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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
__ प्रधान सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य जिनविजय मुनि [ सम्मान्य संचालक, राजस्थान माच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ।
ग्रन्थाङ्क ४८
मुंहता नैणसी विरचित
P
मुंहता नैणसीरी ख्यात
भाग १
प्रकाशक
राजस्थान राज्य-संस्थापित राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE, JODHPUR
जोधपुर ( राजस्थान )
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
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राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित सामान्यत: अखिल भारतीय तथा विशेषत: राजस्थानदेशीय पुरातनकालीन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, राजस्थानी, हिन्दी आदि भापानिबद्ध
विविधवाङमयप्रकाशिनी विशिष्ट ग्रन्थावलि
प्रधान सम्पादक
पुरातत्त्वाचार्य जिनविजय मुनि [ ऑनरेरि मेम्वर अॉफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी ]
सम्मान्य सदस्य भाण्डारकर प्राच्यविद्यासंशोधनमन्दिर, पूना; गुजरातसाहित्य-सभा, अहमदाबाद; विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध संस्थान, होशियारपुर; निवृत्त सम्मान्य नियामक
( प्रानरेरि डायरेक्टर )-भारतीय विद्याभवन, बम्बई
ग्रन्थाङ्क ४८
मुंहता नैरणसी विरचित
मुंहता नैणसीरी ख्यात
प्रकाशक
राजस्थान राज्याज्ञानुसार संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर ( राजस्थान )
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मुहता नैणसी विरचित र मुंहता नैणसीरी ख्यात
. भाग १
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सम्पादक
बदरीप्रसाद साकरिया
प्रकाशनकर्ता
राजस्थान राज्याज्ञानुसार संचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर ( राजस्थान )
विक्रमाब्द २०१६) । भारतराष्ट्रीय शकाब्द १८८१
ख्रिस्ताब्द् १९६० प्रथमावृत्ति ७५० )
। मूल्य ८.५० न. पै. . मुद्रक-पृ. १ से ५६ राजस्थान टाम्इस प्रेस, अजमेर; पृ. ५७ से १०४ जयपुर प्रिन्टर्स,
- जयपुर और शेष सामग्री साधना प्रेस, जोधपुर
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थसालाके कुछ ग्रन्थ
प्रकाशित ग्रन्थ संस्कृतभाषाग्नन्थ--१. प्रमाणमंजरी-ताफिकचूडामगि गर्वदेवाचार्य, मूल्य ६.००। २. यन्त्रराजरचना-महाराजा सवाई जयसिंह, मूल्य १.७५। ३. महपिकुलवंगवम्-स्य. श्रीमधुसूदन अोझा, मूल्य १०.७५। ४. तकंसंग्रह-पं० माकल्याण, मूल्य ३.०० । ५. कारकसम्बन्धोद्योत-पं० रभसनन्दि, मूल्य १५५ । ६. वृनिदीपिका-पं० मोनिकृष्णा मूल्य २.०० । ७. शब्दरत्नप्रदीप, मूल्य २.०० । ८. कृष्णगीति-गावि सोमनाय, मूल्य १.७५ ९. शृङ्गारदारावली-हर्पकवि, मूल्य २.७५ । १०. नलागि विजयमहाकाव्य-पं० लवमीधरभट्ट, मूल्य ३.५० । ११. राजविनोद-कवि उदय राज, मूल्य २.२५। १२. नृत मंग्रह, मूल्य १.७५ । १३. नृत्यरत्नकोश, प्रथम भाग-महाराणा कुम्भकर्ण, मूल्य ३.७५ । १४. उक्तिरत्नाकर-पं० साधुसुन्दरगरिण, मूल्य ४.७५ । १५. दुर्गापुप्पाञ्जलि-पं० दुर्गाप्रसाद द्विवेदी, मूल्य ४.२५ । १६. कर्णकुतूहल तथा कृष्रगुलीलामृत-भोलानाथ, मूल्य १.५० । १७. ईश्वरविलास महाकाव्य-श्रीकृष्ण भट्ट, मूल्य ११.५० । १८. पद्य मुक्तावली-भाविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट, मूल्य ४०० । १६. रसदीपिका-विद्याराम भट्ट, मूल्य २.०० ।
राजस्थानी और हिन्दी भाषा ग्रन्य-१. कान्हडदे प्रबन्ध-कवि पद्मनाभ, मूल्य १२.२५ । २. क्यामखांरासा-कवि जान, मूल्य ४.७५ । ३. लावा रासा-गोपालदान, मूल्य ३.७५ । ४. वांकीदामरी स्यात-महाकवि वांकीदास, मूल्य ५.५० । ५. राजस्थानी साहित्यसंग्रह, भाग १, मूल्य २.२५। ६. जुगल-विलास-कवि पीथल, मूल्य १.७५। ७. कबीन्द्रकल्पलता-कवीन्द्राचार्य मूल्य २.०० । ८. भगतमाळ-चारण ब्रह्मदासजी, मूल्य १.७५, । ६. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिरके हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची, भाग १, मूल्य ७.५० 1. १०. मुंहता नैणसीरी ख्यात, भाग १, मूल्य ८.५० न. पै. ।
प्रेसोंमें छप रहे ग्रन्थ संस्कृत-भाषा-ग्रन्थ-१. त्रिपुराभारतीलघुस्तव-लघुपंडित । २. शकुनप्रदीप-लावण्यशर्मा। ३. करुणामृतप्रपा-ठक्कुर सोमेश्वर । ४. वालशिक्षा व्याकरण-ठक्कुर संग्रामसिंह ५. पदार्थ रत्नमञ्जूषा-पं० कृष्ण मिश्र। ६. काव्यप्रकाशसंकेत-भट्ट सोमेश्वर । ७. वसन्तविलास फागु। ८. नृत्यरत्नकोश भाग २ । ६. नन्दोपाख्यान । १०. वस्तुरत्नकोश । ११. चान्द्रव्याकरण। १२. स्वयंभूछंद-स्वयंभू कवि। १३. प्राकृतानंद-कवि रघुनाथ । १४. मुग्धावबोध प्रादि प्रौक्तिक-संग्रह । १५. कविकोस्तुभ-पं० रघुनाथ मनोहर । १६. दशकण्ठवधम्-पं0 दुर्गाप्रसाद द्विवेदी। १७. भुवनेश्वरीस्तोत्र सभाष्य-पृथ्वीवराचार्य, भा. पद्मनाभ । १८. इन्द्रप्रस्थप्रवन्ध ।
राजस्थानी और हिन्दी भाषा ग्रन्थ-१. मुंहता नैणसीरी ख्यात, भाग २-मुंहता नैरासी । २. गोरावादल पदमिणी चऊपई-कवि हेमरतन । ३. चंद्रवंशावली-कवि मोतीराम । ४. सुजान संवत-कवि उदयराम । ५. राजस्थानी दहा संग्रह । ६. वीरवाण-डाढी वादर । ७. रघुवरजसप्रकाग-किसनाजी पाढ़ा। ८. राठोड़ारी वंशावली। ६. राजस्थानी भाषासाहित्य ग्रंथ सूची। १०. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिरके हस्तलिखित ग्रंथोंकी सची, भाग २ । १३. देवजी वगड़ावत और प्रतापसिंह वार्ता । १४ पुरोहित बगसीराम और अन्य वार्ताएँ। १५ राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थोंकी सूची, भाग १
इन ग्रंथोंके अतिरिक्त अनेकानेक संस्कृत, प्राकृत, अपनश, प्राचीन राजस्थानी और हिन्दी भाषामें रचे गये ग्रंथोंका संशोधन और सम्पादन किया जा रहा है।
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सञ्चालकीय वक्तव्य
. राजस्थानी भाषामें लिखित गद्य-साहित्यके अन्तर्गत अनेक ख्यातें प्राप्त होती हैं, जिनमें वांकीदासरी ख्यात, मुंहता नैणसीरी ख्यात, राठोडारी ख्यात, दयालदासरी ख्यात, सीसोदियांरी ख्यात, कछवाहारी ख्यात, जोधपुररी ख्यात, महाराजा मानसिंघजीरी ख्यात और चहुवांण, सोनगरांरी ख्यात विशेष प्रसिद्ध हैं। इन ख्यातोंका साहित्यिक और ऐतिहासिक दोनों ही प्रकारसे विशेष महत्त्व है, किन्तु इनमेंसे अधिकांश ख्यातें अब तक अप्रकाशित हैं तथा साहित्य-क्षेत्रमें थोड़े ही व्यक्तियोंको इनके विषयमें परिचय प्राप्त है।
प्रस्तुत ख्यात-साहित्यका निर्माण मुख्यतः हमारे पूर्वजोंमें जागृत हुए ऐतिहासिक गौरवाभिमानके कारण हया है और इस कार्य के लिये हमारे ख्यातलेखकोंको विभिन्न-विषयक सामग्री खोजने और उसको विधिवत् सङ्कलित करने में पर्याप्त परिश्रम करना पड़ा है । हमें भारतीय साहित्यिक और ऐतिहासिक इतिवृत्त लिखनेमें ऐसी ख्यातोंसे विशेष सहायता मिल सकती है किन्तु अद्यावधि इनका उपयोग नाम मात्रके लिये ही हुआ है । इसका एक कारण इन ख्यातोंका अप्रकाशित रहना भी है।
. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठानके अन्तर्गत "राजस्थान पुरातन ग्रन्थमालाका" प्रकाशन प्रारम्भ करनेके साथ ही हमने निश्चय किया था कि महत्वपूर्ण ख्यातें शीघ्र ही सुसम्पादित रूपमें प्रकाशित करदी जावें। तदनुसार "वांकीदासरी ख्यात" और "मुंहता नैणसीरी ख्यात" प्रेसमें दी गईं। "वांकीदासरी ख्यात" तो हम पहले ही साहित्य-जगत्में प्रस्तुत कर चुके हैं और चिर प्रतिक्षित "नैणसीरी ख्यात" प्रथम भाग को अब प्रकाशित करनेका अवसर प्राप्त हो रहा है। ___"मुंहता नैणसीरी ख्यात"का हिन्दी अनुवाद कुछ वर्षों पहले काशीकी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हुआ है किन्तु यह अनुवाद अविकल हो ऐसा ज्ञात नहीं होता । इस अनुवादमें अनेक घटनाएँ विपर्यस्त रूपमें लिखी गई हैं जिससे ग्रन्थकी वास्तविकताका अपेक्षित परिचय नहीं मिल पाता। "नैणसीरी ख्यात"की राजस्थानी भाषा-शैली हमारे साहित्यमें विशेष महत्त्वपूर्ण है और गद्यकी यह एक परिमार्जित एवं प्रौढ़ कृति है । किसी भी साहित्यिक कृतिका रसास्वाद मूल पारके विना नहीं प्राप्त किया जा
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[
सकता, इसलिये हम प्राचीन कृतियोंके सम्पादन एवं प्रकाशनमें मूल रचनाके पाठको प्रधानता देते हैं ।
२ ]
"मुंहता नैणसीरी ख्यात" के प्रकाशनमें हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है । कार्य विस्तारका अनुमान करते हुए हमने पहले राजस्थान टाइम्स प्रेस, अजमेर में इसका मुद्रण प्रारम्भ करवाया किन्तु उक्त प्रेसके बन्द हो जानेसे यह कार्य जयपुर में जयपुरप्रिन्टर्सको और तत्पश्चात् प्रतिष्ठान के नव-निर्मित भवनमें जोधपुर स्थानान्तरित हो जाने पर साधना प्रेस, जोधपुरको दिया गया । हमने इस ग्रन्थका सम्पादन - कार्य श्री वदरीप्रसादजी साकरियाको तत्परतापूर्वक एवं समय पर सम्पादित कर देनेके उनके ग्राग्रह और श्री अगरचन्दजी नाहटाके ग्रनुरोधसे सौंपा था किन्तु कतिपय अन्तर वाह्य कारणोंसे ग्रपेक्षित समयमें कार्य पूर्ण नहीं हो सका । ग्रन्थके पूर्ण होने में श्रव भी विलम्वका होना अनुभव करते हुए ग्रीज हम यह प्रथम भाग प्रकाशित कर रहे हैं । ख्यातका लगभग इतना ही श्रवशिष्ट अंश, ख्यात - संबंधी विशेष ज्ञातव्य और ख्यातगत विशेष नामोंकी अनुक्रमणिका आदि दूसरे भाग में प्रकाशित किये जावेंगे ।
-
हम इस ख्यातके शेष भागको भी शीघ्र ही प्रकाशित करनेके लिए प्रयत्नशील हैं ।
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान,
जोधपुर |
माघ शुक्ला १४, सं० २०१६ विक्रमीय
मुनि जिनविजय
सम्मान्य सञ्चालक
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RAJASTHANA PURATANA GRANTHAMALA
General Editor - Acharya Jinavijaya Muni, Puratattvacharya [ Honorary Director, Rajasthan Prachyavidya Pratisthana, Jodhpur ]
MUNHATA NAINSI-RI KHYAT
[ Rajasthani ]
First Part
Published by The Rajasthana Prachyavidya Pratisthana [The Rajasthan Oriental Research Institute ]
Government of Rajasthan
JODHPUR
V.S. 2016 ]
All rights reserved
[ 1960 AD.
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विषय--सूची
विषय
पृष्ठ-संख्या
م
७
..
.
.
... ११६
१२२
... . १२७ .. १३२
१ सीसोदियांरी ख्यात २ बूंदीरा धणियांरी ख्यात ३ वागड़िया चहुवांणारी पीढ़ी ४ वात दहियारी ५ बुंदेलारी वात ६ वारता गढ़बंधवरा धणियारी ७ वात सीरोहीरा धणियारी ८ भायलां रजपूतांरी ख्यात ६ वात चहुवांणां सोनगरांरी १० वात साचोररी, बोडारी, खीचियारी ११ वात अरणहलवाड़ा पाटणरी १२ वात सोळंकियां पाटण पायांरी १३ वात रुद्रमाको प्रासाद सिद्धराव करायो तिणरी १४ वात सोळंकियां खैराडारी, देसूरीरा धणियारी १५ कछवाहारी ख्यात १६ वात गोहिलां खेड़रा घणियांरी १७ पंवारांरी उतपत, वात पंवारांरी १८ सांखला जागलवा, रायसी महिपालोत १६ सोढारी ख्यात २० वात पारकर सोढारी
१३४
१९३ ... २०२
२२७ ... २५८ .. २६३
२७२ ... २७६
२८६
ع
३३६ ३४४
ع
س
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॥ ॐ शिव ॥
.
A
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मुंहता नशासीरी ख्यात
॥ अथ सीसोदीयांरी ख्यात' लिख्यते ॥ ॥र्द० ॥ श्रीगणेशायनमः ।। आदि सीसोदीया गैहलोत' कहिजै । एक वात यूं सुणी । इणारी ठाकुराई पहली दिखण नासिक त्रंबक
हुती । सु इणारे पूर्वजरै सूर्यरो उपासन हुतो। माँताधेन करता। .. तद सूर्य प्रतक्ष आय हाजर हुतो । तिणसू' को जुध जीप' सकतो
नहीं । सु राजा घणी धरतीरो धणी हुवो । सु राजारै पुत्र नहीं । ... तरै सूर्यजीसं पुत्ररी वीनती की। तरै सूर्य कह्यो-'आंबाइ देवी।
- मेवाड़ ईडररै गड़ासंधा2 छै । उठारी13 जात4 बोलो । इछना - करो। आधांन रहसी, तठा पछै17 जात करज्यौ ।” पछै जात इंछी।
रांणीरै आधांन रह्यौ । पछै राजा रांशी आंबाइरी जात18 चालीया। ... सु रांणी चालतां राजारो मंत्र आवाहन रह्यो । तरै ग्रासीयां कांठ-ळियां20 दाव लाधौ, सूर्यरो उपासन मिटियो । तरै सिगळा22 भेळा
हुय राजा ऊपर आया । राजा बाज मूओ23 । गढ़ वांसलो24 भोमियां ... लीयो । रांणी आँबायरी जात कर नैं गांव नागदहै25 बांभणांरै26 आंण ..... 1 ख्यात-प्राचीन इतिहास-वार्ता, किसी किसी पोथीमें इसके बाद 'वार्ता लिख्यते' ऐसा वाक्य भी लिखा मिलता है। 2 लिखी जाती है। 3 सीसोदा गाँवमें रहने के कारण सीसोदिया कहलाये । उदैपुरके महाराणा सीसोदिया हैं। 4 सीसोदिया पहले गहलोत कहलाते थे,
गुहिलके वंशज होनेसे गहलोत कहलाये । 5 दक्षिणकी ओर । 6 मान्यता और ध्यान । 7 उससे। .' 8 कोई। 9 जीत नहीं सकता था। 10 तब । 11 गुजरातकी एक प्रसिद्ध देवी। 12 समीप ।
15 वहाँको । 14 पुत्र आदिको प्राप्तिके निमित्त किसी देवी देवताकी यह मान्यता करना कि पुत्रको प्राप्ति हो, हो जाने पर उसको साथमें लेकर दिन निर्धारित कर निश्चित परिमाणमें प्रसादी चढ़ानेको, देवी देवताकी यात्राको जाना । 15 मनवाँछितकी प्राप्तिके लिये दृढ़ विश्वाससे याचना करना । 16 गर्भ । 17 जिसके बाद । 18 को । 19, 20, 21 भाग लेनेवाले और प्रति समय सेवामें रहनेवाले सरदारोंको अवसर मिला । 22 समस्त । 25 लड़कर मर गया । 24 गढ़का नाम । 25 एकलिंगजीके समीप एक गाँव । अब खंडहर
मात्र है। 26 । ब्राह्मण ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात डेरो कीयो। वांसां2 घरांसू सुणावणी आई । पाघ' आई । राणी बळणनुं तयार हुई । चह खिड़क तयारी करी। तिण वेळा नागदहा गांव वांभणाँ रांणीनुं कह्यो - "पेट आधांन थकां' बलियां दोखण घणो छै । थारै दिन पिण पूरा हुआ छै।" दिन १५ तथा २० रांणी छूटी। बेटो जायो । तठा पछै रांणी १५ तथा २० वळे' रहि नैं माथो धोयो । पछै चह तयार हुई । रांणी बळणनं चाली छ । डावड़ो राँणीरी गोद मांहै थो। सु उण ठोड़ कोटेश्वर महादेव छ । तठे बांभण विजयदत पुत्र अर्थ सेवा करै छै । तिणनूं14 से रांणी तेड़ नै पटोला सू वीटनै18 बेटो दीयो। बांभण विजदत्त जांणीयो क्युइ' माल छै । सु विजदत्त उरो लीनो20 । तितरै डावड़ो रोयो तरै वांभण कयो – “ौ रजपूतरो वेटो2 हूं किथो23 करूं ? सवार24 ओ25 सिकार रमै । जिनावर मारै । मोटो हुवै । तर वैर-वाढ26 कर दुनीसू । हूं अधर्म भेळो होऊं । म्हारो कर्म-धर्म जाय । मोसौ28 यो दांन लीयो नहीं जाय ।" तरै रांणी विजैदत बांभणनूं कह्यो - "थे वात कही सु सही, पिण29 जो हूं सतसू30 बळू छु, तो इण डाबड़ारी ओलादरा राजा हुसी32, तिके3 दस पीढी थाहरै34 कुळरै आचार हालसी । थाँ घणो सुख देसी ।" तरै बांभणनूं डावड़ो दीयो। सु वांभण विजेदत्त लीयो। कितरोइक38 ऊपर गहणो, क्युइक रोकड़ दीयो । तद बांभण डावड़ाने ले घर गयो । रांणी बळी । तठा पछै विजैदतरै उण डावड़ारी ओलाद हुई सू पीढी १० बांभणारी क्रिया चालीया । नागदहा वांभण कहांणां ।
1 आ कर डेरा डाला। 2 पोछेसे । 3 मृत्यु-समाचार । 4 पगड़ी। 5 चिता । 6 समय । 7 गर्भ होते हुए । 8 दूषण पाप । 9 गर्भके नौ मास पूरे होने आये हैं । 10 रानीको प्रसव हुआ। 11 और । 12 सूतिका स्नान किया । 13 पुत्र । 14 उसको । 15 उस । 16 बुलाकर । 17 वस्त्र । 18 लपेटकर । 19 कुछ माल 1 20 लेलिया । 21 इतनेमें । 22 मैं । 23 यया । 24 फल, भविष्यमें । 25 यह । - 26 शत्रुता और लड़ाई। 27 दुनियासे । 28 मेरेसे 1 29 परन्तु । 30 पातिव्रतको सत्यतासे । 31 संतानके । 32 होंगे । 33 वे । 34 तेरे । 35 अनुकरण करेंगे। 36 तुमको । 37 देंगे। 38 कितनाक । 39 कुछ। ..
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सीसोदियांरी ख्यात
पीढीयांरी विगत - १. विजैदत
७. भोगादित २. सोमदत सूर्यवंसी गैहलोत ८. देवादित ३. सिलादत
९. आसादित ४. ग्रहादित
१०. भोजादित ५. केसवादित
११. गुहादित ६. नागादित . १२. रावळ बापो वात' - रावळ बापो गुहादितरो । तिण हारीत-रिखरी सेवा करी । पछै हारीत-रिखीश्वर प्रसन हुय, बापानूं मेवाड़रो राज दीयो, नै हारीत-रिख वीमान’ बैस चालतो थो। सु बापानूं तेडियो' थो, सु मोड़ेरो आयो । सु पछै बापानं रथ सतां बांह झाली । बापारी देह हाथ' दस वधी । पछै तंबोळ' हारीत-रिख बापानं आपरो2 देह अमर करणनूं13 देतो हुतो", सु मुंहडा मांहे पड़ न सकियो । बापारै पग ऊपरै पड़ियो । तरै हारीत कह्यो-"मुंहडै मांहि पड़ियो हूंत तो देह अमर हूंत । तोही 7 पग ऊपर पड़ियो छ । थाहरै पगसू18 मेवाड़रो राज नहीं जाय ।” नै बापानं ऋखीश्वर कह्यो-“फलांणी ठोड़ छपन कोड़20 सोनइया छै । तिके उठाथी22 ले नै सामान कर । नै चीतीड़ मोरी23 धणी छ, सु मार नै गढ उरो लेजो24 ।' सु बापै ओ माल उरो ले25, सामान कर नै गढ लीयो । कवित रावळ बापा रो
... राव बुहारै बार, राव घर पांणी आणै,
राव करै मांजणो, राव मोजड़ियां तांण ।
1 वर्णन, कथा । 2 उसने । 3 हारीत ऋषिकी। 4 और 1 5 विमान 1 6 बैठकर । 7 बुलाया। 8 देरीसे। 9 बैठते हुए । 10 पकड़ी। 11 तांबूल, पान । 12 उसका । 13 करनेको । 14 था । 15 होता । 16 हो जाती । 17 तो भी। 18 तेरे वंशजोंसे । 19 अमुक । 20 करोड़। 21 सुवर्ण मुद्राएं। 22 वहाँसे । 23 मौर्यवंशका । 24 ले लेना। 25 ले कर । .. कवित्तका अर्थ - रावल बापाके कई राजा तो द्वार पर झाडू लगाते हैं, कई पानी भर कर लाते हैं, कई बरतन रगड़ते हैं, कई जूतियां पहनाते हैं ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
राव पनि ग्रह रहे. राव पोहरै नित जागै, राव तेग* गहि पुळे, राव लुळपावै लागे । गज चड रथ चड तुरिय चड, रावन को मांडत रंण, चितवै च्यार चक्क तणा, सहू राव बापा सरण ॥ १ ॥
रावळ खूमांण वापारो' - तिणरो' कवित -
बिनै लख्ख पायक्क, लख्ख मत्ता तोखारह, सहंस एक छत्रपती हुये मह दरबारह | खड़े सेन खरहंड धूण लीधी धर धारह,
परमारां दळ पहट, दीघ प्रसणां पाहारह | पंचास लख्ख मालवपती, मेवाड़े सोह गांजियो, खूमांण रात्र वापै-तणै, सिद्धराव भड़ भांजियो ॥ २ ॥
कवित रावळ अलु - मेंहदरारो
-
तीन लख्ख तोखार, हसत सो तीन तयासी,
पंच लख पायक्क, करें ओळग मेवासी ।
1 वापाका पुत्र रावल खूंमाण 1 2 उसके सम्बन्धका । 3 अल्लट महेन्द्र |
कई हाथमें पान लिये खड़े रहते हैं, कई रातमें जग कर पहरा देते हैं, कई रावलका शस्त्र पकड़ कर उसके आगे - आगे चलते हैं, कई झुककर उसके चरणोंका स्पर्श करते हैं । और हाथी, घोड़े और रथों पर चढ़नेवाले कोई भी राजा रावल वापासे युद्ध रचनेका तो साहस ही नहीं करते । अपितु चारों दिशाओंके समस्त राजा लोग रावल बापाकी शरण में रहने की इच्छा करते हैं ॥ १ ॥
कवित्तका अर्थ रावल खूंमाणको सेनामें दो लाख पादातिक और एक लाख पुष्ट घोड़े हैं । एक सहत्र राजा लोग जिसके दरवारकी शोभाको बढ़ाते हैं । उसने अपनी सेनाके साथ तीव्र गतिले चढाई करके और तलवारसे युद्ध करके पृथ्वीको जीता । परमारोंके दलका नाश कर शत्रुओं पर प्रहार किया । मालवपतिके पास पचास लाख सेना थी उस सबका नाश कर दिया । ऐसे रावल वापाके पुत्र खंमाणने वीर सिद्धरावको भी
मार भगाया ॥ २ ॥
रावल आलूको सेनामें तीन लाख घोड़े, तीन सौ तयासी हाथी और पांच लाख पादातिक हैं और मेवासी लोग जिसको सेवामें रह कर प्रशंसा करते हैं ।
* यहां 'ते' अशुद्ध प्रतीत होता है, क्योंकि कोई भी राजा अपना शस्त्र किसीको नहीं सौंपता । इसके स्थान 'तुरंग' शब्द उपयुक्त है और यही संगत भी है । 'तुरंग'म एक मात्रा बढ़ती है अतः 'तुरंग' किम्वा 'तुरंग' होना चाहिये ।
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सीसोदियांरी ख्यात आउर नयर नरेस, माल मांडव उग्रावै, घर बैठां डर हूंत, भेट गुज्जरह पठावै । आठ ही पोहर आलू भए, तयण नींद कोय न करे, गहलोत गजां दळ चालतां, अवर राय ओद्रक मरै ॥३॥
रावळ आलूरी ठाकुराई गढ आहोर हुई। तिका' आहोर उदैपुरसूं कोस १० झालांवळी सादड़ी कनै छै । पीढयांरी विगत - रावळ आलू
रावळ करनादित ,, सीहो
, भादु " सकतकुमार
" गानड़ सालीवाहन
हंस नरवाहन
जोगराज अंबापसाव
वैरड , कीरतब्रह्म , नरदेव
, श्रीपुंज उत्तम
, करण रावळ करण श्रीपुंजरो, तिणरै' दोय बेटा हुवा – राहप, तिकण रांणाई दी। चीतोड़ पाट'। माहपनू रावळाई दी । वागड़ पाट । रावळ वैरड़रो कवित - वैरड जोगराजरो -
गूजरवै नह नमै, नमै नह डाहल रायह, डाहाल श्रब चित, लीध संभर बैंचायह ।
, वैरसी
1 वह । 2 पास । 3 अंबाप्रसाद । 4 उसके । 5 जिसको । 6, 7. चित्तोड़की गद्दी. और 'राना'को उपाधि दी गई। 8 वागड़की गद्दी और रावलकी पदवी दी गई।
आहोर नगरका नरेश रावल आलू मांडवपतिसे करके रूपमें द्रव्य प्राप्त करता है और गुर्जरपति तो डरके मारे घर बैठे ही भेंट भेज देता है। आलूके भयसे आठों पहर शत्रु नींद नहीं ले सकते । गहलोतके हाथियोंके दलके चलनेसे अन्य राजा लोग भयसे घबरा कर ही मर जाते हैं ॥३॥
कवित्तका अर्थ - रावल वैरड़न न तो गुजरात और न डाहलके राजाको अपना सिर झुकाया । परन्तु उल्टा डाहालुओंसे सांभरका बँट लेकर उन सभीको बड़ी चिन्तामें डाल दिया ।
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मुंहता नैणसीरी म्यात वार सत्त पंचास, गड़े गैमर गळ गंजै,
लख्ख एक तोखार, ठिठल अरीयण घड़ भंज। पाताल सेस पडिहाइयो, दुर देस राव डंडवै, वांकड़ो राव वैरड़ बसुह, मुणस हेक मेवाड़वै ।। ४ ।।
वात रांणा राहपरी । (३२) रांणो राहप . ( ) , नरपति (३३) , दिनकर (३४), जसक
(३५) , नागपाळ दूहो, रांणा नागपाळरो -
नागपाळ रायाँ-सु गर, जिण भंज खरसांण ।
चक्रवत सोह चेला किया, हेम सेत लग आंण ।।१।। (३६) रांणो पुनपाळ
(४५) रांणो मोकल (३७) , (पेथड़) प्रथम (४६) , कुंभो भुणंगसी
रायमल (३९) , जैतसी
(४८) सांगो गिड़ मंडलीक लखमसी (४९) उदयसिंघ अरसी
(५०) प्रताप हमीर
अमरसिंघ खेतो
करन (४४) ,
जगतसिंघ (५४) रांणो राजसिंघ
॥ इति ।। 1 नरपतिका नाम दूसरी ख्यातोंमें नहीं है । मेवाड़के इतिहासमें और हमारी इस प्रतिमें है। .
2 हमारी प्रतिमें 'राणो प्रथम' लिखा है किन्तु कइयोंमें 'पेथड' और पथोप ।
3 भीमसिंह अथवा भुवनसिंह । 4 सिंहोंके बीचमें 'सूअर के समान निर्भय । लक्ष्मणसिंह, रावल रत्नसिंहकी सहायतामें अलाउद्दीन खिलजीसे लड़ा और रत्नसिंहके काम आ जाने पर स्वयं चित्तोड़के राज्यके लिये अपने कई बेटों सहित वीरगतिको प्राप्त हुआ। ___ वरड़ने ५७ वार कई सजे हुए और पाखर किये हुए हाथियों और एक लाख घोड़ोंको शत्रुओं पर डालकर उनका नाश किया । इसकी सेनाके भारसे पातालमें शेष नाग घबराने लगा। वैरड़ने दूर-दूरके देशों के राजाओंको दंड दिया । मनुष्योंमें मेवाड़की भूमि पर एक वरड़ ही ऐसा रणबंका राजा उत्पन्न हुआ।
हे का अर्थ - राजाओंमें गुरू रूप नागपालने कई वादशाहोंको हराया और समस्त चक्रवर्ती राजाओंको अपना शिष्य बनाया एवं हिमालयसे सेतुबंध तक अपनी आज्ञा मनाई।
(४७)
,
(४१)
,
लाखो
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सीसोदियांरी ख्यात
-
वार्ता दूसरी
रावळ बाप हारीत -रिखरी सेवा करी। मेवाड़रो राज लीयो ।
तिणरी साखरा' कवित, रावळ बापारा
आदि मूळ उतपति, ब्रह्म पिण खत्री जांणां, आनंदपुर सिणगार, नयर आहोर वखांणां । दळ समूह राव रांण, मिळे मंडळीक महाभड़, मिळं सबै भूपती, गरू गहलोत नरेसर । एकल्ल मल्ल धू ज्युँ अचळ, कहै राज बाप कीयौ, एकलिंगदेव आहूठमां. राजपाट इण पर दीयो ॥ १ ॥ छपन कोड सोव्रन्न, रिखी हारीत समप्पै, संदेही श्रग गयौ, राय-रायां उथप्प 1 अंतरीख ले अमृत, सिद्ध पिण आघो कीन्हो, भयो हाथ दस देह, सस्त्र वज्र मई सु दीन्हौ ।
आवध्य अंग लग्गे नहीं, आदि देव इम वर दीयौ,
गुहादित तणै भैरव भगै, मेदपाट इण पर लीयो ॥ २ ॥
७
हर हारीत पसाय, सात-वीसां वर तरणी,
मंगळवार अनेक, चैन वद पंचम परणी ।
1 की । 2 साक्षी रूप
कवित्तका अर्थ वापा रावलके वंशकी उत्पत्तिका मूल कारण ब्राह्मण हैं, जो अब क्षत्री जाने जाते हैं । वे आनंदपुरके शृंगार हैं । वह नगर आहोर नामसे प्रसिद्ध है । कई बड़े २ राजा, राना, मंडलीक और महाभट भूपति मिले, जिनमें गहलोत नरेश्वर रावल बापा सबका गुरू माना जाता है । हेकल मल्ल रावल बापाको ध्रुवके समान अचल राज्य करने वाला कहा जाता है । एकलिंग महादेवने प्रसन्न होकर रावल नापाको इस प्रकार किसीके द्वारा नहीं जीता जाने वाला राज्यपाट दिया ॥ १ ॥
हारीत ऋषिने बापाको छप्पन करोड़ सुवर्ण मुद्राएँ दीं। कई राजाओंको उथल कर वह सदेह स्वर्गको गया । सिद्ध हारीत ऋषिने उसे अंतरिक्षमें उठाकर अमृत द्वारा उसका सन्मान किया, जिससे उसकी देह दस हाथ हो गई और उसे वज्रके समान शस्त्र प्रदान किया । आदि देव महादेव के द्वारा अमृत दिये जानेके कारण बापाके शरीरमें कोई शस्त्र नहीं लग सकता था । कवि भैरव कहता है कि गुहादित्य के पुत्र बापाको इस प्रकार मेवाड़का राज्य दिया ॥ २ ॥
महादेव और हारीत ऋषिकी कृपासे रावल बापाने चैत्र कृ० ५ मंगलवारको एक साथ १४० युवतियोंसे विवाह किया ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात चित्रकोट कैलास, आप वस परगह कीधौ,
मोरी दळ मारेव, राज रायां गुर लीधौ । वारह लख बोहतर सहस, हय गय दळ पैदल वर्ण, नित मूडो मीठो ऊपड़े, मुंजाई वापा तणे ॥३॥
खडग धार पाहार, नित भयसा दुय भंजै, कर आहार छ वार, ताम भोजन मन रंजै । पट्टोळो पैंतीस हाय, पेहरण पहरीजै,
पिछोड़ो सोळे हाथ, तेण तन नहीं ढकीजै । पय तोडर तोल पचास मण, खड़ग वतीसां मण तणौ, सुण वापा सेन सम्म चलै, जिण भय कांपै गज्जणी ।। ४ ।।
जालंधर कसमीर, सिंध सोरठ खुरसांणी, ओड़ीसा कनवज्ज, नगरथट्टा मुलतांणी । कुंकण नै केदार, दीप सिंघळ मालेरी,
द्रावड़ सावड़ देस, आंण तिलंगांणह फेरी । उतर दिखण पूरव पछिम, कोई पांण न दख्खवै, सांवत एक एकाणवै, वापा समो न चक्कवै ॥५॥ अथ सीसोदियारा भेद -
सीसोदो गांव उदैपुरतूं तठ घणा दिन रह्या तिण वास्ते सीसोदिया गांव लारै कहावै छै । नागदहा कहावै छ सु घणा दिन नागदहै गांव वसीया तिण कारण ।
एक वात यूं सुणी छै - आगै अ बांभण हुता। राजा परीखतरै वैर जनमेजै नाग होमाया, तिके इणां' होमिया । नागदहो गाँव एकलिंगझू कोस १ छै । सीसोदीयांरो विरद 'आहूठमा-नरेस' कहावै छै । तिणरो भेद आढे महेस संमत १७०६ में कह्यो । एक तो आहूठ हाथ - सारा आदमी - तिण सारांरो धणी । एक आहठ कोड़
1 इन्होंने।
राजाओंके गुरू रावल बापाने मौर्य वंशके समूहको मार उनका राज्य अपने अधीनमें किया और कैलाशके समान चित्रकूट (चित्तोड़) पर्वत पर परिग्रह सहित अपना वास - स्थान बनाया। वापाने हायो, घोड़े और पैदल, सब मिलाकर बारह लाख बहत्तर हजारको अपनी सेना बनाई। बापाको रसोईमें नित्य एक मूड़ा परिमाण तो नमक ही उठ जाता था ॥३॥
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
प्रथी, तिण सारैरा धणी आठमा नरेस कहावै । कैलपुरा कहावै सु के दिन कैलवै वसीया । आहाड़ा कहावै सु के दिन आहाड़ वसीया । वात राणा चीतोड़रा धणीयांरी -
एक तो उपरलै' पांनै ४९७ लिखी छै नै वात एक पोकरण बांभण' कवीसर जसवंतरो भाई जोसी मनोहरदास इण भांत मंडाई छै
इणरो विजैपांन गोत्र । ब्रह्मारो बेटो विजेपांन हुवो । तिणरो परवार
अ घणां दिन बांभण थका' बड़ा रिखीश्वर' हुवा | बड़ी तपसीया करी । इतरी पीढी तांई सर्मा' कहांणां । पीढीयांरी विगत
१९. लेखसर्मा २३. पीचसर्मा
२०. राजसर्मा २४ वेदसम
२६. कलससर्मा २७. जनसर्मा
२८. लिलाटसम
१. ब्रह्मा २. विजैपांन ५. विजैसर्मा : ६. खेमसर्मा ९. नरसर्मा १०. गजसम १३. जयसर्मा १४. वसुसर्मा १७. चीरसर्मा १८. विजैसर्मा २१. विराजसम२२. हरखसर्मा २५. हृदैसर्मा २९. वासंतसर्मा ३०. नरसर्मा ३१. हरसम ३३. सुऋतसर्मा ३४. सुभाख्यसर्मा ३५ सुबुद्धसर्मा ३६ विश्वसर्मा ३७. वरदेवसर्मा ३८ कामपतिसम३९. नरनाथसर्मा ४० पीतसर्मा ४१. हेमवर्णसम ४२. जनकारसम४३. राजासर्मा ४४. गालवदेवसर्मा ४५. गालवसर्मा ४६.गालवसुरसर्मा४७. पालदेवसर्मा ४८. हंर्जनरसर्मा ४९.हर्जनकारसम५० दरमादिसर्मा५ १. गोविंदसर्मा ५२. गोवरधनसम ५३. गोदसीससम५४. वाक्यसम ५५. विराटसर्मा ५६. वेगसर्मा ५७. नित्यानंदसर्मा ५८: वनसर्मा ।
३२. धर्मसर्मा
३. देवसर्मा
७. रिखीसर्मा
११. वायसर्मा
१५. केसवसर्मा
४. अग्नसम ८. जगसम
१२. दतसर्मा १६. जायसर्मा
शुभं भवतु ॥
1 उपरोक्त । 2 ब्राह्मण 13 लिखाई है। 4 ये 15 रहते हुए 16 ऋषीश्वर । 7 शर्मा ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात अठा आगे' इतरी पीढी रांणारा पूरवज- 'दीत- ब्राह्मण' कहांणां - १. गोदसीदित्य २. अजादित्य ३. ग्रहादित्य ४. माधवादित्य ५. जलादित्य ६. विजलादित्य ७. कमलादित्य ८. गोतमादित्य ९. भोगादित्य १०. जालमालादित्य ११. पदमादित्य १२. देवादित्य १३. कृस्नादित्य १४. जगादित्य १५. हेमादित्य १६. कलादित्य १७. मेघादित्य १८. वेणादित्य १९. रामादित्य २०. कर्मादित्य २१. हर्खमादित्य २२. देवराजादित्य २३. विक्रमादित्य २४. जनकादित्य २५.नेमकादित्य २६. रामादित्य
२७. केसवादित्य २८. करणादित्य २९. यमादित्य ३०. महेंद्रादित्य ३१. गंजमादित्य ३२. गंगाधरादित्य ३३. गोविंदादित्य ३४. गंगादित्य .३५. गोवरधनादित्य ३६. मेरादित्य ३७. मेवादित्य ३८. माधवादित्य ३९. मर्दनादित्य ४०. धनादित्य ४१. रनादित्य ४२. वेणादित्य ४३. वीकादित्य ४४. नाराइणादित्य ४५. खेमादित्य ४६. खेकादित्य ४७. विजयादित्य ४८. केसवादित्य ४९. नागादित्य ५०. भोगादित्य ५१. भागादित्य ५२. ग्रहादित्य ५३. देवादित्य ५४. अंबादित्य
५५. भोगादित्य। इतरी पीढां इणारी' 'दीत' हुवा । ब्राह्मण कहांणां ।
राजा परीख्यतर्नु साप खाधो' । तिणरै वैर जनमेजय परीख्यतरे बेट नागांसू धेख कीयो तरै” सारा ब्राह्मणांनै भेळा10 किया, कह्यो-"म्हारै वापर वैर नाग होमीया चाहीजे" तरै आ वात किणही रिखीश्वर ब्राह्मण कवूल की नहीं, तरै रांणारा पूर्वज आ
1 इससे आगे। 2 पूर्वज । 3 आदित्य - ब्राह्मण । 4 इनको । 5 आदित्य । 6 परीक्षतको। 7 सर्प डसा था। 8 द्वेष । 9 तव । 10 सम्मिलित किये । 11 यज्ञमें होमना चाहिये।
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.. मुंहता नैणसीरी ख्यात बात कबूल की । पछै नागदहो गांव मेवाड़में छै । उदैपुरसू कोस छ त? नाग होमीया । सु कुंड अजे. जिग्यरा' छै । त? नाग होमीया तिणथी नागदहा कहांणा' । वात - ___ श्रीएकलिंगजी कनै राठासण देवी छ । तठै हारीत रिख बारै वरस वडी तपस्या करी । तठे बापो रावळ टोघड़ा चारतो, बांभणरो बेंटो थको । सो इण हारीत रिखरी बारै वरस घणी सेवा करी। पछै रिखीस्वररी तपस्या पूरी हुई। रिखीस्वर चालणरो विचार कीयो तरै क्यूं ई बापानै देणरो विचार कीयो । तरै हारीत राठासण देवीं ऊपर कोप कीयो । कह्यो –“बारै वरस थांसू निकट तपस्था करी, थे म्हारी कदेइ खबर न लीनी ।" तरै प्रतख्य' हुय देवी कह्यो -"मोनूं कासू अग्या करो छो।" तरै हारीत रिखीस्वर कह्यो"म्हारी इण डावड़े बापै घणी सेवा करी, इण- अटारो12 राजं दीयो चाहिजै ।" तरै देवी कह्यो-"श्रीमहादेवजी प्रसन'3 करो। राज महादेवजीरी सेवा बिना पाईजै14 न छै ।" तरै हारीत रिख महादेवजीरो ध्यान कीयो । उग्र स्तुत करी । तिणथी पाहाड़ प्रथी फाड़ नै जोतल्यंग5 श्रीएकल्यंगजी प्रगट हुवा । तरै हारीत रिख वळे16 महादेवजीरी उग्र स्तुती करी । महादेवजी प्रसन हुवा । कह्यो -"हारीत ! कासू माँगै छै ? सु कहि । म्हे वर दां”।" तरै रावल बापारी18 वीनती करी । बापो मेवाड़रो राज पावै । तरै महादेवजी देव राठासण प्रसन हुआ । वर दीयो । राज दीयो । सु हमैं रांणानुं आश्रीवाद" दीजै छ । तरै हर हारीत प्रसन कहीजे छै। महादेव प्रसन कर नै हारीत आयो । तितरै20 बापो आय हाजर . हुवो । बापानुं रिखीस्वर आग्या दी - तें म्हारी घणी सेवा करी । म्हैं तो22 मेवाड़रो राज महादेवजी देवीजी प्रसन कर दीरायो छ ।
1१ कोस=दो मील । 2 अभी। 3 यज्ञ। 4 कहाये। 5 गायोंके बछड़े। 6 होते हुए। 7 तुम्हारे पास 1 8 कभी । 9 प्रत्यक्ष । 10 क्या। 11 लड़के । 12 यहांका । 13 प्रसन्न । 14 प्राप्त नहीं होता है । 15 ज्योतिलिंग श्रीएकलिंगजी । 16 पुनः । 17 दें। 18 बापाके लिये। 19 आशीर्वाद । 20 इतने में । 21 आज्ञा । 22 तेरेको ।
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मुँहता नैणसीरी ख्यात इण ठोड़ एकलिंग प्रकट हुवा छै । और देवी राठासण छै । उणरी तूं घणी सेवा करजै। राज ताहरो अविचल रहसी। नैं तूं रात घड़ी च्यार ४ पाछली थकी आए। वकै तोनै कुहीक कहणो छ, सु कहीस। तरै बापो घरै जाय सूय रह्यो । मोड़ो' जागीयो । तरै दोड़र गयो। आगे हारीत रिख विमान बैसतो थो तिण वेळा गयो । विमान ऊंचो हुवो। बापारी रिखीस्वर बांह झाली । हाथ दस : बापारो डील' वधीयो । रिखीस्वर मुखरो तंबोळ देतो थो । जाँणीयो इण रा मुंडा मांही पड़सी तो इणरी देही' अमर हुवै । सु तंबोळ चूक नै पग ऊपर पड़ियो । तरै रिखीस्वर कह्यो -"थाहरा पगसू मेवाड़रो राज कदै जाय नहीं । नै बापान कह्यो – फलांणी' ठोड़ छपन कोड़ . सोनइया छै सु उरा लेजो । सामांन कर नै चीतोड़ ऊपर जा। मोरी2
आगे राज करै छै । सु मार नै राज चीतोड़रो उरो ल्यो । संमत ५० कहै छै । बापानुं हुवो । बापै मोरी मार नै चीतोड़रो राज लीयो। इतरी पीढी रावळ कहांणा --- - १. भोजादित्य . .... १२. बिबपसाव रावळ २. बापो रावळ
१३. नरबिंब , : ३. खूमाण ,
१४. नरहर ४. गोयंद
१५. उदतराज , ': ५. सीहेन्द्र ,
१६. करणादित , ६. आलुस - ,
१७. भादू ७. सीहड़
१८. गात्र : ८. सकतकुमार
१९. हंस • ९. सालवाहन
२०. जोगराज - - १०. नरवाहन
२१. वडसीस ११. अवपसाव
२२. बीरसीह
. . . 1 पिछली रातकी चार घड़ी रात रहे तब आना । 2 कुंछ । 3 कहूंगा । 4 सो रहा । 5 देरसे 1 6 पकी । 7 देह बढ़ गई। 8 पड़ेगा। 9 शरीर । 10 तुम्हारे पांवोंसे अर्थात् वंशवालोंसे मेवाड़ का राज्य कभी नहीं छूटेगा। 11 अमुक 1 12 मौर्य वंशके।
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३
मुंहता नैणसीरी ख्यात २३. समरसी रावळ २६. नवखंड : रावळ २४. रतनसी रावळ पदमणी २७. कुरमेर , ... वाळो प०
२८. जैतसी , २५. सिरपुंज रावळ .. २९. करन ; ..... अठा - सूधा' पाट २९सु चीतोड़रा धणी रावळ कहांणा' । रावळ करनैरै बेटा दोय माहप नै राहप हुवा । सु वडा बेटा महापर्नु फोज वडी साथै दे नै मेड़ते कोई रांणो हुतो, तिण ऊपर मेलीयो' हुतो । सु रुत' उनाळारी हुती। कवर जाय भाखरां मांहे ठाढी छांह झरणा देख बैस रह्यो । उमराव सारानुं घरांरी विदा करी कह्यो - 'हमार गरम-रुत' छै । मास २ मेह हुवां आंपै मेड़ते ऊपर जास्यां ।' रांगो करन अठै बैठो बाट देखे सु कवररो कदे कागद पत्र आवै नहीं। कवर माहप पाटवी नै रांणी सुहागणरै। पेटरो,
तिण वास्तैसू13. कोई14 जाणै, पिण परधान खवास पासवान कोई '. आ वात रावळ करननुं सुणावै नहीं। रावळ जोर' आतुर हुवो
कहै - "कंवररी खबर न आई।" तरै किणहीक' कह्यो -"कंवर तो गरम रुतरै वासत मेड़ते ऊपर गयों नहीं। मेह वूठां7 जासी । साथ- ही घरांरी सीख दीवी छ । तिण वासतै राजनुं अरदास20 न आवै छै ।'' सु रावळ वात सुण नै हैरान हुवो। मन मांहे जाणियो - 'ओ कंवर पाट जोग नहीं' । तरै और फोज लोहड़ा - बेटा राहपरै
साथे दे विदा कीयो । राहप तिणहीज वेळा22 चढीयो । इळगार23 - कर मेड़ता ऊपर तूट पड़ीयो। मेड़तो मारीयो24 | मेड़तारो धणी
रांणो पकड़ीयो नै चीतोड़ ल्यायो । रावळ करन लोहड़ा बेटासूबोहत .राजी हुवो । रांणो पकड़ ल्यायो, तेथी इण→ रांणारो किताब26 .....: 1 यहां तक । 2 कहाये । 3 भेजा था । 4 ऋतु । 5 ग्रीष्मको । 6 पहाड़ । 7 सबको ।
8 अभी 1 9 ग्रीष्म ऋतु । 10 अपन । 11 जायेंगे। 12 कृपापात्र रानीके । 13 इस बातको । 14 'तूं कोई' के स्थान 'स कोई' पाठ होना चाहिये । स कोई - सब कोई । 15 अत्यन्त । 16 किसी एकने । 17, 18 वर्षा हो जाने पर जायगा। 19 साथ वालोंको घर चले जानेको आज्ञा दे दी, । 20 सामाचार, निवेदन । 21 छोटा पुत्र । 22 उसी समय । 23 संपूर्ण सेनाके साथ और क्रोधित होकर । 24 मेड़तेको जीत लिया । 25 जिससे । 26 पदवी, खिताव ।
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मूंहता नणसीरी ख्यात दे आपरै पाटवी कीयो । माहपर्नु अगली रावळाई दे नै डूंगरपुर वांसवाळो दियो। तिणरी ओलाद डूंगरपुर बांसवाळे छै । नै राणा राहपरा चीतोड़रा धणी छै ।
रतनसी अजैसीरो, भड़ लखमसीरो भाई। पदमणी मामले लखमसी नै रतनसी अलावदीसू लड़ काम आया । एक बार पात- .. साह चढ खड़ीया हुता सु पछै उदेपुररा* डैरांसू इणां पाछो तेड़ायो । बारै दिन एक एक बेटो लखमणसीरो गढ़सू उतर लड़ीयो । तेरमैं दिन जुहर कर रांणो लखमणसी रतनसी काम आया । भड़ लखमसी, रतनसी, करन तीनै भाई गढ – रोहै' काम आया । भड़ लखमसीरो बेटो अनंतसी जाळोर परणीयो० हुतो, सु उठै कानड़दे साथ काम आयो, सु जाळोरमें डूंगरी वाजै छै । अरसी साथै काम आयो । तिणरो बेटो रांणो हमीर चीतोड़ वरस ६४ मास ७ दिन १ राज कीयो । १ अजैसी गढ - रोहै काढीयो । तिणरा कुंभावत १, ककड़ १, मांकड़ काम आया। १ प्रोझड़ १ थड़रा भाखरोत । तठा आगै'3 इतरी14 पीढी चीतोड़ रांणा हुवा -
1 माहपको परंपरागत 'रावल'की पदवी देकर डूंगरपुर और बाँसवाड़ेका देश दिया। 2 राना राहपके वंशज चित्तोड़के स्वामी हैं । 3 परम सुन्दरी महाराना रत्नसिंहकी रानी पद्मिनी, जिसको प्राप्त कर अपनी वेगम बना लेनेको उत्कट अभिलाषासे अलाउद्दीन खिलजीने चित्तोड़ पर चढ़ाई की। भयंकर युद्ध हुआ। लखमसी और रतनसी दोनों इस मामले में काम आये । 4 रवाना हुए थे । 5 बुलाया । 6 बारह, 1 7 तेरहवें । 8 युद्ध में मारे जानेके पश्चात् शत्रुओं द्वारा उनकी स्त्रियोंका अपमान न हो अतः जौहर करनेकी (धधकती हुई अग्निमें कूद कर जल जानेको) आज्ञा दे कर राना लखमणसी और रतनसी काम आ गये। 9 शत्रुको गढ़ में प्रवेश न करने देनेके लिये गढ़के द्वार पर की जाने वाली भीषण मुठभेड़ । 10 विवाह किया था। 11 जालोरमें जिस पहाड़ी पर अनंतसी काम आया वह पहाड़ी 'अनंतसीरी डुंगरी' कहलाती है । 12 युद्ध में घायल हो जाने पर अजैसीको वंश - रक्षाके लिये गढ-रोहसे वचा कर बाहर निकाल लिया । 13 जिसके आगे । 14 इतनी।
__ * उदैपुर' पाठ अशुद्ध है । " . . . . . . . 'सु पछ उणनै पुररा डेरांसू इणां पाछो तेडायो।" पाठ अधिक संगत है। लिपिकारको इतिहासका ज्ञान नहीं होनेसे प्रतिमें स्पष्ट 'पुर' शब्दके पूर्व अस्पष्ट अक्षरोंको 'उदै' समझ कर 'उदैपुर' कर दिया है । उदैपुर तो उस समय था ही नहीं ।
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मूंहता नैणसीरी ख्यात १- राहप रांणो, करन रावळरो। २- देहु राणो, ३- नरू रांणो, ४- हरसूर राँणो, ५- जसकरन रांणो, ६- नागपाल रांणो, ७- पुणपाल रांणो, ८- पेथड़ रांणो, ९- भवसी रांणो, १०- भीमसी राणो, ११- अजैसी रांणो । १२- भड़ लखमसी रांणो, बारै बेटांसू काम आयो चीतोड़। १३- अरसी रांणो, १४- हमीर राँणो, १५, खेतसी रांणो। १६- रांणो लाखो खेतारो। राव चूंडारी' बेटी हंसबाई परणी हुती, तैरै पेटरो राँणो मोकल ।। १७- राणो मोकल, राव रिण मलरो' भाणेज । १८- , कुंभो, बावण - विसनरो अवतार कहाँणो' ।
१९- , रायमल, कू भारो। ___ २०- , साँगो, रायमलरो। ... .२१- राँणो उदयसिंघ, २२- राँणो प्रताप, २३- राँणो अमरसिंघ, • २४- राँणो करन, २५- राँणो जगतसिंघ, २६- राँणो राजसिंघ।
२७- हमीर, अरसीरो बेटो। देवी सोनगरीरे पेटरो। कोई . दिन खभणोर कन उनावो गांव छै तठे रहया। मा ____उठे' रहता तिण परसंगा । ' राणा हमीरसुँ पाटवीयाँरा बेटांरी विगत - ... १ राँणो खेतो १ लूणो १ खंगार वैरसल, हमीररो।
राँणा खेतारा बेटा -
२ राँणो लाखो २ राँणो भाखर । भाख ररै वंसरा भाखरोत । चाचारा दिखणर्नु - भुंहसाजळ - साहजी", सिवो12 २ मेरो, खातणरै पेटरा । ( 1 राठोड़ राव वीरमका पुत्र चूंडा, जो मारवाड़के प्रचलित राठोड़ वंशके राजाओंके पूर्वजोंमें मंडोरका सर्व प्रथम स्वामी बना था। 2 व्याही थी। 3 जिसके । 4 राठोड़ राव चूंडेके १४ पुत्रोंमेंसे सबसे बड़ा । किन्तु अपने छोटे भाई काह्ना और राव सत्ताके वाद मंडोरका स्वामी बना। 5 विष्णु भगवान्का वामन अवतार कहलाया। 6 किसी समय । 7 पास । 8 वहां। 9 वहां। 10 कारण। 11 चाचाका पुत्र शाहजी भोंसला । 12 मरहटोंका राज्य स्थापित करने वाला वीर छत्रपति शिवाजी । 13 खाती जातिकी स्त्री, खातिन ।
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मुँहता नैणसीरी ख्यात २ महियो २, भवणसी २, भूवररा भूवरोत, २ सलखारा सलखणोत, २ सिखररा सिख रावत ।
२ राँणो लाखो -३ चंडैरा चंडावत, ३ राघवदे पितर' हुवो, ३ ऊदारा ऊदावत, ३ रुदारा रूदावत, ३ दुलहरा दूलावत, . ३ गजसिंघरा गजसिंघोत, ३ डूगररा भाँडावत ।
राँणो मोकल लाखावत - राव चूडारी बेटी हंसवाईरो । राव . चूडारो दोहीतरो । तिणर्नु चाचे, मेरे - राँणा खेतेरै बैटाँ खातणरै पेटरा मारीयो । पछै चाचो मेरो पईरै डूंगरे चढीया, तिके घेर नै राव रिणमल मारीया।
४- राँणो कुंभो मोकलरो । राँणे कूभे कुंभलमेर वसायो। तद वडी वसती हुई । घणो लोक पारपखै' आय वसीयो । तिण समै कहै छै कुंभलमेरमें देहुरा' सातसै ७०० हुता । तठे झालर ७०० वाजती' । नै घर ७०० श्रीमाली - वाँभणारा हुता । तिण (थी19) कहै छै एकूके घर दीठ' थाळी ७०० थी। पछे राँणो उदेसिंघ्न पिण केइक दिन कुभलमेर रह्यो । राँणो कुंभो मोकलरो।
४- खींवारा देवळियेरा धणी । ४- सूआरा सूआवत । ४ सतारा कीतावत । ४- अढूरा अढुओत । ४ गढूरा गढुओत । ४- वीरम । ___ राँणो कुंभो मोकलरो । मोकल मारीयाँ पर्छ राव रिणमल चाचा मेरानं मार नै चीतोड़ पाट बैसाँणीयो12 । पछै कुंभो मोटो13 हुवो। (साहवी 4) सारीरी' मुदार राव रिणमल ऊपर । सु मेवाड़रा रजपूताँ नै स्वावै' नहीं । पछै सीसोदीय चूं. लाखावत
1 प्रेतत्त्व मुक्त मृत - पूर्वज । 2 दोहित । 3 जिसको। 4 पई नामक पहाड़ी। 5 जिनको। 6 वहती। 7 अपार । 8 नंदिर । 9 जहाँ ७०० घड़ियाल एक साथ वजती थीं। 10/11 जिससे कहा जाता है कि उन प्रत्येक सात सौ घरोंमें ७०० थालिये लागें (नेगकी) ो जाती थीं। 12 राठोड़ रिगमलने चाचा मेराको मार कर कुंभाको चित्तोड़की गद्दी पर बैठाया। 13 बड़ा । 14 शासनाधिकार, मालिकपन । 15 सबकी। 16 मूल आधार । 17 सुहाता नहीं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात पवार महिपै राणा कुंभानूं भखायन' राव रिणमलजीनूं सूताj2 मारीयो । कवर जोधो बीजा राव रिणमलरा बेटा चीतोड़री तळहटीडेरे था सु नीसरीया' । कूभै फोज मेल मारवाड़ एक वार ली । पछै राव जोधेजी · रांणारो थांणो मार नै मंडोवर लीयो। पछै राणा ड्भारो चित टळ गयो । तर कुंभारे बेटे उदै राणा कुंभानू मारीयो । पछै रजपूतां मेवाड़रा ऊदानू कबूल न कीयो' । रायमल कुंभावतनू टीको दीयो।
५ रांणो रायमल । ५ ऊदो, जिण रांणा कूभानू मारीयो । पछ ... ओ अठारो काढीयो केई दिन सोझत रह्यो ।
५ नगारा नगावत ५ गोयंद अऊत गयो । ५ गोपाळ अउत गयो। ... ५ रांणो रायमल कुंभारो, चीतोड़ धणी हुवो । बेटो बड़ो बालाइ हुवो।
६ उडणो-प्रणो प्रथीराज निपट झाळपूळा हुवो" । टोडो नै जाळोर एक दिनरै बीच मारीया तरै आ वात पातसाह सुणी । तरै उडणो प्रथीराज कहांणौ । असंख प्रवाई जैतवादी रांणो रायमल जीवत ही मुनो ।
७ वणवीर। . ...६ जैमल रायमलोत । प्रथीराज मुवाँ पर्छ।4 टीकायत 15 रायमल रांण कीयो । पछै वदनोर राव सुरताण सोळंकी तारादेरै बाप - 1 वहका कर। 2 सोते हुएको। 3, 4. . . 'चित्तोड़के गढ़की तलहटीके डेरोंमें थे सो वहाँसे निकले। 5 मंडोरकी रक्षाके लिये राना कुंभाने वहाँ एक थाना लगा रखा था, जिसमें रहने वाले मनुष्योंको मार कर राव जोधाने मंडोर पर पुनः अपना अधिकार कर लिया। 6 राना कुंभाका चित्त विक्षिप्त हो गया । 7 स्वीकार नहीं किया। 8 यह यहाँसे निकाला गया। 9 अपुत्र मरा । 10 बली । 11 एक स्थान पर विजय करके उसी दिन अन्य शत्रुके किसी दूरके स्थान पर तीन गतिसे भाग कर प्रतिज्ञाके साथ दूसरी विजय करने वाला प्रिथीराज अत्यन्त उग्र और तेजस्वी हुआ। 12 जैपुर डिवीजनके टोडा-रायसिंह और मारवाड़के जालोर, इन दोनों पर्याप्त दूरस्थ स्थानोंको एक दिनमें विजय किया । 13 प्रिथीराज, उसके बाप राना रायमलके जीवन कालमें ही मर गया। 14, 15 प्रिथीराजके मरनेके बाद रायमलने जैमलको युवराज बनाया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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ऊपर गयो । वे वदनोर छाड़ नीसरीया! | राणें वांसो कीयो । अटाळी कुनै आवतां गाडनूं पोहता । तठे राव सुरताणरो परघांन सांखलो रतनो साळो पिण हुतो । तिण एकल असवार पाछा वाळीया' । रात पाछली घड़ी ४ रही थी सारा उंघावता था । जैमल घुड़ हल' वैठो थो । रतनो आइ साथ भेळो' हुवो । आवतो २ राँणारी वैहल निजीक आयो । खुर घोड़ो कर ने जैमलरै रतने साँखले वरछी छाती माँह लगाई । मरमरी लागी । राँणो मुंबो । पारवतीरे' रतनानूं मारीयो ।
1
६. जैसो पिण सुणियो है "। जैमल मुंवाँ पर्छ रायमल मुदायत कीयो" पछै राँगो रायमल असमाधियो । तरै जैसो लायक नहीं । रजपूत राजी नहीं । तरै सांगानुं तेड़ नै हाजर कीयो । राँगो रायमल धरती घालीयो 14 | पछै राँगो रायमल मुंवो । साँगानू टीको हुवो । गीत राणा साँगारो
आयो आगर जक दनी जवनपुर, समहर संग सप्रांणो । दिलड़ी तणी धरा धक धूणै, रोस चईनो रांगो ॥ १ ॥ पारंभ माल पसरीयो परखंड, अत साहस ऊलटीयो । ढिलड़ी जोय जयँ धवळागिर, हिंदुवो रांगो हठीयो ॥ २ ॥
1 छोड़ कर निकल गये । 2 रानाने पीछा किया । 3 अटाली गांवके पास आते ही उनके गाड़ोंको पकड़ लिया । 4 पोछा लौटा दिया 15 सब नोंदमें थे 16 घोड़ोंका रथ । 7 शामिल हुआ 1 8 घोड़े के अगले पांचोंको (रथके ऊपर) उठा कर 16 पासवालोंने । 10 'जैसा' के लिये भी सुना गया है । 11 जैमलके मरनेके वाद रायमलने उसको अधिकारी बनाया । 12 मरणासन्न हुआ 1 13 बुला कर । 14 रांना रायमलको धरती पर लिटाया । 15 राज्यतिलक हुआ ।
गीतका भावार्थ
युद्ध करनेमें महाबली, राना सांगा दिल्लीकी धराको नष्ट करता हुआ जिस दिन haran यवनों नगर लागरेमें आया, उसको देख लोग चकित हो गये ॥ १ ॥
पहले राना रायमलने पृथ्वीके दूसरे खंडोंमें अति साहससे अक्रमण किया था, feg अब दिल्ली प्रदेश और हिमालय तक जहां देखो वहाँ हिदुपति राना सांगा (विजय करने के लिये ) अपनी हठ पर चढ़ा हुआ है ॥ २ ॥
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
नरवर गोना चलै नीवते, सुण सुरतांण जु कीनी सांगै,
समपै सिखर सबाही | मुकंद तणा थर मांही ॥ ३ ॥ लोह तणै रस लागो ।
माल - तणौ सझीयो मोगरथट,
पूरव देस भंगाण पड़ते, भौतिण पँडवो भागो ॥ ४ ॥ ६. राँगो सांगो रायमलरो वडो भाग बळी' हुवो । घणी धरती खाटी' । माँडवरो पातसाह साँगे दोय वार पकड़ नैं छोडीयो । पीळीयाखाल' सूधी' एक वार हद कीवी' । पछे बाबर पातसाहसू वेढ़' हुई, तठे राँगो सांगो भागो । सांगानू कवर वाघा सूजावतरी बेटी धनाई परणाई थी, तिणरो बेटो राँगो रतनसी ।
१९
६ किसनारा किसनावत ।
६ धनो रायमलरो अउत' ।
६ देवीदास अउत ।
६. पतो राँमो अउत
7
संमत् १५३९ रा वैसाख वद ९ सांगारो जनम | संमत् १५६६ जेठ सुद ५. राँगो सांगो पाट बैठो । संमत् १५९४ रा काती सुद ५ सीकरी बाबर ( हुमायूँ ) पातसाहसू वेढ हारी । रांणो साँगो वडो प्रतापबळी ठाकुर हुवो । घणी धरती खाटी । संमत् १५३९ रा वैसाख वद ९ रो जनम । घणो तपीयो' । उडणो प्रथीराज मुंवाँ पर्छसुदै" हुवो । पेहली घणो विखे फिरीयो । पछे वडो ठाकुर हुवो । इसड़ो चीतोड़ राँणो कोई न हुवो । दोय वार माँडवरो पातसाह पकड़ छोडीयो । पीळीयेखाल जाय बाबर पातसाहसू लड़ीयो तिका
जिस राना सांगाको, गोपा नरवर नगर और उसके समस्त शिखर आदि प्रदेश अर्पण करते हुए और सिर झुका कर चलता बना। हे सुलतान ! सुन, बूंदेलेके राजा मुकुंदके घरमें उस राना सांगाने जो की ( वह क्या साधारण बात थी ? ) ॥ ३ ॥
वीरोंमें अग्रणी रायमलका पुत्र राना सांगा खङ्गके रसमें अनुरक्त होने के कारण पूर्वके देशों में भगदड़ मचनेसे भयके कारण पंडुवा वहाँसे भाग गया था ॥ ४ ॥
1 भाग्यशाली । 2 जीत कर प्राप्त की । 3 गांवका नाम 14 तक 15 सीमा वनाई । 6 लड़ाई | 7 अपुत्र, निःसंतान । 8 प्रतापी । 9 खूब शानके साथ बहुत समय तक राज्य किया । 10 राज्यधिकारी हुआ । 11 पहाड़ और जंगलमें संकटके मारे छिप कर रहना ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात वेढ हारी । वळे राँणै सांगै चंदेरी' (मारी) थी । वंधवैरै- वाघेले मुकंदसू' वेढ हुई । मुकंद भागो । हाथी घणा पड़ाउ-आया। खिड़ीये खींवराज' वात कही।
राँणो रतनसी कंवर वाघारो दोहीतो, धनाईरै पेटरो। तिको हाडा सूरजमल नारणदासोतसू लड़ काँम आयो । मामलो भैंसरोडर गाँव किंवाजण' हुवो । गाँव चीतोड़थी कोस २२ । वूदीसू कोस १० । ____७. राँणो विक्रमादित करमेती' हाडीरा पेटरो । उदैसिंघरो वडो भाई । रतनसी मारांण टीके बैठो। पछै विक्रमादित चीतोड़ थकाँ संमत १५९९ जेठ सुद १२ · पातसाह वहादर चोतोड़ ऊपर आयो । गढ लीयो । हाडी करमेती जुहर कीयो । रजपूत काँम आया । पछै वळे हमाउ पातसाह विक्रमादितरी मदत करी । हमाउ चीतोड़ आयो । वहादरवू घेच काढीयो । विक्रमादितनू पाछो चीतोड़ वैसाँणीयो । पछै पूतळ4 छोकरीरै बेटे विक्रमादित रमतानुं मारीयो । वणवीर चीतोड़ लीवी। . . ७. राँणो उदयसिंघ साँगारो । बडो प्रतापवळी ठाकुर हुवो। विक्रमादित मारीयो तद कोई दिन कुंभलमेर रह्यो । पछै वणवीर आय कुंभलमेर घेरीयो० सु राँणो उदयसिंघ सोनगरा अखैराज रिणधीरोतरी बेटी परणीयो हुतो। पछै अखैराजनू उदैसिंघ कहाड़ीयो-18 म्हानू मुसकल आय वणी छै! । माहरी20 मदत करज्यो, पछै अखैराज घणो साथ ले नै आयो । कूपो मेहराजोत22, राणो
1 गांवका नाम । 2 वांधवगढ । 3 घायल पड़े हुए हाथ आये । 4 खिड़िया जातिका चारण खींवराज । 5 गांवका नाम । 6 से । 7 राना सांगाकी स्त्री। 8 रतनसीके मारे जाने पर, विक्रमादित्यको राज्यतिलक हुआ।9 चित्तोड़में विक्रमादित्यके शासनकालमें। 10 चित्तोड़गढ़को वहादुरशाहने जीत लिया। 11 मदद । .12 विक्रमादित्यको पुनः चित्तोड़के सिंहासन पर बैठा दिया। 13, 14 दासीपुत्र वनवीरने खेलते हुये विक्रमादित्यको मार डाला। 15 विक्रमादित्यके मारे जानेके वाद चित्तोड़ पर बनवीरका अधिकार हो गया इसलिये उसिंहको बहुत समय तक कुंभलमेरमें रहना पड़ा। 16 वनवीरने कुंभलमेर पर घेरा डाल दिया । 17 बेटीसे विवाह किया था। 18 कहलाया। 19 मेरेमें आपत्ति आ पड़ी है। 20 मेरी। 21 सेनाको ले कर आया। 22 राठोड़ राव रिणमलका पौत्र मेहराजका पुत्र कंपा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात अखैराजोत', भदो, कह्न पंचायणोत, जैसो भैरवदासोत । मारवाड़रो सारो साथ ले नै उदयसिंघरी मदत अखैराज आयो । वणवीरसँ गांव माहोली बडी वेढ' हुई। कोई कहै छै वणवीर मारीयो । कोई कहै छै वणवीर भागो नै उदैसिंघ चीतोड़ धणी हुवो' । महा उग्र तेज हुवो । तठा पछै1 अकबर पातसाह चीतोड़ ऊपर आयो । संमत् १६२४ राणो भाखरे गयो । जैमल सीसोदीयो, पसो14 जगावत और घणो साथ काम आयो । पछै संवत १६२४ रांण उदैसिंघ चीतोड़ छोड़ उदैपुर वसायो । आगे आ ठोड़ देवड़ारा गाँव ५० गरवो कहीजतो । उदेसागर तळाव बंधायो । संवत १५७९ रा भादवा सुद ११ रो जन्म । संवत १६२९ रा फागुण सुद १५ राणो उदेसिंघ काल प्राप्त हुवो” । ७ भोजराज सांगावत' । इणर्नु, कहे छै मीराबाई राठोड़
परणाई हुती । . ... . ७ करन रतनसीरो भाई । . राणा उदैसिंघरा बेटारी विगत -
९ राणो प्रताप, सोनगरा अखैराजरो दोहीतो । .... ९ कहू, करमचन्द पवाररो दोहीतो ।
९ फरसराम । .९ भोजराज । ९ दुरजनसिंघ । ९ रुद्रसिंघ ।
1 राव रिणमलके पुत्र अखैराजका पुत्र राणा । 2 भद्दो और काला, अखैराजके पुत्र पंचायणके पुत्र हैं। 3 भैरवदासका पुत्र जैसा । 4 समस्त । 5 सरदारों सहित सेना। 6 ले कर। 7 लड़ाई। 8 मारा गया। 9 उसिंह चित्तोड़का स्वामी बना। 10 अत्यन्त तेजस्वी हुआ। 11, 12 जिसके बाद अकबर बादशाह चित्तोड़ पर चढ़ कर आया । 13 राना उदैसिंह भाग कर पहाड़ोंमें चला गया। 14 जगाका पुत्र पता ('पसो" अशुद्ध है)। 15 बहुत सरंदार
और सेना काम आ गई। 16 पहले इस स्थान पर देवड़े चौहान राजपूतोंके ५० गांव थे जो 'गरवा' नामसे प्रसिद्ध थे। 17 स्वर्ग वासी हुआ। 18 सांगाका पुत्र । 19 कहा जाता है कि भक्त-शिरोमणि 'मोरांबाई मेड़तणी' इसको व्याही गई थी।
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मुंहता नेणसीरी ख्यात ९. नगो, तिणरा नगावत । ९. साँम । ९. साहब खाँन । ९. माधोसिंघ । राँणा जगतसिंघ कना' छाड नै2 पातसाहरै वास
वसीयो । झाला हरदासनै ताजणेरै माँमले मारीयो । ९. जैतसिंघ । ९. सुरताण । कल्याणमल जैतमलोतरै वास थो। ९. वीरमदे । ९. लूणो। ९. सादूळ । ९. सुजाँणसिंघ । ९. महेस।
९. जगमाल । राँणा उदैसिंघरो। रावळ लूणकरनरी बेटी धीरबाईरै पेटरा' । भाई ५-८ जगमाल, ८ सगर, ८ अगर, ८ साह, . ८ पंचाइण । तिण माँहे जगमाल वडो कॉमरो माँणस थो' । सीरोहीरा राव मानसिंघरी बेटी परणी थी । सो मानसिंहरै बेटो कोई न हुवो । टीको राव सुरतांण भांणरानूं" हुवो । सु महाराज रायसिंघजीनू 12 गिरनार सोरठरी हुई। सोवो हुवो थो", सु जावता छा। सु तद राव सुरतांणदे वीजै हरराजोत आदो. दीयो । तैसू18 राव सुरतांण महाराज रायसिंघजीसू मिळीयो । आपरी हकीकत कही । राजा सुरतांण ऊपर कीयो20 । आधी सीरोही
1 पास 1 2 छोड़ कर । 1, 2, 3 राना जगतसिंहके पास रहना छोड़ कर बादशाहको सेवामें रहा । चाबुकके मामले में माधोसिंहने झाला हरदासको मार दिया था । 4 जतमलका पुत्र । 4, 5 सुरतांण, जेतमलके पुत्र कल्याणमलकी सेवामें रहता था। 6,7 जैसलमेरके रावल लूणकरणको वेटी घोरवाईकी कोखसे उत्पन्न पाँच (पुत्र) भाई। 8 जिनमें । 9 जगमाल बड़े कामका मनुष्य था। 10 राज्य तिलक, 11. भांणके पुत्रको । 12, 13 बीकानेरके महाराज रायसिंहको सौराष्ट्र देशका गिरनार प्रदेश मिला । 14 संदेह हुआ था। 15 सो जाते थे। 16 तव । 17 अपनी। 18 सहायता की।
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मुंहता नैणसिरी ख्यात पातसाहजीर कीनी । आधो सिरोही राव न दीनी । तिको आधरो वंट- पातसाह जगमालनू दीनो। जगमाल तालिको ले आयो । राव आध परो दीयो' । जगमालन विजो आय मिळीयो । विज भखायो । कह्यो - सुरताँण कुण ? तू राणा साँगारो पोतो, मानसिंघरो जमाई। सारी सिरोही उरी काय न ले ? पछै एक दो दाव घाव मोहलाँ' ऊपर कीया। पाघरै ऊपर वया । तरै जगमाल खिसांणो पड़ वळे दरगाह गयो'। फरीयाद करी 10 | पछै पातसाह जगमालरी मदत राव चन्द्रसेनरा बेटानू सोझत दे, रावाई। दे, रायसिंघनू, सिंघ कोळीनू मदत मेलीया।। पछै औ4 सीरोही आया। तरै सुरतांण राव सहर छोड़ भाखरां पैठो 15 । पछै औ पिण उठी गयां पछै संवत् १६४० रा दतांणी डेरां ऊपर आया । वेढ़ हुई । जगमाल,
रायसिंघ, सिंघ कोळी तीनों काम आया । संमत १६११ रा असाढ · वदि ५ रिववाररो जनम ।
रामसिंघ जगमालरो। स्यामसिंघ । (१० मनोहर)। रूपसिंघ, देवीदास जैतावतरो दोहोतो। रुद्रसिंघ। .
राँणो सगर उदैसिंघरो, जगमालरो सगो7 भाई। सु जगमालन राव सुरतांण मारीयो । तरै सगर जांणीयो म्हे तो दीवांणरै। अन छां, पिण दीवांण छोटा ही गोतीरो ऊपर करै छै।', तो . 1 उस । 2 भाग 1 3 जगमाल जागीरीका प्रमाणपत्र (पट्टा) ले आया। 4 रावने आधा भाग दे दिया। 5 विजैने जगमालको भरमाया । 6 समस्त सिरोहीका राज्य क्यों नहीं ले लेता है ? 7, 8 पीछे एक दो बार अवसर देख महलोंमें जा कर जगमालने सुरताणके ऊपर प्रहार किये, किन्तु वे पघडीके ऊपर लगे। 9 तव जगमाल लज्जित हो कर फिर बादशाहके दरवारमें पहुँचा । 10 पुकार की। 11 राव पदवी दे कर । 12 सिंघ - नामके कोली राजपूतको । 13 भेजे । 14 ये। 15 पहाड़ोंमें घुस गया । 16 जैताका पुत्र । 17 सहोदर भाई। 18 मेवाड़ राज्यके अधीश्वर इकलिंग महादेव माने जाते हैं और राना अपनेको उनके महामन्त्री-'दीवान' मानते हैं । 19 अति समीप कुटुम्बके और मुख्य हैं।
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मुंहता नेणसीरी ख्यात
२४ जगमाल मारीयांरो दावो रांणो अमरसिंघ राव कनै मांगसी' सु दीवांण कदै राव ओळभोर ही दिरायो नहीं, नै रावसू सामो घणो सुख कीयो । रावनू वेटी परणाई । तरै सगरनू इण वातरो घणों इमरस आयो । तरै सगर दरगाह आयो । मेवाड़री सारी वात पातसाह जहांगीर- गुजराई । वात सहल' कर दिखाई । तरै रांणासू विखो कीयो । पातसाह जहांगीर सगरनू राणाई दीवी' । चीतोड़ मेवाड़ सारो दियो। ऊपर नागोर अजमेर वळे' घणा परगणा दीया । घणी मया करी12 । सगर वरस उगणीस १९ चीतोड़ राज कीयो । निपट वडो ठाकुर हुवो । ___पछै संमत १६७१ पातसाह जहांगीर आप आय अजमेर बैठो। साहजादो खुरम आय उदैपुर बैठो। तरै राणो अमरसिंघ खुरमसू मिळीयो । असवार १००० सू चाकरी कबूल करी। तरै मेवाड़ पाछो रांणा अमरसिंघनू दीयो । सगरनू रावताई14 दीवी । पूरवमें जागीरी दीवी । श्रीवाराहजीरो देहुरो पोकर माथै सगर संवरायो। संमत १६१६ भादवा वद ३ रो सगररो जनम छै । सगररा बेटांरी विगत
९ इंद्रसिंघ सेखावतारो भांगजो । सगर जीवतां मूवो! । · ९ मानसिंघरो जनम सगर वांसै” रावताई पाई तैसू, संमत १६३९ रो। . १० हरीसिंघ ।
१० मोहकमसिंघ ।
1 जगमालको मारनेसे उत्पन्न हुई शत्रुताके बदलेका दावा राना अमरसिंह राव सुरताणसे मांगेगा अर्थात् बैरका वदला लेगा । 2 उपालम्भ । 3 उल्टा । 4 प्रेम । 5 अन । 6 निवेदन की। 7 वातको सुगम कर दिखाया। 8 रानाको संकटमें डाला। १ राना बना दिया । 10 इनके अतिरिक्त । 11 और । 12 कृपा की 13 तब मेवाड़ पुनः गाना नमरसिंहको दे दिया। 14 और सगरको रानासे रावत बना कर पूर्व में कुछ जानीनी दे दी। 15 तीर्थ गुरु पुष्करके श्री वाराह मन्दिरका सगरने जीर्णोद्धार करवाया। 16 मगरशे जीवन कालमें मर गया। 17 मानसिंहका जन्म १६२६, पाटवी इन्द्रसिंहके नरजानेके कारण रायताई इसे मिली।
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१० आसकरन ।
. १० मोहणसिंघ । सगर जीवतां मूंवो। .. • १० वैरीसाल। .... १० रुघनाथदास
१० मदनसिंघ । पेट मार मुंवौ' । ., १० हरीरांम । राजा रायसिंघजीरो चाकर रह्यो छौ ।
१० फतैसिंघ । १०. जगतसिंघ । गोड़ वीठलदासरै काम आयो । ९ अगर । राणा उदैसिंघरो। पातसाही चाकर थो । ९ जसवंत । जोधपुर वास वसीयो। गांव १२ सू सोझतरो सिणलो दीयो । पछै संवत १६७३ छाडीयो । ब्राहनपुर मोहबतखांनरै रह्यो । संमत १६९० वळे रावळे वसीयो' ।
धोळहरो गांव १२ तूं दीयो हुतो । पछै मोहबतखांन कह्यो, ... मत राखो। तद सीख दीवी।
९ सबलसिंघ । जोधपुर संमत १६७९ वास वसीयो । - गांव ४ जालोररा कुरड़ा । दीया । ...... दीवी दस । . १० सबलसिंघ । ९ कल्याणदास । .: ९ साह । रांणा उदयसिंघरो।
१० दुरजनसिंघ । राजा जैसिंघरो मांमो। . १० माधोसिंघ । मुथरादास । १० पंचाइण । राणा उदैसिंघरो। ९ किसनसिंघ ।
९ बलू । चूंडावतां वैरमें मारीयो । 1 पेटमें कटारी मार कर मर गया। 2 बीकानेरके राजा रायसिंघके यहाँ नौकर रहा था। 3 जोधपुरमें आकर रह गया । 4 जोधपुरके महाराजा सूरसिंघने उसे बारह. . . गांगोंके साथ सोजत परगनेमें सिणला गांव जागीरमें दिया। 5 मारवाड़ छोड़ दिया। 6 बुरहानपुर जा कर मोहबतखानके यहां नौकर रहा । 7/8 सं० १६६० में पुनः जोधपुर मा कर बस गया, तब उसे, १२ गांवोंके साथ धोलेरा गांव जागीर में दिया था। 9 घासके निमित्त जो गांव थे उनमेंसे चार उसे दिये । 10 चुंडावतोंने वैरका बदला लेनेके. लिये उसे मारा।
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__ मुंहता नैणसीरी ख्यात १० सूरसिंघ । ११ भींव । ८ सकतो। रांणा उदैसिंघरो। पातसाही चाकर हुवो। इणरा वेटा वडा निपट आछा रजपूत हुवा नै इणरो परवार घणो। सकतारा पोतरांरी आज वडी साख हुई छै' । सकतावत
कहावै । ९ भांण सकतावत । मोटा राजारी बेटी राजकवर, परणी
हुंती। १० सांमसिंघ । महाराज श्रीजसवंतसिंघजीरै सगो मांमो' । ११ करमसेन । जोधपुर वास ! चंडावळरो पटो।
१.२. सिवरांम । १२ जगरूप । १० पूरो भांणोत । राजा। ...११ सवलसिंघ पूरावत ।:: . ....... ... ११ सत्रसल । १२ मोहकमसिंघ । ....... १० मानसिंघ भांणोत' । राजा भींवरो चाकर । भींव काम
आयो तद काम आयो । . . .. १० गोकलदास भांणोत । मोटा राजारो दोहीतो । राजा भींवरो
चाकर । भीव काम आयो तद पूरे लोहे पड़ीयो । तरै राजा गजसिंघजी उपाड़ीयो । घांव बंधाया । पर्छ रांहिण रु. २९००० रो पटो दे. वास राखीयो । पछै संमत १६९४ खुरम तखत बैठो तरै पातसाहरै वसीयो । बडो
दातार । वडो झुझार मोत मूंओ ।......: .. ११ सुंदरदास । ११ जूझारसिंघ । ११ वीरमदे । ११ कल्याणसिंघ। .....१० केसोदास भांणरो। मोटा राजारो दोहीतो । राजवाई
: | सकतेके पौत्रोंको बड़ी शाखा फैली । 2 जोधपुरके मोटा राजा उदैसिंघकी कन्या राजकंवर भाणको व्याही थी । 3 सगो सामो=माताको सहोदर भाई । 4. भांणका : पुत्रं । 5-6 शरीर पर शस्त्रों के खूब प्रहार हो जाने पर गिर गया तो राजा गजसिंहने स्वयं उसे उठा कर दूर किया । 7 मेड़ते परगनेका रोहिण नामक, रु. २९०००) को आयका गांव दे कर अपने पास रखा। 8 बड़े जूझारोंकी मौत मरा।
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1
मुंहता नेणसीरी ख्यात
२७
भटीयांणी नांनी हुवै । केसोदास को दिन जोधपुर : नांनी
कनै रह्यो । गांव सरेचो मोटे राजा पटे दीयो हृतो ।
: ९ अचलो सकतावत ? । वेगम पटै । राव कहीजतो । आपरो गळो आप हाथ काट मूँवो 11
१० रावत नरहरदास । १९ जसवंत रावत । ११ विजो । ११ - पतो । ११ कांन । ११ रावत केसरीसिंघ ११ जगनाथ । १-१ रतनसी । ११ सादूळ । ११ भीम ।
१० रावत नाराणदास । रांणा सगररै वास वसीयो । सगर राताई दी थी ।
११ रावत किसन । ११ कल्यांण । ११ स्यांम । ११ भावसिंघ | ११ धरमांगद । :
३.. : . ९ :बलू सकृतावत । रांणो उंटाळें भूंबीयो तद कांम आयो' | १० लाडखां । ११ साहिब । १० कमो । १० खंगार । ११ सुजाण । १० रामचंद । १० सांवळदास । १० कचरदास ।
९ भगवांन सकतावत । रांणारी दी बूट पटै' ।
९ जोध सकतावत । वडो आखाड़ सिध' रजपूत हुवो। रांणारो चाकर जीहरण थां हुतो । पछै रावत भांनो देवलीयेरो धणी मनदसोररा फौजदारनूं ले नै आयो । असवार २००० पाळा ८२००० ले ऊपर आयो । जोध असवार ६० सूं हुतो । सु मैदांनरी लड़ाई करी । रावत भांनो, सैंद मांखन दोनांनूं मार मुंओ' ।
१० भाखरसी । १० नाहरखांन । अरजन । १० मांडण सकतावत ९ दलपत । १० गिरधर । १० गजसिंघ । अजबसिंघ । ९ भोपत । १० नगो । ९ मोहण । ९ माल । १० हररांम |
केशोदास कई दिन जोधपुर में अपनी नानी के पास रहा। 23 अचला सकतेका पुत्र जिसको वेगम ठिकानेका पट्टा है, राव कहा जाता । 4 जो अपना गला अपने हाथसे काट कर मरा था। 5 राना ऊंटाले गांवमें लड़ा वहाँ बलू काम आया । 6 रानाको ओरसे दिया हुआ बूट गांव उसके अधीन है । 7 रणरूपी अखाड़ेका सिद्ध अर्थात् अकेला ही युद्धको जीतने वाला । 8 रानाका नौकर जीहरण नामक गांवके थाने में रहता था । 9 रावत भाना और सैयद माखनखाँ दोनोंको मार कर मर गया ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात ११ विजो । ९ चत्रभुज । १० भोज । ११ बलराम ।
१२ महासिंघ । ९ वाघ । १० जगमाल । ११ मोहसिंघ । १२ कह्न ।
९ राजसिंघ । १० कीतो । ११ सूरसिंघ । १२ रांणो प्रताप, रांणा उदयसिंघरो। सोनगरा अक्षराजरो
दोहीतो। संमत १५९६ जेठ सुद ३ रविवाररो प्रताप रांणारो
जनम । रांण प्रतापरा बेटा - ९ रांणो अमरसिंघ, संमत १६१६ रा चैत सुद ७ रो जनम ।
पूरबीयां पवारांरो भाणेज । संमत १६७१ रा फागुण माहे वरस नवरा विखाथी खुरमनूं मिलीयो । संमत १६७६
उदैपुरमें काल कीयो । ९ सेखो प्रतापरो। १० चतुरभुज, जोधपुर वसीयो थो। संमत १६६९ गांव ६ सं ।
करमावस, सिवांणेरो पटो दीयो । ९ कल्याणदास । . . . ९ कचरो ।
९ सहसो प्रतापरो। वडो ठाकुर। विखा माहे रांणा अमरसिंघरी . घणी कीवी चाकरी। १० भोपत सहसावत । वडो दातार हजार छै आदमी लीयां
दरगाह चाकरी रांणारो मेलीयो करतो। १० केसरीसिंघ । ... ९ पूरणमल प्रतापरो। जोधपुर वास वसीयो। संमत १६६४.- .
मेड़तारो गांव संमत १६६६ ढाहो गांव ५ दीयो। . :. पैदल नौ वर्ष तक गुप्त रूपसे जंगल और पहाड़ोंमें रहनेके संकट सह कर फिर खुर्रमसे मिला। 2 मरा । 3 समदड़ी से दक्षिण लूनी नदीके किनारे सिवाने परगनेका एक गांव । 4 छ हजार मनुष्योंके साथ रानाकी ओरसे भेजा हा वादशाहके यहां
नौकरी करता था। 5 गांवका नाम । ...
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मुंहता नैणसीरी ख्यात " ९ जसवंत । ९ हाथी । ९ मांनो । ९ गोपालदास । ९ चंदो। ... ९ सांवल । ९ करमसी। ९ भगवान ।
रांणो अमरसिंघ नै जहांगीर पातसाहरै वात हुई। रांणो अमरो साहिजादे खुरमा घोचूंदैमें मिलीयो। तद रांणानें मेवाड़ ऊपर इतरी ठोड़ जागीरमें दे नै पंच हजारी असवाररो मुनसंब कीयो । असवार ह. १००० चाकरी थापी' । .: १ मांडलगढ संमत १७११ तागीर कीयो थो। संमत १७१५
वळे दीयो । २००००) एक। ' १ वदनोर संमत १७११ तागीर कीयो । संमत १७१५ वळे
दीयो। १ फूलीयो संमत १६९४ जागीर कीयो। १ नीमच,' गांव २४५ छै चीतोड़ थी कोस १५ रु. २२५०००)। १ जीहरण, गांव १२ देवलियारो गड़ासिंघ। १ वसाड़, संमत १३९४ रावत केसरीसिंघनूं मार मै जानसा
खांन उरी लीवी मनदसोररै निजीक| १ भैंसरोड, गांव १२४ खखर भखररी ठोड़ा । १ सुणेर, गांव १२ रांमपुरा कह्र । संमत १६९४ तागीर । १ डूंगरपुर, संमत १६९४ तागीर कीयो । संमत १७१५
औरंगजेब पूठो दीयो। १ हंसवाहलो । संमत १७१५ दीयो। ..१ देवलियो । पछै रावल जसवंत मारीयो......"उरो लीयो" ।
१ वेघम गांव ९४ चोतोड़तूं गांउ18 २२ बूंदीरै कांकड़ा । .....रेख रु. १००००)।
1 और । 2 परस्पर मंत्रणा हुई। 3 गांवका नाम। 4 इतनी। 5 जागीरमें दे कर । 6 पांच हजार घोड़े और उनके असवारोंके साथ मनसबदार बनाया। 7 बदलेमें असवार १००० की सेवा निश्चित की। 8 पुनः दे दिया। 9 गांवका नाम । 10 जन्त । 11 ले ली। 12 पास । 13 खखर-भखरकी (जंगल और पहाड़ों की) जगह । 14 पास । 15 वापिस दे दिया। 16 बांसवाड़ा। 17 ले लिया। 18 गाउ (गव्यूत) =दो मोल । 19 सीमा । ..
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
राणो अमरसिंघ, राणा प्रतापरो । संमत १६१६ चैत सुद ७ रो जनम । पवार- पूरबीयाँरो' भांणेज । पातसाह जहांगीरसुं वरस नवरो विखो जाजरीयो । घणी लड़ाई करी विखा मांहे । मालपुरो ( साहिजादो खुरम ) राजा मानसिंघ उदैपुर बैठां मारीयो । अकबररे दोर मांहे' । पछै पातसाह जहांगीर जोर हठ ऊपर आयो' । सगर asो ग्रासियो हुवो चीतोड़ आइ वसीयो' । वरतीरा रजपूत कितराहेक मिलीया' और मिलणनूं तयार हुवा । पातसाह जहांगीर आप आय अजमेर वैठो, तरै आपरो दाव देख रांणो अमरसिंघ साहिजादानूं घोघुंदे आय मिलीयो । असवार १००० री चाकरी कबूल करी । पछै साहिजादे खुरम दिन १ रांणानूं राख सीख दीनी' । कंवर करननूं ले नै खुरम अजमेर आयो संमत १६७१ रा फागुण मांहे | संमत १६७६ रांणे अमरसिंघ उदैपुर काल कीयों ।
राणा अमरसिंघरा बेंटा
-
१० रांणो करन। संमत १६४० रा सावण सुदी १२ रो जनम । संमत १६९४ फागुणमें काल प्राप्त हुवो" ।
१० अरजन अमरारो । सदा रांणारो चाकर हीज़ रह्यो । . देवड़ा बिजारो दोहीतो ।
१० सूरजमल अमरारो ।
1
११ सुजांणसिंघ । पातसाही चाकर । फूलीयो पट ११ वीरमदे । पातसाही चाकर ।
१० राजा भीम, वडो रजपूत हुवो। विखे सारे मांहे ठोड़ ठोड़ भींव पातसाही फोजांसूं लड़ीयो । पछे विखे मिटीये 12 साहिजादा खुरमरै चाकर रह्यो । संमत १६७९ राजाई
1. पूरविये. परमारोंका | 2 सहन किया 1 3 खुर्रम और मानसिंह कछवाहा के उदयपुर में बैठे हुए मालपुराको लूट लिया । 4 अकवरके शासनकालमें । 5 बादशाह जहाँगीर अत्यन्त हर पर चढ़ा | 6 सगर ग्रातियेकी ( लूट खसोट करनेवाला) स्थितिमें होते हुए भी चितौड़ आकर बस गया । 7 देशके कितने ही राजपूत उससे मिल गये । 8 अवसर -1 9 जानेको यात्रा दो 10 उदेपुरमें मरा। 11 मरा । 12 संकट मिटने पर ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात किताब पायो । मेड़तो जागीरमें पायो। विखे मांहे खुरम साथे फिरीयो । संमत १६९१ काती सुदी पूरब- ढस नदी ऊपर लड़ाई हुई परवेज मोहबतखांना । त32 काम आयो।
.. ... ... . ११ किसनसिंघ। . .................... .. ११ राजा राइसिंघ । संमत १६९५ राजाई पाई। नाराणदास
पातावतरों दोहितरों। . : . १० वाघ, रांणा अमरारो। संमत १६६५ एक वार रावल
वसतो थो। गांव २० दूधंवड़ देता था, पण रह्यो नहीं। ११ संबळसिंघ । पातसाही चाकर हुवो। वाघ प्रथीराजोतरो - दोहितरो। १० रतनसी, रांणा अमरारो। . १०. रांणो करन अमरारो । संमत १६७६ टीके बैठो। सु . . संतोसी ठाकुर हुवो। रांणा करनरा बेटा - . ११ राणो जगतसिंघ । संमत १६६४ रा भादवा सुद १२ रो
। जनम । मेहवेचा राठोडांरो भाणेज। ११ गरीबदास । घणा दिन रांणाजी कनै रह्यो । पछै पातसाही
चाकर हुवो। संमत १७१४ रा जेठ मांहे धवलपुररी
लड़ाई काम आयो, मुरादबगस साथे । ११. छत्रसिंघ । ११ मोहणसिंघ सरतेरो : ".:::...:. ११ राजसिंघ ।::..
... राणो जगतसिंघ संमत १६९४ में उदेपुर टीके बैठो। संमत १७१० काळ प्राप्त हुवो। जगतसिंघ वडो दातार विवेकी ठाकुर हुवो। कलजुग' माहे वडा २ सुक्रत कीया । वडा २ दांन दीया।...
1 राजाका पद मिला । 2 वहां । 3 बीस गाँवों सहित दूधोड़का पट्टा देते थे फिर भी .... नहीं रहा। 4 मारवाड़के मालानी प्रान्तमें मेहवा नगरके नाम पर मेहवेचा - राठोड़ोंकी एक ... शाखा । 5 कलियुग। । . . . . . . . . . . . . . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात १२ रांणा राजसिंघ।
. . . . १२ अरसी। वात' एक राँणो उदैसिंघ उदेपुर वसाइयांरी
संमत १६२४ चैत सुद ११ अकबर पातसाह चीतोड़ लीवी । सीसोदीयो पतो जगावतरो जैमल वीरमदेओत, ईसर वीरमदेओत और ही घणो साथ गढमें काम आयो। चीतोड़ छूटां रांणो उदयसिंघ एक वार कुंभलमेर आयो। तठा' पछै वेगो हीज उदैपुर वसायो। उदैपुररी ठोड़ अठै देवड़ा वसता गांव ५२ गिरवाररा' कहावता। तिका गांवांरी विगत - ___"गिरवार देवड़ारो। अजेस' देवड़ा इणां गांवां मांहे माणस' हजार २००० रहे छै । १ पीछोली। १ पालड़ीरी । ठोड़ उदैपुर ।
१ आहाड़। १ दहबारी। १ टीकली। १ लकड़वा । १ कलड़वा। १ मद्रूण । १ कोटड़ो। १ तीतरड़ी। १ भवणो। १ आंबरी। १ वेदलो। १ रुआंध। १ छापरोळी । १ लखाहोळी। १ वेहड़वा । १ चीखलवा । १ वड़गांव। . १ देवड़ी। १ मूंडखसोल । ' १ वड़ी। १ थूर। १ कवीथो। १ वरसड़ो। १ नाई। १ बुजड़ो। १ सीसारमो। १ धार । .. देवड़ो बलू उदेभांणोत? देवड़ांमें वडेरो । दीवांणरो चाकर ! छ । टका५०००सू इये जायगा आपरै नांवे12 पाधर13 मांहे पीछोला तळाव ऊपर सहर उदैपुर वसायो। गांव निजीक छोटोसो माछळो मगरो छै । माछळारा मगरातूं उतरनै15 सहर छ। दीवांणरा मोहला पीछोळारी पाल ऊपर छै । मोहलांथी7 आथवण 18 तळाव लगतो सहर छै । कोस २ रै फेर छै20। सहररी एक कांनी
1-2 राणा उदेसिंहने उदयपुर वसाया जिसका एक वर्णन 1 3 वीरमदेका पुत्र । 4 जिसके बाद तुरंत ही उदयपुर बसाया। 5 यहाँ । 6 देवड़ोंके इन गांवोंका समूह पहाडाँसे घिरे हुए रहने के कारण गिर वार=गिरि वाला कहलाता था । 7 अभी तक । 8 मनुष्य 19 उदभागका पुत्र । 10 पुरखा । 11 इस जगह । 12 अपने नामसे । 13 समतल भूमि । 14 पहाड़। 15 उत्तर दिशाको ओर। 16 महल । 17 से | 18 पश्चिममें । 196गता हआ। 20 दो कोसके घेरेमें है। 21 ओर ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात - माछळारो मगरो छै। एकण-कांनी' खरक-2 दिस सिसरवारो मगरो
छ । तळाव घणो भरी तरै पांणी मगरै तांई जाय छै । तळावमें पांणी माछळारा मगरारो, सीसरवारा मगरारो घणो आवै छै । तळाव निपट वडो छै । माहे मगरमछ रहै छै । तळाव ऊंडो घणो छै । ते' तळावरी मोरी छूट छै । तिणथी' घणी धरती दोळो' फिरै छै । तिणरो घणो हासल हुवै छै । पछै तळावरो पांणी वेडच नदी भेळो हुवै छ,12 अहाड़री पाखती जातो थको । पीछोला पाखती दीवांणरा कोट, महल, सहर छै । मोहलांसू निजीक तळाव पीछोला माहे लाखोटारी 4 ठोड़ तळाव विचै राँणे अमरसिंघ वादळमहल करायो छै । तळावरी पेली तीर 15 रांणे जगतसिंघ मोहणमिंदररा मोहल कराया छै सु छै6। वाग छै । सहररी पांणीरी
मुदार” तळाव पीछोला ऊपर छै । बीजो पांणीरो निवांण तिसड़ो20 .. सहररी पाखती घाटू छै । वाग-बाड़ी छै22 । सहर माहे देहुरा १५ - तथा २० छै । जैनरा, सिवरा ।
सहररी वसतीरो उनमांन24. .. १..घर २००० महाजनांरा - ओसवाळ, महेसरी, हबड़,
___ चीतोड़ा, नागदहा, नरसिंघपुरा, पोरवाड़ ।25 २. घर १५०० ब्राह्मणांरा । ३. घर ५०० पंचोळीयांरा घणा26 दूसरा भटनागर ।
:
। एक ओर । 2 वायव्य और पश्चिम दिशाके बीचकी दिशा । 3 तव । 4/5 तक जाता है । 6 अत्यन्त । 7 उस । 8 नाली । 9/10 जिससे पानी बहुत सी भूमिके चारों ओर फिर जाता है। 11 जिसका बहुत लगान प्राप्त होता है । 12 बेड़च नदीमें मिल जाता है। 13 आहाड़ गांवके पास जाते। 14 किनारेसे पानीकी दूरी और गहराईका अनुमान लगानेके लिये बनाया हुआ मान . सूचक टीवा एवं तैराकोंको प्रतिस्पर्धामें निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुँच जानेका चिह्न या स्थान (लक्ष्य घट्ट)। 15 परले किनारे । 16 कराये हैं सो हैं। 17 आधार । 18 दूसरा। 19 जलाशय। 20 जैसा। 21 कम है। 22 वाग बगीचे हैं। 23 मंदिर । 24 अनुमान । 25 महाजनोंकी (बणिक समाजकी) सात जातियोंके नाम | 26 कायस्थ और भटनागरोंके मिलकर ५०० घर, जिनमें कायस्थोंके अधिक ।
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मुंहना नैणसीरी ख्यात ४. घर ६० भोजग। ५. ५०० ग्वांट भील । ६. ५००० माहिलवाड़ियो लोक । ७. घर १५०० रजपूत । ८. ९००० पूणजात'। महररी वसती घर हजार बीसरो उनमांन छै ।
उदैसागर तळाव संमत १६२० तथा संमत १६२१ रांणे उदेसिंघ वंधायो । कोस १० रै फेर पाणी छै। पाळ लंबी गज ५००रो बंधेज छै । आडी गज २५० । ऊंची . गज ७० . पांणीमें । गज पाणी वारै उघाड़ो' । नाळो' गज ५० ऊंडो, गज १२ रै पनै भाखर वाढ काढियो छै । __ पीछोलो रांणा लाखारी वार' माहे किणही विणजारे बँधायो । पाणी कोस ४ रै फेरमें छै ।
श्रीएकलिंगजी सहरसूं कोस ५, देहुरो मगरा ऊपर छै । उदैपुरतूं भरहेर कुंण मांहे छै । गांव देलवाड़ो झाला कल्याणवाळो एकलिंगजीथी कोस १ छै । देवी राठासणरो'4 देहरो भाखर5. ऊपर छै, सु एकलिंगजीथी कोस २ । एकलिंगजीरा देहुराथी बेउ6 तरफ भाखरांरी गाळ7 छै । देहुरारा दोळो छोटो कोट छै । देहरो एकलिंगजीरो चौमुखो छ । चार दरवाजा छै । देहुरा ऊपर डंड कळस!' सोनारो छ । पाखती और ही देहुरा घणा छ, नै एकलिंगजीरा देहुरा
| शाकद्वीपी अर्यात सेवक जाति। 2 भोल, नायक आदि । 3 कृषि कर्म करने वाली समस्त जातियें, जिनमें चाकर आदि आश्रित जातियें और भील, थोरी, नायक आदि भी सम्मिलित है। 4 इनके अतिरिक्त पवन अर्थात् शेष जातियों के ६००० घर हैं । (ब्राह्मण आदि चार वर्षों के अंतर्गत समस्त जातियों के समूहको छत्तीस-पवन कहा जाता है) 15 घेरनें। 6!7 - जिसकी लंवाईका बांध ५०० गज और चौड़ाईका २५० गज है। 8 बारह गज पानीके अपर । 9/10 नालेको गहराई ५० गज, जिसकी चौड़ाई १२ गज-पहाडको काट कर निकाला गया है। 11 समय । 12 किसी बनजारेने उसे बंध वाया था। 13 ईशान और पूर्वके बीचको दिशा । 14 राष्ट्रश्यना देवी। 15 पहाड़ । 16 : दोनों। 17 दरी । 18 चार महों (हार) वाला। 19 मंदिरके शिखरके ऊपरका ध्वजदण्ड और पानश मोनेके हैं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात निजीक उदैपुर दिसा निजीक कुंड छ। एकलिंगजीथी निजीक उदैपुर दिसा' कोस १ नागदहो गांव छै। नागदहा गांवरा उगवण वडो तळाव छै । पड़िया-साजा घणा देहुरा छै । नागदहाथी सीसोदिया नागदहा कहावै छै । इण गांव इणांरा वडेरा रह्या छै । तळाव उदेसागर उदैपुर सहरा कोस ३ उगवणानूँ छै, दहबारीरी घाटी निजीक । तळाव निपट वडो । कोस २० चोगिरद विसतार छै भरीजै तरै । घोचूंदै कुंभलमेररै मगराँरो पांणी आवै । तिणरी नदी वेडच आवै छ, सु तळाव मांहे आवै छै । थोड़ो बहुत पाणी वेड़चमें सदा वहतो रहै छै नै तळाव उदेसागर दोळा चोगरद मगरा छै। पांवडा २०० तथा २५० उदेसागररी पाळरो बंधेज छै । सिगळो नाळो मोरीरुखो सदा वहतो रहै छै । तळाव हे पाणी नाळारो वहै छ, तिण ऊपर रांग जगतसिंघरा कराया मोहल छै ।
घाटी राहरी हकीकत - दहवारी घाटी सहरथी कोस ३ छै। केवड़ारी नाळ सहरसूं कोस १ कूँण रूपारास' मांहे छै । सहरसूं कोस ४ डूंगरपुर वांसवाळा गुजरातरै पैंडे भाखर नाळ कोस ७ छै । केवड़ो गांव नाळारै पैले ढाळ छै । दोनां कानी भाखर छै । जावररी नाळ सहरसू कोस ४ दिखणादन। चावंडेरान पैंडै । दीवांणरै विनाण!2 चावंड मगरा छै। विखेरी मदार'3 इणां मगरां माथै छै । जावररी खांण रूपारी14 रोज १ रु० ४०० ) तथा ५००) आवै । जसद, रूपो नीसरै घोबूंदो कोस ९ आथुण । जीमणैरो” घाट गैंडो । खमणोररो घाटो सहरती कोस ३ ईशाण-ण मारवाडनूं घाटो । सायररो
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1 एलिगके पास । 2 उदयपुरकी ओर । 3 टूटे-फूटे और बिना टूटे-फूटे अनेक मंदिर हैं। 4 तव । 5 समस्त । 6 जिवर मोरी है उस रुखमें । 7 नीचे। 8 वर्णन 19 पूर्व और अग्निकोणके बीचकी दिशा। 10 मार्ग। 11 उस ओरकी ढलाईमें। 12 मंकटकालमें राणाके गुप्त रूपसे रहनेके लिये चावंडके पहाड़ हैं। 13 आधार । 14 जावरकी चाँदीकी खानसे ४०० ) व ५०० ) की आय होती है । 15 उसमेंसे चांदीके साथ जसद भी निकलता है । 16 पश्चिमकी ओर । 17 दहिनी ओर । 18 शहरसे । 19 ईशानकोण ।
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मुंहता नैणमीरी ख्यात घाटो कोस १४ पंचाध-फूणपूँ। आवड़-सावड़रा वडा मगरा छै। घाटार ढाळ देहुरो रांणपुरमें श्रीआदनाथजीरो सा धरणरो' करायो । वडो प्रसाद छै । पहली अठै वडो सहर वसतो। ऊदाकुंभावतांरो वसायो । हमै तो' सहर सूनो छ । रांणपुर आगे कोस तीन सादड़ी बसै छै । घाणेरारो घाटो उदैपुरवू कोस १९ वायव' कूँणमें, गढ कुंभलमेर निजीक । जिल्हवाड़ारो घाटो सहरथी कोस २३ । मानपुरैरो घाटो सहरथी कोस ४० सारण उत्तरे ।
गिरवारी हकीकत
उदैपुररी गिरदवारी कोस ५ । आगे गिरवो' कहीजै । गांव ५२ देवड़ारो उतना छो। तिण माहे उदैपुर वसिया वे तूट गया। हळखड़सा 2 अजै गांवां मांहे छै । ..
च्यार-छपनरी14 विगत
उदैपुर कोस छपनिया-राठोड़ारो16 उतन छै । मैं छपनिया राठोड़ सोनगरा पोतरा। वडा भूमिया' । रांणो उदेसिंघ इणांरै मेवाड़ वास तोड़णनूं हुवो थो, सु राणा प्रतापरी वार9 माहे जातां तूटा । पिण छूटा-फूटा20 छपनिया अजेस-तांई छपनुरा गांवां मांहे छै । मेवास22 को नहीं । च्यारै छपनरा गांव २२४
५६ एक झाडोलरी लार।
५६ एक सलूंबर लार ।. 1 उत्तर और वायव्य कोणके श्रीचकी दिशा । 2 शाह धरणका बनवाया हुआ राणपुर में आदिनाथ जी का मंदिर । 3 बड़ा मंदिर है । 4 अब तो। 5 खाली। 6 घाणेराव नामक गांव । 7 वायव्य कोग । 8 से। 9 उसके पूर्व गिरया कहलाता था। 10 जन्म-भूमि । 11 उदेपुर बसा तब वे टूट गये। 12 हल चला कर कृषि पर निर्वाह करने वाले (कृषक)। 13 अव भी। 14 राठोड़ोंके छप्पन छप्पन गाँवोंके चार समूह । 15 कोसोंको संख्या मूल प्रतिमें नहीं है। 16 चार समूह वाले छप्पन-छप्पन गांवों में रहने वाल राठोड़ राजपूत, जो अब भी अपनिया राठोड़ ही कहलाते हैं। 17 बड़े जागीरदार । 18/19 राना उदयसिंह इनका मेवाड़ में रहना उखाड़नेको तत्पर हुआ या सो राना प्रतापके समयमें ये टूटे । 20/21 फिर भी .
