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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
प्रधान सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य जिनविजय मुनि [ सम्मान्य संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ]
MOV973
+
+
ग्रन्थाङ्क ४४
राजस्थानी-हस्तलिखितग्रन्थ-सूची
भाग १
प्रकाशक
राजस्थान-राज्य-संस्थापित
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
DOTASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE, JODHPUR
Page #2
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित
सामान्यत अखिल भारतीय तथा विशेषत राजस्थानदेशीय पुरातनकालोन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्र श, राजस्थानी, हिन्दी प्रादि भाषानिबद्ध विविध वाङ्मयप्रकाशिनी विशिष्ट ग्रन्थावलि
प्रधान सम्पादक
पुरातत्त्वाचार्य जिनविजय मुनि
[ ऑॉनरेरि भेम्बर ऑफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी ]
सम्मान्य सदस्य
भाण्डारकर प्राच्यविद्या सशोधनमन्दिर, पूना, गुजरातसाहित्य सभा, अहमदाबाद, विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध संस्थान, होशियारपुर, निवृत्त सम्मान्य नियामक( श्रानरेरि डायरेक्टर ) - भारतीय विद्याभवन, बम्बई
ग्रन्थाङ्क ४४
राजस्थानी-ह तलिखितग्रन्थ-सूची
भाग १
प्रकाशक
राजस्थान राज्याज्ञानुसार
संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
Page #3
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
राजस्थानी-हस्तलिखितग्रन्थ-सूची
भाग १
प्रधान सम्पादक
मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य
श्रीपुरुषोत्तमलाल मेनारिया एम ए (प्री) साहित्यरत्न प्रवर शोध-सहायक
विक्रमाब्द २०१७ प्रथमावृत्ति ५००
सहायक
प्रकाशनकर्त्ता
श्रीरमानन्द सारस्वत शास्त्री, ज्योतिषाचार्य
शोध-सहायक
राजस्थान राज्याज्ञानुसार
संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर ( राजस्थान )
भारतराष्ट्रीय शकाब्द १८८२
ख्रिस्ताब्द १९६०
मूल्य ४.५० न पै.
Page #4
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमालाके कुछ ग्रन्थ
प्रकाशित ग्रन्थ सस्कृतभाषाग्रन्थ-१ प्रमाणमजरी-तार्किकचूडामणि सर्वदेवाचार्य, मूल्य ६००। २ यन्त्रराजरचना-महाराजा सवाई जयसिंह, मूल्य १७५। ३ महर्षिकुलवैभवम्-स्व० श्रीमवुसूदन अोझा, मूल्य १०७५। ४ तर्कसंग्रह-प० क्ष्माकल्याण, मूल्य ३००। ५ कारकसम्बन्धोद्योत-प० रभसनन्दि, मूल्य १७५ । ६ वृत्तिदीपिका-प० मौनिकृष्ण, मूल्य २००। ७ शब्दरत्नप्रदीप, मूल्य २०० । ८ कृष्णगीति-कवि सोमनाथ, मूल्य १७५ & शृङ्गारहारावली-हर्षकवि, मूल्य २७५। १० चक्रपाणिविजयमहाकाव्य-प० लक्ष्मीधरभट्ट, मूल्य ३५० । ११ राजविनोद-कवि उदयराज, मूल्य २२५। १२ नृत्तसग्रह, मूल्य १७५ । १३ नृत्यरत्नकोश, प्रथम भाग-महाराणा कुम्भकर्ण, मूल्य ३ ७५ । १४ उक्तिरत्नाकर-प० साधुसुन्दरगणि, मूल्य ४७५ । १५ दुर्गापुप्पाञ्जलि-प० दुर्गाप्रसाद द्विवेदी, मूल्य ४ २५ । १६ कर्णकुतूहल तथा कृष्णलीलामृत-भोलानाथ, मूल्य १५० । १७ ईश्वरविलास महाकाव्य-श्रीकृष्ण भट्ट, मूल्य ११५० । १८ पद्यमुक्तावली-कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट, मूल्य ४०० । १६. रसदीपिका-विद्याराम भट्ट, मूल्य २ ०० ।
राजस्थानी और हिन्दी भाषा ग्रन्थ-१ कान्हडदे प्रबन्ध-कवि पद्मनाभ, मूल्य १२ २५ । २ क्यामखारासा-कवि जान, मूल्य ४७५। ३ लावारासा-गोपालदान, मूल्य ३७५। ४ वाकीदामरी ख्यात-महाकवि वाकीदास, मूल्य ५५०। ५ राजस्थानी साहित्यसग्रह, भाग १, मूल्य २ २५ । ६ जुगल-विलास-कवि पीथल, मूल्य १७५। ७ कवीन्द्रकल्पलता-कवीन्द्राचार्य मूल्य २००। ८ भगतमाळ-चारण ब्रह्मदासजी, मूल्य १७५ । 8 राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिरके हस्तलिखित ग्रन्थोकी सूची, भाग १, मूल्य ७५० । १० मुहता नैणसीरी ख्यात, भाग १, मूल्य ८५० न पै । ११ रघुवरजमप्रकास, किसनाजी आढा, मूल्य ८-२५ न ५ । १२ राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग १, मूल्य ४ ५० ।
प्रेसोंमे छप रहे ग्रन्थ सस्कृत-भाषा-ग्रन्थ-१ त्रिपुराभारतीलघुस्तव-लघुपडित । २ शकुनप्रदीप-लावण्यशर्मा। ३ करुणामृतप्रपा-ठक्कुर सोमेश्वर । ४ बालशिक्षा व्याकरण-ठक्कुर संग्रामसिह ५. पदार्थ रत्नमञ्जूषा-प० कृष्णमिश्र। ६ काव्यप्रकाशसकेत-भट्ट सोमेश्वर । ७ वसन्तविलास फागु। ८ नृत्यरत्नकोश भाग २। ६. नन्दोपाख्यान । १० वस्तुरत्नकोश । ११ चान्द्रव्याकरण। १२ स्वयभछद-स्वयभ कवि । १३ प्राकृतानद-कवि रघुनाथ । १४ मुग्धावबोध आदि औक्तिक-सग्रह । १५ कविकौस्तुभ-प० रघुनाथ मनोहर । १६. दशकण्ठवधम्-प० दुर्गाप्रसाद द्विवेदी। १७ भुवनेश्वरीस्तोत्र सभाष्य-पृथ्वीधराचार्य, भा पद्मनाभ । १८ इन्द्रप्रस्थप्रबन्ध । १६ हम्मीरमहाकाव्यम्-नयचन्द्रसूरि । २० ठक्कुर फेरू रचित रत्नपरीसादि (प्रा)
राजस्थानी और हिन्दीभाषा ग्रन्थ-१ मुहता नैणसीरी ख्यात, भाग २-मुहता नैणसी । २ गोरावादल पदमिणी चऊपई-कवि हेमरतन । ३ चद्रवशावली-कवि मोतीराम । ४ सुजान सवत-कवि उदयराम । ५ राजस्थानी दूहा सग्रह । ६ वोरवाण-ढाढी बादर । ७ राठोडारी वशावली। ८. सचित्र राजस्थानी भाषासाहित्य अथ सूची। ९ राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिग्के हस्तलिखित ग्रथोकी सूची, भाग २ । १० देवजी बगडावत और प्रतापसिंह म्होकमसिंघ वार्ता । ११. बगसीराम और अन्य वार्ताएँ।
इन प्रयोके अतिरिक्त अनेक सस्कृत, प्राकृत, अपभ्र श, प्राचीन राजस्थानी और हिन्दी भाषामे रचे गये ग्रथोका मशोधन और सम्पादन किया जा रहा है ।
Page #5
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सञ्चालकीय वक्तव्य
++++++
++
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठानमे मार्च सन् १९५६ ई तक सगृहीत ४००० हस्तलिखित ग्रन्थोका विषयवार सूची-पत्र हम "हस्तलिखित ग्रन्थोकी सूची, भाग १" के रूपमे प्रकाशित कर चुके है
और मार्च सन् १९५८ ई तक सगृहीत हस्तलिखित ग्रन्थोका विपयवार सूची-पत्र सप्रति यन्त्रस्थ है एव शीघ्र ही प्रकाशित होगा। प्रतिष्ठानमे सस्कृत, प्राकृत, अपभ्र श और हिन्दीके साथ ही राजस्थानी भाषाके हस्तलिखित ग्रन्थोका भी बडा संग्रह हो गया है, जिनके सूची-पत्रकी माग सबद्ध विद्वानो और अन्य जिज्ञासुओ द्वारा बराबर की जा रही है। वस्तुत देश-विदेशमे सर्वत्र प्राप्य राजस्थानीभाषा-निबद्ध समस्त हस्तलिखित ग्रन्थोका सूची-करण एक विशेष महत्त्वपूर्ण कार्य है, जिसके लिये सुचारु प्रयत्न होना अपेक्षित है । इसी दृप्टिसे हम राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुरमे मार्च मन् १९५८ ई तक सगृहीत २१६६ राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थोकी प्रस्तुत सूची प्रकाशित कर रहे है । भविष्यमे भी राजस्थानी भाषाके हस्तलिखित ग्रन्थोकी पृथक् सूची प्रकाशित करनेका कार्य चालू रहेगा और यथावसर वे सूचियाँ विद्वानोके सामने आती रहेगी। इस प्रतिष्ठानमे अथवा अन्यत्र प्राप्त होनेवाले वैयक्तिक सग्रहोकी सूचियाँ भी यथाक्रम उपस ग्रह-सूची या परिशिप्टके रूपमे प्रकाशित करते रहना हमारा लक्ष्य है।
प्रस्तुत सूचीके प्रकाशन-व्ययका श्रद्धेश केन्द्रीय भारत सरकारने प्रान्तीय भाषा-विकास योजनाके अन्तर्गत प्रदान करना स्वीकार किया है तदर्थ हम आभार प्रदर्शित करते है।
Page #6
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________________
[ २ ]
जिज्ञासु पाठक और अनुसंधित्सु विद्वान् हमारे इस प्रकाशनसे लाभान्वित होगे, ऐसी आशा है ।
महाशिवरात्रि वि स २०१६, भारतीय विद्या भवन,
बम्बई |
मुनि जिनविजय
सम्मान्य सञ्चालक
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर |
Page #7
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________________
राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
पुरातत्त्वाचार्य मुनि जिनविजय द्वारा सपादित कतिपय ग्रन्थ
१ त्रिपुराभारती लघुस्तव - महाकवि-लघुपण्डित-कृत २ शकुनप्रदीप -प० लावण्यशर्मा कृत ३ करुणामृतप्रपा - कवि सोमेश्वरठक्कुर कृत ४ बालशिक्षा व्याकरण - ठक्कुर सग्रामसिह कृत ५ पदार्थ रत्नमञ्जूषा - प० कृष्णमिश्र कृत ६ मुग्धावबोधादि प्रोक्तिक सग्रह - अनेकविद्वत्कृतिरूप ७ प्राकृतानन्द - प० रघुनाथ कृत ८ ठक्कुर फेरू रचित ग्रन्थावलि (प्राकृत) ६ उक्तिरत्नाकर - प० साधुसुन्दरगणि कृन १० राठोडारी वशावलि - राजस्थानी भाषानिबद्ध ऐतिहासिक रचना ११ राजस्थानी सुभाषित सग्रह १२ हमीर महाकाव्य - नयचन्द्रसूरि कृत १३ मणिरत्नादि परीक्षा ग्रन्थ सग्रह
Page #8
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________________
विषय - सूची
विषय
पृष्ठ सख्या
१-१०८
१ ग्रन्थ-सूची-प्रकारादि क्रमसे २ परिशिष्ट १
कतिपय ग्रन्थो का विशेष परिचय ३ परिशिष्ट २
ग्रन्थकार नामानुक्रमणिका
१०६-१४३
१४४-१५२
Page #9
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
७७५३
(१-१५)
२ ४६०७ (१)
३ | ४ε१६ (५)
४ २८१३ (७१) ५ ४४५२ (५२)
६
१६२२
७
४८१८
५८६३
१
८
M
१०
११
१२
१३
१४
१५ १६
१७
६५२५
श्रक पाटी
19
३८७६
३६६६
३८७७
31
प्रकावलि जिर्णासिंह सूरि श्रासिका गफुरकण विचार श्रजना चोपाई
""
"
""
४०४०
अजना रास
४१६४ ( १ ) श्रजना सती रास
प्रजन सतीनो रास
५०६३
३५५३ ( ३ ) प्रजना सुदरी चोपाई
३८६०
77
ग्रन्थ नाम
59
""
(सचित्र)
19
हीरकलश । हीररतन
पुण्यसागर
33
17
71
"1
भुवनकीर्ति
1
लिपि समय
१८७५
१७वी
१८वी
। १७६८
1
१८३७
१७०२
१६वीं
१८६८
१८४६
१६२६
१८वीं
१८७७
१७४८
१८७७
१७८६
१८७४
पत्र संख्या
१३-२६
१८-२२
७३-८३
१३५ व
१०५ वाँ
११
२०
४३
२४
१७
१३
२१
१०२-१२७
१८
२७
२०
२१
विशेष उल्लेखनीय
* पाटी के नीचे नीति के दूहे हैं
चि ४३, प्रारंभ के १० हे पुण्य
सागर वाली प्रति से मिलते है
* रचना १६८७ लिक नोलचद ग्राम पीही, ऊदावत राज्ये
अन्तिम पत्र त्रुटित
लि स्था नागोर
लि स्था हीयादेसर रचना
स० १६८९, साचोर मे
लि स्था सकार ग्राम
लि स्था षा (खा) रीयानी
वरा ग्राम
लि स्था उदयपुर
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखिन प्रथ सूची, भाग-१ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
१८
१६
२०
३६६७
२२२३
४०३६
२८९३ (२२)
अजना सुदरी चोपाई
"
२१
४३१६
२२
७०४३
२३
७२६१
२४ १८२०
२५ | ३८६२
२६
६३६२
२७ । १०६३
1
२८ । २३७४ (२) । श्रबरीषी रास
२६ / ३८६२
|
३०
२२५२
३१ २२४०
३२
३३ २०४३
३६
४६२० ३७ | ३५४९ (७)
33
"
"
""
"
"1
""
"
"1
"
"
95
""
"
23
भास
रास
अतरिक्ष पार्श्वनाथ छद
प्रबड विद्याधर रास
श्रबाजीकी श्रारती
23
श्रविका गीत
भवानी छद श्रबिका स्तोत्र
सचित्र
३४ ७८०
३५ ५२०२ ( १ ) अकबरनामा
अकबरनामो
अकल बहादरारी बात
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
भुवनकीर्ति
".
12
""
पुण्यसागर
माल मुनि ( 2 )
भावविजय
माइदास
मगलमाणिक्य
शिवानद स्वामी
रघुलाल
सेवक
जितचद
भवानीनाथ
लिपि समय
१८५६
१७२२
१६वीं
१८६१
१८वी
८५०
१७वी
१७४७
१८६५
१८८२
१६वी
१६६३
२०वीं
१६०१
१७वीं
१६२१
१६वीं
१८८५
१६वीं
""
पत्र संख्या
२२
२७
१८
३४
१४
१२
७
२५
३
१६-२०
८३
१
१२ वाँ
२
१
४-८७
१४
४६-५६
1
विशेष उल्लेखनीय
लि स्था बीकानेर
लि स्था सिरुवज
अपर नाम पवनजयप्रिया प्रजना
| सुदरी हनुमत चरित्र
चि स. ४०
लि कर्त्री श्रार्या हीरा
बीकानेर मे लिखित
लि स्था पीपाड
लि स्था पोरबदर
मान कुना
मे लिखित
२
1
* पालगजा नगर मे लिखित
जयपुर मे लिखित
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
३८ ३५५५ (२०) अकलरी वात ३९ ११२४ (९) अगडदत्त चोपई ४० ६२१ अगस्तोत्य तथा शुक्रोदय विचार ४१ ३५६२ (१४) अचलदास खीचीरी वारता
प्रजापुत्र चोपई
४३ | ३५०६
, रास
१९वी १२६-१३२ सुमति हर्षदत्त शिष्य
१६७६ ३२-३६ * स० १६०१ मे रचित १९वी
१९७० ११७-१३५ सुमतिप्रभ
१८२६ ४२ स० १८२२ में साचोर मे रचित
लि. स्था बालोतरा धर्मदेव
१८७०
स० १५६१ में सीणी ग्राम मे
। रचित, लि स्था (खे)टकपुर १६वी १२५-१२६
१०६ वा * जीर्ण प्रति
१८४८ ३२-३५ * दाध्या मे लिखित मेरुनदन
१६वीं
८०-८१ २०वीं २४-२७
" २३१-२३४ धर्मवर्धन
३४-३७
१७वी १६८ वा हीरकलश
६१-६४ माणकसाह
१८८२ १७वी १९१ वा
१७८३१ -६ , मगरवाडा मे लिखित भाव कवियण (२) गर्ग गोत्रीय | १८वी । ४६-७७ अग्रवालमल्ल पुत्र
"
"
४४ ३५४६ (१८)| अजितसिंघजीरी वारता ४५ ३५७३ (४२) " , रो कवित्त ४६ | २३६८ (४) , , रो सोलोको ४७ १०६५ अजित शातिस्तव ४८ ३५७५ (२) ४६ ३५७५(४६) , , ५० / ३५७५ (६) अट्ठावीस लब्धिस्तवन ५१ २८६३(११३) अढारभार वनस्पति वर्णन ५२ २८६३(२७) अढारनातरा चोपाई ५३ | ३५४३ (१) अणगस ५४ २८६३(१२५) अणहिल्लवाड पत्तन राजावली ५५ २०४२(१) अतिचार तथा स्नात्र विधि ५६ ४२८७(१०) अवीतवारकी कथा
11:
"
-
-
-
Page #12
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
ग्रन्थ नाम
ग्रन्थाङ्क
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय पत्र संख्या
अध्यात्म गीता
१८८३
५८ । ७५२४
अध्यात्मविचार
१८२७
७७४३
अध्यात्म रामायण भाषा
राजसिंघ
१७८४
नेमिदास
१८वीं १९वीं
६० २२०३ अध्यात्म सार माला ६१ ३५६७ (३०)| अधूरा पूरा ६२ | २१४२(२) अधूरै पूरैरा दूदा ६३ ५४१८ (१६)| अनतचतुर्दशी कथा ६४ ४६१४(१८) अनत व्रत रास ६५ ३५४६ (११)| अनतराय साष(ख)लारी वारता ६६ | ३५४६ (९) अनतराय साष(ख)लारी वात ६७ | ३८७८ ।
अनाथी सघी
८५ | अपूर्ण, प्रथम ८ पत्र अप्राप्त,
पाली मे लिखित १६ | अन्त - अदेकरण जेवतना चोपड़ा
माथी १-३२ / * बाई सिरेकवरी लिखित,
सावरमध्ये
६ | * स०१७६५ मे रचित १५२-१५४
५-६ १२१-१२४ २१२-२१८ ६३-६७ ६८-७१ ४ | स० १७४५ मे कल्याणपुर मे
रचित ८ | अपूर्ण १-१० | जैन विनती सहित
ब्रह्मजिणदास
१८७१ १९वीं
खेमो
१७५९
२०वीं २०वीं
" शकुनावाली
१८वी
६८ | ५१०८ बजदी प्रश्न ६६ ५४१८ (३६) अबजदी पाशावली ७० ३७४२ ७१ | ३७५८ ७२ | २३७५ (३) अबोलानी वारता ७३ ११२४(७) अभयकुमार रास
सतीदास सामलदास भट्ट
१९८२ १९०६ १६७५
२४ विक्रमपुर में लिखित १०४-१३१ | सिंघासण बत्तीसी के प्रतर्गत
१से४६
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१ ] क्माङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र सख्या |
विशेष उल्लेखनीय
७४ | २८६३ - | अभयदेव सूरि गच्छ निर्णय
(१२६)
७५ ४४५२(१६)| अभिसारिका वर्णन गीत प्रादि अमरतज राजा
| रास रतन विमल
१६१७१९०-१९१ | १६० वें पत्र मे अन्य ग्रन्थो के
अवतरण है, १९१वें पत्र में अन्य गच्छो के ३४ मुनियो की साक्षी है, पत्तन में लिखित
लि क हीरकलश १८वीं १८ व १६७५
२-१८ | प्रथम पत्र अप्राप्त, स० १६०६
में रचित १७००
स० १६०६ मे रचित, सारणमध्ये, ऋषि कचरा झाझण
शिष्य लिखित १६१७ १९वी २७-२९
लि स्था दाध्या
७१४१ | अमरवत्त मित्रानव चरित्र रास
| देवगुप्त चद्रसूरीश्वर
२८
४३६१ २३६८ अमरसिंघजी को सिलोको ३२१३ २०६७(१) अमरसेन वयरसेन चोपाई
८०
जयरग
१७७२
स० १७०० मे रचित, पत्तन मे लिखित स०१६६६ मे सागानेर में रचित
१२ ।
२०
१८वीं १८४६ १८वी १६वी
रास
३८६३ ५११७ २०७० ११२२ (५) ६६०२ ४२०६
पुण्यकीर्ति विजयहर्ष राजसुन्दर राजो सवाई प्रतापसिह
| स० १६६७ मे जालोर में रचित
अमल रो छद अम्रितसागर
२, ३, ४, ५ वें पत्र प्राप्त
२२८ २७८
१८७६
"
Page #14
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
-
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
सवाई प्रतासह
१९वीं
३३८
४६७
५८३६ अम्रितसागर ६५३१ ३७२१ अयनाशकरण विधि प्रादि ७१३७प्रयवती सुकुमाल चौपाई | ४०४८ (२)' अयवती सुकुमाल स्वाध्याय
| शातिहर्ष
रचना १७४१ १६-२० लिक धनरूप हस, सऊपरा
१८९२
ग्रामे
१७वीं १६वीं
पवा ७६-७६
धरमदास रुघनदास मुक्तिनिधान
१७५८
सुवाई गाम मे लिखित
विनीतविमल
२८६३(४६) अर्ध प्रकरण वर्णन १८६० (९८), अर्जुन गीता
| ७७४४ (२) , ६६ / २१३० अर्जुन मालीरी चोपाई ९७ २१५६ अरजन हमीररी वात
| ४४६१ अर्बुदाचल श्लोक ६६ २८६३(३२) अर्हत भेद नमस्कार १०० | ४०.४ । अरहन्नक मुनि चरित १०१ २८६३ (७३) अल्प बहुत्व विचार १०२ ८६३ अवतार गीता (चरित ) १०३ २२१६ १०४ ७७२४
अवतार चरित १०५ ७७२६ १०६ ७७३३
१८६३ १९वी १८वीं १६१६
६६वाँ
जिनहर्ष सूरि
१९वीं
१७वीं
१३७-१३८
नरहरदास बारह
१८११
६०४
"
नरहरिदास बारहठ
१८२६ १७८६ १६१८ १९१४
६१ पुनरासर में लिखित २९७ ६४६ ४४५ हरिराम कबीरपथी द्वारा वदनार
में लिखित
१०७ /
७३८७
। अवतीगज सुकुमाल चोपाई
जिनहर्ष
१९वीं
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
१०८ १८३९ (१२) श्रवती सुकुमाल चोपाई
१०६
२१४६
११०
२३७४ (९) ३५१० (२) ।
१११
"
११२ ३५६७ (१६) | अश्लील रासो
११३ ७७४५ श्रश्वपरीक्षा
११४
११५
११६ ५४१८ (१६)
११७ ३५७५ (४८) |
११८ ४६१४ (२४),
११६
३५७५ (७)
१२०
३५४३ (५)
१२१
१७६७
१२२
39
"1
२०४१ । श्रष्टप्रकार पूजा ४७८४
"
अष्टमी कथा
२८६३
( १३५ ) | सणाधिकार )
१०००
39
ढाल
! श्रागमसारोद्धार
१२३
१२४
२०३५
"1
१२५ ३५६२ (१६) प्राठपहोररा दूहा प्राणद सधि
१२६ २१४०
१२७ २१७७
रास
जिन हर्ष
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
""
" स्तवन
भ्रष्टाणी वरतनो रास
श्रष्टापद तीर्थराज स्तवन
श्रसन्भाय सज्झाय
अक्षय तृतीया विचारादि
श्रागमवचन चोपाई (कुमति विध्व- हीरकलश
"1
धर्मनरेद्र
जैदेव
उदय रत्न
देवचद
कान्ति
शुभचद्र
पद्मराज पाठक
श्रीसार
11
लिपि समय
१८३१
१६वीं
""
11
१६४३
१६वी
१८२६
१६वी
२०वी
८७१
२०वी
१८८२
१६वीं
१६२१
१६३१
१६१८
२०वीं
१८२४
१६६६
पत्र संख्या
५७-६५
८ रचना स० १७४१
३१-३४ ।
३ रा
१३३ वाँ ।
1
३६
२
६१
१४०-१४३
२३६-२३८
२३१-२३२
३७-३८
६-१०
१
२०२-२३६
८१
६७
१३७-१३८
१२
१२
विशेष उल्लेखनीय
रचना स० १६१७
[ ७
* लि स्था राजलदेसर
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--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
१२८
१२६
१३०
१३१
२२२०
३५७३ (३६) |
३८७१
३८७६
35
१३२ ५६०२ श्रात्मप्रकाश चौपाई १३३ ३५४८ (१०) श्रात्मबोध सज्झाय १३४ ५४१८ ( ४ ) | श्रात्मसबोध रास
१३५ ३५७५ (५२) श्रात्मोपरि स्वाध्याय
श्रादिजिन गुहली
वीनती श्रादित्य व्रत कथा
१३६ ३५७५ (६८)
१३७ | ३५७५ (६) १३८ ४९१४ ( २० )
श्राणद सधि
१३६ | ५३७६ (२) |
१४० ५३७६ (१३)
१४१
१८१२ (२) ३५४९ ( ५ )
१४२
१४३
४४२०
१४४
७०६४
१४५ ४०४२
१४६ ५४१८ (३२)
१४७ ११२२ ( २८ )
१४८
2
""
""
ग्रन्थ नाम
"
वार कथा
(छोटी)
"
""
श्रादिनाथ हमचडी
आदीश्वर वीनती
श्रानदमदिर रास
श्रानंद श्रावक
सधि
37
श्रानदाके दोहे
श्राबूजीनो छद
३०२० (३) श्राबुधरा छत्रीसी
कर्ता श्रादि ज्ञातव्य
श्रीसार
37
"}
"9
धर्ममन्दिर
रूपचद
बनारसी
नयविमल
शिवचद्र
समयसुदर
सूरजी शाह
"
वर्धमान
ज्ञानविमल
श्रीसार
रूपो कवि
महिराज
लिपि समय
१८वी
१६वीं
१७६४
१७७३
१८वी
१८४५
१८वीं
२०वी
७
ह
२३
१-२
८८- ६१
२५० - २५१
२६६-३००
४४-४६
१८७१ २२२-२२६
11
>
""
33
१८वीं
13
१८वीं
१८७०
१७५४
१६वी
पत्र संख्या
"3
१८वीं
S
८६-६७
३१-४२
१६७-१६६
४-५
४६-४७
२१३
२२
१५
१७१ - १७३
२७व
३-५
विशेष उल्लेखनीय
लि. स्था कृष्णगढ
रचना १७४२
तिमरी ग्राम मे लिखित
[ 5
ढाल हावद्ध प्रतिम पत्र प्राप्त लिक साध्वी रत्ना, बावडीमध्ये लिक रुषमा
हा स० ४१
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग १]
[६
-
क्रमाक
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
महिराज
१८वीं
४१-४२ १०६-१०७ | जीर्ण प्रति
१२
१४६ | ३०२०(२) प्राबूधरा बत्रीसी १५० ४६११(२) प्राभूषण चितावणी १५१ '३५७३(४३) प्रामणा १५२ / ९४६ । प्रार्द्रकुमार चोपाई १५३ । ४०३५ प्रार्द्रकुमार चौढालिया १५४ । ३०३० ॥ चौपाई १५५ । ४८२३(२) , रास १५६ १४८
, धवल १५७ / १००८ आराधना १५८ , २१३६ , गद्य १५६ । ६५१
स्तवन १६० । ६०४५ , प्रकरण १६१ । ३४६८ पाराम शोभा चोपाई
१८७६ १९वीं १७३० १७३० १७७८ १८१६ १७वी १६४७ २०वीं १७वीं १८वी १७४६
ज्ञानसागर समुद्र मुनि ज्ञानसागर मान कवि कनकसोम अजितदेव समयसुदर हीरसूरिशिष्य सोमसूरि दयासार
६-११
१
| वीरमपुरमे रचित
६ । प्रत्य पत्र प्राप्त
१६२ '३५४६ (१०) पालणमी भाटीरा दूहा १६३ ३५७५(१२) पालोचना स्तवन ६४ ३५७५(४२) " "
१९वीं २०वीं
१६ * स० १७०४मे मुलतानमें
रचित ७२-७३
५८-६२ २०६-२११ २२८-२३१
कमलहर्ष
ध्रमसीह समयसुदर
१६६ ९६४ पालोयणा छत्तीसी १६७ ४४५२(९) पावडीजी आदिके छद
आवश्यक पीठिका बालावबोध
१७वीं १८वीं १७वी
१३ वाँ
| सोमसुन्दर शिष्य
admin
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्थ सूची, भाग-१] क्रमात ग्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
जिनवल्लभगणि
१५वीं १९वीं
२१वाँ
"
भावप्रभ कनकसोम
१७७७
५४१८(७)
" चौपई
१६वीं
६७-१०१ ।
१७१४
३२-३३
' रचना १६३८
१६९ । ७३४४ प्रावश्यक विधि प्रकरण १७० ११२२(५८)| पाशा पुश्करी माता छद १७१ / ४०५१ प्राषाढ़ाभूति चतुष्पदिका १७२ ६२७ प्राषाढ़ाभूति धमाळ १७३ १७४
धमाळ १७५ / २१६७ १७६ ३५७३(१०) १७७ ५१२१ १७८ १०१२ १७६ २०१५ १८० २०६५ १८१ २३७४ १८२ । ३२४५ १८३ । ३६१६ १८४ | ३५५३ १८५ ३९२० १८६ ३५४६(१६)| आसथानजीरी वारता १८७ २३६१ आज्ञाविचार गीत १८८ । २०७२
| इखुकारी सधी १८६२१६३
१८वीं १९वीं १८वीं १८१३ १८वीं १७६५
ज्ञानसागर
१९वीं
७२-६६
१८७४
१६०-१६४।
१६७१ १९वीं
१७वी
हीरकलश खेमराज
१२२ वा २३६ वाँ
५
प्रथम पत्र प्राप्त
Page #19
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१]
क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
खेमराज
१९वीं १७६० १९वीं १६२८
६०-६१
१-३ | किसनगढमें लिखित ११६-१२० | अपूर्ण
१९३
१७वीं
"
ज्ञानसागर
रचना १७१६
१७ | * स १७१६में रचित, शेषपुरमें
१९० | ३५७३ | इखुकारी सधी
| २२१७(१) १९२ ३५७३ (४८)| इग्यारसकी कथा-गद्य
| ४५७३ इन्द्रिय-पराजयशतक ७२७३ ४०४३ इलाकुमार चोपाई ६५३० ९०७ इलाचीकुमार रास ९४६ २०४५
२०६३
| १५६६ २०२ २०६७ २०३ २३७४(३)
३०३१ |१५२२(१६) | इस्कचमन २०६ । ७८६ ईश्वरी छन्द २०७ | ७९९ ईश्वरी छन्द २०८११२२(४६) २०६ | २०३६ | ईसरशिक्षा २१० ४६१४(२८)| उणतीसी भावना
१८४३ १८वीं १७५६ १७६५ १९७२
१७६८ | १७६०
१७७२ १६वीं १८वीं
१७ १७-२२ २०-२५
१० वाँ
कुरकुशल
१८५१ १६वीं
६३-६४
ईसर
१७वीं १८७७
२४६-२४७
Page #20
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
[ १२
क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
तत्त्वहस जिनहर्ष
लि स्था जोधपुर १८ वीजापुरमे लिखित
प्रथम पत्र प्राप्त
श्रीसार
१७६५ १८६५ १८वीं १७२२ १८वीं १८२६ १७७४ १९वी २०वीं १९वीं
२७-३२
भोज
खेताक
२११ । ५९७४ उत्तमकुमार चोपाई २१२/ ३२१९ २१३९६५ | उत्तराध्ययन कथा बालावबोध २१४ ' ५०६८ उत्तराध्ययन गीत २१५, २१६४ उत्पत्ति बहुत्तरी २१६ / १८३६ (६)| उतपति गीत २१७ २८३२(३)| उतपति नामो २१८ : २३११ | उदयपुर गजिल्ल २१६ २२४३ | उदयसिंघ मेडत्यारो सपखरो २२० '३५७३(४६) उदेपुररी गजल २२१ | ३२३६ | उपकरणविधि आदि २२२ ४२८७(१३)| उपदेशको रासो २२३ | २१९४ । उपदेशमाला कथासग्रह २२४ । २२१३(२)| उपदेशसत्तरी २२५ ३५७५(४३) २२६ ११२२(१७) ऊट तथा हाथीवर्णन २२७ ३५७५(७०) ऋषभजिनदेशना २२८३
ऋषभदेवक्रीडा गीत २२६ ९५४ ऋषभविवाहलो (धवल) २३० ६७९ २३१ । ३३७८
रामचन्द्र
१८वीं
१०६-११० स १७५७ मे रचना
भुज नगरमे लिखित ९८-११४ | स्वय कवि द्वारा लिखित
रचना स १७२६ २८ १७वीं कथा पर्यन्त
२-४ * कालुग्राममे लिखित २११-२१६
श्रीसार
१० वा
शिवचद्र
१६वीं १८३८ २०वी १९वीं २०वीं १९वीं १७११ १८११ १६२४
३०५ वाँ ८१ वा
समयसुन्दर सेवक
Page #21
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
[१३
क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
१७३४
७३-७९
१९वीं । १७२२
पासचद
२४०
२३२ | ३४६६ ऋषभविवाहलो २३३ ३५७३ (२७) २३४ । ६१०६ २३५
ऋषिभाषित २३६ | ६१६६ ऋषिभाषितकुलक २३७
ऋषिभाषितकुलक २३८ । २०५५ ऋषिवदना २३६ २३६० (८) एकलगिड वाराहरी वात ३५४६ (१६)
वारता २४१ ४४५२(५५)
| ४६१५(६) २४३ | ७२६१ एविशति स्थानक प्रकरण २४४ | ३५६७(३) एकातरारी वारता
४०५५ २४६ २३२२ एकादशी कथा २४७ |९०२
माहात्म्य चोपाई २४८ ३२८४ (४) , २४६ ७७४६
कथा भाष २५० ४२९३(२) एकादशी कथा सग्रह
१७१५ १८वीं १७१५ १९वीं १८०७ १९वी १८८७ १७६६ १८१३ । १८७६ १८५१ १८३१ १८१६
६१-६७ १२७-१३० १११-११३ १३६-१३६
| लि क सुमतिहस ६७ वाँ
E
२४२
सिद्धसेनसरि
१०
२४५
"
६०
विष्णुदास हरिदास
२६
प्रथम पत्र प्राप्त
S
"
१९वी
२६ कथानोका संग्रह * २० कथापोका संग्रह लिक जोशी नानगराम लि स्था लोलुवास (जयपुर)
१३०
एकाक्षरनाममाला
रतनू वीरभाण
-
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १४
क्रमात
विशेष उल्लेखनीय
| ग्रन्थाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य
ग्रन्थ नाम
लिपि समय पत्र सख्या
प्रेमानन्द
७४
१९०३ १९वीं
१४-१५
ईसरदास किसनवास पृथीराज
9
१-६७
१८वीं १७६२ १७२२ १७६१ १७६१
m
२६०
२५२ ९०५ | प्रो(उ)खा हरण २५३ ३२८९
॥ २५४ ३८४१ औषधपुराण भाषा गद्य २५५ २३०६(३) कृष्णध्यान २५६ २१०० | कृष्ण बारमास २५७ १८६८ (४)| कृष्णरुक्मणी बेली २५८ २०७० २५६ २०६६ ३५५७ (२)
सटीक २६१ ३६४२ २६२ ३६४३ २६३ ३५४८ (४) २६४ ४५३८ २६५ ४४५२(४७) २६६ ७७६६ (४) कृष्णलीला वर्णन २६७ ६४२५ कृष्णजीरो व्याहलो २६८ ३४७० २६६ ७०३० २७० २८२६ कृष्णस्मरण तथा प्रकलबेल २७१ २०५६ कक्काबत्तीसी २७२ २३६८ (१९)
८१ ३५
१७१८ १८वीं १७४५ १८१७ १८५६ १९वीं १८वीं
२४ ८५-१००
लि क. भाग्यविजय लिक प्रीतसौभाग्य चित्र १
२-७
"
६४
पदमकवि अर्जुनजी जीवो ऋषि
Page #23
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१]
क्रमात
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम ...........
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र संख्या |
विशेष उल्लेखनीय
.......
..
