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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
प्रधान सम्पादक - पद्मश्री जिनविजय मुनि, पुरातत्त्वाचार्य
[ सम्मान्य सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ]
ग्रन्थाङ्क ५८
राजस्थानी - हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची
भाग २
प्रकाश क
राजस्थान राज्य सस्थापित
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE, JODHPUR
Page #2
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित सामान्यत अखिल भारतीय तथा विशेषत राजस्थानदेशीय पुरातनकालोन सस्कृत, प्राकृत, अपभ्रश, राजस्थानी, हिन्दी आदि भाषानिबद्ध
विविध वाङ्मयप्रकागिनी विशिष्ट ग्रन्थावलि
प्रधान सम्पादक पद्मश्री जिनविजय मुनि, पुरातत्त्वाचार्य [ ऑनरेरि भेम्बर ऑफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी ]
सम्मान्य सदस्य भाण्डारकर प्राच्यविद्या सशोधन मन्दिर, पूना, गुजरात साहित्य-सभा, अहमदाबाद, विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध-सस्थान, होशियारपुर, निवृत्त सम्मान्य नियामक
( यानरेरि डायरेक्टर ), भारतीय विद्याभवन, बम्बई ।
ग्रन्थाङ्क ५८
राजस्थानी-हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची
भाग २
Kari,
प्रकाशक
राजस्थान राज्याज्ञानुसार सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर ( राजस्थान)
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची
भाग २
सम्पादक श्री पुरुषोत्तमलाल मेनारिया
एम ए , साहित्यरत्न, राजस्थानी शोध सहायक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
प्रकाशनकर्ता
AANI
प्रकाश
राजस्थान राज्याज्ञानुसार सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर ( राजस्थान)
विक्रमाब्द २०१८) प्रथमावृत्ति ५०० ।
भारतराष्ट्रीय शकाब्द १९८३
(ख्रिस्ताब्द १९६१ मूल्य २७५
मुद्रक-हरिप्रसाद पारीक, साधना प्रेस, जोधपुर.
Page #4
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RAJASTHAN PURATANA GRANTHAMALA
PUBLISHED BY THE GOVERNMENT OF RAJASTHAN
A series devoted to the Publication of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa, Old Rajasthani-Gujarati and Old Hindi works pertaining to India in general and Rajasthan in particular
GENERAL EDITOR
PADMASHREE JIN VIJAYA MUNI, PURATATTVACHARYA
Honorary Member of the German Oriental Society, Germany, Bhandarkar Oriental Research Institute, Poona, Vishveshvarananda Vaidic Research Institute, Hosiyarpur, Punjab, Gujrat Sahitya Sabha, Ahemdabad, Retired Honorary Director, Bharatiya Vidya Bhawan, Bombay, General Editor, Gujrat Puratattva Mandıra Granthavalı, Bharatiya Vidya Series, Sinhghi Jain Series
etc etc
No 58
Catalogue of Rajasthani Manuscripts
V S. 2018 ]
Part-Second
Published
Under the Orders of the Government of Rajasthan
By
The Director, Rajasthan Prachyavidya Pratishthana (Rajasthan Oriental Research Institute) JODHPUR (RAJASTHAN)
All Rights Reserved
[ 1961 A D
Page #5
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CATALOGUE OF RAJASTHANI MANUSCRIPTS
Part Second
Eaited with introduction and appendixes by
SHRI PURUSHOTTAM LAL MENARIA,
MA, Sahityaratna, Rajasthanı Research Assistant Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur
Published under the orders of the Government of Rajasthan
Ву
THE RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE
JODHPUR (Rajasthan)
VS 2018 ]
[ 1961 AD.
Page #6
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२
४
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर
५
(Rajasthan Oriental Research Institute)
JODHPUR
उद्देश्य
राजस्थान मे और अन्यत्र भारतीय संस्कृति के प्राधारभूत संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, राजस्थानी, हिन्दी व अन्य भाषाओ मे लिखित प्राचीन ग्रंथो की खोज करना तथा उन्हे प्रकाश मे लाना ।
३ साधारणत भारतीय एव मुख्यत संस्कृत व प्राचीन राजस्थानी के अध्ययन, अन्वेषण, सशोधन हेतु अत्यावश्यक उत्तम प्रकार का सन्दर्भ पुस्तक भडार ( मुद्रित ग्रन्थालय ) स्थापित करना और उसमे देश-विदेश मेमुद्रित विविध विषयक अलभ्य दुर्लभ्य सभी ग्रन्थो का यथासभव सग्रह
करना ।
प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थो का संग्रह कर उनके सरक्षण की व्यवस्था करना और उपयोगी ग्रन्थो को सम्बन्धित विद्वानो से सम्पादित करा कर उनके प्रकाशन की व्यवस्था करना ।
सगृहीत सामग्री से शोधकर्त्ता अध्येता विद्वानो को उनके अध्ययन और अनुसंधान मे सहायता पहुँचाना ।
राजस्थान के लोक-जीवन पर प्रकाश डालने वाले विविध विषयक लोकगीत, साप्रदायिक भजन, पदादिक भक्ति साहित्य एव सामाजिक संस्कार, धार्मिक व्यवहार तथा लौकिक प्राचार-विचार आदि से सम्बन्धित सभी प्रकार की सामग्री की शोध, सग्रह, सरक्षण, एव प्रकाशन करने की व्यवस्था करना ।
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सञ्चालकीय वक्तव्य
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान के केन्द्रीय पुस्तकालय, जोधपुर मे वर्ष १६६०-६१ तक १५,६२५ हस्तलिखित ग्रन्थो का सग्रह किया जा चुका है। इनमे से वर्ष १९५७-५८ तक प्राप्त ग्रन्थो की सूची "राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची, भाग १" प्रकाशित की जा चुकी है। अब वर्ष १९५८-५९ मे प्राप्त ७७४ राजस्थानी ग्रन्थो का विवरण प्रस्तुत ग्रन्थ-सूची के रूप मे प्रकाशित किया जा रहा है । ___ इस सूची का सम्पादन हमारे प्रतिष्ठान के शोध सहायक श्री पुरुपोत्तमलाल मेनारिया, एम ए , साहित्यरत्न ने योग्यतापूर्वक किया है। श्री मेनारिया ने परिश्रमपूर्वक ग्रन्थ-सम्बन्धी विशेष ज्ञातव्य प्रस्तुत किये हैं और परिशिष्ट के अन्तर्गत कतिपय ग्रन्थो के आदि-अन्त देने के अतिरिक्त ग्रन्थकार नामानुक्रमणिका तैयार की है। सन्तोष का विषय है कि सूचीपत्र के निर्माण मे निर्धारित रीति-नीति का तत्परतापूर्वक पालन किया गया है ।
प्रस्तुत सूची-पत्र के प्रकाशन-व्यय का आधा भाग केन्द्रीय सरकार के वैज्ञानिक और सास्कृतिक मन्त्रालय ने प्रान्तीय भाषा-विकास योजना के अन्तर्गत प्रदान किया हैं, तदर्थ हम आभारी है।
भा--
-
---
--
मुनि जिनविजय
सम्मान्य सञ्चालक, राज थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान,
जोधपुर।
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विषय-तालिका
पृष्ठ संख्या
विषय सञ्चालकीय वक्तव्य सम्पादकीय प्रस्तावना प्रन्थ-सूची परिशिष्ट १ [ कतिपय ग्रन्थो का विशेष परिचय | परिशिष्ट २ [ ग्रन्थकार नामानुक्रमणिका ]
४६-५८
५६-६१
सकेत-तालिका
१. रचना-काल -- र का २ लिपि-काल -लि का ३ लिपिकर्ता - लिक ४. रचना स्थान - र.स्था ५ लिपि-स्थान -लि स्था ६ अन्याडुसे तात्पर्य प्रतिष्ठानको ग्रन्थ - प्राप्ति पञ्जिकाकी सख्या ( Accession
Number ) से है। ७ ग्रन्थाङ्कके साथ कोष्ठकमें दी गई सख्या सम्बद्ध ग्रन्थको कृति-सख्या है । ८ लिपिसमय और रचनाकालके निर्देशन हेतु ग्रन्थोके अनुसार सर्वत्र विक्रमी सवत्
प्रयुक्त हुआ है। ९. पुष्पाङ्कित " " ग्रन्थका विशेष परिचय परिशिष्ट सख्या १ में प्रस्तुत किया
गया है।
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सम्पादकीय प्रस्तावना
राजस्थान और इससे संबद्ध प्रदेशों के भूतपूर्व राजाओं, जागीरदारों, विद्वज्जनों, साहूकारों, मन्दिरों, मठों, उपाश्रयों तथा राजकीय सार्वजनिक संस्थानों के अधिकार में राजस्थानी भाषा में लिखित प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ प्रचुर संख्या में उपलब्ध होते हैं। भारतीय साहित्य, इतिहास, राजनीति और दर्शनादि विषयों के अध्ययन को पूर्ण करने में इन ग्रंथों का विशेष उपयोग और महत्त्व माना गया है, इसलिये अनेक विदेशीय संग्रहालयों और पुस्तकालयों में भी राजस्थानी भाषा में लिखित प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह एवं संरक्षण विडोप प्रयत्न से किया गया है। विद्वज्जगत की जानकारी और अध्ययन के लिये ज्ञात समस्त राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथों के सूचीपत्रों का प्रकाशित होना नितान्त आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण कार्य है, तदनुसार रा० प्रा० वि० प्रतिष्ठान के केन्द्रीय पुस्तकालय, जोधपुर में संग्रहीत २१६६ ग्रंथों का परिचय "राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ-सूची, भाग १" के रूप में गत वर्ष प्रकाशित हो चुका है। इसी क्रम में "राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग २" में ७७४ ग्रंथों का परिचय
प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों के सूची-पत्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
१ सूचनात्मक, और
२ विवरणात्मक। प्रस्तुत ग्रंथ-सूची सूचनात्मक है, जिसमें ग्रंथ-पम्बन्धी कर्ता, लिपि-समय, पत्र-संख्या, रचना-काल, लेखन-स्थान, लिपिकर्ता आदि के विषय में अत्यन्त संक्षेप में सूचनाएँ दी गई हैं। स्पष्ट है कि विवरणात्मक" सूची की पूर्ति "सूचनात्मक" से नहीं की जा सकती। सर्व प्रथम ज्ञात संपूर्ण प्राचीन राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थों के परिचयात्मक सूचीपत्रों का प्रकाशन विशेष प्रावश्यक है और इसी दृष्टि से प्रस्तुत ग्रन्थ-सूची तैयार की गई है।
इस ग्रंथ-सूची में सङ्कलित कृतियों में कबीर सम्बन्धी रचनाओं (क्रमाङ्क ६७ से ७६), कृष्ण-रुक्मिणीरी वेली, सचित्र (क्रमाङ्क १८१), द्रौपदी चउपई (क्रमाङ्क २५०), नागराज पिंगल (क्रमात ३२६), पञ्चसहेलीरा दूहा (क्रमाङ्क ३६२), पन्दरमी विद्यारी वार्ता, सचित्र (क्रमाङ्क ३७६), पृथ्वीराज पवाड़ा (त्र माङ्क ४१३), रमरतनागर (क्रमाङ्क ५१६), राधावल्लभ ख्याल,
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[ २ ]
ख्यालायत ( क्रमाङ्क ५३३), रावत प्रतापसिंघ म्होकमसिंघ हरिसिंघीतरी वात ( क्रमाङ्क ५५३), मुंहणोत जोगीदास कृत शत्रुभेद ( क्रमाङ्क ६३६) और महेश कवि कृत हमीर रासो ( क्रमाङ्क ७६४) विशेष उल्लेखनीय हैं । कतिपय महत्त्व - पूर्ण ग्रंथों के यादि अन्त भो सूची के अन्त में परिशिष्ट सं० १ के रूप में दिये गये हैं । समस्त ग्रंथों के परिचय वर्णक्रमानुसार लिखे गये हैं और पाठकों की सुविधा हेतु परिशिष्ट सं० २ में कर्तानामानुक्रमणिका भी प्रस्तुत की गई है ।
प्रस्तुत सूची मे १६वीं सदी से २० वीं सदी विक्रमी तक रचित एवं लिखित कृतियों का संकलन किया गया है। उदाहरणार्थ प्राचीनतम रचित कृति छोहल कवि कृत “पञ्चसहेलीरा दूहा" ( क्रमाङ्क ३६२ ) वि० सं० १५७५ की है और प्राचीनतम लिखित प्रति रतनचरित्र कृत “सम्यकत्व - कौमुदी" ( क्रमाङ्क ६ε३) वि० स० १६०६ की है। सूची की अधिकांश कृतियां १८ वीं और १९ वीं सदी विक्रमी में रचित और लिखित हैं। सूची से प्रकट है कि ग्रंथ रचना और लेखन का कार्य मुख्यतः राजस्थान, मालवा और गुजरात के विभिन्न स्थानों में हुआ है, क्योंकि सम्वद्ध काल के प्रमुख भारतीय विद्या-केन्द्र इसी क्षेत्र में विद्य मान थे । प्रस्तुत सूची से यह भी स्पष्ट होता है कि ग्रंथों की रचना और लेखन सम्बन्धी कार्यों में पुरुषों के साथ-साथ अनेक विदुषी महिलाएँ भी सक्रिय भाग लेती थीं ।
सूची के ग्रंथ-परिचय-पत्र श्रीयुत् नाथूलालजी त्रिवेदी, साहित्याचार्य के सहयोग से तैयार किये गये हैं । श्रीयुत् अगरचन्दजी नाहटा ने सूची को देख कर यावश्यक संशोधन करने की कृपा की है। सूची का निर्माण परम श्रद्धेय पद्मश्री मुनि जिनविजयजी और श्रीयुत् गोपालनारायणजी बहुरा के निर्देशन में किया गया है । तदर्थ मैं उक्त सभी महानुभावों के प्रति प्रभारी हूँ ।
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
श्री गणेश चतुर्थी, सं० २०१८ वि०
पुरुषोत्तमलाल मेनारिया, एम. ए., साहित्यरत्न
सम्पादक
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग २]
क्रमाक
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय । पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
१
९६०२
अजनारास
। १८२७
१२ | लि क -गुमानी।
लि स्था-पाली।
२
१८६७
१००५२ अजनासतीनोरास (२३) ८२९८ अजनासतीरास ८५३९
| अजनासुन्दरी चउपई
१७वीं
१८५३ | अजनासुन्दरीरास
१८७३
१७
लि. क-सिद्धिविलासगणि, मरोट्ट (मारोठ ?) प्रथय पत्र प्राप्त । लि क-अजबसुन्दर। लि. स्था-मेदिनी तट ।
२०वीं १६वीं
३१वा ७७-७६
१०१८०
६६८६१(७) | प्रतरीकजीरो स्तवन
अतरीकपार्श्वनाथस्तवन (३२)
अतरीकरो स्तवन
१००५१
१८८५
| १४६-१५०
प्रतरीकस्तवन
| ११६-१२५
१०१००
(४२) | १०२४८
अइमत्तरिषिसज्झाय
१८१२
। ६७, ६८
१६८१
२०
८७२० | अगडवत्तरास
८८४२ | ॥ १३८४०० (३४), अजितशातिस्तव
अठार भार वनस्पतिनो परिमारण
श्रीसुन्दरवाचक हरचद पाश[व]चव
१९वीं १९१३
७८-८०
३०
| लि क-हरषचद्र, रामपुरा (कोटा)।
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विशेष उल्लेखनीय
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२ ] क्रमाङ्क ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य १५ । ८१२४ | पढ़ीदीपविचार
१०१८० अतीत-अनागत-वर्तमान चौबीसी
(२७) स्तवन | १०६७७ । अद्वैताद्भुतनाटक
दरजी देवकृष्ण ८५२७ अध्यात्मसारप्रश्नोत्तर
मुनि कुवरविजय
लिपिसमय । पत्रसख्या १९वीं
६८वा
१९३५ १८८५
४० २२७
लि क.-साहु होरादास। | लि क -ऋषि हुकमचदजी, पाली मध्ये।
८४२२(३२)
हीरानन्द सूरि
६८-१०५
२२वा
२०
अपर्ण
जिनहरष
र का १७४१
१६८
अनाथीधनरिषिदसारण १०१८० (३) अनाथी सिद्धा
८४४७ | अमरसेन-वयरसेन-प्रबन्ध २२ । ८१०८ प्रयवती-गजसुकुमाल-रास
८१३४ | अयवती-सुकुमाल-चरित्र २४ ६१५२ (५)| अयवती-सुकुमाल चौढालियो
६८६१(६) अरजिनस्तवन
६७८० | अलोवरणा २७ ८४२८(४)/ अष्टप्रकारी पूजा २८
