Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वरतरगच्छ साहित्य कोश TOO00 साहित्य वाचस्पति महोपाध्याय विनयसागर Ja For Personal & Privale Education International Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाभारत कार्य म. विनयसागरजी के पत्र से 'खरतरगच्छ। साहित्य कोश' के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त ७५०० कृतियों के बारे में परिचय देना अपने आप में एक महाभारत कार्य है। V मोहनलाल देसाई ने जैन गुर्जर कविओ' में एक असाधारण कार्य किया। हीरालाल कापड़िया ने संस्कृत एवं प्राकृत साहित्य का इतिहास लिखा । (इन ग्रन्थों का अब पुनर्मुद्रण भी | नई सामग्री जोड़कर किया गया है। इस प्रकार के शकवर्ती कार्य बहुत कम । दिखाई देते हैं। श्री विनयसागरजी के इस कार्य से खरतरगच्छ के अनेकानेक ग्रंथों के बारे में एक ही स्थल पर जानकारी मिल जाएगी। इससे विद्वज्जन लाभान्वित होंगे। ऐसे सर्वग्राही कार्य आगे भी होते रहें यही कामना। भीलडीयाजी आ. मुनिचन्द्रसूरि Jain Ed e n International For Personal & Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मणि पुष्प - 7 प्राकृत भारती पुष्प - 201 खरतरगच्छ साहित्य कोश [खरतरगच्छीय आचार्यों द्वारा निर्मित विविध विषयक ग्रन्थों का साहित्य कोश STE साहित्य वाचस्पति महोपाध्याय विनयसागर For Personal & Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक एवं प्राप्ति स्रोत : देवेन्द्र राज मेहता संस्थापक प्राकृत भारती अकादमी १३-ए मेन मालवीय नगर जयपुर - ३०२ ०१७ दूरभाषः ०१४१ - २५२४८२७ * मंजुल जैन मैनेजिंग ट्रस्टी एम०एस०पी०एस०जी० चेरिटेबल ट्रस्ट १३-ए मेन मालवीय नगर जयपुर - ३०२ ०१७ दूरभाष: ०१४१ - २५२४८२८, मोबाईल - ९३१४८८९९०३ प्रथम संस्करण : २००६ मूल्य: ६००/ © म० विनयसागर लेजर टाईप सैटिंग सागर सेठी, जयपुर फोन - २६०१६२३ मुद्रकः पॉपुलर प्रिन्टर्स, जयपुर KHARATARA-GACCHA-SĀHITYA KOŚA BY M. VINAYA SĀGARA For Personal & Private Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा में प्राचीन समय में ८४ गच्छों की मान्यता रही है। उन प्राचीन ८४ गच्छों में से वर्तमान में ४ ही गच्छ विद्यमान है:- खरतरगच्छ, अचलगच्छ, तपागच्छ और पार्श्वचन्द्र गच्छ। ये चारों ही गच्छ वर्तमान में भी देदीप्यमान हैं। प्राकृत भारती के प्रारम्भ से ही यह भावना रही है कि इन गच्छों का प्रामाणिक इतिहास प्रकाशित हो। इसी को ध्यान में रखकर तपागच्छ का इतिहास और अंचलगच्छ का इतिहास हम प्रकाशित कर चुके हैं । हमारी भावना थी कि खरतरगच्छ का भी प्रामाणिक इतिहास शीघ्र ही प्रकाशित हो । साहित्य वाचस्पति महोपाध्याय विनयसागरजी प्राकृत, संस्कृत आदि भाषाओं के प्रौढ़ विद्वान् हैं । भारत के प्रसिद्ध इने-गिने प्राकृत भाषा के विद्वानों में इनकी गणना की जाती है । धुरन्धर जैनाचार्य भी समय-समय पर इनसे परामर्श लेते रहते हैं । प्राकृत भारती अकादमी के स्थापना काल से ही ये इसके निदेशक पद को सुशोभित करते रहे हैं। खरतरगच्छ के इतिहास, पुरातत्त्व और साहित्य के ये विशिष्ट विद्वान् माने जाते हैं। साहित्य मनीषी स्वर्गीय श्री अगरचन्दजी नाहटा और श्री भँवरलालजी नाहटा के पश्चात् इनकी कोटि का विद्वान् और कोई नहीं है। श्री विनयसागरजी से हमने अनुरोध किया कि आप इतिहास, पुरातत्त्व और साहित्य के विद्वान् हैं। अतः खरतरगच्छ का इतिहास आप लिखें। इन्होंने भी सहर्ष स्वीकार किया और अपनी ६२ वर्षों की चिरसंचित अभिलाषा को पूर्ण करने की दृष्टि से इस कार्य को हाथ में लिया । ६ दशाब्दियों से इस सम्बन्ध में जो भी इन्होंने संग्रह एवं संकलन किया था उसको मूर्त रूप देना प्रारम्भ किया। इस इतिहास को इन्होंने तीन भागों में विभक्त किया है: १. खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास :- पुरातन पट्टावलियाँ, ग्रन्थ प्रशस्तियाँ और लेखन प्रशस्तियों के आधार पर यह इतिहास लिखा गया है। इसमें खरतरगच्छ के उद्भव से लेकर मूल परम्परा, १० शाखाएँ, ४ उप शाखाएँ, संविग्न परम्परा के तीनों समुदाय और वर्तमान में विद्यमान समस्त साधु-साध्वियों का प्रामाणिक इतिहास दिया गया है। शोधार्थियों के लिए इसमें ४ परिशिष्ट भी दिए गए हैं। इस इतिहास की अन्य गच्छ के धुरन्धर आचार्यों, विद्वानों, एवं जैनेतर विद्वानों ने भी मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की है। २. खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रहः- सम्माननीय आचार्य श्रीबुद्धिसागर सूरिजी श्रीविजयधर्मसूरिजी, पद्मश्री मुनि जिनविजयजी, मुनिश्री जयन्तविजयजी, श्री पूरणचन्दजी नाहर एवं श्री अगरचन्दजी भँवरलालजी नाहटा आदि पुरातात्त्विक विद्वानों द्वारा प्रकाशित अभिलेख संग्रहों के आधार पर तथा स्वयं के संग्रहीत अभिलेखों के आधार पर २७६० अभिलेखों का संग्रह इसमें किया गया है। भारत के समस्त प्रदेशों के प्रकाशित लेखों में से खरतरगच्छ के प्रतिष्ठित लेखों का इसमें संकलन है। दादाबाड़ियों के लेखों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है। इसकी भी पुरातात्त्विक विद्वानों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। For Personal & Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३. खरतरगच्छ साहित्य कोश:- खरतरगच्छ के उद्भव काल से लेकर आज तक के मनीषी विद्वानों ने विविध विधाओं पर और विविध भाषाओं में जो साहित्य सर्जन किया है उसका इसमें समावेश किया गया है। ग्रन्थ नाम, कर्ता, कर्ता के गुरु, ग्रन्थ का विषय, भाषा, रचना संवत् एवं स्थान, ग्रन्थ के प्रारम्भ का आदिपद, मुद्रित या अप्रकाशित, मुद्रित है तो कहाँ से और अप्रकाशित है तो वह ग्रन्थ किस भण्डार तथा स्थान पर उपलब्ध है इसका प्रामाणिक आलेखन किया गया है। पूर्व में प्रोफेसर डॉ एच.डी. वेल्हणकर के जिनरत्नकोष, मोहनलाल द. देसाई के जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास और जैन गुर्जर कविओ तथा हीरालाल रसिकदास कापड़िया के जैन संस्कृत साहित्य का इतिहास आदि ग्रन्थ प्रकाशित हुए है, वे अपनी-अपनी दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है किन्तु कई दृष्टियों से इस ग्रन्थ का विशेष महत्व है। इस प्रकार का साहित्य कोश किसी गच्छ का प्रकाशित नहीं हुआ है। यह कोश वास्तव में अनुपम है। समस्त गच्छों के परम्परा धारक आचार्यों और विद्वानों से हमारा साग्रह अनुरोध है कि गच्छों का इतिहास इस प्रकार से इतिहास , पुरातत्त्व और साहित्य कोश की दृष्टि से निर्माण कर प्रकाशित करें। विनयसागरजी के ये तीनों ग्रन्थ खरतरगच्छ के लिए चिरकाल तक दीपस्तम्भ की तरह मार्ग दर्शक होंगे इसमें हमें तनिक भी संदेह नहीं है। डॉ० कमलचन्दजी सोगानी की दृष्टि में इनके ये तीनों ग्रन्थ असाधारण वैदुष्य के परिचायक हैं और ये तीनों ही अमर कृतियाँ हैं। हम इनसे यह भी अनुरोध करेंगे कि इसी प्रकार ग्रन्थ प्रशस्तियों और लेखन प्रशस्तियों के आधार पर खरतरगच्छ के उपासकों का परिचय भी वे अवश्य लिखें। शासन और धर्म की प्रभावना करने में इस श्रेष्ठियों का भी कम प्रभाव नहीं रहा है। भारत के कई प्रदेशों में कई उपासक तो दीवान रहे हैं, सेनापति रहे हैं, कोषाध्यक्ष रहे हैं, कई पदों पर राज्याधिकारी रहे हैं और कई जागीरदार रहे हैं अतः उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और धार्मिक कार्य-कलापों का भी वर्णन पढ़कर भावी पीढ़ी भी उसका अनुसरण कर सके। जीवेमः शरदः शतम् की सूक्ति के आलोक में विनयसागरजी दीर्घायुषी हों और स्वस्थ रहकर माँ सरस्वती के भण्डार की अभिवृद्धि करते रहें यही हमारी शुभकामना है और इस असाधारण परिश्रम के लिए भूरि-भूरि बधाई भी है। अनुसंधित्सु विद्वानों के लिए यह ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। मंजुल जैन मैनेजिंग ट्रस्टी एम०एस०पी०एस०जी० चेरिटेबल ट्रस्ट जयपुर देवेन्द्र राज मेहता संस्थापक प्राकृत भारती अकादमी जयपुर For Personal & Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समर्पण खरतरगच्छ के उन महान साहित्यकारों को जिन पर न केवल जैन धर्म अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र को गौरव है। महोपाध्याय विनयसागर For Personal & Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषयानुक्रमणिका पृष्ठाङ्क विषय भूमिका I - IV प्राक्कथन V -XLVII -५४४ - २३२ खरतरगच्छ साहित्य कोश प्रथम खण्ड आगम, प्रकरण, उपदेश, विधि, चर्चा, चरित्र, काव्य, व्याकरण, कोश, छन्द, लक्षण, स्तोत्र, रास, आयुर्वेद, ज्योतिष, व्याख्यान, पूजा, रत्नमुद्रादि शास्त्र, छत्तीसी आदि साहित्य कोश का अकारानुक्रम २३३ - ५२० द्वितीय खण्ड स्तवन, स्तुति, चैत्यवन्दन, गीत, स्वाध्याय, पद, निसाणी, लावणी, बारहमासा आदि साहित्य । ५२१ - ५४४ तृतीय खण्ड २०वीं-२१वीं सदी के कतिपय विद्वानो द्वारा निर्मित साहित्य ५४५ - ६२० ५४५ - ५६३ ५६४ - ५७२ परिशिष्ट प्रथम परिशिष्ट प्रथम-द्वितीय-तृतीय खण्ड के अन्तर्गत ग्रन्थकारों की नामानुक्रमणी द्वितीय परिशिष्ट प्रथम खण्डस्थ स्तोत्र, स्तुति, स्तव, विज्ञप्ति आदि लघु कृतियों के आदिपदों का अकारानुक्रम तृतीय परिशिष्ट द्वितीय खण्डस्थ चैत्यवन्दन, स्तुति, गीत-स्तवन, गंहुली, भास, बारहमासा, आदि लघुकृतियों के आदिपदों का अकारानुक्रम ५७३ - ६२० For Personal & Private Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * * * * * * * * * * * * खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर मोतीचन्दजी खजांची संग्रह, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर श्रीपूज्य श्रीजिनचारित्रसूरि संग्रह, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर जयचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर = उपाध्याय जयचन्दजी संग्रह, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर जिनहर्षसूरि दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर = दानसागर भण्डार, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर * देशाई संग्रह = मोहनलाल दलीचन्द देसाई संग्रह, बम्बई * * * E *k अ. अप्रकाशित उ. उल्लेख भं. भण्डार मु. = मुद्रित अभय ग्र. बीकानेर = अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर कान्तिविजय संग्रह, छाणी = प्रवर्तक कान्तिविजयजी संग्रह, छाणी = = = क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर = उपाध्याय क्षमाकल्याणजी ज्ञान भण्डार, बीकानेर जिनहर्ष - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर भण्डार, बड़ा ज्ञान भण्डार, बीकानेर = संकेत सूची = = = धरणेन्द्र संग्रह, जयपुर = श्रीपूज्य जिनधरणेन्द्रसूरि संग्रह - राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जयपुर नाहर संग्रह, कलकत्ता = पूनणचन्द्र नाहर संग्रह, कलकत्ता विजय संग्रह, अहमदाबाद = मुनि पुण्यविजय संग्रह, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि संग्रह बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता = रायबहादुर बद्रीदास मुकीम संग्रह, कलकत्ता बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र. चित्तौड़ = यति बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ बी. एल. इन्स्टीट्यूट, नई दिल्ली भोगीलाल लहरचन्द इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडोलोजी, दिल्ली = * * * * * * * * * * * * * * * * * * भट्टारक भं. नागौर = भट्टारकजी ज्ञान भण्डार, नागौर भावहर्ष भं., बालोतरा = भावहर्षसूरि ज्ञान भण्डार, बालोतरा भुवनभक्ति संग्रह बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर भुवनभक्ति ज्ञान भण्डार, बड़ा ज्ञान भण्डार, बीकानेर महरचन्द- बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर = महरचन्द ज्ञान भण्डार, बड़ा ज्ञान भण्डार, बीकानेर महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर = महिमाभक्ति भण्डार, बड़ा ज्ञान भण्डार, बीकानेर मुकनचन्दजी संग्रह, बीकानेर = यति मुकनचन्दजी संग्रह, बीकानेर मोहनलालजी म. भं., सूरत महाराज ज्ञान भण्डार, सूरत राजस्थानी शोध संस्थान चौपासनी = जोधपुर रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर = राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठा रामचन्द्र - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर = रामचन्द्र भण्डार, बड़ा ज्ञान भण्डार, बीकानेर रामलालजी संग्रह, बीकानेर = महो० राजलालजी संग्रह, बीकानेर वर्द्धमान- बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर = वर्द्धमान भण्डार, बड़ा ज्ञान भण्डार, बीकानेर वाडीपार्श्व भं. पाटण वाडी पार्श्वनाथ ज्ञान भण्डार, = = श्री मोहनलाल पाटण विनय प्रतिलिपि = महो० विनयसागर प्रतिलिपि संग्रह, जयपुर वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर = यति वृद्धिचन्दजी संग्रह, जैसलमेर सुमेरमल संग्रह, भीनासर = यति सुमेरमल संग्रह, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर For Personal & Private Use Only सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर = अगरचन्द भैंरोदान नाहटा सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा जिनहरिसागरसूरि ज्ञान भण्डार, पालीताणा हर्षचन्द्रसूरि - पार्श्व चन्द्रगच्छ भं., खम्भात हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भण्डार, खम्भात हिम्मत विजय संग्रह, रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर यति हिम्मतविजयजी संग्रह राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, शाखा बीकानेर = = Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ain Education Intermaticinal महोपाध्याय, श्री सुमतिसागर जी महाराज, Penanal & Private Use Only Minelit Piry.org Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्य श्री जिनमणिसागरसूरि जी महाराज Inin Education.inlemiartal www.jalnelibrary Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पू. स्व. श्री अनुभवश्रीजी म. का शिष्या-प्रशिष्या परिवार श्री विनोदश्री जी म. स्व. श्री अनुभवश्री जी म. श्री प्रियदर्शनाश्री जी म. श्री विनयप्रभाश्रीजी म. श्री कल्पलताश्री जी म. श्री प्रियंवदाश्री जी म. श्री अमितयशाश्री जी म. श्री विनीतप्रज्ञाश्री जी म. श्री विनीतयशाश्री जी म. श्री शुद्धांजनाश्री जी म. श्री श्रद्धांजनाश्रीजी म. श्री हेमप्रभाश्रीजी म. श्री योगांजनाश्री जी म. श्री शीलांजनाश्री जी म. श्री दीपमालाश्रीजी म. श्री दीपशिखाश्री जी म. Shairi Education International श्री प्रमुदिताश्री जी म. श्री प्रशमिताश्री जी म. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पू0प्र0 श्रीहेमप्रभाश्रीजी म. सा0 की प्रेरणा से मुमुक्षु सुश्री अनीता सखलेचा मुमुक्षु सुश्री धार्मिष्ठा गुलेच्छा कीभागवती दीक्षाकपलक्ष्यम श्री खरतरगच्छ संघ, बाड़मेर Jain Education international Fu Personal & Private Use Only www.sainelibrary.org Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only DOOR) सिणधरी नगर में भगवान आदिनाथजी का शिखरबद्ध भव्य मन्दिर एवं नवीन निर्मित दादाबाड़ी का विहंगम दृश्य Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिणधरी नगर की संक्षिप्त झलक नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ के समान ही सिणधरी भी वन्दनीय और स्मरणीय है क्योंकि नाकोड़ा पार्श्वनाथ की प्रतिमा सिणधरी के सरोवर से ही प्रकट हुई थी और जिसे खरतरगच्छाचार्य श्री कीर्तिरत्नसूरिजी ने वीरमपुर-महेवा में स्थापित की थी। यह प्रतिमा अत्यन्त अलौकिक चमत्कारों से परिपूर्ण होने के कारण नाकोड़ा पार्श्वनाथ के नाम से भारत भर में प्रसिद्ध है। - सिणधरी नगर के मध्य में दो मन्दिर हैं। दोनों ही शिखरबद्ध हैं। प्रथम मन्दिर में मूलनायक आदिनाथ भगवान् हैं और आस-पास में महावीर स्वामी और चन्द्रप्रभ हैं। इस मन्दिर की प्रतिष्ठा खरतरगच्छ की शाखा भावहर्ष के आचार्यों ने १०८ वर्ष पूर्व करवाई थी। शासनदेवी चक्नेश्वरी हाजरा -हजूर है और इनके कई चमत्कार भी लोगों ने देखे हैं । इस मन्दिर में अखण्ड ज्योत में धुएं के स्थान पर केसर के ही दर्शन होते हैं। दूसरे मन्दिर के मूलनायक चन्द्रप्रभु हैं और आजु-बाजु भी । उन्हीं की मूर्तियाँ है । इस मन्दिर में भी अखण्ड ज्योत में केसर के दर्शन होते हैं। _प्रथम मन्दिर के सभा मण्डप में गौड़ी पार्श्वनाथ के चरण तथा दादा जिनदत्तसूरि एवं जिनकुशलसूरिजी के चरण स्थापित थे और इन चरणों का जीर्णोद्धार करते हुए स्वतन्त्र दादाबाड़ी की प्रेरणा १७ वर्ष पूर्व श्री सुरअनाश्रीजी महाराज के प्रवचनों से हुई थी। सुरञ्जनाश्रीजी महाराज के उपदेश से प्रभावित होकर तीन कुमारिकाओं विमला, ललिता और मीना ने २५ अप्रैल १९९३ को गणिवर्य श्री मणिप्रभसागरजी के कर-कमलों से दीक्षा हुई और उनके दीक्षित नाम क्रमशः इस प्रकार रखे गए मुक्ताञ्जनाश्री, अमृताञ्जनाश्री, मोक्षाअनाश्री । सिणधरी का सौभाग्य है कि तपागच्छ में भी यहाँ की बहिनों ने दीक्षा ग्रहण की। हमारा सौभाग्य है के पूज्य गणिवर्य श्री मणिप्रभसागरजी का चातुर्मास भी सन् १९९८ में यहाँ हुआ। चातुर्मास के पश्चात् यहाँ से माण्डवला का संघ भी निकाला गया और जहाज मन्दिर माण्डवला में स्वर्गीय पूज्य श्री कान्तिसागरजी महाराज के स्वर्ग जयन्ती के मेले का भी लाभ हमें मिला | पूज्य गणाधीश उपाध्याय श्री कैलाशसागरसूरिजी महाराज से आज्ञा प्राप्त कर संवत् २०६२ का चातुर्मास भी पूज्या साध्वीवर्या श्री सुरञ्जनाश्रीजी महाराज ने अपने साध्वी मण्डल के साथ किया। इस चातुर्मास में यह नगरी तपोभूमि के रूप में बदल गई । छोटी सी आबादी होते हुए भी ११ मासक्षमण, ४६ सिद्धितप,२१,१६.१५.११.१० और ८ की विभिन्न तपस्याएँ हुई। दादाबाड़ी का जीर्णोद्धार मन्द गति से बढ़ता रहा । समय-समय पर साध्वीजी महाराज का मार्ग दर्शन भी मिलता रहा । जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण हो चुका है और प्रतिष्ठा का कार्य भी शीघ्र ही ३ मई २००६ तदनुसार वैशाख शुक्ला ६ विक्रम संवत २०६३ को सम्पन्न होगा । गच्छाधिपति उपाध्याय श्री कैलाशसागरजी महाराज की निश्रा में और जीर्णोद्धार प्रेरिका साध्वीश्री सुरञ्जनाश्रीजी महाराज साध्वी मण्डल की सान्निध्यता में यह ऐतिहासिक कार्य पूर्ण होगा। इसी प्रसंग पर इसी दिन हमारे नगर की लाडली मुमुक्षु कुमारी ममता मुणोत की भी दीक्षा पूज्य सुरञ्जनाश्रीजी महाराज के कर कमलों से होगी। श्री खरतरगच्छ सकल जैन श्रीसंघ सिणधरी For anal & Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ জঞ্জীবজল an Education internet For Personal & Private Use Only আযখন Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (दृढ़ निश्चयी दानवीर श्री कपूरचन्दजी श्रीमाल ) धार्मिक और सामाजिक कार्यों में सर्वदा अग्रगामी रहने वाले श्री कपूरचन्दजी श्रीमाल का जन्म २७ मई १८९९ में दिल्ली में हुआ था। आपके पिताजी का शुभ नाम खूबचन्दजी झाड़चूर था और माताश्री का हीराबाई। वंश इनका श्रीमाल था और गोत्र था झाडचूर । आपके चार भाई और थे। बड़े थे - श्री फूलचन्दजी, छोटे थे - श्री कस्तूरचन्दजी, श्री केसरीचन्दजी और श्री पूनमचन्दजी। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती सोहनबाई था। केवल मैट्रिक तक शिक्षार्जन किया था। व्यवसाय हेतु रिक्तहस्त हैदराबाद गये थे। वहाँ अत्यधिक परिश्रम कर समृद्धिवान बने। इनका व्यक्तित्व विराट था। खरतरगच्छ के सुदृढ़ स्तम्भ थे। धार्मिक कार्यों में सदा अग्रगण्य रहते थे। सामाजिक सेवा के कार्यों में भी पीछे नहीं हटते थे। वकील न होते हुए भी कानूनी दाव-पेचों के सिद्धहस्त जानकार थे।सभी समुदायों के प्रति समान आदर-भाव रखते थे, किन्तु अपनी गच्छ की क्रिया के प्रति दृढनिश्चयी थे। श्रीखरतरगच्छ संघ और जिनदत्तसूरि सेवा संघ केलगभग ८-१० वर्षों तक अध्यक्ष रहे। श्री कुलपाक तीर्थ की व्यवस्था समिति के सन् १९७५ तक उपाध्यक्ष और तत्पश्चात् मृत्यु पर्यन्त अध्यक्ष पद पर रहे। आपकी अध्यक्षता काल में ही कुलपाक तीर्थ का विशाल प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। जैन श्वेताम्बर मंदिर, चार कमान (हैदराबाद) के लगभग ४० वर्षों तक आप अध्यक्ष रहे। इस मंदिर की व्यवस्था में आमूल-चूल परिर्वतन का श्रेय आप ही को जाता है। श्री अजितनाथ पार्श्वनाथ मंदिर सुल्तान बाजार, हैदराबाद के मंदिर का जीर्णेद्धार भी आप ही के सतत प्रयत्नों एवं आर्थिक सहायता से सम्पन्न हुआ था। हैदराबाद संघ के तो आप धर्मप्राण ही थे। आपके दृढ़निश्चय के कारण ही भगवान् अजितनाथ के मंदिर में केवल चन्दन से ही पूजा होती है, केसर और वर्क नहीं चढ़ाए जाते । यह परम्परा आज भी चालू है। आपके सुकृत कार्यकलापों की सूची इस प्रकार है: कुलपाक तीर्थ की दादाबाड़ी के निर्माण हेतु ११,००,०००, जैन दादाबाड़ी बुलडाना के निर्माण हेतु ११,००,०००, चार कमानस्थ जैन मंदिर के पृथक् उपाश्रय हेतु ५,००,०००, सिकन्दराबाद जैन दादाबाड़ी के लिए ६,००,०००, विपश्यना केन्द्र हेतु २,००,०००, और रायचूर जैन मंदिर के लिए १,११,००० दान स्वरूप प्रदान किये थे। दान सूची तो विस्तृत है किन्तु यहाँ विशिष्ट का ही उल्लेख किया गया है। धार्मिक कार्यों के लिए सुल्तान बाजार में ही सन् १९९३ में २५,००,००० के मूल्य का भवन क्रय किया जिसमें सन् १९६४ से नियमित रूप से आयम्बिल खाता चलता है। रोगियों की सेवा-शुश्रूषा के लिए ५००० से १०,००० रु० मासिक प्रदान करते थे। अपनी धर्मपत्नी सोहनबाई की स्मृति में पालीताणा में जतन स्वर्ण विचक्षण भवन में एक भव्य हॉल बनवाया था। सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढ़ी, अहमदाबाद के आप प्रतिनिधि रहे, हैदराबाद स्टॉक एक्सचेंज के संस्थापक और अध्यक्ष भी रहे । हैदराबाद नगर के सर्वश्रेष्ठ दलाल भी थे।९८ वर्ष की विशिष्ट आयु में २३ अक्टूबर १९९६ को हैदराबाद में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके दो पुत्र और दो पुत्रियाँ थीं। बड़े पुत्र सिताबचन्दजी और छोटे पुत्र विजयचन्दजी। दोनों पुत्रियों के नाम है- श्रीमती राजबाई चौपड़ा और श्रीमती कंवरबाई सुराणा। सिताबचन्दजी के दो पुत्र विद्यमान हैं - श्री प्रकाशचन्दजी इस समय भी हैदराबाद शेयर बाजार के अध्यक्ष पद पर है। श्री प्रसन्नचन्दजी, अमेरिका विश्वविद्यालय में भी रहे और वर्तमान में Indina Institute of Management, Banglore कॉलेज में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। इन दोनों भाईयों का समृद्ध परिवार भी धार्मिक एवं मानव सेवा कार्यों में सक्रिय भाग लेता है। % % %, carc e rational Swaminelibrarya Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अद्भुत प्रयत्न ॥ श्रीसिद्धाचलमण्डन-श्रीऋषभदेवस्वामिने नमः॥ ॥ श्रीशंखेश्वर-पार्श्वनाथाय नमः॥ श्रीमहावीरस्वामिने नमः॥ ॥ श्रीगौतमस्वामिने नमः॥ || किञ्चिद् वक्तव्यम् । जैनशासन में हमारे पूर्वाचार्यों ने बहुत बड़ा साहित्य सर्जन विभिन्न क्षेत्रों में किया है। हमारे पूर्व महर्षियों ने स्वाध्याय का, श्रुतज्ञान की उपासना का जो महान् कार्य किया है उसकी कल्पना करने में भी हम असमर्थ हैं, जब इसका पता चलता है तो हम नममस्तक हो जाते हैं। खरतरगच्छ में छोटे-बड़े विद्वानों ने जो साहित्य सर्जन किया है उसकी सूचना देने वाला खरतरगच्छ साहित्य कोश डॉ० विनयसागरजी ने अति-अति परिश्रम से तैयार करके हमारे समक्ष उपस्थित किया है, इसके लिये उनको हमारा हजार-हजार धन्यवाद है। ऐसे साहित्य कोश करने का साहस और प्रयत्न यह बड़ी आश्चर्यकारक बात है। इस कोश के आधार से, हमारे पूर्व महर्षियों द्वारा निर्माण किये गए साहित्य के अप्रकाशित ग्रंथों को हम प्रकाशित करें और उसका अध्ययन करें तथा हम स्व-पर कल्याण करें, यही मंगल कामना। पुन: इस कोश के कर्ता का हार्दिक अभिनन्दन। माघ शुक्ल नवमी, विक्रम सं. २०६२ | पूज्यपादाचार्यदेव श्री विजयसिद्धिसूरीश्वर-पट्टालङ्कारदिनाङ्क ६-२-२००६, सोमवार, | पूज्यपादाचार्य-विजयमेघसूरीश्वर शिष्यनंदिगाम (जिला-वलसाड) पूज्यपादगुरुदेव-मुनिराज श्रीभुवनविजयान्तेवासीगुजरात मुनि जम्बूविजय For Personal & Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शोधोपयोगी ग्रन्थ आपकी तरफ से खरतरगच्छ साहित्य कोश ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। उसके लिये बहुतबहुत अभिनन्दन । इस प्रकार के सुन्दर ग्रन्थ प्रकाशित होते रहें तो संशोधकों के लिये बहुत ही उपयोगी होंगे। इस प्रकार के ग्रन्थों का पुन:-पुनः संशोधन, सम्पादन करते रहें। इसी शुभेच्छा के साथ फाल्गुन वदि २, संवत् २०६२ विजयचन्द्रोदयसूरि का धर्मलाभ (गुजराती से हिन्दी अनुवाद) एक अभूतपूर्व कार्य खरतरगच्छ साहित्य कोश यह ग्रन्थ महोपाध्याय श्री विनयसागरजी द्वारा सम्पादित और प्राकृत भारती अकादमी एवं एम.एस.पी.एस.जी चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर द्वारा प्रकाशित हो रहा है। उसकी बहुत-बहुत अनुमोदना करते हैं। खरतरगच्छ के प्रारम्भ से लेकर आज तक जितने भी ग्रन्थ निर्मित हुए हैं उस सबकी जानकारी इस ग्रन्थ द्वारा मिल सकेगी। विशेष रूप से संशोधन कर्ता विद्वानों को कौनसा ग्रन्थ प्रकाशित और कौनसा अप्रकाशित है? इन सबकी विस्तृत जानकारी मिल सकेगी। श्री विनयसागरजी ने वृद्धावस्था में भी ज्ञान प्रसार की भावना से और अधिक से अधिक विद्वान् संशोधन कार्य में रस लें, ऐसी अन्तर की सच्ची भावना से यह कोश लिखा है। अप्रकाशित ग्रन्थ कौनसे ज्ञान भण्डार में से प्राप्त होगा? इसकी सूचना भी इसमें प्राप्त हो सकेगी, जो आज तक प्रायः किसी संशोधक ने कदाचित् नहीं ली हो! श्री विनयसागरजी ने इस प्रकार से स्वयं के जीवन में जहाँ-जहाँ से जो-जो जानकारी प्राप्त की है। वह सब संशोधकों के लिये संशोधन में सहायक रूप बनें, उस प्रकार से वे प्रकाशित करते रहें। ऐसी अर्न्तहृदय की शुभकामना है। ___ इस ग्रन्थ का अवलोकन कर प्रत्येक गच्छ-समुदाय के विद्वत्गण प्रेरणा लेकर 'साहित्य कोश' का निर्माण (संकलन) करें तो इस ग्रन्थ की वास्तविक अनुमोदना होगी। फाल्गुन वदि २, बुधवार, २०६२ पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री विजयअशोकचन्द्रसूरिजी दिनाङ्क १५-२-२००६ महाराज की आज्ञा से विजयसोमचन्द्रसूरि (गुजराती से हिन्दी अनुवाद) For Personal & Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | एक अभूतपूर्व कार्य ॥ श्रीसद्गुरुभ्यो नमः॥ विद्वद्वर्य महोपाध्याय श्री विनयसागरजी द्वारा खरतरगच्छ साहित्य कोश तैयार किया जा रहा है। काफी परिश्रम उठाकर श्रुत समुद्र से ७५०० जितनी कृतियों की जानकारी इसमें संकलित की है। आपका यह प्रयास साहित्य जगत में बहूपयोगी सिद्ध होगा ऐसा मेरा मानना है। खरतरगच्छीय जैन साहित्य में आपकी रुचि और प्रयत्न विशेष सराहनीय है। इस क्षेत्र के स्कोलरों एवं विद्वानों को आपका यह कोश नि:शंक आदरणीय रहेगा। आगम, प्रकरण, उपदेश आदि सभी प्रकार की कृतियों को इसमें स्थान देने के कारण यह रेफरन्स ग्रन्थ का स्थान पा सकेगा। श्री महोपाध्याय को खूब-खूब धन्यवाद देता हूँ। आपने संशोधन के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है। लोगों को इस ग्रन्थ के माध्यम से नयी-नयी जानकारियाँ मिलेंगी और जैन साहित्य की समृद्धि बढ़ेगी। ऐसी शुभकामना के साथ ज्ञानतीर्थ कोबा - गाँधीनगर आचार्य पद्मसागरसूरि दिनाङ्क १०-३-०६ | उत्तम साहित्य सेवा ॥ नमो नमः श्रीगुरुनेमिसूरये॥ तगडी, नन्दनवन तीर्थ २३-०३-०६ साहित्यवाचस्पति श्रीविनयसागर महोदय धर्मलाभ। __यह जानकर खुशी हुई कि आपके द्वारा निर्मित खरतरगच्छ साहित्य कोश प्रकाशनाधीन है। जैन श्वे. मू. पू. संघ में ८४ गच्छ थे। सभी गच्छों में विशिष्ट आचार्यादि महापुरुष हुए और सभी ने विविध ग्रन्थनिर्माण कर जैन शासन व साहित्य की अनूठी सेवा की। खरतरगच्छ भी उन्हीं गच्छों में समाविष्ट है। इस गच्छ के महानुभावों द्वारा निर्मित-संकलित प्राचीन-नवीन साहित्य का कोश आपने निर्माण किया, यह सचमुच में उचित-उमदा व उत्तम साहित्यसेवा है उसमें कोई शंका नहीं। आपके इस साहित्यिक कार्य की मैं हृदय पूर्वक सराहना करता हूँ व खूब खूब धन्यवाद प्रेषित करता हूँ। विजयशीलचन्द्रसूर For Personal & Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |जीवट भरा आयोजन ॥ मङ्गलम्॥ वीतराग महावीर प्रभु के शासन में हुए हर गच्छ के आचार्य भगवन्तों ने अपनी-अपनी प्रज्ञा का पूर्ण उपयोग करते हुए वीरवाणी को विस्तार दिया है। कोई ऐसा विषय नहीं, जिस पर उन्होंने ग्रन्थ न रचा हो ! अध्यात्म से लेकर ज्योतिष, विज्ञान, मन्त्र-तन्त्र, आयुर्वेद... हर विषय पर उनकी लेखनी चली है। ग्रन्थ निर्माण के पीछे यश-प्राप्ति काम्य नहीं रहा है। अपितु परमात्मा की वाणी को सरल रूप देना ही उनकी मुख्य उद्देश्य रहा है। __इसलिए आचार्य भगवन्तों की रचनाओं में कल्पनाएँ नहीं मिलतीं, बल्कि अक्षर-अक्षर में परमात्मा महावीर के सिद्धान्त गंजते है। वर्तमान में चल रही गच्छ परम्पराओं में सबसे प्राचीन खरतरगच्छ की महान परम्परा में हुए आचार्यों, उपाध्यायों और साधुओं ने जिन ग्रन्थों और प्रकरणों का नव सर्जन किया है, यह कोश हमें उनके प्रखर पुरुषार्थ से परिचित कराता है। ___ यह पुरुषार्थ उस युग का है जिस युग में लेखन के उपकरणों, ताडपत्र, कागज आदि की उपलब्धि आसान नहीं थी, स्याही को घोटना पड़ता था, रोज शाम को सूखाकर दूसरे दिन पुन: जल प्रयोग से स्याही बनाकर लिखना होता था। कलम का निर्माण और उसके द्वारा लेखन अत्यन्त कष्ट साध्य होता था! ग्रन्थों/पोथियों का वजन अपनी पीठ पर उठाये विहार करना होता था! ऐसी विषम स्थिति में उन आचार्यों ने कितनी मेहनत की होगी! आज सुविधाओं से भरे जमाने में उस युग की कल्पना ही अचम्भे से हमारी आँखों को चौड़ा कर देती हैं। धन्य उन महापुरुषों को! जिन्होंने वीतराग वाणी के विश्लेषण, विस्तार में और उन्हें जन-जन तक पहुँचाने में अपना जीवन समर्पित किया। साहित्य कोश का यह प्रकाशन मूर्धन्य साहित्यकार महोपाध्याय श्री विनयसागरजी की उर्वर कल्पना व मेहनत की देन है। वे स्वयं साहित्यकार हैं इसलिए साहित्य के शाश्वत मूल्य से पूर्ण रूप से परिचित हैं। इस कोश के निर्माण में इनकी वर्षों की मेहनत लगी है। कितने ही भण्डार, कितनी ही हस्तप्रतियाँ इनकी आँखों व हाथों से गुजरी होंगी, तभी यह पूर्णरूप ले पाया है। इनकी जीवटता अनुमोदनीय है। आपने ही पहले मणिधारी अष्टम शताब्दी के स्मृति ग्रन्थ में प्रारम्भिक सूची प्रकाशित की थी। उस सूची को विस्तार देते हुए उसे कोश का रूप दिया गया है। ऐसे कोश का निर्माण गच्छों की दृष्टि से खरतरगच्छ का ही प्रथम प्रकाशित हो रहा है। यह प्रकाशन कई ग्रन्थों और प्रकरणों के कर्ता-नामों में किसी अभिनिवेश के कारण किए/कराए जा रहे परिवर्तन के सामने लाल बत्ती करता हुआ मूल नामों की सच्चाई का प्रकाश उपस्थित करेगा। मैं बधाई के साथ अभिनन्दन करता हूँ। मणिप्रभसागर (उपाध्याय मणिप्रभसागर) For Personal & Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ @ भूमिका 0 जैन धर्म मानवतावादी धर्म है। इसने सदा वही प्रयास किये हैं जिनसे मानव-जाति को विश्व-शांति, विश्व-बन्धुत्व और विश्व-विकास का सौभाग्य प्राप्त हो सके। जैन धर्म ने निवृत्ति प्रधान होने के बावजूद न केवल मानवजाति अपितु प्राणी मात्र के कल्याण की सद्भावना व्यक्त ही है। अहिंसा का सिद्धान्त देकर प्रेम और भाईचारे को अपनाने पर जोर दिया है। अनेकान्त की मिसाल देकर अनेकता के बीच भी एकता और समन्वय का भाव निर्मित किया है। अपरिग्रहव्रत की अवधारणा देकर पारस्परिक सहयोग का वातावरण बनाने का प्रयास किया है। जैन धर्म के तीर्थंकरों और सिद्ध पुरुषों ने भले ही आत्म-साधना के लिए वनवास और एकान्तवास का चयन किया हो, किन्तु परम ज्ञान को प्राप्त करने के बाद वे मानव जाति के कल्याण की ओर ही अभिमुख हुए। किसी भी विरक्त और वीतराग-पुरुष के द्वारा लोक कल्याण के लिए प्रेरित और प्रयत्नशील होना मानव जाति पर उनका बहुत बड़ा उपकार है। उनकी लोक कल्याणकारी मंगल वाणी को उनके शिष्यों और आचार्यों ने लिपिबद्ध किया। उनकी वही वाणी आगम तथा शास्त्र के रूप में मानव जाति को जीवन का आध्यात्मिक प्रकाश प्रदान कर रही है। तीर्थंकरों, बुद्धों और अवतार-पुरुषों की वाणी का तो धर्मशास्त्र के रूप में श्रद्धालुओं द्वारा पारायण किया ही जाता है, किन्तु उनके महान शिष्यों और अन्य महापुरुषों के द्वारा भी जो कुछ कहा और लिखा गया, मानव जाति ने उनसे भी सद्ज्ञान का प्रकाश प्राप्त किया है। उनके द्वारा किया गया सृजन सहज सामान्य भाषा में साहित्य कहलाता है। साहित्य समाज का दर्पण है, समाज और मानव जाति को विकास का रास्ता दिखाने वाला मील का पत्थर है, वह मार्गदर्शक और प्रकाश किरण की तरह है। साहित्य का मानव-जाति को उतना ही अवदान है जितना कि लोक कल्याण करने वाले किसी महापुरुष का हुआ करता है। हर रचना में उसका रचनाकार और हर साहित्य में उसका साहित्यकार समाया होता है। इसलिए यदि हमारे हाथों में एक श्रेष्ठ किताब है तो आप मानकर चलें कि वह एक पुस्तक नहीं वरन् हमारा एक गुरु और हमारा कल्याण-मित्र भी है। जैन धर्म ने संतों और साहित्य के द्वारा मानव जाति की बहुत बड़ी सेवा की है। जीवन का शायद ही ऐसा कोई विषय हो जिस पर इस धर्म के संतों, आचार्यों और विद्वानों ने अपनी ओर से मानवता का मार्गदर्शन न दिया हो। धर्म, अध्यात्म, साधना जैसे विषयों पर तो इस धर्म की पकड़ अतुलनीय है, किन्तु जीवन के सामान्य व्यवहारों, ज्ञान-विज्ञान और लोकालोक की अंतहीन गहराइयों पर भी इस धर्म के महामनीषियों की गहरी पकड़ रही है। भूमिका For Personal & Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ होगा? विश्व की ज्ञान-मनीषा को आगे बढ़ाने में यदि जैन धर्म की भूमिका उल्लेखनीय रही है तो जैन धर्म की ज्ञान-सम्पदा को उत्तरोत्तर आगे बढ़ाने में खरतरगच्छ की भूमिका रही है। जैन धर्म में गच्छ, गण, समुदाय के नाम पर अनेक परम्पराएँ विकसित हुई हैं, जिनमें खरतरगच्छ की ओजस्विता और तेजस्विता अपने आप में अनुपम और अतुलनीय रही है। खरतरगच्द का पूरा एक हजार वर्ष का इतिहास है। इसके पास विद्वान संतों, ज्ञानी मनीषियों और परम प्रभावक आचार्यों की एक लम्बी श्रृंखला है। जरा कल्पना कीजिये कि कोई साहित्य परम्परा यदि दो-तीन पीढ़ियाँ देखे तो भी वह सृजन के नये आयाम स्थापित कर सकती है, वहाँ यदि किसी परम्परा ने पूरे एक हजार वर्ष माँ सरस्वती की सेवा में समर्पित किए हों उस परम्परा के पास साहित्य और ज्ञान का खजाना कितना विशाल होगा? खरतरगच्छ की वर्तमान पीढ़ी ने जितना ध्यान अपने गुरुदेवों की भक्ति और प्रतिष्ठा पर दिया यदि उतना ही ध्यान इसके प्राचीन और अर्वाचीन साहित्य के प्रकाशन और प्रसारण पर दिया जाता तो न केवल धर्म और मानव जाति की महान सेवा होती वरन् इस गच्छ की जाहोजलाली में भी अभिवृद्धि होती। खरतरगच्छ मात्र गच्छ नहीं है वरन् स्वयं की जीवन-शैली की शुद्धता का संदेश है। आचार्य श्री जिनेश्वरसूरिजी से प्रारम्भ हुई इस निर्मल धारा ने उतना ही विशाल पैमाना उपलब्ध किया जितना कि गंगोत्री से निकलने वाली गंगा की पतली-सी धारा गंगा का रूप लेकर गंगा सागर बनी है। इसके प्रभावक आचार्यों की यदि चर्चा की जाए तो सूची लम्बी हो जाएगी, पर यदि हम उनमें से कुछेक का उल्लेख करना चाहें तो सर्वप्रथम उल्लेख करेंगे आचार्य जिनदत्तसूरिजी महाराज का जिन्होंने करीब डेढ़ लाख लोगों को जैन धर्म की दीक्षा देते हुए उन्हें अहिंसक और व्यसनमुक्त जीवन जीने को प्रतिज्ञाबद्ध किया। कुशल गुरुदेव का नाम तो आज भी लोगों के घट-घट में व्याप्त है जिनके अतिशय योगबल के चलते उस समय भी डूबती नौकाएं पार लग गयी थी और आज भी वही कलियुग में कल्पतरु के समान हाथ के हुजूर और संकटमोचक कहलाते हैं। यह इस गच्छ का ही साहस था कि इसने मणिधारी जिनचन्द्रसरि जी म० को मात्र ८ वर्ष की उम्र में आचार्य पद देकर योग्यताओं के उपयोग का द्वार खोला। चौथे दादा के नाम से मशहूर जिनचन्द्रसूरिजी महाराज इतने अधिक प्रभावी थे कि सम्राट अकबर जैसों पर भी उनका जबरदस्त दबदबा था। यदि हम ज्ञान और साहित्य के क्षेत्र की चर्चा करें तो खरतरगच्छ ने विश्व साहित्य को इतना कुछ दिया है कि आने वाली सदियाँ उससे उपकृत रहेंगी। यदि हम खरतरगच्छ के साहित्य के पुरोधा के रूप में किसी का नाम उल्लेखित करना चाहें तो वे आचार्य अभयदेवसूरिजी हुए जिन्होंने जैन धर्म के मूल आगमों और शास्त्रों की टीका और विवेचना करके युगों-युगों के लिए प्रकाश स्तम्भ का काम किया। वर्तमान में आगम शास्त्रों पर जितने भी अनुवाद और विवेचन प्रकाशित हुए हैं उन सब पर आचार्य अभयदेवसूरिजी की टीकाओं का जबरदस्त प्रभाव रहा है। यूं तो खरतरगच्छ में अनेकानेक आचार्य और विद्वान साहित्यकार हुए, परन्तु महोपाध्याय समयसुन्दरजी महाराज ने अपना सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रकार से साहित्य को समर्पित किया। उनके गीत और रचनाएं आज खरतरगच्छ की भूमिका For Personal & Private Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सबसे बड़ी दौलत है। इसी तरह महान तत्त्ववेत्ता उपाध्याय देवचन्द्रजी महाराज और योगीराज आनंदघनजी महाराज के द्रव्यानुयोग और दार्शनिक भावधाराओं से भरे हुए गीत सम्पूर्ण जैन समाज में गाये और गुनगुनाये जाते हैं । निश्चय ही ये वे गीत हैं जिन्हें गाते हुए तत्त्व चिंतक लोग भी सजल हो उठते हैं। खरतरगच्छ का समग्र साहित्य सरस्वती का विराट भंडार है। खरतरगच्छ की एक हजार वर्ष की साहित्य साधना पर न केवल जैन समाज अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र को गौरव है । वर्तमान युग में भी आचार्य श्री जिनकवीन्द्रसागरसूरिजी महाराज वे लोकप्रिय कवि हुए जिनकी रचनाओं ने जैन समाज को भक्ति का अनुपम प्रसाद प्रदान किया है। आचार्यश्री जिनमणिसागरसूरिजी महाराज खरतरगच्छ के तेजस्वी विद्वान हुए जिनके ग्रन्थ धर्म शास्त्रों के बारे में सदा मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी महाराज, प्रवर्तिनी साध्वी श्री विचक्षण श्रीजी महाराज, आगमज्ञा साध्वी श्री सज्जनश्रीजी, साध्वी श्री हेमप्रभाश्रीजी, साध्वी श्री मणिप्रभाश्रीजी, आदि अनेक ऐसे साधुसाध्वीजन हैं जिनके साहित्य ने वर्तमान काल को ज्ञान का नया प्रकाश प्रदान किया है। यदि हम वर्तमान शताब्दी में खरतरगच्छ के सबसे प्रमुख साहित्यकार का उल्लेख करना चाहें तो श्री अगरचंदजी नाहटा, श्री भँवरलालजी नाहटा और महोपाध्याय श्री विनयसागरजी के नाम उल्लेखनीय हैं। श्री अगरचंदजी नाहटा जैसे इतिहासवेत्ता तो देश में सौभाग्य से ही जन्म लेते हैं । उन्होंने न केवल साहित्य, इतिहास और पुरातत्त्व से जुड़े हुए दस हजार लेख लिखे, वरन् विद्वानों की सभा में वे एक चलती-फिरती लाइब्रेरी के रूप में प्रतिष्ठित हो गए थे। भँवरलालजी नाहटा और विनयसागरजी जैसे विद्वानों ने खरतरगच्छ के प्राचीन साहित्य के लिए जितना कुछ दिया है वह अपने आप में अनुपम और अतुलनीय है। अगरचन्दजी और भँवरलाल जी दोनों ही स्वर्गस्थ हो चुके हैं। पुरानी पीढ़ी के विद्वानों में अब एक अकेले विद्वान बचे हैं - महोपाध्याय विनयसागरजी । साहित्य और ज्ञान-परम्परा में जिनका नाम मैं सम्मान पूर्वक उपयोग करना चाहूंगा वे है पूण्य श्री चन्द्रप्रभ जी, जिन्होंने ज्ञान और साहित्य की पारस्परिक शैली से ऊपर उठकर मानवता को अपनी सैकड़ों पुस्तकें प्रदान की हैं। जिन्हें न केवल समाज में वरन् आम जन मानस में बड़े भाव से पढ़ा और सुना जाता है। खरतरगच्छ का साहित्य तो विशाल सागर की तरह है। शायद ही ऐसा कोई विषय हो, जिस पर खरतरगच्छ के साहित्य - मनीषियों ने अपनी कलम न चलाई हो । यों तो खरतरगच्छ के आचार्यों और विद्वानों के द्वारा लिखित साहित्य देशभर के ज्ञान भंडारों में उपलब्ध हैं। यदि हम एक अकेले जैसलमेर ज्ञान भंडार का भी उल्लेख करें तो वह खरतरगच्छ का एक ऐसा ज्ञान भंडार है जिसमें हजारों प्राचीन ताड़पत्रीय एवं हस्तलिखित ग्रन्थ हमारी प्राचीन विरासत को अपने में समेटे हुए है। भला जिस खरतरगच्छ का साहित्य इतने विशाल पैमाने पर रचा गया हो उन सबका प्रकाशन और प्रसारण सम्पूर्ण खरतरगच्छ का सबसे बड़ा दायित्व है। किसी भी पंथ - सम्प्रदाय को मात्र भक्ति और प्रतिष्ठा बल पर ही जीवित नहीं रखा जा सकता। ज्ञान, चिंतन और योग के बल पर किसी भी पंथ-परम्परा का विश्व व्यापी प्रसार संभव हो सकता है। भूमिका For Personal & Private Use Only III Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पिछले एक हजार वर्ष में खरतरगच्छ में साहित्य का सृजन तो अपरिमित हुआ है, पर खरतरगच्छ के वर्तमान अनुयायियों के पास उसका दस प्रतिशत भाग भी उपलब्ध नहीं है। प्रश्न है ऐसी स्थिति में खरतरगच्छ आने वाली पीढ़ी को ज्ञान की कौनसी विरासत देना चाहता है यह बात हर किसी व्यक्ति के लिए विचारणीय है। हमारे अथवा किसी व्यक्ति-विशेष की बदौलत धर्म संघ को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। सकारात्मक दृष्टिकोण और रचनात्मक गतिविधियों को हाथ में लेकर सभी लोग इसके लिए समर्पित होंगे, तभी हम आने वाले कल के लिए यादगार अतीत दे पाएँगे। खरतरगच्छ के विशाल साहित्य को प्रकाशित करना एक बहुत बड़ी चुनौती है, एक बहुत बड़ी साधना है। यदि कोई श्री विनयसागरजी से पूछे कि उन्हें खरतरगच्छ के इस विशाल साहित्य कोश को तैयार करने में कितना अधिक कर्मयोग करना पड़ा तो उनके जवाब से ही स्पष्ट हो जाएगा कि खरतरगच्छ के साहित्य के लिए शोधपरक काम करना कितना श्रमसाध्य है। दस नये ग्रन्थों के लेखन से भी ज्यादा श्रमसाध्य कार्य इस तरह के कोश को तैयार करना है। हम विद्वद्वर्य श्री विनयसागरजी से यह अनुरोध करना चाहेंगे कि वे अपने शेष जीवन-काल में खरतरगच्छ के लिए जितना कुछ कर सकते हैं, अवश्य करें। वे अपने सहयोगियों का चयन करें और आने वाले कल के लिए खरतरगच्छ को कुछ और देकर जाएं। निश्चय ही खरतरगच्छ आप जैसे विद्वान-मनीषियों का ऋणी रहेगा। महोपाध्याय विनयसागर जी ने बचपन से ही अपना जीवन जैन-धर्म के शास्त्र, दर्शन, इतिहास एवं परम्परागत अध्ययन में लगाया है। वे इतिहासवेत्ता भी हैं, साथ ही संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं पर उनकी गहरी पकड़ है। उनके द्वारा लिखित-सम्पादित कई ग्रन्थ एवं शास्त्र आज देशविदेश में शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी हो रहे हैं। महोपाध्याय विनयसागरजी द्वारा सम्पादित प्रस्तुत कोश खरतरगच्छ साहित्य कोश शोधकर्ताओं के लिए वरदान स्वरूप है। खरतरगच्छ के अनुयायियों और साधु-साध्वीजनों का भी यह दायित्व बनता है कि इस कोश का उपयोग करते हुए वे अधिकाधिक अध्ययन और अनुशीलन करें और अपने गच्छ के प्राचीन साहित्य को ज्ञान भंडारों से निकालकर आम जन-मानस के लिए उपयोगी बनाएँ। ___ इस श्रेष्ठ कार्य के लिए हम श्री विनयसागरजी को साभिनंदन साधुवाद समर्पित करते हैं। महोपाध्याय ललितप्रभसागर संबोधि धाम जोधपुर-४ IV भूमिका For Personal & Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * प्राकथन ) श्रमण भगवान् महावीर के सकल कर्म विमुक्त होने पर, सिद्धिगति में अवस्थिति/निर्वाण होने पर सहज भाव से जिज्ञासा उत्पन्न हुई। समस्त संघ के आधारभूत परम उपकारी वीरप्रभु के सिद्ध होने पर इस भरत क्षेत्र में कौन उपकार करेगा? हमारे जैसे जीवों का कौन उद्धार करेगा? इसका प्रामाणिक समाधान करते हुए आचार्य कल्प, अध्यात्म योगी, द्रव्यानुयोग के विशिष्ट ज्ञानी उपाध्याय पदधारक श्री देवचन्द्रजी महाराज निर्वाण कल्याणक स्तवन में कहते हैं: मार गदेशक मोक्षनो रे, के वलज्ञान निधान । भाव दयासागर प्रभु रे, पर उपकारी प्रधानो रे॥ १॥ वीर प्रभु सिद्ध थया, संघ सकल आधारो रे । हिव इण भरतमां, कुणउ करशे उपगारो रे? वीर० ॥ २॥ *** इण काले सवि जीवने रे, आगमथी आनन्द ॥ ध्यावो सेवो भविजना रे, जिनपडिमा सुखकंदो रे॥ वीर० ॥ ८॥ गणधर आचारिज सुनि रे, सहुने इण पर सिद्ध॥ भव भव आगम संगथी रे, देवचन्द्र पद लीधो रे॥ वीर० ॥ ९॥ योगिराज का कथन है कि इस दुःषम काल में भव्यजनों के लिए आगम और जिनप्रतिमा ही जीवन के श्रेष्ठतम आधार हैं। श्रुत भगवान् महावीर ने अर्थ रूप में अपनी देशना को प्ररूपित किया और गणधरों ने सूत्रित कर द्वादशांगी/गणिपिटक की रचना की। द्वादशांगी के अन्तर्गत ही चर्तुदश पूर्वो का समावेश होता है अतः समस्त ज्ञान और विज्ञान का अधिष्ठाता द्वादशांगी ही कहलाई। यह द्वादशांगी 'सुअ' शब्द से प्रख्यात थी। सुअ शब्द का संस्कृत रूपान्तरण 'श्रुत' होता है। पूर्ववर्ती काल में पूर्वधर आचार्यों ने द्वादशांगी रूप ' श्रुत' को 'श्रुत देवी' के रूप में परिकल्पित कर प्रतिपादित कर दिया। सुवर्णशालिनी देयाद्, द्वादशांगी-जिनोद्भवा। श्रुतदेवी सदा मह्य-मशेषश्रुतसम्पदाम्। शनैः-शनैः यही श्रुतदेवी 'सरस्वती' के रूप में जैनों के लिए उपास्य बन गई। पूर्वाचार्यों ने श्रुतदेवी/सरस्वती देवी के रूप में ही स्वतन्त्र स्तोत्रों की रचना कर इस देवी का माहात्म्य वर्धित कर दिया। प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्य उमास्वाति ने तत्त्वार्थसूत्र के स्वोपज्ञ भाष्य (1.20) में श्रुत के आठ पर्यायों का उल्लेख किया है - श्रुत, आप्तवचन, आगम, उपदेश, ऐतिह्य, आम्नाय, प्रवचन और जिनवचन । इनमें से 'श्रुत' शब्द के स्थान पर जैन परम्परा में शताब्दियों से आगम' शब्द का प्रचलन है, व्यापक हो गया है। आज भी तीर्थंकर-भाषित, गणधर-सूत्रित, प्रत्येकबुद्ध, श्रुतधर, पूर्वधर, अङ्गधर, एवं गीतार्थ आचार्यों द्वारा विनिर्मित शास्त्र आगम' शब्द से ही से प्रचलित हैं। ___ समय-समय पर श्रुत/आगम शास्त्रों के कई भेद-प्रभेद प्राप्त होते हैं । यथा - १. अङ्ग अर्थात् अङ्ग-प्रविष्ट, और २. अङ्ग-बाह्य अर्थात् अनंगप्रविष्ट । १. अङ्ग-प्रविष्ट में द्वादशांगी का ग्रहण किया जाता है। इसके भी दो भेद हैं - १. गमिक और २. अगमिक। बारहवां अङ्ग दृष्टिवाद गमिक श्रुत है और आचारांग आदि ग्यारह अङ्ग अगमिक श्रुत हैं। गमिक श्रुत दृष्टिवाद इस समय अनुपलब्ध है। २. अङ्ग-बाह्य अर्थात् अनंगप्रविष्ट भी दो प्रकार का है - १. आवश्यक और २. आवश्यक व्यतिरिक्त। आवश्यक भी छः प्रकार है - सामायिक आदि। आवश्यक-व्यतिरिक्त भी दो प्रकार का है – १. कालिक (निर्धारित समय में दिवस और रात्रि के प्रथम तथा अन्तिम प्रहर में पठनीय) और २. उत्कालिक (निर्धारित समय से भिन्न समय में पठनीय)। कालिक श्रुत के अन्तर्गत नन्दीसूत्रकार और पाक्षिकसूत्रकार ने उत्तराध्ययन, दशाश्रुतस्कन्ध आदि ३६ आगम सूत्रों के नाम दिये हैं। उत्कालिक श्रुत के अन्तर्गत दशवैकालिक आदि २९ आगमों के नाम प्राप्त होते हैं। इस प्रकार समय के प्रवाह में आगमों की संख्या बढ़ते हुए ८४ तक पहुंच गई। आगमों की मौखिक श्रुत-परम्परा का लेखन निषिद्ध होने के कारण, कालचक्र का प्रभाव, स्मरण शक्ति में न्यूनता और अनावृष्टि-अतिवृष्टि के कारण ज्ञानमन्दता से कुछ श्रुत विस्मृत हो गये, विलुप्त हो गये, अस्त-व्यस्त हो गये। इस श्रुतसागर को सुरक्षित रखने के लिए समय-समय पर तीन वाचनाएं हुईं। मूलपाठ सुरक्षित रखा गया। अन्तिम वाचना देवर्धिगणि क्षमाश्रमण के समय हुई और इन आगमों को सुव्यवस्थित किया गया किन्तु विदेशी आक्रमणों द्वारा ग्रन्थ भण्डार जलाये जाने, भण्डारों की असुरक्षा, कीटों द्वारा भक्षण आदि अनेक कारणों से आगम ग्रन्थ विलुप्त होते गए। कुछ परम्परा आग्रह के कारण भी अमान्य हो गए। प्रक्षिप्तांश भी बढ़ते गये। फलतः देवर्धिगणि क्षमाश्रमण की वाचना द्वारा स्वीकृत मूल स्वरूप की हस्तप्रतियाँ आज प्राप्त नहीं होती हैं। उक्त आगमों में से वर्तमान काल में आगम रूप से जो शास्त्र उपलब्ध हैं और मान्य हैं उनका गीतार्थ आचार्यों ने पुन: वर्गीकरण किया - १. अङ्ग - ११; २. उपाङ्ग - १२; ३. प्रकीर्णक - १०;४. प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छेद - ६; ५. मूल सूत्र - ४; और ६. चूलिका - २। इस वर्गीकरण के अनुसार आगमों की संख्या ४५ निर्धारित/निश्चित हो गई। दिगम्बर परम्परा द्वारा श्वेताम्बर परम्परा द्वारा मान्य समस्त आगम-साहित्य का विच्छेद मान लेने से उक्त ११ अंग अमान्य हैं, जबकि द्वादशांगी के वे ही नाम आज भी स्वीकृत हैं। साम्प्रत काल में श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा द्वारा ये ४५ आगम पूर्णतः मान्य और प्रामाणिक माने जाते हैं। इसी श्रुत आगम परम्परा को सम्पूर्ण श्वेताम्बर समाज आराधनीय मानता रहा है और इसकी इष्टोपासना करते हुए वर्द्धन और संरक्षण करते हुए अपने जीवन को धन्य मानता आ रहा है। श्रुतोपासना के क्षेत्र में खरतरगच्छ का विशिष्ट अवदान रहा है जो कि उल्लेखनीय और अनुकरणीय है। खरतरगच्छ वर्तमान श्वेताम्बर समाज के समस्त गच्छों में अपना प्रमुख स्थान रखता है और सब गच्छों में प्राचीनतम भी है। इस गच्छ का नाम खरतरगच्छ क्यों पड़ा? इस पर तनिक विचार आवश्यक है। खरतर-विरुद ऐसे ही प्राप्त नहीं हुआ। बड़े-बड़े सुविहित आचार्यों को कठिनतम संघर्ष करना पड़ा। अपने जीवन का भोग देना पड़ा। अपने जीवन को शास्त्र-विहित मर्यादा के अनुरूप रखने के लिए कठिनतम जीवन अपनाना पड़ा। यह केवल पठनीय और विचारणीय ही नहीं अपितु उल्लेखनीय एवं अनुकरणीय भी है। खरतरगच्छ का उद्भव महज संयोग नहीं था अपितु समय की प्रबल मांग थी। भगवान् महावीर द्वारा आदिष्ट साधुचर्या किस प्रकार की होनी चाहिए? उसका सफल रूप शास्त्रों में प्रतिपादित है। कुछ सुविधावादी आचार्यों ने अपवाद मार्ग को ही आचारमार्ग मान लिया और श्रेष्ठ चारित्र से फिसल पढ़े। वही अपवाद मार्ग उनके लिए उत्सर्ग मार्ग बन गया। खान-पान, रहन-सहन, आचार-व्यवहार सब में सुविधावाद नजर आने लगा। प्रारम्भ में कुछ आचार्य ही सुविधावादी थे, किन्तु धीमे-धीमे इस ओर अधिकांश आचार्यों का बहुलता से झुकाव हो गया। विकृत साधुचर्या को प्रतिपादित करने के लिए स्वकीय कल्पित मान्यतानुसार शास्त्रों का निर्माण भी होने लगा और वे ही शास्त्र भगवान् की वाणी के रूप में उपासक वर्ग के सन्मुख भी रखे जाने लगे। फलत: बहुल समुदाय इसका अनुयायी होने लगा, जो कि चैत्यवास के नाम से प्रसिद्ध हुआ। विशुद्ध क्रियापात्र आचारण सम्पन्न साधु गिनती के ही रह गए। इस दुर्दशा को देखकर आप्त आचार्य हरिभद्र भी इसके विरोध में उठ खड़े हुए किन्तु उस समय आचार्य का यह प्रबल विरोध भी अरण्यरोदन के समान सिद्ध हुआ। चैत्यवासी आचार्य अपने-अपने मठों के साथ गढ़ बनाने लगे। राजाओं को भी अपने वशीकृत कर राज्यों से भी आदेश-पत्र प्राप्त कर लिये कि उनके प्रदेशों में चारित्र-सम्पन्न साधुओं का प्रवेश न हो।' अभोहर देश में चौरासी मठों के अधिपति आचार्य वर्धमान थे। शास्त्र प्रतिपादित साधुचर्या और अपने वर्तमान जीवन को देखकर वे विक्षुब्ध हो उठे और चैत्यवास का त्याग कर क्रियानिष्ठ प्राक्कथन VII For Personal & Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्य उद्योतनसूरि के पास शिष्यत्व ग्रहण किया। चैत्यवास के विरुद्ध उनके हृदय में लपलपाती ज्वालाएँ प्रबल रूप धारण करती रहीं किन्तु वे समय कि प्रतीक्षा करते रहे। एक चना भाड़ नहीं फोड़ सकता इस उक्ति को ध्यान में रखते हुए विद्वत् शिष्यवर्ग की खोज करते रहे । संयोग से समस्त शास्त्रों के धुरीण विद्वान् जिनेश्वर और बुद्धिसागर शिष्य रूप में उन्हें प्राप्त हुए। इनके अतिरिक्त भी कई उद्भट विद्वान उनके शिष्य बने। प्रज्ञा-सम्पन्न शिष्य सम्पदा होने पर आचार्य वर्धमान ने अट्ठारह साधुओं के साथ चैत्यवास के गढ़ पाटन की ओर प्रस्थान किया। उस समय गुजरात की राजधानी अणहिलपुर पाटन पर दुर्लभराज चालुक्य का आधिपत्य था। महाराजा दुर्लभराज का राज्यकाल विक्रम संवत् १०६६ से १०७८ तक था। राज्यादेश के कारण आचार्य वर्धमान को निवास स्थान भी प्राप्त नहीं हुआ। वे नगर में प्रवेश भी न कर सके। भोजन/गोचरी का तो प्रश्न ही नहीं था। आचार्य जिनेश्वर ने अपने विचक्षण बुद्धि वैभव से राज-पुरोहित सोमेश्वर के यहाँ रहने को पड़साल/बरामदा प्राप्त की। ‘क्रियासम्पन्न साधु नगर में प्रवेश कर गये हैं' इस संवाद से व्यथित होकर वर्धमानसूरि आदि साधुओं पर अन्य राज्यों के गुप्तचर हैं' आदि आरोप भी लगे। सोमेश्वर राजपुरोहित के बीच में होने के कारण महाराजा दुर्लभराज की अध्यक्षता में शास्त्रार्थ का समय भी निर्णीत हुआ। पंचासरा पार्श्वनाथ मंदिर के प्रांगण में चैत्यवासी दुर्धर्ष आचार्यों के साथ शास्त्र-चर्चा हुई। साधुचर्या पर चर्चा आलम्बित होने के कारण वर्धमानसूरि के आदेश से जिनेश्वरसूरि ने नवीन कल्पित शास्त्रों का अपहार करते हुए भगवत प्रणीत शास्त्रों के उद्धरण प्रस्तुत किए। स्वाभाविक था कि इस शास्त्रार्थ में चैत्यवासी आचार्य पराजित होते, वही हुआ। आचार्य जिनेश्वर का पक्ष विजय प्राप्त कर सका। महाराज दुर्लभराज ने अपने निर्णय में यह कहा - जिनेश्वरसूरि का पक्ष खरा है, शास्त्रीय है। वर्धमानसूरि और जिनेश्वरसूरि आदि ने महाराजा के मुख से उच्चारित विरुद को विरुद ही माना, अपने विशेषणों में सम्मिलित नहीं किया। स्वयं को चन्द्रकुलीय सुविहित ही ख्यापित करते रहे। जनता के मुख पर यह खरतर शब्द चढ़ गया था, वही धीमे-धीमे तीन शताब्दियों के आस-पास गच्छ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। तब से आज तक यह खरतरगच्छ अविच्छिन्न परम्परा के रूप में चल रहा है। वर्तमान में इसका उपासक वर्ग विशाल पैमाने पर समस्त प्रदेशों में छाया हुआ है। साहित्य-निर्माण इस विजय के उपरान्त किसी मन चले चैत्यवासी आचार्य ने वर्धमान आदि आचार्यों पर व्यंग कसते हुए निम्न शब्दों द्वारा करारी चोट की - हे आचार्य! इस विजय से आप फूलकर कुप्पा हो रहे हैं यह सत्य है। सुविहित साध्वाचार का डिंडिम घोष कर रहे हैं, पूर्वाचार्यों के साहित्य पर आप उछल कूद मचा रहे हैं, पर जरा तनिक सोचें तो सही, आपके इन सुविहित साधुओं द्वारा स्वार्जित/निर्मित साहित्य कहाँ हैं? आप लोग उच्छिष्ट भोजी हैं। कुछ नूतन निर्माण कर अपने VIII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वैदुष्य को प्रकट करें तो हम मानेंगे कि आप वस्तुतः सुविहित विद्वान् हैं। वर्धमानसूरि आदि आचार्यों ने उसकी इस उक्ति को न तो व्यंग माना, न आक्षेप माना और न चोट ही माना। इस करारी चपत को सहज भाव से स्वीकार किया और माँ सरस्वती की साधना में नवीन नवीन विधाओं के ग्रन्थों के निर्माण में शिष्य परिवार सहित जुट गये। आचार्य वर्धमान ने स्वयं आचार्य हरिभद्रसूरि रचित उपदेश पद पर टीका, धर्मदास गणि रचित उपदेश माला पर बृहद्वृत्ति, और सिद्धर्षि कृत उपमितिभवप्रपंचाकथासमुच्चय नाम से ग्रन्थों का निर्माण किया । आचार्य जिनेश्वर षडंगवेत्ता सार्वदेशीय विद्वान् थे । उन्होंने सोचा कि श्वेताम्बरों का कोई दार्शनिक ग्रन्थ नहीं है, महाकवि गुणाढ्य रचित ग्रन्थ के समान कोई आख्यायिका ग्रन्थ नहीं है, कोई कथा ग्रन्थ नहीं है, साधु धर्म और स्वरूप को प्रतिपादन करने वाला कोई ग्रन्थ नहीं है और छन्द-ग्रन्थ नहीं है। अतः हमारा यह प्रयत्न होना चाहिए कि इन सभी विधाओं पर नवीन निर्माण कर श्वेताम्बर सुविहित समाज को खड़ा करना चाहिए । फलतः प्रमालक्ष्म स्वोपज्ञ वृत्ति के साथ दार्शनिक ग्रन्थ की रचना की । वसुदेव हिण्डी के अनुकरण पर निर्वाण लीलावती, साधु और श्रावक के स्वरूप पर पंच लिङ्गी प्रकरण तथा षट्स्थानक प्रकरण, कथाग्रन्थों में कथाकोष नामक स्वोपज्ञ टीका के साथ और हारिभद्रीय अष्टक पर वृत्ति का निर्माण किया । छन्द शास्त्र पर भी अपनी लेखिनी चलाई । जिनेश्वरसूरि के अनुज बुद्धिसागरसूरि भी व्याकरण शास्त्र के प्रौढ़ विद्वान थे और उन्होंने पचांगी के साथ बुद्धिसागर व्याकरण की विक्रम संवत् १०८० में रचना की । श्वेताम्बर समाज का यह प्रथम व्याकरण ग्रन्थ था । कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्र भी स्वोपज्ञ लिङ्गानुशासन में इति बुद्धिसागरः कहते हुए इस व्याकरण की महत्ता को स्वीकार किया है, किन्तु खेद है कि आज तक इस व्याकरण का कोई संस्करण नहीं निकला है। जिनेश्वरसूरि के शिष्य धनेश्वरसूरि ने प्राकृत भाषा में संवत् १०९५ में सुरसुन्दरी चरियम् कथा ग्रन्थ की रचना की । आचार्य जिनेश्वर के अन्य शिष्यों जिनचन्द्रसूरि ने संवेगरङ्ग से आप्लावित संवेग रङ्गशाला की रचना संवत् ११२५ के लगभग की । आचार्य जिनेश्वर के ही अन्यतम शिष्य अभयदेवसूरि ने सोचा कि मुझे आगम विषयों पर लेखनी चलानी है, जिस पर कुछ आचार्यों को छोड़कर किसी ने 'कलम न चलाई हो। नौ आगम ग्रन्थों पर कोई टीका प्राप्त नहीं है । अनेक स्थल विसंवादों से परिपूर्ण हो रहे हैं । उन विषम विषयों का उद्घाटन करते हुए, कठिन तपश्चर्या करते हुए स्थानांग, समवायांग, भगवती आदि नवाङ्ग ग्रन्थों पर और औपपातिक उपाङ्ग पर व्याख्याएं रचकर अपना नाम अभय कर दिया। न केवल टीकाओं की रचना ही की अपितु द्रोणाचार्य जैसे प्रौढ़तम चैत्यवासी आचार्य से उन टीका ग्रन्थों पर मोहर लगाकर सर्वजनादृत कर दिया । इनके अतिरिक्त पंचाशक पर व्याख्या और अन्य अनेक स्फुट प्राक्कथन For Personal & Private Use Only IX Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रचनाएं भी की। आचार्य अभयदेव इतने से ही संतुष्ट नहीं हुए और एक नवीन चमत्कार भी पैदा किया। सेढी नदी के किनारे जयतिहुअण स्तोत्र के द्वारा स्तवना करते हुए भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्ति भी प्रकट की जो कि आज भी स्तम्भन पार्श्वनाथ तीर्थ के नाम से सर्वजन वन्द्य है। __एक अन्य शिष्य अशोकचन्द्रसूरि ने उत्तराध्ययन सूत्र पर टीका लिखी थी किन्तु आज वह अप्राप्त है। शास्त्र-विरुद्ध आचार को मान्यता देने वाले चैत्यवासियों के विरोध में जिनेश्वरसूरि ने जाज्वल्यमान अग्निशिखा के समान जो अलख जगायी थी वह भस्माच्छादित सी होने लगी। ऐसे नाजुक और विकट समय में जाके पैर न फटी बिवाई, वह क्या जाने पीर पराई के अनुसार चैत्यवास से उद्विग्न और सुविहित पथ के लिए उत्कण्ठित सर्वविद्याविशारद आचार्य की परमावश्यकता थी। ऐसे समय में अनभ्र वृष्टि के समान कूर्चपुर गच्छीय आचार्य जिनेश्वर के शिष्य जिनवल्लभगणि आगमशास्त्रों का अध्ययन करने के लिए अभयदेवसूरि के सम्पर्क में आए। सम्पर्क में क्या आए वे उन्हीं के बन कर रह गए। चैत्यवास त्याग कर, आचार्य अभयदेव से उपसम्पदा प्राप्त कर प्रभावक आचार्य के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। जिनवल्लभसूरि ने चैत्यवास का उन्मूलन करने के लिए आचार्य जिनेश्वर की अखण्ड ज्योति को सम्भाला और प्रबल वेग के साथ जन-समक्ष शास्त्रविहित आचार स्वरूप का प्रतिपादन करने लगे। कर्म-सिद्धान्त पर अभी तक नवीन निर्माण नहीं हुआ था अतः उन्होंने सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धार और आगमिकवस्तुविचारसार, शुद्ध भोजन की गवेषणा के लिए पिण्डविशुद्धि, लक्षण शास्त्रियों के लिए प्रश्नोतरैकषष्टिशतक, निषिद्ध के प्रतिपादन के साथ शास्त्र-विहित मान्यताओं के लिए संघपट्टक तथा उपासकों के लिए पौषधविधि, द्वादशकुलक, धर्मशिक्षा, आत्मकथा के रूप में अष्टसप्तति आदि ग्रन्थों की रचना की। __वाचक सुमतिगणि के शिष्य गुणचन्द्रगणि ने प्राकृत भाषा में महावीर चरित की रचना की और आचार्य बनने पर देवभद्राचार्य के नाम से पार्श्वनाथ चरित और कथारत्न कोष आदि का निर्माण किया। साथ ही प्रमाणप्रकाश के नाम से दर्शन ग्रन्थ भी लिखा। माता अम्बिका देवी द्वारा प्रदत्त युगप्रधान पद विरुदधारक जिनदत्तसूरि ने अपभ्रंश भाषा में चर्चरी आदि ग्रन्थों एव प्रभाविक स्तोत्रों की रचना की। अनेक दिग्गज चैत्यवासी आचार्य चैत्यवास का परित्याग कर इनके शिष्य बने। इन्हीं के शिष्य जिनभद्रसूरि ने पंचवर्ग-परिहार-नाममालाकोष की रचना की। ___षट्त्रिंशद् वाद विजेता जिनपतिसूरि ने जिनेश्वरसूरि के ग्रन्थ पञ्चलिङ्गी पर और जिनवल्लभीय ग्रन्थ संघपट्टक पर विशाल टीका का निर्माण कर पाण्डित्य का अपूर्व कौशल दिखाया। इन्ही के शिष्य-प्रशिष्यों में जिनपालोपाध्याय ने स्वोपज्ञ टीका सहित सनत्कुमार चक्रिचरित महाकाव्य का निर्माण किया और गुर्वावली/पट्टावली के रूप में वर्धमानसूरि के लेकर जिनेश्वरसूरि प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द्वितीय (१३०७) तक युगप्रधानाचार्य गुर्वावली के नाम से दैनिक डायरी के समान ऐतिहासिक आलेखन कर एक अपूर्व कृति समाज को दी। इस प्रकार की गुर्वावली जैन-परम्परा में आज तक उपलब्ध नहीं है। इन्होंने अनेक टीका ग्रन्थों की रचना की। चन्द्रतिलकोपाध्याय ने संवत् १३१२ में अभयकुमार चरित की रचना की। अभयतिलकोपाध्याय ने न्यायालङ्कार टिप्पण लिखा और हेमचन्द्राचार्य कृत संस्कृत व्याश्रय महाकाव्य पर संवत् १३१२ विवेचन लिखा । पूर्णकलशगणि ने हेमचन्द्राचार्य कृत प्राकृत व्याश्रय महाकाव्य पर संवत् १३०७ में टीका का निर्माण किया। पूर्णभद्रगणि ने दशश्रावक चरित और धन्नाशालिभद्र चरित के अतिरिक्त पञ्चाख्यान की रचना की। भांडागारिक श्री नेमिचन्द्र ने षष्टिशतक की रचना की। सुमतिगणि ने १२९५ में गणधर-सार्द्धशतक पर बृहवृत्ति की रचना की। श्री जिनेश्वरसूरि ने जिस निर्वाण-लीलावती कथा की रचना की थी वह दुर्भाग्य से विलुप्त हो गयी। उसी के अनुकरण पर जिनरत्नसूरि ने निर्वाण लीलावती सार की रचना की। इसकी प्राचीन प्रति जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार, जेसलमेर में है और अप्रकाशित है। ___ श्री लक्ष्मीतिलकोपाध्याय ने जिनेश्वरसूरि (द्वितीय) रचित श्रावक-धर्म प्रकरण पर संवत् १३१७ में विशद टीका का निर्माण किया और संवत् १३११ में प्रत्येकबुद्ध-चरितमहाकाव्य का निर्माण किया। श्रावकधर्म प्रकरण बृहद्वृत्ति की प्राचीन सचित्र प्रति श्री नेमिसूरि ज्ञान भण्डार, खंभात में हैं और प्रत्येकबुद्ध चरित की जेसलमेर ज्ञान भण्डार में है। दोनों ही ग्रन्थ अप्रकाशित हैं किन्तु प्रकाशन योग्य हैं। प्रबोधमूर्ति (जिनप्रबोधसूरि) ने कातन्त्र व्याकरण पर दुर्गप्रबोध नामक टीका की रचना की और वृत्तप्रबोध, पञ्जिकाप्रबोध और बौद्धाधिकार विवरण भी लिखा किन्तु दुर्भाग्य से इन तीनों का उल्लेख मात्र प्राप्त होता है, प्रति प्राप्त नहीं होती। अधिकांशतः इन आचार्यों और ग्रन्थों के नाम श्री लक्ष्मीतिलकोपाध्याय द्वारा संवत् १३११ में रचित प्रत्येकबुद्ध चरित की प्रशस्ति में प्राप्त होते हैं। ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण होने से इस प्रशस्ति का कुछ अंश उद्धृत किया जा रहा है: चातुर्वैद्यविदग्रणीरपमलब्राह्मण्यभृद्ग्रामणीर्यः श्रीगौतमवद्विलोक्य विलसद्धाम्नां निधि तं प्रभुम् । सद्यः सोदरबुद्धिसागरपरीवारान्वितः प्राव्रजत्, स श्रीसूरिजिनेश्वरः खरतरत्वं साध्वथासेदिवान् ॥ १२ ॥ मिथ्याज्ञानदुरन्तशक्तितरसा श्रीपत्तने पत्तने, गाढाधिष्ठितकारिणश्चतुरशीत्याचार्यदुश्चेटकान्। यः श्रीदुर्लभराट्सभे श्रुतमहामन्त्रैर्निगृह्य क्षणा प्राक्कथन XI For Personal & Private Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दक्षीणां शिवसम्पदं सुविहितश्रेणीविहारैर्व्यधात् ॥ १३ ॥ तर्कादीन् बहु यः स्वयं यदनुजः शब्दानुशास्त्यादिकानेतां श्रीसुरसुन्दरीं च जिनभद्राख्यो यदाद्यान्तिषत् । यच्छिष्यान्तिषदुत्तराध्ययनसद्व्याख्यामशोकेन्दुरातेनेवागधिदेवताकुलमिव क्षोणीतले यत् कुलम् ॥ १४ ॥ ज्योतिश्चक इवास्य शिष्यपटले शीतांशुसूर्यप्रभौ, जज्ञाते स्वपरागमामरपथाध्वन्यौ विनेयावुभौ। तत्राऽऽद्यो जिनचन्द्रसूरिरसृजत् संवेगरङ्गोत्तरां, शालां सर्वसमानमत्र भुवने संवेगसत्रं तु यः॥ १५ ॥ अन्यश्चाऽभयदेवसूरिरुदयल्लोकोत्तरप्रातिभः, कर्तुं स्वात्मनि संयमश्रियमविश्रान्तां प्रसन्नामिव। अत्यन्तं सहचारिणीं प्रियसखीं तस्या नवाङ्गीमिमां, व्याख्यारत्नविभूषणैः किमपि यः प्रासीसदत् सर्वतः ॥ १६ ॥ साक्षाच्छासनदेवतावचनतः प्रस्थाय दूरान्मुदा, श्रीसंघेन चतुर्विधेन सहितः श्रीधर्मचक्रीव यः। सेढीस्वस्तटिनीतटे प्रकटयामासेह तात्कालिकश्रीद्वात्रिंशिकया द्रुतं नवनिधिप्रायं च पार्श्वप्रभुम् ॥ १७ ॥ मुक्त्वा काककुलायवज्जनिभुवं तं चैत्यवास्यालयं, यः पुंस्कोकिलकान्तिरात्मविदुरो वर्तिष्णु तत्र प्रभौ। माकन्दे परपुष्टसाधुकुलमाशिश्राय सत्सिद्धये, स श्रीमान् जिनवल्लभस्तत उदैद् विश्वत्रयीवल्लभः ॥ १८ ॥ यः श्रीमान् मन्दरागो विबुधसमुदयैः पर्युपास्यः समन्तात्, सिद्धान्तक्षीरवार्द्धरतिदुरधिगमागाधमध्यं विगाह्य। स्राक् कर्मग्रन्थ-पिण्डप्रकरणमुखसद्ग्रन्थपीयूषकुण्डैः, प्रत्तैरत्नैश्च धिन्वन् सकलसुमनसोऽभूत् क्षमाभृद्वतंस ॥ १९ ॥ तत्पट्टे जिनदत्तसूरिरुदभूत् श्रीकृष्णमूर्त्तिर्दधद्, विध्यादित्रिपदो य एष नरकप्रष्ठान् वृषद्वेषिणः । बिभ्राणान् भुवि भावभासुरमपाचक्रे परानित्यतः, स्थानेऽसेव्यत यो निदेशमनिशं दिष्टयेच्छुभिर्दैवतैः ॥ २० ॥ तदनु च जिनचन्द्रसूरिसिंहः समजनि शैशवशालिनाऽपि येन। XII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रबलमदभरान्धवादिदंतावलदलना खलु लीलयैव चक्रे ॥ २१ ॥ सकलज्योतिरुदयलक्ष्मीकृतिकामिकतीर्थमद्भुतं शुभतमसततभाविपूर्वस्थितिसुभगम्भावुकोन्नतम् । तत्पदमेतदुदयधरणीधरमलमकृतातिभास्वरत्रिभुवनरञ्जनैकधामद्धिर्जिनपतिसूरिभास्करः॥ २२॥ यस्याग्रे न परो गुरुर्न च कवि! वा बुधः प्राद्युतत्, प्रागल्भी न कलावतो न तमसः क्षुद्रग्रहाणां न च । वादीन्द्राश्च भयंकरा अपि ययुः स्राग् घूकवन्मूकतां, धाम्नां धाम य एक एव भुवने किन्तूद्दिदीपेऽभितः॥ २३ ॥ सूरिः श्रीसर्वदेवः सहविजयपदे देवसूरिः कृतीन्द्रस्तर्काम्रोद्यानपालः स जगति जिनपालोऽभिषेकावतंसः। श्रीमान् सूरप्रभः संघहितयुत उपाध्याय इत्येवमाद्या, विद्यानद्यर्णवाःक्ष्मातलमतिलकयन् यस्य शिष्यांशुदण्डाः ॥ २४ ॥ श्रीसंघपट्टकपरिष्कृतपञ्चलिङ्गयाः, सिद्धान्तदिव्यसरसीसरसीरुहिण्याः। अश्रान्तसन्तमससंहतिहृद्रवीभिर्विस्तार्य यः परिमलं प्रकटीचकार ॥ २५ ॥ त्रिभुवनसुभगम्भविष्णुमूर्त्तिः प्रतिदिशमेदुरकीर्त्तिकौमुदीकः। अयमुदयमिहाऽऽससाद सद्यस्तदनु जिनेश्वरसूरिपूर्णिणमेन्दुः॥ २६ ॥ अनन्तान् सिद्धान्तान् बहुतिथभिदं लक्षणविदं, तमस्यस्तिर्कान् जननि ! सदलङ्कारपटलम्। कथं धत्से स्वच्छे गिरमिति नुवन् हृद्यतनवं, तदास्यं यस्यास्यं तदनु कुतुकाद्वैतमचकात् ॥ २७॥ यस्यास्ये शारदाऽऽस्ते ध्रुवमयमिति निर्माति सद्यः प्रबन्धं, वाक्ये वाचस्पतिश्च स्पृहयति विबुधश्रेणिरुच्चैस्तदस्मै। हस्ते सर्वाऽपि सिद्धिस्तदिह शिरसि सत्येव सा स्फूर्तिमीर्ते, मूर्ती पर्वेन्दुबिम्बं क्षिपति जनदृशोस्तेन पीयूषमेषा ॥ २८ ॥ तस्यास्य स्वगुरोः परस्वसमयालङ्कारतर्कादिसद्विद्यास्वर्णमहाखनेरविरतोपास्त्या सुवर्णोत्करान्। प्राप्य श्रीजिनरत्नसूरिरुदयत्सारस्वतप्रातिभोऽसौ लक्ष्मीतिलको गणिश्च किमपि त्रैविद्यचूडामणिः ॥ २९ ॥ श्रीलीलास्पदपद्मदेवतनयक्षेम न्धरोद्धान्वय XIII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्षीराम्भोधिसुधांशुना जगधरश्राद्धेशितुः सूनुना। श्रीप्रह्लादनपत्तने भुवनपालेनामुना साधुना, पद्माकस्य सुतेन साढलमहाश्राद्धेन चाभ्यर्थितः ॥ ३० ॥ स्वपूर्वजश्रीमदशोकचन्द्र - श्रीनेमिचन्द्रादिमसूत्रधारः। दृब्धोत्तराध्यायविवृत्तिसूत्रानुसारतश्चार्वतिसंघटय्य ॥३१॥ यस्मिन् भान्त्यनुपर्वकाननमहो श्रीसर्गसिद्धालयाश्चत्वारः स्फरदद्भुतायतनभूः सर्गोऽन्तिमश्चूलिका। विष्वग्वैबुधहन्मनोरमतमं प्रत्येकबुद्धर्षिराटचातुर्यस्य चरित्रमेतदतुलं चक्रे सुवर्णाचलम् ॥ ३२॥ चतुर्भिः कलापकं॥ श्रीमत्सूरिजिनेश्वरप्रभृतिभिः साहित्यसिन्धोः पिवैः, श्रीद्विव्याकरणैः ? सुधीभिरमलीचक्रे प्रयत्नाच्च तत्। प्रेक्षावत्प्रवरैः परैश्च विमलीकार्य विचार्याऽऽदराद,रुद्राग्नींदु १३११ शरत्तपस्यविमलैकादश्यहेऽपूरि च ॥ ३३ ॥ * * ** श्री अभयदेवसूरि (रुद्रपल्लीय) ने विक्रम संवत् १२७८ में जयन्तविजय महाकाव्य और श्री अभयदेवसूरि-वर्द्धमानसूरि की परम्परा में श्री विबुधप्रभसूरि ने १३वीं शताब्दी में प्राकृत कुन्थुनाथ चरित्र और पद्मप्रभसूरि ने विक्रम संवत् १२९४ में श्री मुनिसुव्रत चरित्र महाकाव्य की रचना की। श्री जिनकुशलसूरिजी ने श्री जिनेश्वरसूरि कृत चैत्यवन्दन कुलक कर विशद टीका का १३८३ में निर्माण किया। श्री जिनकुशलसूरि के समय में ही श्रीमालवंशीय ठक्कुर फेरु जो की अलाउद्दीन खिलजी की टंकशाला के अध्यक्ष थे, ने नई विधा का आश्रय लेकर द्रव्यपरीक्षा (मुद्राशास्त्र), रत्नपरीक्षा (जवाहरात), धातुपरीक्षा (विज्ञान) और गणितपरीक्षा तथा ज्योतिषसार (ज्योतिष शास्त्र) की रचना की। नई-नई विधाओं में रचना करने का युग प्रारम्भ हो चुका था। श्री जिनप्रभसूरि (१४वीं सदी) ने अनेक तीर्थों पर कल्प लिखकर विविध तीर्थ कल्प का निर्माण किया।अनेक समाचारी ग्रन्थों का आलोडन कर प्रामाणिक विधि मार्ग प्रपा का निर्माण किया। इसमें प्रतिक्रमण विधि से लेकर उपधान, तपस्या, योगोद्वहन, जिन प्रतिष्ठा आदि मौलिक विधियाँ संकलित हैं। कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्रसूरि रचित व्याश्रय काव्य के अनुकरण पर व्याश्रय महाकाव्य लिखा, जिसमें कातन्त्र व्याकरण और महाराजा श्रेणिक का चरित्र गुम्फित है। मेरुनन्दनोपाध्याय ने विक्रम संवत् १४३१ में लोकहिताचार्य को जो विशद विज्ञप्ति पत्र XIV प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लिखा है वह चम्पू काव्य का प्रतिनिधित्व करता है। इससे पूर्व कोई विज्ञप्ति पत्र प्राप्त हो ऐसा संकेन नहीं मिलता है। इसी शैली में जयसागरोपाध्याय ने १४८४ में जो विज्ञप्ति पत्र (विज्ञप्ति त्रिवेणी) जिनभद्रसूरि को भेजा। वह सचमुच में नगरकोट का ऐतिहासिक स्वरूप प्रकट करता है। परवर्ती काल में महोपाध्याय समयसुन्दर, धर्मवर्द्धनगणि, दयासिंहगणि, ज्ञानतिलकोपाध्याय, राजविजयोपाध्याय, रामविजयोपाध्याय, जयशेखर आदि के भी अनेकों साहित्य लक्षणोपेत एवं सचित्र विज्ञप्ति पत्र प्राप्त होते हैं। श्री तरुणप्रभसूरि ने १४११ में षडावश्यक सूत्र पर मरुगुर्जर शैली में बालावबोध रूप भाषा टीका लिखकर एक ऐतिहासिक युग का सूत्रपात किया। प्राचीन राजस्थानी का स्वरूप इसमें प्राप्त होता है। श्री मेरुसुन्दरोपाध्याय ने विदग्धमुखमण्डन, वाग्भटालङ्कार, वृतरत्नाकार, शीलोपदेशमाला आदि विविध विषयों के १५ ग्रन्थों पर भाषा टीका के रूप में बालावबोध की रचना कर तरुणप्रभसूरि की शैली को परिपुष्ट किया। इसके पश्चात् तो इस भाषा और शैली के विकास में अनेको लेखकों ने बालावबोध की रचना की। प्रभुभक्ति और आत्मशुद्धि को लक्ष्य में रखकर अनेक कवियों ने अनेक भाषाओं, छन्दों, विविध विधाओं में अपने हृद्गत भावों को स्तोत्र साहित्य में प्रकट किया है। श्री जिनेश्वरसूरि, अभयदेवसूरि, देवभद्रसूरि, जिनवल्लभसूरि, जिनदत्तसूरि, जिनपतिसूरि, जिनेश्वरसूरि, जिनरत्नसूरि, जिनकुशलसूरि, जिनप्रभसूरि, विनयप्रभोपाध्याय, जयसागरोपाध्याय, श्रीवल्लभोपाध्याय, समयसुन्दरोपाध्याय आदि की जो स्तुति, स्तव और स्तोत्र के नाम से रचनाएं प्राप्त होती हैं उनको पढ़कर हृदय आह्लादित ही नहीं होता वरन् प्रभु के साथ तन्मयता स्थापित करता है। जिनप्रभसूरि का पारसी भाषा और छ: भाषाओं में रचित स्तोत्रों की रमणीयता देखने योग्य है। कहा जाता है कि जिनप्रभसूरि ने स्वरचित ७०० स्तोत्र तपागच्छीय प्रभाविक आचार्य को समर्पित किए थे।आज यदि खरतरगच्छ आचार्यों द्वारा रचित स्तोत्रों का संकलन किया जाए तो वह संख्या सहस्राधिक ही होगी। आगमिक ग्रन्थों पर अभयदेवसूरि के पश्चात् श्री जिनहंससूरि एवं जिनचन्द्रसूरि (आद्यपक्षीय) की आचाराङ्गसूत्र दीपिका और टीका, श्री साधुरङ्गोपाध्याय कृत सूत्रकृताङ्गसूत्र टीका, वादी हर्षनन्दन और सुमतिकल्लोल रचित स्थानाङ्ग गाथागतवृत्ति, जिनराजसूरि की स्थानाङ्ग सूत्र टीका, कस्तूरचन्द्रगणि कृत ज्ञाताधर्मकृताङ्गसूत्र टीका और मतिकीर्तिगणि कृत दशाश्रुतस्कन्ध टीका आदि प्राप्त हैं। कल्पसूत्र पर तो अनेकों टीकाएँ और बालावबोध प्राप्त हैं जिनमें से प्रमुख-प्रमुख लेखक हैं :- जिनप्रभसूरि, मेरुसुन्दरोपाध्याय, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय, समयसुन्दरोपाध्याय, कमललाभोपाध्याय, गुणविनयोपाध्याय, जिनसमुद्रसूरि आदि । उत्तराध्यन सूत्र पर कमलसंयमोपाध्याय, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय आदि की विशद टीकाएं प्राप्त है। प्रकरण ग्रन्थों में आचार्य अभयदेव कृत पुद्गल षट्त्रिंशिका, निगोद षट्त्रिंशिका, सप्तति प्राक्कथन XV For Personal & Private Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाष्य, पञ्चनिर्गन्थी प्रकरण, जिनेश्वरसूरि कृत श्रावकधर्मविधि प्रकरण, नेमिचन्द भांडागारिक कृत षष्टिशतकप्रकरण, गजसारगणि कृत विचारषट्त्रिंशिका आदि अनेकों प्रकरण ग्रन्थ प्राप्त हैं। ____ कथाग्रन्थों में जिनेश्वरसूरि कृत निर्वाण लीलावती, कथाकोष, देवभद्राचार्य कृत कथारत्नकोष, पार्श्वनाथ चरित्र, महावीर चरित्र, वर्द्धमानसूरि कृत आदिनाथ चरित्र, मनोरमा चरित्र, धर्मरत्न करण्डक, गुणसमृद्धि महत्तरा कृत अञ्जनासुन्दरी चरित्र आदि अनेक ग्रन्थ प्राप्त होते हैं। ___ पूर्वोल्लिखित महाकाव्यों के अतिरिक्त श्रीवल्लभोपाध्याय कृत विजयदेव महात्म्य संघपति रूपजी वंशप्रशस्ति, सूरचन्द्रोपाध्याय कृत स्थूलिभद्र गुणमाला काव्य, रामविजयोपाध्याय कृत गौतमीय महाकाव्य, और शिवचन्द्रोपाध्याय कृत प्रद्युम्नलीलाप्रकाश गद्य काव्य प्राप्त हैं। पादपूर्ति काव्यों में विक्रम कवि कृत नेमिदूतम् (मेघदूत पादपूर्ति), विमलकीर्ति कृत चन्द्रदूतम् (मेघदूत पादपूर्ति), समयसुन्दरोपाध्याय कृत जिनसिंहसूरि पदोत्सव काव्य (रघुवंश पादपूर्ति), और समयसुन्दरोपाध्याय, एवं धर्मवर्द्धनोपाध्याय आदि रचित भक्तामर पादपूर्ति स्तोत्र भी प्राप्त हैं। न्यायदर्शनशास्त्र में जिनेश्वरसूरि का प्रमालक्ष्म, देवभद्रसूरि का प्रमाणप्रकाश, अभयतिलक का न्यायालङ्कार टिप्पण, पानीय वादस्थल आदि। टीका ग्रन्थों में गंगेश कृत तत्त्वचिन्तामणि पर गुणरत्नगणि की सुखबोधिका टिप्पण प्राप्त है। इनके अतिरिक्त सोमतिलकसूरि की षड्दर्शन समुच्चय टीका, चारित्रनन्दी का स्यादवाद पुष्पकलिका प्रकाश, सुमतिसागरोपाध्याय का तत्त्वचिन्तामणि टिप्पणक, गुणरत्नोपाध्याय की तर्क भाषा टीका, क्षमाकल्याणोपाध्याय एवं कर्मचन्द की तर्कसंग्रह टीकाएं, भक्ति लाभोपाध्याय का न्यायसार चूर्णि, दयारत्न की न्याय रत्नावली, जिनवर्द्धनसूरि और भावप्रमोद की सप्त पदार्थी टीकाएं प्राप्त है। स्वतन्त्र व्याकरण शास्त्र में बुद्धिसागर व्याकरण, सहजकीर्ति कृत शब्दार्णव व्याकरण, ऋजुप्राज्ञ व्याकरण, सहजसुन्दर की शब्दार्णव प्रक्रिया, साधुसुन्दर का धातुरत्नाकर, उक्तिरत्नाकर आदि । व्याख्या ग्रन्थों में मन्त्रि मण्डन कृत सारश्वत मण्डन एवं उपसर्ग मण्डन, सहजकीर्ति कृत सारश्वत व्याकरण टीका, सदानन्द कृत सिद्धान्त चन्द्रिका टीका आदि। कातन्त्र विभ्रम सूत्र पर जिनप्रभसूरि और चारित्रसिंह की टीकाएं प्राप्त हैं। हैमलिङ्गानुशासन पर श्रीवल्लभोपाध्याय की दुर्गपदप्रबोध टीका प्राप्त है। मतिकीर्ति की गुणकित्व षौडशिका, विमलकीर्ति की पदव्यवस्था, विशालकीर्ति की प्रक्रिया कौमुदी टीका आदि कृतियाँ भी प्राप्त हैं। पूर्ववर्ती महाकवियों के महाकाव्यों पर खरतरगच्छीय आचार्यों ने अपनी लेखिनी चलाकर इसको समृद्ध करने में कोई कमी नहीं रखी है। रघुवंश काव्य पर क्षेमहंस, गुणरत्नोपाध्याय, गुणविनयोपाध्याय, चारित्रवर्द्धन, जिनसमुद्रसूरि, धर्ममेरुगणि, पुण्यहर्षगणि, समयसुन्दरोपाध्याय, सुमतिविजयगणि, जयसागरोपाध्याय आदि । कुमार सम्भव पर क्षेमहंस, चारित्रवर्द्धन, जिनभद्रसूरि, जिनसमुद्रसूरि, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय, समयसुन्दरोपाध्याय आदि की टीकाएँ। मेघदूत काव्य पर XVI प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्षेमहंसगणि, गुणरत्नोपाध्याय, चारित्रवर्द्धन, महिमसिंह, विनयचन्द्रगणि, समयसुन्दरोपाध्याय, सुमतिविजय आदि की टीकाएं। शिशुपालवध पर चारित्रवर्द्धन, धर्मरुचिगणि, ललितकीर्तिगणि, समयसुन्दरोपाध्याय (केवल तृतीय सर्ग) आदि ग्रन्थ । नैषध काव्य पर चारित्रवर्द्धन और जिनराजसूरि की टीकाएं प्राप्त है। खण्डप्रशस्ति लघुकाव्य पर गुणविनयोपाध्याय की टीका प्राप्त है। ___जिनदेवसूरि कृत शिलोञ्छनाममाला कोष और साधुसुन्दरोपाध्याय कृत शब्दरत्नाकर कोष आदि प्राप्त हैं। टीका ग्रन्थों में महाकवि महेश्वर कृत शब्द-प्रभेद पर ज्ञानविमलोपाध्याय, कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्र रचित अभिधान चिन्तामणि नाममाला, शेषसंग्रह, निघण्टु नाममाला और जिनदेवसूरि कृत शिलोञ्छनाममाला पर श्रीवल्लभोपाध्याय की टीकाएं प्राप्त है। धर्मवर्द्धन उपाध्याय की अमरकोष टीका, साधुकीर्ति उपाध्याय की विशेष नाममाला टीका, सहजकीर्ति उपाध्याय का सिद्ध शब्दार्णव कोष भी प्राप्त है। अलङ्कार के ग्रन्थों पर भी प्रमुख-प्रमुख टीकाएं प्राप्त हैं:- गुणरत्नोपाध्याय और क्षमामाणिक्य कृत काव्यप्रकाश टीका, वाग्भटालङ्कार पर उदयसागर, क्षेमहंस, जिनवर्द्धनसूरि, ज्ञानप्रमोद, राजहंस, समयसुन्दरोपाध्याय, साधुकीर्ति उपाध्याय, मेरुसुन्दरोपाध्याय आदि की टीकाएं। इनके अतिरिक्त उदयचन्द का अनूप शृङ्गार और पाण्डित्य दर्पण, मन्त्रि मण्डन का अलङ्कार मण्डन, ज्ञानमेरु का कविमुखमण्डन, महिमसिंह का रसमञ्जरी आदि ग्रन्थ भी प्राप्त है। विदग्धमुखमण्डन पर विनयसागरोपाध्याय, शिवचन्द्रोपाध्याय, श्रीवल्लभोपाध्याय, जिनप्रभसूरि, मेरुसुन्दरोपाध्याय आदि की टीकाएं प्राप्त है। छन्दशास्त्र पर जिनेश्वरसूरि कृत छन्दोनुशासन, जिनप्रबोधसूरि कृत वृत्तप्रबोध, धनसागर कृत छन्दोरहस्य और वृत्तरत्नाकर पर समयसुन्दरोपाध्याय, क्षेमहंस और मेरुसुन्दरोपाध्याय आदि की टीकाएं प्राप्त है। इनके अतिरिक्त लाभवर्द्धन का छन्दोऽवतन्स, कुशललाभोपाध्याय का पिंगलशिरोमणि, ज्ञानसारोपाध्याय का मालापिङ्गल आदि भी प्राप्त है। प्रश्नोत्तर काव्यों में जिनवल्लभसूरि कृत प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतक और पुण्यसागरोपाध्याय की टीका, साधुसुन्दरोपाध्याय कृत स्वोपज्ञ टीका सहित प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतक, विनयसागरोपाध्याय कृत प्रश्नोत्तरशत काव्य आदि प्राप्त हैं। चित्रकाव्यों में श्रीवल्लभोपाध्याय कृत सहस्रदलकमल गर्भित अरजिन स्तव स्वोपज्ञ टीका सहित, सहजकीर्ति उपाध्याय कृत शतदलकमल गर्भित पार्श्वनाथ स्तोत्र और स्फुट चित्रकाव्यों में अनेक कविओं के चित्र काव्य प्राप्त हैं। ___ अनेकार्थी साहित्य पर राजानो ददते सौख्यम् के प्रत्येक अक्षर पर एक-एक लाख अर्थ करने वाले महोपाध्याय समयसुन्दर कृत अष्टलक्षी, जिनप्रभसूरि कृत हैमानेकार्थ कोष टीका, विनयसागरोपाध्याय कृत अविदपद शतार्थी आदि, एवं समयसुन्दरोपाध्याय कृत मेघदूत प्रथम प्राक्कथन XVII For Personal & Private Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पद्यस्य त्रयोर्था तथा कई स्तुतियों पर श्रीवल्लभोपाध्याय की अनेक अर्थोत्पादक टीकाएं प्राप्त हैं। संगीतशास्त्र पर मन्त्रि मण्डन का संगीतमण्डन प्राप्त है। मन्त्र - शास्त्र पर पूर्णकलशगणि का महाविद्या, जिनप्रभसूरि का बृहद् सूरिमन्त्र कल्प विवरण और बृहद् ह्रींकार कल्प विवरण, संघतिलकसूरि का वर्द्धमान विद्या कल्प और जिनभद्रसूरि सूरिमन् कल्प आदि प्राप्त हैं । आयुर्वेद साहित्य पर मानकवि का कविप्रमोद और कविविनोद गुणविलास का गुणरत्न प्रकाशिका, रामचन्द्रगणि का रामविनोद, वैद्यविनोद प्राप्त हैं। ऋद्धिसारगणि का वैद्यदीपक उल्लेखनीय कृति है । ज्योतिष विद्या पर जिन्रोदयसूरि का उदयविलास, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय का कालज्ञान भाषा, ठक्कुर फेरु का गणितसार, अभयकुशल का चमत्कार चिन्तामणि टीका, महिमोदय का ज्योतिष रत्नाकर, पुण्यतिलक का नरपति जयचर्या टीका और हीरकलश इत्यादि उल्लेखनीय रचनाएं प्राप्त हैं। १५वीं सदी के विद्वान् श्रावकों में मन्त्री धनद और मन्त्रि मण्डन के कृतित्व को भी नहीं भुलाया जा सकता। ये माण्डवगढ़ के मन्त्री थे और थे जिनभद्रसूरि के परम भक्त । मन्त्री धनद ने भतृहरि के अनुकरण पर शृङ्गारशतक, नीतिशतक और वैराग्यशतक की रचना की। मन्त्री मण्डन अलङ्कार मण्डन, चम्पू मण्डन, संगीत मण्डन, काव्य मण्डन आदि मण्डन संज्ञक रचनाओं से १० काव्यों की रचना की। अञ्जनशलाका और प्रतिष्ठादि विधानों के लिए सब गच्छों का मान्य ग्रन्थ है आचारदिनकर। इसके प्रणेता खरतरगच्छ की रुद्रपल्लीय शाखा के हैं। रचना संवत् है ९४६८ । इस ग्रन्थ में दो विभाग हैं::- १. ग्रहस्थों के १६ कर्म, २. अञ्जनशलाका प्रतिष्ठा स्थापना विधि आदि । इसके रचनाकाल से ही यह ग्रन्थ सर्वमान्य रहा है। इसको आदर्श मानकर कुछ परिवर्तन कर आज भी सर्वत्र इसका उपयोग देखा जा सकता है। खण्डन-मण्डन साहित्य / चर्चा का उद्भव विक्रम की १७वीं शताब्दी के प्रथम दशक में ही हुआ। इससे पूर्व समस्त गच्छ वाले सौमनस्य और सौहार्द के साथ रहते थे, अपनी परम्परा का पालन कर रहे थे। जयसोमोपाध्याय और गुणविनयोपाध्याय ने कई चर्चा ग्रन्थ लिखकर खरतरगच्छीय मान्यताओं का प्रतिपादन किया। इसी क्रम में २०वीं शताब्दी में तत्कालीन खरतरगच्छीय श्रीमणिसागरजी (स्व. श्री जिनमणिसागरसूरि) ने कलकत्ता और बम्बई चातुर्मास करते हुए तीन ग्रन्थों का निर्माण किया :- १. बृहद् पर्युषणा निर्णय २. षट्कल्याणक निर्णय | चर्चा साहित्य के दो ग्रन्थों का और निर्माण किया, वे हैं :- देवद्रव्यनिर्णय, आगमानुसार मुहपत्ति का निर्णय और साध्वी व्याख्यान निर्णय । भाषा-साहित्य जन मानस पर धर्म का बीज वपन, अंकुरित, पुष्पित करने के लिए जैन श्रमणों ने लोक भाषा XVIII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ का आश्रय लिया। जहाँ विद्वानों की जन्मजात भाषा संस्कृत और प्राकृत थी वहीं समय की माँग को देखकर अपभ्रंश को विद्वानों ने स्वीकार किया और अपभ्रंश के बाद मरुगुर्जर भाषा को स्वीकृत करते हुए इसी भाषा में रचनाएं प्रारम्भ की। मरुगुर्जर भाषा परवर्ती काल में दो विभागों में बँट गई। राजस्थान प्रदेश की भाषा मरु के स्थान पर राजस्थानी हो गई और गुजरात में गुर्जर के स्थान पर गुजराती हो गई। जनता ने भी इस राजस्थानी भाषा को हृदय से स्वीकार किया और पठन-पाठन भी प्रारम्भ किया। फलतः खरतरगच्छीय आचार्य और मुनि भी राजस्थानी भाषा में लिखने लगे। १५वीं शताब्दी से राजस्थानी भाषा का ही बोलबाला रहा, व्यवहार रहा और २०वीं सदी से राजस्थानी भाषा का स्थान हिन्दी भाषा ने ले लिया। आज के विद्वान् लेखक हिन्दी भाषा में ही लिख रहे हैं। राजस्थानी लेखकों ने अनेक विधाओं को अपनाकर पूजाएं, चौवीसी, वीसी, विवाहलो, कक्क, फागु, रास, चौपई, वेली, छत्तीसी, बत्तीसी, बावनी और बारहमासा आदि संज्ञक में रचनाएं की। साथ ही हार्दिक उद्गारों को प्रकट करने के लिए स्तवन, गीत, स्वाध्याय आदि की स्फुट रचनाएं भी प्रचुर मात्रा में हुई। पूजा - उपासकों के लिए द्रव्य पूजा के अतिरिक्त भाव पूजा की भी परमावश्यकता है। आगम शास्त्रों में द्रव्य और भाव पूजा के प्रचुर उल्लेख प्राप्त होते हैं। पूजा को करते हुए तीर्थंकर के साथ तादात्म्य सम्बन्ध स्थापित करते हुए उच्चतम तीर्थंकर नामकर्म भी उपार्जित किया जा सकता है। इसी आलम्बन को स्वीकार करते हुए खरतरगच्छीय आचार्यों ने सर्वप्रथम पूजाओं का निर्माण किया। पूजा साहित्य में वर्तमान में प्राप्त पूजाओं में प्राचीनतम उपाध्याय साधुकीर्ति रचितं सतरह भेदी पूजा प्रसिद्ध है। इसकी रचना विक्रम संवत् १६१८ पाटण में हुई है। इसके पश्चात् तो पूजाओं की एक विशिष्ट परम्परा चली जो आज भी उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त कर रही है। संख्या की दृष्टि से भी यह पूजा साहित्य दूसरों की अपेक्षा अग्रगण्य है। __ श्रीमद्देवचन्द्र कृत स्नात्र पूजा जो भक्ति रस से सराबोर है स्मरण किए बिना कैसे रहा जा सकता है। यहाँ नवपद पूजा का स्मरण करना अत्यावश्यक है जो सर्व गच्छों के द्वारा मान्य है। इस पूजा में श्रीयशोविजयोपाध्याय द्वारा कृत श्रीपाल रास की ढालें, श्रीज्ञानविमलसूरि के छन्द और देवचन्द्रोपाध्याय के उल्लाले सम्मलित हैं। इन तीनों का समवेत स्वरूप होना ही नवपद पूजा है। यह पूजा तो शास्त्रों का सार है। पूजा साहित्य में लौकिक गीतों के तर्कों का ही प्रयोग किया गया है और लौकिक धुनें ही गेय का आकर्षण केन्द्र बनी हैं। विवाहलो और रासादि - ऐतिहासिक दृष्टि से आचार्यों के जीवन वृत्त का वर्णन करने वाले, आचार्य पदोत्सव का वर्णन करने वाले, स्वर्गवास का वर्णन करने वाले अथवा किसी एक विशिष्ट कार्य का वर्णन करने वाले रास तात्कालीन इतिहास की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इन प्राक्कथन XIX For Personal & Private Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विवाहलो, रास, गीत आदि में आँखो देखा वर्णन ही वर्णित किया जाता है। इन रासों में सोममूर्ति रचित जिनेश्वरसूरि संयम श्री विवाह वर्णन रास, धर्मकलश रचित, जिनकुशलसूरि पट्टाभिषेक रास, सारमूर्ति रचित जिनपद्मसूरि पट्टाभिषेक रास, ज्ञानकलश रचित जिनोदयसूरि पट्टाभिषेक रास और मेरुनन्दनोपाध्याय रचित जिनोदयसूरि विवाहलो, कल्याणचन्द्र रचित कीर्तिरत्नसूरि चौपई, लब्धिकल्लोल रचित जिनचन्द्रसूरि अकबर प्रतिबोध रास, समयप्रमोद रचित युगप्रधान निर्वाण रास, श्रीसार रचित जिनराजसूरि रास, धर्मकीर्ति रचित जिनसागरसूरि रास, सुमतिवल्लभ रचित जिनसागरसूरि निर्वाण रास, कमलहर्ष रचित जिनरत्नसूरि निर्वाण रास, जिनमहेन्द्रसूरि भास, शाहलाधा रचित जिनशिवचन्द्रसूरि रास, सुमतिरङ्ग रचित श्रीकीर्तिरत्नसूरि उत्पत्ति छन्द और जयनिधान रचित साधुकीर्ति स्वर्गगमन गीत आदि की गणना की जा सकती है। इसी प्रकार किसी वर्णन विशेष को लेकर जो गीत लिखे गये हैं वे भी ऐतिहासिक एवं पुरातत्त्व की दृष्टि से प्रामाणिक हैं। रास चौपई - कथाओं के माध्यम से जैन परम्पराओं द्वारा मान्य सिद्धान्तों का पुट देते हुए किन्ही विशिष्ट पुरुषों एवं महासतियों का अन्त में स्वर्गगमन अथवा सिद्धिगमन दिखाते हुए तो गेय पद्धति से रचना की जाती है वह रास और चतुष्पदी कहलाती है। इन गेयात्मक रासों को आधार मानकर नृत्य आदि भी किए जाते हैं। प्रत्येक रास की समाप्ति धर्मतत्त्वों का प्रतिपादन करती हुई शान्त रस में समाप्त होती है। इन रासों में अनेक रसों का अद्भुत संगम मिलता है। समयसुन्दर रचित सीताराम चौपई तो नव रसों का खजाना है। खरतरगच्छीय आचार्यों द्वारा निर्मित रास साहित्य से साहित्य भण्डार भरे हुए हैं। उनमें से प्रसिद्ध और प्राप्त रासों का यहाँ संकलन किया गया है। रास साहित्य की रचना १३वीं शताब्दी से प्रारम्भ होती है जो आज भी निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। महाकवि जिनहर्षगणि, समयसुन्दरोपाध्याय, गुणविनयोपाध्याय, धर्मवद्धन उपाध्याय आदि के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते है। __चौवीसी, वीसी - हृदय की अनुभूति पूर्ण और श्रद्धाभक्तिपूर्ण जो स्वर लहरी गुञ्जायमान होकर प्रकट होती है वही चौवीसी, वीसी साहित्य का माध्यम है। अनेक आचार्यों, मुनिपुंगवों एवं श्रावक वर्ग ने भक्ति में डुबकी लगाकर इसके माध्यम से अपने को कृतकृत्य किया है। चौवीसी में ऋषभ से लेकर महावीर पर्यन्त चौवीसी तीर्थंकरों की पृथक्-पृथक् गेय रूप में स्तवना की जाती है और कलश रूप में उसका उपसंहार किया जाता है। इसी प्रकार वर्तमान चौवीसी, अनागत चौवीसी और अतीत चौवीसी के तथा एरवत क्षेत्र के चौवीस तीर्थंकरों की स्तवना की जाती है। वीसी में वीस विहरमान जिनों की स्तवना की जाती है। सीमन्धर स्वामी से लेकर अजितवीर्यजिन तक गेय गीतिका के माध्यम से स्तुति की जाती है और अन्त में कलश रूप में उपसंहार किया जाता है। इसमें लोकप्रधान इन स्तवनों, गीतों की रागें/तर्जे लोकगीतों पर ही आधारित रहती हैं। . महोपाध्याय रामविजयोपाध्याय के प्रशिष्य पुण्यशीलगणि के शिष्य महोपाध्याय शिवचन्द्र XX प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ की अधिकांश रचनाएं संस्कृत या संस्कृतनिष्ठ होती हैं। महाकवि जयदेव के गीतगोविन्द के अनुसरण पर इन्होंने भी चतुर्विंशति जिनेन्द्र स्तवनानि की रचना की है। प्रत्येक स्तवन संस्कृत भाषा में होते हुए भी लोकगीत ध्वनि के आधार पर गेय रूप में लिखा गया। प्रत्येक तीर्थंकर की अलग-अलग स्तवना भी की जाती है साथ ही तीर्थों के अधिष्ठाता होने के कारण उस तीर्थंकर की प्रमुखता से स्तवना की जाती है जैसे आबू तीर्थ स्थित आबू भास, बीकानेर स्थित चौवीसटा अर्थात् चौवीस जिन स्तुति, पालनपुर स्थित चन्द्रप्रभस्वामी, पाटण स्थित शान्तिनाथ भगवान्, गिरनार तीर्थ स्थित नेमिनाथ भगवान्, जेसलमेर-फलवर्द्धि, लौद्रवपुर, स्तम्भन, नाकोड़ा, गौड़ी, भाभा, शेरीसा, अजाहरा, नारङ्गा, वाडी, अमीझरा, अंतरिक्ष, वरकाणा, नागोर, इत्यादि से सम्बन्धित पार्श्वनाथ एवं पावापुर स्थित पावापुरी महावीर आदि को प्रमुखता देते हुए अपने भावों को उजागर किया जाता है। चार शाश्वत तीर्थंकरों का भी स्मरण कर उनको नमन किया जाता है। गौतमादि ११ गणधरों, बाहुबली, धन्ना, प्रसन्नचन्द्र आदि महापुरुष, द्रोपदी आदि महासतियाँ, चारों दादागुरुदेव, तत्कालीन संघ के पट्टधर आचार्य आदि की गेय रूप से स्तवना ही गीत, स्तुति और गहुंली कहलाती है। भगवान् नेमिनाथ और राजुल के प्रसंग को लेकर बारहमासा, फाग इत्यादि प्राप्त होते हैं। स्थूलिभद्र के भी बारहमासा प्राप्त होते है। इनके साथ ही कुछ औपदेशिक पद क्रोधादि निवारण, दानशील आदि धारण और बारहभावना इत्यादि के गीत भी प्रचुरता से प्राप्त होते हैं। ये गीत और स्तवन रचनाकार की सुविधानुसार अष्टक रूप में भी होते हैं और तीन से लेकर अधिक गाथाओं के भी होते हैं। चारों दादा गुरूदेवों के अष्टक, गीत, स्तवन, निसाणी, भास आदि साहित्य ७०० से अधिक प्राप्त होते है जिनका संकलन दादागुरु भजनावली में किया गया है। स्तवन गीतकारों में प्रमुखता से महोपाध्याय समयसुन्दर, महिमसमुद्र आचार्य बनने पर जिनसमुद्रसूरि, महाकवि जिनहर्षगणि, धर्मवर्द्धन, जिनराजसूरि, ज्ञानसार आदि के नाम लिए जा सकते हैं। समयसुन्दरजी के लिए तो यह प्रसिद्ध ही है:- महाराणा कुम्भारा भींतड़ा और समयसुन्दररा गीतड़ा। आज भी समयसुन्दर के ५०० से अधिक लघु कृतियाँ प्राप्त होती हैं। इसी प्रकार बेगड़ गच्छीय महिमहर्ष/जिनसमुद्रसूरि की गीत साहित्य की दृष्टि से समयसुन्दर जी के साथ तुलना की जा सकती है। इनके भी ५०० के लगभग लघु कृतियाँ प्राप्त होती हैं। बत्तीसी छत्तीसी आदि - बत्तीसी, छत्तीसी, बावनी, बहुत्तरी, आदि में अधिकांशतः रचनाएं उपदेश परक, आत्मानुभूति परक, योगध्यान परक, धर्मप्रेरक, स्वानुभूति को जागृत करने वाली होती हैं। कई छत्तीसियाँ कर्म, शील, दान और आलोयणा परक भी होती है। आनन्दघनजी, ज्ञानसारजी, और चिदानन्दजी के पद रहस्यवाद से परिपूरित होते है। ___ इस प्रकार हम देखते है कि आचार्य वर्द्धमानसूरि और जिनेश्वरसूरि ने प्रकर्ष वेग के साथ जिस ज्ञानसत्र को ११वीं शताब्दी में प्रारम्भ किया था उसको परवर्ती आचार्यों ने २०वीं XXI प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शताब्दी तक अविच्छिन्न रूप से निरन्तर प्रगतिमान रखा और उस ज्ञानसत्र को पल्लवितपुष्पित करते हुए वट वृक्ष का रूप दिया । आगम साहित्य से लेकर गीत साहित्य तक खरतरगच्छीय आचार्यों, उपाध्यायों, गणियों और मुनियों ने जो साहित्य निर्माण कर माँ सरस्वती के भण्डार को समृद्ध किया है वह अनुपमेय ही नहीं असाधारण भी है। संयम और तपश्चरण के साथ भिन्न-भिन्न विषयों के शास्त्रों के अध्ययन और ज्ञानार्जन का कार्य भी इन मुनिजनों ने बड़े प्रेम और उत्साह साथ व्यवस्थित रूप में किया। सभी उपादेय विषयों के नवीन-नवीन ग्रन्थों का निर्माण भी किया और पुरातन ग्रन्थों पर टीकाएं आदि भी लिखीं। अध्ययन और अध्यापन और साहित्य निर्माण के कार्य में उपयोगी पुरातन जैन ग्रन्थों के अतिरिक्त व्याकरण, न्याय, अलङ्कार, काव्य, कोष, छन्द आदि विविध विषयों के महत्वपूर्ण ग्रन्थों पर अपनी कलम भी चलाई। यह कहना अत्युक्तिपूर्ण न होगा कि समग्र श्वेताम्बर समाज में खरतरगच्छीय आचार्यों द्वारा निर्मित साहित्य अगाध समुद्र के समान विशाल और समस्त जैनों के सिरमोर होने का गौरव धारण करता है । मेरे इन विचारों की पुष्टि पुरातत्त्वाचार्य पद्मश्री जिनविजयजी भी कथाकोष प्रकरण (प्रस्तावना पृष्ठ-५) इस खरतरगच्छ में उसके (जिनेश्वरसूरि, जिनचन्द्रसूरि, अभयदेवसूरि, जिनवल्लभसूरि a) बाद अनेक बड़े-बड़े प्रभावशाली आचार्य, बड़े-बड़े विद्यानिधि उपाध्याय, बड़े-बड़े प्रतिभाशाली पण्डित मुनि और बड़े-बड़े मांत्रिक, तांत्रिक, ज्योतिर्विद्, वैद्यकविशारद आदि कर्मठ यतिजन हुए जिन्होंने अपने समाजकी उन्नति, प्रगति और प्रतिष्ठा के बढाने में बड़ा भारी योग दिया। सामाजिक और सांप्रदायिक उत्कर्षकी प्रवृत्तिके सिवा, खरतर गच्छानुयायी विद्वानोंने संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश एवं देश्य भाषा के साहित्य को भी समृद्ध करने में असाधारण उद्यम किया और इसके फलस्वरूप आज हमें भाषा, साहित्य, इतिहास, दर्शन, ज्योतिष, वैद्यक आदि विविध विषयों का निरूपण करने वाली छोटी-बड़ी सैकड़ों-हजारों ग्रन्थकृतियां जैन भण्डारों में उपलब्ध हो रही हैं। खरतरगच्छीय विद्वानों की की हुई यह साहित्योपासना न केवल जैन धर्मकी ही दृष्टि से महत्त्व वाली है, अपितु समुच्चय भारतीय संस्कृति के गौरव की दृष्टि से भी उतनी ही महत्ता रखती है। 1 साहित्य- संरक्षण खरतरगच्छाचार्यों ने जो नवीन नवीन साहित्य निर्माण किया दूसरों के ग्रन्थों पर टीकाएं लिखी और इतः पूर्व समस्त जैनाचार्यों रचित साहित्य, अन्य दार्शनिकों का साहित्य भी जैन भण्डारों में सुरक्षित रख रहे थे उन भण्डारों को विधर्मी, आक्रान्ता शासकों ने तहस-नहस कर डाला और जैन भण्डारों को जला-जला कर नष्ट कर डाला। यही कारण है देवर्धिगणि क्षमाश्रमण के समय का साहित्य हमें प्राप्त नहीं होता है। उस समय जिनभद्रसूरि आदि खरतरगच्छाचार्यों ने द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव के अनुसार उन-उन शासकों से सम्पर्क में आकर उनके धार्मिक जूनून को कम करने का प्रयत्न XXII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किया। इस प्रयास में व या काचत् सफल भी हुए। जिनभद्रसूरि न प्रबल वेग से अनक स्थानों पर समृद्ध भण्डारों की स्थापना करते हुए शास्त्र संरक्षण के कार्य को प्रमुख प्रधानता प्रदान की । जिन भद्रसूरि की मान्यता थी - पहले ज्ञान है और बाद में आचरण । ज्ञान के बिना क्रिया भी सफल नहीं होती है। वह ज्ञान शास्त्रों से प्राप्त होता है और वे शास्त्र वर्तमान समय में पुस्तकों के आधार पर आश्रित हैं तथा वह पुस्तक लेखन/शास्त्रों की प्रतिलिपियाँ करवा कर सद्गुरुओं को अध्ययनार्थ प्रदान करने से प्राप्त होता है । जिनवल्लभसूरि कृत धर्मशिक्षा का १८वाँ द्वार श्लोक ३८- ३९ को अपने संस्मरण में लेते हुए और अनुसरण करते हुए विचार किया: ज्ञान समस्त सुखों का दाता है, तत्त्व ज्ञान सद्गुरुओं के अधिगम उपदेश से प्राप्त होता है। तत्त्व ज्ञान से शम की प्राप्ति होती है। शम की प्राप्ति से मानव वैर रहित हो जाता है। फलत: वह शत्रु रहित और द्वेषरहित हो जाता है, निर्भय हो जाता है, अतः हे भव्यजनो ! आप आदरपूर्वक श्रुतज्ञान/ शास्त्रों को लिखवाओ अर्थात् प्रतिलिपियाँ करवा करवा कर श्रुत भंडार को समृद्ध करो प्राग् ज्ञानं तदनन्तरं किल दया वागार्हतीति स्फुटा, न ज्ञानेन बिना क्रियापि सफला प्रायो यतो दृश्यते । तत्स्यात् सम्प्रति पाठतः स च पुनः स्यात्पुस्तकाधारतस्तस्मात्पुस्तकलेखनेन मुनिषु ज्ञानं प्रदत्तं भवेत् ॥ १८ ॥ ज्ञानं सर्वसुखप्रदं च ददता साधुव्रजायाभवं, दत्तं येन ततो भवेदधिगमस्तत्त्वस्य तत्त्वाच्छमः । शान्तो वैरविवर्जितः स निररिर्निद्वेषिणो नो भयं, तस्माल्लेखयत श्रुतं भुवि जना! यूयं विधायादरम् ॥ १९॥ - जेसलमेर ताड़पत्रीय प्रति क्रमाङ्क ११९ की लेखन - प्रशस्ति यही कारण था कि जिनभद्रसूरि ने अपने उपदेशों के माध्यम से श्रद्धालु उपासकों के मानस को श्रुतभक्ति की ओर मोड़ दिया। उपासक भी सादर भक्ति एवं उल्लास के साथ शास्त्र - लेखन में जुड़ गये। फलतः आचार्यश्री को आशातीत सफलता प्राप्त हुई और उन्होने राजस्थान में ३ - जेसलमेर, जालोर, नागौर; गुजरात में ३ - पाटण, खम्भात, आशापली; मालवा में १ - मांडवगढ़ तथा देवगिर में कुल ८ स्थानों पर समृद्ध ज्ञान भंडार स्थापित किये। श्रीमज्जेसलमेरुदुर्ग नगरे जावालपुर्यां तथा श्रीमद् देवगिरौ तथा अहिपुरे श्रीपत्तने पत्तने । भाण्डागारमबीभरद् वरतरैर्नानाविधैः पुस्तकैः सः श्रीमज्जिनभद्रसूरि सुगुरुर्भाग्याद्भुतोऽभूद् भुवि ॥ प्राक्कथन For Personal & Private Use Only XXIII Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समयसुन्दरकृत अष्टलक्षी प्रशस्ति इनमें से जालौर, नागौर, खंभात, आशापल्ली, मांडवगढ़ और देवगिरि के भंडारों का तो अतापता ही नहीं है। वैसे तो पाटण भंडार का भी पता नहीं है, किन्तु जिनभद्रीय ज्ञान भंडार के कुछ ग्रन्थ आज भी बाड़ी पार्श्वनाथ ज्ञान भण्डार एवं खरतरगच्छ उपाश्रय में ज्ञान भण्डार, पाटण में विद्यमान हैं जो आज भी आचार्य जिनभद्र के नाम को सुरक्षित रखे हुए हैं। जिनभद्रसूरि ने खम्भात के श्रेष्ठिवर्य पारीक गोत्रीय श्रेष्ठि धरणाशाह और श्रीमाल वंशीय बलिराज उदयराज द्वारा विक्रम संवत् १४८५ से १४९१ के मध्य में अपने उपदेशों से ग्रन्थों की प्रतिलिपियाँ करवाकर भण्डार स्थापित किया था। इन उपासकों द्वारा लिखापित ४८ ताड़पत्रीय ग्रन्थ जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार, जेसलमेर में प्राप्त हैं। उनकी लेखन पुस्तिकाओं में 'अद्येह स्तम्भतीर्थे' या 'स्तम्भतीर्थे ' 'सिद्धान्तकोष' अथवा 'जिनभद्रसूरि भाण्डागारे' लिखा है, अतः खम्भात में जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार की स्थापना १४८५ या १४८६ के आस-पास ही हुई थी। इन्हीं भक्तद्वय - श्रेष्ठि धरणा शाह और बलिराज उदयराज ने अणहिलपुर पत्तन में जिनभद्रसूरि भाण्डागार की स्थापना सं० १४८७-८८ में की। जेसलमेर भण्डार में कागज पर लिखित दश से अधिक प्रतियाँ विद्यमान हैं जो १४८७ से १४८९ के मध्य लिखी हुई हैं, इनकी लेखन पुष्पिकाओं में 'श्री पत्तने' या 'पत्तनमध्ये 'श्रीजिनभद्रसूरीणां भाण्डागारे' अंकित है। वाडी पार्श्वनाथ मंदिर, पाटण के ज्ञान भण्डार में आज भी इन्ही के उपदेश से लिखापित पचासों ग्रन्थ विद्यमान हैं। जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार, जेसलमेर की स्थापना कब हुई, निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता, किन्तु अनुमान है कि इसकी स्थापना विक्रम संवत् १४९७ में या इसके आस-पास ही हुई होगी, क्योंकि आचार्य जिनभद्र ने ३०० प्रतिमाओं के साथ संभवनाथ मन्दिर की विक्रम सं० १४९७ में प्रतिष्ठा करवाई थी। ज्ञान भण्डार के उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही सम्भवनाथ मन्दिर निर्माण के समय पहले तलगृह का निर्माण करवाया गया होगा और प्रतिष्ठा के समय या उसी वर्ष शुभ मुहूर्त में भण्डार की स्थापना की गई होगी। इसी वर्ष १४९७ माघ सुदी ५ जिनभद्रसूरि के उपदेश से जेसलमेर में लिखापित कल्पसूत्र संदेहविषौषधि वृत्ति' की प्रति क्रमांक ४२६ पर प्राप्त है और दूसरी कागज की प्रति १४९९ की लिखित क्रमांक ७४ पर विद्यमान है। अत: इस भण्डार की स्थापना का समय १४९७ मान सकते हैं । भण्डार की स्थापना के पश्चात् उनके शिष्य परिवार और परवर्ती खरतरगच्छीय आचार्यादि इसे सर्वदा समृद्ध करते रहे। ___ माण्डवगढ़ के भण्डार का भी कोई पता नहीं चलता किन्तु पाटण के सागरगच्छ के उपाश्रय में सुरक्षित भगवती सूत्र की निम्न प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि विक्रम संवत् १५०३ में मन्त्रीमण्डन और संघपति धनराज ने जिनभद्रसूरि के उपदेश से समस्त सिद्धान्त ग्रन्थ लिखवाये थे : XXIV प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'सं० १५०३ वैशाख सुदि प्रतिपत्तिथौ रविदिने अद्येह श्रीस्तम्भतीर्थे श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनराजसूरि पट्टे श्रीजिनभद्रसूरीश्वराणामुपदेशेन श्रीश्रीमालज्ञातीय सं० माण्डण सं. धनराज भगवतीसूत्र पुस्तकं निजपुण्यार्थं लिखापितं । श्रीमालज्ञातिमण्डनेन संघेश्वर श्रीमण्डनेन सं० श्री धनराज सं० खीमराज सं० उदयराज सं० मण्डनपुत्र पूजा सं० जीजी सं० संग्राम सं० श्रीमालप्रमुखपरिवृतेन सकलसिद्धान्तपुस्तकानि लेखयांचक्राणानि श्रीः ।' उक्त आठ भंडारों में से मुख्यत: केवल एकमात्र 'जैसाणो' जेसलमेर में स्थापित जिनभद्रसूरि ज्ञान भंडार ही आज विद्यमान है। यह भंडार विश्वविश्रुत ज्ञान भंडार है। प्राचीनता एवं ४०३ ताड़पत्रीय ग्रन्थों की प्रचुरता से समृद्ध है और अन्यत्र अप्राप्त अनेक दुर्लभ ग्रन्थों / पाण्डुलिपियों से समलंकृत है। भारतीय और पाश्चात्य शोधकों ने यहाँ आ-आकर, शोधकर, पाण्डुलिपियाँ करवाकर, प्रकाशन कर, इस समृद्ध भंडार के वैशिष्ट्य / गौरव को मुक्तकण्ठ से स्वीकार किया है। श्री जिनभद्रसूरि ने हजारों ग्रन्थों की प्रतिलिपियाँ करवाकर भण्डारों में सुरक्षित रखीं, इतना ही नहीं, प्रतिलिपिकार विज्ञजन नहीं होते अतः अशुद्धि परिमार्जन हेतु स्वयं और महोपाध्याय सिद्धान्तरुचि, महोपाध्याय कमलसंयम, महोपाध्याय जयसागर, कीर्तिराजगणि आदि के साथ ग्रन्थों का पुनरीक्षण और संशोधन किया था । जेसलमेर ज्ञान भण्डार की कई प्रतियों में इसका स्पष्टत: उल्लेख है । जिनभद्रसूरि के पश्चात् यत्र-तत्र मुनिवृन्दों और आचार्य वृन्दों ने खरतरगच्छ के सैकड़ों ज्ञान भण्डार स्थापित किये। जिनमें मुख्य-मुख्य स्थानों के नाम निम्न हैं:- नेमिनाथ मन्दिर खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, अजीमगंज, जैन भवन कलकत्ता, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, खम्भात, जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार पाटण, वाडीपार्श्वनाथ मन्दिरस्थ भण्डार, पाटण, जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार, जेसलमेर, बेगड़ गच्छ ज्ञान भण्डार, जेसलमेर, थाहरुशाह ज्ञान भण्डार, जेसलमेर, आचार्यशाखा ज्ञान भण्डार, जेसलमेर, यतिवर्य श्री वृद्धिचन्दजी ज्ञान भण्डार, जेसलमेर, जिनदत्तसूरि ज्ञान भण्डार, गढ़सिवाना, केसरियानाथ ज्ञान भण्डार, जोधपुर, जिनयशसूरि ज्ञान भण्डार, जोधपुर, चाणोद गुरांसा संग्रह, जोधपुर, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, फलौधी, भावहर्षसूरि ज्ञान भण्डार, बालोतरा, यति माणकचन्दजी संग्रह, बालोतरा, आद्यपक्षीय ज्ञान भण्डार, पाली, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, पाली, यति नेमिचन्दजी संग्रह, बाड़मेर, हालासंघ ज्ञान भण्डार, ब्यावर, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, जयपुर, शिवजीराम ज्ञान भण्डार, जयपुर, प्र. पुण्यश्रीजी संग्रह, जयपुर, जिनरङ्गसूरि ज्ञान भण्डार, जयपुर, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार झुंझणू, अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर, महोपाध्याय क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, महोपाध्याय रामलालजी संग्रह, बीकानेर, जिनकृपाचन्द्रसूरि संग्रह, बीकानेर, उपाध्याय जयचन्दजी संग्रह, बीकानेर, महोपाध्याय समीरमलजी संग्रह भीनासर, श्रीपूज्य जिनचारित्रसूरि संग्रह, बीकानेर, मोतीचन्दजी खजांची संग्रह, बीकानेर, बोरो की शेरी का उपाश्रय, बीकानेर, खरतरगच्छ आचार्यशाखा का भण्डार, बीकानेर, बड़ा ज्ञान भण्डार, बीकानेर। इस भण्डार में ९ ज्ञान भण्डार सम्मिलित हैं उनके नाम इस प्रकार हैं: प्राक्कथन For Personal & Private Use Only XXV Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महिमाभक्ति भण्डार, दानसागर भण्डार, वर्द्धमान भण्डार, अभयसिंह भण्डार, जिनहर्षसूरि भण्डार, अबीरजी भण्डार, भुवनभक्ति भण्डार, रामचन्द्र भण्डार और महरचन्द भण्डार । यति विष्णुदयालजी संग्रह, फतेहपुर, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार उज्जैन, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, कोटा, जिनकृपाचन्द्रसूरि ज्ञान भण्डार, इन्दौर, जिनहरिसागरसूरि ज्ञान भण्डार, पालीताणा, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, माण्डवी, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, भुज, खरतरगच्छ ज्ञान भण्डार, अञ्जार, जिनदत्तसूरि ज्ञान भण्डार, बम्बई, जिनदत्तसूरि ज्ञान भण्डार, सूरत आदि। उक्त भण्डारों में से थाहरुशाह ज्ञान भण्डार, आचार्यशाखा ज्ञान भण्डार और बेगड़ गच्छ ज्ञान भण्डार- ये तीनों ही जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार, जेसलमेर में संग्रहित कर दिये गये है। यति वृद्धिचन्दजी का संग्रह मुनिराज श्री पुण्यविजयजी को समर्पित कर दिया था अतः वह भण्डार हेमचन्द्रसूरि ज्ञान भण्डार, पाटण में सुरक्षित है। श्रीपूज्य जिनचारित्रसूरि संग्रह, उपाध्याय श्री जयचन्दजी संग्रह, महोपाध्याय श्री समीरमलजी संग्रह, श्रीमोतीचन्दजी खजांची संग्रह ये भण्डार राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर शाखा को भेंट स्वरूप प्रदान कर दिये गये। इन ज्ञान भण्डारों मे से कई भण्डार विलुप्त हो चुके हैं। कई भण्डार अर्थ लोलुपियों के कारण कबाड़ियों के हाथों मे चले गये हैं। हमारी भाषा, लिपि और साहित्य के प्रति अज्ञता के कारण जलशरण किये जा चुके हैं और हमारी मूर्खता के कारण कई बण्डल जला भी दिये हैं। कार्तिक शुक्ला ज्ञान पंचमी का महत्त्व इन ग्रन्थों को धूप-दीप देने मात्र का रह गया है। ग्रन्थों के सजावट के साथ खिलौनों की सजावट हमारी मानसिकता की द्योतक है। हमारे लिए यह आवश्यक है कि जो कुछ भी सुरक्षित रह गया है ज्ञान पूर्वक, श्रद्धा पूर्वक, संजोकर के रखें तभी उन पूर्वाचार्यों की मनोकामना सफल होगी। मन्दिर-निर्माण अध्यात्मयोगी श्री देवचन्दजी ने इस कलियुग में भव्यजनों के उद्धार के लिए आगम के साथ जिनपडिमा सुखकंदो रे कहकर जिनप्रतिमा को आधारभूत माना है। भक्ति एवं श्रद्धा का केन्द्र जिनप्रतिमा ही है। हमारी गफलत से आततायियों द्वारा मंदिरों एवं प्राचीन कला-संस्कृति का जो ध्वंस किया गया था उस कला-संस्कृति को पुनरुज्जीवित करने के लिए खरतरगच्छ के आचार्यों ने सैकड़ों नव-मंदिरों का निर्माण करवाया, जीर्णोद्धार करवाये और एक साथ सैकड़ों नहीं, हजारों जिन-मूर्तियों की प्रतिष्ठा भी करवाई। दादा जिनकुशलसूरि ने शत्रुञ्जय मानतुंग विहार की प्रतिष्ठा के समय ५०० से अधिक मूर्तियों की और जिनभद्रसूरि आदि ने जेसलमेर प्रतिष्ठा के समय हजारों जिनमूर्तियों की एक साथ प्रतिष्ठा करवाई थी। जिनवर्द्धनसूरि द्वारा जेसलमेर, करेड़ा और देलवाड़ा के मन्दिर, कीर्तिरत्नसूरि स्थापित नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठत बीकानेर, अहमदाबाद, पाटण आदि, और जिनराजसूरि द्वितीय द्वारा स्थापित चौमुख जी की ट्रॅक, शत्रुञ्जय, लौद्रवा और मेड़ता आदि XXVI प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के मन्दिरों की गणना की जा सकती है। आचार्यगण मंदिरों के उद्धार, नवीन-निर्माण और संरक्षण इन तीनों दृष्टियों को साथ लेकर चलते थे। भारत के प्रत्येक प्रदेश में इनके द्वारा प्रतिष्ठापित एवं रक्षित तीर्थस्थल पाये जाते हैं। श्री वर्धमानसूरि द्वारा आबू की विमलवसही, श्री अभयदेवसूरि द्वारा स्थापित स्तम्भन पार्श्वनाथ तीर्थ, श्री जिनवल्लभसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित चित्तौड़, नागौर, मरुकोट्ट के मंदिर, युगप्रधान श्री जिनदत्तसूरि द्वारा प्रतिष्ठित अजमेर, कन्यानयन, विक्रमपुर, नरहड़ आदि के मंदिर, श्री जिनपतिसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित स्वर्णगिरि, खेटक आदि के और भी जिनकुशलसूरि स्थापित शत्रुञ्जय में मानतुंग विहार, पाटण, सिंध के देवराजपुर, उच्चानगर, हाला आदि, भुवनहिताचार्य द्वारा राजगृह, आदि स्थानों में मंदिर स्थापित करने और प्रतिष्ठापित करने के उल्लेख मिलते ही हैं। बिहार/बंगाल प्रदेश में सम्मेतशिखर, पावापुरी, राजगृह, चम्पापुरी, अजीमगंज, मिथिला, जौनुपर, क्षत्रियकुण्ड, कलकत्ता आदि, हिमाचल प्रदेश में नगरकोट (कांगड़ा), पंजाब में लाहोर, उत्तर प्रदेश में लखनऊ, कंपिलपुर, हस्तिनापुर, राजस्थान में जेसलमेर, लौद्रवा, अमरसागर, बाड़मेर, नाकोड़ा पार्श्वनाथ, कापरड़ा, करेड़ा, जोधपुर, बीकानेर, जयपुर, त्रिभुवनगिरि, नागोर, चूरु, उदयपुर, देलवाड़ा, आबू-खरतरवसही, सौराष्ट्र में शत्रुञ्जय - मानतुंग विहार, खरतरवसही, सेठ मोतीशाह का मंदिर, तलेटी मंदिर, गिरनार तीर्थ की खरतरवसही आदि, गुजरात में पाटण - वाड़ी पार्श्वनाथ, खेतरवाड़ा जो कि खरतरपाटक का ही अपभ्रंश प्रतीत होता है, अहमदाबाद में सोमजी शिवाजी रायपुर, नागपुर आदि स्थानों पर खरतरगच्छ के समृद्ध श्रावकों द्वारा मंदिरों का निर्माण हुआ था और वे खरतरगच्छ के आचार्यों द्वारा प्रतिष्ठापित थे। इस प्रकार देखा जाए तो भारत के प्रमुख-प्रमुख तीर्थ खरतरगच्छ के आचार्यों द्वारा प्रतिष्ठापित थे और व्यवस्था भी इसी गच्छ के श्रावकों द्वारा होती थी। आज वर्तमान में इन तीर्थों की व्यवस्था और रक्षा चाहे किसी के हाथों में हो किन्तु पूर्व में तो ये खरतरगच्छ द्वारा ही प्रतिष्ठित और संरक्षित थे। विधिचैत्य - श्री जिनवल्लभसूरि ने जिनेश्वरसूरि की मान्यताओं का प्रचण्ड वेग के साथ समर्थन ही नहीं किया अपितु निषेध के साथ शासत्रविहित विधि का भी प्रखरता के साथ प्रचार किया। जिनवल्लभसूरि की विधि सम्मत आचार्य व्यवस्था के कारण ही उनके अनुयायी विधि पक्ष के नाम से सम्बोधित किए जाने लगे। जैन परम्परा के प्रमुखतः समस्त क्रिया विधा भगवद् मूर्ति के समक्ष मन्दिरों में ही होते है। मन्दिर और मूर्तियाँ ही विधि सम्मत न होकर परम्पराओं के अखाड़े हों तो स्वाभाविक है कि नवीन मन्दिरों का निर्माण करवाया जाए। जिनवल्लभसूरि के समय से ये मन्दिर भी विधिचैत्य के नाम से सम्बोधित होने लगे। प्रतिष्ठित मन्दिरों और मूर्तियों में भी 'विधि' शब्द का उल्लेख होने लगा। उदाहरण के तौर पर - (मेरे द्वारा सम्पादित खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रह के) लेखाङ्क १ - 'विधि चैत्य' प्राक्कथन XXVII For Personal & Private Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (श्लोक ६५ एवं ७५), लेखाङ्क ३ - सम्वत् ११७६ के लेख में 'वीरचैत्यविधौ', लेखाङ्क २० 'महावीरविधिचैत्य - जावालीपुरे श्रीमहावीरविधिचैत्य', लेखाङ्क ३५ - 'विधिचैत्य', लेखाङ्क ३८ - 'प्रह्लादनपुरे श्रीयुगादिदेवविधिचैत्य', लेखाङ्क ४२-४३ - 'युगादिदेवविधिचैत्य', इस लेख में खरतरगच्छीय संघ को भी 'विधि संघ' शब्द से अभिहित किया है। लेखाङ्क ४६ - 'श्री जैसलमेरुपार्श्वनाथविधिचैत्य' और 'श्रीपत्तने शान्तिनाथविधिचैत्य', लेखाङ्क ४७ - 'श्रीपत्तने श्रीशान्तिनाथविधिचैत्य', लेखाङ्क५४,५५,५६,६६,६७,७९ और ८० में श्रीपत्तने शान्तिनाथविधिचेत्य' का उल्लेखनीय प्रयोग प्राप्त होता है। विधिचैत्य का प्रयोग १२वीं शताब्दी सं प्रारम्भ होकर १४वीं शताब्दी तक तो चला ही है किन्तु १७वीं शताब्दी में भी इस शब्द के कहीं-कहीं उल्लेख प्राप्त होते हैं। जैसे - लेखाङ्क ११९४ और १२०५ में अहमदाबाद और पाटण के लेखों में 'शान्तिवीरविधिचैत्य' तथा लेखाङ्क ११९५, ११९७, ११९८ में 'शान्तिनाथविधिचैत्य' अहमदाबाद के उल्लेख प्राप्त होते हैं। उल्लेखनीय है कि श्री विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा में सुरक्षित १४वीं शताब्दी के अन्तिम चरण अथवा १५वीं शताब्दी के प्रथम चरण में लिखित स्वाध्याय पुस्तिका में दो पद्यो द्वारा विभिन्न नगरों में स्थापित विधिचैत्य में विराजमान मूलनायक के नमस्कार किया गया है: श्रीमालाख्यपुरे सुशर्म नगरे स्वर्णाचले पत्तने शान्ति-पार्श्व जिनश्च जेसलपुरे माण्डव्यपुर्यादिषु । श्रीजावालिपुरे च विक्रमपुरे श्रीभीमपल्लयां महावीरो लाटहृदे च मण्डलकरे ऽवन्त्यां च कन्यानके॥१॥ श्रीनाभेयजिनश्च वाग्भट पुरे श्री चित्रकूटे तथा श्रीविद्युत्पुर-शान्तिनादिपुरयो श्रीवासुपूज्याजितौ। गिंधिन्या च सुपार्श्वराट् शशिपतिः प्रह्लादने पत्तने चोञ्चायां विधिचैत्यसंस्थितिकृतस्तीर्थेश्वरान् संस्तुवे॥२॥ दादावाड़ियाँ - खरतरगच्छ में चारों दादागुरुदेव - युगप्रधान जिनदत्तसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, प्रगट प्रभावी जिनकुशलसूरि और युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि - की मान्यता अभूत पूर्व रही है। श्रद्धा भक्ति के साथ इनकी नित्य निमित्त पूजन अर्चना होती है और मनोभिलाषा की पूर्ति भी होती है। इन दादागुरुदेवों का क्रमशः स्वर्गस्थल निम्न हैं :- १. अजमेर २. दिल्ली ३. देराउर (जो अब पाकिस्तान में है) ४. बिलाड़ा। जिनकुशलसूरिजी के दर्शन देने के स्थान मालपुरा, नाल और ब्रह्मसर है। इन गुरुदेवों की उपासना न केवल खरतरगच्छ वाले ही करते हैं अपितु जैन और जैनेतर भी श्रद्धा के साथ करते है। दादाबाड़ियों की स्थापना का प्रारम्भ विक्रम संवत् १२२१ में ही प्रारम्भ हो गया था। मणिधारी जिनचन्द्रसूरि ने अजमेर में श्री जिनदत्तसूरि जी के स्मारक स्तूप की प्रतिष्ठा करवाई थी। इस XXVIII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तूप का जीर्णोद्धार विक्रम संवत् १२३५ में जिनपतिसूरि ने करवाया। तभी से इन गुरुदेवों की स्थापना निरन्तर और अविच्छिन्न रूप से होती रही है। पूर्व में इन दादाबाड़ियों में थुम्भ/स्तूप के रूप में प्रतिष्ठा होती थी। परवर्ती काल में चरणों और मूर्तियों की स्थापना होती रही है। भारत वर्ष के कोने-कोने में इनकी दादाबाड़ियाँ विद्यमान हैं। अनुमानतः इनकी संख्या १४००-१५०० के लगभग है। खरतरगच्छाचार्यों द्वारा मूर्तियों एवं दादागुरुदेवों के मूर्ति-चरणों के प्रतिष्ठा लेख हजारों की संख्या में प्राप्त होते हैं। गाँवों-गाँवों मे घूमकर खरतरगच्छीय प्रतिष्ठा लेखों का संकलन किया जाए तो उनके लेख १०,००० से कम नहीं होंगे। मैंने पूर्व विद्वानों द्वारा प्रकाशित लेखों का संकलन कर खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रह के नाम से प्रकाशित किया है जिसमें २७६० लेख हैं। आशा करता हूँ भविष्य में कोई समर्पित विद्वान् इस कार्य को सम्पन्न करेगा। राजाओं से सम्बन्ध __शास्त्रों में विशिष्ट व्यक्तित्व एवं गुणधारक आचार्यों को प्रभावक शब्द से संबोधित किया गया है। प्रभावक आचार्य आठ प्रकार के बतलाए गये हैं:- प्रावचनिक, धर्मकथा प्ररूपक, वादी, नैमित्तिक, तपस्वी, विद्याधारक, सिद्धिधारक और कवि। शासन प्रभावक आचार्य उपरोक्त किसी भी गुणसिद्धि को प्रमुखता देते हुए शासन की रक्षा के लिए, शासन के उत्कर्ष के लिए, शासन की प्रभावना के लिए प्रयोग करते हैं। किसी भी देश के राजा को अपने धर्म का अनुयायी बनाकर शासन प्रभावना इनका मुख्य लक्ष्य रहता है। किसी को पूर्णत: अपना अनुयायी बना लेना, किसी के साथ गाढ़ मधुर सम्बन्ध रखते हुए उनको प्रभावित कर तीर्थों और संघों के उपद्रवों को दूर करना, फरमान प्राप्त करना और किसी के साथ सामञ्जस्य स्थापित करते हुए अपने समाज को सुरक्षित रखना। 'यथा राजा तथा प्रजा' के न्याय के अनसार प्रजा राजा का ही अनुकरण करती है और राजा द्वारा स्वीकृत या सम्मानित धर्म ही प्रजा का धर्म हो जाता है। अत: यह आवश्यक होता है कि अपने व्यक्तित्व, कृतित्व और चमत्कारिकता से किसी भी नरेश को प्रतिबोध देकर धार्मिक कार्य कराये जाएं। पूर्वपरम्परा का अनुसरण करते हुए खरतरगच्छाचार्यों ने भी इस ओर पहल की और न केवल गच्छ के अभ्युदय को अपितु शासन के अभ्युदय को भी प्रखरता से बढ़ाया। इतिहास में इस सम्बन्ध में जो भी उल्लेख मिलते हैं उनमें से कतिपय उल्लेख निम्न हैं: ___पाटण के दुर्लभराज चौलुक्य - श्री वर्धमान सूरि के शिष्य श्री जिनेश्वर सूरि ने अणहिल्ल पत्तन में गुर्जरेश्वर दुर्लभराज की सभा में चैत्यवासियों के साथ शास्त्रार्थ कर, उनको पराजित कर खरतरविरुद प्राप्त किया। महाराजा दुर्लभराज इनको बड़ी सम्मान की दृष्टि से देखते थे। धारा एवं चित्तोड़ नरेश नरवर्म - श्री जिनवल्लभसूरि (सर्ग सं० ११६७) जब चित्तोड़ में थे तब, धाराधीश नरवर्म की सभा में दो दक्षिणी पण्डितों ने 'कण्ठे कुठार: कमठे ठकारः' यह समस्यापद रखा। स्थानीय विद्वानों व राज पण्डितों की समस्यापूर्ति से असन्तुष्ट होकर, कवि जिनवल्लभ का नाम प्राक्कथन XXIX For Personal & Private Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुनकर द्रुतगति से अपने विशिष्ट अनुचरों को भेजकर उनने यह समस्या पूर्ति करवाई। महाराजा नरवर्म सन्तुष्ट हुए। अष्टसप्तति के अनुसार महाराजा नरवर्म चित्तोड़ के भी अधिपति थे। जिनवल्लभसूरि द्वारा नवनिर्मापित विधि चैत्यों में आकर भक्ति पूर्वक वन्दना की ओर भेंट भी की। नरवर्म जिनवल्लभसूरि के प्रमुख भक्त थे। __ अजमेर के अर्णोराज चौहान - युगप्रधान जिनदत्तसूरि के परम भक्त थे और उनके उपदेशों से प्रभावित होकर जिनमंदिर व उपाश्रयों के लिए यथेच्छ भूमि प्रदान की थी। त्रिभुवनगिरि का राजा कुमारपाल - युगप्रधान श्री जिनदत्तसूरिजी ने त्रिभुवनगिरि (तिहुणगढ़) पधार कर वहां के महाराजा कुमारपाल को प्रतिबोध दिया। श्रीशान्तिनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा की और उधर के प्रदेश में प्रचुरता के साथ अपने शिष्यों को विहार कराया। तेरहवीं शताब्दी में चित्रित काष्ठपट्टिका में जिनदत्तसूरि के साथ महाराजा कुमारपाल को भी दिखाया गया है। दिल्ली के महाराजा मदनपाल - सं० १२२३ में श्री जिनदत्तसूरिजी के शिष्य मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरिजी दिल्ली के निकटवर्ती ग्राम में पधारे। जिनदत्तसूरि द्वारा निषेधाज्ञा होने पर भी महाराजा के विशेष अनुरोध से जिनचन्द्रसूरि दिल्ली पधारे। बड़े भारी समारोह से उनका प्रवेशोत्सव हुआ। महाराजा मदनपाल (अनङ्गपाल) स्वयं सूरिजी का हाथ पकड़े हुए उनकी पेशवाई में चल रहा था। राजा की प्रार्थना से उन्होंने वहीं चातुर्मास किया पर दुर्भायवश उनका वहीं स्वर्गवास हो गया। आशिका नरेश भीमसिंह - श्री जिनपतिसूरिजी सं० १२२८ में आशिका नरेश के विशेष अनुरोध को ध्यान में रखकर आशिका पधारे। भूपति भीमसिंह के हाथ पूर्वोक्त दिल्ली के प्रवेश की भांति आशिका में प्रवेशोत्सव हुआ। सूरिजी ने स्थानीय दिगम्बराचार्य के साथ शास्त्रार्थ किया और उसमें सूरिजी की विजय हुई। इससे आशिका नरेश बहुत प्रसन्न होकर सूरिजी के प्रति श्रद्धालु बना। पुनः सं० १२३२ में मंदिर की प्रतिष्ठा करने हेतु सूरिजी आशिका पधरि । अजमेर का महाराजा पृथ्वीराज चौहान - श्री जिनपतिसूरिजी सं० १२३९ में अजमेर पधारे। राजसभा में चैत्यवासी उपकेशगच्छीय पं० पद्मप्रभ के साथ उनका शास्त्रार्थ हुआ, जिसमें सूरिजी की विजय हुई और पृथ्वीराज चौहान ने स्वयं उपाश्रय आकर जयपत्र आचार्य को भेंट किया। अणहिल्लपुर ( पाटण) का राजा भीमदेव - सं० १२४४ में अणहिल्लपुर का कोट्याधिपति श्रावक अभयकुमार तीर्थयात्रा के हेतु संघ निकालने की इच्छा से महाराजाधिराज भीमदेव और प्रधान मंत्र जगदेव पड़िहार के पास गया और उनसे अर्ज कर स्वयं राजा के हाथ से लिखवा कर अजमेर भेजा । सूरिजी ने निमंत्रण पाकर अजमेरी संघ के साथ विहार कर दिया। तीर्थयात्रा के अनन्तर वापस लौटते हुए सूरिजी आशापल्ली पधारे। लवणखेडा का राणा केल्हण - सं० १२५१ में राणा केल्हण के आग्रह से आचार्य XXX प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जिनपतिसूरि लवणखेटक पधारे। वहाँ 'दक्षिणावर्त आरात्रिकावतारणोत्सव' बड़ी धूमधाम से मनाया। नगरकोट का राजा पृथ्वीचन्द्र - सं० १२७३ में (बृहद्वार) में गंगादशहरे पर गंगा-स्नानके लिये बहुत से राणाओं के साथ महाराजाधिराज श्रीपृथ्वीचंद्र नगरकोट से आया। उसके साथ पं० मनोदानन्द नामक एक काश्मीरी पण्डित भी था। उसने श्री जिनपतिसूरि के उपाश्रय पर शास्त्रार्थ के चैलञ्ज का नोटिश लगा दिया। तब सूरिजी के शिष्य जिनपालोपाध्याय आदि शास्त्रार्थ के लिये महाराजा पृथ्वीचन्द्र की सभा में आये, और वाद-विवाद में उक्त पण्डित को परास्त कर दिया। महाराजा ने पण्डित के चैलेञ्ज को फाड़ कर उपाध्यायजी को जयपत्र दिया। पालनपुर का राजकुमार जगसिंह - सं० १२८८ में पालनपुर के सेठ भुवनपाल ने, राजकुमार जगसिंह की उपस्थिति में ध्वजारोपण का उत्सव बड़े समारोह से मनाया। जावालिपुर का राजा उदयसिंह - सं० १३१० वैशाखा-सुदि १३ शनिवार स्वाति नक्षत्र के दिन, श्रीमहावीर विधिचैत्य में, राजा व प्रधान पुरुषों की उपस्थिति में राजमान्य महामन्त्री जैत्रसिंह के तत्त्वावधान में, पालनपुर, वागड़देश आदि के श्रावकों के एकत्र होने पर श्री चौवीस जिनालय आदि की प्रतिष्ठा, दीक्षादि महामहोत्सव पूर्वक हुई। सं० १३१४ में माघ सुदि १३ को राजा उदयसिंह के प्रमोदपूर्ण सान्निध्य से कनकगिरि के मुख्य मंदिर पर ध्वजारोपण हुआ। स्वर्णगिरिका चाचिगदेव- सं० १३१६ में माघ सुदि६ को, राजा चाचिगदेव के राज्यत्वकाल में स्वर्णगिरि के शान्तिनाथ मंदिर पर स्वर्णमय ध्वजदंड व कलश स्थापित किये गये। भीमपल्ली का राजा माण्डलिक - सं० १३१७ वैशाख सुदि १० सोमवार को, भीमपल्ली में राजा माण्डलिक के राज्यत्वकाल में दण्डनायक श्रीमीलगण (?) के सान्निध्य में महावीर जिनालय पर स्वर्णदण्ड-कलशादि चढाये गये। चित्तोड़ का महाराजा समरसिंह - सं० १३३५ फाल्गुन वदि ५ को, महाराजा समरसिंह के रामराज्य में चित्तोड़ के चौरासी मुहल्ले में जलयात्रा पूर्वक स्थानीय ११ मंदिरों के ११ छत्र व मुनिसुव्रत, आदिनाथ, अजितनाथ, वासुपूज्य प्रभु की प्रतिमाएं स्थापित की गईं। चित्तोड़ के युवराज अरिसिंह - सं० १३३५ फाल्गुन शुक्ल ५ को, सकल राज्यधुरा को धारण करने वाले राजकुमार अरिसिंह के सान्निध्य से आदिनाथ मंदिर पर ध्वजारोप हुआ। बीजापुर नरेश सारङ्गदेव - सं० १३३७ ज्येष्ठ कृष्णा ४ शुक्रवार को महाराजाधिराज सारङ्गदेव के रामराज्य में, महामात्य मल्लदेव व उपमंत्री विन्ध्यादित्य के कार्यकाल में, बीजापुर में श्रीजिनप्रबोधसूरिजी का नगर प्रवेश बड़े समारोह से हुआ। विन्ध्यादित्य सूरिजी की स्तुति करता था। शम्यानयन (सिवाना) का राजा श्रीसोम - सं०. १३४० में श्रीजिनप्रबोधसूरिजी ने सन्मुख आये हुए श्रीसोम महाराजा की वीनति स्वीकार कर शम्यानयन में चातुर्मास किया। प्राक्कथन XXXI For Personal & Private Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जेसलमेर नरेश कर्णदेव - सं० १३४० में फाल्गुन में श्रीजिनप्रबोधसूरिजी जेसलमेर पधारे। नगर प्रवेश बड़े समारोह से हुआ। राजा कर्ण ससैन्य दर्शनार्थ सामने आया। महाराजा के आग्रह से चातुर्मास भी उन्होंने वहीं किया। जावालिपुर का राजा सामन्तसिंह - सं० १३४२ ज्येष्ठ कृष्णा ९ को, जालोर में महाराजा सामन्तसिंह के सान्निध्य मे अनेक जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा और इन्द्रमहोत्सव सम्पन्न हुआ। शम्यानयन का महाराजा सोमेश्वर चौहान - सं० १३४६ फाल्गुन शुक्ला ८ को, महाराजा सोमेश्वरकारित विस्तृत प्रवेशोत्सव से श्रीजिनचन्द्रसूरिजी शम्यानयन पधारे। सा० बाहड, भां० भीमा, जगसिंह, खेतसिंह सुश्रावकों के बनवाए हुए प्रासाद में उन्होंने शान्तिनाथ प्रभु की स्थापना की। जेसलमेर नरेश जैत्रसिंह - सं० १३५६ में राजाधिराज जैत्रसिंह की प्रार्थना को मान दे कर, श्रीजिनचन्द्रसूरिजी, मार्गशीर्ष शुक्ला ४ को जेसलमेर पधारे। पूज्यश्री के स्वागतार्थ महाराजा ८ कोष सम्मुख गये। सं० १३५७ मार्गशीर्ष कृष्णा ९ को, महाराजा जैत्रसिंह के भेजे हुए वाजित्रों की ध्वनि के साथ मालारोपण व दीक्षा महोत्सव सम्पन्न हुआ। शम्यानयन नरेश शीतलदेव - सं० १३६० में महाराजा शीतलदेव की वीनति और मन्त्री नाणचन्द्र आदि की अभ्यर्थना से श्रीजिनचन्द्रसूरिजी शम्यानयन पधारे और शान्तिनाथ भगवान के दर्शन किये। सुलतान कुतुबुद्दीन - सं० १३७४ में, मन्त्रीदलीय ठक्कुर अचलसिंह ने बादशाह कुतुबुद्दीन से सर्वत्र निर्विघ्नतया यात्रा करने के लिये फरमान प्राप्त कर नागौर से संघ निकाला। मारवाड़ और वागड़ देश के नाना नगरों को पार कर, संघ दिल्ली पहुँचा। श्रीजिनचन्द्रसूरिजी ने दिल्ली की खण्डासराय में चातुर्मास किया। पश्चात् सुलतान व संघ के कथन से प्राचीन तीर्थस्थान मथुरा यात्रा करने पधारे। मेड़ता का राणा मालदेव चौहान - सं० १३७६ में राणा मालदेव की प्रार्थना से श्रीजिनचन्द्रसूरिजी मेड़ता पधारे और वहाँ राणा व संघ की प्रार्थना से २४ दिन ठहरे। दिल्लीपति गयासुद्दीन बादशाह - सं० १३८० में दिल्लीनिवासी सेठ रयपति के पुत्र सा० धर्मसिंह ने प्रधानमन्त्री नेब साहब की सहायता से सम्राट गयासउद्दीन द्वारा तीर्थयात्रा का फरमान निकलवाया, और श्रीजिनकुशलसूरिजी के नेतृत्व में शत्रुञ्जयादि तीर्थों का संघ निकाला। सं० १३८१ में भीमपल्ली के सेठ वीरदेव ने भी सम्राट से तीर्थयात्रा का फरमान प्राप्त कर श्रीजिनकुशलसूरिजी के उपदेश से शत्रुञ्जयादि तीर्थों के लिये संघ निकाला। सौराष्ट्रनरेश महीपालदेव - सं० १३८० में शत्रुञ्जय यात्रा के प्रसंग में सेठ मोखदेव को, सौराष्ट्रमहीमण्डनभूपाल महीपाल देव को दूसरी देह सदृश अर्थात् अत्यन्त प्रभावशाली लिखा है। बाहडमेर नरेश राणा शिखरसिंह - सं० १३९१ में श्रीजिनपद्मसूरिजी वाग्भटमेरु पधारे। उस समय चौहानकुलप्रदीप राणा शिखरसिंह, राजपुरुष व नागरिकजनों के साथ सूरिजी के सन्मुख XXXII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गये और महोत्सवपूर्वक उनका नगरप्रवेश कराया। सांचोर( सत्यपुर ) का राणा हरिपालदेव - सं० १३९१ में श्रीजिनपद्मसूरिजी बाहड़मेर से सत्यपुर पधारे उस समय राणा हरिपालदेव आदि उनके स्वागतार्थ सन्मुख गये। आशोटा का राजा उदयसिंह - सं० १३९३ में पाटण से नारउद्र होते हुए श्रीजिनपद्मसूरिजी आशोटा पधारे। उस समय वहाँ का राजा रुद्रनन्दन, राज० गोधा सामन्तसिंहादि के साथ स्वागतार्थ पूज्यश्री के सन्मुख आया। बूजद्री का राजा उदयसिंह - सं० १३९३ में श्रीजिनपद्मसूरिजी बूजद्री पधारे। वहाँ सुश्रावक मोखदेव ने राजा उदयसिंह एवं समस्त नागरिकों के साथ सूरिजी का बड़े समारोह से नगर प्रवेश कराया। इसके बाद अन्यत्र विहार करके सूरिजी फिर वहाँ पधारे तब भी राजा उदयसिंह प्रवेशोत्सव में सम्मिलित हुआ था। __ त्रिशृङ्गम नरेश रामदेव - सं० १३९३ में, जिनपद्मसूरिजी त्रिशृङ्गम पधारे । मन्त्रीश्वर सांगण के पुत्र मण्डलिकादिक ने, महाराजा महीपाल के अंगज महाराजा रामदेव की आज्ञा से राजकीय वाजित्रों के साथ बड़े समारोहपूर्वक प्रवेशोत्सव किया। सूरिजी को संघ के साथ चैत्यपरिपाटी करते समय उनकी प्रशंसा सुन कर महाराजा के चित्त में उनके दर्शन की उत्कण्ठा जागृत हुई। महाराजा के अनुरोध पर सूरिजी राजसभा में पधारे। ___ नृपति ने उन्हें आते देख कर, राजसिंहासन से नीचे उतर कर, उनकी चरणवन्दना की। पूज्यश्री आशीर्वाद दे कर चौकी पर विराजे । महाराजा सारङ्गदेव के व्यास ने अपनी रचना पढ कर सुनाई, जिसमें श्री लब्धिनिधान उपाध्यायजी ने कई त्रुटियां बतलाईं । महाराजा रामदेव कहने लगे - 'उपाध्यायजी का वचनचातुर्य और शास्त्रीय ज्ञान असाधारण है । इन्होंने तो हमारे व्यासजी की त्रुटियाँ बतलाई।' इसी प्रकार अन्य सभासदों ने उपाध्यायजी की भूरि-भूरि प्रशंसा की। ____ महामन्त्री वस्तुपाल का उल्लेख - सं० १२८९ में श्री जिनेश्वरसूरिजी के खम्भात पधारने पर महामात्य वस्तुपाल ने बड़े समारोह से उनका नगर प्रवेशोत्सव किया था। गुर्वावली में श्रीजिनकुशलसूरिजी के खम्भात पधारने पर भी इस उत्सव की याद दिलाई गई है। सुल्तान कुतुबुद्दीन - जिनप्रभसूरि के गुणों पर वह मुग्ध था। अट्ठाही, अष्टमी, चतुर्दशी को सम्राट आपको सभा में आमंत्रित किया करता था। सम्राट मोहम्मद तुगलक - जिनप्रभसूरि ने अपने वैदुष्य और चमत्कारों से मोहम्मद तुगलक को प्रभावित किया। सं० १३८५ में राजकीय सम्मान से दिल्ली में प्रवेश किया। सम्राट के सम्पर्क में रहने लगे। सम्राट से कई फरमान प्राप्त किए। विशेष परिचय के लिए देखें:- (महोपाध्याय विनयसागर द्वारा लिखित शासन प्रभावक आचार्य जिनप्रभ और उनका साहित्य) जेसलमेर का महारावल लक्ष्मण - जिनवर्द्धनसूरि के ये परम भक्त थे। और इन्हीं की प्राक्कथन XXXII For Personal & Private Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपस्थिति में जेसलमेर के पार्श्वनाथ मंदिर की १४६९ में प्रतिष्ठा हुई थी। प्रशस्तियों में इस मंदिर का नाम ही लक्ष्मणविहार प्राप्त होता है। __ महारावल वैरीसिंह - जेसलमेर शिलालेख प्रशस्ति (खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रह लेखाङ्क २८८) के अनुसार महारावल वैरीसिंह और त्र्यम्बकदास आदि आचार्य जिनभद्रसूरि के चरणों में नित्य प्रणाम करते थे। ___ बादशाह सिकन्दर लोदी - जिनहंससूरि ने संवत् १५५६ में इनको चमत्कार दिखाकर ५०० बन्दीजनों को कैद से छुड़वाया था और अमारी की घोषणा करवाई थी। ___ सम्राट अकबर - विक्रम सं० १६४८ में सम्राट अकबर के अनुरोध पर जिनचन्द्रसूरि लाहौर पधारे। उनकी धर्मदेशना अकबर नित्य सुनता था और उनको बड़े गुरु के नाम से पुकारता था। आचार्य के उपदेश से जैन तीर्थों और मंदिरों की रक्षा हेतु सम्राट से फरमान प्राप्त किया था। आषाढ़ शुक्ला नवमी से पूर्णिमा तक १२ सूबों में जीवों को अभयदान देने के लिए फरमान पत्र भी प्राप्त किए थे। काश्मीर प्रवास के समय सम्राट के अनुरोध पर आचार्य ने महिमसिंह को भी साथ भेजा था। १६४९ में बड़े महोत्सव के साथ आचार्य जिनचन्द्रसूरि को युगप्रधान, महिमसिंह को आचार्य पद और समयसुन्दर और गुणविनय को वाचनाचार्य पद सम्राट ने अपने ही हाथों से दिया था। इस महोत्सव के प्रसंग पर मन्त्री कर्मचन्द्र बच्छावत ने १ करोड़ रूपये खर्च किए थे। मन्त्री कर्मचन्द्र, बीकानेर नरेश महाराज रायसिंह और सम्राट अकबर के पूर्ण प्रीतिपात्र थे। कर्मचन्द्र के सुकृत्यों का वर्णन महोपाध्याय जयसोम ने कर्मचन्द्र वंश प्रबन्ध में किया है। सम्राट जहांगीर - युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि का भक्त था। सम्राट जहांगीर ने ही वाचनाचार्य गुणविनयोपाध्याय को कविराज पद से अलंकृत किया था। नगरकोट के महाराजा - महोपाध्याय जयसागर जी के उपदेश से प्रतिबुद्ध हुए थे। जेसलमेर का राजवंश - महारावल लक्षमणदेव से प्रारम्भ कर उनकी वंश परम्परा खरतरगच्छ, बेगड़गच्छ की परम भक्त रही है। हर प्रतिष्ठा आदि विशेष कार्यों में इस वंश के महारावल सम्मिलित होते थे और राज्योचित सहयोग प्रदान करते रहे। बीकानेर का राजवंश - महाराजा रायसिंहजी और उनके वंशज खरतरगच्छ एवं आचार्यशाखा के आचार्यों को अत्यन्त सम्मान की दृष्टि से देखते थे। उनके पद-प्रतिष्ठादि अवसरों पर राजकीय निशान आदि भी प्रदान करते थे। युगप्रधान जिनचन्द्रसूरिजी से लेकर जिनचारित्रसूरिजी तक इस वंश का सम्बन्ध घनिष्ठतर रहा। जोधपुर का राजवंश - इस वंश के राजागण भी खरतरगच्छ के आचार्यों को परम आदरणीय मानकर उनके प्रत्येक कार्यों में भाग लेते थे। जिनमहेन्द्रसूरि का पदाभिषेक राजा मानसिंह ने ही किया था। XXXIV प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुछ विशिष्ट पत्रों के आधार पर बाबा ज्ञानसारजी का सम्बन्ध सवाई प्रतापसिंह, जयपुर, बीकानेर नरेश सुरतसिंहजी, किशनगढ़ नरेश आदि से भी व्यक्तिगत सम्बन्ध रहे। महोपाध्याय क्षमाकल्याणजी का भी तत्कालीन जेसलमेर नरेश से निकट का सम्बन्ध रहा। इस प्रकार हम देखते हैं कि राजागणों को उपदेश देकर खरतरगच्छ आचार्यों ने शासन और धर्म की महती प्रभावना की है। उपासक वर्ग भगवान् महावीर के धर्मशासन की यह प्रमुख विशेषता रही है कि उनके स्वहस्त दीक्षित साधु-साध्वियों से दसगुणा अधिक श्रावक-श्राविकाओं की परिगणना रही है। यह संख्या व्रतधारियों की ही है। भगवान् के प्रति श्रद्धाभक्ति रखने वालों की संख्या कहीं अधिक है। जैन धर्म के व्रतों का पालन सूक्ष्मता और कठोरता को लेकर समाज में कुछ कमी आने लगी थी। बदलते समय को देखकर आचार्यों ने भी द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव को ध्यान में रखकर चारों वर्गों के लोगों को प्रतिबोध देना प्रारम्भ किया। सप्त व्यसन मुक्त समाज की रचना पर उन्होंने प्रमुखता से ध्यान दिया। उपदेश में भी यही प्रवृत्ति रही। उन श्रमणों/आचार्यों के उपदेश से प्रभावित होकर, प्रतिबोध प्राप्त कर निर्व्यसनी होकर लाखों व्यक्ति नये जैन बनने लगे। पूर्वाचार्यों ने जिस ओसवाल वंश और गोत्रों की स्थापना की थी उसको समृद्धि प्रदान करते हुए खरतरगच्छ आचार्यों ने भी अनुपमेय योगदान दिया। जिनवल्लभसूरि, जिनदत्तसूरि, जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि, उपाध्याय क्षेमकीर्ति और युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि ने इस क्षेत्र में / जैनीकरण के क्षेत्र में अपने तप-तेज को झोंक दिया। उक्त आचार्यों ने लाखों की संख्या में व्यसन मुक्त जीवन जीने वाले नये-नये उपासक बनाकर ओसवास जाति को अत्यन्त समृद्धि प्रदान की और पृथक्-पृथक् गोत्रों में उनको व्यवस्थित किया। महत्तियाण जाति की तो प्रसिद्धि ही मणिधारी जिनचन्द्रसूरि से हुई। खरतरगच्छीय गोत्रों में ओसवास वंश के ८४, श्रीमाल वंश के ७९ एवं पोरवाड़ और महत्तियाण जाति के १६६ गोत्र खरतरगच्छीय मान्यताओं को स्वीकार कर अनुयायी बने। यहाँ जाति और गौत्रों की उत्पत्ति पर विचार करना अभीष्ट नहीं है किन्तु इस श्राद्ध वर्ग के द्वारा जो-जो विशिष्ट कार्य सम्पन्न हुए हैं उनका संक्षिप्त उल्लेख करना ही अभीष्ट है। खरतरगच्छ के उद्भावक और आचार्य जिनेश्वर और आचार्य बुद्धिसागर जन्मजात जैन नहीं थे किन्तु धारा नगरी के जैन धर्मावलम्बी सेठ लक्ष्मीपति के सान्निध्य से दोनों भाई वर्द्धमानसूरि के शिष्य बने। जिनवल्लभसूरि रचित अष्टसप्तति के अनुसार चित्तोड़ के प्रमुख श्रेष्ठि अम्बड़, केहिल, वर्द्धमान, सोमिलक, वीरदेव, माणिक्य, सुमति, क्षेमसरीय, रासल्ल, धनदेव, वीरम, मानदेव, पद्मप्रभ, पल्लक, साधारण और सढक इत्यादि के नाम प्राप्त होते है जो कि जिनवल्लभसूरि के असाधारण भक्त थे। नागपुर के धनदेव पुत्र पद्मानन्द आदि परिवार के साथ इन्हीं आचार्य का भक्त था। इन्हीं आचार्य द्वारा प्राक्कथन XXXVI For Personal & Private Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रचित द्वादशकुलक को आधार बनाकर श्रावक गणदेव ने वागड़ देश में लाखों खरतरगच्छ के अनुयायी बनाये। जिनदत्तसूरि ने १,३०,००० नये जैन बनाकर, नये गोत्रों में सम्मिलित कर उपदेश का एक नया स्रोत बहाया था । मणिधारी जिनचन्द्रसूरि ने महत्तियाण जाति और उनके गोत्रों की स्थापना कर नया कीर्तिमान स्थापित किया था। महत्तियाण जाति और श्रीमाल आज भी खरतरगच्छ की आणा को स्वीकार करते हैं । जिनपतिसूरि के समय में महाराजा पृथ्वीराज चौहान की राजसभा में सेठ रामदेव जो कि महाराजा पृथ्वीराज और मन्त्री कैमास का अत्यन्त प्रिय था, वह आचार्यश्री का भक्त था और आचार्यश्री का सम्बन्धि भी था । सेठ क्षेमन्धर जिनका की पुत्र प्रद्युम्नाचार्य चैत्यवासी आचार्यों का सिरमोर था, वह भी आचार्य श्री का भक्त था । माण्डव्यपुर का सेठ लक्ष्मीधर, नेमिचन्द भाण्डागारिक बृहद्वार का आसराज राणक, ठाकुर विजयसिंह, सेठ स्थिरदेव आदि जिनपतिसूरि के प्रमुख भक्त थे । जिनेश्वरसूरि के प्रमुख भक्त थे - जाबालीपुर के सेठ यशोधवल, श्रीमालनगर के सेठ जगधर, पालनपुर के सेठ भुवनपाल, ठाकुर अश्वराज, सेठ राल्हा, महं. कुलधर, सेठ धीधाक, क्षेमसिंह, बाड़मेर के सहजाराम के पुत्र बच्छड़, मोल्हाक, कुमारपाल, सेठ भुवन, सेठ हरिपाल, सेठ मूलदेव, सेठ सावदेव, पूर्णसिंह, बोधा, धारसिंह, धान्धल, आसनाग, भोजाक, सेठ नेमिकुमार, सेठ गणदेव, आदि । अभयचन्द्र, देदाक, श्रीपति, मूलिक, पेड़, देदा, आदि ने जिनेश्वरसूरि की अध्यक्षता में शत्रुञ्जय का संघ निकाला था। इस संघ में कई प्रमुख श्रेष्ठ लोग थे । आचार्य के उपदेश से सेठ क्षेमसिंह, महम. पूर्णसिंह और महं. ब्रह्मदेव ने अनेक बिम्ब भरवाये थे। जिनप्रबोधसूरि के प्रमुख भक्तों में सेठ क्षेमसिंह, दिल्ली निवासी दलिक हरू, सेठ हरिचन्द, चाहड़, हेमचन्द्र, हरिपाल, पूर्णपाल, भीमसिंह, मन्त्री महणसिंह, आदि ने मिलकर शत्रुञ्जय महा का यात्री संघ निकाला था और अनेक श्रेष्ठियों ने मूर्ति स्थापन का सौभाग्य भी प्राप्त किया था । र के सेठ मोहन, सेठ आसपाल, मन्त्री विन्ध्यादित्य, ठाकुर उदयदेव, भाण्डागारिक लक्ष्मीधर आदि ने आचार्य का बीजापुर में प्रवेशोत्सव किया था । १३३९ में जाबालीपुर का प्रवेशोत्सव मन्त्री पूर्णसिंह, भण्डारी राजा, जिसड़, देवीसिंह, मोहा आदि ने किया था। कलिकाल केवली जिनचन्द्रसूरि के समय सेठ क्षेमसिंह, महामन्त्री देदा, भण्डारी छाहड़ ने इनके उपदेश से जिनबिंब भरवाए थे । सेठ बाहड़, भाण्डागारिक भीम, जगसिंह और खेतसिंह ने महाराजा सोमेश्वर चौहान की सान्निध्य में आचार्य का गढ़सिवाना में और सेठ लखमसिंह, आसपाल ने बीजापुर में प्रवेशोत्सव कराया था । संघपति अभयचन्द्र सेठ, वरडिया नगर के मुख्य श्रावक नौलखा झांझड़ को दीक्षा दी थी । १३५२ में बड़गाँव के चाहड़, ठक्कर हेमराज, मूलदेव आदि ने पूर्वदेश की यात्रा की थी। सेठ सलखण, सेठ सीहा, माण्डव्यपुर वासी सेठ मोहन आदि ने आबू तीर्थयात्रा के लिए XXXVI प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विशाल संघ निकाला था। १३६४ में मन्त्री भुवनसिंह, सुभट, नयनसिंह, दुस्साज और भोजराज ने जाबालीपुर में महोत्सव किया था। सेठ जेसल ने अपने भाई तोला और लाखू के साथ शत्रुञ्जय का यात्री संघ निकाला था।१३६७ में सेठ क्षेमन्धर, पद्मा, साढल, धनपाल, सेठ सामल आदि ने भीमपल्ली से विशाल यात्री संघ निकाला था। संवत् १३७१ में मन्त्री भोजराज और देवसिंह ने मालारोपण आदि महोत्सव किया था। सेठ मानल के पुत्रों ने अपने परिवार सहित फलवर्द्धि का संघ निकाला था। उच्चापुरीय विधि संघ के प्रमुख सेठ लोहदेव, सा. लखण, सा. हरिपाल आदि की प्रार्थना से आचार्यश्री सिन्ध में पधारे थे। राजेन्द्रचन्द्राचार्य के पदस्थापन महोत्सव पर सेठ वैरसिंह ने बड़ा उत्सव किया था। कन्यानयन निवासी काला सुश्रावक संघ सहित फलवर्द्धि पार्श्वनाथ की यात्रा की थी। १३७५ में मन्त्रीदलीय ठाकुर विजयसिंह, ठाकुर सेढु, ठाकुर सा. रुदा, और दिल्ली संघ के प्रमुख मन्त्रीदलीय ठक्कुर अचलसिंह ने कुशलकीर्तिगणि के वाचनाचार्य पद का बड़ा महोत्सव किया था। १३७५ में ठक्कुर अचलसिंह ने निर्विरोध यात्रा के लिए कुतुबुद्दीन सुलतान से फरमान लेकर विशाल यात्री संघ निकाला था। इस संघ में सेठ सुरराज, रुद्रपाल, आदि प्रमुख थे। इस संघ के प्रमुख-प्रमुख श्रेष्ठियों के नाम खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास पृष्ठ १६२ पर देखें। युगप्रधान जिनकुशलसूरि के आचार्य पदोत्सव कार्य सं. १३७७ में सेठ जाल्हण के पुत्र तेजपाल और रुद्रपाल ने किया था। इस महोत्सव में भीमपल्ली के वीरदेव श्रावक, सेठ राजसिंह, राजमान्य ठक्कुर विजय सिंह, ठक्कुर जैत्रसिंह, ठक्कुर कुमरसिंह, ठकुकुर जवनपाल, जाबालीपुर के सा. गुणधर, पाटण के सा. तिहुण, बीजापुर के ठाकुर पद्मसिंह आदि भी सम्मलित थे। १३८९ में पाटण में सेठ खीवड़ के प्रयत्न से सेठ तेजपाल आदि ने शत्रुञ्जय तीर्थ का संघ निकाला। इस संघ में प्रमुख-प्रमुख थे - भीमपल्ली के सेठ वीरदेव, आशापल्ली के सेठ स्थिरचन्द, खेतसिंह आदि । संवत् १३८० में सेठ तेजपाल और रुद्रपाल की ओर से शत्रुञ्जय तीर्थ पर भगवान् आदिनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई थी। संवत् १३८० में दिल्ली निवासी सेठ हरूजी के पुत्र सेठ रयपति ने बादशाह गयासुद्दीन तुगलक से निर्विघ्न यात्रा हेतु फरमान प्राप्त कर शत्रुञ्जय का महायात्री संघ निकाला था। इस महासंघ में अनेक संघों के संघपति सम्मिलित हुए थे जिनका उल्लेख खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास पृष्ठ १७२ से १८० तक पठनीय है। यह महासंघ जिनकुशलसूरि की सान्निध्य में ही निकला था। १३८१ में सेठ मालदेव, सा. हुलमसिंह सहित सेठ वीरदेव ने सम्राट गयासुद्दीन से फरमान प्राप्त कर भीमपल्ली से शत्रुञ्जय का यात्रा संघ निकाला था। इसी प्रकार संवत् १३८२ में सेठ वीरदेव ने भीमपल्ली में महान उत्सव किया था। १३८३ में सेठ प्रतापसिंह ने अमारी घोषणा पूर्वक नन्दी महोत्सव किया था। मन्त्री भोजराज, मन्त्री सलखणसिंह, उच्चापुर के सेठ हरिपाल, सेठ गोपाल, देवराजपुर के जाल्हण के पुत्र, सा. तेजपाल, सा. रुद्रपाल ने १३८३ में नन्दी महोत्सव किया था। संवत् १३८४ में सेठ नरपाल, सा. वयरसिंह, सा. नन्दण, सा. मोखदेव, सा. लाखण, सा. आम्बा आदि ने महामहोत्सव XXXVII) प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करवाए। बहरामपुर के सेठ भीमसिंह, सा. देदाजी, सा. घीराजी, सा. रूपाजी, क्यासपुर के सेठ मोहनजी, सा. कुमरसिंह आदि जिनकुशलसूरिजी के प्रमुख भक्त थे। जिनपद्मसूरि के उपासकों में सेठ हरिपाल, कटुक, कुलधर, झांझण, यशोधवल, कर्मसिंह, खेजसिंह । आदित्यपाट नगर के सेठ वीरदेव, पत्तन के नौलखा सेठ अमरसिंह, सेठ तेजपाल, बूजद्रि के सेठ मोखदेव, सेठ छज्जल, सेठ पूर्णसिंह, त्रिशृिङ्गम के मन्त्री मण्डलिक, मन्त्री वयरसिंह आदि प्रमुख भक्त थे। जिनोदयसूरि के प्रमुख भक्तों में थे । संवत् १४१५ स्तम्भ तीर्थ के लूणिया जैसल, साधुराज रामदेव, नरसागरपुर के मन्त्री श्वर वीरा, मन्त्री सारङ्ग, गेटा के पुत्र डूंगर, सा. कोचर, बाड़मेर के विक्रम पारख, राजपत्तन के कान्हड़, स्तम्भ तीर्थ के गोवल, देवपत्तनपुर के मन्त्री खेतसिंह । जिनराजसूरि के प्रमुख भक्तों में - कडुआ, धरणा और नन्दा, केलवाड़ा के मन्त्रीपुत्र रामण कुमार। संवत् १४९४ चोपड़ा गोत्रीय सा. हेमराज, पूना, देहा, शिवराज, महिराज, लोला, लाखण, सोनगिरा, श्रीमाल वंशीय मन्त्री मण्डन और धनदराज, संघपति मण्डलिक थे । जिनचन्द्रसूरि के समय संवत् १५१५ कुम्भदमेरु निवासी कुकड़ चोपड़ा गोत्रीय सा. समरसिंह । आचार्य जिनसमुद्रसूरि के - मण्डपदुर्ग निवासी और जेसलमेर के संघपति श्रीमालवंशीय सोनपाल । जिनहंससूरि के समय बोहित्थरा मन्त्री करमसी, आगरा के डूंगरसी, मेघराज, पोमदत्त । जिनमाणिक्यसूरि के समय पाटण निवासी बालाहिक गोत्रीय सा. देवराज आदि थे। युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि के समय बीकानेर के मन्त्री संग्रामसिंह बच्छावत, मन्त्रीश्वर करमचन्द, णी के मन्त्री श्वर राय सिंह, शंखवाल गोत्रीय साधुदेव आदि प्रमुख थे। जिनसिंहसूरि के समय टांक गोत्रीय श्रीमाल राजपाल, संघपति सोमजी, मेड़ता के आसकरण चोपड़ा आदि थे। जिनराजसूरि के भक्तों में प्रमुख थे - अहमदाबाद निवासी संघपति शिवाजी, सोमजी, रूपजी जिन्होंने सिद्धाचल तीर्थ पर खरतरवसही अर्थात् चौमुख जी की ट्रंक बनवाई और चोपड़ा गोत्रीय अमीपाल, कपूरचन्द, ऋषभदास, सूरदास आदि ने मेड़ता सिटी में शान्तिनाथ आदि सैंकड़ो बिम्ब भरवाए। जेसलमेर के भणसाली गोत्रीय सेठ थाहरु शाह ने लौद्रवा तीर्थ की प्रतिष्ठा करवाई । राजा गजसिंह, राजा सूरसिंह, असरफ खान, आलम दीवान, नवाब मुकरब खान आदि इनके बड़े प्रशंसक थे। - आचार्य जिनचन्द्रसूरि के मुख्य भक्त थे - राजनगर निवासी नाहटा गोत्रीय जयमल्ल तेजसी, जोधपुर निवासी मनोहर दास । जिनसुखसूरि के सूरत निवासी पारख गोत्रीय सामीदास सूरदास । जिनचन्द्रसूरि (१९वीं) के - लखनऊ निवासी नाहटा गोत्रीय राजा वच्छराज । जिनहर्षसूरि के जालोर के मन्त्री अक्षयराज, जांगलू के पारख अजयराज । जिनसौभाग्यसूरि के समय - दूगड़ प्रतापसिंह, संवत् १८९७ अजमीगंज के गोलेछा धरमचन्द सेठिया पानाचन्द, सावणसुखा गुलाबचन्द, दुगड़ इन्द्रचन्द, सरदारशहर के बोथरा गुलाबचन्द, बीकानेर निवासी बागड़ी माणकचन्द आदि । जिनहंससूरि XXXVIII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के समय - बीकानेर के बच्छावत अमरचन्द, झालरा पाटण के भूरामल गोलेछा, नाहटा अमरचन्द, रायबहादुर दुगड़ गोत्रीय लक्ष्मीपतसिंह धनपतसिंह, अजीमगंज के नाहटा सिताबचन्द आदि। बेगड़ शाखा - के जिनेश्वरसूरि (१५वीं) पाटण में खान का मनोरथ पूर्ण कर महाजन बन्दियों को छुड़वाया। जिनधर्मसूरि के राणा घडसी, कालू मोहता, मन्त्री नाल्हा, मन्त्री जयसिंह, जेसलमेर के मन्त्री गुणदत्त, जिनचन्द्रसूरि के समय - कच्छ देश के मं० समरथ, शुभकर, मं० समधर, सरदार समरसिंह आदि अणहिलपुर पाटण के हरखा, बरजाङ्ग, सोनकिरिया, महेवा के सदारङ्ग आदि। जिनगुणप्रभसूरि के समय - जोधपुर के संत पत्ता, चाचा देव, सहजपाल आदि। मन्त्री राजसिंह जेसलमेर के मं० श्रीरङ्ग, मं० वस्ता, मं० रायपाल मं० सदारङ्ग, मन्त्री जिया आदि। पिप्पलक शाखा – में जिनवर्द्धनसूरि के प्रमुख उपासकों में जौनपुर के महत्तियाण शाखा के ठाकुर संग्रामसिंह, ठाकुर जिनदास, संघपति भीखण, देलवाड़ा (मेवाड़) के आडू नाल्हाशाह, रघुपतिशाह, संघपति जिवदास, मोल्हण, सहजपाल सारङ्ग आदि । मेवाड़ के समरिग, साङ्गा और साजण, पाटण के मेघा, तिहुणा, सिवा, नौलखा गोत्रीय मन्त्री रामदेव । जिनचन्द्रसूरि (शिवचन्द्रसूरि १८वीं) उदयपुर के दोसी भीखा, दोसी कुशल आदि। __ आद्यपक्षीय शाखा - पंचायण भट्टारक जिनचन्द्रसूरि का बादशाह जहांगीर ने मुरतब लवाजमा आदि से बड़ा सम्मान किया। भण्डारी भानाजी नारायण शाह ने कापड़ा तीर्थ में स्वयं भू पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा करवाई। जिनोदयसूरि (१९वीं सदी) के समय - जैतारण निवासी धाड़ीवाल ठाकुर, शंखवाल खीमराज भीमराज ने संवत् १८०९ में पद महोत्सव किया। भावहर्षीय शाखा - संवत् १६१६ में जोधपुर में भणसाली लाखा। जिनपद्मसूरि (१९वीं सदी) के बालोत्तरा के चम्पावत, आउवा के ठाकुर खुश्यालसिंह और जोधपुर के महाराजा तखतसिंह, जोधपुर के मूता लक्ष्मीचन्द, अहमदाबाद के सेठ सूरजमल आदि इनके भक्त थे। जिनचन्द्रसूरि (२०वीं सदी) के समय में - नागपुर निवासी अगरचन्द गोलेछा, जीतमल बोथरा, और धर्मचन्द गोलेछा इनके प्रमुख भक्त थे। गोलेछा अगरचन्द के नागपुर दादाबाड़ी का जीर्णोद्धार करवाया था। आचार्यशाखा - जिनसागरसूरि के समय में - सिरोही के महाराजा राजसिंह ने इनका सम्मान किया था। मेड़ता के चोपड़ा आसकरण अमीपाल कपूरचन्द के आपका पदोत्सव १६७४ में किया था। मन्त्री करमचन्द के पुत्र मनोहरदास, जालपसर के मन्त्री भगवन्तदास, मेड़ता के गोलेछा राजसिंह, बीकानेर के करमसी शाह, शाह उदयकरण, हाथी जेठमल, सोमजी, मूलजी, वीरजी, परीख सोनपाल, राजनगर के परीख चन्दभाण, संकचरमल्ल, रायचन्द्र, खम्भात के ऋषभदास भणसाली आदि मुख्य थे। मुकरबखान नवाब भी इनको सम्मान देता था। जिनधर्मसूरि (१८वीं सदी) के समय में - इनकी अध्यक्षता में संघपति उग्रसेन ने अहमदाबाद से शत्रुञ्जय का संघ निकाला था। जिनचन्द्रसूरि के समय में - १७४६ में छाजड़ रतनसी ने इनका पदमहोत्सव किया था। जिनविजयसूरि के समय में - इनका XXXIX प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पदोत्सव हाजीखान डेरावासी बड़हरा धीरुमल्ल ने किया था। जिनोदयसूरि के समय में - १८९७ में गोलेछा माणकचन्द ने बीकानेर में शान्तिनाथ मन्दिर की प्रतिष्ठा करवाई थी। जिनरङ्गसूरि शाखा - अजमेर में संवत् १७०१ में बाफणा गोत्रीय गौरा, नानालाल तथा कसाजी मेहता ने पदोत्सव किया था। उदयपुर के कटारिया मेहता, भागचन्द बच्छावत और मेहता रूपचन्द ने इठ्यासी जिन बिम्बों की प्रतिष्ठा करवाई थी। भाण्डिया गोत्रीय श्रीमाल राय निहालचन्द आपके प्रमुख भक्त थे। जिनचन्द्रसूरि (१८वीं सदी) के समय में - मालपुरा निवासी शंखवालेचा गोत्रीय शाह पंचायण दास ने शत्रुञ्जय की तीर्थ यात्रा का संघ निकाला था। भाण्डिया गोत्रीय शाह मलूक चन्द ने जोबनेर में चौवीस तीर्थंकरों की प्रतिष्ठा करवाई थी। जिनविमलसूरि (१८वीं सदी) के समय में - श्रीमाल भाण्डिया गोत्रीय वसन्तराय. नारायणदास, भगवतीदास ने इनका पदोत्सव किया था। जिनललितसूरि (१८वीं सदी) बोरबडी निवासी बोथरा गोत्रीय शाह ताराचन्द फतरचन्द ने इनका पदोत्सव किया था। जिनचन्द्रसूरि (१९वीं) के समय में - लखनऊ निवासी नाहटा गोत्रीय राजा वच्छराज, चण्डालिया वसन्तराय श्रीमाल, भाण्डिया हकीम देवीदास, टांक भूपति राय, अजमेर निवासी शंखवालेचा गोत्रीय महमिया रूढ़मल्ल, अनूपचन्द मूलचन्द आदि।सं. १८६९ लूणिया गोत्रीय त्रिलोकचन्द और गिड़िया गोत्रीय राजाराम के संघ के साथ शत्रुञ्जय तीर्थ की यात्रा की थी। दिल्ली में लाहौर निवासी शंखवालेचा गोत्रीय माणकचन्द, भाण्डिया हजारी, लखनऊ के भाण्डिया देवीदास, पहलावत, महानन्द, नौबतराय, महिमवाल सदासुख, जागा गोत्रीय मन्नुलाल आदि आपके भक्त थे। जिनकल्याणसूरि (२०वीं सदी) के समय में - पारसान प्रतापचन्द, कानपुर के संतोषचन्द भण्डारी, जिन्होनें शीशे का मन्दिर बनवाया था आदि। जिनचन्द्रसूरि (२०वीं) के समय में - कलकत्ता के रायबहादुर सेठ बद्रीदास इनके परम भक्त थे। बद्रीदासजी ने कलकत्ता में काँच का मन्दिर बनवाया जो आज 'बद्रीदास टेम्पल' के नाम से विश्व-प्रसिद्ध है। मण्डोवरा शाखा - जिनमहेन्द्रसूरि के उपदेश से जेसलमेर निवासी बाफणा गोत्रीय बहादरमलसवाईराम-मगनीराम-जोरावरमल-दानमल आदि ने पाली से शत्रुञ्जय महातीर्थ का यात्रा संघ १८९१ में निकाला था। इस संघ में ११ श्रीपूज्य और साधु-साध्वियों की संख्या २१०० थी। इस संघ की सुरक्षा के लिए अंग्रेज, जावरा नवाब, टोंक नवाब, जोधपुर नरेश, कोटा नरेश आदि की ओर से तोप सहित सैन्य भी शामिल था। यही बाफणा जेसलमेर के पटवा कहलाते हैं और जेसलमेर में इन पाँचों भाईयों की पाँचों हवेलियाँ आज भी पटवा हवेली के नाम से जग प्रसिद्ध है। बम्बई निवासी सेठ मोतीशाह नाहटा के द्वारा निर्मापित सेठ मोतीशाह मन्दिर, शत्रुञ्जय की प्रतिष्ठा भी आप ही ने करवाई थी। जेसलमेर के महारावल गजसिंह, और मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह और कोटा नरेश भी इनको बहुत सम्मान देते थे। जिनमुक्तिसूरि के समय में - १९१५ में लखनऊ निवासी नाहटा, भूपहजारीमल गाँधी, छुट्टनलाल, प्रेमचन्द आदि ने आपका पदोत्सव किया था। पोकरण के ठाकुर XL प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चाम्पावत फतेहसिंह आपके ही आर्शीवाद से जयपुर के दीवान बने थे। जोधपुर के महाराजा तखतसिंह आपके भक्त थे। रतलाम के सेठ सोभागमल चांदमल बाफणा भी आपके भक्तों में थे। __कीर्तिरत्नसूरि - ये शंखवालेचा गोत्र के थे और इन्हीं के भाई सेठ मालाशाह ने नाकोड़ा में शान्तिनाथ मन्दिर का निर्माण करवाया। इन्हीं कीर्तिरत्नसूरि ने नाकोड़ा महातीर्थ की स्थापना की। जिनकृपाचन्द्रसूरि के परम भक्तों में सेठ मोतीशाह के वंशज रतनचन्द खीमचन्द, मूलचन्द हीराचन्द, प्रेमचन्द कल्याण, केसरीचन्द कल्याणचन्द ने १९७२ में आपका चातुर्मास लालबाग बम्बई में करवाया था। सूरत के सेठ पानाचन्द भगुभाई, फतेहचन्द प्रेमचन्द, आपके प्रमुख भक्त थे और जिनदत्तसूरि ज्ञान भण्डार की स्थापना आपने ही की थी। मुनि मोहनलालजी महाराज - संवत् १९४९ में मुर्शिदाबाद निवासी धनपतिसिंह दूगड़ द्वारा शत्रुञ्जय में निर्मापित धनवसही के प्रतिष्ठापक आप ही थे। संवत् १९६१ में कलकत्ता के रायबहादुर बद्रीदास मुकीम, रतलाम के सेठ चांदमलजी पटवा, ग्वालियर के राय बहादुर नथमलजी गोलेछा और फलोधी के फूलचन्दजी झाबक आदि आपकी आज्ञा को स्वीकार करते थे। जिनरत्नसूरि - आपके उपदेश से भुज से वसनजी वागजी ने भद्रेश्वर का संघ निकाला। सेठ रवजी सोजपाल, मेघजी सोजपाल, मूलचन्द हीराचन्द भगत, संघपति चांदमलजी चोपड़ा, जाबरा के प्यारचन्दजी पगारिया, भुज के हेमचन्दभाई आदि आपके मुख्य भक्त थे। मन्त्री/दीवान बीकानेर नगर के निर्माण में खरतरगच्छीय उपासकों का बहुत बड़ा हाथ रहा है। राव बीकाजी के मन्त्री वत्सराज थे, जिन्होंने दुर्ग निर्माण और मोहल्लों को मर्यादित कर बसाने में बहुत दुरदर्शिता से काम लिया था। राव लूणकरणजी के मन्त्री कर्मसिंह थे, जिन्होनें नमिनाथ मन्दिर बनवाकर जिनहंससूरिजी से प्रतिष्ठा करवाई थी। राव जयतसीजी के मन्त्री वरसिंह और नगराज थे। राव कल्याणमल्लजी के मन्त्री संग्राहसिंह व कर्मचन्द्र बच्छावत थे तथा राजा रायसिंहजी के मन्त्रीश्वर कर्मचन्द्र थे। प्रतिष्ठा लेख संग्रह (द्वितीय खण्ड) लेखाङ्क ३७३ के अनुसार सांडेचा गोत्रीय रायमल के पुत्र जीवराज संघवी जो कि आमेर देशाधिपति के द्वारा प्रदत्त दीवान पद के धारक थे। उनके पुत्र मोहनराम रामगोपाल ने जयपुर में मोहनवाड़ी में जिनकुशलसूरिजी के चरणों की स्थापना की थी। जयपुर के इतिहास में यह पहले दीवान थे जो कि श्वेताम्बर थे। इनके पुत्र मोहनराम के नाम से ही यह मोहल्ला मोहनवाड़ी के नाम से ही जयपुर में प्रसिद्ध है। जयपुर के दूसरे दीवान नथमलजी गोलेछा हुए जिनका कि नथमलजी का कटला जो आज अग्रवाल कॉलेज के नाम से प्रसिद्ध है। कलकत्ता के राय बहादुर बद्रीदास - खरतरगच्छ के परम भक्त थे। कलकत्ता के वायसराय भी इनके घर आते-जाते थे। सम्मेतशिखर के मुकदमे में श्वेताम्बर समाज की ओर से अग्रगण्य बद्रीदासजी प्राक्कथन For Personal & Private Use Only XLI Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ही थे। संवत् १९६२ में सुप्रीम कोर्ट लंदन के फैसले से सम्मेतशिखर पहाड़ श्वेताम्बरों के हस्तगत हुआ था। अतः समस्त श्वेताम्बर समाज इनका ऋणी है। उस समय बद्रीदासजी को यह विजय इष्टसाधना के बल पर प्राप्त हुई थी और इस इष्टसाधना के साधक थे पूज्य श्री मणिसागरजी महाराज। ___कोटा के दीवान बहादुर सेठ केसरीसिंहजी बुद्धसिंहजी बाफणा, चेन्नई (फलौदी) के चौधरी सुखलालजी झाबक, लालचन्दजी ढढ्ढा, मोहनचन्दजी ढढ्ढा, फलौदी के फूलचन्दजी झाबक, बीकानेर के चाँदमलजी ढढ्ढा, मङ्गलचन्दजी झाबक, हैदराबाद के इन्द्रचन्दजी सुरेन्द्रकुमारजी लूणिया, कपूरचन्दजी श्रीमाल, बीकानेर के भैंरुदानजी कोठारी, अगरचन्दजी भँवरलालजी नाहटा, दिल्ली के श्री जवाहरलालजी राक्यान, एवं श्री हरखचन्दजी नाहटा, जयपुर के सोहनमलजी महताबचन्दजी गोलेछा, राजरुपजी दुलीचन्दजी टांक, राजमलजी कुशलचन्दजी विमलचन्दजी सुराणा, कलकत्ता के पदीचन्दजी बोथरा, अजमेर के रामलालजी अमरचन्दजी लूणिया आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । स्थानाभाव के कारण कुछ विशिष्य व्यक्तियों के नाम नहीं दिये जा सके हैं। ग्रन्थ आलेखन प्रशस्तियाँ ग्रन्थों के साथ सम्बन्ध रखने वाली प्रशस्तियाँ दो प्रकार की होती हैं:- १. ग्रन्थकार अथवा टीकाकार द्वारा लिखित प्रशस्ति, २. ग्रन्थालेखन प्रशस्तियाँ। (१) कर्ता या टीकाकार द्वारा लिखी हुई प्रशस्तियों में गुरुपरम्परा का वर्णन होता है, जिसका सारांश होता है कि अमुख गच्छ , कुल, शाखा में उत्पन्न आचार्य के शिष्य, प्रशिष्य ने इस संवत् में इस ग्रन्थ की रचना की, साथ ही सहयोगी या संशोधन कर्ताओं और गुरुभ्राता या शिष्यों के नाम होते हैं। ___ (२) ग्रन्थालेखन प्रशस्ति अर्थात् आचार्यों के उपदेश से जो उपासक वर्ग ग्रन्थों की प्रतिलिपियाँ करवाता है उसका वर्णन होता है। इस प्रकार की प्रशस्तियों में प्रतिलिपि करवाने वाले श्रावक वर्ग अपने पूर्वजों का नामोल्लेख एवं उनकी विशेष धार्मिक कृत्यों का उल्लेख करते हुए, उनकी पूर्व वंश की परम्परा देते हुए और अपनी वर्तमान संतति का उल्लेख करते हुए अपने श्रेष्ठ कृत्यों का वर्णन करता है और ग्रन्थालेखन का उल्लेख करता है, साथ ही किस आचार्य अथवा मुनि के उपदेश से यह प्रतिलिपि करवाई है उनका भी पूर्ववर्ती आचार्यों से लेकर वर्तमान आचार्यों तक का उल्लेख करते हैं। लेखनकाल का तो उल्लेख होता ही है। इस प्रकार की प्रशस्तियाँ कुछ संक्षिप्त होती है तो कुछ ५०६० श्लोकों तक की होती है। इस श्रेणी की कुछ प्रशस्तियों का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है जो कि खरतरगच्छ के आचार्यों एवं उनके अनुयायियों से सम्बन्धित हैं: १. संवत् ११३८ में लिखित आवश्यक विशेष भाष्य की प्रशस्ति में प्रारम्भ में गुरु जिनवल्लभ का उल्लेख करते हुए जिनदेव और जसदेव ने अपनी पूर्व वंश परम्परा का उल्लेख किया है। (द्रष्टव्यजैनपुस्तकप्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, प्रशस्ति संख्या - १) २. संवत् १२८२ में लिखित सटीक हैमानेकार्थसंग्रहप्रशस्ति में धर्कट वंशीय आशपाल जो XLII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कि जिनपतिसूरि की आज्ञा को सिर पर धारण करता था उसने अपने पूर्वज मरुकोट निवासी पार्श्वनाग की परम्परा देते हुए अपनी वंश परम्परा दी है। (द्रष्टव्य-जैनपुस्तकप्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, प्रशस्ति संख्या - ८) ३. १४वीं शताब्दी में लिखित उपदेशमालादि प्रकरण पुस्तिका की प्रशस्ति में श्रावक आभा ने अपने पूर्वज उकेश वंशीय लोहट से प्रारम्भ की है और स्वयं की गुरु परम्परा में जिनपद्मसूरि का नामोल्लेख किया है। (द्रष्टव्य-जैनपुस्तकप्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, प्रशस्ति संख्या - ६७) ४. १४वीं शताब्दी में लिखित श्रावकधर्मप्रकरणवृत्ति की प्रशस्ति में उकेश वंशीय सा. ब्रह्मदेव ने अपने पूर्वज सलक्षण से प्रारम्भ की है और अपनी वंश परम्परा को देते हुए गुरु जिनपतिसूरि के शिष्य जिनेश्वरसूरि का उल्लेख किया है। (द्रष्टव्य-जैनपुस्तकप्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, प्रशस्ति संख्या - ९१) ५.१४वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में लिखित अभयकुमारचरित्रादि-पुस्तक पंचक की प्रशस्ति में उकेशवंशीय श्रावक खेतु ने अपने पूर्वज वीरदेव की वंश परम्परा देते हुए स्वयं की परम्परा का उल्लेख किया है और उनके विशिष्ट धर्मकलापों का भी उल्लेख किया है। (द्रष्टव्य-जैनपुस्तकप्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, प्रशस्ति संख्या - ९५) ६. कांकरिया गोत्रीय सा. मोहन ने उत्तराध्यन सूत्र की प्रति खरीदी थी और जिनपद्मसूरि के पट्टधर जिनलब्धिसूरि को भेंट प्रदान की थी। (द्रष्टव्य-जैनपुस्तकप्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, प्रशस्ति संख्या - १०१) ७. संवत् १२९५ की कर्मविपाक की टीका की प्रशस्ति में लिखा है:- चित्रकूट निवासी उकेशवंशीय आशा पुत्र सा. सल्हाक ने यह ग्रन्थ लिखवाया जो कि जिनेश्वरसूरि द्वितीय का परम भक्त था। (द्रष्टव्य-जैनपुस्तकप्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, प्रशस्ति संख्या - १७४) मुनि पुण्यविजयजी सम्पादित जेसलमेर भण्डार के सूची पत्र में भी इस प्रकार की विस्तृत प्रशस्तियों में कई भक्त श्रावकों के उल्लेख मिलते है: ८. संवत् १२०४ में लिखित भगवतीसूत्र वृत्ति में डुसाउसुश्रावक ने जिनपद्मसूरि के उपदेश से यह प्रति लिखवाई। (क्रमांक - १५) इसी प्रकार ग्रन्थ क्रमाङ्क - २२, २८, ३१, ५०, ५८,७६, ८५, ११२, ११४,११९, १४९, २११, २१७, २२५, २३०, २३५, २३९, २५०, २५६, २७०, २७२, २८१, २८९ आदि की रचना और लेखन प्रशस्तियाँ पठनीय हैं। इन प्रशस्तियों से उन श्रावकों के वंशपरम्परा और धार्मिक कलापों का वर्णन प्राप्त होता है जो कि आज के जीवन में भी श्लाघनीय और अनुकरणीय है। प्रकाशन का इतिहास विक्रम संवत् २००० में मेरे परमाराध्य सद्गुरु श्रीजिनमणिसागरसूरि जी महाराज का चातुर्मास प्राक्कथन XLIII For Personal & Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीकानेर में था। मैं उनका लघु शिष्य था। जीवन में बालसुलभ चाञ्चल्य था। पूज्य गुरुदेव की आज्ञा प्राप्त कर प्रसिद्ध साहित्यमनीषी और इतिहासविद् श्री अगरचन्दजी नाहटा और श्री भंवरलालजी नाहटा (जिनको मैं आगे नाहटा बन्धुओं के नाम से उल्लेख करूँगा) ने मेरे जीवन में साहित्य संस्कारों का बीज वपन किया। उन्होंने हस्तलिखित ग्रन्थों की लिपि पढ़ने का, मूर्तियों के लेखों की प्राचीन लिपि पढ़ने का, हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची बनाने का, इतस्ततः बिखरे हुए हस्तलिखित पत्रों को लिपि, कागज इत्यादि के आधार पर निर्णय करने का और खरतरगच्छ के प्रति अटूट प्रेम जागृत करने का प्रयत्न किया। मैंने भी उस समय बीकानेर के चिन्तामणि मन्दिर के भण्डारस्थ मूर्तियों के लेख लिखने में नाहटा बन्धुओं का सहयोग किया। अभय जैन ग्रन्थालय के लगभग ४००० ग्रन्थों का सूचीपत्र तैयार किया। नाहटा बन्धुओं द्वारा लिखित खरतरगच्छीय साहित्य की नोट बुक की प्रतिलिपि भी की, जो आज भी मेरे पास विद्यमान है। __ वे संस्कार के बीज समय-समय पर अंकुरित, पुष्पित और पल्लवित होते रहे। विहार करते हुए प्रत्येक मन्दिरस्थ मूर्तियों के लेख लेना, हस्तलिखित ज्ञान भण्डारों का अवलोकन करना, नये-नये ग्रन्थों को अपनी सूची में अंकित करना, खरतरगच्छ के इतिहास की सामग्री एकत्रित करना, खरतरगच्छ आचार्यों द्वारा निर्मित ग्रन्थों की आद्यन्त प्रशस्तियाँ लिखना जीवन का अङ्ग बन गया। यह प्रयत्न वर्षों तक क्रमबद्ध रहा। अध्ययन के कारण कई बार विघ्न भी हुआ और इस कार्य में शिथिलता भी आई किन्तु नाहटा बन्धु समय-समय पर मुझे प्रोत्साहित करते रहे, वाञ्छित सामग्री भेजते रहे और प्रभाव डालकर मुझसे लिखवाते रहे। सन् १९४७-४८ में मेरी कुछ लघु पुस्तिकाएं प्रकाशित हुई जिनकी भूमिका भी इन्ही बन्धुओं ने लिखी। सन् १९५० में मैंने सटीक नेमिदूतम् का सम्पादन किया जो कि संयोग से राजस्थान विश्व विद्यालय के संस्कृत एम.ए के पाठ्यक्रम में इसका चयन हो गया। श्रीवल्लभोपाध्याय रचित सहस्रदल कमल गर्भित अरजिनस्तव स्वोपज्ञ टीका सहित का सम्पादन किया। इस सम्पादन में मुझे आगम प्रभाकर स्वर्गीय मुनि पुण्यविजयजी महाराज का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। नाहटा बन्धुओं के सतत प्रयत्न से सन् १९५६ में दादा जिनदत्तसूरि अष्टम शताब्दी समारोह, अजमेर में खरतरगच्छ का इतिहास प्रथम खण्ड का विमोचन भी हुआ। आचार्य जिनवल्लभसूरि पर वल्लभ भारती के नाम से शोध प्रबन्ध लिखकर साहित्य महोपाध्याय उपाधि भी प्राप्त की। नाहटा बन्धुओं की सतत् प्रेरणा और पूर्ण सहयोग के कारण ही सन् १९७१ में मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दी स्मृति ग्रन्थ के द्वितीय खण्ड के रूप में खरतरगच्छ साहित्य सूची का ७२ पृष्ठों में प्रकाशन हुआ। यह साहित्य सूची प्रारम्भिक भूमिका मात्र थी। इसमें नाहटा बन्धुओं के साहित्य सूची नोट-बुक और मेरी नोट-बुक का सम्मिश्रण था। सन् १९८४ में खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेखों का संग्रह करना प्रारम्भ किया था किन्तु वह भी बीच में छूट गया।३० वर्षों के मध्यकाल में खरतरगच्छ सम्बन्धित कुछ साहित्य मेरे द्वारा सम्पादित होकर अवश्य ही प्रकाशित हुआ, उनमें से XLIV प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कतिपय महत्वपूर्ण ग्रन्थों के नाम निम्न है: १. सनत्कुमार चक्री चरित महाकाव्य - जिनपालोपाध्याय रचित २. खरतरगच्छ दीक्षानन्दी सूची (भँवरलालजी नाहटा के साथ सम्पादित) ३. दादागुरु भजनावली - जिसमें चारों दादा गुरुदेवों के ७०० भजन संग्रहित है । ४. खरतरगच्छ बृहद् गुर्वावली ५. खरतरगच्छ पट्टावली संग्रह ६. विधि मार्ग प्रपा- जिनप्रभसूरि रचित ७. जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली ८. धर्मशिक्षा प्रकरण इन ग्रन्थों का प्रकाशन होने पर भी ५५ वर्ष पूर्व जो मन में अभिलाषा जागृत हुई थी कि खरतरगच्छ का विस्तृत इतिहास, खरतरगच्छ के प्रतिष्ठा लेख और साहित्य निर्माण का कोष, उस भावना को मैं आज तक पूर्ण न कर सका। अन्त में हृदय की उत्कट भावना को भस्माच्छादित न रख सका और योजना बनाकर इस कार्य में प्रवृत्त हो गया । उन पूज्य गुरुदेवों का अन्तरङ्ग आशीर्वाद के कारण ही सर्वप्रथम खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास का प्रकाशन कार्य पूर्ण हुआ, जिसका विमोचन बेंगलौर में उपधान तप के मालारोपण महोत्सव के अवसर पर ८ नवम्बर २००४ में उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी के कर-कमलों द्वारा हुआ। इसी क्रम में खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रह का लेखन और प्रकाशन भी २००४ के अन्त में पूर्ण हुआ और ३० जनवरी २००५ शंखेश्वर तीर्थ पर दादाबाड़ी के प्रतिष्ठा के अवसर पर पूज्य मुनि श्री जयानन्दमुनिजी महाराज और विदुषी आर्यारत्न श्री हेमप्रभाश्रीजी के कर कमलों से सम्पन्न हुआ । तत्पश्चात् योजना के अनुसार खरतरगच्छ साहित्य कोष का कार्य प्रारम्भ किया । इसमें जिस प्रकार की सामग्री और सहयोग चाहिए था वह मुझे सुलभ न थी । मेरे जीवन के आदर्श और प्रेरक दोनों नाहटा बन्धु इस लोक से प्रयाण कर चुके थे। मेरे द्वारा संकलित साहित्य सूची अपूर्ण थी। मैं चाहता था कि नाहटा बन्धुओं द्वारा संग्रहित नोट बुक भी प्राप्त हो जाती जिसमें मेरा भी सहयोग था । इसके लिए मैं बीकानेर भी गया, , उनके सुपुत्र विजयचन्द के सहयोग से अभय जैन ग्रन्थालय को टटोला किन्तु वह नोटबुक प्राप्त नहीं हुई किन्तु ग्रन्थों की आद्यन्त प्रशस्तियाँ अवश्य ही प्राप्त हुईं। वह नोट-बुक न तो बीकानेर थी और न कलकत्ता में थी, उनके संग्रह से कहाँ गई ? कह नहीं सकता। मुझे अपने सीमित साधनों के द्वारा ही इस कार्य को पूर्ण करने के लिए बाधित होना पड़ा। ऐसी स्थिति में, सामग्री के अभाव में कुछ स्खलना भी रह जाए वह स्वाभाविक भी है और क्षन्तव्य भी । लेखन और सम्पादन-पद्धति खरतरगच्छ साहित्य कोष को तीन खण्डों में विभाजित किया गया है। प्राक्कथन For Personal & Private Use Only XLV Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. प्रथम खण्ड - इसमें १. ग्रन्थनाम, २. कर्ता का नाम, ३. कर्ता के गुरु का नाम, ४. ग्रन्थ का विषय, ५. भाषा, ६. रचना संवत् एवं स्थान, ७. ग्रन्थ का आद्यन्त, ८. मुद्रित है या अप्रकाशित? प्रकाशित है तो जहाँ से प्रकाशित हुआ है उसका स्थान और यदि अप्रकाशित/हस्तलिखित ग्रन्थ है तो किस ज्ञान भण्डार में प्राप्त है इसका संकेत दिया गया है। इसमें निम्न विषयों के ग्रन्थ सम्मिलित किए गये हैं:- आगम, प्रकरण, उपदेश, विधि, चर्चा, चरित्र, काव्य, व्याकरण, कोष, छन्द, लक्षण, स्तोत्र, रास, आयुर्वेद, ज्योतिष, व्याख्यान, विवाहलो, सन्धि, पूजा, रत्न-मुद्रादि शास्त्र, बत्तीसी, छत्तीसी, बावनी आदि साहित्य कोष का अकारानुक्रम। इस खण्ड में साहित्य को अकारानुक्रम से रखा गया है। २.द्वितीय खण्ड - इसमें स्तवन, स्तुति, चैत्यवन्दन, गीत, स्वाध्याय, पद, निसाणी, लावणी, बारहमासा आदि का अकारानुक्रम से उल्लेख किया गया है। जहाँ प्रथम खण्ड में ग्रन्थ का नाम प्रारम्भ में रखा गया है वहाँ द्वितीय खण्ड में कर्ता का नाम अकारानुक्रम से देकर उस कर्ता की समस्त कृतियों को अकारानुक्रम से दिया गया है। शेष विषय प्रथम खण्ड की तरह से ही रखे हैं। ३. तृतीय खण्ड - इसमें २०वीं-२१वीं शताब्दी के कतिपय विद्वानों के लेखन, अनुदित, सम्पादित, पुस्तकों के नाम अकारानुक्रम से दिये गये हैं। इसमें आद्यन्त का उल्लेख नहीं किया गया है। मुद्रित होने के कारण उन प्रकाशन संस्थाओं के नाम दिये गये हैं। ___ श्री अगरचन्दजी भँवरलालजी नाहटा के पुस्तकों की सूची श्री भँवरलालजी नाहटा के सुपुत्र श्री पदमचन्दजी नाहटा ने और महोपाध्याय श्री ललितप्रभसागरजी एवं महोपाध्याय श्री चन्द्रप्रभसागरजी के साहित्य की सूची जिस रूप में श्री प्रकाशजी दफ्तरी ने भिजवाई थी तदनुसार ही इसमें उल्लेख किया गया है। इस कोष में क्रमांक ७५२९ तक दिये गये हैं। समस्त ज्ञान भण्डारों का एवं प्रकाशित हस्तलिखित ग्रन्थों के सूचीपत्रों को सम्यक् प्रकार से अवलोकन किया जाए तो यह संख्या ११ या १२ हजार तक पहुँच सकती है। परिशिष्ट :इसमें तीन परिशिष्ट दिए गये हैं : प्रथम परिशिष्ट- प्रथम खण्ड में ग्रन्थानुक्रम होने से और द्वितीय खण्ड में कर्ता के पश्चात् कृतियों का अकारानुक्रम होने के कारण केवल कर्ताओं का अकारानुक्रम ही दिया गया है। द्वितीय परिशिष्ट- इसमें प्रथम खण्ड के स्तोत्र, स्तव एवं स्तुति के रचनाकार कौन है? इसकी जानकारी करने के लिए स्तोत्र आदि के आदिपदों के अनुक्रमणिका दी गई है। तृतीय परिशिष्ट- इसमें द्वितीय खण्ड के अन्तर्गत स्तवन, गीत आदि साहित्य के निर्माता कौन XLVI प्राक्कथन For Personal & Private Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है? इसकी जानकारी के लिए गीत स्तवनों के आदिपदों की अनुक्रमणिका दी गई है। संकलन में असावधानी छद्मस्थ होने के कारण स्वाभाविक है कि कई ग्रन्थ कर्ताओं और उनकी कृतियों के नाम छूट गए हों इसके लिए मैं समस्त ग्रन्थकारों से क्षमा चाहता हूँ। साथ ही प्रकाशन में असावधानीवश कुछ स्खलनाएँ रह गई हैं, जैसे:- क्रमांक में २६३६ और २६५६ रिक्त रह गए हैं और २३५२ की पुनरावृत्ति हो गई है। इसी प्रकार प्रूफ संशोधन में भी जो कुछ त्रुटियाँ रह गई हों उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। विद्वद्गण यदि इन त्रुटियों की ओर संकेत करेंगे तो मैं आगामी संस्करण में उसको परिमार्जित कर दूंगा। खेदः- इस कोष की सामग्री के लिए विद्यमान साधुगणों, साध्विगणों को पत्र भी लिखे गये और कइयों को साक्षात में निवेदन भी किया गया किन्तु अपनी-अपनी योजनाओं में व्यस्त रहने के कारण इस कार्य में उनका तनिक भी सहयोग न मिल सका। इसका मुझे हार्दिक खेद है। वर्तमान में पूर्ववर्ती आचार्यों के द्वारा निर्मित ग्रन्थों का प्रकाशन नहीं हो रहा है अत: इसका हार्दिक दुःख भी है। हर्षः- हर्ष का विषय है कि २०वीं-२१वीं शताब्दी में श्री जिनकृपाचन्द्रसूरिजी महाराज, उपाध्याय श्री सुखसागरजी महाराज, गणि श्री बुद्धिमुनिजी महाराज आदि ने पूर्वाचार्यों के कतिपय ग्रन्थ सम्पादित कर समाज के समक्ष रखे। आज भी अन्य गच्छों के सम्मान्य एवं प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा पूर्ववर्ती खरतरगच्छ के विद्वानों के ग्रन्थ प्रकाशित किए हैं और कर रहे हैं। जिनमें अग्रगण्य हैं:आगम प्रभाकर मुनि पुण्यविजयजी म०, प्रवर आगमप्रज्ञ जम्बूविजयजी म०, पुरातत्त्वाचार्य पद्मश्री जिनविजयजी आदि। अधुनापि श्री विजयचन्द्रोदयसूरिजी म०, श्री विजयसोमचन्द्रसूरिजी म० अपने साधु मण्डल एवं शिष्य परिवार के साथ खरतरगच्छ के अनेक प्राचीन ग्रन्थों का सम्पादन कर रहे हैं। आभार:- चारित्र चूड़ामणि परमशान्त मूर्ति पूज्य गुरुदेव श्री जिनमणिसागरसूरिजी महाराज के अपूर्व वात्सल्य और अमोघ आशीर्वाद तथा पूज्य दादागुरुदेवों की असीम कृपा से मेरी हार्दिक मनोभिलाषा जो ५५ वर्षों से चल रही थी उसे यत्किञ्चित् रूप में पूर्ण/फलीभूत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। प्रमुखतः इस कोष के निर्माण में स्वर्गीय साहित्य मनीषी श्री अगरचन्दजी नाहटा, स्वर्गीय साहित्यवाचस्पति श्री भंवरलालजी नाहटा का हृदय से आभारी हूँ कि उनकी नोट-बुक की प्रतिलिपि को आधार लेकर इसको मैं आज विशाल रूप दे सका और उनकी हार्दिक अभिलाषा को पूर्ण कर सका। - ग्रन्थों के प्राप्ति स्रोत में उन-उन ज्ञान भण्डारों के संस्थापक आचार्यों, संचालकों, व्यवस्थापकों, प्रबन्धकों एवं राजकीय संस्थाओं के निदेशकों द्वारा संस्थाओं से प्रकाशित सूची पत्रों तथा ग्रन्थों के प्राक्कथन XLVII For Personal & Private Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकों का भी जिनका मैंने उल्लेख किया है उन सबका मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ । ग्रन्थ और परम्पराओं के चिन्तक एवं लेखक डॉ० शिवप्रसाद (वाराणसी) का मुझे जो सहयोग मिला है उसके लिए उन्हें साधुवाद और आशीर्वाद । माननीय उपाध्याय श्री भुवनचन्द्रजी महाराज का भी मैं ऋणी हूँ जिनकी प्रेरणा से नानीखाखर, कोडाय, माण्डवी और खंभात के ज्ञान भण्डारों की सूचियों का अवलोकन सुलभ हुआ और पार्श्वचन्द्रसूरि , खंभात के ज्ञान भण्डारस्थ दो प्रतियों की जीरोक्स कॉपी भी व्यवस्थापकों द्वारा प्राप्त हो सकी। मेरे आत्मीय महोपाध्याय श्री ललितप्रभसागरजी का भी मैं आभारी हूँ जिन्होंने इस ग्रन्थ का साङ्गोपाङ्ग अवलोकन कर भूमिका लिखी । गच्छ, खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास, खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रह और खरतरगच्छ साहित्य कोष के प्रकाशन की योजना विशाल और महत्वपूर्ण थी इस योजना में लगभग ९-१० लाख रूपये व्यय होने के अनुमान था फिर भी प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर के संस्थापक श्री डी० आर० मेहता ने इसे मुक्त हृदय से प्राकृत भारती की प्रकाशन योजना में स्वीकार किया और उनकी सतत् प्रेरणा रही की मैं इस कार्य को शीघ्र ही पूर्ण करूँ, अतः मैं उन्हें हृदय से साधुवाद देता हूँ । एम०एस०पी०एस० जी० चेरिटेबल ट्रस्ट के मैंनेजिंग ट्रस्टी श्री मंजुल जैन ने इसको संयुक्त प्रकाशन के रूप में सहयोग देकर मेरे इस कार्य को प्रगति प्रदान की है, उसके लिए मैं इनके प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ। मेरे सन्मित्र डॉ० पारस सूर्या को भी धन्यवाद देता हूँ जिनकी स्वास्थ्य सेवाओं के कारण ही मैं साहित्य कार्यों में निरन्तर प्रगति कर रहा हूँ । अन्त में आयुष्मान मंजुल, पुत्रवधु नीलम, पुत्र विशाल, पौत्री तितिक्षा और पौत्र वर्धमान के स्नेह, समर्पण और सहयोग के लिए ढेर सारे साधुवाद और अन्तरङ्ग आशीर्वाद । लेजर टाईप सेटिंग के लिए सागर सेठी को भी आशीर्वाद प्रदान करता हूँ । जयपुर २६ जनवरी २००६ XLVIII प्राक्कथन For Personal & Private Use Only म० विनयसागर Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ साहित्य कोश | प्रथम खण्ड (आगम, प्रकरण, उपदेश, विधि, 'चर्चा, चरित्र, काव्य, व्याकरण, कोश, छन्द, लक्षण, स्तोत्र, टान्स, आयुर्वेद, ज्योतिष, व्याख्यान, पूजा, रत्न-मुद्रादि शास्त्र, छत्तीसी आदि साहित्य कोश का अकारानुक्रम) For Personal & Private Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ श्री गौतमस्वामिने नमः ॥ ॥ श्री कुशलगुरुदेवाय नमः ॥ ॥ श्री जिनमणिसागरसूरिपादपद्मेभ्यो नमः ॥ खरतरगच्छ साहित्य कोश १. अगड़दत्त चौपाई, पुण्यनिधानगणि / विमलोदयगणि भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७०३ वैरागर,‘आदि–परमेसर धुरि प्रणमि करी..., अन्त-संवत गुण नभ मुनि शसि वरसई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ११३९ २. अगड़दत्त प्रबन्ध, श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६६ (१६३६), 'आदि–परम पुरुष परमेष्ठि जिन ..., अन्त - द्रव्यत भावत जागिइए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ९१५ ३. अगड़दत्त रास, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२५ वीरमपुर, ' आदि - पास जिणेसर पाय नमी ..., अन्त - तिह हुंती चविउ उत्तम ठांमि...', अ., उ. जैन गुर्जर कवि भाग-३, पृ. ६८६ ४. अगड़दत्त रास, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिपणमिय पंचम सुमति जिन...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५. अगड़दत्त रास, ललितकीर्त्तिगणि / लब्धिकल्लोल उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७९ भुजनगर 'आदि- नाभि महीपति सिरितिलउ..., अन्त - संवत् सोल इगिणासी वच्छरइरे श्री भुजनगर मझारि...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५०८ ६. अघटकुमार चौपाई, मतिकीर्त्ति उ० / गुणविनयोपाध्याय, रास चौपई, राजस्थानी, १६७४ आगरा, ‘आदि–आसापूरण पास प्रभु..., अन्त - क्रमि दीक्षा ले सिवपुर गयउ...', अ., उ. जैन कवि भाग-३, पृ. १०६८ ७. अघटकुमार महाधवराजा चौपाई, पुण्यशीलगणि / रामविजय उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२४३ ८. अघटित राजर्षि चौपाई, भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, लवेरा, 'अन्त- सोलसइ सतसट्ठइ संवते...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ९. अङ्कप्रस्तार, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, ज्योतिष, राजस्थानी, १७६१ गूढ़ा, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only १६६७ 3 Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०. अङ्ग फरकण चौपाई, हेमाणंदगणि / हरिकलश उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३९, 'आदि-श्री हरख प्रभु गुरु पय वंदि..., अन्त-संवत नंदभवण रसचंद... ', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११. अजापुत्र चौपाई, पद्मरत्न / विजयसिंह आद्यपक्षीय, 'रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ मेड़ता, अ. १२. अजापुत्र चौपाई, भावप्रमोदगणि/ भावविनयगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२६ बीकानेर, 'आदि- पारस प्रणमुं सदा...... अन्त-गुण गरुयाना गावतां...', अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर १३. अजापुत्र चौपाई, रूपभद्र / उदयहर्ष, रास चौपई, राजस्थानी, १७६८ देवीकोट, अ., ह. केशरियानाथ भं., जोधपुर १४. अजितनाथ जपमालाचित्र स्तोत्र, कीर्त्तिरत्नसूरि / जिनवर्द्धनसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४८६, 'आदि-जिनेन्द्रमानन्दमयं जितैन :..., अन्त-वर्षे रसाष्टाम्बुधिसोमरूपे... गा. ३७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर १५. अजितनाथ विज्ञप्तिका, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि - पायकमल पणमेवि... गा. २१', अ., ह. विनय प्रतिलिपि १६. अजितनाथ वीनती - खम्भात मण्डन, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-प्रगटिउं पुण्य प्रमाण... गा. १७', पुण्य विजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२०), विनय प्रतिलिपि ४१६ (१५) १७. अजितनाथ स्तुति टीका (मूल अर्थपरिहार द्वारा व्याख्यान्तररूपा ), मू. जयसागरोपाध्याय, टी. श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, स्तोत्र, संस्कृत, १६६९ जोधपुर, 'मूलादितीर्थसन्नायकं..., अन्त- कामदानक्षमा कामदा...', 'आदि टीका - श्रीमन्तमजितं नुत्वा, अन्तश्रीजिनेश्वरसूरीन्द्राद्यः', अ., ह. विनय प्रतिलिपि १८. अजितनाथ स्तोत्र - स्तम्भनपुर, जयधर्मोपाध्याय / जिनपद्मसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदिलावन्नामयकलियं सोहग्गविलास..., अन्त - जो नयरि पल्हणि सूरि जिणेसर... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १९. अजितनाथ स्तोत्र ( स्तंभतीर्थ - विधिचैत्यतीर्थालङ्कार), जिनपतिसूरि / मणिधारी - जिनचन्द्रसूरि स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि - विशदसंविदमस्तमिताविदं..., अन्त-इत्थं षोडशनव्यकाव्यकुसुमै... गा. १७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०. अजितनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-विश्वेश्वरं प्रथितमन्मथभूपमानं... गा. २१', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर २१. अजितनाथ स्तोत्र ( तारंगा ), तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदितारं तारङ्गदुर्गाधिपमजितपतिं ..., अन्त-इत्थं कारं सदारादितिजदिति... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा 4 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२. अजितशान्ति लघुस्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि अजितशान्तिजिनाधिपयोर्द्वयो... गा. १२', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (३), विनय. प्रतिलिपि २३. अजितशान्ति स्तोत्र , जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, आदि-शक्रसहस्र नयनोपि गुणावसानं..., अन्त–इत्युद्दाममकामकामित... गा. १५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४. अजितशान्ति स्तोत्र , जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, आदि कल्लोलानिव सैन्धवान्..., अन्त–सद्योजय्यजयां शिवप्रशमयोः... गा. १०', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि २५. अजितशान्ति स्तोत्र (नंदिषणीय) टीका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि , स्तोत्र, संस्कृत, १३६५ दशरथपुर, 'आदि-अजितशान्तिजिनाधिपयोः..., अन्त–चत्वारिंशत्समन्विता...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७५६६, अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६. अजितशान्ति स्तोत्र बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६वीं, 'अन्त–सविहुनई कल्याण हुवउ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १५८२, अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७. अजितशान्ति स्तोत्र भाषा, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-मंगल कमला कंदए..., अन्त–इम भगतिहि भोलिम भणी ए...', मु., बृहद्स्तवनावली पृ.