ट-पुरे छप्पनिये अभी तक इन छप्पनके गांवों में हैं । 22 छिपे हुए रह कर लूट-खसोट करनेको स्थितिमें कोई नहीं है । 23 छप्पन गांवोंका एक समूह झाडोल गांवके अन्तर्गत ।
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मुंहता नैणसीरी ज्यात
३७ ५६ सैबरारी लार ।
५६ चावंड लार। उदैपुरतूं उतरे। कोसे झै सहर छै
२९ चीतोड़। ४० मोझत । २० कुंभलमेर । ९० अहमदाबाद। . ३५ सीरोही। ४५ ईडर। ३० डूंगरपुर। ४० देवळियो। ५२ मनंदमोर । ३५ जोजावर । ४० मीमच।
२० कपासण । २० तांणो।
१७ मोही। ६७ जोधपुर ।
६० मेड़तो। ५० जालोर। ६० मालपुरो । ६५ अजमेर । ४५ बधनोर । ३० बांसवाळो। ९० उजेणसू अजमेर । ४५ मांडलगढ़। ५० बूंदी। ३५ करहेड़ो। १२ घोबूंदो।
११ ऊंटोळाव' । चीतोड़सूं इतरा' सहर इतरै कोसे - २९ उदैपुर ।
४० बूंदी। ४० गढ रिणथंभोर । १३ पुर। ३५ बधनोर।
५० बाँसवाहळो । २४ कोठारियो।
२७ दसोर । २५ फूलियो।
६० उजेण । १७ मांडलगढ़ ।
६७ मेड़तो। १५ वेघम।
१७ मांडल। ७० ईडरगढ ।
३० देवळियो। 1 इतने । 2 कोसों पर । 3 मंदसोर। 4 नीमच । 5 उज्जैन हो कर अजमेर ६० कोस । 6 ऊंठाला। 7 इतने। 8 मंदसौर ।
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३८
मुंहृता नैणसीरी ख्यात
१५ मीमच' ।
४५ सिरवाड़ |
५७ मूळपुरो' ।
दीवांणरी हद, कोसां, दिसावांरी विगत
मानपुरारो घाटो' ।
मारवाड़ कुंण वायव' । उत्तरथा डावी' | अजमेरसूं कोस ६०, व्यावर रांणारी । समेळ खालसा' अजमेररी । सारण घाटावळ' । जाजपुरयूँ हद लागे । रामपुरासूं कोस ४५ तथा ५० हद | दिस गांव जारोड़ो रामपुरारो' ।
8
उगवणथा कूण जीवणी
देवळियासूं कोस ४२ दखणरी डावी तरफ " दीवाणरो गांव धीरावद नै" आगे देवळियो कोस ५ विचै छोटो गांव भैंसरोड़ दीवांणरी 12 |
बूंदी कोस ६५ तथा ७० उगवण 13 था 14 क्यूँई " डावेरी" दसोर दिसा 17 हद । कोस २५ तथा २७ दिखणथा डावेरी रूपारास 18 नीमच दीवांणरी | लिखमड़ी दसोररी ।
डूंगरपुर बांसवाळा बीच भीड़वाड़ो मूँडुलो गांव दीवांणरो है । डूंगरपुरयूँ हद कोस १९ दिखण खरक " दिसा |
19
सोमनदी सींव कोस १९ । सलूंबर, सेवाड़ी, आसपुर, ईडरसूं कोस ३० खरक कूँण मांहे । पांनोरो भीलांरो मेवास, दीवांणरा थको छै20 । गांव छाळी - पूतळी रांणारी । दलोल ईडररो । डूंगरपुर बांसवाहळा वीच गांव जवाछ भीलांरो मेवास छै, सु दीवांणरा
1
थका छै ।
1 नीमच । 2 मालपुरा । 3 वायव्य कोणकी ओर मारवाड़ । 4 उत्तरसे वांई ओर | 5 समेल । अजमेर के अंतर्गत वादशाही गांव है। 6 दर्रा । 7 बड़ा दर्रा । 8 जहाजपुरको सीमा लगती है 19 पूर्वसे दाहिनी ओर रामपुरेका जारोड़ा गांव 1 10 दक्षिणको वाँई ओर । 11 और 12 धरियावद गांवके आगे देवलिया ५ कोस, उसके बीच छोटा गाँव भैंसरोडगढ़ जो दीवानका ( महाराणाका ) है । 13 पूर्व दिशा । 14 से 15 किचित् । 16 बांई ओर । 17 ओर । 18 एक गाँवका नाम ( मारवाड़को १६ दिशाओं में से 'रूपारात' एक दिशा भी है जो आग्नेय और पूर्व दिशाके वीचमें है ) । 19 मारवाड़को १६ दिशाओंमेंसे एक दिशा जो वायव्य और पश्चिम दिशाके वोचमें है। 20 भीलोंकी रक्षाका (गुप्त) स्थान 'पानोरा' जो दीवाणका (महाराणाका ) है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात सीरोहीसूं हद कोस २५ आथुण' दिसा । वांसवाहळो उदैपुरसँ कोस ४० वीच डूंगरपुर | कांकड़ 2 नहीं । उदैपुरयूँ कोस ५० ईडर । इण मारग' -
९ उदैपुर सींगड़ियो । ३ चंदवासो । ४ आहोर । ७ भीमरो लोगो (गोडो) । ७ पांनोरो भीलांरो । ९ छाळी पूतळी रांणारी | ३ दलोल कलोल ईडररी । ९ ईडर । उदैपुररी हवेलीरा गांव निजीक' तिणरो' हँसो' भोगरो' वरसाळी' - हैंसो ३ लाग सूधो " आधो । ऊनाळी" हैंसो ३ आध पड़े ।
३९
वात
12
1
कछवाहो मानसिंघ कवरपदें । 2 । अकबर पातसाह गुजरात मेलीयो छौ । तद चीतोड़धणी प्रताप छै । सु रांगेजी मांनसिंघ कनैं 14 सोनगरो मानसिंघ अखैराजोत, डोडियो भींव " सांडावत मेलनै • हळभळ कराई हुती " । सु मांनसिंघ कछवाहो पाछो वळतो " डूंगरपुर "आयो । उठे " रावळ सैसमल मेहमांनी करी" । उठाथी 2 स लँबर आयो । तर सीसोदिये रावत खंगार रतनसीयोत मेहमांनी करी । रांणोजी तद घोघूँदै रहै छै । रावत खंगार मांनसिंघरी रीत - भांत दीठी " । प्रकत एकण भांतरी छै 22 । सु राणाजीनूं कहाड़ियो 23- 'राज ! मानसिंघ मत मिळो । ओ एकण भांतरो आदमी छै ।' रांणो वरजियों रह्यो नहीं 24 । आय मिळियो । मेहमांनी करी । जीमण पंगा” विरस" हुवो । तद मानसिंघ दरगाह गयो । राणा ऊपर मुहम
1 पश्चिमको ओर । 2 सोमा । 3 उदैपुरसे ईडर जाते समय निम्न प्रकार गाँव अंकित संख्याको दूरीसे मार्ग में आते हैं 14 निजी 15 समीप 16 जिसका । 7 हिस्सा | 8 कृषकको ओरसे ( खेत भोगने के उपलक्ष में ) खेत के स्वामीको दिया जाने वाला अन्नके रूपमें अमुक परिमाण निश्चित किया हुआ एक कर 1 9 खरीफ ( बरसाती या सावनू ) फसलका भाग। 10 सहित 11 रवी ( वसंत ऋतु) की उपजका भाग । 12 कुमार- पद पर 13 भेजा था । 14 पास । 15 डोडिया शाखाका क्षत्रिय सांडाका पुत्र भीम | 16 तैयारी कराई थी । 17 पीछे लौटता | 18 वहाँ | 19 भोजन आदिसे सन्मान किया, अतिथिसत्कार किया | 20 वहांसे । 21 तौर-तरीका, चालढाल । 22 प्रकृति एक निराले ही ढंगकी है। 23 कहलवाया । 24 मना करने पर भी माना नहीं । 25 भोजनके कारण | 26 मनोमालिन्य ।
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४०
मुंहता नैणसीरी ख्यान मांग लीधी' । घोड़ा ४०००० ले ऊपर आयो । निजीक आया तठं दुरदास परवतसिंघरो पूरवियो नै सीसोदियो नेतो भाखरोत वे वांस मेलिया था, सु मानसिंघरो डेरो बनास ऊपर गांव मोळेळा हुवो छ । ने रांणारो डेरो लोहसिंगे हुवो छै। उदैपुरसूं कोस. ९ उत्तरनूं । कोस ३ रो वीच छै । तद मानसिंघ सिकार-रमतो' असवार हजार १००० रांणारा डेरासू कोसेक' आयो नै आपरो' डेरो कोस २ इक बांस रह्यो, तरै' इण दावसूं दीठो । वडी घातमें आयो । राणानं जाय कह्यो "वेगा हुवो, ज्यूँ वैठा छौ त्यूं चढो । मानसिंघ बडी घातमें 4 | चाळीस हजार घोड़ा वांस मेलनै हजार असवारV आयो । रावळो वडो भाग । केई मार लांछां केई भाज जाय छै16 ।" तद रांणेजी चढणरी तयारी करी । पण झाले वीदे चढण न दिया। सवारै7 खंभणोर वनासरै ढाहै18 वेढ9 हुई । रांणा कनै असवार हजार ९००० तथा दस हुता । कछवाहै बेढ जीती। रांणें हारी । इति संपूर्ण ।
अथ मेवाड़रा भाखरांरी20 वात लिख्यते
रूपजी-वासरोड़ा देसरै फळसै2 छै । रूपजीसू कोस ३ जीलवाळो दिखणन23 छै। जीलवाळाथी कोस ३ रीछेर उगवणनूं छ । रीछेर वाघोरारी खांभ24 छै । जीलवाड़ा नै रीछेर. वीच अमजमाळरो वडो भाखर छै । लांवो कोस ५ छै । उलै-कांनी25 कैलवो छ । वाघोररै आगै घाटो गांव छै। तठा आगै26 भोरड़ारो पहाड़ लांबो कोस ५ उत्तर-दिखण छै । त? भोरड़ नै मछावळा वीच
1 सेना मांग कर ली। 2 दोनोंको । 3 पीछे । 4 भेजा था। 5 शिकार खेलता हुआ। 6 कोस भर निकट आ गया। 7 अपना (उसका) । 8 दो कोस भर 1 9 तव । 10 रसदासने देखा कि मानसिंह अच्छे दावमें आ गया है । 11 आक्रमण कर दें ऐसी स्थिति में आ गया है । 12/13 शीघ्रता करो । जैसे बैठे हो वैसे ही चढ़नेकी तैयारी करो । 14 मानसिंह बड़ी घातमें आ फंसा है । 15 श्रीमान्का बड़ा भाग्य ! 16 कइयोंको मार लेते हैं और कई भाग जाते है । 17/18/19 दूसरे दिन प्रातःकाल खमनोरके पास बनास नदीके तट पर युद्ध हआ । 20. पहाड़ोंकी 1 21/22 रूपजी-वासरोड मेवाड़ देशको सीमा-द्वार पर स्थित . है। 23 को 1 24 पर्वतको मोड़में आया हुआ है। 25 इस ओर । 26 वहाँसे आगे।
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... . मुंहता नैणसीरी ख्यात समींचो गांव कुंभावतां सीसोदियांरो उतन छै । उदैपुरतूं समीचो कोस १७, रूपजीथी कोस १२ छै । कूभळमेरसू कोस १० समीचो छै । तठा आगै मछावळो पहाड़ कोस ७ लांबो छै । गांव ९ मछावळा
दोळा' छै-१ समीचो। १ मदार । १ मचीद । १ मदारड़ो । १ ... वरदाड़ो । १ वरणो । १ गमण । १ ओरूं। मछावळा ऊपर पाणी ... घणो । झाड़ घणा । वेरणी नावै । तठा आगै वरवाड़ो । तठासू वर
नदी नीसरी छै । बनास नीसरी छै । तठा आगै घांसेस्रो मगरो कोस १ लांबो छ । तठा आगै पीडरझांपरो मगरो छै । घांसेर नै पीडरझांप वीच झांसनाळो कोनरो कोस २ छै । तठा आगै खमणरो मगरो छ । तठे लोहसींग गांव छै । त, एक छोटी-सी नदी नीसरी छै। खमणरो मगरो उत्तर दिखण कोस २ छै । तठा आगै ईसवाळरो मगरो छै । कड़ी गांव वसै छै । गिरवारा भाखरांसू जाय लागो छै । ईसवाळ उदैपुरसू कोस ५. उत्तर पछिमर्ने छ । जीलवाड़ाथी कोस ५ देसूरी । देसूरीथी कोस १ घाणेरो, कुंभळमेररी. तळेठी' तटै । आगै कोस २ कुंभळमेररो पहाड़ कोस १५ री गिरदवायमें छै । सादड़ी, रांणपुर, सेवाड़ी ताई' कुंभळमेररो मगरो छ । सेवाड़ी कुंभळमेरसू कोस ७ छै । तठा आगै राहगरो मगरो छ। निपट वडी ऐदी ठोड़ छ । पांणी पहाड़ माहे निपट घणो छै । गांव २५ राहग दोळा वसै छै। राहग कोस १६ लांबो छै । रांणारै विखो"विनांण रहणनूं वडी ठोड़ छै । राहग सीरोहीरा सरणउआरै मगर जाय लागो छै । राहग कोस १५ लांबो, कोस १५ पनरै पहळो2 छै । कोस ३० री गिरदवाई छ । गांवां रैत– सीरवी 4, वांभण', वांणीया वसै छै। गांवाँरी विगत - . ... भाटोद, भूणोद, माल्हणसू, नाँणो, बेहड़ो, पाद्रोड़, पोंडवाड़ो सिरोहीरो। वेकरीयारो घाटो । जूही नदी उठे छ । राहग बालीसांरो
1 चारों ओर । 2 वृक्ष। 3 वर्णन. करनेमें नहीं आवै । 4 जहांसे वर और बनास नदिये निकली हैं। 5 वसा हुआ है। 6 घाणेराव 17 तलहटी। 8 विस्तार में 91 तक ! 10 अत्यन्त विकट स्थान है। ।। सुरक्षाके लिये संकट कालमें । 12 चौड़ा । 13 प्रजा । 14 एका कुपका
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૪૨
मुँहता नैणसीरी ख्यातं
उतन' । जरगा नै ं राहगं वीच आ ठोड़ देंसेहरो देस कहीजै । उणां गांवां रजपूत, सांसण 2 वसै छै । खरवड़, चंदेल, वोडांणा, चांदण वसै छै । रेत ज्यूं भोग है । चावळ, गोहूं', चिणा, उड़द घणा नीपजै | आंबा छै । विचली - पाख' मछावळा ने जरगा वीच कुहाड़ियो नळो" कहीजै छै । उदैपुरसूं कोस २० है । कुहाड़ीयो नळो कोस १० लांबो छै । कळंझो रेवली उठे गांव है। जरगो कुहाड़िया नळासूं जीमणो छ । जरगारी पैली-कांनी केलवाड़ो नै दिखणनं रोहिड़ो गांव छै । केलवाड़ाथी कोस ९ रोहिड़ो है । दोळा-दोळा' जरगारा गांव छै । ऊपर-१ सायरो । १ आंतरी । १ गुढ़ो । १ काकरवो । १ कीसेर 1 १ गूंदाळी । जरगा ऊपर राजा हरीचंदरी थापी गुसांईरी पादुका छै तठे त्रिसूल छै । जरगा ऊपर पांणी घणों । तठा आगै नाहेसर भाडेररा मगरा कोस सात ७ रोहिड़ासूं छै, सु रोहिड़ासूं लागे छै । धरती निपट वांकी " । गांव अठै घणा छै । मेवाड़ सीरोहीरी कांकड | नै मारग पिण सीरोहीने 12 उदैपुरसूं जाय । गांव - १ ढोल, १ कमोल, १ सींघाड़, १ बोखंड़ा । घोघूंद भाखर उलै-कांनै 13 भाडेरथी कोस ४ उरे पूरबनूं । गांव दिखणनूंगांव अठै पार - बाहिरा 14 छै । औ निपट 15 वडा मगरा । टगरावती, झड़ोलरा मगरा, गढ आहोररा मगरा, नाहेसररा मगरा,
1
1 निवास, ठिकाना 12 सांसण ( शासन) = साधु ब्राह्मण आदिको किसी राजा या जागीरदारकी ओरसे प्रायः उसकी मृत्युके समय संकल्प करके दानमें दिये हुए खेत वा ग्राम आदि जिन पर उनका निजी शासन रहता है और उनसे किसी भी प्रकारका कर नहीं लिया जाता है । किन्तु यहां 'सांसण' शब्द दानमें दी हुई भूमिके अर्थमें व्यवहृत नहीं हुआ है । इस प्रकारको भूमिके भोक्ताओंसे तात्पर्य है । मँदिर, मठों आदिको पूजा आदि प्रबंध निरंतर चलते रहने के निमित्त एवं चारण, भाटों आदिको काव्य रचनाओं पर भेंट स्वरूप दी जाने वाली भूमि वा ग्राम भी 'सांसण' कहलाते हैं । कहीं-कहीं 'सांसण' और डोलीको, किचित् अंतर होते हुए भी एक ही मानते हैं । 3 खरवड़, चंदेल आदि राजपूत जो यहां रहते हैं (उन्हें राजपूत होने के नाते कोई मुआफी नहीं है) साधारण प्रजाकी भाँति भोग आदि कर देते हैं 14 गेहूं । 5 मध्य- पार्श्वमें 16 नाला । 7 उस ओर 18 चारों ओर आसपास । 9 जरगा पहाड़के ऊपर राजा हरिश्चन्द्र द्वारा स्थापित गुसांईकी ! चरण पादुका है । 10 विकट । 11 और 12 को। 13 इस ओर । 14. अपार । 15 अत्यन्त ।
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४३
मुंहता नैणसीरी ख्यात पनोरा भाडेरा. मगरा, पई-मथारारा मगरा, देवहररा मगरा । इणाँ आगै मांणचरा मगरा कोस १५ खरक माहै । भील वसै। ..... ... इणाँ-आगै' ईडर दिसा गंगादासरी सादडीरा . मगरा, भील
सै । इणां आगै छाळी-पूतळीरा मगरा, दलोल. कलोलरा मगरा ईडरसू कोस ७ उरै । डूंगरपुर नै देव गदाधर वीच जवाछरा मगरा छै । भील बसै । ईडर डूंगरपुरसू कोस १० छै । पीपंळहड़ी सीरोडरा मगरा, छपन चावड नै जवाछ, जावर वीच उदेपुरतूं कोस १७ । चावळ, गोहूं हुवै । झाड़, पाहाड़ घणा छ । सूरज दीसै नहीं । बारबरड़ारा मगरा, भील वस । चावळ, गोहूं ऊपजै । आंबा फूलाद घणो । तठा आगै डूंगरो देस छै । डूंगरपुरतूं डावो' वाँसवाहळौ छै। वांसवाहळाथी' देवळिया वीच मेवाडरा गांव छपनरा जांनो,'जगनेर छै । सु देस मूंडल कहीजै। गांव धीरवद वडवाळारो परगनो छ । अठै बडा भाखर छ । घणा झाड़ छै । राठोड़ छपनिया अर चहवांण वसै छै । तठा-उरै" धीरवदथा आथुणनूं मेवलरा मगरा छै। तअ गांव छै - .
१ सलूंबर । चूंडावताँरो उतन। १ बाहरड़ो । सलूंबरथी १२ । १ बांभोरो । सारंगरो । सारंग देओतारो12 उतन। . . .
बाहरड़ा सलूंबर वीच वडा पाहाड़ छै । बाहरडाथी कोस ३ उदैसागर आथवणने छै । .
उदैसागरसू कोस १ दहबारी छै । .. दहबारीथी कोस २ आहाड़ छ ।
आहाडी कोस १ उदैपुर छै । पीछोलारी पाळ मोहल छै। उदैपुरसू कोस ५ सींगड़ियारो भाखर पछम छै। वंडो मगरो छै । तठा आगै धाररो पाहाड़ कोस ३ उदैपुरतूं छै । लाखाहोळी
1 इनके आगे। 2 ओर । 3 पुष्पों वाले वृक्ष पौधे आदि । 4 डूंगरपुरका । 5 वाया। 6 से। 7/8 गांवोंके नाम। 9 वह । 10 मण्डल ? 11 जहांसे इस ओर। 12 सारंगदेवके मंशजोंका । 13 महलमें। 14. पश्चिममें। ..
.
हा
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मुंहता नैणसीरी ख्यात उतरने छ । तठे चीरवारो घाटो उतरनं छै । आंबेरी गांव छ । .. चीरवाथी' कोसं २ एकलिंगजी छै । उदैपुरस्र कोस ५ एकलिंगजी छै।...
एकलिंगजीसू कोस १ राठासणरों मगरो छ । कोस २ गिरदवाई छै। पांणी नहीं।
एकलिंगजीसू कोस १ झालांवाळो देलवाड़ो छ ।
देलवाड़ाथी कोस ७ कोठारियो चहवांणारो छ । उदैपुरसूं कोस १२ छ । अठे देलवाड़ा कोठारिया वीच सहलसा मगरा छ ।
कोठारियासू उगवणनूं मेवाड़रो मंझ देश चौड़ो छै । ...... कोस २५ चीतोड़ कोठारियासू छै, उगवण ।
चीतोड़थी कोस १ अरवणरा मगरा मोटा छै । पिण ऊपर पांणी नहीं । नै अरवणरा मगराथी कोस २ पठार छ । भाखर ऊपर गांव छै। तिकां गांवांरी विगत- .
पठाररा गांव- . . .... ... ४४ खैरवरा । रैत गूजर, वांभण ।
८४ रतनपुररी चोरासी', चूंडावतारी ठोड़ । गोहूं, चिणा नीपजै ९४ वेघमरो वडो मुलकं । वडी पनवाड़ी । गोहूं, चिणा नीपजै । चूंडावतारी ठोड़।
वेघमथी कोस ७ वीझोली पंवार इंद्रभांणरी।
महीनाळ तीरथ मांडलगढथी. कोस ७ वीझोली । गाँव २४ ऊपरमाळरा छै।
वीझोलीथी कोस ९ भंसरोड़गढ । वडा भाखर छै। भैमरोडवी कोस ९ कोटो । पक्राइतो' हाडांवाळो छै। . भैंसरोडथी कोस १ बूंदी छै । . ... . . ...
से। 2 चौहानों । 3 चौड़ी और छोटी पहाड़िये हैं 1 4 मध्य । 5 पहाड़को ऊपरी समन भाम 16 उन । 7 ४ गांवों वाले एक प्रान्तको 'चौरासो' कहा जाता है। उत्पन्न होने हैं । १ हाटा शाखा चौहानॉकर पलाइता गांव है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात - भैंसरोडथी कोस ४ रिख-विसळपुर मेवास' छै । भील बसै छ । भैंसरोड पंचळदेस । गांव २५ लागै । गांव बारै हवेलीरा भैंसरोडसूं लागै । - तठा-आगै' गांव ४५ कुंडाळरा । मोहिल-मांकड़ारो परगनों कहावै छै । उदैपुरथी कोस ५० । ... भैंसरोडसूं कोस २० रांमपुरो । दखण→ कोस १२ ताँई रामपुरै दिसा भैंसरोड़री हद छै । भैंसरोड हे?' चांमळ नदी वहै छै । तीन नदी भैंसरोडरा कोट दोळी फिरै छै । भैंसरोड कोट १ भीतरो छ । बीजो खाई गढरै आकार पड़ गई छै । घर ४०० कोट मांहे. वसै छ। ____ नदी तीनरी विगतः-१ चांबल। १ बांभणी । १. पगधोई। ___ मेवळ मेरांरी12 नै पटे बंभारारै । मांहे सीसोदिया सारंगदेओतारो उतन । इणांरो एक छेह15 उदैपुरथी कोस ६ उदैसांगररै नाळे हद । बीजो छेह देवळियाथी कोस ३ वडो मेरवाड़ो हुतो” । बूरड़, बरगड़, बुजमा, लड़मर, इणां जातांरा मेरं गांव १४० माहे रहता, सु एक वार रांण जगतसिंघ काढिया हुता । पछै झाले कल्याण अरज कर नै उरा अणाया। हमार राँणै राजसिंघ मेर परा काढ नै22 सिगळा23 गांवांमें सीसोदिया, चूंडावत, सकतावत, रांणावत, वसीयां24 सूधा वसाया छै । नै मेर देवळियांरै मेरवाड़े गया । विगाड़ करै छै । देवळियान मेवल वीच मूंडळरो मुलक कहावै छै । मुदै26 ठोड़ धीरावद, तठे? ही मेर वसंता । रैत हुवा चालता के28 मेवासी हुवा चालता ।
1 बीसलपुर वालोंका 'रिख' नामक मेवास (लुटेरोंका रक्षा स्यांन) भंसरोडसे चार कोस पर स्थित है 12 पाञ्चाल देश । 3 राजा व जागीरदारको निजी सम्पत्तिके । 4 वहाँसे आगे। 5 कहलाता है। 6 तक 1.7 नीचे । 8 चम्बल 19 गढ़ीके समान एक दूसरी खाई बन गई है। 10 चंवले । ब्राह्मणी (ब्रह्मनी) 12/13 मेवल मेर-क्षत्रियोंकी और वंभाराको जागीरोमें। 14 इनका । 15 छोर। 16 दूसरा । 17 था। 18 इन। 19 निकाल दिया था। 20 पीछे कल्याणसिंह झालाने अर्ज करके वापिस बुलवा लिया। 21 अभी। 22 निकाल करके। 23 समस्त 1.24 वसीवान, जागीरदारके कामदार आदि वे लोग जिनसे किसी प्रकारका टैक्स नहीं लिया जाता है..। नाई, कुम्हार. आदि कई जातियां भी जागीरी में वसीवान होती है। 25 सहितः ।. 26 मुख्य स्थान. धीरावद 27। वहां हो। 28 कई। :: :::..."
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मुंहता नैणसीरी ख्यात गांव १४० लागै । सु रांण राजसिंघ परा काढ नै रजपूत सारंगदेप्रोत वसाया छै । पिण उठे पाणी घणो लागै छै' । न वसै। ..... ___ नाहेसर भील धणी । वडा स्याँमधरमी । रांणारै चाकर छ। वडेरा रावत कहावै । हमार रावत नरसिंघदासरै मुदै छै । भाखररो नाँव नाहेसर छै । मुदै ठोड़रो नाँव गाँव जूड़ो । परगनो पिण जूड़ारो कहावै छै । उदैपुरसू कोस २५ घोबूंदै लगतो छै। सीरोहीरा भीतरोठ, लगतो उगवण दिसा नाहेसर । उलै ढाळ'नै आधुण दिसा भाखररै ढाळ सीरोहारो भीतरोठ छै । अंबावथी कोस १० तथा १२ नाहेसररा गाँव ९०० री केहवत' छै । धरती माहे रैत भील, कुळबी'; वाँणीया, गूजर रहै छ ।
एक भाखर भाडेररो। कोस १० लाँबो, कोस २ पहै। नाहेसर कोस १२ लांबो, पैन कोस २ । तिण बीच जूडारो मुलकं । गांव १ वांस वीघा ५०० तथा ७०० खेती लायक । बीजी धरती भाखरां हेठ । झाड़ - आंबा, रांयण15 पिण आंबली झाड़ घणा । .:. धांन साळ, गोहूं, चिणा, मकी, उड़द घणा नीपजै । वालरण-काकड़ी घणी नीपजै । दीवाणरै नास-भाज विखानू वडी ठोड़ इतरी19-. : इतरा गांवां माहे-
. ... ......... :: ९०० नाहेसर, नरसिंघदासजी।
२० पनोर, राँणो दायाळदास भील । . . . . ९४ गंगादासरी सादड़ी, गंगादासरा पोतरा20 छै । . ... १४० झाड़ोली, टगरावटी । भील रैत थका रहै छै21। पटै झालां₹221
"
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परन्तु वहांका पानी अधिक लगने वाला (अस्वास्थ्यकर) है । 2 मतः वहां नहीं रहते । 3 नाहेसरका स्वामी भील 14 स्वामीभक्त । 5 मुख्य वयोवृद्ध रावत कहलाता है। 6 अभी प्रमुख रावत नरसिंहदास भील है। 7 इस ओरके उतारमें। 8 सिरोही राज्यका एक प्रान्त 1 9 कहे जाते हैं। 10 कलवी एक कृषक जाति, पटेल । 11 चौडाईमें । 12 चौड़ा । 13 पोछे, लिये। 14 दूसरी । 15 खिरनीका वृक्ष । 16 लाल चावल, शालि । 17 एक प्रकारको ककड़ी जो अम्लरहित और लंबी होती है; वालम वा वालण ककड़ी। 18/19 विपतिके समय महाराणाके भाग कर जानेके लिये इतने सुरक्षाके बड़े स्थान हैं। 20 पौत्र । 21 भोल प्रजाको स्वितिमें रहते हैं। 22 झाला राजपूतोंकी. जागीरीमें। ..
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मुंहता नैणसीरी ख्यात ... २५ छाळी-पूतळी । ईडररी कांकड़ दलोल-कलोससू लागे । - २५० जवाच । भील रहै । डूंगररै पूठवाई भील खंगार भगारो रहै छै । कोस १५० माहे भील छै ।।
बनास नदी नींसरी तैरी हकीकत - ... जरगारा भाख रथी नीसरी । तिको जरगो उदैपुरस्र कोस २९ छै । उठाथी रोहिड़े गांव आवै । जको राजा हरचंदरों वसायो छै । उठाथी कोस २ गांव वरवाड़ो मेवाड़रो तठे आवै । आगै कठाड़ गांव मदार गांव माछमें नै घांसाररै मगरे बीच नीसरै नै कांम-सकराही गांव वसै छै तठे आवै । उठाथी खभणोर आवै, उदैपुरथी कोस १२ । उठाथी कोठारिये आवै । तठा आगै गांव मोही तुंवरांवाळे आवै । तठा आगै गांव कुराज आवै । तठा आगै मीरमी पहुनै आवै । उठा आगै गांव छाकरलो पुररो छ । पुरसू कोस ६ आगै मांडळगढरै आकोले आवै । उठा आगै जावद-नंदराय वीच नीसर नै गांव चीहळी आवै, उठ चोलेररो पारसनाथ छै । उठा आगै पाड़लोळी जाजपुररो गांव छ, त, 'आय नै जाजपुर आवै । तठाथी' सावड़रै गांव देवळी आवै । आगै डाबर तोडारै गांव आवै, त? खारी" वधनोर वाळी भेळी हुई । आगै तोडाथी कोस ४. गोकर्ण राह छै!2 । बडो तीर्थ छै । मधुकीटभ तपस्या की छै । रावण तपस्या की छै तठे आवै । तठा आगै तोडारा गांव विसळपुर रावर आवै । तठै सीसोदीये रायसिंघ मोहल'' कराया छ । तठा आगै वणहडै हुय' ढूंक आई । पछे मलोरणैरै गांव झूपड़ाखेड़े।6 सोहड़ भंगवंतगढ सैसभारिजै मलीरणैरै वीछंदैनै हुय7 जीरोतरो गांव हाडोतीरो हुय नै आगै खंडरगढ चांबळ भेळी हुई18 । तठे देवी वरवासणरो थांन छै । . 1 पीछेकी ओर । 2 निकली। 3 जिसकी 4 वह । सो । 5 वहाँसे । 6 वहाँ । 7 हो कर । 8 गाँवका नाम । अन्य प्रतियों में 'बाकरलो' लिखा है। 9 वहाँसे । 10 गांवका नाम टोडाका । ।। एक नदीका नाम । 12 टोडासे आगे ४ कोस गोकर्ण महादेव नामक प्रसिद्ध तीर्थस्थानको जानेका मार्ग है। 13 पुराणोंमें वणित मधुकैटभ दैत्य । 14 महल । 15 हो कर । 16 गाँव 17 को हो कर 18 से मिल गई। 19 जहाँ पर कछवाहोंकी कुलदेवी 'वरवासण'का मंदिर है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात वात पहली यूं सुणी थी । संवत १६२४ चीतोड़ तूटी । तठा पर्छ रांण उदैसिंघ आय उदेपुर वसायो', सु खिड़ीये खींवराज कह्योचीतोड़ तूटी पेहली वरस ५ तथा १० उदैपुर राणै उदैसिंघ वसायो थो । उदेसागर पण पेहली करायो छो। चीतोड़ तूटी पछै रांणो उदैसिंघ आयोई नहीं। घोचूंदै हीज रह्यो । रांण उदैसिंघ संमत १६२९ घोबूंदै काळ कियो । राणा प्रताप टीको घोबूंदै हुवो।
कछवाहो मानसिंघ कँवर थको गुजरात गयो थो। पाछो वळतो' नीसरियो तरै सलूंबर आयो, तरै रांणो घोचूंदै छो । उदैपुर मानसिंघने मेहमांनी करी, तिणसूं वेरस' हुवो । पछै मानसिंघ पातसाह कनै गयो । हकीकत कही। तद मेवाड़ ऊपर वहीर हुवो । खंभणोर वेढ़ हुई । तठा पर्छ रांणामें विखो हीज रह्यो । संमत १६७१ रांणो अमरसिंघ साहजादे खुरमसू मिळियो । तठा पछै रांणो अमरसिंघ उदैपुर आयो । तठा पछै राजथांन3. उदैपुर हुवो । रांणानूं मेवाड़ हुई, तद मेवाड़ ऊपर पंचहजारी जात,पंच हज़ार असवाररो मुनसब दियो छो । तिणरी जागीरमें इतरी ठोड़ दीवी छी'5- ..
.: १ मांडळगढ, संमत १७११ उतरियो थो । संमत १७१५ वळे पाछो दियो । रुपिया. २०००००) . .१ वधनोर, संमत १७११ उतरीयो थो। संमत १७१५ वळे दियो छै। . . १ फलियो, उरो लियो संमत १६९४ पातसाह साहिजहां। . , १ जिहरण गांव १२, देवळियारी गड़ासिंध छै । .....: : 1 इस प्रकार । 2 वि० सं०.१६२४ में चित्तोड़ टूट गया (चित्तोड़में पराजय हो गई), जिसके बाद राना उदयसिंहने आ कर उदयपुर बसाया । 3 जिसके सम्बन्ध में खिड़िया चारण खींवराजने इस प्रकार कहा । 4 था । 5 आया ही नहीं। 6 मर गया। 7 राना प्रतापको राज्य तिलक घोबूंदामें हुआ । 8 राजकुमारको स्थितिमें। 9 पीछे लौटता । 10 निकला। 11 मनोमालिन्य । 12 जव मेवाड़ पर चढ़ कर रवाना हुआ। 13 राजस्थान । 14 रानाको जब मेवाड़ मिली तब मेवाड़ पर (रानाको) पांच हजार जात और पांच . . हजार सवारका मनसब दिया था । 15 जिसकी जागीरमें इतने स्थान दिये थे 1-16 जान्त : हो गया था।-17 फूलिया, जो पहिले मेवाड़में था और शाहजहांने जिसे वि० सं०. १६६४: . में जब्त कर लिया था (उसे वापिस नहीं दिया) 118 निकट । ........ ......
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मुंहता. नैणसीरी ख्यात १ भैंसरोड, गांव १२४ खखर-भखररी' ठोड़ छै, रांणारै। १ मीमच, गांव ४५ छै । चीतोड़सूं कोस १५, रु० २,२५०००)। १ वसाड़, संमत १६९४ पैंजारखांन रावत केसरीसिंघ मार लीयो।
मनदसोर निजीक । १ सुणेर, गांव १२ रांमपुरा कनै । संमत १६९४ में तागीर। १ डूंगरपुर, संमत १६९४ तागीर कियो । संमत १७१५ वळे दियो। १ देवळीयो तागीर कियो थो । संमत १७१५ वळे दियो । १ वांसवाहळो एक वार उतरीयो छो । हमै तो रांणारै छै । १ वेघम, गांव ९४, चीतोड़सूं कोस १२, बूंदीसूं कांकड़।
रु० १०,०००)। 'वात १ चारण आसीये गिरधर कही। संमत १७१९. रा भादवा सुदी. ९ नै
मांडवरो पातसाह वहादर एक वार गढ चीतोड़ ऊपर आयो। गढ़ घेरियो तिण दिन चीतोड़ टीके रांणो विक्रमादित्य सांगारो, वाळक छै। हाडी करमेती हाडा नरवद भांडावतरी बेटी । तिणरै पेटरो उदेसिंघ, विक्रमादित सगो भाई' छै । पछै कितरेहेक दिन गढ एकण तरफ भिळियो' । सीसोदीया खांडारै मुंहै गया । त, आदमी १४ सिरदार काम आया । तितरै मांहले बाहरले वात कीवी" । गढ ऊपर पातसाहरा आदमी गया, तरै रांणारा आदमी तळेटी आय नै सला करी। उदैसिंघनूं कौल-बोल दे नै पातसाहरै पांव ले गया । चाकरी राणा उदैसिंघरी कबूल करी । बहादर पातसाह उदैसिंघनूं ले नै कूच कियो। कितराहेक दिन हुवा । पातसाह बहादररै बेटो न छै14, तरै अमरावे5 पधार नै अरज पोहचाई।
1 स्थान विशेषका नाम (वन-पर्वत)। 2 जन्त । 3 पुनः दे दिया। 4 अब तो रानाके अधिकारमें है। 5 चित्तोड़गढ़ पर चढ़ कर आया। 6 कोखका । 7 सहोदर भाई । 8/9 कितनेक दिन बाद गढ़में एक ओरसे प्रवेश कर अधिकार कर लिया। 10 शिशोदिया तलवारके मुंहसे काम आये। 11 इतनेमें भीतर और बाहर वालोंने परस्पर वातचीत की.। 12 उदैसिंहको वचन दे कर बादशाहके चरणोंमें ले गये। 13 कितनेक दिन हो जानेके बाद । 14 नहीं है। 15 तब राजाओंने जा कर अर्ज पहुंचाई।
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मुंहता नेणसीरी ख्यात पातसाह तो पुखता' हुवा छै । कोई एक भतीजो खोळे ल्यो । .. तरै पातसाह कह्यो-'रांणारो भाई खूब छै । वडा घररो छोरू छै'।.. इणनूं हूं मुसलमान कर नै खोहकै लेइस' ।' आ वात मुसकस थपी । (उदैसिंघरा चाकरां आ वात सुणी) उदैसिंघनें खवर हुई । इणे' विचार कर नैं रातरा नास आयो । परभात हुवां' पातसाहन खबर हुई, कह्यो-उदैसिंघ नास गयो। तरै पातसाह तुरत वाँसै चढियो। सतावी गढ आय घेरियो । तरै उदैसिंघ, विक्रमादित्य दोयांन" काढ नै'इणांरी13 मा हाडी करमेती जहर कर वळी । हाडी करमेती साथै इतरी वळी--
१ हाडी करमेती। १ करमेतीरी बेटी १ । खीची भारथीचंद परणाई हुती । १ वैर विक्रमादितरी १, हाडी कला जगमालोतरी वेटी। १ रा. देवीदासरी बेटी । इतरी करमेती साथै वळी । इण मामले18 इतरा रजपूत काम आया१ रावत दूदो रतनसीरो। १ सीसोदियो कमो रतसीरो । १ रावत वाघो सूरमचंदरो। १ हाडो उरजन नरवदरो । १ रावत सतो रतनसीरो । १ रावत वाघो सूरजमलोत । १ सोनगरो मालो, बालारो । इणरो उतन देवळीयारी कांकड़।
१ सोळंकी भैरवदास नाथावत । प्रोळ काम आयो, सु चीतोड़ भैरव प्रोळ कहावै छै ।
१ रावत देवीदास सूजावत20 ।
1 वृद्ध । 2 गोद ले लीजिये । 3 बहुत अच्छा है । 4 बड़े घरका पुत्र है । 5 इसको में मुसलमान बना कर गोद ले लूंगा। 6 तय हुई 17 इसने । 8 भाग कर आ गया। 9 होने पर । 10 शीघ्र ही। 11 दोनोंको । 12 निकाल कर । 13 इनकी। 14 जौहर कर जल गई। 15 व्याहो थी। 16 स्त्री, पत्नी। 17 जगमालका पुत्र । 18 युद्ध में । 19 पोलमें मारा गया अतः वह चित्तोड़ का दरवाजा भैरव-पोल कहलाता है । 20 सूजेका पुत्र ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
५.१ १ सीसोदियो नगो सिंघावत' । जगारो भाई। . १ झालो सिंघ अजारो । इतरा रजपूत काम आया।
बात एक रांणा कुंभा चित भरमियारी- . : - कोई समंद मांहे साह गयो थो। तिकै एक मृतक देह दीठी' थी । तिणरी वात रांणा कुंभानूं कही। तद रांणो कुंभो चित-भरमीयो हुवो। क्यूंही रोवै, क्यूंही बोले । तद कुंभळमेर रहता, सु गढ ऊपर एक ठोड़ मांमा-कुंड छै । मामा वड़ छ । त, रांणो बैठो थो । कुंभारै बेटो मुदायत ऊदो थो, तिण कुंभानूं कटारीयां मार नै आप पाट बैठो' । तद भला-भला रजपूत तिणां घणो बुरो मानियो । आपती' सको वडा ठाकर मन खांच रह्या" । कोई दरबार आवै न छै । नै भाई बेटा मेल दीया छै12 । पछै रायमल ईडर थो, 'तिणसू कहाव करनैं छांनै तेड़ायो । रायमल आयो तरै वडा ठाकरांरा बेटा ऊदै कनै रहता, तिणांन14 पांच बडे ठाकुरै कहाड़ीयो-उदा मिस कर . कठीका दिन ४ रेक' सिकारनूं ले नीसरो । पछै वो कंवरांरो साथ ले नीसरियो । वासै रायमलनूं वडा ठाकुर हुता सु ले नै चीतोड़रै गढ ऊपर ले आंण सींघासण वैसाणियो20 । टीको काढियो । वाजा वजाया । कवरांनूं उमरावे तेड़ लिया । ऊदायूँ कहाड़ मेलीयो22थारो काळो मूहडो3, तूं परो जावै24, नहीं तो तोनू रायमल मारसी । पछै ऊदो सोझत आयो । केई दिन वसीरै दुहरै रह्यो।
एक वात सुणी हुती- कंवर वाघारी बेटी परणियो हुतो । पछै वीकानेरनूं गयो । उठी हीज मूवो । उणरी ओलादरो तो कोई वीकानेररी तरफ छै । ..
. सिंघका पुत्र । 2 विक्षिप्त । 3 जिसने । 4 देखी । 5 कभी, कुछ। 6 राज्यका मुख्य अधिकार रखने वाला। 7 गद्दी पर बैठा । 8 जिन्होंने बहुत बुरा माना । 9 आपसे । 10 समस्त । 11 मन खींच लिया। 12 भेज दिया है। 13 बुलाया। 14 जिनको 15 कहलाया। 16. बहाना करके । 17 कहीं भी। 18 चारेक । 19 ले निकलो। 20 पीछेसे रायमलको, बड़े ठाकुर जो थे उन्होंने उसको ला कर चित्तोड़के गढ़ सिंहासन पर बिठा दिया। 21. बुला लिया। 22 कहला भेजा । 23/24/25 तेरा काला मुंह, तू यहाँसे चला जा, नहीं तो तुझे रायमल मार देगा। 26 मंदिरमें।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात दूहो साखरो'
ऊदा वाप न मारजै, लिखियो लाभै राज ।
देस वसायो रायमल, सरचो न एको काज2 ॥ रांणा राजसिंघनूं पातसाही तरफरी इतरी जागीरी छै-.. तिणरी विगत लिखी छै
छ हजारी जात । छ हजार असवार त्यां-मांहे पाँच उवांराउरदी । एक हजार दुअसपाह ।
रुपिया-दांम आसांमी १७०००००) ६९००००००)। तलव जात' छ हजारी ३०००००) १२००००००)। खास जात छ हजारी १४०००००) ५६००००००)।
ताबीनदार' असवार ६००० तिणमें एक हजार दुअसपाह १७०००००), ६९००००००), ५०००००), २००००००)।
इनांम २२०००००), ९९००००००)। तिनखाह १२५००० ), ९६००००००)। सूबै अजमेर रु० १२५००००), ४७५००), १९००००)। सिरकार अजमेर परगनो १ । ४७५००) १९ । प्र० जोजावर १७२७५०० ), ६९१०००००)। सरकार चीतोड़ महल २७-२५०००), १००००००)।
प्र० हवेली मोकीली मोहल २-५५०००), २२००००)। ' . प्र० उदैपुर महल ३ । ४०००), २२०००००)।
प्र० अरणो महल २७५०००), ११०००००)। । प्र० इंसलांमपुर कोसाथळ. ३७५०), १५००००)।
प्र० इसलामपुर मोही ९७५००), ३५००००) । प्र० ऊपरमाल व भैंसरोड महल २-५००००), २००००।।
1 साक्षीका । 2 दोहेका भावार्य हे उदयसिंह ! तुझे अपने पिताको नहीं मारना चाहिये था। राज्य तो भाग्यमें लिखा हो तो मिलता है। तेरा एक भी काम सिद्ध नहीं हुआ। राज्य तेरे छोटे भाई रायमलको वदा था जो देशको वसानेका अधिकारी हो। 3 तिनमें । 4. विना वरदोके । 5 द्विगुणित । 6 रुपयेका चालीसवाँ भाग । 7 व्यक्तिगत वेतन सम्बन्धी। 8 मुख्य २ व्यक्तियोंके वेतन सम्बन्धी । 9 प्रत्येक समय हाजिर रहने वाले सवार ।
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३
‘मुंहता नेणसीरी ख्यात प्र० बेधू २०००० ), ९००००० ।। .. ... प्र० वणोर २०००००), ९००००००)। . प्र० पुर ७५०००), ३०००००)।
प्र० जीरण २७५००० ।। प्र० साहिजिहानाबाद कपासण १२५०००), ५०००००) । प्र० सादड़ी २५०००), १००००००)। प्र० साहिजिहानाबाद कणवीर ७५०० ), ३०००० ) ।
प्र० घोसमन ३५०००), २०००००)। - प्र. मदारे ५०००००), २०००००)।
मीमच महल ३१२५० ), ५०००० ) । . प्र. हमीरपुर २५००००), १०००००००) ।
प्र० बधनोर २०००००), ९००००००) । - प्र० मंडलगढ ४०००००), १६००००००)।
. प्र० डूंगरपुर २०००००), ९००००००)। . प्र० वांसवाहको १७२७५०० ), ६९१०००००)।
३७५०००), १५००००००)। सिरकार कुंभलमेर मेहल ९५ त्यां माँहे महल ६२ पहाड़ां मांही।
बाकी महल २३ त्यां मांहे महल ३ साहिजादे खुरम राणा अमर ऊपर आयो' तद राजा सूरजसिंघनूं इनाम दिया था, त्यांरी जमै न थी, सु रांणा राजसिंघरै छै–१ गोढवाड़। १ सादड़ी। १ नाडूल ।
बाकी महल २० त्यांरा नाम पढिया न जाय । २१५०००० ), ९६०००००० ), ५००००), २०००००० ) सूवो मालवै परगनो । १. वसाड़ २००००००), ९९००००००)।
. . . वात १ सीसोदिया राघवदे लाखावतरी । राघवदेनूं रांण कुंभ, राव रिणमल मारियो
. तिकण समय रांणो कुंभो मोकळोत चीतोड़ राज करै नै रावघदे धरती मांहे क्यूं ही उजाड़-विगाड़ करै । तरै रांण कुंभ राघवदेनूं
चढ़ कर आया । 2 जिनको जमा नहीं थी, वे राणा राजसिंहके अधिकारमें हैं। 3 उस समय । 4 कहीं कुछ 1 5 लूट-खसोट ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात मारणो तेवड़ियो । पछै एक दिन राघवदे दरवार आवतो थो।। पहरणनूं आंगी हुती । तिणरी बांह ढीली हुती, सु आधी काढ़ी थी। तरै आय नै एक बांह रांण कुंभ पकड़ी नै एक पाखती राब रिण मल पकड़ी। नै दोनां बगलां राघवदेरै कटारी लगाई । सु राघवदे कटारी लागतां आपरी' कटारी दांतांसू काढ़ी' । तरै इणां वांह छोड़ दी । तर यो जलेवखाना नीसरियो। इणां हाथ छोड़ दिया । जांणियो कटारी सवळी लागी छै, आपै हेठो पड़सी' । नै तितरै प्रोळरै बारण' आयो । तितरै एक रजपूत झटकारी दीनी सु माथो तूट पड़ियो । सु माथो पड़ियां ही उठ दोड़ीयो । तरै सगळाई।" अळगा हुवा, तरै आपरो' माथो दुपटीसौं कड़ियांरै दोळो बांध जलेव आय नै आपरै घोड़े चढ़ियो नै आपरा घरांनूं खड़िया' । परभात हुवो तरै पड़ावल चीतोड़सूं कोस १७ छ, तठे गांव निजीक आयो । तरै कोई वैर पिणहार जिण दीयो । तरै कह्यो-'देखो कोई मांटी20 माथा विगर चढियो जाय छै ।'सु वा बैर मैले-माथे हुती । तिणरी छाया पड़ी। तरै राघवदे घोड़ासू छिटक पड़ियो22 1 उठ ५ क23 सात बैरां राघवदेरी, पड़ावलथी आय नै वळी24 ° सु राघवदे सीसोदियो पूजीजै छै । · साखरो गीत
राय-आंगण रांण : कुंभक्रन रूठ, हाथां ग्रहे हिंदुवै-राय । काढ़ी राघव भली कटारीदांतां, सरसी ऊपर25 डाय ॥१॥
1 विचार किया। 2 अंगरखी। 3 एक ओरसे । 4-अपनी 1 5 निकाली। 6 पासकी राज्य-सभा । 7 अपने आप नीचे गिर जायगा । 8 इतने में । 9 वाहिर । 10 सिर गिर जाने पर भी उठ कर दौड़ गया । || सब ही। 12 अलग । 13 अपना 14 दुपट्टेसे । 15 कमर । 16 पास । 17 अपने । 18 चलाया। 19 पनिहारिन-स्त्री । 20 मनुष्य 21 वह स्त्री रजस्वला थी। 22 गिर गया। 23 अथवा 24 पड़ावलसे आ कर सती हुई । 25 गीतका अर्थ-हिंदुपति राजा कुभकर्णने क्रोध करके . राज्य आंगनमें राघवदेवके हाथ पकड़ लिये। उस समय राघवदेवने अपने दांतोंसे अपनी कटारीको खूब निकाला, जो उसके ऊपर दाव = आक्रमण करनेवालोंसे एक श्रेष्ठ (पराक्रम) की वात थी।. .:. .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात .... वात १ वीठू झाझण' कही.... मांडवरा पातसाहरो मेवाड़ जेजियो लागतो । सु जद रांणो रायमल राज करै । सु रायमल स्याँणो' ठाकुर हुवो, सु क्यूंही' बोलतो नहीं। रायमलरै बेटो प्रथीराज हुवो । सु प्रथीराज सिकार रमण गयो थो। सु सिकार रमतां एक लुगाई घड़ो भरियां जावती थी, तिणरै सोकलारी लगाई। सु गोढवाड़रो लोक अोछो-बोलो' तो हुवै छै । तरै उण लुगाई कह्यो-"कंवरजी मारो घड़ो कांई फोडियो । इसड़ा' तरवारिया' छो, तो मेवाड़ जेजियो लागै छै सु परो छोड़ावो' । तितरै पाखतीरा" ऊभा था।2 तिणां उणनूं डराई । कह्यो-"तूं बोल मती ।" नै प्रथीराज बोलियो-"क्यूं हो ठाकरां! आ कांई कहै छै ?" किणहेक कह्यो, आ यूं कहै छै-"आखी मेवाडनूं मांडवरा पातसाहरो जेजियो लागै छै, सु कंवरजी छुड़ावो नी क्यूं ? 14" तरै आप कह्यो-"जेजियो ले छै सु कुण छै ?" तिण कह्यो"तिके पाटण कोट मांहे हीज रहै छै । वे दीवांणरा चाकर न छै । वे मांडवरा पातसाहरा चाकर छै । जेजियो उघरावै15 छै ।" तद दीवांण कुंभळमेर रहता। नै कंवर आ वात सुण नै सिकार रम पाछो
1 झाझण नामक वोठू जातिका चारण। 2 जजिया नामक एक कर जो बादशाही समयमें हिंदुओंसे लिया जाता था। 3 शान्त स्वभावका । 4 कुछ भी। 5 शस्त्रका अग्रभाग, चूंकला, नोक । (यह शब्द 'चूंकलो' वा 'चूंकली' होना चाहिये । मारवाड़ में 'चूंक' नोकदार कोलको कहते हैं। गाड़ी में जुते हुए बैलों आदिको चलानेके लिये लकड़ीके अग्रभागमें पैनी चूंक लगा कर बनाई हुई 'चूंकली' काममें लाई जाती है, जिसे 'आर' वा 'परांणी' भी कहते हैं। गोढ़वाड़में 'च' 'छ' आदि वर्णों का उच्चारण 'स' की भांति ही किया जाता है अतः यहाँ 'चूकलो' वा चोकलोके. स्थान 'सोकलो' लिखा गया है। 6 अपशब्द बोलने वाले । (प्रसंगमें तो स्त्रीकी ओरसे ओछा बोलना नहीं प्रतीत होता। इसके विरुद्ध प्रियोराजके ओछे व्यवहार और प्रजाकी एक स्त्रीके साथ दुर्व्यवहार और अपमानका साहसपूर्ण, समुचित और प्रेरणादायक कटाक्षमय उत्तर है, जो वास्तविक और समयोचित है। यही नहीं, जो उस समयके शासकगणोंको कर्तव्य-हीनता और निरंकुशता एवं दूसरी ओर सर्वसाधारणमें देश और जातिके अपमानके अनुभवका परिचायक है।)7 ऐसे । 8 तलवार चलाने वाले । 9 हंटवा दे । 10 इतनेमें । 11 पास वाले । 12 खड़े थे। 13 समस्त । 14 उसको कुंवरजी क्यों नहीं हटवाते ? 15 जजिया वसूल करते हैं ।
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आयो, तेरे साथनूं कह्यो' - "आप तुरकांनूं मारस्यां । खवरदार रहज्यो" तद साथ कह्यो - "दीवांणसूं गुदरावो" प्रथीराज को"म्हे' दीवणसूं गुदरावस्यां । मारल्यो ।” पाछो कोटमें आवतसमा' तूट पड़िया' । डेरा ऊपर मार लीया । पछे दीवांण आ वात सुणी । तर प्रथीराजसूं रीसांणा' । प्रथीराज कह्यो - "दीवांण ! आप तो घणाई दिन धरती भोगवी" । हम म्हे मोटा हुआ । दीवांण ! विराज्या रहो" । म्हे धरतीरी खवर लेस्यां 12 | " सु मांडवरा पातसाहरो उमराव ललाखांन तोडै रैतो सु उणरी तावीनरो 3 लोक अठै जेजियो उघरावणनूं आवतो सु प्रथीराज मारियो आ पुकार ललाखांन कनै पूगी । तरै ललाखांन चढियो । चढती ही नै मगरोप, आकोलो, अ मेवाड़रा गांव छे, सु मारिया " । लोक बंध किया 5 । तरै पुकार आई, प्रथीराज कनै । तद प्रथीराज कुंभळमेरसूं चढियो दिन-आथवतांरो" । सु परभात जाय तोडै ललाखांननूं मारियो । मार नै साथनूं पूछियो - क्यूं ठाकुरां ! अठायी सूरजमल खींवावतनूं किण ताकथी मारियो जाय 7 ? तर किणहेक कह्यो-हां राज ! सूरजमल आठमरो- आठम 8 गांव ऊंटाळावरं कनै चारण देवी छै तिरै आवे है " "
14
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-
वात
मेवाड़ रांगा अमरारो विखो छै20 पातशाह जहांगीर दृढ़ लागो छै । साहिजादो खुरम, अबदुलो लारें है । सु इणासूं
उदैपुर
वापस आया,
4 अर्ज करो,
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1 और कुमारने इस बातको सुन कर जब वह शिकार खेल कर तब अपने साथ वालोंको उसने कहा । 2/3 अपन तुर्कोंको मार देंगे । पूछा जाय 15 हम 16 अर्ज कर देंगे । 7 आते समय । 8 टूट पड़े । 9 10 आपने तो बहुत दिनों तक देशका राज्य कर लिया। 11 दीवान ! रहें । 12 हम देशकी सार-सम्हाल करेंगे । उसको अधीनता के मनुष्य 1 14 लूट लिया 1 15 वहाँके मनुष्योंको क़ैद कर दिया । 16 संध्या समय 17 किस प्रकार मारा जाय 1 18 प्रति अष्टमी 1 19 चारण देवी है उसके दर्शनको आता है । नोट- प्रसंग अपूर्ण लिखा हुआ प्रतीत होता है। 20 मेवाड़का राणा अमरसिंह गुप्त रीतिते पहाड़ों में विपत्तिके दिन काट रहा है । - 21 हठ पर चढ़ा हुआ है 1. 22 पीछे लगे : हुए हैं। 23 इनसे 1
12
नाराज हुआ । आप अब बैठे
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छूटो छे । कित एक दिना चावड़ांरा ही मगरा ' अबदूळे छुड़ाया । सु रांणो अमरसिंघ घणो हीज पछतावो करै छै । भवनूं कहै छै - “भींव ! देख ! आंपांथी 2 चावडांरा मगरा छूटा । आ वड़ी ठोड़ छूटी । मोनूं उदैपुर छूटांरो धोखो न हुवो तितरो इण ठोड़ छूटांरो पछतावो हुवै छै । इण ठोड़-छूटतां एक रातीवासो' ओ बीजो अबदूलै सूनो कियो तो घणो बुरो दीससी' । तरै भीम तसलीम कर कह्यो - " अवस दीवांण ! आज अबदूलाथी इसो मामलो करूं 20, लड़तो २ अबदुलारी डोढियां तांई" जाऊ" दीवांणसूं कहने 2 विदा gat 3 | सुआ खबर अबदुलैनै हुई, जु ! भींव वीदा हुवो सु कहै छै 14- "हू 15 लड़तो २ अबदूलारी डोढियां तांई " जाईस 7 ।” सु अबदूल ही घणा 18 पातसाही लोक उमराव था सु दोढियां राखिया छै । भींव दिन घड़ी ४ चढतां विदा हुवै छै । सु पहली तो केई आपरी ” धरतीरा लोक तुरकांसूं जाय मिलीया था, त्यांसूं 20 मामलो कियो । पछै रात आधी एकरो 22 अबदूलारा लसकर ऊपर तूट पड़ीयो सु पेहली तो आडै धंस 22 आया सु वाढ़ नांखीया 23 | घणा घोड़ा, रजपूत, पातसाही लोक डेरा मारिया 24 | यूं करतां मारतो कैहतो "आवै माहरांणो अमरसिंघ 25 ।" सु असवार हजार दोयसूं दोढियांरं मुंह 26 आयो । अबदूले ही घणी जाबता 27 कीवी थी । दोढी घणो साथ 28 सु अठै लड़ाई हुई । घणो तरवारियांरो रीठ पड़ियो । पातसाही लोक, सिरदार, मांणस ३० ५० तथा ६० वडा उमराव मारिया । अठ
1 पहाड़ | 2 अपनेसे । 3 रक्षाका यह बड़ा स्थान भी छट गया । 4 मुझको । 5 उतना । 6 पश्चाताप होता है । 7 रातको रहनेका ( भय रहित ) स्थान | 8 यह । T/8/9 यह दूसरा रात्रिनिवासका स्थान भी अबदुलेने अपने से छुड़वा कर सूना कर दिया तो बहुत बुरा दीखेगा | 9A प्रणाम करके । 10 युद्ध करूं । 11 तक | 12/13 कह कर रवाना हुआ। 14 भीम अपने ऊपर चढ़ कर रवाना हुआ है और वह कहता है कि । 15 मैं । 16/17 ड्योढ़ी तक चला जाऊँगा । 18 बहुत से । 19 अपनी ही । 20 उनसे । 21 लगभग आधी रातको । 22 सामने | 23 काट डाले। 24 डेरोंका नाश किया। 25 यों मारता जाता और कहता जाता था कि 'महाराणा अमरसिंह आ गया है' । 26 ड्योढ़ीके द्वार पर आ गया । 27 प्रबंध किया था । 28 सैनिक 29 तलवारोंसे घमासान युद्ध हुआ । 30 मनुष्य |
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मुंहता नैणसीरी ख्यात भीवरा ही माणस २० तथा २५ जीनसाळि या पड़िया। पडियापड़िया कहता 'दोढियां तांई तो गया । आघी चूरी जाय नहीं ।" आगै तिके वहादर सिलहां-किया- ऊठिया । तिणथी-डोढी चूरी जावै नहीं । आगै भींवर ही लोह एक दोय लागा, नै आप जिण घोड़े चढियो थो, जिण घोड़ारो पग पड़ियो । जोयो , ज्यूं. आघो जाणरो तोल क्यूं ही नहीं । तरै रजपूते भीवनूं पाछो वाळियो । कटक बारै12 आया तरै आपरो13 घोड़ो छिटकनै पड़ियो । तरै घोड़ारो पग निलंग4 छिटक पड़ियो । तरै भींव कह्यो-'दोढियां आगै घोड़ारो पग पड़ियो।' वीजै15 घोड़े चढ नै चलाया सु दीवांण छपनरै मगरै थो । भींव आय मुजरो कियो। रातरा मामलारी बात कही। दीवांण वोहत राजी हुवा । भीवरी घणी दिलासा16 करी । कह्यो- “साबास भींव ! बडो मामलो कियो।" पछै17 इण मामला हुवां पछै18 अवदूलो च्यार19 मास ताँई दीवांणरी फोज ऊपर दोडियो नहीं20 ।। गीत
खित21 लागा वाद बिनह खूदालम, सूता अणी सनाहे साथ । थापै खुरम जेवड़ा थांणा, भीव करै तिवड़ा भाराथ ॥ १ ॥ हुवा प्रवाड़ा हाथ हिंदुवां, असुर सिंघार हुवै आरांणा।
1 पखरेत घोड़ोंके सवार । 2 घायल पड़े-पड़े कहते थे कि डयोढ़ियों तक तो पहँच ही गये । 3 आगे शत्रुओंका चूर्ण करके नहीं पहुंचा जा सकता। 4 कवचधारी। 5 जिससे ड्योढ़ी पर खड़े शत्रुओंका नाश किये बिना आगे नहीं जाया जाता। 6 । तलवारके घाव । 7 घोड़ेका पांव टूट गया। 8 देखा । 9/10 तो आगे बढ़नेका कोई उपाय नहीं। भीमको पीछा लौटाया । 12 बाहिर । 13 अपना (उसका) । 14 घोड़ेका पांव टूट कर अलग जा गिरा 15 सरे । 16 खातिर, सन्मान । 17 फिर । 18 वाद । 19 चार । 20 दीवानकी . (महाराणाकी) सेना पर चढ़ाई नहीं की। 21 पृथ्वीके लिये दोनों (दिल्ली और मेवाड़के) बादशाह ऐसे युद्धरत हुए कि दोनों अपनी सेनाके साथ कवच धारण करके ही सोया करते। . खर्रमने जितने थाने स्थापित किये भीमने वहां जा कर उतने ही युद्ध किये ॥ १॥ हिंदुओंके हाथों (यशस्वी) युद्ध हुए जिनमें तुर्कोका अपार संहार हुआ ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
साह आलम मूकै सहिजादो, रायजदो थाप लियो रांण ॥ २ ॥
मंडियो वाद दिली मेवाड़ां,
समहरतिको दिहाड़े सींव ।
अवस न पैठा किसा भाखरां ?
भाखर किस न विढियो भींव ? ।। ३ ।।
आरंभ जांग अमर धर ऊपर, लड़ै अमर छल तांम लग ।
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आवढ़ियो घटियो असुरायण, खूमांण मांजसियो खग ।। ४ ।।
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वात
सोदो - बारहठ' थाहरू 2 चीतोड़रो । बूंदी रांणा खेतारी वार मांहे हाडां लाल' कनै गयो हुतो । सु लाल वात कहतां कुंई दीवांण दिसा बुरो बोलियो" A । तरै थाहरू पेट मार मूवो" । कोई कहै छै - कमळ - पूजा कर मूवो । तिण दावै सीसोदियां हाडांरै वैर पड़ियो । घणा दिन अदावत वुही' । घणो वैर धुखियो । पछै सीसोदियांसूं हाडा पौंच सकै नहीं'' तरै वैर भागो11 A । सीसोदियां १२ सिरदार हाडांरै परणिया-2, नैं गांव 12 A २४ बूंदी राव दायजै 13 दिया, बूंदी नं 14
उधर शाहआलम खुर्रमको भेजता है तो इधर राणा अमरसिंहने अपने भाई ( रायजादा ) भीमको नियुक्त कर दिया है || २ || दिल्ली और मेवाड़ वालोंके परस्पर ऐसा युद्ध जमा जो उन दिनोंके युद्धोंकी एक (चरम ) सीमा थी । तुर्क कौनसे पहाड़ों में नहीं घुसे और भीमने उनका पीछा कर कौनसे पहाड़ों में युद्ध नहीं किया ? || ३ || अमरसिंह अपने आरंभकालसे ही युद्ध लड़ता रहा । उसने जितने भी आक्रमण किये उनमें मुसलमानोंका बल क्षीण होता गया । इस प्रकार खुमाणके वंशज अमरसिंहने अपनी तलवारको पवित्र किया ॥ ४ ॥
1 चारणोंकी एक शाखा । 2 चारणका नाम। 3 समय । 4 बूंदीके हड़ा लालसिंह | 5 था । 5 A लालसिंहने बात करते समय दीवान ( राना खेता) के संबंध में कुछ बुरे शब्द कहे । 6 तब थाहरू पेटमें छरी मार कर मर गया । 7 सिर काट कर । 8 इसी कारण । 9 शत्रुता चलती रही । 10 शत्रुता अधिक जग उठी। 11, 11 A फिर जब हाड़े सीसोदियोंको नहीं पहुँच सके तब जाकर शत्रुता मिटी । 12 बारह सिसोदिया सरदारोंने हाडोंके यहां विवाह किया । 12 A दहेज में गांव ६ ही दिये हैं भूल से २४ लिख दिये गये हैं । गांवके नाम भी छः हीं हैं । 13 दहेज | 14 और ।
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मालगढ वीच । गांवांरा नाम
१ जीलगरी १ धनवाड़ो १ वाजणो
१ खिणीयो १ भीलड़ियो (१ बंको) . इतरा गांव दिया।
वात पठाण हाजीखांन रांग उदैसिंघ वेढ' हरमाड़े हुई, तिणरी धववाड़िये खींवराज लिख मेली' । संमत १७१४रा वैसाख माहे___ हाजीखांन पठाण ऊपर मालदेरी फोज अजमेर आई। रा० प्रथीराज जैतावत । तद हाजीखांन रांग उदैसिंघ क. आदमी मेलिया । कह्यो-“मांह राज मारै छै । म्हे तो रावळा थका बैठां छां ।" तर रांणो असवार हजार ५००० सूं तुरत चढियो । अजमेर आयो । तरै राठोड़े भेळा होय नै प्रथीराज कह्यो-'आपे ही मरस्यां । राव मालदेरै आगे ही वडा ठाकुर था सु सारा काम आया छ । नै आपै मरस्यां तो ठकुराई हळवी पड़सी10 । आप उठ जाव साथ भेळो करनें लड़ाई करस्यां।" इण भांत राठोड़े समझाय नै प्रथीराजनूं पाछा मारवाड़ ले गया । सु प्रथीराज खिसांणो थको बगड़ी रीयो । वारै उतरियो । गांवमें न गयो। नै इण मामलै रांणा साथै सिरदारराव सुरजन, राव दुरगो, राव जैमल मेड़तियो, साथै हुता । तठा पर्छ राव मालदे वेगो ही कटक कियो। सु रावजीरै मेड़तियांसू खुसांण हुती13 । सु राव मालदे कहै मेड़ता ऊपर जास्यां । नै राव प्रथीराज कहै अजमेर जाय रांणारा साथसू वेढ़ करस्यां । सु पछै रावजी मेडते आया । मेड़तियांसू वेढ हुई। राव प्रथीराज काम आयो । वेढ हारी । राव रांणारी तो वात अठै हीज नीवड़ी। तठा पछै कितरेक14 दिने रा० तेजसी डूंगरसियोत नै वालीसा सूजानूं रांग उदैसिंघ कह्यो-- थे अजमेर जाय नै हाजीखांननूं कहो-"म्हे था- राव मालदे कना
1 युद्ध । 2 दववाड़िया शाखाके चारण खींवराजने लिव भेजी। 3 भेजे। 4 मुझको प्रवीराज मारता है। 5 हम तो आपके आश्रयमें बैठे हैं। 6 इकट्ठे हो करके। 7 को 18 हम ही परस्पर मरेंगे। 9 पहिले भी। 10 और हम मरेंगे तो अपनी ठकुराई अशक्त हो जायगी। 11 प्रथीराज लज्जित हो कर बगड़ीमें जा कर रहा 12 बाहिर ठहरा। 13 खटक थी। 14 कितनेक।
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६१ राख लिया छै । थे म्हाने केहेक हाथी, क्युंहेक सोनो, थाहरै अखाड़ो छै तिणमें रंगराय पातर छै सु म्हानूं दो।" तरै ठाकुरां रांणाजोसूं कह्यो-"हाजीखांन भलो माणस छै नै विखायत थको छ । दीवांणजी वडो उपगार कियो छै । सु हाजीखांन आ वात कहाड़ियांरो जुगत न छै ।" सु आ वात दीवांण मांनी नहीं। यां ठाकरांनै मांडां मेलिया । .
अ अजमेर गया । आ बात कही तरै हाजीखांन कह्यो-"म्हारै देणनै ... तो क्युही नहीं। नै पातर तो माहरी बैरBA छै।" तद इण वात
ऊपर हाजीखांन नै रांणारै अदावद हुई । तरै रांणारा परधानांनूं तो सीख दीवी10 | नै राव मालदे कनै आदमी २ आपरा11 मेलिया । . म्हारी मदत करावो । तरै रावजी असवार १५०० रा० देवीदास
जैतावत साथै दे नै मेलिया। देवीदास जैतावत, रावळ मेघराज, लखमण भादावत, जैतमाल जैसावत, बीजा ही घणा ठाकुर साथै दे नै मेलिया । सु औ3 पिण अजमेर आया। भेळा हुवा। रांणो आप पिण उदैपुरसूं चढियो । दस देसोत4 साथै हुवा । रांणो हरमाडै आयो। हाजीखांन पिण हरमाड़े आयो। बले वीचरा तेजसी नै बालेसो . सूजो फिरिया। दीवांणजीनूं कह्यो-“वेढ नै कीजै। पांच हजार " पठाण नै हजार राठोड़ दोरा मरसी।' सु आ वात दीवांण मांनी . नहीं। खेत बुहारीयो । अणी बांटी16 । त?17 हाजीखांन दाव कियो । साथ थो सु आगे ठेल ऊभो कियो । नै असवार हजार १००० सूं आय भाखरीरै ओटै जाय ऊभो रह्यो । नै रांणो आप हरोलारा20 . अणी मांहे थो सु गोळरा अणी मांहे जाय ऊभो रह्यो। तरै हाजीखांननूं आ खबर आई तरै हाजीखांन गोळरी अणी माथै तूट पड़ियो21 । तरै
सास
1 कितनेंक । 2 कुछ । 3 तुम्हारे पास स्त्रियोंका दल है उसमें रंगराय नामकी एक नर्तकी है, जिसको मुझे दो। 4 हाजीखान भला आदमी है और संकटग्रस्त है। 5 अतः हाजीखानको यह बात कहलवाना योग्य नहीं है। 6 इन ठाकुरोंको बलात् भेज दिया । 7 नर्तकी। 8 मेरी 8A. स्त्री। 9 शत्रुता उत्पन्न हो गई। 10 रवाना किया। 11 अपने। 12 दूसरे भी। 13 ये। 14 दस बड़े ठिकानोंके जागीरदार। 15 रणक्षेत्रको साफ किया। 16 सेनाके अग्रभागमें रहने वाले वीरोंका बंटवारा किया। 17 वहां हाजीखानने एक चाल चली। 18 अपनी सेनाको आगे भेज कर खड़ी कर दी । 19 आड़ में । 20 सेनाके अग्रभागमें था सो पृष्ठ भागमें आ कर खड़ा रहा । 21 टूट पड़ा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात राव दुरगारो घोड़ो वढियो। तद दुरगो हाथी चढियो। हाजीखांन फोज मांहे ऊभो थो, तिण दुरगारा हाथीनूं कटारो वाही । तीर १ रांणा उदैसिंघरै लागो । तरै फोज भागी। त, इतरो साथ रांणारो .. काम आयो-१ रा० तेजसी डूंगरसीयोत, १ वालीसा सूजो, १ डोडियो भीव, १ चूंडावत छीतर औ तो सिरदार नै आदमी १०० वीजा' काम आया । नै आदमी १५० हाजीखाँनरा काँम आया । नै आदमी ४० राव मालदेरा कॉम आया। रावजीरै इण मामले में मेड़तो आयो । .. तठा पछै हाजीखाँन ऊपर पातसाहरी फोज आई। पछ हाजीखाँननूं राव मारवाड़ माँहे एक वार जैतारणरै गाँव लौठीधरी-नींवोळ आणियो । पछै केई दिन अठै रह्यो । नै पछ हाजीखाँन गुजरात गयो। पछै पातसाहनूं हसनकुली मालम कियो। अजमेरसूं हाजीखाँन मारवाड़ गयो छ। तरै पातसाह हुकम कियो। जिण राखियो छै तिणनूं मारल्यो । तरै फौज जैतारण आइ । तरै हाजीखाँन तो नीसरियो' । पछै राव रतनसीयूँ नै जैतारण मारी।
वात
राँणा अमरारै विखै , रावत नारायणदास अचलदासोत सकतारो पोतरो0 राँणा सगरनूं जाय मिलियो। तद सगरनूं चितोड़ घणा परगनासू थी। नाराणदासरो सगर घणो आदर कियो । गाँव ६४सू वेघम, गाँव ६४सू रतनपुर दियो । तठा हछ कितरेक दिनै राणा अमरारै नै पातसाहरै मेळ हुवो । तरै सगरसूचीतोड़ उतरी। सगर परो गयो । चीतोड़ राँणा अमरारो अमल हुवो । पिण वेघम राणारा आदमी गया त्यानूं12 रावत नाराणदास अमल दे नहीं13 । तरै दीवाण रावत मेघनूं वेघम ऊपर विदा कियो। तर मेघ आदमी २ मेलनै रावत नाराणदास कहाड़ियो14-"श्री दीवाएजी आपणे15 माइत छै। आपणा
1 कटा 1 2 कटारी फेंकी। 3 इतना । 4 दूसरे 15 गांवका नाम (लोटोती-नींवोल)।.. 16 ले आये। 7 निकल गया। 8 राव रतनसीको मार कर जैतारणको लूट लिया । 9 संकटमें। 10 पौत्र । 11 अधिकार हो गया। 12 उनको। 13 अधिकार करने नहीं देते। .. 14 कहलवाया । 15 चित्तोड़के राना (अमरसिंह) 1 16 माता-पिता हैं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . जोररी ठोड़ काई नहीं नै मोनूं विदा कियो छै , सु आपणो घर एक छै , सु थे मो आवताँ पेहली गाँव छोड़ज्यो” तरै राव सहीसमधोतरै गाँव छोड़ बारै गूढो दियो', इणा गाँवमें अमल कियो, आ वात रांगे अमरसिंघ सुणी । तरै चहुवाँण बलूनूं वे घमरी तसलीम कराई? । आ बात मेघरै भाई-बंधे सुणी। तरै तुरत मेघनूं खबर पोहँचाई । मेघ वेघम बलूनू दीनी सुणी नै घणो बुरो माँनियो । कह्योमरणरी वेळा म्हानू नाराणदास ऊपर मेलिजै, नै वाघारो बलूनू दीजै, तो म्हानू चाकर जाँणिया नहीं। वेघम कै. चूंडावतारी, कैll सकतावतारी । चहुवाँण कुण ? तरै मेघ पाधरो12 वेघमथी3 उदैपुर आय नै पटो छोड़ियो14 । तरै कंवर करन बोल बाह्यो15-"इतरो अहंकार करो छो, तो पातसाह कनै जाय मालपुरो पटै करावजो।" पछै मेघ सामांन करनै पातसाह (जहांगीर) कनै गयो। पातसाह रांणारी विखारी वात पूछी। रावत मेघ सारी बात कही। पातसाह राजी हुवो । रावत मेघनू मालपुरो पटै दीयो। तठा पछ6 कितरेक दिने रांग कंवर (करण) नूपातसाह कांनीनू चलायो । तद कवर करननू रांग अमरै18 कह्यो-'मेघनू दावै त्यू कर मनाय लावज्यो" सु कवर करन मालपुरै आयो, तरै मेघ सांमो आयो20 । मेहमांनी करी । पांतीय बैठा21 । थाळी परूसी22 । तरै करन हाथ खांच बैठो। तरै मेघ विनती कीनी । कुण वास्तै ? तरै कवर करन कह्यो-“थांनू दीवांणजी बुलाया छै। आवो तो हू जीमू23 ।” तरै मेघ कह्यो-“म्हे थांरा
1 यह ठौर बल-परीक्षाकी नहीं है । 2 मुझे ससैन्य भेजा है। 3 मेरे आनेसे पहले ही। 4/5 तब रावने उसके कहनेके अनुसार गांवको छोड़ बाहिर आकर अपने लिये किसी रक्षित स्थानमें डेरा डाला। 6 इन्होंने गांव पर अधिकार कर लिया। 7 तव चहुआन बलू को वेघमका पट्टा कर देनेकी स्वीकृतिके उपलक्षमें मुजरा करवाया। 8 मुझको। 9 जीत में प्राप्त की हुई जागीरी। 10/11 वेघम या तो चूडाके वंशजोंकी अथवा सकताके वंशजोंकी 12 सीधा । 13 से 14 जागीरीका अधिकार छोड़ दिया। 15 तब कुमार करनने ताना मारा। 16 जिसके बाद। 17 बादशाहकी ओर भेजा। 18 अमर (सिंह)ने। 19 जैसे हो वैसे । 20 तव मेघ स्वागत करनेको सामने आया। 21 भोजन करने के लिये एक पंक्ति में बैठे। 22 थालीमें भोज्य-पदार्थ परोसे गये। 23 तुम आओ (मेरे साथ चलो) तो मैं भोजन करूं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात विसेरिया-चाकर छां । ज्यूं थे कहस्यो त्यूं करस्यां । पिण हूँ. पातसाहजीतूं सीख कर आवस्यां ।” पछै मेघ जाय पातसाहजीसूं सीख करी । पछै राणा अमरसिंघ कनै आयो । पछै रांगणे घणी मया . .. करी। रावत मेघ मांगियो सु पटो दीयो। तिकां गांवांरी विगत
वेधम १४। ८४ रतनपुररी चोरासी ४२ गोठोळाव । १२ वीनोतो १२ वांसियो-पोपळियो । ३ गांव, उदेपुर निजीक खड़-ईंधणनूं ।
इसड़ो पटो मेवाड़में किणही हुवो नहीं। टका लाख २५००००री . रेख सुणीजै छ।
तठा पछै मामलो १ सकतावत नै रावत मेघरै हुवो, तिणरी वात
रावत मेघनूं वेघम पटै छै । सु वेघमरा एक गांव माहे सीसोदियो पीथो वाघरो, सकतावत रहै छ। तिणरै नै रावत मेघरै क्यूंहीक अणवणत हुई11, तरै उणनूं मेघ कहाड़ियो । तूं म्हारो गांव छाड़ दे। तरै ओ गांव छाडै नहीं। तरै मेघ पीथा वाळो वाळि यो12 । तद रावत नाराणदास अचलावतनूं पातसाहीरी दीधी भणाय पटै13 । तरै पीथो आय रावत नाराणदास कनै पुकारियो। माहरै14 तूं वडैरो रावत, नै म्हां मारे15 मेघ अतरा हवाल7 किया । तरै नाराणदास खेड़18 करी। राठोड़ जगमालोत, रतनसीयोत, चांदावत सीसोदियो, आपरा भाईबंध असवार १२०० करी वेघम ऊपर चलाया। सु मेघ तो तठा पेहली दिन १ तथा २ परणीजण गयो थो। गांव वेघमथी कोस १५
1 हम आपके विसोरिया सेवक हैं । (विसे रिया चाकर-वशीवानोंका एक भेद है, जो वशीवानोंसे भी विशेषता रहता है - ये सब प्रकारके लाग और कर आदिसे मुक्त होते हैं। . 2 ज्यों आप कहेंगे त्यों ही करेंगे। 3 आज्ञा लेकर आऊंगा। 4 कृपा की। 5 उन । 6/7. . उदयपुरके समीप तीन गांव घास और ईधनके लिये। 8 ऐसा! 9 किसीको भी। 10 पीथा वाघाका पुत्र। 11 उसके और रावत मेघके कुछ अनबन हो गई। 12 राव मेघने .. पीथावाला गांव जला दिया । 13 उन दिनों रावत नारायणदासको वादशाहकी ओरसे दिया । हुआ 'भिणाय' गांव पट्टे में। 14 मेरे । 15 मेरेमें। 16 इतने । 17 दुर्दशा। 18 अपने वीरोंको बुलाया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात छै। तठे पिण थोड़ी बोहत जांण मेघनूं हुई। वांस मेघरो बेटो नरसिंघदास घरे थो। रावत नाराणदास तो जांए मेघो घरे छै । आदमी २ नाराणदास आगै वेघम मेलिया। कह्यो-"जाय रावत मेघनूं कहो, बारै आव ।” नाराणदास आयो । सु आदमी आय देखै तो रावत परणीजण गयो छै नै नरसिंघदास थो तिणनूं जाय रावत नाराणदासरे आदमीए कह्यो । तर नरसिंघ तो बुरो हुवो। कोट जड़ बैस रह्यो । पछै सकतावते वेघम दोळो घोड़ो फेरियो। हाथी १ मेघरो सींव मांहे सैल गयो थो, सु उरोलीयो । हाथी १ ले भणाय आया। बीजो विगाड़ क्यूं ही न कियो। वडो बोल खाटियो' । तठो पछै रावत मेघ परणीजण गयो थो सु आयो। वात सुणी । गाहो लाजियो । बेटा नरसिंघदासथी घणो बुरो मांनीयो । काढ दियो । कह्यो-"म्हांनूं मुंहडो मत दिखाध"तिण ऊपर चूंडावतारा साथ मेघ तेड़ा मेलिया । वडी खेड़ करी। वड-वडा रजपूत सको ठाकुर चुंडावत आय भेळा हुवा। असवार ५००० हजार ऊपर भेळा
हवा। रावत मेघ वेघमथी चढियो। 'मजल एक आयो। सकतावत - पिण असवार मरणीक3 भेळा हुवा । पछै रावत मेघ हीज विचार कर
दीठो। घर १ छै। गोत कदम हुसी । तर आपसूं हीज पाछो .. वळियो । भाईबंध सिगळा16 मानसिंघ करणोतं बीजे7 घणो ही ...... कह्यो। सकतावत प्रवाड़ा वदसी ।' इण आगै कठै ही फिर संका
नहीं। पिण मेघ कह्यो- “जांणो सु दुनी कहो । मोसूं20 तो गोत
हत्या नहीं हुवै।" उठाथी मेघ फिर आयो। पछै पँवार केसोंदाससं ... क्यूं बोलाचाली हुई। तरै मेघो केसोदास ऊपर आयो। भैंसरोड़ पटै
थित छै। केसोदास बेटां २ सूं सांमो आयो। बाज मूवों21 । पछै राणैः रीस कर मेघ रावत छुड़ायो। ..i} - :
1 जानकारी। 2 पीछे। 3 आदमियोंने। 4 नाराज होगया। 5 कोटके किमाड़ोंको बन्द कर अन्दर बैठ गया। 6 मेघका एक हाथी यों ही फिरने चरनेके लिये जंगल में गया हुआ था। मेघके घर पर नहीं होनेसे उसने अपने वचनका पालन किया। 8 खूब लज्जित हुआ। 9 नाराज हुआं । 10 निकाल दिया । 11 मुझको मुंह मत दिखाओ। 12 बुलाया। 13 मौतसे नहीं डरने वाले। 14. गोत्र हत्या होगी। 15 पीछा लौट गया । 16 समस्त । 17 इत्यादिने। 18 सकतावत विजय कर जायंगे। 19 दुनिया चाहे. सो कहो । 20 मुझसे । 21 लड़कर मर गया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
सीसोदिया चूंडावतांरी साख । संमत १७२२ पोह वदी ५ खिड़ियै खींवराज लिखाई -
१ सीसोदियो चूंडो लाखावत, २ रावत कांधळ |
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२ कूंतल २ मांजो ।
२ तेजसी २ रावत कांधळ चूंडावत ।
३ रावत रतनसी कांधळोत ।
४ रावत दो । हाडी करमेतीरै मांमले चीतोड़ काम आयो ।
४ सतो । चीतोड़ काम आयो । करमेतीरै मांमले ।
४ करमो | चीतोड़ काम आयो । करमेतीरै मांमले ।
४ रावत सांईदासरै नुं खोळे' लियो ।
४ रावत खंगार रतनसीरो ।
५ रावत प्रतापसिंघ । वांस वाहळ काम आयो ।
६ सालवाहण ।
५ रावत किसनो खंगार |
६ रावत तेजो। ऊँटाळी कांम आयो ।.
७ रावत मानसिंघ |
८ रावत प्रथीराज ।
८ रावत रूघनाथ । सलूंबर पटै ।
६ रतनसी ।
६ लाडखांत किसनावत ।
७ जसू ।
८ फरसराम 1.
.५ रावत गोयंद खंगाररो । वेघम पटै । नाउवे - वाघरे कांम आयो ।
६ रावत मेघ ।
७. रावत नरसिंघदास ।
.८ रावत जैतसी । गांव २४, आठांणो पटै ।
७ रावत राजसिंघ । वेघम पटै ।
८ महासिंघ ।
1 गोद -1.
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६
जो गोदोत |
मुंहता नैणसीरी ख्यात
६ केवळ दास गोयंदोत ।
६ अचळदास गोयंदोत ।
४ खेतसी रतनसीरो । जिण सगरो बालीसो मारियो ।
५ नाथू ( रतनसीरो)।
६ सहसमल ।
७ वेणीदास ।
३ सिंघ कळो ।
४ नगो । करमेतीरै मांमले चीतोड़ खांडरे मूंडे कांम' आयो ।
1
५ बेटो थो सु चीतोड़ जूहरमें बळियो ।
४ जगो । मही नदी ऊपर चहुवांण करमसी सांवळदास मारियो, ठे काम आयो ।
५ पतो जगावत । संमत १६२४ चीतोड़ कांम आयो ।
६ कलो ।
७ नराइणदास । रांणपुर कांम आयो ।
८ वाघ । नान्हो थको मूओ ।
६ सेखो ।
७ दलपति । मोहनसिंघ ।
७ रूपसी ।
:
८ पंचाइण । रूपसीरो ।
८ बालो ।
६ करन पतावत ।
७ नरहरदास
८ जगनाथ | मानसिंघरै खोळे ।
जसवंत ।
८ सुजांणसिंघ ।
७ मानसिंघ ।
1/2 खड़गसे मारा गया ।
"
६७
21
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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८ केसोदास ८ सूरजमल । ८ कचरो। ८ जगतसिंघ । ७ माधोसिंघ। ८ गोवरधन। ८ डूंगरसी। ८ जगरूप। ८ रामसिंघ मानसिंहरो। ८ प्रतापसिंघ। ७ राजसिंघ करनोत । ८ गजसिंघ। ८ सवळ सिंघ। ... ............. ४ सांगो सिंघोत्त। ५ गोपाळदास । वाकारोळीरी वेढ काम आयो । ... : . ६ वलू । विखामें मीच मूवो ।. . . ६ कचरो। ७ इंद्रमाण । ७ परसरांम। ६ जीवो। ७ अमरो। ७ भोपाळ । ७ कमो। ५ दूदो साँगावत । रांणपुररी वेढ काम आयो।: :.. ६ अचळो । मांडळ काम आयो। ... :: .. ७ जैत । ८ कांन । ७ ऊदो। 1 मृत्युसे मरा (युद्ध में नहीं)। ..
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मुंहता नेणसीरी ख्यात
६ ईसरदास। ७ हमीर। ७ गोकळदास । कैलवो पटै । टका लाख ४०००००) री रेख । ७ प्रथीराज । ५ जैमल सांगावत । वसीरा मगरां काम आयो । विखेमें । ६ नराइणदास । - ७ गोइंददास । ७ गोकळ दास। वसीरो परगनोपटै। टकां लाख ३०००००)री रेख। ६ पूरो जैमळोत ।६ मानसिंघ जैमलोत । ४ सूरजमल । संणपुररी वेढ कांम आयो । .६ मोहणदास ।
७ किसन । साहड़ां पटै । टकां २००००) री रेख । ७ अजबसिंघ। ६ जगनाथ । ६ सहसमल-1 ७ करन .
७ भोपत . ७ सुंदरदास । .. ८ चत्रभुज। २ कूतळ चूंडावत । ३ नाराणदास । . ४ कमो। ५ मांडो। ६ जसो। ६ लूणो । ७ सबळ सिंघ । ७ रामसिंघ। 1 वसीके पहाड़ोंमें ।
.....
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मंहता नैणसीरी ख्यात
७ डूंगरसी। २ मांजो चूंडावत । ३ नीबो। ४ सुरतांण । ४ सूरो। ५ सांवळ दास। ६ करमसी। ६ करन। ७ राजसिंघ। ७ सबळ सिंघ। २ तेजसी चूंडावत । ३ रावळ सांवळ दास । वात सीसोदिया डूंगरपुर वांसवाहळांरा धणियांरी..
औ' रावळ करनरै वेटा राहप, माहप हुवा। तिण माहे राहप रांणारा? .. चीतोड़ धणी। रावळ माहपरा वागड़ धणी। औ सदा चीतोड़रा. रांणारी चाकरी करता । पर्छ सै दिल्लीरा पातसाहाँसू पिण रजूआत राखै छै । वागड़नूं गांव ३५०० सै लागै ।. आधा डूंगरपुर वासै आधा वांसवाहळा वांस हुवा । पेहली तो ठकुराई डूंगरपुर मुदै हुती । पछैतूं रावळ उदैसिंघ गांगैरै सूधी तो वांगड़ एक छत्र भोगवी । नै रावळ उदैसिंघरै वेटा २ हुवा-रावळ प्रथीराज नै जगमाल .... हुवा । सु रावळ प्रथीराज, उदैसिंघ मूवां टीकै बैठो। जंगमाल धरती वारै नीसरियो। तिण ऊपर रावळ प्रथीराज काढणनूं फोज विदा कीवी। तिण माँहे सिरदार चो० मेरो वागड़ियो, राव परवत लोला- ..... डियो छै। सु औ जगमाल ऊपर गया। आ धरती माहेता जगमालनूं घेच काढियो । जगमालरा गाडा लूटिया। कई रजपूत मारिया। जगमाल हाथां-पड़तां10 नास गयो । भाखरे पैठो11 | धरती वस करने ...
1ये। 2 राहप राणाके वंशज चित्तोड़के धणी। 3 और माहपके वंशज वागड़के : धणी । ४ समस्त । 5 आनेजाने और हाजिरीका संबंध । 6 मुख्य । 7 जगमाल अपने . .... देशसे बाहिर निकल गया । 8 में से। 9 खदेड़ दिया। 10/11 जगमाल पकड़े जानेकी . स्थिति में होते हुए भी अति त्वरासे भाग गया और पहाड़ोंमें घुस गया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . औ पाछा डूंगरपुर आया। मैं जांएगे छै मन मांहे म्हे वडो काम कर
आया छां । सु म्हे क्यूंई वधारो पावस्यां'। मांहरो घणो मुजरो हुसी। सु रावळ रै कोई खवासण-धाइभाई हुतो सार्थे । सु फोज मांहीथी' आगै वध नै घरै आयो थो। तिको पछै रावळ प्रथीराजरै मुजरै आयो । तरै उणनुं जगमाल ऊपर फोज गई ती तिणरी हकीकत एकंत तेड़ पूछी । तरै औ लोक क्यूंही मरण-मारणरी वात समझ नहीं । तद रावळ आगै कह्यो-"जगमाल मारणरी घात मांहे आयो हुतो, पिण चहुआंण मेरे, रावत परबत टाळो कीयो' ।" इण पांणीरा पोटला सोह साचा कर बांध्या । वे ठाकुर फोज ले डूंगरपुर आया । तरै रावळ प्रथीराज माहे वैस रह्यो । इणांरो मुजरो ही लियो नहीं। औ दिलगीर हुय डेरै गया । पछै आपरा इतबारी चाकर खवास पासवांनां साथै इणांनूं घणा
ओळंभा कहाड़ीया । "थे लूणहरांमी हुवा । जगमाल जाण दीयो। बोहत बुरी की। म्हे थांनू दोनूं वास राखां नहीं ।" इऐ कह्यो-“म्हे तो भली चाकरी करी छ । रावळजी न जांणियो तो भली हुई।" तरै उण साथै इणांनूं तीन पांनारा बीड़ा मेलिया हुता सु दीया । तद औ रीसायनै चढिया । सु घरै गया नहीं। ज710 जगमाल भाखरे थो, त1 औ दोन कोस एक ऊपर आय उतरिया । आपरै घरमांहे वडा आदमी परधान था, सु जगमाल कनै मेलिया । कहाड़ियो-'थांरो दिन
वळियो । थारै धरतीरी चाह छै तो वेगा आय म्हांसू मिलो' इणांरा : परधान जगमाल कनै गया । सारी बात समझाई, कही । तरै जगमाल
कहण लागो । मोनू इणां ठाकुरांरो बेसास13 आवै नहीं। तद परधानांसू सपत कर14 जगमालरी हद-भांत15 खोतर करी16 । पछै जगमाल परधानांनू साथे कर चहुवांण मेरो परबत कनै वे पाधरा आया । सीलकोल17 करड़ा हुवै छै । तिसड़ा करनै इणां ठाकुरांनै जगमाल
1 सो हम कुछ (पृथ्वीके रूपमें) और इनाम पायेंगे। 2 सत्कार । 3 रावलके साथमे कोई खवास-धाभाई साथमें था। 4 में से। 5 सेवामें आया। 6 एकान्तमें बुलाकर ... पूछा । 7 परन्तु चौहानों, मेरों और रावतने पहाड़का आश्रय लिया। 8 इसने सभी झूठी
वातोंको सच्ची करके दिखादी । 10 जहाँ। 11 तहां। 12 तुम्हारे दिन फिर गये अर्थात् अच्छे दिन आगये। 13 विश्वास । 14 शपथ । 15 अत्यधिक । 16 आश्वासन दिया। 17, 18, - 19 जितनी भी कड़ी प्रतिज्ञा होती है वैसी करके इन ठाकुरोंको जगमालके पास ले गये।
:
रा
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कनै ले गया । इण आपरा आंण जगमालरा गाडां भेळा किया' । भेळा हुय सारा धरती विगाड़तां हुवां थांणा ठोड़-ठोड़ मारिया । मास ४ तथा ५ मांहे धरती घणकरी सारी सूनी कीवी । तरं प्रथीराज आपरा परधांन हुता, तिणनूं तेड़ पूछियो' - कासूं कियो चाहीजै ? 5 तरै उणे कह्यो — “म्हे तो क्यूं समझां नहीं । जिण राजसूं आ वात वीणती: करने कढायो छै, उणरा समझणरी छै । "7 तरै प्रथीराज परधानांतू कयो–“हुई सु नीवड़ी'। म्हे यांनूं" विगर पूछियां विचार कियो, तिणरा फळ म्हे रूड़ा भोगवां छां ? 12 | हम थे भलो जांणो ज्यूं करो 2 ! मोसूं धरती रखै रहे नहीं | 3 तरै प्रथीराजरा परधांन रावळरै कह वात कराय, बोलबंध ले 14, जगमाल, मेरा, परवत कनै गया । वात सारी मेरा परबतसूं कीवी । कह्यो - हमें एक हुवो 15 | कहो त्यूँ करां कहो सु जगमालनूं दां । कहो सु थांनूं वधारो दिरावां ।''16 तरै राठोड़े चहुवां कही - वा वात व्हें गई 17 | हमें वात बीजी 18 हुई । थांहरै वात की चाही तो वागड़रा हैंसा दोय हुसी " । दोय रावळ हुसी । आधा-आध धरती बंटसी 20 । दूजी वात वणणरी न छै । " 21 तरै परधांन पाछा प्रथीराज कनै गया । वात सारी मांड कही। 22 तरै रावळं कयो - "कासूं कियो चाहीजै ?” तर परधांन कह्यो - "माठी वात छै?” । आज पेहली न हुई सु हुवै छै । आ बात मांहरा समझण जोग नहीं । रावळा उमरावांनूं वळे24 इतवारी25 चाकरांनूं बोलावो, त्यां जोगी वात छै । राज पिण27 दिन पांच-दस विचार देखो । पछै किणहीनूं ओलभो देण पावो नहीं ।" पछै रावळ प्रथीराज आपरा चाकर छा28, तिणां सारांनूं पूछ दीठो । सको29 कहण लागा - "धरती वसणरी नहीं । 1. इन्होंने अपने गाड़ोंको लाकर जगमालके गाड़ोंके साथ कर दिया। 22 अधिकतर । 3 थे । 4 उनको वुलाकर पूछा। क्या करना चाहिये ? 6 तब उन्होंने कहा - "हम तो कुछ समझते नहीं | 7 जिसने आपको इस बातकी प्रार्थना कर निकलवाया है उसके समझने की है । S कहा । 9 होनी सो हो गई। 10 तुमको। 11 जिसका फल हम अच्छा भुगत रहे हैं । 12 अब तुम अच्छा समझो वैसा करो । 13 मुझमे किसी भी प्रकार धरती रह नहीं सकती। 14 वचन लेकर । 15 अब एक हो जावें । 16 कहो जितना वधारा ( और अधिक प्रदेश) दिला दें । 17 'वह बात तो समाप्त हुई । 18 अब बात दूसरी होगी। 19 तुमको वात करनी हो आवश्यक है तो वागड़ के दो भाग होंगे। 20 बंटेगी। 21 दूसरी बात बनने की नहीं । 22 सव वात अथसे इति तक कही 23 बुरी बात है 24 और पुनः 25. विश्वासपात्र 26 आप 27 भी 28 थे 29 सभी।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात जाणो त्यूंकर मेळ करो।" तरै . परधानांनूं रावळ प्रथीराज सूधो कह्यो-"जांणो सु जगमाल दे मेळ कर आवो।" तरै परधान जगमाल मेरा कनै आया नै वात करी। गांव ३५०० सैरो आध जगमालनूं दियो । वांसवाहको पग-ठोड़' थापी । दोय रावळ हुवा। दोयां सारीखी राजधानी हुई। तरवार सांमां वासवाहळांरा धणियांरी विसेख हुई।
वात वांसवाहळारा मानसिंघरी
रावळ मानसिंघ, रावळ परतापरै खवास पदमां विणियांणीरै पेटरो । रावळ प्रताप और बेटो को न थो, नै मानसिंघ निपट सुलखणो हुतो। पांच रजपूत देसरै मिळ मानसिंहनूं टीको दियो । राज करै छ। पछै चहुवांणांरो नारेळ आयो । आप परणीजण उठै गयो। वांस' वांसवाहले आपरा परधान राख गयो हुतो। वासै खुंधुरै भीले क्यूं विगाड़ कियो । तरै परधान थोड़ा हीज साथसू खुंधु ऊपर गया । तठे वेढ हुई। रावळ मानसिंघरै साथ नै भीलारै । वा वेढ भीलां जीती। रावळ रो परधान हारियो । उणै वेइजत कर घोड़ा लेनै छोड़िया। पछै रावळ परणीजनै आयो नै आ वात सुणी । सु कांकण-डोरड़ा 11 खुल्या नहीं छै । रावळ मानसिंघरै डील आग लागी12 | खुंधु ऊपर चढ दोड़ियो। जायनै खुंधु मारी । गांव चोगिरद घेर नै खुंधुरो धणी भील झालियो । नै उण पकड़नै लेनै आयो । कोस १० आंण डेरो कियो छै । उण भीलरै पगे बेड़ी छै । हाथ छूटा छै । उणसं आप डाकर16 करै छै। डेरे कूचरी तयारी करै छै। चो० मांन सांवळदासोत, रा० सूरजमल जैतमालोत पिण निजीक छै। ओ खुधुरो धणी
भील लाजरो17 आदमी हुतो। तिण जांणियो मोनूं रावळ बेइजत ... 1 रहनेका स्थान, राजधानी । 2 दोनोंके लिये एक सरीखी। 3 तलवारके सम्मख वांसवाड़ाके स्वामियोंकी विशेषता रही। 4 प्रतापकी घरमें रक्खी हुई बनियेके स्त्रीके गर्भसे उत्पन्न रावल मानसिंह । 5 मानसिंह अत्यन्त सुलक्षणों वाला था। 6 फिर चौहानोंकी ओरसे विवाह संवन्धके लिये नारियल आया । 7 पीछे । 8 उस युद्धको भीलोंने जीता। 9 उसने । 10 वेइज्जत । 11 विवाह कंकण । 12 रावल मानसिंह अत्यन्त कुपित हुआ। 13:जा करके खुधु :गांवको लूट लिया। 14 पकड़ लिया। 15 उसको । 16 डांटते हैं। 17 लज्जा (प्रतिष्ठा) वाला आदमी-था।. . . . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात करसी। नै कोट गयो तरै मोनूं मारसी' । तरै भील किणहीकरी तरवार रावळा खोळा मांहे छानसे लेने, रावळरै बांसे आयनै, रावळ मानसिंघरै झटकारी दीवी । सु झटको वहि गयो' । सोर हुवो। चो० मान रा० सूरजमल आय भीलनूं ही मारियो । ___ मानसिंघरै बेटो को न थो। पछ कोहेक दिन मान हीज वांसवारलारो धणी हुय बैठो । तरै तिण दिनां डूंगरपुर रावळ सहसमल धणी छै । तिण मानसूं कहाव कियो-"जु तूं कुण आदमी सु वांसवाहळारी धरती खाय ? 7' सु आ वात मांनी नहीं मांन । तद मांहो-माह अदावद हुई । तद रावळ सहसमल चढ़ मान ऊपर आयो। वेढ हुई। चो० मांन सांवळ दासोत वेढ जीती । रावळ सहसमल वेढ हारी। वैस रह्यो । तठा पछै रोए प्रताप उदैसिंघोत वात सुणी-इए भांत मांन मोट-मरद10 थको वांसवाहळो खाइ छ । तरै वांसवाहळा ऊपर फोज, सीसोदियो रावत रायसिंघ खंगारोत नै सीसोदियो रतनसी कांधळोत नै असवार हजार ४००० दे विदा किया। चहुवांण मान याँरै सांमा आयो । आयनै वेढ करी । रावत रायसिंघ काम आयो । दीवांणरो साथ भागो । मांन चहुवांण वेढ जीती। रांणो ही बैस रह्यो। तठा पछै चहुवांण माननूं सारां वागड़ियाँ-चहुवांणां मिलनै कह्यो"तोनूं घणी फवी छै । आपे वासवाहळारा.धणी कदै नहीं12 । आंपे वांसवाहळांरा भड़-किवाड़ छां! । थंभ छां14 । तूं कोहेक पाटवी . जगमालरो पोतरो पाट15 माथै थाप । तद उग्रसेन कल्याणरो मोसाळ थो, तिणनूं तेड़नै रावळाईरो टोको दियो। रावळां मोहलां7 मांहे आधा मोहल मान लिया। आधा मोहल उग्रसेननं दिया। रावळ कह वोलायो। आधो हासल18 रावळनूं आधो हासल
1 और अपने कोट (स्थान) जाने पर मुझको मारेगा 1 2 अपने । 3 गुप्त रीतिसे। 4 तलवारके झटके अपना काम किया । 5 कोई नहीं था। 6 कई । 7 तू कौन होता है जो बासवाड़ाकी धरतीका उपभोग कर रहा है । 8 परस्पर । 9 शत्रुता। 10 शान्ति करके बैठ गया । 11 बलपूर्वक 1 12 तेरी बहुत फवं गई (अनुकूलता मिलती रही)। 13 हम ... वांसवाड़ेके स्वामी कभी नहीं 1 14 हम बांसवाड़ेकी रक्षा करने वाले शूरवीर हैं। 15 स्तम्भ है । गद्दी पर स्थापन कर 1 16 ननिहाल । 17 महल । 18 राज-करा।
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नहीं
मुंहता नैणसीरी ख्यात माँन लियो वाँसवाहळारो । रावळ रो हलण-चलण' वासवाहळामें नहीं। माँन निपट आगतो? चालै । इणरै कीयाँ ही सारै नहीं । रावळ रै राजलोक* माँहे बेअदबी माँन घणी करै । रावळ घणो ही बळे, पिण जोर को चालै नहीं। तिकाँ दिनाँ राव आसकरन चंद्रसेनोत इणरै परणीयो हुतो । सु आसकरन माराँणो, सु आसकरनरी ठाकुराँणी हाडी रॉड थकी उग्रसेनरै राजलोक भेळी छै । बाळक छ, सु वड़ी रूपवंत छै। सु माँन इणसू बुरी निजर राखै छै । आ बडै घररी वहु द्वै तिसड़ी? सीलवंत छै। सु माँननूं इण आपरी धाय मेल कहाड़ियो"तूं रावळरो घर घणो ही विगोवै छ, नै तूं माँणस छै तो म्हारो नाम मत लेइ ।' आ चकित थकी रहै छै । माँन आँधो हुवो वहै छै12 । सु एक दिन उरड़नै13 इणरै घर माँहे आयो। इण दीठो14, म्हारो धरम15 न रहै, तद आ हाडी पेट मार मूई16 । तिण समै रावत सूरजमल जैतमालोत रावळ उग्रसेनरै वास17 छ । रुपिया हजार ६००० रो पटो पावै छै । सु आ वात हाड़ी इण कारण मूंई सुणी । इसी कही तद सूरजमलनूं घणी खारी लागी । नै सूरजमल रावळगूं कह्यो"माथै सूत बाँधो छो ।' हाथे हथियार झालो छो20 । रजपूतरो खोळि यो धारियो छै । मरणो एकरसू छै22 । ओ थारै घरमें किसो ●कळ ?''23 तरै रावळ कह्यो-“सोह बात देखाँ छाँ24 । जाँणाँ छाँ, पिण जोर कोई चालै नहीं । दाव25 को लागै नहीं।" तरै सूरजमळ रावळनूं
कह्यो-“बळ बाँध, हीमत पकड़, इणनू दाव-घाव कर परो . काढस्यां ।26" रावळसू बोल-कोल किया। पछै सूरजमल माननू कवाड़ियो27-रावळ रै. घर विगोयै न सारियो28 । राठोड़ाँ ताँई पोहतो
1 अधिकार। 2 मर्यादारहित । 3 इसके कुछ भी अधिकारमें नहीं । 4अन्तःपुर। 5 क्रोध करता है । जलता है। 6 वैधव्य पालन करती हुई। 7 वैसी। 8 कहलाया। 9 कलंकित करता है। 10 मनुष्य । 11 यह सावधान रहती है । 12 मानसिंह मदान्धकी भांति चलता है। 13 बलात् साहस करके। 14 देखा। 15 पतिव्रत धर्म। 16 पेट में कटारी मार कर मर गई। 17 उन दिनों रावत सूरजमल जैतमालोत रावल उग्रसेनकी सेवामें रहता है । 18 बुरी लगी। 19 सिर पर पगड़ी बांधते हो। 20 हाथ में शस्त्र धारण करते हो। 21 क्षत्रीका शरीर धारण किया है। 22 मरना एक वार है । 23 तुम्हारे घरमें यह कैसा उत्पात । 24 सब वात देखता हूँ। 25 कोई उपाय नहीं लगता। 26 छल कपट कर किसी भी प्रकार इसे निकाल देंगे। 27 कहलाया। 28 रावलका घर बिगाड़नेसे काम नहीं बना।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात छै । भली न की छै।" सु माँन तो गिनारै ही नहीं । तद राव केसोदास भींवोत चोळी-महेसर छै। वड़ी ठाकुराई छ । राव सूरजमल केसोदास वीच आदमी फेर वात करी । कह्यो-"रावळ उग्रसेनरो ऊपर करो। रावळरी थाँनूं बैहन परणावस्याँ । इतरो दायजो देसाँ । फलाँणै दिन अजाँणजकरा आवजो।" ऊठ माँन चहुआँणनू तो खवर ही नहीं । अदावत माथै रावळ उग्रसेन, सूरजमल नै आपरा आदमियाँनै साथ सारा हीनू सिलै कर बैठा छै। राव केसवदास आदमी १५०० सू आँण फळसै नगारो दियो' । तद माँन रावळ कनै खवर करणनै आदमी मेलिया था । आगै माँनरो आदमी देखै तो रावळ रो साथ सिलै कर बैठो छै। उण जाय कह्यो-"रावळ रै भेदू कोई आवै छै । थाँसू चूक छै । तद मॉन गढरी बारी कूद नाठो .. चाउड़ो भोजो सायरोत और ही साथ कॉम आयो। मॉनरो. घर भार-भरत रावळरै हाथ आयो। माँन नास गयो12 । ठाकुराई रावळरै हाथ आई। पछै सूरजमलनू रुपिया हजार २५००० पटो दियो। मॉन दरगाह13 गयो। उठै घणा पईसा खरचनै वाँसवाहळो पटै करायो। फोज. मदत ले आयो। तर रावळ सूरजमल नीसर भाखरे पैठो14 | सूरजमल साथ लेनै वसी माँही रह्यो। रावळ नू सासर मेळ दीनो 15 । अ भाखर छ6। मॉनरोथांणो भाईबंध काळजो 17 वडा २ डीळ 18 छ । सु भीलवण आठा राखिया छै । पछ भीलवणरा थाणा ऊपर एक दिन अजांणजकरा सूरजमल नै रावळरौ साथ आय दोपहररा पड़िया । कोई दइवरो फेर दियौ 19 । रावळरो साथ काँम नायो 20 1 नै चहुवाँण मानरा भाईबंध असी आदमी वडा-वडा सोह 21 काम आया । मनिरै पातसाही फोजरो सिरदार वांसवाहळे थो, त? ___ 1 अब राठोड़ों तक पहुंचा है । 2. परवाह ही नहीं करता । 3 गांवका नाम । 4 आदमी भेजकर बातचीत की 1 5 अचानक । 6 कवच धारण कर 1.7 गांवके द्वार पर आकर . . नगाड़ा बजवाया। 8 गुप्त सहायक । 9. तुम्हारे. दगा है । 10 भाग गया | 11 घर गृहस्थीका सामान । 12 भाग गया। 13 बादशाहके. दरवारमें। 14 तव रावल सरजमल ..... . निकल कर पहाड़ोंमें घुस गया। 15 रावलको ससुराल भेज दिया। 16 ये पहाड़में रहते है । 17 अपने कलेजेके अर्थात् रयत संबन्ध वाले । 18.कुटुम्बके बड़े बड़े शूर वीर हैं। ... 19 भाग्यने पलटा ग्लाया। 20 रावलके मनुष्य युद्धमें काम नहीं आये । 21 समस्त । . ....
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
खबर आई । वे चढनै भीलवण गया । खेत - संभाळियो । तरै सिरदार- मुगल माननं पूछियो - " तीन से च्यार से आदमी काम आया छै, इण मांहे थांहरा कितरा नै रावळरा कितरा ? " तरैमांन कह्यो - " तो सोह म्हांरा कांम आया ।" तरं तुरकां कह्यो"थे लूण- हरामी कीवी, तिसी सभा पाई ।" तरै तुरक ऊठ परो गयो । मांनरो बळ छूटो" । तरै मांन वांसवाहळो ऊभो मेळने दरगाह गयो' । तद सूरजमल रावळनं खबर मेली । तद रावळ आय वांसवाहळ बैठो । धरती हाथ आई । मांन दरगाह गयो, तठा पर्छ कितरेक दिने रावळ उग्रसेन नै सूरजमल ही दरगाह आया । मान पईसांरै पांण पातसाही सारी हाथ की छै । इणानू पाखती 7 कोई बैसण न दे । मांननू बांसवाहळो दीजै छै कह्यो - "बांमणांनू वांसवाहळ कर लागे छे सु थे छोड़ो। म्हे अठ रहां छ । सुमांन मारणी आसी तो मारस्यां पर्छ धरती मांहे कर छोड़ाई" । पछे रावळ हालियो । सूरजमल वांसै रह्यो । पछै चहुवांण मांन वोच आपरो रजपूत गांगो गोड़ फिरै । पछे घात 12 देख मांनरा डेरा ऊपर आयो । ब्राहनपुर चहुवांण मांननू मार कुसळे सूरजमल कनै गयो ।
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तरै सूरजमल रावळनू
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वात सीसोदिया डूंगरपुर वांसवाहळारा धणियांरी
संमत १७०७ ₹ वरस मुहतो नरसिंघदास जैमलोत डूंगरपुर गयो थो । तरै रावळ पूजारो करायोड़ो देहरो” छै । तिरै थांभै 4 रावळ पूजै आपरी पीढी 15 मंडाई छै । तठाथी लिख ल्यायो 16 पीढियांरी विगत -
1
१ आदि श्रीनारायण ।
४ मरीच |
२ कमल । ३ ब्रह्मा । .1 युद्धक्षेत्रको सम्हाला 1 2 कितने । 3 ये तो समस्त मेरे ही काम आ गये ( मर गये) । 4 वैसी सजा पाई। 5 मानकी शक्ति टूट गई। 6 तन मान बांसवाड़के ऊपर अधिकार जमाने की बात छोड़ कर बादशाह के दरबार में गया । 7 इनको पासमें कोई बैठने न दे | 8 ब्रह्मणों को बांसवाड़े में कर लगता है । 9 हम यहीं रहते हैं । 10 मानको मारनेका अवसर आयेगा तो मार देंगे । 11 पीछे देशको करसे मुक्त किया । 12 मारने का अवसर | 13 मंदिर | 14 स्तम्भ पर 1 15 वंशावली । 16 उस स्थान से लेखकी प्रतिलिपि करके लाया |
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मुंहता नैणसीरी ख्यात ५ कस्यप । ६ सूरज । ७ वैवस्वतमनु । ८ ( इक्ष्वाकु ) इखुक । ६ (विकुक्षि) विकुथ । १० जन्हु। ११ पवन्य। १२ अनेरण(अनरण्य) १३ काकस्त (ककुत्स्थ)। १४ विश्वावसु । १५ महामति । १६ च्यवन। । १७ प्रदुमन । १८ धनुर्द्धर । १६ महीदास । २० जोवनाव(युवनाश्व)। - २१ सुमेधा । २२ मांनधाता । २३ कुरथ सुरथ । २४ वेन । २५ प्रिथु। . . २६ हरिहर । २७ त्रिसंकु । २८ रोहितास। २६ अम्बरीष । ३० ताड़घ । ३१ नाड़ीजंघ । ३२ धुधमार । ३३ सगर । ३४ असमंज ३५ अंसुमान । ३६ भागीरथ। ३७ अरिमरदन । ३८ खीरथुर । .. ३६ खीरुज । ४० दिलीप । ४१ रघु । ४२ अज । ४३ दसरथ । . ४४ रामचन्द्र । ४५ कुस । ४६ अतिथ । ४७ निखध । ४८ नील । ४६ नाभ। ५० पुडरीक । ५१ खेमधन । ५२ देवाणिक । ५३ अहिनधु । ५४ जितमंत्र । ५५ पारजात । ५६ सील । ५७ अनाभि । ५८ विजै । ५६ वज्रनाभ । ६० वज्रधर । ६१ नाभ । ६२ विनिधि। . । . ६३ धिखनाश्व (धिषताश्व)। ६४ विश्वनि (विश्वाजित्) । ६५ हनु। ६६ नाभसुख (नाभमुख)। ६७ हिरन । ६८ कौसल्य (लौसल्य)। ६६ वहान्य (ब्रह्मान्य) । ७० उदेकर पत्रनेत्र । ७१ हदनेत्र। ७२ . पुधन्वा ( सुधन्वा )। ७३ हावसिद्ध । ७४ सुदर्सण । ७५ सहवण (सहवर्ण)। ७६ अगिनीवरण (अग्निवर्ण)। ७७ विजैरथ । ७८ महारथ । ७६ हईहय (हैहय) । ८० महानंद । ८१ अनंदराज । ८२ अचल । ८३ अभंगमसेन (अभंगसेन) । ८४ प्रजापाल (जापाल) ८५ कंसेन (कनकसेन) ८६ जितसत्र (जितशत्रु)। ८७ सुजत । ८८ सलाजीत (सत्राजित = शत्रुजित) । ८६ सवीर । ६० सकत (सुकव = सुकृत) । ६१ संमत (सुमत) ६२ चांदसेह (चंद्रसेन)। १३ वीरसेह (वीरसेन) । ६४ सुजय । ६५ सुजित। ६६ विलापानस। .... ९७ हंसनवसू । ६८ विजैनित्य । ६६ भासादित। १०० भोगादित । १०१ जोगादित । १०२ केसवादित । १०३ ग्रहादित । १०४ भोजादित । १०५ वापोरावळ । १०६ खं मांण रावळ । १०७ गोयंदरावळ। १०८ मोहित रावळ । १०६ अजुरावळ ११० भादो रावळ । १११. । सीहो रावळ ११२ सक्तिकुमार रावळ । ११३ सालवाहण रा० . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
७६ .. (शालिवाहन) । ११४ नरवाहण रावळ । ११५ जसोब्रह्म रावळ ।
११६ नरब्रह्म रावळ । ११७ अंबोपसा रावळ (अंबापसाव रावळ) । ११८ कीरत ब्रह्म रावळ । ११६ नरवीर रावळ । १२० उतम रावळ ।
१२१ भालो रावळ । १२२ सुरज रावळ । १२३ करन रावळ। .. १२४ गात्रड़ रावळ । १२५ हांस रावळ (हंस रा०) । १२६ जोगराज
रावळ । १२७ वीरड़ रावळ । १२८ विरसेह (वीरसेन) रावळ । १२६ राहप रावळ । १३० देदो रावळ । १३१ नस्ता (नरू) रावळ । १३२ अरहड़ रावळ । १३३ वीरसीह रावळ। १३४ अरसी रावळ ।
१३५ राइसी (रासी) रावळ । १३६ सांमतसी रावळ । १३७ कुमसो .. (कुमरसी) रावळ । १३८ मयणसी रावळ । १३६ समरसी रावळ । .. १४० अमरसी रावळ । १४१ रतनसी रावळ । १४२ पूजो रावळ ।
. १४३ करमसी रावळ । १४४ पदमसी रावळ । १४५ जैतसी रावळ । १४६ तेतसी रावळ । १४७ समरसी रावळ । १४८ रतनसी रावळ ।। १४६ नरब्रम रावळ । १५० भालो रावळ । १५१ केसरीसिंह रावळ। १५२ सांमतसी रावळ २ । १५३ सीहड़दे रावळ । १५४ देदोरावळ । १५५ वरसिंह रावळ । १५६ भड़सूर रावळ । १५७ डूगरसी रावळ । १५८ करम (करमसी 12) रावळ । १५६ प्रतापी रावळ । १६० गोपो रावळ । १६१ स्यांमदास रावळ । १६२ गांगो रावळ । १६३ उदैसिंघ रावळ । १६४ प्रथीराज रावळ । १६५ आसकरण रावळ । १६६ सहसमळ रावळ । १६७ करमसीरावळ 3 । १६८ पूजोरावळ । १६६ गिरधर रावळ । १७० जसवंत रावळ । १७१ खुमाण सिंघ रावळ 10 । १७२ रामसिंघ रावळ । १७३ उदैसिंघ रावळ ।
____इति पीढ्यारी विगत ॥ वात सीसोदियांरी
रावळ समरसी चीतोड़ राज करै छै । सु किणहीक भांत लोहड़ाभाईनू कह्यो- "म्हे तोनू चीतोड़ दीनी।" खुसी हुय कह्यो-. लोहडै-भाई. घणी चाकरी कर रीझाया तरै आप घए खुसी हुइ
1. छोटा भाई।
3
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मुंहता नैणसीरी ख्यात कह्यो-“म्हे तोनू चीतोड़ दीनी ।" तद लोहड़े भाई कह्यो-“मोनू चीतोड़ कुण देसी ? चीतोड़रा धणी थे छो ?" तरै समरसी कह्यो"म्हारो बोल छै । चीतोड़ तोनू दी।" तर उण कह्यो-"चीतोड़ खरी दी तो रजपूतांरो बोल है तरै ।" तद आप रजपूतांनू कह्यो"ठाकुरां ! सगळा बोल दो।" तरै रजपूतां कह्यो-“थे खरै-मन दी . छै ? म्हां कना बोल समझ नै दिरावज्यो ।”
तरै आप कह्यो-"म्हे खरै-मन दी छै । थे निसंक बोल दो।" तरै रजपूते सगळे बोल दियो। तर ठाकुराई सोही भाईनै दे नै, रांणाईरो खिताब देनै, आप आय गांव आहाड़ वसियो । कितरेक दिने कितराक साथसू कहण लागो -"जु आ धरती म्हे भाईनूं ... दीनी । इण धरती माहे तो मोनू रहणो धर्म नहीं। काइक बीजी .. धरती खाटी10 " ___ तरै बाटबडोद डूगरपुर कनै छै । तठे चोरासी-मिलक'], भोमिया आदमी ५०० रो धणी छै । तिको, एक डूम12 इणरै छै13, तिणरी वैरसू चोरासी-मिलक हालै छै14 । जोरावर थको चौड़े-चापटै15 । संक .. किण हीरी मानै न छै। ईं म घणो ही बल-बल16 मरै छै । उण डुमरी वैरनू लेनै आप माळिये17 सूवै, तठा पछै सारी रात वळे डूमनं ओळ गाडै18 । किण ही दिन डूम ओळगण नावै तो मोहकम कूटा.19 डूम नासण मतै छै । पिण ऊपर रखवाळा आदमी रहै, तिण आगै कठी ही नास न सके । डूंम पिण सासतो घात जोवै छै21।...