१८६१(१८) , ।
१८६१(१२) अष्टमीनु स्तवन ३० ८८३० । अष्टापदमहातीर्थस्तवन
१८वीं १९वी १८वीं १९वीं १८वीं १९०५ २०वी १८वी
२५ २६
६९-७० ३४वा
२०वीं
१६-६१
२९
समरो
१७६०
८३२७
प्रागमसारोद्धार
देवचव
१८७५
लि क -तिलकरुचिमुनि । लि स्था.-पट्टणानगर। र का १७७६ र स्था मारोठ। लि क -मानसुन्दर । लि स्थाबीकानेर। प्रथम पत्र प्राप्त ।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान----राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२ ।
क्रमाङ्क
ग्रन्थाक
ग्रन्यनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
२०वी
| ४६,४७
३२ / ८४२६(७) | प्राचार्य चैत्यवन्दन तथा प्राचार्य
स्तवन ९७०१ पाठवीं वार्ता ८६०८(१) प्राणवश्रावक चौपई
। १८५८
१८६८
श्रीसार
लिक ज्ञानचद | लि क-रूपचद थावर्या बजारमध्ये रतलाम नगरे।
| प्राणदसिद्धि[सधि] १००५२(३) पात्मनिन्दा
९५६३ प्रात्मबोष
१८वीं १८९७ २०वीं
|६८-१०५ २८ र का १६३०। पत्र स
। १ और २ अप्राप्त। २१३-२१५
प्रात्मभास
प्रात्मशिष्यागीत
१३५-१३८
१०१८०
(६७) १०१८०
(४६) १०१८०
(२५) ४१ । १०१८०
प्रात्मशिक्षासज्झाय
६४वा
प्रात्मसज्झाय
८५-८६ । अन्तिम पत्र पर गोगागीत, नेमि
नाथ गीत प्रादि। ८५
४२ । १.१८०
प्रात्मज्ञानसिझाय
४३
| १०१८०
प्रातमसझाय
१३२-१३४
८४०० (३१) प्रादिजिनगीत
करमसिंह
७३वां
बीकानेरके किसी जैनमविरमे | स्थित प्रतिमासम्बन्धी स्तोत्र ।।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्थ सूची, भाग-२ ]
ग्रन्थाक
लिपिसमय
कर्ता आदि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
पत्रसख्या
ग्रन्थनाम
८२८७ १०१८०
५६)
आदिनाविवाहलो प्रादिनाथस्तवन
१७४४ १९यो
४६
१८१
प्रानन्दसधि
१८३६
४८
१९१६
५० ५१ ५२
८१५५(अ) । प्राकुमारीकथा ६१८० भारतीमगलदीपक
६५९० आलोयणनी विधि ८४२६ (२२) आलोयणस्तवन | ९५५२ आषाढभूति चोपई
१८वी २०वी १८७४
६ र का १६१८ । लि स्था देशणोक
(बीकानेर) पत्र १, २ अप्राप्त । १६ पत्र संख्या ६ अप्राप्त । १० । लि. क -प गोकुलसुन्दर ।
प्रथम पत्र प्राप्त । ७३-८८
लिक-ऋषि कर्मचन्द ।
लि स्था-विक्रमपुर। ११७-१२३ ७३-७७
५४
५५
१००५२ (६) आषाढभतिजीरो पाचढालियो १०१८६(३) प्रासोरेटना दूहा
६००६ | इलापुत्र चौपई
६०३४ उत्तराध्ययनकथा |९७०३ उपकेशगच्छसाराश
१८९७ १८५० १८वी १७८१ १६२५
५६
५७
घनसार
६
लि क-वाग्देव सुन्दर । लि स्था -राजलदेसर।
८४२६(८) उपाध्यायचैत्यवदन १०१८० ऋषभजिनस्तव
२०वी १९वी
४७,४८ २२७-२२८
ऋषभदेवगीत
समरचद्रसूरि
८१वा
Kamme
H
e
remruar
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - २ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
६१
६२
६३
६४
६५
६६
६७
६८
७२
७३
७४
७५
७६
८४०० (१९) ऋषभदेवजीके गीत
९७०२
ऋषभनाथको स्तवन
(१८६१ (१०) ( ६१२७ ( ३ )
८३२५
६२६३
कक्काबत्तीसी
( ८७०४ (१) कबीर के पद
६८३२
६६
८५५६ (२) | ६९५६ ( १ )
७०
७१ ८५०१ (५)
ग्रन्थनाम
८५६१ (१) ६७१८
९७३४
८५६२ (६)
८८३४
ॠषभस्वामीस्तवन
ऐकलवाराहरी दाढालारी वात
श्रौषधिसग्रह
कबीरजीको वाणी
कबीरजीकी वाणी साखी प्रावि
कबीरजीकी साखी
कबीरजीको श्रम
कबीरजीको कृत कबीरवाणी
कबीर साहबको ग्रन्थ कमलकुवर बाईरो गीत कमलावतीरास
कबीरदास
22:
37
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
11
विजयभद्र
लिपिसमय
१६वी
१६०३
२०वीं
१६वी
१७वी
१८वीं
१८४६
१८१६
१८५५
१६वीं
१८वीं
१६ वी
31
१८४८
१७वी
पत्रसख्या
५८-६०
३१
३५वा
३४-५०
२०
२२
१
१०६
४-६६
८
२३४-२८१
१५-६६
३४४
६६
७३-७४
३
[ ५
विशेष उल्लेखनीय
लि क - हससुन्दर, देणोर मध्ये ।
खण्डित |
निक - नाथू व्यास
प्रथम पत्र प्राप्त । लिक -
छत्रतिलक लि स्था. - सुखेडा ।
लि क - भोजजी पोकरणा, जोधपुर |
गुटका, जिसमें सुन्दरदास कृत ज्ञानसमुद्र भी है । जीर्ण गुटका ।
प्रथम पत्र अप्राप्त ।
अन्तमें साधोकी भारतीके १८
पत्र है ।
लि क - मानदास साधु ।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२ ]
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
लिपिसमय
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
| प्रथाङ्क
पत्रसख्या
७७६०८(४) | कयवन्ना चौपई
जयरग
१८९८
लि क-रूपचद । लि स्था-रतलाम। लि क-प्यारचद।
३७
७५
१९२८ २०वीं १८७४ १७६०
सामलदास
८६७६ १००५५
कयवन्नाजीरी चौपई ८०५.
कर्मनी बात १८१५ कर्मविपाक
८८४३ करगडु चोपई १०१८६(४)| करणनु पाख्यान १००५१ | करमसज्झाय
२२
प्रथम पत्र प्राप्त। लि क-प्राणविजय ।
मतिशेषर
१७वी
१८५० १८८५
१० ७८-११३ (१३३-१३४
८४
माधोदास
८५ ८६
८७४७(४) | करुणाबत्तीसी १०५६० (१)| कल्पवृक्षवानरी विगत
७९१६ | कल्पसूत्र सटबार्थ
८८
६६७६ | कल्पसूत्र टबार्थ
कल्पसूत्रभाषा १०५१० कल्पसूत्रभाषा ६७८३ | कल्पसूत्रभाषावृत्ति
१०० १२४
१६वीं २०-२३
१,२ १७७९
लि क-लखाजी।
लि स्था-गवा। १८वीं १६ १८८३
लि क-हर्षचद। १७वी १८१७ २५० पत्र स १-५ अप्राप्त ।
लि क हससुन्दर । लि स्था
बेगम बाजार मसाया तटे। १६५३ । ६-२३ | लि क हीरा साध्वी।
लक्ष्मीवल्लभ
७८६१
| कल्याणमन्विरस्तोत्र बालावबोध | कुमुवचंद्राचार्य,
अपर नाम सिद्धसेनाचार्य
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२ )
क्रमाक
स्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
१९वी
६३ ६७३२ (१) ६४
कायापाजी किशनबावनी
कबीर किशन
३६-५२
| यू मुहम्मद गजाली
१६वीं
।
१७६ ४०,४१
अन्तमे पृ १११ तक पद छप्पय आदि है। अनु. अडाणजी सेवापथी। लि क-भज्जूराम
| कीमिया शहावतको अनुवाद ७८६१ (७) कृपालीस्तोत्र १०६८०(२)| कृपासिधु किसनहरीपदमाला १०१८६ (६)
कृष्णचरित्र ६१४४ | कृष्णरुक्मणीरी वेली
९८
१९वीं १८५० १७४७
प्रथीराज
१००
८२५३
१८००
६२५२ (१)
१७७४
१४६-१५७
कल्पवल्ली टीका।
| लि क-मुनि महेसदास । ४० | लि. क-धर्मसुन्दर ।
लि स्था - मेडता । भूलसे पत्र स १२के पश्चात १४ लिखित है।
चित्र संख्या ६४ २५ | लि क-सवाईराम मेव ।
र का १६५६ । लि क-हरिविजय, बम्बई।
१०२ १०३ १०४
९४२०(१) कृष्णरुक्मिणी वेली सचित्र
८६३१ कोकमजरी ८२०७ कोकशास्त्र
आनद
१८३२ १९७६
नरबद
४०
प्रानद
लि क-नदराम व्यास, उदयपुर ।
१०५
। ६०८६ कोकशास्त्रभाषा १०६
६०५२ (१) कोकसार १.७६ ५४ (४) कोकसार १०८९७३० (१) | कोकसार १०६ १००५(१३)। खदग चौढालियो
१९वी १६१४ १०१० १८२१ १९वी
६-२३ । १-२१
१-४५ ३१-३८
मानद कवि
| लि क-ऋषि दयाराम।
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-२ ]
-
क्रमांक
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
विशेष उल्लेखनीय
कर्ता आदि ज्ञातन्य
लिपिसमय
पत्रसस्या
समयसुन्दर
|८०-८२
८४२२ (१८) खिमाछत्तीसी
खेत्रसमास ६४६४ | ग्रहणवारफल
१८वीं १७वीं १८३३
८
११२
१०
अपर नाम फल शनिका लिखित है। लिक-प कनकविधान अपूर्ण
३६
४७
FK
महावीराचार्य
११३ ७६०१ ग्रहलाघवटीका ६६६७ गजानन भजनावली बही
| गणितसारसग्रहभाषा ८४६४
१०२०६ J गीताभाषा ११८८५६१(२) गीतामाहात्म्यभाषा ११६८७७६ गीदडरासो १२० १८६१(११) गुणमञ्जरी १२१ । ८५३५ गुणावलीरी चउपई
भाषाकार अमीचद
१८९३ १९वी १९२४ १९२५ २०वी १७५४ १९वी २०वी १८२४
१२७ १०२ १४६
अपूर्ण
लिक-रूपदास, गरीबदासशिष्य
लि क-रामचन्द्र । लि स्था-सादडी। र क. १७७५ ।
पद्मचद सूरि
१२२८४०० (९) गुरुगीत १२३ १०१८० गोडी पारसस्तवन
(७०) १२४ । १०१८० गोडीस स्त]व
३७, ३८ २२३वा
१४ची
२२७वा
देवीचद
१२५ ४०० (४०) गौडीजी गीत १२६ १०१८० (९) गौडी पार्श्वनाथछद १२७८४०० (१५) गौडी पार्श्वनाथस्तवन
८५-८७ २८-३० | ४५-५२
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग - २ |
क्रमाक
१२८
१२६
१३०
१३१
१३२
१३३
१३४
१३५
१३६
१३७
१३८
१३६
१४०
१४१
१४२
१४३
१४४
ग्रन्थाक
८१६० गौडी पाश्वनाथ १०१८० (८) गौडी पाश्र्वनाथस्तवन
गौडीय पार्श्वनाथस्तवन
१०१८०
(६.)
१०२४८ (६)
६४६०
१००५१ (७)
८४२२ (४०)
८२४३ (२)
८१५४
१००५६ (१)
१०१८०
(४१)
१०६५०
गोडीय पार्श्वनाथस्तवन
गौतमगाथा
गौतमजीरी वीनती
गौतमजीरो स्वाध्याय
गौतम दीपालिकास्तवनम्
गौतमपृच्छा
">
""
"
19
31
39
ग्रन्थनाम
19
८१५५ बी | गौतमपृच्छा सौ बोल १०२४८ ( ४ ) गौतमपृच्छाचौपाई
६०१६ गौतमपृच्छा बालावबोध
९४२८ (६) गौतमरास
६६१३
"
कर्त्ता आदि ज्ञात य
कुशललाभ
सुधाभूषण
विजयभद्रसूरि
तिविषमय
१६वी
"
१८२२
१८१०
१८८५
१८वी
१७वी
१८वी
१६वी
१६वी
१८३४
१६वी
१८१२
१६वीं
२०वी
१६वीं
पत्र संख्या
६
२८वा
|१८१-१८६
६४-६६
१२५
११३वा
१२५वा
५
६
१-४
१११ - ११६
&&
११
४२-४६
३८
६४-६६
१०
विशेष उल्लेखनोय
| C
पत्रसंख्या १-१३ तक प्राप्त ।
लिक - रामचंद्र
लि क - मानसह ऋषि ।
प्रथम पत्र प्राप्त ।
श्रपूर्ण ।
लि क - मुनि खुशालविजे,
मुनि विजयशिष्य । लि स्था-रतभतीर्थं ।
लि क. प्रेमसागर ।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
कर्ता आदि ज्ञातव्य
। लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
ग्रन्थनाम
क्रमात
ग्रन्थाक
१८वीं
६८-७२
लावण्यसमय
। १९वीं । २०वी
१८वी
७१-७२
।
१६वी
लि क-बदीचद।
२४ २६-३३
१५०
१८७४ २०वी
४० २४-२७
१८वी
१४५ ८४२२(१४) गौतमरासो १४६
गौतमस्वामीप्रष्टक १४७८४२६ (२१) , १४८ ९५२४ (१) गौतमस्वामीजीरो रास १४६ |६६४३ | गौतमस्वामीढाल '
|१००५ (६) | गौतमस्वामीनो रास १५१ ८४२८ (5) | गौतमस्वामीरास
| ८३६७ । गौतमस्वामीरौ स्तवन १५३ ८४९८ (४) | गौरख छद १५४ ८४२८ (२२)| गौरखपत्रो
८०६२ चतुर्विशतिजिनस्तव १५६
चतुर्विंशतितीर्थकरगीत १५७ ७९७२ १५८ १३३२ चतुरमुकुटकी कथा
___६११६ चतुरमुकुटकी वारता १६० ८५६० (१)
चन्द्रकुवारको वार्ता १६१६१५२(१) | चन्द्रचरित १६२ ८८२६ | चन्द्र लेहाचौपई
२०वी
लि क-दोलतराम।
जिनराज
लि क-खेमचद।
१८१ १६वी १८७८ १८८१ १८८२ १८६८ १६०० १८३६
२३ १०७
१५६
मोहनविजय मतिकुशल
१-४७
२१
लि क-चैनराम। लि रथा-अजमेर। लि क -मोहनविजय । लि स्था-पाडलिया।
८२६२
मोहनविजय
१७८३
१३७
९९५४ | चन्द्रार्की
१७वीं
MARAT
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्थसूची, भाग-२ ]
क्रमा
| ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिगमय . पत्रसख्या
विशेष उल्लेरानीय
अजितदेवसूरि
१६५८४२२(११) धन्वणबालासज्झाय १६६ ८५६२ (१२) चन्दनमलयागिरिरा दूहा
७८८० चन्दरास
१८वी १५६५ १८११
मोहनविजय
|५३-५७ ११५--१३१ ७३ लि क-लक्ष्मीविजय।
लि स्था-सूरत। ७० । प्रथम पाच पत्र प्राप्त ।
लि स्था-रामपुरा, कोटा ।
१६८१००१५
१७७३
चरणदास
२८
१८वीं २०वी १९वी २०वी
५२-५३
रामविजय, दयासिहमुनिशिष्य
र का १८१४॥
१६६ ८४६६चरणदासजीरो सरोधी १७०८४२६(१२) चारित्र्यचैत्यवव १७१ ८३३४ चित्रसेनपद्मावतीचौपई १७२ ८४२६(२७) चैत्यवदन १७३ ८४२६ (१४) , १७४ | ९६०७ । चैत्यवदनसूत्रनो बालावबोध १७५ ८१८२ चौबीसजिनस्तव १७६ ६१५२(३) चौबीसजिनस्तवन १७७ | १०१९० चौबीसतीर्थकर पचबोलस्तवन
१८वीं
११० वा ५४-५८ १००
१० ५६-६० १९७-१९६
अपूर्ण। लि क-माणिकविजय।
१६०० १९वीं
१८६७ १६ वी
१३१ वा ८७-८६
१७८ १००५२(८) चौबीसतीर्थकर स्तवन १७६८४०० (४१) चौबीसी १८० | ९६७२ चौबीसीसूत्रार्थी १८१८५६२ (८) चौहानप थीराजरो छद १८२ ८३१३ । छठो भुवनद्वारवर्णन
देवीचदऋषि मानवधन महाराज
अपूर्ण।
७६-७६
का
१८७४
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग - २ ]
क्रमाङ्क
ग्रथात
१८३ १८४
१८५
१८६
१८७
१८८
१८६
१६०
१९१
१६२
१६३ १९४
१६५
१६६
१०६८० (३)
१०१८०
( २८ )
६२५६
८६६६
छहुकाय प्रादि
८५५६ (१) छीतमजीको जखडी ६२५४ (५) जगदम्बरी नीसारखी
६४६७
जगावधी
८३३७
८५६२ (६)
७६३७
८५५४
८४५८
छत्तीस कारखानाका नाम छन्नू जिननामस्तवन
ग्रन्थनाम
जन्मपत्रिकागणितक्रमभाषा
जन्मपत्रीनिर्माणविधि
जनम बत्तीसी जम्बूचरित्र
"
31
जयपुरराजाश्रोकी वशावली
१०१८६ ( १ ) जलालगहाणीरी वात
| १०६७५ (३)
13
19
33
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
भगतराम पचोली
मनरूप
लिपिसमय
१६वीं
१८वीं
१८५५
१६वी
१८वी
१७७२
२०वीं
१७६५
१८६६
१८२६
१२वी
१८५३
१८११
पत्रसंख्या
८-६
६६ वा
१३
१-४
१-८
६
१५
द
७६-६१
३६
२६
२७२
१-६३
५७-८२
[ १२
विशेष उल्लेखनीय
जीर्ण गुटका ।
प्रथम पत्र अप्राप्त ।
लि क. - बुधसुन्दर ।
लि क. - श्रमृतसागरगणि ।
लि स्था - श्रीमडपिका बन्दर ।
र का १७६५ । *
लि क - रगविजय |
लि स्था - भावगढ ।
र स्था नाहरगढ नगर ।
लिक - सुजाणऋषि ।
श्रादिके ३६ पत्र तथा पत्र स
५५ से ५८ प्राप्त ।
'पोथी दाउदलाकी नकल ।'
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ )
। १३
क्रमाक
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
पिसमय
पत्रसस्या
विशेष उल्लेखनीय
७१-७२
प्रथम पत्र प्राप्त ।
१९८ १६६
८५६२ (५) | जसोर्तासह झाला मालजीरो गीत | भीमजी प्राढा ८२८६ जाम्बवतीचौपई
सूरसागर १०१८० जिनगीत
(४०) ६५.२ | जिनरस
१८वी १९वीं
१०६, ११०
२००
१८७५
लि क -प्रखंचदऋषि । लि स्थास्यजैहनाबाद (शाहजहानाबाद)।
१७६८
१८वी
अपूर्ण ।
६५२२ (५) | जिनराजचैत्यवदन । ६५७३ जिनरामायण ८४००(३२) जिनस्तवन ८४२२(१७) | " " । १०२४८
२०२ २०३ २०४ २०५
पशिचद
१९वी १८वीं
१३४ ७३-७५ ७९-८० १२६-१३०
कनककीर्ति
२०६ २०७
८४००(२७) | जिनस्तुति | १०१८० | जिनस्तुति और गौडीपाश्वनाथस्तवन
१९वीं
६९-७० १०५-१०६
| ३२-३३
२०८ २०६ २१०
९८६१ (८) जिनस्तोत्र ____८०४६ | जिनसूक्तीमाला | १०२४८ | जिसलमेरमडण पार्श्वनाथस्तवन
(१२)
८४२२ | जीवकायासज्झाय ८४०३ (२) । जीवविचारप्रकरण
२०वीं १८वी १८१२
| ६८-७०
२११
१८वों २०वीं
९७-९८ | २१-५१
२१२
सबालावबोध।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ १४
ग्रन्थाक
क्रमाङ्क ।
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
१७६८
७ लि क -माणिक्यचद्र। १८वीं ६-८ । लि क -मुनि माणिक्यचद्र ।
७-३८ अपर्ण। ००वी १००, १०१
५३ १८वीं
१-४ २३
२१३
जीवविचारप्रकरण २१४ ९५२२ (६)
९३८ जैनतीर्थकरपूजापद्धति २१६ ८४०३(१०) जैनतीर्थवर्णन २१७ । ८५०८ | जैनातक २१८६२५७ (४) जैनशतम्
८१७५ जैनसस्कारविधि २२० ६६०८
| जैनसप्रदायचर्चा २२१ १००५१ डाढणजीरो तवन
(१५) २२२ १०१८० ढालरागगीतसग्रह
(५७) २२३
७८६२ ढालसागर हरिवशप्रबन्ध २२४
७९०६
१० ।
१८८५
१३८-१३६
१९वी
१६३-१७८
गुणसागर
१८४७
४०
प्रथम पत्र प्राप्त । लि क - शौर्यसौभाग्य । लि स्या-नारायणगढ़ ।
"
१३०
१९वी १७९६ १८वीं
लि क-कुशललाभ ।
२२५ २२६ २२७ २२८
"
७९१४ ७६२१
८२९६ | ८४२६
ढोलामरवणचौपई | ढोलामारवणरीचउपई
२५ १-५६
२२६६०५२(२)
कुशललाभ
१८०२
लि क -4 दयाशेरु र । लि स्था-जावदग्राम महाराणा जगतसिंहजीराज्य।
मा
.