विद्याविलास श्रावक चोयो
२७३
३५७३ (५७)| कक्काभास २७४ ७४४४ (२०) कक्कासज्झाय २७५ | ५२११ कछवाहोकी वशावली २७६ २०४७ कथलो २७७ / ४०४६ कनकावती चोपई २७८ ७७२० (२२)| कपडकुतूहल २७६, ४०४७ कपोत कपोतणीरी वारता
६९३७(२) कबीरजीकी वाणी
ज्ञानविमल जिनहर्ष
कबीर
१९वी १५४वा १८८५ ३२४-३२६ १८८४ १८८४ १९वीं
२३ | अन्तिम पत्र अप्राप्त १८वी
स्वाँ १८५४
१२ १८११-१०६-१८७ लिक रामदास १८१६ १९वीं १-११ १८२३ १७७६ १८वीं १७६८ १८५५ १८वीं १८९२
रचना १७४१ १७१६
लि.क भरथ १८वीं
१५ | प्रथम पत्र प्राप्त ५ लिक प्रार्या होरा
३५५७(१) , साखी २८२ | २०३२ । कयवन्ना चोपाई
२०६० २८४ २१८४ २८५ २२०६ २८६ ३८७४ २८७ ३६२१ कयवन्ना चोपाई २८८
४०४८ २८६६७३६ २९० ३८७५ २६१ - ४०४६ २६२ | २०६२ करगडू चोपाई
जयरग
जयरग
गुरगसागर
रास
मतिशेखर
१७वी
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१ ]
क्रमाह
ग्रथा
ग्रन्थ नाम
क्र्ता प्रादि ज्ञातव्य
समय पत्र मख्या
विशेष उल्लेखनीय
१८वी
"
२६५
मतिच द्र
६ भाषामें ग्रहसाधन प्रकार वर्णित है २६ ११२
७ । भाषामें फलादेश वर्णित है
" काण्ड " रास
२५१-२५५
गुणकीर्ति । वीरचद समयसुन्दर लावण्यसमय विजयभद्र
८८-६१ ६६-७१
मुलतानमें रचित
३०२
२९३ ३७६७ करणकुतूहल सार २६४ ३७५६
५९७६ कर्मग्रन्थपचक २९६
१४०३ कर्मविपाक २६७ १४४४ २६८ ३८१० २६९४६१४(३३) ३०० २०८८ ३०१ ३५७५ (१९) करमछत्तीसी
करसवाद
कलावती चरित्र ३०४ ३८७२ कलावती चोपाई
कलियुगमाहात्म्य ३०६
४०२० कविकल्पलता
२३१४ कवित्त ३०८ ३०६ ३५६२(११) , . ३१० ३५६७ (१०) , ३११ ४४५२(५४) ३१२ १४४५२ (७३) गीत यादि ३१३ ४४५२ (९५)
३०३
| ४४२५
--
१९वीं १९१६ १८१६ १८७७ १८२० २०वी १७वीं १६७६ १८७३ १९६८ १८७८ १९वीं १८वीं २०वीं
२रा पत्र प्राप्त
-
रायचद
-
श्रीसार
१८वी
६७ वा ११२ वॉ १०६-११०
१२२ वॉ १३१ वाँ
। उदेराज
-
Page #25
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
[ १७
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१८८७
। १८८८ । १९वीं
। १८वी
२०-४१
८८ वा ३१-३६ ९८-१०१ १३६-१४१ १२६-१३१
| केसरसिंघ
जिनहर्ष उदराज
। १८५७ | १८धी
३१४ | ४६१५(२) कवित्त गीत आदि ३१५ ११२२ (६९) , छप्प व्हा ३१६ | ३५४६ (३) , जेठवारा व्हा आदि ३१७ | ३५५७ (६) . दूहा संग्रह ३१८ ४४५२(१०३)
बहा प्रादि ३१६ ३५६७ (१४) पद-दूहा ३२० | २०५५
बावनी ३२१ ४४५२ (२६) ३२२ ४४५२ (४५) , सवैया आदि ३२३ ४४५२ (६६) कष्टावलीचक्र ३२४ २८६३ (८१) ककस्वरस्वरूप ३२५ ४६१५ (१६) कागदरी नकल ३२६ / २१८३ कानड कठियारा चोपाई ३२७ ३५५४(५) ३२८ ३०७३ ३२६ ४०५१ ३३० ४०५०
विवाहलो
काया नगरको कागद ३३२ १८२१ कालक कथा ३३३ २१९५(१) कालकाचार्य कथा ३३४
कालज्ञान भाषा
२४-२६
६१ वॉ १२६ वा ।
१४३ वा ३९८-४०६
| १७वीं । १८८७ । १८८२ । १९वीं
मानसागर
६५-६७ ।
। १८४१
। १८वीं
१७०२
३५
१२-१६
२०वीं १८वी १९वी
लक्ष्मीवल्लभगणि
Page #26
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १८
क्रमात
ग्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
जयलाल लधो
३५ / २७८४ कालिका स्तोत्र
३५४७ (८) कालिकाजी रा वहा-सोरठा ३३७ २३२६
" स्तव २७८५
" स्तोत्र तथा प्रारती ३३६ २२४६
की प्रारती ३४० ४०५२ कालीनाग दमण पवाडो ३४१ ५४३० काव्यविधान
१९२७ १६वीं १८६४ २०वीं
८६-८७
चद्गदत्त जयलाल
१८वीं १९वीं
३३-४० जैन इलोकको मत्र मान कर
उसके प्रयोग का वर्णन किया
गया है ६१-१०४। *
सामल भट्ट
धर्मवर्द्धन
२३७५ (२)/ काष्ठ घोडा विक्रमजीतनी वारता ३४३ ३८८० किसनजीरी ढाला ३४४ ११३१ कुडलियाबावनी ३४५
११५२ कुतुबशत ३४६
७७५२(७) , री वात
२१४६ । कुतुबुद्दीन शाहजादारी वारता ३४८ ७७२१(१०) , ३४६ ३५६७ (२७) कुपति रासो ३५० | ५६६१ कुमति विध्वसण चौपाई ३५१६६३ कुमारपाल रास ३५२ । १५६४ ३५३ ४६०४(१) केरडावाली चौथमाताजीरी कथा
२०वीं १९वीं १००७ १६७० १७२० १९०२ १८२५ १९वीं १७वीं १८८० १७वीं १८६१
१६-१०४ । लि क माधो । १२ १६६-१७७ १४७-१४८
रचना १६७७
हीरकलश ऋषभदास हीरकुशल
१०८
१८ रचना १६४० १-३४ लिक कल्यारणसौभाग्य
Page #27
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---राजस्थानी हस्तलिखिन अथ सूची, भाग-१ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१९३६ १६वीं १७वीं २०वीं १६वी १९१२ १८१४ १८वी
। २७
१३५ वाँ - ७५-७६ , ३१६-३२६ ८२ वा
११ ' अन्त मे 'काम समूह' नाम है १२
विसराम (?)
नरबद हीरकलश हीराणद
१७वी
३५४ ७१७२ (१) केवाट राजाको कथा ३५५ ३५७३ (५२) केशकल्प प्रावि वैद्यक ३५६ ११२३ (१४)' केशी गौतम सधि ३५७ ३५७५ (७७) , अध्ययनार्थ ३५८ ११२२(५६) कोटेसरनो छन्द ३५६ ७३६ । कोकशास्त्र भाषा (काम विलास)
७३८ ३६१ १८३४ ३६२ २८६३(४५)' खरतरगुरुनाम सस्तवन ३६३ २८६३ (६०) खरतरादिगच्छोत्पत्ति छप्पय ३६४ २८६३ (६६) खातचक्रादि विचार ३६५ ५४१८ (३०) खिचडी रासा ३६६ ४०६० खीची अचलदासको वात ३६७ २१४३ (२) षो(सी)वै विजैरी वात ३६८ ४४५२ (१३) खेजडला माताजीरी नीसाणी ३६६ ४६८८ खेटसिद्धि ३७० । ४६८९ ३७१ ४४५२(८४) खेतरपालजीरो छन्द ३७२ ३५५० (५) खेतलाजीरो छन्द ३७३ २३७४ (१२) खेमासानो रास ३७४ १८३६ (५) खदकमुनि चोढालीयु
४ था। ११४ वा
१३२ वॉ १६८-१७०
६ स ३३ के समान
मान कवीसर
१८वी १८६० १८०८ १८४८ १८४८
।
महिमोदय कवि देद
१८वी
१६ वा
६ लिक चतुरविजयगणि
६ लि क ज्ञानविजय १२५ वॉ ३६-४० ४३-४७ २३-२७
लक्ष्मीरतन
१९वी १८५७ १८२४
Page #28
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिग्वित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[२०
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
२०वीं
जिनचन्द्र
। १९वीं
६६-७७ । १०१ वा २०८ वा. २४-४८ अपूर्ण ३३-३४
१८७१ । १८वीं
१ वी १८वी
नमसूरि केसव शुभवर्द्धन
१-४
१७८०
m mmmmm
मूलाऋषि
९७-१००
३७५ ३५७५ (१४) खदकमुनि चोढालीयु ३७६ ३५७३ (३८) गउडी पार्श्व स्तवन ३७७ ४६१४ (१४) गजमुनि वीनती ३७८६४३७ (२) गर्जासहकुअर कथा ३७६ ३५७३ (११) गजसुकुमाल गीत ३९२३
छढालीयो ३८१ १८१६
ढाल ३८२ ६४७
विवाह २०५२
सधि ३५७५(२२)
स्वाध्याय ४०५६ गजसुकुमाल चरित्र
रास ३८७ | ९७५ । गणधरवाद बालावबोध भाषा
२८६३(२३), गणविचार चोपाई
३४४० गणित अथ साठीसो दोहा ३६०४ ४४५२ (६६) गणेशजीछन्द अमृतध्वनि
३८११ गतेष्टकरण विधि ३५६२(१) गरब चिंतामणी ६०४१गर्भोत्पत्ति स्तवन २२६६ गागातेलोरी वात ३५५३ (५), गाफल लावणी
१८ अपूर्ण
२०वी १८वी । १९८७ । १९वीं
३८६
लक सरूपचद
३८८
। १७वी
हीरकलश महिमोदय
१३वाँ ।
३८९
१२० वा
१७५७ १८वीं १९वी १९५६ १८वीं १९वी
रामचरन श्रोसार
विनंचद
१५७-१५६ ।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ २१
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता भादि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१९वीं
६६-७०
१-२७ | जगमाल वारता १४६-१६१
१८५६ २०वीं १८८८ १८८७
कल्याण
३
१३४-१३५ ३६५-३६७
टी चैतन्यदास
१८वीं
अत्य पत्र प्राप्त
३६६ | ३५५६ (५) गिदोलीरी कथा ३९७ ३५५८ (२
" वात ३९८ | ५४५८ (४) , वारता ३६६ ३५६२(१८) , गणगोरकी वारता ४००
८८४ । गिरनारकी गजल ४०१ / ४६१५(५) गीत ४०२ ४६१५(१५) , कवित्त ४०३ | ४१३६ । गतगोविन्द भाषा ४०४ | ७५५६ , सज्झाय ४०५ ४४५२ (६०) गीत सवैया प्रावि ४०६ | २२६० , सग्रह ४०७ | ४६०४(३) गीता माहात्म्य ४०८ २८६३(१०३) गुजाकाचन सवाद ४०९ ११२३ (२३)। गुडी पारसनाथ छन्द ४१०१ ११४३(२) गुण एकादशी माहात्म्य
४०२२ गुणकरड गुणावली चौपाई ४१२ ४०५३ ४८२०
रास ४१४६०२७ ४१५६५४२ ४१६ २१०३
गुरगरत्नाकर छन्द
जवानसिंह प्रावि
२०वीं
१२८ वाँ
१२ ६५ वॉ १६३ वाँ
८२-८३ । ३५-६८
१७वीं
"
कुशललाभ लागा मैडू ऋषि दीप (?)
४११
१९वी १८२१ १९वी
२२
लिक प्रार्या नाथी
१८७४
।
२०
१८३६ १८३३ १७४६
१५ स १७५७ मे रचना ३६ लिक नवनिधिविजय
सहजसुन्दर
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमा ग्रन्थाङ्क | ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
[ २२ विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय पत्र संख्या
२१-३४
४१६
४२०
४२१
४२२
२४
१७३४ १९६७ १७९६ १८वीं १७४३ १८४८ १८७१ १५वी १८७४ १७वीं १७१८ १९वीं
दीपो
स १७५७ में रचित
२-४
रचना स १५१३
४२६
१०
४१७ । २०२३ (३)| गुणसागर भास ४१८ ३५६२(५)
४०१३ गुणहरिरस ३५१४ गुणावली कथा चोपाई
ज्ञानमेरु २०३३
३९८१ ४२३ । ३९६८ ४२४ ६५० गुणावली गुणकरडरी वात ४०५५
चरित्र चौपई शांतिहर्ष |१०९ गुणावली बुद्धिप्रकाश रास
श्रुतसागर ४२७ ३९२४ गुणावली रास
गजकुशल ४२८ ५०६४ ४२६ ३५६४ (५) गुरुचार ४३० १९८४ , विचार ४३१ ५१०३ | गुरुचेलारी कथा ४३२ ३५७५ (७३) गुरुजी गुहली २८६३(१२१) गुरुपरम्परा गुर्वावली
हीरकलश ४३४ ७१८० , ढाल
ज्ञानविमल ४३५ ३५७५ (२५)/ गोडीजिन स्तवन
प्रीतिविमल ४३६ / १०९२ गोडीजीरो छन्द ४३७ ३५७५ (१०) गोडी पार्श्व जिन चौदा स्वप्नस्तवन समयरग
।
।
२३-३२
त्रुटित पत्र
१७वीं
" २०वीं १७वीं १९वीं २०वी १८९४
२ ३०७ वा १७६-१७७
१२
१०४-१०६
२०वी
४६-४६
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१ ]
[२३
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
मय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
७४-७५
रूपसेवक प्रीतिविमल नेमविजय
| १९वीं
१८वीं | १८३८ । १८२९
१८३८
१८८३
जिनसूरि समयसुन्दर उदयवत
१३ लिक मुनि गगजी
६८ ३८-४०
४३८ ११२२ (५६) गोडीपार्श्व छन्व ४३६ ' २०५१ ४४० २२१३(१) , वृद्ध स्तवन ४४१ २०५२ । ४४२ ५४५८ (३) गोतम रासा ४४३ ७५६७ गोतमपृच्छा चौपाई ४४४ ६१२८ । ॥ बालावबोध ४४५ ५४३६ (७) गोतम लघुस्तवन ४४६ ५०६६ (२) , स्वामी रास ४४७ ५४३६ (३) , " ४४८ ७४४४ (११) गोतम रासो ४४६ ३४६६ गोपीचद राजापद ४५० ३५४६ (३) गोरखनाथजीरो छन्द ४५१ ३०२७ । गोरखप्रमोद भाषा ४५२ ४४५२(५) , पतडा ४५३ ३५४६(५) गोरभजीरो छन्द ४५४ २१६६ गोराबादल कथा ४५५ २३
की बात ४५६ ३५५५
री वात ४५७ ३३८४
चोपाई ४५८ ३३८५
१७-२६ । २०५-२१२
१८८५ १९वीं
१० वाँ
१७८४
। १०वी
११ वा
जटमल
। १९वीं १८२८ १९वी
" १८०३
११-१७ १५१-१५६ । । ३१ ।
भाग्यविजय हेमरतन
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान --राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ]
[ २४
क्रमात
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
| लिपि समय | पत्र संख्या |
विशेष उल्लेखनीय
लब्धोदय
२५
१७६५ १७५६ १८वी
स १७०७में रचित १४ कृतियोका संग्रह सादडीमे रचित लिक जयसौभाग्य
हेमरतन जटमल माधौ
१७८७ १९वीं
8-१५ ३०-३१
ऋषभ श्रावक
१९६-२०६
२०वी १८३३ १९वीं
लावण्यसमय
४०-४१
४५६ ३०२६ : गोराबावल चौपाई ४६० ३३८६ ४६१ : ४१५१
कथा आदि गुटका ४६२ । ७७५२(६)| ४६३ / ४६२४(२) ४६४, २३७७(५) : गोरावणो वीरनो सपषरो तथा
। घोडावर्णन ३५७५ (४१) गौतम प्रश्नोत्तर स्तवन
१८३६ (१६)| गौतमरास प्रादि ४६७ १८३६(८) गौतमाष्टक ४६८ ६१८ , ग्रहण विचार
१७७७ ४७० २५७४
६४८ ६७४
अनेक विचार ४७३ २८६३(१४) ग्रहभाव फल ४७४ ३२१४ ग्रहलाघवसारिणी विधि ४७५ ३२४८ ग्रहस्पष्टकरण विधि ४७६ | ५२७९ ग्रहणविचार टीका ४७७ ४७२६ । घटीज्ञान ४७८४४५२(७६) घूघूचक्र
साधन
.
४७२
वॉ
१७वी १९२८
१८वी
::
१२३ वॉ उलूक सम्बन्धी शकुन-विचार,
अन्तमे नाहरखान रासिघोतरी
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
| २५
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
। लिपि समय पत्र संख्या ।
विशेष उल्लेखनीय
१६वी १७६३ १०वी
३०-३१ ११-१२ १३० वाँ
२०
४८३
१९वीं
१८वी
२-११ ३०७-३०८
२०वीं १८७७ १६१६
८४ व
४७६ | ३५७३ (८)| घोडावर्णन तथा वर्षावर्णन दूहा ४८० ४६२४(१०)| घोडारा बखाण ४८१
को बणाव ४८२ १८१७ चउपरवीचउपई
समयसुन्दर ७७५ चउसठी
। छन्द तथा जगदम्बा छन्द | ५१२३(२) चक्रकेवली ४८५ ३५७५(७४) | चक्रेश्वरी स्तवन ४८६ / ७१५४ चतुर्मुकुटचन्द्रकिरण ४८७ २८६३(३६) | चतुर्विशति जिनगणधर सख्या वीनती| हीरकलश ४८८ २८९३(३३)| चतुविशति जिनपचकल्याणक स्तोत्र | ४८६ ५३७६(२१) , स्थानक सूची ४९० | ६६१२ चर्चा समाधान ४६१ ४६१४(५७)| चरित्ररत्नत्रय गीत ४६२, ६५६ चातुर्मासिक व्याख्यान बालावबोध / सूरचद्र ४९३ ३३८३ ४६४ ६३६३
, व्याख्यान पद्धति ४६५ । ५१०५ चार जणारी वात ४६६ | ७२३१ | चार भावना (गद्य) ४९७ | ६२६२ चारिप्रत्येक बुद्धचरित्र
समयसुन्दर ४९८ ३५६२(१०)| चावडारो छन्द
चुनीलाल
१७वी
१९वी १८७७ १८वीं
२४३-२४८
२३६ ३१२-३१३
१२
१७वी
२८
१९११
२४ । लि क. टेकचद
१६वी
| १७वी । १६७६
२०वी
२७
६६-६७
प्रथम पत्र प्राप्त रचनास्थल-सोझन
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१ ]
[ २६
क्रमाङ्क | ग्रथाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
खेतल
स १७४८में रचना
१८वीं १९वीं
२ ३७-३६
१८वीं
१६वी १७८३
३रा पत्र प्राप्त
| १९वीं
१२३-१२५
१८वी
१३४-१३५
१९वीं
१३६ वाँ
४६६ | ३२०५ चित्तोडकी गजल
३५५०(४)
४४५३ (३) ५०२ ४८०६ ५०३ ४८२२ ५०४ ३५४६(१७)| चित्तोड, जोधपुर, अजमेर प्रादिकी
ऐतिहासिक हकीकत ४४५२(१०)| चित्रबन्ध काव्य
३८८६ चित्रसेन पद्मावती चोपाई ५०७ ३५७३ (५३)/ , सभूत चोढालीयो ५०८ ४७६७
" चौपई ५०६ २८६३(७८)/ चिहत्तरजन विधि ५१० ४२८७ (१४)/ चेतन गीत ५११ | ७८१० (३)/ चेतनदासको वाणी ५१२ २३६८ (११)/ चैत्यवदन ५१३ ४४५२(६१)/ चोबोली राणीरी कथा ५१४ ७४४४(१३) | चोढ़ालियो (दानशील तपसवाद)
चौथकी कथा ५१६ 1 २१३४
, मातारी वात ५१७ | ३२७७ ५१८ ३५४७(१४) , ,
रामविजय उपाध्याय जीवराज ज्ञानसागर हीरकलश
१५वीं
१७वीं
। १८वीं
१४१ वाँ ११५-११६ २३०-२६८
४० वाँ
चेतनदास कमलविजय जिनहर्ष समयसुन्दर
१८४८ १८वी १८८५
२४५-२५३
१८३३ १९वी
" कथा
६२-६३
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
। २७
क्रम । । ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
१३८-१४१
३ बिलाडामें लिखित
१९वी १८वीं १७८६ १७वी १८५३ १६वीं
८६-६०
७ लिक भानुकोति, जयपुर
१७६२ २०वी
५१६ ३५६७(२२)/ चौयको कथा ५२० ४०६१ ५२१ ३५६३(१)| चौबीस एकादशीको कथाएं ५२२ २८६३(५३) , गति प्रागति विवरण ५२३ ६०६७ चौबीस चौक
अमृत कवि ५२४ ६६१८ | चौबीस तीर्थकरोकी पूजाविधि ५२५ १८३९(११) , बडक स्तवन
धर्मविजय ५२६ ३२०४ चौवीसी स्तवन
जिनराज ५२७ ३५७५(१) " "
देवचन्द्र ५२८ ३५७५(३३), , ,
जिनराजसूरि ५२६ ११२२(२९)| चौवीस साखना कवित्त ५३० २३६८(८)| चौरासी सीख प्रास्ताविक आदि । ५३१ ७४२५ । चौसठ मार्गणा विचार ५३२ २३६० (७) चदकवररी वात ५३३ ३५५५(२६) ५३४ ३५६२(१२)
वारता ५३५ ३५७३(४४) ५३६ ४१४८ ५३७ ४६१५(१० ५३८ । ४६११(३)
कविराय
४८-५२
६ लि स्था कालू १-२४ । १४२-१५४
२८ वा
१९वी
हस कवि
५५-६१ १५६-१५६
६८-८१ १०७-१०८
३४८-३६०
१८०८ १८१६ १८८७ १८३०१८३२ १४वी
५३६, ५३४१(२)
तथा स्फुट कवित्त
५८-६७
-
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ २६
ग्रन्थाङ्क
क्रमाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय पत्र सख्या ।
चन्दराजा रास
लब्धिरुचि
५६१ ३८८२ ५६२ । ३६७० ५६३ । ३६२५ (१)
१८२७ १८६६ १७७०
१३० ५३ । अतमे पार्श्वनाथ गीताके
३६ पद्य लिखे है ७६ ।
१८२१
मोहनविजय
१८१०
८२
१९०६ १८४७ १८४६ १९वी
७०-३५४ लिक हरकचन्द पाडे
६८ स० १७८३मे रचना १२३ लिक पृथ्वीराज २०-३५
५६९
बिदमजी
हीरकलश
१७वी
५६४ | ३९६६ ५६५ । ४०५६
। ६३४६ (२) ५६७०२४९ ५६८ ७४२०
११४३ (१)/ चदरायकी बात ५७० ६६१ चन्द्रग्रहणाधिकार
२८६३ चन्द्रगुप्त सोल स्वप्न सज्झाय
(१३८) ५७२ ३५७५(६४)/ चद्रप्रभजिनस्तवन ५७३ ७४०७ चद्रलेखा चौपाई
| चद्रलेहा चोपई ५७५ । १८२६ ५७६ २२२६ ५७७ ३५०३ ५७८ | ३५३७
शवचद्र
२४३-२४४ स० १६२२मे राजलदेसर में
रचित २६६-२९७
१८ । २० लि स्थानापासर
मतिकुशल
हर्षमूर्ति मतिकुशल
२०वों १७७८ १७७४ १७वीं १९७५ १७६५ १८३० १९वी
२६ २६
२३ १३-३६
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
[ ३०
कर्ता आदि ज्ञातव्य
ग्रन्थ नाम
ग्रन्थाङ्क
लिपि समय पत्र सख्या
क्रमाङ्क
विशेष उल्लेखनीय
मतिकुशल
१७६१ १७७७ १७७४ १८०५
| लि स्था पाड लि स्था (ख)रवा
स १७२८मे रचना
" रास
१९वी
१८वीं
२६
१७वीं
१०
समयसुन्दर करमचन्द मलयकीति
१८वी
२११-२१३
चद्रार्की
५८०
३८८४ चद्रलेहा चोपई
३६२६ ५८२
३९७१ ५८३ ४०६० , चरित्र चौपई ५८४ ४७८९ ५८५ ४७६५
२२११ चपक श्रोष्ठि चोपाई ५८७ ५०६६ चद्रायणा कथा ५८८ ५३७६(१८) " "
| ४७४६ ५९० | ५०६१ छत्तीस अध्ययन गान
३५४६ (११) छत्रीस राजकुल नाम ५९२ २८९३(१०८) छाया ज्ञान ५९३ २८६३(११९) छिन्नवइ जिन नमस्कार ५६४ २८६३(४३) , ५६५ ४४५२(७८)| छींक चक्र ५९६ / ४३०८ (३)/ छीतरदासजीका सवैया ५६७ | ३६७० छूटक दूहा ५६८ । ६३२ ज्योतिष (सार दूहा) ५६६ | ३५४७ (३) , दूहा ६०० ३५४७ (११)
सागरचन्द्र
५६१
१६४२ १६वीं १७वीं
हीरकलश
१५ / लि क हर्ष ७४ वा
हीरकलशद्वारा लिखित १७४-१७५
८६-८७
१२३ वॉ ४४७-४५५
१८वीं
छीतरदास
मेघराज
१ ला ८९-९०
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-
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग १] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञानव्य
mmmm msene
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
| कवि कूपाराम
१८४३ १९०७ १६वी
४७
लि क. रामकुवार
लीलो
२०७-११३
२रा
। १६२४
१० वा ३२-४६
६०१ / ४८४७ ज्योतिष वार्ताएं ६०२ | ५५२८ , सार ६०३ ३५४६ (१३)' जखरा मुखरारी वारता ६०४ ११२२(३)। जगडूनो छन्द । ६०५ ११२२ (१८), , साहनो जस
३५५४ (२१)| जगदेव परमाररी वात ६०७ ४४५२ (६४) जगदेव पमाररा कवित्त ६०८ | ७१७२(२) , री बात ६०६
४६१६(१) ४४५२(७१) जर भरथरा कह्या श्लोक आदि ६२० जन्मकुण्डली विचारावि
| ककाली भाटण(?)
११६ वां
७७५३ (१४),
--
"
"
७१-८८
। १८वी
१९३६ | १८३७ | १८७५ । १८वीं १९वीं
अपूण
----
६१०
१२१ का
मारवाडके बखर्तासह और जयपुरके राजाका यद्व-वर्णन
२६
६१५
६१३ | ४८४८ ६१४ ४५२४
६४३४ ७४२७
४२७३ ६१८ ६२६८
। जन्मपत्री गणित । , (क्रमब्रह्मतुल्य) __, प्रकार जम्बू अज्झयण " गुण रत्नमाल
प्रथम पत्र प्राप्त
६१७
१७५९ १८८० १९वी । २०वी
१९वी १८७२
६१६
" चरित्र रास
। प्राणद जेठमल पदमचन्द मुनि
लिक परताबाई स्था अजमेर
६२० ७०४६
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[ ३२
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमात ग्रन्थाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
ग्रन्थ नाम
१७९६ १८६१ १८८९ १८१६
वीरमुनि
६० ११३ १३ स १७८८मे पाटणमे रचित
१२ स १७२८मे पाटणमे रचित ४२-८० | लि क विहारी,चूरूमध्ये लिखित
लि क माणकचद
१८६६ १८५६ १६वीं
"
१७वीं
६२१ । ७५३३ जम्बू चरित्र रास ६२२ ७६०३ ६२३ २४ जम्बू पृच्छा रास ६२४ १०१० ६२५ ५३७६ (३)
जम्बू स्वामी क्या ६२६ ७३५२ ६२७ ६७३५ ६२८ ६७८१ ६२९ ३३७६
चरित्र ६३० ३४७१ ६३१ २२३१
चोपाई ६३२ । ३४७२ ६३३ ३५७३ (१४) ६३४ २१३१ ६३५ ३२८८
रास ६३६ ३४७३ ६३७ ३५६४ (७) जमानारा दूहा महामाईवायक ६३८ ३९२८ जयविजय चोपाई ६३६ ६८५४ । जयसुख वैद्यक ६४० ५४१८(१३) जलगालण विधि ६४१ ३५७३ (५५) जलाल गहाणारी वारता
चद्रभाण देपाल
१८वीं १८६३ १५४८ १६वी
पद्मचद्र नयविमल राजपाल
१२ १६ लि स्था चाटसू ३६ | सुवाई ग्राममे लिखित
८ स १५२२मे रचित ३५-४२ | जीर्ण प्रति
५३ | १५ से २३ पत्र अप्राप्त ४६ स १७५४मे लिखित
३४ | स १६४२मे रचित ३५-४३ २८ स १५५१में आगरामे रचित
लिक मतिविमल ११४-११६ १३९-१५१ | लि स्था ऊबरी
धर्मरत्न
१६५६ १८६१ १७वीं १७३३ १९वी १८१२
Page #41
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
६०
२० ' लि क देवचद
१९वीं १८०७ १८६० १८५६ १८वी १८३८ १८वीं
।
२-४२
३२ , चि स १२
७वा *
६५०
६४२ ३५४६ (८) । जलाल गहाणीरी वारता ६४३ ४४५२ (३२) ६४४ ४०६२ ६४५ | ७७६६ (५) , ६४६ | ५८९५ जलाल बूबना वारता सचित्र ६४७ ४२२ ज्वरनो छन्द
। काति ६४८ २३६२ (७) जसवर्तासहजीरा कवित्त ६४६
, तथा अजीर्तासहजीरा
कवित्त ११२२(४६) जमालखारी नीसाणी ६५१ ४०६४ । जामवती चौपई
सूरसागर ६५२ ३४७४ जालोर पाव विविध ढाल स्तवन । पुण्यनदि ६५३६४६ जालधरपुराण
हरदास ६५४ ४८१७ जिणरस
वेणीराम ६५५ ३५७५(३१) , ६५६ २८६३(१३३) जिनकल्याणकस्तवन
हीरकलश ६५७ २८९३(१२२) जिनचद्र सूरि गीत ६५८ २८६३(१२४) ६५६ २५६३(१२५) ६६० २८६३(९४)
। विल्ह ६६१ | २८६३(३) जिनप्रतिमाधिकार चोपाई हीरकलश
१९वी १८४७ १७वीं
७ लि स्था बीकानेर
| २०वी
४३
। १८४१
। १९वीं
"
१६२१
१७वी
१७०-१७४ | स १७३९मे रचित १९५-१९७
१७७ वा। १८२-१८६ १८६-१८६ । १६० वाँ ।
२-३ ' स १६२४में रचित
" स्तुति
,
Page #42
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाक
ग्रन्थाक
६६२ ३५५५ (३१) | जिनरस
६६३ | ३५७५ (५०) जिनप्रतिमा स्थापन स्तवन
५०७३
६७३
७४४४ (३) ६७४ ! ३२००
६७५ ४९१४ (२६)
|
६७६ ४९०५ (७-९) ६७७ ३५५५ (१३) ६७८ ५४५६ ६७९ | ३५४३ (६) ६८० | २५८३ ६८१ ४९१४ (५४) ६८२ ५४१८ (२० )
ग्रन्थ नाम
६६४ ३६८५
६६५ ३५७५ (५४) ६६६ (३५७५ (६२) ६६७ | २३६८ (१६) जिनवीनती
६६८ ( ३५७५ (७१) | जिनहर्षसूरि भास
६६९ ३५७५ (६६)
६७०२८९३ (३५)
६७१ । २१२५
६७२
जिनरग बहुत्तरी जिनरक्षित जिनपाल चोढालियो जिनवाणी स्तुति
"
जिनहससूरि गीत
जिनाज्ञा स्तवन सविवरण
जिनेश्वर पूजा पद्धति जीव विचार
""
जीराउला पार्श्वनाथ स्तवन जीवसिखामण रास जुवानीरा दूहा श्रादि जैतसी उदावतरी वारता
जैन बोल संग्रह जोग पावडी जोग बत्रीसी जोगीरासा
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
जिनहर्ष
जिनरग
उदय रतन
शिवचद्र
कनककीति
शिवचद्र
नेमिसागर
सोमविजय
प्रभुचद्र
गोरखनाथ
सोम
जिनदास
"1
लिपि समय
१९वीं
२०वीं
१८व
२०वीं
""
१६वीं
२०वीं
""
१७वीं
१८वीं
""
१८८५
१७४५
१८७७
१९वी
91
१८८५
१८वीं
१८७७
१वीं
पत्र संख्या
|१७०-१७४ !
