Book Title: Mahadani Bhamashah
Author(s): Prem Kishor Patakha
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जना चित्र कथा महादानी भामाशाह राष्ट्र के लिए समर्पित Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्पादकीय भामाशाह राणा उदयसिंह के समय से ही राज्य का दीवान एवं प्रधानमंत्री था। हल्दी घाटी के युद्ध (१५७६ ई.) में पराजित हो कर स्वतंत्रता प्रेमी और स्वाभिमानी राणा प्रताप जंगलों और पहाड़ों में भटकने लगे थे। मुगल सेना ने उन्हें चैन न लेने दिया अतएव सब ओर से निराश और हताश हो कर उन्होंने स्वदेश का परित्याग करके अन्यत्र चले जाने का संकल्प किया। इस बीच स्वदेशभक्त एवं स्वामीभक्त भामाशाह चुप नहीं बैठा था। ठीक जिस समय राणा भरे मन से मेवाड़ की सीमा से विदाई ले रहा था भामाशाह आ पहुंचा और मार्ग रोक कर खड़ा हो गया। भामाशाह ने देशोद्वार के प्रयत्न के लिए उत्साहित किया। राणा ने कहा मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं और न ही सैनिक एवं साथी, किस प्रकार यह प्रयत्न करूं। भामाशाह ने तुरन्त विफुल धन उनके चरणों में समर्पित कर दिया। इतना धन दिया कि जिससे २५ हजार सैनिकों का बारह वर्षों तक निर्वाह हो सकता था। इस अप्रतिम उदारता एवं अप्रत्याशित सहायता पर राणा ने हर्ष विभोर हो कर भामा शाह को आलिंगनबन कर लिया। राणा ने पुनः सैनिकों को जुटाकर मुगलों को देश से बाहर करने में जुट गये तथा पूरे मेवाड़ को स्वतंत्र किया। भामाशाह की उदारता एवं वीरता को देखकर राणा जी ने दानवीर शिरोमणी भामाशाह का बड़ा सम्मान किया। अपनी इस अपूर्व एवं उदार सहायता के कारण भामाशाह मेवाड़ का उद्धारकर्ता कहलाये। यह कृति भी देश के रक्षक दानवीर भामाशाह को समर्पित। धर्मचंद शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य सम्पादक : धर्मचंद शास्त्री लेखक : प्रेम किशोर पटाखा चित्रकार : बने सिंह प्रकाशक : आचार्य धर्म श्रुत ग्रन्थमाला प्राप्ति स्थान : जैन मन्दिर, गुलाब वाटिका, लोनी रोड (उ.प्र.) वर्ष ३ अंक २१ मूल्य ६/ सन् १९९१ जैन चित्र कथाओं के प्रकाशन के इस पावन पुनीत महायज्ञ में संस्था को सहयोग प्रदान करें। परम संरक्षक : १११११ संरक्षक : ५००१ आजीवन : १५०१ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महादानीभामाशाह रेखांकन-बनेसिंह 55 15-/ S EMA 111111M 11111THITTA 17711 ALL 14 117 ENERS- SE WA LOLICICI OCTठहरहर0 हल्दीघाटी का युद्ध हो चुका था, इसमें राणाप्रतापकाप्यारा घोड़ा चेतकशहीद हो गया,राणाको अपारधन और जन की हानि अलगसे उठानी पड़ी,मगर राणा ने हार नहीं मानी,फिर सेयुद्ध की तैयारी शुरू करदी,मेवाड़ के महामंत्री,कोषाध्यक्ष भामाशाह पड़ोसी राज्यों से मिलने के लिए निकल पड़ते है Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा भामाशाह, सिरोही के राव सुरतान से मिलने के बाद अगले दिन जालोर के सुलतान ताज खाँ के यहां शाही मेहमान बने. allin उन्हें सम्मान के साथ यहां लाया जाय | दरबारी ने झुककर सलाम किया हम दोनों ही तन, मन, धन से आपके साथ हैं। idi आपको अपने बीच में पाकर सचमुच हमारी धरती धन्य हो गई। ANT I - del यह आपका बड़प्पन हैं, आप जैसे बहादुर साथियों की जिम्मेदारी अपने के कारण ही स्वतंत्रता की रक्षा कन्धों पर ली है। सिरोही के सुरतान आपसे मिलना चाहते हैं। मैं आपके पुनः दर्शनों से धन्य