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ] क्रमाङ्क ग्रन्थाक ग्रन्थनाम
___ कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिगमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लसनीय
२३० १०१८६ (२) ढोलामारवणरी वात २३१ १०६६० (१) ढोलामारू, सचित्र २३२ । ६ ५२(५) ढोलामारूरी वात २३३८४२६ (१३) तपचैत्यवदन २३४ । १०१८० तमाफँगीत
१-७३ | लि क-नदराम ।
| चित्र स ६८ । १-३७ लि क -मित्रराम भट्ट दसोरा। ५३-५४ लि क-हुकमचद। २२४-२२६
२०वी
१.धी
३३-३६
१८वीं
साधुविजय समयसुन्दर
६५-६६
१५-१६ । ६६-६८
६५-६६
२६५ | १०१८० तिथिनक्षत्रविचार
(१२) २३६ ८४२२९२६) तीर्थकरतवन २३७
| ८१८३(३) तीर्थमाला २३८ | ८४२८ (७) तीर्थावली २३६ ८४०० (२४) तीरथधमाल २४० ८०६७ | तेतलीपुत्र मुनीसचरित्र २४१ १०१८० तेतलीपुत्राध्ययन
(६८) २४२ | १०१८० तेरह काठिया
(६४) २४३ १०२४८ (३) तेरह काठियास्वाध्याय
८.६० तेरह ढालसाधुवदना २४५ १००५० (८) तेवीसपदवीरो स्तवन २४६ ८४२२ (२३) थभणपारसनाथतवन
२०वीं १९वी १८वीं १९वी २१५-२१७
देवश्रानद, ज्ञानचशिष्य
१९९-२००
१८१२ १८वीं १९वी १८वी
४०-४२
८ ! ३६-३८ ८६-८७
तेरहवीं ढाल अपूर्ण है।
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रथसूची, भाग - २
क्रमाक
२४७
२४८
२४६
२५०
२५१
२५२
२५३
२५४
२५५
२५६
२५७
२५८
२५६
२६०
२६१
२६२
२६३
ग्रन्थाङ्क
१०१८०
(४८)
१०१८०
(५५)
७६३५
८७२२
७६०३
८४०३ (३)
८४२६ (१०)
६५६५
१००५२
(१६)
८१७३
१०१८०
(६६)
१००५०
(१४)
ग्रन्थनाम
थभणपारसस्तवन
द्रव्यादिविचार
द्रौपदीकथा
द्रौपदीच उपई
द्रौपदीचरित्र
दण्डक
दरसनचैत्यवदन
दशदृष्टान्तविस्तर
दशभवस्तुति
वशविध यतिधर्मसभाय
दशवेकालिकसूत्र
दशार्णभद्रराजर्षिचौढालियो
८४०० (२२) दादागीत
८४०० (१०) दादाजिनकुशलसूरिगीत
८४०० (१२) दादाजिनदत्तसूरिगीत ८४०० (१४) दादाजीगीत ६४३० (७) दादूजीकी वाणी
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
कनककोति जिणचदशिष्य
श्रभयधर्म
सुखसागर कवि
समय सुन्दर
लिपिसमय
१६वी
"1
१७वीं
१६५२
१८वी
२०वीं
:
पत्रसख्या
= = = =
१४१-१४१
५१-६८
""
५०-५१
१८वी
५.
१८६.७ ११३६-१४१
१८५८
१५२-१५७
१८०६
१३
१६वीं २०१-२१२
१६
११
४१
४०-४२
६३वा
३८-३६
४१-४२
४२६ा
१-२३३
प्रतमे "देसी बगालानी" है ।
अपूर्ण ।
2
विशेष उल्लेखनीय
६५
र स्था जैसलमेर ।
र का -१५७६ ।
लिक -
मध्ये |
[ १६
भागोतवास, भारवाड
*MERING W
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रमिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ १७
क्रमाक
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
१९वी १-५१ . चित्र स १३ । १५वी । १४६-१६५
। १९५-२३३॥ अपूण । २०वी १४२-१४५)
१ ला १९वी । ६५-६७
२४-२८ लिक व्यास अमरकोति।
जयतीदास
२७०
समयसुन्दर
२६४ ८५६४ (१) दादूजीको अग, सचित्र २६५ ८५०१ (३) दादूजीको ऋत २६६ | ८५०१ (४) दादूदयालजीको प्रथ २६७ ८४२८ (१७) दादजी महाराजरा तवन २६८ | ८४२८ (२) दादैजीरो तवन २६६८४ ० (२५) दानगीत
| ८४४८ (५) दानलीला २७१
दान-शील-तप-भावना-सवाद २७२ ५१-३ (१) दानसीलरो चौढालियो २७३ १००५२ (४) २७४
| ६५०१ दीपमालिका कथा २७५ | १०१८० दूहा, पद आदि
(५६)
६२५२ (४) दूहा-सोरठा किसनियारा २७७ ९६४४ दृष्टान्तशतक २७८ १००१२ दृष्टान्तसग्रह २७६ ६५३६ देवनामावली २८० ८०४३ देवववन २८१ ८४२९
देववादशक्रस्तव
१८वी । १-७ १८९७ । १०५-१२५॥ १५वी १६वी
१५८-१६२
२७६
४० । प्रथम पत्र अप्राप्त ।
१८वी
१६वी । २०वी
१५वीं
२०वी
७६ । अपूर्ण। १३ । लि क दलसुक[ख] राम ।
६७-६८
२८२
८१८३ (४)| देसन्तरीछन्द
समयसुन्दर
१८वीं
| १६-२४
nase
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित प्रथसूची, भाग-२
ग्रन्थाङ्क
क्रमाक
२८३
२८४
२८५
२८६
२५
२८८
२८६
२६०
२६१
२६२
२६३
२६४
२६५
२६६
२६७
८४५५
୧୪.
६४५६
८८४०
१०१५०
(२४)
१००५२ ( ५ )
१००५१
(११)
८८४१
वसन्त छन्व दोषावली
"3
धनदत्तचउपई
ग्रन्थनाम
धनाऋषिसज्झाय
"
"
धनाकाकाविरी सज्झाय
धन्नारास
धन्नारिषरी सज्झाय, सचित्र
धमाल
१०२४८
(१०)
| १००५१ (२) धन्नाशालभद्र महाचरित्र चौपई १०१८० (३) धन्नाशालिभद्रमुनिवरस्वाध्याय धन्नासालभद्रचउपई
६६४१
१०१५०
(१४)
७६८६
६५१२
धर्मचर्चा
धर्मदत्तरी चौपाई
कर्त्ता श्रादि ज्ञातव्य
समय सुन्दर
मतिसार
लिपिसमय
१६वीं
१६०३
१६४८
१७२४
१८वों
१८१२
१८८५
१६वीं
१७३१
१६वीं
१वीं
१८६७ ११५-११७
१८८५
१८३०
पत्रसंख्या
१८वीं
४७
६
४
१४
६३वा
१५
६६-६७
६५ - १०७
२३-२४
३२
४२वा
१३१-१३३ लि क लिषमीचद ऋषि । लि स्था मादपुरी ।
१३
५६
विशेष उल्लेखनीय
[ १८
लि क ऋषि दयाचव ।
लि स्था. खाचरोद |
लि. क ऋषि प्रेमचद ।
लि स्था कलकत्ता ।
लि. क दीप्तिविजय, श्रमृत
गणिशिष्य ।
र. का १७०२ । चित्र स १ ।
लि क लक्ष्मीचद ऋषि ।
पत्र स १, २ श्रप्राप्त ।
प्रथम पत्र अप्राप्त ।
श्रपूर्ण ।
Page #29
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
१७
लालचद लाभवर्द्धन, शातिहर्षगणिशिष्य जनगोपाल
१८०६ १८५६
२६८ | ८२६८ | धर्मबुद्धिचौपाई २६९ ८३३८ | धर्मसारधर्मबुद्धिचौपाई ३०० ८५०० | ध्रुवचरित्र
८५६१(४) ३०२
८१२३ । नदबहोत्तरी
र का १७४२ ।
७४
२०वीं
३०३
१२४-१३७ प्रादिके १४ पत्र प्राप्त । ६ र का १८७६ ।
र स्था कुचामण । १७ । लि क शोनारायण ।
लि स्था राजगढ सवाई बकताव सहजीराज्ये।
६२५८ | नखशिखवर्णन
बलिभद्र
१८६५
३०४
३०५
९८३६ (२)/ नरसीजीका माहेरा | ८८३६
नलदवदन्तीचौपई १०१० नवकारछन्द
समयसुन्दर
१९वी १७०४ १९वीं
लि स्था उदयपुर ।
३४ १३४-१३५
१८८५
३.७ ३०८ ३०६
१००५१(३) नवकारमत्रतवन १००५१(५) ,
७६१६ नवकाररास
१०७-१०८ १११-११२
५७
तिलोकचव
१८६१
लि क तिलोकचद । र स्था उज्जैन। र का १८५७ ।
३१०
१९वीं
३१२
७६४१ ७६७४ ८४२८ (५) ॥ १०२४८ (७) नवकारस्तवन
१७वीं २०वी १८१२
५६-५६
Page #30
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________________
[ २०
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान --राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्यसूची, भाग-२ ] क्रमाड्न । ग्रन्याक
ग्रन्थनाम
| कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय | पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
३१४
१८९७
१३४ वा
| १००५२ नवकारस्तवन
(१२)
९४६४ नवतत्त्व १००५२(२)/ नवतत्त्वगाथाबालावबोध
नवतत्त्वप्रकरण, बालावबोध |८४०३ (१) नवतत्त्वबालावबोध
३१७
१८वीं १८६७ १८वीं २०वीं १८३६ २०वी
mmmmmmm
३२० ३२१ ३२२ ३२३
८४२८(१५) नवपद ८४२६ (१६) नवपदभारती ८४०३ (६) नवपदकलशपूजाविधि ९८६३ । नवपदपूजा
१२ लि क माणिक्यचद्र मुनि । १-२१
४६ लि क गगाराम साहजी। | १३०-१४० लि स्था. बोलीनगर । ६१-६४ | लिक हुकमचदा ८३-६४ १७३ लि क प सवाईसागर ।
लि स्था. पालनगर मालवदेशे। १५१ लि स्था गुदवचनगर ।
१९२४
PREEEEEEEEES
१०२४९ ८१७०
१९वीं
३२४ ३२५ ३२६ ३२७
दीपविजय कवि
१०
८०५८
नवबोलकी चर्चा नवरत्नकलश नवलनागरी
१८७४ १९वीं
५६ वा
(२०) १०२४८
३२८
नाकोडापार्श्वनाथस्तवन
१८१२
७० वा
३२६ ३३०
नागराजपिङ्गल | नागलानी सिझाय
१०१८० (५१)
१६२३ १वी
२लिक रामदास कबीरपथी। १४५-१४७
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग
[ २१ विशेष उल्लेखनीय
क्रमाङ्क | ग्रन्थाक
ग्रन्यनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
तिपिगमय पत्रसख्या
१८६८
२२ । प्रथम पत्र प्राप्त । १३२-१६५/ चित्र स १८ ।
लि क मालीदेवी। १-२५ लि क रूपचद।
३३४
भत हरि
३३५
१८२४ १७६६ १६वी १७६५
१८वीं । १८८५
कल्याणसागर
| ८४०६ नासिकेतकया ३३२ | १४२० (२) , ,, सचित्र
९८४७ | १८२६ (१) नीतिशतक सटबार्थ १०६७५(६) नीसाणी प्रावि
८५६२(१४) नीसारणी भागरी ३३७ ८४२२(३३) नेमजीतवन ३३८ १००५१ . नेमजीरो तवन ३३६ १००५१ । नेमजीरो बारामास्यो
(१८)
८४२६ (१५) नेमिजिनगीत ३४१ ८४०० (२१) नेमिनाथगीत ३४२ ८४००(२६) , ३४३ ___९६२२ नेमिनाथस्तव ३४४ १०१८० नेमिनाथस्तवन
(५८) ३४५ १००४९ नेमिरास
नेमीश्वरराजमतीरास
१३६-१३६ १०५-१०६ १४०-१४२ १४२-१४४
३४०
।
२०वीं १९वीं
| ५८-६१ |६२-६३ ६७-६६
अजीतसागर
लि. क भगवान चला।
१७७६ १६वीं
१७६
१५४३
प्रथम पत्र प्राप्त । लि स्था विक्रमपुर।
३४७
६६४८ ८८२५
प्रकृतिनो विचार | प्रत्येकबुद्वचौपई
३४८
१८४७ १८००
समयसुन्दर
प्रथम पत्र प्राप्त। लिक विनयराज मुनि शिष्य सकलहर्ष पठनार्थ।
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________________
[ २२ विशेष उल्लेखनीय
-
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ 1 ग्रथाङ्क ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय | पत्रसख्या ।
क्रमात
९७१६ | प्रतापसिहरी वार्ता ८३५२
प्रश्नोत्तरबोल
१६वीं
"
जनगोपाल
३५१ ३५२
१७६५ १९वी
८५६२(११)| प्रहलादचरित्र
& & & ८०८६ | प्रास्ताविकश्लोकसूत्रार्थ १.६७८ प्रास्ताविकसज्झाय ८३५८
प्रियमलकचौपाई
७० प्रथम दो पत्र प्राप्त । १३ लि. क पुष्कर ऋषि ।
लि स्था बालोतरा। ९६-११५ | लि क. गुलाबराय हरिदासोत ।
२४ अपूर्ण। १० प्रथम पत्र प्राप्त ।
जीर्णप्रति, कतिपय पत्र त्रुटित। र का १६७२ ।
र स्था मेडता। १७ । लि क रामदास कबीरपथी।*
२५४ ३५५
१८वीं १९वी १८वी
समयसुन्दर
३५६
८५१० प्रेमरत्नाकर
१९२०
भयारतनपालके लिये देवीदास कृत
१६वी
१६१-१९७
११-६४
३५७ १०१८० पञ्चकल्याणक
(६२) ३५८ | १०१८० पञ्चकारणगभित वीरजिनस्तवन
(३८) ३५६८४२२(२०) पञ्चतीर्थीस्तवन ३६० । ६७०७ पञ्चपरमेष्ठीनमस्कार
लावण्यसमय मनि
८३-८४
१८वीं १७७१
| लि क क्षमाधीर। लि स्था सूरतबन्दर।
३६१ ८४२६ (१६) पञ्चरात्र स्तव ३६२ । ८५६२(२) पञ्चसहेलीरा दहा
छीहल कवि
२०वीं १७७५
६५-६६ ३६-४४
| र का १५७५ ।
लि क गुलाबराय, हरिदासोत।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ २३
क्रमाङ्क
ग्रन्याक
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
८१३५ । पञ्चसाधूनी चौपदी
कान्हजी [कीर्तिसुन्दर]
१७८६
३६४
९५६७ पञ्चेन्द्रीकी चउपई
१८८४
र का १७५६ । र स्था
जैतारण । लि क धर्मसुन्दर । २० । लि क. हर्षचद।
लि स्था बरडावदा। १४०-१४२/
२०वीं
१९१४
१४
८२-८३
लब्धोदय
३६६
३६५ ८४२८ (१६) पजूसणारी थुइ ३६६ । ८०५५ | पट्टीपहाडा ३६७ ८४२२(१६) पदमावतीसज्झाय
| ८०२२ । पदिमनीचरित्र
८४०० (१७) पर ३७० ८४२६ (२३), ३७१ ६५२२(३), ३७२ ९५२२(८) ३७३ १०१८०
(४६)
९०५२ (५) | पदमणीचौपई ३७५८१८३ (६) पद्मावती ३७६ ८४२६ (२६) पदसग्रह ३७७ ६२५७ (१)
| ६२५६ | " ३७६ | ६२८० ! पन्दरमी विद्या, सचित्र ३८० ८७४८(१) | पनरमी विद्या भोजचरित्रकथा
१९३० १९वीं २०वीं १७६८ १८वीं १९वीं
५२-५६ ८६-६५
५वा १४२-१४३|
३७४
लब्धोवय गणि समयसुन्दर
१८वीं २०वीं
१८वीं
५७-६० १०७-१०६ ५२ | पत्र संख्या १-१० अप्राप्त ।
