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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *अथ * श्रीपञ्चमी (वसन्तपञ्चमी) व्रतपूजनप्रयोगः / * प्रारभ्यते * KAIMIM For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir வகைககைகைமைகைமைனம் as A ustru Sassi MISTAKAOSANI For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * अथ * श्रीपञ्चमी (वसन्तपञ्चमी) व्रतपूजनप्रयोगः।। माघशुक्लपञ्चमी श्रीपञ्चमी / अस्यां रतिकामयोः पूजनादिना वसन्तमहोत्सवः कार्यः____ माघमासे सुरश्रेष्ठ शुक्लायां पञ्चमीतिथौ / रतिकामौ तु सम्पूज्य कर्तव्यः सुमहोत्सवः॥ दानानि च प्रदेयानि तेन तुष्यति माधवः // इति पुराणसमुच्चयात् / मध्याह्नः कर्मकालः पूजावतत्वात् / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir NEDERAISGARNASNEPARASHARAJGANAGEMARKSHETRANASTHANKSys * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * *अथ पूजाप्रयोगः * ___ कर्ता कृततिलको बद्धशिखः स्वासने प्राङमुख उपविश्य दीप प्रज्वलय्य अयं संस्थाप्य श्राचम्य प्राणानायम्य पूजनसामग्रीमात्मानञ्च सम्प्रोत्य शान्तिपाठ पठेत्। हरिः ॐ श्रा नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासोऽअपरीतास उद्भिदः / देवा नो यथा सदमिद् वृधे श्रसन्नपायुवो रनितारोदिवे दिवे॥१॥ देवानां भद्रा सुमतिऋजूयतान्देवाना तिरभि नो निवर्त्तताम् / देवाना सख्यमुपसेदिमा बयन्देवा न श्रायुः प्रतिरन्तु जीवसे // 2 // तान्पू-अ शवया निविदा हूमहे व्वयम्भगम्मित्रमदितिन्दक्षमस्रि धम् / श्रर्यमणं वरुण , For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 35 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * सोममश्विना सरस्वती नः सुभगा मयस्करत् // 3 // तन्नो बातो मयोभु बातु भेषजन्तन्माता पृथिवी तत्पिता द्यौः। तद्ग्रावाणः सोमसुतो मयोभुवस्तदश्विना शृणुतन्धिष्ण्या युवम् // 4 // तमोशानञ्जगतस्तस्थुषस्पतिन्धियजिन्वमवसे हूमहे ब्वयम् / पूषा नो यथा वेदसामसद् वृधे रक्षिता पायुरदब्धः स्वस्तये // 5 // स्वस्तिन ऽइन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः / स्वस्ति नस्तार्यो ऽअग्टिनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु // 6 // पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभैय्यावानो विदथेषु जग्मयः / अग्निजिह्वा मनवः सूरचक्षसो विश्वे नो देवा ऽअवसाऽगमनिह // 7 // भद्रश्री कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः। स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवार सस्त For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 14 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * नभिळ्यशेमहि देवहितँय्यदायुः // 8 // शतमिन्नु शरदो ऽअन्ति देवा यत्रा में नश्चक्रा जरसन्तनूनाम् / पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रोरिषताऽयुर्गन्तोः // 1 // अदितिौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः। विश्वे देवा ऽअदितिः पञ्च जना ऽअदितिर्जातमदितिजनित्वम् // 10 // * द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः। बनस्पतयः शान्तिविश्वे देवाः शान्तिब्रह्म शान्तिः सर्वर शान्तिः शान्तिरेव / ॐ शान्तिः सा मा शान्तिरेधि // 11 // यतोयतः समीहसे ततो नो ऽअभ यङकुरु / शन्नः कुरु प्रजाभ्योऽभयन्नः पशुभ्यः // 12 // गणानां ला गणपतिर हवामहे प्रियाणां वा प्रियपतिर हवामहे निधोनां वा निधिपति AMO119CWASTR-19 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir E-HAMASEASOME * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * हवामहे