुआ। ७ दृढ़ता, मजबूती। टाळापोळी-देखो 'टाळमटोळ' । टिकैत-देखो 'टीकायत'। टिकोर, टि कोरियो-पु० १ वाद्य ध्वनि । २ देखो 'टेकोरो'। टाळी-स्त्री०१ पशुओं के गले में बांधी जाने वाली घंटी। टिकोरी-स्त्री. १ बढ़ई का एक प्रौजार । २ देखो 'टेकोरो' । २ देखो 'टाळो'। टाली-स्त्री० १ गिलहरी । २ वृद्ध गाय। टिकोरो-देखो 'टेकोरी'। टालउ, टाळी-पु० १ टालने की क्रिया या भाव । २ निवारण टिक्कड़-पु० १ मोटी रोटी । २ मोट। वस्त्र । -वि० मोटा, करने की क्रिया या भाव । ३ व्यतीत करने की क्रिया या दृढ़, मजबूत । भाव । ४ इन्कार । ५ रुकावट या बचाव की क्रिया या टिगटी-स्त्री० जल पात्र रखने की तिपाई। भाव । ६ निवारण करना । ७ दूर रहने या बचने की | टिगस-पु० [सं० टिकट] यात्री टिकट । For Private And Personal Use Only Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra टिचकारी टिड्डी देखी 'ती' टिपण स्त्री० चिता, जिम्मेदारी | टिप- देखो 'टप' । टिपकी देखो 'टपकी' | टिचकारणों (बौ) - क्रि० १ मुंह से टिच या किच की ध्वनि |टींचरणौ - पु० पशु के पिछले पैर का संधिस्थान । drajit (at) - क्रि० लड़ना, युद्ध करना । टोंट-स्त्री० पक्षी का विष्ठा, बींट । करना । २ इसी ध्वनि से पशुओं को हांकना, इन्कार करना, ग्राश्चर्य व्यक्त करना, पर्दानशीन श्रौरतों द्वारा संकेत देना । टिचकारी, टिचकारौ, टिचटिच पु० मुंह से की जाने वाली टिच या किच की ध्वनि संकेत । टांगळी स्त्री०] हाथ की सबसे छोटी अंगुली कनिष्ठा । टिपिम, टिडिही, टिट्टिभ-देखो 'टोटोड़ी' | www.kobatirth.org टिपण (पी) - स्त्री० काव्य आदि की टीका, व्याख्या | टिपली टिपली पु० मस्तक खोपड़ी ( २१४ । टिपटिप - स्त्री० १ बूंद-बूंद टपकने की क्रिया । २ इस क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । टिपस-स्त्री० ० उपाय, युक्ति । टिपुड़ी, टिपूड़ी- पु० (स्त्री० टिपूड़ी) छोटा बच्चा, बालक । टिपौ पु० १ गायन । २ देखो 'टिप्पी' । टिरणौ (बौ)- क्रि० लटकना, लू बना । टिलायत - देखो 'टीकायत' । टिलो, पिल्लौ-पु० धक्का, टक्कर, झटका | टिवची- देखो 'टिमची' । टिप्पस - देखो 'टिपस' । टिप्पी - पु० १ अंदाज से कही हुई बात । २ संकेत ३ याददाश्त के लिए लिखकर रखी जाने वाली इबारत ४ सांकेतिक लिखावट । ५ गेंद आदि की जमीन से टकराकर उछलने की क्रिया । ६ शुभ संयोग । ७ एक रागिनी । ८ बूंद, कतरा । ९ झौंका, झूला 1 टिमकी स्त्री० बिन्दी । टिमची स्त्री० तिपाई । जल पात्र रखने की तिपाई । टिमटिमार (बौ) ० मन्द प्रकाश देना, झिलमिलाना । तिरडी- वि० १ घमंडी अभिमानी । २ सनकी । स्त्री० १ सनक । २ गर्व । टोंगा टींगलियो, टींगो-देखो 'टेंगणी' | टोंगरी (बी) किसी चीज के लिए बड़े-बड़े तकना, लालायित होना । दीन होना । टोंगर, टौगरियो - पु० बाल-बच्चे, संतान । - टोळी - स्त्री० बाल-बच्चों का समूह । टोंगा टोळी-देखो 'टांगाटोळी' । टोंगाली (बौ), टींगावरणौ ( बौ) - क्रि० कोई वस्तु दिखा-दिखा कर ललचाना, लालायित करना । स्त्री० लड़ाई, पुढ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टोंटोड़ी, टोंटोळी, टोंटोहड़ी - स्त्री० [सं० टिट्टिभः ] जल के पास रहने वाली बड़ी चिड़िया टिटहरी । टोंडरो, टोंडसी, टोंडसों, टोंडी, टोंडो-पु० सब्जी बनाने का गेंद के आकार का एक लता फल । टींडू-पु० ० काले रंग का एक वृक्ष विशेष tant (ब) - देखो 'टींगरणी' (बी) । टीवाणी (बी) देखो 'टीमागो' (बो टी-पु० १ आकाश । २ बादल । ३ पर्वत । स्त्री० ४ पृथ्वी । ५ गर्दन । ६ हानि । टीकड़ी-१ देखो 'टिकड़ी' २ देखो 'ठीकरी' टोकल (बी) कि० टीका लगाना, तिलक करना । टीकम (मी) पु० [सं० विषम] ३ एक राजा विशेष । ४ श्रीकृष्ण । टीको वामनावतार २ विष्णु टीकर- पु० बबूल का वृक्ष । टोकलो- कमेड़ी स्त्री० १ मुनिया व्यक्ति २ दक्ष, प्रवीण । ३ पंच | टोकलौ-पु० (स्त्री० टीकली) १ शिर पर टीके वाला बैल । २ सफेद चिह्नों वाला पशुवि० तिलकधारी टीका स्त्री० किसी काव्यादि की व्याख्या, भाषा, सरल भावार्थ, अर्थ | टीकाइल, टोकाई, टीका देखो 'टीकायत' । टीकाकार पु० टीका करने वाला, व्याख्या करने वाला । टीका दौड़ स्त्री० नए राजा के गहरी पर बैठने ही पड़ोसी राज्य पर हमला करने की रश्म । . टीकायत-पु० १ राज्य का उत्तराधिकारी । २ ज्येष्ठ पुत्र । ३ पट्टशिष्य महंत का उत्तराधिकारी । ४ तिलकधारी । १ मुखिया, प्रधान, नेता । टीकाळ - वि० १ जिसके भाल में तिलक हो । 'टीकायत' । For Private And Personal Use Only २ देखो टोकी [स्त्री० गोल बिन्दु बिदी २ भाल का छोटा गोल टीका । ३ ललाट पर गोल टीके वाली गाय या भैंस । ४ एक लोक गीत विशेष । ५ स्त्रियों के ललाट पर धारण करने का एक आभूषण विशेष । टीकैत- देखो 'टीकायत' । टीकी पु० १ ललाट या शरीर पर चंदन, रोली बादि का चिह्न, तिलक । २ मंगनी के समय कन्या पक्ष की ओर से दूल्हे को दी जाने वाली भेंट | ३ राजतिलक । ४ राज सिंहासन । ५ ललाट का मध्य भाग ६ स्त्रियों का एक ग्राभूषण । Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टोचियो ( ५१५ ) टुचकारको ७ पुरुषों की पगड़ी में बांधने का प्राभूषण विशेष । ८ घोड़े टोलौ-पु०१र, टोबा । २ बालू का ढेर । ३ राजतिलक । का भाल जहां भंवरी या चिह्न होता है । ९ हैजे ग्रादि रोगों ४ अगवानी । ५ तिलक, टीका । ६ एक प्रकार का के बचाव हेतु लगाई जाने वाली औषधि की सुई । प्राभूषण । १० मृतक के पीछे बारहवें दिन को संबंधियों द्वारा टीवरणौ (बौ)-देखो 'टींगणी' (बौ)। दिया जाने वाला रुपया, वस्त्रादि सामान । ११ राजा, | टीस-स्त्री० १ तीव्र दर्द, कसक, पीड़ा । २ दर्द भरी प्रावाज, अधिपति । १२ राज सिंहासन पर बैठने पर पड़ोसी राजा चीख । द्वारा दिया गया बधाई का संदेश । टोसणी (बौ)-क्रि० १ तीव्र दर्द, होना, कसकना । २ दर्द में टीचियौ-पु०१ हल्का घाव । २ घाव, चोट प्रादि का निशान । चीखना, कराहना। टोटण-स्त्री० एक प्रकार का छोटा जानवर । टीसी-स्त्री० १ चोटी, शिखर, शिरा । २ टहनी । ३ नाक का टोटम, टीटी, टीटूड़ी-देखों 'टींटोड़ी। अग्रभाग। टोड, टीडी-देखो 'नीड' । टुकार-देखो 'टोकार'। टीडी-मळको-पु० स्त्रियों के भाल का एक प्राभूषण विशेष । टुगरी, टुंगारी-वि० तुनक मिजाज, चिड़चिड़ा। टीप-स्त्री० १ दीवार प्रादि में पत्थरों को जोड़ने के लिये टुटौ-देखो 'टूटी' (स्त्री० टुटी)। लगाया जाने वाला चूने, सीमेंट का मसाला । २ पुराने मकान टुडी-स्त्री० [सं० तुण्डी] १ ठोडी । २ नाभि । ३ देखो 'तू'डी' । की मरम्मत । ३ चूने की पिटाई । ४ गाने का ऊंचा स्वर | टु-पु० १ हाथ । २ सुहागा । ३ मुर्गा । ४ मुकुट । ५ चोटी। तान, अलाप । ५ चंदे का धन । ६ चंदा देने वालों की | ६ सुदर्शन चक्र ।। नामावली । ७ खर्च का ब्योरा । ८ याददाश्त के लिये टक-वि० १ किंचित, थोड़ा, न्यून । २ देखो 'टक'। की जाने वाली लिखावट । ६ संगीत का स्वर विशेष । ३ देखो 'ट्रक'। ४ देखो 'टुकी'। १० वाद्य ध्वनि । -वि० अत्यधिक ठण्डा । -टाप-स्त्री० टुकड़-१ देखो 'टिक्कड़' । २ देखो 'टुकड़ो' । तैयारी, सजावट । दिखावटी शृगार । मरम्मत । टुकड़गदाई-स्त्री. भीख मांगने का कार्य । -वि० सजा हुमा, तैयार, पूर्ण । टुकड़गदौ, टुकड़तोड़-पु. १ भिखारी। २ रिश्वतखोर । ३ केवल टीपणी-स्त्री० १ चंदे की सूची। २ देखो 'टिपणी' । उदर पूर्ति का ध्यान रखने वाला । ४ मुफ्त की खाने टीपणौ-पु० [सं० टिप्पनकम्] तिथि-पत्रक, पंचांग । वाला । टीपरणी(बी)-क्रि० लिखना, अंकित करना । टांकना । टुकड़ी-स्त्री० १ करघे से बुना एक मोटा कपड़ा। २ मांस रखने टीपर, टीपरियो, टोपरी, टीपरी-पु० घी, तेल दूध आदि लेने का बर्तन । ३ सेना का एक दल, भाग । ४ छोटा खेत । ___का उपकरण जिसके खड़ा डंडा बना होता है। टुकड़ेल, टुकड़ेल-वि० १ भिखारी । २ रिश्वतखोर । ३ खिलाने टीपाटीप-वि०१ पूर्ण भरा हमा, लबालब । २ शौकीन । वाले का पक्षधर । टोबर, टीबरण, टीबरणी-स्त्री०१ एक वृक्ष विशेष जिसके पत्तों टकडो-पू० [सं० स्तोक] १ खण्ड, टुकड़ा । २ अंश, भाग । बाड़िया बनता है । २ एक पाधा जिसका पत्तिया ३ रोटी का कोर । ४ रिश्वत का पैसा । औषधि के काम प्राती हैं।। टुकइक, टुकियक-वि० १ थोड़ासा, तनिक । २ क्षण या निमिष टोबरौ-पु० १ फूटा हुप्रा मिट्टी का जल पात्र । २ देखो 'टीबर'। मात्र। टीबी-स्त्री०१ क्षय रोग । २ छोटा टीबा । ३ एक देश टुकरी-स्त्री० रोटी। का नाम । टुकिया, टुकी-स्त्री. स्त्रियों के उरोज पर रहने वाला चोली टीबो-पू० १ बालू का पहाडनुमा । २ रेगिस्तानी पहाड़ी। का भाग। टीमक-स्त्री० खरगोश के शिकार में काम आने वाली कावड़ । टुक्कड़-१ देखो 'टिक्कड़' । २ देखो 'टुकड़ो' । टीमरु, टोमरुऔ-पु० लक्कड़बग्घा । टुग-देखो 'टुक' । टीमल-पु० कार्य, कान कृत्य । टुगटुग-क्रि०वि० धीरे-धीरे चलते हुए। टोली-स्त्री०१ बिन्दी', तिलक । २ एक प्रकार का प्राभूषण । टुगमुग-क्रि०वि० एक टक देखते हुए । ३ गिलहरी। टुगर-स्त्री० स्थिर दृष्टि से देखने की क्रिया या भाव । टोलु (लू)-देखो 'टीलो'। टुचकार-देखो 'टिचकारी'। टोलोड़ी-स्त्री० गिलहरी। टुचकारणी (बी)-देखो 'टिचकारणो' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चको टूटरपो टुचको, टुचियो-वि० १ छोटे कद का, नाटा । २ तुच्छ चरी-स्त्री० हथौड़े के समान एक अौजार विशेष । साधारण । ३ अोछे स्वभाव का। टूट-स्त्री० १ हाथ-पांवों में होने वाला एक वात रोग । टच्चापण (परणो)-पु० अोछापन, नीचता, धूर्तता । २ इस रोग के कारण हाथ-पैरों में होने वाला मोड़ । टुच्ची-वि० चालाक, धूर्त, नीच । ३ एहसान, आभार । ४ फोग वक्ष का एक रोग । टुटरूटू-स्त्री० फास्ता नामक पक्षी की बोली। ५ नकल। टुणटुरगाट, टुणटुणाहट , (टो) स्त्री० १ बकवाद । २ टन-टन् | टूटउ-१ देखो 'टूटो' । २ देखो 'ठौ'। ध्वनि । ३ तुनतुनाहट । टूटी-स्त्री० [सं० त्रोटी] १ पानी के नल के प्रागे लगा टुणटणी-स्त्री० एक वाद्य विशेष । उपकरण । २ जल-पात्र ग्रादि के लगी नलिका। टुरिणयो-देखो टणी' । हँटो, हँट्यौ-वि० (स्त्री० टूटी) १ वात रोग से मुड़े हुए हाथटुबकियो-पु० १ मिट्टी का छोटा जल-पात्र । २ छोटी डलिया, पांव वाला । २ हाथों से अशक्त । ३ बिना हाथों का। टोकरी। दड-देखो 'तुड' । टुरण-स्त्री० आवेग, क्रोध । हूँडाळ, हँडाहळ-पु० [सं० तुण्डम् ] सूअर, वराह । दरणी (बी)-कि० १ रवाना होना, जाना । ३ लालायित होना, दडी-१ देखो 'टुडी'। २ देखो 'डी' । तकना। ३ चलना । ४ गिरना, ध्वस्त होना । ५ खिसकना।टूडो-पु० पैदा, तल । टुराणी (बी)-कि० १ रवाना करना, भेजना । ३ लालायित हूँपणी (बी)-कि० १ गला घोंटना । २ फांसी देना । ३ गले करना, तकाना । ३ चलाना । ४ गिराना, ध्वस्त करना । में फंदा डाल कर कसना । ४ किसी कार्य के लिए मजबूर ५ खिसकाना। करना। दुळ -वि० पृथक, अलग, विलग । दपियौ टूपी-पु०१ फांसी । २ गला घोंटने की क्रिया या टुळक-स्त्री० गुदगुदी (मेवात)। भाव । ३ गला घोंट कर की जाने वाली प्रात्महत्या । टुळकरणो (बो)-क्रि० १ मंद गति से चलना । २ धीरे से। ४ खाते समय गले में खाना अटकने से होने वाला कष्ट । खिसकना, जाना । ३ इधर-उधर घूमना, फिरना ।। ५ एक कंठाभरण विशेष । ६ श्वास अवरोधन । ४ टपकना, छलकना । ५ अस्थिर या चंचल होना। ₹म-स्त्री० १ प्राभूषण, गहना । २ हंसी-मजाक । ३ नकल । टुळकाणी (बो)-क्रि० १ मंदगति से चलाना । २ धीरे से टू-पु० १ वाहन । २ गणेश । ३ डर, भय । ४ भार, बोझा। खिसकाना, भेजना । ३ इधर-उधर घुमाना, फिराना। -स्त्री० ५ दौड़ । ६ मारवाड़। ७ छाया। ४ टपकाना, छलकाना । ५ अस्थिर या चंचल करना। | टूक-पु० [सं० स्तोक] १ खण्ड, टुकड़ा । २ देखो 'टूक'। टळलौ(बी)-क्रि०१पीछे-पीछे जाना । २ देखो 'टुळकणी' (बी)। -क्रि०वि० टूटता हुआ । टळाणी (बी)-क्रि० १ पीछे-पीछे रवाना करना । २ देखो टूकड़-१ देखो 'टुकड़ो' । २ देखो 'टूक' । 'टुळकाणी' (बौ)। टसी स्त्री० स्त्रियों के गले का एक प्राभूषण । टूकियो, टूकीयौ, दक्यौ-पु० १ जोर से पुकारने के लिए किया टू-स्त्री० ध्वनि विशेष । जाने वाला शब्द । २ देखो 'टूकियो । ट्रक-पु०१ पर्वत की चोटी । २ शिखर । ३ छोटा टांका, | ट्रकू-एक प्रकार का वस्त्र । सिलाई। टूट-स्त्री०१ खण्डन, खण्डित होने की क्रिया । २ टूटा हा टू ककनौ-पु० एक जाति विशेष का घोड़ा। भाग, खण्ड । ३ विच्छेद । ४ जब कोई क्रम न हो। टूकली-स्त्री० छोटी पहाड़ी। ५ टूटन। ट्रकियौ,,क्यो-पृ०१ निगरानी करने के लिए बैठने का ऊंचा टणौ (बी)-क्रि० [मं० ट] १ खण्ड-खण्ड या टुकड़े होना। स्थान । २ ऐसे स्थान पर बैठकर निगरानी करने वाला २ खण्डित होना । ३ विभक्त होना । अलग होना । व्यक्ति । ३ इस कार्य का पारिश्रमिक । ४ भालू, रीछ । ४ विच्छेद होना । ५ क्रम भंग होना । ६ शरीर का अंग हूँच-स्त्री० [सं० श्रोटि] १ चोंच । २ नोक, प्रणी। उखड़ना । ७ जोड़ ढीला पड़ना । ८ निष्क्रिय होना, बेकार ३ देखो 'टू'चको'। होना । ६ शरीर में दर्द होना । १० कमजोर या अशक्त हूँचको-पु० १ किसी वस्तु का तीक्ष्ण भाग । २ छोटा काष्ठ होना। ११ झपट कर आक्रमण करना । १२ दरिद्र खण्ड । ३ फल या पत्ते के साथ लगा डण्ठल । होना । १३ क्षय होना । १४ विक्षेप होना, व्यवधान हूँ चरणौ (बौ)-देखो ‘टांचगौ' (बौ)। पड़ना । १५ स्थानच्युत होना। For Private And Personal Use Only Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टूटोड़ो टूटोड़ी, टूटो-वि० (स्त्री० टूटोड़ी)१ भग्न, खण्डित, उखड़ा हुअा। टेणी (बौ)-क्रि० चूल्हे पर चढ़ाना । २ अशक्त । ३ क्षत। -फूटौ-वि० भग्न, खण्डित । टेपौ-वि० मुड़ा हुअा (कान) । टूपौ-देखो 'टूपौ'। टेभौ-पु० सूअर का बच्चा, छोटा सूअर । दूर-पु० १ अधिक बच्चे । २ बहुत अधिक अफीम खाने वाला, टेर-स्त्री०१ शब्द, अावाज । २ बुलाने की ऊंची आवाज । ___अफीमची। -वि० १ अतिवृद्ध । २ मूर्ख । __३ गाने का ऊंचा स्वर । ४ पुकार, प्रार्थना । ५ रट । टूळियो, टूळो-पु० तनेदार करील का वृक्ष । ६ गाने या पद की पहली पंक्ति जो बार-बार गाई टे-स्त्री० १ एक ध्वनि । २ तोते की बोली । ३ बकवाद, जाती हो। बकझक । टेरणौ (बो)-क्रि० १ शब्द करना, पावाज करना। २ ऊंची टेंकिका-स्त्री० [सं०] ताल का एक भेद । पावाज से किसी को पुकारना । ३ बुलाना । ४ प्रार्थना टंकी-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का नृत्य । २ शुद्ध राग का करना । ५ रटना, रट लगाना। ६ ऊंचा स्वर लगाना, एक भेद । तान लगाना। ७ लटकाना । टॅगरण-पु० १ ऊट । २ देखो 'टेगरण' । टेरी-पु० गाढ़े द्रव पदार्थ की वूद । -वि० १ मूर्ख, मूढ़ । टेंट-पु. १ गर्व, अभिमान । २ करील वृक्ष का फल । ऐंचाताना, भंगा । टेंट वो, टेंटुग्रो, टेंटुवा-पु० गर्दन के आगे उभरी हुई ग्रंथि । टेव-स्त्री० [सं० स्थापयति] १ आदत, बान । २ अभ्यास । म्वरयंत्र । __३ प्रकृति, स्वभाव । ४ प्रथा, रीति । ५ देखो 'टेक' । टॅलो , टेलवी-देखो ''लव'। टेवकी-स्त्री० १ एक मात्र सहारा । २ मदद, सहायता । टे-स्त्री० १ स्त्री । २ पक्षी। ३ प्रोत्साहन का भाव । ४ द्वार के चौड़े पत्थर के नीचे टेक-स्त्री० १ हठ, जिद्द । २ प्रण, प्रतिज्ञा, मर्यादा । ३ मान, का पत्थर। ५ किसी वस्तु के लिये लगाया जाने वाला प्रतिष्ठा । ४ गीत या पद की टेर । ५ प्राथय, अवलम्बन । सहारा। टेकरणो (बी)-क्रि० १ तन्मय करना, मग्न करना । | टेवको-पू० सहारा । २ स्थित करना, टिकाना । ३ अन्दर डालना, घुसाना, | टेवटियो, टेवटी-देखो 'तेवटौ' । पैठाना । ४ हाथ की वस्तु गिराना, फेंकना । ५ एक वस्तु टेवांटेऊ-पु० ग्राश्रय, महारा। में दुमरी डाल्ना, छोड़ना । ६ कार्य भार डालना, टेवौ-प० [सं०टिप्पन] जन्म, लग्न, राशि प्रादि का पत्र, जन्मजिम्मे छोड़ना थोपना । ७ लगाना, उपयोग करना। पत्रिका । ८ महारा लेना, आश्रय लेना । ९ आधार पर रखना, टेसू-पु० [सं० किसुक] पलाश या ढाक का फूल । ठहराना । १० देखो 'टिकाणी' (बी)। टैगण, टैगणियो-पु० १ टट्ट । २ देखो 'टॅगणो' । टेकर, टेकरी-स्त्री० छोटी पहाड़ी । टैगणी-वि० (स्त्री० गणी) १ छोटे कद का, ठिगना, नाटा, टेकळी-वि. १ बढ़ प्रतिज्ञ । २ प्रण निभाने वाला । बौना । २ देखो 'टेंगण' । ३ आन-बान वाला। -पु० बड़ी जू। टैगार-स्त्री० मद, अहंकार, गर्व । टेको-पु०१ बड़ा व मोटा रस्सा । २ आवेष्टन, बंधन । ३ साहस, टेगारी-वि० अहंकारी, गविला। सहारा । ४ देखी 'टांको'। ५ देखो ठेको' । टैधण-देखो 'टंगण'। टेगड़ियो, टेगड़ी-पु० (स्त्री० टेगड़ी) कुत्ता, श्वान । टेटौ-पु०१ वट वृक्ष या पीपल वृक्ष का फल । २ कच्ची ककड़ी। टेटुवो-देखो 'टेंटुवो' । ट-पु. १ भाई का लड़का, भतीजा । २ अाकाश, नभ । ३ धन, टेदरणी-पु० बर्तन विशेष । द्रव्य । ४ भोजन, भक्षण । ५ शत्रु, दुश्मन । ६ अंधा टेडौ-वि० (स्त्री० टेडी) १ जो सीधा न हो, टेढा, वक्र ।। प्राणी । ७ पुत्र का पुत्र, पौत्र । २ कुटिल । ३ किसी ओर झुका हुआ । ३ तिरछा । ४ मुश्किल, कठिन, पेचीदा । ५ अड़ियल, उदण्ड, उग्र ।। टेणियौ-पु० १ बर्तन विशेष । -वि० १ नाटा, बौना । २ देखो 'टैगणी'। टेढ़-स्त्री० १ वक्रता टेढ़ापन। २ तिरछापन । ३ कुटिलता ।। ४ मुश्किल, कठिनाई । ५ उद्दण्डता, उग्रता। -विडंगो. 'गी-स्त्री० पेड़ यादि की टहनी, शाखा । वेद गौ-वि. टेढ़ा-मेढ़ा, बेढ़गा, वेडौल । टे'रणौ-वि० (स्त्री० टै'गी) १ बौना, नाटा, ठिगना । टेढ़ाई, टेढ़ापरण-स्त्री० टेढ़ापन, वक्रता । २ देखो 'टगो' । ३ देखो 'टैगणो' । टेढ़ो-देखो 'टेडो' । (स्त्री० टेढ़ी) | टेर-पु० १ शिर, मस्तक (मेवात) । २ दे खो 'टेर' । For Private And Personal Use Only Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टरको रेरको-पु० १ किसी विशेष बात का संकेत । २ नखरा । टोड-पु० १ ऊंट । २ युवा मादा ऊंट । ३ चमक-दमक । ४ व्यंग्य वाक्य, कटु शब्द । ५ गर्व, | टोडको, टोडड़ी-स्त्री० १ मादा, ऊंट । २ ऊंट का मादा अभिपान । ६ गुस्सा, क्रोध । ७ ठसक । बच्चा । टल-देखो 'टहल'। टोडडो-पु. १ युवा ऊंट । २ ऊंट का बच्चा। ३ देखो 'टोडौ' । टे'लणौ (बौ)-क्रि० १ वायु सेवन के लिए घूमना । २ शौकिया टोडती-स्त्री० ऊंट का मादा बच्चा। घूमना, फिरना। टोडर-पु० १ हाथी । २ पुरुष के पावों के स्वर्णाभूषण विशेष । टे'लदार-देखो 'टहलदार'। टोडरमल (ल्ल)-पु. एक लोक गीत । टेलवो, टेलियौ-पु० नौकर, चाकर, सेवक, टहलुवा । टोडरू-पु० पक्षी विशेष (मेवात)। दोंक-१० तलवार का सबसे नीचे का नुकीला भाग । टोडरी-पु० स्त्रियों के पैरों का आभूषण विशेष । टो-पु. १ नारियल । २ लगन । ३ चंपक । ४ चोटी। टोडियो-पु. ऊंट का बच्चा। ५ दांत । ६ गुरु । टोडी-स्त्री० १ एक रागिनी विशेष । २ कूए पर लगा पत्थर टो'-देखो 'टोह'। विशेष । ३ दीवार आदि में चुने पत्थर का बाहर निकला टोक-स्त्री० रोक, मनाही, नियंत्रण, चौकसी। हिस्सा । ४ देखो 'टोड' । टोकणी. टोकरणौ-पु० धातु का बना एक बर्तन विशेष । | टोडौ-पु० १ छज्जे से सहारे का ऊंचा उठा हुमा भाग । टोकणी (बौ)-क्रि० १ मना करना, निषेध करना । २ कुछ २ कच्चे मकान की दीवार का ऊंचा उठा हुआ भाग । करने से रोकना । ३ विरोध करना । ४ चौकसी करना। ३ मकान के द्वार पर प्राड़ के लिये बनाई गई दीवार । टोकर-पु० १ आभूषण विशेष । २ देखो 'टोकरौ' । ४ जमीन की सरहद का पत्थर । ५ घोड़े के मुख के टोकरियो-पु० १ प्रारती करने का छोटा घंटा, वीर घंटा।। आकार का बना लकड़ी का उपकरण । २ देखो 'टोकरौ'। टोपी (बौ)-क्रि० १ अांखों में अंजन डालना । २ संवारना । टोकरी-स्त्री० १ बड़े तालाब के समीपस्थ थोड़ी सी जमीन । __ ३ देखो 'टोहणौ' (बौ)। २ खपचियों की डलिया, छाब । ३ डलिया। टोनौ-पु. जादू-टोना, तान्त्रिक क्रिया । टोकरी-पु० १ बांस आदि की खपचियों का बना डलियानुमा बड़ा पात्र । टोकरा । छबड़ा । २ देखो 'टेकोरी'। टोप-पु० [सं० ष्टुप्] १ शिरत्राण । २ शिर की टोपी । टोकळ (छौ)-पु० १ बड़ी जू। २ किसी विशिष्ट व्यक्तित्व के ३ तरल पदार्थ की बूद। प्रति व्यंग । -वि० मुर्ख । टोपरौ-पु० फल विशेष । टोकार-स्त्री० कुदृष्टि, नजर। दृष्टिदोष । टोपलो-स्त्री. १ डलिया, टोकरी। २ देखो 'टोपी' । टोको-स्त्री० शिखर, चोटी। टोपलो-पु० १ बड़ा टोकरा । २ देखो 'टोप'। टोगड़, टोगड़ियौं, टोगड़ौ, टोघड़, टोघड़ियो, टोघड़ी-पु० टोपसी-देखो 'टोपाळी' । सं० तोक] (स्त्री० टोगड़ी) गाय का बछड़ा । -वि० मूर्ख, गंवार। टोपाळी-स्त्री० नारियल की जटा के नीचे के शक्त भाग की टोचको-पू. १ अंगुलियों के जोड़ पर किया जाने वाला प्रहार ।। ___ कटोरी। २ व्यंग, टोंट । ३ शिर, मस्तक । ४ देखो 'टूचकौ'। टोपियो-पु० १ बर्तन विशेष । २ देखो टोपो' । टोट-वि० १ हृष्ट-पुष्ट, शक्तिशाली । २ देखो 'टोटौ' । टोपी-स्त्री० १ शिर पर धारण करने का टोपा, छोटा टोपा । टोटको-पु० १ किसी व्याधि की रोकथाम के लिए किया जाने २ अनाज के दानों पर होने वाला छिलका । ३ कटोरी वाला तांत्रिक प्रयोग । २ जादू-टोना । नुमा कोई प्रावरण । ४ बन्दूक का पटाखा । ५ लिंग का टोटरु-पु० पक्षी विशेष (मेवात)। अग्र भाग। ६ विष्णु मूर्ति के शिर का आभूषण, मुकुट । टोटलो-पु० भुना हुया चना । टोपी-पु०१ शिर पर से कान तक ढकने का वस्त्र विशेष, टोप । टोटी-स्त्री० [सं० वोटि] स्त्रियों का कर्णाभूषण । - झूमर. २ शिरत्राण । ३ रहट के स्थंभ के नीचे लगा लोहे का झूमरी-स्त्री० उक्त प्राभूषण में संलग्न करने का अन्य टुकड़ा । ४ तरल पदार्थ की बूद । ५ देखो 'टोयौ' । प्राभूषण । -सांकळी-स्त्री० ग्राभूषण विशेष । ६ खण्ड, टुकड़ा टोटो-पु० [सं० बोट] १ घाटा, हानि । २ अभाव, कमी। टोय-स्त्री० १ आँख का पिछला छोर। २ चोटी, शिखर । ३ शहनाई से मिलता-जुलता एक वाद्य विशेष । २ देखो टोह'। For Private And Personal Use Only Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टोयो टोयो-पु०१ स्त्री की योनि के मध्य का उभरा भाग। २ खैराद | टोळी-स्त्री० १ दल, झुण्ड, समुदाय । २ पंक्ति, कतार । की लकड़ी में लगी लोहे की कील । ३ ऊपरी शिरा। टोळू, टोळी-पु. १ झुण्ड, समूह । २ संघ, गुट । ३ एक ही टोर-स्त्री० कटारी। जाति के पशुओं का झुण्ड । ४ घर। ५ बड़ा पत्थर । टोरड़ियो, टोरडो-देखो 'टोडियो' । -वि० मूर्ख, गंवार। टोरणी (बौ)-क्रि० १ पद चिह्नों को पहचानना । २ पद | टोवरण-स्त्री० ऊंट की नाक में लगी लकड़ी के बंधा सूत का फंदा । चिह्नों के आधार पर चोर का पीछा करना । ३ देखो टोवारव-पु. ध्वनि विशेष । 'टोळणी' (बी)। टोवाळी-देखो 'टवाळी' । टोराबाज-वि०डींग हांकने वाला गप्पी। टोह-स्त्री०१ ध्यान । २ सजगता । ३ तकन, ताक । ४ खोज, टोरियो, टोरौ-पु० १ डींग, गप्प । २ भावावेश में कही बात । तलाश। ५ पता, खबर। ६ स्रोत । ३ असत्य बात । ४ गेद आदि के लगाई जाने वाली चोट || टोहणौ (बो)-क्रि० १ दर्द के स्थान पर सेक करना । २ गर्म टोळ (ल)-पु० [सं० प्रतोली] १ निवास स्थान, घर । पानी का सेक करना । ३ दर्द वाले स्थलों पर पाक का २ बड़ा पत्थर । ३ सम्पूर्ण जाति का एक राग । दूध लगाना। ४ पिशाच । ५ देखो 'टोळी' । टौंस-स्त्री० [सं० तमसा] अयोध्या के पास की छोटी नदी। टोळगइ-स्त्री० [स. टोलगति] वंदना संबंधी एक दोष । (जैन) टो-पु०१ छत्र । २ बैल । ३ समुद्र । ४ पुरुष । ५ दावानल । टोळरणौ (बी)-क्रि० चलने के लिए प्रेरित करना, हांकना । ६ नीति ।। टोळाटोळ-स्त्री० भीड़-भाड़ । । द्विइयास-वि० [सं० स्थितिका] स्थिति वाली। (जैन) ठ-देव नागरी वर्णमाला का बारहवां वर्ण । । ठंडकार-पु० ठंडा मौसम, सर्दी । ठं-पु. १ शरद। २ पानी । ३ मदिरा । ४ अमृत । ठंडाई-स्त्री० १ शरीर में तरी या ठंडक लाने वाला पेय । ५ बंसत । ६ छिद्र । -वि. निर्मल, स्वच्छ । २ शीतलता । ठंठ-वि० [सं० स्थाणु] सूखा हुआ, शाखाओं रहित । ठंडी-स्त्री० १ शीतला, चेचक । २ देखो 'ठंड' । -पु० मूखा पेड़ । ठंडोड़ो, ठंडौ-वि० [सं० स्तब्ध] (स्त्री० ठंडी) १ शीतल, ठंठरण-स्त्री० मूर्खता। -पाल-वि० मूर्ख, गंवार । ठंडा । २ सर्द । ३ शीतलता देने वाला । ४ उष्णता ठंठारणो (बो)-क्रि० १ दूसरे का माल हड़पना । २ वस्त्रादि रहित । ५ बुझा हुअा। ६ शांत । ७ नामर्द, नपुंसक । धारण करना । ८ उत्साह रहित । ९ अचंचल । १० सुस्त, कमजोर । ठंठारी-स्त्री० जुखाम, ठंड, सर्दी । ११ मरा हुमा, प्राण रहित । १२ पूर्व का बना, बासी । ठंठियौ-पु० सूखी लकड़ी, पेड़ी मात्र । -पु० बासी खाना । -ठरियो, बासी-पु. शीतलाष्टमी ठठेरणी (बौ)-क्रि० १ झटकना । २ हल्की-हल्की, चोटें मारना, | के समय खाया जाने वाला ठंडा खाना, बासी भोजन । प्रहार करना । ३ हिलाना । -ताव-पु. शीतल ज्वर । -पौ'र-पु० सूर्योदय या ठंठेरौ-देखो ‘ठठारौं' । सूर्यास्त का काल जब गर्मी कम होती है। ठंठोरणौ (बौ)-देखो 'ठठेरणो' (बी)। ठंढ़-देखो 'ठंड' । ठंठो-देखो 'ठंठ' । ठंढ़ाई-स्त्री० १ विश्रान्ति । २ देखो 'ठंडाई' । ठंड-स्त्री० १ शीत , सर्दी, जाड़ा । २ शीतकाल । ठंढ़ि-देखो 'ठडी' । ठंडक-स्त्री० १ शीतलता। २ तृप्ति । ३ संतोष । ४ उष्णता | ठढ़ो-देखी 'ठंडौ' (स्त्री० ठंढी)। की शांति । ५ तरी। ६ महामारी या उपद्रव शान्त ठ-पू० [सं०] १ चन्द्रमा । २ बहस्पति । ३ ज्ञानी । होने की अवस्था । ७ क्रोध की समाप्ति । ४ महादेव । ५ थोकृष्ण । ६ वेग । ७ बादल, मेघ । For Private And Personal Use Only Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ठइट वि० [सं०] स्थगित ] का हुआ (जैन) । www.kobatirth.org वाचाल, वक्ता । ९ रव । १० सूर्य या चन्द्र मण्डल | ११ वृत्त । १२ शून्य । १३ पवित्र स्थान । १४ मूर्ति । १५ देव । ठउडरगो (बौ) - क्रि० अपमान करना । ( ५२० ) इत पु० [सं० स्थापित ] साधु के निमित्त पृथक रखा ठगारी - वि० ठग, धूर्त । पदार्थ । (जैन) गो-देखो 'गाई' ठकार - पु० 'ठ' अक्षर । ठकावळ-स्त्री० टक्कर, धक्का | ठकठकाणी (बौ) - क्रि० १ किसी वस्तु पर चोट कर ठक-ठक ध्वनि पैदा करना । २ बजाना, ठक-ठक करना । ३ खटखटाना, ठोकना । ४ बजा कर देखना, जांच करना । | ठकठोळी स्त्री० हंसी मजाक, ठिठोली । ठको स्त्री० [१ ठाकुर की पत्नी २ मालकिन, स्वामिनी । ३ लक्ष्मी । ठकराई - देखो 'ठकुराई' । ठकाणी देखी ठिकांणी' | ठक-स्त्री० १ प्रघात या टक्कर से उत्पन्न ध्वनि । ठगोसरी - वि० (स्त्री० ठगोसरी) ठग, छलिया । २ संकेतात्मक ध्वनि । ठकुर देखो 'ठाकर'। - - । ठकुरांखी स्त्री० ठाकुर की पत्नी ठकुराई-स्त्री० १ शासन हुकुमत 1 २ राज्य जागीर । ३ स्वामित्व, अधिकार कब्जा । ४ धाक, रोब । ५ घमण्ड, गर्व 1 " ठकुरात ठकुरापत स्त्री० ठकुराईम ठकुर देखो 'ठाकरे' | उप-वि० [सं० ठक) (स्त्री० उगा उगणी) १ छल या ] धोने से लूटने वाला २ दलिया पूर्त ३ भ्रम या भुलावे में डालने वाला । ठगठगतउ - वि० स्तंभित । ठगठगी-स्त्री० ० स्तब्धता, विस्मय । ठगठगी - वि० (स्त्री० ठगठगी) १ चकित, स्तब्ध ठगासा । २ अस्थिर, डांवाडोल । ठगरण - पु० छंद शास्त्र में ५ मात्राओं का एक गए । ठगणी-स्त्री० १ ठगने की क्रिया या भाव । २ ठगी करने वाली स्त्री । ठगाठगी - स्त्री० धूर्तता, धोखेबाजी । ठगरणी (बी) - क्रि० १ छल या भुलावे में डालकर धन लूटना । २ दगा देना, धोखा करना । ३ व्यापार में बेईमानी करना । ४ भ्रम में डालकर अनुचित कार्य कराना । उपलो, उपवाजी विद्या०१र्तता, चालाकी। २ ठगने की क्रिया या भाव। ठगांण, ठगाई - स्त्री० १ धोखा, नुकसान, हानि । २ ठगने का कार्यं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठगोरी - स्त्री० ठगों की विद्या । वि० धोखा देने वाली । ठगोरी-देखो 'ठग' । ठरण स्त्री० [१] पोड़ के नाक की ध्वनि २ बंदूक की आवाज । ठ'ड़णी (बौ) - देखो 'ठरड़गो' ( ब ) । टपु० [सं०] स्थाता]] १ बहुत से लोगों का समूह, भीड़, झुण्ड । २ ढेर, समूह । ठटरी - स्त्री० अस्थिपंजर हड्डियों का ढांचा । उट्ठी ५०१ हंसी, विनोद २' प्रक्षर oorjit (at) - देखो 'ठिठकरणों' (बी) । 1 ठठकार - स्त्री० १ दुत्कार, डांट-फटकार । २ शाप, बद्दुआ । ३ अत्यधिक शीत, सर्दी वि० पापी, दुष्ट उठकारो (बी) क्रि० १ दुत्कारना, डांटना फटकारना २ शाप देना, देना बदुग्रा ३ तिरस्कार या अपमान , करना । oor (at) - क्रि० घुसना, पैठना, प्रविष्ठ होना । ठठर- वि० ० सिकुड़ा हुआ। स्त्री० तलवार । ठळणी (यौ) - कि० बेकार होना, धनुपयोगी होना। टठार, ठठियार-देखो 'ठठारौ' । For Private And Personal Use Only यठारा - स्त्री० धातु के बर्तन बनाने वाली जाति । - उठारौ पु० (स्त्री० [टहारण, उठारी) १ उक्त जाति का व्यक्ति । २ घरेलु सामान । ३ घर की दशा । ४ प्रार्थिक स्थिति । ठठुरी-स्त्री० तोप का ठाठा | ठठेरी (ब) देखो 'र' (बौ ठठेरी-देखो 'हठायें। उठोरणी (ब) देखो 'खो' (बी)। ठठोळ (ळी) - स्त्री० हंसी, दिल्लगी। ठठौ ठट्ठियौ-पु० १ 'ठ' अक्षर । २ विनोद | , उठो (की) देखी 'उठोळ' | ठढ़ौ, ठढौ - वि० खड़ा, स्थिर । की (बी) कि० १ किसी धातु की वस्तु पर प्रापात से ठन्-ठन् ध्वनि होना । २ वाद्य, बजना । ३ अनिष्ट का मन में आभास होना । ४ दर्द, पीड़ा होना, कसकना । ५ भागना । ठरण, ठणक - स्त्री० १ धातु की वस्तु से होने वाली ठन् ध्वनि । ग्रावाज । २ वाद्य ध्वनि । Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठणकारणी ( ५२१ । ठरणा ठणकाणी (बो) क्रि० १ किसी वस्तु पर प्राघात से टन्-टन् ध्वनि | ठरक-स्त्री० १ हानि, नुकसान । कमी। २ देखो 'ठसक' । पैदा करना । २ वाद्य बजाना । ३ अनिष्ट का आभास | ठरकणी (बी)-क्रि० १ होना । २ पीटा जाना । ३ देखो देना । ४ भगाना। 'टरकरणी' (बौ)। ठणकार-स्त्री०१ ध्वनि विशेष । २ टणकार । ठरकाणी (बी), ठरकावणी (बौ)-कि० १ करना । २ पीटना, ठणको-पु. १ बल, शक्ति । २ संदेह, आशंका । ३ ऐश्वर्य, मारना । ३ देखो 'टरकाणी' (बी)। ठाट-बाट । ४ ध्वनि, शब्द । ५ रोने का भाव । ६ गर्व ठरकियोड़ी-वि० (स्त्री० ठरकियौ) १ मूर्ख, गंवार, अयोग्य । घमण्ड । ७ देखो 'ठुणको' । २ चोट खाया हुआ। ठणण, ठणणण, ठणणाहट-स्त्री० टन्-टन् ध्वनि । ठरकेत-वि० 'ठरका' रखने वाला । ठाट-बाट वाला । ठणणो (बी)-क्रि० १ सज्जित होना तैयार, होना । २ बनना, क्षमता वाला, सक्षम । रूप लेना । ३ निश्चित होना, तय होना। ४ ठहरना, स्थिर ठरकेल-वि० १ हीन । २ अयोग्य । ३ निर्बल । ४ निर्धन, होना । ५ युद्ध, प्रतियोगिता आदि की स्थिति प्राना। कंगाल। ठणहणणो (बो)-देखो 'ठणंकणी' (बौ) । ठरकल-देखो'ठरकेल'। ठरणाको-देखो 'ठणको' । ठरको पु० १ वैभव, सम्पत्ति । २ ठाट-बाट । ३ क्षमता, ठणो (बो)-देखो 'ठहणी (बी)। औकात । ४ गर्व, घमण्ड, ठसक । ५ चोट, प्रहार । ठपकाणी (बी) ठपकारणो(बो)-क्रि० १ कील आदि ठोकना। ६ बलि पशु को काटने के लिए दिया जाने वाला शस्त्र २ ढीले हुए कल पूर्जा को ठोक-ठाक कर मजबूत करना । का झटका । ७ बल, शक्ति । ८ प्रतिष्ठा, गौरव । ३ हल्की चोट कर बजाना। ठरड़-स्त्री० पांव या किसी वस्तु को धींसने या रगड़ने की ठप्प-पु० [सं० स्थाप्य] एकाएक रुक जाने की दशा । -वि० ध्वनि। १ पूर्ण रूप से रुका हुना, बंद, क्रियाहीन । २ अवरोधित । ठरड़णो (बौ)-क्रि० १ घसीटना, खींचना । २ पांव रगड़ कर ३ अनुपयोगी। (जैन) चलना। उप्पौ--पु० १ गत्ता । २ कोई मुद्रा या मोहर। ३ ऐसी मुद्रा | ठरड़ौ-पु. १ घटियास्तर का शराब । २ पथरीली, समतल का चिह्न। ४ वस्त्र छापने का उपकरण। ५ सांचे से | भूमि । ३ पोकरण (राजस्थान) के समीप का एक भू-भाग । बनाया हुआ बेल-बूटा, छाप । | ठरठिम-वि० ऐंठन युक्त । ठबक,ठबको-पु० १ दोष, कलंक, दाग । २ उपालंभ । ठरणौ (बी)-क्रि० १ शीतल पड़ना, ठंडा होना । २ उष्णता ३ हानि, नुकसान । हीन होना। ३ सर्दी से जकड़ना, ठिठुरना । ४ क्रोध शांत ठभणी (बौ)-क्रि० १ स्तब्ध, दंग, चकित होना। २ देखो होना । ५ जोश समाप्त होना । ६ शांत होना । 'थमणो' (बौ)। ७ निर्बल होना। ठमको (क्को)-देखो 'ठमको' । ठळ-स्त्री० सेना, दल । ठम-स्त्री० चलते समय पांव रखने की क्रिया । ठळक-स्त्री. १ आंसू छलकने की क्रिया या भाव । २ रुलाई । ठमक-स्त्री० १ चलते समय एड़ी की लचक, ठसक । २ मंद एवं | ठळकणौ (बौ)-क्रि० १ आंसू बहना, रोना । २ द्रव पदार्थ का सुन्दर चाल । ३ किसी धातु की वस्तु से होने वाली ध्वनि । छलकना । ३ प्रहार होना, आघात पड़ना। ठमकणी (बौ)-क्रि० १ डग रखना, पैर रखना। २ चलना, | ठळकाणौ (बो)-क्रि० १ आंसू बहाना । २ द्रव पदार्थ का गतिमान होना । ३ मंद गति से गमन करना। ४ बजना। छलकाना । ३ प्रहार कराना । ठमकाणौ (बौ), ठमकावणी (बी)-क्रि० १ चलाना, गतिमान ठळकौ-पु० ठेस, आघात । चोट । करना । २ बजाना, ध्वनि करना । ठळणी (बौ)-क्रि० १ तय किया जाना । २ निश्चित होना। ठमको-पु० १ चलने का सुन्दर ढंग। २ चलते समय पायल की ३ चुना जाना। ध्वनि । ३ चटक-मटक, नखरा । ४ नृत्य का एक ढंग। ठळळाड़णी (बी), ठळळाणौ (बौ), ठळळावणौ (बौ)-क्रि० ५ चलते समय पांव की आवाज । ६ धमका । हुक्का गुड़गुड़ाना। ठमणी-देखो 'ठवणी'। ठळोकड़ी-स्त्री० हंसी, दिल्लगी। ठमणो (बौ)-देखो 'थमरणो' (बौ)। ठल्ल-स्त्री० १ धकेलने की क्रिया या भाव । २ देखो 'ठालो' । ठमाणौ (बौ)-देखो 'थमाणी' (बौ)। ठल्लणौ (बी)-१ देखो 'ठेलणी' (बौ)। २ देखो 'ठाळणी' (बी)। ठयो-ठायो-वि० [सं० स्थापित] बना-बनाया तैयार, स्थापित । ठवणा-देखो 'ठवरणा' । For Private And Personal Use Only Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठवड़ ( ५२२ ) ठहराणी ठवड़-देखो 'ठौड़'। ठह-वि० १ कटिबद्ध, सन्नध, तैयार । २ सुसज्जित । ठवण -पु० [सं० स्थापन] संस्थापन (जैन)। ३ देखो 'है'। ठवणा-स्त्री० [सं० स्थापना] स्थापना, स्थापित करने की ठहक-स्त्री० १ नगारे की ध्वनि, ठहका। २ प्रहार या चोट की क्रिया । (जैन) --कम, कम्म-पु० उक्त प्रकार का कर्म। ध्वनि । ३ हंसी की आवाज । ४ स्तब्धता । ठवणी-स्त्री० [सं० स्थापनी, स्थापिका] १ न्यास रूप में रखा | ठहकणी (बौ)-क्रि० १ नगाड़ा, वाद्य आदि बजना । २ ध्वनि हुअा द्रव्य, न्यास । २ पुस्तक रखने का काष्ठ का होना। ३ चोट या प्राघात करने से ध्वनि होना। ४ कोयल, उपकरण । ३ चार तीलियों का ढांचा, प्रासन (जैन)। मोर आदि का बोलना। ठवणुछव-पु० स्थापनोत्सव । ठहकाणौ (बौ)-क्रि० १ नगाड़ा वाद्य आदि बजाना । २ ध्वनि ठवणी (बौ)-क्रि० १ रखना, टेकना । २ सजाना । ३ स्थापित करना। ३ चोट या आघात से ध्वनि करना । ४ बजा किया जाना। ४ कहना, कथना । ५ होना। कर जांचना । ठविय-पु० [सं० स्थापित] साधु-साध्वी के लिए रखा पदार्थ, | ठहको-देखो 'है'को' । भोजन । ठहक्कणौ (बौ)-देखो 'ठहकणो' (बी)। ठविया-स्त्री० [सं० स्थापिता] भविष्य में प्रायश्चित करने का | ठहक्काणी (बी)-देखो 'ठहकाणी' (बौ)। निश्चय (जैन)। ठहठहणौ (बो)-क्रि० १ उचित ढंग से कार्य होना । २ युद्ध ठस-वि० १ अपने स्थान पर जमा हुआ, दृढ़, मजबूत । २ जो | होना । ३ होना। हिल न सके, खिसक न सके । ३ कठोर, कड़ा। ४ अड़ा | ठहठहाणी (बी)-क्रि० १ उचित ढंग से कार्य कराना । हुआ । ५ पूर्ण भरा हुआ । ६ ठूसा हुा । ७ कंजूस, २ युद्ध कराना। कृपण । ८ सुस्त, निष्क्रिय । ६ पूर्ण, परिपूर्ण । ठहणी (बो)-क्रि० [सं० स्था] १ निश्चित होना, निर्धारित ठसक-स्त्री. १ स्वाभिमान, आन, शान । २ अहंकार, गर्व । होना । २ उचित व्यवस्था होना। ३ स्थिर होना, ठहरना। ३ ऐंठ, अकड़ । ३ चटक-मटक, नखरा । ४ ठेस, धक्का । ४ लगना, पड़ना (चोट) । ५ स्थापित होना, जमना । ५ बनावटी शृगार । ६ शेखी, गल्ल । ७ टीस दर्द, कसक । ६ शोभित होना । ७ प्राघात पहुँचना । ८ बजना । ९ ठोस -दार-वि० स्वाभिमानी । गौरवशाली । गविला । होना, जमना, ठसना । १० धारण करना । ऐंठीला। ठसकाळी, ठसकीलो-वि० (स्त्री० ठसकीली) १ स्वाभिमानी, ठहरणो (बौ)-क्रि० १ रुकना, ठहरना । २ गतिहीन होना। गौरवशाली, गविला, पान-बान वाला। २ नखरे वाला। ३ रहना, मानना, मान जाना । ४ साथ देना, अडिग ३ शेखी बघारने वाला। रहना, अटल रहना । ५ दृढ़ रहना, पक्का रहना। ठसको-पु० १ टेस, धक्का । २ ठोकर, टक्कर । ३ शान । ६ स्थिर रहना, टिका रहना । ७ स्थान पर रहना, डेरा ४ नखरा । ५ घमंड। ६ रह-रह कर चलने वाली खांसी। देना, विश्राम करना । ८ बना रहना। ९ स्थिर रहना, ठसणी (बौ)-क्रि० [सं० स्तब्ध] १ घी आदि तरल पदार्थ का अविचलित रहना, धैर्य रखना । १० थमना, रुकना । ठंडक पाकर जमना, तरल न रहना। २ तरल धातु का ११ निश्चित होना, तय होना । १२ एकत्र होना, जमा ठोस होना । ३ रुकना, गतिहीन होना । ४ प्रविष्ठ होना होना । १३ गर्भ धारित होना। १४ प्रतीक्षा करना। पैठना । ५ फंसना, फंस कर रुक जाना। १५ बंद होना। ठसाठस-वि० ठूस-ठूस कर भरा हमा। -क्रि० वि०१ अधिक | ठहरांण-देखो 'ठहराव' । सटकर या भिड़ाकर । २ढूंस-ठूस कर, खचाखच । ठहराई-स्त्री० १ ठहराने की क्रिया या भाव । २ मजदूरी, ३ गुजाइश से अधिक डालकर । पारिश्रमिक । ठसाणी (बी)-क्रि० १ घी आदि तरल पदार्थ को ठंडा करना, ठहराणी (बी)-क्रि० १ रोकना, ठहराना। २ गतिहीन करना। जमाना। २ तरल धातु को ठोस करना। ३ रोकना, गति | ३ रखना, मनवाना । ४ साथ दिराना । अडिग रखना, हीन करना । ४ फसाना । ५ प्रविष्ठ कराना, पैठाना । अटल रखना। ५ दृढ़ रखना, पक्का रखना । ६ स्थिर ५ कोई वस्त्र जबरदस्ती पहनना। रखना। टिकाये रखना। ७ स्थान पर रखना, डेरा दिराना, ठसो, ठस्सौ-पु. १ विशेषता, खासियत । २ बोल-बाला । विश्राम कराना । ८ बनाये रखना । ९ स्थिर रखना, ३ प्रभाव । ४ विशेष महत्व । अभिमान, गर्व में झूमने अविचलित रखना। १० थमाना, रोकना। ११ निश्चित की क्रिया। करना । तय करना । १२ एकत्र करना, जमा करना। For Private And Personal Use Only Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ठहरा १३ गर्भवती करना । १४ प्रतीक्षा कराना । जमाना । १६ ज्ञात करना जानना । १७ बंद १८ धैर्य देना । www. kobatirth.org ( ५२३ ) १५ पक्का कराना । ठहराव - पु० १ स्थिरता, विश्राम। २ ठहरना क्रिया या भाव। ३ निश्चय, निर्धारण । ४ विश्रामस्थल । ५ धैर्य शांति । ६ छन्द शास्त्र में यति । ठहरावणी (बौ) देखो 'ठहराणी' (बी)। - ठहाणी (बौ) - क्रि० १ निश्चित करना, तय करना । २ उचित बैठाना, जमाना । ३ रोकना, ठहराना । ४ लगाना । ५ मारना । ६ स्थापित करना । ७ शोभित करना । ८ प्रहार करना । ६ नगारा बजाना । १० ध्वनि करना । ११ ठसाना । १२ स्थिर करना । १४ धारण कराना । १३ ठोस करना। ठहीक-स्त्री० १ प्रहार करने का भाव । २ ध्वनि, आवाज । ठहीड़णी (बौ) - १ पीटना, मारना । २ बजाना । ३ ध्वनि करना । ठहीड़ी - पु० १ आवाज, ध्वनि । २ प्रहार, चोट, ग्राघात । ३ प्रहार की ध्वनि । ४ सहसा उठने वाला दर्द । ठहोड़णी (बी) - देखो 'ठहीड़गो' (बी) । ठां' । ठो' पु० [सं०] स्वा] १ स्थान का स्थान । डांगर स्त्री० सुगमता से दूध न दूहने देने वाली गाय । ठांगळरणो (बौ) - क्रि० १ मारना पीटना । २ दण्ड देना । ३ अधीन करना, काबू में करना । ढांगळी - पु० १ कंदी, बंदी । २ वश, काबू | डांड, डांडर स्वी० बांझ मवेशी बंध्या मादा पशु वि० १ सूखा, नीरस । २ प्रत्यन्त ठंडा । ठांठरणौ (बौ) - क्रि० १ सूखना, नीरस होना । २ ठंडा पड़ना । ३ ठंडा होना। ठाठराखौ ( ब ) - १ नीरस करना, सुखाना २ ठंडा करना । ठांठी-स्त्री० बंध्या ऊंटनी । ठांठी - वि० तौल में कम । ठांण (उ) - स्त्री० [सं० स्थान] १ मवेशियों को नियमित बांध कर रखने का स्थान । २ ऐसे स्थान पर बना खाना, कुण्ड आदि जिसमें चारा चराया जाता है । ३ उत्पत्ति का स्थान, जन्म भूमि । ४ स्थान । ५ गति की निवृत्ति, स्थिति, अवस्थान (जैन) । ६ कारण, निमित्त । ७ स्वरूप प्राप्ति (जैन) । ८ आसन (जैन) । ९ निवास, आवास । १० स्थान, पद (जैन) । ११ प्रकार, भेद (जैन) । १२ धर्म, गुण (जैन) १३ पाथय, मकान, घर, वस्ती, प्राधार (जैन) । १४ 'ठाणांग' सूत्र (जैन) । १५ कायिक क्रिया, ममत्व श्रादि का त्याग (जैन) । । दांगुण पु० [१०] स्वानगुण] अधर्मास्तिकाय (जैन) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठांठिय- वि० स्थानास्थित (जैन) । ठांगो (बी) कि० १ विचार करना । २ निश्चय करना। तय करना । ३ जर्जरित करना, ढीला करना । ४ रखना, स्थापित करना । ५ करना । ६ दृढ़ संकल्प करना । ठांणपूर - वि० १ स्थान की प्रतिष्ठा रखने वाला, मान-मर्यादा वाला । २ प्रतिष्ठित । ३ गंभीर । ठाणबंधु पु० [सं०] ठाणबंधु] ४९ क्षेत्रपालों में से २८ व क्षेत्रपाल । ठiणभट ( भट्ट, मिस्ट) - वि० [सं० स्थानभ्रष्ट ] पदच्युत । (जैन) ठांरसंरंगगार- वि० केवल स्थान ठांरणसंगार वि० केवल स्थान की शोभा बढ़ाने वाला ठोठावि० स्थानान्तरित टांगावंग पु० एक सूत्र व (जैन) जगह २ घनीभूत झाड़ियों टांगायच पु० [सं० स्थानायय ] ऊंचा स्थान (जैन) । डारि वि० [सं० स्थानिन्] स्थान वाला (जैन) । ठांरिणयो- पु० १ अस्तबल की सफाई करने वाला । २ देखो 'डां'। ठह (व्यंग्य) । ठांगांग - पु० [सं० स्थानांगम] १ सूत्र का अध्ययन । २ एक सूत्र का नाम । ठाणा - पु० व्यक्ति (जैन) । ठांगाइय वि० [सं० स्थानातिग] भौतिक तत्वों से विरक्त एवं ध्यानावस्थित। - ठवणी (बी), ठांमणौ (ब)- क्रि० १ चलते कम को रोकना, बंद कर देना । २ रोकना, ठहराना । ३ गिरते हुए को पकड़ना, संभालना, बचाना ४ पकड़े रहना, पकड़ना । ५ मदद या सहायता करना | ६ कार्यभार संभालना, उत्तरदायित्व लेना । ७ चौकसी या पहरे में रखना । ठांम (डी) पु० [सं० स्थान] १ स्थान, जगह २ पात्र, वर्तन ३ मकान का भीतरी कक्ष । ४ कमरा । | For Private And Personal Use Only ठांमड़ी स्त्री० ० कुए पर लगे चक्र की गति को नियंत्रित करने की रस्सी । ठांमणी (बौ) - देखो 'ठाभरणी' (बौ) । ठांमी - वि० स्थान पर रहने वाला । ठांय - स्त्री० १ बन्दूक आदि के चलने की ध्वनि । २ देखो 'ठांप' । ठांव (डौ) - देखो 'ठांम' । ठांसण-स्त्री० ० एक प्रकार की घास । ठांसरणी - स्त्री० सहारा । ठांगो-देखो 'टांसरणी' । ठांसरणी (बौ) - १ देखो 'सरी' (ब)। २ देखो 'टासणी' (बी) | ठांसौ पु० १ फैला हुया फेर का पेड़ २ धन्या । डोह-देखो 'ठां'। Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 81 ठाली ठा-पु० १ शून्य । २ ऋषि । -स्त्री० ३ पृथ्वी । ४ पीठ । ठाडो-स्त्री० १ लम्बी लकड़ी का रहट में लगा एक उपकरण । ५. ज्ञान, इल्म, पता। -वि० धनवान । २ चूल्हे की राख । -वि०१ ठण्डी, शीतल । २ बासी । ठा'-देखो 'ठाह'। ३ खड़ी, सीधी। ठाइ (ई)-स्त्री० जगह, स्थान । -वि० [सं० स्थायिन्] | ठाडोळ-स्त्री० शीतलता, ठण्डक । १ स्थिर रखने वाला। २ देखो 'ठावी'। ठाडो-पु० १ दर्द वाले अंग पर दिया जाने वाला अग्नि दग्ध । ठाउ (ऊ)-देखो 'ठांव'। २ जाड़ा,सर्दी, ठंड । -वि० (स्त्री० ठाडी) १ शीतल, ठण्डा । ठामोठा-क्रि०वि० उपयुक्त स्थान पर, यथास्थान । २ बासी । ३ उष्णता रहित । ४ बलवान, शक्तिशाली । -वि० १ यथायोग्य । २ जहां जसा आवश्यक हो । ५ खड़ा,ठहरा, रुका हुआ । ६ शान्त । ७ सुस्त । ८ गंभीर । ठानौ-१ देखो 'ठावौ' । २ देखो 'ठायौ'।। -ठरियो-पु. शीतलाअष्टमी को बनाया जाने वाला बासी ठाक-स्त्री० १ प्रतिज्ञा, प्रण, नियम । २ बुनाई में काम आने भोजन आदि । -पोर-पु० सूर्योदय या सूर्यास्त के समय वाला लकड़ी का उपकरण । ३ पीटने या मारने का भाव । का ठण्डा मौसम । ४ पत्थर का टुकड़ा। ठाढ़-देखो 'ठाड' । ठाकरणौ (बी)-क्रि० १ पत्थर गढ़ना । २ पत्थर तोड़ना। ठाढ़सर (सरी, स्वर, स्वरी)-पु० [सं० स्तब्ध+ ईश्वर] ठाकर (डौ)--पु० [सं० ठवकुर] (स्त्री० ठकरांणी) १ किसी | निरन्तर खड़ा रह कर तपस्या करने वाला तपस्वी । भू-भाग का अधिष्ठाता । २ गांव का मालिक, जमींदार। | ठाढ़ी-देखो 'ठाडौ'। ३ स्वामी, मालिक । ४ क्षत्रियों की उपाधि । ५ प्रतिष्ठित | ठाणौ (बो)-क्रि० १ करना, कर देना। २ निश्चित करना, व्यक्ति, माननीय व्यक्ति । ६ ईश्वर, भगवान, विष्णु । तय करना । ३ ठहराना, रोकना । ४ लगाना (चोट)। ७ देव-मूर्ति, प्रतिमा । ८ राजपूतों के लिए सम्बोधन ५ स्थापित करना, जमाना। ६ थोप देना । ७ कल्पित विशेष । ९ नाइयों की उपाधि । बात कहना । ८ रखना । ६ सुशोभित करना । -दवारो, दुवारी-पु० देवालय, देवस्थान । विष्णु मंदिर । | ठायौ-पु० [सं० स्थान] १ स्थान, जगह । २ निश्चित स्थान ठाकराइ (ई), ठाकरि (री)-देखो 'ठकुराई'। विशिष्ट स्थान । ३ देखो 'ठावौ' । ४ देखो 'ठियो' । ठाकुर-देखो 'ठाकर'। -दवारो, दुवारौ='ठाकरदवारौ'। । ठार-स्त्री० १ स्थान, जगह, ठौर । २ ठंडक, सर्दी । ठाकुराइ (ई), ठाकुरी-देखो 'ठकुराई'। ३ अाराम, शांति । ४ पता, इल्म, ठिकाना । ५ देखो ठागौ-पु० १ आडंबर, ढोंग । २ कपट, छल । ३ धूर्तता । ___'अठारह'। ठाडो-पु० स्थान, जगह । ठारक-वि० १ शीतल करने वाला । २ शान्त करने वाला । ठाट-पु० १ सजावट । २ साज-शृंगार । ३ शोभा । ४ शान- | ३ संतोष दिलाने वाला। शौकत । ५ तड़क-भड़क, आडम्बर, दिखावा। ६ पाराम, | ठारणौ (बो)- क्रि० १ ठंडा करना, शीतल करना । २ गर्मी चैन । ७ प्रायोजन-तैयारी। ८ वैभव । ६ सितार का या उष्णता मिटाना । ३ आग आदि बुझाना । ४ भट्टी तार । १० समूह, झुण्ड । ११ देखो 'थाट'। -बाट-पु० आदि के भोग लगाना । ५ शान्त करना, तृप्त करना । सजावट । शृगार। तड़क-भड़क । शान-शौकत । ६ संतुष्ट करना। ठाटियो-१ देखो 'ठाटौ' । २ देखो 'थाठियो'। ठारी-स्त्री०१ सर्दी, ठण्डक । २ शीतलता। ठाटौ-पु० १ बैलगाड़ी के ऊपर का तख्ता, थाटा । २ भीगे | ठाळ-स्त्री० १ खोज तलाश । २ छलांग । ३ चुनाव, चयन । ____ कागज की लुगदी का बना गोल व चौड़ा पात्र । ठाल-स्त्री० १ रिक्तता, खालीपन । २ अभाव, कमी। ठाठड़ी-१ देखो 'ठाठौ' । २ देखो 'ठाठी' । ठालउ-देखो 'ठालौ'। ठाठर-पु० अस्थिपंजर, हड्डियों का ढांचा । ठाळणी (बौ)-क्रि० [सं० ष्ठल] १ तलाश करना, खोजना, ठाठरणौ (बौ)-१ देखो 'ठांठरणो' (बी) । २ देखो ढूंढ़ना । २ चुनना, चयन करना । ३ निश्चित करना, तय ठिठरणौ' (बी)। करना। ४ देखना । ५ स्थापित करना । ठाठो-स्त्री० बाधा, अड़चन, रोक, विघ्न । | ठालप (क)-स्त्री० १ बेकार या निकम्मा रहने का भाव । ठाठीया-स्त्री० एक प्रचीन जाति । २ रिक्तता, अभाव । ठाठौ-पु०१ ऊंट के चमड़े का तरकस । २ देखो 'ठाटौ' । ठाळवरी-वि० चुनिन्दा। ठाड-स्त्री० १ सीढ़ी या जीने के बीच-बीच लगने वाला पत्थर । ठाली-वि० १ खाली, रिक्त । २ केवल, सिर्फ। ३ गर्भ रहित, २ सर्दी, ठंडक । गर्भ हीन । For Private And Personal Use Only Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठालु । ५२५ ) ठीभर ठालु-देखो 'ठालो'। ठिइबंध-पु० [सं० स्थितिबंध] कर्मबंध की काल मर्यादा । (जैन) ठालेड़-स्त्री० १ रिक्तता, खालीपन । २ बिना गर्भ की मादा ठिइया-स्त्री० [सं० स्थितिका] स्थिति । (जैन) पशु। ३ चोर, उचक्का । ४ देखो 'ठालो'। ठिई-स्त्री० [सं० स्थिति] स्थिति । (जैन) ठालो-वि० (स्त्री० ठाली) १ रिक्त, खाली। २ रहित, हीन । ठिी-वि० [सं० स्थितः] १ ठहरा हुआ । २ देखो 'ठियौ' । ३ निकम्मा, बेकार, निष्फल । ४ अवकाश में । ५ निर्जन ठिकरी-देखो 'ठीकरी'। एकान्त। ६ केवल, मात्र । -पु०१ सोने या चांदी की | ठिकाणी-पु० [सं० स्था] १ स्थान, जगह । २ निवास-स्थान, देव मूर्ति । २ एक प्रकार का प्राभूषण । -भूली-वि० । आवास । ३ रहने की जगह, पता, ठिकाना । ४ खोज, हत भाग्य । निकम्मा । दुष्ट । खबर, पता । ५ प्रबंध, इन्तजाम । ६ सहारा, प्राश्रय, ठावन-पु० [सं० स्थापक] १ पक्ष का स्थापन (जैन) । आलंबन । ७ उपयुक्त स्थान । ८ भरोसा । ९ यथार्थता, २ देखो 'ठावौ'। प्रमाण। १० अंत, हद, सीमा । ११ परिवार, वंश, ठावको-देखो 'ठावौ' (स्त्री० ठावकी)। घराना । १२ किसी जागीरदार का मकान, निवास ठावड-स्त्री० ठौर, जगह, स्थान । (जैन) स्थान । १३ जागीरदार की जागीरी का प्रदेश । १४ वंश ठावणौ (बौ)-क्रि० [सं० स्था] १ स्थिर करना, रखना ।। गौरव, मर्यादा । २ स्थापित करना । ३ बनाना । ४ करना । ठिठकरणौ (बौ)-क्रि० [सं० स्थिति-करणम्] १ चलते-चलते ५ समझना। ६ सुसज्जित करना, सजाना । ७ शोभित यकायक रुकना। २ झिझकना, चौंकना । ३ चकित करना । ८ निवास करना । ९ चुनना । १० मनोनीत होना, आश्चर्य में पड़ना । करना। ठिठरणी (बी) ठिठुरणौ (बौ)-क्रि० [सं० स्थित] १ सर्दी में ठावीलो-वि० निपट, निश्चित, मुकर्रर । अधिक ठरना । २ अधिक सर्दी के कारण ऐंठना, ठावी-वि० (स्त्री० ठावी) १ प्रतिष्ठित, मान्य । २ विश्वसनीय ।। सिकुड़ना । ३ ईमानदार, जिम्मेदार । ४ फैला हुआ, व्यापक । ठिठोराई-स्त्री० १ तंग करने की क्रिया या भाव । २ ढिठाई । ५ प्रसिद्ध, विख्यात । ६ महान्, श्रेष्ठ । ७ उपस्थित, | ठिणकरणौ (बौ), ठिणगरणौ (बौ)-क्रि० रोना, बिलखना । हाजिर । ८ योग्य, होशियार, चतुर। ९ पक्का, दृढ़ । ठिमर-वि० १ गंभीर । २ धैर्यवान । ३ बुद्धिमान । १० प्रकट, जाहिर । ११ खास, विशेष । १२ मुखिया, ठियो-पु० १ शौच क्रिया करते समय बैठने का पत्थर । अग्रगण्य । १३ गंभीर, धैर्यवान । १४ बुद्धिमान । २ चूल्हे का एक भाग । ३ स्थान, जगह । १५ सुरक्षित । । ४ वस्त्र विशेष । ठाह-स्त्री० [सं० स्था]१ स्थान, जगह । २ पता, ठिकाना । ठिलणौ (बौ)-वि० १ दूर होना । २ पीछे हटना। ३ धक्का ३ खबर, मालूम । ४ खोज, जानकारी । खाना । ४ गतिमान होना, चलना। ५ डाला जाना। ठाहर-स्त्री० [सं० स्था] १ स्थान, जगह । २ निवास स्थान, | ठिल-ठिल, ठिलाठिल-क्रि० वि० लबालब । -स्त्री० हंसने की जगह, डेरा । ३ कदम, डग । क्रिया या । भाव खिलखिलाहट । ठाहरूपक-पु० [सं० स्था-रूपक] मृदंग की एक ताल । ठिवरणौ (बौ)-क्रि० १ चलना । २ डग भरना । ठाहोकरणौ (बौ)-क्रि० १ ठोकना, पीटना, मारना । ठीगणी-वि० (स्त्री० ठीगणी) १ छोटा कद का, नाटा । २ खटकाना । २ बौना । ३ अन्य की अपेक्षा छोटा । ठाही-पु० १ पात्र । २ देखो 'ठायो । ठी गळ, ठी गळियो, ठीगळी-पु० दटे मटके का बड़ासा भाग ठिगरणी- देखो 'ठिगणौ' (स्त्री० ठिगणी)। खण्ड । ठिइकम्म-पु० [सं० स्थिति-कर्मन् १ कर्म की स्थिति । २ स्थिति ठीगा-ठोळी-देखो टींगाटोळी' । कर्म, जन्म संस्कार । (जैन) ठी गौ-वि० (स्त्री०ठी गी) १ जबरदस्त, जोरदार । २ बलवान ठिकल्लाण-वि० [सं० स्थिति-कल्याण] उत्कृष्ट स्थिति | शक्तिशाली । -पु० १ धौंस धमकी डांट-फटकार । वाला । (जैन) २ प्रभाव । ठिइक्खय-० [सं० स्थितिक्षय] आयु का क्षय, मरण । (जैन) | ठीचौ-पु० बारहवें दिन का मृत्यु भोज । ठि इपद-पु० [सं० स्थितिपद] प्रज्ञापन सूत्र के चतुर्थ पद का | ठीडो-पु० छेद, छिद्र । नाम । (जैन) ठीभर, ठीमर-देखो 'ठिमर' । For Private And Personal Use Only Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra यी www. kobatirth.org ठीठी स्त्री० हंसी की ध्वनि । ठीडी- वि० खड़ा । ( ५२६ ) ठोकरी- स्त्री० मिट्टी के पात्र का छोटा टुकड़ा 1 ठीकरी पु० [१] वर्तन, पात्र (व्यंग) २ टूटा-फूटा वर्तन, पुराना । बर्तन३ मिट्टी के पात्र का बड़ा खण्ड ४ तुच्छ या निकम्मी वस्तु । ५ भीख मांगने का पात्र । ६ ब्रह्माण्ड | ७ शरीर, देह । ८ खाली पात्र । । । डी-स्त्री० १ पौषी २ धुंध ०३ क्षय ४ कुल ५ कुटुंब । । । । । 1 ठीक [वि० [सं०] स्थितक] १ उचित वाजिय । २ अच्छा, - बढ़िया । ३ योग्य उपयुक्त ४ यथार्थ प्रामाणिक ५ दुरुस्त, सुधरा हुआ । ६ शुद्ध । ७ आवश्यकता अनुसार । ८ प्राकृतिक ९ नम्र, विनयी, सरल 1 १० निश्चित ठुरो (बी) फि० १ पिटना, मारा जाना २ हल्की चोट से उपयुक्त । ११ पक्का, स्थिर । १२ अखण्ड कायम | फंसना पंसना बढ़ना । शि०वि० १ घच्छी तरह २ उचित ढंग से ३ पूर्ण रूप ठुरियो पु० ऊंट की चाल विशेष । । से, निश्चित रूप से स्त्री० [१] बात २ निश्चय । दृढ़ । ३ ठिकाना, पता । ४ पता, इल्म, खबर I ५ स्थिर प्रबंध -ठाक - क्रि०वि० उचित रूप से, वाजिब ढंग से । - वि० व्यवस्थित । निश्चित पु० प्रबंध, व्यवस्था । ठीकर-देखो 'ठीकरौ' । 1 ', । । डुळियी पु० लकड़ी का छोटा डंडा । । ठुसकणी (बो) - कि० सुबक सुबक कर रोना । 1 ठुसकी - स्त्री० १ रोने की सुबकी । २ धीरे से अपान वायु निकलने की ध्वनि । हुआ | गाढ़ा । ठीमर - देखो 'ठिमर' । डीवो देखो 'ठियो' । ठु-पु० १ कदम । २ यमदूत । ५ त्वचा । वि० १ रोगी ठुकरणौ (बौ)-क्रि० पीटा जाना, ठुकरांणी-देखो 'ठकरांणी' । डीडी पु० [सं०] स्पा] खबर पता ठिकाना। ठोललो (बो) क्रि० उपालंभ देना बुरा भला कहना। ठीणी वि० [सं०] स्तब्ध] सर्दी के कारण जमा हुधा, उसा - ठुकराखौ (बी) - क्रि० १ पांव की ठोकर मारना । २ तिरस्कार करना । ३ नामंजूर करना । ४ त्यागना, छोड़ देना । ठुखकारणी ( बौ) - क्रि० १ अंगुलियों या किसी वस्तु से हल्की चोट पहुँचाना। २ ऐसी चोटें मस्तक में दिराना (स्त्री) । ठुरण, ठुरगक स्त्री० १ रोने की ध्वनि । २ बच्चे का रुदन । ठुकी स्त्री० दो अंगुलियों को चटका कर मस्तक पर की जाने बानी हल्की चोट (स्त्री) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ठुमकार स्वी० ठुमक चाल से होने वाली ध्वनि । ठुमराई स्त्री० मंद-मंद व मस्त चाल । । ठुमरी-स्त्री० एक ही अंतरे का एक मीठ विशेष संशोटीस्त्री० एक राग विशेष । ठे ठुसरण (बी) - क्रि० १ ठूस ठूस कर भरा जाना । २ मुश्किल से घुसा जाना । घुसना, पैठना 1 ठुसी स्त्री० स्त्रियों के गले का प्रावरण विशेष । । ॐ के स्त्री० [सं०] १, चंचु । २ नोंच की चोट, ठूंठ वि० १ मूर्ख, गंवार २ देखो ''ठी' | डा स्त्री० पंवारों की एक शाखा डूठियो पु० १ बैलगाड़ी के पहिये में लगने वाला एक - उपकरण । २ देखो 'ठूंठौ । ठूठौ - पु० १ सूखा पेड़ । २ जमीन में धंसा कर खड़ा किया से पेड़ काटा। डूडल (बो) - देखो ''सरणी' (बी) स्त्री० ३ मक्खी । ४ रज । । २ दरिद्री । ढ, ढ़ियों, ढ़ो-देखो 'ठ' | मारा जाना, पिटना, कुटना । सखौ (बौ) - क्रि० १ दबा दबा कर या ठूंस-ठूंस कर भरना । २ जबरदस्ती धंसाना । ३ जोर से घुसाना, चोट मार कर घुसाना । ४ अधिक खाना । ५ छीनना, हड़पना । ६ संजोना सजाना । ठू सियो- पु० ऊ ंटों का एक रोग विशेष । हू-पु० १ विष्णु । २ बुध । ३ प्रेम । ४ धैर्य । ५ धर्म । - स्त्री० ६ लक्ष्मी । ठूमरौ - पु० ० सिंध व बलोचिस्तान की पहाड़ियों के बीच पाया जाने वाला पत्थर करण । मूळ पु० जड़ सहित निकाला हुआ पौधा या झाड़ी। - वि० १२ गंवार ३ मजबूत प्रहार । ग- स्त्री० शराब के साथ खाया जाने वाला चुर्बन । गार-स्त्री० १ भांग के नशे को शांत करने के लिए खाया जाने वाला खाद्य पदार्थ । २ छौंक, बघार । ठुरणको पु० १ बच्चे की रह-रह रोने की ध्वनि । २ रुदन । ठुमक स्त्री० १ उमंग भरी चाल । २ चलने का सुन्दर ढग ३ चलने से एडी से होने वाली ध्वनि । ठुमकणी (बौ) - क्रि० १ उमंग से चलना । २ ठसक से चलना ठे-पु० १ वामन २ शेष । ३ स्थान ३ बच्चे का धीरे-धीरे चलना । ६ शिखा । सरण (बौ) - देखो 'ठू'सरणी' (बी) । ठेल पु० कठोर व समतल भूमि For Private And Personal Use Only । ४ मन । ५ संक्षेप । Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५२७ ) ठोट ठेक-स्त्री. १ मजाक, हंसी । २ छलांग । ठेलमठेल, ठेलाठेल-स्त्री० १ अत्यधिक भीड़। २ अधिक भीड़ ठेकरणी-वि० (स्त्री० ठेकणी) छलांग लगाने वाला । की खस्साखसी, धक्कमधक्का । ३ रेलमपेल । -वि० ठेकरणो (बौ)-क्रि० छलांग लगाना, कूदना । बहुत अधिक, पूर्ण, परिपूर्ण । ठेकागाड़ी-स्त्री० एक प्रकार का सरकारी लगान । | ठेलियो-देखो 'ठेलौ' । ठेकाळी-वि० (स्त्री० ठेकाळी) छलांग लगाने वाला। ठेळी-पु० १ कूड़े करकट का ढेर । २ घास-फूस का ढेर । ठेको-स्त्री० छलांग। ३ छोटी लाठी, डंडा । ४ डंडे से गिल्ली पर चोट करने ठेकेदार-वि०१ किसी कार्य को करने का एक मात्र अधिकारी। की क्रिया। २ किसी कार्य का जिम्मेवार । ३ किसी कार्य का ठेका । ठेलौ-पु. १ आदमी द्वारा ठेल कर चलाई जाने वाली सामान लेने वाला । -पु० १ भवन निर्माण आदि कार्यों को एक वाहक, गाड़ी। २ छोटी बैलगाड़ी। ३ झौंका। निश्चित खर्च में पूरा करके देने वाला व्यक्ति । २ इसी | ठेस-स्त्री० चोट, आघात, धक्का । प्रकार किसी कार्य को कुछ निश्चित शर्तों पर पूरा करने | ठहरणौ (बी)-देखो 'ठहरणों' (बी)। का अनुबंध करने वाला व्यापारी। ठारणी (बौ)-देखो 'ठंठाणी' (बौ)। ठेको-पु०१किसी कार्य का जिम्मा, उत्तरदायित्व । २ किसी कार्य है-पु. १ शास्त्र । २ आकाश । ३ शिष्य । -वि० मूर्ख । को करने व उसमें प्राय करने का अधिकार । ३ ऐसे कार्यो है'-स्त्री० किसी वस्तु पर चोट करने से उत्पन्न ध्वनि, ठक । के प्रति कुछ निश्चित शर्तों पर किया जाने वाला अनुबंध, अको, ठेकों-पु० १ तबला आदि के बजने की आवाज । इकरार, इजारा । ४ तबले का बायां । ५ तबले आदि | २ऐसे वाद्यों को बजाने की विशेष विधि, ताल । पर बजाई जाने वाली कोई ताल । ६ छलांग । ३ नगाड़े पर डंके की चोट । ४ हल्का प्राघात । ठेगड़ी-पु० (स्त्री० ठेगड़ी) कुत्ता, श्वान । ठेरणा (बौ)-देखो 'ठहरणौ' (बी)। ठेगरण-स्त्री० सहारे की लकड़ी। टरांग-देखो 'ठहराव'। ठेचरी-स्त्री०१ मखौल, मजाक । २ हंसी, दिल्लगी। ठराणी (बौ)-देखो 'ठहराणी' (बी)। ठेट, ठेठ-पु०१ सीमा, हद । २ छोर । ३ पार, अंत । ४ तल । 'राव-देखो 'ठहराव' । ५ प्रारंभ, शुरू। ठो-पु० १ रक्त । २ शिर, मस्तक । -स्त्री०३ पीड़ा । ४ मूर्खता, ठेठर, ठेठरियो, ठेठरौ-पु० १ पुराना व सूखा जूता । २ पशुओं गंवारपन । के क्षुरों की कठोरता। ठोकणी (बौ)-क्रि० १ प्रहार करना, चोट करना, मारना, ठेठी-स्त्री० कानों के अन्दर का मैल । कर्णमल । -काढ़रिणयौ पीटना । २ लात, घूसे, डंडे आदि से मारना, पीटना । -पु० उक्त मैन निकालने का उपकरण । -वि० दण्ड-दाता, ३ चोट मारकर धंसाना, फंसाना। ४ हाथ के प्रहार से सुधारक। ध्वनि करना । ५ जड़ना, बंद करना। ६ खट-खट करना । ठेप-स्त्री०१ टक्कर । २ चोट, प्राघात । ७ संभोग या मैथुन करना । ८पाहार करना । ६ रिश्वत, ठेपाड़-स्त्री० एक प्रकार का वस्त्र । चोरी आदि का कार्य करना । ठेरणौ (बी)-देखो 'ठहरण' (बी)। ठोकर-स्त्री० १ चलते समय किसी वस्तु से पांव टकराने की ठेळ-वि० १ निर्भय, निडर । २ प्रभावशाली। ३ देखो 'ठेळी'। क्रिया । २ इस प्रकार टकराने से पांव में लगने वाली चोट । ठेल-पु० १ टक्कर, धक्का । प्राघात, चोट । २ डालने या । ३ रास्ते में पड़ी वस्तु जिससे चलते समय पांव टकरा झोंकने की क्रिया या भाव । जाय । ४ जूते पहने हुए पांव के अग्र भाग से किया जाने ठेलण-पु० बैलगाड़ी के अग्रभाग में लगाया जाने वाला लकड़ी वाला प्रहार । ५ तेज प्रहार, चोट, धक्का । ६ जूते का अग्र का डंडा। भाग । ७ एक सवारी की बैलगाड़ी। ८ कुश्ती का एक दांव । ९ एक आभूषण विशेष । ठेलणी (बौ)-स्त्री० [सं० स्थलपति] १ पीछे हटाना । २ धक्का | देना, धकेलना। ३ प्रहार से दूर करना। ४ टालना, दूर ठोकाक-वि० १ खाने का इच्छुक, खाने वाला, अधिक खाने करना । ५ आगे बढ़ाना । ६ झोंकना, डालना। ७ व्यतीत बाला । २ इच्छुक । ३ पीटने वाला । करना, गुजारना । ८ खदेड़ देना, निकाल देना । ९ पराजित | ठोकाबाटी-स्त्री० मैथुन, संभोग । करना। १० उंडेलना, डालना। ११ मिटाना, नाश करना। ठोट, ठोठ-वि० १ मूर्ख, गंवार । २ मंद बुद्धि । ३ अपठित । १२ खूब खिलाना-पिलाना। ४ अनभिज्ञ, अज्ञ । For Private And Personal Use Only Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ठोड www.kobatirth.org ( ५२८ ) ठोड स्त्री० बैलगाड़ी का अग्रभाग । डोडी-री० [सं०] [४] १ मुंह के नीचे का भाग, चिवुक तुड] २ पशुओं के मुंह का अग्रभाग, तुंड । । ३ सांप का फन । डोरियों पु० स्त्रियों के कान का प्राभूषण । ठोरी- पु० लाठी, लकड़ी । ठोळी - स्त्री० हंसी मजाक 2 डोबरी पु० फूटा हुआ वर्तन ठोर (ड़) - स्वी० १ प्रहार करने की क्रिया या भाव २ ध्वनि आवाज । ३ धाक, रौब । ४ एक प्रकार की मिठाई । ५ देखो 'ठौड़' । - वि० स्वस्थ तन्दुरुस्त | ठोरी (बौ) - क्रि० १ पीटना, मारना । २ ऊपर से चोट मार कर हंसाना गाड़ना ३ प्रहार करना, चोट मारना । ४ चोट मार कर फंसाना । । 1 ठोर- पाखर - वि० १ कटिबद्ध, तैयार, सन्नद्ध । २ पूर्ण स्वस्थ । ठौड़ ठौड़ - क्रि० वि० १ यथा स्थान, उचित जगह पर । डोरमठोर वि० हृष्ट-पुष्ट स्वस्थ मजबूत २ स्थान-स्थान पर । 1 लगना । ४ नगाड़ा बजना । करण (ब) ० १ ध्वंस करना ऋद्ध होना। डंका-री-पर्छबड़ी स्त्री० एक वस्त्र विशेष । डंकि - वि० १ विध्वंसक, संहारक । २ जिसमें डंक लगा हो । ३ देखो 'डंकी' । किसी देखो 'डाकखी' । ढोली- पु० १ हाथ की अंगुली को समेटने पर पीछे उभरने वाला तीक्ष्ण भाग । २ इस तीक्ष्ण भाग से किया जाने वाला प्रहार । ठोस वि० १ जो नर्म, द्रव रूप में या खोखला न हो, कठोर, शक्त । २ जमा हुआ । ३ दृढ़, मजबूत । ठौ - पु० १ गौतम ऋषि । २ समुद्र । ३ कुल-धर्म । स्त्री० ४ तरंग, लहर । ५ मर्यादा । ठौर-१ देखो 'ठोर' । २ देखो ठौड़' । स्त्री० हंसी-मजाक, दिल्लगी। -ड Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छोड़ स्त्री० [सं० स्थान] १ स्थान जगह २ रहने का निश्चित । , स्थान | डंडरणौ देवनागरी वर्णमाला का तेरहवां वर्ण । डं-१० १ दांत । २ दूध । ३ जल । ४ मृत्यु । ५ प्रांख । ६ चमेली । अंक पु० [सं० [देश] १ बिच्छु का कोटा २ किसी पतंगे के मुंह का जहरीला कांटा । ३ सर्प दंश । ४ नगाड़ा । ५ नगाड़े की ध्वनि । ६ नखक्षत । ७ देश का स्थल । भाग । ८ सांप का विष दंत । ६ अनाज में लगने वाला कीड़ा । १० कलम की जिह्वा । ११ राजस्थान का एक प्रसिद्ध ज्योतिषी । १२ इस ज्योतिषी का वंश । डंटकड़ी - पु० भुजा पर धारण करने का कड़ा, आभूषण I १३ देखो 'डंकी' वि० प्रभिमुख-बार वि० जिसके डंडळ- पु० सूखा पौधा टहनी - । । डंक हो । डंड-पु० [सं०] दण्ड १ किसी अपराध के बदले मिलने वाली shit (at) - क्रि० १ बिच्छु का डंक मारना, । २ सर्प श्रादि विषैले जंतुों का डसना, दंश मारना । ३ अनाज में कीड़ा २ क्रोध करना, डंकी - पु० १ छोटा मच्छर । २ योद्धा, वीर । ३ संहार करने वाला । डंकीली वि० जिसके डंक लगा हो। डंकोळौ - पु० डंठल । [सं० ढक्का] ज्वार, बाजरी श्रादि के पौधे का डंकौ - पु० [सं० ढक्का] १ नगाड़ा । २ नगाड़ा बजाने का डंडा । ३ नाम, प्रभाव, प्रसिद्धि । डंग - स्त्री० १ टोहनी । २ देखो 'डांग' | For Private And Personal Use Only । सजा । २ जुर्माना, हर्जाना प्रक्रिया | ५ सेना की ३ डंडा । ४ व्यायाम की एक एक व्यूहरचना । ६ साष्टांग ८ डंडे जैसी कोई वस्तु । प्रणाम । ७ ध्वज दण्ड 1 ९ तराजू की डंडी । १० इक्ष्वाकु राजा के सौ पुत्रों में से एक । ११ चौबीस मिनट का एक समय । दंडकार, दंडकारन पु० [सं० दण्डकारण्य] एक प्राचीन वन जो विध्य पर्वत से गोदावरी तक फैला हुआ था । इंडी (बी) - कि० १ दण्ड देना, सजा देना, सजा के रूप में मारना पीटना । २ जुर्माना तय करना । · Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra डंडभ्रत www. kobatirth.org ( ५२६ ) डंडात पु० [सं० दण्डभृत] १ यमराज । २ कुम्हार, कुंभकार । डंडव्यूह - पु० सेना की एक व्यूहरचना । डंडाकार - वि० १ दण्ड के प्रकार का डंडा (ब)- क्रि० १ दण्ड दिराना भरवाना, हर्जाना भरवाना । ११ सुगंध म १२ मान-शौकत ठाट-बाट १३ सड़क पर बिछाने का काला पदार्थ, कोलतार । १४ जमाव । १५ चटक-मटक 1 १६ समानता । १० प्रभिमान, अहंकार । १८ लाली । १६ श्राच्छादन । २० तंबू | - वि० सजन मधुपुर्ण ३ २ श्राच्छादित ४ घना, सघन । ५ तरबतर । डंडारोपण स्त्री० माघ शुक्ल पूर्णिमा को गांव में रोपा जाने डंबारी (मो) बावली (ब)- वि० लटकाना वाला लकड़ा जो होली पर्यन्त रहता है । १ देखो 'टिम' २ देखो 'म' | भल-वि० [सं० भन] १ ठग, पोयाबाद २ पाखण्डी, दंभन] । ढोंगी । (जैन) शस्त्र डंडाळ- वि० जिसके डंडा लगा हो, बोदार पु० यह मरण । जिसमें डंडा लगा हो । डंडाळी वि० डंडे के बल से कार्य करने वाला । गणा भरणा स्त्री० [सं० दंमना] १ उगाई । २ माया ३ कपट, छल (जैन) । डंडाळा - वि० १ डंडा रखने वाला, दण्डधारी । २ डंडेदार | मरलो (बी) क्रि० १ प्रानन्दित होना २ उमंगित होना । ३ प्रफुल्लित होना, खिलना । डंपर-०१ जोग, उमंग । ३] देखो 'डंबर' | । २ ऐश्वर्य, वैभव ठाट । २ निर्जन, शून्य । सजा दिराना । २ जुर्माना - पु० दण्डधारी साधु, दण्डीस्वामी । डंडाहड़, ( हड़ि, हळ ) - पु० १ नगाड़ा, दुंदुभि । २ देखो 'डंडियों' । इंडि पु० [सं०] दण्डिन्] दण्डधारी, दण्डी स्वामी खंड -० चीथड़ों को जोड़ कर बनाया हुआ वस्त्र । इंडिग्रळ, (अळि) - पु० एक मात्रिक छन्द विशेष । इंडिया इंडियानाच स्वी० होली के पर्व पर 1 हाथों में लकड़ियां लिए रात भर किया जाने वाला गोल नृत्य । डंडिओ देखो 'डंडी' । डंडी (ड़) - पु० [सं० दण्डिन् ] १ द्वारपाल, ड्योढीदार । २ संन्यासियों का एक भेद । ३ दण्ड देने वाला । डंडूकळी-स्त्री० काष्ठ का छोटा डंडा । डंडूर, डंडूळ, डंडूळौ-पु० १ हवा से छितराई हुई वर्षा की बूंदे । २ वातचक्र, बवंडर । ३ एक दैत्य का नाम । ४ देखो 'डंडाळो' । डेहड़, डंडेहड़ि, (डंडोहड़ ) - देखो 'डंडाहड़' । डंडोत स्त्री० [सं० दंडवत्] पृथ्वी पर उल्टा सोकर किया जाने वाला प्ररणाम, साष्टांग प्रणाम । डंडोतियो - वि० दंडवत् करने वाला । डंडोळ, डंडोळी- पु० १ नगारा, दुंदुभि, डूडी । २ किसी बात का प्रचार । ठंडी-पु० [सं० दण्ड] १ लकड़ी का छोटा टुकड़ा डंडा २ बांस का टुकड़ा । ३ छड़ी । ४ डंडे की मार । ५ अहाते की छोटी दीवार ६ देखी 'डी' ध्वनि श्रावाज । डंकर, डंब - पु० आडंबर, ढोंग, पाखण्ड । बाह्य उपांग । बक वि० बेडौल, बेतुका डील- वि० बेल शरीर वाला - डोळौ-वि० उभरा हुआ । 1 डंबी (ब)- कि० लटकता डंबर - पु० [सं०] १ वैभव, गौरव । २ बादल, घटा । ३ धुंआ । ४ सेना, दस ५ समूह, वृष ६ उमंग जोन ७ वन । । जंगल ९ प्रवाह । १० चकाचौंध । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ढकराणौ डंस पु० [सं० दंश ] १ सर्पादि विषैले जीवों के काटने की क्रिया, दंश । २ ईर्ष्या, द्वेष । ३ देखो 'डांस' । डंसल पु० [सं०] दंशन] विपले जीवों का हसन, दंश । डंस (बो) - देखो 'डसणी' (बी) | 2 ड-पु० १ महादेव । २ महादेव का गण । ३ डमरू । ४ अर्जुन । ५ ताड़ वृक्ष । स्त्री० ६ वृद्धावस्था । ७ ध्वनि ८ गाय । ९ बड़वाग्नि । डक स्त्री० १ नगाड़े की ध्वनि For Private And Personal Use Only । २ एक प्रकार का वाद्य । ३ एक प्रकार का मोटा कपड़ा । ४ देखो 'डाकौ' । ५ देखो 'ग' डक-स्त्री० हंसने की क्रिया । हंसने की ध्वनि । छोटे मुंह के पात्र से द्रव पदार्थ के निकलने से उत्पन्न ध्वनि । द्रव पदार्थ के पीने से उत्पन्न ध्वनि । डकडकरणी (बो)- कि० १ हंसने की क्रिश ध्वनि २ध्वनि विशेष | डकडकि (की) स्त्री० १ कंपकंपी पहिट २ हंसने की ध्वनि ३ देखो 'डकडक' | sasar - देखो 'डकडक' । | - = । चूक डाक पुक' करौ (बौ) - क्रि० कूदा जाना, लांघा जाना । डकर नत्री० [सं० डाकार ] १ जोग, प्रावेश२प्रातंकपूर्ण आवाज । ३ जोशीली आवाज । ४ वीर ध्वनि । ५ दहाड़ । ६ धाक, भय, प्रातंक | ७ धमकी | ८ ध्वनि, आवाज । ९ दबाव, रौब | - हरुराली (बी), डकरावली (बी) कि० भयभीत करना, डराना, धाक जमाना । Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डकरेल डफळारणी डकरेल, (रेल)-वि० बलवान, वीर, बहादुर । -पु० सिंह। डगळू, डगळी-पु० १ मिट्टी का ढेला । २ किसी पदार्थ का डकळ-डकळ-स्त्री० १ जल्दी-जल्दी पीने की क्रिया व इस क्रिया ढेला । ३ देखो 'डगरौ'।। से उत्पन्न ध्वनि । २ हंसने की क्रिया व ध्वनि । डगाणी (बी), डगावरणौ (बौ)-देखो 'डिगारगो' (बी)। डकारणौ (बौ), डकावणी (बौ)-क्रि० १ कूदने, फांदने या | डग्ग-देखो 'डग' । लांघने के लिए प्रेरित करना । २ क्रमशः न बढ़ाकर बीच | डचकरण-पु० १ दिन भर गिर हिलाता रहने वाला घोड़ा। में कुछ छोड़ते हुए आगे बढ़ाना । लंघाना । ___ -स्त्री० २ कफ से खांसने की क्रिया या भाव । डकार-स्त्री० १ कुछ खाने के बाद पेट की वायु गले से निकलने | डचकरणौ (बौ)-देखो 'डचक्करणो' (बी)। की क्रिया, ऊर्ध्ववायु । २ इस क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । डचकौ-पु० १ खांसी के साथ निकला कफ । २ देखो 'डाचौ' । डकारणौ (बी)-क्रि०१ पेट की वायु गले से निकालना। डचक्करणो (बौ)-क्रि० १ निगलना । २ खांस कर कफ गिराना । २ खाना, हजम करना । ३ अनुचित तरीके से प्राय | डचळ-डचळ-स्त्री० जल्दी-जल्दी भोजन करने की क्रिया । करना। डचळी-स्त्री० १ खाने पर टूट पड़ने की क्रिया, झपटी । डकैत-देखो 'डाकू'। २ जल्दी-जल्दी खाने की क्रिया। डको-पु०१ वाद्य विशेष । २ देखो 'डाको' । डचाडच-स्त्री० १ अत्यन्त तेजी से खाने की क्रिया । २ उक्त डक्क-देखो ‘डक' । क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । डक्करण, डक्करणी-देखो 'डाकणी' । डचियौ-पु० १ झपट कर खाने वाला कुत्ता । २ देखो 'डाचौ' । डक्कर-पु० १ छोटे बच्चों के खेलने का डंडा । २ देखो 'डकर'। ३ देखो 'डचकौ' । -वि० १ जल्दी-जल्दी खाने वाला। डक्का-स्त्री० [सं०] शिव का वाद्य, डमरू । २क्षीण । डग-स्त्री०१ हाथी के पिछले पैरों में बांधने की रस्सी । डटणौ (बौ)-१ रुकना, ठहरना। २ दबना, काबू में आना। २ हथकड़ी। ३ कदम, पैंड। ४ कदम रखने की क्रिया। ३ जमकर खड़ा होना, टिकना, दृढ़ रहना । ४ भिड़ना, ५ एक कदम का स्थान । ६ पांव, पैर । डटना । ५ अडिग होना। ६ अवरुद्ध होना। डगडगारणौ (बी)-क्रि० हिलना, डगमगाना । विचलित होना । | डटाणो (बौ), डटावणी (बौ)-क्रि० १ रोकना, ठहराना । डगडगारौ-पु० बकवास, झंझट । २ दाबना, काबू में करना । ३ जमकर खड़ा करना, डगडगि (गी)-स्त्री० १ एक वाद्य विशेष । २ ध्वनि विशेष । टिकाना, दृढ़ रखना । ४ भिड़ाना, डटाना । ५ अडिग ३ कंपन । करना । ६ अवरुद्ध करना । डगडोलणी (बौ)-क्रि० हिलना-डुलना, डगमगाना । डडियौ-१ देखो 'दादो' । २ देखी 'डंडो' । डगमगरणी (बी)-क्रि० १ कांपना, थर्राना। २ डरना, भयभीत | डडी, डड्डौ-पु. १ 'ड' अक्षर । २ दादी। होना । ३ विचलित होना, अस्थिर होना । ४ स्थान | डड्ढ़, डढ़-वि० [सं० दग्ध] १ जला हुआ (जैन) । छोड़ना, खिसकना । ५ हिलना-डुलना । ६ डांवा- । २ देखो 'दादौ'। डोल होना । डढ़ियळ-वि० दाढ़ीवाला, बड़ी दाढ़ी वाला। डगमगा'ट-स्त्री. १ कंपन, अस्थिरता । २ हिलने-डुलने या डण्डरगणौ (बी)-क्रि० हंसना, खिल-खिलाना। __डांवाडोल होने की क्रिया या भाव । डपटणी (बौ)-क्रि० १ डांटना, फटकारना। २ वस्त्र में लपेट डगमगाणी (बौ), डगमगावणौ (बौ)-देखो 'डगमगणी' (बो) । कर सुरक्षित करना । ३ पंखा झलना, हवा करना । डगर-पु. १ पथ, मार्ग, रास्ता । २ निरन्तर चलने से रास्ते में ४ तेज दौड़ना। ५ जम कर खाना । ___बनने वाली लकीर, चिह्न। ३ चाकर, सेवक । डपोरसंख-वि० दिखने में अच्छा पर मूर्ख, मूढ़ । डगरियो, डगरौ-पु. १ वृद्ध या दुर्बल ऊंट । २ अघटित पत्थर, बेडौल पत्थर । ३ लड़की का चौकोर या गोल खण्ड । डप्फौ-वि० मूर्ख, गंवार। ४ मिट्टी का एक पात्र विशेष । ५ देखो 'डगर' । डफ-पु० [अ० दफ] १ लकड़ी के घेरे पर चमड़ा मंढ़ कर डगळ-वि० १ शून्य । २ निर्जन । ३ देखो 'डगळी' । तैयार किया वाद्य, डफ । २ मूर्ख, मूढ़।। डगलग-पु० कंकड़, पत्थर (जैन) । उफरणौ (बौ), डफळणी (बौ)-क्रि० १ भौचक्का होना, स्तंभित डगळियौ-देखो 'डगळी'। होना । २ घबराना। ३ भूलना, चूकना । ४ भ्रमित डगली (ल)-स्त्री० रुई भरकर बनाया हुआ पहनने का वस्त्र होना, चूकना। विशेष, अंगरक्षिका। डफळारणी (बी), डफळावरणौ (बी)-देखो 'हफारणौ' (बौ)। For Private And Personal Use Only Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डफली डफली-स्त्री० छोटा डफ । डबरौ-पु०१ एक पात्र विशेष । २ पलाश के पत्तों का दोना । डफांरण, डफॉन-स्त्री० १ प्रांडबर, ढोंग, पाखण्ड । २ गर्व, | डबाक-पु० १ किसी वस्तु के टपकने की ध्वनि । २ वमन की अभिमान । अवस्था, उबकाई । ३ वमन, कै। डफारणी-वि० १ धूर्त, कपटी । २ पाखंडी, ढोंगी । डबाडब-स्त्री० १ वस्तु की अपूर्णता, ममाप्ति। २ अव्यवस्था । ३ अभिमानी। ३ देखो 'डबोडब'। डफारणो (बी), डफावणी (बी)-क्रि० १ भौचक्का करना, | डबी-स्त्री० १ ढक्कनदार छोटा पात्र । २ डिबिया। ३ शीशे स्तंभित करना । २ भयभीत करना। ३ भुलाना, चुकाना । प्रादि पर लगने का धातु का ढक्कन । ४ भ्रमित करना, चुकाना । डबोडब-वि० लबालब, पूर्ण भरा हुआ। डफाली-पु० १ खंजरी बजाने वाला। २ एक मुसलमान जाति ।। डबोडणी (बो), डबोसो (बौ), डबोवणी (बी)-देखो उफोळ, डफोळियौ-वि० मूर्ख, नासमझ। –पण, पणौ-पु० | 'डुबाणी' (बौ)। मूर्खता, नासमझी। --संख= डपोरसंख' । डबौ-पु०१ सामान डालने का ढक्कनदार पात्र । २ रेलगाड़ी डब-स्त्री० द्रव पदार्थ में किसी वस्तु के डूबने की ध्वनि । -वि० की बोगी। ३ बच्चों का एक रोग। ४ पानी का बुदबुदा । पूर्ण, लबालब । ५ वस्त्रों पर फूल-पत्तियों की छपाई । -वि० मूर्ख, ड'ब-पु. एक प्रकार की घास । नासमझ। डबक (क्क)-१ देखो 'डबको । २ देखो 'डुबकी'। डम-स्त्री० ध्वनि विशेष । डबकणौ (बौ)-क्रि० १ इधर-उधर भटकना, फिरना । डमकरणौ (बो)-क्रि० १ चमकना । २ डमरू आदि का बजना । २ पानी में डूबना, पैठना। ३ द्रव पदार्थ में कोई वस्तु ३ ध्वनि होना । डुबाना । डमकलौ-पु० वाद्य विशेष । डबकारणौ (बौ), डबकावणी (बौ)-१ इधर-उधर भटकाना, डमकाड़णी (बौ), डमकाणो (बो), डमकावणी (बौ)-क्रि० फिराना, घुमाना। २ पानी में डुबाना, पैठाना । ३ द्रव १ चमकाना । २ डमरू आदि बजाना । ३ ध्वनि करना । पदार्थ में कोई वस्तु डुबाना। डमडम-स्त्री० डमरू आदि वाद्यों की ध्वनि । डबकी-देखो 'डुबकी'। डमडेर-देखो 'ढमढ़र' । डबको-पु० [सं० दव एवं दवकः] १ डूबने का भाव । २ तरल | डमडोळरणी (बौ)-क्रि०१ चंचल होना । २ डांवाडोल होना । पदार्थ में कोई वस्तु पड़ने से उत्पन्न ध्वनि । ३ डब-डब | उमर-पु० [सं०] १ कोलतार । २ डमरू । ३ उपद्रव । ध्वनि । ४ मानसिक आघात। ५ वस्त्रों पर फूल-पत्तियों ४ शासन संबंधी उपद्रव । ५ शान-शौकत, आडम्बर, का छापा। ठाट-बाट । ६ देखो 'डंबर' । डबगर-पु० ढोल, नगाड़े, तबले प्रादि पर चमड़ा मंढ़ने का | डमरु (अ क,ग,य), डमरू-पु० [सं० डमरू] १ एक प्रकार का कार्य करने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति । वाद्य विशेष। २ शिव का प्रिय वाद्य । ३ कापालिक शैवोंका डबड़ी-स्त्री० १ एक लोक गीत विशेष । २ छोटी डिबियों का वाद्य यंत्र । ४ बालक । ५ बायें घुटने में होने वाला कौष्ट्र बच्चों का एक खेल । ३ दीवार में लगा सुन्दर पत्थर । वात रोग। ६ डमरू के आकार की कोई वस्तु । -कर-पु० शिव, महादेव । -जंत्र-पु० अर्क निकालने, ४ बड़े पात्र का छोटा ढक्कन । ५ तरबूज आदि फलों के बीच से काटा हुआ छोटा खण्ड । ६ प्रालय के पीछे लगा सिंगरफ का पारा, कपूर, नौसादर प्रादि उड़ाने का यंत्र । पत्थर । ७ देखो 'डबी'। -धरण, नाथ-पु. शिव, महादेव । -मध्य-पु० जल या स्थल का पतला-संकरा मार्ग । डबडबरणौ (बो)-क्रि० १ अश्रु पूर्ण होना, सजल नेत्र होना।। डमांमौ-पु०१ वाद्य विशेष । २ दमामी। २ छोटे मुह के पात्र को जल में डुबाकर भरते समय डम्मरी-स्त्री०१लड़ाई। २ प्रतिस्पर्धा । -वि० १ बहुत, डब-डब ध्वनि होना । ३ डमरू बजना। अधिक । २ भयानक, विकट । डबडबारणी (बी)-क्रि० १ सजल नेत्र करना। २ छोटे मुह के | डम्मरु (रू)-देखो 'डमरु' । पात्र को जल में डुबाना । ३ डमरू बजाना। डम्माडम्मा-वि० १ भयभीत । २ कंपायमान , डबडबौ-वि० प्रश्रुपूर्ण, सजल । डर-पु० [सं० दर] १ भय, खौफ, त्रास । २ प्रातक । डबर-पु. १ आडम्बर, तड़क-भड़क । २ गंभीर शब्द । ३ बड़ा | ३ अनिष्ट की आशंका । ४ ध्वनि विशेष । ५ मेंढक के ढोल । ४ तम्बू । बोलने की ध्वनि। ६ संकोच । -वि० सघन, गहरा, काला । For Private And Personal Use Only Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org डरकड़ी ( ५३२ ) डहलगो डरकड़ो-देखो 'टरड़को'। इहक-स्त्री० १ नगाड़े की ध्वनि । २ अाडम्बर, ढोंग । ३ कपट, डरकरण-वि० कायर, डरपोक । छल । ४ देखो 'डहक्क' । डरडो-पु० बूढ़ा ऊंट। डहकरणौ (बौ)-क्रि० १ नगाड़ा आदि बजना, ध्वनि होना । डरगी-स्त्री० भय, त्रास । २ डमरू बजना। ३ भौचक्का होना, स्तब्ध होना । ४ धोखा डरणौ (बी), उरपणो (बौ)-क्रि० १ भय खाना, घबराना त्रसित खाना, ठगा जाना । ५ बहकना । ६ हंसना । ७ मेंढ़क का होना । २ आतंकित होना । ३ अनिष्ट की आशंका करना ।। बोलना । ८ लहलहाना, हराभरा होना । ६ खिलना, ४ मेंढ़क का बोलना । ५ संकोच करना। प्रफुल्लित होना । १० सुगंधित होना, महकना । ११ सतर्क डरपारणी (बौ), डरपावणौ (बौ)-देखो 'डराणौ' (बी)। होना, चौकन्ना होना । १२ पक्षियों का मस्ती में बोलना। डरपोक-वि० कायर, भीरु । -पणी-पु. कायरता। १३ मस्ती में चलना । १४ उमंगित होना, उल्लसित डरमछ-पु० शुभ माना जाने वाला एक प्रकार का घोड़ा । होना । १५ रुक-रुक कर रोना, सिसकना । डरर-स्त्री० १ जोशीली आवाज । २ मेंढ़क के बोलने की| डहकारणी-वि० जो चमकाता हो, चमकाने वाला। ध्वनि । डहकारणौ (बो), डहकावणी (बी)-कि० १ गुमराह करना, डररा'ट-स्त्री०१ ध्वनि विशेष । २ मेंढ़क की आवाज । बहकाना । २ भ्रम में डालना । ३ सशंकित करना । ३ क्रोध-पूर्ण ध्वनि । ४ नगाड़ा,डमरू आदि बजाना। ५ भौचक्का करना । ६ धोखा डरांमणी-देखो 'डरावणो' । देना, ठगना । ७ खुश करना । ८ हरा-भरा करना । डराणी (बी)-क्रि० १ भयभीत करना, त्रसित करना ।। ६. सुगंध फैलाना, महकाना । १० सतर्क करना। २ प्रातंकित करना । ३ अनिष्ट की सूचना देना । ४ संकोच ११ हंसाना । १२ सिलाना, प्रफुल्लित करना । १३ उमंगित कराना। करना । १४ सिसकाना। डरावणी-वि० भयानक, डरावना, खौफनाक । उहक्क-स्त्री. १ प्रस्फुटन, विकास । २ ध्वनि, आवाज । डरावणी (बौ)-देखो 'डराणी (बौ । ३ देखो 'डहक'। डरू-फरू-वि० भयभीत, शंकित । डहक्करणौ (बौ)-देखो 'डहकणी' (बी)। डळणी (बौ)-क्रि० १ गिरना, पड़ना । २ देखो 'डुळणो' (बौ) डहक्काणौ (बौ), डहक्कावरणौ (बो)-देखो 'डहकाणी' (बौ)। डळी-स्त्री० १ घोड़े की जीन के नीचे रहने वाला गद्दीनुमा | डहचक्क-क्रि०वि०१ निरन्तर, लगातार । २ चिल्लाते हुए। उपकरण । २ गुड़ आदि पदार्थो का छोटा खड।। डहडह-स्त्री० १ हंसने की ध्वनि । २ वाद्य ध्वनि । डळी-पु० १ किसी पदार्थ का बेडौल खण्ड । टुकड़ा । २ लौंदा, डहडहणी (बौ)-क्रि० १ प्रफुल्लित होना, खिलना । २ भयातुर पिंड । ३ देखो 'ढळो' । होना, भयभीत होना । ३ प्रसन्न, हर्षित होना । ४ नगाड़ा, डल्लौ-पु. ऊचे पायों को चारपाई । डमरू आदि बजना । ५ लहलहाना, हरा-भरा होना। डवरू-देखो 'डमरू'। ६ मेंढक का बोलना। उस-स्त्री० १ तराजू की डांडी के मध्य बांधी जाने वाली डोरी। डहडहाट-देखो 'डै' डाट'। २ ताले आदि का अवयव । ३ डाह, ईर्ष्या । ४ नेत्र में | डहडहाव-पु० हरापन, ताजगी। होने वाली लाल रेखा । ५ नक्कारा । डहडहौ-वि० हरा-भरा, प्रफुल्लित, ताजगी युक्त । उसको-देखो 'डुसको'। डहरणी (बी)-क्रि० १ संभाले रखना, उठाये हुए रखना । इसण-पु० [सं० दशन] १ दांत, दंत । २ दंश करने की क्रिया २ स्थापित करना, रखना। ३ धारण करना । ४ पहनना। या भाव । ३ देखो 'डसणि' । ५ ग्रहण करना, पकड़ना । ६ ध्वनि करना, बजाना। डसरिण (पी)-स्त्री० १ कटार । २ डसने की क्रिया या भाव । ७ प्रारूढ़ होना । ८ शोभित होना । ६ होना, बनना । उसरणी (बी)-क्रि० [सं० दंशन] १ सर्पादि जहरीले जंतुओं का | १० सुसज्जित होना, सजना । ११ दुःखी होना । काटना, दंश करना, डसना । २ दांतों से काटना, चबाना । उहर (उ)-पु० [सं० दहरः] १ बालक (जैन) । २ जानवर ३ डक मारना। __ का बच्चा । ३ तरुण, युवक (जैन)। ४ छोटा भाई, अनुज । डसा-स्त्री० [सं० दंष्ट्रा] १ दाढ़, डाढ़ । २ सिंह के आगे के ५ चूहा । ६ शख्त जमीन (मेवात)। ७ देखो 'डेरी'। दांत। डहरी-स्त्री० १ प्रतिनी, डाकिनी । २ देखो 'डेरी'। डसी-स्त्री० १ कष्ट निवारणार्थ किसी देवस्थान पर, पहनने के डहरौ-१ देखो 'डहर' । २ देखो 'डेरौ'। वस्त्र की लगाई जाने वाली ध्वजा । धज्जी । २ देखो ‘डम'। डहलणों (बौ), डहलाणौ (बौ)-क्रि० हाथी का चिंघाड़ना। For Private And Personal Use Only Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org डहळो ( ५३३ ) डांम डहळी-वि० गंदला, मैला। डांडहड़ि (डी)-१ देखो 'डंडाहड़' । २ देखो डंडी। डहाणी (बौ), डहावणी(बी)-क्रि० १ निर्मित करना, बनाना। डांडि-१ देखो 'डांडी'। २ शोभित करना । ३ सुसज्जित करना । ४ दुःखी करना, | डांडियौ-देखो 'डंडियौ' । २ देखो 'डंडो' । संतप्त करना। ५ देखो 'डहणी' (बौ)। डांडी-स्त्री० [सं० दण्डिका] १ पंगडंडी। २ संकरा व पतला डहाल-स्त्री० तलवार। रास्ता । ३ नाक का ऊपरी भाग । ४ तराजू की लकड़ी, डहिकरणौ (बौ)-देखो 'डहकरणी' (बौ)। डंडी । ५ सीधी लकीर। ६ चम्मच या किसी उपकरण डहिडहणौ (बौ)-देखो 'डहडहणो' (बी)। का हत्था, दस्ता । ७ पालकी के डंडे । डहोळी-पु० १ भय, डर । २ उपद्रव, प्रांदोलन । ३ खलबली, डांडीड़-१ देखो 'डांडो' । २ देखो 'डांडी'। ___ आकुलता । ४ अव्यवस्था । ५ क्षोभ । डांडीयौ-देखो 'डंडियौ'। डहोलो-पु० १ काठ का बड़ा चम्मच । २ देखो 'डोलौ'। डांडेमीढ़-वि० क्रोधी। डांक, डांकळ-स्त्री० १ सोने चांदी के आभूषणों में लगाया डांडो-पु. १ फाल्गुन मास के प्रारंभ में रोपा जाने वाला होली जाने वाला जोड़। २ देखो 'डांखळी' । का डंडा। २ औजार का हत्या, दस्ता । ३ डंडा । डाकळी-देखो 'डांखळो' । ४ पालकी का डंडा। डांकियो-देखो 'डांखियो'। | डारण-पु० [सं० दान] १ चौपड़ आदि का खेल, दाव । २ दाव। डांखणी (बी)-देखो 'डांखिणी' (बौ)। ३ कर, टेक्स । ४ दण्ड, जुर्माना, सजा । ५ सिंह, हाथी डांखरी-वि० धुंधळा। तथा ऊंट की गर्दन के बाल । ६ सिंह, हाथी व ऊंट की डांखळ, डांखळियो, डांखळी, डांखळी-पु०१ डंठल । २ तिनका। गर्दन से झरने वाला मद । ७ गर्व, अभिमान । ८ जोश । ३ टहनी आदि का छोटा व पतला टुकड़ा । ९ जुलूस । १० मचान, मंच । ११ खाता, मद । डांखिणौ (बौ)-क्रि० १ क्रोधित होना । २ आकाश में विचरण १२ विभाग। १३ मस्ती । १४ उपाय, युक्ति, तरीका । ___ करना, उड़ना । ३ चोंच से कुरेदना । १५ ऐश, पाराम, मौज । १६ ऊंट की पीठ पर सवारी के डांखियो-पु० भूखा व क्रुद्ध सिंह । -वि० क्रुद्ध, कुपित । लिए कसी जाने वाली गद्दी । १७ घोड़े की जीन । डांग, डांगड़की, डांगड़ी-स्त्री० १ लाठी। हाथ में रखने की १८ छलांग, चौकड़ी । १६ डग, कदम । २० सीमा, हद । कोई लकड़ी। २ खेत या खुली भूमि का पाहता । २१ सजावट । २२ युद्ध के लिए सेना की तैयारी। ३ बैलगाड़ी के पाटों से लगने वाली लकड़ी। -रात- २३ पारी, बारी । -वि० १ स्वस्थ, निरोग । २ समान, पु० तीर्थादि से लौटकर करावाया जाने वाला रात्रि तुल्य । ३ तीव्र, तेज। जागरण।। डाणणी (बौ)-क्रि० ऊंट की पीठ पर गद्दी कसना । डांगड़ियो-पु० सीरवियों की देवी की पूजा करने वाला साधु । डांणबळरोजगार-पु. एक प्रकार का सरकारी कर । डांगपटेलाई-स्त्री०१ मारपीट । २ डराने धमकाने की क्रिया | डांणहलौ-वि० वीर, योद्धा। ३ किसी को बेवकूफ बनाने की क्रिया। डारणी-वि० लगान वसूल करने वाला। डांगर-पु० पशु, मवेशी। -वि० मूर्ख, गंवार। -जंत्र-पु० एकडणे, (ण)-क्रि०वि० प्रानन्द से, मौज से। प्रकार की तोप। डाणी-पु० कूए पर लगी शिला । डांगरु (रू)-वि०१ घोषणा करने वाला । २ देखो 'डांगर'। डांफर-स्त्री० १ बाह्याडंबर, दिखावटी ठाट । २ वातचक्र, डांगरौ-देखो 'डांगर'। प्रांधी । ३ अत्यन्त ठंडी हवा । ४ शीतकाल की तेज डांगी-पु० हंसिया लगा लंबा बांस । बर्फीली हवा। डांची-पु० ऊंचे पायों का पलंग । | डॉफी-स्त्री० १ शीतल वायु । २ देखो 'डाफी' । डांजी, डांझी-स्त्री० रेगिस्तान की खुली भूमि जहां पेड़ पौधे डांब-देखो 'डांम'। ___ आदि कुछ न हों। डांटणी (बौ)-देखो ‘डाटगो' (बौ) । डांबियौ-पु. एक कांडेदार वृक्ष विशेष । डांड-पु० १ नाव खेने का बल्ला, चप्पू । २ सीधी लकडी, डंडा। डांभरणी (बी)-देखो ‘डामणी' (बी) । ३ अंकुश का हत्था । ४ देखो 'डंडो'। -वि० १ मूर्ख, डांम-पु०१ तपी हुई सलाई से किसी प्राणी के शरीर पर गंवार । २ जवरदस्त । लगाया जाने वाला दाग, अग्नि-दग्ध । २ इस प्रकार दग्ध डांडणो (बो)--१ देखो 'डंडागौ' (बौ) । २ देखो 'डाडणौ (बौ)। करने से बनने वाला चिह्न। For Private And Personal Use Only Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मो डमड़ी पु० १ मचान २ देखो 'म' उपद्रवी ३ मनोहर सुन्दर डांगी (बौ) - क्रि० अग्नि दग्ध करना, दाग लगाना । डामर वि० [सं० डामर १ भयानक भयंकर २ विप्लवकारी, ५०१ कोलाहल, हल्ला । २ उपद्रव । ३ चीत्कार । ४ कोलतार । ५ कांति, चमक । ६ भव्यता । ७ वैभव, शान । ८.४९ क्षेत्रपालों में से २९ वां क्षेत्रपाल । εएक प्रकार का तंत्र । १० डमरू नामक वाद्य । ११ इस वाद्य की ध्वनि । डांमरी स्त्री० ० १ अंधेरा । २ धुंधलापन । डोमाली (ब), डोमावली (बी) - कि० प्रग्निदग्ध कराना, दाग www. kobatirth.org ( ५३४ ) लगवाना । डांवर (बौ) - क्रि० मेंढक का बोलना । 'डांव- १ देखो 'डांम' । २ देखो 'दांव' | डांव (ब) - देखो 'डांमणी' (बी) । डांवांडोळ, डांवाडोळ - वि० १ हिलने-डुलने वाला, अस्थिर । २ भूलता हुआ । ३ चलचित्त, भ्रमित । ४ विचलित । ५ अनिश्चित, अव्यवस्थित | ५ उमा । ६ रमा । ७ डायन । डा' - १ देखो 'प्रावड़ी' । २ देखो 'डाह' । ३ देखी 'डाव' । डाळ-देखो 'डाइवाळ' | डाइचउ, डाइची - देखो 'दायजी' । डाइ डाइरिए डाइगी, डाइन देखो 'डाव' डाइयाळ - वि० १ बायीं तरफ चलने वाला । डाई - स्त्री० १ बारी, पारी, नम्बर, क्रम । हार की दशा । ३ देखो 'डाकी' । विनम्र । 1 + डांस, डांसर - पु० [सं० दंश ] १ बड़ा मच्छर । २ पशुओं को काटने वाली एक मक्खी, पतंगा । वि० १ जबरदस्त जोरदार २ बहुत वयोवृद्ध डांसरियो - पु० १ मंझोले कद का एक पहाड़ी वृक्ष व उसका डाकमुसी पु० किसी डाक घर का प्रभारी । फल । २ देखो 'डांसर' | डांसू १० देश डाकर देखो 'डकर' । डा० १ सूर्य २ भूत । २ भूत । ३ समूह । स्त्री० ४ पृथ्वी । २ कुछ बड़ा । २ बच्चों के खेल में - वि० सीधी-सादी, डाउड़ी देखो 'बड़ी'। डाक स्त्री० १ ध्वनि, आवाज 1 २ वाद्यों की ध्वनि । ३ रणवाद्य । ४ विजयी दुंदुभि, नगाड़ा । ५ शिव का डमरू । ६ युद्ध प्रिय देवता का बाजा । ७ उल्लू की आवाज । ८ तंग लेकिन लम्बा भू-भाग । ९ हाथी को वश में करने का छोटा भाला १० हाथी के शरीर में उक्त भाले का घाव । ११ डग, कदम । १२ डाकुओंों का दल । १३ पत्र, चिट्ठी १४ चिट्ठियों-पत्रों को यथास्थान भेजने की । व्यवस्था करने वाला विभाग । १५ सरकारी पत्र, चिट्ठी । १६ डाक लेजाने वाली व बड़े स्टेशनों पर ही रुकने वाली तामी गाड़ी । १७ दूरी, फासला । १८ हाथियों का हैजा रोग । १९ शिव का गरण समूह । २० देखो 'डाकौ' । - खरच - पु० पत्र या किसी वस्तु को डाक द्वारा भेजने का खर्च । —खांनौ पु० डाक विभाग । गाड़ी - स्त्री० डाक से जाने वाली इतगामी गाड़ी पर 'डाकखानी' । - मंगळी १० पर्यटकों के ठहरने का सरकारी प्रावास गृह - पु० डाकधूक वि० [चबराया हुआ डांवाडोल । डाकडमाळ (पाळी) स्वी० १ ब्राहम्बर ढोंग दिखावा । - । , Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २ एक प्रकार की लता । डाकरण, डाकरिण, (णी) - स्त्री० [सं० डाकिनी ] १ बच्चों को नजर लगाने वाली स्त्री, डायन । २ चूड़ेल, प्रतिनी । ३ राक्षसी । ४ काली देवी की एक सहचरी -घोड़ौ- पु० लक्कड़बग्घा । डाकरणौ (बौ) - क्रि० १ कूदना, फांदना । २ कूद कर पार करना, लांघना । ३ छलांग लगाना । ४ दुधारू मवेशी का दूध देना बंद कर देना । डाकदार - पु० १ मस्त हाथी को काबू में करने वाला महावत । २ सरकारी डाक ले जाने वाला कर्मचारी । ३ डाकिया, चिट्ठी रहा। - डाफोत डाकरडौर- पु० भय, डर । starit (at) - क्रि० १ सिंह या सूर का क्रोध में बोलना, गर्जना | २ डांटना, फटकारना । डाकळी - स्त्री० ० एक प्रकार का वाद्य । डाकवेल स्त्री० नींव खोदने या क्यारी बनाने के लिए बनाई जाने वाली सीधी रेखा । डाकिणी (नि, नी) - देखो 'डाकरण' । डाकियो पु० चिट्ठी रमा पोस्टमेन । - stevia - स्त्री० फाल्गुण कृष्णा पंचमी की तिथि । डाकाबंध - वि० १ जिसके यहां नगारे निशान बजते रहते हों । २ योद्धा, वीर । डाकी, डाकोड़ वि० (स्त्री० डाकरण) १ बच्चों को नजर लगाने वाला । २ अधिक खाने वाला, पेटू । ३ महान् शक्तिशाली, जबरदस्त । ४ भयानक डील-डोल वाला । ५ नरभक्षी, असुर दैत्य । ६ दुष्ट, प्राततायी । ७ वीर बहादुर । स्त्री० १ वृद्ध मादा ऊंट । २ सोलंकी वंश की एक शाखा । डाकू - पु० १ लुटेरा, धाड़ायत । २ पेटू । For Private And Personal Use Only डाकोत, हाकोतियो पु० 'शक' नामक ज्योतिषी के वंशजों की एक जाति व इस जाति का व्यक्ति । Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डाको ( ५३५ ) डारण डाको-पु. १ लुटेरों का अाक्रमण, धाड़ा, लूट का कार्य । डाडी-देखो 'डाढी'। २ भय, अातंक । ३ ढोल, नगाड़ा आदि बजाने का डंडा। डाढ (डी)-देखो 'डाड' । ४ देखो 'ड'को'। ५ देखो 'डागौ'। डाढ़णी (बौ)-देखो ‘डाडणों (बी)। डाग-स्त्री० १ वृद्ध मादा ऊंट । २ टहनी, शाखा, डाली। डाढ़वाळ, डाढ़ाळ, डाढ़ाळी-स्त्री० १ देवी, दुर्गा, शक्ति । ३ साग, भाजी, तरकारी । (जैन) २ वह स्त्री जिसके चिबुक पर दाढ़ी हो । ३ बड़ी-बड़ी डागड़, डागड़ियो, डागड़ो-देखो 'डागौ' । दाड़ों वाली कोई मादा। डागळ-वि० १ जो आकार में बड़ा हो। २ देखो 'डागळौ' । डाढ़ाळी-पु० १ वराह अवतार । २ सूअर, शूकर । ३ सिंह डागळियो- देखो ‘डागळौ' । शेर । ४ बड़ी-बड़ी डाढ़ों वाला प्राणी । ५ यवन, डागळी-स्त्री० १ बैलगाड़ी का थाटा । २ देखो डागळे' । मुसलमान । ३ देखो 'डागळी'। डाढी-स्त्री० १ ठोड़ी, चिबुक । २ चिबुक पर के बाल, हजामत । डागळे (ॐ)-क्रि० वि० छत पर । ३ चिबुक के बाल काटने की क्रिया । डागळी-पु० छत, मकान के ऊपर का आंगन । डाढ़ राव-वि० बड़े-बड़े दांतों वाला । डागाळ-पु० एक प्रकार का भाला। डाढ्याळी-देखो 'डाढाली'। डाच-देखो 'डाचौ'। डात्कार-पु० डमरू की ध्वनि । शब्द । डाचको-पु० मिचली, मतली, प्रोकाई । डाफर-देखो 'डांफर'। डाची-पु० मादा, ऊंट । डाफळ-वि० १ छितराया हुआ । २ बड़ा । डाचौ-पु. १ मुंह, मुख । २ बड़ा ग्रास । ३ मुह से काटने की | डाफी-स्त्री. १ मति, बुद्धि । २ अति शीघ्रता से पानी पीने से क्रिया । ४ मुह से काटने का निशान । | पेट में बनने वाला वायु का गोला । डाट-स्त्री० १ घुड़की, क्रोध पूर्वक फटकार । २ रोक । डाफौ-पु० चक्कर, व्यर्थ की भटकन । ३ शीशी आदि के मुंह में कुछ फंसा कर दिया जाने | डाब, डाबड़ी-पु० [सं० दर्भ] १ कुश जाति की घास, कुश । वाला ढक्कन, कार्क । ४ दबाव । ५ शासन । २ बन्दूक में लगा चमड़े का तस्मा । ३ देखो 'दाव' । ६ देखो 'डाटो' । डाबड़ी-पु० १ रहट का घेरा । २ देखो 'डाब' । डाटउ-देखो 'डाटो'। डाबर-पु० १ अांखों का सौन्दर्य । २ बड़े व गोल नेत्र । डाटकिया-स्त्री० घोडों की एक जाति । ३ छोटा तालाब, पोखर । डाटकियो-पु० एक जाति विशेष का घोड़ा । डाभ-देखो 'डाब'। डाटणौ (बौ)-क्रि० १ फटकारना, प्रताड़ना देना, डांटना । | डायचौ-देखो 'दायजी' । २ क्रोध पूर्ण स्वर में बोलना । ३ गाड़ना। ४ दबाना, दबा डायजावाळ-पु० दहेज में दिया हुअा व्यक्ति या सामान । कर रखना । ५ बंद करना, ढकना । ६ छेद या मुह डायजौ-देखो 'दायजौ' । बंद करना, फंसाना । ७ किसी वस्तु को भिड़ाकर ठेलना। डायरण, (णि, णी, नि, नी)-स्त्री० १ एक प्रकार की लता। ८ खुब पेट भर खाना, कसकर खाना । ६ ठाट से पहनना। | २ देखो 'डाकण' । डाटी-देखो 'डाट'। | डायल-देखो 'डाहल'। डाटौ-पु. १ शीशी आदि को मुह या किसी छेद को बंद करने | डायलो-वि० (स्त्री० डायली) १ जबरदस्त, जोरदार । के लिये फंसाया जाने वाल ढक्कन, डाट । २ रोक ।। २ समर्थ । ३ देखो 'डावी' । ३ मस्तक । डायां-स्त्री० बैलगाड़ी के अग्रभाग में लटकने वाली दो डाड, डाडडी-स्त्री० [सं० दंष्ट्रा] १ चबाकर खाने वाला लकड़ियां । बड़ा दांत, दाढ़। २ रहट में लगने वाला एक उपकरण । डायो-वि० [सं० दक्ष] (स्त्री० डाई, डायी) १ चतुर, दक्ष, ३ रुदन, विलाप । ४ क्रूर दृष्टि । समझदार । २ छंटा हुअा, धूर्त, चालाक । ३ सीधा, डाडणी (बी)-क्रि० १ जोर में रोना, गला फाड़कर रोना, सरल, सहज । ४ कुछ बड़ा । ५ बायां । कूकना । २ चिल्लाना। डार (), डारड़ियो (डौ)-पु० १ झुण्ड, समूह । २ पंक्ति, डाडर, डाडरी-पु०१ वक्षस्थल, सोना । २ पीठ । ३ मेंढक । प्रवली। ३ दल, टोली। डाडाळ (ळी)-देखो 'डाढ़ाळो' । डारण-वि० १ योद्धा, वीर । २ शक्तिशाली, बलवान डाडाळो-देखो 'डाढ़ाळी' । जबरदस्त । ३ दीर्घकाय, भीमकाय । For Private And Personal Use Only Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra डारलौ www. kobatirth.org ( ५३६ ) २ देखो डाही देखो 'दाई'। डारणी ( बौ) - क्रि० १ भयभीत करना, डराना । 'डालगौ' (बौ) । डारपत, (पति, पती) १० घर कर डारी - पु० १ सूर । २ देखो 'डार' । ३ देखो 'डारण' । डाळ (ल) - स्त्री० १ तलवार की मूठ के ऊपर का भाग। २ तलवार का फल 1 ३ दरार, शिगाफ । ४ द्वार पर कमान की तरह लगे दो पत्थर । ५ शाखा, टहनी । डाली (ब) - क्रि० १ किसी में कुछ डालना, घुसाना, गिराना, मिलाना । २ एक वस्तु को दूसरी वस्तु पर फैलाना । ३ पहनना । डाळाअंग पु० केवट, नाविक । डाळामायो - पु० सिंह, शेर। डाळि, डाळी स्त्री० वृक्ष प्रादि की शाखा, टहनी । डाळी पु० [सं०] दार:] वृक्ष आदि की बड़ी शाखा । डाली - पु० [सं० डल्ल] १ बांस की खपचियों का बड़ा टोकरा, डलिया । २ ट्रक के पीछे का भाग, जहां सामान भरा जाता है। वाला वृक्ष । डाव-पु० १ नृत्य, नाच । २ एक बार में किया जाने वाला डिगंबर, डिगंगर-देखो 'दिगंबर' । नृत्य । ३ देखो दाव' । डायड़ियो देखो 'दावड़ी' । डावड़ी - स्त्री० १ पुत्री, बेटी । २ कन्या, बालिका । ३ दासी, सेविका । , डावड़ी -१० (स्त्री० डाबड़ी) १ बालक लड़का २ पुत्र, बेटा। डाबरी देवी 'डावडी' । frent (बी) क्रि० १ सया चलते हुए का संतुलन बिगड़ना । २ संतुलन बिगड़ने से गिर पड़ना । ३ हिलना-डुलना । ४ डगमगाना । ५ स्थान छोड़ना, हटना । ६ नीचे की ओर प्रवृत्त होना, झुकना । ७ प्ररण पर दृढ़ न रहना, उसूलों से गिरना विचलित होना । चारित्रिक कमजोरी 2 । ८ आना । डावरौ - देखो 'डावड़ो' । डिगपाळ - देखो 'दिगपाल' । डावलियाँ डाली - वि० १ बायें हाथ से अधिक कार्य करने भिम देखो 'डगमग' । वाला । २ देखो 'डावी' । डावांडोळ, डावाडोळ - देखो 'डांवाडोळ' | डा, डावू, डाव - वि० [सं० वाम ] ( स्त्री०डावी) १ बायां, वाम । २ प्रतिकूल, विरुद्ध । ३ उल्टा । ४ देखो 'डायौ' । -पु० १ बायां हाथ । २ बायां अंग । डा स्त्री० [सं० दह] ईर्ष्या, द्वेष, जलन । डाहरणौ (बौ) - क्रि० धारण करना, पहनना । डाहर - पु० एक जाति विशेष । डाळ स्त्री० १ एक वाद्य विशेष । २ देखो 'डाळी' । डाहल - पु० [सं०] १ शिशुपाल । २ एक देश । ३ इस देश के अधिवासी । ४ देखो 'डाहलो' । डाहो देखो 'हाळी' । डाहलौ - वि० (स्त्री० डाहली) १ ईर्ष्या करने वाला, ईर्ष्यालु । २ देखो 'डायो' । ३ देखो 'डावो' । ४ देखो 'डाहल' । डाहापरणौ- पु० चतुरता, दक्षता, सरलता, सीधापन । डाह (सी) स्त्री० छत्तीस प्रकार के शस्त्रों में से एक। डाहुउ-पु० एक देश का नाम । डाहलियो डालो-देखो 'डायन' डाम्रार देखो 'डाइयाळ' | डाहेरौ, डाहो-देखो 'डायो' । (स्त्री० डाही ) । डिंगळ-स्त्री० राजस्थान या मरुप्रदेश की एक प्राचीन काव्य भाषा । डिगळियो, डिंगळ्यौ-वि० डिंगल का जानकार, 'डिंगल' का पंडित | डिडिभ, डिडिम, (भि मी) - स्त्री० [सं० दुदुभी ] एक प्रकार का वाद्य । डिंडीर - पु० फेन, भाग । डिब, डिम, डिमक-पु० [सं०] १ पुत्र, बेटा । २ युद्ध, लड़ाई । ३ जानवर का बच्चा । डिमककरास्त्र - पु० एक प्रकार का अस्त्र । डिकामाळी - स्त्री० दक्षिण या मध्य भारत में पाया जाने Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डिलि- देखो 'डील' । डिल्ली ५० १ एक मात्रिक छंद विशेष छंद विशेष । डिल्लौ डिगमगाहट देखो 'डगमगाहट' डियर पु० [सं० डिगर] नौकर चाकर परिचायक I डिगाणौ (बौ), डिगावणी (बो) - क्रि० १ खड़े या चलते हुए का संतुलन बिगाड़ना । २ नीचे गिराना । ३ धक्का या टक्कर लगाना । ४ हिलाना-डुलाना । ५ डगमगाना । ६ स्थान छुड़ाना, हटाना । ७ नीचे की ओर प्रवृत्त करना, झुकाना ८ प्रण पर दृढ़ न रहने देना, उसूलों से गिराना । ९ विचलित करना । १० चरित्र से गिराना । टिकारी देखो 'टिचकारी' । डिचि देखो 'टिनटिन' । डिड-देखो 'इढ़' डिमर - देखो 'डमरू' । For Private And Personal Use Only २ एक वfरंगक Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra डींग डींग स्त्री० शेखी, गप्प । श्रतिशयोक्ति पूर्ण बात । डीगढ़-देखो 'टीमो www. kobatirth.org ( ५३७ ) डॉवर, डोंगरी ५० १ एक शिरे में छेद कर या रस्सी बांध कर बदमाश पशु के गले में लटकायी जाने वाली लकड़ी । २ मूर्ख प्राणी डी गळ-देखों 'डिंगळ' । डी गळियो-देखो 'डिगळियौ' । गली-देखो 'ठी डीगाड़, डीगार - देखो 'डीगाड़' । ही गोड़, डीगोडी, डीगोड़ो-देखो 'डोगी' | stant - ०१ लकड़ी का ठूठा । २ मूर्ख व्यक्ति । ३ देखो 'डीगो' । डुंगरि (री) - देखो 'डूंगरी' | डीघड़, डीघल, डीं घोड़- देखो 'डोगी' | डुडि (डी) देखो ''डी' । डींच पु० पत्ती या फूल के पीछे का ल डी - पु० जल में रहने वाला सर्प । डोडोळियो- १देखो 'डंडोळी' । २ देखो 'डंडियो' । डी (बु), भू० भिड़ नामक कीट ततैया, वरं । डीया स्वी० [सं०] दृष्टि] १ नजर दृष्टि । २ नेत्र, नयन । डी-पु० १ ग्रासन । २ आमला । ३ आकाश । ४ समुद्र । ५ फेन, भाग। स्त्री० ६ हरीतकी । ७ जंजीर । डीकर, डीकरड़ी-देखो 'डीकरी' । डीकरड़ौ, डोकरियो-देखो 'डीकरी' । डोर पु० वृक्षों को मौर, बोर । मंजरी । डोरा - स्त्री० ढोलियों की एक शाखा । के बदले मिलने वाला भाग धाकार, ढांचा बनावट, विस्तार 1 डीलायती, डीलायती वि० १ शरीर या देह संबंधी दीर्घकाय | होलि देखो 'डील' । डील- पु० १ शरीर, देह, तन । २ व्यक्ति, मनुष्य प्राणी ३ योनि, भग। प्रांगी पु० व्यापार या कृषि में श्रम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डीली-देखो 'दिल्ली' । डोलोडोल-पु० - उपांग डीवा पांरगत पु० एक प्रकार का सरकारी कर । डोसा- मूळस्वी० एक प्रकार की वनस्पती । डुंगर-जीवी देखो ''गरजीवी' - डोकरी - स्त्री० १ पुत्री, बेटी । २ लड़की, बालिका । डीकरी पु० [सं०] दीप्तिकर] (स्वी० डीकरी) १ पुत्र, बेटा २ लड़का, बालक । डीकामळी स्त्री० गाड़ी | डीगढ़, डगड़ियाँ, डीगड़ी, डोगळ, डोलियो, डीवली- दुपटी, दुपट्टी- देखो 'दुपट्टी'। ', देखो डीगी' । होल पु० शरीर का बड़ी हाड़-बड़ी' । दुलहर । बड़ी बड़ी-देखो 'म' | 'विलय-स्त्री० एक धनार्थ जाति एवं इस जाति का व्यक्ति । कलि. (ली) - स्वी० एक वनस्पती विशेष | २ भीमकाय डु-पु० १ रक्त । २ स्तंभ । ३ समुद्र । ४ कबूतर । स्त्री० ५ पार्वती । ६ शक्ति । ७ लता । ८ श्रांख । डुकलियाँ, डुकलो- पु० जीर्ण-शीर्णं या ढीली-ढाली खाट । डुको, डुक्कौ पु० १ मुक्का, मुष्ठिका २ मुष्ठिका प्रहार । दुखलियो, दुखली-देखो 'डुकली' । डुगडुगालो (बी), डुगडुगावरणी (बौ) - क्रि० डुगडुगी बजाना । डुगडुगी, डुगी - स्त्री० चमड़ा मंढ़ा एक छोटा वाद्य, डुग्गी । डुड़द, डुडंद, डुडियंद-पु० सूर्य, रवि । डुपटी- देखो 'दुपटी' | For Private And Personal Use Only डीगाड़, डीगार पु० रहट में लगने का लकड़ी का एक डंडा । डीगोड़, डीगोड़ियौ, डीगोड़ो-देखो 'डीगो' । डीगौ, डीघड़, डीघड़ियों डीघड़ौ, डीघल, डीघलियो, डीघलौ, डीघोड़, डीघोड़ियों, डीपोड़ी, टोपी वि० [सं०] दीर्घ] (स्त्री० डीवी) - ऊंचे या लंबे कद का लंबा । 'डीठ - देखो 'दीठ' । डोबसियो - देखो 'ढीबसियो' । डुरकी - स्त्री० करुणरस प्रधान एक गीत विशेष । डीबी, डोमू, डोमी, डी, डोमी पु० १ मानसिक कष्ट साचात लियो रगली रगली पु० स्त्रियों का कर्णाभूषण सदमा । २ ईर्ष्या, डाह, जलन । ३ फोड़ा | विशेष | डुबकी - स्त्री० १ पानी में पैठने की क्रिया, गोता । २ श्रवगाहन । बाली (बी), दुबावली (बी) बोली (बो) दुबोवलौ ( बौ) - क्रि० १ पानी आदि द्रव पदार्थ में पैठा देना, घुसाना, गोता लगवाना । २ गहरे पानी में ऐसे घुसाना कि सही सलामत वापस न निकल सके । ३ भिगोना, तरबतर करना । ४ नष्ट करना. बरबाद करना । ५ लीन या मग्न करना । ६ गलत हाथों में दे देना । गलत जगह रखना । गलत जगह भेजना । ७ मिटाना । डुळणी (बौ) - क्रि० १ विचलित होना, अस्थिरचित्त होना । २ हिलना दुसना, डोलना ३ तरसना लालायित होना । डुलणी (बी) - देखो 'डोलरणी' (बी) । डुलहर देखो 'टोलर'। Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दुळाणी www. kobatirth.org ( ५३० ) डुळाणौ (बौ), डुळावरणौ ( बौ) - क्रि० १ विचलित करना, स्थिरचित्त करना । २ हिलाना-डुलाना । ३ लालायित करना । तरसाना । डुलारी (बौ), डुलावरणौ (बौ) - देखो 'डोलाणी' (बाँ) | डुळियौ वि० विचलित, अधीर, श्रातुर, अस्थिर । डंठल । २ सूखी जड़ । डूंगर (डी)- पु० [सं० तुरंग] पहाड़ पर्वत — जीबी - वि० पर्वत के समान दीर्घायु वाला । पर्वतों में रहने वाला । डूंगरड़ी, डुंगरि- देखो 'डूंगरी' | डू गरियो - देखो 'डूगर' । -- दुनीत पु०का | दुसको (बी) दुमका (बौ), दुसकावली (बो)- क्रि० १ सुबक सुबक कर रोना, सिसकना । २ हिचकियां भरना उसकी इसकी, दुसयौ ०१ व कर रोने की क्रिया, सिसकी, बड़ियाँ बड़ी देखो 'म' सुबक हिचकी । २ रुकती हुई लम्बी सांस अवस्था में आने वाली हिचकी । इंख खळ, खळियो, डूंखळी, डूंखळो- पु० १ पौधे का सूखा । ३ मरणासन्न डूंगरी - स्त्री० छोटी पहाड़ी, पहाड़ की चोटी । डूंगरेची - स्त्री० ० आवड़ देवी का एक नाम । डूंगळी - पु० एक प्रकार का घास । डूंगी-वि० गहरी, पधिक गहरी पु० तबले का वाय डूंच - १ देखो 'डू चकौ' । २ देखो 'इ'ज' | चकौ पु० १ डंठल । २ पौधा कटने के बाद पीछे रहने वाला भाग २ देखो 'डाचकौ' । डू चरणौ (ब) - क्रि० १ ज्वार, बाजरे आदि की फसल की बालें तोड़ना । २ काटना । ३ इकट्ठा करना । ४ डाट, लगाना, रोकना । 'चियो-१ देखो ''बको २ देखो 'इ'जो' । हूँ चीड़, चौ-पु० १ खेत में बना मचान । २ देखो 'डू'जो' । हून- १० १ तूफान, अंधड़, तेज हवा । २ देखो 'डू 'जो' । जियो, जौ-०१ शोशी आदि के संकरे मुंह या छेद को बंद करने के लिए फंसाई जाने वाली वस्तु कार्क, डाट २ श्वास अवरोध की अवस्था, बेहोशी । ३ खाते समय गले में ग्रास अटकने से होने वाला कष्ट । । मी (बो) देखो ''वी' (बी) चरणौ । (a हृचियो, डूचीड़, डूचौ- देखो 'डू'जौ' । ड- पु० १ तेज वायु के साथ उड़ने वाली गर्द । २ वात चक्र । डूंडळी - स्त्री० १ बिना सींग की गाय या भैंस । २ देखो 'इ'डी' | इंडि, हूंडी - स्त्री० १ नगाड़ा । २ नगाड़ा श्रादि वाद्य बजा कर गली-गली में दी जाने वाली सूचना । ३ नाव | डुंडौ- पु० १ नाव, नौका । २ वृद्ध भैंस । ब. डूबड़ियो, इं बड़ो-देखो 'डूम' | डूबी देखो 'डूमी' | श्री- पु० रहट को उल्टा घूमने से रोकने वाला उपकरण । डूकरण, डुकरियों, डूकरणौ - पु० कूल्हे की हड्डी जो रीढ़ से जुड़ी रहती है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डूकळ, डूकळियौ, डूकळौ - पु० खलिहान में पड़ा वह भूसा जिसमें थोड़ा-थोड़ा अनाज हो । डेरग गली - पु० [सं०दोल: दोलिका ] एक विशिष्ट प्रकार की पालकी डूचको १ देखो 'डू चकौ' । २ देखो 'ठोलो' | डूबरणी ( बौ) - क्रि० १ पानी आदि तरल पदार्थ में घुस जाना, चूना, पैठना। २ गहरे पानी में बूड़ कर मरना । ३ विचार मग्न या लीन होना । ४ किसी कार्य में पूर्ण मनोयोग से लगना । ५ बुरे स्थान पर चला जाना । ६ गलत हाथों में पड़ जाना । ७ बरबाद या नष्ट होना । बिगड़ना । ८ मिटना । हानि या घाटा लगना । १० ऋण या व्यवसाय का धन प्राप्त न होना । ११ सूर्य वहाँ धादि का ग्रस्त होना १२ भीगना । डूबा - स्त्री० १ वर्षा का पानी रुकने की नीची भूमि । २ गहराई, गंभीरता । ३ डूबना क्रिया या भाव। वोड़ी बाहुषा, भीगा था, लीन, मग्न, धरत वि० डूम डूम, मल मलियो ( स्त्री० डूमरण, डूमरणी) १ व्यक्ति, डोम । २ ढोली । 1 | मलो पु० [सं० डम] डूमली - एक जाति व इस जाति का मी पु० गौरवर्ण व काले मुंह का भयंकर विषैला ह डूर- पु० १ बाजरी का दाना निकलने के बाद बचा हुआ फूमदा तड़ा २ देखो' दूर' । डूळ - पु० बड़ी हड्डी । डूल - स्त्री०१ भ्रान्ति, गलतफहमी, भ्रम । २ भूमि पर लिया जाने वाला एक कर्ज - वि० चलायमान, डोलता हुआ, चलित । लाखौ (बौ), इलावरणौ (बौ) - देखो 'डोलाणी' (बी) । है ० १ धर्मराज २ धर्म ३ मृग ४ जिल्हा, वाली। डेग गढ़डियो, गड़ी गड़ी, डेगची-१ देखो 'देगड़ी। डेगड़ी, डेगड़ौ, २ देखो 'देवी' । डेडरण (सी) स्त्री० ढाढ़ी जाति की स्त्री । डेडर, डेडरड़ौ, डेडरियों, डेडरी- पु० [सं० दर्दुर] (स्त्री० डेडरी) १ मेंढक, दादुर । २ मेंढक की तरह आवाज करने वाला एक मिट्टी का खिलौना । ३ दोहे छन्द का एक भेद । डेडी० प्राय मांस का होना। डेकी स्त्री० घड़ियाल के टूटने पर बचा हुआ नीचे का भाग । डेरी० १ एक वाद विशेष २ देखो''। For Private And Personal Use Only डेउ, हेरकियों, डेरड, डेरड़ी डेरियो डेरी-पु० १ धन, व्य २ ठहरने के लिए फैलाया हुआ सामान । ३ यात्रा में साथ Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org डोयठो रहने वाला सामान । ४ यात्रा के बीच का विश्राम । | डोकरियो, डोकरू, डोकरी-पु० [सं० डोलत्करः] वृद्ध पुरुष, ५ प्रवास में रहते समय ठहरने का स्थान । ६ निवास बूढ़ा आदमी । -वि० (स्त्री० डोकरड़ी, डोकरी)वृद्ध, बूढ़ा। स्थान । ७ किसी सामंत का निवास स्थान । ८ तंबू | डोकी, डोको-पु० १ ज्वार, बाजरी के पौधे का डंठल, गोचा। शामियाना, खेमा। ९ कैप, अस्थाई प्रावास। १० नाच-गाने । २ गाय व भैंस के स्तनों की प्रसव के पूर्व की अवस्था । वालों को मंडली । ११ फौज का पड़ाव । १२ दल । डोगौ-पु० मधुर स्वर वाला एक तार वाद्य विशेष । डेळ-वि० १ पथ भ्रष्ट, भ्रष्ट । २ सुस्त । डोटकिया-स्त्री० घोड़ों की एक जाति विशेष । डेलटो-पु. १ वह स्थान जहां नदी समुद्र में गिरती है । नदी का डोटी-स्त्री० ओढ़ने का वस्त्र, चादर । महाना । २ इस स्थान पर बने रेत प्रादि के टीबे जो नदी डोड-प० [सं० द्रोणा एक प्रकार का बड़ा कौग्रा । २ पंवार को कई धारा में विभक्त करते हैं। वंश की एक शाखा । ३ देखो 'डोडौ' । ४ देखो 'डोर'। डेळही, डेळी, डेल्ही-स्त्री. १ नियत । २ देखो 'देहरी' । डोड खुरकीय-स्त्री० घोड़े की एक चाल विशेष । डेवणौ (बो)-देखो 'देणौ' (बौ)। डोडको-स्त्री० एक प्रकार की लता। डॅण-वि० अति वृद्ध, बूढ़ा सठिया बुद्धि का । डोडर-स्त्री० कमर, कटि। ई-पु. १ वृक्ष । २ कान । ३ एक प्रकार का घास, कांस । | डोडळ-स्त्री० सूजन, शोथ । -स्त्री० ४ कोयल । -वि० सफेद, श्वेत । डोडिक, डोडीको-पु० एक खाद्य पदार्थ विशेष । 'काणौ (बौ), डे'कावरणौ (बौ)-१ देखो 'डहकाणी' (बौ)। डोडिया-स्त्री० एक राजपूत वंश । २ देखो ‘डकाणी' (बी)। डोडियो-पु० १ जैसलमेर राज्य का प्राचीन सिक्का । २ 'डोडिया' डैडाट-पु. १ हरापन, ताजगी। २ गाय, भैस आदि के बच्चे की वंश का राजपूत । ३ देखो 'डोडो' । चिल्लाहट । डोडी-स्त्री० १ भुजा के चूड़े के नीचे पहना जाने वाला डढो-देखो 'डौढी'। ग्राभूषण । २ पुरुषों की अजा का आभूषण विशेष । डैरण-देखो 'डेरण'। ३ देखो 'डौडी'। डैर-१ देखो 'डेरौ' । २ देखो 'डेरौ' । डोडौ-पु० १ भुट्टा, बाल । २ पाक या मदार का फूल । डरी-स्त्री० १ काली व चिकनी मिट्टी वाली भराव की कृषि ३ इलायची, खशखश, कपास आदि का फल । ४ गोखरू भूमि । २ ग्रास-पास के धरातल से कुछ नीची भूमि । तथा कांटी नामक घास का कांटेदार गोल फल । ५ अांख ३ जंगल, वन । ४ देखो 'डेरौ' । -माता-स्त्री० गुर्जरों| का कोया । ६ बड़ा कौरा । ७ 'डोड' शाखा का पंवार की एक देवी विशेष । राजपूत । ८ देखो 'डौडौ'। डरु, (रू रू)-पु० १ डमरू नामक एक वाद्य । २ बायें घुटने का डोफाई-स्त्री० मूर्खता, नासमझी। एक वात रोग, घुटने का क्रोष्टुशीर्ष । डोफौ-वि० मूर्ख, नासमझ । डैरी-पु० धातु का चौड़े मुह का गोल-पात्र जिसके खड़ा दस्ता | डोब-स्त्री० १ गहराई, थाह । २ डुबाने की क्रिया या भाव । ___लगा हो। ३ डुबकी, गोता । ४ नीची भूमि । ५ सदमा । डळको-पु० मानसिक आघात, दुःख । ६ एक देश का नाम । डेलांग-पु० द्वार के ऊपर बना खिड़की व झरोखे वाला कक्ष । | डोबरणी (बौ)-देखो 'डुबारणो' (बी)। डेहकारणी (बौ), डेहकावरणी(बी)-देखो 'डहकावणौ' (बी)। डोबरी-पु० १ दरार वाला मिट्टी का बर्तन । २ फटा बांस । डो-पु० १पाप । -स्त्री० २ प्रौढ़ा । -वि०१ पापी । २ मुग्ध । । ३ फटे बांस की ध्वनि । डोइलउ, डोइलियौ-देखो 'डोई'। डोबळ-पु० १ गड्ढा, खड्डा । २ देखो 'डोबौ' । डोइली, डोई, डोईलौ-पु०१ पात्र विशेष । २ देखो 'डोई'। डोबळी-स्त्री० १ किसी बड़े पत्थर या दीवार में किया जाने -स्त्री० [सं० दारुहस्त] ३ काष्ठ का बना बड़ा चम्मच । वाला छोटा छेद । २ उक्त छेद में फंसाने का लकड़ी का डोक-पु० १ घोड़े, गधे आदि के लोटने से भूमि पर बना । गुटका । ३ देखो 'डोबी' । चिह्न । २ देखो 'डोको' । डोबी-स्त्री०वृद्ध भैंस। डोकर (डो)-१ देखो ‘डोकरौ'। २ देखो 'डोकरी'। डोबौ-पु. (स्त्री० डोबी) १ वृद्ध भैंसा, पाडा । २ वृद्ध डोकरड़ी, डोकरि, डोकरी-वि. वृद्ध, वृद्धा । बूढ़ी। -स्त्री. भैस । ३ अांख । ४ अांख का डोला । ५ देखो 'डोब'। १ वृद्ध स्त्री। २ अधिक पानी में रहने से हाथ की अंगुली | डोम (डो)-देखो 'डूम'। में पड़ने वाली झुर्गे। | डोयठौ-पु० [सं० द्वयुत्थ] एक प्रकार की मिठाई । For Private And Personal Use Only Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डोयलियो ( ५४० ) डोहणौ डोयलियौ, डोयली, डोयलौ, डोयौं-देखो 'डोई' । डोलण-पु० स्थान पर बंधा शरीर हिलाने वाला घोड़ा। डोर-स्त्री० [सं० दोरः] १ पतंग का डोरा, मंजा, डोर । ! डोळरणो (बो)-देखो 'डौळणी' (बौ)। २ रस्सी, रज्जु । ३ लगाम, बाग । ४ डोरी। डोलणी (बी)-क्रि० [सं० दोलयति] १ चक्कर लगाना, घूमना, डोरड़ी-देखो 'डोरी'। फिरना । २ भ्रमण करना, विचरना । ३ भटकना । डोरडो-देखो 'डोरौ'। ४ झूलना । ५ किसी एक वृत्त में घूमना । ६ हिलनाडोरणौ (बौ)-क्रि० ऋतुमती घोड़ी का घोड़े से संसर्ग करना । डुलना। ७ कांपना-थर्राना। ८ स्थिर न रहना। ६ डावां डोरवांस-स्त्री० मारंगी के तांतों की मडतंग पर घोड़े के बालों डोल होना । १० डगमगाना, विचलित होना । ११ अधीर से बांधने वाली वस्तु। होना । १२ चलना । १३ भ्रम में पड़ना । डोरांतर-स्त्री० [सं० दोलांतर] बच्चे को सुलाकर पीठ पर | डोलमां, डोलमा-पु० महुड़ा के बीज । लादने की झोली । डोलर, डोलहर-पु० [सं० दोलः] पालनों वाला बड़ा झूला । डोराणी (बौ), डोरावणी (बो)-क्रि० ऋतुमती घोड़ी का | डोलाजंत्र-देखो ‘दोलाजंत्र' । घोड़े से प्रसंग कराना । डोलारणौ (बौ), डोलावणौ (बी)-क्रि० १ चक्कर कटाना, डोराबंद-वि० १ किसी सम्प्रदाय या देवता के नाम का डोरा फिराना । २ भ्रमण कराना, घुमाना । ३ भटकाना। बांधने वाला । २ अनुयायी। ४ झुलाना । ५ विचरण कराना । ६ गतिमान कराना, डोरियो-पु० १ अनाज ढोते समय गाड़ी पर लगाने का मोटा | चलाना । ७ हिलाना-डुलाना । ८ कंपायमान करना। वस्त्र । २ शामियाने बनाने का मोटा कपड़ा। ३ बिछाने ९ डावांडोल करना । १० विचलित करना । ११ अधीर या ओढ़ने का मोटा वस्त्र । ४ जालीदार मोटा सूती वस्त्र । करना। १२ प्रसारित करना । १३ वृत्ताकार धुमाना। डोरी-स्त्री० [सं० दोरः] १ रस्सी, रज्जू, डोर । २ फाल्गुन १४ चलाना । १५ भ्रम में डालना। मास में गाया जाने वाला एक अश्लील गीत । ३ लगाम, | डोलियौ-देखो 'डोलौ' । बाग। ४ कूए से पानी निकालने के काम आने वाली रस्सी। डोळी-स्त्री० [सं० दोला] १ पालकी, जिसे कहार उठाते हैं । ५ प्रांख में पड़ने वाली लाल रेखा । ६ ध्यान, लगन । २ घायल या रुग्ण प्राणी को लिटाकर इधर-उधर ले जाने ७ स्नेह बंधन । ८ खलिहान में अनाज के ढेर के चारों ओर की सवारी । ३ लगान माफी की कृषि भूमि । ४ ऊपर फेर कर नापने की रस्सी । ९ डोरी से नाप कर अनाज का उठी हुई छोटी दीवार । ५.२०० पन्नों की गड्डी। निश्चित भाग राज्य सरकार द्वारा वसूल करने का ढंग । | डोली, डोलीड़-स्त्री० [सं० दोलिका] १ कूए से पानी निकालने डोरीजणी (बौ)-क्रि० घोड़ी का घोड़े के साथ संसर्ग होने का पात्र । २ पानी की गैर (होली) खेलने का छोटा पात्र । से गर्भवती होना। डोळी-पु. १ प्रांख का कोया, रेला । २ नेत्र, नयन । ३ मिट्टी डोरौ-पु० [सं० दोरः] १ वस्त्रों की सिलाई आदि में की दीवार । ४ कन्या को वर के घर भेज कर ब्याहने की काम पाने वाला बारीक तागा, धागा, डोरा । २ सूत, एक प्रथा । ५ गंदा द्रव पदार्थ । ऊन आदि का डोरा, धागा जो कुछ बांधने के काम | डोलो, डोल्यो-पु० [सं० दोल: ] १ खुले मुह का खड़ा जल-पात्र । पाता है। ३ स्त्रियों के शिर में बांधने का मोटा तागा। | २ पानी निकालने की डोली। ३ दूध नापने का पात्र । ४ गले में धारण करने का सोने या चांदी का आभूषण। डोल्लहार, डोल्हर-देखो 'डोलर' । ५ विवाह संबंध स्थापित करने पर वर को दिया जाने वाला | डोव-देखो 'डोब'। धन, टीका । ६ मांगलिक सूत्र । ७ तंत्र द्वारा अभिमंत्रित | डोवटी-स्त्री० [सं० दोपट्टी] दो पट्टियों का वस्त्र, चादर । डा, ताबीज । ८ रहट को माल में बांधने की रस्सी | डोवणी (बी)-देखो 'डोहणौ' (बौ)। ६ गर्द की लकीर। १० प्रवाह, मंद धारा। ११ द्रव डोसी-स्त्री० वृद्धा, बूढ़ी। पदार्थ की पतली धारा । १२ शाकादि में डालने का खट्टा डोसौ-वि० (स्त्री० डोसी) १ वृद्ध, बूढ़ा । २ प्रतिष्ठित, प्रसिद्ध । पदार्थ । १३ तलवार की धार । १४ प्रेमसूत्र । १५ डैरौ । १६ शक्कर की चासनी बनने पर बनने -पु० १ वृद्ध पुरुष । २ उड़द की दाल को पीस कर बनाया वाले तंतु । -डांडो-पु० अभिमंत्रित सूत्र, गंडा, डोरा । | एक खाद्य पदार्थ । डोळ-वि० १ मूढ़, मूर्ख । २ गंदा, गंदला । -पु० १ गंदलापन । डोह-पु०१ प्रानन्द, हर्ष । २ मस्ती, मौज । ३ रसास्वादन । २ गप्प, घसक । ३ देखो 'डौळ' । डोहरणौ (बौ)-क्रि० १ मथना, विलोना । २ संहार करना, डोल, डोलकी, डोलची-देखो 'डोली'। नाश करना । ३ ध्वस्त करना । ४ बर्बाद करना । For Private And Personal Use Only Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डोहळरणो ( ५४१ ) ढंगसर ५ गिराना । ६ बार-बार ढूंढना, टोह लेना । ७ लांघना, डौढ़-देखो 'डौड'। पार करना। डौढ़वरणौ (बौ)-देखो डोडवणी' (बी)। डोहळणी (बौ)-क्रि० [सं० दोलयति] १ पानी आदि गंदा डौढहती, (हत्थी, हथी)-देखो 'डौडहत्थी' । करना । २ देखो 'डोहणौ' (बौ)। डोढ़ी-देखो 'डोडी' । -दस्तूर-'डोडीदस्तूर'। --वार, वान डोहळियौ-पु. १ उदक से प्राप्त भूमि का स्वामी। २ माफी की | -'डोडीदार। ___ छोटी जागीर का स्वामी । डौढ़ी-देखो 'डोडो'। डोहली-पु० [सं० दोहदम् ] गर्भवती स्त्री की इच्छा, अभिलाषा। डोर-स्त्री० १ सिंह की दहाड़ । २ सिंह की गुर्राहट । डो-पु० १ नसिंह अवतार । २ पति । ३ व्यभिचारी। ३ बाह्याडंबर, आडम्बर । ४ देखो 'डोर'। -स्त्री० ४ गाय । डोळ-पु० १ वैभव, ऐश्वर्य । २ ढंग, व्यवस्था । ३ दशा, स्वरूप, डोड-वि० [सं० अध्यद्ध] १ एक और प्राधा, डेढ़ । २ किसी हालत । ४ लम्बे छेदों वाली चलनी। ५ किसी वस्तु को इकाई से प्राधा अधिक । -पु० व्यंग, ताना। ठीक बनाने की क्रिया या भाव। ६ ऊंट की काठी डोडवरणी (बो)-क्रि० १ डेढ़गुना करना, रेढ़ा करना । २ कपाट | की तरह बनाई कोई वस्तु । ७ रंग-ढंग, तखमीना । बन्द करना । ३ कार्य बंद करना। ८ तरह, प्रकार । ९ युक्ति, उपाय । १० गुजारे डोडहती, डौडहत्थी. डोडहथी-स्त्री० तलवार । का प्रबंध । -डाळ-पु० ढंग, व्यवस्था । उपाय, युक्ति, डोडी-स्त्री० १ मुख्य द्वार, दरवाजा, फाटक । २ किसी मकान प्रयत्न । -दार-वि० सुन्दर सुडौल । का मुख्य द्वार के साथ बना कक्ष । ३ एक तरह का | डोळरणी (बी)-क्रि० १ काट-छांट कर सुन्दर बनाना । गढना । पहनावा, पोशाक । -वि० एक व आधी। -दस्तूर-पु० २ ढांचा, प्राकृति या स्वरूप बनाना। ३ ठीक व दुरुस्त एक प्रकार का सरकारी लगान । नेग। -दार, वान-पु० । करना। द्वार का पहरेदार, द्वारपाल । ड्यूटि-स्त्री० [अं०] १ नौकरी। २ किसी कार्य पर तैनाती। डोडो-वि० (स्त्रो० डौडी) १ एक से प्राधा अधिक, एक व ३ सेवा, चाकरी । ४ चूगी, महसूल । ५ कर्त्तव्य, धर्म । आधा । २ टेढ़ा, सीधा न हो, तिरछा। ३ बंद, सटा ड्यौडी (ढ़ी)-देखो 'डौडी' । हुप्रा । ४ विरुद्ध, उल्टा । -पु० १ गायन में प्राधा स्वर ड्यौडौ (ढौ)-देखो 'डोडौ' । अधिक । २ डेढ़ अंक का पहाड़ा। ड्यौढ़-देखो 'डौड'। -ढ हु-देवनागरी वर्णमाला का चौदहवां वर्ण । | ढंग-पु० १ व्यवस्था, प्रबंध । २ प्रणाली, पद्धति, तरीका । ढंक-पु० १ एक पक्षी विशेष । २ कौना। ३ कुम्हार जाति का। ३ उपाय, युक्ति । ४ वैभव । ५ प्रकार, तरह, भांति । एक जैन उपासक । ४ देखो 'ढकरणो' । ६ हाल, दशा, स्थिति । ७ स्वरूप, बनावट, ढांचा । ढंकरण-पु०१ चार इन्द्रियों वाला एक जीव । २ देखो 'ढकरणो' । ८ संकेत, प्राभास । ९ चाल-ढाल, आचरण । १० लक्षण, ढकणउ, ढंकरिणयौ, ढंकरणी-देखो 'ढकरणौ' । चिह्न। ११ रीति, शैली । १२ पाखंड । १३ कुशलता। ढंकणी-देखो 'ढकरणी'। -ढाळ, ढाळी-पु० व्यवस्था, प्रबंध । दशा, हालत । ढंकणी (बौ)-देखो 'ढकणौ' (बौ)। चाल-ढाल । ढंकर-वि० शून्य, निर्जन । -स्त्री० एक प्रकार का वाद्य । ढंग-उजाड़-पु० घोड़े की दुम के नीचे की भंवरी। ढंकुरण-पु० १ एक प्रकार का वाद्य । २ खटमल । (जैन) ढंगणौ (बौ)-क्रि० १ किसी परिमारण विशेष से अनाज मापना । ढंको-वि० १ ढका हुअा। २ असुहावना, अप्रिय । २ तौलना। ढंखर, ढंखरौ-वि० १ उदाम, खिन्न । २ अप्रिय, असुहावना। ढंगसर-क्रि० वि० १ अच्छी तरह, ठीक ढंग से । २ क्रमशः । ३ वेढंगा । -पु० पत्ते झड़ा हुअा वृक्ष । ३ सुचारु रूप से। For Private And Personal Use Only Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढंगी ( ५४२ ) हव ढंगी-पु. १ खेल या प्रतियोगिता में हारा हुआ खिलाड़ी या | ढकोळी-स्त्री० पलाश वृक्ष का फल । कलाकार । २ भंगी, हरिजन । ढकोसळी-पु० [सं० ढंग-कौशल] आडम्बर, पाखण्ड । ढंगो-ढंग-देखो 'ढंगसर' । ढको, ढक्क–देखो 'ढक'। ढंढ़-स्त्री० १ कृषि में काम आने वाला पुराना तालाब । ढक्करण-देखो 'ढकणौ'। २ कीचड़, पंक । ३ सूखा कूप । -वि० मूर्ख, मूढ़ । ढक्काराव-पु० ४९ क्षेत्रपालों में से ३० वा क्षेत्रपाल । ढंढ़ण-पु. एक जैन मुनि । दक्कियरण-वि० आच्छादित करने वाला। ढंढर-पु० १ मरे पशु का अस्थिपंजर । २ खण्डहर । ढगण-पु० [सं०] तीन मात्राओं का एक गण । ढंढ़ रौ, ढंढोरौ-पु० १ किसी बात की सार्वजनिक तौर पर दी ढगमगणी (बौ)-देखो 'डगमगणी' (बी)। जाने सूचना । हूडी । २ प्रचार, विज्ञापन । ३ ऐसी सूचना ढगळ-१ देखो 'ढळो' । २ देखो 'ढगळी' । देते समय बजाया जाने वाला ढोल । ढगळरणौ (बौ)-क्रि० प्रहार करना । ढंढेरची-वि० 'ढंढेरा' पीटने वाला, प्रचारक । ढगली-देखो 'ढिगली'। ढंढोळरणी-वि० १ घुमाने वाला, फिराने वाला । २ तलाश | ढगळी-पु०१ मिट्टी का ढेला, ढेला । २ देखो 'ढिगलो' । करने वाला, ढूढ़ने वाला। ३ लूटने वाला। ४ संहार करने । -वि० १ अचंचल, शान्त । २ सुस्त, आलसी। वाला। ५ पीटने वाला । ६ नगाड़ा, ढोल आदि बजाने ढगास-पु० ढेर, राशि । वाला। ७ सहलाने वाला । ८ टटोलने वाला। ढचको-पु० १ खांसी चलने की क्रिया या भाव । २ देखो ढंढोळणी (बी)-क्रि० १ लूटना । २ घुमाना, फिराना।। 'धचकौ'। ३ संहार करना, मारना । ४ पीटना, मारना। ५ बजाना, | ढचरको-पु. १ लंगड़ा कर चलने की क्रिया या भाव । पीटना । ६ तलाश करना, ढूढना । ७ ढूढना, टंटोलना । २ एक चाल विशेष । ८ सहलाना। ढचरी-स्त्री० डाकिनी, डायन, प्रतिनी। -वि. वृद्धा । अशक्त । ढंढोळी-देखो 'ढंढोरौ'। ढचरौ-पु० १ ढंग, तरीका । २ परंपरा, प्रथा । -वि० ढंपणो (बो)-क्रि० १ पाच्छादित करना, ढकना । २ लपेटना, | (स्त्री० ढचरी) वृद्ध, अशक्त । आवेष्टित करना। ढड्ढ, ढड्ढर-पु० [सं० ढढ्ढर] १ वक्षस्थल । २ राहुदेव का ढंळक-स्त्री० सेना, फौज । नाम (जैन) । ३ एक प्रकार की ध्वनि विशेष (जैन)। ढ-पु० १ ढोल । २ भैरव । ३ यंत्र । ४ ढक्कन । ५ मृग । | ढणणंक-स्त्री० ध्वनि विशेष । ६ दांत । ७ गधा । ८ स्वाद । ९ शब्द । १० बिल्ली। ढरणहरण-स्त्री० किसी पदार्थ के चूने, रिसने, टपकने की क्रिया -वि० निर्गुण। या भाव । ढक-पु० [सं० ढक्का] १ बड़ा, ढोल । २ मूली नामक तरकारी। ढपणौ (बौ)-क्रि० १ ढकना, पाच्छादित करना । २ श्रावेष्टित ३ ढक्कन। करना। ढकाळ (चाळी)-देखो 'धकचाळ' । ढकरण-स्त्री० १ ढकने की क्रिया या भाव, ढक्कन लगाने या|" ढपला-पु० ढोंग, आडम्बर, बहाना, चरित्र । पर्दा डालने की क्रिया । २ ढक्कन । -सरीर-पु० वस्त्र ।पला ढपलागारौ, ढपलाळी-वि० (स्त्री० ढपलागागे) ढपला करने ढकणउ-देखो 'ढकरणौ'। वाला, ढोंगी, बहानेबाज । ढकरणी-स्त्री० १ छाते की तरह बना मिट्टी का ढक्कन । ढप्पणी (बौ)-देखो 'ढपणी' (बौ)। २ घुटने के ऊपर की गोल हड्डी, जांबील । ढफ-वि० मुर्ख, नासमझ। ढकरणौ-पु० १ ढक्कन । २ प्रावरण । ३ आच्छादन । ढफल (ला)-पु० पाखण्ड, आडम्बर। ढकरणौ (बो)-क्रि० १ ढक्कन लगाना, ढकना । २ पर्दा डालना, | ढफलागारौ, ढफलाळो-देखो 'ढपलागारौ' । छुपाना, बात दबाना। ३ पाच्छादित करना । ४ आवेष्टित ढबंदी-पु० किसी भारी वस्तु के पानी में गिरने से उत्पन्न करना । ५ मुह या सूराख बंद करना । शब्द,धमाक । ढकवत्थुल-पु० [सं० ढकवास्तुल] एक प्रकार की हरी ढब-पु० १ मौका, अवसर । २ सहारा, मदद । ३ तरकीब, तरकारी (जैन)। उपाय, युक्ति । ४ ढंग, रीति, तौर । ५ व्यवस्था, प्रबंध, ढकेलणी (बौ)-देखो 'धकेलणौ' (बौ)। इंतजाम । ६ मेल-जोल । ७ डफ, डफली। For Private And Personal Use Only Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ढबक www.kobatirth.org ( ५४३ ) बी० १ पानी में कोई पात्र बने या कोई वस्तु गिरने से स्त्री० उत्पन्न ध्वनि । २ पात्र में पानी हिलने से उत्पन्न ध्वनि । ३ झपकी, निद्रा । ४ कलंक, दोष । ढबकरण - स्त्री० कूए के पानी को समान सतह पर बताने वाला माप दण्ड । (बी) कि० १ रुकना, ठहरना । २ बंद होना ढबू पु० १ तांबे का एक प्राचीन सिक्का । २ गुब्बारा । १३ गुब्बारे की तरह फुला हुआ कोई प्राणी या वस्तु । ढबूसौ-पु० हाथ की श्रद्धचन्द्राकार मुद्रा से गर्दन पकड़ कर धक्का देने की क्रिया या भाव। दबोड़व कि०नि० १ ठीक ढंग से उचित रीति से २ क्रम पूर्वक " ढब्बरण, (न) - वि० १ अटल अडिग दृढ़ । २ देखो 'ढबरण' । बर पु० गंदे पानी का बड़ा (मेवा) देखो'' ढमंक स्त्री० नगाड़ा आदि वाद्य की ध्वनि । ढकरण (at) - देखो ढमकरणी' (बी) । मंकारी पु० नगाड़ा, डोल यादि को ध्वनि । ढमंकी- देखो 'ढमकौ' । ढमकौ पु० १ वाद्य ध्वनि । २ शोभा, चमक-दमक । दमक्कली (बी) देखो 'को' (ब)। ढमढ़मकार-स्त्री० ढोल आदि की ध्वनि । ढक्करण (बी) - देखो 'ढमकणी' (बी) । ढम ढमक - पु० १ नगाड़े की ध्वनि । २ गति या चाल विशेष । . दमकणी (बी) - क्रि० १ वाद का बजना ध्वनि होना २ ढोल की ध्वनि होना । ढळकंतौ- पु० हाथी, गज । ढळक-स्त्री० १ ढीला चलने की क्रिया या भाव। २ ढालू या ढलवा भूमि । ३ लुढ़कने की क्रिया या भाव। ४ प्रसू गिरने का भाव । ५ हिलने-डुलने की क्रिया या भाव। ढळकरणी ( बौ) - क्रि० १ इधर-उधर हिलना-डुलना । २ झलकना, चमकना । ३ नीचे की ओर घुड़कना, लुढ़कना । ४ लटकना । ५ फहराया जाना, फहरना । ६ खिसकना, सरकना । ७ वृताकार घूमना फिरना। ८ एक ओर से क्रमशः सूक्ष्म या पतला होना । काली (बो), काव (बी) ० १ इधर-उधर हिलानाडुलाना । २ झलकाना, चमकाना । ३ नीचे की ओर लुढ़काना, घुड़काना । ४ लटकाना । ५ फहराना । ६ खिसकाना, सरकाना । ७ वृत्ताकार घुमाना ८ एक ओर से क्रमशः पतला करना । ढळकौ पु० नेत्रों का एक रोग । दमकाrt (at), मकावली (बी) डोल नगाड़ा बादि उकरणी (बौ), ढळलो (बो-देखो 'को' (दो)। वाद्य बजाना । ढळखारणी (बी), ढळखावरणौ (बौ) - देखो 'ढळकावणी (बी) । डळ (बी० [सं ध्वति] १ पानी बादि तरल पदार्थ का नीचे की ओर बहना, ढरकना । २ गिरना, पड़ना । ३ सरकना, खिसकना । ४ भेंट धरना, रखना । ५ बिछना । ६ डेरा या पड़ाव डाला जाना । ७ जाना, खिसकना 1 ८ लौटना । ९ मवेशी का चरने के लिये दूर जाना । १० किसी निश्चित स्थान से आगे बढ़ना । ११ एक निश्चित ऊंचाई पर जाने के बाद नीचे की ओर बढ़ना । १२ अस्ताचल की ओर बढ़ना । १३ गुजरना, बीतना । १४ निर्मित होना, बन कर उतरना । १५ गला कर संचे में जमाया जाना । १६ किसी मयादी रोग की प्रचण्डता कम होने की अवधि प्राना । १७ वीर गति को प्राप्त होना । १८ अवसान होना, मरना । १६ कट कर गिरता । २० प्रवृत्त होना, झुकना । २१ आकर्षित होगा २२ रोकना, प्रापित होना। २३ अनुकूल होना। २४ चंवर आदि डुलाया जाना । ढमढ़मरणौ ( बौ) - क्रि० ढोल को बजाना, बजाने के लिए ढोल पर प्रहार करना, डंका लगाना । ढमढ ेरे - पु० १ सूना व बड़ा भवन । २ बड़े भवन का खण्डहर । ३ मलबे का ढेर । ४ लंबा-चौड़ा घेरा हुश्रा क्षेत्र । ढमलो- पु० मिट्टी का कटोरा ( मेवात ) । ढमाढ़म-स्त्री० ढम ढम ध्वनि । ढयोड़ी - वि० ढहा हुआ, गिरा हुआ, पड़ा हुआ । ढर-स्त्री० भेड़, बकरी आदि के संकेत के लिए मुंह से की जाने वाली ध्वनि, टर्र । ढरकाणी (बौ), ढरकावरणौ (बी) - देखो 'ढळकारणी' (बी) । दरकली (बी) देखो' बो दरड़कौ० ध्यति विशेष ढरड़ौ - देखो 'ढररो' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठरली (बी) फि० १ गिरना, पड़ना २ लुना २ उता - । लुढ़कना । । डररी-५०१ शैली खाली तरीका ढंग २ पथ मार्ग, , रास्ता । ३ परम्परा प्रथा । ४ उपाय, युक्ति । ५ चाल चलन, प्राचरण | ढळ स्त्री० १ शासक या सरकार द्वारा रक्षित नीची व ढालू भूमि । २ देखो 'ढळो' । ढल स्त्री० ढाल । ढळपति-पु० दिल्लीपति, बादशाह । (बौकि० शिथिल होना बळहळली For Private And Personal Use Only Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दळांख www. kobatirth.org ( ५४४ ) मजदूरी । ३ उतार । ढळावौ पु० गिरती दशा, बुरा समय । ढळौ - वि० [सं० ढलिः ] ढलैत, ढलैती - पु० ढाल बांधने या रखने वाला योद्धा । १ अचंचल, शांत । २ सुस्त, आलसी । ३ मूर्ख, गंवार | पु० देना । ढल्ल - १ देखो 'ढाल' । २ देखो 'ढल' । ३ देखो 'ढोल' । ढल्लीप, ढल्लीस - देखो 'ढळपति' । डल्ली नि० (स्त्री० [दल्ली) मुक्त इसरो (बी) १ देखो 'वो' (दो) २ देखी 'राणी' (बी) सारणी (बी) सावली (बी) १ देखो 'व्हाणी' (बी) २ देखी 'सखी' (बी) । दही (ब) क्रि० १ गिरना पड़ना २ धंसना, गड़ना देखो 'को' (बी) । । २ छोटी तलैया, पोखरी । स्त्री० १ दातृ भूमि २ रास्ते में कहीं-कहीं पर बाड़ बेड़ स्त्री० मवेशी, पशुधन चौपाये पशु । होने वाला ढलाव, उतार । पु० पशुता पशुत्व ढळाई - स्त्री० १ ढालने की क्रिया या भाव। २ ढालने की ढांढी स्त्री० १ बूढ़ी गाय - वि० ० मूर्खा, गंवार | डांडी० चौपाया पशु, मवेशी वि० [स्त्री० [दड़ी) १ मूर्ख, - ढांढ़ी) नासमझ । २ अनाड़ी, उज्जड़ । ढांग - स्त्री० ० १ऊंट की एक चाल विशेष । २ मार्ग, रास्ता । ३ नाश, संहार । ४ युद्ध, लड़ाई। ५ ढंग प्रकार, भांति । ६ गढ़ । ७ समूह | ८ ढेर ९ प्रहार । १० कुए पर बैल जोतने का स्थान । ११ स्थान आवास । १२ डेरा, खेमा, पड़ाव । ढांणी स्त्री० [सं० स्थान] १ खेत में रहने के लिए बनाई गई। झोंपड़ी २ कच्चे मकानों की बस्ती, जो गांव से कुछ दूर बनी हों । ३ रेतीले टीबों वाली भूमि । ढांगी - पु० १ कुए से निकला पानी खाली करने का स्थान । २ ‘ढांणियों' का समूह । ३ डेरा, पड़ाव । divert (at) - देखो 'ढकरणी' (बी) । उमिक पु० १ ढोल २ नगाड़ा की आवाज । ढोल नगाड़े यादि डोहर स्त्री० कांटेदार वृक्ष या झाड़ी की टहनी ढा-स्त्री० १ सरस्वती शारदा । २ वाणी, बोली । ३ नाभि । ४ गदा । - पु० ५ ब्रह्मा । ६ सुमेरु पर्वत । ७ पलाश वृक्ष । ढाई वि० [सं० द्वितीय] दो और याचा घड़ाई ५० १ उक्त मान की संख्या व अंक २ || | २ कौड़ियों से खेलने का बच्चों का एक खेल । , दहकारी (बी), कावली (बी) कि० १ निराना पटकना २ साना गाड़ना, गड़ाना । ३ देखो 'डहकारणी' (बी) । दही (बी) क्रि० १ गिरना पड़ना २ मकान, दीवार प्रादि की कोई चुनाई या चुनाई कर रखी वस्तुनों का नीचे गिरकर बिखरना, ढह जाना । ३ ध्वस्त होना । ४ नष्ट होना । ५ वीर गति प्राप्त होना । ६ कटना । ७ मिटना । ८ दूर होना । ९ दमन होना । दहारणौ (बौ), ढहावरणौ ( बौ) - क्रि० १ गिराना, पटकना । २ मकान, दीवार या कोई चुनाई को नीचे गिराकर बिखेरना । ३ ध्वस्त करना । ४ नष्ट करना । ५ वीर गति प्राप्त कराना । ६ काटना । ७ मिटाना ८ दूर करना । ९ दमन करना । ढांक- स्त्री० १ बदनामी, कलंक । २ देखो 'ढाक' | ढांकरण, ढाकरणउ - देखो 'ढाकरणी' | ढांकणी-देखो 'की' । करौ (यो देखो 'करणी' (बी)। ढांगी- देखो 'ढोंगी' । डांगी वि० (स्त्री० डांगी) १ यापतिजनक २ बुरा, खराब ढांच स्त्री० १ पालना लटकाने का लकड़ी का उपकरण । २ देखो 'ढांचा' | (दांड़ियों) देखो 'डांठी' । ढांढकी देखो 'ढांढ़ी' । ढांचियो, ढांचौ पु० १ सामान भरकर पशुओंों की पीठ पर लादने का लकड़ी का उपकरण । २ ठठरी, पंजर । ३ किसी वस्तु की आकृति, शक्ल, डौल, नमूना । ४ देखी 'दु'ची' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढाढ़स ढाक-पु० १ पलाश वृक्ष । २ कुम्हार का चाक । ३ कुल्हे की हड्डी । ४ ढोल । ५ रणचण्डी का वाद्य । ६ देखो 'ढकरणौ' । ढाकण - देखो 'ढकरणौ' । ढाकण - पु०यावे में श्वेत व काले वालों वाले पूंछ का ढाकण, ढाकणियो-देखो 'ढकरणी' | ढाकणी-देखो 'ढकरणी' | ढाकणी- वि० ० १ ढकने वाला । २ श्राच्छादित करने वाला । ३ छुपाने वाला । ४ बन्द करने वाला । ५ रक्षा करने वाला । ६ मर्यादा रखने वाला । ७ देखो 'ढकरणी' । For Private And Personal Use Only टाकणी (at) देखो 'करणी' (बी) । ढाग-१ देखो ढाक' । २ देखो 'ढागी' । ३ देखो 'ढागो' । ढागी - स्त्री० १ वृद्ध गाय २ वृद्ध मादा ऊंट | ढागीड़, ढागौ- पु० (स्त्री० - ढागी) १ वृद्ध बैल । २ वृद्ध ऊंट । ढाणी (बी) क्रि० देना अर्पण करना, पिता ढाड, ढाडी, ढाडीड़ो-देखो 'ढाडी' | ढाढ़स पु० [सं०दृढ़ ] धैर्य, सान्त्वना । Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डाढ़ी ( ५४५ ) ढिरलणी ढाढ़ी, ढाढ़ीड़ (डो)-पु० (स्त्री० ढाढ़ण) एक शूद्र या अनुसूचित | ढाळू-पु० उतार वाला, ढलवां । जाति व इस जाति का व्यक्ति । ढालू-पु० करील का पका फल । ढा'पो-देखो 'ढाहणौ' । | ढालेत (ती)-पु. ढालधारी योद्धा। ढा'णौ (बौ)-देखो 'ढाहणौ' (बो)। ढाळे-क्रि० वि० ढंग से, तरीके से । -वि० ठीक, अच्छा । ढाप-पु० मिट्टी का बना बर्तन (मेवात)। देखो 'ढोले' । ढाब-पु० छोटी तलैया । ढाळोढाळ-क्रि० वि० १ उतार की ओर, नीचाई की तरफ । ढाबरणौ (बी)-क्रि० १ ठहराना, रोकना । २ थामना, पकड़ना, २ क्रमशः । -वि० यथोचित । झेलना । ३ निभाना । ४ सहारा या पाश्रय देना । ढाळी-पु. १ पड़ाव, डेरा । २ तरह, भांति, प्रकार । ३ ढंग । ५ पकड़ना। ४ दशा, हालत । ५ रूप, शक्ल, प्राकृति । ६ व्यवस्था । ढाबो-पु० १ भोजन की दुकान, भोजनालय, होटल । ७ देखो 'ढाळियौ' । २ पिंजरा। ३ पक्षियों को पकड़ने का उपकरण। ४ चीथड़े | ढावरणौ (बौ)-देखो 'ढाहणी (बी)। या कागजों आदि की लुग्दी का बना बर्तन। ५ भैंस का ढावी-पु० १ तट, किनारा । २ छोटा टीबा । का पांव बांधने की लोह की सांकल, शृखला । ६ रंगीन ढाहढह, ढाहढोह-पु० हाथी, गज । प्रोटनी के बीच लगने वाली बड़ी छाप । ७ अरावली पर्वत । ढाहरणी-वि० (स्त्री० ढाहणी) १ मकान, दीवार आदि गिराने ढारौ-पु० घास-फूस रखने का पक्का मकान । -वि० मूर्ख । वाला, ध्वस्त करने वाला । २ गिराने, पटकने वाला । ढाळ-स्त्री० १ भुमि आदि की नीनाई. उतार । २ गाने की तर्ज, ३ मारने वाला। संहार करने वाला । ४ नष्ट, बर्बाद टेर। ३ संगीत में नाच, गायन व वाद्यों का मेल । ४ रीति, करने वाला । ५ काटने वाला । ६ मिटाने वाला । ढंग । ५ पड़ाव, डेरा । ६ तरह, भांति, प्रकार । -वि० ७ निशाना लगाने वाला । ८ दूर करने वाला । ९ दमन घटिया किस्म का, हल्का । करने वाला। १० कहने वाला । ढाल-स्त्री० १ युद्ध आदि में शस्त्रास्त्रों के प्रहारों को रोकने का ढाहरणौ (बी), ढाहवणी (बौ)-क्रि० १ मकान, दीवार आदि थालीनुमा शस्त्र । २ युद्ध के समय हाथी की ललाट पर गिराना, ध्वस्त करना । २ गिराना, पटकना। ३ मारना। बांधने का उपकरण । ३ बड़ा झंडा । ४ रक्षक। -गर-- ४ नष्ट करना, उजाड़ना। ५ संहार करना । ६ मिटाना। पु० ढाल बनाने वाला शिल्पी।। ७ दूर करना । ८ दमन करना । ९ कहना । ढालड़ियो, ढालड़ौ-पु० १ कागज, वस्त्रादि की लुग्दी का बना | १० निशाना लगाना । ११ देखो 'ढहणी (बी)। बर्तन विशेष । २ कोई पौधा विशेष । ३ देखो 'ढाल' । ढाही-स्त्री० गाय । ढाळरणौ (बौ)-क्रि० [सं० ध्वर] १ पानी आदि द्रव पदार्थ | ढाहौ-पु. (स्त्री० ढाही) १ बैल । २ देखो 'ढावो' । को धीरे मे बहा देना, बहाना । २ ढरकाना, गिराना, डिंक, ढिकरण, ढिकुण-पु. १ खटमल । २ एक पक्षी विशेष । प्रवाहित करना । ३ अभिसिंचन करना । अभिषेक | ढिंढोरणी (बी)-क्रि० १ तलाश करना, ढूंढना । २ विज्ञापित करना। ४ डेरा डालना। ५ लौटाना, भेजना । ६ मवेशी को करना। चरने के लिये खुला छोड़ना । ७ व्यतीत करना, गुजारना । | ढिंढोरौ-देखो 'ढंढोरौ । ८ किसी संचे आदि में जमाना । ९ उडेलना । ढि-स्त्री. १ पतंग। २ मोरनी । ३ निंदा । ४ गदा । १० गिराना, पटकना । ११ रखना । १२ बिछाना । । ५ भूख । ६ लिंग । १३ यंत्र आदि से निर्मित करना । १४ अर्पण करना, ढिकड़ियौ-देखो 'ढीकड़ो' । चढ़ाना । १५ दूर करना। १६ मारना, संहार करना, ढिकोर-स्त्री० मिट्टी का पात्र विशेष । काटना । १७ प्राच्छादित करना, ढकना। १८ अोढ़ाना।। ढिग-क्रि० वि० १ ओर, तरफ । २ पास, निकट । ३ देखो १९ नीचे करना, झुकाना । २० निगलना । २१ देखो 'ढिगलौ' । 'ढोळणौ' (बौ)। ढिगलियौ-देखो ‘ढिगलौ'। ढाळमौ (वौं)-वि० किसी संचे में ढलकर बना हुआ। ढिगली-स्त्री० छोटी ढेरी। ढालाळ, ढालाळो-पु० ढालधारी योद्धा । ढिगलौ, ढिगास-पु० १ किसी वस्तु का ढेर, समूह । २ राशि, ढाळियौ-पु० १ लोहे की चद्दर या घास-फूल की छाजन पुज। ३ अधिक मात्रा। वाला खुला कक्ष । २ छप्पर । ३ सिंचाई के खेत का | ढिग्ग-१ देखो 'ढिग' । २ देखो 'ढिगलौ' । एक भाग। ४ छोटा ढालू घास । | ढिरलरणौ (बौ)-क्रि० घसीटना, खींचना । For Private And Personal Use Only Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढिलंगी ढीलु ढिलगौ-वि० १ सुस्त, पालसी । २ ढीला-ढाला । ढीचाळ, ढीचाळी-देखो 'ढींच'। (स्त्री० ढीचाळी) ढिलाई-स्त्री० १ ढीलापन । २ सुस्ती, पालस्य । ढीठ-वि० [सं० धृष्ट] १ जिद्दी, हठी । २ हठधर्मी, दुराग्रही। ढिलाणी (बी) ढिलावणौ (बी)-क्रि० १ ढीला करवाना । ३ निष्ठुर, धृष्ट । ४ अशिष्ट ।। २ शिथिल करवाना ।। ढोठता-स्त्री० [सं० धृष्टता] १ जिद्द, हठ । २ दुराग्रह । ढिली- १ देखो 'दिल्ली' । २ देखो ढीली' । ३ देखो ढील' । ३ धृष्टता, निष्ठुरता । ४ अशिष्टता । ढिल्लिय, ढिल्ली. दिल्लीउ-देखो दिल्ली'। —पत, पत्ती, पह= ढोठो-देखो 'ढीठ'। (स्त्री० ढीठी) 'दिल्लीपति'। ढीब, ढोबड़, ढोबड़ियौ, ढोबड़ौ-देखो 'ढीमड़ौ' । ढिल्लो-देखो 'ढीलौ' । (स्त्री० ढिल्ली) ढीबस, ढीबसियो, ढीबसौ-पु० मिट्टी का नन्हा दीपक । ढिस्सौ-पु० सख्त मिट्टी का टीबा । कठोर टीबा । ढीम, ढीमड़-पु० बड़ा फोड़ा या गांठ । -वि०१ मूर्ख, नासमझ । ढीक-पु० १ लाल मुह का एक पक्षी विशेष । २ मुष्ठिका २ देखो 'ढीमड़ौ'। प्रहार । ढोमड़ियो, ढीमड़ौ-पु० १ शरीर के किसी अंग में होने वाली ढींकड़जी, ढींकड़ो-वि० (स्त्री० ढींकड़ी) अमुक । ढिमका। ग्रंथि, फोड़ा । २ रहट का प्रा । ३ बालू का टीबा। ढीकरणो-वि० (स्त्री० ढीकरणी) रंभाने वाला। -वि० मूर्ख, नासमझ। ढीकरणौ (बौ)-क्रि० रंभाना, रेंकना। ढीमर-पु० [सं० धीवर] मछुया, मल्लाह । ढीकाळी-स्त्री० एक प्रकार की लता विशेष । ढोर, ढीरकियो, ढोरकी, ढीरको, ढीरड़ौ, ढीरियो, ढीरी, ढोंकेळ-स्त्री० रहट के स्तम्भ को स्थिर रखने वाले डंडों को | ढोरौ-पु० १ कांटेदार वृक्ष या झाड़ी की टहनी । २ सूखी जोड़ने वाली कील । ___झाड़ी का पुज। ढोंगळ, ढींगळियो, ढींगळौ, ढींगोळ, ढोंगोळियौ, ढींगोळी, ढोल-स्त्री. १ विलम्ब, देरी। २ छूट । ३ समय, अवसर । ढोंगोळी-पु० १ मिट्टी के टूटे बर्तन का बेडौल भाग । ४ सुस्ती । ५ सुविधा । ६ स्थिति ठीक करने का विशेष २ बड़ा छेद । अवसर । ७ बंधन का ढीलापन । ५ रस्सी के खिंचाव में ढींगौ-वि० (स्त्री० ढींगी) १ जबरदस्त, जोरदार । २ बड़ा। कमी। ९ यूका, जु' । १० पतंग को बढ़ाने की क्रिया । ढीच, ढींचाळ, ढींचाळी-पु० १ जलाशयों के किनारे रहने वाला | -वि० जिसके ठहरे या बंधे हुए छोरों के बीच झोल हो । पक्षी । २ कंक पक्षी । ३ कूप, कूमा । ४ ऊंट, भैसे आदि से | ढीलउ-देखो 'ढीलौ'। पानी ढोने का काठ का उपकरण । ५ हाथी। -वि० ढीलड़ी-१ देखो "दिल्ली' । २ देखो 'हेलड़ी' । ३ देखो 'ढील'। १ बड़े डीलडौल वाला । २ प्रभावशाली। ढोल-ढालौ-पु० हाथी, गज । ढीब, ढीबड़, ढीबड़ियो, ढोंबड़ी-देखो 'ढीमड़ौ'। ढीलणौ-वि० (स्त्री० ढीलणी) १ सुस्त, आलसी । २ ढीला । ढोंम, ढोमड़, ढीमड़ियो, ढीमड़ो-देखो 'ढीमड़ो'। ढीलणी (बौ), ढीलवरणौ (बी)-क्रि० १ बन्धन मुक्त करना । ढी-पु० १ बिल्व वृक्ष । २ ब्रह्मचर्य । ३ शिष्य । ४ गधा । २ ढीला छोड़ना । ३ डोरी आदि आगे बढ़ाना । ५ वृक्ष । -स्त्री० ६ पृथ्वी । ७ मति, बुद्धि । ४ छोड़ना, नियंत्रण में न रखना। टीक-पु० १ अनाज में पड़ने वाला एक कीड़ा विशेष । २ गरीब । ३ अमीर, धनाढ्य । ४ देखो 'ढीक' । | ढोलिणौ-पु० (स्त्री० ढीलिणी) दिल्लीवासी। ढोकड़जी, ढीकड़ियौ-देखो 'ढींकड़ौ'। ढीलिपति (पती)-पु. दिल्लीपति, बादशाह । ढीकड़ी-१ देखो 'ढीकली' । २ देखो 'ढींकड़ो' । (स्त्री०) ढीली-१ देखो 'दिल्ली' । २ देखो 'ढोलो' (स्त्री०)। -पति, ढीकडो-देखो 'ढींकड़ो'। पतौ-'दिल्लीपति' । ढीकरणौ (बी)-देखो 'ढींकणी' (बी)। ढोलु , ढीलू, ढीलो-वि० [सं० शिथिलक] (स्त्री० ढीली) ढोकली-स्त्री० १ पत्थर फेंकने का तोप-नुमा एक प्रचीन यंत्र । १ मंद, धीमा । २ जिसका बंधन शिथिल हो । __ २ देखो 'ढेकली'। ३ शिथिल । ४ सुस्त, पालसी । ५ कमजोर, निर्बल, ढोकुली-देखो 'ढीकली' । अशक्त । ६ जिसमें तनाव या खिंचाव न हो। ७ जिसकी ढीकोळ-पु० युद्ध, संग्राम । पकड़ ढीली हो । ८ अतत्पर, असावधान । ६ नाप आदि ढीगाळ-वि० [सं० दीर्घाल] महान्, बड़ा । में कुछ बड़ा हो । १० जो अडिग व दृढ़ न हो । ११ जो ढीच-देखो 'ढींच'। भली प्रकार न जुड़ा हो, असंलग्न । १२ स्वभाव में शान्त, ढीचकनळियौ-पु० एक पक्षी विशेष । नर्म । १३ रिक्त, खाली। १४ अपने नियंत्रण से मुक्त । For Private And Personal Use Only Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढीह ( ५४७ ) करणों १५ नपुसक । १६ अस्थिर । १७ जो कड़ा या मख्त न कणौ (बौ)-क्रि० १ घुसना, प्रवेश करना (मेवात)। :- हो, नर्म । १८ गीला । २ देखो 'दूकरणौ' (बौ)। ढोह, (हौ)-पु० [सं० दीर्घ ] बड़ा टीवा, हा । ढूग, दूंगड़-देखो 'ढूगी'। दुई-देखो 'दुई'। . ढूगरी-स्त्री० सूखे घास का व्यवस्थित रखा हेर । ढुंढ-देखो १ 'ढ' । २ देखो 'ढढौ'। -देस='डूढाई' । दूंगलियो. एंगलौ, हँगियो, दूंगीड़, गौ-पु. १ कूल्हा, नितम्ब । ढुढराव-पु० सिंह, पंचानन । २ गुप्तांग। दुढा-स्त्री० १ हिरण्य कश्यपु की बहन एक राक्षसी । २ देखो | ढूचौ-पु० साढ़े चार की संख्या का पहाड़ा। 