अपूर्ण। ६६ | चित्र स ८५।
लि क ऋषभकीति । |लि स्था दौलतगढ़ ।
"
भवानीवास व्यास
१८४६
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ २४
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपिसमय
विशेष उल्लेखनीय
क्रमांक
ग्रन्थनाम
ग्रन्थाक
पत्रसख्या
३८१
६७६० ७६४३
परदेशीराजाकी चौपाई परदेशीसधि
जयमल जेमल ऋषि
१७४७ १८५१
२१ १४
लि क नरोत्तमदास । लि क सूर्यसौभाग्य । लि स्था नारायणगढ़ । लि क रामधन ।
१६०५
३८३ ३८४ १०१००
परदेशीराजारी चौपाई परमारहिंडोलिना
६०-६६ २०१-२०१
१६वी
पल्लीविचार
३८५ | १०४२४ ३८६ १.६७५
पत्र
लाभवर्धन
२०वी १६वी
प्रथम पत्र प्राप्त । अपूर्ण।
पुरुषकी ओरसे स्त्रीके नाम । १८८५ १०६-१११ १८५०
लि म्था बीकानेर । १६वी १८६७।१३३ वा
३८७ ३८८ ३८६ ३६०
४२
१००५१ (४) पाचतीरथीतवन ८२६७
पाडवचरितचौपाई ८८२३ पाबूरा दूहा १००५२ पाश्वनाथजनस्तवन
३६१
१००५२
पार्वजिनस्तवन
११३८-१३६ ।
३६२ | १०१८०
१६वी
८२-८४
३६३८४२६ (२०) पार्श्वजिनस्तुति ३६४ ६२५५ (१०) पार्श्वनाथकथा ३६५८४०० (११) पार्श्वनाथगीत
२०वी १८वीं १६वी
| ७०-७१ | ४२-४८
३८-४१
| लिक विजयराम ।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसची, भा
२५]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
जिणचद
१६वीं । ७०-७१
३६६ ८४०० (२८) पार्श्वनाथ गीत ३९७
पाश्र्वनाथनीशाणी
पार्श्वनाथनो स्तवन ३९९ १०१८०
२७वा ४०-४१
१८६७
१७०-१७६/
४०० । १००५२ | पार्श्वनाथस्तवन
(२२) ४०१ १०१८० (७) पार्श्वनाथस्तुति ४०२ । ८४३१ | पार्श्वनाथस्तोत्रादिसग्रह
२७वा
२०
"
४०३ । १००५२ | पार्श्वप्रभुजीस्तवन
१८६७
१३५-१३६]
४०५
८४२१(१) | पारसनाथकथा
पारसनाथस्तवन पीपाजीरी चितावणी
१९वी १८वी १७६५
१८-२०
८७-८८ | १३२-१३५
१८वीं
नारायण मुनि समयसुन्दर
४०७ ८६९४ पुण्डरीककण्डरीक रास ४०८
६८१० पुण्यछत्तीसी ४०६ १०१८० | पुद्गलपरावर्तनो विचार
(२३) ४१० १८६६ (६) पुरुषोत्तमस्तोत्र
१९वी
६२-६३
गोराचं
२०वी
१२ वा
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ २६
ग्रन्थाक
क्रमात
लिपिसमय
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
पत्रसख्या
| ६४-६५
४१ १-७० १०८
लिक मोटाराम । जीर्ण प्रति ।
चव कवि कवि चन्द वरदाई
२०वीं १८वीं १६वी १८०६ १८६१ १९०३ १८५३ १८१२
७०
५५
४३
६१३-६२६ लि क जयकृष्ण मिश्र । १३९-१४३ | दोहा स ६२ ।
४११८४०३(७) पूजापद ४१२ ९२५१ . पूरणमासीरी कथा ४१३ १०१८६ (१) पृथ्वीराजपवाडा ४१४ ७८७७ | पृथ्वीराजरासो
६२०२
६२३१ ४१७ ६२६५ ४१८ १३३४ ४१६ ६३३५ ४२० ८५६२ (१५) फुटकर दूहा ४२१ ९२५२(३) | फूलचितावणी ४२२ १०६८० (१) , " ४२३ | १०४७६ | फूलजी फूलमतीरी वात, सचित्र ४२४ ६१२७ (१) | फलजी फूलवतीरी वात
८४६८(३) | फलीबाईकी परची ४२६ ८४०२(४) | बडी नीतिना माडला ४२७
| ८५३१ | बडी ब्रह्मचरी ४२८ ८४२२(६) | बडी नवकार ४२६ ८४२८ (१) बत्तीसदोषसामायक ४३०
१००५२ (७) ब[ख]न्धक कुमारनो चौढालियो ४३१ ८४२२ (२५)| बम्भणबाडस्तवन
१७६५ १८वीं
१९वी
| चित्र स ५३ प्रकीर्ण। | लि क नाथ व्यास।
४२५
१-१४ १६-२४ ५६ वा
समसिघ
१८वी २०वी १७वी १८वी २०वी १८९७ १८वी
| ४२-५०
१२३-१३० ८८-८६
कमलकलशसूरि
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ २७
क्रमाङ्क
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
शिपिसमय पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
४३२ ४३३ ४३४ ४३५
२०वीं १९८० १८वी १९वीं
१-२२ ६२-६६
६११७(१) बल्लभाख्यान ८५६० (४)| बारहमासी
६२५७ बारहभावना १०२४८ (२) , , . १०१९० बीकाजीरा तमाशा ६८६१(१६) बीजुमत्र | ८५६२ (७) बेदलाका गीत
'लि क सुरतराम चारण
२०वीं
४३७ ४३८
३६-४०
१२३ ८२ वा ७५ वा । पत्रके दूसरी ओर केशो पचोली
का कवित्त है। १-९ पत्र चिपके हुए और फटे
६०५२ (६) भवरगीतरा दोहरा
१९वी
१८८५ १३६-१४० । *
१००५१ . भवरारी सज्झाय
(१६) ८४६८ (१) भक्तविरदावली
१८वी
१-४
४४२ / ८५६१(३) भगतिभावती ग्रथ
अनन्तानद
१०५-१२३
प्रथम पत्र अप्राप्त * र का १६०६। लिक रूपदास । गरीबदास शिष्य ।*
७१-७२
४४४
१०१८६ (२), भटवाडी
८८१८ भड्डुलीनथ ८५०५ (४) भडुलीगर्भ
भडलीवाक्य
४४५ ४४६
लि. क. रामदास कबीरपथी।
। १-१०
१६२७ १८३०
भड्डक वि
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ २८
लिपिसमय | पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
कर्ता आदि ज्ञातव्य
| ग्रथाक
क्रमाक
ग्रन्थनाम
भड्डली
| अपूर्ण।
१८९५ १६वीं
२७-३३ ८८-८९
३४७ ८०४७ (२) भडलीवायकसमयविचार ४४८
| १०१८० | भमरगीता
(३७) | ४४६ | ८४९८ (५)/ भरथरीउपवेश ४५०
भरथरीगोरखनाथसवाद ४५१ १०६७५ (४) भवानीका स्तोत्र ४५२ | ८५०३ | भागवतभाषानुवाद
१८वी । २७-३०
१-८८ १८२३ ८३-८४ १८वी ६-२४७
ग्यारवें स्कधके इवें अध्याय तक प्रति जीर्ण । अपूण ।
१९वी
२३-२६
१८वी
४५३ १०६८० (४) भावकुभाचितावरणी ४५४ | ६५२१ । भावनाविचार ४५५ ८५६२ (१)| भोगलपुराण ४५६ ८५०५ (१), भौगुलप्रमाण ४५७ | ९५२२ (७) भौंदूज्ञानदृगपद
१७६४ १६२३ १७६६
१-३६ | लि क अखैराम। १-१६ | लि क रामदास कबीरपथी।
लि क ऋषि हेमराज । लि स्था पहुनानगर ।
४५८
६०२६
कनकसोम
मगलकलशफाग | मगलीक
१२वी १८९७
१००५२
१५२-१५३
१०१८०
मडूकाध्ययन
१९वी १४६-१५०
,
२२०-२२२
१०१८०
(६६) ४६२ ८४२२(२६)| मगसी पारसनाथस्तवन
१८वी | ८६-६१
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ २६
क्रमा
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिसमय पत्रसस्या
विशेष उल्लेखनीय
४६३ ४६४
८४२२ (३४)| मगसी पारसनाथस्तवन
८९६६ | मच्छोदर चौपई
१८वीं १७०२
जिनहष
१९वीं १८वीं
१०६-१०८ लिक अमरसागर ।
पत्र स २ अप्राप्त ।
र स्था बाडमेर। ३५ | अपूर्ण।
लि क प ईसर। चि स. ५४। चित्र स १०, प्रकीर्ण।
लि स्था जावद । |६१-६२
४६७
४६६
१-७४
चतुर्भुजदास गुणसागर
१८०२ १८वीं
७६४२ मणिपतिचरित्र ८५२२ मदनशतक १०२५८ मधुमालती सचित्र १०४७७ मधुमालतीकी बात, सचित्र ६०६२(४) मधुमालती चौपई
८४२२ | मनगुणतीसी । (७) ए
मयणरेहा ६४६८ महावीरचरित्र, बालावबोध ८४२८ (१०) महावीरजीरो पारणो १००५२ | महावीरजीरो स्तवन
(२०) | ८४०० महावीरपारणस्तवन
४७१
मतिशेखर
र का १५३७।*
४७२ ४७३ ४७४
१६वीं २०वीं १८९७
१०६-११४ १५३-१५४
देवीचव
१८६४
६०-६१ | लि क प्रखेराज पुत्र चिरजी,
पौत्र भोजराज। ४२-४५
४७६ | १००५०
महावीरपारणसिझाय
१९वीं
४७७ ८४२२ (१२) महावीरस्तवन
१८वीं १८१३
५७-६३ १३०-१३४
४७८ | १०२४८
(१८)
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ ३०
क्रमाक
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
४७६ |८४०२(१) महावीरस्तवन सार्थ
पाशचद
४८० ८४०० (३३) महावीरस्वामीजीरा पारणा
८७६५ | माधवानलकामकदला ४८२ | ९०५२ (३)
" , चौपई
कुशललाभ
४८३ ४८४ ४८५ ४८६
१०४७६ , , सचित्र १०६६० (२) , , , ६४६५ | मानतुग मानवतीकथा ७८८३
| मानतुग मानवतीचरित्र ८८०७ मानतुगमानवतीचौपई ८१०६
मानतुगमानवतीरास
१६१६ १-४२ प्रथम पत्र प्राप्त ।
र का स १७३३ । र स्था ईदलपुर।
टीकाकार-नयविजय । १९वी
७५-७८ १७वीं १४ १८०२१-४१ र का स १६१६ ।
लि स्था जावद।
३५ चित्र स ३७। १८०७ १८७१ ६ लि क हमतरम (हिम्मतराम?) १८१४ २३ । लि क चद्रसौभाग्य।
लि स्था लघु सादडी। १८वीं १० । र का १७२७। १९१५
लि क रुषमणी ।
लि स्था उदरामसर। १८०३
लि क. धर्मसुन्दर,
कक्कसूरि शिष्य। १८५० | ११४-१४६ १३वी
मोहनविजय
४८७ ४८८
अभयसोम अनोपसिंह
४८६
रूपविजय, मानविजयशिष्य
४९० ४६१
१०१८६(५) मामा नरसीका माहेरा | ९७२१(१) मालदेवजीरो सगुण
राव मालदेवजी
।
१-४२
४९२ | १०१८० | मासवारनी पूनिमनो विचार
(१०) ।
३०, ३१
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रमिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
क्रमाक
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपिममय पत्रसख्या ।
विशेष उल्लेखनीय
४६३ १०६८० (५) मुरखावली ४६४ १०२४८ मगापुत्ररिषिसधि
१९वी | ३०, ३१ । १८१३ ११५-१२६
४६५
८१२१
मुगालोढ़ानो चरित
१८२६
४ । लि क फत्ता।
लि. स्था किशनगढ़ । र का १६६४ । जार्ण प्रति ।
समयसुन्दर
१७वीं
H
४६६ ४६७ ४६८ ४६६
७९६६ ८८२७ ७६०६ १००५१
मगावतीचौपाई मृगावतीरास मेघकुमारचौपाई । मेणरेहारी चौपई
गेलराजशिष्य
प्रपूर्ण।
१८वी | ५१ १८८५ ११६-१३१
५०० ५०१
१००५४ ८२८०
मेतारिषरी सिज्झाय मेलक[प्रियमेलकचोपई
१९वी
समयसुन्दर
१७वी
प्रथम ६ पत्र प्राप्त । र का. १६७२। र स्था मेडता।
भीमजी पाढा
७१ वा
लि क. मोहनकीति ।
५०२ ५०३ ५०४ ५०५ ५०६
| ८५६२ (४) मोकसिंहजी सगतावरो गीत | ९०६२(१) मोरध्वज अष्टपदी ६८६१ (१३) मौनएकादशीस्तवन | ८०३७ मौनीएकादशीकथाचौपई १०२४८ युगधरजी गीत
४४-४८
पालमचद
२०धी १८३४ १८१३
११ । लिक भगवान । १३४-१३६
१८वीं
५०७ ५०८
८२८६ ६.००
योगसारमाहिली वार्ता रत्नपालचरित्र रास
मोहनविजय)
"
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________________
[ ३२
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---राजस्थानी हस्तलिखित प्रथसूची, भाग-२ ग्रन्थाङ्क ग्रन्थनाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
क्रमाक
लिपिसमय
विशेष उल्लेखनीय
पत्रसख्या
५०६
| रतनचूडचउपई | रतनचून्न मणिचन्नचरित्र
जिनरतनसूरि
१८वीं १८७१
८२६७
६१
८२३३
५१
रतनपालऋषिचरित्र
मोहनविजय
१८९७
७५
र का १७२८ । लि क बदीचद। लि. स्था क्यामपुर। लि क मोहनविजय। प्रथम पत्र अप्राप्त । लि क माणिक्यराज, कर्ताका गुरुभाई। लि स्था बीझासर ।
५१२
८२३२
रूपवल्लभ, रघुपतिगणिशिष्य
१८२०
१९वी
८५-६०
| रतनपालमुनिचौपई १०६७५(२)/ रतनमहेसवासोत रागडरी
धचनिका ८७४८ (३) रतनाहमीररी बात ६१२७ ।
"
५१४
१८८५ १६वी
१-१६ १५-३४
| लि क नाथू व्यास । लि स्था जोधपुर। पत्र स ३१ से ४५ अप्राप्त ।*
सैदपहार, संदहमजासुत
८६४१ | रसरतनागर ८५६०(२) रसालुकवररी बात
८५६० (३) रसालुकुवरकी बात | ८८४८ रसिकप्रियाराजस्थानीटीका १०२४८ राग, ढाल आदि
१८४०
२०-५३ १८८० ५५-६५ १७५४ १८१३ ७१-११२
केशवदास
लि क मुनि प्रेमसुन्दर।
५२०
१-४०
५२१ ५२२ ५२३
६७२२ ९२८९ ८०५५
रागपद रागसकेत राजनीतिशास्त्र (हितोपदेश)
१९वीं १८वी १६००
नारायण
१३७
| लि क गणि मोहनविजय । | लि स्था राधोगढ़, अजिर्तासह
राज्य।
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--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
क्रमाङ्क
५२४
५.२५
५२६
५२७
५२८
५२६
५३०
५३१
५३२
५३३
५३४
५३५
५३६
५३७
ग्रन्थाक
६४५० ६५२२ (४)
६४८०
६१६३
८५०६
१०१८०
(११)
८४०० (२०)
८४२२ (३७)
६२८१
७६००
ग्रन्थनाम
राजप्रश्नीयसूत्र सटबार्थ
राजमनीगीत
राजाभोजरास
राजा रिसालूरी बात
राजियाका सोरठा
राजुल सझाय
राणपुरागीत
राणपुरारो स्तवन
राणी कमलावतीरी सिज्झाय
१००५१