ब्बसो मम / श्राहमजानि गर्भधमा वमजासि गर्भधम् // 13 // अम्बेऽ अम्बिकेऽम्बालिके न मा नयति कश्चन / स सस्त्यश्वकः सुभदिकाकापीलवासिनीम् // 14 // सुशान्तिर्भवतु // इति शान्तिपाठ पठित्वा // ॐ लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः / ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः / ॐ वाणीहिरण्यगर्भाभ्यां नमः / ॐ शचीपुरन्दराभ्यां नमः / ॐ मातापितृचरणकमलेभ्यो नमः / ॐ इष्टदेवताभ्यो नमः / ॐ कुलदेवताभ्यो नमः / ॐ ग्रामदेवताभ्यो नमः / ॐ स्थानदेवताभ्यो नमः / ॐ वास्तुदेवताभ्यो नमः / ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः / ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः / ॐ सिद्धिबुद्धिसहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये नमः / इति प्रणण्य For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोमः * ॐ सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः / लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः // 1 // धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः / द्वाद शैतानि नमानि यः पठेच्छृणुयादपि // 2 // विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेश ॐ निर्गमे तथा / सङग्रामे सङ्कटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते // 3 // शुक्ला बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् / प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये॥४॥ अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यः सुरासुरैः / सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नमः // 5 // सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके / शरण्ये त्र्यम्बके गौरि, नारायणि नमोऽस्तु ते॥६॥ सर्वदा सर्वकार्येषु नास्ति तेषाममङ्गलम् / येषां से ॐ हृदिस्थो भगवान मङ्गलायतनं हरिः॥७॥ तदेव लग्नं सुदिनं तदेव तारा For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * बलं चन्द्रबलं तदेव / विद्याबलं दैवबलं तदेव लक्ष्मीपते तेऽप्रियुगं स्मगमि // 8 // लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः / येषामिन्दीवरश्यामो है, ॐ हृदयस्थो जनार्दनः // 1 // यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः / तत्र श्रीविजया भूतिध्रुवानीतिमतिर्मम // 10 // अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते / तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् // 11 // स्मृते / सकलकल्याणभाजनं यत्र जायते / पुरुष तमजं नित्यं वजामि शरणं हरिम् / // 12 // सर्वेष्वारम्भकार्यषु त्रयस्त्रिभुवनेश्वराः / देवा दिशन्तु नः सिद्धि ब्रह्मेशानजनार्दनाः // 13 // विश्वेशं माधवं दुण्ढि दण्डपाणिश्च भैग्वम् / ) वन्दे काशों गुहां गङ्गां भवानी मणिकर्णिकाम् // 14 // ततः सङ्कल्पं कुर्यात् / / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AMASIM912 * * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * ॐ विष्णुः 3 श्रोह अमुकोऽहमायुरारोग्यहविजयप्राप्तिकामः कलशे श्रादित्यादि नवग्रहाणां रतिकामयोश्च पूजनं करिष्ये / तत्रादौ निर्विनतासिद्धयर्थं गणेशाम्बिकयोः पूजनं च करिष्ये / इति सङ्कल्प्य ॐगणानान्त्वा गणपतिर हवामहे प्रियाणान्त्वा प्रियपति र हवामहे निधीनान्ता निधिपति हवामहे बसोमम | थाऽहमजानि गर्भधमा त्वमजासि 6 गर्भधम् // ॐ भूर्भुवः स्वः गणपतये नमः साङ्गं सायुधं सवाहनं सपरि-3 वारं सशक्तिकं गणपतिमावाहयामि स्थापयामि / इति गणपति स्थापयित्वा, * तदुत्तरतोऽम्बिकां स्थापयेत् / ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्बालिके