1 मुझको चित्तोड़ कौन देगा? 2 चित्तोड़के स्वामी आप हैं। 3 मेरा वचन है। 4 तब उसने कहा-सत्रमुच ही दी हुई तो तव समझी जायगी जब आपके सरदारोंका वचन भी साथमें हो जाए। 5 तब क्षत्रियोंने कहा-आपने सच्चे मनसे दी है ? हमारेसे वचन समझ करके. दिलवाना। 6 राज्य-सत्ता । 7 समस्त । 8 पदवी। 9 अपने साथवालोसे कहने लगा। 10 कोई दूसरी धरती प्राप्त करनी चाहिये । . 11 चौरासीमालिक । 12 गाने-बजानेका काम करने वाली जातिका एक व्यक्ति। 13 इसके ... पात है। 14 उसकी पत्नीसे चौरासी मालिक रमण करता है। 15 जबरदस्तीसे खुले आम 1 16 डूम वहुत ही जलता है 1 17 महल । 18 गायन करवाता है । 19 किसी दिन इम गानेको नहीं मावं तो उसे खूब पिटवाता है। 20 ड्रम भागनेके विचारमें है.। ... 21 डुम भी सदैव (शाश्वत) भागनेकी ताकमें रहता है।
सच्चे मनसे ...
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मुंहता नैणसोरी ख्यात
८१ किण कनै जाऊं ? किण कनै पुकारूं ? तरै किणहीक उण डूं मनू कह्यो-“रावळ समरसी चीतोड़ छोड़नै आहाड़ आय बैठो छै। वड़ी जमियत छै कनै । थारी मदत हुसी तो उठासू हुसी। दूजो घर' तोनू को नहीं।"
तरै एकण दिन डूम घात देखनै उठासू उठ पाधरो आहाड़ . रावळ समरसी कनै आयो । डूम रावळ समरसीनू कहण लागो
"अठै वैठा कासू करो ? हू” कहू सो करो। थांनू वड़ोदतीरा चोरासी माराऊ।"
आगै समरसीरो मन नवी धरती लेणनू हूतो हीज° सु वात दाय आई10 । डूमनू हकीकत पूछी। डूम सारी वात कही नै कह्यो
"असवार ५०० सू वेगा चढो।" ... तद डूमनू साथे लेनै रावळ समरसी वडोदैनं चढ़ियो। अजांणजकरा जाय उतरिया। वडोदरै फळसे पागड़ा छाड़ नै11 अढाई सै आदमी जेल12 माहे राखिया नै आदमी २५० डूं मनं लेनै कोटड़ीनू चलाया। नै आदमी ४० तथा ५० प्रोळ ₹13 मं हडै बैठा था सु मारने आघा धसीया14 | घर मांहे चोरासी थो तठे डूं म साथै हुय वतायो। तरै चोरासीनं पण मारियो। आपरी आंण-दांण15 फेरी। नै कितरोहेक साथ नै ओ. डूम अठ राखियो। आप विचार दीठ, आ ठोड़ छोटी। अठै माहरो पूरो पड़े नहीं । तद डंगरपुररी ठोड़ भील आदमी हजार
पांचसू रहै छै । डूगरपुररी वडी ठाकुराई छै । तठै रावळ समरसीरो ... चाकर रहणन खोट16 कर आयो। पछै डूंगरसू मिळियो। डूगर पूछायो-"कहो राज ! क्यू आया ?" तरै रावळ समरसी कह्यो- .
म्हे चीतोड़ तो भाईनू दीनीनै जांणां छां कहेक रूड़ी ठोड माणस च्यार मास राखै। नै पछै म्हे कठीक रोजगारसूजावस्यां।
1 किसके। 2 घोड़े और और सरदारोंका एक समूह। 3 वहांसे। 4 दूसरा स्थान तेरे लिये कोई नहीं। 5 सीधा । 6 यहां बैठे क्या करते हो ? '7 में। 8 वडादका जागीरी इलाका (तुम्हारे द्वारा वड़ोदतीके चौरासियोंको मरवा दू)। 9 थाही। 10 यह बात पसंद आई 11 वड़ोदके द्वार पर घोडोंसे उतर कर । 12 अपने साथ । 13 द्वारके। . 14 आगे बढ़े। 15 अपनी आज्ञा प्रवर्त्त की । 18 दगा। .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . दिलीरै पातसाहरै के मांडवरै पातसाहरै जावस्यां । जितरै1 थे कठेक पग-ठोड़ दिखावो तो अठै आय रहां ।' तरै उण एक वोर तो कह्यो___"थे कालै चोरासी-मिलक मारिया । अवै म्हांनू थारो वेसास न आवै।"
तरै समरसी कह्यो
"चोरासी मारणसू म्हारै कांम को न हुतो। पिण डूम आय पुकारियो, तरै वा वात हुई। वा धरती डूम भोगवै छ । रावळे दाय आवै तो, राज रावळा आदमी मेल अमल करो । मांहरे उठे को न छै । मांहरै उण धरतीसू काम कोई नहीं।". ____ डूंगरसूंघणी लला-पतो' मिळाई। तरै डूगर रावळ समरसीनै राखियो । सु डूंगर भील भाखररी खभा हीमें डूंगरपुर वसायो छै, तठे रहतो । रावळनू डूंगर नेड़ी हीज ठोड़ पाधर' में वताई । तठे # आपणा गाडा आंण वसी12 सूधा3 छोड़िया । वाड़ वाळिया - टापरा15 किया । घणी चाकरी करनै डूगरनै राजी कियो । मास ५ तथा ६ हुआ, सु खरची गांठरो खाय । मांगै क्यू ही नहीं। नै मासखंड16 वळे आडो-पाड़17 नै डूगरसं कहाव कियो। कह्यो____ "म्हारै वेटी ४ मोटी हुई छै । हमैं म्हेई राज कनैं मास १ मांहे सीख करस्यां । पिण डावड़ियांरां हाथ पीळा18 किया न छै । सु फिकर छ । थे कहो तो डावड़ियां परणाइ लां।"
डूंगर कह्यो
"भली वात छै । वेटियां परणावो । म्हे ही हीड़ा करस्यां।" तद समरसी व्याह थापिया। भाई-बंध सगांनू कागद मेलाया-“फलांग 20 दिन घणो साथ लेने वेगा आवजो।"
1 जवतक । 2 पांव रखनेको स्थान । 3 विश्वास । 4 आपके। 5 पसंद । 6 भेजकर । 7 अधिकार । 8 हमारा उधर कोई नहीं है । 9 डूंगरसे बहुत सी चापलूसीकी बातें बनाई। 10 पहाड़की नाल और तलहटीमें । 11 खुला मैदान । 12 वशीवान सेवक । 13 सहित । 14 वाड़ (घेरा) बनाया । 15 झोंपड़े बनाये। 16 एक आध मास । 17 और बीचमें डालकर। 18 किन्तु अभी तक कन्याओंके विवाह नहीं किये हैं। 19 हम भी काम में मदद करेंगे। 20 अमुक ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात पछ डूगरनू कहाड़ियो- वडा ठाकुर ठोड़-ठोडसूजांनी आवसी। तिणनू उतारणन जोड़ २ सड़ा बंधायनै करावां ।"
तरै डूगर कह्यो-“भली वात ।" .. तरै सड़ो १ तो निपट वडो, डूगर रहै छै त, भाखर कनै निजीक .
बंधायो । सड़ो १ रावळ धरां वांसै ऊंचो निपट सबळो बंधायो। सड़ो १ आपरो गुढो थो तठे बंधायो । जांनांरी पिण आवणरी तयारी हुई । कितरो एक साथ आप न्योतिहार तेडिया, तिके आय भेळा
हुवा । व्याहरै साहा' पेहली आप डूंगर कनै गया । घणी हलभल . की। वीनती की। दिनां दोय मांहे साहो आयो छै । जान आवसी
तरै तो जांनियांरा हीड़ा करीजसी । पिण मांहरै घणी वात थे छो, जिए भेळा रहां छां । सवारै राज सारा साथ सूधा अठे आरोगो । डूगर कह्यो-“भली वात ।" तरै रावळ रातू-रात मेहमांनीरी तयारी करी । ति सारी रसोई मांहे धतूरो, वचनाग, जाझो] घातियो । दारू फूल उलटारो पुलटियो । सारी तयारी कीवी । पछै सवारै तीजै पोररा3 डूगरनू-बेटा, भायां, परधानां सारा साथ सूधो तेडनै आदमी ७०० साउ14 वडा भील वडा सड़ा मांहै बैसांणिया15 | आदमी ४०० चाकर-बाबर16 बीजा7 सड़ा मांहे बैसांणिया । भली भांत परूसारो कियो, नै दारू पावता गया । तरै सारा लोट-पोट वेसुध हुवा । तरै सड़ा बेऊ आडा देनै लगाइ दया । कितरा एक बळमुवा 20 । बाकीरा21 फळसारै मुहडै आया, सु खीली-खुटका22 विगर मारिया । और साथ डूगररा घरां ऊपर मेलियो। सु कोई उठे हुता सुही
. 1 वराती। 2 एक प्रकारके बड़े पड़वे वा झोंपड़े। 3 दृढ़। 4 निजी रक्षाका स्थान । 5 बरातों। 6 वे सगे संबंधी जिनको विवाहमें नोता देना आवश्यक होता है। 7 विवाहका दिन । 8 हलचल । 9 किये ही जायंगें। 10 कल आप अपने कुटुम्ब और नोकर चाकरों सहित मेरे यहां भोजन करिये। 11 अधिक । 12 फूल मद्यको पुनः औटा कर अधिक मादक वनवाया। 13 तीसरे प्रहर। 14 छांटे हुए अच्छे । 15 विठाया। 16 नोकर चाकर आदि । 17 दूसरे । 18 परोसगारी । 19 तव दोनों सड़ोंको ठककर आग लगादी। 20 जलकर मरगये। 21 शेष : 22 विना प्रतिकार और सरलता से मार दिये।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात मारिया। माल-वित' सारो हाथ आयो। इणविध तो डूगरपुर ले ... आपरी राजधांनी उठ कीवी। बडी ठकुराई हुई। विणजारा वहण लागा । नै घणो दांण आवै छै । ____ तिण दिन गळि यो-कोट डूगरपुरसू कोस १२, तठ टांटळ-रजपूत भोमिया-माणस हजार दोढ-दोयसू रहै । तिण मांहे असवार ५०० छ । सासता डूंगरपुररो धरती मारै । विगाड़ करै । गळि यो-कोट बड़ो कोट । तत्रै रहै । वाहर वांस हुवै, तितरै कोटमें पैसे 1 कोटसूजोर लागै नहीं । नै कोटरी उणरै जाबताई? घणी। उवेचकिया रहै । रावळ घात घणी ही करै, पिण दाव लागै कोई नहीं । तरै रजपूत भाई २ रावळरै इतबारी चाकर था, तिणांनूं जोगीरो भेख करायनै गळिये कोट घात जोवणनूं मेलिया। घणो खरच दियो। वे जोगी हुय गळिये कोट गया। वे आगला ओपरा आदमीनूं गांवमें रहण दै नहीं । सु वे चरचा सुणनै मास १ गांव बारे बेस रह्या तळावरी पाळ ऊपर । कठै ही भीख मांगण नै जाय नहीं। आपरो (भेद) कोई न जाण त्यूं आधीरा पछै छांनै कर खाय । किणही आवत-जावंतवू वोले नहीं । तरै उणरी वडी मानता12 हुई । पछै गांवरा साहूकार, परधान, कोटवाळ, वडेरा माणस हुता तिके गांव माहे जोगियां . । घणो हठ करने ले गया। मैं कहै-'म्हे न हालां13 ।' पिण माडेई14 ले गया। कोटरै मुंहडै15 ठाकर द्वारो छ, तठै राखिया । औ किणहीरै घर मांगण न जाय । किणही तूं घणा बोलै नहीं । इणांरी वडी मानता हुई । तरै वडेरो टांटलारो धणी थो सु वेळा ५ तथा ७ . इणांरै दरसणन आयो। कहण लागो. "म्हारो धर प्रवीत करो। कोट मांहे पधारों।" इणां वेळा . दोय च्यार उजर कियो, पिण कोट मांहे ले गया। उठे जिमाड़िया17। .
. 1 धनमाल 1 2 समस्त । 3 बनजारे उधर होकर चलने लगे । 4 निजके खेतोंवाले क्षत्री लोग । 5 निरंतर । 6 वाहर (पदचिन्हों को देखकर पीछा करनेवाले) पीछे पहुंचने को होती है उतने में ये कोट में घुसजाते हैं। 7 रखवाली । 8 वे खूब सावधान रहते हैं। 9 गलिया कोटवाले। 10 अपरिचित और उटपटांग। 11 आधीरात को छिपकर भोजन बनाकर खाते हैं। 12 मान्यता। 13 हम नहीं चलते। 14 वलात् । 15 सामने। 16 पवित्र । 17 भोजन करवाया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात कौट मांहे हीज राखिया । औ कोटरा लगाव देखै । पिणं लगाव को कठे ही निजर नावै । मास छ उणांनूं कोट मांहे रहतांनूं हुवा । प्रोळ जाबताई घणी । दाव को लागै नहीं। सूई संचार कठे ही नहीं । गळि योकोट नदी ऊपर छै। सु खाई मांहे बारी १ छै । सु खाई सुरांग रुखी छै । तठे छांनो आवण-जावणरो राह छै। सु किणहीक परधानरै बेटे सदभाव मांहे बात करतां जणायो। तरै जोगियां पूछियो-''वा बारो कठीनै छै ।” तरै उण वताई । फलोणी ठोड़ छ । पछै दिन ५ तथा ७ नै उठ जाय बैठा। रातरा उए बारीरी खबर ले, वाहिर जाय मांहि आवणरा भूमिया हुवा । पछै उण टांटलारै कठीक व्याह-गाह' थो। तठी सारो साथ चढियो । औ भाई बेउ आलोजीया । वरस १ आंपांनूं अठै आयां हुवो । आज सारीखो दाव कदै लाभस्यै नहीं 110 तरै भाई एक रावळ कनै डूंगरपुर गयो नै भाई एक जोगी थको गळि येकोट मांहे रह्यो। रावळनू सारी जाय कही । कह्यो-"कोट चाहीजै तो इण घड़ी चढो । रात थकी उठे पोहचो । म्हारो भाई बारीरै मुंहडै बैठो छै ।" रावळ तिण वेळा असवार हजार १०००, पाळा ५०० सूचढ दोड़ियो । आगै ओ बारी खोल बैठो थो। उण बारीरी तरफ हुय रावळ साथ सूधो कोटमें पैठो12 । तितरै भाख फाटी13 । टांटलांरो जांमो वरस बारै हुवा तासु'4 सारा वाटा काटिया । बैरां पकड़ बंध कीवी16 नै गळियोकोट हाथ आयो। गांव ३५०० मांहे रावळरी आंण-दाण फिरी । वडी धरती हाथ आई।
डूगरपुरथी कोस १ पछिमनू रुद्रमाळो देहुरो17 नवो हुवो छ ।
1 सेंध । 2 नहीं आता है। 3 सूई . प्रवेश करे उतना भी छिद्र कहीं नहीं । 4 वह खाई सुरंगके रुख में बनी हुई है। 5 गुप्त । 6 जानकार। 7 फिर उस टांटलाके कहीं विवाह आदि था। 8 वहां सब लोग चले गये। 9 इन दोनों भाइयोंने विचार किया। 10 आज जैसा अवसर नहीं मिलेगा। 11 पैदल । 12 प्रवेश किया। 13/14 इतने में प्रभात हुआ। 14/15 टांटलाके समयको बारह वर्ष बीत गये थे सो उसके और · आगे बढने के सभी मार्ग मिटा दिये गये। 16 स्त्रियोंको पकड़ कर बंद कर दिया। - 17 शिवका मंदिर।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात गांव १७५० से तो डूगरपुर कदीम छै वागड़रा । नै गांव १२ पवारांरा सागवाडियां कडांणांरा मारनै लिया छै। . ____ आ बात झूलै रुद्रदास भांणरै, सांइया झूलारै पोतरै कही। संमत १७१६ रा चैत मांहे । जैतारण माहे ।
डूंगरपुररै देसरी सींव इतरी ठाड़ लागैगांव १७५०
उदैपुर दिसा गांव ६, सोम नदी सींव । उत्तरनू ईडर दिसा गांव पुजूरी। गांव ६ । भीळांरो मेवास पछिमनू।
वांसवाहळा दिसी मही नदी । गांव १३ । नदी मही डूगरपुरसू .. कोस १० छै । तिका मांडवरा भाखरांसू आवै छै । सु सीरोही परगना हुइ नै देवळियाथी कोस ५ आय नै पाछी मुड़ी छै । सु वांसवाहळा डूगरपुर वीच हुय नै आगै गुजरात लूएगवाड़ा मांहे वहै । ____ डूगरपुर सहरती' उगवण नै दिखण वेउ' तरफ भाखर छै। . खोहळ 10 माहे सहर मगरारी खंभा वसियो छै। छोटो सो कोट छ । उठे रावळ रा घर छै । गांव मांहे देहुरा घणा छ । चोहटा 2 घणा । हाट उसड़ी पीठ को नहीं 113 ____डूगरपुरथी उत्तर दिसनू रावळ पूजारो करायो गोवरधननाथरो वडो देहरो छ । __गांवसू ईसून14 कूणमें रावळ गोपारो करायो बडो तळाव छ ।
सहररै पाछै भाखर छ । ऊपर सिकाररो आहखांनो16 पिण उणहीज7 भाखर छै । घणी दूर आउखांनारे वास्ते भीत18 छ ।
1 वागड़के १७ ५० गांवोंके सहित डूगरपुर पहलेसे है ही। 2 बारह गांव पंवारोंके जिनमें साग, फल, सब्जी आदिकी बाड़िये हैं उन्हें भी अधिकारमें कर लिया है । 3 यह बात सांइया झूनाके पोते और भांणके पुत्र रुद्रदास झूलाने कही। 4 सीमा । 5 इतनी। 6 पीठी मुड़ गई है । 7 से। 8 पूर्वदिशा। 9 दोनों। 10 पहाड़की नाल । 11 पहाड़के नीचे 12 चौराहे । 13 दुकानों पर वैसा व्यापार नहीं। 14 ईशानकोण । 15 पीछे। 16 आखेट स्थान 1 17 उसी। 18 दीवार ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात सहरसू कोस पूणरी तहड़ कूणमें गांगड़ी नदी छ । तिणरै ढाहै रावळ पूजारो करायो वडो राजवाग छ । . वात वांसवाळारी
मूळ तो कदीम ठाकुराई वागड़री डूगरपुर हीज हुती । पछै रावळ जगमाल उदैसिंघोत, रावळ प्रथीराज उदैसिंघोत कनै आध वंटायनै गांव १७५० लिया। वांसवाहळो राजथांन कियो । तठा पछै इतरा पाट हुवा
(१) रावळ जगमाल उदैसिंघरो। (२) किसनो जगमालरो। पाट बैठो नहीं। (३) कल्याण किसनारो। पाट बैठो नहीं। (४) रावळ उग्रसेन कल्याणमलोत । (५) रावळ उदैभांण । (६) रावळ समरसी। . (७) राउळ कुळ सिंध समरसीरो ।
(८) रावळ अजबसिंध । .. (६) रावळ भीमसिंघ ।
आगै तो वंट डूगरपुर वांसवाहळे सारीखो हुवो थो पिण आज वांसवाहळो क्यू डूगरपुरथी सरस' छ । हासळ वांसवाहळे भळेरो छ । मही नदी वांसवाहळाथी कोस ३ उगवणनू छै ।. मही नदी मांडवरा भाखरांथी आवै छै । डूगरपुरथी कोस १० मही नदी वहै छै । डूगरपुर वांसवाहलै मुदै रजपूत चहुवांण-वांगड़िया । चहुवांण डूगरसी वालाउतरा पोतरां माथै ।10 इणांरै वाप-दादा सदा डूंगरपुर वांसवाहळांरा धणियांनै थापै-उथापै छ । नै बाहरली फोजां रांणारी, पातसाहरी आवै छ, तरै चहुवांण स्यांम नदी रांणारै मुलकरै गड़ा
1 पोन । 2 एक नदी । 3 नदीका ऊंचा किनारा । 4 प्रारम्भमें प्राचीन समयसे ही वागड़की ठकुचाई डुगरपुरमें ही यो। 5 जिसके बाद इतनी राज गहिये हुई। 6 से । 7 अच्छा । 8 की ओर । 9 मुख्य । 10 जो बालावत डूगरसीके पोतोंसे यह (शाखा-वागढ़िया चौहानकी) प्रसिद्ध हुई। 11 स्थापन करते और हटाते हैं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
संघ' छै, तिण लोपतां' चहुवांण सदा मरै छै । स्यांम नदीरै ढाह चहुवांण कांम आयांरी छतरियां छे । वागड़रै कांठे चहुवांण भड़किंवाड़' रजपूत वेढीला' छै । सु धणियांरै नै चहुवांणारै रस थोड़ा दिन हुवै छै । तद मारवाड़रा रजपूतांनू वडा–वडा पटा देनै सदा वागड़रै राजथांन वास राखँ है । राठोड़े उठे बडा बडा प्रवाड़ा किया है । तिण राठोड़ारो उठे वडो नांव छै । बड़ो इतवाद छै । वांसवाहळार सींवरी 10 विगत
८८
सर्व गांव १७५०
डूंगरपुरसूं सींव पछिम दिसा देवळियो लागे । राजपीपळो निजीक छै ।
वांसवाह गांव १७५० तो कदीम छै इणांरे । तठा पर्छ इतरी धरती बांसवाहळारा धणियां वळे" नवी खाटी 2 छै ।
13
आ वात चारण-भूलै रुद्रदास भांगरे, सांईया झूला पोतरे कहो । संमत १७१९ रा चैत मांहे । मुंहता नैणसी आगे जैतारण में 23 भोमियांरा मार लिया, भोग पडिया 24 गांव १४० सीरोहीरा भीलांरा मेवासरा तथा देवड़ांरा, महीरे पैलै कांठे " कोम ६ उगवण - दिसा 16 | गांव १२ खुंधुरा उगवणरा 17 खळ - महीड़ांरा गांव १२ पीढी मगरा-महीड़ांरा" ।
18
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गैहलोतां चोबीस साख भिळे
१ गेहलोत, २ सीसोदिया, ३ आहाड़ा, ४ पीपाड़ा, ५ हुल, मांगळिया, ७ आसायच, ८ कैलवा, ६ मगरोपा, १० गोधा,
1 निकट | 2 जिसको लांघने पर 13 स्मारक | 4 सीमा पर | 5 रक्षक-शूरवीर, हाररक्षण | 6 युद्ध-रसिक 7 स्वामी और चौहानोंके परस्पर प्रीति थोड़े दिन हो निभती है । 8 युद्ध, शुद्ध विजयकी कीति । 2 स्वाति | 10 नीमा की। 11 और पुन: । 12 प्राप्त को है। 13 हा भांपके पुत्र और सासूला के पोते झूले चारा द्रदासने वि० सं० १७१६ के पत्र मुना नंगीको जैनारन में कही। 14 निम्न प्रकार गांव भांमियोंके थे जिनको ठोक कर अपने अधिकार में ले लिये और उनको भोग में (एक प्रकारकी कर वसूली प्रथा ) दान दिये। 15 महीनदीके उस किनारे पर 16 पूर्व दिशा में 17 पूर्व दिशाको ओर | 18 एक बाद 19 पीढीके नगरा मोड़ोंके ।
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... ' मुहता नैणसीरी ख्यात ११ डाहळिया, १२ मोटसिरा, १३ गोदारा, १४ भावला, १५ मोर, .१६ टीवणा, १७ मोहिल, १८ तिबड़किया, १६ बोसा, २० चंद्रावत, २१ घोरणिया, २२ बूटावाळा, २३ चूंटिया, २४ गाहमा, .. अथ पंवारांरी पैतीस साख
१ पंवार, २ सोढा, ३ सांखला, ४ भाभा, ५ भायल, ६ पेस, ७ पाणीसवळ, ८ बहिया, ६ वाहळ, १० छाहड़, ११ मोटसी, १२ हुबड़, १३ सीलारा, १४ जैपाळ, १५ कगवा, १६ काबा, १७ ऊमट, १८ धांधु, १६ धुरिया, २० भाई, २१ कछोटिया, २२ काळा, २३ काळ मुहा, २४ खैरा, २५ खूट, २६ टल, २७ टेखळ, २८ जागा, २६ छोटा, ३० गूंगा, ३१ गैहलड़ा, ३२ कलोळिया, ३३ कूकणा ३४. पीथळीया, ३५-डोडकाग, ३६ वारड़ ।
चहुवांणांरी चौबीस साख
१ चहुवांण, २ सोनगरा, ३ खीची, ४ देवड़ा, ५ राखसिया .: (साखसिया), ६ गीला, ७ डेडरिया, ८ बगसरिया, ६ हाडा, . .. १० चीवा, ११ चाहेल, १२ सैलोत, १३ वेहल, १४ बोड़ा,
:१५ बालोत, १६ गोलासण, १७ नहरवण, १८ बेस, १६ निरवांण, . २० सेपटा, २१ ढीमड़िया, २२ हुरड़ा, २३ माल्हण, २४ वंकट । ...... साख इत्ती पड़िहारां भिलै, भाट खंगार नीलियारै लिखाई:--
१पड़िहार, २ ईंदा, मळ सिया, काळ पाघड़िया, बूलणा, ३ लूलो, रामियारा पोतरा', ४ रांमवटा, ५ बोथा, मारवाड़ मांहे छै, पाटोदी धकै .. छ, ६. बारी, मेवाड़ माहे रजपूत छै, मारवाड़ में तुरक छ, ७धांधिया,
पाधरा-रजपतः घणा छै जोधपुररी10 में छै. ८ खरवर, मेवाड़ में
... 1 शीर्षकमें ३५ शाखाएं लिखी हैं कि तु ३६ हैं। 2 शाखा, भेद । 3 पड़िहारों में इतनी शाखायें शामिल हैं। 4 नीलिया ग्रामके निवासी भाट खंगारने लिखवाई। 5 पडिहारों की ईदा शाखाकी मळसिया, काळ पाघड़िया और बूलण। ये तीन अवान्तर शाखायें हैं।
6:रामियाके पोते लू को शा'वाके हैं। 7 बोया शाखाके राजपूत मारवाड़ में हैं। वे पाटोदीके ': परे रहते हैं। पाटोदी बालोतरासे १२ मील उत्तरमें और जोधपुरसे ६० मील पश्चिममें है।
बारी शाखाके राजपूत तो मेवाड़मे है और जो मुसलमान हो गये हैं वे मारवाड़में रहते हैं। 9 साधारण राजपूत (बिना जागीरीके) अधिक हैं। 10 जोधपुरके प्रदेश में रहते हैं।
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ર
मुंहता नैणसीरी ख्यांत
सूरजमल पूरे घावे पड़ियो । तिण वेढ़थी गिरवो छूटो । नै सूरजमरा दिया दहवारी बारे गांव वीझणो ने वांसोलो वीजा ही सांसण गाँव घणाई दिया सु अजेतांई' है । इण वेढ़ ही सादड़ी छूटी नहीं । पीढ़ी ४ ईणार रही ।
१ रावत खींवो मोकलरो ।
२ रावत सूरजमल ।
३ रावत बाघ सूरजमलोत । चीतोड़ बहादररै मांमल कांम आयो ४ रावत वीको ।
एक दिन सीसोदिया रावत सूरजमल खींमावत ऊपर अजांणज़करो' कंवर प्रथीराज रायमलोत आयो, सु पहले दिन रांणों रायमल नै सूरजमल मांमलो हुवो थो, तठे रांणारी क्यू कम हुई थी" न सूरजमलरी वधती हुई थी । सु सूरजमलर क्यु हेक घाव लागा था नै दुजै दिन प्रथीराज टूट पड़ियो तद सूरजमलर घाव निपट घणा लागा । सु रजपूत सूरजमलरी डोळी' ले भाखरतू' नीसरिया, तरै वांस साथ प्रथीराज भाखर चाढ़े छै । सु प्रथीराजरो वनौ देवडो नै सूरजमल चाकर महियो अ दोनू बाभिया' । वनै महियानू मार 'लियो । अ दोन' ठोड़ दूोटो पावता " । नै महियो सीसोदियो छ ।
देवळिये रजपूत सीसोदिया सहसावत नै सोनगरा है । सीसोदियो जोगीदास जोधरो । जोध गोपाळरो । सहसो, खीमो मोकलरो । सु आज जोगीदास भलो रजपूत है ।
रावत वीको -वीकारो बेटो भांनो टीके" हुवो । नै चीतोड धणी राणों अमरसिंघ हुवो नै सैदन जीहरण मीमच छै"। दीवांणरै नउवो वाघरŠ हद छै । तठे रावत गोवंद खंगाररो चूडावत था। "
1 घावोंसे पूर्ण हो कर गिर पड़ा 12 से 3 अभी तक 4 अचानक 5 ( पराजित होने कारण) न्यूनता रही। बाजी ढोली रही । 6 और सूरजमलकी वाजी बढ़तीमें र 7 सोये हुए ग्राहत और मूच्छित व्यक्तिको कंधों पर उठा कर लेजानेको एक टिकटी । 8 पीछे। 9 लड़े । 10 दोनों स्थानोंमें ये दूसरोंसे दुगुना मुआवजा पाते थे । 11 गद्दी बैठा 12 जीहरण और मीमच पर सैयदका अधिकार है। '13 श्रमरसिंहके राज्यकी सीमा नेउवा और वाघरड़ा गाँवों तक है। 14 थाने पर स्थित है ।
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मुहता नैणसीरी ख्यात
ह ३
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छै । तिण ऊपर' सैद ग्रायो । तद रावत गोवंद कांम आयो । तठा पर्छ रांणारा हुकमसूं सीसोदिये जोध सकतावत मोरवण, करायो, कुंडळरी सादड़ी जीहरणरा गांव कितराएक मुकात लिंया' । जोध, 'वाघ बेऊ' भाई वसिया । जोध एक ठोड़, वाघ एक ठोड़ धरती वीच घाती' । उणरी धरती वसण दे नहीं । आपरी वास " । मीमचर गांव चौथ' मांगै छै । नै रावत वीको मठाथी रांण उदैसिंघ ठेल काढियो छ,' तो पिण' इणांरो" सादड़ी मांहे दखल छै । वीके जाय देवळिये गुढो कियो" । तद उ वडेरी मेरांरै ग्रासारण दादी छै" । उणरो कारण घणो छै । वे कयो म्हे यांनूं रहण नहीं दाँ ग्रठै" । तरै इण घणा संस - सपत किया । पछे होळीरै दिन चूक करने मेर सोह मारिया " । वीके देवळियो लियो । उण प्रसारणांरा बेटा - पोतरानूं गांव १ अजेस छै” । तिणरो वडो इतबार छै'" । गांव ७०० देवळियानूं लागे नै देवळियारै पुठीवास " गांव १०० मांहे मेर रहे छै । केई रैंत” छै, केई मेवासी" छै । वडी धरती छै" । गोहूं, उड़द, चावळ, वाड़ घणो हुवै । प्रांबा महुड़ा घणा " | गांव ३०० भाखर मांहे, गांव ४०० भाखरांरै बारै छै ।
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इतरी धरती देवळियेरा नवी खाटी -
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गांव ८४, सुहागपुरो सोनगरांरो उतन" । रावतसिंघ प्राठोड़ लीवी । वे सोनगरा चाकर थका अजेस धरती मांहे रहे छै" । रामचंद "
1
28
:
1 जिस पर चढाई कर । 2 इजारे पर लिये । 3 दोनों | 4 जोधने एक स्थान पर और वाघेने एक दूसरे स्थान पर भूमि पर अधिकार किया । 5 उसकी ( सैयद की ) भूमि श्रावाद नहीं होने देते । 6 अपनी भूमिको वसाते हैं 7 प्रायका चतुर्थांश 8 और रावत वीकाको रारंगा उदयसिंहने यहांसे निकाल दिया है। 9 तोभी । 10 इनका । 11 रक्षास्थान बनाया । 12 वहां ( देवळिये ) में उस समय मेरोंकी एक प्रसारण पितामही रहती थी । 13 उसकी बहुत प्रतिष्ठा है । 14 उसने कहा हम तुमको यहां नहीं रहने देंगे । 15 तव इसने बहुत प्रकार सोगंध खा कर वचन दिया । 16 किन्तु होलीके दिन छल करके उसने सब मेरोंको मार दिया । 17 अभीतक एक गांव उन प्रसारणोंके वेटे पोतोंके अधिकारमें है । 18 उनका बड़ा सम्मान और भरोसा है । 19 पीछे की ओर 20 / 21 कई नियमपूर्वक प्रजाके रूपमें और कई लुटेरोंके रूपमें 22 भूमि अच्छी उपजाऊ है । 23 गन्ना | 24 ग्राम और महुआ अधिक । 25 इतना भूप्रदेश देवलिया वालोंने और नया प्राप्त किया । 26 जन्मभूमि | 27 वे सोनगरे नौकर की स्थिति में अभी तक उस धरती में रहते हैं । 28 वह न्यायी और धर्मात्मा होने के कारण भगवान् रामके आचरणोंका अनुवर्ती कहा जाता था ।
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६० .
मुंहता नैणसीरी ख्यात घणां। ६ सीधका, मेवाड़में नै बीकानेर देस में छ। १० चोहिल, मेवाड़ में घणा । ११ फळू, सीरोही जालोररी में घणा । १२ चैनिया, फलोधी दिसा छै । १३ वोजरा । १४ झांगरा, मारवाड़में भाट छै। धनेरियै, भूभळियै नै खोचीवाड़े रजपूत छै । १५ वाफणा, वांणिया । १६ चौपड़ा, वाणिया छ । १७ पेसवाळ, रवारी", खोखरियावाळा । .. १८ गोढला । १६ टाकसिया, मेवाड़में छ। २० चांदोरा, कुभार', नीवाजवाळा । २१ माहप,-रजपूत, मारवाड़में घणा । २२ राणा, रजपूत छ । २३ सवर, मारवाडमें रजपूत छ । २४ खूमोर । २.५ सांमोर । २६ जेठवा, पड़िहारां भिलै ।
. साख सोळंकियांरी-- ____ १ सोळंकी, २ वाघेला, ३ खालत, ४ रहवर, ५ वीरपुर, ६ खे राड़ा, ७ वेहळा, ८ पोथापुरा, . ६ सोजतिया, १०. डहर, सिंध नू, तुरक हुवा, ११ भूहड़, सिंधमें तुरक हुवा, १२ रूझा, तुरक हुवा थटा दिसी' । वात देवळि यारै धणियांरी--
.. इण परगनारो नाम ग्यासपुर छै, तिगरो देवळियो गांव छै । सु देवळियाथी कोस ५ ईशांन-कण माहै छ, उठे गढ़ कोई न छै, . . .
1 सिरोही और जालोर प्रदेशमें अधिक। 2 फलोदीकी ओर हैं। 3 पड़िहारोंकी झांगरा शाखा वाले राजपूत भाट हो गये जो मारवाड़में रहते हैं। 'भाट' संस्कृतके 'भट्ट' शब्द का . अपभ्रंश है। विविध जातियोंकी वंशावलिये लिखना इनका, धंया है। वंशावलियां लिखने और सुनाने की वृत्ति अंगीकार करने के बदले में भेट, पूजा-सन्मान, त्याग और दानादि ग्रहण करनेके कारण यह जाति अपनेको ब्राह्मण मानती है और अब 'ब्रह्मभट्ट' नामसे इनकी प्रसिद्धि है। 4 'वाफना' शाखाके पड़िहार अत्र प्रोसवाल वनियों की एक . शाखा है। ..... 5 'चौपड़ा' शाखाके पड़िहार अब प्रोसवाल वनियोंकी एक शाखा है। 6 खोखरिया गांवके रहनेवाले 'पेशवाल' शाखाके पड़िहार भेड़ बकरी और ऊंट आदि रखने और चरानेका धंधा करनेके कारण ये 'रेवारी' कहलाने लग गये और भाटोंकी भांति ही अलग जाति में परिवर्तित हो गये। 7 नींवाज में रहने वाले 'चांदोरा' शाखाके पड़िहार मिट्टीके बरतन
बनाने का धंधा करने के कारण 'कुम्हार' जातिमें परिवर्तित हो कर क्षत्रियों से अलग पड़े · गये। 8 सोलंकी शाखाके 'डहर' राजपूत मिधर्मे जा कर मुसलमान हो गये। 9 सोलंकी शाखाके रूझा' राजपून सिंवमें नगर-थट्टाकी ओर जा कर मुसलमान हो गये। 10 ग्यासपुर..... परगनेका मुख्य गांव देवलिया है । 11 ईशान कोण।'
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___मुंहता नैणसीरी ख्यात भोखरारी खांभ' मांहै ग्यासपुर छै । घर ५० वसै छै । त? मेरारी कदीम ठाकुराई थी। मेर मेवासी थका रहता । नै खींवो रांणा मोकलरो बेटो हुवो तिकै , जाय सादड़ी तेजमालरी उदैपुरसू कोस २५, चीतोड़सू कोस २० दिखणनू तठे जाय रह्यो। रांणो कूभो पाट छ । मांहो मांहि भायां ग्रास-वेध लागो । खींवै मांडव जाय पातसाहरी फोज आंण" मेवाड़नू वडो धको दियो। वडो ग्रासियो हुवो' । कू भो नै खींवो लड़ता रह्या; पिण खींवानू काढ़ सकिया नहीं । रोंगो कू भो नै खींवो खसता-खसता मूवा । चीतोड़ रांणो रायमल पाट बैठो । खींवारै टीके रावत सूरजमल बैठो। सु राणो रायमल नै सूरजमल घणी ही खसाखूद। सूरजमल घणी धरती गिरवा सूधी लियां रहै । सादड़ी थकां भोगवै । तद गांव १७ सांसण दिया सूरजमल । सु वे सांसण अजेस छ। रावत वाघ करमेती हाडीरै मामलै काम आयो" ! तद करमेती कना सही घताइ दी तकां गांवांरी विगत..---
१ भीमेल, १ धारता, १ गोठियो, १ वीझणो, १ वांसोलो, १ भुरखिया,..१ वालिया, थाहरुन, १ चारणखेड़ी, १ खरदेवळो, भाटरो, १ सुआळी । इतरा गांव सासण दिया। यू करतां पछै रायमलरै कवर पृथ्वीराज-उडणो" लांघां-बलाय” मोटो हुवो सु सूरजमलसू पृथीराज जोर लागो । घणी वेढ कीवी । आखर20 सादड़ी वडी वेढ़ हुई ।
... I दो पहाड़ियों के बीचका: ढाल और नीचा स्थान । 2 मेरे लटेरे थके वहां रहते थे । 3 को। 4 राणा कुंभा चित्तौड़ सिंहासन पर है । 5 भाइयोंमें परस्पर भूमि-कर विभागके लिये विरोध उत्पन्न हो गया। 6 ला कर । 7 बड़ा उपद्रवी हो गया। 8 लड़ते-लड़ते । 9 द्वेप । 10 सूरजमल गिरवा तक बहुतसी भूमि दबाये वैठा है। 11 सादड़ीका भी उपभोग करता है। 12 उस समय सूरजमलनै १७ गांव दान में दिये थे। 13 अभी तक। 14 करमेती . हाडीके सम्बन्धमें जो युद्ध हुआ उसमें रावत वाघ काम आया। 16 उस समय गांवोंके ... दानपत्र में करमेतीके हस्ताक्षर करवा दिये गये जिनकी सूची इस प्रकार है। 16/17 'उडगो'
और 'लांघां-बलाय' रायमलके पुत्र पृथ्वीराजके ये विशेषण हैं । उडणो= बहुत तेज गतिसे जाकर कार्य सम्पादन करने वाला.। लांघां-बलाय = इस पारसे उस पार जा कर शत्रुनों में भय उत्पन्न करने वाला, लांघने. वालोंमें बला रूप । पृथ्वीराजने एक ही दिनमें टोडा और जालोर विजय किये थे। इतनी लम्बी दूरीको लांघ कर उसी दिन दोनों स्थानों पर विजय प्राप्त करनेके असाधारण कार्यके उपलक्ष्यमें पृथ्वीराजने अपने नामके साथ ये विशेषण प्राप्त किये। 18 वेगपूर्ण पीछा किया। 19 लड़ाई। 20 अतमें ।
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मुहता नैणसीरी ख्यात
कहावतो, राव पदवी | वडो ठाकुर हुवो । देवळियाथी कोस चवदे दिखणनूं माळवा मांहे वडी धरती । गोहूं, वाड़, मसूर, चिणा, ज्वार घणी नीपजै ।
६४
गांव १४० परगनो वसाड़रो । देवळियाथी कोस ४ उगवण' मांहे, वडी धरती । गोहूं, वण, वाड, ज्वार, चावळ नीपजै ।
गांव ६४ परगनो नैणेररो | देवळियाथी कोस १० दिखणनूं सुहागपुरै लगती । दिखण दिसनूं अरणोदगौतमजी' वडो तीरथ छ । गोहूं, वाड, वण, ज्वार, चावळ नीपजै ।
गांव १२ सेवना' मंदसोर रावत हरीसिंघ दवाया छै । क्युं ही मुकातो दै छै । देवळियाथी कोस १० घणा दिन मुकातो-कर लियो ।
इतरा गांवां परगनाँसूं देवळियारो कांकड़ लागे । १ दसोर, १ रतलांव', १ बलोररो परगनो रांणारो । सोनगरा वालावतांरी उतन । झाड़ी घणी । १ जीहरण- रांणारी, १ धीरावद - रांणारी, १ वांसवाहळो ।
इतरा परगनांसूं कांकड़ लागे
नदी २ जाखम नै जांजाळी । देवळियारा भाखरांमें तीसर छै । तिणरो पांणी निपट बुरो छै । देवळियेथी कोस ५ पछिम छै । उदैपुरसूं देवळिये जाईजै तद ग्राड़ी प्रावै छै । पांणी पीवै तिणन तो खेद" करैहीज पिण पग मांहे वोडे" तिणसूं ही दखळ " करै छै ।
वात-
सीसोदियो जोध, वाघ मुकातो जीहरणरो ले रह्या छै । धरती भोग घाती” छै । सैदसूं पिण जोरावरी" करै छै । रावत भांनारै गांवांसूं लागै छै नै चढ़ने देवळियेरै मेरांरा गांव मारै छै रावतभांनैनै इणांरै जोर विरस " छै । तद भांने सैदनूं कह्यो -- 'ग्रै
16
1 पूर्व दिशा । 2 रुई 3 एक तीर्थ स्थान । 4 गांवका नाम । 5 इजाराकी स्थिति में मिलने वाला कर 6 सीमा । 7 रतलाम नामक शहर । 8 निकलती है। 9 उदयपुरसे देवलिये जाना होता है तब बीच में आड़ी आती है । 10 रोग, कप्ट । 11-12 किन्तु पाँव डुवानेसे भी. गड़बड़ कर देता है । 13 भूमि पर अधिकार कर लिया है। 14 जवरदस्ती । 15 लूटते हैं । 16 अनवन |
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मुहता नैणसीरी ख्यात बळायां अठै क्यूं राख्ने छै । सवारै अ थांन हीज मारसी।' तरै सैद मांखण ही वात मांनी । एक वार दीवांण अमरसिंघ कनै पुकार की 'जोध मांहरा गांव मारै छै' । 'माहरै माथै चढसी' आ वात जोध सांभळी । तरै माहोमांह दरबार मांहै जोर चढ़िया" । वात कराड़ां बारै हुई । भांनो पाछो देवळियै गयो। जोध पाछो गांव गयो । सैद मांखण मंदसोररो फोजदार नै रावत भांनो माणस असवार १५०० जोध ऊपर आया। जोध असवार १००, पाळा दोयसैसूं चढ़ सामो आयो। तठै चीताखेडैरै पैलै-कांनै' वड़ थो तठे वेढ़ हुई। जोध सैद मांखण नै रावत भांनैनूं मारने जोध कांम आयो। तठापछै उणे गांवे जोधरा बेटा नाहरखांन भाखरसी रह्या । सैद पिण धको खाधो । देवळियरै धणिये पिण धको खाधो। देवळियै टीकै सिंघो तेजावत भांनारो भाई बैठो । पछै मीमच राव दुरगो। रांमपुरारा धणीनूं
तरै राव दुरगे कह्यो-'म्हे दीवांणरा चाकर छां। जांएग ज्यूं मीमच.. जीहरणरी धरतीरा गांव ले, दीवांण जाए ज्यूं म्हांनै दे। तरै
जांणिया सु गाँव लियां पछै देवळियैरै धणियांनै पिण दीवांण टीको मेलियो। दिलासा करी । कह्यो-'रावत भाँनो पिण म्हारो भाई मूवो' जोध पिण म्हारो भाई मूवो। हमैं जोधरा बेटा उठै छ । थे नांव मत ल्यो।' रावत सिंघ हुकम माथै चढायो । तरै धरती वसी । पछै रांणा अमरसिंघरै विखो वरस सात हुवो। धरती रांणा सगरनूं हुई। पछै राणा अमरसिंघसूं वात हुई । तर मीमच-जीहरण राणाजीनूं पातसाह दीवी। देवळियैनै राणा रै मुलक कांकड़ इण गांवां
जीहरण-मीमचरा गांव-- . १. चीताखेड़ो-रांणारो। .. १. जथलो-रावतरो । सीसोदियो जोधवाळो ।
१. उगरावण-रांणारो।
1 ये वलाएं यहां क्यों रखता है। 2 कल तुमको ही मारेंगे। 3 हमारे । 4 सुनी 5 उग्र वादविवाद हुआ। 6 वात मर्यादाके वाहिर होगई। 7 उस ओर । 8 उन गांवों में 9 सैयदको भी हानि उठानी पड़ी। 10 जिस प्रकार ठीक समझे। 11 मुझे। 12 मनवांछित 13 ढाड़स बंधाया। 14 रावतसिंहने आज्ञा शिरोधार्य की 15 देवलियावालों और राना के देशकी सीमा इन गाँवोंसे मिलती है ।
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मुहता नैणसीरी ख्यात
१. अंबलीरो टूक-रावतरो। १. वळोर-रांणारी। १. वांभोतर, धमोतर रावतरी। १. हरवार, वघरेडो, वडगांव राबतरी । नै
१. भैरवी रांणारी । घाटो' छ । देवळियैरा गांव-चीताखेडो, उगरावण, धमोतर चाकर रावतरा।
रावतसिंघ तेजारो मूवो । पाट रावत जसवंत देवळिये हुवो। तद वसाइरो गांव मोडी रावत जसवंत नाहररो सकतावत रांणा जगतसिंघरो मेलियो' थांग रहै घणा साथसूं । रावत जसवंत सिंघावत मंदसोररो फोजदार जांनिसारखाँ थो तिणनूं भखाइ दीवांणरा थांणा . ऊपर प्रांणियो। रावत आप साथे न छै । देवळियारों साथ घणो भेळो छ । रावत जसवंत नरहरोत इतरा साथसूं काम प्रायो--
१. रावत जसवंत नरहरोत ।
१. सीसोदियो जगमाल वाघावत । . १. सीसोदियो पीथो वाघावत ।
२. सीसोदियो कान, सादूळ नरहरोत । .. .............
१. सवळसिंघ चतुरभुजोत पूरबियो। : इतरो साथ काम प्रायो। तिको गुसो मनमें राखनै रांणो जगतसिंघ उदैपुर रावत जसवंत सिंघावतनूं रामसिंघ करमसेनोत कना' रावत जसवंत नै वेटो महासिंघ मराया । न तद पैहली साह अखैराजनूं देवळियारी गड़ासंघ धीरावदरो दीवांण, परगनो छ, तठे चूक माथै घणा साथसूं राखियो थो। साहनूं लिख मेलियो थो जु थे जाय देवळि यो लेजो-मारजो। पिण साह गयो नहीं। उठे सीसोदियो जोध गोपाळोत राबत हरीसिंघनू टीकै वैसांणियो । पछै सीसोदियो
.
] दो पहाडोके बीचका बड़ा मार्ग । 2 तेजाका पुत्र रावतसिंह मरगया । मजा हुआ। बहकाकर। 5 रानाके थाने पर चढाकर ले अाया। 6 सामिल है।
से, द्वार। 8 जनने पहले। 9 छल द्वारा मारलेने के निमित्त । 10 गद्दी पर विका दिया।
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मुहता नैणसीरी ख्यात.
. १७ जोध गोपाळोत रावत हरीसिंघनूं दरगाह ले गयो । पछै देवळियो
रांणाथी अल्हादो कियो । पछै उजण अहमदावाद चाकरी कीवी । ..
अथ बूदीरा धणियारी ख्यात लिख्यते । वार्ता--
.... चौबीस साख चहुप्रांणारी, तिण माहै साख १ राव लाखणरा ....... पोतरा हाडा बूदीरा धणी ।। ..... बूंदी में मीणा कदीम रहता। नै हाडो देवो बांगारो भैंसरोडथी
विखायत थको जाय बूंदी रह्यो हुतो । सु एक वात यूं सुणी-बूंदी मांहे ...बांभण रहता, तिणांरी बेटी मैणां कहे म्हां परणावो । तद वांभणां
उजर घणो ही कियो । पिण मैणा मांनै नहीं, तरै हाडा बांभणारा जजमान था, सु बांभण देवा कनै भैंसरोड जाय पुकारिया । तरै हाडां कह्यो-“थे बेटी द्यो । व्याह थापो । नै उणनूं कह राखजो। म्हे हीडा माहै क्यू समझां न छां। मांहरां हाडा जजमान छ । भैंसरोड रहै छ, सु म्है तेडस्या ।” तद मैणां कह्यो-“भली वात छ ।” पछै व्याह थाप नै हाडांनूं तेड़िया। तंद मैणांनूं बांभणां कह्यो-“म्हे म्हारी रीत व्याह करस्यां12}' तद मैणा मदंध' हुता किण ही खोट-चूक" री वात समझ्या नहीं। पछै साहां पैहली सड़ा सबळा बंधाया। मांहै हाडे सोर पथरायो" । ऊपर घास पाथरियो । पछै मैणानूं बुलाय जांनीवासै उतारनै दारू पायो । तरै छकिया वेसुध हुवा । तरै केई
घावे मारिया, के सड़ांमें फूंक दिया। हाडै मैणा सोह3 मारने ... वळे गांव ऊपर जायनै बाँसै को रह्यो थो सो कूट-मारनै बूंदी . लीवी । बीजा हुता सु नास गया, तिके बूंदेला वाजै छ ।
1 देवलियाको रानाके अधिकारसे छीन लिया। 2 देवलियाके स्वामीने उज्जैन और अहमदावादकी सेवा स्वीकार की। 3 विपदावस्थामें। 4 इस संबंधमें एक वात यों सुनने में आई। 5 ब्राह्मण। 6 विवाह करदो। 7 तब ब्राह्मणोंने बहुतेरी आपत्ति की। 8 तुम बेटी देना स्वीकार करलो। 9 विवाहकी तिथि निश्चित करलो। 10 प्रथानुसार परिचर्या करने में हम कुछ नहीं समझते। 11 बुलायेंगे। 12 हम अपनी रीतिसे विवाह करेंगे। 13 मदान्ध । 14 छल-कपट । 15 विवाहसे प्रथम । 16 बड़े झोंपड़े। 17 हाडोंने उनके अन्दर वारूद बिछवा दिया। 18 विछा दिया। 19 जनिवासा। 20 नशेमें छककर अचेत होगये। '21 तव कइयोंको तलवारके घाट उतार दिया और कइयोंको सड़े जलाकर फूंक दिया। 23 । समस्त। 24 पुनः। 25 पीछे। 26 ठोक-पीट कर । 27 और थे सो भागगये।
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मुहता नैणसीरी ख्यात
एक वात यूं सुणी-- __ हाडो देवो बांगारो, बूंदी वेखरच थको आय भैंसरोडथी रह्यो हुतो' । कनै आपरी वसी हुती । नै देव राणा अरसी लखमसिनोतनूं बेटी दीवी थी । सु रांणो अरसी अठै जान कर वडी फोज ले परणीजण आयो । सु परणियां पछै रांण अरसी देवानूं पूछियो–'थांरी कानूं हकीकत ?" पूछी तरै देवै कही । तरे रांग कह्यो-'थे अठै काहिणनूं रहो ?' उरा श्रावो । तरै देवै कह्यो-'मांहरी एक अरज छै, एकत मालम करतूं ।' तद राणै एकंत पूछियो। तरै देवै कह्यो-'पा भली ..... धरती मेणां हे?' छै नै मैणा निवळा सा छै । जिकै छै सु आठ पोहर छकिया दारू मतवाळा थका रहै छ, सु दीवांण साथरी मदत करो... तो मैणा मारने आ धरती लू नै दीवांणरी चाकरी करूं । तरै देव मांगियो सु देवानूं रांग डेरो उठे (सू) हीज दियो । देवो फोज ले, बूदी मैणां ऊपर रात थकी आयो । नीसरणरा घाट, नास-भाजरा हुता सु भूमिया था सु सोह रोकनै मैणा सारा कूट-मारिया । वीजा जठे हुता सु सोह नास गया । देवै आपरी आण फेरी । मैणा मारनै रांणारी हजूर आयो । रांणो बोहत राजी हुवो । देवानूं कह्यो-'वळे कहो सु करां । तरै देवै कही-दीवांणरा ऊपरथी सारी वात भली हुई। मास ४ असवार सौपांच मदत पाऊं । तरै रांग असवार ५०० मदत देनै आप चीतोड़ चढ़ियो। पछै देवै भोमिया" था सु सारा कूट मारिया। वीजा धरती मांहे था सु सारा नास गया । पछै देवै आपरा भाईबंध तेड़ नै! ठोड-ठोड वसी राखी । आपरी जमीयत राखी।
1 देवाके पास पैसा नहीं था अत: बूदीसे भैंसरोड आकर रहगया था । 2 कामदार प्रादि वे कर-मुक्त नौकर-चाकर जिन्हें उस जागीरदारका 'चोटी-बढ़िया' और 'वसीरा लोक' भी कहते हैं 1 3 वरात बनाकर। 4 तुह्मारी क्या स्थिति है ? 5 तुम यहां काहे को रहते हो? 6 (हमारे यहां) पाजावो। 7 अधीन। 8 राना। 9 सेना। 10 जितने मनुष्योंकी सहायता देवाने मांगी उतने मनुप्य रानाने अपने निवासेसे ही उसे दे दिये। 11 रात रहते मैंनों पर चढ़कर बंदी आगया। 12 द्वार. मार्ग। 13 देवेने अपने शासनकी आजा प्रवर्त्त कर दी। . 14 मैंनोको मारकर रानाके दरवारमें पाया । 15 और कोई काम हो तो कहो सो वह . . भी कर दिया जाय। 16 रानाकी सहायतासे सब बात ठीक हुई। 17 छोटे जागीरदार। 18 बुलाकर। 19 स्थान-स्थान पर कर-मुक्त मंत्री, नौकर-चाकर आदि नियुक्त कर दिये। ..... 20 अष्ट्र और प्रवारोही ।
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मुहता नैणसीरी ख्यात धरती रस पड़ी' । दीवांणरा साथनूं सीख दीवी । तठा पछै अापही बडी जमीयत करनै दसरावान' रांणारै मुजरै गयो नै मेवाड़री
चाकरी करण लागो। ... एक बात यू सुणी--हरराज डोड बूदीरो, मैणांरो एकल
असवार घणो धरतीरो विगाड़ करै। तद मैणा घणा ही खसथाका। हरराजनू पोहच सकै नहीं। कितराएक रिपिया' मैणा कना वरसरा वरस नाळबंधीरा लै नै धरती पिण मारे। तिण समै हाडा देवा बांगावतरै घोड़ो १ थो सु मांडवरै पातसाह मंगायो। इण दियो नहीं । तरै देवो भैंसरोड़ परी छोड़नै बूदी मैणांरो मेवास जाण अठै बूदी प्रायो। तरै बूदीरै मैणे दूड़ी-नाचणरो' घर थो, त? घरठोड़नू जायगा दिखाई । सु दूड़ीनू वयुं अगमरी खबर पड़ती। सु दूड़ीनै देवै भेढ रहतां सुख" हुवो। सु दूड़ी एकंत देवानू कहै छै-'इण धरतीरा धणी थे हुस्यो ।' पछै मैणे एक दिन हथाई" बैठां कह्यो-'इण हरराज डोड म्हां माहै वडी लीक लगाई छै । मांहरै माथै डंड कियो छै सु पिण लै नै धरती पिण मारै छै1 ।' तरै देवे कह्यो-'इणनू कोई पालै" तो तिणनू थे कासू दो।' तरै मैण वडेरै19 कह्यो-मांहरै धरतीरो हासल छ, तिण माहैसू आध म्हे थांनू देवां। तरै इणां बोल-कोल सूस-सपत करी20 | नै दीवाळीरो दीवाळी हरराज डोड बूदी आवतो, घावदेतो। सु देवो तो उण भैराकी-घोड़े चढ़नै पाखर घातनै जीनसाल पहर तयार हवो । नै पैली-कांन
.... 1 भूमि पर पूर्ण अधिकार होगया। 2 दशहरा । 3 इसप्रकार। 4 डोड जातिका क्षत्री हरराज इकल्ला घुड़सवारी करके मैणों और उनकी भूमि का बिगाड़ करता है। 5 मैणे प्रयत्न कर थक गये । 6 हरराजको नहीं पहुंच सकते। 7/8 प्रतिवर्ष नालबंधी-कर के रूपमें कितने ही रुपये भी लेलेता है और लूटपाट कर भूमिमें विगाड़ भी करे। 9 दूड़ी नामक नर्तकी। 10 तब रहनेके लिये स्थान दिखाया। 11 भविष्य । 12 प्रीति । 13 इस भूमिके स्वामी तुम होवोगे। 14 वातचीत वा पंचायतकी चौकी। 15 धाक जमा रखी है। 16 हमारे पर डंड भी लगा दिया है सो भी लेता है और लूटपाट भी करता है। 17 रोकदे। 18 क्या। 19 तव बड़े और वृद्ध मणेने कहा । 20 तब इन्होंने कौल-वचन और सौगंद शपथ की।
21 प्रहार करता । 22 देवा तो उस अरबी घोड़े पर पाखर डाल, कवच पहिन चढ़कर . .. . . तयार हुआ।
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__मुहता नैणसीरी ख्यात हरराज गांवरा मैणां प्रावतो दीठो'। तद मैणातो सरव नासगया न घरां माहै पैठा। नै देवो प्रोळरै बारै आयो नै देवै हरराजनै आवतो दीठो। हरराज देवैनै दीठो। देवै घोड़ेनू चढ़ कोरड़ो' वाह्यो । तद हरराज पाछा फेरिया । देवै वांस घातिया । वीच 'वाहको १ ऊंडो हुतो सु हरराजरो घोड़ो डाक पैलै तीर जाय ऊभो। वेऊ घोड़ा आमां-सांमां कर ऊभा रह्या । वात हरराज देवैनू पूछी"थे कुण° ? कठासू आया" ?" तरै देवै प्रापरी हकीकत कही-"चहुवांण बूदीरो देवो म्हारो नांव छै ।" तरै कह्यो-'थे अठै कद
आया ।' तरै कह्यो-“मास च्यार हुवा ।" कह्यो-"हमैं कासू विचार ?" तद देवै कह्यो-'म्हे थां ऊपर वीड़ो लियो छै । अठै वळे आवस्यो तो थांनू मारस्यां" । पछै हरराज कह्यो-"हमैं पछै हूं नहीं अावू' तरै माहो-मांहे सुख हुवो। नै पागड़ा छाड़िया", उतर मिळिया। तठा पछै कितरैएक दिन देवै हरराजनू आपरी बेटी दी। सु वा देवारी वेटी निपट फूटरी छै । तद मैणो वडेरो छै तिको देवानू कहै-"म्हांनू परणावै10' इण घणा ही उजर किया । मैणा मानै नहीं । तद वेटी देणी करी। पछै हरराज डोड कोसीथुर सोळंकी सगा रहता तिके तेड़ मीणांनू सड़ां मांहै घात कूट-मारिया। देवै वूदी इण ..... तरै लीवी। अथ हाडांरै पीढियांरी विगत-- .
१. राव लाखण-नाडूल धणी। . .. २. बली।
1 उस अोरते मैणों ने हरराजको प्राते हुए देखा। 2 घरों में घुसगये। 3 चाबुक । 4 मारा । 5 पीछा लौटाया। 6 देवा उसके पीछे हुआ। 7 बीचमें एक गहरी छोटी नदी थी। 8 कूदकर, लांघकर 1 9 दोनों। 10 तुम कौन ?। 11 कहांसे आये ? 12 वूदीका रहने वाला चौहान देवा मेरा नाम है। 13 तुम यहां कब आये ? 14 अब क्या विचार है ? 15 हमने तुमारे विरुद्ध बीड़ा उठाया है अर्थात् तुम्हें मारनेका निश्चय किया है। 16 यहां फिर कभी प्रावोगे तो तुम्हें मारदेंगे। 17 घोड़ोंसे उतरे और परस्पर अंक भरकर मिले। 18 अत्यन्त रूपवती है। 19 मुझको व्याह दे। 20 उसने बहुत ही एतराज किया। ... 21 राव लाना बड़ा वीर और नीतिज्ञ था। इसने नाडोलको अपने अधिकार में कर लिया था। यह सांभर नरेश वावपतिराजका छोटा पुत्र था। 22 कई प्रतियोंमें लाखणके वाद 'गोहित' वा 'सोही' नाम लिखा है और 'सोहितके' बाद 'वली' वा 'बलराज' मिलता है। यही गुद्ध है।
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मुहता नैणसीरी ख्यात ३. सोहित ।
४. महदराव। ५. अणहल ।
६. जिंदराव। ७. आसराव ।
८. माणकराव। 8. संभरांण ।
१०. जैतराव । ११. अनंगराव ।
१२. कुंतसीह। १३. विजैपाल।
१४. हाडो। .. - १५. बांगो।
१६. देवो बांगारो, जिण
बूदी मैणां कनालीवी। हाडो देवो बांगारो परवार----
२. समरसी।
२. जीतमल-तिणरी बेटी जसमादे हाडी रावजोधारै पटरांणी राव सूजारी मा। २ भागचंद । २ रायचंद । २ राव रामचंद । समरसी देवारो अांक २--
३ नापो। ३ हरराज । ३ हाथी । नापो समरसीरो प्रांक ३--
४ हामो टीकायत । ५ लालो, तिणरी अोलादरा नव-ब्रह्म ... लखानखेडेवाळा हाडा छ । ५ वरसिंघ । ६ वैरो। ६ लोहट - लोहट
वाळीरा" हाडा छै । ६ जब । जबदूरा वांसला मियांरै-गुढ रहै छै । जबदू हांमारो अांक ६ । . . . .७ बछो । ८ साहरण । ६ मीयां । ६ सांवळदास । साहरणरो अांक ८ ।
.६ सांवत । १० बळकरण । ११ जोध । १२ दुरगो। १० तेजो। . .. ११ मांन । ११ नारण । १० दोलतखांन । ११ रूपसिंघ । १० खींवो।
१० ऊदो। ११ रायसिंघ । ११ तुलछीदास । १० कलो। ... 1 कोटा बूंदी आदिके चौहानोंकी 'हाडा' संज्ञा इन्हींके नामसे हुई। 2 जीतमलकी पुत्री जसमादे हाडी जोधपुर बसानेवाले राव जोधाकी पटरानी और रावसूजाकी माता थी। 3 राज्यगद्दीका अधिकारी। 4 लखानखेड़ा वाले लालाके वंशज नव-ब्रह्म-हाडा कहलाते हैं ।
5 लोहटके नामसे प्रसिद्ध 'लोहटवाळी' प्रदेशके हाडा इसी नामसे प्रसिद्ध हैं। 6 जवटू के . पीछेके (वंशज) 'मियां-रो-गुढो' नामक गांवमें रहते हैं।
जब हाना
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१०२
महता नैणसीरी ख्यात वैरो वरसिंघरो अांक ६---
७ भांडो। ८ नारणदास भांडारो। बूदी धणी । रावसूजारी वेटी खेतूबाई परणियो हुतो' । अमल निपट घणो खावतो। सु नारणदास पैसाव करण बैठो हुतो सु यूंहीज ऊंघियों । सुखेतूवाई राव ऊपर साड़ीरो छेह नांखनै ऊभी रही। यूं करतां सवार हुवो, रावरी. अांख खुली । देखे तो खेतू ऊभी छै । तरै राव राजी हुवो। कह्यो-"मांहरा घर-सारूं थे जाणोसु' मांगो । तरै वाई कह्यो-“मांहरै तो थांरी सलामतीसू सोह थोक छ, पिण रावळो" अमलरो पोतो' मो कनै रहै ।" तरै पोतो खेतू सांपियो। खेतू अमल दिन २ घटायो । तठा. पछ. वाईरै सूरजमल बेटो हुवो । पछै नारणदास एक वार राणा सांगारी वार पातसाह मांडवरो झालियो छै' । ६ सूरजमल वडो
आखाड़सिध" रजपूत हुवो । राणा रतनसी सांगावतनू मरतो ले मूवो"। हाडो मीयो" बछारो, प्रांक ८ ।
सांवळदास । १० चंद्रभांण । ११ नरहरदास । भावसिंघ रै. परधांन । मींयारै ग्लै? सादियाहेड़े रहै छै । .
बात हाडै सूरजमल नारणदासोतरी नै राणा .
रतनसी सांगावत मामलो हुबो तिण समैरी। रांणो सांगो रायमलोत चीतोड़ राज करै छै । टीकायत बेटो रतनसी राठोड़ धनाईरै20 पेटरो छै। रांणो सांगो पछै हाडी करमेती, हाडा नरवदरी बेटी परणियो थो। सु रांणो करमेतीसू घणी मया
1 जोधपुरके राव सूजाकी पुत्री खेतूबाईको ब्याहा था। 2 अफीम। 3 पेशाब करते हुएको ही नींद आगई। 4 खेतूबाई पेशाव करते हुए निद्रित नारायणदासके ऊपर अपनी साड़ीका छोर डालकर खड़ी रही। 5 इसी प्रकार प्रातःकाल होगया तव राव नारायगादास की. नींद उडी। 6 हमारे घरकी सामर्थ्यानुसार। 7 चाहे जो। 8/9 मेरे तो आपकी कुशलपूर्वक विद्यमानतासे सभी वस्तुएं हैं। 10 अापका। 11 अफीमका वटुअा। 12 मेरे पास । 13 जिसके बाद खेतूबाईके सूरजमल नामक पुत्र उत्पन्न हुअा। 14 पकड़ा है। प्राथय लिया है। 15 महाबली। 16 सूरजमल मरता हा रतनसीको भी ले मरा। 17 वछाका पुत्र हाडा मीया। 18 मीयाका गाँव सादियाहेड़े रहता है। 19 नारायणदासका पुत्र हाडा ... नूरजमल और सांगाका पुत्र रतनसीके परस्पर युद्ध हुआ उस समयका वर्णन। 20 राव . मूजाका पुत्र वाघाकी कन्या राठोड़ धनाईकी कोखसे रतनसीका जन्म हुआ।
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मुहता नैणसीरी ख्यात
१०३ करै छै । पर्छ करमेतीरै बेटा २ हवा-विक्रमादित, उदैसिंघ ।
तिणांसू रांणो घणी मया करै छ । सु एक दिन दीवांणसू करमेती .: अरज कीवी-"दीवांण घणा दिन सलामत रहै, पिण विक्रमादित
उसिंघ नाह्वा' छ। रावळे टीकाइत साहवीरो धणी रतनसी छ । राज बैठां कांइक इणांरो सूल' करो तो भलो छ ।” तरै रांग पूछियो-“थे किण भांत अरज करो छो।" तरै करमेती हाडी कह्यो"इणांनू रिणथंभोर सारीखी ठोड़ रतनसी नै पूछनै दीजै नै हाडा सूरजमल सारीखा रजपूतनू बांह झलाईज । प्रा वात दीवांण ही कबूल करी। सवारै दीवांण जुड़ियो, तरै कवर रतनसीनू रांग सांगै .. कह्यो-"विक्रमादित उदैसिंघ थारा लोहड़ा" भाइ छ । तिणांनू एक
पग-ठोड़ दीनी चाहीजै।" सु रांणो वडो दूठ ठाकुर छो, सु रतनसी . क्युं फेर कही सक्यो नहीं। कह्यो-“रावळे विचार आवै सु ठोड़
दोजै ।" तरै रांण रतनसीनू कह्मो-"रिणथंभोर इणांनू दो।" तरै रतनसी कह्यो-"भला ।" तरै रांग विक्रमादित उदैसिंघनू कह्यो
"म्हे थांनू रिणथंभोर दियो। थे ऊठ तसलीम करो' ।" तरै इणे - तसलीम करी । तरै हाडो सूरजमल दरबार बैठो थो । तरै रांग सांगै
- सूरजमलनू कह्यो-"म्हे विक्रमादित उदैसिंघनू रिणथंभोर दां छां12 ....... सु थे इणांरी बांह झालो । झै म्हें थांहरै खोळे घातां छां ।' तरै ....... सूरजमल कह्यो-“म्हारै. इण वातसू काम कोई नहीं । हूं चीतोड़ टीके
बैसै जिणरो चाकर छू । म्हारै इणसू कोई तलो" नहीं ।” तरै रांग . सांगै वळे घणो हठ कर कह्यो-" डावड़ा" नाह्ना छै । थांहरा भाणेज ... छै। बूदीसू रिणथंभोर निजीक छै। तू भलो रजपूत छै । तद . इणारी बांह तो झलावां छां ।” सूरजमल अरज कीवी-"दीवांण
फरमावो सो तो सिर-माथा ऊपर । म्हे हुकमरा चाकर छां" । पिण .. दीवांणनूं सौ वरस पोहचै! तरै म्हांनूं रतनसी मारणवू तयार हुदै,
1 राना करमेतीके ऊपर बड़ी कृपा रखता है। 2 छोटे हैं। 3 आपके बैठे इनका भी कुछ प्रबंध करदें तो भली बात है। 4 सुपुर्द करदें। 5 सवेरे दरबार जुड़ा। 6 छोटे । 7 रहनेका स्थान। 8 जवरदस्त । 9 कुछ भी। 10 इनको। 11 प्रणाम करो। 12 देते हैं। - 13 तुमारी गोदीमें रखते हैं। 14 मतलब । 15 बच्चे । 16 शिरोधार्य। 17 हमतों आज्ञाका पालन करनेवाले सेवक हैं। 18 सौ वरस पोहँचे मरजाना।
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१०४
मुहता नैणसीरी ख्यात तिणवास्तै म्हांसू आ वात दीवांणरै कहै कै नहीं। नैं रतनसीजी फुरमावै तो वात अलादी' छ ।” तरै राणे रतनसी सांमो जोयो । रतनसी कह्यो सूरजमल-"थे दीवांण हुकम करै सु करो। झै म्हारा..' भाई छै । थे म्हारा सगा छो। रजपूत छो। म्हे थांसू बुरो मानां नहीं।" तर सूरजमल दीवांण कह्यो त्यूं कियो । राणे सांगै रिणथंभोर विक्रमादित उदैसिंघनूं दियो। इणे जाय अमल कियो। ___ हाडो नाराइणदास मूवो तर रांग सांगै सूरजमलनूं टीको मेलियो । लाल-लसकर-घोड़ो भैराकी कीमत रु० २००००), हाथी मेघनाद कीमत रु० ६००००) री, रो दियो। रांणो सांगो हाडां सूरजमलथी बेटांथी इधको प्यार करै छै। या वात अठै ही रही। ____तठा पछै कितराएक दिने रांग सांगै काळ-कियो । टीके रतनसी... वैठो। हाडी करमेती आपरा बेटांनूं ले रिणथंभोर गई। रतनसीरी.. छाती मांहै रिणथंभोर भाव नहीं । पूरविया पूरणमलनूं रिणथंभोर मेलियो। कह्यो-", विक्रमादित उदैसिंघनं तेड़ लाव।" तरै पो . रिणथंभोर गयो । तरै हाडी करमेती कह्यो-" तो डावड़ा नांह्ना छ । इणांरो जवाब सूरजमलजी करसी। तरै प्रो बूंदी सूरजमलजी कनै गयो। जायन कह्यो-"रांण रतनसी विक्रमादित उदैसिंघनूं तेड़ाया . . . . . छै। सु वे कहै छै-"मांहरो जवाब सूरजमलजी करसी ।" तरै ..... सूरजमल कह्यो-म्हे ही आवां छां, तरै दीवांणसूं हकीकत' मालम करस्यां ।"
तरै पूरणमल चीतोड़ पायो । राणे हकीकत पूछी तरै इण कह्यो"वे तो घणूं ही प्रावै पिण सूरजमल आवण दै नहीं।" तरै रतनसीरै.... डील आग लागी । आगै पिण टीकारो सूरजमल हाथी १ घोड़ो १ . ले पायो थो, सु रतनसी राखिया नहीं। कह्यो-"राणे सांगै तो. ..
1 और रतनसी कहदें तो वात दूसरी है। 2 आपसे । 3 अधिकार। 4 के साथ। 5 से। 6 मर गया । 7 विक्रमादित्य और उदयसिंहके अधिकारमें रणथंभोरका रहना रतनसीको सहन नहीं होरहा है । 8 बुलाकर ले आ। 9 बुलाया है। 10 तव रानाको वत्तान्त निवेदन करूंगा। 11 करमेती तो भेजनेके लिये तैयार है परन्तु सूरजमल आने नहीं .. देता। 12 तव रतनसीके शरीरमें क्रोधाग्नि उठ गई।..
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मुंहता नैरणसीरी ख्यात
[ १०५ लाल-लसकर-घोड़ो, मेघनाद हाथी टोके दिया सु मोनूं दै' ।" इण कह्यो-"हू क्यूं जाट पटेल थो नहीं, सु चारण दिया था, सु हमैं पाछा मांगिया दूं ?" वात कराड़ा बार हुई। ___रांणो रतनसी सूरजमल मारणरा दाव-घाव' करै छै । तिण समै चारण भांगो, मीसग जातरो, मोड़ारो वारहठ, चीतोड़रै गांव राठ-कोदमिये रहै छै । सु नावजादी' चारण छै । वडो पाखरांरो कहणहार छै । सु भाणारा जजमान' गोड़ छ । बूंदीरा चाकर छ । तिणां कनै जाय छै । मास १ दुय मास उठै रहै । तरै भाणो हाडा सूरजमलरै पिरण उठे जावै, तरै मुजरो करै । गुणे गीतां गावै । तद सूरजमल घणी मया करै छै । एक दिन सूरजमलजी कह्यो"भांणाजी ! हालो' ! सूरांरी सिकार जावां !” भांणो नै सूरजमल सिकार सूरांरी गया । बीजो साथ हाके मेलियो । भांणो नै सूरजमल दोय जणा हीज हुता । सूर तो हाथ नाया" नै दोय रीछ आजाजीत"
आगै पाछै आया । इसड़ा कदै प्रांखियां ही दोठा नहीं । जिणां दीठां मरीजै । सु सूरजमल उणसूं बाथां हुवो"। एक कटारीतूं मार पाड़ियो। तितरै दूजो आयो। उणनूं ही उणहीज भांत मारियो। भांगनूं वडो इचरज आयो" । सु भाण कह्यो-“थे कांसू कियो" ?" ___तरै कह्यो- "कासूं करां". मांडां गळे पड़िया' ।" पछै पाछा पाया । भांग गीते-गणे सुरजमलनं रीझावियो । तरै सरजमल जांणियो-लाल लसकर-घोड़ो नै मेघनाद हाथी लारे रांगो पड़ियो छै। सु माहरा परधान रजपूत मोनूं दबायने रांणानूं दिरावसी, तो
I मुझको दे। 2 मैं कोई जाट पटेल तो था नहीं जिसको चरानेके लिये दिये हों सो • अब मांगने पर मैं वापस करदूं। 3 बात सीमा बाहर हो गई। 4 मारनेका अवसर और उपाय। 5 विख्यात। 6 बड़ी चमत्कारी कविता करने वाला है। 7 यजमान । 8 गुणोंकी कविता बना कर सुनाता है। 9 चलें। 10 साथके दूसरे मनुष्योंको शिकार खोज कर घेर लानेके लिये भेज दिया। II सूअर तो हाथ नहीं आये। 12 जो किसीसे भी जीते नहीं जा सकें। 13 ऐसे कभी अांखोंसे देखे नहीं। 14 सूरजमल उससे बाहु-युद्ध करने लगा। 15 आश्चर्य हुआ। 16 आपने यह क्या ही आश्चर्यजनक काम किया ? 17 क्या करें। 18 बलात आकर ऊपर पड़ गये। 19 भाणाने सूरजमलके गुणोंके गीत गाकर प्रसन्न
किया।
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१०६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात : हूं भाणा सरीखा पात्रनै दे नै अमर करू । घोड़ो हाथी दोनूं भांणानूं दिया । भाणानं वड़ी मोज दे', लाख' दे विदा कियो। सु रांणारो डेरो चीतोड़थी कोस १० सिकार रमणरे मिस कियो छ । मन मांहै सूरजमल मारणरो मतो छ । रांणी पंवार रावत करमचंदरी बेटो साथै छै। सु भांणो उठे पायो दीवांगरै मुजरै'! तरै दीवारण पूछी-"कठै हुता' ?" भाग अरज कीवी-"बूंदी हुतो ।” तरै रतनसी कह्यो-"सूरजमलरी वात कहो।" तरै घणा सूरजमलरा वखांण किया । तरै रांगा सुहागौ नहीं। भांगो समझ्यो नहीं । जु रांणो इणसूं इतरी कुमया' करै छ । तरै पुछियो-"इतरा सूरजमलरा बखांण करो छो सु इतरो सूरजमलमें कानूं दीठो ?" तरै भांग रीछांरी वात मांड कही नै कह्यो'--"दिवाण ! सूरजमल इसड़ो रजपूत छै सु जिको उणनूं मारै सु कुसळ न जाय ।” तरै रांणे इण वात ऊपर बोहत भारणातूं वुरो मानियो । तितरै किणो एक भांणनू पूछियो–“थे इतरो सूरजमलरो जस करो सु हमार थांनूं काटूं दियो ?" तरै कह्यो- "मोनूं लाल लसकर-घोड़ो, मेघनाद हाथी नै लखपसाव दियो।" तरै रांणारे वळ जोर आग लागी । भांणन कह्यो-"थे मांहरो हदमें मत रहो, थे वृंदी जावो।" तरै भांणौ पूंछ-झाटक' ऊठियो। पाछो वृंदीनै हालियो तठा पैहलो या खवर सूरजमल पोहती। सूरजमल सामां आदमी भांणरै मेलिया । घणो आदर कर तेड़ हिरणांमो गांव सांसण कियो । घोड़ा, हाथो, लाखपसाव घणोई द्रव्य दियो । कह्यो- “म्हारो भाग ! दीवांण मोसौं वडी मया करी। भांण सरीखो पात' दियो।" सु रांगो सिकार खेलतो-खेलतो वृंदी दिसा पावै छै। सूरजमल कनै
I भारणाके समान सुपात्र चारणको दानमें दे अपना नाम अमर करदूं। 2 सुख पहुंचाया। 3 लाख-पसाव नामक दान देकर विदा किया। 4 भाणा वहां पर राणाकी सेवामें प्रणाम करनेको अाया। 5 कहां थे ? 6 प्रशंसा। 7 अच्छा नहीं लगा। 8 अवकृपा रखता है। 9 क्या देखा? 10 तव भांणने रीठोंको मारनेकी वात विस्तारपूर्वक कही और फिर कहा। II रानाके और अधिक क्रोधाग्नि भभक उठी। 12 एकदम। 13 चल दिया। 14 पहुँची। 15 हिरणामो गांव शासन-दानमें दिया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १०७ आदमियां ऊपर आदमी आवै छै-“सताव' आवो।" सूरजमल जाणे
छै-“जाऊं क न जाऊं ?" तरै. एक दिन माजी खेतू राठोड़नै पूछियो-- -: “मोनूं राणारा प्रादमियां ऊपर आदमी तेड़ा पावै छै । मोसूं रांणो
बुरो छ। मोनूं मारसी। कहो तो विखो कर रांणानूं हाथ दिखाऊं।" .. तरै मा कह्यो--"इसड़ी बात क्यूं कीजै ? प्रांपै इणांरा सदा चाकर
छां । इसड़ी तो आज पैहली प्रांपासू बुरी कोई हुई नहीं । जो रांणो तोनूं मारसी तोही सताब रांणा कनै जावो । घणी चाकरी करो।" तरै सूरजमल रांणा कनै गयो। गोकह्नरै' तीरथ वाळो वाजणो गांव बूंदी चीतोड़री गड़ासंध छै, तटै आय मिळियो । रांणो मनमें घणी खोट" राखै छै । नै सूरजमलरो आदर घणो कियो । 'सूरजमल भाई !' कह वतळायो । पछै एकण दिन कह्यो--"म्हे एक हाथी लियो छ, तिण म्हे भेळी असवारी करां ।" पछै उण हाथी रांणो चढ़ियो । सूरजमल ही घोड़े चढ़ आयो। एकण ठोड़ सांकड़ी दिसी सूरजमल ऊपर हाथी वहतो थो। रतनसी पाप चढ़ियो थो । सूरजमल ऊपर हाथी झोकियो', सु सूरजमल घोड़ो लात मार काढ़ दियो । दाव टाळियो । सूरजमल रीस करी । रांण कह्यो-'हाथी माडां'' प्रायो। घणी हळभळ की"।" दिन एक आडो घातनै कह्यो-'प्रांपै सिकार सुअरांरी मूळांरी" खेलस्यां ।" तरै सूरजमल कह्यो-“भली वात ।"
एक दिनरी वात छै। रांणो पंवार रांणी आगै कहै छै'-"एक म्हे सासतो सूअर-एकल मारस्यां । थांनूं तमासो दिखावस्यां।"
तीरथ गोकह्नरै पंवार रांणी सिनांन करण गई थी। तथा पैहली -: . सूरजमल सिनांन करण गयो थो । सु पंवार आई तरै सूरजमल
.... .. .
__ I शीघ्र। 2 बुलावे पर बुलावे पाते हैं। 3 ऐसी । 4 'गोकर्ण' नामक तीर्थस्थान जो टोडारायसिंहके पास है। 5 निकट। 6 दगा। 7 साथमें सवारी करें। ...8 सँकड़े मार्गकी ओर । 9 डाल दिया। 10 किन्तु सूरजमलने घोड़ेको लात मार कर
आगे निकाल दिया। II हाथी बलात् आ गया। 12 प्रसन्न करनेके लिये खुशामदकी बातें की। 13 किसी बड़े वृक्ष आदिकी खोहमें दवकर शिकारकी टोहमें बैठे रहनेका स्थान । . 14 राना अपनी पंवार जातिकी रानीसे कह रहे हैं। 15 आज हम एक बहुत वलवान् सूअरको मारेंगे।
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मुंहता नैणसोरी ख्यात धोतियो हीज पैहर कनै हुय नोसरियो तरै पंवार सूरजमलनूं दीठो । किणहीनूं पूछियो–“यो कुण ?" तरै कह्यो-"यो सूरजमल हाडो बूंदीरो धणी, जिणसूं दीवांण कुमया करै छ ।” तरै पंवार समधी'-"रांणो सूअर-सूअर करै छै सु इणनूं मारण मतै छै ।” रातै पंवार गई तरै रांण वळं वात सूअररी चलाई। तरै पंवार कह्यो-"यो सूअर म्हे दीठो । उणरौ नांव थे मत ल्यो ।' तरै रांणो कह्यो-"थं कासूं दीठो ?" तरै इण सूरजमलरी वात कही । तरै रांण कह्यो-"तू काढूं . जाणै ?" तरै पंवार कह्यो-"उणनं छेड़सी सु कुसळे न आवै ।" तद रांण वुरो मानियो । पछै सवारै रांणो सूरजमलने ले सिकार गयो । .. मूळ बैठा । दूजो साथ प्रापरो, पारको दूरो कियो । रांणो नै पूरण- . मल पूरवियो छै । सूरजमल नै सूरजमलरो एक खवास छ । तिण समै .. रांणे पूरणमलनूं कह्यो-"तू सूरजमलनै लोह कर ।" सु इणसूं लोह कियो न गयो । तरै रांणै घोड़े चढ़ सूरजमलनूं झटको वायो। सु .. माथारी खोपरी ले गयो। सूरजमल ऊभो छ । तितरै पूरणमल तीछेर' वाह्यो सु सूरजमलरी साथळ' लागो । सूरजमल दोड़ नै पूरणमलनूं पाड़ियो' । उण कूकवा किया । तरै रांणो उणरा ऊपर वळ .. आयो । सूरजमलनूं लोह वाह्यो । सूरजमल वागरी जेह' झालन', कटारी गळा नीचाखू वाही सु रांणारी सूंटी" श्रावतां रही । रांणो : घोड़ासू हेठो पड़ियो' । पड़तेहीज पांणी मांगियो । तरै सूरजमल कह्यो-"काळरा-खाधा'" हमें पांणो पी सकै नहीं ।” पछै सूरजमल रांणो वेहूँ मुंवा । पंवार सती हुई । रांणारो दाग पाटण हुवो। रतनसीरै वेटो कोई न हुतो । तरै रजपूते सारै मिळनै करमेती हाडी नै. .. विक्रमादित उदैसिंघनूं रिणथंभोरसूं तेड़ लिया। अ आया ।
__I समझ गई। 2 इस सूअरको हमने देखा । 3 तुमने कैसे देखा? 4 आश्रयस्थानमें दबकर बैठ गये। 5 अपने और पराये मनुष्योंको दूर भेज दिया। 6 उस समय रागाने पूर्णमलको कहा कि-तू सूरजमल पर तलवारसे प्रहार कर। 7 तलवारसे प्रहार किया। 8 खड़ा है। 9 इतनेमें । 10 एक प्रकारका छोटा भाला । II जांध। 12 गिरा .. ... दिया। 13 चिल्लाया। 14 घोड़ेकी वाग। 15 सिरा । 16 पकड़कर । 17 नाभिमें पार हो गई। 18 नीचे गिर गया। 19 काल-कवलित ! 20 न था। 21 वुला लिये । .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १०६ विक्रमादितनूं टीको हुवो । विक्रमादित उदैसिंघ सूरजमलरा बेटा । सुरतांणनूं बूंदीरो टीको दियो ।
भांडो वैरोरो प्रांक ७ । ८. नरवद भांडारो। ६. उरजण नरवदरो। रांणा उदेसिंघरोनांनो । उरजण चीतोड़
काम आयो । भुरजनूं साबात' लागी तरै सुणीजै छै-तीन .. जणा उडिया। तिणां उड़तां तरवार काढ़ी सु तिकां में एक
उरजण । ६. भीमरा वंसरा लाठी कर ले' । गांव बूंदीसू कोस ६ तटै छ । ६. पंचाइण। १०. पूरो। ११.. मान पूरारो। १२. केसोदास मांनरो। १३. प्रताप हीडोळ" वसै । ६. हरराज नरवदरो। ६. मोकल । ६. अखैराज । हाडी करमेती रांणा उदैसिंघरी मा, नरबदरी बेटी ।
... .... . वात
हाडो सूरजमल, रांणो रतनसी बेहू' काम आया। रतनसीरै बटो हुवो नहीं । तठा पछै टीकै विक्रमादित बैठो सु थोड़ाही दिन .. जीवियो । नै विक्रमादितरै फेर चीतोड़ पातसाह बहादर तोडियो ।
. . . I सुरंग। 2 भीमके वंशज लाठीमें कर लेते हैं। 3 प्रताप हीडोले नामक गाँवमें बसता है। 4 दोनों। 5 विक्रमादित्यके समयमें गुजरात के बादशाह बहादुरने चित्तौड़को तोड़ा। ... .....
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मुंहता नैणसीरी स्यात उरजण काम पायो । तठा पछै चीतोड़ उदैसिंघ टीकै बैठो, तरै सूरजमलरा बेटा सुरतांणनूं तेड़ बूंदीरो टीको दियो । सु सुरतांण कुलखणो ठाकुर हुवो । हाडो सहसमल, सातळ वृंदी वडा उमराव हुता । तिणारी सुरतांण रीसाय नै अांख काढ़ी । और ही उपाध करै । तरै वृंदीरा उमराव सारा रांणा उदैसिंघ कनै पाया । कह्यो-"यो धरती लायक नहीं ।" तरै उरजन आगै थोड़ो सो पटो पावतो । चीतोड़ कांम आयो हुतो । नै सुरजण रांणारो चाकर हुतो. गांव १२ पटो पावतो। पछै वार एक जगनेर कांम दीवांणरै पड़ियो थो त, सुरजन घावै पड़ियो हुतो', तरै दीवांण फूलियारो परगनो दियो हुतो । पर्छ फूलियो तागीर कर बधनोर दी हुती । तिण समै सुरतांणरी या ख़बर... वुरी आई तरै रांग उदैसिंघ सुरजननं वृंदी दीवी। टीको काढ़ियो। .. रजपूत सारा आय मिळिया । सुरजन दिन-दिन वश्तो गयो । रांग ... वडो इतबार कर इतरा गढ़ पटै देनै रिणथंभोररी कूची सूंपी।
१ वृंदी गांव ३६० । १ पाटण । १ कोटो। १ कटखड़ो। . १ लाखेरो गांव। १ नैणवाय। १ प्रांरतदो। १ खैरावद-गांव ८४ । वृंदीसू कोस ३५। राव उरजण नरवदरो अांक ६- . १० राव सुरजण। १० राम ।
___I कुलक्षणों वाला। 2 सुरतानने क्रोव करके जिनकी अांखें निकलवा दीं। 3 और भी कई उपद्रव करता रहता है। 4 पृथ्वी पर राज्य करने योग्य नहीं। 5 वहां सुरजन घावाने जर्जरित होकर गिर गया था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १११
११ दूदो - लकड़खांनरो। जैसा भैरवदासरी बेटी जसोदारो ।
११ जीतमल ।
११ नरहरदास ।
१२ सांईदास । बूंदीरे वणखेड़े ।
१३ रूपसी ।
१३ प्रतापसी ।
१३ सकतसिंघ ।
११ रायमल ।
१२ रामचंद | तिरै वंसवाळा पीपलू छै ।
।
११ राव भोज सुरजणरो । ग्राहाड़ा हिंगोलारी बेटी कनकावतीरा पेटरो' । कोई कहै जगमाल लाखावत आहाड़ारी बेटी ।
हाडा सुरजनरो वडो इतबार रांग ऊदै कनै परगना ७ पटै दीना । गढ़ रिणथंभोररी कूंची देने थांणादार कर राखियो । रांणै ' उदैसिंघ सांदू रांमारै मांमलै सीसोदियो भांणो गोती' हाथसं मारियो । तरै आप द्वारकाजी जात पधारिया तरै सुरजन साथै हुतो । तद रिणछोड़जी द्वारो इसड़ो न हुतो' । पछै सुरजन दीवांण कना हुकम मांगियो, कह्यो - "कहो तो हू रिणछोड़जीरो देहुरो फेर कराऊं ?" दीवांण कह्यो - " भली वात ।” तरै सुरजन रिणछोड़जीरो देहुरो हमार विराजै छै सु करायो । पछै संमत १६२४ अकबर पातसाह चितोड़ तोड़ियो । रा० जैमल, ईसर सीसोदियो, पतो जगावत कांम आया । पाछा वळतां रिणथंभोर घेरियो । वरस १४ सुरजननूं
. I कनकावतीकी कोख से उत्पन्न । 2 कोई कहते हैं कि लाखाके पुत्र जगमालकी पुत्री से उत्पन्न | 3 हाडा सुरजनका राना उदयसिंहके निकट बड़ा भरोसा | 4 सांदू रामाचरणके लिये अपने गोत्री भांरणाको राजाने अपने हाथसे मार दिया था । 5 तब श्री द्वारका के रणछोड़जीका मंदिर ऐसा नहीं था । 6 तव सुरजनने श्री रणछोड़जी का मंदिर जैसाकि प्रवतक बना हुआ है--नया बनवाया ।
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११२ ]
मुंहता नैणसोरी ख्यात गढ़में रहतां हुवा था । पछै सुरजनरो वळ छूटो । तरै कछवाहै भगवंतदाससूं वात करायन संमत १६२५, चैत सुद ६ पातसाहतूं मिळियो । इतरी वातरो कौल कियो-"हू रांणारी दुहाई खाईस'। रांणा ऊपर विदा नहीं हुवां।" गढ़ पातसाहनूं दियो। सुरजन पातसाहतूं आय मिळियो । परगना ४ चरणां ७ वांणारसी दिसला ... दिया। पातसाह आगर जायनै सीसोदियो पतो जगावत, रावत जैमल वीरमदेोत अागरारी पोळ हाथियां चढ़ाय मांडिया'। सुरजननूं कूकररी भांत मंडायो । तरै सुरजन गाढ़ो लाजियो । पछै वांणारसी गयो । उठे सुरजनरा कराया मोहळ' छै । सु सुरजनरो छोटो बेटो थो, पातसाहरै पावै रह्यो। नै बडो बेटो दूदो रिणथंभोर थो हीज । रांणा उदैसिंघ कनै गयो । रांण क्यु रोजीनो कर दीनो । पछै सुरजन वेगो हीज मूंवो । तरै पातसाह टीको दे नै बूंदी भोजनूं दीवी । दूदै बूंदी थी ग्रासवेध मांडियो' । सासतो धुंकळ करै'। धरती वसण दै . नहीं । वेळा १० आगरै अंवखास मांहै प्राय भोजतूं मामलो कियो''। तद रतन दूदा कनै रहतो: पछै दूदानूं विस हुवो"। पछै भोज बूदी आयो । खराब हुई धरती भौज वसाई । धरती दिन-दिन रस , . पड़ती गई।
I मैं शपथ राणाकी उठाऊंगा। 2 राणाके ऊपर चढ़ाई करके नहीं जाऊंगा। 3 तरफके। 4 पत्ता और जैमल बड़े वीर थे । चित्तौड़में बड़ी वीरतासे लड़कर काम आये इरा लिये वादशाह अकबरने प्रसन्न होकर आगरेके किलेके द्वार पर इन दोनोंके चित्र हाथी पर बैठाकर चित्रित करदाये। तभीसे यह रिवाज राजमहलों और मंदिरों यादिके द्वारों पर इनके चित्र मॅडवानेका चालू हुआ। 5 अपने हाथसे रणथंभोरका किला सुपुर्द कर देनेके कारण सुरजनका चित्र कुत्तेकी भांति बनवाया । 6 खूब लज्जित हुआ। 7 महल । 8 राणाने दैनिक वेतन नियत कर दिया। 9 दूदेने बूंदीके साथ (कर-वसूलीके सम्बन्ध में) लूट-खसोट करना शुरू कर दिया। 10 निरन्तर उत्पात मचाता रहता है। II दस वार ... आगराके ग्राम और खास.दरवारमें आकर भोजसे वखेड़ा किया। 12 दूदा विप देकर मार दिया गया। 13 दिन प्रतिदिन भूमि वसने लगी।
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बूंदीरा देसरी हकीकत ___ संमत १७२१ रा जेठ माहै रा० रामचंद जगनाथोत' मंडाई। बूंदी सहर भाखर लगती वसै छै । रावळा-घर भाखरके आधोफरै' छै। पिण माहै पांणी मामूर नहीं । सहर आयो पीजै । भाखर वाळारो सहर लगतो' । झाड़ घणा । वळारै भाखर में पांणी घणो । सहर माहै पाखती' पाणी घणो। वडो तळाव सूरसागर, तिणरी मोरी'' छूटै छ, तिणसू वाघ-वाड़ी घणा पीवै' । वागे" प्रांबा फूलाद चंपा घणा । सहर वस्ती उनमांन' घर ५०० वांणियांरा, घर १०० बांभण-विणजांरारा", घर सो पांच भईया-हीड़ागरांरा । - राव भावसिंघनूं हमार" जागीरमें इतरा' परगना छ । तिणांरा' गांव
३१६ प्र० बूंदी। ३६० खटखड़ बूंदीसू कोस ६ । ८४ पाटण बूंदीसू कोस १२ । ४२ लाखेरी गोडां वाळी, बूंदीसू कोस ६ । बूंदीरी पाखती हाडोतीरा परगना--
१ परगनो मऊ खीचियारो । उतन मऊरा परगना मां है । सिंध भली नदी सदा बहती रहै छै । मऊसू कोस ७ गांव धूळकोट छै त, नीसरै छै" । पांणी मूळ धुंडवांणरो आवै छै । आहीज' नदी गढ़ गांगुरणरै हे?" नीसरै छ । तिको मऊरो परगनो राव रतन
I जगन्नाथके पुत्र राव रामचंदने संवत् १७२१ के ज्येष्ठ मासमें लिखवाई। .. 2 पास। 3 जागीरदारके घर। 4 मध्यमें। 5 सर्वथा। 6 शहरमें आने पर पानी पीनेको मिलता है। 7 अरावली पहाड़ शहरके निकट । 8 वृक्ष । 9 पास। 10 मोरी बहती है। II जिससे वाग और बाड़ियोंको बहुत पानी सींचा जाता है। 12 बागोमें । 13. पुष्पों वाले वृक्ष और पौधे । 14 अनुमान । I5 ब्राह्मण-बनजारे, बैलों पर माल इधरसे उधर ला-लेजा कर क्रय-विक्रय करने वाली एक प्रसिद्ध व्यापार करने वाली जाति। 16 पांच सौ घर छुट भाई नौकरोंके। 17 अभी। 18 इतने। 19 मऊसे । 20 कोस पर धूलकोट गांवके पासमें होकर निकलती है। 21 गुंडगांवके श्रोतका पानी ही मुख्यकर इसमें पाता है। 22 यही।
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११४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात मार लियौ'। वृंदीथी कोस ३० गांव १४४० लागै । मऊ छोटो सो सहर पिण छै। पीपाड़ सारीखो रड़ी ऊपर वसै छै। भाखर छै । अगवारै गांव ७०० चौड़े छ। पछवारै' गांव ७४० भाखर झाड़ छ । मऊरा कोटरा पठा' हे नदी उतार सदा वहतो रहै । सेझो को नहीं । सेवज गोहूं चिणा घणा' । धरती काळी, वाड चावळ घणा। रैत लोधा, किराड़, मीणा वसै' । हाडा भगवंतसिंघरी जागीरीमें पाई छ । सु भगवंतसिंघ वडा-वडा मोहळ", तळाव नवा संवराया छै । घर ... हजार दोय २००० वसै छै ।।
१ कोटो, वृंदीथी कोस १२, गांव ३६० लागै । निपट वडी ठोड़ । जोधपुररा धणीरै सोझत ग्रासवेधरी" ठोड़ त्यूं वृंदी दूजी ठोड़ कोटो । नदी चंवल ऊपर हाडै मुकन्दसिंघरा कराया बड़ा मोहळ छ।
१ खैरावद, बूंदीथी कोस ४०, मऊथी कोस १४ । दूजो नांन" मिलकी-अभिरांमपुर । गांव ८४ लागै ।
१ पैळाइतो, बूंदीथी कोस १४, कोटाथी कोस ८ गांव ८४ । १ सांगोद, वृंदीथी कोस २५, गांव ८४ । १ वाटी, खीचियांरो उतन । वृंदीथी कोस २५ । कोटातूं कोस ..
७, गांव ५१ । १ घाटोली, खीचियांरो उतन । बूंदीसू कोस २५, कोटातूं कोस
६, गांव ३१ ।
..
____ I खोस कर उस पर अधिकार कर लिया। 2 छोटी पहाड़ी परका (वा ऊंचा . उठा हया) समतल मैदान । 3 आगेकी ओरके ७०० गांव तो चोड़े-मैदानमें हैं। 4 और पीछेकी ओरके ७४० गांव पहाड़ों पर वृक्षोंसे घिरे हुए हैं। 5 पानीको रोकनेके लिए बांधके रूपमें बनाई हुई एक दृढ़ दीवार. अथवा. दीवारको नींवमें पानीकी टक्करको रोकनेके लिये वनाई हुई पुष्टि। 6 नदी-नालों आदिका पानी सोखनेसे कूत्रों आदिमें पानीका बढ़ाव 1 7 (अतः ऊपरकी भूमिमें नमी बनी रहनेके कारण) सेवज (विना सिंचाईके उत्पन्न होने वाले) गेहूं चने अधिक ।' 8 ईख। 9 लोधा, किराड़ और मीणे-यह · . प्रजा वमती है। 10 प्राप्त हुई है। II महल । 12 (१) अधिक कर प्राप्त होने वाली . उपजाऊ भूमि, (२) संकटके समय रक्षाका स्थान । I3 नाम ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ११५ १ गागुरण, बूंदीथी कोस ३०, मऊसू कोस ४, कोटासू कोस .
१० खीची अचलदास वाळी । भाखर ऊपर वडो गढ़ छ । निपट चोड़ौ, जिण माहै मांणस' हजार १०००० रहै । गढ़ वासै नदी सिंध वहती सदा रहै छ। तिणरो पांणी गढ़ माहै वाळियो छ । प्रागै तो गढ़ सूनो-ठमठेर सो थो। हमार हाडै मुकंदसिंघरी जागीरमें मुकंदसिंघगढ़ जोर संवरायो । वडा मोहल कराया। गांगुरण सहर घर ७०० तथा ८००
वसै छै । नदी सिंध - या मऊरा परगना मांहै वहै छै । मूल आ ___ गुंडवांणथी आवै छै । मऊथी निजीक सहर इतराएक कोस छै--
एवारो परगनो गांव १२ । सदा हाडांरो उतन' थो। हमें पातसाहजी और जागीरदारनूं दियो छै । मऊ कोटा वीच छै । ____ गूगोर, खीचियांरो उतन । मऊसू ऊगवण कोस २५, गांव ३६० लागै छै । छोटोसो गढ़ छ । सहरमें घर १००० वसै छ ।
___ खातखेड़ी मऊथी कोस २०, भील चक्रसेणीरी ठोड़ । हाडा .. भगवंतसिंघनूं छै । मारली" गांव ७०० । . चाचरणी, खीची वाधरी । खीचियांरो उतन । मऊथी कोस १५ । खाताखेड़ीथी कोस ५ । गांव ८४ ।
बेहु सिंधलवाली, गोपलदे भगवंतसिंघ जागीरमें ।
चाचरड़ो, खीची सांवलदासरो । गांव ४२ । खाताखेड़ीसू कोस
७। मऊरै परगनै वडेररा गांव नांवजादीक छै । .. १ देवीखेड़ो।
I मनुष्य। 2 पीछे। 3 जिसका पानी गढ़में घेरकर लाया गया है। 4 पहले यह गढ़ सूना और खाली था। 5 अभी मुकुन्दसिंहने अपनी जागीरीमें गढ़को खूब सुधरवाया। 6 पास। 7 जन्मस्थान 8 पूर्व दिशामें। 9 भील चक्रसेनकी जागीरी । 10 जो अभी हाडा भगवंतसिंहके अधिकारमें है। II जिसको भील चक्रसेन पर आक्रमण करके अपने अधिकारमें कर लिया। 12 चाचरणी गांव खीची वाधकी जागीरका । 13 दोनों। 14 पुरखाओंके। 16 ख्याति प्राप्त ।
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११६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
१ हरीगढ़। १ जोलपो। १ मोही। १ मोटपुर। १ कूड़ी। १ बंभोरीरो परगनो । गांव ८४ । १ जरगो। १ अटरोह । गांव ८४ । १ धूळोप। . १ जीलवाड़ो । गांव ८४ । धरती रैतरो हैंसोंवाड़ वीघे १ रु. ५)
आवळ वीघे १ रु. ५) वण* वीघे १ रु. १।।)
ऊनाली पीयल नहीं । सँवज घणा । साळ', गोहू, वाड़, चिणा घणा । रैत देस मांहै
बांभण-गूजरगोड । पारीख । मीणा। धाकड़ । किराड़। अहीर। नदी ४ हाडोती माहै--- १ चांवळा । १ सिंध ।
I प्रजासे भूमिका कररूपमें प्राप्त किया जाने वाला भाग इस प्रकार है। 2 ईख . . प्रति बीघे रु. ५) । 3 आँवल प्रति बीघे रु. ५)। 4 रूई प्रति बीघे रु. १॥)।
5 सिंचाई द्वारा की जाने वाली ग्रीष्मकालीन-कृपि यहां नहीं होती। 6 परिमाणसे अधिक ... . वर्षा होनेके कारण भूमिमें आर्द्रता बनी रहनेसे विना सिंचाईके होने वाली शरत्कालीन . .
कृपि । 7. शालि–साठी चावल। 8 देशमें इस भाँति प्रजा वसती है ।' 9 ब्राह्मण। . 10 चम्बल ।
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मुंहता नैणसीरो ख्यात
इ. ११७
१ पार। १ पुडण ।
.
वात
बूंदीरा देसरा रजपूतांरी विगत--- मुदै हाडा सांवंतरा असवार ५०० जोड़ । हाडो लिखमीदास मानसिंघरो, गांव नांदण । हाडो प्रथीराज केसोदासरो, भोजनेर । हाडो रायभांण रायसिंघरो, तलावस मीयांरै गुडै । हीडोळारा हाडा, परतापरा पोतरा । हाडा खजूरीरा, तिलोकरांमरो लखमण । दहियो हमीर, जैमालरो पोतरो । दहियो सांवळदास, गोवरधन सुंदरदासोतरांरै पटो रु. २००००) । दहिया प्रासांमी ३० चाकर छै । आदमी ३०० । सोळकी आदमो ४०० सौ । हरीसिंघ राघवदासरो। सूर नाहरखांनरो। रावत जगतसिंघ मानसिंघरो । गोड़ सांगावतरावत आसकरण । गोड़ सुंदरदास । गोड़ गैपवित। बालणोत सोळकी, आसामी दस तथा पनरै, आदमी १०० । नवब्रह्मरा हाडा, आसांमी दस तथा १५, आदमी १०० । राठोड़ ऊदावत, कछवाहा, अासांमी १०, आदमी १०० । वीकावत-सादूळरा बेटा-पोतरा'. आदमी १०० ।
मुख्य । 2 पाँचसो जोड़ अर्थात् एक हजार । 3 पोता। 4 वेटे-पोते ।
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११८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात राजावत आदमी १०० ।
हाडा रांमरा रांमोत कहावै छै । आज वडै वाधै छै' मुदै आदमी २००।
इतिश्री बूंदीरा धणियां हाडांरी ख्यात वार्ता सम्पूर्ण । लिखतं वीडू पना, वांचे जिकण सिरदारसूं मुजरो मालम हुसी ।
I आज ये बड़ी उन्नति पर हैं। .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[११६ वागड़िया चहुवांणारी पीढ़ी. अ मुंधपाळरा पोतरा कहावै छै' । पीढियांरी विगत---
१ ब्रह्मो। १४ सिंघराय २७ मुंधपाळ । ... २ वैवस्वत । १५ राव लाखण। . २८ वीसळदे । ३ रावण । १६ बळ ।
२६ वरसिंघदे। ४ धुंध । १७ सोही। ३० भोजो। ५ तपेसरी। १८ जिंदराव । ३१ बालो। ६ तप।
१६ पासराव । ३२ डूंगरसी। ७ चाय । २० सोहड़ । ३३ लालसिंह। . ८ चहुवांण । २१ मुंध । ३४ वीरभाण ।
६ तपेसरी। २२ हापो। ३५ सूजो। . .. १० चंपराय। २३ महिपो। ३६ फरसो।
११ सोम । सैंभर वसाई । २४ पतो।। ३७ केसरीसिंघ। : १२ साहिल । २५ देदो। ३८ माहिसिंघ ।. १३ अंबराय। २६ सेहराव । ३६ लालसिंह ।
वार्ता चहुवांण डूंगरसी बालावत वडो रजपूत हुवो । वागड़ पिण को दिन रह्यो छै । राणा सांगारै पिण वास थो । वडो कायदो बडो ... पटो पायो । वधनोर रांग सांगै पटै दी थी । घणा दिन वधनोर
रही । वधनोर डूंगरसीरा कराया वडा-वडा तळाव छै, वावड़ियां मोहळ छै । रांणो सांगो नै अहमदनगर मुदाफर पातसाहतूं वेढ़ हुई, त, डूंगरसी आप धावै पड़ियो' । बेटा, भाई, भतीजा इण वेढ़ सारा
I ये मुन्धपालके पोते कहलाते हैं, सं० २७ पर मुंधपाल है । इसके पूर्वकी वंशावली अंशुद्ध है । मुंधपालके बादमें जो हैं वे ही वागड़िया चौहान मुंधपालके पोते कहलाते हैं । वागड़ प्रान्त (डूंगरपुर-बांसवाड़ा) में रहनेके कारण वागड़िया-चौहान कहलाये। 2 कुछ। 3 राना सागाके पास भी रहा था। 4 प्रतिष्ठा। 5 जागीरी। 6 लड़ाई। 7 जहां डूंगरसी स्वयं आहत होकर गिर पड़ा।
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१२० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात काम आया । कांहै डूंगरसीरै वडो पराक्रम कियो । किंवाड़ लोहरा अहमदनगररी पोळरा तापिया' था । तठे हाथी लाग न सके, तरै काह्न महावत कह्यो-"हू वीच आऊं छू, मोनूं वीच देने हाथी कनां किंवाड़ भंजाय नांख ।" तरै काह्न किंवाड़ां प्राडो आयो । हाथी काह्नरै मोरै दांत टेकन किंवाड़ तोड़ नांखिया ।
२ काह्न डूंगरसीरो। २ सूरो डूंगरसीरो। ३ भांण। ३ करमसी। ४ जसवंत। ५ केसोदास। ६ सांवळ । ७ गोपीनाथ । ८ सूरतसिंघ । मही ऊपर काम आयो । ६ सिरदारसिंघ । रांण जैसिंघरै वारै' । ३३ अखैराज डूंगरसीरो। ३३ लाल डूंगरसीरो। चीतोड़ काम प्रायो। ३४ सांवळदास। ३४ वीरभाण । रावळ करमसी उग्रसेन लडिया तद कांम आयो। ३५ मांन । संमत १६५१ मांन नै रावळ उग्रसेन विरस हुवो,
तद मांन पातसाहरै वसियो । पर्छ संमत १६५८ ब्रहानपुरमें रा० सुरजमल माननूं मारियो । रावळ उग्रसेन कनां रा०
सूरजमल बांभणांनूं कर लागतो सु छुड़ायो । ३६ सत्रसाल।
I अहमद नगरकी पोलके किंवाड़ अग्निसे तपाये हुए थे। 2 को। 3 मैं बीचमें आता हूँ, मुझको वीचमें देकर हाथीके द्वारा किवाड़ोंको तुड़वा डाल। 4 तव कान्ह किवाड़ोंके पास आकर खड़ा रहा। 5 हाथीने कान्हकी पीठमें अपने दोनों दांतोंको टिका कर, टक्कर मार कर किवाड़ोंको तोड़ डाला। 6 मही नदी परकी लड़ाईमें काम आया। 7 समयमें । 8 वैर, शत्रुता। 9 तब मान वादशाहके पास जाकर रहा। 10 द्वारा । ..