(२२)
६१२८
राधाबल्लभका ख्याल
८४८ ( २ ) रानाबाई की परची
७८६८
रामकृष्णचरित्र
रामचरित्र, सचित्र
रामचरित्र
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
कुशलधीर
कृपाराम बारहट
समयसुन्दर
लावण्यकीर्ति
केशराज
विपिसमय
१७६६
१८वीं
१७२६
१८वी
१६८८
१६वी
१८वी
१८५५
१९वी
१८वीं
१७१६
१५वीं
१८५१
पत्रसख्या
१७४
५०
१६
३२
३१-३२
७४
५-१६
३८
२४१
1
६८
विशेष उल्लेखनीय
र का १७२६ ।
र स्था सोझत ।
६०-६२
११४ वा
१५०-१५३ लि क लिषमीचद ऋषि । लि स्था माधूपुरी ।
| ३३
लिक मानसिंह |
लिस्था कुचेरा ।
लि क सबर्लासह शेखावत ।
लि स्था
पलथाणा ।
र का १६७२ ।
लि क इन्द्रविजय । लिस्था शुद्धदतीपुर |
चित्र स. ६३४ ।
लिक सूर सौभाग्य । लि स्था नारायणगढ़, मलागढ़ पार्श्वे ।
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्यसूची, भाग-२] क्रमाङ्क ग्रथाङ्क ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
| लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
२३२६ | रामचरित्र (रामयश रसायन)
| केशराज
१८७५
११७ । लि के मोहता पारज्याजी
वक्ता सिहरग।
|र का १६८३।
५४० ५४१ ५४२ ५४३
६२
६२६२ | रामचरित्रको कक्को ६१२६ । रामजस
६२८८ रामरस बोध |८५५६ (४) रामरक्षा स्तोत्र
२८२१ रामरासो ७९०२ | रामविनोद ८२४३ (१) ८३५३ ८४५१
१८वी १६८७ १८वी १८५५ १८४०
रामानन माधोदास रामचद्र, पद्मरगशिष्य
१८६-१९६
२८
१५
८४
अपण।
५४५ ५४६
१३८ १०७
१६वी १८वी १६वी
५४८
८५२८
रामकवि
१५७
पत्र स ७७-८३, ८५-११३
और ११५, १२७ तथा १३२ अप्राप्त । प्रथम ३ पत्र प्रप्राप्त ।
११३
५५०
१६३६ १०२४०
भाषा ८६६६ रामसीता चौपई ८४६० रामायण कक्का ७८७४ रावत प्रतापसिंह
म्होकर्मासह हरिसिहोतरी वात १००५१(६)| रिषभदेवजीरो तवन
१८वी
१८७३ समयसुन्दर
१८३५ टोडरमल
२०वी बहादुरसिंह, महाराज, किशनगढ १८९५
५५२
लि स्था जयपर।
५५४
१८८५
११२ वा
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ ३५
क्रमाङ्क
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
१८८५
१००५१ (८) रिषभदेवजीरो तवन | १८०१(१) रूपचन्द्र चौपाई
५५६
1वनयकुवर
१८वीं
|११३-११४) ५४ र का १६३७ । र.स्था
विजयपुर । प्रथम पत्र प्राप्त ।
|९०८६ | रूपदीप पिंगल
१९५०
जयकृष्णपुष्करणा, भवानी- दाससुत जयकृष्ण
५५८
८१६१ | रूपदीप भाषा
१६२६
५५६ ५६०
महानव
लिक रामदास कबीरपयी।
र का १७७२ ।* | लि क बधीचद। | लि क मोहनकोति।
८२६० रूपसेन रास
लावणीसग्रह | १००५६ | लीलारास | ८१७१ । लीलावती चउपई
५६१
१८५० १९६१ १६वीं १७४५
८-४७
६८ ४८
५६२
लाभवर्धन
७६६३ । लीलावती भाषा
मू. भास्कराचार्य
| र का १७२८ । प्रथम पत्र
अप्राप्त। कीटविद्ध प्रति । लि स्था बीकानेर । अनूपसिह राज्ये।
१९वीं
टीका लालचद
२१
लि क. कानकुशल ।
अमीचव
५६४
८५१४ ९००४
८४६५ लीलावती भाषानुवाद ५६७
८४६६
८३२१ लीलावती भासा
| ८५०५ (२) धशावली उत्पत्ति, भागवतान्तर्गत ५७०
वरकाणा पारसनाथतवन
१९२२ १७८२ १८६१ १९२५ १७७४ १९२३ १८वीं
५६५
लालचद
१७ १-७ । लि क रामदास कबीरपथी। ११३वा
mma
Page #46
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
क्रमाक
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
५७१
वर तपस्तवन
१८६१
१३६-१३७
१००५२ (१४) ८६४१ ९८२६
५७२
समयपन्दर
वस्तुपाल तेजपालरास घास्तुशास्त्र
५७४
१८वीं
२६
५७६ ५७७ ५७८ ५७६ ५८०
८०८८ | विंशति पदपूजा
जिनहर्ष सूरि ८४२५ विक्रमकथा ७९४० | विक्रमचरित (पचवड चौपई) ८६८० विक्रम चौबोली
अभयसोम ८१८३ (८) विक्रमरास
लाभवर्धन ८८०८ | विक्रमसेन लीलावती चौपई मानसागर ७६२३ | विक्रमादित्यसुत विक्रमसेन चौपाई | मानसागर, जीतसागरशिष्य
१९वी १९५३ ७ | स्फुट पत्र । लि क प्राशुलाल
पोकरणा। लि स्था नवानगर । १८७५ १४ । लि क हसराज मुनि ।
| २४-१३७ प्रारभके २३ पत्र अप्राप्त । १७६२
| लि क तिलकसुन्दर। १८४५
| लि स्था जोजावर । १८वी ६५-८० १८०१ १८१४
लिक चद्रसौभाग्य ।
लि स्था चीताखेडा नगर। १७१७ २२ लि क ऋषि कान्हजी धनराज
मुनिशिष्य।
लि स्था बुरहानपुर । १८१६
लि क प कृष्णविमलगणि।
लि स्या बीझवा नगरे । १६१६ १०२ लि क व्यास गोरमल।
लि स्था नागपुर। १७४२ ६ | लि क कुशललाभ।
५८१
१४७३ | विचार प्रथ
११९७ | विचार गाथार्थ
९४५८ | विचाररत्नसार बालबोध
७९७६
विचारस्तव बालावबोध
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________________
[ ३७
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
| कर्ता आदि ज्ञातव्य
क्रमाक
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
लिपिसमय | पत्रसख्या ।
विशेष उल्लेखनीय
-- ---
----
१६१४ १६वी
५८५ / ६७०० | विचारस्तवबालाधबोध ५८६ ८१५० | विद्याविलास ५८७
विनति पत्रिका, सचित्र ५८८ ८४२२(३५) विमलसाहरो सिलोको
प्रथम और २६वा पत्र प्राप्त ।
खरडा। १०८-११३ लि क. अमरसागर ।
१७७२
विनय[विनीत] विमल (गभीरसागर शिष्य)
५८६
|६४६१ | विमलाचलतीर्थ प्रारती
१६३१
लि क व्यास मगूमल । लि स्था बीकानेर।
विवेकविलास ८६५५ | विवेकषिलास सबालावबोध
१८३१ १८४६
१-२१
६२
५६१
जिनदत्त सूरि
लि क हेमसागर मुनि। लि स्था कच्छबदर।
१८१२ १८वीं
प्रथम पत्र प्राप्त ।
५९२ १०२४८(८) विषयत्याग गीत
| ६६७४ | विषहरण ५९४
| ९२५७ (२) विषापहारस्तोत्र भाषा ५६५ । ८५६६ विज्ञप्ति पत्र, सचित्र
१९वी
खरडा लेख भाग १४॥ फीट, चित्र भाग ६॥ फीट । सोजत जैन संघ द्वारा पाटनस्थ विजय जिनेन्द्रसूरिके प्रति । खरडा। लेख भाग १० फीट, चित्र भाग २१ फीट। मेडता जैनसघ द्वारा राधनपुरस्थ विजयजिनेन्द्र सूरिके प्रति ।
८५७०
१८६१
"
देवचद
८१५७ । वीरनिर्वाणस्तवन ५९८६७२० (११) वीरमदेरी बात
१८वीं १ ची
६१-१४२
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथसूची भाग-२
ग्रन्थाङ्क
क्रमाक
५६६
६००
६०१
६०२
६०३ ६०४
६०५
६०६
६०७
६०८
६०९
६१०
६११
६१२
६१३
१०६४६
वेतालपचीसी
८१२२
१००५०
(१६)
१००५३
१००५२
(२१)
९२९६ (३) वेलीकृष्णरुक्मिणी [री]
९१५२ (६) वैद्य मनोत्सव
७६३०
वैदमनोव
ग्रन्थनाम
दरभी चौपई
श्रावकनी करणी
श्रावकनी करणी, श्रावि सिझाय सग्रह
श्रावकनो पडिकमणो
८४०० (१४) श्रावकरी करणी
८४२८ (१८)
11
"
| १०२४८ ( ६ )
""
"
१००५१ ( ९ ) श्रावकरी सज्झाय
१००५२ (१) श्रावकस्तवन सारिणी
८४०० (४)
श्रीश्रष्टक
६८५०
श्रीपाल चरित्र भाषा
कर्ता आदि ज्ञातव्य
नयनसुख (केमवदाससुत )
पेमराज
लिपिसमय
१८००
११२७
१६०५
१८११
१८वीं
१६वीं
"1
१८६७
१९वी
२०वी
१८१२
१८८५
१-६७
१६वीं
पत्रसंख्या
४८
३६-७०
७० वा
१०
६
४५-४७
६४
१६४-१६६
४२-४५
१४५ - १५३
५४-५६
११४- ११६
१-३३
१०-११
७०
[ ३८
विशेष उल्लेखनीय
लि क देवनाथ प्रश्नोरा ।
लिस्था सवाई जयनगर । लि क नदूराम ।
र का १६४६ । र स्था. सिंहनद नगरे । श्रकबरसाहि राज्ये । लिक सुजाण ऋषि । लि स्था लोटोती ग्राम । लि स्था बीकानेर ।
प्रथम पत्र प्राप्त । प्रपूर्ण
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ ३६
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ] क्रमाङ्ग ग्रन्थाक ग्रन्थनाम
कर्ता आदि जातव्य
-
लिपिसमय |
पामख्या ।
विशेष उल्लेखनीय
६१४
श्रीपालप्रबन्ध चतुष्पदी
लालचद
१६२७
६२ र का १८३७ ।
लि स्था अजीमगज । १११ । अपूर्ण, स्फुट और त्रुटित पत्र ।
| र का १७३८ ।
श्रीपाल महाराज चरित्र श्रीपाल रास
६१६ ६१७ ६१८ ६१६ ६२०
१०४७५
७६२५ ७६४६ ८३४२ ८८३२ ८६८६
१८३५ १८२७ १६वी १८७२ १७८०
र का १७३०
नयविजय जिनहर्ष विनविजय यशोविजय महोपाध्याय विनयविजयगणि
१९वी
१८वीं १७५७
७४
(हवी
लिक चतुरसागरगणि। २४ ५२-५३ ७७-७६ २७-३० १३२-१३३
गुरगसागर
१८वी २०वीं १८६७
६२२ ६४५३
८४०० (१६) श्रीस्तवन ६२४ ८४२२(१६) ६२५९८६१ (६) ६२६
१००५२
(१०) ६२७८४३० (१४) शकुनरा दोहा ६२८ ६२६५शकुनावली प्रावि ६२६ ८५५८ (३) शनिश्चरदेवजीरो स्तोत्र ६३० १००५० शनिसरदेवकी कथा
(१०) ६३१ ८४०१ शनश्चर कथा
१०२-११५
१०६
कर्पूरविजय
१८१३ १८०७ १८४३ १९वी
१९२७
Page #50
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
क्रमाक
ग्रन्याङ्क
६३२
६३३
६३४.
६३५
६३६
६३७
६३८
६३६
६४०
६४१
६४२
६४३
६४४
६४५
६४६
६४७
६४८
૬×E
१००५० (५) शत्रुञ्जयगिरिवररास
८४२८ (११) शत्रुजयगिरिवरस्तवन
८३१६ शत्रुञ्जय रास
८४२२ (१३) |
८४२२ (२७)
१०१००
(३६)
७८७५
१५२२ (२)
६४६७ शत्रुञ्जयस्तव
शत्रुञ्जयस्तवन
१५२४ ( २ )
६६५६
६२५६
१५२ (२) ८४२२ ( ४१ ) ८१०८ (३)
" "
१०१८०
(३०)
८४०० ( २३ ) शान्तिनाथ गीत
८४२२ (२१)
शान्तिनाथस्तवन
1
शत्रुभेद शान्ति जिनस्तवन
"3
ग्रन्थनाम
"1
33
शालिभद्र चरित्र
19
शालिभद्र चौपई
23
"
"1
19
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
समयसुन्दर
विमलहर्ष
मुहणोत जोगीवास
पाशचद
गुणसागर, पद्मसागरशिध्य
जिनराजसूरि
""
लिपिसमय
१६वी
२०वी १८वी
""
१६२२
१८वी
१६वी
१८६२
१७८७
१६वी
32
१८वीं
17
"
91
१६००
१८वीं
१८६८
पत्रसख्या
१६-२६
११४ - ११६ |
१३
६३-६८
६
६३-६४
८७ वा
२-२४
१
७४-७५
६२-६५
८४-८५
४-५
१७
१८
४८-५५
१२५-१५३
४४-६६
विशेष उल्लेखनीय
*
४० ]
लिक गंगाराम ।
र का
१६८२ ।
लि क कल्याणनिधान मनि ।
र की १६७८ । प्रथम पत्र अप्राप्त लिस्वा महाजननगर ।
लिक गाग ऋषि
लि क जति रूपचंद पूनम गच्छे । लि स्था रतलाम ।
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[४१ विशेष उल्लेखनीय
क्रमाङ्क
| ग्रन्याक
ग्रन्थनाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या |
६१०१
शालिभद्र चौपई
१९२८ ३३ र का १६७८।
लि क प्यारचद महात्मा १९वीं । १३८-१३६/
६५१
शालिभद्र धनाभा रा]स
१०१८०
(४७) ८६६५
६५२
शालिभद्र रास
जिनराज सूरि
१७वी
२१ | पत्र संख्या ६-१३ अप्राप्त ।
लि क. थिरराज। । २४ वा
१९वीं
६५३ १०१८०(४) शालिभद्र स्वाध्याय ६५४
८४२२.२८) शालिभद्र सज्झाय ६५५ ८३४३ । शालिहोत्र
१८वीं
सहजसुन्दर मू नकुल
१७६४
१२ | लि क तुलसीदास वैष्णव ।
लि स्था बेधव। १-५२ | लि. क बखतराम।
९७२४
६५७
९३३६
शालिहोत्र टीका | शालिहोत्र, सचित्र
१८२६ १८९२ १६वीं
६८ चित्र सख्या ४६ । जीर्ण और
त्रुटित प्रति । | १४३-१४४
१०१८०
शीतलनाथनु तवन
५०)
शीतलनाथस्तवन
४५-४६
६६१
०१८० (१६) १०१८० (१५) ६८५४
शीयलसज्झाय
४३-४५
६६२
शीलप्रबन्ध कथा
१८४५
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ ४२
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ] क्रमाक ग्रन्थाक
कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थनाम
लिपिसमय । पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
८३२२
शील रास
विजयदेव सूरि
१७वी १८वी १६८७
५
६६४ ६६५
८७२१ ७६३२
लि क. मुमुक्षु स्वज्या। लि क गगादास जोशी। एक अोर लिखित पत्र है।
शीलवती कथा
शीलसज्झाय
१९वीं
१८६-१९१
१०१८०
३०
६६७ ६६८
देवचद्र (?)