५६ २८. अजितसेन कनकावती रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५१ पाटण, आदि-वीणा पुस्तक धारिणी..., अन्त चारित्र पाली मुनिवर सद्गति...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८४३ २९. अजितशांति स्तव बालावबोध, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १५९५ ३०. अञ्चल स्वरूप वर्णन चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७४ मालपुरा, 'आदि-विमल प्रभु मति विमल करि..., अन्त-सोलहसइ चउहत्तरइये...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा। ३१. अञ्जनासुन्दरी कथा, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. सिद्धक्षेत्र साहित्य मंदिर, पालीताणा २०४९ ३२. अञ्जनासुन्दरी चरित्र, गुणसमृद्धिमहत्तरा, चरित्र, प्राकृत, १४०७ जैसलमेर, अन्त–श्रीजैसलमेरपुरे विक्कमचउदहसतुत्तरे वरिसे... कृतिरियं श्रीजिनचंद्रसूरिशिष्यणीश्रीगुणसमृद्धि-महत्तरायाः...', मु., एल.डी. इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्डोलॉजी, अहमदाबाद, ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १२७८ खरतरगच्छ साहित्य कोश Foranormoneticotoonly Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३. अञ्जनासुन्दरी चौपई, जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७७३, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३४. अञ्जनासुन्दरी चौपई, कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७७३, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ३५. अञ्जनासुन्दरी प्रबन्ध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ० , रास चौपई, राजस्थानी, १६६२, _ 'अन्त-श्री खरतरगछि प्रगट पडूरि', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६. अञ्जनासुन्दरी रास, पुण्यभुवन / जिनरङ्गसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८४ उदयपुर, 'आदि-श्री गणधर गौतम प्रमुख..., अन्त–अञ्जना केरीय चोपई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५३३, भाग-३, पृ. १५१८ ३७. अञ्जनासुन्दरी रास, भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञाननंदी उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७०६ उदयपुर, 'आदि-करतां सगली साधना..., अन्त–महावीर राजान तणै...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १६४४८ ३८. अठारह नात्रा चौपई, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६१६, 'आदि–वीर जिणेसर पय नमिय..., अन्त–संवत सोलह सइ सोलोत्तर... गा. ५३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि ३९. अतिमुक्तक चरित्र, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, चरित्र, संस्कृत, १२८२, 'आदि श्रीमद्विश्वत्रयीनाथं नाथं..., अन्त–श्रीमत्प्रह्लादनपुरे पूर्णभद्रो...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १७३० ४०. अध्यात्म अनुभव योगप्रकाश, चिदानन्द द्वि., अध्यात्म, हिन्दी, १९५५ जावद, 'अन्त श्रीवर्द्धमान शासनपति...', मु. अभयदेवसूरि ग्र., बीकानेर ४१. अध्यात्मगीता, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, अध्यात्म, राजस्थानी, १८वीं लीबड़ी, 'आदि-प्रणमीए विश्व हित जैन वाणि..., अन्त-आत्मगुण रमण करवा...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ४२. अध्यात्मगीता बालावबोध, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, अध्यात्म, राजस्थानी, १८८० बीकानेर, 'अन्त-नभगज द्विप ससि तेरसे...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २८१ ४३. अध्यात्मप्रबोध, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, अध्यात्म, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. हितविजय भं., घाणेराव, अभय ग्र., बीकानेर प्रतिलिपि ४४. अध्यात्म रास (अध्यात्मकल्पद्रुम चौपई), रङ्गविलास / जिनचन्द्रसूरि (जिनसागरसूरि शाखा), रास चौपई, राजस्थानी, १७७७, 'आदि-परम पुरुष परमेसर रूप..., अन्त-लिख्यो शास्त्र भाषापणे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-२, पृ. ५३४ ४५. अध्यात्मशान्तरसवर्णन, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, अध्यात्म, राजस्थानी, १८वीं, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६. अनन्तनाथ स्तोत्र, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-सम्मत्तनाण दंसण... गा. २०', मु., कथा रत्नकोश जैन आत्मानंद सभा, भावनगर ४७. अनलसागर, मुनिचन्द्रोपाध्याय, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २५८०९ ४८. अनाथी सन्धि, विमलविनयगणि / नयरङ्ग उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४७ कसूरपुर, 'आदि-श्री जिनशासन नाइक नीकउ..., अन्त-जिन महिमा निध एह मुनिंद...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ४९. अनिट्कारिका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५०. अनिट्कारिका अवचूरि, क्षमामाणिक्य / जिनजय, व्याकरण, संस्कृत, १८वीं-१९वीं जालन्धर, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ५१. अनुत्तरोपपातिक दशा सूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-अथानुत्तरौपपातिकदशा..., अन्त–शब्दा केचन नार्थतो...', मु., आगमोदय समिति, सूरत ५२. अनुत्तरोपपातिक दशा सूत्र हिन्दी अनुवाद, वीरपुत्र आनन्दसागर / त्रैलोक्यसागर, आगम, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा ५३. अनुयोग चतुष्क गाथा, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-इह प्रवचने चत्वारोनुयोगा:..., अन्त-अस्माभिः प्रतिपादं प्राग्...', मु., अनेकार्थरत्नमंजूषा, पृ. १२७ ५४. अनूपशृङ्गार, उदयचन्द्र / कमलसिंह, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १७२८, अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर ५५. अनेक शास्त्रसार समुच्चय, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दनगणि, संग्रह, संस्कृत, १७वीं, उ. जैन साहित्यनो सं. इतिहास, पृ. ६००, देसाई ५६. अन्तकृद्दशाङ्ग सूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, १२वीं, 'आदि अथान्तकृद्दशासु किमपि..., अन्त–अनन्तागमपर्यये जिनवरोदिते शासने...', मु. आगमोदय समिति, सूरत ५७. अन्तकृद्दशाङ्ग सूत्र हिन्दी अनुवाद, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर महो०, आगम, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा ५८. अन्तरङ्ग फाग, रङ्गकुशलगणि / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. __ केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ५९. अप्रगल्भ्येति पद्यस्य षोडशार्थां, मुनिमेरुगणि / जिनोदयसूरि, अनेकार्थ, संस्कृत, १५वीं, अ., बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६०. अभयकुमारचरित्र महाकाव्य, चन्द्रतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि द्वि., महाकाव्य, संस्कृत, १३१२ खम्भात, 'आदि-आदौ धर्मोपदेष्टारं..., अन्त-इत्थं मयाभयकुमारऋषेश्चरित्रं... गा. ९६००', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३२२१ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१. अभयकुमारचरित्र प्रशस्तिः, श्रीकुमारगणि / जिनेश्वरसूरि द्वि., महाकाव्य प्रशस्ति, संस्कृत, १३१३ बीजापुर, 'अन्त-श्रीजिनेश्वरसूरिनाथ...', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर ६२. अभयकुमार चौपाई, पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, चौपई, राजस्थानी, १६५० जैसलमेर, 'आदि-अविचल सुख संपति..., अन्त–इम श्री अभयकुमार प्रबंध...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९२६ । ६३. अभयकुमार जयसाधु रास, कीर्तिसुन्दर (कान्हजी)/ धर्मवर्द्धन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ जयतारण, आदि-जग गुरु प्रणमुं वीर जिन..., अन्त-श्री श्रेणिक ने अभयकुमारनो...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६४. अभयकुमार रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५८ पाटण, 'आदि-मगधदेश रलीयामणो रे लाल..., अन्त-बीजी पिण तुझ मानी प्रार्थना रे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १०९ ६५. अभयकुमार रास, लक्ष्मीविनयोपाध्याय / अभयमाणिक्य, रास चौपई, राजस्थानी, १७६० मरोट, 'आदि-परतख सुरतरु सारिखो..., अन्त-बुद्धि अने समकित अधिकारे गाइयेरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ४५६ ६६. अभयंकर श्रीमती चौपाई, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, ___ १७२५, अ., ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता ६७. अभिधानचिन्तामणि नाममाला दीपिका टीका, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, कोश, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. मोहनलालजी संग्रह, सूरत ६८. अभिधानचिन्तामणि नाममाला टीका, रत्नविशालगणि / गुणरत्नगणि, कोश, संस्कृत, __१७वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ४३०५ ६९. अभिधानचिन्तामणि नाममाला सारोद्धार टीका, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, कोश, संस्कृत, १६६७ जोधपुर, 'आदि-श्रीमदर्हन्तमानम्य..., अन्त–प्रसीदताच्छारदा देवी...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३३३९, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं. पालीताणा ७०. अभिधानचिन्तामणि नाममाला भाषाटीका, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, कोश, राजस्थानी, १८२२ कालाऊना, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं. जैसलमेर, बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ११७, ३५०, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ४७३ ७१. अमरकुमार रास, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री आदीसर प्रथम जिन..., अन्त–इणिपरि दानतणां फल जाणी...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ७१. अमरकोश टीका, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, कोश, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३. अमरतेज धर्मबुद्धि रास, रत्नविमलोपाध्याय / कनकसार उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ७४. अमरदत्त मित्रानन्द रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४९ पाटण, 'आदि-श्री सरसति मतिदायिनी ..., अन्त - भावचंद सूरीसकृत श्री शांतिनाथ चरित्र...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - २, पृ. ९४, भाग-३, पृ. ११५७ ७५. अमरदत्त मित्रानन्द रास, यशोलाभगणि / गुणसेनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - स्वस्ति श्री जिनवर सकल... गा. अपूर्ण', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७६. अमरदत्त मित्रानन्द रास, लक्ष्मीप्रभोपाध्याय / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७६, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ९७७ ७७. अमरसेन जयसेन चौपाई, धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंहगणि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७८. अमरसेन जयसेन रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण, 'आदि-श्री शंखेश्वर पास प्रभु..., अन्त - निधि पांडव भक्ष संवत्सरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कवि भाग-२, पृ. ११० ७९. अमरसेन वयरसेन चौपाई, जयरङ्ग उ० (जैतसी) / पुण्यकलशगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०० जैसलमेर, 'आदि-जिनमुख कमल विलासिनी..., अन्त - संवत सतरइ देवाली दिनइरे...', अ., ह. अभय ग्र., , बीकानेर ८०. अमरसेन वयरसेन चौपाई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४४ पाटण, ‘अन्त-युगवेद मुनि शशि वछरई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ११५६ ८१. अमरसेन वयरसेन चौपाई, दयासारगणि / धर्मकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०६ शीतपुर, अ., क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ८२. अमरसेन वयरसेन चौपाई, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२४ सरसा, 'आदि - अक्षर राजा जिम अधिक..., अन्त - गरुओ श्री खरतरगच्छ गाजे...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ८३. अमरसेन वयरसेन चौपाई, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोद उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६६ सांगानेर, अ., ह. फूलचन्दजी झावक, फलौदी ८४ अमरसेन वयरसेन चौपाई, राजशीलोपाध्याय / साधुहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १५९४, 'आदि-प्रणमउ श्री जिनपास..., अन्त - खरतरगच्छ गुरु महिमावंत...', अ., उ. जैन गुर्जर विभाग - ३, पृ. ५४० ८५. अमरसेन वयरसेन सन्धि, रङ्गकुशलगणि / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४४ सांगानेर, ‘आदि-श्री जिन मुख वासिनि समरिज्जइ ..., अन्त - संवत सोल वरसि चमालइ ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 9 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७९१ ८६. अमरूशतक बालावबोध, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, काव्य, राजस्थानी, सोजत, 'अन्त - सतरे से इक्कनुबै अमरु शतक उदार...', अ., ह. बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ८७. अमृतधर्मगणि अष्टक, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदि-श्री वाचनाचार्यपदप्रतिष्ठा... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०७ ८८. अम्बड़ चरित्र चौपई, विनयसमुद्रगणि / जिनमाणिक्यसूरि ?, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- पहिलउ पणमउ आदि वलि...,, अन्त - कही मन भाव. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १६४९ अ., ह. ८९. अम्बड़ चरित्र भाषा, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, चरित्र, राजस्थानी, १८५४ पालीताणा, ‘अन्त-वाचक अमृतधर्मवर...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ९०. अयवंती सुकुमाल चौढालिया, कीर्त्तिसुन्दर (कान्हजी ) / धर्मवर्द्धन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७५७ मेड़ता, 'आदि- वंदु श्री महावीरना..., अन्त-संवत सतरे वरस सतावने...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४०४ ९१. अयवंती सुकुमाल रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४१ राजनगर, 'आदि-पास जिणेसर सेविइ..., अन्त - पास जिणेसर प्रतिमा थापी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, बालचन्द्र संग्रह, रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ९२. अयवंती सुकुमाल रास, धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंहगणि आद्यपक्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १५८४, 'आदि-जिणवर धुरि त्रेविसमोरे..., अन्त - एक चलइ सोम न पगे लागी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ११८ ९३. अरजिन स्तोत्र - सहस्त्रदलकमलमय- स्वोपज्ञ टीकासह, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'मूलादि - असुरनिर्जरबन्धुरशेखर ..., अन्त-इत्थं देवेन्द्रसङ्घ...', 'आदि टीका स्वकीयविद्यागुरुसत्प्रसादात्..., अन्त - खरतर गणजलधिसमुल्लासन...', मु., सुमतिसदन, कोटा, सम्पादक - म. विनयसागर ९४, अरजिन स्तोत्र सावचूरि, साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ९५. अरनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि- जय शरदसकलदशहयवदन... गा. १४', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २७२ ९६. अरणिकमुनि चौपई, राजहर्षगणि / ललितकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३२, ‘आदि-श्रीफलवधि प्रणमुं... अन्त- सदा सुख संपजइए...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६५१५ ९७. अरहन्त्रक चौपाई, राजहर्षगणि / ललितकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३२ दंतवासपुर, ‘आदि-श्री फलवधि प्रणमुं सदा ..., अन्त - अरहन्ना रिषि वंदीये...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर 10 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८. अरहन्नक चौपाई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्यपक्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७१२ बुरहानपुर, अ., ह. भट्टारक भं., नागौर ९९. अरहन्नंक प्रबन्ध, नयप्रमोदगणि / हीरोदयगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७१३, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १५२ १००. अरहन्नक रास, आनन्दवर्द्धन / महिमासागर, रास चौपई, राजस्थानी, १७०२ आनन्दपुर, 'आदि-सरसति सामिणि वीनवु रे..., अन्त–संवत सतर विडोत्तरई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १२४, ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १०१. अरहन्नक रास, विमलविनयगणि / नयरङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि वर्द्धमान चउवीसमउ..., अन्त-श्री खरतरगच्छ दीपता...', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर, मुकनजी संग्रह, बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १०२. अरहन्नक रास, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६५७, आदि पणमिय पास जिणंद..., अन्त-श्रीखरतरगच्छ नायक चिर जयौ...', अ. ह. अभय ग्र. बीकानेर, धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर १०३. अर्जुनमाली चौपाई, विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३८, __ अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १०४. अर्जुनमाली संधि, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६२१ वीरमपुर अ., ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता १०५. अर्बुदतीर्थ विज्ञप्ति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि-आबुय ऊपरि आदिजिणंदो... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १०६. अर्हद्दास चौपाई, खुशालचन्द / जयराम, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ., सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, पार्श्वनाथ जैन पुस्तकालय, सूरत । १०७. अर्हद्दास चौपाई, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२४, अ., ह. _ विनय. प्रतिलिपि १०८. अर्हद्दास प्रबन्ध, महिमसिंह (मानसिंह) / शिवनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७५ झूठापुर, अ., ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता १०९. अर्हदादि स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-मौनेनोर्वी व्यहतपरितो... गा. ८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ११० अलङ्कार मण्डन, मन्त्रिमण्डन / बाहड, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १५वीं मण्डपदुर्ग, मु., हेमचन्द्राचार्य सभा, पाटण १११. अल्पाबहुत्वगर्भित स्तव स्वोपज्ञटीकासह, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रकरण, प्राकृत-संस्कृत, १७वीं, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२. अवयदी शकुनावली, रायचन्द्र, शकुनशास्त्र, हिन्दी, १८१७ नागपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११३. अविदपदशतार्थी, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, अनेकार्थी, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रीमद्पार्श्वजिनेश्वरचरणांभोजं..., अन्त-आनन्दाय सुमित्राणां...', अ. ह. रा.प्रा.वि.प्र., कोटा, विनय. प्रतिलिपि ११४. अविदपदशतार्थी स्वोपज्ञ टीका ( अविदार्थमाला), विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, अनेकार्थी, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-नमामि श्रीमहावीर..., अन्त–प्रश्नप्रबोध्य मलंकेति...', अ. ह. रा.प्रा.वि.प्र., कोटा, विनय. प्रतिलिपि ११५. अविधिकुलक, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, विधि, प्राकृत, ११वीं, अ., कान्तिविजय संग्रह, छाणी ११६. अशनादिविचार चौपाई, राजसोमोपाध्याय / जयकीर्ति उ० जिनसागरसूरिशाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १७२९, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ११७. अष्टकप्रकरण टीका, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, उपदेश, संस्कृत, १०८० जालोर, आदि आविष्कृताशेषपदार्थसार्था..., अन्त–प्रत्यक्षरं निरूप्यास्या ग्रन्थमानं विनिश्चितम्... गा. ३३००', मु. जैन ग्रन्थ प्रकाशक सभा, अहमदाबाद, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८८३ ११८. अष्टकर्मविचार, रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्रोपाध्याय, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं. पालीताणा ८५६ ११९. अष्टप्रातिहार्य स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि स्वर्णसिंहासनं स्वामिनोध:स्थिति... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६ (१) १२०. अष्टमङ्गल-चतुर्दशस्वप्न श्लोक, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-स्वस्तिकं चारुसिंहासनं..., अन्त-शीघ्रमागच्छ भो... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली पृ. ३७९ १२१. अष्टमद चौपई, जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि प्रथम ऋषभ नमुं जिनराज..., अन्त–धन्न धन्न खरतरगच्छ सुरतरु...', मु., युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि, पृ. २९७ १२२. अष्टमीपर्वतिथि स्तुति, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि अर्हद्भाषितमात्मभावजनकं... गा. ४', मु., लब्धिकृतिसन्दोह पृ. ४३, ह. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई १२३. अष्टलक्षी-अर्थरत्नावली, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अनेकार्थी, संस्कृत, १६४९ लाहौर, 'आदि-श्रीसूर्यः श्रेयसे..., अन्त–यावच्चन्द्रदिवाकरौ...', मु., देवचन्द लालभाई जैन __पु., सूरत, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८२६३ १२४. अष्टा श्लोकवृत्ति, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, अनेकार्थी, संस्कृत, १७वीं, अ., . ह. यति ऋद्धिकरण संग्रह, चूरू खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५. आईय पल्लवितें श्लोकव्याख्या, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, 'अन्त - इति जगत्प्रसूश्लोको विहितः सूरचन्द्रसाधुना...', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ४४३८ 'आदि 2 १२६. आगम अष्टोत्तरी, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, सूविशाललोयणदलं...., अन्त - गुणिआ अप्पेइ बोहिफलं...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२६६६ १२७. आगमसार, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, सैद्धान्तिक प्रकरण, राजस्थानी, १७७६ मरोट, 'अन्त - संवत् सतर छिहत्तरे...', मु. अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, ह. विनय संग्रह, १५५ १२८. आगमसार (देवचन्द्रीय अनुवाद), चिदानन्द द्वि., प्रकरण, हिन्दी, २०वीं, मु., अभयदेवसूरि बीकानेर ग्रन्थमाला, १२९. आगमानुसार मुंहपत्ति निर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा १३०. आगमिकवस्तुविचारसार प्रकरण (षडशीति ), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-निच्छिन्नमोहपासं..., अन्त - जिणवल्लहोपणीयं...', मु. जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १४ १३१. आगमिकवस्तुविचारसार टिप्पणक, रामदेवगण / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, अपभ्रंश, १२वीं, अ., ह. विनय. संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १३२४ १३२. आचारदिनकर, वर्द्धमानसूरि / जयानन्दसूरि रुद्रपल्लीय, विधि, संस्कृत, १४६८ जालंधर नन्दनवनपुर, ‘आदि-तत्त्वज्ञान मयो लोके..., अन्त - जयति प्रथमोनृपति:...', मु. खरतरगच्छ ग्रन्थमाला, बम्बई, ह. विनय संग्रह, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७३६ १३३. आचारदिनकर लेखनप्रशस्तिः, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दर उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ग्रन्थमाला, बम्बई १३४. आचाराङ्गसूत्र टीका - आचार चिन्तामणि, जिनचन्द्रसूरि / आद्यपक्षीय, आगम, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-यस्योदये विमलकान्तिभृति प्रयाति..., अन्त - इति श्रीभावहर्षीय गच्छाधीश भट्टारक श्रीजिनोदयसूरि पदपङ्कजमधुकरे णाचार्य श्रीजिनचन्द्र सूरिणा विरचितायामाचारचिंतामणिनाम्यां वृत्तौ ...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २१६९१ १३५. आचाराङ्गसूत्र टीका दीपिका, जिनहंससूरि / जिनसमुद्रसूरि, आगम, संस्कृत, १५७२ बीकानेर, 'आदि-शासनाधीश्वरो जीयाद्..., अन्त - श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनसमुद्रसूरिपट्टालङ्कार श्री जिनहंसूरिविरचितायां...', मु., धनपतसिंह बहादुर, अजीमगंज १३६. आतमकरणी संवाद, महिसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपाई, राजस्थानी, १७११ मुलतान, 'आदि-श्री सर्वज्ञ नमि करी... गा. १७७, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर गुटका नं. ४१७ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 13 Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७. आत्मनिन्दा, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, गद्य साहित्य, राजस्थानी, १८८५, 'अन्त आतमनिन्दा आपनी ज्ञानसार मुनि कीन...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २०२ १३८. आत्मनिन्दाष्टक स्तोत्र , जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, अ., ह. हुंबडमन्दिर भण्डार, उदयपुर १३९. आत्मप्रबोध, जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, उपदेश, संस्कृत, १८३३ मिनराबंदर, 'आदि ___ अनन्तविज्ञानविशुद्धरूपं..., अन्त--यदुक्तमादौ स्वपरोपकृत्यै...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई १४०. आत्मप्रबोध हिन्दी अनुवाद, पद्मोदय / महिमाभक्ति, उपदेश, हिन्दी, २०वीं, मु. १४१. आत्मभावना अनुवाद सहित,लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत-हिन्दी, २०वीं, आदि प्रणम्य श्रीमहावीरं..., अन्त-श्री खरतरगच्छीया:... गा. १०८', मु., सुमति सदन, कोटा १४२. आत्मभ्रमोच्छेदनभानु शुद्धसमाचारिमण्डन, चिदानन्द द्वि, चर्चा, हिन्दी, १९५२ नागौर, मु. सुमति कार्यालय, कोटा, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, परिवर्धन कारक-श्रीमणिसागरजी १४३. आत्ममदप्रकाश चौपाई, धर्ममन्दिर वा. / हर्षकुशल वा., रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. २४२ १४४. आत्मानुशासनम्, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, उपदेश, प्राकृत, १३वीं, आदि-लक्षूण माणुसत्तं, अन्त–सूरिजिणेसरअप्पसासणं...',अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १५७/४०, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४५. आदिनाथ चरित्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, चरित्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-नमिय जिणमुसभमुभयंस..., अन्त-चउदसमेण सिवसुहं...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली १५१, सम्पादक-म. विनयसागर १४६. आदिनाथ चरित्र, वर्द्धमानसूरि / अभयदेवसूरि, चरित्र, प्राकृत, ११६० खम्भात, 'आदि नमह जुगाइजिणिंद..., अन्त–पुन्ने परे पवित्ते...', ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं. पालीताणा, मु., एल.डी. इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्डोलॉजी, अहमदाबाद १४७. आदिनाथ चौपई, कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. रामलाल संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३४९ १४८. आदिनाथ फाग, शिवसुन्दरोपाध्याय / क्षेमराज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं चित्तौड़, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४९. आदिनाथ विवाहलो, श्रीवन्त, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २६६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ १५०. आदिनाथ वीनती, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, आदि-विनेय विवेक विचार... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५१. आदिनाथ व्याख्यान, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, आगम, संस्कृत, १७वीं, 'अन्त-वादि हर्षनन्दन गणिकृतं गद्यमयं...', अ. ह. विनय. प्रतिलिपि 14 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२. आदिनाथ जन्माभिषेक स्तोत्र, वर्द्धमानसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि नानातीर्थसमाहितामलजलं..., अन्त–इत्यादि गंभीरमनोभिरामै वृत्त... गा. १४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५३. आदिनाथ स्तुति, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशील, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदि युगादितीर्थशङ्करं... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ १५४. आदिनाथ स्तुति-अर्बुदालङ्कार, सोममूर्त्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि वरमुत्तियहारसुतार... गा. ४', मु., गुजरात विधानसभा, अहमदाबाद १५५. आदिनाथ स्तोत्र, अभयतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि श्रीशत्रुञ्जयसिद्धक्षेत्र... गा. ३२', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १५६. आदिनाथ स्तोत्र-नगरकोट (हारबद्ध), जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'गा. २४', अ. १५७. आदिनाथ स्तोत्र-सिद्धक्षेत्रालङ्कार, जिनकुशलसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-विमलाचल विमलाचल... गा. १६', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० की लिखित प्रति, विनय. प्रतिलिपि १५८. आदिनाथ स्तोत्र-सिद्धक्षेत्रालङ्कार, जिनकुशलसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-सिद्धाचलश्रीललना... गा. १४', अ., ह. यति ऋद्धिकरण, चूरू, विनय. प्रतिलिपि १५९. आदिनाथ स्तोत्र , जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि विमलशैलमहावनिनायकं..., अन्त–शैलप्रधानविमलाचल... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १६०. आदिनाथ स्तोत्र-शत्रुञ्जय मण्डन, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीशत्रुञ्जयपूर्वशैलशिखरे... गा. १४', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० की लिखित प्रतिलिपि १६१. आदिनाथ द्वात्रिंशिका स्तोत्र (विरोधालङ्कार ऋषभस्तुति), जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, आदि–प्रीणन्तु जन्तुजातं... गा. ३४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १६२. आदिनाथ स्तोत्र - शत्रुञ्जय मण्डन, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-सुरेन्द्रवन्दारुशिर:किरीट..., अन्त–इति सरभसपादपीठीलुठन्क... गा. २४', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० की लिखित प्रति. १६३. आदिनाथ स्तोत्र - अर्बुदालङ्कार, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि द्वि., स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-उभावपि जगत्त्रयप्रभो... गा. १४', अ. १६४. आदिनाथ स्तोत्र, ज्ञानप्रमोद वा. / रत्नधीर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-विश्वप्रभु प्रणमत... गा. १४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 15 For Personal & Private Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६५. आदिनाथ स्तोत्र - विमलाचल, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि- तिजयजणपुज्ज... गा. १५', अ., ह. महिमाभक्ति बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० की लिखित प्रतिलिपि १६६. आदिनाथ स्तोत्र - षड्पत्तनालङ्कार, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४१४, 'आदि-थुणिसु छव्वट्टणे..., अन्त-इय थुणिय गुण तणु... गा. ३७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १६७. आदिनाथ स्तोत्र - देवराजपुरीय, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, समसंस्कृत- प्राकृत, १५वीं, ‘आदि–महिलामणि मरुदेवी..., अन्त - इत्येवं समसंस्कृतै... गा. २४', अ., ह. महिमाभक्ति- बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १६८. आदिनाथ स्तोत्र ( अर्बुदाचल), तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, — आदि-युगपदर्बुदशैलशिरोमणी..., अन्त - इत्थं श्री तरुणप्रभाद्भुत कृता... गा. २४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा - १६९. आदिनाथ स्तोत्र - सिद्धक्षेत्र, तरुणप्रभसूरि (तरुणकीर्त्ति ) / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, ‘आदि-विमलगिरिवरवतंस..., अन्त - इति जिनपति: सिद्धिक्षेत्र... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १७०. आदिनाथ स्तोत्र देवराजपुरीय, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-श्रीदेवराजपुरचन्दनपारिजातं ... गा. १४', अ. - १७१. आदिनाथ स्तोत्र - शत्रुञ्जय बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १५२८ मण्डपदुर्ग, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १७२. आदिनाथ स्तोत्र - त्रिवर्गपरिहार, लब्धिनिधानोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, ‘आदि-विमलशैलशिरोवरिभासुरं ..., अन्त - त्रिवर्गा संसगं त्रिभुवन निवासो...गा. १६ ' अ., हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४१८ १७३. आदिनाथ स्तोत्र विज्ञप्तिका, विजयतिलकोपाध्याय, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि- पहिलउ पणमिउ देव..., अन्त - इय रिसह जिणवरु सिद्धिसंयम वरसुन्दरी... गा. २१', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४१९-४२१ १७४. आदिनाथ स्तोत्र विज्ञप्तिका (विजयतिलकीय) अवचूरि, गजसारगणि / धवलचन्द्र उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. ताराचंदजी तातेड़, हनुमानगढ़ १५५२ १७५. आदिनाथ स्तोत्र विज्ञप्तिका ( विजयतिलकीय) बालावबोध, कमललाभोपाध्याय अभयसुन्दर उ०, स्तोत्र, अपभ्रंश, १७वीं, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ३१५४ 16 १७६. आदिनाथ स्तोत्र विज्ञप्तिका (विजयतिलकीय) बालावबोध, गुणविनयोपाध्याय / जयसम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७७. आदिनाथ स्तोत्र विज्ञप्तिका (विजयतिलकीय) बालावबोध, भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर ___ उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६९२ राजनगर, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर १७८. आदिनाथ स्तोत्र विज्ञप्तिका (विजयतिलकीय) बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६७४ १७९. आदिनाथ स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि विमलशैलशिरोमुकुटायितं... गा. २६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १८०. आदिनाथ स्तोत्र-सिद्धक्षेत्रालङ्कार-अवचूरि, समयराजोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८१. आदिनाथ स्तोत्र-नानाविधश्लेषमय, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-विनौति यो नो संकलानिकेतनं..., अन्त-एवं श्रीजिनचन्द्रसूरिसुगुरो... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६१५ १८२. आदिनाथावतार स्तोत्र, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. स्वकृत अविदपदशतार्थी १८३. आदिनाथ स्तोत्र लघु (शृङ्खलिकालङ्कार-देवराजपुर ), स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि धवत्त्वं मुक्ति कन्याया..., अन्त–त्वरया संस्तुतो देव... गा.७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १८४. आदीश्वर स्तोत्र-बीकानेर, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-प्राज्यां चरीकर्त्ति सुखस्य..., अन्त-एनां जिनेनांगसमा... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३८० १८५. आनन्द सन्धि, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८४ पुष्करणी, 'आदि-वर्द्धमान जिनवर चरण..., अन्त-संवत दिशि सिद्धि रस ससि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, मु., फलौदी १८६. आरात्रिकवृत्तानि , जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-लोणेण पिच्छिय सुनाण..., अन्त-भोयावि मंगलमिमं पुरओ... गा. १२', मु., युगप्रधान जिनदत्तसूरि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर १८७. आराधना , जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १८८ आराधना चौपाई , हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२३ नागौर, 'आदि-चउवीसे जिनवर पणमेवी..., अन्त-संवत भवण नयण रिति ससि...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ.७२७ १८९. आराधनाप्रकरण , अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९०. आरामशोभा कथा, जिनहर्षसूरि / जिनसुन्दरसूरि पिप्पलक, कथा, संस्कृत, १५३७, अ., ह. ज्ञान भं., लींबड़ी १९१. आरामशोभा कथा, मलयहंस / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक, कथा, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. कान्तिविजय संग्रह, छाणी १९२. आरामशोभा चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६१ पाटण, 'आदि-श्री सारद वरदायिनी ..., अन्त - आराम शोभानी परइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग- २, पृ. ११३ १९३. आरामशोभा चौपई, दयासारगणि / धर्मकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७०४ मुल्तान, अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १९४. आरामशोभा चौपई, राजसिंह वा. / विमलविनय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६८७ बाड़मेर, 'आदि-सकल कला गुण आगला..., अन्त - संवत सोलह सत्यासीई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ५४६ १९५. आरामशोभा चौपई, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलास उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५१ बीकानेर, 'आदि-सयल सुखकर पास जिणंद..., अन्त - जिण आराम कीयउ तइ तिणि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९६. आर्द्रकुमार धमाल, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४४ अमरसर, 'आदि-सकल जैनगुरु प्रणमुं..., अन्त-संवत सोल चमाला...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९७. आलोचनाविधिप्रकरण, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदिआलोयणाउ विहिणा..., अन्त - आलोइए गुणा खलु...', अ. ह. विनय प्रतिलिपि १९८. आषाढ़भूति चौपई, ज्ञानसागरोपाध्याय / क्षमालाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२४, ‘आदि-सकल ऋद्धि समृद्धिकर...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९०१९ १९९. आषाढ़भूति धमाल, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३८ खम्भात, 'आदि-श्री जिनवदनविनासिनी..., अन्त-संवत सोलई अठतीसई...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि २०० आषाढ़भूति प्रबन्ध, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२४ दिल्ली, 'अन्त - खरतरगच्छ वाचक थयउ...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर २०१ इक्षुकार चौपाई, अमर / सोमसुन्दरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २०२. इक्षुकारी चौपाई, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वजगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, 'आदिपणमिय वद्धमाण जिण सामिय..., अन्त - उत्तराध्ययनथी उधर्यो रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, विनय प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७०९४ 18 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०३. इच्छापरिमाण टिप्पणक, समयराजोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, विधि, राजस्थानी, १६६०, अ., ह. महताबसिंह संग्रह, बीकानेर २०४. इन्द्रियपराजयशतक टीका , गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, उपदेश, संस्कृत, १६६४ अहमदाबाद, आदि-प्रणम्य मृगलक्ष्माणं..., अन्त-श्रीमत्खरतरगच्छे...', मु. सन्मार्ग प्रकाशक अहमदाबाद २०५. इलापुत्र रास, गुणनन्दनगणि / ज्ञानप्रमोद वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६७५ विहारपुर, 'आदि-वीर जिणेसर नमवि करि..., अन्त-ऋषि मण्डल मांहि ए ऋषि काउ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २०६. इलापुत्र रास, रत्नविमलोपाध्याय / कनकसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८३९ राजनगर, 'आदि-सकल सिद्ध अरिहंतने..., अन्त–इण विध भाव कयो जिनराजे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३९ २०७. इलायचीकुमार चौपाई, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७५१ जीवातरोग्राम, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २०८. ईर्यापथिकी षट्त्रिंशिका मूल, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चर्चा, प्राकृत, १६४०, 'आदि-पणमिय पास जिणंदं..., अन्त–इरियावहिअसरूवं...', मु. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २०९. ईर्यापथिकी षट्त्रिंशिका स्वोपज्ञ टीका, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चर्चा, संस्कृत, १६४१, आदि-जैनचन्द्रं वचः स्मृत्वा..., अन्त–राजन्वति श्रीजिनचन्द्रसूरि...', मु. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २१०. ईर्यावही मिथ्यादुष्कृत बालावबोध, राजसोमोपाध्याय / जयकीर्त्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २११. ईसरशिक्षा, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर २१२. उंदर रासो, राजसोमोपाध्याय / जयकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २१३. उक्तिसंग्रह ( उक्तिरत्नाकर ), साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्त्ति उ०, कोश, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-स्मृत्वा श्री भारती देवी..., अन्त-राजन्वती श्रीजिनराजसंतति...', अ., ह. विनय. __ प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७२८६ २१४. उक्तिसमुच्चय, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, कोश, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१५. उत्तमकुमार चरित्र, चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १५७१, आदि वंदित्वा स्वगुरुन् भक्त्या..., अन्त-श्री भक्तिलाभशिष्येण...', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर, ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा खरतरगच्छ साहित्य कोश 19 For Personal & Private Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६. उत्तमकुमार चरित्र, पूर्णसागर / छगनसागर गणाधीश, कथा चरित्र, संस्कृत, १९६५, अन्त बाणांगनंद चन्द्राब्दे...', मु., टिप्पणी - पूर्णसागर की आज्ञा से भगवती लाल ने संस्कृत में अनुवाद किया। २१७. उत्तमकुमार चरित्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दर, चरित्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २१८. उत्तमकुमार चौपई, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७०८ गैसलमेर, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २१९. उत्तमकुमार चौपई, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७३२, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २२०. उत्तमकुमार चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४५ पाटण, 'आदि-चरम जिणेसर चित्त धरु..., अन्त-भूतवेद सायर शशी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ९०, भाग-३, पृ. ११५४ २२१. उत्तमकुमार चौपई, तत्त्वहंस, रास चौपई, राजस्थानी, १७३१ महाजननगर, अ., ह. विनयचन्द भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८३०७ २२२. उत्तमकुमार चौपई, महिमसिंह (मानसिंह) / शिवनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७२ महिम, अ., ह. भट्टारक भं., नागौर २२३. उत्तमकुमार चौपई, महीचन्द्र / कमलचन्द्रगणि लघुखरतर, रास चौपई, राजस्थानी, १५९१ जवणपुर, 'आदि-पहिलउ पणमउ आदि जिण..., अन्त–दानि भोग लाभई जु अपार...', अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, जयचन्द संग्रह, रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २२४. उत्तमकुमार चौपई, विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि जिनसागरसूरिशाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १७५२ पाटण, 'आदि-एकदन्तो महावीर्यो..., अन्त–वस्त्र दान नै ऊपरै रे..', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०८ २२५. उत्तमपुरुषकुलक, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १४वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २२६. उत्तराध्ययनसूत्र टीका सर्वार्थसिद्धि, कमलसंयमोपाध्याय / जिनवर्द्धनसूरि, आगम, संस्कृत, १५४४, आदि-श्रीवर्द्धमानजिनराजगुरुक्रमाब्ज..., अन्त–अस्तिचांद्रकुलंनित्य...', मु., विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २२७. उत्तराध्ययन सूत्र दीपिका, चारित्रचन्द्रगणि / जयरङ्गगणि, आगम, संस्कृत, १७२३ रिणी, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २२८. उत्तराध्ययन सूत्र लघुवृत्ति, तपोरत्नगणि / क्षेमकीर्त्तिगणि, आगम, संस्कृत, १५५०, अ., ह. ज्ञान भं., लीबंडी 20 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२९. उत्तराध्ययन सूत्र टीका मकरन्दोद्धार, धर्ममन्दिर वा. / दयाकुशल, आगम, संस्कृत, १७५०, अ., ह. ज्ञान भं., लीबंडी २३०. उत्तराध्ययन सूत्र टीका दीपिका, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, आगम, संस्कृत, १८वीं, आदि-अर्हन्तो ज्ञानभाजः सुरनरमहिता..., अन्त–गच्छे स्वच्छतरे बृहत्खरतरे...', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर २३१. उत्तराध्ययन सूत्र टीका, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दर उ०, आगम, संस्कृत, १७११ बीकानेर, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १५७७ २३२. उत्तराध्ययन सूत्र बालावबोध, अभयसुन्दरगणि / समयराज उ०, आगम, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २३३. उत्तराध्ययन सूत्र बालावबोध, कमललाभोपाध्याय / अभयसुन्दर उ०, आगम, राजस्थानी, १६७४-१६९९ के मध्य, 'आदि-पणमिय सिरि पहु पासं..., अन्त-समयराजोपाध्यायान्तेवासी वाचनाचार्य श्री अभयसुंदरगणि विनेय श्री कमललाभोपाध्याय विरचित...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २३४. उत्सूत्रपदोद्घाटनकुलक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, मु., जिनदत्तसूरि चरित्र उत्तरार्द्ध, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २३५. उत्सूत्रपदोद्घाटनकुलक (कुमतिमत ) खण्डन, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चर्चा, प्राकृत, १६६५ नवानगर, मूलाआदि–पणमिय वीरजिणंद..., अन्त-एवं चामुंडियमय..., मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २३६. उत्सूत्रपदोद्घाटनकुलक (कुमतिमत) खण्डन, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चर्चा, संस्कृत, १६६५ नवानगर, आदि-प्रणम्य रम्यशर्माणो..., अन्त-विक्र मतः शररसरसशशिवर्षे ... गा. १२५०, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २३७. उदयस्वामित्व यन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दरगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १४०३, विनय. प्रतिलिपि २३८. उदयविलास, जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २३९ उदयस्वामित्व पञ्चाशिका, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, प्राकृत, १८वीं, 'आदि-वंदित्तु वद्धमाणं..., अन्त–सिरि राजसारपाढग.... गा. ५०', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि २४०. उद्गच्छत्सूर्यबिम्बाष्टक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-चतुर्यामेषु शीता यामिनी..., अन्त-रवेः प्रकाशं बिब...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जिलि, पृ. ४९६ २४१. उद्यम कर्म संवाद, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६९९ किसनगढ़, अन्त–संवत सोल निन्याणवै किसनगढे सुखकार...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 21 For Personal & Private Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२. उद्यम कर्म संवाद, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. तेरापंथी सभा, सरदारशहर २४३. उपकेश शब्दव्युत्पत्ति, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, अनेकार्थी, संस्कृत, १६५५ बीकानेर, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २४४. उपदेशकुलक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, उपदेश, प्राकृत, १२वीं, 'आदि वंदियजियसव्वभयं..., अन्त–इयजिण जिणदत्तसु', मु., युगप्रधान जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २४५. उपदेशकुलक (जिनदत्तसूरि ) हिन्दी अनुवाद, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, उपदेश, हिन्दी, २१वीं, मु. २४६. उपदेशकुलक, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, उपदेश, प्राकृत, १४वीं, अ., ह. जैन साहित्य मन्दिर, पालीताणा २४७. उपदेशकोश, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, उपदेश, प्राकृत, ११वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २४८. उपदेश पद टीका, वर्द्धमानसूरि (मूल - हरिभद्रसूरि), औपदेशिक, संस्कृत, १०५५, 'आदि-वन्दे देवनरेन्द्रवृद्विनुतं..., अन्त-सिद्ध्यै संसारभयात्... गा. ६४१३', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४२४, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २१४ २४९. उपदेश मणिमाला, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, उपदेश, प्राकृत, ११वीं, आदि-जीव दयाइ रमिज्यइ...', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्दगच्छ भं. प्रति नं. ३७६ २५० उपदेशमालाबृहवृत्ति, वर्द्धमानसूरि / उद्योतनसूरि, उपदेश, संस्कृत, ११वीं, मु., जिनशासन आराधना ट्रस्ट, बम्बई, ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २५१. उपदेशमाला - संस्कृत पर्याय तथा स्तबक, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार उ०, उपदेश, ___राजस्थानी, १६९० जोधपुर, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर २५२. उपदेशमाला बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, उपदेश, राजस्थानी, १६वीं, अ. २५३. उपदेशमाला स्तबक, कमलकीर्त्तिगणि / कल्याणलाभ वा., उपदेश, राजस्थानी, १६९४, ___ 'अन्त-वेदनिधि कायचंद्रे', अ. २५४. उपदेशमाला स्तबक, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, उपदेश, राजस्थानी, १६६९, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २५५. उपदेशरसायन, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, उपदेश, अपभ्रंश, १२वीं, मु., गायकवाड ओरियन्टल इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा २५६. उपदेशरसायन टीका, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, उपदेश, संस्कृत, १२९२, अन्त इतिजिनपतिसूरेः शिष्यो...', मु., गायकवाड़ ओरियन्टल इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा 22 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५७. उपदेशसप्तप्तिका स्वोपज़टीका, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, प्रकरण, प्राकृत-संस्कृत, १५४७ हिसार, 'मूलादि - तित्थंकराणं..., टीकादि - विश्वाभीष्टविशिष्ट...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४६९३ । २५८. उपधानविधिपंचाशक प्रकरण, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. खम्भात भं. ताड़पत्रीय प्रति. २५९. उपधानतप चैत्य वंदन स्तवन स्तुति, जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागर, विधि गीत स्तवन, हिन्दी, १९९८, 'आदि-स्वस्तिश्री सुखकर सदा...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६०. उपमितिभवप्रपंच कथारास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४५ पाटण, 'आदि-वाग्देवी वरदायिनी..., अन्त–तथा परापर जनमते...', अ., कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २१५४०, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११६० २६१. उपमितिभवप्रपंच कथा हिन्दी अनुवाद, म. विनयसागर / जिनमणिसागरसूरि, कथा काव्य, हिन्दी, २१वीं, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २६२. उपमितिभवप्रपञ्चकथासारसमुच्चय, वर्द्धमानसूरि / उद्योतनसूरि, कथा चरित्र, संस्कृत, ११वीं, मु. २६३. उपसर्गमण्डन, मन्त्रि-मण्डन / बाहड़, व्याकरण, संस्कृत, १५वीं मण्डपदुर्ग, मु., हेमचन्द्राचार्य सभा, पाटण २६४. उपसर्गहर स्तोत्र टीका ( भद्रबाहु), जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, अ., उ. जिनरत्नकोद्म, जैन ग्रन्थावली २६५. उपसर्गहर स्तोत्र टीका ( भद्रबाहु ), जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३६५ साकेतपुर, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २६६. उपसर्गहर स्तोत्र बालावबोध, दानविनय / धर्मसुन्दर उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह, मानमल कोठारी संग्रह, बीकानेर २६७. उपसर्गहर स्तोत्र बालावबोध, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६४६ जैसलमेर, 'अन्त-बालावनाम बोधाय...', अ. ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २६८. उपसर्गहर स्तोत्र पादपूर्ति पार्श्वजिन स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि–पणमिय सुरनरपूइया... गा. २२', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६९. उपासकदशाङ्गसूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, १२वीं, 'आदि श्रीवर्द्धमानमानम्य..., अन्त–सर्वस्यापि स्वकीयं...', मु., आगमोदय समिति, सूरत २७०. उपासकदशाङ्गसूत्र बालावबोध, हर्षवल्लभगणि / जिनचन्द्रसूरि, आगम, राजस्थानी, १६९२ राजनगर, आदि–प्रणम्य श्री महावीरं जगदानन्ददायकं..., अन्त–दृग्नंदरस चंद्राब्दे श्री राजनगरे कृता...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 23 For Personal & Private Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७१. उपासकदशाङ्गसूत्र हिन्दी अनुवाद, विनयश्री / हुल्लासश्री, आगम, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा २७२. ऋजुप्राज्ञव्याकरण, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, 'आदि– प्रणम्य जगतामीशं ..., अन्त- श्रीमत्खरतरगच्छीय वाचनाचार्य श्रीरत्नसार श्रीरत्नहर्ष...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर २७३. ऋषभजिन स्तव - पुण्डरीकगिरिमण्डन ( कातन्त्रसंधिसूत्र गर्भित ), जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूर, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि- सिद्धो वर्णस्समाम्नाय... गा. २३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि २७४. ऋषभदत्त चौपाई, रत्नवर्द्धन / रत्नजय उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३३ शंखवती, — आदि–वामानंदन परगडो तेवीसमो जिनराय ..., अन्त - भगवंत दाख्यो शुद्ध हृद...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. १२८५ २७५. ऋषभदत्त रूपवती चौपाई, अभयकुशलगणि / पुण्यहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३७ महाजन, 'आदि-पास जिणेसर प्रणमतां..., अन्त - पूरवभव वातां सुणी...', अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर, अनन्तनाथ ज्ञान भं., बम्बई २७६. ऋषभदेव स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-जय वृषभवृषभवृषविहितसेव..., अन्त-भावारितमोभरतरणिरूप...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली पृ. ३६९ २७७. ऋषभदेवाज्ञा स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदिनयगमभंगपहाणा... गा. ११', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर, जैन स्तोत्र संदोह, भाग - १ २७८. ऋषभपञ्चाशिका टीका ( धनपालीय), प्रभानन्दसूरि / देवभद्रसूरि रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'अन्त–श्री श्रीप्रभानन्दाचार्यविरचिता...', मु., देवचन्दलाल भाई जैन पु., सूरत, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३०५१ २७९. ऋषभभक्तामर स्तोत्र स्वोपज्ञ टीका सह, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-नमेन्द्रचन्द्र कृतभद्र जिनेन्द्रचन्द्र..., अन्त - श्रीमन्मुनीन्द्रजिनचन्द्रयतीन्द्र शिष्यं...', मु., समयसुन्दर कृति कु. पृ. ६०४, ह., कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २९०५ २८०. ऋषिभाषित सूत्र हिन्दी अनुवाद, विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, आगम, हिन्दी, २१वीं, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २८१. ऋषिमण्डलप्रकरण अवचूरि, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, प्रकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २८२. ऋषिमण्डलप्रकरण अवचूरि, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रकरण, संस्कृत, १६६२ सांगानेर, अ. 24 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८३. ऋषिमण्डलप्रकरण टीका, पद्ममन्दिरगणि / गुणरत्नसूरि कीर्तिरत्नसूरिशाखा, प्रकरण, संस्कृत, १६५३ जैसलमेर, ‘आदि–वन्दे सारस्वतं ज्योतिं ..., अन्त - एनां जेसलमेरुनाम्निनगरे...', मु., फूलचन्द खीमचन्द वलाद, ह. विनय प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २३४ २८४. ऋषिमण्डलप्रकरण टीका, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, प्रकरण, संस्कृत, १७०४, — आदि–स्वस्तिश्रीसुखकर्तारं ..., अन्त - श्रीवर्धमान जिनवर चरणाग्र...', अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२०२६ २८५. ऋषिमण्डल स्तव, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, ११वीं, 'गा. २७', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., कोटा २८६. ऋषिमण्डल स्तव, संघतिलकसूरि / रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'गा. ३६', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २८७. ऋषिमण्डल स्तव, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदिश्री गौतमप्रकटिते स्फुटपञ्चवर्ण... गा. ४', अ. २८८. ऋषिदत्ता चौपाई, क्षमासमुद्र / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिश्रीश्रीसीमंधरप्रमुख विहरमाण..., अन्त - मत कांई कांढो इणमें खोडी...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४०० २८९. ऋषिदत्ता चौपाई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६३ खम्भात, 'आदि-पुरषादेय उदयकरु..., अन्त - इणपरिश्री रिषिदत्ता केरउ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २९०. ऋषिदत्ता चौपाई, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १६९८, बीकानेर अ., ह. अभय ग्र., २९१. ऋषिदत्ता चौपाई, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं मुलतान, अ. ह. जैन भवन, कलकत्ता, अभय ग्र., बीकानेर २९२. ऋषिदत्ता चौपाई, प्रीतिसागर / प्रीतिलाभ जिनरङ्गीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७५२ राजनगर, 'आदि-पास जिणेसर पय नमी ..., अन्त - ऋषिदत्ता राय शिव सुख पामीयारै...', अ., ह. पूरनचन्द नाहर संग्रह, कलकत्ता २९३. ऋषिदत्ता चौपाई, रङ्गसारगणि / भावहर्षसूरि भावहर्षी, रास चौपई, राजस्थानी, १६२६ जोधपुर, आदि-पढ पणमिय पढम पणमिय तित्थ चउवीस..., अन्त - श्री मंडोवर मंडोवर मंडणउ सामीय...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २९४. ऋषिदत्ता रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४९ पाटण, 'आदिश्री शान्तीसर सोलमउ..., अन्त- सती सिरोमणि रिषिदत्ता सती...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ११६३ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 25 Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९५. एकाक्षर वर्द्धमान चतुर्विंशति जिन स्तव, लोकहिताचार्य / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-युगादौ जयदुद्धर्तु... गा. २५', मु., अनुसंधान अंक २५ २९६. एकादशी प्रबन्ध, अमर / सोमसुन्दरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७११, अ., ह. वर्द्धमानबड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २९७. एकादशी स्तुति सटीक, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तुति, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. कांतिविजय संग्रह, बड़ौदा २९८. एकादिशतपर्यन्तशब्दसाधनिका, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. यतिरामलाल संग्रह, भीनासर, यति विष्णुदयाल संग्रह, फतहपुर २९९. एकविंशतिस्थानकप्रकरण, अवचूरि धर्ममेरु / चरणधर्म, प्रकरण, संस्कृत, १६७६ पूर्व, अ., ह. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर ३००. एक सौ अड़तीस वक्तव्य, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चर्चा, राजस्थानी, १७वीं, अ. ह. विनय प्रतिलिपि ७८० ३०१. ओकेशोपकेशपदद्वयदशार्थी, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, एनेकार्थी, संस्कृत, १६५५, 'आदि-ओकेश शब्दस्यार्थाः लिख्यन्ते..., अन्त - सं. १६५५ वर्षे श्रीमद्विक्रमनगरे.... श्रीसिद्धसूरीश्वराणामाग्रहत...', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३०२. औपपातिकसूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, १२वीं, 'आदिश्रीवर्द्धमानमानम्य ..., अन्त - चन्द्रकुलविपुलभूतल...', मु., आगमोदय समिति, सूरत ३०३. औपपातिकसूत्र हिन्दी अनुवाद, जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागर, आगम, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३०४. ओसवाल रास, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिश्री सरश्वति आपै सुमति...., अन्त-जपां न्याति जस जोड़... गा. ५४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३०५. कथाकोष, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कथा चरित्र, संस्कृत, १६६७ मरोट, अ., ह. विनय प्रतिलिपि [ अपूर्ण प्रति ] ३०६. कथाकोश प्रकरण, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, कथा चरित्र, प्राकृत, ११०८ डीडवाणा, ‘आदि–नमिउण तित्थनाहं..., अन्त - सिरिवद्धमाण मुणीवर...', मु., सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, सिरिपयरणसंदोह ३०७. कथाको प्रकरण स्वोपज्ञ टीका, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, कथा चरित्र, संस्कृत, ११०८ डीडवाणा, 'आदि - तत्वा जिनं गुरुं ..., अन्त - विक्कमनिवकालाओ...', मु., सिंघी जैन ग्रन्थमाला ३०८. कथारत्नकोश, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, कथा चरित्र, प्राकृत, ११५८ भरुच, 'आदिपडिबिंबियपणयजणा..., अन्त- चंदकुले गुणगणवद्धमाण...', मु., जैन आत्मानंद सभा, भावनगर 26 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०९. कनकरथ चौपई, कनकनिधान / चारुदत्त, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३१०. कन्यानयन तीर्थकल्प , सोमतिलकसूरि / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, इतिहास, संस्कृत, १४वीं, अ. ३११. कयवन्ना चौढालिया , जिनोदयसूरि / जिनतिलकसूरि भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२, अ., ह. हुंबड़ मंदिर भं., उदयपुर ३१२. कयवन्ना चौपई , ज्ञानसागरोपाध्याय / क्षमालाभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६४, 'आदि-स्वस्ति श्री दायक सदा..., अन्त–इम जाणी फल दांनना...', अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९१८८ ३१३. कयवन्ना चौपई, विनयमेरुगणि / हेमधर्मगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८९ बुरहानपुर, 'आदि प्रणमु कमल निवासनी..., अन्त–द्यउ तुम्ह दान अभगंइ...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१४. कयवन्ना चौपई, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविशाल, रास चौपई, राजस्थानी, १६६३ सेत्रावा, 'अन्त–संवत सोलसइ त्रेसठइ रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३१५. कयवन्ना रास, जयरङ्ग उ० ( जैतसी) / पुण्यकलश उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२१ बीकानेर, 'आदि-स्वस्ति श्री सुखसंपदा..., अन्त–कवियण वचने रचना कीधी... गा. १९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द्र संग्रह, चित्तौड़ ३१६. कयवन्ना रास, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८९ बुरहानपुर, अ., - ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१७. कयवन्ना रास , लाभोदय / भुवनकीर्त्ति, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं जयपुर, अ., ह. जैन भवन, कलकत्ता ३१८. कयवन्ना रास सन्धि, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५४ महिमपुर, 'आदि–पणमिय पास जिणेसर पाया..., अन्त-युग प्रधान जिनचंद्र सूरिराजइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८२९ ३१९. करखंडू प्रत्येकबुद्ध चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६४ आगरा, 'अन्त-गच्छबड़ा खरतर गुरुबड़ा...', मु., आनन्द काव्य महोदधि, भाग-७ ३२०. करसंवाद सन्धि, अभयसोमगणि / सोमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४७, आदि सोवन वर्ण शरीर में..., अन्त-कर संवाद कतुहल मैं कह्यौजी...', अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर ३२१. कर्पूरप्रकरण टीका, जिनसागरसूरि / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक, प्रकरण, संस्कृत, १६वीं, 'आदि-लक्षजिनेशपेशलरदज्योत..., अन्त–सुभाषितावली कृता...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १०७७४, चारित्र - रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, कान्तिविजय संग्रह, छाणी खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२. कर्पूरप्रकरण बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १५३४ से पूर्व, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर, संघ भं., पाटण ३२३. कर्पूरमञ्जरी सट्टक टीका, धर्मचन्द्रगणि / जिनसागरसूरि पिप्पलक, नाटक, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. रॉयल एशियाटिक सोसाइटी, बम्बई ३२४. कर्मग्रन्थ स्तबक, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, प्रकरण, संस्कृत, १७वीं, 'आदि श्रीमद्ववीरजिनं नत्वा...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३२९०, पूरनचन्द नाहर संग्रह, कलकत्ता ३२५. कर्मग्रन्थ विवरण, जिनकीर्त्तिसूरि / जिनविजयसूरि जिनसागरसूरिशाखा, प्रकरण, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ३२६. कर्मग्रन्थ चतुष्टय स्तबक, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३२७. कर्मग्रन्थ पञ्चक (१ से ५) स्तबक, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रणिपत्य जगन्नाथं..., अन्त-श्रीमत्पाठक राजसार...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ३२८. कर्मग्रन्थादि यन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दर, प्रकरण, राजस्थानी, १८७५ किशनगढ़, 'आदि-पंचमकर्मग्रन्थ यन्त्र.... अन्त-सय अढार पिचहत्तरे...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३२९. कर्मचन्द्रवंशप्रबन्ध, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्यगणि, ऐतिहासिक काव्य, संस्कृत, १६५० लाहौर, म., सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई ३३०. कर्मचन्द्रवंशप्रबन्ध टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, काव्य, संस्कृत, १६५६ तोसामपुर, मु., सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई ३३१. कर्मचन्द वंशावली रास, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५५ सधरनगर, 'आदि-फलवधि पास प्रमाण करि..., अन्त–सोलहसइ पंचावन तणइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३२७ ३३२. कर्मबन्धविचार, रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्रोपाध्याय, प्रकरण, राजस्थानी, १९०७ ग्वालियर, 'आदि-कर्मबन्ध सुविचार..., अन्त-जड़ चेतन परजाय करमबंध इ जो कह्यौ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३४६ ३३३. कर्मविचारसार प्रकरण, साधुरङ्ग उ० / भुवनसोम उ० आद्यपक्षीय, प्रकरण, प्राकृत, १६वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३३४. कर्मविपाक कर्मस्तव स्तबक, सुमति / जयकीर्त्तिगणि पिप्पलक, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर 28 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३५. कर्मसम्वेध प्रकरण, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, प्राकृत, १८वीं, 'आदि सिरिवीरनाहनाणं..., अन्त–तस्सीसेणय भणीअं...', मु., श्रीमद्देवचन्द्र अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा, ह. खरतरगच्छ भं., जयपुर ३३६. कर्मस्तव स्वोपज्ञ टीकासह, कमलसंयमोपाध्याय / जिनवर्द्धनसूरि, प्रकरण, प्राकृत संस्कृत, १५४९, अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद, भाण्डारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना ३३७. कर्मस्तव स्वोपज्ञ टीकासह, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, अ., उ. पाइअभाषा अने साहित्य, पृ. १६० ३३८. कर्मस्तव भाष्य, रामदेवगणि / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १२वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३३९. कलावती चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७३ सांगानेर 'आदि-वणमी पदमप्रभ धणी श्री जिनकुसल सूरिंद..., अन्त–सुद्धि क्रिया जेहनी जगि कहीये...', अ., ह. ज्ञान भं., पादरा, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ८३७ ३४० कलावती चौपई, रङ्गविनयोपाध्याय / जिनरङ्गसूरि जिनरङ्गीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७०६ खम्भात, 'अन्त-संवत सतरयसय छिडोतरइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४१. कलावती चौपई, विद्यासागरगणि / सुमतिकल्लोल उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७३ नागौर, 'आदि–प्रणमी आदि जिणिंद पहु..., अन्त-कलावती गुण गावतां...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ९६६ ३४२. कलावती चौपई, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६७, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३४३. कलावती रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण, अ., ह. बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९१८६ ३४४. कल्पप्रकरण बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं, अ. ३४५. कल्पसूत्र टीका कल्पसुबोधिका, कीर्त्तिसुन्दर (कान्हजी) / धर्मवर्द्धन उ०, आगम, संस्कृत, १७६१, अ., बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ३४६. कल्पसूत्र टीका (पर्युषणा कल्पसूत्र ), केशरमुनि पंन्यास / हेममुनि, आगम, संस्कृत, १९९३, 'आदि–प्रणम्य श्रीजिनं वक्ष्ये..., अन्त–श्रीमद् वीर जिनेन्द्र तीर्थतिलक...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ३४७ कल्पसूत्र संदेहविषौषधि टीका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, आगम, संस्कृत, १३६४ अयोध्या, 'आदि-अथ पर्युषणेति कः..., अन्त–वाञ्छितसिद्धिपारम्...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५९३२, ३५०६ खरतरगच्छ साहित्य कोश 29 For Personal & Private Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४८ कल्पसूत्र संदेहविषौषधि (चतुर्दशशस्प्रानां), राजसोमोपाध्याय / जयकीर्त्ति उ० जिनसागरसूरिशाखा, आगम, संस्कृत, १७०६, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३४९. कल्पसूत्र टीका (कल्पद्रुमकलिका), लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, आगम, संस्कृत, १८वीं, 'आदि- श्री वर्द्धमानस्य जिनेश्वरस्य..., अन्त-श्री मजिनादिकुशल: कुशलस्य...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ३५०. कल्पसूत्र टीका, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि उ०, आगम, संस्कृत, २०वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., माण्डवी ३५१. कल्पसूत्र टीका समाचारी, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, आगम, संस्कृत, १७वीं, अ., विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ३५२. कल्पसूत्र टीका कल्पमञ्जरी, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, आगम, संस्कृत, १६८५, 'आदि-श्रीनाभेय जिनेश्वरो..., अन्त–गच्छाधीशे राजति...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११९०० ३५३. कल्पसूत्र टीका कल्पलता, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आगम, संस्कृत, १६८५ रिणी, 'आदि-प्रणम्य परमं ज्योतिः..., अन्त-श्रीशासनाधीश्वर वर्द्धमानो...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई, ह. विनय प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३५४. कल्पसूत्र टीका कल्पचन्द्रिका, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्यपक्षीय, आगम, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता ३५५. कल्पसूत्र बालावबोध, म० ऋद्धिसार (रामलाल) / कुशलनिधान उ०, आगम, हिन्दी, १९४८ बालूचर, आदि-वर्द्धमानं जिनंनत्वा..., अन्त–कुशलादिनिधानेति प्रसिद्धक्षितिमंडले...', अ.. ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६. कल्पसूत्र बालावबोध, कमललाभोपाध्याय / अभयसुन्दर उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५७. कल्पसूत्र बालावबोध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., __ ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता ३५८. कल्पसूत्र बालावबोध, चन्द्र / देवधीर, आगम, राजस्थानी, १९०८ अजयदुर्ग, अ., ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता ३५९. कल्पसूत्र बालावबोध, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आगम, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३६०. कल्पसूत्र बालावबोध, जिनसागरसूरि शिष्य, आगम, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नमः श्रीवर्द्धमानाय..., अन्त-जगन्नाथ बोलइ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८०२ ३६१. कल्पसूत्र बालावबोध, रत्नजय उ० / रत्नराज उ०, आगम, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर 30 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६२ कल्पसूत्र बालावबोध, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, आगम, राजस्थानी, १८१९ वीदासर, अ. ३६३. कल्पसूत्र बालावबोध, राजकीर्त्ति उ० / रत्नविमल उ०, आगम, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १९९२५ ३६४. कल्पसूत्र बालावबोध, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसारोपाध्याय, आगम, राजस्थानी, १६८० अमरसर, 'आदि-सूरिमुद्योतनं वन्दे..., अन्त-श्री विक्रमार्क समयात् ख वसु कलानिधि कला प्रमित वर्षे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५९८५ ३६५. कल्पसूत्र बालावबोध, समयराजोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, आगम, राजस्थानी, १६६२, 'अन्त–संवत् १६६२ वर्षे श्रीखरतरगच्छाधिप...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११८७२ ३६६. कल्पसूत्र बालावबोध ( चतुर्दश स्वजानां), साधुकीर्नि उ० / अमरमाणिक्य उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २५४७२, अभय ग्र., बीकानेर ३६७. कल्पसूत्र बालावबोध (चतुर्दश स्वप्नानां), सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्यपक्षीय, आगम, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर ३६८. कल्पसूत्र स्तबक, कमलकीर्त्तिगणि / कल्याणलाभ उ०, आगम, राजस्थानी, १७०१ मरोट, अ. ३६९. कल्पसूत्र स्तबक, विद्याविलासगणि / कमलहर्ष, आगम, राजस्थानी, १७२९, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६३० ३७०. कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद, जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृत उ०, आगम, हिन्दी, १९७५ सूरत, 'अन्त–टीका श्रीकल्पसूत्रस्य...', मु. हीरालाल केशरीचन्द, नागपुर ३७१. कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद, जिनमाणिसागरसूरि / सुमतिसागरजी म०, आगम, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा ३७२. कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद, म. विनयसागर / जिनमणिसागरसूरि, आगम, हिन्दी, २०वीं, मु. __ प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ३७३. कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद, वीरपुत्र आनन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागर, आगम, हिन्दी, २०वीं, मु., आनन्दसागरसूरि ज्ञान भं., सैलाना ३७४. कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद, रायचन्द्र, आगम, हिन्दी, २०वीं बनारस, मु. ३७५. कल्पसूत्र वचनिकाम्नाय, जिनसागरसूरि / जिनसिंहसूरि जिनसागरसूरि शाखायां, आगम, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. जिनरत्नकोश ३७६. कल्पसूत्रान्तर्गत आदिनाथ चरित्र, जिनसागरसूरि / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक, आगम, राजस्थानी, १५वीं, अ., ह. विनय. संग्रह ३७७. कल्पसूत्रान्तर्गत आदिनाथ चरित्र, ज्ञाननिधानगणि / मेघकलशगणि, आगम, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 31 31 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७८. कल्पसूत्र लेखनप्रशस्तिः स्वर्णाक्षरी, शिवसुन्दरोपाध्याय / क्षेमराज उ०, प्रशस्ति, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता ३७९. कल्पसूत्र लेखनप्रशस्ति, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि उ०, प्रशस्ति, संस्कृत, १५१७ पाटण, अ., ह. ज्ञान भं., भावनगर ३८०. कल्पसूत्र लेखनप्रशस्ति, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि उ०, प्रशस्ति, संस्कृत, १५२४ पाटण, 'आदि-श्रीवीरतीर्थंकरराजतीर्थे..., अन्त–कृतिरियं वाचनाचार्यसाधुसोमगणीनाम् संवत् १५२४ वर्षे श्रीअणहिलपाटकनगरे..', अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर ३८१. कल्पान्तर्वाच्य, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आगम, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ३८२. कल्पान्तर्वाच्य, जिनहंससूरि / जिनसमुद्रसूरि, आगम, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर | ३८३. कल्पान्तर्वाच्य, भक्तिलाभोपाध्याय / चारुचन्द्र उ०, आगम, संस्कृत, १६वीं, 'आदि-पुत्राः पञ्चमतिश्रुत, अन्त–पताकां गृह्णाति...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३८४. कल्याणकपरामर्श, बुद्धिमुनिगणि / केशरमुनिगणि, चर्चा, संस्कृत, २०वीं, 'आदि-प्रणम्य श्रीजिनवीरं शासनाधीश्वर..., अन्त–नाम्ना मोहनलालेति...', मु. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ३८५. कल्याणक स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि पुरन्दरपुरस्पर्धि..., अन्त इति यः पञ्चकल्याणी... गा.८', मु. जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २२६ ३८६. कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ० लघुखरतर, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, अ., उ. हीरालाल रसिकदास कापड़िया भक्तामर स्तोत्र पादपूर्त्यादि संग्रह ३८७. कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६७२, ___ अ., ह. जैनभवन, कलकत्ता, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३८८. कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १६९५ पालनपुर, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३८९. कल्याणमन्दिर स्तोत्र बालावबोध, महिमसिंह (मानसिंह) / शिवनिधान उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६८१, अ., ह. कांतिसागर संग्रह ३९०. कल्याणमन्दिर स्तोत्र स्तबक, उदयहर्ष / हीरराजगणि, स्तोत्र, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. ___ महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ३९१. कल्याणमन्दिर स्तोत्र पादपूर्ति, लक्ष्मीसेन उ० / लक्ष्मीवल्लभ उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'गा. ४५', अ. ३९२. कल्याणमन्दिर स्तोत्र भाषा, आनन्दवर्धन / महिमासागर, स्तोत्र, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 32 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९३. कल्याणमन्दिर स्तोत्र स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १८११ कालाऊना, ' आदि - जिनेश्वरस्य आंग्रीपद :..., अन्त - शिष्यओ राग्राहादसौ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६३२०, धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर, आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, बालचन्द्र संग्रह, रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ४३४ ३९४. कवि दर्पण, अज्ञात, छन्द शास्त्र, संस्कृत - प्राकृत- अपभ्रंश, १३वीं - १४वीं, मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३९५. कवि प्रमोद, मान / सुमतिमेरुगणि, आर्युवेद, राजस्थानी, १७४६ बीकानेर, 'आदि- प्रथम मङ्गल पदह रित दुरित गद..., अन्त - खरतरगच्छ परसिद्ध जगि...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३९६. कवि मुखमण्डन, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दरगणि, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १६७२ फतहपुर, अ., ह. दिगम्बर भं., जयपुर ३९७. कवि विनोद, मान / सुमतिमेरुगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७४५ लाहौर, 'आदि-उदित उदोत जगि मग रया चित्र भानु, संवत सतरहसै समे पैताजै वैसाख..., अन्त - खरतरगछ महिमा बहुत...', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३९८. कातन्त्रदुर्गपदप्रबोधटीका, जिनप्रबोधसूरि / जिनेश्वरसूरि द्वि., व्याकरण, संस्कृत, १३२८, 'आदि-श्रीमन्तं वीरजिनं...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३०३५ ३९९. कातन्त्र टीका - कातन्त्र दीपक, मुनिहर्ष / मुनीश्वरसूरि ? जिनराजसूरि, व्याकरण, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-भूर्भुव: स्वस्त्रयीशानं वरिवस्य जिनेश्वरम्...', अ. ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर ५६१७ ४००. कातन्त्रविभ्रमावचूरि, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, व्याकरण, संस्कृत, १६३५ धवलक्कपुर, ' आदि - नत्वा जिनेन्द्रं स्वगुरुं च भक्त्या ..., अन्त - बाणश्विषडिन्दु मिति संव्वति...', अ. ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ४०१. कातन्त्रविभ्रमवृत्ति, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, व्याकरण, संस्कृत, १३५५ दिल्ली, अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४०२. कादम्बरी मण्डन, , मन्त्रि मण्डन / बाहड़, काव्य, संस्कृत, १५वीं मण्डवगढ़, मु., हेमचन्द्राचार्य जैन सभा, पाटण ४०३. कापरहेडा रास, दयारत्नगणि / जिनहर्षसूरि आद्यपक्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६९५, ' आदि - हुं बलिहारी पासजी ..., अन्त-संवत सोल पचाणवै राजै... ४३', अ., उ. जैन गुर्जर कवि भाग-१, पृ. ५७३, ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ४०४. कापरहेडा रास, लक्ष्मीरत्न उ० / हर्षकुशल आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १६८३ सोजत, 'आदि-सद्गुरु चरण कमल नमी. अन्त-संवत सोल त्रयासियइजी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर .... खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 33 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०५. कापरहेडा पार्श्वनाथ रास, हर्षकुशल / आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १६७३, आदि६-पास सयंभू पणमीयइ..., अन्त-इम वरस सोलह सय तिहुत्तरि...', अ., प्रतिलिपि अभय ग्र., बीकानेर ४०६. कामलक्ष्मीकथा चौपई प्रबन्ध, जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्र, रास चौपई, राजस्थानी, १६७९, अ., जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४०७. कामोद्दीपन जयपुरप्रतापसिंहवर्णन, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, लक्षणशास्त्र, हिन्दीराजस्थानी, १८५६ जयपुर, 'अन्त - प्रतिपों श्री परताप हरि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४०८. कायस्थिति प्रकरण बालावबोध, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६२३ महिमनगर, अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर ४०९. कालचक्रकुलक, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १४वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४१०. कालज्ञानभाषा, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७४१, 'आदिश्री ... शंभु सुतन... अन्त- चंद्रवेद भू.. प्रमित...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय संग्रह ४११. कालस्वरूपकुलक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, उपदेश, अपभ्रंश, १२वीं, अपभ्रंश काव्यत्रयी, गायकवाड़ ओरियन्टल इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा मु., ४१२. कालस्वरूपकुलक टीका, सूरप्रभोपाध्याय / जिनपतिसूरि, उपदेश, संस्कृत, १३वीं, 'अन्तसूरप्रभोभिषेक:...', मु., अपभ्रंश काव्यत्रयी, गायकवाड़ ओरियन्टल इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा ४१३. कालासवेलि चौपाई, अमरविजयगणि / उदयतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७९७ राजपुर, अ., ह. जयचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ४१४. कालिकाचार्य कथा, कनकनिधान / चारुदत्त, कथा चरित्र, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ४१५. कालिकाचार्य कथा, कनकसोमगणि / ?, कथा चरित्र, राजस्थानी, १६३२ जैसलमेर, अ. ४१६. कालिकाचार्य कथा, कमलसंयमोपाध्याय, कथा चरित्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ४१७. कालिकाचार्य कथा, कल्याणतिलक उ० / जिनसमुद्रसूरि, कथा चरित्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४१८. कालिकाचार्य कथा, जयकीर्त्ति उ० / वादी हर्षनन्दन उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ४१९. कालिकाचार्य कथा, जिनदेवसूरि / जिनप्रभसूरि लघुखरतर, कथा चरित्र, संस्कृत, १४वीं, मु., कल्पसूत्र सचित्र - देवचन्दलालभाई पु., सूरत ४२० कालिकाचार्य कथा, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दर, कथा चरित्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २१९२० 34 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२१. कालिकाचार्य कथा, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १८वीं, ___ अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ४२२. कालिकाचार्य कथा, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार उ०, कथा चरित्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ४२३. कालिकाचार्य कथा, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कथा, संस्कृत, १६६६ वीरमपुर, _ 'आदि-प्रणम्य श्रीगुरुम गद्य..., अन्त-श्रीमद्विक्रम संवति...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई, ह. बालचन्द संग्रह, चित्तौड़ ६६, ४२४. कालिकाचार्य कथा, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., कथा चरित्र, राजस्थानी, १७१२, अ., ह. यति सूर्यमल संग्रह, कलकत्ता ४२५. काव्यप्रकाश टीका, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र उ०, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १६१०, अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ४२६. काव्यप्रकाश टीका (नवमोल्लासस्य), क्षमामाणिक्य / जिनजय, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १८३४ राजपुर, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ४२७. काव्यमण्डन, मन्त्रि मण्डन / बाहड़, काव्य, संस्कृत, १५वीं, आदि-श्रीमद्धम स्तुमस्तत्रुिभुवन महिमं..., अन्त-श्रीमद्वन्द्यजिनेन्द्रनिर्भरनते श्रीमालवंशोन्नते...., श्लो.-१२५०', ह. हेमचन्द्राचार्य ज्ञान भं., पाटण, म. हेमचन्द्राचार्य सभा. पाटण ४२८. कीर्तिधर सुकोशल चौढालिया, आनन्दनिधान उ० / मतिवर्द्धनगणि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७३६ बगड़ी, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ४२९. कीर्त्तिधर सुकोशल चौढालिया प्रबन्ध, महिमसिंह (मान)/ शिवनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७० पुष्कर, 'अन्त-श्री खरतरगच्छ राजई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २१८ ४३०. कीर्तिरत्नसूरि चौपई, कल्याणचन्द्र गणि / कीर्तिरलसूरि, ऐ. रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-सरसति सरस वयण देवि..., अन्त-श्री कीर्तिरतन सूरि चउपइ...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ.५१ ४३१. कीर्त्तिरत्नसूरि वीवाहलउ, कल्याणचन्द्र गणि / कीर्त्तिरत्नसूरि, ऐ. रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-भत्ति भर भरियउ हरिस सिरि वरियउ..., अन्त–एवं वीवाहलउ भणइ... गा. ५४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४३२. कुन्थुनाथ चरित्र, विबुधप्रभसूरि / देवानन्दसूरि, काव्य, संस्कृत, १२वीं, अ., उ. वृहट्टिप्पनिका ४३३. कुबेरदत्त कुबेरदत्ता चौपाई, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६३१, 'आदि-श्रीजिनचरण नमि हित करी..., अन्त–सोलसइ इगतिसइ समइ...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 35 For Personal & Private Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३४. कुमतकुलिङ्गोच्छेदनभास्कर (जैन लिङ्ग निर्णय), चिदानन्द द्वि., चर्चा, हिन्दी, १९५५ जीरण, मु., अजमेर ४३५. कुमतिकदली कृपाणिका चौपाई, कमलसंयमोपाध्याय / जिनवर्द्धनसूरि, चर्चा-रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. हंसविजय संग्रह, बड़ौदा ४३६. कमति विध्वंसन चौपाई, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, चर्चा-रास चौपई, राजस्थानी, १६१७ कर्णपुरी, 'आदि-वंदवि चउवीसे जिणराय..., अन्त–सोलेसे सत्तोत्तरवास...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर, पूरनचन्द्र नाहर संग्रह, कलकत्ता ४३७. कुमारध्वजकुमार चौपाई, आनन्दनिध उ० / मतिवर्द्धन उ० आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७३४ सोजत, आदि-सरस वचन रचना सरस..., अन्त-खरतरगच्छ जागै खराजी...', अ. ह. कांतिसागरजी संग्रह, जयपुर ४३८. कुमारपालप्रबन्ध (कुमारपाल प्रतिबोध चरित्र), सोमतिलकसूरि / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, ऐतिहासिक काव्य, संस्कृत, १४२४, अ., ह. केशरियानाथ संग्रह, जोधपुर, कान्तिविजयजी संग्रह, छाणी ४३९. कुमारपाल रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४२ पाटण, 'आदि-श्री सरसति भगवति नमुं..., अन्त-ऐह चरित्रनिज हियडे धारी...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ४४०. कुमारमुनि रास, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोद उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ. ४४१. कुमारसम्भव महाकाव्य टीका, क्षेमहंसगणि / जिनभद्रसूरि, काव्य, संस्कृत, १६वीं, अ., उ. स्वकृत रघुवंश टीका । ४४२. कुमारसम्भव महाकाव्य टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ० लघुखरतर, काव्य, संस्कृत, १६वीं, मु., गुजराती मुद्रणालय, बम्बई, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ४४३. कुमारसम्भव महाकाव्य टीका, जिनभद्रसूरि / ?, काव्य, संस्कृत, १५वीं, अ. ४४४. कुमारसम्भव महाकाव्य टीका, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि लघुखरतर, काव्य, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. डेक्कन कालेज, पूना ४४५. कुमारसम्भव महाकाव्य टीका, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, काव्य, संस्कृत, १७२१ सूरत, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि ४४६. कुमारसम्भव महाकाव्य टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ४४७. कुम्भस्थापना भाषा, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, विधि, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर 36 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४८. कुर्मापुत्र चौपई,जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्र वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६७२, आदि त्रिभुवन पति वधमान जिनेश्वर..., अन्त–सत्तरि दुइ अधिक संबंध सोलहसइ अपह समच्छरि...', अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर ४४९. कुर्मापुत्र चौपई, ? / क्षेमकीर्त्ति शाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १६५७, 'आदि-ज्योति सकल अतिदीपता..., अन्त–पूरम पुत्र चरित्र सुणि रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५०. कुलध्वजकुमार चौपई, कमलहर्षगणि / मानविजयगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर ४५१. कुलध्वजकुमार चौपई, विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४२ लूणकरणसर, अ., ह. यति सुमेरमल संग्रह, भीनासर ४५२. कुलध्वजकुमार रास, उदयसमुद्र उ० / कमलहर्ष उ० पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं अहमदाबाद, 'आदि-श्रुतदेवि समरु सदा..., अन्त–सम्बन्ध कुलध्वज मुनितणो...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. २६९ ४५३. कुलध्वजकुमार रास, धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंह उ० पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १५८४, अन्त-संवत पनर चउरासीए...', अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३७३२ ४५४. कुलध्वजकुमार रास, राजसार / धर्मसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०४ हाजीखानदेरा, 'आदि-पारसनाथ प्रगट प्रभु..., अन्त-धन धन ऐहवा साधुने...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १६९ ४५५. कुलध्वज रास रसलहरी, उदयसमुद्र उ० / कमलहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं अहमदाबाद, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४५६. कुशलचन्द्रसूरिपट्टप्रशस्तिः , मणिचन्द्र / हीराचन्द्रसूरि, गुर्वावली, संस्कृत, २००७, आदि श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथमनिशं श्रीरामघाटस्थितम्..., अन्त-श्वेताम्बरीय यतिना मणिचन्द्रेण धीमता... गा. २८६', मु., गोपालचन्द्र जैन, काशी ४५७. कुसुमश्री महासती चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७१५, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५८. कृतकर्म रास, लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ बब्बेर, 'आदि-अजर अमर अकलंक जिन..., अन्त-एह चरित्रथी संबंध उधर्यो...', अ., मुकुनजी संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ४५९. कृतपुण्यचरित्र , पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, चरित्र, संस्कृत, १३०५, आदि–प्रथमजिनवरेन्द्रः, अन्त-रमणभवसुमुनिपायसदानावसरे...', अ., ह. जिनभद्रसूरि भं., जैसलमेर २७०/२, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६०. कृष्णरुक्मिणीवेली टीका, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, काव्य, संस्कृत-राजस्थानी, १७०३, अ., ह. गोविन्द पुस्तकालय, बीकानेर ४६१. कृष्णरुक्मिणीवेली बालावबोध, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, भाषा काव्य, राजस्थानी, १६९६, अ., ह. बडा ज्ञान भं.,बीकानेर ४६२. कृष्णरुक्मिणीवेली बालावबोध, जयकीर्त्ति उ० / हर्षनन्दन उ०, भाषा काव्य, राजस्थानी, १६८६ बीकानेर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४६३. कृष्णरुक्मिणीवेली बालावबोध, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, भाषा काव्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ४६४. कृष्णरुक्मिणीवेली स्तबक, दानधर्म / कमलरत्न, भाषा काव्य, राजस्थानी, १७२७, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ४६५. कृष्णरुक्मिणीवेली स्तबक, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार उ०, भाषा काव्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७९८१ ४६६. केशरमुनिगणि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-यस्याभवन्मरुधर स्थसुरम्यचूण्डा... गा. ९', मु. लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ७१, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ४६७. केशाः कञ्जलिकाशाभाः पद्य व्याख्या, श्रीवल्लभोपाध्याय / जानविमलोपाध्याय. काव्य. संस्कृत, १७वीं, 'आदि-सारस्वतस्य सूत्रे यत्केशा इति पदं स्फुटम्..., अन्त–कृतश्चायं श्रीज्ञानविमलामहो. मिश्राणां शिष्य वाचनाचार्य श्रीवल्लभमणिभि...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४६८. केशी गौतम चौढालिया, गुमानचन्द / खुश्यालचन्द, रास चौपई, राजस्थानी, १८६७ दशपुर अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ४६९. केशी चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलक, रास चौपई, राजस्थानी, १८०६ गारबदेसर, अ. ४७०. केशी प्रदेशी प्रबन्ध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९९ अहमदाबाद, आदि-श्री सावत्थी समोसरया..., अन्त-रायपसेणी सूत्र थी...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५५९ ४७१. केशी प्रदेशी सन्धि, नयरङ्ग वा. / गुणशेखरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४७२. क्या पृथ्वी स्थिर है?, जिनमणिसागरसूरि / महो० सुमतिसागर, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमतिसदन, कोटा ४७३. क्षपकशिक्षाप्रकरण, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, अ. ४७४. क्षमाकल्याणोपाध्याय अष्टक स्तोत्र, ?, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं, 'आदि-चिदब्धेः पारज्ञः स्फुरदमलपंकेरुह... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०८ 38 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७५ क्षमाकल्याणोपाध्याय स्वर्गगमन स्तव,?, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं, आदि-सर्वशास्त्रार्थवक्तृणां... ___गा. ६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०९ ४७६. क्षुद्रोपद्रवहर पार्श्वजिन स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि नमिरसुरासुर, अन्त–खुद्दोवद्दवविद्दव... श्लो.-२२', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २१० ४७७. क्षुल्लककुमार चौपाई, महिमसिंह (मानसिंह) / शिवनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं पुष्करणी, 'आदि-श्री सद्गुरु पद जुग नमी..., अन्त-इणि परि जे जिन मन...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४७८. क्षुल्लककुमार चौपाई, मेघनिधान / रत्नसुन्दर भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६८८ तिमरी, अ., ह. ज्ञान भं., बालोत्तरा, बी. एल. इन्स्टीट्यूट, नई दिल्ली ४७९. क्षुल्लककुमार प्रबन्ध, पद्मराज गणि / पुण्यसागरोपाध्याय, रास चौपई, राजस्थानी, १६६७ मुलतान, आदि-पास जिणेसर पय कमल..., अन्त–सोलहसई सतसठा वच्छरई श्री मुलताण मझारि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४८०. क्षुल्लककुमार मुनि प्रबन्ध, जिनसिंहसूरि / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२९८ ४८१. क्षुल्लककुमार रास, श्रीसुन्दर गणि / हर्षविमल उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. भट्टारक भं., नागौर ४८२. क्षुल्लकऋषि रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९४ जालौर, 'आदि-पारसनाथ प्रणमी करी..., अन्त-संवत सोलइ सइ चउराणुयइ...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५६४ ४८३. क्षुल्लकभवालिका प्रकरण, जिनचन्द्रसूरि / जिनहर्षसूरि पिप्पलक, प्रकरण, संस्कृत, १६वीं, अ. ४८४. क्षेत्रसमास प्रकरण बालावबोध, उदयसागर / सहजरत्न पिप्पलक, प्रकरण, राजस्थानी, १६५६ उदयपुर, मु., प्रकरण रत्नाकर ४८५. क्षेत्रसमास प्रकरण बालावबोध, क्षमामाणिक्य / जिनजय, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. वर्द्धमान - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ४८६. क्षेत्रसमास प्रकरण बालावबोध, क्षेम / रत्नसमुद्रगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ४८७. क्षेत्रसमास प्रकरण बालावबोध, श्रीदेव / ज्ञानचन्द्र, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. नाहरचन्द संग्रह, कलकत्ता, विनय. प्रतिलिपि ४८८. क्षेत्रसमास प्रकरण यन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दरगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १८७५ किसनगढ़, अन्त-सयसढार पिचहत्तरे...', अ., ह. राजवैद्य उदयचन्द संग्रह, जोधपुर, खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर 39 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८९. खचराननपश्य सखे खचर काव्यअर्थत्रयी, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अन्त–येषां वाचः.....शिशिररुचिकलेवातिशुद्धा...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद ४९०. खण्डप्रशस्ति टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, काव्य, संस्कृत, १६४१ फलवर्द्धि, 'आदि-श्रीपार्श्व फलवर्द्धिकाद...., अन्त-विधुवारिधिरसशशिधर...', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, संपादक - म० विनयसागर, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, लेखन-१६४५ ४९१. खण्डहरों का वैभव, कान्तिसागर / सुखसागर उ०-जिनकृपाचन्द्रीय, इतिहास, हिन्दी, ___ २१वीं, मु., भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली ४९२. खन्धकमुनि चौढालिया, उदयरत्न / विद्याहेम, रास चौपई, राजस्थानी, १८८३ देशणोक, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ४९३. खरतरगच्छगुर्वावली, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, गुर्वावली, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रणमु पहिली श्री वर्धमान..., अन्त-जेसलमेरु विभूषण पास जी...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २२८ ४९४. खरतरगच्छ गुर्वावली बेगड़, गुर्वावली, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि–पणमिय वीर जिनन्दचन्द, अन्त-संपइ नवनिध विहित हेतु...', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३१२ ४९५. खरतरगच्छ गुर्वावली, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, गुर्वावली, राजस्थानी, १६१७, 'आदि-रिसह जिणेसर आदि दे..., अन्त-पंदउ श्री चउवीस जिण...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर गुटका, विनय. प्रतिलिपि ४९६. खरतरगच्छ पट्टावली, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ० , गुर्वावली, संस्कृत, १८३० जीर्णगढ़, 'आदि-प्रणिपत्य जगन्नाथं..., अन्त-गांभीर्यादिगुणग्रामवेश्मनां...', मु., खरतरगच्छ पट्टावली संग्रह, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ४९७. खरतरगच्छ पट्टावली, राजलाभगणि / राजहर्ष वा., गुर्वावली, संस्कृत, १७२१ सितपत्र, 'आदि-श्रीवीर मोक्षगते सं. १३७५ वर्षे...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, भाण्डारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना ४९८. खरतरगच्छ पट्टावली, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, गुर्वावली, संस्कृत, १९७० , अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., माण्डवी ४९९. खरतरगच्छ पट्टावली, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ऐतिहासिक गुर्वावली, संस्कृत, १६९० खम्भात, 'आदि-गौतमादि गुरूननत्त्वा..., अन्त–इमम् गुर्वावली ग्रन्थं...', अ., ह. __ विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३१८२ ५००. खरतरगच्छ पट्टावली, सोमकुञ्जर उ० / जयसागरोपाध्याय, गुर्वावली, अपभ्रंश, १६वीं, 'आदि-घण घण जिनशासन..., अन्त-युगवर तणा गुरुरयण पूरी... गा. ३०', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४३ 40 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०१. खरतरगच्छ पट्टावली पिप्पलक चौपाई, राजसुन्दर / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक, गुर्वावली, राजस्थानी, १६६९, ‘आदि- समरूं सरसति गौतम पाय... अन्त-प्रह उठी नर नारी जेह... श्लो. - १९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३१९ ५०२. खरतरगच्छ परंपरा दोहा, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गुर्वावली, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शासनपति वर्द्धमान... गा. २१', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७ ५०३. खरतरगच्छालङ्कारयुगप्रधानाचार्यगुर्वावली, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, ऐतिहासिक गुर्वावली, संस्कृत, १३०५ दिल्ली, 'आदि- वर्धमानं जिनं नत्वा..., अन्तलोकभाषानुसारिण्यः...', ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, मु., खरतरगच्छ बृहद्गुर्वावलि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, सम्पादक- म. विनयसागर ५०४. खरतरगच्छ गुणवर्णन छप्पय, अभयतिलकोपाध्याय / जिनपतिसूरि, गुर्वावली, अपभ्रंश, १४वीं - १५वीं, 'आदि-सो गुरु सगुरु जु छविह जीव..., अन्त - दसणभद्द चिंतेय अहह मइ सुकिय न किद्धउ...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४, ह. अभय ग्र., बीकानेर ५०५. खरतरगच्छ गुरुनाम संस्तवन, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, , गुर्वावली, प्राकृत, १६२०, ' आदि - नमिय सिरि वीरनाहं..., अन्त - गयणं नह णयण रयण सिद्धि रसे...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर गुटका, विनय प्रतिलिपि ५०६. खरतरगच्छ गुरुपरम्परा, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, गुर्वावली, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - पय पणमिय जिणवर गणहर गोयम पाय... अन्त- जां मेरु महीधर जां लगि दूरविचंद...', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जयपुर गुटका, विनय प्रतिलिपि ५०७. खरतरगच्छ पट्टावली, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गुर्वावली, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सो गुरु सुगुरु जु छविह...., अन्त-न विट लंपट मुक्त निकट ... गा. ३७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४ ५०८. खरतरगच्छ युगप्रधान चतुष्पदिका, ठक्कुर फेरु धंध गोत्रीय / ठक्कुर चन्द्र, गुर्वावली, १४वीं, 'आदि-सयल सुरासुर वंदिय पाय... अन्त-सुरगिरि पंच दीव सव्वेवि...', मु., रा.प्रा.वि.प्र., , जोधपुर ५०९. खरतरगुरु गुणवर्णन छप्पय, ?, स्तुति, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि- प्रणमी वीर जिनेश्वर ... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५१०. खरतरशब्दव्युत्पत्ति, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, अनेकार्थी, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय प्रतिलिपि ५११. खापरा चोर चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२३ सिरोही, अ., ह. विनय प्रतिलिपि ५१२. खेटसिद्धि, महिमोदयगणि / मतिहंस, ज्योतिष, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 41 Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१३. खोज की पगडंडियाँ, कान्तिसागर / सुखसागर उ० - जिनकृपाचन्द्रीय, इतिहास, हिन्दी, २१वीं, मु., भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली ५१४. गजभञ्जन कुमार चौपाई, मुनिप्रभ / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४३ बीकानेर, ' आदि - सरसति सामिणि पणमिसु देवी..., अन्त - दान पसायइ लहीयइ रिद्धि...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर, विनय प्रतिलिपि ५१५. गजल - आगरा गजल, लक्ष्मीचन्द, गजल, हिन्दी, १७८०, 'आदि- सरसति मात सुभावानीक, अन्त-संवत सतरैसे एसीयाक...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत ५१६. गजल- उदयपुर गजल, खेतल / दयावल्लभ, गजल, हिन्दी, १७५७, 'आदि-जपुं आदि इकलिंगजी..., अन्त - खरतर जती कवि खेताक...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. अभय ग्र. बीकानेर, विनय प्रतिलिपि ५१७. गजल - कामिनी गजल, महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि, बेगड़, गजल, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि-देखी कामिणी इक खूब... गा. ४२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं. जैसलमेर गुटका नं. ४१५ ५१८. गजल- गिरनार गजल, कल्याण, गजल, राजस्थानी, १८२८, 'आदि-वर दे मात वागेसरी, अन्त - खरतर पती है सुप्रमाण कवियुं कहत है कल्याण...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस ५१९. गजल - चित्तौड़ गजल, खेतल / दयावल्लभ, गजल, हिन्दी, १७४८, 'आदि-चरण चतुर्भुज लाई चित...., अन्त-पढौ ठीक बारीक स्यु पंडिता रे...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. अभय ग्र., बीकानेर ५२०. गजल - डीसा गजल, देवहर्ष / भानुचन्द्रगणि, गजल, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चरण कमल गुरु लायचित..., अन्त - सुणतां मङ्गलमाल देव कुशलगुरु वंछित दाता...', अ., ह. बीकानेर अभय ग्र., ५२१. गजल- पाटण गजल, देवहर्ष / भानुचन्द्रगणि, गजल, राजस्थानी, १८५९, 'आदि - सरस वचन द्यो सरसती..., अन्त- गाइ गजल गुनमालाक...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५२२. गजल - बीकानेर गजल, उदयचन्द्र, गजल, राजस्थानी, १७६५, 'आदि सारद मन समरूं सदा..., अन्त-प्रतपो जां लगे रचि चंद कहता जती उदयचंद ...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. अभय ग्र., बीकानेर ५२३. गजल - मरोट गजल, दुर्गादास / विनयाणंदगणि, गजल, हिन्दी, १८६५, 'आदि-संवत सतरे पेसठे..., अन्त- आग्रह दीपचन्द उल्लास...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं, सूरत, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. १४१२ ५२४. गजसिंह चरित्र चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०८, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर 42 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२५. गजसिंह नरिंद चौपई, नन्दलाल पाठक, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ५२६. गजसुकुमाल चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७१४, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५२७. गजसुकुमाल चौपई, पूर्णप्रभगणि / शान्तिकुशलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७८६, 'आदि-जिणवरनै प्रणमी करी..., अन्त–कल्पसूत्र मांहिथी जाणी...', अ., ह. अनन्तनाथ ज्ञान भं., बम्बई ५२८. गजसुकुमाल चौपई, भुवनकीर्ति उ० / ज्ञाननंदी उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७०३ खम्भात, 'आदि-त्रिभुवनपति पुण्यतमा..., अन्त-श्री वीरजिनवर पाटपाटे गच्छ खरतरसें धणी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५६३, ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४५९५, सदागम ट्रस्ट, कोडाय ५२९. गजसुकुमाल चौपई, लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञानविलास उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'अन्त-बंदीवान छुडावीयारे...', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर । ५३०. गजसुकुमाल चौपई, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९९, आदि नेमीसर जिनवर तणा..., अन्त-संवत सोलह निन्नांणू वरसइ... गा. ८००', मु., जिनराजसूरि कृति कु. १६२ ५३१. गणधरवाद बालावबोध, क्षमामाणिक्य / जिनजय, प्रकरण, राजस्थानी, १८३८, अ., वर्द्धमान - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ५३२. गणधरसप्तति (सुगुरु गुण संथव सत्तरिया), जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, आदि-गुणमणिरोहणगिरिणो..., अन्त–इय सुहगुरु गुण संथव सत्तरिया...', मु., युगप्रधान जिनदत्तसूरि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ५३३. गणधरसार्द्धशतक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि गुणमणिरोहणगिरिणो..., अन्त–जिणदत्तगणि गुणसयं...', मु., जिनकृपाचन्द्रसूरि ज्ञान भं., इन्दौर ५३४. गणधरसार्द्धशतक लघुवृत्ति, पद्ममन्दिरगणि / विजयराज उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६४६ जैसलमेर, 'आदि-श्रीजिनदत्तसूरिभूरिभव्य-नव्य-नव्यतर..., अन्त–श्रीमज्जिनेश्वरगुरो...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५३५. गणधरसार्द्धशतक लघुवृत्ति, सर्वराजगणि / जिनेश्वरसूरि द्वि., सतोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-कलयाणं वः प्रतन्यात्प्रथमजिनपतिः..., अन्त-श्रीमंत प्रभुपुंडरीक गणिमृन्मुख्या...', अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर, राजवैद्य उदयचन्द संग्रह, जोधपुर, कांतिविजय संग्रह, छाणी, विनय. प्रतिलिपि ५३६. गणधरसार्द्धशतक बृहद्वृत्ति, सुमतिगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२९५, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा खरतरगच्छ साहित्य कोश 43 For Personal & Private Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३७. गणधरसार्द्धशतक स्तवन, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलक उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह ५३८. गणधरसार्द्धशतक हिन्दी अनुवाद, जिनजयसागरसूरि / जिनकृपाचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत हिन्दी, २०वीं, मु., जिनकृपाचन्द्रसूरि ज्ञान भं., इन्दौर ५३९. गणधरसार्द्धशतकान्तर्गत, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १७वीं, मु., चुन्नीलाल पन्नालाल, बम्बई ५४०. गणित साठिसौ, महिमोदयगणि / मतिहंस, ज्योतिष, राजस्थानी, १७३३, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर ५४१. गणितसार, ठक्कुर फेरु धंध गोत्रीय / ठक्कुर चन्द्र, गणित, प्राकृत, १४वीं, आदि-नमिऊण तिजयनाहं..., अन्त–उद्देस पंचगतितं चंदासुय फेरुणा अओ...', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ५४२. गत्यादिमार्गणा स्वोपज्ञ टीका, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, प्राकृत-संस्कृत, १७८२, मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५४३. गाथासहस्री, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, संग्रह ग्रन्थ, संस्कृत, १६८६, अन्त नाम्ना गाथा सहस्रति...', ह. विनय संग्रह, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र. चित्तौड़, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६४७२, मु. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत ५४४. गायत्रीविवरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत, १४वीं, 'अन्त-इति श्रीजिनप्रभसूरि विरचितं गायत्री विवरणं समाप्त...', मु., देवचन्दलाल भाई पु., सूरत ५४५. गिरनारतीर्थ स्तुति, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ. ५४६. गीतवसन्तराजकथा, लक्ष्मीचन्द्रगणि / बालचन्द्रसूरि, कथा चरित्र, संस्कृत, १९६० काशी, __ अ., ह. हीराचन्द्रसूरि, बनारस ५४७. गीतासार टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, पुराण, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. नलचम्पू प्रस्तावना नन्दकिशोर शर्मा ५४८. गुणकरण्ड गुणावली चौपई, जिनहर्षगणि/शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५१ पाटण, 'आदि-श्री अरिहंत अनन्त गुण..., अन्त–ससि बांण भोजनसंवच्छरे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ५४९. गुणकरण्ड गुणावली चौपई, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७६ विगयपुर, 'आदि-प्रणमुं चोवीसे जिनपाय..., अन्त–संवत सोल छोतिरई...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९३४, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५५०. गुणकित्वषोडशिका स्वोपज्ञ टीकासह, मतिकीर्त्ति उ० / गुणविनय उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-सर्वत्रेको गुणः प्रोक्तो..., मूल का अन्त-श्रीमद्गुरोः प्रसादेन प्रापंचि मति कीर्त्तिना..., टीका का अन्त-श्री युगप्रधान श्रीमच्छी जिनसिंहसूरि...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, प्रेसकॉपी विनय. प्रतिलिपि 44 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५१. गुणजिनरस, वेणीराम / दयाराम गणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६९ पीपाड़, 'आदि गणिपति सारद पाय नमी..., अन्त–संवत निधखंड समुद्र चंद...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ४११ ५५२. गुणदत्तकथा, अभयचन्द्र / आणंदराज लघुखरतर, कथा चरित्र, संस्कृत, १६वीं, अ. ५५३. गुणधर्म कुमार चौपाई, ज्ञानविमलोपाध्याय / लब्धिरङ्ग, रास चौपई, राजस्थानी, १७१९ झुंझनू, आदि-पार्श्वन बर शर्म कर्तारं भय नाशनम्..., अन्त–जे ए साधुतणा गुण गावइ... गा. ६००', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५५४. गुणमाला, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, काव्य, संस्कृत, १८१७ जैसलमेर, 'मूलादि प्रत्यक्षीकृत्य, अन्त–प्रयासः सफल आसीत्...', 'आदि टीका-स श्रीसिद्धार्थसूनुः..., अन्तमनोगतभावाान् जानाति...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९७४, १०१४१ ५५५. गुणरत्नप्रकाशिका, गुणविलास / सिद्धिवर्द्धन, काव्य, संस्कृत, १७७२, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५५६. गुणरत्नसूरि वीवाहलउ, पद्ममन्दिर गणि / गुणरत्नसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-मङ्गल कमल विलास दिवायरं..., अन्त-एह सिरि गुणरयणसूरि वीवाहलउ... गा. ४९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५५७. गुणविलास, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान, उपदेश, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलाल संग्रह, बीकानेर ५५८. गुणसागरप्रबोधचन्द्रयुद्धप्रकाश, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५५९. गुणसुन्दरी चौपई, कुशललाभ उ० / कुशलधीर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४८, दिगम्बर ज्ञान भं., कोटा ५६०. गुणसुन्दरी चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ __नवानगर, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ५६१. गुणसुन्दरी चौपई, जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५६२. गुणसुन्दरी चौपई, जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७५३ सकतीपुर, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५६३. गुणसुन्दरी चौपई, विनयमेरुगणि / हेमधर्मगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६७ फतेहपुर, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ५६४. गुणस्थानक्रमारोह, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६९८ महिमावती, 'आदि-सुरासुरनराधीशः...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २०० खरतरगच्छ साहित्य कोश 45 For Personal & Private Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६५. गुणस्थान गर्भित जिन स्तव बालावबोध, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६९२ सांगानेर, 'अन्त-श्री हर्षसार शिष्योपाध्याय शिवनिधानेन...', अ. ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ५६६. गुणस्थानकविचार चौपाई, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-खामिय जिणवर चउविय भेय..., अन्त–गुणठाणानु ऐह विचार...', अ., ह. संघ भं., पाटण, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ४४२ ५६७. गुणस्थानविवरण चौपई, कनकसोमगणि / अमरमाधिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३१, 'आदि-पंच परमिट्ठ सिद्ध..., अन्त-संवत सोलहसइ वरस...', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ५६८. गुणस्थानशतक स्वोपज्ञटीका, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, प्राकृत-संस्कृत, १८वीं, मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५६९. गुणानुरागकुलक, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १४वीं, अ., ह. ज्ञान भं. लींबड़ी, संघ भं., पाटण ५७०. गुणावली चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४२ सोजत, उदयचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र.. जोधपर ५७१. गुणावली चौपई, जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७७३, 'आदि-पुरसादानीपासजिनं..., अन्त-गाया गाया रे में सतीतणा गुण गाया...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४०९, विनय. प्रतिलिपि ५७२. गुणावली चौपई,लब्धोदय / ज्ञानराज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४५ उदयपुर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११८६ ५७३. गुरुगुणषट्त्रिंशिका बालावबोध, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, आदि-प्रणम्य परमात्माननं..., अन्त-श्रीमत्खरतरगच्छे...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल ५७४. गुरुगुणाष्टक स्तोत्र, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५७५. गुरुदुःखितवचन, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १६९८ अहमदाबाद, 'आदि-क्लेशोपार्जितवित्तेन... गा. १९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१७ ५७६. गुरुपट्टावली, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, गुर्वावली, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि प्रणमु पहिली श्री वर्धमान..., अन्त–पातसाहि अकबर प्रतिबोधियउ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८४३, ह. अभय ग्र., बीकानेर 46 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७७. गुरुपारतन्त्र्य स्तोत्र , जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, आदि-मयरहियं गुणगणरयण... गा. २१', मु., सप्त स्मरण स्तोत्र संग्रह ५७८. गुरुपारतन्त्र्य स्तोत्र टीका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५७९. गुरुपर्वक्रम, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, ऐतिहासिक गुर्वावली, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रीवीर स्वामिनं नत्वा वीरं...', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, भण्डारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना, विनय प्रतिलिपि ५८०. गुर्वावली (व्याख्यान गुर्वावली), मेरुनन्दनोपाध्याय ?, गुर्वावली, संस्कृत, १४३३ पाटण, 'आदि-उद्योतन सूरिरभूत् क्रमेण..., अन्त-यैः श्रीलोकहिताभिधानगुरुभिः पट्टे... गा. ११', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, ह. हर्षचन्दसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं. खम्भात प्रति नं. ३७६ ५८१. गुर्वावली, गुर्वावली, प्राकृत, १५वीं, 'आदि-वंदे सुहम्म सामि..., अन्त-ए ए सव्वसूरि जुगप्पहाणां... गा. ११', अ., ह. हर्षचन्दसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात प्रति नं. ३७६ ५८२. गुर्वावली, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, गुर्वावली, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सिवसुखकर रे पास जिनेसर..., अन्त-मनमोहन रे गुणरोहण... गा. २१', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २१८ ५८३. गुर्वावली, देवनंदन / युक्तिसौभाग्य उ०, गुर्वावली, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५८४. गुर्वावली, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., गुर्वावली, राजस्थानी, १७वीं, आदि--भारति भगवति रे तुं वसि मुखकजे... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २२५ ५८५. गुर्वावली फाग, क्षेमहंसगणि / जिनभद्रसूरि, गुर्वावली, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-पणमवि केवललच्छिवर..., अन्त–जद्रूमंडलि अचल मेरू... गा. १६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २१५ ५८६. गुर्वावली रेलूआ, सोममूर्ति / जिनेश्वरसूरि, गुर्वावली, अपभ्रंश, १४वीं, अ. ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८७. गेही दीक्षानशन वर्णनाष्टक, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-पूर्वाराद्ध-प्रसत्र सुकृतनरपतिस्ते..., अन्त–सम्यग्दर्शनसंविदुग्रलहरी... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ५८८. गोरा बादल चौपई, विद्याकुशल-चारित्रधर्म / आनन्दनिधान आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ५८९. गौडी पार्श्वनाथ चौपई, सुमतिरङ्ग वा. / चन्द्रकीर्त्ति वा., रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. गायकवाड ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा खरतरगच्छ साहित्य कोश 47 For Personal & Private Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९०. गौतमकुलक टीका, ज्ञानतिलकोपाध्याय / पद्मराज उ०, प्रकरण, संस्कृत, १६६०, 'आदि आदित्नत्वा श्रीदेवगुरुन्...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७९११, विनय. प्रतिलिपि ५९१. गौतमकुलक टीका, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, प्रकरण, संस्कृत, १६७१, अ. ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता ५९२. गौतमगणधर स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि लघुखरतर, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि ओं नंमस्त्रिजगन्नेतुः... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., जैन स्तोत्र संदोह भाग-१ ५९३. गौतमगणधर स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि लघुखरतर, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि जम्मपवित्तियसिरिमगहदेस... गा. २५', ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., जैन स्तोत्र संदोह भाग-१ ५९४. गौतमगणधर स्तोत्र , जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि लघुखरतर, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि श्रीमन्तं मगधेषु... गा. २१', ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २४ ५९५. गौतमगणधर स्तोत्र, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, 'आदि-अक्खीण महाणसिचारुचार..., अन्त–इय मुसुमूरियवम्मह... गा.९', मु., अनुसंधान अंक ३१, अहमदाबाद ५९६. गौतमगणधर स्तोत्र, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ. ५९७. गौतमगणधर स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि वर्द्धमानजिनशिष्यशेखरं... गा. १२', अ. ५९८. गौतमगणधर स्तोत्र, सूरप्रभाचार्य / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-अब्धिलब्धि कदम्बकस्य..., अन्त-श्रुतमपि बहुभक्त्या ... गा. ७', मु., अनुसंधान अंक ३१, अहमदाबाद ५९९. गौतमपृच्छा चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्दगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९५ चांद्रेठ, 'आदि-श्री महावीरनइ गौतम सामि..., अन्त-पुण्य करउ तुम्हे प्राणीया...', अ., अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८६० ६००. गौतमपृच्छा टीका, मतिवर्द्धनगणि / सुमतिहंस आद्यपक्षीय, औपदेशिक, संस्कृत, १७३८ जैतारण, आदि-वीरं जिनं प्रणम्यादो..., अन्त–एवं श्रीजिनहर्षसूरीणां... गा. १६८३', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर, ह., अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७०३३ ६०१. गौतमपृच्छा टीका, श्रीतिलक / देवभद्रसूरि रुद्रपल्लीय, कथा साहित्य, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-माधुर्यधुर्यगुणतः सुतिसत्पुर्दर्य..., अन्त-श्री वर्धमान इति चन्द्रकुलाम्बरार्क...', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ६०२. गौतमपृच्छा बालावबोध, शिवसुन्दरोपाध्याय / क्षेमराज उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १५६९ खीमसर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०३. गौतमपृच्छा भाषा दोहा, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वीर जिणंद तणा पय वंदि..., अन्त–गौतमपृच्छा एहवी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६९८, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १७६१ 48 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०४. गौतमस्वामी चतुःपदिका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-गोयमसामी गुणनिलउ... गा. १३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४१६ (२३) ६०५. गौतम स्वामी छन्द, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि-सुरतरु जिम नयवन्तु मुणिः..., अन्त–सोग गुरिय दोहग्ग दुरन्त नासइ... गा. १०', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात ६०६. गौतमस्वामी रास, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १५वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ६०७. गौतमस्वामी रास, लक्ष्मीकीर्त्तिगणि / लब्धिमण्डनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'अन्त–महिमा श्री गौतम नाम तणी... गा. ३१', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६०८. गौतमस्वामी रास, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, रास, अपभ्रंश, १४१२ खम्भात, 'आदि-वीर जिणेसर चरण कमल कमलाकय वासउ..., अन्त-कुंकुम चन्दन छड़ो दिवरावउ...', मु., गौतम रासः परिशीलन, ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं. खम्भात, पृ. ४३५-४३८ ६०९. गौतमस्वामी रास हिन्दी अनुवाद, मूल विनयप्रभोपाध्याय, अनुवादक - म. विनयसागर, रास, हिन्दी, २१वीं, ह. गौतम रास परिशीलन, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ६१०. गौतम स्वामी स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि-अट्ठछन्द दसदुहड़ा..., अन्त-गोयम सामिउ मइ थुणिउ... गा.', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३१ ६११. गौतमीय महाकाव्य, रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द्र) / दयासिंहगणि, काव्य, संस्कृत, १८०७ जोधपुर, 'अन्त–संवच्छैल वियगजोमुप मिते मासे...', मु., देवचन्द लालभाई पु. ___फण्ड, सूरत, ह. विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ३३८ ६१२. गौतमीयमहाकाव्य टीका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, काव्य, संस्कृत, १८५२ जैसलमेर, आदि-अनन्त विज्ञानमयं विशुद्धं..., अन्त–बाहुज्ञानवसुक्षमा प्रतिमिते...', मु., देवचन्द लालभाई पु. फण्ड, सूरत, ह. विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ६१३. ग्रहलाघवसारिणी टिप्पण, राजसोमोपाध्याय / जयकीर्त्तिगणि, ज्योतिष, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर ६१४. ग्रहायुः, पुण्यतिलकोपाध्याय / हर्षनिधान उ०, ज्योतिष, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६१५. घंघाणी पद्मप्रभ अर्जुन पार्श्वस्तोत्र, लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६६६, 'गा. २५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६१६. चउपर्वी चौपई, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७३ झूठाग्राम, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर । खरतरगच्छ साहित्य कोश 49 For Personal & Private Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१७. चक्रेश्वरी स्तोत्र , जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, आदि-श्री चक्रेश्वरी चक्रचुंबित - करे..., अन्त-श्रीचक्रेश्वी विश्वविस्मयकरी... गा. १०', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६१८. चतुरप्रिया, कीर्त्तिवर्द्धन / दयारत्न आद्यपक्षीय, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १७०४, अ., ह राजस्थानी शोधसंस्थान चौपासनी, जोधपुर ६१९. चतुरशीतिराशातनास्थान, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि लघुखरतर, विधि, प्राकृत, १४वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण ६२०. चत्तारि परमंगाणि टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आगम, संस्कृत, १६८७ पाटण, 'अन्त–नवीन शिष्यस्य पूर्व अकृत व्याख्यानस्य हितकृते...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६२१. चतुर्दशस्वरवादस्थन, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, ___ 'आदि-श्रीसिद्धि भवतान्तरां भगवती..., अन्त-श्रीजिनराजसूरीन्द्रे...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६२२. चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोध, मुनिमेरुगणि / कमलसंयम उ०, आगम, राजस्थानी, १५वीं, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर ६२३. चतुःशरणप्रकीर्णक सन्धि, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३१ जैसलमेर, 'आदि–पय पणमवि चउवीस..., अन्त–नित नवनिधि वृद्धि...', अ., ह. दानसागर बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४६९८ ६२४. चतुःशरण स्तोत्र, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत-हिन्दी, २०वीं, 'मूल आदि आप्तोष्टादशदोषशून्य..., अन्त–धन्योहं कृतपुण्यकोहमधुना...', मु., सुमति कार्यालय कोटा, ह. विनय. प्रतिलिपि, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं. ६२५. चतुर्विंशति जिन नमस्कार, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, आदि देवतियण पणय..., अन्त–इय निम्मलगणगण वद्धमाणं...गा. २५'.अ..ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि ६२६. चतुर्विंशति जिन नमस्कार, जिनशेखरसूरि / जिनतिलकसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि–तिहुयणमंडण विमलनाहिकुल..., अन्त–सिरि सिद्धत्य नरिंद वंस...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४८४ ६२७. चतुर्विंशति जिन नमस्कार, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, राजस्थानी १८५६ नागपुर, 'आदि-ऋषभादिक चौवीस देव..., अन्त–सय सठार छप्पन्न समै...', ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, मु. ६२८. चतुर्विंशति जिन नमस्कार स्तोत्र, जिनराजसूरि / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, आदि प्रथमजिनवर निखिलनरनाथ संसेवित... गा. २५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २५८७६ ६२९. चतुर्विंशति जिन नमस्कार, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, आदि-यो मारुदेवो नृपनाभिसूनु..., अन्त–इत्थं चतुर्विंशजिनाधिराजः... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा 50 खरतरगच्छ साहित्य कोश । For Personal & Private Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३०. चतुर्विंशति जिन स्तव (पञ्चाशिका), रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८१४ बीकानेर, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६३१. चतुर्विंशति जिन स्तवनानि, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि परसिद्धि कए सिरि रिसहनाह..., अन्त-निव्वाणो कत्तिय मावसाइ...', अ. ह. पुण्य विजय संग्रह, अहमदाबाद, विनय. प्रतिलिपि ६३२. चतुर्विंशति जिन स्तवनानि, पुण्यशीलगणि / रामविजय उ०, स्तुति, संस्कृत, १८५९, 'आदि-श्रीमत्पार्श्वजिनेन्द्रं..., अन्त–वर्षे नन्दशरद्विपक्षितिमिते...', ह. विनय. संग्रह, बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६९४९, मु., सुमति सदन, कोटा, सम्पादक - म. विनयसागर ६३३. चतुर्विंशति जिन स्तवनानि (स्वोपज्ञ टीका), पुण्यशीलगणि / रामविजय उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६५९ पाली, 'आदि-श्रीमत्पार्श्वनाथजिनेन्द्र...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२, पद्मप्रभु तक २६८९६, चन्द्रप्रभु तक पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ६३४. चतुर्विंशति जिन स्तुतयः, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तुति-स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'अन्त–इत्थं चतुर्विंशति तीर्थपानां...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६३५. चतुर्विंशति जिन स्तुतयः, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तुति-स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सविहाणउ जड आज मई.... अन्त–सहज जम्म जीविय सहल....अ..उ. जैन गर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४७९ ६३६. चतुर्विंशति जिन स्तुतयः, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तुति-स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-मरुदेवीनाभितणयं..., अन्त-तिसला सिद्धत्थ सुयं...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १६७ ६३७. चतुर्विंशति जिन स्तुतयः स्वोपज्ञ टीकासह, श्रीसुन्दरगणि / यु. जिनचन्द्रसूरि, स्तुति, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-नित्यानन्दमयं स्तुवेतमनघं..., अन्त–वीरस्वामिन् भवन्तं...', मु., सुमति सदन, कोटा, सम्पादक - म. विनयसागर, ह., विनय. संग्रह श्रीवल्लभोपाध्याय लिखित ६३८. चतुर्विंशति जिन स्तुति, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि ___ नाभेयाजितवासुपूज्य... गा. ४', मु., अभय रत्नसार, ह. विनय. प्रतिलिपि ६३९. चतुर्विंशति जिन स्तुति, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशील उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, आदि प्रत्यूहव्यूहमोहोत्कटकरटि.... गा. २', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६४०. चतुर्विंशति जिन कल्याणक स्तुति, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-श्रीनाभेय... गा. ३०', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० ६४१. चतुर्विंशति जिन लंछन स्तोत्र, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, आदि-वसहो रिसहस्स भवे लंछण... गा. ७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा 51 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र स्वोपज्ञ वृत्तिसह, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'मूल का आदि-नमस्कृत्य जिनं पार्श्व, मूल का अन्त-रसज्ञां सफली कर्तुं नेतुं', 'टीका का अन्त–इत्थं चतुर्विंशति संख्ययैव', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६४३. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, चारित्रनन्दी / नवनिधि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६४४. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि आनन्दसुन्दरपुरन्दर... गा. २९', अ.. ६४५. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि आनम्रनाकिपतिरत्न० गा. २५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २१४ ६४६. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि ऋषभदेवमनन्तमहोदयं... गा. ३०', अ. ६४७. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि ऋषभनम्रसुरासुरशेखरं... गा. २९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २१ ६४८. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि __ऋषभनाथभनाथ... गा. २९', अ. ६४९. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि कनककान्तिधनु: शत... गा. २९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, काव्यमाला गुच्छक ७ ६५०. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि जिनर्षभ प्रीणितभव्यसार्थ... गा. ८', अ., विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण. रत्नाकर भाग-४, पृ. १७, अभय ग्र., बीकानेर ६५१. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र यमकमय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-तत्त्वानि तत्त्वानि भृतेषु... गा. २८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६५२. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि नतसुरेन्द्र जिनेन्द्र युगादिमा... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि । ६५३. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र , जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-नाभेय शोचिनिर्ममो... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ६५४. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि पात्वादिदेवो दशकल्पवृक्षाः... गा. २९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६५५. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि प्रणम्यादिजिनं प्राणी... गा. २८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २५८ 52 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'आदि-यं ६५६. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, सततमक्षमालोपशोभितं... गा. ३०', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ६५७. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदिभीमभवसंमभुब्भंत..., अन्त - चलणंगुलिचालियकणय...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, १७६, ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा पृ. ६५८. चतुर्विंशति जिनेन्द्र स्तोत्र, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदिऋषभनाथ-भनाथ-निभानन..., अन्त - इति जिनेश्वरसूरिभिरावृतै... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ६५९. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-श्रीमतां मरुदेवाभूर्नाभिजातो...., अन्त - जिनेश्वरः मुखाम्बुजभ्रमरविभ्रमा... गा. २९', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर, आगरा, विनय प्रतिलिपि ६६०. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, धर्मनिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, अ. ६६१. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदिस्वस्तिश्रिये श्रीऋषभादिदेवं ..., अन्त - इत्थं संवदुरोजद्दष्टिनगभूसंज्ञे... गा. २५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३५३ ६६२ . चतुर्विंशति जिन स्तोत्र ( यमकालङ्कार श्रृंखलाबद्ध ), पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'गा. २५', अ., अभय ग्र., बीकानेर ६६३. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र ( सप्तविभक्ति गर्भित), पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, ‘आदि-विभक्तिभि: सप्तभिरस्मिसर्व ..., अन्त - इत्थं सुभक्त्यादरतः पवित्रं ... गा. १६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १२९९ ६६४. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-यो मारुदेवो नृपनाभिसूनु:..., अन्त - इत्थं चतुर्विंशजिनाधिराज :... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय प्रतिलिपि * ६६५. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र ( प्रवर्धमानाक्षर ), भुवनहिताचार्य / जिनचन्द्रसूरि, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-युगादौ जगदुद्धर्तु..., अन्त - इत्येवं सर्वदेवासुरनरबलिराजाधिराजै:...', अ. हर्षचन्दसूरि पार्श्वचन्दगच्छ ज्ञान भं., खम्भात, मु., अनुसंधान अंक २५ ६६६. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदिश्रीमारुदेवं नतसार्वदेवं... गा. २५', अ. ६६७. चतुर्विंशति जिन स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदिमोह महाभड मयभड..., अन्त - चौवीस : जिण संथवणु... गा. २८', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२३, विनय प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 53 Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८. चतुर्विंशति जिन चैत्य वंदन-स्तवन स्तुति संग्रह , सुमतिमण्डन उ० / धर्मानन्द उ०, स्तोत्र, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-गढ़ बीकाणे सोभताए आद जिनन्द..., अन्त-उगणी से सेतालीस मेए...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६६९. चत्तारि अट्ठदस षडर्थ, जिनकीर्त्तिरत्नसूरि / जिनवर्द्धनसूरि, अनेकार्थी साहित्य, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-चत्तारि जिणवीसं..., अन्त–ससहर कय नव अत्थ... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि. ६७०. चन्द चौपई समालोचना, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, समालोचना, राजस्थानी, १८७७ बीकानेर, 'आदि-ए निश्चे निश्चे करौ..., अन्त–ना कविकी निंदा करी', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. २७० ६७१. चन्द राजा रास, करमचन्द / गुणराज, रास चौपई, राजस्थानी, १६८७ कालधरी, 'अन्त संवत सोलसत्यासीये भलो जोग अपार...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०३२ ६७२. चन्दनबाला रास, आसिगु, रास चौपई, अपभ्रंश, १३वीं, अ. ६७३. चन्दन मलयगिरि चौपई, कल्याणकलश, रास चौपई, राजस्थानी, १६९३ मरोट, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ६७४. चन्दन मलयगिरि चौपई, क्षेमहर्षगणि / विशालकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०४ मरोट, 'आदि-जिणवर चउवीसे नमी...', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८८३० ६७५. चन्दन मलयगिरि चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०४, 'आदि-सरसति मतिदाईक नमुं..., अन्त–अनुक्रमे नृप सुख भोगवी...', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर ६७६. चन्दन मलयगिरि चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४४ पाटण, 'आदि-सकल सुरासुर पय कमल..., अन्त–युग ब्रह्मा मुख जल निधिजी चन्द्र संवच्छर जाणि...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ९४, भाग-३, पृ. ११५८ ६७७. चन्दन मलयगिरि चौपई, भद्रसेन वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-स्वस्ति श्री विक्रमपुरे..., अन्त-भद्रसेन कहे पुण्यते भये सुवंछित भोग... २०३', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७०६४ ६७८. चन्दन मलयगिरि चौपई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७११, आदि-स्वस्ति श्री पूरण सदा..., अन्त–सत्व सुदृढ़ संभाहिई ए...', अ., ह. खजांची संग्रह, रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ६७९. चन्दन मलयगिरि रास, यशोवर्द्धनगणि / रत्नवल्लभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४७ रतलाम, आदि-पुरिसादाणी पद नमी..., अन्त-भाव भगति इणविध मन आणी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि 54 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८०. चन्द्रगुप्त स्तवन चौढालिया, अमरसिन्धुर वा. / जयसार वा., रास चौपई, राजस्थानी, १८७५, 'आदि-प्रथम जिणंसर पद कमल..., अन्त-सोल सुपन संबंध एरे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६८१. चन्द्रदूतम् ( मेघदूत पादपुर्ति ), विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, काव्य, संस्कृत, १६८१, आदि-प्रणम्य श्रीयुगादीशं समस्यापादपूरणात् मेघदूतान्त्यपादेन चन्द्रदूतं करोम्यहम्..., अन्त-शिष्याणुको विमलकीर्तिगणि प्रधानो..', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत ६८२. चन्द्रप्रभचरित्र, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, कथा चरित्र, प्राकृत, १३वीं, 'आदि-चरियं भणिमो चंदप्पहस्स', अ. ६८३. चन्द्रप्रभचरित्र स्वोपज्ञ टीका, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, कथा चरित्र, संस्कृत, १३वीं, 'अन्त–इत्थं स्वविहित चन्द्रप्रभजिनचरित्रस्य विषमपदवृत्तिं व्यरचि...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६८४. चन्द्रप्रभचरित्र टीका, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि, चरित्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ६८५. चन्द्रप्रभ जन्माभिषेक, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १३वीं, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर ६८६. चन्द्रप्रभ स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-नवभानुमयूखनखांशुगणं... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ६८७. चन्द्रप्रभ स्तुति, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-देवैर्यः स्तुष्टवे तुष्टै:... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर, भाग-४, पृ. २६२ ६८८. चन्द्रप्रभ स्तुति, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-श्रीचन्द्रप्रभदेवमष्टमजिनं... गा. ४', मु., लब्धिकृतिसन्दोह, पृ. ४५ जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ६८९. चन्द्रप्रभ स्तुति, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, आदि–प्रत्यूहव्यूह मोहोत्कटकरटिघटो... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६९०. चन्द्रप्रभ स्तुति, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि __ सुविलसच्छरदिन्दुसमाननं... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६९१. चन्द्रप्रभ स्तोत्र षड्भाषामय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, षड्भाषा, १४वीं, 'आदि नमो महसेननरेन्द्रतनुज... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २६८ ६९२. चन्द्रप्रभ स्तोत्र अवचूरि, कल्याणकमलगणि / यु. जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ६९३. चन्द्रप्रभ स्तोत्र, विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि जिनसागरसूरि शाखा., स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा खरतरगच्छ साहित्य कोश 55 For Personal & Private Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९४. चन्द्रलेखा चौपई, मतिकुशलगणि / मतिवल्लभ, रास चौपई, राजस्थानी, १७२८ पचियाख, 'आदि-सरसति भगति नमी करी..., अन्त-संवत् सिद्धि कर मुनि शिशै जी...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ६९५. चन्द्रविजय, मन्त्रिमण्डन / बाहड, काव्य, संस्कृत, १५वीं, मु., हेमचन्द्राचार्य जैन सभा, पाटण ६९६. चन्द्रामलक भक्तामर ( भक्तामर स्तोत्र पादपूर्ति), जिनजयसागरसूरि / जिनकृपाचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं, अ., उ. भक्तामर रहस्य, धीरज लाल टोकरसी शाह ६९७. चन्द्रोदयकथा चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दर, रास चौपई, राजस्थानी, १७३० नवसर, ___ 'आदि-संतिकरण श्रीसंति जिण..., अन्त–संवत सतरइ तीसमइ...', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर ६९८. चमत्कारचिन्तामणि टीका, अभयकुशलगणि / पुण्यहर्ष, ज्योतिष, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. चारित्र-रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ६९९. चमत्कारचिन्तामणि स्तबक, मतिसार, ज्योतिष, राजस्थानी, १८वीं फरीदकोट, अ., ह. __ दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ७००. चम्पक चरित्र-वृद्धदन्त शुद्धदन्त रास, जिनोदयसूरि / जिनतिलकसूरि भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६६९, आदि-चउवीसे जिनवर वली..., अन्त–दान विषे चंपक तणोजी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ९९४ ७०१. चम्पक चौपई, रङ्गप्रमोद / ज्ञानचन्द्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७१५ मुलतान, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२०९ ७०२. चम्पकमाला चौपई, जगनाथ / इलासिंधुर, रास चौपई, राजस्थानी, १८२२ साचौर, अ. ७०३. चम्पक श्रेष्ठि चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९५ जालौर, 'आदि-जालोर मांहे जागतौ..., अन्त–संवत सोल पंचाणू मैं जालोर मांहे जोड़ी रे... गा. १५', मु. समयसुन्दर रास पंचक, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७०४. चम्पूमण्डन, मन्त्रिमण्डन / बाहड, काव्य, संस्कृत, १५वीं, मु., हेमचन्द्राचार्य जैन सभा, पाटण ७०५. चरणसत्तरी करणसत्तरी भेद, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ. ७०६. चर्चरी, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, चर्चा-उपदेश, अपभ्रंश, १२वीं, 'मूलादि-नमिवि जिणंसर धम्म...', 'आदि टीका - जिनपतिपदपद्मरम्य..., अन्त–संक्षिप्ता मन्द मेधसा...', मु., गायकवाड़ ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा ७०७. चर्चरी टिप्पणक, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, उपदेश, संस्कृत, १२९४, अन्त-इति चर्चरीसु चर्चा...', मु. गायकवाड़ ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा, ह. विनय. प्रतिलिपि ७०८. चर्चाप्रश्नोत्तर, तिलोकचन्द लूणिया, चर्चा, राजस्थानी, १९वीं अजमेर, अ., ह. हंसविजय संग्रह, बड़ौदा 56 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०९. चाचरी, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, विधि, अपभ्रंश, १३वीं, 'आदि-भगति करवि वहु रिसह जिण..., अन्त–वयणि जिणेसरसूरि गुरु...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ४०० ७१०. चाणिक्यनीति स्तबक, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, नीति, राजस्थानी, १८वीं, अ. ७११. चारकषाय सन्धि, विद्याकीर्त्ति उ० / पुण्यतिलक, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि जिण चउवीस नमी करी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७१२. चारित्र मनोरथ माला, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वजगणि, विधि, राजस्थानी, १६वीं, आदि श्री आदीसर पय नमी..., अन्त-चरण मनोरथ मालिका...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं. जैसलमेर ८४७, अभय ग्र., बीकानेर ७१३. चित्रकूटीय-पार्श्वचैत्य-प्रशस्तिः (कमलदलगर्भम् ), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, काव्य, संस्कृत, १२वीं, आदि-निवा॑णार्थी विधत्ते..., अन्त-क्षीरनीरधिकल्लोल...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १५० ७१४. चित्रकूटीय-वीरचैत्य-प्रशस्तिः (अष्टसप्ततिका), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, काव्य, __ संस्कृत, ११६३ चित्तौड़, 'आदि-स्वयम्भुवोक्षावलियाम..., अन्त–चक्रे श्रीजिनवल्लभेन ___ गणिना...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १३९ ।। ७१५. चित्रलेखा चौपई, दयासागर / जीवराज पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६९९ दिल्ली, अ., ह. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर ७१६. चित्रसम्भूति चौढालिया, हीर उदयप्रमोद / सूरचन्द उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७१९ जैसलमेर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२१५ ७१७. चित्रसम्भूति रास, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२१५ ७१८. चित्रसम्भूति सन्धि, जिनगुणप्रभसूरि बेगड / जिनेश्वरसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं जैसलमेर, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७१९. चित्रसम्भूति सन्धि, नयप्रमोदगणि / हीरोदय, रास चौपई, राजस्थानी, १७१९ जैसलमेर, 'आदि-श्रीवीतराग गुण वरन..., अन्त–नवलई हो मुनिवर माहरउ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६८११, खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७०२२ ७२०. चित्रसेन पद्मावती चौपई, उदयरत्नगणि / जिनसागरसूरि शिष्य, रास चौपई, राजस्थानी, १६९७ थम्भनयर, 'आदि-प्रणमुंग्यान दंसण चरित..., अन्त–खरतरगच्छ मांहे खरा...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान मन्दिर पालीताणा, अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर ७२१. चित्रसेन पद्मावती चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा खरतरगच्छ साहित्य कोश 57 For Personal & Private Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२. चित्रसेन पद्मावती चौपई, भावसागर / भावप्रमोदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-दानं सुपात्रे विसुद्धं च शीलं...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७२३. चित्रसेन पद्मावती चौपई, यशोलाभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रथम नमुं श्री आदिजिन...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७२४. चित्रसेन पद्मावती चौपई, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७१४ बीकानेर, 'आदि-श्री रिसहेसर पयकमल..., अन्त-भवियण साचौ इक धर्म भाई...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७२५. चित्रसेन पद्मावती रास, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २१८ ७२६. चिन्तामणि पार्श्व स्तोत्र, जिनलब्धिसूरि / जिनपद्मसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि यन्महिमाकृतसेकैः पल्लवितुं भुवन..., अन्त–इति कृतिनुति भक्तिर्जागुरुकोरु... गा. ९', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ७२७. चैत्य परिपाटी, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४८७, आदि-मनोरंगि मई आपणइ बुद्धि पामी..., अन्त-जे मइ चउइ सत्यासिय वरसिहि...', अ., पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२१) ७२८. चैत्य वन्दनक, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि , विधि, प्राकृत, १०८० जालौर, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं. जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४०९ ७२९. चैत्य वन्दन कुलक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-नमिऊण मणंत गुणं..., अन्त–सोमेधम्म गुरु सया गुणिगुरु...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत ७३०. चैत्यवन्दन कुलक टिप्पणक, लब्धिनिधानोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, विधि, संस्कृत, १४वीं, अ. ७३१. चैत्यवन्दन कुलक वृत्ति, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, विधि, संस्कृत, १३८३ बाड़मेर, 'अन्त–अर्ह श्रेय:पय:सलिलराशिविकाश हेतुः...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत ७३२. चैत्यवन्दन कुलक वृत्ति हिन्दी अनुवाद, सज्जनश्री प्र. / ज्ञानश्री, विधि, हिन्दी, २१वीं, मु. पुण्यस्वर्ण ज्ञान पीठ, जयपुर ७३३. चैत्यवन्दन चतुर्विंशतिका स्वोपज्ञ टीका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८५६ नागपुर, 'मूल का आदि-सद्भक्त्या नतमौलिनिर्जवर..., अन्तवरेण्यगुणवारिधिः..., 'टीका का आदि-नमस्कृत्य जिनं..., अन्त–इत्थं चतुर्विंशतिसङ्घख्यैव.. अ., ह. विनय. संग्रह ७३४. चैत्यवन्दन चतुर्विंशतिका (क्षमाकल्याण) हिन्दी अनुवाद, बुद्धिश्री / दयाश्री, स्तोत्र, हिन्दी, २०वीं, मु. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा 58 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३५. चैत्यवन्दन चतुर्विंशतिका, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २००७ विजयनगर, _ 'आदि-च्यवनं यस्य सर्वार्थ... गा. १३६', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. १-१६, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ७३६. चैत्यवन्दन भाष्यवृत्ति तत्त्वार्थदीपिका, धर्मप्रमोदगणि / कल्याणधीर उ०, प्रकरण, संस्कृत, १६६४, अ., ह. बड़ा भं., बीकानेर ७३७. चैत्यवन्दन भाष्ययन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दरगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं कृष्णगढ़, 'अन्त-संवत अठारइसीसमें सुदि आषाड़', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७३८. चैत्यवन्दन भाष्य व्याख्यान पद्धति, हर्षनन्दनगणि / समयसुन्दरोपाध्याय, प्रकरण, संस्कृत, __१७वीं, 'आदि-स्वस्तिश्रीदायिकां', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १११७४ ७३९. चैत्यवन्दनस्थान विवरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १५८० ७४०. चैत्रीपूर्णिमा देववन्दन, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७४१. चैत्रीपूर्णिमा देववन्दन विधि, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, विधि, हिन्दी, ___ २१वीं, मु., पुण्यश्री स्मारक ग्रन्थमाला, जयपुर ७४२. चौदह स्वप्न चौपई, अबीरजी, रास चौपई, राजस्थानी, २०वीं, अ., ह. जैनभवन, कलकत्ता ७४३. चौदह स्वप्न भाषा धवल, विनयलाभोपाध्याय / विनयप्रमोद उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. चतुर्भुज संग्रह, बीकानेर ७४४. चौपर्वी चौपई, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७३ जूठाग्राम, ___ अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, चतुर्भुज संग्रह, बीकानेर ७४५. चौबीस जिन स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि–पहिलउं पणमउं आदि जिणिंद... गा. १५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४१६ (१३) ७४६. चौबोली चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२४, ‘अन्त कलियुग मांहि विक्रम रायनो...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ७४७. चौबोली चौपई, कीर्त्तिसुन्दर (कान्हजी) / धर्मवर्द्धन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७६२ थाणलैनगर, अ., ह. चारित्र-रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ७४८. चौबोली वार्ता चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ११८ । ७४९. चौरासीगच्छ विवरणछन्द, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, विविध, राजस्थानी, १९वीं, __ अ., ह. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 59 For Personal & Private Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५०. चौवीस एकादशी प्रबन्ध, अमर / सोमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७११, आदि सेत चीर शोभती..., अन्त-रलीय रङ्ग मनखंति...', अ., ह. वर्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ७५१. चौवीस जिन कालगर्भित स्तोत्र , जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४९३, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ७५२. चौवीस जिन पंचाशिका, क्षमाप्रमोदगणि / रत्नसमुद्रगणि, स्तोत्र, राजस्थानी, १९वीं, अ., ___ ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ७५३. चौवीस - दण्डक विचारकुलक, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, प्रकरण, प्राकृत, १८वीं, अ., ह. दिगम्बर भं., जयपुर ७५४. चौवीस - दण्डक विचार बालावबोध, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, चौवीस साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'अन्त-इम जिन वाणी जोइने...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३ पृ. १४२० ७५५. चौवीसी - अतीत जिन चौवीसी, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, आदि-नामे गाजे परम आह्लाद..., अन्त-जे निज पासे हो...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा, नोट:- २१ तीर्थंकर तक ही स्तवन प्राप्त है। ७५६. चौवीसी - ऐरवत क्षेत्रस्थ चौवीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १६९७, अन्त–गाया गया री ऐरवरत तीर्थंकर गाया...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२-२९, नोट:- प्रारम्भ के ७ गीत अप्राप्त हैं। ७५७. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, अमरचन्द बोथरा / उदयचन्द्र बोथरा, चौवीसी साहित्य, हिन्दी, २००८, 'आदि-कहाँ मैं अपने को पहिचाना..., अन्त–आज मैं कलश पूर्ण कर पाया...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि लेखक द्वारा स्वयं लिखित ७५८. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, अमरचन्द बोथरा / उदयचन्द्र बोथरा, चौवीसी साहित्य, ___ हिन्दी, २०१८, 'आदि-ऋषभदेव मन भायो रे..., अन्त-भक्ति जल भर मङ्गल कलश...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि लेखक द्वारा स्वयं लिखित ७५९. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, आनन्दघन (लाभानन्द), चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, आदि-ऋषभ जिनेश्वर प्रीतम म्हारो...', मु. ७६०. चौवीसी - आनन्दघन चौवीसी बालावबोध, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १८६६, अ. ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, स्वयं लि. सुमेर भीनासर, अभय ग्र., बीकानेर ७६१. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, आनन्दवर्द्धन / महिमासागर, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७१२, _ 'आदि-आदि जिणंद मयाकरे..., अन्त-आदित कुलगिर चंद्रमा...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७६२. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, कीर्त्तिरत्नसूरि / जिनवर्द्धनसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४९६ 60 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६३. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, चौवीसी साहित्य, . राजस्थानी, १७२९ सोजत, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७६४. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं. जैसलमेर ७६५. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, गुणविलास / सिद्धिवर्द्धन, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७९६ जैसलमेर, 'आदि-अब मोहि तारो दीनदयाल..., अन्त–संवत सत्तर सताणवै वरसै...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर | ७६६. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, चन्द्रप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, २१वीं, 'आदि-आदि तीर्थंकर आदि जिनेश्वर..., अन्त–श्वि में तुम्ही ज्ञान-सागर...', मु., अर्हत वन्दना, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७६७. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, चारित्रनन्दी / नवनिधि, चौवीसी साहित्य, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७६८. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, चौवीसी साहित्य, हिन्दी, १९९२ अजीमगंज, 'आदि-भावे श्री आदि जिन वंदू..., अन्त–चौवीस जिन सुखकारी गाया...', मु., जिन स्तवन संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७६९. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनकीर्त्तिसूरि / जिनसागरसूरिशाखा, चौवीसी साहित्य राजस्थानी, १८०८ बीकानेर, 'आदि–साहिबनै जब भेटीयौ..., अन्त–इम श्री जिनमतनें अनुसारै...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १५५४ ७७०. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनमहेन्द्रसूरि मंडोवरा / जिनहर्षसूरि, चौवीसी साहित्य, हिन्दी, १८९८, अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर ७७१. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७११, 'आदि-समरि समरि मन प्रथम जिनं..., अन्त-चउवीसे जिनवर जे गावइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७७२. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मन मधुकर मोही रहिउ..., अन्त-इण परि भाव भगत...', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १ ७७३. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी बड़ी, जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७७४. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी छोटी, जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ऋषभ जिणंद सुखकंद..., अन्त–जिनवर चोवीसे प्रणमेवा...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 61 - खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७५. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७६४ खम्भात, 'आदि-आदिकरण आदै नमुं..., अन्त-गावौ गावौ री चौवीसे जिणवर गावौ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ४९१४ ७७६. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-देख्यौ रे ऋषभ जिणंद..., अन्त-जिनवर चउवीसे सुखदाई...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १ से १७ ७७७. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७३८, आदि-रेजीउ मोह मिथ्यातमई.., अन्त–जिनवर चउवीसे...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९ ७७८. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर वा., चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७०१, अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर ७७९. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १८७५ बीकानेर, 'आदि-ऋषभ जिणंदा आणंद कंद कंदा..., अन्त–गोडेचाजी तें मुहि सुधि बुधि दीधी...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १ ७८०. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, दयासुन्दर / दयावल्लभ, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७४३, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७८१. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी बालावबोध सह, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, चौवीसी, राजस्थानी, १८वीं, 'मूलादि-ऋषभ जिणंदशु प्रीतडी..., अन्त–चौवीशे जिनगुण गाईये...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ७८२. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी बालावबोध हिन्दी अनुवाद, सज्जनश्री प्र. / ज्ञानश्री, चौवीसी, राजस्थानी, २१वीं, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७८३. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी हिन्दी अनुवाद, मूल देवचन्द्रोपाध्याय / अनुवादक उमरावचन्द झरगड़, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, २१वीं, मु., जिनदत्तसूरि सेवा संघ, बम्बई ७८४. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७७१ जैसलमेर, 'आदि-आज सुदिन मेरी आस..., अन्त–चितधर श्री जिनवर चौवीसी...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १५० ७८५. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, राजसुन्दर / राजलाभगणि, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७७२, 'आदि-सरस वचन द्यो सरसति..., अन्त-भाव भगति इणि परि गुण गाया...', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ७८६. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आज सकल मङ्गल मिले..., अन्त–नित नित प्रणमि चौवीसे जिणवर...', अ.. ह. अभय ग्र..बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८७. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि जिनसागरसूरिशाखा, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७५५ राजनगर, आदि-आज जन्म सुकियारथउ रे..., अन्त इण परि मंइ चौवीसी कीधी...', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १ ७८८. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, सबलसिंह श्रावक, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १८६१ मकसूदाबाद, अ., ह. बड़ा मन्दिर भं., अजीमगंज ७८९. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चौवीसी साहित्य राजस्थानी, १६५८ अहमदाबाद, 'आदि–रिषभदेव मेरा हो..., अन्त–तीर्थंकर रे चोवीसे मैं संस्तव्या...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३ ७९०. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, सिद्धितिलक / सिद्धिविलास, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १७९६ जैसलमेर, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ७९१. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, सिद्धिविलास / सिद्धिवर्द्धन, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४६९ ७९२. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, सुमतिमण्डन उ० / धर्मानन्द, चौवीसी साहित्य, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ७९३. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १६९७ मेड़ता, अ.. ७९४. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, हरखचन्द, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि उठत प्रभात नाम जिनजीको गाइये..., अन्त-मन मान्यो महावीर मेरे...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ९७७७ ७९५. चौवीसी - जिन स्तवन चौवीसी, हीरसागर / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक, चौवीसी साहित्य, राजस्थानी, १६१७ पीपलिया, अ., ह. उदयचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ७९६. छत्तीसी - अक्षर छत्तीसी, ज्ञानसुन्दर / कल्याणविनय, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७८६, अ. ७९७. छत्तीसी - आगम छत्तीसी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७९८. छत्तीसी - आत्म प्रबोध छत्तीसी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री परमातम परम पद..., अन्त-श्रावक आग्रह सौं करें...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १५५ ७९९. छत्तीसी - आलोयणा छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य, १६९८ अहमदपुर, 'आदि-पाप आलोय तूं आपणा..., अन्त-संवत सोल अट्ठाणूए...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५४४ ८००. छत्तीसी - आहारदोष छत्तीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७२७, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 63 For Personal & Private Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०१. छत्तीसी - उपदेश छत्तीसी, खुशालचन्द / जयराम, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८३१ सवाई, अ., ह. पार्श्वनाथ जैन पुस्तक भवन, सूरतगढ़ ८०२. छत्तीसी - उपदेश छत्तीसी, सहजकीर्तिगणि / हेमनन्दनगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ८०३. छत्तीसी - उपदेश छत्तीसी सवैया, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७१३, 'आदि-सकल सरूप जामै..., अन्त-भई उपदेश की छत्तीसी...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १०० ८०४. छत्तीसी - कर्म छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी, राजस्थानी, १६६८ मुलतान, 'आदि-करम थी को छूटइ नहीं प्राणी..., अन्त-श्रीमुलताण नयर मूल नायक...', मु., समयसुन्दर कृति कु. ५२६ ८०५. छत्तीसी - कुगुरु छत्तीसी, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दर उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, आदि–प्रणमूं जिनवर गुरुणा पाय..., अन्त–सीख कहइ ज्ञानमेरु गणि इसी...', अ., ह. मुकुनजी संग्रह, बीकानेर ८०६. छत्तीसी - क्षमा छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्दगणि, छत्तीसी साहित्य, १७वीं नागौर, 'आदि-आदर जीव क्षमागुण आदर..., अन्त-युगप्रधान जिनचंद सूरीश्वर...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५२३ ८०७. छत्तीसी - गुरु छत्तीसी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ८०८. छत्तीसी - चारित्र छत्तीसी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ज्ञान धरौ किरीया..., अन्त-बिन विवहारै निश्वई...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १६५ ८०९. छत्तीसी - चेतन छत्तीसी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७६९, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ८१०. छत्तीसी - जिनप्रतिमा छत्तीसी, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ८११. छत्तीसी - ज्ञान छत्तीसी, कीर्त्तिसुन्दर (कान्हजी) / धर्मवर्द्धन उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७५९ जयातारण, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ८१२. छत्तीसी - ज्ञान छत्तीसी, ज्ञानसमुद्र / गुणरत्नगणि आद्य., छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७०३, अ. ८१३. छत्तीसी - तप छत्तीसी, गङ्गदास, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६७५ मसूदा, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ८१४. छत्तीसी - तीर्थभास छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 64 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१५. छत्तीसी - दया छत्तीसी, चिदानन्द / चुन्नीजी, छत्तीसी साहित्य, हिन्दी, १९०५ भावनगर, 'आदि-चरणकमल गुरुदेवके..., अन्त-शरद पूरण निधि चंद्रमा...', मु. चिदानंदजी कृत सर्व संग्रह भाग-२, पृ. ५२ ८१६. छत्तीसी - दया छत्तीसी, साधुरङ्ग उ० / सुमतिसागर उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६८५ अहमदाबाद, 'आदि-दया धरम मोटउ जिन शासन..., अन्त-दया छत्रीसी इणी परि दाखी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११११८ ८१७. छत्तीसी - दान छत्तीसी, राजलाभगणि / राजहर्षगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७२३, 'अन्तसंवत सतरहसौ तेवीसे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२३२ ८१८. छत्तीसी - दृष्टान्त छत्तीसी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, आदि-श्री गुरु को शिक्षा वचन... गा. ३६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ५३ ८१९. छत्तीसी - दोधक छत्तीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जिण दिन सज्जण वीछड़या..., अन्त–दोधक छत्तीसी रची...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ११७ ८२०. छत्तीसी - धर्म छत्तीसी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ८२१. छत्तीसी - परमात्म छत्तीसी, चिदानन्द (कपूरचन्द) / चुन्नीजी, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-परम देव परमातमा..., अन्त-चिदानंद तुम प्रति लिखी...', मु., चिदानंदजी कृत सर्व संग्रह भाग-२, पृ. ६५ ८२२. छत्तीसी - प्रस्ताव छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी. १६९० खम्भात. 'आदि-परमेसर परमेसर सह कहइ..., अन्त-साचउ एक धरम भगवंत नउ...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५१५ ८२३. छत्तीसी - पुण्य छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६६९ सिद्धपुर, 'आदि-पुण्य तणा फल परतिख देखो..., अन्त-युगप्रधान जिनचन्द सवाई...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५३३ ८२४. छत्तीसी - प्रीति छत्तीसी, सहजकीर्तिगणि / हेमनन्दन उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६८८ सांगानेर, 'आदि–प्रीति न किणिही जीति जायइ,... अन्त–संवत सोलवरस अठ्यासी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ.५२६ ८२५. छत्तीसी - भजन छत्तीसी, उदयराज / भद्रसार श्रावक भावहर्षीय, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६६७, अ. ८२६. छत्तीसी - भाव छत्तीसी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८६५ किसनगढ़, 'आदि-क्रिया अशुद्धता कछु नहीं..., अन्त-भावछत्तीसी भविकजन...