हो गया। मुझे भामाशाहू के आगमन की सूचना मिल चुकी थी। CIET Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महादानी भामाशाह यह बात मैं अच्छी तरह से जानता हूँ। तभी तो आपके बीच में महाराणा का संदेश लेकर आया है। आप निश्चित रहें सिरोही और सिरोही जालौर आपके तो आप एक साथ जिएंगे आपके दिन ही रूक साथ मरेंगे। पाए। मेरी मजबूरी है,सुरतान! तो क्या आप नहीं, बस यहां भीज्यादा अपना संदेश दिन नहीं रुकेंगे। देकर शीघ्र ही लौटना पड़ेगा आपकी इस यात्रासे एक निचार और मन में AN यही कि आप आबू के निकट देलवाड़ा में विशाल मंदिर बनवा रहे हैं। क्या ? हां,मैने उसके यही समझा लिए धन संग्रह हेतु निकले हैं। आया था? TAMIL INCR नहीं, देवता का मंदिर किसी दूसरे के धन से नहीं, अपने हीधन से पूरा करूंगा। मंदिर के निमणि में कितना धन व्यय होने का अनुमान है। Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा मैं तो राष्ट्र यही कोई पच्चीस-तीस करोड़ रुपये का मंदिरकेनिर्माण की सहायताके लिए निकला आपकी यह यात्रा अवश्य पूरी होगी सुना है,मालवा राज्य से आपको अच्छी सहायता मिली है। आप धन्य है। भामाशाह ocedad यह सब आप जैसे मित्रों की कृपा का फल है। महाराणा प्रताप जिनके यहां आप धन्य है जैसे महामंत्री और काम कोषाध्यक्ष हैं। किस योग्य एकबार आप राणा महाराणा उदयसिंह के के दर्शनों समय में भी तो की इच्छा उनके महामंत्री थे । हां, कुछ वर्षों तक रहा, फिर मैंने खुद ही. त्याग पत्र दे दिया,वे अत्यन्त विलासी थे, राज-काज में भी उनकी कतई दिलचस्पीनहीं CATTA यह अवसर भी आपको शीघ्रही प्राप्त हो। थी। MATLAIMILLER HINTUUU COहा panOD LAMVASIA Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाराणा से कहिए हमसदैव आपके साथ यदि आज बुरे दिन देखने पड़ रहे हैं तो कल अच्छे दिन भी आयेंगे महादानी भामाशाह स्वतंत्रता के दीवानों को अच्छे-बुरे दिनों काकोई महत्व नहीं होता, और यह आजादी हमलेकर रहेंगे। ANAL invo000004 KC सुना हल्दीघाटी प्यारा घोड़ा चेतक भी केयुद्ध में महा- उनके साथ नहीं रहा रागानेअपना सर्वस्वखो दिया चेतक के रवो जाने पर राणा भाव विह्वल हो उठते है और कहते है, शाह जी मैंने अपना प्यारा चेतक खोकर शक्तिसिंह जैसा महाबली भाई को प्राप्त किया है राणा प्रताप के पास शीघ्र पहुंचना राजKHAR SERIA IWNIOS LALLAULI मगर प्रतापने झुकना नहीं सीखा, प्रताप टूट सकते है, कुक नहीं सकते। सूचना मिली है कि मुगलसलतनत अपनी विशालशक्ति सेमहाराणा प्रतापको झुकानाचाहती है। इसी बीच राज्यके वजीर ने संदेश दिया चलिए हम खुद चलकर देखते जहाँपनाह, महाराणा प्रताप को भेजे जाने वाला उपहार तैयार है। चलिए! act Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा भामाशाह वन खण्ड वाले पहाड़ी क्षेत्र में लौट आए,जहां राणा प्रताप और उनके साथी इन्तजार कर रहे थे मोटOF66 MANTRA शाहजी! इस नुदापे में हमने आपको बड़ा कष्ट दिया है आपका मेरे ऊपर कितना विश्वास है, युही मेरे लिए सौभाग्य की बात है हमारे शाहजी की यहयात्रासफल शक्तिसिंह यहधन रही मित्रोंकी पहचान भी हो गई कितने दिनका है औरधन भी इकट्ठा हो गया/एक-दो छोटी इसकी आप कतई लड़ाइयों में ही चिन्ता न करेंधन बराबर हो एकत्रित करने का जायेगा। काम आप मुझ पर छोड़ दीजिए ENA NITAN Normal SAUDA Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आज मेवाड