५२१४
शुकबहोत्तरी | ८१०५ शुद्धमति जिनस्तवन | १०१८० शेत्रुजा उद्धार
(४३) ८४२६ (२८) स्तवन सज्झाय सग्रह
१६३० १९वीं
१२६-१३२
६७०
६७१ ६७२ ६७३ ६७४ ७७५ ६७६ ६७७
- ८६५ स्तवनावली ८४२६ (१) स्तुति पद सग्रह ८४२८ (३) स्नात्रपूजा १०६७५ (२) स्फुट दोहा कवित्त ८४३० (१५) स्फुट पद सग्रह
६७३३ । स्फुट राग पदावली ९५०० स्वामी [जबू स्वामी] चरित्र
१६३११११-२१७ पत्र स १६४, १६५ अप्राप्त ।
लि क हुकमीचद ।
लि स्था मदसौर। १७२६ १६ र म्था. जैसलमेर । १६५६ १-१६ लि क हुकमीचद । २०वी १९वीं १८१३ ११६, ३१७
१९वीं १८०५
लि क भोजराज। लि स्था बीकानेर। र का १५८३। र स्था अहिपत्तन ।
Page #53
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
[ ४३
-
क्रमाक
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
| लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
१९वीं
जिनहर्ष जिणचद सतदासजी मावि
७२-७३ ७१-७२
३६८
१८वीं १७९५
२०वी १८७८
१४
५५-६०
६७८८४०० (३०) सखेसर जिनस्तुतिपद ६७६ ८४०० (२९) सखेसर पार्श्वनाथस्तवन ६८० | ९२८२ सतदासनीकी वाणी ६५१ ९७९६ सतरद्वार ६८२ ९८६० सवत्सर फल ६८३ १००५० सज्झाय स्त्री पुरुषको
(१७) ६८४ ६७६४ सज्झायसग्रह ६५५ ६६२६ । सतरा प्रकारको पूजा ६८६
८६९२ सत सवत्सरफल ६८७ ८४०० (4) सद्गुरुवर्णनभाषा ६८८ ८५६५ | सदैवच्छ सालिंगारी वात, सचित्र
लि क गुलाबचद । लि स्था सागर।
रत्नसागर
१९१६ १६वी
अपूण।
मेघराज मुनि
२० ३६-३७
१८१६
चित्र स २६ । लि क जितेन्द्रसागर ।
६८६
२०वीं
वेधचद
७५-८१ ६८-७६
४१वा
६६१
६८६१(१५) सनात्रपूजा ८४०३ (४) सनात्रपूजा विधि १००५६ (४) सप्ततिरात जिनस्तोत्र
६६५३ सम्यकतत्वकौमुदि ६७१२ सम्यकत्वकौमुदि ७६०४ समयसार नाटक टीका
६६२
जोधराज गोदीका रतन चरित्र
१७वीं १८वीं १६०६ १९वीं
६६३
५०
१२६
६६०५
समेतशिखरगिरिपूजा
१६३१
६ | लि क मगूमल व्यास ।
ल-स्था विक्रमपुर।
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित प्रशसूची, भाग-२
-
कर्ता आदि ज्ञातव्य
ग्रन्थाङ्क
विशेष उल्लेखनीय
लिपिसमय
क्रमाक
ग्रन्थनाम
पत्रसख्या
सौभाग्यसुन्दर
१६१८ २०वीं ११वी
देवीचन्द
७ | र. का १९०७ । १६-३७ ८६-६० २४-२७ ६१ वा
मनरग
१८वीं
२२८३ समेतशिखररास टीका ६९७ ८४२६ (२) समेतशिखर रासो ६९८ ८४०० (४२) समेतशिखरस्तवन ६६६ | ८४२२ (५) सरसतीजीको छद ७०० १०१८० सवै कतीसा
(२२) ७०१ ६६७५ | सवैया जैनमतका ७०२ ८१७२ सत्रहभेदी पूजा ७०३ ८१८३(२) सत्रुञ्जयरो रास ७०४ | ८५५६ । साचा साहिबकी वीनती ७०५ ८४२२(३८) सातनाथतवन ७०६ १००५१ सातनाथजीरो तवन
(१४) ७०७ १००५१ ७०८ ८८३६ ७०६ ८८२६ | साबप्रद्युम्न चौपई
७६२८ सागरदत्त चौपाई
समयसुन्दर
लि क सोजीराम ।
१८५७ १८वीं १८८५
७-१५
३० ११५ १३६-१३७
गुरु झाझरण शिष्य (?)
१४४-१४५/ १७वी १७ | पत्र सं २ से ५ अप्राप्त । १७०१
लि स्था नीमली। १८वी
र का १७४४। र स्था मेदपाट । लि क दर्शनसागर ।
| लि स्था जालौर । १८१२ । ४६-५४
७११ १०२४८ (५) सातव्यसनसिज्झाय
Page #55
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
। ४५
क्रमाङ्क |
ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष उल्लेखनीय
७१२
क्षुल्लककुवर
| ८३१८ | साधना गुणसग्रह
८४२६ (९)/ साधुचैत्यवदन १००५० साधुववणा
७१४
साधुवदना
पााचन्द
७१५ ७१६
१००५२
(१८) १०२४८ (१)
७१७
"
७१८ । ९८१३ | सारस्वतविसर्ग सधि
१७वीं २०वीं
४८-५० १८७५ १३-१६ लि क नमिचन्द ।
लि स्था बीकानेर। १६वीं, २१-३५ । १८६७ | १४२-१५२ लि क लक्ष्मीचन्द ।
लि स्था प्रतिका । १८१२ । ५-३५ । लि क प जसवत चि अमरा
सहित । लि स्था बाडमेर ।
प्रथम ४ पत्र प्रप्राप्त। १९५७ । १४ लि क प केशरीसागर ।
लि, स्था. फलवद्धि नगर
(फलोधी) १८५४ । २४-५७ । लि क. नुसुदर।
लि स्था राजलदेसर,
सूरतसिह राज्ये। १८वीं ६०-६४
र का १६७२। र स्था मेडता।
लि स्था. झूठाग्राम । १७वी
लि स्था विक्रमनगर।
७१९ | ८१८३(५)| सालिभद्र महामुनि चउपई
जिनराज सूरि
७२० | ११८३ (७) सिंहलसिंह। सुत] चौपई ७२१ । ७९६१ सिहलसुत चौपाई
समयसुन्दर
८८३३ । सिंहलसुत रास
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान --- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
क्रमाक
७२३
७२४
७२५
७२६
७२७
७२८
७२६
७३०
७३१
७३२
७३३
७३४
७३५
७३६
७३७
७३८
७३६
ग्रन्थाय
८१५६
७६१८
८२१०
८०३२
८४२९ (५) सिद्धचक्रजीको तवन ८४२६ ( ६ ) | सिद्धचैत्यवदन
८४२८ (१२) सिद्धाचलगिरिस्तवन
८४०० (१८) सिद्धाचलस्तवन
सिहासन बत्तीसी
सिंहासनबत्तीसी, सबालावबोध
ग्रन्थनाम
सिद्धिचक श्राराधन विधि
सिन्दूरप्रकरण
सीतारी सिज्झाय
सीमन्धर जिनस्तुति
१००५१
(२०)
१०१८०
( १९ ) १००५२ ( ६ ) सीमन्धरजीस्तवन १००५२ (१७)
१०१८०
(१८)
"
८४२८ (१३) सीमन्धरस्तवन
६५२२ ( ६ ) लीमन्धरस्वामीजीसु चैत्यवदन
37
८४२२ (१५) सीमन्धरस्वामी विनती
८४०२ ( २ ) सीमन्धरस्वामीस्तवन
""
""
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
हर्षसागर शिष्य ( ? )
सोमप्रभ
देवराज मुनि नयविजय
लिपिसमय
१६वीं
१८वीं
२०वीं
"1
""
१६वी
"
१८०२
१८८५
१८६७
17
पत्र संख्या
२०वी १८वीं
४२
२८
४३-४४
४४-४५
१२६-१२८
५६-५८
१६वी ४८-५६
६
१२०
१४५-१४६
१३२ वा
१४१-१४२
१२८ - १२६
४
७२-७७
"9
२०वीं
४२-५३
१६वीं ४७-४८
विशेष उल्लेखनीय
प्रथम पत्र प्राप्त ।
एकादश कथा पर्यन्त ।
लिक ऋषभदास ।
लि स्था सपाददेश ।
लि स्था. श्रासभीया ।
[ ४६
लिक हेमराज |
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________________
[ ४७
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२] क्रमाङ्क | ग्रथाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य
ग्रन्थनाम
पसमय । पत्रसख्या
विशेष उल्लेसनीय
१८वी
७४० ७४१ ७४२
भक्तिलाभ खेमदास स्वामी
८५-८६ ४५-६६
पत्र संख्या ६१वा प्राप्त ।
१९वी
५२-२०४
रूपवल्लभगणि
७४४ ७४५
|८४२२ (२२) सौमन्धरस्वामीस्तवन ८५६२(३) सुखसमाधि
६६५८ सुदर्शनष्ठिकथा ८५६४ (२) सुन्दरदासजीको कृत ६५८५ | सुभद्रासती चौपई १०१८० सुभद्रासिज्झाय (५४)
सुभासित दूहा ८४३२ सुमतिनाथ गीत ८४०० (३७) सुमतिनाथस्तवन | ८८३८ । सुरसुन्दरी रास
१८२७ १९वीं
१५०-१५६
७४६
जिनरग (२)
७४७
१७वीं १७२६ १९वीं
पाशचन्द सूरि नयसुन्दर
७४६
२-२३ ८२-८३ १६ प्रथम पत्र प्रप्राप्त ।
लि.क बच्छराज ।
| लि स्था भेलसा। ११५-११६ लि क अमरसागर।
५५ लि क छोटेलाल ब्राह्मण ।*
सहजपुन्दर रूपनाथ जोगीश्वर
७५० ८४२२ (३९) सुक्षत्रसझाय ७५१ | ८६१५ । सूर्यनाथ मगल (वैद्यक) ७५२ ८४०० (६) सूरजरो सिलोको ७५३ ८४२८ (१४) सूरप्रभुस्तवन ७५४ | १०१८० | सेतुजीस्तवन
(२६) ७५५ ८४२८ (९) सेत्रुजरासि (शत्रुञ्जय रास)
| १०१८० | सेत्रुजसिद्धस्तवन
(५२)
१८वीं १९०८ १९वी २०वीं १९वीं
१२६-१३०
२०वी
| ७५-१०६ | लि. क प रतनलाल कोटवाल ।
लि स्था महेन्द्रपुर। १४८ वा
१९वीं
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थसूची, भाग-२ ]
क्रमाक
७५७
७५८
७५६
७६०
७६७
७६८
७६१ १००५१ (१)
७६२
८८४४
७६३
८८३७
७६४
६४२२
७६५
८५०१ (२)
७६६
८५५६ (३)
८२४०
८४४०
७६६
७७०
७७१
७७२
ग्रन्थाक
७७३
७७४
८४२८ (२१) सोलेसतोनी वदना ८६२८ हसवच्छ चोपई
८०८ (२) | हंसराज बच्छराज चौपई
६०८४
१००५१
(१३)
८१५१
१०१८०
(२१)
१०२४८
(१५)
"
"
ग्रन्थनाम
"1
हसाउली हमीर रासो
हरिचव सत
"
"9
",
हरिदासजीके पद
हीरबलमाछी रास
हितोपदेश भाषा
होरजीरो तवन
त्रयोदश बोल
ज्ञानपचबीसी
"1
८४२९ (२५) ज्ञानपञ्चमीविधि
८४२६ (११) ज्ञानपद चैत्यवदन
3:
रास
ज्ञान पञ्चमीतप स्तवन
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
जिनोदय
जिनोदय सूरि
"
11
"3
असायित महेश कवि
"
कुशलसयम
लिपिसमय
२०वीं
१७१४
१८६३
१६३२
१८८५
१७६१
१७वीं
१६वीं
१८वीं
१८५५
१७वी
१८६३
१८८५
१८वीं
१९वी
१८१३
२०वीं
"1
पत्रसख्या
१-६
२२
१-४३
४५
१-६५
२८
२४
२६
८८-१४६
६७-१८८
३५
६८
१३५-१३६
७
६० वा
११२ - ११५
१०२-१०६
५१-५२
[ ४८
विशेष उल्लेखनीय
लि. स्था मदसौर ।
लि क प. लिषमीचन्द |
लि क शिष रूपचन्द गछ (?)
लि क प्यारचन्द ।
लि स्था पावटा ग्राम ।
लि क नैनसुख नाजर #
लि. क चैनकरण । लि स्था रीवा ।
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________________
* श्री * परिशिष्ट १
[कतिपय ग्रन्थो का विशेष परिचय] १८१ ८ ५६२ (८)* चौहान पृथीराजरो छद __ अादि - सिवि श्रीचुहारण प्रीथीराजरो छद भुजगी लिष्यो। गजनीरै पातसाह बध कीय्यी जदी करणा कीधी जणी सिम्यारो।
पर्यो गजनी बदनमे छ हथ । वीचार कर पाप करतुत पीथ ।। हण्यो दाम कहेत कैलास बारण । गज पुन च वट वैरी भराण ।। बदै क न कामा चषु पट गाढे । बिना दोम पढीर से भ्रत काढे ॥ वरजत चद चल्यो हु कनोज ।
जहा सूर सामत कट घट फोज ॥ अन्त - पवारै गिनाक कहा लग तोरे ।
का वीनती डीतनी हाथ जोरै ।। विसास नवि सभर विसारो। अन अपराध ग्रहक बीमारो॥ प्रब होय नीदे न देषो तमामो। ग्रह्यो ग्राह ज्यु गज मादी नीकामो ।। बिना राज साज करै कोन काज । नीभाहो बीरुद गरीब नवाज ॥ सदाडी कहावो कररणानीदान ।
करो प्राय महाय कहै चहुप्राण ॥ १ मपूर्ण ली० प० गुलाबराय हरीदास्नो [सोत] स० १७६७ वसे । १६१
८५६२ (8) जनमबत्तीसी अादि - दी। सिवस्ती श्रीगणेमाय नम । अथ जनमबतीमी लीप्यते । क्रत पचोली भगतरामजीरी । सन १७६५ रा भादवा वीद १३ रे दीन ग्रथ कीय्यो।
दुहा- मथुरा जनमे जगतपत, देवनभ अवतार ।
सकल वीसव सुषि अत भऐ, मुर नर जै जैकार ॥१ प्रथम सख्या सूचीके क्रमाङ्क और द्वितीय सख्या ग्रन्थाङ्क की सूचक है । कोष्ठक के अङ्क गुटका के अन्तर्गत रचना-सख्या के द्योतक हैं ।
-
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५० ]
[राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
चुत्रभुजा वर चुत्रभुज, प्रावध सजुत अनत ।
दाय्यो दरस बसदेवही, देव नमन विहसत ।। २ अन्त - जा हरिकी गम वेद नही अरु सेस महेस न पार लग्यो है।
जा हरि कारण मुनि तपेसुर, षोजन ही जुग बीत गय्यो है । ज्यो हरिनै क्रीपा करके नदके ऊर प्रान प्रोतार ठय्यो है।
भगतराम भणै ब्रीजमडलमै घर हा घर अोछव होय रय्यो है ।। ८ दुहा - घर घर भद्दी बधाहीय्या, मगल गाइी नार ।
ददकादम पेले सबै, अोछव भय्यो अपार ।। १ जनमबतीसी ग्रथ कर, ऊपज्यो इधक हुलास ।
भगतराम भय त्रास तज, कर हरचरण नीव स ।। २ सपुर्ण । स० ९७९५ रा भाद्रवा सुद १ सुनी लीषतु पचोली गुलाबराय हरीदासोत ॥ श्री॥
२५०.
८७२२ द्रौपदी चउपई
प्रादि - ॥०॥ सकल जिणेसर वीर जिरण, जगनायक जगिसार ।
अष्ट कर्महे लइ हाथा निहण्या, दोष अष अट्ठार ॥ १ वाणी योयनगामिनी, बुद्धि अगि विशाल ।
ए अध्ययन सोलमिइ भाषि प्ररथ रसाल ॥ २ अन्त - एय चरित्र सभलीय, भवीय तप सयम धरिवु ।
चुथा व्रत पालवा काजइ परमादन करवू ।। ८६ जिम अध्ययन सोलमिए, अगि छति जेहुवु । चुपई माहि मि कहिउ, ए पदोनि तेहवु ॥ ८७ भणयो गुणयो करी ववेक, मि भाषिउ भोलि ।
मिछा दुक्कड दिउ त्रि सुधि, जो बालिउड हलिं ॥८८ सवत १६५२ वर्षे फागण वदि १४ बुधे लग्वत इति श्री द्रूपदीनी चुपइ सपूर्ण ॥ समाप्त ॥
२७६ ८२५२ दूहा सोरठा किसनियारा प्रादि- अथ दुहा सोरठा किमनीयाका
पय तूडणी भरेह, दारू ताय आष दुनी। कुसगत कलक चढेह, काने रहजे किसनीया ॥ १ हाथी जाए हेक, लष कूकर लारा लवे।
वडपण तणे बवेक, कोई न षी कीमनिया ॥ २ अन्त - राम तणे या रीत, लषीयोलो पाए नही।
पोते राष परतीत, करमी पोहतो किसनीया ॥१८
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५२ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
निरूपन नाम पचमो तरग ।। ५ ।। सवत १९२० पौस सुदि १५ लिपिकृत रामदास काबीरपथी | सतनाम कवीरकी दया सत सह ॥
४२५
आदि - अथ फूलीबाई की परची लिषते ॥
चौ० ॥ हूँ मलघारी परणी जु नाही । पारब्रम पत मेरै माहि । सो कह जनमै म जुनाहो । सुष सागरउ सदा रहाही ॥। १ साषी । जानी आया गौरव, फूली कीयौ बिचार |
सब सतारो साहित्रो, सौ मेरो भरतार ॥२ अन्त के करीऐ उपाय बोहो, कहै लीजो येक राम । पूलीका सब ही सरया, मना मनोरथ काम || ७० चौपाई ॥ मम रसावण पूली पीयौ | सतगुर की सोई हम कीयो । रामजी सौदूजी नही कोई । पूली सब जुग देष्यौ जोई ॥ ७१ इति श्री पूलीबाई की परची सपूर्णं ॥
८८३१ बडी ब्रह्मचरी
||०|| गोयम गरणहर पाय प्रणमी करी । ब्रह्मव्रत तवस्यउ हरष हीयइ धरी ॥ सूघउ पाली भवसागर तरी । पामी पामइ पामिम्यइ शिवपरी ||
-
४२७.