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ १२१ . ३५ सूजो-रांणा जगतसिंघरी फोज साथै अखैराज डूंगरपुर
- मारियो' तद काम प्रायो। ३६. फरसो। ३३ लाखो डूंगरसीरो। ..३४ नाथो। ३५ वेळावळ । ३५ संकरदास । ३६ रिणमल । ३५ हाथी वाळारो।
१ किसन हाथीरो २ कपूर किसनरो। ३ ईसर कपूररो। ४ भीम ईसररो। . ५ जसकरण भीमरो। ६ प्रतापसिंघ जसकरणरो। ७ सिरदारसिंघ प्रतापसिंघरो। ८ गुलालसिंघ सिरदारसिंघरो । वांसवाहळ रहै छै ।
इति वागड़िया-चहुवांणांरी ख्यात संपूर्ण ।
लिखतं वीठू पना।
_I विजय किया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
अत वात दहियारी ( परबतसर माहै लिखी । संमत् १७२२ आसोज मांहै ) दहियांरो उतन मूळ सुणियो छ । दिखणनं नासक त्रंबक गोदावरी कन, गढ़ थाळनेर थो' । इतरी ठोड़ दहियांर अजमेर माहै हुती
१ देरावर-परवतसर गांव ५२ । १ सावर-घाटियाळी । १ हरसोर । विल्हणरो बेटो हरधवळ धणी। १ माहरोटरो विल्हणवटी नांव । १ परवतसर साह परवत मांडवरै पातसाहरो करोड़ी आयो तिण आपरै नांवे वसायो । पंवार करमचंदरी वार मांहै. .
संमत १५७६ सांह परवत जुहर। दहियार पीड्यांरी विगत१ प्रादनारायण । २ कमल । ३ ब्रह्मा। ४ पित्रावरण। ५ अगस्त । ६ पोलस्त। ६ पागरिख । ८ दरवाना।
00
१० निगम ।
म
हिलोंकी गदि जन्म-भूमि दक्षिण में गोदावरी पाग क सरी मेरा भी बने स्थान दहियोगः अजमेर प्रान्त में थे। , मानो मांग मानका नाम बिमावादी मांग बारमाही मोरगे Ear गरम आकिमी १५ में पवार यामनंदये
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मुंहता नैणसीरी ख्यात..... [ १२३ .. .. १२ दधीच'।
. ....... ... १३ विमलराजा। .
__१४ सिवर।
१५ कुलखत । १६ अतर । १७ अजैवाह । १८ विजैदाह।
१६ सुमल । ... २० सालवाहन । हंसावली रानी।
२१ नरवाहण ।
२२ देहड़, मंडळीक देरावर । .. २३ बूहड़, मंडळीक ।
२४ गुणरंग, मंडळीक ।
२५ दोराव रांणो। ... २६ भरह रांणो। भदियावद वासी
२७ रोह रांणो । रोहड़ो बसियो । २८ कड़वराव रांणो। २६ कीरतसी रांगो। ३० वैरसी रांणो। . ३१ चाच रांणो । देवी केवायरो देहुरो करायो । भाखरी ऊपर
___ गांव सिण हड़िय। - ३२ अनवी' उधरण । परबतसर माहरोट धणी । वडो रजपूत
हुवो । तिणरै बेटांरा पिड २ ।
___I दधीचि ऋषिके वंशज दहिया क्षत्री हैं। मारवाड़ के किरणसरिया गांवके केवायदेवीके मंदिरके सं० १०५६ के शिलालेखमें दहियोंका दधीचि ऋषिके वंशज होनेका उल्लेख है। दाहिमा ब्राह्मण भी दधीचिके वंशज कहे जाते हैं। 2 देरावरका मांडलिक राजा देहड़। 3. चाच रानाने सिणहड़िया (अब इसका नाम किरणसरिया) गाँवके पास पहाड़ी पर केवाय देवीका मंदिर बनवाया। 4 किसीके सम्मुख नहीं झुकने और अपने नामसे प्रख्यात होने वाला तेजस्वी और महावली। 5 जिसके दो पुत्र। .
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१२४ ]
· मुंहता नैणसीरी ख्यात ३३ जगधर रावत उधरणरो। परबतसर धणी तिकै मांडल,
परबतसरथी कोस १ छै त, ठाकुराई। उठे देहुरा, वावड़ी,
कूा अजैस छै'। ३४ दूदो रावत जगधररो। ३५ रावत मालौ दूदारो। ३६ रावत कुंतल मालारो। ३७ रावत मोडो कुंतलरो। ३८ रावत सूजो नै जोगो मोडारा। ३६ पेरजखांन जोगारो। ४० हरीदास । ४१ रामदास, सिणहड़ियै छ ।
३३ विल्हण अनवी उधरणरो । तिणरै सारी माहरोठ
हुती। गांव देपारो, माहरोटथी कोस २ भाख रमें छ त? वसता । त, कोट छ, तळाव छ । तठै ठाकु
राई हुई । वे देपारा दहिया कहावै । ३४ बीबो, तिणरो करायो परबतसर बीबासर तळाव
छै । इणरी बैर कंवळावती रांणा ईहड़री बेटी। . तिणरो करायो राणोळाव तळाव छ । जेळ री बैहन । ३५ पोहपसेन बीबारो । राजा कुंतरी बेटी रतनावती
परणियो हुतो । कुंतल गांव १२ सूं पीपळ दीवी
थी। छतीसपवन दीवी थी । खेजड़ली दीवी थी। ३६ कंवळसी। ३७ जैसिंघ । ३८ कील ।
I अभी तक हैं। 2 वीवा-जिसने परवतसर गाँव में वीवासर नामक तलाव वनवाया था । इसकी स्त्री राना ईहड़की पुत्री और जेलूकी वहिन कमलावती थी जिसने रागोलाव तलाव वनवाया था। 3 बीवाका पुत्र पुहपसेन, जो राजा कुन्तकी कन्या रत्नावतीसे व्याहा था। कुंतलने रत्नावतीको बारह गाँवोंके साथ पीपळ गाँव दहेजमें दिया था और उसके साथ छत्तीसपवन और खेजड़ली भी । (छत्तीसपवनसे तात्पर्य ३६ जातियोंका . दहेज में देनाभी हो सकता है)।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १२५ ३६ नरबद । कहै छै-नागोर मारी हुती' । ४० लखो। ४१ पासो। ४२ सूरज। ४३ प्रथीराज, चीतोड़ काम आयो । हाडांरो चाकर । ४४ जैमल । ४५ हमीर, निपट वडो रजपूत हुवो । ४६ विहारी, ४६ रांमदास, ४६ मुकंददास, ४६ नरहरदास ४५ विजैरांम जैमलरो। ४६ मोहणदास । ४७ सुदरदास । ४८ सांवळदास। ४८ स्यांम। ४८ गोवरधन। ४७ महासिंघ।
गीत दहिया हमीररो महाकाळ जमजाळ जोधार जैमल्लरो,
कळहरो कथन संसार कहियो । __ I कहा जाता है कि नरवदने नागोरको विजय किया था। 2 दहिया हमीरके सम्बन्धके गीतका अर्थ---
जयमलका पुत्र वीर हमीर महाकाल और यमपाशके समान हो गया है । संसारमें युद्ध करने वालोंमें वह कथनरूप (प्रशंसा करने योग्य) कहा गया है । दुरात्मा बादशाहके लिये हाडा दूदा गल्यरूप हुया किन्तु दहिया हमीर उसी दूदाके हृदयमें शल्यरूप हुआ ॥१॥
नृपति नरवदका वंशज दहिया हमीर अत्यन्त निर्भय वीर हुया । अपने स्वामीका काम सिद्ध करने वालों में बह बड़ा वीर और धीर पुरुष हुया । हाडा दूदा तो बादशाहके हृदयका शल्य हुअा परन्तु उस हाड़ाके हृदयका शल्य तो हमीर ही हुआ ।।२।।
अत्याचारोंसे मुक्ति दिलाने वाले रण-कुशल हमीरने, सदा सजा हुया रहकर अपने ___ स्वामीके कामोंको सिद्ध अर्थात् विजय करके उनपर उसकी ओरसे अधिकार किया । जिन
प्रकार पराक्रमी दूदाने बादशाहको चैन नहीं लेने दिया उसी प्रकार दुरात्मा दुवा हृदय में भी हमीर शल्यकी भांति सटगता रहा ।। ।।
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१२६ ]
in
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मुंहता नैणसोरी ख्यात दुरत पतसाहरै सालव्हो दूदड़ो, दूदड़ा तणे उर साल दहियो ॥१॥ निवड़ भड़ निडर नरनाह नरबद्दरो, सकज भड़ स्यांमरो काम सधीर । हिये पतसाहरै साल हाडो हुवो, हियै हाडा तणे साल हमीर ।।२।।
आवरत-कहर असवार प्राखाड़ सिध, कांम पह चाड इधकार कियो । दूदडै दूह पतसाह अोसुल दियौ, दुरत दूदा उर साल दइयो ॥३॥
इति दहियां परवतसररांरी ख्यात वार्ता संपूर्ण । लिखतं वीठू पना । वाचे जिण सिरदारसू मुजरो' मालम हुसी।
I प्रणाम।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १२७ अथ बू'देलारी' वात लिखते राजा वरसिंघ बूदेलारै इतरा गढ़ हुंता । बूंदेला सुभकरणरै चाकर चक्रसेन मंडाया' संमत १७१०१ जगहरो परगनो, तिणरो गांव उड़छो तिणनूं गांव १७००
लागै । रु० ७००००) १ भाडेररो परगनो, गांव ३६० । उड़छाथो कोस १२,
रु. ५०००००) १ एलछरो परगनो, गांव ३६० । उड़छाथी कोस १२,
रु० ७०००००) १ परगनो राड, गांव ७०० । उड़छासू कोस ३०,
रु० ६०००००) १ परगनो खोटोलो, गांव १७०० । उड़छाथी कोस २०,
रु० ३०००००) १ परगनो पबई, गांव १४०० । उड़छोथी कोस ४०,
रु० १५००००) प्र० पांडवारी,गांव १४०० । उड़छाथो कोस २०,रु० ७०००००) १ प्र० धमांणी, गांव ६०० । उड़छायूँ कोस ४०,
रु० ७०००००) १ प्र० दमोई, गांव ३५०, उड़छासू कोस ५०, रु. १०००००) १ प्र० सीलवनी । धांमणी, चवरागढ़ वीच । १ गढ़ पाहरांद गीराजरी ठोड़ । १ चोकीगढ़, गंडांरो। १ गुनोर, गंडांरो। १ उदैपुर सिरवाजरै मैडै । १ कछउवा उड़छाथी कोस १२ ।
I राष्ट्रकूटों (राठोड़ों) की गहरवार शाखाके जिन क्षत्रियोंका बूंदेलखंडसे सम्बन्ध रहा वे बूंदेला कहाये। 2 इतने। 3 थे। ४ लिखवाये। 5 आगे की ओर । उस ओर पासमें।
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१२८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १ करहर, उड़छाथी कोस २० । १ दिहायलो नरवर मैडै । १ खुटहररै मैड़े अरणोद । १ वुडूण। १ पवउवा, उड़छासू कोस २० ग्वालेररै मैड़े। १ वेड़छो ग्वालेर निजीक । १ दभोड़ वेड़छै कनै'। १ कुंच पालमपुररै मैडै । १ मोहनी, गांव ८४, इंद्ररुखी । १ गोमोद भदावररै मैड़े। १ अवाइनो। १ साहरो लांगरपुर घाघेड़ो गांव १५०० १ चवरागढ़ गंडरो जुगराज लियोथो, तिणनूं गढ़ वावन
लागता ।
बूंदेलांरी वात कविप्रिया ग्रंथ केसोदासरो कियो-तिण मांहै बूंदेलां रै वंसरी इण भांत वात कही छै
| सूर्यवंसी। सूर्यवंसरै विष श्रीरामचन्द्ररो अवतार । तिणथी' कितरेहेक पीढ़ियां इणांरो गहरवार गोत्र कहांगो।
१ राजा वीरू गहरवाररो। २ राजा करन महाराजा हुबो तिण वारणारसी वास कियो। . ३ राजा अर्जुनपाळ तिरा मोहनी गांव वसायो । ४ राजा सहजपाळ 1 ५ राजा सहजइंद्र।
1 पास। 2 इन्द्रदिशाकी ओर। 3 गूंडा जिलेका चवरागढ़ वरसिंहके पुत्र जुगराजने । जीत लिया था जिसमें १२ किलेचे । 4 कवि केशवदास रचित 'कविप्रिया' नामक ग्रन्थ । 5 जिनमे कितनीहीक पीड़ियोंके पीछे इनका गहरवार गोत्र कहलाया। 6 काशी।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १२६ ६ राजा नागदे। ७ राजा प्रथीराज। ८ राजा रामचंद्र । ६ राजा राजचंद्र। १० राजा मेदनीमल । ११ राजा अर्जुनदे । तिण षोडस महादांन कीना' । १२ राजा प्रतापरुद्र । १३ राजा भारथचंद्र हुवो, तिणरै बेटो न हुवो तरै भाई मधुकर
साहनूं राज आयो। १४ राजा मधुकरसाह प्रतापरुद्ररो । तिण उड़छो वसायो । तिण ___मधुकरसाहरै इग्यारै ११ बेटो हुवा । १३ दुलहरांम टीकै मधुकरसाहरै हुवो। १३ संग्रामसाह। १२ होरलराउ । १२ नरसिंघ। १२ रतनसेन । १२ इंद्रजीत । १२ रनजीत । १२ सत्रजीत । १२ बलवीर। १२ हरसिंघदे। १२ रनधीर । संग्रामसाह, दुलहरांम ांक १३ । १४ भारथसाह।
१५ देवीसाह । .. १६ किसोरसाह ।
१४ किसनसाह।
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I जिसने सोलह महादान किये। 2 प्रोडछा - जो वूदेलोंकी राजधानी है।
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१३० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १५ जगतमिण । श्रीजोरै' कावलमें चाकर रह्यो हुतो। एकण .
ठोड़ पीढ़ियां यूं पिण मांडी छै१ राजा वीरू। २ गहनपाळ। ३ राजा सहजग। ४ राजाराम । ५ राजा नांनगदे ६ राजा प्रथीराज। ७ राजा रामसिंघ ८ राजा चंद्र । ६ राजा मेदनीमल १० राजा अर्जुनदे। ११ राजा मलूखां । १२ राजा प्रतापरुद्र। १३ राजा मधुकरसाह । १४ राजा वरसिंघदे।
राजा वरसिंघदे मधुकर साहरो । बडो भाग्यवान हुवो। पातसाह जहांगीररा हुकमसू खोजो अवलफजल मारियो । पातसाह
घणो निवाजियो। १३ राजा जुगराज। १४ राजा विक्रमाजीत । १३ राजा पाहड़सिंघ । १४ सुजांणसिंघ राजा । तीन हजारी असवार । १३ चंद्रमिण । १३ भगवानदास।
1 जगत्मणि - जोधपुरको महाराजा जसवंतसिंह जब कावुल गये ये तो उनके पास नौकर रहा था। एक स्थान पर वंगायली इस प्रकार भी लिखी है। 3 प्रसन्न हवा,
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ १३१ १४ सुभकरन । श्रीजीरै वास रु० ३५०००) पटो। १४ सकतसिंघ । १३ प्रेमसाह। १४ भगवंतराय। १५ चंपतराय । वडो रजपूत हुवो । जुगराज मारियां पछै धरती ___माहे वडो विखो कियो' । १६ सालवाहन । १५ सुजांणराय।
१५ भीवराय । .. १६ राजा वरसिंघ दे । धरमातमा हुवो । मुथराजीमें श्री केसो
रांयजीरो देहरो करायो। पातसाहरी चाकरी अखंड कीवी नै मुवां पछै टीकै जुगराज बैठो । सु बैठा पछै केई दिन तो घणो ही तपियो पछै श्रीठाकुरजी वीच देनै चवरांगढ़ गुंडांरो लियो । पछै संमत १६६६ रा काती माहै पातसाहतूं विरस' हुवो तरै पातसाह फोज की। खांनदोरा अबदूलाखांन और हिंदू मुसलमान विदा किया। पातसाह चढ़ ग्वालेर आयो । फोजां देस माहै दखल कियो । इणसूं घणी लड़ाई-वेढ़ कोई हुई नहीं' । पारपखै पातसाहरै माल आयो। जुगराज देस छोड़ नाठो । प्रागै जातां आप बैठां विक्रमाजीत माराणो' । पछै पातसाहजी उड़छै पधारिया । वीरसमंद वडो तळाव छै, तठे पातसाहजी को" दिन रह्या । पछै पातसाहजी सिरिवाज माहै हुय वहांनपुर पधारिया । पछै दोलतावाद पधारिया ।
इति बूंदेलांरी ख्यात वार्ता संपूर्ण ।
I चंपराय-बड़ा वीर राजपूत हुआ। जुगराजको मारनेके पीछे इसने पृथ्वी पर वड़ा भय उत्पन्न कर दिया । 2 गद्दी वैठनेके बाद कई दिन तक तो धर्मपूर्वक निष्कंटक राज्य किया। 3 फिर श्री ठाकुरजीकी शपथ खाकर धोखेसे गूंडा जिलेके चवरागढ़ पर अधिकार कर लिया। 4. शत्रुता। 5 सेना भेजनेकी तैयारीकी। 6 देशमें सेनाने अधिकार कर लिया। 7 इससे युद्ध नहीं हो सका । 8 अपार धन । 9 भाग गया । TOआगे जाकर उसके जीते जी उसका पुत्र विक्रमाजीत मारा गया। I कई।
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१३२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात वारता गढ़वंधवरा धणियारी
बांधवरो मुलक प्राद करणा-डहरियारो । नवलाख-डहर कहावै'।
करणो-डहरियो मारै पेट थो । दिन पूरा हुआ तरै करणारी मा कस्टी । तरै जोतखियै कह्यो'--"हमार वेळा बुरी वहै छै । अ दोय घड़ी टळ, पछै छोरू हुवै तो महाराजा-प्रथीपत हुवै ।" प्रा. वात करणारी मा सुणी, तरै उण आपरा पग ऊंचा बंधाया' । सु वा तो मर गई', नै करणो घड़ी दोय पछै जीवतो जायो' । मोटो हुवो" । करणो वडो महाराजा हुवो । गंगा-जमुना वीच घणी धरती करणारे हुई । करण आपरी' मांरी वात सुणी-"म्हारै वास्तै म्हारी मा इतरो कस्ट सह्यो । इण भांत देह त्यागी।" तरै करण चोरासी तळाव नवा . खिणायनै एक दिन आपरी मारी वांस तर्पण किया । और ही घणा धरम किंया“ । करणारो राजथांन गढ़ कालंजर, प्रयागजीसू कोस ४० । छै त, हुतो। __ वाघेल-धरती वसी-लेनै' बंधवगढ़ राजथांन कियो। वरसिंघदे वाघेलो गुजरातसूं गंगाजीरी जात पायो हुतो। तद अठ बंधवरी ठोड़ निवळासा" लोधा' रजपूत रहता। ठोड़' खाली दीठी । तरै गंगाजीरा पुलण" मनोहर देखनै अठै रहणरी कीवी । लोधांनूं मारने
___I आदिमें वांधवदेशका अधिपति करना डहरिया था । डहरियोंकी संख्या वहां पर नौ लाख होनेके कारण वह प्रदेश 'नौ लाख डहर' कहलाता है। 2 करना डहरिया जव गर्भस्थ था। 3 गर्भके दिन पूरे हुए तव करनाकी माताको प्रसव-पीड़ा हुई। 4 तव ज्योतिपियोंने कहा। 5 इस समय लग्न-ग्रहादि अशुभ चल रहे हैं। 6 ये दो घड़ी निकल जाय पीर बादमें पुत्र उत्पन्न हो तो वह महाराजा और पृथ्वीपति होवे। 7 इस वातको करनाकी माताने सुना तव उसने उस लग्नमें प्रसव नहीं होने देनेके लिए अपने पांवोको ऊपर वंधवा ... लिये। 8 सो वह तो इस कप्टसे मर गई। 9 किन्तु करना दो घड़ी पश्चात जीवित उत्पन्न हुमा। 10 वयस्क हुआ। II अपनी। 12 खुदवाकर। 13 पितरोंकी संतुष्टिके लिये अंजलिम पानी के साथ यव तिल आदि भर कर जलदान देनेकी एक मृतक-क्रिया । पितयन। 14 और भी बहुतना पुण्य-दान किया । . 15 वाघेल वरसिंहदेने किसी भी प्रकार का कर नहीं लिये जानेकी छूट दी गई हो ऐसी वसी ( प्रजा) को बसा कर वांधवगढ़ स्थानमें अपनी राजधानी बनाई। 16 निवल जैसे। 17 लोघा राजपूतोंका एक वंश । ... IS स्थान। 19 सुन्दर तट-प्रदेश देख कर।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वरसिंघ आ धरती लीवी । बंधवगढ़ वसियो ।
१ राजा वरसिंघदे ।
२ राजा वीरभांण । २ जांमणीभांण ।
३ राजा रामचंद - वीरभांणरो वडो दातार हुवो, दांन च्यार
कोड़ दिया ।
१ कोड़ नरहर महापात्रनूं । १ कोड़ चत्रभुज दसौंधीनूं'
१ कोड़ भइया मधुसूदननं ।
१ कोड़ तानसेन कलावंतनूं ।
४ वीरभद्र रामचंद्ररो ।
५ दुरजोधन ।
६ प्रतापादीत ।
[ १३३
५ राजा विक्रमाजीत मुकंदपुर रहतो । राजा मानसिंघरो जमाई | ६ बाबू इंद्रसिंघ मानसिंघरो दोहितो ।
६ सरूपसिंघ |
६ राजा अमरसिंघ, जिणनूं संमत १६६० में राजा श्रीगजसिंघजी बेटी चांदजी " परणाई । बंधव उरै कोस २० गांव रैयां वसतो । संमत १७०७ अमरसिंघ काळ कियो । ७ राजा अनोपसिंघ ।
७ फतैसिंघ ।
७ मुंगदराय ।
इति बंधवरा धणियां ख्यात वार्ता संपूर्ण ।
++
1 राजा रामचन्द्रने एक-एक करोड़के चार कोड़पसाव दान किये । 2 भाटको । 3 महाराजा गजसिंहजीकी कन्या चांदजी राजा अमरसिंहजीको व्याही थी । 4 यह गढ़वंधवसे उरली तरफ गांव रीवांमें रहता था । रीवां ग्राज पूर्वमें बाघेलोंकी राजधानी है । 5 मर गया ।
1
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१३४ ]
मुंहता नैणसीरी न्यात
वात सीरोहीरा धणियारी आद चहुवांण अनळकुंडरी' उतपत । वसिस्ट-रिखीस्वर आबू ऊपर राकस निकंदण खत्री ४ उपाया१ पँवार ।
२ चहुवांण । ३ सोळंकी।
४ डाभी। चहुवांण घणकरा सारा राव लाखण नाडूळ धणी । तिणरी पीढ़ी आसराव हुवो । तिणरै घरै वाचाछळ' देवीजी पाया छ । तिणरै पेटरा बेटा ३ हुवा । देवड़ा कहांणा छ । प्राबू पंवारांरी ठाकुराई हुती । तद अावूथी कोस ५ ऊमरणो छ त, सहर वसतो । पछ वीजड़रा बेटा ५ महणसी, आल्हणसी, • • • • ऐ लोग गूढ़ो कर रह्या था । पछै पंवारांसू सगाई देणी कीवी । २५ साँवठी दी। एक भाई अोळ रह्यो । पछै वै जान कर आया । सगळांनूं डेरा देराया । परणीजणनूं जुदा बुलाया। भला रजपूतांनूं वैरांरा वेस पहराया"। पछै परणाय सुवण मेलिया" । तठ के चँवरियां मांहीं पचीस सिरदार मारिया । नै जांनीवासै साथ उतरियो उणनूं अमलपांणियां मांहै काई वळाई दी सु वे छकिया तरै कूट-मारिया। अोळ दियोथो उण उठ वांस "सिरदार थोतिणनूं मारियो। आबू ऊपर चढ़ दौड़ियो । आबू हाथ आयो । सं१२१६ रा माह वद १ पंवारांसूं गयो ।
____ I चौहानोंकी उत्पत्ति अग्नि-कुण्डसे । 2 वशिष्ठ ऋपिश्वरने प्रावू पर राक्षसोंका नाश करनेके लिये चार क्षत्रियोंको उत्पन्न किया। 3 बहुतसे । 4 वाचा-वचन, छल-अभिलापा इच्छा-पूत्तिका वचन देने वाली देवी। 5 ये लोग छिपकर रह-रहे थे । 6 पीछे पंवारोंको अपनी पुत्रियाँ देनेका वचन दिया । 7 एक साथ २५ दीं। 8 धनकी एवज में एक भाईको उनकी चाकरीमें रखा। 9 पीछे वे वरात लेकर आये। 10 समस्तको रहनेके लिये जनिवासे दिलवाये । II चुनिंदा राजपूतोंको स्त्रियोंका वेश पहिनाया। 12 फिर उनका पाणिग्रहण कर सौभाग्य-रात्रि मनानेको भेजा। 13 वहां कई विवाह-मंडपोंमें २५ सरदारोंको मार डाला। 14 अफीम-शराव आदिमें। 15 बला। 16 ठोक-पीट कर मार दिया। 17 पीछे।
श्री रामनारायण दूगड़ इसी ख्यातके अपने हिंदी अनुवादमें पृ. १२१ में वीजड़के छः पूत्रोंके. नाम जसवंत, समरा, लुगा, लूंभा, लखा और तेजस्वी लिखते हैं सो ठीक प्रतीत होते हैं। महणसी, पाल्हणसी वीजड़के पुत्र नहीं हैं ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १३५ पीढ़ी सीरोहीरा धणियांरी, संमत १७२१ रा मोह माहै पाढ़े महेसदास लिख मेली।
संमत १४५२ वैसाख वद २, गुरुवार राव सहसमल सोभारै सरणुवारै भाखररी खंभ' नवो सहर आबूथी कोस १० वसायो । आबून सरणुवारो भाखर एक लगती डाक छै। सरणुवारो भाखर एढो क्यं न छै।
पीढियांरी विगत१ सालवाहन
२ जैवराव ३ अंबराव नै गोगो भाई ४ दळराव ५ सिंघराव
६ राव लाखण ७ बळ
८ सोही ६ महीराव
१० अणहल ११ जिंदराव
१२ पासराव १३ पाल्हण
१४ कीतू १५ महणसी
१६ पतो १७ बिजड़ । अठै तो महणसीरो १७ लुभो
मंडियोड़ो छै नै केई विजड़
कीतूरो कहै छै । १८ सळखो
१६ रिणमल २० सोभो
२१ राव सहसमल" २२ राव लाखो
२३ राव जगमाल २४ राव अखैराज जगमालरो २५ राव रायसिंघ अखैराजरो
२५ राव दूदो अखैराजरो २६ राव उदैसिंघ रायसिंघरो ..., २६ राव मानसिंघ दूदारो २६ राव सुरतांण
I सोभा और सरगुवा दोनों पहाड़ोंके वीचमें। 2 पाबू और सरगुवाके दोनों पहाड़ एकल मिले हुए हैं । 3 दुर्गम। 4 लाखणके समयका एक शिलालेख सं० १०३६ का नाडोलसे प्राप्त है। 5 कीतूने जालोर पर अधिकार कर लिया था । सं. १२१८ का इसका
एक ताम्रपत्र नाडोलसे प्राप्त हुआ है। 6 सहसमलने चन्द्रावतीकी राजधानीको छोड़कर ... अपने पिताके स्मारक-स्वरूप सिरोही नगर बसाया था ।
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१३६ ]
२७ राव राजसिंघ सुरतांणरो
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देवड़ो रिणमल सलखारो ग्रांक १६२० सोभो
२२ राव लाखो, जिण लाखेळाव तळाव करायो ।
२० गजो रिणमलरो, जिणरो परवार - २१ डूंगर, तिणरा सीरोही देस डूंगरोत- देवड़ा । राव लाखारा वेटा ग्रांक २२
मुंहता नैणसीरी ख्यात
२३ राव जगमाल
२३ संकर
२८ राव अखैराज राजसिंघरो
२१ सहसमल, जिण सीरोही वास कियो ।
२३ हमीर
२३ ऊदो
राव जगमाल कना' भाई हमीर धरती ग्राध वंटाय लियो थो । पछै माहोमाहि लड़िया । जगमाल हमीरनं मारियो । राव जगमालरो अखैराज राव सीरोही हुवो, ग्रांक २३, २४ । राव खैराज वडो रजपूत हुवो । तिण एक वार जालोररी खान पकड़ बंदीखाने दियो । २५ राव रायसिंघ महाराज हुवो है । घरणा दान-पुन्य किया । मेवाड़रा धणियांसूं, जोधपुररा धणियांसूं वडा उपगार किया । माला आसियानूं कोड़ दी, तिण मांहे गांव खांण सांसण कर दोवी छै ं । सुकाळ-दुकाळ अरहट ३०० हुवै छै । पता कलहटनूं कोड़ दी | तिण मांहे माटासण गुजरातरे पैंडै नजीक छै । 'वड गांव कनै तिण अरहट ५० हुवै छै । रायसिंघ भीनमाल पर ग्रायो थी । विहारियांरा थांणारो साथ काबो गढोकोट मांहे थो" । कोट घेरियो हुतो । सुतीर १ मांहिले वाह्यो" । सु रावरे वगतरी बांह मांहे हुय काख में लागो । राव काळ कियो" । दाग काळ धरी रावरै चाकरे दियो" ।
1
10
11
1 से 1 2 बड़ा वीर । 3 इसने एक वार जालोरके खान मलिक मजाहिद खां को पकड़ कर कैद कर लिया था । 4 ग्रासिया शाखा के चारण मालाको करोड़ पसाव दिया । 5 उसमें खांग नामक गांव शासनमें दे दिया है । 6 कलहट शाखा के चारण पत्ताको करोड़पसाव दिया । 7 माटासरण गांव गुजरात के मार्गके समीप ग्राया हुआ है। 8 वड़गांवके पास 1 9 रायसिंह भीनमाल पर चढ़ कर आया था । 10 विहारी पठानोंके आदमी और कावा गढा, ये कोटके अंदर थे । II अंदर वालोंने एक बाण चलाया । 12 राव मर गयाः । 13 रावके चाकरोंने कालंदी गांवमें उसकी दाहक्रिया की ।
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... मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १३७ संती उठे हुई। राव रायसिंघ राव गांगारी बेटी चांपाबाई परणाई हुती। . २५ राव दूदो अखैराजरो । वडो ठाकुर हुवो। रायसिंघ मरते हुकम कियो “माहरो बेटो लोहड़ो छ । पांच रजपूतां टीको भाई दूदायूँ देजो । बेटो उदैसिंघ छ, तिणनूं दूदो मोटो करसी' ।" तरै दूदो पाट तो बैठो छ, पिण साहबीरो धणी उदैसिंघनूं राखतो नै आपरा बेटा मानसिंघनूं नजीक न आवण देतो। राव दूदै अदो वाघेलां गांवड़ो एक मारियो । तिणरा वडा छंद छै, कळहट पातारा कह्या । - पछै राव दूदो मुवो । मरते कह्यौ-"म्हारा बेटानूं टीको मत दो। टीको रायसिंघरा बेटा उदैसिंघने देजो ।" तरै उदैसिंघ तेड़ने कह्यो"थारी दाय आवे तो म्हारा बेटा मानसिंघनूं लोहियांणौ गांव देजो।" पछै दूदो मुवो । पांचे रजपूते परधांने उदेसिंघनूं पाट थापियो । मानसिंघ लोहियांणो दियो । वरस एक तो रूडो-भलो नीसरियो', नै पछै उदैसिंघ दूसण चीतारियो -"मोनूं मानसिंघ तुको १ वाह्यो थो ।" तरै रजपूते तो वरजियो । इणरै बाप तोसूं निपट भली कीवी छै''। आपरा बेटानूं टीको न दिरायो नै थांनूं भातीजनूं दिरायो। कह्यो-“मानसिंध थारो हुकमी-चाकर" छै ।" पिण उदैसिंघ कहै"लोहियांणाथी परो काढीस"।" पछै फोज मेल परो कोढ़ियो । रांणांरै मेवाड़ गयो । मानसिंघनूं गांव १८ वरकांणो वीझेवासू पटै दियो । पछै मानसिंघ दोय-च्यार सिकार माहे मुजरो कियो', सु रांणो मया करै छै । तितरै वरस १ राव उदैसिंघने सीयळ नीसरीन थी,
I मेरा पुत्र छोटा है। 2 उसको दूदा पाल-पोष कर बड़ा करेगा। 3 राज्यका स्वामी। 4 राव दूदाने अदा वाघेलाको मार दिया और उसका गांव लूट लिया। 5 तेरी इच्छा हो तो। 6 पांच प्रधान राजपूतोंने मिल कर उदयसिंधको गद्दी विठाया। 7 एक वर्ष तो ठीक निकल गया । 8 पीछे उदयसिंहको मानसिंहका एक दूषण याद आया। 9 मानसिंहने मुझे एक उलहना दिया था। 10 मना किया। II इसके पिताने तेरा वहत उपकार किया है। 12 अाज्ञाकारी सेवक । 13 निकाल दूंगा। 14 निकाल दिया। 15 राना उदयसिंहके पास मेवाड़ चला गया। 16 रानाने मानसिंहको वरकानेका ठिकाना वीं वाके साथ १८ गांवोंका पट्टा करके दे दिया। 17 मानसिंहने दो-चार शिकारोंमें साथ रह कर अभिवादन किया अर्थात् अपने कौशल और सेवाका परिचय दिया। 18 अतः राना बड़ी कृपा रखता है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यान
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सुसीयळ नीसरी थी । श्रा खवर मानसिंघ दावतनूं सीरोहीथा को एक ' प्रायो हुतो तिण कही हुंती । रांगो सिकार चढ़ियो छे, कुंभळमेर दिसी । न राणानूं या खबर न छै नै मानसिंघनूं को एक सीरोहीसूं वळ प्रायो तिण को - 'उदैसिंघ दवाव मांहे छे ।' पर्छ राव उदैसिंघ सीयळसं वो । तर रजपूते दीठो, इणरै तो वेटो को न छै । मानसिंघ दूदा - वत रांणा कना छै | रांणो या खवर सुरणनै उठे मानसिंघनूं मारने कुंभळमेरसूं ग्राघो हीज श्रावे तो आज देवड़ांरा घरसूं ग्रावू जाय । तरै पांच ठाकुरे' रावनूं मुवो पोहर २ किणहीनं सुरणायो नहीं ने सांहणी जैमल निपट वडा श्रादमी हुतो । इतवारी लायक", तिरणनूं मांनसिंघ दिसा" कागळ लिख सारी बात कहि- समझायनै चलायो । नै पाछे रावनूं दाग दियो" । सांहणी जैमल सारी रात खड़ि" दिन पोहर एक चढ़तां पहली कुंभळमेर मांनसिंघरै डेरै ग्रायो । चीवो" सांवतसी थो, तिरणनूं कांन मांहे वात सारी समझायनै कही । तरै कह्यो–“मांनसिंघ रांगां कनै छै । दरबार कुंभळमेर जुड़ियो छै", त गयो । मानसिंघ प्रावतो दोठो जांणियो" । जु जैमळ ठे ग्रायो सु उठे कुसळ नहीं ।" मानसिंह मिस कर ऊठियो । थापर साथ मांहे आयो" । सांमां जैमलसूं मिळियो । जैमल वात थी सु निजरांमां समझाई | भेळा हुय डेरै ग्रायने चीवा सांवतसीनूं सारी बात समझाय कह्यो–“म्हे नासां छां" । रांणारा ग्रादमी ग्रावे तिणांनूं कहिजो, मानसिंघ सूअर २ हेरिया " छे, तठै गयो छै ।" नै मानसिंघनूं लेने उडाया असवार ५ सूं", सु रात पोहर एक जातां सीरोही नजीक
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I उदयसिंहको पहले चेचक नहीं निकलीथी सो अव निकल ग्राई । 12 सिरोहीसे कोई ग्राया था उसने कहा था । 3 की थोर । 4 पुनः । 5 उदयसिंह बीमारी दवता जा रहा है। 6 फिर राव उदयसिंह तो चेचकसे मर गया । 7 तव सरदारोंने विचार किया । 8 ग्रागे चलाही ग्रावे । 9 तव पांच प्रधान ठाकुरोंने रावके मर जाने की बात दो पहर तक किसीको नहीं सुनाई । TO साहनी जयमल जो बड़ा चतुर, योग्य और विश्वासपात्र था । II को 1 12 दाह-संस्कार किया । 13. चलकर | 14 चौहान क्षत्रियोंकी एक जाति । IS जुड़ा हुआ है | 1.16 मानसिंहने जयमलको श्राता देखा जाना ।
17 अपने मनुष्योंके
पास आया। 18 संकेत । 19 हम भागते हैं। 20 तलाश किये हैं । 21 और मानसिंहको ले कर जयमल ५ सवारोंसे उड़ा ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात आया। वाग मांहे आय उतरिया । सांहणी जैमल रजपूतांनूं खबर दी। रजपूत सारा राते हीज मांतसिंघ कनै आया,मिळिया। वांस' रांरण डेरै खबर कराई- मानसिंघ कठै ? तरै चीबै सांवतसी कह्यो"आहेडिए सूअर दोय हेरिया था त, गयो, हमार आवै छै ।" सु यूं करतां प्राथण हुवो । तर रांग वळे मानसिंघनूं याद कियो । तरै कोस १०एक ऊपर मानसिंघ नाठो जातो' मिलियो थो सो उणे कह्यो- "मानसिंघ तो दूपहर दिन चढ़ियो थो तरै म्हानूं सीरोहीनूं नाठो जातो असवार ५ सूं मिळियो हुतो," तरै रांण कह्यो-“कातूं जांणीजै ?" तरै किणहीक कह्यो -"सीरोहीथा आदमी एक म्हारै आयो तिण कह्यो-"राव उदैसिंघनूं सीयळ नीसरी छै नै गाढ़ो' दुखी छ ।” तरै रांण कह्यो-"जांणीजै छै के उदैसिंघ मुवो।" औरै पिण कह्यो --"पा वात मिळती दीसै छै ।" तरै रांग कह्यो-"मानसिंघरै डेरै रजपूत छै तिणानूं तेड प्रांवो।"तरै देवड़ो जगमाल वडेरो रजपूत हुँतो सु रांणांरी हजूर आयो, तरै जगमालनूं रांण कह्यो-"यूं मानसिंघ कांय नाठो, म्हे कानूं करता था ?" तरै जगमाल कह्यो"सु तो बात मानसिंघ जाण ।” तरै रांण जगमालसू कहाव कियो'-- "परगना ४ सीरोहीरा म्हानूं लिख दो।" तरां जगमाल दीठो'--"हं उजर करूं, रांगो वांसै साथ चाडै, वे कठै ही उतरिया होय तो कोई कबाइत होय ।" तरै जगमाल घणा विनासूं" बोलियो-"मानसिंघ दीवांणरो चाकर , म्हांनूं किसो उजर छै । जांणो'' सु धरती दीवांण ले, जांणो सु मानसिंघनूं दे ।" तरै परगना ४ रो कागळ रांण लिखायो । तितरै वात करतां रात घणी गई, कह्यो--"सवारे मतो घताय देसां ।" दीवांरण ही सोय रह्या । मानसिंघरो चाकर
1 पीछे। 2 शिकारियोंने । 3 ऐसा करते-करते सूर्यास्त हो गया। 4 भागता जाता। 5 इससे क्या समझना चाहिये ? 6 तव किसीने कहा। 7 खूब । 8 ज्ञात होता है कि उदयसिंह मर गया। 9 औरोंने भी कहा। 10 बुला लाग्यो। II दरवारमें पाया, सेवामें आया। 12 मानसिंह इस प्रकार क्यों भाग गया, हम उसके विरुद्ध कुछ करतो नहीं रहे थे ? 13 तव रानाने जगमालसे कहा। 14 तव जगमालने विचार किया। IS कोई अनर्थ हो जाय । 16 विनयः । 17 चाहे सो। 18 तव, इतनेमें। 19 प्रातःकाल हस्ताक्षर
करवा देंगे।
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देवड़ो जगमाल सोइ रह्यो । सवारे हथियार बांध तयार हुय सीख मांगरण जाता हुता, तितरै रांगारा पिण ग्रादमी सांमां तेड़ा श्राया' । जगमालनूं रांणै कह्यो - " राते परगना ४ देगा किया है, तिण कागळ में मतो घातदो, तरै देवड़ जगमाल कह्यो - " मांहरा दिया परगना नं. श्रावै" । मांनसिंघ उठै छै, धरतीरा सारा रजपूत उठे छै ।" इण जवाव मता दिसा यूं कह्यो' - तर राणे कह्यो- “रजपूतां भलो ग्रापरो दाव कियो ।” तरै रजपूतांसूं रां कह्यो - "म्हे चार परगना मांगां छां, तिणनूं थां साथै थांरणानं विदा करां छां । थे थांगो वैसांण नै ग्रावा जाज्यो ।” तरै देवड़े जगमाल कह्यो - ' सीरोहीरा धरणी रावळा' चाकर छै, सगा छै" । ठाताऊं" दीवांण वात कहणनूं" करै ? ग्रेक म्हां साथै प्रोहित भलो ग्रादमी मेलोजै" । राव जवाव करसी सु दीवांणसूं प्राय मालम" करसी । तरै दीवांण ही वात कबूल करी इणां साथै प्रोहित मेलियो" । ग्रागै रजपूते सीरोहीरा मिळने राव मांनसिंघनूं टीको दियो" । नै रावरो रजपूत पिण रांणारा प्रोहितनूं" ले सीरोही आयो । प्रोतिरो घणो आदर भाव कियो । हाथी ?, घोड़ा ४ दीवांणनूं प्रोहित साथै ग्रापरा श्रादमी दे पेसकस मेलिया । कागद मांहे घरणी मनुहार लिखी नै कह्यो– 'च्यार परगनांरी कासूं वात छै" ? सीरोही सारो दीवांणरी है । हूं दीवांणरो रजपूत हूं ।" तर दीवांण पिण राजी हुवा |
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२७ राव मानसिंघ दूदारो । वडो दूठ ठाकुर हुवो । सीरोही
I इतनेमें रानाके मनुष्य भी बुलानेके लिए सामने आ गये । 2 उस पत्र में हस्ताक्षर कर दो । 3 मेरे देनेसे परगने ग्रापको नहीं मिल सकते । 4 मानसिंह उधर है, देशके सव सरदार वहां हैं | 5 इसने हस्ताक्षर करनेके सम्वन्धमें यह उत्तर दिया । 6 राजपूतों अपना अच्छा दाव खेला । 7 जिसके लिए तुम्हारे साथ गारद भेज रहा हूँ । 8 तुम वहां पर थाना लगवा कर ग्रागे जाना 1 9 ग्रापके | 10 सम्बन्धी हैं 1 11 यहां तक 1 12 किसलिये 13 मेरे साथ । 14 भेजिये । ISविदित करा देगा । 16 स्वीकार कर दी । 17 भेज दिया ।
18 राजतिलक किया । 19 को 1 अपने कुछ आदमी पेशकशी में भेजे ।
20 रावने पुरोहितके साथ हाथी 21 चार परगनोंकी कौनसी बात है ?
१, बीड़े ४ ग्रौर 22 पराक्रमी,
जवरदस्त ।
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[१४१ घणो तपियो' । पातसाही फोजांसं घणी वेढ कीवी । सीरोही पाखती निपट वडा मेवास कोळियांरा छै । आज पहली किणही सिरोहीरै धणी कदै झै मेवास अमल कियो न थो। सु मानसिंघ एकण दिन फोज बावीसां ठोड़े ऊपर विदा कीवी' । तिण फोजां बावीस ही ठोड़े गांव भेळ उणांनूं परा काढ़नै उवै ठोड़ा लीवी । रावरा थांणा मेवासे बैठा । मास ६ रह्या । पछै कोळीसारा रावरै पगे आय लागा। राव हुकम कियो सु हुकम माथै चढ़ाय लियो। पछै राव कोळियांनूं खुसी हुय धरती पाछी दी । आपरा थांणा बुलाइ लिया ।
राव रायसिंघरी बैर-राव उदयसिंघरी मा--चांपाबाई । राव गांगारी बेटी सु निपट दाढ़ीक-अादमी' । सु उदैसिंघरी बैरनूं आधांन" छ । सु चांपा बाई केहवै--"सवारै मांहरै पोतरो हुसी । मानसिंघ कुण पादमी जिको टीको भोगवै छै ?" पछै मानसिंघ चांपाबाईनै उदैसिंघरी बैर गरभवंतीनूं ऊजळ लोहडै मारी। - मानसिंघ, सुरतांणरी वसीरी-वरकसोरै लिया पंचाइण पंवार परधान हुतो तिणनूं विस दियो । तिणरो भतीज कलो पंवार थो सु रावरै खवास हुतो'" । सु राव अाबू चढ़िया था उठै कलानूं क्यूं धकोसो दिरायो । पछै प्राथणरा' राव आरोगता था तरै कले पँवार राव कटारी वाही", नै कुसळे गयो । राव कटारी लागां
पछै पोहरेक जीवियों" । तरै रजपूते पूछियो--"रावळो तो ओ सूळ ___ छै । रावळे बेटो न छै । टीकारो किणनै हुकम छै ?" तरै राव
I सीरोही पर बहुत समय तक कुशलतासे शासन किया । 2 बादशाही फौजोंसे अनेक लड़ाइयां लड़ी। 3 सिरोहीके पास कोलियोंके बहुत बड़े मेवासे थे (मेवासा = लुटेरोंके रहनेका स्थान)। 4 कभी। 5 इन। 6 बाईस । 7 भेजी। 8 उन फौजोंने वाईस ही स्थानोंके निकटके गांवोंसे उनको निकाल उन गांवों पर अधिकार कर लिया। 9 अपने थानोंको वापिस बुला लिया। 10 स्त्री, पत्नी। II बुद्धिमान और दृढ़ता वाली स्त्री। 12 गर्भ ! 13 कल मेरे पौत्र होगा। 14 फिर मानसिंहने चम्पावाई और उदयसिंहकी गर्भवती पत्नीको तेज धार वाले शस्त्रसे मार डाला। 15 भागाके पुत्र सुरतानकी कर-मुक्त प्रजासे बलात् कर प्राप्त करनेके कारण पंवार पंचायणको मानसिंहने विष देकर मरवा डाला। 16 प्रीतिपात्र सेवक । 17 वहाँ कलाको कुछ धवकासा दिया। 18 संध्याके समय। . 19. कटारी मारी। 20 और कुशलपूर्वक चला गया। 21 एक पहर तक जीवित रहा । 22 आपका तो यह हाल है ।
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मांनसिंघ कह्यो - "टीको सुरतांण भांणरानूं' देजो ।” पछै सारै रजपूते नै देवड़े विजै हरराजोत मिळनै राव सुरतांगन टीको दियो । सुरतांण राव हुवो ।
राव सुरतांण भांणरो । तिणरै पीढ़ियांरी बात -
राव लाखो ग्रांक २२ ।
२३ ऊदो लाखारो । टीकै वैठो नहीं
२४ रणधीर ।
२५ भांग रिणधीररो ।
२५ सूजो रिणधीर | देवड़े विजै मरायो ।
२५ प्रताप रिणधीररो ।
२६ राव सुरतांण ं ।
२७ नाहरखांन" | २७ चंदो |
२७ जैसिंघदे |
२७ वाघ ।
२७ करन ।
२६ सांईदास । मोटै राजा मारियो ।
२७ रायसिंघ |
२७ रांम ।
२८ भोपत ।
वात राव सुरतांगरी
राव मानसिंघ मुवो तरै राव सुरतांणनै सारै रजपूते मिळ टीके वैसांणियो | देवड़ा विजारी घरणो कारण छै । विजोराव सुरतांण
I राज्य तिलक भार के पुत्र सुरतानको करना । 2 राव न्तनाम सिरोही और उत्तर गुजरात श्रादिमें पाये जाते हैं । उदयसिंहने सांईदासको मारा था । 5 गद्दी पर बैठा दिया, ( सुरतान १२ वर्षकी अवस्थामें वि.सं. १६२८ में गद्दी बैठा ) | मान और प्रभाव है ।
लाखाका पुत्र । 3 खाना
4 जोधपुर के मोटा - राजा राज्यतिलक कर दिया । 6 देवड़ा विजयका बहुत
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[ १४३ कनै धणी-धोरी छै' । राव मानसिंघरै बैर बाहड़मेरी थी, तिणरै पेट आधांन थो । राव मानो मुवो तद पछै बेटो जायो । नै राव सुरतांण विजो कहै छै त्यूं करै छै। पिण देवड़ो सूजो रिणधीरोत-रावरै काको, तिको भला २ रजपूत, भला. २ घोडा राखै छै, सु विजानूं सुहावै नहीं । विजो जाणै छै मांनारो बेटो तेड़ाऊं । सुरतांणनै परो काढूं। तो सूजो मारियो चाहीजै' । तरै प्रापरानूं कह्यो -"सूजो मारो" तरै सिगळे " कह्यो-"या वात मत करो। सीरोहीरो धणी सुरतांण हुय निवड़ियो"।थे रावरोकाको मा मारो।" पिण विजो किणरो कह्यो मांनै' ? देवड़ा रावत सेखावतन कह्यो। रावत बालीसा जगमालरै डेरे सूजानूं मरायो। देवड़ो गोयंददास देवीदासरो डेरा कनारे थो । विजो सूजारै डेरे घोड़ा असबाब लूटण प्रायो, तरै गोयंददासही बाज मुवो" । राव मांनारो बेटो बाहमेर थो, तिणनूं देवड़े विजै तेड़ायो थो", सु निजीक आयो । विजो सांमी चढ़ियो" नै राव सुरतांणनूं सैहर-बंद करी काळधरी गयो नै आपरा रजपूत कनै राख गयो। कह गयो--"सुरतांणनूं इण अोरा मांहेथी बारै नीसरण मत देजो" । पछै राव जांणियो-विजो पालो आयो हुवो मोनूं मारसी । तरै एक देवड़ो डूंगरोत भलो रजपूत थो, एक चीबो हुतो। तरै उण डूंगरोतनूं समझायो । कह्यो-"तूं मोनूं काढ़ि, तो ढबावणवाळो हूँई छु।” उण कह्यो-"राव ! जांणू छू, सको सु सहु करो।" कह्यो--
I राव सुरतानके पास विजय कर्ता-धर्ता है। 2 राव मानकी पत्नी वाहड़मेरी थी। ( राव मानसिंहकी पत्नी वाड़मेरके रावकी कन्याथी)। 3 उसके गर्भ था। 4 राव मानके . मरनेके बाद उसके पुत्र हुआ। 5 मानाके पुत्रको बुला लूं। 6 सुरतानको निकाल दूं। 7 किन्तु इसके लिये सूजाको मरवा देना चाहिये । 8 तव अपने वालों को (अपने मनुष्योंको) कहा। 9 सूजाको मार दो। 10 तब सवने कहा। II सिरोहीका स्वामी सुरतान हो चुका। 12 अाप राव सुरतानके चचा सूजाको मत मारो। 13 परन्तु विजय किसकी सुने? 14 देवीदासका पुत्र गोविंददास उस समय सूजाके डेरेके पास था ।15 तव गोविंददास भी लड़कर मर गया। 16 बुलवाया था। 17 स्वागत करनेके लिये सामने गया। 18 और राव सुरतानका सैर (घूमना-फिरना) बंदकर कालंद्री चला गया ।19 और यह कह गया कि सुरतानको इस कोठरीसे बाहर नहीं निकलने देना। 20 रावने यह जान लिया कि विजय लौट कर आते ही मुझे मार देगा। 21 तू मुझको बाहर निकाल, तुझको शरण देकर रखने वाला मैं ही हूँ। 22 उसने कहा, राव! यह मैं जानता हूँ, आप जो कर सको वह सब करो।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात "मेवाड़, जोधपुर हूँ वसीस तो पिण रु० २००००) रो पटो मोनूं कोकोई देणोइज करसी' । उणसूं सील-कवल किया । वीचमें महादेवजी दिया । तरै सिकाररो मिस कर नीसरिया । चीवासूं भेद भागो नहीं ; तरै कोसे २ गयां चीवो कहै-"हू इण वातमें जांणू नहीं, जांण न दां ।" तरै डूंगरोत थो, तिण कह्यो चीवान - "तूं उरो पाव, हूं तोन मारीस' ।" तरै चीवो झख मार रह्यो । राव सुरतांण नासनै रांमसेण गयो ।
वीचली वात छै" देवड़े विजै सूजानै मारनै सूजारी वसी ऊपर साथ मेलियो । उठे मालो सूजावत'' मरियो । वसी सारी लूटी । प्रथीराज नै स्यामदासरी मा इणांनूं क्रेहड़ १ मांहे ऊपर पला नांखनै रही" । वे परा गया तरै फ्रेहड़ मांहेथी रातरा नीसरनै प्रावूरी गोडै वार गया। राव सुरतांण रांमसेण आयो । तरै ग्रेही सूजारा वेटा इणांरा गाडा रांमसेण ले आया'" । देवड़ो विजो राव मांनारा वेटा साम्हो गयो थो, .. तरै उणे विजारै खोळे डावड़ो आंण मेलियो । डावड़ान काई वलाइ हुई सु जीव नीसर गयो'" | विजो पाछो आयो, नै देवड़ा समरानूं कह्यो-"मोनूं टीको दो।" घणी ही कही पिण इणै कह्यो"राव लाखारै पेटरा तो वीस जणा छै" । जठा सूधो एक डावड़ो
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___ रावने कहा,मेवाड़ या जोधपुर जहां भी मैं जाकर रहूंगा, इनमें से कोई न कोई मुझे रु. २००००)के पट्टेकी जागीरी दे ही देंगे। 2 उससे शपथकी और वचन दिया। 3 कोई प्रतिज्ञा-भंग नहीं करे अत : वीचमें महादेवजीको रख कर प्रतिज्ञाको दृढ़ किया। 4 तव शिकारका वहाना करके वहांसे निकल गये। 5 चीवाको इस भेदका पता नहीं लगा। 6 जाने नहीं दूंगा। 7 मैं तुझको मार दूंगा। 8 राव सुरतान भाग कर रामसीन चला गया। 9 वीचका छूटा हुआ प्रसंग है। 10 सूजाकी प्रजाके ऊपर सेना भेजी। II सूजाका पुत्र । 12 पृथ्वीराज और श्यामदासकी माता, इन दोनों बच्चोंको एक खड्डेमें उन पर कपड़ा डालकर छिपकर रही। 13 अावूकी सीमासे वाहर चले गये। 14 तव यहही सूजाके इन पुत्रोंके गाड़ोंको रामसीन ले आया। 15 तव उसने अपने वच्चेको लाकर विजयकी गोदमें रख दिया। 16 वच्चे को न जाने क्या वला हुई कि उसके प्राण निकल गये। 17 राव लाखा के वंशमें २० व्यक्ति हैं।
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[ १४५ वरस १रो हुवै तठा सूधो थारी कुण मजाल, तूं टीको लै' ?' इणे-उणे विरस हुवों । झै रीसाय परा गया । विजो मास चार हुवा सीरोही भोगवै छै । आ वात रांणै सांभळी, तरै राव कलो मेहाजलोत - दीवांणरो भाणेज थो, इणनूं टीको दे, साथै फौज दे सीरोहीनूं विदा कियो । औ सीरोही आया। विजो नीसर ईडर गयो । कलो सीरोही धणी हुवो । राव कलो सीरोही साहिबीरो धणी । मदार चीबा खींवा भारमलोत ऊपर छै । देवड़ो सूरो, हरराज पिण चाकर छै । पिण दिलगीर तो गाढ़ा छै । नै सुरतांण पिण प्रांण कलानूं जुहार कियो छै । गांव केइक पटै दिया छै. तठे रहै छै । करैक' चाकरी पिण करै छै । एकण दिन राव कलो दरवारथी'" ऊठियो छै । देवड़ो समरो, सूरो हरराज दुलीचे बैठा छै. तरै बीवै पाता फरासनूं कह्यो"दुलीचो उरो ल्याव" ।” फरास प्राय देखै तो ठाकुर बैठा छ । तरै पाछो गयो। चीवे पातै पूछियो-"दुलीचो लायो ?" तरै फरास कह्यो-"सूरोजी,समरोजी, हरराज बैठा छै ।" तरै चोबै कह्यो-"थारा वाप लागै छै? दुलीचो उरो ल्याव ।" तरै फरास वळ आयो, तरै इणे दीठो । ओ फिर-फिर जाय । तरै इणे कह्यो-"दुलीचो चीबो पातो मंगावै छै ?" तरै इण कह्यो-'राज' सारीही बात समझो छो।" तरै झै परा ऊठिया,कह्यो--"परमेस्वर कियो तो कलारी जाजम नहीं बैसां"।" औ रीसायनै घरै गया। सुरतांणसं इणे वात कराई-- तूं प्राव, म्हां भेळो होय" ।" तरै राव नासनै समरा, सूरारा गाडा
I जहां तक इस वंशमें एक भी बच्चा एक वर्षकी आयुका मौजूद है, तेरी क्या मजाल कि तू राज्यका अधिकारी वने? 2 इनके और उनके परस्पर विरोध हुआ। 3 ये रुष्ट हो कर चले गये। 4 विजय चार माससे सिरोहीका राज्य कर रहा है। 5 मेहाजलका पुत्र । 6 सब कामका आधार भारमलका पुत्र चीवा खींबाके ऊपर है। 7 परंतु मनमें बहुत नाराज हैं। 8 सुरतानने भी आकर कलाको (राज्याधिकारी होनेका) प्रणाम किया। 9 कभीकभी। 10 से। II कालीन उठाकर ले आव। 12 क्या ये तेरे वाप लगते हैं ? 13 फिर। 14 तव इन्होंने देखा। 15 श्रीमान् आप। 16 परमेश्वरने चाहा तो अब हम कलाकी जाजम पर (कलाके दरबारमें) नहीं बैठेंगे। 17 ये रुष्ट होकर घर चले गये। 18 सुरतानसे इन्होंने कहलवाया कि तू पाकर हमारे शामिल हो।
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१४६] मुंहता नैणसीरी ख्यात था तटै आयो' । इणे भेळा हुय टीको राव सुरतांणरै काढ़ियो । देवड़ो विजो ईडर चाकरी करै थो सु विजानूं राव सुरतांण तेड़ायो । विजो रोह, सरोतरे होय आय उतरियो । तरै आ खवर राव कलैनूं नै चीवा पातैनूं पोहती । विजो आवै छै । तरै कलै देवड़े रावत हामावतनूं असवार ५०० देनै घाटारै मूडै विजै सांमां मेलियो । रावत हामावत गांव माळ आय ऊतरियो नै विजो गांव ब्रहमाण प्राय ऊतरियो' । व्रहमाणथी कोस १ माथै वेढ हुई । असवार १५० विज कनै था । रावत कनै तो साथ घणो थो, पिण विजो जीतो । आदमी ४० कलारा काम पाया । आदमी ६० घावै-पड़िया' । रावत हांमावत कलारी फोजमें सिरदार तिको पूरे-घावै पड़ियो" । आदमी १३ विजारा काम आया। विजो वेढ़ जीतनै रामसेण राव सुरतांण भेळो हुवो" । विजो आवतां सांमां सुरतांणरो घणो बळ वधियो। विजो राह-वेधी' रजपूत थो। सु रावजीनं कह्यो-"मिलकखांनजी जाळोररो धणी छै । इणन आपणी भीर'' करो।" तरै मिलकखांन विचै आदमी फेरियो । कह्यो-"म्हे रुपिया लाख १ थां→ दां छां" । थे मांहरो मदत आवो।" तरै मिलकखांन कह्मो-“लाख रुपियां वासतै भाईबंध मराया न जाय । सीरोहीरा परगना ४ मोनूं दो तो थांहरी मदत आऊं । परगनांरी विगत-१ स्यांणो, १ वडगांव, १ लोहियांणो,
I तव राव सुरतारण जहाँ समरा और सूराके गाड़े इसकी प्रतीक्षामें खड़े थे, दौड़ कर वहां पाया। 2 इन्होंने सम्मिलित होकर राव सुरतानको राज्य-तिलक कर दिया। (यह राज्यतिलक रामसीनमें हुअा था) । 3 देवड़ा विजय ईडरमें चाकरी करता था उसे सुरतानने बुला लिया। 4 विजय सिरोत्रां गांव होता हुआ रोहुआ गांवमें या पहुँचा। 5 तव यह समाचार राव कला और चीवा पातेको पहुँचा। 6 तब देवड़ा कलाने हामाके पुत्र रावतको ५०० सवारोंके साथ गिरवरकी घाटीके द्वार पर विजयको रोकनेके लिए भेजा। 7 हामाका पुत्र रावत माल गांवमें ठहरा और विजय वरमांण गांवमें आकर ठहरा। 8 लड़ाई। 9 परन्तु विजयकी जीत हुई। 10 आहत हुए। II सम्पूर्ण आहत होकर गिर गया। 12 राव सुरतानके शामिल हुया । 13 विजयके आ जानेसे सुरतानका बल वहुत बढ़ गया। IA दूरदर्शी। 15 इसको अपना सहायक वनायो। 16 तव इसके लिए मिलकखांके वीच . आदमीका पाना-जाना किया गया। 17 हम एक लाख रुपये तुमको देते हैं ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १४७ १ डोडियाळ' । किणही कह्यो-" परगना दीजै । किणही कह्योअ परगना न दीजै ।" तरै विजै कह्यो-" तो परगना माथै सटै मांग छै', नचीत दो।" तरै परगना ४ मिलकखांनजीनूं दिया । तरै असवार १५०० खांनजी लेनै राव सुरतांण, विजै भेळो हुवो । राव कलो सीरोहीथा चलायनै आदमी हजार ४००० था" सामा काळधरी आय ऊतरियो । मोरचा मंडियो । नाळां मांडी' । अठै इण काळधरीरा डेरा निपट गाढ़ा सझाया । नै राव सुरतांण कनै आदमी हजार तीन ३००० भेळा हुवा छै । राव सुरतांणनूं खवर हुई--"काळधरी कले इण भांत सझी छै । काळधरी जाइजै तो धको खाइजै । तरै राव सुरतांणरै समरो, सूरो, विजो देवड़ो वडा राह-वेधी' रजपूत था, त्यां कह्यो'--"प्रांपणे काळधरीथा कानूं काम छै" ? प्रांपै तो पाधरा सीरोहीनूं चलावस्यां" । कलारै लड़ियो जोइजसी तो प्राय लड़सी' । तरै इणां तीन फोज करी नै सीरोहीनूं चलाया । काळधरीसू कोस १ नीसरिया'" तटै राव कलो प्राडो आय लड़ियो । वेढ़ हुई" । वेढ राव सुरतांण जीती । कलै हारी"। इण वेढ़ माहे विहारियै निपट घणो बळ कियो । राव सुरतांणरी तरफ आदमी वीस काम आया । त्यां मांहे 'मुदायत देवड़ो सूरो नरसिंघोत समरारो भाई काम आयो । राव कलारो अतरो साथ काम आयो ।
___ विहारी-पठानोंका आधिपत्य हट कर जब जालोर जोधपुरके अधिकारमें आ गया, तब सिरोहीके ये चारों परगने भी स्वतः मारवाड़-राज्यमें मिल गये थे । आज समस्त राजस्थान भारतका एक प्रान्त वन जाने पर मारवाड़ और जैसलमेर राज्य के साथ सिरोही राज्य भी राजस्थानके जोधपुर-डिवीजनका एक अंगमात्र रह गया है। 2 ये परगनेतो वह सिरके बदलेमें मांगता है। 3 निश्चिन्त होकर दें। 4 सम्मिलित हुआ। 5 सिरोही से । 6 चार हजार सहित । 7 मोरचे पर तोपें रखी गई। 8 इधर इसने कालंद्रीके मोरचेको अत्यन्त दृढ़ रखा। 9 कालंद्री चले जायँ तो हानि उठाना पड़े। 10 दुरदर्शी, युद्धानुभवी, अनुभवी। II उन्होंने कहा। 12 अपनेको कालंद्रीसे क्या काम है ? 13 अपन तो सीधे सिरोहीकी ओर चलावेंगे। 12 कलाको लड़नेकी आवश्यकता है तो वहां आकर लड़ेगा। IS निकल गये। 16 जहां पर राव कला आडा आकर लड़ा। 17 लड़ाई हुई। 18 राव सुरतानने लड़ाई जीतली। 19 कलंकी हार हुई। 20 विहारी पठानोंने। 21 उनमें । 22 मुख्य । 23 राव कलाके इतने मनुष्य काम आये।
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१४८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १ चीवो पतो। १ सीसोदियो मुकंददास । १ सीसोदियो स्यांमदास । १ सीसोदियो दलपत ।
४ काम आया । राव सुरताण वेढ़ जीती । कलो नास गयो' । सुरतांण खेत सोधियो । पछै राव सुरतांण सीरोही आय बैठो । राव कलारा मांणस सीरोही था । राव सुरतांण सेझवाळ बैसाण, राव कलो थो तठे पोहचता किया । राव सुरतांण सीरोही धणी हुवो । सीरोही मुदो देवड़ा विजै माथै छै । पछै विजो दिन-दिन जोर चढ़तो गयो छै । सुरतांण नै विजै गाढ़ो विरस छै", पिण राव पूज सकै नहीं । तिण टांण राव सुरतांण बाहड़मेरी परणियो, तिका वहू सीरोही आई । बहू बाहड़मेरी ठाकुराईरो नै विजारो घाट" देखनै रावनूं कह्यो-"यो ठाकुराईरो किसो सूल'° ? धणी थे कना विजो धणी'?" तरै राव सुरतांण कह्यो-"धरती माहे रजपूत नहीं, विजासों बलाय सांमां मांडै । तरै बाहड़मेरी कह्यो-"पेट भरस्यो तो धरती माहे रजपूत घणाई छ ।” तरै राव कह्यो-'थे दस मांणस तेड़ावो" " तरै वाहड़मेरी आपरा पीहरसूं आदमी २० तेडाया सु आदमी २० वीस निपट प्रवळ आया । आदमी रावरा पासवांन" हुवा । रावरी दछा रूड़ी दीठी", तरै केई धरतीरा भला रजपूत पिण
I कला भाग गया। 2 सुरतानने रणक्षेत्रका निरीक्षण किया। 3 अंतःपुर, जनाना। 4 राव सुरतानने उनको पालकीमें विठाकर जहां राव कलाथा वहां पहुंचा दिया। 5 विजय सिरोहीका सर्वेसर्वा बना हुआहै। 6 सुरतान और विजयके आपसमें खूब . विरोध है। 7 किन्तु रावका वश नहीं चलता। 8 उस समय राव सुरतानने (वाहड़मेरके जागीरदारकी कन्या) वाहड़मेरीसे विवाह किया। वह वधू सिरोही आई। 9 ढंग । 10 जागीरदार होनेका और जागीरीका यह कैसा ढंग ? II जागीरीके स्वामी आप हैं . अथवा उसका स्वामी विजय है? 12 पृथ्वी पर राजपूत नहीं जो विजय जैसी वलासे सामना .. करें। 13 उदरपूर्ति कर दोगे तो पृथ्वी पर राजपूत बहुत हैं। 14 तुम दस मनुष्योंको वुला लो। 15 तव वाहड़मेरीने अपने नहरसे वीस आदमी बुलवाये। 16 वाहड़मेरसे आये हुए आदमी रावके अंगरक्षक बने । 17 रावकी दशा अच्छी देखी। '
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १४६
1
राव कनै आय रहण लागा । विजे नै राव माथा पड़िया लीजै छै । तिण समै वीज़ारा भाई २ लूणी, मांनो वडा रजपूत था सु रावथी जुदा विजाथी फाटने प्राय मिळिया । रावरो वेळो दिन-दिन भारी
तो गयो । एक वार सीरोही मांहेसूं देवड़ा विजानूं परो काढ़ियो । तर विजो आप वसीर गांव गयो छे' । तिण टांग महाराजा रायसिंघजी बीकानेररा सोरठनूं जावता सु सीरोही निजीक आया' । तरै राव सुरतांण सांमों जाय मिळियो । रावरो राजा घणो प्रदर कियो' । पछे देवड़ो विजोही घणो साथ लेने महाराज रायसिंघजीसूं प्राय मिळियो । घणोही लालच दिखायो, पिण राजा विजानूं कबूल न कियो । राव सुरतांणसूं वात कीवी । आधी धरती पातसाहरै कधी | आधी धरती रावरी कीधी, नै विजो काढ़णरी कबूल राखी | पछे महाराज रायसिंघ विजानं परो काढ़ियो । प्राधी धरती पातसाहरै कीवी" । तिण मांहे राव मदनो पातावत असवार ५०० दे वाव कन्है राखियो नै आप सोरठ गया" । तिको प्राधो वंट पातसाहरै कियो, तरै राजा रायसिंघ दरगाहनूं लिखियो कियो - "जु राव सुरतांण सीरोहीरो धणी, तिणनं इण भांत ग्रासिया विजै दबायो हुतो सु राव
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I' माथापड़िया लीजै छै' मुहावरा है - यहां पूरे वाक्यका अर्थ है -- विजय और राव सुरतान के परस्पर शत्रुता यहां तक बढ़ गई कि एक-दूसरे का सिर काट लेने की ताक में लगे रहते हैं । 2 उस समय विजयके दो भाई लूगा और माना, जो बड़े वीर राजपूत थे और पहले रावसे जुदा थे सो विजयके विरुद्ध होकर रावसे ग्राकर मिल गये । 3 'चेको भारी होणो ' मुहावरा है । शब्दार्थ है - ताकड़ीका पलड़ा भारी होना लाक्षणिक अर्थ है - पक्षका समर्थ होना । वाक्यार्थ रावका पक्ष दिनप्रतिदिन समर्थ बनता गया । निकाल दिया | 5 तब विजय अपनी जागीरीके गांवमें चला गया है । 6 उस समय । हुए सिरोही के नजदीक आये । 8 'रावरो राजा घणो आदर कियो ।' यह वाक्य अशुद्ध लिखा गया प्रतीत होता है । होना चाहिये था - 'राजा राव घणो प्रादर कियो ।' आदरभजन अतिथि होता है न कि श्रातिथ्यकर्त्ता । 9 किन्तु महाराजा रायसिंहने विजयको सिरोही का
4
7 सौराष्ट्रको जाते
राव बनाया जाना स्वीकार नहीं किया । 10 और विजयको देशसे निकाल देनेकी शर्त : मान्य रखी । II सिरोही राज्यकी आधी भूमि बादशाह के अधीन रखनेका निश्चय किया । 12 उसमें पाताके पुत्र राठोड़ मदनको ५०० सवार देकर बावके पास रखा श्रीर ( रायसिंह ) स्वयं सौराष्ट्रको चले गये । वाव, एक गांव है जो मारवाड़ और सिरोहीकी सीमानों के निकट उत्तर गुजरात में है । 13 ग्रास — एक प्रकारकी जागीरी है जो वॅटमें गुजारेके लिये अथवा भोजन ग्रादिके खर्चे के लिये दी जाती है और उसका भोगने वाला ग्रासिया कहलाता है ।
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ण
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१५० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सुरतांण मोर्ने प्राय मिळियो । आधी सीरोही देणी कवूल की, तरै म्हे रावरो ऊपर कियो । विजै हरराजोतनं परो काढ़ियो, नै असवार ५०० सूं म्हैं, म्हारो लोक आधो मुलक सीरोहीरो पातसाही खालसै कियो छै, ततै थांणो राखियो छै। हजरतरै दाय आवै जिण जागीरदारनं दीजै, भावै करोड़ी भेजीजै । राव हुकमी-चाकर छै ।" ___ तिण समै दीवांण-बगसी सीरोहीरा अाधरी तजवीज करै छै', सु सीसोदियो जगमाल, उदैसिंघ रांणारो बेटो दरगाह गयो छै । सु प्रो राव मानसिंघरी वेटी परणियो हुतो, सु उठारो भोमियो छै । इण मुनसबमें सीरोहीरो अाध मांगियो । दीवांण-बगसीये पातसाह अकबरतूं मालम कीवी' । तरै पातसाहजी कह्यो-"रांणारो बेटो छै, लायक छै, दो । तरै तालिको लिख दियो । जगमाल तालीको ले
आयो । तरै राव सांम्हो आय मिळियो । विजो देवड़ो पिण दरगाह गयो हुतो सु विजानूं किणही सीरोही दी नहीं, तरै विजो पिण जगमाल साथै आयो । धरती तो राव सुरतांण आधी जगमालनूं दी, नै पाटराघरां' मांहे राव सुरतांण रहै छ, नै बीजा घरां" माहे सीसोदिया जगमाल प्राय रह्यो छै । सु राव मानसिंघरी बेटी जगमालरी बैर तिका कहै- "म्हारै वापरा घर, तिकां मांहे म्हां थकां दूजा क्यूं रहै'" ?" घरां-पाटरी दिसा अणवणत हीज छै । तिण समै राव सुरतांण एकण दिन कठीके'" गयो हुतो, वांस' जगमाल, विजो दाव' करनै घरां ऊपर गया । सोळंकी सांगो, आसियो, दूदो, खंगार, ....
तव रावकी सहायता की। 2 और ५०० सवारों के साथ मैंने और मेरे मनुप्योंने आधे सिरोही देशको वादशाही खालसेमें कर लिया है। 3 हजरतकी इच्छा हो उस जागीरदारको देदें और चाहे अपना करोड़ी भेजदें (करोड़ी = कर उगाहनेवाला अध्यक्ष) । 4 राव आपका आज्ञाकारी सेवक है। 5 उस समय दीवान और वक्सी सिरोहीके आधे भागको बाँटनेकी तजवीज कर रहे हैं। 6 वादशाही दरवारमें। 7 यह राव मानसिंहकी वेटीको व्याहा था अतः वह वहांका जानकार है। 8 इसने मनसबके साथ सिरोहीका - आधा भाग मांगा। 9 दीवान और वक्सी लोगोंने बादशाह अकवरसे निवेदन किया । 10 तव अधिकार-पत्र लिख दिया । I राजाके रहनेके महल। 12 दूसरे घरोमें। 13 पत्नी। 14 मेरे वापके घर, जिनमें हमारे होते हुए दूसरा कोई क्यों रहे ? 15 पट्टघरों (मुख्य प्रासाद) के संबंधमें अनबन चल ही रही है। 16 कहीं। 17 पीछेसे। 18 अवसर देख करके; ताक लगा कर । ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १५१ रावरा चाकर सुरतांणरै घरां मांहे हुता,तिणै घर झालिया' ; वेढ़ की; घर हाथ नाया" । पछै खिसांण' हुय फेर जगमाल विजो साथै ले दरगाह गयो । उठै जाय पुकार को । पछै पातसाह जगमालरी भीर राव रायसिंघ चंद्रसेनोत, कोळी सिंघ दांतीवाड़ारो धणी, के तुरक मदत दे विदा कियो । जगमाल फोज ले सीरोही आयो । राव सुरताण सीरोही छोड़ दी। भाखररी खंभ झाली"। जगमाल आय सीरोही मोहल बैठो।
कितराहेक दिन हुवा तरै जगमाल जांणियो-सैहर" तो लियो, हमैं चढ़ने रावन आबूरी तळक ही छोड़ावू" । सु जगमाल असवार हुवो । राव पिण प्रांण मुकाम कोस २ बाकी छोड़ कियो । सु जगमालरै कटकै विचारियो-"जु राव सुरतांणरै वसीरा रजपूतांरा गांव छै तिण ऊपर फोज १ मेलीजै", ज्यूं रजपूत जुदा-जुदा बिखर जाय । पछै सुरतांणनूं कूट मारिस्यां'।" तरै देवड़े विजै हरराजोतनूं रा' खींवो मांडणोत, रा' राम रतनसियोत, के तुरक भीतरोट ऊपर विदा करणरो विचार कियो ।' तरै देवड़े विजै, जगमाल रायसिंघनूं कह्यो-"मोनूं थांसू अळगो करस्यो तो राव थां ऊपर पावसी" " तरै राठोड़े ठाकुरै कह्यो-"जिण गांव कूकड़ो न हुवै तठे पिण रात विहावै छै" " आ वात कही तरै विजो भीतरोटरी तरफ गयो। बांस राव सुरतांण देवड़ा समरान खबर दीवी--"विजो भीतरोटनूं साथ ले गयो ।" तरै राव सुरतांणनूं देवड़े समरै कह्यो
I जिन्होंने घर पकड़ लिये । घरोंसे नहीं निकलनेके निश्चय पर दृढ़ रहे। 2 लड़ाई की। 3 घर हाथ नहीं आये। 4 लज्जित होकर। 5 सहायतार्थ । 6 कई। 7 पहाड़ की गालको पकड़ा । पहाड़की गालमें शरण ली। खंभ = दो पहाड़ोंके वीचका सँकड़ा और ढालू गुप्त स्थान । 8 महल । 9 कितनेक । 10 शहर। II अब चढ़ाई करके रावको पाबूकी तलहटी भी छुड़वाएं। 12 रावने भी दो कोश शेष छोड़ कर अपना मुकाम किया। 13 सेनाने। 14 जिसके ऊपर सेनाकी एक टुकड़ी भेजी जाय। 15 पीछे सुरतानको मार देंगे। 16 कई तुर्कोको भीतरोट पर भेजनेका विचार किया। 17 मुझको तुम्हारेसे अलग कर देंगे तो राव तुम्हारे ऊपर चढ़ आयेगा। 18जिस गांवमें मुर्गा नहीं होता है वहां भी रात वीत कर दिन निकलता है। व्यंग्योक्ति कहावत है । भावार्थ यह है कि-तुम्हारे विना भी हम अपनी रक्षा कर सकते हैं।
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१५२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात "हमैं ढील न कीजै ।" गांव दतांणी सीसोदियो जगमाल, राव रायसिंघरो डेरो छ, तिण ऊपर राव सुरतांण नगारो देन पायो । इणार खबर कोई नहीं । कोस १ तथा २ रो वीच छै । औ जांण राव विजो भीतरोटन गयो छ तठी जाय छै । संमत १६४० रा काती सुद ११ नै राव सुरतांण इणां ऊपर आयो । वेढ़ हुई। इतरो साथसीसोदियो जगमाल, राव रायसिंघ, कोळीसिंघ तीनै सरदार काम आया--
१ राव रायसिंघ चंद्रसेणोत । १ सीसोदियो जगमाल उदैसिंघोत । १ कोळीसिंघ, दांतीवाड़ारो धणी । १ राव गोपाळदास किसनदासोत गांगावत । १ राव सादूळ महेसोत कूपावत । १ राव पूरणमल मांडणोत कुंपावत । १ राव लूणकरण सुरतांणोत गांगावत । १ राव केसोदास ईसरदासोत । १ चहुवांण सेखो झांझणोत । १ पड़िहार गोरो राघावत । १ पड़िहार भांण अभाउत । १ देवो ऊदावत। १ भा नेतसी। १ भा जैमल । १ वारहठ ईसर। १ मांगळियो किसनो। १ धांधू खेतसी।
I अव देर नहीं कीजिये। 2 राव सुरतान अपनी चढ़ाईका नगारा वजाता हुआ पाया। 3 कुछ भी। 4 अंतर। 5 ये जानते हैं कि राव विजय भीतरोटको गया है इसलिये यह भी उधर जा रहा हैं। 6 राव सुरतान इनके ऊपर चढ़ पाया। 7 लड़ाई हुई। 8 इतने मनुष्य ।
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मुंहता नैणसी. ख्यात
१ सेलहथ बालो ।
|| राजसी राधावत ।
१ भाटी कांन प्रांवावत ।
१ मांगळियो गोपाळ भोजउत ।
१ रा ।। खींचो रायसलोत ।
१ दो ।
[ १५३
3
तठा पछै वळ" देवड़ो विजो हरराजोत दरगाह पुकारू' गयो नै मोटे राजानूं जोधपुर हुवो' तरे" इणांरो पिण दावो हुतो' नै पातसाह जांमवेग नै मोटा राजानूं सीरोही ऊपर विदा किया। पछे सीरोही . ऊपर आया । धरती विगाड़ी' ।
'देवड़ो पतो सांवतसियोत ।
तोगो सूरावत ।
सूर नरसिंघो ।
चीबो जेतो खींवावत | चूक कर मारिया " ।
1
राठोड़ वैरसल प्रथीराजोत पेट मार मुवो" । ति समै देवड़ो विजो ने जामवेग मोटा राजाथी" जुदी फोज ले दौड़िया हुता" । तठे देवड़ो विजो राव सुरतांण मारियो " नै संमत १६६७रा आसोज वद ε राव सुरतांण काळ प्रापत हुवो" ।
5
- राव राजसिंघ सुरतांणरो" । राव सुरतांण काळ कियो तरं टीके बैठो" । भोळो सो ठाकुर हुवो" । एक वार राव सुरतांगरो दूजो बेटो सूरसिंघ ग्रास-वेध कियो थो" । सूरसिंघरी भीड़ " देवड़ो भैरवदास,
I शैलधारी । 2 जिसके बाद 1 3 फिर । 4 पुकारू बन कर गया। 5 राव मालदेवके पुत्र मोटा-राजा उदयसिंहको जब जोधपुर प्राप्त हुआ । 6 तब । 7 इनकी (विजाकी) भी यह मांग थी । 8 सिरोही पर चढ़ कर प्राये । 9 सिरोहीकी धरती (देश) का नाश किया । 10 दगा करके मार दिया । II पृथ्वीराजका पुत्र राठौर वैरसल पेट में कटारी मार कर मर गया. । 12 से 1 13 दौड़े । 14 जहां पर राव सुरतानने देवड़ा विजाको मार डाला 1. 15 राव सुरतान मर गया । 16 सुरतानका पुत्र । 17 राव सुरतान मर गया तब गद्दी पर बैठा । 18 यह ठाकुर भोला सा था। 19 एक बार राव सुरतानके दूसरे पुत्र सूरसिंहने राजद्रोह किया था । 20 सहायता ।
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१५४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात समरावत, डूंगरोत सारा' हुवा। रावरी भीड़ देवड़ो प्रथीराज सूजावत हुवो । वेढ़ हुई । राव राजसिंघ वेढ़ जीती । सूरै वेढ़ हारी।
तठा पछै कितरेक दिनै राव राजसिंघ नै देवड़े प्रथीराज सूजावतसूं अणवणत हुई । प्रथीराज ग्रास-वेध विजै वाळो मांडियो । प्रथीराजरा बेटा-भतीजा आग खाय ऊठिया' । इणरै डीलांरी निपट जोड़ । रजपूत निपट भला उण कांठारा वास राखिया' । एक वार राव राजसिंघ नै देवड़ा प्रथीराजनूं राणे करन समझावरण उदैपुर तेड़िया । पछै झै उटै गया । रांणे कहाव-कथीना' किया सु देवड़ो प्रथीराज, रांम, रायसिंघ, नाहरखांन, चांदो-एकण भांतरा आदमी" । रांणातूं बुराई करां", इसड़ी प्रांगवण मन मांहे धरै'। सु रांणारा आदमी वीच फिरिया" । तिणां रांणानं वात समझाई। कह्यो-"इण परधानगी मांहे सवाद को नहीं" ।" तरै रांणा ही गई कीवी" । इणांनूं सीख दीवी' । राव नै प्रथीराज पाछा सीरोही आया । माहोमाह यूं हीज वहै छै । देवड़ो प्रथीराज जोरावर थको वहै छै । राव राजसिंघ देवड़ो भैरवदास समरावतनूं डूंगरोत, सहल सो पटो दे इणरै हीज प्रांटै राखियो हुतो'। सु राव राजसिंघ ... महादेव गया हुता । देवड़ो भैरव समरावत वासै रह्यो हुतो । बै सासता घात देखता हुता । पछै देव. प्रथीराज बेटां भतीजांनूं समझाय राखिया हुता । इणां वांसे रेहनै भैरवनूं मारियो । राव
I सव। 2 कितनेक । 3. अनवन । 4 जिस प्रकारकी बगावत विजयने की थी,उसी प्रकारकी बगावत पृथ्वीराजने करनी प्रारंभ की। 5 पृथ्वीराजके वेटे-भतीजे क्रोध से तिलमिला उठे। 6 इसके कुटुंव वालोंके बड़े अच्छे जोड़े। 7 उन्होंने उस ओरकी वस्तीकी रक्षा की। 8 समझानेके लिये। 9 बुलाये। 10 कहना-सुनना। II एक प्रकारकी प्रकृति. वाले मनुष्य ; खरे मनुष्य। 12 रानासे विगाड़ करें।. 13 ऐसी आंट मनमें रखते हैं। 14 अतः रानाके अादमी बीच-बचाव करते रहे। 15 जिन्होंने रानाको वास्तविकतासे अवगत किया। 16 इस सन्धि-प्रयासकी प्रधानता करनेमें कोई फल नहीं है। 17 तव रानाने भी वात छोड़ दी। 18 इनको रवाना किया। 19 परस्पर यों ही चलता है। 20 देवड़ा पृथ्वीराज जोरावर (सिरजोर) होकर चल रहा है। 21 थोडासा पट्टा देकर इसीलिये इसे रखा था। 22 पीछे। 23 ये निरंतर घात ताक रहे थे। ..
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.... . मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १५५ सांभळ रह्या' । गई कीवी । भैरवरा पटारो गांव पाडीव राव रांमा भैरवोतनूं दियो । तठा पछै वरस अंक प्रथीराज, राम, रायसिंघ, नाहरखांन, चांदो घात देखता हुता। एक दिन राव मारण गया। सीसोदियो परबतसिंघ ऊपर गयो । देवड़ो रामो ऊपर गयो । राव
आदमियां थोड़ांसू हीज बैठो हुतो। मैं मांहे गया। रावनूं मारियो । सीसोदिया परबतसिंघन मारण घणो ही कियो', पिण दिन ऊभा, घात लागी नहीं । सोर हुवो । राव अक्षराज वरस २ रो हुतो सु धाय कोटड़ी मांहे ले पैठी', ऊपर गूदड़ा दिया । प्रथीराजरै साथ घणोई सोझियो । अखैराज प्रतापबळी सु उणरै हाथ लागो नहीं । तितरै रावरो साथ भेळो हुवो"। सीसोदियो परबतसिंघ, देवड़ो रांमो और साथ खंगार भेळो हुवो" । इणांनूं रावळा-घरां मांहे घेरिया'" । गोळियां, सरांरी मार पड़ण लागी । इणां अखैराजरी खबर की, कठै छ ? तरै राज-लोग खबर पोहचाई'"--"अजेस कुसळ छै, फलांणी कोटड़ी मांहे छै" । इणांरो साथ मुंह बैठो छै । वडा-वडा, पांणी पियांनै पोहर २ हुवा छै" । कोटड़ीरी फलाणी
बाजू निराळी छै । उठीनूं सिलावट तेडायनै अखैराजनूं काढ़ लो।" ..... पछै सीसोदियो परबतसिंघ, देवडै रांमै सिलावट तेडाय हळवै-हळवै.'
भीत खोलाय." अखै राजनै काढ़ लियो । इणांरो बळ वधियो । इणां सोर कियो- "धीरा ! हरामखोरां ! अखैराज मांहरै हाथ आयो छै'।" तरै इणांरो बळ घटियो। रात पड़ी। च्यारूं तरफथी
I राव सुन करके रह गये। 2 हुई, नहीं हुई करदी। 3 को। 4 के लिये। 5 सिसोदिया पर्वतसिंहको मारनेके लिये बहुत प्रयत्न किया। 6 लेकिन दिन था इसलिये कोई घात नहीं लगी। 7 घुस गई। 8 ऊपर बिस्तरे डाल दिये। 9 तलाश किया। 10 अखैराज भाग्यशाली सो उनके हाथ नहीं लगा। II इतनेमें रावका सैनिक समाज इकट्ठा हुवा। 12 देवड़ा रामा और दूसरा साथ खंगारसे मिले। 13 इनको राज-महलोंमें घेर लिया । 14 गोलियें और वाणोंकी मार पड़ने लगी। IS कहाँ है ? 16 तव रानियोंने संदेश भेजा। 17 अभी तक तो कुशल-पूर्वक है, अमुक कोठरीमें है। 18 इनका रौनिकसमाज द्वार पर बैठा हुआ है। 19 बड़े-बड़ोंको पानी पिये दो पहर बीत गई है। 20 कोठरीकी अमुक वाजू एकान्तमें है। 21 उस ओर सिलावटको तुलाकर अखैराजको
निकाल लो। 22 धीरे-धीरे। 23 दीवारको तुड़वा कर। 24 इनका बल बढ़ गया। ...... 25 अखेराज हमारे हाथ आ गया है। "
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१५६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात रावरै चाकर मार दी' । देवड़े प्रथीराज दीठो, रातरा अ→ रहां तो मारिया जावां । तद इणांरै भला-भला रजपूत हुता तिकै प्रागै हुवा। केई पाछै हुवा, के दो बाजुवां हुवा । गरट करनै हुड़ी कीवी । इणांनूं ले नीसरिया । वासै साथ रावरो लूवियो । तिणसूं पाछा वळ-वळ रजपूते वेढ़ की। काम प्रावता गया । घणों साथ मरतां सिरदार कुसळे पाया । डेरै आय घोड़े चढ़ नीसरिया । कितराहेक साथसू पालड़ी आया । वांस सीसोदियो परवतसिंघ, देवड़ो रांमो, चीवो दूदो, करमसी, साह तेजपाळ भेळा हुय राव अक्षराजनूं संमत १६७५ टीको दियो । पछै पाखती' चीतोड़रै धणिये, ईडर राव कल्याणमल वडो ठाकुर थो तिर्ण वात सुणी । सिगळां राव अखैराजरो ऊपर राखियो' । प्रथीराजनै गांव गयां पछै परबतसिंघ देव. रांमै, चीवै दूदै, करमसी, साह तेजपाळ घणो बळ वांधियो" । प्रथीराजनूं ठेल देस मांहेथी काढ़ियो । प्रथीराज देवळारै परणियो हुतो, सु देवळां धारै, मांनै इणनूं चेखळा-भाखर मांहे बांकी ठोड़ थी तिका दीनी" । प्रथीराज माणसां सूधो उठे जाय रह्यो । वेटो चांदो । प्रांवाव दिसा जाय रह्यो । धरतीनें दौड़-धाव घणी ही कीवी। कितराहेक गांव विभोगा किया' । चांदै दांण सीरोही लीजै तिणसूं आधो लियो" । पिण अ हरांमखोर था सु दिन-दिन गळता गया। दौड़णरी तकसीर काई न की' । पछै रायसिंघ भतीज गांव १ मारण
____ I रावके अनुचरोंने चारों ओरसे मार मारी। 2 देखा। 3 रातको यहां रहें तो ... मारे जाय। 4 तव इनके जो अच्छे-अच्छे राजपूत पासमें थे वे आगे हुए। -5 कई पीछे हुए और कई दोनों बाजू हुए। 6 अपना-अपना समूह बना करके जल्दी-जल्दी चले। 7 इनको ले निकले। 8 रावका साथ पीछे लगा। 9 राजपूतोंने जिससे पीछे लौट-लौट कर .. लड़ाई की। 10 पास। II सवने राव अक्षराजकी सहायता की। 12 वहुत जोर पकड़ . . . लिया। 13 पृथ्वीराजको धक्के मारकर देशमें से निकाल दिया। 14 पृथ्वीराज देवलोंके यहां व्याहा था सो देवल धारे और मानेने चेखला पहाड़में जो वाकी जगह थी वह उनको रहनेके लिये दी। 15 पृथ्वीराज अपने मनुष्यों सहित वहां जाकर रहा। 16 वेटा चांदा यांवावकी ओर जाकर रहा। 17 धरतीके लिये दौड़-धूप बहुत ही की। 18 कितनेही गांवोंको करप्राप्त नहीं हो सकें वैसा बना दिया। 19 सिरोहीमें जितना कर लिया जाता था, चांदाने उससे आधा लिया । 20 किन्तु ये हरामखोर थे इसलिए. दिन-दिन निर्वश होते गये। . . . 21 दोड़नेको कोई तजवीज नहीं की।
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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १५७ गयो हुतो त? माराणो' । पछै देवड़ो राजसी, जीवो-देवराजरा बेटा डूंगरोत अठाथी कपट करनै प्रथीराज कनै गया। प्रथीराज इणांरो वेसास कियो । पछै इणां रातरा प्रथीराजनूं मार सीरोही आया । देवड़ा प्रथीराजनूं डूंगरोते मारियो तठा पछै और बेटा तो सोह" मर गया, केई गळ गया । पछै सारो मुद्दो चांदा ऊपर मंडियो' । चांदो वडो आखाड़सिध रजपूत हुवो। चांदारै प्रवाई पार को नहीं। सीरोहो माहे तिको रजपूत को नहीं जिको चांदा प्रागै च्यार वार भागो न छै। चांदै दांण लियो । सीरोहीरा गांव १२०रो विभोगो लियो। संमत १७११रै टाणे चांदो सीरोहीरै गांव नींवाज वसियो। राव अखैराजरो साथ सारो" संमत १७१३ रै काती वद १४ रै दिन नींबाज ऊपर सीसोदियो परबतसिंघ, देवड़ो रांमो, चीबो करमसी, ख्वास केसर सारी सीरोही ले आया। चांदै वेढ़ कीवी । पोहर २ वेढ़ हुई । चांदै वेढ़ जीती। रावरै साथरा पग छूटा' । रावरै साथरा आदमी ५० काम आया । माणस १०० घायल हुआ । देवड़ो राघोदास जोगावत लाखावत सारी मदाररो धणी" हुतो सु कांम आयो । संमत १७२१ मांहे राव अक्षराजसू कंवर उदैसिंघ डूंगरोते" मिळ सारै रजपुते'' मामलो कियो । पछै देवड़े रांमै भैरवोत, सीसोदियो साहिबखांन पंचे मिळ वळे रावनूं कैद मांहेतूं काढ़ियो । पछै राव बेटा उदैभांणनूं बेटा सूधो मारियो । तठा पछै देवड़ा अमरानूं पटो देनै राव मनायो । पटो देनै धरती मांहे आणियो । गांवां पटारी विगत
I पीछे भतीज रायसिंघ एक गांव लूटने गया था वहां मारा गया। 2 यहांसे । 3 पृथ्वीराजने इनका विश्वास किया। 4 जिसके बाद। 5 सब । 6 कई निर्वंश हो गये । -7 पीछे सव भार चांदे ऊपर रहा। 8 राकुशल। 9 चांदाके युद्ध-पराक्रमोंका कोई अंत नहीं। 10 सिरोहीमें ऐसा राजपूत कोई नहीं जो चांदाके आगे चार वार भागा न हो ।
II चांदेने कर प्राप्त किया। 12 सिरोहीके १२० विभोगे गांवोंका कर लिया। 13 समय । ... 14 सब। 15 रावके सैनिक मोरचा छोड़ कर पीछे हटने लगे। 16 दारमदारका धनी ।
17 डूंगरोतने । 18 सव । 19 राजपूतोंने । 20 गड़बड़ किया। 21 पुनः । 22 सहित । . 23 जिसके बाद देवड़ा अमराको पट्टा देकर राव मनवाया। 24 पट्टा देकर देशमें ले आये ।
25 पट्टाके गांवोंकी सूची।
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१५८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १ पालड़ी। १ जैतवाड़ो। १ देदपुर । १ मकरोड़ो। १ बापला। १ पीथापुर। १ टोकला। १ मेडो।
. १ गिरवर । १ मुंडथळ । १ काळधरी। १ भुसावळ । १ धनेरी। १ ग्रावळ।
१ देलवाड़ो-विभोगो । लेतो सु नहीं ले । दांण लेतो सु लेसी'। राव लाखारो पेट
सोभो । सहसमल । लाखो। २ ऊदो लखारो । टीकै" न हुवो। .. ३ रिणधीर । ४ भांण । ५ सुरतांण । ६ राव राजसिंघ । सीसोदणीरो । ७ राव अक्षराज । वीरपुरीरो । ८ उदैसिंघ । ६ उदैभारण। ६ सूर सुरतांणरो । जोधपुर वसियो । भाद्राजण गांव २५
सूं पटै । संमत १६७५ मुवो। ७ सवळो। ८ गरीवदास । ४ सूजो, रिणधीररो। देवड़े विजै रावत सेखावत कनै मरायो । ५ देवड़ो प्रथीराज । सीरोहीनूं. वडो ग्रासियो हुवो । राव
राजसिंघनूं संमत १६७५ मारियो । संमत १६८१ प्रथीराजनूं देवड़े जीवै मारियो। ५ देवड़ो नाहरखांन । ___ I देलवाड़ा भूमि-कर रहित । पहले लिया जाता था किन्तु अव नहीं लिया जाता। चुंगी ली जाती थी वह अवभी ली जायगी। 2 वंश। 3 ऊदा लाखाका पुत्र । गद्दी नहीं बैठा। 4 जोधपुर जा रहा। 5 सूजा रिणवीरका पुत्र । इसको देवड़ा विजयने रावल सेखावतसे मरवाया। 6 (उपद्रव करने वाला) जागीरदार ।
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६ देवड़ो चांदो ।
७ अमरो ।
७ कमो ।
६ जैसिंघ ।
मुंहता नैणसीरी ख्यात
६ वाघ ।
६ करन ।
५ स्यांमदास सूजारो ।
i
६ रायसिंघ ।
७ भोपत ।
६ रांम ।
४ प्रताप रिणधीररो । ५ तेजो प्रतापरो ।
६ मेघराज । तिनूं राव अखैराज चूक कर मारियो ।
७ नाटो ।
७ भाखरसो ।
७ डूंगरसी ।
७ नरहरदास ।
७ कांन ।
५ गोयंददास प्रतापरो । देवड़ी सूजानूं विजै देवड़ मारियो तद कांम आयो ।
६ सांगो वडवज | नींबाज वसतो' । वडो राहवेधी ' रजपूत थो । ७ रामसिंघनूं राव अखैराज चूक करने मारियो संमत १७०५ । करमसी ।
अमरो ।
५ सलखी प्रतापरो ।
[ १५६
६ भारमल
७ गांगो ।
भींव ।
-1 धोखा देकर मारा । 2 रहता था । 3 दूरदर्शी । रणानुभवी ।
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१६० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ५ किसनदास । ६ खींवो। ६ सिवो। ६ जोगो । ७ कांन । ७ राघोदास। ७ मानसिंघ। २ राव जगमाल लाखारो। ३ मेहाजळ जगमालरो। ४ राव कलो मेहाजळरो। एक वार सीरोही रांग उदैसिंघ
ऊपर कर वैसांणियो' । पछै डूंगरोतांसू विरस हुवो । पर्छ राव सुरतांणसूं वेढ़ हुई। भागो । जोधपुर वसियो । संमत १६४६ मोटो राजा भाद्राजण पटै दी सं० १६६१ काळ कियो। ५ आसकरण कलारो। जोधपुर वास । नवसरो पटै । ६ दलपत ।
५ पतो राव कलारो। रांणारै काम आयो । कला-पतारा बेटा
६ हरीदास । जोधपुर वास । भाद्राजण पटै । ७ भावसिंघ । ७ भगवानदास । ७ ईसरदास । ६ गोवरधन । सींधले मारियो । ७ अमरसिंघ । ४ द्वारकादास मेहाजळरो। संमत १६८० जोधपुर वास नवसरा पटै।
I एक वार राणा उदयसिंहने सहायता करके कलाको सिरोहीकी गद्दी विठाया। 2 अनवन । 3 उदयसिंह । 4 भाद्राजुन ठिकाना । 5 सींधल-राठोड़ोंने मारा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६१ . ५ केसोदास।
४ पंचाइण मेहाजळरो। ५ लखमण । ४ जैतो मेहाजळरो। ५ कांन । ६ केसरीसिंघ । ५ करन । ४ परबतसिंघ मेहाजळरो । ५ सूजो। ६ लूंणो। ३ राव अखैराज जगमालरो। ४ राव दो। ५ राव मानसिंघ। ४ राव रायसिंघ अखैराजरो । ५ राव उदैसिंघ । ३ रतनसी जगमालरो। ४ गोपाळदास । ५ नरहरदास । राव अक्षराज चूक कर मारियो । ५ हरीदास । २ हमीर लखारो । राव जगमाल' आध वंटायो हुतो । पर्छ
जगमालसू विरस हुवो । पछै राव जगमाल मारियो' संमत . १६७४ भाद्रवा सुदि । - कंवर गजसिंघ जाळोर फतै करी । भाटी गोपाळदास प्रासावत
भाटी दयाळदास जाळोर थांणै राखिया, तिणसूं राव राजसिंघ वात
की "देवड़ो प्रथीराज काढ़ दो तो गांव १४ थांदा ।" तरै यां • कंवरजीतूं मालम कियो । वात कबूल की। भाटी दयाळदास साथ ले ...... I जगमालने प्राधे राज्यका वंट करवाया था। 2 राव जगमालने हमीरको मार
डाला। 3 जोधपुरके महाराजा सूरसिंहके पुत्र गजसिंहने 'जालोर मुसलमानोंसे विजय किया
था। 4 जिनसे । 5 देवड़ा पृथ्वीराजको निकाल दो तो १४ गांव तुमको दें। 6 तव . इन्होंने कँवरजीसे निवेदन किया।
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१६२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात मदत गयो । प्रथीराजनूं परो काढ़ियो । तरै गांव १४ जाळोर वांसै दिया । वरस १ पेरोजी' ६०००, गोहूं मण १३००० एक वरस आया । तठा आगै न दिया। गांवांरी विगत१ कोरटो।
१ पालड़ी। १ नांमी।
१ रहवाड़ो। १ मंचलो।
१ पालोपो। १ पोसांणो।
१ वासड़ो। १ वाघार ।
१ खेजड़ियो। १ भव ।
१ अणदोर। १ नारदणो।
१ अरटवाड़ो।
वात सीरोहीरै देस डूंगरोत देवड़ा वडा रजपूत छै । देसरी आगळ, भड़-किंवाड़ । सदा झै सीरोहीरा धणियांनूं थापै-उथापै ।
डूंगररा पोतरा -
डूंगर रिणमलरो । रिणमल सलखारो । सलखो लूंभारो । लूंभो विजड़रो।
१ डूंगर। २ झांझो। ३ गजो। ४ भींदो। ५ पालण । ६ तेजसी। ७ रूदो।
waJAAAA
I पिरोजशाही सिक्का। 2 उसके आगे नहीं दिया । 3 देशकी रक्षाके लिये रणक्षेत्रमें एक स्थान पर दृढ़तापूर्वक खड़ा रहकर शत्रुकी सेनाको आगे बढ़नेसे रोकनेमें दृढ़ किवाड़ और उसकी आगल रूप। 4 सिरोहीके स्वामियोंको सदा ये स्थापित और उत्यापित करते हैं। 5 पौत्र ।
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[ १६३
मुंहता नैणसीरी ख्यात ७ नरसिंघ । ७ केलण । ७ रूदो तेजसीरो । अांक ७ । ८ हरराज । ह विजो। ६ लूणो। ६ मांनो । ६ अजैसी। ६ वणवीर। ६ धनराज। ६ जैमल । ८. सेखो रूदारो।
६ रावत । ६ करमो। ६ मालो। ६ रूपसी। विजो हरराजरो । प्रांक ६ ।
१० भोजराज । ११ भगवानदास । १० खींवराज । ११ केसोदास । राव राजसिंघ भेळो मारांणो' । १० रामसिंघ। ११ देवीदास । १० जसवंत । जोधपुर वास । कुळथांणे पटै । ११ तेजमाल । राव राजसिंघ साथै मारांणो ।
११ उगरो। ..... १२ कांन। जोधपुर वास।
, ११ दासो ।
१२. भाखरसी। .... ११ रायसिंघ।
I राव राजसिंहके साथ मारा गया।
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१६४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १२ गोयंददास । १० अमरो। ११ किसनदास । ११ कांन ।
११ उरजन । लूणो हरराजरो । वडो रजपूत । राव सुरतांण मारियो । प्रांक है ।
१० महेस ।
१? भोपत । मांनो हरराजरो । वडो रजपूत । राव सुरतांण मारियो । प्रांक ६ ।
१० सादूळ । राजसिंघ साथै मारांणो । अजैसी । हरराजरो । अांक ६ । १० सुरतांण । जोधपुर वास । समूझो पटै । १० वाघ । ११ पीथो । ११ उदैसिंघ ।
१२ करन । वणवीर हरराजरो । प्रांक ६ ।
१० चांदो ।
१० रामदास । धनराज हरराजरो। अांक है। जैमल हरराजरो । प्रांक ६ । सेखो रूदारो । प्रांक ८ । ६ रावत सेखारो। वडो रजपूत । देवड़े विजैरै वास' थो ।
देवड़े सूजै रिणधीरोतनूं विजैरै कहै मारियो । पछै संमत १६५८ जोधपुर वसियो। सिवांणरो" गांव देवळियाळी पटै .
दी । सं० ६६३ काळ कियो।
1 देवड़ा विजयके पास रहता था। 2 इसने देवड़ा विजयके कहनेसे देवड़ा सूजाको मारा था। 3 मारवाड़का सिवाना नगर । .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६५ १० पंचाइण । जोधपुर वास । खाडाळो, नींबली पटै ।। १० अचलदास । जोधपुर वास । रु० १००००) री रेखरो नवसरो
पटै । संमत १७०३ काबिल काळ कियो' । ११ जगनाथ । ११ नरहरदास ।
देवड़ो जगनाथ अचलदासोत । जोधपुर वास । नवसरो पटै । संमत १७२१ चैत सुद ७ काळ कियो देसमें ।
बेटांरा नांव१२ डूंगरसी। १२ जैतसी। १२ मोहण । १२ वाघ । १२ ठाकुरसी।
६ करमो सेखावत। बेटांरा नांव१० रायमल । १० सांगो। १० राजसी । १० रतनसी । १० भींव । देवड़ा प्रथीराजरी वेढ़ कांम आयो । १० हमीर। ११ मनोहरदास । १० गोयंददास। ११ वीठल । १० जसवंत । १० नाराणदास । १० सांवळ । है मालो सेखारो। राव मानसिंघ देवड़ो हामो रतनावत मरायो
तद काम आयो । ६ रूपसी सेखारो। देवड़ो नरसिंघ तेजारो । प्रांक ७ । ८ समरो।
८ सूरो । . I कावुलमें मरा। 2 स्वदेश (मारवाड़में) मरा। 3 राव मानसिंहने रतनाके पुत्र देवड़ा हांमाको मरवाया तव माला सेखावत लड़ कर मरा.।
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१६६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ८ कुंभो। ८ अरजन ।
समरो नरसिंघरो। रांणा जगमाल, रायसिंघ राव सुरतांण मारियो तद दतांणीरी वेढ़ संमत १६४० काती सुद ११ काम आयो' । वडो स्यांमधरमी।
ह भैरव। ६ नेतसी। ६ भांण । ९ नगो। देवड़ो भैरव, सं० १६७२ देवड़ो प्रथीराज मारियों । आंक ६ । १० देवड़ो रांगो। १० करन । ११ केसरीसिंघ । १२ माधो। १० अमरो भैरवरो । सूरारै काम आयो । १० सांगो भैरवरो । जोधपुर वास । करमावस पटै । ११ मनोहर । ११ भींव। १० कमो भैरवरो। ११ दुजणसल। ११ हरिदास । ११ रतनसी। १० महेस भैरवरो। ६ नेतसी सवरारो । राव जैसिंघ साथै काम आयो। ६ भांण सवरारो।
I राव सुरतांणने सिसोदिया जगमाल और जोधपुरके राव रायमलको मारा था तव दतारणीकी लड़ाईमें सं० १६४० की काती सुद ११ को उनके साथ नरसिंघका पुत्र समरा भी मारा गया। 2 भैरवको देवड़ा पृथ्वीराजने मारा। 3 सूर समराका भाई था इसलिये उसके लिए लड़ कर मरा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[१६७ १० रूपो।
६ नगो सवरारो। १० आसकरण । ११ गोयंददास । १२ राघोदास । १२ भगवांनदास । ११ जैसिंघ । ११ वाघ । ११ किसनो । १० पांचो नगारो।
सूरो नरसिंघरो । वडो रजपूत । काळधरीरी' वेढ़ राव सुरतांणनै कलै हुई तद राव सुरतांणरै काम आयो । प्रांक ८ ।
६ सांवतसी, किसनवाई राठोड़रो बेटो। संमत १६४६ मोट राजा चूक कर मारियो।
१० करन । १० दलपत । १० कांन । १० डूंगरसो । हकलो। १० मेरो । ११ ठाकुरसी। ११ मोहणदास। ११ वीरमदे । ११ धनराज । १० अंमरो। १० सकतो। १० नारायण । ६ तोगो सूरारो । मोटै राजा संमत १६४६ चूक कर मारियो ।
६ पतो सूरारो । मोटै राजा चूक कर मारियो । कुंभो नरसिंघरो । प्रांक ८ ।
. I कालंद्री मुकाम पर राव सुरतान और कलाके युद्ध हुआ तव राव सुरतानके पक्षमें रह कर लड़ मरा । ...
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१६८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ९ वरजांग। १० केसोदास । १० सांवळदास । ११ वाघ।
है जैमल । १० करन । १० मैंगळ 1
६ खींवो। १० मालो । चांदै मारियो। अरजन नरसिंघरो । अांक ८ ।
६ जसवंत । १० लाधो।
६ सुरजन । १० देवराज। ११ जीवो। ११ राजसी। १२ ईसर । सलास पटै ।
११ लाधो। केलण तेजसीरो। अांक ७ ।
८ देदो । पालड़ी वसतो। जिणनूं देव. हांमै रतनावत मारियो। ६ पतो। १० उगरो।
सीरोहीरै देस डूंगरोतां उतरता चीबा भला रजपूत छै' ! इणांरो ही वडो धड़ो छ । सदा सांमधरमी वडा इतवारी छै । भैही देवड़ाहीज छै । तिणां मांहे एक साख चीवांरी कहावै छै । .. .
दूदो मेहरावत वडो, निपट भलो रजपूत, दातार हुवो । वडो आदमी थो । चीवो करमसी वडो रजपूत हुवो।
I सिरोही देशमें डूंगरोतोंसे उतरते हुए चीवे अच्छे राजपूत हैं। 2 पक्ष ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
गीत चीवा जैतारो'.
आढ़ा दुरसारो कह्यो '
श्रीमोटै राजा, सूरै देवड़ारा बेटा - सांवतसी, तोगो, पतो
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मारिया, तद कांम आयो ।
१७० ]
गीत'
R
कहर ।
सोमाहर • तिलक सींचतो - साबळ, करतो - खग दांती रिण रोहियो घणो चीवोळ एकलवा वर ।। १ ।।
राठोड़े,
भाला,
पसर ।
आहेड़ी,
एकल जैत सलख सकै न पाड़े भड़ सिहर ॥ २ ॥
भाजै छांळ खरड़कै
पड़ै न पिंड देतो
I देवड़ा राजपूतोंकी चीवा शाखाके जैताके संबंधका गीत । ( गीत डिंगल - काव्यका एक प्रसिद्ध छंद है ) । 2 आढ़ा जातिके प्रसिद्ध चारण कवि दुरसाका कहा हुआ | 3 जोधपुर के मोटे राजा उदयसिंहने सूरा देवड़ाके वेटे - सांवतसी, तोगा और पताको मारा तव चीवा जैता काम आया | 4 इस गीत में सोमाके वंशज चीवा जैताको दांन वाले बड़े वाराह और उसके शत्रुनोंको शिकारियोंके रूपमें वर्णन किया है ।
गीतका भावार्थ
श्रेष्ठ एकलगिड़ वाराहकी भांति सोमाके वंशमें तिलक रूप जैता चीवाको कई राठोड़ोंने घेर लिया है । जैता उनमें दांती रूप अपने खड़गसे शत्रुग्रोंमें कहर मचाता हुआ और भालेसे रक्त सींचता हुआ युद्ध कर रहा है ॥ १ ॥
जैता रूप एकल-सूकरके ऊपर सलखा रूप शिकारीके भाले वन टूट रहे हैं । किन्तु जैता नहीं गिर कर आगे ही बढ़ रहा है। उनको गिरा नहीं सके ॥ २ ॥
रणक्षेत्र याधी दूर पहुँच जाने पर ज्योंही वह ललकारा गया त्योंही वह अधिक भोपा रूपसे होकार करता हुआ शत्रुओं पर टूट पड़ा और जन-जनको अलग-अलग पहुँच
गया || ३ ||
चल रहे हैं और उनके
बड़े-बड़े शूरवीर योद्धा
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
आधंतर,
ऊपाड़ियै लूट जण - जण पूगो जुवो - जुवो । खींवर हा कलियो खीमावत, होकर जाड़ विहाड़ हुवो ॥ ३ ॥
गीत चीवा खीमां भारमलोतरो'
सिया दलारो को
खीमो राव कलारो चाकर । सुरतांग कलै वेढ़ हुई, कांम प्रायो " |
गीत'
विडरी ग्रास, विजो थियो वांस, वाजै हाक थई विकराळ | चालां चालरणहार न चूको, खत्रवट खग-वाहो खेमाळ ॥ १ ॥
[ १७१
एकण खेम ऊपर ग्रायो, सोह - ग्रावगो डूंगरां साथ । मिटै न घणै नरे मंडाणो, भारमलोत सरस भाराथ ॥ २ ॥
1 भारमल के पुत्र खीमा चीवाका गीत । 2 ग्रासिया शाखा के चारण दलाका कहा हुआ । 3 खीमा राव कलाका चाकर । सुरतान और कलाके युद्ध हुना तव खीमा काम श्राया । 4 गीतका भावार्थ
विकराल रूपसे रणवाद्यों का शोर हो रहा है । क्षात्रधर्म पर ग्रारूढ़ खड्ग चलाने वाला खीमा युद्ध में चालें चलने वालों से किसीसे नहीं चूका । पीछे पड़े हुए वीरोंकी विजयकी आशाएं घवराहटमें परिणत हो गई ॥ १ ॥
तव पहाड़ों में से निकल कर समस्त सेना खीमाके ऊपर गई । भारमलके पुत्र वीर खीमाने उस समय जो युद्ध किया वह कई मनुष्यों के हृदयों में अंकित है, मिट नहीं रहा है ॥ २ ॥
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१७२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात
थिरादरै' परगनै वाव, सुईगांव चहवांण छै । तिकेही राव लाखणरा पोतरा।
१ राव लाखण। १६ पूंजो। २ बलसोही। १७ विजो। ३ महंदराव । १८ सिवो। ४ अणहल ।
१६ रांम, रूदो भाई ५ महंदराव
२० सीहो रूदारो। ६ जींदराव।
२१ मेर। ७ आसराव ।
२२ वणवीर। ८ मांणकराव। २३ सांगो, तिण सांगारो परवार । ६ आल्हण ।
२४ पातो। वावरो धणी । १० देदो।
२५ कलो। ११ रतनसी।
२६ रांणो भोजराज। १२ धुंधल ।
२७ पंचाइण । सुईगांव। १३ महियो।
२८ हींगोल । १४ भरमो।
२६ राजसी। १५ पातो।
वात संमत १७१७ रा भाद्रवारै मांस माहे मुं० नैणसी गुजरात श्रीजीरी हजूर गयो । प्रासोज मांहे पाछो प्रायो, तरै देवड़ा अमरा चंदावतरो प्रधान वाघेलो रामसिंघ अमरै नैणसी कनै मेलियो हुँतो। यो जाळोर आयो तरै सीरोहीरी हकीकत पूछी । उण कही - ...