| २४१ - २४८
२
२५२-२६०
| २६४-२६५
५०-५१
(३०५-३०६
| २६८-२६६
६६ वाँ
५
१६८
१२१-१२६
३
२४२-२४४
३१-३६
६०-६५
५३
१०-१४
१
| ३००-३०२
| १४३ - १४५
[ ३४
विशेष उल्लेखनीय
स १८५८ मे रचित
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
६६०
६६१
६६२
६६३
६६४
६६५
६६६
६८३ ५४१८ (२५) जोगीरासा ६८४ | ४२८७ ( ४ ) | जोगी रासो ६८५ | २३०९ ( १ ) झाडो ६८६ ५४१८ (३१) | टडाणा गीत ६८७ ११२२ (१२) टाकरपचीसी ६८८
३५६२ (४)
६८६
६८४१
४०६७
३८८७
३६७२
६१२२
६७३७
७२२४
७३७५
६६७
४०३३
६६८
४०६६
६६६ ६१३
बुढ़क पवाडो
७०० ११२२ (२३) दुढ़ियानो छद तथा सवैया ७०१ | ११४४ ( १ ) | ढोलामारवणी चोपई ढोलामारू री वार्ता १८८१ (२) ढ़ोलाजीको वात
७०२
२२०७
७०३
डोकरीरी वात रो चुटकलो
ढालपट्ट श्रादि
दालसार
ढाळसागर
"1
"
"}
"
ग्रन्थ नाम
"1
"}
प्रबन्ध
भगोतीदास
जिणदास
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
चोथमल
गुणसागर
"1
केशराज
गुणसागर
"1
19
"
श्रविचळ ( १ )
प्रेमकवि
लिपि समय
१७वीं
१७२६
१६वी
11
""
१६५६
१वीं
""
95
"
१८वी
१८६७
१८वीं
१७६८
१७७०
१७५६
१८७४
१६वीं
१८२८
१६वीं
पत्र संख्या
१५२-१५४
१४-१८
१-६
१७०-१७१
७ वाँ
१८- २०
६६
१६
१३१
६६
१०१
११६
७७
७६
१०४
८६
६
१६ वॉ
१-२८
८
२५-६६
लि क रामचद्र
*
विशेष उल्लेखनीय
रचना स १८५६
स १६७६ में रचना
लि क. खुशालचंद
[ ३५
लि क जोधनजी
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
क्रमाक
ग्रन्थाक
७०४
७०५
७०६ ६४३८
५०८४(१) ढोलामारू सचित्र
७७२० ( १ )
ढोलामारू चोपाई
७०७ ५८६६
७०८ ७७४७ ७०६
६७२०
७१० ४६२४ (१३)
७११
३५७३ (२)
७१२
७७४८
७१३
७००७
७१४ ३५६७ (२५)
७१५
२३६८ (५)
७१६
२५८१
७१७ १७४६
७१८
४८७५
७१६
११४४ (६)
|
७२० ७५३५ ७२१ ४६१४ (५०) ७२२ ७६०४
ग्रन्थ नाम
ढोला मरवणी
ढोला
1 मारूनी वात
1
""
39
,, रा दूहा सचित्र
,, रा दूहा
रो चौपाई
",
ढढणस्वाध्याय तर्कप्रबन्ध
ताजिकसार भाषा
तारादे लोचनारी सज्झाय तारातबोलरी वार्त्ता
तिथ्यानयन टीका
तिब्ब सहावी फारसीकी भाषा तुरक दाकुनावली
तेजपाल व्ययवर्णन तथा नागोर चित्तौडादिके ऐतिहासिक सवत् 'तेजसहजीका सर्वा तेरह काठिया तडुल वेयालिय पह
कर्ता आदि ज्ञातव्य
कुशललाभ
27
कुशललाभ
जिनहर्ष
सरूपराम
हर्षकुशल
सीताराम
पाशचद
लिपि समय
१८३६
१७५६
१८व
19
१६वीं
१७७०
१६वीं
""
१८२०
१६वीं
१८वीं
१८३०
१८५०
१६वीं
१७४३
१८७७
१८३३
पत्र संख्या
१४
१-२३
२४
६१-११४
५६
४७
१-३४
१७ वाँ
५७
२६
१४६-१४७
३७-४०
१
५२
२६
४८ वॉ
१७
२७६ वाँ
४१
चिस ३६
*
विशेष उल्लेखनीय
स १६७३ में रचना,
लि स्था - जेसलमेर
स १५३० मे रचित, चि स ३३
*
[ ३६
प्रथम पत्र प्राप्त
लिक मोतीचद डूगरसी
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ ३७
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क | ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
१८वीं
१८
हरजी जोशी समयसुन्दर क्षमाकल्याण राजहरष समयसुन्दर
२०वीं १८वी
३८८८
"
१७
२५ | स १६६१मे रचित ३५-६५ |लि क कल्याणसौभाग्य
स १७५६ मे रचित लिक राजविजय
७२९
उदयरतन
७२३ २३६२ (१२) तबावली कथा ७२४ | ७२६५ थावच्चा चौपई ७२५ ३५७५ (७६) थावच्चा मुनि चोदाळियो ७२६ २२२८ , सुत चोपाई ७२७ ७२८ ४६०४ (२) थावर देवतागे वात
४०६८ थूलभद्र नवरसो ७३० । ४८३२ ७३१ ६२५५
७४४४ (१४) ३५७३ (२४)| थभण पार्श्वनाथ स्तवन
| ७४२१ । वडकसस्तबक ७३५
| ७४४४ (५) , प्रकरण ७३६ / १९२१ । द्रव्यसग्रह बालावबोध ७३७ | १८२६ द्रौपदी चोपाई ७३८
२१३२ ७३६ | ३४७५
१८६१ १८४६ १८५२ १८वीं १८८५ १६वीं
२५३-२६०
कुशललाभ
१३६-१४३ | लि क नेमविजय
पर्वत धर्मार्थी कनककीति
१८८५ १६८९ १७०७ १७२६ १७१८
२०
स १६६३ मे जैसलमेरमे रचित
डोल ग्राममें लिखित, माडवगढ़पार्वे
१८वी
७४० ३५३८ ७४१ |९९६
द्रौपदी रास
समयसुन्दर
१८५६
स १७००में अहमदाबादमें
रचित | जैसलमेरमें रचना
७४२
| ६५३१
कनककीति
१८वी
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ]
माक
ग्रन्थात
७४३
७४४
७४५
७४६
७५५
७५६
७४७
६४४६ (५) ७४८ (१८३९ (१०)
७४६ ४६१४
७५०
२१७५
७५१ ६८६
स्वाध्याय
७५२ २८६३ (८७) | दशाविचार कोष्ठक
७५३ (२८६३ (११) दशार्णभद्र गीत
७५४
७५७
७५८
७५६
७६०
६३५६
द्रौपदी रास
६४१६
द्वादश भावफल
१६६४
द्वादश भावफल
२१६५ (१) दत्त ब्राह्मण कथा
दत्तलालाको कक्को
दशपञ्चकखाण वर्णन
दर्शनबत्तीसी
दशवेकालिक भास
६५४४
६३६६
३५७३ (५)
३५५६ (६)
४१४६
११२२ (६८)
४३०८
ग्रन्थ नाम
७६१
६६२६
७६२ | ६९३७ (१)
चौढालियो
"1
दशावली
दाढाला एकलमल्ल वराहरी वारता
री वारता
री वारता
"
दातार सूरनो सवाद
दावू वाणी श्रादि गुटका
कर्ता आदि ज्ञातव्य
कनककीति
दत्तलाल
रामचद
राममुनि
वृद्धिविजय
हीरकलश
दीपो
लिपि समय
१८१५
१६वीं
१७वीं | १६वीं
33
"1
१८७७
१७वीं
१६वीं
१७वीं
""
१६वीं
"
"
"
१८१७
१८८८
१८वी
१७८७
१८११
पत्र संख्या
४०
४
४
७ वां
५-११
४४-४७
२७७-२७८
२४
७
१४६ वाँ
६-८
३
६
१८-२२
१-१०
२३
८७-८८
४१०
२६८
१०६
विशेष उल्लेखनीय
स १८५४ में रचित
६, वॉ पत्र अर्ध- त्रुटित लिस्था ग्रहिपुर
लि क उपाध्याय पद्मउदयगणि
स २२० के समान
"
L
"1
विभिन्न सतोके ४४४० पदो का
सग्रह
लि क रामदास
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
{ ३६
-
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
वादूजी का शव
१८००
प्राधन्त शोभन
दादूजीको साखी
लि क लक्ष्मणदास
७६३ | ६६४८ ७६४ । ६६५४(१) ७६५ | ६९४६
| ६६५० ७६७ । २१०१ ७६८८८१ ७६९ | ९५२
१६वी १८६६ १८वी १९वी १८वी
"
दान लीला दानशील तपभावना सवाद
समयसुन्दर
स १६६२में सांगानेरमे रचित
१९वीं १७वीं
३२-४०
१८२६ १७८३
३९-४२
कृष्णगढ़में लिखित
५१
७७१ / १८३६ (७) ७७२ | २०४२ (२) ७७३ | २०६९ ७७४ २३७४ (११) ६७५ | ३२५६ ७७६
| ३२७१ ওওও |३५७३ (५४) ७७८ ३५७५(३६) ७७६ ७८० ३९२७ ७८१ | ५४३६ (६) ७८२ ५४३६ (११) ७८३ | ६८४५
१९वीं १८४१ २०वीं १८१० २०वीं
१३७-१३६/ १७३-१८१
१८वीं
१९वीं
दशार्ण भद्रराज
: ::
४४ वा ४६-५६
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
। समयसुन्दर
१२४-१३७
दयाशील चारित्रसुन्दर
१६६२ १९वीं १६७६ १८३० १७वीं
हीरकलश
१८वीं १९वीं
१७५-१७६ १२-१८
२६ १४ वॉ
i जिनसुन्दर
"
७८४ ५९६७ दानादिक सवाद ७५५ ५४१८(१७) दानाधिकार ७८६ ११२४ (१०)| दामनक चोपाई ৩৩ २१७६ ७८८ ३५२४ दिक्कुमारी वर्णन ७८६ २८६३(१२०) दिनमानकुलक ७६० ७७२० (२४) | दिल्ली पातसाहीरो विवरो ७६१ / ४०१७ | दीवालीकल्प बालावबोध । ७९२ ३५५५(३) दीपक बत्तीसी ७६३ २१६१ । दुगोली गावरी गजल ७९४ ३५७३(३२) दूहा ७६५ ४४५२(२८)| " ७९६ ७७२१(१३) हो जसवर्तासहजी रो ७६७ । ६०१५ | देवकीरी चौपाई ७९८ । ३२७२ | देवकीना ढालीग ७६६ ४४५२(७६)/ देवीचक ८०० / ११२२(१) देवी स्तुति ८०१ २३२८ | देवीजीकी स्तुति ८०२ ३५६७(२९)| देसतरी छद ८०३ ७३७३ देशना शतक ८०४ । ४८५५ दोषकेवली
केसौदास अर्जुनचद्र केसर्रासह जैतावत ज्ञान कवि जसवर्तासह
१९३४ १९वीं
८१ वर्षों
२६ वा
२०० वॉ
१२३ वाँ
१६३१ १९वी १८६१ १८वी १९वी
१९२० । १९वी
१७वीं '१८वी
१४
समधर कवि
१५०-१५२
लि क. मार्नासह
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग १ ]
क्रमाक
ग्रन्थाक
दोषावली
२०३४
८१३ ३५७३ (२१)
८१४ ३५५० (१२)
८०५ ६६२
८०६
१७८५
८०७ ३५५४ (१६)
31
८०५
४६१४ ( ५ ) | दोहाशतक
८०६
११२३ (३) | धन्नाचरित्र रास
८१०
११२४ (३)
८११ ३५७३ (१५) |
८१२
〃
"
"1
धन्ना रास
धन्ना सधि
धना सज्झाय धन्य विलास
ग्रन्थ नाम
८१५ ३३८१ ८१६ ४६१५ (१३) ८१७ ४४५२ (५१)
धमाल
धमाल वसत
८१८ २१८१ धर्मदत्त धनवतीरी चौपाई
८१६ ५४१८ (१५) | धर्मबत्तीसी
८२० ८७०
८२१
19
८८२
८२२
३५५० (९)
८२३ ७७५३ (१५) |
८२४ ७३६६ धर्मबुद्धि चौपाई
८२५
४०६६
31
"1
धर्म बावनी
पापबुद्धि चोपई
रूपचद
मतिशेखर
"
"1
भावरत्न
कल्याणतिलक
"1
कर्ता आदि ज्ञानव्य
कल्याण
"
फुशलहर्ष
धर्मसी
लालचद
11
लिपि समय
१८२५
१८वीं
१६वीं
१८७१
१७वीं
१६७५
१६वी
"
99
""
१७वीं
१८८७
१८वीं
१८८२
१६वीं
१८१५
१८८२
१६वीं
१८३७
१७६०
१८२५
पत्र संख्या
६
२७ वाँ
१६२-१६५
२२-३०
३७-३६
४२--४६
५६
६५-६७
८८ व
४३
३८४-३८६
१०७ वाँ
४५
११६-१२१
७
४
स० १५१४मे रचित
विशेष उल्लेखनीय
जैसलमेर में रचना
स० १६८५ में रचित
७५-७६
६० - ६९ | अपूर्ण
१६
२५
[ ४१
स० १७४२मे रचना
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान --- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रंथाङ्क
१५० (३) ८२६ ८२७ ३५५५ (२३) ८२८ ५२२३
८२६ ३५४९ (१४) ८३० | १८८२ (१३९) ८३१ २३६० (१०) ८३२ । ४८०८
धर्मबुद्धि पापबुद्धिरी कथा
धर्मसंघ बावनी
धर्मोपदेश
घरातीथ गीत श्रादि ध्रुव चरित्र धू चरित्र
धामना वणन
८३३ ५४३६ (१२) नरकरी चोढालियो ८३४ ८७७ नरसी मामेरू
८३५ | ६९५४ ( २ ) | नरसी माहेरो
८३६ | ५२०२ (२) | ८३७६५२
19
नलदवदती चोपई
ग्रन्थ नाम
८३८ ११२३ (२५) |
८३६
३८८६
८४०
३६३१
८४१
४०७०
८४२
१८८० ( १ ) | नल राजाकी बात
८४३
२०५६
नलायनोद्वार
८४४
३५६९ ( २ ) नव प्राख्यान ( नवरत्न ) नवकार बालावबोध
८४५
ε३१
""
""
""
"1
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
धर्मवर्धन
परमानद
गुपाल (2)
गुणसागर
प्रेमानद
वसन्त
समयसुन्दर
""
मेघराज
समयसुन्दर
नयसुन्दर
लिपि समय
१८वी
१६वी
33
"}
१८४७
१६वी
१८५३
१८६१
१८८८
१८८५
१७७४
१७वीं
१७७६
१६८६
१८३६
१६वीं
१६८५
१६वी
१७वीं
पत्र संख्या
५-६
| १४६ - १४६
१३
७५-७७
७२-७५
३७-४६
६
३
१५
६५-६६
८७-९१
२५
८६-६४
७२
२७
२५
१-२५
६७
१-११
४
विशेष उल्लेखनीय
प्रथम पत्र प्राप्त
[ ४२
६८वा पत्र प्राप्त
स १६७३ में रचना प्राणदनगर
मध्ये
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ ४३
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ) क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपि समय पर सख्या
विशेष उल्लखनीय
१८वी
११
"
१०
"
१७वीं
२
१६वी
२०वी
१३५ १६१-१६५
"
१६वी
२६ घाँ
८४६
| ९६७ नवकार बालावबोध
२१५२ ८४८ ३४६६ ८४६ ६६१३ नवकार मत्र दर्शन ८५० ३५७५ (३६) नवकार वाली स्तवन
राजसोम ८५१ / ७६६७ , वालीनी सज्झाय लब्धिविजय ८५२ ३५५४ (१५)' नवकार सज्झाय ८५३ | ३५१६ नवग्रह छद
शकर ८५४ | ९७० नवतत्त्व बालावबोध ८२५ | २११६ , विचार ८५६
" सग्रह बालावबोध ८५७ २८६३(२५) नवनिदान कुलक चौपाई। होरकलश ८५८ | ६४१२ नवपद पूजा ८५६ ३५७५ (२६) , स्तवन
जिनलाभ ८६० | २०४६ नववाड सज्झाय
जिनहर्ष ८६१
३५६६(१) नवरत्न नव पाख्यान ३५६६ (३) नवरस काव्य
नारायणदास भरूची २६५५ नवार्ण पद्धति | ५४६१ 'नसीहतनामा और देवीदाम के कवित्त | १९८७ नष्टजन्म विचार
१७वीं १६०२ १८७५
१७ । ६९।
१७वीं
६८ । ५९-६०
१४ १०६-११३ ।
५६२
१८८५ २०वी १९वी १७वी १६८७ १७वी १८८७ १९वी १७वी
४-१०। १८-२६ ।
८६४
स्फुट पत्र
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
८६७
११२३ ( ९ ) नक्षत्रशकुनावली
८६८
३७७४
८६९ २३७७ ( ४ ) नागदमरण चोपाई ८७० ३५५५ (१६) नागदमण
८७१ ३५७३ (३३)
""
८८५
८८६
८८७
८७२ ३६३२
८७३ | ४४५२ ( ४ )
८७४ ७०७३
८७५
२१६६
८७६
८१८
८७७
६२८
७७ :
६३६०
"1
८७६ | ४६२४ ( ३ ) नागदमण कथा नागमाता चोपाई
८८० ३०३६
८८१ ३५५० ( ११ )
८८२ १८३०
८८३ | ४४५२ (२२)
८८४ ३८४२
""
19
""
""
"
ग्रन्थ नाम
33
"
चोपई
छद (यदुपतिपवाडो)
नाग मतु नागमतर नाडी परीक्षा
नाडीला भवदेव रास
५०६६
४३१२
नाथियाका सोरठा
२३७५ (५) नापिकनी वारता
कर्ता आदि ज्ञातव्य
साईदास
समय सुन्दर
सामलदास
1
|
लिपि समय पत्र संख्या
१७वीं
१६वी
१८०७
""
""
१७वीं
१८वीं
१८२४
१८५२
१७७६
१६वीं
१८वीं
१७८७
१८वीं
१६वीं
१७वी
१८वी
१६वी
१७४१
१६वी
१६०६
1 ५६-६०
१
१६-२६
१२१-१२६
८२-८६
४
७-६
४
७
५
४
१५-१८
&
८४-८७
[ ४४
५
११
१७६-१६६
विशेष उल्लेखनीय
चोबारी ग्राम में लिखित
४
२३ वाँ सर्प विष उतारनेके मत्र हैं
२
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________
Premon
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान ---राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क । ग्रन्थाङ्क ।
कर्ता आदि ज्ञातव्यनिपि समय पत्र संख्या
re
[ ४५ विशेष उल्लेखनीय
ग्रन्थ नाम
१८११ १६वी
१८७-२०१ लि क रामदाम नारायणा मध्ये
१२
रामचरण माधोदास
८६१
१०७ वा
८६२
जगन्नाथ
१८वी १८६४ १८२७ १ वी १७८६ १६वी १८३७ १९वी २०वी १६वी
१-६ |१०२-१०६
६४-७३
नददास
८८८६९३७ (३) नामदेवजीका सबद ८८९/४८३१ नामप्रताप ८६० ७८१६ (३) नारायण लीला
४४५२ (५०) नासिका विचार
२१४१ नासकेतु पाख्यान ८६३ || ३५५५(७) नासकेत कथा बालावबोध ८६४ ३५७३ (४१) , ८९५ | ३५६३(२) नासकेतरखेसरजीरी कथा ८६६ / ६७४६ (१) नासकेतपुराण कथा ८९७ ४२६३
भाषा ८६८ | ६११० ८६९ ३५७५ (४०) निगोद विचार स्तवन ६०० ३२६४ निर्णयसिद्धात भाषा ९०१ ५४१८ (३३) निर्वाणकाण्ड ६०२ ३५५७ (१०) नीसाणी
३५४६ (१३) नीसाणी कवित १०४ ४४५२(२२) , १०५१ १८३६ (९) नेमजीका बारहमास ९०६ ३५०८ नेमराजुल चुनडी ९०७ ५३३०
" का सवैया १०८ ३५२०
बारमास
४४
क्षमाप्रमोद
केसोदास गाडण
१८वी १९वी १५ती १९वीं
१९५-१६६
१४ १७३-१७५
१०२ वाँ ७४-७५
२४ वा ४१-४४
। श्यामगुलाब । कातिविजय
x
उदयरतन
१८वी
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखिन ग्रंथ सूची, भाग-१ ]
[ ४६
-
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
१६वी १८०२
१९वी
। १७वीं
होरकलश | भाकड मुनि
१ ला ४०-४२
४ था ८१-८२ ६२-६४
नयसुन्दर कनककीति पुण्यरत्न
९०९ ७३०३ नेमराजुल का बारमास ६१० । ५०७७(२)/ नेमराजीमती सज्झाय ६११ '२३६८(१२) | नेमनाथजी की वीनती बारमास ६१२ २८६३(६) नेमि गीत ६१३ ११२३(२२) नेमिनाथ चदाइण गीत ६१४ । ३५५४ (४)
चोक ६१५, ९८२
चौबीस चोक ६१६ । ३६३३
धवल ६१७ ' २१७०
रास ६१८ ३८६३ ६१९ ३६३६ ६२०९७८
विवाहलो ६२१ । ६४० नैमिजिन फाग ६२२ ३६३५ नेमिनाय फाग ६२३, २३७४(५) | नेमिनाथ बारमास ६२४ । २३७४ (६) ६२५ २३७४(७)। " ६२६ । ३२०३ ६२७ ,२३६८(१७) नेमिनाथ स्तवन ६२८ ४६१४(३४) नेमिनाथनी साखी ६२६ २८६३(५९) नेमिनाथ हीडोलणा
" १९वी १८९३ १६६१ १७वीं
१७३५ । १७१६ | १८६४
GK nnn
१६वीं
८ वीसलनगरमें लिखित
१८वीं १९वीं
२ ।
वीरविजय रङ्गसागर राजहर्ष रूपचद देवविजय कवियण विनयविजय मनरूप
१८वीं १६ची १८७७ १६२५
२६-२७ २७-२८ २८ वा
२ ५२-५४ २५५-२५६ , स १६७० में रचना १११-११४ ' स १६२५मे रचना
होरकलश
Page #55
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१
क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
उत्तमविजय मेरुविजय
१८७७ १८वीं
सिंघकुशल ज्ञानसागर
१८वी २०वी
१२ २६१-२६२ २६२-२६३
शिवचन्द्र गणसागर चदकवि
१६७७
४६०३
१९वीं
जीर्ण प्रति
गुटका
९३० / २०१७ । नेमीश्वर स्नेह वेली
३१६३ , रागमाला स्तवन ९३२ ३६२६ नदद्वात्रिशिका सार्थ
| ३६३० नदबत्तीसी चोपाई ६३४ | २०६४ | नदिषेण चोपाई
३५७५(५६) नदीश्वर स्तवन ६३६ ३५७५ (६०) नदीसूत्र सज्झाय ९३७ ९७२ पृथ्वीचद्र कुमार रास ६३८
| पृथ्वीराज रासो ६३६ ७१२८
७१५०
७१६४ ६४२ ७१६८ ६४३ | ७१६६ ६४४ ३५६२ (१५) पखवाडा ३५४६ (१२)/ पखप्रबोध
पचतत्र प्रादि वार्ताएं ५४१८(२८) पचगतिकी वेली
२८६३(३१)| पचतीर्थी नमस्कार ६४९ २८९३(४०
२८६३ (४२) , स्तुति
१७४७१७५७ १८वीं १९४१ २०वीं
लिक चिरजी
गुटका
२०वी १९वीं
१, २ पत्र प्रप्राप्त स १६२३में रचित
१३६-१३७ । ७४ वा
१३६ १६५-१६७
१४६
हर्षकीर्ति
१७वी
८५ वा ८६ वा
हीरकलश
Page #56
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
[ ४८
क्रमात
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
। हीरकलश शिवचन्द्र
। १७वीं
२०वीं
८५ वा २६३-२६४
| १७८०
१९वीं
। १६१८
। १८८५ । १९वी | १८वीं
१-५४
८वा २१६-२२८
६५१ २८६३(४१)| पचपरमेष्ठि नमस्कार ६५२ ३५७५ (६१)| पचमांग सज्झाय ६५३ । २०३१ पचमी कथा-गद्य ६५४ १९६३ पचमेरु पूजा ६५५ २०५४ | पचलघु तीर्थमाला स्तवन ६५६ , ३५५४(१)| पचाख्यान बालावबोध ६५७ ११२२(१३) पचागुली देवी छद ६५८ ३५७५(४४) पचेन्द्रिय चोपाई ९५६ । ३६३६ ९६० ५२६५ पचेन्द्रिय चोपाई १६१ ३९४० पचेंद्रिय वेली ९६२ ४६१४ (५८) ९६३ १८८२(१२८) पद ६६४ १८८२(२०६) ९६५ १८६० (६३), ६६६ १८६० (७४) ६६७ १८६०(८२) ६६८ १८६०(८७) ६६६१ ९७० १८६० (८९) ६७१ १८६० (९०)
गेल्ह (?) ठाकुरसी मीरा
१८७२ १७वीं १८७७
-----
१९वीं
-
३१३-३३५
६७ वा १३२ वाँ ५३-५४ ६१-६२
६८ वाँ । ७०-७१
-----
नरसी
।
७१ वाँ
.
मीरा
७१-७२
Page #57
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
[ ४६
क्रमात
विशेष उल्लेखनीय
ग्रन्थाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य
ग्रन्थ नाम
लिपि समय पत्र संख्या
मीरा
१९वीं
नरसी कबीर मीरा मुरलीदास नरसी
मीरा
९७२ १८६० (६६)| ६७३ १८६०(१०५) ९७४ १८६०(११६) ६७५ १८८२(६९) ६७६ १८८२(११०) ९७७ १८८२(१३४) ९७८ १८८२(१३५) ६७९
१८६० (५२) ९८० १८६०(१४४) ९८१ १८६०(१४७) ९८२ १८६०(१८०) ९८३ १८६०(१९८)
१८६०(२०४) ९८५ १८६०(२०६) ९८६ १८६०(२२३)
१८९०(२२७)
३५७५ (६३) ६८६ ४६१४(१०) ६६० ४६१४ (३१) ६६१ १८८२(१२७) ६९२ १८६० (९५)/
७६वां ८२-८३ ८९-९० ४८ वा ६१ वा ६८ वाँ ६८-६९
४८ वा १२६वा १२७ वा १४३ वाँ
१५६ वा १५८-१५६ १५६-१६० १७०-१७१
१७३ वां २९५-२९६ | २०७वा २४८-२४९
नरसी
"
९८४
मीरा
मीर शिवचद्र सकलकीति
२०वीं १८७१ १८७७ १९वीं
"
" द्वय
नरसी
७५-७६
Page #58
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
६६३ १८८२ (१६२ ) पद
Cε४ १८६० (३२) |
६६५ ३५७५ (१६) पद्मावती प्रालोचना
Eε६ | ११२२ (१४) |
६६७ ४८०७
£25
४६१०
£εε ४०७२ १००० ७७२१ (५) १००१ २३०८ ( १ )
१००२
२२१२
31
२०८५
११२३ (५) |
२१५६
छद
17
पद्मिनी चौपई
पदमसी पदमावती चोपाई
पनर बादशाह शकुनावली पनरमी विद्या
13
१००३ ३५५५ ( १७ )
१००४ | ४९१६ (६)
१००५ ४४५२ (४६)
१००६ ३६३८
१००७
४०७६
१००८
१००६
१०१०
१०११
७४१२
प्रबन्ध
१०१२ ४८२७
राजारी चौपाई
""
१०१३ ३५४६ (१२) परमार जगदेवरी वारता
2
"
""
"1
ग्रन्थ नाम
,,
11
परदेशी प्रतिबोध चोपाई
"
,
19
प्रबन्ध
राजा
"
11
"1
""
31
मीरा
"
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
समयसुन्दर
हर्षसागर
हेमरतन
19
मुनिमाल
वीरचद
ज्ञानचद
11
सहजसुन्दर
"
ज्ञानचद
लिपि समय
१६वीं
">
२०वीं
१६वीं
१८२७
१९वी
१८वी
१८२५
१८६१
१६वीं
"1
१८८१
१८०५
१७ε१
१८४८
१७वीं
१६३६
१८८२
१८४८
१८८५
१६वीं
पत्र संख्या
६४-६५
३४-३५
७६-८१
5-8
५१
३१
२२
११८-११६
१-१७
१३
१०३-११४
८४-६६
१०३-१०७
२०
३१
८
३४-३६
१६
३१
२६
६७-१०७
[ ५०
विशेष उल्लेखनीय
लिक प्रीतिसौभाग्य गणि
लिस्था बडली
स. ५५१ के समान
Page #59
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क । ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या |
विशेष उल्लेखनीय
गोपालदास हररूप सेवग
१६७-१६८
१०-११
समयसुन्दर
| लि क जैतसी
१०१४ ५४१८ (२९) परमारि (प्रपाद) १०१५ | ३५४६(४) परमेसरजीरो छव १०१६ | ३२४६ परसोतम पुराण १०१७ ३४७६ प्रकीर्ण कथा १०१८ ६३०४ प्रत्येक बुद्ध चौपई १०१६ १००३ १०२० २१७८ १०२१ / ६५२९ १०२२ | ११२४(५) प्रतिमाधिकार वेलि १०२३ ५२७०
| प्रद्युम्नप्रबध १०२४ | ५२७४ १०२५ ५०६८ | प्रवेशीराय चौपाई १०२६ । ६०३३ प्रबोध चितामणि चौपाई १०२७ ११२३(२१)/ प्रस्थानमास दिनफल
१०२८ | ५१३७ प्रश्नोत्तरसार्धशतकनो बीजक • १०२६ / १०४८ । प्रश्नोत्तरसाधशतक भाषा
१०३० | २१९६ १०३१/६३४६ (१) , १०३२ ४६१५(१४) प्रश्नोत्तरी रत्नमाला १०३३ | ११४४ (४)| प्रहेलिका प्रादि १०३४ | ५१०१ प्रहेली
सामत कमलबधु समयसुन्दर
१९वीं १८१६ १९८१ १९वी १८६७ १८६७ १७वीं १८२५ १६७५ १८१३ १७३६ १८९० १८५८ १७वी १९वीं १८६८ १९वीं १९०६ १९वीं
प्रथम पत्र प्राप्त
धर्ममदिर गणि
८० व
५७
क्षमाकल्याण
४६ ७०
| लि क. हरकचद ३८९-३६५
३२-३५
मंगनीराम
जिनहर्ष
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ ५२
क्रमात
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१९वीं १७वीं
४६-५०
४ था
हीरकलश
१२
मोहनविजय
लि क. बखतावर
१८६८ १९वीं
"
१७वीं
२८ वाँ १६२ वॉ १६३ वा
१८वीं
१७वीं
५ वाँ
१०३५ २३६८ (१५) प्रहेलिका . १०३६ २८६३(६७) , १०३७
प्रश्नशकुनावली १०३८ । ६८५४ प्राकृतप्रबधसग्रह १०३६ | १८४२ प्रास्ताविक गीत १०४० ११२२ (३०) १०४१ २८६३ (९८) १०४२ २८६३(१००) १०४३ | ३६७३ १०४४ | २८६३(९) १०४५ | ३०२६ १०४६ / ३५५० (८)
" कुडलिया | २८३२(५)| १०४८ ३५६२ (१७) १०४६ |३५७ ३(४०) १०५० ३५७३ (५०) १०११ ३५५० (१०) प्रास्ताविक बावनी १०५२ ११२२(२४) , सुभाषित
४७६२ प्रास्ताविक दूहा १०५४
| ४८०६ | प्रास्ताविक दूहा १०५५ ४८१५
धर्मवर्धन
१९वीं १७७४ २०वीं
७०-७४
८८-८९ १३६-१४५
१०१ वा १२८वा
१९वी
धर्मसी
१७-२३
१८वीं
الله
१८वों
الله
१८३६
الله
लि.स्था राजपुर
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ ५३
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य
ग्रन्थ नाम
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१८वीं
"
आदि
१३२-१३४
१०-१७
१०५६ ५३६५
| प्रास्ताविक वहा १०५७ ४४५२ १०५८ | ५३४५ प्रास्ताविक पत्र १०५६ ६५८
प्रियमेलक चोपाई १०६० ९७४ १०६१ १८१२ १०६२ २०६७(२) १०६३ २२०१ १०६४ ४७६३ | प्रियमेलक चोपई
समयसुन्दर १०६५ ४८२१ १०६६ ६८७५ १०६७ १८६९(१) प्रेमज्योतिष
महिमोदय १०६८ ४०७३ पलकदरियावरी वात १०६६ ४०७४ पाण्डवचरित्र चौपई
लाभवर्द्धन १०७० | ७७२३ | पाडवविजय
मलूकदास १०७१ १८३६(१३) पाडवोकी सम्झाय
कान्ह सेवक १०७२ | २५६६ | पातसाह नामोपरि शकुनावली । १०७३ | ३५५७ (६)/ , पातसाही भोगवी तिणरी विगत १०७४ | ३५५० (१)/ पाबुजीरी नीसाणी १०७५ | ३५६० (४)/ पाबुधा द्योलोतरा दूहा १०७६ ४६१४ (५५)| पार्श्वनाथ प्रादित्यवार कथा
१६वीं १७वीं १७५५ १७१४ १७७२ १८६० १८वी १७वीं १९वीं १८१८
लि क लब्धकीतिगणि
५६
१७८५ १९२९ १८३१ १९०८ १७६१
३६ लि क पाखुजी
स १७६७में रचित ३७७ / लि क जीताराम ६५-६७
७५-७७
१९वीं
१८वीं १८७७
३०२-३११
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय
पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
१९वीं
२७-२८ ४१-४६
लि क रूपा साध्वी
१८४६ १९६६ १९वी १५वी १९वी १८वी
१२-१६
१०७७ ३२९५ पाराशरी भाषा टीका
परमसुख १०७८ ३५५४ (१७)| पाशा केवली भाषा १०७६ २३६८ (६) " १०८०
। ६४३३ १०५१ ७६७० १०८२ १०८३ ६२८२ १०८४ | २०४० पाश्र्वजिन स्तवन
दीपो १०८५ ९७६(२) , १०८६ | ३५५० (२) ,
रूपसेवक १०८७ ३५७५(२८)/ पार्श्वनाथ घग्घरनिसाणी छदजिनहर्ष १०८८ | ११२२(९) पार्श्वनाथ छद १०८६ ३५५५ (३२) " १०६० / ३५४८(८) , रो छद १०६१ / २१०५ पार्श्वनाथ देसतरी छद
राज कवि १०६२ | २३२७(१) , १०६३ | ३५२२ १०६४ ३५७३ (३४) १०६५ ३५४६ (६) १०६६ | ३१६४ पार्श्वनाथरागमालामयस्तवन जयविजय १०६७ | पार्श्वनाथराज गीत
उदयविजय
१९वीं २०वी
२-४ ६-१२ ११७-१२२
१७४ वा १३-१४
"
१८वीं १८६५ १८वीं १९वीं १८१७ १८वीं १७७०
८६-८८
५३ वा
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--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
१०६८
३५५६ (४) पार्श्वनाथ स्तवन २३६४ ( १ ) पिगल सटीक
१०६६
११०० ४४५५ पिंगल शास्त्र टीका ११०१ ७१४३ पुडरीक कुडरीकनी ढाल ११०२३५७५ ( १७ ) | पुण्यछतीसी
११०३ | ११२३ ( ११ ) | पुण्यपाल राजरिषि चउपई
११०४ ३५७५ (२६) पुण्यप्रकाश स्तवन
पुण्यसारचरित्र
११०५ ५११६
११०६
११२३ (७) |
११०७
३५३५
११०८
३६३७
११०६
३६६५
१११०
३८६४
११११ ७५३०
१११२ ६४३७
१११३ १८२२
१११४ ३८२६
१११५
३६४१
१११६
४६७६
१११७ २५५४
१११८
२५६०
"}
पुण्यसार चोपाई
13
در
19
""
ग्रन्थ नाम
1
पुरवर कुवर कथा
23
चोपाई
,
चौपाई
चौपाई
15
पूर्णिमा विचार पूनम विचार
"
कर्ता श्रादि ज्ञातव्य
समयसुन्दर
मुनि हर्ष
समयसुन्दर
सौभाग्यसेखर
विनयविजय
हर्षचद गणि विमलमूर्ति पुण्यकीर्ति
""
पुण्य रत्न
पुण्यकीर्ति
मालदेव
33
रतनविमल
मालदेव
लिपि समय
१६वीं
१८७१
१६वी
२०वी
१७वी
२०वी
१८७५
१६३६
१७५१
१८वी
१७६५
१७५४
१८वीं
१७वी
१६वीं
१७वीं
17
१६वी
१८६४
पत्र संख्या
६५-६६
४७
२३
५
८१-८५
६२-६६
| १२२-१३०
३
४६-५८
६
६
४
७
५.
४८
१०
२१
७
४
१६
२४
स
स
विशेष उल्लेखनीय
[ ५५
१६६९ मे सिद्धपुरमे रचित
१६४१ में रचित
स. १६६२ में सागानेरमे रचित
स १६६२ में रचित
95
Page #64
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ।
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१८६४
८४वाँ
१९-३४
१-६० १७-१०२ १३८-१४१
"
१११६ | ५३३२ पूर्वदेश चैत्य प्रवाडो ११२० ११२२(६३) | पुरुषना कुत्रखाण छद ११२१ / १८३७ । पुरुषनी ७२ तथा स्त्रीनी ६४ कला ११२२ / २३००(४) पुरुषप्रतिस्त्रीका प्रीति लेख ११२३ / २३७५(१) | पुष्पसेन पद्मावतीनी वारता सामलदास ११२४ | ११४२(२) " ११२५ ३५७५(३१) पेंतालीस पागम सज्झाय
धरमसी पाठक ११२६ / ३५४७(१) पोथी प्रेम बहा ११२७, ३५५५(४) । ११२८ ३५७५ (३८)| पौषधस्तवन
समयसुन्दर ११२६ ४९१४(१९)| पोस्तीनो रास ११३० ४०७५ । " ११३१ ३५७३ (३९)/ फलवधि पार्श्वस्तवन
बखतो ११३२ / ३९२ | फरासीस हकीमवैद्यक फुटकर औषध | ११३३ ७७५२ (१२) फुटकर औषध ११३४ | २३७१(३) फुटकर कवित्त ११३५ ३५६७(३१) ११३६ | ३५५७ (४) ११३७ ४६२४(१८) ११३८ | ३५६७(२) ११३६ | ३५५७ (७)
१७वीं १८७६ १९०६ १८वीं २०वीं १९वीं १८२६ २०वीं १८७१ १८८२ १९वीं
| १५ वाँ १८६-१९१ २१८-२२२
१०१ वा
७२ ११६-१२५
१८वीं
१५५-१७६
७२ वा २७-२६ ७२-९६ ७८-८१
१९वीं १७६१
Page #65
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
-
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१६वीं
| १४-१५ । ४४-४५ ६३-६७ १४
स १८५२मे रचित ७२ | चि स ४५
१९१२ १८६०
१८४६ | १९वी
२६
१३१-१३३ १३३-१३४
"
१४७ वा
११४० | ४६२४ (७) फुटकर ज्योतिष ११४१ २३६८ (१४) फुटकर मंत्र ११४२ २३६८ (२०)| " ११४३ | ५२७२ | फूलकवरफूलकुवरीरी बात ११४४ | ५०८१ ११४५ | ५५०० फूलजीफूलमतीरी वात ११४६ ३५६७(१५)| फूलमाला ११४७ ३५६७(१७) फूहडरासो
जैदेव ११४८ ३५६७ (२६)/ , ११४६ ३५७५(३) बृहदालोचनास्तवन
राजसमुद्र ११५० ३५४६ (२२) बराटीयाकी ऐतिहासिक हकीकत ११५१ ३५७५ (११)| ब्रह्मचर्यनववाडसज्झाय जिनहर्ष ११५२ | २८६२ । ब्रह्माडपुराण भाषा तथा पद्मपुराण
भाषा ११५३ ४६१४(३७) ब्रह्मजिणवासनी वीनती ११५४ ७७४३(३) ब्रह्मनिरूपण
राजसिंघ ११५५ ५८६७ | बगसीरामप्रोहितहीराकीबात कवितेण ११५६ | ९७६(३) | बाबीसमभक्ष्यबत्तीसप्रनतकाय- लक्ष्मीरत्न
।
। २०वीं
१९वी | २०वीं
१८०६
२७-३०
१-२ ४६-५८ २-११७
१८७७ १७८४
२५८-२५६ । ४६-५३
लिक बाई सिरकवरी
१९वी
१९११
सज्झाय
कमल
११५८
बाभडवाड रो स्तवन बारमासफल वक्रीग्रहफल प्रावि
१८३७ १८७२
१७५४
।
।
१८
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान----राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग १] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
। कर्ता आदि ज्ञातव्य
[ ५८ विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय पत्र संख्या
१६५७
१९वीं
कानडदासबारठ जयसोम
१०६-११२
६२-६६ १४६-१५०
३२१ वाँ
रामचन्द्र
चौबीस वार्तामोका संग्रह
२०वीं १९वी १८७१ १८२२ २०वी १६वी १८७७ १९वी १८४० । १८८५
१९२२
८-५० २४४-२४६
११५६ १८०६ वारव्रतकथा ११६० ३५६७(१)/ बावनप्रख्यरो ११६१२५७५(१३)बारहभावना सज्झाय ११६२ ३५६७(२८)| बारहमासो ११६३ ४६१४ (६२)| बाईजतननेलीलवणनीविगत ११६४ ७१३९ बाईसपरीक्षाकोचोपाई ११६५ ४३२० बातसग्रह ११६६ ७८१७ बादशाहीहाल ११६७४६१४(२७)| बारहअनुप्रेक्षा ११६८ ४७२१ बारहपूनमरो विचार ११६६ ४७३७ बारहभाव फल ११७०
बारहभाव ७७५४- बारहमासासग्रह
(१,२,३) ११७२ ४२८७(१५)| बारहमासो ११७३ | ७६२१ वालचन्द्रबत्तीसी ११७४ २१०१(२) बाललीला ११७५ २२५ बालतन्त्रभाषावचनिका ११७६ २८६३(१०१)/ विघरिया ११७७ । ११४१ बिल्हणपचाशिका चोपई ११७८ | २२०२ बीबीरोख्याल
चन्द्रकीति
७४४४
२६०-२७०
रामचन्द्र
। १८वी
११६-१२७
बालचन्द्र
१०वी । १९वी
कल्याण पण्डित हीरकलश ज्ञानसागर
८२ १६३ वाँ
१८६५ १७वीं । १८०७ । १९२३
२०
१,२ पत्र प्राप्त
Page #67
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________________
[ ५९
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान --राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि जातव्य
-
लिपि समय | पत्र संख्या |
विशेष उल्लेखनीय
शालिभद्र
१२-१४
Mr
१७८३ १८वों १७वीं १८वी १९वीं १७वीं १८२५
.
| तिलकसरि
६६
६२
हरदास
१-२५
२०वीं
११७६ / २०४२(३)| बुद्धिरास ११८० २०६८ ११८१
३१६५ ११८२ ३४८०
४१४२ बुद्धिसेण चोपई ११८४ | ७५४२ बोलविवरण ११८५ / ७७२१(१) भगीपुराण ११८६ २२५७ भडारी मानीरामजीरो गीत ११८७ २२५६ ।, सिवचन्दजीरो गीत ११८८ ३५६७(१३)| भक्तबिडदावली ११८६
भक्तसार ११६० २८६१(१)| भगवद्गीता भाषा (गीतासार)
३७४० भड्डली दूहा ११९२ ३५६४(८) , पुराण ११६३ १८७७
३७५७ , विचार ११६५ | ५६८ भड्डली वाक्य ११९६ / ५१२३(७) ॥ ११९७४४५२(१७) , दूहा पचीसी ११९८६७२८ भड्डलीपुराण ११९६ | ५१२२ " रा दूहा
मलूकदास शालिग्राम
१२८-१२६
२२
अपूर्ण
२९-४१ १६ वाँ
१२
१८८१ १८२८
Page #68
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिम्वित ग्रन्थ सूची, भाग
क्रमाङ्क
ग्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
iलिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
१३२ वा
१४ लिक ब्रजवासी १-२
विनयविजय
१२०० ४४५२(१८) भड्डलीवाक्य १२०१ | ५८०० १२०२/२०२३ (१) भमरगीता १२०३ / ३२०६ । १२०४ २३६८ (१३) भमर की सज्झाय १२०५ / ७६३० । भरताधिकार १२०६ | ३५४६ (७) भवानीजीरो छन्द १२०७
भवानीदासजीरो गीत प्रादि १२०८ / २५३३ | भवानीवायक १२०६ | २२०९ १२१० १२५ भागवतवशमस्कध भाषा १२११ २८६३(३७) भावनागीत १२१२, ४७६६ (२) भाषालीलावती
। १८वीं | १९१३
१७३४ । १७६८ । १८४८ । १७६३
१९वी
४२-४४
५३ | लिक त्रिकमजी १२-१३
उदो साधूराम सेवक
हीरकलश लालचन्द
१८७७ १८२७ । १७वीं १७७५
७५ ७० वा १-१५
बीकानेरके महाराजा रायसिंह के अमात्य कोठारी नैणसीके पुत्र जैतसीको प्रार्थना पर उनके गुरु द्वारा प्रणीत
१९वीं
२० १०७-११४
१८वीं
१२१३ ७४१० भुवनद्वारविचार १२१४ ७७२२(१०)| भैरव प्रादिको बोलीविचार १२१५ ३२५६ भोगलशास्त्र (भूगोल) १२१६ ६७०२ भोगलपुराण १२१७ | ३४७७ भोजचरित्रचोपाई
१६
१८८७ १७७२ १७४०
३० | लि क टीकूदास ३५ | पत्र १४,१५,१६ अप्राप्त
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाक
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
१२१८ | ११२३ (४) १२१६ ३५१६
१२२० | ३५५४ (७)
१२२१ ३६७४
१२२२
३५३३
१२२३
२०२६
१२२४ २०६६
१२२५ २८६३ (११३)
मगलकलशचरित्र
चोपाई
"
"
"
"3
15
19
" "
मगध श्रावि देशके नगर तथा
ग्रामो की सख्या मत्स्योदरकुमार रास मच्छोदर चोपाई मदनवार्ता
""
१२२६ ३४८८
१२२७ ४८२५
१२२८ ४७६८
१२२६ | ४४५२ ( १ ) मदन शत
१२३० २१४३ (१) मदनशतकरीवार्ता
१२३१ | ११४२ ( ३ ) मधुमालतीचोपई
१२३२ २३६० (११) १२३३ | ३५४७ (४) | १२३४ | ३५५५ (१२) | १२३५ | ३५५६ (१) १२३६ | ५३५८ ( १ ) १२३७ ३८९१
"1
19
""
""
37
"1
फाग
रास
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
सर्वाणदसूरि
मंगलधम
लक्ष्मीहर्ष
लक्ष्मीकीति
कनकसोम
दीप्तिविजय
39
| पुण्यकीर्ति शातिहर्ष खुशियालचन्द जालधरी
दान ?