'ढू ढाड़' । ढूंड, दंडड़-१ देखो 'ढूढ़' । २ देखो 'हूढो' । ढुंढाड़ ढुंढार, ढुढाहड़-देखो 'ढूढाड़' । एंडो-देखो 'ढूढ़ी'। दुढि-[सं०] गगेश का एक नाम । ढूढ-स्त्री. १ खोजने, तलाश करने की क्रिया या भाव । दु-पु० १ कर्म । २ दुष्ट । ३ हाथी । ४ सर्प । ५ सूर । । २ अन्वेषण, शोध । ३ नितम्बों वाला भाग। ४ बच्चे के ५ बन्दर । जन्म की प्रथम होली पर किया जाने वाला एक संस्कार । दुई-स्त्री०१ रीढ़ की हड्डी का नीचला भाग । २ पीठ के नीचे ५ पूर्वी राजस्थान की एक नदी । ६ देखो 'टूढो' । का कूल्हे पर्यन्त भाग । ३ बाजरी के सूखे डंठलों का ७ देखो 'ढूढियो' । महीन चारा । ४ गढ़ के नीचले भाग में होने वाला दर्द । ढूढड़, ढूढड़ियो-१ देखो 'टूढ़ियो' । २ देखो 'टूढौ' । दुनौ-देखो 'दुवौं' । ढूंढरपो (बौ)-क्रि० १ खोजना तलाश करना, ढूढ़ना । दुकारणौ (बी), दुकावगौ (बी)-क्रि० १ काम में लगाना । २ कार्य २ नवजात शिशु का प्रथम होली पर संस्कार करना । प्रारंभ कराना। ३ किसी कार्य विशेष से किसी स्थान | ३ अन्वेषण या शोध करना । ४ पीटना। विशेष पर जाने को प्रवृत्त करना । ढूंढाड़-स्त्री० जयपुर व उसके पास-पास का प्रदेश। दुक्करणो (बौ)-देखो 'ढकरणो' (बी)। ढूंढाड़ी-वि० 'ढुंढाड़' का, ढूढाड़ संबंधी । -स्त्री. १ इस ढुगली-देखो 'ढिगली'। प्रदेश का निवासी। २ इस प्रदेश की बोली। दुचको-पु० धीरे-धीरे दौड़ते हुए चलने की क्रिया । ढूंढाड़ी-वि० (स्त्री० ढूढाड़ी) 'ढू ढाड़' का, ढूंढाड़ संबंधी। दुचरौ-वि० (स्त्री० दुचरी) १ वृद्ध, बूढ़ा। २ अशक्त, निर्बल । -पु० १ इस प्रदेश का व्यक्ति । २ कच्छवाहा राजपूत । ढुरियो-पु०ऊट की एक चाल विशेष । ढूढाहड़ (हर)-देखो 'ढूंढाड़'। दुळकरणी (बो)-देखो 'ढळकरणी' (बौ)। ढूढाहडौ(हरौ)-देखो 'ढूंढाडौ'। ढुळकारणी (बौ), दुळकावरणौ (बौ)-देखो 'ढळकाणी' (बौ) । टूढियो-पु० १ जैन साधु, भिक्षु । २ देखो 'ढूढी' । दुळहुळ-स्त्री. १ नगाड़े प्रादि वाद्य की निरन्तर होने वाली ३ देखो 'ढूढ़'। अावाज । २ ऐसे वाद्य बजने की क्रिया । ढूँढी-स्त्री० मरे पशु का अस्थिपंजर । दळणी (बौ)-क्रि० १ गिर जाना, हुलक जाना, बहजाना ।। ढूंढौ-पु० १ पुराना, मकान । २ बड़ा भवन (गढ़, किला)। २ वीर गति प्राप्त होना। ३ छितराया या फैलाया जाना, ३ किसी इमारत का खण्डहर । ४ शरीर का पृष्ठ फैलना, बिखरना । ४ अधिक स्नेह से द्रवित होना । भाग, पीठ। ५ कृपालु, दयालु या तुष्टमान होना । ६ चंवर आदि ऊपर से घुमाया जाना । ७ झुकना, प्रवृत्त होना । टू-पु० १ सेतु । २ अधर्म । ३ शरीर । -स्त्री० ४ हथिनी। ५ हरिताल । -वि. स्थिर । दुळवाई. दुळाई-देखो 'ढोळाई'। टूक-स्त्री० पहुँच। ढुलार, ढुलारौ-पु० झुण्ड, ममूह । ठूकड़ो (डौ)-वि० [सं० ढोकति] (स्त्री० ढ़कड़ी, डी) समीप, ढुवारी-पु० एक प्रकार का कीड़ा। निकट, पास। दुवौ-पु० १ झुण्ड, समूह । २ मिट्टी का छोटा टीबा । ३ ढेर । ठूकढ़ाक-क्रि०वि० कुछ नहीं। ४ पीठ के नीचे का भाग । ५ सेना, दल । ६ अाक्रमण, ठुकरणौ (बी)-क्रि० १ किमी काम पर लगना, संलग्न होना । हमला। २ कई कार्यकर्तामों के साथ काम में सम्मिलित होना । ढुही-देखो 'दुई। ३ सम्मिलित होना । ४ झुकना। ५ पहुँचना । ६ प्रारंभ ढुहौ-देखो 'टुवौ' । होना, शुरू होना। For Private And Personal Use Only Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दूकवी । ५४८ ) ढूकवौ-वि० (स्त्री० ढूकवी) समीप, निकट । ढेपाळी-वि० (स्त्री० ढेपाळी) तहवाला, तहयुक्त । टूढी-स्त्री० रीढ़ की हड्डी के नीचे का भाग । त्रिकास्थि ।। पौ-पु० १ किसी पदार्थ का ढेले की तरह जमा हुअा खण्ड । टूब, बड-स्त्री० १ कूबड़ । २ धातु के बर्तन में पड़ी मोच ।। २ अधिक रेत वाला ऊपला। ३ शरीर के अन्दर बनी ३ एक ओर अधिक निकला भाग । ४ देखो 'दूबौ'। कोई बड़ी ग्रथि। -वि० १ मूर्ख, नासमझ। २ पालसी ढूवड़ियो, दूबड़ो, बल, ठूबलियो, बलौ, दूबियो, ढूबौ-पु० | सुस्त । (स्त्री० दूबी) १ वह प्राणी जिसकी पीठ में कूबड़ हो। ढेबरी-स्त्री० १ तरबूज आदि फल का काटा जाने वाला छोटा कुबड़ा । २ झुकी हुई पीठ वाला व्यक्ति । ३ मोच पड़ा । चौकोर खण्ड । २ दीवार या पत्थर में खड्डा करके बर्तन । फंसाया जाने वाला का काष्ठ खण्ड । ३ लकड़ी का गोल ठूमरी-स्त्री० रसोई में काम पाने वाला बर्तन (मेवात)। या चौकोर खण्ड । ४ देशी कपाटों के नीचे लगने द्रुमलियो, दमलो-पु० कागज आदि की लुग्दी का बना पात्र । वाला काष्ठ, धातु या पत्थर का गुटका । ५ बच्चों का ढूळ, ठूल, दूळकियो, ठूलकियो, ठूलको-पु० १ झुण्ड, समूह । बड़ा पेट। -वि० बड़े पेट वाली २ देखो 'ठूलो'। देबरो-देखो 'देबौ' । ठूलड़ ठूलड़ी-देखो 'दूली'। ढेबल, बलियौ, ढेबलौ, देबियौ, ढेबीड़, देवी-वि० (स्त्री०बी) ठूलो-स्त्री० १ गुड़िया । २ देखो "दिल्ली' । १ बड़े पेट वाला । २ देखो 'ढेपौ' । ठूलो-पु० [सं० दुर्लभ] १ गुड्डा। २ बच्चों या स्त्रियों जैसी | हेमकी-स्त्री० छोटी ढोलक । ___अादतों वाला पुरुष । ढेर(डो)-पु० राशि, समूह । संग्रह । दूवी-देखो 'दुवो'। रणी (बी), हरवणी (बी)-क्रि० १ शिथिल या ढीला करना । दूसर-पु० बनियों की एक जाति व इस जाति का व्यक्ति । २ निष्क्रिय होकर बैठना । ढूह, हौ-पु. १ ढेर, टीला। २ देखो 'ढवौ' । देरियौ-पु०१ डोरे से बंधा कंकड़ । २ देखो 'ढेरौ'। ढेकली-देखो 'ढेकली' । ढेरी-देखो 'ढेर'। ढेको-पु० मादा मोर की बोली का शब्द । ढेरी-पु. १ डोरा, रस्सी आदि बनाने का छोटा उपकरण । चाळ-देखो 'लैंचाळ' । २ इस उपकरण से एक बार में काती हुई ऊन, सूत टे-पु. १ मन । २ मृग । ३ गढ । ४ चर्म । ५ हींग। आदि की मात्रा । ३ बड़ी जू, यूका। ४ देखो ढेर'। ढेक, हेकड़, हैकल, ढेकलियो-देखो 'ढेकौ' । -वि० मूर्ख नासमझ। बैंकली-स्त्री० कम गहरे कूए से पानी सींचने का उपकरण। ढेल, लड़ी, ढलणी-स्त्री० मादा मोर, मोरनी। हेकियो, कोड़, ढेको-पु० १ चूतड़, कूल्हा । २ गुदा। ढेलौ-पु० मिट्टी का कंकड़, ढेला । हँखळ-पु० पंवार वंश की एक शाखा व इस शाखा | टैंक-पु० एक मांसाहारी पक्षी । का व्यक्ति । ढेकणी (बौ)-क्रि०१ रम्भाना। २ मोरनी का बोलना । टेटो-वि० [सं० धृष्ट] ढीट, हठी, जिद्दी, दुराग्रही । लैंचाळ, चाळी-पु० हाथी, गज । -वि० मोटा, ताजा। टेढ-पु० (स्त्री० ढेढ़णी) १ चमार । २ कोपा । -वि० मूर्ख, हृष्ट-पुष्ट । नासमझ। रा-देखो 'ढीरा'। ढेढ़मींग, ढेढ़भीगी, ढेढळभीगी-स्त्री० [सं० भृग] टिड्डी ढे-पु० १ मेघ, बादल । २ कामदेव । स्त्री० ३ दामिनी। के आकार का एक पतंगा, भृग । ४ बक पंक्ति । ५ वीर बहूटी । ६ माशा। ढेढ़वाड़ (वाड़ौ)-स्त्री० १ चमारों का समूह । २ चमारों 'णौ (बौ)-देखो 'ढहणी' (बी)। का मुहल्ला । ३ गंदी वस्तुओं वाला स्थान । ४ हेय द्वैभक (को), ढमक (को)-स्त्री० ढोलक के प्रकार का एक कर्म, हेय भावना । वाद्य विशेष । हेढियानट-पु० नट क्रिया करने वाले नट । ढर-१ देखो 'देर' । २ देखो 'डैरी' । टेढ़ी-देखो 'डेढ़' । ढहणी (बौ)-देखो 'ढहणो' (बौ)। टैण-स्त्री० १ सख्त, कठोर भूमि । २ समतल भूमि । ढोंग-पु० पाखण्ड, आडम्बर । टेरिणयालग, टेणियालिया-स्त्री० [सं० ढेणिकालक] एक ढौ-पु० १ सुख । २ साधन । ३ धनवान । ४ प्रधान । ५ बाल । पक्षी विशेष । (जैन) ६ अादत, स्वभाव । ७ अभ्यास । For Private And Personal Use Only Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढोग्रौ ( ५४९ ) गगरण ढोग्रौ-पु. 'ढीकली' यंत्र से फेंका जाने वाला पत्थर । ढोलणौ-देखो 'ढोलो'। ढोउ-पु० प्रहार, आघात, टक्कर । ढोळणी (बी)-क्रि० [सं० दोलन] १ किसी पदार्थ को गिराना, ढोक-देखो 'धोक'। बिखेरना, बहाना। २ कोई द्रव पदार्थ किसी के ऊपर ढोकरणौ (बो)-देखो 'ढोकणी' (बौ)। उंडेलना । ३ मकान की पुताई करना । ४ चंवर प्रादि ढोकळ-देखो 'धोकळी' । डुलाना। ढोकळियौ, ढोकळी, ढोकळी-पु० १ चना, गेहूँ, बाजरी आदि के ढोलर-स्त्री० खड़ी फसल से धान खाने वाली बडी चिड़िया । चून की बनी, बंद बर्तन में वाष्प से सीकी बाटी। २ बड़ी ढोळाई-स्त्री० १ ढोलने की क्रिया या भाव । २ ढोलाई पोताई जू। ३ डलिया, छबड़ी। ४ दही नापने का पात्र (मेवात) की मजदूरी। -वि० मूर्ख, नासमझ। ढोलि-१ देखो 'ढोल' । २ देखो 'ढोली' । ढोटी-स्त्री० पुत्री, बेटी। ढोलियौ-पु० मूत या निवार से बुनी सुन्दर खाट, पलंग। ढोटौ-पु. (स्त्री० ढोटी) पुत्र, लड़का, बेटा। ढोली-स्त्री० विवाह प्रादि अवसरों पर ढोल बजाने व गाने का ढोरणौ (बो)-क्रि० [सं० ढोक] १ भेंट धरना, चढ़ाना । २ बोझा ___ कार्य करने वाली एक गायक जाति व इस जाति का लाद कर चलना । ३ कोई सामान उठा कर इधर-उधर व्यक्ति। रखना । ४ चलाना । ५ प्रवृत्त करना। ढोलीड़-देखो 'ढोलियौ' । ढोबलौ, ढोबो-पु. बड़े जल पात्र का मिट्टी का ढक्कन । ढोळी-पु० सफेदी, कली। ढोमनिया-स्त्री० गाने का व्यवसाय करने वाली जाति । ढोली-पु० [सं० दुर्लभ] १ पति, खांविद । २ दूल्हा । ३ लोक ढोमनियौ-पु० उक्त जाति का व्यक्ति । गीतों का नायक । ४ नरवरगढ़ का राजकुमार । ५ बालक, ढोमरी-स्त्री० मिट्टी का बना पात्र (मेवात)। बच्चा । ६ रहट में लगने वाली एक लकड़ी विशेष । ढोर-पु० [सं० धुर्य] १ पशु, मवेशी । २ किसी व्यक्ति को ७ सड़क के पुल के नीचे बना मोरा, नाला । ८ सीमा ससुराल से मिली गाय । -वि० मूर्ख, गंवार, अनाड़ी। चिह्न। -बाल, वाळ-पु० मवेशियों की पूछ के बाल । ढोल्यो-देखो 'ढोलियो। ढोरी-देखो 'डोरी'। ढोवणी (बौ)-क्रि० १ लाना । २ देखो 'ढोणौ' (बी)। ढोरु (रू)-देखो 'ढोर'। ढोवाई-स्त्री० १ ढोने का कार्य । २ ढोने की मजदूरी। ढोल-पु० [सं० ढोल] १ लकड़ी या लोहे के गोल घेरे के दोनों | | ढोवी-पु. १ अाक्रमण, हमला, चढ़ाई । २ युद्ध, लड़ाई । पोर चमड़ा मंढ कर तैयार किया वाद्य । २ लोहे आदि | ३ रण क्षेत्र । का गोल बड़ा पात्र, टंकी। ढोसरी-स्त्री० एक प्रकार की घास । ढोलक(की)-स्त्री० [सं० ढोल]ढोल के अनुरूप बना छोटा वाद्य । ढोलकियो-पु० 'ढोलक' बजाने वाला कलाकार । ढोहरणो(बी)-१ देखो 'ढोणौ' (बौ) । २ देखो 'ढोवणी' (बी)। ढोलको-देखो 'ढोली'। ढोहो-देखो 'ढोवौ'। ढोलड़ी-स्त्री. १ बच्चों की छोटी खाट । २ देखो 'ढोलक'। ढो-पु० १ चंपक । २ देवता। -स्त्री० ३ पंक्ति । ४ सुगंध । ढोलड़ौ-देखो 'ढोल'। | ५ पृथ्वी । -वि० १ सज्जन । २ दुष्ट । ढोलण, ढोलणी-स्त्री. १ ढोली जाति की स्त्री । २ देखो ढोळी-पु० पशु की अशक्त अवस्था जिसमें बैठने के बाद उठना 'ढोलड़ी। मुश्किल होता है। - - ई-पु० १ देवनागरी लिपि का पन्द्रहवां व्यंजन । २ कूमा। ६ वक्रगति । ३ बबूल । ४ प्रचण्ड शरीर। -स्त्री० ४ विजय । ५ मेधा। णगरण-पु० [सं०] दो मात्रामों का एक मात्रिक गण । For Private And Personal Use Only Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५५० ) तंभ त-देवनागरी वर्णमाला का सोलहवां वर्ण । | तंडुळ-पु० [सं० तंदुल] १ चावल, धान। २ खण्ड, टुकड़ा तं-पु. १ पुण्यफल । २ युग। ३ सुर, देवता । ४ चरण। भाग। ३ शरीरका कटा हरा कोई भाग । ४ तमाल-पत्र । ५ भ्रमण। -सर्व० [सं० तद्] उस, [सं० युस्मद] तुम, | तंडुळकुसुमावळीविकार-पु० [सं० तंडुल कुसुमावली विकार] ६४ प्राप। कलाओं में से एक । तंइयासियो-पु० तेरासी का वर्ष । तंडेव देखो 'तांडव'। तंइयासी-वि० [सं० त्र्यशीति] अस्सी व तीन, तेरासी। -स्त्री० तंढमल-वि० वीर, युद्ध । अस्सी व तीन की संख्या, ८३ । तण-देखो 'तण'। तंई-कि० वि० [सं० तंत्र] लिये, निमित्त । -मर्व० [सं०त्वम् / तंणी-देखो 'तणौ'। तुम, तु। तंत-पु० [सं० तत्त्व] १ सत्यता, असलियत । २ प्रोज, तेज । तंउड़ौ-देखो 'तसबौ' । ३ शक्ति । ४ मौका, अवसर । ५ समय । ६ रहस्य, भेद । तंग-पु० १ घोड़े, ऊंट आदि का चारजामा बांधने का पट्टा। ७ सार, तत्त्व, सारांश । ८ तथ्य । १ शीघ्रता, आतुरता । २ शरीर का कमर के नीचे का या ऊपर का भाग । [सं० तंत्री] १० सारंगी, सितार । ११ तार । १२ तार ३ पशुओं के शरीर का पिछला भाग । -वि०१ दुःखी, वाद्य । १३ निश्चय । १४ देखो 'तंत्र'। -बायरी, वायरौं विकल, हैरान । २ संकुचित, संकरा। ३ चुस्त । -वि० तत्व या सारहीन, निस्सार । शक्तिहीन, क्षमता ४ छोटा । ५ अभाव, कमी। ६ अकड़ा हुआ, ऐंठा हुआ। | रहित । तेजहीन । तंगड़-देखो 'तांगड'। तंतर (से)-देखो 'तंत्र'। तंगड़ी-स्त्री० १ कच्छी, जांगिया । २ गुजराती नटों का तंतसपत-पु० [सं० सप्ततंतु] यज्ञ । कच्छा विशेष । तंताळ -पु० [सं० तंतु] जल-जंतु । तंगली-स्त्री० चार से अधिक सींगों वाली जेई, कृषि उपकरण । | तंति (ती)-स्त्री० [सं० तत] १ तारवाद्य । २ देखो 'तंत्री' । तंगाई, तंगी-स्त्री० [फा० तंगी] १ तंग या संकरा होने की | तंतु-पु० [सं०] १ सूत । २ तागा, डोरा । ३ रेशा । अवस्था या भाव । २ निर्धनता, गरीबी । ३ कमी, | ४ घास का तृण । ५ तांत । ६ देखो 'तांतो'। न्यूनता, अभाव । ४ तकलीफ, दुःख, कष्ट । तंतुरण-पु० [सं०] १ मत्स्य, नक्र । २ मकड़ी का जाला । तगोटी-स्त्री० छोलदारी, छोटा तंबू । तंतुनाग-पु० नक्र, मगर। तंजेब-स्त्री० [फा०] बढ़िया मलमल । तंतुल-स्त्री० कमलनाल । तंटर-पु० [सं० तट] किनारा, कूल, तट । तंतुसप्त-पु० [सं०सप्त तंतु] यज्ञ, होम । तंड-पु० तांडव नृत्य । ततूवाय-पु० [सं० तंतुवाय] बुनकर, जुलाहा। तडण-पु० १ मंथन । २ नृत्य नाच । ३ उछल कूद । तंत्र-पु० [सं०] १ तागा, डोरा, धागा । २ सूत, सूत । ३ तांत। तंडणी (बी)-क्रि० १ नृत्य करना, नाचना । २ तांडव नृत्य ४ मकड़ी का जाला। ५ सेना । ६ वस्त्र । ७ चौसठ करना । ३ उछल-कूद करना। ४ मंथन करना। ५ बैल कलानों में से एक । ८ जादू, टोना । ९ तार वाद्यों का आदि का जोश में बोलना । तार । १० मंत्र । ११ करघा। १२ ताना । १३ वंश । तंडळ-पु० [सं० तंड] १ ध्वंस, नाश । २ संहार । ३ टुकड़ा १४ परंपरा । १५ सिद्धांत, नियम । १६ मुख्य विषय । १७ विज्ञान शास्त्र । १८ अध्याय, पर्व । १९ तत्र शास्त्र । हिस्सा, खण्ड । [सं० तंडुल] ४ चावल । २० किमी कार्य की उचित पद्धति । २१ राजकीय परिवार । तंडव (वि)-स्त्री० १ जोश भरी आवाज, दहाड़ । २ देखो २२ प्रांत, प्रदेश । २३ शासन । २४ ढेर, समूह । 'तांडव'। २५ घर । २६ धन, सम्पत्ति। २७ यज्ञ। -नाळी-स्त्री० तंडिळ-पु० एक वृक्ष विशेष । तोप । --वाद-पु० ७२ कलानों में से एक । -वादी-वि० तंडीर, तडीरव-पु० तरकस, तुणीर । जादू टोना जानने वाला । For Private And Personal Use Only Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तंत्रणी ( ५५१ ) तइस तंत्रणी-पु० तंत्र शास्त्र का ज्ञाता, तांत्रिक । तंबोळि, तंबोळी-पु. [सं० तांबूलिक] (स्त्री० तंबोलण) १ पान तंत्रिक-देखो 'तांत्रिक'। का व्यवसाय करने वाली जाति ब इस जाति का व्यक्ति । तंत्री-पु० [सं०] १ सारंगी, सितार आदि तारवाद्य ।। २ पान का व्यापारी, पनवाड़ी। २ इन वाद्यों को बजाने वाला कलाकार । ३ तांत्रिक, | तमाकू-देखो 'तमाकू'। जादूगर । ४ वाद्यों का तार । ५ तांत । ६ डोर, डोरी। तंमारौ-सर्व० तुम्हारा, तुम्हारे । ७ नम । ८ पूछ। तमे-सर्व० तुमको, तुझे। तंदरा-देखो 'तद्रा'। तयाळीस-वि० [सं० त्रिचत्वारिंशत् ] चालीस व तीन, तंदळ-देखो 'तंदुळ'। तेंतालीस । -पु० चालीस व तीन की संख्या, ४३ । तंदुख-पु० श्वान, कुत्ता। तयाळीसमौ (वौं)-वि० तेतालीसवां । तंदुरस्ती, तंदुरुस्ती-स्त्री० [फा० तंदुरुस्ती] १ स्वस्थता, तयाळीसौ, तयाळी-पु. ४३ का वर्ष । आगेग्यता । २ स्वास्थ्य । तंयासी-देखो 'तंइयासी'। तंदुळ-पु० [सं० तण्डुलः] १ चावल, धान । २ मस्तक, शिर । तयासीमों (बौं)-वि० तेरासी के स्थान वाला। तंदुलवेवाली (सूत्र)-पु० [सं० तण्डुल वैकालिक] जैनों का एक तयासीयो-देखो 'तंइयासियो' । सूत्र ग्रंथ, वैकालिक सूत्र । | तंबर-पु० १ एक राजपूत वंश व इस वंश का व्यक्ति । तंदूर-पु० [फा० तनूर] १ रोटी पकाने का एक मटकीनुमा | २ 'सिलावटों' की एक शाखा । ३ वह व्यक्ति या बालक चूल्हा विशेष । २ बड़ी वीणा । जिसका प्रपितामह जीवित हो। तंदूरी-पु० १ वीणा से मिलता-जुलता एक तारवाद्य । | तंवरावटी-स्त्री० 'तंवर' राजपूतों की जागीरी का प्रदेश । २ देखो 'तंबूर' । तंवळाटी-स्त्री० मूर्छा, चक्कर, बेहोशी। तंद्रा-स्त्री० [सं०] १ हल्की सी निद्रा, ऊंघ, झपकी। २ हल्की | तंबाई-स्त्री० १ मूर्छा, बेहोशी । २ घबराहट, खलबली। मूर्छ । ३ एक रोग विशेष । ४ सुस्ती, पालस्य । ३ भय, अातंक। तन-देखो 'तनय'। तंस-वि० [सं० यंत्र] त्रिकोण, तिकोना । (जैन) तंपा-स्त्री० [सं० तंबा] सींगों वाली गाय । तंह, तंही-क्रि०वि० १ वहां, तहां । २ उसी स्थान पर, वहीं। तंब-पु० [सं०] १ बैल । २ अभिमान, गर्व । ३ देखो ''ब'। त-पु० [सं० तः] १ पुण्य । २ चोर । ३ झूठ । ४ गर्भ । ४ देखो 'तांबौ' । ५ देखो 'तंबू'। ५ रत्न । ६ सुख । ७ तीर्थ । ८ पाप । ६ मोक्ष । १० चित्त, तंबक, तंबक्क-देखो 'बक' । हृदय । ११ स्थान । १२ सगुन, शकुन । १३ नाव । तंबपत्र-देखो 'तांबापतर' । १४ दुम । १५ प्रात्मा। -अव्य० [सं० ततः] १ उस दशा तंबा-स्त्री० [सं०] १ गाय । [फा० तंबान] २ चौड़ी मोरी का | या अवस्था में। २ तब । ३ पादपूरक अव्यय । -सर्व० पाजामा। [सं० तुभ्यम्] १ तू तुझ । २ तुम । ३ उस, वह । तंबाकू (खू)-देखो 'तमाकू' । तई, तइ-सर्व० [सं० त्वम् तुभ्यम्, तद्] १ तू, तुम । २ तुझ । तंबाळ-देखो 'बाळ'। ३ तेरे । ४ उस । -प्रत्य० [सं०] १ करण और तंबी-स्त्री० १ नगाड़ा । २ भय । ३ जोश पूर्ण आवाज।। अपादान कारक का चिह्न, तृतीया और पंचमी की तंबुक्क-देखो 'बक' । विभक्ति, से । २ देखो 'तई' । तंबू-पु० १ शिविर, डेरा, खेमा । २ शामियाना। तइनात (नाथ)-देखो तैनात' । तंबूर (रौ)--पु. [फा० तंबूर] १ युद्ध में बजने वाला छोटा | तइय-वि० [सं०तृतीय] तीसरा। -सर्व० उस, उन । -क्रि०वि० __ढोल । २ तानपुरा । ३ एक तार का वाद्य । तभी, तब । तंबरण, तंबेरम, तंबेरव, तंबोरम-पु० [सं० स्तंबेरम] हाथी, तइयां-सर्व० उन्होंने। गज। तइया-वि० [सं० तृतीया] तीसरी (जैन) । -क्रि.वि. तंबोळ-पु० १ मुंह से निकलने वाला झाग, फेन । २ कोध, [सं० तदा] तब (जैन)। अावेश । [स. ताम्बूल] ३ पान, बीड़ा। ४ देखो तंबोळी' । -वि० १ लाल, रक्ताभ । २ अधिक, बहुत । -खांनौ-पु० तइयार-देखो 'तयार'। पान की दुकान । पान भण्डार । -नित-स्त्री० तइयो-देखो 'तीयौ'। नागरवेल । तइस-क्रि०वि० वैसे। For Private And Personal Use Only Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५५२ ) तखड़ तई-क्रि०वि० तब, उस समय । -वि० [सं० आतताई] १ शत्र, तकली, तकवी-देखो 'ताकळी'। दुष्ट । २ देखो 'तई'। तकसीम-स्त्री० [अ०] बांटने की क्रिया, बंटाई, वितरण । तईनात-देखो 'तैनात'। तकसीर-स्त्री० [अ०] १ अपराध, गुनाह, दोष । २ त्रुटि, तईनाती-स्त्री० [अ०तअय्युनात] १ तैनाती, नियुक्ति । २ प्रबन्ध । गलती। तईयासी-देखो 'तंइयासी' । तकां-देखो 'तिका'। तईयार-देखो 'तैयार'। तकाई-स्त्री० तकने की क्रिया या भाव, ताक-झांक । तउ, तउ-अव्य० [सं० ततः] पाद पूरक अव्यय । -क्रि०वि० तकाजौ-पु० [अ० तकाजः] १ बार-बार मांगने की क्रिया या १ तो, तब । २ तो भी । ३ यदि । ४ तब । ५ इत्यादि । भाव । २ ताकीद, शीघ्रता। ३ कोई वस्तु लौटाने के लिए -वि० [सं० त्रीणि] तीन (जैन) । सर्व० [सं० त्वम्] ___ किया जाने वाला प्राग्रह। तुम, पाप। तकात-अव्य०१ तक, पर्यन्त । २ भी। तउणि (पी)-देखो 'तपणी । तकादौ-देखो 'तकाजौ' । तउय-पु० [सं० पुन] रांगा, कलई । तकाबी (वी)-स्त्री० [अ० तकाबी] कृषकों से सरकारी ऋण तउस-पु० [सं० पुस] एक प्रकार की लता । की वसूली। तउसमिजगा, तउसमिजिया-स्त्री० [सं० पुषमिजिका] तीन तकार-पु० १ छंद शास्त्र का 'तगण' । २ 'त' वर्ण । इन्द्रियों वाला एक जीव विशेष । तकियाकलांम-पु० [अ०] बात करते समय व्यर्थ में, बार-बार तऊ-देखो 'तउ'। प्रयुक्त होने वाला शब्द ।। तकंजी-स्त्री. विष्णु मूर्ति के शिर का एक प्राभूषण । तकियो-पु० [फा० तकियः] १ सोते समय शिर के नीचे रखी तक-स्त्री० १ तकने की क्रिया या भाव, टकटकी । २ शक्ल, जाने वाली रुई की मोटी थैली, उपधान, सिरहाना । सूरत । ३ प्रकृति, स्वभाव । ४ प्रकार, ढंग । ५ बकरों को २ छज्जे के सहारे में लगाई गई पत्थर की पट्टी । ३ मुसलमान उत्तेजित करने का शब्द । -अव्य० [सं० अंत + क] फकीरों का निवास स्थान । ४ कब्र का पत्थर विशेष । पर्यन्त । -क्रि०वि० तरह, भांति । तक्क-स्त्री० १ तर्क । २ देखो 'तक' । तकख-देखो 'तक्षक'। तक्कड़-स्त्री० शीघ्रता, ताकीद, तकाजा, प्राग्रह । तकड़तम-वि० तना हुआ, खींचा हुआ । तक्करणो (बी)-देखो 'तकणो' (बौ)। तकरण-वि० तकने वाला। -सर्व० वह, उस । तवकर-पु० [सं० तस्कर] १ चोर । २ गैर कानूनी व्यापार तकरणो (बी)-क्रि० १ लगातार एक ओर देखना, टकटकी | करने वाला। ३ चोर बाजारी। लगाना । २ गौर से देखना । ३ ताक में रहना। तक्ख-१ देखो 'तक्षक' । २ देखो 'तारक' । ४ आश्रय लेना। तक्खण (रिण, णी)-अव्य० [सं० तत्क्षण] तत्काल, तत्क्षण । तकत-देखो 'तखत'। तक, तकि-पु० [सं०] छाछ, मट्ठा । -मंड-पु० दही, दधि । तकतू बौ-पु० १ विकृत कलिन्दा या हिन्दवानी । २ इन्द्रायण -सार-पु० नवनीत, मक्खन । लता का फल । तक्ष-पु० [सं०] भरत का बड़ा पुत्र । तकतो-पु० तकुमा। तक्षक-पु० [सं०] १ आठ प्रमुख नागों में से एक । २ सर्प, नाग । तकदीर-स्त्री० [अ०] भाग्य, किस्मत, प्रारब्ध । ३ एक अनार्य जाति । ४ विश्वकर्मा । ५ बढ़ई। -वि० तकदीर-स्त्री० [अ०] अल्ला हो अकबर की आवाज । लाल, रक्ताभ । तकमीनौ-देखो 'तखमीनों'। तक्षण-पु० [सं०] १ बढ़ई का कार्य, चौसठ कलानों में से तकरार-स्त्री० [अ०] १ वाद-विवाद, बहस । २ लड़ाई, वाग् । | एक। २ देखो 'तक्खण' । युद्ध । ३ शीघ्रता। तक्षसिला-स्त्री० [सं०] भरत पुत्र 'तक्ष' की राजधानी, एक तकरीर-स्त्री० [अ०] बातचीत । भाषण, संभाषण । प्राचीन नगर। तकली-स्त्री० सूत कातने का छोटा उपकरण । तखंग (गि, गी)-पु० [सं० तक्षक] १ शेषनाग । २ तक्षक सर्प । तकलीरणी-वि० (स्त्री० तकलीणी) १ सुलभ, गहज, सुगम । ३ सर्प । -वि० तीक्ष्ण, पैना, तेज । २ दुर्बल, कृश। तख वि० १ अफीमची । २ मूर्ख, मूढ । तकलीफ, तकलीब-स्त्री० [अ० तकल्लुफ] १ कष्ट दुःख । तखक-पु० [सं० तक्ष-तनू] सुदर्शनचक्र । २ पीड़ा वेदना। ३ परेशानी । तखड़-१ देखो 'तखड़ौ' । २ देखो 'तक्कड़' । For Private And Personal Use Only Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तखडीतुमड़ीका ( ५५३ ) तड़करण तखडीतुमड़ीका-स्त्री. गुजराती नटों की एक शाखा । तगदीर-देखो 'तकदीर'। तखड़ी-वि० (स्त्री० तखड़ी) १द्र तगामी । २ तेज गति वाला। तगमो-देखो 'तुकमौ' । तखरण, तखरगइ-पु० गरम पानी से आंखों का सिकताब । | तगर-पु० [सं०] १ सुगधित लकड़ी वाला पेड़ । २ इस पेड़ तखत-पु० [फा० तख्त] १ सिंहासन, राजगद्दी । २ चौकी, पाट । की लकड़ी। -वि० चकित, विस्मित दंग । -ताऊस-पू० शाहजहां का तगरौ-देखो 'तिगरौ'। मयूर सिंहासन । -नसीन-वि० सिंहासनारूढ़ । -पोस-पु० | तगस (सि)-पु० [सं० ताय] १ अग्नि, प्राग । २ गरुड़। तख्त या चौकी पर बिछाने की चादर । -बंदी-स्त्री० ३ देखो 'तक्षक' । तख्तों की दीवार । -रबुल-मालमीन-पु० मुसलमानों का | तगसणी (बी)-क्रि० उड़ना । एक तीर्थ स्थान । तगसीर, (सीरी)-देखो 'तकमीर'। तखतखी-इन्द्र। तगस्सेस-देखो 'तक्षक'। तखति-(ती)-स्त्री० [फा० तख्त] १ छोटा तख्ता। २ लकड़ी | तगागीर-वि० तकाजा करने वाला। की चौकी । ३ छोटे विद्यार्थियों के लिखने की काष्ठ । तगादौ-देखो 'तकाजी'। पट्टिका । ४ कंठ का एक प्राभूषण विशेष ।। तगारी-स्त्री० १ लोह की चद्दर का बना कुण्ड या डलियानुमा तखतौ-पु० [फा० तख्त] १ बड़ा पाट, बड़ी चौकी । २ लकड़ी पात्र । २ बड़ा पात्र। __का चौकोर खण्ड, गत्ता । ३ खण्ड भाग । ४ दर्पण, आईना। तगी-स्त्री० १ सण प्रादि का रेशा । २ देखो 'तागो' । तखत्त-देखो 'तखत'। ३ देखो 'तिगी'। तखफीक-स्त्री० [सं० तख्फीफ] अभाव, कमी, न्यूनता । | तगीर, तगीरी-पु० [अ० तग्य्युर] १ निकालना क्रिया, तखभख-स्त्री० सज-धज । शृगार । निष्कासन । २ परिवर्तन, बदलाव, हेर-फेर । ३ क्रांति । तखमीनन-क्रि० वि० [अ० तख्मीनन] अंदाज से, अनुमान से । ४ जब्ती । -वि० १ निष्कासित, बाहर । २ जब्त । तखमीनो-पु० [अ०तरूमीनः] १ अंदाज, अनुमान । २ अनुमानित ३ परिवर्तित । व्योरा। तगौ-पु० १ ब्राह्मण के लिए अपमान सूचक शब्द । तखिक-देखो 'तक्षक'। २ देखो तागौ'। तखिरणा-देखो 'तत्क्षण' । तग्ग-देखो 'तागो'। तखिसला-देखो 'तक्ष सिला' । तग्गड़-१ देखो 'तक्कड़' । २ देखो 'तगड़' । तखो--देखो 'तक्षक'। तग्य, तग्यौ-वि० [सं० तज्ञ] १ तत्त्वज्ञ, ज्ञानी । २ दर्शन शास्त्र तरुख-पु० शस्त्र का पनापन, तीखापन, तीक्ष्णता । का ज्ञाता, दार्शनिक । तख्यक-देखो 'तक्षक'। तगग-स्त्री० १ तीव्र गति । २ तीव्रता। -क्रि० वि० तीव्रगति | तडंग-वि० १ नंगा, वस्त्र-हीन । २ लम्बा । से, तेजी से। तड़ गौ-पु० झुण्ड, समूह । तगड़-स्त्री० १ सोने या चांदी की पतली चद्दर । -स्त्री० तडदौ-पु०१बेंत की चोट । २ चोट की आवाज, ध्वनि । २ अधिक चलने या कार्य करने से होने वाली थकान । -वि० लम्बा, लम्बायमान । ३ तीव्र गति । ४ देखो तक्कड़' । तड़-पु. १ प्रातःकाल, सवेरा । २ वंश, कुल । ३ बेंत मारने की तगड़णी (बौ)-क्रि० हांकना, चलाना दौड़ाना। क्रिया । ४ प्रहार या वर्षा की ध्वनि । ५ बांस । ६ वंश या तगड़ी-वि० १ स्वस्थ, तन्दुरुस्त । २ हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताजा। कुल की शाखा । ७ सेना, फौज । ८ दल, पार्टी। तगण-पु० [सं०] दो गुरु एक लघु का वणिक गण ।। -वि० समान, तुल्य । तगतगई-स्त्री० स्त्रियों के कण्ठ का आषभूण । तड़क-स्त्री. १ चमक-दमक । २ फटने, चिरने की क्रिया। तगतगाणी (बौ)-क्रि० १ प्रेरित करना । २ उत्तेजित करना। ३ फटने की आवाज । ४ दरार । ५ तालाब, सरोवर । ३ देखो 'तिगतिगाणी' (बौ)। -क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी । चट-चट । तगतागु-स्त्री० सुन्दरता । तड़कउ-देखो 'तड़को'। तगतो-देखो 'तखतौ'। तड़करण-वि० फटने, चिरने, चटकने वाला । -स्त्री० फटने या तगदमा-पु० [अ० तकद म] अनुमान, अंदाज । चटकने की क्रिया या भाव । For Private And Personal Use Only Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तड़करणों ( ५५४ ) तटिनी तड़करणौ (बौ)-क्रि० १ 'तड़' शब्द करते हुए फटना । २ क्रोध | तचा-स्त्री० [सं० त्वचा] चमड़ी। या आवेश में बोलना । ३ क्रोधित होना। ४ चमकना। तचाणौ (बौ)-क्रि० १ तपाना, गर्म करना । २ दुर्बल करना । ५ दरार पड़ना, चटकना। ३ कष्ट देना। तड़क-भड़क-स्त्री० चमक-दमक । तचौळ-स्त्री० कंपायमान होने की क्रिया या भाव । तडकली-स्त्री० स्त्रियों का एक कर्णाभुषण । तच्च-स्त्री०१ किसी पैने शस्त्र आदि का किसी में सहसा तड़कलौ-देखो 'तड़को'। घुसने की क्रिया या भाव । २ त्वचा। -वि० [सं० तथ्य] तड़की-देखो 'तिड़की'। - सत्य, यथार्थ । (जैन) तड़के, तड़के-क्रि०वि० १ बड़े, सवेरे । २ शीघ्र, जल्दी। तच्छ-देखो 'तक्ष' । ३ धूप में । ४ अगले दिन । तच्छक-देखो 'तक्षक'। तड़को. (क्को)-पु. १ प्रात:काल, सवेरा । २ धूप गर्मी। तच्छरिण-स्त्री० लकड़ी छीलने का उपकरण विशेष । ३ अागामी प्रातःकाल । तच्छन, तच्छिन-क्रि० वि० [सं० तत्क्षण] तत्काल तुरंत । तडच्छ, तड़छ-स्त्री०१ तड़फड़ाट, छटपटाहट । २ देखो 'तडाट'। तछणौ (बौ)-क्रि० १ संहार करना, मारना । २ काटना । ३ देखो 'तडाछ' । तछेक-क्रि० वि० शीघ्र, द्रुतगति से। तड़छणो(बौ)-क्रि० १ तड़फना, छटपटाना । २ व्याकुल होना। | तज-पु०१ एक वृक्ष विशेष की छाल जो औषधि में काम ३ मूच्छित होना । ४ संहार करना। ५ काटना । पाती है। २ एक वृक्ष । ३ त्यागने की क्रिया । तडछारणौ (बौ)-क्रि० १ तड़फाना । २ व्याकुल करना। | तजणौ (बौ)-क्रि० [सं० त्यज] १ त्यागना, छोड़ना । २ कृश ३ मूच्छित करना । ४ संहार कराना। ५ कटवाना। _होना, क्षीण होना। तडण-स्त्री० दरार । -वि. 'तड़' करके फटने वाला। तजबीज-स्त्री० [अ०] १ निर्णय, फैसला । २ प्रबन्ध, तड़णी (बी)-क्रि० १ 'तड़' की ध्वनि के साथ फटना। व्यवस्था । ३ उपाय, युक्ति । २ चटकना, दरार पड़ना। ३ क्रोध करना । ४ पशु का तजबीर-पु० [अ० तजिबः] अनुभव । पतला मल करना। तजरबौ-पु० [अ० तज्रिब:] अनुभव, ज्ञान । तड़त, तड़ित, तड़िता, तडिताळ, तडिति, तड़ियळ, तड़ियाळ- | तजबीज-देखो 'तजबीज' । स्त्री० [सं० तड़िता] बिजली, विद्युत । -देह-पु० ४९ / तजोरी-देखो 'तिजोरी'। क्षेत्रपालों में से ३२ वां क्षेत्रपाल । -वांन-पु० मेघ, तज्जणा-स्त्री० [सं० तर्जन] तिरस्कार, भर्त्सना । (जैन) बादल । जल। तज्जणौ (बौ)-देखो 'तजणौ' (बौ) । तड़ियौ-पु. १ एक ही बैल अथवा ऊंट से खींचे जाने वाले तट-पु० [सं०] १ किनारा, तीर, कूल । २ सीमा, हद । हल की दो हरिसाओं में से एक । २ देखो 'तडौ' । ३ खेत । ४ ढालू स्थान । ५ आकाश । ६ महादेव । तडिल्लता-स्त्री० [सं० तड़िता] बिजली, विद्युत । -कि० वि० १ पास, निकट, समीप । २ नीचे। तड़ी-स्त्री. १ वृक्ष की पतली टहनी । २ छोटी हसिया लगा | तटक-स्त्री० ध्वनि विशेष । -क्रि० वि० तत्क्षण, तुरन्त । लंबा बांस । ३ डंडा, छोटी लकड़ी। ४ छोटी लकड़ी का | तटकणौ (बौ), तटक्कणौ (बौ)-क्रि० १ टूटना । २ देखो हाथ पर प्रहार । तड़करणो' (बौ)। तड़ीत-पु०१ ऊंट के वक्षस्थल का कठोर स्थान । २ देखो | तटणी (नी)-स्त्री० [सं० तटिनी] नदी। तड़ित'। तटस्थ-वि० [सं०] १ अलग दूर । २ किनारे वाला। तईतवांन-देखो तड़ितवांन' । ३ निलिप्त, उदासीन । तड़े बड़े-वि० समान, तुल्य, सदृश । -क्रि० वि० करीब, तटा-स्त्री० [सं० तट] १ नदी, सरिता । २ किनारा, कूल । लगभग। -क्रि०वि० १ पास, समीप, निकट । २ ऊपर । तड़े ल-पु. योद्धा, वीर। तड़ोबड़ (बड़ी, वड़ि, वड़ी)-स्त्री० समानता, बराबरी। तटाक-पु० [सं० तडाग] १ तालाब, सरोवर, जलाशय । तडौ-पु० १ हसिया लगा लम्बा बांस । २ डंडा। -स्त्री० २ झटके से टूटने की क्रिया । ३ इस प्रकार टूटने से तड़योबडयौ-वि० बराबरी वाला, समानता वाला। होने वाला शब्द । -क्रि० वि० शीघ्र, जल्दी, नुरंत । तचणी (बौ)-क्रि० १ कष्ट सहना । २ संतप्त होना। ३ गर्म तटारी, तटी-स्त्री० [सं० तट ] किनारा, कून । होना, तप्त होना । ४ काया को कष्ट देना । तटिनी-देखो 'तटगी'। For Private And Personal Use Only Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org तटी ( ५५५ ) ततबाउ तटी-देखो 'तटा'। तणय-पु० [सं० तनय] पुत्र, लड़का । तटे (है)-देखो 'तटे'। तणया-देखो 'तनया'। तठा-सर्व० [सं० तत्] उम । -क्रि०वि० [सं० तत्र] १ वहां । तणस-स्त्री० वृक्ष विशेष । २ तव । तणहस्तक-पु० [सं० तृणहस्तक] घास का पुपाल । तठी-क्रि०वि० [सं० तत्र] १ वहां । २ उधर, उस ओर । तणाव-पु० १ मादा ऊंट की ऋतुमती होने की अवस्था या भाव । तठे (8)-क्रि०वि० वहां।। २ खिचाव, तनाव । ३ तम्बू प्रादि का फैलाव । ४ मन तड-१ देखो 'तट' , २ देखो 'तड़' । मुटाव, वैमनस्य । ५ किसी वस्तु की ऐसी दशा जब उसमें तडकस-वि० तंग, कमा हुआ, दृढ़ । शिथिलता या ढीलापन न हो । ६ जोश या कोध पूर्ण तडक्करणौ (बौ)-देखो 'तड़कों ' (बी)। अवस्था। तडफडणौ (बौ)-देखो 'तड़फणौ' (बौ)। तणियर-पु० [सं० त्रिनयन:] शिव, महादेव । तडरको पु० जल्दबाजी, शीघ्रता । तणी, तरणी-स्त्री० १ मांगलिक अवमरों पर चौक या मण्डप में, तडळ-पु० अग्निकरण, चिनगारी। ऊपर बांधी जाने वाली मूज की डोरी । २ दीवार के तडा-स्त्री० [सं० तट] तट, किनारा, कूल । सहारे या खुले मैदान में बांधी जाने वाली डोरी । तस्कु, तडूको-पु० [सं० ताटंक] स्त्रियों के कान का आभूषण । ३ तराजू की डोरी। ४ किसी वस्त्रादि की कस । ५ पुत्री, तडौ-देखो 'टड्डौ। लड़की । ६ देखो "तिरणी' । -प्रत्य० षष्ठी विभक्ति का तणक (को)-पु० तार वाद्यों की झंकार । चिह्न की। -बंध-पु० पाणिग्रहण संस्कार । तण-पु० [सं० तनय] १ पुत्र, लड़का । [सं० तनु] २ काया, | तणु-प्रत्य० षष्ठी विभक्ति का चिह्न, का । -पु० [सं० तनय] शरीर, तन । -वि. तीन । -सर्व० उस, उन । -प्रत्य० १ पुत्र । २ देखो 'तन' । -वि० अत्यन्त निकट के रिश्ते संबंध या षष्ठी विभक्ति का चिह्न का, की, के । -क्रि०वि० वाला, अत्यन्त प्रिय। लिये, इसलिए । देखो 'तिण' । तणुयरी-वि० [सं० तनुतरी] बहुत पतली । तणइ, तरणउ-प्रत्य० १ षष्ठी विभक्ति का चिह्न, का, के। तणुया-स्त्री० [सं० तनुजा] १ पुत्री, बेटी। २ सर्प की कैंचुल । २ देखो 'तनय । तणुवाय-स्त्री० स्वर्ग के तल की वायु । (जैन) तरणकरणौ (बौ)-क्रि० १ खिचाव में आना, तनना । २ ढील | तरण-देखो 'तणु' । निकलना । ३ वाद्यों के तार झनझनाना । ४ गुस्सा होना। तणे-प्रत्य० षष्ठी विभक्ति का चिह्न, के । -क्रि० वि० १ पास, तणकार (कारी)-स्त्री० १ तार वाद्यों की झन्कार । २ तनाव, । समीप, निकट । २ देखो 'तनय' ।। खिचाव । ३ तनाव देने की क्रिया या भाव । तणौ-प्रत्य० षष्ठी विभक्ति का चिह्न, का। -पु० [सं० तनय] तणकारी-पु. १ खींचने या तानने की क्रिया या भाव । २ तार १ पुत्र, बेटा । २ पेट की प्रांत । ३ पेट का खाली भाग । वाद्यों की झन्कार । ३ झटका । ४ आश्रय, सहारा बल । तणकासप-पु० [सं० कश्यपतनय] सूर्य । ततं-१ देखो 'तत' । २ देखो 'तत्व' । तणको-वि० १ तना हुअा खिचा हुआ । २ देखो 'तिणको'। ततंग-वि० निर्वस्त्र, नग्न । तरणक्कणो (बौ)-देखो 'तणकरणौ' (वी)। तत-सर्व० [सं० तद्] वह, उस । -क्रि०वि० [सं० तत्र] तरणखा-देखो 'तनखा'। १ वहां, तहां । २ देखो 'तत्व' । तणच (च्छ, छ)-स्त्री० नरम व लचीली लकड़ी वाला वृक्ष ततकार-पू० नत्य का बोल । -क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी ।। विशेष । ततकारणौ (बौ)-क्रि० १ बैलों आदि को उकसाना, उत्तेजित तरणरणी (बी)-क्रि० १ खिचना, तनाव खाना । २ ऐंठना, करना । २ तेज गति से चलाना । ३ दौड़ाना, भगाना। अकड़ना । ३ शामियाना प्रादि ऊपर फैलाया जाना, ताना ततकाळ (ळि,ळी. ळो)-देखो 'तत्काळ'। जाना । ४ गर्व करना, शेखी बघारना । ५ बल पूर्वक ततक्षण, ततक्षणि, ततक्षिरण, ततखण, ततखिरण, ततखिणी, प्रवृत्त हाना । ६ खिचाव में पाना । ७ जोश में | ततखिन, ततखेब, ततस्परण-देखो 'तत्क्षरण'। पाना । ८ युद्धार्थ तत्पर होना । ६ रूठना, गुस्सा करना।। | ततग्यांन-देखो 'तत्वग्यांन'। १० चित्रित होना । ११ उभरना । ततताथेई, ततत्वी, ततथेई, ततथेयव-पु० नृत्य का बोल विशेष । तणतणाणौ (बौ)-क्रि० १ तनना, तनाव में पाना । २ क्रोध | ततपर-देखो 'तत्पर'। करना, कुपित होना। | ततबाउ-पु० [सं० तंतुवाय] जुलाहा, बुनकर । विशष । For Private And Personal Use Only Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ततबीर तदि ततबीर-देखो 'तदबीर'। तत्त्वद्रस्टी-स्त्री० [सं० तत्त्वदृष्टि] दिव्य दृष्टि, सूक्ष्म दृष्टि । ततरे-क्रि०वि० इतने में। तत्त्ववाद-पु० [सं०] ब्रह्म जीव संबंधी दर्शन । ततवादी-पु० तत्त्ववेत्ता, तत्त्वज्ञानी। तत्त्वविद्या-स्त्री० [सं०] तत्त्वज्ञान, दर्शनशास्त्र । ततवितत--पु. तार वाद्य विशेष । तत्त्ववेत्ता-वि० [सं०] तत्त्वज्ञानी, दार्शनिक । ततवीर-देखो तदबीर'। तत्थ-वि० [सं० त्रस्त] त्रास-युक्त, त्रसित । -क्रि० वि० ततवेग-क्रि०वि० तुरंत, शीघ्र, तत्काल । [सं० तद्] वहां । -सर्व० [सं० तद] १ उस । ततवेता-देखो 'तत्त्ववेत्ता'। २ देखो 'तथ्य'। ततसार-पु० ११ वर्ण का एक छन्द विशेष । तत्थथेई-पु० नृत्य का बोल । तताथेई-स्त्री० नृत्य का बोल ।। तत्पर-वि० [सं०] तैयार, उद्यत, सन्नद्ध । होशियार, ततारी-पु० तातार देश का घोड़ा । -वि० तातार देश का, | सावधान। तातार संबंधी। तत्परता-स्त्री० [सं०] तत्पर होने की दशा या भाव । ततियौ-देखो 'तत्तौ'। होशियारी सावधानी। तती-वि० १ क्रोध पूर्ण, क्रोध से लाल । २ तेज, तीक्ष्ण । | तत्पुरुस-पु० [सं० तत्पुरुष] १ परमेश्वर । २ एक रुद्र ।३ छः ३ तप्त, उष्ण । -क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी, तुरत । समासों में से एक। ततैया-स्त्री० दौड़, गति, चाल । तत्र-क्रि० वि० [सं०] वहां, उस जगह । -पु० लोह का तार । ततंयो-पु० बरं। तत्सम-पु० [सं०] किसी भाषा में प्रयुक्त संस्कृत का शब्द । ततौ-क्रि०वि० १ तत्पश्चात । २ देखो 'तत्तौ' । तथ-देखो 'तथ्य' । देखो “तिथि' । तत्काळ-क्रि०वि० [सं० तत्काल] तुरन्त, उसी समय, शीघ्र । तथख्यरण-देखो 'तत्क्षण' । तत्कालीन-वि० [सं०] उसी समय का । तथा-अव्य० [सं०] और, एवं । उसी प्रकार, वैसेही । तत्काळो-देखो 'तत्काळ' । -पु० ध्यान । तत्क्षरण-क्रि०वि० [सं०] उसी क्षण, उसी समय, शीघ्र । तथागत-पु० [सं०] भगवान बुद्ध का एक नाम । तत्त-वि० [सं० तप्त] पीड़ित, दुःखी, संतप्त । -क्रि०वि० | तथापि-अव्य० [सं०] यद्यपि, तो भी, तबभी। [सं० तत] तत्पश्चात्, तदनन्तर । देखो 'तत्त्व' । तथासतू, तथास्तू-अव्य० [सं० तथास्तु] एवमस्तु, ऐसा ही हो । देखो 'तातो'। तथि-देखो 'तथ्य'। देखो "तिथि' । ततकाळु (ळू)-देखो 'तत्काळ' । तथुग-पु० नृत्य की एक ताल । तत्तवेत्ता-देखो 'तत्त्ववेत्ता'। तथोपरणौ (बी)-क्रि० जोश दिलाना, उत्तेजित करना, पीठ तत्तौ-वि० (स्त्री० तत्ती) १ तीक्ष्ण, तेज । २ तीव्र, तेज । | ठोकना। ३ क्रुद्ध, कुपित । ४ देखो तातो' । -पु० 'त' वर्ण। तथ्य, तथ्य-पु० [सं०] यथार्थ , सच्चाई, सार, तत्त्व । तत्त्व-पु० [सं०] १ पृथ्वी, जल, वायु आदि पंच भूत । | तदंतर-क्रि० वि० [सं] इसके उपरांत, उसके बाद, तत्पश्चात् । २ परब्रह्म । ३ जगत का मूल कारण । ४ ब्रह्माण्ड रचना | तवंदा-क्रि० वि० तब । के २५ पदार्थ, तत्त्व । ५ सार वस्तु । ६ यथार्थता, | तद-क्रि० वि० [स० तदा] १ उस समय, तव । २ उसके बाद । असलियत । ७ स्वरूप । ८ निष्कर्ष । ६ मन । १० यथार्थ | तदगुरण-पु० [सं० तद्गुण] १ अगली वस्तु का गुण । का सिद्धान्त । ११ वस्तु । १२ नृत्य विशेष ।। २ अर्थालंकार का एक भेद । तत्त्वग्य-पु० [सं० तत्त्वज्ञ] तत्त्ववेत्ता, तत्त्वज्ञानी, दार्शनिक। | तदग्ग-क्रि० वि० उसके आगे। तत्त्वग्यांन-पु० [सं० तत्त्वज्ञान] प्रात्म ज्ञान, ब्रह्म संबंधी तदपि (भी)-प्रव्य० [सं०] तिस पर भी, तो भी । यथार्थ ज्ञान । तबबीर-स्त्री० [अ०] उपाय, युक्ति, तरकीब । तत्त्वग्यानी-वि० [सं० तत्त्वज्ञानी] १ पात्मज्ञानी, तत्त्ववेत्ता।। तदरा-क्रि० वि० तब से, उस समय से । २ जीव, ब्रह्म, माया के प्रति यथार्थ ज्ञान वाला दार्शनिक । तदा-क्रि० वि० तब ।। तत्त्वता-स्त्री० [सं०] सत्यता, यथार्थता । तदारुक, तदारूक-पु० [अ० तदारुक] १ खोई वस्तु की जांच । तत्त्वदरसी-वि० [सं० तत्त्वशिन] ब्रह्म जीव का ज्ञान रखने । २ सजा दण्ड । ३ दुर्घटना की रोकथाम । वाला, दार्शनिक । | तदि, तदी-देखो 'तद' । For Private And Personal Use Only Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तपीक । ५५७ ) तदीक-क्रि० वि० तभी। तनसणगार-पु० [सं० तनु-शृगार] वस्त्र, वसन । तदीय-सर्व० उसके। तनसर-पु० [सं० तनुसर] पसीना। तद्धित-पु. १ संज्ञा, विशेषण या क्रिया विशेषण के अन्त में तनसांच-पु० कामदेव।। लगने वाला प्रत्यय । २ प्रत्यय लग कर बना शब्द । तनसार-पु० [सं० तनुसार] १ मनुष्य । २ देखो 'तनुसार' । तद्भव-पु० [सं०] संस्कृत शब्द का अपभ्रंश रूप । -वि० शरीर को छेदने वाला। परिवर्तित रूप । तनसुख-पु० १ फूलदार वस्त्र । २ शारीरिक सुख । तद्रूप-वि० [सं०] समान, सदृश, तुल्य । -पु० रूपक तनसोर-पु० मनुष्य । अलंकार का एक भेद । तनहंस-पु० [सं० तनु-हंस] १ हंसावतार, विष्णु । २ प्रात्मा । तन-पु० [सं० तनु] १शरीर, तन, देह । २ मन । ३ संबंधी, तनहा-वि० [फा०] अकेला, एकाकी। -क्रि०वि० बिना साथ से । रिश्तेदार । ४ वंशज, संतान । ५ पुत्र, लड़का । तनहाई-स्त्री० [फा०] एकाकीपन, अकेलापन । एकान्त । तनक-वि० [सं० तनिक] तनिक, थोड़ा, किंचित । -स्त्री० तनाजांन-वि० अकेला, एकाकी। १ नाज, नजाकत । २ दिखावा। -मिजाजी-स्त्री० चिड़ तनाजो-पु० [अ० तनापाज] १ झगड़ा, टंटा, बखेड़ा । चिड़ाने का स्वभाव । -वि. चिड़-चिड़े स्वभाव का । २ वैर, शत्रुता। तनकळानिध-पु० चन्द्रमा । तनाती-पु०१ ईश्वर । २ निकट का संबंधी । ३ शरीर तनकोह- स्त्री जांच, तहकीकात । संबंधी। तनखा, तनखाह-स्त्री० [फा० तनख्वाह] वेतन, तलब । तनायत-पु० स्वजन, निकट संबंधी । तनगरणी (बी)-कि अप्रसन्न होना, रुष्ट होना । रूठना। तनारसी-पु० धनुष । तनडौ-देखो 'तन'। तनिक-वि० थोड़ा, अल्प, किंचित । तनजा-देखो 'तनुजा'। तनिया-देखो 'तनया'। तनताप-पु. शरीर का कष्ट, व्याधि । तनु-पु० [सं०] १ शरीर, देह, तन । २ जन्म कुण्डली का तनत्राण, (न)-पु० [सं० तनुत्राण] कवच, बस्तर । प्रथम स्थान । -वि०१ पतला-दुबला, कृशकाय । २ महीन, तनदीवांण-पु० अंगरक्षक । सूक्ष्म । ३ कोमल, मुलायम । ४ कम, थोड़ा । ५ तुच्छ । तनधय-पु० [सं० स्तनंधय] शिशु, बच्चा । ६ छिछला । ७ प्रिय, प्यारा । तनधर-पु० [सं० तनु धारिन्] शरीरधारी कोई प्राणी । तनुज-पु० [सं०] पुत्र, बेटा । तनापटाट-पु० तर्क-वितर्क, उद्दण्डता, नखरा। तनुजा (ज्जा)-स्त्री० [सं०] पुत्री, बेटी। तनपात-पु० देहावसान, मृत्यु । तनुत्रांण-देखो 'तनत्रांण' । तनबगसी-पु० अंग रक्षक । तनुधारी-देखो 'तनधर'। तनबीचि, तनमध-स्त्री० कटि, कमर । तनुनपात, तनुनिपात-स्त्री० [सं० तनुनपात्] अग्नि, प्राग । तनमय-वि० [सं० तन्मय] लवलीन, तल्लीन, मग्न । तमुबंध-पु० एक प्रकार का वस्त्र । तनमात्रा-स्त्री० [सं० तन्मात्रा] मांख्य के अनुसार पंच भूतों का | तनुमझ्या-स्त्री० [सं० तनुमध्या] पतली कमर की स्त्री। आदि, अमिश्र व सूक्ष्म रूप । तनुमझ्यौ-पु० एक वर्ण वृत्त । तनय-पु० [सं०] १ पुत्र, सुत । २ नर संतान । तनुराग-देखो 'तनराग'। तनयतू (बू)-पु० सं० स्तनयित्नु] १ मेघ, बादल । २ संबंधी। तनुरौ-देखो 'तंदूरौ' । -स्त्री० ३ बिजली । ४ बिजली की चमक । -वि० रक्षा | तनुसार-पु० [सं० तनु + स] १ शरीर में व्याप्त होकर रहने करने वाला। वाला । २ कामदेव, मदन । ३ बलवान शरीर वाला। तनया-स्त्री० [सं०] १ पुत्री बेटी । २ मादा संतान । तनू, तनू-पु० [सं०] शरीर, देह । -वि० १ अत्यन्त प्रिय । तनराग-पु० [सं० तनुराग] १ सुगंधित द्रव्यों का उबटन । २ अत्यन्त निकट का। -ज-='तनुज'। -जा='तनुजा'। २ उबटन के नुगधित द्रव्य । तनूदर, तनूदरी-स्त्री० स्त्री, महिला। तनरुह (रूह)-पु० [सं० तनुरुह] रोम, लोम । तनूर-देखो तंदूर'। तनवार-पु० [सं० तनुवार] कवच । तनविड-पु० [सं० तनु-व्याध] शत्रु, वैरी। तनेयक-देखो 'तनिक'। तनवरण-पु० [सं० तनुवरण] मुहासे । | तनं, तनै-सर्व० १ तुझ, तुझको। २ देखो 'तनय' । For Private And Personal Use Only Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तरह तरह देखो 'तनरुह' । तन्न-देखो 'तन' | www.kobatirth.org = ( ५५० ) तन्तु पु० १ निकट सम्बन्धी स्वजन । २ ग्रात्मीयजन । ३ देखो 'तन' । तन्मात्रा देखी 'तनमात्रा' | " तप पु० [सं० तपशु] १ तन व मन की शुद्धि के लिये किया जाने वाला व्रत नियम पालन आदि । २ मन व इन्द्रियों को वश में रखने का धर्म । ३ साधना, तपस्या । ४ ताप, गर्मी, उष्णता । ५ ग्रीष्म ऋतु । ६ माघ का महीना । ७ बुखार, ज्वर । ८ अग्नि, आग । ९ शीतकाल में तापने के लिये जलाई जाने वाली साधारण आग | १० सूर्य । ११ तेज, प्रोज, कान्ति । १२ पीड़ा, कष्ट । १३ ध्यान । १४ पुण्य कर्म । १५ शिशिर व हेमन्त ऋतु । १६ शास्त्र विहित कर्मानुष्ठान करण करण, घरण- पु० सूर्य । - घर, धार, धारी - वि० तपस्या करने वाला । ऐश्वर्य भोगने वाला । पु० ऋषि तपस्वी राजा, बादशाह । -नासी- वि० ० तपस्या में बाधा डालने वाला । -बळी, वंतवि० तपस्वी तेजस्वी, प्रोजस्वी । ऐश्वर्यशाली, योगी । - साळी, सील 'तपर्वत' तपई पु० एक प्रकार का कपड़ा । तपण - स्त्री० [सं० तपन ] १ ताप, गर्मी । २ जलन | ३ सूर्यकांत मरिण । ४ वियोगाग्नि । ५ सूर्य । ६ शिव । ७ मदार या नाक ८ एक नरक विशेष । तपणी - स्त्री० १ संन्यासी या योगी के अग्निकुण्ड की अग्नि । २ योगियों के तपस्या का स्थान । ३ अग्निकुण्ड । ४ तापने की अग्नि रखने का पात्र । ५ देखो 'तपरण' । । ६ तपस्या करना, तप होना, तपना २ उमस होना, अधिक गर्मी पड़ना । ३ सूर्य की किरणें तेज होना । ४ दग्ध होना, जलना ५ संतप्त होना, दुःखी होना । करना । ७ कष्ट सहना ८ जलना [सं० तपऐश्वर्य दीप्तौ ] ६ चमकना । १० शासन करना । ११ प्रताप या शौर्य फैलाना । १२ ऐश्वर्य या सुख भोगना । तपत स्त्री० [सं० तप्त ] १ गर्मी, उष्णता, ताप । २ जलन । ३ कष्ट, पीड़ा । ४ मौसम की गर्मी । ५ तपस्या । ६ तेज, कान्ति । ७ वेदना, व्यथा, संताप ८ ग्रीष्म ऋतु तपतकी, (खी) - पु० [सं० तपतक्ष ] इन्द्र | । तपती स्त्री० [सं०] १ ताप्ती नदी । २ देखो 'तपत' । तपन देखो 'तपण' । तपनी-स्त्री० गोदावरी नदी, मतान्तर से ताप्ती नदी । [सं० तपनी ] ६ गोदावरी ताप्ती नदी । । पीय वि० तपाने योग्य पु० [सं०] तपनीय] सोना, स्वर्ण तपावंत पु० तपस्वी । । तपणी (बौ)- कि० [सं० तप्] १ गर्मी या पांच पर गर्म तपाव-देखो 'तपावस' । तपनीय देखो 'तपणीय तपरस० [सं०] तत्परस] कुत्ता, स्थान तपस पु० [सं०] १ तपस्वी संन्यासी २ चंद्रमा सूर्य । ४ शंकर । ५ पक्षी । तपसा स्त्री० [सं० तपस्या ] १ तपस्या, तप । २ ताती नदी का नाम । तपसिरण - स्त्री० [सं० तपस्विनी ] १ संन्यासिनी, तपस्विनी योगिनी । २ तपस्वी की स्त्री । ३ सती स्त्री, पतिव्रता । ४ कष्टमय जीवन यापन करने वाली स्त्री । 1 तपसी - पु० [सं० तपस्वी ] ( स्त्री० तपसरण, तपसिरा) १ ऋषि संन्यासी, तपस्वी, योगी । २ तपस्या व साधना किया हुधा माधु ३ ऐश्वर्यदान ३ ऐश्वर्यवान व भाग्यशाली व्यक्ति । ४ दीन, कंगाल । ५ सात्विक पुरुष । तपसील- देखो 'तफसील । - वार'तफसीलवार' | तपस्य - पु० [सं० तपस्य : ] फाल्गुन मास । तपस्या - स्त्री० [सं०] तप, व्रत, ब्रह्मचर्य, साधना | तपस्विरण (न) - देखो 'तपसिण' । तपस्वी देखो 'तपसी' । तपा - पु० [सं०] १ तपस्वी । २ जेष्ठ मास के प्रारंभ के दस दिन । तपाइ स्त्री० एक वस्त्र का नाम । तपाक पु० [फा०] १ प्रवेग, जोश । २ वेग, तेज । - क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी, तुरंत । सहसा । तपाणौ (बौ) - क्रि० [सं० तप्] २ संतप्त करना, कष्ट देना । ४ क्रोध दिराना, क्रुद्ध करना करना । ६ अधिक गर्मी देना । कराना । १ तपाना, गर्म करना । ३ जलाना, दग्ध करना । ५ उमस अधिक पैदा ७ चमकाना । ८ शासन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लपोस पु० [सं० तप तपु- देखो तप' | तपोअरण तपावरण (बौ) - देखो 'तपाणी' (बो) । 1 तपावस, सपास ०१ कृपा, महरवानी २ न्याय निर्णय, फैसला । ३ पूछताछ, छानबीन । ४ खोज खबर, तलाश । ५ जांच-पड़ताल | तपिस स्त्री० [फा० तपिश ] गर्मी, उष्णता, तपन, उमस । तपी- वि० ० तप करने वाला, तपस्वी 1 १ तपस्वी २ देखो 'पिस' तपेदिक - पु० [फा० तप + तपेस, तसर, तपेर पु० २] महादेव शिव " तपोअरण- देखो 'तपोधन' | For Private And Personal Use Only प्र० दिक] राजयक्ष्मा, क्षय रोग । [सं० तपेश्वर ) १ तपस्वी ॥ ] Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तपोतम तप्पना- स्त्री० www. kobatirth.org ० तपस्या | ( ५५९ ) तपोतम- पु० [सं० तप उत्तम ] १ श्रेष्ठ, तपस्वी । २ उत्तम तपस्या । तपोधन- पु० [सं० | १ तपस्यारूपी धन वाला । २ ऋषि, मुनि, महात्मा । ३ ऐश्वर्यवान, भाग्यशाली । तपोनिध (निधि) ० [सं० तपोनिधि] १ ब्रह्मा २ विष्णु तबड़ मूनियम की बड़ी तस्तरी (मेवा) - पु० । । पु० । ३ संन्यासी, ऋषि । तड़क-स्त्री० [१] दौड़-भाग याद करने की किया या भाव । २ देखो 'तबड़को' । तबड़करणी ( बौ) - क्रि० १ उछलते हुए दौड़ना । २ चारों पैरों को उठाते हुए दौड़ना, चौकड़ी भरना । तपोवन पु० [सं० तपोबल]] १ तपस्या से उपार्जित शक्ति । २ सिद्धि । ३ राज्यबल । ४ ऐश्वर्यबल, वैभव । तपोभूमि - पु० [सं०] १ तपस्वियों का स्थान । २ तपस्या करने का स्थान, तपोवन । ३ ऋषियों का श्राश्रम | तपोमूरति पु० [सं० तपोमूर्ति ] १ महातपस्वी । २ परमेश्वर । तपोरति वि० [सं०] तपस्या में लीन, मग्न । तपस्या का अनुरागी । तबड़कौ पु० १ छलांग लगा कर दौड़ने की क्रिया या भाव। २ पैने शस्त्र या श्रीजार की चुभन । तपोरासि (सी) पु० [सं० तपोराशि] उपस्वी, मुनि तपोलोक - पु० [सं०] जन लोक से ऊपर एक लोक । तपोवन- देखो 'तपोभूमि' । 1 तपोवृद्ध - वि० १ जो बहुत तप कर चुका हो । वृद्ध । ३ महामुनि । ४ तपस्या में श्रेष्ठ तप्त - वि० [सं०] १ तपा हुम्रा, उष्ण, गर्म । २ आग पर तपाया हुआ । ३ जला हुआ, दग्ध । ४ तप कर लाल हुआ । ५ संतप्त, पीड़ित । ६ तपस्या में तपा हुआ । ७ दक्ष । - कुंड - पु० गर्म जल का कुण्ड । एक तीर्थं स्थान । - मुद्रा स्त्री० [विष्णु प्रायुषों के चिह्न । तप्प - देखो 'तप' | तपस्वियों में तफरीह - स्त्री० [अ०] १ प्रमोद-प्रमोद, मनोरंजन । २ प्रसन्नता खुशी । ३ हंसी, दिल्लगी । ४ सैर, भ्रमण । तफसीर - स्त्री० [अ० तफसील ] १ विस्तृत विवरण ब्योरा । २ मोरेवार विवरण । ३ टीका ४ सूची, फरिस्त, फर्द | -वार- क्रि०वि० ब्योरेवार । तफावत तफावत पु० [० तात] १ अन्तर भेद फर्क २ दूरी, फासला । तर्फ पु० वन अधिकार । तफौ- पु० १ दल, समूह । २ वजन, बोझा । ३ कलंक, दोष । तब - अव्य० [सं० तदा] १ उस समय । २ इस कारण । तबक पु० [अ०] १ ब्रह्माण्ड के कल्पित खण्ड | लोक । तल । २ सोने या चांदी का बरक । ३ परत, तह । ४ मेंढक की चाल । ५ घोड़ों का एक रोग । ६ थाली । गर-पु० सोने-चांदी के बरक बनाकर बेचने वाला । तब किया-हड़ताळ (हरताळ ) - स्त्री० एक प्रकार की हड़ताल । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तबकी पु० [अ०] तबक) १ सोने या चांदी का बरक २ किसी नुकीले या पैने श्रीजार या शस्त्र के चुभने का भाव । ३ रह-रह कर उठने वाला दर्द, टीस । ४ दल, या संघ । पार्टी तबीय तबज्या स्त्री० [प्र० तवज्जुह ] १ ध्यान, देख-रेख । २ कृपा-दृष्टि । तबदील वि० [अ०] १ बदला हुवा परिवर्तित २ तबदीली तबदीली स्त्री० परिवर्तन बदलाव । 1 1 तबर - पु० [फा०] १ बड़ी कुल्हाड़ी । २ परशु । ३ कुल्हाड़ीनुमा हथियार । ४ देखो 'तबरों' | तबरक- पु० बारूद आदि रखने की कमर पेटी । तरियो तबरी ०१ कुछ बड़ा व चौड़ा पात्र २ बड़ा कटौरा तबल पु० [फा०] १ बड़ा दोल । २ नगाड़ा ३ कुल्हाड़ी नुमा बड़ा शस्त्र । ४ खाने पकाने का बर्तन । ५ देखो 'तबलौ' । -- बंध- पु० रणवाद्य बजाने वाला । 'तबल' शस्त्रधारी । — बाज पु० तबला बजाने वाला, 'तबल' बजाने वाला | 'तबल' शस्त्रधारी । तबली स्त्री० १ सारंगी वाद्य के नीचे का भाग । २ मल-मूत्र करने की थाली, पाला । तबलीयौ, तबली, तबल पु० [० तदल] १ दोलक की सी आवाज करने वाला वाद्य जिसके नर मादा अलग-अलग होते हैं । २ चूतड़ | ताक पु० [अ०] १ बड़ा चापरात २ स्तरीनुमा मिट्टी का पात्र ( मेवात ) । For Private And Personal Use Only तबाह - वि० [अ०] नष्ट -बर्बाद तहस नहस । तबियत - स्त्री० [० तबीयत] १ चित्त, मन, जी । २ स्वास्थ्य | ३ मिजाज, मानसिक दशा । ४ इच्छा, कामना । ५ प्रकृति, स्वभाव । ६ बुद्धि, समझ भाव -दार वि० मनचला, रसिक समझदार खुशमिजाज । तबो-देखो 'तभी' । तबीयत देखो 'तवियत' । तोड़ (डौ)- देखो तबकी' । तबीब, तबीव पु० [प्र० तबीब] चिकित्सक, वैद्य, हकीम । Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तबेल फुला, मांस । तबोड़ो-देखो 'सबकी' । तब्बर-१ देखो 'तबर' । २ देखो 'तबरी' । www. kobatirth.org तबेला - पु० अश्वशाला, अस्तबल । तवोड़ी-स्त्री० पोट यादि लगने पर पांच में बढ़ने वाला 1 ५६० ) तब्बळ - १ देखो 'तबळ' । २ देखो 'तबलौ' । तब्बी, तभी अव्य० १ उसी समय, उसी वक्त । २ इसीलिये, तमंस- पु० १ श्यामता, कालिमा २ अंधकार, अंधेरा । तम - पु० [सं०] १ अंधकार, अंधेरा । २ तमाल वृक्ष । ३ राहु । ५ क्रोध । ६ अज्ञान । ७ कलंक ८ नरक । इसी कारण । तह-१० क्रोध, कोप । तमनीत स्त्री० [सं० तमोनीत ] रात्रि, निशा । तमंकणी (ब)- कि० १ को करना, भिड़ना २ प्रवेश तमप्रम पु० [सं०] एक नरक का नाम । दिखाना । ३ चमकना, चौंकना । तममात्री स्त्री० रात्रि, निशा । तममाळ - पु० राहु | तमंचय, तमंचो पु० 1- पु० [फा० तमंचा ] १ छोटी बन्दूक | २ पिस्तौल । ३ दीपावली पर बारूद छोड़ने का उपकरण । ४ मजबूती के लिए दरवाजे की चौखट के पास लगाया जाने वाला पत्थर । तमरंग - पु० एक प्रकार का नींबू । तमर - देखो 'तिमिर' । ४ पाप । E । सांख्य के अनुसार प्रकृति का तीसरा गुण, तमोगुण १० पैर की नोक ११ नरक का अंधकार १२ भ्रम । । । १३ क्लेश, दुःख । १४ पाप । काला, श्याम । - क्रि०वि० वैसे तैसे । तमक- स्त्री० १ प्रवेश, जोश, तेजी सर्व० तुम, श्राप । - वि० 1 । २ क्रोध । ३ चिढ़न । तमचररिपु-पु० [सं० तमीचररिपु] सूर्य । तमचार पु० संध्याकाल । तमचारी - स्त्री० रात्रि, निशा । तमचुर (चूर ) - पु० [सं० ताम्रचूड] मुर्गा, कुक्कुट । तमछोर - वि० श्वेत-श्याम । तमजा स्त्री० १ पार्वती । २ दुर्गा । तमजारण- पु० सूर्य । समजाळ - पु० अंधेरा, तिमिर । समलियो, तमच्यो-देखो 'तिमगियो', तमड़-स्त्री० ए में पत्थर से जाने के लिए लकड़ी की बनी टोकरी | ( मेवात ) तमचर - देखो 'तमीचर' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तमतमाणौ (बी) - क्रि० १ धूप या क्रोध के कारण चेहरा लाल होना, गुस्सा होना । २ चमकना । ३ क्रोध करना । तमतमाहरषी० कोध, धावेश या गर्मी के कारण बेहरे पर धाने वाली लाली, सुर्खी । तमतमी - वि० ० १ स्वाद में तीक्ष्ण । २ चरपरा, चटपटा । ३ क्रोध युक्त 1 तमता स्त्री० [सं०] तम का भाव, अंधेरा । तमनास पु० [सं०] दीपक, ज्योति । - सास-पु० दमा रोग विशेष । तमस्सुक - पु० ऋरण-पत्र, ऋरण का दस्तावेज । तमकरण ( बौ), तमक्री (बी), रामयणी (बी) देखो तमहडी स्त्री० इंडिया के आकार का एक ताम्र पात्र । ‘तमंकणौ' (बौ) । तब देखो 'तमोगुण' । समय-देखो 'तुकमी'। तमहर - देखो 'तमोहर' । तमरार पु० [सं० तिमिर-रि] सूर्य तमरिच (रिपि रिपु ) ० [सं० तम-रिपु] प्रकाश सूर्य तमवाळी-स्त्री० रात्रि । तमारि । तमस - पु० [सं०] १ अंधेरा । २ कूप । ३ प्रज्ञान । ४ तमोगुण । तमसा स्त्री० [सं०] १ एक नदी, टोंस नदी । २ रात्रि । तमसि (सी) - स्वी० रात्रि, निशा । तमस्र - देखो 'तमिस्र' । । तमस्वनी, तमस्विनी स्त्री० [सं० तमस्विनी] १ रात्रि, रात २ हल्दी । तमां - सर्व ० तुम । तमाम वि० [अ०] तमाम ] सय सम्पूर्ण तमा- स्त्री० [सं० तम] १ रात्रि, निशा । २ अंधेरा । तमाकु, तमाङ्ग तालु स्त्री० [सं० टर्वको] प्रायः तीन से छ फुट की ऊंचाई का एक पौधा जिसकी पत्तियां धूम्रपान व पान आदि में खाने के काम प्राती हैं । तम्बाखू । तमावरी-देखो 'तमीचर' । [फ० तवान्च] १ चांटा, थप्पड़ | २ तमाशा, तमाचौ - पु० खेल | समादी स्त्री० [अ०] किसी लेन-देन की अवधि गुजरने की अवस्था या भाव। तमार - पु० एक प्रकार का वृक्ष । तमरा (रु, रौ ) - सर्व ० तुम्हारा । तमारि पु० [सं० तम + रि] सूर्य, रवि । For Private And Personal Use Only Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तमाळ www.kobatirth.org ( ५६१ ) । खेल, कीड़ा मजाकिया तमाशा देखने समीली सर्व० [स्त्री० तमीणी) तुम्हारा। तमीपति (पती) पु० चन्द्रमा तमीस - पु० चन्द्रमा | तमु देखो 'तम' तमोज पु० [अ०] १ ज्ञान, विवेक २ शिष्टता ३ प्रद कायदा | तमाळ - पु० [सं० तमाल] १ करीब २०-२५ फुट ऊंचा एक वृक्ष जिसकी छाल व पत्तियां खाने के मसाले में काम आती हैं। ३ करम नामक छन्द का एक नाम । 1 २ वरुरण वृक्ष । ४ एक अन्य मात्रिक छन्द ५ तिलक, टीकास्त्री० तमोपल (धन) - पु० [सं० तमोन] १ पनि ग्राम २ चन्द्रमा । । । ६ तलवार । ७ मूर्छा, बेहोशी । ३ सूर्य । ४ विष्णु । ५ शिव । तमाळक - पु० १ तमाल वृक्ष । २ तेज- पात्र । (पत्ता) ३ बांस तमोटी स्त्री० १ प्रोढ़ने की चद्दर ६ ज्ञान । ७ बुद्ध देव । । २ चद्दर ओढ़ कर सोने की छाल । की क्रिया । तमाळी - स्त्री० १ ताम्रवल्ली नाम की लता । २ वरुण वृक्ष । ३ तमाल वृक्ष । तमास तमासय पु० [प० तमान] तमाशा, गौरीन वि० खिलाड़ी - । वाला । तमासाई - वि० तमाशा देखने वाला । तमासू, , मा तमासौ पु० [अ०] तमाशः] १ लोगों के मनोरंज के लिये किया जाने वाला खेल तमाशा । २ नौटंकी का खेल । तमास्ती- सर्व० • तुम तुम्हरा । अन्य, अमुक | तमि, तमी - स्त्री० [सं० तमी] रात्रि, निशा । मिनाथ पु० [सं०] चन्द्रमा निशानाथ । । तमियाँ- पु० मिट्टी का पात्र विशेष । । तमिस्र - पु० [सं०] १ अंबेरा, अंधकार २ क्रोध, गुस्सा । ३ एक नरक । ४ भ्रम । ५ द्वेष । ६ एक अविद्या का नाम । - पक्ष - पु० प्रत्येक मास का कृष्णपक्ष । मित्रा स्त्री० [सं०] १ अंधेरी रात, निशा २ गहरा अंधेरा तमी स्त्री० [सं०] रात्रि निता पर पु० राक्षस पर निशाचर । उल्लू पक्षी । चन्द्रमा । चोर । । तमुक्काय पु० [सं० तमस्काय ] अन्धकार | तमूरी-देखो 'तंदूरी' | तमे - सर्व ० तुम | तमेळी - पु० १ भवन की तीसरी मंजिल की छत २ सबसे ऊपरी छत । तमोगुणी - वि० १ जिसके स्वभाव में तमोगुण की प्रधानता हो । २ तामसी वृत्ति या स्वभाव वाला । ३ अहंकारी, क्रोधी । तमोतम पु० गहन अंधकार | । । । तमोदरसन पु० [सं० तमोदर्शन] पित्त प्रधान ज्वर । तमोवुद पु० [सं०] १ ईश्वर २ चन्द्रमा ३ अग्नि । तमोभिद पु० [सं०] १ जुगनू २ दीपक ३ । । सूर्य । ४ चंद्रमा । - वि० अंधकार को दूर करने वाला । तमोमलि पु० [सं०] जुगनू । - । । तमोमय वि० [सं०] १ तमोगुणी २ कोधी ३ ज्ञानी । ४ अंधकार युक्त पु० [सं०] राहू तमोरी-देखो 'तंबोळी | सम्मा देखो 'तमाकू' । -- सम्मान देखो 'तमांम' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 , 1 - तमोळ ० १ पान बीड़ा २ उमंग ३ क्रोध, गुस्सा तमोळी स्त्री० [१] मुछ। २ फोध ३ देखो 'तंबोळी' । तमोविकार पु० [सं०] तमोगुण से होने वाला विकार तमोहंत- पु० [सं०] १ ग्रहण के दश भेदों में से एक । २ सांसारिक मोह-माया को नाश करने वाला । तमोहपहपु० [सं० तम + अप हन्] १ सूर्यं । २ चंद्रमा । ३ अग्नि । ४ ज्ञान । वि० अंधकार को दूर करने वाला । तमोहर तमोहरि पु० [सं०] १ सूर्य २ चंद्रमा पनि । । ३ अग्नि । ४ ज्ञान । - वि० अंधकार व अज्ञान मिटाने वाला । तय्यार तयांळी तयांळीस देखी 'वाळीस तयांळीसौ-देखो 'तंयाळीसो' । तम्हं सर्व० तेरे, तुम्हारे, तुझे । लम्हां सर्व० तुम । सम्हारा सर्व० तुम्हारा तेरा। सम्ही तम्हीला (नौ) सर्व० तुम्हारा, धापका लम्हे, हे तुम । ० तय वि० [०] १ निश्चित स्थिर २ पूरा किया हुआ; निर्णीत पु० निश्चय, निर्णय तयांसी- देखो 'तंइयासी' । तमोगरण - देखो 'तमोगुण' । तयार - देखो 'तैयार' । तयारी- देखो 'तैयारी' । तमोगरणी - देखो तमोगुणी' । तमोगुण - पु० [सं०] १ सांध्य के अनुसार प्रकृति का तीसरा तयाळीसी तपाळी- देखो 'वाळीसी' गुग्ण २ मनुष्य की तामसी वृत्ति तय्यार - देखो 'तैयार' । . For Private And Personal Use Only | Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरंग । ५६२ ) तरजरणी तरंग-पु० [सं०] १ तालाब, सरोवर । २ लहर, हिलोर । | तरकरणी (बौ)-क्रि० [सं० तर्क] १ वाद-विवाद करना, तर्क ३ ग्रंथ का अध्याय । ४ घोड़ा । ५ वस्त्र । ६ छलांग । करना । २ विचार-विमर्श करना । ३ चमकना । ७ शुभ रंग का घोड़ा विशेष । ८ हवा का झोंका, लहर। ४ बोलना । ५ देखो 'तड़करणो' (बौ)। ९ मन की मौज, उमंग । १० स्वरों का उतार-चढ़ाव । तरकस-पु० [फा० तरकश] तीरों का भाथा, तूणीर । -बंध११ हाथों में पहनने की चूड़ी विशेष । -बाज-वि० । -पु० तीर-तरकश धारी योद्धा । मनमौजी । सनकी। तरकाभास-पु० [सं० तर्काभास] कुतर्क । तरंगक-पु० [सं०] १ पानी की लहर । २ स्वर-लहरी । तरकारी-स्त्री० [फा०] १ शाक, साग-पात, भाजी, सब्जी । तरंगरण, (णी. नि. नी)-स्त्री० [सं० तरंगिणी] नदी, सरिता। २ कुछ पौधों के पत्त, फल, मुल आदि जिनकी सब्जी बनती तरंग-भ्राजरण-पु० [सं० तरंग-भ्राजन] जल, पानी । है। ३ खाने योग्य पका हुआ मांस । तरंगवती-स्त्री० [सं०] नदी। तरको-स्त्री० [सं० ताटकी] १ फटे वस्त्र के लगाई जाने वाली तरंगाळि (ळी)-स्त्री० नदी, सरिता। कारी, जोड़ । २ कर्ण-फूल नामक आभूषण। ३ देखो तरंगित-वि० [सं०] १ तरंगों वाला । २ बाढ़ ग्रस्त । ३ शंकित, 'तरक्की'। -वि० तर्क करने वाला। त्रस्त । ४ उमंगित। तरकीब-स्त्री० [अ०] १ युक्ति, उपाय । २ शैली, प्रणाली, तरंगी, तरंगोलौ-वि० (स्त्री० तरंगिली) १ तरंग युक्त । ___तरीका । ३ संयोग मेल। ४ चतुराई, होशियारी। २ मनमौजी। ३ लापरवाह । ४ सनकी । तरकुज-पु० तरु कुज। तरंज-स्त्री० लाख की बनी चूड़ी। तरक्क-देखो 'तरक'। तरंजणप्रथी-पु. लोहा। तरक्करणौ (बी)-क्रि० १ जोर से प्रावाज करना । २ जोर से तरंड-गु० [सं०] १ नाव । २ बेड़ा। ३ डांड । ४ वृक्ष । बोलना। ३ देखो 'तरकरणो' (बी)। तरत-क्रि०वि० १ जोर से, तेजी से । २ देखो 'तुरंत'। तरक्की-स्त्री० [अ०] उन्नति, वृद्धि, बढ़ोतरी। -पु० [सं० तरन्तः] १ समुद्र । २ अतिवृष्टि । ३ मेंढ़क । तरक्र-पु० [सं०] हरिण, मृग । ४ दैत्य या राक्षस । तरक्ष-पु० [सं०] १ लकड़ बग्घा । २ सेई नामक कांटों तरती-स्त्री० [सं०] नाव । बेड़ा । वाला जीव । तरंद-पु० [सं० तरु-इन्द्र] कल्पवृक्ष । तरखांसी-स्त्री० बलगम की खांसी । तर-पु. [मं०] १ तिरछा, टेढ़ा गमन । २ चौराहा । ३ मार्ग। तरखा-स्त्री० [सं॰तृषा] १ प्यास । २ इच्छा । ३ लोभ । ४ सड़क । ५ उतारा । ६ तेरने की क्रिया या भाव । तरगस, तरगस्स-देखो 'तरकस' । -बंध ='तरकसबंध' । ७ पार होने की क्रिया या भाव । ८ अग्नि । [सं० त्वरा| तरड़णौ (बो)-क्रि० १ पशु का पतला मल करना । २ बार-बार ९ शीघ्रता, उतावली। १० वेग, तेजी। ११ देखो 'तरु'।। दस्त करना । ३ क्रोध करना । -वि० [फा०] १ भीगा हुआ, गीला, नम । २ हरा-भरा, तरड़ौ-पु. १ पशु का पतला मल । २ झिड़की, चिड़चिड़ाहट । सर-सब्ज । ३ घी, दूध आदि से परिपूर्ण। ४ गहरा हरा।। ३ गर्म पानी का सेक । ५ सम्पन्न, मालदार । -अव्य० [सं० तहि] तो। तरच्छ, (च्छु)-पु० [सं० ताय] १ गरुड़ । २ अरुण । -क्रि०वि० १ तले, नीचे । २ शीघ्र, तुरंत । -प्रत्य० । ३ गाड़ी। ४ घोड़ा। ५ सर्प । ६ पक्षी। गुणवाचक प्रत्यय । तरच्छो-देखो 'तिरछौ' । तरअरि-पु० [सं० तरुअरि] हाथी, गज । तरछणौ-(बो)-देखो 'तरमणी' (बी)। तरई-स्त्री० [सं० तारा] नक्षत्र । तरछाणी (बो), तरछावणी (बौ)-देखो 'तरसाणी' (बौ)। तरक-स्त्री० [सं० तर्क] १ विचार-विमर्श, सोच-विचार । तरछौ-देखो 'तिरछौ' । २ किसी बात या विषय के पक्ष-विपक्ष संबंधी विचार । ३ बहस । ४ विचार । ५ कल्पना, अनुमान । ६ अंदाज, तरछौळ-वि० १ तरंगी, सनकी। २ मनमौजी। ३ चालक, धूर्त। अटकल । ७ वाद-विवाद । ८ संदेह । ९ कारण, हेतु। | तरज-स्त्रा० [अ० तज] १ गात या पद का लय, टेर । १० आकांक्षा। ११ तर्क शास्त्र । १२ न्याय शास्त्र । २ राग । -पु० [सं० तर्ज] ३ बादल, मेघ । –वितरक-पु. वाद-विवाद । सोच विचार । | तरजणी-स्त्री० [सं० तर्जनी] १ अंगुरे के पास की, हाथ की तरकक-पु० [सं० ताकिक] १ तर्क करने वाला, ताकिक । अंगुली। २ डांट, फटकार। -मुद्रा-स्त्री० हाथ को २ याचक। एक तांत्रिक मुद्रा। For Private And Personal Use Only Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरजरणी तरळता तरजणी (बो)-क्रि० [सं० तर्जनम्] १ डांटना, फटकारना । | तरपण-पु० [सं० तर्पण] १ प्रसन्न या संतुष्ट करने की क्रिया २ धमकाना, डराना । ३ संकेत करना । या भाव । २ कर्मकाण्ड में देव, पितरों आदि को जलतरजमौ-देखो 'तरजुमौ'। अंजलि देने की क्रिया । ३ पितृयज्ञ । ४ समिधा । तरजुई-पु० [फा० तराजू] छोटा तराजू । ५ ईधन । ६ तृप्ति। तरजुमो-पु० [अ० तरजुमा] अनुवाद, भाषानुवाद, भाषांतर । तरपणी-स्त्री० [सं० तर्पणी] १ गंगा नदी। २ खिरनी का तरझंगर-पु० १ वृक्ष समूह । २ झाड़ी समूह । ३ कुज । वृक्ष । -वि० १ तृप्ति देने वाली । २ तर्पण देने वाली। ४ वन, जंगल। तरपत-देखो 'तिरपत'। तरझरणी (बी)-देखो 'तरजणी (बौ)। तरपी-वि० [सं० तपिन्] १ तर्पण करने वाला । २ तृप्त तरण-पु० [सं०] १ नाव, बेड़ा । २ डांड । २ विजय, जीत । करने वाला। ४ स्वर्ग । ५ सूर्य । ६ प्रकाश, उजाला। [सं० तरुण] | तरपोख-स्त्री० [सं० तरुपोष:] नदी। ७ युवक । ८ बछड़ा । ९ देखो 'तरुणी'। -वि० १ युवा, तरफ-स्त्री० [अ०] १ दिशा । २ पार्श्व, बगल । ३ पक्ष, वयस्क । २ तैरने वाला। -जा='तरणिजा'। -सुत, पक्षदारी। ४ अोर । ५ पास । -दार-वि० पक्षधर । सुतरण= तरणिसुत'। समर्थक । -दारी-स्त्री० पक्षपात । मदद । हिमायत । तरणाई-देखो 'तरुणाई'। तरफरणौ (बौ)-क्रि० १ बिजली का चमकना, दमकना । तरपाट (टी, टो)-स्त्री० १ ध्वनि विशेष । २ तार वाद्यों की | २ पक्षपात करना । ३ देखो 'तड़फरणो' (बी)। ध्वनि । ३ क्रोध की तरंग । ४ कोप, गुस्सा । | तरफळरणौ (बौ-देखो 'तड़फरणौ' (बौ)। तरणापउ (पौ)-पु० तरुणाई, युवावस्था । तरफाग-क्रि०वि० ओर से, तरफ से। तरणाय, तरणि (पी)पु० [सं० तरणि] १ सूर्य । २ प्राक, तरब-देखो 'तरप'। मदार । ३ किरण । ४ नौका, नाव । ५ प्रकाश किरण । | तरबतर-वि० [फा०] खूब भीगा हुमा, सराबोर । -कुमार-पु० यमराज । कर्ण । शनिश्चर । --जा-स्त्री. तरबहरणी-पु० पीतल या तांबे का परातनुमा पात्र । यमुना नदी । -तनय='तरणिकुमार' । -तनूजा= तरबूज (जौ)-पु० [फा० तर्बुज] खरबूजे से कुछ बड़ा एक 'तररिणजा' । -सूद'तरणिकुमार'। लता फल । तरणौ-पु० तृण, तिनका। तरभव-पु० [सं० तरुभव] पुष्प, सुमन । तरणौ (बो)-देखो 'तिरणी' (बौ)। तरमंदार-पु० [सं० मंदार-तरु] कल्पतरु, कल्पवृक्ष । तरत-पु. १ पेड़ का पत्ता, तरुपत्र । २ देखो 'तुरंत'। तरमीम-स्त्री० [अं॰] संशोधन । दुरुस्ती । त्रुटि निवारण । तरतम-स्त्री० फल देने की न्यूनाधिक शक्ति । तरय-क्रि०वि० [सं० त्वरया] शीघ्र, जल्दी। तरतर-पु० [अनु०] ध्वनि विशेष । -क्रि० वि० धीरे-धीरे। तरर-स्त्री० १ कांतिहीन या निस्तेज होने की क्रिया या भाव । तरतात-पु० [सं० तरु-तात] जल, पानी । २ रेंगने की क्रिया या भाव । तरतीब-स्त्री० [अ०] १ क्रम, सिलसिला । २ प्रक्रिया। तररा-स्त्री० चाबुक की डोरी या फीता। ३ व्यवस्था। तरराज-पु० [सं० तरुराज] कल्पवृक्ष । तरतोज-पु० उपाय । तरराट (टी, टौ)-स्त्री० १ तर शब्द की ध्वनि। २ कोप, तरत्तड़-क्रि०वि० जल्दी-जल्दी, तुरंत । गुस्सा । ३ नशे आदि की सुखी । तरदीव-स्त्री० [अ० तर्दीद] १ काटने या खण्डन करने की तरलंग-पु० [सं० तरल-अंग] घोड़ा, अश्व । -वि० चंचल, क्रिया । निरस्तीकरण । २ किसी बात को प्रमाणित करने | चपल । की क्रिया या भाव । तरळ-वि० [सं० तरल] १ जो सूखा या ठोस न हो, द्रव । तरदोज-पु० धोखा, षड़यंत्र ।। २ चंचल । ३ अस्थिर, क्षणभंगुर । ४ तेज, तीव्र । तरन-देखो 'तरण'। ५ सजल । -पु० १ वृक्ष, तरु । २ दोहे छंद का एक तरनिजा-देखो 'तरगिजा' । भेद । ३ छप्पय छंद का एक भेद । ४ चन्द्रमा । ५ घोड़ा। तरनी-देखो 'तरणि । ६ तंतु । तरप-स्त्री०१ तड़पने की क्रिया या भाव । २ चमक-दमक । तरळको-पु० सनक, तरंग, गुस्सा । ३ सारंगी के मुख्य तारों के नीचे कसे तार । ४ देखो| तरळता-स्त्री० [सं० तरलता] १ द्रवत्व । २ चंचलता, चपलता । 'तरफ'। ३ सजलता। For Private And Personal Use Only Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तरळनयरण www.kobatirth.org तरळाई - स्त्री० १ चंचलता, चपलता । २ द्रवत्व । तर पु० सुदर्शन एक ( ५६४ ) तरळनवल (न) पु० [सं० तरल-नयन] १ एक वर्ग वृत्त तरसुरपु० [सं० गुर-तरु] कल्पवृक्ष । तरस्यो - वि० [सं० तृषित ] प्यासा, तृषित । तरस्स देखो 'तरस' । विशेष । २ सजल नयन । तरळभाव-पु० [सं० तरल भाव ] १ पतलापन, द्रवत्व | २ चांचल्य, चपलता । ३ सहृदयता । तरळा - वि० [सं० तरल तरला] १ चंचल, चपल । २ चमकीला । -स्त्री० १० १ चावलों की मांड । २ लस्सी । ३ घोड़ों की एक जाति । तरवण- पु० जंगली जंतु तरवर-देखो 'तरु' । तरहटी देखो 'तळी' | तरहदार - वि० [फा०] १ सुन्दर, सुडोल । २ शौकीन । १ निरगुडी का पौधा । २ पर-दार एक तरहर - क्रि०वि० तले, नीचे । - वि० निकृष्ट, नीच । तरां - क्रि०वि० १ तब । २ तरह से प्रकार से । तरांणि- देखो 'तरणि' । 7 तराई - स्त्री० १ पर्वत के नीचे का मैदान । २ तरी वाला क्षेत्र । तराख- देखो 'हराम' । - तराणौ (यो) देखो 'तरायणी' (बी) । तराज - वि० १समान, तुल्य, सदृश्य । २ देखो 'तराजू' । [तरा - स्त्री० [फा०]] तुला, लकड़ी। तरवर कि०वि० [सं० स्वरसंव] शीघ्र जल्दी, तुरंत तरवरौ, तरवाड़ी-देखो 'तरवाळी' । तरवार (रि) स्त्री० [सं० तरवारि] २ लोहे की पती का धारदार शस्त्र, तलवार, असि । २ तलवारनुमा दोब काटने का औजार । पिधांन स्त्री० म्यान । तरवारियौ पु० तलवार चलाने वाला योद्धा । तरवाळी, तरवाळी ० १ पानी यादि पर तेरने वाली तराइखी (बी), तराखौ (बो) देखो 'तिराणी' (बी)। २ काष्ठ की बनी तिपाई । तर विसतार - पु० [सं० स्तरविस्तार ] भूमि, पृथ्वी, धरा । तरसंग पु० [० तरु-संग] पक्षी तराज - वि० समान, बराबर, तुल्य, सदृश । - चिकनाई, स्निग्धता तरायळ - वि० १ वीर योद्धा । २ जबरदस्त । तराळ - वि० १ भयंकर, भयानक । २ समान तुल्य । पु० वृक्ष, तरु, पेड़ । तरावट - स्त्री० [फा०] १ नमी, तरी, गीलापन । २ ठंडक, तरस - स्त्री० [सं० त्रस्] १ करुणा, दया, रहम । २ ढाल । ३ डर, भय। [सं० तर्ष ] ४ तृष्णा, प्यास । ५ इच्छा, अभिलाषा | ६ लालच, लोभ । ७ समुद्र, सागर । ८ नाव। ९ सूर्य | [सं० तरसम् ] १० गोश्त, मांस । - क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी । शीतलता । ३ घी, मावा आदि से तर पदार्थ । ४ तर माल खाने पर आने वाली तृप्ति । ५ सम्पन्नता । - वि० वैभवशाली, सम्पन्न । तरास स्त्री० [फा० तराश] १ पत्थर, गहने श्रादि में की जाने बाली काट-छांट | २ गढ़ाई । ३ प्रहार, चोंट । ४ ढंग, तर्ज | [सं० त्रास] ५ भय, आतंक | ६ कष्ट, पीड़ा । - खरास स्त्री० काट-छांट । कतरब्योंत । तरासणी ( बौ) - क्रि० [फा० तराशना ] काटना, करतना । तरांहि ( ही ) - देखो ' त्राहि' । तरसरणां स्त्री० १ दया, रहम करुरणा । २ देखो 'तरस' । तरसरणी ( बौ) - क्रि० [सं० तर्षणम् ] १ किसी वस्तु के लिए लालायित होना, तरसना २ व्याकुल होना, धातुर होना । ३ छीलना । ४ बढ़ना । तरसळणी (बी) - देखो 'तिरसळणी' (बी) । तरसा०वि० [सं० तरस्] शीघ्र जल्दी स्त्री० [सं०] वृषा] तरिब-पु० तरुराज, कल्पवृक्ष । , व्यास, तृषा । तरसाल (बी) तरसावली (बी) कि० १ किसी वस्तु के लिये लालायित करना, तरसाना । २ व्याकुल ३ दिखा-दिखा कर चिढ़ाना। ४ तड़पाना । करना । तरसाळी - पु० घोड़े की गर्दन का एक बंधन । तरसि देखो 'तरस' । तरसित - वि० [सं० तृषित ] प्यासा, तृषातुर । तरसोंग - वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ प्रभावशाली । तरसुतर - पु० १ चन्दन का वृक्ष । २ इस वृक्ष की लकड़ी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरस्सरण (बी) देखो 'तर' (बी) तरस्सी - क्रि०वि० [सं० तरस् ] जल्दी, शीघ्र । तरह स्त्री० [अ०] १ भांति, प्रकार । २ बनावट, रचना, डौल । ३ हाल दशा । 1 तरियाँ । तरि - स्त्री० [सं०] १ नाव, नौका। [सं० तरणि] २ सूर्य । [सं० तरु] ३ वृक्ष, पेड़ For Private And Personal Use Only तरि पु० [सं० तर १ सूर्य रवि स्त्री० [सं० तरुण ] २ युवा स्त्री, युवती । तरियल - पु० मस्त हाथी को काबू में करने वाला । तरिया - देखो 'तिरिया' । तरियो पु० १ पतली लंबी व लचकती लकड़ी २ तर ककड़ी। - वि० प्यासा, तृषातुर । , Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरी तळफ्फरणी तरी-स्त्री० [सं०] १ नाव, नौका । २ नमी, आर्द्रता । ३ शीतलता तळ-पु० [सं० तल] १ नीचे का भाग । २ किसी वस्तु के नीचे ठंडक । ४ तरावट । ५ महंगाई । ६ अधिकता । आने वाला भाग । ३ तला, पैदा । ४ कूमा, कूप । ७ पर्वत की तलहटी। ५ जल के नीचे का भाग । ६ नीचे की सतह, धरातल । तरीको-पु० १ ढंन, विधि । २ उपाय, युक्ति । ३ चाल, ७ हथेली । ८ तलवा । ९ बांह । १० थप्पड़ । व्यवहार । ११ ताड़-वृक्ष । १२ आधार, सहारा । १३ सप्त पातालों तरीख-स्त्री० [सं० तरीष] १ नाव, नौका । २ समुद्र । में से प्रथम । १४ एक नरक का नाम । १५ तलहटी, तरु, तरुअर, तरुअरि, तरुणौ-पु० [सं० तरु] पेड़, वृक्ष । तराई । १६ नीचता । १७ बाण चलाते समय बांधा जाने तरुमार, तरुआरई, तरुमारि-देखो 'तरवार' । वाला पट्टा । -क्रि० वि० नीचे, पास में । तरुकांम-पु० [सं० कामतरु] कल्प वृक्ष । तल-देखो "तिल'। तरुण-पु० [सं०] युवा व्यक्ति, युवक । -वि० १ जवान, युवा । | तळई-देखो 'तळे'। २ वयस्क । ३ छोटा । ४ कोमल, मुलायम । ५ नवीन, | तलक-पु० १ ऊंट के पैर की ध्वनि । २ देखो 'तिलक' । ताजा । -ज्वर-पु०सात दिन का ज्वर । -तररिण-पु० -स्त्री० ३ इच्छा, चाह । -क्रि० वि० तक, पर्यन्त । मध्याह्न का सूर्य । तलकरणी (बी)-देखो 'तलक्कणौ (बो)। तरुणाई, तरुणापौ-स्त्री०१ युवावस्था, जवानी । २ वयस्कता।। तळका-पु० चक्कर, फेरा, भ्रमण । ३ नवीनता, ताजगी। तलकार-स्त्री० राजलोक, पौरलोक । तरुरिण, तरुणी, तरुणीय-स्त्री० [सं० तरुणि] १ युवा स्त्री, तलक्कणी (बौ)-क्रि० १ शीघ्र चलना, दौड़ना। २ झपटना, युवती । २ स्त्रो, औरत । झपट पड़ना । तरुणीपरिकरम्म-पु० [सं० तरुणीपरिकर्म] ७२ कलाओं में तलग-क्रि० वि० तक पर्यन्त । से एक। तळगटी-स्त्री० चरखे में लगी एक लकड़ी की पट्टी। तरुतूलिका-स्त्री० [सं०] चमगादड़ । तलगू-स्त्री० तैलंग देश की भाषा । तरुपंच-पु० पांच की संख्या*। तळघरौ-पु० [सं० तल-गृह] तहखाना , तरुपत-पु० [सं० तरुपति] कल्प वृक्ष । तळछट-स्त्री० पानी आदि तरल पदार्थों के नीचे जमने तरुयर (यरु)-देखो 'तरु'। वाला मैल । तरुराज-पु० [सं०] १ कल्प वृक्ष । २ ताड़-वृक्ष । तळछपी (बी)-क्रि० मारना, काटना, संहार करना । तरुवर-देखो 'तरु'। तळछ-मळछ-पु० तड़पड़ाहट, बेचैनी (मेवात)। तरुवारि, तरुवारी-देखो 'तरवार' । तळणी (बी); तळतळरणौ (बी)-क्रि० १ खौलते हुए घी या तेल तरुसार-पु० [सं०] कपूर । में कोई पदार्थ डाल कर पकाना, तलना, भुनना । २ कष्ट तरू, तरूअर-देखो 'तरु'। देना, सताना। तरूपार, तरूपारि--देखो 'तरवार'। तळतळाट (टौ)-पु. १ खोलने की क्रिया या भाव । २ कलह । तलप-स्त्री० [सं० तल्प] १ शय्या। २ चारपाई, खाट । तरूणी-देखो 'तरुण'। ३ महिला, स्त्री। ४ स्त्री, भार्या । ५ गाड़ी में बैठने का तरूनावत-स्त्री० घोड़े के कान के पीछे होने वाली भंवरी । स्थान । ६ मकान के ऊपर की गुम्मठ । तख्यारि-देखो 'तरवार'। तलपकाउ-पु० एक प्रकार का वस्त्र । तरे-देखो 'तरै'। तलपकीट-पु० [सं० तल्पकीट] खटमल, मत्कुण । तरेपन-देखो तिरेपन'। तळपट-पु०१ नाश, विनाश, बरबादी । २ वर्ष भर के आय-व्यय तरेस-पु० [सं० तरु-ईश] कल्प वृक्ष । _का विवरण-पत्र । तर-क्रि० वि० तब । -वि० जैसा, समान, तुल्य । देखो 'तरह' ।। तळफ-वि० [अ०] १ नष्ट, बरबाद । २ देखो 'तड़फ' । तरदार-वि० १ होशियार, चतुर । २ शौकीन, मस्त। ३ अच्छे तळकणौ (बी)-देखो 'तड़फणौ' (बी)। ढंग का, सुन्दर, मनोहर । तळफाणौ (बौ)-देखो 'तड़फाणी' (बी) । तरोवर, तरोहर-पु० [सं० तरु+वर] १ कल्प वक्ष || तळफी-स्त्री० बरबादी, नाश, खराबी। २ वृक्ष, पेड़ । | तळफ्फरणौ (बौ)-देखो 'तड़फरणौ' (बौ)। For Private And Personal Use Only Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तळब तळी तळब, तलब-स्त्री० [अ० तलब] १ खोज, तलाश । २ इच्छा, तलाक-स्त्री० [अ०] १ पति-पत्नी का सम्बन्ध विच्छेद । ख्वाहिश । ३ नशीली वस्तु खाने की तीव्र इच्छा । २ त्याग । ३ प्रण, प्रतिज्ञा । ४ अवरोध, निषेध, रोक । ४ अावश्यकता, मांग । ५ वेतन । ६ बुलावा, बुलाहट । ५ शपथ। ७ सरकार का कर लगने वाली जमीन । | तलाकणौ (बौ)-क्रि० १ पति-पत्नी का कानूनन संबंध विच्छेद तळबगार-वि० [फा०] १ चाहने वाला, इच्छुक । २ मांगने होना । २ छोड़ना, त्यागना । ३ प्रण लेना। वाला । ३ बुलाने वाला। तलाची-पु० [सं०] चटाई । तळबजात-स्त्री० स्वयं अधिकारी का वेतन । तळातळ-पु० [सं० तलातल] सात पातालों में से एक । तळबळाट (टौ)-पु० व्याकुलता बेचैनी। तळाब, तळाय-देखो 'तळाव' । तळबांणी-पु० [फा० तलबाना] १ गवाहों को बुलाने के लिए तलार, तलारक्ष-पु. १ नगर-रक्षक, कोतवाल । २ कोतवाल के अदालत को दिया जाने वाला खर्चा । २ सरकारी बकाया | खर्च संबंधी कर । जमा कराने का आदेश। ३ एक प्रकार का सरकारी कर । तलारु-स्त्री० सेवा, चाकरी । तळबियो-वि०१ मांग करने वाला, मांगने वाला । २ चाहने तलाल-पु. एक जाति व इस जाति का व्यक्ति । वाला, इच्छुक । ३ बुलाने का काम करने वाला । ४ रकम तळाव-पु० [सं० तड़ाग] जलाशय, सरोवर, तालाब । वसूल करने वाला । -पु० सरकारी बकाया वसूल करने तळावड़ी-स्त्री० छोटा तालाब, तलाई, पोखर । वाला कर्मचारी। तळावट-स्त्री० एक प्रकार का जागीरदारी बिक्री कर । तळबी-देखो 'तळब'। तळावटियो-पु० १ उक्त कर वसूल करने वाला कर्मचारी। तळमळ-पु० [सं० तलमल] १ पानी या तरल पदार्थ के नीचे २ उक्त कर देने वाला। जमने वाला मैल। -स्त्री० २ तिलमिलाहट । तळावरत-पु. एक प्रकार का घोड़ा। तळमळणी(बी), तळमळारणी (बी)-देखो 'तिळमिळाणी' (बो)। | तळावळी-देखो 'तळाव'। तळमळाहट-देखो 'तिळमिळाहट' । तळावी-पु० बैलगाड़ी के पहिये में लगने वाला डंडा । तळमीरोटी-स्त्री० परांठा । तली हुई रोटी । तळास, तलास-स्त्री० [तु० तलाश] १ खोज, अनुसंधान । तलवर-पु० १ नगर रक्षक, कोतवाल । २ राजा द्वारा सम्मानित २ आवश्यकता, चाह । ३ पगचंपी। व्यक्ति । ३ अटक, अवरोध । तळासणी (बो)-क्रि० पांव चांपना । तळवारणौ-देखो 'तलबांणो' । तलासणी (बी)-क्रि० खोजना, अनुसंधान करना, शोध करना । तळवा-स्त्री. बैलों के खुरों में होने वाला एक रोग । ढूढ़ना। तळवाईजरणी (बौ)-क्रि० अधिक चलने से पैरों में विकार होना।। तलासी-स्त्री० [फा० तलाशी] १ खोज का कार्य । २ खोई या छुपी वस्तु के प्रति देखभाल । ३ सामान आदि का तळवार-देखो 'तरवार'। निरीक्षण। तळवौ-पु० [सं० तल] १ पैर का तल, तलवा । २ जूते तळि-देखो 'तळी'। का तला । तळिछरणौ (बी)-क्रि० १ संहार करना, मारना । २ प्रहार तळसारणी (बी)-क्रि० सजा देना, दण्ड देना । __ करना। तळसीर-पु० भूमि के अन्दर से स्फुटित होने वाली जल धारा, I' | तलिन-वि० [सं०] १ दुर्बल, क्षीण । २ थोड़ा, कम, अल्प। स्रोत । ३ साफ, स्वच्छ । ४ पृथक । -स्त्री० १ सेज, शय्या । तळहटी (ट्टी)-स्त्री० [सं० तल-घट्ट] १ पहाड़ के नीचे की २ पलंग। भूमि, तराई, तलहटी । २ किसी ऊंचे स्थान के नीचे की तळियौ-पु० १ भवन निर्माण के लिए निश्चित भू-खण्ड । भूमि । ३ अधीनस्थ भाग । २ देखो 'तळो' । --तोरण-पु. एक प्रकार का तोरण । तळहासणी (बो)-देखो 'तळासणी' (बौ)। तलीगण-पु० [सं० तलेंगन] 'चूल्हे आदि पर चढ़ने वाले' बर्तनों तळांवां-पु. एक प्रकार का सरकारी कर । के बाहरी पैदे पर किया जाने वाला मिट्टी का लेप । तळाई-स्त्री०१ छोटा तालाब । २ तलने का कार्य । ३ तलने तळी-स्त्री० [सं० तल] १किसी वस्तु का पंदा । २ सतह, __ की मजदूरी । ४ रुई आदि से भरा गद्दा । धरातल । ३ जलाशय या गड्डे आदि का तल । ४ ऊंट के तळाउ-देखो 'तळाव'। पांव का तलुवा । ५ हथेली की गहराई । ६ जूते का तला । For Private And Personal Use Only Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org तळीकढ़ ( ५६७ ) तसबीह ७ खलिहान का निचला भाग । ८ रहट की लाट में लगने | तवरणौ (बौ)-क्रि० [सं० स्तवन] १ कहना, उच्चारण करना । वाली चन्द्राकार पती। ९ मकान को पक्की छत । १० मोट | २ वर्णन करना, विस्तार पूर्वक कहना । ३ स्तुति करना, खाली करने के स्थान पर जमाया हुआ पत्थर । प्रार्थना करना । ४ देखो 'तपणो' (बी)। ११ तलहटी, तराई। -क्रि०वि० नीचे । तव-तेरण-वि० [सं० तप:+स्तेन] तपस्या का चोर । (जैन) तळोकढ़-पु० बैठते समय पांव का तलुवा बाहर रखने वाला | तवन-पु० [सं० स्तवन] १ स्तुति, प्रार्थना । २ स्तोत्र । ऊंट । ३ स्तोत्र गायन । तळुनौ-देखो 'तळवौ'। तवलता-स्त्री० इलायची की लता । तळू जी-स्त्री० पैंदी, तल, तली । तवसमायारी-स्त्री० [सं० तपः समाचारी] चार प्रकार के तप तळे-देखो 'तळं'। अनुष्ठान । (जैन) तळेक्षण-पु० [सं० तलेक्षण] शूकर, सूपर । तवह-स्त्री० बेल, बल्लरी, लता। तळेचौ-पु० चौखट के नीचे का डंडा । तबाइफ-देखो 'तवायफ' । तळेटी-देखो 'तळहटी'। तवाखीर-पु० [सं० त्वकक्षीर] वंश लोचन । तळेम-देखो 'तसलीम'। तवायफ-स्त्री० [अ०] १ वेश्या रंडी । २ वेश्याओं की मंडली। तळे-क्रि०वि० १ नीचे । २ तल के नीचे । तवारां-क्रि० वि० उस समय, तब । तळेची-देखो 'तळेचौ'। तवारीख-स्त्री० [अ०] इतिहास । तळटी-देखो 'तळहटी'। तविखि (सि)-पु० [सं० तविष ] स्वर्ग । तळोट-पु० घोड़े के अगले पांव का एक भाग । तवी-स्त्री० १ भट्टी पर प्रौंधा रखा जाने वाला बड़ा तवा । तळोदरी-स्त्री० [सं० तलोदरी] स्त्री, भार्या । २ मिट्टी का छोटा तवा । ३ सपाट तली वाली कढ़ाई। तळोदा-स्त्री० नदी, दरिया । तबोकम्म-पु० [सं० तपः कर्मन्] तपकर्म, तपोनुष्ठान । (जैन) तळोसणौ (बौ)-देखो 'तलासणी' (बौ)। तवोधन-देखो 'तपोधन'। तळी-पु० [सं० तल] १ कूप, कूपा । २ पैदा । ३ सतह, तवौ-पु. [सं० तपः] १ रोटी सेकने का तवा। २ चिलम पर धरातल । ४ तलुवा । ५ जूते का तला । रखने का मिट्टी का गोल ठीकरा । ३ वक्षस्थल या पीठ तलौ-पु० १ संबंध । २ छुटकारा, विच्छेद । -बलौ-पु० का कवच । ४ ललाट का मध्य भाग । ५ हाथी के मस्तक रिश्ता, संबंध । --मलो-पु० संबंध, वास्ता । पर लगाया जाने वाला कवच । ६ बख्तर का ऊपरी भाग । तल्क-पु० [सं०] वन, जंगल । तस-पु. १ हाथ, हस्त । २ द्वीन्द्रियादि प्राणी । ३ प्यास । तल्प-स्त्री० [सं०] १ चारपाई । २ पलंग । ३ सेज, शय्या । ४ इच्छा । -सर्व० उस। -क्रि० वि० तैसे-वैसे। ४ स्त्री, भार्या । -क-पु० शय्या बिछाने वाला | तसकर-देखो 'तस्कर'। परिचायक । -ज-पु. क्षेत्रज पुत्र । तसटा-पु० [सं० तष्ट] १ वस्तु को छील-छाल कर गढ़ने तल्पिका-देखो 'तलप'। वाला, विश्व कर्मा । २ एक प्रादित्य का नाम । तल्ल-पु० [सं०] १ बिल, गड्ढ़ा। २ ताल । ३ नाश । | तसटौ-देखो 'तसळो'। तल्लड़-पु० लम्बा डंडा, लाठी। तसरणा-देखो 'तिसण' । तल्ली-स्त्री० [सं०] १ जवान स्त्री। २ देखो 'तली' । तसतरी-स्त्री० [फा० तश्तरी] थालीनुमा पात्र, रकाबी। तल्लीण, तल्लीन-वि० १ चिन्तन, मनन या अध्ययन में लीन, | तसतूबौ-पु० इंद्रायण का फल । मग्न । २ किसी कार्य में पूर्ण मनोयोग से लगा हुआ। | तसदीक-स्त्री० [अ० तस्दीक] १ प्रमाणीकरण । २ किसी तव-सर्व० [सं०] १ तेरा, तुम्हारा । २ देखो 'तब' । प्रमाण से की गई पुष्टि । ३ समर्थन । ४ गवाही । ३ देखो 'तप'। तसदीह-स्त्री० पीड़ा, दर्द । तकिया-स्त्री० एक प्रकार की हरताल । तसफियो-पु० निर्णय, फैमला। तवक्षीर-पु० [सं०] तब शीर, तीखुर नामक पदार्थ । तवक्षीरी-स्त्री० कनकवूर लता की जड़ से निकलने वाला| तसबी-देखो ' तसबीह' । तीखुर पदार्थ । तसबीर--देखो 'तसवीर'। तवज्जा, तवज्ज-स्त्री० [अ० तवज्जह] ध्यान, गौर, देखभाल । | तसबीह, तसब्बी-स्त्री० [अ० तस्वीह] माला, जाप की माला, तवण, तवणु-१ देखो 'तपण' । २ देखो 'स्तवन' । सुमरनी। For Private And Personal Use Only Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तसमाह www.kobatirth.org ( १६८ ) तमाह कि० वि० [सं०] तस्मात्] इसलिये | तसमी १० [फा० तस्मः ] चमड़े का फीता कस्सा, तसमा तसरीफ-स्त्री० [तशरीफ] १ इज्जत प्रतिष्ठा २ बड़प्पन | ३ महत्व । ४ व्यक्तित्व । ५ स्वागत संबंधी शब्द ६ पदार्पण. शुभागमन । तस लियो पु० मित्र, साथी, दोस्त तसळी - स्त्री० ० १ मित्र मण्डली । २ छोटा तसला । 'तसल्ली' । तसलीम-पु० [० तस्लीम] १ प्रणाम अभिवादन सलाम । २ स्वीकार क्यूल धनुपालना। ससळी ० १ बड़ा कटौरा २ भाल पर पढ़ने वाली तीन सलवटें | तसल्ली - स्त्री० [अ०] धैर्य, धीरज, सान्त्वना, शांति, संतोष । तसवीर स्त्री० [अ०] तस्वीर ] १ कागज, वस्त्र, पट्टी बादि पर अंकित कोई चित्र, फोटो । २ काच आदि में मंढा उक्त प्रकार का चित्र । ३ प्रतिकृति । ४ मूर्ति प्रतिमा, बुत । तसस - देखो 'तस' । तसू - पु० इमारती गज का २४ वां भाग, एक माप । तसौ सर्व० (स्त्री० [तसी) तंसा, पैसा तहकीकत, तहकीकात स्त्री० [अ०] १ किसी घटना की जांचपड़ताल, छान-बीन । २ सच्चाई जानने का प्रयास । ३ निरीक्षण । ३ देखो तहखांनौ- पु० [फा० तहखाना ] मकान के नीचे भूमि में बना कक्ष, तलगृह । तहड़-स्त्री० करीब अनुमान अंदाज तहजीब स्त्री० [५० ] पिष्टता, सभ्यता, शिष्ट-याचरण । शिष्टाचार | तस्कर - पु० [सं०] १ चोर, दस्यु । २ चोर बाजारी । ३ अनैतिक व्यापार करने वाला । तस्करता स्त्री० १ चोरी, डकैती । २ काला बाजार का तसां क्रि०वि० उसी ओर, उसी दिशा में, उसी तरह । सियो पु० १ संकट कष्ट २ ० १ वृषातुर, तहबरज वि० [फा०] जिसकी तह न खुली होतबंध । छेह, ग्रन्त । - । प्यासा । २ लालची, लोभी संबं० वंसा, ऐसा तमु सर्व० [सं०] तद्] १ उस २ उसके अपने । व्यापार । तस्करस्नायु - पु० [सं०] काकनासा नामक लता । तस्करी - स्त्री० [सं०] १ चोरी का कार्य । २ काला व्यापार । ३ चोर स्त्री । ४ चोर की स्त्री । ५ व्यभिचारिणी स्त्री । तस्गर - देखो 'तस्कर' । तस्दीक देखी तसदीक'। तस्बीर - देखो 'तसवीर' । वह क्रि०वि० सर्व० वह उस तह - स्त्री० १ यथार्थ ज्ञान । २ चेतना, संज्ञा । ३ सतह, गहराई । ४ पैदी । ५ परत ६ सलवट । ७ देखो 'तहं' । तहक देखो 'बहक'। तहां, वहां २ तथा एवं तहकरणो (बौ) - क्रि० १ चलना । २ नगाड़े का बजना । ३ भयभीत होना । तहवील तहकीक- स्त्री० [अ०] १ सच्चाई, यथार्थता । २ जांच-पड़ताल, छान-बीन । ३ निरीक्षरण । ४ तलाश, ढूंढाई । ५ जिज्ञासा । ६ खोज, शोध 1 तहकाणौ ( बौ) - क्रि० १ चलाना । २ नगाड़े बजाना । ३ भयभीत करना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तहत वि० [अ०] तहत ] १ नीचे, अधीन २ अधिकृत । ३ अपेक्षा में । ४ देखो 'तहत्त' । तहतावसौ (बी) क्रि० १ प्राग्रह करना, अनुरोध करना । २ हठ करना । तहतीक- देखो 'तहकीक' । तहत - पु० ९ तथ्य, सत्य । २ देखो 'तहत' । (जैन) तहत्ति प्रव्य० [सं० तथेति ठीक है, ऐसा ही तथेति । वहशुदा तहना सर्व ० तुम । तहनारी सर्व० तुम्हारी तहनाळ - स्त्री० १ तलवार की म्यान का सोने या चांदी का बंद । २ तलवार के नीचे का भाग । तहपेच पु० [फा०] पगड़ी के नीचे का कपड़ा । तहबंद, तहमत, तहमद तहमद्द - पु० बांधने का अधोवस्त्र, लूंगी । तहमा पु० [० तहम्मुल] १ धेयं सब संतोष २ शान्ति । तहरउ - सर्व० तेरा, तुम्हारा, तहरि - सर्व० तुझको, तुमको । तहरीर त्री० [अ०] तर प्रदेश | ३ लिखावट ६ लिखने की मजदूरी की लिखावट । [फा० तबंद ] कमर पर For Private And Personal Use Only १ लिखित मजवून २ लिखित । ४ शैली, लेखन । ५ प्रमाण । ७ लेख - पत्र, दस्तावेज ८ हाथ तहळकी - पु० [अ० तहल्क] १ हंगामा, हो हल्ला । २ भगदड़, खलबली । ३ उपद्रव, विप्लव । ४ किसी बात का सहमा फैलाव । ५ नाश, बरबादी । ६ मौत, मारकाट । तहवि - देखो 'तथापि । तहवील स्त्री० १ धरोहर, अमानत । २ किसी मद विशेष की प्राय की जमा । ३ खजाना, कोष ४ रोकड़, नगद राशि । ५ प्रवेश । ६ हस्तान्तरण । ७ पोते बाकी -दार पु० कोषाध्यक्ष, खजांची । Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तहस-नहस तहारत - पु० १ शौचालय महावि-देखो 'तथापि । www. kobatirth.org तहस-नहस, तहस - महस - वि० नष्ट, बरबाद । ध्वस्त | तहसील - स्त्री० [अ०] १ प्रशासन के अनुसार जिले का एक भाग । २ इस भाग की भूमि का लगान वसूल करने वाला कार्यालय । ३ राजस्व विभाग का एक कार्यालय । -दार पु० तहसील' का अधिकारी । —दारी स्त्री० 'तहसीलदार' का पद । तहसीलदार का कार्य । तहां कि० वि० उस जगह, वहां २ शुद्धता, पवित्रता । तहि तहि कि० वि० १ तब तो २ वहां । " ( ५६९ ) सांग ०१ एक घोड़े की पोड़ागाड़ी २ छोटी बेलगाड़ी। 2 ३ असफल यात्रा, चक्कर । ४ यात्रा की थकान । तांजी० वी० तांजी) तुम्हारा तेरा । तांड (ऊ) ० १ धधकता अग्नि कण बड़ी चिनगारी । २ संतान पुत्र [सं०] तांडव] ३ मुख्य नाथ ४ ला सांड की दहाड़ [सं० तुण्डकम् ] ५ मुख, थूथन । ६ शिर, मस्तक । (ब) ००का दहाड़ना २ गरजना । ३ दहाड़ मारना । ४ नृत्य करना, नाचना । तांडळ - पु० १ बड़ा सर्प । २ देखो 'तंडळ' । ३ देखो तंडुळ' । तांडव - पु० [सं०] १ पुरुषों का नाच, नृत्य । २ शिवजी का नृत्य ३ एक प्रकार की घास । ४ तीनों लघु के ढगरण के तृतीय भेद का नाम । तांडवी - पु० [सं०] संगीत की एक ताल । तांडि, तांडी ० १ तांडि मनु का नृत्य शास्त्र २ सामवेद की तांडव शाखा का अध्ययन करने वाला । ३ यजुर्वेद का एक कल्पसूत्रकार । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तांतियौ तांडीर पु० बड़ा व काला सर्प । तांडीस - पु० [सं० तांड] नृत्य | तांडौ- पु० १ झुण्ड, समूह । २ कूए के पास का खुला मैदान । ३ फौज के तंबू प्रादि का सामान । ४ अग्नि करण, अंगारा । ५ वनजारे के बैलों का झुण्ड । तांग- स्त्री० [सं० तनु] १ दबाव शक्ति । तनाव । ३ जिद्द, हठ । वात रोग से होने वाली ६ खींचातान । ७ ऐंठन । ऐंठन । ९ धनुषाकार पत्थर की जुड़ाई विशेष । १० गर्व, ११] लोहे की छड़ या लकड़ी जो मजबूती सहीम सर्व० तुम्हारा । तहु सर्व० उस | तह्यौ सर्व० ० तुम । तुमने । सां सर्व० उन के लिये किसी उपकरण में लगाई जाती है । १२ पतंग की छोरी [सं० जा] १३ रक्षा गर तांगली - पु० विरासिया जाति में विवाह का एक रंग - वि० [सं० त्राण ] रक्षक । ० वि० १ त २ वहां [सं० तावत्] ३ तो । ४ देखो 'ता' । तांई - अव्य० [सं० तावत् ] १ तक, पर्यन्त । २ वास्ते, निमित्त, लिए । ३ पास, समीप । सर्व० १ उस २ देखो 'ताई' | तांगरणी, (ब) - क्रि० [सं०तनु] १ खींचना, खींचाव देकर बांधना । २ धनुष पर तीर चढ़ाना। ३ कसना । ४ ताव देना, ऐंठन देना, मरोड़ना । ५ घसीटना ६ जोर देना, आग्रह करना । ७ बलपूर्वक किसी तरफ करना । ८ प्रवृत्त करना । तांगाव - देखो 'तरणा' । तांउ क्रि० वि० तो तब तांग-पु० पतला व विषैला एक सर्प विशेष । सांगड़ ० १ ऊंट के गले से बांध कर हल के बांधा जाने वाला रस्सा । २ हाथी को बांधने का रस्सा । ३ एक देशी खेल । तांगली - पु० एक छोटा सिक्का । तांथि तांखी १ देखो 'तो' २ देवो 'ताई' ३ देखो 'ताण'। तांखौ - पु० [सं० तनु] १ कपड़ा बुनाई में सूत का ताना। २ ऐसे ताने में लगाई जाने वाली लकड़ी । तांगी - स्त्री० [सं० तंग, त्वंग] १ पैरों की लड़खड़ाहट । २ एक तांत स्त्री० [सं० तंतु] १ भेड़, बकरी की प्रांत । २ भैंस के देशी खेल । चमड़े की पतली डोरी । ३ धनुष की प्रत्यंचा । ४ डोरा । धागा । ५ तार वाद्यों का तार । ६ श्रीजार । ७ मगरमच्छ आदि के ८ सुधि खबर, परवाह | [सं० १० देखी 'होती' | २ विचा For Private And Personal Use Only ४ विवाद । ५ श्राग्रह । जुलाहों का एक थूथन का तंतु । तंत्र ] ६ सेना | , तांतरण - पु० तागा धागा, सूत का तार । ततलियों ० १ गले का एक प्रारण विशेष । 'तांतरण'। तांतळ, तांतळि (ळी) - स्त्री० १ शीघ्रता, त्वरा । २ बकझक । ३ कलह । २ देखो तांतवी- पु० [सं० तंतु] मगरमच्छ, मत्स्य । तांति (ती) - पु० [सं० तन्तुः ] १ तंतु नुमा स्नायु रोग का २ पैर का एक ग्राभूषरण विशेष । ३ तांत्रिक सूत्र, गंडा, तावीज । ४ संतान | [सं० तंति] ५ खलियान में अनाज की बातें कुचलने वाले बैलों को पंक्ति ६ पशुओं के क्रय-विक्रय के लिए लगी अस्थाई हाट । ७ देखो 'तांत' । तांतियौ-पु० लम्बे तंतुओं का घास । Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तांतू ( ५७० ) तामिल तांतू-पु० १ ग्राह । २ देखो 'तांतौ' । तांबेडी, तांबेटौ-१ देखो 'तांमड़ी' । २ देखो 'तामेड़ौ' । तांती--पू० [सं० तंति] १ श्रेणी, पंक्ति, कतार । २ सिलसिला, | तांबेसर-देखो 'तांमेसर' । अम । ३ झगड़ा, लड़ाई। ४ किसी बात की बार-बार की | तांबेसरी-देखो 'तांमेसरी'। जाने वाली चर्चा । [सं० तंतु] ५ लता का अग्र भाग । | तांबौ-पु० [सं० ताम्र] लाल रंग का एक धातु, तांबा, ताम्र । ६ लता से निकलने वाला तंतु। ७ कोई रेशा । ८ मुख्य | तांभाड़णी (बी)-देखो 'तांबाड़मौ' (बी) । द्वार की चौखट पर लगाई जाने वाली कलात्मक खदाई की तांभाडो-देखो 'तांबाड़ी'। लकड़ी। ५ संबंध, रिशता । ९ बंधन । १० रहट की माल | ताम-पु० [सं० तामस्] १ क्रोध, रोष । २ अंधकार, तिमिर । में बंधा वृक्ष की छाल का रस्सा । ११ वंश, परम्परा । -सर्व० १ उस,उन । २ तुम, आप । -वि० [अ० १२ डोरा, धागा । १२ देखो 'तांत' । तमाम] सब, समस्त । -क्रि० वि० [सं० तावत् ] १ तब । तांत्रिक-वि० [सं०] १ तंत्रों का ज्ञाता, तंत्रों को मानने वाला। २ उस समय में । ३ तहां, वहां । २ तंत्र संबंधी । ३ तंत्रों में सुपठित । ४ किसी कला या | तांमग-पु० घमंड, गर्व । सिद्धांत को जानने वाला। तांमड़ानकमुह-पु० घोड़ा। तांद-स्त्री० [सं० तुन्दम् ] बढ़ा हुआ पेट, तोंद । तांमड़ायत-पु० ताम्रपत्र द्वारा अधिकृत भूमि का मालिक । तांदळ-१ देखो 'तंदुळ' । २ देखो 'तांदाळ' । ३ देखो 'तांदळी' । तामड़ी, तांमड़ी-वि० तबि के वर्ण का, ताम्रवर्णी । -पू० तांदाळ तांदाळी, तांदी, तांदोलौ-वि० [सं० तु दिल] मोटे पेट तांबे का बना बड़ा पात्र । वाला, तोंद वाला, तोंदू । (स्त्री० तांदीली) तांमजांन, तांमजांम (जांमा)-पु० [सं० ताम्रयान] खुली पालकी तांन-स्त्री० [सं० तान] १ मूर्च्छना प्रादि से किसी राग का ताम्रयान । स्वर विस्तार । २ अवसर, मौका । ३ गान क्रिया का एक | तामरण --पु० १ घास का तृण, तिनका । २ एक प्रकार की हरी अंग । ४ मेल, घनिष्ठता । ५ व्यवस्था । -वि० तैयार, घास । कटिबद्ध । -सर्व० उन, उनको। तामरिणयौ, तामणी-पु० [सं० तेमनी] शाक बनाने का छोटा तांनपुरौ (पूरौ)-पु० बड़ी वीणा। मिट्टी का पात्र। तानसेन-पु० अकबर कालीन एक महान् संगीतज्ञ । तांमरस-पु० [सं० तामरस] १ कमल । २ तांबा । ३ सोना । तांनारीरी-स्त्री. १ साधारण रागालाप । २ साधारण चर्चा । ४ धतूरा । ५ एक वर्ण वृत्त । तांनियो-पु० तुनक मिजाज व्यक्ति । तांमलित्ति-स्त्री० [सं० ताम्रलिप्ति] बंग देश की एक प्राचीन तांनौ-पु० १ व्यंग्य, ताना । २ चुभती बात। नगरी। तांन्यौ-१ देखो 'तांनियो'। २ देखो 'तांनौ' । तांमळेट, तामळोट-पु० टीन का एक चमकदार छोटा पात्र । तांबड़ी, तांबड़ौ-देखो 'तांमडौं'। तांमस-पु० [सं० तामस] १ क्रोध, गुस्सा । २ प्रकृति का एक तांबपत्र-देखो 'तांबापत्र' । गुण, तमोगुण । ३ अंधकार । ४ दुष्ट व्यक्ति । ५ सांप । तांबरस-देखो 'तामरस'। ६ उल्लू । ७ अज्ञान । ८ चौथे मनु का एक नाम । एक तांबागळ -पु० [सं० ताम्रागल] १ नकारा । २ ढोल ।। अस्त्र का नाम । १० तेंतीस प्रकार के केतु । -वि० (स्त्री० -वि. तांबा संबधी, तांबे का। तांमसी) १ कृष्ण, काला । २ दुष्ट । ३ अज्ञानी । तांबाडणौ (बौ)-क्रि० गाय का रंभाना । ४ तमोगुणी । ५ क्रोधी। तांबाडो-पु० गाय के रंभाने की ध्वनि । तांमसकोलक-पु० [सं० तामसकोलक] राहु के पुत्र ३३ केतु । तांबात्रासिया-देखो 'त्रांबात्रासिया' । तांमसमद्य-पु० [सं० तागसमद्य] कई बार खींची हुई शराब । तांबापतर (पत्र)-पु० [सं० ताम्रपत्र] १ तांबे की छोटी चद्दर । तामसबाण-पु० [सं० तामसबाण] १ युद्धस्थल में अंधकार २ किसी प्रशस्ति या दान आदि का वर्णन खुदा हुअा तांबे | फैलाने वाला बाण । २ एक शस्त्र का नाम । का पत्र। तांमसी-वि० [सं० तामस] १ तमोगुणी । २ क्रोधी। ३ अज्ञानी । तांबुल, तांबूल, तांबूलपत्र-पु० [सं० ताम्बूलम्] नागरबेल का । --स्त्री० १ अंधेरी रात । २ एक तांत्रिक विद्या । ३ रात्रि । पत्ता, पान । -बेल, बेलो-स्त्री० नागरबेल, नागवल्ली। तामस्स-देखो 'तांमस' । तांबूलिक-पु० [सं० ताम्बूलिन्] पान बेचने वाला, तमोली।। तामिल-स्त्री० १भारत के दक्षिण में रहने वाली एक द्रविड़ तांबूली-स्त्री. नागवल्ली। जाति । २ उक्त जाति के लोगों की भाषा। For Private And Personal Use Only Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तांमिम ( ५७१ ) ताकरण तांमिस्र-पु० [सं० तामिस्र] १ एक नरक का नाम । २ देखो तापळी-देखो 'तासळी' । ___ 'तमिस्र'। तापळो-देखो 'तासळी'। तांमी-स्त्री० [सं० ताम्र] १ तांबे का तसला, तश्तरी । २ द्रव | ताई, ताइ-सर्व० वह । उस । उन । -क्रि० वि० १ वहां, पदार्थों को नापने का पात्र । ३ तांबे की करछी। तहां । २ इससे । ३ उससे । -वि०१ शत्रु. दुश्मन । तांमील-स्त्री० [अ० तामील] १ अनुपालना । २ किसी फरमान २ अाततायी। ३ विधर्मी, दुष्ट । ४ मोक्ष को प्राप्त होने आदि का निष्पादन। वाला । ५ रक्षक,परिपालक । ६ तापयुक्त । ७ देखो 'ताई' । तांमीली-स्त्री० प्राज्ञा पालन । अनुपालना का कार्य । ८ देखो 'ताई' । -वि० १ पालन करने योग्य । २ आज्ञा पालक । ताइण-पु० [सं० त्रायिता] रक्षक । तांमेडौ-पु० [सं० ताम्र+रा प्र डौ] १ तांबे का बना जल | ताइत-देखो 'ताईत' । पात्र, तांबा का बना कलसा । २ देखो 'तांमड़ो' । ताइफौ-देखो 'तायफौ'। तांमेसर-पु० [सं० ताम्र+ईश्वर] १ ताम्र-भस्म । -स्त्री० ताई-स्त्री० १ बड़ी माता, पिता की भाभी । २ कपड़ा २ एक लता विशेष । बुनने वाली एक जाति व इस जाति का व्यक्ति । ३ घोड़ों तांमेसरी-पु० गेरू के योग मे बना एक रंग विशेष । की एक जाति । -वि० [सं० आततायी] १ शत्रु, दुश्मन । तांमेसुर (स्वर)-पु० [सं० ताम्र-+ईश्वर] १ ताम्र, तांबा । | २ प्राततायी, दुष्ट । २ एक प्रकार का सर्प विशेष । ताईत स्त्री० [अ० ताग्रत] १ आराधना, उपासना । २ धातु के ताम्र-पु० [सं० ताम्र] १ तांबा । २ एक प्रकार का कोढ़। | चौकोर या प्रष्ट कोणी खण्ड पर बना तावीज, जंत्र । -ऋमि-स्त्री. वीर बहूटी । -चूड़-पु० कुकरौंधा का | ३ हाथी का एक प्राभूषण विशेष । पौधा । मुर्गा । -तुड-पु० मुर्गा । -पट्ट, पत्र-पु. तांबे | ताईतिमिर-पु० [सं० आततायी +तिमर] ज्योति, प्रकाश । का पत्र । -पुस्प-पु० लाल रंग का पुष्प । -वरण-वि० ताईद-स्त्री० [अ०] १ सहायता, मदद । २ पक्षपात । तांबे के रंग का, लाल। -सिखी-पु० मुर्गा। -सार, ३ समर्थन, पुष्टि । ४ ताकीद । सारक-पु. लाल चंदन का वृक्ष । ताईधर-वि० वीर, योद्धा। ताम्रपरणी-स्त्री० [सं० ताम्रपर्णी] १ बावड़ी २ तालाब, ताईप्रयात-पु० [सं० आततायी + प्रयात] युद्ध । ३ दक्षिण भारत की एक नदी। ताउं, ताउ-क्रि० वि० १ तक, पर्यन्त । २ तब । तांम्रवरण-पु० [सं० ताम्रवर्ण] १ मनुष्य के शरीर की चौथी ताऊ-वि० १ शीघ्रता करने वाला, उतावला । २ तेज चलने चमड़ी। २ भारत का एक द्वीप, सिंहलद्वीप।। वाला । ३ क्रोधी। -पु०(स्त्री० ताई)पिता का बड़ा भाई । ताम्रा-स्त्री० [सं० ताम्रा] १ सिंहली, पीपल । २ दक्ष प्रजापति | ताऊन-पु० [अ०] एक घातक संक्रामक रोग, प्लेग। की कन्या व कश्यप की स्त्री। ताऊस-पु० [अ०] १ मोर, मयूर । २ सारंगी व सितारनुमा तांय-प्रत्य० तृतीया या पंचमी विभक्ति का चिह्न, से । एक वाद्य विशेष। तांवरण-पु० [सं० ताप] तेल प्रौटाने का तेलियों का पात्र । ताऊसी-वि० [अ०] १ मोर के सदृश । २ बैंगनी रंग का। तांवरिणयौ-देखो 'तांमरिणयौं'। ताक-स्त्री० १ ताकने की क्रिया, ताक-झांक । २ स्थिर दृष्टि, तांवर-स्त्री० १ ताप, ज्वर । २ मूर्छा । ३ देखो 'तंवर' । टकटकी । ३ अवसर, मौका । ४ घात । ५ खोज, तलाश । तांह-सर्व० उस, उन । तुम । --क्रि० वि० १ वहां । २ उस ६ उपाय, तरकीब । -पु० [अ०] ७ दीवार में रखा जाने प्रकार, उम तरह, तब । वाला खाली स्थान, प्रालय । ताख । ८ दो से अविभाजक तांहजौ-सर्व० (स्त्री० तांहजी) तेरा, तुम्हारा । अंक । ६ अंत । -कि वि० तरह से, प्रकार से । तांहरा-क्रि० वि० तब उस समय । ताकड़-स्त्री० ताकीद, शीघ्रता। तांहां-क्रि० वि० १ वहां । २ तव । ३ देखो 'तांह' । ताकड़ियो, ताकड़ी-स्त्री० [सं० तर्कटी] १ तोलने का तराजू । ता-स्त्री० १ तान । २ ताल । ३ माता । ४ स्त्री। -पु० तुला । २ पांच सेर का तौल । -वि० १ उतावली, शीघ्रता ५ विस्तार । ६ शिव । ७ ईश । ८ मैथुन । ९ वस्त्र । करने वाली । २ हृष्ट-पुष्ट, सुडौल । १० तरुण पुरुष । ११ तिल । १२ तार । -सर्व०१उस। ताकड़ो-वि० (स्त्री० ताकड़ी) १ उतावला, जल्दबाज । २ तेज, २ इस । -प्रत्य० करण या अपादान कारक का चिह्न, से। जोशीला । ३ हृष्ट-पुष्ट, सुडौल । ४ शक्तिशाली, बहादुर । देखो 'तां'। | ताकरण-वि० टकटकी लगाकर देखने वाला। For Private And Personal Use Only Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताकरणी । ५७२ ) ताछटणी ताकरणौ (बौ)-कि० [सं० तर्कण] १ सोचना, विचारना । | तागभरणी-स्त्री० करघे में लगी एक पतली लकड़ी। २ टकटकी लगाना, स्थिर दृष्टि से देखना । ३ अवसर की। तागावरण-पु० [सं० त्याग + वर्ण] ब्राह्मण, संन्यासी, जोगी, प्रतीक्षा करना, मौका देखना । ४ राह देखना। ५ दृष्टि | जंगम, भाट और साधु इन जातियों का समूह । रखना, ध्यान रखना । ६ रुख करना, प्रवृत्त होना । | तागीर-पु० किसी जागीर या संपत्ति का जब्तीकरण। ७ गौर करना। तागीरात-स्त्री० जागीर क्षेत्र में किसानों द्वारा स्वेच्छा से राजा ताकत-स्त्री० [१०] १ बल, शक्ति, जोर। सामर्थ्य, क्षमता। | को दिया जाने वाला कर । -- बर-वि० शक्तिशाली। क्षमता वाला। | तागौ-पु०१ कच्चे सूत का धागा। २ डोरा, धागा। ३ यज्ञोपवीत, ताकधिन-पु० तबले की ध्वनि । जनेऊ । [सं० त्याग] ४ बाह्मणों व पुजारियों द्वारा शाप ताकळियो, ताकळी-पु० [सं० तार्कुक] १ लोहे का लम्बा | देने के अभिप्राय से शरीर पर घाव करके दिया जाने वाला सुईया । तकुवा । २९क प्रकार का सर्प । -वि० कृश, रक्त का छींटा । ५ देवता के आगे किया जाने वाला दुबला । अनशन । ताकव-पु० [सं० ताकिक] १ तर्क, मीमांसा ग्रादि शास्त्रों का ताड़-पु० [सं० ताड] १ बिना शाखा का बहुत लंबा वृक्ष । पंडित । २ कवि । ३ चारण । २ पर्वत, पहाड़ । -स्त्री० [सं० ताड:] ३ ताड़ना, ताकि-प्रव्य० [फा०] इसलिये कि, जिससे । फटकार । ४ प्रहार, आघात । ५ बौछार । ६ कूए ताकीद (दी)-स्त्री० [अ०] १ शीघ्रता, जल्दबाजी । २ किसी से पानी निकालने के 'पाट' के नीचे की सीधी लकड़ी। कार्य को शीघ्र करने के लिए दी जाने वाली प्रेरणा । ड़ों का एक रोग। ३ आदेश, प्राज्ञा, दबाव । ताड़का-स्त्री० [सं० ताडका] मारीच व सुबाहू की माता, एक ताकू-देखो 'ताकळी' । राक्षसी। -अरि-पु० श्रीरामचन्द्र । ताको पू० १ ताकने की क्रिया या भाव । २ अवसर, मौका। ताड़काफळ-पू० बड़ी इलायची । ३ ध्यान, ताक । ताड़केय-पु० [सं०] मारीच । ताखंगी-पु० १ तक्षक । २ वीर, बलवान, योद्धा । ताड़घ-पु० बेंत या कोड़ा मारने वाला, जल्लाद । ताखड़ी-देखो 'ताकड़ी'। ताड़ण, ताड़णा-स्त्री० [सं०] १ डांट, फटकार, ताड़ना, ताखड़ौ-१ देखो 'ताकड़ो' । (स्त्री० ताखड़ी) २ देखो 'ताखौ' । भर्त्सना । २ मारपीट । ३ हंकाई। ४ प्रहार, प्राघात । ताखरिण-क्रि०वि० [सं० तत्क्षण] उसी समय, तत्काल, फौरन । ५ दुत्कार । -वि० प्रताड़ना देने वाला। ताखणौ (बौ)-क्रि० १ क्रोधित होना, कुपित होना। २ जल्दी ताड़णी (बौ)-क्रि० १ डांटना, फटकारना । २ भर्त्सना करना । मचाना। ताखति-स्त्री० शीघ्रता, जल्दबाजी । ताकीद। ३ पीटना, मारना । ४ हांकना । ५ दुत्कार कर ताखा-तांखौ, ताखा-तीबो-पु० छोटे-बड़े जेवर व उनके अंग। निकालना। ३ खतरा भांपना। ७ सतर्क होना । ताखी-पु० १ अलग-अलग तरह की दोनों प्रांखों वाला घोडा | ताड़पत्र-पु० १ ताड़ वृक्ष। २ ताड़ वृक्ष का पत्ता । ३ ताड़ विशेष । २ छोटे बच्चों का शिर ढकने का वस्त्र विशेष । । वृक्ष की छाल का पत्र । ताखो-वि० १ जोशीला,उत्साही। २ महान्, जबरदस्त । ३ वीर | ताड़रोग-पु० घोड़ों का एक रोग । बहादुर । -पु० [सं० ताय] १ गरुड़। २ कपड़े आदि का ताड़ासन-पु० [सं०] योग के चौरासी आसनों में से एक । परा थान । ३ एक प्रकार का कपड़ा। ४ देखो 'तक्षक'। ताडिका-देखो 'ताडका'। ताग, तागउ-पु० [सं० तड़ाग] १ तालाब । २ देखो 'तागो'। ताड़ी-स्त्री० १ ताड़ वृक्ष की शराब । २ छाते, साईकिल प्रादि तागड़दी-पु० तबले का बोल । ___ में लगने वाला लोहे के तार का खण्ड । ३ लोहे की तागड़ी-स्त्री०१धागे प्रादि में घघरू पिरोई करधनी, करधनी।। शलाखा । ४ मथानी की खपची। २ कटिसूत्र । ताचकरणौ (बी), ताचणौ (बौ)-क्रि० १ हमला करना । तागणौ (बो)-क्रि० १ सुई में धागा डालना । २ दूर-दूर की २ उचक कर पाना । ३ताक लगाना, घात लगाना । मोटी सिलाई करना । ३ सुई आदि नुकीली वस्तु को ४ छलांग लगाना। चुभाना, गोदना। ताछ-देखो 'तास'। तागत-देखो 'ताकत'। | ताछटणी(बौ)-क्रि०१ पछाड़ना, गिराना । २ देखो'ताचणी' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताछरणी ( ५७३ ) ताति ताछणौ (बौ)-क्रि० १ बलिदान करना, बलिदेना। २ सोने | ताट-स्त्री० १ मिट्टी के पात्र में पड़ी दरार । २ पाक की छाल आदि के जेवरों को कुरेद कर साफ करना । ३ वार | की रस्सी जो लकड़ी के बांध कर घुमाने पर आवाज करना, प्रहार करना। करती है। ताज-पु० [अ०] १ राज मुकुट । २ मुकुट । ३ किलंगी, तुर्रा । | ताटकणी (बौ)-क्रि० १ बादलों का गर्जना । २ मूसलाधार ४ मोर, मुर्गा प्रादि की चोटी। ५ मकान की शोभा के | वर्षा होना । ३ बिजली का जोर से कड़कना । ४ आक्रमण लिये उस पर बनी बुर्ज । ६ मुख्यद्वार पर बनी बालकानी। करना । ५ झपटना । ७ ताज महल । ८ अरबी घोड़ा। ९ एक देश का नाम | ताटाबरड़-वि० जबरदस्त । जोरदार । -वि० उच्च श्रेष्ठ । ताटियो-पु० रहट के पानी गिरने की कुण्डी के बाजू में लगाई ताजक-स्त्री०१ घोड़ी । ३ एक ईरानी जाति । -पु० | जाने वाली पाड़। ३ यवनाचार्य कृत ज्योतिष का एक ग्रंथ । ताटी-देखो 'टाटी'। ताजगी-स्त्री० [फा०] १ ताजापन, चुस्ती, प्रफुल्लता । ताटीसेवी-पु० १ नौकर, दास । २ आश्रित । २ शुष्कता एवं सूखेपन का अभाव, तरी। ताटी-देखो 'टाटी'। ताजण-स्त्री० १ घोड़ी । २ एक लोक नृत्य विशेष । ३ चाबुक, | ता' टौ-पु० १ चौड़े पैंदे व छोटी दीवार का धातु का पात्र । कोड़ा। २ वृक्ष, पेड़ । ३ देखो 'टाटौ' । ताजरिणयौ, ताजणी-पु० [फा० ताजियाना] चाबुक, कोड़ा, ताठणौ (बो), ताठसकणौ (बौ)-क्रि० १ छीनना, खोसना, हंटर। झपटना । २ अधिकार में कर लेना। ताजपो (बौ)-कि० [सं० तर्जन] १ डांटना, फटकारना । | ताडंक-देखो 'ताटंक' । [सं० त्यक्त] २ छोड़ना, तजना । ताड-देखो 'ताई'। ताजदार-वि० [फा०] १ ताजधारी, मुकुटधारी । २ ताज ताडपो (बौ)-क्रि० १ पहनना, धारण करना । २ तमतमाना, के ढंग से बना। -पु. राजा, बादशाह । क्रुद्ध होना । ३ देखो 'ताडूकणौ' (बौ) । ४ देखो ताजपोसी-स्त्री० [फा० ताजपोशी] राज्याभिषेक का उत्सव ।। | 'ताड़णी' (बी)। राज्याभिषेक। ताडियो-पु० स्वर्णकारों के कार्य का कांसी का छोटा डंडा । ताजमहल-पु. आगरे में यमुना किनारे बना इतिहास प्रसिद्ध ताडूकरणी (बौ)-क्रि० सांड या बैल का दहाड़ना । महल । ताढ़-देखो 'ताढक' । ताजिणो-देखो ताजणी'। ताढ़उ-देखो 'ताढौ'। ताजियो-पु० [अ० ताजिय] मोहर्रम, ताजिया। | ताढ़क-स्त्री. १ शीत, ठंड, सर्दी । २ शीतलता, ठंडक । ताजी-पु० (स्त्री० ताजण) १ अरबी घोड़ा। २ ताज देशोत्पन्न | तादौ-वि० (स्त्री० ताढि, ढी) ठंडा, शीतल । एक विशेष जाति का कुत्ता । -स्त्री०३ अरब की भाषा।| ताणो (बौ)-देखो 'तावणी' (बो)। -वि०१ अरब का, अरब संबंधी । २ देखो 'ताजी' (स्त्री०) । | ताज्यू-पु० कोपीन । ताजीम-स्त्री० [अ० तग्रजीम] सम्मान, आदर, सत्कार । | तात-पु० [सं०] १ पिता । २ पूज्य व्यक्ति, गुरु । ३ पति । ४ ईश्वर । ५ स्वामी । ६ प्रिय वाची सम्बोधन । -स्त्री० ताजीमी-सरदार--पु० दरबार का प्रतिष्ठित सामंत । ७ चिता । ८ पीड़ा, कष्ट । ताजीर-स्त्री० [अ० ताजीर] १ दण्ड, सजा । २ ईर्ष्या । तातडे (उ)-देखो 'तातो'। ताजौ-वि० [फा० ताजः] (स्त्री० ताजी) १ तुरत का बना । तातर-पु० समुद्र, सागर । २ जो पुराना न हो । नवीन । ३ हरा-भरा, तर । ४ स्वस्थ ताताथई-स्त्री० नृत्य, नाच । नृत्य का बोल । प्रसन्न चित्त, प्रफुल्लित । ५ हृष्ट-पुष्ट । ६ सद्य उत्पन्न । ७ सद्य प्रस्तुत । तातार-पु० [फा०] भारत व फारस के उत्तर में स्थित एक देश । ताटक-पु० [सं०] १ कर्ण फूल, कान का प्राभूषण । २ लावणी | | तातारी-वि० तातार देश का, तातार देश संबंधी । संबंधित एक छंद । ३ छप्पय का २४ बांभेट । -पु० तातार देश का निवासी। ४ डिंगल का एक गीत । ५ ग्रार्या या स्कंधक का एक | ताताळ-वि० तेज चलने वाला, उतावला । भेद। ६ प्रथम गुरु के गण के प्रथम भेद का नाम । | ताति (ती)-स्त्री० १ रटन । २ देखो 'तात' । ३ देखो 'तातो' ७ कान का बाला। (स्त्री०)। -वेळा-स्त्री० बाल्यावस्था । For Private And Personal Use Only Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तातील । ५७४ ) ताबीन तातील-स्त्री० [अ०] १ अवकाश, छुट्टी। २ छुट्टी का दिन । का नाम । ५ एक तांत्रिक प्रयोग । ६ ग्रीष्म ऋतु । तातेड़खांनो-पु० १ स्नानागार, हमाम । २ भंडार । ७ जलन । ८ कष्ट । ९ दण्ड । ताते क्रि०वि० इससे, इसलिये । इस कारण । तापमानजंत्र (यंत्र)-पु० ताप मापने का यंत्र, थर्मामीटर । तातो-वि० [सं० तात] (स्त्री० ताती) १ गर्म, उष्ण । तापल-पु० [सं० ताप] १ क्रोध । २ श्वास रोग से पीड़ित पशु । २ तपा हुा । ३ तृप्त, पूर्ण। ४ उतावला, जल्दबाज । तापस-पु० [सं०] १ तपस्वी । २ तेज पत्ता। ३ एक प्रकार की ५ चचल, नटखट । ६ तीव्रगामी । शीघ्रगामी । ईख । ४ शिव । ५ साध । --क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत । तापसक-पु० [सं०] सामान्य श्रेणी का तपस्वी । तात्परज-पु० [सं० तात्पर्य ] तात्पर्य, अभिप्राय, मतलब । तापसतरु (द्रुम)-पु० [सं०] हिंगोट वृक्ष, ई गुदी वृक्ष । तात्त्विक-वि० [सं०] तत्त्व सबंधी, तत्त्व ज्ञान संबंधी । तापस्वेद-पु० [सं०] १ गर्मी से उत्पन्न पसीना, स्वेद । ताथेइ-देखो 'ताताथेई'। २ गर्म बाल-करण । ३ नमक । तादागळ, तादात्म्य-पु० [सं० तादात्म्य] १ एक वस्तु का दूसरी तापहरी-स्त्री० एक पकवान या व्यंजन का नाम । वस्तु से संबंध । २ अभिन्नता, एकता। ३ आत्मसात होने | तापाड़ो-स्त्री० चोट के कारण आंख की पुतली में बना सफेद का भाव । ४ तत्त्व रूपता। चिह्न। तादाद-स्त्री० [अ० तादाद] १ संख्या, गिनती। २ कुल योग । तापी-वि० [सं० तापिन्] १ ताप देने वाला, उष्णता देने ३ मात्रा, परिमारण । वाला । २ दुःख देने वाला, सताने वाला। -पु. १ बुद्ध ताद्रस-वि० [सं० तादृश] उसके समान , ठीक वैसा । देव । २ तपस्वी, मुनि । ३ देखो 'तापती' । ताप (उ)-पु० [सं०] १ उष्णता, गर्मी। २ अग्नि, आग । तापु-देखो 'ताप' । ३ ज्वाला, लपट, प्रांच । ४ कष्ट, पीड़ा । ५ दु:ख । | तापेंद्र-पु० [सं०] सूर्य । ६ ज्वर, बुखार । ७ भय, अातंक | ८ प्रताप, तेज । तापलेदिन, ताप्लैदिन-पु० प्राज से पांचवां या छठा दिन । ६ जोश, साहस । | तापौ-पु० १ ऊंट की, चारों पांवों से उछलने की क्रिया । तापड़-पु० [सं० ताप+पट] १ बिछाने का, जूट का वस्त्र । २ ऊंट का पदाघात । २ मैले कुचेले वस्त्र । ३ ऊंट के चारजामे के नीचे बिछाने | ताप्ती-देख 'तापती' । का वस्त्र । ४ ऊंट की चाल विशेष । ५ किसी व्यक्ति की | ताफतौ-पु० [सं० तापतः] १ एक प्रकार का चमकदार रेशमी मृत्यु के बाद उसके परिवार वालों द्वारा शोक में बैठने के | वस्त्र । २ उक्त वस्त्र के रंग जैसा घोड़ा। लिये बिछाया जाने वाला वस्त्र । ताब-स्त्री० [फा०] १ ताप, गर्मी, उष्णता । २ प्राभा कान्ति तापड़पो (बौ)-क्रि० १ भागना, दौड़ना । २ दुःखी होना, चमक । ३ शक्ति, सामर्थ्य । ४ हिम्मत, साहस । कष्ट पाना। ३ तड़पना। ४ ऊंट का चारों पावों से ५ सहिष्णुता, धैर्य । ६ अातंक, रौब । ७ ज्योति । दौड़ना। ताबड़तोड़-कि०वि० शीघ्र, जल्दी, झट-पट, लगातार । तापड़धिन, तापडधिन्न-पु० तबला आदि के बजने की ध्वनि । -स्त्री० उतावली, शीघ्रता। तापड़ारणी (बी)-क्रि० घोड़े, ऊंट आदि को दौड़ाना। ताबची-स्त्री० प्रकार की बन्दूक । तापडणी (बी)-देखो 'तापड़णी (बौ)। ताबदांन-पु० [फा० ताबदान] १ ताख, पाला, प्रालय । तापरण-देखो 'तापन' । २ कमरे के द्वार पर 'सिलदरों' पर गोलाकार स्थान जहाँ तापणौ (बो)-क्रि० १ चेचक के व्रण निकलना । २ प्राग या झरोखे भी होते हैं । ३ रोशनदान, खिड़की । प्रांच से गर्माना, गर्मी लेना । ३ धूप सेवन करना । ताबादार-देखो 'ताबेदार'। ४ देखो 'तापणी' (बौ)। ताबादारी-देखो 'ताबेदारी' । तापतिल्ली-स्त्री० तिल्ली बढ़ने का एक रोग । ताबि-देखो 'ताब'। तापती-स्त्री० [सं०] १ सूर्य की कन्या, तापी । २ दक्षिण | ताबीज-देखो 'तावीज' । भारत की एक नदी । ताबीत--पु० [अ० ताबईत] १ अधीनता, मातहती । २ देखो तापत्रय-पु० [सं०] तीन प्रकार के ताप । 'तावीज'। तापन-पु० [सं०] १ ताप देने वाला सूर्य । २ काम के पांच ताबीन-वि० अधीन, मातहत । ---दार-पु० नौकर, सेवक, बाणों में से एक । ३ सूर्यकान्त मणि । ४ एक नरक का परिचायक । सिपाही । For Private And Personal Use Only Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तातूब तावेदार देखो 'ताबेदार' | - www. kobatirth.org ताबूत पु० १ जनाजा व २ ला रखने की संदूक ३ मकबरा, मजार । ४ ताजिया । ५ ताजिया की तरह बना कोई ढांचा । ताबे वि० [प्र० ताब] १ वशीभूत, अधीन, भाज्ञानुवर्ती २ अनुयायी । ताबेदार वि० [०] १ प्राज्ञाकारी ।२ मधीन वशवर्ती। ३ अधीन, मातहत । पु० १ सेवक, चाकर । २ अनुयायी । ताबेदारी स्त्री० [ प्र० ] १ प्रधीनता । २ आज्ञापालन । ३ अनुवाविव। 'ताबै- देखो 'तावे' | 2 (५७५) का एक वानर । १४ तारकासुर । साथी । १६ परिणाम, नतीजा तार पु० [सं०] १ सूत, तागा, तंतु । २ धातु का तागा । ३ चांदी, रौप्य । ४ बिजली आदि का तार । ५ यांत्रिक सहायता से भेजी खबर या संदेश, टेलीग्राम । ६ सिलसिला, क्रम | ७ हल्का मादक पदार्थ । ८ । संयोग, अवसर ९ सार, तत्र, निष्कर्ष । १० वंश परंपरा । ११ सुभीता, व्यवस्था । १२ युक्ति, उपाय, तरकीब । १३ राम की सेना ताबेदारी-देखो ताबेदारी' | ताय- पु० [सं० तात] १ पिता । २ रात्रि, रात । सर्व० १ उस । २ किस - वि० समान तुल्य । क्रि० वि० १ तब । २ लिए, वास्ते । ३ वैसे ही, ज्यों । तायक ( ग ) - वि० १ वीर योद्धा । २ संहारक, नाश करने वाला । ३ शोत्रता युक्त, त्वरायुक्त । ४ शत्रु । ५ एक देश का नाम । - सर्व० तेरा, तेरी । तायत, तायतियाँ- देखो 'ताईत' । - - | तायतीसग पु० [सं० त्रास्त्रिशंक] इन्द्र के स्थानीय देवता (जैन) तायफ गु० [०] १ चारों ओर घूमने का भाव, परिक्रमा २ चौकीदार । ३ चौकीदारी । ४ देखो 'तवायफ' । तायको पु० [फा०] १ याओं का समूह या मण्डली २ नाच गान करने वाली मण्डली । - I सायल वि० १ वीर, पक्तिशाली, समर्थ २ उम्र तेज । ३ संहारक । ४ शत्रु । तायला - पर्व ० ( स्त्री० तायली ) १ तेरा तुम्हारा । २ देखो 'तायल' । सायां पू० [सं०] यातायी] धत्याचारी, पातलाई । तायोड़ी - वि० (स्त्री० तायोड़ी ) १ सताया हुआ । २ तपाया हुया । ३ पिलाया हुआ । ४ कष्टों से संतप्त । तायौ वि० चंचल । तारंग- देखो 'तारक' । तारंगमंत्र देखो 'सारकमंय'। तारंगसिला स्त्री० चीमठ योगिनियों के सामूहिक नृत्य करने की सिला । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ तार वाद्य । १६ शुद्ध मोती । २० संगीत में स्वरों का सप्तक । २१ प्रकाश, आभा । २२ शक्कर की चासनी बनने की अवस्था । २३ ग्रांख की पुतली । २४ पर्याप्त भोजन से होने वाली तृप्ति । २५ मूर्च्छा, वेहोशी । २६ क्रोध, गुस्सा | २७ ईश्वर । २८ शिव । २६ मोती की स्वच्छता | ३० नदी तट । ३१ उच्चस्वर । ३२ देखो 'तारौ| - वि० १ निर्मल, स्वच्छ । २ थोड़ा, किंचित, अल्प । तारक पु० [सं०] १ नक्षत्र, तारा २ मात्र की पुतली ३ इन्द्र का शत्रु, तारकासुर । ४ चांदी, रोप्य । ५ वह जो पार उतारे, तारने वाला । ६ मृतक के पीछे क्रिया कर्म कराने वाली व दान लेने वाली जाति । ७ ईश्वर ८ कर्णधार, मल्लाह । ९ तेरह वर्ण का एक छन्द | [सं० तार्क्ष्यः ] १० ११ घोड़ा प्रसवारी ५० ईश्वर गरुड़ -गाह, जित- पु० स्वामि कार्त्तिकेय । - टोडी-पु० ऋषभ व कोमल स्वरों से गाया जाने वाला एक राग । तीरथ पु०या के पास का एक तीर्थ मंत्र० - । । राम का षड़ाक्षरी मंत्र । तारकेस १५ मय दानव का एक । १७ ध्यान लगन । 1 तारकयांणी जी० [सं०] नगीने काटने का धनुषाकार एक श्रीजार । For Private And Personal Use Only तारकस - पु० १ धातु का तार बनाने वाला । २ धातु के पतले तारों से युक्त वस्त्र । तारकसी स्त्री० १ पतले तार खींचने का कार्य । २ इस कार्य की मजदूरी | तारका स्त्री० १ बाली की पत्नी, तारा । २ इन्द्र वारुणी । ३ नक्षत्र, तारा । ४ ज्योति, प्रकाश । ५ घोड़ों की एक जाति विशेष । ६ श्रांख की पुतली । ७ धूमकेतु । तारकाक्ष-पु० [सं०] तारकासुर का ज्येष्ठ पुत्र तारकाण - पु० [सं०] विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम । तारकार, तारकारि पु० [सं० तारक अरि] स्वामि कार्तिकेय, षडानन । तारकासुर - पु० [सं०] स्वामि कालिदेय द्वारा वचित एक प्रमु तारकिक पु० [सं० तार्किक ] १ तर्क शास्त्र का पंडित । २ तर्क करने वाला । तारकिणी, तारकित - वि० [सं०] तारों से युक्त, तारों भरी । तारकी - वि० [सं० तारकित] १ तारकित २ पोहा, किंचित | ३ देखो 'तारक' | तारकूट - पु० [सं०] चांदी व पीतल के योग से बना धातु । तारकेस, तारकेश्वर पु० [सं०] १ शिव, महादेव २ कलकत्ते के पास का एक शिव लिंग [सं० तार्किक ] ३ तर्क शास्त्र । ४ तर्क करने वाला । 1 Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तारकौ www.kobatirth.org ( ५७६ ) तारकौ - देखो 'तारक' । तारक्खी, तारक्ष, तारख तारखी, तारिख तारिय-देखो 'तारक' । - मंत्र 'तारकमंत्र' । तारगा - स्त्री० ० १ यक्षों के इन्द्र पूर्ण भद्र की चतुर्थ पटरानी । २ नक्षत्र । तारपर १० [सं०] तार-गृह] बिजली के तारों व यंत्रों से संदेश भेजने का कार्यालय । तारच्छ देखो 'तारक' । तारजोड़-पु० कमीदाकारी का कार्य - की क्रिया, उद्धार, । तारल वि० [सं०] [स्त्री० तारखी) उद्धार करने वाला तारने वाला पु० १ उद्धार करने निस्तार । २ पार उतारने का कार्य ३ ईश्वर । ४ सोने के बदले लिया ऋण न चुकने व व्याज बढ़ जाने पर रखा जाने वाला अतिरिक्त सोना । ५ नौका, बेड़ा । ६ बचाव, छुटकारा पारण १० आश्विन की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता रहने वाला एक व्रत । तारणी - स्त्री० [सं०] १ देवी, दुर्गा । २ बेड़ा, नाव । ३ उद्वार करने वाली । ४ कश्यप की एक पत्नी । तेरस - स्त्री० बुधवार की त्रयोदशी को किया जाने वाला व्रत । तारणौ ( बौ) - क्रि० [सं०] १ पार लगाना । २ उद्धार करना, मुक्त करना । ३ बचाना, रक्षा करना । ४ तिराना । तारत, तारखांनो, तारथ पु० [अ० [तहारत] पाखाना, शौचालय । तारवी-स्त्री० ० एक प्रकार का कांटेदार पेड़ । तारन - देखो 'तारण' । तारपीन पु० चीड़ के पेड़ का तेल तारवी (बी) देखो 'तारणी' (बी) ताराक्ष-पु० एक असुर का नाम । ताराग्रह - पु० का समूह । ताराज- देखो 'तराज' । ताशती रवी० चुगली करने वाली स्त्री। तारसार - पु० [सं०] एक उपनिषद् का नाम । तारही सर्व तेरा। o तारां- क्रि०वि० १ तब । २ देखो 'तारा' । तारांग - देखो 'तारायण' । तारा - पु० १ युद्ध का एक वाद्य । २ सुरणाई वाद्य के छेदों का नाम । स्त्री० ३ बालि नामक वानर की स्त्री । ४ राजा हरिश्चन्द्र की पत्नी । ५ ज्योति, प्रकाश । ६ वृहस्पति की स्त्री ७ पांच को पुतनी ताराइण- देखो 'तारावण ताराई स्त्री० एक वास विशेष । [सं०] मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रहों तारापथ, तारापह - पु० २ श्राकाश गंगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शशि । ताराधिप, ताराधीस, तारानाव १० १ चन्द्रमा, २ शिव । ३ बृहस्पति । ४ बालि । ५ सुग्रीव । ६ राजा हरिश्चन्द्र तारापंत - स्त्री० [सं० तारा + पंक्ति] तारावली, तारों की पंक्ति । तारापत (पति) - देखो 'ताराधिप' । तारुण [सं० तारापथ ] १ आकाश । तारापीड़ - पु० [सं०] १ चंद्रमा । २ अयोध्या का एक राजा । ३ काश्मीर का एक प्राचीन राजा । तारापैसांनी - पु० ललाट पर सफेद तिलक वाला घोड़ा । तारामंडळ - पु० [सं० तारामण्डल ] १ तारागण, नक्षत्र - समूह | २ एक प्रकार की प्रातिशबाजी । ३ खगोल । ४ प्रांख की पुतली । तारामंदूर- १० [सं०] अनेक इन्त्रों के योग से बनी एक प्रौषधि ताराम्रग पु० [सं० तारामृग ] मृगशिरा नक्षत्र । तारायण - पु० [सं०] १ आकाश । २ मस्तक, कपाल । ३ अधिक चोट आदि के कारण आंखों के आगे छा जाने वाला अंधेरा स्वी० [४] तारों की पंक्ति नेत्र ज्योति रष्टि । ६ देखो 'तारण' । 1 तारायणी - स्त्री० नक्षत्र समूह । तारागण । तारिक वि० [अ०] १ तर्क करने २ त्यागी । ३ देखो 'तारक' तारिका स्त्री० [सं०] १ एक देवी तारिख तारिख देखो 'तारक' तारिया देखो 'तारिका' । , वाला, तर्क छेड़ने वाला। [सं०] ४ किराया, उतराई । (जैन) २ांख की पुतली । तारिस क्रि०वि० [सं०] तारग] वैसा ही तारी स्वी० १ बावनों में धातु यादि मसाले डाल कर बनाई गई खिचड़ी, चटपटा व्यंजन २ तार का बना उपकरण । ३ देखी 'ती' | For Private And Personal Use Only तारीक - वि० [फा०] १ काला, स्याह । २ धुंधला । तारीकी स्त्री० [फा०] १ कालापन, स्याही । २ धुंधलापन । ३ अंधेरा । तारीख - स्त्री० [फा०] १ चौबीस घंटे की एक अवधि विशेष, दिन । २ तिथि, दिनांक ३ घटना विशेष की प्रसिद्ध तिथि । ४ कार्य विशेष के लिए निश्चित किया हुआ दिन । ५ इतिहास । तारीफ स्त्री० [०] १ प्रशंसा, स्वाया २ प्रशंसा में कहे जाने वाले शब्द | सराहना ३ परिचय ४ वर्णन, बखान । तारु - देखो 'तारू' । 1 तारुण पु० [सं० तारुण्य ] १ युवावस्था । २ वयस्कता । ३ देखो 'तरुण' | Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तारुणी ( ५७७ ) ताळाब तारुणी-देखो 'तरुणी'। ताळताळी-स्त्री० दोनों हाथों की करतल ध्वनि । ताली । तारुण्ण, तारुण्य, तारुन-देखो 'तारुण' । -क्रि०वि० शीघ्र, जल्दी। तारू-वि० १ उद्धार करने वाला, मुक्त करने वाला। २ पार | ताळधर (धारी)-वि० ताल प्रगट करने वाला। करने वाला। ३ देखो 'तेरु' । ४ देखो 'ताहरां'। तालपत्र-पु० ताड़वृक्ष के पत्ते । तारेक-क्रि०वि० यदा-कदा, कभी-कभी । ताळपळंब-पु० [सं० तालप्रलंब गौशाला का एक श्रावक । तारै-क्रि०वि० तब । ताळपिसाय-पु० [सं० तालपिशाच] ताड़ वृक्ष के समान लम्बे तारौ-पु० [सं० तारा] १ नक्षत्र, सितारा, तारा । २ अांख कद का राक्षस । की पुतली । ३ अश्विनी नक्षत्र । ४ भाग्य । ५ प्रकाश । | ताळपुड़गविस-पु० [सं०तालपुटकविष] शीघ्र प्राण नाशक विष । ६ नैचे के मध्य में लगाये जाने वाले धातु के फूल । ताळपुत्र-पु. १ ताल-फल । २ पंखी, पंखा। ७ मोती। तालबखांनो-पु० [फा०] १ अन्तःपुर । २ अन्तःपुर की सुरक्षा ता'रौ-सर्व० तेरा, तुम्हारा । ___ व्यवस्था। तारी-रांगो-पु. एक लोक गीत विशेष । तालबेइल्म-पु० [अ० तालिबेइल्म] १ शिक्षार्थी, विद्यार्थी । तालक-पु० छप्पय छंद का २४ वां भेद । २ जिज्ञासु । ताळ-स्त्री०१ वेला, समय, अवधि । २ करतल, हथेली। ताळबेताळ-पू० राजा विक्रमादित्य के सेवक, दो वेताल । ३ करतल ध्वनि । ४ जांघ आदि पर करतल के प्राघात तालमकारणा (मखांणा)-पु. एक प्रौषधि विशेष । से उत्पन्न ध्वनि । ५ घोड़े की टाप की ध्वनि । ६ टहनी। तालमान-पु०६४ कलाओं में से एक । ७ हरताल । ८ हाथियों के कान फड़फड़ाने की ध्वनि । ताळमेळ-पु० १ स्वर-ताल का संयोग । २ मेल-मिलाप । ९ तलवार की मूठ । -पु० १० भाल, ललाट । ११ खड़े ३ परस्पर निर्वाह होने की अवस्था । मनुष्य के हाथ ऊंचे करके लिया जाने वाला ऊंचाई या ताळयर-पू० [सं० तालचर] १ एक मानव जाति (जैन)। गहराई का माप । १२ तालाब, जलाशय । १३ सलाह, लाब, जलाशय । १३ सलाह, २ नट या नृत्यकारों का एक वर्ग । ३ ताल देने वाला। राय । १४ उपाय, तरकीब । १५ दांव, पेच । १६ लय, तालरंग-पू० एक प्रकार का बाजा । धुन । १७ झांझ वाद्य, मजीरा । १८ ताड़ वृक्ष ।। तालर, तालरी-पू०१ कंकरीली ऊसर भूमि, मैदान । २ छोटा १६ तालीश-पत्र । २० बिल्व फल, बिला, बेल । २१ महादेव।। गड्ढा, पोखरा। २२ खजूर का वृक्ष । २३ संगीत में लय का समय । ताळलक्षण (लखण, लखन)-पु. [सं० ताललक्षण] तालध्वजी, २४ तबले का वर्गीकृत कोई बोल । २५ ढगण के दूसरे भेद बलराम, भीष्म। का नाम । २६ देखो 'ताळौ' । तालवन-पु० [सं०] ताड़ वृक्षों वाला जंगल । ताल-स्त्री०१ शिर के मध्य से बाल उड़ जाने की अवस्था। ताळवाही-पू० [सं० तालवाही] झांझ, मजीरा यादि २ नाच-गाने के लय का समय । -पु० ३ ऊसर भूमि का वाद्य। समतल विस्तृत मैदान । ४ कठोर भूमि । ५ देखो 'ताळ' । ताळविमाळ-वि० नष्ट-भ्र लुप्त । ६ तमाल-पत्र । ७ पुरुषों की ७२ कलाओं में से एक । ताळवी-वि० [सं० तालव्य ] तालु संबंधी । -पु० तालु से ताळ उ-पु० १ तमाल-पत्र । २ देखो 'ताळौ' । उच्चरित होने वाला वर्ण । तालउड-पु० [सं० तालपुट] तालपुट नामक प्राण नाशक विष । तालकर-स्त्री० १ करताल, वाद्य। -पु.२ प्रथम गरु के ढगण | तालविलंब-पु० नारियल । के भेद का नाम । ताळवी-पु० [सं० तालु] मुह के अन्दर की ऊपरी सतह, तालु। तालके-त्रि०वि० १ अधीन, कब्जे में। २ हवाले, सुपुर्द । | ताळसम-पु० ताल के अनुसार स्वर । ३ जिम्मेदारी में । ४ हिस्से में, पक्ष में। तालांक-पु० [सं०] बलराम । तालकेतु-पु० [सं०] १ भीष्म पितामह । २ बलराम । ३ जिसकी ताळा-स्त्री० १ करताल, ताली। २ देखो 'ताळ'। --चरपताका पर ताड़ वृक्ष का चिह्न हो । -स्त्री० नाच गान करने वाली जाति । तालकेस्वर-पु० [सं० तालकेश्वर] एक औषधि विशेष । ताळातोड़--पु० चोर। तालको-पु० [अ० ताल्लुक] बहुत से गांवों को जमींदारी, ___ बड़ी रियासत । ताळाधारी-वि० भाग्यशाली। ताळजंघ-पु० [सं० तालजंघ] एक यदुवंशी राजा । | ताळाब-देखो 'तळाव'। For Private And Personal Use Only Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताळाबिळंद । ५७८ ) ताविच्छ ताळाबिळंद (बुळंद)-देखो 'ताळ विलंद' । ताळोवळी, ताळोबोळी-स्त्री० १ व्याकुलता, बेचैनी । ताळाबेली-ग्त्री बेचैनी, परेशानी। २ उन्सुकता। ताळायर-देखो 'ताळयर' । ताळी-पु० [सं० तालक] १ लोहे, पीतल प्रादि का बना ताळायर कम्म-पु० [सं० तालचर कर्म] ताल क्रिया (जैन)। उपकरण, ताला, कुल्फ । [अ० तान] २ भाग्य । ताळावग्घाडणी-स्त्री० [सं० तालोद्घाटनी] ताल प्रगट करने ३ ललाट । __ वाली विद्या (जैन)। ताळो-देखो 'तामळो'। ताळाविळंद-वि० भाग्यशाली, धनी। ताव-पु० [सं० ताप] १ गर्मी, उष्णता। २ ताप, आंच । ताळि-स्त्री० १ समय । २ देखो 'ताळो' । ३ गुस्सा, क्रोध। ४ जोश, अावेश । ५ उत्साह, उमंग । तालिब-वि० [अ०] १ चाहने वाला, जिज्ञासा करने वाला । ६ ज्वर, बुखार । ७ कष्ट, पीड़ा, संताप । ८ तेज, पोज । २ ढूंढने वाला, तलाश करने वाला। ९ पराक्रम । १० सूर्य का ताप, धूप । ११ जोर, दबाव । तालिस-वि० [सं० तादृश] समान, वसा, उसी प्रकार का । १२ प्रकाश, चमक । १३ शीघ्रता, तेजी । १४ भय, अातंक । ताळो-स्त्री० [सं० ताली] १ ताले की कुजी, चाबी। २ हथेली १५ गति चाल । -क्रि० वि० १ तब, तब तक । करतल । ३ करतल ध्वनि । ४ ध्यानावस्था, समाधि । २ तरह से। ५ छोटा तालाब। ६ छोटा ताला । ७ ताड़ी वृक्ष । ८ समय, ताकखेत-पु० [सं० ताप क्षेत्र] सूर्य के प्रकाश का क्षेत्र । (जैन) वेला । ९ छ: मात्रा का एक छन्द । तावख- देखो 'ताविखि'। तालो-स्त्री० १ खलिहान के लिये तैयार की गई भूमि । ताबड़, तावड़ियो -देखो 'ताबड़ौ' । २ खलिहान में पड़ा अनाज का ढेर । ३ जागीरदार द्वारा तावड़ौ, तावडि, तावडी, तावडू-स्त्री० [सं० ताप] १ सूर्य का खलिहान में अनाज के रूप में लिया जाने वाला कर । प्रकाश, धूप, गर्मी । २ ज्वर, बुखार । ४ गिलहरी। तावणियो-पु० [सं० ताप] घी तपाने या साग बनाने का मिट्टी ताळी-देखो 'तासळी । __का छोटा पात्र । तालीको-पु० १ सनद, पट्टा, जागीरनामा । २ देखो 'तालुको'। तावणी-१ देखो 'तपणी' । २ देखो 'तावरियो' । ताळीतड़-स्त्री० करतल ध्वनि । तावणीय-वि० [सं० तापनीय] तापने योग्य, तपाने योग्य । ताळीपत्र-देखो 'ताळीसपत्र' । तावणी (बी)-क्रि० [सं० तापन] १ तापना, गर्म करना । तालीमखांनो-पु. शिक्षण संस्था और पाठशालानों की देख-भाल २ कष्ट देना, सताना। करने वाला विभाग। तावत-क्रि० वि० [सं० तावत्] १ उतने काल तक, तब तक । ताळीहर-पु. महादेव । २ उतनी दूरी तक, वहां तक । तालु-पु०१ मजीरा, झांझ । २ तालु, तालव्य । तावतप-पु० ज्वर, बुखार आदि बीमारी। तालुकंटक-पु० बच्चों के तालु का एक रोग । तावदान-देखो 'ताबदांन'। तालुक--पु० [अ० ताल्लुक] १ सम्बन्ध, रिश्ता । २ लगाव, | ताव-भाव-पु० उपयुक्त अवसर, मौका । -वि० थोड़ा सा, सम्पर्क । ३ बड़ा इलाका। -दार-पु. बड़े इलाके का जरासा । अधिपति, अधिकारी । -बारी-पु० उक्त अधिकारी | तावलणी(बौ)-क्रि० ज्वर होना, बुखार आना। का पद । तावलियौ-वि० ज्वर पीड़ित, बुखार से पीड़ित । तालुकौ-पु० [अ० तअल्लुक] बहुत से मोजों की जमीन, बड़ा तावळो-देखो 'उतावळी' । इलाका। तावलौ-वि० ज्वर ग्रस्त । ताम्य (यो)-देखो 'ताळवौं । तावस-देखी 'तापस'। ताळसोख-पु० [सं० तालुशोष] तालु सूखने का एक रोग। तावसा-स्त्री. जैन मुनियों की एक शाखा । ताळू ताळूइ. ताळूनौ-देखो 'ताळवौ' । तावह-स्त्री० नौकरी, सेवा । ताळूकंठ-पु० पुरुषों के तालु में होने वाला एक रोग विशेष । तावान-पु० [फा० तावान] दण्ड स्वरूप, क्षति-पूर्ति में दी जाने ताळूफाड-पुहाथियों के तालु का एक रोग । वाली वस्तु । ताळूरव्यंव-पु० छप्पय छंद का एक भेद । ताविख, ताविखि, (खी)-[सं० ताविषी] स्त्री० १ देव कन्या। ताळेवर-वि० १ भाग्यशाली । २ धनी, ऐश्वर्यवान । २ पृथ्वी । तालोटा-पु. एक वैवाहिक लोक गीत (पुष्करणा) । ! ताविच्छ-स्त्री० [सं० तापिच्छ] तमाल वृक्ष । For Private And Personal Use Only Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तावीज तावीज - पु० [अ० तवीज ] १ तंत्र-मंत्र लिखित कागज, गंडा २ सोने, चांदी प्रादि धातु की छोटी डिबिया जिसमें उक्त गंडा डाल कर बांधा या पहना जाता है । तावीती पु० १ एक प्रकार का प्राभूषण तावुरि, तावुरी- पु० वृष राशि | तावं - क्रि० वि० विषय में संबंध में । तावी देखो 'तवी' । २ देखो 'तावीज' तास - स्त्री० [अ०] पता १ पतले गत्ते पर छपे हुए खेलने के बावन २ एक प्रकार का जरदोजी कपड़ा [अ० । । तासीर ] ३ प्रभाव, असर। [सं० त्रास ] ४ कष्ट, पीड़ा, । | संताप ५ भय प्रातंक ६ मोहा। सर्व० www.kobatirth.org [सं० तस्य ] उस, वह । - क्रि०वि० इस प्रकार, इस तरह । तासक- देखो 'तासळी' । ( ५७९ ) तासकारी वि० [सं० त्रास-कारी] नाश करने वाला, मिटाने वाला । २ सताने वाला । ३ असर या प्रभाव डालने वाला | तासतु, तासतो पु० [० तास ] एक प्रकार का जरदोजी वस्त्र । तासनां स्त्री० [सं० त्रास ] पीड़ा, कष्ट, संताप | तासळी स्त्री० शालीनुमा छोटा पात्र तश्तरी रकावी । मासळी - पु० फांसी या पीतल का चौडे मुंह का बड़ा कटोरा तासि - वि० [सं० त्रासिन] जीम्रो और जीने दो वाली भावना रखने वाला । सह स्वी० १ तेज गर्मी उष्णता २ देखो 'तांह' । तेरा तेरे तुम्हारे ताहम प्रव्य० [फा०] तो भी, तिस पर भी । ताहरइ सर्व० तेरे । ० तारहउ - देखो 'ताहरी' । ताहरां ताहरित्र व तब ताहरु (रु, रू, रू) - देखो 'ताहरी' । ताहरे (रं) - क्रि० वि० तब, तदुपरांत । ताहरो - सर्व ० ( स्त्री० ताहरी) तेरा । ताही सर्व० उस, वह । - क्रि० वि० तहां । ताहे क्रि० वि० तब । तासिय वि० [सं० त्रासित] कष्ट प्राप्त, संतप्त । तासियाळी तासियो - वि० [सं० तृषित] १ प्यासा, तृषातुर । २ लोभी । पु० दो दिन प्यासा व तीसरे दिन पानी पीने वाला पशु । तिवाळ (ळी) - देखो 'तंवळाटी' । क्रि० । - । गुण । तासीर स्त्री० [०] [१] असर प्रभाव २ ख ३ शारीरिक सिंह डि० वि० वहां उसमें तिहा- क्रि० वि० यहां प्रकृति | तासीसा पु० एक इन्दविशेष सासु सर्व० उस उसको। * तासु तासौ पु० [० तास १ चमड़े से मंडा एक वाद्य विशेष । २ कांसी का बना एक भींझा । ३ तांबे आदि मिश्र धातु का बना बड़ा कटोरा । ४ प्रभाव कमी । ५ प्यासा पशु । ६ जल संकट । तितिष्ठ, तितिडि, डिलिटिका, तितिडीका स्त्री० [सं०] इमली । तितिखित्र, तितिथियौ - वि० १ पतला-दुबला, क्षीण काय । २ तुनक मिजाज तिदुकतीरथ पु० [सं० विदुरुतीर्थ] मंडल के अंतर्गत एक तीर्थं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिरुय पु० [सं० तिदुक १ ग्यारहवें तीर्थंकर का चैत्य वृक्ष । ] २ एक प्रकार का वृक्ष । हिंदू पु० तेंदू का पेड़ । तिमी स्वी० १ तीन पायों की मेज २ छोटी तिपाई ३ तीन पायों का किसी पात्र के लिये बनाया गया आधार । तिय सर्व० ० उस । तिपाळी (स) देखो 'त'यळीस' । तिपाळी- पु० ४३ वां वर्ष तिवासी देखो 'झ्यासी' | तिंवरी - पु० एक छोटा जीव, भिंगुर । लिंबार पु० त्यौहार पर्व मांगलिक दिवस - तिवारी स्त्री० स्वीहार का भोजन वा धन्न जो मेहत्तर बादि को दिया जाता है । तिउरण तिवारीक मरजादीक पु० पौशाक एवं शस्त्रादि से सज्जित होकर दरबार में जाने की एक प्रथा । तिही क्रि० वि० से तैसे - उसने , तिहु, तिहु (हू, हू) - वि० तीन, तीनों । ति - सर्व ० १ उस वह । २ देखो 'तीन' । ३ देखो'ती' । तिन - देखो 'तिय' । ० तिम्रतर- वि० तिहत्तर, सत्तर व तीन । तिम्रतरी पु० तिहत्तर का वर्ष For Private And Personal Use Only तिनसिं० [सं० त्रिवेंद्र] इन्द्र तिचार - देखो 'तयार' । तिम्राळ-वि० तंयाळीस । तिइंदिया- पु० तीन इंद्रिय जीव । तिक्खा स्त्री० [सं० तितिक्षा ] १ क्षमा । २ सहिष्णुता । तिल ( उ ) वि० [सं० त्रिगुण] १ तिगुणा । २ देखो 'त्रिगुण' । Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ति उल । ५८० । तिघट तिउल-वि० [स० वितल] मन, वचन और काया इन तीनों की तिखराव-पु० [सं० तक्षक-राज] १ शेषनाग, नागराज । तुलना कर जीतने वाला। २ तक्षक, नाग । ३ कद्र पुत्र कालिय नाग । तिक क्रि० वि० वैसे, उस प्रकार । तिलूटो, तिखूणी-पु. १ मोने-चांदी के प्राभूषणों पर खुदाई तिऊ-देखो त्रिकूट'। ___करने का प्राभूषण। २ देखो 'तिकू'गो' । तिकड़म-पु० उपाय, तरकीब । तिख्खरणी-वि० [सं०तीक्ष्ण] १ तीखा, तीक्ष्ण । २ देखो 'तकूणो' । तिकरण-मर्व उस, वह । उमने । तिग-स्त्री० १ कमर, कटि । २ कमर के नीचे का भाग । तिकत-वि० [सं० तिक्त] १ तीक्ष्ण, तेज । २ चुस्त ।। ३ हिलने-डुलने की क्रिया। ४ लड़खड़ाने की क्रिया । ३ नरपरा । ५ तीन मार्ग का संगमस्थल ।। तिकम-देखो 'टीकम'। तिगता-स्त्री [सं० तिकतम्] काली मिर्च । तिकर-स्त्री० कटारी। तिगतिगणो (बौ)-क्रि० १ लड़खड़ाना, डगमगाना । २ लटकना । तिकरि-सर्व उस, वह । -क्रि० वि० के लिये, वास्ते । ३ देखो 'तगतगाणी' (बी)। तिका-सर्व० वे, उन । तिगतिगाणी (बो), तिगतिगावणी (बो)-क्रि० १ लटकाना । तिका-स्त्री० वह, उस । २ धक्का मार कर संतुलन बिगाड़ना। तिकाळ-देखो त्रिकाळ' । तिगम-पु० [सं० तिग्म] १ वज्र । २ पिप्पली । ३ प्रत्येक तिकावरक्तक-पु. १ कटि पर तीन भौंरी वाला घोड़ा। चरण में २६ मात्रा का छद विशेष । ४ गर्मी । तिकी-सर्व० १ वह, उस । २ देखो 'तिगी'। [सं० तिग्मकर] ५ सूर्य । -वि० [सं० तिग्म] तीक्ष्ण, तेज। तिकु, तिकू-सर्व० वह, उस । तिगमअंस, (प्रभासु) तिगमांसु, तिगमहर-पु० [सं० तिग्मांशु] तिकूरगौ-वि० [सं०त्रिकोण] तीन कोण वाला। -पु० जैसलमेर १ सूर्य, रवि । २ अग्नि । ३ शिव । ___के दुर्ग का नाम । तिगरण-पु० [सं० त्रिकरण] मन, वचन और काया। (जैन) तिकू-देखो 'तिकु'। तिगरी-स्त्री० [सं०तुग्रही] १ सकट कष्ट, पीड़ा । २ जल संकट । तिकूड-देखो 'त्रिकूट'। तिगरौ-पु. १ फूटे हुए मिट्टी के पात्र का बड़ा खण्ड । तिके(क)- सर्व० वे, उन । २ खण्ड, भाग । तिकोरी-पु० १ तीन कोनों का एक छोटा लंबा अौजार । २ बढ़ई | तिगिच्छकूड़-पु० [सं० तिगिच्छकूड] पर्वत विशेष । ____ का एक प्रौजार। तिगिछिद्दह-पु० [सं० विगिच्छद्रह] निषेध पर्वत के ऊपर तिकी-सर्व० (स्त्री० तिकी) वह, उस । __ का भाग । तिक्की-१ देखो 'तिकी' । २ देखो 'तिगी'। तिगिच्छ, तिगिच्छग-पु० चिकित्सक । (जैन) तिक्ख-वि० [सं० तीक्ष्ण] १ तीक्षण, तेज । २ वेगवान । | तिगिच्छा-स्त्री० चिकित्सा । (जैन) ३ कठोर । ४ देखो 'तीखो' । तिगी-स्त्री० १ तीन बूटियां छपा ताश का पत्ता । २ अत्यन्त तिवखुतो-पु० [सं० विकृत्वस्] तीन बार । पतली टहनी। तिक्खुत्ता-पु० [सं० विकृत्वस्] तीन प्रदक्षिणा देकर वन्दना तिगुडय-स्त्री० [सं० त्रिकटुक] सूठ, कालीनिचं, पीपर । __ करने की क्रिया। (जैन) | तिगुत्त(त्ती)-पु० [सं० त्रिगुप्ति मन, वचन और काया से गुप्त, तिक्त-वि० [सं०] तीता, कड़ पा । -पु० [सं०] १ पित पापड़ा | सुरक्षित । (जन) २ कुटज। तिगुमिगु-पु० सूर्यास्त से ठीक पहले का मयम । तिखग-पु. [सं० तक्षक] सर्प, नाग । तिगौ-पु. १ तीन का वर्ष । २ तीन का अंक । तिखडौ-वि० तीन मंजिल का, तिमजला। -पु० तीसरी मंजिल ।। तिग्गी-देखो 'तिगी। तिख-वि० १ तीक्ष्ण, तीखा । २ देखो 'तक्षक' । तिग्म-देखो 'तिगम'। तिग्मकर-पु० [सं०] सूर्य । तिखट-पु० तराने के समान गाया जाने वाला एक गीत ।। तिग्मता-स्त्री० [सं०] तीक्ष्णता, तेजी। तिखरण-स्त्री० [सं० तीक्ष्ण] १ मिर्च, मिरची । २ देखो ! निसरोशित तिग्मदीधिति-पु० [सं०] सूर्य । तीक्ष्ण'। (जैन) तिग्मन्यु-पु० [सं०] शिव, महादेव । तिखता-स्त्री० [सं० तीक्ष्ण] काली मिर्च । तिग्मरस्मि-पु० [सं० तिग्मरश्मि] सूर्य । तिखनख-पु० तीखे पैरों वाला घोड़ा। | तिघट-देखो "तिवट'। For Private And Personal Use Only Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिड़ लिथ तिड़-पु. १ निवास स्थान । २ जलाशय । ३ भाग, हिस्सा । | तितर इ-देखो "तितरै'। ४ शाखा । तितरउ-क्रि० वि० इतने में, तब तक। -वि० इतना, उतना । तिडकणौ (बो)-देखो तड़कणी (बौ)। तितर-तितर-वि० १ बिखरा हुवा, छिन्न-भिन्न । २ अव्यतिड़की-स्त्री० तेज धूप, धूप की प्रखरता । वस्थित । तिड़कौ-देखो तडकौ'। तितर-क्रि० वि० तब तक । इतने में। तिडणौ (बौ)-देखो 'तड़णो' (बौ)। तितरौ-वि० (स्त्री० तितरी) उतना, जितना । तिड़ोतरसउ, तिड़ोतरसौ-वि० एक मौ तीन, एक सौ व तीन । | तितली-स्त्री० रग-बिरंगे पंखों वाला एक छोटा पतंगा। -पु. एक सो तीन का अंक, १०३ । तितलौ-देखो 'तितरौ'। तिचकवु-० [सं० त्रिचक्षु] चक्षु ज्ञान, परमश्रुत ज्ञान रखने | तितिकसा-स्त्री० [सं० तितिक्षा] १ क्षमता, सहिष्णुता, धैय । वाला साधु । (जैन) २ त्याग की भावना। तिजड़, तिजड़ा-स्त्री १ तलवार । २ कटार । तितिख-वि० [सं० तितिक्षु] १ धैर्यवान, सहनशील । २ त्यागी। तिजरणी (बी)--देखो 'तजणी' (बी)। तितिक्खा-देखो 'तितिक्षा'। तिजरौ-देखो तिजारौ' । तितिक्षा-स्त्री० [सं०] १ सहनशीलता, धैर्य, क्षमता । २ त्याग। तिजाब-पु० [फा०] किसी क्षार पदार्थ का तरल रूप में | तितिक्ष-वि० [सं०] १ सहनशील, धैर्यवान । २ त्यागी। -पु. अम्ल मार। पुरुवंशीय एक राजा। तिजाबी-वि० [फा० तेजाबी] तेजाब संबंधी । तित-क्रि० वि० १ तब तक, उस समय पर्पन्त । २ वहां, उधर। तिजारत-स्त्री० [अ०] व्यापार या रोजगार । तितो-वि० (स्त्री० तिती) उतना, उस परिमाण में । तिजारती-वि० [अ०] व्यापार या रोजगार संबंधी। तित्त-देखो 'तिरपत'। तिजारसी-पु० प्रफीम । तित्तणांम-पु० [सं० तित्मनामन्] नाम और कर्म की एक तिजारौ-पु. १ खस-खस, पोस्त । २ पोस्त के बारीक दाने।। प्रकृति । ३ तीसरी बार निकाला हुआ शराब । तित्तरि (री)-१ देखो 'तीतर'। २ देखो तितरौ' । तिजोरणौ (बौ)-देखो 'तजणौ' (बौ)। तित्तौ-१ देखो 'तितो' । २ देखो 'तित' । तिजोड़ी. तिजोरी-स्त्री० लोहे की मोटी चादर या फौलाद की | तित्थंकर-देखो तीरथंकर'। बनी मजबूत संदूक, जिसमें गहने या रुपये रखे जाते हैं। तित्थ-पु० [सं० त्रिस्थ] १ श्रावक-श्राविकानों का समूह । तिड, तिड-पु० १ पक्ष । २ देखो 'तीड' । २ देखो 'तीरथ' । ३ देखो 'तिथ' । तिणग-स्त्री० १ चिनगारी । २ बुरा मानने का भाव । तिथत्कर, तित्थगर-देखो 'तीरथंकर'। तिरण-पु०म० तृण] १ तिनका, तृग, तंतु । २ घाम । ३ घास तित्थनाह-देखो 'तीरथनाथ'। फुस की बनी वस्तु । -वि० [स. त्रिरिण] तीन । -सर्व० | तित्थयर-देखो तीरथ कर' । १ वह, उम् । २ इस । -क्रि० वि० इसलिये । इससे । तित्थाहिव-पु० [सं० तीर्थाधिप] चार प्रकार के तीर्थोके तिरणकलो, तिणको, तिणखलौ, तिरणखो-पु० [सं० तृण] १ घास अधिपति । (जैन) का तरण, तंतु । २ घास । तित्थी-क्रि० वि०१ वहां। २ देखो 'तिथ' । तिणग, तिगार (गारी)-देखो 'तिणंग' । तित्थीय-वि० [सं० तीर्थीय] दर्शन शास्त्र संबंधी । दार्शनिक । तिरणगौ-देखो 'तिणकलो' । तित्थु-देखो 'तीरथ'। तिरणावत-पु० [स० तृणावत] श्रीकृष्ण द्वारा वधित एक दैत्य । तित्थुगाळीय-वि० [सं० तीर्थोद्गालित] दर्शन का ज्ञाता तिरिण (णी)-१ देखो "तिण' । २ देखो 'तिरणी' । । दार्शनिक। तिण-प्रत्य० के। --मर्व उन । तिथ कर-देखो 'तीरथंकर'। तिणी-वि० दुबला, पतला, कृश। -पु० [सं० तृण] १ तिनका, तिथ, तिथि-स्त्री० [सं० तिथि] १ चन्द्र दिवस, तारीख, __ तृण । २ छेद, सूराख । दिनांक । २ शक या विक्रमी संवत के अनुमार प्रति मास तिण्णि-वि० तीन । के पूर्वाद्ध या उत्तरार्द्ध का कोई दिन । ३ वृत्तान्त, तिण्हा-स्त्री० तृष्णा। गाथा, हाल, खबर । ४ समय । ५ पन्द्रह की संख्या । तित-क्रि० वि० १ वहां, तहां । २ देखो तिथि' । --पति-पू० प्रत्येक तिथि का स्वामी देवता । -पत्र तितकार-स्त्री० नृत्य के बोल । -पु० पंचांग, कलेण्डर । For Private And Personal Use Only Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिथिए ( ५८२ ) तिमहुर तिथिए-क्रि० वि० कहां । वहां । तिपोकड़-पु. तीन लड़कियों के बाद जन्मने वाला लड़का या तिथी-देखो 'तिथ। लड़की। तिथे (2)-क्रि० वि० कहा। तिपोळियो-पु० [सं० त्रि-प्रतोली] १ वह स्थान जहां एक माथ तिदड-पु. [स० त्रिदण्ट] मंन्यासियों का एक उपकरण । तीन बड़े द्वार या पोलें बनी हों । २ राजमहल का प्रथम तिदंडि (डो)-पु० [सं० विदण्डिन्] तिदंडधारी संन्यासी । प्रवेश द्वार । तिदिस, तिदिसा-देखो 'त्रिदिस' । तिफास-पु. [सं० त्रिस्पर्श] तीन स्पर्श दोष । (जैन) तिदुळ-वि० [सं० त्रिदोल] मन, वचन व काया को डुलाने । तिबरपो-देखो 'तिवणौ'। वाला । (जैन) तिरणौ (बो)-देखो 'तीबणी' (बी)। तिद्र-त्री हल्की नींद, तन्द्रा । तिबर-देखो 'तीन'। तिधारी-स्त्री० बढ़ई का एक औजार । तिबरसौ-पु० [सं० त्रि-वर्ष] ऊंटों का एक रोग । तिधारीकटारी-स्त्री० प्राभूषणों में खुदाई करने का एक तिबारियो-देखो 'तिबारौ। औजार। तिबारी-स्त्री० [सं० त्रिद्वार] १ तीर, बन्दूक आदि चलाने के, तिधारौ-पु० [सं० विधार] १ थूहर जाति का एक वृक्ष । दीवार में बने छेद । २ तीन द्वार या खिड़की का खुला २ एक प्रकार का भाला। बरामदा या कक्ष । ३ व्यापारियों से लिया जाने वाला कर । तिन-सर्व०१ उन । २ देखो 'तिण'। | तिबारी-पु० १ तीन बार लिया जाने वाला अफोम । २ तीसरी तिनका-स्त्री० नथनी। बार निकाला हुआ मद्य । ३ तीन द्वार या खिड़की तिनकळी, तिनको-देखो 'तिणकलो'। वाला कक्ष । तिनगनी-स्त्री० एक प्रकार की मिठाई। तिब्बत-पु० हिमालय के उत्तर में स्थित एक देश । तिनवइ-स्त्री० [सं० विनवति] ९३ की संख्या । (जैन) तिब्बती-पु० १ तिब्बत का निवासी । २ इस देश की भाषा । तिना--पु. एक छन्द विशेष । -वि० तिब्बत का, तिब्बत संबंधी । तिनि-वि० [सं० त्रीणि] तीन । तिब्र-देखो 'तीव'। तिन-वि० १ नम, तर, आर्द्र। २ देखो 'तिन'। तिभवरण-देखो 'त्रिभुवन'। तिन्नाण-पु० [सं० त्रिज्ञान] मति, श्रुति, और अवधि के तीन तिमंगळ-पु० [सं० तिमिगल्] १ बड़ा मत्स्य । २ बड़ी मछली । ___ज्ञान (जैन)। ३ ठाट-बाट, आडम्बर । तिन्नि-वि० [सं० त्रिणि] तीन । (जैन) तिमंजळ (लो)-वि० तीन खण्ड का, तीन मंजिल का । तिन्हं, तिन्ह, तिन्हां-सर्व० उन । तिम-क्रि० वि० १ तैसे, वैसे । २ त्योंही, तैसेही। -स्त्री. तिपंच-वि० [सं० त्रिपंच] पन्द्रह, १५ । [सं० तिमि] १ एक बड़ी मछली। २ देखो 'तम'। तिपड़ो-पु० १ भवन की तीसरी मंजिल । २ दूसरी मंजिल की | तिमग-पु० [सं० तिग्मांशु] सूर्य । खुली छत । | तिमची-देखो 'तिमची'। तिपति-स्त्री० [सं० तृप्ति] संतोष, तृप्ति । तिमरिणयो-पु० स्त्रियों के गले का आभूषण । तिपनी-स्त्री० एक प्रकार की घास । -वि० [सं० त्रि+पन्नी] तिमरणी-वि० (स्त्री० तिमणी) तिगुणा । तीन पत्तों वाली। तिमतिमाट-स्त्री० १ क्रुद्ध होने का भाव, तमतमाहट । २ प्रबल तिपाई-स्त्री० [सं० त्रि-पाद] १ तीन पायों की मेज । २ तीन चमक। पायों का कोई आधार । तिममंगळ-देखो 'तिमंगळ' । तिपाट-पु. क्रम से तीसरी बार लिया जाने वाला अफीम । तिमर-पु० [सं० तिमिर] १ अंधेरा, अंधकार । २ तैमूरलंग, तिपाटौ-पु. वह स्थान जहां तीन गांवों की सीमा लगती है। बादशाह । ३ गुफा, खोह, कन्दरा । --वि० १ तीन तह या परत वाला । २ तीन हिस्सों तिमरखतैन, तिमरत, तिमरहर-पु०सूर्य, भानु । वाला। तिमरांग-पु० अंधेरा, अंधकार । तिपुज-पु० [सं० त्रिपुज] शुद्ध, अशुद्ध व मिश्र तीन प्रकार के तिमरार, तिमरारि-पु० सूर्य । पुद्गलों का समूह । (जैन) तिमरि-देखो 'तिमर'। तिपुर-देख' त्रिपुर'। तिमहर-पु० सूर्य। तिपुरारि(रो)-देखो 'त्रिपुरारि' । तिमहर-पु० [सं० त्रिमधुर घी, शक्कर और शहद । For Private And Personal Use Only Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिमासिय ( ५८३ ) तिरवाळी तिमासिय (यो)-वि० [सं० त्रैमासिक] तीन मास का। --पु० तिरकाळ--पु० [सं० त्रिकाल] १ भूत, भविष्य और वर्तमान तीन मास का गर्भ। काल । २ प्रातः, मध्याह्न व सायंकाल । -वि० मूर्ख, तिमासियभत्त-पु० [सं० त्रिमासिकभक्त] तीन मास का | पागल । उपवास । तिरख (खा)-देखो 'तिरसा'। तिमिंगळ, (गिळ)-देखो 'तिमंगळ' । तिरगस-देखो 'तरगम'। तिमि-देखो तिम। तिरगुरण-देखो 'त्रिगुण । तिमिकोस-पु. ममुद्र। तिरछउड़ी-स्त्री० मालखंभ की एक कसरत । तिमिज-पु. नं०] तिमि मछली से प्राप्त होने वाला मोती। तिरछाई-स्त्री० तिरछापन, वक्रता। तिमिध्वज-पु० शंबर नामक दैत्य । तिरछी बैठक-स्त्री० मालख भ की एक कमरत । तिमिर-देखो तिमर । तिर छोळ-वि० १ दुष्ट, बदमाश । २ कठोर हृदय । तिमिरनुद (भिद, रिपु, हर) तिमिरार, तिमिरारि, तिमिरारी तिरछौ-वि० [सं० तिरश्चीन] (स्त्री० तिरछी) १ टेढा, वक्र, __ -पु० सूर्य । तिरछा जो सीधा न हो। बांका । २ कुटिल । तिमिराम-पु० एक प्रकार का अस्त्र । तिरजच, तिरजंची-पु० [सं० तिर्यञ्च, तिर्यक] १ पशु, पक्षी । तिमिसा (स्सा)--स्त्री० [सं० तिमिस्रा] वैताढ्य पर्वत की एक | २ सर्प । ३ मृत्यु लोक । ४ मध्य । गुफा । तिरजक-वि० तिरछा, टेढ़ा । तिमीस-पु० [सं० तिमीश | १ समुद्र । २ बड़ा मत्स्य, तिमिगल । | तिरणी-स्त्री० १ पेट में वायु के बढ़ने या प्राधिक पानी पीने से तिय, तिय-स्त्री० [सं० स्त्री] १ स्त्री, औरत । २ पत्नी, भार्या होने वाला तनाव, फुलाव । २ तैराकी। ३ देखो 'त्रिक' । -वि० [सं० तृतीय] तीन । -सर्व० उस, तिर (पौ)-पु० तृण, तिनका । वह । तिरणौ (बौ)-क्रि० [सं० तु] १ पानी पर तैरना । २ पानी तियउ-सर्व उस । आदि द्रव पदार्थ पर ऊपर-ऊपर बहना या चलना। तियलोय-देखो 'त्रिलोक' । ३ पानी पर ठहरना, न डूबना। ४ उद्धार, होना, मोक्ष तियस-पु० [सं० त्रिदश] देव, देवता । होना। ५ क्षुद्र प्राणियों का ऊपर-ऊपर हिलना-डुलना। तियह-पु० [सं० त्रि-ग्रहन्] तीन दिन । तिरथ-देखो 'तीरथ'। तियां-क्रि० वि० १ तैसे, इस प्रकार । २ वहां, उस जगह। तिरप-स्त्री० [सं० त्रि] १ नत्य में एक प्रकार की ताल । -सर्व० उन, वे। २ नृत्य की मुद्रा, भंगिमा । तिया-देखो 'तिय'। तिरपरण-१ देखो "तिरेपन' । २ देखो 'तरपण' । तियाग-देखो त्याग'। तिरपत-वि० [सं० तृप्त] १ तृप्त, तुष्ट । २ संतुष्ट, आश्वस्त । तियागी-देखो 'त्यागी'। ३ प्रसन्न, खुश। तिरबंड-वि० बदमाश, धूर्त । तियार-क्रि० वि० १ उस समय, तब । २ देखो तैयार'। तिरबेणी (बेनी)-देखो 'त्रिवेणी' । तियाळीस-देखो 'तयाळीम' । तिरमाळौ-देखो 'तरवाळी' । तिय-मव० उम, उसकी। तिरमिरा-पु० [सं० तिमिर] १ कमजोरी के कारण दृष्टि तियोतर-देखो 'तिहोतर'। मंदता । २ चकाचौंध । तियोतरी-देखो 'तिहोतरौ'। तिरमिरारणौ (बी)-क्रि० चकाचौंध होना, चौंधियाना । तिरयण-पु० [सं० त्रिरत्न] मोक्ष के तीन रत्न-सम्यग् ज्ञान, तियो-पु. १ तीन । २ देखो 'तीयो'। -वि० १ तीसरा । सम्यग् दर्शन व सम्यग् चरित्र । २ प्यासा, तृषातुर । -मर्व० उस । तिरलोई, तिरलोक-पु० [सं० त्रिलोक] त्रिलोक, तीन लोक । तिरंगो-वि० (स्त्री० तिरंगी) तीन रंगों वाला। -पु० भारत -मणि-पु० सूर्य । का राष्ट्रीय-ध्वज। तिरलोकि (को)-स्त्री० [सं० तिर्यलोक] १ तीनों लोक । तिरंदौ-वि० तैरने वाला, तैराक । २ तिर्यकलोक। तिर-देखो 'तिन्स'। तिरबाळो-देखो 'तरवाळौ' । तिरप्र-वि० [सं० तिर्यक] पशु, पक्षी आदि । तिरवाळी--पु. १ मूर्छा, बेहोशी, गश । २ देखो 'तरवाळो । For Private And Personal Use Only Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तिरवेरणा तिरवेणा (बेसी) देखो 'त्रिवेणी' तिरस. (इ.