___ I थराद, वाव और सुईगांव आदि उत्तर गुजरातके गांवोंके नाम हैं । 2 वे ही राव लाखनके पोते हैं। 3 उस। 4 पाता वावका स्वामी। 5 पंचायण सूईगाँवमें। 6 मुहणोत नंगामी गुजरातको महाराजा श्री जसवन्तसिंहके दरवार (सेवा) में गया। 7 वाघेला राम-.. सिपको अमराने नगगसीके पास भेजा था। 8 यह । 9 उसने कहा ।।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १७३ "सोरोही जाळोर गांव बराबर लागै छै । दांण रावरै घणो आवतो तद रु० ५००००) तथा ६००००) आवतो' । इणां दिनां तो घाट आवै छै । सीरोहीरो आध चंदा, अमरारै लीजै छै । विभोगैरा गांव १०० तथा १२५ छै ।"
प्र० सीरोहीरी फिरसत मुं० सुंदरदास जाळोर थकां इण भांत लिख मेली हुती ।
गांवांरी विगत१६ रोहाई-भीतरोटरा कहावै २३ भीतरोटरो पथग कहावै । ४० बाहरोटरो पथग। ४८ साठ-मंडाहड़। ७२ मगरारा गांव तथा झोररा गांव । १२ आबू ऊपर।
६ श्रीमहादेवजी सारणेसरजीरा गांव । ७७ सांसण, चारणां-बांभणारा । ३० तीसरा वागड़ियां देवड़ारो उतन । २४ सोळ कियांरो उतन । सीरोहीरा गांवांरी तफसील - १६ गांव रोहाई-भीतरोटरा कहावै छै'१ बाळधो।
१ वीरवाड़ो। १ लोदरी।
१ उदरा। १ सीहणवाड़ो।
१ सीवेर। १ तेलपुरो।
१ झाड़ोली।
I रावके ज्यादा कर पाता तो वह ५००००) तथा ६००००) तक आता था। 2 इन दिनोंमें तो कम आता है। 3 विभोगे कर वाले १०० तथा १२५ गांव हैं । 4 सिरोहीके . परगनोंकी सूची मुंहता सुंदरदासने जब वह जालोरमें था, इस प्रकार लिख भेजी थी। 5 गाँवोंकी सूची। 6 सिरोहीके गाँवोंकी तफसील (ब्योरा)। 7 सिरोहीके ये १६ गाँव रोहाई-भीतरोट (रोही-भीतरोट) पट्टीके कहे जाते हैं ।
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१७४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १ पिंडरवाड़ो, परवतसिंघरो। १ काछोली। १ वीराळियो, सांसण भाटांरो, १ नीतोड़ो, वीरपुरा, सूजानूं । सहसमलरो'।
१ लोटांणो । १ आभारी वांभरणारी, सांसण १ भाहरू। चीवा रामसिंघ।
१ धनारी। १ चाचरड़ी।
१ खाखरवाड़ो। १ नंदियो। २३ भीतरोटरो पथग कहावै छै८ सांगवाड़ो।
१ फिरसूळी । १ रोहीड़ो, खालसारो। १ मांनपुरो। १ वासो । खालसै, विभोग। १ संतपुरो। १ वाटेरो। रांमानूं ।
१ गिरवर । १ मुंदरडो।
१ मंडथळो। १ भीमांगो । चीबा करमसीनूं। १ उड़ । १ सिणवाड़ो।
१ कर। १ प्रांवथळो।
१ मांडवाड़ो। १ तड़गी।
१ घांणत । १ भाहरजो।
१ मोकरड़ो। ..... १ चूनांगी।
१ चनार । . ४० बाहरोटरो पथग१ सीधणोतो।
१ पांचड़ो। १ सुरताणपुर ।
१ सिणवाड़ो। १ मोडो।
१ सीरोड़ी। १ मेलांगरी।
१.पमाणा।
I विरोलिया गांव, भाटोंका शासन, सहसमलका। (शासन% दानमें दी हुई करमुक्त भूमि या गांव) 2 बाझारी गांव चीवा रामसिंहका, ब्राह्मणोंके शासन में। 3 सिरोहीके मे २३ गाँव 'भीतरोट-रो-पथग' कहलाते हैं। 4 वासा गांव कर-मुक्त और खालसेका। 5 'बाहरोटरो पथग' में ४० गांव हैं।
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[ १७५
. मुंहता नैणसीरी ख्यात १ पोसतरा।
१ चांपोल । १ टाकरो।
१ व्रमाण । १ उंडवायिड़ो।
१ मकावल। १ हमीरपुर।
१ नीबोड़ो। १ पालड़ी।
१ करहुटी। १ मालागांव।
१ जोतपुर । १ डमांणी।
१ धीवली। १ धांधपुर।
१ दतांणी। १ हणाद्रो।
१ मारेल। १ डाक।
१ कपासियो। १ थळी ।
१ भाटांणी। १ नीलेर ।
१ सांडूड़ो। १ सोहलवाड़ो।
१ पेथापुर। १ रिवद्र।
१ सेरुवो। १ रांणकवाड़ो।
१ नींबूड़ो। १ लाडेलो।
१ मकवाल । ४८ साठरो पथग, मुदो इणां गांवां मांहे'१ मांडाहड़ो।
१ हणवंतियो। १ बड़ोदो।
१ बांट। १ रोहुवो।
१ जैतवाड़ो। १ जीरावल ।
१ रीवी। १ देदापुर।
१ अालवाड़ो। १ गूंडसवाड़ो।
१ खीमत। १ सोळसझा।
१ वाचडोल। १ वाचेल।
१ बूराल । १ वडवज।
१ भाटरांम । १ रायपुरियो।
१ धनियावाड़ो। .. I 'साठरो पथग' में ये मुख्य ४८ गाँव हैं।
.
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१७६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १ सूहड़लो।
१ कुंजावाड़ो। १ भांडोतर।
१ जावाळ। १ वाघोर।
१ गींगोल। १ झात ।
१ अटाळ, चारणांरी। १ मवड़ी, भाटांरी।
१ धनेरी। १ अटाळ, भाटारी।
१ चेलावस । १ पांसूवाळा ।
१ सोहड़ापुर। १ पारखी।
१ रोजेड़। १ भाडली।
१ गोयंदपुर। १ सांतरवाड़ो।
१ पांथावाड़ो। १ भीलडामो।
१ टमटमो। १ सातसेण ।
१ पीथोली। १ भीलड़ो न्हानो।
१ गूंडसवाड़ो। १ झांवठो।
१ अकेली। ७२ मगरारा तथा झोररा'१ गुहीली।
१ वग। १ खांभळ ।
१ सिवरटो। १ अणधार।
१ महेसरी। चीवा करमसीनूं। १ डेडुवा ।
१ पाधोर। १ मकावली।
१ बूचाडो। १ तीतरी।
१ वाहुल । १ कलाधी।
१ नूंहन । १ जसोळाव।
: १ मांडल। १ पाडीव । रांमानूं।
१ फागूणी। १ सांणपुर।
१ नोहर। १ सकर।
१ हाळीवाडो। १ सीरोड़ी।
१ ग्राखूना। I झोरा-मगरा पट्टीके ७२ गाँव ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १७६ १ मांडवाड़ा।
१ भेवो। १ फळवध ।
१ अरटवाड़ो। १ भूतगांव।
१ पोसाळियो। १ जावाळ ।
१ आळियो। १ देळोद्र।
१ मांचाळो। १ चरहाड़ो।
१ लिखमीवास। १ मणोहरो।
१ कोरटो। १ मूंडेड़ी।
१ नामी। १ अांबेलो।
१ उपमणो। १ सतापुर।
१ चीबा गांव। १ चीवली।
१ पालड़ी बाहरली। १ मांडणी।
१ राड़वरा। १ प्रोडू।
१ वड़गांव । १ जामोतर ।
१ वाचड़ा। १ नारदरो।
१ डीघाडी। १ लोटीवाड़ो।
१ सीरोड़ी द्रगडांरी। १ लास ।
१ आपुरी। १ मूंणावर ।
१ नागांणी। १ झाड़ोली।
१ डीडलोद्र । १ अणदोर ।
१ अवेळ। १ वासण ।
१ वाचड़ा बीजो। १ मारोली।
१ मांडावाड़ियो। १ पालड़ी माहेली।
१ बळदुरो। १ वाघसणो । १२ अाबू ऊपरला गांव'१ अचलगढ़।
१ हेठामाटी। १ उतोसा।
१ सेहुरो। १ देलवाड़ो।
१ साळ। I आबू पर्वतके ऊपर १२ गांव ।
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१८० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १ ओरीसो।
१ वासथांन । १ वासुदेव ।
१ उमरणी। १ नाहरळाव।
१ रिपीकेस । ६ श्रीमहादेवजी सारणेसरजीरा गांव'
१ तारखो। १ भामरा । १ इकुदरड़ा। १ वाचाहड़ा। १ कोटड़ो।
१ घांणा। १ पालसी। १ सोलोई। ३० गांव तीसरा कहीजै१ वागड़ियो । देवड़ारो उतन" । १ थावर। जाळोररा परगना - वडगांव, १ चीहरड़ा। गूंदाउरासूं कांकड़ । सांचोरसूं १ वीचवाड़ो। कोस १० ।
१ कवरला। सूर । अाउवा पांचला सांचोररातूं १ बूसियो। एक सींव छै। देवड़ा ऑप- १ मगराउवो। मल गोपाळदास नरहरदासरो
उतन। गांव एक साखिया"१ धांनेरा।
१ सातवाड़ो। १ धारवा ।
१ नांनाउयो। १ सांमळवाड़ो।
२४ गांव सीरोहीरा । सोळंकियांरो उतन । अही वडगांव, सांचोररै कांकड़'-- १ सीहो ७००)
१ राजोड़ो १ सिरोहणी
१ जाणावाडो। I श्री सारणेश्वर महादेवजीके ६ गांव। 2 इन तीस गांवोंका समूह 'तीस-रा' - कहलाते हैं। 3 निवासस्थान (जागीरी)। 4 सीमा। 5 सीमा। 6 खरीफकी फसलके गांव 'इकसाखिया' अर्थात् एक साख (फसल) वाले कहलाते हैं। 7 ये भी वडगांव और सांचोरकी सीमा पर स्थित हैं।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[१८१ १ जड़ियो ।
१ रिवियो। १ भूकांणो।
१ माटपणां। १ अांनापुर ।
१ रोहुरो। १ गळथळ ।
१ बेहड़ो। १ जाहडैदेटो।
१ पीगियो। १ मेवड़ो।
१ दुणोद्र। ७७ गांव सांसण-बांभण, चारणां, भाटांरा'१ पेसवा । चारणांरो। १ धाचरियो। ? झांखर । पाढांरो। १ वराहील । १ कोजड़ो।
१ मांडवा। १ लख मेर।
१ उड़ । महेसदासर्ने । १ पुनपुरी।
१ जाल्हकड़ी। १ धांधपुर।
१ कुळदड़ो। १ लाज।
१ डूगरी। १ फूलसरेड़ ।
१ बाटियो। १ रीछड़ी।
१ साकदड़ो। १ बांभणहेड़ो।
१ टमटमो। १ मोलेसरी।
१ आझारी। १ कूचमो।
१ वीरोळी । भाटांरी। १ सोनाणी।
१ वीरोळी । बांभणारी। १ सोलावास ।
१ वासणड़ो। १ मोरवड़ा।
१ आहिचावो। १ माटासण ।
१ देवखेत । १ बांभणवाड़।
१ हाथळ । १ वाचड़ा।
१ जसोदर। १ वडोद्रो ।
१ पेरवा। १ सीझोतरो।
१ बूटड़ी। १ चुड़ियालो।
१ खोगड़ी। ____ये ७७ गाँव ब्राह्मण, चारण और भाटोंके शासनके हैं।
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१८२ ]
१ मीटांण ।
१ वीजवा ।
१ आसावाड़ो ।
१ ग्रहावो खुरदा ।
१ जोखवर |
१ गोवील ।
१ ग्रैवड़ी | भाटांरी ।
१ सेसू | त्रिवाड़ियांरी । १ खोड़ादरो ।
९ जायल |
१ नेनरवाडो ।
१ पातंवर । चारणांरो ।
थोडवाडिया । चारणांरो ।
मुंहता नैणसीरी ख्यात
१
१ कासधरा । धधवाडिया |
खींवराजनूं ।
१ मोरथलो ।
१ ग्रासादस ।
१ खांणां ।
१ मालावास ।
मांडली
१
1
१ जुवाद |
वासडेसो | भाटांरो ।
१
१ धुंवावस |
१
लांणो | भाटांरो ।
१ खुराड़ी । भाटांरी ।
१ ताड़तोली | वांभणांरी ।
१ खांडायत । वांभगांरी |
१ कारोली । भाटांरी ।
गणकी । भाटांरी ।
१
१ पांडरी । भाटांरी ।
१ पालड़ी | रावळांरी ।
१ पीपळी | रावळांरो ।
१ वाढेल । बांभणांरी ।
पालडी | रावळांरी ।
१
१ खड़वळोदो ।
तिथमी |
१
वात सीरोहीरा धणियां- पाटवियांरी, आबू लियांरी'
ग्रावू पंवारांरै छै, सो तो घणा दिनांरो छै । राजा प्रथीराज चहुवांणरै जैत पंवार बड़ो सांवंत हुवो छै, जिण वेढ़ मांहे प्रथीराजनूं साहबी दो' । गोरी झालियो', तद जोसी जगजोत ग्राय को"दिल्ली छत्रभंग होय तिसड़ो जोग छै ।" तरै जैत पंवार कह्यो - " ग्राज वेढ़रै दिन म्हारे माथै छत्र मांडो' । श्रा अलाइ-बलाइ मोनूं I सिरोही के स्वामी और उनके पाटवियोंकी ( राजकुमारोंकी) ग्रावू पर अविकार किये जाने संबंधी वात । 2 राजा पृथ्वीराज चौहानके पास जैत पंवार बड़ा वीर सामंत हुआ है । 3 जिसने युद्धमें पृथ्वीराजको राज्य वैभवसे सम्पन्न किया । 4 शहाबुद्दीन गौरीको पकड़ | 5 दिल्ली राज्यका छत्रभंग हो ऐसा योग वन रहा है । 6 ग्राजके युद्ध के दिन छत्र मेरे पर रख दो |
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[ १८३
मुंहता नैणसीरी ख्यात प्रथीराजरी लागो' ।” पछै जेत पंवार काम प्रायो, तिणरा पोतरा' आबू छै । रावळ काह्नड़दे तिण दिन जाळोर धणी छै । तिण समै देवडा विजड़रा वेटा-जसवंत, समरो, लूणो, लूंभो, लखो, तेजसी सरणुवारा भाखर सीरोहीरीमा छ, तिणांरी गडासंध प्राय रह्या छै । इणांरै पग-ठांम काय न छै । भाई पांचे ही बालोच करै छै"प्रांपै तो सपूत छां । ज्यूं त्यूं कर पेट भरां छां. पिण काइक ठोड़ छोरवांनं खाटीजै । सू पावू लेणरो विचार करै छै । तितरै चारण १ पंवारांरो इणां तीरै आयो । तिण चारण आगै दिलगीरी करण लागा-"जु एक तो मांहरै धरती नहीं, नै भूखा'', नै पांचेई भायांरै पांच-पांच बेटियां, त्यांनूं वींद जुड़े नहीं ।' तरै चारण कह्यो-"इण वातरो किसो सोच करो । झै आबू वडा पंवार-रजपूत । इणांनूं परणावो।" तरै इणे कह्यो-"म्हे आज भूखा, पंवार अाबूरा धणी। मांहरै परणीजै क न परणीजै" " तरै चारण कह्यो-"हू खबर करीस"।" उटै आबू पाल्हण पंवार राज करै त, चारण गयो। कह्यो-"चहुवांणांरै वींदणी'" २५ छ । पचीस पंवारांनूं दै छै ।" तरै पंवारै कह्यो-"रूड़ा ! परणीजस्यां"।" तरै किणहेक डाहे माणस कह्यो"-"जु झै काळपूंछिया धरती नाडूळथा लेता आवै छै । इणांरै ना जाइजै ।" तरै पंवारै कह्यो-"म्हे पहलां कह्यो, हमैं ना कहां नहीं ।" नै उण चारणनै कह्यो-“उणां चहुवांणांरो एक जणो भाई
आबू अोळ' रहै तो म्हे परणीजण आवां ।” चारण आयनै चहुवांणांनूं कह्यो-"अोळ दो तो परणीजै ।” तरै यां एकरसूं तो कह्यो-"पोळ
___ I पृथ्वीराजकी यह प्राधि-व्याधि मुझे प्राप्त हो। 2 पोते। 3 सिरोही प्रदेश । 4 पास । .5 इनके पास रहनेको कोई जगह नहीं है। 6 पांचों ही भाई विचार करते हैं। 7 किन्तु कोई एक जगह लड़कोंके लिये प्राप्त की जानी चाहिये। 8 अतः ये आबू लेनेका विचार करते हैं। 9 इतनेमें । 10 पास । II गरीव । 12 उनको वर नहीं मिलते। 13 हमारे यहां वे विवाह करें या न करें। 14 मैं इसका पता लगाऊंगा। 15 चौहानोंके २५ दुलहिने (कन्याएं) .. हैं ।.. 16 अच्छी बात है, विवाह करेंगे। 17 तब किसी एक समझदार व्यक्तिने कहा। 18 ये दुष्ट नाडोलसे धरती लेते आ रहे हैं। 19 इनके यहां नहीं जाना चाहिये । 20 हमने पहले स्वीकार कर लिया, अव नाहीं नहीं करें। 21 बंधक रूपमें। 22 एक वार ।
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१८४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात किसी मेलां।" पछै भाई एक वोलियो-"जु वीजू तो काहे कां', मुंवां विगर अावू नहीं आवै । एकै अोळ साटै आवै तो ढील मतां करों।" तरै लूंण कह्यो-“हू जाइस' ।" तरै चारगानूं कह्यो-"म्हे भूखिया नै मांहरै वेटी जरूर परणावणी' । वे ठाकुर अाज म्हां निवळा देखै छै तो म्हे अोळ पिण देस्यां ।" यूं थाप करने लूंणानूं अोळ मेलियो । उठे पंवार १ वडो ठाकुर नै ओ लूंगो पावू रयो । नै पंवार २५ वींद छेड़ावडै साथसूं पाया । अठ सांमेळो करायनै प्रांग जांनीवासे उतारिया । घणी महमांनी करी । भांग, अमल, दारू गाढ़ा सहोरा किया । साहारी'' वेळा हुई तरै इणां रजपूतां २५ मोटियारां छोकरांन" बैरांरा वागा पहराया। वींदणी कर वैसांगिया । पटलीरी पाखती कटारियां छांनी सीक राखी'" । कह्यो-"म्हे फेरा लेणरी कहां तरै हुसियार हुईजो । कटारियां मार पाड़जो।" यूं केहनै जांनीवासै जाय कह्यो-“साहेरी वेळा हुई छै, वींद हालो'" ।" जांनी दारूथी विकळ हुवा था, थोडासा आदमियांसूं परणीजण आया । डोढ़ीरै मुंहडै ऊभा रहनै कह्यो'-"वीजा ऊभा रहो" । माहे मांगस छ । छां भूखा, पिण मांहरै ठाकुराई छै । यूं कहि सारा वारै राखिया । वींदांनूं मांहे लिया। चंवरियां मांहे वैसांणिया । हथळे वा वांभण जोड़िया" ! मोटियारै हाथ पीडा झालिया" । तरै वांभण
__I दूसरी बात तो क्या कहूँ। 2 एक ही मनुष्य-बन्धकके बदलेमें बाबू आता है तो देरी नहीं करो। 3 मैं जाऊंगा। 4 हम गरीव हैं लेकिन क्या करें हमको लड़कियोंका विवाह करना है। 5 वे ठाकुर आज हमको निर्वल समझते हैं तो हम 'पोळ' भी देंगे । 6 इस प्रकार निश्चय करके । 7 वहां एक बड़ा पंवार ठाकुर जिसके पास यह लूणा 'पोळ' रूपमें श्रादू जा कर रहा । 8 और पंवारोंके २५ मनुप्य दुल्होंके रूपमें वरातियोंके साथ आये। 9 यहां साम्हेला (अगवानी) करा कर जनिवासेमें ला कर ठहरा दिये । 10 भंग, अफीम, शराव अादिले वहुत खातिरदारी की। II पाणिग्रहण। 12/13 जवान छोकरोंको स्त्रियोंके वस्त्र पहिनाये। 14 दुलहिनें बना करके विठा दिया। 15 अोढ़नेकी पटली घाघरे में खोसनेकी जगहमें गुप्त रूपसे रख दी। 16 दूल्हे चलें। 17 ड्योढ़ीके द्वार पर खड़े रह कर कहा। 18 दूसरे यहां ही खड़े रहें। 19 अन्दर जनाना है। 20 हम असमर्थ हैं किन्तु हमारे ठकुराई तो है। 21 दुल्होंको अंदर लिया। 22 ब्राह्मणोंने पाणिग्रहण करवाया। 23 युवकोंने मेंहदी-पिंड वाले हाथोंको पकड़ा। . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १८५ कह्यो- 'उठो ! फेरा ल्यो।" तरै लोह कियो । पचीसांनं ही कूट मारिया । जांनीवासै ऊपर जायनै जांनियां कूट मारिया । जांनी सोह मारिया । आबू भाई लूंगो थो तठै खबर मेलणी । तितरै एकण माहेरै रजपूत कह्यो--"हू जाईस ।” तरै कह्यो--"तूं क्यूंकर जाईस ?" तरै कह्यो-“जाचक हुइ जाईस ।" तरै ओ रजपूत जाचक होयनै उठे गयो । यो ठाकुर चहुवांण नै पंवार वातां करता था उठे पाय कह्यो"वधाई, व्याह हुवो।" तरै लूंणो बोलियो-“व्याह हुवो ?" वळे पूछियो'--"व्याह हुवो ? जस किणनूं हुवो' ?" तरै कह्यो-"जस चहुवांणांनूं हुवो नै पंवारांरी वडी भगत हुई।" तरै चहुवांण लूंग कह्यो पंवार दलपतनूं--"जु आबू मांहरो छै । वे मारिया' । जिसड़ो तूं व्है तिसड़ो हूई ।" माहोमांहि दलपत नै लूंणो लड़ मूवा । तितरै वे पिण वांनूं मारनै चढ़िया था सु प्राय आबू चढ़िया" । दुहाई फेरी'" चहुवांण कहै छै इण तरै पाबू खाटियो'। संमत १२१६ माह वदि १, चहुवांण तेजसी विजड़रो बेटो पाट वैठो ।
तरै पंवार केएक तो कठीही गया। केएक तेजसीरै चाकर रह्या" । सु सिरदार पंवार हुतो, तिणरो बेटो मेरो हुतो, सु आबूरी धरती माहे हीज तेजसीरो चाकर हुय रह्यो थो। तिण मेरारी बहन लजसो तेजसी परणियो हुतो सु उणनूं गांव ४ तथा ५ पट दिया ।
सु यो मेरो तेजसीरो साळो। तेजसी कनै आवै तरै तेजसी मेरा, .. पूछ "मेरा ! अाबू म्हारी क थारी ?" तरै मेरो कहै--"ग्राबू राजरी'।"
___ I तब कटारियोंसे वार किये। 2 समस्त वरातियोंको मार दिया। 3 पुनः पूछा । 4 यश किनको मिला ? (सांकेतिक प्रश्न है । तात्पर्य विजय किसकी हुई ?) 5 तब कहायश चौहानोंको मिला और पँवारोंकी बड़ी खातिरदारी हुई अर्थात्-विजय चौहानोंकी हुई और पँवार सव मारे गये । 6 अांबू हमारा है। 7 वे (पॅवार) मारे गये। 8 अव जैसा तं मेरेसे व्यवहार करेगा वैसा मैं भी। 9 इतनेमें वे भी उनको (पंवारोंको) मार कर चढ़े थे सो पावू आ पहुंचे । 10 अपने शासनकी घोपणा की। II कहा जाता है कि चौहानोंने इस प्रकार प्राबू प्राप्त किया। 12 वि.सं. १२१६ माघ कृ.१को चौहान विजड़का पुत्र तेजसी सिंहासन पर बैठा.। 13 तव पवार कई तो कहीं चले गये।' 14 और कई तेजसीके . सेवक वन कर रहे। 15 उस मेराकी वहन लजसी तेजसीको व्याही गई थी। 16 श्रावू
आपकी।
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१८६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सु तेजसी पांचे-दसे दिन मेरानूं या वात विगर पूछियां नहीं रहे । सु मेरो मुंह. तो क्यूं फेर कहै नहीं', पिण मनमांहे आवटै । वळ घणो । ऊणो जाय' । डील दूबळो हूतो जाय । तिण समै मेरारै काको एक प्रांधो सु मिलणनूं आयो छै । तिणरै मेरो पगां लागो । तरै उण अांधै काकै मेरारै मुंहडे, छाती, हाथां हाथ फेरियो। तरै उण डील दूवळो जांणियो । तर अांधै काकै मेरा कह्यो-"मेरा ! न्याय पंवारांसू आवू गयो, वांस तो सारीखा भींव हुवा ?' तरै मेरे कह्यो-"काका ! रजपूत तो रूड़ो छू, पिण मोनूं सासतो दगध घणो छ, तिणसूं हूं हेठो-हेठो जाऊं छू।" तरै काकै पूछियो-तो किसो दगध छै ?" तरै मेरै कह्यो-"हू जरैही तेजसी रावळ कने जाऊं तरै मोनें कहै-"मेरा!
आबू थारो किना म्हारो ?" तरै हूँ मुंहडै तो कहू-"बाबू राजरो" पिण हूँ मन माहे घणो प्रावटूं । तरै काकै कह्यो-"फिट मेरा ! जायै जीवन मरणो छै । हमरकै भेळा हुय जास्यां । देखां, गोविंद कासं करै । पिण एक भलो देवड़ारो सिरदार कनै मोनूं बैसाणे नै तोनं तेजसी कहै-“मेरा ! अावू कुणरो' ?" तरै तूं कहै' - "पावू म्हारो, म्हारा वापरो, म्हारा दादारो । तूं ऊपरवाड़ारो सांड पैठो।"
कवित्त छप्पय सीरोहीरा टीकायतारा परयावलीरो आसियो मालो कहै"
कवित्त . आदि अनादि असंभव आप मुद्रा ऊपाए । ओंकार अप्पार पार प्रमही नहिं पाए ।
I सो मेरा उसके मुंह पर तो कुछ कहता नहीं। 2 किन्तु मनमें घुटता है। 3 वहृत जलता है । 4 कम होता जा रहा है। 5 मेरा ! पंवारोंसे प्रावू गया यह न्यायकी बात है क्योंकि पीछे तो तेरे जैसे भीम (भीम जैसा पराक्रमी) ही तो रहे हैं ? 6 अच्छा। 7 किन्तु मुझको निरन्तर जलन बहुत है जिससे मैं दुर्बल होता जा रहा हूँ। 8 किम्वा । 9 धिक्कार मेरा ! जन्मे हुए जीवको मरना है। 10 अवकी साथ हो कर जायेंगे। II देखें भगवान गोविन्द क्या करते हैं। 12 विठावें। 13 अाबू किसका ? 14 तव । 15 न उलटे मागंका सांड पुन गया। 16 परयावली गांवके चारण आसिया मालाके कहे हुये गिरोहीके टीलायतोंके कवित्त छप्पय ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
कौमारी |
कालिका जग कृतो कंधरूढ़ा कमळा चपळा कळा पळा प्रमहंस पियारी ॥ देवांण विद्या दत्तावरी देवी धनदाता वरी । चहुवांण वंस रूपक' चवां सारसत्त भुवनेश्वरी ॥ १ वंस चहुवांण वखांण प्रांण सुरतांणां ऊपर | अनळकुंड उतपत्त मुद्राकी चंद महेसुर ॥ मार मार वित्थार वार ऊठियो खुरासांणां खळभळ निहंग सवाळख सिंध सागर सतर जिणे त्यै वंस समो नह को तियग को संग्रांम न समवड़ी " ॥ २
विकास ।
सावच्चा नासै ॥ खंड जीतां चड़ी ।
जेण' वंस जिंदराव जेण
गोगो जगमग्गो ।
सोमेसर
जग्गो ||
10
जेण वंस जैतराव जेण तेण' वंस प्रथिमल्ल साल गढ़ चौरासी ग्रहे साभि बंधे
हूवो
सत्रांणां" ।
सुरतांणां ॥
कैवास सूर सारखि क्रियंत जास मोहल्ल न पांमता । चौतीस लाख चतुरंग दळ हुयां प्रायससह " हालता " ।। ३
12
3
तेण डंडे पंडुवां खांण त्रंब में ऊलाळं । माळवो मलवटै पैज दक्षिणहू पाळ ॥ गूजरवै पोह" ग्रहे सिंध समूहो नीहट्टै । देतो परदक्षणा प्राव दिल्ली रहट्टे ॥ अन अन्न देस धर गिर प्रवर संकोड़े संसार सहि ।
चहुवांण पिथमसूं चापड़े गज्जणवे
गज्जनवै सुग्रहै दूजै गयंद तुरंग तीजै साह महंत लेय
8
I वर्णन, काव्य । 2 कहता हूँ । 5 समान । 6 समान । 7 जिस । II श्राज्ञा । 12 चलते । 13 प्रतिज्ञा । वाला । 16 स्त्रियां । 17 निद्रावश, नींदमें मस्त ।
3 दुहाई, घोषणा, शासन । 4 श्रग्निकुण्ड । उस 1 9 शल्यरूप | 10 शत्रुनों के लिए । 14 गुजरातके स्वामियोंको । IS नाश करने
लीध गोरियां "
5
[ १८५
सुरतांण गहि ॥ ४
भंडार पहल्ली ।
नींद गहल्ली " ॥
नव लाख वसावै ।
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१८६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात चौथे मारग माल भोग' संजुगत भरावें ॥ पंचमै इंड प्रथिमल्लरै एह वात मांनी असुर । दस सहस लाद अल्लावदी पूरूवै अजमेरपुर ।। ५ प्रथीमाल परमाण वधै चहुवांण तणे बळ । तेण वंस बहन्नाल दांन दीपियो दसावळ" ।। वळ बाहड़ दे जेण जेण पंडवो प्रजाळे । चाहड़दे अस चढ़े वैर गंजै चौवाळ ॥ अजमेर हुवा नर एतला' नवलक्खी उग्रह लिया। सीलंत पांण सुरतांणसूं कंदळ सुरतांणी किया ॥ ६ रायसिंघ तिण पाट रहै सेवै तुरकांणौ। लाखणसी धर छाड़ हुवो नाडूलो रांणौ ।। सेवा कीध सकत्त वधै वरदान वड़ाई । चीतोड़गढ़ वधनोर हुवो चहुं मांन सवाई ॥ चहुवांण वंस रूपक' वडो रावां गंजन वैरहै । वरदान आसल लीधौ वडै खुरासांणां ऊपर खड़े ॥ ७ तेरैह सहस तुरंग सकत' वरदान समप्पै । नाडूलो नाडूल थांन पासावर थप्पै ।। पाटण ऊली प्रोळ'' दांण चहुवांण उग्नाहै। पंच लक्ख पोकरण वरस वरसै निरबाहै ।। मेवाड़ मंडळ लाखो डंडै पसरै पूरव ही परै । त्रिहुं राय सीस लाखण तपै ज्यौं प्रारंभै त्यौ करै ।। ८ श्रग लाखण संपनो' पाट सोही परगट्ट । सोहीरै महेंद्रराव जेण खत्र दूणो खट्टे । महेंद्र वंस मछरीक' सुवन आलण संपन्नो । पालणरै असराव पास जिंदराव उपन्नो' ।।
I कर, मालगुजारी। 2 के । 3 दसों दिशाओंमें। 4 इतने । 5 प्राप्त करता है । 6 नाश । 7 यश । 8 वैरके बदलेमें। 9 शक्ति, देवी। 10 पाटनकी मुख्य पौल पर । I लाखन जव स्वर्ग चला गया। 12 जोरावर । 13 सम्पन्न हुआ। 14 उत्पन्न हुआ। .
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[ १८७
मुंहता नैणसीरी ख्यात जींदराव तण कीतू जिसा' जे लीधो जाळोर जुड़ि। कर त्यूं समो पूजै न को त्यैस कूण पूजंत तुड़ि ॥ ६ सिवियांणो गिरसोन जेण एकण दिन जीता । वीरनरायण वंस वहै वेसास वदीता ॥ दहियावत' ढुंढार मार संग्राम मनावै । कर सह वरस कटक्क पछै नाडूळ पजावै ।। सुरतांण सरसबळ सांमहा आप प्रांण अवरज्जिया। कीतू कंधार मछरीक कुळ गह एवडै गरज्जिया ॥ १० विवन कीतू वसुह सुतन ऊठिया सवाई । सांवतसी महणसी वेध वीजाड़ वडाई ।। वीजड़ तणे बिप्राव पांच पांचेही पांडव पर। एकैके आगाह अाभ गह राखै असमर ॥ जसवंत समर लूंणो जिसा लोहगढ़ लूंभा लखा। इक एक विरद-गह ऊठिया मार मार करता मुखा ।। ११ अरबद्दह परमार काह्न'ऐका कणियागिर । सीह पंच सद्द णवै सहै कोटां ताकै सिर ।। वीजड़रा धर वेध वसै बिन लोप विचाळे । क्रांमत'' हेकां' करै चक्र हेकां हू चाळे ।। मावै नहीं बीहै न मन पोहव' प्रमाण प्रगट्टिया। देवड़ा दूट"देसां दहण आग खाय कर ऊठिया ॥ १२ पंचवीस पंमार तेड़ जांनां तिड़ तोड़े । थांण गूजरखंड मुगल मुंडाहड़ मोडै ॥ लूंणो सांमो लोह मुवो दळ दळपत मारै।
1 जैसा। 2 उसके समान कौन हो सकता है। 3 मारवाड़का इतिहास-प्रसिद्ध सिवाना नगर । 4 गिरसोन = सोनगिरि = स्वर्णगिरि, जालोरके किलेका नाम । 5 दहिया राजपूतोंका प्रदेश। 6 इस प्रकार। 7 समान । 8 तलवार.। 9 कीर्तिमान् । 10 अर्बुद (आव) । II कान्हड़दे। 12 जालोरका किला कनकगिरि। 13 युद्ध। 14 पौरुष । 15 एक बार । 16 पृथ्वी। 17 प्रवल ।
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१८८]
मुंहता नैणसीरी ख्यात तेजसीह अरबद्द सेस पीतियै वधारै ।। पग प्रांण धरा गिर पालटै घणूं विरद आव्रत घणा । सुरथांन गयां राखै सको तपै तुंग वीजड़ तणा ॥ १३ तेजसीह पंमार भैचूक' प्रावटै । दसमो ग्राह लूंभेण पुत्रते सलख प्रगट्टै॥ सलख सूर संग्राम सलख सुरतांणां सहल्लै । सलखतणौ रिणमाल झूझ भर दूणो झल्लै ।। सरणिय वसै रिडमल सुहड़ खंडांउंडां खड़खड़े । चहुवांण जिकण ऊपर वडै घण नरिंद धायै घड़े ।। १४ अरवदही रिणमाल अनैवी' कळका चोळे । सोळंकियां सहाय बोल हुय भारी बोले ।। करै कटक अरजक्क' निवह देवड़ो निहट्टै।। वोडो विरद पगार आव वीसर आहट्टै।। पळ खंड चंड भुवडंड पिड़ खित'कारण खळ खुट्टिया' । चापड़े वीस चवदह चडै आरोपण आवट्टिया ।। १५ दळ बोड़ां देवड़ा सहित विकळत संघारै । रहै हेक रजपूत तेण रिणमल्लह मारै ।। तेण पाट तुडतांण वधै सोभ्रम्म वडाई। सोभ्रम्मरै सहसमल सूररै ऋन्न सवाई ॥ चहुवांण देस च्यारह चरै पग हि न हल्लै पाधरै'। अरवद्द राव बळ आपरै, जां प्रारंभ तां करै ।। १६ कुंभक्रन्न अरबद्द, लियो सरणुप्रो सहेतो। सहसमल्ल सुरतांण, जाय श्रगवास'' पहूं तो" ।। कर ऊपर कुतवदी, इतो क्यूं वेगो आवै । गयो रांण ो घाट, घाट परगह पाड़ावै !! वीटेव दुरंग थांरण वहै, पनरै ती पालट्टिया।
I सबको। 2 उसी समय, एकदम। 3 शल्य रूप लगता है। 4 जिसके । 5 अपने मतसे चलने वाला । 6 शत्रु । 7 पृथ्वी 1 8 शत्रु । 9 नाश किया। 10 सीधे । II स्वर्गवास । 12 पहुँचा।
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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १८६ मछरीक सुकर मेवाड़रा, असंख सेर आहुट्टिया ॥ १७ पग प्रांणै धर प्रांण, मरण साहसमल मग्गै । तेण पाट लख धीर, मयंक ऊगै जगमग्गै ।। जे बालोतो सीह, नला आकासह नांखै । अोबास ऊससै, ढांण कोटांनूं धांखै ॥ . सिवपुरी वसै ग्रह सरणुवो, देसां ऊपर देखियो । बळ सबळ महाबळ बोलियो,परगह आप न पेखियो । १८ सोळंकी संग्रांम, सात फेरा संघारै । गोखू वर गहिटै', मछर चड डूंगर मारै ॥ डोडियाळ काचैल, सहत डंडै बालीसां। . कोळीया कड़जकाढ़, चांप तीसां चोबीसां ।। जिण सयल तणा नद नोर जिम,जीता सेन असंख जिण । लखधीर तणे सुरतांण लग,ताप न खिस्मै रोद्रतिण ॥ १६ धर खाटै लखधीर, दीध जगमाल हमीरां । बिनै पाट पत वेध, हुवै बेहू' वर वीरां ।। एक राव अरबद्द, बियो' सरणुवै बयट्ठो"। एकाएक अगाह , एक एकाह अपुट्ठो"। राय भांण अनै सत नथ राय,द्रोखै पारख वेधियो। भुय तणो ग्रास बिहुं भाइयां, आधोपाध निमंधियो । २० दळ मेळ जगमाल, पीड़ हम्मीर पहारै। विह" लिखियो धरवेध, तांम सहवर संघारै ।। रसतर संघण लील राज, बक लाल विवन्नो । तेण" पाट तुड़तांण, पछै अखई उतपन्नो ॥ अखैराज़ अरक ओहासियो,नर नरंद भंजेव निस । कळकळ किरण दीपै कमळ,दस ही दिस चत्वार दिस ॥ २१
I भिड़े। 2 सेना। 3 देखा । 4 बार, दफा। 5 नाश करता है। 6 पहाड़। 7 सहन करता है। 8 प्राप्त करता है। 9 दोनों। 10 दोनों। II दूसरा। 12 वैठा । 13 एक एकसे आगे। 14 एक एकसे विरुद्ध । 15 बाँट लिया। 16 विधाता । 17 जिसके।
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१६० ]
महता नेणगीरी ग्यात जिकै इंदु फणइंद कंदतां लग निकास। जुब प्रवीण दरांण' पांण त्यां दूरि पियान ।। जिकै छा गज गत्त जत्र त्यां हुये अलगा। जिक काळ लंकाळ लुळे लुळ पाये लगा ।। पूरब पछिम उत्तर दक्षिण कीती रेगे खळमळ । अखैराज अरक पोहालियो हुय नरंद हालोहळ ॥ २२ बंध खांन आप वळ मांण मेजे मिलकांणो । धरा राज धर धूगा, लियो चांप लोईयांणो । डोडियाळकी वेल, बास गोखंभ वसावे । चांपै तीस चौवीस, मार धर सत्र' मनावं ॥ पतसाह सूर दसवार पिड़, जे ढंढोळ गो दळां । अखैराज साल इळ अंतरै, उरह निमंध एतळां ॥ २३ कोड प्रवाड़ा' कर, सरग' श्राख ई सांप्रतो" । रायसिंघ तिण पाट, अरक वेधै जगतो ।। किरण झाळ झळहळे, अंब अंबर" पोहासै । सपतदीप सारीख वदन उद्योत विकासै ।। नव मेक"छत्र छाया निजर,वरन अठारह विळकुळे । पह"सिंघ प्रतप्पै 'सिवपुरी,जोत विव"जिम जळहळ ।। २४ ।। काय' भोज कीकम्म'", काय रुद्रनाग अरज्जन । काय रांमण बळराज",काय जुजठळ"अरगंजन।। क्रनकाय' हरचंद क्रन्न कळजुग्ग" कहता । काय समर दाधीच काय जीवाहन जंता ॥ सुजसिंघ सही सुजसिंघ सत एह न पारख "पावरां"। काय वात न माने पर किणी,क्रग्ग"दीध जळतो करां।। २५ .
I प्रतिज्ञा पालनके लिये प्राणोंको न्योछावर करने वाला वीर। 2 जोरावर । 3 मिटा दिये। 4 शत्रु। 5 पृथ्वी। 6 इतने। 7 युद्ध। 8 स्वर्ग। 9 कहता है । 10 प्रत्यक्ष। II आकाश। 12 एक। 13 स्वामी। 14 प्रतापवान् हो रहा है । 15 सूर्य। 16 क्या तो। 17 विक्रम । 18 रावण । 19 राजा बलि । 20 युधिष्ठिर। 21 राजा कर्ण। 22 हरिश्चन्द्र । 23 कलियुग। 24 समानता। 25 दूसरोंमें । . 26 (१) खड़ ग, (२) हाथ ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६१ कवित्त राव रायसिंघ सीरोहियारा, आसियो करमसी खींवसरोत कहै
कवित्त जे ऊपररो तमर, सुवर वैहवार लहंतो। जिण थू आ ऊपरी, फाड फड़वक फाडतो ।। जिण समपै सोवन्न', जेण बदरा बंधावै । जिण सोझावै हाट, जेण लासां लूसावै ।। सुनिझरस संभार सदन, [वणां] कृपणां तणो विरांमियो। कर सुपर कीति कवि करमसी,रायसिंघ विसरांमियो । १ जहां अंब फळ बछस ,तहां नींब फळ न पामस' । जहां चिणी पकवान, तहां को कसरय मानस ॥ जहां जायसूं जंपै, तहां अादर न पायस । जहां उपायस' बोहत, तहां बोहतेरो खायस' । अोखद दांन देसी कवण, दन'हीणां विदोषियै । हय हय सरीर छूटो नहीं, रायसिंघ अवरोखियै ॥ २ राव राय रखपाळ',राव रहड़ण"रिम राहां । राव रूप रायहरां, राव वैरी पतसाहां ।। राव रोर विड्डार, राव संसार उधारै । राव ध्रम्म ऊधरै राव इक्कोतर तारै ।। तण जास पास नय कुळ तणी,सिवै भोर आचार सही। अभिनमो क्रन्न दानेसवर, रायसिंघ विवनोम कही ॥ ३ केहिज राव राखिया, भोम निगमी भ्रामंता । केहिज राव राखिया, भये खुरसारण पुळता ॥ केहिज लोभ राखिया, तणा पतसाह उदाळे । केहिज रजकर' राखिया महारोर वै दुकाळे ।
I सुवर्ण। 2 सम्पत्ति, धन। 3 मृत्युको प्राप्त हुआ, मर गया। 4 कीति । 5 मर गया। 6 वृक्ष । 7 प्राप्त होता है। 8 उत्पत्ति, पैदाइश । 9 खाया जाता है, ख्वाहिश । 10 (१) दिन, (२) दान। II रक्षा करने वाला। 12 रोकने वाला, मारने वाला। 13 शत्रु । 14 दे दी। 15 भागते हुओंको। 16 दीन, गरीव ।
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१९२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात रिण खेत पिसण' केहि राखिया कह्नि काय कवि पात्र कहि। अभिनमो क्रन दानेसवर, रायसिंघ विवनोम कहि ॥ ४ कुण चारण कुण चंड, कवण बंभण' बंभेसुर । कुण जोगी कुण जती, कवण दरवेस दिगंवर ।। कुण पंडित कृण पात्र, कवण खंखी परदेसी । जाचेवा जेतल नट्टनीय, भटनीय निवेसी ॥ . रिण हुवौ सीस दुहिला रहै,रुळियो नह चूकै रिणां । हिंदवै राव विवनै हुदै, मोटो छैहो मांगरणां ।। ५ क हिम मेर डोल है, क हिम जळहळ है सायर' । क हिम चंद लुक्कि है, क हिम छळहळ देवायर ।। क हिम वीस ब्रहमंड, गाढ़ छांडे हेकागळ'" । क हिम सपत पाताळ.चळी जय हूंत अगच्चळ'' ॥ खड़हरे इंद्र काळंतरै", पड़े रुद्र व्रहमा पड़े । रूपक' नाम रायसिंघरो, तोही जरा नह आमड़े ॥६ वित्त सु मारग खरचियो,चित्त लीग हर पाए। जिसो नेद वाचियो, तिसी परसिद्धी पाए । सुरापांन नहीं कियो, कदै परनार न रत्तो। सयल धरम साचनै, परम दएहि संप्रत्तो" ॥ अाखंतवद्द''तुंवर अधिक अपछर पारत्ती करै। सुर भुवण राव प्रवाडमल,जयजयकार उवच्चरै ॥ ७ ॥ इति सीरोहीरा धगियां देवड़ारी ख्यात संपूर्णम् ॥ लिखतं वीठू पनोसीह थळिरो ॥ वाचे जिण सिरदारसू
जैश्रीरुघनाथजीरी वंचावसी । I शत्रु। 2 ब्राह्मण। 3 साधु । 4 हिन्दुस्थान । 5 (१) कभी, (२) यदि। 6 सुमेरु पर्वत । 7 सागर। 8 सूर्य, दिवाकर । 9 शक्ति । 10 एक वार । II पर्वत । I 2 समय । पा कर । 13 काव्य-कीति । 14 मिटना, नाश होना । I5 लीन । 16 पाँव । 17 प्राप्त हुया । 18 कहता है । 19 विरुद्ध । 20 अप्सराएं । 21 जोरावर, प्रवाड़े करने वाला वीर। .... 22 उच्चारण करते हैं। 23 सीहथलके वीठू पन्ना द्वारा लिखित। 24 जो महानुभाव । इसको पढ़ें उनको 'जयश्री रघुनाथजीकी' मालूम हो।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६३ अथ भायलां रजपूतांरी ख्यात लिख्यते पंवारांरी पैंतीस साख, त्यां मांहे एक साख भायलांरी । भायलारो माथासरो गांव रोहोसी मगरा नीचैवळी छै त? नै सिवांणचीनूं'।
१ महारिख रिखेस्वर । २ साचर महारिखरो। ३ उत्तमरिख । ४ पदमसी। ५ सजन भायल । १ सजन भायल पदमसीरो, वडो रजपूत हुवो । सजनरै चांपा सींधलरी बैर देवड़ी चांपानं छोड़ सजनरै घरै आय पैठी। वांसाथी चांपो आयो । सजन देवड़ी सूतां ऊपर, तरै देवड़ीरी चोटो नै छुरी सजनरी छाती ऊपर मेल गयो । सवारे सजन वांस चढ़नै आपड़ियो । माहोमाह लड़ मुवा । दोनो ही अमल खायनै, सजन चांपा लोह कियो, चांपै सजन लोह कियो । बेऊ मुवा । देवड़ी बेवांहो वांसै वळी । सिवांण सजनरी गिड़ी छै। सजन, राव सातळरो दोहीतरो' अलावदी पातसाहतूं मिळ सिवांणो लेरायो । २ रांणो रावळो सजनरो, राव सोमरो दोहीतरो' । तिण अलावदीन मिळनै गढ़ लियो। पछै पातसाहजी सिवांणो रावळानूं हीज दियो । पछै वळे पातसाह रावळानूं मारियो"।
I भायलोंका मुख्य गाँव रोहीसी पहाड़ीकी नीचाईमें है वहां और मारवाड़की सिवानची पट्टीमें। 2 चांपा सीधलीकी स्त्री चाँपाको छोड़ कर सजनके घरमें आ घुसी। 3 पीछेसे चांपा आया। 4 रख गया । 5 प्रातः सजनने उसके पीछे चढ़ कर उसे पकड़ लिया। 6 अफीम । 7 दोनों मर गये। 8 देवड़ी दोनोंहीके पीछे जल कर सती हुई। 9 सिवानामें सजनकी गढ़ी है। 10 दोहिता। II राणा रावळा सजनका वेटा और राव सोमका दोहिता। 12 जिसने अल्लाउद्दीनसे मिल कर सिवानेका गढ़ लिया, जिसको बादमें बादशाहने सिवाने रावळे को ही दे दिया किन्तु पीछे बादशाहने रावळे को मरवा डाला। नोट-यहां सजन भायल से भायल राजपूतोंकी वंशावली दी गई है। नामोंके पूर्वकी संख्या,
सजनके पीछेकी वंशानुक्रम संख्या है।
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१६४]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ३ सिलार रावळारो'। ४ जैसिंघ सिलाररो। ५ वीको जयसिंघरो। ६ वीरम वीकारो। ७ रतनो वोरमरो। ८ भुजबळ रतनारो। ६ सांकर भुजबळरो। १० सादूळ सांकररो। गांव मौड़ी पटै । ११ सांवळो। १२ देईदास । ११ सांवतसी, सादूळरो। ११ रायसिंघ सांदूळरो। १० दुरगो सांकररो । रेवड़े काम आयो। ११ जैतो। १२ रामसिंघ। १२ रायसिंघ। १० राव वणवीर सांकररो राव चंद्रसेणरै राज सोनिगरा
थर्ड झूविया त, कांम आयो। .. १० वैरसल सांकररो। धुंघरोट ऊपर जाळोररो साथ आयो ।
तठे काम प्रायो। १० डूंगरसी सांकररो।
है कलो भुजवळरो। १० गोयंद। ११ ठाकुरसी।
I सिलार रावळे का पुत्र । 2 सिवानेके पासका मवड़ी गांव सांकरके बेटे सादुलके . पट्टमें। 3 सांकरका बेटा दुर्गा रतवड़ेकी लड़ाई काम अाया। 4 सांकरका बेटा राव बगवीर, राव चन्द्रसेनके राज्य-कालमें जब सोनिगरा चौहानोंने थलंडे गाँव पर आक्रमण किया उसमें काम पा गया। 5 सांकरका बेटा वरसल, जालोरकी सेना 'चूंघरोट ऊपर चढ़ भाई तब काम प्राया।
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११ खींवो ।
११ रामसिंघ |
मुंहता नैणसीरी ख्यात
९ दलो भुजबळरो । मौड़ी कांम आयो ।
६ सिखरो भुजबळरो । जालोर कांम आयो ।
११ पतो सिखरारो । आसकरण उग्रसेन मारियो तठै कांम
आयो ।
११ मानो ।
६ कांधळ भुजबळरो ।
[ १६५
सूजो भुजबळरो ।
४ मालो सिलाररो । मालानूं खोहराव (खोह) रै भाई मारियो । ५ अमरो मालावत । माला साथै मारियो ।
६ साहुर अमरारो ।
७ वरसिंघ । जैतमालोतांसूं वेढ़ हुई तठे मारांणो ।
८ गोयंद | मादड़ी सीरोहीरो साथ जैतमालोतां ऊपर प्रायो त कांम आयो ।
1
εखींदो गोयंदरों | जाळोररो खांन घूंघरोट ऊपर प्रायो तठै कांम आयो ।
१० जैसो खींदारो ।
११ कचरो जैसारो । अरजियां वसै' ।
१२ कांधळ कचरारौ । अरजियां' |
१२ रामसिंघ कचरारो | मूंठली वसै १२ तोगो कचरारो ।
१२ पंचाइण कचरारो।
I आसकरणने उग्रसेनको मारा वहां सिखराका बेटा पत्ता भी काम आ गया । 2 माला सिलारका बेटा 1 मालाको खोहरा ( ? ) के भाईने मारा । 3 वरसिंह, जैतमालोतों से लड़ाई हुई वहां मारा गया । 4 गोयंद, मादड़ी में सिरोहीकी सेना जैतमालोतों पर चढ़ कर ग्राई उसमें काम आया । 5 गोयंदका बेटा खींदा, जालोरका खान घूंघरोट पर चढ़ कर आया उस लड़ाई में काम आया । 6 जैसाका बेटा कचरा अरजिया में रहता है । 7 कचराका बेटा कांधल अरजियाणे गांवमें रहता है । 8 रामसिंह कचरेका वेटा, मूंठली गांव रहता है ।
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१६६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १२ जसो कचरारो। १२ ठाकुर कचरारो। १२ मेघो कचरारो। ११ ऊदो जैसारो। १२ केसो। ११ सूजो जैसारो। १२ नारायण । १२ दूदो (देदो)। ११ जीवो जैसारो। १२ रायसिंह। ११ ईसर जैसारो। १० हेमराज खींदावत । गूढ़ा ऊपर तुरक आया तमारांणो'। ६ सकतो गोयंदरो। ५ वीरम मालारो। चूंघरोट मांहे भायां मारियो । ६ रावत सोभो । कुंडळरै पंवारै चूंघरोट मारियो । ७ राजधर । रावत सोभा साथ काम आयो । ८ वैणो राजधररो। ६ रतनो वैणारो। चूंघरोट पटै थी। मुं० नारायणरा बेटा
मारिया था तिण वैर मांहे करण पीथावत मारियो । राजा भींव राणावतनूं जाळोर, तद रतनो जालोर दिसी जाइ..
रह्यो थो तटै करन जाय मारियो । १० डूंगरसी सं० १६८० सेवटै मारियो ।
I खींदेका बेटा हेमराज, गुढे ऊपर तुर्क चढ़ कर पाये तव मारा गया। 2 पालाके पुत्र वीरमको भाइयोंने चूंघरोट गाँवमें मार दिया। 3 रावत सोभाको कुंडल गाँवके पँवारोंने धुंधरोट गाँवमें मारा। 4 राजधर अपने पिता सोभाके साथ काम आया। 5 वैरणाका बेटा रतना, जिसके पट्टेमें धूंघरोट गाँव था। मुहणोत नारायणके वेटोंको इसने मारा था, उस वरके बदलेमें पीथाके पुत्र करणने इसको मार दिया। राजा भीम राणावतका जव जालोर .. पर अधिकार था,तव रतना जालोरकी ओर जा कर रह गया तो वहां जा कर करणने इसको ... मारा। 6 सेवटे राजपूतोंने डूंगरसीको सं० १६८० में मारा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १९७ १० जैमल रतनावतनूं मुं० सुंदरदास मारियो' । ११ अमरो जैमलरो। ११ दूदो जैमलरो। १० सिखरो रतनारो । सं० १६८२ ब्रहांनपुर मुवो। १० अमरो रतनारो। तिमरणीरी मुहिममें चोरी की तद राजा
गजसिंघ गरदन मरायो । ४ सूजो सिलाररो। तिणरो बैसणो गांव पीपलोण । ५ कुंभो सूजारो। ६ वीरम कुंभारो । वीरम चांपा चहुवांणरी बैर सवेरी प्रांणी
तिणमें मारियो । ७ नाथो वीरमरो। ८ राजसी नाथारो । भायां परो काढ़ियो, तरै रांणारे देसमें
गयो थो त? मारियो । .६ रामदास राजसीरो। १० मदो रामदासरो। गांव पीपलोण' । ११ किसनो १२ स्यांमसिंघ। ११ पतो मदारो। १२ जसो। १२ उरजन । ११ कमो मदारो। १२ सिवो। १२ माधो।
I रतनाके पुत्र जयमलको मुहणोत सुन्दरदासने मारा। 2 रतनेका बेटा सिखरा, सं० १६८२में बुरहानपुरमें मरा। 3 रतनेका बेटा अमरा, इसने तिमरणीकी मुहिममें चोरी कर ली तव राजा गजसिंहने इसकी गर्दन कटवा कर मरवा दिया। 4 सिलारका बेटा सूजा, इसका वैठना (जागीर) पीपलूरण गाँवमें। 5 कुंभाका बेटा वीरम । वीरम चांपा चौहानकी विवाहित स्त्रीको ले आया जिसमें मारा गया। 6 नाथेका बेटा राजसी, भाइयोंने इसको निकाल दिया, तब राणाके देश (मेवाड़) में चला गया, वहां मारा गया। 7 रामदासका बेटा मद्दा, गाँव पीपलूणमें रहता है।
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१९८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ११ मांनो मदारो । मुं० सुंदरदास मारियो'। . १२ पांचो मानारो। ७ वीसो वीरमरो। ८ केला वीसारो । राव मालदेरो चाकर थो। मूंडूंथी पाछो . छांडै नै जाओर गयो थो। जालोर ऊपरं रावजीरी फोज
आई तठे प्रोळ हाथो दे लड़ मुवो। ६ कमो केलगरो । माहोमांहि मारियो । . ८ देवो दीसारो । वेटा ३ कमै मारिया। ६ सिवो। ९ रायसल । ९ वीदो। ९ रामदास देवारो । रा० पतो नगावतरै काम अायो नाडूल। ८ करन वीसावत । ६ सूजो करणरो । कमै मारियो । ६ भागस सकतारो। ७ मेहो भागसरो। ८ रामदास मेहारो । राव चंद्रसेणरा विखा मांहे गढ़ रह्यो। ..
रा० दासाजीरो चाकर थो' । ६ सेखो रामावत । १० परवत सेखारो । गैर चाकर थको । अजमेर देईदासजीरो ..
चाकर थको काम प्रायो।
1 मईका वेटा माना,मुहणोत सुंदरदासने मारा। 2 बीसाका बेटा केलण। यह राव .. मानदेवता वायर था। मुंहको छोड़ कर यह जालोर चला गया था। जालोर पर रावजीकी फौज चढ़ कर पाई तब वहां पॉल में हाय मार कर (जूझ, कर) लड़ मरा! 3 केलगका वटा कम्मा, जो परस्परकी लड़ाई में मारा गया। 4 बीताका बेटा देवा, इसके तीन देवीची गम्माने मार दिया। 5 देयाका बेटा रामदास, नाडोलमें नागाके बेटे पताके लिये काममाया। 6 कारणका बेटा गुजा, जिसको यन्मने मारा। 7 मेहाका बेटा रामदास, यह . . सादामाजीका सार था। राम चन्द्र ननके आपतकालमें गढ़में (रसक) रहा था। . .
नाका बेटा, फिसीका चाकार नहीं होते हुए भी अजमेर में देवीदासजीका चाकर. पार नाम पाया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६६ ११ वीरम। .
६ सतो रांमावत । १० पीथो, मीठोडै वसै।
६ कलो रांमावत । १० सूरो कलावत । कल्याणदास भाखरसीयोतरै'। ६ सादूळ रांमावत । भाकरसी दासावतरै । ६ ऊदो रामावत । बाळक थको मुवो । ३ मारू रांणा रावळरो। ४ वैरसल मारूरो। ५ करण वैरसलरो। ६ त्रिभणो करणरो। ७ पूनो त्रिभणारो। ८ वीसो पूनारो । जाळोर काम आयो । है देवराज वीसारो। १० जैमल । १० तेजमाल । ११ पूरौ। ११ मांनो।
६ पांचो वीसारो । कल्याणदासजी साथै काम आयो । १० वैरणो। ११ जोगोदास । ११ पीथो। ११ आसो। ११ केसो। ह रतनो वीसारो।
६ धनो वीसारो। ___६ कुंभो वीसारो । घांणसेचा जूझिया तठे काम आयो ।
१० डूंगरसी।
· I सूरा कल्लेका वेटा, भाखरसीके वेटे कल्याणदासके पास था। 2 सादूल रामदासका बेटा, दासाके बेटे भाखरसीके पास था। 3 रामदासका बेटा ऊदा, वचपनहीमें मर गया। 4 पूनाका वेटा वीसा, जालोरके युद्ध में काम आया। 5 वीसाका बेटा पांचा, कल्याणदासजीके साथ काम आया। 6 वीसाका बेटा कुंभा, घाणसेचा जूझ कर मरे वहाँ
काम आया।
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२००]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ८ सिवो पूनावत । कुंडळ भायले चूक कर मारियो' । ८ आसो पूनारो । भायले चूक कर मारियो । ८ चांपो पूनारो। ६ सांकर चांपारो। १० नरसिंघ । ११ रामसिंघ। ७ देवो त्रिभरणारो। ७ जसो त्रिभणारो। ८ चोहथ, कुंडळ रह्यो। ४ आपमल सूरारो। ५ वीसो आपमलरो। ६ सांवतसी वीसारो। ७ भदो सांवतसीरो। ८ वीको भदारो। ६ भारमल वीकावत । पांचलै ऊपर फौजां आई तठे काम
आयो । १० सूजो भारमलोत । भागवै रहै । ११ तोगो । ११ विजो। ११ कचरो। १० सुरतांण भारमलरो। ११ कांनो। ११ मेहरो। ११ झांझो। ७ सेखो सांवतरो। ८ ठाकुर सेखारो। तिणनूं उधरण गहलोत मारियो । ६ वीसळ ठाकुररो । दहियां मारियो । १० मांनो वीसळरो। रावळे चाकर थो । ब्रहानपुरमें मुवो' ।
-suamnaveenawaravina
1 पूनारा बेटा सिवा, जिसको कुंडलके भायलोंने दगा करके मारा। 2 पूनाका बेटा माता, जिसको भायलोंने दगा करके मारा। 3 चोहय कुंडलमें जाफर रहा।। + पोलादा बेटा भारमल, पानले गांव पर फौजें चढ़ कर पाई वहां मारा गया । 5 मेखाका टाटार, उतनी उधरण गहलोतने मारा । 6 नकुरका बेटा वीसल, इसे दहिया राजपूतोंने . मारा ! " योगनका बेटा माना, यह नायले चाकर था और बुरहानपुरमें मरा। . . .
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मुंहता नणसीरी ख्यात
[ २०१ ११ डूंगर मांनारो । राघोदास महेसोत मारियो भागनै'। ११ दुदो मांनारो। ११ जसो। ११ महेस । १० सहसमल वीसळरो। १० कलो वीसळरो। १० वीदो विसळरो । १० रूपो। ८ तेजसी सेखारो।
॥ इति भायलारी ख्यात सम्पूर्णम् । लिखतं पना ॥
___ I मानाका बेटा डूंगर, इसे महेशके बेटे राघोदासने भागवे गाँवमें मारा।
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मुंहता नैणसोरी ख्यात
बात चहुवांणां सोनगरांरी राव लाखगोतरांरी'
१ राव लाखणनूं नाडूल देवी आसापुरी तूठी' । नाडूलरो राज दियो । तरं देवीसूं प्ररज की, "म्हारे घोड़ा नहीं ।" तरै देवी कह्यो - "फलां दिन सोबतरा घोड़ा छूटने चापथी श्राप श्रावसी ।" पर्छ घोड़ा १३००० ढळने नाडूळ प्राया' । बांसै घोड़ांरा धरणी श्राया; तर देवी घोड़ांरा रंग फेरिया । पछै वे देखने पाछा फिरिया" |
5
२०२ ]
राव लाखणरा वेटा
२ वीसळ लाखणरो । तिणरा हाडोतीनूं छै ।
२ ग्रासल लाखणरो । जिण ग्रासल कोट करायो । ग्रासिल समुद्र मारै पुन्य हेत तळाव करायो । २ जोजल लाखणरो । जिण जोजावर वसाई' | २ जैत लाखणरो | जिग जैतकोट करायो " | १ वलसोही ।
३ महिंद्रराव |
४ श्रावण ।
५. जींदराव |
६ ग्रासराव । नाडूल सिकार रमतो हुतो सु वडो दूठ राजवी हृवो" । तिणनूं देवी वीहाड़रण लागी, सु श्रासराव वीहै नहीं" ने वांण हिरणनूं सांधियो तो सु वाह्यो"; तरै देवी खुसी हुई नै आसरावनूं कहण लागी - "तोनूं हू
1 राव लाख के वंशज सोनगरा चौहानों की बात । 2 नाडोलकी देवी आशापुरी रायला पर प्रसन्न हुई । 3 अमुक दिन जर्मयतके घोड़े छूट कर अपने श्राप श्रा जायेंगे । 4 फिर १३००० घोड़े टूट कर नाडील या गये | 5 घोड़ोंक मालिक पीछे श्राये तो देवीने चटके रंग बदल दिये | 6 वे लोग देख कर वापिस लौट गये । 7 बीसलका बेटा लाखग्ण, जिसके वंशज हातीमें है। 8 लाखाका बेटा ग्रासल, जिसने नाडोल में ग्रासलकोट बनवाया और पुण्वार्थ समुद्र नामका तलाव बनवाया । 9 लाखका बेटा जीवन, जिसने जोजावर नामका गाँव बसाया 10 का बेटा जैन, जिसने जंतकोट बनवाया । 11 आमराव वड़ा राज हुआ। यह एक दिन नाडोलमें शिकार मला था। 12 उसकी देवी उसने नवी परंतु सराव डरे नहीं। 13 चलाया ।
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मुंहता नैणसोरी ख्यात
[ २०३ तूठी ; तूं जांण सु मांग'।” तरै आसराव देवीरो रूप देखनै जांणियो, "इसड़ी बैर व्है तो भली ।" तरै देवी कह्यो-"तूं म्हारै बैर हुय घरे रहि।" तरै वाचा छळ आई । तरै कह्यो-"अतरी वात हूँ पहली कहू छू, कोई मोनूं जांणसी तरै हूँ परी जाईस" यूं कहिनै देवो घरे आई । तिणरै पेट, कहै छै च्यार बेटा हुवा'
७ मांगकराव । ७ मोकळ । ७ पाल्हण । ७ · · · हुवा । ८ तिणरो बेटो केलण हुवो ॥ ८ ॥ ६ तिणरे कीतू वडो रजपूत हुवो। तद जाळोर पंवार कुंतपाळ
धणी हुतो । नै सिवाणे पिण पंवार वीरनारायण हुँतो । नै कुंतपाळरै प्रधान दहिया हुता । तिणरै भेद कीतू जाळोर
लियो । सिवांणो ही लियो । १० समरसी रावळ हुवो। ११ अरिसीह समरसीरो, जाळोर धणी हुवो। १२ उदैसीह अरसीरो जाळोर पाट। तिण ऊपर संवत् १२६८
माह सुदि ५ जलालदी सुरतांण जाळोर ऊपर आयो हुतो सु भागो', तिण साखरो दूहो फूंदै कांचड़रो कह्यो'""सुंदर सर असुरह दळे, जळ पीयो वैणेह ।
उदै नरयंद काढ़ियो, तस नारी नयणेह ॥ १॥" १३ जसवीर उदयसीरो।
१४ करमसी जसवीररो। . १५ रावळ चाचगदे करमसीरो । चाचगदे सूंधारै भाखरे देहुरो
___ I तेरे पर मैं प्रसन्न हुई, तेरी इच्छा हो सो मांग ले। 2 जाना, विचार किया। 3 ऐसी पत्नी हो तो ठीक । 4 तू मेरी पत्नी हो कर मेरे घरमें रह। 5 तव वचनबद्ध हो गई। 6 कोई मुझे पहचान लेगा तो मैं चली जाऊंगी। 7 कहा जाता है कि उसके चार बेटे हुए। 8 उसके भेद बता देनेसे कीतूने जालोर और सिवाना दोनों ले लिये । 9 जिस पर सं० १२६८के माघ शु० ५को सुलतान जलालुद्दीन जालोर पर चढ़ कर आ गया पर हार कर भाग गया। 10 फूंदे कांचड़का कहा हुआ उसकी साक्षीका यह दोहा है ।
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२०४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात चावंडाजीरो करायो । संमत १३१२' । १६ सांवतसी रावळ चाचगदेरो। १६ चंद्ररावळ सांवतसी चाचगदेरो। २ राव कानड़दे सांवतसीरो, जाळोर धणी हुवो । दसमों
साळगरांम गोकळीनाथ कहांणो। संमत १३६८ जाळोररै गढ़रोहै अलोप हुवो। ३ कँवरांगुर वीरमदे, पातसाहतूं रावळ कानड़दे वांस दिन
३ वाज मुवो। २ मालदे मूंछाळो सांवतसोरो वेटो गढ़रो है । जाळोररै रावळ
कांनड़दे बीज राखण वास्तै काढ़ियो । पछै पातसाह रावळ कांनड़दे वीरमदेनै मारनै गढ़ लियो । पछै मालदे घणा विगाड़ किया । फोजां वांसै सिवाणे खांन लागो रह्यो । पछै देवी सैणी चारणी दिल्ली आई तरै मालदे ही देवी साथै दिल्ली आयो । पछै देवी सैणी विमर मांहै पैठी तठे मालदे ही विमर माहै साथै पैठो । प्रागै वहुळी जोगणी" बैठी हुती तिण आपरा गळारो कांठलो १ जड़ावरो मालदेवू दियो । पतर १ लोहीरो भर दियो' सु मालदे पियो नहीं । जांणियो लोही छै । नै ओ अमृत हुतो सु थोड़ो सो मुंहडै लगायो थो सु मूंछे लागो, तिणसू मूंछ वधी, तिणथी मूंछाळो मालदे कहांणो । पछै कानड़देजी हुकम दियो, तरै
1 रावल चाचगदेवने तूंचा पहाड़ पर सं० १३१२में चामुंडादेवीका मंदिर बनवाया । (मारवाड़ राज्यके जालोर परगनेमें जसवंतपुराके पहाड़को सुंधा पहाड़ कहा जाता है, जिस पर पहाड़ काट कर यह मंदिर बनवाया गया है)। 2 राव कान्हड़दे सं० १३६८में जालोर गढ़रोहेके समय अलोप हो गया। यह दशवां सालिग्राम-गोकुलनाथ प्रसिद्ध हुआ। (कानड़दे वड़ा वीर हुा । पं० पद्मनाभ कविने जालोर और सिवानेके इस युद्ध के संबंधौ ‘कान्हड़दे प्रबंध' नामक एक प्रसिद्ध काव्यकी रचना की है)। 3 रावल कान्हड़देके वाद कुंवरागुरु वीरमदे वादशाहते तीन दिन लड़ाई करके मर गया। 4 मालदे मूंछाळे को जालोरके गढ़ रोहे परसे कान्हड़देने अपना वंश कायम रखनेके लिये अन्यत्र भेज दिया। 5 फौजोंके पीछे । सिवानेका खान लगा रहा । 6 फिर देवी सैणीने गुफामें प्रवेश किया वहां मालदेव भी साथमें . घुस गया। 7 रक्तका पात्र १ भर कर दिया। 8 इससे 'मूंछाळा मालदे' कहा जाने लगा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २०५ पातसाहजीसू मिळियो । पातसाह माथै वीज पड़ी सु मालदे झटकातूं टाळी' । पछै पातसाह गढ़ चीतोड़ मालदेनूं दियो । वरस ७ मालदे भोगवियो । पछै मालदे चीतोड़
काळ प्राप्त हुवो। मालदेरा बेटा ३३ जैसो। ३ कीतपाळ । ३ वणवीर । ४ रिणधीर ५ केलण । ५ राजधर । ६ इंगो। ६ जैसो। ७ कांन । ७ वीसो। ७ देभो । ७ रायमल । ७ भोज । ७ भारमल । ७ नरो। ७ नगो ।
राजधर रिणधीररो आंक ५, संवत १४८२ राव रिणमलतूं लड़ मुवौ ।
७ अरड़कमल । ७ नाथु । ७ हरदास । ६ खींवो राजधररो। ६ दूदो राजधररो। ६ दलो। ६ भीखो। ६ राघो। केलण रिणधीररो प्रांक ५ । ६ करमचंद वडो दातार हुवो । सं० १४७६ राव रिणमलतूं
लड़ मुवो। ७ सांवत करमचंदरो। ७ जैसिंघ करमचंदरो। ७ संसारचंद । ७ मेथो।
I बादशाहके ऊपर गिरती हुई बिजलीको मालदेने तलवारके भाटकेसे दूर कर दिया। 2 फिर मालदे चित्तौड़में मृत्यु प्राप्त हुआ। 3 रणधीर जैसाका बेटा। 4 रणधीरका बेटा राजधर सं० १४८२में राव रिगमलसे लड़ कर मर गया ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
४ रांणो वणवीर | वडो रजपूत हुवो । जिणनूं कंवर वीरमदे ग्रोळ पातसाह कनै राखने ग्राप ग्रायो' । पछे वीरमदे वादासिर' ग्रायो नहीं तरै पातसाहरै तोगो दीवांग थो तिणनूं कह्यो - "रांरणानूं बेड़ी पहरावो ।” पछै रांणो तोगानूं दरगाह में कटारीसूं मारने घोड़े का चढ़ कुसळ प्रायो । ५ लोलो रांणारो | जद राव रिणमल धणले रहै तद सोनगरै नाडूल परणियो । पछे सोनगरै चूक कियो । राव रिणमल बैररी वेस कर सोनगरी काढ़ियो । पछै राव रिणमल सोनगरा १४० नाडूल मारने कुवा मांहै नांखिया" । पछै तिण दावै घणा सोनगरा जठै हुता तठै मारिया' । एक लोलो भाटियांरै मूंमांरण हुतो' । गरभसूं उगरियो हुतो । पछै राव रिणमलने भाटियां वैर भागो, राव जेसळमेर परणीजण गया हुता । पछै उठे रावळ नै राव सिकार रमण गया । तठ लोलो साथै वरस १२ डावड़ो थको हुतो' । त नाहरसूं धको हुवो । तठै और साथ सारो पाछो हुवो" । लोल छोटीसी वरछी थी सु नाहरनूं इण छळ वाही, दांत ४ चौकैरा पाड़नै गुदड़ीमें उकसी" । तरै राव रणमल को"श्रो सोनगरो होय तिसड़ो छै ।" तरं रावळ कह्यो - "और तो सोनगरा थे सोह'' मारिया । श्रो एक डावड़ो नांनांण
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जिसको कुंवर वीरमदे, वादशाह के पास अपने बदले में जामिन रख कर ग्राप चला ग्राया । 2 कौल ऊपर 1 3 फिर राणा, तोगा दीवानको वादशाहके दरबारमें कटारीसे मार कर और झटपट अपने घोड़े पर चढ़ सकुशल ग्रा गया । 4 जव राव रिगमल घरणलेमें रहता था तव नाडोलके सोनगरोंके यहाँ विवाह किया था । 5 राव रिगमलको, उसकी पत्नी सोनगरीने स्त्रीका वेप पहना कर निकाल दिया। फिर राव रिगमलने नाडोलके १४० सोनगरोंको मार कर कूएमें डाल दिया । 6 फिर इस वैरके वदले में बहुतसे सोनगरोंको जहां वे थे वहीं मार दिया । 7 एक लोला भाटियों के यहां ननसाल में रह गया था । 8 उस समय गर्भ में था इसलिये वच गया । 9 वहां साथमें वारह वर्षका लड़का लोला भी था । 10 वहां और साथ वाले सब पीछे हट गये । II लोलेके पास एक छोटी वरछी थी जिससे नाहर पर इस प्रकार प्रहार किया कि नाहरके चौकेके चारों दांत उखाड़ती हुई गुद्दी में पार हो गई । 12 यह सोनगरा हो ऐसा प्रतीत होता है । 13 सच 1
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २०७ आधांन हुतो सु वचियो छै' । पछै राव जेसळमेरथा विदा हुआ, तरै लोलानूं रावळ कनांतूं मांगनै साथै ले आया। पछै अठ प्रांणनै राव जोधारी बेटो सुंदर परणायनै सींधळ नींबावतरी पाली उतारनै पटै दी । तदसूं जोधपुररो चाकर हुवो । तठा पछै जोधपुररा धणियांरै बड़े बड़े कामे सोनगरा
आया । ६ सतो लोलारो। ७ खींवो सतारो। ८ रिणधीर खींवारो। ६ अखैराज रिणधीररो । वडो दातार, वडो जूझार, वडो
आखाड़सिध' । अखैराज सारीखां रजपूत थोड़ा हुसी । संमत १६०० पोस माहै राव मालदे सूर पातसाहतूं समेळ वेढ़ हुई तठे काम आयो । राव मालदेरो दियो पालीरो पटो। रांणा उदैसिंघनूं अखैराज बेटी परणाई हुती । एक वार उदैसिंघनूं वणवीर जोर दबायो, तरै रांण उदैसिंघ लिख अखैराजनूं मेलियो, कह्यो--"म्हारी मदत करजो।" तरै अखैराज रा० कूपो मेहराजोत, भदो, कान्हो पंचाइणोत, रा. जैसो भैरवदासोत और ही घणो साथ ले मारवाड़रो, अखैराज उठै गयौ । पछै गांव माहोली वेढ़ की। वेढ़ अखैराज जीती। पछै उदैसिंघ कुंभळमेर बैसांणियो । सोनगरा अक्षराज रिणधीरोतरो परवार१० मानसिंघ अखैराजरो। १० भांण अखेराजरो। १० उदैसिंघ अखैराजरो।
I यह एक लड़का अपनी ननसालमें गर्भमें था अतः बच गया है । 2 से। 3 फिर यहां ला कर राव जोधाकी बेटी सुंदरको व्याह करके सिंघल नींवावतसे पाली खोस कर उसके नाम पट्टा कर दिया । 4 जिसके बाद सोनगरे जोधपुरके राजाओंके बड़े काम पाये । 5 बहुत बलवान, रणक्षेत्र में अपने स्थानसे पीछे पाँव नहीं देने वाला, युद्ध विशारद । 6 लड़ाई। 7 व्याही थी। 8 फिर उदयसिंहको कुंभलमेरमें पाट विठाया।
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मुंबता नेणतीरी म्यान १० भोजराज अन्वराजरो। १० जैमल अखेराजरो। १० रतनसी अखेराजरो।
मानसिंघ अन्वे राजरो आंक १० तिणरो परवार जोधपुर माह हुतो'। राव चंद्रनेणर गढ़रोह धरणा हीड़ा किया । मंमत १६२१
चैत्र मांहै । पछै संगरं जाय बसियो । पछै गंगा प्रतापने कांग पड़ियो । मानसिंघ संमत १६३२ हकदीरी घाटी वेढ़ हुई तट मांग आयो । ११ जसवंत मानसिंघरो बडो दातार सिरदार हुयो । मोटा लगा।
रांणाजी कनासूं बुलायन जसवंतनूं पाली पटं दीवी । संमत १६४४ गांव २७सू पाली दीवी । पर्छ गांव ३० पट दिया । सं० १६६५ अहमदाबाद माह । जसवंतजी गांव देवीखेड़ो पालीरा पटारो थो सु मांगियो थो, मु गांव धनराज मांगळिया थो; तरै कह्यो-"इणरै वदळे देस्यां।" तरै जसवंतजी
छांडनै रांणारै गया, उटै मुवा । १२ वीरमदे जसवंतरो। १३ हरीसिंघ वीरमदेरो। १३ सांवळदास । १२ वाघ जसवंतरो। १३ भींव वाघरो। १२ माधोसिंह जसवंतरो। १३ तेजसिंह । १३ विहारीदास। १३ कुसळसिंह। १२ केसरसिंह जसवंतरो। १२ भाखरसी जसवंतरो। १३ गोकळदास ।
. I था। 2 राव चन्द्रसेनके गढ़रोहेके समय वहुत सेवा की। 3 वसा । 4 मानसिंह सम्वत् १६३२ में हल्दीघाटीकी लड़ाई हुई वहां काम आया। 5 तव जसवंत छोड़ कर राणाके पास चला गया और वहीं मरा ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २०६ १४ नाहरखांन गोकळदासरो। • १५ सबळो। १५ सत्रसाळ । १२ रामचंद जसवंतरो। १२ जगनाथ जसवंतोत । संमत १६६७ रांणाजीरैतूं आयो,
तरै सिणगारी गांव १२ सूं वसी नै दी। पछै सं० १६७७ पालीरो पटौ दियौ थो। पछै सं० १६९१ कँवर अमरसिंघजी
साथै गयो तरै पाली उतरी। १३ दलपत जगनाथोत । १४ प्रथीराज। १३ भोजराज जगनाथोत । १२ स्यांमसिंघ जसवंतरो । सं० १६७६ जोधपुररो गुढ़ो पटै थो। ___सं० १६९७में भाद्राजणरो पटो थो । वरस १ रह्यो । १३ सुजाणसिंघ । १३ जोध । १३ करन । १२ राजसिंघ जसवंतोत । सं० १६६६ रांणाजीरैतूं पायो तरै
कूडणो गांव ५सू पटै दियो । सं० १६७२ पालीरो पटो सूरजमल छांडियो तरै दियो । पछै सं० १६७७ पालीरो पटो उतारनै जगनाथनूं दियो । पछ छांडिनै रायसिंघ सीसो
दियारै रह्यो । पछै सं० १६६२ कछवाहै मारियो । १३ महासिंघ राजसिंघोत । १३ जगतसिंघ सोनेही पटै । उजेण घावे पड़ियो' । धोलपुर
कांम आयो। १३ दूरजणसिंघ । १३ सुजाणसिंघ । सोनेही पटै । पून मोत मुवो ।
१० भांण अखैराजरो । राणा उदैसिंघरै वास थो'; पछै
1 जसवंतका वेटा जगन्नाथ सं० १६६७ राणाजीके पाससे मारवाड़ चलो आया तव बारह गांवोंके साथ सिणगारी गांव वसीमें दिया। ( वसी = एक प्रकारकी कर-मुक्त जागीरी)। 2 कुंवर अमरसिंहके साथ चले जानेके कारण पाली उतार दी गई। 3 सं० १६६६ में राणाजीके यहांसे चला आया तव पाँच गाँवोंके साथ कूडणा पट्टेमें दिया । 4 तव । 5 उज्जैन में आहत हुआ। 6 पूनामें अपनी मौत मरा। 7 राणा उदयसिंहके यहां
रहता था।
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२१०]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सहबाजखां कंबो कुंभळमेर ऊपर प्रायो, तद भांण कुंभळमेर
कांम आयो । मोटो राजाजी भांणरी वेटी परणियो थो'।। ११ नाराइणदास भांणोत । पैहली पातसाही चाकर थो । पर्छ ।
मोटै राजाजी बुलायनै भाद्राजणरो पटो सं० १६४१ दियो। पछै सं १६४५ सिरोही ऊपर गया तरै नाराइणदास राव सुरतांण खवर मेली', तिण वास्तै पटो छुड़ायो । पछै रांणारै
वसियो । खोड़रो पटो दियो । १२ सांवतसी नाराइणदासोत । १३ भींव रांणाजीरै काम प्रायो। १३ उरजण सांवतसीरो । १३ प्रताप सांवतसीरो। १३ सुजांणसिंघ सांवतसीरो । १२ सातल नारायणदासोत। सं० १६८२ भाद्राजण गांव २१थी'
पटै थो। सं० १६८३ नवसररो पटो गांव १० सूं दियो ।
सं० १६८८ छांडियो। १३ जैतसी सातलोत । सं० १६८६ जोधपुर आयो । नींबावत
साथै साथ देने देसमें मेलियो तटै काम आयो । १३ जैसिंघ सातलोत । १३ सूरसिंघ सातलोत । १३ किसनसिंघ सातलोत । १३ नाथो सातलोत । १२ चत्रभुज नाराइणदासोत ! वडो ठाकुर हुवो। पातसाही
चाकर । पूरवमें जागीरी की । पखैरीगढ़ पटै । १३ गरीबदास चत्रभुजोत ।। १२ प्रथीराज नाराइणदासोत । सं० १६७८ एहनळा पटै हुतो' ।
_I मोटा राजा उदयसिंहने भाणकी वेटीसे विवाह किया था। 2 खवर भेजी। 3 खोड़ गांवका पट्टा कर दिया। 4 से, के साथ । 5 नींवावतके साथ सेना दे कर देशमें भेजा था, वहां काम आ गया। 6 नारायणदासका वेटा चतुर्भुज वड़ा ठाकुर हुआ। वादशाही चाकर, पूर्व ( उत्तर प्रदेश ) में जागीरी भोगी। पखरीगढ़ ( खैरीगढ़ ? ) पट्टेमें था। 7 सं० १६७८ में अह्नला गांव पट्टेमें था।
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- मुंहता नैणसीरी ख्यात
पछै सं० १६८८ कुंडणो गांव पटै हुतो ।
१३ रामसिंघ ।
१२ मालदे नाराइणदासोत |
११ केसोदास भांगोत ।
१२ माधवदास केसवदासोत । वडो रजपूत । सं० १६८४ भवरांणी पटै थी गांव १०' | पछै मुं० जैमलसूं पंवार जैसे खांनाजंगी, माधोदासरो चाकर मुं० जैमल मारियो, तरै उठासूं छाड़ियो । सं० १७०० वळ श्रीजी वसियो" । गूंदवच पढ़ें, रेख रु० १६००० ) री ' । सं० १७१४ रा वैसाखमें उजेरण कांम आयो ।
१३ मुकुंददासनं गलणियो पटै । रेख रु० १६००० ) " । १३ हरिसिंघ ।
११ कल्यांणदास भांणोत ।
१० उदैसिंघ अखैराजोत ।
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११ सूरजमल सं० १६५७ पालीरो पटो सकतसिंघ भेळो हुतो' । सं० १६६५ सकतसिंघ मुवो तरै देवीदास भेळी दी' । पछै सं० १६७१ छांडियो | रांगारै वसियो' । सं० १६७३ वळ वसियो' | गांव ७ नवसरो पटै" । पलै सं० १६७४ देछू गांव ६ सूं पटै 1
१२ देवीदासनूं ग्राधी पाली हुती ।
१२ वणवीर सं० १६७७ भंवरी गांव २ पटै ।
2 माधोदासका चाकर
थी जिससे जैमलने
3 सं० १७०० में पुनः १६००० ) की रेखका
I सं० १६८४में १० गांवोंके साथ भवराणी गांव पट्टेमें था । पँवार जैसा जिसके साथ मुंहता जैमलकी ग्रापसी लड़ाई ( शत्रुता उसको मार दिया, तव माधोदास जागीर छोड़ कर चला आया । श्री जीके ( महाराजा जसवंतसिंह के ) पास थाकर रहा । 4 रु० गूंदोज पट्टेमें दिया। 5 मुकंददासको रु० १६०००) की रेखका गलगिया गांव पट्टे में दिया । 6 सं० १६५७ में सूरजमलको सकर्ता सिंहके शामिल पालीका पट्टा था । 7 सं० १६६५ में सकतसिंह मर गया तब देवीदासके शामिल कर दी । 8 राणाके यहां या कर रह गया । 9 सं० १६७३ में पुन: यहां ( मारवाड़ में ) आ कर रह गया । 10 सात गांवोंके साथ नवसरा गांव पट्टे में दिया ।
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२१२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
११ सकतसिंघ उदैसिघोत । श्राधी पाली सूरजमल भेळी पट हुती । सं० १६६२ मुवो ।
१२ मुकंददास, धींगांणो सो सं० १६८५ भाद्राजगरो, दांमण जालोर पटै ।
१० भोजराज अखैराजोत रा० कूंपा मँहराजोतरं वास हुतो । पछै कूंपाजीरै साथै कांम आयो' ! ११ सिंघ ।
१२ जसवंत, रा० दलपत राजसिंघोतरै वास हुतो । पछे भटनेर राखियो हुतो । पछै भटनेर पातसाही फौजां घेरियो हुतो तठे काम आयो ।
१० जैमल अखैराजोत । वीकानेर वास । वाप, गांव रिणी निजीक पटै' !
११ अचळदास ।
१२ केसोदास जाटवै मारियो ।
१२ प्रागदास | १२ वळभद्र । १२ अनिरुध ।
१३ जूंझारसिंघ |
११ सारंगदे जैमलरो ।
१२ नरहरदास ।
१० रतनसी अखैराजरो ।
११ कान्ह ।
१२ रांम राव, जसवंत मानसिंघोतरै वास । १२ अमरो कान्हावत ।
वात सोनगरांरी
चौवोस साख चहुवांणांरी । तिण मांहै एक साख सोनगरा
I मुकंददास बड़ा जवरदस्त, सं० १६८५ भाद्राजुन और जालोरका दामरण पट्टे में 1 2 अखैराजका वेटा भोजराज, महाराजके बेटे राव कूंपाके यहां रहता था और कुंपा के साथ काम ग्राया 1 3 जसवंत रायसिंह के वेटे राव दलपतके यहां जा कर रहाथा। पीछे उसको भटनेर रखा था । वादशाही फौजोंने जब भटनेरको घेरा था तब वहां काम श्राया । 4 प्रखंराजका बेटा जैमल, जिसका निवास बीकानेर, रिणी गांवके पास वाप गाँव पट्टेमें था ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात [२१३ जाळोररा धणी । इण पंवारांनूं मारनै जाळोर लियो। रावळ कानड़दे सांवतसीरो जाळोर धणी हुवो। वडो महाराजा हुवो । गोकुळीनाथ श्रीठाकुरजीरो अवतार हुवो' । सु अलावदी पातसाह गुजरात ऊपर आयो । गुजरातरो घणो लोग कैद कियो । सोरठ माहै देवरो पाटण छै । तठे सोमइयो महादेव जोतलिंग थो सु उपाइनै पाला' चांबां माहै बांधनै गाडै मांही घातियो सु महादेव ठोड़थी' खिसै नहीं, तरै पातसाह आरंभरांम हठी पड़ियो' । पांच सौ जोड़ी बळदारी गाडी बैलै रुखी करनै जोती । महादेवरा लिंग मांहैथी आग भभक-भभक नीसरै छै सु पांचसै सिका पांणीतूं लिंगनूं छांटता जाय छै" । बळद जूपै छै तिकै मरता जाय छै । महादेव घणो ही करामात करै छै; पिण देवां ऊपरला दांणव'", सु इतरै हठसू कोस १ रोजीना महादेव सोमइयो नीठ खिसै छै" । सु यूं पातसाह लियां जाळोररै गांव सकरांणै डेरो हुवो' । महादेवरै किस्तरी वात सारी कानड़देजी सुणी छै" ।
वात सिंघावलोकिनी एक बांभण तापस कोई एक गंगाजीतूं कावड़ एक गंगोदकरी प्रांणनै सोमइयै लिंग ऊपर चाढ़े। यूं करतां उण बांभणनूं कावड़ा
I रावळ कानड़दे श्री ठाकुरजी गोकुलनाथजीका अवतार हुआ। 2 बादशाह अल्लाउद्दीन गुजरात पर चढ़ कर आया। 3 सौराष्ट्र में देवरो पाटण शहर है । ( 'देवरो पाटण' अर्थात् 'देव पट्टन', सोमनाथ पट्टन, प्रभास पट्टन, शिव पट्टन, आदि नामोंके साथ 'देव पट्टन' नाम भी इस नगरका विख्यात है।) 4 सोमनाथ। 5 ज्योतिलिंग । 6 उठा कर 1 7 गीला । 8 चमड़ा । 9 डाला,रखा। 10 स्थानसे । II तब अपने निश्चय पर दृढ़ बादशाहने भी हठ पकड़ ली। 12 वहलीके रूपमें बना कर पाँचसौ बैलोंकी जोड़िये गाड़ीमें जोती। 13 निकलती है। 14 अतः पांचसौ सबके शिवलिंगको पानीसे छिड़कते जाते हैं। 15 जो बैल गाड़ीमें जुतते हैं वे मरते जाते हैं। 16 परंतु देवोंके ऊपरके दानव । 17 सो इतने हटसे भी नित्य एक कोस सोमनाथ महादेव बड़ी मुश्किलसे आगे खिसकते हैं। 18 सो इस प्रकार लाते हुए बादशाहका डेरा जालोर परगनेके गांव सकरानेमें हुआ। 19 कानड़देजीने-महादेवजीकी अापत्तिकी सब वात सुनी है। 20 इससे पूर्व, इससे संबधित घटी घटनाकी एक बात, सिंहावलोकन । 21 काँवर । 22 लाकर ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात चाढ़तां वार ६ हुई; जु सोरंभजीरै घाटथी गंगोदक प्रांणनै देवरै पाटण सोमइयै ऊपर चाडै', सु सातमी वार गंगोदक कावड़ भरी नै आणतो हुतो सु किणहेक सहर वटाउ थको' किणहेकरै चौंतरै' उतरियो हुतो सु उणरी बैर किणीहेक जिंदासू हालती हुती, सु वा सासती' जिंदारै जाती ; सु उण दिन उणरो मांटी कठक हाळी' हुतो सु घरे आयो, सु तिण दिन जिंदारै मोड़ेरो जांणी आयो'", तरै जिदो उरणसं रीसांणो', उरण नैड़ी नावण दै", तरै उण कह्यो"अाज म्हारै मांटी घरे प्रायो, तिणहूं आज मोड़ेरी पाई।" तरै जिंदे कह्यो-“तोनूं मांटीरो इतरो' प्यार छै तो तूं घरे जाय । थारो प्रेम थारा मांटीसूं कर।" तरै इण कह्यो—“मोनूं थे किणही सूल श्रावण दो।" तरै जिंदै कह्यो- "थारा मांटीरो माथो वाढनै मोनूं प्रांण दै तो तोनूं श्रावण दूं।" तरै इण कह्यो-"मोनूं क्यूहेक हथियार दो, ज्यूं हूँ माथो वाढ़ लाऊं"।" तरै जिंदारै छुरो १ मोटो छो सु जिंदै दियो । इण साचांणी मांटी सूतारो माथो वाढनै जिंदायूँ आंण दियो । तरै जिदै माथो देखनै कह्यो-"फिट रांड ! थारो काळो मुंहड़ो; हूं तो थारो मन जोवतो थो; तूं रांड इसड़ा काम करै' ?' तरै रांडन दुरकारी । तरै पाछी पाई ; प्रायनै वांभण बारणे सूतो हुतो .. तिणरा लूगड़ा' माहै छुरो नांखियो; नै वांभण सूता थकारैई उठारो लोही" लगायो। लूगड़ा पड़िया हुता त्यां ऊपर लोहीरा छांटा नांखिया; पछै घर माहै पैस कूकवो कियो, जु म्हारो मांटी चोर मारियो
I सौरों घाटसे गंगोदक ला कर देवपट्टनमें सोमनाथ पर चढ़ावे । 2 लाता था। 3 पथिकके रूपमें। 4 चबूतरे पर। 5 पत्नी। 6 किसी एक व्यभिचारीसे अनुचित संबंध था। 7 निरंतर। 8 पति। 9 खेतीके काममें नौकर, हल चलाने वाला। 10 सो उस दिन जारके पास देरसे जाना हुया । II तब जार उससे नाराज हो गया। 12 उसको पास नहीं आने दे। 13 जिससे आज देरीसे पाई। 14 इतना। 15 मुझे तुम किसी प्रकार पाने दो। 16 तब जिनाकारने कहा—'तेरे पतिका सिर काट कर मुझे ला कर दे तो मैं तुझे पाने दूं'। 17 जिससे मैं सिर काट कर लाऊं। 18 इसने सचमुच ही सोते हुए अपने पतिका सिर काट कर जिदेको ला कर दे दिया। 19 रांड ! तू ऐसा काम करती हैं ? 20 तब रांडको धिक्कार करके निकाल दिया। 21 कपड़े। 22 रक्त । 23 पीछे घरमें घुस कर जोरसे रोने लगी।
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[२१५ जाय छै । कूकवो हुवो । सको लोक हाबो सुणनै आयो' । रावळा चोकीदार तलार पिण आया । पग जोया । तरै चोकीदारै जोवतैजोवतै अो कावड़ वाळो बांभण लाधो । प्रो निचित सूतो हुतो। इणे लोहीरा छांटा दीठा', तरै उणनूं झालियो । पछै गुदड़ी माहै छुरी नीसरी । त्यां वळे गाढ़ो झालियो । तलार जाय राजानूं गुदरायो' । इण इसड़ो काम कियो, कासू सझारो हुकम हुवै छै° ? तरै राजा कह्यो-“इणरा हाथ दोनूं वाढ़ो।” उण बांभरणनूं न क्यूं उणै पूछियो, न क्यूं इण कह्यो । चोकीदारै हाथ वाढ़िया" । भो तो व? वा कावड़ लेनै हालियो । इणनूं महादेव ऊपर ब्रह्मतेज चढ़ियो" । मन माहै विचारण लागो, “मैं इण भांत सेवा की, महादेव प्रो फळ दियो । हमरकै'' देहरा मांहै कावडरै मिस जाऊं । जायनै ऊपर एक भाटो नाखू" । पीडी भांजू" ।" सु सोमइयारै देहुरै निजीक आयो" । त्यां महादेव पैली पूजारानूं कह्यो—“फलांणियो बांभण क्रोध भरियो आवै छै" थे मांहि मत आवण दो ।" तितरै ओ आयो । उणे वरजियो, तरै उण बांभण महादेवरा पूजारानूं कह्यो-“मोनूं क्यूं वरजो छो?" तरै कह्यो-“महादेवजी वरजियो छ ।” तरै उण कह्यो-"थे महादेवनूं पूछो, इसड़ी सेवा करतां म्हारा हाथ क्यूं बढ़ाया ?" तरै महादेव कहायो—“पैलै भव तूं रजपूत थो,
___I सभी लोग हल्ला सुन करके आये । 2 राज्यके चौकीदार और कोतवाल भी आये। 3 खोज देखे। 4 तब चौकीदारोंको खोज करते-करते यह कावर वाला ब्राह्मण मिला। 5 इन्होंने खून के छींटे देखे। 6 तब उसको पकड़ा। 7 फिर उसकी गुदड़ीमें छुरी मिल गई। 8 उन्होंने फिर उसे मजबूत पकड़ा। 9 कोतवालने जा कर राजासे अर्ज की। 10 इसने ऐसा काम किया है, किस दंडकी आज्ञा होती है ? II चौकीदारोंने हाथ काट लिये। 12 यह तो फिर उस कावरको ले कर चल दिया। 13 महादेव पर ब्रह्मकोप चढ़ा। 14 इस बार । 1 5 पत्थर पटक दूं। 16 शिवलिंगको तोड़ दूं । 17 सो वह सोमनाथके मंदिरके निकट पाया । ( पंद्रहवीं शतीके आस पास सोमनाथ महादेवको 'सोमईया महादेव' कहा जाता था।-"ताहरां देस मांहि सोमईउ असपति लीधइ जाइ", "गुजराति सोरठ सोमईया वाहरि विसv वीतूं" दे०-कवि पद्मनाभ कृत 'कान्हड़दे प्रबंध' प्रथम खण्ड । 'सोमईया' शब्द 'सोमनाथ' का अपभ्रंश रूप है । ) 18 अमुक ब्राह्मण क्रोधसे भरा हुआ आ रहा है। 19 इतनेमें यह पाया। 20 उन्होंने उसे मंदिरमें जानेसे रोका। 21 मुझे क्यों रोकते हो ? 22 ऐसी सेवा करते रहने पर भी मेरे हाथ क्यों कटवाये ? 23 पूर्व जन्ममें तू राजपूत था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात नै जिणरो गळो वाढ़ियो सू ही रजपूत थो; दोनूं थे गोठिया था। किणीहेक दिन थे एक छाळी मारी । तरै उण छाळीरा कान तें हाथसू साह्या नै गळे छुरी उण दीधी । सु वा छाळी मरने वा वैर हुई, नै पो थारो गोठियो उणरो मांटी हुवो, सु उण वैर मांगियो', सु ... उणरो गळो वाढ़ियो, ने यूं उणरों कान झालिया था सु थारा हाथ . वढ़ाया । म्हारो किसो दोस ?" तोही उण वांभगरो महादेव ऊपर . कोप मिटियो नहीं । पछै फिरनैं कासी गयो। उठे सिनांन गंगाजीमें . करनै कासी करोत लेण लागो । तरै करवतरै दैणहारै कह्यो"कांसूं मांगै छै ?" तरै कह्यो-"अठारो मांगियो लाभे छ ?" तरै इण कह्यो-“मांगियो लाभै छै, तो हूँ तिको अवतार पाऊं, जिको सोमइया महादेवरा लिंगनै उपाडनै अाला चांवा मांहे बांधूं।" तरै पाखती सगळा माणस ऊभा था, तिकां कह्यो'-"फिट ! फिट !! कासी करवत लेनै इसड़ो कांसू मांगै छै ?" तरै कह्यो-"क्यूं फेर विचारनै मांग' ।" तरै इण कह्यो— “एक म्हारो आधा बड़रो तिकांहूँ त्यां सोमइया महादेवनूं वांध्यानूं छोड़ावै । इण यूं कहे करवत लीधी" । सु प्राधा धड़रो अलावदी पातसाह हुवो । आधा .. धड़रो रावळ कानड़दे हुवो सोनगरो ।
वात पातसाहरो डेरो सकरांण जाळोररै गांव जाळोरसू कोस । हुवो। आ खवर कानड़देनें हुई, "जु महादेव सोमइयानं वांधनै पातसाह .
____ I तुम दोनों मित्र थे। 2 किसी दिन तुमने एक बकरीको मारा था। 3 पकड़े रहा। 4 सो उसने अपने वैरका बदला मांगा। 5 इसलिये उसका गला काटा गया और तेंने उसके कान पकड़े थे, इसलिए तेरे हाथ काटे गये । 6 क्या मांगता. है ? 7 यहांका मांगा हुपा (क्या अगले जन्ममें) मिलता है ? 8 तो मैं जो जन्म पाऊं, उसमें सोमनाथ महादेवके लिंगको उठा करके गीले (कच्चे) चमड़ेमें वांर्छ । 9 तव पासमें, जो सव मनुष्य खड़े थे, ... उन्होंने कहा कि काशीमें करवत ले कर ऐसा क्या मांगता है ? 10 कुछ फिर विचार करके मांग। II तव इसने कहा-"मेरे इस आवे धड़के द्वारा एक ऐसा व्यक्ति उत्पन्न हो जो . उस प्रकार बंधे हुए महादेवको छुड़ा दे। 12 इसने यों कह करके करवत लेली। 13 सो . . उसके आधे धड़का अलाउद्दीन वादशाह हुआ और आधे घड़का रावळ कान्हड़दे सोनगरा हुआ।
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[२१७ सकरांणै आय उतरियो; तरै पातसाह कनै कांधळ आलेचो रजपूत ४ बीजा भेळा मेलिया'। थे पातसाहजीनूं जाय कहनै आवो-"जु अतरा हिंदुस्थांन मार बंदकर महादेव सोमइयो बांधनै म्हारै गढ़ निजीक म्हारै गांव उतरिया सु भली न की । मोनूं रजपूत न जांरिणयो" तरै झै जाळोरथी चालिया, लसकर गया। आगै पातसाहरै प्रधान सीहपातळो भाणेज छै सु ई प्रधांन छै। तिणरै डेरै कनै डेरो कियो । सीहपातळातूं औ मिळिया। कानड़दे कहिया तासु समाचार इण सीहपातळानूं कह्या । सीहपातळे कह्यो—“पातसाहजी थांहरो विगाड़ियो वयूं न छै'; अ सुरतांण सुभियांण छै । इणांनूं को इसड़ी वात कहाडै छै' ?" तरै इण कह्यो-"सु तो कानड़देजी जांण । थे निचंत कहो । नै कांधळनूं, बीजा रजपूतांनूं देखनै सीहपातळो घणो खुसी हुवो। पछै पातसाहजी कनै सीहपातळो गयो, कानड़दे कहाड़ियो सु कह्यो । नै सीहपातळौ पातसाहजीनूं कह्यो"कांनड़देरो रजपूत कांधळ देखण सरीखो छ।" तरै पातसाहजी कह्यो"बुलावो।" तरै सीहपातळे कह्यो-" अोनाड़ छै, कोई खून करसी । कानड़दे छूटी बीजानूं जुहार न करै छै1 । जै पातसाह उणरा खून माफ करै तो हजरतरी हजूर बुलाऊँ।" तरै सीहपातळे पातसाहजीरो कवल लेनै कांधळनूं पातसाहजीरी हजूर बुलायो । हजूर आयो । एकण तरफ ऊभो राखियो । तरै पातसाह कहण लागो-"कांनड़दे तो म्हांनूं सांमो डाकर दिखावै छै", नै पातसाहनूं
____ I तब बादशाहके पास चार अन्य राजपूतोंके साथ कांधल अालेचाको भेजा। 2 आप इतने हिन्दुस्थान ( हिन्दुओं ) को मार कर और कैद कर, सोमनाथ महादेवको बाँध कर के मेरे गढ़के निकट मेरे ही गांवमें आकर ठहरे, यह अच्छा नहीं किया। 3 तव ये जालोरसे चल कर बादशाहकी सेनाका जहां पड़ाव था वहां गये । 4 अागे वादशाहका भानजा सीहपातला है, जो उसका प्रधान भी है। 5 उसके डेरेके पास डेरा डाला। 6 कान्हड़देने जो समाचार कहे थे सो उन्होंने सीहपातलासे कहे। 7 बादशाहने तुम्हारा विगाड़ा तो कुछ नहीं है। 8 ये सुल्तान शुभाशुभ चाहे जो करने वाले हैं। 9 इनको कोई क्या ऐनी बात कहलाता है ? 10 ये बहुत ही जोरावर हैं, कोई खून कर देंगे। II कान्हड़देके अतिरिक्त किसीको जुहार नहीं करते हैं । 12 कौल, वचन। 13 खड़ा रखा । 14 कान्हड़दे मुझे उलटा डर दिखाता है।
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तलाक छै जु वीच गढ़ मेल', विगर लियां यूंही श्राघो न जाय; सु हूं जातो हुतो सु कांनड़दे वात कहाड़े छै तो हूँ विगर जाळोर लियां हमैं हूं श्राघो न जाऊं, मोनूं तलाक छै ।" तितरं एक सांवळी" भंवती-भवती पातसाह वैठो थो तठे ऊपर ग्राई, तिरै पातसाह प्राप तुकारी दी सु लागो । सांवळी पड़रा लागी सुपातसाह पाखतीरा" तीरंदाजांनूं हुकम कियो, जु पड़रण न पावै । सु तीरंदाजां कवांणां संभाई, तीर चलावरणा मांडिया', सु तीरां करनै सांवळी पड़ण न पावै । तरै कांधळ बोलियो – “जु ग्रा तीरंदाजी मोनूं दिखाईजै छै ।” सु भैंसो १ साहुलो जिणरा सोंग पूंछ तांई हुवै', तिण ऊपर पखाल १ पांणीरी हुती सु नैड़ो आयो" । तरं कांधळ भैंसारे भटकारी दी सु सींग वढ़, पखाल वढ़ने भैंसारा दोय टूक किया" । तरवार धरती जाती रही । तितरै " ग्रा सांवळी पड़ी सु भैंसारा लोही मांहै नै पखालरा पांणी मांहै सांवळी वही गई । तरै कांधळ सवण विचारियो' - पातसाहरो कटक म्हां आगे यूं वह जासी" तरै तीरंदाजै कवांणांरी मूठ कांधळ सांमी करी । तरै सीहपातळो विचै प्रायो । कह्यो—“मैं तो हजरतसूं पैली ग्ररज की थी" तरै वां तीरंदाजांनूं मनै किया । पछै कांधळ उठासूं वारै प्रायनै जिण गाडा ऊपर महादेवजी था त प्रायो नै कह्यो - "पांगी तो विगर पियै सर नहीं नै धांन राज छूटां खासां'।” उठै श्रावात कहिनै गढ़नूं वळिया " । पातसाहरी हजूर ग्रमराव ममूसाह मीर गाभरूसूं, हरसरी खुटक छै नै गुरगाव्यां पगां उठांणती तीजै भाईनूं प्रापड़ियो थो, सुग्रा घणी वात छै
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छोड़ कर 2 ग्रागे, दूर 1 3 चील पक्षी । 4 तीर । 5 पास वाले 1 6 यह गिरने न पाये । 7 तीर चलाने शुरू किये । 8 सो तीरोंके सतत चलते रहनेसे चील नीचे नहीं गिर रही है । 9 एक साहूला भैंसा जिसके सींग पूंछ तक होते हैं। 10 वह निकट ग्राया | II तव कांवलने तलवारसे ऐसा झटका मारा जिसने सींग और पखाल काट करके भैंसे के दो टुकड़े कर दिये । 12 इतने में । 13 वह गई । 14 तव काँघलने शकुन विचारे | 15 वादशाहकी सेना हमारे ग्रागे इस प्रकार वह जायगी । 16 पानी पिये विना तो चलेगा नहीं परंतु ग्रन्न ग्रापके छूट जाने पर ही खाऊंगा । 17 गढ़की ओर लोटे | 18 बादशाह के दरवारमें मम्मूशाह और मीरगाभरू ये दो उमराव थे, जिनके साथ एक तो हरमकी नाराजगी थी, दूसरा पैरोंकी जूतियां उठवाई जाती थीं, और भाईको पकड़ रखा था, यह वड़ी ग्रापत्तिजनक बात उनके लिये थी ।
तीसरा उनके
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पचीस हजार घोड़ारा धणी दिलगीर थका बैठा था, सुवात यूं सुणी, तरै बहू चढ़ने पैंडा मांहै कांधळनूं मिळिया । कह्यो - " म्हे सील कोल किया । म्हे रातीवाहो वसां एक तरफसू थे श्राजो ।”
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थांरा कांमनूं छां, थां भेळा छां" । " देसां । कह्यो — “एक तरफसूं म्हे यूं कहिनै सीख कीवी । कांनड़देजी कनैं प्रायनै सोह वात कही" । पर्छ बीजें दिन साथ सारोही भेळो करने रातीवाहो दियो ? । एक तरफ मंमूसाह नै मीरगाभरू प्रापरो साथ लेने प्राया ने एक तरफसं कांदेजी फौज आई । रातीवाहो दियो । तठै पातसाही लोक घणो कांम आयो । पातसाह नीसरियो", फौज भागी । कहै छै - कांनड़ देजीरे साथ घणी पातसाही फौजांनं घेचियां, साथ मारता गया । पातसाहनै भांजने कांनड़जी सोमइया कनै श्राया " । महादेवजीरी पींडी हाथ घातने उपाड़िया सु तुरत उपड़िया सु महादेवजीरो लिंग सकरांणै थापियो । ऊपर देहुरो करायो । कांनड़देजी हिन्दुस्थांनरी बड़ी मरजाद राखी" । ममूंसाह मीरगभरू रावळ कांनड़देजी कनै रह्या । ठाकुराई सारू घणो रोजगार दियो । पिण पातसाहीरा रैहणहारा सु गायां मारै, सु हिंदवांरै खटावै नहीं । तरै रावळजी कह्यो" इणांनूं किरणहेक वात कर सीख देणी 14; तरै क्यूंहेक को"इणांरै धारू वारू पात्रियां छे सु मांगो, सु देसी नहीं; तरै पै परा जासी । तिण ऊपर रावळजी दोय मांणस मेलिया नै
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I तब दोनों भाई सवार हो मार्गमें कांधलसे मिले। 2 हम तुम्हारे काम में मददगार
हैं, तुम्हारे शामिल हैं । 3 कोल वचन किये। 4 हम रात्रि याक्रमण करेंगे । 5 इस प्रकार कह कर रवाना हुए । 6 कान्हड़देजी के पास श्राकर सब बात कही । 7 फिर दूसरे दिन सभी सैनिकों को इकट्ठा करके रात्रि याक्रमण किया । 8 बादशाह भाग कर निकल गया । 9 कहा जाता है कि कान्हड़देकी सेना भागती हुई बादशाही सेनाका पीछा करती हुई मारती गई । 10 बादशाही सेनाका नाश करके कान्हड़देजी सोमनाथके पास ग्राये । II महादेवजीकी पिडीको हाथ डाल करके उठाया तो वह तुरंत उठ गई और उसको सकरा में हो स्थापित कर दिया । 12 कान्हड़देजीने हिन्दुस्थानकी मर्यादा ( प्रतिष्ठा ) रख ली । 13 परंतु (गो-भक्षक मुसलमान) वादशाहत में रहने वाले, अतः गोवध करते हैं सो हिन्दुग्रोंको यह सहन नहीं होता । 14 इनको किसी बात के मिस यहाँ से निकाल देना । IS त किसी एकने कहा कि इनके पास धारू और वारू नामक दो वेश्याएँ हैं, उन्हें गांगी जांय; ये देंगे नहीं, तब अपने आप चले जायेंगे ।
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पातरियां मंगाई' । तरै यां कह्यो — “महादेवजीरो देहुरो रावळीजी मंडायो सु पूरो हुतो तद म्हे रावळजीनूं ग्रापै पेस करता । पिरंग रावळीजी म्हां कना पात्र्यां मंगाई सु म्हांनूं सीख देवणी तेवड़ी ।"
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छांडिया । पछे राजा हमीरदे चहुवांणरै गया । तरै हमीरदे घरगो आदरभाव कियो । पछै हमीरदे ऊपर इण वास्तै पातसाह प्रलावदीन प्रायो । वणा दिन गढ़रोहै रह्यो । पछे संमत १३५२ श्रावण वदि ५ हमीरदेजी कांम आया । पछे कितरेक दिन पातसाहजीर पंजुपायक थो सु किणी'क सूळ उठासूं छांडियो सुपातसाह कनैथी प्रायौ । सु उठे इसड़ो कोई नहीं, जु पायकपंजुसूं जीतै, पातसाहजीरे पायक ग्रागे हुता, सु सोह पंजु जीता ' । तरे पातसाहजी पंजुनूं फरमायो – “कोई तो खेल तिसड़ो पायक कठैही सूझे छं ?" तरै पंजु अरज की— "साहिवरी वडी मांड छै" । किरणही वातरी परमेसररै घरै कमी न छै । वणा इरण प्रथी ऊपर हुसी, सु मैं दीठा नहीं । नै रावळ कांनड़दे चहुवांण जाळोररो धणी, तिणरो बेटो वीरमदे, मो कनाहीज सीखियो छै", सुमो सारीखो खेलै छै ।" तरे पातप्ताहजी रावळ कांनड़दे सांमा लिखिया किया' । वोल कौल सुधा भेजिया । "एक वार वीरमदेनूंसताब" म्हां कनै भेज दीजो ।” आदमी फुरमांन ले जाळोर आया । कानड़देजी प्रापरा भाई बंधु, प्रधांन भेळा कर मिसलत करी । सारै कह्यो–“प्रापै पातसाहनूं रीस चाढ़िया छै" । दिल्लीस्वर ईश्वर है, अँ आरंभरांम'' छै, करण मतै सु करें । आगलो प्रापांनूं खून बगसै छै", मया कर वीरमदेजीनूं पातसाहजी तेड़े छै तो मेल दोर्जे " "
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I इस पर रावलजीने दो मनुष्य भेजे और वेश्याओं को मंगवाया | 2 तब इन्होंने कहा - महादेवजीका मंदिर रावलजीने वनवाना शुरू किया सो वह जब पूरा हो जाता तवं हम अपने ग्राप रावलजीको पेश कर देते, परंतु रावलजीने हमारे पाससे उन वेश्याओंको मंगवा लिया अतः हमको यहांसे निकाल देने का इरादा कर लिया है । 3 वादशाह के पास पंजू नामका एक मल्ल था जो किसी कारणवश छोड़ कर बादशाह के पाससे चला आया । 4 सबसे पंजू जीत गया। 5 परमात्माकी बड़ी रचना है । 6 मेरेसे ही सीखा है ! 7 तव बादशाहने रावल कान्हड़देसे पत्र-व्यवहार किया । 8 जल्दी 1 9 परामर्श किया। 10 हमने बादशाहको क्रोत्रित किया है । II करताधर्ता, सर्वाधिकारी । 12 वह अपने अपराधोंको. क्षमा करता है । 13 वादशाह कृपा करके वीरमदेवजीको बुलाता है तो भेज देना चाहिये ।
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[ २२१ . तरै वीरमदेजीरो बडो सामांन करनै पातसाहजीरी हजूरनूं चलायो । कितरेहेक दिने उठे जाय पोहता' । पातसाहजीरो मुजरो कियो । पातसाहजी वीरमदेजीनूं देख बोहत राजी हुवा । दिन दस पांच प्राडा घातनै वीरमदेसू कहाव कियो - "एक वार पंजु नै थे खेलो, म्हे देखां ।” तरै वीरमदे अरज कराई, "म्हारो तो यो काम न छै पिण हजरत फुरमावै छै, तो एकंत हजरत हुकम करसी त? म्हैं नै पंजु -ख्याल दिखावस्यां ।" पछै पातसाहजी आपरी अंगरहण थी तटै ठौड़ संवाराई । मोहलरो लोग पिण चिगांरै अोळे देखण आयो । पर्छ उठै पातसाहजी बैठनै पंजु वीरमदेनूं तेड़िया । अ खेलिया । मैं एक दोय वार तो बर बर रह्या । पातसाहजी बोहत रीझिया' । पंजु नै वीरमदे सारीखी-सारीखी सारी विद्या जांणता । वीरमदे तो पंजु कनासूई विद्या सीखियो हुतो; पिण पंजु कानड़देजी कना छांड पातसाहजी कना' प्रायो, वांस कानड़देजी कनै करणाटरा पायक आया हुता', तिणां कना विद्या एक पगरै अंगूठे पाछणों11 बंधायनै उलटी कुळाछ खाइन पाछणारी चोट निलाडनूं कीजै; तिका विद्या वीरमदे नवी सीखियो । पांजुरै उलटी कुळाछ खेलनै पाछणारी हळवोसी लगाई। वीरमदे इण घात जीतो14 । पातसाहजी बोहत रीझिया । मोहलारो लोग रीझियो । पातसाहजीरै बेटी १ वडी कँवारी हुती सु निपट रीझाई15 । पछै पातसाहजी पांजु वीरमदेनै डेरी सीख दी । पातसाहरी बेटी हुती खटवाटी ले पड़ी । धांन खाय न पांणी पीवै । मोहलरै लोग पूछियो18__- "कुण वास्तै19 ?" तरै पा साहजादी कहै
I वहां जा पहुँचे। 2 पांच दस दिनके वाद वीरमदेको कहलवाया। 3 एकान्तमें। 4 खेल दिखायेगे। 5 फिर बादशाहने जहां अपने एकान्त रहनेका स्थान था उस जगहको सजाया। 6 महलकी अंत:पुरिकायें भी चिकोंकी अोटमें देखने आई। बादशाह बहुत प्रसन्न हुआ। 8 पाससे । 9 के पास । 10 पीछेसे कान्हड़देजीके पास कर्णाटकके मल्ल आये थे। II उस्तुरा । 12 ललाटमें मारी जाये। 13 हलकी सी चोट मारी। 14 वीरमदे इस घात (दाव) में जीत गया। 15 बादशाहके एक बड़ी बेटी ववारी थी वह बहुत ही प्रसन्न हुई । (चौहान कुलकल्पद्रुममें इस लड़कीका नाम 'सीताई' लिखा है। ) 16 अपने-अपने डेरोंको जानेकी आज्ञा दी। 17 प्रतिज्ञा करली। 18 अन्तःपुरिकाोंने पूछा। 19 किसलिए ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात "कै तो कंवर वीरमदे परगूं', नहींतर धांन-पाणी नवे दांते खाऊं।" तरै दिन एक तो मोहलरै लोग उणरी मा सारी हुरमां समझाई"यो हिंदू, तूं तुरकांणी, किण भांत परणावां ?" पिण उण अत हठ मांडियो, मरण लागी । तरै मोहलरै लोग या वात पातसाहजीतूं .. मालम कीवी । तरै एक दोय वार पातसाहजी पिरण फुरमायो-"या वात हूणरी नहीं ।" साहिजादीनूं दिन ३ हुवा धांन खायां, पांणी पियां । तरै वळे पातसाहजीसू अरज पोहती -साहिजादी मरै छै ।। तरै पातसाहजी वीरमदेजी वीच अादमी फेरिया । वीरमदे घणो ही उजर कियो । पण पातसाह अत हठ मांडियो; तरै दीठो - "के तो. मरां के वात कबूल की चाहीजै।" तरै वीरमदे दाव कियो' । कह्यो"भली वात, साहो जोवाड़ीनै म्हांनूं विदा कीजै । म्है जाळोर जाय सूल सामांन कर जान ले साहा ऊपर अावां, परणां' ।' तरै पातसाहजी कह्यो-“तू उठ जाय बैठ रहै । नहीं आवै तो तिण वातरा अोळ दे जा'।" तरै रांण वणवीरोतनूं अोळमें पातसाहजी कनै राखनै वीरमदे घरे जाळोर आयो । वात हुती सु रावळ कानड़देजीतूं मालुम की। कानड़देजी दीठो, वात विगड़ी' । तर कांमदारांनूं तेड़नै गढ़रोहारो सामांन सतावतूं करायो । पातसाहजी रांणानूं पांचे दिने साते दिने तेड़नै फुरमावै-"अजेस वीरमदे नहीं आयो।" रांगै पातसाहनूं वाते लगाय लियो छै- “सामांन करै छै, सु सताब आवसी ।" मास २ तथा ४ यूं आधा नीसरिया13 । पछै पातसाहजी आपरा. हजूरी लोग दिनांरो अवादो14 बोलनै जाळोर मेलिया । वे अठै अाया। रावळ कानड़दे नै कंवर वीरमदे मिळिया । मुंह. तो
I या तो कुंवर वीरमदेके साथ विवाह करूं। 2 नहीं तो अन्नजल नये दांत आने पर ( नये जन्ममें ) लेऊ। 3 परंतु उसने बहुत हठ किया। 4 पहुँची। 5 तब देखा। 6 या तो। 7 दाव खेला। 8 लग्न दिखा कर हमको विदा कर दें। 9 हम जालोर जा कर . सब सामान और तैयारी करके लग्न ऊपर वरात ले अावें. और शादी करलें। 10 यदि " वापिस नहीं ग्रावे तो अपने बंदलेमें जामिनकी तौर पर प्रादमी रख कर चला जा। II कान्हड़देजीने देखा, वात तो बिगड़ गई। 12 तव कामदारोंको बुला कर शीघ्र ही किलेबंदी का सामान तैयार करवाया। 13 इस प्रकार महीने २ तथा ४ आगे निकल गये। 14 मयाद । IS भेजे।
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... मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ २२३ हळभळ करै, आवणरी मांड का नहीं । गढ़री तैयारी हुवै छै । सु पातसाहजी वीरमदेनूं ते. मेलिया था, त्यां पातसाहजीनूं आय कह्यो.. “वीरमदे नावै, गढ़ सझै छै ।" तरै पातसाजी बुरो मांनियो । तगा कोटवाळनूं कह्यो-"जु रांणानूं बेड़ी पहरावो।" तगै रांणानूं कह्यो"थे बेड़ी पहरो।" तरै रांणो तगानूं मारनै कुसळे खेमै गयो ।
साखरा दूहा काय आडां पग पाड, काय कर घात कटारियां । ... छोगाळा छळ छाड, रांणा रावत वट' तणो' ॥ १ ॥
तगो न जाणे तोल', मूरख मछरीकां' तणो। . कारण किणीक बोल, मारै काय आपण मरै ।। २ ।।
सुधन पूछ सुरतांण, कोलाहळ केहो कटक । काय रीसांणो रांण, मैंगळ13 खंभ मरोड़िया ॥ ३ ॥
वात - रांणो कुसळे -खेमै घरे आयो । घोड़ो गांव झीथड़े कनै मुवो' । पछै पातसाहजी मुदफरखांन दाऊदखाननूं पांच लाख घोड़ांसू विदा किया। सु अ आय गढ़ लागा। रोज-रो-रोज ढोवो हुवै, तरै उठारी खबर ढोलरै ढमकै पातसाहजीनूं आवै16; कहै छै-बारै वरस विग्रह हुअो । पछै कहै छै—दहिया रजपूत २ खून में आया था, त्यांनूं कांनड़देजी सूळी दिराया था, सु वे सूळी ऊपर थका वायरातूं अपूठा हुता सु सांम्हां हुवा । सु रावळ कानड़देजी देखनै हंसिया ।
. I मुंह पर खूब बातें बनाते हैं, परंतु पानेकी तैयारी कुछ नहीं। 2 वीरमदे नहीं .. आयेगा, लड़ाई के लिये गढमें सामान सजाया जारहा है। 3 तव तगाको मार करके राणा.