चतुर्भुजदास
12
""
"
""
लिपि समय
१७वी
""
१८८०
१८६६
१७वीं
१८७४
१८६६
१७वीं
"7
१८४८
१८वीं
""
१८६०
१८वी
१६वी
१८२८
१८२६
१८४६
१६वीं
१८५६
पत्र संख्या
३०-३४
१२
१-१२
३०
७
३३
४६
१६८ व
१५
२३
१०
१-४
१०२ - २११
1
२ । अपूर्ण
१-३३
५८-८६
१-७७
१-६३
३२
स० १५२५ मे रचित
लिक. क्षमासौभाग्य
४७-५७ | अपूर्ण
विशेष उल्लेखनीय
[ ६१
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ] क्रमात ग्रन्थोड्न
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
[ ६२ विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय पत्र संख्या
चतुर्भुजदास
१२३८ | १५७८ (२) मधुमालती सचित्र १२३९ | ४०८४ १२४० ४३५१
१८७७ १९वीं १८८८
"कथा
"सचित्र
१८३२ १८वी १९वीं
१४१' चित्र स० ८७ ६० लि क. सैसमल ८१ । लिक तुलसीराम कनोजिया
सवाईजैनगर १-४१
१२५ ' चित्र स० २७० । २-८७ चित्र स० ७५ १४१-१६६ । २१६ चित्र स० २२३ ११३-११४
२४८ वा
। १८८७
कवि माल
१२४१ / ४६११(१) १२४२ | ५०८० १२४३ | ५४५७ १२४४ ४
"" वात १२४५ - ५०७८ १२४६ | ५४१८(१२), मनभवरागीत १२४७, ४६१४(२९), मनोरथमाला १२४८ | ३५४३(३) मनमोहनपार्श्वनाथस्तवन १२४६ | ३५२५ । मनस्थिरीकरण विचार १२५० | २२६७ | मनसायचारी कथा । १२५१ / ७७५२ (४)' मयणभट्ट दूहा । १२५२ | २३०० (३) मरदअस्त्रीकुलिवैतिणरी पैठ
। १९वीं
| ज्ञानविमल
सोमसुन्दर
१८७७ । १८८२ १६वी १९१३
१८७७ । १८७६
१३ पत्र २,३,४ प्राप्त
१५ ४८-५२ १४-१८
वहाबध
। १८७६
१२५३ | २३०० (२) मरद प्रति लुगाइरी पैठ १२५४ | ४६१४(४४) मरुदेवीनीसुखडी १२५५ | ५४२७(५) मलयसुन्दरीचोपई १२५६ २०२६
, रास
१८७७
| गोपालदास | कातिविजय
। ४-१४ २७२-२७४ ६४-१८ स० १६९हमें रचित
८४ स १७७५मे रचित
१६वी १७६६
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य
ग्रन्थ नाम
लिपि समय पत्र संख्या |
विशेष उल्लेखनीय
१६वी
६६-१०२
वरत
गागला
१८वी १६वी १८७७ १३वी १८०८ १९वीं
१६ वाँ
७६ लि स्था नागोर २८८-३००
२१ ११०-११६ १७७-१८०
१२५७ ३५५५ (१५)| महादेवजीरो कह्यो मनछावाचा रो | १२५८ ४४५२(१८)| महादेवजीरो छन्द १२५६, ३७८६ | महादेवीसारणी १२६० ४६१४ (५३) महापुराणनी बीनती
गगावास पर्वतसुत १२६१ ६८५१ | महाबलमलयसुन्दरी रास १२६२ ३५७३(४७) महाभारतको कथा १२६३ ३५६७(३२) | महामायात्राक्य १२६४ , ६१७ महाराउरायधणजीरा छन्द मोडू (?) गोदड १२६५ । १ १२६६ ३५४६ (२०)| महाराजप्रसिंघ देवलोक हुआ
तिणसमियारीवारता १२६७ ३५४६(१५)| महाराजजसवतसिंघजीरी वारता १२६८ । ४७४३ महाराज दौलतसिंहजी जन्मोदाहरण १२६६ १८४५ | महावीरचरित्र बालावबोध १२७० ३५७५(८०) महावीरजिनपचकल्याणस्तवन १२७१ ३५७५(३२) , स्तुति
जिनलाभसूरि १२७२ ३५७५(१५) , देवस्तवन
समयसुन्दर १२७३ ३५७५(८२) , सत्तावीशभवस्तवन शुभविजय १२७४ ५४३६(५) महावीरजीरो पारणो १२७५ ७३५६ महावीरदशाठणजीमणवारविगत १२७६ ७०५८ महासतीसीताचरित्र
पुन्हकवि
१-४ १३१-१४१
११५-१२२
१८वीं १७७४ २०वी
३४०-३४६
१४१ वा
७-७६ ३५२-३६०
३३-३६
१७६८ १८७१
८८ | लिस्था अयोध्या
Page #72
--------------------------------------------------------------------------
________________
{ ६४
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क |
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि
सध्या
विशेष उल्लेखनीय
१८७
शातिसूरि गुलाल उदयविजय नसिघ चारण भगवान भोजग सारग कवि प्राढो दूरसोजी
५७ वा
।१६वी
८५-८६ ६१वां
१२७७ | १०८६ | माणिभद्र छन्द १२७८ १०६१ १२७६ २०६७ १२८० ३५४७(९) माताजीरो छन्द १२८१ ३३४७ (१०) १२८२ ।३५४७ (१२) १२८३ ३५४७ (१३) १२८४
माताजीरो गीत १२८५ ४४५२ (१०) , री चरचा १२८६ ४४५२ (११) , रो छन्द १२८७ ४४५२(८५) १२८८ ७७२१(११) १२८६ | ९०४ माधवानलकामकदलाचोपाई १२६० ६१५ १२६१ १२६२ २०६१ १२६३ २२२२ १२६४ | २३६० (६) १२६५ ३५३० १२९६
३५५५ (१) १२९७ ३५६१(१)
बीकाजी कवि सारग चानणखिडिया कुशललाभ
। १६ वॉ
लिक प्रीतिसौभाग्य १३ वॉ १४-१६
१२६ वा १७७-१७९ लिक अमरसिंह
१६ | * १६१६में जैसलमेरमे रचित
| १८०८ । १८वी
१८०७ १८वी १६३१ १६४३ १६वी १८६६ १८वीं १८२४ '१६वी १७३० १८३१ १७२५
___२५
।
२०
१२ १४-३७
१४
१-११ गुटका
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सस्या
विशेष उल्लेखनीय
मोहनविजय अभयसोम मोहनविजय
। १८७६ | १८२८ | १८६२
१७६७ १८७४ १७वी १८वीं
प्रेमानन्द
८८ वाँ
१२३ वा
१३१८ ६५३४ मानतुगमानवती चोपाई
७३६४ १३२० ७५२८ १३२१ ५५५७ १३२२ | ३२२२ मामेरू १३२३ २८६३(४७) मारूदेशनिंदा गीत १३२४ ४४५२ (८०) मासधि चक ? १३२५ | ३९७७ | मीयां बीबीरी बात १३२६ / ३४६८ | मीरा कबीर प्रादिके अनेक पद
सग्रह १३२७ २८६३ (२९) मुखवस्त्रिका विचार चोपाई १३२८ ३४८२ मुंज सबध १३२९ २०२१
चरित्र चोपाई २१३६ १३३१ २८६३(२४) १३३२ | ६५२६
१९वीं
। १९६०
०
हीरकलश
६४-६५
धर्ममन्दिर
हीरकलश
१३-५८
१७वी । १९वी । १८४१
१८१८ । १६१८
१९वी १७६६ १५९६ १७वीं १८८४ २०वीं
३० स०१५५०में रचित
१३३४ ३४८१
चोपाई ३४६४ १३३६ ३९७८ १३३७ ३५७५ (३७) मुनिमालिका
३५
धर्ममन्दिर चारित्र सघ
१८१-१८६
Page #74
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
क्रमाक
ग्रन्थाङ्क
१३४५ ३३४१ (२)
१३३८ ३६७६ १३३९ | ५४३६ ( ४ )
१३४० ६२७२
१३४१ ८७३ १३४२ | ११२३ (१०)
१३४३ २५३१
33
१३४४ | ३३४१ (१) मुहता नेणसीरी ख्यात प्रथम भाग
१३४६ | ३३४१ (३) | १३४७ | ३३४१ (४) |
१३४८ | ३३४१ (५) |
१३४९ | ३३४१ (६) |
१३५० ३३४१ (७)
मुनिमालिका
""
"3
मुमनाकलबिनी धर्मनी दवा
मुष्टिज्ञान
"
""
ग्रन्थ नाम
"
"
""
द्वितीयभाग
तृतीयभाग चतुर्थभाग
पचमभाग
षष्ठभाग
सप्तमभाग
1
कर्त्ता श्रादि ज्ञातव्य
चारित्र
21
कल्याण
मुहता नेणसी
"3
"
"
""
सघ
""
लिपि समय पर सख्या
१६वीं
२०वीं
"
१७
17
२
२६-३३
२०
५.
६१ व
१
१-१००
१०१-१६६
२००-३०० ३०६-४००
४०१-५००
५०१-६००
६०८-७००
[ ६७
विशेष उल्लेखनीय
स० १६३६ में रचित
पत्र स० १,६, ५३५४,५५,६८, ६६,८५,८६६६,६६,१००
1 श्रप्राप्त
1
पत्र स० १०१, १०७, ११०, १११,११५ ११६, १२१-१२३, १३५,१६२-१६७, १६६, १७०, १६४ पत्र प्राप्त
पत्र स ३०८, ३२६,३३६, ३४१, ३६०, ३६४, ३६६ श्रप्राप्त जीणं प्रति
पत्र ४१५, ४३५, ४९१,४६३.
तथा ४६६ वा प्राप्त
पत्र स० ५५५, ५६६-५७६
श्रप्राप्त
पत्र स० ६६१ से ६६८ श्रप्राप्त
Page #75
--------------------------------------------------------------------------
________________
-
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग १] क्रमात
ग्रन्थाङ्क ग्रन्थाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य ग्रन्थ नाम
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१३५१ ३३४१(८) मुहता नेणसीरी ख्यात अष्टमभाग मुहता नेणसी
७०१-७६५
पत्र स ७३०,७३६,७५४,७५५, ७५७,७५६,७६६,७६६, तथा ७७१ वा अप्राप्त भाग १,८ तकके स्फुट पत्र
१३५२
३३४१(६)
"
नवमभाग
१३५३
२२५५
मुहता वाकीदासजीरो गीत ?
२०वी
वाकीदासजी रचित मुहता विषयक गीत
१९वीं
१८वीं
१८७६ १७वी
१३५४ २५२० मुहूर्त १३५५ २५२१
२५३७ १३५७ १३५८ ३२६५ मुहूर्तानि १३५६ ११४४(३)| मूर्खबहुत्तरी १३६० २०६३ (६४) मूलनक्षत्र विचार प्रादि १३६१ २८६३(१०६) मूत्रपरीक्षा तथा कालज्ञान १३६२ | ५८६१ । मृगलेखा चौपाई सचित्र १३६३ ३५७३ (२२) मृगापुत्रसधि
१६वीं
१७वीं
२०-३२ १३१ वा १६५ वॉ
चित्र स०४८
गुनि सागरचन्द्र कल्याणतिलक
१८३८ १९वीं १६४७
"
मृगावती चोपई
समयसुन्दर
१३६५ १३६६ ३८६६ १३६७ ३६४८ १३६८ ३९८०
१८वी १७वीं
Page #76
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
१३६६ । ७०५७
१३७० ४०८६ ६५३३
१३७१
१३७२
६२५०
चोपाई
१३७३ २३१७ (२) मृगापुत्र सम्झाय १३७४ ३५७३ (१२) मेघकुमार चोढ़ालियो
१३७५ ३६४६
१३७६ ३६८१
१३७७ ६८३८
१३७८ १७६८
१३७६ १७८६
१३८०
२२०८
१३८१ ४२८२
,
१३८२ ३५५० ( १५ ) मेडता प्राविकी ऐतिहासिक हकीकत |
१३८३ २२२६ (१) | मेवाडको छद
|
मृगावती चरित्र
१३८४ ४ε१४ (१६)
१३८५ ४४५२ (६०)
१३८६ ६६२२
१३८७ ३१६६
१३८८ ३२०८
१३८६
३८६०
"
"
15
"
"1
मेघमाला
19
मेघमाला
मेराजयमाला
मेषसक्रान्ति श्रादि विचार मैणरेहा चोपाई
मोती कपासिया सवाद चोपाई
29
समयसुन्दर
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
"
"3
""
मु
कनककवि
यादव
13
19
जिनेंद्र
श्रीसार
1
लिपि समय
1
१८वीं
39
39
"}
ני
१६वी
१६६१
१८८१
१७३८-४६ १६वी
57
१८४६
१वीं
""
""
१८७१
१८वी
१६४६
१८वीं
१७२५
| १६६५
पत्र संख्या
३८
२४
२३
१३
३ रा
३४-३५
७
३
५३
३३
५.
२
५
६१-६२
१-३
२०६ वाँ
११७ वाँ
७
६
२
४
लिस्था श्राणदपुर
१२ कृतियोका सग्रह
ak
विशेष उल्लेखनीय
[ ६९
लिक केशरीचद
Page #77
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाक
ग्रन्थाङ्क
१३६०
३६५०
१३६१ ५१०२
१३६२ ८३
१३९३
५६०१
१३६४
६७६२
६६०
१३६५ १३६६ ७०७७
१३६७ ६२३
१३६८
१५६८
१३६६ २०२५
१४०० २१३७
१४०१ १८२८ १४०२ २८६३ (७९) १४०३ ६४०० १४०४ ७२७ १४०५ ६४१
१४०६ ९४२ १४०७ ३०३२ १४०८ ५४१८ ( १८ १४०६ ५४५०
मोतीकपासिया सवाद चोपाई
"1
मोह विवेकरास
ग्रन्थ नाम
33
मोहमरद राजाको कथा ( गोतम
महावीर सवाद )
मौन एकादशी व्याख्यान
""
यदुवंश वंशावली
यशोधर रास
11
11
यादव रास
युद्धवर्षादि विचार
योगदृष्टि स्वाध्याय योगरत्नाकर चोप योग बालावबोध
"
) योगसारके दोहे
योगासन माला सचित्र
कर्ता श्रादि ज्ञातव्य
श्रीसार
"
धर्ममन्दिर
17
रतन हमीर
नयसुन्दर
उदयरत्न
ज्ञानव
पुण्यरतन
नयविजय
नयनशेखर
भेरुसुन्दर
"
योगचद
लिपि समय
१७वीं
१८वों
""
१७६६
१६५३
१७वीं
१८२४
१८१५
१७वीं
१८०३
१६वीं
१६६०
१७वीं
१६वीं
|
| १८१४
१६वीं
"7
१८४६
पत्र संख्या
७
५
७७
६६
१३
४
५
१६
२१
५४
२०
३
१४२ वाँ
५.
१२८
६७
५६
४८
१३४-१४०
विशेष उल्लेखनीय
लिक नित्यसागर
स० १७४१ में रचित
लि.क. भीमविजय
जोर्ण पत्र
स० १७३६मे रचित
[ ७०
११० लिक शोभाराम
Page #78
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ ७१
क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
-लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
मछाराम सेवग जगन्नाथ सहजसुन्दर
७६। १२ स० १८२२में जैसलमेरमे रचित
११। ८४-८४ १-२२ १-१२
सेवक
कनकनिधान
२४
१४१० ८८६
रघुनाथरूपक १४११ १८३३ रतिप्रमोद १४१२६०३८ रत्नकुमाररास १४१३ ११२३(२४)| रत्नचूडकुमार चउपई १४१४ | ११२४ (६) १४१५ | ३५५४(८)| १४१६ ३९८२ १४१७ | ३९६२ १४१८ । ४०८७ १४१६ २१८० रत्नपाल चोपाई १४२० २२३० १४२१ ३८६४ १४२२ ३८६५ १४२३ ३८६६ १४२४ १४२५ १८८ १४२६ ४८१६ १४२७ ६०५७ १४२८ । ६५३१
। १९वीं
१८५७ १८वीं १७वी १६७५ । १८७६ १८४१ १६वीं १८१४ । १८२४
१८६४ । १८२१
१८१२ ' १८७३ १७७६ १८३०
रघुपति
३३
कनकसुन्दर मोहनविजय हर्षनिधान सूरविजय
। १८६७
मोहनविजय सूरविजय सेवक सूर
२७ ३२ लि स्था धोलका २४ स १७३२मे रचित ५४ लिक हितसौभाग्य ७६ ३२ प्रथम पत्र अप्राप्त, स० १७३२मे
रचित ७ लिक प्रमोदमनि
१८२७
१४२९ | ४८३३
| रतनमहेशदासोतरी वचनिका
खिडियो जगो
। १७४१
Page #79
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१ ]
[ ७२ विशेष उल्लेखनीय
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र संख्या |
-
विडियो जगो
___३८ लि स्था मेडता
पत्र स०५,६ अप्राप्त २१-२८ २४-३१
सहजसुन्दर
"
१४३० | ८६२ | रतन रासो १४३१ / २३१० १४३२ / २३६० (४) १४३३ | ३५४८ (३) १४३४ १४३५ | ३५६०(१) १४३६ ३५७३ (५१)| १४३७ / ११२३ (६)| रत्नसार रास १४३८ ३९८३ १४३६ ४६१४ (३०) रत्नत्रय १४४० - ४९१५(३)| रतना हमीररी वात १४४१ | १७८० रमलग्रन्थ भाषा १४४२ १४४३ ३७२२ १४४४ | १७७४
रमलशकुनविचार १४४५ / ६७१ रमलशकुनावली १४४६ | १८३६ रसिकसुरतीमास १४४७ ५४१८ (२६) रविकथा १४४८ ५४१८(२७)। " १४४६ | ८४७ रागसागर १४५० ७४४४ (१६)| रागपवबहोत्तरी
१८७६ १८२५ १८४१ १८वीं १९वी १८वीं १८०६ १७वीं १८वीं १८७७ १८८७ १८८५ १८६७ १९वीं १८७६ १८०१ १७४४ १९वीं
१२६-१३५ ३६-४६
१५ स० १५८६में रचित २४८ वा । ४२-७५ लि.क प्रभुदान
कवियण?
ब्रह्मानन्द
लि.क रामसागर
भानुकीर्ति
१५४-१६३ १६४-१६५
प्रानदघन
१८८५
लिक नेमविजय
Page #80
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थोक
१४५१
४२८७ (६) राग पदसग्रह
१४५२
५१००
१४५३ ५४१८ (३४) १४५४ ७७२० (२३) १४५५ | २८३२ (६)
१४५६
२०३६
|
१४५७ २८६३ (३८) १४५८ | १८३२ ( २ ) १४५६ | ३५७३ (५८)
१४६० | २३६० (२) १४६१ | ४१०६ ( २ ) १४६२ ४१५ (१७) १४६३ | ४ε१६ (२)
१४६४ | ७७२१ (६) १४६५ ७७२० (२१)
ग्रन्थ नाम
१४६६ ४७६६
१४६७ ३६८६
"
रागरासाष्टक
रागनामोपरिविरह सुभाषित राजकीय हिसाबको विगत
राजसह रतनवती पचकथा रास
"">
सधि राजानराजावतरी वातवणाव राजा भोजरी पनरमी विद्यारी
वारता
राजा भोजरी वात राजसभारजन
राजा चचरी वातरा दूहा राजा भोज माघ पडित ने डोकरी
वारता
राजा रतनरी वचनिका राजावली
राणारी वशावली
राजीमति मगल
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
प्रभुदास
हीरकलश
भवानीदास व्यास
रसिक ?
खिडियो जगो
जिनदास
लिपि समय
१८वी
१६वी
93
१७६५
१७७४
१६वी
१६१६
१६वी
"
"
१७६८
१८८७
१८७५
१८२५
१८वी
१६वी
1
पत्र संख्या
३८- ६
३
१७५-१७६ ।
६-११
८६-६८
१६
७१-८४
४-१५
१५ε-१६६
!
१-११
१-२५
४०६-४१०
४५-४६
1
११६ - १४१
७ व
*
विशेष उल्लेखनीय
* र का १७५६
[ ७३
लिक सौभाग्यगणि
स० १२ ७ से स० १७७० तक के सीसोदिया राणाश्रोका वशपरिचय नागधरा नरेश से श्रमसह पुत्र । सग्रार्मासह तक
१
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
लिपि समय । पत्र सख्या
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
| ग्रन्थाङ्क
क्रमाङ्क
ग्रन्थ नाम
लालचव
राजुल पानदचव लालचद
१६वी १८७१ १९०६ १८५८
१६७-१६८
लिक दयानिधि ४ लिक सरूपा
१९वीं
खिडियो जगो
१८०२
३७ । प्रथम पत्र प्राप्त
लिक धर्मसुन्दर १४-१५ १२६ वां
१९वीं १८वीं १९वी
गाडण माधोदास
१४६८ ३९८७ | राजुलपचीसी १४६६ ४६१४(८) , बारहमासी १४७० ५४१८ (३५) , १४७१ ७१४४ १४७२ । ७२४३ १४७२५१०४ | राठोड रतन महेशदासोतरी
वचनिका १४७४
राठोडारी वसावली १४७५ ४४५२ (६१) १४७६ | ४८३४ राठोड नाहरखानरो छद १४७७ | ६४४६(७) राधाजीकी बारहखडी १४७८ | १००६ राधाविलाप बारमास १४७६ | ७७४४ (३) राधाविलास १४८० ११२२ (१६)/ राधिका कृष्णसवाद १४८१ ४४५२(१९)| रामकिशनजीरो छद १४८२५६०३ रामकृष्ण चोपाई १४८३
| ३३८७ | रामगुण रासो १४८४ ३३८८ १४८५ | ३५४८ (५) १४८६ | ३५४९ (१) १४८७ | ३५६७(१)
१४-१६
प्रेमानद
११
१८२० १७५८ १९वीं
८-१७ ११-१३ १६ वा
३०
१८वीं
रचना स० १६७७
लावण्यकीति माधोदास
३७
१७११ १७८३ १८२६ १७६१ १६वीं १८०६
७३-१३६
१-२३ १-७१
Page #82
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ ७५
-
-
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-~-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
माधोदास
१७८८
१-३२ लि क जयसौभाग्यगणि २५-६६
१८२५ १८वी १८७६ १९वीं
१६-१०१
८५ वा
रामनाथ
"
रामचरणदास
१८वीं
१८६४
१४८८ | ४६२४ (५) रामगुणरासो १४८६ | ७७२१(२) , १४६० ७७३५ १४६१ । ३५५३ (२)| राम चरित्र १४९२ । ३५४७ (७) रामचद्रजीरो सपखरो १४६३ | ६४६७ | रामचद्र सवारी १४६४ | ७८१०(२) रामचरणदासजीसग्रह १४६५ / ६८५३ । रामजसरसायन १४६६३५५५(३०) रामदासजीरी बात १४६७ | ७७४४(१)| राममजरी १४६८ ३८९७ रामयशोरसायन १४६६ ! ३६८८ १५०० । ६३५७ १५०१
रामरक्षा भाषा १५०२ २३०६ (२) १५०३ / ६७४६ (२) " १५४ ७६०६ १५०५ | ३४४६
रामविनोद भाषा बचनिका
२६-२३०
११४ १६८-१७०
गोविददास केशराज
६५ * स०१६८० मे रचित
१९वीं १७५८ १८७१ १९४७ १७६४ १८६४ १८५६ १६वीं
| रामानदजी
८५-६२
। रामचदमति
१६३०
१५१ पत्र १०० से १०४ तथा ११७ से
११६ अप्राप्त २६ ६वॉ
१९वीं
१५०६ / २९२० १५०७ ११२२(१५) रामाभैरव छद १५०८ । ७१४०
रायप्रश्नश्रेणिमध्ये ग्यारह प्रश्न
जेस कवि
२०वी
ma
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________________
। ७६
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ । क्माङ्क ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
लखष्यसमय
१८वीं १९वीं १८वी
"
१३-१४ १०५ वाँ १२३ वा
धर्मसमुद्र
१९वीं १६७७ १७५४ १९वीं १७२३ १८७७
FM99
१५०६, ३४८४ | रावणसवाद १५१० ११२२(२०) , १५११ ७७२२(८)| राव सत्रसालरो गीत १५१२ ४४५२(७५)/ रासभचक्र १५१३ २५३६ राहुविचार १५१४] २२१५ | रात्रीभोजन चोपाई १५१५ | ३४८३ १५१६ ३५७३ (१७) १५१७ / ४४५७ १५१८ ४६१४(४३) १५१९ ४६१४(४१)
" सज्झाय १५२० ४६१४ (४२) १५२१ / ९२६ । रीसालू कुवररी वारता १५२२ / ३५५३(४)। १५२३ ३५७३(६०)। १५२४ | ३९६० १५२५ ४६०५(१-२) १५२६ ३५७३ (४५)| रीसालुरा दूहा १५२७ ७१२२ । रुक्मिणीमगल (कृष्णजीको
ब्याहलो) १५२८ | ६६७५ रुक्मिणी ब्याहलो
५१-५७
| लि क. भक्तिविशाल २६८-२७२
२६६ वा २६७-२६८
कवियण?
१८६० १९वीं
|१२७-१५६ १७१-१७५
१५
नरवदो चारण
१९१० १९७५ १९वीं
लि क अनूपविजय
१०६ वाँ १२-४२
अपूर्ण
१९६७
गुटका, स० ४८ से ६४ तक पत्र प्राप्त
Page #84
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
रुक्मिणी बेली सबालावबोध
वेली सटीक
१५२६ ४०७६ १५३० । ४०७७
१५३१
७१६५
१५३२ ४०७८
१५३३ ।
८७२
१५३४
८७५
१५३५
२२१०
५२२१
रास
"1
१५३६ १५३७ २३६४ ( २ ) रूपदीपक पिंगल
१५३८ । ५८६४
15
19
"
"
19
रुक्मिणीहरण
"1
ग्रन्थ नाम
"1
13
नागदमण श्रादि
राजस्थानी प्रथसहित
रूपसेनकुमार रास सचित्र
रूपसेनरी कथा रेटिया सज्झाय रैदासके पद
रोहिणी तपमहिमास्तवन
"
१५३६
१५४०
६५० (४) ३५४३ (२) १५४१ | ६९३७ (४)
१५४२ ३५७३ (५९)
१५४३ ३५७५ (५५)
""
१५४४ ४०२७ १५४५ २५६६ | लग्नदोषावली १५४६ ३५५५ (२७) लाखा फुलाणीरी वात
१५४७ | ११२२ (६१) |
,, कवित
१५४८ ३५००
लीलावती चोपाई
१५४६
६११६
पृथ्वीराज
कर्ता आदि ज्ञातव्य
१८२६
"
टो लब्धिविज्ञान शिवनिधान १७८६
२०वीं
१८वीं
१६०४
विजैराज
भवानीदास पुष्करणा
रतनबाई
रैदास
श्रीसार
35
"1
लिपि समय
हेमरतन
लाभवर्द्धन
"1
१६वीं
91
१८५८
१८वीं
"1
१८८२
१-११
१६वीं
२०वीं
१८वीं
१८८१
१८२६
१६वीं
१७वीं
१७४२
पत्र संख्या
गुटका
२७
१२
४३ लिक जीवणदास, टी कुशलधीरगणि
२८
जीर्ण
१५ । पत्र स० १,१२ श्रप्राप्त
७ * स०
१७७६ में रचित
१३ | लिक
साध्वी मेरुश्री
८-६
२-३ ।
२०१ - २०६
१६९ वाँ
२६०-२६४
विशेष उल्लेखनीय
२२
३
१५९-१६१
८३ व
१६
१४
७७
लिक रामदास
#
*
स० १७७३ मे पालोमें रचना
पत्र १-३ अप्राप्त
Page #85
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[७८
क्रमात
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
२१ | स० १७३६में बीकानेर में रचित १५
"
उदयरतन
१९वीं १८६१ १८४५ १९वीं १७८३ १८०७ १६वीं १८४२ १८१७ १८७१ १८वीं १९वीं १८७७
१६ / लि क. जेठा १२ स० १७६७में रचित
१५५० ६३७८ लीलावती चोपाई
लाभवर्द्धन १५५१ । ३५६४ (२) लीलावती भाषा
लालचद १५५२ । ३७१८ १५५३ ३७२३ १५५४ ६०५६ १५५५ ४८३६
,रास १५५६ / ५२८६ १५५७, १८७ लीलावती सुमतिविलास रास १५५८ | २०५० १५५६ । ३२२७ १५६० ३५१५ १५६१ / ३५६७ (८)/ लेखा १५६२ ४६१४(२५) लकायत निराकरण प्रतिमा स्थापन | सुमतिकीर्ति
रास १५६३ ३५५५(१०) व वबहुतरी
वृव १५६४ २८६३(१२३) वृद्धगुर्वाविली
हीरकलश १५६५ / ३५१३ वृद्धसागर निवाण-रास
दीपो १५६६ ४४५२(६२), वृद्ध जवानको झगडो १५६७ ३४८६ | बच्छराज चोपाई
प्रानदविधान १५६८ ' ४०८८
जिनोदय १५६६ ' २९५८ वकचूल कथा
११
१०७-१०८ २३४-२४२
१९वी
१-२ १७८-१८२
१८०५
१०
१८वी
११८ वा लि.क प्रीतिसौभाग्य
२१ ३३ लिक रूपविजय
१४वी
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रथाङ्क
१५७०
४७८१
वध्याकल्प
१५७१ ७७२६ | वशभास्कर
1
१५७२ ७७२७ १५७३ १६८० | वचनामृत १५७४ | ११२२ (६६) वणिकछप्प
१५७५ १०५४ व्याख्यानपद्धति १५७६
वचनिका
२६५६ १५७७ | २८९३ (८) वर्तमानादि चोवीसीनमस्कार १५७८ | ७७२१ (३) | वमेक वाररी निसारणी
१५७६ | ४ε२४ (६)
१५८०
४७१६
१ ८१
७१५१
१५८२
२६४६
१५८३
१८३६ ( ४ )
१५८४ | २२१३ (३)
३४८५
17
१५८६
२१२४ १५ε० २३७४ (१३) |
"
""
वर्षोत्पत्ति
ग्रन्थ नाम
वर्षाऋतुका कवित
वशीकरणविधि
वस्तुपाल तेजपाल रास
""
वसुदेवकुमार चोपाई
१५८५ १५८६ ३३३५ १५८७ ५३७६ (२०) वारसेनमुनिकथा
१५८८ २८६३ (४९)
वासप्रास्ताविक
वासुपूज्य पुण्यप्रकाश रास
वसत राजशकुन भाषा
11
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
सूयमल
"1
सहजानद स्वामी
हीरकलश
केशवदास
समयसुन्दर
"
हर्षकुल
हीरकलश
सकलचन्द्र
ور
| लिपि समय
१८१४
१९४३
१६४०
१वीं
""
१६वीं
१७वीं
१८२५
१७६३
१६वीं
१८७६
२०वीं
१६वी
१८३८
१८वीं
१८५०
१७वीं
१७४१
१८५७
पत्र संख्या
४
१८४
""
१०२
८५ वाँ
२
प्लेट ३६
४-५
६६-११०
१-१४
२
७५
१
१६-२३
४-५
५
१७६
२२६-२४२
८६ वॉ
२६
४७-६३
विशेष उल्लेखनीय
लिक वारहठ बालाबक्सजी
फोटो कापी
[ ७६
लिक जयसौभाग्य
लिक भेरूदास
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[८०
ग्रन्थ नाम
क्रमात
ग्रन्थाङ्क
विशेष उल्लेखनीय
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
अभयसोम
उदयभानु हेमानद अभयसोम जिनहर्ष अभयसोम
११
१७६७ १९वीं १५६७ १९वीं १८९५ १६वीं १८६६ १८६० १९वीं १७६८ १७८२
१६२ वा
स० १७२४में रचित
७-८
२२
१५६१ ३८६६ विक्रम खापरा चोपाई १५६२ ६७३८ १५६३ १८१५ विक्रमचरित्र प्रबध १५६४ १५६५ | ६९१५ ___ चौबोलीसतीचोपाई १५९६ ३५५५(२८) विक्रम चोबोली चोपाई १५६७ / २१२७ १५९८ | २१४३(३) विक्रम चोवोलीरी वात १५९६ २८६०
, चोपाई २२५५ १६०१ ३९०० १६०२ १०११ विक्रम चोबोली तथा प्रहेलिका १६०३ २३७५(४) विक्रम पचदड कथा १६०४ २२०५
चोपाई १६०५ ३८६८ १६०६ १६०७ ३६०२ १६०८ ३९६४ १६०६ २०८० १६१० २१२८ विक्रम रास
१८२५ विक्रमसेन चोपाई
प्रत्य २३वा पत्र प्राप्त
१२
१९वीं
जिनहर्ष सांमलदास लक्ष्मीवल्लभ
१४०-१७६
१९०६ १८५३ १८वीं
७२
७१
८४
१८८१ १९वीं १७६२ । १८६६
१८१६
"कोति नरपति लाभवर्धन पदमसागर (?)
३४
२३
Page #88
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्यागी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग १]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
परमसागर
१६३५ १८२०
१७८४ | १७६८ १९वीं १७६२ १९७७
१६१२ | २०१६ विक्रमसेनचोपाई १६१३ ३८६८
मानसागर १६१४ | ३८६१ १६१५ | ३६९१ १६१६ ३५७३ (५६), विक्रम शनीसर चारता १६१७ | ७०१४ विक्रमादित्य भूपाल पचवडक चरित्र लक्ष्मीवल्लभ गणि १६१८ | ६४१५, विक्रमादित्यलावणी | धर्मदेवी (?)