पर संकट के बादल है। महादानी भामाशाह राणाजी। हमारे जीते जी, शत्रु मेवाड़ कीधरती संकट के ये पर कदम नहीं रख बादल कितने सकतादिन रहेंगे। बेटे अमरको बुलाओ (Nim ACCU कहिए, पिताश्री) सैनिक शिविर में जाकर सैनापति से कहो, शीघ्र ही सबको एकत्रित करें R जैसी आपकी आज्ञा। जब में आपको चिन्ता में देखता हूँ, तो मेरा मन अत्यन्त दुखी हो जाता है। चिन्ता तो नहीं है शाह जी, मगर एक बात है। कौनसी बात है? राणा LOCTO TIGATIC UNATrir हल्दीघाटी में भले हीहमने हार नहीं मानी, मगर विजयीभी नहीं हुए। AMINO MPU CHIralia 7HUL Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा वो इसलिए राणा, V यह कोई मरव्य कारण नहीं है।। कि शत्रु सैना हमसे | हमारे सैनिक उनसे कई गुना कई गुना अधिक है अधिक वीर और साहसी है। शत्रु के पास आधनिक हथियार हैं तो है,बन्दुके हैं, और हमारे पास सिर्फतलवारें, भाले और बरछियां ALLAH 00000000 आइये, भीलराज, क्या बात है? TOOTHUADIRANI GATING संकेत मिला है कि शत्रु जबरदस्त तैयारी के साथ हमला करने वाला AOPAL Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कितना भी बड़ा शत्रु है परास्त हो जाता है। जब सभी अपने काम में एक होकर जुट जाते हैं। किसान कड़ी मेहनत करके धरती में अन्न उपजाए, नये हथियार बनें सैना बढ़ाई जाए - Sui Suy पव On Bir Chal महादानी भामाशाह आपकी इस प्रतिज्ञा से हम सभी जुड़े हैं । 9 मैं अपनी प्रतिज्ञा फिर दोहराता हूँ जब तक मेरा यह मेवाड़ पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हो जाता मखमली बिछौनों पर नहीं सोऊंगा, सोने-चांदी के बर्तनों में खाना नहीं खाऊंगा, अपने देश की स्वतंत्रता के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दूंगा । (ogur OTTEL ACTITIONE तो फिर बड़े से बड़ा शत्रु भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, चलिए, सैनिक शिविर में हमारी प्रतीक्षा हो रही होगी CLARY Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा कैसी बाते करता है, कहीं एक रोटीसे किसी की भूख राणा प्रताप केये दिनबेटाअमरसिंह,एक रोटी और खाले। KIEO नहीं मां भूख नहीं मिटती है हैं। अपने हिस्से की एक रोटी खा चुका d मैं तुझे अपने हिस्से की रोटी देती हूँ। अगर मैं किसी दूसरे (मैं तो कई दिनों तक बिना रोटी के हिस्सेकी रोटीरवाऊंगा के भी रह सकती हूँ बेटे। तोवह भूखा रह जाएगा नहीं मां, यह सरासर अन्याय 1000 हमारे दर्भाग्य।ये दिन भी हमें देखने को मिल गये। राजमहलों में पलने वाले आज साग-पातकी, भर पेट रोटी भी नहीं रखा पा रहे। एक रोटी के लिए तरस रहे है। तुम्हारे मुख से ये बाते शोभा नहीं देती हैं.मा। Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नहीं मेरे बेटे, कभी-कभी पुराने दिनों की यादें ताजा हो जाती है। हमारे पुराने दिन फिर लौटेंगे तुम मेवाड़ की राजमाता हो और एक दिन स्वतंत्रता के गीत इस धरती पर जरूर गूजेंगे। महादानी भामाशाह | इसी बीच, शक्तिसिंह आया पिता जी को भी भूख लगती होगी उन्हें भी राजमहलों की याद आती होगी अपने इस संकटकाल को वे कैसे हंस हंसकर काट रहे है, फिर मां, हम क्यों पीछे रहें। हाँ बेटे, उसी स्वतंत्रता की वह गूंज है, आज हमें सूखे सागपातों की रोटियां खाने पर मजबूर कर रही है। भाभी, जल्दी यहां से चलने की तैयारी करो ऐसा क्या हुआ, शक्तिसिंह इस तरह की दौड़-भाग तो अपना जीवन है । ठीक है बेटा, आखिर तुम महाराणा की ही सन्तान हो, तुम्हें कोई नहीं झुका सकता। शत्रु को हमारे इस गुप्त स्थान का पता लग गया है । Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा हमने अपना मोर्चा तैयार कर लिया हैं। तुम भाभीकोलेकर भीलराज केसाथ छप्पन के जंगल में चले जाओ। मैं मां के साथ जंगल में छिपने नहींजाऊंगा O ऐसा क्यों में भी आपके साथ यहींयुच्द करूंगा Ultitin यह कैसे हो सकता है राणाजी की आज्ञा है कि तम परिवार की रक्षा के लिए छप्पन के जंगल में चले जाओ। ऐसी बात नहीं मैं अभी इस बारे में पिताजी से बात करूंगा "क्या मैं हल्दीघाटीके युद्ध में ठीक सेनहीं लड़ा था" है, अमर POEOSE Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तो फिर क्या बात है, में अन बालक नहीं रहा। महादानी भामाशाह ठीक है भैया, आप अमरको अपने साथ ही रखें हमारी कोई चिन्तान करें। ठीक है भाभी मैं अमर को अपने साथ रखता हूँ। السر رررللي वाहकाका, मगर एक शर्त तुम कितने अच्छे हो जो मेरी बात इतनी जल्दी मान ली। कौनसी यही कि मैं इस बार, युच्द का सैनापति हूँ और सैनापति कीआज्ञा मानना हर सैनिक का कर्तव्य होता शर्त आपकी हरबात मानने के लिए मैं तैयार ह । IMedia 13 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा जैसी सैनापति की आज्ञा, चलोमा पहले भाभी को भीलराज के साथ सुरक्षित छप्पन जंगल में पहुंचाकर आओ,उसके बाद भीलराज के साथ यहां। वापिसलौटकर आजाओ जय मेवाड़ हर हर हर महादेव घमासान युद्ध हुआ राणाकी जयहो नदते हुए जयघोष के आगे शत्रुदलके (पैर उखड़गये उन्हें मैदान छोड़कर भागना पड़ा PROIN Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महादानी भामाशाह हमने यह तो सोचा ही नहीं था कि शत्रुइतनी तैयारी के साथ) अच्छा खासा युध्द भामाशाह | नेखोल दिया शाही खजाना उधर भीलराज और भामाशाह हमला करेगा। दो गया हमता मामूलीआक्रमण समझकर आगे बढ़े थे शत्रुओंकी संख्या तो पहले से भी अधिक थी,शक्तिसिंह और अमरसिंह के रणकौशल से हमयुदजीते तो सही मगर... 11111111 मगर क्या? इस युच्द में भी राणाको काफी धन और जनकी हानि उठानी पड़ी कुछ भी सही बुलन्द हौसलों मगर हमारे के आगे भला कोई हौसले बुलन्द ठहर सकता है जयू मेवाड़ इसी खुशी में शाही पकवान होजाए। froudbacopaGER वाह भीलराजजी, मुझपर यह तानाकस दिया। क्षमाकरे शाहजी मुझे स्वादिष्ट पकवान तो कतई पसन्द नहीं है मुझे तो अपने सैनिकों के साथ घास-पात की एक रोटी ही अच्छी लगती है, उसी से लड़ने की शक्ति मिलती है,देश के धन कुबेर ही ऐसे पकवानों का आनन्द ले सकते हैं हमारे जैसे देश के सैनिक INUTE नहीं Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा नहीं शाहजी, मेरी एसी औकात कहाँ, अच्छा अब चलता हूँ,प्रणाम! राणाके पासतो मुझे भी चलना है मगर पहले जरा लक्ष्मीमाता की पूजा करलू। N । APOOOOOOOOZ हे लक्ष्मीमाता, मुझ पर अपनी कृपादृष्टि सदैव ही बनाये रखना, जिसपुर तेरी कृपा रहती है वहचनकुबेर हो जाता है तू मुझे अपार धन प्रदान कर ताकि मैं उसका उपयोग राष्ट्रहित में कर सकू - ण्य HTTARATHI C. 16 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महादानी भामाशाह कुछ सुना आपने यह पुजन भीजरूरी है। कलावती का प्रवेशलक्ष्मी पूजन में ही लगे रहोगे? क्या हुआ? ( कहते हुए शरम आती है अभी-अभी आपके गुप्तचर ने सूचना