कुशलक्षेमसे चला गया। 4 अथवा, या तो। 5 प्रहार । 6 गर्व । 7 का। 8 रहस्य, मर्म । ..9 स्वाभिमानियोंका। 10 स्वयं। II खवर। 12 कैसा। 13 हाथी। 14 राणाका . घोड़ा झीथड़ा गांवके पास मर गया। 15 सो इन्होंने आकर गढ़ घेर लिया। 16 हमेशा ही
धावे होते, तव वहांकी खबर ढोल बजा कर बादशाहको पहुँचाई जाती। 17 खून करनेके अपराधमें। 18 उनको कान्हड़देजीने सूली चढ़वाया था। 19 सो वे सूली पर चढे हुए भी उल्टे थे सो हवासे सन्मुख हो गये।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात कह्यो- “दहिया भेळा हूँ ज्यूं जांणीजै छ । गढ़ लिरासी ।" सु वांरो भाईबंध दहियो रावळजीरी पाखती ऊभो हुतो", तिण बात या सुणो । उणनूं खटक लागी । उण तुरकानूं भेद दीनो । गढ़ सुरंग पिण लागी । कोट उडियो । गढ़ भिळियो । कांधळ खांडैरे मुंहई घणो पराक्रम कियो । रावळ कानड़देजी अलोप हुवा । कुंवगंगुर वीरमदेजो अतरा' साथसू काम प्रायो। पछै तुरका वीरमदेरो माथी वाढ़ियो'", न दिली ले गया। पछै वा पातसाहजीरी बेटी वीरमदेरो माथो थाळी मांहै घातनै परणीजण लागी, सु माथो संबो हुतो सु फिरनै अपूठो हुवो" । तरै साहजादी पूरवजनमरी वात कही ; तरै माथो अपूठो हुतो सु फिरनै संवळो हुबो । तर साहजादी फेरा खायनै वांस कहै छै सती हुई । सं० १३६८ वैसाख सुदि ५ वुधवाररो गढ़ जाळोर तूटो । गढ़ तूटतां साथ जिसो हुवो तिणरी हकीकत
अतरो साथ कानड़देजीरो सवौं हुवो'" । कानड़देजी आप अलोप हुवा
१ कांधळ देवड़ो। १ कांनो अोलेचो। १ लिखमण सोमत । १ जैतो देवड़ो। १ जैतो वाघेलो। १ लूणकरण । १ मांन लणवायो। १ उरजन विहळ। १ चांदो विहळ ।
I ऐसा जाना जाता है कि दहिये संगठित हो रहे हैं। 2 गढ लें। 3 पासमें खड़ा था। 4 उसको चुभी। 5 गढमें सुरंग लगवाई गई। 6 गढ़ पर शत्रुओंका अधिकार हो गया। 7 कांधलने तलवारके सामने बहुत पराक्रम दिखाया। 8 रावल कान्हड़देजी अलोप हो गये। 9 इतने । 10 काटा । II रख कर। 12 माथा सन्मुख था सो उलटा हो गया। 13 सीधा हो गया। 14 वीर गतिको प्राप्त हुआ ।'
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मुंहता नणसीरी ख्यात . [ २२५ १ जैतमल । १ रा० सातळ । १ सोमचंद व्यास । १ सलो राठोड़। १ सलो सेपटो। १ झांझण भंडारी।
१ गाडण सहजपाळ । ४ रांणी जमहर पैठी
. १ ऊमादे । १ कँवळदे । १ जैतळदे । १ भावळदे ।
इतरों साथ कानड़देजी अलोप हुवां वांस तीजै दिन वीरमदेजी साथै काम आयो
१ कँवर वीरमदेजी। १ अडवाळ वीहळ । १ पाल्हण देवड़ो। १ पाल्हण सोहड़। १ धारो सोढ़ो। १ भांणो धांधळ । १ सींधळ पतो।।
१ झांझण परिहार। इतरो साथ निसर गयो -
१ सेलोत लूंढ़ो। १ मेरो। १ अरसी। १ विजैसी। १ सांगो सेलार। १ सलूणो।
१ अडवा
I चार रानियोंने चिता-प्रवेश कर जौहर किया। 2 इतना। 3 पीछे । इतना साथ निकल भागा।
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२२६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १ जेसो। १ लखमण । १ लूणो दहियो। १ धुंधळियो सांहणी। १ पतो दहियो। १ वीलण सोभत । १ मूळ सेपटो। १ लालो। १ नरसिंघ सींधळ । १ जगसी सींधळ । १ करमसी। १ वीको दहियो वडो स्यांमद्रोही हुवो, जिणरा भेदसूं गढ़
जाळोररो तूटो' ।
इति सोनगरा जाळोररा धणियांरी ख्यात वार्ता सम्पूर्ण । लिखतं वीठू पना सीहथळरो वांचे जिण सिरदारसूं
जैश्रीरुघनाथजीरी मालुम होसो।
I दहिया वीका वड़ा स्वामोद्रोही हुआ, जिसके भेद देनेसे जालोरका किला टूटा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २२७ वात साचोररी सहर तो कदीम छै । घणां दिनांरो वसै छै । पाधर मैदानमें वसै छै । सहर वीच कोट ईंटारो थो सु तो विचले वरसे पड़ गयो नै दरवाजौ १ कोटरो साबतो नै क्युंहेक" भींत रावळा घरां वांसै, क्युंहेक दरवाजारै मुंहडे थोड़ीसी भींत रही थी। पछै संमत १६८१रै टांण' महाराजा श्रीगजसिंघजीनूं साचोर जागीर हुती, तद एक वार काछी कटक माणस ५००० साचोर ऊपर आया हुता, तद मुं० जैमल जैसावतनूं परगनो थो । पछै जैमलरै चाकरै वेढ़ कीवी । कटक काछी भागौ । पछै मुं० जैमल कोट फेर संवरायो । सहररो मंडाण निपट सखरो छै° । वडो बाजार गुजरातरी तरै कहलवांरो छायो छै । . देहुरा २ जैनरा छै । एक मुं० जैमलरो करायो छै । कोट मांहै कुवो १ छै, पिण पाणी नहीं । सहर पांणीरी कमी । कुवा रुखी वाय १ चहुवांण तेजसीरी कराई छ, तिणरो खारो पांणी11 । घणी सहररी मंड उण ऊपर छै । राव बलूनूं साचोर हुई तरै कुवो १ दिखण दिसनै राव बलू खिणायो छै । तिण माहै पांणी मीठो पुरसे २० नीसरियो छै14 । उण ऊपर क्यूं वाग छै15 । तळाव घणा को नहीं । नाडा" दोय तीन छै । मास २ तथा ३ पांणी रहै । पांणीरो गांवरै खेड़े दुख हीज छै' । मुदै खारो कुवो सहरमें तेजसीरी वाय ऊपर छै तिण ऊपर तीण ६ वहै छै । राव बलूरो करायो कोहर दिखण
____ शहर तो पुराना है। 2 बहुत समयसे बस रहा है। 3 समतल मैदान में बसा हुआ है। 4 अभी थोड़े वर्ष हुए। 5 सावित। 6 कुछ। 7 समय । 8 तब एक बार काछियोंकी सेनाके ५००० मनुष्य साचोर पर चढ़ आये थे। 9 महता जयमलके चाकरोंने लड़ाई की। 10 शहरकी रचना वड़ी सुन्दर है। II वावड़ी एक कुएकी ओर चौहान तेजसीकी वनवाई हुई है, जिसका पानी खारा है। 12 शहरकी अधिक भीड़ उसी पर लगती है। 13 राव बलुको जब साचोर मिली तब उसने एक कुआ शहरसे दक्षिणकी ओर खुदवाया। 14 उसमें २० पुरुष नीचे मीठा पानी निकला है। (पुरुष गहराईकी एक माप जो मानमें हाथ उठा कर खड़े हुए मनुष्यके बराबर होती है । पुरसा।) IS उसके ऊपर छोटासा बाग भी लगा हुआ है। 16 छोटी तलैया। 17 गांवके आसपास पानीका कष्ट ही है। 18 तेजसीकी बावड़ीके ऊपर, जो खारे पानीका कुना है और जिस पर छ: चरसे चलते हैं, वही शहरके लिए पानीका आधार है।
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२२८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात दिस→ कोस छै', पांणो मीठो छ । साचोरसू कोस १ गांव लाछड़ी उत्तरनूं छ, तिण गांव कूवो १ छै तिणरो पांणी निपट मीठो पालर सारीखो छ । उठासू वाहणां पांणी सहर आवै छै । साचोररो निरजळ देस छै । सहररी पाखती जाळ, कैर घणा । परगनो इकसाखियो" रत" पटेल, रजपूत । गांव १२६ लागें । तिण मांहै गांव २८ नदी लूणी सूराचंद राजधरारै कांठ नीसरै, तरै इतरा गांवां साचोररां मांहै वहै । तिण गांवे गोहूं, चिणा सैंवज हुवै', रेल आयां' । रेल नावै तर गांवां २८ कोसीटा २०० हुवै। बीजा11 गांव सारा इक- . साखिया । बाजरी, मोठ, मूंग, तिल, कपास हुवै । परगना मांहै भूमिया देवड़ा, वागड़िया तिणांरा गांव छै । नैं चोहुवांण पूरेचा .. गांवां माहै छ 13 । सहर साचोर माहै सकना तुरक घर १५० छै। . सकना कहावै छै । खेत १०० सहर माहै पसाइता खावै छै । खूम .. ३ उणांरा छ १ बहलीम, १ झेरडियो, १ पायक, गांव दीठ रु० २) पावै छ । गांव १२६ माथै दाम २४८०००० । साचोर सहररी वस्ती उनमांन17 घर १२४५--
७०० महाजन ओसवाळ श्रीमाळ । १५ दरजी। ८० वांभण श्रीमाळी18 ।
१२ मोची। १० रजपूत ।
४० तेली। १५० सकना।
३५ सोनार ।
I राव बलूका वनवाया हुअा कुत्रा दक्षिण दिशाकी ओर प्राधे कोसकी दूरी पर है। 2 उस | 3 वर्षा जल । 4 वहांसे बैलगाड़ियों पर पानी शहरमें लाया जाता है। 5 शहरके पास जाल (पीलू) और करके वृक्ष बहुत हैं। 6 साचोर बरसाती फसलका परगना है। 7 प्रजा। 8 इनमें २८ गांव ऐसे हैं जिनमें लूनी नदी बहती है, जो सूराचंद और राड़घराके पास सीमा पार करती है। 9 इन गांवोंके किनारोंके खेतोंमें लूनी नदीके पानीकी रेल पानेसे गेहूँ और चने सेजेसे होते हैं। 10 और जव रेल नहीं पाती है तब इन २८ गांवोंमें २०० कोसीटों द्वारा गेहूंकी फसल होती है। I दूसरे। 12 परगनेमें भोमियोंके रूपमें देवड़े और वागड़िया चौहानोंके गांव भी हैं। 13 और पूरेचा चौहान भी गांवोंमें रहते हैं। 14 साचोर शहरमें १५० घर सकना मुसलमानोंके हैं। 15 ये शहरमें एक सौ खेत माफीके .. खा रहे हैं। 16 इनके तीन मंगन (अन्त्यज) वहलीम, झेरडिया और पायक हैं जिनको प्रति गांव रु० २) मिलते हैं। 17 अनुमान । 18 श्रीमाली ब्राह्मण।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २२६ २५ पीजारा।
५ माळी। १५ सूत्रधार।
२ लोहार। १२ छींपा धोबी।
५ गंध्रप। __ ४ कुंभार।
३५ ढेढ़ । ५ रंगरेज।
४० भील । १५ भोजग।
वात चहुवांणां साचोररा धणियारी चहुवांण विजैसीह आलणोत सीहवा. रैहतो, नै दहियो विजैराज तद साचोर धणी थो । तिणरै भाणेज महिरावण वाघेलो छै ; तिण नैं' विजैराज दहियै माहोमाहि जीव बुरो हुवो । तरै वाघेलो विजयसीहतूं मिळियो । कह्यो-"प्रांपै साचोर लां, आधोपाध हैंसो ।" तरै विजैसी कह्यो-"भली वात ।" पछै वाघेलै तेडियो तद विजेंसी सीहवाड़ारो चढ़ियो गयो । उठे दहिया मारिया । प्रो वाघेलो पिण मारियो । साचोर लीधी । आपरी आंण फेरी11 । संमत ११४१ फागुण वदी ११ गुर थापना साचोर कीधी ।
कवित्त धरा धूण धकचाळ, कीध दहिया दहवढे । सबदी सवळां साल, प्रांण मेवास पहट्टै ॥ आल्हण सुत विजयसी, वंस आसराव प्रागवड़। खाग त्याग खत्रवाट, सरण विजै पंजर सोहड़1 ॥ चहुवांण राव चोरंग अचळ, नरां नाह अंणभंगनर ।
धुमेर सेस जां लग अटळ, तांमराज साचोर धर ॥ १ ॥ ... I खाती। 2 शाकद्वीपी ब्राह्मण। 3 गन्धर्व। 4 अालणका बेटा । 5 उसका भानजा महिरावण वाघेला है। 6 उसके । 7 और । 8 आपसमें खट-पट हो गई। 9 अपने साचोर पर हमला कर उस पर अधिकार करलें, दोनोंका आधा-आधा हिस्सा । 10 बुलाया। II अपनी दुहाई फेर दी। 12 सम्वत् ११४१ फाल्गुन कृष्ण ११ गुरुवारको सांचोरमें अपने राज्यकी ( यहां सं० १२४१ होना चाहिये; क्योंकि विजयसिंहके पिता पाल्हणका समय १३वींका पूर्वार्द्ध निश्चित है। तंब सं० ११४१ में आल्हणका वेटा विजयसिंह नहीं हो सकता।) I3 युद्ध । 14 नाश । I5 शल्य रूप । 16 सुभट । 17 तब तक ।
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२३० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात पीढ़ियांरी विगत
१ राव लाखण। २ बलि । ३ सोही। ४ महंदराव । ५ अणहल । ६ जींदराव । ७ पासराव । ८ मांणकराव। ६ पाल्हण । १० विजैसी । साचोर ली। ११ पदमसी। १२ सोभ्रम । १३ साल्हो सोभ्रमरो । निपट वडो रजपूत हुवो। जाळोर गढ़
पातसाह अलावदी घेरियो, तद काम आयो । जाळोररी पैहली प्रोळ चढ़तां साल्हा चौकी कहीजै । आगै आप पुरांणां मांहै सुणियो छो“संग्रामरै विखै पग सांमां भरै तठे अश्वमेधरो फळ लहै ।" सु वात मनमें आरणनै रावळ कांनड़ दे जीवतां घोड़े चढ़नै साथळां मांहै खीला पाती जड़ाय', पातसाही कटक मांहै घोडो उपाड़ नांखियो । कांनडदे उमाहौँ' मोहळ बैठा देखै छै। घणो लड़ियो, घणो विसेख कियो ।
- गढ
_I जालोरके किले पर चढ़ते हुए पहली पौलके पास बनी हुई साल्हा चौकी कही जाती है । जिस जगह पर अलाउद्दीनसे बड़ी वहादुरीसे लड़ता हुअा साल्हा काम आया था। 2 था। 3 संग्राममें अपने पांव आगे बढ़ाता जाय तो अश्वमेधके फलकी प्राप्ति होती है । 4 मनमें ला करके। 5 जंघाओंमें लोहेकी कीलें और पत्तियें जड़वा करके। 6 वादशाही सेनामें अपने घोड़ेको अल दिया। 7 उत्साहसे। 8 महल । 9 अत्यन्त पराक्रम दिखलाया ।..
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २३१ कवित्त अलावदी आरंभ' कीध' सोनागर ऊपर । हुवो समर तलहटी जुड़े चहुवांण मछर भर ।। सकतीपुरचो सांम प्रांण सुरतांण संकायो । गांजै घड़" गज रूप चीत" पालम चमकायो । रांजियो राव कांनड़ रिणह कोतक खि रथ थंभियो।
वरमाळ कंठ अपछर वरै साल्ह विवाणै माल्हियो' ॥ १ ॥ १३ वीकमसी। १४ पातो । १५ राव वरजांग । १३ हापो, तिणरै वांसला सूराचंद धणी11 । १४ घड़सी। १५ सहसमल । १६ भोजदे। १७ उधरण । १८ वीसो। १६ डूंगर। २० रांणो मान २१ रांणो भारवर । २१ रांणो सूजो। २२ रांणो सादूल सूजारो। २२ दयाळदास सूजारो। २३ अखो दयाळदासरो।
राव वरजांग पातारो । पातो, वीकमसी, साल्हो सोभ्रम, पदमसी विजेंसी, प्रांक १५ राव वरजांग ने मिलकमीर वेढ़ हुई सं० १४७८12
I हमला। 2 किया। 3 जालोरका स्वर्णगिरि नामका किला। 4 क्रोध, गर्व । 5 नाश कर दिया। 6 सेना। 7 चित्त । 8 सूर्य । 9 विमानमें। 10 प्रस्थान किया। II हापा, जिसके पीछे वाले (वंशज) सूराचंदके स्वामी हुए। 12 राव वरजांग और मीरमलिकके सं० १४७८ में लड़ाई हुई।
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२३२]
मुंहता नैणसीरी ख्यात राव वरजांगनूं मारने साचोर मुगलै लीवी' । राव वरजांग बडो . ठाकुर हुवो । गढ़ जेसलमेर राव वरजांग परणियो', तद इतरो खरच लाग दापो कियो सु अजेस जेसळमेर उण चॅवरीको परणीजे न छ । राव वरजांगरी चँवरीरी ठोड़ प्रगट छ ।
राव वरजांगरा वेटा१६ जैसिंघदे । साचोर धणी । वरजांगरो । १६ तेजसी । साचोर धणी। १६ हीमाळो। १६ राघवदे। १६ राम । १६ पासो।
१६ देपाळ ।
जैसिंघदे वरजांगरो । साचोर धणी । राणा उदैसिंघरी मेवाड़ वैहन परणियो हुतो । प्रांक १६ ।
१७ नींबो। १७ धीरो। १७ जगमाल साचोर धणी । तिणनूं पीथमराव तेजसीयोत
मारियो । १७ कचरो। १७ सूरदास । १७ भैरव ।
१७ रतन जैसिंघदेरो। आखड़ी ४६ वहैतो । नींबो जैसिंघदेरो । प्रांक १७ ।
I राव वरजांगको मार कर मुगलोंने साचोर लेली। 2 विवाह किया। 3 तब लागदापा आदिमें इतना खर्च किया कि अभी तक जैसलमेरमें उस चौंरी पर ( इससे अधिक खर्च । .. करने वाला अभी तक कोई उत्पन्न नहीं हो सका है ) किसीका विवाह नहीं किया जाता। 4 राव वरजांगकी वह चौंरीकी जगह अब तक प्रसिद्ध है। 5 वरजांगका वेटा । 6 जयसिंहदे, वरजांगका वेटा, पुनः साचोरका स्वामी हुआ । मेवाड़ के राणा उदयसिंहकी वहनसे विवाह किया था। 7 जगमाल साचोरका स्वामी जिसको तेजसीके वेटे पीथमरावने मारा। 8 रतन . .. जयसिंहदेका बेटा, ४६ प्रतिज्ञाओं पर आचरण करने वाला।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२३३ १८ रांणो नींबावत । रांणारै पटै राव मालदेरी दीधी समदड़ी ... सिवांणारी थी।
१६ महकरण रांणावत। मोटा राजाजीरो सुसरो । दलपतजीरो ___ मामो तुरकांण माहै काम आयो । २० सिखरो महकरणरो। राजा श्रीगजसिंघजीरो सुसरो । मोटा
राजाजीरो चाकर । खेजड़ली गांव ३ तूं पटै । महकरणरो परवार, सिखरारो परवार
२१ रामसिंघ सिखरावत । २१ हरिदास सिखरावत । २१ दयाळदास सिखरावत । २२ राघोदास । २० देईदास महकरणोत । मोटा राजाजीरै समावळीरो चाकर।
संमत १६४० गांव चवाड़ी जोधपुररी, सं० १६ तांतूवास
ओईसारो, सं० १६ · · गोयंदरो-वाड़ो दूनाड़ारो, संमत
१६ · · दहीपुड़ो जोधपुररो। २१ कचरो देईदासरो । संमत १६६३ तांतूवास पटै । संमत
१६७४ हूण गांव सोझतरो पटै । संमत १६७७ तिमरली
रांम कह्यो । २२ मुकंददास। २२ हरिदास । २१ केसवदास देईदासरो । संमत १६७३ दहीपुड़ो जोधपुररो
पटै।
. २० सांवतसी महकरणोत । दलपतजीरो मामो नै दलपतजीरो
हीज चाकर । ठाकुराईरो धणी' ।
I राणा, नींवाका वेटा। राणाको राव मालदेवकी दी हुई सिवाना परगनेकी समदड़ी पट्ट में थी। 2 मोटा राजा उदयसिंहजीका सुसरा। 3 तीन गांवोंके साथ खेजड़ली गांव पट्ट में । 4 मोटा राजाजी उदयसिंहके समावली गाँवका चाकर। 5 इसे सम्वत् १६४० में जोधपुर परगनेका चवाड़ी, सं० १६. में अोईसांका तांतूवास, सं० १६." दूनाड़ेका गोविंदरो-वाड़ो और सम्वत् १६. 'जोधपुर परगनेका दहीपुड़ा-पट्ट में मिले थे। 6 सं० १६७७ में तिमरली गाँवमें मरा। 7 बड़ी ठकुराईका मालिक ।
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२३४ ]
मुंहता नैणसीरी च्यात २१ सादूळ सांबतसीयोत । संमत १६८४ गांव ६, रुपिया
४७००) नागोरस, ब्रहांनपुर रावळ पटें दिया' । पछे छोड़
मोहवतखारै बसियो । पछै दखिणमें काम आयो। २१ गोपाळदास सांवतसीयोत । दोलतावाद मोहबतखारै काम
प्रायो। २१ बलू सांबतसीयोत । महेसदास दलपतोतरो चाकर थो ।
पछ संमत १६८५ महेनदास मोहबतखारै बसियो, तरै . जुदो मोहवतखारै चाकर दिखण मांहै लोहडे पड़ियो' । पछै . मोहबतखांन मुवों तद महेसदास वलू वेहू" पातस्याही चाकर हुवा । महेसदासयूँ जाळोर हुवो', तरै बलूनूं साचोर दियो थो सं० १६६६ । पछै सं० १७१७ पूरबनूं मुवो। राव वलू सात सदी जात, चारसौ असवार मुनसब' श्रो। चौ० वेणीदास बलुअोतरो मुनसव चार सदी जात सौ असवार हुवो । दूजो परगनो विहान हुवो थो। दिन थोड़ा जोवियो । पछै सकतसिंघ वेणीदासोतनूं मुनसव जात
अढ़ाई सदी, तीस असवार मुनसव हुवो । २२ वेणीदास। २२ नरहरदास । सं० १७१४रा जेठमें धोलपुर काम प्रायो। २३ सकतसिंघ । २१ अचलदास सांवतसीयोत । मोहबतखारै दिखणमें काम प्रायो। २२ गोयंददास । २१ भींव सांवतसीयोत । सं० १६७७ जाळोररो चवरा पटै ।
जूंझारसिंघ दलपतोतरै काम आयो । I सम्वत् १६८४में महाराजा जसवंतसिंहने बुरहानपुरमें २० ४७००) की आयके नागौरके ६ गांव पट्टेमें दिये थे। 2 पीछे छोड़ कर मोहबतखांके जाकर रहा और दक्षिणमें काम पागया। 3 मोहबतखांके जाकर रहा। 4 घायल हुआ। 5 मर गया। 6 दोनों। 7 महेशदासको जालोर मिला। 8 पूर्वमें मरा। 0 राव वलूका मनसव सातती जात और चारसी सवारका था । 10 दूसरा । II थोड़े दिन ही जीवित रहा। 12 सांवतसिंहका बेटा भीम, जिसको जालोर परगनेका चवरा गांव पट्टे। 13 दलपतके वेटा जूझारसिंहके काम
पाया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २३५ २२ विहारी। २१ कलो सांवतसीयोत । जूंझारसिंघ दलपतोतरै काम आयो। २१ अजो सांवतसीयोत । सं० १६७५ कैरलो पालीरो पटै ।
पछै कनीरांम दलपतोतरै वसियो सु ब्रहांनपुर कनीरांम साथै
कांम आयो। २० रायमल महकरणोत । २१ भांण दलपतरै काम आयो । २२ अखैराज, कनीरांम दलपतोतरै काम आयो । दिखण डेरा
माहै फौज नीसरी तछै'। २१ भांण, किसनसिंघजीरै वास थो उठे काम आयो । २० रतनसी महकरणोत । २० रावत महकरणोत । सं० १६४० हीरादेसर पटै । पर्छ
वीसळू दोवी । लूणो रांणावत । रांणारो वडो बेटो वडो
रजपूत हुवो । प्रांक १६ । २० महेस जाळोर काम आयो । २१ नारण। २० किसनो । उग्रसेण चन्द्रसेणोत साथै काम आयो । २० कान्हो । २१ हींगोळ। २२ संकर हींगोळरो। २० रांमो लूणावत । मीच मुवो । २१ सूजो । दलपतजीरै काम आयो । २२ लिखमीदास (भीव करणोतरै ) । २२ जैतसी (सबळ सिंघजीरै') ।
.
I दलपतके बेटे कनीरामके अखैराज काम आया, दक्षिणमें डेरोंमें हो कर फौज निकली थी वहां पर । 2 भाण, किसनसिंहजीके यहां रहता था और वहीं काम आया।
.3 लूणा, राणाका बड़ा बेटा बहुत बड़ा राजपूत हुआ। 4 राव चन्द्रसेनके बेटे उग्रसेनके साथ __काम आया। 5 मौतसे मरा। 6 लिखमीदास भीम करणोतके यहां रहता है। 7 जैतसी
सवळसिंहके यहां रहता है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
२३६ ]
मांडण रांणावत, प्रांक १६ ।
२० सांवळ मांडणीत । सं० १६५२ वालो भाद्राजणरो धना भेळो' । पछै सं० १६६६ सुगाळियो सांवळनूं । पछे राखांणो भाद्राजणरो दियो थो, सु संमत १६७१ रावळ खिराळू परगने कांम ग्रायो ।
२१ कलो । संमत १६७१ राखांणो बरकरार |
२१ जसो ।
२१ जगनाथ । २२ नरसिंघदास ।
।
२० सूजो मांडणीत । सं० १६ सूजा सांवळनूं बालो नै नीलकंठ भाद्राजणरा * ।
4
२१ पतो सूजारो । सं० १६८५ सिरांणो जाळोररो ।
२२ खेतसी ।
२२ नाथो ।
२० धनो मांडोत । सं० १६७० मेहळी सिवांणारी पटै । सं० १६८३ इंद्रांणो सिवाणारो' । पछै मुवो' ।
२१ तेजमाल धनारो । धनारै वदळे चाकरी करतो सु तिमरणी राम कह्यो ।
.8
२२ सुरतांण ।
वीरो जैसिंघदेवोत, ग्रांक १७ ।
१८ वरसिंघ धीरावत । साचोर कांम आयो ।
१६ वीको वरसिंघरो भाचरांण सींधले मारियो ।
I मांडरणका बेटा सांवल, सं० १६५२ भाद्राजुनका वाला गांव धन्न के शामिल पट्ट में । 2 वादमें सांवल को सं० १६६६ में सुगालिया गांव पट्टेमें। 3 फिर वह सं० १६७१ में खिरालू परगने में काम आया । 4 मांडका बेटा सूजा, सं० १६ में सूजा और सांवल दोनों भाइ योंको भाद्राजुन के वाला और नीलकंठ पट्टेमें थे 15 मांडरणका बेटा धन्ना, जिसके सं० १६७० में सिवानेका मेहली गांव पट्टे में 6 सं० १६८३ में सिवानेका इन्द्राणो गांव पट्टे में । 7. फिर मर गया । 8 धन्नेका बेटा तेजमल, जो धन्नेके वदले में चाकरी करता था वह तिमरणी गांव में मरा। 9 वरसिंहका बेटा वीका, जिसे सिंघल राजपूतोंने गांव भाचराणेमें मारा ।
1
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२३७ .. २० हमीर वीकावत । राव चंद्रसेणरो सुसरो। हरदास महेसोत
मारियो । ... २१ पंचाइण हमीररो। सं० १६६६ वीजळी भाद्राजणरी थी ।
उरजन चाकरी करतो । २२ रायसिंघ सं० १६ . . - रोहचो जोधपुररो, सं० १६६६
रायमो भाद्राजणरो पटै केसोदास भेळो । सं० १६८५
सीहरांणो भाद्राजणरो। हमीर वीकावतरो परवार प्रांक २० । पंचाइणरो परवार प्रांक २१ ।
२२ केसोदास पंचाइणरो बालपुर मांहै राम कह्यो । २२ उरजन पंचाइणरो । सं० १६८९ साहरियाणै थो । २२ भोजराज पंचाइणरो।
२२ वीरम हमीररो। .: २२ नारायण भाद्राजणरो रेवड़ा पटै'।
२२ भांण । २१ देदो हमीररो। २२ मन्होर, भवरांणी रहै । २१ भोपत। २१ जैतसी हमीररो । जैतसी नगावतनूं तुरके पकड़ियो तटै काम
___ अायो' । अखैराज धीरावत, प्रांक १८
१६ कूपो अखैराजोत । २० रांम । भाखरसी दासावतरै काम प्रायो। २० कान्हसिंघ जैतसीयोतरै काम आयो।
I वीकेका बेटा हमीर, जो राव चंद्रसेनका सुसरा था जिसे महेशके बेटे हरदासने मारा ।, 2 हमीरका वेटा पंचायण, जिसके पट्टेमें भाद्राजुनका गांव वीजली था। ... 3 चाकरी पंचायणका बेटा अर्जुन करता था। 4 रायसिंहको जोधपुरका रोहेचो गांव सं०
१६ में पट्टे और सं० १६६६में भाद्राजुनका रायमो गांव उसके भाई केशोदासके शामिल पट्टमें। 5 पंचायणका वेटा केशोदास बालपुरमें मरा। 6 पंचायणका बेटा अर्जुन, जिसको सं० १६८६ में साहरियाणो गांव पट्ट में था। 7 नारायणको भाद्रजुनका रेवड़ा गांव पट्टेमें ।
8 मनोहर,भवराणी गांवमें रहता है। 9 हमीरका वेटा जैतसी, नागाके बेटे जैतसीको जब ....... मुसलमानोंने पकड़ा, वहां काम आया।
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२३८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १६ गोपो अखैराजोत । जैतसी ऊदावत साथै वड़ी वेढ़ काम
आयो। २० लोलो गोपावत । २१ मांनो, सुगाळियै सींधल आया तटै काम प्रायो। २२ पासो। २२ करन । २१ जोधो लोलावत । २२ भोपत। २१ सूरो लोलावत ।
२० लाखो गोपावत । सासरै ईदोरै गयो थो तटै काम आयो । भैरूंदास जैसिंघदेशोत, प्रांक १७–
१८ जांझण भैरूंदासोत । राव मालदेरै, मेहगड़ो सिवांणारो। १६ पिराग जांझणोत । सं० १६४० मोटै राजाजी गांव गादेरी
लवेरारी पटै दी थी, इतबारी धड़ थो। २० अमरो पिरागरो सं० १६...गादेरी बरकरार रही। २० सकतो सं० १६६८ गोपड़ी सिवांणारी । सं० १६७२ रूंदिया
कूवो लवेरारो। पछै छाडियो । २० नरहरदास सं० १६७० नरावस जोधपुररो पटै । पर्छ ___ सं० १६७१ अजमेर गोयंददासजी साथै काम आयो । २१ मनोरदास नरहरदासोत । सं० १६७२ नरावस बरकरार
राखियो । सं० १६८१ मेहलांणो दियो । तठा पर्छ' सं० १६८२
कुंवर अमरसिंघजीरै वसियो । २० भगवानदास । सं० १६७८ तानवास पटै। .
..
1 अखैराजका वेटा गोपा, ऊदाके बेटे जैतसीके साथ बड़ी लड़ाईमें काम आया। 2 माना, सुगालिये गांवमें सीधल चढ़ कर आये तव काम आया। 3 गोपेका बेटा लाखा, ईदोंके यहां अपनी ससुराल गया था वहां काम आया। 4 भैरोंदासका बेटा जांझण, राव मालदेवका चाकर, सिवानेका मेहगड़ा पट्टेमें। 5 प्रयाग जांझणका बेटा, जिसे मोटे राजा उदयसिंहने लवेराका गादेरी गांव पट्ट में दिया था, विश्वासपात्र मनुष्य था। 6 लवेरे गांवका रूदिया नामक कुत्रा। 7 जिसके बाद । 8 निवास किया।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ २३६ २० अचळदास प्रागदासोत । १६ रांमो जांझणरो। पोकरणरै गांव चंद्रसेणजीरै काम प्रायो,
देवराजरी वेढ़। १६ कान्हो जांझणोत । मेहगड़े मीच मुवो। २० मैहरावण कान्हावत । २१ तिलोकसीनूं बाघलप सिवांणारी । .१६ सेखो जांझणरो। २० लिखमीदास सेखावत । सं० १६४० वासणी हरढाणा तीरै ।
सं० १६७७ सिरांणो जाळोररो। १७ दयाळदास । सं० १६८० जाळोररो गांव पटै । १७ उगरो लिखमीदासोत । १७ ऊदो, मेड़तारो भानावास पटै । १७ विसनदास । सं० १६८२ रूपावास पालीरो ऊदा भेळो । ___ सं० १६८३ भानावास मेड़तारो पटै । १६ किसनो जांझगरो। उग्रसेण चंद्रसेणोत साथै मारांणो । १६ गोपाळदास । कल्याणदास रायमलोतरो चाकर । कल्याण
दासजी साथै सिवांणे काम आयो । १६ गोयंददास सं० १६४२ गादेरी, करमसीसर पिराग भेळा ।
पछै हीरादेसर कुंभा भेळो । . २० कुंभो गोयंदरो। सं० १६६२ गुजरातमें मांडवै काम प्रायो ।
२१ भींव कुंभावत' । सं० १६७५ कोरणो भाद्राजणरो।
I जांझणका बेटा रामा देवराजकी लड़ाईमें पोकरणके एक गांवमें राव चंद्रसेनजीके काम पाया। 2 मेहगड़े में मौतसे मरा। 3 शेखेका बेटा लिखमीदास जिसे सं० १६४०में हरढ़ारोके पासका वासणी गांव पट्टेमें था। 4 दयालदासको जालोरका एक गांव सम्वत् १६८०में पट्टे था। 5 विशनदास, जिसे पाली परगनेका रूपावास सम्वत् १६८२में ऊदाके शामिल पट्ट में था। 6 रावचंद्रसेनके वेटे उग्रसेनके साथ मारा गया। 7 गोपालदास, रायमलके बेटे कल्याणदासके साथ सिवाने में काम आया। 8 गोयंददासको सम्वत् १६४२में गादेरी और करमीसर दोनों गांव प्रयागके शामिल पट्टे में। पीछे कुंभेके साथ हीरादेसर . मिला। 9 कुंभा गोयंददासका, सं० १६६२में गुजरातके मांडवे गांवमें काम प्राया। - 10 भीम कुंभेका लड़का ।
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नाया।
२४० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सं० १६७८ सझाड़ो जोवपुररो। सं० १६८६ पोलावास
मेड़तारो। सं० १६६१ कुंवर अमरसिंघजी साथै गयो। . . २० तेजमाल गोयंदरो। हीरादेसर पटै । १६ सुरताण जांझणरो । सं० १६४० हीरादेसर मास १ रह्यो। __पछै गादेरीथी । पछै चीनड़ी आसोपरी थी। १६ सादूल जांझणरो । धवेचांसू वेढ़ हुई तठे काम आयो । १६ खंगार जांझणरो। किसनसिवजीरै वास थो । २० वीजो। १८ ऊदो भैरवदासरो। १६ वीरम ऊदावत । मेड़त काम आयो । २० नेतसी । मेड़तारी वेढ़ सं० १६१८ देईदासजी साथै काम प्रायो। २१ अचळो नेतसीरो। २२ तेजसी, सं० १६८२ ऊदारो भाद्राजणरो थो। सं० १६८५
तालियांणो जाळोररो' । नेतसी वीरमोतरो परवार आंक २० । अचळो नेतसीयोतरो परवार प्रांक २१
२२ जगमाल । २२ महेस । २१ अमो नेतसोरो। २२ भोजो। २१ अमो नेतसीरो। २२ रांणो सं० १६७७ खीरोहरी जाळोररी । सं० १६८४ अहर
जाळोररी । सं० १६६० डांगरां । पछै सं०१६७५ जाळोररो. सामंजो पटै।
जांझणके वेटे सुरतारणको सं० १६४०में हीरादेसर १ मास रहा । 2 वादमें गादेरी मिली थी। 3 और फिर अासोपका चीनड़ी गांव पट्टेमें दिया गया। 4 जांभरणका बेटा सादुल, धवेचोंसे लड़ाई हुई वहां काम आया। 5 जांझरणका बेटा खंगार, किशनसिंहजीके . यहां रहता था। 6 अचलेका वेटा तेजसी, जिसे भाद्राजुनका ऊदारो गांव सं० १६८२में,
लोरका गांव तालियारगो पट में दिया गया था। 7 राणा, अखका वटा, जिसे सं० १६७७में जालोरका खीरोहरी गांव, सं० १६८८में जालोरका ग्राहोर गांव, सं० १६६०में डांगरा और सं० १६७५में जालोरका सामूंजो गांव पट्ट में दिया गया था। ...
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २४१ २२ वाघो। २२ रायमल । १६ खेतसी ऊदारो । ऊदो भैरवदासरो। २० जगहथ खेतसीरो। २१ सादूळ । संमत १६७२ भूभादड़ो पालीरो पटै' । २२ मनोहर । संमत १६८१ भुभादड़ो । संमत १६८८ सापो
सोझतरो पटै । १८ मेघो भैरवदासरो । प्रथीराजजी साथै मेड़ते काम प्रायो। १६ भारवर । १६ वीदो। १८ गांगो भैरवदासरो। १६ जीवो गांगावत । मोटा राजाजीरै समावळी चाकर थो।
संमत १६४० दांतणियो पटै । पछै माणकळाव पटै । २० भोजराजनूं माणकळाव बरकरार । पछै देवराजांसू डरतो
छांड़ गयो । पछै दलपतजीरै वसियो । उठे काम आयो । २० वाघो जीवारो। २० महेस । संमत १६७४ भूतेळ भाटीव जाळोररी पटै थी । २० ईसरदास जीवारो।
१६ नारायणदास भैरवदासरो। तेजसी वरजांगोत, अांक १६
१७ पीथमराव तेजसीरो । सेखा सूजावतरौ नांनो। देईदासजीरो
1 सादूलको सं० १६७२ में पाली परगनेका भूभादड़ा गांव पट्टे में था। 2 मनोहरको सं० १६८१ में भूभादड़ा और सं० १६८८ में सोजत परगनेका सापा गांव पट्टेमें दिया गया। 3 गांगाका पुत्र जीवा, यह मोटाराजा उदयसिंहका समावली गांवमें चाकर था। सं० १६४० में दात रिणया और फिर मारणकलाव गांव पट्टे में थे। 4 भोजराज जीवाका बेटा जिसको माणकलाव गांव बरकरार, पीछे देवराजके वंशजोंके भयसे छोड़ कर चला गया और दलपतके यहां जा कर बसा और वहीं काम आया। 5 महेश जीवाका पुत्र, जिसके सं० १६७४ में जालोरके भूतेल और भाटीव गांव पट्ट में थे।
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4
२४२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
पिण नांनो | राव सूजोजी परणिया था । चोहुवांण जगमाल जैसिंघ देोतनूं मारने साचोर लियो । जीवियो तठा सूधी साचोर प्रथीराव भोगवी' |
१८ वाघो प्रथीरावरो । जिण कोढ़णारो वाघावास वसायो । साचाररो टीको हुवो थो| पछै चहुवांण रांग नींवावत धरती सूनी की, तर वाघो सूनी धरती छोड़ कोढणे प्रायो ।
१६ सिंघो वाघावत !
२० वणवीर सिंघावत । मोटा राजाजीरो सुसरो ।
सिंघा वाघावतरो परवार ग्रांक १९ । वणवीर सिंघावतरो परवार ग्रांक २०
२१ सूजो वणवीर ।
२२ रांमो, संभत १६६३ खारड़ी थोभरी पटै थी । भलो रजपूत
थोरै ।
रायसिंघ
२२ २३ भोपत ।
२२ कांन्हो |
२३ माधो ।
जावत 1
२१ नारायण ।
२१ देदो वरणवीरोत । पटाऊ पटै थी । २१ रायसिंघ वरणवीरोत ।
I पृथ्वीराज तेजसीका बेटा । सूजाके बेटे सेखाका यह नाना और देईदासका भी नाना | जोधपुरका राव सूजा इसके यहां व्याहा था । इसने चौहान जयसिंहदे के बेटे जगमालको मार कर साचोर लिया और जहां तक जिंदा रहा साचोर इसके अधिकारमें रहा ।
2 पृथ्वीरावका वेटा वाघा, जिसने कोढ़णावाटीका वाघावास बसाया । साचोरका तिलक हुआ था। पीछे चौहान रांगे नींवावतने ( साचोरकी ) धरतीको उजाड़ दिया तव बाबा सूनी वरती छोड़ कर कोढ़ चला आया । 3 रामाके संमत १६६३ थोभका खारड़ी गांव पट्टे में
था | अच्छा राजपूत था ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २४३ २० पतो सिंघावत । गोपाळदास ऊहड़रो नांनो । बेटो नहीं । २० सांडो सिंघावत । २१ भींवो सांडावत ।. २१ रांणो भीवावत । पानीले राते परणियो नै सवारै बाहड़मेरां
आय वित लियो तरै वाहरमें काम आयो । २० संकर सींघावत । गोपाळदास ऊहड़ साथै काम आयो । २१ रतनो संकरोत । २२ जैतो रतनोत । मोहबतखारै काम आयो । २३ चांदो मांडणरै वास । २१ गोयंददास । पाटोधी भाटियां मारियो । २२ जीवो, मांडण ऊहड़रै । २१ पासो संकररो, मांडणरै वास । २० जोधो सिंघावत । राव चंद्रसेणरा गढ़रोहा माहै काम आयो । २१ वीसो जोधावत । गोपाळदास ऊहड़ साथै काम आयो । २२ सहसो, मांडण ऊहड़रै वाहर मांहै काम आयो । २३ भगवानदास । २२ वैरसल। २२ जैतसी। २१ सतो जोधावत, अउत" । १८ अजो प्रथीरावरो। सेखाजी देईदासजीरो मामो । सेखोजी
कांम आया नै देवीदासजी रजपूते काढ़िया तरै अजो ही साथै नीसरियो । पछै चीतोड़ गढ़रोहा मांहै देईदासजी काम
I भीवाका बेटा राणाका, रातको पानीले गांवमें विवाह हुआ और सवेरे बाहड़मेरे आकर जब उसके पशुओंको ले गये, तब यह उनके पीछे वाहरमें चढ़ा और वहां काम आ गया। 2 गोयंददासको पाटोदीके भाटियोंने मार दिया। 3 जीवा, मांडण ऊहड़की चाकरीमें । 4 शंकरका बेटा पासा मांडणके यहां रहा। 5 सिंघाका बेटा जोधाराव चन्द्रसेनके गढ़रोहेमें काम पाया। 6 सहसा, मांडण ऊहड़की वाहरमें काम आया। 7 जोधाका बेटा सत्ता, अपुत्र रहा।
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२४४ ]
_ मुंहता नैणसीरी ख्यात आया तठे अजो पिण काम आयो । हीमाळो वरजांगोत, अांक १६१७ सोभो वडो रजपूत हुवो । आधी साचोर सोभारै हुती। ..
आधी साचोर गुजरातरा पातसाहरी दो मुगल प्रेमनूं हुती । पछै मुगले कोट मांहै गाय मारी तिणसूं उपाध हुवो, सोभै प्रेम ...
मुगलनूं मारियो । १७ ऊदो हिमाळारो। १७ देवो हिमाळारो। १७ सांगो हिमाळारो।
चोहुवांण सोभो हीमाळावत । मुगल प्रेम गाय मारी तिण ऊपर मारियो, तिण साखरो गुण -
दूहा
छायल फूल विछाय, वीसम तो वरजांगदे । गैमर' गोरी राय, तिण आमास अडाविया ॥ १ ॥ इस.' सै अहिनाण, चहुवांणो चौथे चलण' । .... डखडखती दीवांण, सुजड़ी1° आयो सोभड़ो ॥ २ ॥ काला काळ कलास, सरस पलासां सोभड़ो। वीकम सीहां वास, मांहि मसीतां मांडजै ॥ ३ ॥
I पृथ्वीराजका बेटा अजा, यह सेखा और देईदासका मामा जव सेखा मारा गया और देईदासको राजपूतोंने निकाल दिया तव अजा भी उसके साथ निकल गया, फिर चितौड़के गढ़ रोहेमें देईदास काम पाया, वहां अजा भी काम आ गया।. 2 शोभा वड़ा वीर राजपूत हुआ, अावी साचोर शोभाको मिली हुई थी और आधी गुजरातके वादशाहकी ओर से मुगल प्रेमको दी हुई थी, पीछे मुगलोंने कोटके अंदर गाय मार डाली, जिससे झगड़ा हो गया, शोभाने प्रेम मुगलको मार दिया। 3 चौहान हीमालेका बेटा शोभा, जिसने प्रेम मुगलको गाय मारने पर मार दिया था, जिसका साक्षी--काव्यमें वर्णन। 4 हाथी। 5 जिसने। 6 घर। 7 ऐसे। 8 चिन्ह, व्यवहार। 9 पाँव। 10 कटारी। II शोभा चौहान। 12 मस्जिदोंमें ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २४५ हीमाळाउत हीज, सुजड़ी' साही सोभड़े । ढील पहां रिमहां' घड़ी, खखळ-बखळ की खीज ॥ ४ ॥ सोभड़ा सूअर सीत, दूछर ध्यावै ज्यां दिसी । भीत हुवा भड़ भड़भड़े, रोद्रित कर गज रीत ।। ५ ।। चोळ' वदन चहुवांण, मिलक अढ़ारे मारिया । सुजड़ी आयो सोभड़ो, डखडखती दीवांण ।। ६ ।। वणवीरोत वखांण, हीमाळावत मन हुवा । त्रिजड़ी' काढेवा तणी', चलण दियै चहुवांरण ।। ७ ।। सोभड़े कियो सुगाळ, मुंहगौ एकण ताळमें । खेतल वाहण खड़खड़े, चुड़खै चामरियाळ ॥ ८ ॥ लोद्रां चीलू अांध, भागी सोह11 कोई भ012 । स्रोभ्रमड़ा स्रग सातमै ", बाबा तोरण बांध ॥ ६ ॥
॥ इति साचोरा चहुवांणांरी ख्यात वारता संपूर्ण ।।
वात
.... चहुवांणां माहै साख १ बोडारी छै । अही1 राव लाखणरा
पोतरा सोनगरा जाळोररा धणी । सीरोहीरा धणी, कीतूरा पोतरा बोड़ो भाखररो बेटो हुवो। तिणरा वांसला बोड़ा कहीजै छै" । इणांरै उतन परगनो जाळोररै सेणारो छोटो सो परगनो छै । प्रागै
. I हीमालेका पुत्र शोभा । 2 कटारी। 3 धारण की। 4 शोभेने। 5 शत्रुओं। 6 क्रोध । 7 लाल । 8 प्रशंसा। 9 तलवार। 10 की, लिये। II सब कोई, ___ सभी। 12 कहते हैं। 13 शोभा। 14 सातवें स्वर्गमें। 15 ये भी। 16 पोते ।
17 जिसके पीछे वाले वोड़ा कहलाते हैं। 18 इनका निवास जालोर परगने कोसेणा गांव जिसके पीछे एक छोटा सा परगना है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात यो सीरोही वांस थो' । पछै राव सुरताण भारणोत, राव कला मेहाजलोतसूं वेढ़ काळाधरी की तद विहारी मिलकखांन हेतावत। परगना ४ जाळोर वांस दिया था सु तदरा जाळोर वांस पड़िया तासु हमै जाळोर वांस हीज छै । परगनो सेगो जाळोरसू कोस १० सीरोही दिसा ऊगवणनं सीरोहीरा गांवांसू कांकड़ । परगनो दुसाखो' छ। सहर छोटी सी भाखरीरी खांभ, अगवारै वडो मैदान । ऊनाळी निपठ घणी' । छोटा मोटा ढींवड़ा11 ३०० हुवै । गांव १२ सेणा वांस । बोड़ारो ठिकांणो घरणा दिनांरो थो सु सं० १६६६ राव महेसदास दलपतोतनूं जाळोर हुई, वरस ४ महेसदास जीवियो, तठाऊ12 बोड़ो कल्याणदास नारांणदासोतनूं सेणो, सदा भोमिया . रुखो हुतो13 त्यौं रह्यो । पछै राव महेसदास दलपतोत संमत् १५०३15 ...। पछै पातसाह रतन महेसदासोतनूं दीवी। पछै राव रतन बोड़ा कल्याणदास नाराणदासोतनूं सेणे वाहर रुखो प्रायो। कहाड़ियो-"म्हे आघा जावां छां, थे सताव आवो” ।' पर्छ कल्याणदास थोड़ा हीज साथसू आयो, तरै रतन श्राप हाथसूं बरछोरी दे कल्याणदास मारियो नै सेणो लियो । बाकीरा नासनै सीरोहीरा देसमें गया । सेणो निखालस हुदो । मैं प्रागै नवघण, विजो.
____ I पहले यह सिरोही रियासतका गांव था। 2 कालंदरी गांव। 3 पीछे । 4 तबसे। 5 पूर्व दिशाकी अोर ।। 6 सीमा। 7 परंगना दुफसली है। 8 शहर छोटी सी पहाड़ीकी ढलानमें। 9 आगे। 10 रवीकी फसल अधिक। II रहँट । 12 तवसे। 13 सदा भोमियाकी भांति था। · 14 उसी प्रकार रहा। 15 प्राप्त सभी प्रतियोंमें यहां कुछ अंश छूटा हुआ है जिससे यहां यह पता नहीं पड़ता कि सं० १६६६से सं० १७०३ तक चार वर्ष महेशदासके अधिकारमें जालोर रहनेके वाद महेशदासका क्या हुआ ? वैसे इसके आगे महेशदासके वेटे रतनको जालोर देनेका उल्लेख है, इससे यह अनुमान होता है कि त्रुटित अंशमें महेशदासके मर जानेका उल्लेख होना चाहिए। 16 पीछे राव रतन नारायणदासके बेटे कल्याणदास बोड़े के लिए बाहरके रूपमें आया। 17 उसने कहलाया कि हम आगे जा रहे हैं, तुम भी जल्दी प्रायो। 18 लेकिन कल्याणदास थोड़े मनुप्योंको ही लेकर पाया। 19 और सेऐ पर अधिकार कर लिया। 20 शेष भाग कर सिरोही राज्यमें चले गये। 21 सेणा गांव सर्वथा अधिकारमें हो गया।
. ...
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२४७ वडा अखाड़सिध रजपूत हुवा छै। नै काल्हरै दिन' बोड़ो नाराणदास बाघावत सं० १६८० श्री महाराज गजसिंघजीरी वार माहै हुतो', वडो रजपूत हुवो । सं० १६७४ कुंवर गजसिंघजी जाळोर लियो तद विहारियांसूं जुदो फूटनै कुंवरजीतूं आय मिळियो । प्रागैं राजा श्री सूरजसिंघजी वोड़ा नाराणदासरी बैहन परणिया हुता। नाराणदास बड़ा उमरावांरै दावै रैहतो । सेणो रुपिया १००००) रो" । ठोड़ गांव १२'
१ सेणो। १ चांदण । १ भेटाळो। १ मेडो। १ बाहिरलो वास । १ मांहिलो वास । १ तुड। १ देवड़ो। १ दही गांव । १ नागण । १ उंडवाड़ो। १ कणावद । वोडारी वंसावळी
१ राव लाखण। १३ लखो। २ बल ।
१४ महिपाळदे । ३ सोही।
१५ हाजो। ४ महंदराव। १६ सांवत । ५ अलण ।
१७ सिखरो। ६ जींदराव । १८ नवमण । ७ पासराव । २६ करमो*। ८ पालण ।
२० विजो। ६ कीतू।
२१ वाघो। १० समरसी। २२ नाराणदास। ११ भाखर ।
२३ कल्याणदास । ११ बोड़ो।
I पहिले नवधरण और विजा वड़े बांके राजपूत हो गये हैं। 2 कलके दिन । 3 महाराज गजसिंहके समयमें था। 4 तब विहारियोंसे अलग और विरुद्ध होकर कंवरजीसे मिल गया। 5 तरह। 6 सेरणा दस हजारकी यायका । 7 उसके पीछे बारह गांव हैं।
. * कर्मा बड़ा कर्मण्य और वीर पुरुष था। अपनी अद्भुत वीरताके कारण यह . 'मामाजी' वा 'मामा खेजड़ा'के नामसे पूजा जाता है ।
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२४८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात और तो वोड़ा घणा कठै ही सुणिया नहीं, ने एक बोड़ो मांनो नरवदोत जाळोररै गांव बापड़ोतरै रहतो, वापड़ोतरो पटै हुतो। गांव ५ तथा ७ पटी दहियावतरी मांहै-सीहरांणो, खारी सांधाणो, देवसोवास, बालवाड़ो पालासण । मांनारा भाईबंध रहता। मांगस २००रो जोड़ हुँती । असवार ४० बढ़ता। ___मांनो नरबदरो, सीहो, ठाकुरसी, सूरो, मेहेवरे गांव भाटेबै वळे वोड़ा रहै छै ।
चहुवांणांरी साख मांहै एक साख कांपलिया कहावै छै । सु कांपलो साचोररो गांव छ, तिको इणांरो राजथांन, तिण गांव लारै कांपलिया नांव' पड़ियो । प्रागै कुंभो कांपलियो वडो रजपूत हुवो छै तिणरा गांव कुंभाछतरा कहीजता"; सु धनवो, धोरीनमो कुंभाछतमें मुदै छै । ओ खंड साचोर वासै लागै छै । कुंभाछत साचोर नै ईडर लगती।
वात कुंभा कांपलियारै घोड़ी १ निपट अवल छै1° । तिण दिन रावळ मालै पिछम नै घणी धरती खाटी छै1, सु सको पिछमरा भोमिया रावळ मालारो अमल मनै छै । कुंभारी घोड़ी लेणरो विचार करै छ । तिण समै रावळ मालारै परधान भोलो नाई छै; तिणनूं रावळ कहै छै-"या घोड़ी लीचाहीजै।" तरै भोयो कहै छै- "कुंभो तो पारियां घोड़ो देणरो न छै131 सु कुंभानूं तेड़14 दरबार वैसांणियो
I कहीं। . 2 वरावरकी जोड़ीके २०० आदमी इसके पास थे। 3 नरवदका बेटा माना, सीहा, ठाकुरसी और सूरा ये मेहवे परगनेके भाटवे गांवमें रहते हैं। 4 इनका । 5 शाखा, वंशका नाम। 6 जिसके गांव 'कुंभाळत'के कहे जाते थे। 7 सो धनवा और .. घोरीनमा 'कुंभाछत' में मुख्य हैं। 8 यह खंड साचोरके पीछे लगा है अर्थात् ताचोर परगनेमें ... है। 9 कुंभाछत खंड, साचोर परगने और ईडर रियासतसे लगा हुआ है। 10 कुंभा . कापलियेके घोड़ी १ अत्यंत सुन्दर थी। II उन दिनोंमें रावल मालदेने पश्चिममें बहुत धरती (प्रदेश) प्राप्त की है। 12 सो पश्चिमके सभी भोमिये रावल मालदेका शासन . .. मानते हैं। 13 कुंभा सीवे रास्ते घोड़ी देने वाला नहीं है। 14 सो कुंभाको बुला कर। .. "
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14.
[ २४६ छै । आदमी ५०० चीधड़ सिलह पैहर सांमा बैठा छै । आदमी - ५०० तोबची जांमकियां लगाय ऊभा रह्या छै । नै मालै इरण बेळा मां घोड़ीरै वास्तै भोमिया भोवा नाईनूं परधांनगी वीच मेलियो । भोवै कह्यो - "रावळजी थांरी घोड़ी मांगै छै ।" भोवै मूंडै कह्यो तठा पहली कुंभो तरवाररी मूंठ हाथ दे वेगो' ऊठियो । रावळरो पिण साथ मूंठे हाथ दे ऊठियो; नै कुंभे भोवानूं कह्यो - "म्हारी घोड़ी रावळनूं देने पर्छ म्हारो पलांण" रावळरी मा ऊपर मांडू, किना'' थारी मा ऊपर मांडू ?" इण प्राछटने " तरवार काढ़ी " । सोर हुवो । कुंभारै माथैरा केस ऊभा हुवा ' # । मुंहडो रातो - चोळ हुवो" । तरै" रावळनूं किणहीक जायने कह्यो — “कुंभानूं मारो तो छो", पिण एक वार रजपूतनूं सूरत चढ़ी छै'", मुंहडो देखण लायक छै ।" तरै रावळ बाहिर आयो, कुंभानूं दीठो ", राजी हुवा, उवार लियो" । कह्यो - "जैतमाळरी बेटी पतीनूं वींद चाहीजतो हुतो सु जुड़ियो" ।” पछै पती कुंभा कांपलियानूं परणाई | तिणरै पेटरा बेटा २ हुवा । खेतो, भोजो । बड़ा रजपूत हुवा । तठा पैहली" राव जैतमालनूं राव जगमाल मालावत मारियो थो सु जैतमालरो माल वैचीजतो थोसु हैंसा ५ किया। तीन तो तीनां बेटांरा किया । एक हैंसो पतीरो कियो ; नै हैंसो १ मालरो कियो नै उजाळो बछैरो जुदा किया था, कह्यो — "ओ हैंसो नै उजाळो बछेरो जैतमालरो वैर लेसी तिको लेसी 25 1 तरै प्रो हैंसो पती लियो । कौ
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I दरवार में बैठा दिया है । 2 पांचसौ आदमी सिलहबख्तर पहन कर सामने बैठे हैं। 3 और पांचसौ तोपची जामगिये ( पलीते ) लगा कर खड़े हैं । 4 और मालेने इस समय भोमिया भाव नाईको उसकी प्रधानगीकी हैसियत से घोड़ी लेनेके लिये भेजा । 5 तुम्हारी | 6 जिसके पहले 1 7 झटपट । 8 को 1 9 दे कर । 10 जीन । II श्रथवा । 12 झपट कर । 13 निकाली । 14 खड़े हो गये । IS मुँह लाल हो गया । 16 तब | 17 कुंभाको मारते तो हो । 18 परंतु राजपूतको 19 कुंभेको देखा। 20 बलैया ली, बलि गया । 21 जैतमालकी बेटीको दूल्हे की श्रावश्यकता थी सो मिल गया । 22 इसके पहले । 23 मालका बँटवारा होता था उसके पांच भाग किये | 24 एक भाग मालका श्रीर उजाला नामके बछेरेका अलग किया गया था । 25 यह हिस्सा और उजाला बछेरा, जैतमाल मारा गया, उस वैरका जो वदला लेगा उसको मिलेगा ।
जो पौरुष चढ़ा है, उसे एक बार ।
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"वैर म्हारा वेटा खेतो भोजो लेसी ।" पर्छ खेते भोजे घरणा धुंकळ जगमालसूं किया । जगमालरा दो भाई मारिया, खेढ़ो वानर जगमाल थो तिणरा सात बेटा मारिया |
इति श्री कांपलिया चहुवांणांरी बात संपूर्ण |
वात खीचियांरी
ही चहुवांण राव लाखणरा पोतरा ।
पीढ़ियांरी विगत—
१. राव लाखण ।
२. बल ।
३. सोही ।
४. महंदराव ।
५. ग्रणहल ।
६. जींदराव ।
७. ग्रासराव ।
८. मांणकराव ।
वात
मांणकरा व आसरावरो बेटो तिणसूं बाप खुसी हुवो, तरै एकरण" दिन श्रासराव मांणकरावनूं कह्यो - "तूं ऊगां प्राथवतां " बीच फिर ग्रावैतितरी' धरती म्हे तोनूं देवां । तरै मांणकराव दिन ऊगतां समो चढ़ियो सु दिन प्राथमियो तितर फिर प्रायो' । इतरी धरती संभररो चढ़ियो, तैरी विगत' – नागोररी पटी, ८४ सारी ही, भदांण इण दीठी, तरै गढ़ कोटनूं ठौड़ ठे विचारी नै प्राथवणनूं ' जायल कांनी'" मांणकराव नीसरियो, तरै उठे ग्वार 14 उतरिया थान ओ" पिए" सारा दिनरो फिरतो भूखो हुवो हुतो उठ कर
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I वैरका बदला मेरे बेटे खेता और भोजा लेंगे। 2 उपद्रव । 3 उसके । 4 जिससे । 5 एक । 6 सूर्य उदय हो कर ग्रस्त होवे । 7 उतनी । 8 तव मारणकराव दिन उगने के साथ ही चढ़ा सो दिन ग्रस्त हुआ तव तक फिर कर लौट आया । 9 सांभरसे चढ़ कर इतनी धरती में फिर कर श्राया, जिसका विवरण । 10 देखी । II पश्चिम की ओर । 12 तरफ | 13 निकला । 14 ग्वारिये लोग 1 ( एक स्थायी आवास-रहित जाति, जो लकड़ी के कंधे श्रादि बना कर बेंचनेका काम करती है ।) IS डेरे डाले हुए थे । 16 यह । 17 भी ।
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[ २५१ नीसरियो;' तरै ग्वारै मनवार कीवी, तरै मांणकराव कह्यो-"क्यूं रांधो अन्न हाजर हुवै तो ल्यावो" सु ग्वारांरै चावळ मूंगांरी खीचड़ी तयार थी सु वाटका एकण मांहै घात ल्याया। मांणकराव चढ़िये हीज खाधी । प्राथणरो बाप तीरै आयो तरै बाप मांणकरावयूँ कह्यो"कितरीहेक धरती फिर आयो' ?" तरै इण वात मांड कही । तरै बाप पूछियो-“कठेही गढ़नूं ठौड़ विचारी छै' ?" तरै इण भदाणरी ठौड़ दाखवी' । तरै बाप कह्यो-"तें सारा दिनमें कठे ही क्यूं खाधो ?' तरै मांणकराव ग्वारांरी खीचड़ी खाधी हुती तिकी वात कही-"जु जायल कनै हूँ आय नीसरियो, तठे ग्वार पड़िया था, त्यांनूं म्हैं कह्यो -"क्यूं रांधो धांन हुवै तो ल्यावो । तरै ग्वारां चावळ मूंगारी खीचड़ी धोबो भरनै15 ऊंठ चढ़िया होज दीवी, सु मैं खाधी'6" तरै बाप कह्यो-“यूं तैं खीचड़ी खाधी तो थांहरी नख खीचीरी दी नै वा धरती दी," नै कह्यो-"बेऊ ठोड़ां भदाणे, जाहल कोट कराय, बेऊ राजथांन कर18।" तरै मांणकराव बेऊ ठोड़ा कोट कराया नै बेऊ राजथांन किया। ____ मांणकराव, अजैराव, चंद्रराव, लखणराव, गोयंदराव, सांगमराव, प्रथीराजरो सांवत गूंदळराव ।
राजा प्रथीराज चहुवांणरी बैर19 सुहवदे जोईयांणी रूसणे० वापरै घरै हुती। तिणनूं खाटूरी भाखरी उणरै बाप माळियो 4
__ I भूखा-थका उधर होकर निकला। 2 तब ग्वारियोंने मनुहार की। 3 कोई रंधा हुया अन्न तैयार हो तो ले आओ। 4 सो एक कटोरेमें डाल कर लाये। 5 मारणकरावने ऊंट पर चढ़े हुए ही खाई। 6 संध्याको बापके पास आया। 7 कितनी धरतीमें फिर पाया। 8 तव इसने सब हकीकत कही। 9 कहीं गढ़ बनवानेकी जगहका भी सोचा है ? 10 तब इसने भदाणकी जगह दिखाई ( जिक्र किया )। II तैने दिन भरमें कहीं कुछ खाया ? 12 तब मारणकरावने ग्वारियोंकी खिचड़ी खाई थी वह बात कही। 13 वहां ग्वारिये डेरे डाले पड़े थे। 14 उनको मैंने कहा। 15 दोनों हाथोंके सम्पुटको भर करके । 16 ऊँट पर
चढ़े हुएको ही दी और मैंने खा ली। 17 इस प्रकार तूने खिचड़ी खायी तो तुम्हारी शाखा ... 'खीची' प्रदान की गई और वह धरती भी तुम्हें दे दी गई। 18 भदाणे और जायल दोनों
स्थानोंमें कोट वनवा कर दोनोंको राजधानी बना लो। 19 पत्नी। 20 नाराजीमें । 21 उसको। 22 पहाड़ी। 23 उसके । 24 महल ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात करायो । इसो' ऊंचो करायो, जिणरो दीयो अजमेर दीसें । तिणसं गूंदळराव हालतो मांडियो सु इसड़ी सुरंग एक वणाई, जिकाहूं उगारै गांवथी सुहवदेरै माळियै छांनो पावै सु प्रथीराजरी बैर अजैदे दहियांणी अजमेर थकां अटकळी ; किणी भांत उण दीवासू, कोइक मरद आवै छै, सु तिका वात प्रथीराज आगे कही, तरै प्रथीराज चोकीरो . घोड़ो थो तिके चढ़नै उडायो,' ने अजाणजकरो" सुहवदेरै माळियारी दोढ़ी गयो । घोड़ो परो छोड़ने । तरै प्रोळियै दोड़ खवर आगै दीवी। वांसाथी' प्रथीराज उतर आयो, सु गूंदळराव तो सुरंग माहै हुय गयो । प्रथीराज आय ढोलिये सूतो । परभात हुवो, सु गूंदळरावर पगांरो जोड़ो उठ रह्यो सु प्रथीराज दीठो' नै वीजा पण माळियारा समाव अटकळ्यिा' तरै सुहवदेनूं प्रथीराज कह्यो-“ो जूतो किणरो.. छ ? अठे कुण मरद आवै छै ?" तरै सुहवदे वेळा दोय च्यार तो टाळाटोळारी कही; तरै प्रथीराजरी झूठी आंख देखी ;11 तर सूधो कह्यो12-"अठ गूंदळराव खीची आवै छै" तरै प्रथीराज प्रापरै घरै फिर
आयो, नै सवारै चामंडराय दाहिमो खीचियां ऊपर जायल फौज दे विदा कियो13 तरै उठाथी गूंदळराव नीसरियो सु माळवै गयो। उठे डोडिया रजपूत रहता, तिणांरै गढ़ १२ हुता तिकै गंदळराव इणांरा . वेटा पोतरा मारनै लिया । मऊ, मैदानो, गागरूण, वालाभेट, सारंग- - . पुर, गूगोर, बार, वड़ोद, खाताखेड़ी, रामगढ़, चाचरणी ।
जायल राजथांन कियो सु गोरारा पोतरा15 खीचीवाड़े गया । ..
I इतना । 2 जिसका दीपक अजमेर में दिखाई दे। 3 जिससे गूदलरावका अनुचित सबंध हो गया सो एक सुंरग ऐसी बनवाई जिससे वह उसके गांवसे सुहददेके महल में गुप्त रूपसे आवे। 4 अजमेर होते हुए ही अनुमान कर लिया। 5 तव पृथ्वीराजने चौकीके .. घोड़े पर चढ़ कर उसे उडाया। 6 अचानक। 7 पीछेसे । 8 पृथ्वीराज प्राकर पलंग पर. सो गया। 9 गूंदलरावके पाँवोंके जूते वहाँ रह गये सो पृथ्वीराजने देखे । 10 और महलके . दूसरे लक्षणोंसे भी अनुमान लगाया। II जब पृथ्वीराजकी ददली हुई अांख देखी । 12 तब उसने सीधासा उत्तर दे दिया। 13 और दूसरे दिन चामंडराय दाहिमाको फौज : . देकर खीचियोंके ऊपर जायलको रवाना किया। 14 जिनके १२ गढ़ थे। 15 गोराके पोते ।
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[ २५३ भदाणों राजथांन राव गालणरो हुवो । जिण' नागोर गीदांणी तळाव करायो । तिण साखरो दूहो - "गींदा हुता भदाणिया, तूंगै जायलवाळ ।"
कवित्त खंड पूंगळ खळभळे, कोट मरवटां टळक्कै । देरावर डिगमगै, लसै वरि हा हा संकै" ।। लुद्रवो थरथरै, छेलपुर नह संग? । भुटां अनै भाटियां सास नीवट्ट नीवट्ट । वीकमपुर वसै न बारही, धूजै धर पाटण पड़े। गींदो रोद्र भदांरिणयो धाए सांमेई धड़े ॥१॥
वात कहै छ गीदारै पच्छिमनूं चौरासी गढ़ हुता; तिणरै बेटो मांहगराव हुवो, तिणरो दूहो
अांखड़ियां रतनालियां, मूंछ अवदां फेर ।
जिण भय कांप गज्जणो, आ गीदांणी केर ।।१।। तिण गूंदलरावरा पोतरा खीचीवाड़े निपट बड़ा रजपूत हुवा। तिणां माहै धारू आनळोत वड़ो दातार, वड़ो जूंझार हुवो । आनानूं सांखलै सीहड़ वडो रजपूत जांण पांगळी बेटी परणाई हुती। पण
कहै छ, पछै अांने तिणनूं सुहागण की । तिणरै पेट धारू वडो दातार, __वडो जूंझार, संसार सिरोमण रजपूत हुवो ।
वात ___ खीची प्रांनो दुकाळ मांहै डोडारै परणियो थोर । सु सासरै जांणनै डोडवाडै जातो थो'1 सु परगना कोटारै गांव सूरसेन गूढा
I जिसने। 2 जिसकी साक्षीका दोहा। 3 खलबली मचती है। 4 डरते हैं। 5 कांपता है। 6 सेनाके सामने दौड़ता है। 7 उनमें। 8 लूली। 9 पीछे प्रानाने उसको सौभाग्य दिया (मानित किया)। 10 खीची पाना दुकालमें डोडोंके यहाँ व्याहा था। II ससुराल जानेके लिए डोडवाड़े जा रहा था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात सूधा' जाय डेरो कियो छ । सु ानारी बहू सांखलीनं आधान छ। सु दसमा ऊपर दिन जाय छै । आनो तिण समै निपट वेखरच छै । सूल सामांन मांमूर कू न छै; सु उठे धारूरी मा कस्टी रातरी; तरै डेरो डांडो साथे, मांमूर क्यूं न छै । तरै पाखती' एक पुराणो वडो देहुरो छ, तठे सांखलीनूं अोळे राखी' । उठे धारू जायो । तर पीढ़ी एकी ऊपर राखियो तठे सापरो विल १ छ, तिण मांहैसू साप
१ नीसरनै12 पोढ़ी दोळी13 परदिखणा14 देने मोहर १, सोनो तोळा __ पांच भररी मेल गयो,15 सु धारूरी मा सारो विरतंत' देखै छै, नै पछै मोहर उरी ली," नै सवारै अांने मांहै प्रायनं वैरनूं कह्यो'"कूच करां पिण खांणानूं सारा गुढ़ारा लोगरै कनै क्यूं न छै ." तर बैर कह्यो-"आज तो मोसौं चालियो जाय नहीं ; नै मोहर वा नानूं सांखली दीवी, कह्यो-'आज तो खरच इणरो करो ।" तरै प्रांनो खुसी हुवो; जांणियो-“सांखली या मोहर अाप कनै19 किणही सूल वेळा-क-वेळानं21 कठैक छांनो राखी हती, स आज गुढ़ारां लोगनं लांघण पड़तौ जांणनै मोनूं दी छै ।" पछै दूजै 4 दिन पिण साप उणहीज भांत पीढ़ी दोळी परदिखणा देने मोहर मेल गयो । सांखली अांनानूं दिन ५ तथा ७ इण भांत साप मोहर मेल जाय; धारूरी मा मोहर उरी लेनै अांनानूं दै । तरै अांनारै मनमें इचरज आयो"म्हारी बैर सासती मोनूं मोहर कठाथी दै छै ?" तरै आठमैं दिन बैरन अांनै मोहररी वात पूछी; तरै वैर वात मांडनै सोहर कहो; नै कह्यो-"अाज थे पिण उण वेळा प्रायनै तमासो देखो।" तरै प्रांनो
I निकट। 2 गर्भ। 3 दसवें महीनेके ऊपर दिन निकल रहे हैं। 4 आनाके पास उस समय खर्च करनेको कुछ भी नहीं है। 5 खाने-पीने आदिका सामान कुछ भी नहीं है। 6 सो वहाँ घारूकी माँको रातमें प्रसव-पीड़ा हुई तो वहाँ डेरे-डांडे आदिका कुछ भी साधन नहीं है। 7 पासमें। 8 मन्दिर। 9 वहां सांखलीको ओटमें रखा। 10 वहां धाल्ने जन्म लिया। II तव सद्यजात शिशुको एक मचिया पर रखा। 12 निकल कर। 13 चारों ओर। 14 प्रदक्षिणा। 15 रख गया। 16 वृत्तान्त । 17 ले ली। 18 और दूसरे दिन यानाने अंदर पा कर अपनी स्त्रीको कहा। 19 पास। 20 किसी . प्रकार। 21 समय-कुसमय। 22 गुप्त । 23 लंघन। 24 दूसरे। 25 अचरज। . 26 मेरी पत्नी निरंतर मुहर कहांसे ला कर मुझे देती है ? 27 सव ।
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[ २५५ पिण उण वेळा' आयो सु ओ साप आयो सु परदिखणा दे मोहर १ मेलनै जावण लागो, तरै प्रानै साप पूछियो-"तूं कुण छै ? नै तूं इण डावड़ारी इतरी इतरी रिख्या करै छै; सु तोनै इण कुण सनमंध छै ?" तर साप मांणसरी' भाखा बोलियो, कह्यो-'आगै इण देस राजा हून वडो महाराज हुवो छै, तिको जीव थारै पेट बेटो हुय आयो छ,' नै उण राजा हननै मो मित्रताई हुती, सु मोनूं तीस चरू10 मोहरांरा भरिया सूपिया1 छै सु इण देहुरै माहै म्हारा बिल कनै इण ठोड़ छै । म्हैं इतरा1 दिन रखवाळी कीवी। हमैं चरू औ थाहरा बेटारा छै। थे इण ठोड़ खिणनै उराल्यो14 नै थे इण ठोड़था15 कठै ही16 आघा-पाछा मत जावो । आ धरती थांहरै बेटांपोतारै सारी हाथ पावसी" । अठै हीज18 कोट करावो ।” तरै सापरै वचनथी प्रांनो अठै रह्यो नै डोडांसूं आप जाय मिळनै कह्यो"थे कहो तो म्हे अठे हीज रहां21 । तरै डोडे कह्यो-“भली वात ।" पछै अांनै उठे कोट करायो । धारू मोटो हुवो, तद धरतीरा धणी डोड हुता। तरै धारू मामा कनै गयो । चाकरी करण लागो । डोडे सपूत
देख भाणेज माथै22 सारी दरबाररी, दीवांणरी मदार राखी। .. पातसाहरी चाकरी डोडांरै वदले धारू करण लागौ। डोड दिन-दिन
गळता गया 4 । खीची दिन-दिन वधता गया । वडी ठाकुराई हुई। पातसाह अकबररी पातसाही ताउं तो निपट जोर साहिबी थी। अकबर पातसाह खीचीवाड़ा ऊपर कछवाहा मानसिंह भगवंतदासोतनूं कुंवरपदै28 फौज दे मेलियो हुतो, तद मानसिंघ खीची रायसल वेढ़
I उस समय। 2 तू कौन है ? 3 लड़केकी। 4 इतनी-इतनी। 5 रक्षा। 6 सो तुझसे इसका क्या संबंध है ? 7 मनुष्य। 8 भाषा। 9 वह जीव तेरे (और तेरी स्त्रीके) पेट पुत्र होकर आया है। 10 चरू, देग। II सौंपे हैं। 12 इतने । 13 अब ये चरू तुम्हारे बेटेके हैं। 14 तुम इस जगहको खोद कर ले लो। 15 से ।
16 कहीं भी। 17 यह सव धरती तुम्हारे वेटे-पोतोंके हाथ आयेगी। 18 यहां ही। : 19 से। 20 मिल करके। 21 तुम कहो तो हम यहां ही रहें। 22 के ऊपर ।
.. 23 आधार। 24 घटते गये, निर्वश होते गये। 25 बढ़ते गये। 26 तक । ... 2७ हुकूमत। 28 कुंवरपदकी अवस्थामें, कुमारावस्थामें। 29 भेजा था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात हुई । मानसिंघ वेढ़ जीती । रायसल वेढ़ हारी । राव प्रथीराज हरराजोत रायसलरो चाकर, राव देवीदास सूजावतरो पोतरो' काम आयो । तठा पर्छ वळे एक वार राव प्रथीराज कल्याणमलोत वीकानेरिया पातसाहजी गढ़ गागुरण दी थी, तद पिण' वेढ़ १ हुई। तिकी राव प्रथीराज जीती । खीची हारिया । पछै पातसाह जहांगीर .. खीचियांसू जोर लागो । मऊ राव रतननूं इनांममें दीवी, कह्यो"मार ल्यो ।” पछै राव रतन जोर मऊसूं खीचियांसू राह हुय लागो । थांणा ४ असवार २००० मऊरा देसमें राखिया। गांव रजपूतांनूं वांट दिया। राव गोयंददास उग्रसेनोत, राव कांन रायमलोत राठोड़ा सिरदारानूं राखिया । पछै राव रतनरा साथ रैनै खीचियां मामला11 ठौड़-ठौड़ घणा हुवा । खीचियांसूं धरती छूटण हाली । राजा सालवाहन पिण राव रतनरै साथ मारियो । दिन-दिन खीची टूटता गया । हाडांरो जमाव हूतो गयो । हाडै खीची मारनै धरती भोग घाती15 । मुदौ मऊ ऊपर सु मऊनूं गांव १४०० लागै । गांव ७०० अगवारै तिकै चौड़े, गांव ७०० पछवाड़े तिणां झाड़ पाहाड घणा ।
राव गोपाळ मऊ, मैदानरो धणी, वडो रजपूत हुवो, पातसाही चाकरी करतो । खीचियांसू और ठोड़ तो गई । घणा दिन हुवा चाचरणी तो वारसां कईक पैहली खीची वाघरी मा, वैर सींधळ हुती तिका जीन साज पैहर-पैहरनै पातसाही फौजांसं केई लड़ाई लड़ी।
I पौत्र । 2 जिसके वाद। 3 फिर। 4 बीकानेर वालेको। 5 तव भी। 6 जिसको। 7 विवश करने लगा, हमला करने लगा। 8 मार करके अधिकार कर लो। 9 पीछे राव रतन मऊके खीचियोंसे राहु होकर पीछे लगा, लड़ाई करने लगा। 10 वांट दिये। II लड़ाइयां। 12 खीचियोंसे धरती छूटनेको चली। 13 राद रतनके साथने राजा सालिवाहनको भी मार दिया। 14 दिन-दिन खीची कमजोर होते गये। IS हाडोंने खीचियोंको मार करके धरतीको अपने अधिकारमें कर लिया। 16 मुख्य आधार मऊके . .. ऊपर। 17 गांव ७०० अागेके चौड़े-मैदानके और ७०० गांव पीछेके जिनमें वृक्ष और पहाड़ बहुत। 18 राव गोपाल मऊ और मैदानका स्वामी। 19 कई वर्पोसे और बहुत समय पहलेसे चाचरणी गांव वाघकी मा, सीवल स्त्री के (सींधलियाणीके) . अधिकारमें था, जिसने शस्त्र धारण करके वादशाही सेनासे कई लड़ाइयां लड़ी।
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कई फौजां मुगलांरी, हाडांरी मारी । पछे सींधळ गोपाळदे मूंई, " तठा पछै नवसेरीखांन चाचरणी लीवी ।
॥ इति संपूर्ण ॥
I मुगलों और हाडोंकी कई फौजोंका नाश किया । गई। 3 जिसके बाद ।
2 जब सींधल गोपालदेवी मर
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वात अणहलवाड़ा पाटणरी
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वनराज वडो रजपूत हुआ । तिको एक नवो सहर वसावणारी मन धरै छै । इण पाटणरी ठोड़ एक कोई गवाळियो प्रणहल नांमै स्यांणो आदमी हुतो' । तिण एक तमासो दीठो हुतो । एकण गाडर वांसै नाहर दोड़ियो । गाडर ग्रागे नाठी' । इण पाटणरी ठोड़ गाडर श्रई तर नाहरसूं सांमी मांड ऊभी रही । तिका वात प्रणहल दीठी हुती । तिको वनराज धरती देखतो फिरै छै; तरै ग्रणहल ग्वाळियो आय वनराज चावड़ानूं मिळियो | कह्यो - "हूं थांनूं सहर वसावणनूं इसड़ी ठोड़ एक बताऊं, जिको वडो अजीत खेड़ो हुवै; पिण थे बोल दो' । क्यूं सहर मांहै म्हारो नांव ग्रांणो' ।" तरै वनराज बोल-कौल दिया" तरै अणहल गाडरनै नाहर वाळी वात कही । तरं हमैं पाटण वसै छै, या ठोड़ चावड़ा वनराजनूं दिखाई । वनराज ठोड़ देख वोहत राजी हुवो ने 'अणहलवाड़ो पाटण' सेहररो नांव दियो । संमत १०१रा वैसाख सुद ३ रोहिणी नक्षत्र मध्यान्ह विजय मोहरत पाटणरा कोटरी रांग भरी । ग्रागै कोई गुजराती लोक भील मलेछ रैहता, सु सारा दूर किया। आबूरी तलहटीरो लोग नवो प्रण' वसायो | वडो सहर वनराज चावोड़े बसायो । अरणहलवाड़ा पाटणरी जन्मपत्रिका लिख्यते " I
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I इस पाटनकी जगह अरणहल नामका एक ग्वाला सयाना आदमी रहता था । 2 उसने एक तमाशा ( श्रद्भुत वात) देखा था । 3 एक भेड़के पीछे नाहर दौड़ा । 4 भेड़ आगे भगी । 5 तव नाहर से सामना करनेको खड़ी रही । 6 ऐसी ।
अजीत होगा । 8 परंतु तुम वचन दो । 9 शहर के 10 तव वनराजने वचन दिया । II इस समय नाम रखा । 13 सम्वत् १०१के वैशाख शुक्ल मुहूर्तमें पाटन के कोटका खांत मुहूर्त किया । जन्मपत्रिका ( इस प्रकार ) लिखी जाती है ।
7 वह गांव नामकरणमें कुछ मेरा नाम भी रखो । 12 और 'अणहिलवाड़ा पाटन शहरका ३ रोहिणी नक्षत्र, मध्यान्ह समय विजय 14 लाकर । IS हिलवाड़ा पाटनकी
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २५६ अणहलवाड़ा पाटणनूं गांव ४५६ लागै छै । तिणमें' तपो गांव ५२ सीधपुर छै, रु० २५०००) उपजतांरी ठोड़। नै पाटण तो आगै वडी ठोड़ हुती, रुपिया लाख ७०००००) री पैदास हुती । संमत १६८२ तथा १६८३ ताउं उपजतां । संमत १६८७ पछै पाटण तूटी । कोळियां सारा गांव सूना किया । हमैं रुपिया २०००००) नीठ उपजै छै । पाटण चारोड़ा भोगवी तिगरी विगत - वरस । मास ।
आसामी। ६० वरस
६ मास वनराज चाप्रो. भोगवी। १० वरस
जोगराज भोगवी। ३ वरस
राजादित भोगवी। ११ वरस
वरसिंघ भोगवी। ३६ वरस
खेमराज भोगवी। २७ वरस
चूंडराव भोगवी। १६ वरस
गूंडराज भोगवी। २६ वरस
भोवंडराज भोगवी।
कवित्त साठ वरस वनराज, वरस दस जोगराव भण। राजादित त्रिण वरस, वरस इगियारा सिंघ सुरण ।। खीमराज चाळीस, वरस इक ऊण' मुणीजै ।
चुंडराव सतवीस, वरस भोगवी भणीजै ।। उगणीस वरस गुंडराज कहि, उगणतोस भोवंड भुह । चामंडराज अणहलनयर, कीध वरस सौ छीनवह' ॥१॥
____ I जिनमें । 2 सम्वत् १६८२ तथा १६८३ तक यह उपज होती थी। 3 कोली लोगोंने पाटनके सब गांवोंको सूना कर दिया। 4 अव रुपये दो लाख मुश्किलसे पैदा होते हैं। 5 चावड़ोंने पाटन भोगी उसका विवरण । 6 तीन । 7 एक वर्ष कम। 8 कहा जाता है। 9 एक सौ. छियानवे वर्ष राज्य किया।
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२६० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात आठ छत्र' चावड़ा कीध पाटण घर रज्जह । वरस एक सौ छिनु गया भोगवी सकज्जह ।। हुए सोळंकियां वरस सौ............ 'सत्तह। हुवा पांच वाघेल वरस भू वीसो सत्तह ॥ पांच सौ वरस चाळीस सु वसुह भार साचो वह्यो। पंचवीस छत्र गूजरधरा अणहलवाड़ो ऊ गह्यौ ॥२॥ सोळंकियां पाटण भोगवी
पहली चावोडांनूं हुती, पछै तोडारो तरफसूं राज, बीज आया; तिांणनूं चावडै परणाया । पछै चावोडारै भाणेज राजरै बेटे वीजर भतीज चावोडांनै मारने पाटण लीवी । इतरां पाटण भोगवी तिण... साखरो कवित्त
मूळू पैंताळीस वरस दस कियो चंदगिर । वलभ अढ़ाई वरस साढ-वारह द्रोणागिर ॥ भीम वरस चाळीस वरस चाळीस करनह। .
एक-घाट-पंचास राज जैसिंघ वरन्नह ॥ कंवरपाळ तीस-त्रिहुं-प्रागळि" वरस त्रिष्ण मुळराज लह। . विलसी ज भीम सत रसह रस वरस साठ अगलीक चह ॥१॥
४५ मूळराज। १० चंदगिर।
२॥ वलभराज। १२॥ द्रोणगिर। ४० भीमदे नानगसुत । ४० करन । ४६ सिधराव जैसिंघदे।
I राजाअोंने। 2 राज्य। 3 वसुधा। 4 पच्चीस । 5 चावड़ोंने उनका विवाह कर दिया। 6 एक कम पचास (४६) 7 तीसके ऊपर तीन (३३) वर्प। 8 तीन । 9 भूमि । 10 साठके अागे चार (६४) वर्ष ।
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३३ कंवरपाळ |
३ बोळो मूळदेव लोहड़ी' ६४ भीमदे मूळराजरो लोहड़ो भाई ।
सोळंकियांरी पीढ़ी
१ आद नारायण ।
२ जुगाद ब्रह्मा ।
३ ब्रह्मरिष ।
४ धोर्मारिष ।
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५ चाच ।
११ राज ।
६ बाळग
१२ मूळराज ।
तठा पछै वाघेलै धरती लीवी । सोळंकी वाघेला आगे जातां
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एक । वाघेला सोळंकियां भिळं । पाटण वाघेलां भोगवी तिण
साखरो कवित्त
७ सुकर ।
८ अरजन ।
जैपाळ ।
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पाळ |
पाटण
गूजर धर भोगवी वरस वीसळ अढारह | जैदेव इकतीस कोट उद्धारह || वीरमदे तेतीस वरस वाघेलां मंडण | वीस वरस लहु करण विढै वैरियां विहंडण ॥ देवराज प्रतापियो चत्र' वरस वदां साख वंसावळी । वाघेल राज प्रणहल नगर वरस सत्त - छव. ग्रागळी ॥१॥ वाघेलांरै पाटण इतरा वरस रही
१८ राव वीसळदे ।
३१ अरजनदे |
३३ वीरमदे |
२० करन गैहलो | ४ देवराज ।
I मूलदेव छोटा जो वहरा था । 12 भीमदेव मूलराजका छोटा भाई । 3 गे जाते सोलंकी और वाघेले एक हो जाते हैं । 4 वाघेले सोलंकियोंमें मिल जाते हैं । 5 दुश्मनोंका नाश करनेके लिये अपने राज्यकालके बीस वर्ष तक कररण लड़ाइयां लड़ता रहा । 6 चार | 7 कहता हूँ । 8 सौ ग्रागे छ वर्ष, १०६, एक सौ छ वर्ष ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात संमत १३०४ माधव वांभण' परधान हुनो। तिण नै वाघेलां विगड़ी ; तरै ो जायनै अलावदी पातसाहनूं ले पायो । मजल-मजलरा लाख-लाख टका दे ल्यायो । पछै धरती तुरके लीवी । पातसाह अलावदी टाकांनूं थांण राखियो हुता सु अलावदी समंदमें नांख अ टाक पातसाह हुवा। वरस ४५ सुलतांन कुतबतारखां ।
३१ फरेखांन । ३३ गदाकर। ३४ अहमंद, जिण अहमदावाद वसायो । संमत १४३७ ।। १० दाऊदखांन । ५८ महमंद वेगड़ो। २५ मुदाफर । २२ सिकन्दर। १२ महमूद। १० वहादुर। १५ महमंद ।
१८ मुदफर' । पछै संमत १६२६ काती सुद १५ अकबर पातसाह गुजरात लीवी। सोळंकियांरी साख इतरी11
१ सोळंकी। २ वाघेला । ३ रहवर । ४ बेहला । ५ वीरपुरा । ६ खैराड़ा। ७ सोझतरा । ८ पीथापुरा। ६ खालत । १० भुथंड, सिंधनूं तुरका । ११ डहर, सिंधमें तुरक छै ।। १२ रूझा सिंध, थटैनूं तुरक छ ।
I ब्राह्मण । 2 उसके और वाघेलोंमें बिगड़ गई। 3 वादशाह अलाउद्दीनने टाकोंको. थाने पर रखा था सो अलाउद्दीनको समुद्र में डाल करके ये वादशाह वन वैठे। 4 कुतुवतातारखां। 5 फरेवान। 6 मुदाफर। 7 अहमद, जिसने सम्बत् १४३७में अहमदाबाद . . . . वसाया। 8 मुजफ्फर। 9 मुहम्मद। 10 मुदाफर। II सोलंकियोंकी इतनी शाखायें . .... हैं। 12 भुयंड शाखाके सोलंकी मुसलमान हो गये, सिंधमें रहते हैं । 13 डहर शाखाके सोलंकी सिंधमें मुसलमान हैं। 14 रूझा शाखाके सोलंकी सिंघ और थट्टेमें मुसलमान हैं।
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वात सोलकियां पाटण
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यांरी
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राज बीज सोळंकी बेहू' भाई तोडारा धरणी, सु यांरो' बाप मुंवो, तरै बीजा दुमात भाई था तिकै राजरा धणी हुआ; नै यां' वेहू भायांनूं धरती मांहीथी परा काढ़िया । सु थोड़ासा साथ सामांनसूं तोडाथी नीसरिया, ' सु कठैक' प्राय रह्या । सुवडो भाई बीज तिको जनम ग्रांधो नै राज देखतो सु बाळक । सु कित रैहेक दिने कठैक धरती नजीक रह्या । वांसला भायां खबर न ली, तरै यां विचार दीठो ; “ठै रह्यां क्यूं नहीं; द्वारकाजीरी जात जावां" " तद द्वारकाजीरी जात चालिया सु कितरैहेक दिन 12 पाटण ग्राय उतरिया । सुपाटण चावोड़ा राज करै छै । सु रावळी वडी घोड़ी थी तिका चरवादार तळाव संपड़ावरण 14 वास्तै ले आयो । यांरो 15 तळावरी पाळ" डेरो छै । बैठा छै । नै पांडव 7 घोड़ियां चढ़ियां प्रावै छै, सु बीज कह्यो - "घोड़ी नीली भला पग मंडै 18 छै । वाखाण करण लागो । तर घोड़ी पांडव यांरै सांमो जोयो, १० ग्रांचो छै नै घोड़ियांरा रंग की जांणै ? तितरै घोड़ी सुसती पड़ी" । तरै पांडव ताजणो वाह्यो तरै बीज पांडवनूं गाळ दीवी, को- “फिट रे, दारियागोला ! लाखरी वछैरीरी प्रांख फोड़ी * ! तरै पांडव को - "दारियो ग्रांधी कासूं कहे "" ?" पांडव घोड़ी ठांण ले गयो " । नै राते घोड़ी ठiण दियो, ,2" बछेरो घोड़ी कांणो जायो” । उ जायने आपरा
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दोनों 2 इनका । 3 मरा । 4 दूसरे । 5 और इन दोनों भाइयोंको अपनी धरतीमेंसे निकाल दिया । 6 तोडासे निकले । 7 कहीं । 8 कितनेक 19 पिछले भाइयोंने । 10 तब इन्होंने विचार करके देखा | II चलें । 12 कितनेक दिनों बाद । 13 राजाकी । 14 नहलानेके | 15 इनका । 16 पाल, ऊंचा किनारा । 17 सईस । 18 नीली घोड़ीकी चाल अच्छी है | 19 प्रशंसा | 20 तब घोड़ीके सईसोंने इनकी ओर देखा । 21 क्या जाने ? 22 इतनेमें घोड़ी धीमी हो गई । 23 तब सईसने चाबुक मारा | 24 तव बीजने सईसको गाली दी, कहा - 'फिट रे दारीके गोले ! एक लाखकी बछेरीकी प्रांख फोड़ दी !' ( दारी = वेटी ) । 25 यह अंधा हमें दारिया क्यों कहता है ? 26 सईस घोड़ीको ठान (तवेले ) ले गया । 27 और रातको घोड़ीने बच्चा दे दिया ('घोड़ी ठांण देखो' मारवाड़ीका एक मुहावरा है; जिसका अर्थ होता है घोड़ी का बच्चा देना ) । 28 घोड़ीने काने बछेरेको जन्म दिया ।
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मुंहता नैणसी ख्यात ठाकुर चावड़ानूं जणायो । वात कही-"इसड़ा आदमी दो भाई, नै ... च्यार-पांच आदमी साथै छै । तळाव उतरिया छै । यां घोड़ीरी वात . मांड* कही । तद पाटणरै धणी चावड़े खबर कराई । कह्यो-"इसड़ा अकलवंत अठे रहे तो राखीजै । पछै पाटणरो धणी आप चढ़ तळाव उणार' डेरै आयो, मिळिया, पूछियो-"कहो, थे कुण छो ? कठै रहो ?" तरै वीज आपरी वात मांडनै कही'-"म्हे सोळंकी तोडारा धणीरा बेटा, म्हारो दूजो दुमात भाई राज बैठो । म्हांनूं धरती माहैसूं परा काढ़िया । सु कितराहेक दिन तो म्हे उठै रह्या । सु हूँ तो अांखै जखम छ,13 नै म्हारो भाई नान्हो थो, तिको उठेहीज रह्यौ । हमें वीज कह्यो-"राज पिण मोटो हुवो, किणीकरै वास रहस्यां । हमार. तो द्वारकाजीरी जात जावां छो16 " पर्छ पाटणरै धणी चाव. वीज, राजरो घणो आदर कियो, विनाही जांणनै कह्यो-“राज म्हारै परणीजो; I" तरै वीज कह्यो-"हूं तो जखम परणीजूं नहीं,18 नै म्हारा भाई राजनूं परणावो।" तरै राज परणियो। इणानं चावो घणो माल, घणा गांव पटै दे राखिया। कितरैहेक दिने चावोड़ीर पेट मूळराज वेटो हुवो," तरै राजनूं वीज कह्यो-"प्रांपै" द्वारकाजीरी जात जावतां वीचमें अठै रह्या, सु हमैं चालो, द्वारकाजीरी जात तो कर आवां ।" सु पाटणसूं राज, वीज बेहूं चालिया। चावोडीनै मूळ राजनूं पाटण राखनै चालिया। सु जाईचे लाखै आ वात घोड़ी नै वछेरावाळी सांभळी छै, सु सांमां आदमी मेलनै देखणरै वास्तै
I उन्होंने जा करके अपने चावड़े ठाकुरको सूचित किया। 2 इस प्रकारके । 3 तालाव पर ठहरे हुए हैं। 4 इन्होंने घोड़ीके संबंधकी सविस्तार बात कही। 5 तव । 6 ऐसे बुद्धिमान यहां रहें तो रखना चाहिये। 7 उनके। 8 कहो, तुम कौन हो ? कहां रहते हो ? 9 तब वीजने अपनी वात विस्तारसे कही। 10 हमारा दूसरा दुमात भाई राज्यकी गद्दी पर बैठ गया। II हमको देशमेंसे निकाल दिया। 12 सो कितनेही दिन हम वहीं रहे। 13 सो मैं तो अांखोंसे अंधा हूँ। 14 और मेरा भाई छोटा था, इसलिये वहीं रहा। 15 किसीके यहां जाकर रहेंगे। 16 अभी तो द्वारकाजीकी यात्राको जा रहे हैं। 17 विना जांच किये ही कहा, आप हमारे यहां विवाह कर लें। 18. मैं तो आंखोंसे अंधा, विवाह नही करू | 19 तव राजका विवाह हुआ। 20 इनको। 21 कितनेही दिन वाद चावड़ीके पेटसे मूलराज उत्पन्न हुना। 22 अपन। 23 यात्रा। 24 रख कर। 25 सुनी है।
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[ २६५ तेडाया । नजीक आया, तरै सांम्हो पाय घणो आदर कर तेड़ लेजायनै, लाखै आपरी बहन राजनूं परणाई । अठै राखिया । लाखारी पूरी साहिनी, सु लाखो नै राज साळो बहनोई आठ पोहर भेळा रहै, नै वीज बाहिर रहै आपरा रजपूतां भेळो । सु राज वीजरी खबर ही ले नहीं । तरै एक दिन वीज राजनूं कहाड़ियो -"थे साळो बहनोई एक हुय रह्या, म्हारी खबर ही ल्यो नहीं, सु म्हे अठै रहां नहीं, म्हे पाटण जावस्यां, मूळराजनूं खोळे बैसाणस्यां" । चावोड़ी थाळी पुरससी सु जीमस्यां नै उठे जाय वैस रेहस्यां ।" सु राज तो लाखारी वड़ो साहिबी सु छोड़ी नहीं नै उठेहीज लाखा तीरै रह्यो, नै वीज पाटण आयो, मूळराज कनै रहै छै । राज लाखा भेळो रहै छ, सु लाखै घणोहीज सुख दियो । राजरै जाडैचीरै पेट राखायच बेटो हुवो।
साळे बहनैईरै घणो सुख छ, सु एक दिन चोपड़ रमता छा, सु राजरा हाथसूं गोट मारतां चिर" फाट उछळी सु लाखारै निलाड़' लागी, सु थोड़ो सो लोही' आयो लाखाजीरै । तरै मन माहै रीस आई लाखानूं, सु कनै भळको पड़ियो थो तिको झालन लाखै सोळंकी राजनूं चूंक लियो,14 सु राजरै थणरै लाग गयो । सु वातकरतां राज सोळंकीरो हंसराजा उड़ गयो” । लाखै घणो पछतावो कियो। जांणियो, परमेसर ! आ किसी उपाध की18 । मोनं किसी कुबुध आई1 । हूंणहारसूं जोर को नहीं । पछै आ वात लाखैरी बैहन जाडैची सांभळी, तरै बळणनूं तयार हुई। लाखो कहण लागो-"बेहनेई म्हारै हाथ मुंवो । प्रा बेहन वांसै बळे, भाणेज
____I बुलाये। 2 लाखेने अपनी बहनका राजके साथ विवाह किया। 3 आठों पहर शामिल रहते हैं। 4 कहलाया। 5 मूलराजको गोदमें विठायेंगे। 6 चावड़ी थाली परोसेगी सो जी मेंगे और वहीं जाकर वैठ रहेंगे। 7 राजको जाड़ेचीके पेटसे राखाइच नामका पुत्र हुआ। 8 थे। 9 खपची, फटनका टुकड़ा। 10 ललाट । II खून । 12 वीं । 13 पकड़ कर। 14 मार दिया, घुसेड़ दिया। 15 सो राजकी छातीमें लग गया।
16 तुरंत । I| प्राण उड़ गया। 18 जाना, हे परमेश्वर ! यह कौनसी उपाधि मैंने कर ली। .. 19 मुझे कौनसी कुमति आ गई। 20 होनहारसे कोई जोर नहीं। 21 सुनी। 22 तव . सती हो जानेको तैयार हुई। 23 बहनोई मेरे हाथसे मरा । 24 यह बहिन उसके पीछे
जले ( सती हो जाये ।)
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नान्हों, इणांरो दुख कर मरे तो इतरी हत्या मोसूं सांखवी न जाय" ।" तरै लाखो पेट मारणनूं तयार हुवो, बडो अनरथ हूण लागो । तर लाखारै घर मांहे कारणी मांणस था, ' तिकां जाड़ेचीनूं घणो हठ कर वळतीनूं राखी । पिण जाड़ेची कहै - " थे म्हारो कुरुवा - रथ करो छौ' ।" पिरण मांडां राखी' । तरै लाखानूं जाड़ेची कहाड़ियो - " तैं म्हारो धणी मारियो नै मोनूं वळण न दे है, तो तूं मोनूं मुंहड़ो मत दिखावे" ।” लाखे वात कबूल कीवी । ति पापरा लाख घणा दान - पुन्य किया 10 घरणा संस नेम लिया ने लाखो घणो दुख करै छै'' । उण श्रोळजरो लियो लाखो भांजनूं कदेही छाती ऊपर थी ग्रळगो करें न छै 1 सारी साहिवीरी मदार राखायच ऊपर छै । कोई राखायचरो हुकम लोप न छै ।
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वात पाटण चावोड़ांथी सोलकियां रे यावे जिगरी"
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पाटण चावोड़ो चावंडराज धणी हुतो सु मुवो । तिरै च्यार बेटा, लायक सारीखै माथै ' " । च्यारांई भायां ग्रांटी करी, ग्रहस हुई - " । तरै वीच मांणसे फिरने कह्यो " " सिंघासण, छत्र वीच
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I भानजा छोटा है | 2 इनका दुःख करके यह मर जाय तो इतनी हत्याएं मेरेसे सहन नहीं हो सकतीं । 3 तव लाखा पेटमें कटारी मार कर मरने को तैयार हुआ, वड़ा अनर्थ होने लगा । 4,5 तब लाखाके घरमें जो विवेकशील मनुष्य थे उन्होंने जाड़ेचीको सती होने से हठात् रोका। 6 परंतु जाड़ेची कहती है कि ( मुझे सती होनेसे रोक कर ) तुम मेरा अनिष्ट कर रहे हो । 7 परंतु बलात् रोक दिया । 8 कहलाया । 9 तूने मेरे पतिको मार दिया और अव मुझे उसके पीछे सती भी नहीं होने देता है, तो तू मुझे अपना मुंह मत दिखा | 10 उस पापके प्रायश्चित्त रूपमें लाखेने बहुतसे दान-पुन्य किये । II और कई शपथ और नियम पालन करनेका निश्चय किया और लाखा बहुत अनुताप करता है । 12 इस विरह-विरसको ले कर लाखा कभी अपने भानजेको अपनी छाती से दूर नहीं करता है । 13 सारी हुकुमतका दारोमदार राखाइच ऊपर है । 14 पाटनका शासन चावड़ोंसे छूट कर सोलंकियों के अधिकार में श्रा जाता है, उस घटनाकी वात । IS उमर लायक और समान प्रकृतिके । 16 चारों भाइयोंने हठ किया और परस्पर टंटा हो गया । 17 तब मनुष्योंने बीचमें पड़ कर
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[ २६७ .. सेलो' । च्यारे ही भाई सिंघासणरी पाखती बैसो । कामदार परधान
काम चलावसी । हासल आवसी सु च्यारै भाई वांट लेसी । रजपूत च्यारांनूं प्राय जुहार करसी ।" तरै प्रा वात च्यारांई कबूल कीवी। कितराइक दिन इण भांत काम चालै छै । सोळंकी बीज अठै आयो। बीजरो भाई राज चावोडारै परणियो थो। तिणरै पेट मूळराज बेटो हुवो थो सु चावड़ारो भाणेज छै । नै राज तो लाखाजी कनै रह्यो नै राजरो बेटो पाटण छै । तठे बीज प्रांधो प्राय रह्यो छै । सु चावड़ा च्यारूई तीजे-पोहररा' नदी सासता झूलण जाय तरै' कहै-“सिंघासण, गादी, छत्ररी रखवाळीनूं किणनूं राखसां'" । प्रापांनूं तो पोहर दो पोहर उठे लागसी ।" तरै च्यारै भायां चावड़ां विचारनै कह्यो"अठ वांस भाणेज मूळराजनूं राखो । ओ गादी बैस वांसलो कामकाज चलावसी ।' सु इण भांत मूळराजनूं वासै गादी बैसाण जाय । श्राप प्रावै तरै गादी उरी लेवै । सु मूळराज वळ-बळ आवटै15 । तरै बीज एक दिन अांधै-अांधै आपरा भतीजा मूळराजरी छाती हाथ फेरनै कह्यो-"बेटा ! इतरो दूबळो कुण वास्तै ?" तरै मूळ राज गादी बैसाण उठावरणरी वात सारी काकानूं कही । तरै बीज कह्यो-'आज तोनूं वांसै राखै तरै तूं मत रहै।" चावड़ा कहसी, कुण वास्तै ? तरै तूं कहै, “म्हारो हाल-हुकम को मानै नहीं, तो हूं इण गादी बैसनै कानूं करां19 ?" तरै चावड़ा बेअकल हुता सु कामदारांपरधांनां सारांनूं तेड़नै कह्यो -"मूळराज कहे सु किया करजो।"
. I सिंहासन और छत्र बीचमें रख दिये जाय। 2 चारों ही भाई सिंहासनके पास वैठ जाओ। 3 मालगुजारी आयेगी वह चारों भाई बाँट लेंगे। 4 राजपूत (ठाकुर लोग) चारोंको पाकर जुहार करेंगे। 5 जिसकी स्त्रीकी कोखसे मूलराज नामका बेटा हुआ था जो चावड़ोंका भानजा है। 6 पास । 7 तीसरे पहर । 8 निरंतर नहानेको जावें। 9 तब । 10 किसको रखेंगे। II अपनेको तो पहर दो पहर उधर लग जायगी। 12 यहां पीछे अपने भानजे मूलराजको रख दो। 13 यह गद्दी पर बैठ कर पीछेका काम-काज चलायेगा । 14 ये पावें तब उससे गद्दी ले लेते हैं। 15 इससे मूलराज (अपमानकी ज्वालासे) जल कर दुखी होता है। 16 वेटा ! इतना दुर्बल क्यों ? 17 आज तुझको (गद्दी पर बैठनेके लिए) पीछे रखें तो तू मत रहना । 18 मेरी आज्ञा कोई मानता नहीं। 19 तो मैं इस गद्दी पर बैठ करके क्या करू ? 20 चावड़े मूर्ख थे इसलिये उन्होंने अपने कामदार-प्रधान इत्यादि सवको बुलवा कर कहा।
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तठा पर्छ मूळराजरो हाल - हुकम हालण लागो' । न चावोड़ांरी जांणहार, सु दिन घड़ी ४ चढ़तेरा वागां, बावड़ियां, तळाव सैल जाय सुरात घड़ी ४ गयां पाछा घरे ग्रावै । नेजे मीर वाळी वात मांड रही छै । राजरी को खवर लै नहीं" । कांमदार रजपूत सारा चावड़ांथी श्रखता' हुय रह्या छे । मूळराजरो हाल हुकम हुवो । सु मूळराज वडो राहवेधी छै । वीज काकी ग्रांधो वलाय-रा-बंधरा है' सु चावड़ांरो माल ऊधमनै' सारा रजपूत, कांमदार, खवास, पासवान, महाजन लोग सारा ग्रापरा कर राखिया छे । सारांरो दिल हाथ लियो" । हमैं धरती लेणरो विचार वीज ने मूळराज करे छे। सु मूळराजरी मा छांनी कठैक रहने वात सुरगती हुती, सु किणही सूल उपरा पग वाजिया । तरै काके वीज कह्यो - " मूळराज, देख ! किणरा
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पग वाजिया " " तरे मूळराज वांस दोड़ियो" । श्रागे देखें तो आपरी मां छै, तिका मूळराजने देखने कहण लागी - " तूं नै थारो काको म्हारा भायांनूं मारणरो विचार करो सु कुरण वास्ते ? इणां थांसूं कासूं वुरो कियो ?" तरे मूळराज मानूं कह्यो - "थांनूं काकोजी तेड़े छै" " या नीचे पावड़ियां उतरण लागी, तरै इण दिठो – “ग्रालोच वार फूटसी ; धरती हाथ नहीं आवै । तरै माथै महँ भटकारी दी, माथो तूट पड़ियो । काका कनै पाछो आयो । काके बीज पूछियो
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I जिसके बाद मूलराजकी ग्राज्ञा चलने लगी । 2 और चावड़ोंकी जाने वाली (चावड़ोंका शासन जानेका संयोग ) । चार घड़ी दिन चढ़ते ही । 4,5 वागों, वावड़ियों और तालावों पर सैर करनेको चले जायें जो चार घड़ी रात बीत जाने पर घर पर लौटते हैं, मीर नेजेके समान अपना ग्राचरण बना रखा है। 6 राज्यकी कोई खबर नहीं लेता । 7 क्रोधित, नाराज | 8 मूलराज बड़ा दूरदर्शी है । 9 उसका अंधा चाचा वीज गजवका चतुर है, खूब चालाक है | 10 खर्च करके । II अपने बना लिये हैं । 12 सबके दिल अपने हाथमें ले लिये 1 13 व वीज और मूलराज पाटनकी धरती अपने अधिकारमें ले लेनेकी सोच रहे हैं । 14 सो मूलराजकी माँ कहीं छिपी रह कर बात सुनती थी । 15 सो किसी प्रकार उसके पाँवोंकी आहट हो गई । 16 यह किसके पाँवोंकी ग्राहट हुई ? 17 तव मूलराज पीछे दौड़ा। 18 इन्होंने तुम्हारा क्या बुरा किया ? 19 तुमको काकाजी बुलाते हैं | 20 यह सीढ़ियोंसे नीचे उतरने लगी । 21 तव इसने देखा । 22 मंत्ररणा वाहिर फूट जायेगी तो फिर यह वरती हाथ नहीं ग्रावेगी । 23 तब उसके सिर में तलवारका झटका मार दिया ।
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[ २६६ "कुण हुतो' ?" तरे मूळराज कह्यो - "म्हारी मा हुती ।" तरं बीज को - " मारणी हुती । तें जाण दी, बुरी कीवी ।" तर मूळराज कह्यो - "जांण न दी छै, मारी छै ।” तरै बीज कह्यो - " वडो कांम कियो । हू थारी अकल - समझसूं बोहत राजी छू । तूं सही पाटणरो धणी हुईस' । थारी वडी साहबी हुसी ।" पछे मूळराजरी मानूं खाडाबूज करने' बीजै दिन रजपूत ग्राप वळू किया था सुसारा भेळा करने चावड़ा भूलता था तठे ऊपर गयो पाटण मूळराज ली । बीज सवणी हुतो, " आपणां घरसूं पाटणरो राज नहीं जाय" । "
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सारा कूट मारिया ' । कह्यो - "इतरी पीढ़ी
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वात एक जाड़ेचा लाखानू सोल की मूलराज मारियांरी
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मूळराज पाटण धणी छै । मूळराजरो भाई राखाइच लाखा जाड़ेचारो भांणेज लाखा कनै कैलाहकोट रहै छै । सु लाखो जाड़ेच सूतो पाछली रातरो जागे, 14 सबळी धाह दे रोव" । लाखारै साहिबीरी मदार सारी भांज राखाइच सोळंकी ऊपर छै" ।
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एक दिन राखाइच लाखा फूलांणी मांमांनूं कह्यो - "थे पाछली रातरी धाह दे सासता रोवो छो सु थांनूं इतरो कासूं दुख छै" ?"