चरित्र चोपाई नरपति कवि १६२० | ३९०१ । नवसेन कन्या चोपाई | लाभवर्धन १६२१ | २०६२ 'विचारबालावबोध १६२२ ११२३ (१६), विचारस्तवन
सेवक १६२३ | ११२२(६) विजयप्रभसूरि नीसाणी छन्द वृद्धि १६२४ ३५७५ (२१) विजयशेठ विजयाशेठाणी चोढालियो| चद्रकीतिसूरि १६२५ | ७६२०
लावणी
लालचन्द १६२६ | २२२७ । विद्याविलासचोपाई
राजसिंह १६२७ | ३९५२ १६२८ ३९६७
जिनहर्ष १६२६६१११ | ११२३(१) पवाडऊ
हीराणंदमूरि १६३१ / १८२४(२) १६३२ | १८२७
रका १७२४ ३६ ४८
३३ १५१-१५३ अपूर्ण ५५ | र का स० १७२४
लि.स्था. देवगढ ___३२
१९
१७ ७७ वाँ ४ था
१८४८ १७वीं
१९वीं २०वीं
९५-९७
१७वीं १६९३ १८५० १८२६
१६३०
१८ २-५ | सं० १४८५में रचित
१६७६
Page #89
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ]
क्रमाक
ग्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
१६३३
२०१३
१६३४ ३५४४
१६३५
१००४
१६३६ ४०६६
१६३७ २१२३ १६३८ २३७४ (१७)
१६३६ ३५३४
विद्याविलास पवाडऊ
१६४२
१६४३ | ३५५५ (१८)
१६४४ ३५५५ (२२)
१६४५
३५७३ (७)
३६६६
""
विनयचटरास
१६४६
१६४७ ३५५५ (२९)
१६४८ २५१७ १६४६ ६८२
१६५०
३७३४
१६५१ ३७७२
१६५२ २८६३ ( ११८)
१६५३ २८९३ (१०५)
विनयचट श्रेष्ठिपुत्र कथा
विमलमंत्री रास
"9
१६४० ४४५२ ( ४१ ) विमलसाहजीरो सिलोको
१६४१
४१४५
"1
३५४६ (१) विमेकवाररी नीसाणी
"1
"
""
""
"
विरमदे सोनगरारी वात विवाह दोष
,, पटल चोपाई
विवाह दोष बालावबोध सहित
विवाहपटलभाषा विविधदृष्टात गीत
"1
मुहूर्तनक्षत्र विचार
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
हीराणवसूरि
हीराणद
ऋषभसागर
""
लावण्यसमय
"3
"5
शातिविमल
"
केसोदास
"
"
ار
अभयकुशल श्रमरसाधु सोमसुन्दर शिष्य मतिकुशल
लिपि समय
१६वीं
१७वीं
१८७६
१६वीं
१८वी
१८५७
१७वीं
१८वीं
१६वी
१८०६
१६वीं
""
33
30
१६वी
१६वीं
33
१८१६
१८६०
१७व
29
पत्र संख्या
५
६
५३
७०
२६
८३-१४१
६५
४५-४८
१४
१-५
११४- १२१
१४५ वाँ
३० वॉ
११
| १६३-१६८
६
६
३२
४
१७३ वाँ
१६४-१६५
[ ८२
विशेष उल्लेखनीय
स० १८१० में रचित
Page #90
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ 1
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
१६५७ ३५७३ (२५) विषयस्तवन
१६५८ ४४५२ (५३) १६५४ | ४ε१४ (४) |
१६५५
६३३४
१६५६
२२६५
१६५९ ३५७५ ( ८३ )
१६६० ३५७५ (६७) १६६१ | ३५५६ (३) १६६२ ३५६२ (१३) १६६३ ३५७५ (६७) १६६४ ३५७५ (८१) १६६५
विषहरा विचार ? विषापहार स्तोत्र
""
विसरभजन विहरमान स्तवन
वीकानेर मडन प्रादि जैन स्तुति वीझा सोरठरी वात
""
वीरजिन गुहली
वीरजिन पचकल्याणक स्तवन वीरजिनस्तवन वीरजिनस्तुति
वीरदेशना स्तवन
४१६
१६६६ ३५७५ (७८) १६६७ ३५७५ (६५) १६६८ | ३५७५ (७२) १६६९ | २१४८ १६७० ७७२२ (१४) १६७१ | ७७६९ (१) १६७२
वीरभाण उदेभाण चौपाई वीरमदे ईडरिया श्रादिके कवित्त वीरमदे पनारी वारता सचित्र वीरसेन राजकथा श्रादि
४१३६
१६७३ २१४३ (४) वीसलदेव सूर सिकाररी वात
י
कर्त्ता आदि ज्ञातव्य
अचलकोति
सिप्रदान
धमसी
हीरकलश
विद्यारग
सकलचद
यशोविजय
"
शिवचद पाठक
""
कुशलसागर
विपि समय
१६वीं
१८वी
१८७१
२०वी
२०वी
२०वी
१७वी
१६वी
१९७०
२०वी
"
१८७६
२०वी
"1
१८वीं
१८४२
"
१८५६
१६२४
१८६०
पत्र संख्या
७० व
१०६ वाँ
१६०-१६१
१३
२
| ३६१-३६५
६६ वॉ
५१-६५
४८
३०६ वाँ
१-३७
८२ - ११६
२६६ व पद्मविजयकृत बालावबोध सहित
| ३४६-३५२
८६
३२७-३४०
| २६७-२६८
१५२-१५६
८
विशेष उल्लेखनीय
६-१३
** लिक श्राणदराम
८३
चित्र स० १८
स० १७४५ में रचित लिक जीवो
*
Page #91
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
कर्ता आदि ज्ञातव्य क्रमाक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
लिपि समय पत्र संख्या ।
विशेष उल्लेखनीय
१००-१०२
वसतो मुनि जिनहर्ष लक्ष्मीसूरि अमरसुन्दर
२०वीं १८२५ १९वी
१८१
१७वी
६३-७१ ७६ वॉ
१८८० १६वीं १८६० १८४६
देवसील? देवीदान नाइता
| स० १६१६में रचित । दूहाबध १३-३५ २६-५४
१८५४
१६७४ | ३५७५(२३)/ धीसस्थानकस्तवन १६७५/३६६८ वीसस्थानक रास १६७६ २३७४ (१४) पद पूजा तथा विधि १६७७ ११२३ (१५)/ वीसायत्र चउपई १६७८९३४ वेतालपचीसी १६७९ २१४४ (१) १६८० २१४३ (५) १६८१ / २३६० (६) १६८२ | ३२४३ १६८३ २८३० १६८४ | ३५५४(8) १६८५
चोपाई १६८६ ५३६८ १६८७ ६४४३ १६८९ १६८९ ७७२२(२) मेरा कवित्त १६६० ७७४३ वेदस्तुति भाषा १६६१ ३६०३ वैदर्भी चोपाई १६६२ | ३९९५ १६९३ ३८५३ वैद्यकगुणसार १६६४ । २४०६
१३ १-१३ १-१७
हेमाणद, हीरकलश शिष्य
१९वी १८८० १८१२ १९वी १८६१ १७२६ १७८४
४०
४४
म अनूपसिह शिवदास
| ७०४४
५२ | लिक पुरुषोत्तम ३७-४५ * लि क. सिरेकवरी ३३-४६
कवित्त ६१
राजसिंच प्रेमराज
१९वी १८वीं
१८५६
१०८
१,३ पत्र प्राप्त
" नुखसा
२०वीं
Page #92
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान --- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
१६६५ ३५६७ (११) वैद्यक फुटकर
१६९६ ३५६७ (३३)
१६६७ ३८३२
१६६८ २३८२ १६९९ ३५७५ (५१)
३५४८ (१)
३५१० (१)
१७००
१७०१
१७०२
१७०३ १७०४
६८६३
१७०५ ४४५२ (६२)
२५७८
३५७५ (३४)
१७०६ ४४५२ (३०) १७०७ | ४४५२ (७)| ४१६०
१७०८
१७०६
५१२३ (४) १७१० २८९३ (२८)
१७११
१७१२
१७१३
६०२
१७५०
३७७५
"
,, सार
"
वैराग्यसज्झाय वैहलमरी वात शकुतला रास शकुन विचार
शकुनावली
शकुन दीपिका चोपाई शकुनरा कवित्त
शकुनरी चोपाई विचार
शकुनावली
"
}
शतवर्ष दिन प्रहर मुहूर्त घडी
सख्या चोपाई
शतसवच्छरी तथा राशिफल
"1
"
कर्ता आदि ज्ञातव्य
विजयभद्र
धर्मसमुद्र
लिपि समय
१६वीं
""
१६वों
१६१६
२०वी
१८वीं
१८वीं
| १६वीं
२०वीं
१६वीं
१५वीं
19
"
१७वीं
१८वीं
१७वीं
१७वीं
१८६८
१८२७
पत्र संख्या
१३-१२६
| १८१ - २३६
२७
२४०
| २४८- २५०
३-१६
१-३
१
| १५४-१६६
३१-३२ | अपूर्ण
११ वाँ
२
८
१२० वाँ | सवाई जैसिंह और बखतेस युद्ध
का भी वर्णन है
१६-२७
६४ वाँ
[ ८५
१२
२२
१६
विशेष उल्लेखनीय
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
ग्रन्थ नाम
लिपि समय पत्र सख्या
कर्ता आदि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
४६
१८वी १९वी १८६१ १८वीं
३३-३४
११९ वॉ लिक प्रीतिसौभाग्य
२१ लिक गोपाल मिश्र
१८४०
। १९वी
१८३६
| १९वीं | २०वी
।
१७१४ | ४६८६ शतसवत्सरी १७१५ १७१६ | ३५६४(६) शनिचार १७१७ | १७७८ शनिपुत्तलक विचारावि १७१८ ४४५२ (६५) शनीसररो गुण छन्द
। हेमकवि १७१६ | ४१६९ शनीसरकथा १७२० । ४७८८ १७२१ ४८२४ १७२२ ६३०७ , छन्द १७२३ २३०६ श्यामाजीकी प्रारती
' मगनीराम १७२४ २३०७ १७२५ २३१७ १७२६ / १०५३ (२)/ श्राद्धविधिप्रकाश
क्षमाकल्याण १७२७ ३५६७(१८)| श्रावकारी चोरासी न्यगतरो छन्द । १७२८ | ७४४४ (८) श्रावक अतिचार १७२६ | ७१२२ । ,, कथा कोष भाषा १७३० | ७७५३ (८) ,री सज्झाय
। जिनहर्ष १७३१ | २०२८ श्रीमानी कथा १७३२ १५६७ श्रीचन्द्र केवली रास
देवविजय १७३३
श्रीदत्त श्रीमतीरी कथा १७३४ ७८१६(१)| श्रीधरलीला
१९१६
अजमेरमे लिखित
१८४१ १९वी
१७-२७
१३५ व
१८८५ । १९वीं
१८३७
१८०-१९०
२१ | अपूर्ण ४२-४४
१९वीं
.१७१७ १८वीं १८३१
Page #94
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---राजस्थानी हस्तलिखित ग्रथ सूची, भाग-१ 1
| ८७
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
रत्नशेखर
२९
श्रीपालकथा
" चरित्र भाषा
१०२
लिक मागमल, प्रथम पत्र प्राप्त
"
७८
श्रीपाल चोपाई
सुजसविजय महिमोदय जिनहर्ष
२५
१७२७ १९१७ १६२८ १८५१ १८२३ १८६४ १७६१ १८८३ १६वीं १९२३ १८वीं
३५
३४
श्रीपाल नरेद्र कथा
ग्यानसागर हेमचद
१३७
लि क गोडीचद
३१
श्रीपाल रास
१७३५ ६०२४ १७३६ | ६३५१ १७३७ ६९१६ १७३८ १७३६ | ४००२ १७४० / ४१३८ १७४१ ६५२७ १७४२ ७०८६ १७४३
७२४८ १७४४ ९८० १७४५ ९८५ १७४६ ९६१ १७४७ १००१ १७४८ ११२४ (२ १७४६ २०५८ १७५० | २१३८ १७५१ | २१५४ १७५२ , ३४८६ १७५३ | ३९०६ १७५४ ३९०७ १७५५ , ३६५७
७८
१८१४
___८ २७
८४ २१-३७
विनयविजय ज्ञानसागर जिनहर्ष विनयविजय ज्ञानसागर विनयविजय जिनहर्ष जिनहर्ष गुणरत्न जिनहर्ष विनयविजय ज्ञानसागर
४६
१९१७ १६७५ १७८५ १८३० १८७८ १७वी १८३३ १८४२ १७५२
२२ २८
४६
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १८
क्रमात
ग्रन्थ नाम
ग्रन्थाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय पत्र सख्या
१३
ज्ञानसागर विनयविजय
५५
१७३२ १८५७ १८७७ १८०६ १८३५
गुटका १०९-११८
धर्मशील जिनहर्ष सोमविमल
१९वीं
१३
२१
"
१६२० १८वीं १७वीं
श्रीपाल रास १७५७ ६५२८ १७५८ | ६७४६ १७५६/५३७३(५) १७६० २१५० श्रेणिक चोपाई १७६१ / २१५१ १७६२ / २०३० १७६३ ४४५२(७७) श्वानचक्र १७६४ २८९३ (८२)| श्वानचेष्टा विचार १७६५ २८६३(७५) , शकुन विचार १७६६ २८६३(४४)| शत्रु जय इगतालीस नाम गर्भित
नमस्कार १७६७ । ६३८६ शत्रु जय उद्धार १७६८ १००२ १७६६ १८३६ १.७० २२२६ १७७१ ३५५४ (३) १७७२ १७७३ । ६५३८ १७७४ | ५४३६ (२) , रास १७७५ ३५७५ (५७) शत्रु जयवीनती
१२३ वा १४३-१४४ १४०-१४१
८७-८८
६
*
भानुभेरु समयसुन्दर
"
, रास
१६६७ १८३६ १८२६ १८वीं १९वीं
स १६८२में नागोरमे रचित
१०-१६
२३ ६०-६२
नयसुन्दर
१८वीं
६ लिक दानविजय
देवचन्द्र
२०वी
२७७-२८०
Page #96
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
[ ८९
क्रमात
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
१७वीं
रगकलश मेघमुनि ज्ञानसागर
। २०वीं
१८वीं १८८७ १९वी
"
गुणसागर शांतिकुशल हर्षधर्म
५०
२२ २६-३१
३९ वा ६८-६९
२२० पत्र स० १०४ १०५ अप्राप्त
१८२४
शातिकुशल
१९वीं
१८७०
१७७६ |
शत्रुजय स्तवन १७७७ ३५७ (२७)| शातिजिन स्तवन १७७८ | ३५३६ | शांतिनाथ चोपाई १७७९ ३६०४ , ,. १७९० / २३६८ (३)| शातिनाथ स्तवन १७८१ २३६८ (१०) १७८२ ३५७३ (२३)। १७५३ ५८६०
"रास १७८४ | २०७१ शारवा छन्द १७८५ | २०७४ १७८६ २१०२ १७८७ ७७२०(७) शारदाष्टक १७८८ ४०२४ १७८६
शालिभद्रचोपाई १७९० ९८३ १७६१ / १००७ १७९२ १८३९ (१४) १७६३ / २०२० १७६४ | २१८६ १७६५ / २३७४ (१) १७६६ ३४८७
१९वीं
। १८वीं
४५ वा
१२ स० १६७८मे रचित
मतिसार
१७७५
१५
१८वीं
६७-११०
१८३१ १८२१ १७वी १८५७ १७वीं
Page #97
--------------------------------------------------------------------------
________________
[६०
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम
कर्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र सख्या |
विशेष उल्लेखनीय
मतिसार
१-८
"
१९७६ १६८९ १७वी
मतिकुशल
१९वीं
लि स्था सवाई जयपुर
१७९७, ३५५४ (६)/ शालिभद्र चोपाई १७६८३८७० १७९९ ३९५५ १८०० ३४६५ १८०१ ३५५० (७) १९०२ ४८०४ १८०३
५०६५ १८०४ | ६१४० १८०५ | ६५४३ १८०६ ६८४६ १९०७ ७५६३ १८०८ ७५६४ १८०६ | ५४५८ (२) १८१० | २४१३ । शालिहोत्र १८११ | ३५४६ (४) १८१२ ३५५० (६) १८१३ | ४७७७ १९१४ ६८२६ १८१५ । ७७३०
" गुटका
लिक खुशालचद
१८४३ १८१८ १८५१ १८२८ १७७२ १८०६ १८५६ १८५१ १९वीं
लि क. खुशाल
२६ १-१०
४०-४५ ४१-५०
६०
२०वीं १६१५ १६४३
१०५ १,३ पत्र प्राप्त ३४ लिक राव जयसिंह, वदनोर
फतेबुर्जमध्ये १३६ | चित्र स० ११८
१८१६ | ७७६७
, सचित्र गुटका
१९कों
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१]
[६१
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
पसमय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
१९वीं
स० ४८
२०वीं
१७वीं
६-७२ ११३०-१३८ २३६-२४२
१६ २५१-२५२
केशवदास
१९वीं
१४२-१४३
जावड?
२४
१८१७ | ७८३७ शालिहोत्र सचित्र १८१८ ३५७५ (३०) शाश्वतजिनवरस्तवन १८१६ २८६३(११७) शास्त्रीय विचार १८२० | ११३८ । शिखनखवर्णन १८२१ ३५७५ (५३) शिखामणस्वाध्याय १८२२ | २८५२ | शिवरात्री कथा १८२३ ३५४६ (२१) , १८२४ ३२७ शिवरात्री कथा चोपाई १८२५ ७७२२(१३) १८२६ | ३६५६ । १८२७ ३५४६(१४)/ शिवरात्रीरी वारता १८२८ ३५५५ (१४)| शिवरात्रीरी कथा १८२६ १८३० | ५२९६ शीतलनाथस्तवन १८३१ | ३५७५(५)/ शीयलबावनी १९३२ | २०५७ शीलरक्षारास १८३३ | २१६५ १८३४ ३५७३(३७)। १८३५ | ३८६० १८३६ ३४७८ शीलरास १८३७ / ४०७१
२०वी १८६६ १८१६ १७८६ १७२७ १७वीं १८०५ १९वी
१२५-१५२
११३-११५
६५-६६
१८वी
समयसुन्दर
३२-३४
विजयदेवसूरि नयसुन्दर विजयदेवसूरि
२०वीं १९वी १७वी १६७३ १६वी
६७-१०१
१७वीं
"
१६४४ १७६२
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ ६२
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
कवि जैत नेमविजय ललितसागर ज्ञानचद
१९वीं १८३० १६७६ १८४०
१४६-१५०
५३ १-३२
१९वीं
२
४७/
"
रत्नसुन्दर देवीदान देवदत्त तेजविजय हीरकलश
लिक विजयसुन्दर प्रथम पत्र प्राप्त
१८३८ ५४१८ (२३) शीलरास १८३६ २०५३ | शीलवतीचरित्र १८४० ११२४(८) , चोपई १८४१२१७३ शीलसिलोकोरास १८४२५२६६ शीयलबावनी १८४३ ९०३
| शुकबहोतरी चोपाई १९४४ ४०१० १८४५ ४४१६ १८४६२०८७
शुकराजकथा १८४७ २८६३ (२६) शुद्धसमकितगीत १८४८ ३५६७ (२४) षट्चकवैकवित्त १८४६७०१८ षट्पचाशिका भाषा १८५० / ३५६७ (६)/ षडवर्शनवर्णन कवित्त १८५१ ३२५१ षडबलबार्ता १८५२
षडावश्यक बालावबोध १८५३ | २१६० १८५४
षष्टिसवत्सरफल
५
१९०८ १८६६ १७६० १९वीं १६२२ १६वीं १७६६ १९वीं १७१९ १८वीं
६० वाँ १४५-१४६
१५ १०५-१०६
समयसुन्दर
१७वीं
१८वी १८७१
"
१७
षोडशकारणकथा
शुद्धकीर्ति
१८५६ १८५७ ५३७६ (१७) १८५८५३
९०-६४ २०६-२११ २०३-२०६
"रासा
सकलकोति
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क ग्रन्थाङ्क |
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
[ ६३ विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय पत्र संख्या
--
-
-
-
| रघुपति
हीरकलश
१९वीं १८८७ १६२२ १८८६ १८वीं १९वीं
८८-८९ ३७७-३८४ । १७३ वा ३२७-३७३
१२०-१२८
३१-३२
साधुकीति
TA
१८५३ १६२३
१८५६ ३५७३ (३५)/ सचिप्राईजीरो छन्य १८६० ४६१५(१२) सज्जनप्रेमदूहा १८६१ २८६३(११७) सज्झाय १८६२ ७४४४ (२१)| सज्झायसग्रह १८६३ । ७५३८ १८६४ ३५७३ (४६) , स्तवन प्रावि १८६५३५७३(९) , सग्रह १८६६ ६२८६ | सत्तरभेदीपूजा १८६७ ७४८० | सत्तरीशयठाणप्रकरण १८६५ |४०५४ सतीगुणावलीचोपई १८६६ ६७६(१)| स्तभनपार्श्वनाथ उत्पत्तिस्तव १८७० | ३५७५(८) १९७१ २३०८ (२) स्तवनपद प्रावि सग्रह १८७२ | ३५४६ (६) स्तवनादि १८७३ ३५६७ (२३) , १८७४ | १७६३ स्त्रीकुण्डलिकाविचार १९७५ २३०० (१) स्त्री प्रति पुरुष लेख १८७६ | २०६६ । स्त्री प्रशसा आदि १८७७ ३३८० | स्थूलभद्रएकवीसउ १८७८ ३५७३ १८७६
स्थूलभद्र कथा
गजकुशल कुशललाभ
१९११ २०वीं १८१६ १९वीं
१२ १-२ ३८-४४ १७-४३
४७-४८ १४२-१४५
"
१
१-४
१८७६ १७वीं
लावण्यसमय
" १९वी
३ | सं १५५३में रचित ४६-५१ ८-१०
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ ६४
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क ग्रथाङ्क ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र संख्या |
विशेष उल्लेखनीय
१७३४
१८८१
नयसुन्दर सहजसुन्दर उदयरतन वीरविजय
२५ २६४-२७७
२०वीं
१८७१ १९वीं
८६-६० ३५-३६
सिद्धिविजय
१७५२ १९वी
३५-४७
१८८० २०२३(२) स्थूलभद्र कोश्याभास १८८१ ६२५ " गुणरत्नाकर छह १८८२ ३५७५ (५६)
" रास १८८३ / १५६५
, शीयल वेली १८८४ ३५५० (१४) सज्झाय १८८५/४६२४ (१४) १८५६ ७२४७
"स्वाध्याय १८८७ ८८८ सदैवच्छसालिगारी वात १८८८ ६२१ १८८६११४४ (५) १८६० | २१२६ १८६१, ३५१७ १८६२ ३५५५ (२१) १८६३ | ३५५६ १८६४ | ३५७३(६) १८६५ / ४६१८(२) १८६६ | ७१७३ १८६७ | ७७२२(५) १८६८५४५८ (२)
सचित्र १८६६ | ४६२४(१) १६००/ ४६१६(४)
कविजन
१८६१ १८वीं १६वीं १८२० १९वी १७६६ १८७६ १९वी १८३८ १७८७ १८७५
१३३-१४५
१-३८ २२-२६ २१-५२ लिक प्रोहित जोधा मनोहरपुरका
२७ लि क. मथुरालाल ५३-५६
चित्र स ७ १-८ ५४-७२ लि क. सौभाग्यगणि
Page #102
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ ९५
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
सवैवच्छसालिंगारी वात
१८१६
१९०१ ४१४७ १९०२/ ६६८९ १६०३ | ७७६८
१८५६ १८वी
लिक राधाकृष्ण चि स ७७
"
, सचित्र गुटका
१६-१०८ १-७ तथा १६-२५
७-८४ १२३-१४१
चि स १४
लब्धिधिजय
१०२
१७वी १८८५ १९वीं १८०० १८वी १९वी
२० प्रथम पत्र प्राप्त
१५-२०
१८वीं
१९०४ | ७८४५ १९०५ ५२०२ (७) , अपूर्ण १९०६ / २०१४ | सनत्कुमारचक्री रास १९०७ ५११६ , प्रबधचोपाई १९०८ १०१३ सनीछरछद १९०६ | २१०४ १९१० | २३०६ (४) १९११ / ३०२० (१) १९१२ | ३५४८ (२) १९१३ ३५५४ (२०) १९१४ | ३५६२(७)| सनीसरछद १६१५ | ३९५४ १९१६ | २१८५ | सनीसरजीरी कथाचोपई १९१७ | ३५६२(८) , जी रो स्तोत्र १९१८ ३५५४ (१६) सनीसरकथा १६१९ | १९८४ १९२० | २३२७
१६-२० ३१वा
।
जोरावरमल्ल
२०वीं १७४४ १८८० २०वीं १९वीं
५६-६० ३१ घा
जोरो
१८६५
१-२०
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१ ]
क्रमात
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
३०
जोरो
१८८३ १९७० १९७० १८८५
देवचद्र
३४-५६
६०-६६ २१२-२४५
३ रा ७२ वाँ
१८वीं
१९२१ | २९२२ | सनीचरकथा १९२२ | ३५६२(६) १९२३ | ३५६२(९) , पारता १९२४ ७४४४ (१२)/ स्नात्रविधि १९२५ / २२१७(४) सप्तव्यसन वहा कुडलिया
भीम १९२६ /११२२ (५३) सपाईनीजातिसबद १९२७ | २२७६
मगनीराम १९२८ | ५१२३ (८) स्फुट ज्यौतिषचक्रादि १९२६ ७७५३ (१५) स्फुट पछ। १९३० ४६१४ (५१) सबोधसत्तानू दूहा
वीरचन्द १९३१
था चोपाई रूपऋषि १९३२ ३९०६
, भाषा १९३३ | २०६३ | समकितकुलकचोपाई १९३४ ३५४३(४) सज्झाय
लक्ष्मीसुन्दर १९३५ ४९१४ (३) सम्मेदशिखरनिर्वाणकाण्ड १९३६ | ४७२४ समयरे राजारो फल (वर्षपति फल) १९३७ | २३७४ (४) समरासारगकडखो
देपाल कवि १९३८ ३५७५(६६)| समवसरणदेशना
शिवचन्द्र १६३६ ३५७५(७५) , स्तवन
धर्मवर्द्धन १९४० | १११५ , स्तव बालावबोध १९४१ - ३५०७ समाधितन्त्र बालावबोध पर्वतधर्मार्थी
सम्यक
१९वी १९२० १८८५ १८३७ १८७७ १८८६ १८३४ १७वी १८८२ १८७१ १९वीं
४१-४६ ८६-१०६ २७९-२८३
४२
१९
७-8 १५०-१६०
२०वी
२५-२६ ३००-३०३ ३०८-३११
१९वी १७६५
Page #104
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
कर्त्ता श्रादि ज्ञातव्य
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
१९४२ ५३७६ (१५) समाधिरास
१९४३ ३५७५ (४९)
१६४४ ४२३
१६४५ ६६७ १६४६ २३१२
१९४७ २३२७
१९४८ २८६३ (२० ) |
१९४६ २८६३ (२१) |
१६५४ २२००
१६५५
१७५६
१९५६ २५१०
१९५७ ३२३४ १९५८ ३५५५ (२४) १९५९ ७७५३ (१३) १९६० ४२८७ ( ३ ) |
१९६१
४०८१
स्याद्वादनयस्तवन
सरस्वती छन्द
""
"1
""
"
19
१६५० ३२४४
१९५१ | ३५४८ (६)
१६५२ ४८०२
}}
१९५३ ४२८७ (१६) सवाई जैसिंघजीकी जोधपुर पर
चढाईका कवित्त
सवा सो सीख स्वरोदय
"
11
ग्रन्थ नाम
"
स्वातर्हरण चोपाई
सवैया दूहा
11
""
""
इकतीसा
बावनी
श्रीसार
शान्तिकुसल
हेम
दयासूर
लावण्यसमय
मतिसुन्दर
सहजसुन्दर
हेम
धर्मसी
चरनवास
चिदानद
गोदडदास
बनारसीदास
राजसी
लिपि समय
२०वी
१८०५
१६वी
""
"
१७वीं
13
१६वीं
91
19
१८वीं
२०वीं
१६०२
१६११
१८११
१६वीं
१८३७
१७२६
१६वीं
पत्र संख्या
२०२-२०३
२३६-२४०
१
२
२
१६-१७
१२ वाँ
99
२
१४-१६
३
१२७-१३०
२
१४
२१
२०
१४-१५०
७० वाँ
१२-१३
५
[ ६७
विशेष उल्लेखनीय
बनारसीदासके स्वाक्षर लिखित
५ पद्य है
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान- राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
१९६२ | ४९०६ (४) १९६३ | ४४५२ (२०) १६६४ ४४५२ (१४)
१६६५ ४४५२ (८३) १६६६ ५५२४ १६६७ ६३३
१९६८ ५६१
१६६६ २५५६
१६७०
१६७१
१९७२
२८३७
३५६४ (४)
५४१०
सवैया बाबनी
१९७३ १६७४ | ४६२४ (१२) १९७५ २८९३ ( ३६ ) १९७६ ४६२४ (११) १९७७ ४४५२ (६४) १६७८ २१०८ १६७६ २१७६
१६८०
२२०४
१६८१
२८८६
"
" सग्रह
"1
19
सत्रहभेदी पूजा
सहमफल स्पष्टाध्याय साठ सवच्छरी
साठ सवच्छर दोहा
साठी सवच्छर फल
""
"1
सपखरो आदि
३५५५ (६) सात वाररा वहा
विघडिया
"1
सात विसन गीत सात सखीरो सवाद
(पहेली)
साधु प्रतिक्रमण बालावबोध
"1
साधुवदना साबप्रद्युम्न चोपाई
"
कर्ता आदि ज्ञानव्य
राज कवि
प्रताप, ब्रह्म गुलाल प्रादि श्याम काशीराम श्रादि साधुकीत
हीरकलश
पासचद
समयसुदर
लिपि समय
१७६८
१८वीं
13
१८६४
१६वी
१७वी
१६०६
१८६०
१८६१
१८वीं
१६वीं
१७६०
१६२२
१७६३
१८वी
१७वी
१७३५
| १८३८
१६६४
पत्र संख्या
२५-३४
२० वाँ
१७ वाँ
१२४ वाँ
&
५
१२
४५
१-२२
८३
१६ वाँ
१३-१४
७० वाँ
१२-१३
१३० वाँ
१८
२५
२२
विशेष उल्लेखनीय
लिक केवलसौभाग्य
[ ८
लिक प्रीतिसौभाग्य
प्रश्नावली और मोहर्रमके चाँद
आदिका फल है
Page #106
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान -राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१]
[ ६६
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
-
१८वीं १७वीं
१५ ६५-६६ ।
१७७४ १८वीं १७६३
। १६वी
१-१३ ५३ वां
१६७५
| १९वीं
२-१३ ।
१९८२ | ४००० साबप्रद्युम्न चोपाई
समयसुन्दर १९८३ २८६३(३०)| सामयिक बत्रीस दोषविवरण फुलक हीरकलश
चोपाई १९८४ | २५७२ सामुद्रिकशास्त्र भाषा १९८५ / ९६५ | सारसिखामणि रास
सवेगसुन्दर १९८६ | १८६८ (५) सावण
मालदेव १९८७ ११२२ (४३)| सासबहूनो सवाद १९८८ | ११२४(४)| साहराउल नीलवण भास
दानसागर १९८६ | ३७५१ साहाकाढणरा हा
मोतीराम १९६० | ३५४८(७) | साहिजादा कुतबुवीन साहबरी
वारता १९९१ | ३५१२ | सिद्धचक्ररास
ज्ञानसागर १९९२ ३५७५ (५८) सिद्धक्षेत्रचैत्यपरिपाटी
देवचन्द्र १९६३ | ३५११ सिद्धातचोपाई १९९४ २८६३(५५) , बोल १९६५ | ७३०५ ॥ " १९९६ | ७५४६ | सिद्धातसारोद्धार १९६७ / ६३८३ | सिरीसातणी भास
लावण्यसमय १९६८ ३५५५(१६)| सिरोही मांडवी बीकानेरी जोधपुरी
बोलियां १९६९ | ४००६ सिंहलसुत चोपाई
समयसुदर
। १६८५
२८४-२६१ ।
। २०वीं
१७वीं
१/
६०-६३
१६१० १७७६ १८वीं । १९वी
अन्त्य ३ पत्र त्रुटित
१०२ व
१७६४
६ लि क. कुशलहर्ष
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--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग - १ ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
२००० ४८२८ २००१
११ २००२ | २१४४ (२) २००३ २१६८ २००४ | २८६३ (१) २००५ | ३१३४ (१) |
२००६ ३२६०
२००७
३४६०
२००८ | ३५५६ (२)
२००६
२०१०
२०११
२०१२
२०१३ १८०८
२०१४ ६५३६
२०१५ २०३८
२०१६
३६५८
२०१७
७७५३ (२)
२०१८ ३५७३ ( २८ ) २०१६ | ३५७५ (४)
२०२० | २३२७ (२)
सिंहलसुत चोपाई
सिंहासन बत्तीसी
"}
द्वात्रिंशिका
चोपाई
"1
सिंहासन बत्तीसी
"
"
19
३५६७ (७) सीकोतरी छद ११४४ ( २ ) | सीखबहुत्तरी
२०७५
सीखामण ढाल
८६
सीताराम चोपाई
""
सीताराम चौपाई
19
""
चोपाई
कथा
""
19
सीतासम्झाय
सीमधर जिन वीनती
""
"1
कर्ता आदि ज्ञातव्य
समयसुदर
क्षेमकर
देईदान
हीरकलश
जेराज कवि
हीरकलश
माधव
समयसुदर
"
""
33
"1
जिनहर्ष भक्तिलाभ
"
लिपि समय
१७वीं
१७६०
१८३३
१७८२
१६२६
१६वीं
१८७८
१७वीं
१८८७
१९वी
""
१७वीं
१७८३
१७३५
१८वी
""
71
१८३७
१६वीं
२०वीं
१६वी
पत्र संख्या
६
१३
१५-३५
२६
३ श्रत्यके ३ पत्र हैं
१-८५
७६
१४२
७८-११३
१०६-१०७
२८-३०
३
१०२
६६
६२
८०
८२
३०-३१
७६-८०
३०-३२
१०-१५
विशेष उल्लेखनीय
[ १००
प्रथम प्रत्र अप्राप्त
मेडतामे रचित
Page #108
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ १०१
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
८०-८३ १६७-१७३
অঙ্গতি नन्द ? दीपो
२१
लिक इद्रभाण २० लि क बाई चपा
' १९वीं
२०वी । १८५० । १७६१
१८८० १८८४
१८६१ । १५७० । १७७९
१९वीं १७७४ | १८वीं
१६वीं
१३ | स १५०१मे रचित
हर्षकीति
२०२१ २३७४(१६) सीमधरजिनस्तवन २०२२ ३५७५(३५) सीमधरजीको जीवाजीको चिट्ठी २०२३ | ३६११ सुदर्शनचरित्र चोपाई २०२४ ५३७६(१)| सुदर्शन सेठको कथा २०२५ | ४००७ , रा कवित्त २०२६ | ४०८६ २०२७ ३६१०
, रास २०२८ २०५३
शीलप्रबध २०२६ । १८२३
" सज्झाय २०३० ३५५०(१३) २०३१ | २८३२(४) | सुदामाकी बाराखडी २०३२ | २५७५(२)| सुपनविचार चोपई २०३३ | ६२७४ सुबाहुचरित्र २०३४ | ६३८८ । २०३५ ११२३(१३)| सुबाहुरिषिसधि २०३६ ३५७३(१८) । २०३७ ९८१ सुभद्राकथा बालावबोध २०३८ २०६६
सुभद्रारास २०३९ ४००८ सुभद्रासतीरो चोढालियो २०४० ११४२(१) सुभाषित २०४१ ४९१२
८८-८९
ज्ञानशील
८५-८८ १२-१३ । स १५६० मे रचित
१८वीं
माणिक्यसूरि पुण्यसागर
७१-७४
१७वीं १९वीं
विनयकुशल भावप्रभ
५७-६०
११ १३ ५ लिक चैनराम
१८वी १८७९ १८वी १९वीं
मानसागर
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--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] क्रमास । ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
[ १०२ विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय | पत्र संख्या |
१७वीं
२० १० वा
खेम मुनि
३२
३-४
" चोपाई
२०४२ / २१५३ सुभाषित वोहा कवित्त आदि २०४३ २८६३(१६) सुभिक्षादि वर्णन २०४४ २२१७(३) सुमतिजिनस्तवन २०४५ २०६१ । सुमतिनागिल चोपाई २०४६ ५४१८ (३) सुरतपचमीकथा : २०४७ ३५१०(३) सुरप्रियऋषिसज्झाय २०४८ ६६३ सुरसुन्दरी चोपाई २०४६ ६१०
, चरित रास २०५० ३९१२ २०५१ ३६५६ २०५२ ५६३० २०५३ - ४००६ २०५४ | ७२४४ २०५५ ४८०१ २०५६ / ३२८४(५) सुरेखाहरण २०५७ २८६३(१२८) सुवर्णसिद्धि प्रयोग २०५८ ३५५५(११) सुवाबहुत्तरीकथा २०५६ ३६६७ सूक्तिमाला २०६० ७३७४ सूक्तिमुक्तावल २०६१ ११६५ सूर्यजीरो सिलोको २०६२/६४१८ सूरजजीरो सिलोको
बनवारीदास लक्ष्मीरत्न धर्मवर्द्धन विनयसुदर धर्मशील नयसुदर धर्मवर्धन शुभशील धर्मवर्धन नयसुन्दर वीरो
१८वीं १७६० १९वी १८वी १७६१ १७वीं १८५० १७वीं १८४२ १६वी १८४८ १६८८ १८१६
१६
२८
पत्र २० से २३ तक अप्राप्त
२१ २६
लिक राघवकेशव
१७वीं
देवदत्त भट्ट
१६१ वा १-५८
१९वीं १६१२
| केशरविमलगणि
१९वीं
लिक इष्टहस
२५ १-३
१८५३
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
[ १०३ ।
लिपि ममय
पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
सेवग
१९वीं
३७-३६
"
करणीदान
७२ वा
३०० १७-१८
देवीदान सकलचद तुलसीदास गोविदवास?
| १८०१
१८वो । १८४१ १९५६ १९वीं १८वीं । १८८७
१९२६ १९वीं
MG:
६-१०
२०६३ | २३६८ (९) सूरजजीरो सिलोको २०६४ | ३२५५ २०६५ | ३५५७ (३) , २०६६ ७७२५ सूरजप्रकाश २०६७ | ३५६२(३) सूरजजीरो सिलोको २०६८ | २३६०(१) सूडाबहत्तरी वात २०६६ / २०४४ । सूरपालचरित्र रास २०७० | ७५१ - सूर्यपुराण (कथा). २०७१ | ६७५२ सेऊसमनकी परची २०७२ | ३५४६ (२)/ सेर्रासह मेडतिया प्रादि अनेक
राजापोका सपखरा २०७३ ३५४६ (१०)| सोनीगरा विरमटेरी वारता २०७४
सोमवती अमावसरी कथा २०७५ ४०११ ,वारता २०७६ ७७२२(३) सोरठरा हा २०७७ | २१४२(१) सोरठवीभेरी वात २०७८ ५४१८ (२२) सोलहकारणका रासा २०७६ ४६१४ (४५) सोलह स्वप्न वीनती २०८० २२२४ सौभाग्यपचमी चोपाई २०८१६३५८ २०८२ | २३७१(१) सकष्टचतुर्थीव्रतकथा
१८३४ १८४३ १८वीं १६वीं
८६-६३स १४८५के समान ५-१४ ।
३ । लि क जीवणराम
४६-४८
१४७-१४६
२७४ वां
१८७७ १८वीं
जिनरग
१७
२०वी
Rames
Page #111
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १०४
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
१७५४
१९वीं
८४-८५ १४६ वाँ
मतिसागर शिवनिधान
१७वीं १८३१ १८११
१७
|
, चोपाई
१८वीं
२०८३ २५४३ सक्रान्ति फल २०५४ | २५४० , तथा पूनमविचार २०५५ ११२२(६४) सखणीस्त्रीनो छव २०८६ २८६३(८६) सख्याताविचार २०५७ ९८४ | सग्रहणीचोपाई २०५८ ३६१४
"बालावबोध २०८६ २०६० | ३९१५ | , बालावबोध २०६१ ३५७५(१८) सतोषछत्तीसी २०६२ ६८९ सवेगरसायनबावनी २०६३ २१६३ हसराजवच्छराजचोपाई २०६४ ३९६२ २०६५ ३९९३ २०६६ / ५८६२
, सचित्र
२०वीं
८५-८८
क्यासिंह समयसुन्दर कातिविजय जिनोदय
१६वीं
१९०६
५
१७वीं १८२६
१८३५
अपूण
४४. स १६८०में रचित,
चि स १०३ ६४ से |
लि क. वृद्धिचद्र
७४०२
२०६७ ५४३१(२) २०६८ २०६६ | ६५३५ २१०० २१०१ / ७२२७ २१०२ | ५२०९
१६१० १८६६ १९वीं १७१२ १८८३ १८वीं
"
, रास
हसवत्सचौपई
चिस ६५
Page #112
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ १०५
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित अथ सूची, भाग-१ ] क्रमाङ्क | ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय | पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
नरहरदास
१६१०५१-६४
१२० वा १६३१ २०१-२०३ १८५६
२८ गुटका १७८७ । ५६ | * लिक नाथूराम पाडे गौड १९४४ । १-७० लि क मनसाराम २०वीं गुटका १९धी । ३४-३६
१२७-१२८
कवि महेश
१-४
२१०३ | ५४३१(१) हसावली (अपूर्ण) २१०४ ४४५२ (७०) हणमतरो छद २१०५ ७७२१ (१४) हनुमान छद २१०६ १५८६ (१८) हमीररासो २१०७ ४६०२ , २१०८ | ५३०४(१) , २१०६ | ७१६७ हमीरहठवारता २११० २३७४ (१०) हरचवपुरी २१११ ३५६७ (१२) हरजस। २११२ | ६४४६ (४) , २११३ ३५७३ (१३) हरिकेसीचरित्र नवरसरास २११४ | ३५५५(९) हरिगुणकष्टहरणस्तोत्र २११५ | ४०१२ हरिचदरास
४८२४ २११७ ५३३ हरिजसनाममाला २११८ | ७७२१(६) , २११९ | ३४६१ हरिबल चोपाई २१२० ३५७३ (२०) , धीवर चोपाई २१२१ / ११२३(२) हरिबल रास २१२२ २८६३(४८) हरियाली (हीयाली) २१२३ २८६३ (५०) , ( ,)
३५-३८ १४ वा
-
कनकसोम चद कवि जिनहर्ष कनकसुन्दर रतनूहमीर
लिक क्षेमाब्धि
२५ १७
-
"
-
१९८२ १८८५ १८८१ १८२५ १७वी १९वी
२८ १४४-१६५
लावण्यकीर्ति
२८वा पत्र प्राप्त
कुशलसयम हीरकलश हेमाणद
६-२२ ८८ वा ८६ वा
Page #113
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ।
[ १०६
क्रमाङ्क
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता आदि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र सख्या
विशेष उल्लेखनीय
वील्हा
८९ वॉ
२१२४ २८९३ (५१) हरियाली (हीयाली) २१२५ / ४६०५हरियालीरा दूहा ,,
| १७वीं | १९वी
३६-३८
ईसरदास बारहठ
१८०७ १९वीं
८२-६७
२१२६ / २३७७ (३) हरिरस २१२७ / ३५५५ (८) , २१२८, ३५५७ (८) २१२६ | ४६२४(८) २१३० ५३४३ २१३१ ७७२१(१२) २१३२ | ७७५० (१) , २१३३ | ४६१४(२) हरिवंशपुराणनो रास
।
१-१०
१७६६ १७६३ । १८वीं १९३१
१८६० । १८७१
ब्रह्मजिणदास
२१३४ | २५४८ हस्तरेखाचित्र २१३५ ४४५२(६२) हाथियारा बखाण २१३६ | ४६२४(६) हाथीरा बणाव २१३७ | ३५६७ (५), हिंगुलाज प्राणदेवायण २१३८ ४४५२(२४) हिंगुलाष्टक २१३६ | ७४१७ | हिंडोलणा आदि
| १९वीं १८वीं १७६३
१८०-१९६ लि क फूलगिरि । १-२१ ।
७-१५७ लि क चद्रकीति १७१-२०१ । १ । १३० । । ११ वाँ १००-१०५ २४ वा
लिक खेतसी
ईसर बारोठ
। १९वीं
रामसरण?