दी है कि... कुछ कहोगी भी। JADUDDO राणा ने शत्रु से संधि करने के लिए पत्र लिरव दिया है। असम्भव ऐसा कभी नहीं हो सकता pooODDOO Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यह सूचना सही हो सकती है महाराणा के पास आज न रसद है न सैनिक शक्ति राजकोष की दशा भी आप जानतें हैं । तो क्या मैंने गलत सुना है जैन चित्रकथा मैं पूछती हूँ देश की रक्षा का भार क्या सिर्फ अकेले राणा पर है C Hoooooy तो क्या आप समझते है कि ऐसे समय में राणा युद्ध के लिए तैयार हो जाएंगे, संधि नहीं करेंगे तो क्या करेंगे ? मैं फिर कहता हूँ कि यह सूचना गलत है, वैसे तुम्हारा यह कहना सच है कि राजकोष एकदम खाली है। 18 एकदम गलत सुना है, हिमालय मुक सकता है मगर राणा नहीं, सागर अपनी सीमा छोड़ सकता है मगर महाराणा नहीं तुम कहना क्या चाहती हो BLUE मैं ऐसा नहीं होने दूंगा, अकेला राष्ट्र नायक संघर्ष करता रहे, धनकुबेर कानों में तेल डाले पड़े रहें, मेरा राणा धन के अभाव में कभी नहीं भुकेगा। Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | तभीद्वारपाल अंदर हाजिर हुआ महादानी भामाशाह कहो द्वारपाल कैसे आना हुआ? शक्तिसिंह आपसे मिलना चाहते अन्दर आजाओ शक्तिसिंह WATEST WER SC तुम्हद्वारपाल भेजने की क्या जरूरत थी सीधे अन्दर आजाते कहो क्या बात है? राणाने आपको याद किया है WHILA मैंने जो सुना है क्या वो सही इस बारे में कुछ नहीं कह सकता आरिवर क्यों ? राणा ने इस विषय में किसी से कुछ नहीं कहा, पिछले दो दिनों से काफी परेशान लगते हैं इसलिए मैं आपके पास आया हूँ। इसके लिए अब उन्हें परेशान नहीं होना पड़ेगा शक्तिसिंह सामने तिजोरी खुली पड़ी है... 1989 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कलावती, महल में जितने भी खाली बक्से, थैले हो, यहां मंगाए जाए जैन चित्रकथा जैसी मेरे स्वामी की आज्ञा शक्तिसिंह, चलो अब हम राणा के पास ६॥ 20 चलते है । भामाशाह, शक्तिसिंह के साथ सोना, चांदीव अशर्फियों को हाथी, घोड़ों पर लादकर राणा प्रताप की गुफा की और चल पड़े Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राष्ट्रमन्दिर का निर्माण महाराणा प्रताप की जय राणाजी, भामाशाह हाजिर है मुझे KURA भनक लग चुकी है भामाशाह की जय W महादानी भामाशाह "महावीर स्वामी की जय आइये शाहजी, मुझे आपका ही इन्तजार था यही की आप दुश्मन से संधि करना चाहते अब मुझसे युद्ध नहीं होगा 21 कौनसी बात की। इसलिए की अब लड़ने के लिए राजकोष एकदम खाली हो चुका है Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मेवाड़ का कोषाध्यक्ष मैं हूँ मुझे इसकी चिन्ता करनी है राणा को नहीं फिलहाल तो आपकी सेवा में मेरे शाही खजाने के कुछ बक्से और आभूषणों भरी ये थैलियां हाजिर हैं अब मैं यह शाही पुरस्कार राणा क समर्पित करता जैन चित्रकथा हो सकता ★ यह धन तो आपके पूर्वजों को पुरस्कार में मिला हैं। युद्ध के लिए नए अस्त्रशस्त्र चाहिए, सैनिकों के लिए भोजनादि की व्यवस्था करनी है इसके लिए इतना धन कहां से आएगा राष्ट्रनायक के चरणों में रखता हूँ, आप इन्कार न करें, भामाशाह को अपना कर्त्तव्य पूरा करने दीजिए, आने वाला कल यह कहकर कलंकित न हो जाए कि राणा को संधि इसलिए करनी पड़ी थी कि उनका राजकोष खाली हो गया था और आबू के निकट देलवाड़ा में जो विशाल मन्दिर बनवाने की योजना है, यह धन तो उसके लिए है। 