ई) देखो तिरमा' । तिरसठ- देखो 'तिरेसठ' । तिरसठी- देखो 'तिरेसठी' । तिरसती (ब) देखो 'तरसी' (दो) । तिरसलगी (बी) - क्रि० फिसलना । तिरसा स्त्री० [सं० तृषा] त्या प्यास तिरसाली (बी), तिरसावो (बी) देखो 'तरम' (बो) | तिरसालु वि० तृषावान, प्यासा । तिरसिंघ - १ देखो 'तरसींग' । २ देखो 'त्रमींघ' । तिरसू कि० वि० तीसरे दिन लिये मुंह में डाली जाने वाली कीलदार लगाम | तिरसौ - वि० [सं० तृषित ] प्यासा तृषित | तिरस्कार पु० [सं०] अपमान अनादर । तिरस्यो-देखो 'तिरमी' । तिरहुत पु० [सं० तीरमुक्ति ] मिथिला प्रदेश । तिरहुतिथी वि० तिरहुत प्रदेश का तिरां क्रि० वि० १ तब। २ पाम, निकट | तिसवे देखो 'ते' www.kobatirth.org तिरेसठमी (व) - वि० सठ के स्थान वाला, ६२ के बाद वाला । तिरेसठे' क- वि० त्रेसठ के लगभग । तिरेसठी पु० ६२ का वर्ष । तिरेह - वि० [सं० त्रिरेख ] तीन रेखा वाला | तिरेहरण - वि० १ पार करने वाला, उद्धारक । २ रक्षक | तिरं - क्रि०वि० तब पु० हाथियों के लिये बोला जाने वाला एक शब्द । तिरोभाव० [सं०] पश्यता, अदर्शन, गोपन । तिरोभूत- वि० [सं०] गुप्त, अदृष्ट | तिरसूळ- देखो 'त्रिसूल' । अंतर्हित, । तिरािळीसगांमपी० उष्ट घोड़े को वश में करने के तिरोहित-वि० [सं०] १ छिपा हुआ अंत, गुप्त २ प्राच्छा उद्दण्ड अस्ता हुआ पु० मुजफ्फरपुर व दरभंगा जिलों का एक प्रदेश । तिलंग-पु० १ अंग्रेजी सेना का भारतीय सिपाही । २ देखो 'तैलंग' | ति-देखते तिरांग - देखो 'तेरांण" । तिराई देखो 'राई' । तिराक देखो 'तैराक' । तिराणी (बौ ), तिरावरणौ (बौ) - देखो 'तराणी' (बी) । तिरास- देखो 'त्रास' । । ५८४ ) 3 तिराह प० पाहिवाहि ० एक स्थान विशेष 7 तिराही स्त्री० तिराह नामक स्थान की बनी कटारी तलवार । तिरि तिरिन, तिरिख तिरियंव-देखो 'तिरवंत' । , तिरिय- देखो 'तिरजब'देखो 'तिरिया' तिरियलोग (लोय) - पु० [सं० तिर्यग्लोक ] मृत्यु लोक । तिरिया - स्त्री० [सं० स्त्री ] १ स्त्री औरत । २ पत्नी, भार्या । तिरोड - पु० [सं० किरीट ] मुकुट (जैन) तिरोडी वि० [सं० किरीटी | मुकुटधारी तिरुडि - स्त्री० १ उपजाऊ भूमि । २ तीर की पहुँच तक की हरी या भूमि तिरेपनमो (व) - वि० ५३ के स्थान वाला, ५२ के बाद वाला । तिरेपनेक वि० त्रेपन के लगभग । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिरेपनी पृ० ५३ का वर्ष o तिरेसठ वि० [सं०] त्रिपष्टि] माठ व तीन सठ पु० साठ व तीन की संख्या, ६३ । दिल का 7 तिलकरणौ तिलंगणी स्त्री पिपी तिल पु० [सं०] १. दो फुट का पौधा जिसके डोरे लगकर उसमें दाने पकते हैं । २ उक्त पौधे का बीज, तिल । [सं०] तिलक शरीर पर होने वाला बारीक काला मस्सा । ४ तिल के समान कोई छोटा टुकड़ा । ५ स्त्रियों के अंगों पर गोदी हुई काली बिंदी । ६ प्रांख की पुतली के बीच की बिंदी । ७ तिलक । ८ जैनियों के ग्रहों - क्रि० वि० तिलमात्र । में से ३१ वां ग्रह । तिलङ-देखो 'तिलक' । तिलकड़ौ - पु० १ एक घोड़ा विशेष । २ तिलक । तिरेपन वि० [सं० त्रिपंचाशत् ] पचास व तीन त्रेपन पु० तिळकणी (बौ) - क्रि० १ फिसलना, पटना । पचास व तीन की संख्या ५३ । प्रज्वलित होना । J तिलकंठ - पु० एक प्रकार का घास । | तिलक - पु० [सं०] १ ललाट पर लगाया जाने वाला केसर, चंदन आदि का टीका २ राज्याभिषेक, राजतिलक । वैवाहिक संबंध स्थिर होने पर वस्त्राभूषण एवं धन्य भेंट के साथ वर के किया जाने वाला टीका । ४ स्त्रियों का एक ग्राभूषण । ५ श्रेष्ठ व्यक्ति या चरित्र । ६ एक जाति विशेष का घोड़ा । ७ शरीर पर छोटा काला चिह्न । ८ वृक्ष विशेष । ९ दो मगरण का एक वृत्त विशेष । १० मुसलमान स्त्रियों का एक पहनावा । कांमोद - स्त्री० एक रागिनी विशेष | तिलकरपौ (बौ) - क्रि० १ टीका लगाना २ राज्याभिषेक करना । For Private And Personal Use Only २ मुलगना, तिलक करना । Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिलक-पछेवड़ो ( ५८५ ) तिवाड़ी तिलक-पछेवडो-पु० भेंट स्वरूप दिया जाने वाला वस्त्र विशेष । तिलार-पु० एक पक्षी विशेष । तिलकमग (मारग)-पु. नासिका, नाक । तिलिक-देखो तिलक। तिलकमणी-स्त्री० चूड़ामणि, शिरोभूषण । तिलिम, तिलिमा-पृ. एक प्रकार का वाद्य विशेष । तिलकमुद्रा-स्त्री० [सं०] चंदन आदि के, विष्णु प्रायुधों | तिलियक-वि० किंचित, जरा । के चिह्न। तिलियो-वि० १ दुर्बल, क्षीण, कृश । २ तिल संबंधी। तिलका-पु० एक वणिक छन्द विशेष । तिली-१ देखो 'तिल' । २ देखो 'तिल्ली। ३ देखो 'तीली'। तिलकायत-पु० १ वल्लभसम्प्रदाय का पीठाधीश । २ देखो तिलुक्क-पु० [सं० त्रैलोक्य] स्वर्ग, पाताल व मृत्युलोक । 'टीकायत'। तिलू-पु० १ तृण, तिनका । २ घास का तिनका। तिलकारक-पु०[सं० तिल-कालक] देह पर तिल का काला | तिलेक-वि० किंचित, थोड़ा। तिलोन-देखो 'त्रिलोक'। तिलक्क-देखो 'तिलक'। तिलोइ (ई)-देखो 'त्रिलोकी' । तिलगांरण-देखो ‘तिलंग'। तिलोक-देखो 'त्रिलोक' । --पति='त्रिलोकपति' । तिलड़ी-१ देखो 'तील'। २ देखो 'तलड़ी। तिलोकी-देखो 'त्रिलोको'। तिलड़ो-१ देखो 'तेलड़ी'। २ देखो 'तिल'। तिलोड़ी-स्त्री० [सं० तैलकुटी] तेल रखने का पात्र । तिलचावळी-स्त्री० तिल व चावलों की खिचड़ी। तिलोट-स्त्री० तिलकूटी। तिलट-पु. तिलहन, तिल । तिलोतमा, तिलोत्तमा-स्त्री० [सं०] अत्यन्त सुन्दरी एक तिलतांम-स्त्री० [सं० तिलोत्तमा] १ एक अप्सरा विशेष । ___अप्सरा । २ अप्सरा। २ कोई अप्सरा। तिलोर-स्त्री० उत्तरी एशिया से शीतकाल में पाने वाला एक तिलपपड़ी(पापड़ी)-स्त्री० गुड़ या शक्कर की चासनी में तिल पक्षी। मिाल कर बनाई पपड़ी। तिलौ-१ देखो 'तिल्लो' । २ देखो "तिलक'। तिलभंगक-पु. एक आभूषण विशेष । तिल्ला-पु. एक वणिक छन्द विशेष । तिलभ-वि० १ अमूल्य । २ अद्भुत, विचित्र । तिल्ली-स्त्री. १ पेट के अन्दर का एक अवयव, प्लीहा । २ देखो तिलमंडेस्वरी-स्त्री० १ प्रयाग वट के पास शिवजी का स्थान । तिल' । तिलमिला'ट-स्त्री. १ क्रोध पूर्ण अवस्था । २ सनकीपन । तिल्लोतमा-देखो 'तिलोत्तमा' । तिलमिलाणौ (बी)-कि० १ ऋद्ध होना । २ क्रोध में तमतमाना। तिल्लोर-देखो 'तिलोर'। तिलवट्ट वठ)-गु० १ नाण, संहार । २ तिलो के योग से बना | तिल्लौ-पु० १ कलाबतू या बादले का कार्य । २ लिगेंद्रिय पर __वाद्य विशेष । मलने का एक तेल । ३ एक जंगली वृक्ष । तिलवडी-स्त्री० एक वृक्ष विशेष । तिवग्ग-देखो 'त्रिवरग। तिलवा-स्त्री० १ तिलों की बोवाई। २ तिलों की बोवाई | तिवट (8)-देखो 'त्रिवट'। का खेत । तिवट्ठ-पु० १ भरत खण्ड के नौवें भावी वासुदेव । २ देखो 'त्रिवट । तिलवाड़ा-स्त्री० १६ मात्रा की एक धीमी ताल । तिवडो-पु. एक प्रकार का वृक्ष । तिलवाड़ो-देखो 'तिलवा' । तिवरणौ-वि० तिगुना। तिलवाय-वि० भीगा हया, तर, सराबोर । तिवरस-पु० [सं० त्रिवर्ष] १ तीन वर्ष की दीक्षा वाला साधु, तिलवास-पु० एक प्रकार का वस्त्र । । माध्वी । २ देखो "तिवरसौ'। तिलसकरांत (सकरांति, तो)-स्त्री० मकर संक्रांति का पर्व ।। तिवरसौ, तिवरस्यौ-वि० तीन वर्ष का ।-पु० ऊंटों का एक रोग । तिलसांकळी-स्त्री० तिल डालकर पाटे की बनाई हुई मीठी तिवरारि-देखो "त्रिपुरारि'। पपड़ी। तिलांगरिण-स्त्री० [सं० तिलाग्नि] तिल के पौधों की प्राग। तिवल (ळि, ळी)-पु० १ एक प्रकार का वाद्य । २ स्त्रियों की तिलांजळी-स्त्री० [सं० तिलांजलि मतक को पीछे तपंगा प्रादिपोषाक विशेष । ३ देखो 'त्रिवलि'। में तिल, डाभ आदि के साथ दी जाने वाली अंजलि । तिवाप-पु० [सं० त्रिपात] मन, वचन और काया तीनों को तिलाकारी-स्त्री० मोने का मुलम्मा चढ़ाने का कार्य । गिराना। तिलार्टी-स्त्री० तिलों को कूट कर बनाया खाद्य पदार्थ । तिवाड़ी-पु० त्रिपाठी। For Private And Personal Use Only Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तिवायल तिवारां क्रि० वि० तब । तिवारी देखो 'तिवाड़ी। तिवारी-देखो तिवारी' । । तिदायण तिवाया [] मन, वचन और तिस्थौ वि० [सं० तुष्ट)] संतुष्ट, सु पु० काया का विनाश । तिस्थादेखी 'तिसरणा' । निवाय गु० [सं० पाद] बड़ी विपाही । तिविल- देखो 'तिवल' । तिविह विविध 1 निव्व देखो 'तीव्र' । तिहार-देखो 'तिवार' । www.kobatirth.org ( १०६ ) तिसमारी स्त्री० प्यास, तृषा । तिसयतितर- देखो 'तिड़ीतरी'। तिसोतरी - स्त्री० तृषा, व्यास । तिस्रोता स्वी० [सं०] त्रिखोता ] गंगा नदी 1 तिहां क्रि० वि० यहां तिसज्झ, तिसंझ, तिसंज्ञा स्त्री० [सं० त्रिसंध्या ] त्रिकाल संध्या । तिहारइ - क्रि० वि० तब । तिसंधि-स्त्री० [सं० त्रिसन्धि ] आदि, मध्य व अन्त । तिहारडौ, तिहारी- सर्व० (स्त्री० तिहारी) तेरा, तुम्हारा । तिस-स्त्री० [सं० तृषा ] १ प्यास, तृषा । २ तीव्र अभिलाषा । तिहि, तिहि, तिही सर्व ० १ उन । २ देखो 'तिथि' । तिसउ सर्व० उस, वह । तिह'देखो 'तिह'। तिसड़ - क्रि० वि० तव । , तिसड़ी-वि० [स्त्री० तिसड़ी) १ सा सा २ तिमो तिसरी (ब)- क्रि० १ स्थिर रहना । २ अनुकूल होता । ३ तुष्टमान होना । ४ अनुग्रह करना । तिहारी (बौ) क्रि० स्थिर करनाल बनाना १ । ३ तुष्टमान करना । ४ अनुग्रह करना । तिसरा (ना) स्त्री० [सं० तृष्णा) १ प्यास, तृषा २ तीव्र | तिहोत्तरी पु० ७३ का वर्ष ] । - । इच्छा, लालमा । ३ लोभ, लालच । तिसला - स्त्री० भगवान महावीर की माता । तिसळारणो (बौ) - क्रि० १ फिसलाना, रपटाना । २ फिसला कर गिराना । तिसाइयउ, तिसाइयो, तिसायो - वि० तृषित, प्यासा । तिसाळी तिसाद, तिसावी वि० प्यासा तृषित। तिसाली पु० १ तीन साल से इकट्ठा लिया जाने वाला लगान । २ ऊंट का एक रोग । तिसाहियो, तिसियों वि० [सं० तृषित ] प्यासा, तृषित । तिसं क्रि० वि० तब । तिस्यां क्रि० वि० वैसे, उसी प्रकार, जब तक । तिस्रनाक- पु० एक प्राभूषण विशेष 1 तिहं कि० वि० यहां सर्व० उन तिह सर्व० उन । तिहतरि (सर) देवो'निहतर' तिहवर, तिहवार देखो 'दिवार' । तिवारी-देखो 'तिवारी । तिसोवण पु० [० त्रिमोपन] जीने की तीन मीढ़ियों का समूह तिसौ वि० (स्त्री० तिसी) १ तैसा, बेसा, जैसा २ बड़ी ३ प्यासा । तिहुंप्ररण, तिहुझरण, तिहूयरण- पु० [सं० त्रिभुवन ] त्रिभुवन, तीन लोक । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिहू लिहू देखो 'ति । 7. तिम्ररण (रिण, यण, यणि) - देखो 'तिप्ररण' । तिहोतर, तिहोत्तर वि० [सं० - पु० सत्तर व तीन की संख्या का श्रंक, ७३ । तिसर- देखो त्रिसर । " तिळी (बी) ० १ फिसलना पटना २ फिसल कर सींदुळ, दूसरे पु० सिंह की जाति का एक हिसक पशु - । गिरना । तीं सर्व० १ उस । २ इम । खोळी स्त्री० [१] शिखर ग २ वृक्ष की चोटी तोंछे क्रि० वि० वहां । तीख देखो 'ती' । दुधा तमरण-देखो 'ती'। तीय सर्व० उस । - तीकम सतति] मतर पर तीन । For Private And Personal Use Only । तया पु० ४३ का वर्ष तयासी देखी 'पास'। तोंवण - [सं० तेमनम् ] १ पकी हुई साग-सब्जी । २ पकवान, व्यंजन । 1 1 ती स्त्री० [सं०] [स्त्री ] १ स्त्री नारी, भरत २ पत्नी भार्या ३ नदी । ४ भ्रमरावली । ५ नट । ६ मित्र, दोस्त | ७ समुद्र, सागर । वि० १ तीन २ तीमरी । प्रत्य० तृतीया और पंचमी विभक्ति का वाचक शब्द, 'से' । सीध वि० [सं० तृतीय] सीमरा सीड क्रि० वि० जैसे -- तीक- देखो 'ती' लोकम पु० [सं० विविक्रम] श्रीकृष्ण विष्णु ३ ईश्वर ४ वामन अवतार । Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तीकोरी ( ५८७ ) तीनधूमो सूर्य । तीकोरी-देखो 'तिकोरी'। तीजण (पी)-स्त्री०१ तीज का पर्व मनाने वाली कन्या या तीको-देखो 'तीखौ। स्त्री। २ देखो 'तीज' (५)। तीक्ष-देखो 'तीक्ष्ण'। तीजबर (वर)-पु० [सं० तृतीय-वर] तीसरी बार विवाह करने तीक्षण, तीक्षन-देखो 'तीक्ष्ण' । वाला व्यक्ति। तोक्षणसंग-पु. लवंग। तीजियाण(न)-स्त्री० तीन बच्चे वाली मादा पशु । तीक्ष्ण-वि० [सं०] १ तेज धार या नोक वाला, पैना, नुकीला। तीजोड़ो, तीजौ-वि० [सं० तृतीय] (स्त्री० तीजी, तीजोड़ी) २ प्रखर, तीव्र, तेज । ३ प्रबल, प्रचंड, उग्र । ४ चरपरा, । १ तीसरा, तृतीय । २ अन्य । -पौ'र-पु. तीसरा तीखा । ५ गर्म, ताता । ६ कड़ा दृढ़ । ७ कर्कश । । प्रहर। ८ हानिकर । ६ विषैला । १० कुशाग्र । ११ बुद्धिमान, | तीठ-स्त्री० [सं० तृष्टि] १ अभि नाषा, इच्छा । २ दया । चतुर । १२ त्यागी, भक्त । -पु. १ लोहा । २ इस्पात । तीठो-वि• निर्मोही, रूखा। ३ विष । ४ युद्ध । ५ हथियार । ६ मूल, आर्द्रा, ज्येष्ठा व तोड-पु० [सं० टिट्टिभ] फसल को खाने वाला एक बड़ा अश्लेषा नक्षत्र । -स्त्री० १ गर्मी, ताप । २ मृत्यु । ३ लाल । पतंगा । टिड्डी। मिर्च । ४ काली मिर्च । ५ राई । ६ शीघ्रता । तीडीभळको-पु० स्त्रियों का एक प्राभूषण । तीक्ष्णरस्मि-पु० [सं० तीक्ष्णरश्मि] सूर्य. रवि । -वि० तेज | तीडो-पु० १ पेड़ पौधों पर पाया जाने वाला बड़ा पतंगा । किरणों वाला। २ देखो 'तीड'। तीक्षणांसु, तीखंसक्रम, तीखस-पु० [सं तीक्षणांशु, तीक्ष्णांशक्रम] | तोरण-पु० १ कूए का पानी खाली करने का स्थान । २ कूए - या जलाशय के पानी का उपभोग करने का अधिकार । तीख-स्त्री० १ तीक्ष्णता, तीखापन । २ श्रेष्ठता, विशेषता । ३ कूए से पानी निकालने की क्रिया। ४ आय का स्रोत । ३ महत्व, बड़प्पन । ४ गुरुता । ५ मान, प्रतिष्ठा । तीणी-सर्व० उसी । ६ अधिकता। ७ कटाक्ष । ८ उत्कंठा, जिज्ञासा । ६ शिखर, | तीणी-पु० छिद्र, छेद, मूराख । चोटी। १० तीव्रता, तेजी। ११ काली मिर्च। -वि० १ तेज, | तीती-पु० बच्चा, बालक । -वि० [सं० अतीत] १ बीता हुमा, चरपरा । २ विशेष । ३ श्रेष्ठ। अतीत । २ विरक्त, निलिप्त । तीख अंस-देखो 'तीक्ष्णांसु'। तीतत्रागीउ-पु० एक प्रकार का वस्त्र । तीखड़ो-पु० १ द्वार पर अन्दर की ओर बना त्रिभुजाकार | तीतर-पु० [सं० तित्तर] कबूतर के आकार का एक प्रसिद्ध प्रालय । ताख । पक्षी जिसका शिकार किया जाता है। तीखचौख-स्त्री०१ विशेषता, अधिकता। २ मर्यादा, प्रतिष्ठा ।। तीतरी-स्त्री०१ छितराये हुए छिछले बादल । २ दूध आदि पर ३ स्पर्धा । ४ पादर, मान । ५ बड़प्पन । आने वाली पतली मलाई । ३ तितली। ४ कागज का तोखरण-देखो 'तीक्षण'। टुकड़ा, चिट । ५ झिगुर । तीखाचंद-पु० एक प्रकार का देशी खेल । तीती--स्त्री० योनि, भग । तीखोड़ो-देखो 'तीखौ' । तीतुल-पु. तीतर। तीखोळी-देखो 'तीख'। तीतौ-वि० [सं० तिक्त] १ स्वाद में तीक्ष्ण, चरपरा, तिक्त । तीखो-वि [सं० तीक्ष्ण] (स्त्री० तीखी) १ तेज नोक या धार | २ कड़वा। ३ देखो 'तीती' । वाला । २ तीव्र, तेज । ३ विशेष, अधिक । ४ अच्छा, तीर्थकर-देखो 'तीर्थ कर'। बढ़िया । ५ नोकदार, सुन्दर (नेत्र) । -पु. एक प्रकार का पक्षी। तीय (थि)-देखो 'तीरथ'। तोड़ोतरी-पु. १ एक सरकारी लगान । २ तीन का वर्ष ।। तीधर-क्रि० वि० कहां, किधर । ३ एक सौ तीन की संख्या । तीन-वि० [सं० त्रि] दो से एक अधिक, तीन । -पु. तीछरण (न)-देखो तीक्ष्ण । तीन की संख्या, ३ । -काळ-पु. भूत, भविष्य व वर्तमान तीज-स्त्री० [सं० तृतीया) १ माह के प्रत्येक पक्ष की तृतीया । काल । प्रातः, मध्याह्न व सायंकाल । -नयन, नेयन-पृ. २ धावगा शुक्ला तृतीया का पर्व दिन । ३ भादव कृष्णा शिव, महादेव । -लड़ी-वि० तीन लटिकानों वाली । तृतीया को, विवाहित कन्या के पिता द्वाग भेजा जाने -सिर-पु० कुबेर, अल्केश्वर । वाला वस्त्र, मिठाई प्रादि । ५ बीरबहटी, इन्द्रवधु । । तीनधूमो-पृ० ग्राभूषणों की खुदाई का एक प्रौजार । For Private And Personal Use Only Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीनरेख ( ५८५ ) तीरी तीनरेख-पृ• शंख । तीरत-देखो 'तीरथ'। तीना-कि. वि. में । तीरथंकर-पु० [सं० तीर्थंकर जैनियों के उपास्यदेव जो २४ तीना-देखो तीन'। माने गये हैं। तीने' के वि० तीन के करीब, तीन के लगभग । तीरथ-पु० [सं० तीर्थ] १ वह पवित्र स्थान जहां श्रद्धालु जन तीन्ही-पु. एक प्रकार का घोड़ा विशेष । यात्रा, स्नान, पूजा आदि के लिये जाते हैं । २ धार्मिक व तीब-स्त्री. १ टूटी वस्तु के लगाया गया जोड़ । २ ऐसे जोड़ पूण्य क्षेत्र। ३ हाथ के कुछ विशिष्ट स्थान । ४ शास्त्र । पर लगाया जाने वाला धातु का छोटा तार । ३ छोटा ५ दशनामी संन्यासियों की एक शाखा । ६ माता-पिता । टांका । ४ लोहे, पीतल आदि की बारीक कील, पिन । ७ ब्राह्मण । ८ अतिथि, मेहमान । ६ साधु-साध्वी । ५ दांतों पर लगाई जाने वाली स्वर्ण मेख । १० तर्थ कर का शासन । ११ जिन तीर्थकर का नाम । तीबगट्टी-स्त्री० सुहागिन स्त्रियों का एक शिरोभूषण । १२ यज्ञ-क्षेत्र। १३ रोग का निदान । १४ घाट । तीबरणी (बी)-क्रि० १ नुकीले औजार से बारीक छेद करना । | १५ घाट की सीढ़ी। १६ गुरु, उपाध्याय । १७ दर्शन, २ किसी वस्तु के तार का जोड़ लगाना । ३ वस्त्र आगम । १८ अग्नि । १६ स्त्री का रज । २० योनि । में टांका लगाना। २१ उद्गम स्थान । २२ माध्यम। २३ उपाय । तीबारौ-देखो 'तिबारौ' । २४ सचिव, पुरोहित । २५ उपदेश निर्देश । २६ उपयुक्त तोमरण-देखो 'तींवरण'। स्थान या काल । २७ रास्ता, मार्ग । २८ जल स्थान । तीमरिणयौ-देखो 'तिमरिणयो' । २९ थेष्ठ पुरुष । ३० पुण्यात्मा । -जात्रा-स्त्री० तीमारदारी-स्त्री० [फा०] सेवा-शुश्रूषा, चाकरी । तीर्थयात्रा। -देव-पु. शिव, महादेव । जिन, तीर्थकर । तोय-पु० श्रेतायुग। (जैन) ---नायक-पु. तीर्थाधीश, तीर्थ कर । --पति-पु. तीरथ तीय-देखो "तिय । २ देखो 'तीत' । राज । -पाद-पु० श्रीविष्णु । -यात्रा-स्त्री० पवित्र तीयल-देखो 'तील'। स्थानों की यात्रा, तीर्थाटन। -राई, राज, राजी, राव-पु० तीयां-सर्व० उन। तीर्थों का राजा प्रयाग, काशी। तोयाग- देखो 'त्याग'। तीरथाटण (टन)-पु० [स० तीर्थाटन] पवित्र स्थानों की यात्रा, तीयार-देखो तैयार'। तीर्थयात्रा। तोये (य)-सर्व० उस, वह । -वि० तीसरा, तृतीय । तीरथीयो-पु०१तीर्थों का निवासी । २ तीर्थों पर भेंट लेने वाला। तोयौ--पु० [सं० त्रि] १ तीन का अंक । २ तीन बूटी का ताश तीरयु, तीरथ्य-देखो तीरथ' । का पत्ता ३ मृतक का तीसरा दिन व इस दिन को किया तौरबार-पु० तीर चलाने के लिये बने, दीवार के छेद । जाने वाला संस्कार। तीरभुक्ती-स्त्री० [सं०] गंगा, गंडक और कौशिकी नदियों से तीरंदाज-वि० [फा०] तीर चलाने में निपुण, दक्ष । घिरा प्रदेश। तीरंदाजी-स्त्री० [फा०] तीर चलाने की कला । तीरमदाज-देखो 'तीर दाज' । तौर-पू मं०] १ नदी या जलाशय का तट, किनारा । २ छोर तीरवरती-वि० [सं०तीरवर्ती] १ तटवर्ती, किनारे या समीप रहने वाला । २ पड़ोसी। किनारा, हाशिया । ३ बागा, शर । ४ बाण जैसा चिह्न।। तीरां-क्रि० वि० पास, निकट, नजदीक । ५ सीसा। ६ जस्ता, टान । ७ बन्दूक की नाल का छेद ।। तीरांण-स्त्री० तैरने की क्रिया या ढंग। ७ जहाज का मस्तूल । ५ रहट से चक्र के बीच खड़े रहने तीराई-स्त्री० तीर चलाने की क्रिया । वाले लट्ठ के नीचे का नुकीला भाग । -क्रि० वि० पास तीराव-स्त्री० तिपाई। निकट, ममीप । तीरी-पु. तट, किनारा। -कि० वि० पास, समीप । तोरई-देखो 'तीरे'। तोरीया-स्त्री० १ रहट में लगी एक लकड़ी विशेष । २ देखो तीरकस-पु० १ द्वार पर बना धनुषाकार प्रालय । २ दीवार 'तिरिया'। ___ में बने तीर चलाने के छेद । तीरीयौ-वि० १ तीर चलाने वाला । २ तीर पर या तीर के तोरकारी-स्त्री० तीर चलाने की क्रिया। पास रहने वाला। ३ देखो 'तीर'। तीरगर-पु० [फा०] तीर बनाने का व्यवसाय करने वाली तीरें, तीरे, तीरें, तोर-क्रि० वि० निकट, पास, समीप । जाति । तीरौ-देखो 'तीर'। For Private And Personal Use Only Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तील तील-पु० १ एक प्राभूषण विशेष । २ एक पोशाक विशेष । तुकारौ-पु० [सं० त्वंकार] १तू या तुम का संबोधन, अपने ३ देखो 'तिल'। से छोटे या बराबरी वाले का संबोधन, । २ प्रतिष्ठित तीलक-देखो 'तिलक'। व्यक्ति के प्रति हल्का बोल। तीली-स्त्री० १ बड़ा तृण, सींक । २ धातु का पतला तार । तुग-पु० [सं०] १ सेना, फौज । २ दल टुकड़ी । ३ झुण्ड, ३ जुलाहे के करघे के उपकरण (ढरकी) की सींक ।। समूह । ४ पर्वत । ५ शिखर, चोटी । ६ नारियल । ३ देखो 'तूटी'। ७ ऊंचाई। ८ बुध ग्रह । ९ गेंडा। १० शराब का पात्र । तीवण, तीवरिणयौ, तोवरणौ-स्त्री. १ कूए से पानी निकालने की ११ एक वर्ण वृत्त । १२ बावन वीरों में से एक । क्रिया । २ देखो 'तींवण' । - -वि० १ ऊंचा, उन्नत । २ प्रचंड, प्रबल । ३ लंबा । तीवरणौ (बौ)-१ देखो 'तीबरणी' (बी)। २ देखो 'तेवरणी' (बौ)। ४ प्रधान, मुख्य । ५ दृढ़। ६ देखो 'तूग' । तीव-वि० [सं०] १ तेज । २ तीक्ष्ण । ३ अत्यन्त, अतिशय । तुगक-पु० [सं०] १ नाग केसर । २ महाभारत के अनुसार ४ गर्म, उष्ण। ५ बेहद, नितांत । ६ उग्र, प्रबल, प्रचण्ड । एक तीर्थ । ७ वेगयुक्त । ८ असह्य । ६ ध्वनि व स्वर के विचार से तुगणौ (बौ)-क्रि० फटे वस्त्र के टांका लगाना, तूनना । ऊँचा । १० अनन्त, असीम । ११ चमकीला । १२ व्यापक । तुगता-स्त्री० [सं०] उग्रता, ऊंचाई। १३ मात्रा से अधिक । -पु. लोहा, इस्पात । तुगधज (ध्वज)-पु० [सं०तुग-ध्वज] १ पर्वत । २ एक राजा । तीवकंठ-पु० [सं०] जमीकंद । तुगनाथ-पु० [सं०] हिमालय पर्वत स्थित एक शिवलिंग जो तीव्रगति-स्त्री० [सं०] वायु, हवा ।। तीर्थस्थान है। तीव्रता-स्त्री० [सं०] १ तेजी, उतावली। २ तीक्ष्णता, अधिकता। तुगनाभ-पु० [सं०] एक कीड़ा विशेष । ३ प्रखरता। । तुगबाह-पु० [सं०] तलवार के ३२ हाथों में से एक । तीग्रतेज-पु. लवंग, लौंग। तुगभद्र-पु० [सं०] मतवाला हाथी । तीवा-स्त्री० [सं०] पड़ज स्वर की चार श्रुतियों में से तुगभद्रा-स्त्री० [सं०] दक्षिण भारत की कृष्णा नदी की प्रथम थ ति । - सहायक नदी। तीव्रानुराग-पु० [सं०] एक प्रकार का अतिचार । (न) तुंगळ-देखो 'तुगल'। तीस-वि० [सं० त्रिशति] दश का तीन गुना, बीस और दश । तुगवेरणा-स्त्री० तुगभद्रा नदी। -पु० तीस की संख्या, ३० । | तुगरी-पु० १ सफेद कनेर का पेड़ । २ देखो 'तूग' । तीसटंकी-पु. एक प्रकार का मजबूत धनुष । तुगिनी-स्त्री० [सं०] महाशतावरी, बड़ी सतावर । तीसमार-वि० डींग मारने वाला, डींग हांकने वाला । दिखावटी तुगी-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि । २ रात्रि । ३ हल्दी। बहादुर । ४ वन तुलसी। तीसमौ (वौं)-वि० (स्त्री० तीसमी) तीस के स्थान वाला, | तुगीपति, तुंगीस, तुगेस-पु० [सं० तुङ्गीपति] १ चंद्रमा । तीसवां । २ राजा, नृप। तीसरौ-वि० (स्त्री० तीसरी) १ तीन के स्थान वाला, दो के तुगौ-देखो 'तुग' । बाद वाला । २ तृतीय, अन्य । तुजाळ-पु० मक्खी, मच्छर आदि के बचाव के लिये घोडे की तोसळणौ (बो)-देखो 'तिसळग्गो' (बी) । पीठ पर डाला जाने वाला जाल । तीसी-वि० तैमी, वैसी। तुड-पु० [सं०] १ मस्तक, गिर । २ मुख, मुह । ३ सूपर की तीसेक-वि० नीस के लगभग ।। थूथन । ४ हाथी की सूड । ५ पक्षी की चोंच । ६ तलवार तीसौ-पु० ३० का वर्ष । -वि० वैसा, तसा । का अग्रभाग । ७ अौजार की नोक । तीह-पु० १ वृक्ष । २ पक्षी। -सर्व० वे, उन । तुडकेसरी--पु० मुंह का एक रोग। ती --क्रि० वि० तैसे, वैसे, उस प्रकार ।। तु डि, डिका-स्त्री० [सं०] १ बिबाफल । २ नाभि । ३ ड । तु, तुप्र-देखो 'तू' । ४ चोंच। तुकार-देखो 'तुकारौ'। तु डिकेसी-स्त्री० [सं० तुण्डिकेशी] कुदरू । तुकारणी (बौ)-क्रि० १ 'तू-तू" कर हल्के शब्दों में संबोधन | तुडिळ-वि० [सं० तुडिल] १ बड़ी तोंद वाला। २ जिसकी करना। २ उलाहना देना, प्रताड़ना देना । नाभि निकली हुई हो । ३ बकवादी, वाचाल । For Private And Personal Use Only Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तडी तुड़वारणी तुडो-वि० [सं० तु डिन्] १ मुंह वाला २ चोंच वाला। तुकरणौ (बौ)-देखो 'तकणों' (बौ)। ३ सूड वाला । -स्त्री० ४ नाभि । तुकबंदी-स्त्री. १ काव्य के त कांत का मेल । २ त क मिलाने तु तुभ-पु० मरमों। लायक साधारण कविता। तुद-वि० [फा०] १ तेज, प्रचंड । २ 'तूद' । तुकम-तेखो तुरुम'। तु दिक-वि० [सं०] बड़े पेट वाला, तोंद वाला। तुकमो-पु० पदक, तगमा । मेडल । तुदिका-स्त्री० [सं०] नाभि । तुकांत-पु० १ पद्य के चरणों के अंतिम अक्षर। २ इन अक्षरों तुदिभ-स्त्री तोंद, उदर । __का परस्पर मेल । ३ अंत्यानुप्रास । तु दो-स्त्री० [सं०] १ नाभि । २ देखो तुद' । ३ देखो 'तु दिक' । | तुकार-देखो 'तुकारौ'।। तुंदेल, तु दैलो-वि० तोंद वाला, बड़े पेट वाला। तुकारणौ (बौ)-देखो 'तुकारणो' (बी)। तुब, तुबक, तुबग-देखो 'तुबुक' । तुकारौ-देखो 'तुकारौ'। तुबड़ी-देखो 'तू बी'। तुकौ-देखो 'तुक्को'। तुबर, तुबरि (री). तुबरु (रू)-पु० [सं० तु बर] १ एक देव | तुक्कड़-वि० तुक मिलाने वाला। जाति, इस जाति का देव । [सं० तुबरम्] २ एक वाद्य तुक्को-पु० [फा० तुका] १ छोटा तीर । २ तुकबंदी । ३ जोड़, यंत्र। ३ एक गंधर्व जाति । ४ प्रथम लघु ढगण का मेल । एक भेद। तुख-पु० [सं० तुष] १ भूमी, छिलका । २ अंडे का छिलका । तु बिका, तुबी-स्त्री० म० तु बी) १ छोटी व कड़वी घीया । ३ देखो 'तुक'।। २खे कद व घीया का बना पात्र । इसको संस्कृत में | तुखाट-देखो 'सुरासाट'। इक्ष्वाकु कहते हैं । तुखानळ-पु० [सं० तुषानल] भूसी की आग। तुबुक-पु० [सं०] कड़वे कह का फल, घीया, लौकी। तुखार-पु० [फा० तोखार] १ एक प्रचीन देश का नाम । तु बुरी, तुबुरु-देखो 'तु बरु' । २ घोड़ा, अश्व । [सं० तुषार ३ हिमकण, हिम । तुबेरब-पु० [सं०स्त बेरम् ] हाथी । ४ कोहरा। ५ ठंड, मर्दी । तुवर-देखो 'तुवर' । २ देखो 'तुबर' । तुखारी, तुखारू-पु० [फा०] १ तुखार देश का निवासी । तुवरावटी-स्त्री० तु वर क्षत्रियों के शासन का क्षेत्र। २ इस देश का घोड़ा। तुवेरौ-पु० दोहा छन्द का एक भेद । तुखम-पु० [फा०] १ बीज । २ वीर्य, शुक्र । तुह-देखो 'तू'। तुगम-पु० १ किसी देवता या पीर के पद चिह्न। २ घोड़ा । तुहनि-सर्व० तब, तेरा। फा० तगमा] ३ पदक । तुहारौं- सर्व० (स्त्री० तुहारी) तुम्हारा । तुगल-स्त्री. १ कानों का बाला, आभूषण। २ नाथ सम्प्रदाय तुही-मर्व० तुम। के अनुयायियों द्वारा कान में पहनने की मुद्रा । तु-पु० १ कमल । २ सुरपुर । ३ रक्त । ४ कष्ट । ५ रमा। तुगा, तुगाक्षिरी-स्त्री० [सं० तवक् श्रीरी] वंशलोचन । ६ देखो 'तू'। -सर्व० तेरा, तेरे। -क्रि०वि० तब। तुगौ-देखो 'तुक्को'। --प्रत्य० करण और अपादान कारक चिह्न। तुग्गस-देखो 'तरगस'। तुप्र--सर्व० तब, तेरा, तुम्हारा । -क्रि०वि० तब । तुग्र-पु० [सं०] वैदिक कालीन एक ऋषि । तुअर-पु. ० तुवरी] अरहर । तुड़कणो(बौ)-क्रि०१थोड़ा-थोड़ा व रुक-रुक कर पेशाब करना । २ मादा मवेशी का रुक-रुक कर थोड़ा-थोड़ा दूध देना । तुमाळो-सर्व० (स्त्री० त पाळी) त म्हारा, तेरा । तुइ. तुई-स्त्री० १ वस्त्रों के किनारे पर लगाई जाने वाली पट्टी, । तुड़की-पु. १ टुकड़ा, खण्ड । २ चुल्लू भर, अल्प मात्रा । गोट, किनार । २ धोंकनी के आगे लगने वाली नलिका ।। तुड़च्छो-वि० [सं० तुच्छ] निम्न, नीच । ३ एक प्रकार की चिड़िया। तुड़णी (बौ)क्रि० मारना, संहार करना । तुईजणी (बौ)-देखो 'तुईजणी' (बौ)। | तुड़ताण-वि० १ वंश गौरव बढ़ाने वाला । २ योद्धा, वीर । तुक-स्त्री० १ किसी पद, गीत प्रादि की कड़ी। २ पद्य के दोनों तुड़वाणी (बौ)-क्रि० १ किसी वस्तु को खंडित कराना, चरणों के अंतिम अक्षरों का परस्पर मेल । ३ एक प्रकार तुड़ाना । ३ खण्ड-खण्ड कराना । ३ नष्ट कराना । को चिड़िया । ४ जोड़, मेत । ४ मरवाना, संहार कराना। ५ बीताना, व्यतीत कराना । For Private And Personal Use Only Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुड़ाई ( ५११ ) तुमतड़ाक ६ क्षीण या कमजोर कराना । ७ तोड़-फोड़ करने के तुड-वि० १ वीर, योद्धा । २ हृष्ट-पुष्ट । ३ तृप्त । लिये प्रेरित करना । ८ क्रम भंग कराना । ६ विच्छेद | तुडि-स्त्री० [सं० तेलित] स्पर्धा, बराबरी। कराना। तुडिकार-पु० मल्लयुद्ध करने वाला। तुड़ाई-स्त्री० १ तोड़ने की क्रिया या भाव । २ इस कार्य का तुडियांग-पु० [सं० तूर्यारण] एक प्रकार का वाद्य । (जैन) पारिश्रमिक । तुडुम-पु. [सं० तुरम्] तुरही, बिगुल । तुडारणौ (बौ), तुड़ावरणौ (बी)-देखो 'तुड़वाणी' (बी)। तुरणको-वि० तुच्छ, अकिंचन । -पु० १ किसी कार्य में पानातुड़ि-पु० योद्धा, वीर। ____ कानी। २ तनका, नखरा । [सं० तृण] ३ तृण, तिनका । तुड़िताण-देखो 'तुड़ताण' । तुणगार (गारी)-देखो 'तिगणगारी'। तुच, तुचा, तुची-स्त्री० [सं० त्वच्, त्वचा] १ शरीर की चमड़ी | तुणगौ (बौ)-क्रि० [सं० तुण] फटे वस्त्र को सीना, तुनना, चर्म, त्वचा । २ छाल । ३ आवरण । ४ स्पर्श ज्ञान । तुनाई करना। ___ ---मेल-पु. रोम। तुरिण-पु० [सं०] तुन का वृक्ष । तुचीसार-पु० [सं० त्वचिसार] बांस । तुणीर-देखो 'तुणीर'। तुच्छ-वि० [सं०] १ अत्यन्त थोड़ा, किचित, अल्प, न्यून । तुतकारौ-पु० कुत्ते को बुलाने का तू-तू शब्द । २ छोटा, लघु । ३ हीन, नीच, क्षुद्र, अकिंचन । ४ हल्का । तुतळारणी (बौ)-क्रि० १ तुतला कर बोलना, तोता बोलना, ५ खाली, रहित । ६ व्यर्थ, निरर्थक । ७ त्यक्त । ८ कमीना, हकलाना । २ अस्पष्ट बोलना। नीच, हीन विचारों का । ९ अभागा, गरीब । तुतळो-देखो 'तोतलौ' । (स्त्री० तुतळी) १० निकम्मा। -स्त्री० भूसी, छाल । | तुत्य, तुत्थक-पु० [सं०] नीला थोथा, तुतिया । तुच्छता-स्त्री० [सं०] १ अल्पता, न्यूनता । २ लघुता, छोटापन। तुदन-पु० [सं०] व्यथा या कष्ट देने की क्रिया, पीड़न, पीड़ा। ३ हीनता, नीचता, क्षुद्रना । ४ हल्कापन । ५ खालीपन । तुन-पु० [सं० तुन्न] मजबूत लकड़ी वाला एक वृक्ष विशेष । ६ व्यर्थता, निरर्थकता । ७ त्याग की भावना । ८ कमीना- | तुनतुनियो, तुनतुनी-पृ० बजो नामक वाद्य । पन । ९ गरीबी । १० निकम्मापन । तुनवाय-पु. [सं० तुन्नवाय] दरजी। तुच्छी, तुछ, तृछय-देखो 'तुच्छ' । तुनी-देखो 'तुन'। तुज-देखो 'तुझ'। तुनीर-देखो 'तूणीर। तजक-पु० [अ० तुजुक] १ शोभा, वैभव । २ आत्मचरित्र तन-देखो 'तुन' । (लिखित)। ३ प्रबंध, व्यवस्था । तुम्नवाय-देखो 'तुनवाय'। तुजकधार-पु० सैन्य-सज्जा करने वाला। तुन्नीर-देखो 'तुणीर'। तुजकमीर-पु० [अ०] अभियान या उत्सव आदि का व्यवस्थापक। तुन्ह-सर्व० तुझे, तुझको । तुजमात-स्त्री० पार्वती, गौरी। तुपक, तुपक्ख-स्त्री० [सं० तुपक] १ छोटी तोप । २ बन्दुक । तुजी, तुजीह-पु० [सं० त्रिजिह] धनुष । | तुपारणौ (बी), तुपावणो (बी)-क्रि० बीज बोना, बुवाई करना । तुज्ज-वि० [सं० तृतीय] १ तीसरा । (जैन) -[म० तुर्य] | तुफग-स्त्री० [फा० तोप] तोप ! २ चौथा। ३ देखो 'तुझ' । तुबरणौ (बौ)-देखो 'तिबरणौ' (बी)। तुजन, तुज्झौ, तुझ, तुझ्झ -सर्व तुझे, तेरा, तेरी, तेरे । तभरणी (बी)-क्रि० १ स्तब्ध रहना, अचंभित रहना । तुझ-सर्व० तुम्हें, तुमको । २ स्थिर रहना । ३भना । तट-वि० १ तनिक, जरामा, टुक । २ देखो 'टूट । तुभ्यौ-सर्व० [सं० तुभ्य] तुम्हे, तुमको। तुटण-स्त्री. १ फूट, विरोध । २ कलह, झगड़ा । -वि० कलह, तुम-सर्व० [सं० त्वम् ] द्वितीय पुरुष का संबोधन, तू का करने वाला। बहुवचन, तू, पाप । तुट्टणी (बौ)-देखो 'टगो' (बौ)। तुट्ठ-देखो 'तुस्ट'। तुमड़ी-देखो तु'बी'। तुट्टो (बो)--१ देखी 'टूरणो' बो)। २ देखो 'तुस्टगो' (बो)। तमरण-पु० चरखे के मध्य का डंडा । तुट्टि-देखो तुस्टि'। तुमणी-मर्व तुम्हारी। तुठणी (बौ), तुठ्ठरणौ (बो)-१ देखो 'तुस्टगो' (बी)। २ देखो तुमतड़ाक-स्त्री० [फा० तूमतड़ाक] १ तड़क-भड़क, ठाट-बाट । 'टगो' (बी)। २ गाली-गलोच, बोल-चाल । For Private And Personal Use Only Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुमती तुरगु तुमती-स्त्री० एक प्रकार का शिकारी पक्षी। तुरंजका-स्त्री० हड़, हरीतकी। तुमर-देखो तोमर'। तुरंजबीन-स्त्री० [सं०] नींबू का शर्बत । तुमरा, तुमरौ-सर्व० (स्त्री. तुमरी) तुम्हारा । तुर जिया-पु. बैल गाड़ी के थाटे में लगने वाला कीला । तुमल-देखो तुमुल'। तुरड-पु० एक प्राचीन देश । तुमां-देखो 'तुम'। तुरत, तुरतउ. तुरतो-क्रि०वि० [सं० त्वरितम्] शीघ्र, तत्क्षण, तुमार-पु० [अ० तूमार] १ जाच, परीक्षा । २ अनुमान, अंदाज। त्वरित । ३ परिमाण । ४ हद, सीमा। ५ बात का बवंडर, विस्तार। तुर-क्रि० वि० [सं० त्वर] शीघ्र। -वि०-शीघ्रगामी, वेगवान । ६ व्यर्थ बातों का ढेर । ७ पुलिंदा । -स्त्री० [सं० तुरी, तुरंग] १ कपड़ा बुन कर लपेटने की तुमारू, तुमारो-देखो 'तुम्हारौ'। जुलाहे की लकड़ी । २ घोड़ा, अश्व । ३ तूरान देश का तुमुर-स्त्री० १ एक क्षत्रिय जाति । २ देखो 'तुमुल'। निवासी। तुमुल-पु० [सं०] १ ध्वनि, शब्द । २ शोर, कोलाहल, युद्ध का | तुरई-देखो 'तुररी' । शोर । ३ भीषण युद्ध । ४ द्वन्द्व युद्ध । -वि० १ भयंकर, तुरक, तुरकड़ो-पु० [सं० तुरुष्क] (स्त्री० तुरकड़ी, तुरकरण, घोर । २ भयानक क्रोधी । ३ व्याकुल । ४ परेशान । तुरकरणी, तुरकाणी) १ मुगल । २ तुर्किस्तान । ३ तुर्किस्तान तुम्मर-देखो 'तुबर'। का निवासी । ४ देखो 'तुरग'। तुम्यौ-सर्व० तुम्हें, तुमको, तुझे । तुरकरण-पु० १ यवनों का राज्य । २ देखो 'तुरक'। तुम्ह-सर्व तुम, तुमको, आपको। तुम्हारा। तुरकरणी-स्त्री० १ तुर्क की स्त्री । २ इस्लाम धर्म । ३ तुर्कों का तुम्हां, तुम्हाण-सर्व० तुम, तुमको, तुझे, आपका, तुम्हारा। राज्य. तुर्कों का क्षेत्र । -वि० तुर्क संबंधी, तुर्कों की। तुम्हारड, तुम्हारउ, तुम्हारङ, तुम्हारड़ो, तुम्हारडो-देखो | तुरकांबड़ी-पु० करघे की तुर में लगा काष्ठ का कीला। ___'तुम्हारौ' । तुरकिया बोहरा-पु. एक व्यावसायिक मुसलमान जाति । तुम्हारी-सर्व० (स्त्री० तुम्हारी) आपका, तुम्हारा । तुरकिस्तान-पु. पश्चिमी एशिया का एक देश । तुर्की। तुम्हि, तुम्ही-सर्व० तुम, तुम ही, तुम से । तुरकी-वि० [तु० तुकं] तुर्किस्तान का, तुर्क का -पु० १ घोड़ों तुम्हीणो-सर्व० तुमको, तुझे, तुम्हारा । की एक जाति व इस जाति का घोड़ा। -स्त्री० २ तुर्किस्तान तुम्हें, तुम्हे-सर्व ० तुमको, तुझे। की भाषा। तुय-सर्व० तेरा। तुरकीय-स्त्री० घोड़े की एक चाल । तुरंग-पु० [सं०] (स्त्री० तुरंगण) १ घोड़ा, अश्व । २ चित्त, | तुरक्क-देखो 'तुरक' । मन । ३ सात की संख्या । तुरक्की-देखो 'तुरकी'। तुरंगगौड़-पृ० [सं०] गौड़ राग का एक भेद । तुरखूटो-पु० करने का एक खड़ा डंडा । तुरंगण-स्त्री० घोड़ी, मादा अश्व । तुरग-वि० [सं०] शीघ्रगामी, द्रुतगामी । -पृ० १ घोड़ा । २ मन तुरंगप्रिय-पु० [सं०] जौ, यव । विचार। तुरंगबदरण, (मुख, वदन)-पु० [सं०] एक देव जाति, किन्नरगण। तुरगगंधा-स्त्री० [सं०] अश्वगधा । तुरंगम-देखो तुरंग'। तुरगदानव-पु० [सं०] केशी नामक दैत्य । तुरंगमसिक्षा-स्त्री० [सं०] १ शालीहोत्र संबंधी ज्ञान । २ बह- तुरगबदन (बदन)-पु० [सं०] किन्नर । तर कलाओं में से एक। तुरगलीलक-पु० [सं०] संगीत में एक ताल । तुरंगलक्षरण-पु० मं०] ७२ कलानों में से एक । तुरगवैद्य-पु० [सं०] अश्वचिकित्सक । तुरंगसाळ (साळा)-स्त्री० [सं० तुरग+ शाला) घुड़शाला, तुरगसाळा-स्त्री० [सं० तुरग + शाला) अश्वशाला। अस्तबल । तुरगसिक्षा-स्त्री० ७२ कलानों में से एक । तुरंगांण-देखो 'तुरंगण'। तुरगांरण-स्त्री० घोड़ी। तुरंगारि-पु० [सं०] कनेर । तुरगारोहण-पु० [सं०] घुड़सवारी। तुरंगी-स्त्री० १ घोड़ी। २ अश्वगंधा । तुरगि (गी)-पु० [सं० तुरगिन्] १ घड़ सवार, अश्व चालक । तुरंगु-१ देखो 'तरंग' । २ देखो 'तुरंग' । २ घोड़ों की एक जाति । ३ देखो 'तुरग' । तुरंज-पु. [फा० नुर्ज १ चकोतरा नींबू । २ बिजौरा नींबू । तुरगु-देखो 'तुरग' । For Private And Personal Use Only Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरजका तुळजा तरजक-स्वी हरड़, हरें। तुराट-पु० घोडा। तरजाळ-१० घोड़ा, अश्य । तुराटी-स्त्री० हल्का नशा, नणे की लहर । तुजिका-सा 'सुरजकः।। तुरातुर-कि०वि० प्रतिगीन, झटा झट । तुरण-त्रि०वि० सं० तुगम् ] तुरन्त, शीघ्र । तुरापांचम-स्त्री० माघ शुक्ला नमी, वसंत पंचमी । तररणी-देखो तरुगी'। तुरायण-पु० [स० ) चैत्र शुक्ला पंचमी व वैशाख शुक्ला पंचमी तरत-देखो तुरंत'। को किया जाने वाला यज्ञ । तरतबुद्धि वि० हाजिर जवाब । तुरावत-वि० [सं० त्वरावत् ] (स्त्री० तुरावती)वेगवान, वेगयुक्त। तुरता-देखा 'तृरंत'। तुरासाट, तुरासाह-पु० [सं० तुगपाट ] इन्द्र । तुरतारण -देखो 'तुरंत'। तुरि, तुरिउ, तुरिए-कि०वि० [सं० त्वरित् १ शीघ्र, जल्दी। तुरती-स्त्री० १ गली। २ देखो तुरंत' । २ देखो तुरी । तरतुरियौ-पु० दाल या बेसन का बड़ा, पकौड़ा। तुरित-देखो 'तुरत' । -वि० जल्दबाज । उतावला । तुरियद-देखो 'तुरंग'। तरपग--पु० नृत्य का एक भेद । तुरिय-१ देखो 'तुरंत' । २ देखो 'तुरी' । तुरप-देखो 'तुम। तुरिया-स्त्री० [सं० तुरीय] १ मोक्ष ज्ञान । ज्ञान की चतुर्थातरपण-स्त्री० हाथ की मजबूत मिलाई । तुरपाई। वस्था । २ चौथा भाग । ३ घोड़ा। -वि० चतुर्थ, चौथा । तरपरणौ (बो)-कि० हाथ से सिलाई करना, तूनना। तुरपाई तुरियो-देखो 'तुरंग'। करना। तुरी-स्त्री० [सं०] १ चित्रकार की कूची। २ ढरकी, नारी। तुरपाई-स्त्री० महीन व मजबूत, हाथ की सिलाई। ३ जुलाहों का एक औजार । [सं० तुरंग] ४ घोड़ी। तुरफ -देखो तुरुग'। ५ लगाम, बाग । ६ तुरही नामक वाद्य । ७ छोटी तुरफरो स्त्री० अंकुश का एक भाग । कलंगी। ८ घोड़ा। तरमती-स्त्री० [सं० तुग्मता] शिकार करने वाली एक चिड़िया। तुरीजंत्र-पु० [सं० तुरीयंत्र] सूर्य की गति बताने वाला यंत्र । तरमनांमौ-पु० एक अंग्रेजी वाद्य । तुरीय-देखो 'तुरिय' । तुरय्या-पु० स० तुर्या] १ मुक्ति प्राप्त होने का ज्ञान, तुरीय तुरीयतरंग-पु० दो नलियों का एक वाद्य विशेष । ज्ञान । २ एक प्रकार की सब्जी । तुरीया-देखो 'तुरिया'। तुररी-स्त्री० [सं० तुरम् मुह से फूक कर बजाने का बाजा। तुरीस-क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत । -पु० घोड़ा। तर-पु० म तुर्ग १ घघगने वालों की लट, अलक। तुरुक-देखो तुरक'। २ टोपी, पगड़ी ग्रादि पर लगने वाली कलगी। ३ दूल्हे के तरुप-पु० लाश के खेल में रंग की चाल । शिर पर लगाने की सुन्दरी कलगी। ४ पुष्प विशेष, तुरुपणौ (बौ)-देखा 'तुरपणी' (बौ) । गुलतर्ग। ५ पु.लों का गृच्छ।। ६ श्मश्र, मूछ । --वि. श्रेष्ठ, तुरुपाई-देखो 'तुरपाई। शिरमौर। तुरळ-पृ० प्रचण्ड वायु, ववण्डर । तुरुही-देखो 'तुरी'। तरवसु-पु० [सं० तृर्वस] राजा ययाति का एक पुत्र । तुरेस-पु० (सं० तुरंगेण] श्रेष्ठ घोड़ा । तुरस-वि० [फा० तुर्श | खट्टा । -स्त्री ढाल । तुरंया-देखो 'तुरी'। तुरसाई, तरसाही-स्त्री० १ खटाई, खट्टापन । २ जायका, स्वाद । तुरौ-देखो तुररौ'। तुरस्स-देखो 'तुग्म'। तुरह-क्रि० वि० [सं० वर] शीघ्र, जल्दी। तुळ तुल-पु० [सं० तल] १ एक लग्न । २ घास । ३ तुला राशि । ४ तराजु. तुला । -वि० [सं० तुल्य] समान। तुरही-देखो 'तुरगे'। तुरांग-पु० [सं० तुरग] घोड़ा, अश्व । तुळछ, तुळछां तळछी-देखो 'तुळसी'। -दळ ='तुळसीदळ' । तुरांन-पु० मध्य एशिया का एक भाग । तुळछांतेला पु० कात्तिक शुक्ला अष्टमी से ग्यारस तक किये त्रांनी-पु० उक्त भाग में बसने वाला, मुगल । जाने वाले तीन व्रत । तुरा-स्त्री० [सं० त्वरा] शीघ्रता, जल्दबाजी। तळजा, तुळजाउ, तुळज्जा, तुलज्या-स्त्री० [सं० तुल्य-ज्या तुराखाट, तराखाड-पु० [मं० तरापाट्] इन्द्र, सुरराज । पार्वती । दुर्गा । एक देवी का नाम । -वि० वृद्धा, बूढी । माया For Private And Personal Use Only Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुलगी तुस्ट तुलणौ (बी)-क्रि० [सं० तुल] १ तराज आदि से तोला जाना, तुलि-वि० [सं० तुल्य] समान, सदृश, तुल्य । -स्त्री० १ तराजु, तुलना, वजन किया जाना । २ किसी तौल के बराबर २ तुलाराशि। होना । तल्य होना । ३ वजन देखने के लिये हाथ में लेना। तुलो-पु० १ तराजू । २ तराजु का पलड़ा। ४ मधना । ५ तैयार होना। ६ समझ में आना जंचना। तुल्य-वि० [सं०] १ ममान, बराबर । २ उपयुक्त । ७ अाधार पर संतुलित होना। ८ उद्यत होना, उतारू तुल्यता-स्त्री० [सं०] बराबरी, ममता। होना । समान व तुल्य होना । तुल्यप्रधान व्यंग-पु० [सं०] समान वाच्यार्थ एवं व्यंग्यार्थ वाला तुलना-स्त्री० [सं०] १ समता, समानता, मुकाबला, बराबरी। व्यंग्य । २ मेल, ताल-मेल । ३ उपमा। ४ परीक्षा, जांच । तुल्ययोग, तुल्ययोगिता-स्त्री० [सं०] एक अलंकार विशेष । तुलनी-स्त्री० [सं० तुला तगजू की डंडी। तुल्ययोगी-वि० समान संबंध रखने वाला। तुलवाई-देखो 'तुलाई'। तुल्ल-देखो 'तुल्य' । तुळसी- स्त्री० [सं० तुलसी] १ दो-तीन फुट की ऊंचाई का | तुव-सर्व० १ तुम । २ तेरा तुम्हारा। ३ तुझे तझको। झाड़ीनुमा पौधा जिसकी पत्तियां देव-पूजन व औषधियों में | तुवर--पु. १ अरहर । २ कसेला । ३ देखो 'तंवर'। काम पाती हैं । वृन्द्रा, वैष्णवी । २ प्रसिद्ध कवि तुलसीदास । तुवाळी-सर्व० तुम्हारा, तेरा। ३ एक लोक गीत । --ठाण, ठाणी, ठांवरणौ-पु. वह तुसंडा-सर्व० तेरा, तुम्हारा।। चबूतरी या स्थान जहां तुलसी का पौधा उगाया जाता है। तुसंडौ-पु० अपराध गुनाह । -सर्व० तेरा, तुम्हारा । -तेला='तुळ छांतेला'। -यांणी='तुळसीठांणी'। -दळ-तुस-पु० [सं० तुष] १ अन्न के दाने के ऊपर का छिलका, -पत-पु० तुलसी के पत्ते । भूसी । २ बाटा छानने पर निकलने वाला फूम । ३ सोने, तुळसीवाणी-पु० एक स्वर्णाभूषण । चांदी आदि का छोटा कण जर्रा। ४ देखो तुच्छ' । तळसीदास-पू. 'रामचरित मानम' के रचयिता प्रसिद्ध कवि तसगन--4. मि. लषगट.] गरिन । ___तुलसी। तुसर-पु० तृण. तिनका। सुळसीपतियो-पु० स्त्रियों के गले का प्राभूषण विशेष । तुसल्यौ-पु० अशुभ रंग का एक घोडा विशेष । तुळसीमंजर (मजरी)-स्त्री० तुलसी के पौधे की बालें, मंजरी। तुसाग-देखो 'तसानल'। तुळसीवन-पु० तुलसी के पौधों की अधिकता वाला वन खण्ड ।। तुसाड़, तुसाड़ी, तुसाड (डौ)-सर्व० (स्त्री० तुसाड़ी, तुसाडी) तुला-स्त्री० १ तराजू, तकड़ी। २ छोटा तराजू, कांटा। तेरा, तुम्हारा। ३ गुजा । ४ ज्योतिष की एक राशि । ५ तौल, मान।। तुसानळ-पु० [सं० तुषानल] भूमी या घासफूस की आग। सलाई-स्त्री. १ तौलने की क्रिया। २ इस कार्य की मजदूरी। तसार-प० [संतषार] १ प्रधिक शीत के कारगा तम्तयों पर ३ देखो 'तूली'। जमने वाली हिम की परत । २ हिम, बर्फ। ३ ठंडक, तुलाकोट, तुलाकोटि-पु० एक आभूषण, नूपुर । सर्दी, शीत । ४ एक प्राचीन देश । ५ इस देश का घोड़ा। तुलाजंत्र-पु० [सं० तुलायंत्र] तराजू, कांटा। -वि० अत्यन्त ठंडा, शीतल । -कर, कांति-पु० हिमकर, तुलाडंड--देखो 'तुलादंड'। चन्द्रमा । -पाखांण, पासांग-पु० हिमकरण, अोला । तुलाणी (बौ)-त्रि० १ तौल कराना, तुलवाना, वजन कराना। -मूरति. रसमि, रस्मि-पु० चन्द्रमा । २ खरीदना । ३ समता कराना । ४ तुलना कराना। तुसारांसु-पु० [सं० तुषारांशु] चन्द्रमा । तुलादंड-पु० तराजू का डंडा । तुसाराद्रि-पु० [सं० तुषाराद्रि] हिमालय पर्वत । तुलादान-पु० [सं०] स्वयं के तौल के बराबर द्रव्य का दान। 'तुसिरणीभ-स्त्री० [सं० तूष्णीक] मौन भाव, मौन वृत्ति (जैन)। तुलाधार-पु० [सं०] १ वणिक, बरिणया। २ माता-पिता का तुसित-पु० [सं० तुषिताः] १ एक प्रकार के गणदेव जो १२ भक्त काशी का एक व्याध । -स्त्री० ४ तलाराशि। माने जाते हैं । २ विष्णु । ३ एक स्वर्ग का नाम । ५ तराजू की डोरी, रम्सी। तुसियौ-देखो 'तुस'। तुलामान-पु० [सं०] १ तौल का अभ्यास, अंदाज । २ बाट, | तुसी-१ देखो 'तुस' । २ देखो 'तस' । तौल । तुसे (स)-सर्व० तुम्हारा, तेरा। तुलावट-वि० तौलने वाला । -स्त्री० तौलने की क्रिया। तुस्ट-वि० [सं० तुष्ट] १ संतुष्ट, तृप्त । २ प्रसन्न, खुश । तुलावरणौ (बौ)-देखा 'तुलाणी (बौ)। ३ वीतराग । For Private And Personal Use Only Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तुरिण वि० [सं० तुषीण] शांत, मौन । । तुस्ततुरंग पु० घोड़ा । तुस्सांडौ - देखो 'तुसाडी' । तुह सर्व० तुझ - तुहइ अव्य० तदपि, तो भी । तुही देखो 'सोफी'। तुहमत देखो 'तोहमत - तुस्टी (बी) फि० १ संतुष्ट होना, तृप्त होना २ प्रसन्न होना, तू छली (बो)- कि० [सं० तृष्ट] १ सूषित होना, प्यासा होना । - क्रि० २ प्यासा रहना । खुश होना ३ वीतराग होना ४ देखो 'तुटली' (बो) । तुस्टता स्त्री० [सं० तुष्टता] १ संतोष, तृप्ति । २ प्रसन्नता, तू ज-पु० एक प्रकार का बर्तन । तू जी - देखो 'तुजीह' | खुशी। तुस्टमांन वि० [सं० तुष्टमान] १ प्रसन्न, खुश । २ अनुकूल तूं झ-सर्व ० १ तुझको, तुझे । २ तुम्हारा । ३ देखो 'तुभः । ३ किसी पर मेहरबान, अनुग्रह करने वाला । 'देखो 'तु'४' । तुस्टि - स्त्री० [सं० तुष्टि ] १ संतुष्टि, संतोष । तृप्ति । तू डी-स्त्री० १ नाव, नौका । २ पेंदा । ३ मध्य भाग । २ अनुकूलता । ३ प्रसन्नता । तूंडी पु० पेंदा तल तू देखो 'सी' । क्रि०वि० [सं० ततः खलु ] तदपि, तो भी। www.kobatirth.org तू सर्व० [सं० स्वम्] तुम, तू द्वितीय पुरुष । तूं सर्व० तू पण तू भी । तूं घर देखो 'तंबर' तूर तूं धरि देखो ''दरि' । तू कार, तुकारघउ, तू कारौ - देखो 'तुकारो' | ' तुहां सर्व० प्राप तू । तुहाइळी-देखो 'तुम्हाळी' । 1 (स्त्री० [सुहाली) तेरा, तुहार, तुहारइ, तुहारी - सर्व० (स्त्री० तुहारी) तेरा तुम्हारा । तुहाळ, तुहाळोय, तुहाळौ - सर्व० तुम्हारा। तुहि सर्व० ० तू । तुहितउ - क्रि०वि० [सं० तथापि ] तथापि, तो भी । तुहिन पु० [सं०] १ पाला, हिमकरण २ हिम, बरफ ३ चांदनी ४ गीता विरि पु० हिमालय पर्वत तुहिनां तुहिनासु पु० [सं० तुहिनांग] चंद्रमा तुहु जि - क्रि०वि० केवल तब । तुहें सर्व ० तुम्हें । तुह्मारडी- देखो 'तुम्हारौ' । तुझस०] तुम्हारा तेरा । तुरंग स्त्री० १ प्राग की चिनगारी । २ देखो 'तु ंग' | तू गणो (बी) - देखो 'तु गणों' (बी) । २१२ 1 तूं गियरी, तू गियो-- पु० फौज का एक भाग, दल, टुकड़ी । तुंगी-स्त्री० १ पृथ्वी, भूमि २ नाव, मौका गौ-० सैन्य दल फौज की टुकड़ी। 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुलसी (बी) देखो 'तुलसी' (दो)। तूणी - स्त्री० ० कमर, कटि । तूं लौ पु० समय से पूर्व गिरा हुआ गर्म (पशु) । लौ पु० १ बाजरी के दाने के ऊपर की टोपी, फूमदा । २ बाजरी की बाल या भुट्टा । ३ बाल के अन्दर का कच्चा दाना । ४ निकम्मी वस्तु । ५ घास विशेष | ६ लड़का पुत्र । - वि० दुर्बल, पतला, क्षीण । तळी ० १ बाजरी या प्यार के का वह भाग जिसमें फलों वाली एक लता दाना रहता है, "भूसी । २ कांटेदार विशेष | तू गिम स्त्री० [सं० तुरंग] १ महिमा, माहात्म्य २ प्रतिष्ठा, तूहइ सर्व० तेरा । गौरव । ३ उच्चता, श्रेष्ठता । ४ ऊंचाई । तुमर । तू स्वी० बड़ा पेट, उदर, तोंद तू मा सर्व० तेरा तुम्हारा । तू बड़ियाळी- पु० १ 'तू'बड़ी' वाद्य बजाने वाला । २ साधु, फकीर । बड़ियों (दो) देखो 'तू'बी' बड़ी-देखो ''बी' तूबर - देखो 'तोमर' । तू बिणि स्त्री० ० एक प्रकार की लता व इसका फल, कद्द ू तू बी-देखो 'तु'बी' । 'बु- देखो 'तू'बो' । तू बेल- पु० १ चारणों की एक शाखा व इस शाखा का चारण । २ दोहा छंद का एक भेद । तंबौ- पु० [सं० तुम्ब] १ कद्द ू की जाति का एक फल । २ इस फल के मुंह को काटकर बनाया हुप्रा खोखला पात्र, तुम्बा | तूर, तूंवर पु० गौड़ राजपूतों की एक शाखा । तू राटी- देखो 'तंवरावटी' । For Private And Personal Use Only तूं हळि सर्व० तेरी | तू पु० १ कुत्ते को पुकारने का शब्द । २ युद्ध । ३ अंगुली । ४ हाथ । ५ कटाक्ष । वि० १ अशुद्ध । २ तुच्छ । तूझर - पु० अरहर नामक द्विदल अनाज, तूवर । Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सूईजरला तुम देखो तुम' तु'ड़ी देखो 'तमतू बौं । तू रेल- वि० तुच्छ । तुज देखो तुम' । जो दो 'तुम' तुरंजा ( बौ) क्रि० मादा पशु का गर्भस्राव होना । तूकार-देखो ‘तु’कारों’ । कारणी (बौ) - क्रि० [सं० त्वंकारः] १ कुत्ते को पुकारना । तूबरणो (बौ) - देखो 'तीव्ररणी' (बी) | यो कारणों (बौ)। तुमड़ी-देखो 'तु'बी' | तुमड़ो-देखो ''वो'। तुझ, तुझ - देखो 'तुझ' । टणी स्त्री० नसों में होने वाला दर्द । (बी) देवो टूटणी' (बो) । तूठ--देखी 'तुस्ट' | लो(ब) देखो 'तुस्टरणों' (बी)। तूरण पु० [सं०] तूणीर तरकस, भाता । " तुणियउ वि० [सं० रिणतः ] बुना हुआ । तुरी, सीरी० [सं०] तरकस, नियंग तूणी- वि० तिगुना । तूण ( बौ) - देखो 'तईजरणी' (बो) । तूत पु० १ स्तम्भ, खंभा । [सं० तूद ] २ शहतूत तक - वि० १ मूर्ख, श्रज्ञानी । २ लम्बा । लड़ती देवो''त'। www.kobatirth.org 1 ५९६ । तुफान पु० [अ०] १ वायु का तीव्र वेग, वातचक्र उत्पात । ३ डुबाने वाली बाढ़ । ४ प्रलय । संकट । ताड़ियों पु० भेड़-बकरी के छोटे बच्चे को रखने का स्थान । ताड़ी स्त्री० १ फूंक कर बजाने का एक बाजा २ मूत्र आदि पदार्थ की छोटी धारा । तूतियो - पु० नीला थोथा, मोर बोथा । तूती - स्त्री० ० १ मुंह से बजाने का एक वाद्य विशेष । २ मटमैल रंग की एक चिड़िया । ३ हाहाकार, चीत्कार। ४ कीति, प्रसिद्धि । तदाप्र- पु० [सं० | पेट का अग्र भाग, तोंद । तून- देखो 'तू' | सूनां तूना देखो 'तुना । तुनारा स्त्री० तुनाई का व्यवसाय करने वाली एक जाति, रफूगर । नारी- पु० रफूगर । तुनी स्त्री० १ एक रोग विशेष २ देखा 'तूणी' । नीर देतो 'दूगर' | तूप - पु० [सं० ष्टुप ] घृत, घी। २ उपद्रव, ५ विपत्ति ांनी वि० [०] १ तूफान जैसा, तूफान की तरह का - । २ उत्पाती, उपद्रवी । ३ प्रलयंकारी । तूमां मर्व ० तुम । - तुमार देखो 'तुमार' तुमो-देखो ''बी' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तविय तुरंग, तुरंगम- देखो 'तुरंग' | तूर - पु० [सं० तूयं ] १ मुंह से बजाने का एक बाजा । २ देखो 'तुमर' । ३ देखो 'तुर' । तुर फि०वि० [सं० तुम्] शीघ्र तुरंत तूरही स्त्री० एक बाजा । तूरांन- देखो 'तुरांन' । तूरानी देखो 'तुरांनी' तूरी स्त्री० १ भाटों की एक शाखा । २ देखो 'तुरी' । ३ देखी 'तोरू" । । तूलता - स्त्री० [सं० तुल्यता ] समता, समानता, बराबरी । तूळिका, तूळी तूली-स्त्री० [सं० तुलि] १ चितेरे की कुची । २ सीक, तीली । ३ तार प्रादि का छोटा टुकड़ा । ४ ग्राग जलाने की काड़ी, माचिस । 3 तुरी देवी 'रिप' । तूरुय तूरू- देखो तुर' । तूळ तूल-पु० [सं० तुल] १ कदम का वृक्ष २ शहतूत का वृक्ष । ३ रुई । [ प्र० तूल ] ४ लम्बाई, विस्तार । ५ किसी बात को दिया जाने वाला महत्व या बढ़ावा । तूळक स्वी० रुई। तूस, तूसरण - पु० १ इन्द्रायण का फल । २ भय, डर । ३ खुरासान का एक प्रदेश व शहर 6 देखो 'तुस' । तूसणी (बी) - क्रि० [सं० तूष ] १ प्रसन्न होना, खुश होना । २ सतुष्ट होना । ३ अनुग्रह करना । ४ तुष्टमान होना । तूसी वि० १ देश का तुम देश संबंधी २ देखो 'स'। तह-१ देखो 'तूस' । २ देखो 'तू' । For Private And Personal Use Only तूहिन, तूहीन पु० [सं० तुहिन] १ शोत, जाड़ा, सर्दी ! २ देखो'नि' तंदेखो 'ते' | उन क्रि०वि० उसमें उनके । 1 लेख-सर्व० उस ततीस-देखो 'तेतीस । तेतीसौ-देखो 'तेतीसो' । तेंदूप्रौ-पु० चीते की जाति का एक हिसक पशु । यि तेंद्रिय देखो 'श्रीडिय' । Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तहवार तजरो तेहवार-देखो तिवार'। तेगौ-पु० १ तलवार की धार । २ देखो तेग' । ते (ते')-पु. १ यमुना का जल। २ नासिका, नाक । ३ देवता । तेघड़-स्त्री० स्त्रियों के पैर का विशेष प्राभूषण । ४ राक्षस । ५ पुत्र । ६ ज्ञान । [फा० तह] ७ कृषि भूमि तेड़-स्त्री० १ किसी वस्तु में होने वाली दरार । २ बड़े भोज के। की प्रार्द्रता, नमी। ८ परत । [फा० तय] ९ निश्चित । | प्रायोजन । ३ भोज के लिए आमंत्रित जाति बधुग्री का --मर्व० [सं० एष] १ नू, तुम, पाप । २ इस । ३ वह, वे। समूह । ४ योनि, भग । ५ बुलावा । ४ उन। ५ अपने । -क्रि०वि० इमलिये। -प्रत्य० तृतीय तेड़णी (बी), तेडवरणी (बो)-क्रि० १ बुलाना, पुकारना । या पंचमी विभक्ति का चिह्न, से । २ बच्चे को गोद में उठाना । तेप्र-१ देखो 'तेज' । २ देखो 'ते'। | तेडारणी (बी), तेड़ावणी (बो)-क्रि० १ बुलवाना. पुकार तेइंदिय, तेइंद्रिय-देखो 'त्रींद्रिय' । लगवाना। २ बच्चे को गोद में उठवाना । तेइयौ-देखो 'तीयो। तेडियो-पु० स्त्रियों के गले का स्वर्णाभूषगा । तेइस-देखो 'तेईन' तेड़ी-स्त्री० घोड़ों की एक जाति । तेइसमौ (वौं)-देखो 'तेईसमौ' । । तेडो-पु० १ बुलाने की क्रिया या भाव, बुलावा । २ बुलाने के तेईस-वि० [सं० त्रयोविंशति] बीस और तीन । -पु० बीस व लिए जाने वाला। ३ बाजरे या ज्वार की फसल के शामिल तीन की संख्या, २३ । बोये जाने वाले मूग, मोठ आदि द्विदल अन्न । ४ घाटा, तेईसमौ (वौं)-वि० तेईस के स्थान वाला, बाईस के बाद वाला।। कमी, अन्तर। तेईसेक-वि० तेवीस के लगभग । तेजंगी-वि० [सं० तेजोऽअंगी] तेजस्वी, जोशीला, पराक्रमी । तेईसी-पु० तेवीस का वर्ष । तेज, तेजइ-पु० [सं० तेजस्] १ दीति, कांति, चमक । २ शौर्य तेउ, तेऊ-सर्व०१ उम, वह । २ देखो 'तेज' । पराक्रम । ३ प्रोज, वीर्य । ४ पंच भौतिक तत्त्वों में से तीसरा, तेप्रोतर-देखो 'तिहोतर' । अग्नि । ५ प्रकाश ज्योति । ६ वस्तु का सार, तत्व, पदार्थ । तेप्रोतरौ-देखो तिहोतरी'। ७ गर्मी ताप । ८ सूर्य । ९ किरण। १० स्वर्ण, सोना । तेख-पु. १ भान, प्रतिष्ठा, आदर । २ इज्जत, पाबरू । ११ तारा । १२ सत्वगुण से उत्पन्न लिंग शरीर । [सं० तीक्ष्ण] ३ क्रोध, गुस्सा । ४ घमंड, अभिमान । १३ प्रताप, रौब । १४ तेजी। १५ प्रचडता, प्रबलता । -स्त्री० ५ बढ़ई की तेज धार की पत्ती विशेष । १६ घोड़ा । १७ पित्त। १८ मक्खन। १९ घोड़े की चाल तेखट, तेखटियो-पु. प्राभूषणों की खुदाई करने का एक अौजार। का वेग। २० दीपक । २१ सौन्दर्य । २२ चरित्रबल । तेखडियो-वि० १ क्रुद्ध, कुपित । २ बिगड़ा हआ। ३ नाराज, २३ स्फूर्ति । २४ प्राध्यात्मिक शक्ति । २५ ब्रह्म । __ अप्रसन्न। २६ तीक्ष्ण धार । -वि० १ तेज या तीक्ष्ण धार का। तेखणी (बो)-क्रि. १ क्रुद्ध होना, कोप करना। २ नाराज २ तीक्ष्ण, तेज । ३ वेगवान, फुतिला । ४ चंचल, चपल । होना, अप्रसन्न होना । ३ बिगड़ना। ४ गर्व करना। ५ महंगा। ६ उग्र, प्रचंड । ७ कांतियुक्त। ८ सुन्दर । तेखळ, तेखळी-पु० [सं० त्रिशृखल] १ घोड़े या गधे के दोनों & शीघ्र व तेज प्रभावशाली । १० कुशाग्र बुद्धि । पैर पागे के व एक पिछला बांधने की क्रिया। २ ऊंट के ११ अधिक। -प्रानूप-पु. राजा, नृप । - काय-पु० पांव बांधने की क्रिया । ३ एक दिन छोड़कर दो दिन किया अग्नि, प्राग। तेजस्वी व्यक्तित्व वाला। -किरण-पु. जाने वाला दधि मंथन । सूर्य । --ग्रह-पु० दीपक, प्रकाश ज्योति । --चंड-4. तेखांनो-पु० फा० तहखाना) भूमिगत कक्ष. तलगृह, तहखाना । सूर्य । -धार, धारी-वि० नेजस्वी, प्रोजस्वी : -१० सूर्य । तेखा-स्त्री० ढोलियों की एक शाखा। --पुंज-पू० सूर्य । -वि० प्रतिहत. तेजस्वी। वळ-पू.. तेखियो वि० पापी, दुराचारी। प्रताप, पराक्रम । एक कांटेदार जगली वृक्ष। बत, वत तेखी, तेखीयो, तेखीतौ-वि० क्रुद्ध. कुपिन । वांन-वि० तेजस्वी। प्रतापी । -१० घृत, घी ! -नी. तेग-स्त्री० [अ०] तलवार, कपाग। -माट-स्त्री० तलवार | आग्नेय दिशा का नाम । का वार युद्ध । --धर-वि० खड्गधारी योद्धा । ----बंध-- तेजग्गळ-वि तेज गति से चलने वाला. तीव्रगामी । नेगधार' तेजरण- स्त्री० घोड़ी। तेगाळ-पृ० १ तलवारधारी योद्धा । २ देखो 'तेग'। तेजपत्ती, तेजपात-पु० [सं० तेजपत्र! दाल चोनी वृक्ष के पत्ते । तेगिच्छ-पु० रोग का निदान, चिकित्सा । तेजरी-पृ० [स. त्रिज्वर] १ प्रति तीसरे दिन पाने वाला ज्वर । तेगून-स्त्री० तलवार । २ ऋद्धावस्था में ललाट पर पड़ने वाली तीन सिलवटें । For Private And Personal Use Only Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेजळ । ५९८ ) तेरतेरम तेजळ - पु० चातक, पपीहा । तेढ़ीमरणो तेढ़ौ-वि० १ टेढ़ा, वक्र। २ बांका, बहादुर । तेजस-वि० [मं० तेजस्वी] १ बहादुर, पराक्रमी, प्रोजस्वी। ३ कठिन, दुर्गम। २ प्रतापी। ३ तपस्वी, आत्म तेज वाला। ४ तेज धार | तेण, तेरिण-सर्व० [सं० तस्मिन्] १ उस । २ वह । ३ उसके । वाला, तीक्ष्ण। ५ शीघ्रगामी, फूर्तीला। ६ महंगा। -क्रि०वि० उससे । -पु० [सं० स्तेन] चोर, तस्कर । -पु०सूर्य। -पुज-वि० प्रकाशवान, तेजस्वी। तेतउं-वि० उतना। तेजसवती, तेजसवी-देखो 'तेजस्वी'। तेतजुग-देखो त्रेतायुग'। तेजस-सरीर-पु. सूक्ष्म शरीर (जैन)। तेतळइ (ई)-क्रि०वि० १ वहां, तहां । २ तब तक । तेजसी-पु०१ सूर्य । २ देखो 'तेजस्वी'। तेतलउ-देखो 'तेतलौ' । (स्त्री० तेतली) तेजस्व-पु० [सं०] १ महादेव, शिव । २ देखो 'तेजस्वी'। तेतला-वि० उतना, उतने । तेजस्वत्-वि० [सं०] तेजस्वी। तेतलु. तेतलौ-वि० [सं० तत्रत्य] (स्त्री० तेतली) १ वहां का । तेजस्विनी-स्त्री० [सं०] मालकांगनी। २ उतना। तेजस्वी-वि० [सं०] १ तेजवान, प्रतापी, प्रोजस्वी । २ कातिवान, | तेता-१ देखो 'ता'। २ देखो 'तेते'। प्रकाशवान । ३ वेगवान । ४ तपस्वी। -पु० इन्द्र के एक तेताळीस-देखो 'तयाळीस' । पुत्र का नाम । तेतीस-वि० [सं० त्रयस्त्रिशत्] तीस व तीन, तेतीस। -पु० तीस तेजागळ-देखो 'तेजग्गळ' । व तीन की संख्या, ३३ । तेजाब-देखो 'तिजाब'। तेतीसमो (वौं)-वि० तेतीसवां, बत्तीस के बाद वाला। तेजारत-देखो 'तिजारत'। तेतीसू-वि० पूरे तेतीस । तेजारौ-देखो 'तिजारौ'। तेतीसे'क-वि० तेतीस के लगभग । तेजाळ, तेजाळू, तेजाळी-पु० १सूर्य । २ तेज, प्रताप । ३ घोड़ा। तेतीसौ-पु० ३३ का वर्ष । -वि०१ तेजस्वी । २ तेज गति वाला । तेते-वि० (स्त्री० तेती) उतने । उतना। -क्रि०वि० तब तक । तेजि-१ देखो 'तेज'। २ देखो 'तेजी' । तेत्रिस, तेत्रीस-देखो 'तेतीस'। तेजिउ-वि० उत्तेजित । तेथ, तेथि, तेथी, तेथौ-क्रि०वि० [सं० तत्र] तहां, वहां । तेजिय-पु० घोड़ा, अश्व । तेन-पु० [सं० स्तेन चोर । तेजी-स्त्री० [फा०] १ तेज होने की अवस्था या भाव, तीव्रता। तेनाळ-देखो 'तहनाळ' । २ उग्रता, प्रचंडता । ३ प्रबलता। ४ गुस्सा, क्रोध, जोश, तनेता-पु० [सं० त्रिनेत्र] शिव, महादेव । आवेश । ५ महंगाई। ६ शीघ्रता । ७ तीव्र गति । ८ एक तेपन-वि० पचास व तीन ।-पु० पचास व तीन की संख्या, ५३ । प्रकार का घोड़ा। तेपनी. तेपन्नौ-पु० ५३ का वर्ष । तेजेयु-पु० [सं०] रौद्राक्ष राजा के एक पुत्र का नाम । तेपरार-देखो 'तैपरार'। तेजोमंडळ-पु० सूर्य चन्द्रमा के चारों ओर बना प्रकाश का घेरा ।। | तेपलदिन-देखो 'तपैले दिन' । तेजोमई, तेजोमय-वि० १ तेजस्वी, प्रतापी। २ वेगवान । तेम-क्रि०वि० इस प्रकार, ऐसे । तैसे । -पु० सूर्य । तेमड़ा, तेमडाराय-स्त्री० प्रावड़ देवी का एक नाम । तेजो-लेस्या-स्त्री० [सं० तजोलेश्या] तपोबल से उत्पन्न तेज, तेमड़ौ-पु० जैमलमेर का एक पर्वत । कांति, ज्वाला। तेमण-देखो 'तींवरण' । तेजी-पु० १ राजस्थान का एक प्रतिज्ञापालक एवं सत्यनिष्ठ | तेमरू-पु० आबनूस का वृक्ष । जुझार, जाट । २ उक्त जाट की याद में गाया जाने वाला | तेमा-क्रि०वि० तैसा। लोक गीत । तेयंसी-देखो 'तेजस्वी'। (जैन) तेजीवितांन-पु० सूर्य। तेय-देखो 'तेज' । (जैन) तेटलि-कि०वि० [सं० ततुल्य ] वहां । तेयलेस्सा-देखो 'तजोलेस्या' । तेटलौ-वि० उतना । तेयौ-देखो 'तीयौ'। तेडणौ (बौ)-देखो तेड़णो' (बौ)। तेर, तेरइ-देखो 'तेरै'। तेडो-देखो 'टेडो'। तेरतेरम, तेरमुउ, तेरमू, तेरमौ-वि० [सं० त्रयोदशम:] तेरहवा, तेढ़, तेढ़क-स्त्री० १ टेढापन, वक्रता । २ ऐंठन । ३ देखो तेढी'। बारह के बाद वाला। For Private And Personal Use Only Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तेरस www.kobatirth.org ( ५९९ ) तेरस, तेरसि, तेरसी स्त्री० [सं० पयोदशी) प्रत्येक मास के तेल- फुलेल पु० पुष्पसार, द प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि । तेमी (बी) वि० तिराणु के स्थान वाला, १३ बरा के बाद वाला । - पु०९३ का वर्ष । तेरा - देखो 'तेरे' । तेराताळी स्त्री० १ शरीर पर तेरह स्थानों पर बंधे मजीरों को बजाने की क्रिया । २ उक्त प्रकार से मजीरे बजाने से उत्पन्न ध्वनि । ३ उक्त प्रकार के वाद्य बजाने वाली मंडली । तेरापंथ पु० जैन श्वेतांबर शाखा की एक प्रशाखा । तेरा पु० उक्त कानु तेरह - वि० दश व तीन । तेरहमी (याँ) - वि० [स्त्री० [तेरहमी, बी) तेरह के स्थान वाला तेलार पु० तेनी बारह के बाद वाला । तेलिरग- देखो 'तेला' । तेरही स्त्री० १ मृतक का तेरहवां दिन । २ इस दिन किया जाने तेलियो - वि० १ तेल की तरह चिकना, चमकीला । २ तेल के वाला पिंडदान, ब्राह्मण भोजन आदि । रंग का मटमैला । - पु० १ तेल के रंग का एक ऊंट विशेष । २ उक्त रंग का घोड़ा । ३ एक प्रकार का बबूल । ४ सोंगिया नामक विष । ५ श्याम रंग का भैरव । ६ एक तरह का सांप । ७ तेल में भीगा वस्त्र । ८ एक प्रकार का सिंह । ९ वर्षा ऋतु में होने वाला एक कीड़ा । — कंद - पु० एक प्रकार का जमीकंद । -- कत्थौ पु० एक प्रकार का काला कत्था । - कुमैत - पु० कुमैत या काले रंग का घोड़ा । -- पांरणी - वि० तेल की चिकनाई वाला पानी। -सुरंगपु० एक प्रकार का घोड़ा सुहागौ पु० चिताव श्याम रंग का सुहागा । । तेली पु० [सं० कि] (स्त्री० तेलस) कोल्हू में सरसों या तिल पेर कर तेल निकालने का व्यवसाय करने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति । -वाड़ी-पु० तेलियों का मुहल्ला । तेलू स्त्री० चिकनाई, स्निग्धता । तेळी, तेली- पु० १ तीन दिन तक लगातार किया जाने वाला उपवास व्रत भादव मुक्ता एकादशी से पूर्णिमा तक २ । का गौ सेवा का व्रत । ३ एक साथ उत्पन्न होने वाले तीन बच्चे । ४ देखो 'तेलियो' । " तेरोड़ो, तेरौ - सर्व ० ( स्त्री० तेरी, तेरोड़ी) तेरा, तुम्हारा । तेरी-पु० तेरह का वर्ष । तेलंग देखी 'लंग' । तेल- पु० [सं० तैल] १ तिल, बीजों व वनस्पतियों से निकलने वाला स्निग्ध व तरल पदार्थ । तेल । २ मिट्टी का तेल व इसी प्रकार के अन्य तेल । तेला, तेलास-स्त्री० ऊंट पर सवार तीन व्यक्ति । तेलायौ पु० तीन व्यक्तियों की सवारी वाला ऊंट । तेलकार - पु० [सं० तैलकार ] १ तेल का व्यापारी । २ तेली । तेल- देखो 'तिनंगी। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेरायळ - वि० [० १ बदमाश, दुष्ट । २ क्रोधी । ३ दोगला । तेराहियो - पु० [सं० त्र्यहिक ] प्रति तीसरे दिन आने वाला ज्वर । तेरिदी - पु० तीन इन्द्रियों वाला जीव या प्राणी । तेरिमृ'देखो 'रमन रमी' । तेर-देखो 'तहरीर' । तेरु ंडौ–पु० मकर संक्रांति के दिन किया जाने वाला विभिन्न प्रकार की तेरह-तेरह वस्तुत्रों का कन्याओं को दान । तेरा, तेरौ ते वि० तैरने की कला में प्रवीण, तैराक तेरे देखो 'तेरे'। तेरे 'क- वि० तेरह के लगभग या करीब । की संख्या १३ सर्व० तुम्हारे क्रि०वि० हद तेरं-वि० [सं० त्रयोदश] दश और तीन । - पु० दश और तीन तेवड़ स्त्री० १ तैयारी । २ तीन तार या लड़ की रस्सी । - पु० ३ विचार । ४ निश्चय इरादा । ५ प्रबन्ध । - वि० तीन तह वाला, तिगुना, तिहरा तेवड़णौ (बौ) - क्रि० [सं० त्रिगुणाकरणम् ] १ विचार करना, सोचना । २ निश्चय करना, तय करना । ३ दृढ़ निश्चय - तबर करना । तेवड़ौ - वि० (स्त्री० तेवड़ी ) १ तीन परत का, तीन तह का । २ तीन गुना । तेवट - स्त्री० १ तबले की एक ताल । २ देखो 'तेवटियो' । तेवटियो तेवटी ० १ स्त्रियों के गले का एक ग्राभूषण विशेष । २ तीन पाट का ओढ़ने का वस्त्र, चादर । तेवडउ - वि• इतना, उतना । तेवरण- देखो 'तींवरण' । तेलड़ी - स्त्री० तीन लटिकाओं की माला । वि० तीन परत की । तीन लड़ी। तेलड़ी - वि० (स्त्री० तेलडी) १ तीन परत का । २ तीन लड़ों तेवणियो- पु० कुए से पानी निकालने वाला | का । ३ तीन पंक्ति का । सेलण स्त्री० तेजी की स्त्री तेलपाल - पु० तेलियों से लिया जाने वाला कर । For Private And Personal Use Only तेवणी (बौ) - क्रि० कुए से चरस द्वारा पानी निकालना । , तेवर तेवरी - स्त्री० १ क्रोध भरी चितवन त्यौरी | २ भौंह भृकुटी । Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वारणा तेवीसौ-देखो 'तेईगो' । तेस क्रि०वि० १ वहां । २ देखो 'तेम' | तेसठ- देखो 'तिरेसठ' । वणी (य) वावरलो ( ) ० परम द्वारा कुए से पानी ईर्व० तेरी | निकलवाना | तंबारी-देखो 'तिवारी' । तेवीस-देखो 'नईम' । तेसठौ-देखो 'तिरेमठौ' । तेसौ सर्व० वैसा तैसा । तह पु० [सं० तैक्ष्ण्य] १ क्रोध, गुस्सा । २ अहंकार, गर्व । ३ देखो 'ने' । मोटा वस्त्र । तेहनि सर्व० उसे, उमको 1 तेहरी-देखो 'तेहड़ी' । (स्त्री० तेहरी ) तेहब - वि० सीसी क्रि०वि० तक हवा - वि० [सं० तादृश] ( स्त्री० तेहवी) वैसा, तैसा । तेह्रस्य क्रि०वि० उससे www.kobatirth.org हवउ वि० मा साक्रि०वि० तव तेहवि (बी)- वि० सी, वैसी कि०वि० तब उस समय तेहवं - क्रि०वि० ० तव । तेहि कि०वि० यहां तहांस०] उस । तेही - वि० ( ६०० तेहतर देखो 'तिहोतर | तेहोतरी देखो 'तिहोत्तरी । सांनी देखो तहखानी' । तेहड़ी-वि० (स्त्री० [तेहड़ी तैसा जैसा तंत्तिरि पु० [सं०] कृष्ण यजुर्वेद के प्रवर्तक एक ऋषि का नाम । तंत्तिरीय-स्त्री० कृष्ण यजुर्वेद की एक शाखा | - श्ररण्यक - पु० उक्त शाखा का एक अंग । तेहत्त-देखो 'तत'। तेवी स्त्री० [बकरी के बालों का बना, चांगन में बिछाने का तरीक० [सं०] मंतिरीय शाखा का धनुवायी। - । सनदेय 'ति'। [सं० तीक्ष्ण] १ गुस्सैल, क्रोधी २ तैसा, वैसा । - क्रि०वि० उसी प्रकार । I ० तेही वि० [स्त्री० [तेही तसा सा सर्व वह तै- देखो 'ते' | तंडो - सर्व० (स्त्री० डी) तेरा | नाल देखी नहनाळ' | पापासियों } तयासी देखो 'त'इपासी' । तं - पु० [अ०] १ निर्णय, निश्चय, फैसला । २ नमी आर्द्रता । ३ मोह ४हित स्त्री० ५ कांति ६ ध्वनि । ७ तह, परत ८ पूर्णता वि० निर्णीत, निर्धारित । निश्चित. तयशुदा पूर्ण पूरा सर्व० जिसको उनको तु तुम आप वह उस अव्य० किसी शब्द पर जोर देने के लिए प्रयुक्त होने वाला अव्यय प्रत्य० तृतीय व पंचम विभक्ति से । तं कीकत से कीफा देख 'ती'। 'खांनी- देखो 'तहखांनी' । तंगधारी देखो 'नेगधारी"। तड़ी - वि. तैसी, वैमी 1 तेड़ौ वि० (स्त्री० तेडी) तैमा, वैसा । तेजस देखो 'तेजस' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देखो'' (स्त्री० टी तैरण- वि० तैसा, वैसा । सर्व० उम, वह । सं० [सं० लि १ ज्योतिष में ग्यारह करों में से चौथा । २ देवता । 3 तंगी तंयु तंथू क्रि०वि० [सं० तत्र ] वहां तहां । 1 तैनात - वि० १ नियुक्त, मुकर्रर । २ तत्पर तैयार । नाती स्त्री नियुक्ति ना-देखो 'तहना 0 परार पु० [सं०] तत्परारि । विगत तीसरा वर्ग । तैपैलं दिन- पु० आगामी पांचवां या छठा दिन । तं वि० तंगे। पळस देखो 'त'याळीम'। देखो''शाळ' तैयार वि० [प्र०] १ नपर उसन · २ कार्य के लिए उपयुक्त, ठीक । ३ मौजूद, उपस्थित । ४ हृष्ट-पुष्ट, मोटाताजा । ५ बनकर पूरा पूर्ण । ६ प्रयोग में थाने लायक । ७ कटिवद्ध सन्नद्ध 5 मजा हुआ, व्यवस्थित । २ तैरने की कला | तैयारी - स्त्री० १ तैयार होने की क्रिया या भाव। २ तत्परता मुस्तैदी । ३ धूमधाम । ४ सजावट ५ व्यवस्था, प्रबंध | तैयौ पु० मिट्टी का छोटा पात्र विशेष । तेरी (बी) (बी) तराई-स्त्री० १ तेरने की क्रिया या भाव। ३ तैरने के कार्य से मिलने वाला धन । तैराक - वि० तैरने के कार्य में दक्ष, निपुण । राखी (बी) (बी) देखो 'तिमी' (यो) । तरायळ - देखो 'तेरायळ' । तंरीख देखी 'तारीख'। 1 For Private And Personal Use Only तंलंग पु० १ दक्षिण भारत का एक प्रदेश | २ इस प्रदेश का निवासी । तेलगी स्त्री० उक्त प्रदेश की भाषा । वि० उक्त प्रदेश संबंधी । Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org तैलंगो तोडी तैलंगौ-पु० उक्त प्रदेश का निवासी। तोग-पु० [सं० तुग] १ मुगल शासनकाल में मनसबदारों को तेलकार-देखो 'तेलकार' । सम्मान के लिए दिया जाने वाला ध्वज । २ सेना का तेलको-देखो तहनको' । झंडा या निशान। तलिंग-पु० ब्राह्मणों का एक भेद विशेष । तोड़-पु० १ तोड़ने की क्रिया या भाव । २ नदी, बांध आदि का तैवडो-देखो 'तेवड़ी'। टूटा हुग्रा भाग । ३ टूटा हुया कोई भाग। ४ कुश्ती का तवार, तैवार-देखो 'तिवार'। एक दांव । ५ रोग से शारीकि क्षीणता । ६ वजन उठाने तस-पु. १ अावेश, जोश । २ क्रोध, गुस्सा । से शरीर के संधिस्थलों की क्षति । ७ चौसर खेल का एक ते'स-न'स-देखो तहस-नहस' । दांव । ८ संगीत में ताल का मान । ९ पहले-पहल निकाला ते'सील-देखो 'तहमील'। --दार-'तहसीलदार' । हया शराब । १० युवती का कौमार्य खण्डन । ११ जवाब । तैसी-वि० (स्त्री० तंसी) उस प्रकार का, वैसा । १२ मुकाबले में ठहरने वाली वस्तु । १३ समाधान । तहरू-गु० हाथी की पीठ पर चारजामे के नीचे रखा जाने | १४ काट । १५ कमी, घटत । वाला वस्त्र। तोड़कौ-वि० (स्त्री० तोड़की) १ काटने वाला। २ तोड़ने वाला । तही-देखो 'तैसी' । (स्त्री० तेही) तोड़जोड़-पु० १ चाल, युक्ति । २ दांव, पेच । ३ अपना मतलब तों-देखो 'तो' । या स्वार्थ सिद्धि । तोंगर-देखो 'तांगई। | तोडगो (बी)--क्रि० १ भटका या प्राघात लगा कर किमी तोंद-स्त्री० बड़ा पेट, उदर । वस्तु को खंडित करना, कड़े-टुकड़े करना। २ बारीक तोदल-वि० बढे पेट वाला, तोंदू। (स्त्री० तोंदली) करना, यूटना । ३ विभक्त करना, अलग करना । ४ नष्ट तोंदो-स्त्री० [सं० तुडी] नाभी। करना । ५ मारना, संहार करना । ६ काटना । ७ बिताना, तोंदीलो, तोंदेल-वि० बडे गेट बाला, तोंदू । (स्त्री० तोंदीली) व्यतीत करना। ८ क्षीण या कमजोर करना । ९ भाव तो-सर्व० [सं० ततः] १ तुम्हारा, तेरा । २ तुक । ३ 'दु" का आदि घटाना, कम करना। १० तोड़-फोड़ करना । कर्म और सम्प्रदान कारक रूप, तुझको । ४ तेरे, तुम्हारे । ११ कूए का पानी खाली कर देना। १२ किसी युवती का -अव्य० [सं० तद्] १ उस दशा में, तब । २ किसी शब्द पर कौमार्य भंग करना। १३ सेंध लगाना। १४ क्रम भंग जोर देने के लिए प्रयुक्त अव्यय । करना, बंद करना । १५ मर्यादा का उल्लंघन करना। तोइ (ई)-पु० [सं० तोय] १ तेज, कांति, प्राभा, दीप्ति । १६ मिटाना । १७ निर्धन करना । १८ पृथक करना, दूर २ देखो तोय'। -सर्व० १ तेरी। २ तुमसे, तुझसे, तुझे । करना। -अव्य० इस पर भी, तो भी, तब भी। तोड़ादार--स्त्री० पलीते से छोड़ी जाने वाली एक प्रकार की तोईद-देखो 'तोयद'। बन्दुक । तोडायत-देखो 'तोटायत' । तोक-पु० [अ० तौक] १ हंसुली के प्राकार का गले का एक | | तोड़ासार--पु० स्त्रियों के परों का आभूषण, नूपुर । ग्राभूषण विशेष। २९सुलो के आकार का अपराधी के तोडियो-देखो तोड़ो'। गले का फंदा । ३ पक्षियों के गले का वृत्ताकार चिह्न। | तोड़दार-देखो तोड़ादार' । ४ देखी 'तोस'। -वि० मं० स्तोकम् थाड़ा, कम, तुच्छतोडी-५०१ स्त्रियों के पांव का ग्राभूषण । २हाथी के पर का तोकरणौ (बी)-कि० १ प्रहार के लिए शस्त्र उठाना। २ प्रहार ग्राभूषण । ३ रुपये रखने की थैली । ४ नदी का किनारा । या वार करना । ३ संभालना, थामना, पकड़ना । ५ घाटा, कमी। ६ न्यूनता, अभाव । ७ बन्दूक या तोप तोकायत-वि० १ शस्त्र उठाने वाला । २ शस्त्रधारी। का पलीता । ८ सोने-चांदी के तारों की रस्सी। ९ रस्सी तोख-पु० [सं० तोष] १ संतोष, तृप्ति । २ मान, प्रतिष्ठा।।। का टुकड़ा। १० चकमक लगाने से भाग निकलने वाला लोहा । ११ कष्ट, तकलीफ। -वि. १ काटने वाला। ३ देखो तोक । २ मारने वाला। तोखरणो(बौ)-क्रि० १ संतुष्ट करना । २ देखो 'तोकणी' (बी)। | तोच, तोचौं, तोछ-वि० १ थोड़ा, कम, न्यून । २ अल्प, तुच्छ । तोखार-देखो 'तुखार'। ३ छिछला। ४ क्षुद्र। -बुद, बुध-वि• अल्प बुद्धि, तोखारी-पु० अश्व, घोड़ा। अल्पमति । नोखारी-देखो तोक'। तोछड़ो-देखो 'तोच, तोचौ । For Private And Personal Use Only Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नोछौ तोयदागम तोछौ-देखो तोचौ' । (स्त्री० तोछी) तोप-स्त्री० [तु०] युद्धादि में गोला चलाने का बड़ा यंत्र, बड़ी तोजड़-स्त्री० अधूरा गर्भ गिराने वाली गाय । बन्दूक । -खांनौ-पु० उक्त यंत्र व इसका सामान रखने तोजी-स्त्री० १ उपाय, तरकीब, युक्ति । २ विकल्प । का कक्ष । तोट-स्त्री. १ कंगाली, निर्धनता। २ कमी, घाटा, प्रभाव । तोपची-पु० [तु.] तोप चलाने वाला व्यक्ति, गोलंदाज । तोटक-पु० [सं०] १ शंकराचार्य के चार प्रधान शिष्यों में से तोफ-देखो 'तोप'। ___एक । २ एक वर्ण वृत्त । तोफगी-स्त्री० [फा० तुहफा] १ अच्छापन, खूबी, विशेषता । नोटकियो-पु. दस-बारह क्यारियों का समूह । २ नमूना । तोटकौ-देखो 'टोटको'। | तोफांन-देखो 'तूफान'। तोटरगौ-विटूटने वाला, खड-खंड होने वाला। तोफौ-पु० [अ० तुहफ] १ उपहार, भेंट । २ भेंटस्वरूप दी तोटायत-वि० १ निर्धन, दरिद्र । २ दुःखी, संतप्त । ३ प्रभाव । जाने वाली वस्तु । ३ बनाव, आडंबर। -वि० बढ़िया, ग्रस्त । मुन्दर, अच्छा । तोटौ-देखो 'टोटौ'। | तोब-देखो 'तोबा'। तोठौ-वि० [सं० तुष्ट] १ प्रसन्न खुश । २ संतुष्ट, तृप्त । तोबड़, तोड़ियौ, तोबड़ी-वि० १ मोटा, ताजा, हृष्ट-पुष्ट । तोड-देखो 'टोड'। २ देखो तोबर' । ३ देखो 'थोबड़ो' । तोडडली-स्त्री० १ एक मारवाड़ी लोक गीत । २ देखो टोड'। तोबची-देखो 'तोपची' । तोड़ो-देखो 'टोडियो । तोबरणों (बी)-देखो 'चोबरगी' (बी)। तोडर-पु. १ स्त्रियों के पांव का एक आभूषण । २ देखो 'टोडर'। तोवर-पु० [फा०] १ घोड़े को दाना खिलाने का थैला । तोडगे-१ देखो 'टोडो' । २ देखो 'तोडियो । गैब। तोडारू-पु० ऊट, छोटा ऊंट । तोबरदार-वि० रोबदार । तोडियो पु० १ऊट का बच्चा । २ एक लोक गीत विणेष तोबर -पृ० बोड़ा, अश्व । तोडी-स्त्री० एक प्रकार की सरसों। २ मकानों व दीवारों में तोबरौ-१ देखो 'तोबर'। २ देखो 'थोबडो' । लगने वाला अश्वमुखी पत्थर। ३ देखो 'टोड़ी। 'तोबा-स्त्री० [अ० तौबः] १ अपन कुकृत्यों या गलतियों के तोडू करणौ (बो)-देवो 'ताडूक गौ' (बौ) । प्रति किया जान वाला पश्चाताप । २ प्रायश्चित । ताडा-दखा 'टोडो'। वेद, अफमास : ४ चयजनक खेद । ५ घसा व भर्त्सना सूचक शब्द । ६ त्याग। ७ बुरे कार्यों के त्याग का तोत, तोतक-पु० १ धोखा, छल, कपट । २ षड़यंत्र । ३ डोंग, संकल्प। पाखंड । ४ झूठ, असत्य । ५ हकलाहट । । तोबाकू-देखो 'तमाकृ' । तोतळा-स्त्री. १ पार्वती । २ दुर्गा देवी। तोम--पु० [सं० स्तोम] १ यज्ञ, हवन । २ अधकार । ३ दल । तोतळी-वि० (स्त्री० तोतळी) हकला कर बोलने वाला। ४ सेना। ५ झुण्ड, समूह । -वि०१ सब, समस्त । तोतापुरी-स्त्री० ग्रामों की एक किस्म व इस किस्म का प्राम। २ अधिक, बड़ा। तोतोबलाय-वि० मुर्ख । तोमड़ी-देखो 'तुबी' तोतो-पू० [फा० तोता] १ हरे रंग का एक प्रमिद्ध पक्षी, कीर, तोमर-पु० [सं०] १ लोहे का बड़ा फल लगा भाले के प्राकार शुक। २ बन्दूक की कल । --वि० (स्त्री० तोती) तुतला का शस्त्र । २ बरछा। ३ बारण, तीर । ४ एक प्राचीन कर बोलने वाला, हकलाने वाला। ___ देश । ५ एक छन्द विशेष । ६ देखो 'तंबर' । तोत्र-पु० [स०] १ बरछा, भाला। २ अंकुश। ३ कीलदार तोमरार-पु० शस्त्र । चाबुक । ४ मवेशी हांकने की छड़ी। -महानट-पु० शिव, । तोय-पु० [सं०] १ जल, पाना । २ पूर्वाषाढा नक्षत्र । महादेव । .क्रि.वि. तो भी, तथापि । -सर्व० तेरा, तुम्हारा । तोद--पु० (सं०, कष्ट, पीड़ा, व्यथा। -वि० कष्ट देने वाला, तोयचौ-पु० एक नत्य विशेष । मताने वाला। तोयद-पु० [सं०] १ बादल, मेघ । २ पाल, घी। ३ नागर तोदन-पु० १ तोत्र, चाबुक । २ कष्ट, पाड़ा । मोथा। -वि० जलदान करने वाला। जल देने वाला। तोदरी-स्वी० एक प्रकार का बक्ष ! तोयदानम-म्बी० [सं०] बर्षा ऋतु । For Private And Personal Use Only Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तोयध तोसक तोयध, (धर, धार)-पु० [सं० तोय-धर] १ बादल, मेघ । तोरे-क्रि०वि० तब । -सर्व० तेरे, तुम्हारे । २ देखो 'तोयधि'। तोरो-र्व० (स्त्री० तोरी) तेरा, तुम्हारा। -पु० १ रंग-ढग, तोयधि (धी, निध, निधी)-पु० [सं०] समुद्र, सागर। चाल-काल । २ प्रभाव । ३ सीमा, किनारा । ४ देखो तोयनीवी-स्त्री० [सं०] पृथ्वी, भूमि ।। 'नोड़ो। तोयेस--पु० [सं० तायेश] समुद्र । | तोल-पु० सं० ताल] १ तराजू। २ तोलने का उपकरण । तोर-पु० [सं० तुवर] १ अरहर । २ देखो तौर'। -सर्व० । ३ वजन, भार । ४ परिमाण का अंदाज, अनुमान । तेरा, तुम्हारा । ५ थाह । ६ स्थिरता, दृढ़ता, अटलता। ७ मान, प्रतिष्ठा, तोरइ (ई)-१ देखो 'तोरू" । २ देखो 'तोरे'। बड़प्पन । ८ अधिकार, कब्जा, वश । ९ शक्ति, बल । तोरउ-सर्व० तेरा, तुम्हारा । १० विपदा, विपत्ति । ११ इज्जत । १२ स्वभाव, प्रकृति । तोरकी, तोरकू, तोरको-१ देखो 'तुरकी' । २ देखो 'तुरक'। १३ विचार । १४ ध्वज । -वि० समान, तुल्य । तोरडो-पु० (स्त्री० तोरड़ी) १ ऊंट का बच्चा । २ शतरंज का तोलड़ी-स्त्री० मिट्टी का छोटा पात्र । एक मोहरा। -सर्व० तेरा, तुम्हारा । तोलणी-वि० तोलने वाला। तोरण (रिण)-पु० [सं०] १ किसी नगर या भवन का | तोलणौ (बो)-क्रि० [सं० तोलनम्] १ तराजू या तकड़ी में मण्डपाकार व मजा या मुरय प्रवेश द्वार । २ मेहराबदार रख कर किसी वस्तु का वजन या भार ज्ञात करना । द्वार । ३ विवाहादि मांगलिक अवसरों पर बनाया हुया २ कुछ निश्चित वजन के लिए वस्तु को तराजू में डाल अस्थाई द्वार । ४ बांस की खपचियों व काठ की चिड़ियों कर संतुलन करना। ३ सौदा बेचने के लिए वस्तुओं का का बना उपकरण जो कन्या के विवाह के समय पिता के तौल-जोख करना । ४ तुलना करना, मिलान करना । द्वार पर बांधा जाता है। ५ सजावट की मालायें बंदरवार ५ प्रहार के लिए शस्त्रादि को हाथ में लेकर साधना । पादि। ६ हथेली में होने वाला एक सामूद्रिक चिह्न ६ युद्ध करना, मुकाबला करना, सामना करना । ७ संहार विशेष । ७ ऊंट की नकेल का पदा। विशाखा नक्षत्र करना, मारना। ८ चित्तन करना, विचार करना, मनन का एक नाम ! -घोड़ी-पु० जिस घोड़े पर बैठकर दुल्हा करना । ९ अनुमान या अंदाजा लगाना। १० समझ में तोरण वंदना करता है। --छड़ी-स्त्री० तोरण के अभिवादन बैठाना । ११ उचित-अनुचित का ध्यान करना। की कोई हरी टहनी। -थब, थम, थांभ-पु० कन्या के | तोलरिण-पु० युद्ध का झण्डा, पताका । विवाह पर घर में स्थापित किया जाने वाला काष्ठ का तोलाई-देखो 'तुलाई'। छोटा स्तंभ विशेष । -पूठी-स्त्री० विवाह के अवसर तोलाछपाई-पु० एक प्रकार का प्राचीन सरकारी कर । पर ब्राह्मण द्वारा किया जाने वाला एक मंत्रोचार । तोलारणौ (बौ), तोलावरणौ (बी)-देखो 'तुलाणी' (बौ)। -वार-स्त्री० वंदनवार । -स्तंभ-='तोरण-थांभ'। तोलायत-पु० १ खलिहान में अनाज तौलने का कार्य करने वाला तोरणदारलगांम-स्त्री० पैनी व छोटी कीलें लगी घोड़े की अनुचर । २ तौलने वाला। ३ उक्त नाम से लिया जाने लगांम। वाला कर। तोरणमाल (ळ)-स्त्री० [सं०] अवंतिकापुरी। | तोलियौ-देखो तौलियो' । तोररिणयो-पु. १ मध्य ललाट पर भौंरी वाला बल। तोले, तोले-वि० [सं० तुल्य] समान, सदृश, बराबर । २ देखो 'तोररा'। तोळी-पु० [सं० तोलक] १ बारह माशे भर का एक तौल । तोरणौ-पु०१गे आदि की फसल काटने का क्रम । २ क्रमशः २ इस तौल का बाट या सिक्का । ३ ऊंटों का एक रोग। काटा जाने वाला फसल का भाग। ३ एक प्रकार का ४ इस रोग से पीड़ित ऊंट । घोड़ा । ४ देखो 'तोरण' । तोलौ-पु० [सं० तौल] १ तौलने का उपकरण, बाट । २ अण्डतोरणौ (बौ)-देखो तोड़गौ' (बी)। । कोश । ३ देखो 'तोल' । ४ देखो 'तोळो' । तोरी-सर्व० १ तेरी, तुम्हारी । २ देखो 'तोरू'। तोवी-देखो 'तवी'। तोरु, तोरु-सर्व० १ तुम्हारा, तेरा । २ देखो 'तोरू'। | तोस-पु० [सं० तोष] १ संतोष, तृप्ति । २ प्रसन्नता । तोरुद-स्त्री० तुरई से मिलती-जुलती एक देवदाली नामक लता। [फा० तोश] ३ भोज्य पदार्थ, खाने का सामान । ४ वस्त्र, तोरू, तोरू-स्त्री० १ चौड़े पत्ते व पीले फूलों की एक लता। कपड़ा। ५ सफर का सामान । ६ शक्ति, बल । २ इस लता का पतला व लंबा फल जिसकी सब्जी बनती तोसक-स्त्री० [फा० तोशक] १ गद्देदार, बिछौना, बिस्तर । है, तुरई। २ गद्दी-तकिया । ३ गृहस्थी का सामान । ४ खाने-पीने का For Private And Personal Use Only Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तोमर त्याव मामान । वि० [सं० तोपक] संतुष्ट करने वाला, तृप्त तौलारणो (बौ), तौलावणी (बी)-देखो 'तुलागो' (वी)। करने वाला। तौलियौ-पु० [अं० टावल ] स्नान करके शरीर पौंछने का छोटा तोसण-० [सं० नोपण) तप्ति, संतोष । प्रसन्नता । -वि० वस्त्र, अंगोदा। मनुष्ट, प्रभन्न । तौहि. तोही-देखो तोई'। नोसो (बी)-कि.. [मं. तोपरणम् ] संतुष्ट करना, तप्त | तौहीन, तौहीनी-स्त्री० [सं० तौहीन ] अपमान, अनादर, करना । संतुष्ट होना। अप्रतिष्ठा। तोसदान-पु० [फा० तोशादान] १ यात्रा आदि में भोजन सामग्री | त्ब्रो-प्रव्य० ऊट आदि को पानी पिलाते समय बोला जाने साथ ले जाने का थैला । २ रुपये पैसे रखने का थैला । वाला शब्द । ३ सिपाहियों की. कारतूम की कमर पेटी। त्यंहार-देखो तिवार'।। तोसल-पु० [सं० तोषल] १ श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया कंस का त्य-क्रि०वि० वमे, तसे । एक मल्ल । २ मूसल। त्यजउ-वि० [सं० त्यक्तः| छोडा हग्रा, त्यक्त । तोसाखांनौ-पू० [फा० तोशः खानः] १ खाद्य सामग्री रखने का | त्यजरगौ (बो)-देखो 'तजणी' (बो)। ___ कक्ष, रसोईघर । २ अमूल्य वस्त्राभूषण रखने का कक्ष । त्यां-सर्व० १ उन । २ उसके, उनके। ३ उनका । ४ उनको। तोसित-वि० [सं० तोषित] संतुष्ट, तृप्त । ५ उन्होंने । -क्रि०वि० १ वहां तहां । २ तैसे। तोहफौ-देखो 'तोफौ' । देवो ना' । -ग्रव्य तक पर्यन्न । तोहमत-स्त्री० [अ०] १ मिथ्या अभियोग । २ भूठा कलंक, त्यांही-सब उसो । वैसे ही। झूठी बदनामी। त्या-मर्व वह, उस। तोहारो. तोहाळी-सर्व० तेरा, तुम्हारा। त्याग-पु० पु० [सं०] १ छोड़ने की क्रिया या भाव । २ किसी तोहि, (ही)-देखो 'तोई'। बात. पादत या वस्तु को हमेशा के लिए छोड़ देने की तोहीन-देखो तोहीन' । अवस्था। ३ परहेज । ४ किसी वस्तु प्रादि से अपना स्वत्व तौ-देखो 'तो'। हटा लेने की अवस्था । ५ उत्सर्ग, दान । ६ विरक्ति, तौइ, तौई-देखो तोई'। तटस्थता । ७ दान स्वरूप दिया जाने वाला द्रव्य । तोक, तौख-देखो तोक', 'तोख' । ८ उदारता । ६ विरक्ति, उदासीनता। १० पसेव । तोडो-देखो 'तोडी'। ११ विच्छेद । तौछ-देखो 'तोछ'। त्यागण-पु० परित्याग, उत्सर्ग आदि की क्रिया। -वि० त्याग तोदार-वि० योजम्बी, तेजस्वी। करने वाला। तौबत-म्ची० [१०] १ अपमान, अनादर । २ देखो तोहमत'। त्यागणी (बो)-क्रि० १ नजना, छोड देना। २ हमेशा के लिए तौम-देवो 'तोम' । छोड़ देना । ३ परहेज करना । ४ संबंध न रखना । तोमर-देखो तोमर'। ५ विरक्त होना । ६ तटस्थ होना। ७ उत्सर्ग करना, दान तोर पृ००१ चाल-चलन । चाल-ढाल । २ मान, प्रतिष्ठा । करना। ८ उदारता करना । ३ एश्वर्य, वैभव । ४ प्रभाव, रौब । ५ तेज, पराक्रम । त्यागधारी-वि० [सं०] १ जिसने त्याग किया हो । २ उदामी, ६ अवस्था, दशा । ७ गर्व, अभिमान । ८ इगदा, रुख ।। विरक्त। ३ दानी, उदार। ४ त्यागी। ६ रंग-ढंग । १० शैली, पद्धति, तरीका । ११ लक्षण । त्याग-पत्र-पु० [सं०] १ इस्तीफा । २ तलाकनामा। तौरणौ (बी)-क्रि० १ जोश पूर्वक आगे बढ़ना। बढ़ाना। त्यागी-वि० १ त्याग करने वाला। २ उदासी, विरक्त । २ देखो तोड़णों' (बी)। ३ उदार, दानी, दातार । ४ वीर, बहादुर । ५ फल की तौरां-क्रि०वि० वहां, तहां । अाशा न रखने वाला। तोरात-देखो 'तौरेत'। त्यार-देखो तैयार'। तौरावटी (वाटी)-देखो तंवरावटी' । त्यारणी-देखो 'तारणी'। तौरी-पु० १ मोट की लाव का एक भाग । २ देखो तोरौ' । स्यारां-क्रि०वि० तब । -सर्व० उनका । तौल-देखो 'तोल'। त्यारी-देखो तयारी' । तौलणौ (बौ)-देखो 'तोलगो' (बी)। त्यारु (रू)-देखो 'तारू' । तौलाई-देखो 'तृलाई। त्याव-पु० [सं० त्रिपाद] बड़ी तिपाई । For Private And Personal Use Only Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org त्याहार त्रदोख स्याहार-क्रि०वि० तब । त्रखातुर, खावंत, खित-वि० [सं० तृषार्त, तृषावान, तृषित] त्यु, त्यू-क्रि०वि०१ तैसे, जैसे । २ वैसा । प्यासा, तृषातुर । अभिलापी। लोभी। त्यू हार-देखो "तिवार'। खूरपो-१ देखो 'वो ' । २ देखो "त्रिकोण' । त्यों-क्रि०वि० ६ उम, भांति, उस प्रकार, उम तरह । २ वसा । त्रख्यण-देखो 'त्रखा। त्योरी--स्त्री० चितवन, दृष्टि, अवलोकन । भृकुटि । ऋगुट-देखो 'त्रिकूट'। त्योहार-देखो 'तिवार'। त्रगुण-देखो 'त्रिगुण' । --- नाथ त्रिगुगणनाथ' । त्यौं, त्यौ-सवं०१ तेरे । २ उनके । ३ देखो 'त्यों'। अघाई-स्त्री० ढोल या नगाड़े की ध्वनि । त्यौरणौ-वि० तिगुणा। बड़-देखो 'तड़' । त्यौर, त्यौरी-देवो 'त्योरी' । बड़बड़ौ (बौ)-देवो 'तड़तड़णी' (बी)। त्यौहार-देखो 'तिवार'। अजड़-देखो 'विजड़। 'ब-स्त्री० [मं० बम्बिका] १ देवी। २ देखो 'तव'। धजड़ाहत (हय, हाथ)-देखो 'विजड़ाहथ' । ३ देखो 'बक'। अजड़ी-देखो 'त्रिजड़। 'बक--पु० [सं० त्र्यंबक १ महादेव, रुद्र । २ नगाड़ा । बजट-पु. १ शिव, महादेव । २ देखो "त्रिजटा' । बगळ. बबट, बटौ, बगळ-पू० नगाड़ा। त्रजमा, जांमा-स्त्री० [सं० त्रियामा रात्रि, निशा । त्रबा-ग्वी०१ घोड़ी। २ देखो 'नंब' ।। टंक-देखो 'ताटंक'। 'बाक, 'बाकियो, बागळ, बागळी, त्र बाट, बाळ त्रट-स्त्री० १ प्यास । २ लोभ । ३ देखो 'तट'। बाळी, बोक, वमक, माट, माळ, माळी-पु. त्रटकरणौ (बौ)-देखो 'तड़कणी' (बी)। [सं० तानिक नगाडा, गावाद्य । त्रट को-पु. १ नाज-नखरा । २ तड़क-भड़क । त्रबट त्र वठ-१० एक प्रकार का वृक्ष। अट्ट-देखो 'तट'। वाट-देखो 'वबाट। त्रण-देखो 'त्रिण' । त्रवाळ-स्त्री. १ मूळ, बेहोशी । २ देखो 'बाळ' । त्रणकाळ -पु० [सं० तृग-अकाल] १ घास का प्रभाव । २ घास त्र-वि० तान। के अभाव वाला वर्ष । ३ देखो 'त्रिकाल'। वइ, त्रई-वि० [सं०] तीन । -लोक-पू० तीनों लोक, त्रिलोकी। त्रणकेतु (केतुक)-पु० [सं० तणकेतु] १ बांस । २ ताड़वृक्ष । ---लोकनाथ='त्रिलोकनाथ' । त्रणदीठ-पु० [सं० त्रिदृष्टि] शिव, महादेव । बईतन-पु० [सं० त्रयीतनुः] सूर्य, भानु। त्रणद्र म-पु० [सं० तृण-द्र म] खजूर । त्रविक्रम-देखो 'त्रिविक्रम' । प्रधज, वरणधुज-स्त्री० [सं० तण-ध्वज] बांस । त्रकाळ- देखो 'त्रिकाळ'। त्रणनेरण-देखो 'त्रिनयन'। त्रकाळग्य-देखो 'त्रिकालग्य' । प्ररणराज (राजक)-पु० [सं० तृणराज] १ ताड़ वृक्ष । २ बांस । काळदरसी-देखो 'त्रिकालदरसी' । प्रणवाळ-वि० [सं० त्रिण-बाल] नीला, आसमानी। कुकुत-पु० [सं० त्रिककुद् ] पहाड, पर्वत । त्रण्य-देखो 'त्रिण'। अकुट-पु० १ एलची। २ लंका का एक पर्वत । ... बासी, प्रताप-देखो 'त्रिताप' । ___वासी-पु. लंकावामी । रावण । प्रताळीस-देखो 'तंयाळीस' । त्रकुटांण-पु. लंका का पर्वत । ऋती, तीस-वि० [सं० तृतीय] १ तीन, तीसरा । अकुटाचल-पु० त्रिकूट पर्वत । २ देखो तेतीस। त्रकुटी-देखो 'त्रिकुटी'। त्रतीया-देखो 'त्रितीया'। अत्रडडणौ (बो)-क्रि० टपकना, झरना । त्रकूण-देखा "त्रिकोण'। बदन, पदव-देखो 'त्रिदव' । अफूटबंध-पु० डिगल का एक छन्द या गीत । अदवसा-देखो 'त्रिदवेसा'। अपूरणौ-पु० १ जैसलमेर के गढ़ का नाम । २ देखो 'त्रिकोण'। दस-वि० १ तेरह । २ देखो त्रिदस'। -तप='त्रिदसतप' । त्रक्ख, अख, अखा-स्त्री० [सं० तृषा] १ प्यास । २ तृष्णा। दसा-देखो 'त्रिदस' । ३ अभिलापा, इच्छा। ४ लोभ, लालच । ५ कामदेव | दसाविभू-पु० [सं० त्रिदशः विभुः] इन्द्र । की कन्या। त्रदोख, दोस-देखो 'त्रिदोस । For Private And Personal Use Only Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रधा असरी धा-देखो 'विधा' । ज्यदस, (दस्स)-वि० [सं० त्रयोदश] तेरह । त्रधार. त्रधारी-५०१ एक प्रकार का तीर । २ तीन तीक्षा त्रयनयण-देखो 'त्रिनयगा'। धागे का एक अस्व । ३ थूहर । त्रयरूप-पु० १ ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ईश्वर । २ दत्तात्रेय । वन देखो निण'। त्रयलोक-देखो त्रिलोक' । नयरण को गिनयन'। त्रयाळी-देवो 'तयाळो' । वनयात्रा० दुर्गा, भवानी, देवी । त्रयानेता-पु० ब्रह्मा, विष्णु, महेग । -वि० तीन, तीसरा । अनत्र, त्रनेत्र दयो विनत्र' । त्रयासियो-खो 'तइयासियो । त्र • पलाश वृक्ष। भाषी-पु० [सं०] १ तीन वस्तुओं का समूह । २ तीनों वेद । त्रपट-वि० [सं० अपया नीच दुष्ट : पापी । त्रयोतन-पु० सूर्य । त्रपण-]• [सं० तर्पणकम्] १ तारण । २ तृप्ति । अयोदस--व० [सं० त्रयोदश] तेरह । त्रपणौ (बौ)-क्रि० तृप्त होना, संतुष्ट होना । त्रयोदसी-स्त्री० तेरह की तिथि, तेरस । प्रपत, त्रपतक, पत्त-वि० [सं० तृप्त) तृप्त, संतुष्ट । योसळ देखो 'त्रिमळी' । प्रमन्न, खुश। त्ररेख-पु० [सं० विरेख] १ शंख । २ ललाट पर पड़ने वाली त्रपति-स्त्री० [सं० तप्ति संतोष, तुष्टि, तृप्ति । तीन रेखाएँ। त्रपथा-स्त्री० [सं० त्रिपथगा] गंगानदी। अलोक-देखो 'त्रिलोक'। --पति-'त्रिलोकपति'। -रावत्रपरार-देखो 'त्रिपुरारि'। __ 'त्रिलोकराव। अपा-स्त्री० [सं०] १ लज्जा, शर्मा । २ संकोच, लिहाज। त्रलोचरण-देखो 'त्रिलोचन'। ३ ख्याति, प्रसिद्धि । ४ छिनाल स्त्री। --वत, वत-वि० ग्रोवरणा-देखो त्रिलोचना। लज्जालु. शर्मीला । उष्ण, गर्म । अबक, बकौ, अवको-वि० १ वीर, योद्धा, बहादुर । त्रपु-पु० रांगा नामक धातु। २ सहारक, नाश करने वाला । ३ देखो 'पबंक' । त्रपुर-देखो 'त्रिपुर'। | वळ-वि० टेढ़ा-मेढ़ा बलने वाला, बाका। त्रपुरांत-पु० [सं० त्रिपुर-अंतक] महादेव, शिव । त्रवळि (ळी)-देखो 'निर्वाळ। पुर-देखो 'त्रिपुरा'। त्रयवेसा देखो अदम'। त्रपुरार, अपुरारि-देखो "त्रिपुरारि'। वाळी-पु. १ चक्कर । २ देखो तिरवाळो' । त्रपुरा-सुर-स्यांमणी-स्त्री० पार्वती। विक्रम-देखा त्रिविक्रम । पुरी-स्त्री० छोटी इलायची । वे गो-देखा त्रिवेणी'। त्रप्त-वि० [सं० तृत] संतुष्ट, तृत । वेळू-वि० तीन समय का । बंक, बंकड़ो-पु. १ डिंगल का एक गीत या छंद । २ देखी त्रसंझा-स्त्री० [सं० निसंध्या सध्या । "त्रंबक' । त्रस-पु० [सं०] १ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की शक्ति वाक-देखो 'बागळ' । रखने वाला जाव । २ जगल, बन । ३ त्रास, भय । ४ तृषा, अभंड-देखो 'प्रभाड'। वभगी-देखो 'त्रिभंगी'। उसकत पु० १ हाथ । २ देखो 'निमकति' । भांड-वि० कुख्यात, बदनाम, निन्दित । वसगति, लगती-स्त्री०सं० त्रिशक्ति | देवी, शक्ति । त्रभाग, त्रभागी, प्रभागौ--पु० १ भाला । २ त्रिशूल । -वि. तीन | त्रसटरगो (बी)-देखो 'तिसटौ ' (बी)। भागों में विभक्त, तीन भाग वाला। असणा-देखो 'त्रिसणा। भुयण-देखो 'त्रिभुवन' । -नाय=त्रिभुवननाथ' । त्रसरणी (बी)-क्रि० १ डरना, भय खाना । २ फटना। त्रमंक, त्रमक-देखो 'वंबक' । असत-वि० [सं० तृषित] प्यासा । त्रमागळ-देखो 'बागळ' । वसन-पु० भय, डर। त्रमाट-देखो 'माट'। प्रसनां, सना-देखो "त्रिसना । समाळ, माळो-देखो 'बाळ' । असर--स्त्री०-ललाट पर कोप के कारण होने वाली तीन त्रम्मक-देखो 'बक'। सलवटें। त्रय-वि० १ तीन । २ तीसरा, तृतीय । सरो-स्त्री० तीन रेखायें । For Private And Personal Use Only Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org उसळ त्रायमारण त्रसळ, त्रसळी-पु० १ जोश, पावेग । २ भय । ३ घोड़ा, अश्व । | भाड़ौ-देखो ''तांबाड़ो' । ४ ललाट । ५ देखो 'त्रिसळो' । त्रांमागळ-देखो 'व'बाळ' । प्रसा-देखो 'त्रिसा'। त्रांमाळ, त्रांमळो-देखा 'त्रबागळ' । त्रताको-वि० प्यासा । त्राकड़ि-देखो ताकड़ी। त्रसारणों (बी)-क्रि० भय दिखाना, डराना । त्राकळ उ-देखो 'ताकळी'। त्रसावत-वि० [सं० तृषावंत] १ प्यासा । २ अतृप्त, असंतुष्ट । | त्रागौ-देखो 'तागो'। सिंघ, वसोंग, वसींघ-वि० बहादुर, जबरदस्त । ताड़-पु० १ भय, आतंक, डर । २ ताड़ वृक्ष । -स्त्री० ध्वनि त्रसुर-वि० [सं०] भीरु, डरपोक । विशेष । असुळ, त्रसूळ-१ देखो 'त्रिसळो' । २ देखो 'त्रिसूळ' । त्राचरणी (बी)-क्रि० मारना, नष्ट करना, संहार करना । त्रस्त-वि० [सं०] १ डरा हुया, भयभीत । २ सताया हुआ, | त्राछटणी (बौ)-देखो 'ताछटणौ' (बौ)। पीड़ित । ३ जिसे त्रास दी गई हो । ४ दुःखी। त्राछण-स्त्री० [सं० त्रासन] काटने की क्रिया या भाव । अस्सरा-देखो 'त्रिसिरा'। त्राछणौ (बौ)-देखो ताछणो' (बौ)। त्रह-पु० १ भय, डर । ३ नगाड़े की ध्वनि । -वि० तीन । त्राजु-स्त्री० तराजू, तकडी। अहक-स्त्री० नगाड़े की ध्वनि । वाद्य ध्वनि । त्राट-स्त्री० १ एक प्रकार की तश्तरी । २ शस्त्र प्रहार । त्रहकरणी (बी), हकारणौ (बो)-क्रि० १ नगाड़ा बजना, ! ३ शस्त्र प्रहार की ध्वनि । ४ चोट, प्राघात, वार । बजाना। २ रग भेरी बजना, बजाना। ५ देखो 'ताट'। त्रहरणो (बी)-क्रि० नगाडा बजना, वाद्य बनना। त्राटक-पृ० १ योग के षट्कर्मों में से छठा कर्म या साधन क्रिया। वहाहरणौ (बो)-देखो हकगो (बौ) : २ देखो ताटक'। त्रहहाटि-स्त्री. नगाड़े की ध्वनि । नाटकी-पु. १ डिगल का एक गीत या छन्द । २ देखो 'तारक। बहळकरणी, (बो) बहळकाणौ (बो)-देखो बहकरणो' (ब)। त्राटि. त्राटी-देखो 'टाटी'। बहाक-देखो बहक'। त्राटीहर-पु० टहनियों से बनाया हुआ मकान, घर । त्रहासरणौ (बौ)-कि नगाड़ा बजाना। त्राटौ-वि० (स्त्री० वाही) १ भयभीत डर हुमा । २ पीड़ित । त्रह, -वि. तीन, तीनों। त्राठउ-वि० [सं० त्रस्त भयभीत, डरा हुया । त्रागड़-देवा तामह'। त्राठणी (वो -क्रि० [सं० बसि] १ भागना, दौड़ना। २ भयभीत त्रांगड़ी-स्त्री० एक प्रकार का शाक । होना, डरना । ३ पीडित होना, संतप्त होना । त्राण-पु० [स० त्राण] १ कवच । २ डाल । ३ रक्षा, सुरक्षा। बाड-स्त्री० दहाड़, गर्जना। ४ राहत, संतोष । ५ शरण, पनाह । ६ सहायता। श्राडकरणी (वौ)-क्रि० १ सिंह का गर्जना। २ सांड या बैल ७ छुटकारा, मुक्ति। का दहाड़ना। त्रांणपत्र-पु० [सं० श्रारणपत्र एक वृक्ष विशेष । बाडणउ-वि० दहाड़ने या गर्जने वाला । त्रांसपोरस-पु० गर्व, अभिमान । त्राडणौ (बौ)-क्रि० दहाड़ना, गर्जना। त्रांणी-वि० [सं० वारण] १ रक्षक । २ शरण देने वाला। त्राडूकरणों (बौ)-देखो 'ताडूकणी' (बौ) ३ देखो 'चारण। त्राता त्रातार-वि० [सं० त्रात् १ रक्षा करने वाला, सुरक्षा त्रांन-देखो 'त्रांण' । करने वाला । २ बचाने वाला । ३ संरक्षक । ४ सुरक्षित । त्रांपणो (बौ)-क्रि० ऊंट का उछलना, कूदना । त्राप-देखो 'ताप'। त्रांबगळ-देखो 'बागढ़' । त्रापड़गो (बो)-देखो 'तापड़णी' (बी)। प्रांवाक-देखो 'चाक' । त्रापा-स्त्री० टपरी, झोपड़ी। त्रांबाट-देखो 'त्रबाट'। त्रांबा-त्रासिया-स्त्री० ताम्र-पात्र में उबाली हई भांग। त्राभाडणी (बो)-देखो 'तांभाड़णो' (बी)। त्रांबाळ, त्रांबाळी-देखो 'बाल' । त्रायणी (बौ)-क्रि० १ भयभीत होना, डरना । २ भागना, त्रांबौ-देखो 'तांबो'। दौड़ना। त्रांभाड़-देखो तांबाड'। । त्रायमर्माण, बांयमारणा, त्रयमारिण-स्त्री० स. वाय माण] चापाडणौ (बो)-देखो वा उरणो' (बो)। बनफशे की लता : - विक्षक For Private And Personal Use Only Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रास त्रिगड़ो त्रास-स्त्री० [सं०] १ डर, भय । २ पीड़ा, कष्ट, वेदना । त्रिकाल-पु० [सं० विकाल] १ भूत, भविष्य व वर्तमान तीनों ३ सताने की क्रिया । ४ किसी रत्न का दोष । काल । २ प्रातः, मध्याह्न व संध्या, तीनों समय । ५ याम, तृषा। -वि० पागल, उन्मत्त । त्रासणी (बी)-क्रि० [सं० त्रासनम्] १ डरना, भयभीत होना। त्रिकाळग्य-पु० [सं० त्रिकालज्ञ] १ तीनों काल व समय की २ कष्ट देना, पीड़ा देना । ३ सताना। ४ दूर भागना। जानकारी रखने वाला, सर्वज्ञ । २ ईश्वर । त्रासन-वि० ग्रानंकित, भयभीत । त्रिकाळदरसी-पु० [सं० त्रिकालदर्शी] तीनों कालों की जानकारी त्रासमांस-वि० १ आतंकित, भयभीत । २ त्रस्त । ३ दुःखी। रखने वाला। त्रासवरणौ (बी)-क्रि० १ भयभीत करना, डराना । २ देखो त्रिकाळनरेस-पु० परब्रह्म, परमात्मा । 'चासणी' (बी)। त्रिकिम-पु० [सं० त्रिविक्रम] श्रीकृष्ण, विष्णु । त्रासा-देखो 'पास'। त्रिकुट-पु. १ कालोमिर्च, सोंठ व पीपर का मिश्रण। २ देखो त्रासौ-वि० १ प्यासा, तृषायुक्त । २ त्रस्त, दुःखो। ३ भयभीत त्रिकूट' । ---गढ़- त्रिकूट गढ़' । --बधः= त्रिकूटबंध' । राहना। त्रिकुटा-देखो त्रिकूटा। त्राहि-अव्य० सं०] बचाओ-बचाओ की पुकार, करुण क्रन्दन। त्रिकुटि, तिकुटी-स्त्री० [सं० त्रिकूट] १ ललाट का मध्य भाग । त्राहिमारण-देखो 'त्रायमांण'। २ ललाट, भाल। त्रिबागळ-देखो 'बागळ' । त्रिकुटौ-पु० सोंठ, काली मिर्च व पीपल के मिश्रण से बनी त्रिसास-पु० [सं० त्रिशांश] १ किसी वस्तु का तीसवां अश। पौषधि । २ तीसवां भाग। त्रिकूट-पु० [सं०] १ तीन चोटियों वाला लका का एक पर्वत । त्रि-वि० [सं०] तीन । -स्त्री. नारी, त्रिया। २ लका । ३ लंका गढ़ । ४ पर्वत, पहाड । ५ सेंधा नमक । त्रिपा-देखो 'त्रिया'। ६ मेवाड़ का एक पर्वत । ७ मेवाड़ का एकलिंग महादेव त्रिकंटक-पु० [सं०] १ त्रिशूल । २ गोखरू नामक लता। के पास-पास का प्रदेश । ८ मस्तक के कल्पित छः चक्रों में -वि० तीन कांटे या नोक वाला। से पहला चक्र । ६ जैसलमेर के किले का नाम । त्रिक-पु० [सं०] १ तीन का समूह । १ तिराहा । ३ त्रिफला । १० जैसलमेर का एक पहाड़। --गढ़-पु. लंका। -बंध४ त्रिकुट । ५ कमर । ६ रीढ़ का नीचला भाग । ७ शोक, 'बटबंध'। खद । -वि० १ तीन गुणा, तिगुना । २ तिहरा । त्रिकूटा-स्त्रा० १ ता जिगना । यि त्रिकूटा-स्त्री० १ तांत्रिकों को एक भैरवी। २ मेवाड़ की ३ तीन शत । एक नदी। त्रिफुटी-देखो त्रिकुटी' । त्रिककुद-पु० [सं०] १ त्रिकूट पर्वत । २ विष्णु । त्रिकोण-पु० सं०] १ तीन कोण, त्रिभुज । २ तीन कोण का त्रिकटबंध-देखो "त्रिकूटबंध'। क्षेत्र, त्रिभुज क्षेत्र । ३ तीन कोनों की वस्तु । ४ योनि, त्रिकरण-पु०१ मन, वचन व काया (जैन) । २ एक प्रकार का भग । ५ जन्म कुण्डली में जम्न से पाचवा या नौवां स्थान । घोड़ा। -सुद्धि-पु० मन, वचन व काया की शुद्धि । ६ तीन धारा, तीन पक्ष । -वि. तान कोण वाला। त्रिकळ-पु० १ तीन मात्रामों का शब्द २ दोहे छन्द का एक | । ---घटो-स्त्री० तीन कोरण का बड़ा घंटा। भेद । त्रिकोणा-वि० तीन कोने वाला, तिकोना । त्रिकळस-पु. विशेष प्रकार का भवन या कक्ष । त्रिकोणासन-पु० योग का एक प्रासन । त्रिकळाचळ-पु० त्रिकूट पर्वत । त्रिक्षार-पु० [सं०] जवा, सज्जी व सुहागा, तीन क्षार । त्रिख-देखो 'खा'। त्रिकळाचळथितगति-पु० रावण । त्रिखत-वि० [सं० तृषित] १ प्यासा, तृषित । २ अभिलाषी। त्रिकलिंग-देखो 'तैलंग'। -स्त्री० तलवार । त्रिकसूळ-पु० रीढ़ व कमर का दर्द, एक रोग । त्रिखनहीं-पु. एक प्रकार का घाड़ा। त्रिकाड-पु० [सं०] १ अमर कोश का दूसरा नाम । २ निरुक्त त्रिखा-देखो 'खा'। -बत='त्रखावत' । का दूसरा नाम । -वि० तीन काण्ड या अध्याय वाला। त्रिगंग-पु. एक तीर्थ विशेष । त्रिकांडी-वि० तीन काण्ड वाला। -पु० कर्म, उपासना तथा त्रिगड़-पु० एक राक्षस का नाम । ज्ञान संबंधी ग्रंथ। | त्रिगडी, त्रिगदौ-पु. तीन दीवारों से घिग स्थान, उपदेश स्थल । For Private And Personal Use Only Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra त्रिगरत हिगरत ( त थ ) - ५० १ उत्तर भारत का एक प्राचीन प्रदेश । २ त्रिचक्र - पु० अश्विनी कुमारों का रथ । त्रिवक्ष, त्रिचख पु० [सं० त्रिचक्षुस् ] शिव, महादेव । त्रिजंच - देखो 'तिरजंव' । । देवो''। प० [सं०] १ सत, रज, तम गुणों की प्रकृतियों का समूह युक्त पवन । - वि० तिगुणा । त्रिगुणा - स्त्री० १ देवी, दुर्गा । २ त्रिगुणी - पु० [सं०] बेल का वृक्ष त्रिगुणु, त्रिगुणो- वि० १ तीनों गुणों से युक्त । २ तीन गुना । त्रिगूढ़ - पु० स्त्री वेश में पुरुषों का नृत्य । तीनों मुख २ इन्हीं तीन शीतल, मंद व सुगंध । ३ -नाथ, पति-पु० परमात्मा । माया । - वि० तीन गुनी । त्रिणी (बौ) - देखो 'तिड़गौ' ( बौ) । त्रिजग पु० तीनों लोक । त्रिलोकी । त्रिजड़, त्रिजड-स्त्री० १ शस्त्र । २ तलवार । त्रिजड़ाथ पु० खड्गधारी योद्धा । त्रिजटा - स्त्री० [सं०] विभीषण की बहिन एक राक्षसी । त्रिपद - पु० तीन कदम, तीन डग । त्रिवडि वि० तिगुनी । www.kobatirth.org त्रिणि-देखो 'तिए । त्रिणिय - वि० तीन । ( ६०९ ) त्रिणी-बि० १ तीन । २ देखो 'तिरण' । बिसौ पु० तिनका तृण पास त्रिणौ २ घास तुच्छ, का तन्तु । साधारण । जिजाम, विजांमा स्त्री० [सं० विधामा] रात्रि निसा - त्रिवसतप पु० [सं० विदश-अप] स्वयं त्रिदलपति पु० इन्द्र त्रिजात - वि० १ वर्ण संकर, जारज । २ विजातक । [सं०] इलायची, दाल चीनी व तेजपत्र का त्रिदसवधू स्त्री० १ अप्सरा । २ वीर बहूटी । त्रि जातक - पु० मिश्रण । त्रिव देखो 'विजय' । त्रिदांकु पु० बच । त्रिसाधिप - पु० इन्द्र । त्रिभोली वि० [सं० त्रिपोनि] तृतीय योनिज, तमोगुण से त्रिदलायन- पु० विष्णु । त्रियाध पु० बच्च उत्पन्न | त्रिजी-देखो 'तीजी' । त्रिज्झड़ देखो 'त्रिजड़' । विडोरियो - पु० एक वाद्य विशेष त्रिण, त्रिराउ - पु० [सं० तृण] १ धास । ३ रेशा । वि० १ अत्यन्त २ देखो 'तिरण' | त्रिरणकाळ-देखो 'काळ' | त्रिरता - स्त्री० [सं०] धनुष । त्रिरणधज - देखो 'त्ररणधज' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिल बिपि हि विष्टि त्रिन्हें त्रिष्टौ १ देखो 'ति' । २ देि त्रितंत्री स्त्री० [सं०] तीन तार की बीणा । व । त्रिताप पु० देहिक, दैविक भौतिक तीन प्रकार के दुःख । त्रिताल स्त्री० १६ मात्रा की एक ताल | - त्रितिय त्रिती, त्रितीय- वि० [सं० तृतीय] तीसरा । त्रितीया - स्त्री० तीसरी तिथि, तीज । वि० तीसरी । त्रिवि० [सं०] तीन ० रा तिनका 3 त्रिव० [सं०] १ सन्यास प्राथम का चिह्न २ सन्यासियों का डंडा । त्रिधां त्रिदंडी, त्रिदंडयउ - पु० [सं०] १ मन, वचन और कर्म पर नियन्त्रण रखने वाला साधु । २ एक साधु सम्प्रदाय विशेष यज्ञोपवीत, जनेऊ । त्रिख पु० [सं० त्रिदिव] १ स्वर्ग । २ आकाश । ३ सुख । - त्रिदळ - पु० [सं० त्रिदल ] १ बेल का वृक्ष । २ बेल-पत्र | त्रिदेव - देखो 'त्रिदिव' । प्रिवेस पु० [सं० त्रिदिवेश] देवता, सुर दिस पु० [सं० विदश] देवतासुर - गुरु-पु० बृहस्पति त्रिसेस्वर - पु० इन्द्र | । त्रिसेवरी स्त्री० दुर्गा भवानी - त्रिदिव पु० [सं०] देवलोक, स्वर्ग विधीस०] देवराज इन्द्र दिसारि पु० राक्षस, असुर । त्रिसालय, त्रिदसासदन पु० १ स्वर्ग । २ सुमेरु पर्वत । ३ देव मन्दिर । दिसाहार पु० घमृत । त्रिदिवेस - पु० इन्द्र | त्रिदेव - पु० [सं०] ब्रह्मा, विष्णु, महेश । त्रिदोख, त्रिदोस - पु० [सं० त्रिदोष ] १ वात, पित्त व कफ तीन शारीरिक दोष । २ सन्निपात -ज-पु० सन्निपात For Private And Personal Use Only जिवन पु० [सं०] बांस विम्बा १० [सं०] एक सूर्यजी राजा त्रिधन्वा त्रिधा - वि० [सं०] तीन प्रकार का क्रि०वि० तीन प्रकार से, तीन तरह से । Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रिधाई त्रिभुप्रण त्रिधाई-स्त्री०१ ताल वाद्य का बोल ।२ तीन 'धा' की | त्रिपुटी-स्त्री० [सं०] १ दृश्य और दर्शन का समाहार करने एक ताल। की त्रिया । २ दुर्गा। त्रिधार-देखो 'त्रिधारौ । त्रिपुर-पु० [सं०] १ तीन लोक, त्रिलोक । २ मयदानव त्रिधारा-स्त्री० [सं०] स्वर्ग, मर्त्य और पाताल लोक में बहने के द्वारा निर्मित, स्वर्ण, रजत व लोहमय नगर । वाली गंगा। ३ बाणासुर का एक नाम । ४ एक दानव । ५ महादेव, त्रिधारौ-पु० १ एक प्रकार का भाला । २ थूहर। -वि० शिव। ६ चंदेरी नगरी का एक नाम । ७ तीन की संख्या*। तीन धार वाला। -प्रघ्न, दहन-पु. शिव, महादेव । -रव-पु० एक विधासी-पु० [सं० विध्वंशिन्] यमराज । रसौषधि विशेष । -भैरवी-स्त्री० एक देवी। -मल्लिकात्रिनयण (न)-पु० [सं० त्रिनयन] शिव, महादेव, रुद्र । स्त्री० एक प्रकार की चमेली। त्रिनाम-पु० [सं०] विष्णु । त्रिपुरांतक-पु० महादेव, शिव । त्रिनेत्र, त्रिनेत्र-पु० [सं०] १ शिव, महादेव । २ एक भैरव का त्रिपुरा-स्त्री० [सं०] १ पार्वती । २ कामाख्या देवी। माम । ३ सोना, स्वर्ण ।-रस-पु० एक रसौषधि विशेष । | त्रिपुरार, त्रिपुरारि-पु० [सं० त्रिपुर+अरि] महादेव । त्रिल-वि० फैला हुआ। त्रिपुरारिरस-पु० [सं०] एक रसौषधि विशेष । त्रिपंख, त्रिपंखो-पु० डिंगल का एक गीत या छंद । त्रिपुरारी-देखो 'त्रिपुरारि'। त्रिपट-वि० १ दुष्ट, नीच । २ पागल, मूर्ख । त्रिपुरासर, त्रिपुरासुर-पु. [सं० त्रिपुरासुर] त्रिपुर नामक असुर । त्रिपण, त्रिपरणउ-देखो 'तरपण' । त्रिपुसी-स्त्री० एक प्रकार का वृक्ष । त्रिपत-वि० [सं० तृप्त] संतुष्ट, तृप्त । प्रसन्न, खुश । त्रिपुस्कर-पु० [सं० त्रिपुष्कर] फलित ज्योतिष में एक योग । त्रिपति-स्त्री० [सं० तृप्ति ] १ संतोष, तृप्ति । २ प्रसन्नता । त्रिप्त-वि० [सं० तृप्त ] संतुष्ट, प्रसन्न । त्रिपथ-पु० [सं०] १ तीन मार्गों का समूह, तिराहा । २ पृथ्वी, त्रिप्रस्न-पु० [सं० त्रिप्रश्न] दिशा व देश-काल संबंधी प्रश्न । पाकाश व पाताल । ३ कर्म, ज्ञान व उपासना । त्रिप्रस्रत-पु० [सं०] मस्तक, कपोल व नेत्रों से मद बहने त्रिपथगा, त्रिपथगामिनी, त्रिपथा-स्त्री० [सं०] तीनों लोकों में वाला हाथी। बहने वाली गंगा। त्रिफळा (लो)-पु० [सं० त्रिफला] हड़, बेहड़ा व प्रांवला का त्रिपद-पु० [सं०] १ तीन चरण, तीन डग । २ यज्ञ की वेदी मिश्रण । मापने का उपकरण । ३ त्रिभुज । ४ घोड़ा । ५ तिपाई।। त्रिबंक-पु० [सं० त्र्यंबक, ताम्रक] १ महादेव, शिव । २ नगाड़ा। -वि० तीन चरण का। -वि० तीन बलवाला, टेढा । त्रिपदा-स्त्री० [सं०] १ गायत्री । २ एक लता का नाम, | त्रिळि, त्रिबळी-देखो 'त्रिवळि' । हंस पदी। त्रिबळीक-पु० १ वायु । २ मल द्वार, गुदा । त्रिपदिका-स्त्री० [सं०] १ देव-पूजन में शंख रखने की तिपाई। त्रिबाह-पु० [सं०] १ तलवार के ३२ हाथों में से एक । २ रुद्र .तिपाई। का एक अनुचर। विपदी-स्त्री. १ हाथी का जेर-बद । २ तीन पंक्ति का पद । त्रिबेणी (नी)-देखो 'त्रिवेणी' । ३ देखो "त्रिपदा'। त्रिभंग-वि. तीन जगह बल खाया हुआ, टेढा, तिरछा । -पु० विवरण-पु० [सं० त्रिपर्ण] पलास का पेड़ । तिरछा खड़े होने की एक मुद्रा। त्रिपाठी-पु० ब्राह्मणों की एक शाखा। -वि. तीन वेदों का ज्ञाता। त्रिभंगी-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण। २ विष्णु । ३ ईश्वर, परत्रिपाद-पु० [सं०] १ ज्वर, बुखार । २ परमेश्वर । मात्मा । ४ शुद्ध राग का एक भेद । ५ ताल का एक भेद । त्रिपादी-देखो 'त्रिपदिका' । ६ एक मात्रिक छंद विशेष । ७ देखो 'त्रिभंग' । त्रिभ-वि० [सं०] तीन नक्षत्रों से युक्त । त्रिपाप-पु० [सं०] किसी व्यक्ति के, किसी वर्ष वा शुभाशुभ फल त्रिभग-पु० [सं०] भाला, सेल ।। जानने का चक्र । त्रिभवरण (न)-देखो 'त्रिभुवन'। --नाथ = 'रिभुवननाथ'। त्रिपिंड-पु० कर्मकाण्ड के अनुसार तोनों पिडों का दान । त्रिभागौ-पु. भाला, सेल । --वि० तीन धार वाला । त्रिपिटक-पु० [सं०] बुद्ध के उपदेशों का संग्रह। त्रिभुइनौ, त्रिभुईयौ-वि० [सं० त्रि-भूमि] तीन मंजिला, तीन त्रिपुड, त्रिपुड-पु० [सं०] ललाट पर तीन पाड़ी रेखाओं का खण्डों वाला । तिलक । | त्रिभुप्रण-देखो 'त्रिभुवन' । -धरणी == 'त्रिभुवनधणी' । For Private And Personal Use Only Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रिभुज त्रिसंक त्रिभुज-पु० [सं०] १ तीन रेखा या कोणों का आकार, त्रिकोण। त्रिलोकेस-पु० [सं० त्रिलोक-ईश] १ सूर्य । २ तीनों लोकों का २ तीन दिशानों या रेखायों से घिरा हुना स्थान या क्षेत्र। स्वामी, ईश्वर । त्रिभुवरण, (न), त्रिभुवन, त्रिभोयण-पु० [सं० त्रिभुवन] स्वर्ग त्रिलोचरण-देखो "त्रिलोचन'। पृथ्वी, पाताल, तीनों लोक । ब्रह्माण्ड । -धणी, नाथ-पु० | रुद्र, महादेव । विष्णु । ईश्वर, परमात्मा । -सुंदरी-स्त्री० त्रिलोचन-पु० [सं०] शिव । रुद्र । दुर्गा, पार्वती। त्रिलोचना-स्त्री० [सं०] १ पार्वती। २ अप्सरा । त्रिभोलग्न-पु० [सं०] क्षितिज पर पड़ने वाले कांतिवृत्त का | त्रिलोत्तमा-देखो तिलोत्तमा' । ऊपरी मध्य भाग। त्रिवड़-पु० डिंगल का एक गीत या छन्द । त्रिभोवरण (न)-देखो 'त्रिभुवन'। त्रिमद-पु० [सं०] १ विद्या, धन व कुटुब के कारण होने वाला त्रिवट-पु० [सं०] दोपहर में गाया जाने वाला सम्पूर्ण गर्व । २ मोथा, चीता व वायबिडंग, इन तीनों का समूह । जाति का एक राग । त्रिमधु, त्रिमधुर-पु० [सं०] शहद, चीनी व घी, तीनों का समूह । त्रिवरग-पु० [सं० त्रिवर्ग] १ तीन प्रधान जातियां-ब्राह्मण, त्रिमात, त्रिमात्रिक-वि० [सं० त्रिमात्रिक] तीन मात्रामों का, क्षत्रिय, वैश्य । २ तीन प्राकृतिक गुण-सत, रज व तम । प्लुत। ३ अर्थ, धर्म व काम का समूह। ४ वद्धि, स्थिति और क्षय त्रिमारगगामिनी, त्रिमारगी-स्त्री० [सं० त्रिमार्गगामिनी, त्रिमार्गी] तीन दशाएँ । ५ एक प्रकार का काव्य । गंगा, सुरसरी। त्रिवळि, त्रिवळी-स्त्री० [सं० त्रिवलि] १ सुन्दर स्त्री के पेट पर त्रिमासिक-देखो त्रैमासिक'। पड़ने वाली तीन सलवटें। २ उक्त प्रकार की स्त्री । त्रिमुकुट-पु० [सं०] तीन चोटियों वाला पहाड़ । ३ योनि, भग । ४ देखो 'तिवल'। त्रिमुख-पु० १ गायत्री जाप की चौवीस मुद्रामों में से एक । त्रिवस्ट, त्रिवस्टप-पू० [सं० त्रिविष्टप] स्वर्ग, देवलोक । २ शाक्य मुनि। त्रिवायउ-वि० [सं० त्रिपाद] १ तिपाईनुमा। २ तीन पांवों त्रिमुखी-स्त्री० बुद्ध की माता, माया देवी। वाला । ३ तीन चौथाई। त्रिमुनि-पु० [सं०] पाणिनी, कात्यायन व पतंजलि मुनि । त्रिमूरति-पु० [सं० त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देव । त्रिविक्रम-पु० [सं०] १ विष्णु, ईश्वर । २ वामन अवतार । त्रियच-देखो 'तिरजंच'। त्रिविद्ध-देखो 'त्रिविध'। त्रिय-वि० [सं० त्रि] १ तीन । २ तीसरा । ३ देखो 'त्रिया'। त्रिविध, (ध्ध, ध्धी)-वि० [सं०] १ तीन प्रकार का, तीन तरह त्रियांमा-देखो 'त्रिजांमा' । का । २ तिगुना । -क्रि०वि० तीन तरह से, तीन प्रकार से। त्रिया-स्त्री० [सं० स्त्री] १ स्त्री, औरत । २ पत्नी, भार्या । त्रिविस्टप-देखो 'त्रिवस्टप' । त्रियूह-पु. [सं०] एक रंग विशेष का घोड़ा। त्रिविस्तीरण-पु० [सं० त्रिविस्तीर्ण] विशाल सीने, ललाट व त्रियो-वि० [सं० तृतीय] १ तीसरा, तृतीय । २ देखो 'तीयौ' । कमर वाला, भाग्यशाली पुरुष । त्रिरसक-पु० [सं०] तीन प्रकार के रस या स्वाद वाली मदिरा। त्रिरासिक-पु० [सं० पैरासिक] गणित की एक क्रिया। त्रिवेणी-स्त्री० [सं०] १ गंगा, यमुना व सरस्वती का संगम, त्रिरूप-पु० [सं०] अश्वमेध यज्ञ का विशिष्ट घोड़ा। प्रयाग । २ तीन नदियों का संगम । ३ तीन विचारों का त्रिरेख-वि० [सं०] तीन रेखाओं वाला । -पु. शंख । समन्वय । ४ इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना नाड़ियों का संगम । त्रिल, त्रिलघु-पु० [सं] १ तीन लघु वाला 'नगण' । २ छोटी, ५ तीन की संख्या *। गर्दन, जांघ या मूत्रद्रिय वाला पुरुष । | त्रिवेदी-पु. ब्राह्मणों की एक उपशाखा । -वि० तीन त्रिलवण-पु० [सं०] संधा, सांभर व काला नमक । वेदों का ज्ञाता। त्रिलोक-पु० [सं०] स्वर्ग, मर्त्य और पाताल लोक ।। त्रिवेनी-देखो 'त्रिवेणी'। --- नाथ, पत, पति, पती-पु० ईश्वर । विष्णु । शिव । विमा निर्म शव । त्रिसक, त्रिसंकु, त्रिसंघ-पु० [सं० त्रिशकु] १ हरिश्चंद्र का पिता -मरिण, मिरण-पु० सूर्य । -राव-पु० ईश्वर। एक सूर्यवंशी राजा । २ इसी नाम का एक तारा । ३ मत्य त्रिलोकी-स्त्री० [सं०] तीनों लोकों का समूह । तीनों लोक ।। व्रत नामक एक पराक्रमी राजा । ४ चातक पक्षी । -वि० तीनों लोकों का। -तात, तारण, नाय-पृ० पर- ५ पतंगा । ६ जुगनू, खद्योत । -वि० [सं० त्रिशंक] मात्मा । विष्णु । इन्द्र। शिव । १ तीस की संख्या वाला। २ तीस के मुख्य का। For Private And Personal Use Only Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रिसंफून-पु० [सं. विशंकुज] राजा हरिश्चन्द्र । त्रिसीरसक-पु० [सं० विशीर्षक] त्रिशूल । त्रिसंनि-पु. एक प्रकार का प्राभूषण । त्रिसीस-पु० तीन फल का भाला । त्रिसंध्या-स्त्री. [सं०] १ प्रातः, मध्याह्न व सायंकाल को की | त्रिसुगधि-स्त्री० [सं०] दाल चीनी, इलायची व तेज पत्र, तीनों जाने वाली संध्या । २ दिन का तीसरा पहर । की खुशबू । त्रिम-स्त्री० [सं० तर्ष:] प्यास, तृषा। | त्रिमूळ त्रिसूळ--पु० [सं० त्रिशूल] १ शिव का प्रायुध, तीन शूल त्रिसकत, त्रिसकति त्रिसकती, त्रिसकत्त-स्त्री० [सं० त्रिशक्ति] | का शस्त्र। २ दैहिक, दैविक व भौतिक दुःख । ३ हाथ १ पार्वती । २ देवी, दुर्गा । ३ गायत्री। ४ इच्छा, ज्ञान व की अंगुलियों की एक मुद्रा। ४ तीन की संख्या । क्रिया, तीन ईश्वरीय शक्तियां । ५ तांत्रिकों की तीन देवियां- ---घात-पु० एक तीर्थ विशेष । -धर-पु. शिव, महादेव । काली, तारा और त्रिपुरा । त्रिसूळ उ-१ देखो 'त्रिमळो' । २ देखो 'त्रिसूळ' । त्रिसखरमुड-पु. तीन शिखर का पहाड़ । त्रिसूळि. तिसूळी (लो)-वि० त्रिशूल धारी। -स्त्री. १ देवी, त्रिसणा (ना)-देखो 'तिसणा'। दुर्गा । २ देखो 'त्रिमूळ'। त्रिसपरसा-स्त्री० [सं० त्रिस्पशा] वह एकादशी जिसके अंत में | त्रिसौ-देखो 'तिरसौ' । - त्रयोदशी पड़ती हो। त्रिस्कंध-पृ० [सं०] ज्योतिष शास्त्र । मिसम-पु० [सं०] सोंठ, गुड़ और हड़ तीनों का समूह । त्रिस्टुप. त्रिस्युभ-पु. [स० त्रिष्टुप] संस्कृत का ग्यारह वर्ण का त्रिसर-पु० [सं० त्रिशिर] १ चिपटी फलियों वाला एक मटर। एक वृत्त । २ कुबेर । ३ एक प्रकार का प्राभूषण । ४ देखो 'बिसिर' । त्रिस्णा-देखो 'तिसणा'। त्रिसरकरा-स्त्री० [सं० त्रिशर्करा] गुड़, चीनी और मिश्री। त्रिस्तंभासन-पु० [सं०]योग के चौरासी प्रासनों के अन्तर्गत एक । त्रिसरण-पु० [सं० त्रिशरण] १ बुद्ध । २ एक जैनाचार्य । त्रिस्थळी-स्त्री० [सं० त्रिस्थली] गया, प्रयाग व काशी तीन तीर्थ । त्रिसरनायक-पु० एक प्रकार का आभूषण । त्रिस्नान पु० [सं०] प्रातः मध्याह्न व सायंकाल की तीन स्नान । त्रिसरी-स्त्री. तीन लड़ की। त्रिसन-पु० [सं० त्रिशूग] त्रिकूट पर्वत । विसळा-स्त्री० महावीर स्वामी की माता। त्रिह (उ)-वि० [सं० त्रि] तीन । विसळो-पू० १ त्रिशूल । २ क्रोध के कारण ललाट पर पड़ने | त्रिहत्तर-देखो 'तिहोतर' । वाली तीन रेखायें। त्रिहलोचन-देवो 'त्रिलोचन'। त्रिसांश-व्यापणी--वि० [सं० त्रिसंध्यव्यापिनी] सूर्योदय से सूर्यास्त त्रिहु, बिहु-वि० [सं० त्रि] १ तीन, नीनों। २ देखो 'त्रिधा' । तक बराबर रहने वाली। त्रितरो-देखो "तिहोतरी'। विसा-स्त्री० [सं० तृपा] प्यास । बिहू-देखो 'बिहु'। त्रिहोतरौ-देखो 'तिहोतरी'। त्रिसाख-वि० १ तीन शाखा वाला। २ तीन फसलों वाला। त्रिलोचन-देखो त्रिलोचन'। त्रिसिउ-वेचो तिरसो'। त्रींगड़ो, त्रींगडौ-वि० तीक्ष्ण । त्रिसिख-पू. [सं० त्रिशिख] १ मुकुट । २ त्रिशूल । ३ रावण त्रीदिय, त्रींद्रिय-पू० [सं० श्रीन्द्रिय] तीन इन्द्रियों वाला जीव । का एक पुत्र । वी-देखो 'त्रि'। त्रिसिखर--पु० [सं० त्रिशिखर] १ तीन चोटियों का पर्वत । त्रीकम, श्रीकमौ, त्रीक्रम-देखो 'त्रिविक्रम' । २ त्रिकुट पर्वत। त्रीखण-देखो 'तीक्ष्ण'। त्रिसियर, त्रिसियो-देखो 'तिरसौ' । त्रीखो-देखो 'तीखौ'। त्रिसिर-पु० [सं० त्रिशिरस्] १ कुबेर । २ रावण का भाई एक त्रीछरण-देखो 'तीक्षण'। राक्षस । -वि. तीन शिरों वाला। त्रीज-देखो 'तीज'। त्रिसींघ-वि० १ बलवान, शक्तिशाली । २ देखो "त्रिसंकु' । ब्रीज, बीजड़-देखो 'तीजो' । त्रिचीरस-पु. [सं. त्रिशीर्ष ] तीन शिखर वाला पहाड़। बीजको, (लो)-देवो 'तीनो' । For Private And Personal Use Only Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीनाम त्रीजांम, त्रीजांमा-देखो 'त्रिजांमा' । त्रीजी-१ देखो 'तीजी' । २ देखो 'तीज । श्रीठ-देखो 'तीठ' । श्रीहरी (ब)- कि० प्यासा होगा। श्रीणि त्रीणी, श्रीन१ देखो 'ति' २ देखो 'नि' ३ देखो 'तीन' | श्रीवंश्या स्त्री० बांझ स्त्री वंध्या । श्रीसकी देखो 'तीसटडी'। त्रीसमउ, त्रीसमी- देखो 'तीसवीं' । त्रीनेरण, त्रीनेयरण, त्रीनंरण - देखो 'त्रिनयन' | त्रीपत्रक - पु० पलास वृक्ष । त्रीय वि० [सं० तृतीय] १ तीसरा २ तीन ३ देखो 'त्रिया' । 1 -लोक'त्रिलोक श्रीहायन - वि० [सं०] तीन वर्षं का । त्रक त्रुको पु० एक प्रकार का तौर www.kobatirth.org परार । - देखो 'त्रिपुरारि' | ( ६१२ ) गट- देखो 'त्रिकूट' | गढ़ = 'त्रिकूटगढ़' । -बंध - 'त्रिकूटबंध [प्र.टि. टी-स्त्री० [सं०] १ भूल, चूक २ कमी कसर । ३ न्यूनता, अल्पता ४ प्रभाव दोष अवगुण । । ५ 1 ६ हानि, नुकसान । ७ तोड़-फोड़ ८ छोटा हिस्सा, अणु । रकी-देखो 'तुरकी' | रहद्दी पु० एक प्रकार का घोटा त्रुळ - - देखो 'तुरक' | टी (बी) ठगी (बी) देखो 'टूटी' (बी) । त्रुठि, (ठी) - देखो 'त्रुटि' | ख- देखो 'तेख' । खळी (बी) - क्रि० १ रोकना । २ बांधना । गडि गति ० त्रिकाण्डका त्रता - पु० [सं०] १ जूए (द्यूत) का एक दाव । २ तायुग । ताग्नि स्त्री० तीन प्रकार की अग्नियां । ताग - ० तामुग । तावाद पु० [सं० त्रेतायुगाद्य] कालिक शुक्ला नवमीतिथि कार्त्तिक त्रेतायुग - पु० [सं०] चार युगों में से दूसरा युग । तोस देखो 'तीम' । पन-देखो 'तिरेपन' । । भवरण, भुरण, भूग्रण, त्रेभूवण, त्रेभोयण - देखो 'त्रिभुवन' । वह (हि, ड़ी) देखो 'तेवढ़' । त्र बड़ो, (डौ)- पु० १ काव्य २ देखो 'बड़ी' । बीस- देखो 'तेवीस' । वीसी देखी 'सौ' । त्रसठ (ठि) - देखो 'तिरेसठ' । सो-देखो 'तिरेसठो' । ह - देखो 'ते' | त्र' - देखो 'त्रि' | इन्द Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'गुण - देखो 'त्रिगुण' | मासिक प्रमासीक वि० [सं०] हर तीसरे महीने होने वाला। , - पु० हर तीसरे मास प्रकाशित होने वाला पत्र, पत्रिका । त्रयंवीका - स्त्री० [सं०] गायत्री । लोक- देखो 'विलोकी' | लोकनाथ (पति राव) देखो 'त्रिलोकनाथ' । लीकी- देखो 'त्रिलोकी' । व्यंकापी० [सं०] देवी दुर्गा, शक्ति 1 वारदेखो 'वाट' | का एक भेद । प्रोटक 'टोटक' | प्रोटि छोटी-स्त्री० [सं०] वोटि] १ चोंच २ देखो 'टोटी' । त्रोटो-देखो 'टोटो' । । मोड़ी (बी) प्रो (बी) देखो 'तोड़ी' (यो) । प्रोप १० [सं०] तरकस । त्र्यंबक - देखो 'त्रंबक' । ज्यासी देखो 'तेरासी' । व्हारो योग-५० फलित ज्योतिष में एक योग। देखो 'ते' । For Private And Personal Use Only त्र्यूखरण, त्र्यूसण- पु० [सं० त्र्यूषण] १ सोंठ, पीपल व मिर्च का समूह, त्रिकूटा। २ चरक के अनुसार एक प्रकार का घृत । त्वंतरात स्त्री० ० एक प्रकार की पुष्पलता । त्वक, स्वग, स्वास्त्री० [सं० त्वचा] चर्म चमड़ी। स्वरित कि० तुरंत शीघ्र स्वस्टा पु० [सं० त्वष्टा] एक महाग्रह जो बिना पर्व के ही सूर्य-चंद्र पर ग्रहण करता है । • तुम तू । स्व-सर्व • रहारी - सर्व० तेरा, तुम्हारा। Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पकाणी थ-देवनागरी वर्णमाला का सत्रहवां व्यंजन । | थंभली-१ देखो 'थोबली'। २ देखो 'थंबो' । थंड-पु० १ समूह, दल । २ सेना, फौज । ३ सघनता । ४ ढेर, भवाय-पु० घोड़ों का एक रोग। राशि । ५ देखो 'ठंड' । -वि० धना, सघन । थंभारणी (बो), थंभावणी (बौ)-क्रि० १ चलते हुए को रुकवाना, थंडणौ (बो)-क्रि० १ पराजित करना, हराना। २ खदेड़ना, ठहराना। २ क्रम या गति न रखना। ३ जारी न रखना, निकालना, भगाना। ३४स-ठूस कर भरना। ४ एकत्र बंद करना। ४ धैर्य दिलाना। ५ पकड़ना, संभालना । करना। ६ टिकाना । ७ स्राव या बहाव रोकना । थंडाक-देखो 'थंड'। चंभियौ, यंभी, थंभीड़, थंभौ-देखो 'थंबी'। थंडिल, थंडिल्ल-पू०[सं० स्थंडिल]१ जैनियोंके 'संथारा' करने का थ-स्त्री०१ सरस्वती। २ छाक । -पु० ३ गगेश । ४ गरुड़। स्थान । २ वेदी, वेदिका । ३ ढेलों का ढेर । ४ सीमा, हद । ५ ऊपर का ओंठ । ६ पहाड़ । ७ देखो 'त' । ५ क्रोध, गुस्सा। ६ शौचादि का स्थान । ७ शौच, मल, थई, थइ-देखो 'थई । विष्टा । (जैन) थइनायत-पु० पान-बीड़ा लिए साथ रहने वाला नौकर । थंडी, थंडीस-पु०१ सर्प, नाग। २ शेष नाग । थइणो (बी)-देखो 'थावणी' (बो)। थंडौ-१ देखो 'ठंडी' । २ देखो 'थंड' । थइली-देखो 'थेली'। थंथ-पु० अनर्गल प्रलाप, बकवाद । यथायलो, थंयौ, थंथ्यौ-वि० प्रलाप करने वाला, बकवादी। थई-स्त्री० [सं० स्था] १ ढेर, राशि । २ एक प्रकार की चमड़े की थैली । ३ पान की डिबिया । ४ देखो 'थेई'। थंब-पु० [सं० स्तंभ] १ राजपूतों का एक भेद । २ सहारा, प्राश्रय । ३ रक्षक, संरक्षक । ४ देखो 'थंबो' ।। थईआइतु, थईप्रायतु-देखो 'थइनायत'। ५ देखो 'थांबो'। थईधर-पु० [सं० स्थगीधर] राजा का ताम्बूल-वाहक । थंबजंग-पु० योद्धा, सुभट, वीर । थईयात, थईयायत, थईयार-देखो 'थइनायत'। . थंबणी (बौ)-देखो 'थं भणी' (बी)। थक-देखो 'थोक'। थंबली-१ देखो 'थंबो' । २ देखो 'थोबली'। थकइ (ई)-अध्य० से। थंबियो, थंबी, थंबीड़, थंबी, थंभ-पु० [सं० स्तम्भ] १ पत्थर | थकरणौ (बौ)-देखो 'थाकरणी' (बी)। या लकड़ी का स्तंभ, खंभा। २ पेड़ का तना। ३ सहारा, थकां, थकाई-क्रि०वि० [सं० प्ठा] १ होते हए, रहते हुए। अवलंब । ४ रोक। ५ योद्धा, वीर। ६ अहंकार (जैन)। ७ मान, प्रतिष्ठा (जैन)। -जमी-पु० योद्धा वीर । २ मौजूदगी में। ३ तक, पर्यन्त । ४ होकर। ५ ही। ६ पर, से। थंभरण-वि० [सं० स्तम्भन] १ थामने या रोकने वाला। थकारण, थकांन-देखो 'थकावट'। २ रक्षक, सहायक । -पु. १ रोकने, ठहराने आदि की | क्रिया। २ रुकावट, ठहराव । ३ पकड़-धकड़ । ४ रक्त, थका-देखो 'थकां'। वीर्य, मल-मूत्र आदि के स्राव पर नियंत्रण । ५ कामदेव थकारणौ (बी)-क्रि० १ अधिक परिश्रम या मेहनत कराना । के पांच बाणों में से एक । २ शिथिल या श्रान्त करना । ३ सांस फूलने लायक करना। थंभरणी(बी)-क्रि०[सं० स्तम्भनम्]१ चलते हुए रुकना, ठहरना । ४ मंदा या धीमा करना। ५ हैरान करना, ऊबाना । २ क्रम या गति न रहना, ठहरना। ३ बंद हो जाना, ६ उत्साह, जोश आदि को ठंडा करना। ७ आवेग कम जारी न रहना। ४ धैर्य रखना। ५ पकड़ा जाना, संभाले करना । ८ कमजोर या अशक्त करना । ९ मुग्ध करना, रखना । ६ टिकना,टिके रहना । ७ स्राव या बहाव न रहना। मोहित करना, लुभाना। For Private And Personal Use Only Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थकार थतार्थई थकार-. 'थ' वर्ण। थटक, थटक्क-देखो 'थाट'। थकाव, थकावट-स्त्री० १ थक जाने की अवस्था या भाव । | थटणी (बी)-क्रि०१ शोभित, होना, शोभायमान होना । २ शिथिलता, कमजोरी। ३ आवेग, उत्साह आदि की २ सुसज्जित होना । ३ तैयार होना, उद्यत होना, कटिबद्ध कमी । ४ मंदी, धीमापन । होना । ४ इकट्ठा होना। ५ डटना । ६ प्रकट होना, थकावणी (बौ)-देखो 'थकारणो' (बौ)। उत्पन्न होना । ७ प्रविष्ट होना, घुसना । ८ अवस्थित होना । ६ हटना, मिटना, प्रभाव समाप्त होना। कित-वि० [सं० स्थकितः] १ थका हुअा, शिथिल । २ मुग्ध, मोहित । ३ आश्चर्य चकित, भौंचक्का । १० संगृहीत या एकत्र होना । ११ खदेड़ा जाना, पराजित होना। थकियौ-देखो 'थको'। थटा-स्त्री० सेना, फौज। थको-प्रत्य० [सं० स्थित] से। -क्रि०वि० १ लिए, वास्ते । थटायट -देखो 'थटोथट'। २ के समय, में। ३ कारण से। ४ पर। ५ होते हुए। -वि० ६ स्थित, विद्यमान । थटीलो-वि० (स्त्री० थटीली) १ ठाट-बाट से रहने वाला। धकेलो-देखो 'थाकेलो'। २ शौकीन । ३ मस्त, प्रसन्न । थटेत, थटेल, थटेत, यटेल-वि० १ योद्धा, वीर । २ ठाट-बाट थक-देखो 'थकी'। थको--वि० [सं० स्थित] (स्त्री० थकी)१ होता हुमा, रहता हुमा, | से रहने वाला, ऐश्वर्यवान । स्थित । २ हुवा हुआ। ३ वाला, का। -क्रि०वि० १ से। थटोथट-वि० पूर्ण, पूर्ण भरा हुआ । -क्रि० वि० लबालब । २ ही । ३ होकर । ४ रूप से । | थट्ट-वि० १ बहुत अधिक, अत्यधिक । २ देखो 'थाट'। थक्करणौ (बो)-देखो 'थाकरणो' (बी)। थट्टणी (बौ)-देखो 'थटणो' (बौ)। थक्यौ-देखो 'थक"। थट्टो-१ देखो 'थट' । २ देखो 'थाट'। थग-पु० १ हद, सीमा। २ तट, 'किनारा। ३ थाह। ४ ढेर, | थड-१ देखो 'भड्डौ' । २ देखो ‘थडौ । समूह । थडउ, थडियो, थडौ, थड, थड्डौ-पु० १ कधे आदि से दिया गया थगणा-स्त्री० [सं० स्थगणा] पृथ्वी, भूमि । धक्का, टक्कर, आघात । २ देखो 'थड़ो' । थगवगणौ (बौ)-क्रि० लड़खड़ाना, डगमगाना। थढकणौ (बौ) थढकरणौ (बौ) थढणौ (बी)-क्रि० १ संहार थड़-देखो 'थड़ों'। करना, मारना । २ गिराना, पटकना । ३ धक्का देना । थड़क्क-स्त्री० धड़कन, कंपन, थर्राहट । थण, थरणचौ--पु० [सं० स्तन] १ स्त्री या मादा पशुणों के कुच, थड़क्कणौ (बौ)-कि० धड़कना, कांपना, थर्राना। दूध वाले अग, स्तन । २ पुरुषों के वक्षस्थल के स्तन थडगो (बौ)-क्रि० १ भीड़ होना, समूह बनना। २ धक्का चिह्न। ३ स्तनों का दूध । -अंतर-पु० हृदय । मुक्की होना । ३ पचना, खपना । ४ देखो 'थुड़णी' (बौ) । -कढ़-पु० ताजा दूध, धारोष्ण । थड़बड़-स्त्री० लड़खडाने की क्रिया या भाव । थिरणय-वि० [सं० स्तनीय, स्तन्य स्तन का, स्तन संबंधी । -पु० थड़ियो-देखो 'थड़ो'। स्तन का दूध । --सह-पु० अत्यधिक रति सुख से थड़ी-स्त्री० १ छोटे बच्चे के खड़े होने की अवस्था । २ अनाज | उत्पन्न शब्द । का छोटा ढेर । ३ पंचायत भवन (मेवात) थरणी-स्त्री० १ बकरी के गले में स्तन की तरह लटकने वाला थड़ी-पु० [सं० स्थल] १ मृत व्यक्ति के दाह संस्कार के स्थान मांस । २ हाथियों के कान के पास तथा घोड़े के लिग के पास लटकने वाला मांस। ३ देखो 'थगणा'। पर बनाया हुअा भवन, स्मारक । २ बैठने की जगह -वि० स्तन वाली। बैठक । ३ दुकान की गादी, गद्दी । ४ दुकान का अग्र भाग। ४ ऊंट के चारजामे के साथ लगी गद्दी। थणलौ-देखो 'थरण'। थच्च-पु० किसो गाढ़े पदार्थ के गिरने से उत्पन्न ध्वनि। थरणौ (बौ)-देखो 'थावणी' (बौ) । घट-पु० [सं० स्थात] १ ढेर, राशि । २ समूह, दल । थत-पु० [सं० स्थिति] वैभव, ठाट । ३ देखो 'थाट'। | थताथेइ, (ई)-देखो 'ताताथेई' । For Private And Personal Use Only Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra थथीपणी www. kobatirth.org ( ६१६ ) यथोपण (बी) - क्रि० १ धं यं देना, धीरज बंधाना । सान्त्वना देना । २ हिम्मत बंधाना, श्राश्वस्त करना । योवाबाज पयोवेदाज वि० लाने वाला चकमा देने वाला थथोबो - पु० १ झूठा विश्वास, धोखा, झांसा | २ आश्वासन, सान्त्वना । थद्ध - वि० [सं० स्तब्ध] १ अहंकार युक्त, अहंकारी (जैन) । २ रोका हुआ । ३ श्राश्चर्यमय । थन- १ देखो 'थांन' । २ देखो 'थरण' । थपथप - देखो ' थापउथाप' । " पपकरण (ब)-१ देखी 'धपकारणी' (बी) २ देखो 'वाणी' (बौ quकारणौ (at) पकारसी (बी) चपकायो (बी) क्रि० (ब) (at)-fo १ थपकी देना, थपकी देकर सुलाना । २ पीठ ठोक कर उत्साह वर्धन करना, प्रेरित करना | ३ दिलासा देना, पुचकारना ४ सहलाना । ५ थपथपाना । थपकिया - पु० १ एक प्रकार की रोटी । २ मिट्टी के बर्तन वाला कुम्हार । थपकी स्त्री० थापी । देखो''। पपड़ी - क्रि० १ ताली बजाने की क्रिया, ताली, वापी ३ ताली का शब्द । ३ देखो 'थेपड़ी' । थपणौ - वि० १ स्थापन करने वाला, प्रतिष्ठित करने वाला । २ स्थापित होने वाला । ३ मुकर्रर करने वाला । - पु०पत्थर या लकड़ी का पिटाई करने का उपकरण । पप (ब) क्रि० १ स्थापित या प्रतिष्ठित होना २ निश्चित होना, तय होना । ३ स्थिर होकर रहना । ३ देखो 'थापण' (बी) ५ देखो 'पाप' (ब)। देखो 'पकियों' थपथपी - स्त्री० १ हल्की सी थपकी । २ देखो ' थापी' । थपेड़, थपेट-स्त्री० १ टक्कर, प्राघात, झपट २ थप्पड़, चांटा | ३ लपेट । ४ थपकी । पेट (बी) ० १ पकी देना था। २ टक्कर, प्राघात या चांटा लगाना । ३ पीटना, मारना ४ थप्पड़ लगाना | 1 भार । अनावश्यक व्यय । थपरिणय- देखो 'श्रापण' (णी ) । थप्पड़-स्त्री० १ हथेली का प्रहार चोट । तमाचा, झापट । २ बोट, नुकसान, हानि । ३ प्राघात, धक्का । ४ व्यय प्पणी (ब)-१ देखो 'थपणी' (बी) २ देवो'आपण' (दो) । थप्पलरखौ (बी) - देखो ' थापली' (बी) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरहरणी थप्पी-देखो 'थापी' । पोळी- पु० हिलोर, बहर, तरंग मणौ (at) - देखो 'थंभरणी' (वी) | धमारी (ब) धमावो (बी) देखो 'धंभारणी (बी) । यय-देखो 'थे'। rrit (at) - क्रि० १ होना । २ रहना । थर - पु० [सं० स्तर ] १ चुनाई का स्तर, परत, तह । २ ढेर, राशि । ३ ठंडा होने पर गर्म दूध या लोहे पर जमने वाली परत । ४ कांपने की क्रिया या भाव। [सं० स्थल ] " ५ शेर की मांद गुफा ६ स्थल, जगह । ७ देखो 'थिर' । थरक- स्त्री० १ भय, डर, शंका | २ कंपकंपी, थर्राहट । - वि० १ कंपायमान, कंपित २ देखो 'थिरक' | थरकरण (न) - स्त्री० १ दूध पर जमने वाली मलाई । २ द्रव पदार्थ पर जमने वाली परत । परकली (बी), परको (बी) त्रि० १ डरना भयाना शंका मानना । २ कांपना, थर्राना । ३ हिलना-डुलना, विचलित होना । ४ धीरे-धीरे चलना, खिसकना । ५ गिरना, पढ़ना ६ देखो 'विरकरणी (यो) । थकारण (ब), थरकावरणौ (बौ) - क्रि० १ गिराना, पटकना । २ ऊपर से नीचे डालना, ढकेलना । ३ डराना, धमकाना | ४ कंपाना । ५ हिलाना-डुलाना, विचलित करना । ६ खिसकाना । थरखौ (बौ) - देखो 'थरकणी' ( बौ) । चरा पु० [सं०] [स्] १ हृदय दिल २ । थरथरणी (बी) देखी 'धरा' (वी) | भरभराट, भरथराहट स्वी० कंपकंपी, वह बरवराखी (दो) - क्रि० कांपना, धना घबराना । For Private And Personal Use Only | अत्यधिक करना, थरथरी- देखो 'थरथराहट' । परपड़ स्त्री० लड़बड़ाहट । थरपणौ (बौ), थरप्पणी (बौ) - क्रि० १ रचना बनाना । २ स्थापित करना । ३ देखो 'थापणी' (बी) 1 थरमौ - पु० १ एक प्रकार का वस्त्र । २ अंगुठी के ऊपर नगीने का घेरा । थर 'ट- देखो 'थरथराट | थरसळरणौ (बी), थरसळणौ (बौ) - क्रि० १ कांपना, थर्राना । २ भयभीत होना, घबराना । परहर ( थरहरी) - स्त्री० १ भय के कारण होने वाली घबराहट, कंपकंपी । २ कंपन, धड़कन । (a), धरहराणी (बी) क्रि० १ भय से कांपना, घबराना । २ हिलना-डुलना । Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थरावणी ( ६१७ ) यांन थरावरणी (बी)-देखो 'थरथराणी' (बी)। थह, थहक-स्त्री० [सं० स्था] सिंह आदि की मांद, थरु, थरू-वि० [सं० स्थिर] १ अटल, स्थिर । २ अनादि, | घुरसाली । गुफा। सनातन । ३ चिर स्थायी। थहण-स्त्री० [सं० स्था] स्थान, जगह । थल-पु० [सं० स्थल] १ स्थान, जगह । २ पृथ्वी, भूमि, थहरणौ (बो)-क्रि० १ ठहरना, टिकना, रुकना । २ कांपना, जमीन । ३ धरातल । ४ वैभव, सम्पत्ति, धन, दौलत ।। थर्राना। ५ बालू रेत का टीबा। ६ मरु प्रदेश । ७ भवन, घर । यहाणी (बी), यहरावणी (बौ)-क्रि० १ ठहराना, टिकाना। ८ भाव । देखो 'थळी'। २ कांपना, थर्राना। थळकण-देखो 'थळगट' । थां-सर्व० पाप, तुम। थळकरणी (बो)-त्रि०१ स्थूल शरीर के मांस का हिलना । | थांअळो-देखो 'थाहरौ'। (स्त्री० थांपळी) २ तनाव या खिचाव न रहना, ढीला पड़ना, झोल खाना । थारण-देखो 'थांन'। ३ पिचकना । थारणगिद्धि-स्त्री० [सं० स्त्यानगृद्धि] छः मास तक का शयन । थळगट, थळगटी-स्त्री० [सं० स्थल-स्कंभ] द्वार की चौखट के थांणथप-देखो 'थांणाथप' । . नीचे वाली बाड़ी लकड़ी । थांणबंध-देखो 'थांणाबंध' । थळगांमी-वि० [सं० स्थलगामी] भूमि पर रहने व विचरण करने वाला । थांणाथप-वि० एक ही स्थान पर स्थाई रहने वाला । -पु० चलने फिरने में असमर्थ साधु (जैन)। थळचट-वि०१ पराया माल खाने वाला, चटोरा । २द्वार-द्वार थांणादार-देखो 'थांणेदार'। भीख मांगने वाला। थळचर थळचारी-पु०[सं० स्थल-चर] पृथ्वी पर रहने वाला जीव । यांणादारी-देखो 'थाणेदारी' । थाणाबंध-पु० [सं० स्थानबंध] डिंगल का एक गीत या छंद । थळथळणौ (बी), यळथळारणौ (बौ)-क्रि० स्थूल शरीर के मांस का हिलना-डुलना । थाणायत-पु० १ चौकीदार । २ पुलिस या सेना का एक कर्मचारी । ३ देखो 'थांगत'। ४ देखो 'थांणाथप'। थळपति-पु० [सं० स्थल-पति] १ राजा, नृपति । २ भू-स्वामी। थळभारी-पु० कहारों का एक संकेत । थांणु (ए)-पु० [सं० स्थाणु] १ शिव, महादेव । २ सूखा वृक्ष । थळयर-देखो 'थळ चर'। ३ देखो 'थांणी'। थळवट, (वटी, वट्ट, वट्टी)-देखो 'थळी' । थांगेत, थाणत-पु० १ किसी स्थान का अधिपति । २ चौकी थळाथूरणी-स्त्री० मुठभेड़, युद्ध, टक्कर । या अड्डे का मालिक । ३ पुलिस थाने का प्रभारी । थळि-देखो 'थळी'। ४ चुगी वसूल करने वाला अधिकारी। ५ किसी स्थान का देवता। यळियामारू-पु. एक लोक गीत विशेष । थाळपो-पु० मरु प्रदेश या रेगिस्तान का निवामी । -वि० । यांगदार, थांणदार-पु० [सं० स्थान + फा० दार] १ पुलिस मरुस्थल या रेगिस्तान संबंधी। थाने का प्रभारी। २ जकात या चुंगी वसूल करने वाला थळी-स्त्री० [सं० स्थल] १ मरुस्थल, रेगिस्तान । २ रेगिस्तानी अधिकारी। इलाका । ३ देखो 'थळगट' । थाणेदारी, थांणदारी-स्त्री० थानेदार का पद या कार्य। थळू-देखो 'थळ' । थांणी-पु० [सं० स्थान] १ आस-पास के क्षेत्र की सुरक्षार्थ थळेचौ-देखो 'थकियौ'। स्थापित सैनिक चौकी। २ पुलिस विभाग का एक उप थळेरी-देखो 'थळगट'। खण्ड । पुलिस स्टेशन । ३ टिकने या ठहरने का स्थान । थळेस्वरी-स्त्री० [सं० स्थल-ईश्वरी] देवी, शक्ति, दुर्गा । ४ स्थान, जगह । ५ समूह । ६ वृक्ष या पौधे के चारों पोर थवक्क, थवक्को-पु० [सं० स्तबक] समूह । बनाया हुया घेरा। थाला, थांवला। ७ एक प्रकार का थवणी-स्त्री० [सं० स्तवनिका] सुस्मृति, स्मृति-चिह्न। सरकारी लगान। -सर्व० (स्त्री थांगी) अापका, तुम्हारा। थवरणौ (बौ)-क्रि० होना। हो जाना। यांन-पु० [सं० स्थान] १ कोई देव-स्थान या चबूतरा । थविर-वि० [सं० स्थविर] १ वृद्ध, बुड्ढा । २ स्थिर व २ स्थान, जगह, ठिकाना। २ एक निश्चित लंबाई का परिपक्व बुद्धि वाला । ३ अनुभवी। ४ स्थविर कल्पी कपडे का बड़ा टुकड़ा या भाग। ४ देखो 'थरण' । साधु (जैन) । -अनाद-पु. देवालय । For Private And Personal Use Only Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यौनक थाटरणो यांनक-पु० [सं० स्थानक] १ श्वेताम्बर जैन साधुओं का १० रुकना, बंद होना। ११ मन्त्र मुग्ध होना, मोहित होना। उपाश्रम । २ देखो 'थांन' । -वासी-पु० श्वेताम्बर | थाकल-वि० १ थका हुअा, श्रान्त, क्लान्त । २ शिथिल, धीमा, जैन साधु। मंद । ३ अशक्त, कमजोर । ४ दुर्बल, कृश । ५ निर्धन, थांनकबळ-पु० [सं० स्थान-बलि] पाताल । कंगाल । यांन-वंदावणी-पु० विवाह के लिये प्रस्थान करते समय दूल्हे को थाकी-देखो 'थकी'। मां का स्तन पान कराने की रस्म । थाकेलौ-पु०१ थकान, थकावट । २ दुर्बलता, कृशता । ३ हैरानी। थांनिक-स्त्री० १ राजधानी। २ देखो 'थांनक' । ४ सुस्ती, उदासी। ५ हरारत । थांपरण, थांपणि (णी)- देखो 'थापरण'। थाकोड़ो, थाको-वि० [सं० स्थकित] (स्त्री० थाकोड़ी) १ थका थांब थांबड़-देखो 'थंबी'। हुअा, श्रान्त, क्लान्त । २ शिथिल, मंद, धीमा । ३ अशक्त, थांबणो (बो)-देखो 'याभरणी' (बौ)। कमजोर । ४ दुर्बल, कृश । ५ निर्धन, कंगाल । थांबली, थांबलो, थांबियो, थांबो-देखो 'थंबौ' । थाग-स्त्री० [सं० ष्ठा] १ गहराई, थाह । २ गहराई का अन्त, थांभ-१ देखो 'थंब'। २ देखो 'तोरगाथाभ' । नीचला तल । ३ गहराई का नाप, अंदाज । ४ पार, अंत, थांभउ-देखो 'थंबी। परिमिति । ५ सीमा, हद । ६ पता, इल्म । ७ रोक, थांभणी (बौ)-कि० १ रोकना, ठहराना । २ पकड़ना, पकड़ | सहारा । ८ गूढार्थ की जानकारी । ९ गंभीरता। १० नदी रखना, संभाले रहना। ३ जारी न रखना, बंद कर देना । पानी के कटाव के खड्डे । ११ फूलों के हार के बीच में ४ धैर्य रखना। ५ कोई कार्य अपने नियंत्रण में रखना। लगाये गये विभिन्न रंगीन फूल । १२ गणना । थांभलियौ-देखो 'थंबो' । थागड़, थागड़ी-वि०१ निडर, निर्भीक । २ थाह लेने वाला । थांभली, थांभली-देखो 'थंबी'। थागणी (बी)-क्रि० १ गहराई की जांच करना । २ थाह लेना, थांभायत-पु० वंश या कुल की शाखा या उपशाखा का प्रमुख तल तक पहुंचना । ३ अंदाज करना, अनुमान करना । पूरुष । ४ गंभीरता को समझना । थांभियो--देखो 'थंवो'। थागत-स्त्री० थाह। थांभीड़, थांभु, थांभी-पु० [सं० स्तम्भ] १ वंश या कुल की | थागिड़दा-पु० ढोल का बोल । ___ शाखा या उपशाखा । २ देखो 'थंबी'। थागियळ-पु० समुद्र, सागर । थांम-१ देखो 'थंबी' । २ देखो 'तोरणथांभ' । थागौ-वि० १ कम गहरा, उथला । २ देखो 'थाग' । थांमणी (बी), चांम्हणौ (बौ)-देखो 'थांभणी' (बी)। थाघ-देखो 'थाग'। थारउ, थां'रो, थाळी-देखो 'थाहरौ'। थाघौ-१ देखो 'थाग' । २ देखो 'थागो'। थांवळी-देखो 'थांणो'। थाट-पु० [सं० स्थात] १ समूह, दल । २ सेना, फौज । ३ सैन्य थाहरौ-सर्व० (स्त्री० थाहरी) प्रापका, तुम्हारा, । दल । ४ साज-सामान, सामग्री। ५ संपत्ति, वैभव, ऐश्वर्य । था-स्त्री० १ गंगा । २ पृथ्वी, भूमि । ३ धुति । ४ मृदंग ।। ६ आनन्द, प्रलन्नता, हर्ष । ७ मनोरथ, मनोकामना । - सर्व० तुझ, तुम । -वि० 'है' का भूत कालिक रूप । ८ बाहुलता, प्रचुरता । ९ चादर, पतरा, परत । १० किसी --प्रत्य० करण और अपादान कारक चिह्न, तृतीया और राग का स्वर समूह । ११ हाथी, गज । १२ देखो 'ठाट' । पंचमी विभक्ति का चिह्न, से। -थंभ-पु. योद्धा विशेष जिस पर सेना का दारोमदार थाक-स्त्री० १ थकावट । २ देखो 'थाग' । हो । अकेला फौज रोकने वाला वीर । --नाथ, पति, पतीथाकउ, थाकड़ो-देखो 'थाको' । पु० सेनापति । थाकरणौ-वि० (स्त्री० थाकणी) जल्दी थक जाने वाला, थाटणी-वि० (स्त्री० थाटणी) १ शोभा बढ़ाने वाला, वैभव जल्दी शिथिल होने वाला । -पु. १ विश्राम, ठहराव । बढ़ाने वाला । २ प्राप्त कराने वाला। ३ सजाने वाला। २ थकावट । ४ तय करने वाला, निश्चित करने वाला। थाकणी (बौ)-क्रि० १ चलते या श्रम करते-करते थकना, थक | थाटणौ(बी)-क्रि० १ शोभित करना । २ सुसज्जित होना। जाना । २ शिथिल पड़ना, जोश ठंडा होना । ३ श्रान्त होना, ३ तैयार करना, तैयार रखना । ४ एकत्र करना, संग्रह क्लान्त होना । ४ अशक्त होना, शक्तिहीन होना । ५ दुर्बल करना । ५ प्रगट करना, उत्पन्न करना । ६ धारण करना। होना, कृश होना। ६ निर्धन होना । ७ कम पड़ना, घटना। ७ स्थापित करना । ८ तय करना, निश्चित करना। ७ हैरान होना, ऊबना । ९ मंद पड़ना, धीमा पड़ना।। ९ प्राप्त कराना। पा For Private And Personal Use Only Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org चाट-पाट पाळकियो थाट-पाट, थाट-बाट-पु०१ वैभव, ऐश्वर्य । २ सजावट, शोभा। परिकल्पना । (जैन) ६ आकार चित्र, मूर्ति । ७ स्थापन, ३ शृंगार। ४ तड़क-भड़क । ५ प्राडम्बर । ६ शान शौकत । न्यास । ८ अनुज्ञा, सम्मति । ९ जैन साधु को भिक्षार्थ थाट-पाटौ-वि० १ हृष्ट-पुष्ट । २ सम्पन्न, वैभवशाली। रखी हुई वस्तु व इस वस्तु के रखने से होने वाला दोष । थाटव-पु. कवि । -वि० ठाट-बाट से रहने वाला। -करम-पु० स्थापना कर्म । (जैन) । -चारज-पु० थाटवी-पु० युवराज का छोटा भाई। स्थापनाचार्य (जैन)। -चारिज-पु० प्राचार्य संबंधी वस्तु थाटि-देखो 'थाट'। (जैन)। -पुरस-पु० स्थापित की हुई मूर्ति, आकृति, थाटियो-पु० गाड़ी में गाड़ीवान के बैठने का स्थान ।। चित्र । --सच, सच्च, सत्य, साच-पु. कल्पित वस्तु को अधारिया, मोढ़ा। सत्य मानने की अवस्था । थाटेसरी-पु० संन्यासियों का एक भेद । थापल-देखो 'थापी' । थाटो-पु० १ गाड़ी की छत, थाटा। २ खाद या धूल भरी थापलणी (बो)-क्रि० १ पीठ थपथपाना । २ थपकी देना । गाड़ी। ३ एक गाड़ी खाद या धूल की मात्रा। ४ वक्ष- | ३ उत्साहित करना। स्थल । -वि० ठहरा हुमा, स्थिर । थापिरिण, (णी)-देखो 'थापण' । थाडौ-देखो 'ठाडौ' । (स्त्री० थाडी) थापोटणी (बो)-देखो 'थापलणौ' (बौ)। थान-पु० १ सहारा, रोक । २ स्तंभ । ३ सर्दी, शीतलता। यापी-पु० १ रंगादि पोत कर चिह्न अंकित करने का सांचा । थाढ़ौ-पु. [सं० स्थातृ] (स्त्री०थाठी) १ सहारा, आश्रय । २ र गादि से प्रकित किया जाने वाला हथेली का चिह्न। २ रुकावट । -वि० १ खड़ा, सीधा । २ देखो 'ठाडो' । ३ किसी वस्तु को ढालने का सांचा । ४ खलिहान में अनाज थाणी (बी)-देखो 'थावणी' (बी)। के ढेर पर गीली मिट्टी या गोबर का किया जाने वाला थात-पु० पैर का तलुवा, पाद-तल । -वि० [सं० स्थात] बैठा चिह्न । ५ ढेर राशि । ६ खलिहान में साफ अनाज का हुघा, ठहरा हुआ, स्थित । ढेर । ७ झड़बेरी के पत्तों का ढेर । ८ रहट के चक्र में थाप-स्त्री० १ हस्त-तल, थप्पड़, तमाचा । ३ हस्त-तल का लगाई जाने वाली लकड़ी। ९ विवाह के समय देवी, प्राघात । ३ तबले आदि पर हाथ का प्राघात । ४ विचार देवताओं के लिए निश्चित किया हुअा स्थान । १० दोनों मंत्रणा । ५ कार्यक्रम, व्यवस्था । -वि० स्थापित करने बाहुमूलों के बीच का वक्षस्थल । ११ विवाह सम्पन्न होने वाला। -उथाप-पु० निर्णय फैसला। -वि० स्थापित पर सातु द्वारा दामाद को पीठ पर प्रकित किया जाने करने या उखाड़ने में समर्थ । वाला हाथ का चिह्न। १२ किसी वस्तु या किसी थापड़ी-१देखो 'थाप'। २ देखो 'थेपड़ी। स्थान पर जमने वाला मिट्टी का ढेर । १३ किसी वस्तु पर थापट-देखो 'थाप' । एकत्र होने वाला चींटी आदि जीवों का समूह ।। थापण (रिण)-स्त्री० [सं० स्थापन, स्थापनिका] १ स्थापित थाबीजणी (बो)-क्रि० अर्थ संकट पड़ना, अर्थाभाव से दुःखी करने की क्रिया या भाव । २ धरोहर, अमानत । होना। -वि० स्थापित करने वाला। थाबौ-पु० १ कष्ट, पीड़ा। २ निष्फल जाने की क्रिया या भाव । थापरणा-उथापणा-देखो 'थाप-उथाप' । थायरणों (बी)-देखो 'थावरणौ (बी)। थापणी-देखो 'थापण'। थायी-देखो 'स्थाई'। थापणौ (बौ)-क्रि० [सं० स्थापना] १ स्थापित करना, स्थापना थारउ-देखो 'थारो' । करना, बैठाना । २ जमाना । ३ प्रतिष्ठित करना। थारोड़ो-देखो 'थारो' । (स्त्री० थारोडी) ४ मुकर्रर करना, तय करना, निश्चित करना। ५ मानना। थारो-सर्व० (स्त्री० थारी) तेरा, तुम्हारा । प्रापका। ६ रखना । ७ एकत्र करना। ८ सौंपना । ९ प्रहार करना, | थाळ-पु० [सं० स्थालम्] १ किसी धातु की बनी बड़ी घाली, प्राघात करना। तश्तरी, छिछला गोल पात्र । २ परात। ३ झालर नामक थापन-देखो 'थापण'। वाद्य । थापना--स्त्री० [सं० स्थापन] १ किसी देव मूर्ति या देवताओं काल-पु०१ अपने गाल चाटने वाला धोड़ा। २ पाच बदलने के किसी चिह्न को किसी स्थान पर स्थापित करने की की क्रिया या भाव। ३ किमी भारी वस्तु को घुड़काने का क्रिया, स्थापना, प्रतिष्ठा । २ नवरात्रि में दुर्गा पूजा के लिए क्रिया या भाव । -वि० ठीक, उचित । घट-स्थापना । ३ नवरात्रि का प्रथम दिन । ४ अधिकार, थाळकड़ी, थाळकली-देखो 'थाळी' । कब्जा । ५ वास्तविक वस्तु के अभाव में कल्पित वस्तु की थाळकियो-पु० १ छोटी थाली। २ देखो 'थाळो' । For Private And Personal Use Only Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थाळकी थिरकरणो थाळको-देखो 'थाळी'। थाहरौ-सर्व० (स्त्री० थाहरी) तुम्हारा, तेरा । थालणौ (बी)-क्रि० १ पार्श्व पलटना। २ सीधा करना । | थि-स्त्री०१ यमुना । २ गोदावरी । ३ नींद, निद्रा । ४ बैल । ३ स्थापित करना, रखना। ४ भारी वस्तु को घुड़काना। थिकत-देखो ‘थकित' । ५ देखो 'ठालणों' (बी)। थिका, थिका-देखो 'थकां'। थाळि-देखो 'थाळी'। थिकु, थिको-देखो 'थको' । थाळियौ-पु० १ गाड़ी पर बना गाडीवान के बैठने का स्थान | थिग-स्त्री० [मं० स्थगित] १ढेर, समूह, राशि । २ नत्य का २ देखो ‘थाळी'। ३ देखो 'थाळ' । बोल । ३ लड़खड़ाहट । -क्रि०वि० पास, ढिग । थाळी-स्त्री० [सं० स्थानी] १ धातु का बना छिछला गोल- थिगरणी (बी)-क्रि०वि० [सं० स्थगितम्] १ लड़खड़ाना, पात्र, तश्तरी। २ बड़ी तश्तरी । ३ थालीनुमा वाद्य, डगमगाना । २ ठहरना, रुकना । ३ स्थिर होना । झालर । ४ घोड़ों के घेरे के बीच किया जाने वाला नत्य ।। थिगली-स्त्री० रुपये रखने की थैली । ५ पाटल वृक्ष । थिड़णी (बौ)-देखो 'गुड़गी' (बी)। थालीड-१ देखो 'थाळ' । २ देखो 'थाळी' । | यिड़ी-दखो 'थडी'। थाळी-पु० [सं० स्थल] १ मकान बनाने की खाली जमीन, थिडणी (बी)-देखो 'थुड़णो' (बी)। आवासीय भू-खण्ड । २ दृढ़ व सूखी भूमि, जमीन । | थिणो / बो)-देखो 'थावणी' (बी)। ३ नदी या समुद्र का तट । ४ स्थान, जगह । ५ खेत । थित-वि० [सं० स्थित] १ स्थित, कायम । २ ठहरा हुआ, खड़ा ६ सोने या चांदी की बनी देवमूर्ति । ७ देवमूर्ति युक्त गले | हुआ। ३ अटल, अचल, दृढ़ । ४ मौजूद, विद्यमान । का प्राभूषण विशेष । ८ गाड़ी की छत । ६ कूए के पास ५ स्थिर । ६ तैयार । ७ नित्य, हमेशा। ८ केन्द्रित । मवेशियों के पानी पीने का स्थान । १० वृक्ष या पौधे के -स्त्री० [सं० स्थिति] १ स्थिरता । २ धन, दौलत, लक्ष्मी। चारों पोर किया गया गड्ढा । ११ देखो 'थाळ' । ३ ठहराव, पड़ाव, डेरा । ४ देखो 'थिति' । थावणी-देखो 'थारणो'। । थिति-स्त्री० [सं० स्थिति] १ स्थिति, दशा, हालत, अवस्था । थावणी (बी)-कि० १ होना। २ रहना । ३ खड़ा होना। २ वैभव, ऐश्वर्य । ३ अस्तित्व। ४ क्षमता। ५ रहाव, ४ देखो 'ठावणो' (बौ)। मौजूदगी। ६ ग्रहण की अवधि। [सं० क्षिति] ७ पृथ्वी । थावर-वि० [सं० स्थावर] १ स्थिर, अचल । स्थावर । २ जड़, ८ गृह, निवास स्थान । ९ हानि । १० नाश, प्रलय । प्रक्रियाशील । ३ गति रहित, गतिहीन । ४ निर्जीव । | थितिभव-पु० स्थायी भाव । ५ अटल, अडिग । ६ मूर्ख, नासमझ । ७ पागल । ८ ढीठ, थितियो-वि० स्थिर, अटल, स्थाई-भूत । -क्रि०वि० निरन्तर, निर्लज्ज । ६ पुश्तैनी, पूर्वजों से मिला हुा । -पू०१ पर्वत, लगातार । स्थाई रूप से। हमेशा । पहाड़ । २ कोई निर्जीव वस्तु । ३ धनुष की डोरी, कमान। थिती-देखो 'थिति' । ४ शनिवार । ५ शनि ग्रह । ६ बपौती का माल, जायदाद । थिमिय-वि० [सं० स्तमित ] १ भय रहित, निर्भय । २ स्थिर । थावरियो-पु० १ शनिदेव की पूजा करने वाला ब्राह्मण। -पु० अंतगड सूत्र के प्रथम वर्ग के पांचवें अध्ययन २ शनिदेव के पूजन का दान लेने वाला ब्राह्मण । का नाम । थावस-पु० [सं० थ्येयस] १ धैर्य, विश्वास । संतोष । २ ठहराव, थियणौ (बौ)-देखो 'थवरणो' (बो)। स्थिरता । ३ देखो 'थावर'। थिर-स्त्री० [सं० स्थरा, स्थिर] १ पृथ्वी। २.४९ क्षेत्रथावी-वि० स्थिर, दृढ़। पालों में से ३३ वां क्षेत्रपाल। ३ ज्योतिष में वृष, सिंह, थाह-देखो 'थाग' । वृश्चिक व कुभ राशियां। ४ ज्योतिष में एक योग । थाहणी-वि० [सं० ष्ठा] १ थाह लेने वाला। २ रोकने वाला। ५ वृक्ष, पेड़ । ६ जीव को स्थिर अवयव प्राप्त कराने वाला थाहर-पु० [सं० ष्ठा] १ सिंह की मांद, गुफा, कंदरा । २ स्थान, कर्म । -वि० १ ठहरा हुआ, रुका हुआ, स्थिर । २ स्थाई । जगह । ३ रिक्त स्थान । ४ नगर, शहर । ५ गढ़, किला । ३ चिर स्थाई। ४ अचल, निश्चल । ५ शांत । ६ रढ़, ६ भवन, मकान । -वि० १ कम गहरा, छिछला। अटल । ७ मजबूत, दृढ़ । ८ मुकर्रर, नियत । ९ सदा बना २ योद्धा। रहने वाला । १० निश्चित, निर्धारित । ११ सख्त, ठोस । थाहरणौ (बी)-क्रि० [सं० ष्ठात्] १ थोड़ा रुकना, ठहरना। १२ दृढ़ प्रतिज्ञ । २ खिसकना। ३ गिरना पड़ना। ४ स्थिर होना। थिरक-स्त्री० १ चंचल गति, नृत्य की गति । २ चमक । थाहर-सर्व० तेरे, तुम्हारे । | थिरकणी (बौ)-त्रि० १ नृत्य में पैरों का गतिमान होना। For Private And Personal Use Only Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra थिरकस २ नाचना, अंग मटकाना ३ देखो 'थरकणी' (बी) । ० चित्त वृतियों के निरोध का चिन्तन, वित्त की रिक्षा चिरलाई स्त्री० [सं०] स्थिरता] २ स्थायित्व | ३ स्थिर रहने निश्चलता ४ मजबूती । - वि० स्थिर, सटल | एकाग्रता । २ परब्रहा । विरवर १० [सं० स्थिरावर ] भूमि पर करने वाले (बी) प्राणी, स्थल वर । www. kobatirth.org थिरथाप, थिरथोप - वि० अटल, दृढ़, स्थिर थिरपणी (बी) १ देखो 'पाणी' (बी) । चिरमी ५० उत्तम श्रेणी का एक वस्त्र 1 विरयंत विरक्तौ वि० [सं०] स्थिरयत] स्थिर ल थिरा - स्त्री० [सं०] स्थिरा] पृथ्वी, वसुधा । थिरी-देखो 'थड़ी' | ( ६२१ / १. धीरज शांति की अवस्था, ठहराव, दृढ़ता 1 ५ प्रचंचलता । श्रीवळि (ळी) - देखो 'त्रिवळ' | ० नृत्य का एक बोन 1 थिर (क) वि० [सं०] स्थिर] स्थिर, घटन थिवर-देखो 'थविर' । थी स्त्री० १ निद्रा । २ रेवा नदी । ३ स्त्री, भोरत । -पु० ४ समुद्र, सागर । ५ घाव । प्रत्य० तृतीया या पंचमी विभक्ति का चिह्न से अव्य० है' का भूतकालिक स्त्री रूप | बी० [सं० स्थास्तु १ जमा या उसा हुधा (पी) २ गाढा । ३ । थीतंकर-देखो 'तीर्थंकर' । श्रीमड़ी पु० बछड़े के मुंह पर बांधने की लगी चमड़े की पट्टी थीवर - देखो 'थविर' । 1 थुडणी (बी) - क्रि० [सं० थुड्] १ ग्राच्छादित होना, छाना, फैलना । २ देखो 'थुड़णो' (बी) । । २ देको 'बरपणी' (दो)। बुषणों (यो) - क्रि० [सं० ष्टुम] १ स्तुति करना, प्रशंसा करना । विशेष मानना गुणगाना स्मरण करना, याद २ करना । डी पी० स्त्रियों के सिर का आभूषण विशेष थुभ, धुंभी- पु० [सं० स्तूप] १ स्तूप । २ देखो 'थ्रु'भी' । शु- पु० १ विष्णु । २ त्याग । ३ झूठ । स्त्री० ४ कोयल | वि० १ मैला, कुचला ५ श्रविद्या मूर्खता । ६ जूठन २ जूठा, उच्छिष्ट । थुइ, थुई स्त्री० १ ऊंट के पीठ पर उभरा हुआ भाग । २ बैल या सांड के अगले पैरों के ऊपर का उभरा भाग, डिल्ला. कोहान पुष्टता ४ धागे निकला या पेट, तोंद [सं०] [स्तु ] ५ स्तुति, प्रशंसा । थुप्रो देखो 'यू' । थुकरणी (at) - देखो 'थूकरणी' (बी) । थुकाई - स्त्री० थूकने की क्रिया या भाव। थुकारगी, (बी), थुकावरणी (बौ) - क्रि० [सं० धुत्करण] १ थूकने के लिये प्रेरित करना, थुकवाना २ उगलवाना । छुड़ -५० १ सूक्ष का बना । २ वृक्ष मु. नासमझ । लड़ना मिना टक्कर से २ २ किसी कार्य में क्षमता से अधिक श्रम करना, जोर लगाना । • गुत्थमगुत्था होना । ५ डगमगाना, लड़खड़ाना । थुड़ि देखो 'थुड़' । थुडि - पु० एक प्रकार का व्यंजन | कारणों (बी) देखो 'बुचकारणी' (बी) | धुतकारियो, पुतकारी-देखो 'युपकारी' युतकी, थुतको देखो 'थुथको' । - थुमहारी (चौ) ० [सं० युत्करणम्) १ दोष रष्टि से ] बचाने के लिये मुंह से थू-थू करना, टोना करना । २ सराहना, नजर लगने योग्य बताना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुबकारी चुपकारी, बुथको बुथको पु० [सं० टकार ] १ दोष दृष्टि बचाने के लिये मुंह से थू-थू करने की क्रिया । २ मुंह से चूकने की किया। वर-देखो 'पर'। लील्ली-देखो 'मी' rant (at) - देखो 'थावणी' ( वौ ) । थुवौ थुहौ-देगो 'थुप्रो' । थू -- देखो 'तू' । बड़ो थुरन स्त्री० [सं० स्फुरणम् ] १ फड़कन, स्फुरण । २ हिलने की क्रिया या भाव | रमो-देखो 'चिरमी' । 7 क- देखो 'थूक' । 'बड़ी-देखो 'ई' | | थू बड़ौ-देखो 'थ'बो' । g art (बी) - देखो 'करणी' (बी) । कम ड-पु० धक्का-मुक्की, फसाफस्सी । धींगा मस्ती | धुंड, पंडर स्त्री० थूथन । श्रृंगी - स्त्री० [सं०] स्थूणा ] १ बिल्ली, खंभ । २ घास-फूस की छाजन खपरैल । ३ मथदंड का फंदा अटकाने की गड़ी हुई लकड़ी की देखो 'वकारों' थी - स्त्री० छोटे कानों वाली बकरी । 'ब-देखो 'बी' For Private And Personal Use Only Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra भूली बली, बी-देखो 'चुई। घूँ बौ-पु० १ टीबा, भीडा । २ देखो 'हुई' । - १ देखो 'थुई' । २ देखो "थूबो' । ३ देखो 'थुंभ' | मड़ी- देखो 'थुई' | भली-१ देखो 'ई' । २ देखो 'थोबली' । मी- देखो 'ई' | 'मो-देखो 'बी' २ देखो 'ई'। www.kobatirth.org । ६२२ ) थु-स्त्री० १ दासी । २ पगड़ी । ३ पराशर । ४ दास । ५ देखो "तू" अव्य० १ घूमने का शब्द २ भर्त्सना सूचक । ध्वनि । । थूणी - देखो ''गी' | भूवउ-देखो''। थूड- पु० [सं० तुंड] १ सूअर का थूथन । २ भुजा का आभू षरण, भुजबंध | ई - देखो 'ई' | बूझो ० १ माभूषण, जेवर २ सम्पत्ति, जायदाद ३ ककुद बेईपास देखो 'पद्मावत' । । डिल्ला । बेगड़ पु० सहारा। घर - वि० [सं०] स्थूल] १ मोठा बड़ा २ हृष्ट-पुष्ट राक्षस, असुर ४ देखो 'थो'र'। थूरणी (बौ) - क्रि० [सं० थुर्वणम् ] १ नाश करना, सर्वनाश करना । २ संहार करना, मारना । ३ ध्वस्त या तहस-नहस करना । थूली - स्त्री० १ गेहूं का दलिया । २ इस दलिये का पकाया हुआ खाद्य पदार्थ । देखो''। चूही देखो 'ई'। थूहो-देखो 'श्री' | " । पु० [सं०] १ देश सेमा, तंबू २ समूह ३ प्रसुर राक्षस ४ साधारणतया इन्द्रियों द्वारा प्रश करने योग्य पदार्थ । गोचर पदार्थ । ५ अन्नमय कोष । ६ पर्वत शिखर । ७ ईख ८ विष्णु। वि० १ जो यथेष्ट स्पष्ट हो । २ नष्ट होने वाला नाशवान । ३ मूर्ख, जड़ । ४ दृढ़, मजबूत । ५ मोटा, स्थूल सूक्ष्म का विपर्याय। ६ मोटा, पीन । 1७ विस्तृत अधिक ८ गाढ़ा मोटा । ९ सुस्त । १० असत्य झूठ । ११ रिक्त, खाली । स० [सं०] स्थूलनासिका ] सुधर कर , Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सर्व० १ धाप, तुम २ देखो 'थे' ३ देखो '' थे- पु० १ ताल । २ संबोधन । ३ निवास । ४ देखो 'थें' । ५ देखो 'थे' । चूक पु० [सं० प्रकृतम्]] १ मुंह से निकलने वाला गाड़ा, बेगड़ो पु० १ कटि मेखला या हार में लगाया जाने वाल लसीला पानी, नार २ बलगम, संखार, ष्ठीवन चपटा फूल या चौकी । २ देखो 'थाग' । कणी (बी)- कि० [सं० [रकरणम्] १ मुंह से गाढ़ा लसोला पानी गिराना, चूकना २ बलगम निकालने के लिये खांस कर थूकना । बेगल, बेथली, बेगली स्त्री० फटे वस्त्र पर लगाई जाने वाली कारी, पैबंद । वेगा- पु० एक प्राचीन राजवंश थेगो - पु० सहारा, आश्रय । थेध-पु० १ एक पर एक चुनने की क्रिया, तह, परत २ सहारा आश्रय । थेघल, वेधली- देखो 'थेगल' । पेड़, बेब, ई-०१ ताल के बोल २ छोटे बच्चे के नृत्य व । खड़े होने की क्रिया या अवस्था । बेकार - go कत्थक नृत्य के बोलों का आधार । । थेच- । धूथरा, धूपणी पु० [सं० ४] १ सुधर यादि का लंबा मुंह देखो 'बेची' । तुण्ड न २ हाथियों का एक रोग वि० [सं०] तुभ्यम] १ तुच्छ २ मूर्ख नासमझ ३ छोटे कानों वाला - पु० छोटे कानों वाला बकरा । म- देखो 'शुभ' | पंपड़ी थेचाकूटौ वि० मार खाने का प्रादी, पिटने का प्रादी, ढीठ । -पु० १ कुम्भकार का ब्रौजार विशेष २ परेशानी का कार्य । थेची - पु० १ भैंस का एक बार किया गोवर २ किसी पदार्थ का लोंदा । ३ ढेर | थेट - वि० १ निरा, निपट २ बिल्कुल, एकदम | ३ ममस्त, सब । ४ शुद्ध । ५ वास्तविक, सही । ६ देखो 'डेट' | थेट-लग क्रि० वि० १ अन्त तक । २ परंपरा से, सदा से । टू-क्रि० वि० १ प्रारंभ से, परंपरा से धनादिकाल से २ हमेशा से नित्य से वि० हमेशा निश्व पण बो० [सं० तेस्तीरणम् १ वा - क्रि० ] बाढ़े आधार पर छितराना, थोपना लेपन करना । । पदार्थ को किसी २ मल्हम प्रादि का थेपड़-१ देखो 'थेपड़ी' । २ देखो 'थेपड़ी' । थेपड़की-देखो 'थेपड़ी' । For Private And Personal Use Only थेपड़ियो देखो 'वेपड़ी। पड़ी स्त्री० ईंधन के लिये गोबर को थोप कर बनाई हुई मोल टिकिया, उपला । Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org पड़ो योरणी थेपड़ो-पु. १ छाजन के लिये मिट्टी का बनाया गया चौड़ा | थोड़उ-देखो 'थोड़ी'। ___खपड़ा, खपरैल । २ देखो 'थेपड़ी'। थोड़-थाड़-वि० किचित, कुछ-कुछ । थेबौ-पु०१ गाढे व गीले पदार्थ का लोंदा। २ सहारा । २ दीवार थोड़लौ, थोड़रौ, थोड़ी-वि० [सं० स्तोक] (स्त्री० थोड़ी) के बड़े पत्थर के सहारे के लिये लगाया गया छोटा पत्थर।। १ अल्प, न्यून, कम । २ किंचित, तनिक । ३ अपेक्षित ४ देखो 'थोबी'। से कम। थेर-देखो 'थविर'। योटंक-वि० कर विशेष । थेरू-देखो "थिर'। थोड, थोडउ--पु० [सं० तुड] १ बैलगाड़ी का सब से प्रागे का थेलकी, थेलियो, थेली, थेलीड़-देखो 'थैली'। भाग, जो जमीन पर नीचे झुका रहता है । २ देखो 'थोड़ी। थेलौ-देखो 'थलो'। थोडललं, थोडलउ, थोड़लो-देखो 'थोड़ो' । थेवर-देखो 'थविर'। थोडिउ-देखो 'थोड़ो'। थेवी-पु० १ सहारा, मदद । २ देखो 'थूनो' । थोडी-स्त्री० [सं० तुण्ड] १ सर्प का मुह, फण । २ दाढी। थेह-देखो 'यह'। थोडेरु, थोडेरू, थोडेरौ-वि० [सं० स्तोक अपेक्षाकृत कम, थोड़ा। थें थे-पु० १ ताल । २ देवता । ३ विरुद कीर्ति । ४ कील । | थोती-स्त्री० थूथन । -वि० पोपली । खोखली। -वि० १ पूर्ण । २ ऊर्ध्व । -सर्व० श्राप, तुम । -प्रत्य० । थोथ-स्त्री० १ खोखलापन, पोपलापन । २ शून्य स्थान, खाली तृतीया व पंचमी विभक्ति, से । जगह, बीच में रही खाली जगह। ३ निर्जन भूमि । थई-स्त्री० [सं० स्थिति] १ बारूद रखने की चमड़े की एक | ४ व्यर्थता। थेली विशेष । २ देखो 'थेई। थोथरी, थोथो-वि० (स्त्री० थोथरी, थोथो) १ वाचला, थैलकी-देखो 'थैली'। पोपला। २ खाली, रिक्त, जिसके बीच में पोल हो। थैलियौ-देखो 'थैलौ'। ३ निर्धन, कंगाल । ४ अनुपजाऊ। ५ सारहीन, निकम्मा, थैली-स्त्री० [सं० स्थल] १ कपड़े, टाट प्रादि को तीन तरफ | बेकार । ६ व्यर्थ, फिजूल । ७ मूर्ख, नासमझ । से सी कर, सामान डालने के लिये बनाया गया उपकरण। | थोपरणौ (बी)-क्रि० [सं० स्थापन] १ जमाकर रखना। २ रुपये डालने का कपड़े आदि का उपकरण । ३ कागज २ आरोपित करना, मथना, लगाना। ३ कोई कार्य किसी पादि का लिफाफा। पर डालना। ४ गीला व गाढ़ा पदार्थ किमी पर लगाकर थलीड़, थलौ-पु० [सं० स्थल] १ कपड़े आदि की बड़ी छितरा देना । थैली, थैला, बोरा । २ रुपये डालने का थैलीनुमा पात्र । थोब-देखो 'थोभ' । ३ पायजामे का घुटने से जंघा तक का भाग। ४ मकान के थोबड़-देखो 'थोबड़ौ। दरवाजों के ऊपरी हिस्से पर लगाये जाने वाले चोड़े पत्थर थोबड़ियो, थोबड़ी-पू० [फा० तोबर मह, शकत, मूरत । के नीचे का पत्थर। थोबरणी (बी)-देखो 'थोपरणौ' (बी)। थह-देखो 'थह। । थोबली-स्त्री० लकड़ी का स्तंभ, चांड । थो-पू० १ तरु, वृक्ष । २ मन । ३ पुत्र । ४ नसिह । ५ चालाक । थोबौ-पु०१ गाय के स्तनों में बछड़े द्वारा मुह. गे दिया जाने थोक, थोकड़ो-पु० [सं० स्तोमक] १ अानन्द, खुशी । २ वैभव ऐश्वर्य । ३ मान, प्रतिष्ठा, इज्जत । ४ पदार्थ, चीज। ३ स्तम्भ, खंबा। ५ घटना, बात। ६ व्यंग्य, ताना । ७ तरह, प्रकार, भांति । थोभ-प० [सं० स्तम्भ] १ स्तंभ, खंबा। २ कावट, गेकः । ८ इकट्ठी वस्तु, कुल । ६ खुदरा या फुटकर का विपयार्य, ___३ सीमा, हद । समह व्यापार । १० व्यापारिक वस्तु का ढेर, राशि, थोभरणी (बी)-क्रि० [सं० म्तम्भ] १ रोकना, रुकावट डालना । समह । ११ झण्ड, मण्डली, यूथ । १२ अटाला, ढेर। गिरती वस्त को संभालना मटारा देना। 3 4 १३ तना। लहराना । ४ सहारा देना । ५ डटना, अडना, ठहरना । थोकायती-पु० १ झुण्ड या दल का नायक । २ थोक व्यापारी। थोर-श्री० जड़ से उत्पन्न एक गुल्म जिसके तना न होकर थोगणी-वि० (स्त्री० थोगणी) थाह लेने वाला। इंठल होते हैं और डंठलों के कांटे व छोटो-छोटी पत्तियां थोगरणी (बो)-कि० थाह लेना। लगती हैं. थूहर । थोगौ-पु० १ सहारा । २ सहारे के लिये लगाया गया उपकरण, थोरणौ (बौ)-क्रि० १ अाग्रह, अनुरोध करना । २ गरज करना, वस्तु । ३ ग्राश्रय, प्रवलंबन । मनुहार करना, मनाना । ३ देखो 'धरणी' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थोरियो । ६२४ ) दंडलक्षण थोरियौ-पु० थूहर का फल । पोरी-पु० एक अनुसूचित जाति व इस जाति का व्यक्ति । थोरू-देखो 'थो'र'। थोरो-पु०१ अाग्रह, अनुरोध । २ गरज, मनुहार । थोल-देखो 'थोड़ो'। थोलो-पु० तलवार की मूठ का एक भाग । थोवा-वि• थोड़ा, कम । थोहर, थोहरि, थोहरी-१ देखो 'थो'र' । २ देखो 'थोरी' । यौ-पु०१ संग, साथ । २ गमन । ३ मन । ४ मोह, प्रेम । ५ अष्टसिद्धि । -वि० 'है' का भूतकालिक रूप । थोको-देखो 'थोक'। ध्यावस-देखो 'थावस'। म्यु, थ्यो-वि० [सं० स्था] १ स्थित । २ हुवा हुआ, ३ बना हुआ। द द-देवनागरी वर्णमाला का अठारहवां व्यंजन । भोगने वाले प्राणी या उनके स्थानों का समूह । (जैन) इं-पु.१ इन्द्र । २ युग। ३ अभिमान । ४ दण्ड । ५ दैत्य | दंडकळ-देखो 'दंडकळा' । की स्त्री। दंडकळस-पु० ध्वजदंड और कलस । दंग-वि० [फा०] १ हैरान, विस्मित, आश्चर्यान्वित । दंडकळा-स्त्री० [सं०] एक छन्द विशेष । २ किंकर्तव्य विमूढ़। -पु०१ भय, घबराहट । २ अग्नि- | वंडकार, (कारण, कारण्य, कारौ)-पु० [सं० दण्डकारण्य ] विंध्य कण, चिनगारी । ३ देखो 'दंगों'। पर्वत से गोदावरी तट तक फैला एक प्राचीन वन । दंगइ-वि० १ दंगा करने वाला, फिसादी। २ उपद्रवी, | दंडगौरी-स्त्री० [सं०] एक अप्सरा का नाम । आततायी । ३ उग्र, प्रचंड । दंडजात्रा-स्त्री० [सं० दंड यात्रा] १ सेना का प्रयाण, चढ़ाई । दंगरणी (बौ)-देखो 'दगणो' (बौ)। २ दिग्विजय के लिये किया जाने वाला प्रयाण । ३ वर दंगर-पु० शत्र, वैरी। यात्रा, बरात । दंगळ-पु० [फा० दंगल] १ पहलवानों की कुश्ती, मल्ल-युद्ध । | दंडण-पु० [सं०] दंड देने की क्रिया या भाव । २ युद्ध, लड़ाई। ३ अखाड़ा। ४ खेल, तमाशा। ५ समूह, | दंडणी-स्त्री० दण्ड देने वाली। जमात, मण्डली। दंडगो (बो)-देखो 'डंडणी' (बौ)। बंगौ-पु० [फा० दंगल] १ उपद्रव, दंगा, हुल्लड़ । २ झगड़ा। वंडताम्री-स्त्री० [सं०] तांबे की कटोरियों वाला जल तरंग ३ शोरगुल, हल्ला । ४ विद्रोह, बगावत । नामक वाद्य। रंठेख-वि० १ जबरदस्त, जोरदार । २ बड़ा, मोटा। दंडधर-पु० [सं०] १ यमराज । २ संन्यासी । ३ शासनकर्ता । दंड-पु. [सं० दण्ड] १ छोटी लकड़ी, डंडा । २ राजदण्ड, -वि० दण्डधारी । .. प्रात्तदण्ड, संन्यासियों का दण्ड । २ हाथी का दांत । दंडनायक, (नायिक)-पु० [सं०] १ दण्ड या सजा का निर्धारण ३ नाव की बल्ली। ४ मथानी। ५ अर्थ दण्ड, जुर्माना । करने वाला न्यायाधीश । २ सेनापति । ३ सूर्य के एक अनुचर ६ मजा । ७ चार हाथ का एक माप । ८ लिंग । ६ शरीर । का नाम । १० यम की उपाधि । ११ शिव । १२ विष्णु। १३ सूर्य दंडनीति-स्त्री० [सं०] दण्ड विधान से शासन चलाने की नीति । का सहचर । १४ समय का एक विभाग, अंश, घड़ी। दंडपात-पु० [सं०] एक प्रकार का सन्निपात रोग । १५ घोड़ा। १६ हल की हरिस । १७ दो गगरण के दूसरे दंडपाळक-पु० [सं० दण्डपालक] द्वारपाल, ड्योढ़ीदार । भद का नाम । १८ काव्य छन्द का एक भेद विशेष । बंडपासक-पु० [सं० दण्डपाशक] १ सजा भुगताने वाला १६.३६ प्रकार के दण्डायुधों में से एक। कर्मचारी। २ जल्लाद, घातक । दंडक-पु० [सं०] १ डंडा । २ दंड देने वाला अधिकारी, दंडबाळधि-पु० [सं० दण्डबालधि] हाथी । शासक । ३ ध्वज दण्ड । ४ एक अरण्य विशेष। ५ छंदों | दंडमुद्रा-स्त्री० [सं०] हाथ की एक तांत्रिक मुद्रा। का एक वर्ग विशेष । ६ दो छंदों से मिलकर बनने वाला दंडयांम-पु० [सं०] १ यमराज । २ दिन, दिवस । छन्द । ७ इक्ष्वाकु राजा का एक पुत्र । ८ एक प्रकार का | ३ अगस्त्य मुनि । वात रोग। ६ शुद्ध राग का एक भेद। १० कर्म दण्ड | दंडलक्षण-पु० [सं०] ७२ कलानों में से एक । For Private And Personal Use Only Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दंडवत दंडवत-देखो 'इंडोत'। दंतल, दंतली-स्त्री. १ ग्राभूषणों पर खुदाई करने का एक दडवासी--पु० [सं०] १ गांव का मुखिया । २ हाकिम । औजार । २ छोटा हमिया । ३ देखो 'दात' । -वि. बड़े दानों वाली। दंडविधि स्त्री० अपराधों के बदले में दण्ड निर्धारित करने का | दंतलू, दंतलौ-१ देखो 'दांतली' । २ देखो 'दात' । नियम, कानून । दंतवा-J० दांतों के बाहर गाल पर होने वाला फोड़ा। दंतवाळी-पू० म० दनावल] हाथी. गज । दंडव्यूह-देखो 'डंडव्यूह' । दडव्रत-देखो 'डंडोत'। दंतसंकु-पु० [सं० दंतशंकु] चीर-फाड़ करने का एक अौजार विशेष । दंडा-स्त्री० ७२ कलाओं में से एक । वंतसकट-पु० [सं० दंतशकट] हाथी दांत का बना रथ । दडाक्ष-पु० [सं०] चंपा नदी के किनारे का एक तीर्थ । दंताजुध-पु० [सं० दंतायुध] जंगली सूअर । दंडाधिपति-पु० मुख्य न्यायाधीश । दताळ-पु० १ गणेश, गजानन । र देखो ‘दंतावळ' । -वि. दंडापतानक-पु. एक प्रकार का वात रोग । १ बड़े बड़े दांतों वाला । २ दंतेदार । दंडायुध-पु० [सं०] दण्ड देने का प्रायुध, शस्त्र । दताळद्रप-पु० [सं० दंतावल-दर्पक] गजासुर को मारने दंडाहड़ि-पु. होली के दिनों में हाथ से डंडे बजाते हुए किया वाले, महादेव। जाने वाला नृत्य । दंताळपत्र-पु० किमी गांव का, कविता के रूप में सनद पत्र । दंडिका-स्त्री० [सं०] १ छड़ी । २ पंक्ति। ३ रस्सी। दताळय-स्त्री० [सं० दंतालय] दांतों का स्थान, मुख । ४ मोतियों की माला । ५ बीस अक्षरों की एक वर्ण वृत्ति । | बंताळिका-स्त्री० [सं० दंतालिका] लगाम । दंडित-वि० [सं०] जिस पर दण्ड निर्धारित किया गया हो, | दंताळियौ-१ देखो ‘दंताळो' । २ देखो ‘दंतावळ' । सजायाप्ता। दताळी-स्त्री०१ दांतेदार या कगूरेदार काष्ठ का बना फावड़ा । दंडी-देखो 'डंडी'। २ लगाम । -वि० बड़े-बड़े दांतों वाला। दंडीहड़, दंडेहड़, दडेहलि-देखो 'दंडाहड़ि' । दंताळी-वि० (स्त्री० दंताळी) १ बड़े-बड़े दांतों वाला । दंड्यौ -१ देखो 'दं डत'। २ देखो 'डंडौ' । २ देखो ‘दंतावळ' । ३ देखो ‘दंताळी' । दंत-देखो 'दांत'। दंतावळ, दंताहळ-पु० [सं० दंतावळ] हाथी, गज । दंतक-पु० [सं०] १ पहाड़ की चोटी। २ दात । ३ पहाड की | दंतियो-पु० १ स्वर्णकारों का एक अौजार । २ देखो 'दोतलो' । चोटी का आगे निकला पत्थर । ४ दीवार में लगी खटी। बंती-पु० [सं० दंतिन्] १ हाथी, गज । २ अंडी जाति का एक दंतकथा-स्त्री० [सं०] जनश्रुति पर आधारित, अप्रमाणित व पेड़ । ३ जमाल गोटा । ४ प्रथम लघु की पांच मात्रा का अलिखित वार्ता। नाम । ५ देखो 'दांत' । -वि० [सं० दंत्य] १ दांतों का, दांतों संबंधी । २ दांतों की सहायता से उच्चरित होने दंतकरम-पु० [सं० दन्त कर्म ] ७२ कलानों में से एक । वाला । ३ दांतों वाला । ४ दांतों का हितकारी । दंतकास्ट-पु० [सं० दतकाष्ठ] दांतून, मुखारी। -उडारण-पु० हाथियों का संहार करने वाला, भीम । दंतकुळी--पु० [सं० दंत-कुली] १ दांतों का समूह । २ हाथी, गज । -धावक-पु० इन्द्र । -भ्रख-पु० पीपल का वृक्ष । दंतड़, दंतड़ौ-देखो 'दांत'। दंतील-देखो 'दंती'। दंतच्छद-पु० [सं०] प्रोष्ठ, ओंठ । दंतीलौ-१ देखो दांतलौ' । २ देखो 'दंती'। पंतवरसरण-पु० [सं० दंतदर्शन] क्रोधादि में दांत दिखाने की दंतुर, दंतुल, दंतुली-पु० [सं०] १.४६ क्षेत्रपालों में से ३४ वां क्रिया या भाव । क्षेत्रपाल । २ हाथी। ३ सूअर, वराह । -वि० जिसके दांत आगे निकले हों, दंतुली। दंतधावरण-पु० [सं० दंतधावन] १ दांतुन करने की क्रिया ।। दंतुलौ-देखो 'दांतलो'। २ दांतुन । ३ करंज का पेड़ । ४ मौलसिरी ।। दंतुसळ, बंतुसळि, दंतूसळ, दंतूसळि-पु० [सं० दंत मूसलः] हाथी ५खर का वृक्ष। या सूअर आदि का मुंह के बाहर निकला लंबा दांत । दंतपुप्पुट-पु० [सं० दंतपुष्पुट] मसूड़े का एक रोग। दतेरू-पु० बच्चों के मुंह ललाट प्रादि पर होने वाला एक दंतमूळ-पु० [सं०] १ ममूड़ा । २ दांत का एक रोग। फोड़ा । ३ दांत की जड़ । . .. | दंव-देखो 'दुद' । For Private And Personal Use Only Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ददभ www.kobatirth.org ( ६२६ / दंदभ ददब देखो 'दु'दुभि' | दंदसुक, दंदसूक- पु० [सं० दंतणूक ] १ सर्प, नाग । २ राक्षस । ३ जहरीला जंतु । वि० १ जहरीला २ काटने वाला । ३ उत्पाती । दंदोळी व उत्पाती, उपद्रवी । दंदी - पु० १ ताल देने वाला वाद्य । २ देखो 'दुद' । दंभ-देखो 'दु'दुभि' | दंपत, दंपति, दंपती - गु० [सं० दंपती पति-पत्नी का जोड़ा। स्त्री-पुरुष | दबु-पु० पाटल वृक्ष । बम ० [सं०] १ गवं अहंकार, अभिमान २ आडंबर पाखण्ड । ३ कपट, छल । ४ झूठी शान-शौकत । ५ इन्द्र का वज्र । ६ शिव । ७ स्त्रियों की ६४ कलानों में से एक । देखो 'डांम' । ९ देखो 'दंभी' । | दंभी (बी) पु० [सं० दम्भन] १ गर्व या अहंकार करना। २ आडंबर या ढोंग करना । ३ देखो 'डांमणी' (बी) । - बंधी वि० [सं०] भिन्) १ अभिमानी, पहंकारी, घमंडी । २ पाखण्डी ढोंगी हनिया, कपटी० [सं० दम्मोलि] १ सुदर्शन चक्र । २ दोनो तरफ मुंह वाला सर्प । दंभोळ, दंभोळि पु० [सं० दम्भोलि ] इन्द्र का वज्र । दंस- पु० [सं० दंश ] १ मुंह से काटने की क्रिया, दंशन। २ दांतों से काटने का घाव, दंत-क्षत। ३ विषैले जन्तुनों का डंक | ४ दांत । ५ चीर-फाड़ । ६ सर्प का विष दंत । ७ दोष, त्रुटि तीयापन ९ कवच १० जोड़ । ११ एक राक्षस का नाम १२ बर्नली मी - वि० दुष्ट, पापी । दसक पु० [सं० दंशक] १ डांस नाम की मक्खी, मच्छर । २ कुत्ता । - वि० काटने वाला, डंक मारने वाला । इंस्टरी, बसरीर देखो 'स्ट्री' । सरग-१ देखो 'दरखा' २ देखो 'दसन । स्री-देखी 'दंस्ट्री' । बेस्ट - पु० [सं० दंष्ट्र] दांत | स्टानुध पु० [सं०] दंष्ट्रायुध] शूकर, वराह । स्ट्राळ - वि० [सं० दंष्ट्राल ] बड़े-बड़े दांतों वाला । स्ट्री - वि० [सं०] दंष्ट्रिन] बड़े-बड़े दांतों वाला वराह । २ सर्प, नाग । । दंसन - पु० [सं० दंशन ] काटने या उसने की क्रिया । दंश । देसी - वि० [सं० दंशिन् ] काटने या उसने वाला, काट खाने वाला । स्त्री० छोटी गो मक्खी, डांस । 1 द- पु० १ देवगण । २ खग । ३ साधु । ४ मार । दद्दत स्त्री० ० दया। वि० अनार, असीम देखो 'दैत्य' । दइ- १ देखो 'दई' । २ देखो 'देव' | बइगपाळ-देखो 'दिकपाल' । दईणी (बी) - देखो देखो (बी) । बहुत देखो देव' निकंद, निकंदण 'देश्य निकंदर' दsaड़ी स्त्री० एक प्रकार की मिठाई, पकवान । दांगुर - पु० [ सं . दैत्य गुरु] १ शुक्राचार्य । २ रावण, दशासन । दस देखो 'देव'। यंत्र १० [सं०] [देश्य इन्द्र - बलिराजा २ २ देखो 'दयां'। बडवण १ देखो 'दीवांण' | दइवंत - देखो 'देव' । -गति - 'दैवगति' । दडव देखो 'देव' राय, रायौ 'दईवराय' । दह (न) वि० १ विशालकाय, भीमकाय २ महान दइवरण - जबरदस्त । ३ वीर योद्धा । ४ शक्तिशाली, ४ शक्तिशाली समर्थ । ५ देखो 'दीवांण' | दवी-देखो 'देवी' । दईयारी० [सं०] देवरि देवता । । । दैत्य-अरि] वर्ड वय ई-देखो 'देव' 7 दईवगत देखो 'देवगत' । दईगत - देखो देवगति' । दईतंद्र- देखो 'इत्यंद्र' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - बई- पु० [सं० दधि] १ गर्म दूध में खटाई डालकर तैयार किया हुआ खाद्य पदार्थ, दधि, दही। [सं० देवी] २ आश्चर्य, विमस्य । ३ प्यारा, प्रिय । ४ देखो 'देव' । दईत पु० [सं० दैत्य ] १ यवन । २ देखो 'दैत्य' । वईतेंद्रवर पु० [स० [दै इन्द्र-वर] महादेव, शिव । - दईव - संजोग - देखो 'देवजोग' । बंसी (बी) कि०१ दांतों से काटना २ सना, काटना ३ विष देखो 'दवांण' २ देखो 'दीवां'। दंत या डंक मारना । दडणी (बी) देखो 'दोड़ो' (बी) | दउढ- देखो 'डौड' । दउदौ- देखो 'डोढो' | दउलत देखो 'दौलत' । दकाळ - दर्शवराय (रायो) - वि० [सं० देवराट्] १ महान, बड़ा, शक्तिशाली । २ देखो 'देवराज' । For Private And Personal Use Only वय - पु० [सं० दौलेय ] कछुआ । दक- पु० [सं०] पानी, जल । दकसीर-त्री० [सं०] दकशिरा ] नदी ० १ सुधर, दकार, दकारियो- पु० [सं०दकार) त वर्ग का तीसरा व 'व' । दकाळ-स्त्री० १ फटकार । २ ललकार । Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दकाळपो बखिरणाधी दकाळणी-वि० (स्त्री० दकाळणी) १ उत्साहित करनेवाला, | दक्षिरण वक्रासरण-पु० योग के चौरासी आसनों में से एक । जोश दिलाने वाला। २ ललकारने वाला। ३ फटकारने दक्षिण साखासण-पु. योग के चौरासी आसनों में से एक । वाला। दक्षिणा-स्त्री० [सं०] १ यज्ञ कथादि शुभ कार्य करवाने के उपरात घकाळरणी (बौ) क्रि० १ उत्साहित करना, प्रोत्साहन देना । व्याम, ब्राह्मण या पुरोहित को दी जाने वालो भेंट । २ ललकारना। ३ फटकारना। २ दक्षिण दिशा । ३ दान, भेट । ४ यज्ञ पुरुष की स्त्री। दकूळ--देखो 'दुबळ । ५ पुरस्कार, पारिश्रमिक । ३ दुधारु गौ। ७ दक्खिनी दक्काळो-देखो 'दकाळणौ' । भारत । ८ एक प्रकार की नायिका । दक्ख-१ देखो 'दक्ष' २ देखो 'दुख' । दक्षिरणाचल-पु० [सं० दक्षिण चल] मलयगिरि, मलयाचल । दक्खरण-देखो 'दक्षिण'। दक्षिणाचारी-पु० [सं०] विशुद्धाचारी, सदाचारी। दक्खरणा-देखो 'दक्षिणा'। दक्षिणापथ-पु० [सं०] दक्षिण भारत का प्रदेश । दक्खरणी (बौ)-देखो 'दाखणौ' (बी)। दक्षिणायण--पु० [सं० दक्षिणायन] १ सूर्य की दक्षिण दिशा में दक्खि-देखो 'दुखी'। गमन करने की क्रिया या अवस्था । २ कर्क संक्रांति से दक्खिरण-देखो 'दक्षिण'। मकर संक्रांति तक की अवधि जब सूर्य दक्षिणायन में रहता दक्ष-पु० [सं०] एक प्रसिद्ध प्रजापति। -वि० १ किसी कार्य में है। -वि० भूमध्य रेखा से दक्षिण की ओर, दक्षिण की पोर का। निपुण, कुशल । २ चतुर, होशियार । ३ योग्य । ४ विशेषज्ञ दक्षिणावरत-पु० [सं दक्षिणावर्त] १ दाहिनी ओर घुमाव वाला ५ उपयुक्त, उपयोगी। ६ सावधान, तत्पर । ७ फुर्तीला।। शंख । -वि० दक्षिणी या दाहिनी ओर मुड़ा हुप्रा । ८ सच्चा, ईमानदार । ६ दाहिना । दख-१ देखो 'दक्ष' । २ देखो ‘दुख' । दक्षण-वि० [सं० दक्ष] १ चतुर, दक्ष, होशियारी, दखरण-देखो 'दक्षिण' ।--पथौ='दक्षिणपथौ' । २ देखो 'दक्षिण' । ---पंथी 'दक्षिणपंथी' । वखणपति (पती)-पु० [सं० दक्षिणपति] १ चन्द्रमा, चांद । दक्षरणा-देखो 'दक्षिणा' । २ यमराज। वक्षता-स्त्री० [सं०] निपुणता, कुशलता, योग्यता । होशियारी, | | दखणांण-स्त्री० १ दक्षिण दिशा । २ देखो 'दक्षिणायण' । चतुराई। वखरणा-देखो 'दक्षिणा' ।। दक्षन-देखो 'दक्षिण'। दखणाद-वि० दक्षिण दिशा का ।-स्त्री० १ दक्षिण दिशा । दक्षसावरणी-पु० [सं० दक्षमाणि] नौवें मनु का नाम । २ देखो 'दक्षिण' । ३ देखो 'दखगी। दक्षा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी भूमि । २ देखो 'दक्ष' । दखणादि, दखणाधि, (धी,धू)-स्त्री० [सं० दक्षिण-ध्र व] दक्षिण दक्षिण-वि० [सं०] १ दाहिना। २ वाम का विपर्याय । दिशा की वायू । -क्रि० वि० दक्षिण में, दक्षिण की पोर । ३ दक्षिण की प्रोर अवस्थित । ४ प्रिय, मधुर । ५ शिष्ट. दखणायण-देखो 'दक्षिणायण' । सभ्य, भद्र। ६ प्राज्ञाकारी । ७ अवलम्बित । ८ देखो 'दक्ष' दखरणी-पु० [सं० दक्षिणीय] १ दक्षिण देश का निवासी। -स्त्री०१ उत्तर के मामने की दिशा । २ दक्षिण देश वी २ दक्षिण देश की भाषा। ३ दक्षिण दिशा । ४ दक्षिण भाषा । -पु० ३ दक्षिण प्रदेश । ४ सभी नायिकानों पर दिशा की वायु । -वि० दक्षिण का। समान अनुराग रखने वाला नायक । ५ विष्ण । ६ तंत्रोक्त दखणीचचळा-स्त्री० एक प्रकार की वनस्पति । एक मार्ग या प्राचार। दखणी (बी)-१ देखो 'दाखरगो'(बौ)। २ देखो 'देखणी'(बी)। दक्षिणगोळ-पु० [सं० दक्षिगा गोल] विपुवत रेखा के दक्षिण में दखन-देखो दक्षिण'। पड़ने वाली राशियां। दखमा-पु० फारमियों का मुद रखने का स्थान । दक्षिणचतुरथांसपादांसरण (न)-पु० एक प्रकार का योगासन। | दखल(ळ )-स्त्री० [अ दखल ] १ हस्तक्षेप । २ पहुंच । २ अधिकार दक्षिरणजान्वासण, (न)-पु० [सं०] एक प्रकार का योगासन । कब्जा। -नांमौ-पु. शासक द्वारा प्रदत्त अधिकार पत्र । दक्षिणतरकासण. (न)-पु० [सं०] एक प्रकार का योगासन । दखसावरणी-देखो 'दक्षसावरणी' । दक्षिण-पथ, दक्षिणपथौ-पु० [सं० दक्षिणपथ (१ दक्षिण प्रदेश । दखा-देखो 'दक्ष'। २ इस प्रदेशोत्पन्न घोड़ा । ३ दक्षिण मार्गी। दखिरण-देखो 'दक्षिण' । दक्षिणपादपनिगमनासण-पु० [सं०] योग के चौरामी ग्रासनों दखिरणा-देखो 'दक्षिणा' । में से एक। दखिरणाद, (ध)-देखो 'दखणाद' । दक्षिणपाद तिरास-पु. योग के चौगसी प्रासनों में से एक। । दखिरणाधी (धू)-देखो 'दखणाद' । For Private And Personal Use Only Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दखिरणानिळ दखिरणानिळ-पू० [सं० दक्षिण-अनिल] दक्षिण की ओर से दगारणी (बौ)-क्रि० १ तोप, बन्दुक ग्रादि का छुड़वाना, दगचलने वाली वायु । मलयानिल । वाना । २ जलवाना, दग्ध कराना, झुलसाना । ३ दग्ध दखिणावत-देखो 'दक्षिणावरत' । कराकर चिह्नित कराना । ४ ठगवाना, 'धोखा दिराना। दखियाणी-स्त्री० राजा दक्ष की पुत्री सती । दगादार-वि० [फा०] धोखाबाज, छली। दखोड़ी-स्त्री० पतंगा विशेष । दगाबाज-वि० [फा०] १ कपटी, छली, धोखाबाज । दख्ख-१ देखो 'दक्ष' । २ देखो 'दाख' २ मक्कार। दख्खणी-देखो 'दखरणी'। दगाबाजी-स्त्री० [फा०] १ छल, कपट, धोखा । दख्यण-देखो 'दक्ष'। २ मक्कारी। दख्यरणा-देखो 'दक्षिणा'। दगावरणौ (बौ)-देखो 'दगाणी' (बौ)। दगैल-देखो 'दागल'। दख्यणी-वि० कहने वाला । दिखाने वाला। प्रगट करने वाला।। दगौ-पु० [फा० दगा] १ धोखा, छल, कपट । २ ठगी। दख्यरणौ (बो)-देखो 'दाखणो' (बौ)। ३ विश्वासघात । दख्यारणी-देखो 'दखियांणी' । दग्ग-देखो 'दाग'। दगंत-देखो 'दिगंत'। दग्गड़-देखो 'दगड़'। दगंतर-देखो 'दिगंतर'। दग्गरणी (बी)-देखो 'दगरणी' (बी)। दगंबर-देखो "दिगंबर'। दग्गाज-देखो 'दिग्गज' । दगंबरी-देखो "दिगंबरी'। दग्गौ-देखो 'दगौ'। दगंमर-देखो 'दिगंबर'। दग्ध-वि० [सं०] १ जला हुप्रा । २ जला कर दागा हुआ। दग-स्त्री. १ ध्वनि विशेष । २ बूद । ३ देखो 'दाग'। ३ दुःखी, संतप्त । ४ भस्म हुवा हुअा। ५ भूखों मरा हुआ। ४ देखो 'दक'। ६ शुष्क, फीका । -पु० १ दुःख । २ दग्धाक्षर। दगग-देखो 'दग'। दग्धमंत्र-पु० [सं०] एक तांत्रिक मंत्र । दगड-पु. १ लड़ाई में बजाया जाने वाला बड़ा ढोल । २ बड़ा दग्धा-स्त्री० [सं०] १ कुछ विशिष्ट राशियों वाली तिथि। पत्थर । ३ अनगढा पत्थर । ४ खुला स्थान । ५ मुसलमान। २ कुरु नामक वृक्ष विशेष । ३ सूर्यास्त की दिशा। ६ बड़ा मार्ग, चौड़ा मार्ग। -बार-पु. बड़ा दरवाजा। दग्धाक्षर, दग्धाखर-पु० [सं० दग्धाक्षर] छन्द के प्रारंभ में खुला मैदान । बजित माना जाने वाला वर्ण । दगरणौ (बो)-क्रि० १ तोप-बन्दूक आदि का छूटना, दागा | दड़द, दड़दौ-पु. १ किसी वस्तु के गिरने का शब्द । २ देखो जाना । २ जलना, दग्ध होना, झुलसना। ३ चिह्न दागा। “दिनंद'। नाना । ४ धोखा खाना, ठगा जाना। ५ देखो | दड़-स्त्री० १ उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये छोड़ी हई कृषि प्रमि। 'दाबरमौ' (बौ)। २ छत पर संदला करने के कंकर प्रादि । ३ शब्द करते दगदगी-स्त्री० [सं० दगदगा] १ एक प्रकार की कंडील । २ डर, हए गिरने वाला पदार्थ । ४ वस्तु के गिरने से उत्पन्न ध्वनि । भय । ३ कंपन, कंपकंपी। ४ शक, संदेह । ५ विवर, बिल । दगदग्गरणी (बो)-क्रि० १ भयभीत होना, डरना । बड़ाड़-देखो 'दड़ी'। २ कांपना, थर्राना। बड़क-स्त्री० १ अत्यल्पकालिक वर्षा की झड़ी। २ दौड़ । दगध--देखो 'दग्ध' । -क्रि०वि० शीघ्र, अचानक, सहसा। -प्रखर, अखिर 'दग्धाक्षर' । | दड़करणी (बी)-क्रि० १ भागना, दौड़ना । २ दीवार में गोबर -मंत्र='दग्धमंत्र। की लिपाई करना । ३ कट कर दूर पड़ना । ४ लुढ़कना । गधाजीरण-पु० [सं० दग्धाजीणं] एक प्रकार का दडकली-देखो 'दडी'। अजीर्ण रोग। दड़कारणी (बी)-क्रि० १ भगाना, दौड़ाना । २ दीवार को गोबर दगपाळ-देखो "दिकपाळ'। से लिपवाना । ३ उंडेलना । ४ मारना, काटना। दगमग-स्त्री० १ चमक-दमक । २ देखो 'डगमग' । | दड़के, दड़के-क्रि० वि० शीघ्र, तुरंत । तेज गति से । गली-देखो 'डगली'। दड़को-पु० १ दौड़। २ द्रुतगति । ३ ध्वनि विशेष । ४ गोबर की दगलौ-पु० एक प्रकार का कवच । लिपाई। ५ वर्षा की हल्की झड़ी। For Private And Personal Use Only Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दतणो दड़क्कणी (बो)-देखो 'दड़करणो' (बी) बछि-देखो 'दक्ष'। दड़गल-देखो 'दड़घल'। दछिणा-देखो' दक्षिणा'। दड़गली-देखो 'दड़ी। दजोण, दज्जोरण-देखो 'दुग्योधन' दडघल-पु० १ एक अौषधि विशेष । २ वर्षा ऋतु में होने दझरणी (बी), उझळरणौ (बौ)-देखो 'दाभणी' (बी)। वाला पौधा विशेष । | दझाडणी(बी), झारणौ (वो)दझाळणी(बी), बझाबरणौ (बो)दडड-स्त्री० वर्षा की बूदें या वस्तुओं के निरन्तर गिरने से क्रि० [सं० दग्ध] १ जलाना । २ दग्ध कराना । उत्पन्न ध्वनि। ३ झुलसाना । ४ दु:खी करना, कुढाना। दडडणी (बी)-क्रि०१ बरसना या लगातार गिरना। २ दड़- दट-पृ० फलादि किसी वस्तु के गिरने की ध्वनि । दड़ ध्वनि होना । ३ गूजना। -वि० [सं० दुष्ट] दुष्ट । -क्रि०वि० शीघ्र, झट । दडपो (बौ)-कि०१किसी विवर या दरार को गोबर ग्रादि से दटरणौ (बौ)-क्रि० १ दबना, फीका पड़ना, मिटना। २ नष्ट, बंद करना । २ दीवार में गोबर लीपना । होना. कटना । ३ किसी विवर, सूराख प्रादि का बंद होना। दडदड़, दद्दड़-देखो 'दड़ड' । ४ नियंत्रण या काबू में आना। ५ रुकना। ६ देखो दड़परणो (बौ)-क्रि० १ आच्छादित होना । २ लीपना । 'डटणी (बी)। दड़बड़-देखो 'दडड़'। दटपट-पु० [सं० दृढ़पद] एक मात्रिक छ'द विशेष । दड़बड़पो (बी)-देवो 'दड़वड़णी' (बी)। दटाक-देखो 'दट'। बड़बड़ाट-देखो 'दड़वड़ाट'। दठि-१ देखो 'द्रस्टि' । २ देखो 'दट'। दड़बड़ारणौ (बो)-देखो 'दड़वड़ाणी' (बौ)। दड़यो-पु० १ छोटा टीबा। २ रेत का जमा हुमा ढेर । दडउ-देखो 'दड़ो'। ३ र, राशि । ४ धन, द्रव्य । ५ अनगढ़ पत्थर । ६ छोटा दडदडी-स्त्री० तबला नामक वाद्य । बंद कमरा। दडबड-देखो 'दड़वड़' । दडबडणी (बौ)-देखो 'दड़वड़णो' (बी)। दड़वक-स्त्री० [सं० द्रव] द्रुतगति से भागने की क्रिया या भाव । दडवडाट, (टि)-देखो 'दड़बड़ाट'। दड़बड़-स्त्री० १ दौड़-भाग । २ देखो 'दडड' । दडवडी- देखो 'दडदड़ी'। दड़बड़णी (बौ)-कि० [सं० द्रव] १ दौड़ना, भागना । २ शरीर | डिदक-देखो दिनंद'। पर हल्का मुष्टि प्रहार करना । दडूकरणो (बी)-देखो 'दड़ कणो' (बौ)। दड़बड़ाट-स्त्री० वाहनों के चलने, दौड़ने आदि से उत्पन्न ध्वनि । दडूलु. (लो)-देखो 'दड़ो'। दड़बड़ारणौ (बौ)-क्रि० [सं० द्रव] दौड़ाना, भगाना। दडो-देखो 'दडौ'। दड़ाक-क्रि० वि० अचानक, शीघ्र, सहसा, तुरंत । -स्त्री० किसी दडढरणौ (बी)-क्रि० [सं० दग्धनम्] जलना, भस्म होना । वस्तु के गिरने की ध्वनि । दढ-देखो 'द्रढ'। दड़ाछट (छट)-वि० निर्भय, निःशंक, निडर । -क्रि०वि० बढ़रणौ (बो)-देखो 'दड्ढणी' (बी)। निडरता से, बिना अटके । दढ़ि-देखो 'दाही'। डिदक-देखो 'दिनंद'। दढियळ-देखो 'डढियाळ'। दड़ियड़-१ देखो 'दड़ी'। २ देखो 'दड़ड़' । बढ़ा-देखो 'डाड'। दडींदी-पृ० १ प्रहार, चोट । २ ध्वनि विशेष । दरणयर-१ देखो 'दिनकर'। २ देखो 'दुनिया' । दडी-स्त्री० गेंद। दणी-स्त्री० धनुष। दड़ करणी-वि. जोश में बोलने वाला, दहाड़ने या गरजने वाला । | दरणीयर-देखो 'दिनकर'। दड़ करणी (बी)-क्रि० दहाड़ना, गर्जना, ताडूकना। दणु (ए)-देखो ‘दनु । दड़ौ-पु० १ बड़ी गेंद । २ देखो 'धड़ो' । दत-पु० [सं० दत्त] १ दान, भेंट । २ जैनियों के नौ वासुदेवों दचको-देखो 'डचको'। में से एक । ३ संन्यासी । ४ पौष्टिक पदार्थ । ५ देखो दच्छ-देखो 'दक्ष'। 'दत्त'। -दायजौ-पु० दहेज संबंधी भेंट । दच्छणा-देखो 'दक्षिणा'। दतक-देखो 'दत्तक'। दछ-देखो 'दक्ष'। दतचाळ-पु० दानवीर राजा कर्ण । दछा-देखो 'दसा'। दतरणौ (बी)-क्रि० १ दान देना । २ पौष्टिक पदार्थ खिलाना । For Private And Personal Use Only Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दतदेव वधूण दतदेव-पु. दत्तात्रय मुनि । दधधांम-पु० [सं० उदधि-धांम] वरुण । बतवर-पु० शिव, महादेव । दधपुरी-पु० [सं० उदधि-पृर्ग द्वारकापुरी। बता-देखो 'दाता'। दधभेदी-पु० [स० उदधि-भेदिन] केवट, मल्लाह । बतात्रय-देखो 'दत्तात्रय'। दतावरी-देखो 'दातावरी'। दधमुख-पु० [सं० दधि-मुख] सुग्रीव का मामा एक बन्दर । दति-१ देखो 'दत' । २ देखो 'दत्त' । ३ देखो 'दिति' । वर्षावधी-० [सं० उदधि + विध] केवट । दतिसुत-पु. [सं० दितिसुत] असुर, दंत्य, राक्षस । दवसार-पु० [सं० दधि + सार] १ मक्खन, नवनीत । दती-वि० दातार, उदार । -पु० १ दत्तात्रय ऋषि । २ देखो [सं० उदधि + सार] २ मदिरा । 'दत' । ३ देखो 'दिति'। दधसुन-पु० [सं० उदधि + सुत] १ शंख । २ अमृत । दतुरण-देखो 'दांतगा'। ३ चन्द्रमा । ४ प्रवाल मूगा। ५ मोती। ६ विष । दत्त-वि० [सं०] १ दिया हुआ । भेंट किया हुा । २ सौंपा। ७ कमल । ८ जालंधर दैत्य । हुमा । ३ रखा हुमा । ४ पसारा हुमा । -पु० १ बारह | दधसुतनी (सुता)-स्त्री० [सं० उदधि-सुता] १ लक्ष्मी, पद्मा। प्रकार के पुत्रों में से एक । २ वैश्य की उपाधि । २ सीप। ३ दत्तात्रयी । ४ संन्यासी । ५ दान, भेट । दधारणौ (बो)-क्रि० [सं० दग्ध] १ दग्ध करना, जलाना। बत्तक-पु० [सं०] गोद लिया हुआ पुत्र । २ दुःखी करना, संतप्त करना। बत्तचित्त-वि० [सं०] पूर्ण मनोयोग से लगा हुआ, लीन, मग्न ।। दधि-पु० १ वस्त्र. कपड़ा । २ देखो 'उदधि' । ३ देखो 'दई' । दत्तणो (बो)-देखो 'दतणो' (बी)। दधिकर-पु० [सं०] ३६ राजवंशों में से एक । दतति-देखो 'दतात्रय'। दधिगांमणी. दधिगांमिनी-स्त्री० [सं० उदधिगामिनी] सरिता नदी। दत्ततीरथक्रत-पु० [सं० दत्ततीर्थकृत् ] जैन मतानुसार गत उत्स- दधिजात-पु० [सं०] १ मक्खन, नवनीत । [सं० उदधिजात] पिगी के आठवें अरिहंत । २ चन्द्रमा । ३ लक्ष्मी, पद्मा । दत्तवायजो-पु० दहेज । दधिभव-पु० [सं० उदधि-भव] विष्णु, ईश्वर । दत्तब (व)-पु० [सं० दत्त दान । दधिमंडोद-पु० [सं०] १ दही का समुद्र । (पौराणिक) २ पृथ्वी बत्ता, दत्तात्रेप-पु० [सं०] अत्रि व अनुसूया के पुत्र | __के सात खण्डों में से एक । ___एक ऋषि । दधिमती-देखो 'दधिमथी। दत्तावरी--देखो 'दातावरी'। दधिमथरणी-स्त्री० [सं० दधि-मंथन] दही मथने की लकड़ी, दत्ती-स्त्री० पार्वती, दुर्गा, शक्ति। ___ मथ-दण्ड, मथानी। बत्तोपनिसद-पु० [सं० दत्तोपनिषद् ] एक उपनिषद् का नाम । दधिमथी-स्त्री० दाधीच ब्राह्मणों की उपास्य देवी, विष्णण शक्ति । दत्तोलि-पु. [सं०] पुलस्त्य मुनि का एक नाम । मोहिनी। दत्तौ-वि० दानी, उदार। दधिमुख-देखो 'दधमुख। बद-देखो 'उदधि । दधिसार-देखो 'दधसार'। ददगप्रखंनिधान-पु० कल्पवृक्ष । दधिसुत-देखो 'दधसुन'। बदराज-पु० [सं० उदधि-राज] मागर, ममुद्र । दधिसुता-देखो 'दधसुतनी'। ददामो-पु. एक वाद्य विशेष । ददी-पु० १ 'द' अक्षर। २ देने को कहने का शब्द । दधी-१ देखो 'दधि' । २ देखो 'उधदि'। ३ देखो 'दादौ'। दधीच-देखो 'दधीचि'। दखीच-देखो 'दधीचि'। वधीचास्थी-पु० [सं० दधीच + अस्थि] १ वच्च । २ हीग। बद्दो-देखो 'दादो'। दधीचि (ची)-पु० [सं०] एक पौराणिक ऋषि जिनकी हड्डियों दध-स्त्री० [सं० द्वेष] १ डाह, ईर्ष्या । २ देखो 'उदधि' । से इन्द्र का वज्र बना। ३ देखो 'दई'। -खीर='उदधिखीर'। -जा-स्त्री० वधोलो-वि० (स्त्री० दधीली) द्वेष करने वाला, ईर्ष्यालु । लक्ष्मी, रमा। दधीस-पु० [सं० उदधि-ईश] १ ममुद्र, सागर । २ वरुण । दधरणी (बी)-क्रि० [सं० दग्ध] भस्म होना, जलना। बधरण-पु० वृक्ष विशेष । For Private And Personal Use Only Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दस दधेस- देखो 'दधीस' । दान पु० [सं०] चौदह यमों में से एक यम । वन-१ देखो 'दान' २ देखो 'दिन'३ देखो 'दनु' । दनइस ( ईस ) - देखो 'दिनेस' । दनकर देखो 'दिनकर' । दनमरण, दनमल देखो 'दिनमणि' दनमान - देखो 'दिनमान' | दनादन - क्रि० वि० १ गोलियों की बौछार की तरह, दन-दन शब्द करते हुए । २ तीव्रवेग से । ३ लगातार । दनि- १ देखो 'दिन' । २ देखो 'दनु' । ३ देखो 'दुनिया' । दनियां देखो 'दुनिया' | दनीस - देखो 'दिनेस' । www.kobatirth.org 'दनु - स्त्री० [सं०] १ दानवों की माता जो दक्ष की पुत्री थी। २ श्री दानव का पुत्र एक राक्षस ३ दैत्य, दानव राक्षस । दनुज पु० [सं०] दनु की सन्तान दनुज असुर दळणी, दलनी - स्त्री० दुर्गा, शक्ति । - राय पु० राजा बलि । हिरण्य कश्यप । रावण । दनुजेंद्र - ० [सं०] दनुज इन्द्र ) दानवों का - ] हिरण्य कश्यप । राजा, बलि, दनुजेस - पु० [सं० दनुज ईश] दानवों का राजा, रावण, बलि, हिरण्य कश्यप । - ( ६३१ दन्न, दन्नि - स्त्री० १ गति से उत्पन्न ध्वनि । २ देखो ३ देखो 'दिन' | दम्बा देखो 'दुनिया' । दप पु० मृदंग के बोल । दनुपत, (पति) - पु० [सं० दनु-पति दानव पति ] १ कश्यप । २ राजा बलि, असुर राज । दनुसंभव - पु० [सं०] दनु से उत्पन्न, दानव । दनुज- देखो 'दनुज'| 'दनेस देखो 'दिनेश' । दान' | दपट - स्त्री० १ छलांग, कुदान 1 २ आाग की लौ, लपट । ३ आक्रमण, धावा । ४ झपट । ५ गति की तीव्रता, त्वरा । ६ विशेष खाने की क्रिया या भाव। ७ वस्त्र की लपेट, आवेष्टन ८ डांट फटकार - वि० अधिक तेज । दपटरणौ (बौ)- क्रि० १ खूब खाना, जमकर खाना । २ कैंची से दाढ़ी काटना । ३ श्राक्रमण करना, धावा बोलना । ४ प्रावेष्टन करना, लपेटना । ५ छलांग भरना, कूदना । ६ तेज भागना । ७ संहार करना, मारना ८ अधिक खर्च करना । ९ डांटना, फटकारना । १० दौड़ना । पाणी (मी), पावणी (यो)- क्रि० १ खूब खिताना, जम कर खिलाना । २ कैंची से दाढ़ी कटवाना । ३ श्राक्रमरण ४ प्रावेष्टन कराना, लिपटवाना । ५ छलांग कराना ) भरवाना, कुदवाना । कराना, मरवाना कार, दिराना । १० दौड़ाना | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दपणी (बी) - देखो 'दीपणी' (यो) | दपेटणी (ब) - देखो 'दपटणी ( वो) ' । दप्पण देखी 'दरपण' । दबकारणो ६ तेज भगवाना, दौड़ाना । ७ संहार अधिक खर्च कराना । ९ डांट फट दपट्ट - देखो 'दपट' | पट्टी (बी) देखणी' (बो पट्टाणी (बो) दपट्टावरणौ (बौ) - देखो 'दपटाणी' (बी) । दकरण- १० [अ०] दफन] मृतक के शरीर को जमीन में गाड़ने की क्रिया या भाव । दफरणारणी ( बौ) - क्रि० [ श्र०दफन ] मृत शरीर को जमीन में गाड़ना, दफनाना । दफतरी देखी 'दफ्तरी । दफती स्त्री० [०दपतीन] कागज का बता बोर्ड दफा स्त्री [८० वस] १ किसी कानून की धारा, उपकानून, उप नियम । २ बार, मर्तबा । ३ नाश, विनाश। - वि० [अ०] दफा १ दूर किया हुआ हटाया हुआ २ तिरस्कृत दफावार १० [फा०] १ फौज का एक कर्मचारी २ पुलिस का जमादार । ३ तहसील का एक कर्मचारी । दफादारी - स्त्री० [फा] ० दफादार का पद व कार्य । दर्फ देखो 'दका' | दफ्तर पु० [फा०] कार्यालय, ग्राफिस, विभाग, महरूमा दफ्तरी - पु० [फा०] १ कार्यालय का एक कर्मचारी । २ जिल्द साज । - खांनौ- पु०-दफ्तरी के बैठने का स्थान । जिल्द बंधी का कक्ष । For Private And Personal Use Only दबंग वि० १ निडर, निर्भीक २ प्रभावशाली दब - वि० गुप्त । aas - स्त्री० [सं०] दमन] १ दबने या छुपने की क्रिया या भाव, दबाव पिचकन । २ धातु की पिटाई ३ मिकुड़न, शिकन । ४ भय, डर । दबकगर- पु० धातु आदि को पीटकर तार बनाने वाला । दकबरगौ ( बौ) - क्रि० [सं० दमन] १ डर जाना, डरना, डरकर बैठ जाना, छुप जाना । २ छुप कर बैठ जाना, टोह लेना । ३ क्षुब्ध होना । ४ धातु को पीटना । ५ शांत होना । ६ घुड़काना, डांटना, डपटना । " arit (at) कावरी (ब) - क्रि० १ डराना, डराकर बैठा देना । २ छुपाकर बैठाना, दुबकाना ३ क्षुब्ध करना । डांटना । ६ धातु को ४ शांत करना । ५ घुड़काना, पिटवाना | Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दबकी दमजोड़ो दबकी-स्त्री॰ [सं० दमन] १ छपने या दुबकने की क्रिया या भाव । दबियारी-स्त्री [सं०दमन] दबाव । ३ डांट, फटकार, घुडकी । । टोह लेने की क्रिया या भाव । दयोकळ-ग० गांप, सर्प । देखक-त्रि. वि. भट से, तुरन्त । दबू-देखो 'दब्बू'। दबको-पु० कामदानी का सुनहरा या चमकीला तार । दबेल, दबैल-वि० [म० दमन] १ दबने वाला । २ दुर्बल, अशक्त। बगर-१०१ मम पकाने की एक विधि । २ देखो 'डबगर' ।। ३ समर्थ । दबड़काणौ (बौ)-देखो 'दडबडारणी' (बी) । दशेचणी(बी)-कि० [सं०दमन] १ गर्दन पकड कर दबाना, दबाना, दबणी-श्री० [सं दमन] १ मंकट कालीन दशा या अवस्था । धर पकडना, पकड़कर काबू में करना। २ छुपाना । २ असहाय होने की अवस्था । ३ विवशता । दवी-पृ० छुपने की क्रिया या भाव । दबणौ (बो)-क्रि० [सं दमन] १ बोझ, भार आदि के नीचे | दम्बरको (क)-देखो 'दबरणो' (बी)। अना. दबना । २ बोझ, भार या चोट से पिचकना । दब्बुनी-वि० कपाने वाली, दबाने वाली, दहलाने वाली । ३ किसी का दबाव या प्रभाव मानना, अातंक मानना । दब्बू-वि० १ दबने वाला, डरने वाला । २ दुर्बल, अशक्त । ४ विवश या मजबूर होना । ५ शंका खाना, भय खाना, असमर्थ, हीन । लिहाज करना । ६ तुलना में फीका या मंद पड़ना । ७ किसी | दभगजळ-पु० युद्ध, संग्राम, समर । के आगे जमने. ठहरने या टिकने की अवस्था में न रहना। दभ्र-वि० [सं०] थोड़ा कम, अल्प । -पु० सागर, समुद्र । ८ हारना । ९ शान्त रहना,उभड़ न सकना । १० प्रप्रकाशित दमक-देखो 'दमक'। या अप्रचलित होना। ११ नियंत्रण में रहना । १२ गुप्त दमकरणौ (बो)-देखो 'दमकरणी' (बो) । रक्खा जाना । १३ झपना। १४ परिस्थितियों से घिर दमंग-स्त्री० [सं० दावाग्नि] १ अग्निकरण, चिनगारी। जाना, अर्थ संकट में पड़ना, कमजोर पड़ना । २ जंगल की प्राग । ३ देखो 'दमक' । ४ देखो 'दबंग' । बबबबी-पु० [अ दबदबा रोब, प्रभाव, प्रातक । दमंगळ-पु० [फा० दंगल] १ युद्ध, समर, लड़ाई । २ उपद्रव, दबमो-पु० [सं० दमन] लकड़ी की छत पर रेत, कंकड़ आदि उत्पात, बखेड़ा। डालकर बनाया हुआ मकान । दम-पु०स०] १ लालन-पालन । २ आश्रय, सहारा । ३ इन्द्रिय दबवार-वि० [सं० दमन] दबने वाला, दबैल, कमजोर । शमन, दमन, नियंत्रण । ४ मन की दृढ़ता। ५ सजा, बबाऊ-वि० [सं०दमन] १ दबाने वाला। २ अधिक दबाव या भार दण्ड । ६ कीचड़ । [फा०] ७ श्वास, सांस । ८ श्वास रोग, वाला। ३ दब्बू. कमजोर । दमे का रोग । ९ प्राण, जीव, जान । १० अस्तित्व में दबाडणी, (बौ), दबाणी (बौ)-क्रि० १ बोझ, भार प्रादि के रहने की शक्ति, काम लायक रहने की अवस्था । ११ रक्त, नीचे करना, दबाना। २ बोझ, भार या चोट देकर खून, लहू । १२ प्राण वायु । १३ व्यक्तित्व । १४ क्षमता, पिचकाना। ३ दबाव डालना, आतंकित करना,भय दिखाना, शक्ति । १५ चिलम, हुक्के ग्रादि का कश, फूक । १६ जात । धमकी देना । ४ विवश या मजबूर करना। ५ शंका या १७ छल, धोखा । १८ शेखी, डींग । १९ तेजी, तीक्ष्णता । लिहाज कगना । ६ तुलना में फीका या मंद पटकना । २० ममय का अंश, क्षरण, पल । २१ अल्प विश्राम । ७ अपने सामने जमने, टिकने या ठहरने न देना । ८ हराना। २२ मंत्र, टोटका। ६ शान्त रखना, उभड़ने न देना । १० प्रकाशित या दमक स्त्री० १ द्युति, प्राभा, कान्ति, चमक । २ तपन, गर्मी, प्रचलित न होने देना। ११ गुप्त रखना । १२ नियंत्रण में | उष्णता, ताप । ३ वाद्य ध्वनि । -वि-दमन करने वाला। रखना । १३ में पाना । १४ परिस्थितियों में जकड़मा, अर्थ | दमकरणो (बो)-क्रि० १ चमकना, चमचमाना । दमकना । संकट में डालना, कमजोर पटकना । १५ दुःखते अंगों पर | २ वाद्य बजना, ध्वनि करना । हाथों का हल्का दबाव देना । दमकाणी (बी), दमकावणी (बौ)-क्रि० १ चमकाना, दमकाना । दबादब-क्रि० वि० अतिशीघ्र। एक के बाद एक । झटाभट । २ वाद्य बजाना। दबाबी-पु० शत्रु के किले में तोड़-फोर या गुप्तचरी करने के | दमकोलौ-वि० (स्त्री० दमकीली) चमकीला, द्युतिवान । लिये आदमी डाल कर उतारने का संदूक । दमक्कणौ (बो)-देखो 'दमकरणौ (बौ) । दबाव-पु० [सं० दमन] १ दबाव या भार, बोझ डालने की क्रिया दमक्कानो (बी), दमक्कावरणौ (बौ)-देखो 'दमकाणौ' (बौ)। या भाव । २ रौब, धाक । ३ आतंक, डर, भय । ४ प्रभाव दमगळ-देखो 'दमंगल'। ५ लिहाज । ६ बोझ, भार। दमचूल्हौ-पु० एक प्रकार का चूल्हा । दबावरणी(बो)-देखो 'दबारणी (बी)। दमजोडी-पु० तलवार । पावदना । For Private And Personal Use Only Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दमड़ी दयाळ दमड़ी-स्त्री० १ पैसे का आठवां भाग, एक सिक्का। | दमादम-क्रि० वि० १ दमदम करते हुए। २ लगातार, निरन्तर । २ पैसा, पाई। ३ एक के बाद एक । दमड़ी-पु० रुपया, धन, द्रव्य । दमि-वि० [सं दम्] १ दमनशील । २ देखो 'दम' । दमण-वि० [सं० दमन] १ दमन करने वाला, दबाने वाला । | दमिण-१ देखो 'दांमणी' । २ देखो 'दमण' । ३ देखो 'दमन । २ नाश करने वाला । ३ देखो 'दमन'। दमिल-पु० अनार्य देश का मनुष्य । दमणक, दमणी-पु० सं० दमनक] १ एक वणिक छन्द विशेष । दमिस्क-पू० १ एक देश का नाम । २ यवनों का एक तीर्थ २ एक पौधा विशेष । ३ देखो 'दमण' । स्थान। दमणौ (बौ)-क्रि० [सं० दम् ] १ रोकना, वश में करना । | दमो-वि० [सं० दम्] १ दमनशील । २ देखो 'दम'। -स्त्री० २ दमन करना। ३ पीड़ित करना, दबाना । ४ निग्रह [फा० दम १ दम लगाने का नेचा। २ एक प्रकार का करना। ५ जीतना । ६ शान्त करना । छोटा हक्का। दमदमो-पु० [फा० दमदम] १ थैलों में मिट्टी भरकर की जाने | दमीदौ. दमेदौ-पु० बड़ा बतासा । वाली मोर्चा बंदी । मोर्चा । २ छत पर जाने की सीढ़ियों दमोइ-स्त्री० दो मुखी सर्प, बोगी। -वि० दो मुख वाला। पर बना कक्ष । दमौ-पु. १ 'दमा' नामक रोग। २ देखो 'दम'। दमदार-वि० [फा०] १ दृढ़ मजबूत । २ जीवन वाला। दम्म-पु० [अ० दिरम] १ सोने चांदी का एक प्राचीन सिक्का । ३ शक्तिशाली, क्षमता वाला, जीवट वाला। २ देखो 'दम'। दमन-पू०[सं०] १ बलात् किसी को दबाने की क्रिया या भाव। | दम्माम, दम्मामो-देखो 'दमांम' । २ किसी की अावाज या मांग को बल पूर्वक ठुकराना । दयत-वि०१ देने वाला । २ देखो 'दैत्य'। ३ दण्ड या सजा। ४ इन्द्रिय निग्रह, शमन । ५ विद्रोहियों को दय-स्त्री० [सं०] दया, कृपा, करुणा । दबाने का कार्य, बल-प्रयोग । ६ एक ऋषि । ७ एक पौधा | दयण-वि० [सं०दान देने वाला, दातार । दमनक । [सं० दान] ७.४९ क्षेत्रपालों में से २१ वां क्षेत्रपाल | दयत-देखो 'दैत्य' । ८ देखो 'दमण'। दयतां-दम दयतांदव-पु० [सं० दैत्य-दमन] दैत्यों का दमन करने दमनक, दमनकि-वि० [सं०] १ दमन करने वाला, संहारक । वाला, ईश्वर । २ देखो 'दमणक'। दयांनत-स्त्री० [अ० दियानत] १ सत्य निष्ठा, ईमान । दमनी-स्त्री० [सं० दामिनी] विद्युत, बिजली । २ नियत । —दार-वि० ईमानदार । सच्चा । -दारीदमबंधी-पु. एक प्रकार का धूप । स्त्री० ईमानदारी, सच्चाई। दमबाज-वि० [फा०] १ धोखा देने वाला, फुसलाने वाला। दया-स्त्री० [सं०] १ करुणा, कृपा, रहम । २ दक्ष की कन्या व २ दम लगाने वाला । ३ धूम्रपान करने वाला। धर्म की पत्नी। -कर-वि० दयालु, कृपालु । -व्रस्टीदमबाजी-स्त्री० [फा०] १ धोखा-धड़ी या फुसलाने का कार्य । स्त्री० दया करने का भाव । -निध, निधान, निधि-वि० २ धूम्र पान । कृपालु दयालु । -पु. ईश्वर। --पात्र-वि० जिस पर दया दमयंती-स्त्री० [सं०] निषध देश के राजा नल की पत्नी। करनी चाहिये । -मय-वि० दयालु । ईश्वर। -वंत-वि० दमल-देखो 'दंगल'। दयालु । कृपालु । -वत, वान-वि० दयालु, कृपालु । दमसाज-पु० [फा०] १ मित्र, सखा, दोस्त । २ सहायक । ---वीर-वि० दूसरों पर दया करने में समर्थ, परोपकारी । ३ गाने में साथ देने वाला। दयारणी-वि० [सं० दक्षिण] (स्त्री० दयाणी) १ दाहिना, दायां । बमांम-पृ० [फा०दमाम १ एक प्रकार का बड़ा नगाड़ा। २ एक | २ देखो 'दयावरणो' । प्रकार का रण वाद्य । दयानद-पु० [सं०] आर्य समाज के प्रवर्तक एवं सत्यार्थ-प्रकाश दमामी-पृ० [फा०] १ नगाड़ा बजाने वाला ढोली, नक्कारची । के रचियता एक ऋषि । दयामणउ, दयामणौ-देखो 'दयावरणौ' । २ देखो 'दमांम'। दयारास-पु० ईशान व पूर्व के मध्य की दिशा । दमामो-देखो 'दमांम'। दयाळ-पु० १ विष्णु, ईश्वर । २ देखो 'दयाळु'। -मन-वि० दमाक (ग)-देखो 'दिमाग' । उदार, दयालु। दमाज-पु०ऊंट, उष्ट्र। दयाळ, दयाळू, दयाळी-वि० [सं०दयालु] जिसके हृदय में दूसरों के दमाद-१ देखो 'दामाद' । २ देखो 'दमाज' । प्रति दया हो, दयावान । -ता-स्त्री० दया करने की भावना । For Private And Personal Use Only Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दयावरणउ दरबार दयावणउ, क्यावरणी-वि० (स्त्री० दयावरणी) १ जिससे दया | दरजण-स्त्री० १ बारह नगों या वस्तुयों का समूह । २ दर्जी उत्पन्न हो । २ उदाम, दीन। की स्त्री। दयावती-स्त्री० [40] ऋपभ म्वर की तीन थ तियों में से | दरजी-पु० [फा०] (स्त्री. दरजगा) १ कपड़ों को मिलाई करने पहली। -वि० दया करने वाली। वाला कारीगर । २ ऐमा व्यवसाय करने वाला वर्ग, दयिता-रत्री० [सं०] १ पत्नी, भार्या । २ प्रेयसी, प्रेमिका ।। जाति । ३ स्त्री, औरत । दरजोरण दरजोधन-देखो 'दुरयोधन' । दरंग-पु० [म. दुर्ग] १ टीबा, टीला । २ देखो 'दुरग'। दरगौ (बौ)-देखो 'डरगौ (बौ)। दर-पु० [सं० दर:] १ शंख । २ गुफा, कंदरा । ३ रंध्र, बिल । | दरद-पु० [फा० दर्द] १ कष्ट, दुःख। २ दर्द, पीडा । ४ दरार । ५ गड्ढा । ६ तीर, बारण । ७ प्राभूषण विशेष । ३ बीमारी, राग। ४ तकनीक मुसीबत। ५ यत ।। - भय, डर । [फा०] ६ द्वार, दरवाजा । १० स्थान, ६ वरुणा, दया तग्स टीम वसक। --ब, बंदजगह ।११ दरबान, छडीदार । १२ हृदय, अन्तरात्मा । -वि० पीडित, दुःखी। दयालु वृपालु। १३ ध्यान । १४ भाव । -वि० किंचित, थोड़ा, न्यून । दरदरालो (बौ)-क्रि॰ [स. दरण १ किसी वस्तु को दलना, -प्रव्य० [फा०] में, भीतर । दलिया बनाना, रवे या करण बनाना । २ अांख ग्रादि में दरअसल-क्रि० वि० वास्तव में । खटका होना, दर्द होना. पोड़ा होना, खटकना। दरक-पु० ऊंट, उष्ट । दरदरी-स्त्री० [सं. धरियो] पृथ्वो, भूमि । -वि. रवेदार, दरकणी (बो) -क्रि० [सं० दी] विदीर्ण होना, फटना। करणदार । दरकारपो (बौ)-क्रि० विदीर्ण करना, फाड़ना । दरदरौ-वि० [सं० दरग] कगण के रूप में, रवेदार । बरकार-स्त्री० [फा०] १ आवश्यकता, जरूरत । २ इच्छा. | दरदी-वि० [फा० ददं] १ दूसरों के दुःख दर्द को समझने वाला, अभिलाषा । --वि० अावश्यक, अपेक्षित । सहानुभूति या दया करने वाला । २ जिसके किसी बात का दरच, दरकू चां, बरफूच दरकूचा-क्रि० वि० [फा०] मंजिल- दर्द हो, पीड़ित। दर-मंजिल क्रमशः आगे बढ़ते हुए। दरदु-पु० [सं० दद्रु] १ दाद नामक रोग । २ देखो दरदी', बरको-देखो 'दरक' । दरदुर-देखा 'दादुर'। दरक्क-देखो 'दरक'। दरह-देखो 'दरद'। बरक्करणौ (बो)-देखो 'दरकगो' (बौ)। दरप-पु० भ० वा] १ गवं, घमंड, अभिमान । २ दुस्साहस । दरखत, दरखतियो-पु० [फा० दरख्त] वृक्ष, पेड़। ३ चिड़चिड़ापन, तुनकमिजाजी । ४ गर्मी, ताप । दरखास्त-स्त्रा० [फा० दरख्वास्त] १ अर्जी, प्रार्थना, निवेदन ।। ५ मुश्क मृगमद। २ यावेदन-पत्र प्रार्थना-पत्र । दरपक-पु० [स० दर्पक] १ कामदेव । २ प्रद्युम्न । दरगह. दरगा, दरगाह, दरग्गह-स्त्री० [फा० दरगाह] दरपण (णी)-पु० [स० दर्पण] १ मुह या प्रतिबिंब देखने का १ दरबार । २ न्यायालय, कचहरी। ३ सभा। ४ तीर्थ | शीशा, काच, पारसी,बाईना । २ अांख । ३ जलाने वाला। स्थान, मठ । ५ मदिर। ६ किसी सिद्ध पुरुष का समाधि ४ प्रतिबिंब । ५ प्रादर्श। स्थल, मकबरा, मजार । ७ दहलीज, चौखट । दरपणी (बौ) -कि० १ गर्व करना, अभिमान करना । २ देखो दरड़-पु. १ किसी वस्तु के निरन्तर गिरने की ध्वनि । 'डरपणी ' (बी)। २ बहुतायत । ३ देखो 'दरडो' । दरम्प-देखो 'दरप' । दरडकरणों (बौ)-कि० १ दड़-दड़ करके गिरना । २ प्रवाहित दरप्पण-देखो 'दरपण' । होना, बहना । ३ ध्वनि करना । दरबंधी-स्त्री० [फा०] किसी वस्तु की कीमत, दर या भाव का निर्धारण, दर। दरडणौ (बो)-देवो 'दडग्णौ (बी)। दरबर-देखो 'दड़बड़'। दरड़ियो-देखो 'दरडो'। दरबांन-देखो 'दरवांन' । दरडो-पु०१ प्रांगन या जमीन में बना विवर, बिल, गड्ढा । दरबांनी-देखो 'दरवांनी'। २ बिना बंधा कूमा। दरबार-पु० [फा०] १ बादशाह, राजा आदि की सभा, दरज-वि० [अ० दजं] लिखित, अंकित । प्रविष्ट । फटा हया। राज्य-सभा । २ कचहरी । ३ किसी ऋषि मुनि या वली -स्त्री० दरार । फटन। का प्राश्रम । ४ सिक्खों का धर्म ग्रंथ रखने का स्थान । For Private And Personal Use Only Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दरबारी । ६३५ ) दरिद -प्राम-पु० ग्राम सभा । -खास-पु० विशिष्ट सभा । ४ प्रांख । ५ पर्यवेक्षण, सर्वेक्षण । ५ रूप, वर्ण, प्राकार । --दारी-स्त्री० दरबार में उपस्थिति । खुशामद, जी ७ समझ, परख, बुद्धि । ८ आईना, दर्पण। ९ धर्म या हजूरी। किसी विषय का तात्त्विक विवेचन, सिद्धान्त । १० नाथ दरबारी-पु० [फा०] १ राज सभा का सभासद । २ द्वारपाल, सम्प्रदाय के साधुओं के कानों के कुण्डल । ११ राजस्थान छड़ीदार । ३ एक राग विशेष । -वि० दरबार का, दरबार की छः जातियों का समूह । १२.७२ कलाओं में से एक । संबंधी। -कान्हड़ी-पु० एक राग विशेष । दरसरणी, दरसणीक, दरसरणीय-वि० [सं० दर्शनीय] १ सुन्दर, दरबौ-पु० १ कबूतर या मुर्गी पालने की संदूक । कोष्ठक । | मनोहर । २ देखने योग्य, दर्शन लायक । ३ मिलने, भेंट २ काल कोठरी । ३ भूत-प्रेतों का निवास स्थान । करने योग्य । --पु० 'खट दरसरण' के अन्तर्गत आने दरम्ब-देखो 'द्रव्य'। वाला व्यक्ति । दरब्बार-देखो 'दरबार'। दरसरणी-हुडी-स्त्री० एक प्रकार की हुंडी। दरम-पु० [सं० दर्भ] कुश, डाभ नामक घास । दरसरणी (बी)-क्रि० [सं. दर्शन] १ दिखाई पड़ना, दिखना । दरमजल-देखो 'दरकूच'। २ महसूस होना, प्रतीत होना, अनुभव होना । दरमाहौ-पु० [फा० दरमाहा] मासिक वेतन । ३ संभावना हाना। दरम्यान-पु० [फा० दरमियान] मध्य, बीच। -क्रि०वि०मध्य | दरसन-देखो 'दरसण' । में, बीच में, दौरान । दरसनी, दरसनीक, दरसनीय-देखो 'दरसणीय' । दरम्यांनी-वि० [फा० दरमियानी] बीच का, मध्यवाला । बीच दरसारणी (बी), दरसालणौ (बौ)-कि० [सं० दर्शन] १ दिखाना, में पड़ने वाला । -पु० मध्यस्थता करने वाला व्यक्ति । दृष्टि गोचर करना, बताना । २ दिखाई देना । ३ नजर दरयाई-स्त्री० [फा०दाराई] साटन नामक रेशमी वस्त्र । -वि० आना । ४ मालूम पड़ना । ५ प्रगट होना । ६ अनुभव [फा० दरियाई] समुद्र संबंधी, समुद्र का। -पु० एक प्रकार होना । ७ स्पष्ट करना, समझाना । का घोड़ा। दरसाव-पु० [सं० दृश] १ दृश्य, नजारा, २ दिखने की क्रिया दरयाव-देखो 'दरियाव'। या भाव, प्रगटन । दररो-पु० [फा० दरः] १ पहाड़ों के बीच का संकरा मार्ग। दरसावणी (बौ)-देखो 'दरसारणो' (बौ)। २ दरार । -वि० [सं०दरण] दरदरा, कणों या रवों वाला दरस्स-देखो 'दरस'। दरव-पु० [सं० दर्व:] १ हिस्रजन। २ उपद्रवी या उत्पाती दरस्सरण-देखो 'दरसरण'। व्यक्ति । ३ राक्षस, दैत्य । ४ कलछी। ५ देखो 'द्रव्य' । दरहरणी (बौ)-क्रि० हवा का चलना। दरवरता-स्त्री० [सं० द्रवता] द्रवत्व, तरलता। दरहाल-क्रि० वि० पल-पल, प्रतिक्षण । हर वक्त । बार-बार । दरवांण (न)-पु० [फा० दरबान] १ द्वारपाल । २ राजदूत ।। दरांती-स्त्री० [सं० दात्र] दांतेदार एक उपकरण विशेष । ३ छड़ीदार । दराड़-देखो 'दरार'। वरवानी-स्त्री० द्वारपाल का कार्य । दरवाजो-पु० [फा० दरवाजा] १ द्वार, दरवाजा । दराज-वि० [फा०] (स्त्री० दराजी) १ बड़ा, महान । २ दीर्घ, २ कपाट, किवाड़। चिर । ३ अच्छा बढिया। ४ अधिक, बहुत । -स्त्री० मेज के दरवायो-पु० हल का एक उपकरण । - नीचे का खन, ड्राअर । दरवी-स्त्री० [स० दर्वी] १ कलछी, चमचा । २ सांप का फन ।। दराणौ (बौ)-देखो 'दिराणी' (बी)। दरवीकर-पु० [सं० दर्वीकर] १ फन वाला सर्प । २ सांप। दरार (रो)-स्त्री० [सं० दर] १ किसी चीज के फटने की जगह, दरवेस-पु० [फा० दरवेश] १ फकीर । २ साधु, महात्मा । फटाव, शिगाफ । २ छिद्र, छेद । ३ बादशाह । ४ मुसलमान । ५ भिखारी, भिक्षुक । दरावरणौ (बी)-देखो 'दिराणी' (बी)। दरस-पु० [सं० दर्श] १ दर्शन, दीदार। २ दृश्य, तमाशा। दरि-पु. १ दरबार, राज-सभा। २ दरवाजा । ३ दग्यिाव, ३ यज्ञ विशेष । ४ अमावस्या की तिथि । ५ छवि, रूप, सागर। सुन्दरता । दरिमाउ, दरियाव-देखो 'दरियाव' । दरसण-पु० [सं० दर्शन] १ साक्षात्कार, भेंट, मुलाकात। दरिद, दरिद्र-वि० [सं० दरिद्र] १ निर्धन, कंगाल, गरीब । २ देखना क्रिया, चाक्षुक ज्ञान । ३ अवलोकन । मुग्रायना । २ भिखारी। -स्त्री० [सं० दारिद्य] निर्धनता, कंगाली। For Private And Personal Use Only Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दरिद्रता दलमट्ठी दरिद्रता-स्त्री० [सं०] निर्धनता, कंगाली । ११ तमाल-पत्र । १२ पत्र, चिट्ठी। १३ शस्त्र का प्रावरण, दरिद्री -वि० १ गरीब, कंगाल । -स्त्री० गरीबी, कंगाली। म्यान । १४ भौंरा । १५ नशा,मद । १६ लड्डू । १७ शरीर । दरिया-देखो 'दरियाव' । दल-१ देखो 'दिल'। २ देखो 'दळ' । दरियाई-देखो 'दरयाई'। दळ-अभंग-पु० [सं० दल अभंग] बलभद्र । दरियाई घोड़ो-पु० गैडे की तरह का एक जानवर विशेष । दळ-पागळ-पु० सेना का अग्रभाग, हरावल । दरियाईनारियळ-पु० तुबे की तरह का एक नारियल । दलक-पु० [अ०दल्क] १ रोजगीरों का एक प्रौजार । दरियाखीर-पु० क्षीर सागर । २ भिखारी की गुदड़ी। ३ सूफियों का लिबास । ४ अंग दरियावासी-स्त्री० निर्गुण भक्ति धारा के अन्तर्गत एक मर्दन । सम्प्रदाय । | दळकणौ (बौ)-क्रि० १ फटना, चिरना। २ यर्राना, कांपना । दरियाफत, दरियाफ्त-वि० [फा० दरियाफ्त] मालूम, ज्ञात ।। ३ चौंकना । ___ -स्त्री० जानकारी, पता । दलगीर-देखो 'दिलगीर' । दरियाव-पु० [फा० दरिया] समुद्र, सागर । दळण-स्त्री० [सं० दलन] १ दलिया बनाने या दलने का कार्य । दरियावजी-पु० रामस्नेही सम्प्रदाय के एक प्रमुख महात्मा। २ मारने या संहार करने की क्रिया या भाव । -वि० संहार दरिसरण-देखो 'दरसण'। करने वाला, पीसने वाला, नाश करने वाला। दरी-स्त्री० [सं०] १ गुफा, गह्वर । २ घाटी ३ तलगृह, दळणी-स्त्री० चक्की। तहखाना। ४ मोटे सूत का बना बड़ा बिछौना।। | वळणी-वि० १ दलने वाला। २ काटने वाला। ३ मारने दरीखांनो-पु० [फा० दर+खाना] १ दरबार लगाने का स्थल । वाला, संहार करने वाला। २ दरबार । ३ घर की मरदानी बैठक । दळणी (बी) दलणी (बी)-क्रि० [सं० दलन] १ दरदरा करना, दरीपट्टी-स्त्री० १ जुलाहों का एक प्रौजार । २ संकरी व | दलिया बनाना । २ संहार करना मारना । ३ नष्ट करना, बर्बाद करना। लंबी दरी। दरीबो-पु० [फा० दर १ बाजार । २ कोठार । ३ ढेर । ४ पान | दळथंभ, बळयंभण-पु० [सं०दल-स्तम्भ] १ सेना का श्रेष्ठ वीर। ___ का बाजार । २ बादशाहों द्वारा दी जाने वाली उपाधि । दळद-देखो 'दाळद' । दरीभुत, दरीभ्रत-पु० [सं० दरीभूत] पर्वत, पहाड़ । दळदरी-देखो 'दरिद्री'। दरीमुख-पु० [सं०] राम की सेना का एक बन्दर । दरोयाखांना-पु० कोई वस्तु विशेष । दळदळ-पु० [सं० दलाढ्य ] १ कीचड़, पंक । २ घने कीचड़ दरीयाव-देखो 'दरियाव' । वाला भू-भाग । ३ अधिक कचरे वाला मामान । ४ बहुत दरून-पु० १ स्तुति, दुपा । २ हृदय, चित्त, प्रात्मा। ही हल्के दर्जे की वस्तु । ५ मैल । ६ बुड्ढी स्त्री। दरेबांण, दरेवाण-देखो 'दरवाण' । दळदार-वि० मोटी परत या अधिक गूदे वाला। दरोग-वि० [अ०] असत्य, मिथ्या, झूठ। -हलफी-स्त्री०-झूठी दलद्र-देखो 'दालद' । दलद्री-देखो 'दरिद्र'। मौगध, झूठी गवाही। दलनाथ, (नायक), दलप, दलपति (पति)-पु० १ सेनापति । दरोगी-वि० समीप रहने वाला, निकटवर्ती । -स्त्री० दासी, २ समुदाय या दल का नेता, सरदार । ३ वीर, योद्धा । सेविका । | दळबट-पु० मच्छर प्रादि के काटने से शरीर पर होने वाला दरोगी-पु. (स्त्री० दरोगगा, दरोगी) १ दास, सेवक । २ देखो चकत्ता, ददोरा । 'दागेगी। दलबलियौ-वि० १ खिन्न चित्त, उदास । २ दुःखी । ३ भूखा । दरोबोस्त-वि० [फा०] कुल, पूरा, पूर्ण । दलबादल-देखो 'दलवादल' । दरोळ, दरोळ-पु०१ विघ्न, बाधा । २ उत्पात, उपद्रव, बखेड़ा, दलभंजण (न)-वि० [सं० दल ---भंजन] सेना का संहार करने विद्रोह । ३ खलबली। वाला, महावीर । -पु. काले या लाल, दाग वाला एक घोड़ा विशेष । दळ-पु० [सं०दल] १ सेना, फोज । २ दल, टोली, गुट । ३ गमूह, शुण्ड । ४ ढेर, राशि । ५ जुड़ी हुई वस्तु का एक भाग। | दलभ-देखो 'दुरलभ'। ६ तह या परत की मोटाई। ७ फल का गुदा । ८ वक्षादि | दलम-पु० [सं० दल्मि] इन्द्र । की पत्ती । ९ फूल की पंखुड़ी । १० भोज्य पदार्थ । दलमट्ठौ दलमठौ-देखो 'दिलमठो' । For Private And Personal Use Only Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वळमळणो । ६३७ ) बवारी वळमळणों (बी)-क्रि० १ कुचलना, रौंदना, मसल डालना। दलेसुर-देखो 'दिल्लीस्वर'। २ मारना, संहार करना। दल-अव्य० हाथियों के लिये एक सांकेतिक शब्द । दलमि-देखो 'दलम' । दळी-देखो 'दळ'। दलमोड़-वि० श्रेष्ठ वीर । दलौ, दल्ली-पु. कपाटों के बीच-बीच में बनी चौकी । दळवइ (दलवइ)-देखो 'दळपति' । दवंग-१ देखो 'दबंग' । २ देखो 'दमंग' । दळवादल-पु० [सं० दलवारिद] १ बड़ा भारी खेमा, बड़ा दव-पु० [सं० दव] १ दावाग्नि, दावानल । २ अग्नि, प्राग । शामियाना । २ बड़ी सेना। ३ मुलायम व कीमती सेज ।। ३ वन, जंगल । ४ देखो 'दावो' । दळसरणगार-देखो 'दळसिणगार' । दवखरण, दवखणप-[सं० दवक्षणप] यमराज । दळसाह-पु० १ सूअर, वराह । २ सेनापति । दवटणौ (बौ)-देखो 'दपटणौ' (बी)। दळसिणगार-पु० [सं० दल-शूगार] १ सेना की शोभा बढ़ाने | बवरण-देखो 'दमन'। वाला वीर । २ सेनापति । दवणौ (बौ)-क्रि० १ जलना, भस्म होना । २ विकृत होना। दळांथंभ-देखो 'दलथंभ। ३ देखो 'दबरणी' (बी)। दळांनाथ-देखो 'दळनाथ' । दवदंति, गवदंती-देखो 'दमयंती' । दळांपति, दळांपती-देखो 'दळपति' । दवना-पु० [सं० दमुनस्] अग्नि । दळांमुकट-पु० [सं० दल+मुकुट] सर्वश्रेष्ठ योद्धा, महावीर ।। दवनौ-देखो 'दमणो'। दळारणी (बौ)-क्रि० १ अनाज का दलिया कराना। २ दरदरा | दवर-पु० [सं० द्वार] दरवाजा, द्वार । या रवादार कराना । ३ संहार कराना। ४ नष्ट कराना, दवांगीर-देखो 'दवागीर' । नाश कराना। दवा-स्त्री० [अ०] १ रोग की औषधि । २ चिकित्सा, दलाल-पु० [अ० दल्लाल] १ वस्तुओं के क्रय-विक्रय में मध्यस्थता उपचार । ३ उपाय, तदबीर । [अ० दुपा] ४ अभिवादन । करने वाला व्यक्ति । २ दो पक्षों में समझौता कराने वाला ५ दुपा। -खांनौ-पु० औषधालय, अस्पताल । औषधि व्यक्ति । -वि० उदार, विशाल हृदय । कक्ष । दलाली-स्त्री० [अ० दल्लाली] १ वस्तुओं के क्रय-विक्रय में दवाइती-देखो 'दवायती,। मध्यस्थता करने पर मिलने वाला द्रव्य । २ दलाल दवाई-१ देखो 'दवा' । २ देखो 'दुहाई' । -खांनी 'दवाखांनो'। का कार्य। दवाग-१ देखो 'दावाग्नि' । २ देखो 'दुवागौ'। ३ देखो दळावरणौ (बी)-देखो 'दळाणी (बौ) । 'दुहाग'। दळि-देखो 'दळ' । दवागरण-देखो 'दुहागण' । दळित-वि० [सं० दलित] १ दला हुआ, खण्ड-खण्ड किया | दवागि, दवागिन, दवाग्नि-देखो 'दावाग्नि'। हुमा । २ कुचला हुआ, रौंदा हुआ। ३ मसला हुआ, मर्दित दवागीर, दवागीरू-वि० [अ० दुआ-गो] १ दुपा देने वाला, ४ विनष्ट किया हुआ । आशीर्वाद देने वाला। २ शुभचिंतक । ३ याचक । दळिद, दळिदर दळिद्द, दळिद्र-देखो 'दरिद्र' । दवाजी-पु. १ धावा, अाक्रमण । २ देखो 'दवागीर' । दळियौ-पु० १ अनाज का दलिया । दला हुआ अनाज । | दवात-पु० [अ०] स्याही रखने का पात्र। -पूजा-स्त्री० २ ऐसे अनाज का पका हुआ खाद्यान्न । दीपावली का तीसरा दिन। इस दिन की जाने वाली दळी-क्रि० वि० चारों ओर, चौतरफ । दवात-पूजा आदि । दली-देखो 'दिल्ली। दवादस-देखो 'द्वादस'। दलीप-देखो 'दिलीप'। दवादसौ-देखो 'द्वादसौ' । दलीपत, दलीपति-देखो 'दिल्लीपति' । दवादस्स-देखो 'द्वादस'। दलील-स्त्री० [सं०] १ तर्क, बहस, वाद-विवाद । २ युक्ति ।। दवानळ-देखो 'दावानळ' । दलीस-देखो 'दिल्लीस' । दवाबत-देखो दवावत'। दळं त-वि० [सं० दलन] नाश करने वाला, संहार करने वाला।। दवायती-स्त्री० अनुमति, स्वीकृति, प्राज्ञा । दलेची-स्त्री० मकान के बाहर चबूतरी पर बना खुला कक्ष । दवार-देखो 'द्वार। दलेल-वि० १ विशाल हृदय, उदार । २ बहादुर (मेवात)। दवारका-देखो 'द्वारका'। दलेस-देखो 'दिल्लीस' । दवारी-स्त्री० [सं० दव-अनि] दावाग्नि । For Private And Personal Use Only Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दवारो । ६३८ । दससतकमळ दवारी- १ देखो 'द्वार' । २ देखो 'द्वारौ'। दसद्वार-पु० [सं० दशद्वार] कान, नाक प्रादि शरीरस्थ दश दवाळ-देखो 'द्वाळी'। छिद्र, द्वार। दवाल-१ देखो 'दीवार' । २ देखो 'दुवाळ' । दसधा-वि० [सं० दशधा] दश प्रकार का। दवाळी-स्त्री० तलवार बांधने का उपकरण । दसधू-पु० [सं० दशधृ] रावण, दशानन । दवाळी-१ देखो 'देवाळौ' । २ देखो 'द्वाळी' । दसन-देखो 'दसण'। दवावैत-स्त्री० [अ० बैत] राजस्थानी भाषा की एक गद्य रचना । दसनच्छद-पु० [सं० दशनच्छद] ओंठ । अधर । दवासु, दवासू, दवासौ-पु० नगाड़ा। दसनबीज-पु० [सं० दशनबीज] अनार । दवि-स्त्री० [सं० दव] दावाग्नि, दावानल । दसनरोग-पु० [सं० दशन रोग] दांतों का रोग। दवायण-देखो 'दुरवचन'। दसनाम (नांमी)-पु० [सं० दशनामी] संन्यासियों का एक भेद । दवया-पु० एक छन्द विशेष । दसप-पु० [सं० दशप] दश गावों का अधिपति । दव्व-१ देखो 'द्रव्य' । २ देखो 'दव'। दसपधण (धन)-पु० [सं० दशापधन] दीपक । दस-वि० [सं० दश] नौ और एक । -पु० दश की संख्या व | दसभूतवर-पु० [सं० दश भूतवर] सत्य, सांच । __ अंक, १० । देखो 'दिसा'। दसम-वि० [सं० दशम] दशवा । -स्त्री० दशवीं तिथि । दसकंठ, (कंद कंध, कंधर)-पु० [सं० दशकंठ, स्कंध] रावण । दसमउ-देखो 'दसमौ'। दसक-पु० [मं० दणक] दश का समूह । -वि० दश गुना, | दसमथ, वसमथ्थ-देखो 'दसमाथ' । दश युक्त । दसमि, दसमी-स्त्री० माह के प्रत्येक पक्ष की दशवी तिथि । दसकत, दसकत्त-पु० [फा० दस्तखत] हस्ताक्षर । -वि० दशवीं। दसकरम-पु० [सं० दशकर्म] स्त्री के विवाह से गर्भाधान तक | दसमुख, दसमुखि, दसमुखी-पु० [सं० दशमुख, रावण । के दश संस्कार। दसमुदरा-स्त्री० [सं० दशमुद्रा] योग की दश मुद्रायें। बसकातर-पु० मृतक के पीछे दशवें दिन के पिण्डदान आदि । । दसमुद्रिका-स्त्री० [सं० दशमुद्रिका] एक प्राभूषण विशेष । दसकोसी-स्त्री० [सं० दशकोषी] रुद्रताल के ग्यारह भेदों में दसमूळ-पु० [सं० दशमूल] एक औषधि विशेष । से एक। बसमो-वि० [सं० दशम्] (स्त्री० दसमी) १ नो के बाद वाला, दसवीर-पु० [सं० दशक्षीर गाय, भैम, बकरी, स्त्री प्रादि दश दशवां । २ दश के स्थान वाला। -पु० १ मृतक का दशवां __ मादा प्राणियों का दूध । दिन । २ इस दिन के संस्कार। --दुपार, द्वार-पु० ब्रह्म दसग्रीव-पु० [म० दशग्रीव] रावण । रंध्र । - साळगरांम-पु. श्रेष्ठ योद्धा की एक उपाधि । दसचरण-पु. [सं० दशचरण] रथ । दसमौळि (ळी)-पु० [सं० दशमौलि] रावण । दसजोगभंग-पु० [सं० दशयोगभंग] ज्योतिष में एक नक्षत्रवेध । दसरंग-पु० माल खंभ की एक कसरत । दसण-पु० [सं० दशन] १ दांत, दत । २ पर्वत, शिखर । दसरथ (थि , थी)-पु० [सं० दशरथ] अयोध्या के एक सूर्य वंशी दसणांण-पु० [सं० दशानन] रावण । राजा, श्रीराम के पिता। -तण, रावउत, सुत-पु० दसत-१ देखो 'दस्त'। २ देखो 'दहसत' । श्रीराम । वसतगीर-देखो 'दस्तगीर'। दसरात्र-पु० [सं० दशरात्र] दश रात्रियों तक चलने वाला यज्ञ । दसतांन (नो)-देखो 'दस्तांनो' । दसरावो, दसराहौ-पु. १ दशहरा। २ विजयादशमी को मेंट दसतावेज-देखो 'दस्तावेज' । दिया जाने वाला द्रव्य । ३ चैत्र शुक्ला दशमी का दिन । दसतावेजी-देखो 'दस्तावेजी' । ४ ज्येष्ठ शुक्ला दशमी का दिन । वसतूर-देखो दस्तूर'। दसळी (लो)-पु० ताश का एक पत्ता । दसतोदर-पु० [सं० दस्तोदर] कुबेर । दसवन-पु० [सं० दुश्चयवन] इन्द्र । दसतो-१ देखो 'दस्तो'। २ देखो 'दस्तांनो' । दसवाजी-पु० [सं० दशवाजिन्] चन्द्रमा । दसत र-देखो दस्तूर'। दसवाहु-पु० [सं० दशवाहु ] शिव, महादेव । दसदिनेस-पु० [सं० दिनेश सूर्य । दसवीर-पु० [सं० दशवीर] एक सत्र या यज्ञ का नाम । दसदोस-पु० [सं० दशदोप] राजस्थानी काव्य में माने गये | दसवौं-देखो ‘दसमौं'। -द्वार='दसमौद्वार' । दशदोष। | दससतकमळ-पु० [सं० दशशतकमल] महस्रार्जुन । For Private And Personal Use Only Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दससिर वस्तूर दससिर, दससीस-पु० [सं० दशशिर] रावण. दशानन । दसी-१ देखो 'दमा'। २ देखो दिमा' । - धर-पु. रावण। दसुटण-देखो दसोग'। दसस्यदन पु० [सं० दशस्यदन] राजा दशरथ । बसूद,दसूदी, दसूध-स्त्री० [सं० दशमांधस] १ ब्रह्म भटों को दसांग-पृ० सं० दशांग] एक प्रकार का धूप । प्रदत्त की जाने वाली एक उपाधि । २ इस उपाधि के दसण-देखो 'दसा रगा'। उपलक्ष में दिया जाने वाला द्रव्य । ३ ऐमी उपाधि धारी दसा-स्त्री० [सं० दशा] १ अवस्था, स्थिति, हालत । २ मानव ब्रह्मभट । ४ कृषि उपज का दशवा भाग। -वि० 'दसूद' जीवन की अवस्था । ३ माहित्य की दश अवस्थाएँ । लेने वाला। ४ दीपक को बत्ती । ५ ग्रह योग, भोग काल । ६ काल, | दसू-पु० [सं० दस्यु] १ चोर, डाक । २ शत्रु । अवधि । ७ परिस्थिति हालत । ८ मन की प्रकृति । दसूट्ठरण, दसूण-देखो 'दसोटण' । ९ कपड़े की झालर । १० उम्र। बसेंधरण-पु० [सं० दशा-इंधनम् ] दीपक । दसामवतार-पु० [सं० दशावतार] १ प्रकाश, ज्योति । वसे'क-वि० [स० दश+एक] दश के लगभग । २दीपक । दसया-देखो 'दमाइयां'। दसाइयां, दसाइयां-स्त्री० लग्न के बाद वर-वधू को दिये जाने वसोटण-पू० [सं० दशोत्थान] पुत्र जन्म के दश दिन या दश वाले दश भोज। ___मास बाद किया जाने वाला उत्सव । देसाक रख (करण)-पु० [सं० दशाकर्ष ] दीपक । दसोतरी-स्त्री० [सं० दशोत्तर शतम्] सौ के बाद वाले दश । दसाणण (रिण, पी)-पृ० [सं० दशानन रावण । दसौंठरण-देखो 'दसोटण' । दसातीर-पृ० फग्मी लोगों की एक धार्मिक पुस्तक । दसौ-पु० [सं० दशम्] १ दसवां वर्ष । २ दश का अंक, १० । दसादहाड़ो, दसादा' डो-देखो 'दमागेदाडौ' । ३ वर्ण संकर । ४ अपनी जात या गोत्र में नीचा । दसाधिपति-पु. [सं० दशाधिपति] १ ज्योतिष का ग्रह । २ दश दस्ट. दस्टी-देखो 'द्रस्टि' । सैनिकों का प्रभारी। दस्तंदाजी-स्त्री० [फा०] हस्तक्षेप, दखल । दसापत-देखो दिशापति'। दस्त-स्त्री० [फा० दस्त] १ हाथ । २ पतला विरेचन । --गोर सापवित्र-पु० [सं० दशापवित्र] दिक्पाल, दिग्पाल । --वि० हाथ पकड़ कर सहारा देने वाला, सहायक । -ताळ दसापोत-० [सं० दशापोन] १ प्रकाश। २ दीपक । -स्त्री० भनाओं पर करतल मारने की क्रिया। -पनाह दसभव-पु० [सं० दशाभव] १ दीपक । २ प्रकाश । -पु० चिमटा. हाथों के दस्ताने व कवच -पोसी-स्त्री. दसार-पु० [सं० दशाई] १ धष्ट राजा का पुत्र । २ राजा वृष्णि हाथ चूमने के क्रिया। --फोती-पु० मारने के लिये किया का पौत्र । ३ वृष्णि, वंशीय गजानों का अधिकृत देश। जाने वाला हस्त-प्रहार। ---बद, बंध-पु० कलई का एक बसाररण-पु० [स० दशाणं] १ विध्य पर्वत के पूर्व का एक प्राभूषण विशेष । नृत्य का एक भेद। हाथ जोड़ने की प्रदेश । २ इस प्रदेश का निवासी या राजा। ३ तंत्र का | क्रिया । कोष्ट बद्धता ।---बुगचौ-पुoहाथ में रखने का थैला । एक दशाक्षरी मंत्र । दस्तरि, दस्तरी-स्त्री० १ कागज का मोटा गत्ता। २ मारबाड़ दसारोडोरौ-पु० दश तारों का एक सूत्र विशेष । शासन का एक विभाग। दसा-रो-दा'डौ-१० होली के दशवें दिन किया जाने वाला एक दस्तान-१ देखो 'दास्तान' । २ देखो 'दस्तांनो' । व्रत विशेष । दस्तांनी, दस्तांनो-स्त्री० [फा० दस्तानः] १ हाथ का कवच, दसावळ-क्रि० वि० दशों दिशाओं में, चारों ओर। __ हस्तत्राग । २ हाय का मौजा । दसावहारी-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । दस्तार-स्त्री० [फा०] पगड़ी। दसावीसी-पु० एक प्रकार का खेल । दस्तावर-वि० [फा०] विरेचक, दस्तकारक । दसासृत-पु० [सं० दशा-सुत] दीपक । दस्तावेज--पू० [फा०] लिखित पत्र, व्यवस्था पत्र, ऐसा लिखित दसासूळ-देखो 'दिमासूळ' । पत्र जो भविष्य में साक्षी के रूप में माना जा सके। दसास्वमेध--पु १ काशी का एक तीर्थ । २ प्रयाग में त्रिवेणी का दस्तावेजी-वि० [फा०] दस्तावेज संबंधी। एक घाट । दस्ती-वि० [फा०] हाथ संबंधी, हाथ का । दसियो-वि० १ नो के बाद वाला. दश के स्थान वाला। २ दश दस्तूर-पु० [फा०] १ नियम, कायदा । २ रश्म, रिवाज । नंबरी । बदमाश, लोफर, अवारा । ३ उपद्रवी । ४ धोखे ३ कानून, विधि । ४ व्यवहार, परंपरा। ५ रियायत, बाज । ५ गुडा। -पृ० १ दशवां भाग । २ देखो 'दसौ'। । कटौती । ६ मेंट लेने का हक । ७ फारसियों का पूरोहित । For Private And Personal Use Only Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दस्तूरी । ६४० ) बस्तूरी-स्त्री० [फा०] कटौती, हक, कमीशन । -वि० वैधानिक, दहमंग, दहमग-पु० [सं० दश-मार्ग] १ ध्वंस, तहस-नहस । कानुनी। २ विनाश, संहार। दस्तो-४० [फा० दस्त:] १ किसी औजार प्रादि का हत्था, दहमथ (माथ)-देखो 'दसमाथ' । मूठ, बेंट । २ किसी पात्र का हेडिल । ३ फूलों का गुच्छा, | दहमुख, दहमुखी-देखो 'दसमुख' । गुलदस्ता । ४ सिपाहियों का छोटा दल । ५ चौबीस खाली | दहल-स्त्री० [सं० दर:] १ डर, भय, आतंक, त्रास । २ संताप, कागजों का समूह । ६ झगड़ा, टंटा, फिसाद । -वि० हाथ दुःख । ३ भय से कंपन । ४ धाक, रोब, प्रभाव । में रहने या प्राने लायक । दहलणौ (बो)-क्रि० [सं० दर:] १ डरना, भय खाना । दस्थावड़-स्त्री० बुने हुए कपड़े के छोर का आधा बुना भाग। २ संतप्त होना, दुःखी होना। ३ भय से कांपना। ४ धाक दस्सरण-देखो 'दरसरण' । या रौब पड़ना। दस्सा -देखो 'दसा'। दहलारणौ (बी), बहलावणौ (बी)-क्रि०१ डराना, भय दिखाना । दस्सी-देखो 'दमौ'। २ संतप्त करना, दुःखी करना । ३ भय से कंपाना । ४ धाक दह-पु० [सं० ह्रद] १ नदी का गहराई वाला स्थान । २ पोखर, | जमाना, रौब लगाना। गड्ढा । ३ बड़ा खड्डा । ४ कुण्ड, हौज। [सं० दह] | दहली-देखो 'दिल्ली'। ५ ज्वाला, लपट । ६ अग्नि,माग । ७ दावाग्नि । -वि० दहलोत-वि०भयभीत करने वाला, पातंकित करने वाला। [सं० दश] दश। दहल्ळ-देखो 'दहल'। दहकंध, दहकंधर -देखो 'दसकंठ' । दहल्लणौ (बौ)-देखो 'दहलगो' (बी)। बहक दहकरण-स्त्री० [सं० दहन] १ अग्नि का प्रज्वलन । दहवट. (वटि, बट्ट, वाट, वाटौ)-पु० [सं० दश-वाट] १ संहार, २ ज्वाला, लपट । ३ लज्जा, शर्म । ४ ताप । विनाश । २ ध्वंस, नाश। ३ अातंक, डर, भय । ४ दशों दहकरणौ (बी)-कि० [सं० दहन्] १ अग्नि का जलना, धधकना। दिशाओं के मार्ग। २ प्रदीप्त होना, सुलगना। ३ तप्त होना। ४ डरना, | दहवन-स्त्री० [सं० दधिवा ] गाय । भयभीत होना । ५ कांपना । दहसत दहसति, दहसत्त-स्त्री० फा० दहशत] १ अातंक, डर, दहकमळ-पु० रावण, दशानन । भय, खौफ । २ धाक, रौब । दहकारणों (बौ), दहकावरणौ (बी)-क्रि० [सं० दहन्] १ अग्नि | दहसोत-देखो 'देसोत' । को जलाना, धधकाना । २ प्रदीप्त करना, सुलगाना। दहाई-स्त्री० [सं० दह] दण के मान की संख्या, इकाई के ३ तप्त करना, तपाना। ४ डराना, भयभीत करना। पीछे का अंक । ५ कपाना। दहाड़--स्त्री० १ जोर की आवाज, भारी या घोर शब्द । २ शेर बहकरणी (बी), दहक्कवरणी (बी)-देखो 'दहकरणी' (बी)। आदि की गर्जना । ३ घन-धोर गजंन । दहरण-स्त्री० [सं० दहन] १ जलन, दाह । २ प्रज्वलन, दिहाडणी (बी)-क्रि० १ जोर का शब्द करना । २ गर्जना। धधकन । ३ अग्नि, आग । ४ कुढ़न, जलन । ५ एक रुद्र | ३ क्रोध में जोर से बोलना । ४ देखो दहाणी' (बी)। का नाम । ६ ज्योतिष में एक योग । ७ ज्योतिष में एक | दहाड़ा-14° १ दहाड़ी-वि० १ अातंक व रोब वाला, आतंकित करने वाला। वीथी। ८ तीन की संख्या। -वि० १ जलने योग्य । २ जबरदस्त । ३ गर्जने वाला। ४ वयोवृद्ध, अनुभवी । २ जलाने वाला, भस्म करने वाला । ३ नाश करने वाला। ५ पुराना, प्राचीन । दहाड़ो-देखो 'दिवस'। दहणी-देवो 'दाहिणो' । बहारणी (बौ), दहावणी (बो)-क्रि० [सं० दहन] १ भस्म करना, बहरगी(बी)-क्रि० [सं० दहन] १ जलना, भस्म होना । जलाना । २ संतप्त करना, कुढाना । ३ प्रज्वलित करना । २ धधकना, प्रज्वलित होना । ३ संतप्त होना, दुःखी होना, ४ नष्ट करना, मारना। ५ दूर करना, मिटाना। ६ दाहकुढ़ना । ४ नष्ट होना, मारा जाना । ५ भस्म करना, संस्कार कराना। जलाना । ६ नाश करना, विनाश करना । ७ दूर करना, | दहावन-स्त्री० [सं० दीर्घ+अवन] गाय । मिटाना । दाह संस्कार करना । ९ संतप्त करना । दहि, दही-देखो 'दस' । २ देखो 'दई' । दहदहणौ (बो)-क्रि० कांपना, थर्राना, डरना । दही-कोरडी-पु० एक देशी खेल । दहन, बहन-देखो 'दहण' । दहीयो-देखो 'दई'। दहबट्ट, दहबाट-देखो 'दहवट' । | दहूँ-देखो 'दहू'। For Private And Personal Use Only Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org दांतुसळ फौलाद । दहुए, दहऐ, दहंधा, वहुंवां-क्रि० वि० दोनों प्रोर, दोनों तरफ। दांणी-पु० १ कर लेने वाला कर्मचारी । २ दाख । -वि० दोनों। दाग-१ देखो 'दानव' । २ देखो 'दारणो' । द, दहू-वि० दोनों । दाणेदार-वि० जिसमें दाने या रवे हो, रवादार । --पु. दहेज-पु० [अ० दहेज] कन्या का विवाह कर विदाई के समय १ बढ़िया लोह की तलवार । २ एक प्रकार का बढ़िया दिया जाने वाला सामान, द्रव्य आदि । दहेलो-वि०दुर्लभ, कठिन । दांणी-पु० [फा० दानः] १ अनाज, अन्न । २ अनाज या किसी दहोडणी (बी)-क्रि० संहार करना, मारना । पदार्थ का करण । ३ रवा । ४ घोड़े, सुपर ग्रादि को दहोतरसौ-वि० [सं० दशोत्तरशत] एक सौ दश । खिलाने का अनाज । ५ बीज । ६ नग, खण्ड, टुकड़ा । दां-स्त्री० [फा०] दफा, बार । -वि० जानने वाला, ७ किसी वस्तु की सतह का रवादार उभार । ८ शरीर ज्ञाता, सर्वज्ञ। पर किसी रोग के कारण होने वाले दाने । ९ एक प्रकार दांइंदौ-वि० (स्त्री० दाइ दी) समवयस्क, हम उम्र । की शक्कर । १० देखो 'दांणव'। दांइ, दाई-स्त्री० १ आयु, उम्र। २ बार, दफा, मर्तबा । दांत, दांतडलो-पु० [सं० दन्त] १ प्राणियों के मुह में बना, ३ तरफ, प्रकार, भ्रांति । खाना चबाने का ठोस व तीक्ष्ण अवयव, दंत, दशन, रदन । दांगड़ी-स्त्री० कपाट के पिछले भाग में लगा काष्ठ का २ दांत की तरह बना किसी उपकरण का भाग । छोटा डण्डा या पट्टी। [सं० दांत] ३ पालतू या सीधा बैल । ४ दाता । ५ दमनक दांगी-स्त्री० १ बाल, भुट्टा । २ जुलाहों की कंघी में लगी रहने | वृक्ष । -वि० १ पालतू । २ वशवर्ती । ३ उदार । ४ त्यक्त । वाली लकड़ी। ३ एक वाद्य विशेष । ५ इन्द्रियजित । -कथ, कथा-दंतकथा' । दांगो-वि० हृष्ट-पुष्ट, मजबूत । दांतईल-पु० सूअर, शूकर । दांडाजिनिक-पु० पाखण्डी या ढोंगी साधु । -वि० छलिया, | दांतण, (रिण, सी) दांतणियो-पु० [सं० दंत-मज्जन] १ दांत कपटी। साफ करने की क्रिया, दंत मंजन । २ दांत साफ करने में दांडी-देखो 'डांडी'। काम पाने वाला पदार्थ, मंजन । ३ नीम, बबूल आदि की दांडू-देखो 'दाड़म'। हरि टहनी । ४ एक लोक गीत । दाण-पु० [सं० दान] १ शतरंज, चौपड़ आदि में चाल, दाव ।। दांतबसन-पु० [सं० दंत-वसनम्] प्रोष्ठ, अधर । २ चाल के लिए पाशा या कौड़ी फेंकने की क्रिया । ३ दाव दांतळी-वि० १ बड़े दांतों वाली । २ बिना बात हंसने वाली। पर रखा जाने वाला द्रव्य या मामान । ४ समय, वक्त । -स्त्री० छोटी हंसिया । ५ बार, दफा । ६ ऊंट के अगले पैरों का बंधन । ७ देखो | दांतळं ल-देखो 'दांतडैल'। 'डांग' । ८ देखो 'दान' । दांतळी-वि० [स० दंतुर (स्त्री० दातळी) १ बड़े दांतों वाला। दाणउ-१ देखो 'दांणो' । २ देखो 'दान' । २ बिना बात हमने वाला। -पु० हंसिया। दारण-दपाण, दाग-दापो-पु० १ सरकारी कर । २ जगात । दांताळी-देखो 'दंताळी'। दांणदार-देखो 'दादार'। दांताळो-पु० [सं० दंतावल] १ हाथी, गज। २ देखो 'दांतळो' । दाणपुरधारण-पु० मंत्री। दांति-देखो 'दांती'। दाणमंडही-स्त्री० दान देने का स्थान । दांतियो-पु० [सं० दांतिक] १ खरगोश । २ सियार । ३ डोली। दांरण-लीला-देखो 'कानलीला'। -वि०-दांत का बना । दांणव-पु० [सं० दानव] १ अमुर, राक्षस । २ दुष्ट । ३ यवन दांतिळउ-देखो 'दांतळो' । -गुर, गुरु-पु० शुक्राचार्य । -राई, राय, राह-पु० दांती-स्त्री० [सं० दंत] १ हाथी दांत प्रादि के चूड़े बनाने का हरिण्य कश्यप, राजा बलि, रावण, बादशाह । व्यवसाय करने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति । दाणवत-पु० [सं० दानव-पुत्र] प्रफीम । २ कंघी । ३ कंघी से बाल साफ करने के लिये डाग लपेटने दाणवि, दाणवी-वि० [सं० दानवीय] दानव सम्बन्धी, आसुरी। की क्रिया या ढंग। ४ कंघीनुमी कुदाली। ५ दातां की -स्त्री० राक्षसी। पंक्ति, बत्तीसी । ६ एक वृक्ष विशेष । ७ आत्म संयम । दाणव-देखो 'दोगाव'। ८ वशीकरण । ९ देखो 'दांतो' , दाणादार-देखो 'दाणेदार'। दांतीळ-पु. [सं० दंतुर] चार दांत वाला ऊंट । दाणापारणी-पु० १ अन्न-जल । २ जीविका । ३ रहने का संयोग। | दांतूसळ-देखो 'दंतूमळ' । For Private And Personal Use Only Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दांतेह । ६४२ ) दामिण दांतेरू-देखो 'दंतेरू। | दांनोक-वि० [फा०] १ बुद्धिमान, अक्लमंद । २ दान करने दांती-पु० [सं० दंत] १ दांतनुमा कंगूरा । २ नुकीला भाग, बीच वाला, उदार । ३ वृद्ध । में निकली कोई नोक । ३ 'कुळी' नामक कृषि उपकरण दांनीरिप-पु० [सं० दानिन्-रिपु] अर्जुन, पार्थ । का एक अवयव । -वि. दांत का। दानेसरी दांनेसबर, दानेसुर-वि० [सं० दानीश्वर] दान देने दांत्युरणी-स्त्री० जमाल घोटे की जड़ । म में श्रेष्ठ । दांत्यो-१ देखो 'दांतियो' । २ देखो 'दांतो' । । दांनो-पु० [फा० दाना] (स्त्री० दानी) १ अक्लमंद, बुद्धिमान । दांदड़-देखो 'दांनड़। २ वयोवृद्ध, अनुभवी । ३ सज्जन । ४ हितैषी,शुभचिन्तक । दांन पू० [सं० दान १ धर्म या पुण्य अर्जन करने के लिये ५ देखो 'दांरणो' । ६ देखो ‘दाणव' । याचकों को कुछ देने की क्रिया । २ याचकों को उदारता | दांपत्य-वि० [सं०] दम्पती संबंधी, पति-पत्नी संबंधी । पूर्वक बांटा जाने वाला द्रव्य या पदार्थ । ३ भेंट, पुरस्कार। -पु० पति-पत्नी का प्रेम संबंध व व्यवहार । ४ देना क्रिया, सुपुर्दगी। ५ बटाई, वितरगा। ६ धूस, | दांभिक-वि० [सं०] १ पाखण्डी, अाडम्बरी। २ घमण्डी, रिश्वत । ७ हाथी का मद । ८ बैठक, प्रासन । ९ देखो । अहंकारी । ३ धोखेबाज, ठग। 'दाण'। -अयन-पु० दाता,दानो। -गुर, गुरु-पु० महादानी, दाम, दामड़ियो, दांमड़ौ-पु० [सं० द्रम्म] १ एक रुपये का ४०बां दानवीर ।-पति-पु० सदा दान करने वाला दानी । अवर । भाग, एक सिक्का । २ पैसे का पच्चीसवां भाग । ३ पैसे -पत्र-पु० दान की हुई सम्पत्ति के संबध में लेख्य पत्र । के बराबर एक प्राचीन मिक्का । ४ द्रव्य, धन । ५ वस्तु ---पात्र-पु० दान के लिये उपयुक्त याचक । --लीला-पु० की कीमत, मूल्य । [सं० दाम] ६ एक प्रकार की नीति । श्रीकृष्ण की एक बाल लीला। ---वारि-पु० हाथी ७ माला, हार, लड़ी। ८ रज्जु, रस्सी। ६ डोरा, धागा । का मद । -वीर-पु. माहस पूर्वक दान करने वाला, १० कमर बंद । ११ रेखा, धारी । १३ बंधन । -वि० महादानी। -साळा-स्त्री० याचकों को दान देने का किंचित, जरा, कम। स्थान । --सील-वि० दान करने की भावना वाला। दांमट्ठी-पु० [सं० दामिट्टी] इन्द्र की रथ सेना का सेनापति । दांनक, दांनख-पु० [सं० दानक] बुर। व कुत्सित दान । दांमण-पु० [फा० दामन] १ वस्त्र का छोर । २ प्रोढ़णी। दांनड़-पु० कूड़ा करकट। ३ ओढणी का पल्ला । ४ पहाड़ के नीचे की भूमि । दानव-देखो 'दाणव' । -गुर, गुरु='दारगवगुरु' । ५ बंधन । ६ घन घटा । ७ देखो 'दांमरणी' । ८ देखो दानवज्र-पु० [सं० दानवज्र देवताओं की सवारी के अत्यन्त 'दांमणौ'। ९ देखो 'दावण'। १० देखो 'दांमौ' । वेगवान अश्व । -वि० १ बंधन में डालने वाला । २ चचल । दानवी-स्त्री० [सं० दानवी] दानव स्त्री, राक्षसी । दांमरगणौ (बी)-क्रि० ऊंट, बैल, घोड़े आदि के पैर बाधना । -वि० [सं० दानवीय] आसुरी, दानव संबंधी । दांमणगीर-वि० [फा० दामन-गीर] दामन पकड़ने वाला। दांनघू-देखो 'दाणव' । दांमणि-देखो 'दांमणी'। दानवेंद्र-पु० [सं० दानवंद्र] १ राजा बलि । २ रावण ।। दामरिणयौ-वि० [सं० दमन] १ दमन करने वाला। ३ हरिण्य कशिपु। २ देखो 'दामणी'। दांनसागर-पु० [सं० दानसागर] एक प्रकार का महादान ।। दांमरणी-स्त्री० [सं०दामिनी] १ बिजली, विद्युत। [सं० दामनी] दांनाई-स्त्री० [फा० दानाई] १ वृद्धिमता, अक्लमंदी। । २ रस्मी, रज्जु । [सं० दाम] ३ विधवा स्त्रियों के शिर २ वृद्धावस्था। की एक प्रोढनी विशेष । ४ शिर का एक प्राभूषग विशेष । दांनादकी-स्त्री० [सं० दान] दान लेने का अधिकार । दामरणेस-देखो 'दांमणी'। दानाध्यक्ष-पु० [स० दानाध्यक्ष] वह जिसके द्वारा दान किया दांमणी-पु० [सं० दाम, दामनी] १ दुहते समय गाय के पीछे हुआ द्रव्य बांटा जाय। के पैर बांधने की छोटी रस्सी। २ ऊंट, घोड़े आदि के दांनापण-पु० १ अक्लमंदी, बुद्धिमता । २ बुढ़ापा । अगले पैर बांधने की रस्सी । -वि० बांधने वाला। दांनि-१ देखो 'दानो' । २ देखो 'दांन' । | दांमरणी (बी)- क्रि० [सं० दमन] १ बंधन में डालना, बांधना । दांनिसमंद-वि० [फा० दानिशमंद बुद्धिमान । २ दमन करना। दांनी-बि० [सं० दानिन्] १ दान करने, पुण्य करने, धर्मादा दामाद-पु० [फा० दामाद] पुत्री का पति, जमाता । करने वाला । २ भेंट करने वाला । ३ दाता, उदार । दांमाळी-वि० १ धन का लोभी। २ धनवान, अमीर । -पु० १ राजा कर्ण । २ दानो व्यक्ति । दामिण, दामिणी, दामिन-देखो 'दामणी' । For Private And Personal Use Only Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दामोदर www.kobatirth.org दामोदर - पु० [सं० दामोदर ] १ श्रीकृष्ण । २ ३ ईश्वर । ४ एक जैन तीर्थ कर का नाम । ५ रुपया, रखने की लंबी थैली । दामोदाम वि० पूर्ण । दांमी पु० [सं० दाम ] परस्पर जुड़ा अंगूठियों का जोड़ा । बांब-१ देखो 'दाम' २ देखो 'दाव'। । ६४३ विष्णु । । पैसा दांवरण- १ देखो 'दांमरण' । २ देखो 'दांमरणो' । ३ देखो 'दावड़' | ४ देखो 'विदावण' । दवी (बी) देखो 'दामणी (दो)। दांवर (गी ) - १ देखो'दांमरण' । २ देखो 'दांमणी' । दरियांणी १ देखो 'दांमणी' २ देखो 'दांमणियों'। दांवरणौ (at) - देखो 'दांमणी' (बी) । दांवां स्त्री० रहट की माल में लगे रस्सी के टुकड़े । दहि-देखो 'दाहिणों' बरत 'दक्षिणावरत' । दांहिरणौ - देखो 'दाहिणी' । (स्त्री० दाहिणी ) । दा- पु० १ दान । २ प्र ेम । ३ पर्वत । ४ शुभ । ५ लक्ष्मी । - वि० दातार । - श्रव्य० का । दाइ - १ देखो 'दाई' । २ देखो 'दाय' | दाइज, दाइजउ, दाइजो - देखो 'दायजी' । दाई - स्त्री० [सं० धात्री ] १ प्रसव कराने वाली स्त्री । धात्री । २ दूसरे के बच्चे को दूध पिलाकर पालन करने वाली स्त्री, धाय । ३ प्राया । ४ तरह भांति । वि० १समान, तुल्य । २ देखो 'दाय' । दाईजो - देखो 'दायजो' । दाउ - पु० १ प्राक्रमरण, हमला | २ अचानक फेंका पदार्थ । ३ देखो 'दाव' | दाउदी देखो 'दाद दाउनू पु० ग्राभूषणों पर खुदाई करने का बजार । बाऊ, बाऊजी पु० [सं०देव] १ श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम २ बड़ा भाई । ३ देखो 'दाव' । ४ एक लोक गीत । दाऊदखानी - पु० [फा० दाऊदखानी ] १ अच्छी जाति का सफेद गेहूँ । २ एक प्रकार का चावल । ) दाखिलात् वि० [सं०] दक्षिण का, दक्षिण संबंधी पु० १ दक्षिण देश । २ भारत का दक्षिणी भाग । ३ दक्षिण का निवासी । ४ नारियल दाखिणात्य- देखो 'दाक्षिणात्य' । बाखख देखो 'दाक्षिणिक' । --- दाखिल वि० [०] १ प्रविष्ठ २ मिला हा सम्मिलित, । हुआ, शरीक । ३ भर्ती । ४ अन्दर पहुंचा हुआ । - खारिज - पु० जायदाद के कागज पर पूर्व मालिक का नाम काट कर वारिस का नाम लिखने की क्रिया । अन्दर-बाहर होने की क्रिया । - दफ्तर - वि० प्रतिवेदन या पत्र अस्वीकृत होकर मिसल में नत्थी । दादा'। दाखी देखो 'दाक्षी'। दाखी - पु० [सं० दाक्षिण्य] अनुकूलता । बाग- पु० [फा० दाग ] १ पशुश्रों के शरीर पर अग्नि दग्ध करके किया गया निशान । २ वस्त्रादि पर लगा धब्बा | ३ दग्ध होने का निशान | ४ चिह्न । ५ कलंक, दोष, लाखन । ६ पापघ । ७ अपराध | [सं० दग्ध ] श्रग्नि । ९ जलन । १० दाह । ११ दाह संस्कार | १२ दुःख । १३ शोक । दाऊबी - पु० श्वेत पुष्पों वाला एक पौधा व उनका फूल । दाश्री- देखो 'दावो' । चाकल - देखो 'धाकल' । दाकळणौ (बौ) - क्रि० ललकारना, फटकारना, धमकाना । दाक्षिण-पु० [सं०] १ एक होम का नाम । २ यशीय दक्षिणाय ०१२ उस सुदेश - ठग, । दागड़ो-देखो धागड़ी' । की वस्तुओं का समुच्चय । वि० १ यज्ञीय दक्षिणा संबंधी । २ दक्षिण दिशा संबंधी । 1 ३ जलाना । दागलो (बी) फ० [सं०] दम्प] १ पशुओं के दाग लगाना, दग्ध करना । २ दाह क्रिया करना ४ चिह्नित करना, निशान लगाना । आदि छोड़ना । ५. तोप, बन्दूक Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दागणी दाक्षिणिक - पु० [सं०] १ एक प्रकार का कर्म बंधन । २ यज की दक्षिणा संबंधी वस्तु । दाक्षी - स्त्री० [सं०] १ राजा दक्ष की कन्या । २ पाणिनी की माता । दाख-पु० [सं० द्वासा] १ सूखा बंगुर, द्राक्षा, किशमिश । २ मुनक्का । ३ अंगूर । दाखणौ - वि० [सं० दृश] १ दिखाने वाला । २ प्रकट करने वाला । ३ कहने वाला 1 ४ वर्णन करने वाला, कथने वाला । (a 1 दावणी (यौ) ० [सं० [१] १ दिखाना २ कहना, बोलना ३ वर्णन करना, कथना । ४ देखना । दाखल - देखो 'दाखिल' । खारिज 'दाखिल खारिज' । - दफ्तर = दाखिल - दफ्तर' । दाखलौ पु० [० दाखिलः] १ प्रवेश, भर्ती पैठ २ किसी में घुसना, सम्मिलित होना आदि क्रिया । ३ हवाला, उल्लेख । ४ लिखावट दर्ज । ५ लिखित पत्र । ६ अधिकार । (ब) देखो 'दावणी' (बौ दाखिरण- देखो 'दाक्षिण' । 1 For Private And Personal Use Only Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दागभाव www. kobatirth.org दागभाव - पु० हाथी का एक रोग । बागल - वि० १ जिस पर दाग लगा हो, दागी । २ धब्बों वाला । ३४ कलंक या दोष युक्त दति, सजा (६४४ ) दाड़कली - पु० १ दाढ़ी के बाल । २ देखो 'दाढ़ी' । दाम, वामियों, दाड़मी - स्त्री० [सं० दाडिम ] श्रनार । बाड़व पु० काशी से दो योजन दूर एक गांव । दामि दाडिमी देखी 'दाम' । दाणी (बी), दाघवणी (ब) - क्रि० [सं० दग्ध] जलाना । दाघु, दाघौ वि० [सं० दग्ध] १ जलाने वाला, भस्म करने - वाला २ सय को दाह संस्कार के लिए स्मशान भूमि ले । जाने वाला । दाड़- देखो 'डाड' | दाड़ो पु० १ सूर्य । २ देखो 'दिवस' । दाछंट - वि० निर्भय, निःशंक । किसी वस्तु के नग, दाग लगा हुमा । पाया हुआ । दागीणौ- पु० १ वस्तु, चीज, पदार्थ । २ अदद । ३ आभूषण, जेवर । वि० १ २ चिह्नित । ३ दोष युक्त । ४ कलंकित । दापस्त्री० [सं०] दाथः] १ नर्मी ताप ३ पीड़ा, क्लेश, दुःख ४ पित्त प्रकोप का एक रोग दाडिम-कुसुम वि० [सं०] लाल | । ५ अंतिम संस्कार । ६ देखो 'दाघौ' । दाउ - देखो 'डाड' बाळदेवाळ २ दाह, संताप दाडिम देखो 'दाम' । । दाडिम सार - पु० वस्त्र विशेष । दाघउ-देखो 'दाघो' । दाडिमली ५० एक प्रकार का कीमती वरण | दाडिमास्टक - पु० [सं० दाडिमाष्टक] एक प्रकार का अनार का चूर्ण बाढिमि (मी) देखो 'दाम' | (बी) देखो 'दासी' (दो)। दात, वाण - स्त्री० [सं० दह ] १ जलन, दाह । २ ईर्ष्या, डाह । दाझणौ (बौ) - क्रि० [सं० दग्ध] १ जलना, तप्त होना । २ जल कर विकृत होना। ३ झुलसना । ४ दुःखी होना, संतप्त होना । ५ विरह में झुरना। ६ ईर्ष्या करना, कुढ़ना, जलना । बाट- पु० [सं०] दान्ति] १ बोतल आदि का मुंह बन्द करने की वस्तु, डाट, कॉर्क । २ प्रतिबंध, रोक । ३ नाश, ध्वंस । ४ फटकार, प्रताड़ना, डांट | दाटक- वि० १ बड़ा, महान । २ जबरदस्त जोरदार । ३ समर्थ । ४ शक्तिशाली, जबरदस्त । ५ भयंकर । ६ दमन करने वाला । दाटणी - वि० [सं० दम] १ दमन करने वाला । दबाने वाला । २ नाश करने वाला । ३ काटने वाला । ४ वश में करने वाला | ५ गाड़ने वाला, दबाने वाला । दाणी (बो) - क्रि० [सं० दम् ] १ दमन करना, दबाना । २ कब्जा करना, अधिकार करना । ३ वश में करना, काव करना । दबाना । ४ गाड़ना छुपाना । ५ देखो 'राणी' (यो) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाटी- देखो 'दाटक' । दाटीक - देखो 'दाटक' | दाटी- देखो 'डाटो' । दाठीक, दाठीकर - वि० [सं० दृष्टिकर] १ धैर्यवान्, बुद्धिमान । २ गंभीर । ३ देखो 'दाटक' । वाला हाल देखो 'डाकाली'। बाढाली-देखो डाडाळी | बाडाळी-देखो 'डाडाळी दाढी-देखो 'बारी' | बाहू दादा दाम दाद देवो'दाम' दाढ-१ देखो 'डाड' । २ देखो 'डाढी' । दाणी (बी) क्रि० [सं० दंशन] १ दांतों से चबाना, कुचलना । २ देखो 'डाडणौ' (बो) । बाची स्त्री० जिसके दाढ़ी हो, दाड़ी वाली, देवी दुर्गा दात पु० [सं० दत्त ] १ दहेज । २ पुष्य नक्षत्र का एक नाम । [सं० दात्रं ] ३ फसल काटने का श्रीजार, हंसिया । [सं० दंत ] ४ सूर का दांत, खग । ५ दाता । बाड़िया देखो दाहिया'। दातड़ी देखो 'दात' २ देखो 'दाती'। 'दातरण - देखो 'दांतरण' । बातर बातरड़ी, दातरड़ी, वातरली, वातरली, वातरियो १ देखो 'दातो' । २ देखो 'दात' । दातरी स्त्री० १ पक्षी विशेष । २ देखो 'दाती' | दातरी-देखो 'दातो' । For Private And Personal Use Only दातल-१ देखो 'दाती' । २ देखो 'दात' । दातली - १ देखो 'दंताळी' । २ देखो 'दात' । बातलौ - पु० १ हंसिया । २ देखो 'दाती' । दाता, दातार वि० [सं० दातू, दाता] १ देने वाला २ दान करने वाला, दानी ३ उदार । ४ कर्ज देने वाला । ऋण दाता । - पु० १ शिव, महादेव । २ कुटुंब के वृद्ध पुरुष के लिए सम्मान सूचक शब्द । ३ छप्पय छंद का एक भेद । Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दातारणी www.kobatirth.org ( १४५ ) दातारगी दातारी - स्त्री० [सं०] दातृ] उदारता, दानशीलता। दाता - देखो 'दातार' | दातावरी वि० [सं० दाणी] देने वाली उदारहृदया। -स्त्री० दानशीलता । ० पागल । इन्साफ । दादनी- पु० [फा० दादन] देने योग्य । दादर, बावरियो पु० १ एक प्रकार का वाच २ देखो 'दादुर' दादरी- पु० १ संगीत में एक ताल, इक ताला । २ देखो 'दादुर' । दादण दादाणी-५०१ दादा का घर, गांव या प्रदेश । २ पिता का ननिहाल । दाबाई - स्त्री० ० उद्दण्डता । वि० दादा के वंश का । दादागिरी - स्त्री० बदमाशी, जोरावरी, उद्दण्डता । दादागुर, दादागुरु, दादागुरू - पु० गुरु का गुरु । दादाभाई पु० बड़ा भाई दादारंग - वि० दाति-पु० दान । दातिब - पु० [सं० दातव्य ] १ दान, पुण्य । २ देने योग्य पदार्थं । दाती - १ देखो 'दाति' । २ देखो 'दात' । ३ देखो 'दाती' । वातुम देखो 'दांतरण'। दाती - पु० [सं० दात्र] हसिया । दात्र स्त्री० [सं० दातृ, दात्रं ] १ देने वाली । २ हंसिया । दाडियाळ दाचिड़ियाळ, दात्रीड़ीयाळ, दात्रीयाळ ५० [सं० दात्र पाल ] १ सूअर, वराह । २ वराहावतार । दात - पु० [सं० दद्र ] एक चर्म रोग विशेष । स्त्री० [फा०] १ तारीफ, प्रशंसा, वाहवाही २ धन्यवाद ३ग्याय दाधौ राज्यो-वि० दु:खी, संतप्त दग्ध । । बाप पु० [सं०] द्राव] १ वेग २ देखो 'द'। । । । दादि-१ देखो 'दाद' । २ देखो 'दादी' । दादी स्त्री० पिता की माता सासू-स्त्री० सासु की मासु -सुसरी- पु० श्वसुर का पिता । दरबारियो, दादुरी० [सं० ददुर] १ मेंढक । २ बादल । ३ शहनाई । ४ पर्वत । ५ दक्षिण भारत का एक पर्वत । वाजउ, वाजी- पु० एक प्रकार का वाद्य विशेष | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाध- १ देखो 'दाद' । २ देखो 'दाह' । ३ देखो 'दाघ' । दाजोग - ५० बार तिथि संबंधी पांच योगों में से दूसरा योग 1 दाधरण (बौ) - क्रि० [सं० दग्ध] १ नष्ट होना । २ भस्म होना । ३ जलना । ४ दग्ध होना, विकृत होना । ५ पीड़ित होना, संतप्त होना । ६ जलाना, भस्म करना । ७ दग्ध करना ८ पीड़ित करना, संतप्त करना । ९ अधिकार करना, दावी- पु० १ पिता का पिता, दादा, पितामह। २ बड़े भाई का सम्बोधन । ३ वृद्ध पुरुष का सम्बोधन । ४ दादागिरी करने वाला | ५ पण्डित, ब्राह्मण। दावणी कब्जा करना । दाल- ० संताप कष्ट दाधावडी पु० एक प्रकार का खाद्य पदार्थ । दाचि पु० [सं० दाधीच ] १ एक राजपूत वंश २ एक ब्राह्मण वर्ग । दाधीच (चि, ची) - पु० [सं० दधिची] दधिची ऋषि की संतान, एक ब्राह्मण वर्गं । दापक - पु० [सं० दर्पक] १ कामदेव । २ दबाने वाला । दापड़ - देखो 'दाफड़' । दापटणी (बौ) - क्रि० [सं० दाप्] १ संहार करना, मारना । २ देखो'' (बी) । दापणी (बी) क्रि० [सं० दापू] १ संहार करना। २ दवाना दाबना । दापिक- पु० एक राजवंश । दापो पु० १ मांगलिक अवसरों पर ब्राह्मणों को बांटा जाने वाला द्रव्य । २ कन्या के पिता द्वारा वर के पिता को दिया जाने वाला द्रव्य । दाफड़ - पु० मच्छर प्रादि के काटने से शरीर पर उभरने वाला चकता । (स्वी० दादुरी) | बाब स्त्री० [१] दबने दबाने की क्रिया या भाव। २ दबाव, , एक बोझ, भार । ३ जकड़न । ४ घास का चौकोर ढेर । ५ बगल कांख । ६ शक्कर और घी का मिश्रण, पथ्य । ७ कलेजे का मांस, कलेजी ८ शराब पीने का प्याला, जाम । बात- पु० १ श्रीदादूदयाल । २ दादूपंथी । । दादूदयाल - पु० ० प्रकरकालीन एक प्रसिद्ध निर्गुणी साधु दाबड़ियाँ पु० सिचाई के पानी की नाली के मुंह पर लगाया महात्मा । जाने वाला घास फूस, मिट्टी आदि । दाद्वारी ५० दादूपंथी महात्मायों का निवास स्थान दादूपंथ पु० श्रीदादूदयाल द्वारा चलाया गया सम्प्रदाय । बाबूची ० उक्त सम्प्रदाय का धनुवायी। दादेरी-देखो 'दादां' | दावड़ी, यावर ० १ कपूर आदि रखने की दिविया २ देखी 'डावड़ी' | For Private And Personal Use Only दाबरणौ (बी) - क्रि० [सं० दमन] १ दबाना, दबाकर रखना । २ बोझ भार रखना । ३ प्राचरण व बोलने की स्वतंत्रता न रहने देना । ४ किसी कार्य के लिए मजबूर या विवश करना । ५ विशेष गुण या प्रभाव के कारण तुलना में मंद, फीका या बेअसर कर देना । ६ नीचा दिखाना, मात देना । Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाबदी दाक्योखित ७ प्रतिभा को उभरने न देना । ८ शिकस्त देना, हराना । दायाद-वि० [सं० दाय-प्राद] सम्पत्ति या जायदाद का ९ शांत करना, उभड़ने न देना। १० अफवाह आदि फैलने | उत्तराधिकारी, दावेदार । -पु० १ पुत्र । २ रिश्तेदार, न देना । ११ बलपूर्वक अधिकार में करना। १२ हड़पना, भाई बन्धु । ३ दूर का संबंधी। ठगना। १३ दबोचना, धर-दबाना । १४ मंद या धीमा दायादी-स्त्री० [सं०] कन्या, पुत्री। करना। १५ शर्मिदा करना, झेपाना। १६ गुप्त रखना, दायिणी (नी)-स्त्री० [सं० दायिनी] देने वाली। छुपाना । १७ बेबश करना। १८ जमीन में गाढ़ना, दफन दायेंदार, दायेदार-देखो 'दावेदार' । देना। १६ ठूसना, दबाना। दायौ-पु० [अ० दावा] अधिकार, हक, कब्जा। दाबदी-देखो 'दाऊदी' । दार-स्त्री० [सं० दारा] १ पत्नी, भार्या । २ स्त्री, औरत । दाबेड़ी-पु० ए पर चड़स खाली करने का स्थान । [सं० दारु] ३ काष्ठ, लकड़ी । ४ अग्नि, पाग। ५ दरार । धाबोतरी-पु० एक प्रकार का सरकारी लगान । -प्रत्य० [फा०] वाला। दाबी-पु० [सं० दमन] १ दबाने की क्रिया या भाव । २ किसी दारक, (क्क)-पु० [सं० दारक] १ पुत्र लड़का । २ देखो 'दरक'। वस्तु को दबाये रखने के लिए रखा जाने वाला भार। -वि० चीरने वाला, फाड़ने वाला, तोड़ने वाला। ३ सीमा सुरक्षार्थ तैनात योद्धा । ४ धोखा, ठगी। ५ घी- दारण-देखो 'दारुण'। शक्कर का पथ्य । दार-मदार-पु० [फा०] १ अवलंबन, निर्भरता । २ प्राश्रय, दाभ-देखो 'डाव'। ठहराव। दायंदार-देखो 'दावेदार'। दारा-स्त्री० [सं०] १ स्त्री, पत्नी, भार्या । २ एक प्रकार की दाय-पु० [सं० दायः] १ विभाजन योग्य पैतृक संपत्ति। मछली । २ दान भेंट। ३ दहेज । ४ भाग। [सं०]] ५ तरह, : दाराज-देखो 'दराज'। भांति, प्रकार । ६ हानि, विनाश । ७ दुर्भाग्य । दारिद (द्र)-पु० १ गरीबी । २ देखो 'दाळद' । [सं० ध्य] ८ इच्छा, मंशा। ९ पसंद, रुचि । -वि० दारियो-पु० [सं० दारक] १ वेश्या पुत्र । २ पुत्र । ३ सोलंकी वंश १ इच्छित । २ रुचिकर। ३ पसंद का। -क्रि०वि० की दारिया शाखा का व्यक्ति । १ इच्छानुसार । २ तरह से । ३ लिये, वास्ते । । दारी-स्त्री [सं० दारिका] १ वेश्या, रंडी। २ पुत्री। -वाडउदायक-वि० [सं०] देने वाला, दाता। -पु० वेश्याओं का घर, मुहल्ला । दायचौ, दायज, दायजउ-देखो 'दायज'। दारु-स्त्री० [सं०] १ काष्ठ, लकड़ी। २ डंडी। ३ चटकनी । बायजवाळ, दायजाळ, दायजावाळ-पु० दहेज में दिया जान ४ देवदारु का वृक्ष । ५ पीतल । ६ कच्चा लोहा । वाला प्राणी, दास-दासी। ७ देखो 'दारू' दायजौ-पु० [सं० दाय] विवाहोपरान्त विदाई के समय कन्या वारुक-पु० [सं०] १ देवदारु का वृक्ष । २ श्रीकृष्ण का एक को दिया जाने वाला सामान, द्रव्य आदि । दहेज । सारथी। दायरण-देखो 'दाई। दारुकदळी-पु० [सं०] जंगली केला। दायणौ-पु. एक प्रकार की लगाम । दारुका-स्त्री० [सं०] कठपुतली । दायभाग-पु० [सं०] १ पैतृक सम्पत्ति के वितरण का विधान ।। दारुकाबन-स्त्री० [सं०] एक वन विशेष । २पैतृक संपत्ति का भाग । । दारुडी, दारुडो-देखो 'दारू'। दायम-क्रि०वि० [अ०] सदा, हमेशा, नित्य । दारुजोखित-स्त्री० [सं० दारुयोषित] कठपुतली । दायमा-देखो 'दाहिमा'। । दारुण-वि० [सं०] १ भयंकर, भीषण, घोर । २ दुःसह, कठिन, रायमो-देखो 'दाहिमौ'। विकट । ३ प्रचंड, शक्तिशाली । ४ योद्धा वीर । दारुणारि-पु० [सं०] श्रीविष्णु । दायर-वि० [अ०] १ जारी, चालू, गतिमान । २ चलता दारुणी-स्त्री० [सं०] १ एक महाविद्या का नाम । २ देखो'दारुण' । फिरता। ३ पेश, प्रस्तुत । दारुन-देखो 'दारुण'। दायरौ-पु० [अ० दाएर] १ गोल घेरा। २ मंडल । ३ वृत्त, कक्षा। ४ क्षेत्र। ५ सीमा। ६ फकीरों के रहने का दारुनटी, दारुनारी-स्त्री० [सं०] कठपुतली। स्थान । दारुपात्र-पु० [सं०] काष्ठ-पात्र । दाया-देखो 'दाई'। | दारुयोखित-स्त्री० [सं० दारुयोषित] कठपुतली । For Private And Personal Use Only Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दारुहळदी दावी दारुहळदी-स्त्री० [सं० दारुहरिद्रा] १ अाल जाति का एक अबसर क्रम । ११ चौपड, जूमा आदि में पासा चलाने की सदाबहार वृक्ष । २ एक औषधि । क्रिया । १२ कुश्ती का पेच । १३ देखो 'दाब' । -स्त्री. दारू-पु० [फा०] १ शराब, मद्य । २ दवा औषधि । ३ बारूद । सं० दाव] १४ दावाग्नि । ४ देखो 'दारु'। -कार-पु० शराब बनाने वाला ।। दावड़-स्त्री०१ सूत की पतली डोरी । २ देखो 'द्राविड' । --खारियो, खोरौ-पु. शराब पीने का प्रादी । दावड़ी-देखो 'डावड़ी। रारूदी, दारूडो-देखो 'दारू' । दावटण-वि० दबाने वाला, दबोचने वाला। दारूदड़बौ-पु० नशा-पता, नशा। दावट्टणौ (बौ)-क्रि० [सं० दमन] करना, दबोचना। दारूफूल-पु० पुष्पों से निकला हुआ शराब । दावण-पु. १ स्त्रियों का एक वस्त्र विशेष । -[सं० दामन दारूहळदी, दारूहळद्र-देखो 'दारुहळदी' । २ खाट के पायताने में लगी रम्सी । ३ देखो 'दांमण'। दारोगाई-स्त्री० १ दारोगा का कार्य । २ दारोगा का पद । दावणगीर-देखो 'दांमणगीर' । ३ दारोगा का वेतन । दावरणो-देखो ‘दामरणो' । दारोगौ-पु० [फा० दारोगः] १ निगरानी रखने वाला अफसर । दावणी (बौ)-कि० [सं०-दह] १ विरह में जलाना, गोड़ित २ पुलिस का अधिकारी। ____ करना । २ जलाना दग्ध, करना । दारोमदार-देखो 'दारमदार'। दावत-स्त्री० [अ० दनवत] १ भोज, ज्योनार । २ निमंत्रण। दाळ-स्त्री० [सं० दालि] १ चने, मूग आदि के दाने का प्राधा दावदी-स्त्री० १ एक प्रकार की लता । २ देखो 'दाऊदी' : भाग । २ दला हुमा पदार्थ । ३ दाल की तरह की कोई दावां-स्त्री० रहट की माल में बंधे रस्सी के टुकड़े । वस्तु । ४ चेचक या फोड़े फुसी पर जमने वाली दावाप्रगन-देखो 'दावाग्नि' । काली पपड़ी। दावागर, दावागिर, दावागीर, दावागीर-पु० १ णत्र । दाळचिणी,दाळ चीणी-स्त्री० [सं० दारू चीन] १ एक वृक्ष विशेष । २ प्रतिवादी। २ इस वृक्ष की छाल जो औषधि व गरममसालों में दावाग्नि-स्त्री० [सं०] वन की अग्नि । काम आती है। दावात-देखो 'दवात'। दाळद, दाळद्द, दाळद्र, दाळध-पु० [सं० दारिद्र्य] १ गरीबी, दावादार-देखो दावेदार' । दरिद्रता, निर्धनता । २ कूड़ा-करकट । ३ बेकार वस्तु ।। दावानळ (ल)-स्त्री० [सं० दावानल ] वन की अग्नि, दावाग्नि । -हरण-पु० शिव, शंकर । ईश्वर । -वि० गरीबी दूर | दावाबंध-पु० हकदार, भागीदार । करने वाला। दावामुदी-वि० [अ० दावामुद्दई] विरोधी, प्रतिपक्षी, दालदरी, (द्रो)-वि० निर्धन, कंगाल । प्रतिद्वन्द्वी। दालांण, दालान-पृ० [फा० दालान] मकान के आगे बना खुला दावायत, दावापती-पु० विरोध करने वाला शत्र । कक्ष, बरामदा। दावेदार -पु० [अ० दा' बीदार] १ हकदार, हिस्सादार । दाळि-देखो 'दाळ'। २ भागीदार । ३ दावा रखने वाला, दावा करने वाला। दाळिउत (६)-पु० [सं० दलपति] लघु दल का पति । दाव-पु. कारण, हेतु । -क्रि० वि० अवसर पर, मौके पर । दाळिद, दाळिदर, दाळिद्र-देखो 'दाळद' । -वि० समान, तुल्य । दाळियालाडु-पु० पदार्थ विशेष के लड्डू । दावोदार-देखो 'दावेदार' । दाळियौ-पु० १ पीतल की एक छोटी कड़ी। २ दालनुमी । कोई वस्तु। दावी-पु० [अ० दावा] १ किसी वस्तु या जायदाद पर बताया जाने वाला अधिकार, हक, कब्जा । २ स्वत्व । ३ अपना दाळीदर-१ देखो 'दरिद्र' । २ देखो 'दाळद'। अधिकार पुष्ट कराने निमित्त न्यायालय में प्रस्तुत किया दाळीदरी-देखो 'दरिद्री'। गया आवेदन, मुकद्दमा । ४ शत्रता, वैर। ५ प्रतिकार दाल्मि-पु० [सं०] इन्द्र, सुरपति । बदला । ६ स्पर्धा, होड़। ७ युद्ध। ८ ऐश्वयं, वे भव । दावं, दाव-पु० [सं० दा] १ उपयुक्त अवसर, मौका । २ घात ६ प्रभाव, जोर, प्रताप । सं० न १० ता . प्रतिघात । १ उपाय, युक्ति। ४ खेल प्रदि का पेच, कला। कश्चन । ११ दावाग्नि, दावानल । ५ छल, कपट, धोखा । ६ विचार । ७ प्रहार, चोट । दापौ-पु० फसल व वनस्पतियों के लिहाज में ८ प्रभाव । ९ वार, दफा, मर्तबा । १० पारी, बारी, शीतल वायु । For Private And Personal Use Only Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाम (६४. ) दिकरी दास-पू०[सं०] (स्त्री० दासी) १ सेवक, चाकर नौकर । | दाहजनक-वि० [सं०] ताप या अग्नि उत्पन्न करने वाला। २ गुलाम । ३ मछवा । ४ शूद्र । ५ भक्त [सं० दाश] । ताप देने वाला। ६ धीवर, मछुवा । दाहज्वर-पु० [सं०] अधिक ताप वाला ज्वर । दासड़ली, दासड़ी, दासडली, वासडी-देखो 'दासी । दाहण-पु० [सं० दाहन] अग्नि, प्राग । दासतांन-देखो 'दास्तांन' । दाहरणो-वि० [सं० दाह] (स्त्री० दाहणी) १ नाश करने वाला, दासता-स्त्री० [सं०] १ गुलामी, परतंत्रता । २ सेवावृत्ति।। महार करने वाला । २ जलाने वाला, भस्म करने वाला। ३ सेवक का कार्य । ४ नौकरी। ४ भक्ति । ३ संतप्त करने वाला । ४ देखो 'दाहिणी'। दासदासांन-देखो 'दासानुदास' । | दाहणी (बी)-क्रि० [सं० दाह] १ जलना। २ जलकर भस्म दासदीकोळा-पु० एक वर्ग विशेष । होना । ३ संतप्त होना, दुःखी होना । ४ जलाना । बासनंदरणी, बासनंदिनी-स्त्री० [सं० दाशनंदिनी] धीबर की। ५ जलाकर भस्म करता। ६ संतप्त करना, दुःखी करना । पुत्री, सत्यवती, मत्स्यगंधा। ७ संहार करना, नाश करना । ८ तपाना । दासपण (गो)-पु० [सं० दासत्वन] १ दासत्व, गुलामी । वाहनो-१ देखो 'दाहणो' । २ देखो 'दाहिणौ'। २ सेवाकर्म। दाहा-स्त्री० १ दाह क्रिया । २ देखो 'दाव' । दासरस्थ, दासरथ (थि, थी, थ्यो)-पु० [सं० दाशरथ:) दाहिणउ-देखो 'दाहिणी'। १ श्रीराम । २ दशरथ ।। दाहिरणे (ण, नै)-क्रि० वि० [सं० दक्षिण] दाहिनी ओर। दासातन-पु० [सं० दासत्वन] दासता, गुलामी । दाहिणी (बी)-वि० [सं० दक्षिण] (स्त्री० दाहिणी) १ बायां दासानुदास-पु० [सं०] १ भक्तों का भक्त । २ गुलामों का ___ का विपर्याय दायां । २ दाहिनी ओर का। गुलाम । ३ छोटा, तुच्छ । दाहिमा-पु० [सं० दाधीच] १ दाधीच ब्राह्मण । २ एक दासि-देखो 'दासी'। राजपूत वंश। दासिक-देखो 'दास'। बाहु-देखो 'दाह'। दासी-स्त्री० [सं०] १ सेवा करने वाली स्त्री. सेविका । दाहा-पु० म० दाह] १ उष्णता प्रकट करने वाला ज्वर । २ परिचायिका । ३ नौकरानी । ४ वेश्या, गणिका । . । २ देखो 'दाव' । ३ देखो 'दा'वो'। ५ गुलाम स्त्री। [सं० दाशी] ६ धोवर की स्त्री। ७ शूद्र दिकनखत्र, दिगनक्षत्र-पु० [सं० दिङ् नक्षत्र] विशिष्ट दिशाओं की स्त्री। -जादौ-पु० दासीपुत्र । संबंधी नक्षत्र । दासेर, दामेरक-पु० [सं० दासे रक] १ऊंट। २ मटुमा । दिगमूढ-देखो ‘दिगमूढ'। वासो-पु. १ देहलीज या किसी द्वार के नीचे लगा पत्थर। दाम्पु० एक प्रकार का नृत्य । २ बाहर निकली किनार वाला, दीवार में लगा लम्बा दिडी-पु. (सं०) एक छन्द विशेष । पत्थर । ३ देखो 'दास'। दि-स्त्री०१ प्रांख । २ दशों दिशाएँ। -वि० १ दातार, उदार। दास्तांन-स्त्री० [फा०] १ वृत्तान्त, हाल । २ कथा, कहानी। 1 २ पालने वाला, पालक । ३ वर्णन । ४ इतिहास । दिप्रण-वि० (स्त्री० दिप्रणी) देने वाला, दाता। दाह-स्त्री० [सं०] १ भस्मीकरण, जलाना किया । २ जलन । दिक-स्त्री० [सं० दिक] -पु. १ दिशा । २ युवा हाथी। ३ दाह संस्कार । ४ ताप । ५ संताप । ६ प्राग। ३ क्षय रोग । -वि० (अ० दिक) १ तंग, हैरान । ७ लालिमा । ८ ईर्ष्या, द्वेष । ६ दुःख, पीड़ा। २ अस्वस्थ, बीमार। १० देखो 'दाव'। दिककन्या-स्त्री० [सं०] दिशा रूपी कन्या। दाहक-पु० [सं०] अग्नि, आग । -वि० जलाने वाला। दिककुमार-पु० [सं०] एक देवता । दाहकता-स्त्री० [सं०] जलने का भाव, गुण । दिकचक्र-पु० [सं०] १ पाठों दिशात्रों का समूह । दाहकरम-पु० [सं० दाहकर्म] शव जलाने का कार्य, २.१६ दिशाओं का समूह । दाह संस्कार। दिकपति-पु० [सं०] दिशाओं का पति । दिकपाल । दिकपाळ -पु० [सं० दिक्पाल] १ दिशाओं के स्वामी देवता। दाहकास्द-पृ० [सं० दाहकाष्ठ] अगर की लकड़ी। २ हाथी, गज। दाहक्रम-देखो 'दाहकरम'। दिकमूढ़-देखो 'दिगमूह'। दाहक्रिया-स्त्री० [सं०] दाह-संस्कार । | दिकरी-देखो 'दीकरी'। For Private And Personal Use Only Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org दिकरेखा ( ६४६ ) दिगेस दिकरेखा-स्त्री० [सं०] क्षितिज । दिखावट-स्त्री० १ दिखाने की क्रिया या भाव । २ ऊपरी दिकसाधन-पू० [सं० दिकसाधन] दिशामों का ज्ञान करने। तड़क-भड़क, बनावट, प्राडम्बर । का साधन । दिखावटी-वि० १ जो केवल देखने योग्य हो । २ बनावटी । दिकसूळ-देखो 'दिसासूळ' । ३ अवास्तविक । ४ तड़क-भड़क वाला। दिकस्वांमी-पु० [सं० दिक्स्वामी] दिक्पाल । दिखावरणौ (बी)-देखो 'देखाणी' (बौ)। दिक्करण-देखो 'दक्षिण'। दिखावो (हौ)-पु० १ बाह याडंबर । २ तडक-भड़क । ३ होंग, दिक्कत-स्त्री० [अ०] १ समस्या, परेशानी । २ बाधा, अड़चन । - पाखण्ड । ३ तंगी। ४ कठिनाई, मुश्किल । दिखिरण-देखो 'दक्षिण' । दिक्का-देखो 'दीक्षा'। दिख्यांणी-देखो 'द खियांणी' । दिक्कुमारिका-स्त्री० [सं०] तीर्थकर के जन्म काल में प्रसूति दिगंत-पु० [सं०] १ आकाश का छोर, क्षितिज । २ दिशा का कार्य में सेवा करने वाली कुमारिका । अंत या छोर । ३ दशों दिशाएँ। ४ चारों दिशाएँ। दिक्खरण-देखो 'दक्षिण'। | दिगंतर-पु० [सं०] दिशाओं के बीच का स्थान, दो दिशानों दिक्षणडी-स्त्री० दक्षिण दिशा की, दक्षिण दिशा संबंधी। का अन्तर। दिक्षा-देखो 'दीक्षा'। दिगंबर-पु० [सं०] १ निर्वस्त्र रहने वाला जैन साधु, दिक्षागुरु-देखो 'दीक्षागुरु' । क्षपणक । २ एक जैन सम्प्रदाय । ३ शिव, महादेव । बिख-देखो 'दक्ष'। ४ दिशामों का वस्त्र, अंधेरा, अंधकार । ५ सिद्धि प्राप्त दिखरण-देखो 'दक्षिण' । महात्मा । -वि० नग्न, नंगा । दिखरणचीर-देखो 'दिखणीचीर' । दिगंबरता-स्त्री० [सं०] नग्नता, नंगापन । दिखणांण-वि० [सं० दक्षिणायन] १ दक्षिण का। २ दक्षिण दिगंबरी-पु० [सं०] दिगंबर सम्प्रदाय का साधु या अनुयायी। स्थित । -पु० दक्षिण का निवासी। दिगंस-पु० [सं०] क्षितिज वृत्त का ३६० वा अंश । एक डिग्री। दिखणा-देखो 'दक्षिणा'। विग-१ देखो 'द्रग' । २ देखो 'दिक' । दिखणाद-देखो 'दखणाद'। दिगज-देखो 'दिग्गज'। दिखणादू, ढिगणादो-देखो 'दिखणाधू' । दिगदंत--पु० दिशा गज, पाशा गज । विखरणाध-देखो 'दखणाद'। दिगदाह-स्त्री० [सं० दिग्दाह] सूर्यास्त के समय दिशाओं में दिखणाधि, (धो)-देखो 'दखणाधि' ।। होने वाली लाली। दिखणापू (धो)-देखो ‘दखणाधू' । दिगदेवता-देखो 'दिग्देवता' । दिगपति-देखो 'दिग्पति' । दिखणि, दिखणी-पु० [सं० दक्षिणीय] १ दक्षिण देश का दिगपाळ-वि० [सं० दिपाल] १ समर्थ, वीर, शक्तिशाली। अधिपति । २ दक्षिण देश । ३ देखो 'दखणी' । २ देखो 'दिकपाळ'। दिखणी-चीर-पु० एक प्रकार का वस्त्र । दिगमूढ-वि० [सं० दिड मूढ़ पाश्चर्य चकित, दंग । दिखद-पु० [सं० दृषद्] पत्थर । दिगर-वि० [फा० दीगर दूसरा, अन्य । दिखलाई-देखो 'देखाई। दिगरेखा-देखो 'दिकरेखा'। दिखलासी (बौ), दिखलाबरणो (बी)-देखो 'देखाणी' (बी)। दिगवास-पु० [सं० दिकवामः] शिव, महादेव । दिखाई-देखो 'देखाई। दिगविजई-देखो 'दिग्विजयी' । दिखाउ(ऊ)-वि० १ केवल देखने या दिखाने योग्य । २ बनावटी दिर्गावजय, दिगविजेय, दिगविज, दिगि-देखो दिग्विजय' । ३ दिखावटी। दिगि-स्त्री० ध्वनि विशेष । ढोल की ध्वनि । दिखाडणी(बी),दिखाडपो(बौ),दिखाणो(बौ), दिखाळ णो(बी) दिगी-वि० आठवीं*। देखो 'देखाणी' (बी)। दिगीस-पु० [सं० दिक्-ईश] दिशा का स्वामी, दिक्पाल । दिखाव-पु० १ देखने की क्रिया या भाव । २ दर्शन, दीदार । दिगीस्वर-पु० [सं० दिगीश्वर] दिशा का स्वामी, दिकपाल । ३ दृश्य । ४ दृष्टि की सीमा, नजर । ५ तड़क-भड़क, ! | दिगेस-देखो 'दिगीस'। प्राडम्बर । For Private And Personal Use Only Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिग्गज दिनाई ---------- दिग्गज-पु० [सं०] ग्राठों दिशाओं के हाथी । -वि० दिढ़ाणी (बौ), दिढ़ावणौ (बी)-क्रि० सं० दृढ] दृढ़ करना, १ दिग्विजयी । २ प्रमुख, मुख्य । ३ बड़ा, महान । मजबूत करना । ४ जबरदस्त। दिशंकर-देखो "दिनकर'। दिग्गयंद-पु० [सं. दिग्गेन्द्र] दिग्गज । दिणंत, दिणदो-देखो 'दिनंद'। दिग्गीस-देखो 'दिगीम'। दिरणयर, दिरणयर-देखो 'दिनकर'। दिग्दाह-देखो 'दिगदाह। दियरो-देखो 'दिनकर'। दिग्देवता-पृ० [सं०] दिशात्रों का स्वामी, देवता, दिक्पाल । दिरिंणद-देखो ‘दिनंद'। दिग्पति-पु० [सं०] दिशापति, दिक्पाल । दिरिण-देखो 'दिन'। दिग्बळ-पु० [सं० दिग्बल ] लग्नादि केन्द्रों पर स्थित ग्रहों | दिणिपर, दिरिणयर-देखो 'दिनकर'। का बल। दिरण-देखो 'दिन'। दिग्बळी-पु० [सं० दिग्बलिन्] किसी दिशा में बली ग्रह। दित-देखो 'दत्य'। दिग्भरम, विग्भ्रम-पु० [सं० दिग्भ्रम] दिशा-भ्रम। दिशा दितवार-देखो 'प्रदीतवार'। का अज्ञान । दिति, दिती-स्त्री० [सं० दिति] १ कश्यप ऋषि की पत्नी व दिग्मडळ -पु० [सं० दिग्मंडल] १ दिशाओं का समूह । दैत्यों की माता । २ उदारता । ३ काट-छांट । -पुत्र-पु० २ क्षितिज वृत्त । दैत्य, असुर । दिग्राज-पु० स०] दिशा का राजा, दिकपाल । | दितेस-पु० [सं० दैत्येश] १ असुर, राक्षम । २ राजा बलि । दिग्वसन, दिग्बस्त्र-पु० [सं०] १ शंकर, शिव । २ नंगा यती। ३ रावण । ३ संन्यासी। ४ क्षपणक । दिदार-देखो 'दीदार'। दिग्वारण-पु० [सं०] दिपाल । दिधा-देखो 'द्विधा'। दिग्विजय-स्त्री. १ आठों दिशाओं पर की जाने वाली विजय, | दिनकर-देखो'दिनकर' । विजय यात्रा। २ दशों दिशाओं में ज्ञान आदि की होने दिनंद-पु० [सं० दिनेन्द्र] १ सूर्य, रवि । २ दिन । वाली ख्याति, प्रभाव। | दिन--पु० [सं०] १ सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय । २ चौबीस दिग्विजयी-वि० पाठों दिशानों का विजेता । चक्रवर्ती। घंटे की एक अवधि। ३ समय, काल । ४ निश्चित समय । दिग्विजे (ज)-देखो 'दिग्विजय'। ५ तिथि,तारीख ।६ सूर्य । ७ जीवन का अच्छा बुरा समय । दिग्यापी-वि० [सं०] जो दिशाओं में व्याप्त हो। -पर- 'दिनकर'। -अवसांण-पु० सूर्यास्त, संध्याकाल । दिग्वत-वि० [सं०] जैनियों का एक व्रत । --कंत-पु० सूर्य । -कर-पु० सूर्य । --क्षय-पु० तिथि का दिग्सिधुर-पु० [सं०] दिग्गज । अभाव, तिथिक्षय । -चरचा-स्त्री० नित्य कर्म, दिन का दिम्सिखा-स्त्री० [सं० दिशिखा] पूर्व दिशा । कार्यक्रम । -दसा='दिनमांन' । -दीप-पु० सूर्य । दिच्छा-१ देखो 'दीक्षा' । २ देखो 'दिसा'। -नाथ, नाह, प, पति-पु० सूर्य । -पात-पु० तिथि क्षय । दिच्छिण-देखो 'दक्षिण। -पाळ-पु० सूर्य । ---मण, मणि, मणी-पु. मर्य । दिज-१ देखो 'दुज' । २ देखा 'दिज' । -मान-पु० रात व दिन का मान । भाग्य । -माळी-पु० दिट्टती-देखो 'द्रस्टांत'। सूर्य । --रत्न, राई, राउ, राव-पु० सूर्य । दिट्ट-१ देखो 'द्रस्ट' २ देखो 'द्रस्टि'। दिनकर,दिनकरण, दिनकरन-पु० [सं०] १ मूर्य । २ एक मात्रिक विट्टरपो (बी)-देखो 'देखणो' (बौ)। छंद विशेष । -कन्या-स्त्री० यमुना। -सुत-पु० कर्ण, दिट्टि, दिठ-देखो 'द्रस्टि'। यम, शनि, सुग्रीव, अश्विनी कुमार । दिठाळौ-देखो 'देठालो । दिनडो-देखो 'दिन'। दिठोण, विठोणी-पु० दृष्टि दोष से बचाने के लिय लगाई गई दिनत-देखो 'दिनंद'। काली बिंदी। दिनदुलह (हो)-पु० [सं० दिन दुर्लभ] कामदेव । -वि० वीर, दिन-देखो 'द्रढ़'। बांकुरा। दिनबळ-पु० [सं०] दिन के समय प्रबल रहने वाली राशि । दिढ़क--पु० सं० हद | स्वामि कात्तिकय। दिनाई-पु० [स० दिनस्थायी] सूर्य, दिनकर । -क्रि० वि० दिढ़वंत-पु० सं० दृढवान ] मरुड़ । प्रतिदिन, नित्य। For Private And Personal Use Only Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org दिनांतक ( ६५१ ) दिली दिनांतक-पु० [सं०] अंधकार, अंधेरा । दिराणी (बी), दिरावणी (बौ)-क्रि० दिलवाना, दिलाना, दिनांध-वि० दिन में भी अंधा । -पु० उल्लू । देने के लिये प्रेरित करना । दिनांस-पु० [सं० दिनांश दिन के तीन भागों में से एक । दिल-पु० [फा०] १ हृदय । २ मन, चित्त, जी। ३ कलेजा। दिनागम-पु० [सं०] प्रभात, तड़का । ४ इच्छा, प्रवृत्ति। दिनाधीस-पु० [सं० दिन-प्रधीश] सूर्य । दिलगीर-वि० [फा०] १ खिन्नचित्त, उदास । २ शोकाकुल दिनि-पु० [सं० दान] १ दान, पुण्य । २ भेट । ३ देखो 'दिन'। दुःखी । दिनियर-देखो 'दिनकर' । | दिलगीराई, दिलगीरी-स्त्री० [फा०] १ उदासी, खिन्नता । दिनी-वि० बहुत दिनों का पुराना । २ रंज, दु:ख । दिनेस, दिनेसर-पु० [सं० दिनेश] सूर्य, रवि । दिलड़ो-देखो 'दिल'। दिनेसात्मज-पु० [सं० दिनेशात्मज] १ शनि । २ यम । ३ सुग्रीव । दिलचलो-वि० [फा०] १ उदार, दानी । २ वशमिजाज, ४ कर्ण। ५ अश्विनीकुमार। मौजी। ३ पागल । ४ साहसी । ५ शूरवीर । विनेस्वर-पु० [सं० दिनेश्वर] सूर्य, दिनकर। . दिलचस्प-वि० [फा०] १ चित्ताकर्षक । २ मनोहर, सुन्दर । दिन्न-वि० [सं० दन] दिया हुआ, दत्त (जैन)। ३ रुचिकर । ४ आनन्ददायक । दिन्न, दिन्नि, दिन्नी-देखो 'दिन'। दिलचस्पी-स्त्री० [फा०] १ रुचि, चाव, लगाव । २ प्राकण । दिपरणो (बौ), दिपवरणौ (बौ)-देखो 'दीपणो' (बी)। विलजमई-स्त्री० इतमिनान, तसल्ली। दिपह-देखो 'दीपक'। दिलजळी-वि० अत्यन्त दु:खी, संतप्त । दिपारणो (बी), दिपावरणौ (बौ)-क्रि० [सं० दीपी] १ चमकाना, | दिलदराज-बि० [फा०] उदार चित्त, दातार । प्रकाशित करना । २ प्रज्वलित करना। जलाना। दिलदार-वि० [फा०] १ रसिक, रसिया। २ प्रेमी। ३ प्राभा या कांतियुक्त करना, देदीप्यमान करना । ३ मौजी। ४ मजाकिया ।५ उदार, दाता । ४ लावण्य युक्त करना । ५ प्रगट करना, प्रकाश में लाना । दिलदारी-स्त्री० [फा०] १ उदारता । २ रसिकता । ६ प्रसिद्ध करना। ३ प्रेम पात्रता। दिब-१ देखो 'दिव' । २ देखो 'दिव्य' । दिलदूठ-वि० दृढ़, मजबूत । दिबस-देखो 'दिवस'। दिलपसंद-वि० [फा०] मन पसंद, रुचिकर । -पु. बेलबूटेदार दिम-देखो 'दिव'। एक वस्त्र विशेष । दिमसु-देखो "दिवस'। दिलपाक-वि० [फा०] निष्कपट, पवित्र, स्पष्ट । दिमांरिणयौ-पु० [सं० द्विमान] अनाज का एक माप । दिलप्यास-पु. एक प्रकार का रेशमी वस्त्र विशेष । दिमाक-देखो 'दिमाग'। -दार='दिमागदार'। दिलबर-वि० [फा०] जिससे प्रेम हो, प्रेमी, प्रिय, प्याग। दिमाग-पु० [अ०] १ मस्तिष्क । २ समझ, बुद्धि । ३ ज्ञान दिलबहार-पु० [फा०] खशखशी रंग का एक भेद । ४ अहंकार, गर्व । --दार-वि० अच्छे ज्ञान या बुद्धिवाला, दिलमट्ठी, (ठो)-वि० [फा० दिल+सं० मष्ट कृपण, कंजस । बुद्धिमान । अभिमानी। दिलरखी-स्त्री० दासी। दिमागी-वि० [अ०] दिमाग का, दिमाग संबंधी । दिलरुबा-वि० [फा०] १ मनमोहक । २ प्रिय, ध्याग । दियण-वि० [सं० दा] देने वाला, दाता। ३ प्रेमी। वियर-देखो 'देवर'। दिलारणौ (बो), दिलावरणौ (बो)-देखा 'दिरागो' (बो)। दियासण, दियासणी-स्त्री० [सं० दीपक-प्रासन] दीपक रखने | दिलावर-वि० [फा०] १ शूरवीर, बहादुर । २ साहसी, का स्थान, दीवार में लगा दीपक रखने का पत्थर । उत्साही । ३ उदार, दानी। दियासळाई-स्त्री० [सं० दीपशलाका] आग लगाने की तूलिका। दिलावरी-स्त्री० [फा०] बहादुरी, माहस । दियौ-देखो 'दीपक'। दिलासा (सौ)-स्त्री० १ ढाढस, धैर्य, तसल्ली । २ प्राण्वामन । दिर-पु० १ सितार का एक बोल । २ हाथी । ३ दुर्योधन का दिली-वि० [फा०] १ दिल का, दिल मबंधी । एक भाई । ४ देखो 'दर'। २ देखो 'दिल्ली'। -छात, छातपत='दिल्ली छातपत' । दिरक (ख)-पु० [सं० दक्ष] राजा दक्ष । -नाथ='दिल्लीनाथ' । --पत, पति, पती, पत्ति= दिरव-देखो 'द्रव्य'। 'दिल्लीपति' । --मडळ-'दिल्लीमंडल' । - स, सर, विरस-देखो 'दरम'। -स्वर='दिल्लीस्वर'। For Private And Personal Use Only Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विलोप वियोवास दिलीप-पु० [सं०] १ भगीरथ के पिता इक्ष्वाकुवंशीय एक दिवाणगी-देखो 'दीवाणगी' । गजा। २ देखो 'दिल्लीपति' । दिवाणी-देखो 'दीवांगी'। दिलीस-स्त्री० एक प्रकार की बन्दुक । दिवांध-पु० [सं०] १ उल्लू । २ दिनौंधी का रोग । -वि० दिलेदार-पु. एक प्रकार का कपाट । दिन में अंधा रहने वाला। दिलेर-देखो दिलावर'। दिवांन-देखो 'दीवांण'। दिलेरी-देखो 'दिलावरी'। दिवानगिरी-देखो दीवाणगी' । दिलेस-देखो 'दिल्लीस'। विवांनी-स्त्री. १ एक प्रकार का पेड़ । २ देखो 'दीवारणी' । दिलेसर, दिलेसुर दिलेस्वर-देखो 'दिल्लीम्वर' । ३ देखो 'दीवांनी'। दिलो-देखो 'दिल्लौ'। दिवांनौ--पृ० १ दरबार । २ देखो 'दीवांनौ' । दिल्लगी-स्त्री० [फा०] १ हंसी, मजाक मखोल । २ दिल | दिवा-पृ० [सं०] दिन, दिवस । -अव्य० दिन के समय, दिन में। लगाने की क्रिया या भाव। -बाज-वि० मसखरा। दिवाकर-पु० [सं०] १ सूर्य, रवि । २ पाक, मदार । मजाकिया। -बाजी-स्त्री० हंसी-मजाक करने की क्रिया। दिवाकीरती-पु० [सं० दिवाकीति] १ नाई, हज्जाम । दिल्ली-स्त्री० भारत का एक प्रमुख नगर । --छात. २ चाण्डाल । ३ उल्लू । छातपति-पु० दिल्ली का बादशाह। -नाथ-पृ० दिल्ली | दिवासा-देखो 'दिवोकस'। का स्वामी। -पत, पति-पु. दिल्ली सम्राट । -मंडळ ! दिवाचर-पु० [सं०] १ चिड़िया। २ पक्षी। ३ चाण्डाल । -पू० भारतवर्ष हिन्दुस्तान । दिल्ली का क्षेत्र । -वई दिवजउ-पु० शोभा। ='दिल्लीपति'। -वाळ-वि० दिल्ली का, दिल्ली संबंधी दिवाजौ-देखो 'दवाजो' । -पु. दिल्ली का निवासी । -स, सर, सुर, स्वर-पु० दिवाटन-पु० [सं०] काक, कौया । दिल्ली का स्वामी, मम्राट । दिवाणी (बी)-देखो 'दिराणो' (बी)। दिल्लेदार --पु. एक प्रकार का कपाट । दिवानाथ-पु० [सं०] सूर्य, भानु । दिल्लेस-देखो 'दिल्लीस' । दिवाप्रस्ट-पु० [सं० दिवापृष्ठ] सूर्य, भानु । दिल्लेसुर देखा “दिल्लीस्वर'।। | दिवाभिसारिका-स्त्री० [सं०] अपने प्रेमी से दिन में मिलने दिल्ली-देखो ‘दल्ली। वाली नायिका। दिव-पु. ग. दिवम्] १ अाकाश । २ स्वर्ग । ३ वन, जंगल। दिवामरण, दिवामरिण-पु० [सं०] सूर्य, रवि । ४ सूर्य, रवि । ५ दिन, दिवस । ६ दीपक । ७ प्रकाश, दिवायर, दिवायरु (रू)-देखो दिवाकर'। चमक । ८ देखो 'दिव्य' । -- उखद. प्रोकस, खद-पु० दिवारणौ (बौ)-देखो 'दिराणी' (बौ)। देवता, सुर। चातक पक्षो। --दिस्ट, द्रस्टी-'दिव्यद्रस्टी' 1 दिवारूप-पु० [सं० दिवरूप] आकाश, व्योम । -पुर-पु० स्वर्ग, देवलोक । दिवाळ-देखो 'देवाळ' । दिवराट-१ देखो 'देवराज'। २ देखो 'दिवमपति'। दिवाळगो-स्त्री० देने की क्रिया या भाव । दिवराणौ बी), दिवरावणौ (बो)-देखो 'दिरागो' (बी)। दिवालय-देखो 'देवालय' । दिवली-देखो 'दिवि'। दिवावरणौ (बौ)-देखो "दिरागौ' (बी)। दिवलौ-देखो 'दीपक'। दिवि, दिवी-पु० [सं०] १ नीलकंठ पक्षी। २ देवी । ३ राणी, राजमहिषी। दिवस-पु० [सं०] १ दिन, वासर । २ सूर्य, रवि । -अंध-पु० उलक पक्षी। -वि० जिसे दिन में दिखाई न दे । -कर नाथ, दिवीप्रोक-देखो 'दिवोकस' । प, पति, पती, मरिण-पु. सूर्य, रवि । --मुख-पू० विवीरथ-पु० [सं०] पुरुवंशीय एक राजा। सवेरा, प्रातःकाल । - मुद्रा-स्त्री० एक दिन का वेतन ।। दिवीसत-पु० [सं० दिविषत् ] देव, देवता । दिवसेस--पु० [सं० दिवस-ईश ) सूर्य, भानु । दिवीस्ठी-पृ० [सं० दिविष्ठ) १ देव, देवता। २ स्वर्ग में रहने दिव पति-पु० [सं०] १ इन्द्र । २ दिवसपति, सूर्य । वाला, स्वर्गवासी। ३ ईशानकोण के एक देश का नाम । दिवस्स-देखो 'दिवस'। दिवेस-पु० [सं० दिवेश] १ सूर्य । २ दिग्पाल । दिवारण-देखो 'दीवारण'। -प्राम='दीवारणांम'। -खास- दिवोकस (कसा)-पु० [सं० दिवोकस] १ देवता । २ चातक पक्षी। दीवाणखास'। दिवोदास-पु० मिं०] चंद्रवंशी राजा भीमरथ का पुत्र । For Private And Personal Use Only Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org दिवोल्का विहंदा दिवोल्का-स्त्री० [सं०] दिन में गिरने वाली उल्का । विसटांत-देखो 'द्रस्टांत' । विवी-देखो 'दीपक'। दिसटाळ(ळो)-देखो देठाळी' । विवोका-देखो 'दिवोकस'। दिसपति-पु० [सं० दिशापति] दिक्पाल । दिग्गज । दिव्य-वि० [सं०] १ अद्भुत, अनौखा, चमत्कारपूर्ण । दिसली-क्रि० वि० १ तरफ से, ओर से । २ सरफ, ओर । २ स्वर्ग से संबंधित, स्वर्गीय। ३ अच्छा, बढ़िया। ३ दिशा को।। ४ पवित्र उत्तम । ५ देवी। ६ सुन्दर, मनोहर । दिसलौ-वि० (स्त्री० दिसली) दिशा संबंधी, दिशा का। ७ अलौकिक । ८ प्रकाशमान, चमकीला।