१८वीं
| १७वी
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१]
[ १०७
क्रमाङ्क
ग्रन्थ नाम
ग्रन्थाङ्क
कर्ता आदि ज्ञातव्य
विशेष उल्लेखनीय
लिपि समय पत्र सख्या
१७७३ १७वी
१३४ वा
हीरकलश हेमाणद हेमाणद
१६५७
१३५ वा
४ था
१८वीं १७वीं
वा
विल्हण
१९५४
३२ लि.क नाथुनारायण शर्मा ८२ पत्र १-२ अप्राप्त
१८वीं
ऋषभदास प्राणद देवसूरि
१९वीं
२१४०, ३५७४ (१) हितोपदेश भाषा २१४१,२८६३(६८) हीयाली २१४२ २८६३(६९) २१४३ २८६३(७०) हीयाली २१४४ ३५१०(४)| , २१४५ २८६३(१५)/ हीरकलश गोत्राविवर्णन २१४६ २८६३(६५) हीरकलश मुनिस्तुती २१४७ ४१६८ हीरराझ्याको तमासो २१४८ २१०७ । हीरसूरि रास २१४६ २३६८ (७) हीरसूरि सज्झाय २१५० ३५७३ (४) हुणाडा मडनसुमतिजिनस्तवन २१५१ १७५८ २१५२ २३७४(८)| क्षमाछत्तीसी २१५३ ३५७५ (२०) , २१५४ । २३१३ क्षेत्रपाल छव २१५५ , ६५६ क्षेत्रसमासकरणी बालावबोध २१५६ ४८३६ क्षेत्रसमास २१५७ । ७३६७ २१५८ । ७४०३ २१५९ ७५२३ क्षेत्रसमास चौपाई २१६० । ४०२१
प्रकरण सबालावबोध
५० वा
१८ वाँ।
र
समयसुन्दर
२८-३१ ६१-६५ ।
२
माधो
वत्सराज रत्नशेखर
' पत्र स १,२ अप्राप्त
२०वीं १६वीं १७वीं १७८२ १७वीं १८५१ १६८२ १८२१
१४ स १५६४मे रचित
मतिसागर रत्नशेखर
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-~-राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ सूची, भाग-१ ]
[ १०८
क्रमाङ्क | ग्रथा
ग्रथनाम
क्र्ता प्रादि ज्ञातव्य
लिपि समय पत्र संख्या
विशेष उल्लेखनीय
त्रिपुरा छद त्रिभुवनकुमार रास
उत्तमसागर
२१६१ ७६१ २१६२ ३८८५ २१६३ ३६७३ २१६४
| २१६२ २१६५
| २०६५ २१६६ २०४८
त्रैलोक्यदीपिका चोपाई ज्ञाताभास तथा मोलसतीभास | ज्ञानपचमीस्तवन
१९वी १८वी १७९३ १८वीं १७२० १९वी
दान (सदारगशिष्य) मेघराज केशरकुशल
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* श्री *
परिशिष्ट १
[ कतिपय ग्रन्थोका विशेष परिचय ] १ ७७५३ (१-१७)' अकपाटी आदि गुटका
प्रारभिक दो पत्रोमे लघु चाणक्यनीतिके दूसरे अव्यायका अतिम श्लोक तथा तृतीय अव्याय लिखित हे। आगे १७ पत्रोमे अपार्टीका लेखन हुआ है, पत्रमे पर अक-सख्या और नीचे सुभापित (नीतिपरक) दोहे, श्लोक आदि है। उदाहरणार्थ
'दान दया दमोद्रिण दर्शन देवपूजित । दकारा पचवर्तते दूर्गत नैव गछति ।। १
(पत्र १) दूहा ।। मरनर अक्षर सीप पीव, जो रपै अप्यारण ।
मर वेरीतर मायरा, अक्षर राज दुवाण ॥ १ (पत्र २) अन्तके १६ १७वे पत्रमेदहा ॥ काली तू कोयल भली, जम मनपरो विवेक ।
अब विहूणी अवरसु, बोल न बोलै एक ॥ १ (पत्र १६वाँ) गाम गोग्मे होत है, जोय दूर मत जाय ।
वनी वताइ पारसी, अरय कह्यो इण माय ॥ १ (पत्र १७वॉ) । लीषन । पीउन श्री ५ श्रीवालचदजी लीषी छ। स० १८३५ मीगसर मुद ५ वार मगलवार अषसुरै जै सरूप गोठीरा छ। ६५२५
अजना चोपाई आदि ॥०॥ श्री गणेशायनम ।। दूहा ॥ श्रीगणधर गौतम प्रमुष, एकादस अभिराम ।
मन वछित सुष सपज, नित ममरता नाम ।। १ प्रथम उद्यम में माडियो, मति दीम अति मद । तिण कारण पहिला नमु, श्रीगणवर सुष कद ।। २ सेवकन मानिध करै, देड्यो अविरल वाणि ।
जिम वेगो सिद्ध चढे, काइम राषि सकाणि ॥ ४ अन्त- तिरिण गछ पीपल थापीयो, पाठ साषा विस्तार ।
सवत रुद्र बावीसमै, बीसमै हूई मुषकार ॥ १२
१ पहली सख्या क्रमाङ्क और दूसरी ग्रन्थाङ्क सूचक है। कोष्ठकके अङ्क गुटकाके अन्तर्गत रचना-सख्याने द्योतक है।
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११० ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
ते गछ दीस दीपतो, साचौर नगर मभारि । वीर जिरणेसर दीपतौ, जिहा तीरथ प्रगट उदार ।। १३ तास पाटै अनुक्रमै हुवा, श्रीलीषमीसागर सूरि । विनय करी कर्मसागर, वाचक देय सनूर ॥ १४ तास सीस पुण्यसागर, वाचक पभर एम । अजनासुदी चौपई, पूरण कीधी ते प्रेम ॥। १५ सबत सोल सत्यासीइ, श्रावण मास रसाल ।
सुदि तिथि पचमी निरमल, रिद्धि वृद्धि मगल माल ॥ १६
सर्व गाथा ।। इति श्री प्रजना सुदरी चौपई सपूर्ण सबत १८६८ मीगसर कृष्ण पक्ष तिथौ १ भौमवासरे द्वीतीय प्रहरे लिषत ऋष नोलचद पीही ग्रामे उदावत राज्ये वाचनार्थ चीर नद्य श्रीरस्तु ॥ श्री ॥
२४
१८२०
आदि - ॥६०॥ श्री गुरुभ्यो नम ॥
अजना सुदरी भास अपूर्ण
ढाल - बाहुबलि रयण इम चितवइ सरसति सामिणी प्रणमियइ ।
गोतम स्वामि जा पाइरे । अजना सुदरीनी कथा नारि नर सुरगह मन लाइरे ॥ १ ॥ सील भवियर भइ पालियइ । पाइय सुजस समार रे । सवि कुसगत वली टालियइ जइय भव दुष पार रे ||२|| अन्त- धन धन अजनासुदरी, सुमरिउ चित्ति त्रिकाल रे ।
सील भलउ तिरिणइ, पालियउ जसु गावइ मुनिमाल रे । सील भलउ जगि पालियइ । ५६ ।।
इति अजना सुदरी भास समाप्त । भवतु लिषक पाठक ॥ छ ॥ छ ॥ श्री ॥
२६
लिषत वसावण ऋषि बाई बीरो पठनार्थं सुभ
३८६२
श्रबड विद्याधर रास
आदि - || ६०|| सकल पडित मडली मडन प० श्री ५ रविसागर गरिण चरणेभ्यो नम ॥ वस्तु | सदा सपद २ रूप ऊकार । परमेष्ठी पचे सहित । देव त्रिणि सदा सेवित । महाज्ञान प्रानदमय । ब्रह्मबीज योगीद्र वदित ।
हा || भुवन त्रिणि गुरण त्रिरिणमय, विद्या चउद निवास ।
प्रण परमातमा, सर्व सिद्धि सुष वास ॥ १
परम ज्योति परमेस जे, श्री गुरु सारदमाय । आदि कवीसर सत जन, नित वदु तस पाय ॥ २
1
अन्त- सवत सोलउ गरण चालीस । कार्तिक सुदि तेरसि ससि दीस । सिद्ध जोग रिष अश्विनी । अबड कथा चोपइ नीपनी ॥ १३ भरणता बुद्ध मरीरे जोय । बुद्धि सिद्धि सवि होय | सिद्ध देव गुरु सकति । गुरु भक्तिथी पामइ भक्ति ॥ १४ नव रस मइ प्रबड़ रासनी । स्रोता वगता जन पावनी । वीर कथा भावइ जे कहइ । च्यार पदारथ सहजे लहइ || १५
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १११ जिहा रहइ अवर अवनी चद्र । जिहा रवि तारा ध्रुव गिरि इद्र । सागर सपत दीपनो वास । तिहा लगि रहो कथा परकाम ॥ १६ उजेरिणइ रहि चत्रमासि । कया रची ए शास्त्र विभासि ।। विनोद वीर वृद्धि रस वात । पडित रस माहि विष्यात ।। १७ भही पानना जाम पसाय । विद्या भरणी भानु भट पाय । मित्र लाडजी सुरिणवा काजि । वाची बिडाल वीने राजि ॥ १८ कहइ वाचक मगन माणिक्य । अबड कथा रस छइ प्राविक्य । ते गुरु कृपा तरणो आवेस । पूरा सात हा आदेस ।। १६ इति श्री मुनि रतन सूरास । गोरष जोगिनी दीधा सीस ।
अबड कथानेक आदेस । कीधा सात ने कह्या विसेस ।। २० इति श्री गोरष जोगिनी सप्त आदेश अबड विद्याधर रास मपूर्ण। सवत १६६३ वर्षे ज्यप्ठ शुदि १४ भौमवासरे ५० श्री हेमसागर गरिण शिष्य खिमासागर वाचनार्थे लिखित पालगजा नगरे शुभभयतु । ३६ ११२४ (९)
अगडदत्त चोपाई आदि- श्रीसौभाग्यशेखरगणिसद्गुरुभ्यो नम ॥
आदि जिणेमर प्रणमु पाय । समरू सरसति सामिणि माय ।
कर जोडीनी मागु मान । सेवकनि देजो वरदान ॥ १ अन्त- अगडदत्त मुनि तणउ चरित्र । भणता गुणता हुइ देह पवित्र ।
पडित हर्षदत्त सीस इम कहइ । भरणइ गुरिणते सिव सुष लहइ ।। ३६ इति श्री अगडदत्त मुनि चउपई मपूर्णा । लिषित न्यानशेखरेण भाद्र राउल पठन कृते ॥ श्री पार्श्वनाथ प्रमादथी सुष सपत्ति हु ॥ श्रीस्तात् ।। ४१ ३५६२ (१४) अचलदास खोचीरी वारता
आदि- अथ अचलदास पीचीरी वात लीषते ॥ गढ गागुरणरो धणी अचलदाम षीची गागरणमे राज करे छ। राजा राजने परजा चेन रे छै। नगरीरो लोक वडो। तीरण राजारे राणी लाला मेवाडी छै। सेहस मेवाडरो राणो मोकल छ । तीणरे वेटी लाला तीका अचलदासजी षीची परणीया छ ।।
___ अन्त- गणा वरम लग राज गणोई कीदो। जतरे वृद अवसता आय लागी छ । तीण ममै गढ मामुगढरो पातसाह हमीर सुलताण गढ गागुरण उपर चढने आयो। तरे अचलदासजी षीची गढ सजीयो छै। गणा दीन सुधी वेढ कीदी। भली जुगतमु काम आयो ने लाला मेवाडी ने उमा सापलीरो समणो भागो ने दोउ सतीया हुई। परयवी माहे मोटो नाम गो हुइयो।
इति श्री ठाकर अचलदास षीचीरी वात सपुरण ॥ स० १६७०रा असाढ सुद १५ द० गरा हीराचदरा छ । श्री ॥१॥
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११२ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान ४४ ३५४६ (१८) अजीतसिंघजीरो वारता
आदि- वार्ता । महाराज श्री अजीतसिघजीरी। महाराज श्रीअजीतसिघजी पातिसाह श्रीफरकसाहरा विना हुकम नरबदासु मुरझनै पाछा देसमै पधारीया नै पातिसाहजी दिषण गया। दिषण मुहमसरद करि पातिसाहजी दिली आया। सबत १७६६ पछै पातिसाहजी मारवाडि उपरा मुहम ठहराय नै बाईसी विदा कीवी । निबाब हसनअलीषा तिको मोचीयारै वाग डेरा षडा हुवा ।
अन्त- तर भडारी कह्यो महाराजकवार पातिसाहरो हुकम माथै चढाय ल्यो। भवतव्य लारा मति नै कुमति उपज । धरतीरै लालच अभैसिघजी बषतसिघजी उपरा परवानो लिषीयो । आपण दोना भाथा मारवाडिमै आधो आध छै । नागोर मेडतो थाहरो छ । महाराजसु चूक करिज्यो । महाराजने जाडेचासे डोलो आयो थो । तिको महाराज परणीज ने जाडेचीजीरा मेहला पोढीया था। तिण राति महाराजसु कवर बषतसिघजी चूक कीयो । सबत १७८१रा आसाढ सुदि १३ मंगलवार इण भाति अजीतसिघजी नै मारिया नै घररी पातिसाही गमी।
इति महाराजरी वार्ता ॥१२॥ श्री। ४५ ३५७३ (४२) अजितसिंघजीरो कवित्त श्री ॥ महाराज अजीतसिंघजीरो किवत ॥
राजलोक रिषदुण विस पडदाईत प्यारी सघ सहेली च्यार अगन । सिनान उलारै बार गाईण वले वले नव उडदावे गण । हाथल चेडी हुवै हुवै दौइ जणी हजुरण ॥ पातरा पाच नाजर उभै भल बाई मृत भामीयो । सीधवत अजन सतीया सहित ईम सरगलोक सिधाइयौ ॥ १ मारीयो लेष महाराजरै माहाराज कुणथी मरै । मोहकमसु नाह मुऔ जेण मुहकमनै मारे । सयदासु नाह मुऔ सेदा सभर सघारे । पतसाहाना मुऔ पडि उभौ पतसाहा । बावीसी पच गई सूक वदीयो दोय राह ॥ जोधाण धणी जस राजरो कुण तीणसु भारथ करै । मारीयो लेष महाराजन महाराज कुणसु मरै ॥ २
ईती कवित। ४६ २३६८ (४) अजीतसिंहजीरो सीलोको अथ अजीतसीधजीको सीलोको लीषते ।।
माता सरसती मोटी महामाई । तोने तो समरथा कमरणा नही काई । कहीयो सीलोको सुणज्यो ईण काजो। महाराजा अजमलरो वषाणु राजो॥१ माहाराजा बैठा जालोर माहे । पतस्या ओरगनै लागु जी पाए । अब दोय कासीद दीलीसु आया। पतस्या ओरगनै मोष पहचाया ॥२
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
अन्त- स ईक्यासै ग्रासाद मासो । राजाजी कीयो देवलोक वासो । चोर्थे सीलोकै पेमोजी छाजै । जो ध्यांणे बाजे अविचल बाजे ।। ३१ ईती श्रीजीतसिंघजी को सीलोको संपूर्ण ॥ मिती वैसाप वदि ११ सन १८४८ का लीपतं नेमविज दाध्यामध्ये, जस वीजैजीका चेला नेमजी लीप्यो छै; कालमें लीषी छै धांनको भाव रुपीयो १) मेर ३६ स छो जदि ला पीढे ||
५४.
२८६३ (१२७)
श्रण हिल्लवाडपत्तन राजावली
आदि - संवत् ८०२ वरणराउ चाउड अणहिल्लवाडह पाटण वसावि | साठि वर्ष लगह राज्य पालिउ | एवं ८६२ श्रऊपर जांगिवड | नेह नह पाटि योग राजा नह राज्य हूऊं । वर्ष ३५ लगह राज्य पालिउ ।।
अन्त - श्रीकुमारपाल राजा राज्य वर्ष ३१ एवं संवत १२।३० | तेह नई पाटि अजयपाल राजा राज्य वर्ष ३ एवं १२१३३ तेह नइ पाटि बाल मूल राजा राज्य वर्ष २ एवं सं० १२३५ | तेह नः पाटि भीमदेव राजा राज्य वर्ष ६३ ।। इम सोलंकी ११ पाट पाटण नयरि राजवी हुया ||
५६. ७७४३
अध्यात्मरामायण भाषा
आदि- श्री गुणेसाये नीम ॥ सुरसती नीमो || श्री सीतारामजी सत छँ जी ॥ श्री रामाये नमा ॥ कथेतं अधातम रामायने भाषा लीषतं रामह्रदय || राज श्रीराजेसंघजी सभाषीत ।
ग्रन्त
चौपाई - जबै भुव भार भयो दुष्टते । तब ही देव गये जाचन प्रभु || चिदानंद सुंनी दस बानी । परजापते असतुते ही ठानी ॥ २ तीन सुप्त सन भेये भगवाना । चीदानंद यनकी सब जाना || मेघ गिरा बांनी जु वुचारी | सुनीक ब्रमा सते बीचारी ॥ २ दुहा || राम हीरदैको राजदानीने प्रीते करते बुचारै । सीयाराम हीरदे बसैय्या समे नाहे बीचारै ॥ ६५
राम हीरद भाषा अरथे कीनौ मते वु न मान 1
सुनी कह रीज न घारी है करीये मते अपमान || ६६
[ ११३
ईती श्री धाम रामाणे रामै हीरदये भाषा ग्रस्थ सपुरन ॥ कथेते म्हाराजे श्रीराज
सीधजी || सुभ समुरर्थं ।
६०.
२२०३
प्रादि- ॥०॥ ॐ नमः परमात्मने ॥
दूहा || श्री जिन वांरणी नितु नमी, कीजइ प्रातम सूद्धि ।
चिदानंद सूष पामीई, मीटि अनादर असूद्ध ॥ १
अध्यात्मसारमाला
अन्त- इम जिनमत प्राराधो काज साधो भविक नि सुगी भावना । गुरि ठाfरण वाघो सुगो साधो करो निज मति पावनी ॥
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११४ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान अध्यात्म गुणनी एह माला । भविक जन कठिं ठवो । जिम नहो मंगल लीलमाला अचल अनुभव अनुभवो ॥ १
इति अध्यात्मसारमाला संपूर्णाः ॥ ग्रं० २७५ । ६६. ३५४६ (८) अनंत रायसापलारी वारता
आदि- ०॥ श्रीगणपत्ये नमः ॥ अथ वार्ता- अनंतराय सांषलो उगो बालो जेसो सरवहीयो तिणरी वात लिप्यते ।। समुद्ररै विचै कोइलापुर पाटण । तिणरो धणी अनंतराय सांषलो। छत्रधारी तीणरो वडो गढ । वडी जमीतरो धणी छैन। तिणरे एकसो एक भाई भतीजा छ । तिके गढ माहै भेला रहै छै । हुकमी थकां चाकरी करै तिणां कनै असवारी नै घोडो १ नै षवास १ सागडदपे सारा आदमी ४ कनै रहै ....। अन्त- दूहो । महमद यु मन जांण, वले न धारै वेगडो ।
जेसा वडां जवांन, करता जंग कवाट उत ।।१।। वात ॥ पातिसाह पचास असवारांसुअहमदावाद आयो । बीजा तो ५ । जेसाजीरै चरण चहोम्वा । संवत् १३०० माहे हुउ । इतसूसूरां पूरां क्षत्रीयांरी वात संपूर्ण ।।२।। श्रीरस्तु । ६७. २१५६
अरजनहमीररी वात आदि- ०॥ अथ वात अरजनहमीरनी वातः ।। अहिलवा. पाटणा गोहिल भीम राज्य करै। गुजरातमै बेगडौ महमंद राज्य करै । वेगडो महमंदसुभीम लडाई लीधी। भीम काम पायौ । वडौ बेटौ अरजन । लहुडौ बेटौ हमीर जाहरां भीमजी काम पायौ । अन्त- आंबर लगै उभारि, माथै षांन मसूर ।
तन वह रे तरवार, मुंइ लग पुंहती भीम उत ।।११ सोहडे सोरठी ए, पुरसातल पाटण तणे । ले षडकी युषमेह, भारत म्हीण भीम ऊत ।। १२
इति अरजन हमीररी वात ॥ १२७. २१७७
आणंदसंधि आदि- दि०॥श्री।। वरधमांन जिनवर चरण, नमतां नव निध होइ ।।
संधि करू आणंदनी, सांभलिज्यो सह कोइ॥१॥ अन्त- संवत दिसि सिधि रस सिसि, तिण पुरी मइ किधी चउमास ।
ए संबध किय उर लिया, मणउ सुण ताथाय उल्हास ॥४६॥धन० इति श्रीमारणंदसंधि संमापतं ।। संवत १६६६ वर्षे मासे फागुण विदि द्वितीया गुरुवारे श्रीराजलदेसरमध्ये ॥ श्रीलालजी लिषाइतं ॥ यादृसं पुसतके दृष्टं तादृष्टं लिषतं मया । यदि सुधम सुं वा मम दोष म दीयते ॥१॥ लिषतं ब्राह्मण हरषा । १६१. ३४६७
धारामशोभा चोपाई आदि- दि०॥ श्रीगुरुभ्यो नमः ॥ दहा ॥ प्रह ऊंची प्रणमुं सदा, पारसनाथ प्रगट्ट ।
___महिमा घणी मुलतारण मइ, दीठां हुवइ गहगट्ट ॥१
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि, भाग-१ ]
[ ११५ श्री जिनकुशल सुरी सतउ, ध्यान धरूचित लाइ।
ईहक आस्था पूरवइ, इ जग विरुद कहाइ ।। २ अन्त- दयासार कहइ सुप भरपूरा । दिन दिन हे तप पूरा छै ॥२६ सं०
इति श्री सम्यक्त्वांधिकारे श्रेष्ठी पारामनंदन पदमावती चउपई समाप्ता ॥ सर्व ६२५ छः छः छः ढाल २७ ॥सर्व ग्रंथानं ८२६॥ संवत् १७४६ वर्षे प्रासू सुदि ७ तिथी गुरूवारे महाजन मध्ये लिषतं विजयमुंदरेण ॥ १८६. ३५४६ (१६). प्रासथानजीरी वारता
आदि- अथ राव सीहाजी पुत्र प्रासथांनजीरी वार्ता ॥ राव सीहाजी तो कनवज रांमसरण हुवा । सोलंपणीजीरै बेटा तीन हुवा था ! आसथांन १ सोनिग २ अज ३ । कनवज टीका बाबत अवांणग हुई । तर पाटण मोसालनै षडीया - । तिके पाधरा दर मजले पाली प्रायन उतरीया । तर श्री जिणदतसूरजी ब्रामणांने कह्यौ औ वडा रजपूत छै। मारवाडि माह हजार वरस राज करसी ...।
अन्त- संवत १४३८ तठे पछै राव चंडै मंडोवर लीधी नै राजथांन बंध्यो। मंडोवर ईदां चुडाजीनै हथलेवामै दीधी। पछै रावजी मंडोवर उठायन आपरै नांव चिडीया टुकरा भाखर उपर गढ करायो ने जोधपुर वसायो । संवत १५१५ जेठ सुदि ११ । तठा पछै जोधपुर होज राजथांन छ । इति आसथांनजी वार्ता । १६७. ९०७
इलाचीकूमार: रास आदि- दि०॥ उं नमः ।। श्रीः ।। दोहा ।। सकल सिद्धि दाई सदा, प्रणमू जिरणवर पास ।
ईलाकुमर ऋषि गावतां, प्रा वचन विलास ॥ १ अन्त- वली ऋषि मंडल मांथी लीयो । ए अधिकार मई सीधा छ । १२
तिणथी न्यून अधिक जे भाषिउ । तेमि छादुक्कड़ मई दाप्यौ छै ।।१४।भा. ग्रंथागर अक्षर गुंगा प्राप्यो । विसेनेस तस विजांगो छै ।।१५।।भा. संवत सतर उगणीसा वरसे । शेष पूरि मनहरसिं छै ।। १६॥भा. आसो सुदि द्वीतीया दिन सारइ । हस्त नप्षत्र गुरुवारे छै ।१७||भा. ज्ञानसागर दीइ संध प्रासीमा । दिनिदिनि दुज्यो सुजगीमा छै ॥१८भा.
जस सानिधि साधु चारित पालें । ज्ञान दरसन अजु पालें छै ॥१६॥भा. सर्व गाथा १८७ ।। इति श्री भाव विषय इलापुत्र इलाची रास संपूर्ण ॥ संवत् १७४६ वर्षे मागसर मासे कृष्णपक्षे १ तिथौ बुधवासरे श्रीघोघाबंदरमध्ये लषितं । मुनि कुंअरकुशलेन कल्याणं भवतु ॥श्रीः।।श्रीः।। २२४. २२१३ (२)
उपदेशसत्तरी आदि-पार्द०॥ उतपत जिव जोय आपणी, मन मांहि विमान ।
गरभावास जीवडो वसीयो नवमास ॥१॥ उतपत० नारि तणीना भात लै जिनवचने जोइ । फूल तणी जिम नालका तिम नाडी दोई ॥२॥ उ०
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११६ ]
अन्त- कलस || ते जैन धरम विचार साभलि लिए सजम भाइ ए ।
परिसाह केरी सदा पालं नेम निरतीचार ए ॥ ७१ ॥ उ० मसारना सुष सकल भोगवी ते लहे भव पार ए ।
श्रीरतनहरप सुषास रंगै इम कहै श्रीसार ए ।। ७२
इति श्री उपदेशसनरी सपूर्णम् । स० १८३८रा मिती आसोज वदि ४ दिने प० श्रीकर्मसुन्दर कालूग्रामे उपकेस गर्छ ।
२२६११२२ (१७)
ऊट तथा हाथीवर्णन
आदि- सुविसाल तुमाल जिके प्रति सोभित घाट सुघाट विध्यात घड्या । जटी चाल सुपाल हलत झमालय बन न थाल जके षडिया || बिते पक सुद्ध भला बगदा दीय कुरगह जेभ पये क्रमता । जग स दीइ मरे सहरो इस्यो घुघवडा मदिरा घुमता ॥ १ ग्रन्त- पट जेम उछाडिय पल्ल गेय वर फोज तरणा ग्रहरणा फबरणा । घन जे मग रज्जित मूल महा परण लाष बे लाष जिके लहरणा ॥ गढ भाज पाहाड विहाड कुरगम झाड उपाड वहे भलता । गजराज दिइ गजसिंघ कमध्वज इद्र जिसा हथियार हुता ॥ २ इति हाथीना वपारण ।
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
२३६
२३६० (८)
एकलगिड वराहरी वात
आदि - ||०|| अथ एकलगिडवाराहरी वात लिप्यते ॥ जबुदीप भरथ षडमै ठाउँ गिरारो सिर अरबद । प्ररबद किसडोहेक छै । इण दूहा जिसडो ।
दूहा || वनस्पती पाषर वरणी, वरणीया टूक विहद ।
पटा बिब्बूटा नीररण, आयो मद अरबद ।। १ घूवी ल्बी घटा, सपर पपीया सद ।
लगसामु वाया लीये, आजु अरवद ॥ २
अन्त- दाढालो काम आयो भूण मती हुई । च्याक चेलरा काम प्राया । पाचमो चेल प्राबुजी रहसी । महारावजी वीमलदेन मारणहार हुसी । ऋषीश्वराराषा वचन सत्य हूवा । झूठामै हूवै रावजीने मारसी । गोठ षायने घरे पवारीया । उमरावान मीष दोधी । मुजरो करने साराही डेरे आप आप गया । महारावजी श्री वीसलदेजी दरबार पधारीया । सुषमै रहै छै । फतई हुई |
इति श्री दाढाली वाराहरी वार्त्ता सप्रण ॥ श्रीरस्तु | कल्याणमस्तु ।.
२५१.
५३०
एकाक्षर नाममाला
आदि- श्रीगणेशाय नम || अथ एकाषरी नाममाला लिप्यते ॥ दोहा || कहत प्रकार विस्नकू, पुनि महेस मतमान | प्रा ब्राह्मकू कहत हैं, ई जुगमा रमा जान ॥ १ अन्त- विदुषन मुष सुनि तरक षट अष्टादसहि पुरान | नाममाला एकाक्षरी, भाषी रतनू भान ॥ ३४
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि-भाग-१ ]
[११७ इति श्राघडोईरा रतनू वीरभाण कृत एकाक्षरी नाममाला मपूर्णा ॥ स० १८५६ ना वर्षे श्रावण विद ३ रयौ (वौ)लिषिता श्रीगोडीजी प्रशादात् ॥ २५३ ३२८९
प्रोखाहरण प्रादि- ॥ श्रीगणेगाय नम ॥ अथ अोखाहरण लिप्यते ।। राग रामग्री ॥
श्रीशभूमूतने आदे आराधू जी । मन क्रम बचने सेवा मागु जी ॥ १
चतुरदश लोक जेहेने माने जी । तेहना गुणमू लषीये पाने जी ॥ २ ढाल || पाने लष्या जाये नही श्रीगणेशना गुणग्राम ।
सकल कारज सीध यामे मुप लेता नाम ॥ ३ अन्त- पछे प्रोपाने वीदाय पापी वरत्यो जयजयकार ।
श्रीकृष्ण पधारया द्वारिका परणावीने कुमार ॥ १६ श्रेोषा (ह)रगा जे माभले नेहेना ताप बण्ये जाय । भट प्रमानद केहे कथा समरो श्रीयदुराय ।। १७
कटवा ।।२६।।२।। प्रोपाहर्ण मपूर्ण ॥ समाप्न । २५५ २३०६ (३)
कृष्णध्यान आदि- अथ कृष्णध्यान लिष्यते कवि ईसरदासजीरो कयो ।
निरपे आदि रूपनिधान । कोट अनगकी छिव कान । माथै मुकट पषवा मोर । घेरत मदन मुरली घोर ।। भाल विमाल लोल क्पोल । राषे भानु-कोटकी पोल ।।
भृकुटी भ्रह वक कबान । भनकत कुटला जुग भान ॥ अन्त- अोपत चरण अबुज लाल । तिन विच ऊर्द्व रेप विमाल ॥
जव तिल गदा चक्र पदम । तिनमै कटति कोट करम ॥ निज पद लाग रज कर जान । तिनकु ब्रह्म मिव ललचात ॥ पलत बाल जूप(थ)मझार । गोक्ल गाव नदकुमार ॥ तिनके दग्स लष वेर । ईसर वार डारयो फेर ॥ १५
___इति श्रीकवि ईसरदासजीकृत कृष्ण व्यान मपूर्ण । २७५ ५२११
कछवाहोको वशावली आदि- ॥ श्रीगणेशाय नम ॥ अथ कुछावाकी वशावली लिष्यते ॥
श्रीआदिनारायणन कवलमै ब्रह्माजी ।।१।। मारीच ॥२॥ कस्यप ॥३॥ सूर्य ॥ ४ ॥ बवम्वात ॥१॥ मनु ॥६॥ इप्काक ||७॥ विकुपि ।।८। पुरजय ॥६॥
अन्त- महाराजाधिराज जन्मनाव मोहोनसिंघ नरवलका राजाको वेटो मो राज पायो । जदि मानसिंघजी नाव पड्यो। मीती पोस बदि हम० १८७५ का । राज कीयो महीना ४ दिन ६ ।। माहाराजाधिराज श्रीसवाई जयमिघजी सवत १८७० कै साल श्रीजमवायजा पधारया जाति देवा । सब माज्या साय पधारी मीती असाढ मुदि ८ सवत १८८४ कै साल ।
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११८ ]
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान २७८ ७७२० (२२) कपडकुतूहल आद्य अश खण्डित है । उपलब्ध रचनाका प्रारभ इस प्रकार है
ढि पिलग पर सु दर ढोलियै वाय ।। १३ मसी जर सु मो मन भयो, प्रीउ ढोलिए बोलाय । माल मु हुगीवे लीजिये, सो माहरइ अावी दाय ॥ १४ तन मुपकी साडी चरणी कच वण्यो सुचग।
रतन जडीत नीरषी सोनी सुदर अग ।। १५ । अन्त- कचीयो पेम पछेवडो कीधो सैज तीमार।
तिण वेला मदिर गई प्रीउ मारणइ तिणि वार ॥ ३१ प्रीाग गगदास सूत, नगर उदैपुर वास । कपडकुतूहल कीधा वणी देहिं दुवास ।। ३२
इति कपडकतुहल सपूर्ण ॥ २६२. २०६२
करगडू चोपाई श्रादि- ॥०॥ नमो अरिहिताण रिसिह
जिणदह पयकमल, विमल वित्त पणमेसु । वद्धमाण निणा बलि काई एक कवित कहेसु ॥ १ रिसह वरस दिण तप कियउ, वद्धमाण छम्मास ।
वरमी छिम्मासाइसउ नामहु उतिण तास्स ।। २ अन्त- वाचक मशिषर इम कहइ, भरणइ ते सपद शिव लहइ ।। ७४
इति कूरगडू रिषि चउपई समप्रलिषड लेष्यक पाठके सुभ भवितु ।। ३०२ ११२३ (१२)
करसवाद आदिदूहा ।। पहिल प्रणमिमि मारदा, जमु करि वेणा नाद ॥
आदीस्वर आदिड करी, गाइसु कर मवाद ।। १॥ नाभिराय कुलमडणउ, मुरु देवी उरि हार । युगला धर्म निवारणउ, आदिइ आदि कुमार ॥ २ ॥ बीम लाष पूरब लही, कुयरपदिइ सुविशाल । त्रिस विलाष पूरव जिणड, कीधउ राज रसाल ।। ३ ।। दोइ कर मप जिनेश्वर करया, भाव सरिस अक्षर सभरिया। श्री श्रेयासकुमर आणद । प्रथम पारणू प्रथम जिणद ॥ ६४ ॥ हुई वृष्टि सो वन शृगार । दुदुभि देव करइ जयकार । मुनि लावण्यसमय कहइ जोय । जिहार सपति तहा सुष होय ।। ६५ सपइ लहीइ धननी कोडि । सपइ अग न लागइ षोडि । सपइ वयण न वाधइ रती । सप वषाणइ श्रीजिन मती ॥ ६६
इति श्रीऋषभदेवपारणाधिकारे करसवाद सपूर्ण ।
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि - भाग - १ ]
३०६ ४०२०
कविकल्पलता
आदि || दं ॥ अथ श्रीसारकृत बावन्नी तियतं । अंकार अपार पार तमू कोड न लभ्यें । सवर कर सिरताज मंत्र धुरि कवियाभ्यै || अग्धचद आकार उवरे मीडो जमु सोहे | जै व्यावै चित लाय तिकै तिहुयण मन मोहै ॥ साबक सिध जोगी जती जासु ध्यान ग्रहनिस करें । कवि मार कहै ॐकार जप काठ मैरण भुलो फिरें ॥ १
अन्त- क्षिते मदन क्षिति तिलक महर पाली पुर सोहै । गढ मरु मंदिर महिल वाग वाडी सनमोहै ॥ राज करें जगनाथ सुर मामत र सवाया ।
मोनगरे सुममथ मुजम वसुधा वर तायो ॥
मत्र मोलैनिव्यासियै प्रासु सुदी दममी दिने ।
श्रीसार कवित बावन कह्या साभलिज्यो सार्च मनै ॥५५
३२५
इति श्रीकविकल्पलता श्रीसारकृते सपुण । सुभ भूयात् !! श्री सवत १८७८ रा मती फागुण सुदी १० स श्री श्रीगुराजी श्रीवैनरामजी । लीषता कु इद्रभारग वाचनारथम्
रणदपुरमध्ये |
[ ११
कागदरी नकल
इस गुटकेमे पत्र म० ३९८ से पत्र स० ४०६ तक चार कागजो ( पत्रो ) की नक्ले दी हुई है जो इस प्रकार है
पहली नकल प्रादि- कागदरी नक्ल ।
छद नराच - मने हत माभर नगर मधर । प्यारी निज हाथ दियो पतर । सुभ वान कथानक सुदरिय । छिव गात अनत चित हरिय || १ सलिता सर निसर नीर वहै । नलनि सुभ वास धरै र लहै ।
वहु वास निवास न कुप वनै । वनिता गनि तीर सूनीर थनै ॥ २ अन्न- दिन जात वृधा तुम सग विना । कबहु सुष होत न आप विना । कहता ज रजी समचार सवं । सु मिथ्या तन मानहु भाम कवै ॥ १७ न लिषे तुम पत्र सनेह घनौ । पय जावनकी तुम रीत गनौ । जुग राम वस् ससि सबत य । सुभ मास तथी सरम चरय ॥
१८ इति ॥ [ सवत् १८३४ ]
दूसरी नकल
सुकल सुभ प्रोपमा
जीवरी जडी,
आदि - कागदरी नकल लीषते । स्वस्त श्री मुकानगर सुथाने केलास क्यारी, प्रेमरनप्यारी, चदवदनी, मृगलोचनी, लगनरी लडी, हीयारी हार, सेजरी सिरसगार, प्रीतमरी षीलार, चितरी ऊदार, हसतमुषी, सदा सुषी 1
४६१५ (१६)
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१२० ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान अन्त- सवसरषी नारी नही, सवसरषी नही बाण । __ सब गुण एकरणमे नही, दाषु चतुर सुजाण ॥ ६२
इती प्रोपमा लिषगरी, जथाजोग मत जाण ।
कहत दुर्लमल चुप सु, स्प चुप परवाण ॥ ६३ ॥ सपुर्ण । तीसरी नकलआदि- मिध श्री प्यारी दीसे, जैपुर नगर जठेह।
प्रीतम लिषत वरणायकै, नित २ नवल नेह ॥ १. चदवदनि मृगलोचनी, चिता लक सुचग ।
गजगमणि रस जोग है, अतहि जाण सुचग ॥ २ अन्त- बाहू उतर देजो सदा, कागद अधिक उजास ।
हित कर लिषजो हेतसु दमकत अपणा षास ।। २० मपुरण ॥ चौथी नकल
प्रादि- मिध श्री सरबोपमा विराजमान अनेक प्रोपमा लायक गुणनिधान बहोतर कलासुजाण चवद विध्यानिधान सूरज जेहा तेज, चकवा चकवि जिहा हेज, चद्रमा जेहा मितल, रुपा जेहा ऊजला । अन्त- मत किणहिसु लागजो, नैणाहदो नेह ।
धुकै न धुवो नीसर, जलै सुरगी देह ॥ १८ सजन फलजो फुलजो, वड जु वीसतरजो। नालेरा जु लुबजो, पाछा जु फलजो ॥ १६
इति श्रीपत्री सपुर्ण । ३३१. ३५६२
काया-नगरको कागद आदि- अथ कायानगररो कागद लाषते । सीध श्रीसुरगपुरी सुब सुथानेर सकल सुभोपमा वीराजमानान राजराजेस्वर माहाराजाधीराज महाराजाजी श्री श्री १००८ श्री श्रीधरमरायजी जमराजजी सदाचरणजी वो चरणकमलायनु जोग कायानगरसु लीषनु । ककर पानाजाद नमतासुर अतरसुर चीतगुपतरो नमो वीसन वचावसी अठारा समचार भला छै। अन्त- सवत उगणीस सही, पाचा उपर एक । (१९१५)
कवीयण कर जोडी वीनवे , सायब राषे टेक ॥ कागद कीदो कोडसु, फरष रष्यो नही फेर। ओर ठोर लावे नही, हीया जब चलो हेज(र) ॥ ३
ईती कागद सपुर्ण । ३४२ २३७५ (२) काष्ठघोडा विक्रमजीतनी वारता
आदि- श्रीगणेशाय नम ॥ अथ श्रीकाष्ठघोडानी वारता लिष्यते । चोपाई । हरसि दरे गुणपतिनु नाम । प्रथ विपत पोतानो ठाम ||
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि-भाग-१ ]
[ १२१
तेन व्यजाणे विजो कोय । तेह थानक एक अचरज होय । स्मीपे आण्यु देहरू । जै राजा ये हेरू करू ॥
माहि बेठो एक दिठो जन । तेहनु मरवा उपर मन ॥२ अन्त- विक्रममेन मोटो राजन । कहे पूतली सुणो भोजराजन ।
एवो को यथा स्ये सही । ते सीघासण बेसे जई ।। १०२ एह वात पुतलीये कही । पछे आकास मारगे उडी गई ॥ १०४
इति श्रीराजा विक्रमजितनी वारता काप्ठघोडानी सपूर्ण । ३४५ ११५२
कुतुबशत प्रादि- ई० ॥ ढढणी दान सबदकी, अढी देवल नाम ।
माहिबसा मुरत्तिया, बर बोलीये बडाम ।। १ एक दिवसि साहिबा ढढरणीकु पाणा षुलावती थी ढढणी प्रमाद कीया। साहिबा तुझक क्या उपगार करू । हमकु क्या उपगार करहुगे। हमारे बडाबूढाके उवसाफ करउ । तेहउ अवर क्या उपगार करहुगे । अन्त- जिन ही जीव अरग्गीया, ज्वलन भई जन जाइ ।
कह्या सुमाह कुतव्वदी, रहइ सु राषउ माहि । मुलतान फुरमान दीना, लेट करे गोष पर चीना ।। फकीर लुटणइ लागे, सादा नेवागे। वाजे वाजत वज्जीया, हुवे हुवदे काई ।
जिमी जीव कुतव्वदी, जिन नामना न जाइ । इति श्रीकुतबशत समाप्त ॥ श्री ॥ सवत् १६७० वर्षे वैशाषमासे कृष्णपक्षे शनिवारे श्रीमन्नागपुरीय तथागच्छ स्वच्छातुच्छसुगच्छसमुल्लासन सजलजलधराणा श्रीअमरकीतिसूरीश्वराणा शिष्य धर्मकीतिना लेरित ॥ श्री ॥ चेला साकरसी ॥श्री ।। श्रीनागपुरमध्ये।
२८९३ (१०३) गुजा-काचनसवाद
वर जिहु तामह बालिय, वरिषाधउ घरण धाउ । अनला माधि ज तोलियो, तिह भग्रउ भडव'उ ।। १ रन्नि वसती हू भली, रातउ सव्व मरीर । काउ मुह तव पाइयो, परमिउ पुरुष सरीर ॥ २ मुरिण गजा कचन भणड, हमि तुम्हि वटी क्सिीस । पडसिह तामण नीसरा तउ भाजुइ दुह रीम ।। ३ मुरिण कचरा गुजा भणइ, हमि तुम्हि एहि वटीस ।
पइसि समुदर नीसरा, तउ लभ्यइ कुल रीस ॥ ४ ५०४. ३५४६ (१७) चितोड जोधपुर आदिको ऐतिहासिक हकीकत
आदि-॥०॥ सवत ६०२ चित्रागदे मोरी चीतोड वसायो। सबत १३६१ अलाब
४०८
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१२२ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
दीन पातिसाह पदमणीरें लीयै आयो नै गोरोवादल लडीया । सबत १६२४ राणा उदसिंघजी चीतोड छूटो नै पीछोला- तलाव उपर उदैपुर वसायौ
1
अन्त- सब्बत १६०० राव राम काल कीधो राव डुगरसी टीकेँ बैठो। पछे राव मालदे डुगरसीने तेडने होलीधारी रामति माहे झालीयो । पछे राव मालदे फलोधी आण घेरी । डुगरसीनै पिरण साथै ल्याया । कोट डुगरसीर रजपूत जगह देपावत सभायो । वडी बेढ कीवी मास २ ताई । पछै रावजी डुगरसीनै दोहरो करण लागा । तरै डुगरसीजी जगह छ देपावतन हायौ । तु कोट परोटे तरै जगह में कह्यौ कु थारै हाथ कूची देईस । तरे डुगरसीन पोल बारै ले गया । जगहथै देपावत डुगरसीरे हाथ कूची दीवी । डुगरसीजी राव मालदेनै दीधी । तरै राव मालदे गढ लीयो । डुगरसीनै परो छोड दीयो पछे डुगरसी कानी होइ गयो ।
५७१
२८९३ (१३८)
चद्रगुप्त सोलस्वप्न सज्झाय
य नम || हरषइ प्रभु गुरु प्ररणमी करी, स feess धरी । सोलह सुपण ती सिझाइ गता सवि सुष धाइ ॥
१
भरतषेत्र पाडलपुरि
राजा चंद्रगुपति अभिराम ।
निसि भरि सेजि सुपन जे लहिया, सोलह सुरियो ग्रनुक्रमि कहिया || २ अन्त- सवत सोलहसइ बावी वसुदि पचमिय जगीस ।
राजलदेसर सघा एह सिकाय हीर रिषि कहइ ॥ २० द्र सोल स्वप्न सिज्झाय ॥ लिषत हेमराजेन ।
इति श्री चंद्रगु
विशेष – गुटका अत्यन्त जीर्ण एव त्रुटित होनेसे इस कृतिका अधिकाश खण्डित हो गया है ।
६०३.