22 Vanit Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महादानीभामाशाह राणाजी, देव मन्दिर से बड़ा होता है राष्ट्रमन्दिर का निमणि, राष्ट्रमन्दिरहीयदि कमजोर रहातो देव मन्दिर की रक्षा कौन करेगा। शाहजी,आप धन्य हो,धन्य हो आपका जैनधर्म मेवाड़ आपका सदा ऋणी रहेगा। 0000000s शाह जी, आपने प्रताप को टूटने से बचा लिया यह मेरा कर्तव्य है,यदि इसके बाद भी धन की आवश्यकता हुई तो मेरे पास गुप्त खजानों के नक्शे हैं हम उन्हें भी ढूंढ निकालेंगे। Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्रकथा शक्तिसिंह युच्दकी तैयारियां फिर शुरू हम सब तैयार हैं। कर दी जाएं युच्द का बिगुल बज उठता है राणाप्रताप की जय भामाशाह की जय मेवाड़ की जय ON सEिW RE धन्य है भामाशाह जैन और उनका सर्वस्व दान । बलिदानों की अनेक गाथाओं सेजुड़ा हुआ,अपना प्यारा हिन्दुस्तान -समाप्त 24 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुनो सुनायें सत्य कथाएँ जैन चित्र कथा अंजना नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा के लिए हमारे नऐ अंक में नया उत्साह, उमंग, ज्ञान रस से भरपूर, जीवन को प्रेरणा देने बाली रोचक एवं मनोरंजक कहानियां - रंग विरंगी दुनियाँ में आपके नन्हें मुन्नों के लिए ज्ञान वर्धक टोनिक जैन चित्र कथा पढ़ें तथा पढ़ावें अब तक प्रकाशित जैन चित्र कथाएँ। आगामी प्रकाशन (1) तीन दिन में (14) नाग कुमार भाग्य की परीक्षा मुनि रक्षा तीसरा नेत्र त्याग और प्रतिज्ञा गाये जा गीत अपन के (16) बेताल गुफा आटे का मुर्गा क्या रखा है इसमें (17) चन्द्रप्रभु तीर्थंकर करे सो भरे चरित्र ही मन्दिर है (18) जल्लाद का अहिंसाब्रत कविरत्नाकर (6) मुक्ति का राही (19) निकलंक का जीवन दान चमत्कार आत्म कीर्तन (20) महारानी मृगावती प्रद्यम्न हरण महादानी भामाशाह (21) नेमीनाथ सत्य घोस आचार्य कुन्दकुन्द (22) दलदल में फंसा बैल (10) सात कोड़िओं में राज्य (10) रामायण (23) आओं चले हस्तिनापुर (11) टीले बाले बाबा (11) नन्हें मुन्हें (24) सुबह का भूला (12) चंदना (12) एक चोर (25) ऋषि का प्रभाव (13) ताली एक हाथ से बजती रही (13) सोने की थाली (14) सिकन्दर और कल्याणमुनि (15) चारित्र चक्रवर्ति प्रकाशक : आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थ माला गोधा सदन अलसीसर हाऊस संसारचंद, (16) रुप जो बदला नहीं (17) राजुल रोड जयपुर (18) स्वर्ग की सीढियाँ प्राप्ति स्थान : जैन चित्र कथा कार्यालय दि. जैन मन्दिर, गुलाब बाटिका दिल्ली सहारनपुर रोड दिल्ली (U.P.) (5) (8) तो फिर देर किस बात की आज ही ड्राफ्ट या चैक जैन चित्र कथा के नाम से भेजें परम संरक्षक १११११ संरक्षक ५००१ आजीवन १५०१ दस वषीर्य ७०१ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARVINFAB SUITING, SHIRTING & DRESS MATERIAL Sales off. UTTAM SALES CORPORATION FIRST FLOOR, KATRA LESHWAN CHANDNI CHOWK, DELHI - 6 Phone : 2920570 2520835 BANSI DHAR RAMESH CHAND VARDHMAN TRADERS 345, BADAM WADI KALBA DEVI, BOMBAY Phones : 312863, 297112 Ramesh Chand Pravesh Chand Daya Chand Jain & Sons Sunder Sons Fabrics D. S. Textiles Katra Lehswan Chandni Chowk, Delhi-6 Phones.: 2510646, 2512256 Daya Chand Uttam Prakash Arvind Taxtiles 1st Floor, Katra Lehswan Chandni Chowk, Delhi-6 Phone : 2513893