-पु०१ अलोकिक विसांतरी-पु० १ डंक ऋषि के वंशज एक जाति । २ इम पुरुष । २ यम । ३ स्वर्गीय जीव । ४ यव, जव । ५ लौंग। जाति का व्यक्ति । ६ चन्दन। -कवच-पु. अंगरक्षक मंत्र या स्तोत्र। दिसा-स्त्री० [सं० दिशा] १ क्षितिज वृत्त के चार भागों में --गध-पु० लौंग । गंधक । --गंधा-स्त्री० बड़ी इलायची। से एक भाग। दिशा, क्षितिज अचल । २ चार की संख्या*। एक शाक विशेष । -गायन-पु० गंधर्व । -चक्ष-पु० ३ दश की संख्या*। ४ देखो 'दसा'। ५ देखो 'दीक्षा'। ज्ञान चक्षु । अंधा । बन्दर । ऐनक, चश्मा । -द्रस्टी-स्त्री० -क्रि० वि० ओर तरफ। सूक्ष्म या अंतरिक्ष में देखने की शक्ति । ज्ञान दृष्टि । दिसागज-पु० [सं० दिशागज] दिग्गज, दिक्पाल । -धरमी-वि० स्वभाव व पाचरण से पवित्र, शीलवान । दिसाचक्ष-पु० [सं० दिशाचक्षु] गरुड़ के एक पुत्र का नाम । -नगर-पु० ऐगवती नगरी। -नदी-स्त्री० एक नदी | दिसाजय-पु० [सं० दिशाजय] दिग्विजय । विशेष । –नारी-स्त्री० देवांगना। अप्सरा। -पंचांम्रत, दिसाटौ-देखो 'देसोटौ' । पचाम्रित-पु० घी, दूध, दही, मक्खन और चीनी। दिसादिसी-क्रि० वि० चारों ओर । -यमुना-स्त्री० एक नदी का नाम । -रल-पु० दिसापाळ-पु० [सं० दिशापाल] दिक्पाल । चितामणि रत्न । -सरिता-स्त्री० प्राकाश गंगा । दिसाबर-पु० १ एक वैश्य जाति । २ देखो 'दिसावर' । -सांनु-पु० एक विश्वदेव । -सार-पु० साल दिसामूल, (भ्रम)-पु० [सं० दिशाभ्रम] दिशा का भ्रम, भूल । वृक्ष। —सूरि-पु० रामानुज सम्प्रदाय के एक प्राचार्य। दिसाबड़-पु० कपड़ा बुनने का अन्तिम छोर । -स्त्री-स्त्री० अप्सरा । -स्रोत-पु० मब कुछ सुनने । दिसावर-पु० [सं० दिमापर] १ दूर का देश, पराया वाला कान । प्रदेश । २ विदेश । दिव्यवाह-स्त्री० [सं०] वृष भानु गोप की छः कन्याओं में से एक । दिसावरी (रू)-वि० दूर देश का, दूर देश संबंधी । विदेशी । दिव्यांगणा (ना)-स्त्री० [सं० दिव्यांगना] १ देव वधू । दिसावळ (ळौ)-वि० दिशा भ्रमित । २ अप्सरा। दिसासूळ-पु० [सं० दिशा शूल] यात्रा का अनिष्टकारी मुहूर्त । दिव्यांसु-पु० [सं० दिव्यांशु] सूर्य । दिसि-देखो 'दिमा'। दिव्या-स्त्री० [सं०] १ स्वर्गीय नायिका विशेष । २ बांभ। दिसिदुरद-पु० [सं० दिशा द्विरद] दिग्गज । ३ महामेदा । ४ सफेद दूब । ५ हड़, हर्र। ६ कपूरकचरी। दिसिनायक-पु० [सं० दिशानायक] दिक्पाल । ७ ब्राह्मी जड़ी। ८ शतावर । ९ बड़ाजीरा । १० आंवला। दिसिनियम-पु० जैन साधुओं का एक नियम । दिव्यादिव्य-पु० [सं०] देवत्व गुणों वाला नायक विशेग। दिसिप-देखो "दिसपति' । दिव्यादिव्या-स्त्री० [सं०] देवत्व गुग्गों वाली नायिका विशेष । दिसिराज-पु० [सं० दिशाराज] दिक्पाल । दिग्यासन-पु० [सं०] तंत्र में एक प्रासन । दिसी-देखी 'दिसा'। दिव्यास्र-पु० [सं०] देवता से प्रदत्त प्रायुध । दिसोटौ-देखो 'देसोटो'। दिसतर-पु० [सं० देशांतर] १ दूर का देश, प्रदेश । २ विदेश विसौ--देखो 'दिसा । परदेश । दिस्ट-देखो द्रिस्टि'। दिसंतरी-वि० १ परदेशी, विदेशी । २ दिशा सबंधी । दिस्टांत-देखो 'द्रस्टांत'। ३ दिशांतरी। दिस-देखो 'दिमा'। दिस्टि, दिस्टी-देखो 'द्रस्टि। दिसउ-क्रि० वि० [सं० दिशा पोर, तरफ । दिस्तौ-देखो दस्तौ' । दिसड़ी, दिसड़ौ-देखो दिमा' । दिस्सा-देखो दिसा'। दिसट-१ देखो 'दुम्ट' । २ देखो 'द्रस्टी' । विहंदा-वि० [फा०] देने वाला दाता। For Private And Personal Use Only Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दिह बिह-१ देखो 'दी' २ देखो 'देह' । बिहड़ी (डौ) - देखी 'दिवस' । दिहरी-देखो 'देवरी । बिहानगी देखो 'देनगी'। दिहाड़उ - देखो 'दिवस' । www. kobatirth.org 'दिहात - देखो 'देहात' । दिहाती- देखो 'देहाती' । विहि-देखो 'दस' | ( ६५४ ) दीठउ-देखो 'दीठो' । पीठि स्त्री० [सं०] दृष्टि ] १ नेत्र नयन २ देखो 'दीठ' । वीरणी - पु० [सं० दृश्] नजर लगने से बचाने के लिए मुंह पर लगाया जाने वाला काला टीका । दीठोड़ो, दोठोडो, दीठो-वि० [सं० दृष्ट ] (स्त्री० दीठोड़ी, डी) देखा हुआ । 'दो-देखो 'दीन' | दिहाड़ी, बिहाडउ, दिहाडि, (डी, डो) - १ देखो 'दिवस' । दीत दीता पु० [सं० प्रादित्य] १ सूर्य, भानु । २ रविवार । 1 २ देखो 'दोहाड़ी' | दीद- १ देखो 'दीदार' । २ देखो 'दीन्हों' । बिहाड़ (दो) - कि० वि० [सं० दिवस] १ नित्यमे २ दिन में देखो दीहाड़ी' । दीप्रण-वि० [सं० दा] देने वाला, दाता । दीप्राळी- देखो 'दीवाळी' । बोधी-देखो 'दीपक' | दीकरी-देखो 'डोकरी' । दीकरी, वीकिरउ-देखो 'डीकरी' | दीकोडी, दीकोळी-स्त्री० दासी । बी० १ प्रमुख २ सूर्य ३ स्वामिकात्तिकं ४ दिन ५] देखो 'ई' वि० दानी उदार प्रस्थ० पष्ठी या संबंध दीदा स्त्री० [फा०] दृष्टि नजर । का चिह्न की । दीप्रट - देखो 'दीवट' | दक्षक पु० [सं०] दीक्षा देने वाला गुरु । - दीक्षांत पु० [सं०] १ शिक्षा-दीक्षा की समाप्ति, पूर्णता । २ श्रवभृत यज्ञ । दीक्षा - स्त्री० [सं० | १ गुरु या प्राचार्य का नियम पूर्वक मंत्रो प्रदेश २ गुरु द्वारा उपदेशित मंत्र । ३ गायत्री मंत्र का उपदेश । उपनयन संस्कार । ४ पूजन । ५ यज्ञ का अनुष्ठान, यज्ञ कर्म । ३ संस्कार । ७ श्रात्म समर्पण । -- गुरु- पु० मंत्रोपदेश करने वाला गुरु । - पति-पु० यज्ञ का रक्षक, सोम । बीक्षित - वि० [सं०] १ दीक्षा प्राप्त, उपदेशित । २ जिसने संकल्प पूर्वक यज्ञ का अनुष्ठान किया हो । ३ यज्ञ के लिए उद्यत । ४ संस्कारित । - पु० एक ब्राह्मण वर्ग । दीख १ देखो 'दीक्षा' । २ देखो 'द्रस्टि' । दीखरण (बी) - क्रि० [सं० दृश् ] देना । २ समझ में श्राना । होना । ४ दीक्षा देना । दीस ५० [सं०] दिक्-ईश] दिक्पाल | १ दृष्टि गोचर होना, दिखाई ३ श्राभास होना, पूर्वाभास यो स्त्री० [सं०] रष्टि ] १ नेत्र ज्योति रष्टि नजर २ नेत्र ३ दोष दृष्टि, कुष्टव्य०१ प्रत्येक पर प्रति व्यक्ति या वस्तु के अनुसार । २ देखो 'दीठो' । | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बीज दीवनी सम्प० [फा०] देखकर । दीदम स्त्री० [फा०] १ दृष्टि । २ दर्शन, दीदार | दीवान - पु० निशाना मिलाने का, बन्दूक पर लगा लोहे का गुटका । । दीवार पु० [फा०] १ दर्शन २ छवि ३ मुख, मुखाकृति । ४ अवलोकन । ५ भेंट, साक्षात्कार । atare (रू) - वि० दर्शनीय, देखने योग्य । बीवी-स्त्री० बड़ी बहन 'दीप-देखो 'दीन्ही' | । दीघति (ती) स्त्री० [सं०दीधिति] १ किरण २ चमक, कांति दोस वि० [सं०] दा] दिया हुआ, दत्त For Private And Personal Use Only दीधु, (धु, धू), दोघोड़ो, दोधौ-देखो 'दीन्ही' । दीन- वि० [सं०] १ हीन वशा का गरीब, दरिद्र २ दु:खी, कातर । ३ नम्र, विनीत । ४ दयनीय । ५. उदास, खिन्न । ६ कायर । ७ भाग्यहीन, अभागा । ८ विवश - पु० [अ०] १ धर्म, मजहब । २ मत । ३ विश्वास । ४ वर पक्ष की ओर से कन्या के पिता को दिया जाने वाला धन । ५ तगर पुष्प । ६ देखो 'दीन्ही' । दयाळ, दयाळु, दयाळी- वि० दीन पर दया करने वाला | ईश्वर । -दार - वि० धार्मिक । —दारी स्त्री० धर्म पर विश्वास । --बंधु बंधू, बंधी पु० ईश्वर गरीबों का सहायक, प्याज। दीनता, (ई) - स्त्री० १ नम्रता, अजीजी । २ कातरता, श्रार्त भाव । ३ उदासी, खिन्नता । ४ दरिद्रता गरीबी। ५ प्रार्थना । ६ करुणा, दया । दीनी स्त्री० [सं०] दीनता] विनती प्रार्थना दीनदुनी-स्त्री० [अ० दीन-दुनिया ] लोक-परलोक । दीनानाथ - पु० [सं० दीन-नाथ ] १ ईश्वर का एक नाम । २ दीनों का स्वामी या रक्षक । दीनार पु० [फा०] १ सोने या चांदी का सिक्का २ स्वर्ण मुद्रा । दोनोड़ो, (डी) दीनो-देखो 'दीन्ही' | बीन्ह, दीन्हउ, दीन्होड़ौ, दोन्हौ-वि० दत्त, दिया हुआ, प्रदत्त । Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दीपंतो www. kobatirth.org ( ६५५ ) दीपंती - वि० [सं० दीप्त ] प्रकाशित, चमकता हुआ । दीप्तिमान । दीप पु० [सं०] १ दीपक, चिराग । २ ज्योति । ३ इन्द्र । ४ छन्द विशेष । ५ एक अन्य छन्द विशेष । ६ छप्पय छंद का ६८ वां भेद । ७ देखो 'द्वीप' । दीपक पु० [सं०] दीपक) १ चिराग दीप । ४ एक ताल का ६ एक डिंगल गीत । अलंकार विशेष । ३ एक राग विशेष नाम । ५ एक मात्रिक छंद विशेष । विशेष | ७ वेलियो साणोर का एक भेद । ८ केसर । ९ पीला । १० रोशनी, प्रकाश ११ कामदेव को उपाधि । १२ बाज पक्षी । -माळा-स्त्री० दीप पंक्ति । दीपक अलंकार का एक भेद । एक वर्ण वृत्त । - सुत - पु० काजल । कज्जल । दीपकामाळ - स्त्री० [सं० दीपमालिका ] १ दीपावली । २ दीपों की पंक्ति । दीपकाळ - पु० संध्याकाल । [सं० दीप + काल] संध्या का समय, ज्योति २ एक । बोपक्क देखो 'दीपक' | दीपक दीप-देखो 'दीपक' | दीपगर (घर) - पु० [सं० दीप गृह] १ दीपकों का समूह । २ दीपक रखने का कक्ष । दीपचंदी स्त्री० एक ताल विशेष । दीपरण- देखो 'दीपन' | - बीपी वि० [सं०] [दी (स्त्री० दीप) १ चमकने वाला। २ जग जगाने वाला, रोशन होने वाला । ३ देदीप्यमान होने वाला । ४ प्रज्वलित होने वाला। ५ शोभित होने वाला । ६ लावण्य युक्त होने वाला । ७ प्रसिद्ध होने वाला ८ प्रगट होने वाला । दीपnt क्रि० (ब) ० [सं० दीव] १ चमकना, जगमगाना, प्रकाशित होना। २ रोशन होना, प्रकाशित होता ३ देदीप्यमान होना । ४ प्रज्वलित होना । ५ शोभित होना, शोभा देना । ६ लावण्ययुक्त होना नूर बढ़ना । ७ प्रसिद्ध होना, ख्याति प्राप्त करना । ८ प्रकट होना । दीपत - वि० [सं० दीप्तिकर ] १ रमणीय, सुन्दर, प्रच्छा । २ देखो 'दीप्ति' | 1 दीपति (ती) देखी 'दीणि'। दीपती- वि० [सं०] दोरी (स्पो०दीपती) १ चमकता हुआ २ कांतिमान, दीप्तिमान | ३ प्रकाशित, रोशन | ४ प्रज्वलित । ५ शोभित । ६ प्रसिद्ध | दीदी जमीन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीपदान पु० [सं० दीप दान ] १ दीप रखने का स्थान । दीपगृह । २ लकड़ी या धातु का दीप जलाने का उपकरण । ३ देवता के सामने दीप जलाने का कार्य । ४ दीप मालिका विशेष । दीप्ति दीपदानी-स्त्री० दीपक का सामान रखने की डिबिया । दीप (ध्वज) पु० [सं० डीपध्वज) कज्जल, काजल । ] दीपन पु० [सं०] १ प्रकाशित या प्रज्वलित करने का कार्य । २ भूख उभारने की क्रिया । ३ केसर । ४ तगर की जड़ । ५ मयूर शिखा का वृक्ष । ६ प्याज - वि० जठराग्निवर्धक । दीपनवण पु० जठराग्नि बढ़ाने वाला पदार्थ । - दीपनम - पु० [सं०] तारा, नक्षत्र । दीपनी स्त्री० [सं०] १ मेथी २ अजवाइन दीपमाळ, (माळका, माळा, माळिका, माळी) - स्त्री० [स० [दीप मालिका] १ दीप पंक्ति २ दीपावली, दीवाली। दीपयती स्त्री० [सं०] द्वीपवती ] १ पृथ्वी २ नदी । दीपवरतिक- पु० [सं० दीपवर्तिक । दीपक संभालने वाला । दीपसुत पु० [सं०] काजल, जल दीपसुरलोक - पु० | सं० सुरलोक दीप ] इन्द्र | दीपाऊ - वि० [सं० दीपी ] १ चमकने वाला । २ सुन्दर, मनोहर दीपित वि० [सं०] १ चमकता हुआ २ उत्तेजित । दीपारणी (बी) देखो 'दिवानी' (दो) । दीपायरण, दीपायन- देखो ''पायन' । दीपारती स्त्री० दीप भारती । दीपावली (ब) देखो 'दिपाली' (बी)। दीपावती स्त्री० [सं०] १ एक रागिनी विशेष । २ दीपावली । [सं० डीपवती) जिस पर द्वीप स्थिर हो। दीपावळ (ळी) - स्त्री० [सं० दीप + अवली ] १ दीप पंक्ति या श्रेणी २ दीवाली त्यौहार । दीपिका - स्त्री० [सं०] १ ममाल, पलीता । २ एक रागिनी विशेष वि० उजाला करने वाली । 1 प्रकाशित, दीप्त दीपोत्सव - पु० [सं०] दीवाली त्योहार । दीप्त- वि० [सं०] १ चमकता हुआ, जगमगाता हुया । प्रकाशित २ जलता हुआ, प्रज्वलित । ३ उत्तेजित । - पु० १ सुवर्ण, सोना । २ सिंह । ३ नींबू का पेड़ । दीप्ताग्नि- वि० [सं०] १ प्रबल पाचन शक्ति वाला । २ तेज भूख वाला, भूखा । दीप्ति - स्त्री० [सं०] १ ग्राभा, चमक, कांति । २ उजाला प्रकाश, रोशनी । ३ छबि शोभा । ४ किरण, रश्मि । For Private And Personal Use Only ५ सुन्दरता । ६ चपड़ी, लाख। मांन वि० प्रकाशमान कांतियुक्त प्रकाशित। 1 Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीप्य दीवार दीप्य-दि० [सं०] १ जलाने योग्य, जलने योग्य । दोवड़लौ-देखो 'दीपक' । २ चमकने योग्य । दीवड़ी, दीवड़ो-पु० [सं० दृति] १ बकरे की खाल या केन वास दीबेल-पु० [सं० दीपतल] दीपक में जलाने का तेल । की बनी, पानी रखने की लंबी थैली । २ एक पात्र विशेष । दीम, दीमक-स्त्री० [फा०] चींटी की तरह का सफेद कीड़ा, दीवट-स्त्री० [सं० दीपस्थ] दीपक रखने का दण्ड । बल्मीक । दीवटिउ, दीवटियो, दीवटियउ दीवटीउ, दीवटीओ, दीवटीयउ, दीयावळि-स्त्री० दिशा भ्रम । दीव टीयौ, दीवटौ-पु० [सं० दीपवतिका] १ कटोरीनुमा दीयावळी, दीयासूळौ-वि० (स्त्री० दीयावळी) दिशा भ्रमित । मिट्टी का दीपक । २ दीपक थामने वाला, मशालची। दीयो-पु० [सं० दीप] दीपक, दीप, चिराग । ३ देखो 'दीपक'। दीरम्घ, दीरघ, दीरघड़ी-वि० [सं० दीर्घ १ बड़ा, विशाल । दीवड़-देखो 'दीवड़ी'। २ महान। ३ लम्बा, चिरलम्बा । ४ स्थूल, मोटा। दोबडु (डू, डौ)-१ देखो 'दीपक'। २ देखो 'दीवड़ौ' । ५ भारी। ६ गंभीर, ऊंचा। ७ ह्रस्व का उल्टा। दीवळ-देखो 'दीमक' । --पु. १ ऊंचा स्वर । २ 'ऊंट । ३ गुरु वर्ण । ४ लंबा दीवलउ-देखो 'दीपक' । ममय, चिरकाल । -करण-पु. गधा, खर। -वि० लंबे दीवलियौ-१ देखो 'दीपक' । २ देखो 'दीवटियौ' । कान वाला। -काय-वि० बड़े डील-डौल वाला। दीवलो-देखो 'दीपक' । ----ग्रीव-पु० ऊंट। -छळ-पु० सिंह, शेर । --जीवी-वि० | दीवांण-पु० [फा० दीवान] १ राजसभा, दरबार । २ राज लम्बी प्रायु वाला। -तपो-वि० बड़ा तपस्वी । सभा का स्थान, सभा स्थल । ३ राजा का मंत्री, प्रधान, -दरसी-वि० दूरदर्शी । विचारवान । --पु० गिद्ध । भालू । वजीर । ४ स्वामी, अधिपति । ५ कवहरी, न्यायालय । --निस्वास-पु. दुःख भरी लंबी श्वाम।-पत्र,पत्रक-पु० ६ उदयपुर के महाराणा की उपाधि । ७ शिव, महादेव । प्याज ।-पत्रिका-स्त्री०मप द वच । शाल पर्णी 1-पिस्ट,पीठ- ८ मंदिर । ९ ईश्वर, परमात्मा। -वि० [फा० दीवान] पु०मर्प, नाग । हाथी, गज ।-फळ-पु० अमलतास ।-बाहु- १ मस्त । २ वीर, बहादुर । ३ पागल । ४ देखो 'दइवांण' -वि० प्राजनबाह । -पु० धृतराष्ट्र का एक पुत्र ।। -प्राम-पु० ग्राम सभा का स्थल । पाम दरबार । -मारुत-पु० हाथी। --मुख-पु० एक यक्ष । -वि० बड़े -----खांनौ-पु. बैठक का बाहरी कक्ष । -खालसौ-पु. मुख वाला। -मूळ-पु. एक प्रकार की घाम । एक लता राजा या दरबार की मुहर रखने वाला अधिकारी। विशेष । -यग्य-वि० जिसने चिरकाल तक यज्ञ किया हो। - खास-पु० खास-खास आदमियों की सभा, विशेष सभा । -वाह'दीर्घबाहु'। --सूत्रता-स्त्री० सुस्ती, आलस्य । -गिरी-स्त्री० दीवान का कार्य । दीवान का पद । घोर काय करने का प्रादत। -सूत्रा-व० आलसा, दीवांणी-स्त्री० [फा० दीवानी] १ दीवान का कार्य व पद। प्रमादी। धीरे कार्य करने वाला। -स्थरणी, स्थनी-वि० २ जमीन, जायदाद, द्रव्य संबंधी दावा । ३ ऐसे दावों का बड़े-बड़े स्तन वाली । -स्वर-पु० द्विमात्रिक स्वर, निर्णय करने वाला न्यायालय । ऊंचा स्वर । दीवारणी-देखो 'दीवानी' । दीरघरसन-पु० [सं० दीर्घ रमन] मर्प, सांप । दीवांन-देखो 'दीवांण'। दारघरामा-पु० [स० दाधरामन] १ भालून २ शिव का दीवांनी-वि० [फा० दीवान:] १ पगली, बावली, विक्षिप्ता। एक अनुचर। २ देखो 'दीवांणी' दीरघा-वि० [सं० दीर्घा] बड़े आकार वाली। -स्त्री० लम्बी दीवांनो-वि० [फा० दीमानः] (स्त्री० दीवांनी) १ पागल, गेलेरी। विक्षिप्त । २ उन्मत्त, मस्त । वीरघायु-वि० [सं० दीर्घायु] चिरजीव, लंबी आयु वाला। दीवाड़-वि० [सं० दा] देने वाला दाता । दातार । दीरघि-स्त्री० [सं० दीर्घ] लम्बाई, दीर्घता । दीवाझारी-स्त्री० एक जल पात्र विशेष । दीरधिका-स्त्री० [सं० दीपिका] १ वापिका । २ झील । दीवाटड़ी-स्त्री० मिट्टी का दीप । दीरध्य-देखो 'दीरघ'। दीवाधरी-वि० [सं० दीप धारिन] दीपक थामने वाला। दीव-पु० [मं० दिवम] १ सूर्य । २ देखो 'दिव' । । दीवार, दीवाल-स्त्री० [फा० दीवार] १ पत्थर प्रादि की ३ देखो 'दीप' । ४ देखो 'द्वीप'। खड़ी चुनाई । २ परदा, ग्राड, घेरा। ३ पात्र या किसी दीवउ,दीवक-देखो 'दीपक'। वस्तु का खड़ा भाग । ४ मतह से चारों ओर उठा हुया दोवड़की, दीवड़ली-देखो 'दीवड़ी'। कोई भाग । For Private And Personal Use Only Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीवाळी ( ६५७ ) दीवाळी-स्त्री० [सं० दीप-अवली] १ दीप पंक्ति, दीप दुदुह, दुहि-पु० [सं० डुडभ] १ पानी का सांप। मालिका । २ कात्तिक की अमावस्या को होने वाला प्रसिद्ध २ देखो 'दु'दुभि' । त्योहार । ३ इस त्यौहार पर की जाने वाली दोपकों की | दुधभी-देखो 'दु'दुभि' । रोशनाई। दुधमार-देखो 'दुदुमार' । दीवाळी-१ देखो 'देवाळो' । २ देखो 'दीवाळी' । दु धु-पु० मधु दैत्य का पुत्र । दीवी-स्त्री० [सं० दीपिका] १ दीपक जलाकर रखने का, दुधुबी-देखो 'दुदुभि'। लकड़ी या धातु का बना उपकरण । २ मशाल, पलीता। दुब-पु० [फा० दुब] मेद पुच्छ वाला मेढा । ३ देखो 'दीपक'। -झाड़-पु० झाड़नुमा रोशनदान । दुबायत-पु० मुवाजा देने वाला भूस्वामी। दीवा-देखो 'दीपक'। दुबी-देखो 'दुब'। दीस-पु० [सं० दिवस] १ दिन, वासर, । २ सूर्य रवि। दुबौ-पु० १ सामंतों द्वारा सरकार को दिया जाने वाला कर। दीसरणी (बी)-क्रि० [सं० दृश्] १ दिखाई देना, दृष्टि गोचर २ लूट के माल का, बादशाह को दिया जाने वाला भाग । होना । दीखना । २ पूर्वाभास होना। ३ समझ में ग्राना। ३ टीबा, भीडा।। दौसा-क्रि० वि०१ लिए, वास्ते, बाबत । २ देखो 'दसा'। दुहु-वि० [सं० द्वि] दोनों। दीसो-देखो 'दिसा'। दु-पु० [सं० धु] १ दिन, दिवस । २ पुत्र । ३ हाथ । ४ हाथी। दीसोटी, दीसोटौ-देखो 'देसोटौ'। ५ सूड । ६ दुःख । -वि० १ दरिद्र । २ प्रचंड । दीह-पु० [सं० दिवस] १ सूर्य । २ देखो दिवस' ३ प्रधान । ४ दो। ३ देखो 'दीरघ' । ४ देखो 'द्रस्टि'। दुभंगम-वि० [मं० दुर्गम्य] कठिन । दीहड़, दीहड़उ, दोहडो-देखो 'दिवस' । दुअट्ठ-देखो 'दुस्ट'। दीहणौ (बो)-देखो 'दीसो' (बौ)। दुप्रसपाह, दुअसपो-देखो 'दोसपो'। बीहपत (पति, पती)-देखो 'दिवसपति' । दुपा-स्त्री० [अ०] प्रार्थना, विनती, याचना । दीहर-देखो 'दीरघ'। दुआइती-स्त्री० दवायती। दीहाड़ी-पु० [सं० दिवस] दिन, वासर। -क्रि० वि० नित्य, | दुनाई-१ देखो 'दवाई' । २ देखो 'दुहाई'। प्रतिदिन, रोजाना। दुधागोई-स्त्री० प्रार्थना करने की क्रिया या ढंग । दीहाड़ी (डो)-देखो 'दिवस' । दुनापर-देखो 'द्वापर'। दोहि, दोह, दीहूँ, दीहू-देखो 'दिवस' । दुपार-देखो 'द्वार'। दोही-देखो 'दिवस'। दुबारामती-देखो द्वारांमती'। दुकारव-पु० दहाड़, गर्जना। दुपारी-१ देखो 'द्वार' । २ देखो 'दूवारी'। दुग-स्त्री० चिनगारी। दुपाळी-स्त्री० [फा० द्वाल] चमड़े का तस्मा, पट्टा । दुडदुडी (दुडी)-पु. ढोलनुमा एक वाद्य विशेष । दुपाळी-पु. १ एक प्रकार का बेलन । २ देखो 'द्वालो' । दुइ-वि० [सं० द्वि] दो। दुब-पु० [सं० द्वन्द्व] १ युद्ध । २ मल्ल युद्ध । ३ दो योद्धानों का दुइज-देखो 'दूज'। युद्ध। ४ युग्म जोड़ा । ५ कलह । ६ गुप्त बात, रहस्य । दुइण-देखो 'दुरजण' । ७ उपद्रव, उत्पात, विद्रोह। ८ एक प्रकार का समास । दुई-१ देखो 'द्वत' । २ देखो 'दुइ'। ६ जानवरों का समूह । १० सन्देह । ११ दु'दुभी। दुप्रै-वि० [सं० द्वि, हूँ] उभय, दोनों। १२ तोंद। दुनो-पु० [सं० द्वि] १ दो का अंक । २ दो की संख्या । दुदभ, दुदभि, दुदभी-देखो 'दु'दुभि'। ३ अपने पूर्वज के समान गुणों वाला व्यक्ति । दुदळी-देखो 'धूधळी'। ४ देखो 'दूवौ'। -वि० दूसरा, द्वितीय । दुदव-देखो 'दुदुभि'। दुकड़हा-वि• तुच्छ, नीच, कमीना । बुदाळ-स्त्री. १ दुनाली बन्दूक । २ देखो 'धूधाळो' । दुकड़ियो-पु० दो कड़ों वाला पात्र । दूदूम (भि, भी)-स्त्री० [सं० दुदुभि] १ नगाड़ा, धौसा। दुकड़ो-पू०१ तबला । २ तबले के समान ही एक अन्य वाद्य । २ एक राक्षम का नाम । ३ दो दमड़ी, छदाम । दुदुमार-पु० [सं० धुधमार, राजा त्रिशंकु का पुत्र । | दुकट, (ट्ट)-वि० भयंकर, विकट । For Private And Personal Use Only Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra एकटी www.kobatirth.org ( ६५८ ) दुखलियो - देखो 'दुखणी' । दुकडी-देखो 'दुकड़ौ' । दुकरियो- देखो 'दुखणी' । दुख (बी) देखो 'दुबणी' (बी)। दुकणी - पु० [सं० द्विकरण ] एक साथ दो दाने निकालने दुखतर स्त्री० [सं० दुख्तर ] बेटी, कन्या । वाली ज्वार । दुकर - वि० [सं० दुष्कर ] १ कठिन, मुश्किल । २ दुष्ट । दुबळ - वि० [सं० द्वि- कलि ] १ आततायी, दुष्ट | २ देखो 'ळ' । ३ देखो 'दुकूळ' । दुनि० [फा०] दुकान] वस्तुओं के क्रय-विक्रय का स्थान केन्द्र । हाट । - दार पु० व्यापारी । बनिया । - दारीस्त्री० दुकान पर बैठकर सामान बेचने का कार्य । दुकारणी (बी) - देखो 'दुखाणी' (बो) । दुकार- देखो 'दुत्कारणी' (बो) । कारणों (बी) - देखो 'दुत्काररगो' (बी) । काळ-० [सं० दुकान) १ दुर्भिक्ष घाल २ प्रभाव कमी " ३ बुरा समय । ४ प्रलयकाल । ५ शिवजी की उपाधि । काळी वि० [सं०] दुष्काल] १ दुःखी संतप्त २ प्रभावग्रस्त - दुकावरण (बौ) - देखो 'दुखाणी' (बी) । किस्त स्त्री० दो तरफी हार दुबुळ-० [सं०] १९५ रेशमी वस्त्र २ दुपट्टा, मोहनी | बुक्कर, दुक्कद-देखो 'कर' | दुक्कार देखो 'दुत्कार'। दुक्काळी- देखो 'दकाळणी' । gant स्त्री० [सं० द्विक्] दो बूटी वाला ताश का पत्ता । दुक्की - वि० [सं० द्विक्] १ दी, दूसरा २ जो अकेला न हो। दुख-देख दुख'। दुखित - देखो 'दुखित' । दुत पु० [सं० दुष्कृत ] १ पाप । २ कुकर्म, कुकृत्य । दुर्ऋति, दुक्रिती ति ती किती वि० [सं० दुष्कृति) १ पापी । २ कुकर्मी । ३ देखो 'दुत' । दुखंड, दुखंडौ - वि० [सं० द्विखण्ड] १ दो खण्डों वाला, दो भागों वाला । २ दो मंजिला - पु० दो भाग या खण्ड | दुख - पु० [सं० दु:ख ] १ मानसिक या शारीरिक कष्ट, पीड़ा । २ शोक, रंज ३ लीक, परेशानी, ४ आफत, व्याधि। ५ क्लेश । ६ संसार । ७ पाप । ८ प्रसुविधा वि० १ पीड़ा कारक, कष्टदायक । २ अप्रिय । ३ कठिन । ४ प्रतिकूल । ५ तप्त, गर्म । ६ काला, श्याम घाती - वि० दुःखों को मिटाने वाला । । दुखड़ो पु० [सं०] दुः] दुःखभरी दावा वृत्तान्त २ अपने कष्ट का बखान । ३ देखो 'दुख' । बुखम० धने की किया या भाव। दुखलाई स्त्री० [सं०] एक पतंगा विशेष । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुखतौ - वि० [सं० दु:खतृ] दर्द देने वाला, दुःखदायी । दुखस्यो - वि० दु:ख पाने वाला, दुःख भोगने वाला | दुखथळ - पु० [सं० दु:ख-स्थल ] १ दुःखदाई या कष्टप्रद स्थल या स्थान । २ शरीर का दुःखने वाला अंग । दर्द स्थल । दुखद [वि० [सं०] दुःख उत्पन्न करने वाला कष्टदायी दुखबाई - देखो 'दुःखदायी' । । दुखदायक, दुखदायण, बुखाची वि० [सं०] दुःखदायी] दुःख देने वाला, कष्टप्रद । २ शत्रु, वैरी । दुखपाळ- पु० [सं०] दुःख-याल] सोना, स्वर्ण । दुखम- पु० [सं० दु:ख ] श्रवसर्पिणी काल का पांचवां भाग, दुःखों का विभाग (जैन) । —दुख - पु० अत्यन्त दुःखों वाले काल का छठा विभाग (जैन) सुख पु० काल का चतुर्थ एवं दुःख के पश्चात सुखों वाला विभाग (जैन) । दुखर - देखो 'दूसरण' | दुखवारण - वि० [सं०] दुःखों को मिटाने वाला, दुःख दूर करने वाला । दुखांत वि० [सं० दु:खांत] जिसके अंत में दुःख हो, अंत में दुःखदायी । दुखतिरा - पु० [सं० दु:खांत्र ] एक मूत्र रोग विशेष । दुखाणी (बौ) - क्रि० २ दुःखी करना, को छेड़ देना । दुगड़ी दुखारी - वि० [सं० दु:ख ] पीड़ित, दुःखी । दुखावरण (ब) - देखो 'दुखाणी' (बी) । दुखिरणी-देखो 'दुखियो' । दगड़ी, बुगडी - स्त्री० विशेष | For Private And Personal Use Only [सं० दु:ख] १ पीड़ा देना, कष्ट पहुंचाना । व्यथित करना । ३ घाव या दुःखते अंग दुखियी दुखित बुखियारी, दुखियारी, दुखियो वि० [सं०दुःखित] दुःखी, परेशान, पीड़ित । दुखी - वि० [सं० दु:खी ] १ दुख पाने वाला, कष्ट उठाने वाला । २ शोक संतप्त, व्यथित । ३ परेशान, तंग | ४ अभागा । ५ अपाहिज । ६ बीमार, रोगी । ७ शत्रु । दुखीलौ, दुखीवंत - देखो 'दुखी' । दुग-देखो 'दुरग'। दुर्गाड़ियो - पु० [सं० द्विघटिकम् ] १ राजमहल की जनानी ड्योढी पर प्रातः सायं बजने वाला नगाड़ा । २ मुहूर्त । ३ दो घड़ी दिन रहने का समय । ४ इस समय किया जाने वाला भोजन । [सं०] स्त्रियों के हाथ का ग्राभूषण Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org दुगरण ( ६५९ ) दजरांग दुगण-वि० [सं० द्विगुण] दुगुना, दो गुना। दुड़बड़ी, दुड़बुड़ी-स्त्री० १ दौड़। २ शरीर पर हल्का दुगणित, दुगणौ-वि० [सं० द्विगुणित] दुगुना । ___मुष्ठि प्रहार। दुगद्गी-स्त्री० गले का एक आभूषण विशेष । दुड़यंद-देखो 'दिनंद'। दुगध-पु० [सं० दुग्ध] दूध । दुड़वड़ी-देखो 'दुड़बड़ी'। दुगधा-स्त्री० [सं० दुग्धा] १ दूध देने वाली गाय । २ जमीन दुडिद, दुड़ियंद-देखो 'दिनंद' । भूमि । दुड़ी-स्त्री० स्त्रियों के कलाई पर धारण करने का प्राभूषण । दुगम-पु० १ सिंह, शेर । २ सूअर । ३ देखो 'दुरगम' । दुचत-देखो 'दुचित'। दुगमी-पु० १ सूअर । २ देखो 'दगांम' । ३ देखो 'दुरगम'। दुचताई-स्त्री० [सं० द्विचित] १ खिन्नता, उदासी । दुगम्म-१ देखो 'दुगम' । २ देखो 'दुरगम' । २ चिन्ता। दुगह-१ देखो 'दुरग' । २ 'दुगै'। दुचतौ-देखो 'दुचित'। (स्त्री० दुचती) दुगांणी-स्त्री० एक प्रकार का छोटा सिक्का । दुचन-पु० [सं० दुश्च्यवन] इन्द्र । दुगांम-वि० [सं० दुर्गम] १ वीर, योद्धा। २ जबरदस्त । दुचाव-पु० एक प्रकार की घास । ३ असह्य । ४ विकट । ५ दुरगम । दुचित, दुचितौ-देखो 'दुचित' । दुगाय-स्त्री० [सं० दुर्गा] एक देवी का नाम । दुचित-वि० [सं० द्विचित] १ खिन्न, उदास। २ चितित । दुगाळ-पु० [सं० द्वि-गंड] शीतकाल में मस्ती से गलसूत्रा | ३ नाराज, नाखुश।। निकालने वाला ऊंट। दुचितई, दुचिताई-देखो 'दुचताई'। दुगाह-वि० जो जीता न जाय, अजय । दुचितौ, दुचित्तौ, दुचीतौ-देखो 'दुचित' । दुगी-स्त्री. १ एक प्रकार का वाद्य । २ देखो 'दुक्की' । दुच्चित-देखो 'दुचित'। दुगु दुग-पु० [सं० दौगुन्दक समृद्धिशाली देव विशेष । दुच्छरा-स्त्री० [सं० द्वि-क्षुरिका] खड्ग, तलवार । दुगुच्छा-स्त्री० [सं० जुगुप्सा] १ निंदा बुराई । २ अश्रद्धा, दुछण-पु० सिंह। घृणा। दुछर, दुछरेल, (रैल)-पु० १ सिंह । २ वीर, योद्धा। दुर्ग-वि० १ दो भागों वाला। २ दो मंजिला । दुज-पु० [सं० द्विज] १ ब्राह्मण। २ यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति । दुगौ-पु० दो दांतों वाला बैल या भैंसा । ३ ज्योतिषी । ४ परशुराम । ५ बृहस्पति । ६ चन्द्रमा । दुग्ग-देखो 'दुरग'। ७ अण्डज प्राणी। ८ पक्षी। ६ गिद्धिनी। १० दांत । दुग्गम, दुग्गमी-१ देखो 'दुगांम' । २ देखो 'दुरगम' । ११ भ्रमर । १२ सर्प, सांप । १३ चार मात्रा का नाम । दुग्गय-१ देखो 'दुरगति' । २ देखो 'दुगै'। १४ देखो 'दूज'। १५ देखो 'द्विज'। दुग्गाह-वि० दोहरा । | दुजड़-स्त्री० १ तलवार, खड्ग । २ कटार ।-झल, हत, हथौदुग्गी-देखो 'दुक्की' । पु० सुभट, वीर। दुग्ध-पु० [सं०] दूध । दुजड़ी-स्त्री० कटारी। दुग्धर-वि० भयंकर, विकट, भयावह । दुजरण-देखो 'दुरजरण'। दुग्धसमुद्र-पु० [सं०] क्षीरसागर । दुजणसाळ -देखो 'दुरजणसाळ' । दुग्धाक्ष-पु० [सं०] एक प्रकार का नग। दुजरणसाही-स्त्री० एक प्रकार की धातु । दुग्धाब्धि-पु० [सं०] क्षीरसागर । दुजन्मौ-वि० [सं० द्वि-जन्म] जिसका जन्म दो बार हा दुघट-पु० दो बार । -वि० विकट, जबरदस्त । हो, द्विज । दुघड़ियौ -देखो 'दुगड़ियो'। दुजपंख-पु० [सं० द्विज-पक्ष] १ पक्षी २ गरुड़ । दुड़द-देखो "दिनंद'। ३ भ्रमर, भौंरा। दुईद-देखो 'दिनंद'। दुजपत, दुजपति (ती)-पु० [सं० द्विज-पति] १ ब्राह्मण । दुड़की-स्त्री० १ घोड़े की एक चाल । २ घोडे की चाल की २ परशुराम । ३ चन्द्रमा । ४ कपूर । ५ गड़। सी दौड़, झपटी। दुड़गो (बी)-क्रि० १ प्रोट में होना, प्रोट लेना। २ छुपना, | दुजबर--देखो 'दुजवर'। दुबकना । ३ देखो 'धुडगो' (बौ)। दुजमंडण-पु० [सं० द्विज-मंडण] तांबूल, पान । दुड़बड़णौ (बौ)-देखो 'दड़बड़गो' (बौ)। दुजरांगण, दुजरांम-पु० [सं० द्विज-राम) परशुराम । पहा For Private And Personal Use Only Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दजराज www.kobatirth.org ( ६६० ) दुजराज (राजा), दुजांराज पु० [सं० द्विजराज ] १ ब्राह्मण । २ परशुराम | ३ ऋषि । ४ चन्द्रमा । ५ गरुड़ । ६ इन्द्र | ७ कर्पूर । दुट्ठमखु - वि० दुष्ट मन या स्वभाव वाला । बुठर-देखो 'दुस्तर । ठाणौ (बौ) - क्रि० कोप करना । दुश्वर ० [सं० द्विजवर बारा २ मात्र में चार दुठाळी वि० (स्त्री० ठाळी) १ जबरदस्त शक्तिशाली पु० ] १ ब्राह्मण । छंद - लघ मात्रा का नाम । २ दोहरे व्यक्तित्व वाला | दुजांण-पृ० [सं० द्विजन्] १ ब्राह्मण २ ऋषि मुनि ३ बृहस्पति वुद्ध बुद्धि-१ देखो 'दुस्ट' २ देखो 'ठ' | । । । । दुबंद देखो 'दिनंद' [४] पक्षी ५ देखो 'जिया' जराज (राम) देखो 'राज'। बुआई वि० [सं०] दूसरा | दुजात पृ० [सं० द्विजाति] १ ब्राह्मण, भूदेव २ देखो दुख देखो 'खो'। 'जाति'। जाति पु० [सं० द्विजाति) १ यज्ञोपवीत धारन करने का अधिकारी ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य । २ पक्षी । ३ अंडज प्राणी । ४ दांत । मिथ्याभाषी । ६ दुःसाध्य । पु० १ सर्प, सांप । २ परायापन | दुजायगी- स्त्री० १ भिन्नता, भेद । जिद ५० [सं० द्विजेन्द्र) १ पु० द्विजेन्द्र ] १ ब्राह्मण । २ चन्द्रमा । ३ गरुड़ । ४ कर्पूर । जि-१ देखो 'दुज' २ 'दि'। दुजीम, दुजी हं, दुजीह, दुजीहौ - वि० [सं० द्विजिह्व] १ दो जीभ । । ३ बाला २ पुगल खोर दुष्ट ४ चोर ५ भूठा, । । २ तीर । ४ कर्पूर । ५ महर्षि परशुराम दुजेसर - पु० [सं० द्विजेश्वर ] १ महषि । २ परशुराम । दुजोड़ियो पु० एक साथ दो चड़सों से पानी सींचने लायक कूश्रा । दुजोड़ी देखो 'जी' | दुजोरा दुजोधरण, दुजोधन- देखो 'दुरयोधन' | दुजोयण - वि० [सं० दुर्जन] १ दुष्ट, नीच । २ देखो 'दुर्योधन' । दुजी - देखो 'दूज' (स्त्री० दुजी ) दुन-१ देखी 'ज' व 'डिज' २ देखी 'द्वि' । देखो 'दु' २ देखो 'दुज'| दुपटी वि० दोनों घोर की दुतरफी, दोरखी। दुट्ट, दृठ १ देखी 'दृस्ट' । २ देखो 'दूर' । 1 स्त्री० [दृष्ट प्रकृति दुम्मेरा, दुम्जली-देखो 'रण'। दुज्जय- १ देखो 'दुज' । २ देखो 'दुरजय' । ३ देखो 'द्विज' । दुज्जरांम देखो 'राम' दुज्जोड, दुज्जोध, दुज्जोहरण- देखो 'दुरयोधन' | दुज्यु क्रि० वि० अन्यथा | दुल, दुल्ल दुकाल, दुझेल- वि० १ वीर योद्धा | २ जबरदस्त | ३ पंडित, विद्वान । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वुड- वि० खाया पिया तृप्त, प्रघाया हुआ । दुडदडी, बुडबुडी-स्त्री० वाद्य ध्वनि विशेष ३ एक रोग । ४ नगाड़ा । युजेस पु० [सं० द्विजेश] १२ चन्द्रमा ३ गरुड़ दुतमूरति पु० [सं० ति मूर्ति ] सूर्य भानु - | । दुतर, दुतरणि- देखो 'दुस्तर' । दुतरफ, दुतरफी- वि० (स्त्री० दुतरफी) १ दोनों घोर का, दोनों श्रोर रहने वाला, दो तरह के प्राशय वाला । २ दो तरह के काम का । दुतीतेज दुरियर- देखो 'दिनकर' । - पु० । | दुखेटी ० १ धौरों से दुगुना हिस्मा २ देखो 'दुखी'। दुगौ देवो'' दुतलाल - पु० [सं० द्युति-लाल ] मंगल । दुतवीस - वि० द्यतिवान, प्रकाश युक्त । दुतंग, दुतंगर- पु० घोड़ े की जीन का तस्मा । चमक । दुत पु० [सं० ति] १ कांति, प्रभा, श्राभा, २ ज्योति, प्रकाश । ३ किरण । ४ शोभा । ५ दीपक । [सं० द्रुत ] ६ वेग । - श्रव्य० हठ, धत् ध्वनि । घृणास्पद ध्वनि, तिस्कार सूचक ध्वनि । - श्रंगम-पु० श्राभूषण । दुतकार-देखो 'दुत्कार' | युतकारणों (बी) देखो 'दुत्कारणो' (यो) । दुतभाव - पु० [सं० द्वंद्वैत भाव ] १ ऐक्यता का प्रभाव, अनेकता । २ भिन्नता । ३ अज्ञान । । For Private And Personal Use Only दुतार, दुतारौ - पु० १ दो तार का वाद्य । २ देखो' दुस्तर' । दुति स्त्री० [सं० द्यूति] १ श्रभा, कांति, शोभा, छवि । २ सुन्दरता । ३ किरा । -कर- वि० प्रकाशवान, चमकदार - घर - वि० प्रकाशवान चमकदार मानवि० आभावान, सुन्दर । - माळा स्त्री० बिजली । दुतियक- देखो 'दुतिवंत' देखो'दृतीय' दुतिया - देखो 'दुतीया' । दुतियाँ देखो 'दुतीय' । दुतिवंत - वि० [सं० द्युति-वत] १ ग्रामा व कांति युक्त । २ चमकदार, प्रकाशवान । ३ सुन्दर । दुती - १ देखो 'दुति' । २ देखो 'दुतीय' । दुलीनेज ० ० दुति-तेज] सुदर्शन चक Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुतीय दुफसली दुतीय-वि० [सं० द्वितीय] (स्त्री० दुतीया) १ दूसरा । २ अन्य । दुनियां (दुनिया)-स्त्री० [अ० दुनिया] १ संसार, जगत । २ संसार -पु० १ दूसरा पुत्र । २ भागीदार, हिस्सेदार। के लोग। सांसारिक प्रपंच। -दार-वि० सांसारिक । दुतीया-स्त्री० [सं० द्वितीया] प्रत्येक पक्ष की दूसरी तिथि, दूज । गृहस्थी। -दारी-स्त्री० जगत के कार्य । गृहस्थी के कार्य। -वि० दूसरी। दुनियांरण (रणी, न)-देखो 'दुनियां'। दुतीयौ-देखो 'दुतीय'। दुनियाई-वि० संसार का, संसार संबंधी। दुतीवांन-देखो 'दुतिवत'। दुनियादार-पु० सांसारिक व्यक्ति । गृहस्थ । -वि० व्यवहार दुत्कार-स्त्री० १ फटकार, प्रताड़ना, तिरस्कार, अवहेलना। कुशल । २ धिक्कार, भर्त्सना। दुनियादारी-स्त्री० १ सांसारिक प्रपंच । २ गृहस्थी के कार्य । दुत्कारणी (बौ)-क्रि० १ फटकारना, प्रताड़ना देना, तिरस्कार __ ३ रीति-रिवाज, रूढ़ियां । ४ दिखावटी व्यवहार। करना । २ धिक्कारना। दुनियासाज-वि० १ चापलूस । २ स्वार्थ साधने वाला । दुत्तर, दुत्तरि-देखो 'दुस्तर'। दुनियासाजी-स्त्री. १ चापलूसी। २ स्वार्थ सिद्धि के प्रयत्न । दुत्ती, दुत्तिय-१ देखो 'दुति' । २ देखो 'दूती' । ३ देखो 'दुतीय' । ३ व्यवहार कुशलता। दुत्थ-वि० [सं० दुस्थ] १ दुःखी । २ दरिद, कंगाल। -भाव- दुनी, दुनी-स्त्री० [अ० दुनिया] १ पृथ्वी। २ देखो 'दुनियां'। पु० दुःख, दरिदता, कंगाली। --पत, पति-पु० बादशाह । राजा । ईश्वर । दुत्थिय-पु० [सं० दुस्थ] दारिद्र्य. निर्धनता। दुनीय-देखो 'दुनियां'। दुड़ियौ-पु० [सं० द्वि+स्तर] सूत का एक चारजामा विशेष । दुनुप्रोहित-पु० [सं० दनुज प्रोहित] असुरों का गुरु, शुक्राचार्य । दुथणी, दुथन, दुथनी, दुथ्थरणी (नी)-वि० [सं० द्वि+स्तनी] दो | दुनै-वि० [सं० द्वि] दोनों। स्तनों वाली। -स्त्री० १ स्त्री। २ बकरी, प्रजा । दुन्नि, दुनी-वि० [सं० द्वीनि] १ दो। २ देखो 'दुनो'। दुदंती-पु० १ हाथी, गज । २ दो दांतों का युवा बैल । दुप-देखो "द्विप'। दुदळ-देखो 'द्विदल'। दुपड़ती-वि० [स० द्विवर्ती, द्विअर्थी] १ दो परत या पट वाली दुदांम, (मौ)-देखो 'दाम'। २ दो अर्थ रखने वाली, श्लेषात्मक। दुदीयटौ-पु० सूअर, शूकर । दुपटी-स्त्री० १ दो पाट का वस्त्र, प्रोढनी । २ देखो 'दुपड़ती'। दुदेली-देखो 'दूधी,। दुपटौ-पु० अोढने का वस्त्र । दुद्द, दुद्धी, दुध-१ देखो 'दुद' । २ देखो 'दूध' । दुपट्टी-देखो 'दुपटी'। दुधार-वि० [सं० दोग्ध्री] १ दुध देने वाली । २ दो धारा वाली। दुपट्टो-देखो 'दुपटो'। -स्त्री० [सं० द्वि+धार] १ दोनों ओर धार वाला शस्त्र । दुपट-वि० [सं० द्वि+वता] १ दा दुपडु-वि० [सं० द्वि+वर्ती] १ दो परत वाला। २ दो २ तलवार । ३ कटार, बरछी । ४ भाला। ५ रथ । अर्थवाला। दुधारी-वि० [सं० द्वि+धार दो धार वाली । दुधार । -स्त्री० दुपदी-पु० १ एक मात्रिक छन्द विशेष । २ दो पांवों वाला। कटार, बरछी, तलवार । दुपराणी (बौ), दुपरावणौ (बी)-त्रि.० [सं० दुष्प्रराव) रुदन दुधारु (रू)-१ देखो 'दुधाळु । २ देखो 'दुधार' । करना, विलाप करना। दुधारो-पु० [सं० द्विधार] १ बढ़ई का एक औजार। दुपहर, दुपहरा, दुपहरी, दुपार-देखो 'दोपहर'। २ देखो 'दुधार'। दुपारौ-देखो 'दोपारी'। दुधाळ (ळू)-वि० [सं० दोग्ध्री] दूध देने वाली, अधिक दूध | | दुपियारी-वि० [सं०दुष्प्रिय] (स्त्री०दुपियारी)बुरा लगने वाला । देने वाली। दुपी-देखो 'द्विप'। दुनड़-पु० शत्रु। दुपेरी-१ देखो 'दोपहर' । २ देखो 'दोपारी'। दुना-वि० दोनों, दो। दुपेरौ-देखो दोपारौ'। दुनाळ (ळि, ळी)-स्त्री० [सं० द्वि+नाल] दो नालों वाली दुपैर-देखो 'दोपहर'। बंदूक । दुपरौ-देखो 'दोपारो' । दुनाळी-वि० 'दुनाली' बन्दूक धारी। -पु० दो जीनों वाला दुप्याज, दुप्याजो-पु. एक प्रकार का मांस । मकान । । दुप्रध-वि० [सं० दुष्प्रभ] १ अत्यन्त तेजोमय। २ चकाचौंध दुनि-देखो 'दुनियां'। करने वाला। दुनियरण-पृ० [सं० दिनकर] १ सूर्य । २ देखो 'दुनियां'। | दुफसली-स्त्री० वर्ष में दो फसल होने वाली भुमि । For Private And Personal Use Only Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दबकरणी ( ६६२ ) दुबकरणी (बो)-देखो 'दबकरणौ (बौ)। दुमनू, दुमनौ, दमन्नौ-वि० [सं० दुर्मनस] उदास मन, खिन्नदुबकी-स्त्री० [सं० द्वि-पदी] १ घोड़े या गधे के अगले पांवों। चित्त । खिन्न । का बंधन। २ पीछे की योर छलांग लगाने की क्रिया । | दुमांम-देखो 'दमांम'। ३ लकड़ी के जोड़ पर लगाई जाने वाली पत्ती। ४ देखो दुमामी-पु०१ एक प्रकार का वस्त्र विशेष । २ देखो 'दमांमी' । 'दबकी' । दमात, दुमाता-स्त्री० [सं० द्वि+मातृ] सौतेली मां । विमाता । दुबगळी-स्त्री० मालखंभ की एक कसरत । दुमायौ-वि० [सं० द्वि+मातृ] सौतेली मां का, सौतेला । दुबडा दुबद्या दुबधा दुबध्या-देखो 'दुविधा' । दुमार-स्त्री० [सं० दु:मार] १ कष्ट, तकलीफ, तंगी । दुबराळगोळी-पु० तोप का लंबा गोला । २ अभाव कमी। दुबळापण-पु० क्षीणता, कृशता । दुमाळी-पु. एक प्रकार का कर विशेष । दुबळी-वि० सं० दुर्बल] (स्त्री० दुबळी) १ कमजोर, क्षीण। दुमिला-पु० एक वर्ण वृत्त विशेष । -निसांणी-स्त्री० एक २ दुरवल। निसांणी छंद विशेष । दुबाक-क्रि० वि० एकाएक अचानक, महसा । दुमी-वि० १ दो मुख वाला। २ दुमुहा । (सर्प विशेष) (मेवात) दुबाट-देखो 'दुवाट'। दुमुखि-वि० [सं० द्विमुखी] कपटी, धूर्त । -पु० दो मुख दुबारा-क्रि० वि० [सं० द्विवार दूसरी बार । दो बार । वाला सर्प । दुबारौ-पु० [सं० द्विवार) एक प्रकार की तेज शराब। दुमेंण, दुमेण, दुमेरिणयौ, दुमेणौ-पु० मोम मिला मोटा कपड़ा, दुबाह, दुबाहियो, दुबाही-वि० [सं० दुर्वाह] १ दोनों हाथों से बरसाती। प्रहार करने वाला योद्धा। २ जबरदस्त। -पु. १ तुरंग, | दुमेळ-वि० १ असमान । २ भिन्न प्रकार का। -पु०१ शत्रुता, घोड़ा । २ सेना, फौज । दुश्मनी। २ डिंगल का एक छन्द विशेष । बे-पु० [सं० द्विवेदी] एक ब्राह्मण वर्ग । दुमेळसावझड़ौ-पु० एक डिगल गीत विशेष । दुबो-वि० [सं० द्वि] दूगरा, भिन्न । दुयंगम-पु० योद्धा, वीर । दुब्बल-देखो 'दुरबल'। दय-वि० [सं० द्वि] दो। दुम्बाधि-पु० १ एक वानर का नाम । २ देखो 'दुविधा'। दयण-देखो 'दुरजण'। दब्बार-देखो 'दुबारौ'। दुयेण-वि० [सं० द्विगुन] १ दो। २ दुगुना, द्विगुन । दुभर-देखो 'दूभर'। दुरंग (गि, गो)-पु० [सं० दुर्ग] १ दुर्ग, गढ़, किला । २ वन दुभांत-स्त्री० [सं० द्वि-भांति] १ भेदभाव । २ कपट ।। कानन । -वि० १ दो रंगों वाला, दुरंगा । २ अप्रिय, कटु । ३ भिन्नता । ४ दुराव । ३ खराब, बुरा। ४ बुरी प्राकृति का । दुभाखी-देखो 'दुभामी' । दुरंनीयज-पु. एक प्रकार का वस्त्र । दुभाखीयौ, दुभासियो, दुभासी-वि० [सं० द्वि-भासी] १ दो दुरंगी-वि० [सं० द्वि-रंग] (स्त्री० दुरंगी) १ दो रंगों वाला भापाऐं जानने वाला। २ दो भाषाएं बोलने वाला। दुरंगा । २ दो प्रकार का। ३ अप्रिय, कटु। ४ बुरा, दुभितियो-पु० दो दीवारों का मकान । खराब । ५ भिन्न प्रकृति या स्वभाव का । ६ दोनों पक्षों की दुमजलौ-देखो 'दोमंजली' । पोर रहने वाला । ७ दोहरी नीति वाला। ८ वर्ण संकर । दमनउ-देवो 'दुमनो' । दुरंड-वि० कटा हुअा। दम-स्त्री० [फा०] १ पुच्छ, पूछ । २ पीठ का निम्न भाग। दरंत-वि० [सं० दुर-अंत] १ शत्रु, दुश्मन । २ भीषण, दुमकड़ो-देखो 'दमकड़ो'। भयंकर । ३ अनन्त, अपार । ४ दुर्गम, कठिन, दुस्तर । दमगा-स्त्री० एक प्रकार का अशुभ घोड़ा। ५ अशुभ, कुत्सित, बुरा। दुमची-स्त्री० [फा०] १ घोड़े के पुट्ठ का आभूषण । २ घोड़े दुरंतक-पु० [सं०] शिव, महादेव । के साज का तस्मा विशेष । २ पुट्ठों के बीच की हड्डी। दुमणापण (पौ)-पु० [सं० दुर्मनस्+त्व] उदासीनता, खिन्नता । दुरंततक-पु० ऊंट। दुमत, (त्त)-वि० [सं० द्वि-+-मत] १ दूसरे मत वाला, | दुरतर-वि० [सं० दुर-अंतर अति दुर, बहुत दूर । विरुद्ध । २ भिन्न मति या विचार का । दुरंद-देखो 'दुरंत'। दुमदार-वि० [फा०] १ पूछ वाला । २ पूछ जैसे अंग वाला। दर-अव्य० [सं० दुर] १ बुरा या कठिन अर्थ बोधक एक दमन-देखो 'दमनौ'। उपसर्ग । [सं० दूर] २ दूर, अलग, पृथक । -पु० छपने For Private And Personal Use Only Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुरई दुरदिन का या गुप्त रहने का भाव । -करम-पु० बुरा कार्य, दुरघटना-स्त्री० [सं० दुर्घटना] १ बुरी घटना । २ जान माल दुष्कर्म । की हानि वाली घटना । ३ अशुभ स्थिति । ४ कष्ट प्रद दुरइ-अव्य० [सं० दूर दूर, अलग, पृथक । स्थिति । ५ विपदा, मुसीबत। दरकारणों (बो)-देखो 'दुत्कारणो' (बौ)। । दुरघोस-पु० [सं० द?ष] १ भारी या तीक्ष्ण स्वर । २ भारी दुरखी-स्त्री० [फा० दुरुख] दो तह या परत । आवाज । ३ भालू । दुरगंव (घ, धि, धी)-स्त्री० [सं० दुर्गन्ध] बुरी गंध, बदबू । दुरड़ी-स्त्री० मिट्टो का बना गोल घेरा। दूषित वायु। दुरडो-पु० छेद, सूराख । दुरग-पु० [सं० दुर्ग] १ गढ़, किला । २ महल । ३ सुरक्षित दुरचारि, (री)-देखो 'दुराचारी' । स्थान। ४ संकीर्ण मार्ग । ५ ऊबड़-खाबड़ भूमि । दरजरण (न)-वि० [सं० दुर्जन] १ दुष्ट, नीच, खल । २ शत्रु, ६ दुर्गम मार्ग । ७ ऊंट । ८ देखो 'दुरगम' । दुश्मन। -साळ-वि० दुष्टों का नाश करने वाला। दुरगत-स्त्री० [सं० दुर्गति] १ निर्धनता, कंगाली । २ बुरी दुरजनता-स्त्री० [सं० दुर्जनता] दुष्टता । खोटापन । ___ गति, दुर्दशा, बुरा हाल । ३ नरक गति । ४ बेइज्जती। दुरजनि-देखो 'दुरजन'। दुरगतरणी-स्त्री० [सं० दुर्गतरणी] एक नदी का नाम । दुरजय-वि० [सं० दुर्जय] जिसे जीतना कठिन हो। अजेय । दुरगति, (तो, त)-देखो 'दुरगत' । -पु० १ विष्णु । २ एक राक्षस का नाम । दुरगदास-पु० इतिहास प्रसिद्ध वीर दुर्गादास राठौड़ । दुरजाति-स्त्री० [सं० दुर्जाति] नीच या बुरी जाति । -वि० दुरगपाळ-पु० गढ़ का रक्षक, किलेदार । नीच कुल या जाति । दुरगम-वि० [सं० दुर्गम्] १ कठिन, विकट, दुस्तर । २ जहां | दुरजीव-पु० [सं० दुर्जीव] १ क्षुद्र प्राणी । २ दुष्ट प्राणी। पहुंचना कठिन हो। औघट । ३ दुर्बोध, सूक्ष्म, गूढ़ । दुरजोण, दुरजोध, दुरजोधण, दुरजोधनौ-देखो 'दुर्योधन'। ४ भयावह, डरावना । -पु. १ किला । २ वन, जंगल । दुरज्जटा-स्त्री० [सं० दुर्जटा] बिखरे केशों वाली एक देवी। कठिन मार्ग। ४ संकटमय-स्थान । ५ विष्णु। दुरज्योधण (न)-देखो 'दुर्योधन' । दुरगमता-स्त्री० [सं०] कठिनाई । विकटता । दुरूहपन । दुरणौ (बौ)-क्रि० प्र० १ गुप्त होना, लुप्त होना । २ छुपना, दुरगरक्षक-पु० [सं० दुर्गरक्षक] किलेदार । प्रोट में होना, आड़ लेना। ३ दूर होना। ४ समाप्त दुरगलंघरण (न)-पृ० [सं० दुर्गलंघन] ऊंट । होना, मिटना। दुरगांमी-वि० कुमार्गी, पापी । दुरत, दुरतेस-वि० [सं० दुरित] १ भयंकर, भयावह । दुरगा-स्त्री० [सं० दुर्गा] १ आदि शक्ति, देवी। २ पार्वती।। २ जबरदस्त । ३ पापी, दुप्ट। ४ जो कठिनता से सहा महामाया । ३ नौ वर्ष की कन्या । जा सके । ५ गुप्त । -पु. १ क्रोध । २ पाप, पातक । ३ उप पातक, छोटा पाप । ४ शत्र । दुरगाधिकारी-पु० [सं० दुर्गाधिकारी] गढ़ का स्वामी, दुरतौ-पु० श्वेत-श्याम रंग का घोड़ा। अधिपति। दुरगाध्यक्ष-पु० [सं० दुर्गाध्यक्ष गढ़ का प्रधान, किलेदार । दुरत्त-देखो 'दुरत' । दुरगानवमी-स्त्री० [सं० दुर्गानवमी] १ चैत्र व ग्राश्विन दुरद, दुरदन-देखो 'द्विरद' । शुक्ला, नवमी । २ कात्तिक शुक्ला, नवमी। | दुरदम, दुरदमन-वि० [सं० दुर्दम ] दुर्दमनीय, प्रबल, प्रचड । दुरगास्टमी-स्त्री० [सं० दुर्गाष्टमी] चैत्र या प्राश्विन दुरदर-वि० दुःख से उत्तीर्ण । शुक्ला अष्टमी । दुरदरस-वि० [सं० दुर्दर्श] १ जो कठिनता से दिखाई दे। दुरगुरण-पु० [सं० दुर्गुण] बुरा गुण या प्रादत । अवगुण । २ अत्यात सूक्ष्म । ३ जो भयंकर दिखाई दे । दुरगेस-पु० [सं० दुर्गेश] १ दुर्गाध्यक्ष, दुर्गरक्षक, किलेदार । दुरदरसन-पु० कौरवों का एक सेनापति । २ शिव । दुरगोत्सव-पु० [सं० दुर्गोत्सव] दुर्गा पूजन का उत्सव । दुरदसा-स्त्री० [सं० दुर्दशा] बुरी दशा, दुर्गति । दुरग्ग-देखो 'दुरग'। दुरदांन-पु० [सं० दुर्दान] चांदी। दुरग्रह-पु० [सं०] १ दुष्ट ग्रह । २ देखो 'दुराग्रह' । दुरदाळ-पु० [सं० दुर्दल्म] हाथी । दुरघट-वि० [सं० दुर्घट] १ कष्ट साध्य, कठिन साध्य । दुरदिन, दुरदीह-० [सं० दुर्दिन, दिवस) दुर्दशा का गगय, २ बुरा, खराब । ३ भयंकर, डरावना । बुरा दिन । बुग बक्त । मुसीबत के दिन । For Private And Personal Use Only Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुरदुर दुरवंस दरदर-देखो 'दादुर'। दुरभाग-देखो 'दुरभाग्य'। दुरडरूढ-पु० [सं० दुई रूढ़] नास्तिक । दुरभागी-वि० [सं० दुर्भागिन्] (स्त्री, दुरभागण, णी) दुरदेव-पु. [सं० दुर्देव] १ दुर्भाग्य, अभाग्य । २ बुरा संयोग । ___ अभागा, भाग्यहीन। दुरद्द-देवो 'द्विरद'। दुरभाग्य-पु० [सं० दुर्भाग्य] खोटी किस्मत, मंद भाग्य । दुरद्धर, दुरद्धरख, दुरधरस-पु० [सं० दुई र] १ पारा । २ एक दुरभाव-पु० [सं० दुर्भाव] १ बुरा भाव । २ भेद भाव । नरक का नाम । ३ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । ४ महिषासुर | ३ मनोमालिन्य, द्वेष। का एक सेनापति । ५ शंखासुर का एक मंत्री। ६ रावण | दुरभावना-स्त्री० [सं०दुर्भावना] १ चिंता । २ आशंका, खटका। का एक सैनिक । ७ विष्णु । -वि० १ प्रबल, प्रचंड । ३ बुरी भावना । ४ द्वेष । ५ भेद-भाव । २ दुर्बोध । ३ दुःसाध्य । दुरभासी (भासू)-वि० [सं० दुर्भाषिन्] १ कर्कश स्वर का। दुरद्रस्टो-स्त्री० [सं० दुर-दृष्टि] कुदृष्टि, बुरी निगाह । २ कटुभाषी। दुरधर, दुरधार-वि० [सं० दुद्धर, दुरधर] कठिन, मुश्किल । दुरभिक (भिख)-पु० [सं० दुभिक्ष] १ अकाल, दुष्काल । -पु० पारा, पारद। २ दुःख, कष्ट । ३ अभाव । दुरनिमित, दुरनिमित्त-पु० [सं० दुनिमित] १ बुरा शकुन । दुरभेद, (भेद्य)-वि० [सं० दुर्भेद, दुर्भेद्य] १ जो सरलता से न २ भावी मुसीबत का संकेत । भेदा जा सके । २ दुस्तर । ३ कठिन, दुर्गम। . दुरनीति-स्त्री० [सं० दुर्नीति] कुनीति, अन्याय । दुरमट-देखो 'दुरमुच'। दुरन्याय-पु० [सं०] अत्याचार, अन्याय । दुरमत, (मति, मती, मत्ति मत्ती)-स्त्री० [सं० दुर्मति] कुबुद्धि, दुरपंथ-पु० [सं०] बुरा मार्ग, कुमार्ग । नासमझी। -वि० १ मूर्ख, मूढ़ । २ अजान, अज्ञानी । दुरपदी-देखो द्रौपदी'। ३ दुष्ट, कुबुद्धि । दुरपारी-वि० [सं० दुष्पार] जो कठिनाई से पार किया जा सके। दुरमद-वि० [सं० दुर्मद] १ नशे या मद में चूर । २ उन्मत्त, दुरबख-देखो 'दुरभिख' । पागल । दुरबळ-वि० [सं० दुर्बल] १ अशक्त, कमजोर। २ कृशकाय, | दुरमन-वि० [सं० दुर्म नस्] १ उदास, खिन्न, अनमना। २ बुरे दुबला-पतला । ३ निर्धन, कंगाल । ४ उत्साह हीन, उदास । चित्त का, दुष्ट । ३ दुःखी। ५ थोड़ा, कम। | दुरमिळ-पु. [स० दुर्मिल] एक प्रकार का छन्द । दुरबळता-स्त्री० [सं० दुर्बलता] १ कमजोरी, अशक्तता। दुरमुख-पु० [सं० दुर्मुख] १ राम की सेना का एक बन्दर । २ कृशता-पतलापन । ३ निर्धनता, कंगाली। ४ उदासी। २ महिषासुर का एक सेनापति। ३ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । ५ कमी। ४ साठ संवत्सरों में से एक । ५ नाग। ६ गणेश का एक दुरबाळ-वि० [सं० दुबाल] जिसके बाल झड़ गये हों, गंजा । गण । -वि० (स्त्री० दुरमुखी) १ बुरे वचन बोलने वाला, दुरबास-स्त्री० [सं० दुर्वास] दुर्गन्ध, बदबू । कटु भाषी । २ जिसका मुख बुरा हो। दुरबासा-देखो 'दुरवामा'। दुरमुखी-स्त्री० [सं० दुर्मुखी] रावण की एक अनुचरी । दुरबिध-देखो 'दुरविध'। -वि० बुरे मुह वाली। दुरबुदी, (बुद्धि, बुधी)-वि० [सं० दुर्बुद्धि] १ दुष्ट या कुबुद्धि दुरमुच (मुसौ)-पु० [सं० दुर्मम] कंकड़-मिट्टी पीटने का एक वाला, नीच । २ मूर्स । उपकरण। दुरबेस-देखो 'दरवेस'। दुररांनी-स्त्री० [फा० दुर्रानी] अफगानों की एक जाति । दुरबोध-वि० [सं० दुर्बोध] १ कठिनता से समझा जाने वाला, दुरळ-पु० उत्पात, उपद्रव, बखेड़ा, झगड़ा, विप्लव । गूढ़ । सार गभित । २ अपार, अथाह । ३ मूर्ख, मूढ । -स्त्री० १ बुरी मंत्रणा या सलाह । २ कुबुद्धि । दुरलभ-वि० [सं० दुर्लभ] १ जो कठिनता से मिल सके, दुरब्बा-देखो 'दूरवा'। दुष्प्राप्य । २ कठिन, मुश्किल । ३ दलघ्य, दुस्तर । ४ बुरा, दुरभक, दुरभख-देखो 'दुरभिख' । खराब । ५ अनोखा, विचित्र । ६ प्रिय, प्यारा । दुरभग-वि० [सं०] अभागा, भाग्यहीन । -पु० दूल्हा । दुरभर-वि० [सं० दुर्भर] १ अत्यन्त भारी। २ जो वहनीय न | दुरवंछ.दरवंछौ-वि० [सं० दर्वाछित] बुरा सोचने वाला, बुरा हो । ३ जिसे पालना कठिन हो। चाहने वाला, दश्चितक । (स्त्री० दुरवंछी) दुरभात (भांति)-देखो 'दुभांत' । दुरवस-वि० [सं० दवंश] बुरे वंश का, नीच । -पु० बुरा वंश । For Private And Personal Use Only Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुरवच दुराह दुरवच, दुरवचन-पु० [सं०दुर्वचन] कटु वचन, अपशब्द । -वि० दुराग्रह-पु० [सं०] १ कुतर्क, बकवास । व्यर्थ की बहस । १ अति तीक्ष्ण । २ तप्त, गरम । २ हठ धर्मी। जिद्द। दुरवरण, दुरवरणक-पु० [सं० दुर्वर्ण] चांदी, रजत । दुराग्रही-वि० [सं०] कुतर्क करने वाला, जिद्दी, बकवादी। दुरवसनी-देखो 'दुरव्यसनी' । दुराचरण-पु० [सं०] खोटा या बुरा प्राचरण । अनैतिक दुरवस्था-स्त्री [स० दुरावस्था] बुरी हालत या अवस्था। प्राचरण। दुरवा-देखो 'दूरवा'। दुराचार-पु० [सं०] १ अत्याचार, अनाचार । २ दुष्टता। दुरवाचकजोग (योग)-पु० [सं० दुरवाचक योग] ६४ कलाओं | नुराचारी-वि० [सं०] १ अत्याचारी, आततायी। २ दुष्ट, ___में से एक नीच । ३ बुरे आचरण वाला। दुरवाद-स्त्री० दीवार में लगने का एक पत्थर विशेष । दुराज-पु० [सं० दुराज्य] १ बुरा शासन । २ दो राजाओं दुरवाचाप-पु० [सं० दुर्वाद] १ अनुचित विवाद। २ अपवाद, का शासन । निदा, बदनामी। दुराजी-वि० दो राजाओं वाला। दुरवादी-वि० [सं० दुर्वादिन] १ कुतर्की, बकवास करने वाला। दुराजौ-पु० [सं० द्वि+राजा] वैमनस्य, द्वेष । २ बुरा बोलने वाला। दुराणौ (बौ)-क्रि० १ आड़ में होना, छुपना । २ दूर हटना, दुरवार-देखो 'दरबार'। टलना । ३ त्यागना । ४ पराजित करना । दुरवासना-स्त्री० [सं० दुर्वासना] १ न पूर्ण होने लायक दुरातसत्य-पु० [सं०] इन्द्र । कामना । २ खोटी आकांक्षा । ३ बुरी नीयत । दुरात्मा-वि० सं०] दृष्ट, बुरा, खोटा। दुरवासा-पु० [सं० दुर्वासस् ] अत्रि ऋषि के पुत्र एक मुनि ।। दुराधन-पु० [सं०] धृतराष्ट्र का एक पुत्र । दुरविध-वि० [सं० दुविध] दरिद्र, कंगाल, निर्धन । -स्त्री० दुरधरस-वि० [सं० दुराधर्ष] १ जिसका दमन कठिन हो, १ निर्धनता, कंगाली। २ भूख। -भाव-पु० निर्धनता, दुर्दमनीय । २ उग्र, प्रचण्ड । -पु० १ पीली सरसों कंगाली। २ विष्णु। दुरविनीत-वि० [सं० दुविनीत] अशिष्ट, अविनीत । दुराधार-पु० [सं०] शिव, महादेव । दुरविबाह-पु० [सं० दुविवाह] निदित विवाह । दुराप (य)-वि० [सं० दुराप] दुर्लभ्य, अप्राप्य । दुरविस-पु० [सं० दुर्विष] महादेव, शिव । दुराराध्य-वि० [सं०] १ जिसकी आराधना कठिन हो, कठिन दुरविसन-देखो 'दुरव्यसन' । साध्य । २ देर से प्रसन्न होने वाला। दुरविसनी-देखो 'दुरव्यसनी' । दुरालभ, दुरालभ-वि० [सं० दुर्लभ] १ कठिनाई ने मिलने वाला, दुरवेसी-वि० १ दरवेश संबंधी। २ बादशाह का, बादशाही । दुष्प्राप्य । २ देखो 'दुरालभा'। ३ देखो 'दरवेस'। दुरालभा-स्त्री० [सं०] १ जवासा । २ धमासा । दुरव्यवस्था-स्त्री० [सं० दुर्व्यवस्था] अव्यवस्था, कुप्रबंध। दुरालाप-पु० [सं०] १ बुरा वचन, गाली, अपशब्द । २ तू-तू दुरव्यसन-पु० [सं० दुर्व्यसन] बुरी आदत, ऐब । __मैं मैं । -वि० दुर्वचन कहने वाला। दुरव्यसनी-वि० [सं० दुर्व्यसनी] जिसकी आदतें बुरी हों। बुरे दुराव-पु० १ कोई बात गुप्त रखने का स्वभाव । २ भेद-भाव । व्यसनवाला । ३ द्वेष, ईर्ष्या । ४ छल, कपट । दुरवत-पु० [सं० दुवृत्त] नीच ख्यालात, बुरी नीयत । -वि० बुरी नीयत वाला। दुरास-वि० [सं० दुराशा] १ जिससे अच्छी पाशा न हो। दुरस (सि)-वि० [फा०दुरुस्त] १ सीधा । २ उचित । ३ ठोक । २ निराश करने वाला। ३ विकराल, भयंकर ।। ४ श्रेष्ठ । ५ सत्य, यथार्थ । ६ जो टूटा-फूटा न हो। दुरासद-वि० [सं० दुर+प्रासद] १ कठिनता से वश में होने वाला ७ सुधरा हुअा। ८ स्वस्थ । २ दुःसाध्य, कठिन । ३ दुष्प्राप्य । -पु० दुष्कर्म, पाप । दुरसीस-देखो 'दुरासीस'। दुरासय-पु० [सं० दुराशय] बुरी नीयत । -वि० बुरी नीयत वाला। दुरसौ-पु० एक प्रसिद्ध चारण कवि । दुरासा-स्त्री० [सं० दुराशा व्यर्थ की आशा, झूठी उम्मीद । दुरस्त-देखो 'दुरस'। दुरासीस-स्त्री० [सं० दुराशिष] १ बद्द्या , शाप । दुरहित-पु० [सं० दुहित] शत्र , दुश्मन । २ उलाहना । ३ बुरा होने की कामना । दुराक-पु० [सं०] १ एक देश का नाम । २ एक म्लेच्छ जाति । दाह. दुराहो-पु. दोराहा, दो रास्तों का संधिस्थल । For Private And Personal Use Only Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दुरि दुरि-देखो 'दूरी' । दरिङ देखो 'दुरत' । दुरिजरण ( जन, ज्जरण) - देखो 'दुरजण' | www.kobatirth.org ( ६६६ ) दुरुंग, दुरुगू- देखो 'दुरग' । दुख, दुखोव० [नं० द्वि+फा०] [रूप] १ दोनों ओर मुंह वाला २ जिसके दोनों मोर चिह्न हो ३ जिसका झुकाव दोनों पक्षों की ओर हो । दुरुग देखो 'दुर्गा'। - । | दुरुतर वि० [सं०] जिसका पार पाना कठिन हो दुस्तर o दुरित-देखो 'दुत' । रिनारि ० [सं०] ५२ वीरों में से एक। दुरिति-देखो 'दुरत' | दुरिस्ट पु० [सं०] दरिष्ट] १ एक प्रकार का यज्ञ २ पाप, पातक। दुरी - वि० [सं० दुर्] १ दुःख देने वाला, दुःखदायी । २ शत्रु । -स्त्री० ० १ शत्रुता । २ निर्धनता, कंगाली । ३ गुफा, खोह । दुलारौ वि० [सं० दुर्ललन ] ( स्त्री० दुलारी) प्रिय, प्यारा, दुरी - देखो 'दुरत' | दुरीय- देखो 'दूरत' | बुरीस पु० [सं० दु:+ ईश दुष्ट राजा दुरीह - वि० [सं० दुर्-ईहा] बुरी नीयत वाला, दुष्ट । - पु० दुष्ट उत्तर | दुराधरा, दुरपुरा स्त्री० जन्म कुण्डली का एक योग | दुरुपयोग पु० [सं०] अनुचित उपयोग बुरे कामों में उपयोग | । दुरुक- पु० फलित ज्योतिष का एक योग | दुरस्त - देखो 'दुरस' | दुरुस्ती - स्त्री० सुधार, संशोधन । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुलहरण ( हरिण, हन) दुलहि, दुलही स्त्री० [सं० दुर्लभ ] १ नव विवाहिता युवती २ विवाह के लिये तैयार युवती दुल्हिन । ३ नव वधू । दुलही देखो 'दुल्हो' । दुलात - देखो 'दुलत्ती' । दुलार पु० [सं०] दूलन] १ प्यार प्रेम पूर्ण क्रिया, चेष्टा । युवापुर २ ममत्व | दुलारी (बी) - क्रि० [सं० दुर्ललन ] प्रेम पूर्ण चेष्टा करना, प्यार करना । लाडला । । दुलाबो- दो चट्स वाला कृया पु० दुलिचो, दुलीचौ - पु० कालीन, गलीचा । दुलोही स्त्री० एक प्रकार की तलवार । दुल्लभ, दुल्लह-१ देखो 'दुरलभ' । २ देखो 'दुलही' । बुल्लीच देखो 'नीच' । दुब-वि० [सं० डि] १ दूसरा २ दो दुबकी देखी 'डुबकी' । दुवजीह-पु० [सं० द्विजिह्न] १ कटार । २ सांप, नाग । दुवो (बी) देखो 'मणी' (बो)। दुवद्या देखो 'दुविधा । - वध क्रि० वि० [सं० द्विविध] दोनों प्रकार से । दुवधा देखो 'दुविधा' | सुधार देखो 'दुधार'। दुवधारी - देखो 'दुधारी' । दुवधारी- देखो 'दुधार । For Private And Personal Use Only वि० [०] १ गूढ, कठिन । २ मुश्किल दुवयण देखो 'दुवचन' । ३ भयंकर, जबरदस्त प्रचण्ड - क्रि० वि० दोनों श्रोर, दोनों तरफ | दुबळ - क्रि० वि० दूसरी ओर । दुवा स्त्री० [अ०] दुआ १ माशीर्वाद २ देखो 'दुधा' दूरेफ-देखो 'द्विरेफ' । - वि० ० दूसरा । दरोदर पु० जुआ, द्यूत । दुबाई १ देखो 'दवा' २ देखो 'दुहाई' ५ देखो 'वारी'। दुवा देखो 'दुहाग' | दुर्योधन तु० [सं० दरयोधन] धृतराष्ट्र का ज्येष्ठ पुत्र । पुर-१० दिल्ली। दुवागरण -- देखो 'दुहागरण' । दुलकी- देखो 'दुड़की' । दुवागौ पु० घोड़े की लगाम विशेष । दुलह, दुलही वि० [सं० द्वि-लटिक] (स्त्री० [दुलड़ी) १ दो बाघ वि० [सं० दुध्या] दुष्ट व्याघ्र । लड़ों का । २ दोहरा । दुवाड़ा (बौ) - देखो 'दुवाणी' (बी) । दुलठ - पु० हाथी के पैर का बंधन । | दुवाठ वि० [सं० दु: वाट ] बुरा मार्ग, कुमागं । निकलवाना | दुलती - स्त्री० घोड़े, गधे आदि द्वारा पिछले पांवों से मारने ! दुवारणी (बी) - क्रि० १ दूध दुहाना, दूध निकलवाना । २ सार की क्रिया । दुलबुल - पु० दुलभ-देखो 'दुरलभ' | [अ०] मुहम्मद साहब की सच्चरी विशेष | दुवाती- देखो 'दुवायती' । दुवादसी- देखो 'हादसौ' । दुवापुर-देखो 'द्वापर' । दुलह-१ देखो 'दुम्ही' २ देखो 'दुलभ' Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुवाय दुस्चक्य दुवाय-देखो 'दुअा'। दुसह-वि० [सं० दुःसह] १ भयंकर, भयावह । २ असह्य, दुवायति (ती)-देखो 'दवायती' । दुःखदायी । ३ कठिन, दुस्तर। -पु. १ शत्र, वैरी । दुवायी-१ देखो 'दवा' । २ देखो 'दुहाई' । ३ देखो 'दूवारी' । २ अग्नि । ३ क्रोध । -क्रि० वि० दूर, पृथक ।। दुवार-देखो 'द्वार'। दुसही-वि० [सं० दुःसह] १ जो कठिनता से सह सके, दुस्सह । दुवारका (जी)-देखो 'द्वारका'। . २ ईर्ष्यालु । दुवारि-देखो 'द्वार । दुसही-पु० [सं० दुःसह्म शत्र, वैरी । दुवारिका-देखो 'द्वारका'। दुसाकियो-देखो 'दुसाको'। दुवारी-देखो 'दूवारी'। दुसाको, दुसाखियौ, दुसाखौ, दुसाख्यो-पु० [सं० द्वि+शाक] दुवारी--पु० १ दो बार उलट कर निकाला हा शराब। १ दो कटोरियों का जुड़ा हुआ पात्र विशेष । २ दो फसलों २ द्वार । ३ देखो 'द्वारौं' ।। वाला खेत, भूमि या क्षेत्र । दुवाळ-पु० १ धंधा, प्रपंच, झंझट । २ देखो 'द्वाळी' । दुसार, दुसारक, दुसारण-क्रि० वि० पारपार । -स्त्री० दुवावरणी (बी)-देखो 'दुवाणी' (बी)। १ तलवार । २ पारपार छेद । ३ शस्त्र का दोनों ओर का दुवाह (हौ)-देखो 'दुबाह'। पैना भाग । ४ भाला। दुविधा, (ध्या)-स्त्री० [सं० द्विविधा] १ एक साथ आने वाली दुसारां-क्रि० वि० इस ओर से उस पोर, आर-पार । दो उलझनें । २ दोहरी विचारधारा। ३ अनिश्चितता की दुसाल-पु० १ आर-पार का छेद । २ देखो 'दुसालो' । स्थिति । ४ चिता, दुःख । ५ संदेह, संशय । ६ असमंजस । दुसालापोस-वि० [फा०दोशाल-पोश] जो दुशाला प्रोढे हो,अमीर। पशोपेश । धर्म संकट । दुसालाफरोस-पु० [फा० दोशाल:फिरोश] दुशाला बेचने वाला। दुविहार-पु० [सं० द्वि-प्राहार] दो प्रकार का आहार । दुसालो-पु० [फा० दोशाल:] १ ओढ़ने का रेशमी वस्त्र विशेष । दुवीयण-देखो 'दुरवचन'। २ दो परत जुड़ी चादर । ३ एक सर्प विशेष । दुवै-वि० [सं०] १ दोनों, दो। २ दूसरा, द्वितीय । दुसासरण, (गु, न)-पु० [सं० दुःशासन] धृतराष्ट्र का एक दुवी-१ देखो 'दूवौ' । २ देखो 'दूजो'। पुत्र । -वि० निरंकुश। दुसंत-वि० १ दुष्ट, प्रसाधु । २ देखो 'दुस्यंत' । -पु. संधि दुसील-वि० [सं० दुःशील] शील रहित, दुष्ट । स्थल, जोड़। दुसुपन-पु० [सं० दुःस्वप्न] बुरा स्वप्न, अशुभ स्वप्न । दुस-पु० [सं० द्विज] १ ब्राह्मण । २ पंडित, ज्ञानी। दुसूती-स्त्री० [सं० द्वि-सूत्र] दो तारों से बुना वस्त्र । दुसक्रत, दुसक्रित-देखो 'दुस्क्रत' । दुसेन्या-स्त्री० [सं० द्वि-सेना] दोनों ओर की सेना। दुसट-देखो 'दुस्ट'। (स्त्री० दुसटा) दुस्कर-वि० [सं० दुष्कर] १ जो सरलता से न किया जा सके। दुसटसासना-पु० [सं० दुष्ट-शासन] दुष्टोचित दण्ड । २ दुस्साध्य । -पु० आकाश । दुसटांदळ-वि० [सं० दुष्ट-दलन्] दुष्टों का नाश करने वाला।। दुस्करण-पु० [सं० दुष्कर्ण] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । -पु० ईश्वर, परमात्मा । दुस्करम-पु० [मं० दुष्कर्म] बुरा कार्य, पाप । दुसटी-देखो 'दुम्ट' । (स्त्री० दुसटण, दुसटणी) दुस्करमी (मौ)-वि० [सं० दुष्कर्मी] १ बुरे काम करने वाला। दुसतर-देखो 'दुम्नर'। २ पापी, नीच । ३ दुष्ट । दुसम-वि० १ बुरा । २ कठिन । ३ देखो 'दुखम' । दुस्काळ-पु० [सं० दुष्काल] १ बुरा समय । २ अकाल, दुसमण-पु० [फा० दुश्मन] १ शत्र, वैरी। २ विरोधी.. दुर्भिक्ष । ३ महादेव । ४ प्रलयकाल । प्रतिपक्षी । दुस्कीरति-स्त्री० [सं० दुष्कोति] अपयश, कुकीति, बदनामी। दुसमणायगी, दुसमणी-स्त्री० [फा० दुश्मनी] १ शत्रुता, वैर। 3 दुस्कुळ-वि० [सं० दुष्कुल] नीच कुल का, तुच्छ घराने का। २ विरोध । ३ बदले की भावना । -पु० नीच कुल । बुरा खानदान । |दुस्कुळीन-वि० [सं० दुष्कुलीन] नीच कुल का, निम्न वंश का। दुसराणी (बौ), दुसरावणौ (बी)-क्रि० व टि निकालना, कमी निकालना । निदा करना । दुस्त, दुस्क्रति (ती), दुस्क्रित, दुस्क्रिति, दुस्क्रिती-१ देखो 'दुक्रत'। २ देखो ‘दुक्रति'। दुसरावण-पु० भोज्य सामग्री का सजा हप्रा थाल । दुस्खदिर-पु० [सं० दुःख दिर] एक वृक्ष विशेष । दुसवार-वि० [फा० दुशवार १ कठिन, दुरूह । २ दुःसह। दुस्चिक्य-पु. [सं० दुश्चिक्य] ज्योतिष में जन्म लग्न में दुसवारी-स्त्री० [फा० दृशवारी] कठिनाई, असुविधा । । तीसरा स्थान । For Private And Personal Use Only Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुस्ट दूकरिणी दस्ट पृ० मं० दुष्ट] १ शत्र । २ चोर । ३ कुष्ठ रोग । -वि० | दुहाथळ-पु० [सं० द्वि-हस्त] सिंह के अगले पांव का पंजा। १ दुर्जन, दुराचारी, आततायी। २ पापी । ३ भ्रष्ट, दुहारी-पु० दुहने वाला। कलंकित । ४ बिगड़ा हुआ । ५ दुष्ट । ६ जुल्मी, अपराधी । | दुहावरणी-स्त्री० १ गाय, भैंस आदि का दूध दुहने का कार्य । ७ नीच, अोछा। ८ दोष पूर्ण । ९ कष्टदायी । २ दूध दुहने का पारिश्रमिक । १० निकम्मा । दुहावणी (बौ)-देखो 'दूहाणी' (बी)। दुस्टता-स्त्री० [सं० दुष्टता] १ बुराई, खसबी । २ बदमाशी। दुहिरण-पु० [सं० द्रुहरण, द्रुहिण] ब्रह्मा। ३ ऐब, दोष । ४ शत्रता। ५ नीचता, अोछापन । । दुहिता-स्त्री० [सं०दुहित] कन्या, लड़की । --पति-पु. जमाला, ६ जुल्म, अपराध । दामाद । दुस्टी-देखो 'दुस्ट'। दुहिलउ, दुहिलो-१ देखो 'दोहिलो' । २ देखी 'दूल्हौ' । दुस्तर-वि० [सं०] १ कठिनता से पार होने वाला। २ कठिन, | दुही-देखो 'दुखी'। विकट । दुहु-वि० [सं० द्वि] दोनों। दुस्फोट-पु० [सं० दृष्फोट] शस्त्र विशेष । दुहवां-क्रि० वि० १ दोनों ओर । २ दोनों से । -वि० दोनी। दुस्मरण-देखो 'दुसमरण'। दुहुवै-वि० दोनों। दुस्मरणी--देखो 'दुसमणी'। दुहु-वि० दोनों। दस्यंत-पु० [सं० दुष्यन्त] पुरुवंशीय एक राजा। दुहुभ्रत-पु० [सं० द्वि+भत्य] स्वामिकात्तिकेय । दस्यासन, दुस्सासण, दुस्सासेण-देखो 'दुसासन' । दुहूँ, दुहू-देखो 'दुहु'। दुहंडणी (बौ)-क्रि० संहार करना, मारना, नाश करना। दुहेल-पु० [सं० दुहेल] दुःख, विपत्ति, मुसीबत । दह-देखो 'दुख'। दुहेलउ, दुहेलु (लू)-देखो 'दोहिलौ' । (स्त्री० दुहेली)। दहड़उ, दुहडो-देखो 'दुही'। दुहेलो-वि० [सं० दुहेला] १ संकटयुक्त। २ संकटग्रस्त । दुहरण-देखो 'दुहिण'। [सं० दुर्लभ] ३ दुष्प्राप्य । ४ दुर्लभ । ५ देखो 'दोहिलौ'। उहणी (बी)-देखो 'द्वगौ' (वो)। दुहोलरी-देखो 'दोहिती'। दुहत्थ-वि० [सं० द्वि-हस्त] १ दो हाथ वाला। २ दो मूठ दुही-देखो 'दूहो' । वाला। ३ देखो 'दोहत्थी'। दुह्य-पु० [सं०] राजा ययाति का एक पुत्र । दहत्थि (त्यो)-स्त्री० माल स्तुभ की एक कसरत । दुहिद, दुरहिद-पु० [सं० दुःहृदयिन्] शत्र, दुश्मन । दुहत्थी-वि० [सं० द्वि-हस्त | दो हाथ लम्बा । दूंग-देखो 'दुग'। दहथि.(थो)-स्त्री० [सं० दि+हस्त] तलवार । दूंण, दुग-देखो 'दूगी'। दहरौ-१ देखो 'दोरी'। २ देखा 'दोहरौ' । दूद-१ देखो 'तू'द'। २ देखो 'दुद' । दहवणी (बौ)-कि० [सं० दु:खापन] नाराज करना, कष्ट दूदवाळ. दूंदाळ, दूंदाळी-वि० बड़े उदर वाला, पेटू। पहुंचाना। पीड़ित करना। दूदुह-देखो 'दुदुह' । दुहव-वि० [सं० द्वि] दोनों। -क्रि० वि० दोनों ओर । दूब, दूंबलियो-देखो 'दूबौ' । दुहाई-स्त्री०१ घोषणा, मुनादी। २ राजाज्ञा । ३ प्रताप, दूं'बाइत, दूंबायत-पु० छोटा जागीरदार । तेज । ४ बचाव पक्ष की पुकार । ५ सहायता की याचना। दूबौ-पु० १ छोटे गांव के राजस्व का राज्य में दिया जाने वाला ६ सौगंध, कसम । ७ देखो 'दुवारी'। प्रश। २ भूमि के बीच उभरा हुअा भाग। ३ धूल दुहाग-पु० [सं० दुर्भाग्य] १ वैधव्य । २ पति परित्यक्तता की का हर।। अवस्था । ३ वियोग, विछोह । ४ दुर्भाग्य, बदनसीबी। अंगम-वि० [सं० दुर्गम] १ कठिनता से पार करने योग्य । ५ दुःख, कष्ट । २ दुर्गम, कठिन । ३ भारी असह्य । दुहागरण (गरिण, गिरण, गिरणी, गिन. गिनी)-स्त्री० प्रार, दूारि (री)-देखो 'द्वार' । [सं० दुर्भागिन्] १ पति द्वारा परित्यक्ता स्त्री । २ भाग्य दूअासर-पु. एक प्राभूषण विशेष । हीन स्त्री। ३ विधवा । ४ दुःखी व पीडित स्त्री। दूइज-देखो 'दूज'। दुहागियो, दुहागो-वि० [सं० दुर्भागिन] . गो. मागण) दूउ-पु० [सं० दौत्य] संदेश, पैगाम । समाचार । १३खी, पीडित । २ दुर्भागी, प्रभागा । दूरो-१ देखो 'दुआ'। २ देखो 'वो' । ३ देखो 'दुहो'। दुहातीकरोतो -पु० [सं० द्वि-हस्त-कर पत्रक] यारी, करौती। । करिणयो, दूकरणो-देखो 'दुखणो' । For Private And Personal Use Only Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org दूकणौ (बौ)-देखो 'दूखणौ' (बौ) । दूटी-स्त्री० ऊंट की प्रांख में होने वाली एक मथि । दूख, दुखड़, दुखड़ो-देखो 'दुख' । दूध-वि० [सं० दुष्ट] १ शीघ्र नाराज होने वाला, उग्र, कर। दूखरण-देखो 'दूसण' । २ जबरदस्त, जोरदार । ३ वीर, बहादुर । ४ देखो 'दुष्ट'। दूखरणावणी-पु० [सं० दुःख] दर्द, पीड़ा। दूठरणी, (बौ)-क्रि० क्रोध करना, कोप करना । दूखणावणौ (बी)-देखो 'दुखागो' (बौ)। दूठमल-वि० [सं० दुःस्थ-मल्ल] योद्धा, वीर। दूखरिणयौ-देखो 'दुखणों'। दूरण-पु० [सं० द्विगुण] १ दुगुना भाग, हिस्सा या मात्रा। दूखणी-पु० १ फोड़ा, फुसी। २ घाव, श्रत । २ देखो 'दूरगौ'। दूखरणौ, (बो)-क्रि० [सं० दुःख] १ पीड़ित होना, दुःखना, दर्द दूणता-स्त्री० दुगुनी मात्रा। होना। २ असह्य लगना, बुरा लगना। ३ दोष लगाना, दूरणभुजंगी-स्त्री० पाठ 'य' गण का छंद विशेष । कलंकित करना। दूणगिर (गिरि, गिरी)-देखो 'द्रोणगिरि'। दूखर, (रौ)-देखो 'दुमण' । दूर-देखो 'दूणो'। दूखाणौ (बी), दूखावरणौ (बौ)-देखो 'दुखाणी' (बो)। दूणेटौ, दूर्णटौ-पु० १ दुगुना अंश, भाग या मात्रा। २ दुगुना भाग दूखियौ-देखो 'दूखरणी'। लेने का हक । ३ देखो 'दूणो'। दूछर-देखो 'दुछर'। दुणी-वि० [सं० द्विगुण] (स्त्री० दूणी) दुगुना, द्विगुण । -पु० दूछरल, दूछरेल, छरैल-देखो 'दुछर'।। ____ एक डिंगल गीत विशेष । दूज-स्त्री० [सं० द्वितीया] १ मास के प्रत्येक पक्ष की दूसरी दू'णी (बौ)-देखो 'दूवरणी' (बौ)। तिथि । द्वितीया । २ देखो 'दुज' । दूरण-अट्टौ-सावझड़ौ-पु० एक डिंगल गीत । दूजउ-देखो 'दूजो'। (स्त्री० दूजी)। दूत-पु० [सं०] (स्त्री० दूती) १ संदेश वाहक, चर, पत्रवाहक । दूजड़-देखो 'दुजड़' । २ इधर की बात उधर ले जाने वाला व्यक्ति । ३ राजा दूजरण-पु० [सं० द्विजन] १ गृहस्थ, विवाहित । दंपती।। का दुत । ४ यमदूत । ---पाळक-पु. एक राज्याधिकारी । २ देखो 'दुरजण'। दूतर-पु० १ चन्द्रमा। २ देखो 'दुस्तर'। दूजणी-देखो 'दूझरणी'। दूजणी (बौ)-देखो 'दूझणी' (बो)। दूति, दूतिका, दूती-स्त्री० [सं० दुती] १ प्रेमी-प्रेमिका या नायक-नायिका के बीच सम्पर्क कराने वाली स्त्री। दूजबर, दूजवर-पु० [सं० द्वितीयवर] दूसरा विवाह करने | वाला व्यक्ति । २ चुगली करने वाली स्त्री। ३ चुगली । ४ दासी, दूजाण-पु० [सं० द्विज-जन] ब्राह्मण, विप्र । -वि० दूसरा । । नौकरानी । ५ कुटनी। ६ संदेशा ले जाने वाली स्त्री, दूजियाण-स्त्री०दूसरी बार बच्चा देने वाली गाय व मादा पशु । परिचायिका । -[सं० द्रि+हस्त] ७ जुलाहे का उपकरण दूजोड़ो-देखो 'दूजौ' । (स्त्री० दूजोड़ी)। विशेष । दूजी-वि०म० द्वितीया] (स्त्री० दूजी) १ दूसरा, दो के स्थान दूतीय-देखो 'दुतीय' । बाला, एक के बाद वाला। २ गौण, अन्य । ३ गैर, दूतीयो-पु० सं० द्वितीय] १ द्वधी भाव, द्विधा भाव । पराया । ४ स्थान या एवजी वाला । -पु. १ अपने पूर्वज २ दखा 'दुताया । के ममान युग वाला व्यक्ति । २ पौत्र । दूथ-वि० [सं० दुष्ट योद्धा, वीर । दूज्यू, दून्यू-देखो 'दुज्यू। दूथी-पु० [सं० द्विथः] १ चारण, कवि । २ कवि । दूझ-१ देखो 'दुज'। २ देखो 'दोझ'। दूद-१ देखी 'दूध' । २ देखो 'दूदौ'। दूझड़-देखो 'दुझड़'। दूदड़-देखो 'दूध'। दूझड़ी-वि० [सं० दोहनी] दूध देने वाला। -स्त्री० गाय, गौ। दडलो, दड़ियौ, दूदड़ो-१ देखो 'दूध' । २ देखो 'दुदी' । दूझणी (बी)-क्रि० [सं० दोहन] १ दूध देना । २ आमदनी दूदारण-दूदा-पु० राव दूदा के वंशज मेड़तिया गठौड़ । होना। दूझल्ल-देखो 'दु'झल'। दूदियौ-१ देखो 'दूध' । २ देखो 'दूधियो' । दूझार, दूशाळ, दूसाळी-वि० [सं० दग्ध- मालूच १ अधिक दूदी-देखो 'दूधी'। दूध देने वाली। २ देखो 'दुझाळ' । दूदु-पु० पत्तों का बना दोना, पात्र । दूट-१ देखो 'दस्ट' । २ देखो 'दूठ'। । दुदुह--पु० निविष सर्प । For Private And Personal Use Only Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दूदौ । ६७० ) दूदौ-पु. १ राव जोधा का एक पुत्र व मेड़ता का अधिपति । दून्यां-वि० [सं० द्वि] १ दोनों । २ देखो 'दुनियां'। २ देखो 'दूध'। दूपराणी (बी)-क्रि० १ रोना, रुदन करना, विलाप करना। दुधौ-देखो 'दूध'। २ करुण क्रन्दन करना। दूध, दूधई-पु० [सं० दुग्ध] १ मादा प्राणियों के स्तनों का रस, दूपरी-स्त्री० रुदन, विलाप, करुण क्रन्दन । द्ध । २ क्षीर वृक्षों का रस। ३ अनाज के कच्चे दानों का | दूब-देखो 'दोब' । रस । ४ वंश, गौत्र। दूबक-देखो 'दबक'। दूधका-पू० पाटल वृक्ष। दूबड़, दूबड़ी-वेखो 'दोब'। दूधकोसी-स्त्री० नेपाल राज्य के अन्तर्गत एक नदी। दूबळ उ-देखो 'दुबळी'। दूधगिलारी, दूधगिलासड़ी-स्त्री० छिपकली की जाति का | एक जीव । दूबळी-वि० [सं० दुर्बल] (स्त्री० दुबळी) १ कमजोर, अशक्त, दूधड़लो. दूधड़ियो, दूधड़ो-देखो 'दूध'। निर्बल। २ पतला दुबला, कृशकाय । ३ गरीब, निर्धन । दूधचढ़ी-वि० [सं० दूध-उच्चलन] १ जिसके स्तनों में दूध बढ़ दूबारी-पु० [सं० द्वि+बार] १ दो बार उलट कर निकाला गया हो । २ गर्भवती (मादा पशु)। हुआ शराब । २ दूसरी बार । ३ दो द्वार का कक्ष । दूडियो-पु० १ दो बराबर खण्डों वाला। २ दुध । दूबी-पु० दो मुंह का सर्प । दूध-बै'न-स्त्री० एक ही माता का दूध पीकर पलने से लगने | दूभ-देखो 'दोब'। वाली बहन । दूभर-वि० [सं० दुर्भर] १ दुःख पूर्ण, आपत्तिजनक । २ असह य दूध-भाई-पु० एक ही माता का दूध पीकर पलने से लगने | दुःसह य । ३ कष्ट कर, कठिन, दुस्तर । ४ जो आसान न वाला भाई। हो, कठिन । -स्त्री० गर्भहीन मादा ऊंट । दूध-मुहौ-प० [सं० दुग्ध-मुख] अबोध बच्चा । दूमणउ, दूमरणो-देखो 'दुमनौ' । (स्त्री० दुमणी)। दूधसेराह-पु० दूधिया रंग का घोड़ा। दूमरणौ (बी)-क्रि० १ बलि किये बकरे के शिर व पैरों के दूधा-स्त्री० ब्राह्मणों की एक शाखा । बाल जलाना । २ कष्ट देना, पीड़ित करना। दूधाधारि (री)-वि० [सं० दुग्धाहारी] केवल दूध का आहार दूमळा-पु० पाठ सगण का एक छन्द विशेष । लेने वाला। दुय-देखो 'दूत'। दूधापाणी-पृ० एक प्रकार का टोना । दूयभावि-पु० [सं० दूत+भावेन ] दूत भाव । दूधार, दूधारू, दूधाळ, दूधाळू, दूधाळी-वि० १ दूध वाला। दुरंतरी-क्रि० वि० [सं० दूर+अन्तर] दूर ही से । २ दुध जैसे रंग का गाढ़ा। दूरंदाज-वि० १ दूर से निशाना लगाने वाला । २ दूरदर्शी। दूधाहारी-वि० [सं० दुग्धाहारी] दूध पीकर निर्वाह करने वाला दूरंदाजी-स्त्री०१ दूर से निशाना लगाने की क्रिया। २ दूरदर्शिता। दूधिया पत्थर-पु० दूध के रंग का मुलायम पत्थर विशेष । दूरंदेस-देखो 'दूरअंदेस'। दूधियादांत-पु० दूध पीती अवस्था में ही प्राजाने वाले बच्चों दूरदेसी-वि० १ दूर देश का, विदेशी, परदेशी । के दांत । २ देखो 'दूरअंदेसी'। दूधियौ-पु० १ एक प्रकार का रत्न । २ मफेद व मुलायम पत्थर। दूर-क्रि० वि० [सं०] १ फासले पर, अंतर पर । २ हट कर, ३ हल्की सफदी। ४ लकड़ी का कोयला। ५ लौकी। अलग रह कर । -वि० १ नजर से अोझल, अलग, ६ एक जंगली फल । -वि० १ दूध का, दूध संबंधी। पृथक । २ जो पास न हो। २ दूध के रंग का, श्वेत । ३ दूध के योग से बना। | दूर-प्रदेस-वि० [फा० दूर अंदेश] दुरदर्शी, आगे की सोचने दुधी--स्त्री० [सं० दुग्धिका] १ छितराने वाला एक पौधा । वाला। एक लता विशेष । दूर-अंदेसी-स्त्री० [फा०] दूरदर्शिता । दूधीउ-पु० एक प्रकार का वृक्ष । दूर-तेरी-पु० [सं० दूर+तारी] केवट, नाविक । दूधीगिडोळियौ-पु. १ लौकी। २ एक प्रकार का कीड़ा। दूर-दरसक, दूरदरसी-वि० [सं० दूरदर्शक] १ दूर तक देखने दूधेलि (ली)-स्त्री० १ एक प्रकार की लता विशेष । वाला। २ दूर की सोचने वाला, दूरदर्शी । २ देखो 'दुधी'। दूरनैरण-पु० [सं० दूर+नयन] गिद्ध । दुधौ-देखा 'दूध'। दूरपलौ-पु० १ दूरी का छोर । २ बहुत दूर की सीमा । दूनी-० [सं० द्रोण] पत्तों का कटोग, दोना। दूरबा-देखो 'दुरवा'। For Private And Personal Use Only Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दूरभावी देखाणी युवक। दूरभावी-वि० [सं०] भविष्य में होने वाला। दूसित-वि० [सं०दूषित] १ अभिशप्त । २ दोष युक्त । ३ खराब, दूरस-देखो 'दुरस'। बुरा । ४ अशुद्ध । ५ भ्रष्ट । ६ बिगड़ा हुआ । दूरा-वि० [सं० अर्द्ध+पूरा] १ कम, थोड़ा। २ अपूर्ण । दूसीविस-पु० [सं० दूषी-विष] विकार के कारण शरीर में पैदा ___-पारी-वि० दूर से वार करने वाला, मारने वाला । होने वाला विष। दूरि-१ देखो 'दूर' । २ देखो 'दूरी' । दूहउ, दहड़ो-देखो 'दुही'। दूरिट्ठ-वि० [सं० दूर-+-स्थ] दूर रहने वाला, दूरी पर स्थित, | दहणी (बी), दुहवणी (बी)-१ देखो 'दूवणी' (बी)। २ देखो दूरस्थ । 'दूमणी' (बौ)। ३ देखो 'दुहवरणो' (बी)। दूरितारवीर-पु० [सं०] बावन वीरों में से एक । दूहेलो-१ देखो 'दुहेलो' । २ देखो 'दोहेलो'। (स्त्री० दुहेली)। दूरिपारवीर-पु० [सं०] बावन वीरों में से एक । दूहौ-पु० [सं० दोधक] एक प्रसिद्ध मात्रिक लघु छंद । दूरी-स्त्री. १ दो स्थानों या दो पदार्थों के बीच का अन्तर, | दे-पु० [सं०देव १ धार्मिक ग्रंथ, पुराण। [सं० देवी] २ शिवा, . फासला। २ यात्रा का मार्ग । भवानी। ३ एक प्रकार की चिड़िया। ४ स्त्री। -प्रव्य. दूरूतर-कि० वि० [सं० दूर+अन्तर] दूर से, फासले पर । १ संज्ञा शब्दों के आगे लगने वाला एक प्रत्यय । २ पाद दूरे-अमित्र-पु० [सं०] उनचास मरुतों में से एक । पूरक अव्यय । ३ से । ४ देखो 'देव' । दूरो-देखो 'दूर'। देवणी-वि० [सं० दा] देने वाला। दूलह, दूलो-देखो 'दुल्हौ' । देप्रणौ (बौ)-देखो 'देणो' (बौ)। दूलहरण, (लो), दूल्ही-देखो 'दुलहण'। देपरांणी-देखो देरांणी'। दूल्हा-पु० सं० दुर्लभ ] (स्त्री० दूल्हण, दूल्हो) १ विशेष वेश | देई-१ देखो 'दई' । २ देखो 'देवी' । भूषा में, विवाह के लिये उद्यत युवक । २ नवविवाहित | देउ-१ देखो 'देव' । २ देखो 'देवी' । देउर-देखो 'देवर'। दूवरणौ (बी)-क्रि० [सं० दोहनम्] १ गाय, भैस के स्तनों से जमीनी) खोटेगी। . दूध निकालना । २ सार निकालना, दोहन करना। देउळ, देउळि--देखो 'देवळ' । दूवाई (यो)-१ देखो 'दूवारी' । २ देखो 'दुवायी' । " ' देख, देखरण, देखणी, देखणो-स्त्री० [सं० दृश्] १ देखने की ३ देखो 'दवाई'। क्रिया या भाव, अवलोकन । २ निगाह, नजर । ३ ध्यान । दूवारी-स्त्री० १ दूध दुहने की क्रिया या भाव । २ दोहन । ४ दृष्टि । ५ प्रांख, नेत्र। ३ दूध निकालने के कार्य का पारिश्रमिक । ४ दूध निकालने वाली स्त्री। देखणी (बौ)-क्रि० [सं० दृश] १ आंखों से देखना, दृष्टि दूबौ-पु० [अ० दुवा] १ आज्ञा, हुक्म । २ प्रारब्ध, भाग्य । डालना । अवलोकन करना। २ जांच करना, निरीक्षण ३ देखो 'दुनो' । ४ देखो 'दूजो'। ५ देखो 'दूहो' । करना। ३ तलाश करना, ढूढना। ४ निगरानी रखना, दूव्य, दूव्वय-देखो 'द्रौपदी'। ध्यान रखना। ५ परीक्षा करना । ६ सोचना, विचार दूस-पु० [सं० दूष्य] १ कपड़ा, वस्त्र । २ छत्तीस प्रकार के करना । ७ पढ़ना । ८ अनुभव करना । ९ भोगना, दण्डायुधों में से एक। भुगतना। १० शुद्ध करना, सुधार करना । दसण-पु० [सं० दूषण] १ दोष, कलंक । २ अवगुण, ऐब। देखभाळ, देखरेख-स्त्री० १ निगरानी, चौकसी। २ रख-रखाव, ३ बुराई, खराबी। ४ दोष लगाने की क्रिया या भाव।। संभाल । ३ साक्षात्कार, दर्शन । ४ निरीक्षण, जांच । ५ 'खर' का भाई एक राक्षस । ६ सामयिक व्रत में त्याज्य देखाई-स्त्री०१ दिखाने की क्रिया या भाव । २ दिखाने का बातें (जैन) । पारिश्रमिक । ३ दिखाने का इनाम । दूसरणारि-पु० [सं० दूषणपरि] श्रीरामचन्द्र । देखाऊ-पु० १ घोड़ों की एक जाति । २ देखो 'दिखाऊ' । दूसम-देखो 'दुखम'। देखाणा(बी)-क्रि० [सं० दृश्] १ देखने के लिये प्रेरित करना । दूसय-पु० [सं० दूष्यम् ] डेरा, खेमा, शामियाना, तंबू । २ नजर के मामने करना, आंखों के आगे रखना, दिखाना । दूसर, दूसरी-वि० [सं० द्वितीय] (स्त्री० दूसरी) १ एक के बाद ३ अवलोकन कराना । ४ जांच कराना । ५ तलाश कराना, .. वाला, दो के स्थान वाला, द्वितीय। २ अन्य, गैर । हुढवाना । ६ निगरानी कराना, ध्यान कराना । ७ परीक्षा ३ पूर्वजों के गुण वाला। ४ स्थानापन्न । कराना, जांच कराना । ८ पढ़वाना । ९ सुधरवाना, शुद्ध दूसार (रौ)-देखो 'सार' । कराना । १० भोगाना, भुगतवाना । For Private And Personal Use Only Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देखादेख देव-भूमि देखादेख, देखादेखी-स्त्री० [सं० दृश्] १ नकल, अनुकरण । २ देखने की क्रिया या भाव । अवलोकन । -क्रि०वि० देख देख कर, दूसरों की देखादेखी। देखाळणी (बो)-देखो 'देखाणी' (बी)। देखाव- देखो ‘दिखाव'। देखावट-देखो 'दिखावट'। देखावटी- देखो 'दिखावटी' । देखावरणौ (बी)-देखो 'देखाणी' (बी)। देखावो (हौ)-देखो 'दिखावो' । देग,देगड़, देगड़ियो-पु० १ भोजन पकाने का बड़ा पात्र ।। २ देखो देगी। देगड़ी-पु० १ पानी ढोने का पात्र । २ देखो 'देगचौ' । देगच, देगचियो, देगचौ-पु० भोजन पकाने का बड़ा पात्र, देग।। देगची-स्त्री० साग-सब्जी पकाने का पात्र । देगव:-पु. अतिथि सत्कार, आतिथ्य । देगहत--वि० दानी, दातार । देज-पु० १ देना क्रिया। २ दहेज । देठाळ उ, देठाळी-पु० [सं० दृश्] दिखने की अवस्था या भाव, दर्णन, क्षणिक दर्शन। देतर-देखो दैत्य'। देतांदयण-पु० [सं० दैत्य दुर्जन] ईश्वर । देदीप्यमान-वि० [सं० देदीप्यमान] १ अत्यन्त प्रकाश युक्त, तेजोमय । २ चमकदार, जगमगाता हुआ। देबी-देखो 'देवी'। देयणहार-वि० देने योग्य । देर-स्त्री० [फा०] १ विलंब, अतिकाल, निर्धारित समय के | बाद । २ समय, वक्त । देरणी--स्त्री. देवर की पत्नी । देराड़ी--स्त्री० मुंडन संस्कार की एक रश्म (पुष्करणा ब्राह्मण)। देराणी (बी)-देखो "दिराणौ' (बी)। देराळी-स्त्री० लड़के का ब्रह्मचर्य वेश त्याग कराने की रश्म ! विशेष । देरावरणौ (बो)-देखो 'दिराणी' (बो)। देरी-देखो 'देर'। देरुतरी (तो, त्री)-स्त्री० [सं० देवर+पुत्री] देवर की पुत्री।। देरुतरौ (तो, पौ)-पु० [सं० देवर+पुत्र] देवर का पुत्र । वेळो-स्त्री० [सं० देहली १ देहलीज, देहली । २ मकान के द्वार | पर लगी पट्टी। देव (उ)-पु० [सं०] १ दिव्य शरीरधारी व स्वर्ग का निवासी अमर प्राणी, सुर । २ उक्त प्राणियों की जाति । ३ इन्द्र ।। ४ ब्राह्मण । ५ राजा, शासक । ६ दिव्य शक्तियों से युक्त प्राणी । ७ पूज्य व्यक्ति। ८ अादर सूचक संबोधन । १ ब्राह्मणों की उपाधि । १० देवर । ११ पारा। १२ देवदार । १३ ज्ञानेन्द्रिय । १४ ऋत्विज। १५ सूर्य, भानु । १६ महेश, रुद्र। १७ घोड़ा । १८ कोचरी । १९ तेतीस की संख्या* । -[फा०] २० असुर, दैत्य, राक्षस । २१ हिन्दू । २२ देखो 'देव' । २३ देखो 'देवी' । -अंसी-वि० किसी देवता के अंश से उत्पन्न । -उठणी, ऊठणी-स्त्री० कात्तिक शुक्ला एकादशी। -करम-पु० देवता को प्रसन्न करने का कर्म । --कुंड-पु० श्मशान भूमि में बना पवित्र जलाशय । प्राकृतिक जलाशय । --कुल्या-स्त्री० मरीचि और पूणिमा की एक कन्या । गंगा नदी।-कच्छ-पु. एक प्रकार का व्रत। -गंगास्त्री० एक छोटी नदी का नाम । गंगा। -गण-पु० देवता लोग, देव समाज, नक्षत्र समूह । -गत, गति-स्त्री० भाग्य की गति, प्रारब्ध, मरने के बाद प्राप्त होने वाली देवयोनि । संयोग । -गरम-पु. देवता के गर्भ से उत्पन्न होने वाला पुरुष। -गांधार-पु. एक राग विशेष । -गांधारी-स्त्री० एक रागिनी। -गायक-पु० गंधर्व । --गायन-पु० गंधर्व । -गुरु-पु० बृहस्पति । देवताओं के पिता कश्यप । ---गुही-स्त्री० सरस्वती। -ग्रह-पु० देवालय। -चालीपु० एक प्रकार का इन्द्रजाल । -चिकित्सक-पु. अश्विनी कुमार । दो की संख्या*--जूण-स्त्री० देवयोनि । --जोग -पु० संयोग, भाग्य । देवयोग । --जोगी= 'देवजूरण' । -मूलगी-स्त्री० भादव शुक्ला एकादशी तिथि ।-ठरणी'देवऊठणी' । -दसम, दसमी-स्त्री० दशमी तिथि । विशेष । -दासो-स्त्री० मंदिरों में नृत्य करने वाली दासी, नर्तकी, वेश्या। -द्रुम-पु० कल्पवृक्ष. पारिजात. देवदार । -धन-पु० गाय । -धांम-पु० स्वर्ग । देवस्थान, मंदिर । --धुनि, धुनी-स्त्री० गंगा नदी। -धूप-पु० गुग्गुल । ---धेनु-स्त्री० कामधेनु । --नंदी-पु० इन्द्र का द्वारपाल । -----नदी-स्त्री० गंगा, सुरसरि । सरस्वती नदी। -नाथ --पु० शिव । विष्णु, इन्द्र । -नायक-पु० इन्द्र, सुरपति । ---निहंग-पु० सूर्य, रवि । --पत, पति-पु० विष्णु, इन्द्र । ---पदमणी (नी)-स्त्री० आकाश गंगा। -पसु-पु. बलि पशु । देव उपासक । -पुत्री-स्त्री० देवता की पुत्री। इलायची। कपूरी साग। -पुर, पुरी-स्त्री० इन्द्रपुरी; अमरावती । स्वर्ग । -पुस्का-स्त्री० सोनजुही। -पौढणीएकादशी-स्त्री० ग्राषाढ़ शुक्ला एकादशी। -प्रयाग-पु० हिमालय का एक तीर्थ विशेष । –प्रसाद-पु० देवता का प्रसाद । अनुग्रह । -बाळ, बाळा-स्त्री० सुरबाला। अप्सरा। -ब्रह्म-पु. नारद । -ब्राह्मण-पु० पुजारी । --भाग-पु० देवता का भाग। --भासा-स्त्री० संस्कृत भाषा। -भिसक-पु० अश्विनी कुमार । --भूमि-पु. For Private And Personal Use Only Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देव-भूरख ( ६७३ ) देवदेवाधि स्वर्गलोक। -भूरख-पु० स्वामि कात्तिकेय । -मंदिर- | देवड़ो-देखो 'देव' । पु० देवालय। -मणि-स्त्री० कौस्तुभमणि। एक औषधि | देवचौ-पु० १ प्रतिज्ञा । २ देखो 'देगचौ'। विशेष । सूर्य । घोड़े की भंवरी। -मान-पु० देवताओं | देवज-वि० [सं०] देवताओं से उत्पन्न । का काल, समय । -माया-पु० ईश्वर या देवता की | देवजस-पु० [सं० देवयश] भक्ति रस के गीत, भजन, स्तुति । रचना, क्रिया, प्रभाव, इच्छा । -मास-पु० देवताओं का देवजसा-देखो 'देवयसा'। मास । गर्भ का आठवां मास। -मुनि-पु. नारद। देवजी-पु० एक इतिहास प्रसिद्ध बगड़ावत वीर, देवजी । -मूरत, मूरति-स्त्री० देव प्रतिमा। -यजन-पु० यज्ञ देवजीभि-पु० एक प्रकार का चावल । की वेदी। --यजनी-स्त्री० पृथ्वी। रथ, रश्थ-पु० | देवजीरोटौ-पु० मसालेदार एक मोटा रोटा । देवताओं का विमान । -राज, राजा, राट-पु० इन्द्र । | देवरण-पु० [सं० देवता] १ देवता । २ देने की क्रिया या भाव । --रिक्ख, रिख-'देवमुनि' । -रूप-पु० ईश्वरीय रूप, देवी | -वि० देने वाला। रूप । -लोक-पु० स्वर्ग लोक । -वधू-स्त्री० देवांगना। देवणी-देखो 'देणौ' । अप्सरा। -वाणी-स्त्री० संस्कृत भाषा । प्राकाश वाणी।। देवरणौ (बी)-देखो 'देणो' (बी) । -वाहन-स्त्री० अग्नि । -विहाग-स्त्री० एक रागिनी। देवत, देवतड़ौ-पु० [सं० देवत] १ स्वर्ग का अमर प्राणी, देव । वक्ष-पु० कल्पवृक्ष । मंदार । गूगल । सतिवन । --संजोग- सुर । २ देव समूह । ३ मूर्ति । -परणी-पु. देवबल, पु० सयोग। भावी। इत्तफाक । –सची-पु० शचिपति देवत्व । इन्द्र। –सदन-पु. देवालय । स्वर्ग । -सभा-स्त्री० | देवतर-देखो देवतरु'।। देवताओं की सभा। राज सभा। --सरि-स्त्री० गंगा। देवतरपरण-पु० [सं० देवतर्पण] देवता के नाम पर किया -साक-स्त्री० एक संकर राग विशेष। -सिंधु-पु० | जाने वाला तर्पण।। मान सरोवर । -सुनी-स्त्री० देवलोक की कुतिया, सरमा। देवतरु-पु० [सं०] मंदार, पारिजात प्रादि देव वृक्ष। --सरह-स्त्री० कामधेनु गाय । गाय। --स्थान-पु० देवतरेसर-पु० [सं० देवतरु-ईश्वर] कल्प वृक्ष । मंदिर, देवालय। -स्रणी-स्त्री० देवताओं की पंक्ति। देवता-पु० [सं०] १ स्वर्ग वासी दिव्य एवं अमर प्राणी, सुर । मरोरफली, मूर्वा । -हस-पु. एक प्रकार की बतख । २ ब्राह्मण । ३ चारण। -वि० १ सीधा-सादा, सरल । देवउकस-पु० [सं० देवौकस] देवता, सुर । २ गरीब । ३ शांत एवं गंभीर। -धिप-पु० इन्द्र । देवक-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण के नाना एक यदुवंशी राजा। देवतावसर-वि० देवताओं के समान ।। २ देवता, सुर। देवतियो-देखो 'देवता'। देवकाळी-पु० [सं० देव-कालः] एक देव, भैरव । देवतीरथ-पु० [सं० देवतीर्थ] १ अंगुलियों का अग्र भाग । देवकी-स्त्री० [सं०] श्रीकृष्ण की माता। -नंदरण (न)पुत्र-पु० २ देव पूजन का उचित समय । श्रीकृष्ण, ईश्वर । देवत्रयी-पु० [सं०] ब्रह्मा, विष्णु, महेश । वेषकुरु-पु० [सं०] जम्बूद्वीप के ६ खण्डों में से एक । देवदत्त-पु० [सं०] १ अर्जुन का शंख । २ अष्ट कुल नागों में से देवकूट-पु० [सं०] १ कुबेर का एक पुत्र । २ एक पवित्र एक । ३ देवता के निमित्त दी हुई वस्तु । ४ शरीरस्थ पांच प्राश्रम । वायु में से एक। -वि० १ देवता द्वारा प्रदत्त । २ देव देवगण-पु० [सं०] १ देव वर्ग, समाज । २ देवों के अनुचर ।। निमित्त प्रदत्त । -वंद-पु० विष्णु । देवदार-पु० [सं० देवदारू] पहाड़ी स्थानों में होने वाला वृक्ष देवगर-देखो 'देवगिरि'। विशेष । देवदारू। देवगरणी-पु० [सं० देव-करणः] राज्याधिकारी विशेष । देवदारादि-पु० [सं० देवदादि] एक क्वाथ । देवगरौ-पु० एक जाति विशेष का घोड़ा। देवदाळि, (ळी)-पु० [सं० देवदाली] एक लता विशेष। देवगिर-देखो 'देवगिरि'। देवदिवाळी, देवदीवाळी-स्त्री० [सं० देवदीपमालिका] कात्तिक देवगिरा-स्त्री० [सं०] देववाणी, आकाशवाणी। ___शुक्ला पूणिमा का दिन । देवगिरि (री)-पू० [सं०] १ सुमेरु पर्वत । २ गिरनार पर्वत । देवदुस्य, देवदुस्यवस्त्र, देवदूसितवस्त्र, देवदूस्य, देवदूस्यवस्त्र ३ देवगिरि पर्वत का पत्थर । ४ एक प्राचीन नगर । पु. वस्त्र विशेष। ५ सम्पूर्ण जाति की एक राग । ६ घोड़ों की एक जाति । | देवदेव-पु० [सं०] ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, इन्द्र । देवगिरी-पु० एक प्रकार का घोड़ा। देवदेवाधि-पु० [सं०] विष्णु, शिव, इन्द्र । For Private And Personal Use Only Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवदेवाळा देवानुज देव देवाळा-पु० देवालय। देवसावरणि-पु० [सं०] तेरहवें मनु का नाम । देवधुनि (धुनी)-स्त्री० [सं० देवधुनिः] गंगा नदी। देवसुयांनी-देखो 'देवयानी' । देवनगां-स्त्री. चारण वंशीय एक देवी विशेष । देवसेन-स्त्री० [सं०] १ बावन वीरों में से एक । २ एक देवनांमा-पु. [सं०देवनामन्] १ कुश द्वीप के एक वर्ष का नाम । तीर्थ कर का नाम । २ कुश द्वीप के राजकुमार का नाम । देवसेना-स्त्री० [सं०] १ देवों की सेना । २ प्रजापति की देवनागरी-स्त्री० [सं०] भारतीय भाषाओं की प्रसिद्ध लिपि । कन्या। -पति-पु० स्कंद । देवनीक-वि० [स० देव नीक] १ देव तुल्य । २ इन्द्र। | देवस्रवा-पु० [सं० देवश्रवस्] १ विश्वामित्र का एक पुत्र । देवघर-पु० [स०] आपात्काल में भी निष्क्रिय रहने वाला २ बसुदेव का भाई । पुरुष । देवस्व-पु० [सं०] १ देवसेवा में समर्पित धन, सम्पत्ति । देवबद-पु० [सं०] घोड़े के छाती पर की भंवरी। २ यज्ञशील मनुष्य का धन । देवमीढ़-पु० [सं०] १ एक यदुवंशी राजा । २ मिथिला का एक देवहर-देखो 'देवरौ' । प्राचीन राजा। देवहालि (ली)-स्त्री० एक प्रकार की लता। देवयसा-पु० [सं० देवयशस्] एक जैन मुनि । देवहूति-स्त्री० [सं०] स्वायंभुव मनु की पुत्री व कईम मुनि देवयांण (यांन)-पु० [स० देवयान] मरणोपरान्त जीवात्मा के की पत्नी । ब्रह्म लोक जाने का मार्ग । | देवहाद-पु० [सं० देवहृद] श्रीपर्वत का एक सरोवर । देवयांनी-स्त्री० [सं० देवयानी] १ शुक्राचार्य की पुत्री व राजा देवांमागीवाण, देवां-पागेवाण-पु० [सं० देव-अग्रगण्य ] गणेश, ययाति की पत्नी का नाम । २ सांभर का एक तीर्थ । । गजानन । देवर-पु० [सं०] पति का छोटा भाई । -वट-पृ० पति की | देवांग, देवांगचीर-पु. एक प्रकार का वस्त्र । मृत्यु के पश्चात् देवर की पत्नी बनकर रहने की प्रथा । देवांगणा, (ना)-स्त्री० [सं० देवांगना] १ स्वर्ग की स्त्री। -ब्याह-पु० देवर के साथ किया जाने वाला पुनर्विवाह ।। २ अप्सरा । देवरांणी-देखो 'देरांणी'। देवाण-पु० १ ब्रह्मा । २ देवता । ३ पूज्य पुरुष । देवरारिवीर-पु० [सं०] बावनवीरों में से एक । देवांतक-पु० [सं०] रावरण का एक पुत्र । देवरियो-१ देखो 'देवर' । २ देखो 'देवरौ' । देवांदेव-पु० [सं० देवाधिदेव १ श्रीकृष्ण । २ श्रीविष्णु । देवरी-पु० [सं० देव गृह] १ देवालय, मंदिर। २ जैन मंदिर । देवापत (पति. पती)-देखो 'देवपति'। ३ राजा महाराजाओं का स्मृति भवन । देवांराज-देखो 'देवराज'। देवळ, देवल-पू० [सं० देवालय] १ देवस्थान, देव मंदिर। देवांसी-१ देखो 'देवग्रंमी' । २ देखो 'देवासी' । २ स्मति-भवन । ३ प्रतिहार वंश की एक शाखा। ४ देवल देवा-प. देवर। ऋषि की संतान । - स्त्री० ५ सिंढायच चारण कुलोत्पन्न एक देवी । ६ पाणंद मीसरण की पुत्री एक देवी । देवाकर-देखो 'दिवाकर'। ७ देखो 'देवळी'। देवागिर-देखो 'देवगिरि'। देवळथंभौ-पु० हा थी। देवाट-पु० हरिहर क्षेत्र नामक तीर्थ । देवळी-स्त्री० १ खड़े पत्थर पर बनी मूर्ति या प्रतिमा ।। देवातणौ-पृ० देवत्व, देवी बल । २ मूर्ति, प्रतिमा । ३ समाधि । देवातन-पु० दैवी शक्ति, देवी बल । देवलोक-पु० देवताओं का निवास स्थान, स्वर्ग। देवातिथि-पु० [स०] एक पुरुवशीय राजा का नाम । देवळौ-देखो 'देवळ' । देवातिदेव-पु० विष्णु । देववंसी-स्त्री० दजियों की एक शाखा । देवात्मा-पु० [सं०] १ देव स्वरूप । २ अश्वत्थ, पीपल । देववरणिनी-स्त्री० [सं० देवरिणनी] कुबेर की माता। देवादिदेव-देखो 'देवाधिदेव' । देवाधरण-स्त्री० [सं० दैव-धन] गाय । देववरधन-पु० [सं० देववर्द्धन] १ श्रीकृष्ण के मामा । देवाधिदेव, देवाधिप-पु० [सं०] १ ईश्वर, परमेश्वर । २ विष्णु । २ राजा देवक का पुत्र । देववलभा देववल्लभा-स्त्री० [सं० देव-वल्लभा] केसर । देवानीक-पु० [सं०] १ एक सूर्यवंशी राजा । २ देवों की सेना। देववायु-पु० [सं०] बारहवें मनु के एक पुत्र का नाम । । देवानुज-पु० [सं०] दैत्य, असुर । For Private And Personal Use Only Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवाभख ( ६७५ ) देसांतर देवाभख-पु० [सं० देवभक्ष्य] अमृत, सुधा । देवयो-वि० देने वाला। देवायु-स्त्री० [सं० देवायुस] देवताओं की आयु । देवौकस-पु० [सं० देवौकस] देवताओं का स्थान, सुमेरु पर्वत । देवारय्य-पु० [सं० देवार्य ] अहंत का एक गण (जैन)। देसंतर-देखो 'देसांतर'। देवारि-पु० [सं०] १ बावन वीरों में से एक। २ असुर, | देसंतरि (री)-१ देखो 'दिसांतरी' । २ देखो 'देसांतर'। राक्षस । देस, देसड़उ, देसडलो, देसड़ी, देसी-पु० [सं० देश] १ राष्ट्र, देवाळ-वि० [सं० दा] देने वाला, दाता । देश । २ एक ही शासन के अधीन माना जाने वाला देवाळय, देवालय-पु० [सं० देवालय] १ देवता का मन्दिर । भू-भाग। ३ स्थान, जगह । ४ प्रान्त । ५ राज्य । २ मन्दिर की तरह बना कक्ष । ३ स्वर्ग । ६ जन्म भूमि के पास-पास का क्षेत्र । ७ विभाग, हिस्सा । देवाळि-स्त्री० देनदारी ८ राग विशेष । –कंत-पु० राजा। -कळी-स्त्री० एक देवाळियौ-वि० [सं० दा] १ जिसकी पूजी समाप्त हो चुकी, हो रागिनी। -कार-स्त्री० एक राग विशेष । -कारी-स्त्री० अपना ऋण चुकाने में असमर्थ, कंगाल । २ जिसके व्यापार एक रागिनी विशेष । –गांधार-पु० एक राग विशेष । में बड़ा भारी घाटा लग गया हो। -धणी, पत, पति, पती, पत्त, पत्ति, पह-पु० राजा । देवा-लेई-स्त्री० लेने-देन की क्रिया। राष्ट्रपति । देवाळे-देखो 'देवालय'। देसचारित्र-पु० श्रावक द्वारा किया जाने वाला यांशिक त्याग । देवाळी-पु० [सं० दा] १ अत्यधिक ऋण । २ अधिक ऋण | देसज-पु० [सं० देशज] किसी भाषा का मूल शब्द । -वि० देश के कारण व्यापारी की साख उठ जाने की अवस्था में उत्पन्न । ३ घाटे के कारण पूजी समाप्त हो जाने की स्थिति। देसण, देसणा(ना)-स्त्री० [सं० देशना] १ उपदेश । २ व्याख्यान । ४ ऋण न चुकाने व आगे व्यापार न करने की घोषणा। देसणोक-पु० [सं० देश-नाक] राजस्थान में बीकानेर के पास ५ देखो 'देवालय'। का एक गांव या कस्बा, जहां करणी माता का मंदिर है। देवावास-वि० [सं०] १ मन्दिर । २ स्वर्ग । ३ पीपल वृक्ष। । देसथळी-वि० मरु प्रदेश, रेगिस्तानी भू भाग । देवासी-पु० १ गडरिया जाति का व्यक्ति । २ देव अंशी। देसनिकाळी-पु० [सं० देश निष्कासन्] देश में रहने न देने देवास्व-पु० [सं० देवाश्व] इन्द्र का घोड़ा, उच्चैश्रवा । का दण्ड। देवि-देखो 'देवी'। | देसभासा-स्त्री० [सं० देश-भाषा] १ किसी देश की भाषा, देविका-स्त्री० [सं०] १ एक पौराणिक नदी । २ घाघरा नदी। राष्ट्रभाषा । २ बहत्तर कलाओं में से एक । देवी-स्त्री० [सं०] १ देव पत्नी, देवता की स्त्री। २ पार्वती, देसभासाग्यांन-पु० [सं० देश-भाषाज्ञान] १ प्राकृतिक बोलियों उमा । ३ दुर्गा, शक्ति । ४ सरस्वती, शारदा। ५ ब्राह्मण का ज्ञान । २ चौसठ कलानों में से एक । स्त्री। ६ राजमहिषी। ७ नव प्रसूता गाय, भैस या | देसमंडप-पु० [सं० देशमण्डप] रास्ते में बने विश्राम स्थल । बकरी । ८ दिव्य गुणों वाली स्त्री । ९ मरोर फली, मूर्वा। देसमल्लार-पु० [सं०] सम्पूर्ण जाति की एक राग । १० हरं, हरीतकी। ११ श्यामा पक्षी । १२ कोचरी।। देसराज-पु० [सं० देशराज] १ राजा, नृप । २ पाल्हा व १३ प्रार्या छंद का एक भेद । ऊदल के पिता। देवीक-वि० दैवी चमत्कार वाला। देसडलो-देखो 'देस'। देवीकवच-पु० तलवार विशेष । देसवट (टो)-देखो 'देसूटो' । देवीपुरांग-पु० देवी के अवतारों के वर्णन वाला पुराण । देसवरति-स्त्री० [सं० देशविरति] हिंसा प्रादि का मांशिक देवीभागवत. (भागोत)-पु० एक उप पुराण विशेष । त्याग । (जैन) देवु-देखो 'देव'। देसावळ-पु० [सं० देश-पालुच] स्वदेश का । देवेद्र-पु० [सं०] देवताओं का राजा इन्द्र । देसवाळी, देसवाळीपठाण-स्त्री० राजपूतों से मुसलमान बनी देवेस-पु० [सं० देवेश] १ परमेश्वर, ईश्वर । २ शिव । एक जाति। ३ विष्णु । ४ देवराज इन्द्र । देसवासी-पु० [सं० देश-वासिन् ] देश का निवासी, स्वदेशी। देवेसप-पु० [सं० देवेशय] १ ईश्वर, परमेश्वर । २ विष्णु।। देसविरति-देखो 'देसवरति' । देवेसी-स्त्री० [सं० देवेशी] १ पार्वती, उमा । २ दुर्गा, देवी। देसाण (णो)-देखो 'देसरणोक' । देवेस्ट-पु० [सं० देवेष्ट] गुग्गल, महामेदा। -वि० देवतायों देसांतर-पु० [सं० देशांतर] १ अन्य देश, विदेश । २ दूर देश । का प्रिय। ३ स्वदेश से दूर । ४ पूर्व-पश्चिम की दूरी, लंबांश । For Private And Personal Use Only Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra देसांतर-विसेस देसाळी स्त्री० एक जाति विशेष | । www.kobatirth.org राष्ट्रपति | देसार - स्त्री० ढोली जाति की एक शाखा । सालिक पु० [सं०] दिशामालिक] दिशादर्शक मार्गदर्शक ( ६७६ ) बेहरियो-देखो 'देवरों'। देसांतर विसेस स्त्री० ७२ कलाओं में से एक । देसांतरी वि [सं० देशांतरिक ] १ विदेशी परदेशी देहरी-देखो 'बेहळी' । । २ देखो 'दिमांतरी' । ३ देखो 'देसांतर' । देवाउर माउरि-'दिवार' | बेहरारू, देखो 'देव' । देखो 'देहळी'। देसाखी स्त्री० [सं० [देशाली ] वसंत ऋतु की एक रामिनी । देसावार पु० [सं०] देशाचार] किसी देश के प्राचार-व्यवहार। साटन १० [सं० देशाटन ] देण भ्रमरा । देहळी - स्त्री० [सं० देहली ] १ मकान के द्वार की देहलीज । २ देखो 'देह' । साथिय, साधिपति (पति) - पु० [सं० देशाधिप ] राजा नृप, देहांत ५० [सं०] मृत्यु प्राणांत । 7 देसोटी- देखो 'देसोटी' | देसौत-देखो 'देमीत' । देह-स्त्री० [सं०] शरीर, तन । देहकरण - पु० ७२ कलाचों में से एक। देहली, देहड़ी, बेहडी देखो 'देह' । देसावर देखो 'दिसावर' | 1 - । देसि देसी वि० [सं०] देशी ] १ देश का देश संबंधी २ स्वदेश का बना । ३ स्वदेश में उत्पन्न हुआ। पु० १ एक प्रकार का घोड़ा । २ एक रागिनी विशेष । ३ देखो 'देस' | देसीगो पु० [सं०] देशी + गोखुर] जमीन पर फैलकर होने - बाली एक कांटेदार बूंदी। दे' टी. देसोट, देसोटु', देसोटौ - पु० [सं० देशात् + उत्थानम् ] देश निकाले का दण्ड | देखोत पु० [सं० [देशयति १ देशपति ] । । राजकुमार ३ जागीरदार, सामंत सुध के साथ रहने वाला व्यक्ति २ सुन्दर, रूपवान । देहचिता स्त्री० [सं०] मल त्याग की इच्छा | देहन- वि० [सं०] [स्त्री० देहना) १ देह से उत्पन्न २ देह संबंधी । देहती - पु० [सं० देहतत्वी ] मनुष्य । देहांत (वान) वि० देह धारी पु० सजीव प्राणी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देहांतर - पु० [सं०] १ जन्मान्तर, दूसरा शरीर । २ पुनर्जन्म । ३ मरण । देहा देखो 'देह' । 'देहाड़ी देखो 'दिवस' । देहात स्त्री० [फा०] गांव, ग्राम । । | देहाती वि० १गांव का, ग्रामीण २ गंवार -परा-प-पन पु० गंवारू पन | ग्रामीणों का सा व्यवहार | देहारी - वि० [सं० देह ] देह संबंधी, शरीर का, दैहिक । बेहिका स्त्री० [सं०] एक प्रकार का कीड़ा। देही - पु० [सं० देह ] - १ शरीरधारी प्रारणी । २ जीवात्मा । ३ देवता । ४ वही ५ देखी 'देह' वि० १ शरीर का शरीर संबंधी । २ देने वाला, दाता । राजा २ राजपुत्र, देहीपंच पु० [सं० पंच देही] शरीर सरदार ४ ऊंटों के देहू देवी-देखो 'देह' । ०१ बीर पोड़ा देरी-देवो देवरों' । योद्धा । । । । | ''- देखो 'ई'ए'। देत स्थ-देखो 'स्प' | " दंगो वैरण - स्त्री० [सं० दा] १ देने की क्रिया या भाव। २ प्रदत्त वस्तु दी हुई वस्तु । ३ दान । - वि० देने वाला । दे' ण - स्त्री० [सं० दहन] १ दुःख, कष्ट, पीड़ा । २ जलन । ३ परेशानी फंट । , गवार वि० [सं० दा] १ देने वाला २ दारी स्त्री० १ ऋणी होने की अवस्था राशि । ३ ऋण । देण-लंग - पु० लेने-देने की क्रिया या भाव। व्यवसाय । देवर पु० स्वामिकार्तिकेय । देगाव, सायत वि० १ देने वाला २ का भुकाने वाला । ३ कर्जदार, ऋणी । 1 देहत्याग - पु० [सं०] मृत्यु, मौत 1 1 देवारण ५० [सं०] १ जन्म उत्पत्ति २ जीवन रक्षा। बेवारी- वि० [सं० देह धारिन्] शरीरधारी । देहनायक - पु० [सं०] १ देह का निर्माता । २ ब्रह्मा । देहयात्रा - स्त्री० [सं०] १ पालन पोषण । २ भोजन । ३ मृत्यु मरण । देहरइ, देहरइरउ, देहरउ - देखो 'देवरी' । देहपंथी, देहरापंत्री- वि० [सं० देवगृहयथ] मंदिर मार्गी, वंशी ( बोकि० [सं० दा] १ कोई वस्तु वा न किसी को - धन मूर्तिपूजक बेहरासर, बेहरामपु० [सं० देवता वसरः] देवता का उत्सव | देना, दे देना । २ दूसरों को सौंपना, संभलाना । ३ देखने या अवलोकनार्थ हाथ में थमाना । ४ देखने या For Private And Personal Use Only कर्जदार 1 २ चुकाने योग्य देरणी अव्य० से। देणौ - वि० [सं० दा] (स्त्री० देणी) देने वाला । - पु० ऋण, कर्ज | Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दत दोको अवलोकनार्थ हाथ में पकड़ना। ५ पास में रखना। देववस-क्रि० वि० [सं० देववश संयोग से, अकस्मात् । ६ लगाना, प्रयोग में लाना। ७ निर्धारित करना ।। कुद्रतन । ८ मारना, प्रहार करना । ( भुगताना,भोगाना । १० उत्पन्न वैववादी-वि० [सं०] भाग्य वादी। निरुद्यमी । प्रालसी । करके देना । ११ प्रजनन करना । १२ लगाना, बंद करना, देवविवाह-पु० [सं०] स्मृति के अनुसार एक विवाह । जड़ना १३ प्राज्ञा करना, कहना, करना । देवसंजोग-देखो 'देव संजोग' । दैत-देखो 'दैत्य' । -अरि='दैत्यारि'। -पत, पति, पती- देवाण-देखो 'दीवारण' । 'दैत्यपति' । देवाकारी-स्त्री० [सं०] यमुना नदी। दैतार-पु० [सं० दैत्यारि] १ अर्जुन । २ दैत्यारि । देवात-देखो 'देववस'। दैत्य-पु० [सं०] १ कश्यप व दिति के पुत्र, असुर, राक्षस । दैविच्छा-स्त्री० [सं० देवेच्छा] १ ईश्वरेच्छा । २ भवितव्यता, २ विशाल डील-डौल व डरावनी शक्ल का व्यक्ति । होनी । ३ दुराचारी, पापी। -अरि-पु० विष्णु । देवता । इन्द्र । देवी-वि० [सं०] १ देवकृत । २ देव संबंधी । ३ संयोग से होने दैत्यों का शत्रु । -गुरु-पु० शुक्राचार्य। -जुग-पु० वाला । ४ सात्विक । -स्त्री० देव विवाह से बनी पत्नी। मानवीय चार युगों के बराबर दैत्यों का युग। -देव-पु० | देवु-देखो 'दैव' । विष्णु, पवन । वरुण।-निकंदरण-पु०विष्णु । -पति-पु० देसत्त-स्त्री० [फा० दहशत] भय, डर, प्रातक । रावण । बलि । हिरण्य कश्यप । -सेना-स्त्री० दैत्यों की | देसाळिक-देखो 'देसालिक' । रोना । प्रजापति की एक कन्या । दैसिक-पु० [सं० देशिक] १ गुरु । २ उपदेशक । ३ राहगीर । दैत्यधूमिणी (नी)-स्त्री० [सं० दैत्यधूमिनी] एक तांत्रिक मुद्रा | देसोटो-देखो 'देसोटी'। विशेष । दसोत, दसौत, दसौतडो-देखो 'देसोत' । दैत्यारि-पु० [सं०] १ विष्णु । २ देवता । ३ इन्द्र । ४ विष्णु । दों, दोंकार, दोंकारि-स्त्री० नगाड़े, तबले आदि वाद्य की ध्वनि । दैत्येंद्र, दैत्येस-पु० [सं०] १ राजा बलि । २ रावण । ३ हिरण्य दोगड़ा-पु० कभी-कभी होने वाली वर्षा (मेवात)। कश्यप। दो-वि० [सं० द्वि] १ एक का दुगुना, एक तथा एक । दैधाण-पु. समुद्र, नागर । २ अतिरिक्त । ३ दोनों। -पु० [सं० द्यौ] १ स्वर्ग । दैनकी-देखो 'दैनगो'। २ अाकाश । ३ वृषभ । ४ दैत्य । ५ स्त्रियों के बालों की दैनगण, (णी)-स्त्री० [सं० दैनिकी] मजदूर स्त्री, मजदूरनी।। अलक । ६ सिंह । ७ दान । ८ लिंग । ९ हाथ १० पांव । दैनगियो-पु० [सं० दैनिकी] (स्त्री० दैनगण, दैनगणी) दैनिक -स्त्री० ११ रात्रि । १२. ७२ कलाओं में से एक । १३ दो मजदूरी पर कार्य करने वाला व्यक्ति, श्रमिक । की संख्या। दैनगी-स्त्री० [सं० दैनिकी] १ मजदूरी। २ एक दिन के श्रम | दो'-पु० [सं० दोष] देवी कोप, अभिशाप । का निर्धारित द्रव्य । । दोसांनी-स्त्री० [सं० द्वि+पाणक] १ रुपये का पाठवां भाग । दैन्य-पु० [सं०] १ दरिद्रता, गरीबी। २ दीनता व तुच्छता का २ इस मान का सिक्का । भाव । ३ कातरता। ४ काव्य में एक संचारी भाव । दोइरण-देखो 'दुरजन'। देवाड़णी (बी), देबाडणी (बौ), देबारणी (बौ), देवावरणी (बौ)- दोइतरी, दोइती-देखो 'दोहिती' । देखो 'दिराणो' (बी)। दोइतरौ, दोइतो-देखो 'दोहितो' । देव-पु० [सं०] १ भाग्य, प्रारब्ध । २ विधाता । ३ विष्णु । दोई-वि० [सं० द्वि] १ दोनों । २ दो। ४ एक प्रकार का विवाह । -वि०१ देवता संबंधी। दोईतरी, दोईती, दोईत्री-देखो 'दोहिती'। २ नैसर्गिक, स्वर्गीय । ३ राजकीय । दोईतरौ, दोईतौ, दोईनौ-देखो 'दोहितौ' । देवगत, (गति)-देखो 'देवगति'। दोईरद-पु० सं० द्विरद] हाथी । देवग्य-पु० [सं० देवज्ञ] ज्योतिषी । दोउ, दोऊ-वि० | स. द्वि] दोनों। देवचिता-स्त्री० भाग्य के विषय में चितन या चिता। दोकड़ो-पु० रुपये का सौवां अंश, एक प्राचीन मिक्का । देवजोग-देखो 'देवजोग'। दोकद-पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष । देवत-पु० [सं० देवत] ईश्वर । दोको-स्त्री० [सं० द्वि] १ दो की संख्या । २ दो का जोड़ा । देवतपति-पु० [सं० इन्द्र। २ दो अंगुलियों का संकेत । -वि०१ दो । २ देखो दैवतीरथ-पु० [सं० देवतीर्थ ] अंगुलियों की नौक । 'दोखी'। For Private And Personal Use Only Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोखंभा दोपहर दोख भा-पु० सं० द्वि-स्तंभ] एक प्रकार का नैचा। ११ व्यथा, शोक, संताप । १२ समूह, गुब्बार । १३ दौड़ने दोख-पु० सं० दोष १ कोप, गुस्सा, क्रोध । २ देखो 'दोस'। की क्रिया या भाव । १४ देखो 'दोटौ' । दोखण-१ देखो 'दूसण' । २ देखो 'दोस'। दोटणी (बौ)-कि० [सं० धाव] १ पैरों से रौंदना, कुचलना । दोखादोग दक, दोगंधक-पु० [सं० दौगुन्दुक अतिशय रति क्रीड़ा २ संहार करना, मारना। ३ ठुकराना, ठोकर मारना । करने वाली एक देव जाति ।। ४ गेंद आदि के चोट लगाना। ५ दबाना । ६ दौड़ना, दोखियो. दोखी, दोखीलौ-वि० [सं० दोषिन् १ शत्र, दुश्मन ।। भागना । ७ वेग से उठ कर गिरना । ८ तेजी से प्रवाहित २ बुरा चाहने वाला। ३ ईर्ष्या करने वाला। होना। ९ भौंके लगाना, झटके मारना। १० लपेट में दोगड़--स्त्री० [स० द्वि+घट] १ दो मत, दो विचार । लेते हुए चलना। २ असमंजम । ३ देखो 'दोघड़'। दोटियो-१ देखो 'दोटो' । २ देखो 'दोट' । दोगणों-वि० दुगुना। दोटी-स्त्री० [सं० द्विपटी] १ बच्चों के खेलने का कपड़े, रब्बर बोगलो-पु. [फा०दो-गुल्ला १ वर्णसंकर संतान । २ जारज पुत्र। या चमड़े का गोला, गेंद । २ एक प्रकार का वस्त्र । ___ -वि० (स्त्री० दोगली) १ वर्ण संकर । २ चुगलखोर। दोटौ-पु० १ देहलीज पर लगी लकड़ी। २ वायु का बवंडर । दोगी-स्त्री० १ नार-कंकरी नामक खेल। २ पीड़ा, दर्द, कष्ट । ३ गेंद पर लकड़ी का प्रहार । ४ झौंका, झटका । ५ तेज, ३ मंकट, आपत्ति । ४ दुविधा । ५ रोग । ६ शत्र, दुश्मन । | प्रवाह । -वि०१ नष्ट करने वाला । २ देखो 'दोट' । दोघड़-पु० सं० द्विघट] १ शिर पर रखे दो जल पात्र, दो घट। दोठी-पु. खाद्य पदार्थ विशेष, व्यंजन । २ देखो दोगड़'। दोडंगौ-पु. एक प्रकार का फल विशेष । दोघड़ी-वि० [सं० द्वि-घट] उदास, चिन्तित, खिन्न । दोणंकियो, दोरणको-१ देखो 'दोवणियो' । २ देखो 'दोगियो' । दोघणी-पु० अहित. बुराई । हानि । दोणातार-पु० प्राभूषणों की खुदाई करने का एक अौजार । दोड़-पु० [सं० द्वि-पट] १ दो सूत का बना वस्त्र, दो सूती दोणियो-वि० दुहने वाला, दुहारा । -पु०१ दूध दुहने का पात्र । वस्त्र । २ देखो 'दौड़। २ देखो 'दोवरिणयो' । दोचोखट, दोचौखट-स्त्री० आभूषणों पर खुदाई करने का | दोणौ (बौ)-देखो 'दूवरणौ' (बी)। औजार विशेष । दोत-१ देखो 'दवात' । २ देखो 'दुतिया' । दोज देखो दूज'। दोतङ-पु० [सं० द्वि + तट] दुविधा । दोजक-देखो 'दोजख'। दोतडि (डो)-स्त्री० [सं० दुस्तरी] दुष्ट नदी। दोजकी-देखो 'दोजखी'। दोति-देखो 'दवात'। दोजख (ग)-पु० [फा०] १ इस्लाम धर्म के अनुसार 'नरक' । दोधक-पु० [सं०] १ एक वर्ण वृत्त विशेष । २ एक मात्रिक २ दुःख, कष्ट । छंद विशेष। दोजखी (गो)-वि० [फा०] १ नरकगामी, पापी, दुरात्मा। दोधार-देखो 'दुधार'। २ दुःखी। दोधारी-स्त्री० १ आभूषणों पर खुदाई का एक प्रौजार विशेष । दोजांगो-देखो 'दोजौ'। २ देखो 'दुधारी'। दोजिक (ख, ग)-देखो ‘दोजख' । दोधारो-देखो 'दुधार'। दोजियायती, दोजीयायती, दोजीवाती, दोजीवायती-स्त्री० दोधौ-पु० १ दुधिया रस वाला एक पौधा विशेष । २ देखो 'दूध' । सं० द्विजीवा] गर्भवती स्त्री या मादा पशु । | दोन-१ देखो 'दोनो'। २ देखो 'दूरण' । दोजौ, दोझारणी-पु० [ संदीग्ध] १ दूध देने वाले मादा पशु दोनवू-देखो 'दानव' । का स्तन। २ दूध व दूध से मिलने वाले पदार्थ । ३ दूध दोनाळी-देखो 'दुनाळी' । देने वाले पगृ । दोनु, दोन, दोनू, दोनौं-वि० [सं० द्वि] उभय, दोनों। दोझाळ-वि० १ वीर योद्धा, बहादुर । २ ऋद्ध, कुपित । -पु० दोनौ-पु० १ कलंक, दोष । २ ताना, व्यग । ३ देखो 'दूनौ' । दुध देने वाला मादा पशु।। ४ देखो 'दोनौं'। दाट-पु० [सं० धाव १ प्रांधी, तुफान । २ हवा का तेज | दोन्यां-१ देखो 'दुनियां' । २ देखो दोनों'। झोका, बबउर । ३ टक्कर, प्राधात, धक्का। ४ प्रहार, | दोन्यु, बोन्यू-देखों 'दोनौं'। वार । ५ ठोकर, ठेस । ६ मार, घाव । ७ मवेशी। दोपइ-स्त्री० [सं०] एक मात्रिक छन्द विशेष । ८ मुब, नासमझ । ९ वाल, केश । १० आक्रमण, हमला। दोपहर -पु० [सं० द्वि-प्रहर] दिन का मध्य समय, मध्याह्न । For Private And Personal Use Only Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोपहरियो दोळू दोपहरियो-देखो 'दोपारियौ' । दोर-पु० १ एक प्रकार का आभूषण विशेष । [दोस्] दोपहरी-१ देखो 'दोपारी'। २ देखो 'दोपहर' । २ हाथ, कर । ३ शक्ति, बल । ४ देखो 'दौर' । दोपार-देखो 'दोपहर'। दोरउ-१ देखो 'डोरौं' । २ देखो 'दो'रौ'। वोपारियो-पु० १ एक वृक्ष जिसके फूल दुपहर में खिलते हैं। | दोरडी-स्त्री० डोरी। २ देखो 'दोपारौ'। दोरडो-पु० डोरौ। दोपारी, दोपारी-स्त्री. १ मध्याह्न का स्वल्पाहार । दोरदंडण (न)-पु० दृढ़ व मजबूत भुजा । २ देखो 'दोपहर'। दोरप, दोरम-स्त्री० १ तकलीफ, कष्ट, पीड़ा। २ वियोग । दोपाहर, दोपैर-देखो 'दोपहर'। ३ अभाव जन्य दुःख । दोपेरौ-देखो 'दोपारौ'। दोरांणी-देखो 'देरांणी'। दोफसळी-देखो 'दुफसली' । दोराई-स्त्री० तकलीफ, कष्ट, पीड़ा। असुविधा । दोफारी (रौ)-देखो 'दोपारी' । दो'राणी (बी)-क्रि० १ किसी कार्य या बात की पुनरावृत्ति दोब, दोबड़, दोबड़ी-स्त्री० [सं० दूर्वा] दूर्वा घास, दूब । करना । २ कोई बात समझा कर पुनः कहना। ३ दो तह दोबारौ-पु० [सं० द्वि-द्वार] १ दो द्वार का कक्ष । | करना। २ देखो 'दूबारौ'। दोरायतौ-पु० एक प्रकार का घोड़ा । दोब-पु० छुपकर या मोर्चा लगाकर बैठने की क्रिया । दोरावरणौ (बो)-देखो 'दो'राणौ' (बो)। दोबत-देखो 'दवावैत'। दोरी-१ देखो 'डोरौ'। २ देखो 'दो'रौ' । दोभ, दोभड़ी-देखो 'दोब' । दोरांप्री-पु० एक प्रकार का वस्त्र । दोभाग-पु० [सं० दुर्भाग्य] १ मंद भाग्य, दुर्भाग्य । २ दुहाग । दोरुखौ-वि० [फा०] (स्त्री० दोरुखी) १ दोनों पक्षों की ओर दोभौ-वि० सुस्त, आलसी । ढीला-ढाला । रुख रखने वाला। २ दोनों ओर समान स्थिति वाला। दोमंजली, दोमंजिनौ-वि० [सं० द्वि+फा० मंजिल] दो मंजिल | ३ दो तरह की विचार-धारा वाला । ४ दोनों प्रोर भिन्न ____ का, दो मंजिन वाला। रंगों वाला। -पु० स्वर्णकारों का एक औजार । दोमज, दोमजि, दोमझि-पु० [सं० द्वि+मध्य ] युद्ध, सग्राम। दो'रौ-वि० [सं० दुःखधर] (स्त्री० दो'री) १ पीड़ित, दोमल -पु० एक वरणक छन्द विशेष । दुःखी, कष्ट में । २ व्याकुल, विकल, बेचैन । ३ असुविधा दोमिण-पु० [सं० द्यो+मरिण] सूर्य, भानु । या परेशानी की स्थिति में । ४ असह य, दुष्कर । ५ कठिन, दोमी-पु० इम, ढोली। मुश्किल । ६ उदास, खिन्न, दुःखी, अप्रसन्न । ७ अप्रिय, कटु दोय-देखो 'दो'। ककंस। ८ नाराज । ९ अधिक मेहता या श्रम वाला। दोयक-देखो 'दोयेक'। १० जिसे साधना या काबू करना कठिन हो। ११ संकट दोयककुत-पु० [स० द्वि-कुकुद] ऊंट । पूर्ण। -क्रि० वि० निरुत्साही होकर । दोयजीह-देखो 'दुजीह'। दोलक-देखो 'ढोलक'। दोयण-पु० [सं० दुर्जन] १ राक्षस, दानव । २ देखो 'दुरजण'। दोलड़ौ (डो)-वि० [सं० द्वि+लटिक] १ दो लड़ों वाला। दोयतरी, दोयती (त्री)-देखो 'दोहिती' । २ दोहरा । ३ मोटा। दोयतरौ, दोयतौ (त्रौ)-देखो 'दोहितो' । दोळलौ-वि० (स्त्री० दोळली) पास का, इर्द-गिर्द का। दोयथणी-देखो 'दुधरणी'। दोळा-क्रि० वि० चारों ओर, इर्द-गिर्द । दोयम-वि० [फा०] दूसरे नंबर का, दूसरा। दोळांजंत्र-पु० अर्क निकालने का एक यत्र विशेष । (वैद्यक) दोयरण-देखो 'दुरजण'। दोळाजुध-पु० [सं० दोलायुद्ध] हार-जीत का निर्णय शीघ्र न दोयली-देखो 'दोहिलो' । (स्त्री० दोयली) । हो सके, ऐसा युद्ध। दोयसपी (पो)-पु० [फा० दो-अस्प] १ दो घोड़ों का मालिक दोळी-क्रि० वि० चारों ओर, इर्द-गिर्द । -वि० समीप, सैनिक । २ दो घोड़ों की डाक । निकट, पाम । दोयसे'क-वि० दो सौ के लगभग । । दोळीकियौ-पु. १ प्राभूषणों मे खुदाई करने का एक औजार । दोयेक-वि० [सं० द्वि-एक दो के लगभग । २ पैर की अंगुली का एक आभूषण विशेष । दोरंगी (गो)-देखो 'दुरंगी'। । दोळ्, दोळ-पु. १ दांत, दंत । २ देखो 'दोळ'। For Private And Personal Use Only Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोळ (६८० ) दोहर-कूटो दोळ-क्रि० वि० इर्द-गिर्द', चारों पोर । दोसण-वि० [सं० दोषण] १ दोष उत्पन्न करने वाला । दोषदोलोत्सव-पु० [सं०] फाल्गुण मास की पूणिमा का, वैष्णवों जनक । २ देखो 'दूसरण । ३ देखो 'दोम'। का एक त्यौहार । दोसत-पु० [फा० दोस्त] १ मित्र, सखा। २ प्रेमी, स्नेही । दोळी-वि. (स्त्री० दोळी) समीप, पास, निकट । -क्रि० वि० -दार-पु. मित्र, स्नेही। -बारी-स्त्री० दोस्ती, मित्रता । ___ इर्द-गिर्द चारों ओर। दोसतांनौ-वि० [फा० दोस्ताना] मित्रता का, दोस्ती का । दोवड़, दोवडियौ-स्त्री० [सं० द्वि-पट] १ दो पट की चादर. मित्रता जैसा । -पु० १ मित्रता, दोस्ती। २ मित्रता जैसा दोहरी चादर । २ देखो 'दोवड़ो'। -चौबड़-पु० दो या व्यवहार। चार तह वाला। दुगुना-चौगुना। | दोसती-स्त्री० [फा० दोस्ती] १ मित्रता, दोस्ती। २ प्रेम दोवड़ी-वि० १ दो तह की । २ दुहरी । ३ दो लड़ोंवाली। संबंध । ४ दो प्रकार की । ५ दुगुनी। -स्त्री० दो तह किया हुआ | दोसपौ-देखो 'दोयसपी'। वस्त्र । -ताजीम-स्त्री० सरदारों या सामन्तों को दिया | दोसहटी-स्त्री० [सं० दौष्यिक+हट्ट] कपड़ा बाजार । जाने वाला सम्मान (जोधपुर)। बोसा-स्त्री० [सं० दोषा] १ रात्रि, रात। २ संध्या। ३ भुजा, दोवडो-वि० [सं० द्वि+पट] (स्त्री० दोवड़ी) १ दो तह का, बांह । -कर-पु० चन्द्रमा, शशि । दोहरा। २ जिसमें दो लडे हो । ३ दो प्रकार का । ४ द्वि, | दोसी-पु० [सं० दौष्यिक] कपड़े का व्यापारी। -स्त्री० सखी, दो। ५ दोनों ओर का। ६ दुगुना । -पु० दो तह को सी सहेली (मेवात)। -वि० [सं० दोषिन्] १ जिसमें ऐब या कर तैयार किया वस्त्र । बुगई हो, ऐबी। २ कसूरबार, अपराधी। ३ पापी । दोवड़ी-कुरब, (कुरव)-देखो 'दोवडी-ताजीम' । ४ मुजरिम, अभियुक्त । ५ दुष्ट । ६ भ्रष्ट । ७ अपवित्र । दोवटी-स्त्री० [सं० द्वि-पट] १ दो पट का वस्त्र । २ दुपट्टा। दोसूती-स्त्री० [सं० द्वि+सूत्र] दुहरे ताने का बना वस्त्र । दोसौ-देखो 'दोस'। ३ धोती। ४ एक प्रकार का बिछौना, प्रासन (मेवाड़)। दोस्त-देखो 'दोसत'। ५ एक प्रकार की मिठाई। दोस्तदार-देखो 'दोसतदार' । दोवरिणया-पु० ब. व. मृतक के बारहवें दिन अशौच निवारणार्थ दोस्तदारी-देखों 'दोसतदारी । पानी से भरे जाने वाले बारह घटक । दोस्ती-देखो 'दोसती'। दोवरिणयौ-पु० १ दूध दूहने का पात्र । २ मृतक के बारहवें दिन | दोह-१ देखो 'दो' । २ देखो 'दोस' । ३ देखो 'दोख' । प्रशौच निवारणार्थ जल भर कर कुटुम्बी को दिया जाने दोहखी-देखो 'दोखी'। वाला गिट्टी का छोटा घड़ा। -वि० दूहने वाला। दोहग (ग्ग, गु, ग्गू)-पु० [सं० दौर्भाग्य | १ वियोग जनित दोवरणी (वो)-देखो 'दुहणो' (बी)। __दुःख । २ दुर्भाग्य ।। ३ वैधव्य । ४ संकट, विपत्ति । दोबळी-त्रि० वि० १ इर्द-गिर्द , चारों ओर । २ दो अोर । दोहडउ-वि० [सं० द्रोहाट] द्रोह रखने वाला, ईर्ष्यालु ३ दो बार। द्रोही, शत्र । दोवां, दोवाई-वि० [सं० द्वि] दोनों। दोहण-पु० [सं० दोहनम् | १ दुहने की क्रिया या भाव । दोवाई-देखा 'वारी'। २ दोहन । ३ दुश्मन ।। दोवारणी (बो), दोवावरणो (बौ)-देखो 'दुवाणी' (बी)। दोहरणी-स्त्री० [सं० दोहनी] १ दूहने की क्रिया या भाव । २ दूध दोवारी-देखो 'दूवारी'। ER दूहने का पात्र । ३ हडिया । ४ मृतक के बारहवें दिन भरा दोव-वि० [सं० द्वि दोनों। जाने वाला छोटा घटक । ५ देखो 'दुवणी'। दोस-पृ० [सं० दोष] १ अवगुण, ऐब । २ बराई, खराबी। दोहरणो (बी)-देखो 'दूवरणो' (बौ)। ३ कलंक, लांछन । ४ प्रारोप, अभियोग । ५ अपराध, कसर। दोहती-देखो 'दोहिती'। ६ कमी । ७ अशुद्धि । ८ पाप । ६ दुष्परिणाम । १० रोग। दोहतौ-१ देखो 'दोहथौ' । २ देखो 'दोहितो' । (स्त्री० दोहती) ११ त्रिदोष। १२ खण्डन । १३ साहित्यिक अवगुण । दोहथीकरोती-स्त्री० दो व्यक्तियों द्वारा चलाई जाने वाली १४ नव्य न्याय की त्रुटि । १५ अाठ वसुओं में से एक ।। बड़ी पारी । १६ तीन की संख्या*। १७ दश की संख्या*। १८ देखो दोहथौ-वि० [सं० द्वि-हस्त] १ दो हाथों वाला। २ दो हत्थों 'दो' ।-ग्राही-पु० दुष्ट, दुर्जन । —जारण-पु० वैद्य, हकीम, वाला । चिकित्सक । दोषों का ज्ञाता। | दोहर-कूटौ-पु० सांसियों का एक जातीय दण्ड विधान । For Private And Personal Use Only Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org दोहरीपट । ६८१ ) दौलत दोहरीपट-स्त्री० कुश्नी का एक पेच । करना । ८ अपनी ओर से खुब काम करना। ९ जल्दी दोहरीसखी-स्त्री० कुश्ती का एक पेच । मचाना । दोहरौ-वि० सं० द्वि-हर] (स्त्री० दोहरी) १ दो परत का, दौड़ा-दौड़, दौड़ा-दौड़ी-स्त्री०१ दौड़ने भागने की क्रिया । दो पटका । २ दुगुना । ३ दोनों पक्ष का, दोनों ओर का। २ भग-दड़ । ३ दौड़-धूप । ४ हड़ बड़ी, पातुराई । ४ दोनों ओर झुकने वाला । ५ देखो 'दो'रौ' । दौड़ाणों (बी) दौड़ावणो (बो)-क्रि० १ द्रुतगति से चलाना, दोहलउ-पु० [सं० दोहल:] इच्छा, अभिलाषा, चाह । भगाना । २ झपट कर जाने-माने के लिये प्रेरित करना। दोहली-देखो 'दूही'। ३ प्रयत्न या कोशिश कराना । ४ परिथम कराना। दोहां-वि० सं० द्वि] दोनों, उभय । ५ व्याप्त करना, फैलाना। ६ चढ़ाई कराना, अाक्रमण दोहाई-१ देखो 'दुहाई' । २ देखो 'दूवारी'। कराना । ७ लूट मार कराना । ८ जल्दी मनवाना । दोहाग-देखो 'दुहाग'। ९ खदेडना, निकाल बाहर करना । दोहागण, दोहागिरण, दोहागिरिण-देखो 'दुहागरण' । दौड़ी-स्त्री० घोड़े की टापों की ध्वनि । दोहारणी (बो), दोहावरणो (बौ)-देखो 'दुवाणी' (बी)। | दौड़ी-पु० अ० दौर] १ आक्रमण, धावा । २ समय-समय पर दोहारी देखो 'वारी'। पाना-जाना । ३ यात्रा, प्रवास । ४ निरीक्षण हेतु की जाने दोहाळ-कुडळियौ-पुकुंडलिया छद का एक भेद । वाली यात्रा। ५ दिन पर पड़ने वाला वायु का दबाव, दोहाळी-१ देखो 'दुपाळी'। २ देखो 'दोहिलौ'। ३ देखो दिल का दौरा । ६ गश्त, फेरी। ७ रोग का प्रावर्तन, 'दुहेलो'। देखो 'दाली' । प्रभाव । दोहि-वि० दोनों। दौढ़-देखो 'डीड'। दोहिता-देखो 'दहिता'। दोढ़ी-देखो 'डौडी'। -दार='डोडीदार' । दोहिती (त्री)-स्त्री० [सं० दोहित्री] पुत्री की पुत्री, नातिन । दौढ़ौ-पृ० सं० द्वि-अर्द्ध] १ एक डिगल गीत विशेष । २ राजदोहितौ (त्रौ)-पु० [सं दोहित्र] पुत्री का पूत्र. पुत्री का बेटा। स्थानी का एक अन्य गीत । ३ देखो ‘डौडौ'। -कुडळियौ दाहिलउ दोहिनु, दोहिलु, दोहिलू, दोहिलू दोहिलो-वि० -१० कूडलिया छंद का एक भेद। 110 दुःख | (स्त्रील दाहिली) १ दुःखी, पांडित। २ कठिन, दौनौं,दोनौ-१ देखो 'दुनौ' । २ देखो ‘दोनो' । मश्किल । ३ खिन्न. उदास । ४ कर। ५ विकट, भयकर। दौफार-दे दो 'दोपहर'। ६ नाराज। दौफारौ-देखो ‘दोपागै'। दोही-वि० स० द्वि] दोनों। दौयरंद-देवो 'द्विरद'। दोहीत, दोहीत . दोहोतो, दोहीत्रउ, दोहीत्रौ-देखो 'दोहितौ'। दौर-१० म०] १ फेरा, चक्कर, भ्रमण । २ कालचक्र, दिनों दोहवै,- दोहू-वि० [म० द्वि] दोनों । का फेर । ३ प्रताप, प्रभाव, हुकूमत । ४ शान-शौकत । दोही-देखो 'दूहो। ५ प्राकार, ढंग । ६ बढ़ती का समय, अभ्युदय काल । दौं-स्त्री० [सं० दावाग्नि] दावाग्नि । ७ पच । ८ पुरुषों की वेशभूषा। ९ बारी, पारी। दौनों-पु० १ वूए की खुदाई। २ देखो 'दोनौं' । १० देखो ‘दोर' । ११ देखो 'दौड़' । १२ देखो 'दौड़ौ' । दौ-पु० १ योद्धा, सुभट । २ युद्ध। ३ प्राण । ४ काम, कार्य । दौर-दौरी-पु० [अ० दौर] अत्यधिक प्रभाव । --वि० १ दरिद्र । २ देखो 'दो' । दोरांरपी-देखो देरांणी'। दौड़-स्त्री० [सं० धोऋ] १ भागना क्रिया । २ भग-दड़ । | दौरान पु० [अ० दौरान] १ चक्कर, फेरा । २ सिलसिला, क्रम । ३ द्रतगति, वेग । ४ पहुंच । ५ प्रयत्न, कोशिश। ३..रा, बारी। ४ कालचक्र । ५ दौरा। ६ बीच, मध्य । ६ परिथम, मेहनत । ७ प्राक्रमण, धावा । ८ देखो 'दौर'। -क्रि० वि० बीच में, दरम्यान । -- धपाड़, धूप, भाग-स्त्री० दौड़ने भागने की किया । | दौरी देखो दौडी'। कोशिश प्रयत्न । दौळ-क्रि० वि० चारों ओर, पार्श्व या बगल में । दौड़को-वि० (स्त्री० दौड़की) दौड़ने वाला, धावक । दोलत दौलति-स्त्री० [अ०] १ धन, संपत्ति । २ शासन, हुमत दौड़रो (बी)-कि० [सं० धोरणम्] १ द्रुतगति से चलना, | ३ जायदाद । ४ परिभ्रमण । ५ भाग्य, नसीब । -खांनी भागन।। २ झपट कर जाना, पाना । ३ कोशिश व प्रयत्न पृ० खजाना, कोष । निवासस्थान, घर । -मद-वि० करना । ४ परिश्रम करना । ५ व्याप्त होना, छा जाना, धनवान । -मंदी-स्त्री० सम्पन्नता । -वंत, वान-वि० फैलना । ६ चढ़ाई करना, आक्रमण करना । ७ लूटमार । धनवान, रईम, धनी, भाग्यशाली। For Private And Personal Use Only Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दौलती दौलती - वि० १ धनी, दौलतवाला । २ भाग्यशाली । ३] देखो 'दौलत'। दौहित्र (त्री) देखो 'दोहिती' - दौहित्री- देखो 'दोहिती' । वि० [सं० [हि] एक और एक दो दोनों art (at) - देखो 'गो' (बी) । देखो दाहसी' (स्त्री० वांगी) दोले- पु० [सं०] १ कुमुद नामक एक दिग्गज २ का दौवारिक पु० [सं०] द्वारपाल दोस्थिकापण - पु० [सं० दौष्यिकापण] कपड़े की दुकान, बजाज द्रकक्ष ेप ( खेप ) - पु० हाट, कपड़ा बाजार । शामली-देखो 'दयाव थाड़ौ, द्याढ़ि - देखो 'दिवस' । 'लु'। धावड़ स्त्री० रहट के बीच बांधी जाने वाली डोरी, जतनी - www.kobatirth.org ( ६८२ ) - पु० [सं०] १ दिन । २ श्राकाश । ३ स्वर्गलोक । ४ सूर्य लोक । ५ अग्नि । ६ चमक । यति-देखो 'दुति' गरण - पु० [सं०] ग्रहों की मध्यगति के साधक अंग, दिन । द्य चर - पु० [सं०] १ ग्रह । २ पक्षी । जा (या) स्त्री० [सं०] अहोराण वृत्त की व्यास रूप ज्या । तरी० [सं०] किरा तिधर देखो 'दुतिधर' । तिमंत ( मन ) - देखो 'दुतिमांन' | यतिमा स्त्री० प्रकाश, तेज, प्रभा , द्यन- पु० [सं०] लग्न से सातवां स्थान । द्य निस-पु० [सं०] निश] अहर्निश, रातदिन । पति-पु० [सं०] सूर्य इन्द्र 1 द्यम - पु० [सं०] श्राकाशचारी पक्षी । म पु० [सं०] धन, द्रव्य मरिण - पु० [सं०] १ सूर्य, रवि । २ मंदार । ३ शुद्ध तांबा । द्यलोक - पु० [सं०] स्वर्ग लोक । द्यूत पु० [सं०] जुम्रा । तमेव पु० [सं०] ७२ कलाओं में से एक। द्यूतविसेस- ० ६४ कलानों में से एक । 1-पु० द्यून - पु० [सं०] लग्न स्थान से सातवीं राशि । द्योढ़ - पु० [सं०] १ स्वर्गं । २ ग्राकाश, व्योम । ३ शत पथ ब्राह्मण । घोरांणी-देखो 'देरांणी' । द्योस - देखो 'दिवस' । द्यौ - वि० [सं० द्वि] दो, दोनों । द्रौंगी पु० एक प्रकार का घोड़ा । गद्र गड़ौ - पु० [सं० द्रंग] १ नगर, शहर । २ देखो 'दुरग' | ३ देखो 'द्रग' | (बी) देखी दौड़ी' (बी) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्रढ़नेमि [सं० दृक् क्षेप] १ दृष्टिपात, प्रवलोकन नतांश की भुजज्या । २ दशम लग्न के कति स्त्री० [सं० नति] एक याम्योत्तर संस्कार विशेष । द्रकपथ - पु० [सं० ढक पथ ] दृष्टि का मार्ग । दृष्टि की पहुंच । द्रकपात पु० [सं० दृक्पात ] दृष्टि पात, अवलोकन | द्रकस्रतित-पु० [सं० दृक् श्रुति] सांप, सर्प । खद - पु० [सं० दृषद ] पत्थर, पाषाण । द्रग - पु० [सं० दृश्] १ प्रांख, नेत्र, लोचन । २ दृष्टि नजर । ३ बोध, ज्ञान । ४ दो की संख्या । द्रगपाळ - देखो 'दिग्पाळ' | द्रग्गोचर - वि० [सं० दृग्गोचर] प्रांख से दिखने वाला, दृष्टि में ग्राने वाला । द्रोण- देखो 'दुर्योधन' । उठा स्त्री० [सं० [प] यांन इठि देखो 'इस्टि' । द्रग्गोळ पु० [सं० हग्गोल] ग्रह संबंधी एक वृत्त विशेष । या स्त्री० [सं०] रम्या ज्योतिष में एक विशेष द्रावण (न)- पु० [सं०] इलंबन] ग्रहण संबंधी एक संस्कार द्रजीत - देखो 'इंद्रजीत' | For Private And Personal Use Only द्रढ़ - वि० [सं० दृढ़ ] १ कसकर बंधा हुआ, कमा हुआ, प्रगाढ़ । २ पक्का, मजबूत । ३ कड़ा, ठोस, कठोर । ४ बलवान, बलिष्ठ पुष्ट ५ पविचलित पटल ६ स्थाई निरं स्थायी । ७ निडर, साहसी । ध्रुव, निश्चित । ६ ढीठ । १० स्थापित । ११ अचंचल । १२ घना । १३ टिकाऊ । १४ विश्वस्त । १५ ग्रान पर अड़ने वाला पु० १ विष्णु । २ धृतराष्ट्र का एक पुत्र ३ लोहा ४ तेरहवां मनु - करमौ वि० धैर्यवान साहसी मूठी वि० कंजूस, कृपरण । इडली (बी) क्रि० [सं० द्रड्] २ गाढ़ा करना । ३ पुष्ट होना । का पेड़ तव पु० स० [सं०] द्रढ़ता - स्त्री० [सं० दृढ़ता] १ दृढ़ होने की अवस्था या भाव। २ पक्कापन । ३ मजबूती । ४ स्थिरता, अटलता । ५ धैर्य । द्रढ़नांम पु० [सं० दृढ नाम] अस्त्रों की एक रोक । नेत्र पु० [सं०] विश्वामित्र का एक पुत्र द्रढ़नेमि - वि० [सं०] जिसकी धुरी मजबूत हो । वि० [सं० [ धन्वन्] धनुष चलाने में निपुण । १ मजबूत करना, पक्का करना। होना, मोटा होना । ४ कड़ा Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra द्रवत्ती द्रढ़बत्ती - पु० [सं० दृढव्रती ] भीष्म पितामह । भूमिस्त्री० [सं० र भूमि) एक योगाभ्यास विशेष द्रढ़मन्न- वि० [सं० दृढ़ मन] स्थिर चित्त का, दृढ़ । पर लोम वि० [सं०] लोमन्] कड़े सोम वाला - द्रवत - वि० [सं० द्रढ़वंत ] १ दृढ़, स्थिर । २ वीर, सुभट । द्रढ़वरमा पु० [सं० दृढ़ वर्मन ] धृतराष्ट्र का एक पुत्र । वाळी स्वी० पड़ता स्थिरता | प्रदुश्य पु० [सं० व्य] १ एक ऋषि २ढ़ता। द्रव्रत पु० [सं० दृढ़व्रत ] स्थिर संकल्प | ब्रढ़स्व - पु० [सं० दृढ़स्यु ] श्रगस्त्य ऋषि का एक पुत्र । द्रढ़ासु पु० [सं०] एक सूर्यवंशी राजा । द्रढ़ - क्रि० वि० [सं० दृढ़ | दृढ़ता से । www. kobatirth.org द्रढ़ाव - पु० [सं०दृढ़ ] १ दृढ़ता, स्थिरता, मजबूती । २ अडिगता । द्रावरणौ ( बौ) - देखो 'द्रढ़ाणौ' (बी) । उदास (न) पु० [सं० रागन एक योगासन विशेष । ( ६८३ ) व्रतहर - पु० [सं० प्रतिहरि ] १ बल । २ पानी ढोने वाला पशु । प - वि० स० दर्प ] घमंडी | द्रपक- पु० [सं० दर्पक] कामदेव | द्रपती - पु० काव्य छद का एक भेद । द्रब-१ देखो 'द्रव्य' । २ देखो 'द्रव' | द्रवउझेळ- वि० ० दातार । कणी (बी०कांना मणी (बी) देखो 'दोही (वी)। बड़ा (बो), बावनी (जी) देखो 'दोहाणी' (ब) । त्रिया स्त्री० [सं०] द्रव्य स्त्री] वेश्या, गरिएका । द्रब्ब - देखो 'द्रव्य' । द्रव्यधर पु० [सं०] द्रव्य गृह] खजाना, भण्डार, को। मंकरण (at) - देखो 'दमकरणौ (बी) । द्रमंकी मको पु० धमाका, गर्जना | द्रढ़ांग - वि० [सं० ढ़ांग) हृष्ट-पुष्ट, पुष्ट अंगी । मोटा-ताजा । द्रढ़ा- वि० [सं० दृढ़ा ] शक्तिशाली, बलवान, मोटी-ताजी । - दृढ़ ब्राणो क्रि० [सं०] १ करना मजबूत करना २ पक्का द्रविण पु० [सं०] १ धन, संपत्ति २ सोना, हेम शक्ति, करना, निश्चित करना । । । ३ बल, पराक्रम । ४ काम के पांच बाणों में से एक । ५ वस्तु, पदार्थ । द्रविणौ (at) - देखो 'द्रवरणी' (बी) । वेण देखो 'द्रविण' । द्ररोळ- देखो 'दरोल' । द्रम- पु० १ प्रचण्ड वायु । २ वायु का भौंका ३ मरु प्रदेश । ४ मरु प्रदेश की बालू रेत [सं० द्रम्भ] ५ एक तौल या नाप विशेष । ६ देखो 'द्रम' | मकर (बी) देखो 'दमक' (बी) मणारजुन पु० [सं०] अर्जुन नामक वृक्ष । मद्रमणी (बौ) - देखो 'दमकरणी' (बो) । मादि स्त्री० नगा आदि वाद्यों की ध्वनि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्रव पु० [सं०] द्रव १ पानी बादि की तरह पतला तरल पदार्थ । २ भ्रमरण । ३ गति । गमन । ४ द्रवत्व। वि० १ दौड़ने वाला । २ टपकने या चुने वाला । ३ बहने वाला । ४ तरल । ५ पिघला यह देखो 'द्रविड'। हुआ । इरिट प्रवण ५० १ बहाय गति, द्रवत्व [सं० द्र.म ] २ कल्पवृक्ष - वि० १ देने वाला । २ दया करने वाला । ३ देखो 'द्रविण' । द्रवरण (बी) - क्रि० १ द्रवीभूत होना, पसीजना, दया करना । २ विनम्र होना । ३ पिघलना । द्रविड़ पु० [सं०] १ दक्षिण भारत का एक प्रान्त २ उक्त प्रान्त का निवासी । ३ श्रार्यों की तरह भारत की एक प्राचीन मानव जाति । ४ अनार्य । द्रव्य - पु० [सं०] १ गुण एवं क्रिया वाला पदार्थ, वस्तु । २ धन, दौलत, सम्पत्ति । ३ सामान, सामग्री । ४ श्रौषधि, दवा । ५ पीतल । ६ गोंद । ७ शराब, मदिरा ८ गुणों का समूह । ९ शील । १० कांसा, फूल । ११ दाव, हौड़ । १२ नौ की संख्या । - उनोदरी स्त्री० बर्तन, उपकरण निक्षेप पु० किसी पदार्थ का व्यवहार विशेष 1 - पु० धनवान व्यक्ति पदार्थ का अधिपति । - वि० धनी, धनाढ्य । व्याधी पु० [सं०] १ कुवेर २ कोषाधिकारी । द्रव्व- देखो 'द्रव्य' । पति -वंत, वांन द्रसट पु० [सं० दृष्ट] १ नेत्र, नयन, आंख । २ दृष्टि नजर । - वि० १ देखा हुआ । २ जाना हुआ। ३ प्रकट, ज्ञात । द्रसद - देखो 'द्रखद' । कूट] पहेली । स्टकूट पु० [सं० इस्ट इस्टोति पु० [सं० दृष्टांन] १ उदाहरण नमूना २ उदाहरण, मिसाल। ३ स्वप्न, सपना | ४ ऋतुस्नाता स्त्री का पुरुष दर्शन । ५ शास्त्र । ६ मरण । ७ एक अर्थालंकार विशेष ८ विज्ञान । For Private And Personal Use Only द्रस्टा- वि० [सं० दृष्टा] १ देखने वाला । २ साक्षात्कार करने वाला । ३ दर्शक । ४ प्रकाशक । द्रस्टि स्त्री० [सं० दृष्टि ] १ प्रांख की ज्योति, देखने की शक्ति, नजर । २ देखने की क्रिया या वृत्ति, अवलोकन । ३ ध्यान देखने की तत्परता | ४ देखने में प्रवृत्त प्रांख । ५ दृष्टि प्रसार, दृक् पथ । ६ पहचान, परख । ७ अदाज अनुमान । ८ कृपादृष्टि । ६ उम्मीद, प्रशा । १० टकटकी । Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंग ११ नीयत, उद्देश्य । १२ दृष्टि दोष, कुदृष्टि । -गोचर- | दिव-१ देखो 'द्रव्य' । २ देखो 'द्रव' । पु० देखने लायक । जो देखा जा सके, दिखने वाला। द्रिस्टद्य मन, द्रिस्टद्य मनि-देखो 'ध्रस्टद्युम्न' । ---फळ-पु० ग्रहों का प्रभाव । —मान-वि० अखि बाला । | द्रिस्टांत-देखो 'द्रस्टांत' । दृष्टि वाला । ---वंत-वि० दृष्टा । जानी। सूझवाला । | द्रिस्टि बंध विद्या-स्त्री० [सं० दष्टि बंध-विद्या] नजर बंदी नजर वाला। -वाद-पु०प्रत्यक्ष प्रमाग की प्राधनता वाला | की विद्या । सिद्धान्त । जैनियों के बारह अंगों में से एक । -स्थान-पु० । द्रिस्टियुद्ध-पु० [सं० दृष्टियुद्ध] ७२ कलाओं में से एक । ज्योतिष में कुडली का एक स्थान । द्रिस्टिसूळ-पु० [सं० दृष्टिशूल ] नेत्रों का एक रोग । द्रह-पू० [सं० हृद] १ गहरे जल वाला स्थान, दह । २ नदी द्रिस्य-वि० [सं० दृश्य ] १ देखने लायक, देखने योग्य । २ दिखने या जलाशय का मध्य भाग । ३ नदी के बीच गहरा गड्ढा । वाला, जो सहज ही दिखाई दे। ३ जानने योग्य, जय । ४ ताल, झील, ह्रद। ४ सुन्दर, मनोहर । -पु० १ देखी जाने वाली वस्तु । द्रहद्रहणी (बी)-क्रि० वाद्य का बजना, ध्वनि होना । २ दिखने वाला वातावरण । ३ प्राकृतिक सौन्दर्य का स्थल द्रहदहवार-स्त्री० [सं० जयद्रथ वेला] संध्या काल । ४ मनोरंजक व्यापार, तमागा। ५ नाटक आदि का कोई द्रहब्रहणौ (बी)-क्रि० वाद्य ध्वनि होना, बजना । दृश्य । ६ ज्ञात या दी गई संख्या । द्रदद्रहाट (टि)-स्त्री० वाद्य ध्वनि । विहंग विहंगसि-स्त्री० ढोल की आवाज । द्रदबट (बट्टां), द्रहबाट, द्रहवट, (वाट)-वि० १ पराजित । द्रीयौ-पृ० ऊंट को पुकारने संबंधी शब्द । २ तितर-बितर । ३ देखो 'दहवाट'। द्रीवछड़-स्त्री० ढोल आदि की अावाज । द्राक-अव्य० [सं० द्राक्] १ शीघ्र, तुरंत । २ देखो 'दाख' । द्रोह-स्त्री० व द्यों की भयंकर ध्वनि । द्राक्ष, द्राक्षा, द्राख-देखो 'दाख' । द्रुग-देखो 'दुरग'। द्राखरणी (बी)-देखो 'दाखणौ' (बौ)। द्रु-पु० [सं०] १ वृक्ष, पेड़। २ वृक्ष की शाखा । ३ लकड़ी। द्रागड़ी-पु० चोरी या डाका डालने वाला, मीरगानों का दल । ४ लकडी का उपकरण । द्राव-पु० [सं० द्रावः] १ पलायन, प्रस्थान । २ दौड़-भाग। द्रघण-पु० [सं०] १ लोहे का मुग्दर । २ परशु या फरशे ३ देखो 'ध्राव' । के आकार का एक शस्त्र । ३ कुठार, कुल्हाड़ी । द्रावक-वि० [सं०] (स्त्री० द्रावकी) १ द्रव रूप में करने वाला। ४ देखो 'दुहिग'। २ पिघलाने या गलाने वाला । ३ बहाने वाला। ४ लंपट, द्रण, छ रणा, द्र रिण (णी)-पु० [सं० द्रुगं] १ धनुष, कमान । लवार । -पु० १ चन्द्रकान्त मरिण । २ तरल रूप करने २ खङ्ग । ३ बिच्छु । ४ भृगी कीट । ५ धनुष की डोरी। वाला पदार्थ । ३ चोर । ४ चतुर व्यक्ति । ५ सुहागा। ६ करवी। ७ बाल्टी । ८ डोल । 8 कनखजुरा । ६ चुम्बक पत्थर । ७ मोम । १० कांतर। द्रावड़, (ड) -देखो 'द्राविड़' । द्रत द्रति (ती)-वि० [सं०] १ वेगवान, तेज, फुर्तीला । २ शीघ्रद्रावरण-पु० [सं०] १ भगाने का कार्य । २ द्रवीभूत करने का गामी । ३ भागा हुआ । ४ द्रवीभूत । ५ तरल । ६ बहा काम । ३ कामदेव के पांच बाणों में से एक । ४ पिघलाने हुआ। -क्रि० वि० जल्दी, तुरन्त, शीघ्र । तेजी से। -पु. का कार्य । १ कुछ तेज गति, लय । २ ताल की एक मात्रा का प्राधा। द्राविड़-पु० [सं०] १ द्रविड़ देश का वासी । २ द्रविड़ देश । ३ हल्की शराब । ४ बिच्छू । ५ वृक्ष, पेड़। ६ बिल्ली । द्राविड़गौड़-पु० [सं०] एक राग विशेष । ---गति-स्त्री० तेजचाल । -वि० शीघ्रगामी। ---गांमीद्राविड़ी-स्त्री० [सं०] १ छोटी इलायची । २ द्रविड़ स्त्री। वि० शीघ्रगामी । –रासी-स्त्री० घटिया शराब । -वि० द्रविड़ सबंधी। -विलंबित-पु० एक वर्ण वृत्त । एक ताल विशेष । द्रासक-देखो 'दहसत'। द्रपद-पु० [सं०] १ उत्तर पांचाल का राजा। २ एक राग । दिग,द्रिगन-स्त्री०१ बहत्तर कलायों में से एक । २ देखो 'द्रग'। ३ देखो 'ध्र पद। दिगपाळ-देखो 'दिग्पाल'। द्रपदी-स्त्री०१ एक मात्रिक छंद विशेष । २ पांडवों की धर्मपत्नी द्रिठ, Fिठी-देखो 'द्रस्टि' । द्रौपदी । द्रिढ़-देखो 'द्रढ़'। द्र मंडळ (ळि)-देखो 'घ्र वमंडल' । द्रिढ़ता-देखो 'द्रढ़ता' । द्र मंग, द्रम-पु० [संन्द्र म] १ वृक्ष,पेड़ । २ स्वर्ग का एक बृक्ष । द्रियाव-देखो 'दरियाव' । -पत, पति-पु० कल्पवृक्ष । --पाळ- पृ० पर्वत, पहाड़। For Private And Personal Use Only Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org द्वमग्रह ( ६८५ ) द्रु मग्रह-पु. देवल । द्रोह-पु० [सं०] १ प्रतिहिंसा, वैर । २ ईर्ष्या, जलन, द्वेष । तुमची-देखो 'दुमची'। ३ अहित चिंतन । ४ उत्पात, उपद्रव, विप्लव । ५ विद्रोह । द्र मभूप-पु० [सं०] वसंत । ६ अपराध । ७ विरोध । द्र मसार-पु० [सं०] फूल । द्रोही-वि० [सं० द्रोहिन] विद्रोह करने वाला, उत्पात मचाने द्रमामय-स्त्री० लाख, लाक्षा। वाला । ईर्ष्या करने वाला। -पु० शत्रु, वैरी। द्र मारि-पु० [सं०] हाथी, गज । द्रौरिण-देखो 'द्रोरिण' । द्र मालय-पु० [सं०] जंगल, वन । द्रौपत, द्रौपद-पु० [सं० द्रौपद] १ राजा द्र पद का पुत्र । द्र मिल-पु० [सं०] १ नो योगेश्वरों में से एक । २ एक छन्द | २ देखो 'द्रौपदी'। विशेष । द्रौपदी (अ)-स्त्री० [सं०] राजा द्रुपद की पुत्री व पांडवों की द्र मिला-पु० [सं०] एक मात्रिक छन्द विशेष । स्त्री, कृष्णा । -वि. कृष्ण, काली, श्याम*। द्रम्म-देखो 'द्र म'। द्रौपदेय-पु० [सं०] द्रौपदी का पुत्र । द्र यमणि-स्त्री० रुक्मिणी। द्रौह-देखो 'द्रोह' । द्रुहिण-देखो 'दुहिरण'। द्वंद, द्वंद्व-देखो 'दु'द'। द्रठ, (ठि,ठी)-देखो 'द्रस्टि'। द्वंद्वचारी-पु० [सं०] चकवापक्षी । द्रेहड़-देखो 'द्रह। द्वद्वज-पु० [सं०] १ राग द्वेष से उत्पन्न मनोवृत्ति। २ त्रिदोष से द्रोंगी-वि० हतभागिनी, अभागिन । उत्पन्न रोग। द्रोण-पु० [सं० द्रोण] १ चार सो बांस लंबी झील । २ जल से | द्वंद्वर, द्वंध-देखो 'दुद' । भरा बादल । ३ वनकाक। ४ बिच्छु । ५ वृक्ष । ६ सफेद द्वद्वजुध-पु. दो योद्धाओं का युद्ध, कुश्ती। फूलों का पेड़ । ७ गुरु द्रोणाचार्य । ८ एक तौल विशेष । | द्वजराज-देखो 'दुजराज' । ९ कटौता । १० टब । ११ देखो 'द्रोण'। द्वाई-देखो 'दुहाई'। द्रोण (गु)-पृ० [सं०] १ पत्तों का दोना । २ लकडी का पात्र । द्वाज-पु० [सं०] जारज पुत्र । ३ डौम कौया । ४ एक प्रकार का रथ । ५ मेघों के नायक | द्वात-देखो 'दवात'। का नाम । ६ द्रोणाचल पर्वत । ७ द्रोणाचार्य। -वि. द्वादस-वि० [सं०] १ दश व दो, बारह । २ ग्यारह के बाद भयंकर, भयावह । -कळ-पु० लकड़ी का एक पात्र । वाला। -प्रात्म, प्रात्मा-स्त्री० सूर्य, आदित्य । -कर-काक-पु० बड़ा कौमा। -गिर, गिरि-पु० एक पर्वत -पु० स्वामि कात्तिकेय । गुरु बृहस्पति । -चख, लोचन । का नाम । -गुरु- 'द्रोणाचारच' । -धार-पु० हनुमान । -पु० स्वामि कात्तिकेय। -पुर-पु० द्रोणाचार्य का शहर । द्वादसक-वि० [सं० द्वादशक] बारह का। द्रोणमो-स्त्री० धनुष की प्रत्यंचा। द्वादसतूरच निनाद-पु० बारह वाद्यों की ध्वनि । द्रोणमुख-पु० [सं०] ४०० ग्रामों की राजधानी । द्वादसभाव-पु० [सं० द्वादशभाव] जन्म कुडली में एक स्थान । द्रोणागरंद, (गिर, गिरि, गिरी)-देखो 'द्रोणगिरि'। द्वादसवारसिक-पु० [सं० द्वादशवार्षिक] ब्रह्म हत्या के प्रायश्चित द्रोणारिख, द्रोणाचारज, द्रोणाचारच-पु० [सं० द्रोण ऋषि] में बारह वर्ष तक किया जाने वाला व्रत । द्रोणाचार्य । द्वादससुद्धि-स्त्री० [सं० द्वादश शुद्धि] तत्रोक्त बारह प्रकार की द्रोरिण-पु० [सं०द्रौणि] अश्वत्थामा का एक नाम । शुद्धियां । द्रोणी-स्त्री० [सं०] १ द्रोणाचार्य की स्त्री, कृपी । २ नाव ,नौका । द्रोणु-देखो 'दोणाचारच'। द्वावसांग-पु० [सं० द्वादशांग] जैनियों का एक ग्रंथ संग्रह । द्रोपत-१ देखो 'द्र पद' । २ देखो 'द्रौपद' । ३ देखो 'द्रौपदी' । २ बारह द्रव्यों का एक धूप विशेष । द्रोपता- देखो 'द्रौपदी'। द्वादसि (सी)-स्त्री० [सं० द्वादशी] मास के प्रत्येक पक्ष की द्रोपद-१ देखो 'द्रुपद'। २ देखो 'द्रौपद' । ३ देखो 'द्रौपदी' । बारहवीं तिथि। द्रोपदजा, द्रोपदी-देखो 'द्रौपदी'। द्वादसौ-पु०१ मृतक का बारहवां दिन । २ इस दिन का संस्कार द्रोपदि-देखो 'द्रौपदी'। व भोज । द्रोपां-देखो 'द्रौपदी'। द्वापर, द्वापुर (रि)-पु० [सं० द्वापर] सतयुग आदि चार युगों द्रबि, द्रोबड़, द्रोबड़ी-देखो 'दोब' । में से एक । For Private And Personal Use Only Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वार-पू० [सं०] १ दरवाजा, द्वार । २ दरवाजे के कपाट । | द्विद्वादस-पू० राशियों का मेल । ३ मुख, छिद्र, मुहाना । ४ इन्द्रियों के मार्ग। ५ उपाय, | द्विधा-क्रि० वि० [सं०] दो प्रकार से, दो तरह से, दो भागों में । माधन, जरिया। ६ रास्ता, निकास । द्विधातु-वि० [सं०] दो धातु का बना । -पृ० गणेश । द्वारका-स्त्री० [सं०] गुजरात की एक प्राचीन नगरी। -धीस-द्विप-पृ० [सं०] हाथी, गज । पु० श्रीकृष्ण । द्विपदी-वि० [सं०] दो पांवों वाला। -पृ० १ एक प्रकार का द्वारकेस-पु० [सं०] श्रीकृष्ण । चित्र काव्य । २ दो पदों का छन्द या गीत। द्वारपाळ (पाळक)-पु० [सं० द्वारपाल] १ द्वाररक्षक, ड्योढ़ी द्विपादपारस्वासन-पु० [सं० द्विपाद पामिन] योग के चौरासी दार, दरबान । २ द्वार पर स्थित देवता। ३ सरस्वती के | ग्रासनों में से एक । तट का एक तीर्य । द्विपायो-पु० [सं०] हाथो। द्वाररोकाई-स्त्री० एक वैवाहिक रश्म । द्विपास्य--पु० [सं०] गणेश । द्वारबती, द्वारामत, (मती,मत्त,मत्ति, वत्ति,वत्ती)--देखो 'द्वारका'। द्विपुस्कर-पु० [स० द्विपुष्कर] ज्योतिष का एक योग । द्वारि-देखो 'द्वार'। द्विप्प-देखो "द्विप'। द्वारिक-पु० [सं०] द्वारपाल । द्विभासो-देखो 'दुभासी' । द्वारिका-देखो 'द्वारका'। द्विभुज-वि० [स०) दो भुजा वाला। -स्त्री० दो भुजाएँ। द्वारी-स्त्री० छोटा द्वार, बारी, खिड़की। द्विभूमिक-पु० [सं०] दो मंजिला। दो तल्ला । द्वारौ-पु. १ छोटा द्वार, दरवाजा । २ साधुनों का स्थान । द्विमात्र पु० [सं.] दो मात्रामों का वर्ग । द ब वर्ग। द्वाळी-पु० गीत के चार चरण का समूह । द्वि-वि० [सं०] दो । दोनों। -स्त्री० दो की संख्या । द्विमात्रज, द्विमात्रिज-पु० [स०] १ गणेश । २ जरासंध । द्विक-पु० [सं०] कौमा, काक । द्विरद-पु० [सं०] १ हाथी, गज । २ दुर्योधन का एक भाई । द्विकरमक-वि० [सं० द्विकर्मक] जिसके दो कर्म हों। ३ पृरुषों की ७२ कलानों में से एक । -वि० दो दातों द्विकळ-स्त्री० [सं० द्विकला] दो मात्रा का समूह ।। वाला । द्विगु-पु० [सं०] एक प्रकार का समास भेद । द्विरदासन-पु० [सं० द्विरदाशन] सिंह । द्विगुरण-वि० [सं०] १ दुगुना, दूना । २ दो गुगगों वाला। द्विरसन-पु० [स०] मर्प, सांप । द्विज-पु० [सं०] १ ब्राह्मण । २ नारद । ३ वशिष्ठ । ४ पक्षी। द्विरागमन-पु० [सं०] १ पुनरागमन । २ वधू का दुवारा ५ सर्प । ६ दांत । ७ दो बार उत्पन्न हुआ जीव । ८ डगरण अागमन । के पांचवें भेद का नाग। ९ दो की सख्या* । १० देखो दुज'। द्विरेफ-पु० [सं०] १ भौरा, भ्रमर । २ वरं । -वि० दो बार जन्मा हुआ । -पति- 'दुजपति'। द्विविद-पु० [सं०] राम की सेना का एक सेनापति । -- राज, राय-'दुजराज'। द्विसरीर-पृ० [सं० द्विशरीर] १ ज्योतिष में कन्या, मिथुन, धनु, द्विजन्म-पु० [सं०] १ दूसग जन्म, पुनर्जन्म । २ ब्राह्मण । ३ यज्ञोपवीत धारण करने वाला । -बि० दो बार और मीन राशियां । २ गणेश । जन्मा हुअा। द्वीप--पू० [सं०] १ चारों पोर जल से गिरा भू भाग, टापू । द्विजवादन-पु० [स०] विष्णु । २ समुद्र के बीच बमा देश, प्रदेश । ३ पृथ्वी के सात बड़े द्विजा-स्त्री० [सं० ब्राह्मणी। विभाग । ४ देश, प्रदेश । ५ मात की संख्या* । द्विजाग्रज-पु० [सं०] ब्राह्मण । ६ देखो 'दीप'। द्विजाति-देखो 'दुजाति'। दुख-पु० [सं० प १ ईर्ष्या, डाह । २ विरोध, वैर, । ३ क्रोध द्विजेंद्र-देखो 'दुजेम'। गुस्मा। -के-पु० शत्रु। द्वितीय, (यो)-वि० [सं०] दूसग। -पू० दुमरा पूत्र । भागीदार द्वमातर-देखो 'द्विमात्रिज'। साभीदार । दुस-पु० [मद्वष] १ ईर्ष्या, डाह, जलन। २ मन की अरुचिकर द्विदळ-वि० [सं० द्विदल] १ दो दल वाला। २ दो पत्तों वाला । बात, अप्रिय घटना । ३ विरोध, वैर। ४ क्रोध, गुस्सा। ३ दो खण्डों का जुड़ा हुआ। -पु० दो दल का अन्न, दाल। देसी-वि० [सं० द्वषो] १ ईर्ष्यालु । २ विरोधी। ३ क्रोधी। द्विदेह-पु० [सं०] गणेश, गजानन । -वि० [सं० द्व] दो, दोनों। -अक्खरो, प्रखरी='बेप्रखरी' For Private And Personal Use Only Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हृत ( ६७ ) धईडगो द्वत-पु० [सं०] १ भेद-भाव । अन्तर । २ परायेपन का भाव । द्वैतवाद-पु० [सं०] १ ब्रह्म से जीव को भिन्न मानने का सिद्धान्त । ३ दो का भाव, जोड़ा युग्म । ४ दुविधा, भ्रम । ५ अज्ञान, २ शरीर व प्रात्मा को भिन्न-भिन्न मानने का सिद्धान्त । जड़ता। ६ द्वैतवाद । -भाव, वाद-पु. ईश्वर व जीव द्वंतवादी, द्वैती-वि० [सं०] उक्त सिद्धान्त को मानने वाला। को अलग-अलग समझने का भाव, भेदभाव । द्व पायण,(न)-पु० [सं०] वेदव्यास । तवरण (गि, न)-पु० [सं० द्वैतवन] पांडवकालीन एक | Qमातुर-पु० [सं०] १ गणेश । २ जरासंध । तपोवन । द्वरद-देखो 'द्विरद'। ध-देवनागरी वर्ण माला का उन्नीसवां व्यंजन । धंधारथी (पू)-वि० कार्य में संलग्न, कार्यरत। परिश्रमी। धं-पु. १ दान । २ मान । ३ द्रव्य । ४ सुखासन । -स्त्री० | धंधाळी (ळ)-वि. १ कार्य में व्यस्त अधिक काम वाला । ५ धाय । २ क्रियाशील । धंक, धका-स्त्री० [सं० धाक, धीक्षा] १ इच्छा, अभिलाषा. | धंधीगर, धंधीयर-१ देखो 'धैधींगर' । २ देखो 'धंधागर'। लालसा । २ दृढ़ निश्चय, संकल्प । ३ धक्का, टक्कर ।। धंधणणी (बी)-देखो 'धधूणणो' (बी)। ४ प्राघात, चोट । ५ भय, डर, आशंका । धंधूणी-देखो 'धधूणी'। धंकी-वि० १ इच्छा, अभिलाषा करने वाला । २ संकल्प करने धंधोळणी-स्त्री० १ वृक्ष विशेष । २ देखो 'धधूणी, । वाला । धंधोळणी (बी)-क्रि० [सं० द्रुतम्] १ हराना, पराजित करना। धंख, घंखा-पु०१ क्रोध, रोष । २ जोश, प्रावेश । २ झकझोरना, जोर से हिलाना । ३ बाधा डालना ३ देखो 'धंक'। विघ्न डालना। धंखी-वि० [सं०द्वेषिन्] १ वैरी, शत्रु । २ क्रोधी । ३ जोशीला, | धंधोळी-स्त्री० १ परास्त करने की क्रिया या भाव । ४ देखो 'धकी'। २ देखो 'धधूणी'। धगौ-देखो 'दंगों'। धंधौ-पु० [स० द्वन्द्व] १ काम कार्य । २ उपार्जन सम्बन्धी कार्य । धंरण-१ देखो 'धण' । २ देखो 'धन' । ३ देखो 'धनु' । ३ उद्योग, परिश्रम । ४ व्यवसाय, व्यापार । ५ सांसारिक धरणी-१ देखो 'धणी' । २ देखो 'धनी' । ३ देखो 'धनु' । प्रपंच । ६ पेशा, वृत्ति । धंन(नु)-१ देखो 'धन' । २ देखो 'धन्य' । धंतर-पु०१ धनेर पक्षी । २ देखो 'धनंतर'। ३ देखो 'धतरजी'। धंमजगर-देखो 'धमजगर'। धतरजी-वि० १ जबरदस्त, जोरदार, बलवान शक्तिशाली। धमण (रणो)-१ देखो 'धमण' । २ देखो 'धमणी'। २ देखो 'धनंतर'। धंतरु, (रो)-देखो 'धतूरौ' । धमळ-देखो 'धवळ'। धंद-१ देखो 'धंध' । २ देखो 'धंधौ' । धंव-स्त्री० तेज हवा की ध्वनि । धंदउ, धंदव, धंदौ-देखो 'धंधौ' । धंवरण-देखो 'धमण'। धंध-पु० [सं० द्वन्द्व] १ उपद्रव, उत्पात । २ कष्ट, दुःख । धंवणौ (बौ)-देखो ‘धमणी' (बी)। धंवळ-देखो 'धवळ'। ३ अंधकार । ४ धुधलापन । -वि०१ व्यर्थ, फालतू । २ आकाशगामी, नभचर । ३ देखो 'ध धौ'। ध-पु० [सं०] १ गणेश, गजानन । २ विष्णु । ३ स्वामी, नाथ । धंधइ, धंधउ-देखो 'धधो' । ४ वचन । ५ कुबेर । ६ स्वामि कात्तिकय । ७ व्याख्यान । धंधक-पु. १ एक प्रकार का ढोल । २ काम धंधे का ढोंग, ८ कुम्हार । ९ शिर कटी धड़ । १० धर्म । ११ सदाचार, आडम्बर। सद्गुण । १२ धन, द्रव्य । १३ संगीत में सरगम का छठा धंधव-देखो 'धंधौ'। स्वर । धैवत। धंधागर, (गिर)-वि० काम करने वाला, परिश्रमी, क्रियाशील । धईडणौ (बी)-क्रि० धमाधम पीटना, मारना । For Private And Personal Use Only Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धईवंत ६८८ ) धग धईवंत (बत)-देखो 'धैवत' । धकरूल, धकरोळ-स्त्री० १ तेज आंधी से उड़ी हुई धूल, गर्द । धउळ धउळ उं, धउळउ (ॐ)-देखो 'धवळ' । २ धूया धोर । ३ धुंए या गर्द का जोर से उठने वाला धउळणी, (बो)-देखो 'धौळणी' (बी)। प्रवाह । ४ धारा, प्रवाह । धउळहर-देखो 'धवळहर' । धकाणी (बो)-क्रि० १ किसी तरह काम चलाना, निभाना । धउळो-देखो 'धवळ' । २ काम निकलवाना बनवाना। ३ धक्का मारकर चलाना, धउसणौ (बौ)-क्रि० [सं० ध्वंस] १ संहार करना। २ ध्वंस | धकाना । ढकेलना । ४ क्रुद्ध करना, कुपित करना । ५ पीछे करना । ३ नष्ट करना, बर्बाद करना। हटाना खदेड़ना । ६ भगाना । ७ पराजित करना, हराना । धऊकार-देखो 'धाऊकार'। ८ चलाना, हांकना। ९ देखो 'धुकाणी' (बौ) । धऊस-वि० [सं० ध्वस] १ मूर्ख, जड़ । २ असभ्य, जंगली। धकाधम-स्त्री० १ धक्का पेल, लड़ाई। २ धक्कामुक्की। ३ ध्वस्त । ४ बर्बाद । धकार-पु० 'ध' अक्षर । धक-स्त्री० १ अग्नि, प्राग । २ ताप, जलन । ३ क्रोध, गुस्सा। धकावरणो (बौ)-देखो 'धकारणौ (वी)। ४ उमंग, उत्साह । ५ साहस, हिम्मत । ६ वेग । ७ जोश, | धके-देखो 'धकै'। प्रावेश । ८ दिल की धड़कन । ९ तंग रास्ते से द्रव पदार्थ धकेलणौ (बो)-क्रि० [सं० धक्क] १ धक्का देना ठेलना पेलना । के निकलने से उत्पन्न ध्वनि । १० आश्चर्य, विस्मय, २ धक्का देकर आगे बढ़ाना । ३ प्रवृत्त करना। स्तब्धता । ११ भाला । १२ देखो 'धंक' । ४ देखो 'धकागो' (बी)। धकड़ी-स्त्री० लड़खड़ाने की क्रिया या भाव । | धक-क्रि वि० १ प्रागे, अगाड़ी । २ पूर्व में पहले । ३ भविष्य में धकचाळ, (चाळण, चाळी)-पु० १ युद्ध, लड़ाई, समर । | ४ मुकाबले या अपेक्षा में, तुलना मे । ५ मामने, सम्मुख । २ उपद्रव, उत्पात । ६ ओर, तरफ । ७ सीध। ८ अनन्तर, तदनन्तर । धकरण-देखो 'धुकड़'। धको-पु० [सं० धक्क] १ टक्कर, धक्का, प्राघात । २ भोंका धकरण (बौ)-क्रि० १ किसी तरह काम चलना, निभना ।। भटका । ३ चोट, पाघात । ४ ढकेलने की क्रिया या भाव । २ काम निकलना, बनना । ३ धक्का खाकर चलना, ५ मुठभेड़, भिड़त, लड़ाई, युद्ध । हमला, प्राक्रमण । धकना । ४ क्रुद्ध होना,कुपित होना । ५ देखो 'धुकरणौ (बौ)। ७ मानसिक आघात । ८ दुःख संकट । ९ घाटा। १० हानि, धकधकणौ (बौ)-क्रि० १ उबक कर निकलना। २ वेग से नुकसान । ११ मुकाबला। बहना । उमड़ना । ३ कांपना,थर्राना,धड़कना । ४ प्रज्वलित | धक्क-देखो 'धक' । होना, धधकना । ५ दुःखी होना. पीड़ित होना। धक्कमधकी, धक्कमधक्का-पु० १ अत्यन्त भीड़ में होने वाली घकधकारणी (बौ), धकधकावरणी (बौ)-क्रि० १ उबका कर परम्पर टक्कर । २ रेलापेल । निकालना । २ वेग से बहाना, उमड़ाना। ३ प्रज्वलित | धक्कामुक्की-स्त्री० मारपीट, घूसों की चोट, धक्का । करना, धधकाना । ४ दुःखी या पीड़ित करना। धक्के-देखो 'धके'। धकधकाहट, धकधकी-स्त्री० १ धड़कने की क्रिया या भाव, | धक्को-देखो 'धकौ'। धड़कन । २ कंपन, थर्राहट । ३ प्रज्वलन । घख-१ देखो 'क' । २ देखो 'धक' । धकधार-स्त्री० १ आवेग, वेग । २ धारा प्रवाह । धखड़ी-पु० एक प्रकार की घास । धकधूण, धकधूरण-स्त्री० [सं० धक्क] १ जोर से हिलाने या | धखचाळ, (चाळी)-देखो 'धकचाळ' । झकझोरने की क्रिया या भाव । २ नाम जपने की ध्वनि, धखगो-स्त्री० [स० धिषणा] बुद्धि । जाप । ३ धुनकी की अावाज । ४ कंपन । धखरणौ (बी)-देखो 'धकरणौ' (बी)। धकधू गणो (बी), धकधूणणौ (बी)-क्रि० [सं० धक्क] १ जोर धखपंख-पु० [सं० धकपक्ष] गरुड़ । --धज, धज्ज, ध्वज-पु० से हिलाना झकझोरना। २ नाम जपना, ध्वनि लगाना। विष्णु। श्रीकृष्ण । ३ धुनकी चलाना । ४ कम्पायमान करना। ५ गिराना। धखारणौ (बौ), धखावरणौ (बो)-देखो 'धकाणी' (बौ) । ६ ध्वंस वरना। हा खूण--वि० [सं० धिषण:] १ पण्डित । २ कवि । ३ वृहस्पति । घकपंख (पंखी)-देखो 'धखपंख' । -धज, धज्ज, ध्वज= | धखे (ख)-देखो 'धकै'। 