न मानयति कश्चन। स सस्त्यश्वकः सुभदिकां काम्पीलवासिनीम् / / ॐ भूर्भुवः स्वः अम्बिकायै For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * नमः / साङ्गां सायुधां सवाहनां सपरिवारां सशक्तिकामम्बिकामावाहयामि स्थापयामि / इत्यम्बिकां स्थापयित्वा ततः-ॐ मनोजूतिर्जुषतोमाज्ज्यस्य / बृहस्पतिर्यज्ञमिमन्तनोवरिष्टं य्यज्ञ 2 समिमन्दधातु / विश्वे देवास इह 1मादयन्तामाँ ||प्रतिष्ठ / ॐ भूर्भुवः स्वः साङ्गाभ्यां सपरिवाराभ्यां सायुधाभ्यां सशक्तिकाभ्यां गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, इति नाममन्त्रैः तत्तन्मन्त्रैर्वा सम्पूज्य मन्त्रपुष्पाञ्जलि समयं विशेषायं दद्यात् / तत्र मन्त्रः ॐ रक्ष रक्ष गणाध्यन रक्ष त्रैलोक्यरक्षक / भक्तानामभयंकर्ता त्राता भव भवार्णवात् // 1 // द्वैमातुर कृपासिन्धो पाण्मातुराग्रज प्रभो / वरद For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * त्वं वरं देहि वाञ्छितं वाञ्छितार्थद // 2 // अनेन सफलार्पण फलदोऽस्तु / सदा मम // 3 // ॐ महागणपतये नमः विशेषाघ समर्पयामि / इत्यर्घ है. दत्त्वा पूर्ववदर्यपात्रे गन्धादि दत्ता रूपं देहि जयं देहि सौभाग्यं देहि देवि मे / पुत्रान् देहि धनं देहि / सर्वान् कामांश्च देहि मे // ॐ अम्बिकायै नमः विशेषाघ समर्पयामि / इत्यर्थ दत्त्वा प्रार्थयेत् - ॐ विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय / * नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते // 1 // भक्तातिनाशनपराय गणेश्वराय सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय / विद्या For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir VASIRMER * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी) व्रतपूजनप्रयोगः * 118 धराय विकटाय च वामनाय भक्तप्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते // 2 // नमस्ते / ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नमः / नमस्ते करिरूपाय रुदरूपाय ते नमः // 3 // विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारिणे / भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक // 4 // लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय / निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा // 5 // त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति भक्तप्रियेति / * सुखदेति फलप्रदेति / विद्याप्रदेत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति तेभ्यो गणेश वरदो। भव नित्यमेव // 6 // श्रनया पूजया गणेशाम्बिके प्रीयेतां न मम / इति गौरीगणपतिपूजनप्रयोगः // श्र अथ कलशस्थापनम् / ॐ महीद्यौः पृथिवी चनऽइमं यज्ञमिमितताम् / 98-19- 3 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 12 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * पितृतानो भरीमभिः // इति मन्त्रेण कलशाधारस्थलं संस्कृत्य तत्र रङ्गवल्लीपद्म विधाय-ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणायत्वोदानायत्वा व्यानायत्वा / दीर्घामनुप्रसीति मायुषेधान्देवोवः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनाम्पयोसि // इति मन्त्रेण , 1 पृष्ठदेशे प्रस्थपरिमितं सप्तधान्यपुञ्ज विकिरेत् / ॐ श्राजिघ्र कलशं मह्या वा विन्विन्दवः / पुनर्जा निवर्तस्व सा नः सहस्रं धुत्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः // इति मन्त्रेण धान्यपुञ्जोपरि चन्दनेनानुलिप्त * पुष्पाद्यलकृतं हेमराजतताम्रादिनिर्मितं त्रिसूत्रिवेष्टितकण्ठ कलशं संस्थाप्य ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्कम्भसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्न्यसि For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EVRNER * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * 13 वरुणस्य ऽऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद // इति मन्त्रेण तत्र / जलं पूरयेत् / ॐ त्वां गन्धर्वा अखनस्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः। खामोषधे, सोमो राजा विद्वान्यक्ष्मादमुच्यतः / / इति मन्त्रेण कलशे गन्धं प्रक्षिप्य - ॐयाऽयोषधीः पूर्वा जाता देवेभ्यस्त्रियुगम्पुरा / मनै नु बभ्र णामहठ शतं धामानि सप्त च / / इति मन्त्रेण तस्मिन् कुष्ठमासिहरिदामूगशिलाजतुचन्दनकचोरचम्पत्वकमुस्तात्मिका सर्वोषधीः सहैव प्रक्षिप्य--ॐ काण्डाकाण्डात्ररोहन्ति परुषः परुषस्परि / एवानो दूर्वे प्रतनु सहस्रेण शतेन च / / इति मन्त्रेण दूर्वाः प्रक्षिप्य-ॐ अश्वत्थे वो निषदनम्पर्णे वो बसतिष्कृता / गोभाज इकिला सथ यत्सनवथ पूरुषम् / / इति मन्त्रेण तत्र न्यग्रोधपिप्पलप्लक्षजSHASTRATHCARKSSSSARASSMANABSTRAUMBSCRIBERS For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir PRASTAS 114 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * कम्बूचूततरूणाां पञ्च पल्लवान सहैव प्रक्षिपेत् / ॐ स्योनापृथिवि नो भवानुन ग निवेशनी / यच्छा नः शर्म सप्रथाः // इति मन्त्रेण तत्र (कलशे ) अश्वस्थानगजस्थानवल्मीकसङ्गमहदराजद्वारगोष्ठप्रदेशादाहताः सप्त मृदः सहैव प्रक्षिप्य-ॐ या फलिनीर्या ऽअफलाऽश्रपुष्पा याश्च पुष्पिणीः। बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्तठ हसः // इति मन्त्रेण तत्र पूगफलं प्रक्षिप्य परिवाजपतिः कविरग्निहव्यान्यक्रमीत् / दधद्रत्नानि दाशुषे॥ इति मन्त्रेण / * सुवर्णरजतमुक्तामाणिक्यप्रबालात्मकानि पञ्च रत्नानि सहैव प्रक्षिप्य - * ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताय भृतस्य जातः पतिरेक यासीत् / स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमा कस्मै देवाय हविषा विधेम // इति मन्त्रेण तत्र हिरण्यं प्रक्षिपेत् / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * 15 ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्मव्वस्थमासदत्स्वः॥ बासोऽअग्ने विश्वरूपठ। * संव्ययस्व विभावसो ॥इति मन्त्रेण तत्रवस्त्रयुग्मेन कलशं संवेष्ट्य -ॐ पूर्णा, 6 दबि परा पत सुपूर्णा पुनरापत / वस्नेव विक्रीणावहाइषमूर्जंठ. शतक्रतो।। इति मन्त्रेण धान्यपूर्णपात्रं कलशे स्थापयेत् / ततः-ॐ या फलिनीर्या अफलाऽअपुष्पा याश्च पुष्पिणीः / बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्वठ. हसः // - इति मन्त्रेण कलशोपरि सम्मुखं नारिकेलं संस्थाप्य / ततः-ॐ तत्वा यामि। ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभिः। अहेडमानो वरुणोह वोध्युरुषठ स मा न घायुः प्रमोषीः॥ इति मन्त्रेणास्मिन् वरुणं साङ्ग सपरिवार सायुधं से सक्तिकमावाहयामि स्थापयामि / ॐ अप्पतये बरुणाय नमः / इत्यावाह्य / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * तत्रैव देवता श्रावाहयेत् / कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः।। मूले तस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः // 1 // कुनौ तु सागराः सप्त सप्तद्वीपाच मेदिनी / अर्जुनी गौतमी चैव चन्द्रभोगा सरस्वती // 2 // काबेरी कृष्णावेणी च गङ्गा चैव महानदी / तापी गोदावरी चैव माहेन्द्री नर्मदा तथा // 3 // नदाश्च विविधा जाता नद्यः सर्वास्तथा पराः। पृथिव्यां यानि तीर्थानि कलशस्थानि तानि वै // सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थानि