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I कौन था । 2 मेरी मां थी । 3 मार देनी थी । 4 बहुत अच्छा काम किया । 5 तू निश्चयपूर्वक पाटनका स्वामी होगा । 6 तेरी बड़ी हुकूमत होगी । 7,8 फिर मूलराजकी मांको खड्ड में दूर करके, दूसरे दिन जिन राजपूतोंको अपने पक्षमें कर लिया था उन सबको इकट्ठा करके जहां चावड़े नहा रहे थे, वहां उन पर चढ़ कर चला गया । 9 सवको मार दिया । 10 वीज शकुनी था । II इतनी पीढियों तक अपने घरसे पाटनका राज्य नहीं जायेगा । 12 जाड़ेचा लाखाको सोलंकी मूलराजने मार दिया उस घटनाकी एक बात 1 13 मूलराजका भाई राखाइच जाड़ेचा लाखाका भानजा, लाखा के पास कोलाहकोट में रहता है ( कच्छ - कलाधरमें 'राखाइच' का नाम 'लाखाइत' और 'कैलाहकोट' का नाम 'केराकोट' लिखा है | ‘कपिलकोट' से बिगड़ कर 'केराकोट' हो जाना बताया गया है । 14 लाखा जाड़ेचा सोता हुआ पिछली रातको जाग जाता है। 15 जोरसे चिल्ला कर रोता है । 16 लाखाकी हुकूमत का सारा दारोमदार अपने भानजे राखाइच सोलंकी पर है । 17 तुम पिछली रातको बड़े जोरसे निरंतर रोते हो सो तुमको इतना क्या दुःख है ?
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लाखे पाछो जवाव तो राखाइचनूं क्यूं दियों नहीं ने आपरी' नावरा खास मलाह था तिणनूं कह्यो - "सवारें" भांज राखाइचनूं नाव वैसांणनै फलांणै विट मेलने थे नाव तुरत ल्यावजो उरी ।" पछै राखाइचनं तेड़ने कह्यो - "थे नाव वैसने एक बार समंदर तमासो देख प्रावो ।” तरै नाव वैसने राखाइच दरियावरो तमासो देखा गयो । मलाहे लाखे ठोड़ वताई तठे उतारने मलाह राखाइचनूं विग पूछियां नाव उरी ले प्राया । राखाइच उरण विंट ऊपर गयो । ग्रागै देखे तो डांडी एक मांणस ग्रावणरी छै, ' तिण डांडी राखाइच चालियो जाय छै । श्रागै देखे तो वडी मोहलायत छ,' तिण मांहिसूं प्रपछरा पांच-सात सांम्ही भांणेज ! भाणेज ! करती ग्रावै छै । राखाइच देख हैरान हुआ । इण पूछियो- "थे कुण छो' ? श्रे मोहल किणरा छे" ?" तरै उ ग्रपछराने कह्यो - " मोहल लाखाजीरा है । म्हे लाखाजीरी बैरां छां" ।” नै एकण ढोलिया ऊपर मरद पोढ़ियो छे, तिको
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दिखायो' । कह्यो–“ ग्रा लाखाजीरी देह छै ।" तरै राखाइच अपछरावांनूं पूछियो - " लाखाजी धाह कुरण वास्तै दे छै ?" तरै उण को- "लाखोजी पोढ़े छे तर लाखाजीरो जीव श्र श्रावै छै । इण देहमें प्रवेस करने म्हांसूं हसे रमे छे । पछे जागे छे तरे जीव उठे आवे छै, तिन वास्तै धाह दे छै ।" तरै राखाइच दीठौ - "ग्रा वात सत छं ।" तरे राखाइच श्रपछरावांनूं पूछियो- " तो लाखाजीरो मोहल सु तो वात जांणी, पिण ऊपर में वीजा मोहल दीसै तिकै किरा छै ?" तरै पछरा कह्यो - "हमार तो किणहीरा न छे, 16 ने वापर वैर
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I अपनी | 2, 3 कल सवेरे भानजे राखाइचको नाव में बैठा कर ग्रमुक टापू पर छोड़ करके तुम नावको तुरंत वापिस ले याना । 4 बुला कर 15 राखाइचको विना पूछे नाव ले प्राये | 6 ग्रागे देखता है तो मनुष्योंके आनेकी एक पगडंडी दिखाई दी । 7 आगे बड़ा महल दिखाई देता है । 8 जिसमेंसे पांच-सात अप्सराएँ भानजा ! भानजा ! वोलती हुई सामने आ रही हैं । 9 तुम कौन हो ? 10 ये महल किसके हैं ? II हम लाखाजीकी स्त्रियां हैं 1 12 और एक पलंग पर मनुष्य सोया हुआ है, उसको दिखाया | इतने जोरसे क्यों रोते हैं ? 14 इसलिये । 15 किन्तु ऊपर ये दूसरे महल दिखाई देते हैं वे किसके हैं ? 16 अभी तो ये किसीके नहीं हैं ।
13 लाखाजी
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सांमरै कांम, धणीरा मुंहडा प्रागै बाज मरै सु औ मोहल पावै ।" पछै रातै राखाइच उठै रह्यो, नींद आई, सवारै लाखा कनै जागियो' । तठा पछै राखाइच उण लोक जांणरी मनमें धारी'; नै लाखारै पाटहो महुवोथो उण चढ़ने पाटख मूळराज कनै गयो । भाईनूं राखाइच लाखारी सारी ठाकुराईरो भेद बतायो । मूळराजनूं कह्यो - " हमार' दीवाळी छे । सारा साथनूं लाखेजी सीख दी छै । कदै वैर वाळणरी मनमें छै तो फलांणी तेरीख वेगा आवजो ।" राखाइच कहनै पाछो आयो । वांसै मूळराज सवळो कटक करने लाखोजोरो आठ कोट हुतो तठे ऊपर आयो । नै लाखो पायगा प्रायन उण घोड़ा ऊपर हाथ फेरियो, रज लागी आई' । तरै लाख कह्यो - " ग्रा तो रज
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हलवाड़ा-पाटणरी छै । इण घोड़े कुरण चढ़ कठी गयो हुतो ? तरै पांडव कह्यो–“राखाइच चढ़ गयो हुतो ।” तितरै राखाइच पिण मुजरै आयौ । लाखोजी देख मुळकिया " । कह्यो - "भांणेज ! भवांवळा हुआ ?" राखाइच वात कबूल की । तितरै खबर आई, कह्यो"कटक आयो ।” तरै राखाइच लाखाजीरै मुंह आगे सांमरै कांम बापरे वैर बाज मुवो नै लाखोजी पिण कांम आया नै राखाइच उण लोक प्राप्त हुवो ।
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1 और अपने बाप के बैरका बदला लेनेके लिये, स्वामीके काम के लिये स्वामी के सन्मुख लड़ कर मरे वह इन महलोंको पावे । 2 प्रातःकाल लाखाके पास जागा । 3 जिसके बाद राखाइचने उस लोक में जानेका मनमें निश्चय किया । 4 और लाखाके पास जो जवान महुवा घोड़ा था उस पर चढ़ करके मूलराजके पास गया । 5 अभी । 6 सभी मनुष्योंको लाखाजीने छुट्टी दी है । 7 जो कभी वैर लेनेका बदला लेनेकी मनमें हो तो अमुक तारीख पर जल्दी आ जाना | 8 पीछे मूलराज जबरदस्त कटक तैयार करके लाखाजीका बनवाया हुआ आठ कोट था, उस पर चढ़ कर आया । (सौराष्ट्रमें जाम लाखाने भादर नदी के किनारेके पहाड़ी प्रदेशमें सात किले (कोट) बनवाये थे और इस आठवें कोटका 'नाम उसने 'ग्राठ कोट' रखा था, जो अव 'आठ कोटके' नामसे पसिद्ध है । आठ कोट, राजकोट से ३० मील दूर ग्रग्निकोणमें वसा हुआ है । 9 हाथमें रज लग आई । 10 इस घोड़े पर कौन चढ़ कर कहां गया था ? II इतनेमें राखाइच भी मुजरा करनेको श्रायां । 12 लाखाजी देख कर मुस्कराये । 13 भानजे ! धोखा विचार लिया ?
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मुंहता नैणसीरी ख्यात वात रुद्रमालो प्रासाद सिद्धराव करायो तिणरी'
राजा सिद्धराव रातै सुवै तरै सुहणा माहै देखै प्रिथीरो रूप . . धारनै राजा कनै प्रावै । कहै-"एक मोनूं ग्रहणो सखरो दीजै । राजा सासतो सुपनो देखै; तरै पंडितां सुपन-पाठीकानूं पूछियो - "प्रिथी वैररो रूप धार ग्रहणो मांगै छ, सु कासू कीजै ?" तरै पंडित कह्यो-"प्रथोरो ग्रहणो प्रासाद छै। राज प्रासाद करावो ।” तरै राजारै मनमें आई-"जु एक इसड़ो देहुरो कराऊं जिसड़ो' म्रत्युलोक मांहै अचंभो हुवै ।" सु हमैं देस-देसरा सूत्रधार तेडीजै छ । कारीगर देहुरारी जिनस मांड दिखावै छै, पिण राजारै मन काय तरह दाय .. नावै छै । तिण समै खाफरो चोर नै काळो चोर नांवजादीक छै । ... तिकै दीवाळीरै दिन जूवै रमिया, तरै खाफरै तो राजा जैसिंघदेरो चढ़णरो पाटहड़ो घोड़ो कोड़ीधज आडियो नै काळे काइक वीजी वस्त आडी छै । काळो सीरोही तीरै आगै उभरणी सहर छै. त? रहै छ,13 सु काळो जीतो, खाफरो हारियो, तरै कह्यो-"घोड़ो कोड़ीधज प्रांण दे14 ।" तरै खाफरै कह्यो-"पावती दीवाळी उरौ प्रांण देईस ।' तरै खाफरो पाटण गयो, मजूररो रूप करनै । घोड़ा कोड़ीधजरै ठाण द्रोवरी पोट ले जायनै सैंधो हुवो" । पछै द्रोवरी .. पोट फिटी करनै ढाणियो हुय रह्यो । घणी खिजमत करै, इण मांहै घणी कळा'" । राजा सदा कोडीधजरै ठाण आवै, सु इणसूं
I सिद्धरावने रुद्रमहालय प्रासाद करवाया जिसकी बात। 2,3 राजा सिद्धराव रातमें जब सोता है तो स्वप्नमें देखता है कि पृथ्वी स्त्रीका रूप धर कर राजाके पास आती है और कहती है कि एक मुझे अच्छा गहना दिया जाय । । तब पंडितों और स्वप्न-पाठकोंसे । पूछा। 5 सो क्या करना चाहिये ? 6 ऐसा। 7 जैसा। 8 शिल्पी लोग देहरेका चित्र .. ( मॉडल ) बना कर दिखाते हैं। 9 परंतु राजाको वे किसी प्रकार पसन्द नहीं आते हैं। 10 उस समय खाफरा चोर और काला चोर प्रसिद्ध हैं। II दाव पर लगाया। 12 और कालेने किसी दूसरी वस्तुको दांव पर लगाया है। 13 वहाँ रहता है । 14 ला कर दे। .. 15 आने वाली दिवाली पर ला कर दे दूंगा। 16 परिचित हुआ। 17 पीछे दूर्वकी पोट : लाना छोड़ करके घोड़ेकी ठान साफ करनेकी नोकरी पर रहा। 18 सेवा करे। 19 इसमें कला वहुत ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २७३ खुसी हुयनै घोड़ा कोड़ीधजरो खाफरानूं पांडव कियो । सु खाफरो घणी खीजमत करै । राजा कोड़ीधजरै ठांण सदा घड़ी दोय बैसे' सु राजा देहरारी वात सदा करै । "कोई उसड़ो कारीगर जुड़े तो देहुरो कराऊं" । पिण कारीगर जुड़े नहीं । सु आ वात खाफरो सदा सुणै । दीवाळी निजीक आई तरै खाफरो रात घड़ी ४ गई घोड़ानूं छोड़ नै कोट कुदाय नै ले नाठो । नै राजानूं परभात खबर हुई, पांडव घोड़ो ले नाठो । तरै राजारो साथ कहण लागो “वाहर चढ़ां' ।" तरै राजा कह्यो "उणनं कुण आपडै ? वांस को मत चढ़ो' ।” सु वाहर तो को वांस चढ़ियो नहीं । नै खाफरो रात पोहर १ पाछली थकी आबू निजीक उठे उतरियो,1 । जांणियो "हू तो कुसळे पड़ियो । अटै घड़ी १ बैसां ।" यिऊं ही उतर बैठो। तितरै13 धरती फाटण लागी । तरै इण जांणियो “ो कानूं छै?" सु धरती
मांहिथी देहुरो १ नीसरै छ, सु पैहली तो देहुरारा तीन ईंडा' सोनारा ...', नोसरिया;16 पछै सिखर नीसरियो । पछै मंडप धड़ाबंध' नीसरियो।
तठे घणा देवी-देवता आइ नाटक मांडियो, सु खाफरो पिण जाइ एकै गोख मांहै जाय बैठो। रात घड़ी २ पाछली हुती; तरै नाटक पूरो हूंण लागो । तरै देवता उपरम करण लागा सु खाफरो मांहे बैठो सु देहुरो खिसै नहीं । तरै देवता कहण लागा-"जोवो को मांणस छ ।” तरै जोवै तो खाफरो लाधो । तरै देवताए खाफरानूं पूछियो-- "तू कुण छ ?" तरै खाफरै प्रापरी वात मांडनै कही । देवतांनूं देहुरारी वात पूछी--"जु ओ देहुरो वळे अठै कदै नीसरै छै1?' तरै देवताए कह्यो-"दीवाळीरी रातरै दिन वरस एक माहै नीसरै छै। एक आज
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___ I सईस बना दिया । 2 बैठता है। 3 वैसा । 4 प्राप्त हो । 5 यह । 6 भाग गया। 7 पीछा करें। 8 उसको कौन पहुँचे ? 9 पीछे कोई मत चढ़ो। 10 इसलिये पीछे वाहर तो कोई नहीं चढ़ा। II और खाफरा एक पहर पिछली रात रहते भावूके पास जा कर उतरा। 12 विचार किया कि मैं तो कुशलपूर्वक निकल आया । 13 इतनेमें । 14 यह क्या हो रहा है ? 15 कलश । 16 निकले । 17 सम्पूर्ण। 18 तव देवता लोग देहरेको पृथ्वीमें प्रवेश कराके अदृश्य करने लगे । 19 देहरा खिसकता नहीं। 20 देखो। 21 यह देहरा पुनः यहां कव निकला करता है ?
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मुंहता नैणसीरी ख्यात नीसरियो हुतो नै सवारै परसूं वळं नीसरसी' ।" तरै खाफरो देहुरारी गोखैथी परो उठियो । देहुरो परो उपरमियो । खाफर कोड़ीधज चढ़नै पाटण पाछा उड़ाया' । मनमें जाणियो-"मैं सिधराव जैसिंघदेरो लूंण वरस दिन खाधो छ,' नै सिधरावर देहुरारी वोहत चाह छै; ओ देहुरो हूँ सिधरावनूं देखाऊं; ज्यूं राजा इसड़ो देहुरो करावै, राजारो प्रथी मांहे अमर नाम रहे।" सु खाफरो दिन घड़ी ४ चढ़तां पाछौ पाटण आयो । घोड़ो ठांण बांधनै सिधरावरै मुजरै आयो । राजा वात पूछी-"कुण काम गयो हुतो' ? पाछो किण विध आयो ?" तरै पैहली तो कोड़ोधज हरियारी वात मांड राजानूं कही । पछै देहुरारी वात कही- "मैं जांगियो रावळे देहुरो करावणरी मनमें चाहि घणी छ । मैं रावळो लूंण घणो खाधो हुतो । मैं आज रातै एक प्रावूरै कना इसड़ो देहुरो दीठो' ।आज बळ देहुरो नीसरसी। जांणियो,' राजानूं देहुरो दिखाऊं । राज उसड़ो देहुरो करावै, रावळो अमर नाम रहै।" तरै14 राजा वात मांनी । तिणहीज15 घड़ी खाफरो नै सिधराव दोनूं घोड़े चढ़नै उण ठौड़ आबूरी तळहटी गया। घोड़ो अळगो. वांधनै उण ठौड़ जायनै बैठा । वा वेळा हुई, तरै धरती फाटणं लागी, देहुरो नीसरण लागो। तरै खाफरो सिधराव सूतो थो सु जगायो । राजानूं देहुरो नीसरतो दिखायो । तितरै17 देवी-देवता केई
आया। आखाड़ो मांडियो। राजानै खाफरो वेऊ18 झाडांसू नजीक घोड़ो बांध नै देहुरारै गोखै मांहै जाय बैठा। सारो तमासो दीठो । रात घड़ी ४ पाछली रही, तरै देहुरो देवता उपरमण लागा। राजा नै खाफरो देहुरारा गोखै मांही वैस रह्या। देवताए
I निकलेगा। 2 तव खाफरा देहरेके गवाक्षसे उठ कर चला गया। 3 देहरा लोप हो गया। 4 खाफरा कोड़ीध्वज घोड़े पर चढ़ कर उसे वापिस पाटणकी ओर उड़ा दिया। 5 मैंने वर्ष-दिनों तक सिद्धराव जैसिंहदेका नमक खाया है। 6 ऐसा। 7 किस कामके लिये गया था। 8 हर कर ले जाने की। 9 आपको। 10 मैंने श्रीमान्का बहुत नमक खाया था। II देखा। 12 विचार किया। 13 वैसा । 14 तव । 15 उसी समय । 16 वह समय । हुआ। 17 इतने में। 18 दोनों। 19 वृक्षोंसे । ..
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[ २७५ दीठो'-"रात तो हमैं काई नहीं, देहुरो उपरमै नही, सु कुण वास्तै ?" तरै सारै मिळनै कह्यो-"च्यारूं तरफ देहुरारी देखो, कोई कठैई माणस तो छै नहीं ?" आगै देखै तो गोखड़ारै मांहै आदमी दोय बैठा; तरै पाछै देवताए जायन इन्द्र कह्यो--"एक आदमी काल वाळो नै एक को वळे* अादमी देहुरारा गोखा मांहै बैठा छ । म्हे तो ऊणानूं कह्यो, थे परा जावो, वे जाय नहीं। “तरै इन्द्र आप राजा खाफरा कनै आयो । इणानूं पूछियो--"थे कुण छो ?" तरै राजा आपरो नांव कह्यो । तरै इन्द्र देवता कह्यो-“रात गळी, थे परा ऊठो, ज्यूं म्हे देहुरो ले जावां ।" तरै राजा कह्यो-"म्हारै इसड़ो देहुरो करावणो छै, मोनूं इसड़ा देहुरारो करणहार वतावसो तरै अठाथी हूं उठीस' ।" तरै देवताए सिधरावनूं गोळी ७ दीनी । कह्यो-"झै गोळी ऊपरा-ऊपर चाढ़सी तिको थानें इसड़ो देहुरो कर देसी । “तरै राजा नै खाफरो गोळी लेने देहुराथी परा ऊठिया। देहरो नै देवता कवळासिया11 । राजा नै खाफरो पाछा पाटण पाया। सिधराव खाफरानूं सिरपाव कोड़ीधज देनै विदा कियो । नै सिधराव कारीगरांनूं देस-देस तेड़ा मेलिया । देस-देसरा कारीगर प्राय भेळा हुवा । राजा वां कारीगरां प्रागै गोळी मेली, सु किणही कारीगरसूं गोळी ऊपर गोळी चढ़े नहीं। राजा सासतो मोहरत थापै, आपरै मन कोई कारीगर मान नहीं । तर मोहरत आघा ठेले सुर या वात सारी प्रिथीमें ही हुई रही छै । सु एक कारीगर हुतो, सु बाप बेटो दोय हुता'" । सो वे ही चालणरो विचार करण लागा । तरै बाप बेटानूं कह्यो-“वाट वाढ़ो'!' तरै बेटो हथोड़ो टांकी
I देवता लोगोंने देखा । 2 रात तो अब शेष है नहीं। 3 सो किस लिये। 4 एक कोई और। 5 हमने तो उनको कहा। 6 तुम चले जाओ। 7 रात बीत गई है, तुम यहांसे उठ कर चले जाओ। 8 जिससे हम देहरेको ले जावें। 9 मुझे ऐसे देहरेका करने वाला वतायोगे तब मैं यहांसे उलूंगा। 10 इन गोलियोंको एक के ऊपर जो चढ़ा देगा वह तुमको ऐसा देहरा बना देगा। I देहरा और देवता लोग अंतर्धान हो गये। 12 और सिद्धरावने शिल्पियोंको बुलानेके लिये देश-देशोंमें बुलावे भेजे। 13 राजाने उन कारीगरोंके आगे उन गोलियोंको रखा। 14 तव मुहूर्तको और आगे खिसकावे। 15 था। 16 थे। 17 मार्ग काटो।
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ले पैंडो वाढै । सु बाप कह्यो - "वेटो परणियो नहीं ।" तरै यूं करतां बाप-बेटानूं तीन ठोड़े परणायो' सु बेटो उण वातमें क्यूं समझ नहीं | तरै चोथी वेळा' वळै' वेटानूं परणायो । सुवहू वत्तीस लक्षणी हुती । सुमांटीनूं वैर पूछियो- "धांनं चार वेळा क्यं पराया ?" तर मांटी कह्यो - "म्हारे बाप मोनूं कह्यो - वाट वाढ़ो।” तर बहू कह्यो - " बाटरी थांनूं' सुसरोजी कहँ तरै तूं यूं कहै - देहुरो यांपै इण भांत करस्यां इण भांत मांडस्यां । यूं बात करजो ।” नै उण बहू कह्यो–“राजा वे गोळी ग्रागै मेलसी"" तरै उण बहू सात वींटी दी, कह्यो - "गोळी ऊपर वींटी मेलन वीजी गोळी चाढ़जो ।” पर्छ, कारीगर राजा कनै आया । पछै सिधराव उण ग्रागे गोळी ७ वे प्रांण मेली 10 | ग्रौ बीच वींटी देतो गयो । साते ही गोळी वींटी वीच दियां ऊपराऊपर चढ़ो । सिधराव कारीगरनं पूछियो- " वींटी कासूं ?" तरं कारीगर कह्यो - " बीच थर हुसी " । " तरे राजारै जमै - खातरी हुई । उणं कारीगरां देहुरो तयार कियो । वरस १६ देहुरो करतां लागा । कई हजारों कारीगर लागता |
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संमत १७१५रा वैसाख मांहै महाराजा श्री जसवंतसिंघजीनूं गुजरातरो सूबो हुवो। संमत १७१७रा भादवा मांहे मुं० नैणसीनूं हजूर बुलायो, 14 तरै भादवा वदि ७ मुं० नैणसी सिधपुर डेरो हुवो। सु सिधपुर भलो सहर छ । सिधराव थापरं नांव नवो वसायो नै पूरवसूं वांभण उदीच वेदिया १००० तेड़ायने 15 गांव ५०० सं सिधपुर दियो । गांव ५०० सीहोररा दिया, सेजा कनै " दिया । रुद्रमाळो वडां प्रासाद करायो हुतो, सु पातसाह अलावदी पाड़ियो" । तोही 18 कितरोएक प्रासाद प्रजेस छै । " । गांव प्रागै
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बेटा विवाह किया हुआ नही । 2 तव इस प्रकार करते हुए वापने बेटेका तीन स्थानों में विवाह किया । 3 बार दफा । 4 पुनः 1 5 पति । 6 पत्नी । 7 तुमको | 8 रखेगा । 9 गोली के ऊपर छल्ला रख कर दूसरी गोली चढ़ा देना । 10 लाकर रखी । II ये छल्ले किस लिये ? 12 ये वीचमें तह होंगे | 13 तब राजाको तसल्ली हुई । 14 मुंहता नैणसीको महाराजाने बुलवाया । IS बुला कर IG पास । 17 जिसको बादशाह अलाउद्दीनने गिरवाया । 18 तव भी । 19 ग्रव भी स्थित है ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २७७ उगवणनूं फळसं सरस्वती नदी छै' । तिण ऊपर प्राची माधवरो देहुरो करायो हुतो । घाट बंधायो हुतो । सु देहुरो तो मुगळे पाड़ियो नै घाट बंधायो हुतो सु अजेस छ। तठे सको' सिनांन करै छ । घाट ऊपर बंगळो १ किणही तुरक करायो छ । सिधपुर पाटणथा कोस १२ छै । सिधपुर हमैं पाटण वांस छै। सिधपुररै तफै गांव ५२ लागै छै । घर २००० वांणियांरा छै । घर १०० ओसवाळांरा छै। बीजा डीसावाळ पोरवाड़ छै । घर ५०० बांभण" वसै छै । बीजा मुसलमान बोहरा १००० वसै छ । रुपिया २५००० उपजतांरी ठोड़ छै । सिधपुरथी कोस ११ बिंदसरोवर वडो तीरथ छै । सरस्वती नदी छ । पूजा साठियारी धरती छ । तठे भाखरां माहै कोटेस्वर महादेव छै । त, एक आवारो वच्छ छै1° । तिणरी जड़ा मांहितूं प्रगट हुवा, तठे आंबावरा भाखरांरो पांणी पावै छै । . कवित सिधराव जैसिंघदेरा देहुरारा, लल्ल भाटरा कह्या12
थर सो चवदह माळ13 थंभ सत-सहस निरंतर । सौ-अढ़ार पूतळी जड़ी हीरां मांणक वर ॥ तीस-सहस धजडंड कणै सानन्त निहाळे ।
सत्तर-सौ गया तुरी19 लल्लगुण रुद्र संभाळे ।। एतला पेख21 अचिरज हुवै, रोमंचै सुर नर स्रवै। सु प्रासाद कीध जैसिंध ते, टगमग चाहै चक्कवै ।।१।। दिस गयंद गड़ीय. सीह खिण-खिण गुंजारै। कणे कळसं झळहळे मंड ऊडंड संभारै ।।
1 गाँवके आगे पूर्व दिशा द्वार पर सरस्वती नदी है। 2 सब कोई। 3 सिद्धपुर .. अव पाटनके अधिकारमें है। 4 सिद्धपुरके नीचे ५२ गाँव लगते हैं। 5 दूसरे डीसावाल
पोरवाड़ बनिये हैं। 6 ब्राह्मण । 7 रुपये २५०००की आमदनीका स्थान है। 8 सिद्धपुरसे ... आध कोस पर विन्दु सरोवर बड़ा तीर्थ है। 9 जहां पहाड़ोंमें कोटेश्वर महादेव हैं। ...... . 10 वृक्ष । II जहां अंबाजीके पहाड़ोंका पानी आता है। 12 लल्ल भाट रचित सिद्धराव .... जयसिंहदेवके रुद्रमाल देहरेके कवित्त । 13 चौदह मंजिल । 14 अठारह सौ। 15 ध्वजा.. दंड । 16 सोनेके। 17 लता, फूलपत्तोंसे युक्त। 18 हाथी। 19 घोड़े। 20 इतने ।
21 देख कर । 22 सब ही। 23 चक्रवर्ती राजा भी एकटक देखना चाहते हैं।
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२७८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात नाचे रंग पूतळी इक गावं द्रक वावै ।
तिण पर सुर उछलंग संख सबदह उळावै ।। पेखवै सुरनर सयल पर धमधमंत सुर उच्छलग । तिण कारण सिद्ध नरेंद्र सुण ब्रखम तेणथी गो इरग ॥२॥
सरग यंद्र' सल' हीयै राव पाया" वासग' । मात लोक नूं राव कहां हव अोपम कासग" || हेम सेत मंझार न को हिब' अत्य' न रावह ।
इत्थ चवत्थो राव हुवत जंपिय सरावह ।। त्रिण राव त्रिणेही भवणपति, सिद्ध लल्ल इम उच्चरै । इत्थ चवत्यो राव हुवै, तो दिव जळतो कर धरै ॥३॥
उंदर दर खण मर,13 पैस भोगदै भुयंगह । हळ वहि मरै वहिल्ल, हरी जव चरै तुरंगह ।। सूंब धन संचइ मरे, वीर विद्रवै विवह पर ।
पंडित पढ़ गुण मरै, मूढ़ भूचें रायां हर ॥ सूजांण राय गूजर धणी, करां वीनती क्रन्न सुअ'। हम पढ़ां गुणह पावै अवर, कहा परख जैसिंघ तुम ॥४॥
वीस तीस चाळीस साठि सित्तर सितहत्तर । भट्ट प्रांण समप्पिया, सिद्ध केकाण' विवह पर । वीस ढाल दस ढोल तीस नेजा इक डंडह ।
छत्र ढाळंत गैघटा दिद्ध जैसिंघ नरंदह ॥ मारियो दळद्र' दस लक्ख दे, इम उपाय अंकुश कियो । . हड़हड़े भट्ट ताहरै हस्यो सिद्धराव एतो. दियो ।।५।।
- I नेत्र चलाती है। 2 जिससे डर गया। 3 स्वर्ग। 4 इन्द्र। 5 शल्य रूप । 6 पातालमें। 7 वासुकी। 8 मृत्युलोक । 9 किससे । 10 अब । II धन। 12 चौथा। 13 चूहा वेचारा विलको खोद कर मरता है। 14 वैल । 15 कृपण। 16 पुत्र । 17 घोड़ा। 18 हाथियोंकी घटा। 19 दारिद्रय । 20 तव । . वि०-इस एकादश रुद्र महालयके संबंधों कहा जाता है कि इसका मुख्य मंडप इतना विशाल था कि इसमें १६०० स्तम्भ थे और इस पर चौदह करोड़ सुवर्ण मुद्रायें खर्च : हई थीं। इसका अनुपम शिल्प, विशालता और स्थापत्य-कौशल अव भी उसके खंडहरोंमें देखा जाता है। इस रुद्र महालयको गुजरातके महाराजा मूलराज सोलंकीने बनवाना प्रारंभ किया था जो उसके प्रसिद्ध पौत्र सिद्धराज सोलंकीके समयमें संम्पूर्ण हुआ था। इस विख्यात महालयके ११ खंडोंमें ११ ज्योतिलिंग स्थापित थे।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २७६ वात सोल कियां खैराडारी जाजपुर राम कुंभा खैराडारो बैसणो'। फूलियाथी' कोस १२, मांडलगढ़थी कोस ११ । गांव ६५, दांम ४१०१६५, रुपिया १०४७५४॥) ५ । १ मांडलगढ़ नंदराय बालणोत सोळंकियांरो उतन । औ महारांणारा चाकर । जिण' वरस अकबर पातसाह रिणथंभोर लेन आघो डेरो चित्तोड़ दिसा कियो, तद सोळंकियै भांनीदास, बलूहुळ वाहिजथा गढ़ छोड़ छांनै नास गया" । गढ़ पातसाह लियो । मांडलगढ़ वडी ठोड़, गढ़ ऊपर पांणी घणो । आगैं सोळंकियांरै गढ़ ऊपर वडी वस्ती हुती । घणा महाजन गढ़ ऊपर वसता । ज्यांनरा देहरा घणा गढ़ ऊपर छै । संमत १७११ पातसाह जहांगीर चीतोड़रो गढ़ पड़ायो। परगना ४ रांणारा लिया । तिणांमें 10 गढ़ लेनै रावळ रूपसिंघ भारमलोतनूं दियो। पछै रूपसिंघ प्रापरी वस्ती सूधो गढ़ ऊपर जाय वसियो हुतो। संमत १७१४रा जेठमें रूपसिंघ काम आयो । गढ़ छूटो ।
१ भांनीदास । २ बलू भांनीदासरो । २ वणवीर । ३ नंदो। ४ साहिबखांन । ५ राव मनोहर । ४ सांईदास ।
५ मनोहर । १. सांकरगढ़ मांडलगढसू कोस १२ । १ केकड़ी सोळंकियां भूणगोतांरो उतन । १ रामगढ़ जाजपुरस्र कोस १२ ।
I जहाजपुरमें रामकुंभा खैराडेका निवास-स्थान । 2 फूलियासे । 3 ६५ गाँव जिनकी रेख दाम ४१०१६५ अर्थात् रु० १०४७५४।।।) ५ थे। 4 जिस । 5 आगे, दूर। 6 ओर । 7 पीछेकी ओरसे गुप्त रूपसे गढ़को छोड़ कर भाग गये। 8 गढ़ ऊपर जैनोंके बहुत मंदिर हैं। 9 जिनमें। 10 यह।
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२८० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात मांडलगढ़सूं झै सहर इतरा कोस छै
१७ चीतोड़। २८ वधनोर । ४५ अजमेर । १८ वेघम । १७ भैंसरोड़। ११ जाजपुर ।
२२ बूंदी। १ तोडो नागरचाळरो । यो सोळंकियांरो याद उतन छै । सोळंकी जिकै जठे छै तिकै सारा तोडारा ऊठिया गया छै । तोडो निपट वडी ठोड़ । तोडारा धणी राव कहावता । औ सोळंकी ... वाल्हणोत ।
१ तोडड़ी सोळंकियां महिलगोतांरो उतन' । मालपुरो तोडड़ीरा परगनारो गांव माल पंवार वसायो । नवो सहर कदीम सोळंकियांरी ठाकुराई । तोडड़ी राव सुलतांण इणां महिलगोतां माहै । सोळंकियांरै पीढ़ियांरी विमत
१ श्राद नारायण २ कमळ । ३ ब्रह्मा ।
४ धोमरिख । ५ चाच ।
६ वाळग। ७ सुकर ।
८ अरजन । ९ अपाळ । १० देपाळ । ११ राज।
१२ मूळराज । १३ द्रोणगिर। १४ वल्लभराज । १५ भीम ।
१६ करन । १७ सिधराव । १८ ईतपाळ । १६ कीतपाळ । २० वाळप । २१ वोहड़। २२ सांगो।
I मांडलगढ़से ये शहर इतने कोस हैं। 2 यह सोलंकियोंका आदि निवास-स्थान है। 3 सोलंकी जहां भी हैं वे सभी तोडासे उठ कर गये हैं। 4 ये वाल्हणोत सोलंकी कहलाते हैं। 5 महिलगोता सोलंकियोंका निवास स्थान तोडड़ी गांव है। 6 तोडडीका राव सुरताण इन महिलगोता सोलंकियोंमेंसे है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२८१ .. २३ गोयंदराज.। . २४ कानड़ ।
२५ महिलूरै उतन तोड़ो'२६ दुरजणसाळ । . २७ हरराज। २८ राव सुरतांण । २६ ऊदो।
३० वैरो। ३१ ईसरदास ३२ राव दळपत । ३३ राव अणदो। ३४ राव स्यांमसिंघ तोडड़ी उतन । ३५ राव महासिंघ।
वात
- राव सुरतांण हरराजरो, तोडड़ी छोडनै रांणा रायमल कनै चीतोड़ पायो, तरै रांण वधनोर गढ़ दरोबस्त पटै दियो । पछै राणा रायमलरो टीकाइत बेटो प्रथीराज उडणो राव सुरतांणरी बेटी तारादे परणियो । प्रथीराज रायमल जीवंतां विस हुवो, पछै मुंवो ।
पछै मुदायत रांण रायमल जैमल कियो, तिको राव सुरतांणनूं ... जोर कुमया करै । इणै तो घणी ही हळभळ की, पिण जैमल मांने
नहीं, पग पड़ियो आवै । तरै जैमल कटक करने वधनोर ऊपर आयो।
राव सुरतांण आपरा उचाळा भरनै नीसरियो.नै सांखलो रतनो .. रावरै साळो पिण हुतो, परधान पिण हुतो, इरगनूं पैहली जैमल कनै मेलियो
हुतो, सु इण तो घणी ही मीठी वात कही । जैमल कहै-"थारी बैहननूं तो . . . बचियांरा घोड़ारी पूंछ बंधाईस1° । “तरै इणही कू कह्यो11 । जैमल
जोर माहै मावै नहीं। वधनोर आयो । गांव तो, आगै आया तिणे कह्यो, सूनो छै। इतरै रात पड़ी । सारै वडे ठाकुरे कह्यो--
— I महिलूका निवासस्थान तोड़ा। 2 तारादेसे विवाह किया। 3 पृथ्वीराजको रायमलके जीते जी. विष दे दिया गया था, जिससे वह मर गया। 4 बाद में राणा रायमलने अपना उत्तराधिकारी जयमलको बनाया। 5 जो राव सुरतान पर बहुत ही अवकृपा रखता है । 6 इसने वहुत ही खुशामद की। 7 क्रोधसे पांव पछाड़ता है । 8 राव सुरतानने वहांसे उचाला कर दिया (सपरिवार वहांसे निकल गया)। 9 सो इसने तो बहुत ही खुशामद की। 10 तेरी बहिनको तो बचियोंके घोड़ोंकी पूछसे बंधवाऊंगा। II तव इसने भी कुछ कहा। 12 जो लोग आगे आये थे उन्होंने कहा कि गांव तो सूना पड़ा है। 13 इतनेमें रात पड़ गई।
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२८२]
मुंहता नैणसीरी ख्यात "डेरा करो, सवारै गाडांरो घंस लेस्यां, वांस जास्यां' ।" जैमल घणो कस मांहै कहै --"मुसालां घणी करो, मुसालां हाथियां ऊपर झालनै चढ़ो, वांस गाडांरै खड़ो ।" पग गाडांरा लेनै मुसालारै चानणे आप घुड़वैहल बैसनै वासै खड़िया, सु गाडांनूं गांव अटाळी, वधनोरतूं कोस ७, तठे जाय पोहता' । फोज नजीक आई । त, राव सुरतांणरी बैर सांखली कह्यो-"रतना भाई ! दीसै छै, वंध पड़ीजसी' । राणे कही थी सु हूती दीसै छै ।" तरै रतनै कह्यो"चीतोड़रो धणी प्रारंभरांम छै । करण मतै सु करै ।" या वात कहिनै सांखलै रतनै एकल असवार कटक सांमा खड़िया, अमल कियो,11 घोड़ारो तंग लियो, आधरै-आधरै आइ फोज मेवाड़री भेळो हुवो। रात आधी ऊपर गई छै । जैमल आकड़सादा नै सथांण वीच आवतो हुतो, घुड़हल बैठो। मेवाड़रा वीर सारा ऊंघता जाता छा । सांखलो रतनो मुसालारै चांनणे घुड़वैहल नजीक आयनै घोड़ो तातो करनै जैमल बोलायो, कह्यो-"राज ! सांखलो रतनो मुजरो करै छै ।" घोड़ो खुरी करने जैमलरी छाती माहै बरछीरी दी सु पैलै कांनै नीसरी13 । बरछी एक दोय वळे वाही । जैमल समार हुवो। कांम सीधो । पछै रांणारै साथ सांखला ..... रतनानूं पण मारियो ।
1 सभी बड़े ठाकुरोंने कहा-यहीं डेरे लगा दो, सवेरे गाड़ियो समूह लेकर पीछे जायेंगे। 2 जयमल अधिक क्रोधमें कहता है। 3 बहुतसी मशालें तैयार करो, मशालें पकड़ कर हाथियों पर चढ़ो और गाड़ोके पीछे चलायो। 4 पीछे चलाये। 5 जहां जाकर उन्हें पहुंचे। 6 स्त्री। 7 रतना भाई ! दिखता है कि बंधनमें पड़ जायेंगे। 8 राजाने कहा था सो ही होती दिखती है। 9 चित्तोड़का स्वामी जो चाहे सो करनेमें समर्थ है। 10 रतना अकेला ही सवार होकर सेनाके सामने गया। II अफीम लिया। 12 सावधानीसे धीरेधीरे आकर मेवाड़की सेनामें आ मिला। 13 घोड़ेको पिछले पावों पर खड़ा करके जयमलकी छातीमें वरछी ऐसी जोरसे मारी कि पीठकी ओर निकल गई। 14 एक दो वार बरछीके और कर दिये । 15 जयमल समाप्त हुआ। 16 काम सिद्ध हुआ। .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात.
[ २८३ गीत सोखरो
चढ़ सांखला जुड़ पाड़ जैमल, प्रांण पौरस दाख । रावरै दळ तुंहीज रूपक, रूप रतना राख" ॥१॥
...
वात
- जैमल रतनो बेऊं काम आया। फोज उठाथी पाछी वळी । जैमलनूं दाग आकड़सादै सथांणै वीच हुवो। वधनोररै देस मेर गूजर सदा वसता । हमैं जाट ही वत्रनोररा गांवां माहै छ, सु कहै
छै-“म्हे राव सुरतांणरी वसीरा' छां ।" ...
वात सोल की नाथावतरी मूळ अ तोडारै सोळंकियां मिळे । पछै इणारै भाई बंटै नैणवाय आई, सु भोजावत नैणवाय मुदायत' धणी हुता । तिणांनूं नाथावतां माहै राघोदास सादूळोत वडो रजपूत राहवेधी हुवो, सु भोजावतांनूं धकाय काढ़िया' । भोमियां वंट आप लियो । तठा पछै राघोदासरै बेटो नाहरखांन भलो रजपूत हुवो । तिणनूं राव रतन बूंदीरो रु० ६००००) रो पटो दियो । इणांरी वसी बूंदीरै हूंगोरी सूहते हुती'। नाथावतारी बूंदीरी प्रोळ वडी तरवार राव रतन काळ कियो,11 तरै सो नाहरखांन राघवदासोत पातसाह जिहांगीर चाकर हुवो। नैणवाय जागीरमें पाई । हमैं नाहरखांनरो बेटो सूर छै सु नैणवाय वसै छै । नाहरखांनरा कराया मोहळ,13 वाग छै। कितरी ही जमी
-
-
I साक्षीका (यशका) छंद। 2 हे सांखला रतना! तूने जयमल पर चढ़ करके अद्भ त वल-पौरुष दिखाया और उसे मार गिराया । राव सुरतानकी सेनामें तू बड़ा यशधारी हुआ और वीरगतिको प्राप्त कर कीर्तिमान् हुना। (इस छंदके प्रथम पादका पाठान्तर एक अन्य प्रतिमें-'समवड़ सांखला जैमल्ल' है)। 3 दोनों। 4 फौज वहांसे पीछी लौट गई। 5 जयमलका दाहसंस्कार प्राकड़सादा और सथाणा गांवोंके बीचमें हुआ। 6 करमुक्त जागीरी। 7 मुख्य । 8 दूरदर्शी। 9 भोजाके वंशजोंको मार भगाया। 10 इनकी वसी . (जागीरी). बंदी राज्यके गोरी-सूहते में थी। II राव रतन मर गया। 12 अव नाहरखानका .. बेटा सूरसिंह नैणवायमें रहता है । 13 महल ।
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२८४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात पातसाहजीरी दीवी पावं छै । रु. १) टको १ भूमिया वंटरो सारै : परगनैमें पावै छै ।
वात सोल की रांणारै वाल देसूरीरा धणियारी'
सोळंकियांसू पाटण छूटी, तरै भोजो देपावत सीरोहीरै गांव लास मुणावद वसियो । तिण नै सीरोहीरै धणी राव लाखै माहोमांही . अदावद हुई । पछै वेढ़ हुई । भोजो वेळा ५ तथा सात वेढ जीती। राव लाखो हारियो । पछै राव लाखै ईडररो धणी मदत तेडियो । ईडररै धणी हकीकत राव लाखानें पूछी-"थे भोजा आगै वेढ वेळा ५ तथा ७ हारी सु काखू विचार छै ?" तरै राव लाखै कह्यो-"वेढ भालांरी सूअर करनै इण भांत दौड़े सु मांहरै साथरा पग छूट जाय ।" तरै ईडररै धरणी कह्यो-"हिमरकै अांपै ही खेड़ारी बाघण करस्यां ।" पछै राव सीरोहीरो नै ईडररो भेळा हुय लास ऊपर पाया । इण वेढ सोळंकी भोजनूं मारियो । पछै इंणांसू लास छूटी। पछै मेवाड़ पाया । कुंभळमेर कनै गाडा छोड़नै रांग रायमलरै मुजरै गया । तिण दिन देसूरी मादड़ेचा चहवांण रहता, सु रांणारा गैरहुकमी हुवा हालता । पछै रांणै रायमल कँवर प्रथीराज इणांनूं आ ठोड दिखाई, पछै इणेसो रायमल सांवतसी एक वार तो उजर . कियो,14 | मांहरै सगा छै15 । पछै रांग कह्यो-“मांहरै दूजी ठोड़ देणनूं काई नहीं" ।" पछै इण वात कबूल को" । पछै मादड़ेचा यालणरा आदमी १४० सु कूट-मारनै इण आ धरती लीवी18।
___ I सारे परगनेमें एक रुपये पीछे एक टका भूमिया भागका मिलता है। 2 मेवाड़के . राणाके यहां सोलंकियोंका देसूरीके जागीरदार बन कर रहनेकी बात । 3 तव देपाका बेटा भोजा सिरोही राज्यके गांव लास-मूणावदमें आकर रहा। 4 उसके । 5 और। 6 शत्रुता। 7 फिर लड़ाई हुई। 8 फिर राव लाखाने ईडरके स्वामीको मददके लिये बुलाया। 9 सो क्या बात है ? 10 इस वार अपन भी इसी प्रकार लड़ाई करेंगे। II इस लड़ाईमें सोलंकीने भोजको मार दिया। 12 उन दिनोंमें। 13. सो. राणाकी अवज्ञा करते रहते थे। 14 अापत्ति की। 15 ये हमारे संबंधी हैं। 16 हमारे पास दूसरी जगह देनेको कोई नहीं है । 17 पीछे इन्होंने उस वातको स्वीकार कर लिया। 18 पीछे मादड़ेचा आलणके आदमी १४० जिनको मार-कूट कर इन्होंने इस वरतीको ले लिया।
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हता नैणसी ख्यात
१ भोजो देपावत |
२ त्रभवणो । ३ पाती ।
४ रायमल ।
५ सांवतसी ।
६ देवराज |
७ वीरमदे ।
जसवंत ।
६ दलपत ।
गांव १४० देसूरीरो पटो कहीजै, तिरण में वडेरी ठोड़' -
१२ गांव ग्रागरियारा ।
१२ गांव वांसरोटरा ।
१२ गांव धांमणियारा । १२ गांव सेवंत्रीरा ।
१२ गांव देसूरीरा ।
१२ गांव ढोलांणारा ।
८ गांव गोढ़वारा ।
१ ग्रांनो | १ करनवास । १ वांसड़ो । १ माडपुरो ! १ केसूली । १ गांथी । १ गोढ़लो | १ चावंडेरो ।
इति सोळंकियां ख्यातवार्त्ता संपूर्ण । लिखतं वीठू पनो सीहथळरो ।
I देसूरी के पट्टे में १४० गांव, जिनमें बड़े ठिकाने ये हैं |
[ २८५
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अंथ कछवाहांरी ख्यात लिख्यते ।
वात राजा प्रथीराजरी __ प्रथीराज वडो हर-भगत हुवो। द्वारकाजीरी जात' जांगा लागो । मजल एक दोय गयो, तरै श्रीठाकुर सांम्हां आया ; प्रथीराजनूं फुर- ... मायो-"म्हें जात मांनी, तू पाछो वळ, तू अठै थको घणी बंदगी करै छ, सु हूं जातसूं इधकी मानूं छू।" तरै राजा कह्यो-"हूं रावळा" हुकमसू पाछो वळीस, पण लोक आ वात मानसी नहीं।" तरै श्रीठाकुर हुकम कियो-“थारै मन मांनै सो मांग ।" तरै प्रथीराज अरज की-"म्हारा खवां चक्र है पड़े,' नै अठ महादेवरो देहरो छ त? गोमती समुद्ररो संगम है ज्यूं सारा जात्री सिनांन करै ।" तरै प्रथीराजरा खवां चक्र पड़िया; महादेवरै देहरै गोमती समुद्ररो संगम ... हुवो । आ वात सारै हिंदुस्थांन सांभळी । तरै राणे सांगै सुणी, तरै राणे जांणियो-"इसो' हरभगत राजा छ तिणरो किणी सूल दरसण .... पाऊं, वड़ी वात ।" तरै विचार कियो-"जु बेटी परणाऊं तो प्रथीराज अठै प्रावै11 ।" तरै राणे प्रथीराजनूं नाळेर मेलियो । पछै रोजा परणीजण आयो,13 सु राजा प्रथीराज ठाकुररी मानसी सेवा करतो हुतो; नै राणा सांगारो बेटो तेड़णन आयो,14 सु ओ वांसाथी बोलियो, सु राजा सोनेरै कटोरै मन मांहै श्रीठाकुरनूं सिखरण आरोगावतो छो,16 सु कंवर वांसाथी बोलियो; राजा फिर पाछो । दीठो,' कटोरो सिखरण भरियो राजारा हाथ मांहैसू छिटक पड़ियो। दुनी सोह देख हैरान हुई; राणे या वात सुणी, राणो आप पगे लागो, सु राजा वडो हरभगत हुवो। .
__I यात्रा! 2 मंजिल । 3 तू पीछा लौट जा। 4 तू यहां रहते हुये भी बहुत बंदगी करता है जिसे मैं यात्रासे भी अधिक मानता हूं। 5 आपका। 6 लौटूंगा। 7 मेरे कंधो पर चक्रोंके चिन्ह हो जायें। 8 हो जाय । 9 ऐसा। 10 जिसका किसी प्रकार दर्शन पा लूं तो बड़ी वात हो। II जो मैं अपनी कन्या व्याह दूं तो पृथ्वीराज यहां आ जावे। 12 भेजा। 13 पीछे राजा विवाह करनेको आया। 14 बुलानेको पाया। 15 सो यह पीठकी ओरसे. वोला । 16 सो राजा श्री ठाकुरजीको सोनेके कटोरेमें सिखरनका भोग लगवा रहा था ।
17 राजाने पीछेकी अोर फिर कर देखा । 18 सब ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २८७ - चवदै-चाळ ढूंढाहड़ कहीजै, तिणरो मेळ गांव १४४०1
३६० आंबेर । ३६० अमरसर । ३६० बाटसू । १५० दोसा।
५० मोजावाद, नीवाई, लवाइण ।
पीढ़ी कछवाहांरी, भाट राजपांण उदैहीरै मंडाई तिणरी ___नकल छै ।
१ अाद श्री नारायण। १८ धुंधमार । २ कमळ। १६ इंद्रस्रवा। ३ ब्रह्मा।
२० हरजस । ४ मरीच। २१ कुंभ। ५ कस्यप।
२२ सांसतव । ६ सूर्य ।
२३ अक्रतासु। ७ मनु।
२४ पासेनजित । ८ इक्ष्वाकु । २५ जोबनारथ । ६ संसाद ।
२६ मानधाता। . १० काकुस्त । २७ परुपत । . ११ अनेना। २८ तदसत । १२ प्रथु।
२६ सुधार्नेव । १३ वेणराजा। ३० विधानव । १४ चंद।
३१ त्रियारोन । १५ जोवनार्थ । ३२ त्रिसाख । १६ सखासु। ३३ राजा हरिस्चंद्र । १७ ब्रहदथ ।
३४ रोहितास । ____ I चौदह सौ चालीस गांवोंका समूह 'चवदै-चाळ ढूंढाहड़' कहा जाता है, ('चवदैचाळ' चौदह सौ चालीसका अपभ्रंश प्रतीत होता है)। 2 निम्नोक्त कछवाहोंकी पीढ़ियां उदहीके भाट राजपाणने लिखवाई उसकी नकल है । 3 काकुत्स्थ । ४ प्रसेनजित । ५ एक
प्रतिमें 'वृहसत' लिखा है।
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२८८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ३५ हरित । ६२ प्रथसवा । ३६ चाच ।
६३ अज। ३७ विजैराय । ६४ दसरथ । ३८ रुणकराय । ६५ श्री रामचंद्रजी। ३६ विक्रसाज । ६६ कुस । ४० सुवाहु । ६७ अतिरथ । ४१ सगर।
६८ निषगराइ। ४२ असमंज। ६६ नाल । ४३ अंसमांन ।
७० नलनाभ। ४४ दलीप। . ७१ पंडरिष्य। ४५ भगीरथ । ७२ प्रछेमधन्वा । ४६ नाभंगराय। ७३ देवानीक। ४७ अंवरीष । ७४ अहिनाग। ४८ संधदीप। ७५ सुधन्व । ४६ प्रायोतास ।
७६ सलराज। ५० पांणराज। ७७ धर्माद । ५१ सुदर्थराज। ____७८ आनंभराय । ५२ अंगराज । ७६ परियत्रराइ। ५३ पासमकराज । ८० बालरथ। ५४ पहपलकराज। ८१ वज्रधांम । ५५ सदरथराज । ८२ सुनंगराय। ५६ इवार।
८३. बद्रीत । ५७ वीवर। ८४ हरणनाभ । ५८ विस्वसेन । .. ८५ धुवसंध । ५६ षटंग ।
८६ सुदर्सन । ६० दीरधबाहु । .. ८७ अग्नवरण । . ६१ रघु । . ८८ सिधगराय.
.
I अंशुमान । 2 पट्वांग । 3 पृथुश्रवा। 4 प्रसेनधन्वा । 5 हिरण्यनाभ ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २८६ ८६ सुस्तराज'। - ११५ समपू । ६० अमरषरण । ११६ सुधोन। ६१ सहसमान। ११७ लालरंग । ६२ विश्व । ११८ प्रासेनजीत । ६३ व्रयदर्थ । ११६ क्षुदकराय। ६४ उरक्रिय। १२० सोमेस। ६५ वछवधराज। १२१ नल, नळवरगढ़ करायो । ६६ प्रतबिंब । १२२ ढोलो। ६७ भांन ।
१२३ लखमन । ६८ सहदेव । १२४ वज्रधाम, ग्वाळेरगढ़ करायो । ६६ वहदा। १२५ मांगळराय । १०० भूभांन ।
१२६ ऋतराय। १०१ प्रतीक । १२७ मूळदेव । १०२ प्रतक प्रवेस । १२८ पदमपाळ । १०३ मनदेव । १२६ सूर्यपाळ । १०४ छत्र राज । १३० महीपाळ । १०५ ......। १३१ अमीपाळ । १०६ अंतरिस्य । १३२ नीतपाळ । १०७ भूपभीच । १३३ श्रीपाळ। १०८ आमंत्र । १३४ अनंतपाळ! १०६ वेहाद्र भाज १३५ धनकपाळ । ११० वरदी। १३६ क्रमपाळ । १११ क्रतांगराज । १३७ सिसपाळ । ११२ रांणजराय। १३८ बलिपाळ। ११३ सजोसराय। १३६ सूरपाळ ।
११४ चतुरंग । १४० नरपाळ । : I, 2. एक अन्य प्रतिमें 'सुरतराज' लिखा है। एक और दूसरी प्रतिमें सुस्तराज और अमर्षणके बीचमें 'सिंधराज' नाम अधिक लिखा हुआ है। 3 वृहद्रथ। 4 क्षुद्रकराय । 5 'ढोला-मारवण' नामक प्रसिद्ध प्रेम-कथाका नायक ।
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२६० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
१४१ गंधपाळ ।
१४२ हरपाळ ।
१४३ राजपाळ ।
१४४ भीमपाळ ।
१४५ सूर्यपाळ ।
१४६ इंद्रपाळ ।
१४७ वस्तपाळ ।
१४८ मुक्तपाळ । १४९ रेवकाहीन |
१६२ राजकुळ
१६३ जवणसी ।
१५० ईससिंह |
१६४ उदैकरण ।
१५१ सोढ़देव ।
१६५ नरसिंघ ।
१५२ दूलहदेव, भांगेज तुंवरनं ग्वाळेर दियो' ।
१५३ हणुमांन ।
१५४ काकिलदेव, ग्रांवेर
१६६ वणवीर ।
१६७ उधरण ।
१६८ चंद्रसेरण ।
१६९ प्रथीराज चंद्रसेणोत, बालबाई बीकानेरी घरे हुई तिणरा वेटा :
-
2
वसायो ।
१५५ नरदेव ।
१५६ जांनरदेव ।
१५७ पंजुन सामंत ।
१५८ मलयंसी ।
१५६ वीजळ ।
१६० राजदेव ।
१६१ कल्यांण ।
१७० राजा भारमल ।
१७० राजा पूरणमल । १७० बलिभद्र
१७० गोपाळदासरा
१७० पंचाइण ।
१७० जगमालरा खंगारोत
नारायसोवाळा १७० सांगो ।
१७० चत्रभुज ।
नाथावत कहीजै । १७० भीखो ।
१७० सांईदास । १७० सँहसो ।
----
१७० भींवसी, राजा दो मासरे हुवो तिणरा बेटा + १७१ राजा रतनसी । १७१ राजा ग्रासकरण ।
I दूलहृदेवने अपने तुंवरको ग्वालियर दे दिया । 2 काकिलदेवने ग्रामेर बसाया । 3 चंद्रसेन के पुत्र पृथ्वीराजकी पत्नी वालवाई बीकानेरीकी कोरूसे उत्पन्न पुत्र 1 4 भींवसी, केवल दो मास तक राजा रह सका, उसके पुत्र ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यता.
[ २६१ १७० राजा भारमल प्रथीराजरो, तिणरा बेटा
१७१ राजा भगवंतदासः । १७१ सुंदर । १७१ राजा भगवानदास । १७१ प्रथीदीप । १७१ भोपत। १७१ रूपचंद । १७१ लल्हैदी। १७१ परसरांम ।
१७१ सादूळ । १७१ राजा जगनाथ । १७१ राजा भगवंतदास राजा भारमलरो, तिणरा बेटा
१७२ राजा मानसिंघ। १७२ चंद्रसेण । १७२ माधोसिंघ । १७२ हरदास । १७२ सूरसिंघ । १७२ वनमाळीदास । १७२ प्रतापसिंघ। १७२ भींव ।
१७२ कांन्ह । १७२ राजा मानसिंघरा बेटा
१७३ जगतसिंघ । १७३ भावसिंघ । १७३ सकतसिंघ। १७३ हिमतसिंघ । १७३ सबळसिंघ। १७३ कल्याणसिंघ ।
१७३ दुरजणसिंघ। १७३ स्यांमसिंघ । १७३ कंवर जगतसिंघरा बेटा--
१७४ महासिंघ । १७४ जूंझारसिंघ ।
१७४ ततारसिंघ । १७४ महासिंघरो बेटो
१७५ राजा जयसिंघ ।
१७६ रामसिंघ । १७६ कीरतसिंघ । कछवाहारी पीढ़ी कछवाहा सूरजवंसी कहीजै, त्यांरी विगत - १ आदि ।
२ अनाद । ___I पृथ्वीराजका पुत्र । 2 जिसके । 3 के। 4 का। 5 कछवाहोंकी वंशावली (यह दूसरी वंशावली है)। 6 कछवाहे सूर्यवंशी कहे जाते हैं, उनका वंश-विवरण।
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२६२ ]
३ चांद |
४ कंवळ'
५ ब्रह्मा ।
६ मरोच |
७ कस्यप ।
कासव ।
मुंहता नैणसीरी ख्यात
२८ अज, अजोध्या वसाई " ।
२९ अजैपाळ, चकवै
।
२१ राजा सगर ।
२२ असमंज ।
२३ भागीरथ ।
२४ कउकुस्त" ।
6
२५ दिलीप, दिल्ली वसाई "
I
२६ सिवधांन २७ केवांध |
३० राजा दसरथ ।
३१ श्री रामचंद्रजी ।
३२ कुसथी कछवाहा हुवा " |
३३ बुधसेन ।
३४ चंद्रसेन चाटसू वसाई ।
सूरज ।
१० रुघसूं रुघवंसी कहीजै ३५ श्रीवछ ।
११ रघोस ।
१२ धरमोस ।
१३ त्रसिंघ ।
१४ राजा हरिचंद |
१५ रोहितास ।
१६ राजा सिवराज ।
१७ संतोष ।
१८ राजा रवदंत ।
१९ राजा कलमष ।
4
२० धुंधमार, चकवै* ।
३६ सूर ।
३७ वीरचरित |
३८ जैवंध |
३९ उग्रसेन ।
४० सूरसेन ।
४१ हरनांम ।
४२ हरजस ।
४३ द्रढ़हास |
४४ प्रसेनजित |
४५ सुधि ।
४६ अमरतेज ।
४७ दीरघवाह |
12
४८ विवसांन" |
४६ विवसत
५० रोरक'
1
५१ रजमाई । ५२ जसमाई ।
14
I कमल 1 2 काश्यप | 3 रघुसे रघुवंशी कहे जाते हैं । 4 बंधुमार चक्रवर्ती राजा ।
5 काकुत्स्य 1 6 दिलीपने दिल्ली बसाई | 7 शिववन 1 8 ग्रजने प्रयोव्या वसाई । 9 जयपाल चक्रवर्ती राजा । 10 कुहासे कछवाहा हुए । 11 चंद्रसेनने चाटसू बसाई | 12 विवस्वान 1 13 विवस्वत । 14 रुरुक ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
. [२६३ ५३ गौतम । ६१ राजा कहनी। ५४ नळराजा, नळवर ६२ देवांनी ।
वसायो । ६३ राजा उसै । ५५ ढोलो नळरो। ६४ सोढ़। ५६ लछमण । ६५ दुलराज । ५७ वजरदीप । ६६ काकिल। १५८ मांगळ, मांगळोर ६७ राजा हणुं, आंबेर ।
वसायो । ६८ जोजड़ । ५६ सुमित्र । ६६ राजा पुंजन ।
६० सुधिब्रह्मा । कछवाहांरी विगत१४ राजा हरचंद, राजा सिंघरो" । हरचंदरै रांणी तारादे हुई,
कंवर रोहितास हुवो, जिण रोहितासगढ़ करायो । ३१ श्री रामचंद्रजी, राजा दसरथजीरै । रामचंद्रजीरै लव नै कुस
हुआ । तिण लव लाहोर वसायो । कुसरा कछवाहा हुआ11 । ५५ राजा ढोलो नळ राजारो, जिण गढ़ ग्वाळेर वसायो । ग्वाळेर
ऊपर गोलीराव तळाव करायो । जिण ढोलारै बैर १ मारवणी
हुई, बंभ राजारी बेटी हुई । १ पंवार भोजारी बेटी हुई 14 । ५६ राजा सुमित्र मांगळरो, जिण ग्वाळेर राज कियो। ग्वाळेर गढ़
करायो । गोलीराव तळाव गढ़ ऊपर करायो। ६४ राजा सोढ़ उसै राजारो। नळवर छोड़ ढूंढाड़ माहै पाय वसियो।
_
I नल राजाने नलवर बसाया। 2 ढोला नलका पुत्र। 3 वज्रदीप। 4 मांगलने मांगलोद बसाया। 5 राजा हणु आमेर आ गया। 6 राजा त्रिसिंघका पुत्र। 7 जिसने रोहिताश्वगढ बनवाया। 8 राजा दशरथके पुत्र। 9 रामचन्द्रजीके पुत्र लव और कुश हए। 10 उस लवने लाहोर बसाया । II कुशके वंशज कछवाहा कहलाये। 12 राजा ढोला नल राजाका पुत्र जिसने ग्वालियर बसाया । (ग्वालियर ढोलाके पहले बसा हुआ था ) 13 उस ढोलाकी एक पत्नी वंभ राजाकी (?) पुत्री मारवणी थी। 14 एक दूसरी पत्नी पंवार राजा भोजकी पुत्री (मालवणी) थी। 15 गोलीराव नामका तालाव गढ़ पर करवाया। ( पीढ़ी सं० ५५. में ढोलाके द्वारा गोलीराव तालाब बनवानेके उल्लेखसे यह विरुद्ध है ) । 16 नलवर छोड़ कर ढूंढाड़में आकर बस गया ।
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२६४.]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ६६ राजा काकिल । काकिलरै बेटा ४
१ हणूंत, अांबेर आयो। १ अलधरो, तिणरा मेड़-कछवाहा कहीजै। १ रालणरा रालणोत कहीजै ।
१ देलण, तिणरा लाहरका कहीजै ।। ७० राजा मलैसी, जिण मलैसीरै रांणी मेलणदे खीचण, अनळ खीचीरी
बेटी । जिरण पीहरसूं खांथड़िया-प्रोहित गुर आंणिया । पैहली गांगावत था सो दूर किया । मलैसीरै बेटा ४ हुवा
१ वीजळदे, प्रांवेर पाटवी । १ बालोजी, जिण खेत्रपाळ जीतो । सात तवा वेधिया । १ जैतल, जिण आपरा मांसरी बोटी काट तिणसू आपरै
साहिव ऊपर बैठी ग्रीधण उड़ाई। १ भींवड़ नै लाखणसी बेऊ10 पुंजनरा, त्यांरा परधांनका
कछवाहा कहीजै । ७२ राजादे वीजळदेरो तिणरा बेटा ।
१ राजा कल्याणदे अांबेर ठाकुर । १ भोजराज नै दलो, त्यांरा लवांणका-कछवाहा कहीजै । १ रामेस्वर, तिणरा रांणावत-कछवाहा कहीजै । १ सोहो, तिणरा सीहांणी कहीजै ।
_I अलधराके वंशज मेड़-कछवाहा कहे जाते हैं। 2 रालणके वंशज रालणोत कहे जाते हैं। 3 देलणके वंशज लाहरका कहे जाते हैं। 3 राजा मलसीके मेलणदे खीचरण रानी जो अनल खीचीकी बेटी। 5 जो अपने पीहरसे खांथड़िया-पुरोहित गुरुओंको साथ ले आई। 6 इसके पहले गांगावत गुरु थे जिनको दूर कर दिया। 7 वीजलदे अामेरका पाटवी राजकुमार 1 8 बालोजी जिसने क्षेत्रपालको जीता और लोहेके सात तवोंको एक तीरसे वेध दिया था। 9 जैतल जिसने अपने घायल स्वामीके ऊपर बैठी हुई गिद्धनीको उड़ानेके लिये अपने मांसके टुकड़े डाले और उसको वहांसे उड़ाया । 10 दोनों । II जिनके वंशज प्रधानका कछवाहे कहे जाते हैं । 12 जिनके वंशज लवाणका-कछवाहे कहे जाते हैं। 13 जिसके वंशज रागावत-कछवाहे कहे जाते हैं। 14 जिसके वंशज मीहागी कहे जाते हैं। ..
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.
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[२६५ ७३ कल्याणदे राजादेरो, तिणरा बेटा
१ राजा कुंतल अांबेर धणी । . १ रावत अखैराज, तिणरा धीरावत-कछवाहा कहीजै ।
१ रावळ जसराजरा हीज पोतरा कहीजै । ७४ राजा कुंतलरा बेटा
१ हमीर, जिणरा हमीर-पोता कहीजै । १ भड़सी, तिणरा भाखरोत-कीतावत ।
१ पालणसी, तिणरा जोगी-कछवाहा कहीजै । .. ७५ राजा जुगसीरा बेटा
१ राजा उदैकरण, प्रांबेर ठाकुर ।
. १ कुंभो, तिणरा कुंभारणी। . .. ७६ राजा उदैकरणरा बेटा
१ राजा नरसिंघ, आंबेर टीको। १ बालो, तिणरा सेखावत १ वरसिंघ, तिणरा नरूका ।
१ सिवब्रह्म, तिणरा नींदड़का कछवाहा । : ७८ राजा वणवीर नरसिंघरो, तिको अांबेर टीको । तिणरा राजा
वत नै वणवीर-पोता कहीजै । कछवाहारी वंसावळीरी विगत
श्री रामचंद्रजीरै कुस हुवो, तिण कुससूं कछवाहा कहांणां । राजा सोढ़ल नळवर छोड़ ढूंढाड़ आयो, तिणसूं वंसावळी ।
१ राजा सोढ़ल । . २ दूलहराव सोढ़लरो ।
वर
I जिसके वंशज धीरावत-कछवाहे कहे जाते हैं। 2 जिसके वंशज हमीर पोता
कहलाते हैं। 3 जिसके वंशज भाखरोत कीतावत । 4 जिसके वंशज जोगी-कछवाहा ....कहलाते हैं.। 5 जिसके वंशज नींदड़का-कछवाहा। 6 राजा वरणवीर नरसिंहका बेटा।
7 उस कुशके कछवाहा कहे गये। 8 उससे वंशावली लिखी जा रही है।
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२६६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ३ राजा काकिल आंवेर वसायो । ४ राजा हणूं आंवेर हुवो। ५ जांनड़दे हणूरो। ६ राजा पुंजन चो० प्रथीराजरै सामंत'। ७ राजा मलैसी पुंजनरो। प्रांवर टीको हुवो । वेटा ३२
मलैसीरै हुवा छै । पुंजनरा भींवड़ लाखण हुवा, त्यांरा कछवाहा परधानका कहीजै । ८ वीजळदे मलैसीरो। ६ राजादे वीजळदेरो। १० राजा कीलणदे राजादेरो । प्रांवर टीको हुवो । १० हेक भोजराज राजादेरो । तिणरा' लवाणा-रा-गढ़-रा-कछ
वाहा कहीजै । १० हेक सोमेस्वर, तिणरा रांणावत कहीजै । ११ राजा कुंतल कीलणदेरो । प्रांवेर ठाकुर हुवो। ११ हेक रावत अखैराज, तिणरा धीरावत-कछवाहा कहीजै । ११ हेक जरसी रावळ, तिणरा जसरा-पोता कहीजै । । १२ राजा जुणसो कुंतलरो । प्रांवेर ठाकुर हुवो। १२ हेक हमीरदे, तिणरा हमीर-पोता-कछवाहा । .. १२ हेक भड़सी, तिरणरा भाखरोत नै कोतावत । १२ हेक पालणसी, तिणरा जोगी-कछवाहा कहीजै । १३ राजा उदैकरण जुणसीरो । प्रांबर टीकायत । १३ हेक कुंभो, तिणरा कुंभांणी । १३ हेक बालो, तिणरा सेखावत । १३ हेक वरसिंघ, तिणरा नरूका । १३ हेक सिवब्रह्मा, तिणरा नींदड़का-कछवाहा कहीजै ।
I राजा पुंजन चौहान पृथ्वीराजका सामंत । 2 आमेरमें तिलक हुआ। 3 जिनके । .. 4 एक । 5 जिसके।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २६७ १४ राजा उदैकरणरो नरसिंघ अांबेर टीको। तिणरा राजावत ___ कछवाहा । १५ राजा वणवीर नरसिंघरो। वांसला' वणवीर-पोता कहीजै । १६ राजा उद्धरण । १७ राजा चंद्रसेण उद्धरणरो । अांबेर टीकाइत । १८ राजा प्रथीराज चंद्रसेणरो । १६ राजा भारमल, प्रथीराजरो । अांबेर वडो रजपूत हुवो । २० राजा भगवानदास भारमलरो । अांबेर टीकाई । वडो ठाकुर हुवो । अकबर पातसाह घणी मया करी। राव मालदेजी
बेटी दुरगावती बाई परणाई थी। २१ राजा मानसिंघ महाराजा हुवो। पूरबरो सूबो अकबर पातसाह
दियो थो। राव चंद्रसेणरी बेटी आसकंवर बाई परणाई थी। संमत १६०७ पोह वद १३रो जनम । संमत १६७१ दखणमें
काळ प्राप्त हुवो। . २२ कंवर जगतसिंघ मानसिंघरो। अकबर पातसाह नागोर दियो
थो। रांणी कनकावती बाई राव रतनसी कनकावतीरी बेटीरो
बेटो, कंवर थको हीज मुंवो। २३ राजो महासिंघ जगतसिंघरो । घोसा पटै हुतो । मोटा
राजाजीरी बेटी रुखमावती बाई परणाई हुती, सु साथै
बळी' । संमत १६७३ दिखण बालापुर थांणै । २४ राजा जैसिंघजी, भावसिंघ पछै अांबेर पायो । संमत १६७८,
सीसोदिया महाराणा उदैसिंघरो दोहितो । संमत १६६८रा असाढ़ वद रो जनम । संमत १६७६ राजा श्री सूरसिंघजीरी बेटी मेघावती बाई परणाई हुती ।
___I पीछे वाले वंशज । 2 टीकायत, गद्दीका अधिकारी । 3 कृपा। 4 कुमारावस्थामें ही मर गया। 5 था । 6 थी। 7 महासिंहके मरने पर साथमें जल कर सती हुई। 8 संम्वत् १६७३में दक्षिणमें वालापुरके थानेमें। 9 सम्वत् १६७६ में राजा सूरसिंहकी वेटी मृगावती बाई व्याही थी।
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२६८]
मुंहता नैणसीरी ख्यात २५ कंवर रामसिंघ। २५ कीरतसिंघ । २३ जूंझारसिंघ जगतसिंघोत' । २४ सगरांमसिंघ। २४ अनूपसिंघ जूझारसिंघरो। बुलाकी साहजादो गैवी ऊठियो थो
पूरवमें, उण कनै थो । हमैं राजा जैसिंघरै छै । २४ प्रथीराज जूझारसिंघरो। २४ किसनवि जूंझारसिंघरो। २२ सकतसिंघ राजा मानसिंघरो। २२ सवळसिंघ राजा मानसिंघरो। पूरब माहै भठीरी वेढ़ काम
आयो । राव चंद्रसेणजीरी वेटी रायकंवर वाई परणाई थी सु साथै वळी । २२ दुरजनसिंघ राजा मानसिंघरो। पूरबमें भठीरी वेढ़ कांम आयो। २३ परसोतमसिंघ, राजा भावसिंघ भेळो रहतो सु रांम कह्यो । २६ जैकिसनसिंघ। २४ रांमचंदर, राजा वाहदर साथै काम आयो । २४ भारथसिंघ। २४ सिवसिंघ। २२ राजा भावसिंघ राजा मानसिंघरो। प्रांवेर टीको। राजा
मानसिंघ पछै भावसिंघ टीको पायो' । वडो महाराजा हुवो । रांणी गोड़रो वेटो। जहांगीर पातसाहरी वार माह वडो. मयावंत चाकर हुवो । संमत १६३३रा आसोज वदी ३रो जनम । संमत १६७८रा पोह वद ६ वहांनपुर काळ प्राप्त
I जुझारसिंह जगत सिंहका वेटा। 2 पूर्वकी ओर बुलाकी शहजादा अचानक उ० . खड़ा हुआ था, अनूपसिंह उसके पास था। 3 अब राजा जैसिंहके पास रहता है। 4 पूर्वमें भट्टीकी लड़ाईमें काम अाया। 5 जो साथमें जल कर सत्ती हुई। 6 पुरुपोत्तमसिंह राजा भावसिंहके साथ रहता था, सो वहीं मर गया। 7 राजा मानसिंहके बाद भावसिंहको राज्य . . मिला। 8 भावसिंह जहांगीर वादशाहके समय बड़ा कृपा-पात्र सेवक हुआ ।
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___ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २६६ हुवो' । राजा सूरजसिंघरी बेटी आसकंवर बाई परणाई सु साथै बळी । बेटो नहीं । बेटी १ सूरजदे हुई सु राजा जैसिं
घजी संमत १६७६ राजा गजसिंघजी परणाई। पछै संमत .... १६६४रा जेठमें राजा गजसिंघजी काळ कियो तद साथै बळी । .. २२ हिमतसिंघ राजा मानसिंघरो।
२२ स्यांमसिंघ राजा मानसिंघरो। २२ कल्याणसिंघ राजा मानसिंघरो। २३ उग्रसिंघ। २१ कांन्ह राजा भगवंतदासरो।। २१ माधोसिंह राजा भगवंतदासरो । अकबर पातसाहरो अजमेर
मालपुरो पटै थो । अांबेररी मोहलारी प्रोळ ऊपरला झरोखाथी
पड़ियो तरै मुंवो। २२ सुजांणसिंघ । २३ हिंदुसिंघ। २२ छत्रसिंघ माधोसिंघरो भांणगढ़ पटै थो। संमत १६८६रै
आसाढ़ मांहै खांनजिहां पठांणरी वेढ़ लोहै पड़ियो, पछै वळे किणही उपाड़ियो। पछै वळे पातसाहरै चाकर थो।
पछै रांम कह्यो। २३ पेमसिंघ छत्रसिंघरो। खानजिहांरी वेढ़ काम आयो । २४ सूरतसिंघ। २४ मोहकमसिंघ । २३ आणदसिंघ छत्रसिंघ साथै काम आयो । २३ उग्रसेन छत्रसिंघरो । २३ अजबसिंघ छत्रसिंघरो। २३ तेजसिंघ माधोसिंघरो।
. I मर गया। 2 को। 3 राजा गजसिंहजी मरे तब साथमें जल कर सती हई। .. 4 आमेरकी महलोंकी पोलके ऊपरके झरोखेसे गिर कर मरा। 5 पठान खानजहाँकी लड़ाई में
घायल हुआ। 6 तंव किसीने वहांसे उसको उठा लिया। 7 फिर मर गया।
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३०० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात २१ सूरसिंघ राजा भगवंतदासरो । वडो रजपूत हुवो । सीकरीरो...
कोट अकवर पातसाह करायो तद' सूरसिंघरो डेरो कोटरी.. नींव आई तठे हुतो, सु डेरो सूरसिंघ न उठावै तरै पातसाह कोट वांको कियो, पिण सूरसिंघनूं क्यूंही न कह्यो । वड़ो आखाड़सिध' रजपूत हुवो। पातसाह अकवररै वडो चाकर हुवो। मोटै राजारी वेटी जसोदाबाई परणाई थी, .. जैतसिंघरी वैहन सु साथै वळी । __ कंवर सूरसिंघ भगवानदासोत सादमै सुलतान वेढ़ स्याळकोट हुई,' जका स्याळकोट, नगरकोट नै अटक बीच छै । उण ठोड़सूं गुजरात पण नैड़ी छै । सादमो-सुलतांन पातसाह हमाऊरो पोतो छै11; हंदायलरो भतोज छै। लसकरी कै कमरारो वेटो छ,13 तिणसं वेढ़ हुई। सूरसिंघ सादमत ...
मारियो ; नै सूरसिंघ कुसळे गयो। . २२ चांदसिंघ सूरसिंघरो। २३ अगरसिंघ । २३ अचळसिंघ। २४ मनरूपसिंघ। २४ गजसिंघ । २३ ग्यांनसिंघ । २१ प्रतापसिंघ राजा भगवानदासरो। २१ वलिरांम राजा भगवंतदासरो। . २० राजा जगननाथ भारमलरो। वडो महाराजा हवो । गढ़
रिणथंभोर, तोडो और ही घणा परगना जागीरमें था । तो. ..
I उस समय। 2 वहां था। 3 तव। 4 परंतु सूरसिंहको कुछ भी नहीं कहा ) - 5 युद्ध-विशारद । 6 वहिन । 7 शादमा-सुलतानसे स्यालकोटमें लड़ाई हुई। 8 वह ।
9 गुजरात, पंजावका एक प्रान्त। 10 निकट। II शादमा-सुलतान वादशाह हुमायूंका .. पोता है। 12 हिंदालका भतीजा है। 13 लसकरी ( असकरी ) कामरांका वेटा है। 14 जिससे लड़ाई हुई। 15 सूरसिंहने शादमाको मार दिया और कुशलपूर्वक निकल गया।
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.. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०१ राजथांन' । संमत १६०६ रा पोस वदी रो जनम । संमत . १६६५ मांडळ थांणो थो तहँ राम कह्यो । मांडळरा
तळाव ऊपर छत्री छै । . २१ जगरूप कंवर जगनाथरो। कंवर थको हीज दिखणमें अकबर
पातसाहरै संमत १६५६ काम आयो । बेटो कोई नहीं । बेटी १ थी सु राजा गजसिंघजी संमत १६६२ तोडै परणाई
कल्याणदेजी। २१ करमचंद राजा जगननाथरो । टीको हुवो । वडो दातार हुवो।
सु राजा जगननाथ पछै वरसां ४ सोह जागीर रही । पछै मिलकापुर थांण रांम कह्यो । २२. अभैकरन ।
२१ जसो राजा जगनाथरो । - २१ वीजळ राजा जगनाथरो, पातसाही चाकर । वांकी बेग मोह
बतखांरो रिणथंभोररा सूबा ऊपर थो। पाछो साहिजादो खुरम फिरियो, तरै साहिजादारै हुकमसूं गोपाळदास आई' रिणथंभोररी तळंटी तलक' दखल कियो। वांकी बेग गढ़ चढ़ गयो । पाछो साहिजादो नीसरियो' नै गोपाळदास गोड़ ही जांण लागो । पाछो वांकी बेग उतरियो,° पाछो कियो। पछै रातै गोपाळदास रातीवाहो दियो,11 त? वांकी बेग नै
वीजळजी काम आया। - . २१ मनरूप राज जगनाथरो, भीवरो तोडो पटै थो।
२१ गोपाळसिंघ पातसाही चाकर, तोडो पटै । २२ सुजांणसिंघ। २३ केसरीसिंघ ।
Nex.mtamnnary
.
. वाण
I राजधानी । 2 वहां मरा। 3 कुंवरपदे ही सं० १६५६में दक्षिण में अकबर बादशाहके काम आ गया। 4 राजा जगन्नाथके मरनेके बाद चार वर्ष तक सब जागीर उसके पास रही। 5 फिर मलिकापुर थानेमें मर गया। 6 पाछो फिरियो = बागी हुआ। -7 आकर । : 8 तक। 9 लौट कर चला गया। 10 फिर बांकी बेग गढ़से उतरा। .. II फिर गोपालदासने रात्रि-पाक्रमण किया ।
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..
३०२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात २३ हरिसिंघ । २१ बालोजी राजा जगनाथरो। २१ बलकरण राजा जगनाथरो। रावळे रह्यो थो। मेड़तारी
रेयां पटै। २० भोपत राजा भारमलरो। अकबर · पातसाह गुजरात गयो __ नै मुदफर पातसाह वेढ की त? मुंदड़ा आगै काम प्रायो। २० सलेहजी राजा भारमलरो । वडो रजपूत हुवो । पैहली राम
दास ऊदावतरै सलेहदीजीरै बालार. थो, पाछो पातसाही
चाकर हुवो। २० सादूळ राजा भारमलरो। २० सुंदरदास राजा भारमलरो । २० भगवानदास राजा भारमलरो। .. २१ मोहणदास भगवानदासरो। २१ अखैराज भगवानदासरो। २२ अभैरांम जागीरी ऊपर मुगल १ मारियो, तिण ऊपर जहां
गीर पातसाह अंबखास माहै रोकियो । कह्यो- 'बेड़ी पहर"
तरै लोह कर मुंवो । २२ स्यांमरांम अखैराजरो। अभैरांम साथै काम आयो । २२ हिरदैरांम अखैराजरो। २३ जगरांम, पातसाही चाकर। लवांइण पटै । पैसोररै थाणे । २३ रामसिंघ, उदैहीरै गांव वाघोर रैहतो। २२ विजैरांम अखैराजरो। १६ भीवराज प्रथीराजरो । रावजी वीकानेरिया लूणकरणजीरो
दोहितो' ।
I बादशाह अकदर गुजरात गया और मुदफ्फर बादशाहने लड़ाई की उसमें अकवरके : सन्मुख काम आ गया। 2 पहले रामदास ऊदावत और सलेहदीके परस्पर संबंध था। ... .. 3 दरवार-इ-ग्रामखास । 4 तव तलवार चला कर मर गया। 5 जगराम बादशाही चाकर, ... ... लवाणा जागीरमें और पेशावरके थाने पर रहता था। 6 उदेही परगनेके वाघोर गाँवमें रहता था। 7 बीकानेरके राव लूणकरणजीका दोहिता । . . . . .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०३ २० रतनसी भीवरांजरो। रतनसीनूं राजा आसकरण मारियो । २१ विक्रमादीत २१ करण । २० राजा आसकरण भीवराजरो । ग्वाळेर राजधांनी। नळवर.
पटै। श्री ठाकुरांरा महाभगत वैष्णव' । राव मालदेवजीरी बेटी इंद्रावती बाई परणाई थी । पछै आसकरणजीरी बेटी
मोटा राजाजी परणिया, तिणरै पेटरो राजा सूरसिंघजी । .... २१ राजा राजसिंघ आसकरणरो नळवर राजा हुवो। मोटा
राजाजीरी बेटी राईकंवरबाई परणाई थी; संमत १६७१
दिखगमें राम कह्यो । २२ राजा रामदास राजसिंघरो नळवर पटै । राजा श्री सूर
सिंघजी अजमेर में पातसाह जहांगीर हाथी पेश करनै नळ
वरनै राजाईरो टीको देरायो । संमत १६६१ राम कह्यो। २३ अमरसिंघ रामदासरो । नळवर राज टीकै बैठो थो। सकत
सिंघ मोटा राजाजीरो दोहितरो बाळक थकां मुंवो तरै नळ. वर उतरियो ।
२४ जगतसिंघ अमरसिंघोत ।।
२२ कल्याणदास राजसिंघरो। दिखण जायने तुरक हुवो । ... २२ किसनसिंघ राजसिंघरो । राईकंवर बाईरा पेटरो" ।
२१ जैतसिंघ राजा आसकरणरो। २२ मुकंददास जैतसिंघरो। रावळे कुड़कीरो पटो । २१ गोरधन राजा आसकरणरो । राव चंद्रसेणरी बेटी कंवळा
वती बाई परणाई थी।
I श्री ठाकुरजीका (श्रीकृष्णका) परम वैष्णव भक्त । 2 फिर आसकरणकी बेटीको मोटा राजा उदयसिंहजी व्याहे जिसके उदरसे सूरसिंहजी उत्पन्न हुए। 3 सम्वत् १६७१में मृत्यु हो गई । 4 राजा सूरसिंहजीने बादशाह जहांगीरको अजमेरमें हाथी नजर करके नरवरके स्वामियोंको राजाकी उपाधि दिलवाई। 5 मोटा राजाजीका दोहिता शक्तसिंह बचपन में ही मर गया तब नरवरका राज उतर गया। 6 दक्षिणमें जाकर मुसलमान हो गया। 7 रायकुंवरीबाईके उदरसे उत्पन्न । 8 मारवाड़ राज्यका कुड़की गांव पट्टेमें था।
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३०४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
२२ हिरदैनारायण । रावळा गांव ४, मेड़तारो गांव गांगरड़ो
दियो यो ।
२१ सकतसिंघ राजा श्रासकरणरो । २२ गोविंददास ।
२३ भावसिंग ।
१६ सुरतांण राजा प्रथीराजरो ।
२० तिलोकदास | दसमतखांनसूं विढ मुंवो' ।
२१ केसोदास मीच मुंवो । २२ सिंघ ।
२० सुंदरदास सुरतांगरो । २१ नरसिंघदास ।
२० वाघ सुरतांणोत । २१ उग्रसेण ।
२० मोहणदास सुरतांणोत ।
२० सकतसिंघ सुरतांणोत ।
2
२१ सहदेव सकतावत |
२१ देवसिंघ, वीठळदास गोंड़रै कांम आयो, रजा बाहदर साथै ।
२२ सुजांगसिंघ, राजा वीठळदासरै चाकर ।
१६ जगमाल राजा प्रथीराजरो ।
२० खंगार जगमालोत । जिण खंगाररा खंगारोत - कछवाहा नराइणारा धणी छै ।
4
२१ नराइणदास खंगारोतनूं अकवर पातसाह नराइणो पर्ट उतन कर दियो ।
२२ दुरजणसाल नराइणदासरो ।
I मारवाड़ राज्यकी श्रोरसे मेड़ताका गांगरड़ा गांव और चार गांव और दिये गये थे। 2 दममतखांसे लड़ कर मरा । 3 देवीसिंह रजा बहादुरके साथ विट्ठलदास गोड़के. काम आया। 4 जगमालका वेटा खंगार, जिसके वंशज खंगारोत कछवाहे नराणाके स्वामी हैं ।। 5 संगारके वेटे नारायणदासको वादशाह अकबर ने नराणा पट्ट और वर्तन कर दिया
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०५ ... २३ चंद्रमाण दुरजणसालरो। २३ अजबसिंघ। कांम आयो।
२२ रतन । २४ प्रतापसिंघ।
२१ हमीर खंगारोत। २१ सत्रसाळ नराइण
२२ सूरसिंघ किसनसिंघ साथै दासोत ।
काम आयो। २३ कुसळसिंघ ।
२३ तेजसिंघ। २२ गिरधरदास नराण
२२ रतन हमीरोत। दासोत ।
२३ केसरीसिंघ। २३ करण ।
२२ राजसिंघ हमीरोत । २३ रतन ।
२३ मोहकमसिंघ । २३ विहारीदास ।
२२ सकतसिंघ हमीरोत । २१ मनोहरदास खंगारोत । २३ आसकरण। २२ जतसिंघ ।
२२ किसनसिंघ हमीरोत । २३ कल्याणसिंघ ।
२१ राघोदास खंगारोत । २२ भोजराज । नराइणो
२२ नरसिंघदास । पटै । वाघ काम प्रायां २१ वाघ खंगारोत पातसाही पछै वडो समझवार
चाकर । बेटो नहीं सु - सिरदार हुवो।
भोजराज गोद थो। २३ गोपीनाथ ।
संमत १६८६ दक्षिण २३ सूरसिंघ।
खांनजहारी वेढ़ काम २३ हरिसिंघ।
आयो । कछवाहा छत्र२२. प्रतापसिंघ मनोहर
सिंघ साथै । ....... दासोत ।
२१ वैरसल खंगाररो। मह२३ विहारीदास ।
मदमुराद नराइणा ऊपर २३ सबळसिंघ ।
आयो तरै काम पायो ।
. ..
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-
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-
... 'गोट
.... I युद्ध में काम आया । 2 वाघके मारे जानेके बाद भोजराज बड़ा समझदार सरदार हुआ.। 3 खंगारका बेटा वाघ बादशाही चाकर। इसके कोई बेटा नहीं, इसलिये भोजराजको गोद लिया था। सं० १६८६में दक्षिणमें खनिजहांकी लड़ाई में कछवाहा छत्रसिंहके साथ काम पाया। मरम्मत आया। 4 मुहम्मद मुराद नराणे पर चढ़ कर आया तब काम पाया।
.
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३०६ ]
__ मुंहता नैणसीरी ख्यात २२ केसरीसिंघ वैरसलोत, २१ भाखरसी खंगारोत, भलो. नाथावतारी वेढ़ कांम
डील हवो । रावळे मेड़प्रायो।
तारी भोवाळ पटें। २१ सुजांणसिंघ।
. २१ जसकरण । २२ दलपत ।
२२ सादूळ । २२ बिजैरांम, काम
२३ रुघनाथसिंघ। आयो सांभररा किरो- २२ बद्रीदास राजा जैसिंघरो डीसूं वेढ़ हुई त, ।
चाकर । २३ हररांम काम प्रायो २३ माधोसिंघ रावळे रह्यो केसरीसिंघ भेळो ।
. थो। २१ उदैसिंघ खंगारोतरै छोरू २२ द्वारकादास । नहीं।
२३ अजवसिंघ, रावळे थो । २१ अमरो खंगारोत।
२३ सूरसिंघ रावळे थो। २२ उग्रसेन ।
राव हरिसिंघ साथै काम २२ जगनाथ, स्यांमसिंघ कर
आयो। मसेणोतरै काम प्रायो। . २१ केसोदास खंगारोत । २१ किसनसिंघ खंगारोत । २२ कल्याणसिंघ राजा वीठ२२ सबळसिंघ, राजा राय- __ळदासरै रह्यो थो।
सिंघजीरै काम प्रायो। २१ सांवळदास खंगारोत । ..... २३ स्यांमसिंघ ।
. बेटो नहीं। २२ हररांम।
२० जैसो जगमालोत । २१ राजसिंघ खंगारोत ।
२१ केसोदास । २२ वळरांम मालपुरै काम प्रायो। २२ मनरूप ।
I नाथावतोंकी लड़ाईमें मारा गया । 4 सांभरके किरोड़ीसे लड़ाई हुई उसमें मारा...' गया। 3 केसरीसिंहके साथ हरराम भी काम पाया। 4 उदयसिंह खंगारोतके कोई पुत्र नहीं। 5 जगन्नाथ करमसेनके बेटे श्यामसिंहके लिये काम आया। 6 सवलसिंह राजा रायसिंहजीके लिये काम आया। 7 भाखरसी खंगारोत वड़ा जवरदस्त हुआ । जोधपुर महाराजाकी अोरसे ...... मेड़तेका भोवाल गांव पट्ट में था। 8 अजवसिंह जोधपुर महाराजाके यहां नौकर था । ... 9 सूरसिंह जोधपुरके महाराजाके यहां नौकर था। 10 कल्याणसिंह राजा विठ्ठलदासके यहां ... रहा था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०७ २१ बलू ।
२१ भारथी। १६ बलिभद्र वांकड़ो; राजा २२ गिरधर । प्रथीराजरो'।
२२ रांमसिंघ । रामसिंघरै २० अचळदास बळभद्रोत ।
छोरू नहीं ३ । २१ मोहणदास।
२० नरहरदास पंचाइणरो। २१ गिरधर अचळदासरो। २१ छीतरदास । २० दुरजणसाळ बळभद्रोत । २२ विदावनदास । २१ केसरीसिंघ ।
२३ किसोरदास। २१ स्यांमदास ।
२४ फतैसिंघ । २० गोयंददास बळभद्रोत । २४ आणंदसिंघ । २० दयाळदास बळभद्रोत । २३ फरसरांम विदावनरो। २० स्यांमदास ।
२४ अजबसिंघ। २० वेणीदास।
२४ अभैरांम। १६ सांगो राजा प्रथीरा- २४ जूंझारसिंघ ।
जरो । लदांवण माहै २४ सिवरांम। चारण कांनै मारियो। २४ किसनसिंध । अऊत हुवो।
२४ सुरतसिंघ, ६ फरसरांम। १६ पंचाइण राजा प्रथीरा- २३ सबळसिंघ विंदावनजरो । खांन हबीबसू
दासरो। खोह लड़ाई हुई तट २४ मोहकमसिंघ । . कांम आयो ।
२३ सुंदरदास त्रिंदावन२० किसनदास झरहर काम
दासरो। आयो।
२४ किसनसिंघ। २१ कल्याणदास ।
२४ रामचंद ३ । २२ कांन्ह ।
२३ सकतसिंघ विंदावनरो। २२ जैरांम ।
२४ अजबसिंघ ५ विंदावनरो। .: I बलभद्र बांकड़ा राजा पृथ्वीराजका बेटा । 2 लदाणेमें चारण कान्हाने इसे मार दिया, अपुत्र रहा । 3 खान हबीबसे खोहमें लड़ाई हुई वहां काम आया। 4 किशनदास झरहरकी लड़ाईमें मारा गया। 5 रामसिंहके कोई पुत्र नहीं।
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३०८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
२२ नरसिंघदास छीतरदासरो अऊत' ।
२२ माधोदास छीतरदासरो ।
२२ हरनाथ । २२ गिरधर ।
२१ बळकरण नरहरदासजीरो ।
२२ मुकंददास ।
२३ चत्रभुज । २३ वेणीदास ।
२२ वंसीदास |
२३ रांमसाह ।
२३ रांमचंद ।
२३ अनूपराम | २२ गोविंददास ।
२३ उदैरांम ३।
२१ मोहणदास नरहरदासरो। कांम आयो । २१ जसकरण नरहरदासरो. कांम आयो ४ | २० वीठळदास पंचाइणोत । २१ वाघजी, राजा मानसिंघ
कंवर सवळसिंघनूं पक
ड़ियो त कांम प्रायो'
I
२२ हररांम |
२२ बुधसिंघ कांम प्रायो ।
२० रांमचंद ।
२१ राघोदास वीठळदासरो ।. २० हिरदैरांम ।
२३ स्यांमसिंघ राजारो
चाकर ।
२३ जैकिसन राजारो
चाकर ।
२१ उदैसिंघ वीठळदासरो ।
२० सुजांणसिंघ |
२३ बलू ।
२३ गजसिंघ ।
२३ सुरतसिंघ ।
२२ फरसरांम उदैसिंघोत
राम कह्यो ।
२३ बुधरांम ।
२३ पेमसिंघ ।
२३ अजबसिंघ ।
२० जगनाथ उदैसिंघोत । राजारै चाकर ।
२० सिवरांम उर्दैसिंघोत । २० विजैराम उदैसिंघोत । राजारै चाकर ५ ।
२१ हरिदास वीठळदासरो ।
२० गोयंददास ।
२३ मथुरादास । राजारै
चाकर ।
तरदासका पुत्र नरसिंहदास पुत्र रहा । 2 राजा मानसिंहने कुंवर सबलसिंहको
पकड़ा वहां बाजी मारा गया। 3 उदयसिंहका बेटा परसराम मर गया ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०६ २३ गोकळदास । राजारै २३ अनूपसिंघ .: चाकर।
२२ दयाळदास । २३ कनकसिंघ ।
२३ जोधसिंघ । २२ भोजराज । उदैहीरी २३ फतेसिंघ । नांदोती वसतो।
२२ कानड़दास । २३ भारमल ।
२३ राजसिंघ। २३ फतैसिंध। .
२३ गुमानसिंघ ३,६। २३ केसरीसिंव।
२० नाराइणदास पंचाइ२३ देवीसिंघ।
णोत । २३ सवळसिंघ ।
२१ सुंदरदास । २३ सूरसिंघ ६ ।
२२ किसनसिंघ फतैसिंघरो २१ स्यांमदास वीठळदासोत।
चाकर। कटहड़ काम प्रायो। २२ रामचंद । २२ लाडखांन स्यांमदासोत । २२ कुसळसिंघ ३ ।
वसी उदैही। रावळे २१ मुरारदास । ____ चाकर।
२२ चतुरसिंघ । राजा जैसिं... २३ कुसळसिंघ।
घरो चाकर २ । २४ हिमतसिंघ ।
२२ सांवळदास पंचाइणोत । २४ हिंदूसिंघ ।
२० किसनदास पंचाइण २३ किसनसिंघ।
भेळो काम प्रायो २३ अजबसिंघ।
खोहमें । - २३ अनोपसिंघ ४।
१६ गोपाळदास राजा प्रथी२१ सादूळ वीठळदासोत ।
राजरो। .. वडो दातार हुवो।
२२ सुरजन वांकड़ो कहांणो। २२ सुंदरदास ।
२१ जसूंत, मुवो। २३. जैतसिंघ ।
२२ देवीसिंघ ।
. .
कटन
वा
___I उदेही परगनेके नादोती गांवमें रहता था। 2 कटहड़की लड़ाई में मारा गया। 3 उदेहीकी जागीरी और जोधपुर महाराजाके यहां चाकर। 4 किशनदास पंचाइणके साथ
... खोहमें मारा गया। 5 मर गया।
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३१० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात २१ रांमसाह, मोत मुंवो'। २१ जसूंत नाथावत राजा २२ किसोरसिंघ ।
भावसिंघरै । पछै राजा २० वैरसल गोपाळरो।
जैसिंघरो चाकर। २२ देवकरण गोपाळरो। २२ जुसिंघ।
दिवांण कहीजतो। २३ वळभद्र। रावळे चाकर २१ सांवळदास देवकरणरो। थो1 । २२ हिरदैनारायण ।
२२ छाताळ । २२ केसरीसिंघ ।
२३ जगभांण । काबल २३ मोहंकमसिंघ ।
मुंवो111 २१ सिंघ देवकरणरो।
२१ रांमसाह नाथावत । २० नाथो गोपाळदासरो,
राजा जैसिंघरो चाकर। जिणरा नाथावत कछ- २२ कुसळसिंघ । वाहा कहीजे।
२३ दुरजणसिंघ । २१ विहारीदास नाथावत । २२ सुजाणसिंघ । ..
वडो डील । राजा २१ मनोहरदास नाथावत। भावसिंघरैसूं छाड़ने
२२ अभैरांम । मोहवतखांनरै वसियो। २३ अनूपसिंघ। वडो दोलतवंद थो। २२ इंद्रजीत । पाछो पातसाही चाकर २३ मोहनरांम । हुवो।
२२ अखैराज। २२ गजसिंघ । गोड़ां
२३ मधुवनदास । मारियो।
२२ मदनसिंघ राजारै चाकर। २२ अजवसिंघ दिक्षणियां
२३ जगतसिंघ । मारियो, मोहवतखांन
२२ मुथरादास । राजरै। कनै जाता।
चाकर, पछ पातसाहरै।
I रामशाह अपनी मौत मरा। 2 दीवान कहलाता था। 3 जिसके वंशज । 4 बड़ा जबरदस्त । 5 राजा भावसिंहको छोड़ कर मोहबतखांके यहां रहा । 6 बड़ा मालदार था । 7 गोड़ोंने मार दिया। 8 मोहबतखांके पास जाते हुएको। 9 नाथाका बेटा जसवंत राजा भावसिंहके यहां नौकर | 10 जोधपुर महाराजाके यहां नौकर था । II काबुल में मरा।
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खंभार
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३११ खंधार रांम कह्यो ।
संमत १६८९ रावळे २३ पहलादसिंघ ६।
वसियो थो। २१ केसोदास नाथावत ।
पटो रुपिया १७०००) रो २२ सुंदरदास।
दियो थो। पाछो - २३ किसनसिंध।
संमत १६६५ छाड २१ द्वारकादास नाथारो।
राजारै गयो । २१ सांमदास नाथावत ।
२२ प्रतापसिंघ राजारै . पूरबमें काम आयो ७ ।
चाकर। २६ चत्रभुज प्रथीराजोत । २३ सूरसिंघ ३ । २० कीरतसिंघ पठाणां
२० जूंझारसिंघ चत्रभुजोत । मारियो ।
२१ हिमतसिंघ । इण २१ केसोदास कीरतसिंघरो। मोहबतखांन लदांणो २२ किसनसिंघ राजा जैसिं
दियो थो । पाछो रावळे घरो चाकर । पठाण
रह्यो तरै पटो रुपिया घोड़ारी सोबत ले
१५०००) रो दियो थो। सांगानेर उतरिया था
पछै सदोरै थकै बाहित्यांरा घोड़ा कीरतसिं
रमी रीतरै छोडायो। घरा वैर मांहै खोस
पछै संमत १७०० वळे लिया । पछै पठाण
उदैही राखियो थो11 । जाय पुकारिया। तरै २२ फतैसिंघ। पातसाहजीरा हुकमसूं २२ सकतसिंघ २ । राजा जैसिंघजी चढ़ नै १६ कल्याणदास प्रथीराकिसनसिंघनूं मारियो
जरो। संमत १६७६ ।
२० करमसी कल्याण२२ गजसिंघ केसोदासोत ।
दासरो। I खंधारमें मरा । 2 कीर्तिसिंहको पठानोंने मार दिया। 3 झंड। 4 ठहरे थे। 5 उनके । 6 जोधपुर महाराजाके यहां नौकर रहा था। 7 फिर सम्वत् १६६५ में छोड़ कर राजाके (जयपुरके) यहां चला गया। 8 इसको। 9 जोधपुर महाराजाके । 10 पीछे जबरदस्ती छोड़ाया गया। II सं० १७००में पुनः उदहीमें रख दिया था।
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३१२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात २१ खड़गसेन । राजा जैसिं
परणाई थी। घरो चाकर।
२१ उदैसिंघ जैमलरो । २१ सुंदरदासनूं विहारियां
सांखलारो भाणेज़ । मारियो ।
२२ राघोदास उदैसिंधरो। २० मोहणदास कल्याण
२२ कचरो उदैसिंघरो। दासरो।
. राठोड़ वाघ प्रथीराजोत २० रायसिंघ कल्याण
मारियो । दासरो।
२० रामचंद रूपसीरो। २१ जोध।
२१ हररांम मींच मुंवो'। २१ जगनाथ ।
२१ गोकळदास । २० कान्ह कल्याणदासरो४। २१ द्वारकादास । १६ रूपसी वैरागी राजा
२१ बलू । सेखावते प्रथीराजरो । अकबर
मारियो ४ । पातसाहरो चाकर ।
२० तिलोकसी रूपसीरो । . परबतसर जागीरमें पायो
मोटा राजाजी वेटी थो।
किसनावती बाई पर२० जैमल रूपसियोत' ।
णाई थी। तिलोकसी अकवर पातसाह फतैपुर
मुंवो तरै साथै बळी । दियो । संमत १६४० २० वैरसल रूपसीरो। बडजैमल असमाधियो थो
गूजरांरो भाणेज' । तरै मुथराजी जाय राम २० चतुरसिंघ रूपसीरो । कह्यो ! वडो परम
मा मैणी थी11 । भगत थो । मोटा राजा- २० भोजराज रूपसीरो। जीरी वेटी दमेती वाई
करमा खवासरो ७।
I सुंदरदासको विहारी पठानोंने मारा। 2 रूपसीका पुत्र । 3 मरणासन्न हुआ। 4 तब मयुराजी में जाकर मरा । 5 मोटा राजाजीकी (उदयसिंहकी) वेटी दमयन्तीवाई व्याही थी। 6 पृथ्वीराजके वेटे राठौड़ वायने मारा। 7 हरराम अपनी मौत मरा । 8 शेखावतोंने मार दिया। 9 तिलोकसी मरा तब साथमें जली। 10 बड़गूजरों का भानजा । II रूपसीके वेटे चतुरसिंहकी मा मीणा जातिकी स्त्री थी। 12 करमा खवासके पेटका । .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[३१३ रूपसी वैरागीरा।
२१ खंगार । राजा चंद १६ पूरणमल प्रथीराजरो।
उधरगारो । उधरण २० छीतर पूरणमलरो।
वणवीररो। २१ उदैसिंघ ।
१७ कछवाहो वणवीर। २० सूजो पूरणमलरो।
जिण वणवीररा वणवी२१ किसनदास ।
रोत-कछवाहा कहीजै। : २१ वेणीदास।
इणांरो परवार घणो छ, ....२२ उदैकरण ।
पिण मांडियो न छै । ... २१ माधोदास २, ३ ।
वणवीर उधरणरो । १८ कुंभो राजा चंदरो। १८ भैरूं । राजा मानसिंघरै प्रथीराजरो भाई ।
हाथियांरो फोजदार श्रो। __ वैसणों गांव मोहारि' । १६ केसवदास भैरबरो। १६ उदैसिंघ कुंभारो।
२० केसरीसिंघ। २० राजमल उदैसिंघरो। २० जसवंत केसवदासरो । - २१ वेशीदास रायमलरो। २० अचलदास केसवदासरो। ... २१ जसवंत ।
१४ वालो राजा उदैक. २१ डूंगरसी।
रणरो, तिणरा' सेखा... २२ गोपाळदास ३ ।
बत । २० रांम उदैसिंघरो।
१४ वरसिंघ उदैकरणरो। २१ लूणो रांमरो।
जिणरा* नहका-याछ. २२ सादूळ ।
वाहा कही। १८ नरो राजा चंदरो।
१५. मेहराज वरसिंघरो। प्रवीराजरो भाई।
१६ नरू मेहराजन! जिणन" ... १६ बीतर नरारो।
नरका यहीजे । - २० बनिनिध।
१७ दामोना ।
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३१४ ]
मुंहता नैणसीरीन्यात १८ चांनगादास दासारो ।
राजा जगनाथरी चाकर। १६ मैहसो चानणदासरो। २१ राघोदास रामरो। निवाई ठाकुर हुवो।
अटक ऊपर खानाजंगी २० कान्ह बहसारो।
मोहबतखांनर चाकरांसू २१ केसोदास बडे डील
हई त मारियो । थो । मोहबतखां लाल- २२ राजनिघ राघोदासरो। सोट पट दी थी।
मोहबतखारै बास धो। २२ उग्रसेन केसोदासरो। २२ प राघोदासरै टीकावडो रजपूत थो । मोह
इत' । वणहटो मोहबतखारै वास थो । पछै
बतखांन दियो श्रो। रावले वसियो । रेयांरो २१ वीठळदास रामरो। पटो दियो थो। राय
बेटो नहीं। पुररो पटो थो । मोह- २१ विसनदास रांमरो। बतखांन लालसोट पटै २२ राजसिंघ। ...