'धखपंखध्वज'। धखो-देखो 'धकौ'। धकपेल-स्त्री० धक्कमधक्का, रेलापेल । धख्यपंख-देखो 'धखपंख' । धकमधका, धकमधया-देखो 'धकमधक्का' । धग-१ देखो 'धागौ' । २ देखो 'दग' । For Private And Personal Use Only Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धगग www.kobatirth.org ( ६०९ ) धगग- देखो 'दग' । धगड़-१ देखो दगड़ । २ देखो 'धगड' | धगड - पु० १ खड्ग तलवार । २ देखो 'दगड़' । धगणt (at) - क्रि० जलना, प्रज्वलित होना । धधकना । धगधगती ( बौ) क्रि० १ कंपित होना, कांपना वना । २ प्रज्वलित होना, जलना। ३ तपना, गर्म होना । ४ चमकना, दमकना । धगधगी स्त्री० १ कंपकंपी, कंपन थर्राहट । २ धड़कन । धगारी - पु० १ ग्रासमान, आकाश । २ जोश | धगौ- देखो 'दगौ' । घड़ी (यो) क्रि० कादि का छूटना २ दीवार यदि ढहना । ३ ध्वनि होना । ४ कांपना, थर्राना । ५ धड़कना । ६ गर्जना । ७ गुर्राना । धड़ड़ा (बौ), धड़ड़ावरणों (बौ) - क्रि० [ अनु] १ बन्दूक यादि छोड़ना । २ दीवार आदि ढहाना । ३ ध्वनि करना । ४ कंपाना । ५ धड़काना । घड़च स्त्री० [सं०] १ तलवार २ चीर-फाड़ने की किया या भाव। ३ देखो 'धड़चौ' । धड़चणी (बौ) - क्रि० [सं० ह] १ संहार करना, मारना । २ चीरना, फाड़ना । ३ काटना। ४ टुकड़े-टुकड़े करना । धड़चाली-वि० फटी हुई । धड़ंग - वि० वस्त्रहीन, नंगा | घड़ी घड़दी ० १ नगाड़े की ध्वनि २ वस्तु के गिरने की थियो, घड़ी-पु० १ फटा हुधा वस्त्र २ वस्त्र का य ध्वनि । ३ डंके की चोट । टुकड़ा । ३ धोती । स्त्री० [सं०] १ गर्दन व पांवों के बीच का भाग शरीर का मध्य भाग २ कबंध । ३ खण्ड, टुकड़ा, भाग ४ दल, पार्टी । ५ के भूसे का ढेर । ६ पेड़ का तना । ७ वस्तु के गिरने का धमाका ८ बन्दुक, तोप श्रादि की आवाज ९ धड़कन । १० देखो 'धड़ो' । घण्टौ (बी) देखो 'धन' (दो)। धड़च्छो-देखो 'धड़ची' । धड़छ- देखो 'धड़च' । धड़क - स्त्री० १ भय, डर, प्राशंका २ हृदय का स्पंदन, धड़कन ३ भय ग्रादि से होने वाली कम्पन, थर्राहट । ४ धड़कन की आवाज । धड़करण स्त्री० हृदय का स्पंदन, धड़कन । धड़करणी - धड़कना । घड़की (बी) ० १ हृदय में स्पंदन होना, दिन पड़ना २ भयभीत होना, कांपना, थर्राना । ३ हिलना-डुलना । २ हिलना-डुलना ४ घड़-धड़ की ध्वनि होना । ५ बन्दूक, तोप आदि का छूटना। धड़कन (न) देखो 'धड़क' । धड़काणी (बौ), धड़कावणी (बी) - क्रि०१ हृदय में स्पंदन कराना दिल में गति देना । २ भयभीत करना, डराना। ३ हिलाना, डुलाना । ४ धड़धड़ ध्वनि करना । ५ बन्दूक, तोप आदि छोड़ना 7 धड़कें क्रि० वि० जल्दी से अकस्मात् यकायक । धड़कौ पु० १ गाड़ी चलने से लगने वाला धक्का, हिलोरा । २ हृदय का स्पंदन, धड़कन । ३ डर, भय, प्रदेशा ४ धड़कन का शब्द । ५ वस्तु के गिरने से उत्पन्न शब्द | धड़क देखो 'धड़क' धक्कणी (देखो 'को' (यो) - धक्काली (बी), पड़ाव (ब) देखो'धड़क' (बी)। घटकदेखी धड़-स्त्री० बन्दुक आदि छूटने या दीवार आदि रहने से उत्पन्न ध्वनि । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (बी) देखो 'धन' (वी)। पटियो, घड़ी-देखो 'घडी' धड़धड़णौ (बो) - देखो 'धड़ड़रणौ' (बो) । धड़धड़ा 'ट-स्त्री० १ बन्दूक प्रादि छूटने, दीवार ढहने या गाड़ी आदि के चलने से उत्पन्न ध्वनि । २ धड़कन । ३ धक्का | ४ कंपन | घड़ा (बो) घड़घडावी (वी) देखो 'धडा' (बी)। पड़ी स्त्री० १ भय या सदीं के कारण शरीर में होने वाली धड़धड़ी घड़वाई - देखो 'घाड़वी'। धड़हड़- देखो 'धड़ड़' । कंपन । २ पशु-पक्षियों द्वारा शरीर को जोर से हिलाने की क्रिया या भाव। ३ अरुचि, उबकाई 1 धड़हड़णी (बौ) - देखो 'धड़ड़णी' (बी) । धड़हड़ाट- देखो 'धड़धड़ाट' | यही धड़ाम स्त्री० ० १ सहसा गिरने, कूदने आदि की क्रिया या भाव । २ उक्त क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । धड़ाकौ पु० धमाका | गड़गड़ाहट । धड़ाधड़ क्रि० वि० १ फटाफट, शीघ्रता से । २ धड़धड़ करते हुए । ३ निरन्तर लगातार । घड़ाबंदी स्त्री० [१] युद्ध से पूर्व किया जाने वाला सेना का संतुलन । २ गुट बंदी । ३ धड़ा बांधने का कार्यं । धड़ायत, (ती) - देखो 'धाड़ायत' । धड़ाळ- पु० शरीर। - वि० देहधारी । घड़ी स्त्री० १ स्त्रियों के कान का एक For Private And Personal Use Only २ पांच सेर का एक तौल ३ रेखा, लकीर । | भूनिमेष | Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धड़े करो धरिणयप धड करणौ (बो)-क्रि० १ मेघ का गर्जना । २ सिंह का दहाड़ना -वि० सुन्दर, मनोहर। ३ बैल, सांड आदि का जोश में बोलना, ताडूकना । ४ वाद्य धजराज-देखो 'धजांराज'। बजना । ५ गर्व या जोश में बोलना। धजवड़ (बड़ा, वड़ि, बड़ी, वड, बढ़, व्वड)-स्त्री. १ खड्ग, धड़ को-पु० जोश पूर्ण आवाज, जोर का शब्द । तलवार । २ मान, प्रतिष्ठा। -हत, हतो, हत्थ, हत्थौ,हथ, धड़-वि० अधिक, ज्यादा विशेष । हयो-पु० खड्गधारी योद्धा। धड़-क्रि० वि० तरफ, ओर । धजसंड-पु० [सं० ध्वज-षण्ड] महादेव, शिव । धड़ौ-पु० [सं० धटः] १ तराजू या तराजू का पलड़ा । २ किसी धजांराज-पु० घोड़ा। पात्र का संतुलन करने के लिये रखा जाने वाला पदार्थ । | धजा-१ देखो 'धज'। २ देखो "ध्वज'। ३ समूह । ४ एक ही गोत्र या जाति का समूह या पक्ष । धजाखगेस-पु. [सं० ध्वज-खगेश] १ श्रीकृष्ण । २ विष्णु । ५ वंश, कुटुब । ६ पक्ष, समूह, दल । ७ विचार । ८ टीबा | धजाबंद (बंध)-स्त्री० [सं० ध्वजाबन्ध] १ देवी, दुर्गा । भीड़ा । ९ ढेर, राशि । १० हिस्सा,भाग । ११ योग,जोड़ । २ देवता । ३ देखो 'धजबंध' । धच-स्त्री० १ किसी गीली वस्तु के गिरने का शब्द । २ किसी धजारौ-पु० अाकाश, प्रासमान । गीले पदार्थ में कुछ धंसने की क्रिया व उससे उत्पन्न शब्द । धजाळी-स्त्री० ध्वज धारण करने वाली देवी, शक्ति। ३ धक्का झटका। धजाळी, धजीळो-वि० १ ध्वज धारी । २ सुन्दर ढंग का, तड़कधचकचारणी (बी)-क्रि० डराना, धमकाना, दहलाना । भड़क वाला। धचकरणौ, (बौ)-क्रि० १ झटका खाना । २ दलदल में धंसना । | धज्ज-१ देखो 'धज'। २ देखो 'ध्वज'। ३ चोट खाना। | धज्जी-स्त्री. १ कपड़े, कागज प्रादि की पट्टी, लंबा खण्ड । धचकारणी (बी), धचकावरणौ (बी)-त्रि. १ झटका देना। २ लम्बी पट्टी या पत्ती। ३ जगह-जगह से फटे वस्त्र २ दलदल में धंसाना । ३ चोट लगाना । के खण्ड। धचको-पु०१ धक्का, झटका । २ टक्कर । ३ चोट, आघात। घट-पृ० १ बक पक्षी, बगुला । २ देखो 'धाट' । -पंख= धचाक- क्रि० वि० धच की ध्वनि करते हुए। अकस्मात । 'धखख'। धचीड़ (डो)-पु० १ प्रहार । २ प्रहार की ध्वनि । ३ टक्कर । धटी-स्त्री० [सं०] १ वस्त्र, चीर। २ वर-वधू के गठबन्धन का धच्च-देखो 'धच'। वस्त्र । ३ गर्भाधान के बाद स्त्रियों के पहनने का एक वस्त्र । धज-पु० [सं० ध्वजः] १ घोड़ा, अश्व । २ योद्धा, वीर। ४ देखो 'धाटी'। ३ भाला। -वि० १ अग्रणी, अग्रगामी । २ श्रेष्ठ, उत्तम। धट्ट-देखो 'धट' । ३ सत्य । ४ देखो 'ध्वज' । ---कूत-स्त्री० भाले की नोक । धड-देखो 'धड़' । ----डंड, दंड-पु० ध्वज दण्ड । - धर-पु० देवालय, मन्दिर, | धडकरणी-(बी)-देखो 'धड़करणी' (बौ)। रथ । --बंद, बंदी, बंध, बंधी-वि० वीर, योद्धा। पूर्ण धडहड-देखो 'धड़ड़। विश्वसनीय। सीधा। ध्वजधारी। -पुरुराजा, नृप । अश्व, घोड़ा । मन्दिर। ध्वज दण्ड रखने वाला व्यक्ति । -स्त्री० धडहडणौ (बो)-देखो 'धडडणौ' (बी)। दुर्गा, देवी । -राज, राळ-पु० घोड़ा, अश्व । ---रूप-पु० | धडूकरणौ (बो)-देखो 'धड़ कणो' (बौ) । बरछी । ---रेळ, रेळ-पु० घोड़ा, अश्व । -वि० ध्वजा धरण-स्त्री० [सं० धनिका] १ पत्नी, स्त्री । २ चमडे की धोंकनी धारण करने वाला । ध्वजाधारी। के प्रागे लगी लोहे की नली । ३ देखो 'धन'। धजकजळ -पु० [सं० कजलध्वज] दीपक, चिराग । घणक-१ देखो 'धण' । २ देखो 'धनक'। ३ देखो 'धनुस'। धजनी-स्त्री० [सं० ध्वजिनी] सेना । धरणख-पु० १ एक प्रकार का पौधा । २ देखो 'धनक' । ध्र जबड़, धजब्बड़-देखो 'धजबड़' । ३ देखो 'धनुस'। धजभंग-देखो 'ध्वजभंग' । धरणदाण-वि० दान देने वाला, दाना। -पु० द्रव्य का दान । धजमोर-देखो 'मोग्धज'। धणि-१ देखो 'धरण' । २ देखो 'धरणी'। धजरंग-वि० [सं० ध्वजरंग] १ ध्वज के समान । २ नोकदार । धणियाप-देखो 'धणियाप' । धजर-स्त्री. १ शक्ति, बल । २ शेखी, शान । ३ कीति, यश । धणिउ-१ देखो 'धन्य' । २ देखो 'धनु' । ४ मान, प्रतिष्ठा । ५ ध्वजा, पताका । ६ कटारी, बरछी । धणिय-वि० [सं० धनित] १ अस्थिर । २ देखो 'धणी'। ७ भाला । ८ देवालय, मन्दिर । ४ पासमान, अाकाश । धणियप-देखो 'धणियाप' । For Private And Personal Use Only Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धणियांणी । ६९१ ) धनंतरजी धणियांणी-स्त्री० [सं० धनिका] १ स्वामिनी । २ अधिष्ठात, धतूरी-पु० जहरीले एवं नशीले बीजों वाला एक पौधा विशेष । देवी । ३ मातां । ४ स्त्री, गृहिणी। धती-पु. १ धोखा, छल । २ झांसा, झूठा आश्वासन । धरिणया-देखो 'धारणा'। ३ अविश्वास । धरिणयाप (परण,पौ)- स्त्री० [सं० धनिक] १ स्वामित्व, मालि- धत्त-देखो 'धत' । काना हक । २ अधिकार, वश । ३ कृपा, दया, | धत्ता-देखो 'धता'। -नंद='धतानंद' । महरबानी । धत्त र, धत्त रउ, धत्त रियउ, धत्त रौ-देखो 'धतुरौ' । धणियाळी-वि० सौभाग्यवती। धत्तो-देखो 'धत्तौ'। धरणी-पु० [सं० धनिक] (स्त्री० धणियांणी) १ ईश्वर, धधक-स्त्री० १ अग्नि का प्रज्वलन, आग की लौ, लपट । परमात्मा । २ स्वामी,मालिक । ३ पति, खाविंद । ४ राजा २ क्रोध । ३ अावेश, जोश । ४ दुर्गन्ध, बदबू । नप। ५ शासक । ६ देखो 'धनु'। ७ देखो 'धनी'। धधकणौ (बौ)-क्रि० १ अग्नि का प्रज्वलित होना, लपट या लो -चोधार-पु. राजा, नृप। -धोरी-पु० स्वामी, मालिक उठना । २ क्रुद्ध होना। ३ आवेश या जोश पाना । कर्ता-धर्ता । ४ सड़ना, दुर्गंध या बदबू देना। धरणीप-देखो 'धणियाप'। धधकाणी (बौ)-क्रि. १ प्राग को प्रज्वलित करना, जलाना। धणीमाळ-पु० [सं० धनिक-माल] राजा, नृप । २ क्रोध दिलाना। ३ जोश दिलाना। ४ सड़ाना, बदबू धरणीमो-वि० [सं० धन्यवयाः] बढ़िया, उत्तम । फैलाना। धरणीयांणी-देखो 'धणियांणी'। धधकारणो (बौ)-क्रि० १ उत्तेजित करना । २ प्रेरित करना । धणीयाप-देखो 'धणियाप' । ३ हांकना । ४ देखो 'दुत्कारणों' (बी)। धणीवउ-वि० [सं० धन्यवया:] १ दीर्घजीवी। २ जिसका धधकावणी (बौ)-देखो 'धधकाणी' (बौ)। जीवन सफल एवं धन्य हो। धधक्करणौ (बौ)-देखो 'धधकरणी' (बौ)। धणीव्रत-पु० [स० धनिक-व्रत] स्वामित्व, मालिकपन । धधमा-वि० १ बेडौल, विडरूप । २ मोटी-ताजी। धणु, धणु, धणुहु-१ देखो 'धनु' । २ देखो 'धारणा'। धधियो-पु० 'ध' वर्ण। धणुहरु-पु० [सं० धनुर्धर धनुर्धर । अधूकरणौ. (बो)-क्रि० कांपना, थर्राना। धणुहि (हो)-देखो 'धनु' । धधूकारणों (बौ), धधूकावणी (बी)-क्रि० कंपाना, थरथराना । धरणं-पु० १ देखो 'धारणा' । २ देखो 'धनु' । धधूणरणी (बी)-क्रि० १ जोर से हिलाना, झकझोरना, झटका धरणी-पु० [सं० धान्या] धनिया का पौधा व उसका बीज । देना। २ हराना, पराजित करना। धत-स्त्री० १ हठ, जिद्द । २ बुरी बान, आदत । ३ कोई बात | धधूणी-स्त्री० १ पकड़ कर जोर से हिलाने की क्रिया या भाव । जो दिमाग में जम जाय । ४ देखो 'दुत'। -अव्य. २ हार, पराजय । ३ झटका । धधौ-पु० [सं० ध] 'ध' अक्षर, धकार । १ दुत्कारने का शब्द । २ हाथी का एक संबोधन । -वि० धनंक-देखो 'धनुस'। मस्त, उन्मत्त । नशे में चूर । धनंककंध-पु० [सं० धनुष+स्कंध] धनुषाकार कंधे वाला धतकार-देखो 'दुत्कार'। घोड़ा। धतकारणी (बौ)-देखो 'दुत्कारणी' (बो)। धनंकी-देखो 'धांनकी'। धतराठ, धतरासट, धतरास्ट-पु० [सं० धृतराष्ट्र] कौरवों का | धनख-देखो 'धनुस'। पिता, धृतराष्ट्र। धनंजय, (धनंज)-पु० [सं०] १ अर्जुन का एक मामान्तर । धता-स्त्री० १ हाथी को उत्साहित करने का शब्द । २ एक २ अर्जुन नामक वृक्ष । ३ अग्नि की एक उपाधि । मात्रिक छन्द विशेष । ४ अग्नि, आग । ५ विष्णु । ६ जलाशयों का अधीश्वर एक धतानंद-पु० एक मात्रिक छन्द विशेष । नाग । ७ शरीरस्थ दश वायुओं में से एक । ८ पवन। -वि. धती-वि० दुराग्रही, जिद्दी। धन को जीतने वाला । धन प्राप्त करने वाला। धनंतर-पु० [सं० धन्वतरि] १ देवताओं का वैद्य । २ चौबीम धतूरो-देखो 'धतूरौ'। अवतारों में से एक। ३ चिकित्सा का अधिष्ठाता देव । धतुर-पु० १ एक लोक गीत विशेष । २ देखो 'धतूरौ' । ४ देखो 'धनेर'। धतूरउ-देखो 'धतूरौ'। | धनंतरजी-१ देखो 'धंतरजी' । २ देखो 'धनंतर' । For Private And Personal Use Only Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धनंद धनरजग धनंद-पु० [सं० धनदः] धनपति कुबेर । धनस-देखो 'धनुस'। धनंधर-देखो 'धनुधारी' । धनसपुरी-स्त्री० स्त्रियों के प्रोढ़ने का वस्त्र विशेष । धन, धनउ-पु० [सं० धनम्] १ धन-दौलत, द्रव्य । २ लक्ष्मी। धनसारथवाह-पु० [सं० धन-सार्थवाह] तेवीसवें तीर्थंकर को ३ सम्पत्ति, जमीन, जायदाद । ४ पशु धन, गौ-धन । प्रथम बार भिक्षा देने वाला धन नामक सेठ। ५ गणित में जोड़ का चिह्न। ६ जोड़ की संख्या । ७ मूल | धनस्वामी-पु० [सं०] कुबेर । धन, पूजी। ८ जन्म कुंडली में जन्म लग्न से दूसरा स्थान धनागार (उ)-पु० [सं० धान्य+पागार] १ अन्न का भण्डार । ६ बहुमूल्य वस्तु । १० प्रिय वस्तु । ११ लूट का माल ।। २ कोष, खजाना । १२ शिकार। १३ खेल में जीता हुआ खिलाड़ी। धनाड्य, (ढ्य)-वि० [सं० धनाढ्य] धनवान, लक्ष्मीवान, १४ पुरस्कार। १५ प्रतियोगिता । १६ देखो 'धनु' ।। मालदार। १७ देखो 'धन्य'। १८ देखो 'धण'। १९ देखो 'ध्वनि'। | धनाधन-कि० वि० लगातार, बिना रुके, दनादन, बौछार की -ईस-पु० कुबेर । धनपति। -कर-पु० धन पैदा करने | तरह । -वि० तेज मसालों से युक्त, चटपटा। वाला। -कुबेर-वि० कुबेर के समान धनवान । -केळि- धनाधिप, धनावेप-पु० [सं० धनाधिप] १ कुवेर, धनेश । पु० कुबेर । -गलौ-वि० अावश्यकता से अधिक पूजी २ यक्ष । होने से बना उन्मादी। गविला, घमंडी। -देव-पु० धनाध्यक्ष-पु० [सं०] १ कुबेर । २ कोषाध्यक्ष । कुबेर । -धारी-पु० सेठ, साहूकार । धनवान । -नाथ- | धनारथी-वि० [सं० धनाथिन् ] धन चाहने वाला। पु० कुबेर, धनेश। -पत, पति,पती, पत्त, पत्ति, पत्ती-पु० धनावंसी-पु० रामानन्दजी के शिष्य धन्ना जाट के वंशज । कुबेर । -पाळ-पु० धन का रक्षक । -राज-पु. कुबेर | धनास-स्त्री० [सं० धन+पाशा] धन की प्राशा। धनेश । -वंत, वंती, वंती, वान-वि० धनी, धनवान । धनासरी, धनासी, धनास्री-स्त्री० [सं० धनाश्री] एक रागिनी धनक-पु० [सं०] १ स्त्रियों के प्रोढ़ने का वस्त्र विशेष । विशेष । २ लालच, लोभ । ३ एक प्रकार का पतला गोटा।। धनि-१ देखो 'धन्य' । २ देखो 'धनी'। ४ हथेली में होने वाला सामुद्रिक चिह्न । ५ देखो 'धनुस'। ली में टोने वाला मामटिक चिन्ह । ५ देखो 'धनस'। धनिक-वि० [सं०] धनवान, धनाढ्य । -पु० १ धनी पुरुष । धनकरणी-वि० इन्द्र धनुष के समान । २ महाजन । ३ पति । ४ ईमानदार व्यापारी । ५ प्रियंगु धनकधर-देखो 'धनुरधर'। - वृक्ष । ६ स्वामी, मालिक । धनकार-स्त्री० [सं० धनुष्टङ्कार] धनुष की प्रत्यंचा से की। धनिसा, धनिस्ठा-स्त्री० [सं० धनिष्ठा] सत्ताईस नक्षत्रों में से जाने वाली ध्वनि । तेईसवां नक्षत्र । धनख-१ देखो 'धनक' । २ देखो 'धनुस' । | धनी, धनी-वि० [सं० धनिन्] १ धनवान, मालदार । २ किसी धनखधारण-१ देखो 'धनुरधर' । २ देखो 'धनुस-धारण'। । विशिष्ट गुण वाला । -पु० धनवान पुरुष । धनतेरस-स्त्री० [सं० धन-त्रयोदशी] कात्तिक कृष्णा त्रयोदशी। धनद-पु० [सं० धनदः] १ कुबेर, धनेंद्र। २ अग्नि, प्राग।। धनु-पु० [सं०] १ धनुष, चाप । २ ज्योतिष की बारह राशियों ३ चित्रक वृक्ष । ४.४६ क्षेत्रपालों में से एक । -वि० में से नौवीं। ३ फलित ज्योतिष में एक लग्न । ४ हठयोग धनदाता। -तीरथ-पु० ब्रज का कुबेर तीरथ । | के एक प्रासन का नाम । ५ देखो 'धन'। ६ देखो 'धेनु' । धनदा-स्त्री० [मं०] माश्विन कृष्णा एकादशी का नाम । -वि० | धनुनौ-देखो 'धनुस' । धन देने वाली । धनुक-१ देखो 'धनुस'। २ देखो 'धनक' । धनदि-देखो 'धनद'। धनुकबाई-स्त्री० [स० धनुर्वात] लकवे की तरह का एक धनदिहि-पु० कुबेर । वात रोग। धनबाद-देखो 'धन्यवाद । धनुख (खि, खी)-देखो 'धनुष' । धनरसभाव-पु० हाथियों का एक रोग । धनुद-देखो 'धनद'। धनव-देखो 'धनु'। धनुधर, धनुधारी-देखो 'धनुरधर' । धनवती-स्त्री० [सं०] धनिष्ठा नक्षत्र । -वि० धनवान, धनी। धनुभ्रत-[सं० धनुर्भूत] धनुर्धारी योद्धा । धनवाद-देखो 'धन्यवाद'। धनुरजग-पु० [सं० धनुर्यज्ञ] धनुष की पूजा कर धनुविद्या की धनवाळ-पु० पशु-पालन कर निर्वाह करने वाला । परीक्षार्थ किया जाने वाला यज्ञ । For Private And Personal Use Only Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धनुरंदर www.kobatirth.org ( ६९३ ) धनुरदर, धनुरधर, धनुधारी- पु० [सं० धनुर्धरः ] १ धनुषधारी योद्धा । २ तीरंदाज । - वि० जिसने धनुष धारण किया हो। धनुरवात - स्त्री० [सं० धनुर्वात ] एक भयंकर वात रोग । धनुर विद्यास्त्री० [सं०] धनुदिया] धनुष चलाने की विद्या धनुरवेद - पु० [सं० धनुर्वेद ] १ धनुष विद्या का शास्त्र । २ धनुविद्या । धनुबासर- पु० पुष्प, सुमन, फूल । धनुस पु० [सं० धनुष] १ तीर चलाने का घर कमान, धनुष २ इन्द्र धनुष । ३ ज्योतिष की एक राशि । ४ हठयोग का एक ग्रासन । ५ हाथ का एक माप । ६ एक वात रोग विशेषवि० कुटिल, घर धरण पु० श्रीराम अर्जुन - वि० धनुर्धारी । । , । धनुसाकार - वि० [सं० धनुषाकार ] धनुष की तरह टेढ़ा । धनुसासन पु० [सं०] धनुषासन] योग के चौरासी मायनों में से एक । धनुस्तंभ - पु० [सं०] एक प्रकार का वात रोग । धनुड्डी देखो 'धनु' 'देखो 'धनुस'। धनेर- पु० एक पक्षी जिसका मांस प्रसूती रोग में काम आता है । धनेरु- देखो 'धनेर' । धनेस - पु० [सं० धनेश] १ धनपति कुवेर । २ लग्न से दूसरा स्थान । धनेसरी- देखो 'धनेस्वरी' | धनेस्ठा - देखो 'धनिस्ठा' । धनेश्वर पु० स्वामी धनौ - वि० १ धनाढ्य, धनवान । २ देखो 'धन्य' । धनाढ्य व्यक्ति । [सं० धनेश्वर ] १ धनपति कुबेर २ धन का - सेठ - पु० धन्नंतरि देखो 'धनंतर' | धन्न - १ देखो धन्य' । २ देखो 'धनु' । ३ देखो 'धांन' । धन्नाट क्रि० वि० १ प्रति शीघ्रता से, तेजी से । २ दनदनाता हुआ। स्त्री० धन-धन की ध्वनि सन्नाटा | धन्नासिका - स्त्री० [सं०] एक रागिनी विशेष । धन्नेस देखो 'धनेस' । " धन्य - वि० [सं०] १ पुण्यवान, भाग्यशाली २ धन्यवाद का पात्र । श्लाघ्य प्रशंसायोग्य । ३ सफल । ४ सुखी । धन्यबाद, धन्यवाद - पु० [सं० धन्यवाद ] ९ वाह-वाही प्रशंसा । २ प्राभार प्रदर्शन । धन्यवादता - स्त्री० [सं०] १ साधुवाद, शावासी २ प्राभार प्रदर्शन की क्रिया । धन्या - स्त्री० [सं०] १ माता, माँ । २ विमाता, उप माता । ३ वन देवी । ४ मनु की एक कन्या । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धभार धन्यासिरी, धन्यासी- देखो 'धनात्री' । धन्व - पु० [सं०] १ मरूप्रदेश २ कमान । —ज - पु० मरु प्रदेश में उत्पन्न । – बुरम- पु० जिसके चारों ओर पांच-पांच योजन तक जल का प्रभाव हो वह दुर्गं । देस - पु० मरु प्रदेश मारवाड़ निर्जल देश, रेगिस्तान । धन्वय पु० [सं० धन्मस्] १ इन्द्र देवेन्द्र २ ३ मारवाड़ | धन्वी - वि० [सं० धन्विन् ] धनुर्धारी, कमनैत । धन्वौ - पु० [सं० धन्वन् ] १ धनुष, चाप । २ सूखी नमीन, रेगिस्तान, स्थल । ३ मरु भूमि । ४ अंतरिक्ष, प्रकाश । धष पु० १ प्राभूषणों पर खुदाई करने का एक बौमार विशेष २ बालक । ३ हस्त प्रहार, थप्पड़, तमाचा। स्त्री० ४ वस्तु के गिरने से उत्पन्न ध्वनि । ५ आग की लपट । ६ सहसा लो उठने से उत्पन्न ध्वनि । । धपड़-स्त्री० [१] अनाज पीसने की चक्की को तेज बनाने की क्रिया या भाव। २ देखो 'धापड़' । धपड़ो (बी) - क्रि० संतुष्ट करना, तृप्त करना । धपटरणौ (बौ) - क्रि० १ उत्साह पूर्वक दौड़ना, झपटना । २ कोई चीज लेकर भाग जाना। ३ लूटना । ४ देखो 'दपटणी' (बी) धपटम (व) - वि० १ अत्यन्त उदारता पूर्ण २ तृप्त होने लायक बहुतायत में । धपळ - स्त्री० १ आग की लपट, ज्वाला । २ आाग से उत्पन्न ध्वनि । क्रि० वि० १ लपटों के रूप में । २ धप-धप ध्वनि करते हुए। पलको पु० पट ज्वाला धवाऊ वि० [सं०] [] तृप्त वसंतुष्ट होने लायक इच्छानुसार प्राप्त करने लायक । धपारणी (बौ), धपावरणौ (बी) - क्रि० [सं० ] १ भरपेट खिलाना, धपाना । २ तृप्त करना, संतुष्ट करना । ३ इच्छा; अभिलाषा पूर्ण करना । ४ तंग करना, परेशान करना । ५ प्रसन्न करना, खुश करना । धकरण, ( बौ) - क्रि० १ गिरना, पड़ना । २ देखो 'धापणी' (बी) धबक- पु० धक्का, प्रहार । धवळी-देखो'धावळी'। धबसौ - पु० १ अंजली | २ दोनों हाथों में समाने लायक पदार्थ । ३ देखो 'धोबी' | धबाक- देखो 'धमाक' । धबूड़रणौ (बौ), धबोड़णी (बौ) - क्रि० १ प्रहार करना, मारना । २ फेंकना, उछालना। ३देखो 'धोरण (बौ)। For Private And Personal Use Only धबी (ब्बी) - पु० १ दाग, निशान । २ कलंक, दोष । ३ रंग आदि का कहीं पर पड़ा हुआ छींटा, धब्बा । धभार स्त्री० चौदह मात्रात्रों की एक ताल । Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्मकरणी धमारी धमकरणी (बी)-देखो 'धमकरणो' (बी) धमरूळ, धमरोळ-स्त्री० १ झड़ी, बौछार । २ वर्षा । ३ प्रासमान धमंद-देखो 'धमक' में प्रसार, फैलाव । ४ प्रवाह । ५ फैलाव, विस्तार । धमळ-मंगळ-देखो 'धवळ-मंगळ' । -पु० खुशी व उत्साह के कार्य । -वि० ग्रानन्दमय । धम-पु० १ सहसा कूदने या भारी वस्तु के गिरने की क्रिया । धमरोळणौ (बौ)-क्रि०१ संहार करना, मारना । २ तहस-नहस २ उक्त क्रिया से उत्पन्न ध्वनि। - क्रि० वि० १ महमा, करना, ध्वस्त करना। ३ हिलाना, घुमाना, झकझोरना। अचानक बूद कर या लपक कर । ३ धम्म की आवाज से ४ मथना, विलोड़ना। माथ । धमरोळी-वि० १ व्यस्त, लीन, संलग्न । २ प्रयत्नशील । धमक-स्त्री. १ 'धम्म' की ध्वनि । २ भारी चाल या तेज गति धमळ-पु० १ डिंगल का एक गीत या छंद । २ देखो 'धवळ' । से होने वाली कम्पन, थर्राहट । ३ प्राधात, चोट । -प्रारोहण-'धवळपारोहण' । -गर, गिर='धवळगिरी' । ४ अोखली आदि में वस्तु को कूटने की ध्वनि । --धुजा धवळधुज'। -मंगळ-'धवळमंगळ' । -हरधमकरणौ (बौ)-क्रि० १ धम-धम ध्वनि करना । २ आघात या "धबळहर'। चोट करना । ३ सहमा पाकर उपस्थित होना। धमळगिरबाहणी (वाहणी)-देखो 'धवळगिर-वासणी'। धमकाणौ(बो), धमकावणौ (बो)-क्रि०१ धम-धम ध्वनि करना। धमळागर, धमळागिर (गिरी)-देखो 'धवळगिरी'। २ अोखली आदि में कुछ कूटना। ३ आघात या प्रहार | धमळागिर-पारोहणी-स्त्री० [सं० धवलागिरि-प्रारोहणी] करना । ४ डराना, डांटना, फटकारना । ५ प्रालंकित या | सरस्वती-शारदा । भयभीत करना। धमळागिरीदेवी-स्त्री० [सं० धवलागिरि देवी] शारदा, धमकी-स्त्री०१ डांट, फटकार । २ आतंकित करने के लिये कही। सरस्वती । ___ जाने वाली बात । ३ चुनौती। धमस-स्त्री० १ ध्वनि विशेष । २ पायल या घघुरू की झंकार। धमकी-पु० धम्म की आवाज, धमाको । ३ महीन गर्द जिससे खांसी उठती हो । धमक्कणी (बो)-देखो 'धमकरणी' (बी)। धमसरणी (बी)-कि० १ ध्वनि होना । २ पायल या घु'घुरू की धमक्को-देखो 'धमकी'। झकार होना । ३ महीन गर्द का उड़ना। धमगजर, धमगज्ज, धमगज-पु० [सं० धर्म-झकट] १ युद्ध, धमसी-स्त्री० पीसने की चक्की जोर से घुमाने की ध्वनि । लड़ाई । २ उत्पात, उपद्रव, ऊधम । धमस्स-देखो 'धमस'। धमड़-पु० १ चक्की की चाल । २ जोर से पीसने की क्रिया या । धमहमरणौ (बो)-क्रि० १ बजना, ध्वनित होना। २ अावाज भाव । ३ उक्त क्रिया से उत्पन्न ध्वनि । करना। धतचक, (चक्क, चख) धमचाक-पु० १ युद्ध; लड़ाई । २ ऊधम, उत्पात, उपद्रव । ३ शोरगुल, हो हल्ला। धमाक-१ देखो 'धमक' । २ देखो ‘धमाको' । ४ उछल-कूद । ५ छलांग, फर्लाग । धमाको-पु. १ बन्दूक आदि छूटने या भारी वस्तु के गिरने से धमचाळ-पू०१ युद्ध संग्राम । २ देखो 'धमगजर' । उत्पन्न ध्वनि । धमाका । २ प्राघात, टक्कर । ३ सनसनी धमण-स्त्री० [सं० धमन] १ भट्टी फूकने की चमड़े की धोंकनी। खेज बात, खबर । ४ जोर की आवाज, ध्वनि। ५ एक २ मसकनुमा थैला, मसक । प्रकार की बन्दूक । धमरिण (णी)-स्त्री० [सं० धमनि] १ शरीरस्थ नाडी, रक्त | धमाचौकड़ी-स्त्री०१ ऊधम, उपद्रव, हल्ला-गुल्ला। २ कूद-फांद । संचार नलिका, धमनी । २ देखो 'धमण' । धमाणौ, (बौ)-क्रि० १ पीटना, मारना। २ द्रुतगति से चलाना धमणी (बी)-क्रि० [सं० ध्मा] १ धोंकनी से हवा करना। ___३ धोंकनी से हवा भराना। २ भट्टी में लोह तपाना । ३ पीटना, मारना । ४ शनि धमाधम-क्रि० वि० १ धम-धम शब्द के साथ । २ धम-धम प्रस्तान करना। करते हुए। ३ फटाफट, खटाखट । ४ निरन्तर, लगातार धमधमणो (बी)-क्रि० [अनु०] १ धम-धम शब्द करना । -स्त्री. १ प्रहार, चोट, माघात, मारपीट । २ युद्ध, लड़ाई, २ प्रति वनित होना । ३ कुढ़ना, जलना । ४ रोंदना। झगड़ा । ३ उत्पात, उपद्रव । धमधमौ-देखो 'दमदमौ'। धमार-स्त्री० १ होली का गीत । २ चौदह मात्राओं की एक धमधम्मणौ (बौ)-देखो 'धमधमणी' (बी)। ताल विशेष । ३ उपद्रव, उत्पात । धनि (नी)-देखो 'धमगि'। | धमारी-वि• उपद्रवी, उत्पाती। For Private And Personal Use Only Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धमाळ www. kobatirth.org धमाळ - स्त्री० १ डिंगल का एक छन्द, गीत विशेष । २ होली का गीत विशेष । ३ एक ताल विशेष । ४ एक राग विशेष । ५ एक पौधा विशेष । ( ६९५ ) - धमावरणौ (बी) - देखो 'धमाणी' (बी) । धमासौ-पु० [सं० धन्वयास ] एक प्रकार का कांटेदार छोटा परज-पु० ताम्र, तांबा | धम्मौ-देखो 'धरम' । धय-स्त्री० [सं० ध्वज ] ध्वजा, पताका । धयर- देखो 'धीरज' । धपरठ (ठ) धरा-देखो 'धनराठ' धयवड - पु० [सं० ध्वज-पट ] ध्वज-पट, ध्वजा । धयाग- देखो 'धियाग' । ४ रूई का ढेर । ५ कच्छपावतार ७ देखो 'धड़' । ८ देखो 'धुर' । ९ - पु० लकड़ियों की चहार दिवारी अंधकार | धयो- पु० १ कलह, टंटा । २ कष्टदायक कार्यं । ३ अनिच्छा का कार्यं । ४ ईर्ष्या, द्वेष ५ ऊधम, उपद्रव । धरंमी- देखो 'धरमी' । क्षप, दुलाह । धरड़ स्त्री० वस्त्र फटने या चुनी हुई वस्तुएँ उहने की ध्वनि धमीड़, धमीड़ौ - पु० १ जोर का धमाका । २ मुक्के आदि का धरड़णौ (बौ) - क्रि० १ फटना, विदीर्ण होना । २ ढहना, पड़ना जोरदार प्रहार । ३ भारी वस्तु के गिरने का शब्द । ३ ध्वनि होना । ४ फाड़ना, विदीर्ण करना । ५ ढहाना, पटकना । ६ ध्वनि करना । धमूक- ०१ पूसा, मुनका २ से या मुक्के का प्रहार । । ३ देखो 'धमकी' | घमोड़ देखो 'धमीड़ी। धमोड़णी (ब) क्रि० १ प्रहार करना, चोट करना। २ फूटना पीटना | ३ मारना पीटना ४ डटकर खा लेना । धमोड़ी देखो 'धमोड़ी। धमोळी, धमोळी-स्त्री० १ भादव कृष्णा तृतीया की पूर्व रात्रि में व्रत करने वाली स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला भोजन । २ इस अवसर पर कन्या के ससुराल से आने वाला सामान । धम्म- देखो 'धम' । धम्मको १ देखो 'धमाको' । २ देखो 'धमकी' । धम्मचक्क - १ देखो 'धमचक' । २ देखो 'धरमचक्र' । धम्मपुत्र - देखो 'धरमपुत्र' । धम्मळ - देखो 'धवळ' । - = । धम्मळा देवो 'वळा' गिर, गिरी, गिरी 'धवळगिरी' । धम्मस- देखो 'धमस' । धम्मिल्ल - ० [०] केशों की देखी, जुड़ा। धम्मीड़ देखो 'धमीड़' । धम्मीड़ौ - देखो 'धमीड़ी' । धम्मु-देखो 'धरम' पुत 'धरमपुत्र' । घोळी-देखो 'मोळी | घर - वि० [सं०] १ ग्रहण करने वाला, रखने वाला, धारण करने वाला । २ संभालने वाला, थामने वाला । ३ पकड़ने वाला । - ५० १ पर्वत, पहाड़ । २ विष्णु । ३ श्रीकृष्ण Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धरण ६ एक वसु का नाम । देखो 'धरा' । कोटछाया - स्त्री० अंधेरा, धरजहर पु० [सं०] धर-फा० जल] सर्प सांप । धर-देखो 'धीर' । धरण - वि० [सं०] १ धारण करने वाला वाला, रखने वाला । ३ थामने, पकड़ने वाला । ४ वहन करने वाला। ५ रक्षक - पु०१ एक नाग का नाम । २ खंभा । ३ बांध, पुल । ४ संसार । ५ सूर्य । स्त्री० [सं०] धरणी] ६ नाभि के नीचे की नश जो वास के साथ उछलती रहती है। ७ एक तौल विशेष । ८ स्त्री के स्तन । ९ चावल । १० हिमालय । ११ देखो 'धारण' । १२ देखो 'धारणा' । १३ देखो 'धरणी' । -धर = 'धरणी घर' - नागपु० शिव, महादेव । पीतंबर- पु० ईश्वर, विष्णु 1 घाव पु० [सं०] धररा इन्द्र नागराज, लेषनाग धरणि- देखो 'धरणी' -धर = 'धरणीधर' । २ ग्रहण करने वाला, संभालने , धरणी स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी धरती २ नाभि न नाही ४ सेमर का वृक्ष । ५ शहतीर - तळ- पु० धरातल, पृथ्वी तल पर परि धरी- पु० । ईश्वर परमात्मा विष्णु । 1 शिव कच्छप । शेषनाग पर्वत, पहाड़ एक प्रसिद्ध तीर्थ - वि० पृथ्वी को धारण करने वाला । - सुत - पु० मंगल नरकासुर सुता स्त्री० सीता, जानकी । 1 For Private And Personal Use Only धरण ( ) - पु० [सं०] धरणम् ] १ गिरवी रेहन २ धरोहर अमानत । ३ देखो 'धरणो' । धरणी - पु० [सं० धरण] १ शासक या प्रशासक से अपनी मांगें मनवाने के लिये उसके द्वार पर की जाने वाली बैठक । २ उत्सर्ग । ३ सत्याग्रह । ४ किसी देवता के आगे किया जाने वाला अनशन । धरणी (बी) कि० [सं० धरणम् १ रूप बनाना, देह धारण करना । २ प्रारोपित करना । ३ व्यवहार के लिये लेना, काम के लिये रखना । ४ लेना ग्रहण करना । ५ रखना, कहीं पर घर देना । ६ निश्चय करना, निर्धारित करना । ७ महसूस करना, प्रनुभव करना । ८ बैठना, ग्रहण करना । Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धरती धरधरण पु० [सं०] धरा-धरण] शेषनाम। घरघरवेळा स्त्री० संध्या www. kobatirth.org विचार करना । १० पास में रखना, रक्षा में रखना । ११ स्वीकार करना । १२ चौकन्ना होना, सावधान होना । १३ ध्यान देना । १४ संकल्प करना, दृढ़ निश्चय करना । १५ पहनना, धारण करना । १६ स्थापित करना, ठहराना । १७ प्रगट करना । १८ संलग्न होना, काम में लगना । १९ चौकीदारी करना, देखभाल करना । २० वहन करना । २१ अवस्थित होना, ठहरना, रहना । २२ गिरवी या बंधक रखना । २३ जोर से पकड़ना, थामना । २४ डींग मारना, कहना । २५ प्रहार करना, मारना । २६ वश में करना, कावू करना, रोकना । धरती स्त्री० [सं० धरित्री) १ पृथ्वी भूमि २ जमीन, धरातल, भू खण्ड | ३ प्रांगन । ४ कृषि भूमि । ५ जागीर, राज्य । - थंभ - पु० योद्धा, वीर राजा, नृप । धरती-री-करोत-० ऊंट धरती धरती, धरती, धरत्री-देखो 'धरती' । 1 धरम धरमल पु० [सं० घरा-स्तंभ] १ राजा नृप। २ बीर योद्धा । धरधर-१ देखो 'धराधर' २ देखो 'द्रग्रहबार । - ( ६९६ } घरधारक- पु० [सं०] धरान्धारक] शेषनाग धरणीस पु० [सं०] धराधीय] १ राजा नृप । २ जागीरदार धरधुख - पु० [सं० धरा धुक्ष | पृथ्वी की गर्मी, उष्णता । घरघूस-वि० जमीदोज भूमिसात धरन- १ देखो 'धरणी' । २ देखो घरपत, (पति, पता, पत्त पत्ती) देखो 'धपति' । धरपाड़ो पु० भूमि दोनने वाला घातलायी । 'धरण' । 1 धरपुड़ - पु० धरणी तल, धरातल । धरबार - देखो 'दरबार' । धरभार उतारण- पु० ईश्वर परमेश्वर । धरमंडल-पु० [सं०] धरा-मण्डन्] इन्द्र धरमंडळ धरमंडळ-पू० [सं० धरा मण्डल) भूमण्डल, पृथ्वी मण्डल | धरम- पु० [सं०] धर्म] राधा की कोई विडिष्ट प्रणाली या सिद्धान्त, मजहब, धर्म । २ स्वच्छ सामाजिक व्यवस्था के लिये निर्मित वृत्ति, श्राचरण या व्यवहार । ३ सदाचार, सत्कर्म । ४ पुण्य दान। ५ सदाचार संबंधी सिद्धान्त । ६ पारलौकिक सुख या मोक्ष प्राप्ति संबंधी कर्म । ७ उच्च चरित्र, ईमान । ८ वस्तु का मूल गुण, प्रकृति, स्वभाव । ६ सन्मार्ग बताने का सिद्धान्त या उपदेश । १० कर्त्तव्य, फर्ज | ११ गुण, समान गुण । १२ युधिष्ठिर का एक नाम । १३ यमराज | १४ वर्तमान अवसर्पिणी के १५ वें रहत --- करम 1 क्षेत्र घेत क्षेत्र पु० कुरु क्षेत्र 1 - 1 का नाम । १५ यज्ञ । १६ सत्संग | १७ ढगरण की छः मात्राओं के बारहवें भेद का नाम । १८ जन्म लग्न से नौवें स्थान का नाम । १९ अटल व दृढ़ निश्चय । --आत्मज- पु० युधिष्ठिर । ० धार्मिक कर्म दान पुण्य ७२ कलाओं में से एक भारतवर्ष । - ग्य-वि० धर्म को जानने वाला । धार्मिक | - प्रथ-पु० किसी धर्म विशेष के निरुपण संबंधी ग्रंथ । - घंट- पु० काशी खण्ड । हेमाद्रि दान खण्ड । —चक्र - पु० जिन देव का चक्र । चर् या स्त्री० धर्माचरण । - पु० युधिष्ठिर । नर नारायण । जिहांन - पु० सूर्य, भानु । - जीवन - पु० धार्मिक कर्म कराकर निर्वाह करने का कार्य-वुड ० कपट रहित युद्ध दर्शन पु० बड़ों की शान्ति हेतु किया जाने वाला दान । —धक, धक्कौ- पु० धर्म की आड, दुहाई । धरा- स्त्री० पुण्य भूमि । भारतवर्ष । — ध्यान पु० धर्म कर्म तथा ईश्वर चिंतन | - धारी- पु० धर्म निभाने वाला धुज-पु० राजा, नृप । धर्म ध्वज । - धूरीण - वि० धर्म में अग्रणी । - ध्वज - पु० पाखंडी, ढोंगी । - नाथ- पु० जैनों के १५ वें तीर्थंकर का नाम-राम-पृ० विष्णु निस्ठ वि० धर्मज्ञ, धार्मिक धर्म पर दृढ़ निस्ठा स्त्री० धर्म में विश्वास नीतिस्त्री० धर्म पूर्ण नीति । ७२ कलाओंों में से एक । ६४ कलाओं में से एक । – पण पु० धर्म स्थिति । धर्म पराय - रगता । - पतनी, पत्नी स्त्री० शास्त्र रीति से विवाहता स्त्री, धर्मपत्नी । पथ - पु० शास्त्र के अनुसार श्राचरण, धर्माचरण -पाळ- पु० धर्म रक्षक । धर्म पालक । दड राजा दशरथ का एक मंत्री । पुत्त, पुत्र- पु० युधिष्ठिर । नर नारायण । पुत्र रूप में मान्यता बैकुण्ठ न्यायालय कचहरी धार्मिक कार्यों की -पूत, पू'धरमपुत्र फूल-पु० स्वर्ग -बुद्धि०च्छे-बुरे का ज्ञान भाई पु० भाई के रूप में मनोनीत विजातीय व्यक्ति । भिक्षक-पु० धर्मार्थ भिक्षा मांगने वाला । भीरु वि० धार्मिक रूढ़ियों से डरने वाला । - मंढ़- पु० विवाह मण्डप, वेदी 1 - राज-पु० यमराज युधिष्ठिर । राजा धर्म पर चलने वाला । -लाभ-पु० जैन साधुग्रों का आशीर्वाद । —लेस्या - स्त्री० तेजो, पद्म और शुक्ल लेश्या का समूह । -वंत, वत - वि० धार्मात्मा, धार्मिक - वप-पु० एक सूर्य वंशी राजा । वाहन पु० भैसा विचार पु० ६४ कलामों में से दिक रीति से किया जाने वाला -पुरी-स्त्री० यमपुर । पूरी गु० दान-पुण्य एवं व्यवस्था करने वाला विभाग । - एक विवाह पु० विवाह | कन्या के बदले कुछ न लेकर किया गया विवाह । For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - परम-विवाह -ज Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धरम देवी धरायब -बीर-वि. धार्मिक विषयों में साहसी। -व्याध-पु० धरमी-वि० [सं० धम्मिन्] १ धर्मात्मा, पुण्यात्मा । २ किसी मिथिला निवासी एक तत्वज्ञानी व्याध । -व्याह= | धर्म या गुण से युक्त । ३ धर्म को मानने वाला। -पु. 'धरमविवाह'। -व्रता-स्त्री० मरीचि ऋषि की पत्नी। १ विष्णु । २ यम। ३ युधिष्ठिर । ४ धर्म का प्राश्रय । -सभा-स्त्री० न्यायालय । धार्मिक कार्यों के लिये । ५ धर्म पर दृढ़ व्यक्ति। आयोजित सभा, बैठक । –साळा-स्त्री० यात्रियों की धरमुरळी-देखो 'मुरळीधर'। सुविधा के लिये स्थान-स्थान पर बने भवन । दान पुण्य के धरमेलौ-पु० धर्म के आधार पर बना पारिवारिक संबंध । लिये चलाया गया सत्र। -सावरणी-पु० ग्यारहवां मनु । धरमोपदेस-पु० [सं० धर्मोपदेश] १ धर्म का उपदेश, धर्म -सासतर, सास्त्र-पु० नीति, प्राचार, सदाचार के नियमों | सिद्धान्तों की व्याख्या। २ धर्मशास्त्र । जानी का ग्रंथ। --सास्त्री-वि० धर्मशास्त्र का ज्ञाता, पंडित । धरम्म-देखो धरम'। -सभा : 'धरमसभा'। --सीळ-वि० धर्माचरण करने वाला। -सुभाव-पु० जम्माधिकMART-टेखो परमाधिकाशिकमभा'। तालाब । सरोवर। धरम्माधिकरणा (गरणा)-देखो 'धरमाधिकर रिणक' । धरमणदेवी- स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी। धरम्मी-देखो 'धरमी'। धरमांग-पु० [सं० धर्मांग] बगुला । सारस । धरर-स्त्री० यन्त्र आदि के चलने की ध्वनि । धरमातमा, धरमात्मा-वि० [सं० धर्मात्मा] धर्म पर दृढ़ रहने | धररा'ट-पु० १ धर-धर् ध्वनि । २ कंपन, थर्राहट । वाला । धर्म के अनुसार प्राचरण करने वाला। धरवजर-पु० [सं० वज्र-धर] इन्द्र, देवराज । घरमादे (द)-क्रि० वि० धर्म हेतु, धर्म के नाम पर, परोपकार धरवणी (बी)-वि० [सं० ] १ तृप्त करना, अगाना । निमित्त । २ पीटना, मारना । ३ रखना । ४ धर-धर ध्वनि करना। घरमादौ-पु० [सं० धर्म] धर्म. पुण्य, दान । -खाती-पु० दान | ५ देखो 'धरणो' (बौ)। पुण्य में व्यय हेतु निर्धारित रकम । दान पुण्य में खर्च का धरवर-पु० [सं० धरा-वर राजा, नृप । लेखा-जोखा । धरवारणी (बो)-कि० तृप्त कराना, अवकाना । २ पिटवाना, धरमाधिक, धरमाधिकरणिक-पु० [सं० धर्माधिकारणक] __ मरवाना। ३ रखवाना । ४ धर-धर ध्वनि कराना। १ न्यायाधीश । २ न्यायालय, कचहरी। -सभा-स्त्री० ५ दे।। 'धागो' (बौ)। न्यायाधीशों की सभा। धार्मिकों की सभा। धरसंडौ-देखो ‘धरसूडौ' । धरमाधिकारी-पु० . [स० धर्माधिकारी] १ न्यायाधिकारी। धरसरण (णी)-स्त्री० [सं० धषिणी] १ दुश्चरित्रा, दुष्टा स्त्री। २ पुण्य खाते का प्रबन्धक । ३ धर्म गज। ४ धर्म की २ वेश्या, रण्डी। व्यवस्था के लिए अधिकृत व्यक्ति । धरसधर-पु० [सं० धराधर] पर्वत, पहाड़। धरमाधिगरण-देखो 'धरमाधिकरणिक' । धरसुता-स्त्री० [सं० धरा-सुता] सीता । घरमारण-पु० [सं० धर्मारण्य] १ तपोवन । २ गया के अन्तर्गत धरसूडो-पु० बैलगाड़ी का अग्र भाग जो नीचे झुका रहता है। एक तीर्थ । ३ ऋषि आश्रम । ४ पुराणानुसार एक धरह पर धरहड़णौ (बी), धरहडपो (बौ)-क्रि० १ थर्राना, कांपना। २ ध्वनि करते हुए हिलना । ३ देखो 'धरहरणो' (बो)। | धरहर-स्त्री० ध्वनि विशेष । धरमारय-वि० [सं० धर्मार्थ] धर्म के निमित्त, परोपकार धरहरणौ (बौ)-क्रि० १ बरसना। २ जल प्लावित होना । के लिये। ३ गर्जना । ४ तोप आदि का छूटना ध्वनि करना। धरमावतार-पु० [सं० धर्मावतार] १ धर्मराज का अवतार ५ धड़-धड़ शब्द होना । ६ नगाड़े का बजना । २ युधिष्ठिर । ३ न्यायाधीश। ४ धर्म के मामले में निर्णय ७ देखो धड़हड़णी (बौ) ।। देने वाला अधिकृत व्यक्ति । धरांपती-देखो 'धरापति'। धरमासन-पू० [सं० धर्मासन] न्याय का सिंहासन, न्यायाधीश धरा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि । २ जमीन, भू-भाग । की कुर्सी। ३ मंसार, दुनिया । ४ राज्य, जागीर । ५. गर्भाशय । धरमास्तिकाय-पु० [सं० धर्मास्तिकाय] गति परिणाम वाले । ६ योनि । ७ एक वर्ण बत्त । ---प्रात्मज-पृ० मंगल ग्रह । जीव (जैन)। -तळ-पु० पृथ्वी की सतह । गतह । लंबा-चौदाई का धरमियौवीर-देखो 'धरमभाई' । गुणनफल । भूमि, पृथ्वी। थब, शंभ पृ० राजा, नप । पुण्य भूमि। For Private And Personal Use Only Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धराउ धवळधन्यासी योद्धा, वीर । -धर-पु० शेषनाग। पर्वत । विष्णु । धरती-स्त्री० १ हेरानी, परेशानी । २ तंगी। ३ देखो 'धरती' । --धव-पु. राजा, नृप । --धार-पु० शेषनाग । धरोड़, धरोहर-स्त्री० [सं० धरण] १ अमानत, थाती । -धिपति, धीस-पु. राजा, नृप । ईश्वर, विष्ण। २ गिरवी, रेहन । ३ भमानत या गिरवी रखी वस्तु । -नायक-पु० राजा, नृप । -पति, पती-पु० राजा, नृप। धरौ-पु० [सं० धं] १ संतोष । २ तृप्ति । ३ ढोलक प्रादि का --पुत्र-पु० मंगल ग्रह । --विध सण-पु० तलवार । भारी आवाज वाला भाग । भराउ (ऊ)-देखो 'भुराऊ'। धळ-धूधळ-स्त्री० रेतीली भूमि । मरुस्थल । भराज-पू० १ बढ़ई का एक प्रौजार । २ देखो 'धिराज'। । | धव-पु० [सं०] १ पति, स्वामी। २ मनुष्य । ३ सूर्य । धराणौ (बौ)-क्रि० १ रूप बनवाना, देह धारण कराना । | ४ धूर्त व्यक्ति । ५ एक वृक्ष विशेष। ६ कंपन, थर्राहट । २ ग्रागपित कराना। ३ व्यवहार के लिए लिवाना, काम के ७ देखो 'धाव' । लिये रखाना । ४ लिवाना, ग्रहण कराना । ५ रखवाना, धवई-देखो 'धाय' । धरवाना । ६ निश्चित कराना, निर्धारित कराना। धवडी-स्त्री० वीरांगना । ७ महसूस या अनुभव कराना। ८ बैठाना, ग्रहण, कराना। धवरिण (रणी)-१ देखो 'धमण' । २ देखो 'धमरणी' । ९ पास में रखाना, रक्षा में देना । १० स्वीकार कराना। धवरणौ (बौ)-क्रि०१ स्तन पान करना। २ देखो 'धमणो' (बी)। ११ चौकन्ना व सावधान करना । १२ ध्यान दिराना ।। धवभंग-पु० [सं०] पति या स्वामी का अवसान, मृत्यु । वैधव्य । १३ संकल्प कराना, दृढ़ निश्चय कराना। १४ पहनाना, धवर-पू० एक पक्षी विशेष । -वि० उजला, श्वेत धारण कराना । १५ स्थापित कराना । १६ प्रगट कराना। धवरहर-देखो 'धवळहर'। १७ मंलग्न कराना, काम में लगवाना । १८ देखभाल धवराड़रणों (बौ), धवराणी (बौ)-देखो 'धवाणी (बी)। कराना। १९ वहन कराना। २० अवस्थित करना। धवरानळ-पु० सूर्य, भानु । २१ गिरवी या बंधक रखवाना। २२ मजबूती से पकड़ाना, धवरावणी (बौ)-देखो 'धवाणी' (बो) । थमवाना। २३ डींग मरवाना । २४ प्रहार कराना, धवळंग-वि० स० धवल-अंग श्वेत, उज्ज्वल । -पु० १ हंस । मरवाना। २५ वश में कराना, काबू में कराना, रुकवाना। २ प्रासाद, महल । धराधारधारी-पु० [सं०] महादेव, शिव । धवळंगा-स्त्री० एक वर्ण वृत्त । धरापूर-वि० पूर्ण, सम्पुर्ण । धराररण-स्त्री० भूमि, पृथ्वी । धदळ-पु० [सं० धवल] १ बैल, वृषभ । २ हंस । ३ एक लोक धरारूप-वि० पर्वत तुल्य । गीत विशेष । ४ सुभट, योद्धा । ५ छप्पय छंद का एक भेद । धरा-रो-यम-देखो 'धराथंभ' । ६ मांगलिक गायन । ७ देखो 'धमळ' । ८ श्वेत पत्र । ६ एक धराळ-पु. १ स्थलचर प्राणी । २ देखो 'धाराळी' । वृक्ष । -वि० १ श्वेत, उज्ज्वल । २ विशुद्ध, स्पष्ट । ३ देखो 'धुराळ'। ३ सुन्दर । -प्रारोहण-पु० शिव, महादेव । --धुज-पु० धराव-पु० १ पशु,मवेशी। २ पशु धन । ३ देखो 'धाव'। शिव। --पक्ष, पख-पु० शुक्ल पक्ष । हंस। -मंदिर-पु० -वि० मूर्ख। बड़ा भवन । राज्य प्रामाद । -मिण-स्त्री० दीपक । धरावणी-पु० रखवाने या ठहराने की क्रिया या भाव । -हर, हरि-पु० बड़ा भवन । राज्य प्रासाद। मीनार । धगवगौ (बो)--देखो 'धगणी' (बी)। धवळगर, (गिर, गिरी)-१ हिमालय की सर्वोच्च चोटी । धरावू-देखो 'धुराऊ। २ कैलाश पर्वत । ३ हिमालय पर्वत । ४ एक प्रकार की धराही-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । तलवार । ५ दुर्गा देवी। -वासिनी-स्त्री० सरस्वती देवी। धरि-अन्य प्रारंभ में। धवळग्रह (ग्रिह, ग्रह)-पु० [सं० धवल गृह] १ चूने से पुता धरिती, धरित्री--देखो 'धरती' । सद भवन । २ देखो 'धवळहर'। धरि-धारण पु० [सं० धुर-धारग] बैल, वृषभ । धवळचित-वि० [सं०] निष्कपट. स्पष्टवादी। धरू-पु० [सं० ध्र पद) १ एक राग विशेष, ध्रुपद ।। धवळणी (बी)-क्रि० [सं० धवलम्] १ उज्ज्वल करना, रा.द २ देखो 'ध्र'। धरेट-स्त्री० [सं० दृष्टि] कुष्टि, नजर । करना । २ चमकाना । ३ प्रकाशित करना । धरेस--पु०म० धरा-ईश] १ राजा, नप । २ शेषनाग । ध वळता-स्त्री० [सं० धवलता] सपं.दी, उज्ज्वलता । ३ ईश्वर । धबळहान्यासी-स्त्री० [सं० धवल-धन्याश्री] एक रागविशेष । For Private And Personal Use Only Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धवळमंगळ www.kobatirth.org ( ६९९ ) अवसरों पर वळमंगळ ० [सं० धवल मंगल] १ मांगलिक गाया जाने वाला एक लोक गीत विशेष । २ मांगलिक कार्य, उत्सव | ३ ग्रानन्द, हर्षं । - वि० मांगलिक, शुभ । धवळत्री - स्त्री० [सं० धवल श्री ] एक रागिनी विशेष । धवळहर (रौ ) - पु० १ बड़ा भवन । २ महल कोठी । धवळांग - देखो ' धवळंग' | धवळ स्त्री० [सं०] धवला १ श्वेत गाय २ पार्वती, उमा ३ महामाया । ४ एक नदी का नाम । ५ गौरवर्णां स्त्री । धवलागिरि - देखो 'धवळगिरी' । --वासिनी 'धवलगिरी'वासनी' । धयति वि० [सं० धवलित] १ सफेद किया हुआ २ चूने से पोता हुआ । ३ उज्ज्वल, शुभ्र । धवळी - स्त्री० [सं० धवली ] १ श्वेत गाय । २ श्वेत मिर्च । - वि० स्वेत २ धवळेरण - स्त्री० मांगलिक गीत गाने वाली स्त्री । धवळी-१ देखो 'धवळ' । २ देखो 'धोळौ । धन-देखो 'न' धवा स्त्री० [सं० धवला ] महामाया, शक्ति । वारण (ब) - क्रि०१ स्तनपान कराना । २ देखो' धमारणी' (बी) । धवावरण-स्त्री० स्तन पान कराने की क्रिया धवावरणी - वि० स्तन पान कराने वाली । धावरणी (बी) देखो 'धवारगी' (बो) । धवी स्त्री० स्त्रियों के कान का आभूषण विशेष । धस - स्त्री० १ घुसने या प्रविष्ठ होने की क्रिया, अवस्था या भाव। २ घुसने या फंसने से उत्पन्न ध्वनि । ३ डुबकी, गोता । ४ दहाड़, गर्जना । धसक, धसकरण - स्त्री० १ धाक । २ ललकार । ३ खिसकने या ढहने की क्रिया या भाव। ४ फिसलाव । धसकरणौ (at) - क्रि० [सं० दंशनम् ] १ नीचे खिसकना । २ ढहना । ३ नीचे दबना । ४ फिसलना । ५ देखो 'धसणी' (ओ)। धकारी (बौ), धसकावरणौ (बौ) - क्रि० १ नीचे खिसकाना । २ ढहाना । ३ नीचे दबाना ४ फिसलाना देखो 'धमाल' (दो)। धसको पु० १ टक्कर, धक्का, आघात । २ दुत्कार, फटकार । ३ भय आतंक, डर । ४ भटका । (बी) देखो 'धमकी' (दो)। धसड़ - स्त्री० १ प्रहार की ध्वनि । २ देखो 'धसळ' | धसटी--१ देखी 'थ्रिस्टी' । २ देखो 'ध्रस्ट' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसी (यो)- कि० १ बलात् प्रविष्ठ होना, घुसना वलात् मा बढ़ना । २ प्रवेश करना। ३ चुभना, फंसना, गड़ना । ४ ध्वस्त होना, नष्ट होना । ५ नीचे खिसकना, उतरना । ६ नीचे बैठना, सतह से नीचे होना । ७ मिलना, मिल जाना । ८ देखो 'धसकरणी' (बी) धसमस - स्त्री० १ धंसने की क्रिया या भाव। २ डावांडोल होने की अवस्था या भाव। ३ धीर व गंभीर चाल । ४ खींनातान, धसामस । धसमसण ( बौ) - क्रि० १ धीर व गंभीर चाल से चलना । २ सतर्कता से चलना । ३ आक्रमण करना, हमला करना । ४ तेज चलना । ५ रुक-रुक कर चलना । ६ नीचे दबना, धंसना । ७ सतह से नीचे होना, दबना । ८ खींचातान होना, कसमसाना । घसळ, घळक-स्त्री० [सं० धर्षा) १ धमकी, डांट-फटकार २ ललकार, चुनौती । ३ प्राक्रमण, हमला । ४ क्रोध या जोश में बोलना । ५ गर्जना, दहाड़ । ६ रौव, जोश । ७ मस्ती की प्रावाज । ८ जोश व मस्ती | हाका दड़बड़, हो-हल्ला घसळणौ ( बौ) - क्रि० १ डांटना, फटकारना । २ क्रोध में बोलना जोश में बोलना । ३ दहाड़ना, गर्जना । ४ धमकाना, ललकारता । धसांन स्त्री० १ चमने की क्रिया या भाव। २ सतह से नीचे बैठा हुआ हिस्सा ३ दाब का चिह्न, गड्ढा । ४ डाह, जलन । ५ बुन्देलखण्ड की एक नदी । धसाक-स्त्री० ध्वनि, ग्रावाज । कोलाहल | धसारणी (बी) क्रि० सतह से नीचे दबाना, नीचे बैठाना | २ घुसाना, चुभाना, गड़ाना । ३ बलात् प्रविष्ठ कराना पैठाना । ४ मिलाना । ५ ध्वस्त करना, नष्ट करना । ६ नीचे खिसकाना, उतारना । ७ प्रवेश कराना । ८ देखो 'धसकारणी' (वी) । धसाव - पु० १ धंसना क्रिया । २ दवाव । ३ प्रवेश, फंसाय | धसावरणौ (बौ)- देखो 'धसाणी' (यौ) । धन पु० [सं०] चिपस] १ कवि२ पंडित, विज्ञान स्पति, सुरगुरु धानंत । धसुरसरी स्त्री० दक्षिण की नदी, कावेरी । धह-देखो 'दह' | धहचाळ - देखो 'धेचाळ' । ''। For Private And Personal Use Only धळण (ब) देखो' (यो। धां प्रव्य० १ एक प्रकार का अव्यय शब्द | २ देवा 'बाय' । धांत-देखो 'ध्वांत' । Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra घाक धांक- स्त्री० १ चिह्न । २ देखो धंक' | धोकण (जौ) क्रि० (at)-fo वाहना । 'वांकळ-देखो 'धू'कळ' | धाख- देखो 'धक' । (ब) देखो' (बी)। [सं०] द्राक्ष, लाक्ष] इच्छा करना, धांगड़ धांगड़ी-देखो 'दांगडी' । धांगौ-पु० एक प्रकार की मवारी, तांगा, रथ । धारण १० नाश, विध्वंस धाणका- स्त्री० [सं०] धनुष] १ राजस्थान की एक पिछड़ी जाति । २ श्वपच, चांडाल धारणको पु० १ उक्त जाति का व्यक्ति । २ चाण्डाल, हरिजन । धांणा पु० [सं० प्राश्यक] निया नामक पदार्थ जिसकी देती रबी की फसल के साथ होती है। इसके पत्ते व बीज मिर्च मसाले व औषधि में काम में आते हैं । -पंचक-पु० धनिया के योग से बना पांच प्रोषधियों का मिश्रण । - पुराधी-स्त्री० स्त्रियों के हाथ का साभूषण विशेष । धांगी - स्त्री० अत्यन्त गर्म बालू में सेका हुआ अनाज या जौ का दाना । www.kobatirth.org धांक- पु० [सं० धानुष्क] धनुर्धर, धनुष चलाने वाला योद्धा । धांणी - पु० [सं० धान्यक ] धनिया का पौधा या बीजः । प्रांत-देखो 'ध्वांत' । वाजी-देखो 'घांच धांधधिपसु स्त्री० तबले की ध्वनि, तबले का बोल । धांधी- स्त्री० नगाड़े की ध्वनि । धांधु स्त्री० १ शीघ्रता, जल्दी । २ तकरार । 'धानंक- देखो 'धनुस' । धांनंकी- देखो 'धानंखी' | ( ७०० ) धांधळि (ळी) - स्त्री० १ अव्यवस्था, गड़बड़ी । २ बखेड़ा, फिसाद ३ विवाद, तकरार । ४ उत्पात, उपद्रव । ५ मनमानी । ६ नियम विरुद्ध कार्य । धांधळेबाज - वि० गड़बड़ी करने वाला, मनमानी करने वाला । उपद्रवी धानंखर- पु० धनुर्धारी योद्धा । धाबी० [सं०] धानृषक] धनिया में प्रवीण धांनंतर - देखो 'धनंतर' । देखो'घर धारी 'धनुर' । धांत - पु० [सं० धान्य ] अन्न, अनाज, नाज । धनिक देखो 'धनु' | धांनकी फूल - पु० [सं० पुष्पधन्वा ] कामदेव, मदन । धानख देखो 'धनुस' | नडियन-देखो 'धन'। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धाय धानमंडी स्वी० [सं०] धान्य-मण्डप ] धान (अनाज) के विक्रय का केन्द्र, अनाज - बाजार । धनमाळीपु० एक असुर का नाम । - यांनी स्त्री० [सं० धानी] १ स्थान जगह २ बांसुरी ३ एक राग विशेष । ४ एक वर्ण वृत्त । ५ एक रंग विशेष । धानुक, धनु | देखो 'धनुम' धर 'धनुसंधर' = । धांनुकी पु० धनुष बनाने वाला । धांग्य-पु० [सं०] धान्य] केवल स्वरूप दी जाने वाली गाय पांच विशिष्ट धानों का एक प्राचीन राजवंश | मात्र धेतुस्त्री० [दान एक दान विशेष । -पंचक-पु० समूह, एक श्रौषधि । -पाळ-पु० । ७ ८ धांम पु० [सं० धामन् ] १ गृह, मकान, घर । २ निवास स्थान । ३ स्थान जगह । ४ देवस्थान, देवालय । ५ तीर्थ स्थान । ६ परलोक बँकुण्ठ, स्वर्ग देह, शरीर तेज प्रकाश । ९ ज्योति, किरण । १० प्राभा, चमक, कांति 1 ११ बल, प्रताप । १२ दल, समूह । १३ दशा, परिस्थिति । १४ चार की संख्या * । उजासी पु० दीपक । धांमजग्र - देखो 'धमगजर' । धामण ( णि, रण ) - पु० १ एक प्रकार का घास । २ एक वृक्ष विशेष | ३ एक सर्प विशेष । ४ मांस पकाने की इंडिया । ५ मोल-भाव करने की क्रिया । ६ स्वीकार करने के लिये कोई वस्तु किसी के धागे करने की क्रिया । धांमणी (बौ) - क्रि० १ भेंट यदि सामने रखना, आगे करना, स्वीकारार्थं आग्रह करना । २ निश्चित मोल पर कोई वस्तु मांगना, वस्तु की कीमत ग्रांकना । धामधूम - वि० वात विकार से फूला हुआ, वात विकार युक्त । - पृ० १ मार-काट २ युद्ध । ३ वात विकार । ४ देवो'मां' For Private And Personal Use Only धांमनीर - पु० [सं० नीर धाम ] १ समुद्र, सागर । २ सरोवर । धांगी स्त्री० [सं०] धामश्री] एक रागिनी विशेष धामहर - पु० [सं० धामगृह ] देवल धांमहरि - पु० [सं० धामहरि | वैकुण्ठ, स्वर्ग धांमाजागर-देखो 'धमगजर' धांमिणी-स्त्री० ० कन्या या बहन को दी जाने वाली गाय या भैंस | धमिषौ पु० बहन या भूवा के पास रहने वाला बच्चा या लड़का प्रांमिय वि० [सं० धार्मिक] धर्माचरण करने वाला धार्मिक धांमौ-पु० चौड़े मुंह का गोल पात्र, बड़ा प्याला । ध-स्त्री० १ बन्दूक आदि के छूटने की ध्वनि । २ आाग की तेज लपटों की ध्वनि । ३ तेज लपटों में जलने की क्रिया । Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धांस www. kobatirth.org ( ७०१ ) घांस स्त्री० १ बाघों के बीच लगने वाली एक कील विशेष । २ दांतों का आभूषण विशेष । ३ किसी पदार्थ की बारीक गर्द ४ देखो 'घास' ५ देखी ''स' ६ देखी 'बांसी' घासणी (ब) ० १ बांसना, खांसी होना २ रगड़ना, घिसना । 1 घांसारी पु० झड़बेरी के मुझे कांटे जो एक बार में बैलगाड़ी में भरे जायं । धांसी स्त्री० ० कास रोग, खांसी धांसो पु० १ भाता २ देखी ''सी' धाहणी (बी) देखो 'पाखी' (बी) । पास्त्री० १ पृथ्वी धरती २ लक्ष्मी ३ सरस्वती, शारदा ४ उमा, पार्वती । ५ धाय । ६ तबले का एक बोल । ६ धंवत स्वर का संकेत ८ बूढ़ी स्त्री या दादी ग्रादि के लिये प्रयुक्त संबोधन - वि० धारण करने वाला । - क्रि० वि० ओर तरफ । २ डांट फटकार प्रताड़ना । ३ धमकी । , धाक- स्त्री० [सं० धक्क] १ आतंक, भय, डर २ रौब, प्रभाव ३ प्रसिद्धि, ख्याति । ४ शौर्य, पराक्रम । धाकळ स्त्री० [सं० धक्क] १ जोश या रोब भरी आवाज । धाई - १ देखो 'धाय' । २ देखो 'धा' । धाई वि० [सं०] धावित] दौड़ा हुया - घाईपी वि० [सं०] १ वाईपी तृप्त बचाई हुई धाड़ात देखो 'घाड़ावत' | २ स्वच्छ, निर्मल । ३ स्नान की हुई । , घाउ पु० १ धातु [सं० धात्र ] २ नाच का एक भेद । धाउधप - वि० १ प्रचुर मात्रा में तृप्त होने लायक, भर पेट खाने लायक । २ अधिक, बहुत । धाऊ पु० [सं० घावन ] कार्य के लिये दौड़ने वाला व्यक्ति । धावक । क्रि० वि० ओर तरफ । धाकार पु० [सं०] ध्वंसकार] विव्यस नाग घाऊड़ो-देखो 'धाव धाऊधप-देखो 'धाउधप' | धाकळी (बो० [सं०] १ डांटना फटकारना २ जोश या रोब में बोलना ३ धमकाना | ४ हांकना, चलाना । धाकाधीको, धाकाधकी- क्रि०वि० जैसे, तसे, किसी तरह । पु० १ काम चलाऊ व्यवस्था । २ शोरगुल, हल्ला-गुल्ला । धा' काळ - पु० भयंकर दुर्भिक्ष, अकाल । धाको पु० [सं० धाख] १ निर्वाह, गुजारा । २ काम चलाऊ व्यवस्था | [सं० धक्क] ३ धाक, रोब । ४ भय, डर, श्रातंक ५ शंका, संशय । धाख देखो 'धाक' । star-te), rental-tet 'gra 1 धाग - स्त्री० [सं० दाह । १ तेज अग्नि, अनल । २ प्रति क्रोध ३ देखो 'दाग' | धागो पु० [सं०] सार्क] १ सूत कातामा ताना २ दोरा, धागा । ३ यज्ञोपवीत ४ श्वेत पाग पर बांधने का काला 1 सूत्र । ५ ध्यान, लगन । धाड़ - स्त्री० [सं०धाटी ] १ लुटेरों का दल, समूह । २ आक्रमणकारियों का दल, शत्रुदल । ३ शत्रुओं का हमला । ४ आतंक, डर । ५ विपत्ति, संकट ६ जत्था, समूह | ७ डाका, धाड़ा | करुणक्रन्दन रुदन । ९ प्रशुभ समाचार - प्रव्य० धन्य, वाह । धाड़रणौ ( बौ) - क्रि० १ डाका डालना, लूटना । २ रुदन करना, ३ आक्रमण या हमला करना । ३ डरना, भय खाना । धाड़ती- देखो 'धाड़ायती' | धाड़ का वि० साहनी, निडर होशियार, सावधान धावत घाव घाड़वी देवो''। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धारणी 1 धाड़ा - स्त्री० १ ग्राभार या कृतज्ञता सूचक शब्द । २ प्रशंसा । -w धाडामश्व ० १ लुटेरा, डाकू २ मक्तिशाली व्यक्ति धाडायत, धाड़ायती, धाड़ायत्त, धाड़ावी- पु० [सं० घाटी] १ डाकू लुटेरा । २ लूट-मार करने वाला । ३ श्राक्रामक धाड़ि देखो 'घाड़ी' For Private And Personal Use Only घात, धाड़ंत, धाईती धाड़ी, धाडीत, धाड़ोतो, देखो 'यती' | घाडी पु० [सं०] घाटी] धन-माल के बलात् अपहरण की क्रिया लूट। डाका, बटमारी । घाट पु० ऊमर कोट राज्य का एक नाम । घाटि, घाटी - पु० [सं० घाटी ] १ डाकू । २ डाकुलों का दल । ३ 'घाट' देश का घोड़ा । ४ सिंधी मुसलमानों का एक भेद । ५ घोड़े की एक चाल विशेष ६ कान का ग्राभूषण | ७ देखो 'धटी' । वि० 'घाट' देश का, 'घाट' देश सम्बन्धी । धाड - देखो 'धाड़' | धाडणौ (बी) देखो 'धाड़पी (बौ) । धाड (बी) देखी 'चाडायत'। धाडि-देखो 'घाड़ो' । धाडी, धाडीत, धाडीतौ, धाडेत, धाईत, धाडेती देखों 'प्राडायत' । पाणी (बी) कि० [सं०] १ पूर्ण सुप्त होना थाना २ सन्तुष्ट होना । ३ परेशान होना । ४ इच्छा न रहना । अरुचि होना । ५ गिरना पड़ना ६ देखो 'धावणी' (बो) । Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धात धारण धात-४० [सं० धात] १ कामदेव । २ सूर्य । ३ पत्थर, पाषाण । | धाफड़-देखो 'धापड'। ४ नागवार । ५ स्वभाव, प्रकृति । ६ देखो 'धाता' । धाब-पु० कटे घास का ढेर । ७ देखो 'धातु'। -धर-पु०. पर्वत, पहाड़। -बीज-पु० | धाबडिया-स्त्री० गेहूँ बोने की एक क्रिया विशेष । कामदेव, मदन । - स्वायु-वि० धातु का स्वाद लेने वाला। धाबळ-पु. १ ऊनी वस्त्र विशेष । २ कपड़ा विशेष, वस्त्र । धातरि-स्त्री० एक प्रकार की सब्जी । ३ देखो 'धाबळी'। धातांसार-पु० [सं० धातु-मार सोना, स्वर्ण । धाबळपाळ (ली), धाबळवाळ (ळी). धाबळियांणी, धाता-पु० [सं० धातृ] १ ब्रह्मा, विधाता, विधि । २ विष्णु। धाबळियाळ (ळी)-स्त्री० १ श्रीकरणी देवी । २ देवी, दुर्गा । २ शिव, महेश । ४ शेषनाग । ५ बारह प्रादित्यों में से एक ३ 'धावळा' पहनने वाली स्त्री। ६ रक्षा । ७ ठगण के आठवें भेद का नाम (111)। -वि० धाबळियौ-देखो 'धाबळो"। - १ रक्षा करने वाला, रक्षक । २ धारण करने वाला, धाबळी, धावळीयार-देखो 'धाबळयाळ' । धारक । ३ पालन करने वाला, पालक । धाबळी-पु०१ स्त्रियों का अधोवस्त्र, घाघर । २ लहंगा, घाघरा। धातु स्त्री० [सं०] १ लोहा, तांबा, सोना प्रादि मूल द्रव्य, अपार- धाबो-देखो 'दाबी'। वर्धक पदार्थ । २ शरीर को बनाए रखने वाले पदार्थ । धाभाई-पु० [सं० धात्रेय-भ्राता] धाय का पुत्र । ३ शक, बीर्य । ४ शब्द का मूल रूप। -करम-पु० ७२ | धाय-स्त्री० [सं० धात्री] १ अन्य के बच्चे को स्तनपान कराके कलायों में से एक । -क्षय-पु० शरीर से वीर्य पात का रोग, पालने वाली स्त्री। २ लालन-पालन करने वाली स्त्री। छ । खांसी। -थभक='धानुस्तंभक । --पुस्ट-वि. उप माता । ३ एक वृक्ष विशेष । ४ बार, दफा । वीय को गाढ़ा व पुष्ट करने वाला। ---प्रधान--पु० प्रधान ५ देखो 'धा' । धातु, वीयं । -भ्रत-पु. पर्वत, पहाड़ । —माक्षिक-पु० धायक-देखो 'धावक'। एक उपधातु, सोनामक्खी । --रेचक-वि० वीर्य को बहाने धायडेती-देखो 'धाड़ायत'। बाला । -वरद्धक, वरधक-वि० वीर्यवर्दक। --वाद- धायन-क्रि० वि० निरन्तर, लगातार । . पु. कमची धातुओं को माफ करने की क्रिया । ६४ कलावों धायभाई-देखो 'धाभाई'। में से एक । -वादी-पु० धातुओं को साफ करने वाला। धायरछ, धायराहु-देखो 'धतराठ' । वैरी-प० गंधक । --स्तंभक-वि० वीर्य का स्तंभन करने । धायोडी. धायौ वि० मि. ध १ तृप्त, ग्राषाया हुअा । २ जो पाला। भूका नहा। ६ घना, मापन। गिरा हुआ, पड़ा हना। धातापम ५० [सं० धातु-उपमा] सोना । धार-स्त्री० [सं०] १ चाकू, शस्त्र प्रादि का तीखा फल, तीक्ष्ण धात्रवादी-देखो 'धातुवाद' । शिरा । २ तलवार । ३ द्रव पदार्थ की पतली धारा । पात्री स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि । २ माता। ३ गंगा। ४ ४ प्रवाह, वेग । ५ मूसलाधार वृष्टि । ६ किनारा, तट, सेना, फौज । ५ प्रांवले का वृक्ष या फल । ६ प्रार्या छन्द छोर । ७ क्रम, मिलसिला । ८ पृथ्वी, इला । ९ सीमा, का एक भेद । ७ देखो 'धाय' । --फळ-पु० आंवला । हद । १० एक प्रदेश का नाम जिसे नल राजा ने विजय धाद्रिग पु० पुरुषों की बहत्तर कलाओं में से एक । किया था । ११ देखो 'धारा'। पाच-स्त्री. १ ध्वनि विशेष । २ शीघ्रता से कार्य करने की धारक-वि० [सं०] १ धारण करने वाला । २ निभाने वाला। क्रिया या भाव । ३ मार-पीट । ४ प्रहार, चोट, प्राघात। ३ वहन करने वाला। -धरा-पु० शेषनाग। धाप-स्त्री० [सं०] अघाने की अवस्था या भाव, तप्ति । संतोष। धारकसुरत-वि० [सं० श्रुत-धारक] पंडित, ज्ञानी । --वि०वि० पेट भर कर, तृप्त होकर । जी भरकर। इच्छा- धारकोर -स्त्री० द्वार या खिड़की के सामने पड़ने वाला दीवार नृमार। का किनारा। धापड़ -पु० [सं० ध्रपक] १ मोट का पानी गिराने का स्थान । धारक्क-देखो 'धारक'। लिलारी, छिउलारा । २ थापड, तमाचा, चपन । धारजळ-देखो 'धारूजळ' । धापरणौ (बौ)-क्रि० [सं०] १ पेट भरना, भूख शांत होना। धारण-स्त्री० [सं०] १ एक वार तोलने की क्रिया । २ पांच सेर २ तृप्त होना, अघाना । ३ संतुष्ट होना तुष्ट होना। ४ तर का एक तौल विशेष । ३ तराजू का पलड़ा। ४ ग्रहण करने होना, सराबोर होना, दृढ़ निश्चय करना । ५ सम्पन्न होना। की क्रिया या भाव । ग्रहण । ५ अवलंबन, सहारा । ६ देखो पापभी (वौं)-देखो 'धपाऊ' । धारणा' । --पितंबर, पितांबर-पु० परमेश्वर । श्रीकृष्ण । For Private And Personal Use Only Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धारणा धाव -माविका-स्त्री०६४ कलाओं में से एक। -वज्र-पु० इन्द्र। धरायसी-वि० सं० धारणी] धारण करने वाली। धारणा-स्त्री० [सं०].१ समझने की वृत्ति, अक्ल, बुद्धि, समझ । | धारायसचियाय-स्त्री० एक देवी का नाम । २ पक्का विचार, दृढ़ निश्चय । ३ स्मृति, याद । ४ विचार- धारारव-पु० [सं०] १ शस्त्रों की ध्वनि, खन-खन । २ प्रवाह धारा, खयाल, भावना। ५ विश्वास । ६ मर्यादा । ७ योग की ध्वनि, कल-कल । के पाठ अंगों में से एक । ८ चेहरे की मुद्रा। ९ धारण | धाराळ-पु. १ वीर, योद्धा । २ वर्षा की धारा के चिह्न। करने की क्रिया। ३ देखो 'धाराळी'। धारणौ-वि० [सं० धारण] (स्त्री० धारणी) धारण करने धाराळा, धाराळी-स्त्री. १ कटार । २ बरछी । ३ तलवार, वाला, वहन करने वाला, पहनने वाला। खड्ग । ४ नदी, प्रवाहिनी। -वि० धारावाली। धारणी (बौ)-क्रि० [सं० धारणम्] १ ग्रहण करना, धारण | धारावर-पु० [सं०] बादल । करना । २ स्वीकार करना, मानना । ३ संभालना, थामना | धारावाही-वि०१ धारा की तरह आगे बढ़ने वाला, शखलाबद्ध । ४ मानना, पालन करना, निभाना। ५ विचार करना, २ निरन्तर चलने वाला। निश्चय करना । ६ पहनना । ७ वहन करना । ८ मेवन | धाराविस-पु० [सं० धाराविष] खड़ग, तलवार । करना, खाना-पीना । १ दया, सहानुभूति दिखाना । धाराहर-देखो 'धाराधर'। धारधर -पु० [सं० धागधर] १ इन्द्र । २ बादल, घन । धारि-देखो 'धारी'। धारधूस-पृ० डाइनों का दल । धारिणी-स्त्री० [सं०] पृथ्वी, धरती।-वि० धारण करने वाली। धारमिक-वि० [सं० धार्मिक] १ धर्म को मानने वाला, धर्मात्मा | धारियो-पु० एक प्रकार का शस्त्र । २ धर्म करने वाला। ३ धर्म संबन्धी । ४ किसी धर्म विशेष | धारी-वि० [स० धारिन्] (स्त्री० धारणी) १ धारण करने का अनुयायो। ५ न्यायप्रिय । -ता-स्त्री० धर्म की वाला। २ याद रखने वाला। ३ मानने वाला। -पु. भावना । धर्माचरण ।। १ पीलू का वृक्ष । २ रेखा, पंक्ति। -गंग-पु० शिव, धारवौ-पु० [सं० धारा] प्रवाह । धारा । महादेव । ---गदा-पु० विष्णु । श्रीकृष्ण । हनुमान । भीम । धारसु-पु० [सं० सुधार] मंत्री, सचिव । -दार-वि० जिसमें कोई धारी या लकीर हो। धारांग-पु० [सं०] १ एक प्राचीन तीर्थ । २ तलवार, खड्ग। धारीचोपरण-पु० प्राभुषणों पर खुदाई करने का अौजार । धारा-स्त्री० [सं०] १ पानी आदि द्रव पदार्थ का प्रवाह, बहाव | धारीजरणी-स्त्री० मवेशी के मूल्य में की जाने वाली कमी । धार । २ सोता, झरना, चश्मा। ३ निरन्तर बहने वाला | धारीजनोई-पु० द्विज, ब्राह्मण । जनेऊधारी। द्रव पदार्थ । ४ शृखला । ५ अनवरत गति । ६ घोड़े की | धारू जळ-देखो 'धारूजळ' । पंच विध गतियों का समूह। ७ घोड़े की चाल या गति । धारू-वि० [सं० धारिन्] धारण करने वाला। -जळ-पु० ८ तलवार । ९ रथ का पहिया । १० पहिये पर लगने । समुद्र, सरोवर । तलवार । वाली धनुषाकार लकड़ी। ११ सेना का अग्र भाग । १२ धारू-वारू-वि० अत्यधिक प्रिय । वृष्टि,वर्षा । १३ मालबा की प्राचीन राजधानी। १४ सिरा। धारेचरणो (बी)-कि० विधवा स्त्री द्वारा किसी पुरुष को पति १५ पहाड़ का किनारा । १६ समूह । १७ कीति । बनाना । नाता करना । १८ रात । १९ हल्दी । २० समानता । २१ कान का अग्र धारेची-पु० विधवा स्त्री द्वारा किसी पुरुष से पति के रूप में भाग । २२ देखो 'धार' । किया जाने वाला संबंध । नाता। धाराक-वि० [सं० धारक] १ तीक्ष्ण व पैनी धार वाला। धारोळी-पू० १ क्वार मास में कभी-कभी होने वाली वर्षा । धारण करने वाला। २ वर्षा का चिह्न। ३ दूर से दिखने वाली वर्षा की धागा। धारागळ-वि० लंबा चौड़ा, विस्तृत । ४ अश्रु धारा। धाराट-पु० [सं०] १ बादल, मेघ । २ चातक पक्षी । ३ मस्त। धारोस्ण-पु० [सं० धारोष्ण] ताजा दुहा हा दूध । हाथी । ४ घोड़। धारौ-पु० प्रथा, परम्परा, रीति-रिवाज । रूढ़ी। धराधर-पु० [सं०] १ बादल, मेघ । २ इन्द्र, देवराज । ३ गजा, | नृप । ४ पर्वत । ५ तलवार, खड्ग । धारचौ-देखो 'धारिया । धाराधांम-पु० स० धाराधरित] बीरगति प्राप्त करने की क्रिया धाव-स्त्री० १ मानसिक कल्पना । २ हमला, प्राक्रमगा । या भाव। ३ दूरी, फामला । ४ गति, चाल । ५ दौड़, भाग । ६ दौड़ धाराधार-वि० [सं०] खड्गधारी, वीर । योद्धा । की क्षमता । ७ वेग. प्रवाह । ८ विचार । निश्चय । For Private And Personal Use Only Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धिराज १० घास विशेष । ११ धाय, धात्री । १२ पेड़ विशेष। धिकता-स्त्री० [सं० धिक्] धिक्कार, फटकार, निंदा। १३ देखो 'ध्राव'। धिकार-देखो 'धिकार'। घावक-वि० [सं०] १ दौड़ने वाला । २ नाने वाला। --पू० धिक-देखो 'धकै'। १ दूत हरकारा । २ धोबी। धिक्कार-स्त्री० [सं०] १ तिरस्कार, अनादर । २ फटकार, धावड-पू० १ धाय का पति । २ पल्लीवाल ब्राह्मणों की एक भर्त्सना, निंदा । ३ अपकीति । धिक्कारणी (बो)-क्रि० [सं० धिक्] १ तिरस्कार करना, अनाधावड़ो, धावडयो, धावडो, धावड्यौ-देखो 'धाव' । दर करना । २ फटकारना । ३ निंदा करना। धावरणौ (बो) कि० [सं०धाव] १ दौड़ना, भागना। २ जाना। ! धिखण-देखो 'धिसण' । ३ स्नान करना, नहाना । ४ प्रवाहित होना, बहना।। धिखरणा-देखो 'धिसणा'। ५ ध्यान, स्मरण या भजन करना। ६ पूजा करना, ईष्ट | धिखणी (बो)-१ देखो 'धुकरणी' (बी) । २ देखो 'धकरणी' (बी)। मानना । ७ स्तन पान करना । ८ देखो 'धाणो' (बो)। धिग-देखो 'धिक'। धावन-पु० [सं०] १ संदेश वाहक, दुत । २ दौड-भाग की क्रिया धिगाणी-देखो 'धींगौ'। या भाव । ३ आक्रमण, हमला। ४ बहाव, प्रवाह । धिठाई-देखो 'धीठाई'। ५ सफाई । ६ रगड़न । धिरणाप-देखो 'धरिणयाप' । धावना-स्त्री० [सं०] १ प्रार्थना, स्तुति, ध्यान । २ पूजा। धिरिणयारणी-देखो 'धणियांणी' । ३ ईष्ट मानने की क्रिया या भाव । धिणी-देखो 'धरणी'। धावळ, धावळियौ-देखो 'धाबळी' । धित्रासट-देखो ‘धतराठ' । धावा-पु० [सं० धावन] १ आक्रमण, हमला । २ दौड़-भाग । धिधक-स्त्री० १ प्राग, अग्नि । २ बदबू । ३ झपटी। धिधिकट-स्त्री० तबले की ध्वनि या बोल । धासक-देखो 'दहसत'। धिन-स्त्री० १ तबले की ध्वनि या बोल । २ देखो 'धन्य' । धासती-स्त्री०१ महामारी । २ प्लेग। धिनयांणी-देखो 'धणियाणी'। थाह-स्त्री० १ रुदन, क्रन्दन । २ चीख, चीत्कार । ३ हाहाकार, धिनी-देखो 'धन्य' । त्राहि-त्राहि । ४ कोलाहल, शोरगुल । ५ सामूहिक रुदन । धितियांरणी-देखो 'धगिगयारणी' । ६ पुकार । ७ विलाप। धिन्न, चित्रौ-देखो 'धन्य' । धाहडणी (बी)-क्रि० १ भस्म करना, जलाना। २ गरजना । धिन्नवाद-देखो 'धन्यवाद । ३ देखो 'दहाड़णी' (बी)। धिप-स्त्री० दीवार, भीति । धाहड़ी (डी)-स्त्री० १धव का फूल । २ एक प्रकार की धिमिद्धमिद्ध-स्त्री० तबले प्रादि वाद्य की प्रावाज। झाड़ी। ३ देखो 'धाह' । धिय-देखो 'धी'। धाहि, (ही)-देखो 'वाह' । | धियग्गि-देखो 'धियाग'। धाह, (हू)-स्त्री० १ आग की लपट । २ देखो 'धाह। धियांन-देखो 'ध्यांन'। धिग-१ देखो 'धींक' । २ देखो 'धींगौ'। धिया-देखो 'धी'। धिगांरणो-देखो ‘धींगो'। धियाग, (गि, गी, ग्गि)-स्त्री० १ क्रोधाग्नि । २ क्रोध, गुस्सा। धिगाई-देखो 'धींगाई'। ३ आकाश, प्रासमान । -वि० असीम, अपार । धिगौ-देखो 'धींगो'। धियारी-देखो 'धी'। धि-पु०१ धर्म । २ संतोष । ३ धिक्कार । ४ प्राश्रय । -स्त्री० धियावरणो, (बौ)-देखो 'धावरणी' (बी)" ५ पृथ्वी, धरती । ६ देखो 'धी'। | धियो-पु० [सं० धूत] १ पौत्र, प्रपौत्र । २ पुत्र, बेटा । धिक-प्रव्य० [सं० धिक्] १ तिरस्कार सूचक ध्वनि । २ नानत, धिरकार (गार)-देखो ‘धिक्कार' । धियकार। -वि० १ निरर्थक, व्यर्थ । २ निंदनीय। ३ भत्र्सना योग्य । धिरकारणौ (बी)-देखो 'धिक्कारणो' (बी) धिकक-स्त्री० [सं० धिक्षक] प्राग, अग्नि । धिरट-देखो 'धीरट'। धिकणो (बो)-देखो 'धुकणो' (बी)। धिरांणी-देखो 'धणियांणी' । धिकत-देखो "दिकत'। धिराज-पु० सं० अधिराज] राजानों को एक पदवी। For Private And Personal Use Only Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धिरि ( ७०५ ) धीवरणो धिरि-देखो 'धीरज'। धीगड़ो-१ देखो 'द्रग' । २ देखो धींगौ' । धिव-देखो 'धी'। धीज-स्त्री० [सं० धीह, धैर्यम्] १ दृढ़ता । २ विश्वास ! धिवड़ी-देखो धी'। ३ धैर्य, धीरज। ४ प्रतिज्ञा, प्रण । ५ प्रतिस्पर्धा, धिसट-देखो धिस्टि'। होड़। ६ न्याय की एक प्राचीन परिपाटी । ७ शर्त । धिसण-पु० [सं० धिष्ण्यं, धिषण] १ तारा, नक्षत्र । २ ग्रह ८ शंका, संशय । घर । ३ वृहस्पति, गुरु । ४ ब्रह्मा । ५ अग्नि । धोजणी-वि० [सं० धोङ] (स्त्री० धीजणी) १ विश्वास करने धिसरणा-स्त्री० [सं० धिषणा] १ बुद्धि, अक्ल । २ विवेक, वाला। २ धैर्य धारण करने वाला। ३ प्रतिस्पर्धा करने धैर्य । ३ पृथ्वी। वाला । ४ प्रसन्न होने वाला, संतुष्ट होने वाला । ५ प्रण धिसन, धिसनु-देखो ‘धिसण' । करने वाला। धिस्टडंड-पु० [सं० धृष्ट-दण्ड] यम । धीजरलो, (बौ)-क्रि० [सं० धीङ] १ विश्वास करना, आश्वस्त धिस्टि-पु० [सं० द्वयष्ट] ताम्र, तांबा । होना । २ संतुष्ट होना । ३ धैर्य रखना। ४ प्रसन्न होना। धिरण-देखो 'धिसगा'। ५ प्रण करना । ६ प्रतिस्पर्धा करना। धोंक-स्त्री. १ प्रहार हेतु तं यार मुष्ठिका, घुसा। २ मुष्ठिका | धीजारणी (बौ), धीजावरणौ (बौ)-क्रि० १ विश्वास कराना, प्रहार । ३ शरीर के दर्द स्थलों पर धीरे-धीरे चोट करने आश्वस्त करना । २ संतुष्ट करना । ३ धैर्य बंधाना । की क्रिया या भाव । ४ वृक्ष विशेष । ४ प्रसन्न करना। ५ प्रण कराना। ६ प्रतिस्पर्धा कराना । धींग, धींगउ- देखो 'धींक' । २ देखो 'धींगौ' । धोजी-पु० [सं० धीङ] १ विश्वास, भरोसा । धींगड़-१ देखो 'द्रग' । २ देखो 'धींगो' । २ देखो 'धीरज' । धींगड़मल (मल्ल)-देखो ‘धीगी'। धीट-देखो 'धीठ'। धोगड़ौ, धींगण धोंगणियो, धींगल --१ देखो 'द्रग' । धीठ-वि० [सं० धृष्ट] १ निर्लज्ज, बेशर्म । २ मूर्ख, जड़। २ देखी 'धींगो'। ३ देखो 'धींगलो'। ३ नीच । ४ वीर, जबरदस्त। ५ शक्तिशाली, बलवान । धोंगलौ-पु० १ गोबर में पैदा होने वाला भग जाति का कीड़ा।। ६ अटल, दृढ़ । ७ जिद्दी, हठी, दुराग्रही। ८ लापरवाह, २ मेवाड़ का एक प्राचीन सिक्का । ३ देखो 'धीगी'। बेपरवाह । ९ क्रोधी। १० कामचोर । ११ कपटी, धूर्त । धींगांरण (णी, गै)-क्रि० वि० १ बलपूर्वक, जबरदस्ती से । १२ देखो 'दीठ'। -स्त्री० तोप लूटने की ध्वनि । २ देखो धींगाई' । ३ देखो 'धींगौ । धीठम-पु० [सं० दंशनम् ] १ मर्प, सांप । २ देखो 'धीठ' । धींगाणौ-पु० (स्त्री० धीगाण, धींगांणी) १ अत्याचार, अन्याय, धीठाई-स्त्री० १ निर्लज्जता, बेशर्मी । २ मूर्खता, जड़ता। ज्यादती, जबरदस्ती। २ देखो 'धींगौ' । ३ नीचता । ४ दृढता । ५ हठ, जिद्द, दुराग्रह । ६ लापरधोंगाई-स्त्री० जबरदस्ती, ज्यादती। वाही । ७ वीरता, बहादुरी। धौंगागरणगौर-स्त्री० गणगौर का त्यौहार विशेष (उदयपुर)। धीठियो, धीठौ-देखो 'धीठ'। धींगाधींगी, धोंगामस्ती, धींगामुस्ती-स्त्री० १ शरारत, बदमाशी धीण-पु० ऊन के धागे का प्राकार, बनावट । २ उद्दण्डता, ऊधम । ३ हाथापाई, मस्ती। ४ जबरदस्ती | धीणकियो, धीरणको-देखो 'धीगौ' । ज्यादती । धीणु, धीर-वि० १ दूध देने वाली। २ देखो 'धीगौ' । धींगौ-वि० (स्त्री०धीगी) १ जबरदस्त, जोरदार । २ वीर, | धोरगडी, धोरणोडी-स्त्री० दूध देने वाली गाय या भैस । साहमी। ३ शक्तिशाली, बलवान । ४ समर्थ, सक्षम। धीरगौ-पु.१द्ध देने वाली गाय या भैस की व्यवस्था । ५ धनाढ्य, धनी । ६ हट्टा-कट्टा, स्वस्थ । ७ प्राकार में २ दुध देने वाली गाय या भैंस । बड़ा, वृहत । धीन--पु० लोहा । धीपो-देखो 'धीगो'। धी, धीअडी-स्त्री० [सं० धी] १ दीपक, दीया, ज्योति । २ चित्त, धीप, धोयत. धीपति-पृ० [सं० धी-पति, अधीप] १ दामाद । २ वृहस्पति । ३ राजा, नृप ।। मन । ३ मेधा । ४ चित्रक । ५ बुद्धि, अक्ल । ६ पुत्री, बेटी । ७ विचार, इरादा । ८ कल्पना । ९ भक्ति, धीब-स्त्री० १ प्रहार, चोट । २ प्रहार की ध्वनि । ३ व प्रार्थना। १० यज्ञ। यावाज। धीक, धोकड़ी-देखो 'धीक' । धीबशी, (जो)--क्रि० १ प्रहार या चोट करना प्राधान करना । धीकरणौ (बौ)-देखो 'धुकरणी' (बी) । २ संहार करना, मारना । ३ भोजन करना खाना। For Private And Personal Use Only Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धीवि ( ७०६ ) धुकारणो धीबि-देखो धोब'। धीरवणो (बो)-देखो 'धीरपणो' (बो)। धोमर-देखो धीवर'। धीरसांत-पु० सं० धीरशांत] शीलवान व पुण्यवान नायक । धीमान-पु० [सं० धोमत्] १ कवि । २ बृहम्पति । धीरस्ट-देखो 'धीरट' । ___-वि० बुद्धिमान । धीरा--कि० वि० [सं०] १ धीरे से, ठहर कर, शनैः शनैः । धोम-क्रि० वि० [सं० मध्यम १ धीरे से, शनं नं। २ चूपके २ चुपके से। ३ दृढ़ता से । -स्त्री० १ एक प्रकार से, प्राहट किये बिना। ३ हल्की आवाज या नीचे स्वर से। की नायिका । २ मालकंगनी। ४ मन्द गति से । ५ सुस्ती से । धीराणी (बो), धीरावणी (बी)-क्रि० १ धैर्य रखाना । २ सब्र धीमौ-वि० [सं० मध्यम] (स्त्री० धीमी) १ जिसकी चाल तेज या संतोष कराना। ३ ढाढ़स दिराना। न हो, मंद गति वाला। २ जो उतावला न हो, धैर्य धीरासन-पु. योग के चौरासी प्रासनों में से एक । वाला, गभीर । ३ सुस्त, पालसी । ४ दीर्घसूत्री। धोरिम--देखो 'धीरज'। ५ जिसमें उत्तेजना न हो, शान्त । ६ हल्का, मन्द । धौरी-स्त्री० आंख की पुतली। -वि० मंद, धीमी। धोमोनिताळी-पु. एक ताल विशेष । धीरु (रू)-देखो 'धीर'। धीय, धीवड़, धीयडी, धीयवी, धोया, धीयारी-देखो 'धी'। धीरूजळ-देखो 'धारूजळ'। धीयो-J० [म. धीत) पुत्र, लड़का। धीरे, धीरे-क्रि० वि० १ मंद गति से, आहिस्ता से । २ चुपके धीर-वि० [सं०] १ धैयवान, धीरजवाला । २ विवेकशील । से, शाति से । ३ गंभीर । ४ सहनशक्ति वाला। ५ बलवान, शक्तिशाली। धीरोज-देखो 'धीरज' । ६ विनीत, नम्र। ७ सुन्दर, मनोहर । ८ मन्द, धीमा। धीरोदात्त, धीरोद्धत-पु० एक प्रकार का नायक । ९ अटल, दृढ़। १० ध्यानावस्थित । ११ उत्साहवान । धीरौ-वि०१ धैर्यवान । २ मंद, धीमा । १२ चतुर, बुद्धिमान । १३ सुस्त । -पु० [सं० धैर्यम्] | धीरच-देखो 'धीरज'। १ धैर्य, धीरज । २ संतोष, सब्र । [स० धौर:] ३ मूर्य धीव, धीवड़, धीवड़ली, धीवड़ी-देखो 'धी' । रवि । ४ कवि । ५ एक प्रकार का नायक । ६ बालि। धीवर-पु० [सं०११ मछुवा, नाविक । २ काला मनुष्य । ३ सेवक । -स्त्री० [सं० धोरम्] ७ केनर । ४ लोहा। धोरच्छ-१ देखो धोरट' । २ देखो । धीस-पु० [सं० अधोश १ राजा, नृप । २ स्वामी, मालिक । धीरज (ज्ज)-पु० [सं० धैर्यम्] १ विपत्ति, सकट, बाधा आदि से | धीसव्याळ-पु० [सं० व्याल-अधीश शेषनाग । विचलित न होने वाली अवस्था या भाव, धैर्य । २ संतोष, धोड़ह, धीहड़ली, धोहड़ी-देखो धी। सन । ३ शांति, तसल्ली। ४ विवेक। -दार, धर, मान-धु-देखो 'धू' । वत, वान-वि० धैर्यवान, धीर-वीर-गम्भीर । धुपर-देखो 'धूर'। धीरट (8)-पु० १ हंस पक्षी । २ मामाहारी पक्षी, पलचर । धु प्राधार (धोर)-पु० [सं० धूम| १ धूप का समूह । २ धूम्र३ देखो 'धीरज'। धारा । ३ धुलि मिश्रित हवा । -क्रि० वि० १ अत्यन्त तीव्र धोरट्ट-वि० सं० धृष्ट] १ धैर्यवान । २ देख। 'धोस्ट'। गति से । २ धूपा या धून उड़ाते हुए, जोरशोर मे। धोरणी, (बी)-क्रि० मि. धारा १ धैर्य रखना । २ मद्र या ३ प्रचण्डता में । ४ निरन्तर । -वि० १ प्रचण्ड, मतोष करना । ३ वाइस देना। नाव, तेज । २ धुपा युक्त । ३ काला स्याह । धीरत -१ दखा 'धीरज' । २ देखो 'धीर!' । ४ अंधकार युक्त। धोरता-स्त्री० म०] चित्त की स्थिरता, ये संतोष, मव। धुमाळ-वि०१धुए भरा। २ धूए जमा। सहनशीलता, महिष्णुता । धु'ई-स्त्री० [सं० धौमो] १ किसी वस्तु को धुकाने की क्रिया धीरप--क्रि० वि० सं० धैर्यम् । १ शनैः-शनै:, धीरे से । या भाव । २ धुए से ताप देने की क्रिया या भाव । २ देखो 'धीरज'। धुनौ-देखो 'धुवौ'। धोरपण-पु० धैर्य, धीरज । | धुकार-स्त्री० १ जोर का शब्द । २ गर्जना, गरज । ३ मा धीरपणी (बौ)-त्रि.०१ धैर्य बंधाना, ढाढ़ग देना मान्त्वना फैलाने की अवस्था । ४ देखो 'धोंकार' । दना। २ मनीष रखना, सतुष्ट होना । ३ दृढ़ रहना, ५ देखो 'धुगार'। अटा पहना। धु कारणौ (बौ)-कि० १ जोर का शब्द करना। २ गर्जना धीरललित-पु. एक प्रकार का नायक । करना । ३ देखो 'धुगारणो' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धुं गार www.kobatirth.org ( ७०७) धुंगार - पु० [ सं धूम + अंगार ] १ अंगारे पर घी, तेल श्रादि डालने पर उठने वाला घुंग्रा, भाप । २ ऐसी भाप से शाकादि पदार्थ में दिया जाने वाला बघार छौंक ३ घुकाने की क्रिया या भाव । धुंगारी (बौ) - क्रि० १ रायते, शाक आदि में घी के धु ंए का बघार देना । २ किसी वस्तु को धुका देना । ३ जलाना, सुलगाना । धुं धुंध पत्री० [सं० धूम-अंध] १ 'ए वा धोस के बादलों से होने वाला अंधेरा । २ गर्द का अंधेरा ३ कुहरा । ४ अज्ञान । ५ प्रांख का एक रोग । ६ देखो 'दुद' | धुंधक - वि० नशे में चूर, मद मस्त । धुंधकार - पु० १ आकाश में छाया हुआ धूश्रा या कुहरा । २ गर्द या प्रांधी का अंधेरा । घुंघट - स्त्री० मई की धुनकी की ध्वनि । धुंधमार पु० [सं० धुंधुमार ] १ राजा बृहदश्व के पुत्र कुवलयाश्व का नामान्तर । २ एक राक्षस । धुंधळ स्त्री० धापन (बी) देखो 'पंपळ' (बो)। धधळो-देखो 'भूधळी' (स्त्री० धुंधळी) । धं धारणी (बौ) - देखो 'श्रृंधाणी' (वी) । धुंधु पु० [सं०] मधु राक्षम का पुत्र एक राक्षस । धंधुकार, धुंधूकार पु० १ नगाड़े का शब्द, धुंकार | २। घन स्त्री० [सं०] ध्वनि १ निरवर होने वाली ध्वनि रट २ चित्त की एकाग्रता | बांकरा, धुवदान-पु० [सं० धूमः + श्राकाश] धंग्रा निकलने कोची। बांधार देखो 'घु श्राधार' । बाज-देखो ''गा'। पदार्थों से निकलने वाली भाप । धुं धूम | 3 'बाधर देखो 'आधार' | धुवांपरा - पु० जलाने की लकड़ी पर लिया जाने वाला कर । बी० [सं०] कोयले की आप साग के ऊपर या जनते धुपु० १ शरीर, तन । २ पवन - वि० १ अधिक ज्यादा । हवा ३ दौड़ । ४ धोबी । २ कंपायनमान, कंपित । [३] देखो ''वी' ४ देखो 'ध्रुव' ५ देखो 'पू' | धुकट पु० मृदंग आदि का शव्द ध्वनि धुकण - स्त्री० [सं० घुक्ष ] १ अग्नि, आाग । २ धुंए के रूप में प्राग ही जलने की अवस्था । ३ जलन । ४ प्रातुरता, व्यथा । धुकरit (बौ) - fऋ० [सं० बुक्ष] १धू ए के रूप में धीरे-धीरे जलना । श्रा उठना । २ जलना । ३ क्रुद्ध होना, कुपित Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होना । ४ दुःखी होना, कुड़ना । ५ पीड़ित या संतप्त होना । ६ धक्का खाकर नीचे झुकना । ७ लुढ़कना । धुकधुकी स्त्री० १ कलेजा, हृदय । २ कलेजे की धड़कन । ३ डर, भय, खौफ । ४ देखो 'धुगधुगी ' । धुकळणी (व) - क्रि० १ नाश करना, संहार करना, मारना । २ युद्ध करना । ३ मारना पीटना । धुकारणों (बौ) - क्रि० १ धुंए के रूप में धीरे-धीरे जलाना । सुलगाना, जलाना । २ भभकाना, धुं श्रा निकालना | ३ क्रोधित करना, कुपित करना । ४ दुःखी करना, सताना । ५ पीड़ा देना, कष्ट देना ६ नीचे घमाना, बैठाना ७ लुढ़काना । धुकार-१ देखो धु ंकार' । २ देखो 'धोंकार' | धुकाव (बी) देखो 'कास' (बो)। धकुस० [सं० घुल] प्राय पनि धुक्कर (at) - देखो 'करणी' (बी) | घुड़. धुखणt (at) - क्रि० [सं० धुक्ष संदीपने] १ उग्र रूप से रहना । २ तनाव बढ़ना । ३ मन में खटकना । ४ देखो 'धुकरौ' (बी) । पाणी (प्री) खावी (यौ) - कि०१ जारी रखना चलाना २ तनाव बढ़ाना 1 ३ मन में खटकाना 1 ४ देखो 'धुकारी' (बौ) । युगपु० मजबूत व मोटा लहू, सौंठा । युगधुगी स्पी० १ शरीर को जोर से हिलाने या कंपाने की क्रिया या भाव। २ गले का एक आभूषण विशेष । ३ देखी 'धुकधुकी । धुगधुगौ - वि० (स्त्री० धुगधुगी ) हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताजा । स्त्री० समूह, गुण्ड घुड़की-देड़की धुड़की - पु० १ किसी वस्तु के गिरने का शब्द । २ श्वास लेने का शब्द, धड़कन | (ब) क्रि० १ मा ध्वनि करना। २ गिरना दह पड़ना । 7 For Private And Personal Use Only धुड़ी (at) - क्रि० गिरना, ढहना । घुड़ी (बौ) - क्रि० १ ढोल, नगाड़े यादि का बजना । ध्वनि करना । २ देखो 'डगी' (बी) । धुड़ी-देखो 'पूड' | धुड़ को बी) - १दखा 'घड करणी' (बी)। २ देखी टुकी' (बो) | धुड़ ( धुड) - वि० १ दबा-दबा कर भरा हुआ। २ पेट भर खाया हुआ तृप्त, प्रधाया हुआ । Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धुज www.kobatirth.org ( ७०८ ) धज--पू० [सं०ध्वज ] कलाल जाति व इस जाति का व्यक्ति । - वि० श्रेष्ठ पूज्य | देखो 'धज' । देखो 'ध्वज' । - श्रसमरण - पु० सूर्य । -इंड- 'ध्वजदंड । — धोम-स्त्री० प्राग, श्रग्नि । धुट्टिय, जट्टी- देखो 'रजी'। धुजा- स्त्री० १ प्रथम लघु के ढगण का २ देखो 'ध्वज | एक भेद । धजागड़ी - वि० कपाने वाला, थर्राहट पैदा करने वाला । धुजारी ( बौ), धुजावरणो (बौ) - क्रि० [सं० घू] १ कंपाना, कंपित करना, थर्राहट पैदा करना । २ डराना, प्रातंकित करना । ३ जोर से हिलाना । ४ डोलाना । धुजी- देखो ध्रुव' । धुली (बी) देखो 'जी' ( धज्जाणी (बौ), धुज्जावणी (बौ) - देखो 'धुजारणी' (बौ) । धण (ह) - १ देखो 'धुन' । २ देखो 'धनु' । धुकर (ब) देखो (बो धुरकी - देखो 'धुनकी' । । । धुरी (ब) - क्रि० [सं० धुज्] १ धुनकी से रूई साफ करना, पीनना २ जोर से हिलाना, भककोरना खूब पिटाई करना, मारना । ४ विलोड़ित करना । ५ ध्वनि करना । ३ ६ शस्त्र घुमाना । ७ पश्चाताप करना । धुलियाळ - वि० धनुर्धारी, धनुर्धर । पु० १ भील । २ वीर पाबू का एक नामान्तर । खी-१ देखो घुनी २ देखो 'ध्वनि' ३ [देखो श्रृंगी'। तकार देखो 'दुत्कार । धुनारी- वि० [सं० धूर्ता] १ माया रचने वाली, मायावी । २ छल करने वाली । ३ दूती, कुटनी । ४ देखो 'धूतारी' धुतारौ - वि० [सं० धूर्त ] ( स्त्री० धुतारी) १ बदमाश । २ ठग, कपटी । धुत्त - वि० १ नींद या नशे में चूर । २ मस्त, पागल । ३ देखी 'रत' धुधकट - देखो 'धुधुवट' । धकार देखो 'दुत्कार' | धकारी (बी) देखी 'दुत्कारणो' (यो) | धुधड़ - वि० सीधा, सरल । घुघुकट पू० तब का एक बोल विशेष धुधुकार स्त्री० १ धू-धू शब्द का शोर । २ श्राग की लपटों की ध्वनि । ३ भयंकर झंझावात ४ भावात का शोर । धुनकणी (बौ) क्रि० १ ध्वनि करना । २ धुनना । धुतकारणी (बौ) - देखो 'दुत्कारणों' (बी) । धुपावणो (बौ) - देखो धुपाणी (बी) | थियो, धुपेड़ी, धुवेरखी देखो 'थियो। घुसाइ धुलाई- देखो 'भूतता'। धूतारण पु० [सं० प्रवतारण] ध्रुव का उद्धारक, विष्णु धुब १०१ कोष कोन २ को क्रोध, । ईश्वर | धुन स्त्री० [सं०ध्वनि ] १ रट, जाप । २ ईश्वर के नाम का जप । २ मन की तरंग, मौज । ४ लगन । ५ बुद्धि । ६ गीत या पद की लय । ७ स्वरावली, तान । धुनवेला पु० [सं० ध्वनि वेत्ता ] साहित्य में ध्वनि को जानने वाला । रट, धुनि स्त्री० [सं० ध्वनि] १ ईश्वर के नाम का जप, २८, माला । २ देखी ३ देखो 'धुनी - 'ध्वनिग्रह' । धुनिया - स्त्री० [सं० धुत्र ] रुई धुनने वाली जाति, पिंजारा । धुनियो- पु० उक्त जाति का व्यक्ति । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २ साफ कराना, निर्मल कराना ५ क्रोध दिलाना एवं अधिक खर्च कराना । पारखी देखो 'पियौ । धुबाणौ धुनी - स्त्री० [सं०] १ नदी, सरिता । २ देखो 'धुनि' । ३] देखो 'ध्वनि ४ देखो 'धुन' 'ध्वनिय धुनी - वि० श्रेष्ठ, उत्तम, बढ़िया । (स्त्री० धुनी) धुपघंटी-स्त्री० धूपदानी | धुपटी (बी) देखी 'टी' (वी)। ध्रुवणो (ब) - क्रि० [सं० धूप-संतापे] १ पानी आदि से धोया जाना, धुलना । २ साफ होना, निर्मल होना । ३ मिटना । ४ दूर होना । ५ क्रुद्ध होना । ६ कमजोर होना, क्षीण होना । ७ व्यर्थ एवं अधिक व्यय होना । धुपाणौ - १ वाली (बी) कि० पानी । आदि से धुलाना, धुपवाना। कराना । ३ मिटवाना । ४ दूर ६ कमजोर कराना । ७ व्यर्थ 1 -- For Private And Personal Use Only धुबचाळ स्त्री० [सं० धूप-संतापे] कंपन, थर्राहट । बसी (यो) क्रि० ( प-संतापे] १ नगाड़ा, ढोल धादि बजना । २ वाद्य ध्वनि होना । ३ तो बन्दूक यादि छूटना व उसकी ध्वनि होना । ४ क्रोध करना, क्रोधाग्नि में जलना । ५ जलना, प्रज्वलित होना । ६ युद्ध होना, संग्राम होना । ७ नष्ट होना, कटना । ८ तीव्र होना, तेज होना । ९ प्रचण्डता ग्राना । १० जोश में आना । ११ प्रहार करना, वार करना | धुबाक, (ख) - स्त्री० [देश०] १ नीची जगह । २ देखो 'धमाक' | धुवाणी ( बौ), धुवावरणौ ( बौ) - क्रि० १ नगाड़ा ढोल आदि बजाना । २ वाद्य ध्वनि करना । ३ तोप बन्दूक आदि छोड़ना । ४ क्रोध कराना । ५ जलाना, प्रज्वलित करना । ६ युद्ध करना संग्राम करना । ७ नष्ट करना, काटना । ८ तीव्र करना, तेज करना । ९ प्रचण्डता लाना । १० जोश में लाना । ११ प्रहार कराना । Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पृथ्वी धुन्बणी, (बी) - देखो 'धुबरणी' (बो) । धुमची - देखो 'दुमची' | पुमाळ स्त्री० मुण्डमाल । धुमाळी - पु० एक प्रकार का कर । धुम्मदोस - पु० भोजन की निन्दा का दोष (जैन) । रंडी-देखो 'जेरी'। www.kobatirth.org ( ७०९ ) धुरंधर - वि० [सं०] १ उठाने वाला धारण करने वाला । २ प्रबल, जबरदस्त । ३ महान् श्रेष्ठ । ४ प्रधान, मुख्य । ५ निपुण, दक्ष । ६ सद्गुण सम्पन्न । पुर-१० [सं० धुर्] १ बोभ, भार २ कर्जदार व्यक्ति ि ३] प्रारंभ प्रारंभ ४ उत्तरदायित्व जिम्मेदारी ५ कर्तव्य, पुरेंडी देखो 'पुळेरी' । । कार्य । ६ चोटी, शिरा ७ बंब ८ निश्चय । ९ यान मुख १० जुना । ११ देखो 'घुरो' १५ देखो 'पुराऊ' १३ देखो 'ध्रुव' । वि० १ प्रथम, पहला । २ प्रारम्भिक शुरू का । ३ मुख्य, प्रधान। क्रि० वि० १ पूर्व में, पहले । २ आगे । ३ पास, समीप 1 धुरकारणौ (बौ) - देखो 'दुत्कारणी' (बी) । घुरज देखो 'ख'। । ढोने वाला पू० गाडी + धुरां क्रि० वि० [सं० धुर ] १ प्रथम पहले । २ शिरे पर, मुंह पर था। धुरि- वि० [सं० धुर ] १ प्रथम, पूर्व २ मुख्य, प्रधान । ३ श्रेष्ठ, सर्वोत्तम । ४ विशेष । ५ दीर्घ, लम्बा । - क्रि०वि प्रारम्भ में - पु० सिरहाना । धुरिया स्त्री० एक रागिनी विशेष । धुराव- क्रि० वि० १ आदि काल से प्रारम्भ से । २ देखो 'धुराउ' । धुराळ - वि० १ प्रथम, पहला, पूर्व का, आदि का । २ आगे से अधिक भारी (गाड़ी) | धुरियामलार, धुरीयामलार - स्त्री० मलार राग का एक भेद । पुरियो-१ देखी 'धुर' २ देखो 'धुरी' धुरी - १ देखो 'धुरि' । २ देखो 'धुरौ' । धुरीण - वि० [सं०] १ बोझा ढोने वाला २ काम सम्मानने वाला । ३ प्रधान, मुख्य । ४ पण्डित, विद्वान | धुरू- देखो 'ध्रुव'। धुरजटी- देखो 'धूरजटी' । घुरी-देखो 'धन'। रज-देखो 'रज' । धरणौ (बो) - देखो 'धरणी' (बो) । धुलावट देखो 'धुलाई' । पुरम-वि० [सं० पर-बल] १ बगुवा, मुखिया, नेता । २ सद्गुण सम्पन्न | ३ कर्त्तव्य परायण । ४ महान्, उच्च । ५ उदार, दानी घुरधर पु० [सं०] १ शुरुआत प्रारंभ २ बोभ होने वाला पुलियो देवो'धुन'। 1 घुलाव प्रारणी ३ काम पर लगा मनुष्य । घुरपट-देखो 'ट'। पुरपद-देखो 'प्रपद पुरळ - देखो 'दुळ' | वहाँ वि० [सं०] १ बोझा या भार धुर्वह] २ धागे चलने वाला खींचने वाला बैल | ३ रथ खींचने वाला । धुरौ - पु० [सं० धुर १ किसी वाहन या यन्त्र के चक्र के बीच पर वह चक्र घूमता है । अक्ष लगी कील जिस धुरी । २ जुम्रा । धुलंडी- देखो 'धूळेरी' । धुलणौ (बी) - क्रि० १ पानी आदि से धोया जाना, धुलना । २ स्वच्छ व निर्मत होना ३ निर्विकार होना । धुलहड़ी. घुलहडी - स्त्री० [सं० घुलिपटिका ] एक त्यौहार विशेष लेरी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - घुसली · धुलाई - स्त्री० १ धोने का कार्य । २ धोने की मजदूरी । धुलागौ (बौ) क्रि० १ पानी बादि से घुलाना, साफ कराना । २ स्वच्छ निर्मल कराना । ३ निर्विकार कराना । (बी) देखो 'वाणी' (बो)। घळी-देखो''। धुलेंडी, धुलेडी, धुलेरी-देखो 'धूळेरी' । ध्रुव-पु० १ कोप क्रोध । २ देखो 'ध्रुव' । बड़ देखो''। - वली (बौ)- १ देखो 'वही' (बी) २ देखो 'पण' (ब)। । ध्रुवमंडळ मंडळ' धूवराज-देखो 'व' । धुवळ - देखो 'घवळ' | ध्रुवसंधि- देखो 'ध्रुवसंधि' । धुवाकस देखो 'धुवाकस' धुवांन - देखो 'ध्वनि' । For Private And Personal Use Only धुरा, घुराई - क्रि० वि० १ ग्रन्त में, आखिर । २ अन्त तक । ३ प्रारम्भ में । स्त्री० बैलगाड़ी का जुआ । धुराउ, (ऊ) - पु० [सं० ध्रुव ] ध्रुव तारे की दिशा, उत्तर धुवारणौ (बी), धुवावी (बौ) -१ देखो 'ध्रुवाणी' (बौ) । - वि० उत्तर की ओर का, उत्तर दिशा का । २ देखो 'धुपाणी' (बी) । धुवौ - देखो 'ध्रुव' । धुसरणौ ( बौ) - क्रि० [सं० ध्वंस] २ विनाश होगा नाम होना १ ध्वंस होना संहार होना । ३ देवो 'घसरणी' (बी) । Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुसरी ( ७१० ) धू सणौ धुसरी, धुसली-स्त्री० [देश] रज, धुलि, रेणु । माफ दिखाई न दे । ४ मटमैले या भूरे रंग का । धुस्सौ-देखो मौ'। ५ बहुत कम प्रकाश वाला। धू-१ देखी '' । २ देखो 'धृवौं'। | धूधाड़ी-पु० धूए या मदं का समूह । धू प्राधार (धोर)-देखो 'आधार' । धू धाणौ (बौ)-क्रि० [देश॰] १ तेज चलाना । २ तेजी से श्वास धू मारव-पु० [सं० धूमः रव] धुम धूया। लेना। ३ जल्दी मचाना। धई--१ देखो 'धुई' । २ देखो धूणी' । धूधाळ (ळी)-वि० [सं०तुद-यालुच्] (स्त्री० धू धाळी) १ तोंद धूमो-देखो 'ध्रुवो। वाला । २ मोटा-ताजा । ३ धूम या धूलि युक्त। धू करणी-देखो 'धाकरणी'। धूधावरणौ (बी)-दखी 'धू धाणो' (बी)। धकणौ (बी)-क्रि० १ गर्जना दहाडना । २ जोर से बोलना। धूधि-स्त्री० [देश॰] १ अांख का एक रोग । २ धुधलापन, ३ जोश में बोलना। अस्पष्टता । ३ देखो धी'। ध कर-स्त्री० [देश॰] १ जोश पूर्ण आवाज । २ फटकार, डांट। धधियो-वि०१ मंद दृष्टि वाला। २ जिसे कम दिखता हो। धू कळ--पु० [देश] १ युद्ध, लड़ाई । २ उपद्रव, उत्पात । धंधी-स्त्री० १ उमंग, जोश । २ कंपन, झंझनाहट । ३ टंटा, फिसाद, बखेड़ा । ३ धडधड़ी। धूकळरणौ (बौ)-देखो 'धौळणी' (बी)। धधकार-१ देखो 'धुधकार' । २ देखो 'धुधकार' । धू कळसी. धूकळी-वि० साहसी, वीर । धूधणी (नी)-देखो 'धधणी'। धकार, धुकारव-१ देखो 'धौंकार' । २ देषो 'धुकार'। धू धेड़, धू धौ-पु० चौहान वंश की एक शाखा व इमका व्यक्ति । धूखळ-देखो 'धूकळ'। धून-वि० [देश॰] १ बढ़िया श्रेष्ठ, उत्तम । २ देखो 'धूण' । धूखळणी (बौ)-देखो 'धौंकलणी (बी)। | धूनि-पु० १ एक वृक्ष विशेष । २ देखो 'धुरिण' । धू गरि-पु० १ वृक्ष विशेष। २ शाक विशेष । धूप-देखो 'धूप'। धुगार-देखो 'धुगार'। धूपियो-देखो 'धूपियो'। धंगारणौ (बो)-देखो 'धुगारणौ' (वी)। धूपेड़ो-देखो 'धूपियौ'। धरण-स्त्रो० सं० अर्द्ध] १ आधा मन का एक तौल विशेष । धूब-पु० [फा० दुम] १ बैल के पिछले पांवों का ऊपरी भाग। २ अाधा मन की मात्रा। गं० ध्या] ३ धौंकनी । २ नर भेड़ की पूछ पर एकत्रित मांस पिण्ड । ४ प्रवृत्ति, ध्यान । -वि० १ प्राधा मन । २ देखो 'धून'। ३ देखो 'दूबौ'। धू गणो (बौ)-देखो 'धुणणी' (बी)। धूबड़ी-१ 'धूमड़ो' । २ देखो दुगे । धव-स्त्री० शरीर को झकझोरने या झटका देने की क्रिया | धुबह-वि० [सं० धमट] १ तीव्र प्रचण्ड । २ देखो दूबौ' । या भाव। धू बी-१ देखो 'ब' । २ देखो दूबौ' । धुणि, धूणी (णो)-स्त्री० [सं० धूमः] १ साधु-फकीरों के धू बौ-देखो 'वो' । पाश्रम में बना छोटा अग्नि कुण्ड । २ उक्त अग्नि कुण्ड धूमर-पु० [ग धुर] शिर, मस्तक । में जलाई जाने वाली अग्नि । ३ उक्त अग्नि कुण्ड की राख ! धू'र-स्त्री० [सं० धूयरी] १ कोहरा । २ गर्द । ४ नाथ सम्प्रदाय के फकीरों का निवास स्थान । ५ एक धुबाडो-देखो 'धुवौ' । शाक विशेष । ६ देखो 'धुई। ७ देखो 'धनु' । धु वारवरण-पु० धू ग्रा, धू" का वातावरण । धूद, धूध-१ देखो 'धु'ध' । २ देखो 'तुद' । धूवावाछ, धूवावास-पु० [देश॰] एक प्रकार का कर । धूधळ-१ देखी 'धू धलौ' । २ देखो 'धु'धळ' । धूवी-देखो 'धू यौ'। धुस-स्त्री० [सं० ध्वंम १ वाद्यों की ध्वनि, घोष। २ राजा धूधळणौ (बौ)-क्रि० [सं० धूमः-पालच १ धूया, गर्द, कुहरा की सेवा में जागीरदारों द्वारा भेजे जाने वाले कर्मचारी। आदि छाने में कुछ अंधेरा होना। २ अस्पष्ट होना, ३ प्रभाव, रौब । ४ अातंक, भय, डर, धाक । ५ धमकी, धुंधला होना। घुड़की। [सं० ध्वंसिनी] ६ फौज, मेना । ७ समूह, झुंड । ध धळि-देखो 'धुधळी'। ८ नगाडे पर डंके की चोट । ६ देखो धू'सौ'। धू धळीमल्ल, (माल)-पु. क सिद्ध विशेष । धूसरणौ (बो)-कि० [सं० ध्वंसनम् १ ध्वम करना, नाश ध धळी-वि० [सं० धूम-पालुच] (स्त्री० धळी) १ धूया, करना । २ गर्जना, गुर्राना। ३ गिर कर चूर होना। गर्द या कुहरे से आच्छादित । २ अस्पष्ट, धुंधला । ३ जो ४ गिर पड़ना। ५ डूबना । For Private And Personal Use Only Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धू सरो धूपट धूसरौ-वि० [सं० धूसलि] (स्त्री० धूसरी) मटमैला, धुधला। धूजारणी (बी), धूजावणी (बी)-देखो 'धुजारणी' (बी)। धू साळी-पु. [देश॰] १ गप्प, डींग। २ देखो 'धू सौ'। धूजी-देखो 'ध्रुव'। धू सौ-पु० [सं० धूस्] १ धातु का बना नगाड़ा। २ नगाड़ा। धूण-देखो 'धूण'। ३ नगाड़े पर होने वाला प्रहार । ४ नगाड़ा बजाने का | धूरपणी (बौ)-देखो 'धुराणी' (बी)। डंडा । ५ एक राजस्थानी लोक गीत । ६ सामर्थ्य । धूरिणयरण, धुरिणयाळ-पु० १ सुमेरू पर्वत । २ देखो 'धुरिणयाळ' । ७ अोढ़ने का ऊनी वस्त्र विशेष । धूरणी, धूणौ-देखो 'धूणी'। धूहर (रि, रो)-देखो 'धू'र' । धूणी (बो)-देखो 'धोणी' (बौ)। धू हो-देखो 'वो'। धूत-वि० [सं० धूर्त, अवधूत] १ उन्मस्त मस्त । २ पागल । धू, धूप्र-पु० १ शिव, महादेव । २ हाथी, गज । ३ भार, बोझ । ३ योद्धा, वीर । ४ देखो 'धूरत'। ५ त्यागी, वैरागी। ४ विचार । ५ चित्त, मन, हृदय । ६ हाथ, कर। धूतड़ळ, धूतळ-देखो 'धूत' । ७ शिर, मस्तक [सं० ध्रुव] ८ निश्चय । ६ दिन, दिवस । धूतरणौ (बौ)-क्रि० [सं० धूत] धूर्तता करना, ठगना । १० तबले का बोल -स्त्री० ११ शब्द, ध्वनि । १२ उत्तर धूतताप-स्त्री० [सं०] काशी की एक छोटी प्राचीन नदी । दिशा, ध्र व दिशा । १३ चिंता, फिक्र । १४ प्राग, अग्नि । | धूतारण-पु० [स. ध्र वः+तारण] विष्णु, ईश्वर, परमेश्वर । १५ दुत्कार, फटकार । १६ शीघ्रता करने की क्रिया या | धूतारणी (बौ)-क्रि० [सं० बुर्तम्] भड़काना, सिखाना । भाव । १७ जोश दिलाने की क्रिया। -वि०१ वीर, बहादुर। धूतारी-स्त्री० [सं० धूर्तम् ] पृथ्वी, धरती। -वि० ठगने वाली, २ निश्चल, स्थिर, अटल । ३ कांपने वाला, डरने वाला, । ठगोरी । चालाक, दुष्टा। कायर । ४ धूर्त, कपटी। ५ प्रथम, पहला। -क्रि० वि० धूतारौ-१ देखो 'धूत' । २ देखो 'धूरत' । १ पहले, पूर्व में । २ अोर, तरफ । ३ शीघ्र, तुते । धूती-स्त्री० शाक विशेष । --वि० ठगने वाली, चालाक, दुष्टा । ४ देखो 'धी'। ५ देखो 'ध्रुव' । धूतौ, धूत्यो-१ देखो 'धूत' । २ देखो 'धरत' । धून उ-देखो 'धुवो'। धूधड़ाक-वि० निडर, निर्भय । धूअर (रि, री)-देखो 'ध'र'। धूधड़े, धूधई, धूधडे, (डे-वि० सं० घ्र व-धट:] १ अटल, धूप्रा-देखो 'धू'। दृढ़ । २ निडर, नि:शंक । ३ चौड़े में, खुले प्राम। धूई-१ देखो धूणी' । २ देखो धुई। धूधर-पु. शरीर, देह । धूम्रो-१ देखो 'धू' । २ देखो धुवौ' । धूधळ-देखो 'धुधळ' । धूक-देखो 'धाक'। धूधळणौ (बी)-देखो 'धुधळणो' (बौ)। धकरणौ (बो)-क्रि०१ध्वनि करना,बजना। २ देखो'करणी' (बी)। धूधारण-वि० [सं० ध्रुव-धारण] अटल, स्थिर, दृढ़ । धूकळ-देखो 'धू वळ'। धधूप्रार-पु० जोर से चिल्लाने की क्रिया । धूकळणौ (बौ)-देखो 'धौंकळणौ' (बौ) । धूधूकट-देखो 'धुधुकट'। धूकार -देखो 'धुकार'। धधकार-अव्य० १ अधिकता बोधक अव्यय शब्द । २ देखो धूकारणी (बी)-क्रि० ध्वनि करना, बजाना । 'धुधकार'। धकारव-१ देखो 'धोंकार' । २ देखो 'धुकार' । धून-स्त्री० [सं० धूत्र | १ धुनने की क्रिया या भाव । २ देखो धूखरण, धूखळ- देखो 'धूकळ' । 'धुन' । ३ देखो 'धुन' । धूखळणी (बौ)-देखो ‘धौंकळणौ' (बी)। धूर, धूडि, धूड़िया, धूड़ीड़, धूड़ोड़, धूडोडो, धुडो-स्त्री० धूनी-१ देखो 'धुन' । - देखो णी' ३ देखो 'धून' । [सं० धूलि] १ मिट्टी, रेणु । रज, गर्द । २ निरर्थक वस्तु । धूनी-पृ० १ जाति विशेष का घोड़ा । २ देखो 'न' । -कोट-पु० मिट्टी का बना कच्चा किला । -गढ़-पु० मोर्चे धूप-पु० [सं०! १ देव मूति ग्रादि के सम्मुख जलाने का अगरके लिये बनी धूल की दीवार । धूल का गढ़ । बदन आदि मगध द्रव्य । २ गुगंध द्रव्यों का मिश्रा, धूज-स्त्री० [सं० धू] कंपन, थर्राहट । अप । ३ मयं का प्रकाश, पातप । --स्त्री. ४ तलवार, धूजट (टि, टो)-देखो 'धूर जटी'। खड़ग । -घड़ी स्त्री-अप के प्राधार पर ममम का ज्ञान धूजण (रिण,पी)-स्त्री०कांपने, थर्राने की क्रिया या भाव, कंपन । कराने वाला यंत्रा-घटी-स्त्री० धूपदानी । छाया-स्त्री. धूजणों (बो)-क्रि० स० धू] १ कांपना, थर्राना। २ भय ।। कही पर हल्का व कहीं गहरा दिखने वाला वस्त्र । खाना, डरना। ३ हिलना-ड्रलना । ४ आन्दोलित होना। धूपट स्त्री मानन्द, मौज व खाने-पीने की मस्ती की अवस्था । For Private And Personal Use Only Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुपटरसा ( ७१२ ) धूयर धूपटणौ (बौ)-क्रि० १ खूब खर्च करना, वितरण करना। धूम-धाम से। २ अधिकार में करना । ३ लूटना । ४ अानन्द मनाना, खुशी धूमपालम-पु० [सं० धूमअलि] भौंरा, भ्रमर । मनाना, मौज करना। धूमकधैया-स्त्री० १ उछल-कूद, बदमाशी, उद्दण्डता। २ शोर धूपणौ-देखो 'धूपियो'। ___गुल हल्ला-गुल्ला । ३ लड़ाई, टंटा। धूपणो (बौ)-क्रि० [सं० धूप] १ धूप आदि सुगंधित द्रव्य धूमकेतन, धूमकेतु-पु० [सं० धूमकेतु] १ आग, अग्नि । जलाना। २ सूर्य के प्रातप में रखना, धूप देना। २ उल्का, पुच्छलतारा । ३ केतु-ग्रह । ४ शिव, महादेव । धूपत-पु० [सं० ध्र व-पति] ध्रव के स्वामी, विष्णु । ५ रावण की मेना का एक राक्षस । ६ पूछ पर मंवरी धूपदान (दांनी, धांणउ)-पु. १ धूप रखने का पात्र । २ धूप | वाला घोड़ा। जलाने का पात्र । धूमड़ो-देखो 'धूमडी'। धूपधारको-वि० तलवारधारी योद्धा । --पु० सूर्य, भानु । धूमज-पु० [सं०] १ बादल, मेघ । २ नागरमोथा। धूपबत्ती-स्त्री० [सं० धूपवर्ती] धूप द्रव्यों की बनी बत्ती, धमडौ-पु० मारवाड़ की एक पर्वत श्रेणी । अगरबत्ती। धूमधड़क्को. धूमधड़ाको-पु० धूम-धाम । धूपहट-देखो 'धूपघटी'। धूमधज-स्त्री० [सं० धूमध्वज] अग्नि, प्राग । धूपा-देखो 'धूप'। धूमधर-पु० [सं०] प्राग, अग्नि । धूपारणौ-देखो 'धूपियौ' । धूम-धांम-स्त्री० १ खुशी प्रसन्नता की चहल-पहल । ठाट-बाट, धूपियौ, धूपेड़ो, धूपेणौ-पु. १ धूप दान, धूप करने का पात्र। गाजे-बाजे। २ कोई बड़ा समारोह, मेला । २ धूप-दीप। धूममारग-पु० ग्राम रास्ता, चहल-पहल वाला रास्ता। धूपेरण-पु० सलई या गुग्गुल का वृक्ष । धूमर-पु० [सं० धुर्] १ शिर, मस्तक । २ एक असुर का नाम । धूपेरणौ-देखो 'धूपियौ'। ३ देखो 'धूम्र,। -स्त्री० ४ विशेष रग की गाय। -वि० धूपेल-पु० गुग्गल का तेल । काला, श्याम। धूब-स्त्री० १ पानी में डुबकी लगाने की क्रिया या भाव । धूमरक-पु० [सं० धूम्र] अधेरा। २ घोड़े की पीठ पीछे का भाग जहाँ दुमची बंधती है। धूमरतन-पु० [सं० धूम्र-तन] धुश्रा उत्पादक, अग्नि, आग । ३ देखो 'दोब'। धूमराई-पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष । धबक-स्त्री० १ मानसिक आघात, धक्का । २ बन्दूक छूटने धूमलोनन, (न)-पु० [सं० धूम्रलोचन] १ शुभ नामक दैत्य का का शब्द। । सेनापति । २ कबूतर, कपान । धबकौ-पु. १ भारी वस्तु के गिरने का शब्द, धमाका। धूमविराळ-स्त्री. उच्छवास, आह । २ देखो 'घूबक'। धूमसौ-पु० धुआ, धूम। धूबड़-नाथ-पु० नाथ सम्प्रदाय का एक सिद्ध । धुमाळी--पृ० सर्दी में प्रोढ़ने का मोटा वस्त्र । -वि० मोटा-ताजा। धूबणौ (बौ)-देखो धुबरणो' (बौ)। धूमावती-स्त्री. [सं०] दश तांत्रिक महाविद्यानों में से एक । धबाक-स्त्री० १ नीचे की ओर कूदने, छलांग लगाने की क्रिया धूमोरण, (4)-पु० यमराज । या भाव । २ देखो 'धूबक' । धूमौ पृ० गोल ककड़ी विशेष । धबौ-वि० १ संहारक, विध्वंसक । २ मारने वाला ।। धूभ्र-पु० [सं०] १ धुपा, धूम। २ फलित ज्योतिष का एक योग। ३ देखो 'धोबी' । ३ पाप गुनाह । ४ धूप । ५ राम की सेना का एक भालू । धूपगर-पु. [म०] प्राग, अग्नि । ६ दुष्टता। ७ नगीनों का एक दोष । ८ अंधकार । धूमंडळ-पु० सं० ध्रुव मंडल] १ एक पौराणिक लोक विशेष। --वि० १ धुए के रंग का, भूरा । २ काला । ३ बैंगनी। २ संसार । ३ ध्रुव तारा की दिशा, उत्तर । --केतु 'धूमकेतु'। ----पान--पु० औषधि का धुपा सांस धुम-पु० [सं० धूमः] १ धुआ, धूम्र । २ युद्ध । ३ उछल-गद, से खींचने की क्रिया या भाव । बीडी-तम्बावू प्रादि सेवन उत्पात । ४ शरारत, उद्दण्डता । ५ शोरगुल, हल्ला-गुल्ला। करने की क्रिया। ६ कोलाहल, जनरव । ७ कोई बड़ा ममागेह। ८ ख्याति. धूम्रक-पु० [सं० धूम्रक:] ऊंट, उष्ट्र, कमेलक। चर्चा, प्रसिद्धि । ९ आहार-दाता की निदा करने का एक धूम्राक्ष-पु० [सं०] वार व नक्षत्रों संबंधी २८ योगा में से तीसरा दोष । (जैन) १० देखो 'धोम'। -वि० १ धुंए के योग । समान। २ काला, श्याम । -क्रि-वि० जोर-शोर से, धूय, धूयर-१ देखो 'धू' । २ देखो 'धी' । For Private And Personal Use Only Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर ( ७१३ ) धेवड़ियो धूर-देखो 'धूड'। धूवस्तौ (बौ)-क्रि० पालोकित होना, प्रकाशित होना। धरज-पु. [सं० धूर्यः] १ यज्ञ । २ घोडा, बाजि । धूवाधार, धूवाधोर-देखो 'धु'आधार' । धूरजट, (टि, टी, टू, ट्टी)-पु. [सं० धूर्जटि] १ शिव, महादेव वेल-स्त्री. एक लता विशेष । २ वट वृक्ष। | धवौ-देखो 'वो' । धरणौ (बी)-क्रि० [सं० ध्वरति] १ उदास होना, खिन्न होना। धूस-स्त्री० [सं० ध्वंसिनी] १ सेना, फौज । २ समूह, झुण्ड । २ विरह करना। ३ देखो 'धू सौं। ४ देखो 'धूस' । धूरत-वि० [सं० धूर्त १ धोखेबाज, वंचक । २ ठग, चालाक । धूसको-पृ० ध्वनि, आवाज। ३ पाखंडी, ढोंगी। ४ मायावी । ५ दुष्ट, खल, नीच। धूसर-वि० [सं०] १ मटमैले या धूल के रंग का । २ धूल से ६ उत्पाती, उपद्रवी । ७ जारी। ८ दाव-पेच लगाने भरा, धूल सना। ३ धुधला । ४ भूरा। -पु. १ मटमैला या वाला । ९ गुण्डा, दादा । -पु० १ धतुरा । २ चोर नामक भूरा रग । २ इस रंग का घोड़ा। ३ गधा। ४ ऊंट । गंध द्रव्य । ३ साहित्य में एक प्रकार का नायक । ५ कबूतर । ६ तेली। - चरित-पु० धूर्तों का चरित्र । ढोंग । धूसरी-स्त्री० [सं० धूसर] धूलि, रज । -वि० धूसर रंग की। धूरतक-पु० [सं० धूर्तक] १ धूर्तता करने वाला व्यक्ति । जुमारी। धूसळ-पु० [देश॰] लड़ाई, टंटा। २ गीदड़, शगाल । धूसली-स्त्री० [सं० धूमर] धूलि, रज । धूरतता, धूरतताई-स्त्री० [सं० धूर्तता] १ बंचकता, चालबाजी, धूहकार-देखो 'धाऊकार' । चालाकी। २ माया। ३ धोखा। ४ पाखंड। ५ गुण्डागर्दी। धहड़-देखो 'धूड़'। धुरतसबळ-पु० [सं० धूर्त-संबल बहत्तर कलाओं में से एक । धेकट-पु० तबले का एक बोल । धूरती-वि० १ धूर्तता करने वाला । २ देखो 'धूरतला'। धेग-देखो 'बैंग'। धूरधर-पु० [सं० धूर्धर] बोझा ढोने वाला मजदूर, भारवाही, धे-पु० [सं०] १ पारसनाथ । २ वृक्ष, पेड़ । ३ धर्म । ४ पति । कुली। ५ कार्यक्रम । -स्त्री०५ धरती, भूमि । धूरां-क्रि०वि० ऊपर, ऊंचाई पर । धे ग्रभाग-पु० [सं० धेय भाग] धर्म । धूरा-देखो 'धुरा'। धंऊ-वि० [देश॰] १ सहायक, मददगार । २ उत्तरदायित्व धरि (री), धूळ, धून- देखो 'धूड' । लेने वाला। धूळकोट-देखो डकोट'। धेक-देखो 'धेस'। धूळधोया-स्त्री० [सं० धूलि-धोत] स्वर्णकारों की एक शाखा । धेकियो, धेकी-देखो 'धेखी' । धूळपांचम-स्त्री० [स० धूलि-पंचमी] चैत्र कृष्णा पंचमी । धेख-स्त्री० [सं० द्वष] १ शत्रुता, वैर । २ द्वेष, डाह, ईर्ष्या । धूळरोट-पु. नाथ सम्प्रदाय के योगी की मृत्यु के तीसरे दिन ३ प्रतिस्पर्धा, होड। किया जाने वाला एक भोज विशेष । धेखियो-देखो 'दोखी'। धूळहडी, धूळहरी-देखो 'धूळेरी'। धेखी-देखो 'दोखी'। धूळि-देखो 'धूड'। धेग-देखो 'देगचौ'। धळिधआ-स्त्री० १ एक प्राचीन जाति विशेष । २ गेहूँ की धेटाई-देखो 'धीटाई'। बोवाई का एक ढंग। धेटौ, धेठ- देखो 'धोठ'। (स्त्री०घेटी) धूळियाभात्त-पु० [सं० धवल-भक्त] पाणिग्रहण के पूर्व बरात | धाई-देखो 'धोटाई' । ___को दिया जाने वाला भोज । धेठो-देखो 'धीठ'। धळियालुहार-स्त्री० लुहारों की एक शाखा । धेणु-देखो 'धेनु'। धूळिहडी-देखो 'धुळे रो'। धेधगर, धिगर, धोंग, धेधींगड़, धेधींगर, धेधीग, धूळी-देखो 'धूड'। धेधीगर-देखो 'धंधींगर'। धूळीयो-पु. एक वृक्ष विशेष । धेनंजय-देखो 'धन जय'। धुळेडी, धूळेटी, धूळेरी-स्त्री० [सं० धूलि] होली के दूसरे दिन | का त्यौहार, इस दिन को खेला जाने वाला फाग। | धेन-पु० [सं०] १ समुद्र । २ नद । ३ देखो धेनु' । २ फाल्गुन मास की शुक्ल प्रतिपदा । धेनक-देखो 'धनुक' । धूब-१ देखो 'धूप' । २ देखो 'ध्र ब' । धेनडियो-पु. १ गोवत्स, बछड़ा। २ पुत्र, बेटा । For Private And Personal Use Only Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धनु धोतो धन-स्त्री. (स०१ गो, गाय । २ दुधारू गाय । ३ पुरुष वाची धो-पु. १ धर्म । २ सागर, समुद्र । ३ शकट । ४ अर्थ । शब्द को स्त्री वानी बनाने वाला एक प्रत्यय । ४ पश्दी। ५ वृषभ, बैल । -वि. सुखद । ५ देखो 'धनु'। | धोअरणो (बौ)-देखो 'धोरणौ' (बी)। धेनुक-पृ० [सं०] १ एक तीर्थ का नाम । २ एक अगुर । धोऊंकार-देखो 'धोंकार'। ३ मोलह रति बंधों में से एक । धोक-पु० १ नमस्कार, प्रणाम । २ धव वृक्ष । धेन-देखो 'धेनु'। | धोकड़-पु० तराजू का झुकाव । धेम-पु० [देश॰] ढेर। | धोकड़ी, धोकड़ो-देखो 'धोक' । धय-वि० [सं०] १ धारण करने योग्य, धार्य । २ ध्यान देने | धोकरणी (बी)-क्रि० [सं० ढोकृ] नमस्कार करना, प्रणाम योग्य, ध्यान करने योग्य । -स्त्री० [सं० धीता] १ पुत्री, करना। लडकी। २ उद्देश्य, लक्ष्य । | धोकरणी (बी)-क्रि० १ गरजना । २ दहलाना, दहाड़ना। धेर--प्रव्य. हाथी को संकेत देने का अव्यय शब्द । -पु० [देश॰] धोका-धड़ी-स्त्री० धोखा देने का कार्य, धूर्तता, विश्वासघात । एक जाति विशेष। घोकायती धोकेबाज-वि० धोखा देने वाला, कपटी, धूर्त । धेली-देखो 'अधेली'। धोकार-देखो 'घोंकार'। धेलौ-देखो 'अधेलो'। धोकेबाजो-स्त्री० छल, कपट, धूर्तता। धंग-स्त्री. १ पानी में बुदने या छलांग लगाने की क्रिया। धोको-पु० [सं० धूकता] १ भ्रम, भुलावा । २ छल, कपट । डुबकी, गोता। २ एक जाति विशेष का घोड़ा। ३ चालाकी, धूर्तता । ४ विश्वासघात, धोखा । धेड़, धेडियो-स्त्री. १ बड़ी रोटी। २ देखो 'धेड' । ५ पश्चाताप । ६ मानसिक आघात। ७ चिप्ता, सोच, धे-पृ० १ रावरण, दशानन । २ गर्दन, ग्रीवा । ३ सुग्रीव ।। फिक्र । ८ मिथ्याभास । ९ माया, दिखावटी वस्तु । ४ प्राश्रय । १० अज्ञान । ११ अनिष्ट की आशंका । १२ शक, संशय, धै'-देखो 'द्रह। संदेह । १३ भय, डर । १४ त्रुटि, चूक । धेईडणी (बी)-क्रि० मारना, पीटना। धोख-देखो 'धोक'। धंकाळ-पु० [सं० द्रह-काल] भयंकर दुभिक्ष । धोखरणौ (बौ)-देखो 'धोकगी' (बौ)। धेड, धेड़ियो, धड़ो-स्त्री० [सं० | १ नदी में अधिक गहराई धोखेबाज-देखो धोकेबाज' । वाला स्थान । २ पानी का गड्ढा, पोखर। ३ बडा व धोखेबाजी-देखो 'धोकेबाजी' । गहरा खड्डा। ४ कच्चा, वृधा। ५ कूए का खड्डा। धोखो-देखा धोको' । ६ पशूनों का खाद्य पकाने का मिट्टी का बना बड़ा बर्तन । - धोड़--१ देखो 'धौड़' । २ देखा 'धोडौ। धंचाळ-वि० १ बहुत गहरा । २ असीम, अपार (जल) धोडौ-वि० सं० धाटो] १ वीर, बहादुर । २ राकू, लुटेरा। धेड, धडियौ, धंडो-देखो 'धेड' । ३ देखो 'धोडौ। धंधंगर, धधिगर, धंधोंग, धंधींगड़, धंधोंगर, धंधोग, धंधीगर-पु० छोटी-देखो 'ढोटी। दिश०] १ हाथी, गउ । २ सांप, नाग । ३ ऊंट। धोटो-देखो 'ढोटो' । -वि. १ बड़े डील-डौल का, विशालकाय, भीमकाय । धोडो-पु० १ प्रवाह, धारा । २ बड़ा कोग्रा, काला कौया । २ प्रचण्ड, जबरदस्त। धोणी (बी)-क्रि० [सं० धावनम्] १ पानी प्रादि से धोना, धनव-वि. गाय से उत्पन्न, गाय का। --स्त्री. गाय। प्रक्षालन करना। २ म्वच्छ व निर्मल करना। ३ मिटाना, धळ-देखो 'रियो। दर करना। धल-दखो दहल'। धोत, धोतड़-देखो 'धोती'। धंलणौ (बी)-देखो ‘दहलगो' (बो)। धोतपडणौ-पु० जलाशय में कूदने की क्रिया या भाव । ळियो-पु० [देश॰] मिट्टी आदि का बना बड़ा जल पात्र । धोतपट्ट-पु० [म० अधोपट] पुरुषों के पहनने का अधोवस्त्र धवत-पु० [सं०] मगीत में सरगम का छठा स्वर । विशेष, धोती। धंह-देखो 'द्रह। |धोति, धोतियो, धोती, धोतीड़, धोतो-स्त्री० [सं० अधोवस्त्र) धोकार, धोकारि-स्त्री० १ होलक आदि वाद्यों की ध्वनि । १ पुरुषों का अधोवस्त्र विशेष । २ साड़ी। [सं० धौति] २ धनुष की डोर की ध्वनि, टकार । ३ शरीर शुद्धि के लिए हठयोग की एक क्रिया । ४ योगिक धोंधीगर-देखो 'वैधीगर' क्रिया में काम आने वाली वस्त्र पट्टिका । For Private And Personal Use Only Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org धीधर धोसो धोधर-पु० ठोडी। धोरिउ-देवो 'धोरी'। धोधोंगर-देखो 'धंधींगर'। धोरियो-पृ० [सं० धुर १ करघे का एक उपकरण । धोप-देखो 'धौप'। २ देखो 'धोरौ'। धोपटौ-पु० दावत का खाना । धोरोंधर-देखो 'धरंधर'। धोपणौ(बो)-क्रि० १ डराना, धमकाना । २ देखो 'धोणी' (बौ) | धोरो पु० [सं० धौरेय] १ बैल, वृषभ । २ देखो 'धोरी'। धोपारणी (बौ), धोपावरको (बी)-क्रि० १ डरवाना, धमकवाना। -वि० १ मुखिया, अगुवा, प्रधान । २ भार उठाने वाला। २ देखो 'धुपाणी' (बो)। धोरीथाप (थापो)-पु० [सं० धर-स्थाप] खलिहान में प्रथम धोब-स्त्री०१ धोने की क्रिया, धुलाई । २ देखो 'दोब'। वार साफ किये अनाज का डेर। -वि० श्रेष्ठ, उत्तम । धोबरण-स्त्री० १ धोबी जाति की स्त्री। २ कपड़े धोने का धोरीधर-पु० [सं० धुर्धर] बैल, वृषभ । व्यवसाय करने वाली स्त्री । ३ एक पक्षी विशेष । धोरीभाव-पु० [सं० ध्रुव-भाव] सामान्य तौर पर स्थिर दर । धोबी-पु० [सं० धावक] (स्त्री० धोबरण) कपड़े धोकर जीविका धोरे (र)-कि वि० [देश॰] निकट, समीप, पास । कमाने वाली जाति व इस जाति का व्यक्ति। -धटौ, धोरौ-पु० [सं० धोरणि] १ स्त्रियों के वस्त्रों पर शोभा के धाट, धाटी-पु० जलाशय का वह किनारा जहां धोबी लिए लगने वाली कोर, गोट आदि । २ मार्ग, रास्ता । कपड़े होते हैं । कपड़े धोने का स्थान । —पछाड़-स्त्री० ३ प्रवाह । ४ लहर । ५ लपट । ६ झोंका । ७ परिस्थिति, कपड़े को पछाड़ने की क्रिया । कुश्ती का एक पेच । वातावरण। ८ धूल का टीबा, भीटा, ढूह । ९ खेत के धोबी-पु० १ दोनों हथेलियों को मिलाकर बनाई गई मुद्रा, किनारे-किनारे बनी मिट्टी की पाज । मेढ़। १० जल अंजलि। २ अजलि में समाने लायक पदार्थ । प्रवाह रोकने का बांध । ११ क्यारियों में पानी देने की धोमग-देखो 'धूमगर'। नाली । १२ तट, किनारा। धोम-पृ० [सं० घूमः] १ अग्नि, प्राग । २ वायु, हवा । ३ तोप। धोवरण-पु० [सं० धावनम्] १ पात्र में चिपकी वस्तु को धोकर ४ तोप की अावाज । ५ क्रोध, कोप। ६ देखो 'धूम'। निकाला हुआ पानी । २ पानी या तरल पदार्थ, जिसमें कुछ -वि० १ बड़ा, महान् । २ जबरदस्त, जोरदार । ३ तेज, धोया गया हो। ३ धोने की क्रिया या भाव। ४ मृतक तीव्र । ४ प्रचण्ड, भयंकर। –झळ झाळ-पु० अग्नि, की भस्मी नदी या तीर्थ स्थान में डाल कर सबंधियों को प्राग । ताप। -पात्र-पु० धूपदान । -बांण-स्त्री० एक __ दिया जाने वाला भोज। प्रकार की तोप। -मार ग= धूममा रग' । | धोवरणी-स्त्री० [सं० धावनिका] १ धोने की क्रिया या भाव । धोमर-पु० १ भस्मासुर नामक राक्षस । २ धूम, धुआ। २ धोने की कला । ३ धोने का उपकरण । धोमरिख-पु० [सं० धूम-ऋषि] पराशर ऋषि का एक धोवरणौ (बो)-देखो 'धोणौ' (बी)। नामान्तर । धोवती-देखो 'धोती'। धोमानळ-स्त्री० [सं० धूमानल] प्राग, अग्नि । धोवन (नु, नू)-देखो ‘धोवण' । धोमारिकव-देखो 'धोमरिख' । धोह-पु० [सं० द्रोह] १ धोखा, दगा । २ देखो 'द्रोह । धोयण-पु० [सं० धावनम्] १ धोना, साफ करने की क्रिया ।। धौंकणी-स्त्री० [सं० ध्मा] १ फूक कर प्राग सुलगाने की नलिका २ देखो 'धोवण'। ___भाथी । फूकनी । २ देखो ‘धमणी'। धोयौ-धायौ-वि० १ साफ सुथरा, स्वच्छ । २ निष्कलंक, | धौंकणी (बी)-क्रि० १ नली द्वारा फूक लगाकर प्राग सुलगाना, निर्मल । फूकना । २ फूक मारना। धोरमनाथ-पु० १ विष्णु का एक नाम । २ एक तीर्थ विशेष । धौंकळ-देखो 'धू कळ' । धोर, धोरड़ी, धोरड़ो-देखो ‘धोरौ' । धोरण, धोरणि (णी)-स्त्री० [सं० धोरणम्] १ घोड़े की धौंकळणो (बौ)-देखो 'धौकळणौ' (बौ)। धौकार-देखो 'धोंकार'। __चाल विशेष । २ सवारी, यान । ३ पंक्ति, कतार । ४ श्रेणी। ५ परंपरा धौंखळ-देखो 'धूकळ' धोरणो-देखो 'धोरण्यौ'। धौखळरणी (बो)-देखो 'धोकळगी' (बी)। धोराऊ-देखो 'धुराऊ'। धौंचक (क्क)-देखो 'धमचक' । धोराळी-पु० [स. धोरगिः] १ कोर, गोटे ग्रादि से सज्जित | धौंस-देखो 'धूस'। वस्त्र । २ गोटे की बनी पट्टी। धौंसर, धौंसौ-देखो 'सौ' । For Private And Personal Use Only Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धो ध्र खळ धौ-: १ देवल । २ धर्म । ३ तट, किनारा । -स्त्री० धौळपूछियौ-पु० [सं० धवन-पुच्छ] १ एक प्रकार का घास । ४ वागी । ५ धरती। २ वह बैल जिसकी पूछ के बाल श्वेत हों। धौक-पु० बर। धौळहर-देखो 'धवळहर'। धोकळ-देखो 'धवल'। धौळा-स्त्री० [सं० धवल] ढोलियों की एक शाखा। धोकळरणी (बी)-क्रि० देश.] १ युद्ध करना, लड़ाई करना । धौळागर (गिर, गिरि)-देखो 'धवळगिरि'। २ ध्वंस करना, नष्ट करना । ३ प्रहार करना, मारना। धौळहार-देखो 'धवळहर' । ४ उत्पात करना, उत्पन्न करना । धौळियो-वि० १ वीर तेजा जाट का एक विशेषण । धौकार-देखो 'धोकार'। २ देखो 'धौळी' धौखळ-देखो 'धू वळ' । धौळेरण-देखो 'धवळे रण'। धौखळणी (बौ)-देखो 'धौकळणौ' (बी)। धौळेहर, धौळंहर-देखो 'धवळहर'। घोड-वि० | देश०] १ रक्षा करने वाला, रक्षक । २ देखो 'दौड़'। धौळी--पु० [सं० धवल] १ एक प्रकार का श्वेत पत्थर । ___ -स्त्री० १ जिद्द, हठ । २ ध्वनि विशेष । २ श्वेत बाल । ३ श्वेत प्रदर, सोम रोग। -वि० (स्त्री० धौड़ य, धौड़ य-पु० वेग। धौळी) १ श्वेत, सफेद । २ देखो 'धवळ'। ३ देखो धोत, धौति (नी)-वि० [सं०] १ धुला हुआ । २ देखो 'धोती'। 'धौळख'। धीप-स्त्री० १ जोश भरी व डरावनी आवाज । २ पातक, | धौल्यौ-पु० [सं० धवल] १ सफेद धव के समान छोटा वृक्ष । भय, रौब । ३ तलवार, खड्ग । ४ धुलाई । २ देखो 'धौळौ' । ३ देखो 'धवळ' । धौपटणी (बौ). धौपट्रषौ (बौ)-क्रि० [देश॰] १ उपद्रव करना, ध्यांन-पू० [स० ध्यान] १ अन्तः करण में उपस्थित करने की लूटना । २ अधिकार या कब्जा करना । ३ खूब खर्च करना। क्रिया या भाव । २ मन व इन्द्रियों को केन्द्रित करने की ४ अानन्द मनाना । क्रिया या भाव । ३ ईश्वर या किसी ईष्ट का एकाग्रचित्त से धौफ-देखो 'धौप'। चिन्तन । ४ चिन्तन, मनन । ५ मानसिक प्रत्यक्ष । ६ खयाल, धौम देखो 'धूम' । विचार, चेतना। ७ दिव्य अन्तर्ज्ञान । ८ बुद्धि, समझ । धौमधुज-देखो 'धूमधज'। ९ प्रगाढ़, चिन्ता । १० स्मृति, याद । ११ मनोयोग से देखने धौमाळ स्त्री० अग्नि, प्राग । व समझने की क्रिया या भाव । १२ योग के पाठ अंगों में धौम्य-पु० [सं०] एक ऋषि । से एक । १३ बहत्तर कलानों में से एक । धौरग-वि० [देश॰] लहु-लुहान व क्षत-विक्षत ।" ध्यांन-जोग-४० [सं० ध्यानयोग] १ वह योग जिसमें ध्यान धौरितक-पु० [सं० धौरितकम्] घोड़े की पांच चालों में मुख्य हो । २ एक तांत्रिक क्रिया। से एक। ध्यान-धारण-पु० स० ध्यानधारिन्] १ शिव, महादेव । धौळ-पु० [देश॰] १ शिर, मस्तक । २ देखो 'धवळ' । २ योगी। ३ देखो 'धौळो' । ४ देखो 'धोळख' । ध्यांनवंत-वि० [सं० व्यानवत् ] जो किसी का ध्यान कर रहा हो। धौल-पु० हाथ के पंजे का भारी प्राघात, थप्पड़ । ध्यांनी-वि० [सं० ध्यानिन्] १ ध्यान लगाने वाला, ध्यान करने धौळक-देखो 'धौळख' । वाला। २ ध्यानयुक्त, समाधिस्थ । धौलक, धौलकी-देखो 'ढोलक' । ध्यांनु-देखो 'ध्यान'। धोळको-खो 'धक'। ध्याग (गि)-देखो ‘धियाग' । भोळख- स्त्री० [सं० धवल ] मकानों पर पुताई करने की श्वेत ध्याणी (बौ)-क्रि० १ ईश्वर या किसी देव का ध्यान मिट्टी । करना, मानना, ईष्ट रखना। २ सेवा-पूजा करना । धौळगिर (गिरि, गिरने)-देखो 'धवळगिर' । ३ देखो 'धारणौ' (बौ)। ___-रांणी="श्रवळगिररांगी' । ध्याता-वि० ध्यान करने वाला। धळजीभौ-पु० सफेद जीभ का बल । ध्यावणौ (बो)-देखो 'ध्यारणौ' (बी)। धौळण-स्त्री० [सं० धवल १ मकान पोतने की श्वेत मिट्टी, ध्यावना-देखो 'धावना' । चूना । २ मकान पोतने की क्रिया । ध्येय-वि० [सं०] १ ध्यान करने योग्य । २ जिसका ध्यान किया धौळणौ (बो)-देखो 'धवळणी' (बौ) । जाय। धौती-स्त्री० [सं० धवल ] गाय । | ध्र खळ-देखो 'धू कळ' । For Private And Personal Use Only Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org ध्र ग ( ७१७ ) ध्रव नंग, घ्रगड़ो-देखो'द्रग' ध्रसुडणौ (बौ)-क्रि० हांकना, चलाना : ध्रम-देखो 'धरम' । ध्रसूकरणौ (बौ)-क्रि० १ ढोल प्रादि वाद्यों का बजना । २ भयध्र-देखो'ध्रुव'। भीत होना, कांपना । ३ देखो 'धसकरणी' (बौ) । ध्रग(ग्ग)-वि० १ बड़ा । २ देखो 'धिक' । भ्रसूकाणी (बी), ध्रसूकावरणौ (बौ)-क्रि० १ ढोल बजाना । ध्रगध्रगी-देखो 'धगधगी' । २ भयभीत करना, कंपित करना। ध्रतकेतु-पु० [सं०] वसुदेव का बहनोई । ध्रस्त-पु० [सं० द्वयष्ट, धृष्ट] १ ताम्र, तांबा । २ बेवफा प्रतदेवा-स्त्री० [सं० धृतदेवा] देवक की एक कन्या का नाम ।। पति या प्रेमी । -वि० १ निर्लज्ज, बेशर्म । २ बार-बार ध्रतरास्ट्री-स्त्री० [सं० धृतराष्ट्री] १ धृतराष्ट्र की पत्नी । अपमान सह कर भी नायिका से लगा रहने वाला नायक । २ कश्यप ऋषि की पत्नी ताम्रा से उत्पन्न ५ कन्याओं में से ३ बेवफा । ४ दुराग्रही, हठी । ५ अभिमानी । ६ लंपट । एक । प्रस्ट केतु-पु० [सं० धृष्टकेतु] शिशुपाल का पुत्र । ध्रति, ध्रती-स्त्री० [सं० धति] १ धरने, धारण करने की क्रिया। प्रांसाड़णों (बो)-क्रि० गर्जना, दहाड़ना। २ पकड़ने की क्रिया या भाव । ३ स्थिरता, ठहराव । ध्रापरणौ (बौ)-देखो 'धापणी' (बौ)। ४ धीरता, धैर्य । ५ संतोष । ६ मन की दृढ़ता । धाब-पु. [देश॰] पशु, मवेशी। ७ अानन्द, खुशी। ८ चन्द्रमा की सोलह कलाओं में से एक। ध्रासक, ध्रासकौ-पु. १ धक्का, आघात । २ प्रघात, सदमा। १ फलित ज्योतिष के सताईश योगों में से एक । १० राजा ध्रासकरणौ (बी)-देखो 'ध्रसक्कणौ' (बौ)। जयद्रथ का पौत्र । ११ देखो 'धरती'। ध्राह-देखो 'धाह'। भ्रतू-वि० [सं० धृत] १ ग्रहण किया हुआ, धारित । २ पकड़ा | ध्राहरणौ (बी)-क्रि० भयंकर आवाज करना, गर्जना । हुआ, धरा हमा। ३ गिरा हुया, पतित । ४ स्थिर, निश्चित। ध्रिक, धिक्क, ध्रिग-देखो "धिक' । ध्रपण-पु० तृप्ति, संतोष । ध्रित, निति-१ देखो 'ध्रति' । २ देखो 'धरती' । प्रब-पु० नक्कारे का शब्द, अावाज । ध्रिबरणौ (बी)-देखो 'धीबणौ' (बी)। धमकणौ, (बो)-देखो 'धमकरणो' (बौ)। ध्रियाग-देखो 'धियाग'। हाम-१ देखो 'धरम'। २ देखो 'धम'। -आतमा 'धरमात्मा'। ध्रिसट-देखो "ध्रिस्टी'। ध्रमक-देखो 'धमक'। ध्रिस्टी-पु० [स० धृष्टि] सूअर, वराह । -वि० [सं० धृष्ट] ध्रमजगर, ध्रमजघड़-देखो 'धमगजर' । नीच, दुष्ट, ढीट। ध्रमपाळ-देखो 'धरमपाळ' । ध्रींगा-स्त्री० नगाड़े आदि की ध्वनि । ध्रमराज, (राय)-देखो 'धरमराज' । ध्री-देखो 'ध्रीह'। ध्रमलाभ-देखो 'धरमलाभ' । ध्रीब, ध्रीबछड़-प्रव्य० १ नृत्य के समय नगाड़े, ढोल प्रादि ध्रमसील-देखो 'धरमसील'। बजने की ध्वनि । २ देखो ‘धीब' । ध्रमी-देखो 'धरमी' । ध्रीबरणौ (बौ)-देखो ‘धीबणी' (बौ)। धम्म-देखो 'धरम'। ध्रीया-देखो 'धी'। ध्रवण-पु० [सं० द्रव] मेघ, बादल । ध्रीयाग-देखो 'धियाग'। ध्रवरणौ (बो)-क्रि० [सं० द्रव १ तृप्त करना; संतुष्ट करना। ध्रीवणी (बो)-देखो 'धोबणी' (बी)। २ बूदों की तरह टपकना । ३ बरसना। ४ द्रवित होना । ध्रीह-स्त्री० नक्कारे की ध्वनि । ५ अधिक उदार होना । ६ मारना, संहार करना । ध्रुपद-पु० [सं० ध्रुवपद] उत्तरी भारत की एक विशिष्ट ध्रवांन-देखो 'ध्वांम'। गायन शैली। ध्रसंडी-वि० जबरदस्त, बलवान, शक्तिशाली । ध्रुव--पु० [सं०] १ उत्तर दिशा स्थित एक प्रसिद्ध तारा। प्रसकरणी (बो)-देखो 'धसकणो' (बौ) । २ राजा उत्तानपाद का पुत्र । ३ वट वृक्ष । ४ पाठ वसुनों ध्रसकारणों (बी), ध्रसकावणो (बौ)-देखो 'धसकागो' (बी)। में से एक । ५ पर्वत, पहाड़ । ६ ध्र वक, ध्र पद । ७ ब्रह्मा। ध्रसक्करणो, (बौ)-क्रि० १ भयभीत होना, कांपना। थर्राना । ८ ज्योतिष के सताईस योगों में से एक । ९ फलित २ देखो 'धसकरणो' (बौ)। ज्योतिष में एक नक्षत्रगण । १० नाक का अत्र भाग । ध्रसटी-१ देखो 'ध्रिस्टी' । २ देखो ध्रिस्ट'। ११ टगरण की छः मात्राओं के ग्यारहवें भेद का नाम ध्रसहसरणौ, (बो)-देखो ‘धसकरणो' (बो) । (151)। १२ भूगोल के अनुसार पृथ्वी का प्रक्ष स्थान । For Private And Personal Use Only Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध्रुवक ( ७१८ ) ध्वेस ११ उत्तर दिशा । १४ पतंग खभा। १५ वृक्ष का तना । | धोह-देखो 'द्रोह'। १६ गत की टेर। १७ समय, युग । १८ ब्रह्मा। भ्रोही-देखो 'द्रोही'। १९ विष्ण । २० शिव । २१ छप्पय छन्द का ५३ वां भेद । ध्रोहौ-वि० द्रोह रखने वाला शत्रु । -वि०१ प्रथम. पहला। २ स्थिर, अचल । ३ एक स्थान ध्वंस-पु० [मं०] नाश, विनाश, हानि, क्षय । पर अटल । ४ सदा एकमा रहने वाला । ५ दृढ़ पक्का । ध्वंसक-वि० [सं०] नाश करने वाला, ध्वंस करने वाला। ६ नित्य । ७ एक*। ध्वंसन-स्त्री० [सं०] १ विनाश, तबाही । २ नाश करने ध्रवक-पृ० [सं०] १ नक्षत्र की दूरी। २ गीत की टेर। की क्रिया। ३ वृक्ष का तना। ४ खंभा । ध्वंसी-वि० [सं० ध्वंसिन ध्वंस करने वाला। ध्रुवकेतु-पु० [सं०] एक प्रकार का केतु तारा। ध्वज-पु० [सं०] १ देवालय, राष्ट्रीय इमारतों ग्रादि पर ध्रवचरण-पु० [सं०] रुद्रताल के बारह भेदों में से एक।। फहराया जाने वाला झंडा, पताका । २ पताका बांधने की ध्रुवरखौ (बौ)-देखो 'ध्रवगौ' (बी)। छड़ या दण्ड । ३ राज चिह्न। ४ देव चिह्न। ५ कोई चिह्न ध्रवतारौ-० [सं० ध्र व-तारक] उत्तर दिशा में स्थिर रहने विशेष । (मार्क) ६ प्रसिद्ध पुरुष । ७ स्त्री या पुरुष चिह्न। वाला ताग। ८ पुरुपेन्द्रिय । ६ किसी वस्तु के पूर्व में अवस्थित मकान । ध्रुव-दरसक-पृ० [सं०ध्र वदर्शक] १ मप्तर्षि मंडल । २ कुतुबनुमा, १० अभिमान, दंभ । ११ ढगण के प्रथम भेद का नाम कपास । (15)। १२ फलित ज्योतिष के अनुसार वार व नक्षत्र ध्रुवदरसन-पु० [सं० 5 वदर्शन] विवाह मंबंधी एक संस्कार । संबंधी एक योग। १३ सामुद्रिक शास्त्रानुसार हाथ का ध्रवपद-पु० [सं०] ध्र पद, ध्रुवक । रेखा चिह्न विशेष । -चिध-पु० पताका, निशान । -भंगध्रुवमंडळ-पु० [सं० ध्र व-मण्डळ ] सप्तर्षि तागे का समूह । १० नकता। -वांन-वि० ध्वज बाला, पताका वाला। ध्र वसधि-पु० [सं०] एक सूर्यवंशी राजा । चिह्न वाला। ध्र 'समध्र स-क्रि०वि० जोर-जोर से । तेजी से । ध्वजा-स्त्री० [सं० ध्वज] १ ढगण के पांचवें भेद का नाम । धू-१ देखो 'धू' । २ देखो 'ध्र व' । २ देखो 'ध्वज'। ध्रप्र-१ देखो 'धूम' । २ 'धू' । ३ देखो 'ध्रुव' । ध्वजादिगणना-स्त्री० [सं०] ज्योतिष की एक गणना विधि । 5 जटी-देखो 'धूरजटी'। ध्वनि, (नी)-स्त्री० [सं०] १ शब्द, नाद, अावाज । २ गुजन, ध्र बकरणी (बी)-क्रि० टूटना, खण्डित होना । रव । ३ शब्दों की अर्थव्यं जना की विशेषता। ४ गूढार्थ । ध्र माळा-स्त्री० मुण्ड माला । प्राशय । ५ स्वर । ६ वाजे की ला । ७ बादल की गजेना । भ्रूय-देखो 'धू'। ८ खाली शब्द । ९ शब्द । १० उच्चारण । -ग्रह-पु० भ्रूस-स्त्री० १ काली घटा । २ देखो 'धूस' । कान। ध्र सकणी (बी)-क्रि० ढोल आदि वाद्य बजना । ध्वस्त-वि० [सं०] १ टूटा-फूटा, खंडित, भन्न। २ नष्ट-भ्रष्ट । ध्र सटपो (बी)-क्रि० ध्वस करना । ३ गिरा हुअा, च्युन । भ्रू समधू स-देखो 'धूसमधू 'स'। ध्वांक्ष-पु० [सं०] बार नक्षत्रो मंबंधी एक योग । प्रेठउ, ध्र ठौ-देखो 'धीठ'। (स्त्री० धेठी) ध्वांत, ध्वांतस-पु० [सं०] १ एक नरक का नाम, तामिस्र । धोरण-पु० मस्तक, शिर। २ अंपरा । ३ रात्रि, रात। -वर-पु. निशाचर, राक्षस । ध्रोप (फ)-देखो 'धौप'। -सत्र-पु० ग्राग, अग्नि । सूर्य । चन्द्रमा। दीपक, ज्योति । ध्रोब-देखो 'दोब'। प्रकाश, उजाला। ध्रोबाठम-स्त्री० [सं० दुर्वा+अष्टमी] भाद्रपद शुक्ला | ध्वांन-पु० [सं० ध्वान] शब्द, आवाज, ध्वनि । अष्टमी। ध्विज-देखो 'ध्वज'। ध्रोळहर-देखो 'धवळहर'। | वेस-देखो 'दुस'। For Private And Personal Use Only Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी न-देवनागरी वर्णमाला का बीमवा वर्ण । नंदन-पु० [सं०] १ इन्द्र का उपवन, देवलोक का उद्यान । न-पु० १ सुख । २ अांख । ३ संसार । ४ शृगार । ५ कान ।। २ महादेव, शिव । ३ विष्णु । ४ लड़का, पुत्र । ५ मेंढ़क । __६ हर्ष । ७ हाथी । ८ पति । ९ स्वामी। ६ चंदन की लकड़ी। ७ हर्ष, प्रसन्नता। -वि० मूर्ख, नखी-देखो 'नखी'। पागल । -बन, वन-पु० इन्द्र का उद्यान । नंग-पू० [सं० प्रमंग] १ कामदेव । मनोज । २ नंगा। नंदनी-पू० [सं० नंदिनी] १ पुत्री । २ कामधेन । ३ वसिष्ठ के ३ देखो 'नग' प्राश्रम में रहने वाली कामधेनु की पुत्री। नंगर-स्त्री० [देश॰] कुलौंच । नंदप्रयाग-१० [सं० बदरिकाश्रम के समीप एक तीर्थ । नंगळियौ-पु० शव-यात्रा में साथ ले जाने का मिट्टी का एक नंदरबारी-स्त्री० [देश॰] एक प्रकार का वस्त्र विशेष । जल पात्र। नदसेण-देखो 'नदिसेण'। नंगाती-वि० खुले वक्षस्थल वाली। नंदा-स्त्री० [सं०] १ मास के प्रत्येक पक्ष की षष्ठी व एकादशी नंगारची-देखो 'नगारची'। तिथि । २ अवसपिणी के दशवें अर्हत की माता का नाम । नंगारौ-देखो 'नगारौ'। ३ संगीत की एक मूर्च्छना। ४ देखो 'निदा' । ५प्रसन्नता, नंगोड़ो-देखो 'नगोड़ो'। हर्ष । ६ धन, दौलत। नगौ-देखो नागो'। नंदातीरथ-पु० [सं० नंदातीर्थ] हेमबूट पर्वत का एक तीर्थ और नंचरणी-देखो 'नाचण' । वहां बहने वाली नदी। नद-पु० [सं०] १ गोकुल के गोपों का मुखिया । २ मगध देश | - नंदादेवी-स्त्री० [सं०] दक्षिण हिमालय की एक चोटी। के राजारों की उपाधि । ३ पत्र, लड़का । ४ अानन्द, हर्ष । | नंदावरत-देखो 'नंद्यावरत' । ५ विष्णु, परमेश्वर । ६ एक नाग का नाम । ७ वीणा | नंदिकर-पु० [सं०] शिव, महादेव । विशेष । ८ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । ९ आदि गुरू, त्रिकन नादकुड-पु० [सं०] एक प्राचान ताथ । (१)। १० एक प्रकार का मृदंग। ११ एक रागिनी | नंदिकेस-पु० [सं० नंदिकेश] १ शिव का द्वारपाल, गण । २ शिव । विशेष । १२ एक प्रकार की बांसुरी विशेष । १३ नी मंदिकेस्वर-पु० [सं० नंदिकेश्वर] १ शिव का द्वारपाल, गण । निधियों में से एक । १४ देखो 'नदन'। -कंवर, किसोर, २ शिव । किसोर, कुअर, कुवार, कुमार, कुमार-पु० श्रीकृष्ण । | विग्राम-पू० [सं० नंदिग्राम] अयोध्या के समीप एक गांव । ----गांव, ग्राम-पु० गोकुल । नंदिग्राम । -नंद, नंदन-पु० नंदिघोस-पु० [सं० नंदिघोष] १ अग्निदेव द्वारा प्रदत्त अर्जुन श्रीकृष्ण । विष्णु । ईश्वर । -नंदिनी-स्त्री० नंद की का रथ । २ शुभ व मांगलिक घोषणा। कन्या । योग माया। -रांणी-स्त्री० यशोदा। -लाल- नदिमुख-पु० [सं०] १ पक्षी विशेष । २ शिव । पृ० श्रीकृष्ण । --लोक-पृ० वदावन । ---बस-पु० मगध नंदिरुद्र-पृ० [सं०] शिव । का प्रसिद्ध राजवंश। नंदिवरधन-पु० [म. नंदिवर्द्धन] शिव, महादेव। --वि. नंदक-वि० [सं०] १ प्रानन्ददायक । २ कुल पालक । ३ देखो। अानन्ददायक । 'निदक'। -पु. १ मेंढ़क । २ तलवार । ३ श्रीकृष्ण का नंदिसेण-पू० [सं० नन्दिसेन] वर्तमान अवपिणी के चतुर्थ खड्ग । ४ प्रसन्नता। तीर्थकर । नदगर, नंदगिर, (गिरि, गिरी)-पृ० [सं० नदगिरि] १ ग्राबू नदी-पू० स० नंदिन] १ शिव का द्वारपाल व सवारी का पर्वत की एक चोटी का नाम । २ प्राबू पर्वत । बैल, गण । २ एक सूत्र ग्रंथ । ३ उडद । ४ विकार के नंदरण (णु, रणौ)-देखो 'नदन' । कारण शरीर पर मांस के लोथे लटकन वाला बैल । नंदणी-देखो 'नदनी'। ५ पुत्र । ६ देखो 'नदी'। -गरण-पु. शिव का द्वारपाल नंदसौ (बौ)-देखो निदगी' (बी)। व वाहन । मांड, विगाजार। -- गिर- 'नंदगिरि। For Private And Personal Use Only Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदीवन नकस --मळ-पू० श्वेत बैल । नदी । --पति-पू० शिव, नउद-स्त्री० [सं० नवत १ हाथी की धूल विशेष । २ ऊनी महादेव । बस्त्र, भूल । ३ पर्दा । नंगीमन-देखो 'नंदनवन' । नउय-पु० [सं० नयुत] काल का एक विभाग (जैन)। नधीस-पू० सं० नदीश] १ शिव । २ समीत में ताल का एक | गउरता-देखो 'नौरता'। भेद । [म० नदी ३ समुद्र । नउल-देखो 'नकुळ'। नंदीस्वर-पु० [सं० मंदीश्वर] १ शिव । २ नंदीश ताल । नऊं-स्त्री० १ नवमी तिथि । २ देखो 'नव' । ३ शिव का गरम, नदी। नक-देखो 'नाक'। नदो-देखो 'नंदी'। नकचू टी-देखो 'नखचूटी'। (मेवात) मंद्यावरत (क)-० [सं०] पक्रिनम की ओर द्वार व चारों ओर | नकछोंकरणी-स्त्री० [सं० नासिका-छिपकती] महीन पत्तियों वाली बरामदे वाला भवन । एक घास जिसकी गंद से छींक पासी है। मंद्रा-देखो 'निद्रा'। | नकटाई-स्त्री० [सं० नक्र-कर्तनम्] १ नाक काटने की क्रिया या नबर-पु० [अं०] संख्या, अंक, क्रम, पारी । भाव । २ निर्लज्जता, धृष्टता। ३ हठ, दुराग्रह । नंबरचार-पु. मालगुजारी वस्ल करने वाला कर्मचारी। ४ बेहयापन । नंबरी-वि० [म.] १ जिस पर नंबर या अक लगा हो। नकटियो, नकटो-वि० [सं० नक्र-कर्तन) (स्त्री० नकटी) १ कटी २ श्रेष्ठ, प्रसिद्ध । ३ कुख्यात । ४ पंजिकृत । हुई नाक का। २ निर्लज्ज, ढीट, दुष्ट । ३ हठी, दुराग्रही। नह, नह-देखो 'नहीं'। - कोट-पु० ताश का एक खेल । नहकार--देखो 'नकार'। नकतोड़-पु० ऊंट की नकेल । न-पु० स०] १ वृक्ष । २ परित। ३ प्रभ। ४ बंधन। नकद-देखो 'नगद' । ५ अहमेव । ६ नौका । ७ गणेश । ८ मोती। -वि० नकदी-देखो 'नगदी' । १ प्रसन्न, खुश । २ दूसरा, अन्य । ३ निविद्ध । ४ रिक्त । रिक्त । नकफूल, नकफूली-पु० नाक का एक प्राभूषण विशेष । न'। नकबेसर-पु० [सं० नक्र-बेसर] स्त्रियों की नाक की बाली में नअरण-देखो 'नयण'। लगा लंबा मोती। नई, नइ-अव्य० १ चतुर्थी विभक्ति का प्रत्यय । २ देखो 'नदी'। नकम-पु० मन (मेवात)। ३ देखो 'नाई' । ४ देखो 'ने'। ५ देखो 'नहीं'। नकर-देखो 'नक'। नइड़ो, नइडउ, नइडौ-पु०१ हाथ की अंगुली में माखून के बीच नकराकन-वि० [सं० नक्र-ग्राकृति] मगर की प्राकृति वाला। होने वाला फोड़ा । २ देखो "निकट'। नकळक-देखो 'निकळक' । नहण-देखो 'नयगा'। नकल-स्त्री० [रा०] १ प्रतिलिपि, प्रतिकृति । २ देखा-देखी, नइति-देखो 'नरत' । अनुकरण, अनुसरण । ३ स्वांग, अभिनय । ४ हास्यनइर-देखो 'नगर'। अभिनय के लिए बनाई प्राकृति । ५ मजाक । ६ मुह से को जाने वाली विशेष ग्राबाज । ७ एक बही। -ची-वि. नई-१ देखो 'नदी'। २ देखो 'नहीं' । ३ देखो 'नवौ' (स्त्री०) ।। नकल करने वाला। -नवीस-पू० अदालत का एक नईडी-पू० १ नातून के अंदर होने वाला फोड़ा। २ देखो कर्मचारी। प्रतिलिपिकर्ता। -नवीसी-स्त्री० प्रतिलिपि 'निकट'। का कार्य । नईयौ-पृ० १ बढ़ई का एक छोटा औजार विशेष । २ चूनगर नकलियौ-देखो 'नखलियो' । का छोटा औजार । नईस-देखो 'नदीस'। नकली-वि० १ किसी की नकल कर बनाया हया । २ कृत्रिम, नउ-देखो 'ने'। बनावटी । ३ जाली, झूठा, खोटा। नकल्यौ-वेखो 'नखलियो' । नट-प्रत्य० १ संबंध सूचक विभक्ति, का। २ देखो नवौ' । नकवाळ-पु० [सं० नक्र-बालः] नाक के भीतर के बाल । ३ देखो 'नं' । ४ देखो 'नव' । नकवेसर-देखो 'नकबेसर'। नउकार-देखो 'नवकार'। नकस-पु० [अ० नक्श] १ किस वस्तु पर बेल-बूटे खोदकर की नउकास्वाळ-देखो 'नवकार-वाळी' । गई चित्रकारी। २ प्राकृति। -दार-पु० उक्त प्रकार नउतरणौ (बो)-देखो 'निमंत्ररपो' (बौ)। की चित्रकारी किया हुअा पदार्थ । For Private And Personal Use Only Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नकसबंदिया नक्षत्र नकसबंदिया-स्त्री० सूफियों की एक शाखा, एक सम्प्रदाय | नकेल-स्त्री० [सं० नकम्] १ ऊंट की नाक में डाला जाने वाला विशेष । उपकरण । २ नथ । नकसानवीस-पु० [अ० नक्शा-नवीस] नक्शा या खाका नकेवळ, नकेवळो-देखो निकेवळी' । बनाने वाला। नकै--अव्य० [सं० कण निकट, पाम, समाप । नकसानबीसी-स्त्री० नक्शा बनाने का कार्य । नको-देखा 'न'। नकसीर--पु० [सं० नक्र-शिरा] नाक से बहने वाला रक्त । नक्क-देखो 'नाक' । नकसौ-देखो 'नक्सौ'। नक्कस-पु० कठ का ग्राभुपराग (मेवात)। नकांम-१ देखो 'निकांम' । २ देखो 'निकम्मौ' । नक्कारची-देखो 'नगारपी'। नका-देखो 'निका। नक्काल -वि० [अ०] १ नकल करने वाल।। २ बहुरूपिया । नकाब-पु० मुह पाने के लिए गर्दन तक पहनने की जाली या ३ भांड। वस्त्र । -पोस-वि० नकाब पहना हुआ। नक्काली-स्त्री० १ नकल करने का काम । २ बहरूपिया या नकार-पु० [सं०] १ निषेध सूचक शब्द । २ अस्वीकृति । भांड का कार्य । ३ हास्य अभिनय । ३ 'न' वर्ण । ४ छंद शास्त्र का एक 'नगण' गण । नक्कासी-१ देखो 'निकासो' ।"