आदि
अन्त -
८४९८ (३) फूलबाईकी परच
-
एक कह हुवसइ आधइ कर्म्मग्रच्छि सुध्ध करइ । अनादि नइ अनत च उगइ काल अनतउ सचरइ ॥ श्रीपासचदसूरिंद सीमइ श्रीसमरसिंघ इम उचरइ । इद्री ताउ करइ सव रहेला शिवरमरणी वरइ ॥ इति श्री वडी ब्रह्मचरी समाप्त ॥ श्री ॥
G
१०१६० बीकाजी तमासा
४३६
श्रादि - श्री गनेसाई नमै । तमासो बीकाजीको लीषते ।
प्रायो र मेरा चाच बोहोरा, आया ₹ बोरीका बोरा ।
साजी परन्या छो क कवारा ।
सा परन्यो तो छो पनी सानी मरी गई ।
साजी था को तो फेरू परना द्या ।
हा साब रषबदेवजीकी दुहाई, ब्याव करो तो बडी बात करो ||
ख्याल ( तमासा) अपूर्ण लिखित है । श्रागे " जोगीको तमासो", "कृष्ण-ललिता वचन" प्रादि लिखित हैं ।
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[ ५३
राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ-सूची, भाग-२ ]
४४० १००५१ (१६) भवरारी सज्झाय आदि - श्री गणेमाये नम ॥
भुलो मन भवरा काइ भमो। भम्यो दिवस ने रात, मायारो वाव्यो प्राणीयो।
भुलो परम लजाय, भूलो मन भवरा काई भमे ।। अन्त - केई चाल्या केई चालसी, केई चालण हार ।
रात दीवस वाटे वहे, परषो नही रे लीगार ॥ भुलो० मेहमाद कहे वमनु बोरीयो, जे कोइ आवे रे साथ । प्रापरणा काज काढवो, लेपो माहिब हान ॥ भूलो०
ईनी भवरारी समाय मापूरण । ४४१ ८४९८ (१) भक्तविरदावली
ग्रथ का प्रादि भाग त्रुटित है अन्त - भगतविछल भगवान, वेद सतन मिल गायो।
पडी भगत म भीड, जहा प्रभु आप ज आयो। सुरति ममथ अरु जग कहै, अघमोचन भगवान । यू दास चरणके सरण पड्यौ है, बिडद तुम्हारो जान ॥१६
इति भगत-बिदावली सपूर्ण ४४२ २५६१ (३) भगति भावती प्रथ
आदि - रामजी मति है जी। श्री गुरु भ्याय न्म ।। अथ भगति भावति लिषत।
सब सननकु नाउ माथा । जा प्रमादतै भयो सुनाथा ॥ भो जल पार गयौ को चाहै । तो सत चरण रज सीस चढावै ॥१
अन्त - दोहा। नमह राम रामानद, नमह अनतानद।
चरन कवल रज सीरि घरे, परप[म] नगसानद ॥२८४ हीति श्री भगति भावती गर्थ (ग्रथ) समापत। सबत ७१५४ [१७५४१] बरषे सावरण मुधि एकादमी बार सोमाहवार [सोमवार] लीपत स्यामी गरबादासजीका सिष रूपदासजी ।। जगनाथ पठनारथे ।
४४८ ___१०१८० (३७) भमर गीता प्रादि - समुद्रविजय नृप कुल तिलो [तिलक], मान शिष्यदे नद ।
बालब्रह्मचारी सदा, नमीह नेमि जिणद ॥१ तरिथकर बावीसमो, यादवकुलसिणगार । राजमती-मन-वलहो, करुणारस भृ गार ॥२
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५४ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
अन्त - कलस । भेद सयम तरणा चित श्रारणे । मान सवत तणु एह जाणे । वरस बत्रीसनु वरगमूल । भाद्रवे थुण्या प्रभु सानुकूल ॥२७ इति श्री भमरगीत टोडरबध नेमजी स्तवन सपू[र्ण ] ॥
४७१.
७६३४ महा
आदि - || || श्री सारदाजौ [जी] नम । दृहा । राग बन्यासी । जिण चउवीसइ पय नमी, गरगहर गोयम पाय ।
करि कवित रूलीयामनउ, गुरू सरसुति सुपासाय ॥ १
अन्त जीपी मय रेहा राषवी । जिरिए सासनि महिमा दाषवी ।
मन रेहा सुरिण तु माहा सती । करउ मगल जयवती सती । पनरह सइ सात्रीसइ वरिसि । एह प्रबंध कोधु मनि हरमि । वाचक मतिशेषर इम कहइ । भरगइ गुणेइ ते सर्व सुष लहइ ।
इति शील विषये मयारेहा महासती प्रबंध समाप्त ग्रथा ग्रग्रंथ ५०० । श्री० श्री० श्री० श्री० श्री० श्री० श्री० श्री० ।
-
५०२
८५६२ (४) मोकमसिंघ सगतावतरो गीत
माहाराजा मोकमसीघजी सगतावत भीडरराज गारो गीत भीमजी प्रढ्या [ढा ] रो कह्यो छे । गीत जका जगाणी जीहान बीची, जुगा च्यार ताइी जाता । घरणी घाट बीच बाता, घडाणी प्रवेस |
पुराणे सम [भ]ली कथा राषरो[ष्यो] अणी प्राणी, माहावीर कादसी तारणी मोहकमेस || १
बीषमी सतारा जेण, धारी देवा दारणवासु, भोम काज भारी भारी माडाणा भारथ । फेरवा पडेवा सीधा सा धका नइ कारी, नी डीकतारी घारी सगतारा नाथ ॥२ जागरा प्रवीण तोतो मंडली माडारण जाणो, भाणरो न अण्यो मन ब्रमा भवेस । ६सु देस दसु द्रगपाल ते,
का अग्र पुसालरा तो दीसा प्रदेस ॥ ३ सोर जोर तेज ताप, साम काम सामरै सुमद्र, नेकी क थारी मोहकमेस थारी नेकी, उच्चार भुजा राषि सदा का ओकी,
नेकी बीना का श्रेकी कीसार नीरद ॥४
स्थान है।
-
गीत शुद्ध लिखा हुआ है । भीडर उदयपुर के समीप शक्तावतो का एक प्रमुख
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राजस्थानी हस्तलिखित-ग्रन्थ-सूची, भाग-२]
[ ५५ ५१६ ८६४१ रसरतनागर [रसरत्नाकर प्रादि - ॥अथ रमरत्नाकर निप्यते ।। दोहा - अलप निरजन एक है, दूजा जाने कोइ ।
वै काहू कीना नई, वह कीना सब कोइ ॥१ चौपई- महमद नवी दीपत उजियारा। जाकै हेत रच्यो ससारा ।
पुनि ता मित्र च्यारि विधि कीये, पथ चलावनकु पठये ॥२ अन्त - गवक मारि धूलि करि लीजै। सो गधक पागमै दीजै ॥
पारो मरकै होवै बा[वा]र। सोवन होन न लगावै वार ॥ अर्थ - गधक मामला सामने एक मो पूट काजीकी दीजै। तव गधक मर। ते गवक पारो स्म[मम] मात्रा परलाय मीशी भर चढावीज । अग्नि पोहर १२ दीजै । पीत भवति ।। पु
५२६
६४८० गजा भोजरास
आदि - दाहा॥ श्री समर पासना, पाय कमल पणमेवि ।
सदगुरू चरणइ चित धरी, वलि सरसति समरेवि ॥१ मानिवकारी वलि सगुरू, प्रणमु परमानद ।
युग प्रधान जिनदत्त गुरू, श्री जिनकुसल सुरिंद । अन्त - श्री षरतरगछि जाणि दिणद, श्री जिन माणिक्य सुरिदाबे । [१२]
तास मीम वाचक वरदाई, कल्याण धार कहाईवे ॥१३ . विनेय तास वाचक पद वागवे, कल्याण लाभ हितकारीवे।[१४] ते मह गुरुना प्रणमीया, व कुशलधार उवकायाबे ॥१५ सवत सतरह मय गुगगतीमं, माह वदि तेरस दीसैवे ।। [१६] पचम पड ययौ इहा पूरो, श्री मोजित नगर मनूगवे ।। [१७] श्री जिनचदसूरि गुर राज, रच्यो रास सुप काजवे ॥ [१८] शिप्य ध्रममागर प्राग्रह करिन, प्रा रची वान मुष घरिवैवे ॥ [१६] आगे का अश त्रुटित है।
५३३
६१२८ राधावल्लभका ख्याल (ष्यालायत)
आदि- श्री गधावल्लभोजयति । अथ प्यालायत लिप्यते ।
परभातका ख्याल मुतडीने काहि न छेडो रूडा म्हानै आलसियो आवै । द्रिग ह्यि म्हारा पगा छुवायौ या नही वान महाव ॥१ हो लाडीजी थारी प्रो काई किसडी मुभाव । पिय प्राधीन रहैं कर जोड्या तोही भौह चढाव ॥ २
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[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
अन्त
मेघ मलार असे मेहमै पाईये प्यारो न्यारी कवह न कीजीये एक पल । गरह लगाये प्राकै भरि लैही पीत बढईया ॥ ४४
राग टोडी राजि म्हारी भरियौ माट उठावौ बेटा रावरा ।
जे उठाऊ गोग्डी म्हारै ने घरवासौ होय ।। ४५ पुस्तक के प्रारम्भिक ख्याल प्रतिष्ठान मे प्राप्त महाराजा बहादुरसिंह कृत ख्याल ग्रन्थाङ्क १३७५२ मे मिलते है । विषय, भाषा और शैली की दृष्टि से 'ख्यालायत' के समस्त ख्याल उक्त किशनगढ महाराजा बहादुरसिंह कृत ही ज्ञात होते है। ग्रन्थाङ्क १३७५२ मे सङ्कलित ख्याल भिन्न और लघु रूप मे लिखित होते हुए भी सख्या में केवल ८१ हैं और 'ख्यालायत' मे प्रत्येक ख्याल पूर्ण रूप मे है। "ख्यालायत" के अन्त मे "पुष्पिका" नही है जिससे कुछ ख्यालो का लेखन मे छूट जाना भी सभव हैं । राजस्थानी भाषा मे लिखित गीतसाहित्य की यह उत्कृष्ट कृति अब तक अज्ञात रहो है। महाराजा बहादुरसिंह और इनकी रचनाओ के विषय मे विशेष ज्ञातव्य मेरे द्वारा सम्पादित एव प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित "राजस्थानी साहित्य संग्रह, भाग २" मे पठनीय है। --सम्पादक
८१६१ रूपदीप भाषा
आदि-॥ श्री गणेशाये नमो ।। अय पिगलौक्त रूपदीप भाषा लिष्यते । दोहा ।। शारदा माता तू बडी, मुबुधि देहु दरिहाल ।
पिंगलकी छाया लिये, वरने बापन चाल ॥१ गुरु गणेशके चरग गहि, यि बारिकै विष्नु । कुवर भुवानीदायको, जुगति करै जे कृष्न ।। २ प्राकृतकी वानी कठिन, भाषा सुगम प्रतक्ष ।
कृपारामको कृपासु, कठ करे शव मिक्ष ।। ३ अन्त – ।। सोरठा ।। द्वज पुहकर न्यात, तिसमै गोत कटारिया ।
सुनि प्राकृतसु वात, तैमै ही भाषा करी ।। ५४ ॥ दुहा ।। वावन वरनी बाल मव, जैसी मोमै बुध ।
भूल भेद जाको लहो, क्रो कवीस्वर सुव ।। ५५ मवत सत्रमै वग्म, ऊर विहतर पाय ।
भाद्रव सुद दुति गुरु, भयो अथ सुष पाय ॥ ५३ [५६] इति श्री रूपदीपक भामा सपूर्ण ॥ निषित रामदास कबीरपयी। सवत १९२६ श्रावण वदि ११ बुधवारे ॥ सतनाम कवीरकी दया सत महतकी दया सु ।। १ ।।
७८७५ शत्रुभेद रचना का मादि भाग पत्र स० १ के अभाव मे अप्राप्य है ।
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राजस्थानी हस्तलिखित-ग्रन्थ-मूची, भाग-२ ] अन्त - राजभृत्य होय ते ममुझइन लीजिय ।।
जू मत्रीजन होय सो अवस्य पहचानिये ॥ ४ दोहा॥ सवत अठारह से वितेचौपन मृगसर मास ।
शुक्ल पप्य एकादसी, कीनो ग्रय प्रकाम ।। ५ चौपही। कृपणदुगमैं अथ बनायो । जैसी मति मेरीमै प्रायो।।
नप वहादुरकै विरद कुमार । तिनकै सिंघ प्रताप निहार ।। तिनके कवर दोय सुषदाई । इक कल्यान अरु केमरभाई ॥
तिनकै मत्री नीति प्रकास । विचौ नथ यह जोगीदास ॥ इनि श्री सत्रुभेद अथ मौहतौन जोगीदाम कृत सपूर्णम। शुभमस्तु । सवत १८६२ कातिक वदि १२।
विशेष प्रस्तुत रचना किशनगढ नरेश महाराजा बहादुरमिह के पौत्र कल्याणसिंह और कमरसिंह के मत्र जोगादास मोहनीत कृत है और रचनाकाल के ८ वष पश्चात् लिखित होने से महत्त्वपूर्ण है।
७५१. ८६१५ सूर्यनाथमगल, वैद्यक प्रथ आदि - । श्री गणेशाय नम ॥ अथ मूर्यगथमगल वैद्यक प्रथमेयि[थी] चिकित्सा
निप्यते । पहले -न व्यके वह, ज गान्त्र विचार
किर अशाध्यके दोहरे, अब कह्यि नीरभार ॥ १ अन - निब त्वचा प पनि वामी पागीमू नेत्राजन जल प्रवाह] हाय
मम • निलो यथा पाउ निबका रममू लावै वीमचा द्राद जाय । इति श्री दीपनाथ सिाय रूपनाथ जोगीस्वर निर्वाण विरचिताया रूपनाथ मगल समाप्त । मकन १९०८ भादवा बुदि ७ सोमवासरे लिखित ब्राह्मण छोटेलाल पठनार्थ पडत भगवानदासज'।
९४२२ हमीर रासो
आदि - ॥ श्री गणेशाय नम। ] । श्री सरस्वतीन्म [नम.] । श्री मुग्भ्यो
नम श्री गुरुभ्योनम ] अथ हम्मीररोसो लिक्षते [लिष्यते ॥ दोहा । श्री गनेस गुरू सरस्वती, बुधि बानीके दानि ।
कवि महस स बरनन करत, हट हमीरको जानि ॥ १ पहिले साहि सुमरियै, सवको मिरजनहार । प्रादि स्वाना अम्विका[अम्बिका], या गा] रदै सुरति सम्हार ।
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५८ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान अन्त - ॥ छद ।। मिल राव पतिसाहि, छीर ज्यौ नीर बहाये ।
जो पारसको मिलत लोहो, कचन हो पाये ।। अलादीन हमीर से हये न अब कोई होय ।
कवि महेस ईम उचर[२] वे बसे सुरग सब कोय ॥ ३६५ ॥ दोहा । कवि महेस बनने [वर्णन]कीयो, रासो राव हमीर ।
भूल चूक ज्यौ होय तो, माफ करो तकसीर ॥ ३६६ ईती श्री राव हमीरको रासो सपूर्ण। लीखीत नाजर न[न]णसुष न बाच बच्यार सुज्या राम राम राम राम बचजो जी ।।
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अ
अजितदेव सूरि ११ जीतमागर २१
अनन्तानद २७
अनोपसिंह ३०
अभयधम १६
श्रमवसीम ३०, ३६
अमीचंद ३५
ग्रति ४८
श्रा
ग्रानद ७ आनद कवि ७
श्रानंदघन महाराज ११
बालमचद ३१
क
नीत १३, १६
क्नकसीम २८
कबीर ७
क्वीरदास ५
कलकारि २६
कर्पूरविजय ३६ महि
B
परिशिष्ट २
ग्रन्थकार नामानुक्रमणिका
कल्याणसागर २१
कान्हजी [ कीर्तिसुन्दर ] २३
किशन ७
कुवर विजय मुनि २
कुमुदचद्राचार्य (अपर नाम सिद्ध सेनानार्य) ६
कुशरावीर ३३
कुशललाभ, १४, ३०
कुशलसयम ४८
कृपाराम बारहठ ३३ केशवदास ३२
केशराज ३३, ३४
ख
खेमदास स्वामी ४७
ग
गुरणमागर १४, २६, ३६
गुणसागर पदममागर शिष्य ४० गेलराज शिष्य ( 2 ) ३१
गोराचं २५