प्रादि
•
अन्त
दुहा ||
.
३५४६ (१३)
जबरा मुषराकी वार्ता
आदि - अथ वार्ता १ जबरा मुषरारी लिष्यत्ते । पछिम दिसने पटण गाव छै । तठे प्रोढो भाटी राज करें। तिरपरै दोइ बेटा हुवा । एकरणरो तो नाम भीवो । दूजारो नाम देवो | गाव २॥ ऽय ३ रो धग्गी । घणा रजपूत षाप २ रा कनै रहे है । प्रसवार हजार १री साहिबी । तठे ठावा सगीर भीवान परगायो । देवो पिरण परण्यो । तठे वरस १६ माहे तो भीवो हुवो
|
.
पूटी ताई षानाह, जि न पायो जषरो । मिले न मेले ताह, माटी दूजी मादुवा ॥ १ वेह दातार विवाह, जाचिक क्युं जीवै नही । बूटी ताई षानाह, जिगं न पायो जषरो ॥ २ पातरीया पहलोइ, जाय जूहारचो जषरो । नर बीजा नर लोइ, आष्या तलि आवै नही ॥ ३ श्रा इतरी वात जषरा मुषरारी कही । सूरवीर दातार, तिरपरै मन लही ॥ ३ इति वार्ता सपूर्ण ॥
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि - भाग - १ ]
६०४
६०५
११२२ (३)
श्रादि - || ६० ॥ श्रथ जगडूनो छद ॥
जगडूनो छद
गम रूप देवी प्रदेश | आपोग्राप अगम प्रदेश | श्रादि जुगादि नमो आदेश । अषर मपर देवगण प्रादेश ॥ १ ब्रह्मा विष्णु महेमर जाया । मोह जाल जिग जग मडाया ॥ आप कुमारी विष्णु उपाया । तु मोटी माता त्रिपुराया ॥ २
अन्त
कलश || नाकारो मुष नही दान घट वररणा देणो । दे दै कार दुवार लोभ छोडे जस लेगो ॥ श्रगमने उछरग भला गुरणगीत भरणावै । श्रमवाल भूपाल आज कुरण सम वड आवे || लालगणेस कज लीलो कहै मेर समोवट जाम मन । दाना रसको जाणे दुनी तिम जगडू व्रधमान तरण || ६ इति जगडू नवागरवालानो छद सपूर्ण ॥ ११२२ (१८) जगडूसाहनो जस
आदि - अथ भद्रेसर वालो जगडूसाहानो जस । छप्पै ॥ मूडा श्राठ सहस्स दीघ वीस लवण वीरै । बार मूडा सहस्स दीध सिंधवे हमीरे ॥ गजनवे मुलतान सहस मूढा इक वीसे । मालव पत्त्र अठार अने मेवाड बत्तीसे ॥ राया सधार इल पर हूम्रौ भवत बार श्रीलोत्तरे । जगडवे साह सोला तर करी प्रमध पनरोत्तरे ॥ १ मरग थकी सवरयो देस पुतो दकालह ।
नगर सरवे पलभल्या वार पोहनी श्रीमालह ॥ अने करयो आकलो धारतो घीनी वाहू । तो फेडू ठाम केतो जीवतो साहू ||
जगडू ए साह सोला तणे जकडबध गाढो जड्यो ।
मेल मेल माह जगड़ना नही पडू काल पनरोतरो ॥ २ जसवर्तासहजीका कवित्त
आदि - कवित्त महाराज श्रीजसवर्तासघजीरा कुवरा रा ॥ गुण गंभीर गणेश शेग मर्पेस सुगीजै । सुरतेतीसा सहित ससकति हित उपर कीजै ॥ नव नाथा नवग्रहा सत जन करो सहाई । रिषि रावा साधका कहे उपजे जिकाई ॥
६४८ २३६२ (७)
महाराज मरण मुरधर धरा, राजपाट किरण विध रहे ।
ब्रह्मा विसन शिव ईद्र सुरिण, कहै वचन सरसति कहै ॥ १
[ १२३
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१२४ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान अन्त- हुजदारा हेक वार जात सेजे जावै ।
अकल पथ हिंगलाज तहा काय हुइ प्रावै ॥ पाकरण पोतदार तिकै द्वारका पधारौ। ज्यों पातिक मिट जाय हुई आतम निसतारौ । उतपात मात करसी अलग जात कीया दुष जावमी ।
द्वारकानाथ प्रतापय इतरै होली पावसी ।। १ सवत १७३५रा पोस वदि १० महाराजा श्रीजसवतसिंघजी देवलोक प्राप्त हुआ छै सौ अटक पार तरें घोडै चतुरै कह्या छ । ६५०.११२२ (४६) जाम लापारी नीसाणी आदि-॥०॥ अथ जाम लापानी नीसाणी सिहटप लिप्यते ॥
मो कर भवानी मेहरवानी, अपर आगेवान । वाषान लाइक सुर विनाइक, दै सवाइक दान ।। १ हुन् दान दाइक नरा नाइक, वरनवो सुविहान ।
रज रीत राषा जाम लाषा, षट्ट भाषा जान ।। अन्त- हुन रूप राजै छवि छाजे, जस कवदा जीह।
वह कहत राजसरान बाबत, देसपत सब दीह ॥ २६ हुन दीह साजै धनी दौलत, सत्त दत्त सवाइ । अस्मान जमी ताम अमर, जाम नाम न जाइ ।। ३०
इति श्रीनीसारणी जाम लाषारी सपूर्ण ।। ६५३.७४६
जालधरपुराण आदि-॥ श्रीगणेशाय नम ॥ अथ जाल वरपुराण लिप्यते ।। छद बेपाषरी॥ गजमुष गुण भडार गणेसर ।
सिधि बुधि समपि समोभ्रम सकर । उमया मात उदर उतपना। देमू देव विद्या वरदन्ना ।। अष्षर अजब अछभम आणी। वधवाणो दे अविरल वाणी। विमला कला कमल वाहनी ।
वेद वरनी चद वदनी ॥ २ अन्त- तोहारो चाकर चिता तूझ ।
मफेर विजो न चौरासी मूझ ॥ तोरी करि राषि हवै त्रिपरारि ।
अमै बर मूझ मया अवधारि ।। ३५ इति श्रीजालघर पुराण सपूर्णतामबीभजत् । लिखित प. कुअरकुशलेन ॥
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची भाग - १ ]
६८१ ४६१४ (५४)
६८३
जोगी रासा
प्रादि- श्रथ जोगीरास लीपीते ॥ ॐ नम सोध्येभ्यो नमः ॥ प्रदिपुरिष जो प्रादिजगोत्तमु प्रादिजती श्रादिनायो । श्रादिजगोत्तमो जोग पयसो, जय जय जय जगनाथो ॥ १ तास परपर मुनिवर हुआ, दीगाबर सहिनारणी । कुदकुदाचरज' गुरु मेरै, पाहुजी कहिय कहाणी ॥ अन्त- जोगीह रातो सीषहु श्रावक, दुषन कबहु लहि सौ । दासह त्रिविधि हि सिधहु समरण कीजहु ॥ ४२ ईती जोगीरामो सपुरणमस्तु ।
५४१८ (३१)
टडाणा गीत
प्रादि- टडारणा टडारणा बे, जियडे टडारणा टडाणा ॥ इत मसारै दुष भडारै, क्या गुरग देषि लुभारगा छे ॥ जिन ठग ठगिया नाद काले, फिर तस जोग पत्यारणा छे ||
७१५
अन्त - करि उदिम श्रापन बल मडौ, भोगी अमर विमारणा छे । समिकि तपोहरण दस विधि पूरा, निरमल धरम कराणा छे ॥ सुधसरीरु सहज लवलावहु, भावहु प्रतर झा (गा ) छे । जपै बूचा तम सुष पावहु, वछै पद निरवारणा छे || इति टडारणा समाप्तम् ।
२३६८ (५)
तारातबोलरो वार्ता
आदि - अथ तारात बोलकी वारता लीपते । मुलतान वासी ॥ नाव ठाकुरसी । बुलाकीदास दुर देमकी वारता देषि प्रायो सु लीपी छै ॥ प्रथम गुजरातसु कोस ३०० स अहमदाबाद नगर है । ग्रहमदाबादसु कोस ३०० मैं प्रागरो छै । श्रागरासु कोस ३०० से लाहोर छै।"
[ १२५
अन्त- "तारातबोल नगरकै आसि पासि सीभु नदी बहै छँ । चोगरद जीका पाट छै । आगेकी काई गम नही । मुलक जभी आसमान छै क नही छै । जी की ठीक नही । आ बारता मुलतान वासी नाम ठाकुरसी जाति षत्री बुलाकीदास देषि आयो सो लीषी छै ।
तारात बोल श्रागरास ५५५१ कोम है । आगे धरती है जीको बिचारतो केवली जागे सहर १ आगे बतावै छै । जीको राह कोस २०० से आगे चाल छ । सो पडित होसी सो जाणसी । इ वात मजूब जागो मतीना ॥
इति श्रीतारात बोलकी वार्ता सपूर्ण ।
१ कुदकुदाचार्य (२)
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१२६ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान ७८६ ११२४ (१०) दामनक चोपाई
आदि- ॥०॥ वा० श्रीसौभाग्यशेखरगुरवे नम ॥ दूहा । सरमति सामिरिण वीनवी, मागु अविचल मान ।
सरस कथा रस बोलवा, दे जेउ वरदान ॥१ दया धर्म जगि रूयहउ, भाषइ श्रीजिनराय । तसऊ परि सबधहु, बोलिसु सगुरु पसाय ॥ २ मानव भव दुहिल्यु लही, कीजइ जीव यत्तन ।
दामनगनी परिसदा, लहीइ परिघलधन ॥ ३ . अन्त- सवत सोल त्रिसठि जाणि (१६६३) । ज्येष्ट सुदि नवमी सु बषाणि ।।
राउ(?)द्रहा नगर मझारि । श्रीवर्द्धमान स्वामि आधारि ॥ ३१ पुन्यइ मुष सपति घरि होइ । पुन्यइ जय लाभइ जगि जोइ ।।
दयाशील वाचक इमि कहइ । पुन्य थकी सिव पद लहइ ।। १३२ इति श्रीजीवदया विषये दामनग चुपाई सपूर्ण लिषित मुनि श्रीज्ञानशेखरेण साहराउल पठनकृते श्रीपार्श्वनाथप्रसादात् श्रीरस्तु ॥ ८७६ ४६२४ (३) नागदमण कथा (अपूर्ण)
आदि- ॥०॥ श्रीसारदाय नम ॥ अथ नागदमणि लिष्यते ।। दुहा ।। वलतो सारद विनवु, गुणपति करो पसाऊ ।
पवाडा पनगा सरस, जदुपति कीधो जाऊ ॥१ प्रभू अनेके पाडीया, देत वडा चादन । के पालण पोढीया, के पय पान करन । २ कोइ न दीधो कानवा, सुण्यो न लीला बध ।
आप बधावण उषला, बीजा छोडण बच ।। ३ अन्त- "कलश ।। सुणे पुणे सम वास, नद नदन अहिनारी।
समुद्र पार ससार, दोई गोपद अणहारी ॥ अनतर आणद सवे वषताप सुणावै । भगति मुगति भडार, ऋगन मुगनाह करावै ॥
रमीयो चरित राधारमणि' • • ॥ ९१३ ११२३ (२२) नेमिनाथ चदाइण गीत
आदि-आर्द०॥ राग केदार गुडी ।। दूहउ ।। सामल वर्ण सोहामणु, सब गुण भणु भडार ।
मुगति मनोहर मानिनी, तिनको हइ भग्थार ॥ १ वालि ॥ मुगति रमनि तु भरथारा । तुझ गुण कोइ न पामइ पारा॥
तीन भुवनहु आधारा । अभयदान तुहइ दातारा ॥ २ अन्त- सहस बस्स कु आयु ज पालिउ । जनम मरण कु भइ स बटालिउ ।।
सकल ध्यान ऊजल गिरि करीए। नेमनाथ शिव रमरणी वरीए॥ ४५
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १२७ दूहउ ।। नेम चदाइण जे भणइ रे, ते पावड घुसार ।
मुनि भाकड इम वीनवइ छोरउ भव के पार । ४६
इनि नेमनाय चदाइण गीत समाप्त ।। ३५७३ (४८)
पनरमी विद्या प्रादि- ०।। श्री गुणेसायन्म अथ राजा भौजरी पनरमी वार्ता व्यास भवानीदासकृता लिष्यत्ते । अथ दूहा ॥ श्री गणपति सरसती सीव, विसना रवि गुरूदेव ।
व्यास करे अरदास प्रभू, देजे अष्यर भेव ।। १ अविरल वाणि आप जे, देज्ये सूबुद्धि सुग्यान ।
त्रियाचरित्र वरणत करू, धरे सुलछन ध्यान ॥ २ अन्त- कर न नार वचन चित धरयै ।
करीये भोग आलोच न करीये ।। सुष विलास बहुतेरा कीजै । दीलमु मरम भरम नही दीजै ।। ५३ त्रिय परपुरुष घणु वपाणु । चोटै वात पारकी प्राण ॥ देष जवाना चीत दीढावै। विधतासेह जु छिनाल वतावै ॥ ५४
(अपूर्ण) १०७५ ३५६० (४) पाबू धाघोलोतरा दूहा (अपूर्ण) श्रादि- ॥ श्री पाबु धाघोलोतरा दोहा मु० लध्यरा कया ।
देवी दे वरदान, मुणतो यु लध मालीयो ।। पाबमु परध्यान, गालतु तुवै गुण ॥ १ सुरनाया कुडाल, वरदायक हुइज वलै ॥
भल पाबु भूपाल, मलकहै या कीरत मुणु ॥ २ अन्त- वीरै वरजताह, मै कीघो मुज पामीयो ।
षट नह षाताह, माता सुरण बूझो मुण ॥ ६५ छेहडो विछावेह, मै समझायो मो दिसा ।।
पिण लागो या एह, तो पिण न मान त्रिपट ॥ ६६ ११५५ ५८६७ बगसीराम प्रोहित हीरा को वात' १२६६ ३५४६ (२०) महाराज प्रभैसिंघ देवलोक हुवा तिण समयरी वार्ता
प्रादि- ॥०॥ अथ वार्ता महाराजा श्रीप्रभसिघजी देवलोक हुवा मारवाडिमै विषो हुवो तिण समीयारी ।। सबत १८०६रा अशाढ सुदि १४री राति घडी २ पाछली रहिता महाराज श्रीप्रभैसिघजी अजमेर देवलोक हुवा नै दाग पोहकरजी दिरायो। पछ १ यह ग्रन्थ मूल सूची में भूल से छपना रह गया है । २ यह कृति प्रतिष्ठान से प्रकाशित हो रही है।
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१२८ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान महाराजकवार श्रीराममिघजी श्रावण सुदि १० गुरवार जोधपुरमै टीक बैठा।
अन्त- सबत १८१३रा आसोज मुदि ८ महाराज विजैसिंघजी मेडते अमल कीयो। सोझत पिण तुरी लीधी। तरै रामसिंघजी जैपुर गया। राजा ईसरसिवजीरी बेटी परणीया सबत १८१३रा पोस वदि १ मगलवार ।
इति मारुषडविषारी वारता सपूर्ण । कवित्त- दिषणी मुरधर देस राम राजा ले आया।
लारा लगावै रार काल पिण पडया मवाया ॥ - धरती हुई पराब लटकोस घणी मचाई। दुनीयारा षोगाल गउ पिण कटी सवाई । सबत अठारै इग्यारोतरै बारोतरो पिण जाणीयो ।
तीनु काल मिल एकठा तेरोतरोही पिछाणीयो । १२८६ १०४
माधवानलकामकदला चोपाई आदि- माधवानल २ रूपि मकरद । चवदह विद्याधर चतुर ॥
बिदुर जारिण सुरगुरु विचक्षण । नारद वर नाद गुण ।। लहु बेस बत्रिस लक्षण । कला बहुत्तरि अति कुमलक्षण ।।
अभिनव इदकुमार । सदगुरु मुषि जिम मन लइ ॥ विरचिसु तेह चरित ।। २ अन्त- दूहा ॥ सवत् सोलसोलोत्तरइ, जेसलमेर मझारि ।।
फागुण सूदि तेरमि दिवसि, विरची आदित्यवार ।। ५० गाहा गूढा चउपई, कवित कथा सबध ॥ कामकदलाकामिनी, माधवानल सबध ।। ५१ कुसललाभ वाचक कहइ, सरम चरित सुपवित्र । जे वाचइ जे सभलइ, तीया मिलइ धन गरथ ॥ ५२ गाथा माढी पाचसइ, ए चउपइ प्रमाण । सुणता भणता सुष दीयइ, जे नर चतुर सुजाण ।। ५३ रा ल माल सु पट्टधर, कुवर श्रीहरराज । विरची ए शृगार रस, तासू कतूहल काजि ॥ ५४ सारदसु प्रसाद करि सील तणइ आधारि।
भरणइ सभलइ तेह नर, सुष पामइ नरनारि ॥ ५५ गथ ५०५५ ।। इति श्रीमाधवानलकामकदला चउपई ममाप्ता ॥ स० १६४३ वर्षे चैत्र वदि १० बुधवारे उत्तराषाढ नक्षत्रो मध्ये पल्लीवाल० भट्टा श्री शातिसूरि तत शि० देवीदास लिषत जयतारणे ।। १३०२. ९७१
मानतुगमानवती चोपाई आदि-आर्द॥ श्रीपरमात्मने नम ॥
प्ररणमु माता सरसती, प्रणमु सदगुरु पाइ । मूरषथी पडित करे, जस जगमे कहिवाइ ॥ १
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची भाग-१ ]
[ १२९ कथा मरसने कवि वयण, केलवीया बहु मीठ ।
सावर द्राप अमी थकी, मे तो अधिका दीठ ।। २ अन्त- मवत मतरेमतवीसे बुरे । मुदि प्रामाढे वीज दिने गुरे ।।
परतर मह गुरुजिणचद जयकरू । तेहने राजे सोहगमुदरू ।। सुदरू मोममु दर प्रसादे । अभयमोम इणि परि कहे ।।
ए सरम कहिने कथा दापी । भेद मतिमदिर लहे ॥ इति श्रीमानतुग मानवती चतुपदी समाप्ता ।। म० १७७८ चैत्र मुदि चतुर्थी लिषिता प० राजविजयवरै ।। श्राविका पुण्यप्रभाविका देवगरुभक्तिकारिका केसरपठनार्थ वीक्रमपुर वास्तव्य कल्याणमस्तु । १३८२ ३५५० (१५) भेडता प्रादिकी ऐतिहासिक हकीकत
आदि- मवत् १७४६ वर्ष पोम वदि नबाव अन्याइतपानरो बेटी रावणषडौ निगनु मेटतीय जोधे षाडानु मारीयो। साभरि परै तुरक घणा मरण गया। रपन वपत घोडा कुद ब सर्व रजपूतारै आयो। राडानु वाढी। मारवाडि माहे वरस ७८ रह्यो। लोका माहे लीक पाडतौ गाव घणा षाडै मारीया था तका सर्व कसर काढी। मुहकमसीघ मेडतीयानु मारीयो हुतो तको वैर लीयो ।
अन्त- स० १७५२ वर्षे वगडी मुकात स्पीया हजार ७ लसकरीषानरे बेटे बीजो हबीबषान लीधी । साष नीपनी सषरी । मेह घरणा हूआ ॥ १ १४५४ ७७२० (२३) रागनामोपरि विरहसुभाषित पादि-०॥ प्रीतम चाल्यो हे मषी, ललित करी लपवार ।
ह्यिडा उपर हिसतो, मो विरहणीको ना हार ।। १ तुम विरण मेरे प्रीतमा, मदीर माहि अधार।
घर बाहर नही आलगे, जा कीयो दीव गधार ।। २ अन्त- थाहरो प्रीतम आइयो, सज्या समे सुजाण।
मन उछाहो अधि हुयो, करो कल्याण कल्याण ॥ ३० प्रीउ पधार्या हे मषी, पायो आज मोभाग। जैतश्री जय जय करे, आज अम्हारो भाग ॥ ३१
इति राग सपूर्ण सवत् १७६५ वर्षे जेठ सूद ७ दीने श्री ॥ १४६१ ४६०६ (२) राजसभारंजन प्रादि- ०।। अथ राजसभारजन लिप्यते ॥
गगाधर सेवहु सदा, गाहक रसिक प्रवीन । राजसभारजन कहो, मन हुलास रस लीन ।। १ दपतिरति नीरोगतन, विद्या सुवन सुगेह । जो दिन जाय आनदमै, जीतबको फल एह ।। २
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१३० ]
[ राजस्थान प्रच्यविद्या प्रतिष्ठान
बीचसे कुछ उदाहरण
साथ सहेट चल्यो चहै, मुग्धो तिय पिय छैल । षीसेमे कोडी न्ही, चले बाग की सैल ।। ६७ सहज रीति कुल तजि लगै, काम कलाकै साज ।
बाप न मारी मीडकी, बेटा तीरदाज ।। ७० अन्त- छद तीनसंसाठ सब, व्यवहारै सुष देत ।
राज-सभा-रजन सरस, कियो रसिकजन हेत ।। ६७ अक बान मुनि ससि (१७५६) समा, विक्रम सक नभ मास । उजल नवमी भृगु दिवस, पूरन रस-प्रकास ॥ ६८ सुषद भूमि सग्रामपुर, श्रीनृपवर जयसाहि । तहि कवि मन सुप्रसन्न अति, मति रतिसो अवगाह ॥ ६६ जब लो सुष सज्जन कला, मेरु धराधर वाम । तब लो चिर जीवहु रसिक, पढत गुणत गुन नाम ॥ ७०
इति श्रीराजसभा-रजन दोहा समाप्त । सबत् १७६८ वर्षे मिति पोस बदि १४ शुक्र लिपिकृत श्रीरस्तु कल्याणमस्तु ।
१४७६ ४८३४
राठोड नाहरखानरो छद आदि- छद राठोड नाहरषानरौ गाडण माधौदास रौ कह्यो । प्रारज्या॥ उग्पन्ना पुरसाणी उडा। पाणी पछा पाषर होडा।
औरा कीआ रछ्छीस जोडा । नाहरषान समप्पै घोडा ।। १ भाडजी केवी मुगलाणी । पासा पैग जिके षुरसाणी ॥
वडपाता सुरण अवरल वारणी । रेवत रीझ दीये राजाणी ॥ २ अन्त- कलस ॥ वहस तेज बहु सफल बहुत मोला बहु भोयण ।
धीरज तेज अनत लोय दीप क्वहलोयण ॥ घड विसाल पे करह गात उतगह मैंगल । पवग वेग विसराल वाजि वीया वेगागल ॥ बरहास वडा वड कवीयणा त्यागी द्यण हरते रवै । समपीया षान राजानकै कुप करन्नह अभिनवै ॥
इति नाहरषान घोडारा दाताररौ छद सपूरण ॥ १४९८ ३८६७
रामयशोरसायन आदि- ०॥ राम-रासा लिषते ॥ वेलावल रागे ॥ दोहा।। श्रीमुनिसोव्रतस्वामि नमो, त्रिभवन तारण देव ।
तीरथ कर प्रभु वीशमो, सुर नर सारै सेव ॥ पुत्र सुमित्र नरिद्रनो, पो मावैत समाय । जनमा भुमि जिनवर तरणी, राजग्रही कहवाय ॥२
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १३१ अन्त- कास ॥ र म लिछमन अने रावण मति मीता नीचरी ।
कही भाषा चरीत माची, वचन रचन की षरी ॥ १ मग विनोद कवता, अन पावत, मुष भरगी।
केगराज कवीद जौ, मदाहरष वधामगी ।। २ ईति श्रीढाल षष्ट्या रामयसोरमायरग चतुयोदिकार समाप्त सर्ब ढाल ६२ सर्व गाथा ३१६६ सर्व प्रथाग्रथ ४३७५ ईति रमायण समाप्त ॥ सवत १९७१ चैत्र मासे शुक्लपणे तिथ छठ ६ वार यादीत बार नै देहरनामे जमना टटे । लिषत रमायण साम्त्र पुरा कीया हगा बुधराम लिषत ।। १५३७ २३६४ (२) रूपदीपक पिंगल
अादि- । श्रीरामजी ।। अथ रूपदीपक भापा लिषत ॥ दाहा ॥ सारदमाता तू बडी, सुबुधि देह दर हाल ।
पिगल किं छाया लीय, बरनौ बावन चाल ॥१ गुम गनेमके चरग गहि, हिय धारकै विम्न ।
कुमर भवानीदास को, जुगति करै जै किस्न ।। २ अन्त- बावन बरनी चाल मब, जैसे मोम बुद्ध ।।
भून भेद जाको कही, करौ कबीसर श्रुद्ध ।। ३ मबत सतरै मै बरस, और छिहतर पाय ।
भादो मुदि दुतीया गुगै, भयौ अथ सुषदाय ॥ ४ सवत् १७७६ इति श्रीरूपदीपक पिगल भाषाग्रथ सपूर्णम् ॥१॥ स १८५८ मिती पोस सु । १५४७ ११२२ (६१) लााषफूलाणीरा कवित्त
आदि-०॥ अथ लाषाफूलारणीना कवित्त लिष्यते । छापय । प्रथम चउद्दह कोडि सेन गह मिलै सुभट्टा ।
धर पूरव ऊमडै वहै सिर वाट उवट्टा ॥ जगल वारा मिरू लष्ष लोधी घर माही । वनचर चीध विलग्ग जाण वामणो पसाही ।। धूवलो गयण पुड धूजियो गभीर पच जोजन गियो।
मम बीह मूर सत्त मारवा इद्र कहै लाषो अयो॥१ अन्त- मवत नव एकमे मास कारतक्व निरतर ।
पिता वैर छल महि सहउ राषाइत सद्धर ।। पड़ मा सो पनर प. सोलकी सो षट । प्रोगग्रीस सो चावडा मूत्रा छिल राज रिणवट । पातरे धमल मगल लहै सोल सीह नामी सरै। आठ मै पष्ष रा चाद्रणं मूलराज लाषो मरै ।। ५ इति लाषा फूलारणीना कवित्त मपूर्ण ।
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१३२ ]
[ राजस्थानी प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान इ५४६ ३५५५ (२७) लाषाकुलाणीरी वात
आदि- श्री गणेशाय नम ॥ अथ लाषाफुलाणीरी वात लिषते । प्रथम तो गीत सीहा सेतरा मोतरो लाषाजीनै मारीया तिरण समारो
सुध मन जात चालियो सीहो, सेन सुतन ले बहु साज । मूलराज नालेर मेलीयो, उपर करो कनोड्या प्राज ॥ १ हुतो चाल्यो जाति गोमती, सगी पण छै पागलो साथ ।
जाता करे वलता घर जास्या, वाउडता सगपरणरी वात ॥ २ अन्त- सिरदार काम आयो। राषायचरा काका भाइ सारा ही वैर ले पाछा पाटण पाया।
इति श्री लाषाफुलाणीरी वात सपूर्ण । सवत् १८२६ वर्षे येष्ट वदि १४ दिने पिपलीया ग्राम लिषत केसरचद लिपीकृत । तिण समारो कह्यो हो
लाषो तो मीहै मारीयो, थे भगा सो वार।
पडीयो सीह करकडे, की बेडीयो गिमार ॥१ वात लाखोजी पुरे लोहे पडिया छ त? मूलराज चावडो आयो सीहोजी कु च करे नैक नव जनै पधारीया। सोलकणीसु सुष भोगवता छ पुत्र हुवा छै । बडा आसयानजी तिके मारवाडमै आया। तिणारो विमतार राठोड छै सहो ।
___इति वारता सपूर्ण । १५६३ १८१५
विक्रम-चरित्र प्रादि- ॥४०॥ श्रीत्रिपुराई नम ॥
देवि सस्सति पाय पणमेवि शभु शकति बिमनी बरी। करिस कवित नव नवइ सिद्धि बुद्धिवर विघनहर ।। गुणनिवान गणपति प्रसादि ज्ञानी रषि आगइ हूया ।।
जह आगम परवेस तस पसाइ कवीअरण कहइ विक्रमसुत व्रणवस ॥१ दूहा ॥ आदि सति नेमी सरह, पासनाह वर्द्धमान ।
ए पचइ मगल करण, शास्त्रारभि प्रवान ॥ २ अन्त- पनरपासठइ सवत्सरिइ । जेठ मास सुदि पक्ष दिन करिइ ।
रवि रास ए शास्त्र प्रकास । कहि कवीयण निज गुरु उदास ॥ ४६
विपुल बुद्धि सुकवि तेह तणइ । वाचक उदयभानु इम भणइ ॥ ६२ इति श्रीविक्रमचरित्र प्रबध ॥ सवत् १५६७ वर्षे माघेशरमासे कृष्णपष्य नवभ्या तिथौ शनिवारेऽज्जेहश्रीपूर्णिमापक्षे पूजा श्री श्री ६ भुवनप्रभसूरि शक्ष्य वा० रत्नमेरु लिषित ॥ गोदावरी ग्राम श्री श्रीहस सानिध्ये लिषित ॥ कल्याणमस्तु ।।। ६४१४
विक्रमचरित्र ( हेमाणन्व रचित ) आदि- ०॥ श्रीसरस्वत्यै नम ॥ प्रणम्य देवदेवच वीतराग सुरचित ॥
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि, भाग-१ ]
[ १३३ लोकाना हि विनोदाय करिप्येह कथामिमा ॥ १ नन्वा सरस्वती देवी स्वेताभरणभूषिता ।।
पद्मपत्रविसालाक्षी नित्य पद्मासने स्थिता ॥ २ अन्त- श्री विक्रमने बेताल कथा कही चउवीस उदार ।
मोल छियाल भाद्रव माम । हेमाणद कहै उल्हास ।। ३९
इति श्रीवेतालपचीसी २४ कथा । दोहा- बलि विक्रम सीसम गयो, पाछो तिण ही डाल ।
मडबधी काधइ कीयो, तब बोल भूपाल ॥१
प्रागेका अश अपूर्ण है। १६१२ २०१६ विक्रमसेन चोपाई (परमसागरप्रणीत)*
आदि॥द०॥ दहा- परम जाति प्रकामकर, पूरण परम उल्लाम।
प्रणमु परमानदस्, परम सषेसर पास ।। १ चरममरीरी चरम जिन, गामन नाह सद्धिर ।
परम प्रेम पद पुजस्या, जगवल भजि न वीर ।। २ अन्त- ता लगे ए चोपइ थिर रहयों, जा लग सूरज चदा ।
राग धन्यासी ढाल चोमट्ठमी, परममागर प्राणदा रे ।। १३ सर्व गाथा १३४७ छे इती श्रीविक्रमादित्य लीलावतीसूत विक्रमसेन चोपई मपूर्ण । १६१३ ३८६८ विक्रमसेन चोपाई (मानसागररचित) आदि- ॥०॥ श्रीवीतरागाय नम ॥
मुपदाता समरो, पूरण परम उलास । सानिध करज्यो माहिबा, अधिक फलै मुझ पास ॥१ सारद चद समो वडो, वदन अनोपम जाश।
सा सारद सुप्रसन्न हूवो, द्यो मुझ वचन विलाश । अन्त- ढाल बावनमी जो मे गाइ मानसागर सुषदाइ जी।
दीन २ चढत जोत सवाइ दीन २ दोलत पाइ जी ॥वी १३॥
इति श्रीविक्रमसेन नरिंदस्य चौपी सपूर्ण समाप्ता । स० १८२८ वरषे । १६२७ ३६५२
विद्याविलास चोपाई आदि- दि०॥ श्रीजिनस्याय नम ॥
श्रीजिनवरमुखवासिनी, प्रणम् सरसति माय ।
कवियण वयण समुच्चरइ, ते सारद सुपसाइ॥ १ * इस रचनाकी क्रमाक १८२५ पर भी एक प्रति है। ये दोनो परमसागर कृत है।
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१३४ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान प्रणमु गोतम प्रमुष वलि, गणधर गुणह निवास ।
समरता गुण जेहता, पूजइ सगली प्रास । अन्त- तास सीस रगइ कहइ, राजसिघ प्राणद ।
विद्याविलास नप गाईयउ, दान अधिक सुषकद । ४५ ए सवध सुहामणउ, सुरणत भरणत दुष दूर ।
मनवठित माहिल फलइ, लहावड सुषतर पूर । ४६ इति श्रीविद्याविलास चउपई समाप्त सपूर्ण सर्वगाथा, ३४६ ग्रथान ४१६ सवत् १६६३ वर्षे माह वदि ६ नौमि ठाकरसी वाचनार्थ लिषित श्रीजेशलमेरमध्ये शुभ भवतु कल्याणमस्तु । १६२६ ६१११
विद्याविलास चोपाई आदि- ॥०॥ श्रीसरस्वत्यै नम ।। दूहा- सरसति नित आपो सुमति, चित हित धरि प्रणमेवि ।
जित तित थिन थानक अचल, सोभित दह दिसि देवि ॥१ कवियण नरसा निधि करण, दूर हरण अग्न्यान ।
चरण सरण उपम धरण, उपावरण गुण ग्यान ॥ २ अन्त- वाचक गुणवर्धन सुषदाया, श्रीसोमगणि मुपसायाजी । इम जिनहरष पुण्य गुण गाया, तीस ढाल सुष पायाजी ।। १४
हिव राजानि सुणै गुरवाणी ॥ इति श्रीपुण्यविषये विद्याविलास चोपई सपूर्ण । स० १८२६ वर्षे मिति प्रामाढ सुदि ७ दिने । १६३२ १८२७ विद्याविलास रास ( पवाडउ) आदि-बर्दि०॥ ॐ नम ॥ श्रीवीतरागाय नम ।।
पहिल पणमु पढम जिणेसर, शत्रुजय अवतार । हथिणाउरि श्रीशाति जिणेसर, उजलनेमि कुमार ॥ १ जी राउलि पुरि पास जिरणेसर, साच उरउ वर्धमान ।
कासमीरि पुरि सरसति सामणि, दिउ मुझ नित वरदान ॥२ अन्त- सयम लेई सिवपुरि पुहुतउ धन धन विद्याविलासइ ।
भरणइ हीराणद सो श्रीसघह वछित पूरउ आसइ ।। १६ मवत चऊद पच्यासी अए, रचीउ ए हरमालतु ।
अचल वधामणा ए॥ १६ जा लगइ अबरि रवि तपए ता लगइ विस्तरउ ए चरी।
__ अचल वधामणा ए॥२० इति विद्याविलास चरित्ररास सपूर्ण ॥ सवत् १६७६ वर्षे ।। आसो वदि दुवादसी गुरुवारे... जावालमधे लिषित | शुभ भयतु ।।
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
१६७० ७७२२ (१४)
वीरमदे ईडरिया श्रादिके कवित्त
आदि - || श्रीगणेशाय न ( म ) ॥