२ देखो 'नक्कामी' । -वि० १ कृपण, कजूस। २ देखो 'नगारौ'। ३ देखो नक्कीब-देखो 'नकीब'। 'निकार'। नकारखांनौ-देखो 'नगारखांनी' । नक्कू-पु० नोक, शिरा। नकारची-देखो 'नगारची'। नक्को-पु० [देश॰] स्वर्णकारों का एक औजार विशेष । नकारणो (बौ)-देखो 'नाकारणो' (बी)। नक्खत्त-देखो 'नक्षत्र'। नकारी-१ देखो 'नकार' । २ देखो 'निकारी' । ३ देखो 'नगारो'। नक, नक्रण-पु० [सं०] १ मगरमच्छ, घड़ियाल । २ नाक, नकाळ, नकाळी-१ देखो 'निकाळ' । २ देखो 'निकाळी'। नासिका। ३ चौखट के ऊपर का भाग । -वि० काला, नकास-१ देखो 'निकास' । २ देखो "निकाळ' । श्याम* । -केतन-पु० मगर की ध्वजा वाला, कामदेव । नकासणी (बौ)-क्रि० [सं० निष्कासन्] १ निकलना, बाहर नक्सौ-पु० [अ० नक्श:] १ रेखा चित्र । २ रेखायों द्वारा बनाई होना । २ प्रस्तान करना, बाहर पाना । गई कोई प्राकृति। ३ किसी भवन, जमीन या क्षेत्र आदि नकासी-स्त्री० [अ० नक्काशी १ प्राभूषण प्रादि पर खोदकर का नाप तेकर बनाया गया मानचित्र । ४ ढांचा । ५ डौल । बनाये बेल-बूटे आदि । २ खुदाई। ३ देखो 'निकासी' । नक्षत्र-पु० [सं०१ आकाश में स्थित तारकपुज या गुच्छ जिनके ----दार-वि. जिम पर नक्काशी या खुदाई की गई हो। मध्य क्रांतिवृत्त या पृथ्वी का भ्रमणपथ है। २ क्रांति वृत्त के नकासौ-दखो 'निकाळ'। प्रत्येक १३ अंश २० कला के विभाग का नाम । ३ पंचांग नकी-वि० १ निश्चित, निर्धारित । २ सही, ठीक । ३ दृढ़, का ततीय अग। ४ तारा । ५ ग्रह । ६ मोती। ७ चन्द्रमा। खरा । ४ पूर्ण । ५ चकता। -क्रि०वि० १ निश्चित ही, ८ विष्णु । -गण-पु० फलित ज्योतिष के अनुसार कुछ नि:संदेह । २ अवश्य, जरूर । ३ देखो 'नकू"। विशिष्ट नक्षत्रों का पृथक-पृथक समूह। -चक्र-पु० क्रांति नकोतळाब, (ताळाब)-पु० अाबू पर्वत पर स्थित एक तालाब । वृत्त के आस-पास स्थित नक्षत्र समूह । -दरस-पु० ज्योतिषी। नकीब-पु० [अ०] १ राजाओं की सवारी के आगे चलने वाला --- दान-पु० नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार दान का विधान । चौबदार। २ दरबार में बादशाह से भेंट करने वालों का -धारी-वि० भाग्यशाली। -नाथ-पु० चन्द्रमा, राकेश । नाम पुकारने वाला कर्मचारी। –प, पति, पती-पु० चन्द्रमा । -पथ-पु. आकाश । नकीर-देखो 'नकसीर' । -पुरुस-पु० भिन्न-भिन्न नक्षत्रों के भिन्न-भिन्न अगों वाला नकुळ-पु० [सं० नकुल] १ पाच पांडवों में से एक। २ नेवला । कल्पित पुरुष। ---भोग-पु० प्रत्येक नक्षत्र के परिभ्रमण ___ नामक जीव । का समय । --माळा-स्त्री० नक्षत्रों की पंक्ति । सताईस नकुलांध-पु० [सं०] नेत्र का एक रोग। मोतियो का हार । -याजक-पु० नक्षत्रों के दोषों की नकुळीस-पु० [सं० नकुलीश] तांत्रिकों के एक भैरव का नाम । शाति कराने वाला ब्राह्मण । -योग-पू० नक्षत्रों के साथ नकू-प्रव्य० [सं० नखलु] १ कुछ भी नहीं, नहीं। २ कुछ, ग्रह का योग। -योनि-स्त्री० फलित ज्योतिष में विशिष्ट ___ कुछ भी। नक्षत्रों के अनुसार प्राणियों की कल्पित यानि विशेष । नर-देखो 'नकसीर'। - राज-पु० चन्द्रमा । --लोक-पु० नक्षत्र मडल, प्राकाश For Private And Personal Use Only Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नक्षत्रावळी ন ----वीथि-स्त्री० शुक्रग्रह द्वारा क्रमशः तीन-तीन नक्षत्रों | नखतावळी-देखो 'नक्षत्रावळी' । को पार किये जाने वाले विभाग या मार्ग का नाम। नखतैत, नखतौ-वि० स० नक्षत्र-पत] मृनक्षत्र में जन्मा, बीथियां नौ है। .-व्यूह-पु० विशिष्ट प्राणियों और भाग्यशाली। पदार्थों के समूह का अधिपति नक्षत्र । ---व्रत-पू० किमी नखप्ती-देखो 'नक्षत्री'। विशिष्ट नक्षत्र के उद्देश्य से किया जाने वाला व्रत। | नखत्र-देखो 'नक्षत्र'। -गग - 'नक्षत्रगण'। -चक्र'नक्षत्र--संधि-स्त्री० पूर्व नक्षत्र मास में से उत्तर नक्षत्र मास में नक'। -प- 'नक्षत्रपति'। -माळ, माळा='नक्षत्रमाळा'। चंद्रादि ग्रहों का संक्रमण । -साधन-पु० नक्षत्र विशेष व --साधन= 'नक्षत्रसाधन'। -सूचक-- 'नक्षत्रसूचक' । ग्रह विशेष का समय जानने की विधि ।-सूचक, सूची-पु० नखत्रमरण-स्त्री० [सं० नक्षत्रमणि सूर्य । माधारण ज्ञान वाला ज्योतिषी। -सूळ-पु० यात्रा के नखत्रावळी-देखो 'नक्षत्रावळी' । लिये निषिद्ध माना जाने वाला योग। नखत्री- देखो 'नक्षत्री'। नक्षत्रावळी-1बी० मं०] १ नक्षत्रों की पंक्ति, श्रेणी। मखत्रेस-देखो 'नक्षत्रेस'। २ मताईश मोतियों की माला । नखानवायो, नखन्यायो-वि० [सं० नम्व निर्वात] मामूली उष्ण, नक्षत्री-पु. [सं० नक्षत्रिन्] १ विष्ण। २ चन्द्रमा। -वि० ___ गुनगुना। भाग्यशाली। नबिदु-पु० [सं०] नख पर बनाया जाने वाला चिह्न। नक्षत्र स. नक्षत्र स्वर-पु० [सं० नक्षा ? चन्द्रमा, नाद। नखर-पू० [सं०] १ नख, नाखून । २ पंजः । नखरादार (बाज)-वि० नखरे वाला। नक्सानवीस-देखो नकसान बीम' । नखराळ (ळो)-वि० (स्त्री० नखगळी) १ नखरे करने वाला, नक्सानवीसी-देखो 'नक सानवीमी' । नखरेदार । २ दैल-छवीला, शौकीन । ३ बदचलन । नख-T० [सं०] १ मनुष्य के हाथ-पावों की अगुलियों के शिगे। ४ नावन वाला। -पु० सिंह, चीता। पर तथा कुछ प्राणियों के पजों पर बने नाखून । नावन। नखरेखा-स्त्री० [सं०] नाखून की खरोंच । नवक्षत । २ सीप या घोंघे आदि के मुखावरण का गन्ध द्रव्य । नखरेबाज-वि० [फा०] नखरे वाला, नखराला । ३ कुछ जातियों या वर्गों के वंश। ४ लाल रंग या वर्ण। | नखरेबाजी-स्त्री० [फा०] नखरा करने की क्रिया या भाव । ५ नाखून का घाव, खगेंच । ६ बीस की संख्या । नखरी-पु० [फा० नखर] १ बनावटी हाव-भाव व कियाय । ७ देखो 'नक्षत्र' ! -प्रावध='नखायुध' । -क्षत-पु० २ चंचलता, चुलबुलापन । ३ ऊपरी मन से किया गया नाचन को खरोंच। नख चिह्न। -घात-पु० नातून इन्कार । -वि० १ बुरा, अशुभ । २ खोटा। काटने का प्रौजार । नखाघात। -छोकरणी-स्त्री० नलियो, नखल्यो-पु० १ स्त्रियों के पांव की अंगुलियों का नखछिकनी। आभूषगा विशेष । २ बढ़ई का एक औजार विशेष । नखचख-देखो नखसिख'। ३ सितार आदि बजाने के लिए अगुलियों में पहनने का नखचूटी-स्त्री० लोहे की बनी चिमटी (मेवात)। उपकरण विशेष । ४ देखो नख' । नखच्छेद्य-स्त्री० [सं०] ७२ कलाओं में से एक । नखविस-पु० [सं० नवविध] १ जिसके नखों में विप हो । नखत-देखो 'नक्षत्र'। -चकर- 'नक्षत्रचक्र' । -जोग= 'नक्षत्र- २ नख की खरोंच से उत्पन्न होने वाला विष । योग' । ---जोणी='नक्षत्रयोनि'। -धारी='नक्षत्रधारी'। नखसिख-पु० [सं० नखशिख] १ पांव के नखों से चोटी तक -दांन= 'नक्षत्रदान' । -नाथ- 'नक्षत्रनाथ' । -बीथी= के अंग । २ पैर से चोटी तक पहनने के वस्त्राभूषण । 'नक्षत्रवीथी'। -माळ, माळा='नक्षत्रमाळा'। --व्यूह= -वि० सब अंगों का। -क्रि०वि० सब अंगों से । 'नक्षत्रव्यूह'। -सूळ='नक्षत्रसूळ' । नखसी-देखो 'नकासी'। नखत-नांमी-वि० [सं० नक्षत्र-नामिन्] १ विशिष्ट नक्षत्र में जन्म नखहरणी-स्त्री० [सं०] नाखून काटने का औजार । लेने वाला । २ भाग्यशाली। नखाघात-पु० [सं०] नख का क्षत, खरोंच, घाव । नखतर-देखो 'नक्षत्र'। -गण='नक्षत्रगरण'। -धारी-- नखाजुध-देखो 'नखायुध'। 'नक्षत्रधारी'। -पुरुस='नक्षत्रपुम्स'। -राज, राय= नखानुराग-स्त्री० [सं०] मेंहदी, महावर । 'नक्षत्रराज'। नखायुध-पु० सं०] १ जिसके आयुध नख हों, सिंह आदि । नखतवंत-वि० [सं० नक्षत्र-वत्] भाग्यशाली । २ नख का शस्त्र । ३ मुर्गा । नयतसमाज-पु० [सं० नक्षत्र-समाज] चन्द्रमा। । नखि-देखो 'नखी'। For Private And Personal Use Only Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नखितंत नवर नखितैत-देखो 'नखतंत' । पु० गुजरात का एक तीर्थ । --लाइका, नायका, नायिका, नखित्र-देखो 'नक्षत्र'। -माळ, माळा='नक्षत्रमाळा । नारी-स्त्री० नगरवधु, वेगा, रही, गरिमका । ---पाळ पु. नखिद-पु० [सं० निषिद्ध] १ वजित कार्य, रोक । २ बुरा कार्य । शहर का रक्षक, कोतवाल । —मारग-१० शहर का ___-वि० १ बजित, रोक लगा हुआ । २ बुरा । राजपथ । -सेठ-पु० नगर का सबसे बड़ा मेठ । राजाओं नखी-वि० [सं० नखिन् ] नखोवाला, नाखून युक्त।-पु० १ निह, ! द्वारा दी जाने वाली उपाधि, ऐमी उपाधि प्राप्त व्यक्ति। चीता । २ नख नामक गंध द्रव्य । नगराध्यक्ष-पु० [सं० नगर-अध्यक्ष] किसी शहर का प्रभारी नखीयुध-देखो 'नखायुध' । अधिकारी, नगर का स्वामी। नखीर-देखो 'नकसीर' । नगरि, नगरी (रू, रौ)-देखा 'नगर' । नखेद नखेध-वि० [सं० न खद| १ जिसे खेद न हो, दुःख रहित, नगवार-पु. १ मकान बनाने के लिये विशेष अवसर पर रखा विरक्त । प्रसन्न । २ बेशर्म, शरारती । ३ कुल्टा। ४ मुर्ख । । जाने वाला प्राधार का पत्थर । -० [सं० निषेध] १ वजन, मनाई, रोक । २ अस्वीकति, गांपति-यो नगति' । इन्कार । ३ निषेधवाची नियम । ४ नियम का अपवाद । | नगाडो-देखा 'नगारो'। -स्त्री० ५ मतक के पीछे संवेदना प्रगट करने की क्रिया नगारखांनी-पु. [फा० नक्कार-खांना] १ नगाड़े रखने का या भाव । स्थान । २ नगाड़े बजाने का स्थान । नखेर-देखो 'नकमोर'। नगारची-पु० [फा० ननकारची] १ राजाओं व सामन्तों के द्वार नखें नख-देखो नक। पर नगाड़े बजाने वाला व्यक्ति। २ उक्त कार्य करने वाला नख्ख-देखो 'नख' । वर्ग, जाति। नख्यत-देखो 'नक्षत्र'। नगारबंद (ध), नगाराबद (बंध) नगारिय-पु. १ राजा या नग-पु० [सं०] १ पर्वत, पहाड़ । २ चरण, पैर । ३ वृक्ष, पेड़। सामंत जिनके द्वार पर नगाड़े बजते हों। २ उक्त प्रकार ४ पुत्र (व्यंग) । ५ सतान, प्रौलाद । ६ मोती। ७ रत्न, का अधिकार प्राप्त वीर । जवाहर । ८ नगीना । ९ इकाई, संख्या। १० अदद । नगारी-स्त्री० १ छोटा नगाड़ा। २ देखो 'नगारची'।। ११ पौध। । १२ सांप । १३ सूर्य । १४ नागौर शहर का नगारो--० [फा० नक्कार] बायें तबले के प्राकार का एक नाम । १५ मात की संख्या*:-बि० अचल, स्थिर । -ज- बड़ा वाद्य । पु० हाथीगज। -जा-स्त्री. पावतो । नेदो। -धर-पु.नगीन-पु. १ प्रवाल, मूगा। २ देखो 'नग'। -वि० श्रेष्ठ, श्रीकृष्ण, हनुमान, गरुड़। -नदनी-स्त्री० पार्वती। उत्तम । गंगा नदी। -नायक-पृ०-पर्वतों का नेता हिमालय। नगीनासाज-पुल का० नगीना-साज] नगीना बनाने वाला या कैलाश पर्वत । --- पति-प. पर्वतराज हिमालय, चन्द्रमा। जड़ने वाला कारीगर । शिव, सुमेरू। ---भिद-पु० पवंत भेदने वाला इन्द्र । | नगीनो-पृ० [फा० नगीनः] १ रत्न, जगहरात। २ राजस्थान नगटाई- देखो 'नकटाई'। का शहर, नागार। नगटो- देखो 'नकटौ' । नगेंद्र-पु० [सं०] पर्वतराज हिमालय । नगण-पु० [सं०] तीन लघु मात्रा का एक गण । नगेम-वि० [स० निस्-गमः] निष्पाप, निष्कलंक । नगणी-स्त्री० एक छंद विशेष । नगेस-पु० [सं० नग-ईश पर्वतों का स्वामी, हिमालय । नगदंती-स्त्री० [सं०] विभीषगा की स्त्री का नाम । नगोड़ो (डौ)-वि० [सं० नक] (स्त्री० नगोड़ी, नगोडी) मगद-पु० [अ० नकद] १ सिबके व मुद्रा के रूप में धन । मुद्रा। । निर्लज्ज, बेशर्म । २ दुराग्रही, हठी। ३ निकम्मा, बेकार । २ सौदा लेते समय किया जाने वाला भुगतान, रोकड़। ४ कम्बख्त, नीच । ४ हतभाग्य । -वि० १ तैयार, भुगतान के लिये प्रस्तुत । २ वर्तमान, नमोदर ( रु, रू)-देखो 'निगोदर'। मौजूद । ३ खास। नगोरो- देखो 'नगारो'। नगर- १ देखो 'लग्न' । २ देखो 'नागौ' । ३ देखी 'नगा'। नगर-देवो 'नगर'। नगमिणप्रभा-पु० [सं० नगमणिप्रभा] सुमेरू पर्वत । नग्गी, नग्न-देखो 'नागौ' । नगरंधकर-पु० [सं०] कात्तिकेय । नन, नग्री-देखो 'नगर'। ..-सेठ ='नगरसेठ' । नगर-पु० [सं०] शहर, कस्बा। -कीरतन-पु० नगर में फिर- नग्रोध-देखो 'न्यग्रोध' । फिर कर किया जाने वाला ईश्वर का कीर्तन। -तीरथ- नधर-पु. देश० बैल की नाथ । For Private And Personal Use Only Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तघात ( २४ । नटनारायण नघात-देखो 'निघात'। निगरानी में रखा हुना। -पु० इंद्रजाल का खेल । मल-पृ० [सं० नल] १ नदी, नाला । २ फुक कर बजाने का -----बंदी : 'नजर-कंद' -स्त्री० इन्द्रजाल का बैन । एक वाद्य । ३ वन्द्र की नली पर बनी रेखायें व बिंदियां। नजरदौलत-पृ० [अ०] राजा या बादशाह की सवारी के प्रागे ४ देखो नौडिया'।५ देखो 'नर' । ६ देखो 'नाडी'। नकोब द्वारा बोला जाने वाला शब्द । देखो 'नल.' । -वि० बंधन में पाने वाला, कायर । नजरबाग-पु०प० बंगले के पाहते में बना छोटा बगीचा। नड़ण-१० [२० नड] योद्धा, वीर। -वि० बंधन में डालने नजरसानो-स्त्री० [अ० पुनर्विचार, पुनरावलोकन । बाना । नजरांग, नजराणौ-पु. १ भेंट, उपहार । २ भेंट में दी जाने नड़णी (बी)-क्रि० [सं० नड] १ बांधना । २ बंदी बनाना । वाली वस्तु। ३ रुकावट डालना, रोकना । ४ कष्ट पाना, दुःखी होना। नजरि, नजरियां-देखो 'नजर'। नडो-देखो 'नाडी'। नजरीजरो (बी)-क्रि० दृष्टि-दोष से प्रभावित होना, कुदृष्टि से नचत-देखो निम्निन'। ग्रसित होना। नचरणौ (बौ)-देखो 'नाचगौ' (वी)। नजळी--पु० [अ० नजलः| १ उष्णता के कारण शिर में होने नमनत्री-स्त्री० [सं० नत] नाचने की प्रबल इच्छा । उत्कण्ठा । वाला एक रोग । २ जुकाम । नचारणी (नौ), नचावणौ (ग)-वि० [सं० लत १ नानने | नजाकत-श्री० [फा०] १ कोमलता, सुकुमारता । २ सूक्ष्मता, का काम कगना, नचाना। २ नृत्य कराना नत्य का बारीकी । ३ोगाता । ४ नखरा, लटका। ग्रायोजन करना। ३ नाचने के लिए प्रेषित करना, अाग्रह नजामत-स्त्री० [अ० नाजिम का पद । करना, सहयोग देना। ४ गोल-गोल फिरना। ५ इधर नजारत-स्त्री० [अ०] नाजिर का पद, नाजिर का कार्यालय । उधर घुमाना, फिराना । ६ परेशान या लंग करना, हैनन नजारेबाजी-स्त्री० [अ० नज्जार-फा० बाजी] स्त्री-पुरुष में करना। परस्पर चार-पांखें होने की क्रिया, ताक-झांक । नित, नचितौ-देखो 'निस्चित' । (स्त्री० नचिती) नजारी-पु० [अ० नजार:] १ दृश्य । २ दृष्टि, चितवन । नचिकेता-पु० [सं० नचिकेत म] १ वाजश्रवा ऋषि का पुत्र ३ वातावरण। ४ दर्शन, दीदार । ५ सैर । ६ तमाशा। जिमने मृत्यु से ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया था। २ अग्नि । १७ स्त्री-पुरुष में होने वाली परस्पर चार-पाखें । नचीत, नाचीतड़ो, नचीतौ -देखो 'निस्चित' । नजिक, नजीक (ग)-देखो 'नजदीक' । नचीताई-देखो 'निस्चितता' । नजीकी-देखो 'नजदीकी' । मचीतो-देखो 'निस्चित । (स्त्री० नचीतो) नजीर-स्त्री० [अ० १ उदाहरण, मिसाल, दृष्टान्न । र किसी नचीयण-वि० [सं० नत् नाचने वाला। पुर्व निश्चित बात का उल्लेख । नच्चणी (बो) देखो 'नाचणी' (बो) । नत्र-दवा 'नजर'। नच्चन-पु० [सं० नर्तनम् ] नाच, नृत्य । नट-१० [सं०] (स्त्री० नटणी, नटी) १ नर्तक । २ अभिनेता। नच्यत-देखो ‘निस्चित' । ३ शारीरिक कलाबाजी, बास-रस्सी अादि पर चलकर नछत्र-देखो 'नक्षत्र'। तमाशा दिखाने वाला एक वर्ग व इस वर्ग का व्यक्ति । नछत्री-१ देखो 'नक्षत्री' । २ देखो 'निक्षत्री' । ४ अशोक वृक्ष । ५ एक प्रकार का नरकुल । ६ महादेव, शिव । ७ श्रीकृष्ण । ८ नाच-नृत्य । ६ एक राग विशेष । नजदीक-वि० [फा०] पास, निकट । नट-खट-वि० १ चंचल । २ उपद्रवी, उद्दण्ड । ३ चालाक, नजदीकी-स्त्री० [फा०] निकटता, सामीप्य । -वि. निकटका, चालबाज । पास का। नट-खटी-स्त्री. १ बदमाशी, शरारत, उद्दण्डता । २ देखो नजर -स्त्री० [अ०] १ दृष्टि, निगाह । २ ध्यान । ३ चितवन । 'नटखट' । ४ प्रांख, नेत्र । ५ कुदृष्टि, दृष्टि-दोष । ६ कृपा दृष्टि, नटरपो (बौ)-क्रि० [सं० नष्ट] १ मना करना, इन्कार करना । शुभ-दृष्टि । ७ ध्यान, खयाल । ८ देखरेख, निगरानी । । २ मुकरना। ३ अस्वीकार करना। ४ दुःख पाना, दुःखी ६ पहचान, परख । अ० नज्र] १० उपहार, भेंट ।। होना। ११ राजा के दरबार में जाने पर राजा को भेंट स्वरूप नटन-पु० [सं० नर्तन] नृत्य, नाच दिया जाने वाला नकद रुपया आदि। –कैद-स्त्री० कैदी नटनागर-पु० [सं०] श्रीकृष्ण । को निश्चित सीमा में रहने का आदेश। -बंद-वि० कड़ी | नटनारायण-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण । २ एक राग विशेष । For Private And Personal Use Only Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मट-पट्टी ( ७२५ ) ro नट-पट्टी, नटबट, नटबट्ट, नटबट्टौ-देखो 'नटवट' । नत-प्रति-देखो "नितप्रति' । नटबाजी-स्त्री. १'नट' द्वारा दिखाये जाने वाले खेल, कला | नतांस-पु० [सं० नतांश | ग्रहों की स्थिति जानने में काम आने बाजी। २ जादू, इन्द्रजाल । वाला एक वृत्त। नट-भूखण, नट-मंडरण (न)-पु० हरताल । नता-वि० सं० अनतं] असत्य, झूठा । -स्त्री० मूठ, मिथ्या नट-मल्लार-स्त्री० एक राग विशेष । बात । नटराज-पु० [स०] श्रीकृष्ण । नटवट, (वट्ट)--स्त्री [सं० नट-वर्तनम् | १ नट क्रिया। [सं० नात-पु० [सनति १ नम्रता, विनय । २ झुकाव । ३ नमस्कार, नट-वटक | २ नट का गोला या गेंद । -वि० [सं०नट+वत् प्रणाम । ४ टेढ़ापन, घमाव । ३ नट के समान । नतीजो-पु | फा० नतीजा | परिणाम, निष्कर्ष, फल । नटवर-पु० [सं०] १ नटों में प्रधान या मुखिया । २ श्रीकृष्णा। नतीठ (ठो)-देखो 'नत्रीठ' । ३ श्रीविष्णु । ४ सूत्रधार । -नागर-पृ० श्रीकृष्ण । नत्त-१ देखो 'नत' । २ देखो 'नित' । नटवौ-देखो 'नट'। नत्ताल-देखो 'निगताळ' । नटसाळ, नटसाळा-देखो 'नाटसाळा' । नटारंभ-देखो 'नाटारंभ' । नत्तिकांत-पु० स० नत्तिक्रांत] ४९ क्षेत्रपालों में से एक । नटेस्वर-पु० [सं० नटेश्वर महादेव, शिव । नत्य-१ देखो 'नथ' । २ देखो 'नाथ' । नट्ट-देखो 'नट'। नत्थरणौ-देखो 'नथणो'। नट्टारंभ-देखो 'नाटारंभ'। नत्थणौ (बौ)-देखो 'नथणो' (बौ)। नट्ठणी(बौ), नठरणो(बौ), नठुरणौ (बौ)-१ देखो 'नटणी' (बो) | 'नथि, नत्थी, नत्थीय-स्त्री० [सं० नाथ] १ साथ में जोड़ने, २ देखो नस्ठरणौ' (बौ)। ३ देखो 'न्हाठरणो' (बी)। बांधने या संलग्न करने की क्रिया या भाव । २ जोड़ी या नड-पु० [देश॰] १ कबंध, धड़ । २ कुबेर का पुत्र नल-कूबर । सलग्न की हुई वस्तु । -वि० १ साथ जुड़ा हुमा, संलग्न । ३ देखो 'नाडौ' । ४ देखो 'नट' । २ देखो 'नधी' । नडणी (बो)-देखो 'नडणी' (बौ)। नडर-देखो 'निडर'। नत्रीठ, नत्रीठि, नत्रीठो-पु० [सं० न+तृष्टि] १ योद्धा, वीर । नडि-देखो 'नडो'। २ प्रहारों की झड़ी, बौछार । ३ घोड़ा । -वि० १ निःशंक, निर्भय । २ वेगवान, तीव्र । ३ भयंकर, प्रबल । नड्डौ-देखो 'नाडौ'। नढ्ढ़ो (बी)-क्रि० सं० नद्ध] जड़ाई करना, जड़ना । नथ, नथड़ी, नथरणा-स्त्री० १ नाक में पहनने की बाली, पच्चीकारी करना । प्राभूषण। २ तलवार की मूठ का छल्ला । ३ वेधने की नणंद, नणदर, नणंदल, नणदलड़ी, नणदली, नरणदिया, नगदी क्रिया या भाव । -स्त्री० [स० ननान्द पति की बहिन ननद । नथणी-पु० [सं० नस्त] नाक का अग्रभाग । नथूना । नपदतरी, नगदुत्री-स्त्री० [सं० ननान्द-पुत्री | पति को बाहन नथणी (बी)-क्रि० [सं० नस्त] १ नत्थी किया जाना । २ नथ की पुत्रो, ननद की पुत्री। प्रादि नाक में डाला जाना । नणदूतरौ, नणदूतौ, नणदूत्री-पु० [सं० ननान्द-पुत्र] पति की | नथ-बिजळी-स्त्री० नाक का आभूषण विशेष । बहिन का पुत्र । नथली-देखो 'नथ'। नरणदूली-देखो 'नगद'। नथि-१ देखो 'नथी' । २ देखो 'नत्थी' । नरणदोई (ई)-पु० [सं० ननान्द-पति] ननद का पति । पति का बहनोई। नथियळ, नथियाळ-पु० १ काली नाग । २ शेषनाग । नणदोतरी, नणदोती, नणदोत्री-देखो 'नणदूतरी' । | नथी, नथीय-क्रि० [सं० नास्ति] १ नहीं, ना । २ देखो 'नत्थी' । नरणवोतो, नणदोत्री-देखो 'नणदूतरौ' । नथुरणी-देखो 'नथ'। नत-वि० सं०] १ झुका हग्रा । २ नम्र, विनम्रः शिष्ट । नद-पु० सं० नद्ध, नद] १ स्त्रियों का एक ग्राभषण ३ अभिवादन या प्रणाम में झुका हुना। ४ उदास । ५ टेढ़ा विशेष । २ बड़ी नदी । ३ नाला । ४ जल प्रवाह । ६ देखो 'नित'। ५ समुद्र । ६ देखो 'नाद' । For Private And Personal Use Only Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पारत : नम नदारत, नदारद-वि० [फा०] लुप्त, गायब । नफरी-स्त्री०१ मजदूर का एक दिन का श्रम । २ एक दिन नदि-देखो 'नदी'। की मजदूरी । ३ एक हाजरी। ४ सूची। ५ मेना का एक नदियारण--पृ० मागर, समुद्र । नदी-बी०म०] १ निरन्तर बहता रहने वाला प्राकृतिक जल | नफस-पृ० अ० नफ्स, नफस] १ विषय वासना । २ लिंग, प्रवाट, नदी सरिता । २ तेरह की संख्या *। -ईसवर- शिश्न । ३ सत्यता । ४ अस्तित्त्व । ५ प्राण वायु । ६ रूह । १० समद्र, सागर । ... कूळ-पृ० नदी, तट । दो७ श्वास, मांस । ८ दम, पल, क्षरण । की संख्या * --नाथ-पु० समुद्र, सागर । --निवास, नफीरी, नफर, नफेरि, नफेरिय, नफेरी-स्त्री० [अ० नफीरी] पति--पु० ममुद्र । -मुख-पु० नदी का मुहाना । -राज शहनाई नामक वाद्य । पु० समुद्र । नफौ, नफ्फी, नफ्फो-पु० [अ० नफा] १ फायदा, लाभ । नदीस-पु० [सं० नदीश] सागर, समुद्र । २ व्यापार का लाभांश । ३ बचत । दह-१ देखो नद' । २ देखो 'नाद'। नबंध-देखो “निबंध' । नद्दा-देखो 'नाद'। नबंधणौ (बौ)-१ देखो 'निबंधणौ' (बौ) । २ देखो नही-१ देखो 'नदी' २ देखो 'नाद' । निमंधणी' (बौ)। नद्ध वि० [सं०] १ बंधा हुया, बद्ध । २ नथा हुया । ३ अटका नबरंगौ-देखो 'नवरंगी'। हुया । ४ ढका हुमा । ५ गुथा हा। नबळ-देखो 'निन्बळ'। नध-पू० स० जलनिधि] १ समुद्र, सागर । २ देखो 'निध' । नबाब-पु० [अ० नब्वाब] बादशाह का नाहब, किसी रियासत ३ देखो 'निधि'। -पुर-पु० लन्दन नगर । का शासक । - जादौ-पु० नबाब का पुत्र । नधांन-देखो 'निधान'। नबी-पु० [अ०] १ ईश्वर का दूत । २ पैगंवर । ३ ईश्वर, नधि (धो)- देखो 'निधि'। भगवान । ४ मुखिया, पंच । ५ मुसलमान । ५ ईश्वर नाम- देखो ‘नहुस'। का अंशावतार । ननग-गु० [सं० नग] १ वृक्ष, पेड़ । २ देखो 'निनंग'। नबेचरणौ (बौ)-देखो 'निवेडणी' (बी)। नस-क्रि० वि० [सं०] कठिनता मे, मुश्किल से । -अव्य० नहीं। नबेड़ो-देखो 'निवेड़ो'। गतसार, ननसाळ-स्त्री. नाना का घर, ननिहाल । नब्ज-स्त्री० [अ०] १ नाड़ी, धमनी । २ नियंत्रक तत्त्व । नानयो-१ देखो 'ननो' । २ देवो 'नैनौ' । ३ जानकारी का सुत्र । ननिहाल ननीहाल-स्त्री० नाना का घर । नब्ब-देखो 'नव'। ननु, ननौ, नन्नौ-पृ० सं०न] १'न' अक्षर या वर्ण । २ अस्वीकृति, नब्बाब-देखो नबाब'। इन्कार । ३ मनाही, रोक । ४ इन्कार सूचक शब्द । | --अव्य० नहीं, ना। नाब्बिय, नब्बी-देखो 'नबी' । नपणी (बो)-क्रि० [सं० मापन] १ लम्बाई-चौड़ाई के अनुसार, | नब्बे-देखो 'नेऊ' । मापा जाना । नाप किया जाना । २ किसी प्राधार से नब्यासी-देखो 'निविद्यामी' । परिमाण निश्चित किया जाना । नभ-पु० [सं० नभम्] १ आकाश, प्रासमान । २ अन्तरिक्ष । नपाई-म्बी० [सं० मापनम् ] नापने का कार्य । ३ वायु मण्डल । ४ मेघ, बादल। ५ कोहरा, वाष्प । नपाप-वि० [सं० निष्पाप पाप रहित, निष्कलक । ६ जल । ७ वर्षा ऋतु। ८ जल वृष्टि । ६ वय, उम्र। नपित-देखो 'नापित'। १० गंध । ११ नासिका। १२ श्रावण मास । १३ जन्म नपुतो-देखो 'निपूतौ' । (स्त्री० नपुती) कुण्डली में लग्न से दशवां स्थान । १४ सूर्यवंशी राजा नपुसक-वि० [सं०] १ पुसत्व या पौरुषहीन, नामर्द, हिजड़ा। निषध के पुत्र का नाम । -गांमी-पु० सूर्य । चन्द्रमा । २ जिसमें कामेच्छा या संभोग शक्ति का प्रभाव हो । पक्षी। देवता, सुर । तारा, आकाशचारी। -चक्र-पु० ३ कायर, डरपोक । अाकाश, गगन । -चर, चार-पु. पक्षी, खग। पवन, नपूतौ-देखो 'निपूतौ'। (स्त्री० नपूती) वायू । बादल, मेघ । देव, गंधर्व, ग्रहादि आकाशचारी । नफर...पु० [फा०] १ व्यक्ति, आदमी । २ दास, सेवक, नौकर ।। ---धज, धुज-पु. बादल, मेघ । -नीरप-पु. पपीहा, ३ सईस । ४ मजदूर, श्रमिक । चातक । -पंत, पंथ-पु० आकाश मार्ग। -मंडळ-पु. नफरत-स्त्री० [अ०] १रणा, परहेज । २ अरुचि । ३ बचाव ।। आकाश-मण्डल । -मण, मरिण, मणी, मिण-पु० सूर्य । For Private And Personal Use Only Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नभग ( ७२७ ) नम्रता रवि। -राट-पु० बादल, मेघ । ---वाणी-स्त्री० आकाश | नदौ-पु० [फा० नमदा] जमावा हया ऊनी वस्त्र । वाणी । देववाणी । ---वैरण-पु० आकाशवागी। -संगम--- | नमन-देखो 'नमण' । पु० पक्षी। -सरणी-स्त्री० अाकाश गंगा। -सांस-पु० नमसकार-देखो 'नमस्कार' । पवन, हवा । नमसक्रत-पृ० [स. नमस्कृति नमस्कार, प्रणाम । नभग-पु० [सं०] पक्षी, खग । -नाथ-पु० गरुड़ । नमस्कार-पु० [सं०] नमस्कार, अभिवादन । नभगेस-पु० [स० नभगेश गरुड । नमस्ते-पु० [सं०] अभिवादन के लिए प्रयुक्त शब्द । नभवटी-पु० [सं० नभवतिन] पंखेरु, पक्षी, खग । नमाम-पु. [स० नम्] १ नमस्कार ! २ देखो 'नमामी' । नभवणी (बौ)-क्रि० निभाना । नमामी-पु० [सं० नमनम्। १ नमस्कार। २ अभिवादन । नमस्य-पु० [सं०] भाद्रपद मास । __ -वि० बुरा, खराब । नभोग, नभोगति--पु० [सं०] १ जन्म कुण्डली में लग्न से दशवां नमाज-स्त्री० [फा०] मुसलमानों की प्रार्थना । -गाह-स्त्री. स्थान । २ आकाशचारी, देव, पक्षी आदि । नमाज पढ़ने की जगह । नभोदुह (द्वीप)-पु० [सं०] मेघ, बादल । नमाजी-पु. [फा०] १ नमाज पढ़ने वाला मुसलमान । २ नमाज नभोनदी-स्त्री० [सं०] आकाश गंगा । पढ़ते समय बिछान का वस्त्र । नमंत-देखो "निमित्त'। नमाणी (बी), नमावली (बो)-क्रि० १ प्रणाम कराना, नमंध-देखो 'निबंध'। अभिवादन कराना। २ झुकाना, नीचा करना। ३ मोड़ना, नमंधणी (बी)-देखो 'निबंधणी' (बौ)। घुमाना। ४ बाध्य करना, मजबूर करना। नम-वि० [फा०] १ भीगा हुआ, आर्द्र, तर, गीला । -पु. नमि-पु० [सं०] १ चालु अवसर्पिणी के इक्कीसवें तीर्थंकर का [सं० नमस्] १ नमस्कार, प्रणाम । २ शुकना क्रिया। नाम । २ देखो 'नमी' । ३ देखो 'नवमी' । ३ देखो 'नवमी'। नमियो-पु० [सं० नवम्] १ मृतक का नौवां दिन । २ इस दिन नमक-पु० [फा०] रोटी, सब्जी आदि भोज्य पदार्थों में डाला का सस्कार । जाने वाला क्षार, लवरण । --सार-पु. एक प्रकार का नमिस्कार-देखो नमस्कार' । कर। -हरांम-वि० कृतघ्न, नीच । किसी का अन्न खाकर नमी-स्त्री० [फा०] १ गीलापन, आर्द्रता । २ देखो 'नवमी' । बुरा करने वाला। -हरांमी-स्त्री० कृतघ्नता । नीचता। नमायो-देखो नमियो' । --हलाल-वि० कृतज्ञ । स्वामिभक्त । उपकार मानने नमुकार-१ देखो 'नवकार'। २ देखो 'नमस्कार'। वाला। - हलाली-स्त्री० स्वामिभक्ति । उपकार । ऋण नचि-प. म. कामदेव. अनंग। एक ऋषि का नाम चुकाने का भाव । ३ इन्द्र द्वारा वधित एक दैत्य । ४ शुभ-निशुभ का भाई नमकीन-वि० [फा०] १ नमक के योग से बना । २ चटपटा, एक अन्य दैत्य । —सूदन-पु० इन्द्र। चरपग। नमूनो-पु० [फा० नमूनाः] १ किसी पदार्थ का थोडासा अंश । नमख-१ देखो 'नमक' । २ देखा 'निमिस' । २ निर्माणाधीन वस्तु का तैयार किया गया डोज (मॉडल)। नमठणो (बी)-देखो 'निपटणौ' (बो)। ३ किस्म, प्रकार । ४ मिसाल, आदर्श । ५ बानगी। नमठाणौ (बौ), नमठावरणो (बौ)-देखो 'निपटागौ' (बो)। ६ ढंग, ढब । नमरण, नमणि, नमणी-स्त्री० [सं० नमन] १ नमस्कार, प्रणाम। नमेडणी (बौ)-देखो 'निवेडणौ' (बी)। २ झुकने का भाव । ३ नम्रता, विनीतता । ४ नीचा स्थान, नमोकार-१ देखो 'नवकार' । २ देखो 'नमस्कार' । झुकाव । ढाल । नमो-प्रव्य० [स. नमः] अभिवादन सूचक शब्द । नमस्ते । नमणी-वि० [सं० नमन (स्त्री० नमणी) १ विनयशोल, -वि० पाठ के बाद वाला, नवमा । -पु० नौ का ग्रंक, ९ । विनीत, नभ्र । २ जिसमें शुकने का गुण हो । ३ शिष्ट। नम्म-१ देखो 'नम' । २ देखो 'नवमी' । नमणो (बौ)-क्रि० [सं० नमनम् १ झुकना। २ नम्र होना, नम्मरणौ (बौ)-देखो 'नमणी' (बी)। विनीत होना । ३ प्रणाम करना । ४ शिष्टता दिखाना। | नम्माज-देखो 'नमाज'। नमत-पू० [सं० नमत १ नीचा स्थान, ढालू जगह। नम्र-वि० [सं०] १ विनीत, नम्रता करने वाला । २ का हया २ अभिनेता, नट । ३ धूम । ४ स्वामी, प्रभु। ५ मेव | । नत । ३ शिष्ट । ४ टेढ़ा । ५ पूजा करने वाला । ६ मक्त। बादल । -वि० १ नम्र, विनीत । २ झुकने वाला । ३ टेढ़ा, नम्रता-स्त्री० [सं०] १ विनय । २ शिष्टता। ३ माघ । तिरछा । ४ देखो "निमित्त'। ४ टेढ़ापन । ५ पूजा, भक्ति । For Private And Personal Use Only Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नय -पट 'नयनपट' | नयरी - स्त्री० प्रांख की पुतली । नयौ - देखो 'नयन' । नयन, www.kobatirth.org नय पु० [सं०] १ नीति, राजनीति । २ दूरदर्शिता, विवेक । ३ न्याय नीति विद्या । ४ व्यवहार, बर्ताव । ५ समानता । ६ विधि | ७ तौर तरीका ८ मार्ग, राह । ९ मत राय । १० दार्शनिक सिद्धांत विशेष । ११ देखो 'नदी' । १२ देखी 'नै'। नयड़ौ, नयडड, नयडौ, नयडौ- देखो 'निकट' । (स्त्री० नयड़ी ) नयरण, नयरगड़ी- देखो 'नयन' | गोवर 'नवनगोचर ( ७२८ ) नमनड़ी- पु० [सं०] १ ग्रांख, नेत्र, चक्षु । २ नेत्र ज्योति, दृष्टि | -- गोचर - वि० आंख के सामने, सम्मुख । -पटपु० प्रांख की पलक । नयरी- १ देखो 'नगर' २ देखो 'नयर' | 1 नयर (रि) - वि० [सं० निकट ] (स्त्री० नयरी) नजदीक, पास, समीप । पू० १ श्रार्या गीति या स्कंध का एक भेद । २ देखो 'नगर' | नरक, नरकां० [सं० नरकः, नरकम् ] १ शास्त्र, पुराणानुसार यह स्थान वा लोक जहां पापी जीवात्मायों को अपने दुष्कमों की सजा भुगतनी होती है। दोजख २ अत्यधिक । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पीड़ा या कष्टदायक स्थान । ३ बहुत गंदा स्थान ४ मल । एक असुर का नाम गति स्त्री० नरक भोगने की दशा - गांगी-वि० नरक में जाने योग्य । चतुरदसी, स्त्री० कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी। नरकांतकत पु० [सं० नरकांतकृत ] श्रीकृष्ण । नरकार- देखो 'निराकार' | नरकासुर १० [सं०] पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न एक मुर नरकुटक - ० [सं०] नटकम् ] नाक, नासिका । नरकेसरी - ० [२०] १ सिंह भगवान वाली पापात्मा । नरख देखो 'निरख' । (यो) देवी 'निरखगी' (ब)। नरखयकार - पु० | सं० नरक्षयकर] असुर, दैत्य, राक्षस । नरग- देखो 'नरक' । नरतू २ नरक में गिरने नरगरण - पू० | सं०] फलित ज्योतिष में नक्षत्रों का एक गण । नरगत-१०] [40] मति] १ मनुष्य योनि २ मनुष्य की पाव ढाल. रंग-ढंग । नरगस - देखो 'नरगिस' । नरवियो कोट पु० नाम का खेल विशेष नरगिस पु० [फा०] १ एक पौधा विशेष । २ इस पौधे के सफेद फूल । नरगी - पु० [देश० ] एक प्रकार का वाद्य । नरड़ियाँ, नरौ पु० [देश०] चमड़े या मून की रस्सी नरव० [सं०] नर] सूर्य सिद्धान्त के अनुसार एक प्रकार का शंकु यंत्र । नयसील - वि० [सं० नयशील ] १ विनीत, नम्र । २ नीतिज्ञ । नवसेव - १० [सं०]] वीर नयो-देखो 'नवौ' । नरय-स्त्री० [सं० नरांग] १ नारी स्त्री २ पुरुषका नरंजरण- देखो 'निरजन' । नरजरणी-देखो 'निरंजनी' । नरंद- देखो 'नरेंद्र' । नरम- देखा 'नरम' । 7 डोली । [देश०] खपल की छाजन को रखने वाली थामे लड़ी। नरझर - देखो 'निरभर' । नरज - पु० [देश०] १ बड़ा राजु २ चन्द्रमा, चांद नर-पु० [सं०] [स्त्री० नारी) पुरुष व्यक्ति दम नरजानपु० [सं० [नरन्यान पाली १ २ प्रत्येक जाति के प्राणियों में पुंसत्व गुण व विद्वानर-पु० वाला प्राणी । ३ साहम, पौरूष व बल वाला व्यक्ति, प्राणी । ४ विष्णु। ५ शिव, महादेव । ६ अर्जुन, पार्थ । ७ ईश्वर के अंशावतार नारायण के भाई एक ऋषि । ८ राजा सुवृति के पुत्र का नाम । ९ गय राक्षस के पुत्र का नाम । १० सेवक, दास | ११ जल, पानी । १२ एक राजपूत वंश । १३ दोहा छंद का एक भेद । १४ छप्पय छंद का एक भेद विशेष । १५ प्रार्या गीति या स्कंध का एक भेद । १६ नौवत आदि वाद्य का भारी प्रावाज वाला भाग । वि० १ मादा का विपर्याय, पुंसत्व गुण वाला । २ वीर योद्धा । - श्रासरण-पु० पालकी, डोली । -इंद्र = 'नरेंद्र' | नरजक - पु० [सं० निर्णेजक ] रंगरेज । नरणी-देखो 'निरणों'। नरत - देखो 'निरत' 1 " नरतात १० [सं०] राजा नृपति । नरति स्त्री० [सं० निरुक्तिः] मुधि, खबर । नरतं वि० हल्का छोटा। For Private And Personal Use Only नरतक- पु० [सं० नर्तक ] ( स्त्री० नरतकी) १ नाचने वाला । २ नट । ३ शिव, महादेव । ४ हाथी । ५ राजा । ६ मयूर । नरतकी स्त्री० [सं० नर्तकी नरतन- पु० [सं० न] २ मानवदेह नाचघर । ] नाचने वाली, वेश्या, रंडी । १ नृत्य नाथ [सं० नर-तन] -साळ, साळा स्त्री० नृत्यशाला, Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org नरतो । ७२९ ) नरसंग नरती-वि० [सं० न-रत्तः) (स्त्री. नरती) १ हीन, नीच । बाला। धीमा, मंद, मद्धिम । १० जो गरिष्ठ न हो, २ कम थोड़ा। पाचक । ११ हल्का फारिक । १२ अालसी, सुस्त । नरत्तक-देखो 'नरतक। १३ जो रूखा न हो। १४ कम वजनी। १५ कमजोर, नरत्तकी-देखो 'नरतकी'। निर्बल । १६ पौरुषहीन । --पु० [सं० नर्मन्] १ हंसी, नरत्तन-देखो 'नरतन'। -साळ, साळा = नरतनसाळ' । परिहास । २ देखो 'नरमौ'। नरत्राण-पु० [सं० नरत्रारण] १ श्रीकृष्ण । २ नरपाल, राजा। नरमखरब-पु० [देश॰] एक प्रकार का वस्त्र विशेष । नरदणी (बी)-क्रि० [सं० नर्द] भीषण शब्द करना, भयंकर नरमदा-देखो 'नरबदा' । अावाज करना, जोर से शब्द करना । नरमदेस्वर-पु० [सं० नर्मदेश्वर] नर्मदा मे निकलने वाला शिव नरदेव-पु० [सं०] १ ब्राह्मण, विप्र। २ राजा, नृप । लिंग, शिव । नरदौ-पु० [फा० नाबदान] मैला पानी बहने की नदी । नरमयद-पु० नृसिंह अवतार । नरधरम, नरधरमो-पृ० [सं० नरधर्मन् ] कुबेर । नरमळ-देखो 'निरमळ'। नरनरणौ (बौ)-क्रि० चिल्लाना, शोर मचाना, पुकारना, नरमानौ--देखो 'नरमो' । चीखना, पुकारना। नरमाई, नरमी-स्त्री० १ नम्रता विनम्रता। २ विनय । नरन राणौ (बो), नरनरावणौ (बौ)-क्रि० बड़बड़ाना । __ ३ कोमलता, मृदुलता। ४ स्वभाव से धीमापन । नरनाथ(यौ), नरनायक-पु० राजा, नप । ५ लाचारी। नरनारण, नरनारायण-पु० [सं० नरनारायण] विष्णु के नरम-देखो 'नरमौ'। अंशावतार नर-नारायण दो ऋषि । नरमेध-पु० [सं०] चैत्र में होने वाला एक यज्ञ विशेष जिसमें नरनारि-स्त्री० [सं०] द्रौपदी, पांचाली । नर बलि दी जाती थी। नरनाह-देखो 'नरनाथ' । नरमौ-पु. एक प्रकार का वस्त्र विशेष । नरनाहर-पु० [सं० नर-नाहरि सिंहावतार । नरम्म-१ देखो 'नरम' । २ देखो 'नरमो' । नरप-देखो 'चप'। नरम्मी-देखो 'नरमी'। नरपत (पति, पती, पत्त, पत्ति, पत्ती)-१० [सं० नृपति] | नरयंद-पु० [मं० नर-इन्द्र] १ विष्णु। २ शिव, महादेव । १ राजा, नृप । २ बादशाह, सम्राट । ३ देखो 'नरेंद्र'। नरपसु-पु० [सं० नरपशु] नृसिह । नरय-देखो 'नरक'। नरपाळ-पु० [सं० नृपाल] प्रजापालक गजा। नरलंग-देखो 'निरलंग'। नरपीठ-पु० [सं०] विशेष बनावट का भवन । नरलोक, नरलोग-पु० [सं० नरलोक] मृत्युलोक, भूलोक । नरपुर-पु० [स०] मृत्युलोक, भूलोक । नरलोम-देखो 'निरलोभ' । नरबदा-स्त्री० [सं० नर्मदा] मध्य भारत की एक नदी। नरलोय-देखो 'नरलोक' । नरबहिबु-पू० [सं०] निर्वाह । नरवस-देवो 'निरवंस'। नरबारण-देखो 'निरवाण'। नरवइ-देखो 'नरपति'। नरबाह-देखा 'निरवाह'। नरबाहण-देखो 'नरवाहण' । नरवदा-देखो नरबदा'। नरबाहणी (बो)-देखो 'निरवाहणी' (बौ)। नरवय, नरवहि-पु. १ निर्वाह । २ देखो 'नस्पति' । नरभक्षी-पू० [सं० नरभक्षिन् मनुष्यों को खाने वाला देत्य, नरवर (1)-पृ० राजा, नरेश। -वि० नरों में श्रेष्ठ । असुर या हिंसक पशु । नरवाघ-पु० [सं० नरव्याघ्र] ऊपर सिंह व नीचे मनुष्य देह नरभव-पु० [सं०] मनुष्य योनि, मनुष्य-जन्म । वाला जल जंतु विशेष । -वि० मनुष्यों में श्रेष्ठ। नरभुवरण (न)-पु० [सं० नर-भवन] मर्त्यलोक । पृथ्वी। नरभ-देखो 'निरभय'। नरवाहण (न)-पु० [सं० नरवाहन] कुबेर, धनेश । नरम, नरमउ-वि० [फा० नम] १ मुलायम, कोमल । | नरवाहणौ (बौ)-देखो 'निरवाहणौ' (बी)। २ सुकुमार, नाजुक । ३ लचकदार, लचीला । ४ सख्त या नरजिंदौ-देखो 'नरेंद्र'। कड़े का विपर्याय । ५ तेज का उल्टा मंदा । ६ सुस्त, नरवेद्य-पु. [सं.] मनुष्यों का भिफित्मक । मालसी। ७ सरल, सीधा, विनीत । शीन द्रवित होने नरसंग (घ)-देखो 'नरसिंह' । For Private And Personal Use Only Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नरसळ नळणी नरसळ-पृ० [देश॰] ईख से मिलता-जुलता नरकट का पौधा नारक, नरिग-देखो 'नरक' । विशेष । नरिबाहरणौ (बी)-देखो 'निरवाहणी' (बी)। नरसाह-पु. राजा, बादशाह । नरियंद-देखो 'नरेंद्र'। नराप्तका-स्त्री० एक प्रकार की कटार । नरियरण-पु. १ राजा, नृप । २ देखो 'नारायण' । नरसिंग (घ)-देखो 'नरसिंह। नरियो-पु० परिपक्वावस्था की ककड़ी। नरसिंघौ-पु० [देश॰] १ तुरहीनुमा एक वाद्य विशेष । नरीद-देखो 'नरेंद्र' । २ देखो 'नरसिंह' ।। नरो-देखो नागे'। नरसिंह, नरसींग, नरसींघ-पु० [सं० नृसिंह] १ विष्णु का चौथा नरीयंद-देखो 'नरेंद' । अवतार जिसमें आधा शरीर सिंह व प्राधा मनुष्य का था। नरीस-देखो 'नरेस । २ गजा, नप । ३ एक रतिबंध। -वि० मनुष्यों में श्रेष्ठ । नरु, नरू, नरू-देखो 'नर'। -चवदस-स्त्री० वैशाख शुक्ला चतुर्दशी। -पुराण-पु० नरूका-स्त्री० कछवाहां की एक शाखा । न सिंहावतार । संबंधी एक उप पुराण । नरूको -पु० उक्त शाखा का व्यक्ति । नरसी-पू० श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध भक्त, नरसी मेहता। | नरेंद्र-पु० [सं०] १ राजा नप। २ विषैले जीवों के काटने पर नरसीह, नरस्यत्र-देखो 'नरसिंह'। इलाज करने वाला चिकित्सक, विष वैद्य। ३ अंत में दो नरहर (हरि, हरी)-पु० [सं० नरहरि नृसिंह भगवान । गुरु वाला एक छंद विशेष । नरही-पु० [देश॰] तलवार की मूठ का निचला छोर । नरेण-देखो 'नरेहण'। नरहोरी-पु० [स० नर-हीरक] एक प्रकार का बड़ा हीरा। नरेस, नरेसर, नरेसरु, नरेसरू, नरेसरौ, नरेसुर नरेस्वर-पु० नरांअंतक-देखो 'नरांतक' । [सं० नरेश, नरेश्वर] १ राजा, नप । २ ईश्वर, परमात्मा। नराइंद-देखो 'नरेंद्र'। ३ श्रीकृष्ण, वासुदेव । नराग-देखो 'नारायण'।. नरेह-१ देखो 'नरेहण' । २ देखो 'नरेम'। नरांतक-पु० [सं०] रावण का एक पुत्र । नरेहण-वि० [सं० निर + पाइहन] १ पवित्र, उज्ज्वल, नरांनाथ-देखो 'नरनाथ' । निष्कलंक । २ निष्पाप । ३ निष्कपट, शुद्ध । ४ देखो नरांनायक-पु० [सं० नरनायक) १ श्रीकृष्ण । २ देखो 'नरेंद्र'। 'नरनायक'। नरेहर-१ देखो 'नरहरि'। २ देखो 'नरहरण' । नरांनाह-देखा 'नरनाथ' । नरोतम, नरोत्तम-पु० [सं० नरोत्तम] ईश्वर, भगवान । नरांपत (पति, पती, पत्त)-देखो 'नरपति'। नरोवर-पु० [सं० नगम्बर] समुद्र, सागर । नरांयंद-देखो 'नरेंद्र'। नरचंद-देखो 'नरेद्र। नरायण-देखो 'नारायण' । नलंप-पु० [सं० निलिम्प] देवता, सुर। नराकार-१ देखो 'नकार' । २ देखो 'निराकार' । नलंपिका-स्त्री० [सं० निलिम्पिका ] गाय, गौ। नराच-देखो 'नाराच'। नळ-पु० [सं० नल] १ निषध देश के चन्द्रवंशी गजा। नराज-१ देखो 'नाराज' । २ देखो 'नाराच'। २ श्रीराम की सेना का एक वानर । ३ यदु के एक पुत्र नराजगी, नराजी-देखो 'नाराजगी'। का नाम । ४ एक दानव विशेष । [सं० नाल] ५ एक नद नराट, नराठ-पु० [सं० नरराट्] १ राजा, नृप, नरेन्द्र । का नाम । ६ युद्ध का एक वाद्य विशेष । ७ सिंह का २ देखो 'निराट'। अगला पांव । ८ एक प्रकार का प्रायुध । ९ तलवार का नराताळ, नराताळा, नराताळी, नराताळो-देखो 'निराताळ' । एक भाग । १० तलवार पर होने वाली एक लकीर विशेष । नराधिप-पु० [सं०] राजा, नृप । ११ नरकट, नरसल । १२ कमल, पद्म। १३ वह हड्डी नराळ-१ देखो 'निराळ' । २ देखो 'निराताळ' । जिसके अन्दर नरसल के समान सीधा छेद हो। १४ जानवर मराळी-देखो 'निगळी'। (स्त्री० निराळी) का नथूना । १५ नलिका, नाली। १६ पेशाब की नलिका। नळकी, नळकीनी-देखो 'नळी' । नराहिव, नराहिवु-देखो 'नराधिप' । नळफूबर-पु० [सं० नलकूबर] १ कुबेर का एक पुत्र । २ ताल नरिव, नरिंदर, नरिदि, नरिंदु नरिदौ, नरिंद्र, नरिइंद-पु० के साठ भेदों में से एक । १ प्रथम लघु की पांच मात्रा का नाम । २ देखो 'नरेंद्र'। ! नळली-देखो 'नलिनी' । For Private And Personal Use Only Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नळगो नवद्वार नळणी (बी)-क्रि० जानवर द्वारा पिछले पांवों पर खड़ा होकर नवकार, नवकारु-पु० स० नमस्कार जैन उपासना का प्रसिद्ध हमला करना। ___ मत्र । -वळी-स्त्री० उक्त मंत्र का जाप, माला । नळपुर-पु० [सं० नलपुर] राजा नल की राजधानी का नगर । नवकारसी-पु० दश प्रत्याख्यानों में से प्रथम । नळवट (टि)-देखो ‘निलं'। नवकुमारी--स्त्री० [सं०] नवरात्र में पूजी जाने वाली नौ नळवार-पु० बछड़ा। कुमारिया। नळ वन-पु० तलवार । नवकुळी-पु. नाग वंश के नवकुल्न । नळसेतु-पु० [सं० नलसेतु] रामेश्वर के निकट बंधा एक पुल । नवकोट, नवकोटी-१० नो कोट या गढ़ों वाला मारवाड़। नळांध-पु० रात्रि में न दिखने का एक रोग, रतौंधी। नवकोटौ-पु० १ मारवाड़ का अधिपति । २ राठौड़ । नलाड़-देखो 'निलाट'। रवखंड-पु० [सं०] जंबू द्वीप के नौ खण्ड । नळि-देखो 'नळ' । नवगड्ढ़ी, नवगढ़ी-पु० [सं० नवगढ़] राठोडों का एक । नळिका-स्त्री० [सं० नलिका] १ वैद्यक में एक प्रकार का | सम्बोधन । प्राचीन यंत्र । २ बंदूक से मिलता-जुलता एक प्राचीन नवगढ़-पु० [स०] मारवाड़ का एक नाम । अस्त्र । ३ बाणों का तरकश । ४ पुदीना । ५ देखो 'नळी' | नवगरी, नवगिर, नवगीय-देखो नवग्रह' । नलिन-पु० [सं०] १ कमल, पद्म । २ सारस पक्षी। ३ जल । नवगुरण-पु० [सं०] यज्ञोपवीत, जनोई। ४ नील का पौधा। नवग्रह-पु० [सं०] १ फलित ज्योतिष के अनुसार नौ विशेष ग्रह । नलिनि, नलिनी-स्त्री० [सं०] १ कमलिनी, कमल । २ एक | २ देखो 'नवग्रही' -बंध-पु० नौ ग्रहों को बांधने वाला, प्रकार की सब्जी। ३ नदी, सरिता। ४ नारियल की रावण । शराब । ५ नाक का बायां नथुना। ६ गंगा की एक धारा नवग्रही-स्त्री० ग्रहों के रूप में नौ नगों से युक्त एक आभूषण का नाम । ७ कमल का ढेर । ८ अधिक कमलों वाला । विशेष । -वि० नवग्रहों का सूचक । जलाशय । -वि० नीले रंग का, नीला। -नंदन-पु० | नबढ़-देखो 'निपट'। कुबेर का एक उपवन । नड़ियो-देखो 'नौडियौ' । नळियौ-देखो 'नळ । नवचंदौ-वि०१ सावधान, होशियार । २ देखो 'नवसंदौ' । नळी-स्त्री० [सं० नली] १ पैर के घुटने के नीचे से पंजे तक | नबछावर-देखो 'निछरावळ' । को सामने की हड्डी। २ नलिका नाम का गंध द्रव्य । | नवछावरेस, नवछाहर-देखो 'निछरावळ' । ३ एक प्रकार का वाद्य विशेष । ४ रब्बर, धातु आदि की नवजण, नवजणियो. नवजणी, नवजणी-देखो 'भू'जगो' । बारीक भोगली, नलिका । ५ एक वाद्य विशेष । ६ सरणाई नवजरणी (बी)-देखो 'नजरणो' (बी)। नामक वाद्य का एक भाग । ७ बुनकरों के काम पाने वाली नवजरी-स्त्री० हाथ में पहनने का प्राभूषण विशेष । काष्ठ की छोटी नलिका । - देखो 'नळ' । ९ देखो 'नाळ'। नवजवान-पु० [सं० नवयुवक] नवयुवक, युवक । नळीआरइ-स्त्री० पेट पर पड़ने वाली त्रिवली। नवजोगेसर-पु० [सं० नवयोगेश्वर] १ नौ योगेश्वर । २ युवा नल-देखो 'निल' योगी। नवजोबन-देखो 'नवौवन'। नळो-पु० [सं० नाल] १ बुनकरों की सूत लपेटने की प्राक प्रादि | नवजोबना-देखो 'नवयौवना'। की नलिका । २ भवन निर्माण में काम आने वाला एक नवड-देखो 'निपट'। अौजार विशेष । ३ सिंह, घोड़े आदि जानवरों के अगले पांव के घुटने के नीचे की हड्डी । ४ देखो 'नळ' । ५ देखो नवरणीय -देखो 'नवनीत'। 'नाळो' । नवरणौ (बो)-देखो 'नमणी' (बी)। नल्लो -वि० बूरा, खराब । ५.४... . ..... नवतन-देखो 'नूतन'। नवंबर-पु० [अं॰] ईसा सन् का ग्यारहवां मास । नवतर-स्त्री० [देश॰] उर्वर होने के लिये छोड़ी गई कृषि भूमि । नव (उ)-वि० [सं० नवन्] १ नया, नूतन, नवीन । २ ताजा, नवदुरगा-स्त्री० [सं० नवदुर्गा] नवरात्र में पूजी जाने वाली तुरन्त का। ३ अाधुनिक । ४ दश में एक कम । -पु० | । नो दुर्गायें । दुर्गा के नौ रूप। १ नौ की संख्या व अंक । २ काक, कौया । मवद्वार-पु० [सं०] प्राणी के शरीर के नाक, कान आदि के नवका-देखो 'नौका'। नौ छिद्र. For Private And Personal Use Only Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नवध नवनध - देखो 'नवनिधि' । नवनवड - वि० बिलकुल नवीन, नया नवीन । नवनाड़ी स्त्री० [सं०] योग विद्या की www.kobatirth.org 1 ७३२) नवधा- क्रि०वि० [सं०] नौ प्रकार से वि० नौ गुणा -भक्ति- नवरतन पु० [सं० नवरत्न] १ नौ प्रकार के बहुमूल्य रत्न । 1 स्त्री० भक्ति की नौ विधियां । २ नौ ग्रहों के प्रतीक, नौ रत्न जड़ा ग्राभूषण। ३ विशिष्ट गुणों वाले नौ सभासद । नवरता, नवरती, नवरत्ती देखी 'नवरात्र' । - नवनाथ पु० [सं०] नाथ सम्प्रदाय के सिद्धि प्राप्त नौ महायोगी । नवरस पू० [सं०] काव्य में होने वाले श्रृंगार, करुण आदि नौ रम । नवरा देखा 'नौरा' । नवनिद्धी व नवनिद्धि, नयनी नवविध नवनिधि, नवनिधी स्त्री० [सं० नयत ( रात्र रात्रि ) - पु० [सं० नवरात्र]] १ यंत्र प्राश्विन नवनिधि) कुबेर की नो निधियों के शुक्ल पक्ष के दुर्गा पूजन के नौ पर्व दिन । २ इन दिनों में किया जाने वाला व्रत, पूजन आदि । नवनीत पु० [सं०] १ मक्खन । २ श्रीकृष्ण । धेनु-स्त्री० दान के लिए कल्पित गो । नवरोज नवरोजी-पु० ईरानियों व मुसलमानों का एक वार्षिक महोत्सव | नवरौ - वि० (स्त्री० नवरी ) १ जिसके पास कोई काम न हो, फुरसत वाला । २ सभी कामों से मुक्त। ३ निकम्मा, बेकार | ४ निष्क्रिय । ५ देखो 'नो'रौ' । नवपत्रिका स्त्री० [सं०] नवदुर्गा पूजन में काम जाने वाले नौ नवल वि० १ नवीन नया २ नवयुवा नवयौवना । वृक्षों के पत्र नवल नंगा स्त्री० मुग्धा नायिका का एक भेद । नवलउ - देखो 'नवल' । 1 नवलकिसोर पु० [सं० नवलकिशोर ] १ श्रीकृष्ण, घनश्याम । नवपद पु० [सं०] जैन मतानुसार माने जाने वाले पद नयनयतबस नदेख'मोल' नवबहारी नगरी स्त्री० [सं० नव + द्वार + नगरी ] नौ दरवाजे वाला नगर । नौवां । २ गधा । नवम वि० [सं० नवम् | नो के स्थान वाला, नवमई, नवमइ स्त्री० [सं० नवमति] १ सहसा सोचने की नवलक्ख - स्त्री० [सं० नवलक्ष] नौ लाख देवियों का समूह । शक्ति । २ शुद्ध बुद्धि या मति । ३ देखो 'नवमी' । - वि० १ नौ लाख । २ नौ लाख का । नवमहानिधांन० नौ प्रकार के महान कोष । नवमासियो - वि० नौ मास में होने वाला । नवम, नवमी - स्त्री० [सं०] मास के प्रत्येक पक्ष की नौवीं नवलखी - वि० [सं० नवलक्ष] ( स्त्री० नवलखी ) १ नौ लाख का । तिथि - वि० नौ के स्थान वाली, नौवीं । नवमोहरी - पु० नव मुद्रायें अंकित शाही फरमान । नवपंचम पु० [सं०] जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष का प्रतिष्ठा नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र तक का नौ दिन का समय । नवपण (न) - पु० [सं० नव + त्व] १ यौवन, जवानी । २ नवीनता । नवमौ - वि० [सं० नवम् ] ( स्त्री० नवमी) नौ के स्थान वाला, नौवां । नवयराजलखमण, नवयराजलखमा पु० [सं० नव्यराज लक्ष्मण ] युधिष्ठिर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवयौवन- पु० [सं०] १ युवावस्था का प्रारंभ तरुणाई | २ नवयुवक, तरुण । वयोवना स्त्री० [०] युबती, तरुणी | नवरंग - पु० [सं०] १ छप्पय छंद का ५९ वा भेद । २ एक वरिक छंद विशेष । ३ कामदेव, अनंग । ४ लावण्य, सौन्दर्य । वि० १ नये ढंग का नया । २ सुन्दर रूपवान । नवरंगी, नवरंगौ- वि० [सं० नवरंग ] १ विचित्र । २ नित्य नये श्रानन्द वाला । अनोखा, श्रद्भुत, नवल्ली २ युवक, युवा पुरुष । नवलकिसोरी - स्त्री० [सं० नवलकिशोरी ] १ युवा स्त्री, युवती । नवलखी स्त्री० [सं० नवलक्ष] जुलाहों की ताने दबाने की एक लकड़ी विशेष । - वि० नवलक्ष की नोलखी । 1 २ मूल्यवान, बहुमूल्य । दरंग-पु० मारवाड़ का कोटड़ा नामक नगर । —हार - पु० नौ लाख की कीमत वाला हार । नवी (वनी) स्त्री० [दुल्हन, वधू २ नवोड़ा नववधू 1 ३ नवयुवती । । नवलबनी ( वनो ) - पु० १ दूल्हा, वर । २ नवपरणिता युवक । २ तरुण । नवलासी - वि० नवीन, नूतन । नवलियो देखो 'नकुल' । नवळी-देखो 'नोळी' । For Private And Personal Use Only 1 नवली वि० [सं०] नय] नयी, नवीन स्त्री० नवयुवती नवळी - पु० [देश०] खलिहान में पड़ा साफ अनाज का लम्बा ढेर | नवलौ वि० [सं० नव्य] नया, नवीन पु० नवयुवक तर नवल्ल - देखो 'नवल' । नवल्ली (प) देखो 'नवली' । Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org नवल्ली नवोड़ो नवल्लो-देखो 'नवलौ'। नवाळ (ळी)-देखो ‘निवाळी' । नववासुदेव-पु० [सं० | जैन मतानुसार नौ वासुदेव । नवावरणौ (बो)-१ देखो 'नवारणी' (बी)। २ देखो नवविस-पु० [सं० नव-विष] नौ प्रकार के विष । 'नमाणौ' (बौ)। नवसंगम-पु० [सं०] १ पति-पत्नी या स्त्री-पुरुष का प्रथम नवास- देखो "निवाम' । समागम । २ प्रथम मेंट। नवासौ-पृ० [फा० नवासः] (स्त्री० नवासी) पुत्री का पुत्र, नवसदौ-पृ० [फा० नवीसिन्द:] लेखक, अहलकार, कर्मचारी। दोहित्र । नवसक्ति-स्त्री० सं० नवशक्ति] नौ प्रकार की शक्तिया। नवाह--वि० [सं०] नौ दिन का, नो दिवसीय । नवसदी-स्त्री० [सं० नव + फा० सदी] शाही अहलकारों का कवि-अध्य० [सं० न + अपि] १ न, नहीं। २ नहीं तो। विभाग। ३ देखो 'नवी' । नवसर-वि० [सं० नवसर: नौ लड़ी का, नौ लड़ वाला। नवियौ-१ देखो 'नमियो' । २ देखो 'नव' । -पु०१ नौ लड़ी का हार । २ मारवाड़ का एक किला। नवी-वि० [सं० नव] १ नवीन, नूतन । २ देखो 'नवि' । -हार-पु० नौ लड़ियों या डोरों का हार। ३ देखो 'नमी'। नवसहस, नवसहंसउ, नवसहसौ, नवसहस, नवसहसौ, नवीन-वि० [सं०] १ नया, नुतन । २ हाल का, ताजा । नवसाहसौ-पु० [सं० नवमहस्र] राठौड़ों की उपाधि का ३ अद्भुत, अपूर्व । ४ अाधुनिक । शब्द । राठौड़। नवीनता-स्त्री० [सं० नवीनत्व] १ नयापन, नूतनता । नवसूज-पु० [सं० नवसृज] कामदेव, अनंग । २ ताजगी । ३ अद्भुतता, विचित्रता । ४ अाधुनिकता। नवहत्थ, नवहत्यौ, नवहथ, नवहथी, नवहथ्य-वि० [सं० नवहस्त] | नवीना, नवीनी-स्त्री० [सं० नवीना] १ नव वधू, दुल्हन । (स्त्री० नयहत्थी) १ नौ हाथ लंबा, नौ हाथ का । २ नवयौवना । -वि० नयी, नवीन । २ वीर बहादुर । -पु० सिंह, शेर । नवीन-देखो 'नवीन'। नवांकोट, नवांकोटि (टी)-देखो 'नवकोटी' । नवीनौ-पु० [सं० नवीन] (स्त्री० नवीनी) १ नवयुवक, नवांणियो-वि० [सं०नव-उष्ण ताजा दूहा दूध, धारोष्ण दूध । २ देखो 'नवीन'। नवाणु (ग)-देखो 'निना' । नवीसंदौ-देखो नवसदी'। नवारणी-वि० [सं० नवीन] (स्त्री० नवांणी) नवीन, नया, नवीस-पु० [फा०] लेखक, लिखने वाला कर्मचारी। नूतन। नवीसी-स्त्री० [फा०] लिखने का कार्य । लिखाई। नवांस-पु० [सं० नवांश किसी राशि का नौवां भाग । नवे-देखो 'नेऊ'। नवाई-देखो 'निवाई। नवे'क-वि० [सं० नव-एक] नौ के लगभग । नवाड़रणी (बो)-देखो नवाणी' (बी)। नवेक्षत्र-पु० नया क्षेत्र, नई जगह, स्थान । नवाज-१ देखो 'नमाज' । २ देखो 'निवाज' । नवेखंड-देखो 'नवखंड'। नवाजणी (बो)-देखो 'निवाजणौ' (बी)। नवेडो-देखो 'निवेडी'। नवाणी (बी)-क्रि० १ स्नान कराना, नहलाना। २ देखो 'नमाणी' (बौ)। नवेव-देखो 'निवेद' । नवात-स्त्री० [देश॰] मिश्री । नवेनाथ-पु० श्रीकृष्ण। नवादी-स्त्री० [सं० नव-पादि] १ नववधू, नवौढ़ा। २ तरूणी। नवेनिद्धि, नवेनिधि-देखो 'नवनिधि'। -वि० नयी, नूतन । नवेरु, नवेरौ-वि० [सं० नवतर] नवीन, नया, नूतन । नबादौ-वि० [सं० नव-आदि] (स्त्री० नवादी) नया, नूतन । नवेली-स्त्री० [सं० नवीन] १ नवयौवना, तरुणी । २ नववधू । नवाब-देखो 'नव्वाब'। -जादौ='नव्वाबजादौ'। नवाबो-देखो 'नवाबी'। -वि० नूतन, नवीन । नवायो-देखो 'निवायौ'। नवेलो-पु० [सं० नवीन] (स्त्री० नवेली) १ नौजवान, तरुण । नवार-देखो 'निवार'। २ देखो 'नवीन'। नवारण-देखो 'निवारण' । "नवै-१ देखो 'नेऊ' । २ देखो 'नव' । -ग्रह-'नवग्रह। मवारणमंत्र-पू० [सं० निर्वाण मंत्र] नौ प्रक्षर का मंत्र विशेष । -निध, निधि 'नवनिधि' । नबारी-स्त्री० नौ हाथ का मूती वस्त्र विशेष । नवोडौ-देखो 'नवो'। For Private And Personal Use Only Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नयोड़ www.kobatirth.org ( ७३८ ) 1 नयो नयोड़ा स्त्री० [सं० नव + उड़ा] १ साहित्य में ज्ञात मुग्धा नायिका का एक भेद । ३ जवान स्त्री तरुणी । नवोतरी - पू० नौवां वर्ष । नवो नवौ, नव्य वि० [सं० नव, नव्य ] ( स्त्री० नवी) १ नवीन. नया । २ हाल का ताजा । ३ आधुनिक । ४ पूर्व विचित्र । ५ पुनः प्रचलित । ६ क्रमशः आने ७ प्राचीन का स्थानापन्न | ८ नौ के स्थान - पु० १ नौ वा वर्ष २ देखो 'नव' । वाला । वाला । नयां देखो 'निनां । मध्यासी देखोनियासी' । नव्य- १ देखो 'नव' । २ देखो नवो' । -नीद्धि = 'नवनिधि' । नसवार स्त्री० नाक में सूंघने की पिसी हुई तम्बाखू | २ नव विवाहिता नववधूनसाखोर वि० [अ०] अधिक नशा करने वाला, नशाबाज । नाड़ी देख 'नाणी' (दो) । नसाचर-१ देखो निसाचर' । २ देखो 'नासाचार' । नमो (बोकि० [सं०] १ भगाना, दूर करना, मिटाना । २ नष्ट करना, बरबाद करना । ३ बिगाड़ना, खराब करना। ४ मिटाना । नसाप (फ) - देखो 'इसाफ' । नसापत-देखो 'निसापत' 1 नसावाज देखी 'नमेवाज' | नायरो (बी) देखो 'नसाणी' (बी) नसि देखो 'निमा' । - नाथ = नवनाथ' । नव्वाब - पु० [अ०] १ बादशाह द्वारा नियुक्त किसी बड़े प्रदेश का शासक । २ मुसलमानों की एक उपाधि विशेष । ३ अमीर मुसलमान -जादी स्त्री० किसी नवाब की पुत्री - जादी पु० नवाब का पुत्र । नवाबी स्त्री० [अ०] १ नवाब का पद, उपाधि । २ नवाबों जैसा रहन-सहन । ३ अमीरायत । नसंक- देखो 'निसंक' । - ] नस स्त्री० [सं० रन १ प्राणियों के शरीर की रक्त वाहिनी शिरा, नाड़ी, नली, धमनी । २ गर्दन, ग्रीवा । ३ शरीर की मांस पेशियों को परस्पर जोड़ने वाले तंतु, रंग । ४ पत्तों के बीच दिखने वाले रेगे तंतु मुन्द्रिय लिगेन्द्रिय । ६ कुंजी नियंत्रक तत्व ७ देखो 'नासा' देखो 'निस' । नसचर - देखो 'निसाचर' । नसचार, नसचारी-देखो 'निसाचरी' | नसरणौ (बो) - क्रि० [सं० नश्] नष्ट होना, नाश होना । नसतरंग पु० [सं० स्नस् + तरंग ] पीतल का बना एक वाद्य विशेष | नस्तर - पु० [फा० नश्तर ] १ शल्य चिकित्सा का चाकू विशेष । २ चाकू । नसतार - देखो 'निसतार' । नस-दरबी [स्त्री० [सं० स्नस् + द] सांप का फल देखो निसादिव' नसलंब नसलंब पु० [सं० स्नस् + लंब] उंट, उष्ट्र । , नसल - स्त्री० [अ०] नस्ल ] १ वंश, कुल । २ संतान, प्रलाद 1 ३ प्राणियों का वर्ग या जाति विशेष । ४ किसी क्षेत्र या प्रदेश विशेष का प्राणी या मवेशी वि०१ निर्लज्ज, बेशर्म । २ नीच, दुष्ट । नसमांड देखो 'नसलंब 3 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नस्टचंद्र नसियां - स्त्री० [सं० निषया] १ एकान्त में बना देवस्थान । (जैन) २ समाधि स्थान । ३ तीर्थ स्थान । नसीजणी (बी)फ० करीली भूमि में गाड़ी आदि खींचने से बैल के कधे में सूजन श्राना, घाव पड़ना । नसीत-देखो 'नसीहत' । नसीन - वि० [फा० नशीन, नशी ] १ बैठा हघ्रा । २ बैठने वाला । ३ रखने वाला । ४ किसी से युक्त । नसीनी स्त्री० [फा० नशी] बैठने या रखने की क्रिया या भाव। नसीब १० भाग्य, किस्मत। नसीयत - देखो 'नसीहत' । पु० नसीलो - वि० (स्त्री० नमीली ) १ नशा उत्पन्न करने वाला, नशीला, मादक । २ जिस पर नशे का प्रभाव हो, मदमस्त । नसीहत स्त्री० [अ०] १ उपदेश, शिक्षा, सुसम्मति । २ बुद्धि, अक्ल । नसे सालार पु० [फा०] पारसी मजहब के अनुयायी, मुर्दा उठाने वाले व्यक्ति । नसंखी देखो 'नीसरखी। नसे बाज, नसंल - वि० [फा०] मादक पदार्थों का सेवन करने वाला, किसी नशे का आदी । For Private And Personal Use Only नसौ-पु० [अ० नश्शः ] १ मादक पदार्थ के सेवन से उत्पन्न उन्माद की अवस्था, उन्मत्तता । २ मादक पदार्थं । नस्चित - देखो 'निस्चित' । ४ नस्ट- पु० [सं० नष्ट ] पिंगल शास्त्र की एक क्रिया विशेष । - वि० ० १ जो बरबाद हो चुका हो, नाश हुवा हुआ । २ खराब, बेकार । ३ वंचित, हुधा, गुम ६ अधम, नीच - बुद्धि-वि० पू नस्टचंद्र - पु० [सं० नष्ट चन्द्र ] भादव मास के दोनों पक्षों की चतुर्थी को दिखने वाला चांद । मुक्त । 'अदृश्य । ५ खोया देव पु० दुष्ट देव Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org नस्टजातक ( ७३५ ) मांगळियो नस्टजातक-पु० [सं० नष्ट-जातक] जन्म कुण्डली बनाने की एक नहाग्गो (बौ) क्रि० [स० निमज्जनम् | १ स्नान करना, नहाना । क्रिया विशेष । २ डुबकी लगाना। ३ तीथ स्नान करना। ४ धुलना । नस्ट-भ्रस्ट-वि० [सं० नष्ट-भ्रष्ट] जो भ्रष्ट या अछूता होकर ५ भीगना। नष्ट हो गया हो बरबाद । -पु. नाश, ध्वंस । | नहाळ (ल)-पु० [सं० नख-पालुच १ सिंह शेर । २ देखो नस्टात्मा-वि० [स० नष्टात्मा दुरात्मा, नीच, खल । _ 'निहाल'। नस्तर-देखो 'नमतर'। | नहालणौ (बी)-क्रि० [देश॰] १ निहारना, देखना । २ लखना, नस्तरणौ (बौ)-क्रि० [सं० निस्तरणम्] १ समाप्त होना, पहिचानना। नष्ट होना। २ नस्तर लगा कर चीरना। ३ देखो नहावरण पु० १ स्नान करने की क्रिया या भाव । मज्जन । 'निस्तरणो' (बौ)। .. नस्तार-देखो "निस्तार'। नहावणी (बौ)-देखो 'न्हारणी' (बो)। नस्यां-देखो 'नसियां'। नौंतरि-अव्य. नहीं तो। नस्वर-वि० [सं० नश्वर] १ नाश होने वाला, मिटने वाला, नहिं नहि. नहीं, नही नहीं, नह-प्रव्य० सं० नहि] निषेधात्मक नष्ट होने लायक, क्षणिक । २ उपद्रवकारी। ध्वनि, नकार। नस्वरता-स्त्री० [सं० नश्वरता] नाश होने की अवस्था, नहुरिउ-वि० निमंत्रण, प्रामंत्रण । गुरग या भाव। नहुस-पु० [सं० नहूष] १ इक्ष्वाकुवंशीय एक प्रसिद्ध राजा जो नहं-देखो 'नहीं', अगस्त्य ऋषि के शाप से सर्प बना । २ एक नाग का नाम । नहंकार-देखो 'निहंकार'। __ ३ मनुष्य, व्यक्ति । -वि० १ मूर्ख, जड़ । २ नीच, दुष्ट । नहंग-१ देखो 'निहंग'। २ देखो 'नैग'। -राज, राजा- ना-प्रब्य० [सं०न] निषेधात्मक ध्वनि, नहीं। -प्रत्य०१षष्ठि निहंगराजा'। विभक्ति या संबंधकारक का चिह्न, का । २ कर्म व नहंच-देखो 'निश्चय' । सम्प्रदान का विभक्ति प्रत्यय, को।। नहचौ-देखो 'नहचौ'। नाई-वि० [देश०] १ समान, तुल्य, जैसा । २ देखो 'नाई'। नह-१ देखो 'नख। २ देखो 'नभ'। ३ देखो 'नहीं' । नांउ, नांऊ-देखो 'नाम'। ४ देखो 'नस'। नांकणौ (बो)-देखो 'नाखणी' (बी)। नहकुरण-देखो 'निहकुण' । नांख-पु० [देश॰] उर्वर होने के लिए छोड़ी गई कृषि भूमि । नहकोड-पु० योद्धा, वीर। नाखणौ (बी)-क्रि० [सं. निक्षिपणम्] १ ऊपर से नीचे डालना, नहच, पहचय -देखो 'निस्चय' । फेंकना, नीचे पटकना । २ किसी पदार्थ में कुछ अन्य नवचळ-देखो किम्वळ' । वस्तु डालना, मिलाना, संमिश्रण करना। ३ जोश में आगे नहचे, नहचेण नहच-देखो 'निस्चय' । बढ़ाना, कोंकना। ४ भिड़ाना। ५ किसी पर कोई चीज नहचौ, नहच्ची-पु० [सं० निश्चय] १ धीरज, धेयं । २ विश्वास, पटकना, फेंकना । ६ परित्याग करना, छोड़ना । ७ टपकाना, यकीन । ३ शांति, संतोष । चूनाना, गिराना। बहाना। ८ उछालना, फेंकना । नहच्यंत-देखो 'निस्चित'। ९ खड़ी वस्तु को गिराना । १० पास में पटकना । नहच्यौ-देखो 'नहचौ'। ११ लटकाना । १२ भेजना, पहुंचाना । १३ संहार करना । नहरणो (बौ)-क्रि० १ धारण करना, उठाना । २ सभालना, १४ पटकना, गिराना, पछाड़ना। १५ उखाड़ना । संभाले रखना। ३ पकड़ना, थामना । ४ आवेष्टित करना। नांगर-पु० [सं० नागरम्] १ सोंठ। २ लंगर । ५ बनाना। नांगरी-१ देखो 'नवग्रही' । २ देखो 'नोगरी'। नहफूलण-स्त्री० पुष्प की कली । नांगळ-स्त्री० [सं० नाग़ + बलि] १ गृह प्रवेश का महोत्सव, नहरणी-देखो 'नखहरणी'। , प्रतिष्ठा, पूजन । २ देखो 'नांगळी'। . नहराळ (ळी)-पु० १ सफेद पीठ वाला घोड़ा। २. देखो नांगळरणो (बी)-क्रि० [देश॰] १ बांधना। २ स्थापना करना, 'नखराळो' । प्रतिष्ठा करना। नहलाणौ (यो), नहलावरणौ (बी)-देखो 'नहाणी' (बी)। नांगळियौ, नांगळी-पू० [देश॰] १ मोट की ऊपरी किनारों पर नहसरणी (वो)-देखो 'निहसणी' (बो)। बंधा मजबूत रस्सा। २ रस्सा, रस्मी। ३ फंदा । For Private And Personal Use Only Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नांड़ियो www. kobatirth.org ( ७३६ ) नाडियो देखो 'नौडियो । नांज- देखो 'नौज' । नांजरण, नांजलियो, नांजणौ- देखो 'नू' जरगौ' । नांद, नावि० [दिश०] मूलं गंवार २ अपठित जो १ । । ३ व्यवहार कुशल न हो । नांख, नालि ० [सं०] ज्ञान] ज्ञान नांदेखो''। नासो (बी) क्रि० [सं० ज्ञान] जानना । नव-देखो 'नांगादी' | नांदी स्त्री०० ] ननद की पुत्री नांगदौ- पु० [सं० नानान्द्रः | पति का भानजा नांगवंत-त्रि [सं० ज्ञानवत ] ज्ञानवान | रिगद - देखो 'नांगादी' । नांणी - वि० [सं० आनी । ज्ञानवान, ज्ञानी । नांदेखो''। पति की भानजी । ननद का पुत्र । नांटी - स्त्री० [सं० नारणक + हट्ट] १ रेजगारी व नोटों का व्यापार करने वाला व्यापारी । २ रेजगारी व नोटों का - साही = 2 नानपारचा पु० [देश०] रोटी कपड़ा । नांनसराद- पु० नाना के लिये किया जाने वाला श्राद्ध विशेष । नांनसरी- पु० १ नांनी सासरी २ नांगी ससुर। नानांय वि० ननिहाल का ननिहाल संबंधी। - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नांनी स्त्री० १ मां की माता, नानी । -बाई 'नैनीवाई। नोनी पु० ननिहाल । - नांना वि० [सं० नाना] १ अनेक बहुत । २ विभिन्न, विविध । ३ विविध भांति के । नांनियो-१ देखो 'नैनौ' । २ देखो 'नांनी' । नाम नाम पु० [सं०] नामन् ] १ वह शब्दसमूह जिससे किसी व्यक्ति, प्राणी, समूह यादि का बोध हो, संज्ञा, अभिख्या । २ स्थाति, प्रतिष्ठा, कीर्ति । ३ बकाया रकम का इन्द्राज । ४ यादगार, स्मृति । व्यापार । नांगू, नांगौ- पु० [सं० नारणकं ] १ रुपया, पैसा, नगदी । २ धन, द्रव्य । ३ कर, टेक्स | नामक - वि० [सं० नामक ] १ नाम वाला । २ नाम से प्रसिद्ध । नांमकम्म- देखो 'नांमकरम' । नांद-स्त्री० [सं० नंदक ] मवेशियों को चारा आदि खिलाने का नामकरण- पु० [सं० नामकरण] १ जन्म के पश्चात् बच्चे का नाम निश्चित करने का संस्कार । २ कोई नाम तय करने की क्रिया । बड़ा पात्र । नांमधन २ देखा 'नैनी' । नांनीसासरो- पु० पति या पत्नी का ननिहाल । नांगीसासू जी० पति या पत्नी की नानी । नांनीसुसरी- पु० पति या पत्नी का नाना । मनु-१ देखी 'नैनी' २ देखो 'नानी' । नारी पु० ननिहाल । - मानौ पु० (स्पी० [नांनी १ माता का पिता २ देखो 'नैनी' । भन्यो, नो, मांकड़ों, नन्हकियो, नन्ह नांन्हडियउ नोहरियौ, नांन्हियों, नान्हायो, नांहू, नन्ही- देखो 'नॅनो' (स्त्री० नान्ही) नांबरी-देखो 'नांमवरी' | , नदियांबदेखो 'गंदी' | नांदीमुख- पु० [सं०] मांगलिक कार्यों से पूर्व किया जाने वाला एक श्राद्ध विशेष । नांन - देखो 'नैनप' | नानक-पु० सिख सम्प्रदाय के प्रवर्तक, गुरु नानक । नानकड़ो-देखो 'नो'। नांमको, नांमगो, नांदेखो 'नाम' नानकसाही - वि० गुरु नानक से संबंध रखने वाला। -पु० गुरु नांमजद, नांमजदीक, नांमजद्दी, नांमजाद, नांमजावी, नानक का शिष्य या अनुयायी । नामजादीक- वि० [फा० नामजद ] १ प्रसिद्ध विख्यात । २ मनोनीत । नानकियो-१ देखो 'नॅनो' । २ देखो 'नांनी' । 'नानकसाही' । नांनड़ियों, नांनड़ौ-१ देखो 'नॅनो' । २ देखो 'नांनी' । ननित नांगतो-देखो 'लांग'। नामंजूर - वि० [फा०] १ न कबूला हुआ, नकारा हुआ, ग्रस्वीकृत । २ अमान्य | नांमकरम पु० [सं० नामकर्म] १ नामकरण संस्कार । २ कर्म का एक भेद (जैन)। नांमकीरतन पु० [सं० नामकीर्तन ] ईष्ट के नाम का जप, कीर्तन, भजन | नांगरणी - वि० (स्त्री० नांमणी) नमाने वाला, झुकाने वाला । नांमरणौ (बौ) - क्रि० १ नमवाना, नमस्कार कराना । २ झुकाना, झुकवाना । ३ अधीनस्थ करना, मातहत करना । ४ तरल पदार्थ को पात्र में डालना, उड़ेलना । For Private And Personal Use Only नामदार - वि० [फा०] १ नाम वाला । २ प्रसिद्ध, विख्यात । नांमदेव - पु० दर्जी जाति के एक प्रसिद्ध संत जिनका उल्लेख भक्तमाल में आता है । मद्रासी स्त्री० [सं० नामद्वादशी] बारह देवियों के पूजन का एक व्रत । नांमधन पु० [सं० नामधन) १ एक संकर राय विशेष ॥ २ ईश्वर भक्ति की पूंजी । Page #746 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नांमधारक नाकद नांमधारक-वि० [सं० नामधारक १ केवल नाम वाला ही, नांमू, नांमू-१ देखो 'नाम' । २ देखो 'नांमी'। नाम के अनुसार गूण वाला नहीं। २ नाम धरने वाला। | नांमूद, नांमून-पु० [सं० नामन्] नाम, प्रसिद्धि, यश । -वि. नांमधारी-वि० [सं० नामधारिन्] १ जिसका कोई नाम हो, प्रसिद्ध, विख्यात । नाम वाला । २ प्रसिद्ध, ख्याति प्राप्त । नांमे' क-वि० [सं० नामन्-एक] किंचित थोड़ा। जरासा । नांमधेई, नांमधेय-पु० [सं० नामधेय] नाम निर्देशक शब्द । नांमेदार-वि० हिसाब रखने वाला। मांमनिक्खेबनामनिक्षेप. नामनिक्षपो. नामनिखेव-प. नामोसी-स्त्री० [फा० नामुमी] १ बदनामी, अपकीति, निदा । [सं० नामनिक्षेप] गुण के अनुसार नामकरण । २ अनादर, बेइज्जती । ३ नासमझी, मुर्खता। नाममाळका, नाममाळा, नाममाळिका-स्त्री० [सं० नाममालिका] नामो-पु० [सं० नामन्] १ अभिलेख, लिखावट । २ लेन-देन १ नामों की सूची, कोश । २ बहत्तर कलाओं में से एक । का लेखा। बही खाते का कार्य । ३ देखो 'नाम'। नांमरद-वि० [फा० नामदं] १ पुसत्वहीन, नपुसक । वहीत नमक नारतो-देखो 'नवरात्र' । २ हिजड़ा । ३ कायर, भोरु । नारा-देखो 'नौरा'। नसतो नांमरदो-स्त्री० [फा० नामर्दी] १ पुसत्वहीनता, नपुसकता नाममा नारी-देखो 'नौहरौ'। नांळी-देखो 'नोळी'। २ हिजड़ापन । ३ कायरता, भीरुता । नामरूप-पु० [सं० नामरूप] नाम से ही जानी जाने वाली | नांव, नांवड़ो-देखो 'नाम' । अगोचर वस्तु । नांवजाद, नांवजादी, नांवजादीक-देखो 'नांम जद' । नामवर-वि० [फा० नामवर ख्याति प्राप्त, प्रसिद्ध, नामी। । नांवरणो, (बी)-क्रि० १ चलाना, खेना। २ उड़ेलना, डालना। नांमवरी-स्त्री० [फा० नामवरी] ख्याति, प्रसिद्धि । कीति । ३ देखो 'नामणी (बौ)। नांमवाळी, नांमसाद-वि० [सं० नाम-सादः] १ नाम वाला, | नांवदेव-देखो 'नांमदेव' । नामी । २ प्रसिद्ध, कीर्तिवान । नांह, नाहि, नांही-देखो 'नहीं' । नांमसेस-वि० [सं० नामशेष] १ नाम मात्र । २ मत प्रायः। ना-पु० [सं० नृ१ मनुष्य, नर । २ मुख । -स्त्री० ३ वनिता । नांमा-वि० [सं० नामा] १ नाम धारी, नाम वाला । २ नामी, ४ अस्वीकृति, मनाही, इन्कारी । -अव्य० १ निषेध प्रसिद्ध । -स्त्री० कीति, प्रशंसा। सूचक ध्वनि । २ द्वितीया विभक्ति या कर्मकारक का नामाकूळ-वि० [फा० ना-मायूल] १ अनुचित । २ अयोग्य । | चिह्न, को। ३ नालायक। ना'-१ देखो 'नाथ' । २ देखो 'नाभि' । ६ देखो 'नाह'। नांमाजोड़, नांमाजोड़ी-पु० विवाह से पूर्व वर-वधू की जन्म नागर-देखो 'नाहर' । कुण्डलियों को मिलाने की क्रिया या भाव । नाइ-देखो 'नाई'। नांमारणी (बौ)-देखो 'नमाणो' (बौ)।। नाइक-देखो 'नायक'। नांमारूम-वि० देश०] बेचन, व्याकुल, विकल । नाइतफाकी-स्त्री० [फा० नाइत्तिफाकी] १ विरोध, फूट । नांमालय-पु० [सं० नामालय] बहत्तर कलाओं में से एक। २ असंयोग । नांमालूम-वि० [फा०] जो मालूम न हो, जिसकी खबर न हो । | नाइन-देखो 'नायण' । अज्ञात । नाइब-देखो 'नायब'। नांमावरणौ (बी)-देखो 'नमाणो' (बी)। नाइबी-देखो 'नायबी'। नामावळी-स्त्री० [सं० नामावली] १ नामों की सूची । २ राम | नाई-पु० [सं० नापित] (स्त्री० नायण) १ बाल काटने, हजामत __ नाम छपा ओढ़ने का वस्त्र ।। बनाने प्रादि का कार्य करने वाला वर्ग व इस वर्ग नांमि-देखो 'नामी'। का व्यक्ति । हज्जाम । -स्त्री० २ हल के बांध कर बीज नांमित-देखो 'निमित्त'। बोने का उपकरण विशेष । बीजनी । ३ बैलगाड़ी के नामी-वि० सं० नामिन] १ नामवाला, नामधारी । २ प्रसिद्ध, पहिये पर लगने वाला डंडा । ४ देखो 'नाई'। विख्यात, मशहूर । ३ उत्तम, श्रेष्ठ, बढ़िया । ४ जबरदस्त, -बंधणी-स्त्री० हल से बीजनी बांधने की रस्सी। महान, बड़ा। ५ सुन्दर । ६ जो ठीक न हो, बुरा। नाउं, नाउ, नाऊं, नाऊ-१ देखो 'नांभ' । २ देखो 'नाई'। ७ उचित, यथावत । -पु० [सं० नमिः] विष्णु, नारायण । नापोलाद, नापोलाद-वि० [फा०] जिसके कोई संतान न हो, -गिरांमी, गांमी, ग्रांमी-वि० मशहूर, प्रसिद्ध । निस्सन्तान । नांमु-१ देखो 'नाम' । २ देखो 'नांमी' । नाकंद -वि० [फा० ना-कंद] अणिक्षित, अल्हड़ । नयता । For Private And Personal Use Only Page #747 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाक नागण नाक, नाकडली-पु० [सं० नक्रम्] १ सूघने व सांस लेने को का छोर, शिरा । ३ किनारा, छोर । ४ रास्ते का अन्तिम इन्द्रिय, नासिका । २ इज्जत, प्रतिष्ठा । [सं० नाक] भाग । ५ सीमा, हद । ६ किसी प्राभूपरण या उपकरण में ३ स्वर्ग । ४ आकाश । -नटी-स्त्री० स्वर्ग की अप्सरा । डोरा आदि डालने का नुक्का या छेद । ७ रस्सी का -पत, पति-पु० स्वर्ग का राजा, इन्द्र । -फूली-स्त्री० छोटा, फंदा। ८ साहस, हिम्मत, शक्ति । ९ देखो नाक का प्राभूषण विशेष । 'नाक' । नाव दर--वि० [फा० ना+कद्र] १ जिसकी कद्र या इज्जत | नाखणौ (बी)-देखो 'नोखणौ' (बौ) । न हो । २ जो किसी की कद्र न करता हो। नाखत, नाखत्र, नाखित्र-देखो 'नक्षत्र'।-माळा-'नक्षत्रमाळ' । नापदरी-स्त्री० [फा० नाकद्री] १ बेइज्जती, अनादर । नाखून-पु० [फा० नावून] नख, नाखून । २ अप्रतिष्ठा। नागंद, नागद्र-पु० [म० नाग-इन्द्र] १ इन्द्र, देवराज । २ उत्कृष्ट नाकबूल-वि० [फा०] अस्वीकार, नाम जूर । या श्रेष्ठ हाथी। ३ ऐरावत । ४ शेषनाग । ५ देखो 'नागेंद्र' । नाकबूली-स्त्री. प्रस्वीकृति । ६ देखो 'नागद्रह' । नाकवा'-स्त्री० नौका, नाव । नाग-पु० [सं०] (स्त्री०नागण, नागणी) १ सर्प, सांप । २ कश्यप नाकाम-वि० [फा०] असफल, बेकार, निरर्थक । व कद्रू की संतान । ३ शेषनाग। । ४ सर्प की एक जाति ना'का-देखो 'नाका'। विशेष जो ऊपर से मानव व नीचे सर्प होता है। नाकादार-देखो 'नाकेदार' । ५ हाथी, गज । ६ ऐरावत। ७ काजल । ८ जल जीव, नाकाबंदी-स्त्री. १ किसी क्षेत्र विशेष के रास्तों पर की जाने शार्क । ६ ज्योतिष के चार स्थिर करणों में से तीसरे वाली रोक । २ उक्त प्रकार की रोक के लिए तैनात करण का नाम । १० शरीरस्थ दश प्रकार के वायु में से सिपाही। ३ चौकीदारी। छठा वायु । ११ सीसा नामक धातु । १२ एक प्राचीन राज नाकाबिल-वि० १ अयोग्य । २ अनुपयुक्त। ३ प्रशिक्षित । वंश । १३ नाग केसर । १४ एक मानव जाति विशेष । नकार, नाकारउ-वि० १ कृपण, कजूस । २ बुरा, खराब । १५ अश्लेषा नक्षत्र । १६ नौ की संख्या*। १७ पाठ की ३ निकम्मा। ४ देखो 'नकार'। संख्या* । १८ कालीद्रह का नाग । १९ नागौर शहर का नाकारणौ, (बौ)-क्रि० १ इन्कार, करना, नामंजूर या अस्वी- नामान्तरण । २० निष्ठुर व्यक्ति । २१ कोई प्रसिद्ध पुरुष। कार करना । २ वर्जना, मना करना । २२ बादल । २३ खटी । २४ ग्यारह की संख्या । नाकारो-देखो 'नकार'। -कन्या-स्त्री०-नाग जाति की लड़की। नाकासरण-पु० [सं०] १ इन्द्र का आसन । २ नाक का मल ।। नागउर-देखो 'नागौर'। नाकी-पु० [सं० नाकिन्] १ देवराज, इन्द्र । २ देव, सुर। ३ देव नागकंद-पु० [सं०] हस्तिकंद।। जाति विशेष । -स्त्री० ४ इज्जत, प्रतिष्ठा। ५ मर्यादा । | नागकुळसंकेत-पु. नागवंश की विरुदावली । ६ डोरे या रस्सी का छोटासा फंदा। ७ बटन लगाने का | नागकेसर, (केसरी)-पु० [सं०] एक सदाबहार वृक्ष जिसके पुष्प छेद । -वि० इज्जत रखने वाला। औषधि में काम पाते हैं। नाड़ियो, नाकूडौ-पु० [सं० नाक कुडिक १ गोवत्स के नाक | नागखंड-पु० भारत का एक उप खण्ड जहां प्राचीन काल में में पहनाने का काष्ठ का चन्द्राकार उपकरण । २ पशुओं नागों का राज्य था। के नाक का एक रोग विशेष । ३ देखो 'नाक'। नागड़, नागड़ियो, नागड़ो- १ देखो 'नाग' । २ देखो 'नागो'। नाकू-पु० दीमक द्वारा निर्मित मिट्टी का ढेर । नागचपौ-पु० [सं० नागचंपक] नाग चंपा। नागचूड़-पु० [सं०] शिव; महादेव । नाकेदार-पु० [फा०] १ मुख्य द्वार पर तं'नान चौकीदार । नागछतरी-स्त्री० कुकुरमुत्ता नामक पौधा । २ चुगीकर वसूल करने वाला कर्मचारी । ३ सीमा का नागछोर-पु० अफीम। रक्षक । -वि० जिसमें नाका या छेद हो । नागज-पु० [सं०] १ सिंदूर । २ वंग । नाकेबंदी-देखो 'नाकाबंदी' । नागजादी-स्त्री० नागकन्या । नाकेल, नाकेलियो, नाकोलियो-१ देखो 'नकेल' । २ देखो नागझाग-पु० अफीम । 'नाको'। नागड-पु० १ एक वाद्य विशेष । २ देखो 'नागो' । माको-पु० [देश॰] १ किसी नगर, बस्ती या राज्य की सीमा नागण, (णि, पो)-स्त्री० [सं०नागिनी] १ मादा सर्प, नागिन । में प्रवेश करने के रास्ते का छोर, शिरा । २ किसी वस्तु २ नाग जाति की स्त्री । ३ कुल्टा एवं दुष्ट स्त्री। For Private And Personal Use Only Page #748 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मागरणेच ( ७३९ ) नागला ४ नाग की तरह बनी रोमावली । ५ बैल, घोड़े नागबेणी-स्त्री० एक देवी का नाम । प्रादि की पीठ पर होने वाली भौंरी । ६ एक प्रकार | नागभगिनी-स्त्री० [सं०] सर्पराज वासुकि की बहन । की तलवार । नागभाखा-स्त्री० [सं०] एक प्राचीन भाषा। . नागणेच, नागणेचियां, नागणेची-स्त्री० राठौड़ों की कुल देवी, नागभुवरण (न)-पु० [सं० नाग भवन ] नागलोक, पाताल । चक्रेश्वरी। नागम-पु० [फा०] १ अज्ञानावस्था । २ छुट्टी, अवकाश । नागदमणि, नागदमनी-स्त्री० [सं० नागदमनी] १ नागदौने नागमरोड़-पु० [सं०] कुश्ती का एक पेच विशेष । दाव । का पौधा जो औषधि में काम आता है । २ एक प्रकार का नागमाता-स्त्री० [सं०] १ नागों की माता कद्रू । २ सुरसा । प्राभूषण विशेष । नागदह, नागदही, नागदौ, नागदह नागदही, नागदही, नागद्रह नागमुख-स्त्री० [सं०] गजानन, गणेश । पु० [सं० नागहृद] । १ मेवाड़ में एकलिंगजी के स्थान के नागरग-स्त्री० नारंगी नामक फल । पास का एक जलाशय । २ इस जलाशय के पास बना बापा नागर-पु० [स०] १ सभ्य, शिष्ट व्यक्ति । २ चतुर व्यक्ति । रावल का समाधि स्थान । ३ इसके पास बसा एक गांव ३ स्वामी, मालिक । ४ ईश्वर, प्रभु । ५ नगर का निवासी ४ इस गांव से निकला एक ब्राह्मण वर्ग । ५ प्राचीन भारत ६ नागर मोथा । ७ सोंठ । ८ गुजराती ब्राह्मणों की एक का एक प्रदेश । ६ यमुना में काली नाग के रहने जाति । ९ देवर -स्त्री० १० पनिहारी । ११ नारंगी । का स्थान । ७ सिसोदियों की एक उपाधि । १२ थकावट । १३ प्रज्ञानता। -वि० १ नगर संबंधी, नगर नागद्वीप-पु० [सं०] प्राचीन भारत के नौ भागों में से एक । का। शिष्ट । ३ चतुर । ४ चालाक, धूर्त । ५ बुरा, खराब । नागधर-पु० [सं०] शिव, महादेव । नागरता-स्त्री० [सं०] १ चतुराई, निपुणता । २ शिष्टता । नागध्रह, नाग-ही-देखो 'नागद्रह। ३ व्यवहार कुशलता । ४ नागरिकता । नागनाथ-पु० [सं०] १ नाग को नाथने वाले श्रीकृष्ण । नागरबेळ, नागरबेलड़ी, नागरबेलि, नागरबेली-स्त्री० २ जोगियों के रावलों के आदि पुरुष । [सं० नागवल्ली] ताम्बूल की बेल, लता। नागमंचमी-स्त्री० [सं०] श्रावण शुक्ला पंचमी । नागपति (त्ति)-पु० [सं०] १ सर्पराज वासुकि । २ ऐरावत नागरमुस्ता, नागरमोथा-पु० [सं० नागर मुस्ता] एक प्रकार हाथी। की घास या तण जिसकी जड़ें औषधि में काम आती हैं। नागपतिफेरण-पु० [सं नागपतिफेन] एक मादक द्रव्य, अफीम । | नागरवेल, (वेलड़ी, वेलि, वेली)-देखो 'नागरबेल' । नागपांचम-देखो 'नागपंचमी' । नागराइ, नागराज, नागराव-पु० [सं० नागराज] १ शेषनाग । नागपाड-पु० [सं० नाग-पाषाण] अरावली पहाड़ का सर्पराज वासुकि । ३ बड़ा व शक्तिशाली सर्प । ४ हाथियों एक भाग। में बड़ा व श्रेष्ठ हाथी । ५ ऐरावत। -वि. १ श्वेत, नागपास-स्त्री० [सं० नाग पाश] शत्रों को बांधने का, वरुण सफेद* । २ काला, श्याम ।। का एक अस्त्र, फंदा। नागरिक-पु० [सं०] १ नगर का निवासी । २ सभ्य पुरुष । नागपुत्री-स्त्री० [सं०] नागकन्या। ३ किसी देश या राष्ट्र का मूल निवासी। ४ वह व्यक्ति नागपुर-पु० [सं०] १ नागलोक । २ मध्य भारत का एक नगर। जिसे किसी देश की नागरिकता व मताधिकार प्राप्त हों। ३ नागौर का एक नाम । ५ कारीगर। ६ पुलिस का प्रधानाध्यक्ष । -वि० १ नगर नागपुरी-स्त्री० [सं०] १ पाताल का नागलोक, भोगवती। का, नगर संबंधी। २ चतुर, सभ्य, शिष्ट । ३ जिसमें नगर २ देखो 'नागपुर'। नागपोलरी-स्त्री० एक प्रकार का प्राभूषण विशेष । के समस्त गुण-दोष आ गये हों । नागफणी-स्त्री० १ एक शाक विशेष । २ थूहर जाति का एक | नागरी-स्त्री० [सं०] १ संस्कृत व हिन्दी भाषा की प्रसिद्ध पौधा विशेष । लिपि, देवनागरी लिपि । २ नगर में रहने वाली स्त्री । मागफूली-पु० स्त्रियों का एक प्राभूषण विशेष । ३ चतुर स्त्री । ४ चालाक व धूर्त स्त्री। ५ स्नुही का पौधा, नागफेण (न)-पु० [सं०] अफीम । थूहर । ६ देखो 'नगरी'। नागबला-पु० [सं०] एक वृक्ष विशेष । नागरी मासी-स्त्री० एक प्रकार का जीव । नागबाई-स्त्री० चारण-कुलोत्पन्न एक देवी । नागलता-स्त्री० [सं०] पान को बेल, ताम्बूल की बेल । नागबेच-पु० बढ़ई द्वारा लकड़ी में किया गया एक छेद विशेष । | नागला-स्त्री० एक प्रकार का प्राभूषण । For Private And Personal Use Only Page #749 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नागलोक नामद नागलोक-पु० [सं०] पाताल । नागी-वि० [सं० नग्ना] १ वस्त्रहीना, निर वसना, नग्न, नंगी। नागवट-पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष । २ कुल्टा, व्यभिचारिणी। ३ बेशर्म, निर्लज्ज । ४ स्वभाव नागवल्लरी, नागवल्ली-स्त्री० [सं०] १ पान, ताम्बूल । २ ताम्बूल से क्रूर, उग्र। ५ निरावरण, खुली। की लता। नागीगायत्री-स्त्री० एक वैदिक छन्द । नागवाड-देखो 'नागपा'ड' । नागीणी-पु० मारवाड़ के नागौर शहर का नाम । नागवार-वि० [फा०] अप्रिय, असह्य । नागु-देखो 'नागौ'। (स्त्री० नागी) नागवी-देखो 'नागबाई'। नागुड-पु० [देश॰] नक्कारची के साथ रहने वाला व्यक्ति । नागवीथी-स्त्री० [सं०] शुक्र-ग्रह की चाल में वह मार्ग जो नागेंदर, नागेंदु, नागेंद्र-पु० [सं० नागेंद्र] १ सर्प राज वासुकि । स्वाती, भरणी और कृतिका नक्षत्रों में हो। २ शेषनाग। ३ बड़ा सर्प । ४ ऐरावत । ५ बड़ा हाथी। नागवेल-देखो 'नागवल्ली' । ६ शिव, महादेव । नागसुद्धि-स्त्री० [सं० नागशुद्धि] भवन की नीव लगाते समय नागेस, नागेसर, नागेस्वर-पु० [सं० नागेश नागेश्वर १ शेषनाग । नाग की स्थिति का विचार । २ सर्पराज वासुकि । ३ लक्ष्मण । ४ ऐरावत । ५ देखो नागहथ-पु० स्त्रियों का एक आभूषण विशेष । 'नाग' । ६ नागकेसर। ७ देखो 'नागो' । नागहारी-वि० [सं०] सर्पो का हार पहनने वाला । -पु० रुद्र, नागोद-पु० [सं०] १ उदर पर पहनने का कवच । उदरत्राण । २ मीनबंद कवच । महादेव। नागांण (णी)-पु०१ हाथी, गज । २ मारवाड़ का एक कस्बा. नागोर-पु० राजस्थान का एक कस्बा। -पटी, पटी-स्त्री० नागौर । नागौर का क्षेत्र, आस-पास का भू-भाग । नागारगरण-पु० [सं० नागानन] हाथी के मुह वाला, गणेश, नागोरण-स्त्री० दक्षिण व पश्चिम के मध्य चलने वाली वायु । गजानन। -वि० नागौर की, नागौर संबंधी । नागांणराइ (राय)-स्त्री० राठौड़ों की कुलदेवी, नागणेची। नागोरियो, नागोर यो-देखो 'नागोरी' । नागांतक-पु० [सं०] १ रावण का एक पुत्र। २ गरुड़, खगेश। नागोरी-वि० नागौर का, नागौर संबंधी। -स्त्री० १ बैलों की ३ सिंह। एक उत्तम नम्ल । २ मुसलमानों का एक भेद । -गहरणो, नागांपति-पु० [सं० नागपति] १ शिव, महादेव । २ शेषनाग। गणी-पु० हथकड़ी। ३ ऐरावत । नागौ-वि० [मं० नग्न] (स्त्री० नागी) १ वस्त्रहीन, नगा। नागा-स्त्री० [अ० नागः, सं० लंघा] १ अनुपस्थिति, गैर २ चालाक, धूर्त । ३ उद्दण्ड, बदमाश । ४ नटखट, चंचल । हाजरी। २ नियमित चलने वाले कार्य का क्रम भंग, ५ जिसने अधोवस्त्र नहीं पहना है। ६ लडाकू, कलहप्रिय । अन्तर । ३ एक जंगली जाति । ४ दादूपंथी साधुओं की ७ निर्लज्ज, बेशर्म । ८ निरावरण । ६ जबरदस्त, एक शाखा। जोरदार । -पु०१ शैव साधुनों का वर्ग विशेष व इस नागाई-स्त्री० १ शरारत, बदमाशी, उद्दण्डता । २ नटखटपना, वर्ग का माधु। २ अासाम के पूर्व में रहने वाली एक चंचलता। ३ ज्यादती। ४ बुरी वृत्ति, खोटाई । मानव जाति विशेष । ३ गुरु नानक साहिब के पुत्र का ५ देखो 'नागबाई'। अनुयायी साधु । ४ नाथ सम्प्रदाय का वह व्यक्ति जो नागाणंद-पु० [सं० नग्न-पानन्द] शिव, महादेव । अविवाहित हो । ५ दशनामी सम्प्रदाय का अविवाहित नागाणण-देखो 'नागांगण' । रहने वाला व्यक्ति । ६ दादूपंथी सम्प्रदाय के नागा शाखा नागारजण, नागारजुण (न)-पु० [सं० भागार्जुन] एक प्रसिद्ध । का साधु । ---तड़ग-वि० बिल्कुल नग्न । -बूचो-वि० बौद्ध महात्मा। परिवारहीन । साधनहीन । -भूगो, भूगो-वि० दरिद्र, नागारौ-१ देखो 'नगारौ' । २ देखो 'नकार' । कंगाल । नंगा। नागासन-पु० [सं० नागाशन] १ गरुड़, खगेश । २ मयूर, मोर। नागौद्रही-देखो 'नागदही'। ३ सिंह, शेर। नागौर-देखो 'नागोर'। -पटी, पट्टी='नागोरपट्टी' । नागास्त्र-पु० [सं०] एक प्रकार का प्रस्त्र विशेष । नागौरण-देखो 'नागोरण'। नागिद, नागिद्र-देखो 'नागेंद्र' । नागिरणी-देखो 'नागरण'। नागौरी, नागौरी-देखो 'नागोरी'। नागोंद, नागोंद्र-देखो 'नागेंद्र' । नाद-१ देखो 'नागेंद्र' : २ देखो 'नागद्रह'। For Private And Personal Use Only Page #750 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org भाषा मारक नाधा-देखो 'नागा'। नाछत्री-वि० क्षत्रियत्वहीन । नाड़-स्त्री० सं० नाडी) १ ग्रीवा, गर्दन । २ देखो 'नाड़ी'। नाज-पु० [फा०] १ गर्व, घमंड । २ स्वाभिमान । ३ नखरा, नाड़कियो-देखो 'नाड़ो'। ठसक । ४ चोंचला। ५ देखो 'अनाज'। नाड़की-१ देखो 'नाड़ी' । २ देखो 'नाड़' । नाजक, नाजकड़ो-देखो 'नाजुक' । नाड़ा-टांकरण-स्त्री० [देश॰] ग्राषाढ़ व श्रावण माम में दक्षिण नाजकता-देखी 'नाजुकता'। व पश्चिम के मध्य से चलने वाली वायु । नाजम-पु० [अ० नाजिम] १ बादशाह का एक कर्मचारी विशेष । नाडालो-स्त्री. १ बैलगाड़ी के अग्र भाग में लगने वाली कील २ प्रबन्धक । ३ मंत्री, सचिव । __ विशेष । २ चमड़े का रस्सा । नाजर, नाजिर-पु० [अ० नाजिर] १ एक प्रकार का सरकारी नाड़ि-देखो 'नाड़ी'। -वण='नाडीव्रण'। . कर । २ एक कर्मचारी। ३ दर्शक । ४ खोजा, हिजड़ा। नाड़ी-स्त्री० [सं० नाडि] १ रक्त धमनी, नस, रग । २ हठ ५ कार्यालय का प्रधान लिपिक । ६ निरीक्षक । ७ रंडियों योग की इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना नाड़ियां । ३ चमड़े की का दलाल । रस्सी । ४ हाथी की अंबारी बांधने का रस्सा । ५ नौ की नाजुक, नाजुकड़ो-वि० [फा०] १ सुकुमार, कोमल । २ मृदुल, संख्या*। ६ वर-वधु की गणना बैठाने में कल्पित चक्रों मुलायम, नर्म । ३ हल्का-फुल्का, फारिक । ४ महीन, में स्थित नक्षत्र समूह । ७ देखो 'नाई। -चक्र-पु० नक्षत्रों बारीक, पतला। ५ सूक्ष्म । ६ अपरिपक्व, कच्चा । के भेदों को सूचित करने वाला चक्र। सभी नाड़ियों का ७ कठिन, दुरूह । ८ अधिक तकनीकी । ९ जल्दी टूटने केन्द्र एक अंडाकार ग्रंथि । -जत, जोत-वि० दृढ़, या नष्ट होने लायक । १० क्षीण, कमजोर । ११ तीव्र, मजबूत । ---तोड़-वि० शक्तिशाली, बलवान । -धमण- तेज । १२ उलझन भरा। -दिमाग-वि० घमण्डी, गविला, स्वर्णकार, सुनार । -वरण-पु० नासूर, भगन्दर ।-नक्षत्र- चिड़चिड़ा, तुनक मिजाज । पु० वर-वधू की गणना बैठाने का नक्षत्र । नाजुकता-स्त्री० [फा०] १ सुकुमारता, कोमलता । २ मृदुलता, नाड़ो-पु० [सं० नाडि] १ पाजामा आदि अधोवस्त्र बांधने की मुलायमी, नर्मी। ३ हल्कापन । ४ महीनता, बारीकी। डोरी। २ हल की हरिसा पर झूसर बांधने का चमड़े का ५ सूक्ष्मता। ६ कच्चापन । ७ कठिनता। ८ दृढ़ता की रस्सा । ३ डोरा । ४ देखो 'नाळी'। कमी। ९क्षीणता । नाच-पु० [सं० नृत्य] नृत्य । -कूद-पु० नृत्य, तमाशा । नाजुक-बदन-वि० [फा०] १ सुकुमार, कोमल । २ दुबला, उद्दण्डता। -घर, महल-पु० नृत्यशाला । -रंग-पु० कृश । ३ नर्म, मुलायम । हंसी-खुशी, आमोद-प्रमोद के कार्य । नाजुकबदनी-स्त्री० [फा०] १ कोमलता, सुकुमारता । नाचक-वि० [सं०] नर्तक, नाचने वाला। २ दुबलापन । ३ नर्मी, मुलायमी । नाचरण (रिण, णी)-स्त्री० [सं० नर्तन] १ नाचने की क्रिया या नाजुक-मिजाज-वि० [फा०] १ स्वभाव से चिड़चिड़ा, तुनक भाव, नृत्य । २ नाचने वाली, नर्तकी । ३ वेश्या, रंडी। मिजाज। २ असहिष्णु । ३ घमण्डी, अभिमानी । ४ कुल्टा व बेशर्म स्त्री। ४ कोमल। नाचणी-पु० [सं० नर्तन] नाचने की क्रिया या भाव, नृत्य । नाजुकमिजाजी-स्त्री० [फा०] १ चिड़चिड़ापन, तुनक मिजाजी। -वि० (स्त्री० नाचणी) नाचने वाला। २ सुकुमारता, कोमलता। ३ घमण्ड, अभिमान । नाचरणौ (बी), नाचवरणौ (बी)-क्रि० [सं० नृत्] १ ताल-स्वर नाजोग, नाजोगौ-वि० अयोग्य, निकम्मा। व वाद्य पर नृत्य करना, नाचना । २ अत्यन्त खुशी में नाजोर, (री)-वि० [फा०] शक्तिहीन, निर्बल । उछलना, कूदना, उमगित होना। ३ कांपना, थर्राना। नाजोरी-स्त्री० [फा०] कमजोरी, निर्बलता। ४ निरन्तर घूमना या हिलना-डुलना । ५ चंचल होना, नाट-पु० [देश॰] १ इन्कारी, निषेध, मनाही । २ नृत्य, नाच उद्विग्न होना। ६ कार्य सिद्धि के लिए भाग-दौड़ करना । ३ एक राग विशेष । ४ देखो 'नट'।। ७ उद्दण्डता करना, बदमाशी करना । नाटईउ-पु० [देश॰] एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । नाचिकेता-पु० [सं० नाचिकेतः] १ अग्नि, प्राग । २ वाजश्रवा नाटक-पु० [सं०] १ किसी कथानक का रंगमंच पर किया जाने ऋषि का पुत्र । वाला अभिनय । २ हाव-भाव प्रदर्शन। ३ विचित्र लीला, नाचीज-वि० [फा०] निकृष्ट, तुच्छ । क्रीड़ा। ४ नृत्य, नाच । ५ १श्य काव्य । ६ अभिनय पथ । नाचेली-देखो 'नाचण'। ७ अभिनेता, नट । ८ बहतर कलानों में में एक । For Private And Personal Use Only Page #751 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाटकरणी ( ७४२ ) नायावत ९ स्वांग । १० ढोंग, पाखण्ड । -साळा-स्त्री० जहां पर | नातरिया-१ देखो 'नातरायत' । २ देखो 'चौरासिया' । नाटक की व्यवस्था होती है, नाट्यशाला । नातरूनातरौ-देखो 'नातो' । नाटकरणी, नाटकिणी-स्त्री० नाटक या अभिनय करने | नातालाग-पु० विधवा विवाह पर लिया जाने वाला कर। वाली स्त्री। नाती-वि० [सं० ज्ञाती] १ संबंधी, रिश्तेदार । २ जाति का, नाटकी-वि० नाटक करने वाला, नाटक करके जीवन यापन न्यात का। करने वाला । नातेदार-बि० १ रिश्तेदार, संबंधी। २ पुनर्विवाह करने वाली नाटणी (बौ)-१ देखो 'नटणौ' (बी) । २ देखो 'नाटणौ' (बौ)। जाति का। नाटरंभ-देखो 'नाटारंभ' । नाटवसत-स्त्री० एक राग विशेप । नातेलौ-देखो 'नाती'। नाटवाळ-वि० [देश॰] कृपण, कंजूस, सूम । नाती, नात्र, नात्री-पु० [सं० ज्ञाति] ? संबंध, रिश्ता । नाटसल, (सल्ल, साळ)-वि० [सं० नृष्टि-शल्य] १ खटकने व | । २ घनिष्ठता । ३ विधवा स्त्री द्वारा किसी पुरुष से पति के चुभने वाला । २ वीर, योद्धा । ३ बलवान, शक्तिशाली । रूप में किया जाने वाला संबंध, रिश्ता । ४ उक्त कार्य पर -पु० भय, प्रातक। लगने वाला सरकारी कर। नाटार भ, नाटारंभि-वि० [सं० नाट्य-प्रारंभ] नृत्य, नाच। नाथ-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण, गोपाल । २ विष्णु । ३ ईश्वर । नाटी-बि० १ जबरदस्त, बलवान । २ छोटे कद की। -पु० एक | ४ स्वामी, प्रभु, मालिक । ५ पति। ६ रक्षक, संरक्षक । प्रकार का वस्त्र । ७ नेता । ८ पथ प्रदर्शक । ९ राजा। १० मत्स्येंद्रनाथ नाटेसर-पु० [सं० नटेश्वर] १ विष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ ईश्वर ।। द्वारा प्रवर्तित सम्प्रदाय । ११ इस सम्प्रदाय का साधु । ४ नृत्य करने वाला, नर्तक । ५ देखो 'नटेस्वर'। १२ संन्यासी, योगी। १३ एक जाति । १४ इस जाति का नाटौ-वि० [सं०नत] (स्त्री०नाटी) छोटे कद का, ठिगना । बौना।। व्यक्ति । -स्त्री० १५ बैल आदि के नाक में डाली जाने नाटय-पु० [सं०] १ नाटक, अभिनय । २ नटों का कार्य । वाली रस्सी, नकेल । १६ धुरी में पहिया डाल कर गाड़ी ३ नाच, संगीत । ४ चौसठ कलाओं में से एक । लगाई जाने वाली कील । १७ नौ की संख्या * । देखो -अलकार-पु० नाटक का सौन्दर्य बढ़ाने वाला 'नथ'। -अनाथ-पु. अशरण-शरण, ईश्वर । -कढ़ीअलंकार। पु०नाथ निकाला हा बैल आदि। -चिड़िया='चिड़ियानाथ' नाठक-देखो 'नाटक' । -पूत-पु० कामदेव, मदन । -वाळ-वि० नाथ डाला नाठणो, (बो)-देखो 'न्हाठणौ' (बी)। हुअा। अधीन, वशवर्ती। -हर-पु. वृषभ, बैल । हैवान । नाड, नाडकियो, नाडको-देखो 'नाडौं' । नाडकी-देखो 'नाडी'। नाथक-पु० [सं०] स्वामी, राजा। नाडणौ, (बो)-देखो 'नड़णो' (बौ)। नाथरण-वि० १ नाथ डालने वाला। २ वश में करने वाला। नाडिका-स्त्री० एक घड़ी। एक घड़ी का समय । -काळी-पु० श्रीकृष्ण। नाडियो-देखो 'नाडौ। | नाथरणी (बौ)-क्रि० [सं० नाथ्] १ बैल आदि के नाक में नाडी-स्त्री० १ तालाब, जलाशय । २ देखो 'नाड़ी' । छेद कर रस्सी डाल देना। २ काबू में करना, वश में -रोड़='नाड़ीतोड़। करना। ३ किसी वस्तु को छेदकर डोरा डालना। नाडूलो नाडोलो-देखो 'नाडो'। ४ पिरोना, पोना । ५ उद्दण्ड व बदमाशों को सीधा नाडौ-पु. [देश॰] १ छोटा तालाब, पोखर। २ पानी से करना। भरा खड़ा । नाणी (बी)-देखो 'न्हाणी' (बी)। नाथता, नाथत्व-पु० [सं०] प्रभुता, स्वामित्व । नात-देखो 'न्यात'। नाथदवारौ (दुवारी, दूवारी, द्वारौ)-पु० [सं० नाथ-द्वार] नातणी-पु० पानी छानने का वस्त्र, रूमाल, गमछा । उदयपुर के पास, बनास नदी पर बना श्रीनाथजी का एक नातर-पु० [देश॰] रक्त प्रदर। प्रसिद्ध मंदिर । नातरउ-देखो 'नातौ'। नाथावत-पु० [सं० नाथ-पुत्र] १ सोलंकी वंश की एक शाखा नातरायत-स्त्री० १ वह जाति जिसमें स्त्रियों के पुनर्विवाह की व इसका व्यक्ति । २ कछवाहा वंग की एक शाखा व प्रथा हो । २ पुनविवाह करने वाली स्त्री। इसका व्यक्ति । For Private And Personal Use Only Page #752 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नाथियउ www.kobatirth.org ( ७४३ ) नाद-पु० [सं०] १ ध्वनि प्रावाज शब्द २ गर्जन, चीत्कार, चिल्लाहट । ३ सानुनासिक स्वर । ४ वर्णों के उच्चारण की क्रिया । ५ संगीत । ६ उद्घोष । ७ योनि, भग । ८ हरिण के सींग का बना बाजा । ६ गुरु मंत्र । १० अनाहत शब्द । ११ अहंकार, गवं । १२ देखो 'न्याद' नादरणबरण, नादवरण-पु० कपास । नादमुद्रा पु० [सं०] तंत्र में हाथ की एक मुद्रा । नादर-१ देखो 'नाजर' २ देखो 'नादिरसाह' । नादरणौ (बौ) - क्रि० ग्रादर, सत्कार नहीं करना । नादरसा (साह) - देखो 'नादिरसाह' । नादली स्त्री० [० नादन] कुरान की चायत खुदी, तावीज या गंडा । नादांग, नादांणियों, नादांणी-देखो 'नादांन' । नादांन - वि० नादियउ नाथियोड़ी-वि० १ नाथा हुन । नापणी (बी) - क्रि० [सं० मापन् ] १ लंबाई-चौड़ाई आदि का २ नत्थी किया हुआ, छेदा हुआ । अर्पणम् ] मान निकालना, परिमाण निकालना । २ परिमाण का अंदाज करना, निर्धारित करना। [सं० न ३ नहीं देना, नहीं अर्पण करना । - । नावी-रो-बाड़ी पु० वेश्याओं का अड्डा, चकला नायोत- पु० राठौड़ों की एक उप माया । नाथौ - वि० [सं० नाथ ] १ नाथा हुआ । २ देखो 'नाथ' । नादंग-देखो 'नाद' । नाप-तीस ० १ नापने या तोलने की क्रिया या भाव। २ नाप या तौल का परिमाण । 1 नापसंद वि० १ जो प्रच्छा न लगे पसंद न हो २ कर अप्रिय । ३ जो ठीक न लगे । नापाक - वि० [फा०] १ अपवित्र, नावाकी स्त्री० [फा०] पवित्रता, नापित - पु० [सं०] नाई, हज्जाम । नाफ-स्त्री० [फा०] नाभि, तोंदी नाफरम, नाफुरम-पु० [फा० ना' - फरमान ] एक प्रकार का [फा०] १ नासमझ, अबोध । २ मूर्ख | ३ अनजान । नावांनी स्त्री० [फा० नादानी) नासमझी, पूर्वता । नादार - वि० [फा०] १ निर्धन, गरीब । २ कायर, डरपोक । ३ देखो 'नाजर' | नादारगी, नादारी स्त्री० [फा० नादारी] निर्धनता गरीबी। २ कायरता । नादि-देखो 'नाद' | नादिर- वि० [अ०] १ मनोधात २ श्रेष्ठ, उत्तम देखो 'नजर' | नादेसुर - पु० [सं० नंदीश्वर ] १ शिव, महादेव । २ नंदी । नात वि० पासुरी वृत्ति से रहित । पौधा । नाफेरी देखो 'नफेरी' । नादोत - पु० सिसोदिया वंश की एक शाखा व इसका व्यक्ति । नाप - स्त्री० [सं० मापनम् ] १ किसी वस्तु या क्षेत्रादि की लंबाई-चौड़ाई का परिमाण २ नाप करने का उपकररण । ३ मापने की क्रिया या भाव। नादिरसा, नादिरसाह - पु० [फा० नादिरशाह फारस का एक नाभंग - देखो 'नाभाग' । क्रूर व शक्तिशाली बादशाह । नाभ - देखो 'नाभि' । नादिरसाही स्त्री० [फा० नादिरशाही १ निरंकुशता, क्रूरता । २ अत्याचार | ३ नादिरशाह की नीति व कार्यं । नावी वि० [० नादिन् । ध्वनि करने वाला । नादु- देखो 'नाद'। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाभादास नाफौ- पु० [फा० नाफ: ] मृग नाभि में होने वाली कस्तूरी की थैली । नाबालक देखो 'नाबालिग' । नावाळकी देखो 'नावाळिमी' | नाबाळग- देखो 'नाबालिग' नाबाळगी-देखो 'नाबाळिगी' । नाबालिग व० [फा०] १ अवयस्क अबोध २ कानून द्वारा वयस्क होने के लिए निश्चित उम्र से कम । नाबाळिगी स्त्री० [फा०] १ अवयस्क या प्रबोध अवस्था । २ कानूनी वयस्कता से कम उम्र । नाबी स्त्री० [देश० ] मानवी चित्र चित्रित करने का उपकरण । नाबूद वि० [फा०] १ ध्वस्त बर्बाद नष्ट २ लुप्त गाय 1 शुद्ध । २ मैला - कुचला । शुद्धता ३ नश्वर । बेड़ी पु० [देश० ] हाथ की अंगुली के नाखून का फोड़ा । नाभकंज-पु० [सं० नाभिः कज ] जिसकी नाभि में कमल है, विष्णु। नामकवळ (कमळ, कवळ) पु० [सं० नाभिः कमल] तंत्र के अनुसार शरीरस्थ छः चक्रों में से एक, मणिपुर । नामनंद पु० [सं० नाभिनद] जैनियों के प्रथम तीर्थंकर For Private And Personal Use Only नाभाग - पु० [सं०] १ राजा भगीरथ का पौत्र एक सूर्यवंशी राजा । २ मार्कण्डेय पुराण के कारुष वंश के राजा, जो दिष्ट के पुत्र थे। नामादास पु० इम जाति के प्रसिद्ध संत, जिन्होंने पान की रचना की थी । Page #753 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नाभारत www. kobatirth.org ( ७४४ ) वाली भौंरी । माभि (नामी) - स्त्री० [सं०] १ जरायुज प्राणियों के पेट के बीच का छोटा गदा वा चिह्न, बुंदी २ पहिये का मध्य गड्ढा । भाग ३ कस्तूरी । ४ प्रधान, नेता ५ समीप की नातेदारी । ६ क्षत्रिय । ७ घर । ८ जैनियों के प्रादि तीर्थकर के पिता । —कंवळ, कमळ, कवळ 'नाभकेवळ' | --नरिद-पु० ऋषभदेव के पिता का नाम । - पाक-पु० बालकों की नाभि में होने वाला एक रोग । -राय 'नाभिनरिद' - वरस पु० भारतवर्ष का एक नाम। ऋषभदेव 1 - संभव पु० ब्रह्मा । सुत-पु० नाभी- देखो 'नाभादास' । नाय- १ देखो 'न्याव' । ४ देखो 'न्याय' | गाभारत स्त्री० [० नाभ्यावर्त] घोड़े की नाभि के नीचे होने वाला पु० ने की बीजनी से बोवाई । नायी- देखो 'नाई' | । नायौ पु० [सं० नाभि ] बैलगाड़ी के पहिये का मध्य भाग । नारंग-पु० १ रक्त नून, शोणित २ तीर बारण ३ देवो 'नारंगी' । ४ तलवार । ५ देखो 'नारंगिया । - फळ- पु० स्तन, कुच 1 नाविया वि० १ नारंगी के रंग जैसा, पीला २ पीलापन लिए लाल । नारंगी-स्त्री० नारंगी स्वी० [सं०] नारङ्ग] १ पोते छिलके वाला नींबू जाति का रसीला फल । २ देव वृक्षों में से एक । देखो 'नारंगिया' । २ देखो 'नाई' । ३ देखो 'नहीं'। नायए-पु० नायए- पु० [सं० शातक] ज्ञातपुत्र श्रीमहावीर (जैन)। मा० [सं०] [स्त्री० नायका, नायिका) १ नेता, मुखिया प्रधान । २ सेनापति । । ३ स्वामी नाथ, मालिक ४] अधिपति, शासक ५ प्रभु ईश्वर ६ पति ७ श्रेष्ठ पुरुष । ८ सरदार | ९ किसी काव्य या कथा का मुख्य परिश्रावक १० संगीत कला में प्रवीण पुरुष कलावंत । ११ हार के बीच का रत्न । १२ मुख्य दृष्टान्त । १३ मध्य गुरु की चार मात्रा का नाम (151) | १४ मरहम पट्टी करने वाला । १५ एक मुसलमान जाति व इसका व्यक्ति । १६ थोरी जाति या इस जाति का व्यक्ति । १७ भील जाति व इसका व्यक्ति । १८ शिकारी, श्राखेटक । १९ बनजारा जाति के व्यक्ति का एक संबोधन । मायका स्त्री० [सं० नायिका ] १ किसी कथा या काव्य की २ मुख्य अभिनेत्री । मुख्य पात्री, परिषनायिका । ३ भार्या । ४ स्वामिनी । ५ देखो 'नासका' । नायकामल्लार स्त्री० [सं० नायक-मत्वार] सम्पूर्ण जाति की एक राग । - नायत पु० [देश०] १ वैद्य, हकीम २ देखी 'नायती'। नायता स्त्री० नाइयों की एक शाखा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नारंज - स्त्री० [फा० नारंगी ] अप्सरा । नार पु० [सं०] १ जल । २ जन समूह । ३ जल में रहने वाला नारायण । ४ देखो 'नारी' । ५ देखो 'नाड़' । नायरण (रिग, रणी ) - स्त्री० [सं० नापित] नाई जाति की नारदा स्त्री० एक देवी का नाम । स्त्री, नाइन । नारदियौ देखो 'नारद' । नासही ना'र - देखो 'नाहर' | नारक-पु० १ नरक २ नरकवासी। वि० १ नरक सबंधी नरक का २ नरक में गिरा हुआ । नारकंकरी स्त्री० [सं० नरहरि + कर्कर] सात छोटी कंकरी व दो बड़े कंकरों से खेला जाने वाला एक देशी खेल । नारकांटी-पु० [देश०] एक लता विशेष जिसकी जड़ व बीज श्रौषधि में काम आते हैं । नारकियो-१ देखो 'ना'रौ' । २ देखो 'नाह' । नारकी, नारगी - वि० [सं० नारकिन्] १ नरक में जाने योग्य । २ पानी, अधम । ३ देखो 'नरक' । नारी स्वी० १ २ देखो नाहरी' ना' रड़ो-१ देखो 'नाहर' । २ देखो 'ना'रौ' । * नारव - पु० [सं०] ब्रह्मा के मानस पुत्र एक ऋषि । - वि० १२ कलहप्रिय श्वेत-पलो- पु०चुगलखोरी -पुरास पु०-पठार पुराणों में से एक। -रख, रिख, रिखि, रिखी पु०-नारदमुनि, देवर्षि । । नायतौ - पु० दिश० ] उक्त शाखा का व्यक्ति । नायपुत्त- पु० [सं० ज्ञातपुत्र ] जिनेन्द्र श्रीवर्द्ध मान स्वामी (जैन) । नायब- पु० [अ०] नाइव] १ कार्य की देख-रेख करने वा कर्मचारी, व्यक्ति, मुस्तार २ मुख्य कर्मचारी का सहायक नारसिंह- देखो 'नरसिंह' । । ३ प्रतिनिधि । नायबी - स्त्री० १ 'नायब' का कार्य या पद । २ प्रतिनिधित्व । नारवी - पु० [सं० नारदिन] विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम नारदो पु० [सं० नालि द्वार) १ मकान के बंदे पानी का नाला, मोरी । २ गंदा पानी, मला । ३ पेशाबघर । For Private And Personal Use Only नारद्द - देखो 'नारद' । नारमद - वि [सं० नार्मदः ] नर्मदा संबंधी. नर्मदा का । । नारसिंही- वि० नृसिंह संबंधी । स्त्री० १ एकदेवी । २ देवी का एक रूप । Page #754 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नारसींग मारसोंग, नारोंध, नार'खी देखो 'नरसिंह' । नातक- पु० [सं०] रावण का एक पुत्र । नारां-री-प्रौलाद स्त्री० घोड़ों की एक जाति विशेष । नाराइस- देखो 'नारायण' । www.kobatirth.org ( ७४५ ) नाराइणि, नाराइली, नाराईखी-देखो 'नारायणी' । नाराच - पु० [सं०] १ लोहे का बना तीर । २ तीर, वाण । ३ छत्तीस प्रकार के प्रायुधों में से एक । ४ तलवार । जल हस्ती मिशुमार । ६ सोलह वर्ष का एक छन्द विशेष । ७ एक अन्य वर्गावृत्त विशेष । ८ चौबीस मात्राओं का एक छन्द विशेष । ९ भाला । १० देखो 'नाराज' । नाराज नाराजकवि० [फा० नाराज १ २ देखो 'नाराच' | नाराजगी - स्त्री० [फा०] प्रसन्नता, रुष्टता । नाराजी-१ देखो 'नाराज' २ देखो 'नाराजगी' । नाराट, नाराय-पु० [सं० नाराच] तीर, वाण । नाराधरणौ (at) - क्रि० आराधना न करना । नारायण-पु० [सं०] १ ईश्वर परमेश्वर । २ विष्णु । ३ श्रीकृष्ण । ४ पौष का महीना । ५ जल में निवास करने वाला । ६ 'अ' अक्षर का नाम । ७ देखो 'नारायणास्त्र' | ८ एक ऋषि का नाम । - क्षेत्र खेत- पु० गंगा के प्रवाह मे ४ हाथ तक की भूमि । तेल, तेल- पु० प्रायुर्वेद का प्रसिद्ध तेल प्रिय-पु० महादेव शिव, सहदेव । -- । नारियल देखो 'नारायण' । नारिकेर, नारिकेल- पु० [सं० नालिकेर ] नारियल । नारिव - देखो 'नारद' । नारायणास्त्र - पु० [सं०] एक प्रकार का प्रति विनाशकारी ग्रस्त्र । नारायणी स्त्री० [सं०] १ ज्योतिष शास्त्र की आठ देवियों में से एक । २ गौड़ क्षत्रियों की इष्ट देवी । ३ दुर्गा, शक्ति । ४ लक्ष्मी, श्री । ५ गंगा | ६ सतावर । ७ दुर्योधन की सहायता में भेजी श्रीकृष्ण की सेना । नारिंग- देखो 'नारंगी' । नारि देखो 'नारी' । नारियल पु० [सं० नारिकेल] श्रीफल । ना' रियो - पु० [देश०] १ कुए से पानी निकालने के रस्ते ( लाव ) के मुंह पर लगा उपकरण । २ हल का जुग्रा बांधने का रस्सा | ३ देखो 'ना'रो' । ४ देखो 'नाहर' । नारि-देखो 'नरसिप' | 1 नारी स्त्री० [सं०] १ औरत, स्त्री । २ पत्नी, भार्या। ३ मादा । ४ तबले प्रादि का बायां डुग्गी । ५ छः मात्रायों का एक छन्द विशेष । ६ पुरुषों की ७२ कलायों में से एक । ७ तीन लघु ढग के तृतीय भेद का नाम ( 111 ) | देखो 'नाड़ी' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाळ ना'री-देखो 'नाहरी' । नारीकवच - पु० [सं०] एक सूर्यवंशी राजा । नारीकुजर - पु० [सं०] एक प्रकार का वस्त्र विशेष । नारीतीरथ पु० [सं०] नारीतीर्थ] महाभारत के अनुसार एक तीर्थ | नारायण देखो 'नारायण' । मारीवत गु० [सं०] एकपत्नीव्रत नारू पु० [देश० ] जांघ व पांवों में होने वाला एक रोग जिसमें एक लम्बा सफेद कीड़ा निकलता है । नारेल, नारेळियो देखो 'नाळ' | नारेळी स्त्री० १ नारियल की जटा के नीचे के सख्त भाग की कटोरी । २ देखो 'नारियळ' - पूनम-स्त्री० श्रावण की पूर्णिमा नारेळो-देखो 'नारियळ' । नारी पु० १ 'जिन्दाबाद' आदि की आवाज। २ देखो 'ना'' | ३ देखो 'न्यारी' | For Private And Personal Use Only ना' रौ- पु० [सं० नाथः हरि ] १ युवा, बैल । २ बैल, वृषभ । ३] देखो 'नाहर' | १ बन्दूक । २ तोप | ३ बन्दूक 1 नाळंग - स्त्री० [देश०] १ किंवदंती, जनश्रुति । २ अफवाह । नालंदा - पु० [सं०] बौद्धों का एक प्राचीन मठ । नाळ - स्त्री० [सं० नाल, नालि] या तोप की लम्बी नलिका ४ कमल का डंठल । ५ किसी प्रकार की नलिका । ६ नहर | ७ नलिका, नाली । धमनी नाड़ी । ९ पोला या पोपला डंठल । १० जल में होने वाला एक पौधा विशेष । ११ जल बहने का स्थान । १२ लिंग, शिश्न । १३ आभूषण की नलिका । १४ पहाड़ी रास्ता, तंग रास्ता । १५ सीढ़ी, जीना। १६ मकान के अन्दर कोई तंग या संकरीला भाग । १७ कूए की एक प्रकार की बंधाई । १८ कूत्रा बांधने के लिए अन्दर जाने का तिरा रास्ता १९ मुनारों की फूंकती उपकरण । २० जुलाहों का एक उपकरण विशेष । २१ लता का अग्र भाग । २२ बैलों को घी तेल प्रादि पिलाने का उपकरण । २३ चींटियों की पंक्ति । २४ चींटियों का रास्ता । २५ वंश परंपरा । २६ बैल आदि पशुओं के नाक का ऊपरी भाग । २७ जंगल में पशुओंों के खुरों से बनी डगर । २८ दशनामी संन्यासियों को दफनाने का खड्डा । २९ घोड़े की टाप के नीचे लगने वाला अर्ध चंद्राकार लोहा । ३० खपरेलों की जोड़ पर लगाया जाने वाला नरिया । ३१ म्यान की नोक पर मढ़ी जाने वाली साम । ३२ कूए की जोड़ाई के लिए नीचे डाला जाने वाला लकड़ी का चक्र | ३३ संगीत एक की मूर्च्छना । ३४ मृदग । । Page #755 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नाळक मे मिलता जुलता एक वाद्य ३५ देखो 'नळी' । ३६ देखो 'नाळी' । क्रि० वि० १ आपस में परस्पर । - अव्य० २ साथ, सहित से। प्राचीन । नाळक-पु.] [देश० ] उड़द - वि० परम्परा प्राप्त, नाळकटाई-स्त्री० [सं०] नालि + क] १ नवजात शिशु के नाभि से लगी नाल को काटने की क्रिया । २ इस कार्य का पारिश्रमिक | नाळकाजंत्र - पु० [सं० नलिकायंत्र ] १ बंदूक । २ तोप । नाळकी देखो 'नाळ' | www.kobatirth.org ( ७४६ ) माळवे (क)-५० डिंगल गोतों में एक दोष नाळी (ब) क्रि० [देश०] १ देखना, घयलोकन करना। २ निहारना । ३ तलाश करना, खोजना। ४ डालना, गिराना । ५ समझना । बाळबंद (बंध) १० १ घोड़े की टाप में लोहा जड़ने वाला २ मवेशी रखने वालों से लिया जाने वाला एक कर । ३ एक प्रकार की 'रेख' । नाळा - स्त्री० तोप । नालायक वि० [फा०] योग्य निकम्मा, मु नाहि-देखो 'नाळ' | नाळिकेर देखो 'नारिकेल' । नाळ नाळू नाळू देखो 'नाळी'। नाना० [सं० नालिकेर १ देववृक्षों में से एक, सुरवृक्ष । २ देखो 'नारिकेल' । नाळेगरी वि० [सं० नालिकेर नारियल जैसा नाळेरियो-देनो 'नारिकेल'। नाळेरी-देखो नाकी । नाळग-देखो 'नाळक' । " नाळकर - देखो 'नारिकेल' । वाळी स्त्री० [देश०] तलवार डालने की चमड़े की छोटी | माझे देखी 'नारेली' नाळेरी- पु० १ नारियल के कड़े भाग को साफ करके बनाया हु हुक्का । २ कलेजी (मांस) । ३ देखो 'नारिकैल' । पु० शिशु नागरी स्त्री० [देश०] किसानों से ली जाने वाली नाळी ० [सं० नादि नाल] १ नवजात पि की नाभि से कूए जुड़ी नलिका, जिसको शीघ्र ही काट दिया जाता है । संबंधी एक लाग । [सं० नालकम् ] २ मकान से गंदा पानी निकलने की मोरी, नालि । ३ बरसाती पानी बहने का छोटा सोता, नाला । ४ छोटा जल स्रोत । ५ देखो 'नाळ' [फा० नाला ] ६ रोना-धोना, बावेला । नाळबंदी (बंधी ) - स्त्री० १ घोड़े की टाप में लोहा जड़ने का काम । २ इस कार्य की मजदूरी ३ देखो 'नाळबद' । नाव-पु० [सं० नालः] पानी निकलने का स्थान । नाळस देखो 'नालिस' । नालिनी - स्त्री० एक प्रकार का जलयान । नाळियर - देखो 'नारिकेल' । नाळियौ पु० [सं० नालः] १ गंदे पानी का नाला, मोरी । २ देखो 'नाळ' । ३ देखो 'नाळौ' । नासि स्त्री० [फा० नालिश ] किसी के विरुद्ध अभियोग किसी के विरुद्ध अभियोग, - फरियाद । नाळी स्त्री० [सं० नालिः] १ गंदे पानी के बहने का रास्ता, नाली २ मोरी ३ नली नलिका ४ नाड़ी, मनी । ५ पतला या संकरा जल मार्ग ६ नदी । ७ सारंगी के बीच का मुख्य अंग । ८ देखो 'नळी' । ९ देखो 'नाळ' | नाळी-देखो 'नारिकेल' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाळीक पु० [सं० नालिकं ] १ कमल । २ सूतदार कमल नाल । ३ कमल के फूल का डंठल । ४ तीर । ५ एक प्रकार का छोटा तीर । नाळीयर - देखो 'नारिकेल' । नायादौड़ पूनम' नारेळी पूनम' | । नाय स्त्री० [सं० नौ, फा. नाव १ छोटा जलवान किश्ती, नौका । २ शव यान, रथी, अर्थी । ३ देखो 'न्याव' । नावक - पु० [फा०] १ छोटा बारण विशेष । २ देखो 'नाविक' । नावघाट- पु० नदी या समुद्र तट, जहां नावें ठहरती हैं । नावड़ स्त्री० पहुँच । क्षमता | नावड़रणौ ( बौ) - क्रि० १ पीछे से आकर साथ कर लेना, पहुँचना २ दोड़कर पकड़ लेना। | ३ श्राना पहुँचना | ४ मुकाबला करना । ५ अधिकार करना, कब्जा करना । ६ कार्य निपटाना, पूर्ण करना । For Private And Personal Use Only नावड़ियो पु० केवट, मलाह नावड़ी (डी) - देखो 'नाव' । नावरण - स्त्री० १ दौड़ने भागने की क्रिया या भाव। २ देखो 'महावण' । नावणी (बौ) - क्रि० [सं० ज्ञापयति ] १ बताना, ज्ञात कराना । २ नहीं माना । ३ देखो 'न्हाणी' (बौ) | ना' वणी ( बौ) - क्रि० १ उड़ेलना, डालना । 'म्हार' (बी) देखो 'न्हाणी' (बौ नावांहाकण-पु० ० केवट, मल्लाह । नावाकिफ वि० [०] धनजान, अपरिचित । नावाजिब वि० [फा०] अनुचित, अनुपयुक्त । नावादौड़- स्त्री० भाग-दौड़, दौड़-धूप । २ देखो Page #756 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माविन नाहलो नाविन, नाविक--पु० [सं० नाविक] १ नाव चलाने वाला, | नासानुगी-पु० [सं०] नाक के बल चलने वाले प्राणी, जानवर । मल्लाह, केवट । २ जहाज का यात्री। ३ जल मार्ग से | नासापुट-पु० [सं०] नाक के अन्दर का पर्दा । यात्रा करने वाला। ४ कर्णधार । नासारोग-पु० नाक का रोग । नावी-देखो 'नाई। नासिक-स्त्री० [सं० नासिक्य) महाराष्ट्र प्रान्त का एक तीर्थ । नास-पु० [सं० नासा] १ नाक, नासिका। २ सूड । ३ चौखट नासिका-स्त्री० [स०] १ नाक, नासा । २ देखो 'नासका'। का ऊपरी बाजू । ४ सूघने की क्रिया या भाव । नासिराउ, नासिरणी-देखो 'नासो' । ५ सूघने का पदार्थ । [सं० नाश]६ नाश, ध्वंस, बरबादी। नासिरणी (बो)-देखो 'नासरणो' (बी)। ७ लोप, समाप्ति । ८ संहार । ९ मृत्यु, मौत। १० हानि, नासूर-पु० [अ०] मवाद वाला फोड़ा, नाड़ी व्रण । नुकसान । ११ दुर्भाग्य । १२ विपत्ति । १३ त्याग। नासेटू-वि० [सं० नष्टेषिन् ] खोये हुए मवेशी की तलाश १४ असफलता। करने वाला। नासक-वि० [सं० नाशक] १ नाश करने वाला, मारने वाला। नास्ति-देखो 'नासती'। २ ध्वस्त करने वाला। -पु० १ दीवार के कोने में चुना नास्तिक-वि० [सं०] धर्म व ईश्वर में प्रास्था न रखने वाला। जाने वाला पत्थर । २ देखो 'नासिका'। -दरसन, वाद-पु. उक्त भावना पर प्राधारित मत, नासका-स्त्री० [सं० नासिका] १ नाक । २ घ्राणेन्द्रिय । सिद्धान्त । ३ सूचनी, तंबाखू । ४ सूघने की दवा। | नास्तिकता-स्त्री० [सं०] धर्म व ईश्वर में प्रास्था न रखने की नासकारी-वि० [सं० नाशकारिन्] १ नाश करने वाला। भावना, बुद्धि । २ विनाशकारी । नास्ती-देखो 'नासती'। नासण-वि०१ नाश करने वाला। २ भागने वाला। नास्तौ-पु० [फा० नाश्ता] सुबह का अल्पाहार, कलेवा। ३ देखो 'नास'। नाह-अव्य० १ निषेधात्मक ध्वनि, नहीं । २ देखो 'नाथ' । नासणउ, नासरणी-वि० [सं० नश्] (स्त्री० नासणी) १ दौडने ३ देखो 'नाभि' । वाला, भागने वाला। २ नष्ट होने वाला, समाप्त होने नाहकंध (कंधौ)-पु० [सं० नाभि-स्कंध] पहिये की धुरी के वाला । ३ नाश करने वाला, विध्वंसक । ऊपर के अवयव । -वि० १ नाभि के समान कंधों वाला। नासरणौ (बी)-कि०१ भाग जाना, दौड़ जाना । २ मिट जाना। २ बलवान, शक्तिशाली। नष्ट होना। नाहक-क्रि० वि० [फा०] बिना मतलब के, व्यर्थ में, फालतू में। नासत, नासति-१ देखो 'नास्ति' । २ देखो 'नासती'। नाहरण-पु० स० स्नान स्नान, मज्जन । नासतिक-देखो 'नास्तिक' । नाहरणो (बौ)-कि० स्नान करना, नहाना । नासती-स्त्री० [सं० नास्ति] १ असत्यता । २ मनाही, इन्कार । नाह-दुनियांण-पु० १ राजा, नृप । २ बादशाह, सम्राट । ३ अभाव, कमी। -वि० १ बुग, खराब । २ अनुपयुक्त। नाहर-पु० [सं०नखर:] (स्त्री०नाहरी)१ सिंह, शेर । २ चीता । -प्रव्य० नहीं, ना। ३ भेड़िया । ४ योद्धा, वीर । ५ मक्खीमार एक जीव नासतीक-देखो 'नास्तिक'। विशेष । -वि० दुष्ट, आततायी। नासपती, नासपाती-स्त्री० [तु० नाशपाती] १ मझोले कद का | नाहरकांटौ-देखो 'ना'रकांटो'। फलदार पेड़ विशेष । २ इस पेड़ का फल, सेव । नाहर-मस्तक-पु. मयूर के समान नील वर्ण का घोड़ा । नासफरिम-वि० [सं० नाश:-फा० फर्मा] वह जिसकी आज्ञा का | नाहरसांस-पु० घोड़ों की सांस फूलने की बीमारी। उलंघन होता हो। नाहरी-स्त्री० मादा सिंह, शेरनी । नासमन-वि० जिसमें समझ न हो, निर्बुद्धि, प्रबोध, मूर्ख । नाहरू, नाहरौ-पु० १ मोट खीचने का रस्सा । २ चमड़े का नासवंती-स्त्री० [सं० नाश] १ घोड़े की नाक के नथूने पर होने टुकड़ा । ३ देखो 'नारू' । ४ देखो नाहर' । वाली भवरी । २ देखो 'नासवान'। नाहलउ-देखो 'नाथ'। नासवान-वि० [सं० नाशवान्] नष्ट होने लायक, नश्वर । अनित्य। नाहला-स्त्री० एक म्लेछ जाति । नासा-स्त्री० [सं०] १ नाक, नासिका। २ नासारंध्र, नथना। नाहलियो, नाहलू-देखो 'नाथ' । ३ घ्राणेंद्रिय । ४ चोंच, तुड। ५ देखो 'नस'। -चर- नाहळी-देखो 'नाळी' । पु० चोंच से खाने वाले, पक्षी । | नाहली-पु. १ नाहला जाति का म्लेच्छ । २ देखो 'नाथ' । For Private And Personal Use Only Page #757 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाहानी ( ७४८ ) निकट नाहानौ-देखो 'नैनौ' । (स्त्री० नाहानी) । निंदया-देखो 'निदा'। नाहि, नाही-१ देखो' नाभि' । २ देखो 'नहीं' । निंद्यावरत-पु० [सं० निन्द्यावर्त | एक प्रकार का वृक्ष । माह, नाहू-१ देखो, नाभि' । २ देखो' नाथ' । निद्रा-१ देखो 'निंदा। २ देखो "निद्रा'। नाहेट-स्त्री० मवेशी की तलाश। निनांण-देखो 'निदारण' । नाहेद-देखो 'नासे टू'। निंबारक-पु० [सं० निंबार्क] १ निवादित्य द्वारा प्रवर्तित एक निगळपो (बी)-कि० [सं० निर्गलनम्] १ मिट्टी के बर्तन का सम्प्रदाय । २ निबादित्य । परिपक्वावस्था में होना, पक्का होना । २ पक्का होना, | निबादित्य-पु० [सं०] निंबार्क सम्प्रदाय के प्रादि प्राचार्य । पकना। [सं० निर्गद] ३ रोगादि से मुक्ति पाना । | निबु-देखो 'नींबू'। ४ बिना चबाये गले से नीचे उतारना, गटकमा, गिटना। निंबोळी, निबोळी-स्त्री० [सं० निव- फल] १ नीम का फल । मिळो (बी)-क्रि० १पकामा, दृढ़ करना, परिपक्वावस्था में २ स्त्रियों के कण्ठ का आभुपगा विशेष । करना । २ मिट्टी के ताजे पात्र में पानी डाल कर रखना। | निवार-देखो' निवार'। निगे-देखो 'निगाह'। निहंग, निहग-देखो 'निहंग' । निद-१ देखो "निंदा' । २ देखो 'नींद'। निहसरणो, (बी)-देखो 'निहसणौ' (बी)। निदक-वि० [सं०] निंदा करने वाला, पालोचक । नि-ग्रव्य मि०] १ उपसर्ग । २ एक संयोजक शब्द, और, तथा। निदड़ली-देखो 'नींद'। [सं०नु] ३ सदेह व अनिश्चितता सूचक अव्यय । ४ देखो'नी' । निदरणा-स्त्री० १ निरीक्षण (जैन)। २ देखो 'निंदा'। पु० १ नृत्य, नाच । २ निश्चय । -स्त्री० ३ दुर्गति । निदरणी (बी)-क्रि० [सं० निदन] १ निंदा करना, पालोचना -वि० १ दरिद्र । २ देखो 'नी' । करना, बदनामी करना । २ अपकीर्ति करना। [सं० नदि] निअ-देखो 'निज' । ३ दीपक का बुझना। ४ निद्रावश होना, सोना । निद्राळ-देखो 'निद्राळ'। निदरा-देखो 'नींद'। निभाई-देखो 'न्यायी'। निदवरणौ (बौ)-१देखो 'निंदणी' (बौ)। २ देखो'नींदारणो' बो)। निप्रादर-देखो 'निरादर'। निदाण-देखो 'निदारण'। नियामत-देखो नियामत' । निदा-स्त्री० [सं०] १ किमी के दोषों का वर्णन, बुराई, कटवी। निछावर, निउछावरि-देखो 'निछरावळ' । २ अपकीति, बदनामी। ३ आलोचना । ४ देखो 'नींद'। निउजणी, (बो)-देखो 'नियोजणी (बी)! निवारणी (बी)-क्रि० १ दीप बुझाना । २ देखो 'नींदाणी' (बी) । निउत्रणी, (बौ)-देखो "निमंत्रणौ (बौ)। निदाळ-देखो 'नींदाळ' । निउण-देखो 'निपुण' । निदाळवी-देखो 'निंदाळु'। निउत-देखो नियुक्त' । निदाळ, निदाळवी-वि० १ निंदा करने वाला, निंदक । २ नींद | निऊ-देखो'नेऊ' । के प्रभाव वाला, उनिदा । निकंटक-पु० [सं० निष्कंटक] १ इन्द्रासन । २ देखो 'निस्कंटक' । निंदावणी (बी)-देखो 'नींदाणों' (नौ) । निकंद, निकंदरण-पु० [सं० नि-कंद] नाश, विनाश । -वि. नाश निंदास्तति-स्त्री० [सं०] निंदा के रूप में की जाने वाली करने वाला। स्तुति । व्याजस्तुति । निकंदणी-वि० [सं०नि-कंद] (स्त्री निकंदणी) नाश करने वाला, निदित-वि० [सं०] जिसकी निंदा की गई हो, अपकीति वाला, मारने वाला। दूषित । बुरा । बदनाम । निकदणी (बौ)-क्रि० [सं० निकंद] १ संहार करना, मारना । निंदिया-१ देखो 'निदा'। २ देखो 'नींद' । २ नष्ट करना, मिटाना । निदीजणी (बौ)--क्रि० १ निदित होना, बदनाम होना । निकंदन, (नि,नी)-स्त्री० [सं० निकंदनम्] देवी, शक्ति, दुर्गा । २ देखो 'नींदीजणी' (बौ)। -वि. नाश करने वाली, मंहार करने वाली। निंदुक-देखो 'निंदक'। निंदोरणी (बौ)-देखो 'निदोवरणी' (बी)। निकंध-देखो 'निकंद' । निदोवणी (बौ)-क्रि० [सं० नि + उंदन] १ साफ करना। निकख-पु० [सं० निष्कख] हीरा । २ पानी में डालना। ३ भिगोना, तर करना । निकट-क्रि०वि० [सं०] १ पास, समीप, नजदीक । २ पार्श्व में, निध-वि० [सं०निंद्य | निंदनीय, बुरा, पालोचना करने योग्य ।। बगल में। रिपते वा संबंध की रष्टि से पास । -वि० घनिष्ठ । For Private And Personal Use Only Page #758 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निकटता निका निकटता-स्त्री० [सं०] १ सामीप्य । २ कम दूरी । ३ घनिष्ठता। २२ बाकी रहना, नाम पर होना, देव रहना । २३ अवशिष्ट निकटवरती-वि० [सं० निकटवर्तिन] पास वाला, नजदीकी, होना । २४ बीतना, व्यतीत होना। २५ दूर होना, समीपस्थ। मिटना । २६ उद्भाषित होना । २७ बनना, निर्मित होना। निकटासण-स्त्री० निर्लज्जता, नालायकी, शैतानी, बदमाशी । २८ सिद्ध होना, सधना, बनना। २६ प्रचलित होना, निकटि, निकट्ट-देखो 'निकट'। रूढी बनना। ३० उत्पन्न होना, लक्षित होना । ३१ मुक्त निकपट-देखो 'निस्कपट'। होना, आजाद होना । ३२ साबित होना, प्रमाणित होना । निकमाई-स्त्री० काम से फुर्सत, अवकाश, खाली समय । ३३ अलग होना तटस्थ होना। ३४ लुप्त होना, खोना, निकमाळी-पु० [सं० निष्कर्म] अवकाश का समय, फुर्सत, में होने चोरी होना। ३५ पीछे हटना, मुकरना। ३६ मर्यादा की अवस्था या भाव । छोड़ना, सीमा में न रहना। ३७ छोड़ना, त्यागना । निकम, निकमौ. निकम्मो-वि० [सं० निष्कर्म] (स्त्री० निकमी, ३८ काम से अलग होना, त्याग-पत्र देना, इस्तीफा देना, निकम्मी) १ जो कुछ करने योग्य न हो निकम्मा, अयोग्य । बस्ति होना। ३९ काम चलना। ४० बचकर पाना । २ व्यर्थ, निरर्यक, फिजूल । ३ जो किसी काम का न हो, ४१ रहस्य खुलना, गुप्त बात कहना। बुरा, खराब । ४ काम रहित,कार्य से निवृत्त, मुक्त। ५ नीच, Im | निकळारणौ (बौ), निकळावरणौ (बौ)-क्रि० १ भीतर से बाहर पतित । ६ अवारा, निकम्मा । लाना, निर्गमन कराना, निकलाना। २ भेजना । ३ गमन निकर-पु० [सं०] १ समूह, झुण्ड । २ ढेर, राशि । ३ निधि, कराना, गुजरवाना। ४ गृह त्याग कराना। ५ समाधान भण्डार । ४ गट्ठर, बडंल । ५ सार । ६ द्रव्य कोष । -वि० कराना, हल निकलवाना। ६ आविष्कार कराना । १ समस्त, सब, तमाम । २ उचित। ३ देखो 'नेकर' । ७ विच्छेद कराना, टपकवाना। ८ आगे बढ़वाना, क्रमश: [सं० निष्कर] ४ जिस पर कर न हो। बढ़वाना। ९ पार कराना। १० द्वार या छेद से बाहर निकरकट-वि० स्वार्थी, नीच, क्षुद्र । निकरम, निकरमो-देखो 'निस्करम' । कराना । ११ प्रगट कराना, उत्पन्न कराना । १२ लक्षित कराना, स्पष्ट कराना। १३ सहसा प्रगट कराना । निकरि-देखो 'निकर'। १४ छंटवाना, अलग कराना। १५ प्रकाशित कराना। निकरो-वि० [देश॰] १ साफ, स्वच्छ, निर्मल, निखालिस । १६ बरामद कराना। १७ बिकवाना। १८ बाकी रखाना, २ निकम्मा । देय रखाना । १६ अवशिष्ट रखाना। २० उद्भाषित निकळंक,निकळंकत, निकळंकि, निकळंकिय, निकळकी, निकळंकीय कराना । २१ बनवाना, निर्मित कराना । २२ कार्य -वि० [सं० निष्कलंक १ पवित्र, पावन, शुद्ध । २ कलंक आदि बनवाना, सिद्ध कराना। २३ प्रचलित करवाना । रहित, बेदाग । ३ निष्पाप, पाप रहित । ४ निर्दोष, दोष | २४ मुक्त कराना । २५ अलग या तटस्थ कराना । २६ पीछे रहित । ५ स्वच्छ, साफ, चमकता हुअा। -पु० विष्णु के हटवाना, मुकरवाना। २७ काम से हटवाना, बस्ति दश अवतारों में से एक । कराना । २८ काम चलवाना। २९ बचाकर लिवाना। निकळ निकल-स्त्री० [अ० निकल] चमकने वाली सफेद धातु | ३० रहस्य खुलवाना। जिसकी बर्तनों पर कलई की जाती है। निकळरणौ (बी)-क्रि० [सं० निष्कासनम्] १ भीतर से बाहर पाना निकस-पु० [सं. निकष:] १ हथियारों पर सान चढ़ाने का निर्गमन होना, निकलना । २ जाना । ३ गुजरना, गमन पत्थर । २ कसौटी। ३ कसौटी पर चढ़ाने का कार्य । करना । ४ गृह त्याग करना । ५ देह त्यागना, मरना । ४ देखो 'निकट'। ५ देखो 'निकास'। ६ समाधान होना, हल निकलना। ७ प्राविष्कृत होना, नई निकसण-पु० [स. निकषण] १ रगड़ने या घिसने का कार्य । बात प्रकट होना। अलग-अलग होना, विच्छेद होना, चूना, २ सान पर चढ़ाने का कार्य। ३ कसौटी पर चढ़ाने का टपकना । ९ आगे बढ़ना, क्रमशः बढ़ना । १० पार होना। कार्य। ११ द्वार या छेद से पार होना । १२ प्रगट होना उत्पन्न निकसणी (बौ)-देखो 'निकळरणो' (बी)। होना । १३ उदय होना। १४ लक्षित होना, स्पष्ट होना। निकसा-स्त्री० [सं० निकषा] १ रावण की माता । २ प्रेतनी, १५ सहसा प्रगट होना, उपस्थित होना । १६ छंटना, छंट पिशाचिनी। -सुत-पु० रावण, कुभकरण । राक्षस, कर-अलग होना । १७ अधिक प्रागे होना, आगे दिखना।। १८ प्रकाशित होना । १९ बिकना, बेचा जाना । २० उपलब्ध असुर । होना, बरामद होना । २१ श्रेणी में उत्तीर्ण होना। निका-क्रि०वि० [फा० नेक] अच्छी तरह, भली प्रकार से। For Private And Personal Use Only Page #759 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निकाम निकुटी निकांम-वि० [सं० निष्काम] १ कामना, लालसा व इच्छा खपाना । १६ बरामद करना, उपलब्ध करना । रहित । २ स्वार्थ रहित, निस्वार्थी। ३ निकृष्ट, बुरा । १७ बाकी या नाम बताना, बकाया रखना। १८ व्यतीत * नीच, दुष्ट । ५ व्यर्थ, बेकार । ६ देखो 'निकम्मों।। करना, गुजार देना । १९ दूर करना, मिटाना । निकामी-वि० [सं० निष्कामिन] १ वीतराग, वेरागी, २० प्रचलित करना, परंपरा बनाना । २१ काम बनाना, निस्वार्थी । २ देखो 'निकम्मौ' । मतलब साधना। २२ निर्माण करना, बनाना । २३ प्रारंभ निकांमु.१ देखो 'निकम्मौ । २ देखो "निकाम'। करना शुरू करना। २४ उत्पन्न करना । २५ मुक्त करना, निकारी-मोरी-स्त्री०राजा महाराजाओं का वस्त्रागार(उदयपुर)। छोड़ना। २६ साबित करना, सिद्ध करना। २७ अलग निका-स्त्री० [अ० निकाह] इस्लाम धर्म के अनुसार विवाह, करना, तटस्थ करना। २८ भगाना, भागने का मौका पाणिग-ग्रहण । देना । २९ चोरी करना, गायब करना । ३० प्रगट करना, निकाइय-देखो निकाचित' । (जैन) चौड़े करना। ३१ कम करना, घटाना। ३२ मार्यादा निकाई-स्त्री० [फा० नेकी] १ भलाई, अच्छापन । २ सुदरता, छोड़ना, सीमा छोड़ना। ३३ हटाना, बस्ति करना। मौदर्य, खूबसूरती। ३४ दूर करना, हटाना । ३५ निर्वाह करना, काम चलाना। निकाचित, निकाचिय (करम)-पु० [सं० निकाचित-कर्म] जैन | ३६ संकट से बचाना, उबारना। ३७ प्राप्त करना, लेना। ___शास्त्रानुसार शुभाशुभ कर्म । उठाना। निकाज-वि० [सं० नि + कार्य] निकम्मा, बेकार । निकाळी-पु० सं० निष्कासन्] १ एक प्रकार का मयादी निकाय-पु० [सं०] १ समूह, झुण्ड । २ श्रेणी, दल । ३ सभा, बुखार, मांत्रिक ज्वर । २ निकालने की क्रिया या भाव । समाज । ४ स्कूल । ५ संस्था । ६ घर, निवासस्थान । ३ बहिष्कार, निष्कासन । ४ देखो 'निकाळ'। | निकावळी-वि० [देश॰] (स्त्री० निकावळी) १ निर्दोष । ७ शरीर । ८ लक्ष्य, निशाना। ९परमात्मा, ईश्वर ।। २ निकालने वाला। निकार-पु० [सं०] १ हार, पराभव । २ तिरस्कार, अनादर । निकास-पु० निकलने का द्वार, निकलने का स्थान । ३ अपकार । ४ मान हानि, अपमान। ५ अपशब्द, गाली।। निकासणौ (बौ)-देखो 'निकाळणी' (बौ)। ६ दुष्टता। ७ विरोध । ८ खण्डन । निकासी-स्त्री० [सं० निष्कासनम्] १ प्रस्थान, रवानगी। निकारी-पु० [सं० निः कार्य] (स्त्री० निकारी) १ निकम्मा, २ पलायन, प्रयारण। अयोग्य । २ व्यर्थ, बेकार । ३ स्वार्थी, मतलबी। निकाह-देखो "निका'। निकाळ-पु० [सं० निष्कासन्] १ निकलने की क्रिया या भाव । निकियावरी-पु० अप्रतिष्ठित वंश, कुल या घर । २ निकलने का अवसर, मौका । ३ निकलने का द्वार, छेद, निकुचरणी (बो)-क्रि० [सं० निकुचनम्] संकुचित होना, रास्ता। ४ उद्गम । ५ वंश का मूल । ६ मूल । ७ ग्रामदनी सिकुड़ना। स्रोत । ८ छुटकारा, मुक्ति । ६ मार्ग, रास्ता। १० किसी | निकुज-पु० [सं०] १ लता पाच्छादित मण्डप । २ कुज। दाव का तोड़, काट । ११ कुश्ती का पेच । १२ निकलाने ३ उपवन, वाटिका। की क्रिया या भाव । निकुप-पु० एक प्राचीन राजवंश व इस वंश का व्यक्ति । निकाळपो (बी)-क्रि० [सं० निष्कासन्] १ भीतर से बाहर निकुभ-पु० [सं०] १ राजा हर्यश्व का पुत्र । २ कुभकरण का लाना, निर्गम करना। २ निश्चित करना, ठहराना।। पुत्र एक असुर । ३ श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया एक असुर ३ समस्या का हल निकालना, समाधान करना। राजा । ४ कौरवों का एक सेनापति । ५ प्रहलाद के पुत्र ४ आविष्कार करना, ईजाद करना । ५ जुड़ी हुई वस्तु को। का नाम । ६ एक क्षत्रिय वंश । ७ चौहान वंश की एक अलग करना, पृथक करना । ६ श्रेणी में आगे बढ़ाना, शाखा । ८ दती वृक्ष। ९ शिव का एक गण । १० स्वामि उत्तीर्ण करना। ७ गमन कराना, गुजराना । ८ एक पोर कात्तिकेय का एक गण । ११ सुन्द व उपसुन्द के पिता । से दूसरी ओर लेजाना, अतिक्रमण कराना । पार निकुभी-स्त्री० [सं०] कुभकर्ण की कन्या । कराना। ९ स्पष्ट करना, प्रकट करना, खोलना । १० उपस्थित करना, दिखाना। ११ चुनकर निकालना, निकुटरणों (बो)-क्रि० [सं० नि + कृतम्] १ पत्थर आदि पर छांटना। १२ किसी एक तरफ अधिक बढ़ाना, आगे। खुदाई करना । २ गढ़ना। करना । १३ सर्वसाधारण के सामने लाना, प्रकाशित निकुटी-पु० [सं० निष्कुट्टी] १ पत्थर तोड़ने व पत्थर पर खुदाई करना । १४ सीमा से अधिक करना । १५ बेचना, करने वाला कारीगर । २ बड़ी इलायची । For Private And Personal Use Only Page #760 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निकुळ ( ७५१ ) निगडित निकुळ-पु० शराब के साथ लिया जाने वाला चर्वण । -वि० निखट्ट-वि० १ इधर-उधर फिरने वाला। २ टिक कर या (स्त्री० निकुळी) बिना कुल या वंश का, निवंशी। जमकर न रहने वाला । ३ निष्क्रिय, निकम्मा । ४ आलसी, निकुळी-पु० १ एक प्रकार का वृक्ष । २ देखो 'नकुळ' । सुस्त। निकुळो-देखो 'निकुळ'। निखरणी (बी)-देखो 'निरखणौ' (बी)। निकूप-वि० [सं०] १ बिना किसी कमी के, परिपूर्ण । २ दृढ़, निखत-वि० १ जबरदस्त । २ देखो 'नक्षत्र'। ठोस । ३ देखो 'निकुप' । निखतंत-देखो 'नखतेत'। निकूळ-देखो 'नकुळ'। निखद-वि० [सं० निषध] १ बुरा, नीच, अधम, निकृष्ट । निकेत (न)-पु० [सं०] १ मकान, घर । २ जगह, स्थान । -पु. १ एक प्राचीन देश । २ इस देश का राजा । ३ एक ३ भण्डार, निधि । ४ निवास स्थान । ५ प्याज । पर्वत का नाम । ४ देखो 'निसाद'। ५ देखो निखेद' । निकेद-पु० युद्ध, संग्राम । | निखदरणौ (बो)-देखो 'निसेधणी' (बो)। निकेय-देखो 'निकेत'। निखध, निखधि-देखो 'निखद'। निकेवळ (ळी)-वि० [सं० निष्कैवल्य] (स्त्री० निकेवळी) निखरणी (बो)-क्रि० [सं० निक्षरणम्] १ स्वच्छ होना, निर्मल १ नितान्त, बिल्कुल । २ अकेला, केवल एक । ३ कार्य, होना । २ प्राभा, कांति या शोभा युक्त होना । ३ सुन्दर उत्तरदायित्व व ऋण से मुक्त, निवृत्त । ४ बंधन मुक्त ।। होना । ४ अच्छी स्थिति या रंगत में पाना । ५ रोग मुक्त । -पु० सात वर्णों का एक छन्द विशेष । निखरब (ब)-वि० [सं० निखर्व] दश हजार करोड़, दश निको-वि० [देश॰] श्रेष्ठ, उत्तम, बढ़िया । खरब। -पु० उक्त मान की संख्या । निक्ख-देखो 'निकस'। निखरौ-वि० [देश॰] (स्त्री० निखरी) खराब, बुरा । नापाक । निक्खेप-देखो 'निक्षेप'। निखल-पु० १ गम्ड़ । २ देखो 'निखिल' । निखाख-देखो 'निसाद'। निक्र-पु० [सं० निकर] समूह । निक्रत-वि० [सं० निकृत] १ कपटी, धूर्त । २ छलिया, ठग । निखात-पु० [सं० खन् व.का.] खजाना, निधि । ३ नीच, अधम, पतित। ४ तुच्छ, प्रोछा। ५ दुष्ट, निखाद-पु. १ लुटेरा, डाकू। २ देखो 'निसाद' । निखार-पु० १ स्वच्छता, निर्मलता। २ कांति, दीप्ति, प्राभा । बदमाश। निखारणी (बो)-क्रि० [सं० निक्षरणम्] १ स्वच्छ करना, निक्रस्ट-वि० [सं० निकृष्ट] १ नीच, अधम, पतित । २ कमीना, निर्मल करना । २ आभा, कांति या शोभा युक्त करना। दुष्ट । ३ घृणित । ४ तुच्छ, शूद्र । ५ मंद । ३ सुन्दरता लाना। ४ अच्छी स्थिति लाना। निक्रस्टता-स्त्री० [सं० निकृष्ट-ता] १ नीचता, अधमाई। निखालस, निखालिस-वि० १ शुद्ध, खालिश, बिना मिलावट २ कमीनापन, दुष्टता। ३ बुराई, खराबी। ४ तुच्छता। __ का। २ स्वच्छ साफ, निर्मल। ५ मंदता। निखिल-वि० [सं०] पूर्ण, संपूर्ण । तमाम, सब, समस्त । निक्षत्री-वि० [सं० नि-क्षत्रिय]१ क्षत्रियत्वहीन । २ क्षत्रियहीन। | निखूती-वि० [सं० नि-क्षुत] निमग्न, मग्न, डूबा हुन । निक्षेप-पु० [सं०] १ छोड़ने की क्रिया या भाव, त्याग । | निखेत, निखेद-वि० [सं० निषेध] १ दुष्ट, पाजी, बदमाश। २ फेंकने की क्रिया या भाव । ३ प्रतिपाद्य वस्तु को | २ पतित, हीन । -पु० रोक, मनाही। समझाने की क्रिया या भाव (जैन)। ४ गिरवी, रेहन । निखेध-वि० [देश॰] १ मूर्ख, गंवार । २ देखो 'निखेद' । ५ पोंछने की क्रिया या भाव । ३ देखो 'निसेध'। निखंग-पु० [सं० निषंग] १ तरकस, तूणीर, भाथा। निखेधणी (बौ)-देखो 'निसेधणो' (बी)। २ तलवार, खड्ग। ३ एक वाद्य विशेष । ४ प्रालिंगन । निखोटौ-वि० [सं० नि-क्षोट] (स्त्री० निखोटी) १ जिसमे खोट ५एकता। ___ न हो, खरा, शुद्ध । २ खालिश, साफ । निखंगी (गौ)-वि० [सं० निषंगिन्] १ तरकसधारी, धनुर्धर । निगड, निगड-पू० [सं० निगड] १ हाथी के पैर के बांधने की २ बाण चलाने वाला। ३ खड्गधारी । ४ शक्तिशाली, जंजीर, बेड़ी। २ एक प्रकार का देव वृक्ष। ३ कैद, बलवान। -पु० [सं० निषंगी] धृतराष्ट्र का एक पुत्र । कारागार, बंधन। निखंड-वि० [सं० निः खण्ड] प्रखण्ड, पूर्ण । निगडित--वि० [सं०] बंधन में डाला हुआ, बद्ध, कैद किया निखकुटी-स्त्री० [सं० निष्कुटी] इलायची । हुया । For Private And Personal Use Only Page #761 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निगद ( ७५२ . ) निघटणी निगद-पु० [सं० निर्गद] चन्द्र, चन्द्रमा । निगे-देखो 'निगाह'। निगध-पु० [सं० निषध] निषधराजा। निगेम-वि० १ पवित्र, शुद्ध । २ कल्याणकारी, मंगलमय । निगम -पू० म०] १ ईश्वर, परमात्मा । २ वेद। ३ वेद ३ उज्ज्वल, शुभ्र । ४ निष्कलंक, बेदाग । ५ जबरदस्त, संहिता। ४ वेद का कोई अंश । ५ शास्त्र। ६ वेद का शक्तिशाली। ६ देखो 'निगम' । भाष्य । ७ धातु । ८ विश्वास । १ निश्चय । १० न्याय । | निगे-देखो 'निगाह'। ११व्यापार । व्यवसाय । १२ हाट मंडी। बाजार। १३ मेला। निगेदारी, निगंदास्त, निर्गदास्ती-स्त्री० [फा०] निगगनी, १४ मोदागर । १५ मार्ग, रास्ता। १६ नगर, शहर ।। देख-रेख, जांच। १७ झुण्ड, समूह । १८ किसी कार्य विशेष के लिए बनाया | निगोट-वि० सं०निघोट] १ जो खोखला न हो, ठोस । २ नया, हुअा विभाम, संस्था वा मण्डल । -वि० जहां पहुंचना जो पहले काम में न लिया गया हो। ३ शुद्ध, पवित्र । संभव न हो, अगम्य । –निवासी-पु० विष्णु, नामयण । निगोद-पु० [सं०] अनन्त जीवों के पिण्ड-भून का एक निगमरणो (बौ)-देखो 'नीगमणी' (बौ)। शरीर । (जैन) निगमी-वि० [सं० नि-गम्य] जो पहुँच के बाहर हो, अगम्य । निगोदर, निनोदरी-पु० [देश॰] कंठ पर धारण करने का निगम्प-देखो 'निगम'। प्राभूषण विशेष। निगम्मी-देखो 'निगमी'। निगोदि-वि० १ निगोद' में रहने या निवास करने वाला। निगर-पु० [देश॰] एक पौधा विशेष । २ देखो 'निगोद'। निगरगंठ (ठौ)-वि० (स्त्री० निगरगंठी) जो किसी के काम | निग्गंथ, निग्गंयो देखो 'निरग्रंथ'। ___ न पा सके । निग्गत, निग्गय-वि० [सं० निर्गत] १ निकलने वाला, दूर होने निगरब (भ, व)-वि० [सं० निगर्व] गर्व व अभिमान रहित । वाला । २ निकला हुआ, दूरस्थ । (जैन) -पु० [सं० निगर्भ] जो गर्भ में न पावे, ईश्वर, परमात्मा।। निग्गही-वि० [सं० निग्राही] निग्रह करने वाला (जैन)। निगर-भर-वि० [सं० नि-गह्वर] भरपूर, सघन । निग्गुणौ-देखो 'निगुणौ'।। निगरांणी (नी)-स्त्री० देख-रेख, निरीक्षण, जांच । निग्न-वि० [सं० निघ्न] आज्ञाकारी, अनुगत, अधीन । निगरियो-देखो 'निगर'। निग्रह-पु० [सं०] १ मन की एकाग्रता, संयम । २ मन को निगरु-वि० जबरदस्त, जोरदार । नियंत्रित करने की क्रिया या भाव । ३ दमन । ४ रोक, निगळणौ (बो)-क्रि० [सं० निर्गलनम्] १ बिना चबाये गले के अवरोध । ५ रोकने का उपाय । ६ बंधन । ७ पकड़, कैद । नीचे उतार देना, गटक लेना । २ खा जाना। ३ बलात् ८ दण्ड । ६ नाश, विनाश । १० चिकित्सा, इलाज । हड़प लेना। ११ हार,पराजय । १२ अधीन करने की दशा । १३ भर्त्सना, निगल्लिका-स्त्री० चार वर्ण का एक वृत्त विशेष । डांट, फटकार । १४ अरुति, घृणा। १५ तर्क संबंधी एक निगस-देखो 'निघस'। दोष । १६ सीमा, ह्द । १७ दस्ता, वेट । निगहणौ (बी)-क्रि० [सं० निगृहीत] नियंत्रण करना। निग्रहण-वि० [सं०] रोकने वाला, रोक-थाम करने वाला। विगांमसिज्जाए-पु० [स० निगम-सैय्या] अधिक लंबा चौड़ा -पु० १ दमन करने का कार्य । २ दण्ड देने का कार्य । बिस्तर । (जैन) निग्रहणी (बी)-क्रि० [सं० निग्रहणम्] १ दमन करना, रोकना, निगा, निगाह-स्त्री० [फा०] १ नजर, दृष्टि । २ ध्यान । थामना । २ निग्रह करना, संयम करना। ३ दण्ड देना । ३ विचार । ४ पहचान,परख । ५ समझ । ६ तलाश खोज । सजा देना। ७ सुधि, देखभाल । निग्रहि-पु० १ युद्ध । २ देखो 'निग्रही। निगुडि-पु. एक प्रकार का वृक्ष विशेष । निग्रही-वि० [सं० निग्रहिन्] १ दमन करने वाला । २ रोकने निगुण-वि० १ कृतघ्न । २ कायर, डरपोक । ३ देखो वाबा, अवरोध करने वाला । ३ दण्ड देने वाला। निरगुण'। निग्रोध-देखो 'न्यग्रोध'। निगुणी (गो)-१ देखो 'निरगुण' । २ देखो 'निगुरग'। निगुर, निगुरु, निगुरू, निगुरो-१ देखो 'नगरौ'। २ देखो निघंट, निघंटु-पु० [सं० निघंटु] १ वैदिक कोश । २ शब्द __'निरगुण'। संग्रह मात्र। निगूढ़-वि० [सं०] १ अत्यन्त गुप्त । २ मजबूत, दृढ़ । निघटणी (बौ)-क्रि० [सं० निघटनं] १ कम होना, थोड़ा निगुढ़ारथक-वि० जिसका अर्थ गुप्त हो । गूढार्थी । होना, घटना । २ देखो "निघट्टणौ' (बौ)। ... For Private And Personal Use Only Page #762 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निधट्टरणौ निजरि निघट्टरपो (बौ)-क्रि० १ उत्पन्न होना, लगना। २ देखो निचोपो (बौ), निचोवरणो (बौ)-क्रि० [सं० नि-च्यवनम् निघटणी' (बौ)। १ रसदार वस्तु का रस निकालना, रस निकालने के लिए निघनक-वि० [सं० निधनक] पराधोन, अधीन । दबाना । २ गीले कपड़े का पानी निकालने के लिए ऐंठन निघस-पु० [सं० निघस] १ भोजन, खाना। २ खाने की क्रिया | देना। ३ कस व सार निकालना। ४ शोषण करना । या भाव। ५ शक्तिहीन करना, तेज विहीन करना । निघात-पु० [सं०] १ प्रहार, चोट, प्राघात । २ घात । निच्च-१ देखो 'नित' । २ देखो 'नीच' । ३ उच्चारण के लहजे का अभाव । ४ मर्म, भेद, रहस्य । निच्चय-देखो 'निस्चय'। ५ भेद की बात । -वि०१ विशेष, खास । २ अधिक । निच्चळ-देखो 'निस्चळ' । ३ भयंकर । ४ जबरदस्त । -क्रि०वि०१ विशेषतया, निच्चु-१ देखो 'नित' । २ देखो 'नीच' । विशेषत: । २ बहुत तेजी से । निछंटणौ (बौ)-देखो 'नीछटगो' (बी)। निघास-देखो 'निघस'। निछटणी (बो), निछट्टणौ (बौ)-देखो 'नीछटणी' (बौ)। निघिणु-वि० [सं० निर्घ गण] निर्दयी, कठोर । निछत्र, निछत्री-वि० [सं० नि: छत्र] १ छत्रहीन, राज चिह्न निघुट-वि० दृढ़, अटल । से रहित । २ देखो निक्षत्री' । निघ-देखो 'निगाह'। निछमाळी-वि० [सं० निमिष + रा० पाळी] हिलती हुई निघोट-वि० [देश॰] १ खाली पेट, निराहार । २ पूर्ण, पूरा।। पलकों वाली। ३दृढ़, मजबूत। निछरावळ (ळि, ळी)-स्त्री० [सं० न्यास-पावर्तः] १ न्यौछावर निघोस-स्त्री० [सं० निघोष आवाज, ध्वनि । करने की क्रिया या भाव । २ न्यौछावर किया हुअा द्रव्य, निचंत (तौ), निचत (तो)-देखो 'निम्चित' । वस्तु प्रादि । -खांनौ-पु० न्यौछावर करने का स्थान । निचलौ-वि० सं० नीच] (स्त्री० निचली) १ नीचे वाला, | न्यौछावर करने की प्रथा । ___ नीचे का, निम्न । २ देखो 'निस्चल'। निछळ-वि० [सं० निश्छल] १ कपट व छल रहित । २ देखो निचाई-स्त्री० १ नीचापन, ढाल । २ नीचे की ओर विस्तार निस्चळ'। या दूरी। ३ अोछापन, कमीनापन, नीच भावना । निछावर, निछावळ-देखो 'निछरावळ' । निचारौ-पु० [देश॰] भोजन आदि के बर्तन साफ करने, मांजने निछोह-वि० [सं० निः क्षोभ] १ जिसे प्रीति या प्रेम न हो। का स्थान । २ प्रिय भाव से रहित । ३ निर्दयी, कठोर, निष्ठुर । निचित-देखो 'निरिचत' । निजंत्रणौ (बी)-पु० [सं० नियंत्रणम्] नियंत्रण करना, काबू ___में करना । निचिता, निचिताई, निचिती-देखो 'निस्चितता'। निज-सर्व० [सं०] स्वयं, खुद। -वि० १ स्वकीय, अपना । निचितो-देखो 'निस्चित' । (स्त्री० निचिती) २ प्राकृतिक, स्वाभाविक । ३ विलक्षण । ४ सदैव बना निचिताई-देखो 'निस्चितता' । रहने वाला, स्थाई । ५ खास, मूल । -मंदिर-पु० देवालय निचीत-देखो 'निस्चित' । का खास भाग जहां देवमूर्ति स्थापित हो । निचीताई-देखो 'निस्चितता' । निजघास-पु० [सं०] पार्वती के क्रोध से उत्पन्न एक गण । निचीतौ-देखो 'निस्चित' (स्त्री० निचीती) निजड़णी (बौ)-क्रि० टूटना, कटना। निजर (रि)-देखो 'नजर'। -केद, कंद- 'नजर-कैद'। निचुड़णी (बी)-क्रि० [सं० नि-च्यवनं] १ रसदार वस्तु का -दौलत='नजर-दौलत'। -बंद='नजर-बंद'। –बंदी= रस निकाला जाना, रस निकलना। २ गीले कपड़े में ऐंठन 'नजर-बंदी'। बाग='नजर-बाग'। -सांनी-'नजरदेकर पानी निकाला जाना। ३ कस व सार निकलना। सांनी'। ४ शोषण किया जाना । ५ आर्थिक दृष्टि से शोषित होना। निजर-बाज-वि० [फा०] तिरछी नजर से देखने वाली । ६ शक्ति या तेजहीन होना। निजरांग (गो)-देखो 'नजरांगो' । निचोड़-पु० [सं० नि-च्यवन] १ रस । २ सार, तत्त्व । निजराणौ (बौ), निजरावरणौ (बो)-क्रि० १ दिखाई देना, ३ निचोड़ने से निकलने वाला द्रव पदार्थ । ४ सारांश, दिखना । २ नजर में पाना । ३ ध्यान में माना। ४ दृश्य तात्पर्य । प्राशय । ५ मूल बात । ६ गूढार्थ । दिखना । ५ नजर लगना । ६ देखना । ७ लखना । निचोड़णी (बी)-देखो 'निचोणी' (बौ) । | निजरि-देखो 'नजर'। For Private And Personal Use Only Page #763 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निजरोजणी ( ७५४ ) निताळो निजरीजरणी (बी)-देखो 'नजरीजणी' (बी)। निठणौ (बो)-क्रि०१ समाप्त होना, खत्म होना । २ कम होना। निजळ-वि० [सं० नि: जल] १ जल रहित, सूखा, शुष्क । घटना । ३ हमेशा के लिए खत्म होना। ४ खप जाना। २ निर्बल, अशक्त । ३ निर्लज्ज। निठल्लू, नीठल्लो-वि० [स० नि: स्थल] (स्त्री० निठल्ली) निजवा-वि० [सं० निः यव] बिल्कुल, स्वच्छ, निखालिश । १ जो कोई काम धंधा न करे, निकम्मा । २ जिसके पास निजाम-पु० [अ० निजाम) १ प्रबन्ध, इंतजाम । २ नवाबों कोई काम न हो, खाली, फुर्सत वाला । ३ बेरोजगार, की पदवी। बेकार । निजामत-स्त्री० [अ० निजामत] १ नाजिम का कार्यालय । निठाणो, (बी) निठावणी (बी)-क्रि० १ समाप्त करना, २ नाजिम का कार्य। ३ नाजिम का पद । ४ प्रबंध, खत्म करना । २ कम करना, घटाना। ३ हमेशा के लिए व्यवस्था। खत्म करना । ४ खपाना । निजायक-त्रि० [अ० निजाग्रक] शत्रु, वैरी, दुश्मन । निठि-देखो 'नीठ'। निजार-वि. [फा०] १ गरीब, दरिद्र। २ दुबला-पतला। निठुर-देखो 'निस्ठुर'। ३ असमर्थ, कमजोर । निठुरई, निठुरता, निठुराई-देखो 'निस्ठुरता'। निजारणौ (बो)-क्रि० [फा० नजर] १ देखना, निरखना, निठुराव-पु० निर्दयता, कठोरता, निष्ठुरता। लखना । २ नजर फेंकना । निठोड़-स्त्री० [सं. निः स्थल] बुरी जगह, कुठौर । निजारौ-देखो 'नजारौ'। निठोळ, नीठोल-देखो 'निटोळ' । निजिक, निजीक, निजीको, निजीख-देखो 'नजदीक' । निडर-वि० [सं०] १ भयमुक्त, भय रहित । २ साहमी, वीर । निजुगति-देखो “निरयुक्ति' । ३ निशंक, दबंग। निजूम-पु० [अ०] ज्योतिषी । निडरता, निडराई-स्त्री० १ निर्भयता, साहस । २ भय निजोख-वि० मस्त, बेफिक, निशंक । का प्रभाव । निजोग-देखो 'नियोग'। निडार, निडर निडर-देखो 'निडर' । निजोडणी-वि० १ मारने या संहार करने वाला । २ काटने | नितब-पु० [सं० नितम्ब] १ कटिपश्चाद्भाग, चूतड़ । स्त्रियों वाला । ३ नाश करने वाला । के कटि के पीछे जांघों के ऊपर का ऊभरा हुमा भाग । निजोड़णो (बो)-क्रि० [स० नि-जुड़] १ काटना । २ मारना, २ पर्वत का ढलवां भाग । ३ पहाड के बीच का भाग । संहार करना। ३ नाश करना। ४ पृथक करना, अलग ४ नदी का ढलुवा तट । ५ कंधा । ६ खड़ी चट्टान । करना। ७ पर्वत । -वि०१ बड़ा । २ अति तीक्ष्ण । निजोरो-वि० (स्त्री० निजोरी) अशक्त, कमजोर । -जा-स्त्री० पार्वती, नदी। निज्जरणी (बो)-क्रि० १ विजय करना, जीतना । २ काबू करना, नितंबरणी, नितंबिणी-स्त्री० [सं० नितंबिनी] १ बड़े व सुडौल नियंत्रण करना। नितंबों वाली स्त्री, कामिनी। २ सुन्दरी। -वि० सुन्दर नितंबों वाली। निज्जर-१ देखो 'निरजर' । २ देखो 'नजर'। निज्जिणी (बो)-देखो 'निज्जणो' (बी)। नित-प्रव्य० [सं० नित्य] १ मदा, सर्वदा, हमेशा, नित्य । २ प्रतिदिन, रोजाना। -वि० जो नित्य रहे, अविनाशी, निज्जुत्ति-देखो 'निरयुक्ति' । निझोडणी (बौ)-देखो 'निजोड़णो' (बी)। शाश्वत । अनश्वर । -पु० श्रीकृष्ण । देखो 'नित्य' । निझख-पु. बांसुरी, वंशी। -ऋत-पु. देवालय । -वि० नित्य किया जाने वाला। -नेम 'नित्यनेम'। -प्रत, प्रति-:'नित्यप्रति' । निझर, निझरण-देखो 'निरझर'। निसरणी-देखो 'निरझरणी'। नितरणौ (बो)-देखो 'नोतरणो' (बौ)। नितळ-पु० [सं०] सात पातालों में से एक । निझरणो-देखो 'निरझरण' । नितांत-वि० [सं०] १ सर्वथा, बिल्कुल, निरा, एकदम । निझोडणी (बी)-देखो "निजोड़ो' (बी)। २ अतिशय, अत्यन्त । ३ असाधारण । निटोळ, (ल, लि)-वि० १ कटु, तीक्ष्ण । २ जो भला न हो, निता-पु० [सं० नेतृ] १ प्रजापति । २ राजा, नप । ३ मुखिया । बुरा । ३ असुहावना । ४ गंवार, मूर्ख । ५ उद्दण्ड, बद- नितार-देखो 'नीतार'। माश । ६ अहंकारी, घमंडी। नितारणौ (बी)-देखो 'नीतारणो' (बी)। निट्ट, निठ-देखो 'नीठ'। | निताळो-पु० [देश॰] योद्धा, वीर । For Private And Personal Use Only Page #764 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org निति ( ७५५ ) निधड़क निति-स्त्री० [सं० न्यात] १ जाति, समुदाय । २ देखो 'नित'।। १४ देखो "नियांण'। -वि० अधिक, बहुत । -अध्य० ३ देखो 'नीति'। १ आखिरकार, अंत में । २ अच्छी तरह से । ३ निश्चित नितीठ, नितीठो-देखो 'नत्रीठ, नत्रीठो' । रूप से। नितु-देखो 'नित'। निदांनि, निदांनिइ, निदानी-वि० अंतिम, आखिरो। -पु० रोग नितुर-वि० [सं० निः स्तुल] नीच । परीक्षक, वैद्य। -स्त्री० रोग परीक्षण विद्या । देखो नितेई-स्त्री० [सं० नि-तत्त्व] वह गाय या भैंस जिसके दूध में | _ 'निदान'। घी कम हो। | निदांळु, निदांळुवौ-देखो 'निद्रार्छ । नित्त-देखो 'नित। निदाग-वि० बेदाग, निष्कलंक । नित्ततायी, नित्तोतायो-वि० [सं० नित्यतूर] (स्त्री० नित्तताई, निदाघ-पु० [सं०] १ गर्मी, प्रातप, ताप, उष्णता । २ धूप, नित्तोताई, नित्तोतायी) १ अधिक प्यार से उद्दण्ड एवं घाम। ३ ग्रीष्मकाल । ४ पुलस्त्य ऋषि का एक पुत्र । इतरा हुमा । २ अधिक गर्व या अहकार वाला। ५ पसीना। -कर-पु. सूर्य, रवि । ताप । –काळ-पु. नित्य-वि० [सं०] १ रोजाना, प्रतिदिन, हमेशा। २ सदा, ग्रीष्म ऋतु । सर्वदा, शाश्वत । -पु. नित्य कर्म, नित्य नियम । -करम, निदाडियो, निदाढ़ियो-वि० [सं० नि-दंष्ट्रा] १ बिना दाढ़ी, क्रिया-स्त्री० स्नान, ध्यान आदि नित्य के काम। मूछ का । २ पुरुषत्वहीन । -चरया-स्त्री० दिनचर्या । प्रतिदिन का कार्य । -नियम, निदिध्यास, निदिध्यासन-पु० [सं० निदिध्यासः] ध्यान, स्मरण; नेम-पु० नियमपूर्वक किये जाने वाले नित्य के कार्य । जाप । -प्रति-क्रि०वि० रोजाना, प्रतिदिन । निदेस, निदेसण-पु० [सं० निदेशः] १ प्राज्ञा, प्रादेश, हुक्म । नित्यपिड-स्त्री० [सं०] प्रतिदिन एक ही घर से लिया जाने | २ मार्ग दर्शन, निर्देश । ३ शासन । ४ कथन । वाला पाहार । (जैन) निद्दळणी (बौ)-क्रि० [सं० निर्दलनम्] १ संहार करना, नित्यप्रळय (प्र.)