जलदा नदाः // 4 // ऋग्वेदोऽथ यजुर्वेदः सामवेदो ह्यथर्वणः // 5 // श्रङ्गश्च सहिताः सर्वे कलशं तु समाश्रिताः / शान्तिः पुष्टिश्च सावित्री गायत्री कलशे स्थिता // 6 // श्रायान्तु मम शन्त्यर्थ For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 2 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * दुरितक्षयकारिकाः / “कलशाधिष्ठान्यो विष्ण्वादिदेवताः सुप्रतिष्ठिता भवन्तु" इत्यावाह्य मनोजूतिरिति प्रतिष्ठाप्य पञ्चोपचारैः पूजयेत् / ततो मन्त्रैः / 5 कलशं प्रार्थयेत्-देवदानवसंवादे मश्यमाने महोदधौ / उत्पन्नोऽसि तदा कुम्भ विधृतो विष्णुना स्वयम् // 1 // त्वत्तोये सर्वतीर्थानि देवाः सर्वे त्वयि स्थिताः / त्वयि तिष्ठन्ति भूतानि त्वयि प्राणाः प्रतिष्ठिताः // 2 // शिवः * स्वयं त्वमेवासि विष्णुस्त्वञ्च प्रजापतिः। श्रादित्या वसवो रुदा विश्वेदेवाः सपैतृकाः // 3 // त्वयि तिष्ठन्ति सर्वेऽपि यतः कामफलप्रदः / त्वत्प्रसादा-1 , दिमं यज्ञ कत्तु मोहे जलोद्भव // 4 // सान्निध्यं कुरु मे देव प्रसन्नो भव / सर्वदा // 5 // नमो नमस्ते स्फटिकप्रभाय सुश्वेतहाराय सुमङ्गलाय / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रAMSTER 118 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * 2 सुपाशहस्ताय झषासनाय जलाधिनाथाय नमो नमस्ते // 6 // पाशपाणे नमस्तुभ्यं पद्मिनीजीवनायक | रतिकामार्चनं यावत्तावत्त्वं सन्निधो भव // 7 // इति // तत्र सूर्याद्यावाहनम् // जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम् / / तमोर सर्वपापघ्नं सूर्यमावाहयाम्यहम् // ॐ धाकृष्णेनरजसावर्त मानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यञ्च // हिरण्ययेनसवितारथेनादेवोयातिभुवअनानिपश्यन् / / ॐ भूर्भुवः स्वः कलिङ्गदेशोद्भव काश्यपसगोत्र रक्तवर्णं भो सूर्य ! इहागच्छ इह तिष्ठ सूर्याय नमः, सूर्यमावाहयामि स्थापयामि // 1 // दधिशंखतुषाराभं क्षीगेदार्णवसंभवम् // ज्योत्स्नापतिं निशानार्थ सोममावा MSRRIST For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir S * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * 16 हयाम्यहम् / / ॐ इमंदेवाऽयसपल्कठ सुवद्ध वंम्महतेक्षत्रायमहतेज्यैष्ठयाय * महतेजानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय // इमममुष्ष्यपुत्रममुष्ष्यैपुत्रमस्यैविशऽएषवोमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानार राजा ॥ॐभूर्भुवः स्वः यमुनातीरोद्भव थाय सगोत्र शुक्लवर्ण भो सोम ! इहागच्छ इह तिष्ठ सोमाय नमः, सोममावाहयामि * स्थापयामि // 2 // धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्तेजस्समप्रभम् // कुमारं शक्तिहस्तं *च भौममावाहयाम्यहम् // ॐ अग्निर्मुर्दादिवःककुत्पतिः पृथिव्याऽश्रयम् // अपरेतार सिजिन्वति ॥ॐ भूर्भुवः स्वः अवंतिकापुरोद्भव भारद्वाजसगोत्र रक्तवर्ण भो भौम ! इ० भौमाय० भाम० // 3 // प्रियंगुकोणकाभासं रूपेणाप्रतिम अबुधम् // सौम्यं सौम्यगुणोपेतं बुधमावाहयाम्यहम् // ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 20 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * प्रतिजागृहित्वमिष्टापूर्तसठ. सृजेथामयं च // अस्मिन्सधस्थेऽअध्युत्तरस्मिन्वि श्वेदेवा यजमानश्च सीदत // ॐ भू० मगधदेशोद्भव श्रात्रेयसगोत्र हरित३ वर्ण भो बुध ! इ० बुधाय० बुधमा० // 4 // देवानां च मुनीनां च गुरुका चनसन्निभम् / / वन्द्यभृतं त्रिलोकानां गुरुमावाहयाम्यहम् / / 5 // ॐ बृहस्थतेऽतियदर्योऽर्हाद्युदिभाति ऋतुमज्जनेषु // यद्दीदयच्छवसऋतप्रजात 5 तदस्मासु दविणन्धेहिचित्रम् // ॐ भू० सिन्धुदेशोद्भव