घनमार ४
घ
च
चतुर्भुजदास २३ चन्द कवि २६
चन्द वरदाई कवि २६
चरणदास ११
छ
द्रोह कवि २२
ज
जनगापाल १६, २२
जयनीदास १७
जयकृष्ण ३५
जयकृष्ण पुष्करणा, भवानीदास सुत ३५
जयमल २४
जयरग ६
जिणचद २५, ४३
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जिनदत्त सूरि ३७ जिनरग ( 2 ) ४७ जिनरतन सूरि ३२
जिनराज १०
जिनराज सूरि ४० ४५
जिन हष २६, ३६, ४३
जिन हर्ष सूरि ३६
जिन हरष २
जिनादय ४८
जिनोदय सूरि ४८ जेमलऋपि २४
जोधराज गोदीका ४३
भ
कारण, गुरू शिष्य ( 2 ) ४४
ट
टोडरमल ३४
त
तिलोकचंद १६
द
दीपविजय कवि २०
देवप्रानन्द ज्ञानचंद्र शिप्य १५
देवकृष्ण, दरजी २
देवचद २, ३७, ४२, ४३
देवराज मुनि ४६
देवीचन्द देवीचन्द ऋषि ११
देवीदास २२
न
२६, ४४
नकुल ४१
नयनसुख, केशवदास सुत ३=
नयविजय ३६, ४६
नयसुन्दर ४७
नरबद ७
[ ६० ]
नारायरण ३२ नारायण मुनि २५
प्र
प्रथीराज ७
7
पदमचद सूरि
पार [व] चद १, १३, ३०, ४०, ४५ पाशचन्द सूरि ४७
पेमराज ३८
ब
बलभद्र १६
बहादुरसिंह, महाराज ३४
भ
भक्तिलाभ ४७
भगतराम पचोली १२
भडकवि २७
भडली २८
भर्तृहरि २१
भवानीदास व्यास २३
भास्कराचार्य ३५
भीमजी आढा १३, ३१
म
मति कुशल १०
मति शेखर ६, २६
मतिनार १८
मनरग ४४
मनरूप १२
महानद ३५
महावीराचार्य ८
महेश कवि ४८
माधोदास ६, ३४
मानसागर ३६
जनसागर शिप्य ३६
मानमागर,
मालदेवजी, राव ३०
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[
६१
] विनयविजय गणि, महोपाध्याय ३६ धिनय[विनीत] विमल, गभीरसागर शिष्य
मुहणोत जोगीदास ४० मुहम्मद गजाली यू ७ मेवराज मुनि ४३ मोहन विजय १०, ११, ३०, ३१, ३२
विनयविजय यशोविजय ३६ विमल हर्ष ४०
र
रत्नचरित्र ४३ रत्नसागर ४३ राम कवि ३४ रामचन्द्र, पदमरगशिष्य ३४ रामविजय, दयासिह मुनि शिप्य ११ रामानन्द ३४ रूपनाथ जोगीश्वर ४७ रूपवल्लभ, रघुपति गणि शिष्य ३२ रूपवल्लभ गरिण ४७ रूपविजय, मानविजय शिष्य ३०
सन्तदासजी ४३ समसुन्दर ८, १५, १६, १७, १८, १९,
२१, २२, २३, २५, ३१, ३३, ३४,
३६, ४०, ४४, ४५ समरचद्र सूरि ४ समरसिघ २६ समरो २ सहजसुन्दर ४१, ४७ सामलदास ६ साधुविजय १५ सार, श्री ३ सुखसागर कवि १६ सुधाभूषण सुन्दरवाचक १ सूरसागर १३ सैदपहार, सैद हमजासुत ३२ सोमप्रभ ४६ सौभाग्यसुन्दर ४४
लब्धोदय २३ लब्धोदय गरिए २३ लक्ष्मीबल्लभ ६ लाभवर्धन २४, ३५, ३६ लाभवर्धन्, शान्तिहर्षगरिण शिष्य १६ लालचद १६, ३५, ३६ लावण्य क्रीति ३३ सावण्यसमय १० लावण्यसमय मुनि २२
हर्षसागर शिष्य (२) ४६ हरचद १ हीरानन्द सूरि २
विजयदेव सूरि ४२ विजयभद्र ५ विजयभद्र सूरि ६ विनय बर ३५
क्षुल्लक कुवर ४५
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थ-माला प्रधान सम्पादक-पद्मश्री मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य
प्रकाशित ग्रन्थ
१ सस्कृत १ प्रमाणमजरी, ताफिकचूडामणि सर्वदेवाचार्यकृत, सम्पादक - मीमासान्यायकेसरी प० पट्टाभिरामशास्त्री, विद्यासागर ।
मूल्य-६०० २ यन्त्रराज रचना, महाराजा सवाईजयसिंह कारित । सम्पादक-स्व० ५० केदारनाथ ज्यातिविद्, जयपुर।
मूल्य-१७५ ३ महषिकुलवैभवम्, स्व०प० मयुसुदन ओकाप्रणीत, सम्पादक-म० म०प० गिरिधरशर्मा चतुर्वेदी।
मूल्य-१०.७५ ४ तर्कसंग्रह, अन्नभट्टकृत, सम्पादक-डॉ जितेन्द्र जेटनी, एम ए , पी-एच डी , मूल्य-३ ०० ५ कारकसबधोद्योत, प० रभसनन्दीकृत, सम्पादक-डॉ० हरिप्रसाद शास्त्री, एम ए, पी-एच डी.।
मूल्य-१७५ ६ वृत्तिदीपिका, मौनिकृष्णभट्टकृत, सम्पादक-स्व प पुरुषोत्तमशर्मा चतुर्वेदो, साहित्चाचार्य ।
मूल्य-२०० ७ शब्दरत्नप्रदीप, अज्ञातकर्तृक, मम्पादक-डॉ हरिप्रसाद शास्त्री, एम ए, पी-एच डी।
मूल्य-२.०० ८ कृष्णगीति, कवि सोमनायविरचित, सम्पादिका-डॉ प्रियबाला शाह, एम ए , पी-एच डी, डी लिट् ।
मूल्य-१.७५ ६ नृत्तसग्रह, अज्ञात कर्तृक, सम्पादिका-डॉ प्रियबाला शाह, एम ए , पी-एच डी ,
मूल्य-१७५ १०. शृङ्गारहारावली, श्रीहर्षकविरचित, सम्पादिका-डॉ प्रियबाला शाह, एम ए, पी-एच डी, लिट् ।
मूल्य-२७५ ११ राजविनोद महाकाव्य, महाकवि उदयराजप्रणीत, सम्पादक-प० श्रीगोपालनारायगा
बहुरा, एम ए, उपसञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोवपुर । मूल्य-२ २५ १२ चक्रपाणिविजय महाकाव्य, भट्टलक्ष्मीधरविरचित, सम्पादक-केशवराम काशीराम शास्त्री
मूल्य-३ ५० १३. नत्यरत्नकोश (प्रथम भाग), महाराणा कुम्भकर्णकृत, सम्पादक-प्रो रसिकलाल छोटा
लाल पारिख तथा डॉ. प्रियबाला शाह, एम ए, पी-एच. डी., डी लिट् । मूल्य-३ ७५ १४. उक्तिरत्नाकर, माधुमुन्दरगरिणविरचिन, सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य श्रीजिनविजयमुनि,
सम्मान्य मचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोपुर। मूल्य-४ ७५ १५ दुर्गाष्पाञ्जलि, म०म०प० दुर्गाप्रमादद्विवेदिकृत, सम्पादक-प० श्रीगङ्गाधर द्विवेदी, साहित्याचार्य ।
मूल्य-४ २५ १६ कर्णकुतूहल, महाकवि भोलानायविरचिन, सम्पादक-प० श्रीगोपालनारायण बहुरा,
एम. ए , उप-संचालक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर । इन्ही कविवर की अपर कृति श्रीकृष्णलीलामृतमहिन ।
मूल्य-१५० १७ ईश्वरविलासमहाकाम, कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट विरचित, सम्पादक-भट्ट श्रीमथुरानाव शास्त्री, माहित्य' चाय, जयपुर ।
मूल्य-११५
टी लिट् ।
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[ ३ ] प्रेसों में छप रहे ग्रंथ
संस्कृत
१. शकुनप्रदीप, लावण्यशर्मरचित, सम्पादक-मुनि श्रीजिनविजय । २. त्रिपुराभारतीलघुस्तव, धर्माचार्यप्रणीत, सम्पादक-मुनि श्रीजिनविजय ३. करुणामृतप्रपा, भट्ट सोमेश्वरविनिर्मित, सम्पा०-मुनि श्रीजिनविजय । ४. वालशिक्षाव्याकरण, ठक्कुर संग्रामसिंहरचित, सम्पा०-मुनि श्रीजिनविजय । ५. पदार्थ रत्नमंजूषा, पं० कृष्ण मिश्रविरचित, सम्पा०-मुनि श्रीजिनविजय । . ६. वसन्तविलास फागु, अज्ञातकर्तृक, सम्पा०-श्री एम. सी. मोदी । ७. नन्दोपाख्यान, अज्ञातकर्तृक, सम्पाo-श्री वी.जे. सांडेसरा । ८. चान्द्रव्याकरण, प्राचार्य चन्द्रगोमिविरचित, सम्पा०-श्री वी. डी. दोशी। ६. वृत्तजातिसमुच्चय, कविविरहाङ्करचित, सम्पा०-श्री एच. डी. वेलणकर । १०. कविदर्पण, अज्ञातकृतृक .
" ११. स्वयंभूछन्द, कविस्वयंभूरचित १२. प्राकृतानन्द, रघुनाथकविरचित, सम्पा०-मुनि श्री जिनविजय । १३. कविकौस्तुभ, पं० रघुनाथरचित, , . श्री एम. एन. गोरी । १४. एकाक्षर नाममाला-सम्पादक-मुनि श्री रमणीकविजयजी । १५. नृत्यरत्नकोश, भाग २, महाराणा कुंभकर्णप्रणीत, सम्पा०-डॉ. प्रियबाला शाह । । १६. इन्द्रप्रस्थप्रबन्ध, सम्पा०-डॉ. श्रीदशरथ शर्मा। १७. हमीरमहाकाव्यम्, नयचन्द्रसूरिकृत, सम्पा०-मुनि श्रीजिन विजयजी । १८. रत्नपरीक्षादि, ठक्कुर फेरूरचित १६. स्थूलिभद्रकाकादि, सम्पा०-डॉ० आत्माराम जाजोदिया। २०. वासवदत्ता, सुबन्धुकृत, सम्पा०-डॉ० जयदेव मोहनलाल शुक्ल । २१. घटखपरादि पंचलघुकाव्यानि ,, पं. अमृतलाल मोहनलाल । २२. भुवनदीपक, यावनाचार्यकृत, सम्पा०-५० श्रीपुरुपोत्तमभट्ट । २३. वृत्तमुक्तावली, श्रीकृष्ण भट्ट गुम्फित, सम्पा० पं० श्री मथुरानाथ भट्ट
राजस्थानी और हिन्दी २४. महता नैणसीरी ख्यात, भाग २, मुंहता नैणसीकृत, सम्पा०-श्रीबद्रीप्रसाद साकरिया । २५. गोरा बादल पदमिणी चऊपई, कवि हेमरतनकृत , श्रीउदयसिंह भटनागर ।। २६. राजस्थानमें संस्कृत साहित्यको खोज, एस. आर. भाण्डारकर, हिन्दीअनुवादक
श्रीब्रह्मदत्त त्रिवेदी। २७. राठौडारी वंशावली, सम्पा०-मुनि श्रीजिनविजय । २८. सचित्र राजस्थानी भाषासाहित्यग्रन्थसूची, सम्पादक-मुनिश्रीजिनविजय । . २६. मीरां-वृहत्-पदावली, स्व० पुरोहित हरिनारायणजी विद्याभूषण द्वारा संकलित,
सम्पा०-मुनि श्रीजिनविजय । ३०. राजस्थानी साहित्यसंग्रह, भाग ३, संपादक-श्रीलक्ष्मीनारायण गोस्वामी। ३१. सूरजप्रकास, भाग २, कविया करणीदानकृत, सम्पा०-श्रीसीताराम लाळस । .. ३२. मत्स्य प्रदेश को हिन्दी-साहित्य को देन-डॉ. मोतीलाल गुप्त । ... ३३. रुक्मिणी-हरण, सांयांजी झूला कृतं, सम्पा० श्री पुरुपोत्तमलाल मेनारिया।
विशेष- पुस्तक-विक्रेताओं को २५% कमीशन दिया जाता है। ..
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________________ .. 21. [ 2 ] . 18. रसदीपिका, कविविद्यारामप्रणीत, सम्पादक-पं० श्रीगोपालनारायण बहुरा, उपसंचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर / / - मूल्य-२.०० . 16. पद्यमुक्तावली, कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्टविरचित, सम्पादक-भट्ट श्री मथुरानाथ ... शास्त्री, साहित्याचार्य / मूल्य-४.०० 20. काव्यप्रकाशसंकेत, भाग 1 भट्टसोमेश्वरकृत, सम्पादक-श्रीरसिकलाल छो० पारीख, / मूल्य-१२.०० भाग 2 मूल्य-८.२५ 22. वस्तुरत्नकोष अज्ञातकर्तक, सम्पादक-डॉ. प्रियबाला शाह / मूल्य-४.०० 23. दशकण्ठवधम्, पं० दुर्गाप्रसाद द्विवेदिकृत, सम्पादक-पं० श्रीगङ्गाधर द्विवेदी / मूल्य-४.०० 24. श्री भुवनेश्वरीमहास्तोत्रम्, सभाष्य, पृथ्वीधराचार्यविरचित, कवि पद्मनाभकृत, भाष्यसहित पूजापञ्चाङ्गादिसंवलित / सम्पादक-पं. श्रीगोपालनारायण बहुरा। मूल्य-३.७५ राजस्थानी और हिन्दी 25. कान्हडदेप्रबन्ध, महाकवि पद्मनाभविरचित, सम्पादक-प्रो० के.बी. व्यास, एम. ए.,। मूल्य-१२.२५ 26. क्यांमखा-रोसा, कविवर जान-रचित, सम्पादक-डॉ. दशरथ शर्मा और श्रीअंगरचन्द नाहटा। - मूल्य-४.-७५ 27. लावा-रासा, चारण कविया गोपालदानविरचित, सम्पादक-श्रीमहताबचन्दखारैड़ / / __ मूल्य-३.७५ 28. वांकीदासरी ख्यात, कविवर वांकीदासरचित, सम्पादक-श्रीनरोत्तमदास स्वामी, एम. ए.। मूल्य-५.५० 26. राजस्थानी साहित्यसंग्रह, भाग 1, सम्पादक-श्रीनरोत्तम स्वामी, एम.ए. / मूल्य-२.२५ . 30. राजस्थानी साहित्यसंग्रह, भाग 2, सम्पादक-श्रीपुरुषोत्तमलाल मेनारिया, एम. ए., साहित्यरत्न / मूल्य-२.५० / 31. कवीन्द्र कल्पलता, कवीन्द्राचार्य सरस्वतीविरचित, सम्पादिका-श्रीमती रानी लक्ष्मीकुमारी चूंडावतं / . मूल्य-२.०० 32. जुगलविलीस, महाराज पृथ्वीसिंहकृत, सम्पादिका-श्रीमती रानी लक्ष्मीकुमारी चूंडावत / मूल्य-१.७५ 33. भगतमाळ, ब्रह्मदासजी चारणकृत, सम्पादक-श्री उदैराजजी उज्ज्वल / मूल्य-१.७५ 34. राजस्थान पुरातत्त्व मन्दिरके हस्तलिखित ग्रंथोंकी सूची, भाग 1 / मूल्य-७.५० 35. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठानके हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची, भाग 2 / मूल्य-१२.०० 36. मुंहता नैणसीरी ख्यात, भाग 1, मुंहता नैणसीकृत. सम्पादक-श्रीबद्रीप्रसाद साकरिया ! मूल्य-८.५० 37. रघुवरजसप्रकास, किसनाजीपाढाकृत, सम्पादक-श्री सीताराम लाळस / मूल्य-८.२५ 38. राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग 2, सम्पादक-मुनि श्रीजिनविजय / मूल्य-४.५० . 39. राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची, भाग २-सम्पादक-श्री पुरुषोत्तमलाल मेनारिया, एम.ए., साहित्यरत्न मूल्य-२.७५ 40. वीरवाण, ढाढ़ी बादरकृत, सम्पादिका-श्रीमती रानी लक्ष्मीकुमारी चूंडावत / मूल्य-४.५० 41. स्व० पुरोहित हरिनारायणजी विद्याभूषण ग्रन्थ संग्रह सूची, सम्पादक-श्रीगोपालनारायण बहुरा, एम. ए. और श्रीलक्ष्मीनारायण गोस्वामी दीक्षित / मूल्य-६.२५ 42. सूरजप्रकास, भाग १-कविया करणीदानजी कृत, सम्पादक-श्री सीताराम लाळस / / मूल्य-८.०० 43. नेहतरंग, रावराजा वुसिंह कृत-सम्पादक-श्री रामप्रसाद दाधीच एम.ए. मूल्य-४.०० " . Fre.. --