-पु० [सं० नित्य प्रलय] एक प्रकार का प्रलय ।। मारना । २ नाश करना, नष्ट करना। नित्यांन-प्रव्य० [सं० नित्य] हमेशा, प्रति दिन, रोजाना। निहा-देखो 'निद्रा'। -पु. प्रात.काल किया जाने वाला दान ।। निद्दस-देखो "निदेस'। नित्या-स्त्री० [सं०] १ उमा, पार्वती। २ एक शक्ति का नाम । निद्ध-वि० १ स्निग्ध, चिकना (जैन) । २ देखो 'निधि' । ३ मनसादेवी। निद्धधस-पु० [सं० निद्धन्धसः] निद्धन्धस । नित्याभियुक्त-पु० [सं०] स्वल्पाहारी योगी। निद्धडणी (बौ)-क्रि० १ परास्त करना, हराना। २ अधीन नित्यासी-पु० [म० नित्याशी] भोजन । करना। नित्रीठ, नित्रीठो-देखो 'नत्रीठ'। निद्धनव-देखो 'नवनिधि' । निवडली-देखो निद्रा'। निद्धि-देखो "निधि'। निदरसना-स्त्री० स० निदर्शना| एक अर्थालंकार विशेष ।। निद्र-देखो 'निद्रा'। निद्रा-स्त्री० [स०] १ नींद, सुप्ति । २ सुस्ती। ३ मूछित निदरसी-वि० [सं० निदसिन्] प्रकट करने वाला, बताने वाला। अवस्था । -लखउ-वि० निद्रासक्त । -लुद्ध, लुध, निदाण-पु० [स० निदाप] १ फसल या पौधों के बीच उगी लुधी-वि. निद्रा के वशीभूत । घास साफ करने की क्रिया, निराई। २ देखो 'निदान'। निद्रा ,निद्रालु, निद्राळी-वि. निद्रावस्था में, नींद के वशीभूत । निदांरणरणो (बो)-क्रि० [सं० नि-दाप-लवने] १ फसल में उगे निधंक-वि० १ दृढ़, मजबूत, अटल । २ देखो 'निधड़क' । घास को साफ करना, निराई करना। [सं० निर्दलनम्] निध-वि० अटल, अडिग । -पु० १ सतान, प्रौलाद । २ गाय, २ नाश करना, संहार करना, मारना । धेनु । ३ देखो 'निधि' । निदांणी-देखो 'निदाण' । निधईसवर-देखो 'निधीस्वर'। निदान-पु० [सं० निदान] १ रोग की पहिचान, रोग का निधगुण-पु० [सं० गुणनिधि गणेश, गजानन । निर्णय । २ रोग लक्षण । ३ रोग की जांच । ४ मूल निधड़क-क्रि०वि० [देश॰] १ बिना किसी भय या डर के, कारण । ५ अन्त छोर । ६ बांधने की रस्सी। ७ बागडोर। निर्भय होकर। २ बिना किसी सोच या चिंता से, ८ पवित्रता। ९ कारण। १० परिणाम, फल, नतीजा । निःसंकोच होकर । ३ बिना किसी रोक-टोक के, बेरोक । ११ प्रधानता। १२ अंत, नाश। १३ देखो 'निधांन' ।। -वि०१ चिता रहित, निर्भय । २ दृढ़, अटल । For Private And Personal Use Only Page #765 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra निलोको www.kobatirth.org ( ७५६ ) निधरणी कौ वि० (स्त्री० निणीकी) १ स्वतन्त्र भाजाद २ महान्, बड़ा । ३ जबरदस्त, शक्तिशाली । ४ असहाय गरीब, दीन । ५ बिना स्वामी का अनाथ, लावारिस | निधत्तकरम- पु० [सं० निवत्तकर्म] प्रयोग्य कर्मों को रखने की , क्रिया विशेष | (जैन) - निधनंब पु० नवनिधि | निधन - पु० [सं०] १ मृत्यु, अवसान । २ नाश, विनाश। ३ समाप्ति । ४ जन्म नक्षत्र से सातवां, सोलहवां व तेईसवां नक्षत्र । ५ फलित ज्योतिष में लग्न से आठवां स्थान । ६ कुटुंबात गरीब धनहीन पति-पु० शिव । गरीब, कंगाल । निधनव देखो 'नवनिधि' । निधपत - देखो 'निधिपति' । निधवन- देखो 'निभुवन । निवांत्री० [सं० बागीनिधि] शारदा । निधस- देखो 'नीधस' । निधसणी (बी) देखो नीरो (बी) | निधसुजळ - पु० [सं० निधिमुजल ] समुद्र, सागर । निधांन (नु)-१० [सं० विधान] १ खान बजाना धागार २ कोष, खजाना । ३ संग्रह कक्ष । भण्डार | ४ निधि, ५ श्राश्रय, आधार । ६ जहाँ कोई वस्तु लीन हो जाय, लय स्थान । ७ मुक्ति, मोक्ष सागर । निधाड़ी (बो) निघाडणी (यो)- क्रि० [सं०] निर्घटित ] परास्त धन । करना । विधि - स्त्री० [सं०] १ कुबेर की नौ निधियां । २ गड़ा हुआ द्रव्य । ३ खजाना । ४ धन, द्रव्य सम्पत्ति । ५ लक्ष्मी । ६ समुद्र । ७ आगार, घर । ८ भण्डार, खजाना । ९ विष्णु । १० अनेक सद्गुणों से भूषित पुरुष ११ मा पा प्रां का भेद विशेष । १२ नो की संख्या । -नाथ- पु० कुबेर । , प पति पाळ- पु० कुबेर सेठ साहूकार बजांची निधिध्यासन- देखो 'निदिध्यासन' । निधि-देखो 'जळनिधि' । निधी- देखो 'निधि' । निधीस्सर - पु० [सं० निधीश्वर ] निधियों का स्वामी, कुबेर । निपुख देखो 'न'। निधुवन पु० [सं० निधुनम् ] मंथुन, संभोग । निधू पु० १ इन्द्र, देवराज, सुरेन्द्र । २ निश्चय । - वि० १ अटल । २ अमर । निधूम - वि० [सं० निघू म] १ धूम रहित । धुंए से रहित । २ विना धूमधाम का | निघूवर पु० [सं० निधिवारि] समुद्र, जलधि । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निध्यमा वि० [सं०] निधि + मि] नवमी निध्यांन- देखो 'निधांन' | निध्यासन- देखो 'निदिध्यासन' निधस- देखो 'नीध्रस' । निसरणी (बौ) - देखो 'नीधसणी' (बी) । निधू - देखो 'निधु' | निनंग-पु० [सं० निम्नांग ] १ वृक्ष, पेड़ । २ डिंगल गीतों में एक दोष । निनंद-पु० [सं० निनदः १ शब्द निकला । निनां देखो 'निदांण'। निनाणी-देखो 'निनांगवी' । निनांगणी (बौ) देखो 'निदाणी' (बी) | , निर्माण (4) देखो 'निनांग' निनां निपजाणी पृ० ९९ का वर्ष वि० (स्त्री० निनांगवी) सौ से पहले वाला, ९८ के बाद वाला । निनां (ए) वि० [सं० नवनवतिः] सौ से एक कम, नवौ - पु०नब्बे व नौ की सख्या ९९ । दिनांक- वि० निम्नाराये के लगभग निनामो देखो 'निगांव । निनाम निमोवि० (स्त्री० निनोमी) नाम रहित निनाअ, निनाद, निनादि-पु० [सं० निनादः ] १ नाद, शब्द, आवाज । २ एक प्रकार का वाद्य ३ कोलाहल, रव । ४ भिन्न-भिन्न शब्द | निनिखुणि, निनिखुणी-स्त्री० वाद्य विशेष की ध्वनि । निन्नांग - देखो 'निनांणू' । निन्नेह - वि० [सं० निः स्नेह ] स्नेह रहित (जैन) । निम्यांणवं, निन्यानवे - देखो 'निनांणू' । निन्हव-पु० [सं०] निम्ब] १ सत्य को छिपाने वाला (जैन)। २ ला | (जैन) निपग - वि० [सं० नि + पंगु ] हाथ-पांवों से लाचार, अपाहिज निकम्मा । निव० [सं० निपः] १ पड़ा गगरी कलश २ कदम का वृक्ष निपगाई स्त्री० [सं० नि पद] अविश्वास निपगौ-वि० [सं० नि पद] (स्त्री० निपनी) १ हाथ पांवों से हीन, अपाहिज निकम्मा । २ अविश्वनीय । निपज देखो 'नीपज' | - For Private And Personal Use Only निपजणी (बौ) - देखो 'नीपजणी' (बी) । निपजारी, (बौ), निपजावरणौ (बौ) - क्रि० [ सं निष्पादनं ] १ उत्पन्न करना, पैदा करना। २ उगाना, बोना । ३ बढ़ाना, Page #766 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निपट निबंधु बड़ा करना। ४ घटित करना, सम्पन्न करना । ५ परिपक्व निपावट-वि० [सं० निष्प्रर्वतः] १ बेडौल, भद्दा । २ बुरा, करना, पकाना । ६ तैयार करना, बनाना । खराब । ३ अशक्त, कमजोर । निपट-वि० [स निबिड] १ बहुत, अधिक । २ केवल, एक मात्र, | निपावरणौ (बो)-देखो 'निपारणो' (बी)। निरा, बिल्कुल । ३ खाली, विशुद्ध । ४ अद्वितीय, श्रेष्ठ । निपीड़क-वि० [सं. निपीडक] १ कष्टदायक, दुःखदायक । -क्रि० वि० बिल्कुल, सरासर, नितान्त । -स्त्री० निवृत्ति की २ निचोड़ने वाला। ३ पेरने वाला। ४ मलने या दलने क्रिया या भाव। वाला। निपटणौ, (बौ)-क्रि० [सं निवर्तन] १ रह जाना, खत्म होना, | निपीड़ण-स्त्री० [सं० निपीडना] १ चोट, प्राघात । २ अत्याचार । चुकना । २ निवृत्त होना, फारिक होना। ३ पूर्ण होना। ३ कष्ट, दुःख । ४ कार्य से छुटकारा पाना, अवकाश पाना । ५ शौचादि | निपीड़णौ (बौ)-कि० [सं० निपीडनम्] १ कष्ट देना, दुःख देना । से निवृत्त होना । ६ निर्णीत होना, तय होना । २ निचोड़ना। ३ पेराई करना। ४ मलना, दलना । ७ देखो 'निवड़णी' (बी)। ८ देखो 'नीमड़णो' (बो)। ५ घायल करना । निपटारगो, (बौ)-क्रि० [सं० निवर्तन्] १ खत्म करना, चुकाना। निपुरण-वि० [स०] १ किसी कार्य या कला में प्रवीण, दक्ष । २ निवृत्त करना, फारिक करना । ३ पूर्ण करना। ४ कार्य २ चतुर, होशियार। ३ कवि। ४ पंडित । ५ योग्य, से मुक्त करना, अवकाश देना। ५ निर्णय करना, तय करना। काबिल । ६ दयालु । ७ तीक्ष्ण, सूक्ष्म । ८ कोमल । ६ देखो 'निवड़णो' (बी)। ९ सम्पूर्ण । १० ठीक-ठाक । -पु० चारण । निपटारो-देखो 'निवेडी। निपुणता, निपुणाई-स्त्री० १ दक्षता, प्रवीणता । २ चतुराई, निपटावरणौ (बी)-देखो 'निपटारगो' (बौ)। होशियारी । ३ योग्यता । ४ सूक्ष्मता । निपटेरौ-देखो 'निवेडो' । निपुन-देखो 'निपुण'। निपरण-देखो 'निपुरण' । निपतन-पु० [सं०] अधः पतन, पतन । निपूत, निपूतौ-वि० [सं० निष्पुत्र] (स्त्री० निपूती) जिसके निपत्त,(तौ,त्र,त्रो)-वि० [सं० निष्पत्र] (स्त्री०निपत्ती, निपत्री)। संतान या पुत्र न हो, नि:संतान । पत्रहीन, जिसके पत्ते न हो। निपौचियो, निपौचौ-वि० (स्त्री० निपौचण, निपौची) निपन, (न)-देखो 'निस्पन्न' । १ पुरुषार्थहीन, अशक्त, निर्बल । असमर्थ । २ निकम्मा। निपराट-वि० [देश॰] निकृष्ट, नीच । ३ अालसी, सुस्त । निपाड़णो, (बी)- १ देखो "निपागो' (बी)। निप्पट-देखो 'निपट'। २ देखो 'निपजाणी' (बौ)। निफळ-देखो 'निस्फळ'। निपाणी (बौ)--क्रि० १ लीपाना, लेपन कराना। २ कच्चे निफेरी-देखो 'नफेरी'। प्रांगन पर गोबर आदि का लेपन कराना। ३ देखो निबंध-पु० [सं०] १ लिखित प्रबंध, लेख । २ रचना करने की 'निपजागो' (बौ)। ४ देखो 'निपजणी' (बौ)। क्रिया या भाव। ३ साहित्य व काव्य । ४ रचना । निपात-पु० [सं०] १ पतन, गिराव । २ मृत्यु, मौत । ३ संहार, ५ वाक्य रचना । ६ टीका, भाष्य । ७ प्राधार, नींव । विनाश, नाश । ४ प्रहार, आघात । ५ अध: पतन । ८ प्रबंध, व्यवस्था । ९ उद्देश्य, कारण । १० स्थान । ६ व्याकरण के नियमों से बाहर बना शब्द । -वि० संहार या विनाश करने वाला। ११ अवलम्ब, सहारा । १२ बंधन । १३ बेड़ी। १४ रोक-थाम । १५ बनावट । १६ सद्वृत्ति । निपातरण (न)-पु० [सं० निपातनम्] १ गिराने की क्रिया या १७ वीणा की खूटी। भाव । २ मारने का कार्य । ३ विनाश ध्वंस । ४ वध, हत्या । ५ नियम विरुद्ध शब्द का रूप । निबंधणी (बौ)-क्रि० १ रचना करना, लेखबद्ध करना । निपातरणो (बी)-कि० [सं० निपातन्] १ गिराना, पतन करना । २ बनाना, सर्जन करना। ३ टीका करना। ४ प्रबंध या २ वध करना, मारना । ३ विनाश करना, ध्वंस करना । व्यवस्था करना। ५ बांधना।६ रोकथाम करना । ४ प्रहार, प्राघात करना। ७ देखो 'निमंधणी' (बो)। ८ संकल्प करना, निमित्त निपाप (पौ)-वि० [सं० निष्पाप] १ पाप रहित, निष्पाप । करना । ९ रखना । १० बंध तैयार करना । २ पवित्र। ३ श्रेष्ठ, उत्तम । ४ कमी या अभाव रहित । निबंधु-वि० [सं०] १ बंधु रहित, जिसके भाई न हो। ५ निष्कलंक। २देखो 'निबंध' । For Private And Personal Use Only Page #767 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निब ( ७५८ ) निमत्रीहार निब-पु० अं० १ लेखनी के अग्रभाग में लगने वाला धातु का | निभचर-देखो 'नभचर'।। बना नोकदार उपकरण । २ लेखनी का अग्रभाग। निभणौ (बी)-क्रि० [सं० निर्वहतम्] १ संबंध का निर्वाह निबड़-पु. १ सेना, फौज । २ शत्रु, दुश्मन, वैरी। -वि० । होना । २ नियमों प्रादि का पालन होना । ३ पार पाना, १नि:शक, निश्चित । २ निर्भय, निडर । ३ देखो 'निविड' । पार पड़ना। ४ निकलना, छुट्टी पाना। ५ लगातार निबड़रणो (बो)-देखो 'निपटगो' (बी)। ___व्यवहार होना । ६ चरितार्थ होना । ७ साथ दिया जाना । निबड़ाणी (बो), निबड़ावणो (बो)-देखो 'निपटारणो' (बो)। | निभरम (मौ)-देखो 'निरभ्रम' । निबटणी (बो)-देखो "निपटगो' (बी)। निभा-वि० [स० निभ] सदृश्य, समान, तुल्य (जैन)। निबटाणो (बी)-देखो 'निपटारगो' (बो)। निभाग-पु० [सं० निर्भाग्य] प्रभाग्य, बदकिस्मती । निबटारौ--देखो निवेडो' । निमागौ-वि० [सं० निर्भाग्य] (स्त्री• निभागण, निभागी) निबटावरणी (बी)-देखो 'निपटाणो' (बी)। अभागा, बदकिस्मत । निबटेरो-देखो 'निवेडो'। निभाणो (बौ)-क्रि० [सं० निर्वाहनम्] १ संबंध का निर्वाह निबणो (बौ)-देखो 'निभरगो' (बी)। करना, बनाये रखना । २ नियमों ग्रादि का पालन करना। निबद्ध-पु० सं०] नियमानुसार गाया जाने वाला गीत । ३ पार पटकना। ४ निकालना, छुट्टी करना। ५ लगातार ___-वि० बधा हुअा, ग्रंथित । व्यवहार करना । ६ चरितार्थ करना । ७ साथ देना। निबळ-देखो 'निरबळ' । ८ संभाले रखना । ६ पूर्ण करना । १० गुजर करना । निबळाई-देखो 'निरबळता'। निभाव-पु० [स० निर्वाह] १ संबंध बनाये रखने की अवस्था निळियौ, निबळोड़ो, निबळी-देखो 'निरबळ' । (स्त्री० निबळी) | या भाव । २ बचाव या मुक्ति का रास्ता। ३ गुजारा, निबहरणी (बी)-देखो 'निभरणो' (बो)। जीवन निर्वाह । ४ नियम या कर्तव्य पालन। ५ किसी निबारण-१ देखो 'निरवाण'। २ देखो 'निवारण' । स्थिति को संभाले रखने या बनाये रखने की अवस्था या निवारणी (बी)-देखो 'निभाणो' (बी)। भाव। निबापौ-वि० [सं० नि-पित] (स्त्री० निबापी) जिसका पिता निभावरणो (बी)-देखो "निभागो' (बी)। न हो, पितृ-हीन । निभाहरणो-देखो 'निबाहणो' । निवाब-देखो 'नबाब'। -जादौ='नबाबजादो' । निभाहरणो (बी)-देखो "निभाणो' (बो)। निबाबी-देखो 'नबाबी'। निर्भ, निम्भ-देखो 'निरभय' । निबाव-देखो "निभाव'। निभ्र चणौ (बो)-कि० [देश॰] निंदा करना, भर्त्सना करना, निबावणी (बी)-देखो 'निभारणौ' (बी)। फटकारना, बुरा-भला कहना । निबास-देखो 'निवास' । निभ्रत-देखो निरभ्रांत' । निबाह-देखो 'निभाव'। निभ्रमो (म्म)-देखो "निरभ्रम' । निबाहक, निबाहणौ-वि० [सं० निर्वाहक] निबाहने वाला, | निमंत-देखो 'निमित्त । निर्वाह करने वाला। निमंतण, निमंतरौ, निमंत्रण-पु० [सं० निमंत्रण] १ बुलाने निबीजो-देखो 'निरबीज' । की क्रिया या भाव, बुलावा । २ बुलाने के लिए भेजा निबीह-वि० निडर, निर्भय । जाने वाला संदेश, पत्र आदि । ३ भोजन या किसी विशेष निबूल-वि० [सं० निमूल] १ निवंश । २ व्यर्थ, फिजूल । प्रायोजन में सम्मिलित होने का प्राग्रह । ४ उपस्थित होने ३ खाली । -पु० रक्त । की आज्ञा । -पत्र-पु० बुलाने के लिए भेजा जाने निबे-देखो 'नब्बे'। वाला पत्र। निबेड़ो-देखो 'निवेड़ो'। निमंत्रणौ (बी)-क्रि० [सं० निमंत्रणम्] १ बुलाना, बुलावा निबोळहार-पु. दिश.] स्त्रियों के कण्ठ का आभूषण विशेष । देना, निमंत्रित करना, निवतना । २ बुलाने का संदेश या निमंत्रण पत्र भेजना । ३ भोजन आदि के लिए पाने का निबोळी-देखो 'निबोळी'। प्राग्रह करना । ४ हाजिर होने की प्राज्ञा देना । निब्बे-देखो 'नब्बे'। ५ आह्वान करना । निम्भत-देखो 'निरभ्रांत'। निमंत्रीहार-पु० निमंत्रित व्यक्ति या सदस्य । -वि० निमंत्रित, निभ-पु. [स.] कपट । बुलाया हुआ। For Private And Personal Use Only Page #768 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org निमंद निमेस निमद-देखो 'निबंध'। निमनगा-स्त्री० [सं० निम्नगा] १ नदी, सरिता। २ पहाड़ी निमदणी (बो)-देखो 'निमंधणी' (बी)। सोता। निमंध निर्मधरण-देखो 'निबध' । निमळो-देखो 'निरमळ' । (स्त्री० निमळी) निमंधरणी (बी)-देखो 'निबंधणी (बी)। निमसकार, निमस्कार-देखो 'नमस्कार'। निमसी-वि० [देश॰] ठोस, सख्त, कठोर । निमारण-१ देखो 'निमाणो' । २ देखो 'निवारण' । निमक-देखो 'नमक' । -हरांम='नमकहरांम' -हलाल निमाणी-वि० १ ढीठ, हठी, दुराग्रही। २ अशिष्ट । 'नमकहलाल' । -हलालियो, हलालो 'नमकहलाल' । निमाणो, निमांम-वि० [सं० नि + मान] (स्त्री० निमाणो) 'नमकहलाली'। १ मान रहित, निर्लज्ज, ढीठ। २ निम्न, खराब । निमकीन-देखो 'नमकीन'। ३ मर्यादाहीन । निमख-१ देखो 'नमक' । २ देखो "निमिस' । -हरांमी | निमाई-स्त्री० १ कुम्हार की मिट्टी। २ कुम्हार के बर्तन पकाने ___ 'नमकहरांमी'। का स्थान । निमग-देखो 'निगम'। निमाज-देखो 'नमाज'। -गाह='नमाजगाह' । निमड़रणो (बौ)-देखो 'निपटणी' (बी)। निमाजी-देखो 'नमाजी'। निमचालखसाई-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । निमाणी (बौ), निमावणो (बी)-१ देखो 'नमारणो' (बी)। निमजणी (बी)-देखो 'निमज्जणी' (बौ) । २ देखो 'नवारणी' (बौ)। निमजर-देखो 'नीमजर'। निमि-पु० [सं०] १ दत्तात्रेय के पुत्र एक ऋषि । २ राजा निमजा-पु. [देश॰] नौजा। इक्ष्वाकु का एक पुत्र । ३ पलक झपकने की क्रिया या निमज्जरण-पु० [सं०] डुबकी, स्नान, मज्जन । भाव । ४ देखो 'नेमी'। निमज्जरणौ (बो)-क्रि० [सं० निमज्जनम्] १ अवगाहन करना, स्नान करना । २ गोता लगाना, डुबकी लगाना । ३ गहन | निमिणि-देखो 'नमण' । अध्ययन करना । ४ युद्ध करना । निमित, निमित्त-पु० [सं० निमित्त] १ कारण, हेतु । २ उद्देश्य, निमझर-देखो 'नीमजर'। लक्ष्य । ३ शकुन । ४ चिह्न, लक्षण । -क्रि०वि०१ लिए, निमटणी (बो)-देखो 'निपटणी' (बी)। वास्ते । २ अपेक्षा में। ३ बहाने, जरिये। -कारण-पु. निमटारणौ (बी), निमटावणी (बी)-देखो 'निपटारगो' (बी)। सहायक वस्तु । निमण-१ देखो 'निमन' । २ देखो 'नीमण' । | निमित्तियो, निमित्ती-वि० [सं० नैमित्तिकः] कारणवश किया निमरणो-वि० (स्त्री० निमणी) १ उदास, चितित, खिन्न चित्त । जाने वाला। -पु० ज्योतिषी। २ परेशान । ३ तुच्छ, प्रोछा। ४ नमने वाला, नरम । निमिधरणी (बौ)-देखो 'निबंधणी' (बी)। निमणो (बौ)-देखो 'नमरणो' (बी)। निमिराज-पु० [सं०] निमीवंशी राजा जनक । निमत-देखो 'निमित्त'। निमिस-स्त्री० [सं० निमिष] १ अांखों के मीचने या पलकों के निमतणौ (बी)-देखो 'निमंत्रणी' (बी)। गिरने या झपकने की क्रिया या भाव । २ पलक झपके निमतरी, निमती-१ देखो 'नंत'। २ देखो 'निमंत्रण' ।। जितना समय । ३ पलक पर होने वाला एक रोग । ३ देखो 'निवती'। -क्रि०वि० पल भर में, क्षण में । निमति-देखो 'निमित्त' । निमिसकार, निमिस्कार-देखो 'नमस्कार'। निमतियार-देखो 'निमंत्रीहार'। निमूळ-वि० [सं० निमूल] १ बिना जड़ या मूल का। निमतो-१ देखो 'निवतो' । २ देखो 'निमंत्रण' । २ प्राधारहीन । ३ मिटाया हया । ४ जिसमें सच्चाई निमत्त-देखो 'निमित्त'। न हो। निमधरणो (बौ)-देखो 'निबंधणी' (बी)। निमेख-देखो 'निमेस'। निमधियण-वि० रचने वाला, रचयिता । निमेडणी (बो)-क्रि. १ दूर करना, मिटाना । २ पूर्ण करना, निमन-पु० [सं० निम्नतः] १ वर्षा का पानी एकत्र होने वाली निपटाना। नीची भूमि । २ गहरा पानी। ३ पूज्य स्थान। ४ देखो | निमेस-स्त्री० [सं० निमेष:] १ पलक झपकने की क्रिया या 'नीमण' । भाव। २ पलक झपकने का समय। एक पल का समय । For Private And Personal Use Only Page #769 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निमोळी नियोड़ी ३ क्षरण, पल । ४ अांख फड़कने का रोग। ५ एक यक्ष | नियमी-वि० [सं०] १ जो नियमों का पालन करे। २ जो का नाम । नियम पूर्वक प्राचरण करे । ३ सदाचारी, प्रती । निमोळी-देखो "निंबोळी' । लियय-१ देखो 'नियक' । २ देखो 'नियत' । निमोही-वि० [सं० निर्मोही| १ प्रेम न करने वाला, निर्मोही। नियरि (री)-देखो 'नगरी' । २ उदासीन, विरक्त । ३ बेदर्दी। नियरू-देखो 'निकर'। निमौ-देखो 'नमौ'। नियांरण, नियांणु. नियाणु-पु० [सं० निदान] भौतिक इच्छात्रों निम्मळ-देखो 'निरमळ' । ___की पूर्ति हेतु की जाने वाली याचना । निम्मरण (न)-देखो 'निरमांगा'। । नियाई-देखो 'न्यायी'। निम्माज-देखो 'नमाज'। नियाग-पु० [सं०] मोक्ष । (जैन) निम्हणौ (बी)-देखो 'निभणी' (बौ)। नियागठ्ठी-वि० सं० नियागार्थी] मोक्ष चाहने वाला। निम्हारणौ (बी), निम्हावरणो (बौ)-देखो 'निभाणी' (बी)। नियाज-स्त्री० [फा०] १ प्रेम, प्रदर्शन । २ दीनता-पाजीजी। नियंठ-१ देखो 'निगंथ'। २ देखो 'निरग्रंथ । ३ बड़ों का प्रसाद। ४ इच्छा, कामना। ५ गरीबों को नियता-पु० [सं० नियंत] १ विष्णु । २ शासक, प्रशासक । दिया जाने वाला मृत्यु भोज । ६ बड़ों से परिचय, सम्पर्क, ३ मालिक, स्वामी। ४ सारथी, रथवान, परिचालक । मंबन्ध । ३ उपहार, भेट । ५ ब्यवस्थापक । नियात-देखो 'न्यात, न्याति' । निय-देखो "निज'। नियाब-पु० [अ० नियाबत प्रतिनिधित्व । नियकं, नियक, नियग, नियग-वि० [सं० निजक] खुद का, नियामकगण-पु० [सं०] औषधि समूह विशेष । अपना । नियामत-स्त्री० [अ० नेअमत] उत्तम व स्वादिष्ट भोजन । नियड-स्त्री० [सं० निकट] १ नदी तट के आस-पास का भु नियायौ-पु० १ धन-दौलत । २ दुर्लभ वस्तु, अलभ्य पदार्थ । भाग । २ देखो 'निकट' ।। ३ देखो 'न्यायौ'। नियट्ट-वि० [सं० निवृत्त] निपटा हुअा, निवृत्त । नियार-पु० स्वर्णकारों की दुकान व दुकान का सामान । नियत-पु० [सं०] शिव, महादेव । -वि० १ तय किया हुया, नियारिया-स्त्री० सुनारों की दुकान की राख प्रादि छानने वाली __ मुकर्रर । २ स्थिर, निश्चित। ३ नियम से बंधा हुआ, । एक जाति । नियमबद्ध । ४ तैनात, नियोजित । ५ स्थापित, प्रतिष्ठित । नियारियो-पु० (स्त्री० नियारी) १ उक्त जाति का व्यक्ति। ६ देखो 'नियति' । ७ देखो 'नीयत'। २ उक्त प्रकार का काम करने वाला व्यक्ति । ३ मिली हुई नियति-स्त्री० [सं०] १ भवितव्यता, होनहार । २ नियत बात, बस्तुगों को अलग करने वाला व्यक्ति। -वि० चतुर, अवश्य होने वाली बात । ३ दैविक योग । ४ भाग्य । चालाक। ५ अदृष्ट । ६ ठहराव, स्थिरता। ७ पूर्व वृत्त कर्मों का नियारी-देखो 'न्यारी'। फल । ८ जड़ प्रकृति, स्वभाव । ९ नीति । १० बंधन नियाद-१ देखो 'न्याय' । २ 'न्याय' । बद्धता । ११ प्रकृति, स्वभाव । -वंत-वि० जिसका स्वभाव ठीक हो। ईमानदार । नियुजरणौ (बौ)-क्रि० [सं० नियुक्ति] १ प्रबन्ध करना, नियत्तण-क्रि०वि० सं० निवर्तन] निवृत्ति के लिये। ___ व्यवस्था करना । २ नियोजन करना। नियत्ति-स्त्री० [सं० निवृत्ति १ निवत्ति, मुक्ति। २ देखो नियुत, नियुक्त-वि० [सं० नियुक्त] १ किसी पद या कार्य पर 'नियति'। नियोजित । २ लगाया हुअा, तैनात। ३ लगा हुआ, नियम-पु० [सं०] १ निश्चित किया हुअा कोई विधान, रीति, संलग्न । ४ ठहराया हुआ, स्थिर। ५ प्रेरित किया हुआ, तरीका । विधि-विधान । २ कानून, विधि । ३ परम्परा, तत्पर। रूही । ४ क्रम, दस्तूर । ५ रीति, रिवाज । ६ शासन, नियोग-पु० [सं०]१ तैनाती, नियुक्ति । २ उपयोग । ३ प्राज्ञा । दबाव । ७ ऐसी व्यवस्था का निर्धारण जिस पर अन्य बातें ४ बन्धन, संलग्नता। ५ अहसान । ६ उद्योग, प्रयत्न । निर्भर हो। ८ कार्य प्रगाली। ६ प्रतिज्ञा, व्रत, संकल्प । ७ निश्चय । ८ प्रेरणा । ९ अवधारणा, विचार । १० अपने १० प्रतिबंध, नियत्रग। ११ एक अर्थालंकार विशेष । पति से निःसंतान रहने पर स्त्री द्वारा अन्य पुरुष से किया १२ विष्णु । १३ महादेव। ---बद्ध-वि० नियमों में बंधा जाने वाला संयोग। हा । | नियोड़ी-स्त्री० [देश॰] नाइयों का एक उपकरण । For Private And Personal Use Only Page #770 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरंकार निर छेह निरंकार-देखो 'निराकार'। निरखरणौ (बी)-क्रि० [सं० निर-ईक्षरणम्] १ देखना, अवलोकन निरंकारी-पु. नानक (सिख) सम्प्रदाय की एक शाखा । करना। २ ताकना-झांकना । ३ ध्यान पूर्वक देखना। निरंकुस-वि० [सं० निरंकुश] १ परम स्वतन्त्र, मुक्त, आजाद । ४ परीक्षा करना, जांच करना । ५ देखभाल करना । २ जिस पर कोई रोक, दबाव या बन्धन न हो। ३ निर्भय | निरखदरोगो-पु. बाजार के भावों की निगरानी करने वाला मिडर । ४ जो किसी नियम को न माने । ५ उद्दण्ड, दारोगा। आततायी। निरखनामो-पु० बाजार भावों को सूची । निरंग-वि० सं०] १ बिना रंग का, जिसका कोई रंग न हो । निरखबंद (बंदी)-स्त्री० बाजार भाव निर्धारण की क्रिया। २ बदरंग । ३ बेरौनक, फीका । ४ उदासीन, विरक्त। निरखर-वि० [सं० निरक्षर अनपढ़, निरक्षर। -पु. ब्रह्मा। ५ जिसमें कुछ न हो, खाली। ६ अंग रहित। -पु० रूपक | निरगंध-वि० [सं० निर्गध] जिसमें कोई गंध न हो, गंधहीन । अलंकार का एक भेद । -ता-स्त्री० गंधहीन होने की दशा। निरंजरण-देखो 'निरंजन'। निरगम-पु० [सं० निर्गम] निकास, रवानगी। निरंजरणा-स्त्री० [सं०निरंजरणा] १ दुर्गा एक नाम । २ पूर्णिमा । निरगमण (न)-पु० [सं० निर्गमन्] १ निकलना क्रिया। निरंजरणी-देखो 'निरंजनी' । २ निकास द्वार, रास्ता। ३ प्रस्थान । निरंजन-वि०सं०] १ दुनिया से विरक्त । २ माया से निलिप्त। निरगात-वि० [सं० निर्गात | देह रहित, प्राकार रहित । ३ दोष रहित, निष्कलक । पवित्र, शुद्ध । ४ मिथ्या से -पु० श्रीविष्णु।। रहित । ५ सीधा-साधा। -पु० १ ईश्वर, परमात्मा। निरगुडी-स्त्री० [सं० निगुडी] १ एक औषधि विशेष । २ शिव, महादेव, शंकर । ३ विष्णु । -राय-पु० परब्रह्म, २ इस औषधि का क्षुप। -कल्प-पु० मिगुंडी के योग से ईश्वर । बनी प्रौषधि । -तेल, तैल-पु. वैद्यक में एक तेल । निरंजनी-पु० १ साधुनों का एक सम्प्रदाय । २ वैष्णव सम्प्रदाय निरगुण-वि० [सं० निगुण] १ जो सत्त्व, रज और तम तीन का एक भेद । गुणों से परे हो। २ रूप, गुण व प्राकार से रहित । निरंत, निरंतर, निरंतरि, निरंत्र-क्रि० वि० [सं० निरंतर] ३ जिसमें अच्छा गुण न हो। ४ बुरा, खराब । ५ मुर्ख, लगातार, हमेशा, सदा। -वि०१ लगातार बना रहने वाला, नासमझ । ६ निकम्मा। ७ जिसमें डोरी न हो। ८ बिना सदा रहने वाला। २ स्थाई, अचल । ३ प्रखण्ड, अविचल नाम का। -पु० १ ईश्वर, परमात्मा । २ श्रीविष्णु । ४ अन्तर रहित । ५ जिसमें भेद न हो। ६ निविड़, घना, --गारु, गारौ-पु० गुण न मानने वाला, गुणचोर । गहा। कृतघ्न । गुगा रहित, मूर्ख। -ता-स्त्री० गुया रहित होने निरंद-देखो 'नरेंद्र'। की अवस्था या दशा। आकारहीनता। निर-अव्य० [सं० निर] बाहर, दूर, बिना, रहित । निरगुरिणयो, निरगुणी-वि० १ निराकार ब्रह्म का उपासक । निरकांम-देखो 'निकांम' । २ गुण रहित । ३ अवगुणी । ४ मूर्ख । निरकांमी-देखो निकामी'। निरगुरणो-देखो 'निरगुण' । निरकार, निरकारि-देखो 'निराकार' । निरगेह-वि० [सं० निगहिन् । १ सर्वत्र निवास करने वाला, सर्वव्यापी । २ गृहहीन, बिना घर का । निरकार-रूपी-वि० लगातार अच्छा काम करने वाला । -पु० अर्जुन । निरग्गुख-देखो 'निरगुण' । निरग्रंथ-वि० [स० निग्रंथ] १ जिसका कोई मददगार न हो। निरकुरणी (बो)-क्रि० [देश॰] खिन्न होना, उदास होना।। निःसहाय । असहाय । अकेला । २ गरीब, निर्धन । निरकुरी-वि० [देश॰] (स्त्री० निरकुरी) उदास, खिन्न । ३ नासमझ, बेवकूफ, मूर्ख । ४ बंधन रहित । -पु० १ एक निरक्करणो (बी)-क्रि० [सं० निराकृत] १ पराजित करना, प्राचीन मुनि का नाम । २ बौद्ध क्षपणक । ३ दिगंबर । हराना । २ देखो 'निरखणौ' (बौ)। ४ राग, द्वष से रहित साधु। (जैन) निरक्खरणी (बी), निरक्षणौ (बी)-१ देखो 'निरखणी' (बी)। निरघात-पु० [सं० निर्धात] १ तेज वायु से उत्पन्न शब्द, २ देखो 'निरक्कणी' (बौ)। आवाज । २ प्राचीनकालिक एक अस्त्र । निरख-स्त्री० १ देखने की क्रिया या भाव । २ नेत्र, नयन ।। निरघोख, निरघोस--पु० [सं० निर्घोष] ध्वनि, शब्द, पावाज । ३ राज्य द्वारा निर्धारित भाव । ४ देखभाल । ५ जांच । __ -वि० ध्वनि रहित । ६ ताक-झांक । | निरछेह-वि० जिसका अन्त हो, अनन्त । –पु० ईश्वर । For Private And Personal Use Only Page #771 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरजरणा निरत निरजणौ (बौ)-क्रि० [सं० निर-जयति] अजय पद प्राप्त करना, निरणौ-वि० [सं० निरन] (स्त्री० निरणी) १ खाली, भूखा । विजय करना, जीतना। २ देखो 'निरणय' । निरजर-पु० [सं० निर्जर] १ देवता, सुर । २ अमृत, सुधा। निरतंत-स्त्री० [सं० नर्तकी] १ अप्सरा, परी। २ नर्तकी। -वि० १ जरा मुक्त। कभी बुड्ढ़ा न होने वाला। ३ वेश्या, नगरवधू । ४ देखो 'निरत'।। २ देखो 'निरझर' । ३ युवा, जवान । ४ अनश्वर । निरत-पु० [सं० नृत्य] १ नाच, नृत्य । २ चौसठ कलाओं निरजरा-नायक-पु० [सं० निर्जर-नायक] इन्द्र, देवराज । में से एक । ३ बहत्तर कलाओं में से एक । ४ दृष्टि, निगाह । निरजरा-पु० [सं० निर्जर] देवता, सुर। [सं० निर्जरा] तपस्या -वि० [सं० निरत] १ कार्य में व्यस्त, लीन, तत्पर । द्वारा कर्मफल का विच्छेद होने की क्रिया। (जैन) २ पासक्त, अनुरक्त । ३ देखो 'निरति' । ४ देखो 'नैरित्य' । निरजळ-पु० [सं० निर्जल] १ वह भूमि या क्षेत्र जहां जल का | निरतक-देखो 'नरतक' । (स्त्री० निरतकी) प्रभाव हो । २ रेगिस्तान, मरु प्रदेश । ३ जल का अभाव। निरतकर, निरतकार-वि० [सं० नृत्यकार] नाचने वाला, नृत्य -वि० १ बिना जल का, जल रहित । २ जिसमें जल सेवन करने वाला । नर्तक । का निषेध हो । --व्रत-पु० बिना अन्न-जल लिये किया निरतकी-देखो 'नरतको' । जाने वाला प्रत। | निरतणी (बी)-क्रि० [सं० नती] १ नृत्य करना, नाचना । निरजळा, निरजळा इग्यारस (एकादसी)-स्त्री० [सं० निर्जल- ! २ उछल-कूद करना । एकादशी ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी, जिस दिन बिना अन्न-जल , निरतत. निरतति-देखो 'निरतंत'। लिये व्रत रखा जाता है। निरतन-देखो नरतन'। -साळ, साळा= 'नरतनसाळा' । निरजळि (ळो)-देखो 'निरजळ' । निरतप्रिय-पु० [सं० नृत्यप्रिय] १ शिव, महादेव । २ स्कन्द का निरजित, निरजीत-वि० सं० निर्जीत] १ वश में किया हुग्रा, एक अनुचर । -वि० नृत्य का शौकीन । काबू में किया हया। २ जीता हुआ। ३ अधीन किया निरतसाळ, निरतसाळा-स्त्री० [सं० नृत्यशाला] नाचघर । हुया । ४ अजेय । नृत्यशाला। निरजीव-वि० [सं० निर्जीव १ प्राण रहित, बेजान । २ मत। निरताई-स्त्री० [देश॰] १ कायरता। २ नोचता, क्षुद्रता। ३ अशक्त, कमजोर । ३ दरिद्रता, गरीबी। ४ अनुराग । निरजीवरण-वि० १ माहम व पुरुषार्थहीन । २ नपुसक। निरताणो (बो)-क्रि० १ लीन होना, मन लगाना। २ अनुरक्त ३ निर्बल, कमजोर, अशक्त । ४ बेजान, जीव रहित। होना । ३ द्रव पदार्थ का बहना । ५ मृत। निरताळ-देखो 'निराताळ' । निरजुकति, निरजुगति-देखो 'निरयुक्ति' । निरताळी-वि० [सं० नृत्य-पालुच] (स्त्री निरताळी) १ नाचने निरजुर-देखो 'निरजर'। वाला, नर्तक । २ उछल कूद करने वाला। निरजोर-वि० १ निर्बल, अशक्त । २ दुर्बल, कृशकाय । निरतावणी (बी)-क्रि० १ नाक का बहना। २ देखो निरज्जरा-देखो निरजरा'। "निरताणी' (बी)। निरझर, निरझरण-पु० [सं० निर्भर, (ण)] १ बादल, मेघ । निरति-स्त्री. १ समाचार, खबर, सुध । २ जानकारी, मालूम । २ झरना, सोता, चश्मा । ३ देखो 'निरजर'। -वि० श्वेत, ३ धैर्य, सान्त्वना। ४ शकून । ५ रिक्तता। ६ देखो सफेद ।-नदी-स्त्री० गंगा नदी। निरत' । ७ देखो 'नरित्य'। -कुण='नैरित्यकोण' । निरझरणी-स्त्री० [सं० निरिणी] सरिता, नदी। निरतिचार-वि० [सं०] बिना अतिचार का, विशुद्ध । निरडर-देखो 'निडर'। निरणय-पु० [सं० निर्णय] १ फैसला, निपटारा । २ निश्चय । निरती, निरतु-वि० [सं० निरुक्त] १ स्पष्ट, निश्चित । ३ परिणाम, नतीजा, फल । ४ समाधान, हल । २ प्रकट, खुला। ३ व्याख्या किया हुमा, समझाया हुआ। ५ न्यायालय का आदेश । ६ सारांश । -पु० १ व्याख्या। २ व्युत्पत्ति । ३ वेद के छः अंगों में से निरणयोपमा-स्त्री० [सं० निर्णयोपमा] एक अर्थालंकार एक । ४ यास्क द्वारा, निघण्टु पर की गई एक प्रसिद्ध विशेष । व्याख्या । ५ देखो 'निरत'। • निरणीत-वि० [सं० निर्णीत] १ जिसका निर्णय हो गया हो, निरतो-वि० (स्त्री० निरती) १ कम, न्यून । २ हल्का, पोचा, फैसला सुदा । २ निश्चित, निर्धारित । ३ प्रादेशित । | कटु । ३ नीच, पतित । निरणे, निरण-देखो 'निरणय' । | निरत्त-देखो 'निरत'। For Private And Personal Use Only Page #772 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra निरतारणी निरसारखी (ब) कि० उद्धार करना, मोक्ष देना । निरत्याद- पु० [सं० नृत्य नृत्य नाद । निरक-देखो 'निररथक' । निरथी - वि० ० खराब, बुरा, नीच । निरदंड - वि० [सं० निर्दण्ड ] सब प्रकार के दण्ड का भागी, शूद्र नीच । निरदद- देखो 'निरद्रद । निरदभ वि० [सं० निर्दम्भ | जिसे दंभ न हो, निभिमानी । निरदय निरपी वि०स०] निधी १ दयाहीन र निष्ठुर । २ हिंसक वृत्ति वाला। ता स्त्री० क्रूरता, निष्ठुरता । निरवळ वि० सं० निर्दलन १ संहार करने वाला, मारने वाला । २ कष्ट, पीड़ा या दुःख देने वाला | निरदळण बी० [सं० निर्वासनम् १ संहार करना, मारना । २ कष्ट देना, दुःख देना | निरदाई निरदायी, निरदायी वि० बिना रहित विहीन निरदावे क्रि०वि० १ बिना आपत्ति या उज्र के । २ देखो 'निरदायो' । निरदाय - वि० अधिकारहीन, अनधिकृत । - पु० दावा हटाने का लेख । राजीनामा | निरदिस्ट वि० [सं०] १ बताया था, सुभावा या समझाया हुवा २ पूर्व निश्चित जिसके प्रति निर्देश www.kobatirth.org जारी किया जा चुका हो । निरदूख, निरदूखण, निरदूस, निरदूसण- देखो 'निरदोस' । निरदेई देखो 'निरदयी' । निरदेस - पु० [सं० निर्देश ] १ किसी बात का संकेत, इंगन २ निश्चित करने या ठहराने की क्रिया या भाव। ३ नाम संज्ञा ४ उल्लेख, जिक्र । ५ कथन । ६ सुझाव, सलाह । ७ हुक्म, आज्ञा, आदेश | ८ मार्ग दर्शन । 8 वर्णन । १० उपदेश । निरदेसक - वि० [सं० निर्देशक] १ संवत देने वाला । २ सुझाव देने वाला ३ प्रज्ञा देने वाला | । ४ मार्गदर्शक उपदेशक । , ( ७६३ [सं० निर्दोषत्व] [सं० निर्दोषत्व] 1 निरदेह वि० [सं०] निराकार । निरदोख - देखो 'निरदोस' | निरदोखी, निरदोखो-देखो 'निरदोस' | निरदोस वि० [सं०] निर्दोष) (स्त्री० निरदांगण ) १ जिसमें कोई दोष न हो. बुराई न हो। [२] जो अपराधी या दोनों न हो, देसूर बेदाग त्रुटि रहित । निरसता स्वी० दोषहीनता, निष्कलंकता । शुद्धता । निरदोसी देखो 'निरयोग' । निरदोह, निरदोही- देखो 'निरदोस' । निरय-देखो 'निरदय' । अपराध Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरबळ निरद्धारणी (बौ) - देखो 'निरवाटणी' (बी) | निर निर बिस निन्द्र जो राग-द्वेष या सुख १ दुःख के झगड़ों से परे हो । २ जिसके काई झगड़ा न हो, जो लड़ाई न करता हो । ३ जिसका कोई विरोधी न हो, निविरोध । ४ विकार रहित ५ बाधा रहित, स्वच्छन्द | निरचरण, निरणियौ-वि० १ पत्नी रहित, कुंवारा विधुर । २ स्वामी रहित । लावारिस । ३ देखो 'निरधन' । निरधन - वि० [सं० निर्धन] धन हीन, गरीब दरिद्र, कंगाल । - पु० बुढ़ा बैल | निरधनता स्त्री० गरीबी, कंगाली 1 निरवनियो-देखो 'निर'। निरधरम विधम्-वि० [सं०] नियंग्य ] १ जो धार्मिक न हो, धर्म रहित, धर्महीन । २ बेईमान, भ्रष्ट । निरघाटी (बी) कि० [सं० निर्वादनम् १ पराजित करना, हराना अधीन करना । २ नियंत्रण में करना, दवाना । निरधार, निरधारण-पु० [सं० निर्धारण] १ निश्चित या तय करने की क्रिया या भाव। २ निश्चय । ३ निर्णय । ४ विश्वास । ५ गुण व कर्म आदि के विचार से एक जाति के पदार्थों में से कुछ की छंटनी । वि० १ पत्रका दृढ़ | २ देखी 'निराधार' । निरधारी (ब) ० [सं० निर्धारणम्] निश्चय करतात करना । निरधारौ देखा 'निरधार' । निरददेखो 'निर' निरधूम, रिधूम पु० [सं० निर् + धूम्र) १ धुंग्रा रहित । २ बिना शंका या संदेह के निस्संदेह । ३ रुकावट या बाधा रहित निर्वाध । निरध्धरा-१ देखो 'निरधन' । २ देखो 'निरधण' । निरधम्म- देखो 'निरधरम' । निरनउ-देखो 'निरण्य' । । निरपक्क (पक्ष पत्र) वि० [सं०] निपेक्ष] १ पाहीन दनहीन । - २ पक्षपात रहित, निष्पक्ष । ३ मातृ-पितृ पक्ष रहित । ४ मित्र रहित । ५. जिसका कोई समर्थक न हो - पु० ईश्वर । निरफळ-देखो 'निफळ । निरबद (बंध, बंधन) वि० [सं० निर्बंध] बंधन रहित, मुक्त, For Private And Personal Use Only स्वतंत्र । खुला । निरबस - देखो 'निरवंस | निरवद वि० [सं० निबंध दोष रहित, निर्दोष, विशुद्ध निरबरन पु० [सं०] देखने को किया। निरज्ञ वि० [सं०] बलहीन, कमजोर, ल Page #773 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra निरवळता निरबाह - देखो 'निरवाह' । निरबाही (बौ) - देखो 'निरवाहणी' (बी) । निरविकार- देखो 'निरविकार' । निरवळता स्त्री० [सं० निर्बलता कमजोरी, अशक्तता। निरबहाली (बी) देखो 'निरवहणी' (बी)। निरबांण, निरवांगी-पु० १ तीर, बांण । २ पाताल | ३ देखो 'निरवाण' । निरबाचन- देखो 'निरवाचन' । www.kobatirth.org निरोज वि० [सं० निज जिसका वंश चलाने वाला कोई न हो, निर्वंश, निःसंतान । २ जिसमें बीज न हो, बीज रहित ३ जो कारण रहित हो । निरबुद्धि (बुधी)- वि० [सं० निर्बुद्धि] बुद्धिहीन, नासमझ, अनजान । निरवोह (बौह) - वि० गंध रहित, वासना रहित । निरम्भं- देखो 'निरभय' । ( ७६४ ) मूर्ख । निरबोध-वि० [सं० निबध जिसे बोध न हो, धबोध निरखत- पु० [सं०] सुख । निरमय - वि० [सं० निर्भय ] १ जिसे भय न हो, जो डरता न हो, निडर, निर्भीक निश्चित । निरभर वि० [सं० निर्भर ] १ प्राश्रित, धवलंबित । २ भरा मिला हुआ युक्त निरभागी - वि० (स्त्री० निरभागा ) भाग्यहीन । बा पूर्ण . निरमाणो (बी), निरभावणो ( बौ) - देखो 'निभारणी' (बो) निरमीक वि० [सं० निर्भीक] निटर, साहसी, भयमुक्त निरभीकता स्त्री० [सं० निर्भीकता ] १ निडरता, साहस २ भय से मुक्ति । - निरमीतवि [सं० निर्भीत) निडर, निर्भय । निरमं निम्मे निरम्भय-देखो 'निरभय' । निरभ्रम वि० [सं० निभ्रम ] १ भ्रम व संदेह रहित । २ निश्चित निःशंक कि०वि० बेखटके, निःसंकोच होकर स्वच्छंदता से । | निरांत वि० [सं० निर्धात जिसको कोई शंका न हो। २ भ्रांति रहित । निरमय वि० [सं० निर्मदः] बिना मद का नशा रहित । निरमदा- देखो 'नरमदा' । निरमन - वि० [सं० निर्मन] मन या इच्छा रहित । निरभ्रांतता स्त्री० शंका, भ्रांति या प्रशांति का अभाव । निरमसी (बी) क्रि० [सं० निर्मनम् ] १ उत्पन्न होना, पैदा होना । २ निर्मित होना, बनना । निरभ्यता - स्त्री० [सं० निर्भयता ] १ भय रहित होने की निरमुक्त, निरमुगत वि० [सं० निर्मुक्त] बंधन रहित, बंधन अवस्था या भाव, निडरता । २ निश्चितता । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रहित, स्वच्छ साफ । ४ निर्दोष, निष्कलंक 1 पृ० १ नेत्र, नयन । निरमळ - वि० [सं० निर्मल] १ मल २ शुद्ध, पवित्र । ३ निष्पाप । ५ चमकदार । ६ श्वेत, सफेद २ अभ्रक । निरमळा स्त्री० [सं० निर्मला ] १ एक नदी का नाम । २ लाख | ३ नानकशाही साधुधों की शाखा । निरमळी स्त्री० [सं०] निर्मली १ एक सदा बहार वृक्ष विशेष २ देखो 'निर'। निरम्मळी निरमळी- देखो 'निरमळ' । निरमाण - पु० [सं० निर्माण] १ बनाने का कार्य । २ बनावट रचना । ३ सृष्टि, सर्जन । ४ शक्ल, श्राकृति । बनावट | ५ इमारत । निरमास वि० [सं० निर्मात] जिसके शरीर का मास सूख गया हो, कृशकाय, दुबला । निरमाणौ ( बौ) - क्रि० १ उत्पन्न करना, पैदा करना । २ निर्माण करना, रचना करना । ३ सृष्टि करना, सर्जन करना । ४ बनाना । निरमाया वि० [सं० निर्माया माया रहित निरमावो (बी) देखो 'निरमाणी' (बो) । निरमित वि० [सं० निर्मित ] बना हुआ रथा हुआ, उत्पादित । 1 मुक्त | स्वतन्त्र व आजाद । पु० तुरंत की केंचुल उतारा हुआ सर्प । निरमुक्ती, निरगती - स्त्री० [सं० निर्मुक्ति] १ स्वतन्त्रता, आजादी मुक्ति २ टक निरमूळ वि० [सं० निर्मूल] जिसकी जद या मूल न हो। २ बेबुनियाद, निराधार । ३ जिसकी बुनियाद या जड़ समाप्त हो चुकी हो। ४ सर्वथानष्ट। निरमूळ (न) - स्त्री० निर्मूल करने की क्रिया या भाव। निरमोक - पु० [सं० निर्मोक ] १ सांप की केंचुल । २ देखो 'निरमोख' । निरमोक्ष (मोख ) - पु० [सं० निर्मोक्ष ] पूर्ण मोक्ष, मुक्ति । निरमोल वि० [सं० निर्मूल्य] १ जिसका मूल्य प्रसीम हो, अमूल्य अनमोल । २ बिना मूल्य का । निरमोई, निरमोयो देखो 'निरमोही' । निरमोही, निरमोहियौ निरमोही वि० कोई मोह या ममता न हो। २ विरक्त, उदासीन ३ मूड, मूर्ख निरम्मळ (छौ) - देखो "निरमळ' । नरदेवो'निरमी' । निरमोह० [सं० निर्मोह] १ मोह, ममता भादि का प्रभाव २ विरक्ति, वैराग्य ३ देखो 'निरमोही' | 1 For Private And Personal Use Only [सं० निर्मोह] १ जिसे मोह, ममता से परे । ४ निरभ्रांत Page #774 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरय निरविवाद निरय-स्त्री० [सं०] नरक, दोजख । ६ मृत्यु । ७ छुटकारा । प्रथम गुरु के ढगण के द्वितीय निरयाण-पु० [सं० निर्याण] १ प्रांख की पुतली। यात्रा, भेद का नाम । -वि. १ बिना बाण का । २ मुक्त । रवानगी, प्रस्थान । ३ शून्यता को प्राप्त । ४ निश्चय । ५ स्वगदाता । ६ मरा निरयात-पु० [सं० निर्यात] १ देश या क्षेत्र से बाहर सामान | हुया, मृत । ७ बुझा हुप्रा । ८ अदृश्य, लुप्त । ९ अस्त । बेचने की क्रिया या भाव । २ निकास । १० शान्त । निरयुक्ति-स्त्री० [सं० नियुक्ति] १ वह ग्रंथ जो युक्ति सहित | निरवांणि (रणी)-क्रि०वि० अवश्य, जरूर । -वि० वाणी रहित, सूत्र का अर्थ बताता है । २ व्याख्या, टोका। । मूक । देखो 'निरवाण'। निररथ, निररथक-वि० [सं० निरर्थक] १ बिना मतलब का, निरवाणु, (पौ)-देखो 'निरवाण' । व्यर्थ, फालतू । २ अर्थशून्य । ३ जिससे कोई लाभ न निरवांनी-१ देखो 'निरवाण' । २ देखो 'निरवाणि' । हो, कार्य सिद्धि न हो। ४ न्याय में निग्रह स्थान । निरवाचक-वि० [सं० निर्वाचक] निर्वाचन करने वाला, निररबुद-पु० [सं० निरर्बुद] एक नरक का नाम । चुनने वाला। निररूप-वि० [सं० निरूप] रूप व आकार रहित, निराकार। निरवाचन-पु० [सं० निर्वाचन] चुनाव । चयन । निरळंग, निरलंग-वि० [देश॰] १ निलिप्त, तटस्थ । २ अलग, निरवात-वि० [सं० निर्वात] १ स्थिर, शान्त, अचंचल । पृथक, दूर । ३ कटा हुया । -पु० खण्ड, टुकड़ा। २ हवा या वायु रहित । निरलज, निरलजौ, निरलज्ज-वि० [सं० निलंज्ज] जिसे लज्जा निरवासन-पु० [सं० निर्वासन] १ देश निकाला । २ निकाल ___ न आती हो, बेशर्म, बेहया । देने की क्रिया या भाव । ३ निर्गमन । ४ विसर्जन, निरलज्जता-स्त्री० [सं० निर्लज्जता] बेमियत, बेहयाई । समाप्ति, मंग । ५ वध, हत्या। निरलाज-देखो 'निरलज्ज' । निरवाह-पु० [सं० निर्वाह] १ गुजारा, पालन, निर्वाह । निरलिप्त-वि० [सं० निलिप्त] १ तटस्थ, पृथक, अलग। २ पूर्णता, समाप्ति । ३ पालन, अनुसरण । ४ परंपरा २ युक्त । ३ विरक्त । को रक्षा। ५ प्रचलन । ६ देखो 'निभाव' । निरलेखण, (न)-पु० [सं० निलेखन] १ सुश्रु त के अनुसार मैल | निरवाहण (न)-वि० निर्वाह करने वाला, निभाने वाला। खुरचने का एक उपकरण । २ मैल खुरचने की क्रिया । निरवाहणौ (बौ)-क्रि० [सं० निर्वाहनम्] १ गुजारा करना, निरलेप-वि० [सं० निर्लेप] राग द्वषादि गुणों से मुक्त, निभाना । २ पालन करना । ३ पूर्ण करना, समाप्त अनासक्त, विरक्त। करना । ४ अनुसरण करना । ५ परंपरा निभाना । निरलोइ, निरलोई, निरलोभ, निरलोभी-वि० [सं० निर्लोभी] ६ जिम्मेदारी संभालना। जिसे लोभ या स्वार्थ न हो, निस्वार्थी। निरविकल्प-पु० [सं० निर्विकल्प] १ ज्ञाता एवं जय के एक निरवंस-वि० [सं० निर्वश] जिसका वंश न हो, जिसका वंश होने की अवस्था । २ बौद्ध शास्त्रों में प्रामाणिक माना समाप्त हो गया हो। जाने वाला ज्ञान । -वि. १ विकल्प, परिवर्तन या प्रभेदों निरवंसता-स्त्री० वंश मिटने को अवस्था । से रहित। २ जो दृढ़ विचारों वाला न हो। ३ जो निरवद्य-वि० [सं०] निर्दोष । पारस्परिक संबंध न रख सके । निरवपण-पु० [सं० निर्वपण] दान । निरविकार-वि० [सं० निर्विकार] १ विकार या विकृति रहित । निरवलंब-वि० [सं०] १ जिसका कोई प्राश्रय या प्राधार न २ निस्वार्थी। ३ अपरिवर्तनीय स्थिर । हो। २ जिसका कोई सहायक न हो। निरविघन, निरविघ्न-वि० [सं० निर्विघ्न] विघ्न या बाधा निरवह-वि० [सं० निर बहनम्] १ निभाने वाला । २ वहन | रहित । –क्रि० वि० निर्बाध गति से । करने वाला, सहने वाला । ३ पूरा करने वाला। ४ धारण निरविचार-पु० [सं० निविचार] बुद्धि को सर्व प्रकाशक और करने वाला । -पु. १ निर्वाह, गुजारा। २ समाप्ति । चित्त को निर्मल करने वाली सबसे उत्तम सवीज ३ वहन करना क्रिया। समाधि । -वि० जिसमें कोई विचार न हो । निरवहणो, (बो)-क्रि० [सं०निर वहनम्] १ निभाना । २ वहन | विचारहीन । करना, सहन करना । ३ पालन करना । ४ पूरा करना । निरविधि-वि० [सं० निविधि] बिना विधि के, विधि रहित । ५ धारण करना । ६ निभना । निरविवाद-वि० [सं० निविवाद] विवाद या तर्क रहित, बिना निरवाण-पु० [सं० निर्वाण] १ मुक्ति, मोक्ष । २ शुद्ध चेतन, किसी समस्या या झगड़े का । -क्रि० वि० बिना तर्क परब्रह्म । ३ समाप्ति । पूर्णता । ४ शून्य । ५ शांति । या विवाद किये। For Private And Personal Use Only Page #775 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरविवेक निरामूळ निरविवेक-वि० [सं० निविवेक विवेकहीन, विवेकशून्य । निराकद-वि० [सं०] १ रक्षा या सहायता न करने वाला। निरवू-वि० [सं० निवृत्त प्रसन्न, खुश । २ फरियाद या पुकार न सुनने वाला। ३ असहाय, निरवेग-वि० [सं० निर्वगम्] वेग या गति रहित । विवश, निराश्रित । निरवेर-वि० सं० निवर राग, द्वष या वैर रहित । निराखर-वि० सं० निरक्षर] १ जिसे अक्षर ज्ञान न हो, निरवती-देखो 'निरबती' । अनपढ़ अपठित । २ वर्ण या अक्षर रहित । ३ बिना निरसंक-देखो 'निसक' । शब्द का, मौन । निरसंध, निरसंधी-वि० संधि रहित, संधिविहीन । निराट (8)-वि० १ अत्यन्त, बहुत । २ सूक्ष्मतम, अतिसूक्ष्म । निरससे (स)-वि० [सं० निर्स शय] संशय रहित । ३ केवल, मात्र । ४ जबरदस्त, महान् । निरस-वि० [सं०] १ निम्न, हल्का । २ तुच्छ, छोटा, लघु। निराणंद-वि० सं० निरानन्द प्रानन्द रहित । ३महीन । ४ सखा. शुष्क । ५ जो रमिक न हो । निरातक-वि० सं०] १ भय रहित, निर्मय, निडर । २ मृत्यू विसका ६ जिम में सार न हो, प्रमार । ७ फीका । रहित । ३ रोग रहित, निरोग । --पृ० रावण का ८ स्वादहीन । एक पुत्र, नरांतक । जिरसरा-पू० म० निरसन हटाना क्रिपा, दूर करना क्रिया।। निरात-देखो 'नरित्य। निरसहाय-देखो 'निसहाय' । निरातप-वि० सं०] आतप रहित, शीतल, ठंडा । निरसिंध देवो 'निरसंध' । निराताळ, निराताळां, निराताळा-वि० १ बहुत, अत्यन्त, निरसिंह-देखो 'नरसिंध' । अधिक । २ भयकर । निरसौ-देखो निरम'। निराताळी, निराताळी-क्रि०वि० १ निर्भयता से, बेखटके । निरस्त-पृ० स०१ ममाप्ति, पूर्णता । २ बिनाश, नाश। २ बहत देर तक। ३ मिटना क्रिया। -वि० १ नष्ट, बर्बाद । २ व्यक्त, निरादर-पु० [सं०] अनादार, तिरस्कार । छोडा हुमा । : फेका हुया । • रहित, हीन । ५ रद्द निरादेह-वि० [स०] देह रहित निराकार. अव्यक्त । किया हया, स्थगित । ६ उगला या थूका हुया । निराधार-वि० [सं०] १ प्राधार रहित, पाश्रय या अवलंब ७ दबाया हुअा । ८ अलग, पृथक । ९ विकृत, बिगडा रहित । २ बेबुनियाद। ३ अप्रामाणिक । ४ कल्पित । हना। ५ झूठा, मिश्या। ६ खाली पेट । ७ प्राजाविकाहीन । निरस्स-देखो निरस'। ८मायिक विषयों के पाश्रय रहित । ६ जिसे किसी पाश्रय निरस्सान, निरस्साय-वि० सं० निः स्वाद] स्वाद रहित, की जरूरत न हो । १० व्यर्थ, निरर्थक । फीका। निरानंद-पू० [सं०] १ प्रानन्द का प्रभाव । २ कष्ट, पीड़ा, निरहार-देखो "निराहार'। दुःख । ३ वैराग्य, विरक्ति : --वि. १ प्रानन्द हित, निरांत, निरांति-देखो 'नरांत'। वशी रहित । २ जहा ग्रानन्द न हो। निरापद-वि० [सं०] १ जहा पर खतरा या डर न हो । २ जिसे निराउध-देखो 'निरायुध' । भय न हो, निर्भय । ३ सुरक्षित । ४ निःशंक, चिता रहित । निराकरण-पु. [सं०] १ समाधान, हल । २ दलील या युक्ति निरापेक्ष, निरापेक्षी, निरापेखी-वि० [स० निर-पक्ष] १ तटस्थ, द्वारा खण्डन । ३ निवारण, परिहार, शमन । ४ दूर अलग, पृथक । [सं० निरपेक्ष २ चाह व इच्छा करने की क्रिया । ५ तिरस्कार । ६ निर्वासन । ७ छंटनी।। रहित । ३ कामना शून्य, निष्कामी। ४ निस्वार्थी। निराकरणौ (बी)-क्रि० १ समाधान करना, हल करना । ५ लापरवाह, असावधान । ६ अनुराग हित । २ खण्डन करना, तर्क देना। ३ शमन करना । ४ दूर निराब-वि० [सं० निर्-प्राभा] १ काति रहित, प्राभा रहित । करना। ५ तिरस्कार करना । ६ निर्वासित करना ।। २ मंद, धीमा । ३ प्रकाश रहित, चमक रहित । ७ छंटनी करना । निरामय-वि० [स०] स्वस्थ, तंदुरुस्थ। -पु. १ ईश्वर, निराकार (रौ)-वि० [सं०] १ प्राकार या रूप रहित । परमात्मा । २ सूअर । ३ जंगली बकरा। २ शक्ल या सूरत रहित । ३ बदशक्ल, कुरूप। ४ भहा। निरामिस-वि० [सं० निरामिष १ जिसमें मांस न हो. मांस ५ कपटवेशी, छद्म वेशी । ६ विनम्र, लज्जालु । -पु. रहित । २ जो मांसाहारी न हो। ३ धन-धान्य से रहित । १ परब्रह्म, ईश्वर । २ ब्रह्मा । ३ विष्णु । ४ शिव । निरामूळ-पु० [सं० निर्मूल] १ ईश्वर, परमात्मा। २ देखो ५ शून्य, प्राकाश। "निमूल'। For Private And Personal Use Only Page #776 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरामोह निरेखरणो निरामोह-वि० मोहरहित । निरीहा-स्त्री० [सं०] १ विरक्ति, उदासी। २ तटस्थता, निरायुध-वि० [सं०] अस्त्र-शस्त्र रहित । अलगाव । ३ इच्छा का प्रभाव । ४ संतोष, शांति । निरालब-वि० [सं०] १ अवलब या प्राधार रहित । २ बिना ५ चेष्टा, प्रयत्न । ठिकाने या पाश्रय का । -पु० परब्रह्म । निरीही-देखो "निरीह'। निराळ, निराल-वि० [सं० निर-माहार] भूखा, खाली पेट, निरुकत, निरुकती, निरुक्त-पु० [स० निरक्त वेद के छः अंगों बिना कुछ खाया-पिया। -क्रि०वि० बिना कुछ खाये-पिये, में से एक । खाली पेट के । देखो 'निराळो' । निरुजसिंह-पु० [सं०] एक प्रकार का तप (जैन)। निराळस-वि० [सं० निरालस] पालस्य व प्रमाद रहित, चुश्त, निरुतउ, निरुत्तउ-देखो 'निरतु' । फुर्तीला। निरुत्तर-वि० [सं०] १ जिसका कोई उत्तर या जवाब न हो । निराळ, निरालु, निराळी, निरालौ-वि० [सं० निरालय] २ जो कोई उत्तर न दे सकता हो। ३ कसूरवार । (स्त्री० निराळी)१ अनोखा, अद्भुत, विचित्र । २ अद्वितीय, निरुत्साह-वि० [सं०] उत्साह रहित । अपूर्व । ३ अलग, पृथक, तटस्थ । ४ निर्जन, एकान्त। निरुद्ध -पु० [सं०] योग में पांच प्रकार की मनोवृत्तियों में से -पु० निर्जन स्थान। एक। -वि० अवरुद्ध, रुका हुप्रा। निरावर-पु० [सं० निर्-रव] शब्द, ध्वनि, आवाज । -वि. निरुद्यम-वि० [सं०] १ जिसके पास कोई उद्यम या धंधा न शब्द रहित । हो। २ निकम्मा, अयोग्य । अकर्मण्य । निरावलंब-वि० [सं०] अवलंब या प्राधार रहित । निराधार । निरुद्यमता-स्त्री० [सं०] १ उद्यम का अभाव । बेरोजगारी। निरास-वि० [सं० निराश] १ प्राशाहीन, उम्मीद रहित । २ निकम्मापन, अकर्मण्यता। २ निरुत्साह, हताश । ३ देखो 'निरासा'। निरुद्योग, निरुद्योगी-वि० [सं०] उद्योगहीन, निकम्मा। निरासा-स्त्री० [सं० निराशा] १ प्राशा या उम्मीद न रहने | निरुपक्रम-वि० [सं०] १ पलायन रहित । २ ठप्प । की अवस्था या भाव । २ उदासी । निरुपद्रव, निरुपद्रवी-वि० [सं०] १ उपद्रव व उत्पात रहित, निरासिस-वि० [सं० निराशिष] १ जिसे कोई आशीर्वाद या शान्त । २ जो उपद्रवी या उत्पाती न हो। ___वरदान प्राप्त न हो । २ तृष्णा या इच्छा रहित । निरुपम-वि० सं०] जिसकी कोई समता या उपमा न हो, निरासी-वि० [सं० निराशिन् ] अाशा व तृष्णा से रहित । अद्वितीय, अद्भुत। निरास्रय-वि० [सं० निराश्रय पाश्रय या सहारे से रहित। निरुपवाद-वि० त्रुटि रहित, अपवाद रहित । निराहपण-पु० निराशापन। निरुपाधि-पु० [10] ब्रह्म। -वि० १ बिना उपाधि का । निराहार-वि० [सं०] १ जिसने कुछ खाया-पिया न हो, खाली २ बाधा रहित । ३ माया रहित । पेट, भूखा । २ जो बिना भोजन के रहे। ३ जिसे | निरुपाय-वि० [सं०] १ जिसके लिये कोई उपाय या उक्ति न भोजन का निषेध हो । -क्रि०वि० बिना कुछ खाये-पिये, | हो । २ जो युक्ति लगाने में असमर्थ हो। खाली पेट से। | निरूखौ-वि० (स्त्री० निरूखी) जहां वृक्ष न हो। निरीक्षक-पु० [सं०] १ जांच व देख-भाल करने वाला निरूढ़लक्षणा-स्त्री० [सं०] वह शब्द शक्ति जिसमें शब्द का अधिकारी । २ परीक्षक । गृहीत अर्थ रूढ़ हो गया हो। निरीक्षण, निरीक्षिण-पु० [सं० निरीक्षण] १ देख-रेख, निरूप-वि० [सं०] जिसका कोई रूप या प्राकार म हो । निगरानी। २ जांच, परीक्षा । ३ दर्शन, अवलोकन ।। निराकार । -पु० ब्रह्म। -वि० रक्षा से रहित । निरूपण--पु० [सं०] १ विवेचनापूर्वक विचार, निर्णय । निरोखरगो (बी)-देखो 'निरखणी' (बी)। २ व्याख्या। ३ दर्शन । ४ प्रकाश । ५ शोध, खोज । निरीति-वि० प्रतिवृष्टि से रहित, अनावृष्टि । ६ परिभाषा। निरीस-वि० [सं० निरीश] १ अनीश्वरवादी, नास्तिक । | निरूपम (मी)-देखो निरुपम'। २ बिना स्वामी का, लावारिस । -पु० [सं० निरीष] हल | निरूपित-वि० [सं०] जिसकी विवेचना करदी गई हो, का हरीस। परिभाषित, व्याख्या किया हुआ। निरीह-वि० [सं०] १ विरक्त, उदासीन । २ तटस्थ, अलग, पृथक । ३ जिसे कोई चाह न हो। संतोषी। ४ शांति | निरूहवस्ति-स्त्री० [सं०] चिकित्मा की एक विधि । प्रिय । ५ चेष्ठा रहित, निश्चेष्ट । ६ निर्दोष । ७ असमर्थ । निरेखणों (बौ)-देखो 'निरखणो' (बौ)। For Private And Personal Use Only Page #777 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरेजम निवसन निरेजम-वि० [देश॰] १ साहसहीन, कायर, डरपोक । २ नामर्द, | निलवट, निलवटि, निलवट्ट-देखो "निल'। नपुंसक। निलांबर-पु० [सं०] १ बलराम २ प्रासमान । निरेण-देखो 'नरेहण' । निलांम-देखो 'लीलोम' । निरह, निरहण-वि० १ पतला, कृश । २ देखो 'नरेहण' । निलागर-पु० रंग विशेष का घोड़ा। निरहणा-वि० [सं० निरेषण] कामना रहित, इच्छा रहित । निलाड़, (डी, डी) निलाट, (टी, टी) निलाड, निलाडि-देखो निरोग--पु. १ चन्द्रमा, चांद । २ देखो 'नीरोग'। ललाट'। निरोगता-देखो 'नीरोगता'। निलाब-वि० स्वच्छ, निर्मल । निरोगी-देखो 'नीरोगी'। निली-देखो 'नील'। निरोगौ-देखो 'नीरोग' । निलीह-वि• गुप्त । निरोध-पु. [सं०] १ अवरोध, बाधा, रुकावट । २ बंधन । निल-पु० [सं निटलं, निटिलं] १ ललाट, भाल । २ देखो ३ चित्त वृत्तियों को एकाग्र करने की क्रिया । ४ घेरा, वृत्त । 'निलय'1 ५ नाश, ध्वस । निलोह, निलोही, निलोहो-वि० जिसे शस्त्र या लोह का घाव निरोधणी, (बी)--क्रि० [सं० निरोधनम्] १ रोकना अवरुद्ध न लगा हो, अक्षत । करना । २ वांधना। ३ चित्त को एकाग्र करना । ४ घेरना। निलौ-१ देखो 'निलय' । २ देखो 'निल'। ३ देखो 'नीलो'। ५ नाश करना। निल्लाट-देखो 'ललाट' । निरोधन-पु० [सं०] १ वैद्यक में पारे का छठा संस्कार । निव-देखो 'प' । २ अवरोध, निरोध । निवड-वि० [सं निविड] १ दृढ़, मजबूत । २ बहादुर, वीर निरोधपरिणाम-पु० योग में चित्त वृत्ति की एक अवस्था । पराक्रम । ३ जबरदस्त । ४ अद्वितीय । ५ देखो "निपट'। निरोप-देखो 'निरोळ' । ६ देखो निविड़' । निरोपम-देखो 'निरुपम'। निवड़णो, (बी)-क्रि० [सं०निवर्तनं] १ फलीभूत होना । २ तैयार निरोळ, निरोल, निरोव-पु. प्राज्ञा, आदेश । होना। ३ निवृत्त होना। ४ देखो 'निपटगो' (बी)। निरोवर-पु० [सं० नीरवर] समुद्र, सागर। निवछावळ, (ळि)-देखो 'निछरावळ' । निरोस-वि० [सं० नि-रोष] जिसे रोष न हो, जो क्रोधी न हो, निवड-वि० [सं०निविड]१ प्रगाढ़, गहरा, घना, । २ दृढ़, मजबूत । शान्त । ३ भयंकर । ४ देखो 'निपट' । ५ देखो 'निविड' । निरोह-पु. १ युद्ध स्थल । २ देखो 'निरोध'। ३ देखो 'निरोस'। निवरणो, (बी)-देखो 'नमरणो' (बौ)। निरोहर-पु० [सं० नीरधर समुद्र, सागर । | निवतणी, (बी), निवतरणौ, (बौ)-देखो 'निमंत्रणी' (बी)। निरौ-वि० (स्त्री० निरी) १ बहुत, अधिक । [सं० निरालय | निवतरी-१ देखो 'निमंत्रण' । २ देखो 'नंत' । २ जिसके साथ और कुछ न हो, केवल, मात्र । ३ बिना निवतेरौ, निवतरौ-वि० [सं० नमनम्] १ ढलती उम्र का। मेल का, विशुद्ध, खालिश । ४ बिल्कुल, निपट, नितांत । निलपका-देखो 'नलपिका'। निवतौ-१ देखो 'निमंत्रण' । २ देखो 'नत' । निल-१ देखो 'निल'। २ देखो 'नीलो'। निवरत्ती-वि० [सं० निवर्तिन्] १ निलिप्त । ३ युद्ध से भागा निलई, निलउ-१ देखो 'निलं'। २ देखो 'निलय' । ३ देखो हुा । ३ पीछे हटने वाला । 'नीलो'। निवरौ-वि० [सं० निवृत्त (स्त्री० निवरी) १ काम-काज या निलखरणउ, निलखणी-वि० [सं० निलेक्षण:] लक्षण या गुण उत्तरदायित्व से मुक्त, निवत्त । २ अवकाश या फुर्सत वाला रहित । ३ खाली, निठल्ला । ४ व्यर्थ, बेकार । ५ तटस्थ, उदास । निलखरणी, (बी)-क्रि० [सं नि+लिख्] अंकित करना, लिखना निलज-देखो 'निरलज्ज' । निवळ, निवलोड़ो, निवळी-देखो 'निरबळ' । निलजई, निलजता, निलजताई-देखो 'निरलज्जता'। निवसरणी, (बो)- क्रि० [सं० निवसनम्] निवास करना, रहना । निलजी, निलज्ज, (ज्जो)-देखो 'निरलज्ज' । | निवसथ-पु० [सं० निवसथः] १ गांव ग्राम । २ मकान, घर । निलन-देखो 'नलिन'। ३ रा । ४ निवास, आवास । निलय-पु० [सं०] १ स्थान, जगह । २ घर मकान । ३ समूह, निवसन-पु० [सं० निवसनं] १ स्त्रियों का अधोवस्त्र । २ नीचे पुंज । ४ ललाट, भाल । पहनने का वस्त्र । ३ देखो 'निवसथ' । For Private And Personal Use Only Page #778 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवह निवर निवह-पु० [सं०] १ समूह, यूथ । २ मात प्रकार के पवनों में से ४ छोड़ना, निवृत्त करना। नाश करना। ६ अलग करता, पृथक करना । ७ प्रांता करना । निवहरणो, (बौ)-देखो 'निभरगो' (बी)। निवारन-देखो निवारण। निवारण, निवारणणी-पु० [सं० निपान] १ जलाशय, सरोवर, निवारस--वि० बावारिम, बिना स्वामी का । तालाब । २ कूप, कुप्रा । ३ वापिका । ४ समद्र, सागर । निवाळ-देखो निवाळी' । .५ गड्ढ़ा, खड्डा । ६ पोखर । ७ नीची भूमि । ८ देखो | निवाळी-पु० [फा० निवाला] १ ग्रास, कौर । २ इष्ट मित्रो को 'निरवांग'। -वि० नीचा । -भर-पु० बादल, घन । दिया जाने वाला गोष्ठी भोज । निवारिणयौ-वि० [सं० निवात धारोष्ण (दूध)। निवावरणौ, (बी)-देखो 'नमारणौ' (बी) । निवारण, निवां गौ-वि० [सं० निवात] १ साधारण उष्ण, गुन- निवास-पु० [सं०] १ रहने की क्रिया या भाव, आवास। २ रहने गुना । २ देखो 'निवांण' । का स्थान, जगह । ३ घर, मकान। ४ डेरा, विश्रामस्थल । निवांन-देखो 'निवांण'। ५ रात्रि विश्राम । ६ साधारण उष्णता । ७ प्राश्रय, निवा-देखो 'न्याव'। महारा । ८ प्राराम, चैन । [सं नियऽऽस] ६ घड़े में रहने निवाप्र-देखो 'निपात'। वाला जल । १० दक्षिण दिशा का एक नाम । निवाई-वि० [सं० निवात] १ बिना वायु की, वायू रहित । निवासणी, (बो)-क्रि० [सं०निवासनम्] १ निवास करना, रहना। २ साधारण उष्ण, गुनगुनी। ३ देखो 'न्याव' । २ विश्राम लेना, ठहरना । ३ रात बिताना । ४ प्राश्रय निवाज-वि० [फा० नवाज] दयालु, कृपालु । लेना, सहारा लेना। -पु०१ घोड़ा, अश्व । २ देखो 'नमाज' । | निवासस्थान-पु० १ घर, मकान । २ रहने का स्थान । ३ विश्राम निवाजग-वि. प्रसत्र होकर दान करने वाला। स्थल । निवाज गो, (बौ)-क्रि० १ खुश होना, प्रसन्न होना । २ कृपा; निवासी-वि० [सं०] १ रहने वाला, निवास करने वाला। दया या अनुग्रह करना। ३ तुष्टमान होना । ४ दान देना। २ देश या किसी क्षेत्र विशेष का रहने वाला । ३ दक्षिण ५ पुरस्कार देना । दिशा का, दक्षिण दिशा संबंधी । ४ सर्वत्र व्यापक । निवाजस-स्त्री० [फा० निवाजिश १ पारितोषिक, पुरस्कार ५ देखो 'निवियासी'। इनाम । २ कृपा, महरबानी. अनुग्रह । ३ दान । निवाह-पु० [स० निर्वास] १ नगाड़े को ध्वनि, आवाज । २ देखो निवाजियो-वि० नमाज पढ़ने वाला । निभाव' । ३ देखो 'निरवाह' । निवाजिस-देखो 'नवाजस'। निवाहण, निबाहरणौ - वि० १ निबाहने वाला । २ निर्वाह करने निवाजौ-देखो 'निवाज' । वाला । ३ काय साधने वाला । निवारणो, (बौ)-देखो 'नमारणो' (बी)। निवाहरलो, (बौ)-देखो 'निभाणी' (बौ)। निवात-स्त्री० मिश्री। निवाहव -वि० सं० निर्वास] बजाने वाला। निवाब-देखो 'नव्वाब' । निविड़-देखो 'निविड़' । निवाबजादौ-देखो 'नवाबजादो' । निविड़ता-देखो 'निविडता' । निवाबी-देखो 'नव्वाबी' । निविड-वि० [सं०] १ महान्, बड़ा । २ घना, घनघोर, गहरा। निवायो-वि० [सं० निर्वात] (स्त्री निवाई) १ साधारण ३ देखो 'निपट' । ४ देखो निवड' । उरण, गर्म, गुनगुना । २ वायु रहित । निविडता-स्त्री० [सं०] १ सघनता, गहरापन, घनापन । २ वंशी आदि वाद्य के स्वर की गंभीरता । निवार-स्त्री० [देश॰] १ एक प्रकार का अनाज । [फा० नवार]| निविद्धगो (बौ)-कि० [सं०] निबंधनम् रचना, बनाना, निर्मित २ पलंग, खाट प्रादि बुनने की सूत प्रादि की चौड़ी पट्टी।। करना । निवारक-वि० [सं०] १ दूर करने वाला, मिटाने वाला ।। निवियासिमौ, (वौं)-(स्त्री निवियसिमी, वी)-वि० इठियासी २ रोकने वाला, अवरोधक । ३ समाधान करने वाला। के बाद वाला, नवासी के स्थान वाला । -पु. ८९ की निवारण-पु० [सं०१ रोक, बचाव । २ हटाना किया। ३ वर्जन, निषेध । '४ बाधा, रुकावट । ५ छुटकारा, निवृत्ति । निवियासी-वि० सं० नवाशीति] अस्सी और नौ, नब्बे से एक निवारणी, (बौ)-क्रि० [सं० निवारणम्] १ दूर करना, मिटाना, कम । -न्त्री० अस्सी व नौ की संख्या, ८९ । हटाना। २ रोकना, मवरुद्ध करना । ३ समाधान करना । निविरइ-वि० [सं० निर्वृत्त प्रसन्न, खुश । For Private And Personal Use Only Page #779 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवेश निसचरत्रास निवेद-स्त्री० [सं० निवर्तनम्] १ समाप्ति, पूर्णता । २ तय करने | निविसय-वि० [सं० निविषय विषय रहित (जैन)। की क्रिया या भाव । ३ मुक्ति, छुटकारा.रिहाई । ४ निवृत्ति। निव्वुयय-वि० [सं० निवृत्तहृदय] जिसका हृदय चिन्ता ५ निर्णय, फैसला। रहित हो। निवेडणी, (बो)-क्रि० [सं० निवर्तनम्] १ फलीभूत, करना, निव्वेय-पु० [सं० निर्वेद] १ वैराग्य, विरक्ति । २ तटस्थता तैयार करना । २ देखो 'निपटारणी (बी)। की भावना। ३ खेद, दुःख । ४ अनुताप । ५ अपमान । निवेडो-पु० [सं० निवर्तनम्] १ फैसला, निर्णय । २ निपटारा। निसक-वि० [सं० निःशंक] १ डर, भय व संकोच रहित, ३ पूर्णता, समाप्ति । ४ छुटकारा, मुक्ति । ५ निश्चय। । निभय । २ संदेह रहित । ३ चिता रहित, निश्चित । निवेदरण-देखो 'निवेदन'। ४ लज्जा व संकोच रहित । निवेदणी, (बी)-क्रि० [सं. निवेदनं] १ विनय करना, प्रार्थना | निसंकोच-क्रि० वि० [सं० नि:संकोच] बिना संकोच के, करना। २ आवेदन पेश करना । ३ नैवेद्य चढ़ाना । ४ नजर बेहिचक । करना, भेंट करना,चढ़ाना । ५ सुनाना,कहना। ६ सहायता निसको-देखो "निसक' । - के लिये कहना। निसंग (गो)-वि० [सं० निषंग १ निलिप्त, तटस्थ । निवेदन-पु० [सं०निवेदनं] १ विनय, प्रार्थना, अर्जी । २ अनुनय, २ अकेला, एकाकी । ३ स्वार्थ रहित । -पु० १ तरकस, प्राजीजी । ३ प्रस्तुतीकरण । ४ भेट, चढ़ावा । ५ समर्पण, तूणीर । २ ग्रालिगन । ३ एकता, मेन । ४ जो संग न अर्पण । ६ कहने की क्रिया । ७ सौंपना क्रिया। करे। ५ देखो 'निसंक'। निवेदित-वि० सं०] १ प्रार्थना या विनय किया हया. प्राथित । निमंडो-वि० [देश॰] (स्त्री० निसंडी) ढीठ, निर्लज्ज, धृष्ट । २ अपित, भेट । ३ कथित । ४ श्रृत । ५ समर्पित । निसंतत, निसंतति-वि० [सं० निःसंतति निःसंतान, प्रौलाद निवेद्य निवेध (धी)-देखो नैवेद्य'। रहित। निवेधरणी, (बो)-कि. १ मारना, संहार करना । २ देखो निसंतांन-देखो 'निस्संतान' । 'निवेदग्गो' (बी)। निसंदेह-देखो 'निस्संदेह' । निवेस-पृ० [सं० निवेश.] १ घर, मकान । २ स्थान, जगह । निसंबळ, निसंबळ उ-वि० [सं० निः शंबल) १ बिना भोजन पडाव, छावनी, रेरा । ४ नगर, शहर । ५ निवास, रहवास । का । भूखा । २ बेसहारा, निराश्रय । ६ प्रवेश द्वार । ७ धरोहर । ८ विवाह । ९ मजावट । | निसंभ-वि० १ भय रहित, निर्भय । २ देखो 'निसु भ' । १० भूषण । ११ नियोजन । निस-स्त्री० म० निशा] १ रात्रि, निशा, रात । निवेसण-देखो 'निवेसन'। २ हल्दी । -कर-पु० चन्द्रमा, चांद । -काम-पु. निवेसणौ (बी)-क्रि० [सं०निवसनम् ] रखना, नियोजित करना। निस्वार्थ । -कांमी-वि० निस्वार्थी । -कारण-वि. निवेसन-पु० १ रख-रखाव, नियोजन । २ देखो 'निवेस'। प्रकारण, व्यर्थ । -चर-पु० राक्षस, असुर, चोर । निवे-देखो 'नब्बे। --चरण-पु० चन्द्रमा, चांद । -चारी, नाथ, नाथी, नायक निविति (ती)-स्त्री० [सं० निवृत्ति] १ मुक्ति, मोक्ष । २ छुट- --पु०-चांद, चन्द्रमा। -नेत, नेत्र-पु० चन्द्रमा, राकेश । कारा । ३ विदाई । ४ प्रवृत्ति का उल्टा । -नरण-पु० चन्द्रमा, चांद । -पत, पति, पती-पु. निवित्त-वि० [सं० निवृत्त] १ मुक्त, स्वतंत्र । २ अवकाश | चन्द्रमा । प्राप्त । ३ राज्य सेवा प्रादि से मुक्त । ४ लौटा हुआ। निसारस-पु० [सं० निष्कर्ष] १ निर्णय, सारांश, नतीजा, ५ विरक्त, तटस्थ । ६ रुका हुआ, बंद । ७ निपटा हुअा। परिणाम । २ स्वर साधन की एक प्रणाली। निव्वत्तण-स्त्री० [सं० निर्वर्तन] तलवार बरछी आदि शस्त्रों निसकारौ-पु० [सं० निस्कार निराशा सूचक श्वास; निश्वास । की बनावट। निसकासित-वि०-[सं. निष्कासित निकाला हुआ । निवारण-१ देखो 'निरवाण' । २ देखो 'निवारण । निसकुट-वि० [सं० निष्कुट] घर के पास का छोटा बगीचा, निवांणगुणावह-वि० निर्वाण के गुण धारण करने वाला। वाटिका। निवारणमग्ग-पु० मोक्ष मार्ग । निव्वावार-वि० [सं० निर्व्यापार व्यापार रहित (जैन)। । निसग्गरुइ-स्त्री० [सं० निसर्ग रुचि] बिना उपदेश के उत्पन्न निध्वाह-देखो 'निभाव'। होने वाली धर्म के प्रति रुचि । श्रद्धा । निविज-वि० [सं० निविद्यः] विद्या रहित (जैन)। निसचय- देखो 'निस्चय' । निविणकाम-वि० [सं० निविणकाम] निवृत्त होने का इच्छक । निसचरत्रास-पु० [सं० निशचरत्रास] प्रकाश, उजाला । For Private And Personal Use Only Page #780 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra निसचळ निसा स्वी० [देश०] एक जाति विशेष निस देखो 'निसंदी www.kobatirth.org निसचळ निसचल-पु० १ निश्चित धारणा । २ निश्चय, निर्णय | ३ निसार, राक्षस । ४ देखो 'निस्चल' | निसचारी- पु० [सं०] निश्चारिन्] राक्षस, असुर । निसर्व निब-देवो 'निस्वय' । ( sst ) निसलात वि० [सं० निरयात] १ प्रवीण, निपुर होशियार । ३ पंडित, विज्ञ । पु० क्षेत्र सिमी (बी० [सं०] करना सुनना निसतस- देखो 'निसत्र' स' । निशल वि० [सं०] नि-मस्य ] सस्य भू तिसर-देखो 'नगर' | निस्तरण, वितरणी पु० [सं० निस्तरणम् ] मोक्ष, उद्वार निस्तरण (बी) फि० [० निस्तरणम् १ उद्धार होना, मुक्ति होना । २ देखो 'नस्तरणी (बौ) । सितार देखो 'निस्तार' | निसती - वि० १ कायर, भीरु । २ चरित्रहीन । निसतेयस, निसतेस देखो 'निसत्र स' | स्त्री० [मन] नवर निसत्व- वि० [सं० निःसत्व ] सारहीन तत्त्वहीन । निसदीन, ( दीह, दोहा) क्रि० वि० [सं० निशदिन दिवस ] नित्य प्रति, रोजाना, रात-दिन हर समय । निसद्द पु० [सं० निःशब्द ] ध्वनि रव, शोर, श्रावाज । निसंध पु० [सं० निषधः १ श्रीराम के प्रयोगका नाम २ विध्याचल पर्वत के समीप का एक प्राचीन देश । ३ इस देश का राजा । ४ एक पर्वत का नाम । ५ देखी 'तिसाद' | - वि०कठिन । " निसबत- १ देखो 'निस्बत' । २ देखो 'रिस्वत' । निसवळ वि० [सं० निस्बन निर्बन कमजोर निसमंडण - पु० [सं० निश्-मंडन ] चन्द्रमा, चांद । निसमुख-पृ० [सं० नि-मुख] संध्या यांझ सिम्बरणी, (ब) फि० [सं० निसका वि० [सं० नि सांसरिक उसे रहित निसफजर, निसफजर कि० वि० नित्य प्रति हमेशा रात-दिन । निसफळ - देखो 'निस्फल' 1 , , नम्] करना सुनना । निसरग - पु० [सं० निसर्ग ] १. स्वभाव, प्रादत । २. प्रकृति । ३. रूप, श्राकृति । ४. सृष्टि । ५. दान | निसरंडी-देखो 'निसंदों (स्त्री० तिसरंडी) निसरण - पु० [सं०] निःसर निकलने का मार्ग, निकास उपाय, तरकीब । ३ निर्वाण । ४ मरण, मृत्यु । ५ निकलने की या क्रिया भाव । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निसरणी स्त्री० [सं० निश्रेणी ] १ शरीर की बनावट ढांचा । २'नील'। निसाँसो 1 निसरणी बंध० [सं० निसी बंध] का एक भेद । निसरणौ (बी) देवो 'नीरो' (बो) निसरम (मोब० बेशर्म नि: देवो 'गमल जिलाक वि० [० निः जनाक] निर्जन एकांत सा निसवाद - वि० [सं० निःवाद] रहित । तिसवादी वि० [सं० निस्वाद ] १ स्वाद रहित बिना स्वाद का । २ वाद रहित । नियासर निसवार कि०वि० [सं० विश्वास १ रात दिवस २ नित्य प्रति । ३ हर समय । निसहर पु० [सं० निश्-घर ] १ यवन । २ निशाचर । निसहाय वि० [सं० निस्सहाय] जिसका कोई सहायक वा मददगार न हो, बेसहारा । For Private And Personal Use Only " निसां पु० [फा० निशा] धादर, सम्मान -क्रि०वि० लिए वास्ते । - खातर, खातिर पु० ग्राव भगत, स्वागत । निसांग-पु० [फा० निशान ] १ चिह्न, निशान । २ अंगुठे या अगुली का निशान जो अपढ़ व्यक्ति के हस्ताक्षर का प्रतीक होता है । ३ पहचान का लक्षण । ४ शरीर आदि पर पड़ा दाग या धब्बा । ५ अवशेष ६ स्मृति चिह्न । ७ यादगार। भंडा, ध्वजा, पताका [सं० निः स्वान] ९ नगारा । निसाराची पु० १ सेना के धागे झंडा लेकर चलने वाला। २ निशाना लगाने वाला । ३ नगाड़ा बजाने वाला । निसांरा-देही स्त्री० प्रासामी की पहचान कराने का कार्य । निर्माण-परवार देखो 'निसांरामी' | निसांखि, निसांणी - स्त्री० [फा० निशानी ] १ स्मृति चिह्न, यादगार । २ पहचान चिह्न ३ देखी 'निसांरख'। ४ देखो 'नीसांणी' । | निसाली १० [फा०] निशाना] १ बार या घात करने का लक्ष्य, - निशाना । २ लक्ष्य साधने का कार्य । ३ किसी को व्यंग करके कही बात, व्यंग । निसांतत-पु० | म० निशांत] रात्रि का अंत, बड़का, प्रभात । - वि० शांत एवं गंभीर । सिध-वि० [सं० निशांध] जिसे रात को न दिखाई दे। निसांन - देखो 'निसांण' । निसांनची- देखो 'निसांची' । निसान देही देखी 'विदेही' निसांन बरदार-देखो 'निसांरणची' | निसांनी-१ देखो 'निसांणी' । २ देखो 'नीसांणी' । निसांनौ-देखो 'निसांगो' | निसांसौ-१ देखो 'निस्वास' । २ देखो 'निसासौ' । Page #781 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निसा -निसोग निसा-स्त्री० [सं० निशा] १ रात्रि, रात । २ हल्दी। -वि० निसातौ-वि० (स्त्री० निसासी) १ दुःखी, चितित । २ खिन्न, काला, श्याम । ..--कर-पु० चन्द्रमा, चांद । शिव। बेचैन । ३ देखो 'निस्वास' । मुर्गा । पूर। ---चर-पु. राक्षस, असुर । गीदड़, निसि-स्त्री० [सं. निशि] १ रात्रि, रजनी । २ हल्दी। -क्रि०वि० गगाल । उल्लू । भूत, प्रेत । चोर । रात में विचरण करने | निश्चय पूर्वक । –नाथ, नायक, पति, पाळ-पु. पाला। --चरम-पु. घोर अंधकार । अर्ध रात्रि का चन्द्रमा, राकेश। समय । ....चरी-स्त्री० राक्षसी, पिशाचिनी। कुल्टा। निसिचर-पु० [सं० निशिचर] राक्षस, असुर । --राज-पु० अभिमारिका, नायिका। -धीस-पु० चन्द्रमा । -नाय- राजा बलि । रावण । विभीषण । हरिण्यकश्यप । पु० चन्द्रमा। -पत, पति, पती-पु० चन्द्रमा' । —पुसब, निसित-पु० [सं० निशित] लोहा । वि०-तीक्ष्ण, तेज । पुस्प-पु. कुमुदिनी। -मरण, मणि-स्त्री० चन्द्रमा, चांद। निसिदीस-पु. [स. निशा+दिवस] रात-दिन । कपुर । -मुख-पु० संध्या, सांझ। -रिप, रिपु-पु. निसिद्ध-वि० [सं० निषिद्ध] १ जिस पर रोक लगी हो, जिसका सूर्य। -सरोज-पु० चन्द्रमा । निषेध हो. मनाही हो । २ वजित । ३ बुरा, खराब । निसाचरपति-पु० [सं० निशाचरपति] १ रावण । २ बलि । निसीअ-पु० [सं० निषीद] बैठने की क्रिया या भाव । ३ शिव, महादेव । निसीवान, निसीवांनि-पु० [सं० निस्वांन] शब्द, आवाज । निसाचरी-वि० राक्षस संबंधी, राक्षसो प्रामुरी। निसीत, निसीथ, निसीथिणी, निसीथीणी-पु. [सं. निशीथ] निसाचारी-पु० [सं० निशाचारिन्] शिव, महादेव ।। १ रात, रजनी । २ अर्द्धरात्रि, आधी रात । गक्षस, पिशाच । निसीनर-पु० [स. निशि-नर] राक्षस, असुर । निसाट--पु० [सं० निशाट] १ राक्षस, असुर । २ मुसलमान, | निसीनेत्र-पु० [सं० निशि-नेत्र चांद, चन्द्रमा । यवन । ३ उल्लू । निसीम-वि० सं० निःसीम] १ असीम, अपार । २ अत्यन्त, निसातक-पु० म० निशान्तक दीपक । अत्यधिक । निसाद-पु० [सं० निषाद] १ एक प्राचीन अनार्य जाति । निसुभ-पु- [सं० निशुभ कश्यप एवं दनु से उत्पन्न एक परा २ मेहत्तर, भंगी. हरिजन । चाण्डाल । ३ यवन । ४ संगीत । क्रमी असुर । --मरदिनी-स्त्री० दुर्गा, देवी । के सात स्वरों में सबसे ऊंचा स्वर । | निसुरपणी, (बौ)-क्रि० [सं० नि+२] १ सुनना, श्रवण निसादिन-देखो 'निसदिन'। करना । २ ध्यान देना। ३ कान लगाना । निसादियत-पु० [सं० निषादित ] महावत के पैर हिलाने की निसुर-वि० [सं० नि-स्वर] स्वर, आवाज, शब्द रहित, क्रिया। ___ मूक, मौन । निसादी-पु० [सं० निषादिन] महावत, हाथीवान । निसूरण-वि० सं० निषूदन] विनाश करने वाला, विनाशक । निसानन-पु० [सं० निशा-प्रानन] सायंकाल, सांझ । | निसेजा, निसेज्ज-स्त्री० [सं० निषद्या) १ किसी वस्तु के निसापाळ-पु० एक वणिक वृत्त विशेष । बिकने का स्थान, हाट । २ खाट, चारपाई। ३ शय्या । निसाफ-पु० इन्साफ, न्याय । निसेणी-देखो 'निस्रणी'। निसाबळ-पु० [सं० निशाबल] रात में बलवती मानी जाने निसेद, निसेध-पु० [सं० निषेध] १ वर्जन, मनाही, रोक । वाली राशि । २ अवरोध, रुकावट । ३ बाधा । ४ अस्वीकृति । ५ निषेधनिसार-पु० [अ०] १ रुपये के चौथाई भाग के बराबर का वाची नियम । ६ अपवाद, खण्डन । एक प्राचीन सिक्का । २ न्यौछावर करने की क्रिया या निसेधक-पु० [सं० निषेधक] रोकने वाला, निषेध करने वाला। भाव । ३ निर्यात । ४ निकलने की क्रिया या स्थान । निसेधणी (बी)-क्रि० [सं० निषेधनम्] १ निषेध करना, -वि० १ न्यौछावर किया हुआ । २ देखो "निस्सार'। रोकना । २ बाधा देना, अवरोध खड़ा करना । ३ अस्वीनिसारण-पु० [सं० निःसारण] १ निकास का मार्ग। कृत करना । ४ अपवाद करना, खण्डन करना। २ निकालना क्रिया। निसारुक-पु० [सं०] सात प्रकार के रूपक तालों में से एक ।। निसेवीय-वि० [सं० निषेवित] परिसेवित (जैन)। निसाळ, निसाळा-देखो 'नेसाळा' । निसस-पु० [सं० निशीश] चन्द्रमा । निसास, निसासउ-देखी "निस्वास'। निसनी-देखो 'निस्रणी'। निसासणी, (बो)-क्रि० [स० निःश्वासनम् ] निश्वास डालना, निसोग, निसोच-वि० [सं० निःशोक] १ निश्चित । २ प्रसन्न, दुःखी होना, चितित या खिन्न होना। खुश । For Private And Personal Use Only Page #782 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निसोत निस्तज निसोत, निसोय-स्त्री० [देश॰] एक प्रकार की लता। निस्चळता-स्त्री. सं. निश्चलता| १ स्थिरता, दृढ़ता । २ अचनिस्कटक-वि० [सं० निष्कंटक] १ काटों से रहित । २ विघ्नों से पलता, शांति । रहित । ३ दुःखों से रहित । निस्चित-वि० [स. निश्चित चिता राहत, बाफक्र, मस्त। निस्कठ-पु० [सं० निष्कंठ] वरुण नामक पेड़ । निस्चितता-स्त्री॰ [सं० निश्चितता | बेफिकी, मस्ती। चिताओं निस्कप-वि०म० निष्कंप] कंपन रहित, अचंचल, स्थिर। से मुक्ति। निस्कभ-पु० [सं० निष्कंभ] गरुड़ के एक पुत्र का नाम । निस्चित-वि० [सं० निश्चित | १ तय किया हुमा, तपसुदा । निस्क-पु० [सं० निष्कः] एक प्रकार की स्वर्ण मुद्रा । २ निर्णीत । ३ पक्का, दृढ़ । ४ अवश्यंभावी। निस्कपट-वि० [स० निष्कपट] छल रहित, कपट रहित । निस्चिळ-देखो 'निस्चळ' । सीधा, सरल । --ता-स्त्री. कपट रहित होने का भाव, निस्टि-स्त्री० [सं० निष्टि) असुरों की माता दिति का एक सरलता, सीधापन । नाम। निस्कपटी-वि० [सं० निष्कपटी] कपट रहित, छल रहित । निस्ठा-स्त्री० [सं० निष्ठा] १ ईश्वर, धर्म या गुरु जनों के प्रति होने सीधा, सरल । वाली श्रद्धा, भक्ति । २ दृढ़ विश्वास । ३ प्रगाढ़, अनुराग । निस्करम, निस्करमी-वि० [सं० निष्कर्मन्] जो कर्मों में लिप्त । ४ अत्यन्त आदर की भावना । ५ जीव और ब्रह्म की न हो, अकर्मा, कर्म रहित । एकता की स्थिति, चरम स्थिति। ६ चित्त की स्थिरता, निस्करुण-वि० [सं० निःकरुण] जिसमें करुणा न हो, निष्ठुर, मन की एकाग्रता । ७ दृढ़ निश्चय । ८ अवस्था, स्थिति । बेरहम । ९ निर्वाह । १० ठहराव। ११ प्रतिष्ठा । १२ उत्कृष्टता। निस्कळक-वि० सं० निष्कलंक] बिना कलंक वाला, बेदाग, १३ निपुणता । १४ इति, समाप्ति । १५ नाश, विनाश । निर्दोष । -तीरथ-पु. एक पौराणिक तीर्थ । १६ प्रलय के समय विष्णु की समस्त भूतों में होने वाली निस्कळ-वि० सं० निष्कल] १ कला रहित । २ पूरा, समस्त । स्थिति । --वांन-वि० जो निष्ठा रखता हो, श्रद्धालु । ३ नपुसक । ४ वृद्ध, बूढा । -पु० ब्रह्मा । निस्ठुर-वि० [सं० निष्ठुर] १ दया, करुणा आदि कोमल निस्काम-देखो 'निकांम'। भावनामों से रहित। रूखा । २ कर, निर्दयी। ३ कटु, निस्कामी-देखो निकामी' । अप्रिय । ४ सख्त, कठोर । निस्कारण-वि० सं० निष्कारण अकारण, व्यर्थ । निस्ठुरता निस्ठुराई-स्त्री. १ क्रूरता, बेरहमी, निर्दयता । निस्क्रमण-पू० [सं० निष्क्रमरण] बाहर निकलने की क्रिया या २ कठोरता. कडाई। भाव । निकास। | निस्तरण-पु.. निस्तरणम्] १ तरना, पार होना क्रिया। निस्क्रिय-वि० [स. निष्क्रिय ] क्रियाहीन, उद्यमहीन, कर्म शून्य, २ उद्धार, मुक्ति, छुटकारा । निश्चेष्ट । निस्तरणो (गै)-क्रि० [सं० निस्तरणम्] १ तरना, पार होना । निस्क्रीयता-वि० [सं० निष्क्रियता] क्रियाहीनता, उद्यमहीनता, २ मुक्त होना, छूटना । ३ देखो 'नस्तरणो' (बी)। कर्म शून्यता, निश्चेष्टता। निस्तरियउ-वि० [सं० निस्तीर्ण] मुक्त, छूटा हुमा । उद्धरित। निस्वळेस-वि० [सं० निष्क्लेश] क्लेशों से मुक्त । निस्तार-पु० [सं०] १ छुटकारा, मुक्ति। २ मोक्ष, निर्वाण । निस्चइ, निस्चय-पु० [सं० निश्चय] १ निर्णय, फैसला । ३ पार होना क्रिया। ४ बचाव । ५ उपाय जरिया, २ स्थिर विचार, इरादा। ३ अवश्य घटित होने वाली माध्यम । ६ ऋण से छटकारा । स्थिति । ४ तय करने की क्रिया या भाव । ५ यकीन, निस्तारण-वि० [सं० निस्तार:] १ उद्धार करने वाला। विश्वास । ६ संकल्प । ७ शोध, खोज । २ तारने वाला, पार करने वाला। ३ मुक्त करने वाला, निस्चयांतर-भ्रांति-जथा-स्त्री० संदेह अलंकार के योग से रचित | छोड़ने वाला। ४ बनाने वाला । ५ देखो 'निस्तार' । डिगल गीत। निस्तारणौ (बौ)-क्रि० [सं० निस्तरणम] १ तारना, पार निस्चर-पु० [सं० निश्चर] एकादश मन्वन्तर के सप्त ऋषियों में करना । २ उद्धार करना, मुक्त करना । ३ छुड़ाना । से एक । निस्तारौ-देखो 'निस्तार'। निस्चळ (ल)-वि० [सं० निश्चल] १ अचल, स्थिर । २ अवि- निस्तेज-वि० [सं०] १ तेज, प्राभा या कांति रहित । २ मंद, चल, दृढ़, अटल । ३ शान्त, अचंचल । ४ अपरिवर्तनीय ।। फीका । ३ मलिन । ४ अग्निहीन । ५ उष्णता शून्य । ५ परब्रह्म । ६ देखो 'निसचळ' । ६ नपुसक । ७ सुस्त, पालसी । ८ धुधला। For Private And Personal Use Only Page #783 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra निस्पक्ष www.kobatirth.org ( निस्पक्ष (ख)- वि० [सं० निष्पक्ष ] १ पक्षपात रहित । २ तटस्थ । सोहने वाला निस्पक्षता विवखतः स्त्री०म० निष्पक्षता ] १ पक्षपात होता तटस्थता ३ स्पष्टवादिता । . निस्पन दिस निष्पन्न | १ पूर्ण पूरा २ समाप्त, पूर्ण निस्प्रभ - वि० स० निष्प्रभ] १ कांति, प्रभाव तेज रहित । VI २ मद धुंधला । ३ प्रणक्त । नियोजन ५००योजन १ प्रयोजन, कारण या मतलब रहिन । २ व्यर्थ निरर्थक | ३ जिसमें अर्थसिद्धि न हो । क्रि० वि० प्रकार से व्यर्थ में । निस्प्राण-वि० [सं० निष्प्राण ] प्रारण रहित मृत । निप्रिय वि० [सं०] निम्बू लोभ या कामना रहित निस्पल वि० [सं० निष्फल] १ फल रहित परिणाम रहित २ उपलब्धि रहित । ३ व्यर्थ, निरर्थक | निस्फोबटाई-स्त्री० जागीरदार व किसान के बीच फसल का प्राधा-प्राधा बंटवारा, विभाजन । وو ३ विरक्त, उदास । ४ पृथक, अलग । धनुरक्त न हो [फा०] एकाकी, धकेला निस्बत निस्बत स्वी० [२०] १ अपेक्षा भाशा मुकाबला | ३ संबंध, लगाव | ४ समता ५ नारी, प्रोरत । ६ देखी 'रिस्वत' । निएका निशिका, निस्व० [सं० निश्रेणी) १ सीढ़ी, जीना २ मुक्ति । ३ खजूर का पेड़ । ४ एक मात्रिक छंद विशेष । ] २ तुलना बराबरी । I निय पु० [सं०] निपलं बदनामी नित्र यस पु० [सं० नि यस ] मोक्ष कल्याण निस्वास - पु० [सं० निःश्वास] १ प्रारण वायु नाक से निकलने का कार्य व्यापार । २ उसास विश्वास । ३ तड़फ, ग्रह । - वि० मृत प्रायः, बेदम । निश्वासन पु० [सं०] निः स्वासन) चौरासी भागनों में से एक। निस्संक वि० [सं० निःशंक] निर्भय, शंका रहित, बेधड़क| निस्संतांन वि० [सं० निःसन्तान ] संतति रहित, नाप्रलाद । निस्संदेह, निस्संस- क्रि० वि० [सं० निः संदेह ] बिना संदेह के, बेशक - वि० १ संदेह रहित । २ पूर्णतया मान्य । निस्सार- वि० [सं०] नि सार] सारहीन, तरवहन निस्सेस - पु० [सं० निःश्रेयस ] मोक्ष, कल्याण (जैन) । - वि० [सं०] निःशेष] सम्पूर्ण समूचा बिना [बचा। निरखत ५०] [४०] विस्तृत ] तलवार के ३२ हाथों में से एक। निरस्वादु वि० [१०] बिना स्वाद का स्वाद रहित निस्स्वारय वि० [सं० निस्वार्थ स्वार्थ] की भावना से रहित। निहंग वि० [सं० निःसंग] १ निर्लिप्त २ वस्त्रहीन नन । 1 , - F ५. जो किसी पर -पु० [देश० ] १ घोड़ा, अश्व । ४ शिव, महादेव । '७ देखो 'नंग' | हिंसा निहाय देखो 'निहंग हिंदी बोर निहस देखो 'निहन' । बलदेखी 'निवळ' निश्चळ | २ आकाश, ग्रासमान । ३ स्वर्ग । ५ पक्षी, खग । ६ घड़ियाल, मगर । -राज-पु० सूर्य । दिल का एक विशेष निज १० [सं०] निपोष नियंतदेव 'निश्चित'। (ब) देखो ''बो निकट, निकंटक देखो 'निस्कंटक' | निरूपदेखी निस्कंप विकरम (मं) - देखो निस्करम'। नांग (मी) १ देसी निमांग' २ देखी 'निकांम' | निकुरं निहकुल ५०० शब्दावाज (वी) निटन] सूत्र दौड़ाना, हांकना । नहर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिहवं, दिहचौ- देखा 'निस्चय' । देखो निसो' (श्री) । निहटणी (बी) 'निहट्टी' तिहाणी (बी) - क करना । २ दमन करना । For Private And Personal Use Only निहाई 1 निहानम्] १ मारना, संहार तरी 'निमंत्रण' (दो) । निहतारच०० वा एक सत्य दोष विशेष हित्त-पु० [सं० विधत्त ] स्थापित करने की क्रिया (जैन) । निहत्थो निथ, निथी - वि० [सं० निःस्त ] १ जिसके हाथ में अस्त्र-शस्त्र न हो, निहत्था २ खाली हाथ । ३ निधन । हिरवाळी (बौ) - क्रि० [देश०] खड्ड में डालकर दबा देना । निहली, निहल्ल - वि० [सं०नि हल्लनम् ] (स्त्री० निहली, निहल्ली ) १ निष्फल, बेकार । २ गतिहीन । निस पी० [देश०] १ प्रहार पोट निसरणी (बौ), निस्पणी (बो) - क्रि० बजना, ध्वनि करना । करना । ४ हंसना । ५ जोश में थाना, जोश खाना । ६ बरसना, बौछार होना । ७ २ गरजना । ३ भयानक प्रावाज चमचमाना, चमकना । ८ वीर गति प्राप्त करना मरना । ९ सहार करना, मारना । १० प्रहार करना । निहारण देखो 'निधान' । निहाई, निहाइ, निहाई-स्त्री० [सं० निघात ] १ प्रहार | २ ध्वनि, आवाज । ३ शोरगुल, हल्ला । ४ स्वर्णकार या लोहारों का प्रइरन । ध्वनि घोष [देश०] १ वाद्य आदि Page #784 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निहाउ मोमेड़णो निहाउ (ऊ)-देखो 'निहाव' । नीजामा-देखो नीजांमा'। निहाज-स्त्री० [सं० निहव: निर्बाद] १ नगाड़े की ध्वनि, नीझर-देखो 'निरझर'। आवाज । २ नाद, शब्द, ध्वनि। नीठ-देखो 'नीठ'। निहायत-वि० [अ०] अत्यन्त, बहुत । -स्त्री० सीमा, हद। । नीठणी (बो)-देखो 'निठणो' (बो)। निहार-पु० [सं० निभालन] देखना क्रिया, अवलोकन । नोंठर-देखो 'निस्ठुर'। निहारणी (बो)-क्रि० सं० निभालनम्] १ देखना, अवलोकन नीडो-देखो 'निसंडो' । करना । २ दर्शन करना। ३ चाव से देखना। ४ ध्यान नीत्र डी-वि० अनुपयुक्त, बेकार । से देखना, झांकना । ५ ध्यान देना । ६ जानना, महसूस | नींद-स्त्री० [सं० निद्रा) १ जमाई को गाया जाने वाला गीत, करना। लोक गीत । २ देखो 'निद्रा'। निहारी-वि० पृथक, अलग, दूर ।। नींवक-देखो 'निंदक'। निहाळ, निहाल-वि० [फा०निहाल १ मालामाल, धन दौलत से नींदड़ली, नींदड़ी-देखो 'निद्रा' । परिपूर्ण । २ सफल,कृत-कृत्य कृतार्थ । ३ जिसकी मनोकामना नोंदणी (बी)-देखो 'निंदणी' (बी)। पूर्ण होगई हो। ४ अत्यन्त प्रसन्न, खुश । ५ देखो 'निहार'। नींदळ-वि० १ अधिक नींद लेने वाला । २ आलसी, सुस्त । निहाळरणो, (बौ), निहालगो, (बी)-क्रि० [सं० निभालनम्] | ३ निकम्मा। १ खोजना,ढूढ़ना। २ संतुष्ट करना। ३ प्रसन्न,खुश करना। नोंदव-वि० [सं० निन्द] १ निदनीय । २ निंदक । ४ कृत-कृत्य करना । ५ देखो 'निहारणौ' (बो)। नोंदवणी (बो)-१ देखो 'नींदाणी' (बी)। २ देखो निहाव-पु० [सं० निघाति १ ध्वनि, शब्द, आवाज । २ प्रहार । | निंदणी' (बौ)। ३ लोहे का घन, हथोड़ा। ४ प्राकाश. प्राममान । नोंदवौ-देखो 'नींदव'। निहावरणी, (बो)-क्रि० [सं० निभालनम् १ शोभित होना, नींदाणी (बौ)-क्रि० [सं० निद्रा] १ निद्रित करना, सुलाना । ____ शोभा देना । २ सुन्दर लगना । ३ देखो 'निहारणौ' (बो)। २ निंदा कराना, बुराई कराना। [सं० नंदि] ३ दीपक निहिचळ, निहिचल-देखो 'निस्चळ' । बुझाना। निहिवास-देखो 'निवास' । नींदाळ-वि. १ जिसकी निंदा होती हो, निदित । २ निद्रित । निहीं,निही-देखो नहीं। नींदाळको, नींदाळु-देखो 'निद्राळु' । निहुतणी, (बौ)-देखो 'निमंत्रणो' (बी)। नोंदाळुद्ध, नींदाळू (ळी)-वि० निद्रा में मग्न, निद्रित । निहुरा- देखो 'नो'रा' । नींद्र, नींदड़ी. नोंद्रा--देखो 'निद्रा'। निहेरगो, (बी)-क्रि० [सं०निभालनम्] १ खोजना, ढूढ़ना | नींप-देखो 'निप । २ देखो 'निहारणो' (बौ)। नीपणो (बी)-देखो 'नीपणौ' (बी)। निहोर, निहोरड़ा-देखो नौ'रा' । नींब-देखो 'नीम'। निहोरणी,(बो)-क्रि० [सं०निछोरणम] १ मनौती करना, प्रार्थना | नींबगोळ-वि० [सं० नेम-गोल | जिसका प्राधा भाग गोल हो। करना । २ प्राग्रह करना, अनुरोध करना । ३ गरज करना, नीबड़ली (लो), नींबड़ी, नींबड़ो-देखो 'नीम' । खुशामद करना । ४ देखो 'निहारणो' (बौ) । नींबज-स्त्री० झालरा पाटण क्षेत्र में बहने वाली एक नदी। निहोरा-देखो 'नौ'रा'। नींबू नीबूडो-पु० [सं० निम्बूक] १ मध्यम कद का एक झाड़ी नों-देखो 'नी'। नुमा वृक्ष व इसका फल, नींबू । २ एक लोक गीत । नोखणौ,(बी)-देखो 'नांखणी' (बो)। नींबी-१ देखो 'निबारक' । २ देखो 'नीम'। नींगमरणो (बौ)-क्रि० [स० निर्गमयति] १ व्यतीत करना, नीम-१ देखो 'नींव' । २ देखो 'नीम' । गुजारना २ जाना, निकलना । नीमजणी(बी)-१देखो 'निरमगौ' (बो)। २ देखो'नीपजरणो' (बो) नींगळणौ (बो)-देखो 'निगळणी' (बी)। नोंगा-देखो 'नगी'। नीमजर-देखो 'नीमजर'। नींगाळणो (बौ)-देखो 'निगाळणो' (बी)। नीमजाणी(बी), नीमजावणो (बो)-१ देखो "निपजागो' (बी)। नींगाह-देखो 'नेगी। २ देखो 'निरमाणो' (बी)। नोंछटणी (बी)-देखो 'नीछटणी' (बी)। नीमपो (बी)-देखो 'निरमणो' (बौ) । नोंछारडी-स्त्री० [देश॰] एक प्रकार की लता । | नीमेडणौ (बौ)-देखो 'निवेडणी' (बौ) । For Private And Personal Use Only Page #785 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नीव स्त्री० [सं०] ने] १ दीवार बनाने के लिए मोदा जाने वाला लम्बा और गहरा खड्डा । २ इस खड्डे में बनी दीवार । ३ आधार । ४ स्थिति ५ जड़, मूल । नवड़णौ (ब) - १ देखो' निपटणी' (बौ)। २ देखो' निवड़णी' (बी) । नौबत-देखो 'नीयत' । १ अत्यधिक ज्यादा । २ निरोग, स्वस्थ । या षष्ठी विभक्ति के 'ना' का स्त्री रूप; एक भारदर्शक या अनुरोध सूचक अव्यय । देखो 'नि' । नोट- देखो नीति'। नीवेणी (बो) - १ देखो 'निपटाली' (बौ)। २ देखो ''(बी)। www.kobatirth.org बसरख (बो-देखो 'नोसरणी' (यो) | नसारण - पु० [सं० निस्वन | नगाड़ा | नी पु० [सं०] १ प्रेम, स्नेह २ नृप राजा ३ शासक । । । -स्त्री० ४ श्रनन्य भक्ति । ५ दवा, प्रौषधि । - वि० ( नीकाह- देखो 'निकाह' । 10 वीको वि० [सं० निरक्त) (स्वी० नीकी) २ श्रेष्ठ, बढ़िया, उत्तम । ३ सुन्दर, योग्य । ५ स्वस्थ, दुरुस्थ । नीखर - वि० [सं० निक्षरण] स्वच्छ, निर्मल, साफ। नीरो (बी) देखो 'निवरण' (बो)। नीखाखा पु० [देशज ] केवट । नीगम देखो 'निगम' । मोक-स्त्री० [सं० नीका] १ सिचाई के लिये बनी पानी की नाली । २ देखो 'नीको' । नीकउ - पु० [सं० निष्कः ] १ स्वर्ग का हार । २ सोना, स्वर्ण । ३ सोने का एक तौल विशेष । ४ देखो 'नीको' । नीकळक - देखो 'निकळंक' । नीकळणी (बौ) - देखो 'निकळणा' (बौ) । नीकां क्रि०वि० ठीक तरह से अच्छी प्रकार से । 7 नोकाळ - देखो 'निकाळ' | ७७६ प्रत्य० सम्बन्ध की । - श्रव्य० देखो 'नहीं'। फैलाना | १अच्छा, ठीक । भला । ४ सम्मान | । | नीगमणी (ब)- कि० [सं० निर्गमनम् १ समन करना, जाना। २] विकलना, निकास होना ३ खोना, गमाना ४ व्यतीत । । करना, विताना ५ प्रदान करना देना ६ साबित होना, प्रमाणित होना, सिद्ध होना । ७ प्रसार करना, नीगळ (बो) - देखो 'निगळणी' (ब) । नीगवणी ( बौ) - क्रि० १ पसारना 'नीगमणी' (बी) । फैलाना । नीपरियो-वि० [सं०] निह] जिसके पेर न हो, गृहहीन नोघात - देखो 'निघात' । २ देखो ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नी० [सं० नोड] १ पक्षियों का घोंसला २ रहने का स्थान, निवासस्थान । ३ विश्राम स्थल । ४ स्थान, जगह । ५ गुफा, माद। ६ शय्या ७ नदी किनारे बसा नगर, ग्राम | ८ कुए से सींचा जाने वाला भू-भाग । स्त्री० ९ नदी, सरिता वि० १ स्तुति योग्य। २ देखो 'निकट' । नी, नी-देखो 'निकट' नीडो-देखो 'निकट नीचंग, नीचंघ - पु० [सं० नीचग ] पानी, जल । 1 २ कर्म ४ हे प छोटा मनुष्य । नीच नीच वि० [सं०] १ निकृष्ट, बुरा, अधम । जाति व गुणों से न्यून तुच्छ । ३ अल्प, थोड़ा घृणित ५ निकम्मा ६ दुष्ट, कमीना, बोना ८ मंद पु० १ श्रोछा ग्रादमी, क्षूद्र २ किसी ग्रह के भ्रमण वृत्त का वह स्थान जो पृथ्वी के अधिक निकट हो । ३ फलित ज्योतिष में किसी ग्रह के उच्च स्थान से सातवां स्थान । ४ चोर नामक गंध द्रव्य । ५ दशाएं देश के एक पर्वत का नाम ६ शूद्र वर्ण । ७] देखो 'नीची' । -कमाई - स्त्री० बुरे कामों से अर्जित धन । घृणित धंधा । गामी- वि० नीचे जाने वाला 1 नीच कर्मी । नीचाई देखो 'निवाई'। - नीति, नीचीत-देखो 'निश्चित' । नीचोड़णी पर नीच -- पु० [सं०] १ अपने उच्च स्थान से सातवें स्थान पड़ने वाला ग्रह । २ पानी, जल वि० १ नीच, पामर । २ नीचे जाने वाला | नीखगा स्त्री० [सं०] नदी, नरिता । नीचfगर, नीचगिरी- पु० दशा देश का एक पर्वत । नीच ग्रह-१० [सं०] नीच] किसी ग्रह के उच्च स्थान से गिनती में सातवां स्थान । नीचता स्त्री० [सं०] १द्रता, नीमा कार्य । २ छापन तुच्छता । ३ दुष्टता, कमीनापन । ४ दुष्कर्म । नोचधूणियों - वि० नीची गर्दन करके चलने वाला । नीचरलो, नोचलो-देखो 'निचलौ' । (स्त्री० नीचली) मीच स्त्री० [नीची भूमिका स्थान किसी स्थान या वस्तु की नीचाई । । ७ For Private And Personal Use Only नीचे, नीचे - क्रि०वि० [सं० नीचैः] १ निम्न भाग में । २ दबकर । ३ श्रधीनता में । ५ तुलना में, निम्न स्थिति में । ५ ऊपर से विपरीत दशा में ७ घटी हुई या न्यूनतर दशा में । नोवो देखो 'निचोड़ नीचोड़णी (बौ), नीचोरगी (बो), नीचोवणी (बौ) - देखो 'निचोड़णी' (बौ)। Page #786 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मोचौ www. kobatirth.org ( ७७७ ) नोचौ - वि० [सं० नीच ] ( स्त्री० नीची) १ जो न्यूनता, झुकाव, उतार या तल के पास की स्थिति में हो । २ उच्चता की तुलना में कम । ३ झुका हुम्रा, नत । ४ ढलुवा, ढालू । ५ निश्चित सीमा से नीचे आया हुआ । ६ नीच, निकृष्ट ७ क्षुद्र, ओछा । मध्यम, धीमा । - क्रि०वि० नीचे की तरफ । (ब) नीट (बी), नीट्टी (बी) ४० १ फेंकना, छोड़ना । २ प्रहार करना । नीजण, नोजणि (णी) - देखो 'निरजण' । नीजांमा पु० [देश०] मस्ताह, केवट नीजुड़णी (बी) - देखो 'निजोडो' (यो) | नीशांण (सी) वि० [सं० निध्वनि] ध्वनि रहित, शान्त, - चुप । २ देखो 'नीकरणी'। नीझर, नोकरण १ देखो 'निरकरण' नीमरणी पु० [सं० निर्भर १ सू २ देखो 'निरभर' । नीकरण (बौ) - क्रि० [सं० निर्भर ] १ टपकना, भरना, चूना । -- २ प्रांसू बहना । मांगो (बी) कि० पार पहुंचाना। नोठ - क्रि०वि० [सं० निष्ठा ] १ मुश्किल से, कठिनाई से । २ बहुत प्रतीक्षा के बाद वि० मुश्किल, कठिन नीरगी (बी) देखो ''बो नीटर देखो 'निस्टर' । नीडा, नोडांनीड, नीडांनीहि कि०वि० बड़ी मुश्किल से, कठिनाई से। जैसे-तैसे । नापणी नीतारणौ (बौ) - क्रि० [सं० निस्तरणम् ] १ पानी आदि में घुले पदार्थ को तल में बैठने देना । २ ऐसी व्यवस्था करके द्रव पदार्थ को स्वच्छ करना । ३ स्वच्छ हुए द्रव पदार्थ को धीरे-धीरे दूसरे पात्र में लेना । ४ सारहीन करना, तत्त्वहीन करना । नीतिमती [सं० नीति) १ समाज की बुराई न करते हुए अपनी भलाई करने की क्रिया । २ लौकिक व शास्त्रोक्त मर्यादा के अनुसार प्राचरण ३ अच्छा प्राचरण, सदाचार । ४ व्यवहार की रीति, पद्धति । ५ कार्य सिद्धि या स्वार्थ सिद्धि के लिये प्रयुक्त युक्ति ६ चाल-चलन, व्यवहार । ७ अनुशासन ८ उपयुक्तता । ६ राज्य या शासन चलाने की प्रमुख चार पद्धतियां । १० राजनीति । ११ सिद्धान्त । १२ उपयुक्त कार्य या व्यवहार । वि० नीतिकुशल मान बंत वांन वि० नीति को मानने वाला, नीति परायण, सदाचारी - सास्त्र- पु० वह ग्रंथ या शास्त्र जिसमें आचार-व्यवहार तथा शासन के विधान का वर्णन हो । नीतीतायौ, नोत्ततायौ, नीत्तीतायौ - देखो 'नित्तौतायो' । नीद, नीवडली, नीवड़ी-देखो 'निद्रा' | नीदाळ, नीदाळू, नीदाळू - देखो 'निद्राळू' । नोड, नोई, मोडलड़ी-देवो 'निद्रा'। नीतार - पु० १ पानी या द्रव पदार्थ में घुली वस्तु पैदे में बैठ जाने पर पदार्थ में होने वाली स्वच्छता । २ इस तरह स्वच्छ हुआ द्रव पदार्थ । ३ तल में बैठी हुई वस्तु । ४ सार, सारांश | नोधनौ-देखो निरधन' | नीधस स्त्री० नगाड़े या वाद्य की ध्वनि । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीधणि, नीधरिणको, नीधणियो, नीधणी - वि० बिना मालिक का लावारिस नोठारी (बौ) - देखो 'निठारणी' (बी) । नीटानी, नीडानीहि देखो 'नीठानीटि'। मीठावणी (यो) देखो 'नासो' बो नोठि, नीठी-देखो 'नीठ' । मीठोनीठ देखो 'नीठांनीड' नीडज - पु० [सं०] पक्षी । नीत १ देखो 'नीयत' २ देखो नीति' ३ देखो 'बेतीधोती' नीपक-पु० [देश०] १ याचक २ कवि पंडित । । । नीतचारी वि० [सं० नीति चारि नीति के अनुसार धार नोतरी (बौ) ० [सं० निस्तरणम् १ पानी या द्रव पदार्थ में घुली वस्तु का दे यान में बैठना २ उक्त किया से द्रव पदार्थ का स्वच्छ होना । रहित होना । नीतवंत, नीतयांन देखो 'नीतिवान'। नोतसास्त्र- देखो 'नीतिमास्त्र' । (a) बजना । २ बाजे बजना । -य [देश०] १ नगाड़े की ध्वनि होना, नोस देखो 'नोस' | नोली (बी) देखो 'नो' (बी)। नोप- देखो 'निप' । । । ३ । नीपजस्त्री० [सं० निष्पादन] १ उपज पैदावार २ उत्पत्ति । मोजणी (बी) क्रि० [सं० निष्यदनम् ] १ उपजना पैदा होना। २ अंकुरित होना। ३ सारहीन होना, तत्त्व ३ उत्पन्न होना । ४ बढ़ना, होना । ५ वृद्धि होना, बढ़ना । ६ पकना । ७ तैयार होना - बडा बनना । For Private And Personal Use Only नोपजायी (बो), नोपजावणी (बी) देखो निपजालो' (बो) नोपण-पु० [सं० लेपनम् ] १ ग्रांगन में गोबर प्रादि का लेपन । २ लेपन क्रिया । २ देखो 'निपुण' । नीवणी (बौ) - क्रि० [सं० लेपनम् ] १ आंगन में लेपन करना, लीपना । २ थोपना । ३ पोतना । ४ देखो'नीपजणी' (बो) । Page #787 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७७८ ) नीरणो नीपन . .. - नीपनरणी (बो)-देखो 'नीपजणी' (बो)। नीमरण-वि० सं० निमन] १ जो थोथा या पोपला न हो, नीपवरण (न)-वि० उत्पन्न करने वाला, उत्पादक । ठोम । २ निरोग । ३ पुष्ट । ४ दृढ़, मजबूत । ५ अच्छा, नीपारणौ (बौ), नीपावणौ (बो)-क्रि.१ प्रांगन में लेपन कराना। भला। २ थोपाना । ३ पोताना । ४ देखो 'निपजाणी' (बो)। नीमणायत-वि० [देश॰] मजबूत, दृढ़ । नीपियो-पोतियो-वि० लिपा-पुता। नीमणो (बौ)-क्रि० [सं० निर्मित] १ संकल्प करना । २ दृढ़ नीब, नीबड़, नीबड़लौ, नीबड़ियो, नीबड़ी, नीबडो-देखो 'नीम'। निश्चय करना । ३ प्राप्त करना, पाना । ४ बनाना, नीबांण-स्त्री. नींबू का वृक्ष । निर्मित करना। नीबात-पु० सं० नवनीत] १ मक्खन, नवनीत । २ मिश्री। नीमतरणौ (बौ)-क्रि० [सं० निमितम्] १ किसी के निमित्त -वि० १ कायर, डरपोक । २ कमजोर, अशक्त । करना, किसी के लिए करना । २ देखो 'निमंत्रणौ' (बी)। नीबाब-देखो 'नबाब'। नीमवण-वि० सं० निर्मनम] रचने वाला, रचयिता। नीबी-स्त्री० [सं० निविकृतिक] विकृति पैदा करने वाले पदार्थों नीमवर-पु० [फा०] कुश्ती का एक पेच । के त्याग का नाम (जैन)। नीमसारण्य-देखो 'नेमिसारण्य' । नीबीजो-देखो 'निरबीज'। नीमाणौ (बौ), नीमावरणो, (बो)-देखो 'नमारणो' (बी) । नीबू, नीबूडौ, नीबूडो-देखो 'नीबू' । नीमावत-पु० १ निम्बकाचार्य का अनुयायी । २ वैष्णव नोबोळी-देखो 'निबोळी । मम्प्रदाय का एक भेद । ३ रामावत साधुनों की एक शाखा । नीभर-१ देखो "निरभय'। २ देखो 'निरभर'। ४ इस शाखा का अनुयायी। नीमत-देखो 'निमित्त'। नीमियो-वि०१ नियम या व्रतधारी । २ संकल्पित । नीम-पु० [सं० निम्ब] १ एक प्रसिद्ध व बड़ा वृक्ष जिसके पत्ते, नीमोळी-देखो 'निमोळी' । छाल व मंजरी प्रौषधि में काम पाते हैं। २ गहराई।। नीमौ-देखो 'नमौ' । ३ तालाब के मध्य स्थान की गहराई व कठोरता। नीयता-देखो 'नियंता'। ४ देखो 'नियम' । -वि० [फा०] प्राधा, अर्द्ध । नीय-१ देखो 'निज' । २ देखो 'नीचे' । ३देखो 'नीच' । देखो 'नींव'। नीयत-स्त्री० [अ०] १ अान्तरिक इच्छा, मनोवृत्ति । २ भावना, विचारधारा। ३ उद्देश्य, लक्ष्य । ४ संकल्प । ५ नीति । नीमगिलोय-स्त्री० गिलोय नामक लता । नीयति-देखो 'नियति'। नीमड़-देखो नीम'। नीयांणा-देखो 'नियांरण, नियांणु' । नीमडणी (बौ)-क्रि० [सं० निवर्तनम्] १ नष्ट होना, बर्बाद | नीयाळ-देखो 'निहाल'। होना । २ समाप्त होना। ३ मर्यादा छोड़ना। ४ उत्तर | नीरग, नीरगु-देखो 'निरंग'। दायित्व निभाना। ५ देखो 'निपटगो' (बी)। ६ देखो नीर-पु० [सं० नीरम्] १ जल, पानी। २ रस । ३ अोज । 'निवड़णी' (बी)। ४ शोभा, कांति, दीप्ति । ५ गौरव. मान, प्रतिष्ठा । नीमड़ली (लो), नीमड़ियो, नीमड़ो, नीमडो-देखो 'नीम'। ६ आंसू, अथ । ७ अर्क । ८ द्रव । -वि० १ श्वेत-श्याम । नीमचमेली-स्त्री० सफद पुलों वाला एक वृक्ष । २ कृष्ण, काला । नीमचा-स्त्री० [फा०] एक प्रकार की तलवार । नीरन-देखो 'नीरज'। नीमजणी (बी)-क्रि० [सं० निष्पदन] १ ठानना, तय करना । | नीरखणी, (बौ)-देखो 'निरखणो' (बी)। [सं. निमज्जनम्] २ घुसना, प्रविष्ठ होना। ३ देखो | नीरज, (ज्ज)-पु० [सं० नीरज] १ कमल, पुडरीक । २ मोती। 'नीपजणी' (बौ)। ३ पानी में जन्म लेने वाला । ४ मल रहित कर्म (जैन)। नीम-जमीर-स्त्री० [सं० निम्ब-जमीर] एक प्रकार का वृक्ष। -वि. रज रहित । नीमजर-स्त्री० [सं० निम्ब + रा० जर] नीम पर प्राने | नीरण, नीरणो-स्त्री० [सं० नीरणं] १ मवेशियों के प्रागे चारा वाली बोर। ग्रादि डालने की क्रिया । २ मवेशियों के प्रागे चरने के लिये नीमटणी (बी), नीमडणी (बौ)-१ देखो “निवड़णो' (बी)। एक बार में डाला जाने वाला चारा । २ देखो 'निपटणी' (बौ)। नीरगो (बौ)-क्रि० [सं० नीरण] मवेशियों के आगे चरने का नीमड़ौ-देखो 'नीम'। चारा हालना । For Private And Personal Use Only Page #788 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोरव नीलग्रीव नीरद, नीरध-पु० [सं० नीरद] १ बादल, घन । २ मोर, मयूर।। १ बादल, घन । २ मोर, मयूर। नीलमरणी-देखो नीलमणि'। ___-नादानुळ-पु० मोर, मयूर । -बंध-पु० समुद्र, सागर । नील-पु० [म० नालिका, नील ] १ एक पौधा जिससे नीला रंग नीरधर-पु० [सं०] १ बादल, मेघ । २ समुद्र । निकलता है। २ नीला रंग। ३ लांछन, कलक । ४ श्रीराम नीरधारा-स्त्री० [सं०] १ नदी, सरिता । २ जल धारा । की सेना का एक बन्दर । ५ पवन, वायु । ६ इलावृत्त खण्ड नीरधि, नीरनिध, नीरनिधि-पु. [सं०] समुद्र, सागर । का एक पर्वत । ७ मंगल घोष । ८ नृत्य के १०८ करणों नीरनिवास-पु० [सं.] तालाब, जलाशय । में से एक । ६ एक प्रकार घोड़ा । १० एक नाग का नाम । नीरनेता-पु० [सं०] वरुण। ११ दस हजार अरब की संख्या। १२ एक प्रकार का सरनीरपत, (पति)-पु० [सं० नीरपति] वरुण । कारी कर । १३ एक प्रकार का फल । १४ महिष्मती के नोरबहणी, (वहरणी)-स्त्री० [सं० नीर-वह] नाव, नौका । राजा का नाम । १५ विष, जहर । १६ एक यम का नाम । नीरभव-पु० [स०] कमल । १७ प्रार्या गीति या स्कंधारण का एक भेद । १८ एक वणिक नीरभ-देखो निरभय'। वत्त विशेष । १९ वर्षा के पानो से मकानों पर जमने वाली नीरवाली-पा० एक लता विशेष । पपड़ी, कालिमा । २० पानी पर जमने वाली काई । नीरस-देखो 'निरस'। २१ कपडो पर दी जाने वाली नील । २२ नीलापन, नीरसमीप-१० [सं०] वरुण । नीलाई । २३ चोट के कारण शरीर पर पड़ने वाला दाग । नीरस्त-पु० [सं० निस्त्रिश] तीर, बारण । २४ नवनिधियों में से एक । २५ इन्द्र नीलमणि, नीलम । नीरांत-देखो 'नरांत'। २७ काले स्तनों वाली गाय । २७ जैनियों के ८८ ग्रहों में से नीरांतर-वि० [सं० निर-अंतक] शांत, चुप । एक । -वि. नीले रंग का, आसमानी। नीरांयत-देखो 'नरांत' । नीलग्रजनी-पु० शरीर पर नीले धब्बों वाला घोड़ा। नीराग, नीरागी-वि० [स.] १ राग-द्वेष से रहित, विरक्त, | नीलउनेत्र, नीलउनेत्र-पु. एक प्रकार का वस्त्र विशेष । उदास । २ प्रानन्द रहित । -पु० जिन-देव । (जैन) नीलऊ-देखो 'नीलो'। नीराजग (न, ना)-स्त्री० [सं० नीरजन] भारता उतारने की नीलकठ-वि० [सं०] जिसका कंठ नीला हो । --१० १ मार, किया। दीप-दान । परछन । मयूर । २ मूली । ३ एक चिड़िया । ४ शिव, महादेव । नीराळी-देखो 'निराळी'। ५गोरा पक्षी। नीरास-पु० १ निःश्वास । २ देखो 'निरास' । नीलकंठी-स्त्री० [स०] १ हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली नीरासइ-पु० [सं० नीराथय) तालाब, सरोवर । एक चिड़िया विशेष । २ एक पौधा विशेष । ३ देखो नीरि-देखो 'नीर'। 'नीलकंठ'। नीरु, नीरू-देखो 'नीर'। नीलक-वि० नीला, आसमानी। -पु. १ प्रासमानी या नीला नीरोअर-देखो 'नीरोवर'। रग। २ एक प्रकार का वस्त्र विशेष । ३ नीले रंग का नीरोग-वि० जिसे रोग न हो, तन्दुरुस्त, स्वस्थ । घोड़ा । ४ काला घोड़ा। ५ नीला थोथा, तूतिया । ६ नीला नीरोगता-स्त्री० स्वस्थता । आरोग्यता । तन्दुरुस्ती । इस्पात, बीदरी लोहा । ७ काला नमक । नीरोगी-वि० [म निरोगिन् ] स्वस्थ । तन्दुरुस्त । नीलकांत-पु० [सं०] १ हिमालय क्षेत्र में रहने वाली एक नीरोगौ-देखो "निरोग'। चिड़िया । २ एक मरिण, नीलम । नीरोपम, नीरोपमी-देखो 'निरुपम' । नीलक्क-देखो 'नीलक'। नीरोवर, (रि, रो)-पु० [सं० नीरवर] १ समुद्र, सागर । | नोलक्रौंच-पु० [सं०] काला बगुला । २ वरुण । ३ पानी, जल । नोलगर-पु० [फा०] १ रंगरेजों की एक जाति । २ देखो नीरौ-पु० [देश॰] १ भूसा, चारा, घास । २ देखो 'नीर'।। नीलगिरि। नीलंक, निलंग, नीलंगु-पु. १ एक प्रकार का बहुमूल्य वस्त्र । नीलगाय-स्त्री० गाय से मिलता-जुलता भूरे रंग का बड़ा २ शरीर का एक कोड़ा विशेष । हिरण। नोलंजरणा-पु० [सं०] १ इन्द्र की सेना का एक सेनापति । नीलगिरि, नीलगिरी-पु० [स० नीलगिरि] दक्षिण देश का २ विद्य त, बिजली। एक पर्वत। नीलठ, नीलंठौ-पु० [देश॰] जल, पानी। | नीलग्रीव-पु० [सं०] १ शिव, महादेव । २ मोर, मयुर । For Private And Personal Use Only Page #789 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नोलडी मौसरो नीलड़ो (ड, डो)-देखो 'नीनो'। (स्त्री० नीलड़ी) नीलावर-पु० रंग विशेष का घोड़ा । नीलचर-पु० [सं०] मच्छ, मछली । नीलि-वि० ताजी, हरे रंग की। नीळज, नीलज-देखो 'निरलज्ज' । नोलुहर--पु० वस्त्र विशेष । नीलजा-स्था[सं०] नील पर्वत से निकलने वाली एक नदी। नीलूइ-पु. शाक विशेष । ोलम। नीलोतरि, नीलोती-स्त्री. हरी सब्जी । वनस्पती । नीलजु(जो, ज्ज, जौ)-देखो 'निरलज्ज'। नोलोत्पळ-पु० [सं० नीलोत्पल] नीलकमल । नीलटांच, नीलटांस-पु० [देश॰] १ गरुड़ पक्षी । २ एक नीलोदबा-पु० [सं० नीलोद्वाह | प्रथमाद्विक (वर्ष) पर किया अन्य पक्षी । जाने वाला कर्म । नीलडू, नीलडो-देखो 'नीलौ' । नीलो-वि० [सं० नीलिनं (स्त्री० नीली) १ आसमानी, नीला, नोलण-स्त्री. हरी सब्जी। ग्राकाश जैसा। २ गहरा हरा । ३ तुरंत का, ताजा। नीलणौ (बो)-क्रि० १ हरित होना, हरा-भरा होन। । २ प्रसन्न । ४ आर्द्र, गीला। -पु० १ रंग विशेष का घोड़ा । २ घास । होना, खुश होना। ----प्रजन-पु० नोले धब्बों वाला घोड़ा। -चंपो-पु. नीलधुज, नीलध्वज-पु० [सं० नीलध्वज] १ नारद को मोहने नीले फूलों वाला वृक्ष। --चैर-वि० अत्यन्त नीला, . वाली कन्या का पिता, एक राजा । २ तमाल । गहरा हरा । -- यूथौ, थोथी-पु० तांबे की उप धातु, नीलनायक-पु० एक प्राभूषण विशेष । तूनिया। नीलनेत्र, नोलपट-पु० एक प्रकार का वस्त्र । नोव, नीव-देखो 'नींव' । नीलफुरमास-पु० [देश॰] एक प्रकार का सरकारी कर। नीवडणी (बी), नीवडणौ (बी)-कि० सं निवर्तनम् १ निवृत्त नीलम, नीलमण, नीलमणि, नीलमरणी,नीलमिण, नीलमिणी-पु० होना, निपटना। २ पूर्ण होना, पूरा होना । ३ पृथक [सं० नीलमरिण] नाले रंग का रत्न । नीलमणि। होना । ४ समाप्त होना, खत्म होना । ५ देह त्यागना । नीलमार-पू० [सं० नीलमयूर हिमालय क्षेत्र में रहने वाला संसार छोड़ना। ६ देखो "निपटगो' (बी)। ७ देखो एक कुकरी पक्षी। 'नीमड़रणौ' (बौ)। नीलरतन, नीलरत्न-पु०स० नीलरत्न नीलमणि, नीलम। नोवतरणी (बौ)-देखो 'निमंत्रणो' (बौ) । नीललेसा-स्त्री० मं० नोलनेण्या] प्रात्मा को शुभाशुभ कौ । नीवांण (गो)-देखो 'निर्माण'। में प्रवृत्त करने वाला लत्त। नोवा-देखो 'न्याव' । नोलवत-पु. [सं०] एक पर्वत का नाम (जैन)। नीवाई-वि० १ उष्ण, गर्म । २ दखा 'न्याव' । नोलवटनीलवड (डि)-पू० १ वस्त्र विशेष । २ देखो 'निले'।नीवारदेखो 'निवार'। नीलवण, नीलवरिण-स्त्री० [देश०J१ हरी सब्जी । २ वनस्पती। नीवारणी, (बी)-देखो 'निवारणी' (बौ) । नोलवी-देखो 'नीलम'। नोवालूबौ-वि० [देश॰] निर्लज्ज, निगोड़ा। नीलवन-पू० [सं० नीलवृषभ] १ विशेष प्रकार का सांड या नीवाह-देखो 'न्याव' । बछड़ा। २ मृत पुरुष के पछि साड बनाया जाने वाला नीवि-स्त्री० [सं०] १ स्त्रियों द्वारा कमर में धोती बांधने की बछड़ा। ___ गांठ । २ इजारबंद, नाड़ा। नीलांबर--पू० [सं०] १ नीला वस्त्र । २ राक्षस, दानव। नीवी-स्त्री०[देश॰] १ बचत, बचाया हुप्रा धन । २ द्रव्य कोष । ३ शनिश्चर, शनिग्रह । ४ बलराम। ५ नीलाकाश । । ३ देखो 'नीवि'। -वि० नीले वस्त्र वाला ।। नीवेद-देखो 'नेवैद्य' । नीलांबरि स्त्री० एक राग विशेष । नीव्रत, नीति-पु० [सं०निवृत्ति] १ देश । २ देखो 'निव्रत' । नीलांबुज-पु० [सं०] नीलकमल । नीलांम-देखो 'लीलांम। नीसंक-देखो 'निसक' । नीलामि-देखो 'लीलामी' । नीसत-वि० [सं० निः सत्व] १ कायर, डरपोक । २ अशक्त, नीलांचल, नीलाचल-पु० नीलगिरि पर्वत । कमजोर । ३ असमर्थ । नीला-स्त्री० [सं० नील] कुबेर की नौ निधियों में से एक । | नीसरणी-देखो 'निस्त्रेणी' । नोलाज-पु० [सं०] नीलकमल । नीसरणी, (बो)-क्रि० [सं० निःस्त्रि] १ निर्गमित होना, जाना। नीलावट-देखो 'निल'। २ व्यतीत होना । ३ पलायन करना, भागना । ४ गमन For Private And Personal Use Only Page #790 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निसारण मुसखो करना, चला जाना । ५ चलना, विचरना । ६ संचरित होना, नुकती--पु० [अ० नुकत:] १ सुक्ष्म व सारगर्भित बात । २ रहस्य गुजरना । ७ पास से होकर गुजरना । ८ बाहर निकलना, मय विषय । ३ गुढ़ तत्त्व । ४ उक्ति। ५ चुटकला। ६ दोष, राना । ९ प्रदत्त होना, मिलना। १० पार होना । ११ एक अवसर या ममारोह । तरफ से दूसरी ओर जाना । १२ छेद कर या रास्ता बनाकर | नुकरी (री-वि० [अ० नुकर] चांदी के समान श्वेत, सपद । निकलना । १३ प्रयाग या प्रस्थान करना । १४ प्राभासित -पु०१ रावत रंग का घोड़ा, घोड़ी। २ चांदी । ३ टुकड़ा, होना । १५ जन्म लेना, जन्मना । १६ उत्पन्न होना, पैदा खण्ड। होना । १७ प्रकट होना । १८ प्रकाशित होना,उदय होना । | नुकळ नुकल, नुकळी-पु० [अ० नुक्ल ) १ शराब या अफीम सेवन ५९ अचानक उपस्थित होना । २० पहुँचना ।२१ उद्भूत के पश्चात मुह साफ करने के लिये खाया जाने वाला पदार्थ । होना, झरना । २२ अलग होना, पृथक होना । २३ घसी २ देखो 'नकुळ' । हई वस्तु का बाहर होना । २४ देखो 'निकळणो' (बी)। नुकसान-१० हानि क्षति । नीसांण-१ देखो 'निसांण' । २ देखो निसारणो' । नुकसान जरायत-पु० घास, फूस व तालाबों को हानि पहुंचाने नीसांगची-देखो 'निसांणची' । पर लिया जाने वाला दण्ड । नीसांण - देही-देखो 'निसांग - देही'। नुक्कड़-पृ० [फा० नोक] १ गनी या रास्ते का सिरा, नुक्का । नीसांग - बरदार-देखो 'निसारण- बरदार' । २ सीमा, हद, छोर। नीसांरिण-१ देखो 'निमांण' । २ देखो 'निसांगी' । नुक्स-पू० [अ० | ऐब, अवगुण । कमी, कसर । नीसाट-देखो निसाट' । नुखत, नुखता--स्त्री० [अ० नुम्त ] ऊट का नकल की रस्सा । नीसार-पु०धुपा, धूम्र। नुखती-देखो 'नुकती'। नीसास, नोसासो-देखो "निस्वास' । नुखतौ-देखो 'नुकता'। नोहचइ-क्रि० वि० निश्चय ही। नुखत्त, नुखत्तौ-देखो 'नुखत, नुखता'। नीहट्टरपो, (बौ)-देखो 'निहट्टगो' (बी)। नुगट-देखो निगोट'। नोहसणी, (बो)-देखो 'निहमगो' (बी)। नुगणी-देखो 'निगुण'। नीहार-पु० [मं० १ अधकार, अंधेरा । २ कुहरा । ३ हिम, नुगरी-वि० [सं० निगुरु] १ जिसने गुरु का ज्ञान न लिया हो। पाला बर्न । योस । ४ स्वप्न, सपना । ५ अवलोकन, दृष्टि- कता । ३ गचोर । पात । ६ मल-मूत्र । नुगुण, नुगरणी-देखो 'निगुण' । नीहारणी, (बी)-देखो 'निहारणो' (बौ) । नुगुरौ-देखा ‘नगर । नीहारी-पु० [स० निर्हारि] पर्वत की गुफा में किया जाने वाला नुचरणौ (बी)- [सं० लुचन] १ झटके के साथ बाल आदि अनसन, मरण, संथारा, समान। उखाड़ने की क्रिया या भाव। २ नोचा जाना, नुचना । नोहाळणी (बौ), नीहालणौ (बो)-१ देखो 'निहारणी' (बी) । ३चन करना । ४ झटके से खींचना। ५ खरोंचना, २ देखो 'निहाळगौ' (ौ)। कुचरना। नीहाव-देखो 'निहाव। नुति, नुती-स्त्री० [सं० तुतिः १ स्तुति, वंदना । २ पूजा, नु-देखो 'नू'। अर्चना । नुह-देखो 'नख' । नुमाइस-स्त्री० [फा० नुमाइश १ प्रदर्शनी । २ दिखावा, प्रदनु-पु० १ राजा जनक, विदेह । २ शरीर । ३ बन, कानन । शंन । ३ सजावट, तड़क-भड़क । ४ दिखावे के लिये रखी ४ बाल । ५ शक्ति, बल । ६ कमजोरी, अशत्तता । ७ प्रशंसा, वस्तुए । -गाह-पु० प्रदणे नी लगाने का स्थान । . तारीफ । ८ पूजा, अर्चना। ९ नोति । १० देखो 'नहीं' ।। नुमाइसी-वि० [फा०] १ प्रदर्शन लायक । २ दिखावटी । ११ देखो 'न'। । ३ प्रदर्शनी में रखने लायक । नुई-देखो 'नवी'। नुमु-देखो 'नवम'। नुल-पु. नेवला, नकूल। नुकताचोरण, (न)-वि० [फा०] दोष ढूढ़ने वाला, छिद्रान्वेषी। नुसखो-पु. [अ० नुसखा] १ किसी रोग का समाप्त करने के नुकताचीणी, (नी)-स्त्री० [फा०] दोष निकालने की क्रिया या लिये विभिन्न प्रौषधियों का योग, मिश्रण । २ चिकित्सा भाव, छिद्रान्वेषण । की विधि।३ रोगी के लिये चिकित्सक द्वारा बनाया हुमा नुकती-स्त्री० [फा० नखुदी] बेसन का बना बू दी नामक मिष्ठान्न । पत्र. चिट। For Private And Personal Use Only Page #791 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नूहाली देखो''। मुहाली लौ १ देवो 'नवेली' । तुहेलो- देखो 'नवेलौ' । २ देखो 'नवीन' । ( स्त्री० नुहेली ) नू - प्रत्य० को १ कर्म और सम्प्रदान का विभक्ति प्रत्यय, २ तृतीया या करण तथा पंचमी या अपादान का विभक्ति प्रत्यय से ३ चतुर्थी या संप्रदान का विभक्ति प्रत्यय लिए ४ देखो 'नहीं' । ५ देखो 'नख' । 'ई-देखो 'नवी'। 'मित्र' (यो) । www. kobatirth.org जलियो-देखो जो नूजरणी, तू जरणी-पू० [सं० न्युब्जनः ] १ दुहते समय गाय के पिछले पांव बांधने की छोटी रस्सी । २ गाय दुहने समय उसके अगले पांव से बछड़े को बाधने की रस्मी । जणी (बो) कि० [सं० नम्] १ दुहते समय गाय के पिछले पांव बांधना। २ दुहते समय गाय के अगले पांव से बछडा बांधना । ३ बांधना । न्त-देखो 'नंत' । नूतलो-देखो 'निमंत्रण'। तो (बी) तार पु० [सं० निम त्रित व्यक्ति । ( ७८२ ) १ निम देने वाला २ निर्म नूपुर-देखो 'नृपुर' | नूर देखो 'नूर' | नू'खो-देखो 'नवो' (स्त्री० नू वी ) नहर (बी) - देखो 'निमंत्रणी' (बो) । नू-पु० १ स्त्रियों के पांव का श्राभूषण, नूपुर । २ कंठ । तीर, शर । ४ नित्य ५ पति-पत्नी दम्पति । नारी ७ देखो 'ड्र'देखो 'नहीं'। नूजरण, नूजरिगयो, नूजरगी, नजरगो-देखो 'नू'जणी' । जणी (at) - देखो 'नू' जगो' (बो) । । तारौ वि० [सं० निमंत्रित] (तारी) निमंत्रित मुसो १ देखो 'निमंत्रण' २ देखो 'ने'। नंबर, पोर-स्त्री नसून में गड़ी फांस । बदली स्वी० १ हाथी के लिये भोजन रखी सामग्री । २ सामान । ३ भोज, गोट । ४ याददाश्ती की लिखावट । दो (बी० [देश०] १ स्मरणार्थ वही में लिखना। २ दर्ज करना, अंकित करना । ३ नकल उतारना । ४ 'मूंद' की सामग्री तोलना । नृब-शे-बही स्त्री० याददाश्त या नकल उतारने की बही । नून, नी-१ देखो 'नूनी' । २ देखो 'न्यून' । नुनता- देखो 'न्यूनता' । 1 नूत-पु० [सं० चूत् ] १ ग्राम्र धाम । २ देखो 'नंत' । तो (बो) देखो 'निमंत्रणो' (बी)। ३ बाण, ६ स्त्री, नूतन वि० [सं०] १ नवीन, नया । २ ताजा हाल का । अनोखा विलक्षण, पूर्व तरणी (बी) - देखो 'निमंत्रणो' (बी) । तारा स्त्री० एक जाति विशेष । तारी स्त्री० पी० तारी) नूतारा' जाति का व्यक्ति देसी निमंत्रण' २ देखो 'ने'। नून १ देखो 'मून' २ देखो 'न्यून' मकड़ी, इनकी देखो''। नूनता, नूनताई- देखो 'न्यूनता' । नूनवायो-देखो 'निवायो' । नूह - पु० [अ०] एक पैगम्बर । नॅडो-देखो 'निसंडों' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूत अनोखा अपूर्व । " नूनी-स्त्री० छोटे बच्चे की मूत्रन्द्रिय । नूप वि० [सं० धनूप] नूपर, नूपुर - पु० [सं० नूपुर ] १ स्त्रियों के पांवों का श्राभूषण, पायल | २ एक प्रकार का बाजा । ३ प्रथम गुरु रागरण के प्रथम भेद का नाम । नूर- पु० [ प्र० ] १ कांति, दीप्ति । २ श्री, शोभा, ग्राभा ३ प्रकाश, रोशनी 1 ४ तेज । ५ शौयं । ६ जोश । सच्चिदानन्द ईश्वर। सौंदर्य, सुन्दरता, लावण्य । ६ रूप, स्वरूप, शक्ल । १० नेत्र की वह शक्ति जिससे दिखाई देता है नेत्र ज्योति ११ प्रतिविद विव १२ कीर्ति, प्रतिष्ठा, सुयश 1 तुरतौ- देखो 'नवरात्र' । 1 बांगी रांणी स्त्री० [० रानी] [१ प्रकाश चमकदमक २ रूप, सौंदर्य, लावण्यता । ३ मुख को ग्राकृति, भाव । नूरी- वि० प्रकाशमान, उज्ज्वल । दूरी-१ देखी 'दूर' २ देखो 'नोहरों' नवी - १ देखो 'नवमी' । २ देखो 'नवी' | वो देखो 'नव'। ने पु० १ कुत्ता, स्वान | ४ छडी । ५ देखो 'ने' । 'ने' - देखो 'नेस' 1 मेज , For Private And Personal Use Only २ अयन मार्ग ३ नेत्र, चक्षु | नेग्रटी - पु० [देश०] १ जलाशय से अनावश्यक पानी निकालने की मोरी, नाला । २ उक्त नाले से निकलने वाला पानी । नेश्रर - देखो 'नेवर' । नेमी - वि० [सं० नवति ] नब्बे के स्थान वाला । नेउर, नेउरी-देखो''। नेउस देखो 'कुल'। नेउ, नेऊ वि० [सं० नवति ] सौ से दश कम, नब्बे । - पु० नब्बे की संख्या, ६० । Page #792 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मेऊ'क www.kobatirth.org ( ७८३ ) का वर्ष नेहर-देसो 'नेवर । नेक - वि० [फा०] १ शिष्ट, सभ्य, सज्जन । २ अच्छा भला । ३ उत्तम श्रेष्ठ । ४ ईमानदार, सच्चा । -चलरण, चलन- वि० अच्छे चाल-चलन वाला, सदाचारी 1 • चलनी स्त्री० सदाचारिता । नांम वि० यशस्वी | ख्यातिवान । नांमी स्त्री० यश, ख्याति । नीयत स्त्री० ईमानदारी की भावना अच्छी नीयत - वि० ईमानदार। -नीयती स्त्री० अच्छी नीयत । ग्रच्छा संकल्प । नेकर, नेकरियों स्त्री० १ कमर से घुटनों तक बना पुरुषों या बच्चों का प्रधोवस्त्र । २ हल में हरीसा फंसाकर लगाई जाने वाली कील । काळ-देखो 'निकाळ' | नेकाळी- देखो 'निकाळी' । नेऊ'क- वि० नब्बे के लगभग । नेजादाऊदी, नेजादावदी स्त्री० एक प्रकार का पुष्प । नैज: नेहमी - वि० (स्त्री० नेऊमीन के स्थान बाना पु० मध्ये मेजावरदार पु० [फा० नं वरदार १ राजा-महाराजायों की ध्वजा प्रादि लेकर चलने वाला 1 २ चलने वाला | भाला लेकर नेजायत - वि० १ श्रपना खुद का झण्डा रखने वाला योद्धा । २ मालाधारी योद्धा । नेकी - स्त्री० [फा०] १ मज्जनता, सौजन्यता । २ भलाई सद्व्यवहार । ३ ईमानदारी । --बंध - वि० भला, ईमान नेजरूप - go बरछी | नेजाइल- देखो 'निजायल' । ३ सीमा पर नेगू स्त्री० रस्सी (मेवात ) | 'नेही देखो 'नेहड़ी' | नेचा देखो 'नीचे' । नेवो-देखो 'यो' । नेज-देखो 'नेजो' | नेजबंध, ( धी) - वि० भाला नामक शस्त्रधारी । नेबाज - स्त्री० [फा०] एक प्रकार की बन्दुक | वि० भाला रखने वाला, भाला चलाने वाला । नेजम-देखो 'तेज' । नेजाळ (छौ) - त्रि० १ भालाधारी वीर । रखने वाला वीर । ३ देखो 'नेजो' । नेजौ-पु० [फा० नैज: ] ३ भाला । ४ बरछा 1 नेट, नेटि ने पु० [देश०] -क्रि०वि० १ अन्त में दार, सज्जन । नेम - वि० १ दृढ़, स्थिर । २ पक्का, स्थाई । गड़ा पत्थर | खवा - वि० [० नेक-स्वाह] शुभचिंतक | नेग- पु० [सं० रिजर्] १ शुभ कार्यों के साथ जुड़े कुछ रीतिरिवाज, प्रा२शुभ कार्यों में प्रथा के अनुसार सनेत धितों प्रचितों आदि को दी जाने वाली भेंट पुरस्कार 1 आदि । दार पु० 'नेग' पाने का हक रखने वाला । - धर-पु० 'नेग' पाने का अधिकारी । नेगट- पु० [देश० ] 'तरवण' नामक पौध के बीज । नेगवीन- देखो 'नैगवीन' | गायण, नेगी - वि० (स्त्री० नेगरण) नेग लेने वाला, नेग पाने का अधिकारी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेत्रज ३ नहीं तो । ४ देखो 'नीठ' । नेवल (बोक० सं०निष्ठान्प्रट करना दिलाना १ झंडा, पताका । २ ध्वज दण्ड । ५ देखो 'नोजा' । १ ममं मेद, थाह २ निश्चय खिर में २ निपट, बिल्कुल २ प्रदर्शन करना । नेठाउनेठा, नेठाह पु० [सं० निष्ठा धीरज, धेयं संतोष २ अपना झण्डा [सं० निस्थात ] स्थान, जगह । ने 'ठौ पु० [सं० नष्ट ] १ अन्त, समाप्ति, पूर्णता । २ छोर जिरा, मीमा नेठौ-देखो 'नेठाव' । नेत - पु० १ भाला । २ झंडा, ध्वज पताका । ३ मर्यादा | ४ देखो 'नियति' । ५ देखो 'नीयत' । ६ देखो 'नीति' । ७ देखो 'नेत्र' ८ देखो 'नेतरी' । कि०वि० निश्चय ही ण-पु० [सं० त्रिनेत्रं शिव, महादेव | । नेतबंध, नेतबंधी पु० १ मर्यादा रखने वाला, मर्यादा बांधने वाला । २ अपना झंडा रखने वाला योद्धा । ३ राजा, नृप । नेतर-१ देखो 'नेत्र' । २ देखो 'नेतरी' । नेल, नेत्र ने० [सं०] १ 1 तरी पु० [सं० ने] १ मथदण्ड घुमाने को रस्सी २ ते समय गाय के पांव बाधने की रस्सी । । नेता - वि० [सं० नेतृ] १ नायक, अगुवा, अग्रगण्य । २ स्वामी, प्रभु । ३ निर्वाहक । ४ देखो 'नित्य' । नेत्रज - पु० [सं०] प्रांसु श्रश्रु । " For Private And Personal Use Only नेति नेती- वि० [सं० नेति] जिसकी इति न हो, अनन्त । - पू० १ परमात्मा ब्रह्म २ अनन्तता सूचक शब्द | ३ राजा, नृप । ४ देखो 'नेत' । ५ देखो 'नीति' । नेती धोती स्त्री० [पोग की एक किया। नेतो-१ देखो 'नेतरौ' । २ देखी 'नेता' । २ एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । ३ एक प्रकार की लता व उसका फल । ४ देखो 'नेतरी' । Page #793 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंत्रजगदीस्वर ( ७८४ ) नेस नेत्रजगदास्थर-पु० [सं० नेत्रजगदीश्वर] ईश्वर का नेत्र, सूर्य। नेमी-पु० [सं०] १ चन्द्रमा । २ नियम पूर्वक नित्य कर्म नेत्रजळ-पु० [सं० नेत्रजल] प्रासु, अथ । आदि करने वाला । ३ नियम पर दृढ़ रहने वाला। नेत्रण, नेत्रजोनी-पु० [सं०नेत्रयोनि] १ इन्द्र । २ चन्द्रमा,चांद। ४ देखो 'नेमि' । नेत्रपट्ट-पु० [सं०] एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । नेमीसर-देखो 'नेमिनाथ'। नेत्रपालबणी-स्त्री० डिंगल का एक । गीत । नेर-देखो 'नगर'। नेत्रबंध, नेत्रबधण, नेत्रबधी-देखो 'नेतबंध' । नेरउ-देखो 'निकट' । नेत्रबाळी-पु० [सं० बाल] एक क्षुप विशेष । नेरणी-देखो 'नैरणो'। नेत्रभाव-पु० [सं०। संगीत या नृत्य संबंधी, नेत्रों द्वारा प्रगट नेरतियो-वि० नैऋत्य कोण वाला । -पु० नैऋत्य कोण से बहने किये जाने वाले भाव । वाला पवन । नेत्रमंडळ-पु० [सं०] १ नेत्रों का वृत्त घेरा । २ अांख का डेला। नेरू-पु० १ नाखूनों से चीर-फाड़ कर खाने वाला मांसाहारी नेत्रमळ-पु० [सं० नेत्रमल ] नेत्रों से निकलने वाला मेल । एक जानवर । २ एक रोग विशेष । नेत्रमूढ--वि० सं०] मिलित नेत्रों वाला, बन्द नेत्रों वाला। | नेरे-देखो 'नर'। नेत्रवाळौ-देखो 'नेत्रबालौ'। नेलियौ, नेलौ-१ देखो 'नैरणो' । २ देखो 'ने'लो'। नेत्रौ-देखो 'नेतरो'। नेव-पु० [देश॰]१ मकान पा छप्पर का दलुवां भाग। २ देखो नेदारण, (णी)-देखो 'निदाण' । 'न्याव' । ३ देखो 'नव' । नेपत, नेपति, नेपती, नेपत्ति-१ देखो 'नेप' । २ देखो 'नेपथ्य'। | नेवग... देखो 'नेग'। नेपथ्य-पु० [स] १ नृत्य अभिनय आदि के पर्दे के पीछे का नेवगी, (गो)-पु० [स्त्री० नेवगण] १ नाई, हज्जाम । २ देखो स्थान । २ रंग भूमि. रंगशाला। ३ पाव । -करम-पु० 'नेगी। ७२ कलायों मे से एक। -योग-पू०६४ कलाओं में से । नेवर-प० ग्रांख नगत । नेवछावर-देखो 'निछरावळ' । नेपुर-देखो 'नूपुर' । नेवज, (ज्ज)-देखो 'नैवेद' । नेप-पु. स निष्पदनम् १ उपज, पैदावार । २ उत्पत्ति क्षेत्र। नेवतणी, (बौ)-देखो 'निमंत्रणो' (बी)। ३ प्रचुरता, वृद्धि। नेवर-पु० स० नूपुर] १ स्त्रियों के पावों का आभूषण विशेष, नेफादार, नेफेदार-वि० जिसमें नफा लगा हो । पायल । २ घोड़े के पैर में पहनाने का प्राभूषण । ३ घोड़े के पैरों की परस्पर रगड़ से होने वाला रोग विशेष । नेफी-पु० [फा०नेफ:] लहगे, पायजामें आदि में बना, नाड़ा डालने ४ मनुष्य के टखने की हड्डी।। का स्थान । नेवरा -स्त्री. १ सात मात्रामों की एक ताल । २ देखो 'नो' रा'। नेम-पू० सं० नियम] १ व्रत, उपवास । २ संकल्प, प्रतिज्ञा । | नेवरिया-देखो 'नौरा' । ३ व्रत, उपवास का नियम । ४ देखो 'नियम'। ५ देखो नेवरियो-पू०वह घोड़ा जिसके पांव चलते समय परस्पर रगड़ "निमित्त' । ६ देखो 'नेमिनाथ' । खाते हैं। नेमणायत, नेमणियायत-वि० [सं० नियम] दृढ़ प्रतिज्ञ, अपनी गोखो मेवा', बात पर पक्का । नेवलियो, नेवळो, नेवलौ-देखो 'नकुळ' । नेमणो, (बी)-क्रि० [सं० नियमनम् १ निश्चय करना, दृढ़ नेवारी-स्त्री० जुही जाति की एक लता। विचार करना । २ नियम बनाना। ३ गर्भ धारण करना । नेवासी-देखो 'निवासी'। नेमप्रात-पु० [सं० नियमः + प्रातः] दान वीर राजा कर्ण । नेवुर-देखो 'नेवर। नेमा-देखो 'नियम'। नेस, नेसड़ नेसड़ौ,-वि० बना हुआ। नमि--स्त्री० [सं०] १ चक्र की परिधि, पहिए का वृत्त । २ भूमि, | नेसडू, नेसडौ-पु० [सं०निवेश] १ निवास स्थान, घर । २ चारणों घरती। ३ देखो 'नेमिजन' । ४ देखो 'नेमिनाथ' ।। की जागीर का गांव । ३ नगर, शहर । ४ जंगली नेमिजन, (जिन)-पु० [सं०] १ महाविदेह क्षेत्र में होने वाले जानवरों के नुकीले दांत । ५ ऊंट के मुंह के सामने के दांत । २० विरहमानों में से १३ वां । २ नेमिनाथ । ६ असुर, राक्षस । ७ एक प्रकार की तेज शराब। देखो नेमिनाथ पु० [सं० २२] वें तीर्थंकर । (जैन) 'निसा'। For Private And Personal Use Only Page #794 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मसन नानयो नेसन-पु० [अं० नेशन] १ जाति, वर्ण । २ देश, राष्ट्र। प्रत्यय । -स्त्री० [फा०] १ हुक्के की निगाली। २ देखो नेसला-स्त्री० [देश॰] ऊट के चार जामे की रस्सी विशेष । 'नदी'। नेसार, नेसाल-देखो 'नेसावर'। नैकाळ-देखो ‘निकाळ'। नेसाळ, नेसाळा, नेसाळि--स्त्री० [सं० लेखशाला १ पाठशाला, नंगदीन-पु० [सं० नवगव्य नवनीत, मक्खन । विद्यालय । २ देखो 'नमाळी'। नं डी-स्त्री• मथनी के सहारे का उपकरण। नेसाळयो-पु० १ विद्यार्थी । २ देखो 'नेसाळो' । नड़, नैरो, नडो-वि० [सं० निकट] (स्त्री० नडी) पास नेसाळी, नेसावर, नेसावरियौ-पु० चौमड़ के पूरे दातो वाला ऊंट। समीप, निकट । नेसास, नेसासौ-देतो निस्वास'। नचाबद-वि० [फा०] हुक्के का नैचा बनाने वाला। नेस्ती-पु० जाति विशेष । नंचौ-पु० का नैचः] हुक्के की निगाली। नेह, नेहड़लु, नेहडलो-पु० स्नेह, 'यार, प्रेम । न'चौ-देखो 'नहचौ' । नेहड़ी-स्त्री० मथनी के साथ जुड़ने वाली लकड़ी । नेछ-क्रि०वि० [सं०निश्चय] १ निश्चिंतता से, तसल्ली से, धैर्य नेहड़ी- देखो 'नेह। से, आराम से । २ धीरे से । नहचं, नेहचौ-देखो 'निस्चय' । । नछी-पु० [सं० निश्चय धर्य, तसल्ली, पाराम । सन । महडी (ढ)-देखो 'निसंडौ । नजरण, नजरिणयौ, नेजरणो-देखो जणी'। नहणी-१ देखो 'नगणौ' । २ देखो 'नेणो' । ३ देखो 'नयन'। नजणौ (बो)-देखो 'जणी' (बो)। नेहणौ, (बौ)--क्रि० [सं० स्नेहनम् ] स्नेह करना, प्रेम करना । नंठाव-देखो 'नेठाव' । नेहप्रिय, (प्रीय)-पृ० [सं० स्नेहप्रिय ] दीपक । नड-देखो 'नांड'। नेहरू, नेहरौ-देखो 'नेरू' । नैरण-पु० [सं० नयन] १ अांख, नयन । २ दो की संख्या । नेहलउ, नेहलु,नेहलो-देखो 'नेह' । -र-पु० प्रांख का एक रोग। -सुख-वि० जो अांखों नेहवाळ, नेहवाळी-वि० (स्त्री० नेहवाळी) संतान के प्रति स्नेह को भला लगे । -पु. एक प्रकार का वस्त्र । --हजार युक्त, वत्सल । ममता वाला। -पु० इन्द्र । नेहवी-वि० प्रेमिका, प्रेयसी । नैरणसघरण-पु० [सं० नयन-सघन] मेघ, बादल । नहानेह, नेहानेह-० [सं० स्नेहा दीपक । ने'लो-[पु० देण.] मूग, मोठ,घास प्रादि, के पोधों का छोटा टेर। नेहा-देखो 'नेह'। नेत-स्त्री० [सं० निमंत्रण] १ विवाहादि मांगलिक अवसरों पर नेहालंदी-वि० [सं० स्नेहानंदिनो] प्रेयसी, प्रेमिका । कुटुबियों व रिश्तेदारों द्वारा दिया जाने वाला द्रव्य । नेहाळ नेहाळू , नेहाळी-वि० (स्त्री० नेहाळी) प्रेमी, प्रिय। २ भेंट, उपहार । नेही-वि० स्नेह वाला, प्रेम वाला। मंतरणौ (यो)-क्रि० स० निमंत्रणम्] १ मांगलिक अवसरों पर नेह, नहो-देखो नेह' । द्रव्यादि भेट करना । २ देखो 'निमंत्रणौ' (बौ)। ने-देखो 'ने'। नेतबध (बधी)-देखो 'नेतबंध' । नंग-पु० [सं० न्यङ्गा अविगहित साधु या संन्यासी । नंतरौ-देखो 'निमंत्रण' । नंगी-स्त्री० [सं०] घास का चरा बनाने के काम पाने वाला नैतियार--देखो 'निमंत्रीहार'। काष्ठ का एक उपकरण । अहटन । नंती-पु० [सं० निमंत्रण] १ मांगलिक अवसरों पर प्रजा मे नंज-पु० [देश॰] प्रबंध । लिया जाने वाला कर । २ देखो 'निमंत्रण' । मेंण-देखो 'नयन'। ! नैन-१ देखो नैग' । २ देखो 'नैनम'। नेणो-देखो 'नखहरणी' । ननकड़ी, मनकियौ-देखो 'नैनौ । (स्त्रा० ननकड़ी, नैनकी) नैतरणौ, (बौ)-देखो "निमत्रो (बी) । ननरणो-देखो 'नू जणों। नैरांत-देखो 'नैरांत'। नसार-देखो ‘निमार'। नैनणों (बी)-देखो 'नजग्गो' (बी)। नै-प्रव्य० [सं० कर्णे] एक सयाजक अध्यय । और, एवं । ननप नप, ननम--स्त्री०सं० न्यच अवयस्कला, नाबालिगी, -कि०वि० पोर, तरफ । लिय, वास्ते । -प्रत्य०१ कर्मकारक लड़कपन । विभक्ति प्रत्यय, को । २ पूर्वकालिक क्रिया के साथ जुड़ने नैनियो, नैनी, नैन्यो, नैन्ही-वि० [सं० न्यच्] (स्त्री० नैनी) वाला प्रत्यय । ३ उत्तर कालिक क्रिया के साथ जुहने वाला १ छोटा, न्यून, पल्प । २ अल्पायु। ३ लधु। ४ कम For Private And Personal Use Only Page #795 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नंपत्ति महत्व का ५ जिसमें कुछ सार न हो । नीच -पु० बच्चा, शिशु । संपत्ति-देखो 'नेपे' । नंर स्त्री० [फा०] नह] नहर कृत्रिम नदी नेर- देखो 'नगर' | नरणी-देखो 'नखहरणी' । नरणी १० [देश०! बकाएको नैरत-देखो 'नैरित्य' । www. kobatirth.org ( ७८६ ) नंमखार, नंमसार, नंमसारथ्य-देखो 'नमिसारण्य' । नैमित्य - क्रि०वि० [सं०] नियमपूर्वक, नियम से । मिस - स्त्री० [सं० नैमिष] १ यमुना के दक्षिण तट पर बसने वाली एक जाति । २ नैमिषारण्य तीर्थ । मिसारथ्य पु० [सं० मियारण्य] एक प्राचीन ती नैयरण- देखो 'नेण' । नैरंति-देखो 'नैरित्य' । ६. नैरो - वि० [फा० न] १ नहर से सिंचित । २ नहर संबंधी । - देखो 'नेहरू' । ' नर - पु० [सं० निरहर ] शव ढोने की क्रिया । नंरौ-१ देखो 'न्यारों' २ देखो 'नंदी'। मंही देखो 'नही' हठी- देखो 'निसंडी' । हती (दो) - देखो 'निमंत्रण' (यो। नैव - क्रि०वि० [सं०] बिल्कुल नहीं, कतई नहीं । नैवेद, नैवेद्य, नैवेद्य, नैवेध, नैवेध्य पु० [सं० नैवेद्य ] मंदिर या देव मूर्ति के आगे रखा जाने वाला प्रसाद, मिष्ठान्न भोग । संक-देखो 'निसंक नैसंको-देखो 'निसंक' । नोक-देखो 'नोक' । नोकार मंत्र - देखो 'नवकार मंत्र' । नेरतां देखो 'रिप' । नोकरी- पु० बढ़ई का एक प्रौजार विशेष । नगी वि० [सं० नवांगी] चनोखा विलक्षण , नरांत स्त्री० [सं० निर्-अंतक] १ शांति चैन । २बित की स्थिरता, धैर्य, धीरज । ३ संतोष, तृप्ति । ४ प्रवेश या वेग | का प्रभाव । ५ तंदुरुस्ती, स्वस्थता । नोख १ देखो 'अनोखो' । २ देखो 'नोंक' । नोखीलौ - वि० (स्त्री० नोखीली ) १ अनोखा, अद्भुत । २ नुकीला । नोखो-देखो 'अनोखी' | नैरावी - पु० [सं० नीराज | १ ब्राह्मण को भिक्षा में दिया जाने वाला श्रन्न । २ पूजा अर्चना । ३ स्वागत, सम्मान । नंरित, नंरिती, नरित्य-स्त्री० [सं० नैऋत्य ] १ दक्षिण पश्चिम के मध्य की दिशा । २ इस दिशा का देवता । - वि० दक्षिण-पश्चिम के मध्य का कोण पु० इस दिशा का कोना । नोचरणौ (बौ) - क्रि० [सं० लुचन] १ नख या पंजे श्रादि से चीरना, विदीर्ण करना, फाड़ना । २ लुचन करना । ३ खरोचना, कुचरना । ४ खींच कर उखाड़ना । मावर देख निराळ। महतो-१ देखो 'ने' २ देखो 'निमंत्रण' । महराई स्त्री० [देश०] १ विलम्ब देरी २ मिथिलता ये " नौ-देखो 'नव' । नोंक-स्त्री० [फा० नोक] १ किसी तीक्ष्ण शिरा, छोर । प्रग्र भाग ३ नीच दार वि० नुकीला, पैना । शानदार । नोंखचोख, नोंकझोंक -स्त्री० १बनाव-शृंगार, सजावट, ठाट-बाट । २ टीका-टिप्पणी। नोरा- देखो 'नौ'रा' । नो- पु० १ स्वामिकानिकेय । २ नमस्कार । ३ निषेध । - अव्य० १ संबंध या षष्ठी का चिह्न का २ नहीं । · - वि० ३ प्रसिद्ध, विख्यात ४ देखो 'नव' । नोऊ', नोऊ-देखो 'नव' । नोऊनि नोनिधि देखो 'नवनिधि' । मेस्टिक, मैस्टिक वि० [सं० नैष्ठिक) उपनयन काल से मृत्यु नो देवो'नव' पर्यन्त ब्रह्मचर्य रखने वाला । देखो 'नि' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नोजा-पृ० चिलगोजा नामक सूखा मेवा | नोट- पु० [ श्रं०] १ सरकार द्वारा प्रचलित कागजी मुद्रा । २ टिप्पणी । ३ लिखावट । ४ याददाश्त के लिये लिखने की क्रिया । नोता पु० [सं०] ज्ञाति] संबंधी रिस्तेदार, नातेदार नोती - पु० निमंत्रण, नैत । न्यौता । नोपत, नोबत, नोबति, नोबती- देखो 'नोबत' । नोमदेखी 'नवमी'। नोमाळी स्त्री० [सं० नव मालिका ] नव मालिका । नो'रा-देखो 'नो'' | नो'री-देखो 'नोहरी । वस्तु का अत्यन्त पतला ब २ सूई आदि की प्रणी । धणीदार, चूमने लायक नोहली नोहर - पु० नोहरा - देखो 'नौ'रा' । बो० नहीं पहिचानना । [सं० नख घर] मांसाहारी पक्षी विशेष । For Private And Personal Use Only नोहली स्त्री० [सं० नव फलिका ] नवीन निष्यावी, नवीन फलिका Page #796 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोहांनी न्यारण नोहानी-पु. [देश॰] १ एक मुश्लिम सम्प्रदाय विशेष । २ इस ---खांनौ-पु० नौबत रख कर बजाने का स्थान । सम्प्रदाय का अनुयायी। नौबति, नौबती-पु०१ नौबत बजाने वाला, नक्कारची । २ बिना नौजरण, नौंजरिणयो, नौंजणी, नौंजरपो-देखो 'नूजरणो' । सवार का सज्जित घोड़ा, कोतल । ३ राजा की सवारी नौंजरणो (बौ)-देखो 'नूजरणो' (बी) । का घोड़ा । ४ देखो 'नौबत'। नौक-देखो 'नोंक'। नौमि, नौमी-देवो 'नवमी' । नौकर-पु० [फा०] (स्त्री० नोकरांणी) १ वेतन आदि पर नौरंग-पु० देश०] १ एक प्रकार का पुष्प विशेष । २ देखो नियुक्त कोई व्यक्ति। २ अनुचर, दास, परिचायक । 'नवरंग'। ३ सरकार या संस्था का कर्मचारी। -साही-पु. नौकरों, नौरतौ-देखो 'नवरात्र'। के हाथ में रहने वाली राजसत्ता, सत्ता पर नौकरों का | नौ'रा-पु० [सं० निधोरण:/१ विनती, प्रार्थना । २ अाग्रह, नियंत्रण होने की अवस्था । अनुरोध । नौकरांणी-स्त्री० दासी, सेविका, परिचायिका । नौरियौ--पु० [देश॰] १ नख, नाखून । २ देखो 'नोहरौ' । नोकरी-स्त्री० १ वेतन लेकर किया जाने वाला कार्य । २ राज्य | नौ'रौ-देखो नौहरो'। सेवा। -पेसौ-पु० नौकरी करके अजित की गई नौळ पु० देश०] ऊंट के पैरों में, ताला लगाकर डालने प्राजीविका। की जंजीर। नौका-स्त्री० स०] नाव, जहाज, तमि। नौलखी-देखो 'नवलखी' । नौकार, नौकारमंत्र-देखो 'नवकार'। नौलखौ-देखो 'नवलखो। नौकोट, नौकोटी-देखो 'नवकोटी'। नौलासी-देखो 'नवलासी' । नौख-१ देखो 'अनोखो' । २ देखो 'नोक' । नौळियौ-देखो 'नकुळ' । नौखोलौ-देखो 'नोखीलौ'। (स्त्री० नौखीली) नौळी-स्त्री० [देश॰] १ एक प्रकार की घास । २ रुपये डाल नौखौ-देखो 'अनोखौ' । (स्त्री० नोखी) कर कमर में बांधने की, चमड़े आदि की थैली । नौगरी, नौग्रही-स्त्री० [सं० नवग्रह] १ स्त्रियों की कलाई पर | ३ योग साधना की एक क्रिया । ४ अस्थिपंजर, धड़। धारण करने का आभूषण विशेष । २ देखो 'नवग्रही' । ५ सांप की केचुल । ६ सर्प, सांप । ७ देखो 'नौळ' । नौगुण-देखो 'नवगुण'। नौवत (ति, ती)-देखो 'नौबत' । नौघण (न)-वि० [सं० नवधन प्रतिवष्टि वाला, अधिक वर्षा नौवा-वि० सं० नवम् ] पाठ के बाद वाला, नौ के स्थान वाला । --पु० नवलड़ियो का हार । (मेवात) वाला । -पु० नौ की संख्या का अंक । नौडियौ-पु० देश.] 'खीप' नामक क्षप-तणों या सिरिणये के नौसर-देखो 'नवसर'। ततुओं की बनी रस्सी। नौसरहार-देखो 'नवसरहार'। नौछावर, नौछावरि, नौछाहर-देखो 'निछरावळ' । नौसरी-वि० [सं० नव-सरः] नौ लड़ का, नौ माला का। नौज-अव्य० सं० नवद्य] १ ईश्वर न करे, ऐसा न हो। नोसादर-पु० [सं० नरसार] एक प्रकार का क्षार । २ नहीं। नौसौ-पु० दूल्हा (मेवात)। नौजण, नौजरणो-देखो 'नूजणी' । नौहतेस-देखो 'नवहत्थी'। नौजणी (बो)-देखो 'नूजणी' (बी)। नौहतौ-१ देखो "निमंत्रण' । २ देखो नैत' । ३ देखो 'नवहत्थी'। नोजवान-देखो 'नवजवांन । नौहत्थेस, नौहथेस, नौहथौ, नौहथ्थो-देखो 'नवहत्थी' । नौतन-देखो 'नूतन'। नोहरी-पु० १ दीवार प्रादि से घिरा खुला स्थान, पाहता । नौती-१ देखो 'निमंत्रण' । २ देखो 'नत' । २ सोमतो ग्रादि के निजी कर्मचारियों के रहने का स्थान । नौधाभगति-देखो 'नवधाभक्ति' । मकान । ३ मवेशी आदि रखने का स्थान, बाड़ा। नौधारियो-पु० [सं० नवम्-धारा] स्वर्णकारों का एक प्रौजार । | न्यग्रोध-पु० [सं०] वट वृक्ष । -गण-पु० वृक्ष वर्ग । नौनिध, नौनिधि-देखो 'नवनिधि । न्यच्छ-पु० एक रोग विशेष । नौनीत-देखो 'नवनीत'। न्यजर-देखो 'नजर'। नौपत, नौबत, नौबतड़ी-स्त्री० [फा० नौबत] १ शहनाई के न्यहाळरणो (बी)-देखो 'निहाळणी' (बो)। साथ बजने वाला वाद्य जो नगाड़े जैसा होता है। २ दशा.. न्याई-१ देखो 'नाई' । २ देखो न्यायी'। हालत । ३ स्थिति, परिस्थिति । ४ गति। ५ संयोग। न्याण-देखो 'न्यांन । For Private And Personal Use Only Page #797 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न्याए ( ७६८. ) प्रत्तो न्यारा, न्यारणो-देखो 'नारणो' । न्याव-पु. [सं० निर्वात ] १ मिट्टी के कच्चे बतन पकाने का न्यांन पृ० [सं० ज्ञान] ज्ञान । स्थान, खडा, पावा। २ पकाने के लिये चुने हुए बर्तन । न्याह, न्याई -१ देखो 'गाई' । २ देखा 'न्यायो । ३ देखो 'न्याय'। ४ देखो 'नाव' । मात-देतो 'न्याति', न्यानो (डौ)-पु. १ पानी का बर्तन । २ देखो 'न्याय' । ग्यानगगा-स्त्री० जाति समूह। न्यापरणात १० [सं० न्याय ] १ न्याय, इन्साफ । २ न्याय करके न्यात-पांत-देखो 'न्याति-पांति'। निसाय करने की तारीख । न्यातरों-देखो 'नातौ'। न्यास-पृ० [सं०] १ स्थापन किया, स्थापना । २ धरोहर, अमान्याति-स्त्री० [सं० ज्ञाति] एक ही जाति के मनुष्यों का समूह नत, थाती । २ ट्रस्ट । जिममें कई गोत्र या कुल होते हैं। जाति-समूह, वर्ग, वर्ण । भ्यानस्वर-पु० [सं०] किसी राग को समाप्त करने का स्वर । न्याति-पांति-स्त्री० जाति की श्रेणी, जाति में समता होने की न्यू जपउ. न्यू जरणौ-देखो जगो' । अवस्था। न्यू त-देखो नैत' : न्याती-१ देखी 'न्याति' । २ देखो 'नाती। न्यूनगो (बौ)-देखो 'निमत्रणी' (बो)। न्यातीलो-वि० न्यात संबंधी यातिका । न्यू तो--देखो 'निमत्रण'। न्याद-पू० [सं०] भाजन । न्यून-वि० सं०१ कम थोड़ा । २ नीच, अद। ३ डिंगल में न्याय-पु० [सं० १ इसाफ, उचित एवं व्यावहारिक निर्णय । वयण सगाई का एक भेद । २ सच्ची बात। ३ विवाद का उचित हल । समाधान । न्यूनजथा--स्त्री० [सं० न्यून-यथा] डिगन गीत रचना को ४ उचित विचारों को निरूपित करने वाला शास्त्र, तर्क, एक विधि। दृष्टान्त आदि से युक्त वाक्य । -क्रि०वि० १ निश्चय ही, | न्यूनता-स्त्री. १ कमी, अल्पता । २ शूद्रता, नीचता । अवश्य । २ देखो 'नाई। -कारी-वि. न्यायकर्ता। ३ बदनामी, अपयश। --छांणी-वि० छानबीन कर न्याय करने वाला। न्योळ-देखो 'नोळ । .--धामी-वि० न्यायकर्ता। --पथ-पु० उचित मार्ग, उचित न्योळयौ-देखो 'नकुळ' । रीति । ---परता-स्त्री० न्यायशीलता। -वट-पु० न्याय न्यौछावर न्यौछावरि-देखो 'निछरावळ' । मार्ग, न्याय पथ । ---प्रत, अति-पु० न्याय करने का न्योतरणो (बौ)-देखो 'निमंत्रणौ (बौ) । संकल्प । --धती-वि० न्याय का व्रत रखने वाला । यौनिहार-देखो 'निमंत्रीहार' । न्यायशील। -सभा-स्त्री० न्याय करने के लिए जुड़ी यो नियमा', सभा, बैठक । । न्यौ'रा-देखो 'नो'रा'। न्यायाधीस-पु० [सं०] न्याय करने वाला अधिकारी, जज । भ्रमळ-देखो 'निरमळ'। न्यायालय-पु० [सं०] न्याय करने का स्थान, अदालत, ककारी। प्रकासुर-देखो 'नरकासुर'। न्यायास-देखो 'निवास' । ब्रग-देखो "निध। न्यापी-वि० [सं. न्यायिन न्याय का पक्ष लेने वाला, उचित नगरण-देखो 'निरगुरण' । बात कहने वाला। चग-देखो 'नरग'। न्यायो-देखो "निवायो' । जान-पु० [सं० न+यान] पालकी, डोली। न्यार-पु० १ घास, चारा । २ देखो 'भ्यारियौ। नतंग-देखो 'निरत। न्यारिया-स्त्री० स्वर्णकारों का एक भेद । चतंत-देखो निरतंत'। न्यारियो-पु० उक्त जाति का स्वर्णकार। चत-देखो 'निरत'। न्यारी-वि० (स्त्री० न्यारी) १ अलग, पृथक, जुदा, तटस्थ । तकार-देखो 'निरतकार'। २ अद्भुत, विलक्षण, विचित्र ! ३ दुर, दूरस्थ । व्रताण-देखो 'निरत'। ४ अन्य, भिन्न । न्याल-देखो "निहाल'। ति-१ देखो 'निरति' । २ देखो 'तो' । न्याळणी (बी)-देखो 'निहाळणी' (बो)। व्रती-स्त्री० वेश्या, गणिका, नर्तकी। न्याळस-देखो 'नासिल'। उत्त-देखो 'निरत'। -कार- 'निरतकार' । न्याळो-देखो 'नवाळो। चित्तणी, (बौ)-देखो 'निरतगो' (बी)। For Private And Personal Use Only Page #798 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रत्य म्हौरी प्रत्य-देखो 'निरत' । --कारी-निरतकारी' । -प्रिय= निमळ, (ळी) निम्मळ. (ळो)-देखो 'निग्मळ' । 'निरतप्रिय' । साळ, साळा='निरतसाळा' । | निलक्ष्मी-० [सं० नलक्ष्मी) ७२ कलाओं में से एक । व्रत्यकी-देखो 'नग्त की। निसंस-वि० [सं० नृशंम] १ कष्ट दायक, दुःखदायी । व्रत्यकारी-स्त्री० [स० नतेकी ] नाचने वाली, नतंकी । २ निर्दय, कर । ३ अत्याचारी, जालिम । --ता-स्त्री. अधोम-वि० [सं० निधूम] धूम्र रहित । निर्दयता, क्रूरता । प्रात्याचार, जुल्म । कष्ट । अप-पु० [सं० नप] राजा, नरेश । नोजण, (न)-देखो 'निरजन' । पत-देखो 'ध्रपति'। । न्हखरणी, (बौ)-देखो 'नांखरणी' (बौ) । पता-स्त्री० [सं० नृपता] राजा का गुण, राजत्व । न्हलाणौ, (बो), न्हलावरणौ, (बौ)-देखो 'न्हाड़णो' (बो)। अपति-पु० सं० नृपति] १ राजा, नरेश । २ कुबेर । । न्हवरण-देखो 'सनांन'। ध्रपान-पु० [मं० नृप-स्थान] १ राजधानी । २ राजा का नगर। ! न्हवाणी, (बौ), न्हवावरणौ, (बौ)-देखो 'न्हाड़णो' (बो)। पद्रोही-पु० [सं० नप-द्रोही] राजा का शत्रु, परशुराम । न्हांकरणौ, (बौ) न्हांखरणी, (बी)-देखो 'नांखणौ' (बौ)। पवास-पु० [सं० नृप-वास] १ नगर, शहर । २ गजधानी। न्हांण-देखो 'मनांन' । पाळ-पु० [सं० न-पालनम् ] प्रजापालक राजा।। न्हांणी-स्त्री० स्नानघर, स्नानागार । पेस-पु० [सं० न-पेण | राजाओं में श्रेष्ठ गजा। न्हांन-देखो 'सनांन' । त्रफळ-देखो 'निस्फळ' । न्हांनड़को, न्हांनड़ियो, न्हांनड़ो, न्हांतू, न्हांनो-१ देखो 'नैनौ' । चबळ-देखो 'निरबळ'। २ देखो 'नांनौ' । चौ-देखो 'निरभय'। न्हाड़णी, (बौ)--क्रि | सं०स्नानम् ] १ स्नान कराना । २ दोडाना, नभ-मरण-वि० [सं० निर्भयमन जिमके मन में भय न हो, भगाना । निडर, नि:शंक, वीर । न्हाटणी (बी), न्हाठगो (बी)-क्रि० १ दौड़ना, भागना । ग्रमळ, धम्मळ (ळी)-देखो 'निरमळ' । २ मैदान से हटना । ३ कहीं चला जाना । ४ नष्ट होना । नमळा-देखो 'निरमळा'। न्हाणी (बौ)-क्रि०१ स्नान करना, नहाना । २ भागना, दौड़ना। चलेप-देखो 'निरलेप' । न्हार, न्हारियो-देखो 'नाहर' । प्रवाण-देखो 'निरवांगा' । न्हारौ-१ देखो 'न्यारी'। २ देखो 'ना'रौ' । सिंह, सींग-१ देखो 'नरसिंह' । २ देखो 'नरमींघौ' । न्हाळरणो (बो)-१देखो नाळणी'(बौ)। २ देखो'न्हाड़गो' (बी)। त्रिग, निघ, निघु-पू. [सं० नग] १ दानशीलता के लिय प्रसिद्ध नावण. (सु)-प०१प्रमता का प्रथम स्नान व उस दिन का एक राजा । २ मनु के एक पुत्र का नाम । संस्कार। २ स्नान । नित, नित्य-देखो 'निरत' । -कार, कारी= "निरतकार' । न्हावरणो (बौ)-देखो 'न्हाणी' (बो)। ---साळ="निरतसाळा' त्रिप-देखो 'ध्रप'। न्हासको (बी)-१ दखा'नासणी (बौ)। २ देखो'न्हाटणी' (बी)। निपत (ति, ती)-देखो 'ध्रपति' । न्ही-देखो 'नहीं'। निपसेवन-पु० [सं० नप सेवन ७२ कलानों में से एक । न्हौरा-देखो 'नौ'ग'। निब्बीज-देखो 'निरबीज'। न्हौरी-देखो 'नोहरौ' । निभ-देखो निरभय'। For Private And Personal Use Only Page #799 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only