थाङ्गिरसगोत्र पीतवर्ण ॐ भो बृहस्पते ! इ० बृहस्पतये नमः, बृहस्पति० // 5 // हिमकुन्दमृणालामं दैत्यानां परमं गुरुम् // सर्वशास्त्रप्रवक्तारं शुक्रमावाहयाम्यहम् / / ॐ अन्नाअत्परिनुतो रसंब्रह्मणाव्यपिबत्नत्रं पयः सोम प्रजापतिः // ऋतेन सत्यमिन्द्रियं / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18PERA * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * 21, विपानठ. शुक्रमन्धमऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदंपयोमृतमधु // ॐ भू० भोजकटदेशो व भार्गवसगोत्र शुक्लवर्ण भो शुक्र ! इ० शुक्राय नमः, शुक्र० // 6 // नीलाम्बुजसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् // छायामार्तण्डरम्भूतं शनिमावाहयाम्यहम् // ॐ शन्नो देवीरभिष्टय आपोभवन्तुपीतये // शय्योरभिस्रवन्तुनः / / ॐ भ० सौराष्ट्रदेशोद्भव काश्यपसगोत्र कृष्णावर्ण भो शनैश्चर ! इ० शनैश्चराय नमः, शनैश्चर० // 7 // अद्ध कार्य महावीर्य चन्द्रादित्यविमर्दनम् // सिंहिकागर्भसंभूतं गहुमावाहयाम्यहम् // ॐ कयानश्चित्र याभुवदूतीसदा वृधः सखा // कयाशचिष्ठयावृता // ॐ भू० राठिनापुरोद्भव पैठिनसगोत्र क्ष कृष्णवर्ण भा गहो ! इ० राहवे नमः, रादु० // 8 // पानासधूम्रसंकाशं / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SAMASTRA 22 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजन प्रयोगः * तारकोग्रहमस्तकम् // गैद्रं गैदात्मकं घोरं केतुमावाहयाम्यहम् / / ॐ केतुंकृण्वइनकेतवेपेशोमर्याऽ अपेशसे // समुपद्भिरजायथाः // ॐ भू० अंतर्वेदिसमु दुभव जैमिनिसगोत्र कृष्णवर्ण भा केतो ! इ० केतवे नमः, केतुं० // 1 // * इति प्रतिष्ठाप्य यथाविधि सम्पूज्य प्रार्थयेत् / तत्र मन्त्रः-ब्रह्मा मुरारिस्त्रि पुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च // गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः। सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु / / इति // ॐ ततः यथाविधि कुशै रतिकामयोति कृत्वा कलशे संस्थाप्य 'एतन्ते मनोजूति०' इति प्रतिष्ठाप्य ग्रहान सम्पूज्य रतिकामौ पूजयेत् / तत्र ध्यानम् चारणे मदनं बाणपाशाङ्कुशशरासनान् // धारयन्तं For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir _ * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * 23 जपारक्त व्यायेद्रक्तविभूषणम् // सव्येन पतिमाश्लिष्य वामेनोत्पलधारिणीम् / पाणिना रमणाङ्कस्थां रतिं सम्यग्निचिन्तयेत् // इति ध्यावा “रतिकामाभ्यां नमः” इति नाममन्त्रेण अावाहनादि नीराजनान्तं सम्पूज्य यथाशक्ति वस्त्रादीनि समर्पयेत् / श्रन्ते माधवं स्तुवीत / दचिणां दद्यात् / ब्राह्मणः कलशोदकेन यजमानमभिषिञ्चेत् / ततो याजमानो ब्राह्मणान् भोजयित्वा उत्सवादिना दिनशेषं नयेत् / नटनर्तकगायकभ्योऽपि यथाशक्ति दद्यात् / / श्रतत्र दिने ब्राह्मणमुखेन वसन्तरागश्रवणम् / तत्पकारः पद्मापयोधरतटीपरिरम्भलग्नकाश्मीरमुद्रितमुरो मधुसूदनस्य / / व्यक्तानुरागमिव खेलदनइखेदस्वेदाम्बुपूरमनुपूरयतु प्रियं वः // 1 // वसन्ते / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 24 . * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * बासन्तीकुसुमसुकुमारैग्वयवैभ्रमन्ती कान्तारे बहुविहितकृष्णानुसरणाम् / / अमन्दं कन्दर्पज्वरजनितचिन्ताकुलतया चलाद्वाघां राधां सरसमिदमूचे सहचरी // 2 // ___बसन्त राग रूपक ताल-ललितलवङ्गलतापरिशीननकोमलमलयसमीरे। मधुकरनिकरकरम्बितकोकिलकृजितकुञ्जकुटीरे। विहरति हरिरिह सरसवसन्ते // ॐ नृत्यति युवतिजनेन समं सखि विहिजनस्य दुरन्ते // ध्रुवपदम् // उन्मदमदनमः अनोरथपथिकवधूजनजनितविलापे॥ अलिकुल संकुलसुमनसमूहनिराकुलवकुल कलापे // 2 // विहरति० // मृगमदसौरभरभसवशंवदनवदलमालतमाले / अ युवजनहृदयविदारणमनसिजनखरुचिकिंशुकजाले // 3 // विहरति० // मदनम For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * हीपतिकनकदण्डरुचिकेसरकुसुमविकासे // मिलितशिलीमुखपाटलपटलकृतस्मरतूणविकासे // 4 // विहरति०॥ विगलितलज्जितजगदवलोकनतरुणवरणकृतहासे / विरहिनिकृन्तनकुन्तमुखाकृतिकेतकिदन्तुरिताशे / / 5 // विहरति० // माधविकापरिमलललिते नवमालतिजातिसुगन्धौ / / मुनिमनसामपि. मोहन कारिणि तरुणाकारणबन्धौ // 6. // विहरति० // स्फुरदतिमुक्तलतापरिरम्भहैणमुकुलितपुलकितचूते / वृन्दावनविपिने परिसम्परिगतयमुनाजलपते // 7 // विहरति० // श्रीजयदेवभणितमिदमुदयतु हरिचरणस्मृतिसाग्म् // सम्सवसन्तसमयवनवर्णनमनुगतमदनविकारम् // 8 // दरविदलितमल्लावल्लिचअश्वत्परागप्रकटितपटवासैर्वासयन् काननानि / / इह हि दहति चेतः केतकीगन्ध For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SAVARIOR 126 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * बन्धुः प्रसरदसमवाणप्राणवद्गन्धवाहः // 1 // अद्योत्सङ्गवसभुजङ्गकवलक्लेशादिवेशावलं पालेयप्लवनेच्छयाऽनुसरति श्रीखण्डशैलानिलः॥ किंचस्निग्घरसालमौलिमुकुलान्यालोक्य हर्षोदयादुन्मोलन्ति कुहूः कुहूरितिकलोत्तालाः पिकानां गिरः // 2 // उन्मोजन्मधुगन्धलुब्धमधुपव्याधूतचूताङ्क रक्रीडकोकिलकाकलीकलकलैरुद्गीर्णकर्णज्वराः // नीयन्ते पथिकः कथं कथमपि 6 ध्यानावधानक्षणप्राप्तप्राणसमासमागमरसोलासैरमी वासराः // 3 // अनेकनारीपरिरम्भसम्भ्रमस्फुरन्मनाहारिविलासलालसम् // मुरारिमारादुपदर्शयन्त्यसौ सखो समक्षं पुनराह राधिकाम् // 4 // न For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * राग बसंत खेलत बसंत राजाधिराज / देखत नभ कौतुक सुर-समाज // 1 // सोहैं सखा-अनुज रघुनाथ साथ / झोलिन्ह अवीर पिचकारि हाथ // 2 // बाजहिं मृदंग, डफ, ताल, बेनु / छिम्कै सुगन्ध भरे मलय-रेनु // 3 // उत युवति-जूय जानकी संग / पहिरे पटभूषण सरसरंग // 4 // लिए छरी बेंत सोंधै विभाग / चाँचरिझूमक कहें सरस राग // 5 // नूपुर किंकिनि–धुनि अति सुहाइ / ललना-गन-जब जेहिधरहिंधाइ // 6 // लोचन जहिं फगुया मनाइ / छाहिं नचाइ हा हा कराइ // 7 // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ___ * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * 5 चढ़े खरनि विदूषक स्वाँग साजि / करैं कूटि, निपट गई लाज भाजि // 8 // * नर-नारि परस्पर गारि देत / सुनि हँसत राम भाइन समेत // 1 // 5 बरषत प्रसून बर-विबुध-वृन्द / जय जय दिनकर-कुन कुमुद चंद / / 10 // ब्रह्मादिप्रसंसत अवध बास / गावत कल कीति तुलसिदास // 11 // पं० कैलासनाथ भार्गव द्वारा-भार्गवभूषण प्रेस, त्रिलोचन काशी में मुद्रित / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छप गया! छप गया !! छप गया !!! आदि वाराहीपञ्चाङ्ग र आज तक आदिवाराहीपञ्चाङ्ग कहीं भी नहीं छपा है / काशी में मानमन्दिर अघाट के समीप वाराही का प्रसिद्ध स्थान है, यहां एक वाराहीकूप भी है / वाराही के उपासकों के हितार्थ पं० प्रभुनारायण शर्मा ने इसका संग्रह किया है इसमें आदि वाराहीपद्धति, कवच, स्तोत्र, अष्टक, सहस्रनाम और यन्त्रोद्धार के सहित वाराहो यन्त्र भी है / आजकल जो प्रचलि आरती पुष्पाञ्जलि स्तुति है उसका भी है इसमें संग्रह है / मूल्य-- पता-भार्गव पुस्तकालय, गायघाट, बनारस / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * इति * श्रीपञ्चमी (वसन्तपञ्चमी) व्रतपूजनप्रयोग। * समाप्तः * RANASTRO XXX. For Private and Personal Use Only
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