कवित्त- गढत लक दईवत सक झकत अहिराइरण । वनत धीन अहि वेलत पान षेधत पत्राइरण ॥ अमरत अस माया तपास रस होइ महा जल । परमा वात सोवन घात चितत वेगागल || अगराइ चाइ एकारणवै सालिहातर दिठो सवे । त्रिहु राइ तिलक नारियेण तना दाता तो वीरमदे ||
१६७३
ग्रन्त- कर परि जिण गिरवर घरची, मथुरा मारयो कस । रेषा राषस निरदले, जयकारी जदुवस ॥ १०
श्रीठाकुरारी साषी है ।। लिषत मिश्र प्रानदराम || शुभमस्तु ॥ २१४३ (४) वीसलदेव सूर शिकाररी वात#
प्रादि- ॥ अथ वडैराव वीसलदे सीरोहीरं धरणीरी मूवरारै सिकाररी वात लिपते ॥ हौ - गहै घूब लूवी घटा, वणिया टक विहल्ल ।
अरवदसु अलगा रहै, जाका कौण हवल्ल ॥ १
[ १३५
वात- आबूरा पाहडा ऊपर नवनाथ । चौरामी सिद्ध । चौसठ जोगरणी । बावन वीर । तेतीस कोड देवता तपस्या करें । स बूरं पाहडा ऊपर १ जलम लीयो मो मास २ अथवा च्याररो हूव । सो माईता सागै चरण जावें । सो पाहडं कोस १२ मै ते ऊपर चरै पीये । मो मारी ही ठोड तपसी तपस्या करै छै ।
अन्त- मो जिरण हमें मूवर सिकै थो तैमैं प्राय पडी । वडी मजलस हुई । जिकै सिरदार काम आया था तिकाने रावजी निवाजस करी । सीरोही पधारीया ।
इति श्री राव वीमलदेरै सूवरारै सिकार वात मपूर्ण । वेदस्तुति भाषा
१६६०.७७४३ (४)
आदि- || श्रीरामजी ॥ अथ बेदस्तुती भाषा लीष्यते ॥ राजश्रीराजैसीघजी
सभाषत ॥
छद- श्री भागीत दमम सकध,
वेद सतुत्म भाषा बध ॥
अती आनद भव बध छेद आवागमन मिटै भ्रम षेद ॥ चोपई- श्रीसुषदेव ब्रह्म तत्वज्ञाता | बंदब्यासके पुत्र विष्याता ॥ तीन पदबदन मैं करु । तीनको ध्यान हीरदम धरु ॥
अन्त- नीती प्रती पाठ जु जे करें, वुपजै ब्रम ज्ञान ।
तत पद नीचे पाय है, राज प्रम बीज्ञान ॥ ६०
इति श्रीवेद सतुती भाषा प्ररथ सपुरण || कथीत म्हाराज श्रीराजैसीघजी ॥
* स ४४५२ (५५) पर प्रति एकलगिड वराहरी वार्ता' और इस रचनाकी कथा -
वस्तु एक है, किंतु दोनोकी वर्णनशैली भिन्न है ।
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१३६ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान १६६१. ३६०३
वैदर्भी चोपाई आदि॥०॥ दूहा- जिरण धर्म माहे दीपता, करि धरमस्यु रगि ।
रिदइ, सूरा जाणिस्यइ, ढाल भणइ बहुरग ॥ १ रग विण रस न आवसी, कविता करो विचार ।
नवरस आदि सिंगार रस, ते आणु अधिकार ॥ २ अन्त- दूहा ॥ दान देइ चार तलीयो, हूवउ तउ जयजयकार ।।
पेमराज गुरु इम भण, मुगत गया ततकाल ।। ४६ भणे गुण जे साभलै, वैदरभी तणी वीवाह ।
भणता सहु सुष सपज, पुहचइ नगर मझार ॥ ५० इति श्रीवैदरभी चौपई समाप्ता ।। प्रथाग्रथ २५० । १७०० ३
हलीमरी वात आदि- ॥ अथ वेहलीमरी वात लिष्यते ॥ दूहा- धूर दीषण वाका धणी, राज करै पीरोज ।
उगै प्रायनीया विच, दाण उघरै रोज ॥ १ वात-पीरोजसाह पातसाह गढ गजनी राज करै । तरै पातसाह वीचारीयो वीजापुररो गढ लीजे। तरै पातसाह कटक करनै वीजापुररै गढनु लागो । मास ८ आठता ढ ढोहो हुो । पछै गढ पीरोजसाह पातसाह लीयो ।
अन्त- वात ॥ त? ममरण तलाव ऊपर सती कर काठ देने पाछो वलीयो । दूहो- रात मुह वैहलीम साह, साहिब भाई होय ॥
___ भोजाई पला जिसी, कवर होसी मोहि ।। ५६
इति वैहलीमरी वात सपूर्ण ॥ लिषत धनराज तिमरीमध्ये सा श्रीअमुकनाजी तत्पुत्र राजसी फतेचद वाचनाय ।। स० १७६४रा मिती आसोज सुदी २ गुरवारे ।।
१७६८ १००२ शत्रुञ्जयउद्धार रास (समयसुन्दररचित) - आदि॥०॥ दुहा- श्रीरिमहेसर पाय नमी, पाणी मन प्राणद ।
राम भणी सरलीयामणो, सेत्रु जना सुषनो कद ॥ १ सवत च्यार सतोतरइ, हुआ धनेसर सूर ।
तिण सेत्रुज महातम कीह्यो, सिलादित्य हज़र ॥२ अन्त- तास मीस जग जागीय ए, समयसुदरउ वडाय ।
रास रच्यो तिण सूअडो ए, सुणता पारणद थाय ॥ २१॥से।। इति श्रीसेत्रुजय रास सपूर्ण ॥ सवत् १८३६रा वर्षे प्रासोज सुद १२ दिने उपाध्याय श्रीसोभागचदजी कम्य आत्यम साधने लिषापित प नैणसीलिंषत श्रीराधणपुरमध्ये ॥ श्रीरस्तु॥
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि, भाग - १ ]
१७७२
३६५३ शत्रुञ्जयउद्वार रास (नयसुन्दर विनिर्मित ) आदि - ||६०|| गुरुभ्यो नम ॥
विमल गिरिवरमडन जिनराय । श्रीरिसहेसर पय नमी ॥ धरीय व्यान सारदा देवी । श्रीसिद्धाचल गाई सिउ || ess भाव निरमल घरेवी । सेत्रुजि गिरिवर माहि वडउ ॥ मिद्धि अनती कोडि । जिहा मुनिवर मुर्गात गया ॥ वदु बे कर् जोडि ॥ १
अन्न- भानुमेरु पडित सीस दोए कर जोडि कहि ||
नयसुदरो प्रभु पाय सेवा नित करे वा । देहि दशरण जय करो ॥। ११४ इति श्रीसेत्रजयउद्धार समाप्त | स० १६६५ वर्षे मागसिरि मुदि २ महोपाध्याय विमलहर्षगरि शिष्य गरिण हसविजयेरणालेषि ॥ शुभ भवतु ॥
१७४४ ६८० श्रीपाल रास (विनयविजय यशोविजय विरचित) *
आदि - ॥ श्री सद्गुरुभ्यो नम ॥
दूहा - कल्पवेलि कवियरणतरिण, सरमति करि सुपसाय । सिद्ध चक्र गुणगावता, पूरि मनोरथ माय ॥ १ अलिय विघन सवि उपसमे, जपता जिन चोवीस । नमता निज गुरुपयकमल, जगमा वधे जगीस ॥ २
१८४४
अन्त- देह सबल ससनेह परेछे, रग अभग रसाला जी ।
१८४३ ६०३
अनुक्रमे तेह महोदय पदवी लहिस्यै ज्ञान विशाला जा ।। १४ ।। त०
इति श्रीमहोपाध्याय श्रीकीर्तिविजयगरिण शिष्य उपाध्याय श्रीविनयविजयगणि विरचिते उपाध्याय श्रीजशविजयगरिण पूरिते प्राकृतबधे श्रीसिद्धचक्रमहिमावर्णनाधिकारे श्रीपाल चतुर्थ खड सपूर्णम् ॥ आगे स० १६२३ मे सिद्धचक्रपजाविधि लिखी है ।
शुकबहोत्तरी चोपई
[ १३७
आदि- ॥ श्रीगणेशाय नम || श्रीमाताजी सत्य छे ॥ छ ॥
सयल सुरासुर माया मंगल कलारण सुजस जय निलया । वर विजाधरण दाया सा सारद पढम पद णमामि ॥ १ अन्त- मगल पेहेलो जिन चोवीस । बीजो मगल गोमय सीस ॥ त्रीजो मगल गुरु अभिधान । चोथो जिन मामन प्रधान ॥ ५२ इति श्रीरसमजरी कथा शुकबहूतरी चोपाई सपूर्ण समाप्त भवतु ॥ स. १६०८ना वर्षे ।
४०१०
शुकबहोतरी
श्रादि - ॥ ६० ॥ श्रीगणेशाय नम । श्रथ वात सूवावहुत्तरी लिष्यते ॥
* इस कृतिकी चार विभिन्न प्रतियाँ हैं चारोके कर्ता एव पाठ अलग-अलग है।
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१३८ ]
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान दूहा- करि प्रणाम श्री सारदा, अपनी बुध परमान ।।
सुक शप्त वार्ता उ करी, न्यायते देवी दान ।। १ विक्रम नगर सुहामरणो, सुष सपतकी ठोर ।
हिदू थान ऽरु हिदू धरम, असो सहर न और ।। २ अन्त- • हरदत्त सेठ होम करायौ तिहा सारिका पिण आई। ऊपरसु दिव्यमाला पडी। उणरे दर्शन सेती सराप छूट शुककारिका गर्व होय आपण लोक गया।
इति श्रीबहुत्तर वार्ता सुध सूवाबहुत्तरी सपूर्णम् ॥ ७२ सवत् १८६९रा मिती श्रावण सुदी १ दिने लिषत प० बिजैसमुद्रेण श्रीजैसलमेर दुगर्गे रतुर्मास्या स्थिता । १८४५ ४४१६ शुकबहोतरी । प्रथम पत्र प्राप्त
आदि- दी कह्यौ । पृथवीकै विष बहतरी कथा मनुष्य भाषा करि प्रभावती आगे कहसी। सील रषावसी। तदि गधमाद परवतकै विष प्राविन शुक सरीर छोडिक मूल गौ शरीर पामी पाचसै मोहर ब्राहमणनै दान देई । निपाप थाइस · ।
. अन्त- कवि देवदत कहै। शकका वचन भेला करिकै आपकी बुद्धिक अनुसार बाधी छई।
इति श्रीशुकबहोतरी कथा समाप्ता ॥ सवत् १७६० वर्षे आसोज बदि ६ षष्टी भोमवासरे प० वनीतविजय लिपि चक्रे ।। शुभभवतु ।। श्रीसमाप्ता ।
१७४५ ९८५ श्रीपाल रास ( ज्ञानसागर कृत)
आदिदि०॥ दूहा- कर कमलजोडेवि करि, सिद्ध सयल पणमेस ।
श्रीश्रीपाल नरिंदनु, रामबध पभरणेस ॥ १ महीयलि मत्र अनेक छ, पपलि मपडिग मार ।
भवसायर तनु स्तरै, जो जप श्रीनवकार ।। २ अन्त- सिद्ध चक्र महिमा सुणो ए माल वडी भवेया कर्णधरेवि सुणो सुदरी भ० २ मनवछित सुषदायकु ए माल० ॥ जे सुणे नितमेव सुरणो० जे० १ एक मना जे जिन जपइए मा० ते घर मगल माल सु० ते० २ ऋद्धि अनती भोगवे ए मा० जम भूपति श्री सुणो सुदरी जे० २।
इति श्रीपालरास मपूर्ण । १७४६ ६६१ श्रीपाल रास (जिनहर्ष रचित)
आदिदि०॥ दहा ॥ श्रीअरिहत अनत गुरण, घरीयइ हीय. ध्यान ।
केवल ज्ञान प्रकाश कर, दूरि हररण अगन्यान ।। १ चउद राजु ऊपरि रहइ, सिध अनत समृद्धि ।
मुगति युवति सुष भोगवइ, दायक अविचल मिद्धि ॥ २ अन्त- सवत सतरइमै चालीस, चैत्रादिक सुजगी इसइ रे।।
मातइ सोमवार सुत दीस, पाटण विसवा वीसैरे ॥ १०
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
श्रीषरतरगछ महिमाधारी, श्रीजिनचद्र सूरि जयकारी ।
जमहू नरनारी रे शातिहरप वाचक सषकारी । तासु सीस सुविचारी रे ।। ११ हे जिनहरष भविक नर सुरिणज्यो, नवपद महिमा धुरिणज्यो रे । अडतालीस ढाल गुरिणज्यो, निज पातिक वन लुरिगज्यो रे ॥ १२ इति श्रीसिद्वचक्र महिमा उपरि श्री श्रीपालरास मपूर्णम् ॥ सवत १८१४ वर्षे फाल्गुन मासे सुक्ल पक्षे १५ तिथी शुक्रवारे पाटण नगरे प० महीवल्लभेन लिषित । श्रीपाल रास ( गणरत्नसूरिप्रणीत )
१७५२
३४८६ आदि
||०|| कर कमल जोडेवि करि, सिद्धसयल परगमेसु । श्री श्रीपाल नरिदनो, राम बधय भणे ॥ १ महीयलि मत्र अनेक छि, पपलि मपडिगमार ।
भव सायर ते ऊतरइ, जो जपीइ श्रीनवकार ।। २
१६३७
[ १३६
अन्त - श्रीगुणसमुद्रह सूरि, तास पाटि मोहामरगा || मा० ॥ वदीए प्राणद पूरि ॥ ६३ भवीया भवी इन उन ए मा० श्री गुरदेव हस्तरि ।
तास सीसि रास रचिउ ए मा० । श्रीगुणरत्नह सूरि ॥ ६४ पनर एकत्रीसइ मागसिरइ ए ॥ मा० ॥ उजली बीज गुरुवार । रास रचिउ सिद्ध चक्रनु ए ॥ मा० ॥ गाइड श्रीनवकार ।। ६५ एक माना जे जिन जपइए || मा० ॥ तेह घरि मगल माल । रिद्धि अनत भोगवइ ए मा० जिम भूपति श्रीपाल ।। ६६ इति श्रीसिद्ध चक्र श्रीपाल रास सपूर्ण ॥ छ ॥ श्री ॥ छ ॥ श्री ॥
समरासारग कडषो
२३७४
प्रादि- || समरासारग कडषो लभ्यते ॥1
दूहा - पातीसाह ग्यारादीन, दलीपत सुलतान ।
तास तणे वजीर जो, षान मुलाकम मान ॥ १ पातसाहा पोतावकी, हय गय रथ असवार । डोल मुषासरण पालकी, छत्र चामर ले सार ॥ २ अन्त- जाच करी घेर श्रावउ, वरतो जैजैकार ।
कर जोडी देपाल भणे, तु प्रोस वस सरणगार ॥ ४४ ती श्रीसमरासारग कडषो सपूर्ण २६ ॥
१६५३. ४२८७ (१६) सवाई जैसहजीकी जोधपुर चढाईका वर्णन
आदि - "सबत १७९७ का मोती सावरण बदी ८ ने श्रीमाहराजा सवाई जैसघजी जोधपुर वुपर चढा । राजा अभैसघरी हुकम पॉतसाह महमुदसाह काथे चढा । सो रोज पदरामै १५ जोधपुर जाइ लागा। नरफ मडोवरकी डेरा जाइ कीया | मुकाम १ आगे युद्धके खर्चे और जोधपुरकी तरफसे लिये गये उपहार प्रादिका वर्णन है जो अपूर्ण है ।
•
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १४१
केहो हिवै जाऊ फिथी कहो जिकू , तिकू करौ छपी ही न छुटु म्हारो छेहडो न छाडै जी। जागो त्यु ही हालो आप हू तो क्यू ही, कहू नही देषो मान भाडै जी ।
इति जोधपुरी बोली सपूर्ण ।। लिपीकृत चेला केसरचद ॥ समापना । ३५४६ (२) सेरसिंह मेडतिया आदि राजानोका सपषरा आदि- गीत जाति सपषरो मेरमिघ मेडतीयारो नै कुसलसिघ चापावतगे।
चवडै प्रावोया धरारै बेध बेहु राजा बधे चाल, बेहुई अराबा दगे छुटे गोला बाण । बलावली सिधुराग वागिया झुझाउ बाजा,
अडे बेहु अाभ लाग उकल पाराण ॥ १ । अन्त- रगमै पनगा जैसा कसी तग अग रंभा,
आषती पिलगा पोढे मकोउती अग। नष चष घाल घणु घेरिया कुरग बचा, भेट जेल लाजी भला भागरा तरग ॥ ७ ॥इति।।
३५४६ (१०) सोनीगरा वीरमदेरी वारता
आदि-॥०॥ अथ वार्ता १ सोनिगरा वीरमदेरी ।। गढ जालोर सोनिगरा वणवीरजीर कवर दोइ हुवा। वडो कवर कानडदे । छोटो राणगदे । टीक कानडदेजी बैठा। गढ जालोर राज करै । तिको एकरण समीय कानडदेजी सिकार चढीया। तिको जालोरसु कोस १० तथा ११ उपरा गया नै राति पडी । कनै एक षवास रह्यो ।
अन्त- तरै अगर चदणरो घर वणायौ। माथो धड गोद माहे लेने सती हुई। तिका षावदसू जाय सतलोकमै भेली हुई। पातिसाह अलाबदीन दिली गया। आ इतरी वात बीरमदे सोनिगरारी कही। सूरवीर दातार तिगरै मन लही। सबत १३३७ अलाबदीन पातिसाह जालोर आयो नै सबत १३४९रा फागुण वदि १३ वीरमदे सोनिगरो काम आयो नै गढ जालोर भागौ।
इति वीरमदे सोनिगरारी वार्ता संपूर्ण ।
४६०३ हमीररासो (हमीरायन) आदि- श्री गनेसाय नम हमीराईन लीषत ।। कवीन- गवरीनद आनद चद लीलाट वीराजैत ।
च्यार भुज कर फरस सरस भुषन अग राजत ।। कर कमंडल जयमाल लाल वसत्र वोह सुहावै । मधुर स्वगध स्वरणमय रची पोर उदभाहन कीन । हो हय प्रसन सुधी वुधी धनी जौ कथ कवीत प्रमा माण ॥१
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१४२ ]
अन्त- कवीत. ॥ असी करीउ काहु करे नही, कोउ सो करी राजवी चक्र तल । वाईस वीक्रम रारण वुयवीन षाईवयाभा अजहु मध्यकी रोड रोले । दक्षीन भडारा मदगल कहु हमेल करी ।
कदल रनथभ गढ असी करै न कोई ॥
श्री रायनाको श्रीगार सपुरन समापती ।
छद जाजाको || कुडलीयो माई मोहदे प्रसीस काई जीवो वरस सो । याई मोह दे असीस छीत्री ई तोर जीवो । वारा ऊपर वीस भनैजा जन वीरम केह ।
लीत पाडे नाथुराम ब्राह्मन गोडमी श्रासावी श्रम धर्ममुर्त गड ब्राह्मनका रक्षपाल राजा श्रीमलजीकू नाथुराम ब्राह्मन गोड सदारामको भतीजो टोढ रहे है पकीजीको अप भीछुकको असीस वचजोजी मीती पोस वदी ६ मगलवार सवत् १७८७ जो पुस्तग वाचे जीकु राम राम वचजोजी । जाद्रष्ट दत्त्वा ताद्रस लीषते मा । जदी सुद्ध वीसुद्ध वा मम दोषे न दीयते ॥ शु० ॥
२३७४ (१०)
श्रादि - || अथ हरचद लष्यते ।
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
हरचदपुरी
नेरी वनी उत्यम ठाय । राज करे ता हरचंद राय ॥ १ रायना चक्र फरे नव षड । प्राण न लोपे को बलवत ॥ २ सासु छोल वऊ नव फरे । पित्य पिलो पुत्र नमी मरे || ३ गउ तुलसी विरामरणने दवार । रावु सत हरचंद ने राय ॥ ४
अन्त काढी षडकने धसमसो जाघायो मुके सीस ।
२८१३ (६८-६१ )
आगल चकीता आवीउ भाहावग्रहा जगदीस ||८
ती हरचदपुरी सपुर्ण ॥ १०५५।।
हीयाली
१ हीरकलश कृत
जलि कमल प्रसगइ | वास वसइ लघु अग विश्रगइ || कहिहो पडित ते फुरण नारी । स्याम वरण ते स्याम सिंगारी ॥
कवरण सुनीर कमल कुरण नारी । हीरकलस कहि कहउ न इ विचारी ॥ ८
२ हेमाणद कृत
राग मल्हार || एक पुरुष सामल सुकुलीगड रमणी त्रिहु भरतार रे ॥
गंगा सरि सिरि मूल उत्पन्नउ सुविचारउ ससार रे ॥ १
हीरकलस मुनि सीस हेमाणद बोलइ मन उल्हाम रे ॥ ५
अन्त - इति श्रीहीयाली नाम कृत हीरकलस मुनि ॥ सवत १६५७ वर्षे काती सुदी २ दिने रडवी स्थाने ।
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १४३ २८६३ (१५) हीरकलश गोत्रादि वर्णन
इस गुट केके दम पत्र पर प्रारभमे सूक्ष्माक्षरोमे हीरकलश गोत्रादि लिखे हए है, जो पत्रा कुछ भाग खण्डित हो जानेमे पूर्णतयो पढे नहीं जाते। पढनेमे पाने योग्य कुछ अश इस प्रकार है
रीया बुहरा गोरे। सा० मोहणसी पुत्र मत्रि वा पुत्र म० बावा पुत्र म० धरणा पुत्र म० देवा पुत्र सोभा पुत्र मा० सगता पुत्र सा० सदारग प्रमुख ॥ कुतरा पुत्र नीसल हीरा चेला हेमाणद चेला अरजन ईसर सा० तेजा पुत्र वीदा पुत्र चिरमाना ।।
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श्रचलकोति ८३
श्रजितदेव &
अनूपसिंह ८४
अभयकुशल ८२
अभयसोम ६५, ६६, ८०
अमृत ४६
श्रमृत कवि २७
श्रमरसाधु ८२
श्रमरसुन्दर ८४
अर्जुनचद्र ४०
अर्जुनजी १४
अ
श्रानन्दघन ७२
श्रानन्दचन्द ७४
श्रानन्दनिधान ७८
श्राढो दूरसोजी ६४
प्राणद १०७
श्राद जेठमल ३१
भ्रा
ईसर ११ ईसरदास १४, १०६
उदयवत २३
उदेराज १६
उ
उत्तमविजय ४७
उत्तमसागर १०८
उदयभानु ८०
उदयरत्न ७, ३४, ३७, ४५, ७०,
७८, ६४
उदयविजय ५४, ६४
* श्री
परिशिष्ट २
ग्रन्थकार नामानुक्रमणिका
उदराज १७
उदो ६०
P
ॠ
ऋषभ ६, २४
ऋषभदास १८, १०७
ऋषभसागर ८२
क
कनककवि ६६
कनककीति ३४, ३७, ३८, ४६,
कनकनिधान ७१
कमलहर्ष करणीदान १०३
कनक्सुन्दर ७१, १०५
कनकसोम ६, १०, ६१, १०५
कबीर १५, ४६
कमल ५७
कमल बन्धु ५१ कमलविजय २६
करमचद ३०
कल्याण २१, ५८, ६७ कल्याणतिलक ४१, ६८
कलशकवि २८
कविजन ६४
कवि देद १६
कवियण ४६, ७२, ७६
arasara बारेठ ५८
कान्ति ७, ३३
कान्तिविजय ४५ ६२, १०४
कान्हसेवक ५३
काशीराम ६८
किसनदास १४
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
कुरकुशल ११
कुशललाभ २१, ३६, ३७, ६४,
६५, १३
कुशलभागर ८३
कुशलसयम १०५
कुशलहर्ष ४१
कूपाराम ३१
केशरकुशल १०८
केशरविमल १०२
केशराज ३५, ७५
केशवदास ७६, ६१
केससिघ १७, ४०
केसव २०
केसोदास ४०, ४५ ८२
काली भाटण ३१
ख
खिडियो जगो ७२, ७३, ७४
खुश्यालचद ६१
खेतल २६
खेताक १२
खेम ६६, १०२
खेमराज १०, ११ खेमो ४
ग
गजकुशल २२, ६३
गङ्गादास ६३
गाँगला ६३
गुणकीर्ति १६
गुणरत्न ८७
गुणसागर १५, ३५, ४२, ४७, ८६
गुपाल ४२
गुलाल ६४ गेल्ह ४८
गोदडदास ६७
गोपालदास ५१, ६२ गोरखनाथ ३४
गोविन्ददास ७५, १०३
च
चतुर्भुजदास ६१, ६२
चरनदास ६७
चानण खिडिया ६४
चारित्रसुन्दर ४०
चारित्रसघ ६६, ६७
चिदानन्द ६७
चुनीलास २५
चेतनदास २६
चैतन्यदास २१
चोथमल ३५
चद ४७, १०५
चद्रकीति ५८, ८१
चद्रदत्त १८
चद्रभाण ३२
छीतरदास ३०
जयलाल १८ जयविजय ५४
जयसोम ५८
छ
जगन्नाथ ४५, ७१
जटमल २३, २४
जयरग ५, १५
जवानसिह २१
सह ४०
ज
जावड ६१
जिणदास ३५
जितचद २
जिनचद्र २०
जिनदास ३४, ७३
जिनराज २७
जिनरग ३४, १०३
जितलाभ ४३, ६३
जिनवल्लभ १०
[ १४५
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________________
१४६ ]
जिनसुन्दर ४०
जिनसूरि २३
जिनहर्ष ६, ७, १२, १५, १७, २६,
३४, ३६, ४३, ५१, ५४, ५७, ८०
८१, ८४, ८६, ८७ ८८, १००, १०५
जिनेन्द्र ६६
जिनोदय ७८, १०४
जीवराज २६
जीवो १४
जैराज १०० जेस कवि ७५
जैत कवि ६२
जैदेव ७, ५७
जोरो ६५, ६६
ठाकुरसी ४८
तत्त्वहस १२ तिलकसूरि ५६
तुलसीदास १०३
तेजविजय ६२
तेन कवि ५७
दत्तलाल ३८ दयाशील ४०
दयासार ६
दयासिंह १०४
어
त
द
दयासूर ६७
दशार्क भद्रराज ३६
दान ६१, १०८
दानसागर ६६
दीप्तिविजय ६१
दीपो २१, २२, ३८, ५४, ७८, १०१
देईदान १००
देपाल २८, ३२, ६६
देवगुप्त ५
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
देवचद ७, २७, ८८, ६६, ६६ देवदत्त ६२, १०२
देवविजय ४६, ८६
देवसील ८४
देवसूरि १०७
देवीदान ८४, २, १०३
ध
धमसिंह
धमसी ८३
धर्मदेव ३, ८१
धर्मनरेद्र ७
धर्ममन्दिर ८, ५१, ६६, ७०
धर्मरत्न ३२
धर्मवर्द्धन ३, १५, ४२, ५२, १६, १०२ धर्मविजय २७
धर्मशील ८८, १०२
धर्मसमुद्र ७६, ८५
धर्मसी ४१, ५२, ५६, ६७
धरमदास ६
न
नन्द १०१
नन्ददास ४५
नन्न सूरि २०
नयनशेखर ७०
नयविजय ७०
नयविमल ८, ३२
नयसुन्दर ४२, ४६,७०,८८,६१,
४, १०२
नरपति ८०, ८१
नरबद १६, ७६
नरसिंह चारण ६४
नरसी ४८, ४६
ア
नरहरदास ६, १०५ नारायणदास भरूची ४३ नेणसी मुहता ६७, ६८ नेमविजय २३, २
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची भाग-१ ]
• [ १४७
नेमिदास ४ नेमिसागर ३४
बालचद्र ५८ बिल्ह ३३ बीकाजी ६४
पथीराज १४ पृथ्वीराज ७७ प्रतासह (सवाई) ५, ६, ६८ प्रभुचद ३४ प्रभुदास ७३ प्रीतिविमल २२, २३ प्रेम कवि ३५ प्रेमराज ८४ प्रेमानन्द १४, ४२ ६६, ७४ पद्मचद्र ३२ पद्मराज ७ पदम कवि १४ पदमचद ३१ पढमसागर ८० पर्वत धर्मार्थी ३७, ९६ परमसागर ८१ परमसुख ५४ परमानन्द ४२ पाशचद १३, ३६, १८ पुण्यकीति ५, ५५, ६१ पुण्यनन्दि ३३ पुण्यरत्न ४६, ५५, ७० पुण्यसागर १, २, १०१ पुन्ह कवि ६३
भ भक्तिलाभ २८१०० भगवान ६४ भगोतीदास ३५ भद्रसेन २८ भवानीदास ७३,७७ भवानीनाथ २ भाकड मुनि ४६ भाग्यविजय २३ भानुकीति ७२ भानुमेरु ८८ भाव कवियण ३ भावप्रभ १०,१०१ भावरत्न ४१ भावविजय २ भीम ९६ भुवनकीर्ति १,२ भोज १२
ब्रह्मऋषि १०१ ब्रह्म गुलाल ६८ ब्रह्म जिणदास ४,१०६ ब्रह्मानन्द ७२ बखतो ५६ बनवारीदास १०२ बनारसी ८ बनारसीदास ६७
मगनीराम ८४, ९६ मतिकुशल २६, ३०, ८२ मतिचद्र १६ मतिशेखर १५, ४१ मतिसागर १०४, १०७ मतिसार ८९,६० मतिसुन्दर ६७ मनराम २६ मनरूप ४६ मलयकोति ३० मलूकदास ५३, ५६ महिमोदय १६, २०, ५३, ८७ महिराज ८, ९ महेश १०५
।
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________________
१४८ ] ।
[ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
माइदास २ माणकसाह ३ माणिक्यसूरि १०१ माधव १०० माधो १०७ माधोदास ४५ ५४, ७५ माधौ २४ मानकवि है मानकवीसर १६ मानसागर १७, ८१, १०१ मालकवि ६२ मालदेव ५५, ६६ मालमुनि २, ५० मीरा ४८, ४९, ५० मुक्तिनिधान ६ मुरलीदास ४६ मूला २० मेघमुनि ८६ मेघराज ३०, ४२, १०८ मेरुनन्दन ३ मेरुविजय ४७ मेरसुन्दर ७० मोडू गोदड ६३ मोतीराम ६६ मोहनविजय २८, २६, ५२, ६५, ७१ मगनीराम ५१ मगलधर्म ६१ मगलमाणिक्य २ मछाराम ७१
रतनविमल ५, ५५ रतन वीरभाण १३ रतन् हमीर ७०, १०५ रत्नशेखर ८७, १०७ रत्नसुन्दर ६२ रसिक ७३ राजकवि ५४, ६८ राजपाल ३३ राजसमुद्र ५७ रार्जासघ ४, ८४ राजसिंह ५७, ८१ राजसी ६७ राजसुन्दर ५ राजसोम ४३ राजहर्ष ४६ राजहरष ३७ राजुल ७४ राजो ५ रामचद्र १२, ३८, ५८, ७५ रामचरण ४५, ७५ रामचरन २० रामनाथ ७५ रामविजय २६ रामसरण १०६ रामानन्दजी ७५
यशोविजय ८३ यादव ६६ योगद ७०
रुघनदास ६ रूपऋषि ६६ रूपचद ८, ४१, ४६ रूपसेवक २३, ५४ रूपो ८ रैदाम ७७ रगकलश ८४ रगसागर ४६
रघुपति ७१, ६३ रघुलाल २ रतनवाई ७७
लधो १८ लब्धिरुचि २६
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
.
[ १४६
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विनीतविमल ६ विनचद २० विमलमूर्ति ५५ विल्हण १०७ विष्णुदास १३ विसराम (?) १६ वीरचद १६, ५०, ६६ वीरमुनि ३२ वीरविजय ४६, १४ वीरो १०२ वील्हा १०६ वेणीराम ३३
लब्धिविजय ४३, ६५ लब्धिविज्ञान ७७ लब्धोदय २४ ललितसागर ६२ लाभवर्द्धन ५३, ७७, ७८ ८०, ८१ लागामैडू २१ लालचद ४१, ६०, ७४, ७८, ८१ लावण्यकीति ७४, १०५. लावण्यसमय १६, २४, ७६, ८२, ६३
६७, ६९ लक्ष्मी कीर्ति ६१, ८० लक्ष्मीरतन १६, ५७, १०२ लक्ष्मीवल्लभ ८०, ८१ लक्ष्मीसुन्दर ६६ लक्ष्मीसूरि ८४ लक्ष्मीहर्ष ६१ लीलो ३१
व वृद्धि ८१ वृद्धि विजय ३८ वृन्द ७८ वत्सराज १०७ वर्धमान ८ वसतोमुनि ८४ वसन्त ४२ विजयदेव ६१ विजयभद्र १६, २५ विजयहर्ष ५ विजराज ७७ विद्यारग ८३ विद्यारचि २८ विद्याविलास १५ विदमजी २६ विनयकुशल १०१ विनयविजय ४६, ५५, ६०, ८७ ८८ ।। विनयसुन्दर १०२
श्याम ९८ श्यामगुलाब ४५ श्रावक चोयो १५ श्रीसार ७, ८, १२, १६, २०, ६६, |
७७, ६७ श्रुतसागर २२ शङ्कर ४३ शातिकुशल ८६, ६७ शालिग्राम ५६ शालिभद्र ५६ शातिविमल ८२ शातिसूरि ६४ शातिहर्ष ६, २२, ६१ शिवचद ८, १२, २९, ३४, ४७, ।
४६, ८३, ६६ शिवदास ८४ . शिवनिधान १०४ शिवानन्द स्वामी २ शुद्धकोति ६२ शुभचद्र ७ शुभवर्द्धन २० शुभविजय ६३ शुभशील १०२
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________________ 150 ] [ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान स सूरजीशाह 8 सूरविजय 71 सूरसागर 33 सेवक 2, 12, 13, 71, 81, 103 सोम 34 सोमविजय 34 सोमविमल 88 सोमसुन्दर 62 . सोमसूरि 6 सौभाग्यसेखर 55 सवेगसुन्दर 66 ह सकलकीति 28, 46, 62 सकलचद 76, 83, 103 सतीदास 4 समधर कवि 40 समयरग 22 समयसुन्दर 8, 9, 12, 16, 23, 25 26, 30, 37, 36, 40, 42 44 50, 51, 53, 55, 56, 63, 68 66, 76, 88, 61, 62, 98, 66 100, 104, 107 समुद्र मुनि 6 मर्वाणचन्द सूरि 61 सरूपराम 36 सहजसुन्दर 21, 50, 71, 72, 64, 67 सहजानन्द 76 साईदास 44 सागरचन्द 30, 68 साधुकोति 13, 98 साधूराम 60 सामन्त 51 सामलदास 44, 56, 80 सामल भट्ट 4, 18 सारग 64 सिद्धसेन 13 सिद्धिविजय 64 सिवदान 23 सिंहकुशल 47 सीतारम 36 सुजसविजय 87 सुन्दरसूर 65 सुमति 3 सुमतिकीति 78 सुमतिप्रभ 3 सूर्यमल '76 सूरचद्र 25 सूरज 45 हरजी जोशी 37 हरदास 33, 59 हररूप 51 हर्षकीर्ति 47 101 हर्षकुल 76 हर्षकुशल 36 हर्षचद 55 हर्षधर्म 89 हर्षनिधान 71 हर्षमुनि 55 हर्षमूर्ति 26 हर्षसागर 50 हरिदास 13 हीरकलश 1, 3, 7, 10, 18, 19, 20, 22, 25, 26, 29, 30, 33, 18, 40, 43, 46, 47, 48 52, 58, 60, 66, 73, 78, 76, 83, 62, 63, 68, 66, 100, 105, 107 हीरकुशल 18 हीररतन 1 हीराणद 16, 81, 82 हेम 86, 65, 67 हेमचद 87 हेमरतन 23, 24, 50, 77 हेमाणन्द 84, 105, 107