दी थी। मीच मुंवो"। २१ प्रतापमल रामरो। ... २३ रुघनाथसिंघ।
२० गोपाळदास सहसमलरो। २२ सूरजमल केसोदासरो। २० वेणीदास सहसमलरो। २२ तेजसी केसोदासरो। २० देईदास सहसमलरो। २१ माधोदास कांनरो।
२० वीरमदे सहसमलरो। निवाई पटै ।
२० दुरगदास सहसमलरो । २१ सकतसिंघ।
२० दूदो सहसमलरो ८ । २२ दीपसिंघ ।
सहसमल चांनणरो। २४ रूपचंद ।
१८ करमचंद दासारो। २० राम सहसमलरो । वरण
मोजावाद धणी । तिणनं हटो रांमरो वसायो।
राजा सांगै प्रथीराजरै
I केशोदास जबरदस्त और मोटे शरीरका था। 2 फिर जोधपुर महाराजाके यहां । रहा । 3 अपनी मृत्युसे मरा। 4 रामके वणहटो गांवको आबाद किया। 5 अटक ऊपर मोहबतखांके नौकरोंसे लड़ाई हुई वहां मारा गया। 6 मोहबतखांके यहां रहता था। ..... 7 रूप राघोदासका उत्तराधिकारी।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[३१५ मारियो ।
२० कीरतखां अलखारो। १६ सिंघ करमचंदरो।
१८ रतन दासेरो। २० जैतसी सिंघरो।
१६ सांगो रतनरो। २१ चंद्र भांण जैतसीरो। २० कचरो सांगारो। मींच पनवाड़ धणी। रावळे
मुंवो । संमत १६६८ वसियो २१ मालदे कचरारो। थो । राहिण पटै । पछै २२ सुरजन मालदेरो। पातसाही चाकर हुवो। २३ रायकंवर । राजा गजसिंघजी पर- २३ रांमकंवर। णिया छा"। नरूकी २३ चत्रसाळ ।
केसरदे साथै वळी । २३ दूदो ४ । सुरजनरा । २१ इंद्रभांण जैतसीरो।
२२ सादूळ मालदेरो। रावर ठाकर।
२३ कान्हो सादूळ रो। . २१ हरराज जैतसीरो । राव २३ जैतसिंह। __ केसोदास मारियो।
२३ हरिसिंह । . २१ उदेभांण जैतसीरो ।
२२ प्रतापसिंघ मालदेरो। २० वेणीदास सिंघरो।
२३ जगरूप । २० नाथो सिंघरो ३ ।
२२ रायसिंघ मालदेरो। १६ प्रथीराज करमचंदरो। २३ करण । २० भींव प्रथीराजरो । वडो २३ अचळदाल । दातार हो।
२२ च नभुज मालदेगे। १८ चांना दासेरो।
२. गोपीनाथ । १६ अलखो वांदगारो।
२२ माधोनिय मानदेगे। २० दलपत अलमारो। राजा २२ कनोमाग मालो । जैनिधजीरो चाकर।
पूरब माटीनी चेन
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३१६ ]
मुंहता नैणसरी ख्यात
कांम ग्रायो' ७।
मालदे कचरावतरा ।
२१ फरसरांम कचरावतरे
बेटा १२ |
२२ राघोदास फरसरांमरो । २३ पीथो ।
२३ गिरवर ।
२३ स्यामसिंघ |
२३ कांन्ह |
२२ वाघ फरसरांमरो ।
२३ मोहणदास । रावळे वास थो' ।
२४ नरहरदास ।
२३ जगनाथ ।
२३ किसनसिंघ वाघवत । पंवारे मारियो ३।
२२ भगवानदास फर्सरामरो ।
२२ जसवंत फरसरांमरो । २३ हरिजस ।
२३ राजसिंघ |
२३ किसनसिंघ |
२२ वलिरामजी फरस
रामोत । २३ नाथो ।
२३ उदैकरण फरसरामोत ।
२३ गोविंददास |
२३ गोवरनदास ।
२३ लूंणो ।
२२ हरिदास फरसरांमरो |
२३ जैतसिंघ |
२३ वीठळवास |
२२ रामचंद फरसरांमरो । पंवारांरी वेद कांम
ग्रायो ।
२३ गोपीनाथ ।
२३ पूरो ।
२२ उभांण फरसरांमरो । २२ नरसिंघदास फर्सरांमरो । २३ दूदो १२ ।
२१ रुद्रकंवर | रावत किस
नसिंघजीरो साळो । किसनसिंघजी साथै कांम आयो ।
२२ सूरसिंघ रुद्ररो ।
२२ कुंभकरण रुद्ररो । २२ मनोहरदास रुद्ररो ।
२३ राजसिंघ |
२३ हरकरण ४ ।
२१ भोपत कचरावत । किसनसिंघजीरै वास
I पूर्व में भट्टीकी लड़ाईमें काम प्राया । 2 मोहनदास जोधपुर महाराजाके यहां नौकर था । 3 वाघाका बेटा किशनसिंह जिसे पंवारोंने मारा । 4 पंदारोंकी लड़ाईमें मारा, गया। 5 रुद्रकुमार रावत किशनसिंहजीका साला जो उन्हींके साथ मारा गया ।
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__ मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३१७ थो सु किसनसिंहजी राजारैसूं छाड रावळे साथै काम आयो ।
वसियो संमत १६८६॥ २२ देईदास भोपतरो। रा।। २२ हररांम जसवंतरो। जगमाल भारमल साथै
रावकै चाकर थो" । कांम प्रायो।
२३ हिमतसिंघ । २३ सूजो देईदासरो।
२३ कुसळसिंघ। २३ उग्रसेण ।
२२ रूपसी जसवंतरो २ । २२ मुकंददास भोपतरो।
२० भावसिंघ सेखारो । जग२३ राजसिंघ।
नाथ गोयंददासोत २३ किसनसिंघ २,४ कचरा
मारियो' २। रतने सांगावतरा।
दासावतरा। १६ सेखो रतनारो।
१८ जैमल दासेरो। निपट . २० मदनसिंघ सेखारो।
वडो रजपूत हुवो । मर२१ लूणकरण मदनसिंघरो। णरै दिन घणो विसेप २२ अचलदास लूणकरणरो। कियो । २३ राजसिंघ । राजा जैसिं- . १६ बलू जैमलरो।
घरै वास । कंवर रोम- २० रामदास। सिंघ कनै रह्यो ।
२० वीठळदास । २२ केसरीसिंघ लूणकरणरो। २१ विसनदास ।
राजा जैसिंघरै वड- १६ लाडखांन जैमलरी। गूजरांरी चेढ़ काम
२० गोपाळदाल महारोट ग्रायो' २ ।
काम प्रायो। २१ जसवत मदनसिंघरो। १६ रायनांवर।
___शाहा भोगिनिहाय मामि मामा पापा । भोप नाकाम जगमान मारमगोमा
:
REE Mer
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३१८ ]
मुंहता नैणसीरी व्यात २० चत्रभुज ।
२१ राव कल्याणमल फनै- . २१ मनोहरदास ।
सिंघरो। राजा सिंघर १८ पूरणमल दासारो।
बेटां बरोबर यो । कांमां . . .. १८ रायमल दासारो।
पहाड़ीरो सूबो यो । १६ रामचंद्र ।
२२ रिणसिंध। २० वळभद्र।
२२ पाणंदसिंघ । २१ गोविंददास बळभद्रोत । २२ अजबसिंघ।
ईसरदास कुंपावतरो १४ बालोजी राजा उदैकरदोहितो । रावळे वास
णरो। जिणरी अोलादरा थो। रेवाड़ीरा गांव
सेखावत-कछवाहा पटै ।
कहीजे । सेखावतारो २२ जोगीदास ।
उतन अमरसर वैसगो। १८ कपूरचंद दासारो।
१५ मोकल बालरो, जिणनूं | १६ रूपसो।
पीर वहांन चिसती १६ वैरसी ।
निवाजस की, जिणरो . १७ लालो नरूरो। लालो
तकियो मनोहरपुर गांव राव कहांणो।
ताळे छै, डूंगरी ऊपर। १८ ऊदो लालारो।
१६ सेखो मोकलरो, जिससूं १६ लाडखांन ऊदारो।
सेखावत कहांणा । ... २० फतेसिंघ लाडखांनरो ।
अमरसर सेखैजी वसायो। तिणनूं राजा जैसिंघ
अमरसर अमरै अहीररी बेटो कर गोद लियो
ढांगी थी, जात थो ।
खासोदो। सिखरगढ़
I वलभद्रका वेटा गोविंददास, ईश्वरदास कंपावतका दोहिता जो जोधपुर महाराजाके यहां नौकर था और जिसे रेवाड़ीके गांव पट्टेमें मिले हुए थे। 2 लाला राव कहलाया। 3 लाडखानके वेटे फतहसिंहको वेटा मान कर गोद लिया था। 4 राजा जयसिंह इसे अपने वेटोंके वरावर मानता था । कामा पहाडीका सूबेदार था। 5 उदयकर्णका पुत्र वालोजी जिसकी औलाद वाले शेखावत-कछवाहा कहे जाते हैं। शेखावतोंका निवासस्थान अमरसर । 6 मोकल वालेका पुत्र जिस पर शेख पीर बुरहान चिश्तीने कृपा की (और पुत्र दिया) जिसका तकिया मनोहरपुरके निकट पहाड़ी पर बना हुआ है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३१६ -- राव सेखै वसायो । २० किसनदास राव लूण. १७ रायमल सेखावत ।
करणरो। १८ सूजो रायमलरो।
२० दूलै राव लूणकरणरो। १६ राव लूणकरण सूजारो। २० ईसरदास लूणकरणरो। राव मालदेरी बेटी हंस
सवळसिंघजीरो सुसरो। बाई परणाई थी।
संमत १६७३ राम कह्यो २० राव मनोहर, जिण
ब्रहानपुर में । मनोहरपुर वसायो। २१ गोकळदास खवासरोथो। हंसा बाईरो वेटो ।
२० सांवळदास लूणकरणरो। २१ प्रथीचंद मनोहररो।
२१ रूपसी। २२ किसनचंद ।
२० नरसिंघदास लूण२३ जैतसिंघ ।
करणारो। २३ मोहकमसिंघ।
२१ उग्रसेगा नरसिंघदासरो। २२ प्रेमचंद।
२२ महासिंघ उग्रसेणरो । २३ इंद्रचंद ।
राजा जैसिंघरे बास । २३ कुसळचंद।
२३ मानसिंध। २१ रायचंद मनोहररो। बंठास काम प्रायो।
२३ अणंदसिंघ। २२ तिलोकचंद ।
२३ दीपसिंघ। २१ प्रिथीचंद कांगुड़े काम २२ गंमसिंघ उनमेणगे। प्रायो। राजा विक्रमा
गजा गिधर वान बत साथ।
यो । पछे गायले नागार २१ प्रतापचंद ।
थो । अगिया २५०००)
।
नया मेटा गाभिमान । माग YEARRIEगः पाने मानवजानिमा
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३२० ]
मुंहता नैणनीरी ख्यात पटो. रेवाड़ीरा गांव
कांम प्रायो दिया।
२३ हरनाथ । २३ चंद्र भांण ।
२२ किसनसिंघ, कल्याणदास २३ अजवसिंध।
माथे काम प्रायो। २३ रुघनाथसिंघ उग्रसेणरो। २२ कान्हीदास । २२ मेहकरण । राव? वास २१ वळभद्र नरसिंघदालगे।
थो । एक बार उदैहीरो २१ हररांम। पीपळाईसू रुपिया
२१ द्वारकादास नरसिंघदास १२०००) पटो हुतो।
रो। ३ नरसिंघदास, २३ मोहनरांम।
कल्याणदास करणोत। २३ सवळसिंघ ।
२० भगवानदास लूंगाकर२३ कुसळसिंघ ।
णोत । २३ किसनसिंघ ।
२१ अत्रळदास । २२ जैतसिंघ अग्रसेणरो ।
२२ सकतसिंघ। २३ हरिसिंघ ।
२३ रूपसिंघ रावळे चाकर। २३ नराइणदास।
१६ रायसल सूजारो | वाघा २२ विहारीदास उग्रसेणरो।
सूजावतरो दोहितो । २३ केसरीसिंघ।
अकवर पातसाहरै राय२३ सकतसिंह।
सल दरवारी कही२२ गोविंददास उग्रसेणोत।
जतो। खंडेला-रैवासो पटे २३ सूरसिंघ ।
थो । खंडेलो निरवाणां २३ मुकंददास ।
कना रायसल लियो । २२ कल्याणदास उग्रसेणोत ।
मूळ खंडेलो तुंवर खडनिरवांणारी लड़ाईमें
गलरो वसायो । I उग्रसेनका वेटा रामसिंह, पहले राजा जयसिंहके यहां था, बादमें जोधपुर महाराजाका चाकर हो गया । रेवाड़ीके रु० २५०००)के गांव पट्ट में दिये गये थे। 2 मेहकर्ण जोधपुर महाराजाके यहां नोकर था। इसे एक बार उदेहीका २० १२०००)की रेखका पीपलाई गाँवका पट्टा दिया गया था। 3 उग्रसेनका वेटा कल्याणदास निरवानाकी लड़ाईमें मारा गया । 4 रसायलने निरवानोंके पाससे खंडेला लिया । 5 मूलमें खंडेला तुंवर खड़गलका वसाया हुआ है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३२१ .. २० लाडखांन रायसलरो। २२ दिलरांम। २१ माधो लाडखांनरो । २१ सुंदरदास लाडखांनरो। तिण सल्हेदी राजा
२२ पैहळाद। वत मारियो । माहरोठ २२ चतुरसिंघ। महैि ।
२२ रतन। २२ हिंदूसिंघ माधारो।
२१ जोधो लाडखांनरो। __ २२ सूरो माधारो ।
२१ केसरीसिंघ लाडखांनरो। रा।। इंद्रभांण मारियो । २२ जैसिंघ। २३ अजवसिघ ।
२१ जगो लाडखांनरो। २१ कल्याणदास लाडखानरो।
गिरधरदास रायसलोत तिणनूं भोजराज
खंडेल टोको। राठोड़ रायसलोत मारियो।
वीठळदास जैमलोतरी संमत १६५३ । बेटो
दोहितो । संमत १६८० नहीं ।
ब्रहानपुर में सैदांसू खांना२१ केसो लाडखांनरो ।
जंगी हुई तरै सैदां केसानूं नाई मारियो ।
मारियो । पछे सैदांनूं नाईरी वैरतूं हालतो ।
ही परवेज साहिजादै २२ भगवानदास ।
मोहबतखार गरदन २१. आसकरण लाडखांनरो।
मारिया। २२ कल्याणसिंध।
२१ राजा द्वारकादास गिर२२ चतुरसिंघ ।
धरदासरो । मंडेले २२ नेमसिंघ।
टीको। खानजिहारी २२ नाथो।
पहली वेढ़ लोहद पडियो
जिसको सनदी राजापत्तने गारो मारा। ०१६५३ मारा नोटा मही। पाटनमा मा मार दिनाकी मनमानी भी।
ReferRE
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0
३२२ ]
मुंहता नैणसीरी न्यात थो पाछो खानजिहां २१ विजेंसिंघ गिरधररो । मारियो तद काम २२ हरमाण । प्रायो' ।
२२ उधरसिंघ। . .. २१ हरिसिंह गिरधररो। २२ अरजनसिंघ। .. २२. राजा वरसिंघदे द्वार- २१ किसन सिंघ गिरवररो।
कादासरो। भारमलोतारो २२ जैसिंघ पातसाही चाकर। भाणेज । कंवर श्री
२२ अखैसिंघ पातसाही प्रथीसिंवजीरो नांनो।
चाकर। २३ पुरसवहादर।
२२ महासिंघ। २३ मोहकमसिंघ ।
२१ गोपाळदास गिरधररो। २३ स्यांमसिंघ।
२१ गोरधन गिरधररो। २३ दौलतसिंघ।
२१ सूरसिंघ गिरधररो। २३ अमरसिंघ । रावळे चाकर २२ अनूपसिंघ ।
रुपिया ३०००) पटो। २० भोजराज रायसलरो। २३ जगदेव।
२१ तोडरमल भोजराजरो। २३ अजसिंघ।
वडो कपाळीक । उदै२३ भोपतसिंघ।
पुर खंडेला कनै रहै। २३ अनूपसिंघ सूरसिंघरो।
पातसाही चाकरी छूटी। २१ सल्हैदी गिरधररो ।
नाक वैठ गो छो! . राठोड़ कांन्ह राय- २२ हरनाथसिंघ तोडरसलोतरो दोहितो ।
मलोत । २२ हरदेव ।
२२ परसोतमसिंघ । रावळ २२ सांवळदास।
चाकर । रेवाडीरो गांव
.
1 गिरधरदासका वेटा राजा द्वारकादास। खंडेले टीका हुआ । खानजहांकी पहली लड़ाईमें घायल हुअा था और फिर खानजहां मारा गया जव यह भी काम आ गया। 2 द्वारकादासका बेटा राजा वरसिंहदेव, भारमलोतोंका भानजा और कुंवर पृथ्वीसिंहका नाना था। . 3 अमरसिंह जोधपुर महाराजाका चाकर, रु० ३०००)का पट्टा। 4 गिरधरका वेटा सलहदी रायसलके वेटे राठौड़ कान्हका दोहिता था। 5 भोजराजका बेटा तोडरमल बड़ा कापालिक था। खंडेलेके पास उदयपुरमें रहता था। बादशाही चाकरी छूट गई । नाक बैठ गया था।..
.
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३२३ खोहरी वसी थी'। २२ जैतसिंघ द्वारकादासरै २२ परसोतमरा बेटा
कांम प्रायो। २३. हरिसिंघ । .
२२ हरिसिंघ । २३ प्रथीसिंघ। .
२३ महासिंघ। २३ स्यांमसिंघ ।
२२ सूरसिंघ । २३ हिमतसिंघ ।
२१ वळिरांम फरसरांमरो। २३ भीवसिंघ ।
२१ मदनसिंघ फरसरांमरो। २३ जूझारसिंघ ।
२१ चतुरसिंघ । २१ केसरीसिंघ भोजराजरो। २२ सूरसिंघ ६ । फरसरांमरा। .२१ रुघनाथ भोजराजरो । २० तिरमणराय रायसलरो। २२ चांदसिंघ । रावळे
राजा सूरसिंघजी संमत चाकर।
१६६८ खंडेले तिरमणरै २० परसरांम रायसलोत ।
परणिया था सु सेखा... बड़गूजरांरो दोहितो।
वत साथै बळी । २१ वीठळदास ।
२१ गोगारांम । २२ अभैरांम।
२२ स्यांमरांम। २१ सुरतांणसिंघ।
२२ रतन । २२ विजैरांम ।
२२ कल्याणसिंघ। २१ सवळसिंघ फरसरांमरो। २२ तुळछीदास। २२ हरनाथ।
२१ बद्री तिरमणोत। २२ घनाथ ।
२१ उदेकरगा खवासरो ४ ॥ २३ सुजांगासिंघ।
२० ताजबांन रायसलरो। २३ गजसिंघ हरनाथोत ।
वडगूजरो दोहितो। २३ चंद्रमाण ।
२१ गिगताना गवळ नाकार ... २१ तिलोकनी फरसरांमनो।
यो। मड़ता हाहो यो । '..
AME नागरधोनी 11
Timritanniमायो
:
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३२४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
२१ किरतसिंघ ताजखांनरो ।
२२ किसनसिंघ | २३ विजैसिंघ |
२१ मुगटमिरग ताजखानरो | दवो श्री ३ |
२० हररांम रायसलरो । निरवाणां दोहितो |
२१ हिरदैरांम |
२२ चंद्रभांण ।..
२२ जैभांण ।
२२ हरभांण ।
२२ उदैभांग । रावळै रह्यो थो । रेवाड़ी गांव पटै ।
२२ इंद्रभांण ।
२२ ग्रमरंभांण ।
२१ चतुरसिंघ हररांमोत । २१ फसिंघ हररांमोत । २२ दुरजनसिंच ।
२२ अमरसिंघ ।
२२ प्रजसिंघ ।
२२ अनोपसिंघ |
२२ भावसिंघ |
२२ श्रचळ सिंघ |
२२ नरसिंघदास |
२२ प्रथीराज |
२१ राजसिंघ हररांगोत । २२ कल्यांणसिंघ | २२ महासिव |
२१ संग्रामसिंघ हररांमोत |
२२ रामसिंघ ।
२२ सांमसिंघ |
२२ मोहकमसिंघ | २० विहारीदास रायसलरी | निवांणांरो दोहितो | महारोठ कांम आयो । २० बाबूराम रायसलरो । जाटणीरा पेटरो । महारोठ कांम आयो । रायसलजी साहपुरो पट दियो थ डीडवांरी: मदद की । वळभद्र नारणदासोत आयो तद मारियो । मां स्वाळखरी. जाटणी थी ।
२० दयाळदास रायसलरो ।
२० वीरभांग रायसलरो । गोड़ां दोहितो ।
२० कुसळ सिंघ रायसलरो । सोनगरांरो भांणेज । २१ करमसेन ।
I उदयभांण जोधपुर महाराजाके यहां नौकर रहा था, रेवाड़ीके गांव पट्ट में थे । 2 विहारीदास रायसलका बेटा, निरवानोंका दोहिता, मारोठ में मारा गया । 3 वावुराम रायसलका बेटा, जाटनीके पेटका था । मारोठमें काम आया । रायसलने डीडवानेकी मदद की तव शाहपुरा पट्ट में दिया था । इसकी मा स्वालखकी (नागोर परगना की) जाटनी थी ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३२५ २१ नरसिंवदास ।
२२ सुंदरदास । २१ उगरसेन १२ ।
२० सांगो मैदरो। १६ गोपाळ सूजारो।
२१ जैतसिंघ । मोहवत२० माधोदास ।
खांनरी बेढ़ कांम आयो'। २० ततारखांन ।
२१ सल्हैदी सांगारो। २० सांईदास ।
२० भारमल भैरूंगे। २० गोकळदास
२१ खींवकरण मोहबतखारै २० स्यांमदास ।
वास थो। २१ सवळसिंघ ।
१६ चांदो सूजारो। २० हरदास ।
२० ततारखांन गिरधरजी २१ मोहणदास ५।
साथै काम प्रायो। १६ गोपाळ सूजावत।
२१ मुकंददास ततारखांनरो। १६ भैरूं सूजारो।
२१ फतैसिंघ । २० नरहरदास ।
१८ सहसमल रायमलरो । २१ नाहरखांन ।
१६ करमसी सहसमलरो। २१ किसनसिंघ।
२० दुरजणसाळ राजा गज२१ मुकंददास ।
सिंघजीरै नांनो । रोगी २१ हरिसिंघ ।
सोभागदेजी अकबर २१ जगनाथ ।
पातसाह बेटी कर व्याह २१ जरावंत ।
कियो । नंमत १६६४। २१ वता।
२० रामचंद करमनीले। २१ ममनाथ २१.६ ।
असवर पातमाह दिसण २० बरसाळ मैलंगे।
मेलियो " मान२१चत्रभुज ।
खांनो लडाई नकार है। २२ गरीवदान ।
विमणियांन माग ..सालको महान महान TE
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३२६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात - नवाबनूं कही लड़ाईनूं चढ़ पावै । पछै ग्रायने नवाबनूं कही। लेजायने दिखणियांसू सेज सी लड़ाई कराई नै पाप पहलाहीज उपाइने फोज माहै नांखिया सु काम प्रायो।
गीत रामचंद करमसीरारो
असमर' भुज धूंण वधै लग" अंबर । खत्रियां-गुर" जूझार खरै । रूठे दिखण तणै' सिर रांमै । हमल हलाया सिखर-हरै ॥१
आठवाट कर थाट एकठा । भुज पतसाही भार भले । अहमद नगर वीद घर ऊपर ।
कछवाहै चाळवी11 कले ॥२ २१ धरमचंद । मीच मुंवो। २२ गोपीनाथ। १८ तेजसी रायमलरो।
२२ रतन । १६ सकतसिंघ तेजसीरो।
२२ सूरसिंघ । १६ मानसिंघ तेजसीरो।
२२ किसोरसिंघ। २० नारणदास मानसिंघरो। २१ दीपचंद नारणदासरो। २१ वळभद्र नारणदासोत । २१ नरसिंघदास मानसिंघरो। दिखण पातसाहजीरै
१६ रांमसिंघ तेजसीरो। काम आयो । खान
मोटा राजाजीरो सुसरो जिहारी वेढ़ छत्रसिंघ
जैतसिंघजीरो नानो ३ ।' .. भेळो ।
१८ जगमाल रायमलरो। २२ कनीदास ।
१० भींव जगमालरो।
I मामूली। 2 और उसने पहले अपने घोड़ोंको उठा कर सेनामें डाल दिया। 3 करमसीके बेटे रामचंदका गीत । 4 तलवार। 5 तक। 6 क्षत्रिय-श्रेष्ठ। 7 के । 8 शिखरके वंशजने । 9 संहार, नाश । 10 समूह । II शस्त्र चलाया। 12 नारायणदासका ... वेटा वलभद्र, दक्षिणमें खानजहांकी लड़ाईमें छत्रसिंहके साथ वादशाहके काम आया ।
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मुंहता नैणसीरी न्यात
[ ३२७ २० दूदो भींवरो।
२० दळपत पातसाही चकिर । -१८ सीहो रायमलरो।
२१ रामसिंघ। १८ सुरतांग रायमलरो ६ । २१ सांमसिंघ। १७ दुरगो सेखारो।
२१ सुदरमण । १८ मानसिंघ दुरगावत ।
१७ अभो सेखारो। १६ सूरसिंघ मानसिंघोत । १८ सांईदास अभागे। २० नारणदास ।
१६ लूंणो सांईदासरो । २१ अलखां । द्वारकादासरै २० नाथो लूंगारो।
समैं खंडेल साहबोरी २१ मनोहरदास । - मदार छ ।
२१ जसो । २२ जगनाथ रावकै चाकर । २१ राघोदास । २२ दूदो।
२१ भोपत । २२ दळपत ।
२१ हररांम। २२ वळभद्र ।
२१ दयाळ । २१ केसोदास नारादासरो। २१ वीको।
गिरधरजी साथै काम २१ सींधो। प्रायो।
२१ जसो नाथावत। २२ भगवानदास ।
२२ चंद्र भांण । २१ मोहणदास । महारोठ २१ सींधो नाथारो। . काम प्रायो।
२२ वीठळदास । २२ दीपचंद। .
२३ उदभांण । पातमाही १७ रतनसी सेवारो। १८ अखेराज रतनसीरो । २२ करयांगदाम । १६ चांन्ह असे राजरो।
२३ विहारी। २० दयालदास।
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।
३२८ ]
मुंहता नणसीरी ख्यात २३ राघोदास ।
रावळे जगड़वासरो २२ स्यांमदास ।
पटो छो' । २३ अजवसिंघ।
२० भोपत राघोदासोत। २२ सादूळ ।
२१ रामसिंघ। २३ प्रेमसिंघ ।
२१ सुजांणसिंध। २० पैरोज।
१८ जैमल कंभारो। २१ सूरसिंघ।
१६ ईसरदास जैमलोत । २१ दळपत।
पातसाही चाकर। २१ उदैसिंघ।
२० वीरभांण। . . २० सिंघ ।
२१ सवळसिंघ । . २० ठाकुरसी।
२१ सांमदास । २१ किसनसिंच।
२१ गरीवदास । २१ डूंगरसी।
२० सुरजन काम पायो । २२ कुंभकरण ।
२१ प्रेमसिंघ। २२ चंद्रभांण ।
२० माधोसिंघ । काम प्रायो। २२ विजैरांम ।
२१ गजसिंघ। २१ केसरीसिंघ।
२१ मानसिंघ । २१ गिरधर।
२० प्रथीराज । नाहर मारियो २२ गरीबदास ।
कटारी ३ वाही। २२ जूंझार।
२१ खींवकरण । २१ दरियाखांन । .
२१ महासिंघ । २२ बाहदर।
२० भोपत। १७ कुंभो सेखारो।
२१ सांवतसिंघ । १८ रामचंद।
२४ जैतसी कुंभारो। १६ राघोदास।
१७ भारमल सेखारो। २० माधोदास राघोदासरो । १६ वाघ भारमलरो।
___ 1 राघोदासके पुत्र माधोदासको जोधपुर महाराजाकी ओरसे जगड़वास गांवका पट्टा था । 2 पृथ्वीराजने तीन बार कटारी मार करके नाहरको मारा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३२६ १६ भगवानदासनूं चाकर
छ । करणावत मनोहर- मारियो'।
पुर परधान हुता। २० माधोसिंघ ।
१६ भींव । १६ गिरधरदास । राजा
१७ गोयंद। गिरधर साथै काम
१८ रामसिंघ । प्रायो।
१६ भगवंतदास । १७ अचळो सेखारो।
२० सूजो। १८ रूपसी।
२१ विजरांम। १६ कलो।
२१ मानसिंघ। २० दुरजणसाळ ।
२१ मोहनरांम। २० बलू।
२० चतुरसिंघ भगवंतरो। २१ रामसिंघ।
२१ हिमतसिंघ । २२ राजसिंघ ।
२० बळभद्र । २२ जूंझारसिंघ ।
२० हरिदास । १८ करमचंद अचळारो।। १४ कछवाहो सिवब्रह्म राजा १६ पोथो।
उदैकरणरो । जिणरा २० गोविंददास ।
नींदड़का-कछवाहा २१ गोपाळ !
कहीजे । अठ मांडिया २१ महासिंघ ।
नहीं । प्रांवर जाकर १५ खेराज खरहथ बालारा,
छ ४ । जिणरा पोता करणावत १३ राजा उदैकरण जुणकछवाहा कहीजै । अठ
मीरों। थोड़ा मांडिया छ । पण १३ गाछवाहो:मो जुगाकरणाबत आदमी २००
वीरो। जिपस मांगी
..
मशानदार पाने मार
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३३० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात कछवाहा कहीजें'।
जिणरा भाख रोत-कछकुंभो उकरणरो भाई। वाहा कही । भड़सीकुंभांणियांरी वडी पीठ
पोता। छ । अांबेर चाकर छ। ... वेणीदास । ... महेसदास पीथारो।
... साहिबखांन वेशीदासरो। ... किसनसिंघ । राजा
भलो रजपूत हुवो। जैसिंघरै बटा कीरत
पैहली आसपखारै थो"। .. सिंघ कनै रहतो । संमत
पछ पातसाही चाकर १७०८ काविल मीच
हुवो। मुंबो।
किसनसिंघ साहिव१२ जुणसी कुंतळरो।
खांनरो । रांजा अनुरुष १२ हमीर कुंतळरो। जिगरा गोड़रो चाकर' ।
हमीर-पोता-कछवाहा १२ कछवाहो भड़सी , कहोज, सु हमीरदेरा
कुंतळरो। तिगरा पोतरा घण। डील छै ।
कीतावत-कछवाहा .. प्रांवेर चाकर छै । केई
कहीजै । नरायण चाकर छ ।
१२ पालणसी राजा ....... ... पतो!
कुंतळरो जिणरा जोगी... स्यांमसिंघ पतारो।
कछवाहा कहीजै । . राजा जैसिंघरो चाकर। इगांरी ठाकुराई ... रामसिंघ पतारो।
पैहली जोवनेर हुती। १२ भड़सी राजा कुंतळरो
हमैं तो जोबनेर जोगियांसूं .
_I जुगसीका पुत्र कछवाहा कूभा जिसके वंशज कुंभाणी-कछवाहे कहे जाते हैं। 2 कुंभारिणयोंकी बड़ी प्रतिष्ठा है। 3 किशनसिंह राजा जयसिंहके बेटे कीतिसिंहके पास रहता था, सं० १७०८ में कावुलमें अपनी मौत मरा। 4 कुंतलका बेटा हमीर, जिसके वंशज हमीर-पोता कछवाहे कहे जाते हैं, हमीरदेवके पोतों आदिका बड़ा कुटुम्ब है, कई आमेरमें
और कई नरागमें चाकर हैं। 5 जिसके वंशज भाखरोत-कछवाहे या भड़सी-पोता कहे जाते हैं। 6 पहले आसफखांके यहां नौकर था। 7 राजा अनिरुद्ध गौड़का चाकर। 8 जिसके ... कीतावत-कछवाहे कहे जाते हैं। 9 जिसके जोगी-कछवाहे कहे जाते हैं। 10 इनकी। ..
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३३१ छटो'। केई अांबेर नरा- १६ नारायगा । .:. ..चाकर छ। . १८ रामदास दरबारी ऊदा: रामदास वणवीररो ।
वत पहलो सल्हेदीरो .. राजा जैसिंघर वास ।
बालार' थो । पछ पात... थानसिंघ खांडेरावरो।
साह अकबररो बोहत . राजा जैसिंघरै वास ।
निवाजसरो चाकर हवो। ११ कुंतळ कीलणदेरो।
अरजवेगी हुवो" । बडो ११ रावत खैराज कीलण
दातार हुवो। पछै अकदेरो। तिणरा धीरा
वर पातसाह फोत हुवां वत कछवाहा कहीजै।
पछै " जहांगीर बगसरे १२ मालक रावत खैराजरो। थांण राखियो थो, उठे १३ धीरो मालकरो।
रांम कह्यो' । जहां- जिणरा धीरावत.
गीर बोहत कुमया की। कहावै ।
अकबर-पातसाह गुज१४. नापो धीरारो।
रात ली तद इणगारसूं १५ खांन नापारो।
गुजरात गयो । तद १६ चांद खांनरो।
सांगानेर कोटवाळ १७ ऊदो चांदरो।
थो," तट खिजमत की १८ रामदास ऊदारो।
तद मुजो हुवो"। दरवारी।
११ जरसी राव कीलण..... १६ दिनमिणदास ।
देरो"। जिण जमरा१६ सुंदरदास ।
कछवाहा बहीजे । पूरब १६ दलपत ।
माह छ । जता
· ! मन्त्र ती जोबनेर जोगी-परवाहगिर गया। पार ...} 3 राजा जमिन रहता। उमः। 5 निमोहमा ... पापा दमा यसपान पामार
गुना
१३ He
अनपानीमा नागारमाना
कर ( बर)
RESATTATREPRENER
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३३२ ]
मुंहता नैणसीरी व्यात.
पोता' ३ । १० कीलर दे राजदेवोत ।
१० भोजराज राजदेरो ।
जिणरा पोतरा लवां
णारा-गढ़रा-कछवाहा
कहीजे" ।
सोदास राजा जैसिंघ₹
वास" ।
3
८ बालो मलैसीरो । सात तवा अलावदी पातसाह ग्रागै फोड़िया । मोहीलारै. परणियो त खेत्रपाळ कूट काढियो तर गैल छूटी ।
७ मलैसी पुंजनरावरो । मलैसीरै ३२ वेटा हुवा |
७ भींवड़ने लाखण पुंजनरो ।
जिणरा पोतरा कछवाहापरधांनका कहीजै ।
5
४ राजा हणूं काकिलरो । ४ कछवाहो प्रळधरो राजा काकिलरो' । जिणरा पोता तिके कछवाहा
मेड़का- कुंडल का कहीजै । मनोहरपुर चाकर चींवड़ है। मेड़का कुंडका
++
अमरसर गांव १२
हृता । दम १२००००० हमें ग्रै गांव वैराट वांस
इति कछवाहांरी ख्यात वार्ता संपूर्णम । दसकत वीठू पनेरा छै । शुभं भवतु ।
लगाया ।
४ कछवाहो रालरण राजा काकिलरो जिणरा पोता रांलगोत कछवाहा
कहीजै । मनोहरपुर चाकर चींधड़ छै ।
४ कछवाहो देल काकिलरो । जिणरा पोता लहर- कछवाहा
कहीजै । कैहेक कछवाहा गंगा जमना वीच अंतरवेध मांहै छै । सालेर मालेर गांव २० मांह कछवाहा भूमिया
असवार ४०० छै । घणा दिनांरा उठे जाय रह्या छै ।
राजा
.:
I जिसके वंशज जसरा कछवाहे अथवा जसरा - पोता कहे जाते हैं, पूर्व में हैं । 2 जिसके पोते लवाग्गागढरा- कछवाहे कहे जाते हैं । 3 केशवदास राजा जयसिंहके यहां रहता था । 4 वाला मलैसीका बेटा, इसने एक साथ लोहे के सात तत्र एक ही तीरसे अलाउद्दीनके सामने फोड़ कर दिखाये थे, मोहिलोंके यहां व्याहा था, वहां पर क्षेत्रपालको मार भगाया, तव सबका पीछा छूटा | 5 जिसके पोते प्रधानका कछवाहे कहे जाते हैं । 6 कछवाहा अलधरा राजा काकिलका बेटा | 7 जिसके पोते कुंडलका - कछवाहे अथवा मेड़का कछवाहे कहे जाते हैं ।
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वात एक गोहिलां खेड़रा धणियारी
. खेड़' गोहिलारी वडी ठाकुराई थी। राजा मोखरो धणी छ । तिणरे बेटी बूंट पदमणी थी । तिगरी वात खुरासांणरै पातसाह सांभळी तरै तिण ऊपर घोड़ा लाख तीन विदा किया । तिकै चढ़ खेड़ आया । तुरके खेड़ सहर घेरियो । गोहिल पिण' तद जोर था। दिन ४ सारीखी वेढ़ हुई । पछै गोहिलै जमहर' करनै मैदान आय वेढ़ हुई; तळाव बहवनसररै आगोर तठे घणा गोहिल कांम आया; घणा तुरक काम आया; नै घोड़ा पाछा गया ।
फौज प्रावतां पैहली बहवन कठेही गयो थो सु ऊबरियो,10 .. बूट पिण ऊबरी11 । राजा मोखरो काम आयो । पछै मोख रारो बेटो - बहवन टीकै बैठो । साथ घणो काम आयो । ठाकुराई निबळी पड़ी।
तरै बाहड़मेररै धणियां गोहिल दबाया13 । गांव नाकोड़े गढ़ पंवारै ... कियो । धरती लेणरो विचार कियो तरै बहवन मंडोवर हंसपाळ
पड़िहार धणी थो, तिणनूं कहाड़ियो15-''म्हां कनां पंवार धरती ले छै । के तो म्हारी ऊपर करो नहीं तरै पछै थांनूंही लागसी ।" तरै पड़िहारै कह्यो-'थारै18 बेटी पदमणी बूंट छै, तिका परणावो तो थां सांमल हुवां ।” तरै इणां आपरै गम देखनै बूंट परणावणी कबूल की । बूंट तो वरजियो भाई. पण इणै वात मांनी नहीं । तरै पड़िहार हंसपाळ चढ़ खेड़ आयो । तिण समै पंवारै गायां लीवी।
- I खेड़ मारवाड़ के मालानी प्रान्त में लूनी नदीके किनारे वालोतरासे पांच मील
पश्चिममें है। राठौड़ सीहा और आसथांनने सर्वप्रथम यहीं अपना राज्य कायम किया था। -. अंव खेड़ खंडहरोंके रूपमें रह गया है। 2 राजा मोखरा वहांका स्वामी है, उसके बूट नामकी
एक बेटी जो पद्मिनी थी। 3 सुनी। 4 तुर्कोने खेड़ शहरको घेर लिया। 5 भी। 6 शक्तिशाली। 7 जौहर । 8 तालाबके पासकी वह भूमि जिसका पानी तालावमें आता है। 9 कहीं भी। 10 बच गया। II बूट भी बच गई। 12 राज्य निर्बल पड़ गया। I3 तब वाड़मेरके स्वामियोंने गोहिलोको दवाया। 14 नाकोड़ामें पँवारोंने गढ़ वनवाया।
I5 उसको कहलवाया। 16 हमारे पाससे । 17 या तो हमारी सहायता करो नहीं तो ये -- ..... पीछे तुमको भी सतायेंगे । 18 तुम्हारे । 19 तब इन्होंने अपनी परिस्थितिका विचार करके।
20 वूटने तो भाईको मना किया।
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३३४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
8
तरै पड़िहार गोहिल भेळा हुय बाहर चढ़िया, सुगांव नाकोड़े आपड़िया" । गायां तो कोट पोहती । हंसपाळ घोड़ो नाखियो सु प्रोळरा किवाड़ भागा । तं पंवार मांणस ४०० कांम आया | मांणस ३०० गोहिल पड़िहार कांम आया । हंसपाळरो माथो तूट पड़ियो । हंसपाळ माथी पड़ियै पर्छ धड़ गायां ले वळियो । गायां खेड़ प्रांणी' | पणहारियां कह्यो - "देखो माथा विण धड़ आवै छै ।" तठै हंसपाळ पड़ियो । पछै पड़िहार परणण ग्राया" ; फेरा २ लिया; तरै वूंट बोली - "गोहिल थांसूं छूटा ।" पड़िहार कह्यो - "छूटा।” तरै इण वूंट कह्यो - " मैं तो थांनूं वरजियो थो" पण थे मांनियो नहीं । हमैं गोहिलांसूं खेड़ जाज्यो' । पड़िहारांसूं मंडोवर जाज्यो'4।” इणां दोनांहीनूं वूंट श्राप देने उड़ गई । उड़तीनूं वूंटरै मांटी हाथ घातियो सु एक लूंगड़ो वूंटरो हाथ ग्रायो नै वूंट उड़ गई” ।
10
11
2
1
बात
6
18
गोहिलां कनां'" खेड़ राठोड़ां ली, तरै " गोहिल खेड़ छाड़ नै'
19
एक वार - कोटड़ारै देस वरियाहेड़े गया । पछै उठाथी धांधळे मारे नै पर। काढ़िया, " तर कितराहेक दिन सीतड़हाई जेसलमेरथी कोस १२ छै तठै जाय रह्या । पछै उठेही " राठोड़ां आगे रह न सकेँ । तरै जेसळमेररो धणी गोहिलांरै परणियो हुतो सु
रावळ कनै
20
I तव पड़िहार और गोहिल दोनोंने शामिल होकर पीछा किया। 2 सो गांव नाकोड़ा में उनको पकड़ लिया 1 3 हंसपालने अपना घोड़ा ऐसा डाला सो पोलके किंवाड़ टूट गये । 4 वहां । 5 मनुष्य । 6 हंसपालका सिर कट कर पड़ जानेके बाद उसका धड़ गायोंको लेकर लौटा | 7 गायोंको खेड़ में ले आया । 8 देखो: बिना सिरके बड़ श्रा रहा है । 9 (पनिहारिनोंके ऐसा कहते ही घोड़े परसे) हंमपाल ( का धड़) वहाँ गिर गया । ० फिर पड़िहार विवाह करनेको ग्राये । 11 तब बूट वोली, गोहिल तुमसे ऋणमुक्त हुए । 12 मैंने तो तुम्हें पहले मना कर दिया था 1 13 अब गोहिलोंसे खेड़ छूट जाय । 14 पड़िहारोंसे मंडोर छूट जाय 1 15 उड़ती हुई को वूटके पतिने हाथ डाला सो वूटका एक वस्त्र उसके हाथ श्राया परन्तु बूट तो उड़ गई । 16 से, पाससे । 17 तव । 18 छोड़ कर ! 19 पीछे वहांसे भी बांधलीने मार कर निकाल दिया। 20 कितनेक | 21 वहां भी ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३३५ गया । तरै रावळ इणांनूं केई दिन जेसळमेररा गढ़ ऊपर राखिया । तिको दिखण दिस गढ़में प्रो अजेस गोहिल टोळो कहावै छै । तठा
पछै कितरैहेक दिने झै सोरठनूं गया । सेबूंजारौँ कोस ४ सीहोर गांव __छ, त जाय रह्या छ । रावळ कहाडै छै। भला रजपूत भूमिया छ । ... गांव ४०० माहै उणांरो भोमियाचारारो ग्रास लागै छै । सेपूँजो
पिण गोहिलारै छै' । पालीतांण सिवो गोहिल छ, तिको जात करण - आवै छै । तिणां कनै क्यूंही लेनै पछै सेQजै सिंघनूं चढ़ण दे छै। : विरद उणांनूं चारण भाट मारवारो दे छ ।
. ग्रासरी विगत' -- __ सोरठरै देस एक ठोड़ा सीहोर, सेāजारौँ कोस ४ छै तठे रावळ अखैराज ; धोधरै परगनै इणांरो ग्रास11 लागे ।
एक ठोड़ लाठी, गांव ३६० में ग्रास लागै । लोलियांणो, अरजियांणो धोधुकाथी कोस १७ ।
- सोरठ माहै देवके-पाटण सोमईयो महादेव वडो जोतलिंग . हुतो, तिको संमत १३०० अलावदी पातसाह जाय उपाड़ियो,13
तठ गोहिल हमीर, अरजन भींवरा बेटा काम आया, वडो नांव कियो14 | तिणां साथै वेगड़ो भील पिण काम आयो1 ।
.. I सो ये रावलके पास गये। 2 गढ़के अंदर दक्षिण दिशाका वह स्थान अब भी
गोहिल-टोला कहलाता है। 3 जिसके कितनेक दिनों बाद ये सोरठको चले गये। 4 वहां जाकर रहे हैं। 5 रावल कहलाता है। 6 चारसौ गांवोंमें उनका भूमिचारा ग्रास (कर) - लगता है। 7 शत्रुजय भी गोहिलोंके अधिकारमें है। 8 पालीताना शिवा गोहिलके अधि
- कारमें है, वह वहां जो यात्रा करनेको पाते हैं उनसे कुछ कर लेकर फिर यात्री-संघको शत्रुजय ... पर्वत पर चढ़ने देता है । 9 ( सोरठमें जाने पर भी ) चारण और भाट लोग उनको
मारुनोंका (मारवाड़ियोंका) ही विरुद देते हैं। 10 ग्रासका विवरण । II एक कर । , 12 सौराष्ट्र में देवपाटन स्थानमें सोमनाथ महादेव एक ज्योतिलिग था। 13 जिसको अला
. उद्दीन बादशाह संम्वत १३०० में जाकर उखाड़ लाया। 14 वहां पर भीमके वेटे गोहिल . हमीर और अर्जुन काम आये, बड़ा नाम किया। 15 उनके साथ में बेगड़ा भील भी काम आया। .
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
अथ पंवारांरी उतपत आव अनळकुंड वसिष्ट रिखेस्वर दैतारै वधरै वास्ते च्यार जात ... रजपूत उपाया१ पंवार ।
३ पड़िहार। २ चहुवांण ।
४. सोळंकी। पंवारांरी पीढ़ी१ पंवार ।
१० गोदभ। २ परूरव ।
११ गोपिंड। ३ किलंग।
१२ महिपिंड । ४ इंद्र । .
१३ राजा कारतन । ५ गंध्रपसेन ।
१४ सहंस-राजा। ६ राजा विक्रमादित। १५ राजा सिंघळसेन । ६ भरथरी।
१६ भोज धाररोधणी। ७ वीकमचित्र।
१७ राजा बंध। ८ सालवाहन ।
१८ राजा उदैचंद। 8 सतनख । राजा उदैचंदरा वेटा, प्रांक १८ ।
१६ राजा रिणधवळ । १६ अाल आबू धणी। १६ पाल अावू धणी। तिणरी औलादरा उमर जाळौररै देश छ । १६ माधवदे सिद्धरावरै परणियो हुतो । पछै पाटण आयो । . तिणरा वेटा२० सूर । २० सांवळ । १६ जगदेव सिद्धरावरो चाकर, जिण कंकाळीने माथो दियो ।
1 पाबूमें अपीश्वर वशिष्ठने दैत्योंका वध करनेके लिये अग्निकुंडसे चार जातिके . . . राजपूतोंको उत्पन्न किया । 2 पाल आबूका स्वामी, इसकी औलादके जालोर प्रदेशके ऊमर .. गांवमें हैं। 3 थी। 4 जगदेव सिद्ध रावका चाकर, जिसने कंकालीको अपना सिर काट कर दे दिया था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
जगदेवरो परवार, आंक १६ २० डाभ रिष। तिणरा पोतरा आगर नजीक पंवार ' ।
२० गूंगा । जगदेव माथो
दियां पछै बेटा हुआ
2
तिकै ।
२० काबा | रांमसेण तथा द्वारका कांनी " ।
२० गैहलड़ो। कहै छै पैहली गैहलड़ारी ठाकुराई खारी-खाबड़ हुती* । भरिषरी औलाद, प्रांक २०
२१ धोम रिष' ।
२२ धरमदेव राजा, किराडू -
[ ३३७
ू
धणी ।
२३ धांधू ।
२२ धरणी वराह, किराड़ धरणी ।
२३ बाहड़ | तिणरै घरै अछरा थी । अपछरारै पेटरो ।
२४ सोढ़ो ।
२४ सांखलो ।
२२ उपळराई किराड़ छोड़ ओसियां वसियो । सचिवाय प्रसन हुइ माल बतायो । ओसियां में
देहरो करायो' ।
वात पवारांरी
सोढा, सांखला पंवार मिळे । पहली इणांरो दादो धरणीवराह, बाहड़मेर जूनो किराड़ कहीजे, तिणरो धणी हुतो' । तिरै नवै कोट मारवाड़रा हुता" । तिरै बेटो बाहड़ हुवो । तिणसूं'' आ धरती छूटी । एक वार बाहड़ रायधणपुर कनै" गांव झांझमो तठै जाय रह्यो । पछै बाहड़रो बेटो सोढो तो सूंमरां कनै गयो; तिणनूं
10
12
I डाभ ऋषि जिनके पोते ग्रागराके पासमें रहने वाले पँवार हैं । 2, 3, 4 जगदेवके सिर देनेके बाद जो बेटे हुए उनमें एक गूंगा, दूसरा कावा, जिसके वंशज रामसेन तथा द्वारकाकी ओर हैं और गैहलड़ो, जिसके वंशजोंके संबंध में कहा जाता है कि पहिले इनकी ठकुराई खारी-खाबड़में थी । 5 धोम ऋषि । 6 वाहड़ जिसके घरमें ग्रप्सरा थी और उसके पेटसे सोढ़ा और सांखला हुए। 7 उपलराय किराड़ को छोड़ कर श्रोतियांमें जा बसा, सचिवाय माताने प्रसन्न होकर उसे धन बताया और उसने ओसियांमें मंदिर बनवाया | 8 सोढा और सांखला दोनों शाखायें पँवारोंसे मिलती हैं । 9 पहले इनका दादा वरणीवराह, जो श्रव जूना बाड़मेर और किराड़ कहा जाता है, उसका स्वामी था । 10 जिसके अधिकारमें मारवाड़के नौ हो कोट थे । 11 उससे 1 12 पास |
2
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३३८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात सूंमरां रातो कोट दियो, ऊमरकोटसू कोस १४ । नै तठा पछै सोढा हमीरनं जांम तमाइची ऊमरकोट दियो । वाघ मारवाड़ माहै पड़िहारां कनै आयो । वाघोरियै वसियो । पीढ़ियांरी विगत
६ धरणीवराह। १ गंध्रपसेन ।
७ बाहड़, तिणरै घरै अप२ अजैपाळ ।
छरा हुती । तिणरै पेट ३ अजैसी।
बेटा २४ बंधाइत ।
८ सोढो, ८ सांखलो वाघ । ५ बंध।
वाघ पंवार, तिणरी औलादरा सांखला हुवा । तिण सांखलारी दोय ठाकुराई सारीखी हुई । तिणरी विगत
वाघ पंवार छहोटण, बाहड़मेर छोड़नै वाघोरियै आइ रह्यो। पड़िहार गैचंदरै घरै भुवा सुंदर हुती, तिण परसंग आयो । वाघोरियारो भाखर दिखायो । इणरी भुवा खरच दै। पछै गैचंदनूं रजपूते भखायो, कह्यो-"तिणरी इसी दछा दीसै छै, थांनूं मार धरती अ लेसी ।" तरै गैचंद इण ऊपर फौज मेली। वाघनूं मारियो । घणा सांखला मारिया । मुंहतो सुगणो ऊवरियो । वैरसी वाघावत पेट हुतो, सु मुंहतो सुगणो इणरी मानूं लेन अजमेर गयो । उठे गयां पछै वैरसी वेगोहो जायो । मोटो हुवो । अजमेर धणी था तिणनूं मुं।। सुगणो वैरसीनूं लेजाय मिळियो । घणा दिन चाकरी की। पछै मुजरो हुवो तरै कह्यो-"जांण सो मांग ।' तरै इण कह्यो"म्हारो वाप गचंद विना खून11 मारियो छ, तिणरी ऊपर करो, फौज दो । तरै फौज उणै दी । तरै वैरसी माताजीरी इंछना मनमें ।
I जिसके बाद। 2 सांखला-वाघ, जिसकी औलादके सांखले हुए। 3 पहाड़। 4 बहकाया । 5 इसकी ऐसी हालत दीखती है। 6 तुमको मार करके तुम्हारी धरती ये ले..' लेंगे। 7 बच गया । 8 वाघाका बेटा वैरसी उस समय गर्भमें था। 9 वहां जानेके बाद जल्दी' . ही वैरतीका जन्म हो गया । 10 तेरी इच्छा हो सो मांग । II अपराध। 12 उसके लिये.. सहायता करो। 13 उसने ।
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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
2
3
5
6
[ ३३६ करी" - "म्हारे बापरो वैर वळं, " । गैचंद हाथ श्रावै तो हूं कँवळपूजा करने श्री सचियायजीनं माथो चढ़ाऊं ।" पर्छ सन्चियायजी आय सुपने में हुकम दियो, वांस हाथ दिया ने कह्यो - "काळ वागे, काळी टोपी, बैहलर काळी खोळी, काळा बळद जोतरियां, जिंदारं रूप कियां सांम्हां मिळसी । श्रो गैचंद छे, तू मत चूकै ; कूट मारे ।” पर्छ वैरसी मूंधियाड़ ऊपर फौज लेने दोडियो । सांम्हां उण रूप ग्रायो, सुगैचंद मारियो । पछे प्रोसियां जात प्रायो' | आप एकंत देहुरो जड़ने कँवळपूजा करणी मांडी" । तरै देवीजी हाथ झालियो," कह्यो - हे थांरी सेवा - पूजासौं राजी हुवा ; तोनै माथो बगसियो; तूं सोनारी माथो कर चाढ़ ।" प्रापरे हाथो संख वैरसीनूं दियो, को"श्रो संख वजायनें सांखलो कहाय" । "
11
पछै वैरसी प्राय रूणवाय वसियो । मूंधियाड़रो कोट पड़िहारांरो उपाड़नै सांखलै रूंणकोट करायो '
13
पीढ़ियांरी विगत -
१ सांखलो वैरसी वाघरो ।
२ रांणो राजपोळ । ३ छोहिल राजपाळरो । २३ महिपाळ राजपाळरो ।
तिणरै वांसला 14 जांग
ळवा |
३ तेजपाळ राजपाळरो । तिरै बेटा
1
४ भोहो । जिण भोहार बेटा
५ उदग वडो रजपूत हुवो । राजा प्रथ्वीराज चवां
णरा चाकर सांवतांमें " हुवो | मेड़तो प
हुतो ।
५ देवराज भोहारो ।
तब वैरसने अपने मन में सचियाय माताजीका ध्यान करके अपनी इच्छा प्रकट की । 2 मेरे बापका पैर निकले । 3 पीछे । 4 बहलके । 5 काले बैल जुते हुए । 6 जिनका । 7 वादमें प्रोसियांकी यात्रा करनेको आया । 8 मंदिरको बंद करके एकान्त में कमल पूजा करनी शुरू की। 9 तब | 10 पकड़ा। 11 से 1. 12 यह शंख बजा और सांखला प्रसिद्ध हो । 13 पड़िहारोंके अधीनस्थ मूंबियाड़ गांवका कोट गिरवा कर सांसलोंने उससे रुकोट बनवाया । 14 पिछले वंशज | 15 सामंतों में ।
वागमें
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३४० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
सांखलो छोहिल राजपाळीत । तिरै वांसला रुणेचा ग्रांक ३ ।
४ पालणसी छोहिलरो ।
पातसाह ग्रायो थो, "
५ मेहदो ।
तिणसूं लड़ाई हुई । पातसाह भागो । नगारा
६ हंसपाळ |
७ सोढल ।
वीरम |
९ चाचग ऊपर मांडवरो
3
सांखला चाचग वीरमोतरो परवार, ग्रांक ६ |
१० रांगो सीहड़ चाचगोत' । निपट वड़ो रजपूत वो । तिरै पंगळी वेटी हुई | तिणरै पेट धारू ग्रानळोत वडो रजपूत हुवो' । कवित्त सीहड़
सीहड़रा वेटा
नीसांण पड़ा लिया * ।
तिणसूं सांखला नादेत
नीसांरगोत कहावै छे" ।
में मांमलो कियो तिण साखरो'
कांणजो कोपियो, लूस, ग्रमणेर लियंतो ।
1 0.
1
दुजड़ां 'हथो दुकाळ, रोस रोहिस रत्तो ॥ वाळ जाळ वोरवौ. भरम पहाड़ां भग्गो । मचकोडे मेवड़ो, वळं वधनोर विलग्गो ॥ वधनोर गांज " प्राडोवळो, तोड़े जड़ां तिलायली । सांखले रांण सुजड़ां हथै, भांजी "सीहड़ भायली ॥
११ सालो सीहड़रो ।
११ वछो सीहड़रो । ११ हंसो ।
११ जंतकरण ।
११ लूंणकरण ।
११ रतनसी ।
११ सुरजन । ११ देवराज ।
I जिसके पीछे वाले रुणेचा कहलाते हैं । 2 चाचगके ऊपर मांडवका वादशाह चढ़ कर आया था । 3 जिससे 1 4 नगारे और निशान खोस लिये । 5 इसलिये सांखले नादेत - नीसागेत कहलाते हैं। 6 रारणा सीहड़ चाचगका पुत्र ! 17 जिसकी कोखसे ग्रानलका : पुत्र घारू बड़ा राजपूत हुआ । 8 युद्ध । 9 उसकी मालीका | 10 कटारें । 11 बड़ा वीर । 12 नाश करके | 13 कटारें | 14 तोड़ दी ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
११ कूंभो । '११ नाल्हो |
साले सीहड़ोतरो परवार, अंक १९ ।
१२ ऊधो सालारो, तिणरो परवार पीपाड़' |
१३ मोटल ।
१४ भांण ।
१५ अखो ।
१६ सातल ।
१७ लखमरण |
१८ मांनो ।
१६ हदो । रा ।। प्रथीराज परधांन ।
२० बलू |
२१ वैरसल ।
१२ भोजराज सालारो । तिणरै वांसला खींच
सांखलो वछू सीहड़ोत, आंक ११ । १२ लो ।
१३ चंडराव |
१४ हो ।
१५. कांधळ ।
.१६ जोध 1
१४ सोम चूंडावत ।
१५ अमरसी सोमावत घणी खड़ी वहतो " ।
११ विजो ।
११ मांडण ।
2
सररी तरफ |
१३ जैतसी रांणो ।
१४ रांणो मांडो जैतसीरो ।
१५ रांणो वीरनरसिंघ ।
१६ तेजसी ।
१७ रायपाळ ।
१८ खो ।
१६ वीरमदे ।
२० कूंभो, हरदास महेसदासोत चाकर । भलो रजपूत थो ।
२१ गोवरधन ।
१६ भींव ।
१७ वैरो ।
[ ३४१
१८ खींदो ।
१६ हमीर ।
१६ करमसी ।
१६ नगराज ।
१७ कलो ।
१८ वीदो ।
1 सालाका पुत्र ऊदा, इसका परिवार पीपाड़में है । 2 सालाका पुत्र भोजराज, इसके वंशज खींवसरकी ओर हैं । 3 सोमाका पुत्र अमरसी, यह बहुत नियमों का पालन कर अपना जीवन व्यतीत करता था ।
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३४२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १६ मैंदो, रांणा उदैसिंबरै सिंघजीरै हुवो। चाकर थो, गांव ८४ ।
रांणो मोकल रांणा .. तांणो सोळंकी मलावाळो
राजपाळरै परणियो जागीरमें दियो थो।
थो। तिणरो दोहितो २१ डूंगरसी।
रांणो कुंभो हुवो नै २१ तेजसीरा वेटा मेवाड़।
इणांरो दादो सांखलो - २२ दयाळदास । रु०.
करमसी वडो हर-भगत १००००) रो पटो
हुवो । सु मेवाड़ इण पावै।
परसंग अ सांखला नै २२ राजसी । रु.१००००)रो . धधवाड़िया चारण पटो पावै । वडो
सांखलारा उठ गया सु. : इतवारी रांण जगत
तिण दिनरा छ । सांखला सीहड़ रूणेचारा पोतरा ढूंढाड़ कछवाहारै चाकर, प्रांक १० । ११ उदग।
हुई तद गांव ८४सू.. १२ गजैसी।
. . रूंण पटै दी थी। ..... १३ मेहो।
....... १६ सांवळदास बळकरनरो। १४ पूरो।
१७ मनोहरदास । राजा १५ वळकरन पूरारो । वडो . गजसिंघजीरे जोधपुर रजपूत हुवो । राजा
वास वसियो ।। मानसिंघरै चाकर थो। १८ स्यांमसिंघ मनोहर- . राजा मानसिंघरै नागोर
दासरो। सांखलो रतन सीहड़ोतरा रूणेचा जोधपुर चाकर, अांक ११ ।
I सोलंकी मल्लेवाला तागा गांव भी जागीरमें दिया गया था। 2 राणा जगतसिंहके पास बड़ा विश्वासपात्र था। 3 राणा मोकल राजपालके यहां व्याहा था, इसका दोहिता राणा शंभा हुआ और इनका दादा सांखला करमती बजा हरिभक्त हुआ। 4 इस प्रसंगसे ये नांसले और इन मांखलोंके धवाड़िया चारण मेवाडमें चले गये, उस दिनसे वे वहां हैं। ... 5 नांगला नौद्दड़ मचाके पोते ढूंढाड़में कछवाहोंके चाकर हैं। 6 मनोहरदास, जोधपुर में . . राजा गजनिहजीके यहां जाकर बस गया। 7 सीहड़ नणेचाका बेटा सांखला रतन जोधपुर में ...
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३४३ १२ महदसी।
२४ राजसी । १३ आसल।
२३ कल्याणदास । १४ जगो।
२२ सूजो । पासावत । १५ बापो।
रा।। उदैसिंघ गोपाळ१६ नरसिंघ।
दासोतरै वास । उजेण १७ गांगो।
कांम आयो। १८ रतनो।
२० दुरगो हमीररो। १६. करण ।
२१ नरहरदास दुरगावत । २० ऊदो।
२३ गिरधर । - २१ सुंदर।
२४ गोकळ । २४ आसो । १८ खींदो वैरारो। वैरो, २४ माधो। भींव, अमर, सोमो,
२३ चतुरभुज । चूंडराव, देल्हो, वछु २४ करन । रांगा सीहड़रो।
२३ सुंदरदास । पाछलै पाने वंसावळी
२१ सुरतांण दुरगावत ।
२२ खींवसी । गोपाळदासरै १६ हमीर खींदावत ।
वास । मेरियोवास पटै। २० सांवळदास हमीरोत । २३ खेतसी।
२१ अासो सांवळदासोत । २० भांनीदास हमीररो। . २२ रामसिंघ आसावत । २१ नारणदास । तोसीणो पट।
२३ कुंभो । २३ गोरधन । २२ कल्याणदास । रा।। गिर२४ कचरो।
धरदास साथै काम २२ रूपसी आसावत ।
प्रायो। २३ मनोहर ।
२३ जगनाथ । २३ जग२४ सादूळ ।
माल । २३ कमो । २३ दूदो।
२३ कचरो।
.
I इनकी वंशावली पिछले पन्ने में है । 2 खींवसीका निवास गोपालदासके यहां और मेरियोवास गाँव पट्टेमें ।
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३४४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
सांखला जांगलवा १ वैरसी वाघरो । यो
३ महिपाळ राजपाळरो। ... सांखलो हुवो।
४ रायसी महिपाळरो। २ रांणो राजपाळ वैरसीरो।
वात रायसी महिपालोतरी रायसी महिपाळोत रूण छाडिनै नीसरियो जांगळू । च।। प्रथीराजरी वैर अजादे दहियांणी आ ठोड़ वसाई थी त? प्रांण गूढो करनै रयो । ऊपर वरसात आयो, तरै क्यूं ढाक-पळासियारा अासरा किया छै । सु उठ जांगळूरा कोट नजीक गूढो छै तठै रहै छ, नै रूणरा विगाडनूं दोड़े छै । नै अठै सांखलारी बैरा' पांणीनै जाय सु दहियांरा कँवर ४० तथा ५० भेळा हुवा फिरै छ । तिके वेहड़ानूं गिलोलां वाहै छै. सासता वेहड़ा फोड़े छ । बैर सखरी' देखै तिका वे कपूत कँवर थोकारै छै11 । अ कहै छै2-"हूँ पा लेईस, हूँ या लेईस ।” सु गूढारा लोग सारी वात सांखला रायसोनूं जाय कहै छ । सु रायसी राहवेधी14 छै । रायसी धरती लेण ऊपर निजर राखै छ। ... सु सारा आपरा लोगांनूं कहै छै-"आपणो इसड़ोइज समै छ,15 दाव . देख चालणो16 " तिण समै जांगळू मांहै वांभण' एक केसो उपाधियो रहै छै सु तळाई जांगळूरी प्रोळ रै मुंहडै आगै करावण मतै छ । सु भो सदा दहियांनूं कहै छै–“कहो तो हूं अठ तळाई कराऊं" सु दहिया करण न दे छै । सु प्रो गाढो दिलगीर छ, न राहवेधी
. I महिपालका बेटा रायसी रूप छोड़ करके जांगलूको निकल गया। 2 स्त्री,पत्नी। 3 यह स्थान आवाद किया था। 4 वहां आकर गूढा (गुप्त स्थान) वना कर रहा । 5 वर्षा आई तव ढाक-पलास आदिके झोंपड़े बना लिये हैं। 6 और वहांसे रूपमें लूट-खसोट करने व डाके डालनेको जाते हैं। 7 स्त्रियें। 8 जो घड़ोंको गुलेलें मारते हैं। 9 निरंतर । 10 सुंदर। II अपनी ( स्त्री ) बनानेकी नीच कामना करते हैं। 12 ये कहते हैं। 13 मैं यह लूंगा। 14 दूरदर्शी। 15 अपना समय ऐसा ही है। 16 अवसर देख कर चलना। 17 ब्राह्मण। 18 जांगलूकी पोलके ठीक सामने ही एक तलाई करानेका विचार : करता है। 19 अत्यंत ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात:
[ ३४५
3
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11.
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4
आदमी छै । पछै सांखलै दहियां सिरदारांनूं भायां - बेटां सारांनूं नाळेर ४० तथा ५० सांवठा दिया' । एक साहो थापियो । पछै वे परणीजण या, सु जीमण मांहै दारू में धतुरो घातनै पायो, सु सारा बेसुध किया । पछे हेठा' पड़िया, तरै कूट मारिया | नै केसो उपाधियो ही साथै तो' इणनूं ही मारण लागा । तरै इण कह्यो - "मोनूं मत मारो । मनें उबारो, हूं थांहरै भलै कांम ग्राडो प्राईस' ।" तरै इको- "हे थनै उबारियो, पिण तूं किसे " कांम आईस, तिका वात म्हांनूं कहै ।” तरै इण कह्यो - " तो थे मारिया " पण कोट किण भांत लेस्यो ?" तर इण सांखलै दीठो,' बांभरण साची वात कहीं; तर इरणनं घणो हित कर पूछियो; तरै इण कह्यो - " मोनूं थे गुरपदो दो नै मोनूं थे कोट प्रागै तळाई करण देज्यो ।” तरै सांखले केसै उपाधिये वात कही सु कबूल करी तर केसै कह्यो - "हमैं ढीलरो कांम नहीं वाळा ? ५० तथा ६० छै सु वेगा जोतरो । मांहै पांच-पांच रजपूत बैसो" । हं किंवाड़ खोलाइ देईस """ तरै सेजवाळा जूता, तरं केसै उपादियै. प्रोळरै मूंहडे प्रायने प्रोळियारो नांव ले जगायो । कह्यो - " मोहरतरी वेळा टळी जाय छे, 21 प्रोळ खोलो, सेजवाळा. बारणै ऊभा छै" ।” तरै उण प्रोळ खोली । सेजवाळा सोह" मांहै आया । तरै रावळा वैहली मांहिथा कूद-कूद जीनसालीया उतरिया । दहियांस जिकै कोट मांहै हुता सु सोह कूट मारिया । सांखला राणा रायसीरी जांगळमें प्रांण फिरी ** । रायसी इण भांत जांगळू लवी ।
15
।
इणसूं सौंस-सपत किया; ।" कह्यो - " रात थकी सेज
7
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.25
पीछे सांखलोंने दहिया सरदारोंको और उनके भाई-वेटे सबको एक साथ ४०-५० नारियल अपनी कन्याओं की सगाई करनेके लिये दिये । 2 लग्नका दिन नक्की किया । 3 भोजन । 4 शराब । 5 डाल कर 1 6 नीचे 1 7 था। 8 मुझको मत मारो। 9 मैं तुम्हारे अच्छे काममें सहायक होऊंगा । 10 कौनसे । II हमको । 12 इनको तो तुमने मार दिया । 13 देखा । 14 गुरुका पद । 15 इससे सौगंद- शपथ लिये । 16 अव देरी करनेका काम नहीं 17 महिलाओं की वाहक गाड़ियां । 18 जल्दी जोत दो । 19 बैठ जाओ। 20 दूंगा । 21 मुहूर्त टला जा रहा है । 22 वाहन बाहिर खड़े हैं। 23 सव | 24 से 25 राणा रायसी सांखलेकी जांगलू में प्रान- दुहाई फिर गई ।
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३४६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात इतरी पीढ़ी जांगळू सांखलारै रही। १ रांणो रायसी।
गयो । उगारै बांसला २ रांणो अणखसी।
सावै छै । ३.रांणो खींवसी।
८ पुनपाळ जांगळू धणी ।।... ४ रांणो कंवरसी । जिको है मांणकराव पुनपाळरो। सोतमें वैर में खरलां १० नापो मांणकरावरो । रजपूतांरी बेटी आंधी
जांगळू धणी । तद भारमल तोत कर पर
वलोचे जोर दवाया, णाई । सु कंवरसी हथ
तरै राव जोधा कनै"... ळेवो जोड़ियो, तरै
जोधपुर प्रायनै कंवर भारमलनूं अांखै सूझण
वीकानूं जांगळू ले जाय .. लागो । खरलांरी ठाकु- धणी कियो । सांखला राई पैहली तद छोहलै
चाकर हवा । रिणधीरसर कुंवीरोह ६ रांणो प्रांवो राजसीरो। कहीजै त हुती । पूंग
कंवरसी, खींवसी प्रांक ळसू कोस १०, विकुं
१०, तिणनूं मूंजै राजपुरथी कोस १५ ।
सीयोत धावै मारनै ५ रांणो राजसी कंवर
जांगळू लीवी। सीरो।
७ गोपाळदे वेटो हुतो. ६ करमसी हर-भगत हुवो।
तिको जोयां कनै हुतो। ६ जो।
प्रांवानूं मूंजै मारियो ७ ऊदो मूंजावत ।
तद मूंजेरै बेटो गोपा८ जैसिंघदे । जैसळमेर . .... ळदेनूं - उदै मूंजावत
___I सांखलोंकी इतनी पीढ़ी जांगलूमें रही। 2 राणा कुंवरसी, जिसको सौतके वैरके कारण खरला राजपूतोंकी भारमली नामकी एक अंधी लड़की व्याह दी गई। 3 सो कुंवरसीके :.. पाणिग्रहण करते ही भारमलीको अांखोंसे दिखने लग गया। 4 उन दिनोंमें खरलोंकी ठकुराई छोहले-रिरणधीरसरमें थी जो अब कुंवीरोह कहा जाता है । 5 करमसी हरिभक्त हुआ। 6 उसके पीछेके वंशज सावामें हैं । 7 पास। 8 जो जोईया राजपूतोंके पास था।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३४७ उठे मारियो ।* ऊदैरी बैर मांगळियांणीनूं आधांन' थो, सु धरमो
वीठू इणांरो चारण ले नाठो पीहर । मांगळियांणी कीलू करणोतरी ... बेटी हुती, सु एकण-पग खींवसर आयो । उठे मांगळियांणी मैहराज
जायो।
८ खींवो जसहड़रो। ८ वीरम खाबड़ियांणीरो। — ८ मैहराज मांगळियांणीरो । तठा पछै मेहराज वरस १४ तथा १५ रो हुवो, तरै आपरा भाई रजपूत भेळा करनै जांगळू ऊपर गयो । सुः जा ऊदानै मारनै ढाकसरीरा कोहर माहै नांखियो । घणो साथ मूंज ऊदारो मारियो । घणो लोही वुहो । लोहीरा वाहळा प्रोळरै बारै तांई अाया' । पैहली दहिया मारिया था तदही10 प्रोळ बारै लोही आयो तो । सु मैहराज ऊजळ खत्री हुतो । इण जांगळू प्रादरी नहीं; नै मांणकरावरा बेटा जांगळू वसिया; नै मैहराज
गोपाळदेरो पीहलाप, जोगीरा तळावथी कोस २ ऊगवण छ, ... चूंडासरसू कोस १, तटै वसियो ; त, मैहराजरा कराया तळाव
३ छै14 । .१ महिराजांणो तळाव।
२ लूंभासर तळाव । ... हरभूसर तळाव।
केहेक15 दिन सांखलो मैहराज पीहलाप रह्यो । पछै नागोररै गांव भंडेल राव चंडासं मिळनै बसियो । गोगादेजी दलो जोईयो
I गर्भ । 2 सो इनका चारण धरमा वीठू उसको लेकर उसके पीहर भाग गया। 3 वह विना कहीं विश्राम लिये खींवसर आया । एकण-पग=१ बिना विश्राम, २. लंगड़ा। 4 वहां मांगलियाणीने मेहराजको जन्म दिया। जिसके बाद । 6 जांगलू पर चढ़ कर गया। 7 मूंजा और ऊदाको मार करके ढाकसरीके एक कुँएमें डाल दिया। 8 बहुत रक्त बहा । 9 रक्तका प्रवाह पोलके वाहिर पाया । 10 तब भी। II था। 12 इसने जांगलूमें रहना :
स्वीकार नहीं किया। 13 पूर्व दिशा । 14 वहां मेहराजके कराये हुए तीन तालाव हैं।... ___ I5 कई एक। . . .
* यहां ऊदा नहीं, गोपालदे होना चाहिये । .
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३४८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यातः . मारियो तद मैहराजरो वेटो पालणसी साथै हुतो' । गोगादेजीरै पछ गोगादेजीनूं पद्रोलाई तळाई माथै जोईयो धीरदे नै पूंगळरो राव रांणगदे पोहता । तटै पालणसी गोगादेजी साथै काम प्रायो ।
मैहराज गोपाळदेशोतरा बेटा, प्रांक १२-- १३ हरभू पीर । तिणरा पोतरा 3हगटी । १३ आल्हणसी रा।। गोगादेजी साथै काम आयो । १३ लूंभारा पोतरा मारवाड़ माहै चींधड़सा छै। .. १३ कुंभो। १३ जोधो। तिणरा वांसला नैंहगटी छै। मदा कहावै छै ।। १३ रिणधीर ।
वात.... राव चूंडों वीरमोत मंडोवर घणो तपियो । पछै तुरकानूं मारने नागोर लियो । पछै आप नागोर हीज राजथान कर रह्या छ। तिण दिन' सां।। मैहराज गोपाळदेरो नागोर गांव मूंडेल रहे छ, सु एक.. दिन राव अरड़कमल चूंडावत सिकार रमण आयो हुतो, सु मैहराजरै गांव उतरियो', सु मैहराज गोठ की छै । तठे मैहराजनूं खबर छ, भाटी सादो रांणगदेवोत ओडीट मोहिलारै परणीजसी1, सु आ वात अरड़कमल जाणै न छै; सु मैहराजरा मुंहडा मांहिसूं नीसर गयो
"बांभण पूत न वीसरे, ज्यूं विसहर काळे1 | ...
आल्हणसीह न वीसरै, मैहराज मूंछा.14 ॥ १ ॥ तरै अरड़कमलजी पूछियो-"थे मैहराज सांखला काढूं कह्यो ?'
_I था। 2 ऊपर । 3 पहुँचे। 4 हरभू पीर, जिसके पोते बहेंगटीमें रहते हैं। अधिक ...: अफीमके व्यसनी होनेसे असमर्थ अवस्था जैसे 1 6 जोघाके वंशज बहेंगटीमें रहते हैं और मदा ...... कहाते हैं। 7 वीरमके वेटे चूंडेने मंडोरमें बहुत दिन शासन किया । 8 उन दिनोंमें ।..... 9 ठहरा । 10 मेहराजने दावत दी है। II राणंगदेवका बेटा सादा ओडीट मोहिलोंके यहां ....... गाहेगा। 12 मेहराजके मुंहसे निकल गया । 13 काला साँप । 14 वीर।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात:
[ ३४६ तरै मैहराज कह्यो—'कुही कहां नी" तरै वळे अरड़कमलजी हठ कर पूछियो, तरै मैहराज कह्यो "थे ठाकुर; थान को आपरो दावो चीतां न आवै'; नै म्हे धररा धणी ; म्हारा पेट छोटा सु वात एक चीता आई ।" तरै अरडकमलजी कह्यो-"किसी वात ?' तरै मैहराज कह्यो:-"रा। गोगादे वीरमोत मारियो, तद राव राणंगदे विसीठगारी गोगादेजीतूं कीवी थी , तद गोगादेजी कह्यो हुतो-"म्हारो दावो
जोईयातूं को नहीं; म्हारा तीन सरदार पड़िया; जोईयांरा सात - सिरदार पड़िया; म्हारो कोई राठोड़ वैर मांगे तो राव रांणगदे कनै
मांगज्यो । तद म्हारो बेटो आल्हणसी गोगादेजीरै साथै काम आयो तो. सु वा वात मोनूं याद आवै छै ।" तरै अरड़कमल कह्यो-“तिका वात हमार क्यूं चीत आई ? वे कठै हुवै?" तरै मैहराज कह्यो-“राव रांणगदेरो बेंटो टीकाइत सादो ओडीट मोहिलारै दिनां २ दोयनै परणीजसी ।" तरै अरड़कमल हेरू मेलिया; नै आप असवार २००सूं चढ़ खड़िया । बीच नाहरां ४ चाररो सवण' हुवो। आ वात घणी छै; सुअरडकमलरी वात मांहै लिखी छै1 । पछै सवण बोलावणनूं कुंवौरे गैहलोत गोदार गया नै उठे हेरू पाछो आयो, तरै अरड़कमल चढ़ खड़िया । सादो परणीजणनै चढ़ियो । वांसासू अरड़कमलजी
गांव आधीसर जसरासर नागोर बीकानेर बीच आपडिया14 । तठे ...एक बार सादो मोर घोड़ारो पराक्रम दिखावण वास्तै घोड़ो दोडाय
नीसर गयो15 । पछै पाछो फिर आयनै सादो काम प्रायो। जेठी ... ...पाहू राव रांणगदेरै वडो रजपूत थो सु जुदो चालियो जातो थो सु
तिणनूं ईदा ऊगमड़ारा बेटा २ दोय आपड़िया, तिणनै मारनै नीसरियो। सादा मारियारी खबर जेठी पाहूनूं न हुई । पछै जेठी पूंगळ गयो, तरै राव ... I कुछ भी नहीं कहता। 2 तुमको तो कोई अपना दावा (वरका बदला लेना नहीं आता। 3 हमारे छोटे पेटमें यह एक बात याद आ गई। 4. कौनसी वात ? 5 उस समय राव रांणगदेवने गोगादेजीकी अप्रतिष्ठा की थी। 6 जोईयोंसे मेरा कोई दावा नहीं रहा । 7 वह बात इस समय क्यों याद आ गई और वे कहां हैं ? 8 गुप्तचर । 9 और खुद २००. सवारोंके साथ चढ़ कर चल दिये । 10 शकुन। II यह प्रसंग बड़ा है सो अरड़कमलकी बातमें लिखा है। 12. सादा विवाह करनेको रवाना हुआ । 13 पीछेसे । 14 पीछे भाग कर पकड़ लिया। 15 निकल गया।
.
. गांव यादी
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३५० ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात . रांणगदे घणा अोळंभा' दिया। पछै सांखलो मैराज मँडेल रहतो । राव... चूंडारी थाट पण मँडेल रहती। सु मैहराज वडो सवणी । आगै खबर हुवै; तरै हाथ आवै नहीं । पछै भाटियां कनै कोहेक मैहराजरो चाकर राखसियो रजपूत गयो, तिण कह्यो-" हूं मैराजनूं मराइस हेवै कटक खांचियो । राव रांणगदे नै पाहू जेठी छै । डेरो हुवै त, प्राडो खाई खिणनै पांणीसूं भरैसूं सवण बोलै । कहे-"प्राडा वाहण कनारै घोड़ा
छ । पछै इण भांत करनै कटक आयो । सांखले मैहराजरै कटक देठाळे .. हुवो, तरै बेटो काढ़ियो । घोड़ी लांप चाल्नै राखसियै सोमैनूं नागोर :राव चूंडा कनै बोलाऊ मेलियो थो1 जु "मांहरी मदत करो।" सोना- . तरा देणां कबूल किया । इण भांत करनै सोमै राखसियो रावजी
चूंडाजीनूं वाहर चाढ़िया । नागोरसूं कोस २० जांभवा घोडैरो गुढ़ो हुतो, सु रावजी लूटण लागा; तरै इण कह्यो-"मांहरो गुढ़ो न लूटो तो म्है राव रांणगदे वतावां, रांणगदेनै माराऊँ। पछै जांभरो गुढो न लूटियो। जांभ आगै करनै खड़िया । राव रांणगदे कोसै १० उठाथी13 उतरियो थो तठाथी14 पाखती खड़नै 5 सामा घोड़ा जाक- ... झोलने आया16 | राव रांणगदे जांणियो-सोवत17 आवै छै । नैड़ा .. प्रायन घोड़े चढ़िया नै कह्यो-"राव रांणगदे ! राव गोगादे मांगं ।" . .. इतरो कहिनै रांणगदेने पाहू जेठी नै रावजी श्री चूंडाजी मारियो । नै सांखला मैराजनं तो पैहलाई भाटी रांणगदे मारने नीसरियो हुतो ।
तठा पछै मैहराजरो वेटो हरभम मुंडेलसूं छाडनै फळौधीरे गांव चाखू, तिणसू कोस ३, गांव सिरडथा कोस ५ हरभमजाळ छै; तठे आण गाडा छोडिया1 । तठे रांमदे पीर नै हरभमरै परसंग ...
___I उपालंभ । 2 सेना। 3 शकुनी। 4 पहिलेसे मालूम हो जावे। 5 कोई एक । 6 में मेहराजको मरवा दूंगा। 7 उन्होंने कटक चलाया । 8 शकुन । 9 सांखले मेहराजको कटक दिखाई दियो । 10 राव चूंडाके पास दूत भेजा था। II राणगदेको मरवा दूं। 12 जांभको आगे करके चले। 13 जहांते । 14 वहांसे । 15 पासमें चला कर । 16 तेजीसे . .... आये। 17 घोड़ोंका काफिला । 18 राव गोगादेका वर मांगता हूँ। 19: निकल गया था । . 20 ने । 21 वहां ग्राकरके गाड़ोंको छोड़ा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३५१ हुवो'। जोगी बाळनाथ रामदे पीररै माथै हाथ दिया था । तिण ही हरभम सांखलै माथै हाथ दिया। हरभम हथियार छोड़ने इण राहमें . हुवो । पछै लोलट आय रह्यो। तठा पछै कितरेहेक दिने राव जोधाजी विखा माहै पाया। सांखलै हरभम जीमाया नै आ दवा दी-" इण मूंगां पेट माहै थकां जितरी नं घोड़ो फेरीस तितरी धरती थारा बेटा पोतरा भोगवसी । पछै राव जोधैरै धरती हाथ आई ।
पछै राव जोधै हरभमनूं बैंहगटी सांसण कर दीनी'। तिण बैंहगटीमें . हमैं ही हरभमरा पोतरा रहै छै ।
सांखला मैहराज गोपाळदेशोतरो परवार, प्रांक १२ । __ १३ हरभम पीर वडी करामातरो धणी हुवो। पीर रांमदे देहुरै गोर' ली, तरै कह्यो-'गोर १ म्हारी गोररी पाखती' सांखला हरभमरै वास्तै संवार राखो11 । आजथी दिनां ८ हरभमटी आइनै
गोर लेसी । पछै हरभू आय उठै गोर लो। ... १४ चूंडो हरभमरो। . ....१५ पूंजो । १५ कोजो। १५ बोजो। पूजारो परवार
१६ सीवो।
१७ रावत रायपाळ संमत १६३५ विखा मांहै खड़चर थको विकू कोहर करमसियोत मारियो । १८ ईसर । ..
१८ मेहाजळ । १८.ऊदो । १६ सारंग।
१६ रामदास मेहाजळोत । २० उधरण बैंहगटी।
१६ जगहथ । १७. डूंगर सिकारों।
१७ चाचो सिंवारों। १७ तोगो सिवारो। १८. नेतो ।
I वहां रामदेव पीर और हरभमके मुलाकात हुई । 2 उसने ही। 3. हरभम शस्त्रोंको त्याग कर भक्तिकी अोर प्रेरित हुआ। 4 विपत्ति । 5 सांखले हरभमने उन्हें भोजन करवाया
और दुआ दी। 6 इन मूंगोंके पेटमें रहते जितनी दूरी तक घोड़ा चला सकेगा उतनी धरती तेरे बेटे-पोते भोगेंगे। फिर राव जोधेने बहेंगटी गांव हरभमको शासनमें दिया। 8. उस . "बहेंगटीमें अब भी हरभमके पोते रहते हैं.। 9. समाधि | 10 पासमें । 11 तैयार करके रखो। ...... 12 आजसे ८ दिन बाद हरभम भी आकर समाधि लेगा।
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३५२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १६ रांणो । १९ खेतसी। .. आप टीको दियो'
१९ दामो । १६ दलो। १६ रायमल । १६ जांझण पूंजारो।
१५ अभीहड़ । १७ कान्हो ।
१७ जैमल, बैंहगटी। १८ गोपाळ । १८ करन । १८ लालो। १८ हरि।
१६ वस्तो। १६ आणंद। १७ किसनो जांझणरो।
१६ रिणमल । .. १८ खंघारो । १८ राघो। १४ सोभ हरभमरो। १८ जैमल ।
१५ जालाप । १४ मांडो हरभमरो टीकाई १६ तेजो। हुतो सु बूढो हुवो तरै १७ देईदास । १७ खेतो
आपरा भाई चूंडानूं ... ___ बैंगटी। पूंजो राजारो। राजो, कँवरसी, खींवसी, अणखसी, मूंजो, प्रांक ६
७ ऊदो जांगळू धणी हुतो। . सावो दियो छो, तठे तिणनूं सांखलै मैहराज . हमैं रहै छै जैसळमेरसू मारियो।
कोस १२ । ८ जैसिंघदे । इणरी बहन :
- मोजदे। रावळ करण जैसळमेररो १० वेगू। धणी परणियो हुतो। ११ सूरो । ११ वीरम। पछै इणरो वेटो खेतसी
११ जैतकरणं । उठ गयो तर गांव १ जैतकरण, प्रांक ११
१२ दुसाझ। . १३ सहसमल ।
१६ वरसल । १४ खेतो।
१५ जैतो।
I हरभमका वेटा गद्दी पर था सो जब वह वुड्ढा हुअा तो अपने भाई चूंडाको अपने हाथसे टीका दे दिया । 2 इसकी वहिन जैसलमेरके स्वामी रावल करनसे व्याही थी। 3 था। 4 जहां अव रहता है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[३५३ ... जैतो खेतारो, अांक १५-- ... १६ वैरसल ।
१८ भोजराज । . १७ दूदो।
१६ जीवो। १८ जोगी।
१७ करण। १७ गंगादास ।
१८ मेहो । १८ राजो। १८ चांपो । १८ जेठो।
८ पुनपाळ । औ जांगळू १८ गोपो।
धरणी। . १६ अखैराज ।
हमांणकराव । - १७ कान्ह । १७ लालो। १० नापो।
इतरी पीढ़ी सांखलारै रही । पछै राव चूंडा ऊपर राव केलण रांणगदेरै वैर मुलतांणसूं फौज ले आयो हुतो' । राव चूंडो मारियो। तिण दावै सांखलो देवराज पण इण फौज मांहे हुतो। तिण वास्तै राव कान्हो चूंडावत जांगळू ऊपर आयो, तद इतरा सांखला काम आयासाखरो दूहो
“सधर हुवा भड़ सांखला, ग्यो भाजै क्राझाळ । वीर रतन ऊदो विजो, वच्छो नै पुनपाळ ॥१"
वात
जांगळवां सांखलार बारहठो वीठू चारण, नै रूंणोचा सांखलारै चारण धधवाडिया अनै जांगळवारै बांभण उपाधिया, कुंभार गिरधर, सूत्रधार चोहिल ।
__ नापो सांखलो मांणकरावरो बेटो राव जोधाजी क. जायनै . बीकाजी जोधावतनूं ले आयो। जांगळू राठोड़ धणी हुवा, नै सांखला
बड़ा इतबारी चाकर हुवा । गढ़री कूची सदा सांखला नापारा पोतरांरै हवाले हुवै छै ।
I आया था। 2 भाग गया। 3 बहादुर। 4 जांगलवा सांखलोंके बारहठका पद वीठू चारणोंको। 5 और । 6. गढ़की चाबी हमेशा सांखला नापाके पोतोंके हवाले होती है।
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३५४ ]
१ नापो ।
२ रायपाळ ।
३ सुरजन ।
४ अखैराज
५ ईसरदास ।
मुंहता नैणसीरी ख्यात
६ गोयंददास । गढ़री कूंची
कनै ।
६ रामदास
६ केसो
दास । ६ नरसिघदास ।
सांखलो महेस कलावत । बीकानेर भलो रजपूत हुवो । सुरवाणीयं. कंवर दलपत नै राजा रायसिंघरे साथ वेढ हुई तठे कांम आयो । तिरणरै पीढ़ियांरी खबर नहीं ।
सांखला नापारो कवित्त
रिव अंगीरी रास सिंघ जाय कोरी सुत्तो ! पड़िया धोमारिक्ख मास आसाढ़ निरत्तो ॥ ऊवांणो ईखियो इसो काकड़ा तो उर ।
असुरां गुर नस्ट गोक आवियो सुरां गुर ॥ देहियै दीवारें दांन विध विरदे मोकळ राव दुवौ । तिण वार हुवौ नरपाळ तूं मांणक रावउत माळवौ ॥ १ जांगळवा पुनपाळरा पोतरा, ग्रांक १
२ सांडो ।
३ भोजो ।
४ भो । चाटलौ पटै । कंवर भोपत मांडणीत साथै ।
४ लूंणो राव मांडणरै वास चाटले कांम आयो ।
४ भादो, लूंगा साथै कांम आयो ।
४ तेजसी । रा ।। देवीदास जैतावत साथै मेड़ते काम आयो ।
५ मांनसिंघ । ५ जोधो । ५ गोयंददास ।
३ कीतो सांडारो ।
इति सांखलांरी ख्यात संपूर्ण ।
गढ़की चावी इसके पासमें ! 2 मांडण के बेटे कुंवर भोपत के साथ अभाको चाटला. गांव पट्टे । 3 लुगेका रहवास राव मांडर के यहां चाटला गांवके युद्ध में काम प्राया ।
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अथ सोढारी ख्यात
..
पंवारांरी पैंतीस साख, तिणांमें एक साख सोढारी। १ धरणीवराह पंवारसूं पीढी पागलो सांखलारै पाद लिखी छै
२ छाहड़ धरणीवराहरो. तिणरै घरै अपछरा थी, तिणरै पेटरा बेटा दोय हुवा । तिणांरी औलाद सोढा नै सांखला । सोढारी पीढी.. १ सोढो।
१७ पतो। .२ चाचगदे ।
१८ चंद्रसेण । ३ राजदे।
१६ भोजराज। ४ जैमुख ।
२० ईसरदास। ५ जसहड़ । .
७ धारावरीसरै दोय बेटा६ सोमेसर।
८ आसराव पारकररो ८ धारावरीस ।
धणी। ८ दुजणसाल । ८ आस
८ दुजणसाल ऊमरकोट राव । -
धणी। ६ खीमरो।
९ संग्रांमसीरो परवार १० अवतारदे ।
घरगो छै। ११ थिरो।
६ केलणरो परवार घणो १२ हमीर। १३ वीसो।
है नांगड़ । ६ भांण । १४ तेजसी ।
६ खींमरो दुजणसालरो। १५ वोपो।
१० अवतारदे । १६ गांगो।
१० घोघो । १० सतो। अवतारदे, प्रांक १०११ थिरो।
११ गजूरा जैसळमेर छ। ११ कीतो जैसळमेर छै ।
११ वीरधवळ। I उनमें। 2 धरणीवराहसे पहलेकी पीढ़ियां सांखलोंके प्रसंगमें लिखी हैं। 3 उनकी।
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३५६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात ११ वीरमदेरा जोधपुर १३ वैरसी । १३ वरजांग आंबेर छै ।
१३ वीसो। १३ ऊदो। १२ हमीर थिरारो।
१२ रतो थिरारो। सोढा हमीर थिरावतरो परवार, अांक १२वैरसी हमीरोतरो परवार, प्रांक १३१४ राजधर।
१८ कल्लो सिवराजरो। १५ देव ।
१८ नैणसी सिवराजरो। १६ जोधो।
१८ मांणकराव सिवराजरो। १७ रूपसी।
१६ ऊदो। १८ कमो।
२० जोगीदास । १६ रतनसी । इणरा बेटा १६ वाघो। नांवेर चाकर छ ।
१७ महिकरन कुंभारो। २० सेरखांन मोरदो पटै,
- १८ भाखरसी। नरांणा कनै ।
१६ मानसिंघ । १६ चांपो। २० सल्हैदी । २० हरीदास। - १६ रांमो। १५ गोयंद राजधररो।
२० महेस । २० राजधर । १६ गांगो।
:- २० रायसिंघ । .. १७ सुरताण ।
१८ सूजो महीकरणरो। १८ मुकंद।
१६ राम । १४ मांडण वैरसीरो।.. .
११ गजू अवतारदेरो। १५ देवराज।
१२ मेळो गजूरो। ... १६ कुंभो।
१३ डूंगरसी मेळारो। .... १७ सिवराज।
१४ खरहथ डूंगरसीरो। १८ रांणो रायमल कांगणी। १५ सहसो खरहथरो। खेतरो जूंझार ।
१६ जोधो सहसारो ! १८ रतनसी सिवराजरो।
१७ जींदो। १७ राजधर ।
I वीरमदेवके वंशज जोधपुर और आमेर में हैं। 2. 'शेरखानको नरानाके पासका... मोरदा गांव पट्ट में। 3 रांणा रायमलका कांगणीमें निवास । रणक्षेत्रका जुझार वीर ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
१७ चांदराव ।
१७ मांडण ।
१८ जोगो मांडणरो । १८ जेठो मांडणरो | देवराजोतांमें बुड़कियो कनोड़ियो वसायो' ।
१६ सांमदास । १ε मांनो ।
१६ भांनो ।
१६ धनो ।
१६ मोहरण | २० हरीदास ।
२० वैणो ।
१८ जैसी मांडणरो |
१६ कचरो जाळीवाड़े पोकरणरो तथा द्वेग वसै
१४ तेजसी वीसारो । १५ देवीदास । १५ कांन्हो । १५ खेतसी । १५ बळराज । १५ वीदो ।
2
छै ।
[ ३५७
3
२० मालण । २० आसो ।
२० सुंदर ।
१- रामो मांडणरो । द्रेग वसै छै ।
१६ वीरदास । १६ गोपो । सोभो ।
१२ हुआ तिणांरी
सोढोवीसो हमीर, प्रांक १३ । कवित्त - सोढा तेजसी वीसावतरै बेटा (१) देवीदास दुरंग सुपह (२) कांन्हो राजेसर खड़गहथो (३) खेतसी अने ( ४ ) बळराज उनकर ॥ (५) चांपो नै ( ६ ) रायमदन्न रूप रायां छळ राखण । (७) वीदों ने (८) सामंत वैर वडवार विचक्खण ॥ ( 8 ) महोकरण (१०) नरौ (११) रिणमल मुदै ( १२ ) मेरो
तेगियां, तिलक तेजळ' तवां" बारै
१३ वीसो हमीररो ।
.
गुण सागर सुमत । - बेटा विरदपत' ॥१॥ १५ सांसत ।
१५ चांपो । १५ रायमल ।
१५ महीकरण । १५ नरो । १५ रिणमल । १५ मेरो ।
I देवराजातों में बुड़किया कनोडियामें बसा । 2 कचरा पोकरनके जालीवाड़ा गांव में तथा द्रेग गांवमें रहता है । 3 शस्त्रधारी । 4 वीर शिरोमणि । 5 सोढा तेजसी । 6 कहता हूँ | 7 यशधारी ।
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३५८ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात १५ कान्हो तेजसीरो।
१८ गांगो हमीररो। १६ वाघो। १६ चाचो।
१६ साहिव । १६ वणवीर।
२० उदैसिंघ । १६ वणवीर कान्हारो।
१८ मांनो हमीररो। १७ हमीर।
१८ सिखरो हमीररो। १८ गोयंद।
१८ राहिव हमीररो। १६ वीजो।
१६ खंगार । १६ लणो। २० रतनसी।
१६ चाचो कान्हारो। २१ चांदराव ।
१७ वीरमदे । २० नांदो विजारो।
१८ जैमल । २१ जगनाथ ।
१६ वांकीदास । २० उदेसिंघ । २० सूजो। २० माधोदास । २० दलो विजारो।
२१ नारणदास । नागोररै १६ नराइण गोयंदरो।
गांव नछवै । २० रांम नारणोत।
२२ सांवळदास । २२ नाहर२१ अखो । २१ जैमल ।
खांन । २१ दलपत । २१ ... २० मांनो । २० जसवंत ।। भोपत।
१५ चांपो तेजसीरो टीका२१ पतो। २१ उदैकरण। ..... इत । रांणो चांपो ऊमर२० बरसी नारणोत । टीका-
कोट धरणी। इत।
१६ रांणो गांगो चांपारो २१ जीवण । २१ रामो ।
ऊमरकोट धणी। २१ चांदो नारणरो।
१७ रांणो पतो टीकाई। २० महीकरण नारणरो। . १७ रायसल । १७ नेतसी। २० हरराज । २० चंद- ___ १७ सुरताण । १७ मेघराज । २० गंगदास ।
राज।... २० जोधो। .
१७ मानसिंघ । १७ रतनसी।
I नारायणदास नागौरके नंछवै गांवमें रहता है।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
१७ वैरसल । १७ हदो । रांगोपतो गांगारो । ऊमरकोट टीकै, ग्रांक १७
१७ भोजदे ।
१८ रांणो चंद्रसेण राजा सूरजसिंघ सुसरो । १६ रांणो भोजराज ।
२० रांणो ईसरदास, ऊमरकोट टीको छो' | पर्छ
संमत १७१० रावळ
सवळसिंघ इणनूं परो काढ़ने जैसिंघनूं टीकै सांणियो ।
२१ हमीर ।
२० ग्रमरो भोजराजरो । महेवै रावळ भारमलरै
वास । गांव भूखो पटै ।
२१ वैगो । २१ सूरजमल । २१ हरिदास ।
२० जोगीदास । २० जसो ।
२१ जगनाथ ।
१७ मेघराज | गांगारो |
१८ किसनदास । १८ भगवान | १८ सांमदास | १८ भीम ।
[ ३५६
१६ वळभद्र ।
१७ रतनसी गांगारो । रावळ मनोहरदासरो सुसरो । सूरजदे मनोहरदासरी वहू, तिका रतनसीरी
वेटी । संमत १७२२
मुथराजीमें मुंई* ।
मांनसिंघ गांगारा ।
१७
१८ रांणो जोधो ।
१६ जैसिंघदे रांणो, ऊमरकोट टोकै ।
२० रांणो वीरमदे ।
२१ रांगो राजसिंघ टीकाई । १६ वीरमदे जोधारो । २० रांणो जैतसी । १६ माधोसिंघ जोधारो । भाटी केसरीसिंघ अचळ - दासोत मारियो । भाटी
5
सुंदरदासरं वैरमें" ।
१६ गजसिंघ जोधारो |
१६ सूरजमल चांपारो ।
12 रांगा ईसरदासको उमरकोटका टीका था, बादमें रावल सवलसिंहने सं० १७१० में इसको निकाल कर जयसिंघको टीके बैठाया । 3 भोजराजका बेटा श्रमरा, महेवेमें रावल भारमलके यहां निवास और भूका गांव पट्टेमें। 4 गांगाका वेटा रतनसी, रावल मनोहरदासका ससुरा । रतनसीकी बेटी सूरजदेवी जो मनोहरदासकी पत्नी, मथुराजीमें देवलोक हुई । 5 जोधाका बेटा माधोसिंह, जिसे भाटी सुंदरदास के बैरमें केसरीसिंह अचलदासोतने मार दिया ।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात १७ करण ।
१६ सूरो कानारो। १८ खींवो।
२० रायमल । १६ किसनो । १६ भांनो। २१ जैतो। २१ तेजो। १६ भांण ।
१६ मावो कांनारो। २० महेस ।
२० रामो। १६ भोपत । १६ मेहाजळ । १६ सादूळ खेतसीरो, १८ ठाकुरसी करणरो।
वोहरावास । १६ रायसिंघ । १६ दुरजो। १६ अचळो।
१६ महेस । १६ हर- २० देवराज । २० सवळो। . राज।
१८ सूजो खेतसीरो, गोवल १६ जोगीदास । १६ अखैराज।
१६ सेखो। १६ अासो। १३ ऊदो हमीररो। हमीर, १८ लखो खेतसीरो।
थिरो अवतारदेरो। १९ जेसो। इणरो परवार महेवैरै २० अखैराज, उजेण काम गोवल छै, नै के ऊमरकोट
आयो । हरिदासरो परवर गांव समंद कनै
चाकर । छ तठ छैन
२१ रामसिंघ। १४ कंपो।
१८ भांनो खेतसीरो। १५ वैरसल ।
१६ ऊदो भांनारो। १६ महीरावण । .
२० सांगो। १७ खेतसी। गोवल छ।
२१ भारमल । २१ जोधो । १८ कांनो । १८ भांनो ।
२० गोयंद ऊदारो। १८ सादूळ । १८ सूजो। . १६ भैरव । १८ लखो। १८ गोपाळ। ... २० दलो । २० मेघराज । १८ कांनो खेतसीरो ।
१६ दूदो भांनारो। I ऊदा हमीरका बेटा । हमीर और थिरा अवतारदेवके बेटे । इनका परिवार महेवेके गोवल गांवमें है और कई उमरकोट प्रान्तका समुद्रके पास परवर गांव है वहां रहते हैं। 2 अक्षराज हरिदासका चाकर, उज्जैनकी लड़ाईमें काम पाया । ........
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३६१.
१७ नेतसी महरांवणरो। १८ परवत नेतसीरो, गोवल
काम आया
१६ भोजो। १६ रामसिंघ। १६ भोपत। १६ खींवो। १८ भाखरसी वाहड़मेर
कांम प्रायो। १६ राघो भाखरसीरो। २० मनोहर गोवल छै । १७ लूंणो महरांवणरो
ऊमरकोट छ। १८ डूंगरसी लूंणारो। १६ घड़सी। २० मांडण । २० नरसिंध । ११ वीरमदे अवतारदेरो। १२ तमाइची वीरमदेरो। १३ सतो। १४ कुंभो। १५ सहसो। १६ सांमो। १७ मैहराज। १८ गोवरधन । १८ लाड__खांन । १८ संदर।। १३ देवराज तमाइचीरो। १४ सादो देवराजरो।
१५ वनो सादारो। १६ सहसमल, उठे माहोमाह
भायां मारियो, तद इणरो बेटो अड़वाल मारवाड़में आयो, रांणी लिखमी इणरी मासी थी, इण
परसंग' ! १७ अड़वाल । १८ महेस । १६ नेतसी। २० ईसरदास । खारियो
सोजतरो पटै । २१ गोवरधन । २२ खींवो खारियो पटै । २० नरहरदास । २१ रामसिंघ। २२ कलो रामसिंघरो। २१ गोकळ । २१ जीवो नरहरदासरो। १८ दूदो अड़वाळरो। १६ भांण दूदारो। २० अमरो। २० दयाळ । २० भगवांन । २१ दलो जाळोररो गांव पटै । १६ वेणीदास दूदारो।
I सहसमलको उसके भाइयोंने परस्परकी लड़ाईमें मार दिया, तब इसका बेटा अड़वाल मारवाड़ में चला पाया । राव सूजाकी रानी लक्ष्मी इसके मौसी लगती थी, इस प्रसंगसे । 2 ईश्वरदासको सोजतका खारिया गांव पट्टेमें ।
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३६२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात २० गोपाळदास ।
गांव भांमोळाव रहै छै १८ महेस अड़वाळरो।
१४ संतो देवराजरो। १६ पतो। १६ हरिदास । १५ पीथम राव। १६ जैतो । १६ भोज।
१६ परबत। १५ भीवराज सादारो।
१७ सूजो। १६ सायर।
१८ जैमल । १७ जगमाल ।
१६ उरजन । १८ कवरो दंतीवाड़े वसै । २० मानो। १६ मांडण भीवराजरो।
२१ वरजांग देछूरै मढलै १७ सूरो।
वसै। १८ जगनाथ । अजमेरेरै
इति सोढारी ख्यात सम्पूर्ण। ..
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I जगन्नाथ अजमेरके भामोलाव गांवमें रहता है।
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वात पारकर सोढांरी - पंवारै भिले
धरणीवराह वाहड़मेर धणी हुवो । तिरै वेटो छाड़ हुवो । तिरै घरै पछरा हुती । तिरै बेटा दोय २ – सोढो न वाघ । तिण वाघरा सांखला कहीजै' ।
सोढो; तिरी श्रीलादरा सोढा पीढी
१ धरणीवराह ।
२ छाड़ | ३ सोढो ।
४ चाचगदे ।
५ राजदे |
६ जैभ्रम ।
७ जसहड़ |
= सोमेसर |
१ ग्रासरव २ देवराज ।
३ सलख ।
४ देपो ।
५ खंगार ।
६ भीम ।
ग्रांक १०
७ वैरसल ।
८ भाखरसी, वडो दातार । गांगो ।
१० प्रखो । १० चांदो ।
११ मांणकराव ।
3
१२ लूंणो, देपो हमैं छै ।
धारावरीस |
१० आसराव, पारकर धणी ।
१० दुजणसळरा ऊमरकोट
वणी ।
चांदन सोढो पारकर वडो दातार हुवो । भाट बाळवनं कोड़ दांन दियो ।
वात पारकर
सैहर मैदांन मांहै वसै छै नै छोटी सी भाखरी " ऊपर सोढा चांदनरो करायो गढ़ छे । तठे रांगो हुवै सु रहे । गढ़ मांहै अंबारथ सखरी छै' । वावड़ी एक गढ़ मांहे पांगीरी छै, तिण गढ़ हेठे सहर
I उस वाघके वंशज सांखला कहलाते हैं । 2 दुजासलके (दुर्जन साल के ) वंशज उमरकोट के स्वामी । 3 लूगा और दीपा इस समय हैं । 4 पारकरमें चांदन सोढा बड़ा दानी हुआ, भाट बालवको उसने एक करोड़का दान दिया था। 5 पहाड़ी । 6 जो राणा होता है वह वहां रहता है । 7 गढ़में इमारतें अच्छी हैं ।
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३६४ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात वसै छै । सो प्रागै तो वङी ठोड़ हुती । वडी साह्विी हुती । तद . सैहर वस्ती घणी हुती । हमैं ही जैतारण सारीखो सहर वसँ छ । मुदो वस्तीरो वांणियां ऊपर छै । वडो अलियळ देस । चवदै चेढी गांव लागै । चेढी १रो मान ५६०; तिण चवदै चेढीरा गांव ७८४० हुवा । काळीझररो पहाड़ वडो, गांवझू कोस.., पछम दिसा लांवो कोस ५ । माहै पांणी घणो, झाड़ घणा । नास-भाजनं वडी माथारखी' । गांवसूं पांवडा १०० तळाव एक छ । त? पाणी पीये। वावड़ी ६ तथा ७ गांवरी पाखती सखरो छ । पांणी मीठो। पुरसै .. १० तथा १२ । गांव घणा लाग, चवदै चेढीरा । पैहली तो घणा गांव वसता । हिमैं गांव १४० वसै छै । १०० पारकररा धणियांरै। गांव ४० सोढा रांमरी मऊ वसै ।
पारकररी धरती इण भांतरी । जिका धरती ऊमरकोट छहोटण, सूराचंद । इण तरफ गांव कैरिया,13 एक साख, खेती-बाजरी, मूंग, मोठ, तिल । कूवै पाणी पुरसै २० मीठो । वीजी तरफ कछ दिसा, धरती कालार", तठे सर भरीजै, तटै ज्वार, गोहूं। ___पारकररी सींव इतरी ठोडसूं लागै'
१ एकण तरफ कछरो बैसगो ! भुजनगर कोस ५०; कोस .... ४० तांईं पारकररी हद, गांव रांणी पारकररो। १० कोस प्रागै भुजरी।
१ ऊमरकोट कोस ८० । ५० कोस तांईं पारकररी। ३० प्रागै ऊमरकोटरी।
___I जिस गढके नीचे शहर वसता है। 2. उस समय शहरमें वस्ती अधिक थी। 3 अव भी जैतारण जितनी वस्तीका शहर बसा हुआ है। 4 वस्तीका अाधार वनियोंके ऊपर है। 5 पश्चिम दिशा । 6 वृक्ष बहुत 1 7 भाग कर छिप जानेका अच्छा स्थान। 8 कदम। 9 जहां पानी पीते हैं। 10 पास । II दस तथा वारह पुरुष गहरा पानी (पुरुष = एक प्राचीन माप, दोनों हाथ सीवे फैलाने पर वक्षस्थल सहित जो लंबाई पाती है वह एक पुरुप कहलाता है' .. १२० अंगुलका भी पुल्प माना जाता है। ) 12 अब । 13 करील आदि कँटीलें पेड़ों वाले। 14 खारी जमीन, कल्लर भूमि । IS जहां बरसाती पानी इकट्ठा हो जाता है और उसमें..... ज्वार और गेहूं उत्पन्न होते हैं। 16 पारकरकी सीमा इतने स्थानों से लगती है। 17. एक ओर कच्छका बैठना (राज्य)। 18 तक 1 19 दस कोस आगे भुजकी सीमा।
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३६५
1
१ सूराचंद कोस ४२ चाहुवांणांरी' । ३० कोस तांईं पारकररी ।
१२ कोस या सूराचंदरी ।
१ एकण तरफ छहोटण कोस ६० । ४० पारकररी, २० कोस छोरी ।
१ एकर तरफ दिखण वाव सूईगांव चहुवांगारा कोस ५० । २७ कोस तांईं पाकररी, २३ कोस वाव सूईगांवरी ।
इति पारकररी ख्यात सम्पूरण ।
++++++++++
1 चौहानोंके सूराचंद गांवकी सीमा ४२ कोस । 2 एक ग्रोर दक्षिण दिशा में चौहानों के वाव और सूईगांव ५० कोस ।
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थ-माला
प्रधान सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य मुनि श्री जिनविजयजी
प्रकाशित ग्रन्थ
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१-संस्कृत १. प्रमाणमंजरी, तार्किकचूडामणि सर्वदेवाचार्य, सम्पादक-मीमांसान्यायकेशरी पं० पट्टाभिराम शास्त्री, विद्यासागर ।
. मूल्य-६.०० २. यन्त्रराजरचना, महाराजा-सवाई-जयसिंह-कारित । सम्पादक-स्व० पं० केदारनाथ, . ज्योतिर्वित् ।
मूल्य-१.७५ ३. महपिकुलवैभवम्, स्व० पं० मधुसूदन अोझा प्रणीत, संपादक-म०म० पं० गिरिधर शर्मा ___ चतुर्वेदी। ४. तर्कसंग्रह, अन्नंभट्ट, सम्पादक-डॉ. जितेन्द्र जेटली, एम. ए , पी-एच. डी., मूल्य-३.०० ५. कारकसंबंधोद्योत, पं० रभसनन्दी, सम्पादक-डॉ. हरिप्रसाद शास्त्री, एम. ए., पी. एच-डी.,
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परीख, तथा डॉ. प्रियवाला शाह, एम. ए., पी-एच. डी., डी. लिट् । मूल्य ३.७५ १४. उक्तिरत्नाकर, साधुसुन्दर-गणी-विरचित सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य श्री जिनविजय मुनि। .....
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डी. लिट् ।
डी. लिट।
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श्री वी. डी. दोशी ११. वृत्तजाति समुच्चय, कवि विरहाङ्क विनिर्मित ,, एच. डी. वेणलकर .. १२. कविदर्पण, अज्ञात कर्तृक १३. स्वयम्भूछन्द, कवि स्वयम्भू विनिर्मित २४. प्राकृतानन्द, रघुनाथ कवि रचित
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" श्री एम. एन. गोरी १६. दशकण्ठवधम्, पं० दुर्गाप्रसाद द्विवेदी
,, गङ्गाधर द्विवेदी . १७. नृत्यरत्नकोश, भाग २, महाराणा कुंभा प्रणीत , डॉ. प्रियबाला शाह १८. भुवनेश्वरी स्तोत्र (सभाष्य), पृथ्वीधराचार्य रचित ,, ,, गोपालनारायण बहुरा . १६. इन्द्रप्रस्थ प्रबन्ध
, डॉ. दशरथ शर्मा २०. मुंहता नैणसी री ख्यात, भाग २, नरगसी मुंहता , श्री बदरीप्रसाद साकरिया २१. वीरवांण, ढाढी बादर रचित
___ सम्पादिका-श्रीमती रानी लक्ष्मीकुमारी
. चंडावत . २२. गोरा बादल पदमिणी चउपई, कवि हेमरतन सम्पादक-श्री उदयसिंह भटनागर
विनिर्मित २३. राजस्थान में संस्कृत साहित्य की खोज
मूल लेखक श्री आर. एस. भण्डारकर। अनुवादक-श्री ब्रह्मदत्त त्रिवेदी । २४. राठोड़ारी वंशावली
. . सम्पादक-मुनि श्री जिनविजयजी . २५. सचित्र राजस्थानी भाषा-साहित्य ग्रन्थ-सूची ... , . . . . . २६. मीरां वृहत् पदावली,
. , (विद्याभूपण स्व. पुरोहित हरि
.. . नारायणजी द्वारा संकलित) २७. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठानके हस्तलिखित ग्रन्थोंकी सूची, भाग २। २८. राजस्थानी साहित्य संग्रह, भाग २ सम्पादक श्री पुरुषोत्तमलाल मेनारिया
(देवजी बगड़ावत और प्रतापसिंह वार्ता) २६. पुरोहित बगसीराम हीरां और अन्य वार्ताएं , ,, लक्ष्मीनारायण गोस्वामी ३०. रघुवरजसप्रकास, आढ़ा किसनाजी
, सीताराम लाळस २२. राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची, भाग १
इन ग्रन्थोंके अतिरिक्त अनेकानेक संस्कृत, राजस्थानी और हिन्दी भाषाके ग्रंथोंका संशोधन और सम्पादन किया जा रहा है। ..
''राजस्थान पुरातत्त्व' नामसे एक शोध-पत्र (जर्नल) निकालने की योजना भी विचाराधीन है।
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