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १४० खरतरगच्छ साहित्य कोश 65 For Personal & Private Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२७. छत्तीसी - मतिप्रबोध छत्तीसी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-तप तप तप तप क्यो करे..., अन्त-मत प्रबोध षटत्रिशिंका...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १७२ ८२८. छत्तीसी - मद छत्तीसी, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोदगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६८५ मेड़ता, अ., ह. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ८२९. छत्तीसी - मोह छत्तीसी, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोदगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६८४ नागौर, अ., महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ८३०. छत्तीसी - विचार छत्तीसी, ज्ञाननिधानगणि / मेघकलशगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७१९, अ., ह. मुकुनजी संग्रह, बीकानेर ८३१. छत्तीसी - विनय छत्तीसी, महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६९८, 'आदि-विनय धर्म चिन्तामणि आदर... गा. ३६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर गु. नं. ४१५ ८३२. छत्तीसी - विशेष छत्तीसी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ. ८३३. छत्तीसी - वैराग्य छत्तीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७२७, आदि-सद्गुरु वाणी सांभलि प्राणी..., अन्त–सुगुरु तणइ सुपसायइ कीधी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११४७ ८३४. छत्तीसी - शिक्षा छत्तीसी, महिमसिंह (मानसिंह) / शिवनिधान उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ. ८३५. छत्तीसी - शील छत्तीसी, राजलाभगणि / राजहर्षगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७२९ जोधपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ८३६. छत्तीसी - शील छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६६९, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३७३ ८३७. छत्तीसी - सत्यासीयादुष्कालवर्णन छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६८७ अहमदाबाद, 'आदि-गरूई श्रीगुजरातदेश..., अन्त दुरभिक्ष महादुकाल...', मु., समयसुन्दर ग्रन्थावली, पृ. ५०१ ८३८. छत्तीसी - सन्तोष छत्तीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६८४, आदि-साहमी सुं संतोष करीजइ..., अन्त-युगप्रधान जिनचंद सूरीसर...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५४० ८३९. छत्तीसी - सवासौ सीख छत्तीसी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, आदि-श्रीसुद्गुरु उपदेश संभारो..., अन्त–सीख सवासो कही समझाय...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ६४ 66 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४०. छत्तीसी - सुगुरु छत्तीसी, हर्षकुशल / मेघविजय उ०, छत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ८४१. छन्दस्तत्त्वसूत्रम्, धर्मनन्दनगणि, छन्द शास्त्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर १७३०२ ८४२. छन्दःशास्त्र, बुद्धिसागरसूरि / वर्द्धमानसूरि, छन्दशास्त्र, संस्कृत, ११वीं, अ., उ. गुणचन्द्रीय महावीरचरित्रप्रशस्ति ८४३. छन्दोऽवतंस, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, छन्दशास्त्र, संस्कृत, १८वीं, अ., बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़, रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ८४४. छन्दोनुशासन, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, छन्दशास्त्र, प्राकृत, ११वीं, 'आदि-नमिऊण छंदलक्खणधेणुं ..., अन्त - पाइय सत्थ वउगीउ जिणेसर सूरिणा रइउ...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, विनय प्रतिलिपि ८४५. छन्दोरहस्य, धनसागर / गुणवल्लभोपाध्याय, छन्दशास्त्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २१४३२ ८४६. जन्मप्रकाशिका, कीर्त्तिवर्द्धन / दयारत्नगणि आद्य., ज्योतिष, संस्कृत - राजस्थानी, १७वीं मेड़ता, 'आदि-वंदित सुर...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७८८९, वृद्धिचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., जैसलमेर ८४७. जन्मपत्रीपद्धति, महिमोदयगणि / मतिहंस, ज्योतिष, संस्कृत - राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ८४८. जन्मपत्री पद्धति, रत्नराज / रत्नजयगणि, ज्योतिष, संस्कृत - राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. मानमल कोठारी संग्रह, बीकानेर ८४९. जन्मपत्री पद्धति, लब्धिचन्द्र / कल्याणनिधान, ज्योतिष, संस्कृत - राजस्थानी, १७५१, अ., ह. महिमाभक्ति- बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १९९९ ८५०. जन्मपत्री विचार, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, ज्योतिष, संस्कृत - राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ८५१. जम्बु स्वामी चौढालिया, जगरूप / दुर्गादास, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता ८५२. जम्बु स्वामी चौढालिया, दुर्गादास / विनयाणंदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९३ बाकरोद, 'आदि-पुरसादानी परम प्रभु..., अन्त - जग जंबू गणधर जयकारी...', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर ८५३. जम्बु स्वामी चौपई, उदयरत्न उ० / जिनसागरसूरि शाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १७२०, अ. ८५४. जम्बु स्वामी चौपई, कमललाभ उ० / समयराजोपाध्याय, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सकल मनोरथ सम्पजइ..., अन्त - अपूर्ण', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 67 Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५५. जम्बु स्वामी चौपई, जिनेश्वरसूरि बेगड़ / जिनगुणप्रभसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४११ ८५६. जम्बु स्वामी चौपई, भुवनकीर्ति उ० / ज्ञाननंदी उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६९१ खम्भात, 'आदि-ज्योति पुरातन मन धरि..., अन्त-सोहम जम्बु पट्ट अनुक्रमे...', अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९५७९ ।। ८५७. जम्बु स्वामी चौपई, रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्ग, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. मिश्रबन्धुविनोद ८५८. जम्बु स्वामी चौपई, सुमतिरङ्ग वा. / चन्द्रकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२९ मुलतान, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ८५९. जम्बु स्वामी चौपई, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३२ वासडे, अ., ह. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ८६०. जम्बु स्वामी फाग, विजयतिलकोपाध्याय / विनयप्रभ उ०, रास चौपई, अपभ्रंश, १४३०, मु. ८६१. जम्बु स्वामी रास, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७० बाड़मेर, 'आदि-पणमिय पास जिणिंद प्रभु..., अन्त-धन धन प्रभव देखि धन कोरी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ८६२. जम्बु स्वामी रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६० पाटण, 'आदि-त्रिसला नन्दन वीर जिन..., अन्त-शशि उधधि काय आकाश...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ११२, भाग-३, पृ. ११७२ ८६३. जम्बू स्वामी रास, धरम / ?, रास चौपई, अपभ्रंश, 'आदि-जिण चउवीसहं पयनमेवि..., अन्त-सोलह विजाए विदुरिउ... गा. ५१', अ. ह. हर्षचन्द्र पार्श्वचन्द्रगच्छ भं. खम्भात, पृ. ४४६-४४८ ८६४. जम्बु स्वामी रास, पद्मचन्द्र / पद्मरङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७१४ सरसा, 'आदि-सारद पाय प्रणमं सदा.... अन्त-जम्ब स्वामि तणा गण गाया...', अ., ह.खजांची ग्र., बीकानेर ८६५. जम्बु स्वामी रास, यशोवर्द्धनगणि / रत्नवल्लभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५१, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ८६६. जम्बु स्वामी रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ. ८६७. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति टीका, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, आगम, संस्कृत, १६४५ जैसलमेर, 'आदि-प्रथमनाथमहं..., अन्त–पारतन्त्र्यमावेदितं...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११९, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, सदागम ट्रस्ट, कोडाय ८६८. जयतिहुअण स्तोत्र, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १२वीं, आदि-जयतिहुअण वरकप्परुक्ख..., अन्त-एह महारिय जत्तदेव इहु... गा. ३०', मु. पंच प्रतिक्रमण सूत्र 68 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६९. जयतिहुअण स्तोत्र टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १६८७ पत्तन, 'आदि-जयतिहुअणेतयवृत्तिं..., अन्त–श्रीमत्खरतरगच्छे...', मु. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३६७८ ८७०. जयतिहुअण स्तोत्र बालावबोध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, राजस्थानी १७वीं, 'आदि-राजसुदर्शनमहानंदकं परमेश्वरे ..., अन्त-श्रीजयसो मोपाध्याय शिष्यवाचक श्रीगुणविनयैः...', अ., ह. रामचन्द्र-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ८७१. जयतिहुअण स्तोत्र बालावबोध, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दर उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६८१, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७१२८ स्वयं लिखित ८७२. जयतिहुअण स्तोत्र बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमुर्ति उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-जयति सर्वोक्तर्षेण..., अन्त–मेरुसुन्दर गणिना...', अ., कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १६२५, जैन भवन, कलकत्ता ८७३. जयतिहुअण स्तोत्र बालावबोध, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, स्तोत्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ८७४. जयतिहुअण स्तोत्र भाषाकाव्य, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १९वीं महिमापुर 'आदि-परम पुरुष परमेशिता..., अन्त–महिमापुर मंडन जिनराय...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १७९ ८७५. जयन्तविजयमहाकाव्य, अभयदेवसूरि / विजयचन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय, महाकाव्य, संस्कृत, १२७८, आदि-श्रेयांसि विश्राणय..., अन्त-आसीश्चन्द्रकुलाम्बराम्बरमणिः श्री वर्धमानप्रभो...', मु., काव्यमाला गुच्छक ७५, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई ८७६. जयन्ती सन्धि, अभयसोमगणि / सोमसुन्दरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२१, आदि ___संति जिणेसर समरी भावइ..., अन्त-भगवती सूत्रइ भाख्यौ एह...', अ., ह. विनय. संग्रह ८७७. जयविजय चौपई, धर्मरत्नगणि / कल्याणधीर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४१, आगरा, 'अन्त-खरतर गच्छि उदार चोपड़ा साखि शृङ्गार...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २६७ ८७८. जयविजय चौपई, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८३ जैसलमेर, 'आदि-परता पूरण परगड़उ..., अन्त–इम गणधर गुण गावता रे...', अ., अभय ग्र., बीकानेर, प्रशस्ति ऐतिहासिक है। ८७९. जयसागरोपाध्याय प्रशस्ति, ?, स्तुति, संस्कृत, १६वीं, 'आदि-संवत १५११ वर्षे श्री जिनराजसूरि पट्टालङ्कारे...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४०० ८८०. जयसेन चौपई, धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंह उ० पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६१० पंचालसा, आदि-पणमिसु गोयम गणहरराय..., अन्त–खरतर खरतर गछि हि राजिउ ए...',अ., ह. विनय. संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ११८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 69 For Personal & Private Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८१. जयसेनचरित्र, रत्नलाभोपाध्याय / विवेकरत्नसूरि पिप्पलक, चरित्र, राजस्थानी, १८वीं, ___ अ., ह. ज्ञान भं., पालणपुर ८८२. जयसेन चौपई, सुखलाभगणि / सुमतिरङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४८ जैसलमेर, अ., ह. रामलालजी संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३४२ ८८३. जयसेन प्रबन्धरास, पूर्णप्रभगणि / शान्तिकुशलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७९२ बाली, 'आदि-प्रणमी जिणवर पासजी..., अन्त-भोजननै अधिकारै मोटा ग्रन्थ अनुसारै जी...', अ., ह. अनन्तनाथ ज्ञान भं., बम्बई ८८४. जयसेन लीलावती रास-विनोद रस, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १६९१ जोधपुर, आदि-सरसति नमि सुवचन रचन..., अन्त-संवत सोल इकाणवइ जोधनयर जयकार...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ८८५. जातकपद्धति व्याख्या, जिनेश्वरसूरि / जिनगुणप्रभसूरि, ज्योतिष, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. गायकवाड़ ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा २८०५ ८८६. जिनऋद्धिसूरि जीवन प्रभा, फूलचन्द महुवाकर, जीवन चरित्र, गुजराती, २१वीं, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ८८७. जिनकुशलसूरि अष्टक, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदि-जिनकुशल सूरीशं... अपूर्ण', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६८ ८८८. जिनकुशलसूरि अष्टक, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-पद्मा कल्याणविद्या... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६९ ८८९. जिनकुशलसूरि अष्टक, क्षेमहर्षगणि / विमलकीर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि विपुलविशदकीर्ति... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १५७ ८९०. जिनकुशलसूरि अष्टक, जिनधरणीन्द्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि मंडोवरा, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं, 'आदि-कुशल मंगल... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १५८ ८९१. जिनकुशलसूरि अष्टक, जिनपद्मसूरि / जिनक्षमासूरि भावहर्ष, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदि-सुखं सर्वा सम्पद्... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १५९ ८९२. जिनकुशलसूरि अष्टक, जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ८९३. जिनकुशलसूरि अष्टक, ज्ञानतिलकोपाध्याय / पद्मराजगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि ___ यो भूमिपृष्ठे... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६० ८९४. जिनकुशलसूरि अवचूरि, धरणीधर, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. सुमेरमलजी संग्रह, भीनासर ८९५. जिनकुशलसूरि अष्टक, धर्मवर्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, आदि-यो नप्तृनिव सेवका... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६२ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८९६. जिनकुशलसूरि अष्टक, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ० , स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-यो नप्तनिव सेवकानिव सदा..., अन्त–सत्काव्याष्टकमष्टधीगुणयुतो... गा. ९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३५१ ८९७. जिनकुशलसूरि अष्टक, जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि श्रीदेवराजपुरमण्डन... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६३ ८९८. जिनकुशलसूरि अष्टक, रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द्र) / दयासिंहगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदि-मिथः प्रश्ने पुंसा... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६४ ८९९. जिनकुशलसूरि अष्टक, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-लक्ष्मीसौभाग्यविद्या सुतनयललना..., अन्त–इत्थं कौटिकसंज्ञया... गा.', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६६ ९००. जिनकुशलसूरि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-श्रीजैनधर्मे प्रथितप्रभाव... गा. ९', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ६१, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ९०१. जिनकुशलसूरि अवचूरि, विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १८५ ९०२. जिनकुशलसूरि अष्टक, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-जगति युगप्रवरजिन कुशलसुरीश्वर... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ९०३. जिनकुशलसूरि अष्टक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-नतनरेश्वरमौलिमणि... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६७ ९०४. जिनकुशलसूरि चतुष्पदिका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तुति साहित्य, अपभ्रंश, १४८१, 'आदि-रिसहजिणेसर जो जयउ... गा. ७०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १७९ ९०५. जिनकुशलसूरि चतुः सप्ततिका, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'गा. ७४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९०६. जिनकुशलसूरि चरित्र, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, काव्य, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९०७. जिनकुशलसूरि पट्टाभिषेक रास, धर्मकलशगणि / जिनप्रबोधसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, आदि-सयल कुशल कल्लाण वल्ली..., अन्त–गुणी गोयम गुरु एसु...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १५ ९०८. जिनकुशलसूरि स्तूपस्थ पादुका वर्णनाष्टक, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-सकलविबुधनम्या... गा. ८', अ. ९०९. जिनकुशलसूरि स्तोत्र कपाट लौह शृङ्खलाष्टक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-श्रीजिनचन्द्रसूरीणां... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 71 For Personal & Private Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९१०. जिनकृपाचन्द्रसूरिचरित, जिनजयसागरसूरि / जिनकृपाचन्द्रसूरि, काव्य, संस्कृत, २०वीं, मु., जिनकृपाचन्द्रसूरि ज्ञान भं., इन्दौर ९११. जिनगुणप्रभसूरि प्रबन्ध (गुर्वावली गीत), जिनेश्वरसूरि / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मन धरि सरस्वती स्वामिणी... गा. ६१', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४३२, ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर गुटका नं. ४१६ ९१२. जिनचतुष्पदिका, मोदमन्दिर / जिनेश्वरसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९१३. जिनचन्द्रसूरि चच्चरी (जिनप्रबोधीय), हेमभूषणगणि / जिनप्रबोधसूरि, उपदेश, अपभ्रंश, १४वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९१४. जिनचन्द्रसूरिचरित मणिधारी, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, काव्य, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, आदि प्रणम्य श्रीमहावीरं चरितं..., अन्त–महेन्द्रसूर्यप्रतिशुद्धदीक्षः श्रीमहोनाख्यः सुमुनिस्ततश्च....', मु., मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरि अष्टम् शताब्दी स्मृति-ग्रन्थ, दिल्ली, पृ. ७५-८२ ९१५. जिनचन्द्रसूरिचरित युगप्रधान, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, काव्य, संस्कृत, २०वीं, आदि वन्देहं वीतरागं च..., अन्त-अत्र शाखा प्रशाखाभिः...', मु., अभयचंद सेठ, कलकत्ता ९१६. जिनचन्द्रसूरि पारणक संसूचक सर्वजिन स्तुति, देवमूर्त्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-सार्की द्वादशहेमकोटि... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ९१७. जिनचन्द्रसूरि फागु (जिनप्रबोधीय), स्तुति, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि-अरे पणमवि सामिउ संति, अन्त-सिरि जिणचंदसूरि फागिहि... गा. २५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ९१८. जिनचन्द्रसूरि प्रशस्ति, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, 'आदि रङ्गद्वैराग्यवासनातिशयसमादृत...', मु., युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि, पृ. २९३, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२९९५ ९१९. जिनचन्द्रसूरि अकबर प्रतिबोध रास, लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग वा., ऐतिहासिक रास चौपई, राजस्थानी, १६४८ अहमदाबाद, 'आदि-जिनवर जग गुरु मन धरि..., अन्त-पढ़इ सुणइ गुरु गुण रसीए...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ५८ ९२०. जिनतिलकसूरि स्तुति भावहर्षीय, जिनोदयसूरि / जिनतिलकसूरि, स्तुति, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आपउ मुझ सरसति वचन..., अन्त-सिख साखा गुरु नी पसरउ... गा. १९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ९२१. जिनदत्तसूरि चरित, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, काव्य, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि यद्धर्मनौकामधुनाध्यवाप्य..., अन्त–जाता आर्य सुधर्माख्य-स्वामि...', अ., विनय. प्रतिलिपि ९२२. जिनदत्तसूरि अष्टक, उदयचन्द्र राजवैद्य / उम्मेददत्तजी राजवैद्य, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं, आदि-वन्दे सूरिवरं... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२ 72 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२३. जिनदत्तसूरि अष्टक, महो. ऋद्धिसार (रामलाल ) / कुशलनिधान, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं, 'आदि-यो दृष्ट: स्मरणं... गा. १२', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३ ९२४. जिनदत्तसूरि अष्टक, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्मगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदिश्री वीरतीर्थेश्वर... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३ ९२५. जिनदत्तसूरि स्तोत्र, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १७वीं, 'आदिसिरि सुयदेवि... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६ ९२६. जिनदत्तसूरि स्तोत्र, भद्रमुनि ( सहजानन्द ) / जिनरत्नसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, २०वीं, 'आदिॐ हीं गिव्वाणचक्कं... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ११ ९२७. जिनदत्तसूरि अष्टक, समर्थ मुनि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदि - सुरकिन्नरवन्दित... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १५ ९२८. जिनदत्तसूरि अष्टक, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, ' आदि - नमाम्यहं श्रीजिनदत्तसूरिम्... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १६ ९२९. जिनदत्तसूरि गुणाष्टक स्तोत्र, पद्मोदय / महिमाभक्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १८२ ९३०. जिनदत्तसूरि जिनचन्द्रसूरि स्तोत्र, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२८३ ९३१. जिनदत्तसूरि स्तुति अम्बिका देवी गीत स्तवन, संस्कृत, १२वीं, 'आदि- दासानुदासा इव... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८ ९३२. जिनदत्तसूरि स्तुति, पल्हकवि, स्तुति, अपभ्रंश, १२वीं, 'आदि - जिण दिट्ठइ आणंदु ..., अन्त-वक्खाणियइ त परम तत्तु... गा. १०' मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३६५ ९३३. जिनदत्तसूरि स्तोत्र, जिनोदयसूरि / ?, स्तोत्र, संस्कृत, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., १८० ९३४. जिनदत्तसूर्यादि अष्टक कच्छदादाबाड़ी, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २००९ भुज, 'आदि-श्रीजिनदत्तगुरुं जिनचन्द्रगुरुं... गा. ९', मु., , लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ५९, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई पालीताणा ९३५. जिनपञ्जर स्तोत्र, कमलप्रभाचार्य / देवप्रभाचार्य रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, ' आदि - ॐ ह्रीं श्री अर्हं अर्हद्भ्यो नमो नमः..., अन्त - श्री रुद्रपल्लीयवरेण्यगच्छे... गा. २५', मु., सप्तस्मरणादी स्तोत्र संग्रह ९३६. जिनपतिसूरि पञ्चाशिका, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, अ. ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, नोट :- १३८४ की लिखित स्वाध्याय पुस्तिका खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 73 Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३७. जिनपतिसूरि स्तूपकलश:, ?, ऐतिहासिक गीत, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-जनितभुवनतोषं रम्यसम्यक्त्वपोषं... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १० ९३८. जिनपद्मसूरि पट्टाभिषेक रास, सारमूर्त्ति / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि-सुरतरु रिसह जिणंद पाय..., अन्त-इहु पय ठवणह रास... गा. २९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २० ९३९. जिनपालित जिनरक्षित चौढालिया, रङ्गसारगणि / भावहर्षसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६२१, आदि-अविरल वाणी वयणि..., अन्त-सोलहसइ इकवीस वरस...', अ., ह. मानमल कोठारी संग्रह, बीकानेर ९४०. जिनपालित जिनरक्षित चौपई, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ९४१. जिनपालित जिनरक्षित रास, उदयरत्न / विद्याहेम, रास चौपई, राजस्थानी, १८६७ बीकानेर, अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर, वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ९४२. जिनपालित जिनरक्षित रास, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३२ नागौर, 'आदि-सहगुरु पइ प्रणमी करी..., अन्त-संक्षेप मात्रइ छंदबंधइ अरथ जे सद्गुरु लया...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९४३. जिनपालित जिनरक्षित रास, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ९४४. जिनपालित जिनरक्षित रास, पुण्यहर्षगणि / ललितकीर्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०९ 'अन्त-श्री खरतरगच्छ नायक गुणनिलो...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११९० ९४५. जिनपालित जिनरक्षित सन्धि, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२१, आदि-चरम जिणेसर चरण नमेवि..., अन्त-खरतरगच्छी सहगुरुराय...', अ., उ. __ जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६८५ ९४६. जिनपूजाविधि (देवपूजाविधि), जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, विधि, प्राकृत-संस्कृत, १४वीं, 'आदि-संपयं जहासंपदायं देवपूयाविही भण्णइ..., अन्त–देवाहिदेवपूजाविही इमो भवियणुग्गहट्ठाए:...', मु., विधि मार्ग प्रपा, पृ. १२१ ९४७. जिनप्रबोधसूरि चच्चरी, सोममूर्त्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर ९४८. जिनप्रबोधसूरि बोली, सोममूर्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, अ., अभय ग्र. बीकानेर ९४९. जिनप्रभसूरि परम्परा गुर्वावली, स्तुति, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-वन्दे सुहम्म सामि, अन्त सुगुरु परंपरा गाहा... गा. १४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४१ 74 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५०. जिनप्रतिमाधिकार चौपई, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२४, 'आदि-कविजन आशा पूरणी..., अन्त-श्री जिन प्रतिमा चउपई...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर गुटका, विनय. प्रतिलिपि ९५१. जिनप्रतिमापूजा स्तोत्र, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहसंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ. ९५२. जिनप्रतिमा वृहद रास, नयसमुद्र शिष्य, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर ९५३. जिनप्रतिमा मण्डन रास, कमलसोमगणि / धर्मसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, ___अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ९५४. जिनप्रतिमासिद्धि वीर स्तोत्र, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १७वीं, 'आदि भविअ जण नयण वणसंड पडिबोहगं... गा. १५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५९ ९५५. जिनप्रतिमास्थापितग्रन्थ प्रश्नोत्तर, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, चचा-प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १८७४, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ९५६. जिनप्रतिमा हुंडी रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२५, आदि सुअदेवी हियडै धरी..., अन्त-मुझ मन जिन प्रतिमा रमी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ९५७. जिनभद्रसूरि पट्टाभिषेक रास, समयप्रभोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, __ १५वीं, 'आदि-अपूर्ण, अन्त-जइ सुरगुरु निय बुद्धिहिं आणइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४८० ९५८. जिनमालिका, सुमतिरङ्ग वा. / चन्द्रकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. भुवनभक्ति भं., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ९५९. जिनयश:सूरि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि खरतरामलशिष्टगणार्चितं... गा. ८', मु. लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ६६, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ९६०. जिनयश:सूरि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि गुणैर्गाम्भीर्याद्य-विजितजलधैः... गा. ८', मु. लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ६५, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ९६१. जिनयश:सूरि चरित, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, काव्य, संस्कृत, २०१२, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., माण्डवी ९६२. जिनरत्नसूरि निर्वाण रास, कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., ऐतिहासिक गीत स्तवन, राजस्थानी, १७११ आगरा, 'आदि-सरसति सामणि चरण कमल नमी..., अन्त–भणतां गुणतां भावस्यु सो...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २३४ 15 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६३. जिनरत्नसूरि निर्वाण एवं जिनचन्द्रसूरि गुणवर्णन, ब्रह्मकवि, रास चौपई, राजस्थानी, 'आदि श्री देवी सरसति सवरि..., अन्त-इम उच्छव मनिधणो आयौ गुणगुंथिब्रह्मकवि गायौ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९६४. जिनरत्नसूरि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि कच्छान्तर्गतलायजाख्यनगरे... गा. १०', मु. लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ७३, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ९६५. जिनरत्नसूरि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि प्रवरधार्मिककच्छसुलायजा... गा. ९', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ७५, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ९६६. जिनरत्नसूरि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि स्थगिताश्रवसंवरभावधरी... गा. १०', मु. लब्धि कृतिसन्दोह पृ. ७६, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं. बम्बई ९६७. जिनरत्नसूरि चरित, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, काव्य, संस्कृत, २०११, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., माण्डवी ९६८. जिनराजसूरि अष्टक स्तोत्र, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६७६, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९६९. जिनराजसूरि रास, जयकीर्ति उ० / वादी हर्षनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८१ जैसलमेर, 'अन्त-चिर जीवउ रे श्रीजिनराजसूरीसरु रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ९७०. जिनराजसूरि रास, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८१ सेत्रावा, 'आदि-अपूर्ण, अन्त-गायउ गायउ रे जिनराजसूरि गुरु गायउ...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १५० ९७१. जिनर्द्धिसूरि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-आसीद्विप्रकुले मरुस्थलगते... गा. १०', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ६९, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ९७२. जिनर्द्धिसूरि चरित, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, काव्य, संस्कृत, २०१४, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., माण्डवी ९७३. जिनवचनरत्नकोष, राजहंस / ज्ञानतिलक उ० लघुखरतर, उपदेश, संस्कृत, १५७२, अ. ९७४. जिनवल्लभसूरि गुरुगुणवर्णन, नेमिचन्द्र भण्डारी, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, 'आदि-पणवि आमिय..., अन्त-नंदउ विहि जिण मंदिरहिं... श्लो.-२५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३६९, जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. ३१३ ९७५. जिनवल्लभीय पञ्चचरित्र ( आदिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर चरित ) टीका, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि महो., चरित्र, संस्कृत, १५१९, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७६. जिनवल्लभीय पंचचरित बालावबोध, कमलकीर्त्ति उ० / कल्याणलाभ उ०, चरित्र, राजस्थानी, १६९८ जैसलमेर, अ.. ९७७. जिनवल्लभीय महावीरचरित टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चरित्र, संस्कृत, १६८४ लूण, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ९७८. जिनवल्लभीय महावीरचरित बालावबोध, नयमेरु, चरित्र, राजस्थानी, १६७८, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि स्वयं लिखित ९७९. जिनवल्लभीय महावीरचरित बालावबोध, विमलरत्नगणि / विमलकीर्त्तिगणि, चरित्र, राजस्थानी, १७०२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ९८०. जिनवल्लभीय महावीरचरित बालावबोध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चरित्र, राजस्थानी, १६६९, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ९८१. जिनवल्लभीय महावीरचरित स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, चरित्र, राजस्थानी, १८१३ बीकानेर, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ९८२. जिनवल्लभीय महावीरचरित स्तबक, सुमति / जयकीर्त्ति पिप्पलक, चरित्र, राजस्थानी, १५वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ९८३. जिनशिवचन्दसूरि रास, लाधाशाह, रास चौपई, राजस्थानी, १७९५ राजनगर, 'आदि-शासन नायक समरीये..., अन्त–इम रास कीधो सुजस...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३२१ ९८४. जिनसत्तरीप्रकरण, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १५वीं, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता, अभय ग्र., बीकानेर ९८५. जिनसागरसूरि अष्टक स्तोत्र, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रीमज्जेसलमेरुदुर्गनगरे... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १९९ ९८६. जिनसागरसूरि रास, धर्मकीर्त्तिगणि / धर्मनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८१, 'आदि-श्री थंमणपुर नउ धणी..., अन्त–तां प्रतपउ गुरु महियलइ... गा. १०२', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १७८ ९८७. जिनसागरसूरि निर्वाण रास, सुमतिवल्लभोपाध्याय / जिनधर्मसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२०, 'आदि-समरूं सरसति सामिनी..., अन्त-श्री जिनधर्म सुरीश...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १९१ ९८८. जिनसिंहसूरिपदोत्सवकाव्य (रघुवंश द्वितीय सर्ग पादपूर्ति), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सुमेरचन्दजी संग्रह, बीकानेर ९८९. जिनसिंहसूरि रास, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६८ पूगलकोट, 'आदि-श्री शांतिसर सेवियइ..., अन्त–तां लगि श्री जिनसिंह गुरुए...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ८९०, ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 77 For Personal & Private Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९०. जिनसिंहसूरि स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-प्रभुः प्रदद्यान्मुनिप... गा. २३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर, भाग-४, पृ. २५५ ९९१. जिनस्तुति, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदिप्रणतसुरनिकायं', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ९९२. जिनस्तुति - संग्राम दण्डक छन्द, भुवनहिताचार्य, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि- नतसुरपति कोटिकोटीर..., अन्त - हिमकरकरहारनीहारहीराट्टहासो...', मु., सुमतिसदन कोटा, सम्पादक म. विनयसागर ९९३. जिनस्तुति टीका- भुवनहिताचार्य, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६४३, ‘आदि–प्रणयविनयभूतस्रान्त..., अन्त - खरतरगच्छाधिपति श्रीमज्जिनहंससूरिशिष्याणां...', मु., सुमति सदन, कोटा, सम्पादक म. विनयसागर, ह. विनय प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, पालीताणा ९९४. जिनस्तुति सावचूरि, साधुराज महो, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-आंबा रायणसेलड़ी खंडकुंड', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २५९०४ ९९५. जिनाज्ञाविधिप्रकाश, चिदानन्द द्वि., विधि, हिन्दी, १९५१ अजमेर, अ., ह. विनय प्रतिलिपि ९९६. जिनेश्वरसूरि संयम श्री विवाहलउ, सोममूर्त्ति / जिनेश्वरसूरि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १३वीं, 'आदि चिंतामणि मण चिंततियत्थे..., अन्त-एहु वीवाहलउ जे पढइ...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३७७ ९९७. जिनोदयसूरि गुणवर्णन, पहराज कवि, स्तुति, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-किणि गुणि सोववितवणणं..... अन्त - जिणउदयसूरि गणहर रयणु...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३९ ९९८. जिनोदयसूरि छन्द, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदिजिणसासणवणकापतर सज्जन... गा. १०', अ. ९९९. जिनोदयसूरि पट्टाभिषेक रास, ज्ञानकलशोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-संतिकरणु सिरि संतिनाह..., अन्त - सुहगुरु गुण गायंतु...', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३८४ १०००. जिनोदयसूरि विवाहलउ, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सयलमणवंछियं कामकुंभोवमं..., अन्त-एह गुरु राय वीवाहलउ जे पढइ... गा. ४४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३९० १००१. जिनोदयसूरि स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-ये ज्ञानामृत सारः, अन्त- भव्या भातारका, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७९६७ १००२. जीभदांत संवाद, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४३ बीकानेर, 'अन्त - सोल त्रयालइ मगसिरि बीकानेर मंझारि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १००३. जीवदया रास, आसिगु, उपदेश, अपभ्रंश, १२५७, प्र. 78 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००४. जीवप्रबोधप्रकरण भाषा, विद्यकीर्त्ति उ० / जिनतिलकसूरि लघुखरतर, प्रकरण, राजस्थानी, १५०५ हिसार, अ., ह. चारित्र-रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १००५. जीवविचारप्रकरण टीका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, प्रकरण, संस्कृत, १८५० बीकानेर, 'अन्त–बृहद्धत्त्यादिकं त्वस्य...', अ., अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर १००६. जीवविचारप्रकरण टीका, रत्नाकरोपाध्याय / मेघनन्दन उ०, प्रकरण, संस्कृत, १६१०, 'आदि-सज्ज्ञानभास्करं वीरं नत्वा..., अन्त-बुर्द्धमन्दातयाप्यबालिशतया...', अ., विनय संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा,, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २८२९, ४०५२ १००७. जीवविचारप्रकरण बालावबोध, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १००८. जीवविचार भाषा, आलमचन्द / आसकरण, प्रकरण, राजस्थानी, १८१५ मकशुदाबाद, 'अन्त–समयसुन्दरजी शाख प्रसिद्ध आशकरणजी पंडित वृद्ध...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १००९. जीवविचार यन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दर, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १०१०. जीवविचारप्रकरण स्तबक, जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, प्रकरण, राजस्थानी, २०वीं, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत १०११. जीवविचारप्रकरण स्तबक, महिमसिंह (मानसिंह)/ शिवनिधान उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. ज्ञान भं., फतेहपुर, कांतिसागरजी संग्रह १०१२. जीवविचारप्रकरण स्तबक, साधुकीर्त्ति उ० / अमरकीर्त्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. संग्रह १०१३. जीवविभक्ति, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. ज्ञान भं., पाटण १०१४. जीवस्वरूप चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६४ राजनगर, 'आदि-श्री शांतिनाथ पय कमल धरि..., अन्त-इम बारह भावन नितु भावउ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १०१५. जैसलमेर अष्टजिनालय स्तोत्र, कनककुमार, स्तोत्र, संस्कृत, १७१६, अ., ह. यति नेमिचन्द्र संग्रह, बाड़मेर १०१६. जैनदिग्वजयपताका, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, उपदेश, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलालगणि, बीकानेर १०१७. जैनतत्त्वसार स्वोपज्ञ टीका, सूरचन्द्रोपाध्याय / चारित्रोदयगणि, प्रकरण, संस्कृत, १६७९ अमरसर, आदि-संशुद्धसिद्धान्तमधीश मिद्धं..., अन्त–वर्षे नन्दतुरङ्गचन्दिरकलामानेश्वयुक्पूर्णिमा...', मु., वर्द्धमान सत्य नीति हर्षसूरिजैनग्रन्थमालायाः, अहमदाबाद खरतरगच्छ साहित्य कोश 79 For Personal & Private Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१८. जैनबिन्दुवृत्तिः (मूल काष्ठजिह्वा स्वामी), बालचन्द्रसूरि / कुशलचन्द्रसूरि, अध्यात्म, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-ऊँकारं हृदये ध्यात्वा..., अन्त-श्री काष्टजह्वा स्वामीजीकृत जैन बिन्दु ग्रन्थ पर टीका करी...', मु., गोपालचन्द्र जैन, काशी १०१९. जैनरामायण भाषा, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, चरित्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., कोटा १०२०. जोइसहीर (ज्योतिसार), हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, ज्योतिष, राजस्थानी, १६२१, मु., पं. भगवानदास, जयपुर, ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता १०२१. ज्योतिषचतुर्विंशिका अवचूरि, साधुराज महो०, ज्योतिष, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर १०२२. ज्योतिषरत्नाकर, महिमोदयगणि / मतिहंसगणि, ज्योतिष, संस्कृत, १७२२, अ. १०२३. ज्योतिषसार, ठक्कुर फेरु धंध गोत्रीय / ठक्कुर चन्द्र, ज्योतिष, प्राकृत, १३७२, 'आदि सयलसुरासुर नमिउं..., अन्त–आसी सड्ढकुलेसु सिट्ठिकलसो ठाणे...', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १०२४. ज्योतिषसार दूहा, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, ज्योतिष, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सहगुरु सानिधि सरसती..., अन्त-हीर कहें ससि बुध गुरु...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर. कोबा १३६२७, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ.७२८ १०२५. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, ११२० पाटण, 'आदि-नत्वा श्रीमन्महावीरं..., अन्त-नमः श्री वर्धमानायं...', मु., आगमोदय समिति, सूरत १०२६. ज्ञाताधर्मकथासूत्र टीका, कस्तूरचन्द्रगणि / भक्तिविलासगणि, आगम, संस्कृत, १८९९ जयपुर, आदि-नत्वा वीरजिनं शचीशमहितं सज्झानरत्नप्रदम्..., अन्त–गच्छे स्वच्छतरे बृहत्खरतरे - प्रोद्यत्प्रतापाधिके...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९९७७, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर १०२७. ज्ञाताधर्मकथासूत्र स्तबक, रत्नजय उ० / रत्नराज उ०, आगम, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. ज्ञान भं., पालनपुर १०२८. ज्ञानकला चौपई, सुमतिरङ्ग वा. / चन्द्रकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२२ मुलतान, 'आदि-परम ज्योति प्रकाशकर..., अन्त–समता खमता मनि धरो...', अ., ह. विनय. संग्रह, बालचन्द्र संग्रह, चित्तौड़ १०२९. ज्ञानदीप, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद १०३०. ज्ञानपंचमी चौपई, जिनरङ्गसूरि / जिनरत्नसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३८, ‘अन्त __ युगप्रधान जिनदत्तसूरीसर...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १०३१. ज्ञानपंचमी चौपई, विद्धणु / ठक्कुर माहेल, रास चौपई, राजस्थानी, १४२३, 'आदि जिणवर सासणि आछई सारु..., अन्त–ठक्कुर माहले पुतु विद्धणु पीणइ सुद्ध मए...', अ., ह. संघ भं., पाटण 80 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३२. ज्ञानपंचमी स्तोत्र, स्तोत्र, प्राकृत, आदि-श्रीनेमि जिणेसर पणय सुरेसर..., अन्त–इय सुअनाण: भुवण पहाणः... गा. ९', अ., ह. हर्षचन्द्र पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२७ १०३३. ज्ञानपंचमी स्तोत्र, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'गा. १२', अ. १०३४. ज्ञान बहुमान नमस्कार भाषा, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, अ. १०३५. ज्ञानसार टीका ज्ञानमुञ्जरी (मूल यशोविजय उ०), देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, उपदेश, संस्कृत, १७९६ नवानगर, 'आदि-श्रीपाश्वेशं जिनं नत्वा..., अन्त-नम: स्याद्वादरूपाय...', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा १०३६. ज्ञानसार हिन्दी पद्यानुवाद एवं अनुवाद, मणिप्रभसागर गणि / जिनकांतिसागरसूरि, उपदेश, हिन्दी, २०४८ पूना, आदि-बन ऐन्द्र सुख्ख में मग्न..., अन्त–ज्ञानसार जो आत्मसार है...', मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर १०३७. ज्ञानसुखड़ी, धर्मचन्द्रगणि / पद्मचन्द्र बेगड़, उपदेश, राजस्थानी, १७६७ थट्टा, आदि-श्रीगुरु ज्ञानीसुं कयो..., अन्त-धर्मचंद्र नित आइये ज्ञानसूखडी ग्रन्थ...', भुवन-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर १०३८. ज्ञानानन्दप्रकाश, पुण्यशीलगणि / रामविजय उ०, काव्य, संस्कृत, १९वीं, अ., बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ १०३९. ज्ञानार्णव भाषा, लब्धितिलकोपाध्याय / लब्धिरङ्ग उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७२८, अ., ह. ज्ञान भं., फतहपुर १०४०. ढंढणकुमार चौपई, रत्नलाभोपाध्याय / क्षमारङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६५६ जयतारण, 'अन्त-संवत सोल छपन्ना सावणइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ८९१ १०४१. ढंढणकुमार रास, लावण्यसिंह वा. / उदयपद्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १५५८ ?, ___ 'अन्त-खरतरगच्छि गुरु गुणनिलउ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ५२९ १०४२. ढुंढक मतोत्पत्ति रास, लक्ष्मीविनयोपाध्याय / अभयमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-२, पृ. ४५८ १०४३. ढुंढकरास, हेमविलास / ज्ञानकीर्त्ति, रास चौपई, राजस्थानी, १६७९ कुचेरा, आदि-सरसति माता समरि करि..., अन्त–ग्यानकीरत गुरु आज्ञान दीनी हेमविलास मुनि रचना कीनी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १०४४. ढोला मारवाण चौपई, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६१७ जैसलमेर, 'आदि-सकल सुरासुर सामंणी..., अन्त–ढोरा मारु वात...', मु., आनन्द काव्य ___महोदधि, भाग-७ १०४५. तत्त्वचिन्तामणि टिप्पणक, सुमतिसागर उ० / पुण्यप्रधान उ०, न्याय, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. देवचन्द्र विचारसार टीका खरतरगच्छ साहित्य कोश 81 For Personal & Private Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४६. तत्त्वचिन्तामणि टीका-सुखबोधिका, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र उ०, नव्य न्याय, __ संस्कृत, १७वीं, मु., मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, सम्पादक - डॉ० नमीन जी शाह १०४७. तत्त्वप्रबोधनाटक, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, काव्य, राजस्थानी, १७३०, अन्त संवत सतरहसे वरस...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२२६ १०४८. तत्त्वावबोध, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. स्वकृत विचारसार स्तबक १०४९. तपागच्छ चर्चा, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चर्चा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. आत्मानन्द सभा, भावनगर १०५०. तपा ५१ बोल चौपई सटीक, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७६ राडद्रह, 'आदि-पणमिय अमिय सरिस वयणि..., अन्त-खरतरगच्छ मंडा हुआ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १०५१. तपामतखण्डन, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चर्चा, राजस्थानी, १६६५, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४१६ १०५२. तपोट चतुष्पदिका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १९८ १०५३. तपोटमतकुट्टनकम्, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, चर्चा, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १५१६ १०५४. तपोविधि, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, विधि, हिन्दी, २१वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट १०५५. तर्कभाषा प्रकाश टीका तर्कतरङ्गिणी, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र, न्याय, संस्कृत, १७वीं, अ., गायकवाड़ ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा १०५६. तर्कसंग्रह पदार्थबोधिनी टीका, कर्मचन्द्र / दीपचन्द, न्याय, संस्कृत, १८२२ नागपुर, अ., उ. जैन संस्कृत साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास १०५७. तर्कसंग्रह फक्किका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, न्याय, संस्कृत, १८५४, मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १०५८. तिथि पयन्नादि, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १०५९. तिलकसुन्दरी प्रबन्ध, लब्धोदय / ज्ञानराज, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तोड़ १०६०. तीर्थनमस्कारः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-यच्छत्रोर्जयकारि... गा. ८', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ५६, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई 82 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६१. तीर्थमाला स्तव (पटवा संघ), अमरसिन्धुर वा. / जयसार वा., स्तोत्र, राजस्थानी, १८९३, 'आदि-स्वस्ति श्री सुखदायक..., अन्त–संवत अढारे तेणु वछर...', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि स्तवन पद संग्रह, ह. अभय ग्र., बीकानेर १०६२. तीर्थमाला स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-चउवीसंपि जिणंदे... गा. १२', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १०६३. तीर्थमाला स्तव, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-कर्मभूमिषु ये केऽपि. गा. ८', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ५५, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई १०६४. तीर्थमाला स्तव, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि __ श्रीशत्रुञ्जयशिखरे... गा. १६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५४ १०६५. तीर्थयात्रा स्तव, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, १५वीं, 'गा. १२', अ. १०६६. तीर्थयात्रा स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-सिरि सत्तुंजयतित्थे... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, विधि मार्ग प्रपा, पृ. १३० १०६७. तीर्थयात्रा स्तव, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि पणमिय जिणवरचलणे... गा. २५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १०६८. तीर्थयात्रा स्तव, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि महानन्दमहानन्द... गा. ४१', अ., ह. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि १०६९. तीर्थराजी स्तव, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'गा. २५', अपूर्ण एल. डी. इन्स्टीट्यूट ३४२० .१' १०७०. तृणाष्कम्, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, 'आदि अच्छंदकविवादे त्वं.., अन्त–विद्वद्गोष्टिविनोदेषु..', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९४ १०७१. तेजसार चौपई, रत्नविमलोपाध्याय / कनकसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८३९ वावड़ीपुर, 'आदि-प्रणमुं चरम जिणेसरु..., अन्त–हिव श्री तेजसार रिषराया...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४० १०७२. तेजसार रास, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२५ वीरम, ‘अन्त करजोडीनइ नमइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, पालीताणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९१७९, उ., जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ६८५ १०७३. तेतलीपुत्र चौपई, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. ___ कांतिसागरजी संग्रह १०७४. तेरापंथी नाटक, प्रेमचन्द यति, चर्चा, हिन्दी, १९६५ रतनगढ़, मु., यति प्रेमचन्द, रतनगढ़ १०७५. त्रिविक्रम रास, जिनोदयसूरि / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४१५, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-१, पृ. १७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 83 For Personal & Private Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७६. त्रैलोक्य शाश्वत जिनायतन प्रतिमान स्तव, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीत्रषभवर्द्धमानकचन्द्रानन..., अन्त–इत्थं स्तुताः श्रुतसमाहित... गा. ४१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १०७७. थावच्चा चौपई, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८४७ ___ महिमपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर १०७८. थावच्चा चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९१ खम्भात. 'आदि-नेमिनाथना पाय नम..., अन्त-एह संबंध छे अति सारा... गा. १५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर १०७९. थावच्चा मुनि सन्धि, श्रीदेव / ज्ञानचन्द्र, रास चौपई, राजस्थानी, १७४९ जैसलमेर, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३४६ १०८०. थावच्चा सुकोशल चौपई, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५५ नागौर, अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ७४६ १०८१. थावच्चा सुत चौपई, राजहर्षगणि / ललितकीर्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७०३ बीकानेर, 'अन्त-संवत सतरइसै वरसै विडोत्तरइजी बीकानेर मझारि...', अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर, सुमेरचन्दजी संग्रह, भीनासर १०८२. दमयन्तीकथाचम्पू टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चम्पू काव्य, संस्कृत, १६४६ सेरुणा, अ. ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १०७७ १०८३. दम्भक्रिया चौपई, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४४, अ. १०८४. दयादीपिका चौपई, धर्ममन्दिर वा. / दयाकुशल उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४० मुलतान, 'आदि-चिदानंद चित्तमें धरी..., अन्त-पारसनाथ पसाउले...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. २३६ १०८५. दयानन्दमतनिर्णय ( नवीन आर्यसमाज भ्रमोच्छेदन कुठार), चिदानन्द द्वि., चर्चा, हिन्दी, १९४७, अ., विनय. संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १०८६. दर्शनकुलक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, आदि-नमिऊणमणंतगुणं, अन्त-सव्वन्नूणं मयं मएण रहिओ...', मु., सिरिपयरणसंदोह १०८७. दश आश्चर्यकाणि, पद्मलाभ, चरित्र, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १०८८. दशदृष्टान्तकथानक बाला, अभयधर्म उ० / नागकुमार वा., चरित्र, राजस्थानी, १५७९, अ. १०८९. दश दृष्टान्त चौपई, वीरविजय / तेजसार, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर १०९०. दशवैकालिकसूत्र टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आगम, संस्कृत, १६९१ खम्भात, 'आदि-सत्म्भनाधीशमानम्य..., अन्त-हरिभद्रकृताटीका वर्तते...', मु., जिनयशसूरि ग्रन्थमाला, खम्भात 84 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०९१. दशवैकालिकसूत्र पर्याय, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आगम, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १०९२. दशवैकालिकसूत्र बालावबोध, राजहंस / हर्षतिलक, आगम, संस्कृत, १६वीं, 'आदिनत्वा श्री वर्द्धमानाय..., अन्त - इति श्री खरतरगच्छाधीश...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५२७५, ५७०० १०९३. दशवैकालिकसूत्र स्तबक दीपिका, चारित्रचन्द्रगणि / जयरङ्ग उ०, आगम, संस्कृत, १७२३, अ., ह. विनय प्रतिलिपि ५८५ १०९४. दशवैकालिकसूत्र स्तबक, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, आगम, राजस्थानी, १६५२, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १०९५. दशवैकालिकसूत्र स्तबक, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दनगणि, आगम, राजस्थानी, १७११, अ. १०९६. दशवैकालिकसूत्र हिन्दी अनुवाद, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर महो०, आगम, हिन्दी, २० वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा १०९७. दश श्रावकचरित्र, पूणभद्रगणि / जिनपतिसूरि, चरित्र, प्राकृत, १२७५, 'आदि - जस्स पयनहपहाभरपञ्जरमज्झट्ठिया तिलोई वि..., अन्त - आणंदईण एवं सुचरियदसगं सत्तमंगाणुसारा...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २७०/४ १०९८. दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र टीका सुबोध, मतिकीर्त्ति उ० / गुणविनयोपाध्याय, आगम-छेद, संस्कृत, १६९७, अ., ह. जैन स्थानक भं., लुधियाना १०९९. दशार्णभद्र इन्द्र संवाद छन्द, आणंद / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६८ बीकानेर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११००. दशार्णभद्र चौपई, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७५७ मेड़ता, ' आदि - वीर जिणेसर वंद ने..., अन्त - तेहनै शिष्ये ए मुनिवर तव्यो...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३२६ ११०१. दशार्णभद्र चौपई नवढालिया, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६०, ‘आदि-जिणवर चौविसे नमी ..., अन्त - संवत् गगन सुहामणौ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११०२. दशार्णभद्र भास, हेमाणंदगणि / हीरकलश उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५८ रडवडीया, 'अन्त - ऐह रिषि श्रावकगुण थुणइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकोनर ११०३. दादाजी - स्तवन संग्रह, संग्राहक म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलालगणि, बीकानेर ११०४. दानादि चौढालिया, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२ सांगानेर, 'आदि-प्रथम जिणेसर पाय नमी ..., अन्त - सोलेसै बासठ समै रे...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५८३ राजस्थानी खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 85 Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०५. दानोपदेशमाला, दिवाकराचार्य / संघतिलकसूरि रुद्रपल्ली, उपदेश, प्राकृत, १५वीं, आदि सयलसमीहियकरणं..., अन्त-इइ संघतिलयगणहरसीसेण...', मु. ॐकारसूरि ज्ञानमन्दिरग्रन्थावलि, सूरत, ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ११०६. दानोपदेशमाला, देवेन्द्रसूरि / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, उपदेश, संस्कृत, १४१८, आदि त्रैलोक्यराज-कमलाममलाशयेभ्य..., अन्त–विक्रमादित्यतोऽष्टेन्दुवार्द्धान्दुमितवत्सरे...', मु., ॐकारसूरिज्ञान-मन्दिरग्रन्थावलि, सूरत, सम्पादिका-रम्यरेणु ११०७. दामनक चौपई, गुणनन्दनगणि / ज्ञानप्रमोदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९७ सरसा, 'आदि-ऋषभदेव पयकजनमी..., अन्त-वड सीयर खरतरगच्छपतीए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११०८. दामनक चौपई, ज्ञानधर्म उ० / राजसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३५, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ११०९. दामनक चौपई, ज्ञानहर्ष उ० / सुमतिशेखर, रास चौपई, राजस्थानी, १७१० नोखा, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १११०. दिगम्बर ८४ बोलविसंवाद, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि, चर्चा, राजस्थानी, १८वीं, अ. ११११. दीक्षाप्रतिष्ठाशुद्धि, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ज्योतिष, संस्कृत, १६८५ लूणकरणसर, ‘अन्त-श्रीलूणकर्ण सरसि स्मरशर वसु षडुडुपति वर्षे...', अ. १११२. दीक्षाविधि (विधि मार्ग प्रपा और लघुविधि मार्ग प्रपा के आधार से), विधि, हिन्दी प्राकृत, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३२५ १११३. दीपमालिका कल्प, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, व्याख्यान, प्राकृत, १३८७ देवगिरि, अन्त– इय पावापुरी कप्पो...', मु. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १११४. दीपमालिका स्तुतिः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-स्वर्लोकाच्च्यवनं च गर्भहरणं... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४६, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई १११५. दुमुह प्रत्येकबुद्ध चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. रामलालजी संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ८४४ १११६. दुर्गा सतसई चौपई, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., __ ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर १११७. दुर्जन दमन चौपई, ज्ञानहर्ष उ० / सुमतिशेखर, रास चौपई, राजस्थानी, १७०७ पूगल, अ., ह. सुराणा लाइब्रेरी, चूरू १११८. दूहा चन्द्रिका, राजसोमोपाध्याय / जयकीर्ति उ०, छन्द शास्त्र, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सरसति माता समरिनइ..., अन्त-दोधक लक्षण दाखिया...', अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर 86 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११९. दूहा मातृका, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, आदि-भले भलेविण जगतगुरु..., अन्त-मङ्गलमाहसिरिसरिसु...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-१, पृ. ११ ११२०. देवकी छ पुत्र रास, लावण्यकीर्तिगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११२१. देवकी रास, मतिवर्द्धनगणि / सुमतिहंस उ० आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३३१ ११२२. देवकुमार चौपई, लालचन्द्रगणि / हीरनन्दनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७२ अलवर, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, यति सूर्यमल संग्रह, कलकत्ता ११२३. देवगुरु काव्य (गुर्वावली), जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि-पंच समिउ तिगुत्तो..., अन्त–जिणि जगि जगडिय गउड चउड... गा. ४३', अ., ह. हर्षचन्द्र पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३९-४४४, प्रारम्भ से जिनकुशलसूरि तक ११२४. देवतिलकोपाध्याय चौपई, पद्ममन्दिरगणि / विजयराज उ०, ऐतिहासिक रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, आदि-पास जिणेसर पय नमुं..., अन्त-ए चउपई सदा जे गुणइ...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ५५ ११२५. देवदिन्न चरित्र, जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्र उ०, चरित्र, राजस्थानी, १७वीं, अ. ११२६. देवदूष्यवस्त्रार्पण कथानक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कथा, संस्कृत, १७वीं, अ. ११२७. देवद्रव्यनिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर म०, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा ११२८. देवद्रव्यनिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर म०, चर्चा, संस्कृत अपूर्ण, २०वीं, अ., विनय. संग्रह ११२९. देवराज बच्छराज चौपई, आनन्दनिधान उ० / मतिवर्द्धन उ० आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७४८ सोजत, अ., महिमाभक्ति भं., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर ११३०. देवराज बच्छराज चौपई, कनकविलास उ० / कनककुमार उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३८ जैसलमेर, 'आदि–प्रहसमि प्रणमुं प्रेम धरि..., अन्त-सिद्धि ईसरद्रग भूधर पृथ्वी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-२, पृ. ३५८ ११३१. देवराज बच्छराज चौपई, कल्याणदेव / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४३ बीकानेर, 'अन्त-संवत सोलत्रयासि वरसिइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-१, पृ. २७५ ११३२. देवराज बच्छराज चौपई, परमाणंद / जीवसुन्दर, रास चौपई, राजस्थानी, १६७५ मरोट, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 87 For Personal & Private Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३३. देवराज बच्छराज चौपई, मतिकुशलगणि / मतिवल्लभ, रास चौपई, राजस्थानी, १७२९ तलवाड, अ., ह. उदयचन्द संग्रह, जोधपुर ११३४. देवराज बच्छराज चौपई, सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर ११३५. देवराज बच्छराज प्रबन्ध, विनयमेरुगणि / हेमधर्मगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८४ रिणी, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ११३६. देवराज बच्छराज चौपई, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दनगधि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७२ खीमसर, 'आदि-परमोदय कारण पवर..., अन्त - सुखकार खरतरगच्छधणी...', अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ११३७. देवविलास रास, कवियण / ?, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुक्रत प्रेराजी बने..., अन्त - श्री वीर जिनवर सोहम गणधर...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २६४ ११३८. देवार्चन एक दृष्टि, जिनमणिसागरसूरि / महो० सुमतिसागर, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति सदन, कोटा ११३९. दोसावहार पार्श्वनाथ स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदिदोसावहारदक्खो... गा. १०', मु., सप्तस्मरणादि स्तोत्र संग्रह ११४०. दोसावहार पार्श्वनाथ स्तोत्र बालावबोध, कुशलचन्द्रसूरि / हीरधर्म उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, २० वीं, अ., ह. जयकरण संग्रह, बीकानेर ११४१. दोसावहार पार्श्वनाथ स्तोत्र बालावबोध, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ११४२. द्व्याश्रयमहाकाव्य टीका (संस्कृत) हेमचन्द्रीय, अभयतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि द्वि., महाकाव्य, संस्कृत, १३१२ पालनपुर, आदि-श्रीभूर्भुवः स्वस्त्रितयाहिताग्नि..., अन्तश्रीचान्द्रे विपुले कुलेति विमले...', मु., भांडारकर ओरियन्टल इंस्टीट्यूट, पूना ११४३. द्वयाश्रयमहाकाव्य टीका ( प्राकृत ) हेमचन्द्रीय, पूर्णकलशगणि / जिनेश्वरसूरि द्वि., महाकाव्य, प्राकृत, १३०७, 'आदिदे-पुण्याङ्कुराः शिवसुखफलं ..., अन्त - संतापापहदर्शनं शिवकला....', मु., भांडारकर ओरियन्टल इंस्टीट्यूट, पूना ११४४. द्वयाश्रय महाकाव्य ( श्रेणिक चरित्र ) स्वोपज्ञ टीकासह, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, महाकाव्य, संस्कृत, १३५६, ' आदि - सिद्धो वर्णसमाम्नाय :..., अन्त - वंशे श्रीजिनवल्लभव्रतिपतै:... गा. २४३६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ११४५. द्रौपदी चौपई, कनककीर्त्ति उ० / जयमन्दिर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६९३ जैसलमेर, 'आदि- पुरिसादाणी पासजिण..., अन्त-संवत ईसर नयन निधान सुं...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९७७६ 88 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४६. द्रौपदी चौपई, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड, रास चौपई, राजस्थानी, १६९८ जैसलमेर, 'अन्त–पांडव ने द्रुपदी तणो...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११४७. द्रौपदी चौपई, विनयमेरुगणि / हेमधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६९८, अ., ह. यति प्रेमसुन्दर संग्रह, फलौदी ११४८. द्रौपदी चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०० अहमदाबाद, 'आदि-शांतिनाथ प्रणमु सदा..., अन्त-सुधरम सामी पांचमउ...', अ., कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६५३१, उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-१, पृ. ३७० ११४९. द्रौपदी संहरण, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कथा चरित्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ११५०. द्रव्यपरीक्षा, ठक्कुर फेरु धंध गोत्रीय / ठक्कुर चन्द्र, मुद्राशास्त्र, प्राकृत, १३७५, आदि कमलासण कमलकरा..., अन्त-एवं दव्वपरिक्खं दिसिमित्तं चंदतणयफेरेण...', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ११५१. द्रव्यप्रकाश भाषा, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७६७ बीकानेर, 'आदि-अज अनादि अक्षयगुणी..., अन्त-हिंदु धर्मवीकानेर...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, श्रीमद् देवचन्द्र ११५२. द्रव्यप्रकाश हिन्दी अनुवाद ( मूल देवचन्द्र), सज्जनश्री प्र. / ज्ञानश्री प्र., प्रकरण, हिन्दी, २०वीं, मु., पुण्यस्वर्ण ज्ञानपीठ, जयपुर ११५३. द्रव्य विज्ञान, विघुत्प्रभाश्री / प्रमोदश्री, प्रकरण, हिन्दी, १९९४, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ११५४. द्रव्यसंग्रह बालावबोध, हंसराज / वर्द्धमानसूरि राज्य पिप्पलक, प्रकरण, राजस्थानी, १७०९, 'आदि-द्रव्यसंग्रह शास्त्रस्य बालबोधो यथामतिः...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६२४ ११५५. द्रव्यानुभव रत्नाकर, चिदानन्द द्वि., प्रकरण, हिन्दी, १९५२ फलौदी, 'अन्त–सुमरनकरो श्री वीरका...', मु., अभयदेवसूरि ग्रन्थमाला, बीकानेर, ह. विनय. प्रतिलिपि ११५६. द्वादशकुलक, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, उपदेश, प्राकृत, १२वीं, आदि-कुलप्पसूयाण गुणालयाणं..., अन्त–ते य असढं जयंता...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. ५६ ११५७. द्वादशकुलक टीका, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, उपदेश, संस्कृत, १२९३, आदि नृत्यन्नानाविलासोद्धरविबुधवधूसत्कटाक्षच्छटाभि..., अन्त-जयन्ति सन्देहलतासिधारा...', मु., जिनकृपाचन्द्रसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ११५८. द्वादशभावनाकुलक, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, उपदेश, प्राकृत, १३वीं, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र.,बीकानेर 89 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५९. द्वदशव्रतटिप्पणिका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ११६०. द्वादशाङ्गीप्रमाणकुलक, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १५वीं, आदि-नमिऊण जिणं अंगाण..., अन्त–इय नंदिसुत्तविवरण...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ११६१. द्वादशचक्रबद्धा वीरजिन स्तुतिः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-सुक्ख निधि जिनवीर... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ५२, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ११६२. द्वाषष्ठि मार्गणा यंत्र, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, 'अन्त संवत संसारी जिण भेद...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ११६३. द्वासप्तति जिनेन्द्र स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-नमिऊण वद्धमाणं सुरनरदेविंद..., अन्त–इय भरहे काल तिया बाहत्तरि... गा. २०', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ११६४. द्वासति जिनेन्द्र स्तोत्र , देवमूर्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, आदि-वन्दे केवलनाणिं.. गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुजरात विद्या सभा, अहमदाबाद । ११६५. द्वितीयापर्वतिथि स्तुतिः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-श्रीमद्वीरजिनेश्वरेण कथितं... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४२, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ११६६. द्वि-त्रि पञ्चकल्याणक स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि पद्मप्रभप्रभोर्जन्म... गा. १५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ११६७. द्विमुख प्रत्येक बुद्धि चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६४ आगरा, 'आदि-दुमह नाम मुनिवर नमू..., अन्त–संवत सोल चउसठिसमइ...', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग-७, ह. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३४० ११६८. धनंजय रास, भुवनसोमगणि / धनकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०२ मेवानगर, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ११६९. धनदत्त चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९६ अहमदाबाद, 'आदि-शान्तिनाथ जिन सोलमउ..., अन्त–गुरुनी सीख मांहे रहइए...', मु., समयसुन्दर रास पंचक, ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ११७०. धन्ना चौपई, जिनवर्द्धमानसूरि / जिनरत्नसूरि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १७१० खम्भात, 'अन्त-श्री जिनवर्द्धनसूरि सवाई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ८१ ११७१. धन्ना चरित चौपई, पुण्यकीर्तिगणि / हंसप्रमोदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८८ बीलपुर, अ. ११७२. धन्ना चौपई, हितधीर / कुशलभक्ति, रास चौपई, राजस्थानी, १८२६, अ., ह. पार्श्वनाथ पुस्तकालय, सूरतगढ़ 90 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७३. धन्ना रास, कल्याणतिलक उ० / जिनसमुद्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं जैसलमेर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७०९४, ७१०८ ११७४. धन्ना रास, दयातिलक वा. / रत्नजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७३७, 'आदि-वीर जिणेसर पाय नमी..., अन्त–संवत मुनि गुण रिषि ससी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-२, पृ. ३५० ११७५. धन्ना शालिभद्र चौपई, कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७२५ सोजत, 'आदि-वरधमान जिनवर नमुं..., अन्त-बाण नयन वारिधि शशि वरसई...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९६१, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९९१६७ ११७६. धन्ना शालिभद्र चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७४ आगरा, अ., ह. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, कवि द्वारा संशोधित प्रति ११७७. धन्ना शालिभद्र चौपई, यशोरङ्ग / हीरारत्न, रास चौपई, राजस्थानी, १७३४, अ., ह. पूनमचन्द दूघोड़िया छापर ११७८. धन्ना शालिभद्र चौपई, राजलाभगणि / राजहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२६ वणाड, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ११७९. धन्ना शालिभद्र रास, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७८, 'आदि सासण नायक समरीय..., अन्त–सोलहसइ अठहत्तरि वरसै...', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२०, ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि., हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, बादशाही चित्र कार शालिवाहन चित्रित की सचित्र प्रति बहादुरसिंहजी सिंघी कलकत्ता में है। ११८०. धन्य चरित्र, जयानन्दसूरि / जिनधर्मसूरि बेगड़, चरित्र, संस्कृत, १५१०, 'आदि श्रेयोलतामन्डनमंडपश्री..., अन्त–वर्षे खविधुबाणेन्दु...', अ. ११८१. धन्य चरित्र चौपई, राजसार / धर्मसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७०९, ‘अन्त-युग परधान जिनचंद जतीसर...', अ. अभय ग्र., बीकानेर ११८२. धन्ना शालिभद्र चरित, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, काव्य, संस्कृत, १२८५ जैसलमेर, _ 'आदि-श्रीनाभिनन्दनो भास्वान्..., अन्त-श्रीमद्गुर्जर भूमिभूषणमणौ...', मु., मुनिमोहनलाल जैन ग्रन्थमाला, सूरत ११८३. धर्मदत्त चन्द्रवल चौपई, क्षमाप्रमोदगणि / रत्नसमुद्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८२६ जैसलमेर, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर स्वयं लिखित प्रति ११८४. धर्मदत्त चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८०३ राहसर, 'आदि-प्रणमिय परमानंदमय..., अन्त–वीर जणै पट सोहम सिख भन...', अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर ११८५. धर्मदत्त चौपई, जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३७ किसनगढ़, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 91 For Personal & Private Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८६. धर्मदत्त धनपति रास, जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६५८ अहमदाबाद, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ११८७. धर्मबुद्धि चौपई, कुशललाभ उ० / अभयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४८ नवलखी, 'आदि-आदि चरण प्रणमी करी..., अन्त-धरम करउ भवि प्राणीया ज्युं धरमइ धन होई...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. १३३९ ११८८. धर्मबुद्धि रास, मतिकीर्ति उ० / गुणविनय उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६९७ राजनगर, 'आदि-आणी आणंद अंगमइ..., अन्त–संवत मुनि निधि रस ससि वरसइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५७७ ११८९. धर्मबुद्धि पापबुद्धि रास, चन्द्रकीर्त्तिगणि / हर्षकल्लोलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८२ घडसीसर, 'आदि-आदिनाथ जगि आदिकर..., अन्त-मुनीसर वंदियइ रे...', अ., केशरियानाथ संग्रह, जोधपुर ११९०. धर्मबुद्धि पापबुद्धि चौपई, प्रीतिसागर / प्रीतिलाभ जिनरङ्गीय, १७६३ उदयपुर, प्रेमसुन्दर यति संग्रह, फलौदी, विनयचन्द ज्ञान भं., जयपुर ११९१. धर्मबुद्धि पापबुद्धि रास, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४२ सरसा, 'आदि-प्रथम जिणेसर परगडो..., अन्त–जगतमै वात भली ध्रमरी...', अ., ह. दानसागर-बड़ा भं., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर ११९२. धर्मबुद्धि मन्त्री चौपई, विद्याकीर्ति उ० / पुण्यतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७२ बीकानेर, 'आदि-मङ्गल कारण जगत्रमइ..., अन्त-पुण्यतिलक गुरु सानिधइ ए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ११९३. धर्ममंजरी चौपई, समयराजोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२ बीकानेर, 'अन्त–इम जैन भाषित मूल समकित...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर ११९४. धर्मरत्नकरण्डक मूल, वर्द्धमानसूरि / अभयदेवसूरि, उपदेश, प्राकृत, ११७२ दायिकाकूप, 'आदि-सर्वनीति प्रणेतारं..., अन्त-श्रीमदभयदेवाख्य सूरि शिष्येण निर्मितं...', अ., ह. हीरालाल हंसराज, जामनगर ११९५. धर्मरत्नकरण्डक स्वोपज्ञ टीका, वर्द्धमानसूरि / अभयदेवसूरि, उपदेश, संस्कृत, ११७२ दायिकाकूप, 'आदि-प्रणम्य श्रीजिनंवीरं..., अन्त–श्रीजयसिंहभूपाल...', अ., ह. हीरालाल हंसराज, जामनगर ११९६. धर्मविलास, मतिनन्दन / धर्मचन्द्र पिप्पलक, उपदेश, संस्कृत, १६वीं, 'आदि-विश्वत्रयी जंतुहितावहंत..., अन्त-इति श्रीमालान्वयमुकुटमणि संघादिप...', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर ११९७. धर्मशिक्षाप्रकरण, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, उपदेश, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-नत्वा भक्तिनताङ्गकोहमभयं..., अन्त–शिक्षा भव्यनृणां गणाय मयका...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ.७९ 92 Jain Education Interfonal खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११९८. धर्मशिक्षाप्रकरण टीका, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, उपदेश, संस्कृत, १२९३, 'आदिविषमविशिखशिक्षाक्षुण्णसद्भावनानां ..., अन्त- गुणग्रहोष्णुद्युति संख्यवर्षे...', मु., एम.एस.पी.एस.जी. चे ट्रस्ट, सम्पादक - म० विनयसागर ११९९. धर्मसेन चौपई, यशोलाभगणि / गुणसेनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४० नापासर, 'आदि- चरण कमल श्री पासना..., अन्त - दान धरम श्रीकार सहूमें...', अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर १२००. धर्माधर्मप्रकरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १४वीं, अ. १२०१. धर्मोपदेश, साधुरङ्ग उ० / सुमतिसागर उ०, उपदेश, संस्कृत, १७वीं, अ. १२०२. धर्मोपदेश काव्य, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, उपदेश, संस्कृत, १७४५, ‘आदि– ओमित्यक्षामक्षर..., अन्त-रति विमलरसाढ्यै र्मातृकावर्णपद्यै...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १३८१, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १७६७ १२०३. धर्मोपदेश काव्य स्वोपज्ञ टीका, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, उपदेश, संस्कृत, १७४५, ‘आदि– श्रीपार्श्व प्रणिपन्यादौ .., अन्त - श्री मज्जिनकुशलसूरिनामान :...', अ., ह. हरिसागरसूरि पालीताणा १३८१, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १७६७ १२०४. धातुरत्नाकर क्रियाकल्पलता स्वोपज्ञ टीका, साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्त्ति उ०, व्याकरण, संस्कृत, १६८०, 'मूलादि - श्रीदं स्तात् परमं...', 'आदि टीका - श्रीमान् स श्रीसुमति...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७९५३, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२०५. धातूत्पत्तिः, ठक्कुर फेरु धंध गोत्रीय / ठक्कुर चन्द्र, विज्ञान, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-रुप्पं च मट्टियाओ नइ ..., अन्त - कप्पूरसुरहिवासिय चन्दणसंभूय...', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १२०६. धूर्त्ताख्यान, संघतिलकसूरि / गुणशेखरसूरि, कथा चरित्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि- समस्ति भारते वर्षे हर्षोत्कर्षकरे सताम् ..., अन्त-अतोदो लौकिकं वाक्यं... गा. ४२६ ', मु., सिंघी जैन ग्रन्थमाला, , बम्बई १२०७. ध्यानदीपिका चौपई, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७६६ मुलतान, 'आदि- परम ज्योति प्रणमुं प्रगट..., अन्त - संस्कृत वाणी पण्डित जाणे...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १२०८. ध्यानशतक बाला, सुगनचन्द्र / जयरङ्ग, योग ध्यान, राजस्थानी, १७३६ जैसलमेर, अ., ह. सूर्यमल यति संग्रह १२०९. ध्यानामृत रास, विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-२, पृ. ४२३ १२१०. ध्वजभुजङ्ग कुमार चौपई, लब्धिसागर / जयनन्दन जिनरङ्गीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७७० चूड़ा, 'अन्त - श्री जिनरङ्गसूरि पाटवीरे...', अ., ह. उदयचन्द संग्रह, जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 93 Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२११. नगर कोट्ट महातीर्थ चैत्यपरिपाटी, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, गीत स्तवन, अपभ्रंश, 'आदि- मुझ मनि लागिय खन्ति..., अन्त - इय नगरकोट पमुक्ख...', अ., पुण्यविजय संग्रह ३४२० (२२), उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ४३२ १२१२. नग्गई प्रत्येकबुद्ध चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५, ‘अन्त-सोलहसइ पांसठिसमइ...', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग-७ १२१३. नन्दन मणिहार सन्धि, चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १५८७, 'आदि-वीर जिणेसर चरण नमेवि..., अन्त - उवझायवर श्री भगतिलाभई सीस...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-३, पृ. ५७७, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२१४. नन्दिषेण चौपई, दानविनय / धर्मसुन्दर वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ नागौर, 'अन्तसंवत सोल पइसठा वरसई...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२१५. नन्दिषेण चौपई, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८०३ केसरदेसर, 'आदि- वर्द्धमान चउवीसनै. अन्त-शिवलोचन सिव सिध शशि...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर १२१६. नन्दिषेण फाग, ज्ञानतिलकोपाध्याय / पद्मराज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ. १२१७. नन्दीश्वर कल्प, जिनभद्रसूरि / जिनेश्वरसूरि स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, ‘आदि-अन्त-प्रायः पूर्वाचार्यग्रथितैः...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १२१८. नन्दीश्वचैत्य स्तव, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-वंदिय नन्दियलोयं..., अन्त - इय वीसं बावन्नं... गा. २५, मु., जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. १९० १२१९. नन्दीश्वचैत्य स्तव टीका, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि महो, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि १२२०. नन्दीश्वचैत्य स्तव अर्थ, मुनिमेरुगणि / जिनभद्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, 'आदि- सिरिनिलय जम्बूदीवोय... गा. २५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २०३६७ १२२१. नन्दीसूत्र मलयगिरि टीकोपरिटीका, जिनचारित्रसूरि / जिनकीर्त्तिसूरि, आगम, संस्कृत, २०वीं, 'आदि-यामाश्चित्य शुभां सुमुक्तिदममी...', अ. ह. श्री पूज्यजी, बीकानेर, प्रथम खण्ड प्रकाशित, शेष खण्ड की प्रतिलिपि रा.प्रा.वि.प्र. में है १२२२. नमस्कार प्रथमपद अर्थ, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्रगणि, अनेकार्थ, संस्कृत, १७वीं, — आदि-नमो अरिहंतजाणं नमोईद्भय...', मु., अनेकार्थरत्न मंजूषा, पृ. १०३ १२२३. नमस्कारमन्त्र बालावबोध, पद्मचन्द्र / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्तोत्र, राजस्थानी, १७६६ थट्टा, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२२४. नमस्कारमन्त्ररहस्य स्तव ( ? ), जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, अ. १२२५. नमि प्रत्येकबुद्ध चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'अन्त-विमलनाथपरसाद थी...', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग - ७ 94 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२६. नमि राजर्षि चौपई, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह १२२७. नमि राजर्षि चौपई, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३६ नागौर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६९९ १२२८. नमि राजर्षि सम्बन्ध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६० धनेरापुर, अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद १२२९. नयचक्रसार स्वोपज्ञ बालावबोध सहित, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, सैद्धान्तिक प्रकरण, संस्कृत-राजस्थानी, १८वीं, 'मूल का आदि-प्रणम्य परमब्रह्म..., अन्त-गच्छे श्रीकोटिकाख्ये...', 'बालावबोध का अन्त–सुक्ष्मबोध विणु भविकने...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल १२३०. नयचक्रसार वचनिका, हेमराज / लब्धिरङ्ग उ० लघु खरतर, प्रकरण, राजस्थानी, १७२६, 'आदि-वंदो श्री जिन के वचन..., अन्त-श्री मालगच्छ खरतरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १५५६ १२३१. नरदेव चौपई, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १९८२ पाली, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर १८८१ १२३२. नरपतिजयचर्या टीका, पुण्यतिलकोपाध्याय / हर्षनिधान उ०, ज्योतिष, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२३३. नरवर्म चतुष्पदी, विद्याकीर्ति उ० / पुण्यतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६८, अ., ___ ह. हिम्मत विजय संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२३४. नरवर्मचरित्र, विद्याकीर्ति उ० / पुण्यतिलकगणि, कथा चरित्र, संस्कृत, १६६९, अ., हिम्मत विजय संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२३५. नरवर्मचरित्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, कथा साहित्य, संस्कृत, १४१२ खम्भात, 'आदि-आदित्यादिमहामहः समुदयायस्यै..., अन्त–सम्वत्सरे सूर्यसमुद्रचन्द्र...', ह. विनय संग्रह, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २६९५, मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर १२३६. नरवर्मचरित्र, विवेकसमुद्रोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, चरित्र, संस्कृत, १३२० खम्भात, आदि प्रवज्याप्रमदा..., अन्त–संसेव्यमानं बुधै...', अ., विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, कैलाशसागरसरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३०३७ १२३७. नर्मदासुन्दरी चौपई, भुवनसोमगणि / धनकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०१ नवानगर, 'अन्त-मइ मतिसारइ बोल्या माहरई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११३५ १२३८. नर्मदासुन्दरी रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६१ पाटण, 'आदि-वर्द्धमानपुर नाम..., अन्त–संवत सतरई ऐकसठइ समइरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ११३, भाग-३, पृ. ११७४ खरतरगच्छ साहित्य कोश 95 For Personal & Private Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३९. नल दमयन्ती चौपई, ज्ञानसागरोपाध्याय / क्षमालाभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५८, 'आदि-प्रणमुं पारसनाथना चरणकमल सुखकार..., अन्त–चारित्र पाले भावसुं ए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२४०. नल दमयन्ती चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७३ मेड़ता, 'आदि-सीमंधर सामी प्रमुख..., अन्त-सुधर्मा स्वामी परंपरा...', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि १२४१. नल दमयन्ती प्रबन्ध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ नवानगर, ‘अन्त-इणिपरि गुणनिधि श्री दवदंती...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२४२. नलवर्णनमहाकाव्य, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. स्वकृत अविदपदशतार्थी १२४३. नवकार महात्म्य चौपई, जिनलब्धिसूरि / जिनहर्षसूरि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७५० जयतारण, 'अन्त-श्रीखरतरगच्छगुहिरोगाजै...', अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२४४. नवकार यन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दर, यन्त्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. उदयचन्द्र संग्रह, जोधपुर १२४५. नवकार रास, धर्ममन्दिर वा. / दयाकुशल वा., रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चउवीसे जिनवर नमी..., अन्त–दयाकुशल वाचक वरुऐ धर्ममन्दिर...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२४६. नवकार रास, विजयमूर्ति, रास चौपई, राजस्थानी, १७५५, अ., ह. विनय. संग्रह १२४७. नवकार स्तोत्र , जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १२वीं, 'आदि-किं कप्पतरु रे अयाण चिंतइ..., अन्त-अड संपय नव पय सहित... श्लो.-१३', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २५३ १२४८. नवग्रही न्यायपरीक्षा स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि सख्ये सत्यपि दहनाद्..., अन्त श्रेष्ठां सुवर्णरचितां... गा. १०', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३७० १२४९. नवतत्व चौपई, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सकल जिणेसर प्रणमी..., अन्त–गणतां सम्पत्ति कोडि...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६२२० १२५०. नवतत्व प्रकरण टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रकरण, संस्कृत, १६८८ अहमदाबाद, 'अन्त–संवतवसुगजरसशशिमिते...', अ. १२५१. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, जिनोदयसूरि / जिनसागरसूरि शाखा, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर १२५२. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, पद्मचंद्र / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रकरण, राजस्थानी, १७१७, अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६२६ 96 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५३. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, ? / पद्मचन्द्र-जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रकरण, राजस्थानी, १७६६ थट्टा, अन्त–संवत सतरे षटरसे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६३७ १२५४. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, रत्नलाभोपाध्याय / विवेकरत्नसूरि पिप्पलक, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२५५. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२५६. नवतत्व प्रकरण बालावबोध, हर्षवर्द्धन / कनकोदय ?, प्रकरण, राजस्थानी, १७८५, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२५७. नवतत्व प्रकरण स्तबक, जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. 'विनय. प्रतिलिपि १२५८. नवतत्व प्रकरण स्तबक, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. संग्रह, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२५९. नवतत्व प्रकरण स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८३९ कालाऊना, 'आदि-वीतराग नमस्कृत्य..., अन्त-भावयानवतत्वार्थो...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस १२६०. नवतत्व प्रकरण स्तबक, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जेह नमुंजे माहिलो..., अन्त–अनेक घणा सिद्ध...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४५२४ १२६१. नवतत्व भाषाबन्ध, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४७ हिसार, 'आदि-श्री श्रुत देवता मनमें..., अन्त-श्री विक्रमतै सत्तरसै...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२५२ १२६२. नवतत्व स्वरूपयन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दर, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २५८४ १२६३. नवपदप्रकरण अभिनववृत्ति, देवेन्द्रसूरि / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, प्रकरण, संस्कृत, १४५२, अ., उ. जिनरत्नकोष १२६४. नवपदप्रकरण भाष्य, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि भूयत्थ इह अवितहभावा..., अन्त–मन्दमईणं विबोहत्थं...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२२२३, मु. १२६५. नवपद स्तोत्रतम्, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-लसद्गुणैः संस्तविताः... गा. ९', मु., लब्धि कृतिसन्दोह पृ. ५४, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई १२६६. नवपद सिद्धचक्र स्तुतिः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि कुष्ठादिरोगशमकं... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह पृ. ४७, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई 97 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६७. नागश्री चौपई, श्रीदेव / ज्ञानचन्द्र, रास चौपई, राजस्थानी, १७५५, आदि-स्नान करी शुधोदकई..., अन्तश्रीदेव कहे भद्र श्री धर्म थी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३४६ १२६८. नाटिकानुकारि षड्भाषामयं पत्रम्, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, काव्य, षड्भाषा, १७८७ बीलाड़ा, आदि-स्वस्तिश्रीसिद्धसिद्धन्ततत्त्वबोधा..., अन्त-आनन्दरामस्य कुतूहलाएं..., मु., अनुसंधान अंक २७, अहमदाबाद । १२६९. नाभेय द्वात्रिंशिका (विरोधालङ्कार), जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-प्रीणन्तु जंतुजातं..., अन्त-अपि क्षमाराजित नाभि सूनो... गा. ३४', अ., विनय. प्रतिलिपि, विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १२७०. नारद चौपई, लब्धिरत्न वा. / धर्ममेरु वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६७६ नवहर, 'आदि सरस वचन मुझ आपिज्यो..., अन्त–कलह करावइ नारद इमसही...', अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२७१. निक्रान्तः क्रम स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीशत्रुञ्जयशैलराजभवतो..., अन्त-येनादौ सकला कला अपमला: संदर्शयांचक्रिरे... गा. २६', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १२७२. निगोदषट्त्रिंशिका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि लोगस्सेगपएसे जहन्नय..., अन्त–ते अणन्ता असड्खा वा...', मु.. १२७३. निघण्टुकोष टीका ( हेमचन्द्रीय), श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, कोष, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-सिद्ध शब्दसमुच्चयः..', मु., लाल. दलपत. भरतीयसंस्कृत विद्या भवन, अहमदाबाद १२७४. निर्णयप्रभाकर, बालचन्द्रसूरि / नेमिचन्द्रसूरि एवं ऋद्धिसागरजी / धर्मानन्दजी, चर्चा, हिन्दी, १९२०, आदि-श्रीजैनेन्द्रवचः...', अ., ह. विनय. संग्रह, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १०३५७ १२७५. नियुक्ति स्थापन, मतिकीर्ति उ० / गुणविनय उ०, आगम, संस्कृत, १६७६, 'आदि प्रणिपत्य सत्यवचसं..., अन्त-श्रीमत्खरतरगच्छि...', अ., ह. बड़ा भं., बीकानेर, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २३९ १२७६ निर्वाणलीलावतीकथा, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, चम्पूकाव्य, प्राकृत, १०९२ आशापल्ली, अ. १२७७. निर्वाणलीलावतीमहाकथाउद्धार ( लीलावतीसार), जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, चम्पूकाव्य, संस्कृत, १३४०, आदि-अपूर्ण, अन्त–तदिदमनुपमानं मुक्तिशर्मातिमानं...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३५१, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १३१३ १२७८. निशीथसूत्र अर्थ, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. जैन भवन, कलकत्ता १२७९. नीतिधनदशतकम्, धनदराज मन्त्री/ देहड, काव्य, संस्कृत, १४९० मण्डपदुर्ग, 'आदि जिनवरपदपूजादत्तचित्तः..., अन्त-यावत्कल्पकथाकुतूहलकरी यावच्च...', मु., काव्यमाला तेरहवाँ गुच्छक 98 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८०. नीतिशतक (भर्तृहरि) भाषा, नैनसिंह / जशशील, काव्य, राजस्थानी, १७८६ बीकानेर, अ. १२८१. नेमिदूतम्, विक्रम / सांगण, काव्य, संस्कृत, १४वीं, ' आदि - प्राणित्राणप्रवणहृदयो..., अन्तसद्भूतार्थप्रवरकविना कालिदासेन...', ह. विनय संग्रह, मु., सुमतिसदन कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर १२८२. नेमिदूतम् टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, काव्य, संस्कृत, १६४४ बीकानेर, 'आदि-श्रीपार्श्व प्रणिपत्य सत्यमनसा..., अन्त - युगयुगरसशशि वर्षे...', ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., , बीकानेर स्वयं लिखित. ५३२ मु. सुमति सदन, कोटा, सम्पादक - म. विनयसागर, सन्मार्ग प्रकाशन, अहमदाबाद १२८३. नेमिनाथ चरित्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, चरित्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदिमयनाहिसरिसविलसिर..., अन्त - मासियभत्तेण तुमं...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १५७ १२८४. नेमिनाथ भावपूजा स्तव मण्डपदुर्ग, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि- सुललियवरलावनकेलिगेह... गा. १५', अ., पुण्यविजय संग्रह, ३४२० (१५), विनय. संग्रह नेमिनाथ महाकाव्य, कीर्त्तिरत्नसूरि / जिनवर्द्धनसूरि, महाकाव्य, संस्कृत, १४९५, 'आदिवन्दे तन्नेमिनाथस्य..., अन्त-काव्याभ्यासनिमित्तं...', मु., अगरचन्द नाहटा, बीकानेर १२८६. नेमिनाथ फाग, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं रणथंभौर, ' आदि - श्री सिवादेवी नंदन नेमि..., अन्त- नेमि चले अविचल पदइ हो...', अ., उ. जैन गुर्जर विभाग - ३, पृ. ७४६ १२८७. नेमिनाथ फाग, कल्याणकमलगणि / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा भं. बीकानेर १२८५. १२८८. नेमिनाथ फाग, जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १२८९. नेमिनाथ फाग, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १६९७ सांचोर, अ. १२९०. नेमिनाथ फाग, महिमामेरुगणि / सुखनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं नागौर, 'आदि - सरसति सामिणी विनवुं..., अन्त-वाचक पदवी गुणनिलउ...', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर १२९१. नेमिनाथ फाग, राजहर्षगणि / ललितकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिभोगी रे मन भावीयो रे..., अन्त - समुद्रविजयसुत नेमजी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १२९२. नेमिनाथ फाग, समधरु, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि - सरसति सामणि पणमवि .... अन्त- अमधर भणइ सोहामणउ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ४२१ १२९३. नेमिनाथ राजीमती रास, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलास उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६३, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 99 Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२९४. नेमिनाथ रास, कनककीर्त्ति उ० / जयमन्दिर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६९२ बीकानेर, ' आदि - सकल जैन गुरु प्रणमुं पाया..., अन्त-कुण रंक सुरगिरि कर धरइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ५६८ १२९५. नेमिनाथ रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७७९ पाटण, अ. १२९६. नेमिनाथ रास, दानविजय उ० / धर्मसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह १९८७ लिखित प्रति. १२९७. नेमिनाथ रास, धर्मकीर्त्तिगणि / धर्मनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७५, 'आदिसरसति माता मुज भणि..., अन्त - खरतरगछि गुरु गुणनिलउ...', अ., ह. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ४९१ १२९८. नेमिनाथ रास, सुमतिगणि / जिनपतिसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १३वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १२९९. नेमिनाथ विवाहलउ, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १५वीं, अ., ह. जयचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., , बीकानेर १३००. नेमिनाथ विवाहलो, महिमसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ सरस्वतीपत्तन, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १३०१. नेमिनाथ वीनती - गिरनार मण्डन, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-भुवनजननयण भणवयण... गा. १७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, ३४२० (१४) १३०२. नेमिनाथ वीनती, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रश, १५०३, 'आदिसुकृत कीधउं मइ भवि पाछिलइ... गा. १२', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, ४१६ (९) १३०३. नेमिनाथ स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि- पसु उ राखि एक बाउ... गा. ४', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, ३४२० (३२) १३०४. नेमिनाथ स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदिसिद्धगन्धर्वविद्याधरश्रेणिभिः... गा. ४', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, ३४२० (३०) १३०५. नेमिनाथ स्तुति, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. सदागम कोडाय १५७९ ट्रस्ट, १३०६. नेमिनाथ स्तोत्र, अभयतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदिविमलरैवतकाचल शेखर:.., अन्त - श्री उज्जयंतशिखरे भगवन्नुदूढ... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १३०७. नेमिनाथ स्तोत्र, कनककुमार / सुमतिसागर, स्तोत्र, संस्कृत, १७२५, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १३०८. नेमिनाथ स्तोत्र-ज्ञानपञ्चमी, कीर्त्तिरत्नसूरि / जिनवर्द्धनसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १५वीं, 'आदिवंदामि नेमिनाहं ... गा. ११', अ. 100 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३०९. नेमिनाथ स्तोत्र-उज्जयन्तालङ्कार, चारित्रकीर्त्ति / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, ___ 'आदि-चञ्चच्चरित्रनाथ... गा. ३०', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० की लिखित प्रति. १३१०. नेमिनाथ स्तोत्र-उज्जयन्तालङ्कार, चारित्रकीर्त्ति / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, _ 'आदि–नित्यं गोभि... गा. ३', अ., ह. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १३११. नेमिनाथ स्तोत्र, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि / जिनदत्तसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि नरनाकिनभश्चरयोगिनतं... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १४८० लि. प्रति. १३१२. नेमिनाथ स्तोत्र-उज्जयन्तालङ्कार, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-एकस्मिन्नचलेन्द्रमौलिमुकुट... गा. १३', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० की लिखित प्रति. १३१३. नेमिनाथ स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-श्रीउज्जयंत गिरिराजशिरोविलासं..., अन्त–इत्थं यदू इह बहूकृतभक्तिपादः... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १३१४. नेमिनाथ स्तोत्र , जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि नेमिसमाहितधिया... गा. २४', अ. १३१५. नेमिनाथ स्तोत्र , जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि यस्याङ्गनिर्यदति सान्द्रविसारिशील... गा. ९', अ., ह. सुमतिगणिकृत गणधरसार्द्ध शतक वृहवृत्ति पद्य २ की व्याख्या में उद्धत १३१६. नेमिनाथ स्तोत्र-उजयन्तालङ्कार , जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-व्याख्यास्तुयस्यरदन..., अन्त–अद्यापि यत्प्रतिकृती रुचितां पिपर्ति... गा. १०', मु., अनुसंधान अंक ३१, अहमदाबाद १३१७. नेमिनाथ स्तोत्र, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-यस्य क्रमोविलसमान..., अन्त-इत्युच्चस्तर रैवतक्षिति... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १३१८. नेमिनाथ स्तोत्र क्रियागुप्तं, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि श्रीहरिकुलहीराकर... गा. २०', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २४४ १३१९. नेमिनाथ स्तोत्र-उज्जयन्तालङ्कार, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि जय जय जय नेमे धर्मचकै... गा. ११', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० की लिखित प्रत्.ि, विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १३२०. नेमिनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-जिनाय यः प्राज्यतरस्मराजी..., अन्त-नमितसकलदेवः क्रोधदावैकदेवः... गा. २', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ.३७६ खरतरगच्छ साहित्य कोश 101 For Personal & Private Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२१. नेमिनाथ स्तोत्र, भुवनहिताचार्य, स्तोत्र, प्राकृत- संस्कृत, १४वीं, 'आदि- सिरिगिरिसरदेवयमंडणं पणयपाणि..., अन्त-इत्थं श्री उज्जयंताचलविपुल शिरश्चास... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १३२२. नेमिनाथ स्तोत्र - उज्जयन्तालङ्कार, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-मनोभीष्टदं रैवते पारिजातं ... गा. २७', अ. १३२३. नेमिनाथ स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदिश्रीसमुद्रविजयेशनन्दन... गा. ७', अ. १३२४. नेमिनाथ स्तोत्र - उज्जयंत मंडन, विजयसिंह, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, ' आदि - नेमिसमाहितधिया, अन्त-इति जगति दुरापा कस्यचित्... गा. २३, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १३२५. नेमिनाथ स्तोत्र- एकविंशति स्थानकगर्भित, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सयलजगललिय लावण्ण..., अन्त - इय नेमि जिणवर भुवण जिणयर... गा. ३२', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्दगच्छ भं. प्रति नं. ३७६ १३२६. नेमिनाथ स्तोत्र-नानाविधकाव्य जातिमयं समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि - अपूर्ण, अन्त- विविधवरकाव्यभेदं... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६१६ १३२७. नेमिसन्देशकाव्य, हंसप्रमोदगणि / हर्षनन्दगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. दिगम्बर भं., अजमेर १३२८. नेमीश्वर मनोरथमाला स्तव, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदिमिजिण विमलगुणगहणमणसंगयं... गा. २१', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (१९), विनय संग्रह ४१६ (२१) १३२९. नैषधचरितमहाकाव्य टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ०, महाकाव्य, संस्कृत, १५११, ‘अन्त-तेनामुख्यविपक्षवादिनिकराहङ्कारविश्वम्भरा... श्लो. - १४', अ., ह. गुजरात सभा, कलकत्ता १३३०. नैषधचरितमहाकाव्य टीका, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, महाकाव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. भाण्डारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना, विनय संग्रह - १० सर्ग तक, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १९८५ १३३१. न्यायरत्नावली, दयारत्नगणि / जिनहर्षसूरि आद्य, न्याय, संस्कृत, १६२६, अ., ह. भाण्डारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना १३३२. न्यायसार चूर्णि भक्तिलाभोपाध्याय / रत्नचन्द्र उ०, न्याय, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. जैन भवन, कलकत्ता १३३३. न्यायसिद्धान्तदीप ( शशधर ) टिप्पण, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र उ०, न्याय, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर 102 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३३४. न्यायलङ्कार(पंचप्रस्थानन्यायमहातर्क विषमपदव्याख्या न्यायलङ्कार), अभयतिलकोपाध्याय/ जिनेश्वरसूरि, न्याय, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७२ १३३५. पच्चीसी - अध्यात्म पच्चीसी, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, अ. १३३६. पच्चीसी - उपदेश पच्चीसी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४५५ १३३७. पच्चीसी - कुगुरु पच्चीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री जिन वाणी हीयडे धरे..., अन्त-कुगुरु पचीसी ए मइ करी...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४९५ १३३८. पच्चीसी - कौतुक पच्चीसी, कीर्तिसुन्दर ( कान्हजी) / धर्मवर्द्धन उ०, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १७६१, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४०६ १३३९. पच्चीसी - खरतर पच्चीसी, रत्नसोम / त्रैलोक्यवल्लभ, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८५६, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १३४०. पच्चीसी - गौतम पच्चीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-धणपुर गुव्वर गांम..., अन्त–अंगूठे अमृत वसै मुख मीठी वाणी...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३६८ १३४१. पच्चीसी - छिनाल पच्चीसी,लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ. १३४२. पच्चीसी - प्रमोद पच्चीसी, कविसुन्दर / शान्तिदास, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७२९८ १३४३. पच्चीसी - भाव पच्चीसी, अमरविजयगणि / उदयतिलकगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १७६१, अ., ह. जयचन्द्रजी संग्रह, बीकानेर १३४४. पच्चीसी - मङ्गल पच्चीसी, क्षेमवर्द्धन / हीरवर्धन, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८४९ ___ 'आदि-सरसती माता कारज सरो...', अ., विनय. प्रतिलिपि १३४५. पच्चीसी - राजुल पच्चीसी, लालचन्द्रगणि / हीरनन्दनगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६५१, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १३४६. पच्चीसी - सप्तभंगी पच्चीसी, भीमराज / गुलाबचन्द जिनसागरीय, पच्चीसी साहित्य, हिन्दी, १९२९ जैसलमेर, अ. १३४७. पच्चीसी - सुगुरु पच्चीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, पच्चीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सुगुरु पीछाणउ इणि..., अन्त–सुगुरु पचीसी श्रवणे...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ.४९३ 103 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४८. पञ्च कल्याणक योगिजिन नमस्कार, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-विनम्रदेवाधिभुवा किरीट.. गा. ११', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा , १३४९ पञ्च कल्याणक स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-गर्भावतारजननव्रतकेवलान्त्य..., अन्त दर्पिष्ठक्लिष्टदुष्टारिवारिवारणपंडित... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १३५०. पञ्च कल्याणक स्तोत्र, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-नमिर अमरिंदमणिमउडचुंबीपए... गा. ८', अ. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १३५१. पञ्च कल्याणक स्तोत्र, कीर्तिरत्नसूरि / जिनवद्धसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १५वीं, 'आदि सयलकल्याण... गा. १२', अ. १३५२. पञ्च कल्याणक स्तोत्र, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-अन्वहामहतत्त्वानां... गा. ८', अ., ह. जिनहर्ष-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर । १३५३. पञ्च कल्याणक स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि निलिम्पलोकायितभूतलं... गा. ८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २६० १३५४. पञ्च कल्याणक एकादशी स्तोत्र, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-यदानने नूतनरत्नदर्पणे..., अन्त–इति लसदसमानमानंदनंद... गा. ३२', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १३५५. पञ्च कल्याणक स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि प्रीतद्वात्रिंशदिन्द्रोदित., अन्त–एवं यत्पञ्चकल्याणक... गा. १२', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २२३ १३५६. पञ्चकुमार कथा, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १७४६ रिणी, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १३५७. पञ्चग्रन्थीव्याकरण-बुद्धिसागरव्याकरण ( प्रमालक्ष्मलक्षण), बुद्धिसागरसूरि / वर्धमानसूरि, व्याकरण, संस्कृत, १०८० जालौर, 'आदि-सिद्धं जिनं सर्वविदं निरञ्जनं..., अन्त-श्रीविक्रमादित्य नरेन्द्र कालात्...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २९२, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १३१२ १३५८. पञ्च जिनाद्भुत स्तव, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि , स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि आदिविभो भूया... गा. १५', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२) १३५९. पञ्चतीर्थङ्कर नमस्कार स्तोत्र , जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि , स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, ___ 'आदि-सुविहाणउं जइ आज मई... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६ (१२) १३६०. पञ्चतीर्थी स्तोत्र, यु. जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि कनककेतककेसरदीधितिं..., अन्त-इति जगद्गुरु पंचक... गा. ११', मु., युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि, पृ. ३०१ 104 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६१. पञ्चतीर्थी स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'गा. १६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १३६२. पञ्चतीर्थी पंचजिन स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि योऽचीचलद् दुष्च्यवनोरसि..., अन्त–एवं सेवां दधतः... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३७८ १३६३. पञ्चतीर्थी श्लेषालङ्कार चित्रकाव्य स्तोत्र, सूरचन्द्रोपाध्याय / चारित्रोदयगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १३६४. पञ्चनमस्कार फलकुलक, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि वंदित्तु वद्धमाणं..., अन्त–इय संविग्गसिरोमणि... गा. ११८', मु., सिरिपयरणसंदोह १३६५. पञ्चनमस्कृति स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-प्रतिष्ठितं तमः पारे... गा. ३३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २५६ १३६६. पञ्चनिर्ग्रन्थी प्रकरण, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, ११२८, 'आदि पनवण', मु., आत्मानन्द सभा, भावनगर १३६७. पञ्चनिर्ग्रन्थी प्रकरण बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्लमूर्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता १६४५ १३६८. पञ्चपरमेष्ठि स्तव, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि अर्हतः सकलान् वन्दे... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६ (२) १३६९. पञ्चपरमेष्ठि स्तव नमस्कार, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि स्वश्रियं श्रीमदर्हन्तः... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २५१, अभय ग्र., बीकानेर १३७०. पञ्चपरमेष्ठि स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-परमेष्ठिन: सुरतरून्... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १३७१. पञ्चमी चर्चा, मतिवर्द्धनगणि / सुमतिहंस आद्य., चर्चा, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. सदागम ट्रस्ट, कोडाय १३७२. पञ्चमीपर्वतिथि स्तुतिः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-श्रीवीरेण गतेन पञ्चमगतिं... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४३, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई १३७३. पञ्चमी स्तोत्र , उदयकीर्त्तिउ० / साधुसुन्दर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर १३७४. पञ्चलिङ्गी प्रकरण, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, प्रकरण, प्राकृत, ११वीं, 'आदि-उवसम संवेगोविह..., अन्त–इयभावणासमेओ...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत १३७५. पञ्चलिङ्गी प्रकरण टीका, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-अस्याशोकस्य मैत्र्या सतत..., अन्त-नरजनिकृतसाफल्यं सदा...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत 105 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७६. पञ्चलिङ्गी प्रकरण लघुटीका, सर्वराजगणि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १४वीं, अ., ____ ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर १३७७. पञ्चलिङ्गी प्रकरण टिप्पणक, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १२९४, 'आदि-युगवरजिनपति यति विरचित...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत १३७८. पञ्चवर्गपरिहारनाममाला, जिनभद्रसूरि / जिनप्रियोपाध्याय, कोश, संस्कृत, १३वीं, आदि अपवर्गपदाध्यासित मपवर्ग..., अन्त–तथार्हत उपाध्याये...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ९४४, विनय. प्रतिलिपि, कान्तिविजय संग्रह, छाणी १३७९. पञ्चसती रास, कनककीर्त्ति उ० / जयमन्दिरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९३ बीकानेर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि १३८०. पञ्चाङ्गानयनविधि, महिमोदयगणि / मतिहंसगणि, ज्योतिष, राजस्थानी, १७३३, 'आदि परम जोति प्रभुंकुं..., अन्त-गणितग्रन्थ समुदाय...', अ., महरचन्द भं., बीकानेर, कैलाश सागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २७९३, ७८४५ १३८१. पञ्चाशक टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, संस्कृत, ११२४ पाटण, 'अन्त यस्मिन्नतीते श्रुत संयमश्रिया...', मु., देवचन्द लालभाई पु., सूरत १३८२. पञ्जिकाप्रबोध, जिनप्रबोधसूरि / जिनेश्वरसूरि द्वि., व्याकरण, संस्कृत, १४वीं, अ., उ. खरतरगच्छ बृहद् गुर्वावली, पृ. ५७ १३८३. पट्टावली, पल्हकवि, गुर्वावली, अपभ्रंश, १२वीं, 'आदि-जिण दिलुइं आणंदु... गा. १०', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३६५ १३८४. पथ्यापथ्यनिर्णय, दीपचन्द्रोपाध्याय / दयातिलकगणि, आयुर्वेद, संस्कृत, १७९२ जयपुर, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, अभय ग्र., बीकानेर १३८५. पथ्यापथ्य स्तबक, चैनरूप, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८३५, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १३८६. पदमण रासो, गिरधरलाल, रास चौपई, राजस्थानी, १८३२ जोधपुर, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १३८७. पदव्यवस्था, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि जिनपालोपाध्याय लिखितः, विधि, संस्कृत, १२वीं, आदि-श्रीयुगप्रधानाचार्यस्य..., अन्त–इति नवांगवृत्तिकारक श्रीअभयदेवसूरि...', मु., युगप्रधान जिनदत्तसूरि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर १३८८. पदव्यवस्था टीका, उदयकीर्त्ति उ० / साधुसुन्दर उ० , व्याकरण, संस्कृत, १६८१, अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर, भाण्डारकर रिसर्च इन्स्टीटॅयूट, पूना १३८९. पदव्यवस्था बालावबोध, विमलकीर्तिगणि / विमलतिलकगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर, भाण्डारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना १३९०. पदैकविंशति, सूरचन्द्रोपाध्याय / चारित्रोदय उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ. 106 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३९१. पद्मनन्दि पञ्चविंशिका भाषा, पुण्यहर्षगणि / ललितकीर्त्तिगणि, स्तोत्र, राजस्थानी, १७२२ __ आगरा, अ., ह. आमेर दिगम्बर भण्डार १३९२. पद्मरथ चौपई, स्थिरहर्ष / मुनिमेरु सागरचन्द्रसूरि शाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १७०८, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११४४ १३९३. पद्मावती अष्टक, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर १३९४. पद्मावती स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २४८, २५५, १२८२ १३९५. पद्मावती कल्प, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत, १२वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २५५ १३९६. पद्मावती चतुष्पदिका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १४वीं, 'आदि श्री जिनणशासण अवधारि झायहु..., अन्त-पउमावइ चउपइय पढंति...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर १३९७. पद्मिनी चौपई ( गोरा बादल चौपई),लब्धोदयगणि / ज्ञानराजगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०७ उदयपुर, 'आदि-श्री आदिसर प्रथम जिन..., अन्त–सतिय सिरोमणि पद्ममणि साचि सील हीयैरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १३४, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७७७९ १३९८. परमसुखद्वात्रिंशिका तत्त्वावबोध, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १३९९. परमहंससम्बोधचरित्र, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., चरित्र, संस्कृत, १६२६ बालपताकापुरी, 'आदि-चिदानंदमयं सार्वे प्रणम्य परमेश्वरम्..., अन्त–यः कश्चिदपशब्दोत्र...', मु., जैन सस्तुं साहित्य ग्रन्थमाला, अहमदाबाद १४००. परमात्म द्वात्रिंशिका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'गा. ३२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४०१. परमात्म प्रकाश चौपई, धर्ममन्दिर वा. / दयाकुशलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४२ जैसलमेर, 'आदि-परम ज्योति प्रणमुं सदा..., अन्त-आनन्द रङ्ग वधामणा...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर १४०२. परमात्मप्रकाश हिन्दी टीका, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, अध्यात्म, हिन्दी, १७६२, __ अ., ह. दिगम्बर जैन ज्ञान भं., अजमेर १४०३. परसमयसारविचारसंग्रह, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, चर्चा, राजस्थानी, १९वीं, अ. १४०४. पर्युषणापरामर्श, बुद्धिमुनिगणि / केशरमुनिगणि, चर्चा, संस्कृत, २०वीं, 'आदि-प्रणम्य श्रीजिनाधीशं..., अन्त-मोहमय्यां महावीर...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई खरतरगच्छ साहित्य को 107 For Personal & Private Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४०५. पर्वरत्नावली, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, काव्य, संस्कृत, १४७८ पाटण, 'आदि जगल्लक्ष्मीलताकंदमानंदतरुदोहदं..., अन्त-श्रीखरतरगच्छेशा:श्रीजिनराजसूरयं...', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १४०६. पवनाभ्यास चौपई, आनन्दवर्द्धनसूरि / धनवर्द्धनसूरि भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६०८ 2 १६७८. 'आदि-आदि सगति सेवं सारदा.... अन्त-संवत सोल अठोत्तर वरसि...' अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १००० १४०७. पाक्षिकसूत्र बालावबोध, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ. १४०८. पाँच चारित्र के ३६ द्वार भाषा, रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्रोपाध्याय, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर १४०९. पाण्डवचरित्र चौपई, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६७ वील्हावास, 'आदि-स्वस्ति श्री सुख संपदा..., अन्त–संवत सतरै सतसठ समैजी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४१०. पाण्डित्यदर्पण, उदयचन्द्र / कमलसिंह, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १७३४, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४२२ १४११. पाण्डवचरित्र रास, कमलहर्षगणि / मानविजयगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३८ मेड़ता, अ., ह. हुंबड़ मन्दिर भं., उदयपुर १४१२. पार्श्वनाथ चरित्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, चरित्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि गुणमणिनिहिणोजसुवरि..., अन्त-वाघारियपाणीय...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १५९ १४१३. पार्श्वनाथ चरित्र, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, चरित्र, प्राकृत, ११६८ भरुच, 'आदि-रस रुहिरमंसमेज्जळि..., अन्त–सुरलोय सिरिसिवन्द...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ३११ १४१४. पार्श्वनाथ दशभव बालावबोध, पद्ममन्दिरगणि / विजयराजगणि, चरित्र, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १४१५. पार्श्वनाथ स्तव-दशभव, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि सयलसुरासुरनमियं..., अन्त–इय कमढदप्पदलणं... गा. २७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १४१६. पारणक स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-यत्पारणासु प्रथमासु हेम... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४१७. पार्श्वनाथ धवल, भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६९२ जैसलमेर, अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह १४१८. पार्श्वनाथ नमस्कार स्तोत्र, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्रोपाध्याय, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ. 108 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४१९. पार्श्वनाथ नमस्कार, स्तुति-स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-प्रत्यंभोद सहोदरस्य वपुषः... ___गा. १', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४२०. पार्श्वनाथ फाग, समयध्वजगणि / सागरतिलक उ० , रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४२१. पार्श्वनाथ फाग-स्तम्भनपुर, मुनिमेरुगणि / कमलसंयम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, __ अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर १४२२. पार्श्वनाथ रास, महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रासादि, राजस्थानी, १७१३ गाजीपुर, 'आदि-श्री श्रुतदेवी प्रणमी करी... गा. १५२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४१५ १४२३. पार्श्वनाथ रास, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८३ जैसलमेर, अ. १४२४. पार्श्वनेमिचरित भाषा, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दर उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ. १४२५. पाल्हणपुर वासुपूज्य बोली, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, अ. १४२६. पासदत्त प्रति प्रेषितप्रत्र, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, पत्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४२७. पार्श्वनाथ स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-अमरगिरिशिरस्थः स्फारसिंहासनस्थः.. गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४२८. पार्श्वनाथ स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-नव्याम्भोधरसोदरी स्तनुरुचारा... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४२९. पार्श्वनाथ स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-निहतभवनिवासं नीलराजीवभास... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४३०. पार्श्वनाथ स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-सुरपतिनतपादः प्रास्तमिथ्याप्रवादः..., अन्त सुगतिगमन गंत्री मोह... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४३१. पार्श्वनाथ स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-जयति जगति देवः सेवकानां समन्तात्... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६ (३) १४३२. पार्श्वनाथ स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, आदि-श्रीपार्श्वदेवः सुखदायी सेवः... गा. ४', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२१) १४३३. पार्श्वनाथ स्तुति, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-ट्रैट्रेकि ___धपमप... गा. ४', मु., पंचप्रतिक्रमण सूत्र १४३४. पार्श्वनाथ स्तुति समवसरणभावगर्भित, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-हर्षनतासुरनिर्जरलोक..., अन्त-मज्जन शस्तनिजाघ... गा. ४', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७५४४ खरतरगच्छ साहित्य कोश 109, For Personel ve use only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४३५. पार्श्वनाथ स्तुति, जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदि शिवलसद्गुणराजविराजित..., अन्त–वाग्जिनलाभशुभार्थदा... गा. ४', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २६२६ १४३६. पार्श्वनाथ स्तुति, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशील उ०, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-जय जिनतारक हे जगदाधरक... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ १४३७. पार्श्वनाथ स्तुति ( महादण्डकछन्द), सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६८३ जैसलमेर, 'आदि-विदित निखिलभाव...', अ., ह. दिगम्बर भं., अजमेर १४३८. पार्श्वनाथ पंच कल्याणक स्तोत्र, गीत स्तवन, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीसिद्धिवध्वां मम संतु पार्श्व..., अन्त-मह पंचतयेन मयेति नुतः... गा. ६', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४३९. पार्श्वनाथ सुपार्श्वनाथ स्तोत्र-मण्डपदुर्ग , जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'गा. १९', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर १४४०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ , स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-जीयाञ्जगच्चक्षुरपास्तदोष..., अन्त इति स्तुत स्थंभन सत्पुरस्थित... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४४१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-देवाहिदेव सिरिथंभणपट्टणेस..., अन्त–इत्थं थुओ थंभणयत्थ पासो... गा. ७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान भं., आगरा, विनय प्रतिलिपि १४४२. पार्श्वनाथ स्तोत्र , स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-पायात्पार्श्वपयोदद्युति... गा. ९', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४४३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-त्रोटक छन्द, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-रुचिमंडलमण्डनदिग्वलयं..., अन्त-इति श्रीजिनेशः क्षतक्लेश... गा. १३', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४४४. पार्श्वनाथ स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-वः सहे न पणायितुं... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४४५. पार्श्वनाथ स्तोत्र , स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-वन्द्याय नमो निस्सीमशर्मणे... गा.७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४४६. पार्श्वनाथ स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-विजयस्व जगन्नाथ परमात्मन्... गा. ४', अ. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४४७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तंभनपुर मण्डन, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीस्तंभनपुरवरेऽभयदेवसूरि... गा. ९, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४४८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तंभनक, अभयतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-आचार्यशक्रोभयदेवसूरिभिः प्ररोपित..., अन्त-श्री स्तंभनावास गत प्रयास विघ्रोध... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४९. पार्श्वनाथ स्तोत्र स्तम्भतीर्थ, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'गा. ७', अ. १४५०. पार्श्वनाथ स्तोत्र, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, 'आदि-देव दुत्थिय देव दुत्थिय दुभ्भि सहारु..., अन्त–देव निज्जिय देव निज्जिय मयणं माहप्प... गा. १६', अ., ह. हर्षचन्द्र पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४१२-४१३ १४५१. पार्श्वनाथ स्तोत्र विज्ञप्ति, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि सुरनरकिन्नरपणयं..., अन्त-जिणशाषनरत्तेणं... गा. २२', अ., ह. हर्षचन्द्र-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, अभय ग्र., बीकानेर १४५२. पार्श्वनाथ स्तोत्र, कमलप्रभाचार्य / देवप्रभाचार्य रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, प्राकृत, १५वीं, 'आदि जस्स फणिंदफणोहो... गा. ७', मु., जैन स्तोत्र सन्दोह, भाग-२ १४५३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-अष्टोततरशत नामगर्भित (चिन्तामणि), क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म ___उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. आत्मानन्द सभा, भावनगर १४५४. पार्श्वनाथ स्तोत्र सटीक, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, ___अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर १४५५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-अष्टोत्तरशतनाम, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वजगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'आदि-सिद्धक्षेत्रगोपाचल..., अन्त–सुप्रतीतम्', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५४९०, अभय ग्र., बीकानेर १४५६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-अनुपमगुणगणयुतमहिमानं... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४५७. पार्श्वनाथ स्तोत्र, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-जयति जगति पार्श्व: पुण्यसम्प्राप्यपार्श्व:... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४५८. पार्श्वनाथ स्तोत्र, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-नयति नयति जाता जातकीर्तिप्रमोदं... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४५९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शकेश्वर मण्डन, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-वितनुते तनुते तनुतेश्वर... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४६०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जैसलमेर मण्डन, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रीपार्श्वनाथप्रभुमीश्वराणां... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १४६१. पार्श्वनाथ स्तोत्र नवकारपल्लव, जयधर्मोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि–पणयजणपूरिया संकयदुह..., अन्त–सो पास जिणवरु कप्पतरुवरु... गा. २५, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४६२. पार्श्वनाथ स्तोत्र विज्ञप्ति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'गा. ७', अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Pwater use only 111 Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६३. पार्श्वनाथ स्तोत्र -जीरापल्ली, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, ___ 'गा. ४', अ. १४६४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शङ्केश्वर, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि __ अजरामरठाणपयाणकरं... गा. ८', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२३) १४६५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-पञ्चवर्गपरिहार, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-अभिमतफललाभकर... गा. ७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह अहमदाबाद ३४२० (१०) १४६६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि करूं ध्यान जिणेसर पासनउं... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ १४६७. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-किं निर्वाणपुराणपादपफलं... गा. ८', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (८) १४६८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-गृहीतमुक्तकयमक, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, आदि-जगज्जीवजीवातुपुण्योपदेशं... गा. ५', अ., ह. विनय. संग्रह ४१६ (५) १४६९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि दीट्ठा पास जिणेसर पाया... गा. ४', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२६) १४७०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघुनिन्दा स्तव, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-देवः सदैव मुदितात्मनि... गा. ७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (७) १४७१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-गौड़ी, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १५वीं, 'आदि निशमय गवडीश्वर जिनराज... गा. ५', अ., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ १४७२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-नागद्रह, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि धर्ममहारथसारथिसारं..., अन्त-यूयमखण्डम्... गा. ५', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५४८९, विनय. प्रतिलिपि ४१६ (५) १४७३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-सप्रभावी, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-पउमावई धरणिंदा... गा. ३', पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२९) १४७४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, आदि प्रोल्लासिप्रभयो प्रभावनवगो.... गा. ८', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (६) १४७५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघुवीनति मङ्गलपुरमण्डन, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-मङ्गलपुरवरमण्डन देव... गा. ७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२५) १४७६. पार्श्वनाथ विज्ञप्ति-स्तम्भनेश , जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-मुखं स्वामिनुं चन्द्रमा बिम्ब तोलइ... गा.७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२७) 112 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४७७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-लोकमनोमनदैवतपादप... गा. ७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (१२) १४७८. पार्श्वनाथ स्तोत्र लघु-जीरापल्ली, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, आदि विषमसंसारसरतार तारुयवरं... गा. ५', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२८) १४७९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-योगात्मनामप्यपरं परस्परं... गा. ५', ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (११), मु., जैन स्तोत्र सन्दोह भाग-२ १४८०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शंखेश्वर मण्डन, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-श्रीसङ्गरङ्गमकराकरकेलिधारं... गा. अपूर्ण', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१३, पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (१३) १४८१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-मरुकोट मण्डन, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-सकलजगदेकदेव... गा.७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (९) १४८२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भनेश, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सोहग सुन्दर रूपिहिं रूडउ... गा. ७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (२४) १४८३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-केवलाक्षरमय, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-जनवनवनधर धरणधर... गा. ५', मु. १४८४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-तिमरी ग्रामस्थ मण्डन, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-भविकभावुकसङ्गमकारकं... गा. ५', मु. १४८५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शृङ्खलाचित्रमय, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-लसत्पङ्कजातोदनिश्वाससारं... गा. ५', मु. १४८६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-हारचित्रमय, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-वन्दे सुभाववसुसन्धकरं शमोकं... गा. ५', मु. १४८७. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि सन्तोषशर्मसदनं सदनन्यसारं... गा. ५', मु. १४८८. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-ओं हीं श्रीं धरणोरू, अन्त-नमामः कुशलं लभामः... गा. ५', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५८२७ १४८९. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि त्रिभुवनजनतारण... गा. ७', अ., ह. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर, कांतिसागरजी संग्रह लावण्यकीर्त्ति लिखित गुटका खरतरगच्छ साहित्य कोश 113 For Personal & Private Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४९०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली , जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि पुरिजीरिका पल्लिकापारिजातं..., अन्त–इत्येवं नम्रकम्रा सुरसुर निकरो... गा. २१', अ., हर्षचन्दसूरि-पार्श्वचन्दगच्छ ज्ञान भं., खम्भात १४९१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-नवखंड, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि राजीवबन्धुरिव यस्य जिनस्य जीवा..., अन्त–एवं मया विनयतो नवखण्ड नामा... गा. १०', अ., ह. हर्षचन्दसूरि-पार्श्वचन्दगच्छ ज्ञान भं., खम्भात १४९२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शेरीषालङ्कार, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीशेरीषकपत्तनावनिशिरः... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० १४९३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि श्रीस्तम्भनाम्भोज... गा. ९', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३०, विनय. प्रतिलिपि १४९४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-सकलभूतलभूषणशेखरं... गा. ११', अ. १४९५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि–सिरिफलवद्धियनयरमण्डण... गा. ९', अ., ह. गुजरात विद्या सभा, अहमदाबाद १४९६. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-भवगत्तंतो निवडत... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १४९७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-पदपद्मवर्णन, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-सरभसनतविद्याधरसुरवरमुनि..., अन्त–एवं पार्श्वजिनेश्वरे तवपादाब्जं... गा. ६, अ., विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४९८. पार्श्वजिन स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-तीर्थराज मम पार्श्वहृद्ग्रहे युष्मदास्य..., अन्त–इत्थं गुप्त क्रियाप्रायिमतम सदलङ्कार... गा. ९', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १४९९. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-नुत पार्श्वजिन नत देवमणिं... गा. १०, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५००. पार्श्वनाथ स्तोत्र-कलिकुण्ड, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि परमिट्ठिमलसारं... गा. ९', अ., ह. गुजरात विद्या सभा, अहमदाबाद १५०१. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि पदद्वयाशक्तनखप्रभूता..., अन्त–स्वच्छ: श्रीशशिगच्छ... गा. ५', मु., युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि, पृ.३०२ 114 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५०२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शृङ्खलाबन्ध, जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि __ सर्वदेवसेवितपादपद्मं..., अन्त-मुक्तालतावाड्मुदे... गा. ७', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५८२७, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५, २२ १५०३. पार्श्वनाथ स्तोत्र मन्त्रगर्भित, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १२वीं, आदि जसु सासणदेवुवएस किय... गा. ३७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह १५०४. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि ___अमी क्व... गा. १८', अ. १५०५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-कलिकुण्ड (नवग्रहगर्भित), जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १३वीं, अरिहं थुणामि पास... गा. १३', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह १५०६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-चिन्तामणि, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-किं कर्पूरमयं सुधारसमयं... गा. ११', मु. १५०७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-चिन्तामणि, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-जगद्गुरुं जगद्देवं... गा. ३२', मु., जैन स्तोत्र सन्दोह भाग-२, ह. हर्षचन्द्र-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १५०८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भन, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि खरतरगणवर समर डमरभर..., अन्त–को विध हितत महारिवर्ण्यक वर्ण्य... गा.६', अ., ह. हर्षचन्द-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४४४-४४५, षट्प्रकारेण वाचनीयमिदं १५०९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शंखेश्वर मण्डन, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-जय जगत्त्रयमौलिमहामणे..., अन्त–इत्यन्तरङ्गविनयेन मया नुतेशं... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५१०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-यमकालङ्कार, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-तमालनीलच्छविपिच्छलाङ्ग..., अन्त–इत्थं कृतं सुयमः कई... गा. ७', अ., ह. हर्षचन्द्र-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४१८ । १५११. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि निरुवममहिमनिवासं हयभवपासं..., अन्त–सो धीरु जीरापल्लिमंडणु दुट्ठ... गा. २४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५१२. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-लोकनाथ जगतीविलोकना..., अन्त-इति दशा सुभगा जिनपद्मया... गा. ७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५१३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भन मण्डन, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'वन्दारुदेवेश सिर:किरीट..., अन्त–इत्थं स्तम्भनमण्डनः शुचिधन... गा. २४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 115 For Personal & Private Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५१४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-अधियदुपनमन्तो... गा. १२', अ., ह. विनय . प्रतिलिपि, काव्यमाला गुच्छक ७ १५१५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-षड वर्णनमय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि असमसरणीय... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५१६. पार्श्वनाथ स्तोत्र , जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-कामे वामेव शक्ति... गा. १७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २१, अभय ग्र., बीकानेर, काव्यमाला गुच्छक ७ १५१७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-जयामल श्रीफलवर्द्धिपार्श्व... गा. २१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५१८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि जीरिकापुरपतिं सदैव तं... गा. १५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५१९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-अष्टप्रातिहार्यमय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-त्वां विनुत्य महिमश्रियामहं... गा. १०', मु. प्रकरण रत्नाकर भाग- ४, पृ. २५९ १५२०. पार्श्वनाथ स्तोत्र , जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-पार्श्वनाथमनघं... 'गा. ९', अ. १५२१. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-पार्श्वप्रभुं शश्वद्कोपमानं... गा. ८', ह. विनय प्रतिलिपि, मु. प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २५१ १५२२. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीपार्श्व परमात्मानं... गा. ८', ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., जैन स्तोत्र संदोह, भाग-२ १५२३. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीपार्श्व पादानतनागराज... गा. ८', ह., विनय. प्रतिलिपि, मु., प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २५२ १५२४. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीपार्श्व: भावत: स्तौमि... गा. ९', ह., विनय. प्रतिलिपि, मु., प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. १७, मु., स्तोत्र संदोह भाग-२ १५२५. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीपार्श्व श्रेयसे भूयात्... गा. ४४', ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. १८ १५२६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीफलवर्द्धिपार्श्व... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५२७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, आदि सयलाहिवाहिजलहर... गा. ११', ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २६९ १५२८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जैसलमेर मण्डन, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, ..'आदि-सुरदानववन्दितपत्कमले... गा. ९', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर (116 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि वारिदेयं परमं विमायं... गा. ९', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर १५३०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-षड्पत्तन, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि षड्पत्तनपुटभेदनमण्डन... गा. ८', मु., जैन स्तोत्र सन्दोह भाग-२ १५३१. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-जयाश्वसेनभूपाल, अन्त-स्तोत्रोपदोपनयनादि... गा.५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १५३२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शंखेश्वर मण्डन, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, आदि जीयाः शंखेश्वरपुरसरोरुह..., अन्त–इति शंखपुरे परमेष्ठिवरः... गा.८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १५३३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तंभन मण्डन, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि नवांगीव्याख्यानोभयदेव....अन्त इत्थं श्रीस्तंभनेश प्रदलित..गा.१०.अ. ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५३४. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-पायात्पार्श्वपयोद.... गा. ९', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५३५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्वर्णगिरि, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि स्वर्णक्षोणीभृदभ्र..., अन्त–इत्थं सुविज्ञापित वर्ण्य सुवर्ण्य', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, जिनहर्ष-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १५३६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-विचारगर्भित, जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १८वीं, आदि नमिय सिरि पासजिण... गा. १९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १९०६३ १५३७. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनराजसूरि / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-आनन्दनं __समसुरमानवानां... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५३८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-महायमकमय, जिनलब्धिसूरि / जिनपद्मसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-अभिनवस्तवनं जिनपावनं..., अन्त-नवनवमविनोदात्... गा. १६', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १५३९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-चिन्तामणि, जिनलब्धिसूरि / जिनपद्मसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि यन्महिमाकृतसेकैः..., अन्त इति कृतनुतिभक्ति... गा. ९', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १५४०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-समस्यामय, जिनलब्धिसूरि / जिनपद्मसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि श्रीपार्श्वनाथं तमहं स्तवीमि..., अन्त–इत्थं योगीन्द्र चेतः कमल... गा. १३', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १५४१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भन (चक्राष्टकं ), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-चक्रे यस्य नतिः सदा किल सुरै..., अन्त-भद्राणि प्रवियोजितान्य... गा.८', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २४६ खरतरगच्छ साहित्य कोश 117 For Personal & Private Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४२. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, आदि-देवाधीशकृतानते शुभगते..., अन्त-नेन्द्रत्वं नाधिराज्यं... गा. १०', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २३६ १५४३. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-नमस्य द्गीर्वाणाधिपतिनृपति..., अन्त–अज्ञानाद्भणिति स्थिते.... गा. ३३', मु., जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. ३३ १५४४. पार्श्वनाथ स्तोत्र , जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, आदि-पायात्पार्श्वः पयोदद्युतिरुपरि..., अन्त-दृब्धं विमुग्धमतिना जिनवल्लभेन... गा. ९', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २३४ १५४५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भन, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि विनयविनमदिन्द्र..., अन्त–इति सकलदिक्कान्ताकर्णोत्पलीकृतविस्फुरत्... गा. १७', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २४२ १५४६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भन (चित्रकाव्य), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, ___ १२वीं, 'आदि-शक्तिशूलेषुमुसल..., अन्त–मदनमदस्तवदनं... गा. १०', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २४५ १५४७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भन, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि समुद्यन्तो यस्य क्रमनखमयूखा..., अन्त–इत्थं तीर्थपते पितुस्त्रिजगतः... गा. २४', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २३७ १५४८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ , जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, आदि सिरिभवणथंभणपुरे..., अन्त–सिरिपास पसिय बहुरोग... गा. ११', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २०९ १५४९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-यमकमय, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि देववर्माङ्गाजं पिष्टदुष्टाङ्गनं..., अन्त–इति जिनेश्वरसूरिनतो गुणैः... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १५५०. पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि रुचिमण्डलमण्डितदिग्वलयं... गा. १३', अ., ह. जिनहर्ष-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १५५१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-रतलाममण्डन, ज्ञानप्रमोद वा. / रत्नधीर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-आनन्दनम्रविबुधाधिप... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५५२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जैसलमेरमण्डन , ज्ञानविमलोपाध्याय / भानुमेरु उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर. २९६३२ १५५३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली , तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि जीराउलि पहु पास जिणु माणमणि..., अन्त-अच्चह वच्चह सुकय जण सिरि... गा. २४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा 118 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५५४. पार्श्वनाथ विज्ञप्तिका-जीरापल्ली, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-जीरापल्लीपार्श्वतीर्थाधिनेतर्नत्वा..., अन्त-ऊर्ध्वाधोमध्यक्षितिपति... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १५५५. पार्श्वनाथ स्तव-तारङ्गा मण्डन, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, ___'आदि-तारङ्गरङ्गदुर्गाधिप... गा. २१', अ. १५५६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-षड्पत्तनालङ्कार, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, __'आदि-रयणगब्भाइ जिणरयण..., अन्त–सिरि तरुणपह मणीधरणफणि... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १५५७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जैसलमेर मण्डन, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, ___ 'आदि-विहियामोयपमोयं... गा. २४', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० १५५८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ , तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि शीलमहोदसहोदरस्य वपुषः... गा. ११', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५५९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि श्रीलंभन-स्तम्भन-पत्तनेन्द्र श्रीपार्श्वविश्वेश्वर..., अन्त–इत्येवं तरुणप्रमोद विचित... गा. २४', अ. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, महिमाभक्ति -- बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० १५६०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भन मण्डन, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीस्तम्भन... गा. ११', मु., जैन स्तोत्र सन्दोह, भाग-२ १५६१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि ___लच्छीलीलाभवणं... गा. १६', मु., कहारयण कोश-जैन आत्मानंद सभा, भावनगर १५६२. पार्श्वनाथ १० भव स्तोत्र, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि सयलसुरासुरनमियं..., अन्त–इय कमढदप्पदलणं... गा. २७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १५६३. पार्श्वनाथ लघुस्तोत्र-जीरापल्ली, धर्मनिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, अ. १५६४. पार्श्वनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि–तवेश नामतस्त्वरा..., अन्त–विधीयतां जिनेश्वराशुं... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३७७ १५६५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-गवडीपुर मण्डन षड्भाषा, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, षड्भाषा, १८वीं, 'आदि-प्रणमति यः श्रीगौडीपार्श्व..., अन्त–स्वर्भाषा संस्कृतीया तदनु... गा. ११', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३७१, ह. विनय. प्रतिलिपि १५६६. पार्श्वनाथ स्तोत्र टीका-गवडीपुर मण्डन षड्भाषा, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, ___ संस्कृत, १८वीं, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८९३९ खरतरगच्छ साहित्य कोश 119 For Personal & Private Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६७. पार्श्वनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि प्रवरपार्श्वजिनेश्वरपत्कजे..., अन्त–गुणचनो भुवि... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३६७ १५६८. पार्श्वनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि–प्रससति ___पार्श्वेश..., अन्त–न केनापि केनापि... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३८० १५६९. पार्श्वनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि भजेऽश्वसेननन्दनं..., अन्त-समस्तदुःखनाशनं... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३६९ १५७०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-चतुरक्षरी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, आदि-भो भो भव्याः ..., अन्त-अन्यानीहं.... गा. १४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३६६ १५७१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-बृहद्, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, आदि वाञ्छितदानसुरद्रुम तुभ्यं..., अन्त-श्रीधर्मवर्द्धन पेहत... गा. १२', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३६४ १५७२. पार्श्वनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, आदि-विश्वेश्वराय भवभीति..., अन्त–इत्थं विश्वयमश्वसेन... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३६२ १५७३. पार्श्वनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि संसारवारिनिधितारक..., अन्त–स व्रीयते विजयहर्षसुखं... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली पृ. ३६१ १५७४. पार्श्वनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, आदि-सर्वश्रिया ते जिनराज राजतः..., अन्त–देवाधिकः प्रभवतो... गा. ११', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३७६ १५७५. पार्श्वनाथ स्तोत्र, नेमिचन्द्र भण्डारी / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि भवभयगहणदहण... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १५७६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्वोपज्ञ सावचूरि-यमकमय, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'मूल का आदि-समानो समानो..., अन्त–इत्थं मया परमया..., टीका का अन्त इति श्री खरतरगच्छाधिराजश्रीमच्छी श्रीजिनहंससूरि...', मु., सुमति सदन, कोटा, सम्पादक - म. विनयसागर १५७७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्वोपज्ञवृत्तिसह, पूर्णकलशगणि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-जसु सासणदेविवएसि...', मु., जैन स्तोत्र सन्दोह भाग-२ १५७८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-अष्टप्रातिहार्यमय, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-छत्रं भेर्यंशुबिम्बं प्रवरमणि..., अन्त–ताराया पंचवर्णा च सदृशी... गा. ३', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १५७९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-एकस्वरचित्र स्वोपज्ञ सावचूरि, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, गा. ७', अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर १५८०. पार्श्वनाथ स्तोत्र विनती-जीराउलिमण्डन, महीमेरु महो. / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि-जीराउलि वल्ली वारितर... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 120 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-कलिकुण्ड मण्डन, मुनिचन्द्रोपाध्याय / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-नमामि श्रीपार्श्व कलिगिरिशिराकुण्ड..., अन्त–इतिश्रीमान् पार्श्वः प्रचुर खिल... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि । १५८२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, आदि-असुरनरसुरेन्द्र... गा.८', अ. १५८३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटकमण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, ___'आदि-आनन्दभन्दकुमुदाकरपूर्णचन्द्र... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १५८४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-कस्तूरिका कुवलयालि... गा. १५', अ., ह. अभयसिंह - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १५८५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ (चिन्तामणि गर्भित), मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-नयपुरी फलवर्द्धिविशेषक... गा. ९', अ. १५८६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-कलिकुण्ड मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १५वीं, 'आदि-नमिरसुर... गा. ५', अ. १५८७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटक मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, ___ १५वीं, 'आदि–पार्श्वप्रभुं कपिलपाटककल्पवृक्षं... गा. ८', अ. १५८८. पार्श्वनाथ स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि महामणिकरण्डं व्याधिसिन्धौ तरण्ड... गा. ८', अ. १५८९. पार्श्वनाथ स्तव, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि शेषराजफणराजिराजि... गा.७', अ. १५९०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटक मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-श्रीकल्पपाटकरहेटकभूवतंसं... गा. १८', अ. १५९१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली समसंस्कृत प्राकृत, स्तोत्र, संस्कृत-प्राकृत, आदि-श्रीजीराउल्लीपुरी मेरुदरी धरणी, अन्त-नानादेशनिवेशसंघसमुदाय... गा. ९', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि - पार्श्वचन्द्रगच्छ भं.,खम्भात, पृ. ४३०-४३१ १५९२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटक मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-सकलमङ्गलकेलिविधायकं... गा. ८', अ. १५९३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, ___ १५वीं, 'आदि-सप्रभावमतिभावनिवेशं... गा. १०', अ. १५९४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जीरापल्ली मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४३२, 'आदि-समरवि त्रिभुवन..., अन्त–चउदइ बत्रीसई संवति... गा. ३०', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ४२० खरतरगच्छ साहित्य कोश 121 For Personal & Private Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५९५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-करहेटक मण्डन, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, ___ १५वीं, 'आदि-सर्वकामितविधायक पार्श्व ... गा. ९', अ. १५९६. पार्श्वनाथ स्तोत्र, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'गा. १७', अ. १५९७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-जैसलमेर मण्डन, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'गा. ५', अ. १५९८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'गा. ८', अ. १५९९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'गा. ५', अ. १६००. पार्श्वनाथ स्तोत्र-बहुविधछन्द, राजशेखराचार्य / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, आदि कमठासुरमाणगिरिदपविं..., अन्त-सिरिआससेननरेसरजाओ... गा. १०, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, हर्षचन्द्रसूरि - पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३४-४३५ १६०१. पार्श्वनाथ स्तोत्र , राजशेखराचार्य / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, आदि-जो आससेण कुलखीरसमुद्दचंदो..., अन्त-इत्थं कम्मगिरिंदचूरणपवीं... गा. ८', अ. १६०२. पार्श्वनाथ स्तोत्र, राजशेखराचार्य / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-धारइ भुअंगाहिओ... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १६०३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-सटीक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १६०४. पार्श्वनाथ स्तोत्र , रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-जय जय जिनतारक... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२३) १६०५. पार्श्वनाथ स्तोत्र, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि सदानीलगात्रं..., अन्त–वल्लभः सर्वदा स्यात्... गा.७', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५८२७ १६०६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-नवग्रहगर्भित, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७३८ बीकानेर, अ. १६०७. पार्श्वनाथ स्तोत्र, लब्धिनिधानोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि सदारुवन्दारु... गा. २१', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १६०८. पार्श्वनाथ विज्ञप्ति स्तोत्र-जीरापल्ली मण्डन, विजयतिलकोपाध्याय / विनयप्रभ उ०, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि–महानन्दकल्याणवल्ली वसंता... गा. १०', अ. १६०९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-गवडीपुर मण्डन, विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, ‘गा. २४', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १६१०. पार्श्वनाथ स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-किं कर्पूरमयं... गा. १०', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर 122 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६११. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १५वीं, 'आदि चित्तबहुलाइ चविउं... गा. ३', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह लावण्य कीर्त्ति लिखित गुटका १६१२. पार्श्वनाथ स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि तमालतालीवनराजिनीलं..., अन्त–इत्थं निर्जरखेचरक्षितिधर स्तोमाभिराम... गा. ९', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १६१३. पार्श्वनाथ स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि सदसि दशशताक्षः... गा. ११', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि १६१४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-सटीक, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. स्वकृत अविदपदशतार्थी १६१५. पार्श्वनाथ स्तोत्र, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि-यक: संसाराम्भोनिधि... गा. ४४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२, विनय. प्रतिलिपि १६१६. पार्श्वनाथ स्तोत्र ( अध्यात्म चत्वारिशिका), शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'गा. ४५', अ., ह. बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़, विनय. प्रतिलिपि १६१७. पार्श्वनाथ स्तोत्र, शिवसुन्दरोपाध्याय / क्षेमराज उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'आदि वरसंवरसंवरसं', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९४८ । १६१८. पार्श्वनाथ स्तोत्र, शिवसुन्दरोपाध्याय / क्षेमराज उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'आदि शान्तानम्रोकरक्षा... गा. ५', मु., जैन स्तोत्र सन्दोह, भाग-२ १६१९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-तिमरीपुर मण्डन, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रीपार्श्वनाथजिनहंतम, अन्त–इत्थं श्रीपार्श्वनाथः... गा. १२', मु., अनुसंधान अंक २८, अहमदाबाद १६२०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-यमकमय, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं 'आदि-जिनवरेन्द्रवरेन्द्रकृतस्तुते..., अन्त–इत्थं स्तुतो यो यमकस्तवेन... गा १४', मु., अनुसंधान अंक २८, अहमदाबाद १६२१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-अष्टोत्तरशतनाम, समयराजोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'गा. १६', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर १६२२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु (काव्यद्वयर्थ अमीझरा), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९१ १६२३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु (श्रूषमय चिन्तामणि), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-उपोपेततपोलक्ष्म्या...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.१८८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 123 For Personal & Private Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२४. पार्श्वनाथ स्तोत्र-शृङ्गाटकबन्ध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-कमनकन्दनिकन्दनकर्मदं..., अन्त–इति पार्श्वजिनेश्वरमीश्वर... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९३ । १६२५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-बृहद् समस्यामय, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-त्वद्भामण्डलभास्करे स्फुटतरे... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.६१९ १६२६. पार्श्वनाथ स्तोत्र-स्तम्भतीर्थ, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, 'आदि-नमिरसुरासुरखयरराय... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५४ १६२७. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु (यमकबद्ध), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, 'आदि-परमपासपहू महिमालयं... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६१८ १६२८. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु (यमकबद्ध), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि–पार्श्वप्रभुं केवलभासमानं... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८७ १६२९. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि प्रकृत्यापि विना नाथ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८६ १६३०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-यमकबन्ध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-प्रणत मानवमानवमानवं... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९२ । १६३१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-लघु( शृङ्खलामय), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, __१७वीं, 'आदि-प्रणमामि जिनं कमलासदनं... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८९ १६३२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-ईर्यापथिकी मिथ्यादुष्कृत विचार गर्भित, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, 'आदि-भणुया तिसय तिडुत्तर... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८५ १६३३. पार्श्वनाथ स्तोत्र-अष्टक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, राजस्थानी-संस्कृत, १७वीं, 'आदि-भलूं आज भेट्युं प्रभो पादपा... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९६ १६३४. पार्श्वनाथ स्तोत्र, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत-प्राकृत, १७वीं, 'आदि-लसण्णाणविन्नाणसन्नाणगेहं... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८२ १६३५. पार्श्वनाथ स्तोत्र-हारबन्ध चल च्छृड्लागर्भित, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-वन्दामहे वरमतं कृतसातजातं... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९४ 124 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६३६. पार्श्वनाथ स्तोत्र - लघु ( यमकबद्ध), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-विज्ञानविज्ञान नुवन्ति के त्वां...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२१ १६३७. पार्श्वनाथ स्तोत्र, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि– वृषभधुरन्धर उद्योतनवर... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८४ १६३८. पार्श्वनाथ स्तोत्र - लघु शंखेश्वर मण्डन, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रीशंखेश्वरमण्डनहीरं... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९० १६३९. पार्श्वनाथ स्तोत्र, सर्वदेवसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-नीलुप्पलपहदेहो फणिंदफणमणि... गा. ८, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा स्तोत्र, १६४०. पार्श्वनाथ स्तोत्र ( चतुःषष्टि दल कमलबद्ध ), सहजकीर्त्तिगणि / रत्नहर्ष उ०, संस्कृत, १३वीं, 'आदि - परममंगलराजित संचरं... गा. १७, अ., ह. विनय प्रतिलपि, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १६४१. पार्श्वनाथ स्तोत्र ( द्वात्रिंशद्दल कमलबद्ध), सहजकीर्त्तिगणि / रत्नहर्ष उ०, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, 'आदि-श्रीपार्श्वजिनेश्वर प्रणमउ धरि ... गा. ९', अ., ह. विनय प्रतिलिपि १६४२. पार्श्वनाथ स्तोत्र ( शतदलकमलगर्भित चित्रकाव्य), सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६७५, ‘आदि-श्रीनिवासं सुरश्रेणिसेव्यक्रमं ..., अन्त-इत्थं पार्श्वजिनेश्वरो ...', मु., खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रह १३३५ १६४३. पार्श्वनाथ स्तोत्र - जैसलमेर मण्डन, साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६८३, अ., ह. दिगम्बर ज्ञान भं., उदयपुर १६४४. पार्श्वनाथ स्तोत्र - नागद्रह, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'आदि- महिमावलि - मञ्जुलमणिकरण्ड... गा. ७', अ. ह. विनय प्रतिलिपि १६४५. पार्श्वनाथ स्तोत्र - जयराजपुरीश, सिद्धान्तरुचि महो० / जिनभद्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, ‘आदि-शश्वच्छासनवैरिदानववधूवैधव्यदानोद्गतं... गा. १७', मु., जैन स्तोत्र सन्दोह, भाग - २ १६४६. पार्श्वनाथ स्तोत्र- गौडी, सुमतिरङ्ग वा / चन्द्रकीर्त्तिगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. गायकवाड़ ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा १६४७. पार्श्वनाथ स्तोत्र - अष्टोत्तरशतनाम, सुमतिसिन्धुरगणि / मतिकीर्त्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७०३, अ., ह. मोहनलाल दलीचन्द देशाई संग्रह १६४८. पार्श्वनाथ स्तोत्र- अष्टोत्तरशतनाम, सुमतिसुन्दरोपाध्याय / धर्मनिधान उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'गा. १७', अ. १६४९. पार्श्वनाथ स्तोत्र स्वोपज्ञ टीका - फलवर्द्धिमण्डन, सूरचन्द्रोपाध्याय / चारित्रोदय उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-नत्वा सरस्वतीं देवीं .... , अन्त - वाचनाचार्यश्रीचारित्रोदयपादपद्म...', मु., स्तोत्ररत्नाकरद्वितीयभागः सटीक, प्रकाशक- श्री यशोविजयजैनसंस्कृत पाठशाला, मैसाणा खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 125 Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६५०. पार्श्वनाथ स्तोत्र-फलवर्द्धिमण्डन, सूरचन्द्रोपाध्याय / चारित्रोदय उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रेयोमयं ही बलमालमालमा..., अन्त-एवं पार्श्वजिनेश्वर सुयमकै...', मु., स्तोत्ररत्नाकरद्वितीयभागः सटीकः, प्रकाशक-श्री यशोविजयजैनसंस्कृत पाठशाला, मैसाणा १६५१. पार्श्वनाथ स्तोत्र-यमकमय, सोमकीर्तिगणि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि अभिनवस्तवनं जिनपावनं..., अन्त–नवनवन विनोदात् पार्श्वनाथ प्रमोदात्... गा. १६', अ. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १६५२. पार्श्वनाथ स्तोत्र-गुप्तक्रिया, हेमभूषणगणि ( हेमशेखर) / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-वर्माङ्गजं जिनपतिं गुप्त..., अन्त–गुप्तागुप्ति क्रिया मिति... गा. ९', अ., विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि १६५३. पार्श्वभक्तामर स्तोत्र-भक्तामर पादपूर्ति, विनयलाभोपाध्याय / विनयप्रमोदगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ. १६५४. पिङ्गलशिरोमणि, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, छन्दशास्त्र, राजस्थानी, १७वीं जैसलमेर, 'आदि-गणपति सरसति देह गुण शंकर सदा सुहाइ..., अन्त–रावल माल सुपाटपति तास कुंवर हरिराज कुशललाभ कवि वरणव्यो...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., परम्परा अंक १३ राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी १६५५. पिण्डकद्वात्रिंशिका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १४वीं, अ., ह. ज्ञान भं. पालणपुर १६५६. पिण्डविशुद्धिप्रकरण, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, आदि देविंदविंदवंदियपयार..., अन्त–इच्चेयं जिणवल्हेण गणिणा...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २३ १६५७. पिण्डालोचनप्रायश्चितविधानप्रकरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, विधि, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-कय पवयणप्पणामो..., अन्त-जंकिचि इत्थणुच्चियं...', अ., ह. ज्ञान भं., पालणपुर १६५८. पुञ्जाऋषि रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९८, आदि-श्री महावीर ना पाय...., अन्त–संवत सोल अठाणुअइ...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५५५ १६५९. पुण्डरीक कण्डरीक सन्धि, राजसार / धर्मसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०३ अहमदाबाद. अ.. ह. अभय ग्र..बीकानेर, हरिसागरसरि ज्ञान भं..पालीताणा १६६०. पुष्पमाला प्रकरण ( उपदेशमाला, हेमचन्द्रीय ) टीका, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि उ०, प्रकरण, संस्कृत, १५१२, 'आदि-जयति जगदेकभानुः..., अन्त–नित्यसुखार्थिभिः...', मु., ऋषभदेव केसरीमल जैन श्वे० संस्था, रतलाम, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३०४८,१३२७६ १६६१. पुष्पमाला प्रकरण बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १५२२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर 126 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६२. पुष्पाञ्जलि स्तोत्र, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदिकेवललोकितलोकालोक... गा. ९', अ., ह. विनय प्रतिलिपि १६६३. पुण्यदत्त सुभद्रा चौपई, पूर्णप्रभगणि / शान्तिकुशलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७८६ धरणावास, ' आदि - पुरिसादानी पास जिण..., अन्त - सीलतरंगणी ग्रंथिथीश्ये...', अ., ह. अनन्तनाथ ज्ञान भं., बम्बई १६६४. पुण्यपाल श्रेष्ठि चौपई, क्षेमहर्षगणि / विशालकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०४, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., सिरोही १६६५. पुण्यरङ्ग चौपई, लब्धिसागर / जयनन्दन जिनरङ्गीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७६४, ' आदि - श्री रिसहेसर प्रथम जिन..., अन्त- सोहम सामी परंपरा रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १६६६. पुण्यविलास रास, आलमचन्द / आसकरण, रास चौपई, राजस्थानी, १८३७ अजीमगंज, अ. १६६७. पुण्यसागर महो० गुरु गीतम्, हर्षकुलगणि / पुण्यसागर उ०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रीजगगुरु पय वंदीयइ..., अन्त - श्रीजिनहंस सूरिसरइ...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ५७ १६६८. पुण्यसार कथानक, विवेकसमुद्रोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, चरित्र, संस्कृत, १३३४ जैसलमेर, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं, पालीताणा १६६९. पुण्यसार चौपई, लक्ष्मीप्रभोपाध्याय / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ. १६७०. पुण्यसार रास, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोद उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६६ सांगानेर, ' आदि - नाभिराय नंदन नमुं..., अन्त-शांति जिणेसर चरित्र थकी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ४०५, ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि १६७१. पुण्यसार रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७३, 'आदि- समरूं श्री सरसत्ति..., अन्त-सुर सुख भोगवि नइ सही सुणी सेठ अपार...', मु. समयसुन्दर रास पंचक, ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १६७२. पुद्गलषट्त्रिंशिका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर १६७३. पुरन्दर चौपई, रत्नविमल / कनकसागर, रास चौपई, राजस्थानी, १८२७, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १६७४. पुरुषोदय धवल, लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. तेरापंथी सभा, सरदारशहर १६७५. पूजा - अन्तराय कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०१३ फलौदी पार्श्वनाथ, 'आदि-भवजल तिरना हो यदि..., अन्त - पायो पायो रे धर मन शासन जैन सवायो रे...', मु., जैन पूजा संग्रह, कलकत्ता खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 127 Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६७६. पूजा - अष्टप्रकारी पूजा, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द उ०, पूजा, राजस्थानी-संस्कृत, १८वीं, 'आदि-गंगामागध क्षीनिधि..., अन्त-तद्वत् श्रावकवर्ग एष विधिना...', मु., जिन पूजा महोदधि १६७७. पूजा - अष्टप्रवचनमाता पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनचन्द) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९४० बीकानेर, 'आदि-सुख सम्पद कारक सदा..., अन्त-निरख निरख गुण गाया हो प्रभु थारा...', मु., जिन पूजा महादधि १६७८. पूजा - अष्टापद पूजा, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान, पूजा, हिन्दी, २०वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३८२ १६७९. पूजा - अष्टोत्तरी स्नात्र विधि, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, पूजा, संस्कृत, १७वीं लाहौर, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४, १९३४ १६८०. पूजा - आदिनाथ पञ्चकल्याण पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४६ जयपुर, 'आदि-आदिनाथ प्रभु से हुई..., अन्त–छायो छायो रे घर-घर में...', मु. पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १६८१. पूजा - आबू पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनचन्द)/ धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९४० बीकानेर, 'आदि-श्रीजिनवर आराधिये..., अन्त-गिरींद जस आज मै गायो...', मु., जिन पूजा महादधि १६८२. पूजा -आयुष्य कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, आदि-जीवन कारागार सा..., अन्त–चतुर्गति दुःख फल हरणी...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १६८३. पूजा - इक्कीसप्रकारी पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, राजस्थानी, १८९५ बनारस, 'आदि-श्रीजिनवरप्रणमुंसदा..., अन्त–सुणोभविकसुजान जिनपूजोचित्तलायरे...', अ., विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १६८४. पूजा - इक्कीसप्रकारी पूजा, देवचन्द्रोपाध्याय ? / दीपचन्द्र उ०, पूजा, राजस्थानी, १८२३, 'आदि-स्वस्तिश्री सुख पूरवा..., अन्त–इगवीश श्रावकगुणवनें...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा १६८५. पूजा - इक्कीसप्रकारी पूजा, शिवचन्द्रोपाध्याय / समयसुन्दर, पूजा, राजस्थानी, १८६७, 'आदि–मङ्गल हरिचंदन रुचिर..., अन्त–अहो गुण गावे प्रभुजीको...', मु., जिन पूजा महोदधि, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९६९१ १६८६. पूजा - ऋषिमण्डल २४ जिन पूजा, शिवचन्द्रोपाध्याय / समयसुन्दर उ०, पूजा, राजस्थानी, १८७९ जयपुर, 'आदि-प्रणमी श्रीपारस विमल..., अन्त-चरम वीर जिनराया...', मु., जिन पूजा महोदधि १६८७. पूजा - एकादश अङ्ग पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, हिन्दी, १८९५, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता 128 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८८. पूजा - एकादश गणधर पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९५५ बीकानेर, आदि-इन्द्रभुति आदे नमुं..., अन्त-आज सुगुरुराज गुण आयो...', मु., जिन पूजा महादधि १६८९. पूजा - गिरनार पूजा, जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पूजा, हिन्दी, १९७२ बम्बई, 'आदि-स्वस्ति श्री मङ्गल करण..., अन्त–प्रभुजी को सुयश अम्बर...', मु., पूजा संग्रह, कलकत्ता १६९०. पूजा - गिरनार पूजा, सुममिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, २०वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३८० १६९१. पूजा - गौत्र कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, आदि-रस जीवन अमृत कहै..., अन्त-पुण्य फल ऊँचा होता जी...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १६९२. पूजा - गौतममणधर पूजा, सुममिमण्डन उ० ( सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, राजस्थानी, २०वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३८० १६९३. पूजा - ग्यारह अभिषेक ग्यारह पूजा, धर्मचन्द्र, पूजा, हिन्दी, १८९६, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १६९४. पूजा - चौदह पूर्व पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, हिन्दी, १८९५, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता १६९५. पूजा - चौदह राजलोक पूजा, सुममिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९५३ बीकानेर, 'आदि–पय प्रणमी जिनराजना..., अन्त–इण विध पूजन करीये मु., जिन पूजा महोदधि १६९६. पूजा - चौबीस जिन पूजा, जिनचन्द्रसूरि / जिनयशोभद्रसूरि, पूजा, हिन्दी, १९वीं माण्डवी कच्छ, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १६९७. पूजा - जम्बूद्वीप पूजा, सुममिमण्डन उ० (सुगनजी)/ धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९५८ बीकानेर, 'आदि-सुख सुपत दायक सदा..., अन्त–आज आनंद बधाई महारे माई...', मु., जिन पूजा महोदधि १६९८. पूजा - जिनकुशलसूरि पूजा, जिनहिरसागरसूरि / भगवानसागर, पूजा, हिन्दी, १९९४ बीकानेर, 'आदि-ॐ अर्ह गुरुदेव पद..., अन्त-गुरु तुम्हें तैया तिरानी पड़ेगी.... हरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट १६९९. पूजा - जिनकुशलसूरि अष्टप्रकारी पूजा, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, पूजा, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-गंगा जल तिम निर्मल वलि..., अन्त–इक श्री जिनकुशलसूरिंदनै...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २७९, अ. अभय ग्र., बीकानेर १७००. पूजा - जिनदत्तसूरि पूजा, जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागर, पूजा, हिन्दी, १९८९ हाथरस, 'आदि-ॐ अहँ ध्याउं धुरे..., अन्त–गुरुदेव श्रीजिनदत्त की नित...', मु., जिनहरिसागरसरि ग्रन्थमाला, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट खरतरगच्छ साहित्य कोश 129 For Personal & Private Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७०१. पूजा - ज्ञानावरणीय कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, आदि-ॐ अर्जी परमात्मा..., अन्त-आतमा शिवफल पावे...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १७०२. पूजा - दर्शनावरणीय कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरूसरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-वस्तु तत्त्व सामान्य का..., अन्त-म्हारे जीवन को आधार...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १७०३. पूजा - दादाजी अष्टप्रकारी पूजा, जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पूजा, संस्कृत-हिन्दी, १८५३, आदि-स्मृत्वा गुरुपदाम्भोजं...', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५५० १७०४. पूजा - दादाजी अष्टप्रकारी पूजा, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, पूजा, संस्कृत-हिन्दी, १८५३, आदि-स्मृत्वा गुरुपदाम्भोज...', मु. जिन पूजा महोदधि १७०५. पूजा - दादाजी की पूजा, म० ऋद्धिसार (रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, पूजा, हिन्दी, १९५३ बीकानेर, आदि-ईश्वर जग चिन्तामणि...', मु., जिन पूजा महोदधि, दादागुरु भजनावली, पृ.५३५ १७०६. पूजा - ध्वज पूजा, पूजा, हिन्दी, १९वीं, अ. १७०७. पूजा - नन्दीश्वर द्वीप पूजा, जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पूजा, संस्कृत, १९वीं, 'आदि ___ दिशिश्रीपूर्वस्यांम..., अन्त-युगवरा:श्रीकरा...', मु., जिन पूजा महोदधि १७०८. पूजा - नन्दीश्वर द्वीप पूजा, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पूजा, राजस्थानी, १८७६ जयपुर, आदि-स्वस्तिश्री सुखकरण धन..., अन्त–पूरव दिशि अंजनगिरी...', मु., जिन पूजा महोदधि १७०९. पूजा - नवपद पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, राजस्थानी, २०वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ.३३६ १७१०. पूजा - नवपद पूजा, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, पूजा, राजस्थानी, १८७१ बीकानेर, 'आदि–च्यार धातिया क्षय करी..., अन्त–संवत निश्चयनय भय तिम वलि...', मु., ज्ञानसागर ग्रन्थावली, पृ. ४२३ १७११. पूजा - नवपद पूजा उल्लाला, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, पूजा, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-तीरथपति अरिहा नमुं..., अन्त-इय सयल सुखकर...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा १७१२. पूजा - नवपद लघुपूजा, लालचन्द्रगणि / रत्नकुशल वा., पूजा, प्राकृत-राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-उपन्न सन्नाणमहोमयाणं...', मु., जिन पूजा महोदधि १७१३. पूजा - नवाणुंप्रकारी पूजा, अमरसिन्धुर वा. / जयसार उ०, पूजा, राजस्थानी, १८८८ बम्बई, 'आदि-स्वस्ति श्री दायक सदा..., अन्त–जात्र सेजानी कीजे...', मु., जिन पूजा महोदधि 130 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७१४. पूजा - नाम कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरूसरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-तीरथ जल से जो करे..., अन्त-सुख दुख फल संसार में रे...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १७१५. पूजा - नेमिनाथ पञ्चकल्याण पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४६ जयपुर, 'आदि-ऊँ अर्ह अर्ह नमो..., अन्त–पायो पायो रे जिन शासन वीर सवायो...', मु. पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७१६. पूजा - पञ्च कल्याणक पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, हिन्दी-संस्कृत, १८८९ कलकत्ता, 'आदि-पञ्च कल्याणक जिनतणा..., अन्त-भविजन शुभ भाव भक्ति...', अ., ह. कुशलचन्द्र पुस्तकालय, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि १७१७. पूजा - पञ्च कल्याणक पूजा, बालचन्द्रोपाध्याय (विजयविमल) / अमृतसमुद्रगणि, पूजा, राजस्थानी, १९१३ बीकानेर, 'आदि-ज्योति रूप जगदीशनु..., अन्त–तेज जरणि समराजे...', मु., जिन पूजा महोदधि १७१८. पूजा - पञ्च ज्ञान पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, हिन्दी, १९वीं, 'आदि स्वस्तिश्रीकेलिसदन..., अन्त–केवल नाण उदार यांते आनंद....', मु., जिन पूजा महोदधि, ह. विनय. प्रतिलिपि १७१९. पूजा - पञ्च ज्ञान पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९४० बीकानेर, आदि-वर्धमान जिनचन्द कुं..., अन्त-असरण सरण कहायो...', मु. जिन पूजा महादधि १७२०. पूजा - पञ्च परमेष्ठि पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९५३ बीकानेर, आदि-ऊंकार बीज आदै नमुं..., अन्त–चंगीमे चंगी कोन जगतकी मोहनी...', मु., जिन पूजा महोदधि १७२१. पूजा - पूजा पंचाशिका बालावबोध ( मूल-शुभशीलगणि), जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, पूजा, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण, खजांची संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६३७ १७२२. पूजा - पार्श्वनाथ पञ्चकल्याणक पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०१३ फलौदी पार्श्वनाथ, 'ऊँ अर्ह ज्योर्तिमइ..., अन्त–पारस हम गुण पायो..', मु., जैन पूजा संग्रह, कलकत्ता १७२३. पूजा - पैंतालीस आगम पूजा, म० ऋद्धिसार ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, पूजा, हिन्दी, १९३० बीकानेर, 'आदि-वर्द्धमान जिनवर नमुं..., अन्त–आज अधिक दिन छाजे...', मु. जिन पूजा महोदधि १७२४. पूजा - बारहव्रत पूजा, कपूरचन्द उ० / कुशलसार उ०, पूजा, राजस्थानी, १९३६ बीकानेर, 'आदि-व्रत बाहरे आदर करे..., अन्त–हां हो यशधारा प्रभु...', मु., जिन पूजा महोदधि 131 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२५. पूजा - बारहव्रत पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४७ नाकोड़ा, आदि-नाकोड़ा पारस नमो..., अन्त-गायो गायो रे बारह व्रत महिमा गायो...', मु., पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७२६. पूजा - ब्रह्मचर्य व्रत पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकांतिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४७ मोकलसर, 'आदि-पार्श्वनाथ नरनाथ को..., अन्त-गायो गायो रे गायो गायो रे व्रत ब्रह्मचर्य गुण गायो...', मु., पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७२७. पूजा - मणिधारी जिनचन्द्रसूरि पूजा, जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागर, पूजा, हिन्दी, १९९८ मोकलसर, 'आदि-ॐ अर्ह जिनचन्द्रवर..., अन्त–श्रीमणिधारी महाराज...', मु., जिनहरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट १७२८. पूजा - महावीरषट्कल्याणक पूजा, विनयसागर उ० / जिनमणिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०१२ महासमुंद, 'आदि-सिद्ध बुद्ध शिवकर विभो..., अन्त-महावीर जिनवर की पूजा है सुखकारी...', मु. सुमति सदन, कोटा १७२९. पूजा - महावीरस्वामी पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०१२ बीकानेर, 'आदि-ऊँ अर्ह ज्योर्तिमइ..., अन्त-प्रभुजी आप शरण हम आए...', मु., जैन पूजा संग्रह, कलकत्ता १७३०. पूजा - मोहनीय कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-मोह महावलवान है..., अन्त–यो मोह करम बलवान...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १७३१. पूजा - युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि पूजा, जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागर, पूजा, हिन्दी, १९९८ मोकलसर, 'आदि-ॐ अर्ह गुरुदेव है..., अन्त-पूजो जग जयकारी गुरु है...' मु., जिनहरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट १७३२. पूजा - रत्नत्रय आराधना पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०१२ बीकानेर, 'आदि-सुख सागर भगवान जिन..., अन्त–तीन रतन ले धार तुं मनवा..., मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १७३३. पूजा - वास्तुक पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४६ जयपुर, 'आदि-स्वस्ति श्री अर्ह नतो..., अन्त-ॐ जय शांति नाथा स्वामी...', मु., पूजन सुधा पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७३४. पूजा - वीस विहरमान पूजा, म० ऋद्धिसार (रामलाल) / कुशलनिधान उ०, पूजा, हिन्दी, १९४४ भागनगर (हैदराबाद), 'आदि-प्रणमी श्री जिन शान्तिकर..., अन्त-जगपति विहरमान जिनराजै...', मु., जिन पूजा महोदधि १७३५. पूजा - वीस स्थानक पूजा, जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, पूजा, राजस्थानी, १८७१ बालूचर, 'आदि-सुखसम्पति दायक सदा..., अन्त-ए वीसस्थानक भुवनवंदन...', मु., जिन पूजा महोदधि 132 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७३६. पूजा - वीस स्थानक पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४७ नाकोड़ा, 'आदि-सुखसागर जिनपति नमो..., अन्त-गायो गायो रे गायो गायो रे रे रस जिनवाणी बरसायो...', मु., पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७३७. पूजा - वीस स्थानक पूजा, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पूजा, राजस्थानी, १८७१ ____ अजीमगंज, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३०६ १७३८. पूजा - वेदनीय कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-सुख दुख इस संसार में..., अन्त-पूजन कर पाओ...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १७३९. पूजा - शासनपति पूजा, चतुरसागर / जिनकृपाचन्द्रसूरि, पूजा, हिन्दी, १९७०, 'आदि सरस्वती जगदीश्वरी..., अन्त–नाथ तेरे चरणकमल पर वारी...', मु., जैन रत्नसार १७४०. पूजा - शान्तिनाथ पञ्चकल्याण पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकांतिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४६ जयपुर, 'आदि-शांतिनाथ प्रभु सोलवां..., अन्त-गायो गायो रे जिन शासन...', मु., पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७४१. पूजा - श्रुतज्ञान पूजा, राजसोमोपाध्याय / तिलकधीर उ०, पूजा, राजस्थानी, १९वीं, अ. १७४२. पूजा - संघ पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९६१ बीकानेर, 'आदि-संघ चतुर्विध वंदियै..., अन्त-भवि तुम पूज करौ हितकारी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३७९ ।। १७४३. पूजा - सतरह भेदी पूजा, चिदानन्द (कपूरचंद) / चुन्नीजी, पूजा, हिन्दी, २०वीं उज्जैन, अ. १७४४. पूजा - सतरह भेदी पूजा, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., पूजा, राजस्थानी, १६१८ खम्भात, अ., ह. उदयचन्द संग्रह, जोधपुर, अभय ग्र., बीकानेर १७४५. पूजा - सतरह भेदीपूजा, जिनगुणप्रभसूरि शिष्य / जिनमेरुसूरि बेगड़, पूजा, राजस्थानी, १७वीं, 'आदीजिन पमुह... ३५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ १७४६. पूजा - सतरह भेदीपूजा, जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पूजा, राजस्थानी, १७१८ प्रारम्भ, पूर्ण सूरत, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर गुटका, नं. ४१५ १७४७. पूजा - सतरह भेदीपूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४७ पादरु, 'आदि-वीर जिनेश्वर साहिबा..., अन्त-गायो गायो रे गायो गायो रे...', मु., पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७४८. पूजा - सतरह भेदीपूजा, वीरविजय / तेजसारगणि, पूजा, राजस्थानी, १६५३ राजधान्यपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७४९. पूजा - सतरह भेदीपूजा, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, पूजा, राजस्थानी, १६१८ पाटण, आदि-भाव भले भगवन्तनी..., अन्त-भवि तुं भण गुण...', मु., जिन पूजा महोदधि खरतरगच्छ साहित्य कोश 133 For Personal & Private Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७५०. पूजा - समवसरण पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, राजस्थानी, १९१...खम्भात, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता १७५१. पूजा - सम्मेतशिखर पूजा, बालचन्द्रोपाध्याय (विजयविमल)/ अमृतसमुद्र उ०, पूजा, राजस्थानी, १९०८, आदि-चोवीसे जिनवरतणा..., अन्त–शिखर गिरि तिर्थकर...', मु., जिन पूजा महादधि १७५२. पूजा - सहस्रकूट पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९४० बीकानेर, 'आदि-श्रीजिनवर प्रणमी करी..., अन्त-तेज अधिक जग गाजै...', मु., जिन पूजा महादधि १७५३. पूजा - सिद्धाचल पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९३० बीकानेर, आदि-ऋषभादिक जिनवर नमी..., अन्त–प्रभुजी की पूजरचीसुखकाजै...', मु., जिन पूजा महादधि १७५४. पूजा - स्नात्र पूजा, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, पूजा, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि चउतीसे अतिसय जुओ..., अन्त-इम पूजो भगतें करो...', मु., जिन पूजा महोदधि १७५५. पूजा - पूजा स्नात्रविधि, कुमारगणि / जिनेश्वरसूरि, पूजा, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर १७५६. पूजाष्टकवार्त्तिक, कमललाभोपाध्याय / अभयसुन्दर उ०, पूजा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चम्पालाल बैद संग्रह, भीनासर १७५७. पूर्वदेश चैत्यपरिपाटी, जिनवर्द्धनसूरि / जिनराजसूरि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-हियय सरोवरे धरिय गुरुराजसूरि..., अन्त-इम्म जम्मठाणई सिरि निहाणइ... गा. ३२', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर १७५८. पूरवदेश वर्णनछंद, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-केई में देख्या देश विशेषा..., अन्त-पिण रहि सहू इक बातनो...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ४३५ १७५९. पृथ्वीचन्द्र चरित्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, चरित्र, संस्कृत, १५०३ पालणपुर, अन्त ___ श्रीवीरशासनाम्भोधिः...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १७६०. पौषधविधिप्रकरण, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदि जस्सुद्धट्ठियमुल्लसिर..., अन्त–इय सुत्ताणुसारमवधारिय...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. ३५, सम्पादक - म. विनयसागर १७६१. पौषधविधिप्रकरण टीका, जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, विधि, संस्कृत, १६१७ पाटण, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १७६२. पौषधषट्त्रिंशिका, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चर्चा, प्राकृत, १६४३, आदि ___ पसरियनाणपया सं..., अन्त-जुगवरजिणचंदाणं...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत 134 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६३. पौषधषट्त्रिंशिका स्वोपज्ञ टीका, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चर्चा, संस्कृत, १६४५, आदि-जैनचन्द्र वचः स्मृत्वा..., अन्त–श्रीमत्खरतरगच्छे श्री जिनमाणिक्यसूरिगुरु...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत १७६४. प्रक्रियाकौमुदी टीका, विशालकीर्त्तिगणि / ज्ञानप्रमोद उ०, व्याकरण, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर १७६५. प्रणम्यपदसमाधान, सूरचन्द्रोपाध्याय / चरित्रोदयगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, आदि प्रणम्य परमाधीशं...', मु., अनुसंधान अंक ३३, ह. विनय. प्रतिलिपि १७६६. प्रतापसिंह समुद्रबद्ध काव्यवचनिका, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, स्तुति, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सारद श्रीधर समरकै..., अन्त-श्री संकाणी दौर कमलमें...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७६७. प्रतिक्रमण समाचारी, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, आदि-सम्मं नमिउं देविंदविंदवंदियपयं..., अन्त--इय जिणवल्लहगणिणा...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. ४६ १७६८. प्रतिक्रमणसूत्र बालावबोध, जयकीर्ति उ० / हर्षनन्दन उ०, आवश्यक, राजस्थानी, १६९३, अ., अभय ग्र., बीकानेर १७६९. प्रतिक्रमणसूत्र बालावबोध, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, आवश्यक, राजस्थानी, १७०४ जैसलमेर, 'अन्त-गच्छाधीशे महाप्राज्ञे... गा. २७००', अ., ह. हरिसागरसूरि संग्रह, पालीताणा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १७७०. प्रतिक्रमणसूत्र स्तबक, रत्नजय उ० / रत्नराजगणि, आवश्यक, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १७७१. प्रतिक्रमणसूत्र स्तबक, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, आवश्यक, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर १७७२. प्रतिक्रमणहेतु, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, राजस्थानी, १८वीं बीकानेर, 'अन्त–आवश्यकस्य वृत्त्यादेः...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर १७७३. प्रतिमापुष्पपूजासिद्धि, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, चर्चा, राजस्थानी, १८वीं, अ. १७७४. प्रतिमा रास, जयचन्द्र / कपूरचन्द्र, रास चौपई, राजस्थानी, १८७८ आगोलाई, अ., ह. महरचन्द - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १७७५. प्रतिमा स्थापना रास, शिवमन्दिर / जिनमाणिक्यसूरि राज्ये, रास चौपई, राजस्थानी, १६०५, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १७७६. प्रतिलेखनाकुलक, जिनवर्द्धनसूरि / जिनराजसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १५वीं, अ. १७७७. प्रत्याख्यानप्रमुखविचार, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चर्चा, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. जिनरत्नकोश 135 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७७८. प्रत्याख्यानस्थानविवरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, आवश्यक, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. संघ भण्डार, पाटण, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १९८० १७७९. प्रत्येकजिननामान्तर्गताक्षरद्वयरूपा चतुर्विंशति जिनस्तुति, सत्यसागर / रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'गा. २५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७८०. प्रत्येकबुद्ध चरित्र, जिनवर्द्धनसूरि / जिनराजसूरि, काव्य, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस १७८१. प्रत्येकबुद्धचरितमहाकाव्य, लक्ष्मीतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि द्वि, महाकाव्य, संस्कृत, १३११ पालणपुर, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, हंसविजय संग्रह, बड़ौदा १४२६ १७८२. प्रथम जिन स्तव, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १२वीं, 'आदि-सयलभु वणिक्कवन्धव..., अन्त–अन्नाणंधारय गुरुभववारय... गा. ३०', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २०१ १७८३. प्रदेशी चरित्र, चारित्रनन्दी / नवनिधि उ०, चरित्र, संस्कृत, १९१३ खम्भात, 'आदि श्रीनाभिभूपालकुले गभस्ति..., अन्त–भव्याब्जसद्भासन भानुरूप... गा. ३३५०', अ., पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद, विनय. प्रतिलिपि, हंसविजय संग्रह, बड़ौदा १७८४. प्रदेशी चौपई, अमरसिन्धुर वा. / जयसार वा., रास चौपई, राजस्थानी, १८९२ बम्बई, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३१५ १७८५. प्रदेशी चौपई, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि प्रणमी श्री अरिहंत पय..., अन्त–राय पसेणी बीयो उपांगथी...', अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८४३७ १७८६. प्रदेशी सन्धि, कनकविलास / कनककुमार वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७२१ बाड़मेर, ___ 'आदि-महिमण्डल महिम निलौ..., अन्त–बाहड़मेरु नगर सुख...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७८७. प्रदेशी सम्बन्ध, तिलकचन्द्र / जयरङ्ग उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४१ जालौर, 'अन्त रायपसेणी सूत्र थकी रच्यो...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १७८८. प्रद्युम्नलीलाप्रकाश, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, गद्य काव्य, संस्कृत, १८७९ जयपुर, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ३७० १७८९. प्रबोधोदयावादस्थल, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, चर्चा, संस्कृत, १३वीं, आदि स्याद्वादामृत संसिक्त..., अन्त–जिनपतिसूरिप्रबोधोदयं...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, विनय. संग्रह, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२०२३ १७९०. प्रभाकर गुणाकर चौपई, धर्मसमुद्रगणि/विवेकसिंहगणि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १५७३ अजिलाणा, 'आदि-पढम जिणवर पढम जिणवर..., अन्त–कवि कल्लोल कही ये कथा...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ५४९ 136 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७९१. प्रभु प्रार्थना, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि-त्वमेव शरणं ____ मेऽसि... गा. ९', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४९, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई १७९२. प्रभु स्तुति, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ. १७९३. प्रमाण प्रकाश, देवभद्रसूरि / प्रसन्नचन्द्राचार्य सुमतिवाचक, न्याय दर्शन, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-सन्यायनगरारम्भभूलसूत्रसनाभयः..., अन्त–अपूर्ण', मु., जैन आत्मानंद सभा, भावनगर १७९४. प्रमालक्ष्म स्वोपज्ञ टीकासह, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, दर्शन, प्राकृत-संस्कृत, ११वीं, 'मूल का अन्त छव्वाससएहिं नउत्तरेहि...', 'टीका का अन्त-अस्माभिस्तु प्रमालक्ष्तलक्षणम्...', मु. जैन ग्रन्थ प्रकाशक सभा, अहमदाबाद १७९५. प्रवचन रचनावेली, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १७९६. प्रवचन विचारसार, नयकुञ्जरोपाध्याय / जिनराजसूरि, संग्रह ग्रन्थ, संस्कृत, १५वीं, आदि श्रीशान्तिः शान्तये श्रोतु..., अन्त–तस्य समभ्यर्थनया...', अ., ह. सदागम ट्रस्ट, कोडाय १७९७. प्रवचनसारोद्धार बालावबोध, पद्ममन्दिरगणि / गुणरत्नगणि कीर्तिरत्नसूरिशाखा, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. सकलचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं., खम्भात १७९८. प्रवचनसारोद्धार बालावबोध, प्रकरण, राजस्थानी, १६५१, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १७९९. प्रवचनसारोद्धार, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६९१, अ., ह. तेरापंथी सभा, सरदारशहर १८००. प्रवचनसारोद्धार मूल एवं टीका का हिन्दी अनुवाद, हेमप्रभाश्री / अनुभवश्री, प्रकरण, हिन्दी, २०५४ पूना, 'अन्त-शासनपति महावीर जिन गणधर गौतम स्वाम...', मु. प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर १८०१. प्रवज्याविधानकुल बालावबोध, जिनेश्वरसूरि बेगड़ / जिनगुणप्रभसूरि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १८०२. प्रशस्तिः,लब्धिनिधानोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, काव्य, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं.. जैसलमेर १८०३. प्रश्नपद्धति, हरिश्चन्द्रगणि / अभयदेवसूरि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १२११ पाटण, मु., ज्ञान भं. पाटण १८०४. प्रश्नप्रबोधकाव्यालङ्कार स्वोपज्ञ टीकासह, विनयसागर उ० / सुमतिकलश, काव्य, संस्कृत, १६६७ दिल्ली, अ., ह. कान्तिविजय संग्रह, बड़ौदा, स्वयं लिखित १८०५. प्रश्नमय काव्य, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, काव्य, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-के पत्यौ सति भूषणोत्सवधरा...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३८३ १८०६. प्रश्नव्याकरण सूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, १२वीं, आदि श्रीवर्द्धमानमानम्य..., अन्त–नमः श्री वर्द्धमानाय...', मु., आगमोदय समिति, सूरत खरतरगच्छ साहित्य कोश 137 For Personal & Private Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८०७. प्रश्नोत्तर, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चर्चा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १८०८. प्रश्नोत्तर ३६, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चर्चा, राजस्थानी, १७वीं लाहौर, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १८०९. प्रश्नोत्तर १४१, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चर्चा, राजस्थानी, १७वीं लाहौर, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४५८ १८१०. प्रश्नोत्तर, जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, चर्चा, राजस्थानी, पाटण, १७६७ पाटण, अ., ह. जयचन्द्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १८११. प्रश्नोत्तर ग्रन्थ, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, चर्चा, राजस्थानी, १९वीं, अ. १८१२. प्रश्नोत्तर ग्रन्थ, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, चर्चा, राजस्थानी, १५३५, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १८१३. प्रश्नोत्तर चौपई, जिनसुन्दरसूरि बेगड़ / जिनसमुद्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६२ आगरा, 'आदि-श्री श्रुतदेव नमी करी..., अन्त–संवत सतरेसे बासठे आगरा नगर मझार...', अ.,उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ.४६२ १८१४. प्रश्नोत्तर मालिका चौपई ( पार्श्वचंद्र मत दलन चौपई), गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७३ सांगानेर, आदि-श्री पदमप्रभ पय नमी समरी सारददेवि..., अन्त–दीप्र दीवाजइ करि सोलि तिहत्तरई ए देइ श्रुत साख...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, जैन ज्ञान मंदिर, वीजापुर १८१५. प्रश्नोत्तर माला, चिदानन्द / चुन्नीजी, प्रश्नोत्तर, हिन्दी, १९०६ भावनगर, आदि-चिदानंद पदकज नमी..., अन्त-रस पूण नंद सुचंद संवत......', मु., चिदानंद कृत सर्व संग्रह भाग-२, पृ. १३२ १८१६. प्रश्नोत्तर रत्न, चारित्रनन्दी / नवनिधि, प्रश्नोत्तर, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. सदागम ट्रस्ट, कोडाय १८१७. प्रश्नोत्तररत्नमाला कल्पलतिका टीका, देवेन्द्रसूरि / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, उपदेश, संस्कृत, १४२९, आदि-श्रीनामिमूर्जिनवर..., अन्त-श्री वर्धमान जिनशासनमेरुभूषा...', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर, सकलचन्द्रसूरि - पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं., खम्भात १८१८. प्रश्नोत्तररत्नमाला लेखन प्रशस्तिः, देवमूर्ति / जिनेश्वरसूरि, ऐतिहासिक प्रशस्ति, संस्कृत, १३वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २१७ १८१९. प्रश्नोत्तररत्नमालिका बालावबोध, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, उपदेश, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर १८२०. प्रश्नोत्तररत्नमालिका स्तबक, जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, उपदेश, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. ज्ञान भं., पाटण 138 खरतरगच्छ साहित्य कोश : For Personal & Private Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२१. प्रश्नोत्तर शतक, उम्मेदचन्द्र / रामचन्द्र वाचक, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १८८४ जयपुर, 'आदि प्रणम्य तीर्थेशपदः प्रतीक्ष्यात्..., अन्त-दुर्वारविघ्नोत्कटवारणाय...', अ. वर्द्धमान भं., बीकानेर, खरतरगच्छ भण्डार, जयपुर | १८२२. प्रश्नोत्तर सार संग्रह, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. कान्तिविजय संग्रह, बड़ौदा १८२३. प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १८५१ जैसलमेर, 'आदि-श्रीसर्वज्ञं नत्वा..., अन्त-श्रीमंतो जिनभक्तिसूरिगुरवश्वान्द्रेकुले...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२७८०-८१ १८२४. प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक भाषा, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १८५३ बीकानेर, 'आदि-निष्पन्नमानन्दमयैर्निजिनाद्यैः..., अन्त-सय अढार तेपन समयै...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि १८२५. प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतककाव्यम्, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, काव्य, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-क्रमनखदशकोटी..., अन्त–किमपि यदिहाश्लिष्टं क्लिष्टं...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. ११३, एम.एस.पी.एस.जी. चे. ट्रस्ट, सम्पादक - म० विनयसागर १८२६. प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतककल्पलतिका टीका, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, काव्य, संस्कृत, १६४० बीकानेर, 'आदि-शिरसि यस्य चकासति दीपिका..., अन्त-आसीत्पुरा खरतराभिदगच्छनाथ...', अ., ह. विनय संग्रह, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९५२५, १३५५४, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, सम्पादक - म० विनयसागर १८२७. प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतककाव्य अवचूरि, कमलमन्दिर / जिनगुणप्रभसूरि, काव्य, संस्कृत, १६२७, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८२८. प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतककाव्य स्वोपज्ञ वृत्तिसह, साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्त्ति उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-प्रकटितगुणसारं भव्यसार प्रसारं..., अन्त-यदिह किमपि कांतं शृिष्टतो १विशिष्टं... गा. १६२', अ., ह. श्री हर्षचन्द्रसूरि - पार्श्वनाथचन्दगच्छ ज्ञान भं., खम्भात १८२९. प्राकृत शब्द समुच्चय, तिलकगणि, व्याकरण, संस्कृत, १५६९, अ. १८३०. प्राभातिक नामावली, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि सौभाग्यभाजनमभंगुरु... गा. १०', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, विधि मार्ग प्रपा, पृ. १२८ १८३१. प्रायाश्चित्त विधि, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, राजस्थानी, १९वीं बालूचर, 'आदि-स्मारं स्मारं जिनेन्द्रादि..., अन्त–श्रीजिनप्रभसूरीन्द्रैः...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १८३२. प्रास्ताविक अष्टोत्तरी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८८० बीकानेर, 'आदि-आतमता परमात्मा..., अन्त–इक सय नव...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १८९ खरतरगच्छ साहित्य कोश 139 For Personal & Private Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८३३. प्रियमेलक-सिंहलसुत चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, राय चौपई, राजस्थानी, १६७२ मेड़ता, 'आदि-प्रणमूं सद्गुरु पाय..., अन्त–संवत सोल बहुत्तरि समइ रे...', मु., समयसुन्दर रास पंचक १८३४. प्रेमज्योतिष, महिमोदयगणि / मतिचन्दगणि, ज्योतिष, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १८३५. फलवर्द्धिपार्श्वनाथ माहात्म्य महाकाव्य, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ. १८३६. फलवर्द्धिपार्श्वनाथ रास, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, ___ 'आदि-सुगुरु शिरोमणि मणिधारी..., अन्त-मलिय महाजन मलिरलि...', अ. बृहद् ज्ञान भं. बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७०९४ १८३७. बकनालिकेर कथानक (पंचाख्याने ), हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, कथा, संस्कृत, १६४९, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८३८. बच्छावत वंशावली , समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वंशावली, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १८३९. बत्तीसी - अक्षर बत्तीसी, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८०० आगरा, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १५३५ १८४०. बत्तीसी - अक्षर बत्तीसी, विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १८४१. बत्तीसी - उपदेश बत्तीसी, अमरविजयगणि / उदयतिलकगणि, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८०० आगरा, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८४२. बत्तीसी - उपदेश बत्तीसी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४५५ १८४३. बत्तीसी - उपदेश बत्तीसी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आतमराम सयाणे तूं..., अन्त-इस काया पाया का लाहा...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ । १८४४. बत्तीसी - उपदेश रसाल बत्तीसी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४५५ १८४५. बत्तीसी - ऋषि बत्तीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अष्टापद श्री आदि जिणंद..., अन्त-रिषी बत्तीसी जे नर गुणे...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५५ १८४६. बत्तीसी - कक्का बत्तीसी, वर्द्धमान, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७९४, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा 140 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४७. बत्तीसी - कर्म बत्तीसी, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६६९, 'आदि-करम तणी गणि अलख अगोचर..., अन्त–तास सीस पभणइ मनरंगे...', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६१ १८४८. बत्तीसी - चेतन बत्तीसी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, बत्तीसी साहित्य, हिन्दी, १७३९, आदि-चेतन चेत रे अवसर मत चुके..., अन्त–सुवचन ऐह अमीरस सरिखा...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२५० १८४९. बत्तीसी - जीभ बत्तीसी, गुणलाभ / जिनसिंहसूरि पिप्पलक, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६५७ अलवर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८५०. बत्तीसी - दीपक बत्तीसी, कीर्त्तिवर्द्धन उ० / दयारत्नगणि आद्य., बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १८५१. बत्तीसी - दूहा बत्तीसी, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १८५२. बत्तीसी - नवकार बत्तीसी, जयचन्द्र / सकलहर्ष, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७६५ बीलावास, अ., कांतिसागरजी संग्रह १८५३. बत्तीसी - परिहाँ ( अक्षर ) बत्तीसी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं , 'आदि-काया कुंभ समान... गा. ३४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ५७ १८५४. बत्तीसी - पवन बत्तीसी, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६वीं, अ., भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १८५५. बत्तीसी - पूजा बत्तीसी, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७९९ फलौदी, अ., ह. जयचन्द्रजी संग्रह, बीकानेर १८५६. बत्तीसी - पूजा बत्तीसी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८५७. बत्तीसी - पृथ्वी बत्तीसी, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वज उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १८५८. बत्तीसी - बालचन्द्र बत्तीसी, बालचन्द्रोपाध्याय / अमृतसमुद्र उ०, बत्तीसी साहित्य, ___हिन्दी, २०वीं, अ., ह. सदागम ट्रस्ट, कोडाय १८५९. बत्तीसी - भ्रमर बत्तीसी, कीर्त्तिवर्द्धन / दयारत्न आद्य., बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १८६०. बत्तीसी - मद बत्तीसी, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोद उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १६६५, अ., महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ९१४ १८६१. बत्तीसी - राज बत्तीसी, राजलाभगणि / राजहर्ष उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७३८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 141 For Personal & Private Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६२. बत्तीसी - विचार बत्तीसी, जयकुशल / ज्ञाननिधान, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७२९, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८६३. बत्तीसी - शील बत्तीसी, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सील रतन जतने करि राखउ..., अन्त-युगप्रधान जिनचंद्र यतीसर...', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११२ १८६४. बत्तीसी - शील बत्तीसी, ज्ञानकीर्त्ति / जिनराजसूरि, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ.. ह. अभय ग्र.,बीकानेर १८६५. बत्तीसी - सामायिक दोष बत्तीसी, गुणरङ्ग उ० / प्रमोदमाणिक्य उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८६६. बत्तीसी - साधु बत्तीसी, महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि, बेगड़, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, आदि-प्रणमुंसिद्ध साधक भगवंत... गा. ३२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ १८६७. बत्तीसी - सुगुण बत्तीसी, रघुपति उ० / विद्यानिधान, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुगुण बुढ़ापो आव्यो..., अन्त–सुगुणाने समझावणी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ११५८४ १८६८. बत्तीसी - हितशिक्षा बत्तीसी, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, बत्तीसी साहित्य, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ९६२ १८६९. बलिराम आनन्दसार संग्रह , लाभोदय / भुवनकीर्तिगणि, संग्रह ग्रन्थ, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद १८७०. बहुत्तरी - उत्पत्ति बहुत्तरी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, बहुत्तरी साहित्य, राजस्थानी, ___ १७वीं, आदि-उत्पत्ति जो जो आपणी...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, मु. १८७१. बहुत्तरी - जिनलब्धिसूरि बहुत्तरी, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, बहुत्तरी साहित्य, अपभ्रंश, १४वीं, अ., ह. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १८७२. बहुत्तरी - नन्द बहुत्तरी, जिनहर्षगणि (जसराज) / शान्तिहर्षगणि, बहुत्तरी साहित्य, राजस्थानी, १७१४ वीलावास, 'आदि-सबे नयर सिरि सेहरो..., अन्त–सत्तरै से चउदोतरै...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२९ १८७३. बहुत्तरी - पद बहुत्तरी, आनन्दघन, बहुत्तरी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, मु. १८७४. बहुत्तरी - पद बहुत्तरी, चिदानन्द (कपूरचन्द) / चूनीजी, बहुत्तरी साहित्य, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि–पिया परघर मत जावो रे..., अन्त-मुसाफिर रेन रही अब थोरी...', मु., चिदानंदजी कृत सर्व संग्रह भाग-१ १८७५. बहुत्तरी - रङ्ग बहुत्तरी, जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, बहुत्तरी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-लोचनपरें पलक को...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि 142 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८७६. बारह भावना सन्धि, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४६ बीकानेर, 'आदि-आदीसर जिणवर तणा..., अन्त–इणिपरि बारह भावन जाणी...', अ., अभय ग्र., बीकानेर १८७७. बारहव्रत चतुष्पदिका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १५वीं, 'गा. १९', अ., ह. जयचन्द्र संग्रह, बीकानेर १८७८. बारहव्रत चौपई, रास चौपई, अपभ्रंश, 'आदि-वंदिवि वीरु भविय निपुण हु..., अन्त-बारहव्रत श्रावक संभलउ... गा. १८', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२१ १८७९. बारहव्रत चौपई, धर्मसुन्दर उ० / साधुरङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६२०, 'आदि पणमवि वीर जिणंदचंद..., अन्त–खरतरगच्छि रे श्रीजिनचंद्रसूरीसरु... गा. २१', अ., अभय ग्र., बीकानेर १८८०. बारहव्रत की टीप, हर्षकल्याण / प्रीतिमन्दिर, विधि, हिन्दी, १९२०, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, स्वयं लि. १८८१. बारहव्रत टिप्पण, अमृतसुन्दरोपाध्याय / माणिक्यमूर्ति उ०, विधि, राजस्थानी, १८७३, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १८८२. बारहव्रत टिप्पण, मेघ / जिनमाणिक्यसूरि, विधि, राजस्थानी, १६०९, अ. १८८३. बारहव्रत टिप्पण, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, विधि, राजस्थानी, १६८८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८८४. बारहव्रत रास, आनन्दकीर्त्ति / हेममन्दिरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८०, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा १८८५. बारहव्रत रास , कमलसोमगणि / धर्मसुन्दर वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६२० सारङ्गपुर, 'आदि-पणमवि वीर जिणिंद चंद..., अन्त–खरतर गच्छिरे श्री जिनचंद्र सूरीसरु...', अ., अभय ग्र., बीकानेर, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १८८६. बारहव्रत रास , गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५५, आदि जिनह चउवीसना पाय प्रणमी करी..., अन्त-श्री खरतर गछि गयण दिणिंदो...', अ., संघ भं., पाटण १८८७. बारहव्रत रास , जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४७ तथा १६५०, 'आदि-चउवीसे जिणवर नमी..., अन्त-जिनचंद्र सूरि गुरु श्रीमुखई...', अ., अभय ग्र., बीकानेर, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १८८८. बारहव्रत रास , जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६३३, आदि पास जिणेसर पय नमीजी..., अन्त–संवत सोलह सय तेतीयई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २२९ १८८९. बारहव्रत रास , विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७९, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश __ 143 For Personal & Private Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८९०. बारहव्रत रास, समयराजोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६० 'अन्त–इम गच्छ खरतररास श्रीजिनचन्द्रसूरि पुरंदरो...', अ., ह. यति प्रेमसुन्दर संग्रह, फलौदी १८९१. बारहव्रत रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८५ लूणकरणसर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३६५ १८९२. बारहव्रत रास-परिग्रह परिमाण टिप्पन, साधुवर्धन शिष्य / जिनमाणिक्य सूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६३०, 'अन्त–खरतरगच्छ रउ राजियउ...', अ., ह. श्रीपूज्यजी संग्रह, बीकानेर १८९३. बारहव्रत रास-परिग्रह परिमाण टिप्पन, प्रदाता युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६३७, आदि-पढम जिणरिसहपय पउमं...', अ., ह. श्रीपूज्यजी संग्रह, बीकानेर १८९४. बालतन्त्र बालावबोध, दीपचन्द्रोपाध्याय / दयातिलक, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७९२ जयपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १८९५. बालशिक्षाव्याकरण , भक्तिलाभोपाध्याय / रत्नचन्द्र, व्याकरण, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर १०८३ १८९६. बालावबोध प्रकरण, उपदेश, अपभ्रंश, १३वीं, 'मूलादि-पणमवि जिणवइ देवगुरु..., अन्त धम्मुवएसं पयं...', मु., जीवदया प्रकरण काव्यत्रयी नाटा ब्रदर्स, कलकत्ता । १८९७. बालावबोध प्रकरण हिन्दी अनुवाद, भँवरलाल नाहटा, उपदेश, हिन्दी, २१वीं, मु., जीवदया प्रकरण काव्यत्रयी नाटा ब्रदर्स, कलकत्ता १८९८. बावनी - अध्यात्म प्रबोध बावनी , जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३१, आदि हेतवंत खरतरगच्छ जिनचंद्रसूरि...', अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि १८९९. बावनी - अध्यात्म बावनी, चिदानंद / चुन्नीजी, बावनी साहित्य, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि–माया जाल तुं मूक पर..., अन्त–ज्ञानवृक्ष सेवो भविक...', मु., चिदानंदजी कृत सर्व संग्रह भाग-२, पृ. ४५ १९००. बावनी - अध्यात्म बावनी , जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७७०, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १९०१. बावनी - अन्योक्ति बावनी, वसतामुनि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८२२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९०२. बावनी - अष्टापदतीर्थ बावनी, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १५वीं, अ. जयचन्द्र संग्रह, बीकानेर १९०३. बावनी - आलोयणा बावनी, कमलहर्ष / मानविजय, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ११३३ 144 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९०४. बावनी - कवित्त बावनी, जयचन्द / सकलहर्ष, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३० ___सेमणा, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह १९०५. बावनी - कवित्त बावनी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, - १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९०६. बावनी - कवित्त बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खंजाची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १९०७. बावनी-कुंडलिया बावनी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३४ जोधपुर, 'आदि-ॐ नमो कहि आदथी..., अन्त-बावन अक्षर बीज आदि...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३१३ १९०८. बावनी - कुंडलिया बावनी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८०८, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४५५ १९०९. बावनी - कुंडलिया बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १९१०. बावनी - केशव बावनी, केशवदास / लावण्यरत्नगणि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३६, 'आदि-ऊँकार सदा सुख देउतहीं..., अन्त-बाउन अक्षर जोर करी भया...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९११. बावनी - गूढ निहाल बावनी , ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८८१, 'आदि-चांच आंख पर जाउं खग..., अन्त–खरतर भट्टारक गछै रत्नराजगणि सीस...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २०८ १९१२. बावनी - गुण बावनी, उदयराज / भद्रसार भावहर्षी, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १६७६ बबेरा, 'आदि-ऊँकाराय नमो अलख अवतार अपरंपर..., अन्त-कहइ जिके भावन्नी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९१३. बावनी - छप्पय बावनी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-गुरु गुरु दिन मणि हंस..., अन्त-सतरै सै संवत वरस त्रेपनो वखाणां...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३५, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३१४ १९१४. बावनी - छप्पय बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १९१५. बावनी - जैनसार बावनी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८०२ नापासर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९१६. बावनी - ज्ञान बावनी , हंसराज पिप्पलक, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि ऊँकार रूप ध्येय गेय है न जाते..., अन्त-ज्ञानकों निधान सुविधान सूरि वर्द्धमान...', अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 145 For Personal & Private Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९१७. बावनी - दूहा बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-ॐ अक्षर अलखगति..., अन्त–दोहा बावनी करी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १९१८. बावनी - दोहा बावनी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३०, 'आदि-ओम् अक्षर सार है..., अन्त–सतरै सै त्रीसे समै...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ९४ १९१९. बावनी - धर्म बावनी, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-ॐ कार उदार अगम्म अपार..., अन्त-ज्ञानको महानिधान बावन्न वरन जान...', मुः, धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३१३ १९२०. बावनी - धीर बावनी, धीर / कल्याणलाभ वा., बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३२, 'आदि-ॐकार अपार सार संसार कहइ सहु..., अन्त–विक्रम संवछर थकी सत्तरै सै बत्तीस...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि १९२१. बावनी - बावनी, खेतल / दयावल्लभ उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७४३ दहिरवास, 'आदि-एक निरंजण अलख..., अन्त–संवत सतर त्रयाल...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९२२. बावनी - बावनी , जिनसिंहसूरि / जिनचन्द्रसूरि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, आदि ॐ कार अपार सिद्धि सविकारज दायक...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९२३. बावनी - बावनी, राजलाभगणि / राजहर्ष, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७६२ भुजनगर, 'आदि-ॐकार अपार नलाधौ पार..., अन्त-बावन अक्षर जांणि..', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९२४. बावनी - बावनी, समर्थ / मतिरत्न, बावनी साहित्य, पंजाबी, १८वीं, 'आदि-ॐकार जे अक्षर अड़दा सख्खर..., अन्त–अक्षर अक्षर उत्तइ सख्खर...', अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर १९२५. बावनी - प्रास्ताविक छप्पय बावनी, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १८२५ तोलियासर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४५५ १९२६. बावनी - मनोरथमाला बावनी, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७०८, अ. १९२७. बावनी - मातृका बावनी (जसराज बावनी), जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३८, आदि-ओंकार अपार जगत आधार सबे..., अन्त–संवत सर अठतिस में मास फागुण में...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ८२ ।। १९२८. बावनी - योग बावनी, महिमसिंह (मानसिंह) / शिवनिधान उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, आदि-परमेसर गुरु चरण सरस..., अन्त-श्री शिवनिधान पाठक चरण...', अ.. ह. बद्रीदास संग्रह कलकत्ता. विनय. प्रतिलिपि १९२९. बावनी - लौद्रवा चिन्तामणि पार्श्वनाथ बावनी, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दर उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर 146 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९३०. बावनी - वैराग्य बावनी, लालचन्द्रगणि / हीरानन्दनगणि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १६९५, अन्त–खरतरगच्छपति सिंघ सूरीसर...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७६६१ १९३१. बावनी - शाश्वत जिन बावनी, हर्षप्रिय उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि १९३२. बावनी - सवैया बावनी, चिदानन्द (कपूरचन्द) / चुन्नीजी, बावनी साहित्य, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-ओंकर अगम अपार प्रवचनसार..., अन्त-चिदानंद केवे अ6 सणवेको सार एहि...', मु., चिदानंदजी कृत सर्व संग्रह भाग-२, पृ. ३ से १९३३. बावनी - सवैया बावनी, जयचन्द / सकलहर्ष, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३३ जोधपुर, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह १९३४. बावनी - सवैया बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १९३५. बावनी - सवैया बावनी, विनयलाभोपाध्याय (बालचन्द) / विनयप्रमोदगणि, बावनी साहित्य, राजस्थामी, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९३६. बावनी - सार बावनी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १६८९ पाली, 'आदि-ओंकार अपार पार तसु कोई न लब्भीय..., अन्त–शितिमंडन क्षितितिलक सहर पालीपुर...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५३७ १९३७. बावनी - सीमन्धर बावनी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता १९३८. बीसी - विहरमान वीसी, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मुझ. हियड़उ हेजालुयउ..., अन्त–खरतर जुगवर श्री जिनसिंह सूरीदनेरे...', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८ १९३९. बीसी - विहरमान वीसी, जिनसागरसूरि / जिनसिंहसूरि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, _ 'अन्त–सुविहित खरतर गच्छपतीए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर · १९४०. बीसी - विहरमान वीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७२७, .. 'आदि-सामि सीमंधर सांभलउजी..., अन्त-विहरमान वीसे नित वंदियै रे...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५८ १९४१. बीसी - विहरमान वीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७४५, आदि पुण्डरीकणी नगरी वखाणीय..., अन्त–सारद तुझ सुपसाउलइ...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४ .. १९४२. बीसी - विहरमान वीसी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८७८ बीकानेर, आदि-किम मिलियै किम परचिय..., अन्त–इम वीसू जिनवर जिनराया...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३ खरतरगच्छ साहित्य कोश 147 For Personal & Private Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४३. बीसी - विहरमान वीसी, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री सीमंधर जिनवर स्वामि..., अन्त–वंदो वंदो रे जिनवर विचरंता...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा १९४४, बीसी - विहरमान वीसी, राजलाभगणि / राजहर्षगणि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ. १९४५. बीसी - विहरमान वीसी, रामचन्द्रगणि / कीर्त्तिकुशल उ० जिनसागरीय, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर १९४६. बीसी - विहरमान वीसी, लालचन्द्रगणि / हीरानन्दन उ०, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १६९२ पालडी, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९४७. बीसी - विहरमान वीसी, विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि जिनसागरसूरिशाखा, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७५४ राजनगर, 'आदि-श्री सीमंधर सुन्दर साहिबा..., अन्त-संप्रति वीस जिनेश्वर वंदउ...', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३० १९४८. बीसी - विहरमान वीसी, सबलसिंह श्रावक, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८६१ मकसूदाबाद, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३३५ १९४९. बीसी - विहरमान वीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १६९७ अहमदाबाद, 'आदि-सीमन्धर सांभलउ..., अन्त-वीस विहरमान गाया...', मु., ___समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३० ।। १९५०. बीसी - विहरमान वीसी, हर्षकुशल / मेघविजयगणि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९५१. बुढ्ढा रास , फकीरचन्द, रास चौपई, राजस्थानी, १८३६, 'आदि-दयाज माता वीनउं..., अन्तसंवत अठार छततीस आणी...', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १९५२. बृहत्कल्पसूत्र अर्थ, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., उल्लेख स्वकृत निशीथसूत्र अर्थ १९५३. बृहत्कल्पादि छेदग्रन्थ लघु भाष्यादि टिप्पण, साधुरङ्ग उ० / सुमतिसागर उ०, १७वीं, . अ., उ. देवचन्द्रोपाध्याय कृत विचारसार टीका १९५४. बृहनमस्कार फल स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि वंदित्तुवद्धमाणं जिणेसरं..., अन्त-इय संविग्ग सिरोमणि...', अ. १९५५. बृहत्पर्युषणानिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागरजी म०, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा १९५६. बृहत्पर्युषणानिर्णय-भूमिका पीठिका, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागरजी म०, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा 148 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९५७. बृहत्पर्युषणानिर्णय-भूमिका पीठिका, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागरजी म०, चर्चा, ___संस्कृत अपूर्ण, २०वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १९५८. बृहद्वन्दनकभाष्य , अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदि इच्छायबणुन्नवणा..., अन्त–एवं विणओववेओ...', मु. १९५९. बृहत्संग्रहणी बालावबोध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, _____ अ., ह. अनन्तनाथ ज्ञान भं., बम्बई १९६०. बृहत्संग्रहणी बालावबोध, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार वा., प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रीपार्श्वनाथं फलं..., अन्त-संसारीक सर्वसुख पामै...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२२४३ १९६१. बृहत्संग्रहणी स्तबक, धर्ममेरुगणि / चरणधर्म उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं-१७वीं, 'आदि-नमस्कार करीने..., अन्त–तीरथ सुधा प्रवर्तओ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १०७१७, १३२४२ १९६२. बृहह्रींकारकल्प विवरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत, १४वीं, मु., डाय्याभाई मोहोकमलाल, अहमदाबाद, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १५४२ ।। १९६३. बेगड़गच्छ पट्टावली, ऐतिहासिक पट्टावली, राजस्थानी, १७७२ तक, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १९६४. बौद्धाधिकार विवरण, जिनप्रबोधसूरि / जिनेश्वरसूरि द्वि., न्यायदर्शन, संस्कृत, १४वीं, अ, उ. यु. खरतरगच्छ बृहद् गुर्वावली, पृ. ५७ १९६५. ब्रह्मचर्यपरिकरण, कपूरमल्लमणिधारी जिनचन्द्रसूरि राज्ये, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, आदि पउम रयणाइ रइया..., अन्त–संपइ गणाहिपवरो...', मु., मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, नाहटा .: ब्रदर्स, बीकानेर १९६६. ब्रह्मचर्यपरिकरण हिन्दी अनुवाद, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, प्रकरण, हिन्दी, २१वीं, मु., मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, नाहटा ब्रदर्स, बीकानेर १९६७.. ब्रह्मसेन चौपई , दयामेरु उ० / कुशलकल्याणगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८८० भावनगर ___ (हैदराबाद), अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर १९६८. भक्तामर स्तोत्र टीका, गुणाकरसूरि / गुणचन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १४२६ सरस्वती पत्तन, आदि-पूजाज्ञानवचोऽपाया..., अन्त-गिरां गुंफधात्री कवीन्देषु वाणी...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत १९६९. भक्तामर स्तोत्र टीका, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अं. १९७०. भक्तामर स्तोत्र टीका, शिवचन्द्रोपाध्याय / जिनसिंहसूरि पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, __अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर 149 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९७१. भक्तामर स्तोत्र टीका सुबोधिनी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १६८७ पाटण, 'आदि-नत्वा जिनं सुशिष्य..., अन्त-सर्वसङ्ख्यायाः...', अ., ह. __ कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, ४०१४, अभय ग्र., बीकानेर १९७२. भक्तामर स्तोत्र अवचूरि, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ. १९७३. भक्तामर स्तोत्र बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-प्रणम्य श्री महावीरं नत्वा च..., अन्त-लक्ष्मी स्वयंवर वरैः...', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा, १०९८८ १९७४. भक्तामर स्तोत्र स्तबक , गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-भक्तामरस्तवस्यावचूरिरेष विरच्यते नव्या...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९७५. भक्तामर स्तोत्र स्तबक , रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १८११ कालाऊना, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ । १९७६. भक्तामर स्तोत्र भाषा, आनन्दवर्द्धन / महिमासागर, स्तोत्र, राजस्थानी; १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९७७. भक्तामर स्तोत्र भाषा, हेमराज / लब्धिरङ्ग उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आदि पुरुष आदि जिन..., अन्त-यह गुणमाल विशाल नाथ...', मु. १९७८. भगवती सूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, ११२८ पाटण, 'आदि व सर्वज्ञमीश्वरमनन्त..., अन्त-यदुक्तमादाविह साधुयोधैः...', मु., आगमोदय समिति, सूरत १९७९. भगवती सूत्र टीका, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आगम, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. चम्पालाल 1- बैद, भीनासर, पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद १९८०. भद्रनन्दसन्धि,राजलाभगणि / राजहर्ष,रासचौपई, राजस्थानी,१७२३,अ.,चारित्ररा.प्रा.वि.प्र.,बीकानेर १९८१. भयहर (नमिउण) स्तोत्र अभिप्राय चन्द्रिका टीका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३६५ साकेतपुर, आदि-श्रीपार्श्वस्वामिनं...', अ., ह. विनय. संग्रह, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११७३६ (२), हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १९८२. भरत बाहुबली रास, भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञाननन्दी उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७१ जैसलमेर, 'आदि-श्री आदीसर सामिनइ..., अन्त–संवत सोल रसा ऋसि मासइ श्रावणइरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०५० १९८३. भरत सन्धि, पद्मचन्द्र / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ. १९८४. भवदत्त भविष्यदत्त चौपई, दयातिलक वा. / रत्लजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७४१ फतेहपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, चारित्र-रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर (स्वयं लिखित प्रति) १९८५. भविष्यजिन स्तोत्र, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १३वीं, 'आदि नमिरदेविंदमणिमउड..., अन्त-इय भावि जिणेसर नाणदिणेसर... गा. १४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि 150 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९८६. भारती स्तोत्र, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि अतिनिर्मलरोचिर्मण्डल कुण्डल... गा. ९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९८७. भारती स्तोत्र, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्री शारदा शास्त्र सुबुद्धि... गा. ८', मु., सचित्र सरस्वती प्रासाद, प्रकाशक - सुपार्श्वनाथ उपाश्रय 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पृ. २१४ । १९९५. भावारिवारण स्तोत्र टीका, क्षेमसुन्दरोपाध्याय / जिनवर्द्धनसूरि पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. जयचन्द्र संग्रह, बीकानेर १९९६. भावारिवारण स्तोत्र टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ० लघुखरतर, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण । १९९७. भावारिवारण स्तोत्र टीका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि-श्रेयोर्थं श्रीमहावीरं..., अन्त-श्रीजिनराजसूरि शिष्योपाध्याय श्री जयसागरविरचिता...', ___ मु., हीरालाल हंसराज जामनगर, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९७१ १९९८. भावारिवारण स्तोत्र अवचूरि, नरसुन्दरगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं (?), आदि-श्रीवर्धमानं ... प्रणिपत्य भक्तया...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत १९९९. भावारिवारण स्तोत्र टीका, मतिसागर, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह २०००. भावारिवारण स्तोत्र टीका, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'अन्त-वा. रत्नमूर्ति गणिशिष्येण वा. मेरुसुन्दर गणिना...', अ., ह. वृद्धिचन्द्र संग्रह, जैसलमेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 151 For Personal & Private Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २००१. भावारिवारण स्तोत्र बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्त्ति उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २००२. भावारिवारण स्तोत्र पादपूर्ति स्तोत्र स्वोपज्ञ टीकासह, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, संस्कृत - प्राकृत, १६७९ जैसलमेर, 'मूल का आदि - वन्दे महोदयरमा उ. श्री वर्द्धमान..., अन्त-एवं श्रीजिनवल्लभप्रभुकृत..., टीका का आदि-श्री वर्द्धमानमभिनम्य जिनं समस्या स्तोत्र ..... अन्त–श्री खरतरगणे नवांगी वृत्ति कृतां...', मु., सुमति सदन, कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर, ह., विनय प्रतिलिपि २००३. भाषाविचार प्रकरण स्वोपज्ञ अवचूरि, चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, प्रकरण, प्राकृत, १६वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २००४. भाष्यत्रय स्तबक, मतिकीर्त्ति उ० / गुणविनयोपाध्याय, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. बी. एल. इन्स्टीट्यूट, दिल्ली २००५. भीमसेन चौपई, जिनसुन्दरसूरि बेगड़ / जिनसमुद्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५८ सवालख, अ. २००६. भीमसेन चौपई, विद्यासागरगणि / सुमतिकल्लोल उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २००७. भुवनदीपिका बालावबोध, रत्नधीर / ज्ञानसागरगणि, ज्योतिष, राजस्थानी, १८०६, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६६८ २००८. भुवनदीपिका बालावबोध, लक्ष्मीविनयोपाध्याय / अभयमाणिक्यगणि, ज्योतिष, राजस्थानी, १७६७, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४०६ २००९. भुवनभानुकेवली चरित्र प्राकृतगद्य, लक्ष्मीलाभ लघुखरतर, कथा, चरित्र, प्राकृत, १७वीं, अ. २०१०. भुवनभानुकेवली चरित्र अनुवाद (लक्ष्मीलाभीय), तत्त्वहंस, चरित्र, राजस्थानी, १८०१, ‘आदि-श्रीमद्देवगुरुं..., अन्त - तत्वहंसेन धीमता...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२३७२, १३२०२, जैनानन्द पुस्तकालय, सूरत २०११. भुवनानन्द चौपई, सुमतिधर्म उ० / समयकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२५ आसनीकोट, ‘आदि-चउवीसे जिनवर चरण..., अन्त - सूरि शिरोमणि वखतबली...', अ., ह. दानसागर बड़ा ज्ञान भं., , बीकानेर २०१२. भूगर्भप्रकाश, ठक्कुर फेरु / ठक्कुर चन्द्र, विज्ञान, प्राकृत, १४वीं, अ. २०१३. भृगुपुरोहित चौपई, जयरङ्ग उ० (जैतसी) / नयचन्दगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८७२ लखनऊ, ' आदि - वर्धमान जिनवर चरण..., अन्त - इक्ष्वाग कुल कुमद विकास करंदा...', बीकानेर अ., ह. अभय ग्र., २०१४. भूधातुवृत्ति, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, व्याकरण, संस्कृत, १८२९ राजनगर, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय प्रतिलिपि 152 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१५. भोज चरित्र चौपई, हेमाणंदगणि / हीरकलश उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५४ भदाणा, 'आदि-समरिय सरसति सुगुरु पय..., अन्त–विस्तर गुरु मुखि ऐह चरित्र...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २८९, भाग-३, पृ. ७८०, विनय. प्रतिलिपि २०१६. भोज राजा चौपई, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२९ सोजत, 'आदि-श्री संखेसर पासना..., अन्त-वररुचि इम चित चिंतवै...', अ., ह. विनय. संग्रह, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२६७ २०१७. भोजनविधि, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-स्वस्ति श्री ऋद्धि ___ वृद्धि सिद्धि आनंद जय..., अन्त–हाथ जोर रघुपति करी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २०१८. भोसड रासो, खेतल / दयावल्लभगणि, 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जिणंद..., अन्त– रसक मनोहर चौपई रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २०३१. मत्स्योदर चौपई, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोद उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८२ बीलपुर, 'आदि-सोहग सुंदर सुखकरण..., अन्त-ए सम्बन्ध सुणी करी ध्रम कीजै रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २०३२. मत्स्योदर चौपई, लब्धोदयगणि / ज्ञानराजगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०२, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २०३३. मत्स्योदर चौपई, समयमाणिक्य / मतिरत्नगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३२ नागौर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२७९ २०३४. मत्स्योदर रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७१८ बाड़मेर, 'आदि-प्रह उठी प्रणमुं सदा..., अन्त-शांतिनाथ चरित्रथी ए कर्यो...', अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २०३५. मत्स्योदर रास, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अन्त रच्यो रास...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३७५९ २०३६. मथुरायात्रा स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि सुराचल श्रीजिति... गा. १०', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, विधि मार्ग प्रपा, 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आदि-भीमभव भमण संभंत..., अन्त-संपइ कहा समप्पइ सुबोहसद्देहि विरइया...', अ., ह. तेरापंथी सभा, सरदारशहर, भावहर्षगच्छीय भं., बालोतरा २०४२. मयणरेहा चौपई, विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं जयपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २०४३. मयणरेहा चौपई, हर्षवल्लभगणि / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२ महिमावती, 'आदि-जिणवर चउवीसे नमुं..., अन्त-मयणरेहा संबंध वखाण्यउ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८९२, ह. अभय ग्र., बीकानेर २०४४. मलयसुन्दरी चौपई, लब्धोदयगणि / ज्ञानराज उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४३ गोगुंदा, 'अन्त–महोपाध्याय ज्ञानराज गुरु...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर २०४५. महाजनवंश मुक्तावली, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, इतिहास, हिन्दी, १९६०, मु., रामलालगणि, बीकानेर २०४६. महातपस्वी छगनसागरजी जीवन चरित्र , जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागर, चरित्र, हिन्दी, २०वीं, मु., हरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट २०४७. महादण्डक कुलक, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, आदि-थोवागब्भय मणुआ सखे..., अन्त–अभयदेवसूरिहि सङ्गहियं...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२७९२, अभय ग्र., बीकानेर २०४८. महाप्रभावक स्तोत्र, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, आदि-मम हरउ जरं... गा. ३', मु. २०४९. महाबल मलयसुन्दरी रास, चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, . 'आदि-सरस वचन द्यु सारदा..., अन्त–इम राज महाबल मलय...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २०५०. महाबल मलयसुन्दरी रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५१ पाटण, आदि-श्री शांतिसर सोलमउ भयभंजण भगवंत..., अन्त-श्री जयतिलक सूरिश्वरु...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २०५१. महाभक्ति गर्भा सर्वज्ञ विज्ञप्तिका, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-लोयालोयविलोयण..., अन्त–इच्चाइ वुच्चइं? किमेत्थ समत्थवत्थु... गा. ३७', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १९७, ह. हर्षचन्द्र - पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४१५-४१६ २०५२. महाविद्या, पूर्णकलशगणि / जिनेश्वरसृरि, मन्त्रतन्त्र, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. ऐलक पन्नालाल सरस्वती भवन, ब्यावर खरतरगच्छ साहित्य कोश 155 For Personal & Private Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०५३. महावीर चरित्र (दुरियरय.), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, कथा चरित्र, प्राकृत, १२वीं, _ 'आदि-दुरियरयसमीरं मोहपंकोहनीरं..., अन्त-एवं वीरजिणे दिणेसर... गा. ४४', मु. जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १६१ २०५४. महावीर चरित्र (दुरियरय.) टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कथा चरित्र, संस्कृत, १७वीं; 'आदि-नत्वा वीर जिनेन्द्रं..., अन्त-श्रीजिनचन्द्रगणाधिपाः..., ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २०५५. महावीर चरित्र (दुरियरय.) टीका, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १६वीं, 'आदि-वर्द्धयतु वर्द्धमान..., अन्त–सदा वल्लभे जायतामिति..., अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २११६ २०५६. महावीर चरित्र वार्ता (दुरियरय.) टीका, कमललाभ उ० / अभयसुन्दरोपाध्याय, कथा ___चरित्र, राजस्थानी, १७वीं, आदि-नत्त्वा श्री मन्महावीरं..., अन्त इति श्री वीरस्तवस्यार्थो...', अ. २०५७. महावीर चरित्र (दुरियरय.) बालावबोध, विमलरत्नगणि/विमलकीर्तिगणि, कथा चरित्र, राजस्थानी, १७०२ सत्यनगर, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २०५८. महावीर चरित्र, देवभद्रसूरि (गुणचन्द्रगणि) / सुमतिवाचक, कथा चरित्र, प्राकृत, ११३९, ‘पयडिय समस्य परमत्थवित्थरं..., अन्त-इयसुक्कज्झाणा...', मु., देवचन्द लालभाई पु. फण्ड, सूरत २०५९. महावीर जीवन प्रभा, वीरपुत्र आनन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागर, कथा चरित्र, हिन्दी, २१वीं, मु., आनन्दसागर ज्ञान भं., सैलाना २०६०. महावीर २७ भव कथानक, रङ्गकुशलगणि / कनकसोमगणि, कथा चरित्र, राजस्थानी, १६७०, अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ७७९ . २०६१. महावीर २७ भव कथानक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कथा चरित्र, संस्कृत, १७वीं, अ. २०६२. महावीर २७ भव कथानक बालावबोध, रत्ननिधानोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, कथा चरित्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २०६३. महावीर रास, अभयतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि द्वि., रास चौपई, अपभ्रंश, १३०७, 'आदि-पासनाह जिणदत्त गुरो..., अन्त-हेम घयदंड कलसो तहि कारिउ...', अ. २०६४. महावीर विज्ञप्ति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-जय जय वीर जिणेसर देव... गा. १६', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (१७), विनय. प्रतिलिपि ४१६ (१९) २०६५. महावीर विज्ञप्तिका, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि सुनरवइकयवंदण..., अन्त–तुह आणारत्तेणं... गा. १२', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २१२ 156 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६६. महावीर विवाहलो, कीर्त्तिरत्नसूरि / जिनवर्द्धनसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, अ. २०६७. महावीर वीनती, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि-अभिनवइ जिणमन्दिर मंडिउ... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६ (१०) २०६८. महावीर स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-नम्राखंडलमंडल स्तुत, अन्त–अंभोजन्मविकस्वरं सरसतं स्वसत्करे विभ्रती... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०६९. महावीर स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-कनकरुचिशरीरं भूधराधीरधीर... गा. ४', अ., ___ ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०७०. महावीर स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि–क्षिप्ताभिदे दश सरा इव... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०७१. महावीर स्तुति-समसंस्कृत प्राकृत, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-मथितमदनदयू ध्वंसिता..., अन्त-मदमलिनकपोलं प्रावृडम्भोदनीलं... गा. ४', अ., अ. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०७२. महावीर स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-महसारविकल्प सकल्पतरो... गा. ४, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०७३. महावीर स्तुति, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, आदि-यदंघ्रिनमनादेव... ___ गा. ४', मु., पंच प्रतिक्रमण सूत्र २०७४. महावीर स्तुति, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि सुचण्डिमाडम्बरपञ्चबाण... गा. ४', अ. २०७५. महावीर स्तुति, देवमूर्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-रेखाव्याजादेकाब्जे... गा. ४', अ., ह. गुजरात विद्या सभा, अहमदाबाद २०७६. महावीर स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-अनंतविज्ञानमतीत दोषं..., अन्त–इदं 'तत्त्वातत्त्वाव्यतिकर... गा. ३२, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०७७. महावीर स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-प्रतप्तहेमप्रतिमप्रदीप..., अन्त इति सुगुण समेतः... __गा. १५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०७८. महावीर स्तोत्र, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-जइज्जा समणे - भयवं..., अन्त–पयडिअ वसहि पहाणं...', मु., सिरिपयरणसंदोह २०७९. महावीर स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-नुत वीरजिन ... नत देवमणिं..., अन्त-थुत देहि सुबुद्धिसुपुण्यशिवं शिव... गा. ७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ___ज्ञान मन्दिर, आगरा २०८०. महावीर स्तोत्र, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि सानन्दनम्रसुरकोटिकिरीटपीठ... गा. २४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा खरतरगच्छ साहित्य कोश 157 For Personal & Private Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८१. महावीर स्तोत्र, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, 'आदि सिद्धार्थराजनन्दन... गा. १४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०८२. महावीर स्तोत्र-पादलिप्तीय अवचूरि, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३८०, __ अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०८३. महावीर स्तोत्र , जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-असमशमनिवासं... गा. २५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २० २०८४. महावीर स्तोत्र-विविधछन्दनाम गर्भित, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-कंसारिक्रमनिर्यदा... गा. २५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०८५. महावीर स्तोत्र-चित्रकाव्य, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि चित्रैः स्तोष्ये जिनंवीरं... गा. ३७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०८६. महावीर स्तोत्र-लक्षणप्रयोगमय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वी, आदि निस्तीर्णविस्तीर्णभवार्णवं..., अन्त–साम्राज्यमासादयेत्... गा. १७', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १०२०७, विनय. प्रतिलिपि २०८७. महावीर स्तोत्र-पंच कल्याणकमय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-पराक्रमेणैव पराजितोयं... गा. ३६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०८८. महावीर स्तोत्र , जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-विश्वश्रीधुरच्छिदे... गा. २१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०८९. महावीर स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि श्रीवर्द्धमानपरिपूरित... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०९०. महावीर स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीवर्द्धमानः ___ सुखवृद्धयेस्तु... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०९१. महावीर स्तोत्र-पञ्चवर्गपरिहारमय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-स्वःश्रेयसरसीरुह... गा. २६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०९२. महावीर स्तोत्र-निर्वाणकल्याणक, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, _ 'आदि-श्रीसिद्धार्थनरेन्द्रवंश... गा. १९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २०९३. महावीर स्तोत्र-सत्यपुर मण्डन, जिनवर्द्धनसूरि पिप्पलक / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, आदि-श्रीसत्यसत्यपुरपत्तन... गा. २४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २०९४. महावीर स्तोत्र-श्लेषालङ्कार सावचूरि, जिनवर्द्धनसूरि पिप्पलक / जिनराजसूरि, स्तोत्र, ---- संस्कृत, १५वीं, 'गा. २४', अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर २०९५. महावीर स्तोत्र, जिनहितसूरि लघुखरतर / जिनमेरुसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि विकचकमनीयतपनीय... गा. ९', अ. 158 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०९६. महावीर स्तोत्र-निरोष्ठ्याक्षर, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि ईले रसातलरसा त्रिदशालयेश..., अन्त–एवं नव्यै निरोष्ठ्याक्षररचितैः... गा. १७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०९७. महावीर विज्ञप्तिका, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-प्रणम्य सम्यक्चरणारविंदं..., अन्त–इत्थं सर्वसुरासुरेश्वरोशिरः... गा. ३३, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०९८. महावीर स्तोत्र-भीमपल्ली, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि श्रीसीमभीम नृप पल्लिमतल्लिकायां..., अन्त-श्रीमद्भीमपुरे श्रुतिवरं श्रीमंडलीकेश्वर... गा. २४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २०९९. महावीर स्तोत्र-व्याकरणसंज्ञा, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-यस्तीर्थराज त्रिशलात्मज..., अन्त–यावल्लसन्तौ दिविपुष्पदन्तौ... श्लो.-१५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३५८ २१००. महावीर स्तोत्र-समस्यामय, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि श्रीमद्वीर तथा प्रसीद..., अन्त-नूतो नूतन नूतन... गा. १२', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३८१ २१०१. महावीर स्तोत्र, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-सुवृत्तं सकलं सौम्यं... गा. ८', अ, ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगस २१०२. महावीर स्तोत्र, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'अन्त–इत्यचिंत्यप्रभावा... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २१०३. महावीर स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि वर्द्धमानमतिमानसम्पदं... गा. ८', अ. २१०४. महावीर स्तोत्र-बहुविध छन्द, राजशेखराचार्य / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, आदि नायकुलमयंकं सीहंकं पंचबाण..., अन्त–सौवीर जिणवक्क कप्पतरवरु भविय... गा. ३५', - अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २१०५. महावीर स्तोत्र-भद्रेश्वर मण्डन, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि षट्कल्याणकमर्हतो... गा. ५', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ५३, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २१०६. महावीर स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि सानंदनम्रसुरकोटिकिरीटपीठ..., अन्त–इत्थं श्रीशलेयत्रिभुवन... गा. २४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २१०७. महावीर स्तोत्र-दण्डक छन्द, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि श्रीसिद्धार्थमहानरेन्द्रनन्दनं..., अन्त-कुपथमथनदुर्ललितदलित... गा. ८', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरिपार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३८-४३९ खरतरगच्छ साहित्य कोश 159' For Personal & Private Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१०८. महावीर स्तोत्र-बृहद्, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि जयति वीरजिनो जगताङ्गज... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२२ २१०९. महावीर स्तोत्र टीका, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन, स्तोत्र, संस्कृत, १६६८, अ., ह. कान्तिविजय संग्रह, बड़ौदा २११०. महावीर स्तोत्र पंचवर्गपरिहार, सूरचन्द्रोपाध्याय / चारित्रोदयगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रेयःशालः सह :शाली..., अन्त-एवं महावीर जिनेश पञ्च... ८', मु., स्तोत्ररत्नाकरद्वितीय-भाग सटीक, ह. कान्तिविजय संग्रह, बड़ौदा २१११. महावीर स्तोत्र-पंचवर्गपरिहार स्वोपज्ञ टीकासह, सूरचन्द्रोपाध्याय / चारित्रोदयगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'अन्त-एवमित्यादि कण्ठ्य्...', मु., स्तोत्ररत्नाकरद्वितीयभाग सटीक, ह. कान्तिविजय संग्रह, बड़ौदा २११२. महाशतक श्रावक सन्धि, धर्मप्रमोदगणि / कल्याणधीर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नगर पवर राजगृह भलउ..., अन्त-जिम संबंध सुपरि ए. भाखियउ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २११३. महीपाल चरित्र चौपई, कमलकीर्त्तिगणि / कल्याणलाभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७६ हाजी खानदेरा, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ९८४ २११४. मांकड रास, कीर्तिसुन्दर (कान्हजी) / धर्मवर्द्धन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १४५७ मेड़ता, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४०५ २११५. माताजी री वचनिका, जयचन्द / चतुरभुज, राजस्थानी, १७७६ कुचेरा, मु., परम्परा अंक २० राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी २११६. मातृकाक्षर धर्मोपदेश स्वोपज्ञ टीका, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, काव्य, संस्कृत, १७४५, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ११४४ २११७. मातृकाप्रथमाक्षरदोधक, पृथ्वीचन्द्र / अभयदेवसूरि रुद्रपल्लीय, काव्य, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-अप्पइ अप्पउ बुझि करि..., अन्त–रुद्दपल्हि गच्छह तिलय...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४७ २११८. मातृकाश्लोकमाला, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, काव्य, संस्कृत, १६५५ बीकानेर, 'आदि-श्रीशान्तिं प्रणिपत्य निम्यमनधं..., अन्त–श्रीमद्विक्रमनगरे प्रवरे...', अ., ह. पुण्यविजयजी संग्रह, अहमदाबाद, मु. अनुसंधान अंक २६, अहमदाबाद २११९. माधवनिदान ज्वराधिकार टीका, कर्मचन्द्र / चौथजी, आयुर्वेद, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस २१२०. माधवनिदान स्तबक, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दरगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर 160 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२१. माधवानल कामकंदला रास, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६१६ जैसलमेर, 'आदि-देव सरसति देव सरसति सुमति..., अन्त-कुशललाभ वाचक कहई... ६६३', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग-७ । २१२२. मानतुङ्ग प्रसाद २४ जिन स्तव, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-जगमण्डणु गुणपवरं... गा. २६', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २१२३. मानतुङ्ग मानवती चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२७, 'आदि-प्रणमुं माता सरसति..., अन्त-संवत सतरे सतावीसै...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २१२४. मानतुङ्ग मानवती चौपई, जिनसुन्दरसूरि बेगड़ / जिनसमुद्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५० मरुधर, अ., ह. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर २१२५. मानतुङ्ग मानवती रास, पुण्यविलासगणि / पुण्यचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७८० लूणकरणसर, 'आदि-नमुं सदा नितमेव..., अन्त–सत्य वचन फल तुमे जोइज्यो...', अ., ह. विनयचन्द ज्ञान भं., जयपुर २१२६. मानमनोहर, कल्याणचन्द्रगणि / कीर्त्तिरत्नसूरि, काव्य, संस्कृत, १५१२, अ. २१२७. मालापिंगल, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, छन्द शास्त्र, राजस्थानी, १८७६ बीकानेर, आदि श्री अरिहंत सुसिद्ध पद..., अन्त-परि समाप्ति ग्रन्थ भई...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २४७ २१२८. मुनिपति चौपईं, धर्ममन्दिर वा. / दयाकुशल वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७२५ पाटण, 'आदि-श्री संखेश्वर सुखकरु..., अन्त–चौपाइ कीधी चूपसुं...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २१२९. मुनिपति चौपई, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६१५, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २१३०. मुनिपति चौपई, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६१८ बीकानेर, 'आदि-जिन चउवीस पय नमी..., अन्त–वीर जिणेसर तित्थवइ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८१६, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर . २१३१. मुनिमालिका (साधुवंदना), चारित्रसिंहगणि / मतिभद्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६३६ रिणी, 'आदि–रिषभ प्रमुख जिन पायजुग..., अन्त–संवत सोल छतीस ए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर २१३२. मुनिमालिका, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१३३. मुनिसुव्रतचरित्र महाकाव्य, पद्मप्रभसूरि / विबुधप्रभसूरि अभयदेवसूरि सन्तानिय, महाकाव्य, संस्कृत, १२९४, आदि-परमेष्ठी चतुर्वक्त्रः..., अन्त–पूर्वं चन्द्रकुले बभूव विपुले...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २५६ खरतरगच्छ साहित्य कोश 161 For Personal & Private Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१३४. मुनिसुव्रत जिनस्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि–निर्माय निर्माय गुणद्धि... गा. ३०', अ. ह. विनय. प्रतिलिपि । २१३५. मुहूर्त्तमणिमाला, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, ज्योतिष, संस्कृत, १८०१ बालोतरा, अ. २१३६. मूंछ मांखण कथा, अमरविजयगणि / उदयतिलक, कथा चरित्र, राजस्थानी, १७७५ राहसर, 'आदिवंदु वीर. वागेसरी..., अन्त–सुमति सायर मुनि शशि समै...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१३७. मूत्रलक्षण, हंसराज पिप्पलक, आयुर्वेद, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २१३८. मूर्खसोलही, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, सुभाषित, राजस्थानी, १८वीं, अ... २१३९. मूर्त्तिमण्डनप्रकाश, सुमतिमण्डन उ० / धर्मानन्द उ०, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १०९ २१४०. मूलदेव चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७३ सांगानेर, 'आदि–पणमिय पदमप्रभ धणी..., अन्त–तिणि जाणी प्राणी परम...', अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर २१४१. मूलदेव चौपई, रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७११ नवहर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२९६, अ., ह. बी. एल. इन्स्टीट्यूट, दिल्ली २१४२. मूलराजगुणवर्णनसमुद्रवद्धकाव्य, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, काव्य, संस्कृत, १८६१ जैसलमेर, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ३९२ . २१४३. मृगध्वज चौपई, पद्मकुमार / पूर्णचन्द्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, आदि–पणमिय श्री गायेम गणहर..., अन्त-मगध्वज मुनि तणउ चरित्र...'. अ.. ह. मकनचन्दजी संग्रह. बीकानेर २१४४. मृगांक पद्मावती चौपई, धर्मकीर्तिगणि / धर्मनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६९१ सोवनगिरी, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१४५. मृगांक लेखा चौपई, भानुचन्द्र, रास चौपई, राजस्थानी, १६६३ जौनपुर, अ., ह. दिगम्बर भं., अजमेर २१४६. मृगांक लेखा चौपई, लखपत / तेजसी कूकड़ चोपड़ा, रास चौपई, राजस्थानी, १६९४, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर २१४७. मृगांक लेखा चौपई, सुमतिधर्म उ० / श्रीसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि रिद्धि-सिद्धि सिव सुख करण...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१४८. मृगांक लेखा रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४८ पाटण, 'आदि-जिनवर हितकर सदा..., अन्त-सतर अड़तालीसमे...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३७६५, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ९९ २१४९. मृगापुत्र चौपई, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष, रास चौपई, राजस्थानी, १६७७ बीकानेर, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 162 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only | Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१५०. मृगापुत्र सन्धि, कल्याणतिलक उ० / जिनसमुद्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १५५० महिमनगर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७०९४, ७१०८ २१५१. मृगापुत्र सन्धि, लक्ष्मीप्रभोपाध्याय / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७७ मुलतान, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र.. बीकानेर २१५२. मृगापुत्र सन्धि, शान्तिहर्षगणि / श्रीसोम वाचक, रास चौपई, राजस्थानी, १७१५ सांचोर, 'आदि-परतख प्रणमुं वीर जिणंद..., अन्त-श्री सोमवाचक सीस इणि परि...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९८२७ २१५३. मृगापुत्र सन्धि, सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६३ महिमनगर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१५४. मृगावती चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६८ मुलतान, 'आदि-समरु सरसति..., अन्त-बारमी ढाल खंडही जाणी... ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि, कैलाससागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२३८१ २१५५. मेघकुमार चरित्र संधि, ऋषभदास / श्रीकल्याण, रास चौपई, राजस्थानी, १७६४ गगडाणा, 'आदि-स्वस्ति श्री वर सुखकर..., अन्त–सुखकारी तिन साधु मुनीस... गा. १४९१', अ., ह. जैन भवन, कलकत्ता २१५६. मेघकुमार चौढालिया, अमरविजयगणि / उदयतिलक गणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७७४ - भगसेऊ, 'आदि-परमातम पद प्रणम कै..., अन्त–संवत सतरै सै चोहतरै...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१५७. मेघकुमार चौढालिया, कवि कनक, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-देश मगधमांहि _जाणीये..., अन्त ते मुनिवर मेघकुमार...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ २१५८. मेघकुमार चौढालिया, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, आदि श्री जिनवरनों चरण नमी करी..., अन्त-ऐकण भवने आंतरे...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५०८ २१५९. मेघकुमार चौपाई, जिनचन्द्रसूरि / जिनरङ्गसूरि जिनरङ्गीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७२७, 'आदि-ऊँकार स्वरूपमय..., अन्त–सोभागी गुण आगलो ये...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२५८ २१६०. मेघकुमार चौपाई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्यपक्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६८६ पीपाड, 'अन्त–संवत सोलइसय छयासीयइरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५४६ . २१६१. मेघकुमार रास, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. विनय प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 163 For Personal & Private Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६२. मेघदूत टीका, क्षेमहंसगणि / जिनभद्रसूरि, काव्य, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २१६३. मेघदूत टीका पंजिका, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ:, ह. मोहनलालजी म. भं., सूरत २१६४. मेघदूत टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ०, काव्य, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २१६५. मेघदूत टीका, महिमसिंह (मानसिंह) / शिवनिधानोपाध्याय, काव्य, संस्कृत, १६९३, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २१६६. मेघदूत टीका, विनयचन्द्रगणि / समयमूर्ति वा. सागरचन्द्र शाखा, काव्य, संस्कृत, १६६४ राडद्रह, अ. २१६७. मेघदूत टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विश्वेशरानन्द शोध संस्थान, होशियारपुर २१६८. मेघदूत टीका, सुमतिविजय उ० / विनयमेरु उ०, काव्य, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. भांडारक ओरियन्टल इन्स्टीट्यूट, पूना .. २१६९. मेघदूत अवचूरि, कनककीर्त्ति उ० / जयमन्दिरगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २१७०. मेघदूत प्रथमपद्यस्य त्रयोऽर्थ, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-श्रीकालिदासकृतमेघदूतकाव्यप्रथमवृत्तस्य... मूलार्थमपहाय व्याख्या क्रियते..., अन्त-कश्चित्कान्तेति काव्यस्य...', मु. अनुसंधान अंक ३२, अहमदाबाद २१७१. मेघमाला चौपई, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, वर्षा विज्ञान, प्राकृत-राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–तियसिंद नरिन्द नयं..., अन्त-सूरचन्द इणिभणइ धमरइ.सम्पद गेह...', अ., ह. सागरचन्दसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं., खम्भात, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २१७२. मेतार्य ऋषि चौपई, उदयहर्ष / हीरराज, रास चौपई, राजस्थानी, १७०८ भटनेर, 'अन्त–जे ___ नरनारी भावसुं रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१७३. मेतार्य ऋषि चौपई, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वजगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह २१७४. मेतार्य ऋषि चौपई, महिमसिंह (मानसिंह) / शिवनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७० पुष्कर, आदि–विदुर लोक सुखदायिनी..., अन्त–जे साधु गुण मनि सांभली...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६९४, १५०८ २१७५. मेतार्य मुनि चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७८६ सरसा, अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर २१७६. मोती कपासिया छन्द, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८९ फलौदी, 'आदि-सुंदर रूप सोहामणो..., अन्त–संप हुओ मोती कपारिये...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर 164 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१७७. मोती कपासिया संवाद, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३२ नागौर, 'आदि-समरिय सरसहि हूं कहिलूं..., अन्त–इम जाणी अभिमान थी...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर २१७८. मोहजीतचरित्र, क्षेमसागर / पूर्णसागर, चरित्र, संस्कृत, १९३९ कोटा, 'आदि-प्रणम्य वीरं निजमानसेहि..., अन्त–नवाधिकत्रिशति वीरवत्सरे...', मु. २१७९. मोहनमुनि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि यस्तीर्थकृत्खरतरामल... गा. ९', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ६२, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २१८०. मोहनमुनि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि सुयशस्वियशोमुनिहर्षमुनि... गा. ९', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ६४, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं बम्बई २१८१. मोहनमुनि चरित, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, काव्य, संस्कृत, २०१५, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., माण्डवी २१८२. मोहनमुनि चरित महाकाव्यम्, रमापति मिश्र, महाकाव्य, संस्कृत, २१वीं, मु. २१८३. मोहविवेक रास (प्रबोधचिन्तामणि रास), धर्ममन्दिर वा. / दयाकुशल उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४१ मुलतान, 'आदि-चिदानंद चित चाहसुं..., अन्त–प्रबोध चिन्तामणि ग्रन्थ प्रसिद्धो...', अ. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २१८४. मोहविवेक रास, सुमतिरङ्ग वा. / चन्द्रकीर्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३४ मुलतान, . 'अन्त–वेद राम मुनि ससिसमे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर २१८५. मौन एकादशी चौपई, आनन्दनिधान उ० / मतिवर्द्धनगणि आद्यपक्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७२७ जोधपुर, अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २१८६. मौन एकादशी चौपई,आलमचन्द / आसकरण, रास चौपई, राजस्थानी, १८१४ मकसुदाबाद, 'आदि-च्यार तिर्थंकर सासता..., अन्त–इणपर साध तणा गुण गाया...', अ., ह. अभय ग्र., . बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८८९५ २१८७. मौन एकादशी चौपई, कनकमूर्ति (कान्हजी)/ गजानन्द, रास चौपई, राजस्थानी, १७६५ - जैसलमेर, 'आदि केवल ज्ञान दिवाकरु..., अन्त–गच्छनायक श्रीजिनसुखसूरिनों...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २१८८. मौन एकादशी स्तुति सटीक, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, स्तुति, संस्कृत, मूलादि श्रीभाग्नेमिर्बभाषे..., अन्त-नयस्तपादाम्बिकाख्या...', 'आदि टीका-श्रियं भजतीतिमु...', अ., . ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८७८० २१८९. मौन एकादशी स्तुति, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तुति, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि श्रीमल्लेख़्तजन्म-केवलवरज्ञानानि... ४', मु., ह. लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४४, ह. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई खरतरगच्छ साहित्य कोश 165 For Personal & Private Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१९०. यतिश्राद्धालोचन, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, विधि, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. सुराणा लाइब्रेरी, चूरू २१९१. यत्याराधना, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, विधि, संस्कृत, १६८५ रिणी, ‘अन्त– बाणाष्ट रसे भौमाब्दो...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २१९२. यशोधरचरित्र, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १८३९ जैसलमेर, 'आदि-सकलसुरनरेन्द्र श्रेणी..., अन्त–श्रीमत्तीर्थापति जगत्रयमतः...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि, कोबा १२३५२, विनय. प्रतिलिपि २१९३. यशोधर रास, जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्र वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६४३, 'अन्त खरतरगच्छि जिनचन्द्रसूरिंद...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २१९४. यशोधर रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४७ पाटण, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११५७ २१९५. यशोधर रास, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ अमरसर, 'आदि-पणमिय पास जिणेसरु..., अन्त-खरतरगच्छ महिमानिलौ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ९०८ २१९६. यशोधर सम्बन्ध, सहजकीर्त्तिगणि/ हेमनन्दनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. धरणेन्दसूरि संग्रह, जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर २१९७. यात्रा स्तवः,जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, आदि-तीर्थयात्राप्रचलित. अन्त–इत्थं सूरि जिनेश्वरेण विनुताः...', मु., सिरिपयरणसंदोह , २१९८. यामाता पद्यस्य व्याख्या-अर्थपञ्चकम्, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद २१९९. यामिनी भानु मृगावती चौपई, चन्द्रकीर्त्तिगणि / हर्षकल्लोल वा., रास चौपई, राजस्थानी, १६८९ बाड़मेर, अन्त-कथाकोसथी में कयुं रे...', अ., ह. पूरणचन्द नाहर संग्रह, कलकत्ता २२००. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि अष्टक-कपाटलोहश्रृंखलाष्टक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्र गणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-श्रीजिनचन्द्रसूरीणां... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ.४०३ २२०१. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि निर्वाण रास, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलासगणि, ऐतिहासिक रास, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गुणनिधान गुरु पाय नमि..., अन्त-युगवर गुरु गुण गावंता हो... गा. ६९', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ७९ २२०२. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि रास, समयराजोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, ऐतिहासिक रास, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिन सासण... गा. ३९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४०९ 166 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२०३. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि रास, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, ऐतिहासिक रास, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-सकल सदाफल सेवियइ..., अन्त - शसि गच्छ मण्डण दुरियखंडण...', अ. ह.रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर, विनय प्रतिलिपि २२०४. युगादिदेव स्तोत्र, अभयतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, ‘आदिप्रह्वीभवत्त्रिदशनाथकिरीटकोटि...., अन्त - श्रीपुण्डरीकगणभृद मुखसिद्ध... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २२०५. युगादिदेव स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, पारसी, १४वीं, 'आदि-अल्लाल्लाहि... ग. ११', ह. विनय प्रतिलिपि, मु., जैन साहित्य संशोधक, खण्ड - ३ अंक १ २२०६. युगादिदेव स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-अस्तु श्रीनाभिभूर्देवो... गा. ११', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. १७ २२०७. युगादिदेव स्तोत्र - अष्टभाषामय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, अष्टभाषा, १४वीं, 'आदि-निरवधिरुचिरज्ञानं... गा. ४०', अ., ह. विनय प्रतिलिपि २२०८. युगादिदेव स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-मेरौ दुग्धपयोधि वा... गा. ३३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि २२०९. युगादिदेव स्तोत्र - षट्पत्तनालङ्करण, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि - थुणिमु छव्वट्टणे पट्टणे..., अन्त - इय थुणिय गुणतणुतरुणपह... गा. ३७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २२१०. युगादिदेव स्तोत्र - देवराजपुर, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, समसंस्कृत - प्राकृत, १४वीं, 'आदि- महिलामणि मरुदेवी..., अन्त - इत्येवं समसंस्कृतैः स्तवगुणा... गा. २४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २२११. युगादिदेव स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, ‘आदि-मेरुसार मरुदेविकाङ्गभू... गा. ७', अ. २२१२. युगादिदेव स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदिविमलशैलशिरोमुकुटायितं ..., अन्त - इत्थं देवनृदेवदेवपतिभिश्चित्तांतर... गा. २७', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २२१३. युगादि देशना हिन्दी अनुवाद, विनयश्री / हुल्लासश्री, कथा चरित्र, हिन्दी, २०वीं, मु., पुण्यश्री स्मारक ग्रन्थमाला, जयपुर २२१४. युगप्रधान चतुष्पदिका, ठक्कुर फेरु धंध गोत्रीय / ठ. चन्द्र, गुर्वावली, अपभ्रंश, १३४७ कन्नाणा, मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २२१५. युवराज चौपई, शोभाचन्द्र / विनयकीर्त्ति आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १८२२ मेड़ता, अ., ह. कोटड़ी भं., जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 167 Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२१६. योगचिन्तामणि बालावबोध, रत्नजय उ० / रत्नराजगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, भाण्डारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना २२१७. योगशास्त्र बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, योग, राजस्थानी, १५०८, अन्त श्रीमेरुसुंदरोपाध्यायविरचिते योगशास्त्रबालावबोध...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२१७३, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २२१८. योगशास्त्रभाषा चौपई, सुमतिररङ्गगणि / चन्द्रकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२०, अ., ह. कृपाचन्दसूरि भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२१५ .. २२१९. योगशास्त्र स्तबक, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर २२२०. योगिनी स्तोत्र, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, अ. २२२१. रघुवंश महाकाव्य टीका, क्षेमहंसगणि / क्षेमकीर्ति उ०, काव्य, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४७५४, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २२२२. रघुवंश महाकाव्य टीका सुबोधिनी, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र उ०, महाकाव्य, संस्कृत, १६६७ जोधपुर, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५२५५ २२२३. रघुवंश महाकाव्य टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम, महाकाव्य, संस्कृत, १६४६ बीकानेर, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २२२४. रघुवंश महाकाव्य टीका-शिष्यहितैषिणी, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज, महाकाव्य, संस्कृत, १५०७, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५१८, विनय. प्रतिलिपि, सकलचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं., खम्भात २२२५. रघुवंश महाकाव्य टीका, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि लघुखरतर, महाकाव्य, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २२२६. रघुवंश महाकाव्य टीका, धर्ममेरुगणि / चरणधर्म उ०, महाकाव्य, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. ___ कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३४४५, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २२२७. रघुवंश महाकाव्य टीका, पुण्यहर्षगणि / ललितकीर्त्तिगणि, महाकाव्य, संस्कृत, १८वीं, . अ., ह. दिगम्बर भं., जयपुर, ग्रन्थ सूची भाग-४ २२२८. रघुवंश महाकाव्य टीका अर्थलापनिका, समयसुन्दरोपाध्याय, महाकाव्य, संस्कृत, १६९२ खम्भात, अ., जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २२२९. रघुवंश महाकाव्य टीका, सुमतिविजय उ० / विनयमेरु, महाकाव्य, संस्कृत, १६९८ बीकानेर, अ., अभय ग्र., बीकानेर २२३०. रघुवंशसर्गाधिकारः, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, महाकाव्य, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर । 168 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२३१. रजोष्टकम्, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, आदि-देवगुर्वोरिव ___ शेषां, अन्त-श्रीमद्विक्रम सद्गे...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९५ २२३२. रणसिंहनरेन्द्रकथा, मुनिसोमगणि / सिद्धान्तरुचि उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १५४० शितपत्र, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २२३३. रतिसार केवली चौपई, चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, रास चौपई, अपभ्रंश, १६वीं, 'आदि-पहिलउं पणमिय प्रथम जिणेसर..., अन्त-श्री रतिसार केवलि तणउ ए...', अ., अभय ग्र., बीकानेर २२३४. रत्नकुमार चतुष्पदिका, सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७९ मुलतान, अ., ह. हुंबड़ मन्दिर ज्ञान भं., उदयपुर २२३५. रत्नकेतु चौपई, सुमतिमेरु / हेमधर्म, रास चौपई, राजस्थानी, १६६८, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७१०८ (७१) २२३६. रत्नचूड चौपई, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३६, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर २२३७. रत्नचूड मणिचूड़ चौपई, लब्धोदयगणि / ज्ञानराजगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३९ उदयपुर, 'आदि-प्रथम प्रणमि परमेष्टि पण..., अन्त-एह संबंध जे सुणिसई भणिस्यई...', अ., ह. विनयः प्रतिलिपि, हितसत्क ज्ञान भं., घाणेराव, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ३२४४ २२३८. रत्नचूड रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५७ पाटण, 'आदि प्रणमुं जिणवर पास..., अन्त-श्री खरतरगच्छ गयण दिणंदा...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १०८, भाग-३, पृ. ११६८ २२३९. रत्नचूड व्यवहारी रास, कनकनिधानगणि / चारुदत्तगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२८, 'आदि-स्वस्ति श्री शोभा सुमति..., अन्त–संवत गयवर आंखडी मुनीवर शशी उदारोरे...', '' अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९८३५ २२४०, रत्नपरीक्षा, ठक्कुर फेरु धंध गोत्रीय / ठक्कुर चन्द, रत्नशास्त्र, प्राकृत, १३७२, आदि सयलगुणाण निवासं नमिउं..., अन्त–सिरि धंधकुले आसी कन्नाणपुरम्मि सिट्ठि कालियओ...', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २२४१. रत्नपरीक्षा हिन्दी अनुवाद, तत्त्वकुमार / दर्शनलाभ, रत्नशास्त्र, हिन्दी, १८४५ राजगंज, मु., ___ नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता २२४२. रत्नपरीक्षा हिन्दी अनुवाद, रत्नशास्त्र, हिन्दी, २१वीं, मु., नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता २२४३. रत्नपाल चौपई, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८१९ कालू, 'आदि-स्वस्ति श्री प्रभु पास जिन..., अन्त–निधि सशि सिद्ध अलखने...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि 169 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२४४. रत्नपाल चौपई, रत्नविशालगणि / गुणरत्न उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२ महिमावती, 'आदि- पहिलउ प्रणमुं प्रथम जिण..., अन्त-मुनि गुण गाइयइ रतनपाल रिषिराय...', अ., ह. भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २२४५. रत्नपाल रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-स्वस्ति श्री प्रभु...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९६७३ २२४६. रत्नशेखर रत्नावली रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९, 'आदि-सरसति ताहरा चरण युग..., अन्त-इणि अवसरै गोतम भणे...', अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २२४७. रत्नसार रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण, 'आदिप्रथम जिणेसर पाय नमुं..., अन्त - रयणकुमार चरित्र श्रवणें सुणीरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - २, पृ. ११०, भाग - ३, पृ. ११७१ २२४८. रत्नसिंह राजर्षि रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४१ पाटण, 'आदि-चरम जिणेसर चरण जुग..., अन्त - सुगुरु वयनथी इणि भव पर भव सूख लयारे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ८७ २२४९. रत्नसेन पद्मावती कथा, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २२५०. रत्नहास चौपई, यशोवर्द्धनगणि / रत्नवल्लभ, रास चौपई, राजस्थानी, १७३२, अ. २२५१. रत्नहास चौपई, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२५, ' आदि - सरसति सामणि पय नमी ..., अन्त - पालई पालई रे हिक रतनहास राज पालई ... अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २२५२. रत्नाकर पञ्चविंशतिका अनुवाद, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ., स्तोत्र, राजस्थानी, १८वीं, अ. २२५३. रमतियाल शिष्य प्रबन्ध बालावबोध, रत्नाकरोपाध्याय / मेघनन्दन उ०, कथा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २२५४. रसमञ्जरी, महिमसिंह ( मानसिंह ) / शिवनिधान उ०, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. १५०८ २२५५. रसमञ्जरी चौपई, समयमाणिक्य (समर्थ) / मतिरत्नगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७६५, 'अन्त-संवत सतरे सै पैसठि समे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २२५६. रसिकप्रिया टीका, समयमाणिक्य (समर्थ) / मतिरत्नगणि, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १७५५ जालिपुर, अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २२५७. रसिकप्रिया भाषा टीका, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १७२४ जोधपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 170 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२५८. रागमाला, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, संगीत, राजस्थानी, १७२१ सूरत, 'आदि जय जय जिनराज सकल सुखसागर... गा. २८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर गुटका नं. ४१५ २२५९. राघवपाण्डवीयकाव्य टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ०, महाकाव्य, संस्कृत, १६वीं, अ. २२६०. राघवपाण्डवीयकाव्य टीका, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, महाकाव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. स्वकृत अविद पदशतार्थी २२६१. राजगृहप्रशस्तिः, भुवनहिताचार्य / जिनचन्द्रसूरि, ऐतिहासिक प्रशस्ति, संस्कृत, १४१२, मु., खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेखसंग्रह २२६२. राजप्रश्नीय उद्धार चौपई, सहजकीर्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७६, अ., ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस २२६३. राजप्रश्नीय सूत्र चौपई, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७०९ ___सक्कीनगर, 'अन्त-लीलविलास हे सहीयइ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २०५३ २२६४. राजमुनि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि-यः श्रीमोहनलालजीमुनिवरो... गा. ९', मु. लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ६७, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २२६५. राजर्षि कृतकर्म चौपई, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२८ सोजत, 'आदि-परमपुरुष परमेष्ठि पय..., अन्त-राजरिषीसर कृतकर्म हिवई रे...', : अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२६६ ।। २२६६. राजसिंह चौपई, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १६८७ जैसलमेर, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९४६ २२६७. राजसिंह रत्नावती सन्धि, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६१९ झंझेउ, आदि–पणमिय चउवीसे जिणराय, अन्त-नवपद मंत्र महानवकार', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर गुटका २२६८. राजसोमोपाध्यायाष्टक स्तोत्र, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, ___ 'आदि-श्रेयस्कारि सतां यदाशु चरितं... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०५ २२६९. राठौड़ वंशावली सवैयाबद्ध, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वंशावली, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, अ. २२७०. रात्रिभोजन चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७८७ नापासर, अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 171 For Personal & Private Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२७१. रात्रिभोजन चौपई, कमलहर्ष / मानविजय, रास चौपई, राजस्थानी, १७५० लूणकरणसर, 'आदि-श्री वरधमान जिण वंदिये..., अन्त-रात्रे भोजन टालो भवियणरे...', अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २२७२. रात्रिभोजन चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण, 'आदि- श्री संशेश्वर पास..., अन्त-निधि पाण्डव भक्ष संवत्सरे...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४०६५, बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता २२७३. रात्रिभोजन चौपई,लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३८ बीकानेर, 'आदि-वरधमान जिणवर तणा..., अन्त-जिनकुशलसूरि गुरु राजी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २२७४. रात्रिभोजन चौपई, श्रीसुन्दरगणि / यु.जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. सदागम ट्रस्ट, कोडाय २२७५. रात्रिभोजन चौपई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७२३ जयतारण, 'आदि-सुबुद्धि लबधि नवनिधि..., अन्त–रात्रिभोजन दोष दिखाया...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, छत्तीबाई उपाश्रय संग्रह, बीकानेर २२७६. रामकृष्ण चौपई, लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञानविशालगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७७ बीकानेर, 'आदि-जगत आदेकर जगतगुरु..., अन्त–सोहम सांमी परंपरा...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि २२७७. रामविनोद वैद्यक, रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्गगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७२० सक्कीनगर, 'आदि-सिद्धि बुद्धि दायक सलहीयै..., अन्त-कोटि गच्छ खरतर परधान...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २६९४ २२७८. रामायण चौपई, विद्याकुशल-चारित्रधर्म / आनन्दनिधान आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७९१ लूणकरणसर, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २२७९. रामे अष्टादशार्थाः, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, काव्य, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-त्वं संबोधय कामकेशवनिधि...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३८३ २२८०. रिपुमर्दन भुवनानन्दरास, ज्ञानसुन्दर / अभयवर्द्धन, रास चौपई, राजस्थानी, १७०८, अ., ह. सुराणा लायब्रेरी, चूरू २२८१. रिपुमर्दन भुवनानन्दरास, लब्धिकल्लोल उ० / कुशलकल्लोलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४९ पालनपुर, 'आदि-आदि जिणेसर आदि कर..., अन्त–पामी संघ तणउ आदेस...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, अभय ग्र., बीकानेर २२८२. रुक्मिणी चरित्र, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चरित्र, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 172 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२८३. रुक्मिणी चरित्र चौपई, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं जैसलमेर, अ. २२८४. रुघरास, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ. २२८५. रुचादिगणवृत्तिः, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, व्याकरण, संस्कृत, १३७९, ‘आदि-कर्त्तरि रुचादि..., अन्त-गणयुगलवृत्ति:...', अ., ह. ज्ञान भं., लीबड़ी, अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र. जोधपुर २२८६. रूपकमाला, पुण्यनन्दीगणि / समयभक्तिगणि, रास चौपई ?, अपभ्रंश, १६वीं, 'अन्त– सबल शील महिमा निलउ... गा. ३२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि २२८७. रूपकमाला टीका, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्रगणि, रास चौपई ?, संस्कृत, १६४३, अ., ह. बी. एल. इन्स्टीट्यूट ऑफ, दिल्ली, गधैया संग्रह, सरदारशहर २२८८. रूपकमाला अवचूरि, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई ?, संस्कृत, १६६३ बीकानेर, ‘अन्त- बृहत्खरतरेगच्छे श्रीजिनचन्द्रसूरयः...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २२८९. रूपकमाला बालावबोध, रत्नरङ्गोपाध्याय, रास चौपई, राजस्थानी, १५८२, 'अन्त- श्रीपुण्यनंद्यु पाध्यायेन...', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २२९०. रूपसेन राज चतुष्पदी, लालचन्द्रगणि / हीरानन्दनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९३ मेड़ता, अ. २२९१: रूपसेन राज चौपई, पुण्यकीर्त्तिगणि / हंसप्रमोदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८१ मेड़ता, ‘आदि-कामित दायक कलपतरु..., अन्त-भवियण हित चितमइ धरी...', अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर, फूलचन्द झाबक संग्रह, फलौदी, विनय प्रतिलिपि २२९२. रोहा कथा चौपई, विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलक उ० जिनसागरसूरि शाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि - सकल सुरासुर जेहने..., अन्त - ए रोहानी कथा भली...', अ., अभय ग्र., बीकानेर २२९३. लखमसीकृत २१ प्रश्नोत्तर, मतिकीर्त्ति उ० / गुणविनय उ०, चर्चा, राजस्थानी-संस्कृत, १६९१, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २२९४. लघु अजितशान्ति स्तव, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदिउल्लासिक्कमनक्ख..., अन्त– इय विजयाजियसत्तुपत्त... गा. १७', मु., जिनबल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २०६ २२९५. लघु अजितशान्ति स्तव टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, ह. संघ भं., पाटण अ., २२९६. लघु अजितशान्ति स्तव टीका, धर्मतिलकगणि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३२२, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई, ह. विनय प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 173 Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२९७. लघु अजितशान्ति स्तव अवचूर्णि, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०३२ २२९८. लघुजातक टीका, भक्तिलाभोपाध्याय / रत्नचन्द्र उ०, ज्योतिष, संस्कृत, १५७१ बीकानेर, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २२९९. लघतपोटविचारसार, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चर्चा, संस्कृत-राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २३००. लघुविधिप्रपा, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार उ०, विधि, राजस्थानी-संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२७४१ २३०१. लघुशान्ति स्तव (मानदेवीय ) टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, __ १६५९, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३०२. लघुशान्ति स्तव टीका, धर्मप्रमोदगणि/ कल्याणधीर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, नाहर संग्रह, कलकत्ता, सिद्धक्षेत्र साहित्य मन्दिर, पालीताणा २३०३. लघुशान्ति स्तव बालावबोध, कमलकीर्तिगणि / कल्याणलाभगणि, स्तोत्र, राजस्थानी, १६८७, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, स्वयं लि. २३०४. लघु स्तव त्रिपुराभारती टीका (लघुपंडितकृत), सोमतिलकसूरि / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १३९७, मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २३०५. लघु स्तव स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १७९८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३०६. ललिताङ्ग रास, मतिकीर्त्ति उ० / गुणविनय उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि पणमवी परमाणंदकर...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३०७. लीलावती रास, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२८ सोजत, 'आदि-आदीसर समरिनै..., अन्त–इक जीहईं केता कहुऐ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. २५९ २३०८. लीलावती रास, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२८, 'आदि तेवीसमो त्रिभुवनतिलो..., अन्त–खरतरगच्छमाहें गहरो...', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९१९१ २३०९. लीलावती सार भाषा, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्ष उ०, गणित ज्योतिष, राजस्थानी, १७३६, 'आदि-सोभित सिंदूर पूर..., अन्त-संपूरण लीलावती...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २३१०. लुंपकमततमोदिनकर चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चर्चा रास चौपई, राजस्थानी, १६७५ सांगानेर, 'आदि-पणमिय पदमप्रभ धणी वाणि देवि मनि आणि..., अन्त–सोलहसइ पचहत्तरि...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर 174 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३११. लुंपकमतनिर्लोढन रास, शिवसुन्दरोपाध्याय / क्षेमराज उ०, चर्चा रास चौपई, राजस्थानी, १५९७, 'आदि-शासननायक प्रभु नमूं..., अन्त - संवत पनर सताणवइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३१२. लोकतत्त्व बालावबोध, नयविलास उ० / जिनचन्द्रसूरि प्रकरण, राजस्थानी, १६९८ पूर्व, ' आदि - प्रणम्य श्री महावीरं..., अन्त - श्री जिनचंद्रसूरि शिष्य नयविलास मुनिना...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि २३१३. लोकनालवार्त्तिक, उदयसागर / सहजरत्न पिप्पलक, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३१४. लोकहिताचार्य स्तुति, मेरुनन्दनोपाध्याय ?, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि–सच्छायागमविश्रुताः सुमनसां..., अन्त–प्राग्बुद्धस्य न शङ्खशुक्लनतया...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, ह. अभय ग्र., बीकानेर २३१५. वंकचूल रास, गङ्गदास / लब्धिकल्लोलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७१ पाती, 'आदिसंति जिणेसर चिर जयतु..., अन्त-संवत सोलइकहुत्तरि जाणि...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९१४ " २३१६. वंकचूल चौपई, जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७८०, 'आदि - अपूर्ण, अन्त - वेगडखरतरगणवरदाया...', अ., ह. यति ऋद्धिकरण संग्रह, चूरू, जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर २३१७: वच्छाराज चौपई, महिमाहर्ष / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २३१८. वच्छराज देवराज चौपई, कल्याणदेव / चरणोदय, रास चौपई, राजस्थानी, १६४३ बीकानेर, 'आदि-जिनवर चरण कमल नमी ..., अन्त-संवत सोल त्रयाली वरसई...', अ., उ. जैन कवि भाग-३, पृ. ७६८ २३१९. वच्छराज देवराज चौपई, विनयलाभोपाध्याय / विनयप्रमोदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३० मुलतान, 'आदि- परम निरंजन परम प्रभु..., अन्त - इणि परि मुनि वर्णना...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ३४६ वच्छराज हंसराज चौपई, महिमासेन / शिवनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७७५ कोटड़ा, अ., ह. रामलाल संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४२३ २३२१. वज्रस्वमी रास, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४८९, 'आदिसुकृत सरोवर राजहंस... गा. ३६', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (३५) २३२२. वन राजर्षि चौपई, कुशललाभ उ० / कुशलधीर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७५० भटनेर, ‘आदि-आदि जिणेसर आदिदेव..., अन्त - इहि लोक परलोक सुख पामसी रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३२०. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 175 Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२३. वनस्पति सचित्ता चित्त विचार, रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, प्रकरण, हिन्दी, १९वीं, अ., ह. सदागम ट्रस्ट, कोडाय २३२४. वन्दनकभाष्यम्, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदि–इच्छा य अणुन्नवणा..., अन्त - एवं विणओववेओ...', मु., सिरिपयरणसंदोह, ह. ज्ञान भं., पाटण २३२५. वन्दनस्थानविवरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, विधि, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. संघ भण्डार पाटण, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २३२६. वयरस्वामी चौपई, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५९ जोधपुर, ‘आदि-वर्द्धमान जिनवर वरदाइ ..., अन्त - आवश्यक अनुसारि...', अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर, दानसागर बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २३२७. वयरस्वामी चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९, 'आदिअरध भरतमांहि शोभतोरे..., अन्त - सत्तरसइ नव पंचासईरे...', अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २३२८. वयरस्वामी रास, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४८९ 'जूनागढ़, 'आदि-जूनईगढ़ी श्रीनेमिपसाई...', अ., ह. विनय प्रतिलिपि - २३२९. वर्द्धमान जिनेश्वरसूर्यादिसुगुरु स्तुति, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं२१वीं, 'आदि-पायाद्भवत्खरतरामल... गा. ६', मु., , लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ५८, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २३३०. वर्द्धमान देशना, राजकीर्त्ति उ० / रत्नलाभ, उपदेश, संस्कृत, १७वीं, ‘आदि-नमः श्री पार्श्वनाथाय, अन्त - श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्री जिनभद्रसूरे...', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर २३३१. वर्द्धमान विद्यापट्ट, भक्तिलाभोपाध्याय / रत्नचन्द्र, मन्त्रशास्त्र, प्राकृत- संस्कृत, १६वीं, अ., बीकानेर ह. अभय ग्र., २३३२. वर्द्धमान विद्यापट्ट कल्प, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, मन्त्रशास्त्र, प्राकृत- संस्कृत, १४वीं, मु., डाय्याभाई मोहोकमलाल, अहमदाबाद २३३३. वर्द्धमान विद्यापट्ट कल्प, संघतिलकसूरि / गुणशेखरसूरि रुद्रपल्लीय, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत, १५वीं, मु. २३३४. वर्द्धमान विद्या स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-आसि किलठुत्तरसय... गा. १७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, वर्द्धमान विद्याकल्प, पृ. २१ २३३५. 176 वर्द्धमानसूर आदि प्राकृत प्रबन्ध, राजहंस / हर्षतिलक लघुखरतर, गुर्वावली, प्राकृत, १६वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १३८३ २३३६. वल्कलचीरी रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८१ जैसलमेर, 'आदि- प्रणमुं पारसनाथ न..., अन्त - श्रीवलकल रे चीरी साधु...', मु., समयसुन्दर रास पंचक, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३३७. वसुदेव चौपई, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ६६५ २३३८. वसुदेव रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६२ पाटण, आदि श्री नेमीसर जग जयउ..., अन्त–पक्षरस स्वर चंद्रमा...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ११४, भाग-३, पृ. ११७५ २३३९. वस्तुपार्श्व स्तव, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-देवदुत्थिय देवदुत्थिय... गा. १६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३४०. वस्तुपाल तेजपाल रास, अभयसोमगणि / सोमसुन्दरगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२९, 'आदि-जिनवाणी मुखि सारदा..., अन्त-सरग पुहता तिहां किण सुखै...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११९७ २३४१. वस्तुपाल तेजपाल रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८२ तिमरी, 'आदि-सरसति सामिणि पय नमी..., अन्त–सरस्वती कंठाभरण विरुद्ध...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५५१ २३४२. वाग्भट्टालङ्कार टीका, उदयसागर / सहजरत्न पिप्पलक, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. सरस्वती ज्ञान भं.. उदयपुर २३४३. वाग्भट्टालङ्कार टीका, क्षेमहंसगणि / जिनभद्रसूरि, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १६वीं, अ., उ. स्वकृत वृत्तारत्नाकर टीका २३४४: वारभट्टालङ्कार टीका, जिनवर्द्धनसूरि / जिनराजसूरि, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १५वीं, आदि श्रियमिह दिशतुः...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीतणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४१२३ २३४५. वाग्भट्टालङ्कार टीका, ज्ञानप्रमोद वा. / रत्नधीर वा., लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १६८१, आदि : यस्यानेकगुणास्पदस्यः...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १११५, बड़ा भं., . . बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर, मु., एल. डी. इन्स्टीट्यूट ऑफ, अहमदाबाद २३४६. वाग्भट्टालङ्कार टीका, राजहंस / जिनतिलकसूरि लघुखरतर, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १५८६ - तेजपुर, अ., ह. भाण्डारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना २३४७. वाग्भट्टालङ्कार टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १६९२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३४८, वाग्भट्टालङ्कार टीका, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १७वीं, , काबा ४१२३ अ. २३४९. वाग्भट्टालङ्कार बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १५३५, अ., ह. स्टेट लाइब्रेरी, जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश 177 For Personal & Private Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३५०. वाग्विलासकथा संग्रह, कीर्तिसुन्दर (कान्हजी)/ धर्मवर्द्धन उ०, कथा चरित्र, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४०६ २३५१. वाडीकुलक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. ज्ञान भं., पाटण २३५२. वातशितम्, चारुचन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय, आयुर्वेद, संस्कृत, १५वीं, अ., उ. पुरातत्त्ववर्ष २, पृ. ४१८ २३५३. वादस्थल, अभयतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, चर्चा, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३५४. वासुपूज्य स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि–प्रणतसुरनिकायं कांचनच्छायकायं... गा. ४' - अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २३५५. वासुपूज्य स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-वासवश्रेणिकोटीरकोटि... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २३५६. वासुपूज्य स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-शान्ते तव स्वान्तमचक्षुमन्त्रो... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २३५७. वासुपूज्य स्तोत्र, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-वासुपूज्य वसुपूज्यप्रमोद... गा. १५', अ., ह. जिनहर्ष - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २३५८. वास्तुसार प्रकरण, ठक्कुर फेरु धंध गोत्रीय / ठक्कुर चन्द्र, वास्तुशास्त्र, प्राकृत, १३७२ कन्नाणा, आदि-सयलसुरासुरविंद दंसण वन्नाणुगाइ..., अन्त–सिरिधंधकलस कुलसंभवेण.. मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २३५९. विक्रमचरित्र खापरा चोर चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२३, 'आदि-सरसत माता समरीये..., अन्त-सत्तरहसै तेवीसे समेजी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १४३ २३६०. विक्रमचरित्र लीलावती चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२४, 'आदि-वीणा पुस्तक धारणी..., अन्त–अति धणे हरखें विमान बेसी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २५८९ २३६१. विक्रमादित्य खापरा चोर चौपई, राजशीलोपाध्याय / साधुहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १५६३ चित्तौड़, 'आदि-सकल सदाफल गुण भंडार..., अन्त-इम सांभली पराई वस्त...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ५३९ २३६२. विक्रमादित्य ९०० कन्या खापरा चोर चौपई, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२३ जयातारण, 'आदि-पुरसादाणी प्रणमियै..., अन्त–दीपतो गच्छ खरतरतणो... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३८०९, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर 178 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३६३. विक्रमादित्य चौपई, विजयराजगणि / ललितकीर्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २३६४. विक्रमादित्य चौपई, दयातिलक वा. / रत्नजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अपूर्ण' ___ अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३२५ २३६५. विक्रमादित्य पंचदण्ड चौपई, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२८, 'आदि-प्रणमुं पास जिणंद..., अन्त–होई संघ सहुं साथ समेला...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २३६६. विक्रमादित्य पंचदण्ड चौपई, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३३, 'आदि-श्रीसुखसंपद सूरवे..., अन्त-ए धर्म दृढ़ श्रावकतणो...', अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ८६६५ २३६७. विघ्नविनाशी स्तोत्र , जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, आदि-सिग्घमवहरउ __विग्धं... गा. १४', मु., सप्तस्मरणादि स्तोत्र संग्रह २३६८. विचार अलावा, गुणरत्नसूरि / कीर्त्तिरत्नसूरि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत-राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २३६९. विचाररत्नसंग्रह, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, प्रश्रोत्तर, संस्कृत, १६५७ सेरूणा, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १३११ २३७०. विचाररत्नसार, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ : ज्ञान भं., जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर २३७१. विचारशतक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १६७४ मेड़ता, 'आदि पार्श्वनाथं जिनं...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३२०१ २३७२. विचारशतक बीजक, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २३७३. विचारषट्त्रिंशिका स्वोपज्ञ टीकासह (दण्डकप्रकरण), गजसारगणि / धवलचन्द्र उ०, प्रकरण, मूल-प्राकृत, टीका-संस्कृत, १५८१ पाटण, 'मूल का आदि-नमिउं चउवीस जिणे..., मूल का अन्त–सिरि जिणहंस मुणीसर...', 'टीका का आदि-श्रीवामेयं महिमामयं...', ह. विनय प्रतिलिपि ८८५, मु. २३७४. विचारषट्त्रिंशिका टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रकरण, संस्कृत, १६९६ अहमदाबाद, 'अन्त–संवतिरसनिधिगुहमुखसोममिते...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३७५. विचारषट्त्रिंशिका बालावबोध, आनन्दवल्लभगणि / राजचन्द्र, प्रकरण, राजस्थानी, १८८० __ अजीमगंज, अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २३७६. विचारषट्त्रिंशिका बालावबोध, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८०३ नवानगर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६४० खरतरगच्छ साहित्य कोश 179 For Personal & Private Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३७७. विचारषट्त्रिंशिका बालावबोध, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, प्रकरणं, राजस्थानी, __१७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २३७८. विचारषट्त्रिंशिका स्तबक, भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९४१२ २३७९ विचारषट्त्रिंशिका अर्थ, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २३८०. विचारषट्त्रिंशिका यन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दर, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २३८१. विचारषट्त्रिंशिका प्रश्नोत्तर, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रकरण, राजस्थानी, १७२४, अ., ह. विनयचन्द्र ज्ञान भं., जयपुर २३८२. विचारषट्त्रिंशिका स्वोपज्ञ अर्थसह, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, प्रकरण, प्राकृत राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता २३८३. विचारादि, रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्रोपाध्याय, प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १९वीं, अ. २३८४. विचारसार ग्रन्थ (गुणस्थानशतक), देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, प्राकृत, १८वीं, आदि-नमियजिणं गुणठाणे..., अन्त-भंगा संवेहाओ...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल २३८५. विचारसार ग्रन्थ स्वोपज्ञ टीका, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-श्रीनाभेय जिनंनत्वा..., अन्त–श्रीवर्द्धमानायगौतमाय...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल २३८६. विचारसार ग्रन्थ स्वोपज्ञ स्तबक, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रणम्यशासनाधीशं...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल २३८७. विचारसार प्रकरण, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, प्राकृत, १७९६, 'आदि पणमिउं वीरजिणंद..., अन्त–जाजिणवाणीविजयइ... गा. २१३', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल २३८८. विचारसार प्रकरण स्वोपज्ञ टीका सह, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, संस्कृत राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्रीवर्द्धमानमानम्य..., अन्त-जयतात्सच्चिदानंद...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल २३८९. विचारसार स्तबक, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७९६ नवानगर, 'आदि-प्रणम्य श्री महावीरं...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल २३९०. विचारसार प्रकरण स्वोपज्ञ टीकासह, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रकरण, संस्कृत प्राकृत, १८वीं, 'मूल का अन्त भंगा संवेहाओ... गा. १०७', 'टीका का अन्त-नमः श्रीवर्द्धमानाय...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा 180 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३९१. विचित्रमालिका (वज्रविलास का सार), रायचन्द्र, काव्य, हिन्दी, १९वीं, अ., ह. पं. रघुनाथराय, बनारस १८३४ लिखित प्रति . २३९२. विजयदेवमहात्म्यमहाकाव्य, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, ऐतिहासिक महाकाव्य, संस्कृत, १७वीं, मु., जैन साहित्य संशोधक समिति, अहमदाबाद, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १६८८ २३९३. विजयसेठ चौपई, राजहंस / कमललाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८२ मुलतान, 'आदि- प्रणमी पास जिणिंद पहु..., अन्त - सील प्रभाव सुणी करीरै...', अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर २३९४. विजयसेठ रास, गङ्गविनय / यशोवर्द्धन, रास चौपई, राजस्थानी, १७८१, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर २३९५. विजयसेठ विजया चौपई, उदयकमल / रत्नकुशलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८२१ कमालपुर, ' आदि - श्री जिनराज नमी करी..., अन्त-दंपपति इण विध चारित्र पाली...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २३९६. विजयसेठ विजया प्रबन्ध, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ सरसा, ' आदि - जिन चउवीसे नमी ..., अन्त - सोलहसइ पइंसठि समइ... .', अ., ह. अभय बीकानेर ग्र., २३९७. विजयसेन राजकुमार चतुष्पदिका, सुमतिसेन / रत्नभक्ति जिनरत्नीय, रास चौपई, राजस्थानी, १७०७, अ., ह. पंचायती मन्दिर, दिल्ली २३९८. विज्ञप्ति (स्तोत्र ), जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि- सिरिवीयराय . देवाहिदेव... गा. ३५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि २३९९. विज्ञप्तिका जिनचन्द्रसूरि प्रति, राजविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, विज्ञप्ति, संस्कृत, १७२७, 'अन्त-सप्त पक्षे नग क्षोणीप्रमाणितेनुवत्सरे...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई 4 २४०० विज्ञप्तिका जिनसुखसूरि प्रति, दयासिंहगणि / सुखवर्द्धनगणि, स्तोत्र, षड्भाषा, १८वीं रूपावास,‘आदि–स्वस्तिश्रियामाश्रयमीशमाश्रयन्..., अन्त-ख्यातान् श्रीवाचकख्यात्या...',मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई २४०१. विज्ञप्ति द्वात्रिंशिका, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'गा. ३३', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २४०२. विज्ञप्तिपत्रम् (विज्ञप्ति त्रिवेणी), जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, विज्ञप्ति पत्र, संस्कृत, १४८४ मलिकवाहणपुर, 'आदि - जयति लसदनन्तज्ञाननिर्भाससान्द्रो..., अन्त - विज्ञप्तित्रिवेण्यां सूक्तलसल्लहरिवारहारिण्याम्...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, पृ. ३७-७९, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 181 Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४०३. विज्ञप्तिपत्र, ज्ञानतिलकोपाध्याय / धर्मवर्द्धनगणि, विज्ञप्ति, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४०४. विज्ञप्तिपत्र जिनसुखसूरि प्रति, ज्ञानतिलकोपाध्याय / धर्मवर्द्धन उ०, विज्ञप्ति, संस्कृत, १८वीं, आदि-स्विस्ति श्रियालंकृत ईश्वरोन्य..., अन्त–पवित्रलेखपत्रकं मदीयमाप्तमाशु तत्...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई २४०५. विज्ञप्तिपत्र-जिनचन्द्रसूरि प्रति., कमलसुन्दरगणि / लावण्यकमलगणि जिनरङ्गीय, विज्ञप्ति, हिन्दी-संस्कृत, १८वीं जयपुर, 'आदि-स्वस्ति श्री शिवसुखकरण..., अन्त-वाचक लावण्यकमल पसाय थी रे...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २४०६. विज्ञप्तिमहालेख-लोकहिताचार्य प्रति., मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, विज्ञप्ति पत्र, संस्कृत, १४३१ पत्तन, आदि-श्रीश्रेयांसि सतां दिशन्तु सततं..., अन्त–श्रीमल्लोकहिताचार्यपादपद्म गुणोल्बणे...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह १-३४, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई २४०७. विज्ञानचन्द्रिका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, काव्य, संस्कृत, १८५९ जैसलमेर, 'आदि-मुङ्ग प्रासाद संयुक्ते..., अन्त–श्रियः पतिः सट्गुण...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २४०८. विदग्धमुखमण्डन टीका, विनयसागर उ० / सुमतिकलश पिप्पलक, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १६६९ सेजपुर , 'आदि-यः कांसामलया पुनाति सततं ..., अन्त-आसीच्छ्री जिनवर्द्धनाभिधगुरु...', अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर, रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २४०९. विदग्धमुखमण्डन टीका सुबोधिका, शिवचन्द्रोपाध्याय / लब्धिवर्द्धन पिप्पलक, लक्षणशास्त्र, १६९९, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., बीकानेर. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९९६२ २४१०. विदग्धमुखमण्डन टीका दर्पण, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४११. विदग्धमुखमण्डन अवचूरि, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, लक्षणशास्त्र, संस्कृत, १४वीं, __ अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २४१२. विदग्धमुखमण्डन बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. कोटडी भं., जोधपुर, विनय. प्रतिलिपि-अपूर्ण २४१३. विद्यानरेन्द्र चौपई, आज्ञासुन्दर / जिनवर्द्धनसूरि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १५१६, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २४१४. विद्याविलास चौपई, जिनोदयसूरि / जिनतिलक भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२ बालोतरा, ‘अन्त–सुगुरु वचनथी संभली पामी गुरु आदेस...', अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर, खजांची संग्रह, बीकानेर 182 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४१५. विद्याविलास चौपई, न्यायसुन्दर (आज्ञासुन्दर) / जिनवर्धनसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १५१६, आदि-गोयम गणहर पाय नमी..., अन्त–इणि परि पुण्यउपाली आउ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३८११, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५१ २४१६. विद्याविलास रास, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २४१७. विद्याविलास रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७११ सरसा, 'आदि-सरसति नित आपौ सुमति..., अन्त-सतरेइज्ञारोत्तर वरसे...', अ., ह. जैनभवन, कलकत्ता, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९२६९, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २४१८. विद्याविलास रास, यशोवर्द्धनगणि / रत्नवल्लभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५८ बेनातट, 'आदि-संवत् सतर अठावन वरसै... ६', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २४१९. विद्याविलास रास, राजसिंह वा. / विमलविनयगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७९ चंपावती, 'आदि-श्री जिनवर मुखवासिनी..., अन्त–दान धर्म गुण दाखियो रे...', अ., ह. दानसागर बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २४२०. विद्वत्प्रबोधकाव्यम् सावचूरि, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, कोश, संस्कृत, १७वीं बलभद्रपुर, मु., आदि सारदां शारदां देवी..., अन्त-श्रीज्ञानवितलोपाध्यायानां शिष्यैर्विनिर्ममे.. मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २४२१. विधिकन्दली स्वोपज्ञ टीकासह, नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., विधि, प्राकृत-संस्कृत, १६२५ वीरमपुर, 'मूलादि-पणमिय वीरं सुमयं..., अन्त-विहियं वीरमपुरे जयउ...', 'आदि टीका-प्रणम्य श्रीमहावीरं...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २४२२. विधिचैत्य मूलनायक नमस्कार, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि–श्रीमालाख्यपुरे सुशर्मनगर..., अन्त-श्री नाभेयजिनश्च वाग्भटपुरे... गा. २', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४२३. विधिमार्गप्रपा, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, विधि, प्राकृत-संस्कृत, १३६३ कोसलानगर, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ४४२, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २४२४. विधि स्थानक चौपई (यु. जिनचन्द्रसूरि गीत), कल्याणलाभ ? / भुवनधीर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गरुवौ गच्छ खरतर तणौ..., अन्त-रोस रोस हम मनि नहीं... गा. १७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ११९ २४२५. विपाकसूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-नत्वा श्रीवर्द्धमानाय..., अन्त–इहानुयोगे यदयुक्तमुक्तं...', मु., आगमोदय समिति, सूरत २४२६. विपाकसूत्र हिन्दी अनुवाद, वीरपुत्र आनन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागरजी, आगम, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा खरतरगच्छ साहित्य कोश 183 For Personal & Private Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२७. विपाकसूत्र संधि, धर्ममेरुगणि / चरणधर्मगणि, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अन्त–संवत __ मनु लोचन सई...', अ., ह. मोहन विजय पाठशाला श्रीमालीसंघ, जामनगर, पत्र ३१ . २४२८. विमल-यमल स्तुति टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४२९. विवाहपटल अर्थ, विद्याहेमगणि / क्षमामाणिक्यगणि, ज्योतिष, राजस्थानी, १८३०, अ., ह. वर्द्धमान - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २४३०. विवाहपटल बालावबोध, अमर / सोमसुन्दर, ज्योतिष, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४३१. विवाहपटल भाषा, अभयकुशलगणि / पुण्यहर्षगणि, ज्योतिष, राजस्थानी, १८वीं, अन्त– पुन्यहरष वाचक परगडा...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४३२. विवाहपटल भाषा, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, ज्योतिष, राजस्थानी, १८वीं, अ., ___ ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३२४ . २४३३. विविधतीर्थकल्प, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, ऐतिहासिक कल्प, प्राकृत-संस्कृत, १३८९ दिल्ली, आदि-देव श्रीपुण्डरीकाख्य..., अन्त-आदितः सर्वकल्पेषु...', मु., सिंघी जैन ग्रन्थमाला शान्ति निकेतन २४३४. विविध प्रश्नोत्तर १, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, प्रश्रोत्तर, राजस्थानी, १९वीं, मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ३५७ २४३५. विविध प्रश्नोत्तर २, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १९वीं, मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ४०८ २४३६. विविध रत्नाकर प्रश्नोत्तर, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १६५७, अ., ह. सदागम ट्रस्ट, कोडाय २४३७. विंशतिपदप्रकाश, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशील उ०, काव्य, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २४३८. विंशतिस्थानक चैत्यवन्दनविशतिका, लब्धिमुनि उ० / रालमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २००५ जयपुर, 'आदि-जगत्स्तव्यं जगद्वन्द्यं... गा. ६८', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. २९-३७, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २४३९. विंशतिस्थानक स्तुतयः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, 'आदि भूतानागतवर्तमानसमये... गा. २२', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ३७-४२, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २४४०. विंशिका, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-इतोऽप्यभय देवाख्यसूरेः..., अन्त–कृताङ्गि गणभद्रेण...', मु., युगप्रधान जिनदत्तसूरि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर 184 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४१. विशेषनाममाला, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, कोश, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २४४२. विशेषशतक, समयसुन्दरोपाध्याय /सकलचन्द्रगणि, प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १६७२ मेड़ता, 'आदि-सुधर्म स्वामिनं नत्वा..., अन्त-श्रीमत्खरतरगच्छे श्रीमज्जिण...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २४४३. विशेषशतक भाषा, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १८८२ बालूचर, 'आदि-श्रीसम्मभवजिनाधीसं..., अन्त-जिन बुद्धि प्रकास...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३३००, अभय ग्र., बीकानेर २४४४. विशेषसंग्रह, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १६८५, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि २४४५. विषमकाव्य अवचूरि, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, काव्य, संस्कृत, १४वीं, अ., अ. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४४६. विसम्वादशतक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. __अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ४४८, १२१६ २४४७. विहरमान जिन स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि सीमन्धरं जिनवरं युगमन्धरं च... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६ (६) २४४८. विहरमान जिन स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि भत्ति सरोवर उलटियो..., अन्त–सुरतर सुन्दर इय थुणिय... गा. २५', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२६-४२७ २४४९. विहरमानजिन स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'गा. ४', अ. २४५०. वीजलपुर वासुपूज्य बोली, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, अ. २४५१. वीतराग विज्ञप्तिका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि त्रिलोकीतलानंद संदोहदाया... गा. १५', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (१८); विनय. प्रतिलिपि ४१६ (२१) -२४५२. वीतराग विज्ञप्तिका, जिनलब्धिसूरि / जिनपद्मसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि आनन्दपरमानन्द..., अन्त–एवं श्रीवीतरागजगदुपकृति... गा. ३२', अ. २४५३. वीतराग विज्ञप्तिका, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि मुखं सम्मुखं... गा. १२', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २४५४. वीतराग स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-अहो अमेघजावृष्टि अहो अकुसुमं फलं... गा. ६', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४५५. वीतराग स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-नमोस्तुते जगन्नाथ..., अन्त–इत्थं अहँ गुणावासं... गा. १०', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं. खम्भात, पृ. ४११ खरतरगच्छ साहित्य कोश 185 For Personal & Private Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४५६. वीतराग स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-त्वं माता त्वं पिता बन्धुस्त्वं..., अन्त–किंकरे सन्ति कारुण्यं... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४५७. वीतराग स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि-जय जय जिण सुप्रसन्न मणा... गा. १९', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (१६) २४५८. वीतराग स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-जयन्ति पादा जिननायकस्य... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. ३६१ २४५९. वीतराग स्तोत्र , जिनरत्नसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-यत्राल्पेनापि कालेन त्वद्भक्तेः, अन्त-बहुदोषो दोषहीनाः... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४६०. वीतराग स्तोत्र टीका, प्रभानन्दसूरि / देवभद्रसूरि रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, _ 'आदि-अनन्तदर्शनज्ञानवीर्य.... अन्त-सलभैश्चेति समंजसं...', अ., ह. कैलाशसागरसरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९१४१, १०१६२ २४६१. वीतराग स्तोत्र, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'अन्त-श्रीवीरतराग स्तवनादमुष्मात्... अपूर्ण', मु., पार्श्वनाथ चरित्र, जैन आत्मानंद सभा, भावनगर २४६२. वीतराग स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि देविंदनागिंद... गा. २५', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २४६३. वीतराग स्तोत्र (विविध छन्द), समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगधि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-श्रीसर्वज्ञं जिनं स्तोष्ये... गा. २२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१५ २४६४. वीरचरितम्, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, चरित्र-स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-जय __ भववणनिकंदण..., अन्त–कत्तियमासअमावस...', मु., जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. १६५ २४६५. वीर जन्माभिषेक बोली, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, अ., ह. जिनहर्ष - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २४६६. वीर निर्वाण रास, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं भावनगर, 'आदि-सच्छांतिकांतिसमतानिशांतं..., अन्त–गावो गावो रे जिनराजतणा...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा २४६७. वीरपारणक स्तोत्र, वर्द्धमानसूरि / उद्योतनसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, ११वीं, 'गा. ५३', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., कोटा २४६८. वीरभक्तामर स्तोत्र स्वोपज्ञ टीकासह भक्तामर पादपूर्ति, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, आदि-राजर्द्धिवृद्धिभवनाद्..., अन्त-रसगुणमुनिभूमेब्देत्र... गा. ४५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३३७ २४६९. वीरभाण उदयभाण चौपई, केशवदास / लावण्यरत्न वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७४५ नवानगर 'आदि-उद्गुरुजी सानिध करो..., अन्त-धनधन वीरभाण उदेभाग मुनिवरु...', अ., ह. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९२४ 186 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४७०. वीरायु ७२ वर्ष स्पष्टीकरण, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, चरित्र, राजस्थानी, १८३७ मेड़ता, अ. २४७१. वीस विहरमान स्तोत्र (षटपत्तनालङ्करण), तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सिद्धते पढमाणुओगकहिए..., अन्त–इय वीस जिणवर नमिर... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २४७२. वीसविहरमान माता-पितानाम गर्भित स्तोत्र, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'गा. १९', अ. २४७३. वीसस्थानक पुण्यविलास रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४८ पाटण, आदि-सकल सिद्धि संपति करण..., अन्त-ग्रन्थ विचारामृत संग्रही...', अ., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६५३१, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २४७४. वीसस्थानक स्तुति, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, अ. २४७५. वृत्तरत्नाकर टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, छन्द शास्त्र, संस्कृत, १६९४ जालौर, 'अन्त–संवति विधि मुख निधि... गा. १३००', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर २४७६. वृत्तरत्नाकर टिप्पण, क्षेमहंसगणि / जिनभद्रसूरि, छन्दशास्त्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २४७७. वृतरत्नाकर बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, छन्द, राजस्थानी, १६वीं, अ., . ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, गधैया संग्रह, सरदारशहर २४७८. वृतप्रबोध, जिनप्रबोधसूरि / जिनेश्वरसूरि द्वि., छन्दशास्त्र, संस्कृत, १४वीं, अ., खरतरगच्छ बृहद् गुर्वावली, पृ. ५७ २४७९. वृद्धाचार्य प्रबन्धावली, ?, गुर्वावली, प्राकृत, १५वीं, 'आदि-अहन्नाया कयाई सिरिवद्धमाणसूरिआयरिया..', मु., खरतरगच्छ बृहद् गुर्वावली, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २४८०. वेट्थपदविवेचन, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याकरण, संस्कृत, १६८४ बीकानेर, अ. २४८१. वेताल पच्चीसी, हेमाणंदगणि / हीरकलश उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४६, आदि प्रणम्य देवदेवंच..., अन्त–साहसवंत निरखी नृपराई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २८८ २४८२. वैद्यजीवन स्तबक, चैनसुख / लाभनिधान उ०, आयुर्वेद, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. ज्ञान भं., फतहपुर २४८३. वैद्यजीवन स्तबक, सुमतिधीर / ज्ञानविलास, आयुर्वेद, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. ज्ञान भं., चूरू १८४१ लिखित 187 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८४. वैदर्भी चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७११, 'आदि पास जिणेसर परगडो..., अन्त–संवत सत्तर अग्यारोतरइजीरे...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४१२८, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १४३ २४८५. वैदर्भी चौपई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७१३ जयतारण, 'आदि-सानिधि. जस कवि सा सगति..., अन्त–वैदरभी कुखि सीपमोनाहम...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रामलालजी संग्रह, बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४१४८ २४८६. वैद्यक ग्रन्थ, दीपचन्द्रोपाध्याय / दयातिलक, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २४८७. वैद्यदीपक, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, आयुर्वेद, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलालगणि बीकानेर २४८८. वैद्यविरहिणी प्रबन्ध, उदयराज / भद्रसार भावहर्षीय, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४८९. वैद्यहुलास तिब्बसहावी भाषा, मलूकचन्द, आयुर्वेद, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-नक्षत्र देव चित धन धर..., अन्त–वैद्य हुलास जु नाम धरी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १५४६ २४९०. वैर रास, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४९०, अ., ह. जयचन्द्र संग्रह, बीकानेर २४९१. वैराग्यधनदशतकम्, धनदराज मन्त्री / देहड़, काव्य, संस्कृत, १४९० मण्डपदुर्ग, 'आदि सिद्धौ व्योम्नो द्वितीयस्तदुदितमरुतः..., अन्त–इत्यङ्गेषु स्थिरेषु प्रभवदुरुशमः...', मु., काव्यमाला तेरहवाँ गुच्छक २४९२. वैराग्यशतकम्, पद्मानन्द / धनदेव, काव्य, संस्कृत, १२वीं नागौर, 'आदि-त्रैलोक्यं युगपत्कराम्बुजलु..., अन्त-सिक्तः श्रीजिनवल्लभस्य सुगुरोः...'; मु., काव्यमाला सप्तम गुच्छक २४९३. वैराग्यशतकम् हिन्दी अनुवाद, पद्मानन्द / धनदेव, अनुवादक - विनोदश्री, काव्य, संस्कृत, २१वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २४९४. वैराग्यशतकम्, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४९५. वैराग्यशतक टीका, क्षेमचन्द्र, उपदेश, संस्कृत, १८वीं-१९वीं, 'अन्त–वीरं वारिधि गंभीरं..., अ., ह. खररतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २४९६. वैराग्यशतक टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, उपदेश, संस्कृत, १६४७, 'आदि प्रणम्य श्रीधरं पार्श्व..., अन्त-श्रीगुरुखरतरगच्छे... गा. ९९५', मु., सन्मार्ग प्रकाशन, अहमदाबाद २४९७. वैराग्यशतक टीका, ज्ञानसागरोपाध्याय / क्षमालाभगणि, उपदेश, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर 188 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४९८. वैराग्यशतक (भर्तृहरि ) टीका सर्वार्थसिद्धि मणिमाला, जिनसमुद्रसूरि / बेगड़ जिनचन्द्रसूरि, काव्य, राजस्थानी, १७४०, 'आदि-नमः श्रीवर्द्धमानाय...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १०१३६, अभय ग्र., बीकानेर २४९९. वैराग्यशतक (भर्तृहरि ) स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, काव्य, राजस्थानी, १७८८ सोजत, 'अन्त-रूपचंद्र पाठक रच्यो रासो गाह आरत्थ...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर २५००. वैश्रवण कथा, संघतिलकसूरि / गुणशेखरसूरि रुद्रपल्लीय, कथा, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. सकलचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं., खम्भात २५०१. व्यवस्थाकुलक, जिनचन्द्रसूरि / जिनदत्तसूरि, विधि, प्राकृत, १३वीं, 'आदि-पणमिय वीरं पणयंकगि..., अन्त–एवं जिणदत्तणं करेइ... गा. ६२', मु., सिरिपयरणसंदोह २५०२. व्यवस्थाकुलक हिन्दी अनुवाद, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, विधि, हिन्दी, ___ २१वीं, मु., मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता २५०३. व्यवहारकुलक, जिनचन्द्रसूरि / जिनदत्तसूरि, उपदेश, प्राकृत, १३वीं, ‘अन्त-संखेवेण मिहुत्तमागममयं...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २५०४. व्यवहारसूत्र अर्थ, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., स्वकृत निशीथसूत्र अर्थ २५०५. व्याकरणकठिनशब्दवृत्तिः, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, . अ., ह. बड़ा भं., बीकानेर २५०६. व्याख्यान - अक्षयतृतीयाव्याख्यान, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, व्याख्यान, संस्कृत, १९वीं, 'आदि-प्रणिपत्य प्रभुं पार्श्व ..., अन्त–अक्षयादितृतीयाया व्याख्यानं...', मु., सुमति कार्यालय कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर २५०७. व्याख्यान - अक्षयतृतीयाव्याख्यान भाषा, चारित्रसागर /सुमतिवर्द्धन, व्याख्यान, राजस्थानी, . १९०९, अ., ह. बद्रीदास सं., कलकत्ता २५०८. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, व्याख्यान, . संस्कृत, १८६० जैसलमेर, आदि-शांतीशं शांतिकतर..., अन्त–संवद्वयोमरसाष्टरात्रिप्रमिते.... मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक - म. विनयसागर, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २५०९. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान, नन्दलाल पाठक, व्याख्यान, संस्कृत, १७६९, अ., ह. ___ दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर, हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस २५१०. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान भाषा, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, व्याख्यान, हिन्दी, १८७३, अ., ह. जैनभवन, कलकत्ता २५११. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान भाषा, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, व्याख्यान, हिन्दी, १९४९, अ., खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 189 For Personal & Private Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५१२. व्याख्यान - अष्टाहिकाव्याख्यान भाषा, नेमिचन्द्र भण्डारी / गजवल्लभगणि, व्याख्यान, राजस्थानी, १८६५, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १०८९ २५१३. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान भाषा, मतिमन्दिर, व्याख्यान, हिन्दी, १८८२, 'अन्त भाषा सुगम सुजाण...', अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर, यति जयकरण संग्रह, बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९४२१, ९६५९ २५१४. व्याख्यान - कार्तिकपूर्णिमाव्याख्यान, जयसारोपाध्याय / हस्तरत्न वा. पौत्र, व्याख्यान, संस्कृत, १८७३ जैसलमेर, मु., सुमति कार्यालय कोटा, सम्पादक-म० विनयसागर २५१५. व्याख्यान - चातुर्मासिक व्याख्यान, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, व्याख्यान, संस्कृत, १९वीं, 'आदि-स्मारं स्मारं स्फरज्ज्ञानं...', मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २५१६. व्याख्यान - चातुर्मासिक व्याख्यान, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार वा., व्याख्यान, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २५१७. व्याख्यान - चातुर्मासिक व्याख्यान पद्धति, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याख्यान, संस्कृत, १६६५ अमरसर, 'आदि-प्रणम्य परमानन्द...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ३१९५, ह. विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २५१८. व्याख्यान - चातुर्मासिक व्याख्यान, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, व्याख्यान, संस्कृत, १६९४, आदि-प्रणम्य श्रीमहावीरं...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २२००, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २५१९. व्याख्यान - चातुर्मासिक व्याख्यान भाषा, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, व्याख्यान, हिन्दी, १८७३, अ., ह. जैन भवन, कलकत्ता । २५२०. व्याख्यान - चैत्रीपूर्णिमाव्याख्यान, जीवराज / भवानीराम जिनसागरसूरि शाखा, व्याख्यान, संस्कृत, १८७९ जैसलमेर, आदि-तीर्थराजं नमस्कृत्य..., अन्त–नन्दे रसे सिद्धिचन्द्रे...', मु., सुमति कार्यालय कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर २५२१. व्याख्यान - ज्ञानपञ्चमीव्याख्यान, बालचन्द्रसूरि / रूपचन्द्रगणि, व्याख्यान, संस्कृत, २०वीं, अ., ह. हीराचन्द्रसूरि ज्ञान भं., बनारस २५२२. व्याख्यान - ज्ञानपञ्चमीव्याख्यान, व्याख्यान, संस्कृत, २०वीं, आदि-श्रीमत्पार्श्वजिनाधीशं..., अन्त-एवं विभाव्य भो भव्याः...', मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक - म. विनयसागर २५२३. व्याख्यान - ज्ञानपञ्चमी व्याख्यान भाषा, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, व्याख्यान, हिन्दी, १८७३, अ. २५२४. व्याख्यान - ज्ञानपञ्चमी व्याख्यान बालावबोध, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, व्याख्यान, राजस्थानी, १८वीं, अ. 190 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२५. व्याख्यान - दीपमालिका व्याख्यान, उम्मेदचन्द्रगणि / रामचन्द्रगणि, व्याख्यान, संस्कृत, १८९६ अजीमगंज, ‘आदि - श्रीनेमिशं जिनं नत्वा..., अन्त - षण्नन्दवसुचन्द्राब्दे...', मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक म० विनयसागर २५२६. व्याख्यान - दीपमालिका कल्प बालावबोध, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, व्याख्यान, राजस्थानी, १७६३ पाटण, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६३७ दीपमालिका कल्प बालावबोध, जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, व्याख्यान, राजस्थानी, १८२८, अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४८१ २५२७. व्याख्यान २५२८. व्याख्यान - दीपमालिकाकल्प बालावबोध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याख्यान, राजस्थानी, १६८२, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, खजांची रा.प्रा.वि.प्र., संग्रह, बीकानेर २५२९. व्याख्यान - द्वादशपर्वकथा, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, व्याख्यान, संस्कृत, २०वीं - २१वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., माण्डवी २५३०. व्याख्यान - द्वादश पर्वव्याख्यान हिन्दी अनुवाद, वीरपुत्र आनन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागर, व्याख्यान, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा २५३१. व्याख्यान - पर्युषणव्याख्यान पद्धति, समयराजोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, व्याख्यान, संस्कृत, १६६२, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५३२. व्याख्यान पौषदशमी व्याख्यान, व्याख्यान, संस्कृत, १९वीं, 'आदि- प्रणम्य पार्श्वनाथांघ्रिपंकजं ...', मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर २५३३. व्याख्यान - पौषदशमी व्याख्यान, जीवराज / भवानीराम जिनसागरसूरिशाखा, व्याख्यान, १९वीं, मु., चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर - २५३४. व्याख्यान - मेरुत्रयोदशी व्याख्यान, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, व्याख्यान, संस्कृत, १८६० बीकानेर, 'आदि - मारुदेवं जिनं नत्वा..., अन्त - सम्वद्व्योमरसाष्टेन्दु...', मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक म० विनयसागर २५३५. व्याख्यान - मेरुत्रयोदशी भाषा, चारित्रसागर / सुमतिवर्द्धनगणि, व्याख्यान, हिन्दी, १९०९, अ., ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता २५३६. व्याख्यान मौनैकादशी व्याख्यान, व्याख्यान, संस्कृत, १९वीं, 'आदि - अरस्य प्रव्रज्या नमिजिनपतेर्ज्ञानमतुलं...', मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर - २५३७. व्याख्यान - मौनैकादशी व्याख्यान, जीवराज / भवानीराम, व्याख्यान, संस्कृत, १८४७ बीकानेर, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २५३८. व्याख्यान - मौनैकादशी व्याख्यान, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, व्याख्यान, संस्कृत, १८८४ जैसलमेर, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 191 Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५३९. व्याख्यान - मौनैकादशी व्याख्यान भाषा, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, व्याख्यान, राजस्थानी, १९वीं, अ. २५४०. व्याख्यान - मौनैकादशी व्याख्यान भाषा, चारित्रसागर / सुमतिवर्द्धन, व्याख्यान, हिन्दी, १९०९, अ., ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता २५४१. व्याख्यान - मौनैकादशी व्याख्यान बालावबोध, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, व्याख्यान, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २५४२. व्याख्यान - रोहिणी व्याख्यान, व्याख्यान, संस्कृत, १९वीं, 'आदि-उच्छिट्ठमसुन्दरयं', मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर २५४३. व्याख्यान - रोहिणी व्याख्यान भाषा, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, व्याख्यान, राजस्थानी, १८७३, अ. २५४४. व्याख्यान - होलिका व्याख्यान, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, व्याख्यान, संस्कृत, १८३५ पाटुधी, 'आदि-होलिका फाल्गुने मासे..., अन्त-संवद्वाणकुशानुसिद्धिवसुधा...', मु. सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर २५४५. व्याख्यान - होलिका व्याख्यान भाषा, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, व्याख्यान, राजस्थानी, १८७३, अ. २५४६. शकुनदीपिका चौपई, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, शकुन रास चौपई, राजस्थानी, १७७० 'अन्त–वर्ष सत्तर सीत्तरि शभ दाख...'. अ.. ह. तपागच्छीय ज्ञान भं.. जैसलमेर, बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २५४७. शकुनविचार दोहा, लक्ष्मीचन्द्रगणि, शकुनशास्त्र, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २५४८. शकुनरत्नावली, वर्द्धमानसूरि / अभयदेवसूरि, शकुनशास्त्र, प्राकृत, १२वीं, अ., उ. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग-५, पृ. १९८ २५४९. शकुनशास्त्र, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, शकुनशास्त्र, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलालगणि, बीकानेर २५५०. शकुन्तला रास, धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंहगणि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-सरसति सामिणि करु पसाय..., अन्त–कुललाज दाखई विनय भाखई...', मु., जैन साहित्य संशोधक खण्ड-३, पृ. १९७ २५५१. शुक्रस्तव णमोत्थुणं बालावबोध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि-प्रणिपादण्डकवर व्याख्या बालावबोधरूपेयम्...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २५५२. शक्रस्तवाम्नाय, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर 192 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५५३. शंखेश्वर पार्श्वनाथ नमस्कार, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-श्रीशंखेश्वरनित्य... गा. २', अ., ___ ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५५४. शतकत्रय ( भर्तृहरि ) बालावबोध, अभयकुशलगणि / पुण्यहर्ष, काव्य, राजस्थानी, १७५५ सिणली, अ., ह. यति प्रेमसुन्दर संग्रह, फलौदी २५५५. शतकत्रय(भर्तृहरि ) बालावबोध, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, काव्य, राजस्थानी, १७८८ सोजत, 'आदि-सर्व दर्शनमानम्य...', अ., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २५५६. शतकत्रय (भर्तृहरि) स्तबक, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति, काव्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर २५५७. शतकत्रय (भर्तृहरि) पद्यानुवाद, विनयलाभोपाध्याय / विनयप्रमोदगणि, काव्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २५५८. शतश्लोकी स्तबक, चैनसुख / लाभनिधान, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८२०, अ., ह. ज्ञान भं., फतहपुर २५५९. शतश्लोकी स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८३१ पाली, अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ३९ २५६०. शत्रुञ्जय उद्धार रास, भीमराज / गुलाबचन्द जिनसागरसूरिशाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १८१६ सूरत, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३२४ २५६१. शत्रुञ्जय चैत्य परिपाटी, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द उ०, चैत्य परिपाटी, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-नमवि अरिहंत पयणंत गुण आगरा..., अन्त-श्री ज्ञानधर्म सुशीस पाठक...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २५६२. शत्रुञ्जय चैत्य परिपाटी, विजयतिलकोपाध्याय / विनयप्रभोपाध्याय, चैत्य परिपाटी, - अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-समरवि सरसति हंसला..., अन्त–इय सिरि चेत्र परिवाड़ि... गा. २५', अ. ह. अभय ग्र., बीकानेर २५६३, शत्रुञ्जय चैत्य प्रवाड़ी, स्तोत्र, प्राकृत, 'आदि-सामिय रिषह पसाउ करी..., अन्त-ऐह जी चैत्य प्रवाड़ी नर पढई गुणइ सुणंती... गा. २५', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२१-४२२ २५६४. शत्रुञ्जयतीर्थ स्तुति, मेरुनन्दनोपाध्याय?, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, आदि-सिद्धिक्षेत्रेत्र यस्मिन् सकृदपि..., अन्त–यद्धयानं हरतेङ्गिपातकततिं...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, पृ. ३६, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई २५६५. शत्रुञ्जयतीर्थोद्धारकल्प, महिमसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६९ जैसलमेर, 'आदि-विमलविमलगिरि मंडणउ..., अन्त–संवत सोल गुणहत्तरा.. अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 193 For Personal & Private Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५६६. शत्रुञ्जय नमस्कारगर्भित अष्टोत्तरशतक्षमाश्रमण पद्य, लब्धिमुनि उ० / राजममुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, आदि-प्रणम्यादिजिनं भक्त्या ... गा. १०९', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ.७७-८८, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २५६७. शत्रुञ्जय नमस्कारगर्भित एकविंशति क्षमाश्रमण पद्य, लब्धिमुनि उ० / राजममुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, आदि-बाह्याभ्यन्तरशत्रूणां... गा. २४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ.८८ ९१, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २५६८. शत्रुञ्जय महात्म्य रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५५ पाटण, 'आदि-विश्वनाथ चरणे नमुं..., अन्त–संवत सत्तरेसे पंचावने...', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग-४, ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २३३, ६८६ २५६९. शत्रुञ्जय महात्म्य रास, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८४ आसनीकोट, 'आदि-श्रीखरतरगच्छ सूरि जिणेसर...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २५७०. शत्रुञ्जय यात्रा रास, कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २५७१. शत्रुञ्जय यात्रा रास, विनयमेरुगणि / हेमधर्मगणि, ऐतिहासिक रास चौपई, राजस्थानी, १६७९ जैसलमेर, 'आदि-सेव॒ज्य तीरथ धणी..., अन्त–सोलहसइ उणासीयइ ए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २५७२. शत्रुञ्जय यात्री संघ चैत्य परिपाटी, गुणरङ्ग उ० / प्रमोदमाणिक्य उ०, चैत्य परिपाटी, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पढम जिण पमुह चौवीस..., अन्त–इणि परि हे चेत पवाड़ी भवियण... गा. २७', अ., ह. पूरनचन्द नाहर संग्रह, कलकत्ता । २५७३. शत्रुञ्जय रास, जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास, राजस्थानी, १७२३, 'आदि-आवौ मिलौ सहेलियाँ..., अन्त–इम सिद्ध गिरिवर सचल दुखहर... गा. ६३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २५७४. शत्रुञ्जय रास, पूर्णप्रभगणि / शान्तिकुशलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७९०, 'आदि आदिकरण अरहंतजी..., अन्त-शेव्रुज जात्र सफली करौरै...', अ., अनन्तनाथ ज्ञान भं., बम्बई २५७५. शत्रुञ्जय रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८२ नागौर, 'आदि-श्री रिसहेसर पाय नमी..., अन्त-शत्रुञ्जय महातम सांभलीए...', मु., समयसुन्दर कृति कु. ५७५ २५७६. शत्रुञ्जय महात्म्य, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, कथा, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २५७७. शत्रुञ्जय स्तव बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १५१८, अ., ह. भाण्डारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना 194 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५७८. शत्रुञ्जय स्तोत्र, दिवाकराचार्य / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, सस्कृत, १४वी, आदि देव नाभेयमोले - विमलगिरिवरो... गा. २६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २५७९. शत्रुञ्जयोत्पत्ति, सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, कथा, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २५८०. शत्रुञ्जयोद्धारलहरी, स्वरूपचन्द्र / हितप्रमोद, कथा, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. यति सुमेरमल संग्रह, भीनासर २५८१. शनिश्चर विक्रम चौपई, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं राधनपुर, 'आदि-सरसति सुमति दो मूहनि..., अन्त-राय सिद्धसेन दिवाकर गुरुवयणे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ३४१ २५८२. शब्दप्रभेद टीका, ज्ञानविमलोपाध्याय / भानुमेरु, कोश, संस्कृत, १६५४ बीकानेर, 'आदि श्रीमन्तं भगवन्तमन्वहमहं..., अन्त-श्रीमद्विक्रमतोद्यशीति सहिते...', अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, शीघ्र प्रकाश्यमान २५८३. शब्दरत्नाकर, साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्ति उ०, कोश, संस्कृत, १७वीं, 'ध्यात्वार्हतो गुरून् प्राज्ञान..., अन्त–वादीन्द्र श्री साधुकीय॒पाध्याय मिश्राणां...', मु., यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३३७५, १३४२२ २५८४. शब्दार्णव्याकरण स्वोपज्ञ टीकासह, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, 'मूलादि-श्रीपार्श्व प्रणित्य...', 'आदि टीका-सिद्ध्यर्थं फलवृद्धि..., अन्तकल्याणभाजः...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२९१३, १२९१४, विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५८५. शान्तिनाथ कलश, राचभडु, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद २५८६. शान्तिनाथ चरित्र, जिनकुशलसूरि / जिनचन्द्रसूरि, चरित्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-सिरि संतिनाह चरियं माणस पउमा..., अन्त–इय तुह चरियं संदेसिउ... गा. ३२', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० लि. २५८७. शान्तिनाथ चरित्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, चरित्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि अप्पडिहयधम्मचक्केण..., अन्त-बहुलाए तेरसीए...', मु., जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. १५४ २५८८. शान्तिनाथ प्रबन्ध रास, लब्धिविमल / लब्धिरङ्ग, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. ज्ञान भं., झुंझनू २५८९. शान्तिनाथ बोली, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १३वीं, अ., ह. अभय ग्र., . बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ २५९०. शान्तिनाथ रास, रङ्गसारगणि / भावहर्षसूरि भावहर्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६२० वीरमपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २५९१. शान्तिनाथ देव रास, लक्ष्मीतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश 195 For Personal & Private Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५९२. शान्तिनाथ विज्ञप्तिका, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि ___ अति आणंद नमेवि... गा. २४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २५९३. शान्तिनाथ विवाहलो, सहजकीर्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७८ बालसीसर, अ., ह. तेरापंथी सभा, सरदारशहर २५९४. शान्तिनाथ स्तुति विषमार्थव्याख्या सह, टी. श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, स्तुति, संस्कृत, १७वीं, मूल का आदि-वाराणं वरणं रणं रणरणं..., अन्त-प्रज्ञापूरपरागरागरजकं...', 'टीका का अन्त इति श्रीशान्तिनाथविषमार्थस्तुतिवृत्तिः समर्थिताः...', अ. विनय. प्रतिलिपि २५९५. शान्तिनाथ वीनती, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि अचिरानन्द णमेवि संतिकरण..., अन्त–सुरवर नरवर राजीकाजू... गा. २४', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२५-४२६ २५९६. शान्तिनाथ स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-न व्योमस्थितिवर्जितो नखमणि... गा. ४ , अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५९७. शान्तिनाथ स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, आदि-निष्ठरकमठमहासुर... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५९८. शान्तिनाथ स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि–पार्थोऽवताद्यो रदपांडिमोच्चरत्... गा. ४', . अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २५९९. शान्तिनाथ स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-सुरपतिनतपादः प्रास्तमिथ्याप्रवादः... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६००. शान्तिनाथ स्तुति, कीर्तिरत्नसूरि, स्तुति, संस्कृत, १५वीं, आदि-वरसोला भलागूदवडा खजूर... गा. ४, अन्त-तम्बोलखयरसारं च...', अ., ह. हंसविजय संग्रह, बड़ौदा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २६०१. शान्तिनाथ स्तुति , जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तुति, संस्कृत, १३वीं, 'आदि प्रणतसुरनिकायं काञ्चनच्छायकायं..., अन्त–अपमलबलपीत:... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६०२. शान्तिनाथ स्तुति टीका, साधुसुन्दरोपाध्याय / साधुकीर्ति उ०, स्तुति, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-प्रणम्य परमाधीशं..., अन्त–वादीन्द्र शेखरसुपाठक साधुकीर्ति...', अ., ह. हंसविजय संग्रह, बड़ौदा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २६०३. शान्तिनाथ स्तोत्र, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-नमिरनरासुरसुरवरकिरीडमाणिक्क..., अन्त इय जिणवइ संतिहि कय जय... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६०४. शान्तिनाथ स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि श्रीशान्तिदेववन्दितमिन्द्रचन्द्रैः... गा. १५', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (४) २६०५. शान्तिनाथ स्तोत्र-वीनती, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि श्रेयशान्तिसुख संपदकारी... गा. ११', विनय प्रतिलिपि ४१६ (८) 196 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६०६. शान्तिनाथ स्तोत्र (षडभाषामय), जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, षडभाषा, १४वीं, 'आदि-शृंगारभासुरसुरासुरमौलि..., अन्त-इत्थं उद्दामतमप्रभावविभव... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६०७. शान्तिनाथ स्तोत्र , जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १३वीं, 'आदि नमिरसुरासुरनरवर..., अन्त–इय जिणवइसंतिहि कय... गा. २१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि २६०८. शान्तिनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, पारसी, १४वीं, 'आदि-अजिकुहुका फुजु... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६०९. शान्तिनाथ स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि शृङ्गारभासुरसुरासुरगिरि... गा. १४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६१०. शान्तिनाथ स्तोत्र , जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-श्रीशान्तिनाथो भगवान्... गा. २०', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. १९ २६११. शान्तिनाथ स्तोत्र, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, आदि-स्तुवन्तु तं जिनं, अन्त-स्वकीयसेवकाय यः... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३७१ २६१२. शान्तिनाथ स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि _ विश्वसेननरनाथनन्दनं... गा. ६', अ. २६१३. शान्तिनाथ स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि - शिवश्रीवरं चङ्गसारङ्गवास... गा. १९', अ. २६१४. शान्तिनाथ स्तोत्र, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नकीर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'गा.७', अ., २६१५. शान्तिनाथ स्तोत्र, लब्धिनिधानोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि नमिरसुरासुर... गा. २१', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकनेर २६१६. शान्तिनाथ स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि "संज्ज्ञानभानु.... गा. १९', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० लि., विनय. प्रतिलिपि २६१७. शान्तिनाथ स्तोत्र, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि - शान्तिनाथं भजे शान्ति... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०३ २६१८. शान्तिपर्वविधि, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, विधि, संस्कृत, १२वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि .. ज्ञान भं., जैसलमेर २६१९. शान्तिलहरी, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-प्रवृद्ध्यै वृद्धानामपि भवति..., अन्त-एतां विचारतिवता यदुपार्जि...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, आमेर दिगम्बर जैन भण्डार खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only -197 Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२०. शाम्ब प्रद्युम्न चौपई, जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. २२९ २६२१. शाम्ब प्रद्युम्न चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६५९ खम्भात, ‘आदि-श्री नेमीसर गुणनिलु..., अन्त - श्रीसंघसुजगीसए...', अ., अभय ग्र., , बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २६२२. शारदा स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि- वाग्देवते भक्तिमतां ... १३', मु., सचित्र सरस्वती प्रासाद, प्रकाशक- सुपार्श्वनाथ उपाश्रय जैन संघ, बम्बई, ह. विनय प्रतिलिपि, प्रकरण रत्नाकर भाग-४, पृ. २५४ २६२३. शारदा स्तोत्र- दण्डक छन्द सप्रभाव, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-जय जय जगदेकमातनमि चन्द्र... गा. १६', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६२४. शालिभद्र कक्क, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि-भलि भंजण कम्मरिबल..., अन्त - इह कहियउ कक्कह कुलउ...', अ., उ., जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ११ २६२५. शालिभद्र रास, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७८, 'आदि-शासन नायक समरियै..., अन्त - साधुचरित कहेवा मन तरसे...', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग-१ २६२६. शालिभद्र रास, राजतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, अ. २६२७. शालिभद्र सिलोको, राजसिंह वा / कनकप्रिय, रास चौपई, राजस्थानी, १७८१, 'अन्तसंवत सतरे इक्यासीवरसै', मु., रत्नसागर २६२८. शाश्वत जिन स्तोत्र - चैत्य स्वरूप निरूपक, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-तीर्थाधिनाथं वृषभं विभुं वर्द्धमानं..., अन्त - इत्थं शाश्वतचैत्यबिंब... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६२९. शाश्वत जिन बिम्ब स्तोत्र, जिनोदयसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, ‘आदि-कल्याणवल्लि जलहर पणमिय, अन्त–एवम् जिण संथवणं... गा. ४३, अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२९ २६३०. शाश्वत जिन बिम्ब स्तोत्र, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, ‘आदि– तीर्थाधिनाथ... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १४३० लि. २६३१. शाश्वत जिन स्तोत्र, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदिश्रीऋषभवर्द्धमान... गा. ४१', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २६३२. शाश्वत जिन स्तोत्र अवचूरि ( तरुणप्रभीय), ज्ञानमन्दिर / समयध्वजगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. आत्मानन्द सभा, भावनगर 198 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६३३. शाश्वत जिन स्तोत्र बालावबोध (मू. देवेन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय), कनकसोमगणि अमरमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २६३४. शाश्वत जिन स्तोत्र बालावबोध ( मू. देवेन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय), शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार वा., स्तोत्र, राजस्थानी, १६५२ सांभर, 'आदि-प्रसाद गुरुराजस्य हर्षसाराभिधस्य सत्.. अन्त-श्रीमत् खरतरगच्छे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १५९८ २६३५. शाश्वत सर्वजिन द्वापंचााशिका, हर्षप्रिय उ० / शान्तिमन्दिर उ०, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५७४, ___ 'आदि-समरवि शारदा देवि..., अन्त–त्रिणि चउवीसी विहरमाण... गा. ५२', अ., अभय ग्र., बीकानेर २६३७. शास्त्रीय प्रश्नोत्तर, बालचन्द्रसूरि / रूपचन्द्र उ०, प्रश्नोत्तर, हिन्दी, १९२५, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६३८. शिक्षा कुलक, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, उपदेश, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. ज्ञान भं., पाटण, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ११८४ २६३९. शिलोञ्छनाममाला, जिनदेवसूरि / जिनप्रभसूरि, कोश, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-अहँ बीजं नमस्कृत्य..., अन्त–वैक्रमेब्दे त्रिविश्वेन्द्रमिते...', मु., लालभाई दलपतभाई रिसर्च इन्स्टीट्यूट, अहमदाबाद, सम्पादक - म० विनयसागर २६४०. शिलोञ्छनाममाला टीका, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, कोश, संस्कृत, १६४५ नागौर, 'आदि-श्रीमच्छ्रीफलवर्द्धिकाभिधपुरीनारीवरोर:स्थली..., अन्त–श्रीमत्खरतरगच्छे... गा. १३००', मु., लालभाई दलपतभाई रिसर्च इन्स्टीट्यूट, अहमदाबाद, सम्पादक - म० विनयसागर २६४१. शिवरात्रिकथा, मुनिराज / गुणसागर पिप्पलक, कथा, राजस्थानी, १६८४ मांढवगढ़, अ., __ हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २६४२. शिशुपालवधमहाकाव्य टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज, महाकाव्य, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर २६४३. शिशुपालवधमहाकाव्य टीका, धर्मरुचिगणि / मुनिप्रभ उ०, महाकाव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६४४. शिशुपालवधमहाकाव्य टीका संदेहध्वान्तदीपिका, ललितकीर्तिगणि / लब्धिकल्लोणगणि, . महाकाव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद (४८३४) २६३३ २६४५. शिशुपालवधमहाकाव्य टीका तृतीयसर्ग, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महाकाव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. सुराणा लाइब्रेरी, चूरू, स्वयं लिखित २६४६. शीलवसन्त कथा, लक्ष्मीचन्द्रगणि / बालचन्द्रसूरि, कथा, संस्कृत, १९६०, अ., हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस . २६४७. शीलकल्पद्रुममञ्जरी, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्रगणि, उपदेश, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. बी. एल. इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्डोलोजी, दिल्ली खरतरगच्छ साहित्य कोश 199 For Personal & Private Use Only Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४८. शील नववाड रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२९, अन्त निधि नयण सुर ससि भाद्रपद...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि । २६४९. शील फाग, लब्धिराजगणि / धर्ममेरुगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७६ नवहर, अ., खजांची संग्रह, बीकानेर, रामलालजी संग्रह, बीकानेर २६५०. शीलरास, जिनगुणप्रभसूरि शिष्य / जिनमेरुसूरि, रास, राजस्थानी, १६४१ जैसलमेर, आदि सफल जनम... गा. १७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ २६५१. शीलरास, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं बीकानेर, 'आदि शील रतन जतने धरो..., अन्त–वरतै बीकानेर में विजयहरष...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३११, ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २६५२. शील रास, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६८६ कृष्णकोट, अ., अभय ग्र., बीकानेर २६५३. शीलरास, सिद्धिविलास / सिद्धिवर्द्धन, रास चौपई, राजस्थानी, १६१० लाहौर, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २६५४. शीलवतीकथा, आज्ञासुन्दर / आणंदसुन्दर रुद्रपल्लीय, कथा चरित्र, संस्कृत, १५६२ काडिउंपुर, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर २६५५. शीलवती चौपई, देवरत्न / देवकीर्त्ति, रास चौपई, राजस्थानी, १६९८ बालसीसर, 'अन्त– संवत सोलअठाणु काती समेरे...', अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९३८ २६५७. शीलवती रास, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२२ सांचोर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २६५८. शीलवती रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५८ पाटण, आदि श्री आदीसर आदिकर..., अन्त–संवत सतर अठावनई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १०८, भाग-३, पृ. ११६९ २६५९. शीलवती रास, दयासारगणि / धर्मकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०५ फतेपुर, 'आदि-प्रणमीपारसनाथ प्रभुं..., अन्त–हरख धरी मनमाहिंअतिघणो श्री पत्तेपुरमाहिं...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर २६६०. शीलोपदेशमाला टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, उपदेश, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. आत्मानन्द सभा, भावनगर २६६१. शीलोपदेशमाला टीका, ललितकीर्तिगणि / लब्धिकल्लोल उ०, उपदेश, संस्कृत, १६७८ लाटद्रह, 'अन्त-प्रचुर चतुर चंचच्चातुरीं नीर पूर्णः...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर 200 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६२. शीलोपदेशमाला टीका, सोमतिलकसूरि (विद्यातिलक) / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, प्रकरण, संस्कृत, १३९२, आदि-यस्योपदेशसमये..., अन्त–समग्रमङ्गलमूलं च...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५५००, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा । २६६३. शीलोपदेशमाला बालावबोध, क्षमामूर्ति / मतिवर्द्धनगणि पिप्पलक, उपदेश, राजस्थानी, ___ १७वीं, अ., ह. कृपाचन्द्रसूरि ज्ञान भं., बीकानेर २६६४. शीलोपदेशमाला बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, उपदेश, राजस्थानी, १५२५ माण्डवगढ़, 'आदि-श्रीवामेयममेय श्रीहसितं महितं सुरैः..., अन्त–श्रीमत् खरतर गच्छे बहुगुणसंबुधराज विधिते...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७११०, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२०३२ २६६५. शुकराज चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३७ पाटण, ___ 'अन्त–संवत सतरसे सात्रीस संवत्सरे हे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ८५ २६६६. शुकराज चौपई, सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२ __ बीकानेर, अ., ह. जयचंद्रजी संग्रह, बीकानेर, स्वयं लिखित प्रति, विनय. प्रतिलिपि २६६७. शुद्धदेवअनुभवविचार, चिदानन्द द्वि., अध्यात्म, हिन्दी, १९५२ फलौदी पार्श्वनाथ, 'अन्त शुद्धदेव अनुभवगुण गाथा...', मु., अभयदेवसूरि ग्रन्थमाला, बीकानेर, ह. विनय प्रतिलिपि २६६८. शुद्धसमाचारीमण्डन, चिदानन्द द्वि., चर्चा, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २६६९. शेषसंग्रह (हेमचन्द्रीय) टीका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, कोश, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर २६७०. शेषसंग्रह ( हेमचन्द्रीय ) टीका, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, कोश, संस्कृत, १६५४ बीकानेर, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६७१. श्याम पार्श्वनाथ स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि–पाथः पूरधि मूर्ध कमठ... गा. ८', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २६७२. शृङ्गारमण्डन, मन्त्री मण्डन / बाहड सोनगिरा चौहान, काव्य, संस्कृत, १५वीं मण्डपदुर्ग, . 'आदि-जीयाज्जगत्यत्र जडानुपेतः..., अन्त–श्रीमन्मण्डनसंज्ञकेन कविना शृङ्गारभङ्गय...', मु. . हेमचन्द्राचार्य सभा, पाटण २६७३. शृङ्गाररसमाला, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, काव्य, राजस्थानी, १६५९ नागौर, 'अन्त नवसर रसससि वच्छरइ...', अ., ह. मुकुनजी संग्रह, बीकानेर २६७४. शृङ्गारवैराग्यतरंगिणी (सिन्दुरप्रकरण) टीका, नन्दलाल (ज्ञानजय)/ पण्डितभागचन्द, औपदेशिक, संस्कृत, १७८५ आगरा, आदि-श्रीपार्श्वनाथं प्रणिपत्य भक्त्या..., अन्त-संवच्छरद्वि पमुनीन्दु मितस्य मासे...', मु., पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १९७४५, खरतरगच्छ साहित्य कोश 201 For Personal & Private Use Only Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६७५. शृङ्गारधनदशतकम्, धनराज मन्त्री / देहड़ सोनगिरा, काव्य, संस्कृत, १४९० मण्डपदुर्ग, ‘आदि-सिद्धार्था कनकाक्षरेण कलिता..., अन्त-किं त्वं जागरितोऽखिलामपि निशं...', मु., काव्यमाला तेरहवाँ गुच्छक २६७६. शृङ्गारशतकम्, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, काव्य, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-स्वयम्भुवो वृषाहीनराजहंससमाश्रिता..., अन्त-भेदो विद्यत एव दाहकतया...' .', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली पृ. ९४ २६७७. शृङ्गारादिसंग्रह सोदाहरण श्लोक, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. गायकवाड़ ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा २६७८. श्राद्धदिनकृत्य बालावबोध, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, विधि, राजस्थानी, १६६२ अजीमगंज, अ. २६७९. श्रावकगुणचतुष्पदिका, समयराजोपाध्याय / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, ज्ञान भं., पाटण २६८०. श्रावकधर्मविधि प्रकरण, जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, विधि, संस्कृत, १३१३ पालणपुर, 'आदि-भेजुर्यस्यांघ्रियुग्मं पथि मथितरिपोः:.., अन्त - इत्थंसूरिजिनेश्वरैर्जिनपति...', मु., सिरि पयरणसंदोह, प्रकाशक - ऋषभदेव केसरीमल जैन श्वेतांबर संस्था, रतलाम २६८१. श्रावकधर्मविधि प्रकरण बृहद्वृत्ति, लक्ष्मीतिलकोपाध्याय / जिनेश्वरसूरि द्वि., विधि, संस्कृत, १३१७ जालौर, 'आदि-शंखोदायिसुपार्श्वसत्यकिदृढायु...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, नेमिसूरि ज्ञान भं., खम्भात में सचित्र प्रति हैं २६८२. श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्त्ति उ०, आगम, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. महरचन्द- बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २६८३. श्रावकमुखवस्त्रिकाकुलक, वर्द्धमानसूरि / उद्योतनसूरि, प्रकरण, प्राकृत, ११वीं, अ., ह. हंसविजय संग्रह, बड़ौदा, अभय ग्र., बीकानेर २६८४. श्रावकविधि चौपई, क्षेमकुशल / क्षेमराजगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १५४६, ‘अन्त–जोई आगम अरथविचार... गा. ७९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २६८५. श्रावकविधि चौपई, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १५वीं, ' अन्त- जो पढइ जो गुणइ जो सुणइ जिण हरे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २६८६. श्रावकविधि चौपई, क्षेमराजोपाध्याय / सोमध्वजगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १५४६, 'अन्त - पनरहसइ छईताला वर्षि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २६८७. श्रावकविधि दिनचर्या, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, अ. 202 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८८. श्रावकविधिप्रकाश, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, राजस्थानी, १८३८ जैसलमेर, 'अन्त-श्रीजिनचन्द्रसूरिंद नितु...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २६८९. श्रावकव्यवहारालङ्कार, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान, उपदेश, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलालगणि, बीकानेर २६९०. श्रावकव्रतकुलक, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि–वीरं नमिउं सम्मत्तमूलमंगीकरेमि..., अन्त–जुगपवरागमसिरिअभयदेवमुणिवइपमाणसुद्धेण...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. ३२ २६९१. श्रावकाराधना, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, विधि, संस्कृत, १६६७ उच्चानगर, 'अन्त-आराधना सुगम संस्कृत वार्तिकाभ्यां...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २६९२. श्रावकाराधना भाषा, राजसोमोपाध्याय / जयकीर्ति उ० जिनसागरसूरिशाखा, विधि, राजस्थानी, १७१५ नोखा, 'अन्त-सव्वतिथिमुनिचंद्रे...', अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २६९३. श्रीपालचरित्र, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, कथा चरित्र, राजस्थानी, १९५७, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २६९४. श्रीपालचरित्र, चारित्रनन्दी / नवनिधि, कथा चरित्र, संस्कृत, १९०८, अ., ह. कान्तिविजय संग्रह, बड़ौदा १९१०, स्वयं लि. २६९५. श्रीपालचरित्र, जयकीर्ति उ० / अमृतसुन्दर उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १८६८ जैसलमेर, 'अन्त-संवत्सिद्धिरसाष्टैक...', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर २६९६. श्रीपालचरित्र हिन्दी अनुवाद, वीरपुत्र आनन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागर, कथा चरित्र, हिन्दी, २०वीं, मु., आनन्दसागर ज्ञान भं., सैलाना २६९७. श्रीपालचरित्रं टीका, (रत्नशेखरीय)क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, कथा चरित्र, ... संस्कृत, १८६९ बीकानेर, मु. देवचन्द लालभाई पु. फण्ड, सूरत, ह. विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २६९८. श्रीपालचरित्र बालावबोध, मनसोम, कथा चरित्र, राजस्थानी, १७२५, अ., २६९९. श्रीपालचरित्र भाषा, देवमुनि / जिनसौभाग्यसूरि, चरित्र, राजस्थानी, १९१७, 'आदि श्रीअरिहन्त सुसिद्ध..., अन्त–सय गुणीस सत्तरोत्तरे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ३५९७ २७००. श्रीपालचरित्र हिन्दी अनुवाद (रत्नशेखरीय), जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृत, चरित्र, ___ हिन्दी, २०वीं, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत खरतरगच्छ साहित्य कोश 203 For Personal & Private Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७०१. श्रीपालचरित्र हिन्दी अनुवाद (रत्नशेखरीय), विनयसागर म० / जिनमणिसागरसूरि, चरित्र, हिन्दी, २१वीं, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २७०२. श्रीपालचरित्र, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, कथा चरित्र, संस्कृत, १९९० बुज, 'आदि महावीरं महावीरं..., अन्त–श्रीमत्खरतरे गच्छे...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २७०३. श्रीपाल चौपई, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७०४. श्रीपाल चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४० पाटण, आदि श्री अरिहंत अनंत गुण..., अन्त–संवत सतरे से चालीसे...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई, ह. विनय. प्रतिलिपि २७०५. श्रीपाल चौपई, तत्त्वकुमार / दर्शनलाभ सागरचन्द्रसूरिशाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ. २७०६. श्रीपाल चौपई, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८०६ घड़सीसर, 'आदि-अरिहंत सिद्ध नमी करी..., अन्त-संवत रस सिव सिद्ध ससी ए...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३२६ २७०७. श्रीपाल चौपई, रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३५ बीकमनयर, अ. २७०८. श्रीपाल रास लघु, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४२ पाटण, 'आदि-रिसहनाह पणइ रे जिणंद..., पाठान्तर-चोवीसे प्रणमुं जिनराय..., अन्त-श्रीपाल चरित्र निहालिनई...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २७०९. श्रीपाल रास, महिमोदयगणि / मतिहंसगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२२ जहाणावाद, 'आदि–पर उपगारी परम गुरु..., अन्त–गरुआनां गुण मनि शुद्ध गाईये...', अ., ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस २७१०. श्रीपाल रास, रत्नलाभोपाध्याय / क्षमारङ्गगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२, 'आदि चउवीसे जिनवर मनि ध्याई..., अन्त–संवत सोलसई बासठ वरसइ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८९१, ह. अभय ग्र., बीकानेर २७११. श्रीपाल रास, लालचन्दगणि / रत्नकुशल उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८३७ अजीमगंज, 'आदि-स्वस्ति श्री दायक सदा..., अन्त-भाखे वीर जिणेसर वाणी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २७१२. श्रीमति रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७६१ पाटण, अ., रामलालजी संग्रह, बीकानेर २७१३. श्रीमती चौढालिया, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, आदि खीर खांड मिलीया खरा..., अन्त–सीले सुख सदा लहै ए... १८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ.३१८ 204 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७१४. श्रुत अनुभव विचार, चिदानन्द द्वि., अध्यात्म, हिन्दी, १९५२, अ., ह. बब्बू कोटड़ी संग्रह, अजमेर २७१५. श्रुतस्तव, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-निम्महियमोहमाएणा..., अन्त-सुरूव्वसूरि जिणवल्लहो य... गा. २७', मु. युगप्रधान जिनदत्तसूरि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २७१६. श्रुतदेवी स्तोत्र, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'गा. १६’, अ., ह. विनय प्रतिलिपि २७१७. श्रुतदेवी स्तोत्र, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि - मम गिरीश्वरी भवताद्... गा. १०', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ २७१८. श्रेणिक चौपई, जयसारोपाध्याय / युक्तिसेन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८७२ जैसलमेर, अ., ह. बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता, विनयचन्द्र ज्ञान भं., जयपुर २७१९. श्रेणिक चौपई, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७१९ चंदेरीपुर, 'अन्त- सतरसै उगणीसे वरसे...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २७२०. श्रेणिक चौपई, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७१९, — आदि-जगनायक चउवीसजिण..., अन्त - गुणवती ते गुण गावे...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४३५५ २७२१. श्रेणिक रास, भुवनसोमगणि / धनकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७०२ अंजार, 'आदि-शांति जिणेसर सेवता..., अन्त - शाखा सारी श्री जिनभद्रसूरिनी...', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर २७२२. षट्कल्याणकनिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति . कार्यालय, कोटा २७२३. षट्कारक, जयसारोपाध्याय / जिनसागरसूरि, व्याकरण, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर २७२४. . षट्पदकाव्यानि, जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि- जो मङ्गल श्री रिसहनाह मरुदेविहिं दिन्नउ..., अन्त—पंचिदिय वसिकरणु राच्छ खरतरमुख वंडणु... गा. ६', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरिपार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४४५ - ४४६, (जिनदत्तसूरि से जिनलब्धिसूरि तक वर्णन ) २७२५. षट्पञ्चाशिका वृत्ति बालावबोध, महिमोदयगणि / मतिहंसगणि, ज्योतिष, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., , बीकानेर २७२६. षट्स्थान प्रकरण, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, प्रकरण, प्राकृत, ११वीं, 'आदिकयवयकम्मयभावो..., अन्त - अन्नस्स वि परिकुवियं...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २७२७. षट्स्थान प्रकरण टीका, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १२६२ श्रीमालपुर, ‘आदि–धर्मोपदेशनविधो रदनोत्थकान्ति..., अन्त - जिनेश्वरश्चान्द्रकुलावतंसो...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १३५६ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 205 Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२८. षट्स्थान प्रकरण भाष्य, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, मु. २७२९. षट्स्थान प्रकरण संधि, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्रगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १६३१ जैसलमेर, अ. २७३०. षड्दर्शन समुच्चय टीका (हरिभद्रीय), सोमतिलकसूरि / संघतिलकसूरि रुद्रपल्लीय, दर्शन, संस्कृत, १३९२ आदित्यवर्द्धनपुर, 'आदि-सज्ज्ञानदर्पणतले विमलेन यस्य..., अन्त खेलतो मूलराजहंसौ...', मु., भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७३१. षड्दर्शनसमुच्चय बालावबोध, कस्तूरचन्द्रगणि / भक्तिविलासगणि पौत्र, दर्शन, राजस्थानी, १८९४ बीकानेर, 'अन्त–संवत वेद निधान गज...', अ., मुकनजी संग्रह, बीकानेर २७३२. षडावश्यकसूत्र प्रणिधानावचूर्णिः, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, आगम, संस्कृत, १४वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २७३३. षडावश्यकसूत्र बालावबोध, जयकीर्त्ति उ० / वादी हर्षनन्दन, आगम, राजस्थानी, १६९३ जैसलमेर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २७३४. षडावश्यकसूत्र बालावबोध, तरुणप्रभसूरि / जिनचन्द्रसूरि, आगम, राजस्थानी, १४११ पाटण, 'अन्त-जयति चन्द्रकुलं शुभ संकुलं...', मु., सिंघि जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि २७३५. षडावश्यकसूत्र बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, आगम, राजस्थानी, १५२५ . माण्डवगढ़, 'आदि-शिवाय श्रीमहावीरं...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २७३६. षडावश्यकसूत्र बालावबोध, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, आगम, राजस्थानी, १६७१, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २७३७. षडावश्यकसूत्र बालावबोध, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आगम, राजस्थानी, . १६८३ जैसलमेर, 'अन्त–साधुर्भाखरसीसुतो विमलसी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २७३८. षण्णवति जिन स्तव, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि रिसहजिण अजियजिण... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २७३९. षष्टिशतकप्रकरण, नेमिचन्द्रभण्डारी / जिनपतिसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १३वीं, 'आदि____ अरिहं देवो सुगुरू..., अन्त–जिणंतु जन्तु सिवं...', मु., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२१७४ २७४०. षष्टिशतकप्रकरण टीका, गजसारगणि / धवलचन्द्र, प्रकरण, संस्कृत, १६वीं, ‘अन्त श्रीधवलचन्द्रगुरो...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२६२६, दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, सदागम ट्रस्ट, कोडाय २७४१. षष्टिशतकप्रकरण टीका, तपोरत्नगणि / क्षेमकीर्तिगणि, प्रकरण, संस्कृत, १५०१, आदि जयति श्रीऋषभजिनो..., अन्त-शशिगगनबाणभूमिप्रमिते वर्षे...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२९९४, सदागम ट्रस्ट, कोडाय 206 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७४२. षष्टिशतकप्रकरण टीका, राजहंस / हर्षतिलक लघुखरतर, प्रकरण, संस्कृत, १५७९ सिकंदरपुर अ., ह. दिगम्बर ज्ञान भं., सूचीपत्र भाग - ४ २७४३. षष्टिशतकप्रकरण टिप्पणक, भक्तिलाभोपाध्याय / रत्नचन्द्रगणि, प्रकरण, संस्कृत, १५७२, अ., ह. दिगम्बर ज्ञान भं., सूचीपत्र भाग - ४ २७४४. षष्टिशतकप्रकरण बालावबोध, जिनसागरसूरि / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक, प्रकरण, राजस्थानी, १४९१, अ. २७४५. षष्टिशतकप्रकरण बालावबोध, धर्मदेवगण / क्षान्तिरत्न, प्रकरण, राजस्थानी, १५१५, अ., ह. भांडारकर ओरियंटल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना २७४६. षष्टिशतकप्रकरण बालावबोध, धर्मनन्दनगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २७४७. षष्टिशतकप्रकरण बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्त्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण २७४८. षष्टिशतकप्रकरण भाषा दोहा, मोहन, प्रकरण, हिन्दी, 'आदि- धन्य कृतारथ केहिये ...,. अन्त–दोधक शोधक बुद्धिजन सेवक मोहन तास... १६२', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. १५५५ २७४९. षष्टिशतकप्रकरण बालावबोध, विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २७५० षाण्मासिक योगविधि, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार वा., विधि, संस्कृत, १७वीं, 'आदिषाण्मासिक योगविधिलिखित:...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २७५१. षोडशकप्रकरण टीका (हरिभद्रीय), अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि प्रकरण, संस्कृत, १२वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर २७५२. संक्षिप्तपौषधविधि, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, विधि, प्राकृत, १३वीं, अ., ह. विनय प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर " २७५३. संग्रहणी अवचूरि, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि उ०, प्रकरण, संस्कृत, १५०१ माण्डवगढ़, 'अन्त - श्री खरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिशिष्य श्रीसिद्धान्तरुचिमहोपाध्यायशिष्येण साधुसोम-गणिना...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, स्वयं लि. प्रति. २७५४. संग्रहणी अवचूरि टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, प्रकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अनन्तनाथ ज्ञान भं., बम्बई २७५५. संग्रहणी अवचूरि बालावबोध, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १८८० अजीमगंज, अ., ह. दानसागर बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २७५६. संग्रहणी (लघु) बालावबोध, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसारगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १६८० अमरसर, 'अन्त - श्रीविक्रमार्क समयात्...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं ., जयपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 207 Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७५७. संग्रहणी यन्त्र, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दरगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३००३४ २७५८. संग्राम सूर कथा, समयरन / कल्याणराज उ० रुद्रपल्लीय, कथा चरित्र, राजस्थानी, १६२१, — आदि-चउवीसइ जिणवरतणा..., अन्त-रुदि वलगच्छ गुरु सुरगुरु...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर २७५९. संप्रति चौपई, आलमचन्द / आसकरण, रास चौपई, राजस्थानी, १८२२ मकसूदाबाद, अ., ह. विनय प्रतिलिपि २७६०. संप्रति चौपई, चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. चतुर्भुज संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ३२८ २७६१. संयति संधि, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३०, 'आदिपण मय रिसह जिणेसर सामी..., अन्त- खरतर गछि गुरु गाजइ ए...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, अभय ग्र., बीकानेर २७६२. संदेह दोलावली प्रकरण, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदिपडिबिम्बिय पणयजयं..., अन्त - इय कइवय संसय पयपण्डुत्तर...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २७६३. संदेह दोलावली बृहद्वृत्ति, प्रबोधचन्द्रगणि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १३२० प्रल्हादनपुर, 'आदि-श्रीवर्द्धमान प्रभुमानमाम्यई..., अन्त - चान्द्रेकुलेऽतुलबुधौजसिमान...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २७६४. संदेह दोलावली लघुटीका, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १४९५, — आदि-जयति जगत्त्रितय गुरु..., अन्त - जिनाज्ञेव सतां मनसि...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३२५५, अभय ग्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि २७६५. संदेह दोलावली पर्याय, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रकरण, संस्कृत, १६९३, अ. २७६६. संदेशरासक टीका, लक्ष्मीचन्द्रगणि / देवचन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय, काव्य, संस्कृत, १४६५, मु., सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५६४ २७६७. संयोगद्वात्रिंशिका, मान / सुमतिमेरु, काव्य, राजस्थानी, १७३१, अ., ह. अभय ग्र., , बीकानेर २७६८. संयोगि कल्याणक स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि - असुरनरसुरली वन्द्य... गां. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २७६९. संयोगि कल्याणक स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-उद्दाम शृंगाररसा ग्रामा... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २७७०. संयोगि कल्याणक स्तुति, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि - प्रणतसुरासुरमौलिप्रदेश... गा. ४', अ. ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा 208 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७७१. संयोगि कल्याणक स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-त्रिभुवनजनतातं स्फीत... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २७७२. संयोगि कल्याणक स्तोत्र, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-विनम्रदेवाधिभुवाकिरीट..., अन्त श्रीतीर्थकृद्भक्तसुसंघ दुष्ट... गा. १४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २७७३. संवेग कुलक, धनेश्वरसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २७७४. संवेगमञ्जरी, देवभद्रसूरि / सुमतिवाचक, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण २७७५. संवेगरङ्गशाला, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-रेहइ जेसिं पयः..., अन्त–सम्मोहमहणत्थं...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २७७६. संवेगी मुखपटचर्चा, जयचन्द्र / कपूरचन्द्र, चर्चा, राजस्थानी, १९वीं, अ., महरचन्द - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २७७७. संसारदावा स्तुति टीका, हरिश्चन्द्रगणि / अभयदेवसूरि, स्तुति, संस्कृत, १२वीं, अ., उ. स्वकृत प्रश्न पद्धति २७७८. संसारदावा स्तुति अर्थ, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि उ०, स्तुति, संस्कृत, १६वीं, . अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर २७७९. संसारदावा पादपूर्ति स्तुति, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, स्तुति, संस्कृत, . १८वीं, 'आदि-कामारिदन्तावलि...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७८०. संसारदावा पादपूर्ति-पार्श्वस्तोत्र, मुनिसोमगणि / सिद्धान्तरुचि उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'आदि-श्रेयोदधानं कमलानिधानं... गा. १७', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, कान्तिसागरजी संग्रह १६७२ ।। २७८१. सईकी, जयचन्द्र / विनयरङ्ग, ज्योतिष, राजस्थानी, १७७१, मु., भँवरसिंहजी कोठारी, जयपुर, ह. कांतिसागरजी संग्रह २७८२. सकलकीर्तिसूरि स्तोत्र, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'गा. ११', अ. २७८३. सङ्गीतमण्डन, मन्त्रि मण्डन / बाहड, सङ्गीत शास्त्र, संस्कृत, १५वीं मण्डपदुर्ग, मु., हेमचन्द्राचार्य सभा, पाटण २७८४. सङ्घपट्टक, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १२वीं, आदि-वह्निज्वालावलीढं . कुपथमथनधीर्मातुरस्तोकलोक..., अन्त–सम्प्रत्यप्रतिमे कुसङ्घवपुषि...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ.८७ २७८५. सङ्घपट्टक बृहवृत्ति, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १३वीं, मु., जेठालाल दलसुख, अहमदाबाद, ह. विनय. प्रतिलिपि, सदागम ट्रस्ट, कोडाय खरतरगच्छ साहित्य कोश 209 For Personal & Private Use Only Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७८६. सङ्घपट्टक टीका, लक्ष्मीसेन उ० / हम्मीर, प्रकरण, संस्कृत, १५१३, 'आदि–इन्दीवरप्रभ मनिंदितकांतिशांति..., अन्त–क जिनवल्लभसूरिसरस्वती...', ह. विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, मु. जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २७८७. सङ्घपट्टक टीका, हर्षराजगणि / अभयसोम उ०, प्रकरण, संस्कृत, १६वीं, 'आदि-वन्दे शान्तिजिनं शान्ति करं..., अन्त-श्रीमति खरतरगच्छे...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह., विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २७८८. सङ्घपट्टक टीका, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, प्रकरण, संस्कृत, १६१९; आदि श्रीमत्पार्श्वजिनं नत्वा..., अन्त–श्रीमत्खरतरगच्छे...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत २७८९. सङ्घपट्टक पंजिका, ? / ज्ञानचन्द्र, प्रकरण, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २७९०. सङ्घपट्टक बालावबोध, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, प्रकरण, हिन्दी, १९६७, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३८२ २७९१. सङ्घपट्टक बालावबोध, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २७९२. सङ्घपतिरूपजीवंशप्रशस्तिः स्वोपज्ञ व्याख्यासह, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, ऐतिहासिक प्रशस्ति, संस्कृत, १७वीं, आदि-श्रेयः श्रीः श्रयते यदीयश्वशदानन्दिप्रसादात्सदा..., अन्त–सार्वत्रिकी खरतरी सदैवं... गा. १४०', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, संपादक - म० विनयसागर २७९३. सङ्घपति सोमजी बेलि, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ऐतिहासिक रास चौपई, राजस्थानी. १७वीं. अ.. अभय ग्र..बीकानेर २७९४. सज्ज्ञानचिन्तामणि, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, उपदेश, हिन्दी, २०वीं, मु., ___रामलालगणि, बीकानेर २७९५. सत्तरी - उपदेश सत्तरी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, सत्तरी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-उत्पत्ति जो जो आपणी..., अन्त-ऐह जैन धर्म विचार सांभली...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २७९६. सत्तरी - व्यसन सत्तरी, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, सत्तरी साहित्य, राजस्थानी, १६६८ नागौर, अ., ह. भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २७९७. सत्तरी - समकित सत्तरी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, सत्तरी साहित्य, राजस्थानी, १७३६ पाटण, आदि–एको अरिहंत देव देवन को बीजउ दुनी..., अन्त-सत्तरशे छत्रीश समेजी...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४८५ २७९८. सत्यविजयनिर्वाण रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५६ पाटण, आदि-श्री जिनवरना चरण जुग..., अन्त–सतर छपने संवत्सरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १०७ 210 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७९९. सदयवच्छ सावलिङ्गा चौपई, कीर्तिवर्द्धन / दयारत्न आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १६९७, 'आदि-स्वस्ति श्री सोहग सुजस..., अन्त-श्री खरतरगच्छ गगन दिणंद...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०८२ २८००. सदरत्नसार्द्धशतक, चारित्रनन्दी / नवनिधि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १९०९ इन्दौर, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, कांतिसागरजी संग्रह २८०१. सनत्कुमारचक्रिचरित महाकाव्य, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, महाकाव्य, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-श्रियोऽपि वासात्..., अन्त-तुङ्गचान्द्रकुलकल्पशाखिनि... गा. २२०३', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, संपादक - म० विनयसागर, ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १३३१ २८०२. सनत्कुमारचक्रिचरित स्वोपज्ञटीका, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, महाकाव्य, संस्कृत, १३वीं, अ., उ. सुमतिगणिकृत गणधरसार्द्धशतकवृहवृत्ति २८०३. सनत्कुमार चौपई, कल्याणकमलगणि / यु. जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पणमिय पास जिणेसर जगगुरु..., अन्त-जिणमाणिकसूरि पाट प्रभाकर...', अ., ह. सुमेरमलजी संग्रह, भीनासर २८०४. सनत्कुमार चौपई, यशोलाभगणि / गुणसेन, रास चौपई, राजस्थानी, १७३६, अ., अभय ग्न., बीकानेर २८०५. सनत्कुमार रास, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६५० जैसलमेर, __ अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३९३, भाग-३, पृ. ८७५ २८०६: सन्निपातकलिका स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८३१ पाली, अ. २८०७. सन्निपातकलिका स्तबक, हेमनिधान / ?, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७३३, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २८०८. सप्ततिका भाष्य, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, अ. २८०९.. सप्ततिका भाष्य टिप्पणक, रामदेवगणि / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १२वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४३२ २८१०. सप्ततिशतकप्रकरण बालावबोध, धर्मकीर्तिगणि / धर्मनिधान उ०, प्रकरण, राजस्थानी, . १७वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर २८११. सप्तपदार्थी टीका, जिनवर्द्धनसूरि / जिनराजसूरि, न्यायदर्शन, संस्कृत, १४७४, अ., ह. . अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि २८१२. सप्तपदार्थी टीका, भावप्रमोदगणि / भावविनय, न्यायदर्शन, संस्कृत, १७३० बेनातट, अ. २८१३. सप्तस्मरण टीका सुगम बोधिका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १६९५ जालौर, आदि-करोति श्रीजिनंनत्वा..., अन्त–श्रीजिनप्रभसूरीणां...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत खरतरगच्छ साहित्य कोश 211 For Personal & Private Use Only Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८१४. सप्तस्मरण बालावबोध, कमलकीर्त्तिगणि / कल्याणलाभ उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६८७, ___ अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २८१५. सप्तस्मरण बालावबोध, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १८वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६४० २८१६. सप्तस्मरण बालावबोध, मतिकीर्ति उ० / गुणविनय उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६०३६ अपूर्ण २८१७. सप्तस्मरण बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १७वीं, अ, ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६०३६ अपूर्ण २८१८. सप्तस्मरण बालावबोध, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, स्तोत्र, राजस्थानी, १६११ बीकानेर, 'आदि-नत्वा पार्श्वजिनांहि युग्म ममलं...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २८१९ सप्रभाव स्तोत्र, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-मम हरउ जरं मम..., अन्त-जिणदत्ताणा पालण...', मु., युगप्रधान जिनदत्तसूरि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २८२०. सभाकुतूहल, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, काव्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २८२१. समयसार बालावबोध, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, प्रकरण, राजस्थानी, १७९८ जालौर, 'आदि-श्रीजिनवचन समुद्रको...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ३४२९ रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २५५४८ २८२२. समरादित्यकेवलीचरित्र पूर्वार्द्ध, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, कथा चरित्र, संस्कृत, १८४७, आदि-श्रीमंतं परमात्मतापदमितं..., अन्त–श्रीमद्वीरजगत्प्रभुर्हितकरः...', अ.. २८२३. समरादित्य-केवलीचरित्र उत्तरार्द्ध, सुमतिवर्द्धनगणि / विनीतसुन्दरगणि, कथा चरित्र, संस्कृत, १८७४ अजमेर, मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर, ह. वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, पुण्यश्री ज्ञान भं., जयपुर, हंसविजय संग्रह, बड़ौदा, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६१४ . २८२४. समवसरण स्तोत्र, धर्मकीर्त्तिगणि / ? पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १२५८ २८२५. समवायाङ्ग सूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, ११२० पाटण, आदि श्रीवर्द्धमानमानम्य..., अन्त–नमः श्रीवीराय प्रवरवर... गा. ३५७५', मु., आगमोदय समिति, सूरत २८२६. समस्त जिन स्तुति, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तुति, संस्कृत, १९वीं, आदि-जय जय जय जय जय जिनराज... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२, विनय. प्रतिलिपि २८२७. समस्यापूर्तिश्लोकादिपद्य १८, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, __ १७वीं, मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९८ 212 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८२८. समस्यापूर्तिस्फुटपद्याः, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, काव्य, संस्कृत, १८वीं, 'आदि गीर्वीणा तंत्रिकैका वरचिबुकसृता... गा. ३६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३८४ २८२९. समस्या महिम्न स्तोत्र, जिनवर्द्धनसूरि / जिनराजसूरि पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५१९ २८३०. समस्याष्टकम्, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काव्य, संस्कृत, १७वीं, 'आदि प्रभुस्नात्रकृते देवा..., अन्त-परस्परं बुधोल्लापे...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९७ २८३१. समाचारी, जिनपतिसूरि / मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, विधि, संस्कृत, १३वीं,अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २८३२. समाचारी, परमानन्द / अभयदेवसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-नमिउण महावीरं..., अन्त–गरुगए दुकरवासो...', अ. २८३३. समाचारीशतक, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, विधि, संस्कृत, १६७२ मेड़ता, 'आदि-श्रीवीरं च गुरुं नत्वा..., अन्त–सामाचारी शतकमिदमासूचित...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २८३४. समुद्रप्रकाश, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़,?, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि __ ज्ञान भं., जैसलमेर २८३५. समुद्रबद्धचित्रकाव्य, दुर्गादास / विनयाणंद, काव्य, राजस्थानी, १७८० कर्णगिरि, अ., ह. बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २८३६. संबोध अष्टोत्तरी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि अरिहंत सिद्ध अनंत..., अन्त-स्वारथ तणो सनेह...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १९३ २८३७. संबोधसप्तति टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, प्रकरण, संस्कृत, १६५१, आदि प्रणिपत्य सत्यकीर्ति..., अन्त-शिष्यपरिवारलब्धमुदः...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३१७९ २८३८. सम्बोधसप्तति बालावबोध, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं, आदि वंदिय पास जिणंद...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २८३९. संबोधसप्तति (रत्नशेखरीय) हिन्दी अनुवाद, वल्लभश्री प्र. / ज्ञानश्री, प्रकरण, हिन्दी, १९८६ अहमदाबाद, आदि-शिवश्रीवल्लभः श्रीमान्..., अन्त-स्वस्ति श्री स्याद्वादमय...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., लोहावट २८४०. सम्भवनाथ स्तोत्र, मेरुसुन्दरोपाध्याय / रत्नमूर्ति उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८४१. सम्मेतशिखर रास, बालचन्द्रोपाध्याय (विजयविमल) / अमृतसमुद्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १९०७ अजीमगंज, 'आदि-वांदी वीस जिनेसरु..., अन्त-खरतरगच्छपति महिमाधारी...', मु., बृहद् स्तवनावली, पृ. १८३, ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 213 For Personal & Private Use Only Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८४२. सम्मेतशिखर रास, सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १८८०, 'आदिअजिताधिक प्रभु पाय... अन्त-ए भव पारउतार...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., विनय प्रतिलिपि, महरचन्द्र जयपुर, बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४८२१ २८४३. सम्मेतशिखर स्तोत्र, अमरविजयगणि / उदयतिलकगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७६२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर - २८४४. सम्यकत्वकुलक बालावबोध, मतिकीर्त्ति उ० / गुणविनयोपाध्याय, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. महरचन्द- बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १६२८ २८४५. सम्यक्त्व कौमुदी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, कथा चरित्र, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर २८४६. सम्यक्त्व कौमुदी चौपई, आलमचन्द / आसकरण, रास चौपई, राजस्थानी, १८२२ मकसूदाबाद, ‘अन्त-संवत अठारेसे बावीसै...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २८४७. सम्यक्त्व कौमुदी रास, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६२४, 'अन्त - शासन नायक वीरजिनेसर पूजो...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. २३४ २८४८. सम्यकत्वभेद, क्षमामाणिक्य / जिनजय, प्रकरण, राजस्थानी, १८२४, अ., ह, वर्द्धमानबड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २८४९. सम्यक्त्वमाइ चौपई, जगडू, रास चौपई, राजस्थानी, १४वीं, 'आदि - भले भड़उ माई धुरि जोई, अन्त—हासामिसि चउपइबन्धु कियउ...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ८ २८५०. सम्यक्त्वविचार स्तव बालावबोध, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्रगणि, स्तोत्र, राजस्थानी, १६३३ झर्झरपुर, अ., ह. जिन भद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, अभय ग्र., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि २८५१. सम्यक्त्वसप्तति टीका, संघतिलकसूरि / गुणशेखरसूरि रुद्रपल्लीय, प्रकरण, संस्कृतप्राकृत, १४२२ सारस्वत पत्तन, 'आदि-सच्चामीकरबन्धुरोद्धुरतर..., अन्त - श्रीवीरशासनमहोदधितः प्रसूतः... गा. ७८११', मु., देवचन्द लालभाई पु. फण्ड, सूरत, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १३१६, १३७०, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११३७५, १३२६९ २८५२. सम्यक्त्व स्तोत्र अवचूरि, गजसारगणि / धवलचन्द्र उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २८५३. सरस्वती स्तोत्र अष्टक, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत, संस्कृत, १४वीं, 'आदि - अ नमस्त्रिदशवन्दितक्रमे... गा. ९', मु., सचित्र सरस्वती प्रासाद, प्रकाशक- सुपार्श्वनाथ उपाश्रय जैन श्री संघ, बम्बई, ह. विनय प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर २८५४. सरस्वती स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदिसरभसलसद्भक्तिप्रह्वी..., अन्त - इति नुतिमिमां श्रीभारत्या... गा. २५', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २४८ 214 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८५५. सरस्वती स्तोत्र अष्टक, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं, 'आदि प्राग्वाग्देवीजगज्जनोपकृतये..., अन्त–सतेत्थमष्टकेन नष्टकष्टकेन चष्टके... गा. ९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३४९ २८५६. सव्वत्थवेलि प्रबन्ध, साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, ऐतिहासिक रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–जिणवर जगगुरु जागतौ..., अन्त–चढतइ परिवार सदा चित चोखई कोई न लोपइ कार...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २८५७. सव्वत्थब्दार्थसमुच्चय, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, अनेकार्थ, संस्कृत, १७वीं, आदि प्रणम्यैञ्चार्हतः..., अन्त–वाग्देवतायाः प्रसाद इति ध्ययेम्...', मु., अनेकार्थरत्नमंजूषा, पृ. ९१ २८५८. सर्वजिन पञ्चकल्याणक स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि–पणयसुरविसरसिरमउड..., अन्त–इय विदेहेरवइभरहतियपंचए... गा. ८', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १९६ २८५९. सर्वजिन पञ्चकल्याणक स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, ___ 'आदि-सम्मं नमिऊण जिणे..., अन्त-सिय नवमी सुविहि मुक्खो... गा. २६', मु., जिनवल्लभ ग्रन्थावली, पृ. १९३ २८६०. सर्व जिनस्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-जिनानामनामस्फुटद्धामधाम... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २८६१. सर्व जिनस्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-नाभेयाजितवासुपूज्यसुविधि... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २८६२. सर्व जिनस्तुति, स्तुति, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-नाभेयाद्या जिनेन्द्रा वरकनकनिभा... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २८६३. सर्वजिन स्तुति ( समसंस्कृत प्राकृत), स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-विमलगुणमणिकरण्डं... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २८६४. सर्वजिन स्तुति, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-शक्रो . जिनस्तुतिकृतौ..., अन्त-वंदे जिनं गुणगुरुं... गा. ४', मु. युगप्रधान जिनदत्तसूरि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २८६५. सर्वजिन स्तुति-दण्डक छन्द (रुचितरुचि), जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, आदि-रुचितरुचिमहामणिस्वर्णदुर्वर्ण..., अन्त–विलसदसमावृद्धि दुर्बुद्धि वल्लि... गा. ४', हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्दगच्छ भं., खम्भात २८६६. सर्वजिन स्तुति-दण्डक टीका (रुचितरुचि), पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६४४ फलवर्धी, आदि-श्रीनाभिजातं प्रणिपत्य भावतः...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८६७. सर्वजिन स्तुति-दण्डक टीका (रुचितरुचि), रत्नाकरोपाध्याय / मेघनन्दन, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. यतिजयकरण संग्रह, बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 215 For Personal & Private Use Only Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८६८. सर्वजिन स्तुति-दण्डक अवचूरि (रुचितरुचि), साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २८६९ सर्वजिन स्तुति, देवमूर्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, 'आदि-सार्द्धद्वादशहेमकोटय..., अन्त-श्रेयः संसुखगोमुखप्रभृतयो... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी मन्दिर आगरा, विनय. प्रतिलिपि २८७०. सर्वजिन स्तोत्र, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, आदि-जगमंडणगुण पवरं सित्तुंजय..., अन्त–तियलोयभूसणु दलियदूसणु विबुह... गा. २६', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २८७१. सर्व जिनस्तोत्र, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-विरराजय दशतटद्वितये... गा. १०', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २८७२. सर्वजिनेश्वर स्तोत्र, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, 'आदि-प्रीति प्रसन्नमुखकौशिक-नन्द्यमाना..., अन्त–दूरीभवद् वृजिनवल्लभसिद्धिबद्धा... गा. २३', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २२० २८७३. सर्वजिन स्तोत्र विज्ञप्ति, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि नाभिनरिंदमल्हार... गा. २१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८७४. सर्वजिन स्तोत्र, राजशेखराचार्य / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-चउवीसं ___ उसभाई... गा. २५', अ., ह. गुजरात विद्या सभा, अहमदाबाद २८७५. सर्वजिन स्तोत्र, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १८वीं-१९वीं, 'आदि जय वीतमोह जय वीतरोष... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५, २०४ २८७६. सर्वजिन स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'आदि __ चाञ्चापतिः सुरपति... गा. १९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८७७. सर्वजिन स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, आदि-मुखं सन्मुखं नयणले देव दीठौ..., अन्त–इम भोलिं सामि नि भगति कीधि... गा. १३', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३८ २८७८. सर्वजीवशरीरावगाहनास्तव, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि–इय सुहुमबायरअपज्ज-पज्ज..., अन्त–जिणवल्लहगणिणेगिदिदेह...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. २२ २८७९. सर्वतीर्थ चैत्य प्रवाड़ी, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-पणमिय जिणवर चलने..., अन्त–इय ठाणी-ठाणी नयरी-नयरी... गा. २५', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२४-४२५ २८८०. सर्वतीर्थ स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि महानंद महानंद महानंदविधायकान्..., अन्त–सुहृदय बलिराजभ्राजिराज्या... गा. ४१', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा 216 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८८१. सर्वतीर्थमहर्षिकुलक, जिनेश्वरसूरि / वर्द्धमानसूरि, उपदेश, प्राकृत, ११वीं, 'आदि अट्ठावयम्मि उसभो..., अन्त-सित्तुंजयम्मि सिद्धा...', मु., सिरिपयरणसंदोह २८८२. सर्वाधिष्ठायी स्तोत्र, जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-तं जयउ जए तित्थं... गा. २६', मु., सप्तस्मरणस्तोत्र संग्रह २८८३. सर्वाधिष्टायी स्तोत्र टीका (जिनदत्तसूरि), जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, ___ संस्कृत, १५वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८८४. सहज बीठल रा दूहा, मतिकुशलगणि / जयसौभाग्य उ०, काव्य, राजस्थानी, १८३२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २८८५. सागरसेठ (सायरसेठ) चौपई, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७५ बीकानेर, 'आदि-प्रणमुं फलवधि पास..., अन्त–इम फल जाणी आगमइए...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८८६. साधारण जिन वीनती, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, ___ 'आदि-मुखं संमुखं नयणले देव दीठु... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि । २८८७. साधारण जिन स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तुति, संस्कृत, १५वीं, 'आदि तीर्थसन्नायकं सिद्धितादायकम्... ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २८८८. साधारण जिन स्तुति (जयसागरीय) टीका (मूलार्थपरिहाररूपा व्याख्याद्वय), श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, स्तुति, संस्कृत, १६६९ जोधपुर, 'आदिश्रीमन्तमजितं नुत्वा श्रीश्रीवल्लभवादिभिः..., अन्त-श्रीजिनेश्वरसूरीन्द्राद्यः...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद । २८८९. साधारण जिन स्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि -- वरकेवलदंसणनाणधरा... गा. ४', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (३४) २८९०. साधुगणमाला, कल्याणधीर उ० / जिनमाणिक्यसूरि, स्तुति, राजस्थानी, १७वीं, अ. २८९१. साधुप्रतिक्रमणसूत्र (पगाम सज्झाय) अर्थनिर्णयकौमुदी टीका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, - आवश्यक, संस्कृत, १३६४ अयोध्या, 'आदि-नत्वा श्रीवीरजिनं..., अन्त–सर्वमनवद्यम्...', . अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११६०७, अभय ग्र., बीकानेर २८९२. साधुप्रतिक्रमणसूत्र अनुवाद सहित, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर म०, आवश्यक, गुजराती, २०वीं, मु., खरतरगच्छ ग्रन्थमाला, बम्बई २८९३. साधुप्रायश्चित्तविधि, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, संस्कृत-राजस्थानी, . १९वीं बालूचर, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ ५७४ । २८९४. साधुवन्दना, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, स्तुति, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि प्रणमु प्रहऊठी चौवीस..., अन्त-श्रीजिनमाणिक्यसूरि पटोधरु...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर पाला बम्बई खरतरगच्छ साहित्य कोश 217 For Personal & Private Use Only Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८९५. साधुवन्दना, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अरिहंत सिद्ध साधु नमो..., अन्त–इम चोवीस जिणवर प्रथम...', मु., श्रीमद्देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसार मण्डल, पादरा २८९६. साधुवन्दना, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, स्तुति, राजस्थानी, १७वीं, आदि-पंचपरमेठि पयकमल वंदी. करी..., अन्त–इम सुगुरुश्री जिनहंससूरिस...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ २८९७. साधुवन्दना, भावहर्षसूरि / भावहर्षीय, स्तुति, राजस्थानी, १६२६ जोधपुर, 'आदि-साधु सुगुरु समरी करी..., अन्त–इय सोल संत मास मगसीर...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०६३ २८९८. साधुवन्दना, महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-ओम्कार अपरम्मपार... गा. ३२०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ २८९९. साधुवन्दना, श्रीदेव / ज्ञानचन्द्र, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पांच भरत पांच इरवए जाण..., अन्त-चोवीश जिनवर प्रथम गणधर...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २९००. साधुवन्दना, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तुति, राजस्थानी, १६९७, 'आदि शांतिनाथ जिन सोलमउ..., अन्त-सगला साधुनइ वंदना...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८६४ २१०१. साधुविधिप्रकाश, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, संस्कृत, १६३८, आदि प्रणम्य तीर्थेश गणेशमुख्यान्..., अन्त–विधिः प्राय इह प्रोक्त...', मु,, बम्बई २९०२. साधुविधिप्रकाश भाषा, चारित्रसागर / सुमतिवर्द्धनगणि, विधि, राजस्थानी, १८९३ नागौर, अ., ह. जिनयशसूरि ज्ञान भं., जोधपुर, केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर २९०३. साधु समाचारी बालावबोध, धर्मकीर्त्तिगणि / धर्मनिधान उ०, आगम, राजस्थानी, १६६९ बीकानेर, अ., अभय ग्र, बीकानेर २९०४. साधु समाचारी बालावबोध, समयराजोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, आगम, राजस्थानी, १६६२, अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, अभय ग्र., बीकानेर २९०५. साधु समाचारी व्याख्यान, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २९०६. साध्वाचारषट्त्रिंशिका, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, विधि, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २९०७. साध्वीव्याख्याननिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा 218 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९०८. साध्वीव्याख्याननिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागर, चर्चा, संस्कृत अपूर्ण, २०वीं, अ., विनय. प्रतिलिपि २९०९. सामान्य जिनस्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-अविरलकमलगवलमुक्ता... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २९१०. सामान्य जिन स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि–जिनो जयति यस्यांघ्रिसुरासुर... गा. ४', अ. ह. विजय धर्मलक्ष्मी जान मन्दिर. आगरा २९११. सामान्य जिन स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, आदि-जिनो जिनस्नानपवित्रतोच्चै... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २९१२. सामान्य जिन स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-नखौष्टप्रवाली सभायारदाली... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २९१३. सामान्य जिन स्तुति, स्तुति, संस्कृत, १४वीं, आदि-पापा धाधानिधापाधिगमपमिगसासा... गा. ४', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २९१४. सामायिककुलक, जिनकीर्त्तिसूरि / जिनसागरसूरि शाखा, प्रकरण, प्राकृत, १९वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २९१५. सामुद्रिक भाषा, रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्गगणि, सामुद्रिक, राजस्थानी, १७२२, अ. २९१६. सामुद्रिक शास्त्र, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, सामुद्रिक, हिन्दी, २०वीं, मु., . रामलालगणि, बीकानेर २९१७. सारङ्गधर चौपई-वैद्यविनोद, रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्गगणि, आयुर्वेद चौपई, राजस्थानी, १७२६ मरोट, 'आदि-श्री सुखदायक सलहीये ज्योतिरुप जगदीस..., अन्त-सारंगधरभाषा कीयौ वैद्यविनोद रसाल...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०२६ २९१८. सारङ्गधर टीका, हंसप्रमोदगणि / हर्षचन्द्रगणि, आयुर्वेद, संस्कृत, १६६२, अ., ह. हरिसागरसूरि .. ज्ञान भं., पालीताणा ८६७ २९१९. सारणी, लक्ष्मीचन्द्रगणि / रत्नजयगणि, ज्योतिष, संस्कृत-राजस्थानी, १७६०, अ., ह. ____ हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६७१ २९२०. सारस्वत दीपक स्तोत्र, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, अ. २९२१. सारस्वतप्रयोगनिर्णय, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, भावहर्षीय ज्ञान भं., बालोतरा २९२२. सारस्वतमण्डन (सारस्वत व्याकरण टीका), मन्त्रि मण्डन / वाहड सोनगिरा चौहान, व्याकरण; संस्कृत, १५वीं मण्डपदुर्ग, 'आदि-उद्यत्सान्द्रजिनेन्द्रसुन्दरपद..., अन्त–जयति जगदाधारो देशः... गा. ४५००', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 219 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९२३. सारस्वतरहस्य, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १८८४ २९२४. सारस्वत व्याकरण ( धातुपाठ ) क्रियाचन्द्रिका टीका, गुणरत्नोपाध्याय / विनयसमुद्रगणि, व्याकरण, संस्कृत, १६४१ बीकानेर, 'आदि-चिदानन्दमयं देवं..., अन्त–श्रीमतखरतरगच्छे श्रीमज्जिनभद्रसूरि सन्ताने...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोध. १७६४२, साधुसुन्दरोपाध्याय ने इसका संशोधन किया २९२५. सारस्वत व्याकरण (धातुपाठ) धातुमुक्तावली, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, - व्याकरण, संस्कृत, १८वीं, अ. २९२६. सारस्वत व्याकरण टीका, विशालकीर्तिगणि / ज्ञानप्रमोदगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. गधैया संग्रह, सरदारशहर २९२७. सारस्वत व्याकरण टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ. २९२८. सारस्वत व्याकरण टीका, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, व्याकरण, संस्कृत, १६८१, 'आदि-प्रणम्य पार्श्व:..., अन्त–मतिमता ज्ञेय...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ३९३८, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि २९२९. सारस्वत व्याकरण भाषा टीका, आनन्दनिधान उ० / मतिवर्द्धनगणि आद्यपक्षीय, व्याकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. बहादुरमल बांठिया संग्रह, भीनासर २९३०. सारस्वत व्याकरण बालावबोध पंचसन्धिपर्यन्त, राजसोमोपाध्याय / जयकीर्ति उ०, व्याकरण, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २९३१. सारस्वत व्याकरण बालावबोध, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, व्याकरण, राजस्थानी, ___ १७वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर २९३२. सारस्वतानुवृत्त्यवबोधक, ज्ञानमेरुगणि / महिमसुन्दरगणि, व्याकरण, संस्कृत, १६६७ डीडवाणा, अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर २९३३. सारस्वतीय शब्दारूपावली, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. पूनमचन्द दूधेड़िया छापर स्वयं लिखित २९३४. सिंहासन बत्तीसी, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, कथा चरित्र, राजस्थानी, १६३६ मेड़ता, 'आदि-आराहि श्री रिषभप्रभु..., अन्त-श्रीखरतरेगणहरु गोयम समो...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १५२७ २९३५. सिंहासन बत्तीसी चौपई, विनयलाभोपाध्याय (बालचन्द) / विनयप्रमोद उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७४८ फलौदी, 'आदि-आदि जिणेसर आदिदे..., अन्त–सुर वधू पर दीधो सुखकाजे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३६९ 220 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९३६. सिद्धमूर्त्तिविवेकविलास, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलालगणि, बीकानेर २९३७. सिद्धशब्दार्णव नामकोष, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दनगणि, कोश, संस्कृत, १७वीं, मु., डेक्कन कॉलेज, पूना, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १५०६ ले. १७०१ २९३८. सिद्धहैमशब्दानुशासनलघुवृत्ति, जिनसागरसूरि / जिनचन्द्रसूरि पिप्पलक, व्याकरण, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस २९३९. सिद्धाचल रास, जिनमहेन्द्रसूरि / जिनहर्षसूरि मंडोवारा, रास चौपई, हिन्दी, १९वीं, अ. २९४०. सिद्धाचल स्तुति, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, अ. २९४१. सिद्धान्तचन्द्रिका टीका, ज्ञानतिलकोपाध्याय / विजयवर्द्धन उ०, व्याकरण, संस्कृत, १८वीं, 'अन्त–इति व्युत्पत्ति लेशोयं...', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २९४२. सिद्धान्तचन्द्रिका दीपिका टीका, नयविजय वा. / गुणसुन्दर वा., व्याकरण, संस्कृत, १८वीं, 'अन्त–संवत् १७०० वर्षे-जालौर मध्ये-श्रीजिनभद्रसूरि शाखायां-वा. गुणसुंदरगणिना शिष्य पं नयविजय मुनिकृते...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर प्रति नं. ५२१, पत्र सं. ९३ २९४३. सिद्धान्तचन्द्रिका टीका पूर्वार्द्ध, रामविजयोपाध्याय / दयासिंहगणि, व्याकरण, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, बालचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २५८ २९४४. सिद्धान्तचन्द्रिका टीका पूर्वार्द्ध, सदानन्दगणि / भक्तिविनयगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७९९, आदि-सिद्धपरमेश्वरं ध्यात्वा..., अन्त-श्रीमत्पाठकवर्यभक्तिविनया...', मु., वेंकटेश्वर प्रेस, बम्बई, ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २६०-२६१ २९४५. सिद्धान्त बोध, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय / सुमतिसागर उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ. २९४६. सिद्धान्त रत्नावली, जिनहेमसूरि / जिनोदयसूरि जिनसागरसूरिशाखा, व्याकरण, संस्कृत, १८९७ जयपुर, अ. २९४७. सिद्धान्त रलावली, नन्दलाल पाठक, व्याकरण, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर २९४८. सिद्धान्त रनिका व्याकरण, जिनचन्द्रसूरि, व्याकरण, संस्कृत, १९वीं, मु., यशोविजय जैन - ग्रन्थमाला, भावनगर, ह. विनय. प्रतिलिपि २९४९. सिद्धान्तागमस्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि-नत्वा गुरुभ्यः · श्रुतदेवतायै..., अन्त-इति भगवतः सिद्धान्तस्य... गा. ४६', ह. विनय प्रतिलिपि, मु., प्रकरण रत्नाकर भाग-४, काव्यमाला गुच्छक ७ २९५०. सिद्धान्तागमस्तव अवचूरि, भक्तिलाभोपाध्याय / रत्नचन्द्र उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, 'अन्त-आदि गुप्ताभिधानस्य...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश 221 For Personal & Private Use Only Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९५१. सिद्धान्तसारोद्धार (कुमतिकदली कृपाणिका चौपई), कमलसंयमोपाध्याय जिनवर्धनसूरि, चर्चा, राजस्थानी, १५४५, 'आदि–वीरजिणेसर पणमी पाय..., अन्त-ईणि उपदेशि दूहवाई जेउ...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर ११७७ २९५२. सिद्धि सप्तशतिका, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, अ., ह. ____ बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़ २९५३. सिन्दूरप्रकरण टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ० लघुखरतर, उपदेश, संस्कृत, १५०५, आदि-पादाय पायादभिवन्द्यमानः..., अन्त-वंशे श्रीजिनवल्लभस्य सुगुरोः... गा. ४८००', अ., ह. हंसविजय संग्रह, बड़ौदा २९५४. सिन्दूप्रकरण टीका, धर्मचन्द्रगणि / जिनसागरसूरि पिप्पलक, औपदेशिक, संस्कृत, १५१२, 'आदि-स्वभूर्भुवस्वस्त्रयीरम्य..., अन्त–श्रीजिनसागरसूरेः...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १८०८, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २९५५. सिन्दूप्रकरण बालावबोध, राजशीलोपाध्याय / साधुहर्ष उ०, उपदेश, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-शारदाचरणयुग्ममतीतपाप..., अन्त–पाठकराजसीलेन...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२२८४ २९५६. सिरि सहजाणंदघन चरियं, भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, काव्य, अपभ्रंश, २०४४, 'आदि-जुगवर सिरि जिणदत्तसूरि..., अन्त–गुरुवर पुप्फ पराग जोइय भँवर आकिट्ठिय...', मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २९५७. सीता सती चौपई, समयध्वजगणि / सागरतिलकगणि लघुखरतर, रास चौपई, राजस्थानी, १६११, अ., ह. कांतिविजय संग्रह, बड़ौदा, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६६५ २९५८. सीताराम चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७७ मेड़ता, 'आदि-स्वस्ति श्री सुखसंपदा..., अन्त–सीतारामनी चोपई जे चतुर...', मु., सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २९५९. सीमन्धरादि जिनस्तुति, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तुति, संस्कृत, १५वीं, आदि जयवन्तमहन्तभवन्तकरा... गा. ४', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३४२० (३३) २९६०. सीमंधर जिन स्तुति, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तुति, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि श्रीसीमन्धरदेवमीश्वरविभुं... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४८, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई २९६१. सीमन्धरादि स्तुति, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तुति, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि स्फूर्जत्केवलबोधदर्शनधरान्... गा. १', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४८, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९६२. सीमंधर जिन स्तोत्र, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'आदि विद्यमानं जिनं वन्दे... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २९६३. सीमंधर जिन स्तोत्र, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि मुज मनि आविउ अविचल... गा. १५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६ (११) २९६४. सीमंधर जिन स्तोत्र, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, 'गा. ८', अ. २९६५. सीमंधर जिन स्तोत्र, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १७वीं, 'आदि__ अति रस हरिस रसेण विहसिय..., अन्त–इयतत्ति सत्ति भरेण निम्मिउ... गा. ३१', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ४२० । २९६६. सीमंधर जिन स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १५वीं, 'आदि केवलनाणसनाहं... गा. २१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २९६७. सीमंधर जिन स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १५वीं, 'आदि नमिरसुरअसुरनरविन्दवंदियपयं..., अन्त–इयभुवणभूसण दलियदूसण... गा. २१', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४१८-४१९ २९६८. सीमंधर जिन स्तोत्र, विनयप्रभोपाध्याय / जिनकुशलसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, 'गा. १४', अ., ह. संघ भं., पाटण २९६९. सीमंधर जिन स्तोत्र, शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं, 'आदि जय जय सीमन्धर जगदीश्वर... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ २९७०. सीमंधर जिन स्तोत्र, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, आदि पूर्वसुविदेहपुष्कल विजयमण्डनं... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५ २९७१. सीमंधर वीनती चौढालिया, अगरचन्द / स्वरूपचन्द, रास चौपई, राजस्थानी, १८९४ रामपुर, 'आदि-श्री जिनशासन जग जयो..., अन्त–समत अढारे वर्ष चोरा|वे...', अ., ह. • 'विनय. प्रतिलिपि २९७२. सुकुमाल चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७९० आगरा, अ., ह. ताराचन्द तातेड़, हनुमानगढ़ २९७३. सुकोशल चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७९० आगरा, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४५६ २९७४: सुख चरित्र, वीरपुत्र आनन्दसागर / त्रैलोक्यसागर, चरित्र, हिन्दी, २०वीं, मु., पूनमचन्द्र कोठारी, बीकानेर २९७५. सुख दुःख विपाक संधि, धर्ममेरुगणि / चरणधर्मगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६०४ बीकानेर, 'अन्त–संवत मन लोचन सइ...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश 223 For Personal & Private Use Only Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९७६. सुखमाला सती रास, जीवराज / राजकलश, रास चौपई, राजस्थानी, १६६३, 'आदि सरसति वर देयो सुमति..., अन्त-एह काया अवगुणकोथली...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८९५ २९७७. सुगुरु गुण संथव सत्तरिया, जिनदत्तसूरि (सोमचन्द्र) / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, आदि-गुणमणिरोहणगिरिणो..., अन्त–इय सुहगुरु गुण संथव... गा. ७५', मु., युगप्रधान जिनदत्तसूरि, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर २९७८. सुगुरु वंशावली, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, गुर्वावली, राजस्थानी, १७वीं, मु., भट्टारक जिनभद्र खरउ २९७९. सुदर्शन चौपई, कीर्त्तिवर्द्धन / दयारत्नगणि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७०७, 'अन्त श्रीजिनशासन सोभाकारी...', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह २९८०. सुदर्शन चौपई, विनयमेरुगणि / हेमधर्मगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७८ सीधपुर, ___ 'अन्त-केवल ज्ञानी अनुक्रमइ रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २९८१. सुदर्शन चौपई, सहजकीर्तिगणि / हेमनन्दनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६१ बगड़ीपुर, ___ 'आदि केवल कमलाकर सुर..., अन्त-श्री खरतरगच्छ कमलविकासण दिनमणीरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०१६ २९८२. सुदर्शन रास, धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंह वा. पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि–रिसह जिणेसर पय नमी..., अन्त-श्री खरतरगच्छ गणधार...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २९८३. सुदर्शन सेठ चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७९८ नापासर, 'अन्त–वीर सुधर्म जंबू हि स्वामी...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २९८४. सुदर्शन सेठ चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४९ पाटण, 'आदि-प्रह उठी प्रणमुं सदा..., अन्त–योगशास्त्रनी टीकामांहि छइरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १००, भाग-३, पृ. ११६४ . २९८५. सुदर्शन चरित्र, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कथा चरित्र, संस्कृत, १६८६, अ., ह. नेमिनाथ भं., अजीमगंज २९८६. सुधर्मगणधर स्तोत्र (विविधछन्दोमय), जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि-आगमत्रिपथगाहिमवन्तं... गा. २१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २९८७. सुपार्श्वनाथ स्तोत्र, जयधर्मोपाध्याय / जिनपद्मसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, आदि-अइसयगुण मणिकोसं..., अन्त–जईया इत्थ महीयले बहुयरा... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा २९८८. सुपार्श्वनाथ स्तोत्र-मण्डपदुर्ग, मतिवर्द्धनगणि वाचनाचार्य, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, आदि जय भुवियण जणमणकमलभाणु..., अन्त-एवं मण्डवोपरि परिलसिस कल्याणवल्लि घणो... गा. १५', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४२७-४२८ 224 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९८९. सुप्रतिष्ठ चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७९४ मरोट, 'अन्त - श्रीखरतर गच्छनी परंपरा... ११', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २९९०. सुबाहु सन्धि, पुण्यसागरोपाध्याय / जिनहंससूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६०४ जैसलमेर, 'आदि-आदिकरण आदीसरु..., अन्त-संवत सोलचिडोत्तर...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं, जयपुर, विनय प्रतिलिपि, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६५३२ २९९१. सुभद्रा चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ९६० २९९२. सुभद्रा चौपई, रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८२५ तोलियासर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ३२८ २९९३. सुभद्रा चौपई, विद्याकीर्त्ति उ० / पुण्यतिलकगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७५, अ., जैनशाला भं., खम्भात, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ९५८ २९९४. सुभद्रा चौपई, हेमनन्दनोपाध्याय / रत्नसारगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४५, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २९९५. सुभाषित काव्य, लोकहिताचार्य / जिनचन्द्रसूरि, काव्य, संस्कृत, १५बीं, 'आदि-भो भव्याः सुजनप्रिया वयमृमी..., अन्त-लोकैस्त्रिसन्ध्यमहितो भुवि सर्वदर्शी...', मु., विज्ञप्तिलेख संग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई २९९६. सुमङ्गल रास, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७७१, अ., जयचन्दजी संग्रह, बीकानेर २९९७. सुमतिनागिला सम्बन्ध चौपई, धर्ममन्दिर वा / दयाकुशलगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३९ बीकानेर, अ. २९९८. सुमित्रकुमार रास, धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंह पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १५६७ जालौर, 'आदि-पणमिसु मण तण वय करी..., अन्त- सुविहित खरतरगच्छ विराजई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ११७ २९९९. सुमित्रचरित्र, हर्षकुञ्जरोपाध्याय / जयकीर्त्ति उ० पिप्पलक, चरित्र, संस्कृत, १५३५ ज्यायहपुरी, 'आदि-सश्रीकः सुमनः सेच्य:..., अन्त-इत्थं श्री दानधर्म...', मु., हीरालाल हंसराज, जामनगर ३०००. सुरप्रिय चौपई, दीपचन्द्रोपाध्याय / धर्मचन्द्र उ० बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर १७८१, ३००१. सुरप्रिय रास, जयनिधानोपाध्याय / राजचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६५ मुलतान, 'आदि-सरसं मधुर अमृत जिसी..., अन्त-बाण सुर सर ससधरइ...', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 225 Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३००२. सुरसुन्दरी अमरकुमार रास, जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७६९, अन्त-संवत उगणोत्तर श्रावण मासे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १८६ ३००३. सुरसुन्दरी चरित्र, धनेश्वरसूरि / जिनेश्वरसूरि (जिनभद्रसूरि), काव्य, प्राकृत, १०९५ चन्द्रावती, 'अन्त-एसो विपुव्वसूइय... २५१', मु., यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी ३००४. सुरसुन्दरी चौपई, मतिकुशलगणि / मतिवल्लभगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३१, अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर ३००५. सुरसुन्दरी रास, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३६ बेनातट, 'आदिसासण जेहनो सवि हियै..., अन्त-संवत् सतर वरस छत्रीसइ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूर ज्ञान भं., पालीताणा ३००६. सुसढ़चरित्र, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, कथा चरित्र, संस्कृत, २०वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., माण्डवी, सदागम ट्रस्ट, कोडाय ३००७. सुसढ चौपई, समयनिधानोपाध्याय / ज्ञानलाभ उ० जिनसागरसूरिशाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १७३१ अकबराबाद, अन्त-गुजर खंडनइ आगरइरे... गा. ४', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर । ३००८. सुसढ रास, राजसोमोपाध्याय / जयकीर्ति उ० जिनसागरसूरि शाखा, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ३००९. सुसढ रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३७० ३०१०. सूक्तिमुक्तावली, जिनवर्द्धनसूरि / जिनराजसूरि पिप्पलक, उपदेश, संस्कृत, १७३९ उदयपुर, अ., ह. सरस्वती ज्ञान भं., उदयपुर ३०११. सूक्तिरत्नावली स्वोपज्ञ टीका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सुभाषित, संस्कृत, १८४७ मकसूदाबाद, 'मूल का अन्त-श्रीमच्चंद्र कुलोत्तंसा..., टीका का अन्त–संवन्मुनि वेद वस्तु...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि, मु. ३०१२. सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धार प्रकरण (सार्द्धशतक), जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-सयलंतरारिवीरं वंदिय..., अन्त–जिणवल्लह-मणिलिहियं...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. १, सम्पादक - म० विनयसागर ३०१३. सूक्ष्मार्थविचारसारोद्धार टिप्पणक, रामदेवगणि / जिनवल्लभसूरि, प्रकरण, संस्कृत, १२वीं, अ., उ. गणधरसार्द्ध बृहवृत्ति, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४३१ ३०१४. सूत्रकृताङ्गसूत्र टीका दीपिका, साधुरङ्गोपाध्याय / भुवनसोम उ० आद्यपक्षीय, आगम, संस्कृत, १५९९ बरलू, मु., गौडी पार्श्वनाथ मन्दिर ज्ञान भं., बम्बई, ह. विनय. प्रतिलिपि, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११४३३ 226 खरतरगच्छ साहित्य कोश .. For Personal & Private Use Only Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०१५. सूत्रकृताङ्गसूत्र बालावबोध, जिनोदयसूरि / जिनसुंदरसूरि बेगड़, आगम, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३०१६. सूरिमन्त्रकल्प, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत-प्राकृत, १५वीं, अ., ह. धरणेन्द्रसूरि संग्रह, जयपुर ३०१७. सूरिमन्त्रकल्प विवरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत, १४वीं, मु. ३०१८. सूरिमन्त्रचूलिका, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत, १४वीं, मु... ३०१९. सोमचन्द राजा चौपई, विनयसागर उ० /सुमतिकलश उ० पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १६७० जौनपुर, अन्त–संवत सोलह सत्तरइ रे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २१८ ३०२०. सोलह स्वप्न चौढालिया, अमरसिन्धुर वा. / जयसार वा., रास चौपई, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर ३०२१. सौभाग्यपंचमी चौपई, जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३८, अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ३०२२. स्तुति चतुर्विंशतिका, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तुति, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि श्रीनाभिनन्दनं देवं... गा. १००', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. १७-२९, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ३०२३. स्तुति त्रोटक, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तुति, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-ते धन पुन्न सुकयत्थ नरा... गा. ४', ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., विधि मार्ग प्रपा, पृ. १२९ ३०२४. स्तुति त्रोटक, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तुति, प्राकृत, १४वीं, आदि-नियजम्मु सफलु... गा. ५', ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., विधि मार्ग प्रपा, पृ. १२९ ३०२५. स्तोत्र संग्रह, साधुसोमोपाध्याय / सिद्धान्तरुचि म०, स्तोत्र, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि __ज्ञान भं., जैसलमेर ३०२६. स्थण्डिलके १०२४ भांगे, पद्मराजगणि / पुण्यसागर उ०, विधि, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३०२७. स्थानाङ्गसूत्र गाथागतवृत्ति, हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, सुमतिकल्लोल उ० जिनचन्द्रसूरि, आगम, संस्कृत, १७०५, 'आदि-स्वस्ति श्रीवृत्तिमन्तं..., अन्त–कोट्यक्षरं सूरिपदस्य मंत्र...', ह. सविजय संग्रह, बड़ौदा, मु., देवचन्द्र लालभाई जैन पु. फण्ड, सूरत ३०२८. स्थानाङ्गसूत्र टीका, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, आगम, संस्कृत, ११२०, 'आदि-श्रीवीर - जिननाथं नत्वा..., अन्त-सत्सम्प्रदायहीनत्वात्...', मु., आगमोदय समिति, सूरत ३०२९. स्थानाङ्गसूत्र टीका, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आगम, संस्कृत, १७वीं, अ., उ. श्रीसार कृत जिनराजसूरि रास ३०३०. स्थापनाषट्त्रिंशिका, जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, प्रकरण, प्राकृत, १७वीं, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश 227 For Personal & Private Use Only Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०३१. स्थूलभद्रगुणमाला महाकाव्य, सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, महाकाव्य, संस्कृत, १६८० संग्रामनगर (सांगानेर), 'आदि-नमो विघ्नच्छिदेऽजाय शम्भवे..., अन्तपूर्णाष्टरसचन्द्राब्दे... श्लो.-२९५', मु., शारदाबेन चि. एज्युकेशन रिसर्च सेन्टर, अहमदाबाद, ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, विजय हिमाचलसूरि ज्ञान भं., घाणेराव ३०३२. स्थूलिभद्र दोहा, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, 'आदि-जो जिण शासणि कमल वणि हंस..., अन्त-थूलिभद्द मुणिवरु जयउ... गा. ८', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३२ ३०३३. स्थूलिभद्र छन्द, मेरुनन्दनोपाध्याय / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, आदि-मेरु समाणु जु सील पसिद्धौ..., अन्त-गुणवन्त श्री तिलौ निलौ... गा. २५', अ., ह. हर्षचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ भं., खम्भात, पृ. ४३२-४३४ ३०३४. स्थूलभद्र फागु, जिनपद्मसूरि / जिनकुशलसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४वीं, 'आदि पणमिय पास जिणंदपय..., अन्त–खरतरगच्छि जिनपदमसूरि...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ११ ३०३५. स्थूलभद्र चौपई, चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, रास चौपई, राजस्थानी, १८२४ अजीमगंज, अ., ह. जयचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३०३६. स्थूलभद्र चौपई, साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पास जिणेसर प्रणमिय पाय..., अन्त-ए मुनिवर तणउ लीयइहो नाम...', अ., ह. वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ३०३७. स्थूलभद्र रास, कमलमन्दिर / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, रास, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि गोयम गणहर पणमिय पाय... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४१६ ३०३८. स्थूलभद्र रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण, आदि इणिही ज भारत क्षेत्र माइ रे लाल..., अन्त–निधिबाण रिषि शशि वछरई...', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ३०३९. स्थूलभद्र रास, रङ्गकुशलगणि / कनकसोमगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६४४, अ. ३०४०. स्थूलभद्र रास, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६२२, 'आदि–सिरि सरसति सामिणि केरा प्रणमूं पाय..., अन्त-एणी परि श्री थूलिभद्र पालइ...', अ., ह. महावीर विद्यालय, बम्बई, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८४४ ३०४१. स्फुट प्रश्नोत्तर, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, प्रश्नोत्तर, राजस्थानी, १८वीं, मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ३०४२. स्फुट प्रश्नोत्तर, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रश्नोत्तर, संस्कृत, १७वीं, अ. ३०४३. स्याद्वादपुष्पकालिकाप्रकाश स्वोपज्ञ टीकासह, चारित्रनन्दी / नवनिधि, न्यायदर्शन, संस्कृत, १९१४, 'आदि-नत्वा संयमवामेयं गुरुं नौ..., अन्त–स्याद्वार पुष्पकलिका...', अ., ह. सिद्धक्षेत्र 228 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साहित्यमन्दिर, पालीताणा, जिनयशसूरि ज्ञान भं., जोधपुर ३०४४. स्याद्वादानुभवरत्नाकर, चिदानन्द द्वि., न्यायदर्शन, हिन्दी, १९५० अजमेर, मु. ३०४५. स्वधर्मीवात्सल्यकुलक, अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, उपदेश, प्राकृत, १२वीं, 'आदि नमिऊण जिणं पासं..., अन्त–इय साहम्मियकुलयं...', मु., प्रकरण सन्दोह, ह. हर्षचन्द्रसूरि पार्श्वचन्दगच्छ भं., खम्भात प्रति नं. ३७६ ३०४६. स्वधर्मीवात्सल्यकुलक स्तबक, समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलास उ०, उपदेश, राजस्थानी, १६६१ वीरमपुर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ८९९, अभय ग्र., बीकानेर ३०४७. स्वर्णगिरि पार्श्वनाथ स्तोत्र, जिनरत्नसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, 'आदि स्वर्णक्षोणीभृद्रभ्रंक शिखर..., अन्त–इत्थं सुविज्ञापितवर्ण्यसुवर्ण्य... गा. १०', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा ३०४८. स्वप्नप्रदीप, वर्द्धमानसूरि / जयआनन्दसूरि रुद्रपल्लीय, स्वप्न शास्त्र, संस्कृत, १५वीं, आदि परमताम्मानं नमस्कृत्य..., अन्त-इति श्रीरुद्रपल्लीयगच्छे आचार्यश्री वर्द्धमानसूरि कृते...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६०६ ३०४९. स्वप्नफल विवरण, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, स्वप्नशास्त्र, संस्कृत, १३वीं, अ., _ ह. विनय. प्रतिलिपि ३०५०. स्वप्नविचारभाष्यवृत्ति, जिनपालोपाध्याय / जिनपतिसूरि, स्वप्नशास्त्र, संस्कृत, १३वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३०५१. स्वप्नसप्तिका, जिनवल्लभसूरि / अभयदेवसूरि, स्वप्न शास्त्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि-एवं विसिट्ठकालाभावम्मि..., अन्त-जं सक्कइ तं कीरइ...', मु., जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, पृ. ५० ३०५२. स्वप्नसप्ततिका टीका, सर्वदेवसूरि / जिनपतिसूरि, स्वप्न शास्त्र, संस्कृत, १२८७, 'आदि अधुना क्रियादिकलस्य..., अन्त-अकारिवृत्तिः समासेन...', अ., ह. कान्तिविजय संग्रह छाणी, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३६३०, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ३०५३. स्वप्नाधिकार, राजलाभगणि / राजहर्षगणि, स्वप्नशास्त्र, राजस्थानी, १७६५ केला, अ. ३०५४: स्वरोदय ज्ञान, चिदानन्द / चुन्नीजी, स्वरोदय, हिन्दी, १९०५, आदि-नमो आदि अरिहंत... अन्त–निधि इंदु सर पूरणता चिदानंद चित्त धार...', मु., चिदानंद कृत सर्व संग्रह भाग-२, पृ.७० ३०५५. स्वरोदय भाषा, लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, स्वरोदय, राजस्थानी, १७५३, अ., ह. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, रामलालजी संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५२४ . ३०५६. स्वात्मसम्बोध (ज्ञानसार प्रकाश), धर्मचन्द्रगणि / जिनसागरसूरि पिप्पलक, योग, संस्कृत, १६वीं, अ., ह. मोहनलाल दलीचन्द देशाई संग्रह, बम्बई खरतरगच्छ साहित्य कोश 229 For Personal & Private Use Only Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०५७. हरिकेशी संधि, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६४० वैराट, 'आदि-पणमीय पासनाह चिंतामणि..., अन्त-खरतरगछि जिनभद्र साखइ...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ७४४ ३०५८. हरिकेशी संधि, सुमतिरङ्गगणि / चन्द्रकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२७ मुलता 'आदि-साधु सकल प्रणमी करी..., अन्त-बावउ बावउरी हरिकेशी बल गुण गावउ.. अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. २०१ ३०५९. हरिबल चौपई, चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १५८१, अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४९५ ३०६०. हरिबल चौपई, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७०६, अ., __ ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३०६१. हरिबल चौपई, दयारत्नगणि / हर्षकुशलगणि आद्यपक्षीय, रास चौपई, राजस्थानी, १६९१ जोधपुर, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता ३०६२. हरिबल चौपई, पुण्यहर्षगणि / ललितकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३५ सरसा, आदि ___ श्री गुरु पय प्रणमी करी..., अन्त–भिहुं नगरीनो नृप थयो...', अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर ३०६३. हरिबल चौपई, लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञानविलासगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७१ जैसलमेर, अ., ह. यति नेमिचन्द संग्रह, बाड़मेर ३०६४. हरिबल मच्छी चौपई, राजरत्नसूरि (राजशीलगणि / साधुहर्ष उ०) / विवेकरत्नसूरि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १५९९, अन्त-खरतरगच्छि गोयम समवडि विवेकरतन सूरींद...', अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३०६५. हरिबल मच्छी रास, जिनहर्षगणि / शांतिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४६ पाटण, 'आदि-शान्तिकरण श्रीशान्तिजिन... अन्त–संवत् छतर छेतालिसमेरे... गा. ११', मु., आनन्द काव्य महोदधि भाग-३ । ३०६६. हरिबल सन्धि, कनकसोमगणि / अमरमाणिक्य उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ. ३०६७. हरिभक्तामर ( भक्तामर स्तोत्र पादपूर्ति), जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, स्तोत्र, __ संस्कृत, २१वीं, अ., उ. भक्तामर रहस्य : धीरजलाल टोकरसी शाह ३०६८. हरिवाहन चौपई, जिनसिंहसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शुभमति सम्पत्ति सकल सुख..., अन्त–अपूर्ण', अ. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ३०६९. हरिविलास, जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागर, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५८१ ३०७०. हरिश्चन्द्र चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४४ पाटण, आदि वीर जिणेसर पाय नमुं..., अन्त-रास रचउ रलीयामणउ सतरइ चम्मालीस हो...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ९५, भाग-३, पृ. ११५८ 230 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०७१. हरिश्चन्द्र चौपई, लालचन्दगणि / हीरनन्दनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७९ गंगाणी, 'आदि-शुभ मति आप..., अन्त-संवत निधिमुनि ससिकला...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ __ भाग-३, पृ. ९६०, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७६५८ ३०७२. हरिश्चन्द्र चौपई, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दनगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९७, आदि___ प्रणमुं फलवधि पास..., अन्त–संवत सोल सत्तानूयइ...', अ. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ३०७३. हरिश्चन्द्र चौपई, हीरनन्दनगणि / जिनसिंहसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि ___ शुभमति आपो सारदा...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ४८१ ३०७४. हंसराज बच्छराज चौपई, महिमसिंह (मानसिंह)/ शिवनिधान उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७५ कोटड़ा, 'आदि-श्री आदीसर जिण तणा..., अन्त-महिमसिंघ सुमति घरी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६९७ ३०७५. हंसराज बच्छराज प्रबंध, विनयमेरुगणि / हेमधर्मगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६६९ लाहौर, 'आदि-वीर जिणेसर चरण जिन प्रणमुं..., अन्त-खरतरगच्छ अती दीपतो...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३०७६. हंसराज बच्छराज रास, जिनोदयसूरि / जिनतिलकसूरि भावहर्ष, रास चौपई, राजस्थानी, १६८०, 'आदि-आदीश्वर आदे करी..., अन्त-श्री खरतरगच्छ गुणनिलौजी...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७२१५ ९२५५ आदि, अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, विनय. प्रतिलिपि ३०७७. हिङ्गलप्रकरण, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ०, प्रकरण, प्राकृत, १७वीं, अ., ह. ___ हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ११४० ३०७८. हितशिक्षा भाषा, भद्रसेन वा., उपदेश, राजस्थानी, १७वीं, अ. . ३०७९. हितोपदेशप्रकरण, प्रभानन्दसूरि / देवभद्रसूरि, उपदेश, प्राकृत, १२वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि • ज्ञान भं., जैसलमेर ९७४ ३०८०. हीराकलश जोइसहीर, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, ज्योतिष, प्राकृत-राजस्थानी, १६५७, मु., साराभाई मणिलाल नवाब, अहमदाबाद, ह. भावहर्ष भं., बालोतरा ३०८१. हीरावबोध, लब्धोदयगणि / ज्ञानराज उ०, ज्योतिष, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३०८२. हुण्डिका १२५ बोल (लँकोपरि ), नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., चर्चा, राजस्थानी, १६२५ वीरमपुर, अ., ह. उदयचन्द संग्रह, जोधपुर ३०८३. हुण्डिकाचौरासी बोल (तकराणामुपरि), नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., चर्चा, राजस्थानी, १६२५ वीरमपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 231 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०८४ हैमलिङ्गानुशासन दुर्गपदप्रबोधटीका (हेमचन्द्रीय), श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, व्याकरण, संस्कृत, १६६१ जोधपुर, 'आदि-स्वस्तिश्री दायकं..., अन्त-श्रीजिनेश्वरसूरीन्द्र...', मु. हीरालाल सोमचंद मांगरोल, ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३३२७, अं. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, सकलचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं. खम्भात. ३०८५. हैमलिङ्गानुशासन अवचूर्णि, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर प्रथम खण्ड समाप्त 232 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ साहित्य कोष द्वितीय खण्ड (स्तवन, स्तुति, चैत्यवन्दन, गीत, स्वाध्याय, निसाणी, लावणी, बारहमासा आदि साहित्य) पद, For Personal & Private Use Only Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ श्री गौतमस्वामिने नमः ॥ ॥ श्री कुशलगुरुदेवाय नमः ॥ ॥ श्री जिनमणिसागरसूरिपादपद्मेभ्यो नमः ॥ खरतरगच्छ साहित्य कोश ३०८६. अगरचन्द / क्षेमचन्द्र, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिकुशल गुरुजी अरज... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१७ ३०८७. अगरचन्द / स्वरूपचन्द्र, नववाड ढाल, रास चौपई, राजस्थानी, १८७९ रामपुर, 'आदिप्रणमुं पंचपरमेसरू, अन्त - संवत अढारे वरस गुणीयासे', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, अभय ग्र.; बीकानेर ३०८८. अगरचन्द / स्वरूपचन्द्र, सीमन्धर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२१, 'आदि-मारी वीनतड़ी अवधारो साहिब... गा. २१', मु., बृहत्स्तवन १२४ ३०८९ अनन्तहंस / भावहर्षसूरि, अष्टोत्तर शत पार्श्वनाथनामगर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३०९०. अनन्तहंस / भावहर्षसूरि, शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ६', अ., बीकानेर ह. अभय ग्र., ३०९१. अनूप (जिनलाभसूरि के साथ), गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३३, ' आदि-गुणनिध गवडीपुर स्वामी... गा. ११', अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१७९) राजस्थानी, १८२५, अ., ३०९२ अनोपचन्द / क्षमाप्रमोद, गौडी पार्श्वनाथ बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, ह. विनय प्रतिलिपि १३८, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १००३ ३०९३. अभय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कुशल करो रे महाराज..... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१८ ३०९४. अभय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' आदि - जिनकुशल सूरिंद गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१८ ३०९५. अभय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' आदि - सेवो सुगुरु सुखदाय... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१८ ३०९६. अभयकुशल / पुण्यहर्ष, पुण्यहर्ष गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १८वीं, अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 235 www.jalnelibrary.org Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०९७. अभयविलास , कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७९ गडालय, 'आदि-सद्गुरु चरण नमो चितलाय... गा. १५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४१२ । ३०९८. अभयसोम / सोमसुन्दर , जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि जिनकुशलसूरि आलम... गा. ६, मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १८४ । ३०९९. अभयसोम / सोमसुन्दर , जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि प्रथम जो देरावरे सुथान... गा. १७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १८५ ३१००. अभयसोम / सोमसुन्दर, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं पाली, 'समरु माता सरसती... गा. ३१', अ., ह. प्रा. जोध. ३१२२५ (१७९) दादागुरु भजनावली, पृ. १८६ ३१०१. अभयसोम / सोमसुन्दर, फलौदी पार्श्वनाथ छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३१०२. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, अरहन्नक सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७७० राहसर, 'गा. १७', अ., ह. जयचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३१०३. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, अरहन्नक सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७९६ , आदि प्रथम नमूं पंच इष्ट ने... गा. २६', अ. ३१०४. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, अरिहंत १२ गुण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ३१०५. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, चन्द्रप्रभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सेवो चन्द्रप्रभ सामि हो... गा. ५' अ. ३१०६. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि जप मेरी जिह्वा जिनजी को नाम... गा. ८' अ. . ३१०७. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, जैसलमेर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७८७, 'आदि-परम निरंजन पर उपगारी... गा. १४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३१०८. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, धन्ना सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, 'आदि-वीरवचन चित्त धरी... गा. १९', अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ३१०९. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, नींद सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, 'आदि-नींदलडी लोचन परिहरो... गा. १३' अ. ३११०. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, पार्श्वनाथ फाग, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि अश्वसेन रा के बाग में... गा. ६' अ. ३१११. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६६, 'आदि–ओं अक्षर उर में धरी... गा. ८' अ. 236 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३११२. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पार्श्व जिणंद जुहारीयै० गा. ३' अ. ३११३. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि पार्श्वनाथ पियारे हो... गा. ११' अ. ३११४. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि वामानंदनदेव अरज मो... गा. ११', अ. ३११५. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि सुणजो स्वामी मोरी वीनती... गा. १४', अ. ३११६. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-सुर नर माहे जिनजी सिर दादो... गा. १२' अ. ३११७. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६२, __'गा. ९', अ. ३११८. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७८७, 'आदि-श्री लौंद्रवपुर पासनी... गा. १५', अ. ३११९. अमरविजय / उदयतिलक वाचक, सम्यकत्व ६७ बोल सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८००, अ., ह. जयचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३१२०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, अध्यात्म भंग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-भांगडली आज भली आई... गा. ११', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११८ ३१२१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, अनुभव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आतम अनुभव रस पीजीये... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२६ ३१२२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, अनुभव वर्षा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-अनुभव वरषा आई सुचेतन... गा. ४' , मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३७ ३१२३. अमरसिन्धुर. वाचक / जयसार वाचक, अनुभव होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-अनुभव रस अनुभव रस अजब मची होरी... गा. १०', मु., बम्बई चिन्तामणि ___ पार्श्वनाथादि, पृ. १३८ ३१२४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, अनुभव होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-हरख सुं अनुभव होरी आई०... गा. ३' , मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४७ ३१२५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, अमल नशा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'अमली ने अमल भलो आयो... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११६ ३१२६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, अम्बिका गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मां अंबाई तो दरसण थी... गा. १०', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १६१ खरतरगच्छ साहित्य कोश 2370 For Personal & Private Use Only Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१२७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, आत्म प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-ऐसे कही जाए कैसे... गा. १३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२१ ।। ३१२८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, आत्म शिक्षा सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुधि साजनजी करम लाग्या छै... गा. १०', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२७ ३१२९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, __'आदि-जै बोलो आदि जिणेसर की जै बोलो... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १ ३१३०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, एकत्व पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-तुं नहि किसकौ को नहि तेरो... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११६ ३१३१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, गौडी पार्श्वनाथ होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-गवडी प्रभु जिनवर गुण गावो... गा.६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २५ ३१३२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चक्रेश्वरी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-देवी चकेसरी संघ सकल आधार... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १६० ३१३३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्ता निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-रे जीव चिंता नव धरीयै... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२४ ३१३४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ फाग, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जिनजी के गुण गावो हारे लाला... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.८१ ३१३५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन (अंगीवर्णन), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अंगीया सुरंगीया सोहै... गा. ११', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४० ३१३६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-अधिक आणंद लह्यौ आज में... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३५ ३१३७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आज सुजलधर आयो... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ५९ ३१३८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १९वीं, आदि-आज सुदीह सुहायो... गा. ११', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३१ ३१३९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-आनन्दघन उपगारी निरंतर... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ५४ 238 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-ए होरी भाव भले आयो... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८२ ३१४१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-घणुं समझायो घर में... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ५५ ३१४२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चरण कमल जिनराज ना हो... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४४ ३१४३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–चित हितधर चिंतामणि भजरे... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.६३ ३१४४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–चिंतामणि चित धार... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ७३ ३१४५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-चिंतामणि चित में बसें सहेलडीयां... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.७७ ३१४६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं , 'आदि-चिंतामणि दरसण भले पायो... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, . पृ.४७ ३१४७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं , 'आदि-चिंतामणि मुझ चित वसै... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४९ ३१४८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १९वीं , 'आदि-चिंतामणि मेरे चित में बसे हैं... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४२ ३१४९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–चिंतामणि सुप्रसन्न आज भयो... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.३४ ३१५०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, -- १९वीं, आदि-जगदानंद जयो री चिंतामणि... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.७६ ३१५१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जगनायक चिंतामणि जिणंद... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.५२ 239 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१५२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय चिंतामणि जगपति... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३३ ३१५३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-जय जय चिंतामणि जगनायक... गा.५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.६६ ३१५४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, र १९वीं, 'आदि-जय जय चिंतामणि जगदीसर... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४९ ३१५५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-जय जय जय जय पास जिणंद... गा.५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.७४ ३१५६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय जिणवर भवभयदुखहर... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.५६ ३१५७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-जय जय श्री जगनाथ... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ६१ ३१५८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जीया रे चिंतामणि जपलै... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ६१ ३१५९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जै बोलो जै बोलो पास चिंतामणि की... ग्रा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.५० ३१६०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-तुं तो चिंतामणि चितधर रे... गा.८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३६ ३१६१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन (सम्यक्त्व प्रार्थना), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-तुम्ह दरसण विण मन मो... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.७३ ३१६२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दरसण देखी सांमनो रे... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३७ ३१६३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-धणिय एक चिंतामणि ध्यावो... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४१ ३१६४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दरसण द्यो महाराज... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ५१ 240 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१६५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-धणिय एक चिंतामणि ध्यावो... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४१ ३१६६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-धणीय चिंतामणि ध्यावो सुगुणनर... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ५९ ३१६७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ध्याया ध्याया ध्याया वे... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ५७ ३१६८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–नित लीजै प्रभु नाम तुहारो... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.६७ ३१६९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-प्रभु चिंतामणि जस जग जयो... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.५७ ३१७०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-बाबो चिंतामणि पास विराजे... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४५ ३१७१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १९वीं, 'आदि-भलो देव मन भायो चिंतामणि... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३५ ३१७२, अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-मनवा कर कर मौज सुं रे... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, . पृ. ६५ . ३१७३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, .१९वीं, आदि-महिर करौ महाराज चिंतामणि... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ५८ ३१७४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १९वीं, आदि-मुख पेखी महाराज कौ रे... गा. १०', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २९ ३१७५, अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–मेरे चिंतामणि के चरण कमल युग... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, __ पृ. ३२ ३१७६.. अमरसिन्धुर बाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-मेरे मन मिंदरियै प्रभुजी पधारे... गा.५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४२ ३१७७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेरो पास जिणंद जयो... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४३ 241) खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१७८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-मैं चरणन को चेरो प्रभु तेरो... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३८ ३१७९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-या जिनराज सो देव नहीं... गा.६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३९ ३१८०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-लटकालै जिनजी सै लय लागी... गा.६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.६० ३१८१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-वण्योरी म्हारे या प्रभु सै रंग... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.५३ ३१८२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-वाधै रंग बधाई सवाई वाधत रंग... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ६२ ३१८३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १९वीं, 'आदि-श्री चिंतामणि जिण जगचंद... गा. १३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.६९ ३१८४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-श्री चिंतामणि पास की मैं पूज... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४६ ३१८५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री चिंतामणि पास प्रभु जी... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.७६ ३१८६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-श्री चिंतामणि साचौ साम... गा.६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.७२ ३१८७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-श्री चितामणि साम है साचौ... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ६४ ३१८८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सकल सिंघ सुखदाई... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३० ३१८९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-सहेली म्हारा पूजो चिंतामणि पास... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.५८ ३१९०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुध समकित सहिनांणी आयौ... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.७८ 242 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१९१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-होजी चिंतामणि लागै प्यारो... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४८ ३१९२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- मिंदर में खूब मची होरी... गा. १०', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ७९ ३१९३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चिन्तामणि पार्श्वनाथ होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-होरी आई रे होरी आई... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८० ३१९४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन वसन्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- फागुण फाग सुहाए सखी मेरी... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३८ ३१९५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन सुमति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि–आज आणंद भयो सखी मेरे तो... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३२ ३१९६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन सुमति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आज आणंद भयो सुण सजनी री... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३० ३१९७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन सुमति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-नाह मेरो अब निठुर भयो है... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२८ ३१९८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन सुमति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-नेहरो लगायो सहीयां... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३१ · ३१९९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन सुमति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेरो पिया मेरो कह्यो ही न मानत... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२९ " ३२०० अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन सुमति होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-एतौ हरख सै आई होरी रे... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३२ ३२०१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन सुमति होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- नणद तुमारो नवल सनेही... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४४ ३२०२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, चेतन सुमति होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- सुनो री सखि ऐसे रमो होरी... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४६ ३२०३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जपमाला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जीया रे तजीयै जंजाला... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८६ ३२०४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- आज आनन्द भयो सुगुरु मेरे... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९७, दादागुरु भजनावली, पृ. २१९ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 243 Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२०५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, कुशलसूरिसर ध्यावो रे... ५, मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १०३, दादागुरु भजनावली, पृ. २२० ३२०६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- जय बोलो कुशलसूरीसर की... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९६, दादागुरु भजनावली, पृ. २२० ३२०७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ऐसे कुशलसूरिंद नीके रंग... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १०२ ३२०८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जुगवर जग जयो... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९५, दादागुरु भजनावली, पृ. २२० ३२०९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवनं, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि–महिरवान महाराज... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २२१ ३२१०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' आदि - मेरे सद्गुरु कुशलसूरीसर... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९९, दादागुरु भजनावली, पृ. २२१ ३२११. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि-श्रीजिनकुशलसूरिंदा रे... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १००, दादागुरु भजनावली, पृ. २२२ ३२१२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरीसर साहिब... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १०१, दादागुरु भजनावली, पृ. २२२ ३२१३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुगुरु कुशलसूरिंद सेवो... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९७, दादागुरु भजनावली, पृ. २२२ ३२१४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुगुरु तै देव साचा है... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९८, दादागुरु भजनावली, पृ. २२३ ३२१५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- विमलवाहिनी वर दीयै... गा. २१', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९२, दादागुरु भजनावली, पृ. १८९ 244 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२१६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'गा. ६५', मु., अपूर्ण बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १५६, दादागुरु भजनावली, पृ. १९१ ३२१७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आज आनंद घन वरसै मिंदर में... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८३ ३२१८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनकुशलसूरि होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ऐसे कुशल सुरिन्द... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१९ ३२१९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनदत्तसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनदत्तसूरि सुखदायक... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९२ ३२२०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-श्री जिनदत्तसूरि... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२ ३२२१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनमहेन्द्रसूरि गहूंली, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १९वीं, 'आदि-धन सूरत नगर सुचंग... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १०३ ३२२२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनमहेन्द्रसूरि गईंली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-वड वखती साहिब... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १०४ ३२२३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनराज स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-एसै जिनराज आज नैन से निहारे... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८४ ३२२४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिनवाणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, . 'आदि-वांणी सुधारस वरसै प्रभु तेरी... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८७ ३२२५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि जबहु ते जिणंद चंद इंद मिल आते थे... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८४ ३२२६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि नवल लग्यो है अब जिनजी सै नेहरा... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८५ ३२२७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जीव प्रबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि–रे जीव कीधी जेह कमाई... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२३ ३२२८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जीव प्रबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, - 'आदि-सुमति भज हो कुमति तज हो... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३३ ३२२९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जीव प्रबोध पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, .. 'आदि-अनुपम देश लही आरजकुल... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२२ ३२३०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जीव प्रबोध प्रभाती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भोर भयो सुणि प्राणी हो... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११९. 245 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२३१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जीव सिखावण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, __'आदि-घर आवौजी सुगुणां री सजनां... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३४ ३२३२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जीव सिखावण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-या अलवेली को रूप अनोपम... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३५ ३२३३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, जैसलमेर पटवा संघ वर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८९३, आदि-स्वस्ति श्री सुखदायक... गा. ३३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४९ ३२३४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, ज्ञानपञ्चमी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि–आराधो भवि भावै अहनिसै रे... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ९० ३२३५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, ज्ञानपञ्चमी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्रीजिनशासन नंदनवन समौ रे... गा. ८, मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८९ ३२३६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, देराणी जेठाणी झगरा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-देरांणी जेठांणी दो ये बहु झगरी री... गा. ११', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११३ ३२३७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, निद्रा त्याग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-निंदलड़ी को संग नहीं कीजै... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११५ ३२३८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नींद गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि ऐसे सोए नींद में आणंद भरी रे... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११९ ३२३९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमिनाथ बोली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुख संपति दायिक जग त्रय नायक... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १ ३२४०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सहेली म्हारी आई श्रावण तीज... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४ ३२४१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमिनाथ स्तवन वर्षा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वरसण लागी काली वदरीया... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १६ ३२४२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमिनाथ स्तवन होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेरो पिया मेरे संग नही... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २० ३२४३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमिनाथ स्तवन होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सहसावन सरस मची होरी... गा. ११', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २२ ३२४४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-ऐरी मेरो पिउ गिरिंद पै गयो... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११ ३२४५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-कीनी मै सुखकारी सखी मेरी... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ६ 246 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२४६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-गिरनार पिउकै संग जाउंगी... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ६ ३२४७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-जदवा कर कर सांवरै रे... गा. १६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.९ ३२४८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दीजीय वधाई श्री महाराज... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २ ३२४९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-भोरी में सहियर बहुत भई... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ.७ ३२५१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मनुऔ मेरो बावरो रे... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८ ३२५२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सहेली म्हारी आयो श्रावण मास... गा.५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४ ३२५२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-हुं तो न रहुं तुहारा मंदिर में... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १० ३२५३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन भाद्रव, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भाद्रवडौ मन भावै... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १९ ३२५४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती स्तवन भाद्रव, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-भाद्रवडौ मन भावै... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १९ ३२५५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, __'आदि-कहो री सखि कैसे खेले होरी... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २१ ३२५६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, · १९वीं, आदि-हसि हसि खेलूं होरी री... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २३ ३२५७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजिमती होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-होरी खेलूंगी संग मिल्यां सजनां... गा.७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २४ ३२५८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-इस जादव जादू जुल्हम किया... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२ ३२५९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कैसे समझाउं सहीयां जदुपति... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४ ।। ३२६०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जादव वस करली ताबे मेरी ज्यांन... गा.५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ५ खरतरगच्छ साहित्य कोश 247 For Personal & Private Use Only Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२६१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मैं चतुर न कीनी चोरी रे... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३ । ३२६२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-विण अवगुण मोहि नाह विसारी... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ४ ३२६३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-विभचारी भयो मेरो बालमीयो... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ७ ३२६४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-सांवरे सै हारी हारी तज गयो प्यारी... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ३ ३२६५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन भादवा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-भाद्रव इम मन भावै... गा.६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १८ ३२६६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन वर्षा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सहियां सांवण आयो सखी मोरी... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १५ ३२६७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन श्रावण वर्षा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्रावण बूंद सुहाई संयोगणि... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १७ ३२६८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, नेमि राजुल स्तवन वर्षा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–हां हो लाल परनाली में परै नीर नीर... गा. ७', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १६ ३२६९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जै जै.. ................ गा.८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १५५ ३२७०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, प्रेरणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भज रे जीव निरंजन भोला... गा. ३', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२५ ३२७१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि चिन्तामणि प्रसाद निर्माण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–निरुपम मिंदर भल निपजायो... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २८ ३२७२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि चिन्तामणि प्रसाद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुखदायक हो चिंतामणि सामकि... गा. १०', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. २६ ३२७३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, भांग नशा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भांगडली आज भली आई... गा. १०', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११७ ३२७४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, भैरव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि आयो री भैरव भूपाला... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १०७ 248 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२७५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, भैरव मतवाला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-नित नमियै भैरव मतवाला... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १०६ ३२७६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, भैरव होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिभैरव • भूपाल रमै होरी... गा. १२', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १०८ ३२७७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, मन प्रबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भजय न क्यों भगवान्... गा. ४', मु., . बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२४ ३२७८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, वसन्त होरी गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' आदि - वसन्त सुवरषा आई सखी मेरी... गा. ४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४३ ३२७९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, वैराग्य पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जगत मे को केहनो नहीं जी... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १२० ३२८०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' आदि - शान्ति.. .', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १५५ ३२८१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, शील परस्त्रीसंगत्याग, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-न कर नाह परनार तणौ संग... गा. ९', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ११२ ३२८२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, सत दृढ़ता गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सत मत छोडी सुगुण नर... गा. ५', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १११ ३२८३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, समकित गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पाया पाया पाया बे सुगुण भवि... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १११ ३२८४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, समकित गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' आदि-सुध समकित सद्गुरु दरसायो० गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि पृ. ११० ३२८५. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, समकित ८ गुण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-परमदेव परमात्मा... गा. १३', अ., ह. ३२८६. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, समकित ६७ बोल १८००, अ., ह. ३२८७. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- धन धन जंबूद्वीप दक्षिण धरारे... गा.. १४', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. ८७ ३२८८. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६९, 'गा. १५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, ३२८९. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, सुमति कुमति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- मेरी राय चेतन नै सुध न लई... गा. १०', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३६ ३२९०. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, सुमति होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-महाराज मेरे संग भए हैं... गा. ८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४५ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 249 Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२९१. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, सुमति होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-म्हारे हरष सै आई होरी री... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १३९ ३२९२. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, सुमति होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुमत सुहागण राय चेतन भल... गा.८', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४२ ३२९३. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भल ___ आई होरी भल आई होरी... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४१ ३२९४. अमरसिन्धुर वाचक / जयसार वाचक, होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-भल - आई होरी रस रंग भरी री... गा. ६', मु., बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि, पृ. १४० ३२९५. अमोलकचन्द्र मुहता, राजनान्द गांव पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-श्री पारस प्रभुजी आप, अन्त–नांदगांव का पुण्य वधाहै श्री सुमतिसागरजी आया... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३२९६. अमृत, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-सद्गुरु श्री जिनकुशल... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २२३ ३२९७. अमृतधर्म उ० / प्रीतिसागर उ०, आबू स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतर भं., जयपुर ३२९८. आणंदविजय, विमलकीर्त्ति गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वाचक विमलकीर्त्ति गुरु राया... गा. ६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्यसंग्रह, पृ. २०९ ३२९९. आतमचन्द, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-मणिधारी जिनचन्द्र... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ११७ . ३३००. आनन्द, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-गुरु दरसण दीजे... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९१ . ३३०१. आनन्द, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-सद्गुरुजी म्हारे मन... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २२४ ३३०२. आनन्द, जिनराजसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनराजसूरि गुरु रायइ... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १७६ ३३०३. आनन्दकीर्ति / हेममन्दिर, गीतत्रय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ३३०४. आनन्दकीर्ति / हेममन्दिर, नेमिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८३, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ३३०५. आनन्दकीर्त्ति / हेममन्दिर, बुंदपुर स्तवनादि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८१, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर 250 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३०६. आनन्द चन्द, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-कुशल सूरीन्द.. गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २२४ ३३०७. आनन्दनिधान / मतिवर्द्धन आद्य., पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ३३०८. आनन्दनिधान / मतिवर्द्धन आद्य., मुखवस्त्रिका स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २१', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ३३०९. आनन्दराज, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-छोटी सी ज्यांन जरा सै जिनवर... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (५५) ३३१०. आनन्दवर्धन / महिमासागर, अंतरिक्ष पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रभु पासजी ताहरो, अन्त-आनन्दवर्द्धन वीनवे', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६०४९, विनय. प्रतिलिपि ३३११. आनन्दवर्धन / महिमासागर, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि आदि जिणंद मया करो... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१७) ३३१२. आनन्दवर्धन / महिमासागर, आदिनाथ स्तवन कुलपाक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२६, 'गा. २६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३३१३. आनन्दवर्धन / महिमासागर, नणदल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर - ३३१४.. आनन्दवर्धन / महिमासागर, विमलगिरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३३१५. आनन्दवर्धन / महिमासागर, स्तवन पदादि संग्रह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. .. अभय ग्र., बीकानेर ३३१६. आनन्दवल्लभ / रामचन्द्र उ०, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७९, 'गा. २३', अ., ह. सुमेरमल संग्रह, भीनासर ३३१७. आनन्दविजय, विमलकीर्त्ति गुरु गीत, ऐतिहासिक गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि... वाचक विमलकीर्त्ति गुरुराया... गा. ६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०९ ३३१८. आलम, जिनचन्द्रसूरि गीत आचार्य शाखा, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-पूजजी पधारया मारु देश में... गा. १३', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३३७ ३३१९. आलमचन्द / आसकरण, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सद्गुरु .. मेरे... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९२ ३३२०. आलमचन्द / आसकरण, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि कुशलगुरु कुशल करो भरपूर... गा. २', प्रा. जोधपुर ३१२२५ (२८६) दादागुरु भजनावली, पृ. २३५ 251 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 . ३३२१. आलमचन्द / आसकरण, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि नित कुशल सूरीसर... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३५ ३३२२. आलमचन्द / आसकरण, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि मोहि एक भरोसो... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३६ । ३३२३. आलमचन्द / आसकरण, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि श्री जिनकुशल सूरिंद... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३६ ३३२४. आलमचन्द / आसकरण, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि __ सद्गुरु श्री जिनकुशल... गा. १५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३६ ।। ३३२५. आलमचन्द / आसकरण, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दस दिस दादोजी... गा. १७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३ ३३२६. आलमचन्द / आसकरण, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि समरूं श्री जिनदत्तसूरि... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४४ ३३२७. आलमचन्द / आसकरण, त्रैलोक्यप्रतिमा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८१७, अ.. ३३२८. आलमचन्द / आसकरण, नेमिनाथ होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-होरी खेलत प्रभु जी... गा. ४, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१७९) ३३२९. उदयचन्द्र मथेन, शत्रुञ्जय वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३३३०. उदयरत्न / विद्याहेम, जिनकुशलसूरि निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७४, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३३३१. उदयरल / विद्याहेम, सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५७, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३३५ ३३३२. उदयरत्न उ० / जिनहर्षसूरि आद्य., जिनकुशलसूरि घग्घर निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सद्गुरु गच्छनायक... गा. १५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १७३ ३३३३. उदयरत्न, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७४, 'आदि-आज मच्यो रे उछाह... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २२८ ३३३४. उदयरत्न, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दस दिस दादोजी... गा. १७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३ ३३३५. उदयराज / भद्रसार श्रावक भावहर्षीय, दोहा संग्रह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह.महिमाभक्ति- बडा ज्ञान भं.,बीकानेर ३३३६. उदयहर्ष / हरराज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जी हो ___ भाव धरी... गा. १७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २२८ 252 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३३७. उदयहर्ष / हरराज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीश... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३० ३३३८. उदयहर्ष / हीरराज, विक्रमपुर चौवीसटा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ३६' अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३३३९. उम्मेदचन्द्र / रामचन्द्र उ०, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७९, अ., ह. सुमेरमलजी संग्रह, भीनासर ३३४०. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २० वीं, ' आदि - इस दुनिया में तेरो... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१४ ३३४१. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-सद्गुरु के द्वार... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१४ ३३४२. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तंवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-होरी खेलो भविक... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१५ ३३४३. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २० वीं, 'आदि- जय जय गुरुदेवा... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५३० ३३४४. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २० वीं, 'आदि-मंगल दीपक गुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५३० ३३४५. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, : २०वीं, 'आदिदे-चाल चाल म्हारा... गा. १५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८५ ३३४६. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-हूं तो थांरा दर्शन... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८६ ३३४७. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि लावणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९३२, ‘आदि-सद्गुरुजी हो म्हारां... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१ ३३४८. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-आजे आपे चालो... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२६ ३३४९. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि- आजो आजोजी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२६ ३३५०. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि- आवो सजन करो... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२७ ३३५१. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ' आदि - कबलों कहूं गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२७ ३३५२. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ' आदि - कहे गुलाब सुन ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२८ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 253 Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३५३. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीतं स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-कुशल छोगालो... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२९ ३३५४. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-कुशल सूरीन्द गुरु... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३० ३३५५. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-कोई देख्यारे सपने... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३१ ३३५६. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'गाऊं गाऊं मै सुयश... ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३१ ३३५७. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-चेत नर क्यूं भूला... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३२ ३३५८. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी. २०वीं. 'आदि छाजेड कल रो...गा. ९'म..दादागरु भजनावली, प. ३३२ ३३५९. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-तारो तारो कुशल... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३४ 3३६०. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कशलनिधान उ०, जिनकशलसरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-तेरा हूं मैं तेरा हूँ... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३४ ३३६१. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-तेरे दरशन में... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३५ . ३३६२. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-थारा विरुद म्हें... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३६ ३३६३. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-दरसन देना जी... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३६ ३३६४. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, ___ हिन्दी, २०वीं, 'आदि-दादा महिर निजर... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३७ . ३३६५. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-देख्यां मैं दरस... गा. ५', मु., दादागुरुं भजनावली, पृ. ३३७ ३३६६. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-मेरे कुशल गुरु... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३८ ३३६७. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, ___हिन्दी, २०वीं, 'आदि-मैं सीस नमाऊं... गा.८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३८ ३३६८. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-म्हारा प्राण... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३३९ 254 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३६९. ऋद्धिसार म० ( रामलाल), जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि म्हारे हृदय लिख्या... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४० ३३७०. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-म्हे तो सेवरा... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४१ ३३७१. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-श्री सद्गुरु का दरस... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४१ ३३७२. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-श्री सद्गुरुजी से... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४२ ३३७३. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'सद्गुरु की पूजन कर... ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४२ ३३७४. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९४८ अजीमगंज, 'आदि-सद्गुरु दीनदयाल... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४३ ३३७५. ऋद्धिसार म० ( रामलाल)/ कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १९४८ अजीमगंज, 'आदि-सुगुरु मेरी नैया... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४४ । ३३७६. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-सुज्ञानी लाल चरणां... गा. १२', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४५ ३३७७. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-सुण सजनी रजनी... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४६ ३३७८. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-हे जी मेरे प्यारे... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४६ ३३७९. ऋद्धिसार म० ( रामलाल ) / कुशलनिधान उ०, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-चालो चालो हे... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६८ । ३३८०. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-दत्त कुशल... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६९ ३३८१. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-धर्म कुं अधिक... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७१ ३३८२: ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, दादा त्रय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-बुद्धिमती तूं... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७५ ३३८३. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-आज रंग बरसे रे... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९० 255 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३८४. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-गुरु दत्त जती... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९० ३३८५. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-गुरुदेव आपने... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८९ ३३८६. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-चलो प्यारे सयान... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९१ ३३८७. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-चाल चाल म्हारा... गा. १५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९२ ३३८८. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-जाय फंसा कुगुरु के... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९३ ३३८९. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-तेरा अमृत प्याला... गा. ४', मु., दादागुरुं भजनावली . पृ. ९३ ३३९०. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, ___ राजस्थानी, २०वीं, 'दत्त गुरु दरस...७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९४ ३३९१. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-दिल चंचल को काबू... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९५ ३३९२. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-होरी खेलो भविक... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९५ ३३९३. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि आरती, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-जय जय आरती... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४२ ३३९४. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-झुक झुक नमूंरे तोहे... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३० ३३९५. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-जैन अयन... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३३ ३३९६. ऋद्धिसार म० ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, ___ हिन्दी, २०वीं, 'आदि-पूज पूज जिन... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३३ ३३९७. ऋषभदास / श्रीकल्याण, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि गणधर गौतम स्वामीजी समरि', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कवियो, पृ. १४३७ ३३९८. ऋषभदास / श्रीकल्याण, तेवीस पदवी स्वाध्याय, सज्झाय, राजस्थानी, १७७२ गगढाणा, अ. ३३९९. कंचन, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-अब हम जाते... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९२ 256 खरतरगच्छ साहित्य कोश । For Personal & Private Use Only Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४००. कनक, क्षेमराजोपाध्याय गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-सरसति करि सुपसाउ हो... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३४ ३४०१. कनककीर्ति उ० / जयमन्दिर उ०, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-मेरे मन तूं ही ऋषभ जिणंदा... गा. ३', रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१९१) ३४०२. कनककीर्त्ति उ० / जयमन्दिर उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-दादाजी दौलति दाता... गा. २', रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२९५), मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३० . ३४०३. कनककीर्ति उ० / जयमन्दिर उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सद्गुरूजी थे साँभलो... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५ ३४०४. कनककीर्ति उ० / जयमन्दिर उ०, नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि नवपद ध्यान धरीजै... गा. १५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२) ३४०५. कनककीर्ति उ० / जयमन्दिर उ०, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मूं मेरे मन में तूं मेरे दिल में... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२२०) ३४०६. कनककीर्ति उ० / जयमन्दिर उ०, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि वंदु श्रीजिनराय मन, अन्त–सुरगा सुख जह्योजी... गा. १२', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६८०८ ३४०७. कनककीर्ति उ० / जयमन्दिर उ०, सिद्धचक्र स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., . ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३४०८. कनकधर्म, जिनचन्द्रसूरि गीत जिनलाभीय, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १८३४, आदि म्हारां पूज्यजी हो श्रीजिनचन्द्रसूरि... गा. १६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २९८ ३४०९. कनकनिधान, नींद सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, आदि-नींदलडी वैरण हुय रही... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० ३४१०. कनकप्रभ /.कनकसोम उ०, दशविध यतिधर्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६४, 'आदि-पद पंकज सेवइ अहनिसइ..., अन्त–जग गुरु वचनइ शिव सुह करणइ...', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ३४११. कनकमुनि, जिनवरगुण फाग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि धनरसना मेरी कोइली रे, अन्त-मास वसंत सुहामणउ रे... गा. १०', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ३४१२. कनकमूर्ति, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-एक अरज अवधारिये रे वाल्हा... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९६) ३४१३. कनकविलास / कनककुमार, आयु देहमान अंतरकाल स्तवन, गीतं स्तवन, राजस्थानी, १७४७, अ. 257 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४१४. कनकसिंह, जिनरलसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुण रे पंथिया कब आवइ गच्छराज... गा.७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४३ . ३४१५. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, आज्ञा स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'गा. १७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४१६. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, खरतरगुर्वावली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३४१७. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, जइतपद वेलि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सरसति सामिणी वीन... गा. ४९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १४० ३४१८. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं मालपुरा, 'आदि-मुरपन मण्डन... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८८ ३४१९. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, नगरकोट आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४२०. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, नववाडी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४२१. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मन धरीय सासण माइ... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४१३, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ८९ ३४२२. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, अ. ३४२३. कनकसोम उ० / अमरमाणिक्य उ०, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'गा. २९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४२४. कमलकल्याण, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरु मेरइ... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४१४ ३४२५. कमलकीर्त्ति / कल्याणलाभ, पार्श्वजिन स्तवन वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ____ अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४२६. कमलकीर्त्ति / कल्याणलाभ, पूगल अजितजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, १५, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४२७. कमलमन्दिर / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, चर्चा वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ४९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर गुटका नं. ४१७ ३४२८. कमलरत्न, जिनरङ्गसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जिनराजसूरि पाटोधरु० गा. १५, मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २३३ 258 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४२९. कमलसुन्दर / लालचन्द्र वाचक, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३९, 'आदि-गुणनिधि गवडी पास जी रे राज... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१९५) ३४३०. कमलसुन्दर / लालचन्द्र वाचक, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-साचौ साहिब निरधारी... गा.५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१९६) ३४३१. कमलसुन्दर / लालचन्द्र वाचक, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-आज सफल दिन मेरो... गा. ३, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१९७) ३४३२. कमलसुन्दर / लालचन्द्र वाचक, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हारे म्हांने राखोरे प्रभु... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१९८) ३४३३. कमलसुन्दर / लालचन्द्र वाचक, सम्मेतशिखर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१८३३, आदि-जिनवाणी प्रणमी करी... गा. ३४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (७९) ३४३४. कमलसुन्दर / लावण्यकमल, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३३, 'गा. ३४', अ. ३४३५. कमलसोम / धर्मसुन्दर, खरतरगुर्वावली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७', अ., - ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३४३६. कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., आदिनाथ वृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आदीसर पहिल... गा. ५२', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १३४१, : रामलालजी संग्रह, बीकानेर ३४३७. कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., चैत्यवंदन विधिगर्भित पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०२, अ., ह. जयचन्द संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३४३८. कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीसरु... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३० ३४३९. कमलहर्ष वा.. / मानविजय वा., दशवैकालिक १० अध्ययन स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२३ सोजत, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३४८ ३४४०. कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., वीरजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'गा. ८३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४४१. करमसी / ?, जिनचन्द्रसूरि गीत जिनरत्नीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जीहो पंथी कहि संदेसडउ... गा.७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४६ ३४४२. कर्पूरप्रिय वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-त्रेवीसम जिन त्रिभुवन ___ तिलौ... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, ७७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 259 For Personal & Private Use Only Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४४३. कर्मसी, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि- आप रहो दिल बाग में', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (५४) ३४४४. कल्याण, सिद्धाचल गजल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६४, अ., ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस ३४४५. कल्याणकमल / जिनचन्द्रसूरि, ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ३४४६. कल्याणकमल / जिनचन्द्रसूरि, नेमिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ३४४७. कल्याणकमल / जिनचन्द्रसूरि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरु मेरइ चिरि जीवउ सउसाल० गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०० ३४४८. कल्याणचन्द्रगणि / कीर्त्तिरत्नसूरि, कीर्त्तिरत्नसूरि विवाहलउ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ. ३४४९. कल्याणचन्द्रगणि / कीर्त्तिरत्नसूरि, कीर्त्तिरत्नसूरि चौपई, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, — आदि-सरसति सरस वयण दे देवि ... गा. १८', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २९०६३ ३४५०. कल्याणधीर / जिनमाणिक्यसूरि, साधुगुण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १६वीं, 'आदिसंजम सुधो आदरइ... गा. ६८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४५१. कल्याणविजय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दरसन दो दुःख भाजै... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३१ ३४५२. कल्याणहर्ष, जिनचन्द्रसूरि गीत जिनरत्नीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुगुरु धाव हब मोतियां ... गा. ५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४७ ३४५३. कवि दास, जिनराजसूरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - जिनदत्तसूर अर कुशलसूरि... गा. ४, मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १७३ ३४५४. कवियण, जिनहर्ष गीत शान्तिहर्षीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- श्री जिनहरख मुनीश्वर वंदीइ ... गा. ११', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २६२ ३४५५. कवियण, देवविलास देवचन्द्ररास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२५, 'आदि-सुक्रत प्रेम राजी बने', मु. ३४५६. कविरङ्ग, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- चढते दिवाजै हो..... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३१ ३४५७. कविराज ( ? लक्ष्मीवल्लभ ), जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिवदन कमल... गा. ४८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १९३ ३४५८. कविराज (? लक्ष्मीवल्लभ ), जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिहूं तो अरज करूं कर... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३१ 260 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४५९. कानसुन्दर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आज भलो दिन... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३२ ३४६०. कीर्त्तिरत्नसूरि, जैसलमेर २४ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-ऊजल __ केवल... गा. २५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०६३ । ३४६१. कीर्त्तिरत्नसूरि, ज्ञान पंचमी गर्भित नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, 'आदि-वंदामि नेमिनाहं पंचम गइ..., अन्त-सिवादेवि नंदण पाव खंडण... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ३४६२. कीर्त्तिरत्नसूरि, तलवाड़ा शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, आदि-श्रीमरुदेश मंझारि... गा. १५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४६३. कीर्त्तिरत्नसूरि, नेमिनाथ वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-तिहुअण जण... ___ गा. २०', अ. ३४६४. कीर्त्तिरत्नसूरि, मुजोर वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-महा हरस... गा. १६', अ. ३४६५. कीर्त्तिरत्नसूरि, रोहिणी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १४९७, आदि-जय रोहिणी वन्नइ.. गा. ४', अ. ३४६६. कीर्त्तिवर्द्धन / दयारत्न, जिनहर्षसूरि गीत आद्यपक्षीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सखि देख्यउ रे सुपजउ मई आज... गा.५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३३३ ३४६७. कीर्त्तिवर्द्धन / दयारत्न, प्रीति सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ३४६८. कीर्त्तिसुन्दर / धर्मवर्द्धन, फलौदी पार्श्वनाथ छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. १२१', ___ अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४६९. कुम्भ, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-श्री जिनकुशल सूरीस... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३३ ३४७०. कुंभकरण / आनन्दहंस, गौड़ी पार्श्वनाथ छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि . भाव धरी ऊमया नमुं, अन्त-वाचना चारिज जय समुद्र... गा. २६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३४७१. कुंभकरण / आनन्दहंस, फलौदी पार्श्वनाथ छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्री सरसति सदा समरीजै, अन्त-जै युगवर जिणचंद... गा. २७', अ., ह. विनय, प्रतिलिपि ३४७२. कुंभकरण / आनन्दहंस, ध्यान स्वरूप सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७७८ मरोट, आदि जगचन्द्र अरिहंत... गा. १०', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ३४७३. कुशलचन्दगणि / हीरधर्म उ०, नवपद चैत्यवन्दन स्तवन-स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, मु., हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ३४७४. कुशलधीर / कल्याणलाभ, अष्टगण, कामाष्टक, शिक्षाअष्टपदी, आदि स्फुट कवित्त गीत संग्रह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर 261 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४७५. कुशलधीर / कल्याणलाभ, उद्मम कर्म संवाद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९९ किसनगढ़, 'आदि–सिधि बुधि दाता समरिजइ... गा. ३८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ३४७६. कुशलधीर / कल्याणलाभ, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि दादउ द्यइ सदा सुख सोहग... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ३४७७. कुशलधीर / कल्याणलाभ, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि ____दादा मोहे दीजिए शिष्य... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ३४७८. कुशलधीर / कल्याणलाभ, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि मुझ मन वंछित... गा. २४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १९७ ३४७९. कुशलधीर / कल्याणलाभ, जिनकुशलसूरि फाग, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि समरीजइ श्री जिनकुशलसूरि... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ३४८०. कुशलधीर / कल्याणलाभ, जिनरत्नसूरि अष्टक एवं कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-परम प्रमोद करि सारदा कुं... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ३४८१. कुशलधीर / कल्याणलाभ, फलौदी पार्श्वनाथ छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि पारसनाथ प्रगट परमेसर... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ३४८२. कुशलधीर / कल्याणलाभ, वंशावली कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि भट्टारक जिनभद्र खरउ... गा. २', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०७ ३४८३. कुशलधीर / कल्याणलाभ, सोवगिरि पार्श्वपंच कल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७१६, ‘गा. ४७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४८४. कुशलनिधान / धर्मवर्द्धन उ०, राणपुर ऋषभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५९, _ 'गा. १५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४८५. कुशलमनोरथ, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३८, आदि-सांचो सद्गुरु सुरतरुजी... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२८४) ३४८६. कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, गौड़ी पार्श्वजिन छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सरसति सामनी आप सुराणी... गा. २३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४८७. कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, गौड़ी पार्श्वनाथ १० भव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६२१, 'गा. ५४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३४८८. कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, नवकार छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- . वंछित पुरे विधि परे..., अन्त–नित्य जपीई नवकार', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४८९. कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, पार्श्वजिन स्तवन-स्तम्भन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-प्रभु प्रणमुरे पास जिणेसर थंभणो... गा. १८', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. १५८, आनन्द काव्य महोदधि भाग-७, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८२३ 262 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४९०. कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, मल्लि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३४९१. कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि श्रीपूज्यवाहण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- पहिलो प्रणमुं प्रथम जिण... गा. ६७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४१५, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ११० ३४९२. कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, मल्लि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५६ जैसलमेर, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३४९३. कुशललाभ उ० / अभयधर्म उ०, शत्रुञ्जय संघ यात्रा स्तवन, ऐतिहासिक गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - श्री सिद्धाचल गिरि ... गा. ७५ अपूर्ण', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४९४. कुशलविनय / धर्मवर्द्धन, नेमि राजुल सिलोको, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५९, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. १४०४ ३४९५. कुशलविनय / धर्मवर्द्धन, फलौदी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'गा. ७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३४९६. कुशलविनय / धर्मवर्द्धन, राणकपुर ऋषभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७९५, अ., बीकानेर ह. अभय ग्र., ३४९७. कुशलक्षेम, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कुशल करण अब कुशल... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३३ ३४९८. कुशलक्षेम, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, संकट दूर... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३४ ३५०१. केशरीचन्द / जिनमहेन्द्रसूरि, ऋषभ जिन स्तवन, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३४९९. कुशलां, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि - श्री जिनकुशलसूरिंद हो...गा. ८, मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३४ ३५००. कृपाराम, ज्ञानसार गुणवर्णन लावणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८८४ बीकानेर, 'आदिसकलबुध परवीन सरस है... गा. ६, मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०९ गीत स्तवन, 4 'आदि - कुशल ना राजस्थानी, २०वीं, अ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only अ., ३५०२. केशरीचन्द / जिनमहेन्द्रसूरि, एकादशी वृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, अ. ३५०३. केशरीचन्द / जिनमहेन्द्रसूरि, जैसलमेर पटवासंघ यात्रावर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, • १८९९, अ., ह. कान्तिविजय संग्रह, छाणी ह. ३५०४. केशरीचन्द / जिनमहेन्द्रसूरि, ज्ञानपंचमी महिमा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९०३ कोटा, ' आदि - अष्ट कर्ममल क्षय करी..., अन्त- भगवई अंग सुहामणो रे लाल...', अ., ह. अनंतनाथ ज्ञान भं., बम्बई 263 Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५०५. केशरीचन्द / जिनमहेन्द्रसूरि, वीस स्थानक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८९८ फलौदी, ___'आदि-वीस स्थानक तप सेवीये... २१', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. १०४ ३५०६. केशवदास / लावण्य रत्न, चौबीस जिन सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २५', अ. ३५०७. केशवदास / लावण्य रत्न, बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. पूनमचन्द दूधेड़िया, छापर ३५०८. केशवदास / लावण्य रत्न, राजुल बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १७३४, अ. ३५०९. केशवदास / लावण्य रत्न, शीतकाल सवैये, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ६', अ., ___ ह. कांतिसागरजी संग्रह, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३२८ ३५१०. केशवदास, विहरमान ७ बोल विचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सकल देव समरु अरिहंत... गा. ३१', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर . ३५११. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, अहमत्ता सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-शासन स्वामी रे निर्मल... गा. २७', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. ३५८ . . ३५१२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, अजित जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-अजित जिणंदा हो... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आदीसर जिनराज... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय ऋषभ जिणेसरू... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-तीरथपति त्रिभुवन तिलौ... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन (सिद्धाचल), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-प्रभु मया करि निरंजण दीदार... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-प्रात: उठ समरियै श्री ऋषभदेव देवा... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५१८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, आदि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सूरति स्वामी तुहारि वो... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि । ३५१९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, आबूऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३४ अ. ३५२०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभजिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय नाभिनरिंद नंद... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-परमातम पद भजरे मेरे जीउरा... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 264 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५२२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मनमोहन जग जीवननाथ... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनराज चरण सरणं... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन (सिद्धाचल), गीत स्तवन, राजस्थानी. १८६६.'आदि-अविकल कल इक्ष्वाक... गा.१५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन (शत्रुञ्जय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५४, 'आदि-आदि पुरुष अलवेसरु... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६०, 'आदि-ऋषभ जिनेसर देव नमूं... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जिनराज नाम तेरा... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि प्रात: ऊठी समरीय... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० ३५२९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभजिन प्रतिष्ठा स्त. देवीकोट, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६०. देवीकोट, अ. ३५३०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन (सिद्धाचल), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६६, आदि-श्री आदीश्वर साहिब सेवियै... गा. १४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५३१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सद्गुरु ने पकड़ी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९३ ३५३२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, गुरुवन्दन ३२ दोष सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, . हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३५३३. क्षमाकल्याणोषाध्याय / अमृतधर्म उ०, चतुर्विंशतिजिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १८५६ नागपुर, 'आदि-जय जय जिनवर आदिदेव..., अन्त–सय अठार छप्पन समय...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (१२) ३५३४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-तीरथपति त्रिभुवन सुखदाई... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५३५, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-चिंतामणि सामी में हुं दास... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२०५) ३५३६. क्षमाकल्याण / अमृतधर्म उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-श्री वधमान जिनेसरु... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३५ खरतरगच्छ साहित्य कोश 265 For Personal & Private Use Only Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५३७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, जिनगीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-श्री जिनराज चरण शरणं... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (४४) ३५३८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, जिनवाणी पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुनियै रे प्राणी जिनजी की वाणी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५३९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०,जिनागम गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि श्रुत अतिहि भलो... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. १८० ३५४०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, दादा त्रय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनदत्त... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७३ ३५४१. क्षमाकल्याण उ० / अमृतधर्म उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६९, 'आदि-राज श्री जिनदत्तसूरि... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७ ३५४२. क्षमाकल्याण उ० / अमृतधर्म उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६९, 'आदि-सद्गुरु का ध्यान... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ.४७ ३५४३. क्षमाकल्याण / अमृतधर्म उ०, जिनलाभसूरि निर्वाण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-देस सकल सिर सोभतो... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २९६ ३५४४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि तीरथ नायक जिनवरु रे... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१२) ३५४५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-प्रह सम प्रणमौ नेमिनाथ... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५४६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ऐसे श्याम सलूने खेलत नेमकुमार... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५४७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जगपति नेमि जिणंद प्रभु म्हारा... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलपि ३५४८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६२ गिरनार, 'आदि-श्री नेमीश्वर वंदीयै रे... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५४९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री नेमीसर साहिबा जी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन (गिरनार), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५४, 'आदि-श्री यादवकुल मंडण स्वामी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पञ्चतीर्थी नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सिद्धाचल श्री नाभिराय... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पद्मनाभ जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-प्रथम महेसर पदमनाभ... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 266 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५५३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पुरिसादाणीय पासनाह... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-श्री सेढीतट मेरुधाम... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (अंतरीक), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५५, 'आदि-अंतरीक अचल अरिहंता... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४७, 'आदि-आज हमारे हरख बधाई... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन ( मंडोवर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६७, आदि-आतम संपत्ति अधिपति रे... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (सहसफणा), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चिंतामणि स्वामी मैं हुं दास तुम्हारा... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चेतन चेतना संभारु... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३४, 'आदि-जयकारी जिनराय पुरसादांणी रे... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (गौडी), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जगगुरु श्री गौडीपुर मण्डण... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय परम पुरुष परमेसरु... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, - 'आदि-जय जय श्री जिनराज... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (सहसफणा), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२७, आदि-जय त्रिभुवन स्वामी सहसफणा... गा.९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (जीरावला), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-जीरावलै जिनराजजी ललना... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-त्रिभुवनपति त्रेवीसमा हो जी... गा. ५', अ., ह. विनय संग्रह ३५६७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (स्तंभन ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-थंभण पास जुहारिये रे लो... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 267 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५६८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (नवखण्डा), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३०, 'आदि- नवखंडा प्रभु मुझ वीनती... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि गीत स्तवन, , राजस्थानी, १९वीं, ३५६९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, 'आदि-नित प्रणमुं वामानंदजी... गा. ४', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पारसप्रभुजी का दरसण करिलै... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (सम्मेतशिखर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- पारस प्रभु साहिब मेरे... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन ( फलवर्द्धि), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री फलवद्धी पुर जइयै... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदिमधुवन में जाय मचीरे होरी... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोध. ३१२२५ (२९९) ३५७४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन ( बुरहानपुर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,‘आदि - मनमोहन प्रभु पास जिणेसर... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५७५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन ( मनमोहन ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- मनमोहन महाराज... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ३५७६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, 'आदि- रसना सफल भइ... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (लौद्रवा ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५८, 'आदि-लौद्रवपुर मंडण प्रभुपास... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (गौडी), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री गौडी प्रभु पासजी... मु., ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (चिंतामणि ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि - श्री चिंतामणि पासजी... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५८०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (लौद्रवा ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- श्री चिंतामणि स्वामजी... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि स्तवन, ३५८१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (शंखेश्वर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६६, 'आदि-श्री शंखेश्वर पासजी रे... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५८२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (लौद्रवा ), गीत , राजस्थानी, १८३६, 'आदि-सहस्रफणा प्रभु पासजी रे... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५८३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, , राजस्थानी, १९वीं जयपुर, 'आदि-सुगुण नर श्रीजिन गुणमान... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि 268 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५८४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (शंखेश्वर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२६, आदि-सेवो प्रभु सिवसुखकारी... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५८५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (गौडी), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हारे गवडीपुर मंडण स्वामी... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५८६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा स्तवन मंडोवर, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६७ मंडोवर, अ. ३५८७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा स्तवन महाजन होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४७ महाजन, अ. ३५८८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्वजिन स्तवन ( महेवा), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३४ महेवा, अ.. ३५८९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पावापुरी महावीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४७ पावापुरी, अ. ३५९०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, भगवती सूत्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८४२ बालूचर, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३५९१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, महावीर जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-बंदु जगदाधार सार... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विहरमान जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १९वीं, आदि-वंदु जिणवर विहरमाण... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विहरमान जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वीसे विहरमान जिनराया... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४८, - 'आदि-आज हृदयकमल प्रगट्यो आनंद... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९५.. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-इण वन वीर समोसरया... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-किन देखावे शिवगामी हमारा स्वामी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, .. 'आदि-जगतपति वीर जिनजी के... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वीरजी दिये छे देसना रे... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन ( पावापुरी), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वीरप्रभु त्रिभुवन उपकारी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 269' For Personal & Private Use Only : Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६००. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन (क्षत्रियकुंड ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि-सो प्रभु मेरे वीर जिणंद जयो... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६०१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, शान्ति जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सोलम जिनवर शांतिनाथ... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६०२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, शीतल जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२७ सूरत, 'आदि-भवि तुम्हे वंदो रे शीतल जिनपति रे... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. ४७ ३६०३. क्षमा कल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, संभवजिन प्रतिष्ठा स्त. अजीमगंज, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६९ अजमेर, अ. ३६०४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, संभवजिन प्रतिष्ठा स्त. अजीमगंज, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४४ अजीमगंज, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३६०५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, संभव जिन स्तवन ( देसणोक), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि-श्री संभव जिनरायजी... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६०६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, संभव जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्रीसंभव जिनरायजी... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६०७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, संभव जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४४, 'आदि-श्री संभव जिनराया... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६०८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सम्मेतशिखर जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि-पूरव देसैं दीपतौ ... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६०९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सम्मेतशिखर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४३, ‘आदि–सम्मेतशिखर सुहामणो रे जो ज्यो... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३६१०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सम्मेतशिखर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४३, ‘आदि–सहियां आपे अइये... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६११. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, साधु सजझाय, सज्झाय, राजस्थानी, 'आदि-आज आणंद मुझ अति घणौरे... गा. ५', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३२६) ३६१२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सिद्धचक्र नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री अरिहंत उदार कांति... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६१३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सिद्धचक्र स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' आदि - तीरथनायक जिनवरुजी... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३६१४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सिद्धचक्र स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-धर नवपद से रङ्ग मेरे गा. ४', अ., ह. विनय प्रतिलिपि मन... 270 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६१५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सिद्धचक्र स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-सिद्धचक्र भजोनी भविकजन... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३६१६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री सीमंधर सहिबा... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३६१७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सुपार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६१ जयपुर, 'आदि-जगगुरु सांचौ स्वामी सुपास... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३६१८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सुमति जिन पंचकल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-जय जय सुमति जिनेसर सामी... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३६१९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सुविधि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४५, आदि-प्रभु सुविधि जिणंद सुखकारी... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३६२०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सुविधिजिन प्रतिष्ठा स्त. देशनोक , गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६१ देसनोक, अ. ३६२१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, सुविधि प्रतिष्ठा स्तवन महिमापुर, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५५ महिमापुर, अ. ३६२२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्थूलिभद्र स्थापना स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४८ पाडलीपुर, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १७८ ३६२३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-इक सुणले नाथ अरज मोरी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३०१) ३६२४. क्षमानन्दन / ज्ञानसार, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं सांगानेर, 'आदि-सांगानेर विराजे गुरु... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३६ ३६२५. क्षमाप्रमोद / रत्नसमुद्र, निगोद विचारगीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. ४८', अ., ___ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६२६. क्षमाप्रमोद /.रत्नसमुद्र, वीसलपुर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. ४८', अ., ह. - अभय ग्र., बीकानेर ३६२७. क्षमारत्न, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सद्गुरुजी सुणो मोरी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३६ ३६२८. क्षमासमुद्र / जिनचन्द्रसूरि, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि... सम्मेतशिखर जी को दरिसण करि कै... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१६) ३६२९. क्षमासागर / जिनसागरीय, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३१, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, मुकनचन्दजी संग्रह, बीकानेर, आचार्यशाखा भं., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 271 For Personal & Private Use Only Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६३०. क्षेम / रत्नसमुद्र, प्रत्याख्यानविचार गर्भित पार्श्व जिनस्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ४४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३६३१. क्षेमरत्न / धर्मसुन्दर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कुशल गुरु दरसन... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३७ ३६३२. क्षेमरत्न / धर्मसुन्दर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-पूजवा ___चाली रे सुगुरुने... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३७ ३६३३. क्षेमरत्न / धर्मसुन्दर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेरे ____ होउ सहाई... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३८ ३६३४. क्षेमरत्न / धर्मसुन्दर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सद्गुरु बिन मोहि... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३८ . ३६३५. क्षेमरत्न / धर्मसुन्दर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि हमकू शरण तिहारी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३९ ३६३६. क्षेमराज / सोमध्वज, उत्तराध्ययन सूत्र स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ. ३६३७. क्षेमराज / सोमध्वज, चारित्र मनोरथ माला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'गा. ४३', अ. ३६३८. क्षेमराज / सोमध्वज, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि ___ श्री जिनकुशल मुणिंद... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३६३९. क्षेमराज / सोमध्वज, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३६४०. क्षेमराज / सोमध्वज, जिनसमुद्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३६४१. क्षेमराज / सोमध्वज, जीरावला पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ. ३६४२. क्षेमराज /सोमध्वज, जैसलमेर चन्द्रप्रभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'गा. ६', ___ अ. . ३६४३. क्षेमराज / सोमध्वज, ज्ञानपंचमी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं जैसलमेर, 'आदि पणमिय पासजिणंद चंद... गा. १६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ३६४४. क्षेमराज / सोमध्वज, नवकार अनुपूर्वी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३६४५. क्षेमराज / सोमध्वज, मण्डपाचल चैत्यपरिपाटी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ. ३६४६. क्षेमराज / सोमध्वज, वरकाणा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ. ३६४७. क्षेमराज / सोमध्वज, वीरजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ. 272 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६४८. क्षेमराज / सोमध्वज, समवसरण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि - अमरनरिंदविहितपयवंदण... गा. ३०', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०६३ (३६) ३६४९. क्षेमराज / सोमध्वज, सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ. ३६५०. क्षेमसागर / पूर्णसागर, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-श्रीजिनदत्त के चरणों... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८ ३६५१. क्षेमहर्ष / विमलकीर्त्ति, जिनरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिश्री जिनरतनसूरींदा... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह २४२ ३६५२. क्षेमहर्ष/विमलकीर्त्ति, जिनरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्रीगच्छनायक सेवियइ रे... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह २४१ ३६५३. क्षेमहर्ष / विमलकीर्त्ति, फलौदी पार्श्वजिन वृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ७४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६५४. खड़पति, साधुकीर्त्ति जयपताका गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १६२५, आदि - संवत दस सय असीयइ पाटणइ ... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह १३८ ३६५५. खुशालचन्द / जयराम, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२३ मकसूदाबाद, ' आदि - ग्यानामृत गुणसंयुता... गा. ७९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १९९ ३६५६. खुशालचन्द / जयराम, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिकुशल सूरीसर सेविये... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३९ ३६५७. खुशालचन्द / जयराम, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-तृ चेतन गुरु भांन रे... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४० ३६५८. खुशालचन्द / जयराम, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेरे तुम्ह हो स्याम... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४० ३६५९. खुशालचन्द / जयराम, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीसरु... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४१ ३६६०. खुशालचन्द / जयराम, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि– सद्गुरु मेरे कुशल... मु., ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४२ ३६६१. खुशालचन्द / जयराम, नेमिनाथ बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १७९८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६६२.. खुशालचन्द / सत्यसागर, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिअम्ह घर रङ्ग... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८ ३६६३. खुशालचन्द / सत्यसागर, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२२, 'आदिसद्गुरु सेवा भाव... गा. १६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 273 Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६६४. खेत, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं सांगानेर, 'आदि-कुशल सूरिंद ___गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४२ ३६६५. खेतल (खेतसी) / दयावल्लभ उ०, जैन यति गुण वर्णन कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१८वीं, आदि-केई तो समस्त न्याय ग्रन्थ में दुरस्त देखे... गा. १', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २६० ३६६६. खेतल (खेतसी) / दयावल्लभ उ०, नवग्रह छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४४, 'आदि परव दिशि सुप्रमाणं..., अन्त-संवत सतरहसय चम्माल...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६६७. खेतल (खेतसी) / दयावल्लभ उ०, जिनचन्द्रसूरि छंद ?, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६६८. खेमचन्द, जिनभक्तिसूरि भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६०१२ ३६६९. गङ्गविनय / यशोवर्द्धन उ०, विजय सेठ सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७८१, 'आदि-श्री नेमीसर पद कमल..., अन्त–खरतरगच्छ श्रीपूज्यजी रे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६७०. गुणकमल / रलकुशल उ०, चौबीस जिन १७ बोल गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२५, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६७१. गुणकमल / रत्नकुशल उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीसरु...ग्रा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४२ ३६७२. गुणवर्धनगणि / अमरमाणिक्य गणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-श्री जिनकुशल सूरि... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४३ ३६७३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, अजितजिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सकल अजितजिन भलउ... गा. २', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६७४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, अनाथी ऋषि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६७५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, अमरसर जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सिरि अमरसरि गुरुराज सोहइ... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर । ३६७६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, अमरसर दादा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-दादापूरि हो मनवंछित मोरा... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ३६७७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, अष्टप्रकारी पूजा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, __ 'आदि-करि धोती धूनी धुनइ ए... गा. ११', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६७८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, अष्टप्रकारी पूजा गीतानि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-करीजइ न्हवण रु जिनेश्वर अंगइ... गा. २५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 274 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६७९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, आलोचना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गुरुमंदिर आलोयण जीउ लीजइ', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६८०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, आषाढभूति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- मुनिवर सुणि हो सीख सुहामणी... गा. १४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६८१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, कंसारी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- परतिख पास जुहारीयइ... गा. ९', अजमेर, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर 4 ३६८२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - श्री कीर्त्तिरतनसूरि के पयनमउ... गा. १०', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३६८३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रभु पास सहसफण प्रगट... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६८४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भया दउडीय गउडीय पास... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६८५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, गौडी पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- श्री गउडि प्रभु पासु ए... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६८६. गुणविनयोपाध्याय ८ जयसोम उ०, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गौतम लब्धिनिधान कह्यउजी... गा. ३', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३६८७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - श्री गौतम प्रह समि ध्यावउ... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६८८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चार कषाय निवारक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कह्या च्यारि कषाय ए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६८९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चार कषाय निवारक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ·१७वीं, 'आदि- जीव विचारी नै करउ रे... गा. १५', अ., ह. अभय ग्र., . बीकानेर ३६९०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चार मंगल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६० राडद्रहपुर, ' आदि - पहिलउ मंगल मनि धरौ रे... गा. ४४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६९१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- चउवीसम श्री वीर जिनेश्वर ... गा. २५', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग ३, पृ. ८४३ ३६९२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - जिनकुशलसूरीसर सेवइ जे इकतान... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६९३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-उदय करउ दादा उदय करउ... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 4 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 275 Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६९४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-उनइ मेघ घटा करी... गा. ७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६९५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दरसण दादा ए अपनउ मुझ... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३६९६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दस दिसइ दादा दीपतो... गा. २', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर .. ३६९७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दादा पूरि हो मन आस... गा. ७', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद ३६९८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दादा पूरउ हो वंछित... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४३ . ३६९९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पूनमि पूनमि गुरुजीनी पूजा... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७००. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रकट उपम धरि आन जान... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७०१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सिंध काबिल अंग बंग... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७०२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दिन दिनइ दरसन ताहरउ... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७०३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बडवखती साहिब... गा. ९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७०४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-लुद्रवइ पट्टणि देहरइ... गा. ९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७०५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सखि मोहि धरि उछरंग हे... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७०६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सोभागी गुरु माहरउ... गा. ६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७०७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-श्री जिनराजसूरीश्वर गच्छधणी... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह १७२ ३७०८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनराजसूरिंद ना पय... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७०९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री वर्धमान जिणंद जी... गा.८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 276 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७१०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनसिंहसूरि गुरु गाइयइ जु... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७११. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जिनसिंहसूरि गीत (पदस्थापना), गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुभ दिन आज बधाई... गा. ३', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह १२५ ३७१२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जिउरा करि निरंजन ध्यान... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७१३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जीव कछु बूझयइ रे... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७१४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रे जीउ म करि करि मेरा... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७१५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जैसलमेर पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५७, 'आदि-जेसलगिरि रलीयामणउ... गा. २४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७१६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जैसलमेर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जिनजी हो गढ जेसलगिरि... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७१७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जैसलमेर पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७२, ‘गा. १६', अ. ३७१८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, जैसलमेर महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सासन नायक सेवीयइ... गा. ११', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७१९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, दान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि श्री वधमान जिणेसरइ जी... गा. १८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७२०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, दान शील तप भाव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सहुअ धरम मोहे वहउ... गा. १७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७२१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, नवानगर जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जीहो महीयलि महिमा सांभलि... गा. ७', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३७२२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, नाकोड़ा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–नित नमूं महिमा गुणमणि... गा. १२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७२३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, नीबांज पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७६, आदि-श्री नींबाजि जुहारिश... गा. १७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७२४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि नेमीसर पिउरा मानीयइ जु... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 277 For Personal & Private Use Only Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७२५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि लाल न मेरा हो क्या तुज... गा. ७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७२६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि श्री नेमिसर इम कहइ रे... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७२७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, नेमिनाथ धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-उग्रसेन की कुमरी भणइ... गा. २१', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७२८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, पंच इन्द्रिय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-पांचे इन्द्रिय वसे करउ जी... गा. १२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७२९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, पाटण जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जीहो त्रिभुवनमइ जस ताहरउ... गा.७', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३७३०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-प्रभु पासकमर खेलइ वसंत... गा.७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७३१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'आदि–वामानंदन वंदीयइ... गा. ९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७३२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, पाली पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–पालीपुरी प्रभु पासजी... गा. १४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७३३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, प्रभु वीनती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'आदि-मइ परमादि साहिब कइसइ... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७३४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, फलवर्धि पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भलइ पास फलवधि सकल... गा. ६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ३७३५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, फलवर्धि पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, 'आदि-सामि कइ नामि नवे निधि पाइ... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७३६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, फलवर्धि पार्श्वनाथ छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सासनसुरी तणी परभावइ... गा. १२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७३७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, फलवर्धि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पास जिणेसर सेवीयइ... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७३८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, बीकानेर नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-नमइ जेहना पाय... गा. ७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७३९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, बूंदीपुरी महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जगतगुरु बूंदीपुरी प्रभु जागइ... गा. ३', अ., ह. पुण्यविजय संग्रह, अहमदाबाद 278 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७४०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, भडकुलि पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री भडकुलि प्रभु पासु ए... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७४१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि प्रहसमि समरउ श्री महावीर... गा.६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७४२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, मालासर ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रिसहजिण सुहकरण... गा. १५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७४३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत (हिंडोलना), गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-निज रूप करि जिमि मयन... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७४४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-राउल श्री भीम इम कहइ जी... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२१, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९८ ३७४५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री खरतरगच्छ मंडणउ... गा.७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७४६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १७वीं, 'आदि-श्री जिनचन्द्रसूरि गुरु वंदउ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२१, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९२ ३७४७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरु कइ दरसण कइ बलिहारी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२२, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९९ ३७४८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, राजनगर दादा गुरुद्वय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-राजनगरि गुरुचरण भेटिवा... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७४९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, राजनगर दादा गुरुद्वय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, • १७वीं, 'आदि-सुगुरु कउ दरसण दिन प्रति... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७५०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, राजनगर शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वरदाई रे वरदाई रे प्रभु भेट्या... गा. ९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर । ३७५१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, राडद्रहपुर जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१७वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरीसर... गा.७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, स्वयं लिखित ३७५२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, राडद्रहपुर जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री राडद्रहपुर वरइ ए... गा. ७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७५३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, राडद्रहपुर महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि–वीर जिणिंद जुहारीयइ ए... गा. २८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 279 For Personal & Private Use Only Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७५४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, लौद्रवपुर सहस्रफणा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, ___राजस्थानी, १७वीं, आदि-जिणि दिन नयणि निहालुं... गा. १२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७५५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, लौद्रवपुर सहस्रफणा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रभु पास सहस्रफण प्रगट... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७५६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, वज्रस्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि नंदन नाच राधा... गा. १२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७५७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, विशाला-विमलजिन स्तव, स्तोत्र, प्राकृत, १७वीं, 'आदि-विमलमइदायङ्ग बिमलजिणणायङ्ग... गा. १९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७५८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, वीरजिन मूर्त्ति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मूरति श्री जिनवीर की रे लाल... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७५९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि जगमइ भरोसउ किसकउ करइ... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर .. ३७६०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शत्रुञ्जय चैत्य परिपाटी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६४४, आदि-सकल सारद तणा पाय प्रणमी करी... गा. ३२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७६१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शत्रुञ्जयतीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६३, ___आदि-डूंगर भलइ भेट्उ... गा. १४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७६२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शत्रुञ्जयतीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री पुण्डरीकगिरि भेटियइ... गा. १४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७६३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं ददरेवा _ 'आदि-शान्तिनाथ दादउ ददरेवइ... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३७६४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-संतीसर जिणराय सांभलि... गा. ७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७६५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शील गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-दान वडउ जगमइ कह्यउ जी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७६६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शील गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सीलइ सवि सुख पामीयइ... गा. १२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७६७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शुक्ल कृष्णपक्षी साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शील सुदृढ़ पालइ जिको हो... गा. ३१, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर । ३७६८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, शेरपुर आदिनाथ पंचकल्याणक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–सिरि रिसह सामि नाम लेवा... गा. १७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 280 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७६९. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, सप्त व्यसन वारक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सात विसन तूं छांडिरे जीवड़ा... गा. २८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७०. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, सांगानेर जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-परभातइ ऊठी करी रे... गा. ६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७१. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, सांगानेर पद्मप्रभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जयउ जयउ जिनवरु रे... गा. १३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७२. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, सीमंधर स्वामि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जे मइं पाप किए परमादइ... गा. ७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७३. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, सूरत दादागुरुद्वय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सद्गुरु भेटणि आवहु माइ... गा. २', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७४. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तंभन पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अति अनूप भुवन भूप... गा. २', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७५. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तंभन पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-छेक जनावन भवमरथन धन... गा. ६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७६. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तंभन पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'आदि-थंभन पास प्रगट परमेसर... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७७. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्तंभन पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, . 'आदि-श्री थंभण पास जी पूजीयइ जु... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७७८. गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, स्थूलिभद्र गीत (मदन गीत), गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-मदनइ को को न दम्यउ... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३७७९. गुणरङ्ग / प्रमोदमाणिक्य उ०, अजितनाथ समवसरण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, - १७वीं, 'गा. २२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७८०. गुणरङ्ग / प्रमोदमाणिक्य उ०, शत्रुञ्जय संघयात्रा परिपाटी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३७८१. गुणरङ्ग / प्रमोदमाणिक्य उ०, सामायिक ३२ दोष सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, . अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५३३ ३७८२. गुणविलास, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दया विण करणी दुख देणी... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (६९) ३७८३. गुणसेन / समयकलश, सुखनिधान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरु के पणमो भवियण पाया... गा. २', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३६ ३७८४. गुलाब, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-उँ उँ श्री जिनकुशलसूरि... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४३ खरतरगच्छ साहित्य कोश 281 For Personal & Private Use Only Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७८५. गुलाब, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जिनदत्त का ध्यान... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५० ३७८६. गुलाब, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-श्री वीर के महाधीर... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१ ३७८७. गुलाब, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-श्री जिनचन्द मणिधारी... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ११८ ३७८८. गुलाब, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-श्री जिनचन्द्रसूरि... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२२ ३७८९. गूजर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि कैसे कैसे अवसर में गुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४४ ३७९०. गोपाल, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-धीरे धीरे गारे गुरु... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१ ३७९१. गोपाल सेवक, चतुर्दादा गुरुगुण इकतीसा, गीत स्तवन, हिन्दी, २००८, आदि-श्री गुरुदेव दयाल... गा. ३१', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७७ ३७९२. चन्द वाचक, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सद्गुरु गुण गावू... ___ गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९३ ३७९३. चन्द वाचक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-कुशल गुरु कुशल... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४४ । ३७९४. चन्द वाचक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-मुझ पूर मनोरथ आज... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४४ ३७९५. चन्द वाचक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-पूजो रे पूजो रे पूजो दादै सम... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४५, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२६५) ३७९६. चन्द वाचक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३३, आदि-श्री जिनकुशल सूरीसर... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४६ ३७९७. चन्द वाचक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-रूप भलो प्रभुजी को विराजित... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (७३) ३७९८. चन्द वाचक, सम्मेतशिखर यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४६, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ३७९९. चन्द्रकीर्त्ति / हर्षकल्लोल , कीर्तिरत्नसूरि, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-श्री कीर्तिरत्नसूरींद तणी... गा. १२', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ४०५ 282 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८००. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-अमृत की वर्षा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९४ ३८०१. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, _ 'आदि-केसरिया केसरिया... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९४ । ३८०२. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___'आदि-गुरुओं की महिमा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९५ ३८०३. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दर्शन दो गुरुदेव... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९६ ३८०४. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दादा गुरु तेरे... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९६ ३८०५. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, _ 'आदि-भीगे है नयन... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९७ ३८०६. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-श्री सद्गुरुवर... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९८ ३८०७. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गहराये भंवर... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४६ ३८०८. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, - 'आदि-रुन झून झूम... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६१ ३८०९. चन्द्रप्रभसागर म. / जिनकान्तिसागरसूरि, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-चन्द्रसूरि गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२३ । ३८१०. चन्द्रयशाश्री, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दादा अन्तरयामी... गा. ५', ___मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८१ ३८११. चरण प्रमोद, पार्श्वनाथ महिमा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३८१२. चारित्र, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दया कर दरस... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८२ ३८१३. चारित्रनन्दन / युक्तिमाणिक्य गणि पौत्र, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनलाभीय), गीत स्तवन, ... राजस्थानी, १८५०, आदि-जिनचन्द्रसूरि गुरु वंदियै जी राज... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह २९७ ३८१४. चारित्रनन्दी / नवनिधि, नवपद चैत्यनंदन स्तवन स्तुति, गीत स्तवनं, राजस्थानी, २०वीं, मु., हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा 283 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८१५. चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, अल्पाबहुत्व स्तवन, गीत स्तवन, 'गा. २०' अ. राजस्थानी, १७वीं, ३८१६. चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, खरतर गुर्वावली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - शिवसुखकर हे पास जिणेसर... गा. २१', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह २१८ ३८१७. चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, शाश्वत चैत्य स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसिवसुह कारण जग आनन्दण... गा. ३८', अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ३८१८. चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, साधुगुण वर्णन गीत कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २५', अ. ३८१९. चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, साधु गुण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ४२', अ. ह. विनय प्रतिलिपि ३८२०. चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-नित चरणों... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९८ ३८२१. चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२१, 'आदि - सद्गुरु दो बड़... गा. १५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९९ ३८२२. चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदितुझ देखन मोहि चाहि... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४७ ३८२३. चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदिनित उठ कुशल सूरिंद के... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४७ ३८२४. चारित्रसुन्दर / सत्यसागर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदिप्रणमूं कुशल सूरिंदा... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४८ ३८२५. चारित्रोदयगणि / हर्षप्रियगणि, जिनकुशलसूरि चतुष्पदी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शासन नायक वीरजिण... गा. १५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७०६३ (६७) ३८२६. चारित्रोदयगणि / हर्षप्रियगणि, ज्ञानपंचमी लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि– नमिय जिनराय गुरुपाय प्रणमी करी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७०६३ (६६) ३८२७. चारित्रोदयगणि / हर्षप्रियगणि, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिप्रह समइ थंभण भेटीयई... ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७०६३ (६८) ३८२८. चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, पंचतीर्थी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५९८, 'गा. २९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ३८२९. चारुचन्द्र उ० / भक्तिलाभ उ०, युगमंधरजिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'गा. ११', अ. ३८३०. चारुदत्त / हंसप्रमोद, चौबीस जिन माता पितादि नाम गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९९, 'गा. २५', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर 284 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८३१. चिदानन्द (कपूरचंद ) / चुन्नीजी, पुद्गल गीता, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ' आदि - संतो देखीए बे परगट पुद्गल जाल तमासा..., अन्त- बाल जीवकुं अति उपगारी...', मु., , चिदानंदजी कृत सर्व संग्रह भाग - २, पृ. ३२ ३८३२. चिदानन्द (कपूरचंद ) / चुन्नीजी, हित शिक्षा रूपदोहा, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३३९ ३८३३. चुन्नीदास, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ' आदि - गुरुदेवजी का ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९९ ३८३४. छोटेलाल, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव हमारे.... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०० ३८३५. जयकर्ण, चौबीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८१२, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३८३६. जयकीर्त्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदिकीर्त्तिरतनसूरींदा वंदै... गा. १२', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ४११ ३८३७. जयकीर्त्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदिसोहे गुरुनगर महेवो... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ४११ ३८३८. जयकीर्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हां हो रे देवा... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४८ ३८३९. जयकीर्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, पार्श्वनाथ स्तवन ( ८४ योनि संकलना गर्भित ), गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि- पासजिन सुजिन मन वचन कायाकरी... गा. १६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५, (३३५) ३८४०. जयकीर्तिगणि / अमृतसुन्दर उ०, जिनराजसूरि रास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८१ जेसलमेरु, अ. ३८४१. जयकीर्तिगण / अमृतसुन्दर उ०, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री संघ करइ अरदास हो... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ३३४ ३८४२. . जयचंद (जयविमल ) / सकलहर्ष, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६३, ' आदि-आदिकरण अलवेसर नाभिनंदन...', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३८४३. जयचंद ( जयविमल ) / सकलहर्ष, ज्योतिष कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - वर द्यौ मात सरस्वती वीनति...', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३८४४. जयचंद (जयविमल ) / सकलहर्ष, तीर्थंकर स्तवनादि स्फुट संग्रह १०, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३८४५. जयचंद ( जयविमल ) / सकलहर्ष, सर्वदर्शन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- संतौ सगतै मांडी पेट भराई... गा. ४०', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३८४६. जयचंद (जयविमल) / सकलहर्ष, सीता स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 285 Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८४७. जयचंद (जयविमल ) / सकलहर्ष, सुगुरु कवत्ति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३८४८. जयचंद ( जयविमल ) / सकलहर्ष, स्फुट कवित्त दोहे, सोरठे, छप्पय आदि २००, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३८४९. जयचन्द्र ( जयविमल ) / कपूरचन्द्र, जिनकुशलसूरि घग्घर निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि-दायक सिर सिद्धां... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १७५ ३८५०. जयचन्द्र ( जयविमल ) / कपूरचन्द्र, जिनदत्तसूरि स्तोत्र, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जसु हृदय कमल... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५ ३८५१. जयनिधान / राजचन्द, अढारह नाता सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६३६, 'अन्त - संवत सोल छतीस वरसे खरतर गच्छ जिनचंद सुरीस... गा. ६३', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ७३५ ३८५२. जयनिधान / राजचन्द, चौबीस जिन अंतरकाल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६३४, अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ७३६ ३८५३. जयनिधान / राजचन्द, नवकार हियाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दोइ पुरुष नइ रमण विचार... गा. ७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३८५४. जयनिधान / राजचन्द, संघपति हीयाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- सरससेव एक अतिसुन्दर... गा. ६', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ३८५५. जयनिधान / राजचन्द, सम्मेतशिखर यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५९, 'गा. १७', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. ७३६ ३८५६. जयनिधान / राजचन्द, साधुकीर्त्ति स्वर्गगमन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसुखकरण श्री शांति जिणेसरु ... गा. १०', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १४५ ३८५७. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, उत्तराध्ययन सूत्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०७, अ., ह. अभय ग्र., , बीकानेर ३८५८. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, चतुर्विध संघ नाममाला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०० जैसलमेर, अ., ह. तपागच्छीय ज्ञान भं., जैसलमेर, ज्ञान भं., बालोतरा · ३८५९. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, चौबीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३६ जैसलमेर, 'गा. ६५', अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ३८६०. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, जैसलमेर पार्श्व वृहत्स्तवनः, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३६, अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर ३८६१. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, दशवैकालिक सूत्र १० अध्ययन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०७ बीकानेर, 'आदि-धर्म मङ्गल महिमा...', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. ३०९ 286 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८६२. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, दश श्रावक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि वाणियगामि गाथापतीरै... गा. ७', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १६८ ३८६३. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, पार्श्वनाथ छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. १८', अ. ३८६४. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, पार्श्वनाथ छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ४२', अ. ३८६५. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-सुगुण सोभागी हो साहिब म्हारा... गा.५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (७३), ३१२२५ (९०) ३८६६. जयरङ्ग उ० / पुण्यकलश उ०, सात व्यसन सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि पर उपगारी साधु सुगुरु इम... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९, ३६३) ३८६७. जयरङ्ग उ० / उ० ज्ञानविलास पौत्र, जिनकुशलसूरि बधाई, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जगनायक के आज... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८५ ३८६८. जयवर्द्धन / रत्नजय, चौतीस अतिशय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३२ लूणकरणसर, अ. ३८६९. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, अजित जिन स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, ___ 'आदि–प्रकटिउं पुण्यप्रभाव... गा. १७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८७०. जयसागरोपाध्याय'/ जिनराजसूरि, अर्बुदतीर्थ वीनती., गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-आबुय ऊपरि आदिजिन... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८७१. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, आदिनाथ वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, आदि विनय विवेक विचार... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८७२. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, चौबीस जिन कालगर्भित स्तः., गीत स्तवन, अपभ्रंश, १४९३, अ., ह. आचार्यशाखा भं., बीकानेर ३८७३. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, चौबीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १६९२, 'आदि-सयल जिणेसर प्रणमुं पाय... गा. २८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ ३८५४. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, नवपल्लव पार्श्वलघु वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'गा.७', अ. ३८७५. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, नेमिनाथ भावपूजा स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सुललिय वर लावण्ण... गा. १५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि । ३८७६. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, नेमिनाथ मनोरथमाला, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'गा. २१', अ. ३८७७. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, नेमिनाथ वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, आदि सुकृत कीधउ मई भवि पहिलइ... गा. १२', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 287 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८७८. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, नेमिनाथ वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, ___'गा. १२', विनय. प्रतिलिपि . ३८७९. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, पंचतीर्थी नमस्कार स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सुविहाणं जइ आज मई... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८०. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-करूं ध्यान जिणेसर पासनउं... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ३८८१. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, महावीर वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, आदि जय जय वीर जिणेसर देव... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८२. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, वीतराग वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि त्रिलोकी तलानंद संदोह दाया... गा. १५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८३. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, वीतराग स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि जय जय जिण सुसन्नयण... गा. १९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८४. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, शान्तिनाथ वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५०३, 'आदि-श्रेय शांति सुख संपदकारी... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३८८५. जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, स्तम्भन पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-सोहग सुंदर सविहिं रूडउ... गा. ७', अ. ३८८६. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सब नमइ... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२४ ३८८७. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, छिन्नु जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नमवि गुणरगण गणे भरिय जिणवर...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३८८८. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, गौडी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सयल सुकोमल सुंदर... गा.७', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह ३८८९. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीतं स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुर असुर इन्द चन्द...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३८९०. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पणमिय जिणवर पाय पौम...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३८९१. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, चौबीस जिन गणधर संख्या स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५६, ‘गा. १७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ३८९२. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सब नमइ चक्रवर्ती जिनचन्द्रसूरि... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ११८ 288 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८९३. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-श्री फलवर्द्धिपुर सिरतिलो... गा. ७', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह ३८९४. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, लोवरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-लोवरी नीकउ तेरउ भाग... गा. १०', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ३८९५. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, शीतल जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शीतल जिन सुरतरु... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ३८९६. जयसोमोपाध्याय / प्रमोदमाणिक्य उ०, संभव जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १६५७, आदि संभवनाथ नमूं... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ३८९७. जल्ह कवि, साधुकीर्त्ति जयपताका गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १६२५, 'आदि सोलह पंचवीसइ समइ... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह १३७ ३८९८. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, _ 'आदि-सुण मनवा गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०१ ३८९९. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___२१वीं, 'आदि-कुशल गुरु क्यों न देते... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४८ ३९००. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं मालपुरा, 'आदि-गुरुदेव तुम्हारी कीर्ति... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४९ ३९०१. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १९९६ नाल, आदि-देदा जी दे दो... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४९ ३९०२. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___२१वीं, 'आदि-हे अशरण शरण... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५० ३९०३. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि अष्टक, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जो जैन शासन... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २० ३९०४. जिमकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि अष्टक, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ 'आदि-श्री सिद्धाचल रैवत... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१ ३९०५. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, _ 'आदि-आओ मनायें आज... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२ ३९०६. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, .:आदि-आज मनावो शुद्ध... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५३ ३९०७. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-उनका जीना... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५४ . ३९०८. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ 'आदि-गुरु की जय जय... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५५ खरतरगच्छ साहित्य कोश 289' For Personal & Private Use Only Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९०९. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरु जिनदत्त की... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५६ ३९१०. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-चलो पुण्य प्रतापी... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५६ . ३९११. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-दयामय मेहुला आजे... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५८ ३९१२. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ आदि-यह आज जयति है... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५६ ३९१३. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, _ 'आदि-हे युगप्रधान पधारो... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५९ ३९१४. जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ 'आदि-तेरे दर पे खड़ा... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६२ ।। ३९१५. जिनकान्तिसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, . 'आदि–पर उपकारी दादा... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०१ ३९१६. जिनकान्तिसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, _ 'आदि-पूछे सोमचन्द... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६० ३९१७. जिनकीर्त्तिसूरि / जिनविजयसूरि, लौद्रवपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सखी लोद्रपुरो रलीयामणो...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग–३, पृ. १५५५ ३९१८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, __'आदि-स्वामी रिसहेसरु... गा. ७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २०८ ३९१९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, एकादशी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९७७, ___'आदि-स्वस्तिश्रीमङ्गलकरण... गा. २२', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १६७ ३९२०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, कषायसज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, आदि ___ मानवभवपामी करीजी... गा. ६', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२१ ३९२१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, कृपाविनोद , गीत स्तवनादि संग्रह, हिन्दी, २०वीं, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत ३९२२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, केशरिया स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि ___ दरसण कीयो... गा.७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २०९ । ३९२३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, क्रोध सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि क्रोध म करसो... गा. ५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२० ३९२४. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, चतुर्विंशतिजिनलांछनचैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि–रिषभ वृषभ गज... गा. ५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९४ 290 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९२५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, चन्द्रप्रभु स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९४५ वर्धा, 'आदि-श्रीचन्द्रप्रभुसाहिबा... गा. ८', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५५ ३९२६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, चैत्रीपूर्णिमास्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि श्री सिद्धाचलतीरथसेवो... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८८ ३९२७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, जम्बूद्वीप सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, आदि जंबुद्वीप सोहामणो रे लाल... गा. ७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८३ ३९२८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, जामनगर धर्मनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९६७, _ 'आदि-धर्मजिनेसर जगधणी... गा.७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २६१ ३९२९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, जामनगर धर्मनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-भवीयां भावधरिने भेटो भगवानने... गा. ८', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २६० ३९३०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-सद्गुरु न्यारा रे... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६१ ३९३१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, दस अच्छेरा सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, __'आदि-अरिहंत देवने नमन करीने... गा. १२', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८० ३९३२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, दादागुरु स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि सद्गुरु म्हारां रे मोहनगारा रे... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७९ ३९३३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, दीवाली सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, आदि - हारे मारे दीवाली दिन आव्यो सजनी जाणवो... गा. १४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२२ ३९३४. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, दीवाली स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि वर्द्धमानजिनचंद कुं... गा. ३२', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १७७ ३९३५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, धुलेवा ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-थांपर वारी हो जिनजी... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १८१ ३९३६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद चैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि ___श्री अरिहंत ना बार गुण... गा. ३', मु., बृहद्स्त वनावली, पृ. ३९१ ३९३७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद बृहद् स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७५, 'आदि-अरिहंतादिक पद तणो... गा. ३३', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १६९ ३९३८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, 'आदि सिद्धचक्र फल दाखव्योजी... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७० ३९३९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-श्री सिद्धचक्क सुहंकर जाणो... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १८६ . ३९४०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नवपद स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि सिरिसिद्धचक्क सेवो भवियां... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८७ 291 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९४१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नाकोड़ा पार्श्वनाथ लावणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९८१ नाकोड़ा, 'आदि-नाकोड़ा पारस प्रभुधारी... गा. ५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २४८ ३९४२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नाकोड़ा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९८१, 'आदि-जयकरि जिनराज पुरसादाणि रे... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २४७ । ३९४३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नाकोड़ा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९८१, 'आदि-श्री चिंतामणि पासजी दरसण पायो... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २४९ ३९४४. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नेमिनाथ चैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, __'आदि-नेमिसर जिन जगधणी... गा. ३', मु., बृहद्स्त वनावली, पृ. ३९४ ३९४५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि नेमि जिणंद दयाल रे... गा. २५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५२ ३९४६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, नेमिनाथ स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि नेमि जिणंदा पुनिम चंदा... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८९ . . . ३९४७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पंचमी बृहद्स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७५ सूरत, __'आदि-सिद्धारथकुल दिनमणि... गा. ४१', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १७३ ३९४८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पंचमी सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, 'आदि सुगुरु चरण प्रणमी करी जी... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७२ ३९४९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पंचमी स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि नेमि जिणेसर जग परमेसर... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८४ ३९५०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पर्युषण तृतीय सज्झाय, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-आदीसर अलवेसरने नमीरे... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७८ . ३९५१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पर्युषण द्वितीय सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-पास सोभागी हो जिनजी... गा. १०', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७७ ३९५२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पर्युषण प्रथम सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, 'आदि–पर्व पजुषण आव्या... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७७ ३९५३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पर्युषण सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, 'आदि __पर्व पजुषण आविया रे... गा. ८', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७६ ३९५४. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पर्युषण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, आदि सखी पर्वपर्युषण आव्या... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२३ ३९५५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पर्युषण स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि पर्व पजुषण पुण्ये पामिया रे... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २३५ ३९५६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पर्युषणपर्वस्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि वीर जिणेसर जग अलवेसर... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २३४ 292 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९५७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पानसरमहावीर स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-वीर जिनेसर अलवेसर प्रभु सांभलो... गा. १२', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १७२ ३९५८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पार्श्वनाथ चैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ___'आदि–वीर जिणेसर जगधणी... गा. ६', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९६ ३९५९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९८०, आदि सुणो सुणो जी जिनवर जी... गा.५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २११ ३९६०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि जीवन म्हारां तेवीसमा जिणचंद... गा. १४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५४ ३९६१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पार्श्वनाथ स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि पास जिनराया वामा जाया... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९० ३९६२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पुण्डरीकगणधर चैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-ऋषभ जिनेश्वर रायना... गा. ३', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९४ ३९६३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पूनम चैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि __श्री जिनशासन जग जयो... गा.७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९५ ३९६४. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पूनम सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-सुगुरु चरण प्रणमी करी जी... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७४ ३९६५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, पूर्णिमा बृहद्स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७८ झाबुआ, 'आदि-स्वस्ति श्री सुख सम्पदा... गा. ४९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २४२ ३९६६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, बीज का बृहद्स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, __ 'आदि-वर्धमान जिन वंदिय... गा. १४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १४८ ३९६७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, बीज की सज्झाय, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि बीज आराधो भविजना... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३७१ ३९६८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, बीस विहरमान चैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, - २०वीं, 'आदि-सीमंधर युग मंधर... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९३ ३९६९: जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, भद्रेश्वर महावीर स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-वीर जिणेसर सांभलो रे लाल... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५३ ३९७०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, मल्लिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९६९, आदि दीठा भोयणी गाम मझारा... गा. ९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५७ ३९७१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, महावीर कल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७६, 'आदि-सिद्धारथ कुल दिनमणि... गा. ४५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २१८ ३९७२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, महावीर चैत्यवंदन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-वीर जिणेसर जगधणी... गा. ६', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९६ खरतरगच्छ साहित्य कोश । For Personal & Private Use Only 293 Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९७३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, महावीर स्वामी का पालणा, गीत स्तवन, गुजराती, १९७६ सूरत, 'आदि-सहियर वीर प्रभु नो जन्मोत्सव... गा. १२', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २३३ ३९७४. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, महावीर स्वामी २७ भव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७६ सूरत, 'आदि-स्वस्ति श्री सम्पद करण... गा. ६६', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २२३ ३९७५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, महावीर स्वामी स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि–वीर आषाढ़ सुदि छठी स्वर्गथी चविया ईश... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९० ३९७६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, माया सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-माया विषवेलीविषवेली... गा. ८', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२१ ३९७७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, रांदेर ऋषभजिन जीर्णचैत्य प्रतिष्ठा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७४ रांदेर, 'आदि-ऋषभ चरण कज ध्यावो मन भंमरा... गा. १३', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२४ ३९७८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, रोहिणी तप चैत्यवन्दन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-वासुपूज्य जिनवर नमूं... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९२ ३९७९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, रोहिणी तप सज्झाय, सज्झाय, हिन्दी, २०वीं, आदि चंपा नयरी जगमां दीपती रे... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८२ . . ३९८०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, रोहिणी तप स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७८ झाबुआ, 'आदि-वर्धमान जिनवर नमि... गा. ४७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २३६ ३९८१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, लोभ सज्झाय, सज्झाय; हिन्दी, २०वीं, 'आदि-लोभ तजो भवि प्राणिया... गा. ६', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२२ ३९८२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-जीवन मारा तेवीसमा जिणचंद... गा.७', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५८ ३९८३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९८२ लौद्रवा, 'आदि-श्री चिंतामणि पास जी मारा प्रभुजी हो राज... गा. १०', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५० ३९८४. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, वासुपूज्य रोहिणी स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि वासुपूज्य जिनेसर वन्दु मन धरि नेह... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८८ ३९८५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, वासुपूज्य स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि __ भवियण ध्यावो रे... गा. ५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १४७ ३९८६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, वासुपूज्य स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि वासुपूज्य जिन अन्तरजामी... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३२५ 294 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९८७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, वीरजिन चैत्यवन्दन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-चौवीसम जिनवर नमूं... गा. ३', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९३ ३९८८. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, वीसस्थानक चैत्यवन्दन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ___ 'आदि-श्री अरिहंत अन्त कान्ति... गा. ३', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९२ ।। ३९८९. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, वीसस्थानक स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-आदीसर अलवेसर जगपति... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८३ ३९९०. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९६९, 'आदि-जगगुरु श्री शंखेश्वर मण्डन पास जिणंदा हो... गा.९', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५८ ३९९१. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, शांतिनाथ चैत्यवन्दन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ___ 'आदि-सोलम जिनवर सेवियइ... गा. ५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९५ ३९९२. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि,शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि शान्ति जिणंदने सेवो रे मनवा... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २१२ ३९९३. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि,शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७९, आदि सुनो शिवपुर स्वामि अन्तर्जामी... गा. ५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २१३ ३९९४: जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि,शान्तिनाथ स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि शान्ति जिनराया सर्वजीव सुखदाया... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३८७ ३९९५. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, सकल तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९६५, 'आदि-श्री सिद्धाचल भेटोरे... गा. ११', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २६२ ३९९६. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, सम्भवजिन स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-श्री संभवजिनराया... गा. ५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २१० ३९९७. जिनकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, सिद्धाचल चैत्यवन्दन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-सिद्धाचल सेवू सदा... गा. ४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ३९३ ३९९८. जिनंकृपाचन्द्रसूरि / युक्तिअमृतगणि, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि __ यात्रीड़ा भाइ श्रीसिद्धाचल भेट्यो... गा. १५', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. २५१ ३९९९. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, अरिहन्त स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, - 'आदि-अरहन्त ना गुण पय सही... गा. ११.', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं.४१७ ४०००. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, आदिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि पूजवा कारण आव्या... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४००१. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि नमियइ नाभ मल्हार... गा. २२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ खरतरगच्छ साहित्य कोश । 295 For Personal & Private Use Only w Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४००२. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, चार मङ्गल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिजिवड़ा ध्यायइ अरिहन्त... गा. ३७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४००३. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवनं, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कर जोडि वर पय कमल... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ४००४. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, जिनकुशलसूरि स्तवन, 'आदि-दस दिशे देशे... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४००५. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, जैसलमेर चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-धनुष पांच शत देह मनोहर... गा. २०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ " ४००६. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, नववाडी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसद्गुरु देशन सांभलि... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान , जैसलमेर, नं. ४१६ गुटका ४००७. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-अश्वसेन वर वंश.... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४००८. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, पाहड़पुर आदिनाथ स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, 'आदि-श्री आदिश्वर सेवियइ... गा. २५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४००९. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, महावीर पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमहिमा निधि... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०१०. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिमहिल जिन तीरथ बड़ौ... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०११. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि– सिद्धक्षेत्र शत्रुञ्जय शिखरे... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०१२. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शान्तिनाथ सोलसमौ... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०१३. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, सतरह भेदी पूजा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३५', अ. ४०१४. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, साधुशिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गुरुकुलवास सदा वसइ... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०१५. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, सुभद्रा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसयल जिनेसर पय नमि.... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 296 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०१६. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, ऐरवत क्षेत्र चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पंचम गणधर भाखिया... गा. १६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०१७. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, कुमति विहंडण पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–प्रह समै पास जिण पाय पंकज नमि... गा. ५२', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४०१८. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, जैसलमेर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जेसलमेरु मझार... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर गुटका नं. ४१६ ४०१९. जिनगुणप्रभसूरि / जिनमेरुसूरि बेगड़, नवकार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुखकारण भवियण... गा.७', मु., जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०२०. जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, आदिजिन स्तवन-विक्रमपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-साचउ इक अरिहन्त..., अन्त–विक्रमनयर शृङ्गार... गा. ५', मु., युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि, पृ. २९९ ४०२१. जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, चन्द्रानन जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चंद्रानन जिन सहसफणो... गा. २', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह ४०२२. जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, जोगी वाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-काया नगरी कोट सबल तिहां... गा. १२', मु., युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि, पृ. २९९ ४०२३. जिनचन्द्रसूरि / जिनमाणिक्यसूरि, विक्रमपुर आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.५', अ. ४०२४. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, अजितनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि _ जय जय जिणवर... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०२५. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, अजितनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि तारक अजित जिनेसर... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०२६. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, अजितजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३७, 'आदि-अजित जिणेसर प्रणमं रंगइ... गा. १३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ।। ४०२७. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, अभिनन्दन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि त्रिभुवन में तिलक तें चाढ़ियऊ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०२८. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, अभिनन्दन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि .परम आणंद प्रभु... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०२९. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, अल्प बहुत्व विचारगर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वीर जिणेसर उप देसई...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ___ खरतरगच्छ साहित्य कोश 297 For Personal & Private Use Only Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०३०. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बगड़, आदिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि ___जी हो आदिम आदि... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०३१. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, आर्द्रकुमार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आदन तइ शासन शोभ चढ़ाई... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०३२. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, ऋषभदेव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मेरे मन चाल सिद्धाचल जाऊं... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४०३३. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, कुमति विहंडण पार्श्वजिन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रह समे पास जिणपाय पंकज नमी... गा. ५२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४०३४. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज जिन सरस जिन दरस... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०३५. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पास जिणेसर पूजियइ... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ .४०३६. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गौतम नाम जपो जयकार... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं.४१६ ४०३७. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरु मेरो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ४०३८. जिनचन्द्रसूरि /जिनेश्वरसूरि बेगड़, चन्दन बाला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि जिणवर विहरती आयौ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०३९. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, चन्द्रप्रभ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि कर्मवसइ मैं सेविया... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०४०. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, चिन्तामणि पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सकल समीहित आपइ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०४१. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, चौवीस जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि प्रहसमै प्रणमी करी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ 298 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०४२. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं हाजीखान, 'आदि-कुशल करो दादा... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०४३. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, जिनगुणप्रभसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वंदो वंदो रे श्रीजिन... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ४०४४. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, जैसलमेर आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०२, आदि-श्री आदीसर सेवियइ... गा. १५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०४५. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, जैसलमेर वीर पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सिद्धय राजन राज... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०४६. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, तसरपुर अजितनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-तसरपुर में महिमा घणी... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०४७. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, तसरपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वामासुत महिमानिलउ... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०४८. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, दवदन्ती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि दवदन्ती धन राजकुमरिया... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०४९. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, दस श्रावक सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७०८ थाहली, 'आदि-दस श्रावक नित वंदू... गा. २४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०५०. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, धन्ना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तु धन भद्रां मायड़ी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०५१. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, धर्मशिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि - श्री परमेसर... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०५२. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, नन्दीषेण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, .. 'आदि-सुमति गुपतिसुं मुनिवर विहरइ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०५३. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, नवग्रह विसेवित करतार छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-महिरवान महि मुकुट मणि... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं.,जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ 299 खरतरगच्छ साहित्य कोश । For Personal & Private Use Only Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०५४. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिश्री नेमिसर सांभलौ... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०५५. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - राजिमती कहइ ए सखी... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०५६. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, पद्मप्रभु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि(जिनवर जगि राया... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., , जैसलमेर, गुटका पद्मप्रभु नं. ४१७ ४०५७. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिजिणंद जो मोही अरज... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०५८. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रह समइ पास जिणंदनी रे... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०५९. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थांनी, १७वीं, 'आदिलाउ त्रिभुवन राज... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०६०. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ स्तोत्र १२५ नाम स्थान गर्भित, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- आस पूरण धणि... गा. ४१', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०६१. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, भीनमाल सप्तफणा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - सपत फणा प्रभु पास जी... गा. १८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०६२ . जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिप्रभु तेरी मूरति मोहनगारी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - तोरण पधारउ प्रीतम माहरा ... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०६३. ४०६४. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, लोकनालि विचार गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दया धर्म दातार... गा. ४२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०६५. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-उत्तुंग तोरण देहरौ... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०६६. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, वर्द्धमान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९८, 'आदिभोंडुआ गामइ भेटिया... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ 300 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०६७. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, विमलाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुललित कामण वीनव... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०६८. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, विमलाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री विमलाचल... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०६९. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,‘आदि– प्रभु अवतारी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०७०. जिनचन्द्रसूरि /जिनेश्वरसूरि बेगड़, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिभलइ नगर श्री भेहरइ... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०७१. जिनचन्द्रसूरि /जिनेश्वरसूरि बेगड़, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिमिली आवौ हे सखि... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०७२. जिनचन्द्रसूरि /जिनेश्वरसूरि बेगड़, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिविणमइ जगगुरु भावो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०७३. जिनचन्द्रसूरि /जिनेश्वरसूरि बेगड़, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि– शान्तिकरण जिन सेवियइ... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०७४. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, शीतलनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिनाम जुगति जगि तुम्हारा... गा. ७५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०७५. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, शीतलनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिशीतल जिनवर जगधणी... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४०७६. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, शीतलनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुर असुर किन्नर... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०७७. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, श्रेयांसनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि- सुखकर नाम श्रेयांस... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०७८. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, संभवनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदिसंभव जिनवर सारिखौ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०७९. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, समियाणा शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९८, — आदि–शान्तिकरण प्रभु सेवियइ... गा. ३०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०८०. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, सहस्रफणा पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 301 Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०८१. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, सुपार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि ___नाथ सुपास तणउ गुण गाऊं... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०८२. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, सुमतिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि सुमति जिणेसर देव जी... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०८३. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, सुविधिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि ___सुविधिजिन सांभलौ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४०८४. जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, स्थूलिभद्र चौमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सावण मास सुहावियौ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४०८५. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि , गौडी पार्श्वनाथ यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२२, 'आदि-अमल कमल जिम धवल विराजे... गा. ९, मु., अभय रत्नसार ४०८६. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि , छिन्नुं जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४३, आदि वरतमान चउवीसी वंदू... गा. २३', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. ८१, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, ३१२२५ (२८) ४०८७. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं गडाला, 'आदि-आयो सहु श्री संघ... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २०८ ४०८८. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५८, 'आदि श्री खरतर गच्छ सिरतिलो... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६३ ४०८९. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि, जिनरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन , राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्री जिनरतनसूरींद तणी... गा. ११, मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ४१८ ४०९०. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि, नेमिनाथ राजीमती बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-गोखे बैठी राजुल गोरी..., अन्त-भणी जिनचन्द लाल...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६०३५ ४०९१. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि, फलवर्धी पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-देव सकल सिर सेहरौ लाल... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ४०९२. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि, फलवर्धी पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ 'आदि-देव सकल सिर सेहरौ लाल... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ४०९३. जिनचन्द्रसूरि / जिनरत्नसूरि, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४६, 'गा. १६', अ. ४०९४. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, अन्तरीक पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-अंतरीक जिन अंतर्यामी... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२३) 302 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०९५. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, अंतरीक पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५५, ____ अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४०९६. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चिंतामणि चितधर रे चेतन... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२०१) ४०९७. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३९, 'आदि-धन धन पारकर देश... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१९४) ४०९८. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-कुशल गुरु कुशल करो... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५१ ४०९९. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-गच्छपति खरतरगच्छ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५१ ४१००. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-तुझ सूरत सुखकारी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५१ ४१०१. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-दादा चिरंजीवो... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५२ ४१०२. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दादो जैसलमेर... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५३ ४१०३. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीसर... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५३ ४१०४. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, जिन प्रतिमा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७३, आदि भविका श्री जिनबिंब जुहारो...', मु., अभय रत्नसार ४१०५. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-सुगुण सनेही जिनजी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३३१) ४१०६. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, नंदीश्वर तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि . नंदीसर बावन्न जिनालय... गा. १५', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. ६५, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३३९) ४१०७. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पद, गीत स्तवन, प्राकृत, 'आदि-ते दिन क्यारे आवसे... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर. ३०३६० ४१०८. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-श्री महाराज मनावो... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (५२) ४१०९. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पार्श्वनाथ होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-जय बोलो रे पास जिणेसरजी... गा.७', मु., अभय रत्नसार, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२३९) खरतरगच्छ साहित्य कोश 303 For Personal & Private Use Only Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४११०. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पार्श्वनाथ होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-मेरे पारस प्रभुजी के रंग मंडप मांहि... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३००) ४१११. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-आज ___ फली रे जिनराज... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१८४) ४११२. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-आज __ बधाई मेरे आज बधाई... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (६३) ४११३. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-आज बधाई मोतीडे मेह बूठारे... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१८६) ४११४. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-ऊठो ने मोरे आतमरामा... गा. ५', मु., पंचप्रतिक्रमणसूत्र, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२६) ४११५. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४५, 'आदि पाटण नगरी प्रधान... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२३९). . ४११६. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-आज तो हमारे भाग... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२४) ४११७. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४५, 'आदि ___पावापुरी महावीर जिणेसर... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२४०) ४११८. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-पावापुरी महावीर... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२५) ४११९. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४६, आदि मनमोहन स्वामी नमूं... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२४२) ४१२०. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-वंदू जिन नायक वर्द्धमान... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२४१) ४१२१. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, वासुपूज्य स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, अजीमगंज, आदि भविजन वंदो श्री जिनवर पाया... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२४३) ४१२२. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, विहरमान जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि विहरमान जिन वीसै वंदियै... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (७०) ४१२३. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-श्री शंखेश्वर पास जिणेसर... गा. ५', मु., जैनरत्नसार, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३५) ४१२४. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४६, 'आदि-आज भले मैं भेट्यो हो... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (७६), ३१२२५ (२४४) 304 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१२५. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, 'आदि-आजे आपे चालौ सहिया... गा. ९', मु., बृहत्स्तवनावली १३४, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१४) ४१२६. जिनचन्द्रसूरि / जिनलाभसूरि, होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-दया मिठाई रस भरी रे... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३०५) ४१२७. जिनचन्द्रसूरि / जिनाक्षयसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-समरण होत सहाई... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५४ ४१२८. जिनचन्द्रसूरि / जिनाक्षयसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-सद्गुरु श्री जिनकुशल... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५४ ४१२९. जिनचन्द्रसूरि / जिनाक्षयसूरि, रङ्गसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७१, आदि-दादा दया करो... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ११८ ४१३०. जिनचन्द्रसूरि / जिनाक्षयसूरि, रङ्गसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१९वीं, आदि-मणि मस्तक पर... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ११९ ४१३१. जिनचन्द्रसूरि / जिनाक्षयसूरि, जिनरङ्गसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, . राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मन वंछित काज... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२० ४१३२. जिनचन्द्रसूरि / जिनाक्षयसूरि, जिनरङ्गसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री गुरुवर दरसण... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२० ४१३३. जिनचन्द्रसूरि / जिनाक्षयसूरि, रङ्गसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१९वीं, आदि-सद्गुरु मणिधारी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२१ ४१३४. जिनचन्द्रसूरि / जिनाक्षयसूरि, रङ्गसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि आरती, गीत स्तवन, हिन्दी, १९वीं, आदि-जय जय मणिधारी... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४१ ४१३५. जिनपद्मसूरि / जिनक्षमासूरि भावहर्ष, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-कुशल गुरु की... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५४ ४१३६. जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि , हियाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १४वीं, आदि-अकूलु अमूलु ___ अ... गा. ४', मु., विधिमार्ग प्रथा ४१३७. जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि , हियाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १४वीं, 'आदि-चारि चरण चउ...', मु., विधि मार्ग प्रपा ४१३८. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-सुणि सुणि सेनूंजगिरि स्वामी... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२४५) ४१३९. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जय जय गौडीजी महाराज... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१) खरतरगच्छ साहित्य कोश 305 For Personal & Private Use Only Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१४०. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७८८, 'आदि-मूरति मोहनगारी... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (८६) । ४१४१. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं जैसलमेर, 'आदि-श्री गौडी प्रभु पास नमी जे... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९५) ४१४२. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७८१, 'आदि-गाजै जिनकुशल गडाल... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५५, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२८५) ४१४३. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-थलवट देश सुहामणों... गा. ७', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३६०), मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५६ ४१४४. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-दरसण देज्यो हो खरतरगच्छ राजा... गा. ६', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२८७), मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५६ ४१४५. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-दादाजी हो करज्यो दया... गा. ९', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२६४), मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५७ ४१४६. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-म्हारां साहिब हो श्रीजिनकुशल... गा.७', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२७९), मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५८ ४१४७. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरीसरं... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५८ ४१४८. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, वरकाणा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-वरकाणाप्रभु राजियो... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (८७, २७९) ४१४९. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, वरकाणा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७९१, __'आदि-श्री वरकांणै वंदियै रे... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९१) ४१५०. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सब स्वारथ के मीत है... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (६०, २८८) ३०३६० (१९) ४१५१. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, शत्रुञ्जय यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८०१, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४१५२. जिनभक्तिसूरि / जिनसुखसूरि, होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८०१, आदि-माई रंग भर खेलेंगे धमाल... गा.५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३०६) 306 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१५३. जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, अष्टोत्तर शतस्थान स्थिति पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-पणमवि पण पर मिट्ठिपाय पउमावई देवी... गा. १५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ४१५४. जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-एक घड़ी मन समरि... गा. ५', अ. ४१५५. जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-त्रिभुवन गुरु, अन्त–सच्चउर नयरिहि गुरूय... गा. ८', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४७८ ४१५६. जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, सतरह भेद जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-हियड़े उल्लहि... गा. ९' अ. ४१५७. जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, साचोर महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, ‘गा. ८', अ. ४१५८. जिनमहेन्द्रसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, __'आदि-सुगुरुजी समर्या... गा.५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५९ ४१५९. जिनमहेन्दसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि जय बोलो सद्गुरु राजा की... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६४ ४१६०. जिनमहेन्दसूरि / जिनहर्षसूरि, शान्तिनाथ स्तवन माण्डवगढ़, गीत स्तवन, हिन्दी, १९२०, 'आदि-ॐ हीं श्रीमाण्डव..., अन्त–प्रगट्यो जय जयकार... गा. ६', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ५६०३ ४१६१: जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, आत्मशिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सीख भली इक सांभलो... गा. ११', ह. विनय. प्रतिलिपि । ४१६२. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, आत्मा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सांभलि तुं भोला प्राणी रे... गा. ६', ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६३. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, आदिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जग . ' आदीसर सेवीयइ... गा. ५', ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६४. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि रिषभ जिणेसर भेटिवा रे लाल... गा. १५', ह. विनय. प्रतिलिपि । ४१६५. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, क्रोधत्याग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सद्गुरु वचन हीयइ धरउ... गा. ११', ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६६. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, - 'आदि-पइहिलो श्री रिसहेसर पणमु... गा. ५', ह. विनय. प्रतिलिपि ४१६७. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि कुशल गुरु तुम... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २५९ खरतरगच्छ साहित्य कोश 307 For Personal & Private Use Only Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१६८. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिकुशल गुरु ध्याइये... ४', दादागुरु भजनावली, पृ. २६० ४१६९. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिचलो दादे जाइये... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६० ४१७०. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिहो श्री जिन... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६१ ४१७१. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदितुम जो श्रीजिन... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६२ ४१७२. निरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिदादोजी दीठां... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६२ ४१७३. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, , गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमन हरखित... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६२ ४१७४. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिहूं तो मोही रह्यो जी... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६३ ४१७५. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-दादो सेवकां... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६३ ४१७६. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिअरज सुणउ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६४ ४१७७. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनदत्तसूरि जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि–दादो सेवकां सुखपूरइ... गा. ३, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१७८. निरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिआज सहू हरखित हूवा रे... गा. ९', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४१७९. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिऊँच गिरवर मांहे मेरु सुहामणउ रे... गा. ४, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१८०. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिकलिकाल गौतम सारिखो... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४१८१. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिक्षमता सागर जुगवर सांभलउ... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४१८२. निरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं. 'आदिचंदा तूं जिण देसि ... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४१८३. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिजिहां सुमन रूप अनूप मन्दिर... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि 308 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१८४. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि पीउ जब छोरि चलै परदेसै... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१८५. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि प्रीतम तणौ मुझ ऊपरै... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१८६. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सजि सजि सोल शृंगार हे सखि... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१८७. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सहीयर रंग वधावणा... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१८८. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सूहब सूहब वधावो पूजजी मोती ए... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१८९. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, जीवोपदेश गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि भवसागर तरिवा तणी... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९०. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, ज्ञान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सब स्वारथ के मीत हैं... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९१. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, दान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-लाहो लीजइ रे लाछिनउ... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९२. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, धर्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-धरम करौ : भाषित जिनजी कौ... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९३. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, नयन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-नयना अटक मानइ नाहि... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९४. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, नेमि राजीमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि नेमि कुमर उग्रसेन रे... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि । ४१९५. ज़िनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, नेमि राजीमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सांवलिया घर आव कि राजल वीनवै हो लाल... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९६. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, नेमि सज्झाय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि आजनइ पधारै सामलियौ यादव परीणवा... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९७. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, नेमीसर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्रावण जलहर आज ही... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९८. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, परमात्मा काया गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सहज सनेही सुणि मोरी वीनती... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४१९९. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, परमार्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-प्रभु मेरे कुण गति होइगी मेरी... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 309 For Personal & Private Use Only Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२००. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, अनेक अछै संसारइ... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२०१ . निरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं ' आदि-पास जिणेसर पूजीयइ... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- देव ४२०२. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिसहेल्यां चालौ पूजण जांह... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२०३. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- विणजारा तूं परदेसइ जाय... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२०४. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, फलौदी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पास सुणो मोरी वीनती... गा. ९', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२०५. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, फलौदी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-राजे फलवर्द्धि राजीयो... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२०६. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, फलौदी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री फलवर्द्धिपुर पास... गा. ९', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२०७. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, फलौदी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री फलवर्द्धिपुर पास... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२०८. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, बरहानपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सांभलउ साहिब महाराज... गा. १५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२०९. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, बीकानेर चउवीसढा (वृद्ध स्तवन), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि - चालउ हिब चउवीसटइ...', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२१०. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, बीकानेर मण्डन (ऋषभदेव गीत ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- रिषभ जिणेसर भेटीयइ रे... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२११. निरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, महिमपुर शीतलनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - सांभलउ शीतल करि मयाजी... गा. ११', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२१२. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, मालपुरा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- आजनै पधारौ हे सहीयर मालपुरइ... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२१३. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, मोहत्याग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-ऊपनौ केवलनाण... गा. ८', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२१४. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, राजीमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिसखियन सुं राजुल कहै... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२१५. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, रात्रिसंथारा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-तूं अविनाशी आतम रे... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि 310 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२१६. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, लोडण पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आज दिवस रलियामणौ ... गा. ८', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२१७. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, लोभ त्याग सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिसरिखा सोल कषाय... गा. ९', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२१८. निरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि - भविकजन ते धन जे जिन पूजा... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२१९. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-भवियण तुम धर्म समाचरउ... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि १८वीं, ४२२०. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि- मुझनै परचौ ताहरौ रे लो... गा. ८', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२२१. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, शत्रुञ्जय तीर्थ गीत, गीत स्तवन, अधिक उमेद जी हो... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि राजस्थानी, 'आदि-मो मन ४२२२. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, शत्रुञ्जय तीर्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिसुणी कामिनि कहइ केत... मा. ८', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२२३. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-तूं मेरइ दिल मई... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२२४. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, सत्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - रे मन झूठां सुं मन राचइ... गा. २', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२२५. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, सिद्धाचल तीर्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिहरख आज पायउ हो... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२२६. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, सीता गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-छोड़ि हो पीउ छोड़ि चलौ बनवास... गा. ११', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२२७. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, सीमन्धर स्वामी जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि - सेवक साहिब एक राजी... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२२८. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, सीमन्धर स्वामी स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि– विजय विदेह परगडउ... गा. ९', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२२९. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, हीयाली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पहिर पाटू लूगड़ा... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२३०. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, हीयाली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि-मंदिर एक सुहामणौ... गा.. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४२३१. जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, हीयाली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-महल बड़ौ सिगलां मन मोहै... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 311 www.jalnelibrary.org Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२३२. जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-गुण गाइजै तुज गौडी धणी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (७१) ४२३३. जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सोभागी सिर सेहरउ... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (७१) ४२३४. जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि श्री जिनकुशल कुशल कारण सदारे... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ४२३५. जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, जैसलमेर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २१', अ., ह. अभय ग्र..बीकानेर ४२३६. जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, पंच प्रमाद परिहार सम्बन्ध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०३, _ 'गा. १९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९७० ४२३७. जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ४२३८. जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, बीकानेर चउवीसढा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चतुरनसे चउवीसटे...', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ४२३९. जिनरत्नसूरि / जिनराजसूरि, शीलसम्बन्ध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २३', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ४२४०. जिनराजसूरि / जिनोदयसूरि, शत्रुञ्जय वीनती, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि ___ महतित्थ स@जय... गा. २५', अ. ४२४१. जिनराजसूरि / जिनोदयसूरि, शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि आणंदानंद... गा. १७', अ. ४२४२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, अइमत्ता ऋषि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि दीठा गोयम गोचरी जी... गा. १०', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.७२ ४२४३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, अमीझरा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-परतखि पास अमीझरइ... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९ ४२४४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, अमीझरा पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-परतखि पास अमीझरइ... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२५ ४२४५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, अरहन्नक साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि नवलउ नवलउ बेस... गा. १४', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७० जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, अस्थिर जग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिकइसउ सासकउ बेसास... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०७ ४२४६. 312 खरतरगच्छ साहित्य कोश । For Personal & Private Use Only Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२४७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आतम काया गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसुणि बहिनी प्रिउड़उ परदेसी ... गा. ७', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १११ ४२४८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म जकड़ी प्रबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-हमारइ माइ कंत दिसावर ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९७ ४२४९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म देह सम्बन्ध प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि–विदेसी मेरे आइ घर मांहि... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९७ ४२५०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- जीउ रे चाल्यउ जात जहान... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०२ ४२५१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तूं तउ धरउ आज अयान... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११२ ४२५२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - हिलि मिलि साहिब कउ जस... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०६ ४२५३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म प्रबोध सुख-दुःख, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रे जीउ काहइ कुं पछातावइ... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति, कुसुमाञ्जलि, पृ. १०७ ४२५४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म प्रीतम प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिअब तुम ल्यावउ माई री... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९७ ४२५५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिआतम मृगमद आफलै... गा. ९', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (४०) ४२५६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म शिक्षा प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिइक काया अरु कामिनी परदेसी रे... गा. ५', ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि • कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७४ ४२५७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म शिक्षा प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिजीवन मेरे यहु तेरउ कउण... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९५ ४२५८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म शिक्षा प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिभ्रम भूलउ ता बहुतेरउ रे... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०० ४२५९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आत्म शिक्षा प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिविणजारा रे वालंभ सुणि... गा. ८', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९३ ४२६०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आबू तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, सुकलीणी प्रिउ नइ कहइ... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१ 'आदि खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 313 Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२६१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, आलोयणा गर्भित शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कर जोड़ी इम वीन... गा. २७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८ ४२६२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, ऋषभजिन कर संवाद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–रिषभ जिन निरसन रान विहारी... गा. ८', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२ ४२६३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, ऋषभदेव बाललीला स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मन मोहन महिमा निलउ रे... गा. ११', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९७ ४२६४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, कलावती सती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि धन धन सती रे कलावती... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ . ४२६५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, कलावती सती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि बांहे पहिऱ्या बहरखां... गा. ९', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७९ ४२६६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, कामिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-अब हइ मदन नृपति कउ जोरो... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०८ ४२६७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, काल का हेरा ममता निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-रे मन मूढ मकहि गृह मेरउ... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११० । ४२६८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, किण हू पीर न जाणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पिउ कइ गवणि खरी अकुलाणी... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०१ ४२६९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, कोई जामिन नहीं गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रे जीव काहइ करत गुमान... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०८ ४२७०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, गज सुकुमाल मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-संवेग रस मांहि झीलतउ... गा.९', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७६ ४२७१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, गिरनार तीर्थयात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मोरी बहिनी हे बहिनी म्हारी... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२ ४२७२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, गुणस्थान विचारगर्भित पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६५, आदि-नमिय सिरि पासजिण सुजण... गा. १९', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५४ 314 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२७३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बालेसर मुझ वीनती गउडेचा राय... गा. ७', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९ ४२७४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, चिन्तामणि पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नीलकमलदल सांउली... गा. ८', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५३ ४२७५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, चौवीसटा आदिनाथ गीत बीकानेर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चालउ हिव चउवीसटइ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३ ४२७६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जकड़ी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–मेरउ नाह निहेरउ... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९६ ४२७७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जागउ प्रेरणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सोवन की बरीयां ना ही बे... गा. ५', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि ___कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९८ ४२७८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जाति स्वभाव अज्ञानी शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कहा अज्ञानी जीउ कुं गुरुज्ञान... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, __ मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०३ ४२७९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि कुशलगुरु अब मोहि दरसण दीजइ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६६, दादागुरु भजनावली, पृ. २६३ ४२८०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि ___जपउ कुशल गुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६४ ४२८१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि जी हो धन वेला धन सा घड़ी... गा. ९', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि . कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६५, दादागुरु भजनावली, पृ. २६४ ४२८२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जिनदेव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-लीनउ री मो मन जिन सेती... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२ ४२८३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जिन प्रतिमा सिद्धि वीर स्तोत्रम्, गीत स्तवन, राजस्थानी, .. १७वीं, 'आदि-भविय जण नयण वणखंड पडिबोहगं... गा. १५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५९ ४२८४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जिनसिंहसूरि गहूंली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि गुरुवाणी जग सगलउ मोहीयउ... गा. ५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह १३१ खरतरगच्छ साहित्य कोश 315 For Personal & Private Use Only Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२८५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जिनसिंहसूरि बारहमासा ढाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- पुरसादाणी पास जिण... गा. ४', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२१ ४२८६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिश्री जिनसिंहसूरीश्वर गुरु प्रतपउ... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२० ४२८७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, जीवशिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मेरठ जीव परभव थी न डरइ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९९ ४२८८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, झूठी दिलासा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि– बउरे मास बरस हुं बउरे... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०६ ४२८९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, तंबाकू सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-संतो ऐसी तंबाखू पीयो रे... गा. ५', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (३६) ४२९०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, तीर्थराज गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पगि पगि आव्या समरता... गा. ९, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१८ ४२९१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, तीर्थयात्रा मार्ग निरूपक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,‘आदि–सखि भोजिग भाट चारण... गा. १६', मु., अपूर्ण १४ से १६ प्राप्त, जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१८ ४२९२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, दण्डक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ४२९३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, दमयन्ती सती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि– छोड़ि चल्यउ नलराइ... गा. ११', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७८ ४२९४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, देख चेतनवृत्ति जरुड़ी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, — आदि-लालण मोरा हो जीवण मोरा हो... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०२ ४२९५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, देहगर्व परिहार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिइया देही कउ गरब कीजइ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११२ ४२९६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, धर्म मर्म परमपुरुष कुण पावत गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - कउण धर्मकउ मरम लहइ री... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०९ ४२९७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, नवपद स्तवन, , गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९३, दृष्टांते दोहिलउ... गा. १५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६३ ४२९८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, नंदिषेण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - साधु इइजी पर घर एकल्या... गा. १०', ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७५ 316 आदि-दस खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२९९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, निंदानिवारक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सुणहु हमारी सीख सयाणे... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९२ ४३००. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तउ तुम्ह तारक यादुराय... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६ । ४३०१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, नेमिनाथ चातुर्मासक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रावण मइ प्रीयउ संभरइ... गा. ४', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५ ४३०२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, नेमि राजीमती वियोग सूचक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–मेरइ नेमिजी इक सयण... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७ ४३०३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, नेमिनाथ स्तवन बीकानेर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री नेमिनाथ जुहारियइ... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५ ४३०४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पंचरंग कांचुरी देह गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पंचरंग कांचुरी रे बदरंग तीजइ... गा. ४', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०३ ४३०५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पंचेन्द्रिय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सुर नर किन्नर राय आज्ञा हो... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९१ ४३०६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज पीउ सुपनै खरी डराई... गा, ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (३९) ४३०७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-इमारइ माई कंत दिसाउर कीनौ... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (४२) ४३०८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-मंदोवरि बार बार - इम भासै... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (३९) ४३०९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, परदेसी किसके वस जकड़ी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-उण मीत परदेसी बिना मोहि... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, · · पृ. ११० . ४३१०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, परदेसी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-परदेसी - मीत न करीयइ री... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९९ ४३११. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, परदेसी प्रीति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि कबहु न कर री माई मीत विदेसी... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०४ ४३१२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, परमार्थ अक्षर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि तुम्ह पइ हइ ज्ञानी कउ दावउ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०४ ४३१३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, परमार्थ पिछाणो गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि तू भ्रम भूलउ रे आतम हित न करइ... गा. ६', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 317 For Personal & Private Use Only Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३१४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, परमार्थ साधन जकड़ी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रे जीउ आपणपउ अब सोच... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०० ४३१५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पश्चात्ताप गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-आली प्रीउ की पतियां हम न बची... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०५ ४३१६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तुम्ह सेवो पास जगतधणी... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१५४) ४३१७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-परम आणंद माकंदतरुफलियओ..., अन्त–इय पास जिणेसर संथुणयउ... गा.८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४३१८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पार्श्वनाथ गुणवेली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, आदि श्री सरसति सुप्रसन्न सदा... गा. ४४', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०४९ ४३१९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, पिउ पाहुणो गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि जब जाण्यउ पीउ पाहुणउ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०१ ४३२०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, प्रभु भजन प्रेरणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कबहूं मइ नीकइ नाथ न ध्यायउ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२ ४३२१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, बाहुबली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पोतइ जइ प्रित बूझवउ... गा. ११', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.७४ ४३२२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, भणसाली थिरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि संघवी तूं कलियुगी सुरतरु... गा. ८', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६७ ४३२३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, भवभ्रमण भ्रम में भूला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-उपनउ रूप न आप लहइ री... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०८ ४३२४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, मनशिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मन रे तूं छोरि मायाजाल... गा. ३', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०७ ४३२५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, मयणरेहा सती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि लघु बांधव जुगबाहु नई रे... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८० ४३२६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, मोह बलवंत गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि मोह महा बलवंत... गा. ७', ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८९ 318 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३२७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, रामायण संबंधी पद १२, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिमंदोदरि बार बार इम भाखइ... गा. ३९', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८४ ४३२८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, लौद्रवपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज नइ बधावउ हे सहीअर... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८ ४३२९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, लौद्रवपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-लौद्रपुर पासप्रभु भेटियइ... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७ ४३३०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वइर कुमार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-मइ दस मासि उयरि धरयउ... गा. १०', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७१ ४३३१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वहाँ ही खबर जकड़ी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मेरे मोहन अब कुण पुरी बसाइ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०४ ४३३२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वाडी पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि मेलिज जमक सब गावा तरसइ... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५३ ४३३३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वासुपूज्य स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि बहिनी एक वयण अवधारउ... गा. ६', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४ ४३३४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, विक्रमपुर मण्डन वीरजिन गीतम्, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भाव भगति धरि आवउ सहिअरि... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.५८ ४३३५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, विजय सेठ विजया सेठाणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-आली धन वो प्रिय धन वा प्यारी... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.७७ ४३३६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, विमलगिरि वधामणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' 'आदि-भाव धरि धन्य दिन आज... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३६ ४३३७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, विमलाचल आदीश्वर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, . 'आदि-श्री विमलाचल सिरतलउ... गा. ११', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३ ४३३८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, विमलाचल यात्रा मनोरथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, __'आदि-वरग विछोहउ परिहारि... गा. ९', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३६ ४३३९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, विमलाचल विधियात्रा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-सुण सुण वीनतड़ी प्रीउ मोरा... गा.७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७ ४३४०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वीरजिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-वीरजी उत्तम जन की रीति न कीनी... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५९ ।। ४३४१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वीरजिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-साहिब वीर जी हो मेरी तनुकि... गा. ३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५९ खरतरगच्छ साहित्य कोश 319 For Personal & Private Use Only Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३४२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वीरजिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - हम तुम्ह वीर जी क्युं प्रीति... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५८ ४३४३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वीरजिन गीत बीकानेर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,‘आदि-भाव भगतिधरि आवउ सहियरि... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५८ ४३४४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- सुख लोभी प्राणी सांभलउ जी... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९० ४३४५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, शंखेश्वर पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, — आदि-करिवउ तीरथ तउ मूंकी रथ... गा. ५', ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २९०६३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५० ४३४६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, शंखेश्वर पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पासजी की मूरति मो मन भाई... गा. ४', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५१ ४३४७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, शत्रुञ्जय तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिमन मोहे सखि गरुयइ... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५ ४३४८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, शत्रुञ्जय तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसांभलि हे सखि सांभलि मोरी... गा. , मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४ ४३४९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, शत्रुञ्जय यात्रा मनोरथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-सखी आणुं हे नालेर... अपूर्ण', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९ ४३५०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, शालिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि– मुनिवर विहरण पांगुर्याजी... गा. १७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६८ ४३५१. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, सनत्कुमार मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिजी हो सोहम इंद प्रसंसियउ... गा. ७', ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २९८१३, मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७३ ४३५२. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, सहस्रफणा पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-देखऊ माई पूजा मेरे प्रभुजी... गा. ६', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५१ ४३५३. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, सांई नाम संभारो गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- आली मत आप परवसि पारइ... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०५ ४३५४. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, सीखामण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-घर छोड़ि परदेसि भमइ... गा. ७', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९६ ४३५५. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, सीता सती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - जब कहइ तुझ वनवास रे... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८१ 320 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३५६. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, सीता सती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि लखमणजी वीर जी रो... गा. ९', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८२ ४३५७. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, सुदर्शन सेठ सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, आदि-जी ___हो कूड कपट तिहां केलवी... गा. १६', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१९ ४३५८. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, सुमतिनाथ गीत बीकानेर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चउमुख तीन त्रिभूमिया... गा. ५', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४ ४३५९. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि स्थूलिभद्र न्यारी भांति तिहारी... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७७ ४३६०. जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, स्पर्धा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कहा कोउ होर करउ काहू को... गा. ३', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०२ ४३६१. जिनलब्धिसूरि / जिनहर्षसूरि आद्य., दशवैकालिकसूत्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुखदायक लायक सुगुण..., अन्त-थिर दौलतियां थायेछे...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २७२७ ४३६२. जिनलब्धिसूरि / जिनहर्षसूरि आद्य., मौन एकादशी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१८वीं, 'गा. २६', अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर ४३६३. जिनलब्धिसूरि /जिनहर्षसूरि आद्य., सामायिक ३२ दूषण कथन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, _ 'आदि-भवियण उपगारह भणी... गा. ३५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३३३) ४३६४. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, अजितजिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सुगुण अजित जिनवर गुण... गा. ३', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७५५६ ४३६५. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, अजितजिन स्तुति, स्तुति, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि विश्वनायक लायकः... गा. ४', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६०११ ४३६६. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, आबू स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. १९', • 'अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४३६७. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि __ ऋषभ जिणंद सुख कंद... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१२) ४३६८. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि ___दादोजी परतिख... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०२ ४३६९. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४३७०. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८१७, आज आणंद धन ऊमट्यो रे... ९, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९७) 321 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३७१. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___'आदि-जिन मंदिर जयकार ऐसे... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२६) ४३७२. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ 'आदि-जिन मन्दिर जयनगर... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२९६) ४३७३. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, जिनकुशलसूरि आरती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय सद्गुरु... ५', दादागुरु भजनावली, पृ. ३८६ ४३७४. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-कीजे छै कर जोडने... गा. १७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६५ ४३७५. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-जय जय श्री जिनकुशल... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६६ ४३७६. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दादो जी परतिख देवता... गा.५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुरं ३१२२५.(२५३) ४३७७. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरीसरु रे... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६६ ४३७८. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-सेवकां निवाजे हो... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६७ ४३७९. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, यु. जिनदत्तसूरि आरती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय सद्गुरु... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०६ ४३८०. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, जैसलमेर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८१७, अ., ह. वृद्धिचंद्र संग्रह, जैसलमेर ४३८१. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, नवरंग पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२७ सूरत, 'आदि-नवखंडा प्रभु मुझ वीनती... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१८८) ४३८२. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मांहरै भलै रै ऊगो दिन... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (३८) ४३८३. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, पद्म प्रभु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि ___ पदम प्रभु जिन ताहरो... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१३) ४३८४. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि जोरी थारी कौन जुरेगो... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (५८) ४३८५. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि पूजो पास जिणेसर प्यारो... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९९) 322 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३८६. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि विनय सजी ने साहिबा जी वीनb... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९८) ४३८७. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि सहस्रफणा प्रभुपासजी... गा.९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१८७) ४३८८. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि __ चित्त सेवा प्रभु चरण की... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१६) ४३८९. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि म्हारे भलै रे उग्यो द्याड़ो आज नो रे... गा.५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१९९) ४३९०. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, राणकपुर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२१, अ. ४३९१. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८१७, 'आदि-धन धन थुनौ पाटण...', मु., जैन लेख संग्रह भाग–३, जैसलमेर ४३९२. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वाल्हा आज सफल दिन ऊगीयो... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (८८) ४३९३. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वाल्हा सांभलि सेवक वीनती... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९४) ४३९४. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, वरकाणा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२१, 'आदि-वरकाणा प्रभु थारे भांमणै... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१००) ४३९५. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२६, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४३९६. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि · शान्ति कांति दांति सोहै... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१५) ४३९७. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, सुपार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि सामी सुपास सदा सुखदाई... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१४) ४३९८. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, सूरत प्रतिष्ठा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२८, मु., सूरत नो जैन इतिहास ४३९९. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, सूरत सहस्रफणा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२७, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर । ४४००. जिनलाभसूरि / जिनभक्तिसूरि, होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हो होरी के खिलैया... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२९७) खरतरगच्छ साहित्य कोश 323 For Personal & Private Use Only Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४०१. जिनविजयसेनसूरि / जिनरत्नसूरि, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदिगुरुदेव अब तो... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८२ गीत स्तवन, हिन्दी, गीत स्तवन, हिन्दी, हिन्दी, ४४०२. जिनविजयसेनसूरि / जिनरत्नसूरि, जिनरङ्ग, जिनकुशलसूरि स्तवन, २१वीं, 'आदि-मैं वारि जाऊँ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६८ ४४०३. जिनविजयसेनसूरि / जिनरत्नसूरि, जिनरङ्ग, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-मैं वारि जाऊँ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६९ ४४०४. जिनविजयसेनसूरि / जिनरत्नसूरि, जिनरङ्ग, जिनकुशलसूरि स्तवन, २१वीं, 'आदि-मैं वारि जाऊँ... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६९ ४४०५. जिनविजयसेनसूरि / जिनरत्नसूरि, जिनरङ्ग, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, २१वीं, "आदि-सद्गुरु ने राखी... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६९ ४४०६. जिनविजयसेनसूरि / जिनरत्नसूरि, रङ्गसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ' आदि - गुरु चन्द कहाने... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२२ ४४०७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अध्यात्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - ज्ञान धरौ चित मांही... गा. ५', मु., अभय ग्र., , बीकानेर गीत स्तवन, ४४०८. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्म प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-विवेकी मन शुद्ध समता... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४०९. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्म शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि- चतुर नर चेतो रे... गा. ४', अ. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४४१०. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्म दुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-सुण सुहटड़ा... गा. ३', अ. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४४११. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-सेवो सेवो अहनिशि आदिदेव... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४१२. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आज भले जिन को मुख देख्यो... गा. २', अभय ग्र., , बीकानेर ४४१३. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ' आदि-तूं मेरे स्वामी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४४१४. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि–देख्यो दरसण... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ 324 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४१५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, पारसी., १७वीं-१८वीं, आदि-अवल आंसल आदीश्वरा... गा. २१', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४४१६. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आबू गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-आबू तीरथ परगडौ... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, प्रति नं. १४८१ ४४१७. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़,आर्द्रकुमार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-धन धन आर्द्रकुमार... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४१८. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आलवणा गर्भित सीमन्धर वीनती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९८ सिवाणा, आदि-श्री जग जीवन जगत्र गुरु... गा. ७०', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४४१९. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आशा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आशा सफल फली... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४२०. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, उच्चनगर शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-संत करण सामी सोलमउरे लाल... गा. २१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४४२१. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-चालौ नाभिको नन्दन...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४२२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कंसारी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आज सफल दिवस भयो मेरो... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४२३. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कामिनी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं; 'आदि-कामिणी नयन तीखे... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४२४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, काया गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-कहु तन धन की... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४२५. जिनसमुद्रसूरि( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कुमति निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सद्गुरु की वाणी सुनो... गा. १४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४२६. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, केशी पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि हो मुनिवर धन... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, १४८१ 325 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४२७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कौंता मण्डन श्रेयांस धर्मनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-प्रभु मूरति सूरति अजब विराजे... गा. ३', अ. अभय ग्र., बीकानेर ४४२८. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गाजीपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आनंद भयो जग पास जिणेसर... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४२९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गाजीपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-सकल सदा फल पुरण होए... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४३०. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गाजीपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०२, 'आदि-सहियाँ मोरी पास जिणंद जुहार... गा. १९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४३१. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गाजीपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन.. राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - हो जिणंद जी मोही... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४३२. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गुरु वन्दन विधि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि- सिरि वीर पद दिणयर... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४३३. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गुर्वावली सज्झाय, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ' आदि - सरसति सांमण वीनवुं रे... गा. २८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४४३४. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि - महर करौ गौडीचा धणी... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४३५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि -आज सफल दिन सफल धरो री... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४३६. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि- गाजइ प्रभु गौडी धणी... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १५८१ ४४३७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - दूर देश थी आविया... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 326 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४३८. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पास गौड़ी धणी... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४३९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-प्रभु पास जिणेसर जगी राजइ... गा.६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ___ ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४४०. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-भाव भले प्रभु भेटिया... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४४१. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री गौडीपुर सिरतिलो... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४४२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, घंघाणी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सहियाँ मोरी वामानन्दन... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४४३. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, घंघाणी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सैयां मोरी वन्दन... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४४४४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चन्दन बाला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-वीर जिणंद अभिग्रह धरी रे... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४४४५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चन्द्रप्रभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-उत्तुंग तोरण... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१.. ४४४६. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन छप्पन रागगर्भित, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री चिन्तामणि पास नमो नितु... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, प्रति नं. १४८१ ४४४७. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चेतना सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-वीर जिणेसर वान्दवा रे... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४४४८. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चैत्य परिपाटी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जगगुरु श्री महावीर जी... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ 327 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४४९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस जिन अन्तर गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्रीश्रुतदेवि नमी करि... गा. २५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४५०. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस जिन नाम स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७१३, आदि-पास जिनेश्वर तूं जयो... गा. १९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ___ ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१, विनय. प्रतिलिपि ४४५१. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस दण्डक गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पणमिय वीर जिणेसर पाय... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४५२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनकुशलसूरि पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सेवो चित लाई... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर . ४४५३. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि अवदात, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं सिवाणा, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४५४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-आज फल्यो म्हारइं आंबलो रे...७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ३१६ ४४५५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-तूंही तूंही ध्यान तुहारो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४५६. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-ते अपनो विरुद श्रीजिनचन्द सूरिन्द को... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४५७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७१२, आदि-परम संवेगी परगडो रे... गा. १३', अ. ४४५८. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'सकल भविक जन सांभलो रे...७', मु. ४४५९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सुगुरु मेरी हो सद्गुरु पूरण... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४६०. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनप्रतिमा स्थापना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जिनजी की मुरति जिन जिम दीसे... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 328 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४६१. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनप्रतिमा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं-१८वीं, आदि–पर उपगारी जिनवर देव... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४६२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनाशय द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१७वीं-१८वीं, 'आदि-हमारै माई इण जिनवर सुं... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४६३. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़ , जिनेश्वरसूरि गीत, ऐतिहासिक, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सुरि सिरोमणि गुणनिलो... गा. २०', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३१४ ४४६४. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जीव रे तूं चेत... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४४६५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जीरायलि पार्श्वनाथ ६१ नाम गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-वीनती एक अवधारौ... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४६६. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जीरावला पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री जीरावला पासजी रे... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४६७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जीरावला पार्श्वनाथ स्तवन, गीत :: स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'गा. ११', अ. ४४६८. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, ज्ञान पंचमी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-म्हांको साहिबियो प्रभु सांचो... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि, ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४६९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, तम्बाकू परिहार गीत, गीत स्तवन, ___ राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-ज्ञान तणी वाणी सुणो... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४७०. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, थंभण पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-श्री थंभणपुर पास... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४७१. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नवकार मन्त्र पद, गीत स्तवन, .... राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-जप रे जीव जाप जाप... गा. ३', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६०३४ ४४७२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जिनवर सफल दरस थयो... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 329 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४७३. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि चौमासा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्रावण आज सुहामणो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ | ४४७४. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ गिरनार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-अरे लाल समुद्रविजय कुल चन्दलो... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४७५. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि मेरे मन मइ वसिए... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४४७६. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री यदुपति तोरण आया... गा. १५', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२२६ ४४७७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-प्रभु वंदन राजिमती रे हाँ... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४४७८. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि–प्रीति की रीति न जाणि हो... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४७९. जिनसमुद्रसूरि( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राज़िमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-मेरो नेमि रङ्गीलो आवइ... गा. ६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४८०. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि–मोहन लाल आवत देखो री... गा. २', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४८१. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि गड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सखी आज सबै वंछित फलीया... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४८२. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सुगुण सनेही साँवला... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४८३. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-हस हस इण रस खेलूंगी... गा. १६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 330 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४८४. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बगड़ , नेमि राजिमती द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-ते मन मोसु चोर्यो... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४८५. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-प्रीयु पति कहे राज लगार... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४८६. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मेरे हो नेमिजिणंद सुप्रेम... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४८७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि-एवड़उ ज्ञान करउ छौ... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४८८. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि-जिनजी की मुरति जिन जिम दीसे... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४४८९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि-ज्ञान धरउ चित मांही... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, : गुटका नं. ४१५ ४४९०. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि-तूं कहा चिन्त करती... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ . ४४९१. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं . १८वीं, 'आदि-भलै रावण नित्य वणावै... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६०, ३८ ४४९२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि-मेरो मन श्याम भजन... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ . ४४९३. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि हे मन तज तूं तात पराई... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४९४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ गीत, गीत्त स्तवन, राजस्थानी, ___१७वीं-१८वीं, 'आदि-पुरिसादाणी हो... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 331 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४९५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-पुरिसादाणी हो पास जुहारियइ... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४४९६. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पालनपुर पार्श्वविहार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-मेरे मन मान्यो हो पास... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४९७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पूजा द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४९८. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पाप श्रमण द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-इण जूंन पाप श्रमण... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४४९९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-ते मूरिख जिन बाउरे... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५००. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मूरिख प्राणियों माया मद... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५०१. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रसन्न चन्द्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-गावौ अपछरा ज्ञान... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५०२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, बाहड़मेर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-पास जिन आस पूरउ... गा. २५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५०३. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, बाहुबली सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'गा. १५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ।। ४५०४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, भरत सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सजी वेष अरीसा तणइ... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४५०५. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मनड़ा तूं होई साहेब सूं राजी... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५०६. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, महावीर पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मूरति सूरति की... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५०७. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, माया द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-देखो मूरख प्राणिया... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 332 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५०८. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मुक्ति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-पाऊं पाऊ हो तो मुगति पुरी... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५०९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मृगावती सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-वीर वन्दन रवी चन्दमा हाँ... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ४५१०. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मेघ नृप पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मेघ महानृप... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४५११. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मेघ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं-१८वीं, 'गा. ५' अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५१२. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मेघराज द्रुपदी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३२, ‘गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५१३. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मेघ वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५१४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मौन एकादशी स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-श्री अरदिक्षा नमिजिन महिमा... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४५१५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मौन एकादशी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-समवसरण बैठा जिनराज... गा. १८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४५१६. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मौन एकादशी स्तवन, गीत स्तवन, . राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सुध्रम गण विधि संघ... गा. ४५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४५१७. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, यदुपति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-खेलति है होरी हो... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५१८. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, राग द्वेष परिहार द्रुपद, गीत स्तवन, - राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-रागन द्वेष करो मत को... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५१९. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, राडद्रह स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-राडिद्रहे प्रभु भेटीये... गा. १५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, मुटका नं. ४१५, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४५२०: जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रात्रिभोजन सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'गा. २०', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 333 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५२१. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रोहिणी ज्ञान पंचमी पद्मप्रभु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं सूरत, 'आदि-अरे लाल श्री वासुपुज्य नमी करी... १८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९४६ ४५२२. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, लौद्रवपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-लौद्रपुर अतिसोहतो रे... गा.९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४५२३. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, विघ्नहरण महेवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री सहू या में महिमा घणी... गा. १६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५२४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, विमलाचल द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-देख्यो दरसण विमलाचल तणो... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५२५. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीतराग पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-अब मोहे महर करो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४५२६. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीर गोचरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि–वीर जिणंद अभिग्रह धरी... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५२७. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्वतन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-उमाहौ छै अति घणउ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५२८. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शत्रुञ्जय गिरनार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२४, 'आदि-अरे लाल धिग धिग... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५२९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शत्रुञ्जय गिरनार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२४, 'आदि-श्री शत्रुञ्जय गिरनार बे... गा. ५९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५३०. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़,शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री आदीश्वर भेटियइ... गा. १६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., __ जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४५३१. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़,शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७१९, आदि-श्री शत्रुञ्जयगिरि भेटियइ... गा. ४८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 334 खरतरगच्छ साहित्य कोश । For Personal & Private Use Only Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५३२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, श्रेयांस पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-संजम ले प्रभु रिसह नाह... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४५३३. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, षट्कर्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-रे विवेकी प्राणी... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५३४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सम्यक्त्व गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-ए समकित नित... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४५३५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सवैया चौवीस, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-कठिन करे इसे आचारज... गा. २४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५३६. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सांचोर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री सांचोर मण्डन... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५३७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सात व्यसन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-समवसरण बैठे... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., .जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५३८. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सिवाणा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री समीयाण मण्डन पास... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५३९. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सीमन्धर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, .१७वीं, 'आदि-उमाहौ मन में घणउ... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ४५४०. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'गा. ५९', अ., ह. रामलालजी, बीकानेर ४५४१. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सूरत पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं सूरत, 'आदि-सुन्दर मूरति अजब दीदार... गा. ५', अ., ह. .जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४५४२. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सूरियाभ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-करत नृत्य सूरियाभ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१, अभय ग्र., बीकानेर 335 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५४३. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सूरियाभ नृत्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सूरियाभ नाटक सुं करे... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५४४. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सेरिसा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्रुतदेवी रे प्रणमी मन शुद्धभाव सुं... गा. १५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१ ४५४५. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सोजत पार्श्ववीर शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आज सखि शंखेश्वरौ... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ . ४५४६. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सोलह सती सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सोल सति ना नाम जपु नित... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५४७. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी १७वीं-१८वीं, 'आदि-कामिनी काम विकार... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१, अभय ग्र., बीकानेर ४५४८. जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-गुणनी तूं छोड़... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१, अभय ग्र., बीकानेर ४५४९. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-लाल असाड़ा आवन्दा है... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ४५५०. जिनसमुद्रसूरि ( महिमसमुद्र) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्वार्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-हइ सबको स्वारथ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१, अभय ग्र., बीकानेर ४५५१. जिनसागरसूरि / जिनसिंहसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८२, ___ आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ४५५२. जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, अष्टमीतिथि स्तुति, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, आदि-चोवीसे जिनवर... गा. ४', मु., पंचप्रतिक्रमण सूत्र ४५५३. जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्री नाभिनरेसर नंदनांजी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (६९) ४५५४. जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि किहां किहना मिल मिलनै महिमा करै... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ 336 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५५५. जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जैसलमेर चैत्यपरिपाटी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७७१, आदि-जिनवर जेसल जुहारियै... गा. २२', मु., जैन लेख संग्रह भाग–३, जैसलमेर ४५५६. जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, भाभा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५५७. जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, शत्रुञ्जय यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६५, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५५८. जिनसुखसूरि / जिनचन्द्रसूरि, स्तंभन पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४५५९. जिनसुन्दरसूरि / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पास जिणंद मन मोह्यो... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४५६०. जिनसुन्दरसूरि / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ मेघराजा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मनमोहन पास सुहामणा... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४५६१. जिनसुन्दरसूरि / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, बालेवा मण्डन ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री शारद प्रणमी करी... गा. २५', अ., ह., विनय. प्रतिलिपि ४५६२. जिनसुन्दरसूरि / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, रायणपुर आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी १७४३ सादड़ी, अः, ह., जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४५६३. जिनसुन्दरसूरि / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, विघ्न हरण पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मोहन मूरति हो प्यारी जिनजी ताहरी... गा. ९', अ., ह., विनय. प्रतिलिपि ४५६४. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, चौहद पूर्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८९६ बालूचर, अ. ४५६५. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं २०वीं, 'आदि-कुशलसूरिंद गुरु ध्यान... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७० ४५६६. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं ... २०वीं, 'आदि-गुरु पूज रचो रे... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७० ४५६७. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं . २०वीं, आदि-पटोधर गुरु... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७१ ४५६८. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं २०वीं, आदि-मैं बलिहारी गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७१ ४५६९. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं 'आदि-वीनतडी सुण... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७२ ४५७०. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९११, _ 'आदि-श्री जिनकुशल सूरिंद... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७२ खरतरगच्छ साहित्य कोश 337 For Personal & Private Use Only Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५७१. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं २०वीं, 'आदि-सुगुरुजी सेवक... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७३ ४५७२. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं २०वीं, 'आदि-पूजो भजोरे भई... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६४ ४५७३. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं __ २०वीं, 'आदि-सद्गुरु के चरण... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६५ ४५७४. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८९५ बालूचर, अ. ४५७५. जिनसौभाग्यसूरि / जिनहर्षसूरि, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८९५, अ. ४५७६. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-गुणी ज्ञानी दाता... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२८ ४५७७. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, ___ 'आदि-क्या है अपूर्व दर्शन... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०२ . ४५७८. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, ___ 'आदि दर्शन दो श्री... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०३ ४५७९. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-दादा देव दयालु... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०३ ४५८०. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, चतुर्दादा दोहा, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, ___ 'आदि-सद्गुरु सुख... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७६ ४५८१. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनकुशलसूरि आरती, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-जय जय गुरुदेवा... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८७ ४५८२. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं ___ २१वीं, 'आदि-आपके दर्शन बिना... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७३ ४५८३. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं २१वीं, 'आदि-कुशल करना कुशल... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७४ ४५८४. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९८९ भानुपुर, 'आदि-कुशल गुरुदेव है... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७४ ४५८५. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं २१वीं, 'आदि-कुशल गुरुराज जय... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७५ ४५८६. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९८७, ___'आदि-दर्शन दीजोजी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७६ ४५८७. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं २१वीं, आदि-शताब्दी चौदहवीं... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७६ 338 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५८८. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनदत्तसूरि अष्टक, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, _ 'आदि-साधु वेष में पासत्थों... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३ ४५८९. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-आरती हर गुरु... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०७ ४५९०. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, _ 'आदि-अति पुण्य नाम... गा. १४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६५ ४५९१. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-दातार मेरे प्यारे... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६६ ४५९२. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, _ 'आदि-परम गुरु सेवा पाई... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६७ ४५९३. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७३, 'आदि-श्री जिनदत्त सूरीश्वर... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६७ ४५९४. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-श्री दादा गुरु का... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६८ ४५९५. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७४, _ 'आदि-श्री सद्गुरु तुम... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६८ ४५९६. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि आरती, गीत स्तवन, हिन्दी, - २०वीं, आदि-जय जय मणिधारी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४१ ४५९७. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, यु. जिनचन्द्रसूरि आरती, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ___ 'आदि-जय जय गुरु... गा. ३', मु. दादागुरु भजनावली, पृ. ४५८ ४५९८. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-जय जय हो... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२४ ४५९९. जिनहरिसागरसूरि / भगवानसागरजी, महावीर २७ भव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४८८ ४६००. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, अजितनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि अजित जिणेसर माहरो रे लाल... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १६८ ४६०१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, अजितनाथ स्तवन तारंगामण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १८वीं, 'आदि-मन मां हंस हुंती घणी रे लाल... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १६९ ४६०२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आत्मप्रबोध स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुणि प्राणी रे तुझ कहुं एक बात... गा. १०', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७१ 339 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६०३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, अद्बुदनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि - अद्बुदनाथ जुहारीयइ रे... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १४३ ४६०४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, अनन्तनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमैं तेरी प्रीत पिछानी हो प्रभु... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७५ ४६०५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, अरहन्त्रक मुनि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- वहिरण वेला हो रिषिजी पांगर्या ... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४५८ ४६०६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ बृहत् स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३८ राधनपुर, — आदि-सरसति सामिणि पाय नमुं रे... गा. २८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १५१ ४६०७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ आलोयणा स्तवन शत्रुञ्जय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि-सुण जिनवर सेतुंजा धणी रे... गा. १९, मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १४७ ४६०८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ सलोको, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिप्रणमं सरसति सुमति दातारो... गा. १५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १६६ ४६०९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिआदि जिणेसर आज निहाल्या... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १५७ ४६१०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिआदिजिन जाऊं हूँ बलिहारी... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १५८ ४६११. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिरिषभ जिणेसर स्वामि... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १५९ ४६१२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिरिषभ जिन भावई भेंटीयइ... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १५६ ४६१३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिम्हारा मन ना मान्यारे साहिबा ... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १६० ४६१४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिम्हेतो साहिबां रे चरणे आया... गा. २१', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १६१ ४६१५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिविमलाचल साहिब सांभलउ... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १६४ ४६१६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन धुलेवा मण्डन, गीत स्तवन, , राजस्थानी, १८वीं, ' आदि-जिन तेरी छाय रही है महिमा... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १६५ ४६१७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि-अम्मां मोरी सांभल बात है... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १५० 340 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६१८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ चौमुख विमलाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-खरतर वसही आदि जिणंद... गा. १७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १४० ४६१९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जी हो आज मनोरथ माहरा ... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १३३ ४६२०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-राति दिवस सूतां जागतां... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १३१ ४६२१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिलागइ-लागइ हो विमालचल... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४२ ४६२२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - श्री विमलाचल ऋषभ निहाल्या... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १२६ ४६२३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, , गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री विमलाचल गुणनिलउ... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १२७ ४६२४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री विमलाचल गुणनिलउ रे लो... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १३५ ४६२५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - श्री विमलाचल मण्डन रिषभ जी... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १३२ ४६२६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री विमलाचल सिखर विराजइ... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १४६ ४६२७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- आज मई गिरिराज भेट्यउ... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १३६ ४६२८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, • १८वीं, 'आदि-प्रथम जिणेसर आदिनाथ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १४२ ४६२९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- रिषभ जिणेसर अलवेसर जयउ... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १३८ ४६३०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- म्हारां साहिबा रे सोरठ देश... गा. १४', , मु., , जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १२९ ४६३१ : जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - वंदु रिषभ जिणंद विमलाचल नउ... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १३७ ४६३२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-विमलगिरि तीरथ भेटीयइ जी... गा. ७', मु., ,जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १३९ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 341 w Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६३३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१८वीं, 'आदि-विमलाचल तीरथ वासी जी... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १४५ ४६३४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-श्रावक सहु कोई आगलि... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १२८ ४६३५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुणि शत्रुञ्जय सामी रे...७', मु. ४६३६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, आदिनाथ स्तवन सोवनगिरि मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि–प्रथम जिणेसर प्रणमीये रे... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १४९ ४६३७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, उत्तराध्ययन सूत्र १६ अध्ययन सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, आदि-श्री नेमिसर चरण युग...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७५४८ ४६३८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, उरसीउ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-उरसीउ ____ आणि हे सखी... गा. २', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२६ .. ४६३९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, कलियुग आख्यान, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि ___ सतजुग मां बलराजा थयउ... गा. ३४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४४२ ४६४०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, काकंदी धन्नार्षि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि–वीर तणी सुणि देशना... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४५६ ४६४१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, काया जीव स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-काया सलूणी वीरवे... गा. २', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७५ ४६४२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, गजसुकुमाल मुनि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-गजसुकुमाल वइरागियउ... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४५७ ४६४३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, गजसुकुमालमुनि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-वासदेव हेव उच्छव करे... गा. १४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५१६ ४६४४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, गणेशजी रो छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि संपत्ति पूरै सेवकां... गा. २९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३९५ ४६४५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं जयतारण, 'आदि-मनडो उमाह्यउ... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०४ ४६४६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, गूढ प्रहेलिका, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___ पढमक्खर विण सखर... गा. १', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५३६ ४६४७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, गौतम पंचपरमेष्ठि २४ जिन छप्पय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुखकरण दुःखहरण सुजस धावण... गा. ६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५९ 342 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Fiwate Use Only Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६४८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, गौतम स्वामी छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि नामे नवनिधि होय... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३७५ ४६४९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, गौतम स्वामी पचीसी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-धण पुर गुब्बर गाम... गा. २५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २६८ ४६५०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, गौतम स्वामी स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मन वंछित कमला आइ मिलइ... गा. १५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३७५ ४६५१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, ग्यारह गणधर पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि प्रात समै उठि प्रणमीयै... गा. ४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३७९ ४६५२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, ग्यारह गणधर स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-गणधर इग्यारे गाइये... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३७८ ४६५३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चउवीस जिन २० विहरमान ४ साश्वत जिननाम स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-रिषभनाथ सीमंधर स्वामी... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३२४ ४६५४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चउवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चउवीसे जिनवर ना पाय नमूं... गा. २८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३२६ ४६५५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चउवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पहिलउ प्रणमुं आदि जिणंद... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३२५ ४६५६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चउवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि–पहिलो आदि जिणंद... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३० ४६५७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चउवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रथम जिणेसर रिषभनाथ... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३२१ ४६५८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चउवीस जिन स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ “आदि-जप रे तुं चौवीसे जिनराया... गा. ४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ: ३२९ ४६५९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चतुर्विंशति जिन बोधक नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री नाभेय नमूं सदा... गा. २५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३१९ ४६६०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि–रिषभ अजित अभिवंदीयइ... गा. १९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३१८ ४६६१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चतुर्विध धर्म स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-जीवड़ा कीजे रे धरम सुं प्रीतड़ी... गा. ६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७० ४६६२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चन्द्रप्रभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-श्री चन्द्रप्रभ स्वामी शिवगामी... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७४ 343 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६६३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चिलाती पुत्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि– साधु चिलातीपुत्र गाईयइ... गा. ३०', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४४९ ४६६४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चौबोली कथा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिसभा पूरि विक्रम्म... गा. २१', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४३६ ४६६५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पहिलो आदि जिणंद... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३० ४६६६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, छ आरा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिवीर कहे गोतम सुणो...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग–३, पृ. ११७८ ४६६७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, छप्पय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-हरखे किस्युं गमार देश धन... गा. २', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५१९ ४६६८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सद्गुरु सुणि अरदास हो... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५४, दादागुरु भजनावली, पृ. २७७ ४६६९. जिनहर्षगणि/ शान्तिहर्ष गणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- हूं तो आयो भाव... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७९ ४६७०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - वारी जाऊं गुरु राय... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ६७ ४६७१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जिनदर्शन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सखी री आज सफल जमवारउ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, मृ. ३४६ ४६७२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जिन पूजा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - जिनवर पूजउ मेरी माई... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४७ ४६७३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जिन वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिकृपानिधि अब मुझ महिर करीजो... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४९ ४६७४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जिन वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - जगत प्रभु जगतन कउ उपगारी ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४९ ४६७५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जिन वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि– जिणंदराय हमकुं तारउ तारउ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४९ ४६७६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-भजि भजि रे मन तूं दीनदयाल... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४० ४६७७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जिनेन्द्र प्रीति प्रेरणा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मन रे प्रीति जिणंदसुं कीजइ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५० 344 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६७८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जीव काया स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - काया कामिणी वीनवेजी... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७२ ४६७९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, जीव प्रबोध स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सुणि रे चंचल जीवड़ा... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४६९ ४६८०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, ज्ञातासूत्र स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३६ पाटण, 'अन्त - सतरई छत्रीसई समइ... गा. १९', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - २, पृ. ८५ ४६८१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, ढंढणकुमार स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - ढंढण रिषि ने वंदना हुं वारी... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४४८ ४६८२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, तेरह काठिया स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सांभलि प्राणी सुगुण सनेह... गा. १५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७९ ४६८३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, तेतीस गुरु आशातना स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-गुरु आसातना जाणिवा ... गा. १९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४८२ ४६८४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, दसवैकालिक १० अध्ययन स्वाध्याय, राजस्थानी, १७३७ मेड़ता, 'आदि-धरम सहू मंगलीकमई... गा. २०८, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११४९ गीत स्तवन, ४६८५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, दादाजी जैतारण थंभगीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३५, ' आदि - मनडौ उमाहउ सदा माहरउ... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३९३ ४६८६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, दुर्जानोपरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिनयन कुं देखो नाहि... गा. २', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४०२ ४६८७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, देवीजी री स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिपारंभ करी परमेसरी... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३९८ ४६८८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नवग्रह मंदोदरी वाक्य स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, ` १८वीं, 'आदि-जिणि आदी तुम्ह सीखडी जी... गा. १४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४६४ ४६८९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नन्दिषेण मुनि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-वहिरण वेला पांगुरया रे हां... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४५९ ४६९०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नववाड स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२८, 'आदिश्री नेमिसर चरण युग... गा. ९८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४९८ ४६९१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नारी प्रीति स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मन भोला नारी न रचिये रे... गा. १४ ', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७३ ४६९२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, निरंजन खोज, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिखोजइ कहा निरंजन बोरे... गा. ४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५१ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 345 Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६९३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमिनाथ बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३२, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ४६९४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमिनाथ लेख गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-स्वस्ति श्री जिनपय प्रणमी करी... गा. १९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २०० ४६९५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि __ आज सफल अवतार... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९३ ४६९६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___नयन सलुणा हो साहिब नेमजी... गा. २१', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९० । ४६९७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि–पाइ परूं वीनती करूं... गा. ५', अ. ४६९८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्री नेमिसर स्वामी मेरी अरज... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९२ ४६९९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि __ऊभी राजुलदे राणी अरज करैछ... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९४ ४७००. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि __कांई रीसाणा हो नेम नगीना... ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९७ . ४७०१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि जब म्हारो साहिब तोरण आयौ... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९६ ४७०२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि ___ नाहलीया निसनेह कि पाछा... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९७।। ४७०३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि निगुण निरागी नाहलउ... गा. ५', अ. ४७०४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि नेमि कांइ फिर चाल्यो हो... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २०७ ४७०५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___पंथीयडा कहे रे संदेसडो... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९५ ४७०६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि राजुल कहे रागइं भरी सनेही... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २०६ ४७०७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि राजुल वीनवे हो राजि पुण्यइ में... गा. ६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २०५ ४७०८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि वीनवइ राजुल बाल वीनतड़ी... गा. ४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १९९ 346 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७०९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि स्युं कीधउ इण जादवइ मां मोरी रे... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २०३ ४७१०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि होजी रथ फेरी चाल्या जादुराई... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २०७ ४७११. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-कहिजो संदसो नेम नै... गा. १५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २१ ४७१२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-राणी राजुल इण परि वीनवे... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २०९ ४७१३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-वैसाखां वन मोरिया... गा. १५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २०० ४७१४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सरसति सामिणी वीन... गा. १६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २१५ ४७१५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-सावण मास घनाघन वास... गा. १२', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २११ ४७१६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती बारहमासा सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-घनघोर घटा घन की उनई... गा. १२', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५३४ ४७१७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजिमती स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अरज सुणौ सहेलीयां रे लाल... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ४७१८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजुल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ____नेमि काहे कुं दु:ख दीनउ हो... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४३ ४७१९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजुल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि ___पावस विरहिणी न सुहाइ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४३ ४७२०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजुल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि पियाजी आय मिलउ एक बेर... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४३ ४७२१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजुल बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___'आदि-घनधोर घटा घन की उनई... गा. १२', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५३४ । ४७२२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, नेमि राजुल बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पीउ चाल्यो हे पद्मणी... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २१७ ४७२३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पंच इंन्द्रिय स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-काम अंध गजराज अगाज महाबली... गा. ६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४६६ ४७२४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पंच प्रमाद स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पंच प्रमाद निवारउ प्राणी... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७० 3470 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७२५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पंचम आरा स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि–वीर कहे गौतम सुणो... गा. २४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५१३ ४७२६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पनरह तिथि रा दूहा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___'आदि-पड़िवा पहिलै पक्ख?... गा. १५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १२२ ४७२७. जिनहर्षगणि/ शान्तिहर्ष गणि, पनरइ तिथि रा सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___'आदि-आज चले मनमोहन कंत... गा. १५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४०३ ४७२८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पनरह तिथि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पड़िवा दुरगति वाटड़ी रे... गा. १६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७८ ४७२९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, परनारी त्याग स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-सीख सुणउ प्रीउ माहरी रे... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७६ . ४७३०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ घग्घर निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुख संपत्ति दायक सुरनरनायक... गा. २८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३०९ ४७३१. जिनहर्ष / शान्तिहर्ष, पार्श्वनाथ बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्रावण पावस ऊलस्यो सखी... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३०६ ४७३२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___ अंतरजामी साहिब मोरा... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३६ ४७३३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___अमल कमल दल लोयणा हो... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २२३ ४७३४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि आज सफल अवतार... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४५ ४७३५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि उछरंग सदा आज हुआ आणंदा... गा. ४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३३ ४७३६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन अट्ठोतर सौ नाम स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री खंभाइत पास नमुं सदा... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९५ ४७३७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ दशभवर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पोतनपुर रलियामणुं रे लाल... गा. ५०', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९७ ४७३८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-आज सफल दिन माहरउ... गा. ५, मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४८ । ४७३९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-थांनइ वीनती करां छां राजि... गा. ६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४२ 348 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७४०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - मूरति मोहणगारी दिट्ठडां आवै दाय... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २२५ ४७४१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-वयण अम्हारौ लाल हीयड़ै धरीजै... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३४ ४७४२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ वृद्ध स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - अकल अजर प्रभु एणकलै... गा. १८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१७४) गीत स्तवन, ४७४३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिपरम पुरुष प्रभु पूजीयइ रे लो... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४३ ४७४४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिपरम सनेही पास... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५४ ४७४५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिपास जिणेसर तुं परमेसर... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४४ ४७४६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिपास जिणेसर वीनती रे... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४० ४७४७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिप्राण सनेही प्रीतमा ... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५६ ४७४८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिबेकर जोड़ि साहिबा अरज... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २२९ ४७४९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिभगवंत भजउ सगला भ्रम भाजइ... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४८ ४७५०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिभय भंजण श्री भगवंत जी... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३९ ४७५१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिभावइ पूजउ जी दोहिलउ नरभव... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २२८ ४७५२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमन उमायउ माहरु रे कांइ... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४७ ४७५३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमनरा मानीता साहिब पास जिणंदा... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५० ४७५४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमन रा मान्या साहिब मोरा... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २२७ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 349 Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७५५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि माहरा मन नी वातड़ी जी... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २२४ ।। ४७५६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि माहरी करणी सुगति हरणी... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३८ ४७५७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि मुखईं दीर्छ हो ताहरु पास जी... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४५ ४७५८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि मोरी वीनती एक अवधारउजी... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३१ ४७५९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि मोहन मूरति जोवतां रे... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५७ ४७६०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि म्हारा मनडुं मोह्यउ पासजी... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४९ ४७६१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि म्हारा साहिबा सुणि मोरी वीनती... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४६ ४७६२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि वामानंदन वीन→ रे... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४३ ४७६३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्री पासकुमर खेलइ वसंत... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३१ ।। ४७६४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्री पास जिणंद जुहारीयइ... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३० ४७६५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सकल मंगल सुख संपदा रे... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५० ४७६६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सखी री भेट्यां मई जिनवर... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २२६ ४७६७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सदा विराजइ सामि संखेसरो रे... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३२ ४७६८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सहीयर टोली भांभर भोली... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३० ४७६९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि साहिबा जी सुगुण सनेही पास जी... गा. १०', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २३५ ४७७०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सुगुण सनेही साहिब सांभलि... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५२ 350 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७७१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सुणि सोभागी साहिब रे लाल... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५१ ४७७२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सुन्दर रूप अनूप मूरति सोहइ हो... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २४१ ४७७३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन अजहरा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१८वीं, आदि-पो दसमी दिन जाया जगगुरु... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २८७ ४७७४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-कन्सारी मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-कंसारी पास अरज सुणहु ... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९१ ४७७५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-कलिकुण्ड मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१८वीं, 'आदि-श्री कलिकुण्ड जुहारीयइ... गा. १२', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २८६ ४७७६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-कापरहेडा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-मन मोह्यौ माहरो रे... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७२ ४७७७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-कापरहेडा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-मोरा लाल अंग सुरंगी अंगीया... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७३ ४७७८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन–कापरहेडा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-वाल्हेसर सुणि वीनति हो माहरा... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७० ४७७९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गौडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १८वीं, आदि-गुणनिधि गउड़ी पास जी... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७७ ४७८०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गौडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १८वीं, 'आदि-ते दिन गिणि स्युं हुंतउ लेखइ... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७६ ४७८१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गौडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-पिया सुंदर मूर्ति गुण सरी... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७४ ४७८२. जिमहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गौडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री गौडीचा पास जी वाल्हेसर... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७५ ४७८३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गौडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १८वीं, आदि-श्री गउडीचा पास हाँ रे... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७८ ४७८४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-चारूप मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १८वीं, 'आदि-श्री चारुपइं पास जी... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९० ४७८५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-चिन्तामणि, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१८वीं, आदि-मन मोह्यं रे श्री चिन्तामणि पास... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २८४ ४७८६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-नारङ्गपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-मूरति तेरी मोहनगारी... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९३ खरतरगच्छ साहित्य कोश 351 For Personal & Private Use Only Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७८७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन–नारङ्गपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री नारङ्गपुर वर पास जी... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९२ ४७८८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-नींबाज मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-नयर नींबाजइ दीपतउ रे...७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९४ ४७८९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-पंचासरा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-परम तीरथ पंचासरउ... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २८८ ४७९०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-पंचासरा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-पाटण पास पंचासरउ... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५३ ४७९१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन–पाली मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १८वीं, आदि-साहिबा बेकर जोडी वीनवु... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९४ ४७९२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-प्रभात मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-जागो मेरे लाल... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २२२ . . ४७९३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-फलवर्द्धि मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-आज सफल दिन मांहरो रे... अपूर्ण', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २६५ ४७९४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-फलवर्द्धि मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जपि जीहा सरसति सुर राणी... गा. ४०', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५८ ४७९५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-फलवर्द्धि मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-दरसण दीजे आपणो हुं वारी... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २६३ ४७९६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-फलवर्द्धि मंण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-दरसण दीठौ राज रौ सांमलिया... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९४ ४७९७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन–भदेवा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १८वीं, 'आदि-मूरति प्रभुनी सोहई... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २९० ४७९८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-लौद्रवपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१७३२, आदि-लौद्रपुर रलियामणो रे... गा. ७', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह ४७९९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-वाडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आजनइ मई भेट्या हो बाडी पास जी... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २८३ ४८००. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-वाडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-मनमोहन मूरति जोवतां... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २८२ ४८०१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-वाडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-साइंधण कहे कर जोडी हो व्हाला... गा. २५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २७९ 352 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८०२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-विजय चिन्तामणि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-विजय चिन्तामणि पास जुहारीयइ... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २८५ ४८०३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अंतरजामि सुण अलवेसर... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २६७ ४८०४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १८वीं, 'आदि-वणारिसी नगरी भली... गा. १४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २६७ ४८०५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सकल सुरासुर सेवइ पाय... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २६६ ४८०६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सदा विराजै सांम संखेसरै... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २६९ ४८०७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, पार्श्वनाथ स्तवन-सम्मेतशिखर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४४, आदि-तुहि नमो नमो सम्मेतशिखर गिरि... गा.६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २५८ ४८०८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-उठि कहा सोइ रहयउ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५१ ४८०९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जोवन ज्यु . नदी नीर जात... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५२ ४८१०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रभु भक्ति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रभु पद पंकज पाय के... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४७ ४८११. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रभु भक्ति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-भविकमन कमल विबोध दिणंदा... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४७ ४८१२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रभु वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि अबतउ अपणइ पास वसाउ... गा. ४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५० ४८१३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रभु वीनती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि __ जिनवर अब मोहि तारउ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४८ ४८१४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रभु शरण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि प्राण पिया के चरण सरण गहि... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४८ ४८१५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रसन्न चन्द राजर्षि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जी हो राजगृहपुर एकदा जी...७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४५२ ४८१६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रहेलिका, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-नर एको निकलंक वदन... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४१९ 353 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८१७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, प्रेमपत्री रा दूहा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिआदि- स्वस्ति श्री प्रभु प्रणमीयें... गा. १०६ ', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४०८ ४८१८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, फुटकर कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिपंचम प्रवीण वार... गा. १', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२४ ४८१९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, फुटकर दोहे, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चित्त चिंतै कांई बात... गा. १०', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४१८ ४८२०. जिनहर्षगण / शान्तिहर्ष गणि, बारहमास गर्भित जीव प्रबोध स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चेत रे तूं चेत प्राणी... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४७६ ४८२१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, बारहमास रा दूहा, बारहमासा, राजस्थानी, १८वीं, अ., ४८२२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, मंगल गीत प्रथम, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिप्रथम मंगल मन ध्याईये... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५३ ४८२३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, मंगल गीत द्वितीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिबीजउ मंगल मनि धरउ... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५३ ४८२४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, मंगल गीत तृतीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिहिवे त्रीजउ मंगल गाईये... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५४ ४८२५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, मंगल गीत चतुर्थ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिउथ मंगल नितिनमुं... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३५५ ४८२६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, मल्लिनाथ स्तवन, , गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमल्लि जिणेसर वाल्हा तुं उपगारी... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १८८ ४८२७. जिनहर्षगण / शान्तिहर्ष गणि, महावीर गौतम गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- हो वीर काहे छेह दिखायउ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४६ ४८२८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, महावीर छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिश्री सिद्धारथ कुल कमला, अन्त-धणी सीस धारीयउ... गा. ३७', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - २, पृ. ११६ ४८२९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, महावीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- त्रिभुवन राया चौवीसम जिनचन्द... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३१५ ४८३०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, महावीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सुणि जिनवर चउवीसमाजी... गा. १९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३१६ ४८३१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, मानिनी वर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमाहल्लां मालियां जोति मैं जालीयां... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२६ 354 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८३२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, माया स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि माया धूतारी मोह्यो मानवी रे... गा.६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४६८ ४८३३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, मेतारज मुनि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्रेणिक राजा तणो रे जमाई... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४५५ ४८३४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, मौन एकादशी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सयल जिणेसर पाय नमी... गा. २४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३६३ ४८३५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, यौवन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जोवन ____में राग रंग... गा. १', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२५ ४८३६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, रहनेमि राजिमती स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-नेम भणी चाली वांदिवा हो लाल... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४४७ ४८३७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, रागकरण समय कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-रसिक हीडोल राग... गा. २', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४०७ ४८३८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, रागिणी स्त्री गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि लोयण भरि निरखंत... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२६ ४८३९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, राजुल विरह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अब मई नाथ कबइ जउ पाउं... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४५ ४८४०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, राजुल विरह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-काहु सुं प्रीति न कीजइ... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४५ ४८४१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, राजुल विरह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मो ____ पइ कठिन वियोग की... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४४ ४८४२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, राजुल विरह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सखी री चन्दन दूर निवारि... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४४ ४८४३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, राजुल विरह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सखी री घोर घटा घहराई... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४५ ४८४४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, राजुल राजिमती बाहरमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पीउ चाल्यो हे पदमणी... गा. २५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. २१७ ४८४५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, राधाकृष्ण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि उमडी घनघोर घटा मन थी... गा. २', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२५ ४८४६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, वरसात का दूहा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि मनड़ौ आज उमाहियौ... गा. २०', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२२ ४८४७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, वर्षा वर्णनादि कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि–प्रथम तपइ परभात... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४०१ खरतरगच्छ साहित्य कोश 355 For Personal & Private Use Only Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८४८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, विमलाचल यात्रा उत्सुकता गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि - सखी री विमलाचल जांणु जइयई... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४२ ४८४९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, विहरमान जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - विहरमाण प्रणमुं मनरंगइ... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३९ ४८५०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, विहरमान नाम स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सीमंधर पहिलउ जिनराय... गा. ६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३८. ४८५१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, वीस स्थानक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री वीस जिणेसर भाखइ तप... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३६१ ४५५२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शत्रुञ्जय तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-शत्रुञ्जय यात्रा तणी... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १२५ ४५५३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिअबला आखै सगलां साखै... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १६५ ४५५४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिसुणि शत्रुञ्जय ना सामि रे... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १४४ ४८५५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिअचिरानन्दन चन्दन सरिखउ... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १८० ४८५६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिगुरु प्रभु सेवयइ जी... गा. ४०', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १८३ ४८५७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिपूरउ म्हारा मनडा नी आस रे... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७९ ४८५८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमन रा मानीता साहिब वंछित पूरउ... गा. ७, मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७६ ४८५९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमोहन मूरति शान्ति जिणेसर... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १८२ ४८६०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिशान्ति जिणेसर राया हुं तो... गा. ६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १८८ ४८६१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिशान्ति जिणेसर वीनती... गा. ८', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७५ ४८६२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिशान्ति जिणेसर साहिबा सांभलउ हो... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १८१ 356 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८६३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ____ समकित दायक सोलमा रे... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७८ ४८६४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सोलम संतीसर राया रे... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७७ ४८६५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, श्रावक करणी स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-श्रावक ऊठे तुं परभाति... गा. २२', जे. २९८१३, जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५२० ४८६६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, श्रुतकेवली पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्रुतकेवली नमूं प्रह समै... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३७९ ४८६७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, संभवनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि निशि दिन हो प्रभु... गा.७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७० ४८६८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, संभवनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सुखदायक संभव जिन सेवीयइ... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७१ ४८६९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सगा सज्जनोपरि कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सरवर जल तरु छांहडी... गा. १', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४०३ ४८७०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सतयुग के साथ गये, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-रयणि खाणि नहीं काय... गा. १', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२४ ।। ४८७१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सती राजिमती स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-कांई रीसाणा हो नेम नगीना... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५१५ ४८७२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सती सीता स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जल जलती मिलती घणी रे लाल... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४६१ ४८७३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सती सीता स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ____ 'आदि-धीज करे पावक नउ जानकी... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४६२ ४८७४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सती सुभद्रा स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-शील सलूणी सुभद्रा सती रे... गा. १६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४६३ ४८७५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-तुंही नमो नमो समेतशिखर गिरि...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ११७९ ४८७६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सम्यक्त्व स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सांभलि तुं प्राणी हो... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४८४ ४८७७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सामायिक बत्तीस दोष स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सामायिक ना दोष बत्तीस... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४८१ खरतरगच्छ साहित्य कोश 357 For Personal & Private Use Only Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८७८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सिंधी भाषामय गीत, गीत स्तवन, सिन्धी, १८वीं, 'आदितुं मैडा पीउ राजनां बे... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४१ ४८७९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सीता मुद्रडी, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि - सरसत तीन गणपति लागू पाय ..., अन्त कहे जिनहरख सीता तणोरे... गा. ८', अ., उ. जैन कवि भाग-२, पृ. ११४ ४८८०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि -आज मनोरथ फलिया... गा. १३, मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३७ ४८८१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - चांदलिया संदेसो जिनवर ने कहे रे... गा. १५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३३ ४८८२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - पूर्व विदेह पुखलावती... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३२ ४८८३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- श्री सीमन्धर सांभलउ... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३४ ४८८४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिश्रीसीमन्धरसाहिबा वीतड़ी अवधारलाल रे... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३२ ४८८५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सीमन्धर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिसामि सीमंधर मोरइ मन वस्यउजी... गा. १३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३३५ ४८८६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सुधर्म स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिवीर तण गणधर पटधारी... गा. ७', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३७७ ४८८७. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सुंदरी स्त्री, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सुंदर वेस लवेस अनोपम... गा. १', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४२५ ४८८८. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, सुमतिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिअरज सुणउ जिन पांचमां... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. १७२ ४८८९. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, स्थूलिभद्र बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - प्रथम प्रणमुं मात सरसत... गा. १४', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३८२ ४८९०. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, स्थूलिभद्र बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्रावण आयउ वालहा... गा. १६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३८१ ४८९१. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, स्थूलिभद्र स्वाध्याय गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पिउडा आवउ हो मन्दिर आपणे... गा. ९', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३८० ४८९२. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, स्थूलिभद्र स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-भलै ऊगउ दिवस प्रमाण... गा. ११', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३९० 358 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८९३. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, स्थूलिभद्र चौमासा स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि-श्रावण आयउ साहिबा रे... गा. ५', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३८९ ४८९४. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, हरिकेशी मुनि स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - हरिकेशी मुनि वंदिये... गा. १६', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ४५३ ४८९५. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, हीयाली गीत पोथी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-कहिज्यो कवियण एक हियालडी रे....गा. ७', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह ४८९६. जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष गणि, हीयाली स्त्री, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-परम परवीत अणजीत निर्मल.... गा. ३', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५३६ ४८९७. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिकुशल करण गुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २७९ ४८९८. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिकुशल करण मेरे... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८० ४८९९. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि– मैं तुमची बलिहारी ... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८० ४९००. जिनहर्षसूरि/जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिमोकुं शरण तिहारा ... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८१ ४९०१. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिश्री जिनकुशल सूरीसरु ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८१ ४९०२. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७२ अजीमगंज, 'आदि-साहिबा श्री जिनकुशल... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८१ ४९०३. जिनहर्षसूरि / जिनचंन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिमुझ संकल... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६ 'आदि ४९०४. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' अरज करूं कर जोड ने... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, ६९ ४९०५. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिवन्दौ श्री जिनदत्तसूरि... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७० ४९०६. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिश्री जिनदत्त सूरिन्दा... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७० १८६७, 'आदि ४९०८. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि श्री जिनदत्तसूरि ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६३ ४९०७. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, श्री जिनदत्त सूरीसरु... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७१ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 359 Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९०९. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, परनारी सिखायण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ४९१०. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, वीस स्थानक आरती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७१, आदि पिया विंशतिथान मंगलआरति... गा. ७', मु., जिन पूजा महोदधि ४९११. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, शत्रुञ्जय यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६६, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४९१२. जिनहर्षसूरि / जिनचन्द्रसूरि, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं.. जयपुर ४९१३. जिनानन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागरजी, आनन्द विनोद, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, मु., __वीरपुत्र आनन्दसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, सैलाना ४९१४. जिनानन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागरजी, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, ___ 'आदि-सुनो सुनो कुशल... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८३ ४९१५. जिनानन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं २१वीं, 'आदि-आज तो दर्शन... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७२ ४९१६. जिनानन्दसागरसूरि / त्रैलोक्यसागरजी, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं २१वीं, 'आदि-गुरुदेव जिनदत्त... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७३ ४९१७. जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, बावरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १३वीं, अ. : ४९१८. जिनेश्वरसूरि / जिनपतिसूरि, शान्तिनाथ बोली, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-ता उत्तर दक्षिण पूरव पश्चिम... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ४९१९. जिनेश्वरसूरि / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, गुणप्रभप्ररि प्रबन्ध, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मन धरि सरस्वती स्वामिणी... गा. ६१', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४३२, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ४९२०. जिनेश्वरसूरि / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, गुर्वावली गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १६५७, _ 'आदि-रूढ़ी रे किधी रूढी सद्गुरइ... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४९२१. जिनेश्वरसूरि / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, नववाड गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सकल भविक जन सांभलौ... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ४९२२. जिनेश्वरसूरि / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, सती सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १६७५, 'अन्त मृगनयनी रे सेठ सुदर्शन प्रीतमा...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४९२३. जिनेश्वरसूरि / जिनगुणप्रभसूरि बेगड़, सती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७५ जैसलमेर, 'आदि-पुण्डरीक गणधार... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ 360 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९२४. जिनेश्वरसूरि / बेगड़, संभवजिनेन्द्र विज्ञप्ति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १४', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ४९२५. जिनोदयसूरि / जिनचन्द्रसूरि, यु. जिनदत्तसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिवर लच्छि विलास... गा. १४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २६ ४९२६. जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जिणवर पास जिणेसर सेवियइ... गा. १०', अ., ह. विनय प्रतिलिपि गीत स्तवन, , राजस्थानी, १७६२, ४९२७. जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, चौवीस जिन सवैया, 'आदि- नाभिराय जूको नंद मरुदेवा कुखिचंद... अन्त- पापको ताप निवारन को', अ., ह. बीकानेर अभय ग्र., ४९२८. जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरिंदा... गा. २४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४९२९. जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, जीवविचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, — आदि-परमज्योतिपरमातमा सिद्धसकलअरिहंत..., अन्त - श्रीखरतरवेगड़गच्छ श्रीकार :', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४९३०. जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- आवो हे सहियां आज श्री लौद्रपुरे... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ४९३१. जिनोदयसूरि / जिनसुन्दरसूरि बेगड़, लौद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८०१, 'गा. १४', अ. ४९३२. जिनोदयसूरि / जिनतिलकसूरि भावहर्षी, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आदि अजित... गा. ७', अ. ४९३३. जिनोदयसूरि / जिनतिलकसूरि, जिनतिलकसूरि स्तुति ( भावहर्षीय ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४९३४. जिंनोदयसूरि./ जिनतिलकसूरि, नववाड, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-धरम पारण जिणवर..., अन्त - श्री जिनतिलकसूरि सीस कहइ... गा. ४३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ४९३५. जिनोदयसूरि / जिनतिलकसूरि, दशभव पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - सरसति सामिणि समरूं माय... गा. ४९' अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ४९३६. जिनोदयसूरि / जिनतिलकसूरि, शान्ति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - शान्ति करो श्री संघ नई... गा. १०', अ. ४९३७. ज्ञानकुशल, जिनरङ्गसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - खरतरगच्छ युवराजियउ ..... गा. ५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २३२ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 361 Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९३८. ज्ञानचन्द्र / जिनोदयसूरि भावहर्षी, विमल जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, '१९', अ. ४९३९. ज्ञानचन्द्र उ० / सुमतिसागर उ० / पुण्यप्रधान 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-------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९५४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि अनुभव नाथ कुं आप जगावै... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०२ ४९५५. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि अलहियौ कैसी बात कहूं... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०२ ४९५६. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि __आज रंग भीनी होरी आई... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १११ ४९५७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-आन जगाई हो विवेक सुहागनि... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०० ४९५८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि आम थयूं छै काम रे भाई... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०७ ४९५९. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि आये मोहन मेरे... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०९ ४९६०. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि आये हो भये भोर भले ही... गा. ६', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०८ ४९६१. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि आलिजा नै थारी चाह धणी छ... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०४ ४९६२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-उठ रे आतमवा मोरा... गा.७', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ९६ ४९६३. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि औगुन किनके न कहिये रे भाई... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०३ ४९६४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-की करां मैं रैंन विहानी... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११० ४९६५. ज्ञानसार उ० /. रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि कुसल सुमति अति वैरनि नावै... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०१ ४९६६. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदिकैउ 'मरड़ता स्यानैं हीडी छौ... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०३ ४९६७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कौन . किसी को मीत जगत में... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ९९ ४९६८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-खोट सयाने कहा कहि समझावै... गा. ९', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ९८ । ४९६९. ज्ञानसार उ०. / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-घर आवो ढोलन परसंग निवार... गा. ६', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०६ खरतरगच्छ साहित्य कोश 363 For Personal & Private Use Only Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९७०. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि घूघरी दुनिया ओ बूंघरी दुनिया... गा. २', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०५ ४९७१. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि चेतन खेले नौ ककरी री... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०९ ४९७२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि चेतन में हूँ राव री रानी... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०० ४९७३. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि चेतन बिन दरियाव दी मछरी रे... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०३ ४९७४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-झूठी या जगत की माया... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०७ . ४९७५. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि दरवाजा छोटा रे निकला सारा जगत... गा.५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०४ ४९७६. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि पिया बिन एक निमेष रहूं नी... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०२ ४९७७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-भये क्यों आप सयान अयान... गा. २', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०७ ४९७८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भोर भयो अब जाग प्राणी... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ९५ ४९७९. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि मनडानी अमे कैने कहिये बातो... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०५. ४९८०. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-माई मत खेले तूं माया रंग... गा. २', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११२ ४९८१. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि रसियो मारु सौतन रे जाय हेली... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११० ४९८२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि विषम अतिप्रीत निभाना हो... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ९७ ४९८३. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-सांम नाम न लयौ... गा. ९', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ९९ ४९८४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-सास गया पछी क्यूं ही आस... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ९७ ४९८५. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-सोई ढंग सीख लै... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०८ 364 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९८६. ज्ञानसार उ० / रलराज उ०, आध्यात्मिक यद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि है सुपनौ संसार... गा. २', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०५ ४९८७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हो रही तातै दूध बिलाई... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ९६ ४९८८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आध्यात्मिक पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-होरी रे आज रंग भरी रे... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १११ ४९८९. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आनन्दघन चौवीसी (बालावबोध), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६६. 'आदि-चिदानंद आनन्दमय..., अन्त-श्रावक आग्रहथी कयौँ', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-४, पृ. ११०० ४९९०. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, आनन्दघन पद बहुत्तरी १४ पद (बालावबोध), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २२४ । ४९९१. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि नाभिजी के नन्द से लगा मेरा नेहरा... गा.५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११४ ४९९२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं बीकानेर, 'आदि-मूरति माधुर ऋषभ जिणंद... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११५ ४९९३. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, कुण्डलिया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जूआ रम धन कू चहै... गा. २', अ. ४९९४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ० , जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-गुनहे माफ करो सुगुरु मेरे... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३३, दादागुरु भजनावली, पृ. ५०५ ४९९५. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सुखकारी जिनदत्त सुगुरु बलिहारी... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३३, दादागुरु भजनावली, पृ. ७४ ४९९६. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, जिनमतधारक व्यवस्था गीत स्वोपज्ञ बालावबोध सह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-मंदमतिए दुसम काल नै...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, 'पृ.८० ४९९७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, जिनलाभसूरि बारहखड़ी कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सत मत साइसंवत... गा. १', अ. ४९९८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, जीव विचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६१ जयपुर, 'आदि-भुवन प्रदीपक वीरनमि...', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १० ४९९९. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, ज्वानसिंह आशीर्वाद वचनिकासह , गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ.. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personalwale use only 365 Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०००. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, तत्त्वार्थगीत बालावबोध , गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १८० ५००१. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, दण्डक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६१ जयपुर, ___'आदि-रिषभादिकचौवीसनमि... गा. २६', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १९ ५००२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नवतत्त्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६१ जयपुर, 'आदि-नमस्कार अरिहंतने... ३४', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. १४ ५००३. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. ४' मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ४३३ ५००४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-जावंतरौ पियु वारौ... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११९ . ५००५. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-तोरण वांदी प्रभु रथड़ो रे वाल्यो... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली; पृ. ११७ ५००६. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पिय बिन में बेहाल करी री... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११७ ५००७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेंडा नेम न आये... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११९ ५००८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मोहि प्रीयु प्यारे प्यारा... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२० ५००९. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, . 'आदि-वालिम मोरा ने समझावो रे... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११८ - ५०१०. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-वो दिल लग्गा नाम तिहारे... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११८ ५०११. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, नेमिनाथ होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि नेमिकुमार खेरे होली रे... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११६ ५०१२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पंच समवाय विचार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. २७१ ५०१३. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पनवणा २ गाथा के २० द्वार यन्त्र, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५०१४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ गुण दोहा स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-गौडी गौडी जे करै... गा. ९', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२८ ५०१५. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-दिल भाया मैंडे सांई... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२७ 366 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०१६. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-परम पुरुष सुं प्रीतड़ी... गा. ७', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२३ ५०१७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-पास प्रभु अरदास सुणी जे... गा. ७', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२३ ५०१८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेरी ___अरज है अश्वसेन लाल सूं... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२६ ५०१९. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि हमारी अंखियां अति उलसानी... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२५ ५०२०. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ स्तवन आत्म निवेदन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-गौडी राय कहो बड़ी वेर भई... गा. ९', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२८ ५०२१. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ स्तवन गौडी सहाय स्मरण, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-करी मोहि सहाय... गा. १०', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२४ ५०२२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, पार्श्वनाथ स्तवन सहसफणा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-अधिकारी वलि अविन्यासी... गा. ७', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२६ ५०२३. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, बासठ मार्गणा यन्त्र रचना स्त., गीत स्तवन, राजस्थानी, १९६२ जयपुर, 'आदि-शासनचायक वीरनै... गा. ११२', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. २६५ ५०२४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, यक्षराज स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि श्री चिन्तामणि पार्श्वेश... गा. ३', अ., ह. ५०२५. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, वीरजिन गहूँली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि राजगृही उद्यान में सखि समवसरण... गा.९', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३२ ५०२६. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हे जिनराय सहाय करौ यूं... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३२ ५०२७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, शत्रुञ्जय यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि आज्यो आयजो रे हो प्रीतम परम... गा. ६', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११४ ५०२८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, शत्रुञ्जय तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि गायज्यो गायज्यो रे हो विमलाचल... गा.७', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११३ ५०२९. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सप्त दोधक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि–परणामी परणांम तै... गा.७', अ., ह. ५०३०. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सम्मेतशिखर तीर्थयात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५१ , 'आदि-सम्मेतशिखर सोहामणो... गा. ९', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२० - खरतरगच्छ साहित्य कोश 367 For Personal & Private Use Only Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०३१. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सम्मेतशिखर तीर्थयात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १८४९, 'आदि-सेनूंजे साध अनंता सीधा... गा.७', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली; पृ. १२२ ५०३२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सवैया तेतीसा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-झल हल तो भानु किधुं... गा. १', अ. ५०३३. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, साधु सज्झाय बालावबोध मूल देवचन्द्रोपाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, मु. श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५०३४. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सामान्य जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी; १९वीं, आदि तुम हो दीनबन्धु दयाल... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३० ५०३५. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सामान्य जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि मुख निरख्यो श्री जिन तेरो... गा. ४', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३१ ५०३६. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सामान्य जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि वो सांई मो वीनति कैसे करूं... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३०, . ५०३७. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सामान्य जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि सम विसमी अण जाणता रे... गा.७', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १२९ ५०३८. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सिद्धाचल आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६९, आदि-आतम रूप अजाण न जाणूं निजपणुं... गा. २१', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३४ ५०३९. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सीमंधर की सरस सलूणी... गा. ३', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३२ ५०४०. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, सैंतालिस बोलगर्भित चौवीसी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७८, 'आदि-श्री परमातम परम गुरु..., अन्त-इम तव्या सैंतालीस बोलैं', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. २७१ ५०४१. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, हीयाली बालावबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १७७ ५०४२. ज्ञानसार उ० / रत्नराज उ०, हेमदण्डक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६२, 'आदि-जो ध्रुव अलख अमूरती... गा. १०८', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. २६५ ५०४३. ज्ञानसुन्दर / अभयवर्द्धगणि, सूत्र कृताङ्ग सोलहवे अध्ययन सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १६९५, 'आदि-सिद्ध सवेनई करुं प्रणाम..., अन्त–अँद्री निधि रसि ससिहर... गा. ४१', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०५८, अभय ग्र., बीकानेर ५०४४. ज्ञानसुन्दर / कल्याणविजय, सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २०', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 368 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - बीकानेर ५०४५. ज्ञानसुन्दर / अभयवर्द्धन, सूत्रकृतांग १६वां अध्ययन सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १६९५, 'गा. ४१', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५०४६. ज्ञानहर्ष उ० / सुमतिशेखर उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनरत्तीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५०४७. ज्ञानहर्ष उ० / सुमतिशेखर उ०, यु. जिनदत्तसूरि छप्पय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-अपूर्ण', मु. दादागुरु भजनावली, पृ. ३८, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३७३ ५०४८. ज्ञानहर्ष उ० / सुमतिशेखर उ०, जिनधर्मसूरि गीत (जिनसागरीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, ___'आदि-आया श्री गुरुराय... गा. ९', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३३५ ५०४९. ज्ञानहर्ष उ० / सुमतिशेखर उ०, जिनधर्मसूरि गीत (जिनसागरीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ 'आदि-महिर करो मुझ ऊपरै... गा. ७', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३३६ ५०५०. ज्ञानहर्ष उ० / सुमतिशेखर उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०७, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५०५१. ज्ञानहर्ष उ० / सुमतिशेखर उ०, पूगल अजितनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५०५२. ज्ञानानन्द उ० / चारित्रनन्दी उ०, संयम तरंग पद० ३७, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, मु., भीमसी माणेक, बम्बई ५०५३. ज्ञानानन्द उ० / चारित्रनन्दी उ०, ज्ञानविलास पद० ७५, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, - मु., भीमसी माणेक, बम्बई ५०५४. तत्त्वसुन्दर वाचक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६९, 'आदि-सहं देवां सिर सोहतो रे... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२७१) ५०५५. तिलकश्री / विचक्षणश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-गुरुराजनी मूर्ति... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०६ ५०५६. तिलकश्री / विचक्षणश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-शासन बाग _ मां... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०६ ५०५७. तिलकश्री / विचक्षणश्री, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, आदि-गुरु तारी . वाणी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८२ ५०५८. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९वीं, 'आदि अखियां प्यासी... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८४ ५०५९. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९वीं, 'आदि ऊंचा शिखर... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८४ ५०६०. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, १९वीं, 'आदि कुशल गुरु गुण... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८५ खरतरगच्छ साहित्य कोश 369 For Personal & Private Use Only Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०६१. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, १९वीं, 'आदि चमके चमके... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८५ ५०६२. तिलकश्री / विचक्षणश्री , जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, १९वीं, 'आदि दादा श्री जिन... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८६ ५०६३. तिलकधी / विचक्षणश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, १९वीं, 'आदि पार उतार पार... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८६ ५०६४. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९वीं, 'आदि श्री जिनवर की... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८७ ५०६५. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, १९वीं, 'आदि ___ हे गुरुवर तमे... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८८ ५०६६. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि खम्भा माहरा... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७४ ५०६७. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-गाव ___गावरे गीत... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७५ ५०६८. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि ___ गुरुजी ज्ञान ना... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७५ ५०६९. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-दादा गुरु चरणों... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७५ ५०७०. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-दादा दत्तगुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७६ ५०७१. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दादा ____ दत्तसूरि... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७७ ५०७२. तिलकश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-मेरा गुरु ___ है... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७७ ५०७३. तिलकश्री / विचक्षणश्री, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, आदि-आव्यो छु आज... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६४ ५०७४. तिलकश्री / विचक्षणश्री, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-खम्मा मारा ज्ञानी... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६४ ५०७५. तिलकश्री / विचक्षणश्री, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि–मारा __ मनमां... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६५ ५०७६. तिलकश्री / विचक्षणश्री, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-शीतल छे दादा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६५ 370 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०७७. तिलकश्री / विचक्षणश्री, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि आंखलड़ी रे... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२५ ५०७८. तिलकश्री / विचक्षणश्री, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, आदि दादा चन्द्रसूरि... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२६ । ५०७९. तिलकश्री / विचक्षणश्री, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि युगप्रधान... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२६ ५०८०. तिलक श्री / विचक्षणश्री, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि श्री जिनचन्द्र... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२७ ५०८१. तिलकश्री / विचक्षणश्री, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि ___ हे चन्द्रसूरि... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२७ .५०८२. दत्त मण्डल, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि–ओ दादा देव... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ.५०७ ५०८३. दयातिलक वा. / रत्नराज वा., अहिच्छत्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. चतुर्भुज संग्रह, बीकानेर ५०८४. दयातिलक वा. / रत्नराज वा., आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५९ बीकानेर, अ. ५०८५. दयातिलक वा. /रत्नराज वा., नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि . राजुल नेम भणी काहइ... गा. ९', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ५०८६. दयातिलक वा. / रत्नराज वा., पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. ३', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ५०८७. दयातिलक वा. / रत्नराज वा., भांडासर सुमतिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. १७', अ. ५०८८. दयातिलक वा. / रत्नराज वा., शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. ५', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ५०८९. दयातिलक वा. / रत्नराज वा., सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'गा. १६', अ., ह. चतुर्भुज संग्रह, बीकानेर ५०९०. दयाप्रिय उ० / लक्ष्मीवल्लभ उ०, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५७, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५०९१. दयाभक्ति उ० / क्षमाकल्याण उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८८५, 'आदि-आज हरख भयो... ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८९ ५०९२. दयामंदिर उ० / जयरत्नगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कुशल सूरींद... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९० खरतरगच्छ साहित्य कोश 371 For Personal & Private Use Only Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०९३. दयामेरु उ० / कुशलकल्याणगणि, जिनकुशलसूरि आरती, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चन्द पटोधर कुशल... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८७ ५०९४. दयामेरु उ० / कुशलकल्याणगणि, जिनदत्तसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मन वंछित पूरण... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २८ ५०९५. दानवर्द्धन / रत्नजय गणि, चौतीस अतिशय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३२ लूणकरणसर, आदि-सुर्यदेवी प्रणमूं सही... गा. २४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ ५०९६ (२९४) ५०९६. दानविनय / धर्मसुन्दर, अष्टापद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३१', अ., ह. ___अभय ग्र., बीकानेर ५०९७. दानविशाल / श्री वर्द्धमान पौत्र, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-सदा सहाई कुशल... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९० ५०९८. दीपचन्द्र उ० / ज्ञानधर्म उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘गा. ५', अ., ___ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५०९९. दीपचन्द्र उ० / ज्ञानधर्म उ०, लौद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'गा. १२', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५१००. दुरङ्ग, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-ऊंची तलाई री पाल...', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १७२ ५१०१. देवकमल, साधुकीर्त्ति गहूँली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६२५ , आदि-वाणि रसाल अमृत रस सारिखी... गा. ४', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३९ ५१०२. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, जिनलाभसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि एक संदेसो पंथी माहरो... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २९४ ५१०३. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, अजित जिन होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५१०४. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, अष्ट प्रवचन माता सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं नवानगर (जामनगर), 'आदि-सुकृत कल्पतरु श्रेणिनी...', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१०५. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, अष्ट रुचि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___सुरपति नत देव अनित गुणी...', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५१०६. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, आत्मपद सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अहो जिनवरजी निके नयण निहारे...', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१०७. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, अध्यात्म गीता, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि प्रणमियै विश्वहित जैनवाणी...', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा 372 खरतरगच्छ साहित्य कोश . For Personal & Private Use Only Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१०८. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, आत्महित शिक्षा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अन्त–परम अध्यातम जे लखे...', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ४९० ५१०९. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, कुम्भ स्थापना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___ धरम उत्सवसमै जैनपद... गा. ४', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा. ५११०. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, गजसुकुमाल सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि द्वारिकानगरी ऋद्धि समृद्ध... गा. ३८', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१११. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, गिरनार स्तुति, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, आदि यादव कुलमण्डण नेमिनाथ जगनाथ... गा. ४', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५११२. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, ज्ञान बहुमान नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सकल वस्तु प्रतिभासभानु निरमल... गा. ६', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५११३. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ० , ढंढण ऋषि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, आदि-धन धन ढंढण मुनिवर... गा. २७', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५११४. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, तीर्थमाला स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. ____ अभय ग्र., बीकानेर ५११५. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आतमभावे रमो ____ हो चेतन... गा. ४', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५११६. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, द्वादशांगी सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-वीर जिणेसर जग उपकार... गा. १४', अ., ह. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ४८९ ५११७. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, ध्रुवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५११८. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, ध्यान चतुष्क स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. ___आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५११९. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, नवानगर आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, . 'आदि-नवानगरमे भेटीए जिनवर जयकारी... गा. १२', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१२०. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, पंचेन्द्रिय विषयत्याग सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-विषयन को परसंग चेतन... गा. ४', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१२१. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, प्रभंजना सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-गिरि वैताढ्यनइं ऊपरे...', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा 373 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only , Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१२२. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, पद्मनाभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, - 'आदि-वाटड़ली विलोकुं रे भावि जिन तणी रे... गा. ७', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१२३. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, पाण्डव सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५१२४. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, बाहुजिन स्तवन स्वोपज्ञ बालावबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१२५. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, वीर निर्वाण ढाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि बारै वरस तप साधन कीनो...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ५१२६. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, वीर निर्वाण ढाल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मारग देशक मोक्षनो रे... गा. ९', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१२७. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, वीस स्थानक स्तुति, स्तुति, राजस्थानी,. १८वीं, 'आदि अरिहंत सिद्ध पवयण... गा. ४', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१२८. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, शत्रुञ्जय चैत्यपरिपाटी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५१२९. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८०४, अ. ५१३०. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५१३१. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५१३२. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५१३३. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, अ. ५१३४. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सम्मेतशिखर यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री सम्मेतशिखर वर...', अ. ५१३५. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सहस्रकूट जिनप्रतिमा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सहस्रकूट जिन प्रतिमा वंदीये... गा. १४', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१३६. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सम्यक्त्व सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___ समकित नविलहयुं रे... गा. ५', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१३७. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, समवसरण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि आज गइती हुं समवसरणमां... गा. ५', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१३८. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, साधुपंच भावना सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं जैसलमेर, 'आदि-स्वस्ति सीमंधर परम...', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा 374 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१३९. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, साधुगुण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जगत में सदा सुखी मुनिराज... गा. ४', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४०. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, साधुपद स्वाध्याय, स्वाध्याय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि साधक साधज्यो रे निज सत्ता... गा. १३', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४१. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सिद्धाचल चैत्य परिपाटी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-शेव्रुज गिरि भेटीये... गा. २१', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४२. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८०४, 'आदि चालो चालोने राज... गा. ८', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४३. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि ___ चालो सखि जिन वंदन... गा. ६', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४४. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-धन धन मुनिवर जे संजमवर्याजी... गा. ११', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४५. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सिद्धाचल स्तुति, स्तुति, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि विमलाचलमण्डण जिनवर आदि जीणंद... गा. ४', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान : प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४६. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि प्रभुनाथ तुं तियलोकनो... गा. २१', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४७. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, हीयाली आदि, गीत स्तवन, राजस्थानी; १८वीं, मु., श्रीमद देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४८. देवचन्द्र उ० / दीपचन्द्र उ०, होरी पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अजितनाथ - चरण तोरे... गा. ३', मु., श्रीमद् देवचन्द्र, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा ५१४९. देवभद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि–एक मना समरुं सरसति... गा. २६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५१५०. देवहर्ष / भानुचन्द्र, सिद्धाचल छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. अभय ग्र. बीकानेर . ५१५१. देवीदास, समयसुन्दर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-समयसुन्दर वाणारस वंदिये... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १४७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 375 For Personal & Private Use Only Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१५२. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, जम्बू सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. १०', अ., ह. विनय. लिपि ५१५३. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, जिनकुशलसूरि छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३४, 'आदि-माता सरसति मिहर कर..., अन्त–इम खरतरगच्छ राय तणी... गा. २४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५१५४. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कुशल गुरु कुशल करो... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९० . ५१५५. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, जिनकुशलसूरि छंद निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३५ मरोट, 'आदि-सरसती माता जग विख्याता..., अन्त–संवत अढारे रे वरस पैंतीसे...', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १७७ ५१५६. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, जिनदत्तसूरि छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३६, आदि सरसति माता महिर कर..., अन्त-श्री जिनदत्तसूरिश सकलसुख संपत्ति दायि... गा. २८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५१५७. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, पार्श्वनाथ छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५१५८. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, पार्श्वनाथ सिलोका, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४० लूणकरणसर, 'आदि-सकत कहीजै सरसती माई, अन्त-संवत मढारै से वरस चालीसै... गा. ३७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५१५९. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४१, ‘गा. १०', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५१६०. दौलत / वीरभाण जिनसागरीय, मरोट चिन्तामणि पार्श्वनाथ छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३९, 'आदि-श्रुतदेवी सुणीयै अरज, अन्त–पोसवदि दसमें जात... गा. ३७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५१६१. धर्मकीर्त्ति / धर्मनिधान उ०, चौबीस जिन स्थानगर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७४, 'आदि-जुगवर श्री जिनचन्द नमि कवियण... गा. ८७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ५१६२. धर्मकीर्त्ति / धर्मनिधान उ०, नेमिनाथ बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५१६३. धर्मकीर्ति / धर्मनिधान उ०, पार्श्वजिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५१६४. धर्मकीर्त्ति / धर्मनिधान उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर 376 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१६५. धर्मकीर्त्ति / धर्मनिधान उ०, वरकाणा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८०, 'गा. १२', अ. ५१६६. धर्मकीर्त्ति / धर्मनिधान उ०, समवसरण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५१६७. धर्मकीर्त्ति / धर्मनिधान उ०, सीमंधर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५१६८. धर्मचन्द, जिनकुशलसूरि स्तवन, गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९१ गीत स्तवन, , राजस्थानी, १८४९, 'आदि - श्री जिनकुशलसूरी .... ५१६९. धर्ममन्दिर / दयाकुशल, खंभात जगवल्लभ पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२४, ‘गा. १७', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५१७०. धर्ममन्दिर / दयाकुशल, लौद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५१७१. धर्ममन्दिर / दयाकुशल, शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२३, 'अन्तसाचो साहिब पास जी रे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - २, पृ. २४२ ५१७२. धर्ममन्दिर / दयाकुशल, शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४९, 'गा. ४६', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५१७३. धर्ममन्दिर / दयाकुशल, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - श्री विमलाचल वंदीयई हुं वारी लाल... गा. ५', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - २, पृ. २४३ ५१७४. धर्ममन्दिर / दयाकुशल, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सहीयां सेज गिरिवर भेटीयइ रे... गा. ५', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५१७५. धर्ममाणिक्य, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि- महिमा तो थांरी.... • गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०७ ५१७६. धर्मरत्न / कल्याणधीर, तेरह काठिया सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, अ. ५१७७. धर्मवर्द्धन उं० / विजयहर्ष उ०, अठ्ठाइस लब्धि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२६ लूणकरणसर, 'आदि- प्रणमुं प्रथम जिणेसर... गा. २५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २८६ ५१७८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, अठ्ठाणुं भेद अल्पाबहुत्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, - १७७२ जैसलमेर, 'आदि-वीर जिणेसर वंदिये... गा. २२', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २६६ ५१७९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, अष्टभय निवारण गौडीपार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सरस वचन दे सरसती... गा. २९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३०० खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 377 Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१८०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, आबू तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-आबू आज्यो रे आबू आज्यो... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१२ ५१८१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, आलोयणा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-ए धन सासन वीर जिनवर तणो... गा. ३०', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २९० ५१८२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, उपदेश निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि __ मोह बसै केइ मानवी... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ.७० ५१८३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि त्रिभुवन नायक ऋषभ जिन... गा. १६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७२ ५१८४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, औपदेशिक पद २९, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___'आदि-ज्ञान गुण चाहै तो... गा. ९३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ८१-९४. . ५१८५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, कवित्त सवैया अन्तर्लपिकादि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-करणी पर उपगार की... गा. १८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५४ ५१८६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गुरु शिक्षा कथन निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १८वीं , आदि-इण संसार समुद्र को... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ६७ ५१८७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___'आदि-आज भलै दिन ऊगौ जी... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०२ ५१८८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आणी आणी अधिक उमाह... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०३ ५१८९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, __'आदि-जगि मांगै पास गौडी... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०४ ५१९०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-मूरति मन नी मोहनी... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १९९ ५१९१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, गौतम स्वामी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि–प्रह सम आलस तजि परौ... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२६ ५१९२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चन्द्रपुरी शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२० , 'आदि-जननायक जिनवर... गा. १२', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८४ ५१९३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौदह गुणस्थानक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२८, 'आदि-सुमति जिणंद सुमति दातार... गा. ३४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २७८ ५१९४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौरासी आशातना स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जय जय जिण पास जगत्र धणी... गा. १८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २८४ 378 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१९५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीस जिन अंतरकाल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १७२८, आदि-पंच परमेष्ठि मन सुद्ध... गा. २९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २६१ ५१९६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीस जिन गणधर सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं , 'आदि-वंदो जिन चउवीस... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२१ ५१९७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीस दण्डक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२८ जैसलमेर, 'आदि-पूर मनोरथ पास जिनेसर... गा. ३३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २७० ५१९८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीस जिन सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आदि ही कौ तीर्थंकर... गा. २५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १६२ ५१९९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, छत्रपति शिवाजी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३३ सूरत, आदि-सकति काइ साधना... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४८ ५२००. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जम्बू स्वामी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___'आदि–छोड़ो ना जी कंचन नै कामिनी... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२७ ५२०१. धर्मवर्धन / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि खरतरगच्छ जाणै खलक... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २०९ ५२०२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि छप्पय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सरब सोभ गुण सकल... गा. २', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३३, दादागुरु भजनावली, पृ. २१४ ५२०३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-राजै धुंभ ठौर ठौर... गा.१', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३३, दादागुरु भजनावली, पृ. २१७ ५२०४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-कुशल करण जिनकुशलजी... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३०, दादागुरु भजनावली; पृ. २९१ ५२०५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-कुशल करो जिनकुशलजी... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३४, दादागुरु भजनावली, पृ. २९२ ५२०६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-कुशल गुरु नामै नवनिधि पामै... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३१, दादागुरु भजनावली, पृ. २९२ ५२०७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४५, 'आदि-दादो देरावर... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९३ खरतरगच्छ साहित्य कोश 379 . For Personal & Private Use Only Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२०८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-दौलति दाता द्यौ सुखदाता... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३१, दादागुरु भजनावली, पृ. २९३ ५२०९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रेम मन धारि नित पहुर... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३२, दादागुरु भजनावली, पृ. २९४ ५२१०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरि गावो... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३३, दादागुरु भजनावली, पृ. २९४ ५२११. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनगणधर साधुसाध्वी संख्या स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आदीसर पहिलो अरिहंत... गा. १९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५८ ५२१२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि अमृतध्वनि (जिनरत्नीय), गीत स्तवन, ___राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-रतन पाट प्रतपै स्तवन... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३०६ ५२१३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गहुँली (जिनरत्तीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-धन-धन दिन आज नौ लखै... गा. ९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४१ ५२१४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनरत्तीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं , 'आदि-आज खरै उदै मुर्दै सारा... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३४ ५२१५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनरत्नीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं , 'आदि–थिया कोई दिवस मन कोड करतां थकां... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४३ ५२१६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनरत्नीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चंद जिम सूरि जिणचंद्र चढती कला... ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३७ ५२१७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनरत्तीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-दे कार करण धर्म राखै... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३६ ५२१८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनरत्नीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-पुण्य परकास परभात प्रगट्यौ प्रगट... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३५ ५२१९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनरत्नीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-राजै खरतरगच्छ राजवी... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४२ ५२२०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनरत्तीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं , आदि-साधु आचार सुविचार सखरी... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४३ 380 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२२१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि गीत रसाउला (जिनरत्तीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-चावौ गच्छ चौरासिये... गा. २', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३८ ५२२२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि सवैया (जिनरत्नीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि छाजति छवि चंदा सुख कंदा... गा. २', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४० ५२२३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनचन्द्रसूरि सवैया (जिनरत्नीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं 'आदि-बाकं दजै पछि दज वंदत है कोउ... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३८ ५२२४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनदत्तसूरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि बावन वीर किये अपने... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२९, दादागुरु भजनावली, पृ. ४२ ५२२५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनदत्तसूरि वडली स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३७, आदि-यात्रा ए वडली जास्यां... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२८, दादागुरु भजनावली, पृ. ७८ ५२२६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनभक्तिसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७७९, _ 'आदि-श्री जिनभक्ति जतीसर वंदौ... गा.६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५२, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५२ ५२२७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि अमृतध्वनि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, :'आदि-खरतरगच्छ जांणे खलक... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४६ ५२२८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-सकलगुण जाण वाखाण मुख सरसती... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४५ ५२२९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि गहूँली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-सिणगार सार बनाई सुन्दर... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५० ५२३०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि गीत (चंद्रावला), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सहु धर्मां सिर सेहरौ रे... गा.५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४७ ५२३१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि गीत ( पदमहोत्सव), गीत स्तवन, राजस्थानी, .. १८वीं, 'आदि-उदय थयो धन धन आजनो... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४५, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५० ५२३२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि गीत ( पदमहोत्सव), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-गावौ गावौ री गच्छानायक के गुण गावै... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४८ . ५२३३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि गीत (पदमहोत्सव) द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-जिनसुखसूरि सुज्ञानी... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 381 For Personal & Private Use Only Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२३४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि गीत ( व्याख्यान), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सरस वखाण सुगुरु तणो... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५० ५२३५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि छप्पय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-करण अधिक कल्याण... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५१ ।। ५२३६. धर्मवर्द्धन. उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि छप्पय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ____ 'आदि-सकल शास्त्र सिद्धान्त भेद... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४६ ५२३७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनसुखसूरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-गुरु जिणचंदसूरि आप हाथ पाट दीनौ... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २४८ ५२३८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जैसलमेर नरेश अमरसिंह अमृतध्वनि, गीत स्तवन, ___राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सबल सकल विधि सबल सुत...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४४ ५२३९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जैसलमेर नरेश अमरसिंह दोहा, गीत स्तवन,.राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-खड्ग.......लाराखेसि... गा. २', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४४ ५२४०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जैसलमेर नरेश अमरसिंह पद्य, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१८वीं, 'आदि-श्रीमच्छी अमरादिसिंह... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४४ ५२४१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जैसलमेर अमरसिंह सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं , 'आदि-तेरे तो प्रताप के प्रकाश... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४३ ५२४२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जैसलमेर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-ऊगो धन दिन आज सफलौ... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०५ ५२४३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जोधपुर नरेश जसवन्तसिंह कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मरुधरै देस महाराज मोटों... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४६ ५२४४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जोधपुर नरेश जसवन्तसिंह कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १८वीं, 'आदि-हुतौ जसवंत तां थोक... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४६ ५२४५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, तम्बाकू त्याग सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-तुरत चतुर नर तंबाकू तजौ... गा. १४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ७८ ५२४६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, तीर्थंकर सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि ____ नमो नितमेव सजौ सुभ सेव... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१९ ५२४७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, दस श्रावक सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, आदि सूधे मन प्रणमो दस श्रावक... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२५ ५२४८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, ऋषभदेव छन्द धुलेवा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६०, 'आदि-सत्यगुरु कहि सुगुरु रा... गा. २२', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८१ 382 382 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२४९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, नवकार छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि कामित संपय करणं... गा. २५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७१ ५२५०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, नाजर आनन्दराज सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-ज्ञायक गुणै अगाह... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४९ ५२५१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, नेमिनाथ राजीमती बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १८वीं, आदि-दिल शुद्ध प्रणमु नेमि...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८७, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर १९८१३ ५२५२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, नेमिनाथ राजिमती बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सखी री ऋतु आई सावन की... गा. १६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८९ ५२५३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, नेमिनाथ राजिमती स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-राजुल कहे सजनी सुणो रे... गा. ९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १९२ ५२५४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन (सिन्धी भाषा), गीत स्तवन, सिन्धी, १८वीं , 'आदि-अज्जु सफल अवतार असाडा... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १९३ ५२५५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि आज नै अम्हारै मन आसा... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०३ ५२५६. धर्मवर्द्धन उ० / विनयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि त्रिभुवन माहे ताहरो हो... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०० ५२५७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि नित नमिये पारसनाथ जी... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०९ ५२५८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि नैणा धन लेखु देखु मुख... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१० ५२५९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि महिमा मोटी महीयलै हो... गा. ८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १९० ५२६०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सहियर हे सहियर... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०७ ५२६१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सुणि अरदासा सुगुण निवासा... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०९ ५२६२. . धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पार्श्वनाथ स्तवन वधावा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पहिलो वधावै जिनवर देव जु... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०९ ५२६३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, पैंतालीस आगम वीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७७३, आदि-देवां ना पिण जेह छै देव... गा. २८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५५ खरतरगच्छ साहित्य कोश 383 For Personal & Private Use Only Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२६४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, प्रास्ताविक विविध संग्रह पद ४३, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अगम आगम अरथ उतारै... १३३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ९६-१२७ ५२६५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, फलौदी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुगुण सुज्ञानी स्वामिने जी... गा. ८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०१ ५२६६. धर्मवर्द्धन उ०. / विजयहर्ष उ०, बीकानेर चैत्यपरिपाटी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चैत्य प्रवाडे चौबीसटे.... गा. ११', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१८ ५२६७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, बीकानेर नरेश अनूपसिंह कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२६, आदि-बीकपुर तखत महाराज मोटै वखत... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४२ ५२६८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, बीकानेर नरेश अनूपसिंह कवित्त, गीत स्तवन, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-भुज्यत इष्टजनैः सह... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४२ ५२६९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, बीकानेर नरेश अनूपसिंह सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, - १८वीं, आदि-केई तो विकट वाट लंघत... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४२ ५२७०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, मगसी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-भवियण भाव धरि नै भेटौ... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०६ ५२७१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, महावीर जन्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सफल थाल बागा थिया... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१६ ५२७२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, महावीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-वीर जिनेश्वर वंदियै... गा. १३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१४ ५२७३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, मेतार्य मुनि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि राजग्रही में गोचरी... गा. ९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२४ ५२७४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, राउल अमरसिंह गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२८ जैसलमेर, 'आदि-जेठ तपते तपत जीव जगरा जिके... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४५ ५२७५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, राठौर दुर्गादास कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-महा मौड मुरधर तणा... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४७ ५२७६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, राडद्रह महावीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१८वीं, आदि-राडद्रइ महावीर विराजै... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१५ ५२७७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, रात्रिभोजन सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, आदि कर जोडि कामण कहै हो... गा. ९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ८० ५२७८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४४, 'आदि-धन धन सहु तीरथ मांहि धुरै... गा. ८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १९८ 384 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२७९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४३, _ 'आदि-पूजो पास जी परता पूरै... गा. १२', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १९६ ५२८०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२९, 'आदि-महिमा मोटी महीयलै... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २९५ ५२८१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३०, 'आदि-लुलि लुलि वंदो हो तीरथ... गा.७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २९५ ५२८२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वीस विहरमान स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२९, 'आदि-वंद मन सध विहरत भाण... २६'.म.,धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, प. २९५ ५२८३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वैद्यक विद्या, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४०, 'आदि शंकर गणपति सरस्वती... गा. २१', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १३८ ५२८४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वैराग्य निसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि काया माया कारिमी... गा. ६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ६९ ५२८५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वैराग्य सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि करिज्यो मत अहंकार... गा. ११', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ७२ ५२८६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, वैराग्य सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि जोवनियो जायै छै जी... गा ५', मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ७१ ५२८७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६७, 'आदि-महिमा मोटी त्रिभुवन माहे... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २०८ ५२८८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सरब ___ पूरब सुकृत तीये किया... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७९ ५२८९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय वृहत् स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, · · 'आदि-तीर्थ सैनूंजै जी रहिवा मनरंजै... गा. १४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७७ ५२९०. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय वृहत् स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-सैजूंजै नायक वीनति सांभलौ... गा. २५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १७५ ५२९१. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय महिमा सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-रतन में जैसे हीर... गा. २', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८० ५२९२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि विमलगिरि क्युं न भये हम मोर... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८० ५२९३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सेवो भाई सेवो भाई शान्तिजिन सेव रे... ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १८४ खरतरगच्छ साहित्य कोश 385 For Personal & Private Use Only Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२९४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, श्रावक करणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री जिनसासन सेहरौ... गा. २५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २५२ ५२९५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, सतरह भेदी पूजा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, __'आदि-भाव भले भगवंत री... गा. १९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २१६ ५२९६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, सनत्कुमार सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि साचा सुज्ञानी ध्यानी सनत... गा. १६', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२२ । ५२९७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, सप्त व्यसन त्याग सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सात विसन नौ संग रखै करौ... गा. ९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ७६ ५२९८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, समवसरण विचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री जिन सासन सेहरौ... गा. २८', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २७४ ५२९९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, सवासौ सीख, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्री सद्गुरु उपदेस संभारो...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ६४ . ' ५३००. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, हितोपदेश सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चेतन चेत रे चलि मां चपलाइ... गा. १५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ७४ ५३०१. धर्मसमुद्रगणि / विवेकसिंह उ० पिप्पलक, अयवन्ती सुकुमाल सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १६वीं, आदि–जिणवर धुरि त्रेवीसमोरे... गा. ३३', अ., उ. जैन गुर्जर कवियो भाग-१, पृ. ११८ ५३०२. धर्मसुन्दर उ० / साधुरङ्गगणि, आदीश्वर स्तव (चतुर्विंशति दण्डक गर्भित ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अन्त–तूं त्रिभुवन सामि दीठुरे... गा. २६', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ५३०३. धर्मसुन्दर उ० / साधुरङ्गगणि, चौवीस दंडक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आदीसर हो सोवनकाय... गा. २६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१३०) ५३०४. नगराज / गुणरत्न उ० आद्यपक्षीय, नेमिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मदन तणा इल कुणमलइ..., अन्त-ईयइ वांण जांण सुजांण... गा. ६१', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५३०५. नन्दलाल पाठक, नव बलदेव सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, 'आदि-नमूं नवमुं बलदेव ___मुनिवर... गा. १२', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१७३) ५३०६. नयकुञ्जरोपाध्याय / जिनराजसूरि, नेमिनाथ कलश, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, अ. ५३०७. नयकुञ्जरोपाध्याय / जिनराजसूरि, सम्मेतशिखर विज्ञपिका, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५वीं, 'आदि-वीसो वीसजिण... गा. १६', अ. ५३०८. नयनभद्र / सोमनन्दन वाचक, शत्रुञ्जय आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६९, 'आदि-आज सफल दिन माहरो जी... गा. २४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (७७) 386 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३०९. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., अइमत्ता ऋषि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि श्री केलासपुराधिप विजयी... गा. २४', अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ५३१०. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., अल्पबहुत्व विचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–जिण चउवीस नमी मन आणि... गा. १९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३००२८ ५३११. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., कल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘गा. ३१', अ. ५३१२. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., खरतरगुर्वावली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि भारती भगवती रे... गा. ४', म.ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, प. २२५ ५३१३. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., गौतम स्वामी छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'अन्त इला लोक आणंद सामि वीर सुपसाय... गा. १०८', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ५३१४. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि नाभिराया कुल चन्द... गा. ३३', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ६९९ ५३१५. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., चौवीस जिनादि पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि नाभिरायां कुलचंद मरुदेवी को रे नन्द... गा. ३२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५३१६. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., त्रैलोक्य शाश्वत चैत्य प्रतिमा प्रमाण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–रिषभ अजित संभव सदा... गा. ४१', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०६३ (७०) ५३१७. नयरङ्ग वा. / गुणशेखर वा., सिद्धान्त स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-- पणमिय जिनवर पय सिरनामी... गा. २८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५३१८. नरसिंहोपाध्याय / रत्नमेरुपौत्र, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पास जिणेसर साथी... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३७) ५३१९. नरसिंहोपाध्याय / रत्नमेरुपौत्र, सुमतिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि • सरसति सांमिणि वीनb... गा. १२', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३६) ५३२०. नवलराय सेवग, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पास जिणेसर साथी... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३७) ५३२१. नवलराय सेवग, ज्ञानसागर गुण वर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सोभत गुण सागर है बुद्धि को उजागर...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११२ ५३२२. नित्यविजय / दयातिलक, बीकानेर आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५९, _ 'गा. १६', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५३२३. नैणसी पाठक / यशशील पाठक, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि गौडी पुरवर मंडण गावू... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१०४) खरतरगच्छ साहित्य कोश 387 For Personal & Private Use Only Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३२४. नैणसी पाठक / यशशील पाठक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि गुणगिरुवो गौडी धणी... गा. १०', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१०१) । ५३२५. न्यायराज / राजसुन्दर, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६६, 'गा. ११', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५३२६. पंकज नाहटा / पद्मचन्द नाहटा, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि हे मेरा जीवन... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६६ ५३२७. पदमकुमार, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुणि सुणि जीवडा रे कहयउ करीजई... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ५३२८. पदमचन्द / बेगड़, जिनसमुद्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरु __ मुणिंदा हो... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५३२९. पद्म, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-कैसे कैसे गुरु गुण... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९४ ५३३०. पद्म, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-निश दिन चित चावे... ___ गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९५ ५३३१. पद्म, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरि... ___गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९५ ५३३२. पद्म कवि, दूहा मातृका, गीत स्तवन, राजस्थानी, १४वीं, 'गा. ५७', अ. ५३३३. पद्मनिधान / वीरकलसगणि / चारित्रोदयगणि, पंचतीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, 'आदि-वीरमपुर महिमा पणी... गा. १७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०६३ (६९) ५३३४. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, अष्टापद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि जिनचंद चरण नमी... गा. १४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५३३५. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'गा. २१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५३३६. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५३३७. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, ऋषभ लीला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि रामति अतिरलीयामणि...', अ. ५३३८. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, गुणस्थान विचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जग पसरत अनंत कंत... गा. २१', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०६३ (७७) 388 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३३९. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-इन्द्रभूति गुरु लब्धिनिलो... गा. ३', अ. ५३४०. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, चौवीस जिन ९ बोल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६७ मुलतान, आदि-रिषभ प्रमुख चउवीस तिथंकर... गा. २४', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर ५३४१. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, चौवीस जिन पंच कल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २५', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ५३४२. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, जम्बू स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.९', अ. ५३४३. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कुशल गुरु हम वीनती... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९५ ५३४४. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मेरउ...टका आव्यउ गुरु चरणे... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह, धर्मकीर्ति लिखित गुटका ५३४५. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरुजी मच्छर... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९६ ५३४६. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, जिनवाणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'गा. ११', अ. ५३४७. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, दशार्णभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.६', अ. ५३४८. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, नवकार छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि श्री नवकार जपो मन रंगे... गा. ९', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञानं मन्दिर, कोबा ६०५९ ५३४९. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि यादव मन लागो... गा. ५', अ. ५३५०. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, नेमिनाथ धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ११', अ. ५३५१. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ..'आदि-श्री नेमकुमार... गा. ५', अ. ५३५२. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, पंचेन्द्रिय विषय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ५', अ. ५३५३. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ५', अ. 389 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३५४. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, पार्श्वनाथ गीत बारह भावना, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १२', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ५३५५. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, बाहुबली स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'गा. १४', अ. ५३५६. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, भरत चक्रवर्ती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.८', अ. ५३५७. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, मरोटमण्डन नेमिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १७', अ. ५३५८. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, मोहविलास गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ८', अ. ५३५९. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गहूंली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ५३६०. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७', अ. ५३६१. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ५', अ. ५३६२. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, आदि-श्री गोयम गणधर प्रणमी करी... गा. १५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२८, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९६ ५३६३. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, वयरस्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि हुं तो तेरी मोहि रे प्यारे... गा. ३', अ. ५३६४. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, वासुपूज्य जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७', अ. ५३६५. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १५', अ. ५३६६. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७', अ. ५३६७. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, शीतल जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'गा. ११', अ. ५३६८. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, सनत्कुमार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि सारद सद्गुरु पाय... गा. २४', अ. 390 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३६९. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कोउ धन कलि फिरउ परदेश... गा. १', अ. ५३७०. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'गा. १९', अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ५३७१. पद्मराजगणि / पुण्यसागरोपाध्याय, स्थूलिभद्र चौमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ६', अ. ५३७२. पद्मोदय / महिमाभक्ति, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि ___ सद्गुरु चरणकमल... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७८ ५३७३. पद्मोदय / महिमाभक्ति, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-सद्गुरुजी में...', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२२ ५३७४. पुण्य, जिनचन्द्रसूरि गीत (जिनधर्मसूरिपट्टे जिनसागरीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुणि सहियर मुझ वातडी... गा.७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३३७ ५३७५. पुण्यशीलगणि / रामविजयोपाध्याय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १९वीं, आदि-श्री जिनकुशल सूरीसरू... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९६ ।। ५३७६. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, अजित जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'आदि–जिण पणम्यइ लाभइ भव अंत... गा. १८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ५३७७. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, आदिनाथ ३४ अतिशयगर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २६', अ. ५३७८. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘गा. १८', अ. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, गौतम गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ५', अ. ५३७९. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २०', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५३८०. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २२', अ. ५३८१. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, चौसरण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.६', अ. ५३८२. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, नमि राजर्षि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि करि करि कंकण खलकत जाणी... गा.६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ५३८३. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, नववाडी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि श्री जिनशासन नंदन वन भलइ... गा. २८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ५३८४. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, नववाड सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ८', अ. ५३८५. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, नेमि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ९', अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश 391. For Personal & Private Use Only Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३८६. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, नेमि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ५', अ. ५३८७. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, पंच कल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नमिय पयकमल सुप्रभाव... गा. २५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २०२६७ ५३८८. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, पंच निर्ग्रन्थी सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ८', अ. ५३८९. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, पार्श्व जन्माभिषेक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'पणमिय पणपरमिट्ठि... १९', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १७९७, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ५३९०. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७', अ. ५३९१. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, पैंतीसवाणी अतिशय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २७', अ. ५३९२. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, बीकानेर आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सयल जगजीव सुहकार परमेसरं... गा. २६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ५३९३. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनदत्तसूरिंद पय... गा. ९', अ. ५३९४. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, महावीर पंच कल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-नमइ पाय मुणिराय जसु हाथ जोड़ी... गा. २१', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ५३९५. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, वैराग्य सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘गा. १२', अ. ५३९६. पुण्यसागर महो. / जिनहंससूरि, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, गा.५', अ. ५३९७. पुण्यानन्द, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-सिरसो देव पयास करे... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२६३) ५३९८. प्यारे, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-कब तक मै सहूं... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९६ ५३९९. प्यारे, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-चरणों के हैं चाकर... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९७ ५४००. प्यारे, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जो मैंने थामा है... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९८ 392 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४०१. प्यारे, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-तुम अगर मेरे... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९८ ५४०२. प्यारे, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-भव की मंजिल... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९९ ५४०३. प्यारे, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-ओ रे जिनदत्त... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७९ ५४०४. प्यारे, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-दर पे कोई आके... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ७९ ५४०५. प्यारे, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-न छिटकाओ गुरु... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८० ५४०६. प्यारे, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-भव भव की तू प्यास... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८१ ५४०७. प्यारे, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-मानो तो ये जगतारक... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८१ ५४०८. प्यारे, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-ऊंचे अम्बर के चन्दा... गा. ३'; मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२२ ५४०९. प्यारे, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरु गौतम अभय __दाता... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२३ ५४१०. प्रमोदश्री / विमलश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-दादा दत्त सूरिन्द... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८२ ५४११. प्रमोदश्री / विमलश्री, प्रमोद विलास, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, मु. ५४१२. प्रीतिसुन्दर / हर्षविशाल, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९७३, 'आदि-आज " हमारे आनन्द... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८३ ५४१३. फतहचन्द, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सद्गुरु पूजन... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०० । ५४१४. बालचन्द्रोपाध्याय / रूपचन्द्रोपाध्याय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-मेरी अरज सुणीजे... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०० ५४१५. बालचन्द्रोपाध्याय / रूपचन्द्रोपाध्याय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-सुणियो अरज... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०१ ५४१६. बालचन्द्रोपाध्याय / रूपचन्द्रोपाध्याय, जिनसागरसूरि मनोरथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-जउ तुम्हे तास्यउ काम नइ... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 393 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४१७. भंवरीबाई, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरु तुम्हें आना... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०८ ५४१८. भंवरीबाई, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-श्रद्धा के सुमन... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०९ ५४१९. भंवरीबाई, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-हाल हुए बेहाल... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५०९ ५४२०. भंवरीबाई, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि–मै हूं तेरा बालक... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८३ ५४२१. भंवरीबाई, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-बडभागी वे... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८३ ५४२२. भंवरीबाई, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-कितने ही तार... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२४ ५४२३. भंवरीबाई, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-खड़े हैं द्वारे... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२४ ५४२४. भंवरीबाई, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-तारने वाला... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२५ ५४२५. भंवरीबाई, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-तू ही है मेरा... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२५ ५४२६. भंवरीबाई, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-नयन बावरे... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२६ ५४२७. भंवरीबाई, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि–पाया पाया हो... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२६ ५४२८. भंवरीबाई, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-भव भय त्राणं... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२७ ५४२९. भंवरीबाई, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-मेरी नैया को... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२७ ५४३०. भक्तिलाभ उ० / रत्नचन्द्र उ०, आत्म शिक्षा सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १६वीं, आदि सीख कहूं ते सांभलि माई... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१०५४ ५४३१. भक्तिलाभ उ० / रत्नचन्द्र उ०, जिनहंससूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, आदि सरसति मति दिउ अम्ह अति धणी... गा. १८', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ५३ ५४३२. भक्तिलाभ उ० / रत्नचन्द्र उ०, जीराउला पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'गा. ९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 394 - खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४३३. भक्तिलाभ उ० / रत्नचन्द्र उ०, पंचतीर्थी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५४३४. भक्तिलाभ उ० / रत्नचन्द्र उ०, पद संग्रह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५४३५. भक्तिलाभ उ० / रत्नचन्द्र उ०, रोहिणी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'गा. २४', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ५४३६. भक्तिलाभ उ० / रत्नचन्द्र उ०, वरकाणा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'गा. २५', अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर ५४३७. भक्तिलाभ उ० / रत्नचन्द्र उ०, सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-सफल संसार अवतार...', मु., अभय रत्नसार ५४३८. भक्तिविशाल, शत्रुञ्जय यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४५, 'गा. १३', अ., ह. ___अभय ग्र., बीकानेर ५४३९. भत्तउ कवि, जिनपतिसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १३वीं, आदि-वीर जिणेसर नमीउ सुरेसर... गा. २०', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ८ ५४४०. भद्रमुनि / जिनरत्नसूरि, दादा त्रय स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-ॐ हीं दत्त कुशल... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७४ ५४४१. भद्रमुनि / जिनरत्नसूरि, जिनदत्तसूरि अष्टपदी, गीत स्तवन, हिन्दी, १९९८, 'आदि-शासन नायक... गा. ३०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १७ ५४४२. भद्रमुनि / जिनरत्नसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-दादाजी श्री जिन... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२४ ५४४३. भद्रमुनि / जिनरत्नसूरि, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि चन्द्रसूरि गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२९ ५४४४. भद्रसेन, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रायकुंअरि लीला लहरि लाडली... गा. ५', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४४५. भद्रसेन, बोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बोधा लोक न समझत ग्यानं... गा. ५', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४४६. भद्रसेन, सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-जो इंद्रीवसि मौन न रहुं तो... गा. १', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४४७. भवानीहर्ष, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-श्री नेमीसर को करहु ध्यान... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१३८) ५४४८. भवानीहर्ष, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-चित्त जइ हो प्रभु लाग्यो रङ्ग... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१३९) 395 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४४९. भाग्योदय, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-प्रभु तूं सांचो पारसनाथ कहावै... ___गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३४१) ५४५०. भावरङ्ग, भाविजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नमिय जिन पयकमल विमल भावइ करी... गा. १४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ५४५१. भावसागर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-महिर करो महिर... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०१ ५४५२. भावहर्षसूरि । कुलतिलकगणि भावहर्षीय, गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि __मनि सुविवेकी चिंतवइ... गा. ५', अ. ५४५३. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, जिनदत्तसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनवल्लभसूरिश्वरपाट... गा. ४', अ. ५४५४. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, जैसलमेर अष्टापद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सरसति सामिणि समरियइ... गा. १३', अ. ५४५५. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, ज्ञान पंचमी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५४५६. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, धन्ना काकंदी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१७वीं, 'आदि-श्रेणिक वीरजिणेसर वंदइ... गा. ३', अ. ५४५७. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, पंचनिर्ग्रन्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, आदि–वीर वचन प्रकासिओ... गा. १३', अ. ५४५८. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, पार्श्वजिन स्तवन जीरावला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२४, 'गा. ६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५४५९. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, वीस स्थानक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं वीरमपुर, 'गा. १७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५४६०. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, वीसामा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वीर कहइ श्रीमुखसुं... गा. ८', अ. ५४६१. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जंबूदीपे दक्षिण भरते... गा. ८', अ. ५४६२. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ८', अ. ५४६३. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, शत्रुञ्जय २१ नाम गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नमवि सिरि रिसह जिण भाव हियई धरी... गा. ३३', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, कांतिसागरजी संग्रह, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ 396 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४६४. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, संभव जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-हरिहर बहु पर जोइया... गा. ५', अ. ५४६५. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, सगपण स्वरूप वैरागी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जीव विमासिउ निज मनइ रे... १२', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२, २९४१३ ५४६६. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, सात व्यसन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जिनराउ श्रीमुख उपदिसइ... गा. ९', अ. ५४६७. भावहर्षसूरि / कुलतिलकगणि भावहर्षीय, साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पंच महाव्रत आदरइ... गा. १०', मु., अभय, बीकानेर ५४६८. भीमराज / गुलाबचंद जिनसागरीय, अध्यात्मगीत बालावबोध, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. उदयचंद संग्रह, जोधपुर ५४६९. भीमराज / गुलाबचंद जिनसागरीय, लौद्रवा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२४, ‘गा. ११', अ. ५४७०. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, ऋषभदेव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि त्रिभुवन सामी हो... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४७१. भुवनकीर्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, चन्द्रप्रभ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि जिन विनु देव न कोई... गा. ३', मु., कांतिसागरजी संग्रह ५४७२. भुवनकीर्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कुशल करो दादा... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०२ ५४७३. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, जिनदत्तसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सद्गुरु जी थे सांभलो... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ५४७४. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, • 'आदि-चतुर चकोर सुधाकर... गा. ८', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४७५. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, जीवकाया गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि चतुर विहारी हो आतम माहरा... गा.८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ११७६ ५४७६. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, द्रव्यभाव स्वरूप गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'गा. ५४', अ. ५४७७. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, नेमिनाथ राजीमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-बइठौ हिवडै आविनै हे... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.पं., जोधपुर २९८१३ (११५) खरतरगच्छ साहित्य कोश 397 For Personal & Private Use Only Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४७८. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, पार्श्वनाथ दस भव गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'अपूर्ण', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४७९. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, पुण्डरीक गणधर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री पुण्डरीक महामुनि पामी प्रभु आदेस... गा. ७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४८०. भुवनकीर्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, फलवर्द्धिमण्डन पार्श्वनाथ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–पणमउ री साहब सरब संत... गा. ४०', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४८१. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, बाहुबली सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, आदि कहै एम तक्षशिला धणी... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ५४८२. भुवनकीर्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-मो मन वीर सुहावै... गा.३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (६२) ५४८३. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, वयरकुमार महामुनि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कहै सुनंदा बांह पसारि आवी रे... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ५४८५. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भाव भगति करी भेटियइ रे लाल... गा. २१', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, कांतिसागरजी संग्रह ५४८६. भुवनकीर्त्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, षोडश राग गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५४८७. भुवनकीर्ति उ० / ज्ञानमन्दिर उ०, संभवनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि पूजउ माइ संभवनाथ... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, कांतिसागरजी संग्रह ५४८८. मंजुलाश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-गुरु दर्शन थी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८४ ५४८९. मंजुलाश्री / विचक्षणश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-धर्म नो डंको... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८४ ५४९०. मंजुलाश्री / विचक्षणश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, गुजराती, २१वीं, 'आदि-तारी मूर्ति मैं... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२८ ५४९१. मगन, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-आसा सफल फली... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०२ ५४९२. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ 'आदि-हम वन्दन करते... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८४ ५४९३. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-कुशल गुरु दादा... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०३ 398 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत स्तवन, हिन्दी, ५४९४. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, २१वीं, 'आदि-कुशल गुरुदेव... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०३ ५४९५. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-कुशल सूरीसर... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०४ ५४९६. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव कुशल... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०४ ५४९७. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ‘आदि-गुरुदेव कुशल... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०५ ५४९८. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ‘आदि-गुरुदेव कुशल... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०५ ५४९९. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-घर बैठे गंगा.... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०६ ५५००. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जिन कुशल गुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०६ ५५०१. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं मालपुरा, 'आदि- मालपुरे की... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०७ ५५०२. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-मैंने तो तेरे द्वार... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०७ ५५०३. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ‘आदि-श्री जिनकुशल.... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०८ ५५०४. मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं मोकलसर, ‘आदि- हम मिलकर... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०८ ५५०५. मतिकीर्त्ति / गुणविनय, पंच कल्याणक स्तवन सार्थ, गीत स्तंवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ५५०६. मतिकीर्त्ति / गुणविनय, लुम्पकमतोत्थापक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'अन्तऐह भाव आगमि भणउ० गा. ६१', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०६९ ५५०७. मतिकुशल / जयसौभाग्य उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिपावा परमपुरी तुम्ह पय परस्यां... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (७३) ५५०८. मतिरन / देवचन्द्रोपाध्याय, सिद्धाचलतीर्थयात्रा स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १८०४, ‘आदि-सरसति सामिने पाय नमी, अन्त - तस संघ यात्रा सुविधि करणी', मु., प्राचीन तीर्थमाला संग्रह, पृ. १७६ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 399 Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५०९. मतिलाभ / ऋद्धिवल्लभ, नवतत्त्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८१२ मुलतान, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ५५१०. मतिविलास / जिनभक्तिसूरि, नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-अरिहंतादिक नवपद चितधरी... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३) ५५११. मतिविलास / जिनभक्तिसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि हां जी वामाजी को ध्यावो... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (३१) ५५१२. मतिविशाल, पार्श्वनाथ वृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४० अजीमगंज, 'गा: २६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५५१३. मतिसोम, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-दादा दीजिये मनवंछित दौलति... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (८७) ५५१४. मदन, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-श्री उपकारी गुरुदेव... ___गा. ६', मुः, दादागुरु भजनावली, पृ. ३०९ ५५१५. मनोहर, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-अरदास हमारी... गा. ३', मु. दादागुरु भजनावली, पृ. ५१० ५५१६. मनोहर, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-कोई नहीं दादा... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१० ५५१७. मनोहर, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरु वाणी गुरु वाणी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५११ ५५१८. मनोहर, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दादाजी के आये... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१२ ५५१९. मनोहर, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-मैं आया मैं आया... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१२ ५५२०. महिमराजगणि / रिद्धिरत्न, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जाग जग मुकुटमणि नाभि नृपनंदा... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (५४), ३१०५४ ५५२१. महिमराजगणि / रिद्धिरत्न, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-दीपे __ वडली में... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६६ ५५२२. महिमराजगणि, जिनपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-जिन तेरे नयम अनीयारे... गा. ३', __अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ५५२३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अइमत्ता सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री महावीर तणीवाणी... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ 400 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५२४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि गड़, अजितनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-पूजौ रङ्ग रलि हो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५५२५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अजितनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-प्रभुजी की मूरति मोहनगारी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५२६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अध्यात्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-जीव रे जिन चरणे... गा.६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५२७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अध्यात्म द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि–पाउं पाउं हो... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५२८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि गड़, अध्यात्म द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मुरख म कर... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५२९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अध्यात्म पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-चित्त हमारो ल्याउ... गा.६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, :: गुटका नं. ४१६ ५५३०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अध्यात्म पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सुद्धि ऋतु रुचि फूल भरी... गा. १७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५३१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अध्यात्म लीला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-अइसी अइसी हो... गा.५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं. .. जैसलमेर गुटका नं. ४१५, अभय ग्र. बीकानेर ५५३२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अयवन्ती सुकुमाल सज्झाय, गीत - स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-देखो देखो माई... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५३३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अरहन्ना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __.. १७वीं-१८वीं, आदि-तेड़ियौ तिण समइ... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५. ५५३५. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, अहंकार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-रे मन मूढ न करो अहंकार... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश । 401 For Personal & Private Use Only Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५३५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्म प्ररूपक सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५३६. महिमसमुद्र(जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्मशिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-चतुर नर चेतो रे... ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, ४१६ ५५३७. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्मशिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-चेत रे तूं चेत प्राणी... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेरं, गुटका नं. ४१७ ५५३८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्मस्वरूप द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मीत किसी के नाहि... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान ___ भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, प्रति. नं. १४८२ ५५३९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्मा पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सुण सुहटड़ा... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं,. जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५४०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्मा प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-अब ऋतु नगरनइ कपट कौ कोट... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५४१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्मा प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आव्या स्वामी सम्भार लई... गा.,९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५४२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्मा प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मूरख क्या प्रतिबोध... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५४३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आत्मा प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-मोहन कीयो रे दगा... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५४४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ____१७वीं-१८वीं, 'आदि-आवो मेरी गोद... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५४५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-देखो दरिशन... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ 402 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , राजस्थानी, ५५४६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ पद, गीत स्तवन, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-चालो नाभिका नन्दन... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५४७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-तु मेरे स्वामी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५४८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-प्रभु मूरति सुन्दर... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५४९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-भलई भाव भगति... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५५०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सेवउ सेवउ अहनिशि... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५५१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) /जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, पारसी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-अवल कुशल आदीशवर... गा. २१', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५५२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं–१८वीं, 'आदि-सेवो सुखदातार... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५५३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदिनाथ - शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं इस्माइलखान, 'आदि-श्री आदीसर सामी... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५५४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदीश्वर द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-सुन्दर शोभित... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५५५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदीश्वर पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि–आजु आणंद भयौ... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५५५६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदीश्वर पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-जगगुरु ऋषभ... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 403 Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५५७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदीश्वर श्लोको, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री श्रुतदेवी... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५५८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आदीश्वर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री आदीसर भेटियइ... गा. १६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५५९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, आर्द्रकुमार सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-धन-धन आर्द्रकुमार... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५६०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, ईश्वर जिनपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५६१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, उच्चानगर शांतिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-संतिकरण सामी सोलमो... गा. २०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ,गुटका नं. ४१६, विनय. प्रतिलिपि ५५६२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, उपशम गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-राग न द्वेष करौ मन कोई... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५६३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, ऋषभदेव धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-जी हो ऋषभ प्रभु खेलइ होरी... गा.५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५५६४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, ऋषभ धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-तीन भुवन कौ साहिबौ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५६५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, ऋषभ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-ऋषभ जिनेश्वर सेवो माई... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५६६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, ऋषभ बाललीला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-श्रीयनगर सुन्दर अति... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५६७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कर्म पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-देखो री कर्म तणी गति... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर 404 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५६८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कलयुग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-देखो कलयुग... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५५६९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कलावती सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-एकदा आभरण पहरनइ... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५७०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कषाय निवारण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि- श्री गुरुकौ प्रतिबोध इसो...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५७१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, काननपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि- वामेय प्रभु महिमानिलो ... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, प्रति. नं. १४८१ ५५७२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कापरड़ा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-अनुपम तीरथ जग... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५७३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कापरड़ा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-प्रभु मूरति सोहइ अतिभली... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५७४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कुन्थुनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-वीनतड़ी अवधारौ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५७५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, कृष्ण पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-हम तो तुहारे श्याम... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५७६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, केशी द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-हो मुनिवर धन धन ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५५७७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, क्रोध निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - माई मति करो क्रोध... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५७८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गज सुकुमालं गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि - अहो ऋषि धन... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ , खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 405 Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५७९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गर्वनिवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि–मत को विरथा गर्व वहई... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५८०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गवोत्तारण द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-रे मन मूढ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५८१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गाजीपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि–इण मूरति कइउ वारणे... गा.५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५५८२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गाजीपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सकल सदा फल पूरणो... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५८३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गाजीपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सैयां मोरी पास जिणंद... गा. २०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५८४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गुरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-आणंद सुख हुआ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५८५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गुरु जिनगर्भित चतुर्विंशति स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-चउवीस जिन प्रणमी करी..., अन्त–इम चोवीस जिनवर सगुरु परंपरा... गा. ३३', अ., ह. विनय ५५८६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गुर्वावली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-उद्योतन वर्द्धमान... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५८७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आज कृतारथ हुँ थयो... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ | ५५६६. महिमप्समुन्द्र (जिनसमुद्रसूरि) जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-गाजै प्रभु गौडी धणी... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५८९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पास गौडी धणी... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 406 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत स्तवन, ५५९०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-प्रभु पास जिणेसर... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ गीत स्तवन, ५५९१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) /जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री गौडीपुर सिरतिलो... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५९२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौतम ज्ञानलीला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं–१८वीं, 'गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-प्रात: समय गौतम समरीयइ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५५९३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौतम द्रुपद, ५५९४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ' आदि - प्रहसम गौतम... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५५९५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ' आदि-लब्धि महोदधि...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., , जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५९६: महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चन्दनबाला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-वीर जिणंद...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५५९७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) /जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चन्द्रप्रभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-उत्तुंग तोरण देहरो... गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५९८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चन्द्रप्रभ गीत, गीत स्तवन, , राजस्थानी, १७वीं-१८वीं,‘आदि-ओलगड़ी ओलगड़ी... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५५९९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चेलना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-वीर जिणंद अभिग्रह धरी... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६००. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चैत्य प्रवाड़ी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०८ जैसलमेर, ‘आस आणंद वधावणा... १३', जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, मु. जैन लेख संग्रह भाग-३, जैसलमेर खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 407 Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६०१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस जिनवर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-चौवीसे जिनवर... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६०२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि–प्रणमु प्रभु वाणी... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६०३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चौवीस जिन स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि–रिसह अजिय सम्भव... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ | ५६०४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि--आज सखी मइं आणंद आयो... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६०५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनकुशलसूरि पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-दादो दीपतो... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६०६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनगुणप्रभसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-गुरु जलधि जिम... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६०७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनगुणप्रभसूरि गुरु धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-गरुबउ गच्छनायक... गा.५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ . ५६०८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-अड़वड़ियां बेगड़ो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६०९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-आज वधावो माहरइ... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान ___ भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६१०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-गौतम गंगेव सारखौ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६११. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, ___ राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-तूं छत्रपति जिन धर्म को... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ 408 खरतरगच्छ साहित्य कोश । For Personal & Private Use Only Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६१२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं-१८वीं, 'आदितनिके आज सुधन दिन... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५६१३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मरुधर देसे मण्डणो बीकानेर... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४३०, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५६१४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-महल दिउ गिरुवा गुरु महिर... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६१५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री जिनचन्द्र सूरीश्वर गावो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६१६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सकल सूरिसर पय... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६१७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सहियां मोरी बड़ भागी... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६१८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-परम संवेगी परगडौ... गा. १२', मु., ऐतिहासिक जैन " काव्य संग्रह, प.४३१, अ., ह. जिनभद्रसरि ज्ञान भं.. जैसलमेर. गटका नं. ४१६ ५६१९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनचन्द्रसूरि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पूजजी पधारया रे... गा.८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., - जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६२०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-करुणाकर जिनवर... गा.५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६२१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनपद पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, __.१७वीं-१८वीं, 'आदि-गावइ अपछरा... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६२२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मूरति सूरति मोहनगारी... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 409 For Personal & Private Use Only Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६२३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-मो मन मान्यौ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५६२४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिनपद पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-हो जिणंद जी ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६२५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जिन प्रतिमा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - जिन मूरति जिन... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५६२६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, जैसलमेर जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि -आजु भये आनन्द... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ गीत स्तवन, ५६२७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, ज्ञान पंचमी स्तवन, राजस्थानी, १६९७ समियाणा, 'आदि-प्रभु जाणी रे सुर राणी प्रणमी करी... गा. २७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६२८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, दण्डक गर्भित वीरस्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - प्रणमी वीर जिणेसर पाय... गा. २७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६२९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, दवदन्त पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि- हथिणाउर पुरनो धणी... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६३०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, दस श्रावक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं–१८वीं, ' आदि - प्रह समें प्रणमुं... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६३१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, दादा जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, आदि - कुशल गुरु कुशल करण... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५६३२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, दादाजी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-दरशन अब दिखलाओ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६३३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, दादाजी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-दादाजी दीसे हो सहु दीपतो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ 410 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६३४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, दादाजी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-भेट्यो री दादाजी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५६३५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, दादाजी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सुखदाइ दादो जी सेवकां... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६३६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, देरावर जिनकुशलसूरि स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-दादो दउलति दइ... गा. १७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६३७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, देरावर जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-मन वंछित सुख पूर... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६३८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, देवभद्र यति गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री देवभद्र यतिश्वर... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं जैसलमेर. गटका नं. ४१६. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र..बीकानेर ५६३९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं __ १८वीं, 'आदि-इण जगी पापश्रमण... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, . गुटका नं. ४१६ ५६४०. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि-मोहन जान आवत देखी... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६४१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं १८वीं, 'आदि-विवेकी मन शुद्धि समता सूं राख... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., - जैसलमेर, प्रति नं. १४८२ ५६४२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, धन्ना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आली धन धन... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५६४३. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, धर्मचर्चा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, - १७वीं-१८वीं, 'आदि-बतावइ हो कोई... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६४४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, धर्मनाथ गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १६९७, आदि-धर्मनाथ जिन धर्म धुरन्धर... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 411 For Personal & Private Use Only Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, धर्मनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-तोरा तोरा हो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६४६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, धर्म पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सुगुरु की वाणी सुणउ... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६४७. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नन्दीषेण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आवौ नइ जावौ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६४८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नमि वीनमि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जिनजी हम निज भगत तुम्हारे... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६४९. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मेरो मन मोह्यो हो... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६५०. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-रसरङ्ग रमइ... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६५१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-श्री नेमिसर जगतगुरु... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६५२. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-साचौ सामरौ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५६५३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-हस हस इन रङ्ग खेलूं... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६५४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-खेलति प्रभु नेमि कुमार... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६५५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-यदुपति रंग रस खेलई री... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ 42 412 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६५६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि–सहसावन मांहि... गा. १७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६५७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,‘आदि–अइसो कोउ मोहन... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५६५८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-क्या करी पशुवन छोड़ाया... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६५९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मेरइ हो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६६०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ पद, , गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं,‘आदि-लाल सनेही पिउडौ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६६१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-सांवलियो म्हारउ मन हरु... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६६२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ फाग, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-हो हो रङ्ग रसीला... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६६३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं–१८वीं, 'आदि-हपि हमारी ल्याउ वे... गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५६६४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि- प्रियु प्रीत कि रीति न जाणी हो... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६६५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-मन लीनउ हो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५६६६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - मेरो मन मोह्यो नेमि गीत... गां. ७', अ., ह. अभय ग्र., खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 413 Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-राजिमती राणी बोलइ... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६६८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-लगन मेरे... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६६९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत. स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सामलिये मारुं मन मोयु... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५६७०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि–आलीरी देखौ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६७१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पियउ पियउ इण प्रीतम... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६७२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-मोहन नेमि मिलावइ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६७३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-साम सनेही सामरो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६७४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९७ सांचोर, 'आदि-नेमिकुमर हल धर मिस आए... गा. ३३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, प्रति नं. १४८१, गुटका नं. ४१५ ५६७५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सखि मो मन मोहन... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५६७६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ राजीमती बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्री यादवपति तोरण आया... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६७७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजिमती हिंडोलना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-चन्द वदन राजुल वदति... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 414 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत स्तवन, ५६७८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमि राजुल द्रुपद, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - प्रभु अब मोहे महर करी... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., , जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६७९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ सलोको, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - सरसति सामिय... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ गीत स्तवन, ५६८०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, नेमिनाथ सावन होरी, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-खेलती है होरी हो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६८१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पंचमी सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-म्हाकौ साहिबियौ... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६८२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं१८वीं, 'आदि-आज़ सफल फली ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६८३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं१८वीं, 'आदि-करत निरति सूरियाभ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६८४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं१८वीं, 'आदि-छिन छिन तोहि काल... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६८५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं१८वीं, 'आदि-पर उपगारी हो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७. . ५६८६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-मूरख प्राणिया ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६८७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं१८वीं, 'आदि-रे जीव ध्यान निरंजन ध्यावे... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६८८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं१८वीं, ‘आदि-रे मन तज तूं तात पराई... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 415 Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६८९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं___ १८वीं, 'आदि-रे मन मूढ न कर अहंकार... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५६९०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्याम जी तुहारे... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६९१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पद्म प्रभु द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-पद्मप्रभुजी गुण गावौ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५६९२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आणंद भयो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६९३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ गीत ; गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-आज माइ आणंद... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५६९४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पास जिणेसर सेवियइ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६९५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जगनाथ सुन्दर अतिभला... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५६९६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि–पार्श्वनाथ प्रभु... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५६९७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मूरति अजब बणी... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं. जैसलमेर गुटका नं. ४१५ ५६९८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं-१८वीं, 'आदि-रूप अनूप मनमोहन मूरति... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५६९९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-नव निधि नीकइ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर 416 खरतरगच्छ साहित्य कोश . For Personal & Private Use Only Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७०० महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-सखि री आज अधिक सुख पायो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७०१. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि–ऐसे यह मण्डप मइं विराजइ ... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७०२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-भाव भलइ प्रभु भेटियइ... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७०३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पार्श्वनाथ जसु नामइ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७०४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-प्रवर श्री जिनधर्म... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७०५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पाहड़पुर आदिनाथ स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थान, १७०७, 'आदि-श्री आदीश्वर सेवियइ... गा. २२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ [ पत्र संख्या ३८१, स्थापना १७०२], विनय प्रतिलिपि ५७०६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पाहड़पुर आदीश्वर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ' आदि -आज सफल दिन... गा. १२', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७०७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, पाहड़पुर जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-सखी रे श्री जिनकुशलसूरि ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७०८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रच्छन्न रस नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि -आज तौ फरूकइ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७०९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-कामिण नयन... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७१०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-तनड़ा तूं हइ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 417 Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७११. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, प्रबोध द्रुपद, , गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-रे जिव वखत लिख्या सुख होई... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५७१२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, फतहखान आदिनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ' आदि - नीके नाभिके नन्दन ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७१३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, फलवर्द्धि पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं–१८वीं, ' आदि - फलवर्द्धि पास तुं चिर जयो... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७१४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, फलौदी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि- परमेसर जगी परगड़उ... गा. १४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७१५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, बाहुबली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-धन साधु बाहुबली... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५७१६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, भरत गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-भावै भावै भरतेसर भावना... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५७१७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, भरत गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-सजी वेश अरीसां तण ... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७१८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, भरत द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि–भावन भरत नरेसर भावती... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५७१९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, भुवालिका छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-आदिकुमारी आदि लगी... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७२०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मन प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सोगुरु जो मो मन समझावइ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७२१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मरुदेवी गीत, गीत स्तवन, . राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-धन धन मरुदेवा माइ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर 418 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७२२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, महावीर द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-ध्यावौ ध्यावौ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७२३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मनमोहन महिमानिलौ... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७२४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, महेवा श्रेयांसनाथ गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं [१५६४ वै. व. ८ / प्रतिष्ठा छाजेड़ा सदारङ्ग], 'आदि जिनचन्द जग माहे बड़ो... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७२५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मूर्ख प्रबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-मूरख जनम वृथा मगावइ रे... गा.५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५७२६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मृगावती सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-वीर वंदण... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७२७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, मेघराज गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-मेघमहा नृप आयो... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ , ५७२८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, योगार्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जोगियां सेईजो... गा. १७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, . गुटका नं. ४१६ ५७२९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, योगार्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-प्रीतम एक मिलिया री... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., . . जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७३०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, योगार्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-साधक सोई जो मनकुं... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७३१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रहनेमि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, ... १७वीं-१८वीं, 'आदि-प्रभु वंदण... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, - गुटका नं. ४१५ ५७३२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सखी आज मैं वंछित... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ खरतरगच्छ साहित्य कोश . 419 For Personal & Private Use Only Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७३३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, राजुल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-प्रिय मोते कहे... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७३४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, राजुल पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-प्रीतम मोहि... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७३५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, राधा कृष्ण संवादादि सवैया, गीत स्तवन, , राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि- परम आनन्दकारी... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७३६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, राम-सीता गीत, गीत स्तवन, , राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-बलदेव मन वैरागियो... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७३७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रावण नृत्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं,‘आदि-भले रावण निरति वणावइ हे... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५७३८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, लौद्रवपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि -आज सुधन दिन सुधन घड़ी... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५७३९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, लौद्रवपुर पार्श्वनाथ स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १६९७, 'आदि- चिंतामणि पास पूजियइ... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७४०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, लौद्रवपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-लौद्रपुर अति सोहतौ ...गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७४१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वज्रधर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-श्री वज्रधर जिन वन्दियइ... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७४२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वर्द्धमान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि- ध्यावो ध्यावो श्री जिन वर्द्धमान... गा. ४', अभय ग्र., बीकानेर ५७४३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वाणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि–अइसी विधि जिनजी की ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ 420 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७४४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीतराग द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जिनके नाम बिना नहीं तरणा... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७४५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीतराग ध्यान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं–१८वीं, ' आदि - तें धन जय... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ गीत स्तवन, राजस्थानी, ५७४६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीतराग पद, १७वीं-१८वीं, 'आदि-अब मोहि महर करौ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर राजस्थानी, गीत स्तवन, ५७४७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीतराग पद, १७वीं-१८वीं, ‘आदि–मेरइ इक श्री वीतराग... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७४८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीतराग पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-मेरो मन जिनवर सुं लीनो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७४९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीतराग पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, आदि-हूं बलिहारी रे माइ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७५०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीरजिन स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-जन्मोत्सव गिरिवर धीर... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७५१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीर पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जिन मोहे दीजिए कछु कछु दान... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., , बीकानेर ५७५२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वीर पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-वीर जिणेसर सेवियइ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७५३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-चेत चतुर चित प्राणी... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७५४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-जीउ रे तु चतुर सुजाण... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 421 Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७५५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-बूझो रे तू प्राणी... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७५६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-रे मन क्युं चित चिन्तत नाही... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५७५७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-सब जगि पाहुणा बे... गा.६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७५८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-देखो मूरख प्राणियां... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७५९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं-१८वीं, 'आदि-भावइ हो भरतेश्वर भावना... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७६०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-ज्ञान धरउ चित मांही... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., ___ जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ । ५७६१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-फुलउ वाग सुहामणौ... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ । ५७६२. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वैराग्य सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सूधई मन प्राणी सुणउ... गा. १७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७६३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शत्रुञ्जय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-तुम्हे आवो है...', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७६४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शत्रुञ्जय पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-चलो सखी शत्रुञ्जय गिरि जाइ... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ।। ५७६५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़,शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-आजु आणंद... गा. २', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ 422 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७६६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-जय जिनराज तूं ही... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७६७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़,शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सखि शोभति शान्ति जिणेसरु... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५७६८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शान्तिनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-अब तुम ध्यावो रे माई... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५७६९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़,शान्तिनाथ द्रुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सेवियइ सुखकर शान्ति... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७७०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़,शालिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-वीर कहइ शालिभद्र... गा.५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५७७१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शालिभद्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-शालिभद्र वीर तणउ आदेश लें... गा. १६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७७२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-क्या कोई कीर्ति आपइ... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७७३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शीतपुर शान्तिनाथ स्तवन, गीत ___ स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-शीतपुरे अति शोभतो... गा.७', अ., ह. जिनभद्रसूरि 'ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७७४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/जिनचन्द्रसूरि बेगड़,शीतलनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-शीतल जिन को ध्यान धरुं... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५७७५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शीतला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, - १७वीं-१८वीं, आदि-सुप्रसन्न होई माई... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७७६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि)/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, शुक्ल-कृष्णपक्ष गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-अरे लाल सुन्दर रूप सुहामणौ... गा.६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ खरतरगच्छ साहित्य कोश . 423 For Personal & Private Use Only Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७७७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, श्रेयांसनाथ गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-जिनचन्द जग माहे बड़ौ... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५७७८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, संसार स्वरूप गीत, गीत स्तवन, .. राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-माई ए संसार... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५७७९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/ जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सनत्कुमार सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-तें मन मोसु चोर्यो... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७८०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, समकित गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-जिण नइ रे कहउ किम समकित... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५७८१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि )/जिनचन्द्रसूरि बेगड़, समवसरण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-रे सामी इसी विध राजता... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७८२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सांचोर वीर दुपद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-सुखदाइ मूरत वीर की... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७८३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, साधु गुणवर्णन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-तिण साधु के... गा. ४', अ,, ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५७८४. महिमसमुद्र ( जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, साधु गुणवर्णन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-धन साधु जे इणि परि रहइ... गा.४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५, अभय ग्र., बीकानेर ५७८५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सामायिक गर्भित पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-पुरसादाणी पास जिण... गा. ५९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ।। ५७८६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सामायिक पौषध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, आदि-कर सामायिक... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५७८७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सुकोशला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-माई धन धन... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ बीकानेर 424 खरतरगच्छ साहित्य कोश . For Personal & Private Use Only Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७८८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सुबाहु स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि- सुबाहु सांभलौ जी... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७८९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सुभद्रा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-सतीय सूधी सुभद्रा सती ... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७९०. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सूरप्रभ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-ओलगड़ी अलवेसर... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७९१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सूरियाभ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'सुरियाभ सुर नृत्य करह... ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७९२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सृष्टिकर्ता स्थापन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ' आदि - पंडित ज्ञान विचार ... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, अभय ग्र., बीकानेर ५७९३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, सेरिसा पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं–१८वीं, 'आदि-श्रुत देवी रे... गा. १५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७९४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-तुं धन धन... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७९५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-तूं तो ज्ञान कथा हिय लाय ... गा. ८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५७९६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-हूं बलिहारी हो थांरी... गा. ११', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५७९७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र चौमासा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-ऊँ नमो श्रावण आवियो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५७९८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र चौमासा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-श्रावण मास सुहामणो... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 425 Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७९९. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र पद, , गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-मुखड़ा नइ मटकई... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५८००. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्थूलभद्र पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-श्री स्थूलभद्र प्रीतम... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ गीत ५८०१. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्माइलखाँ आदिनाथ पद, स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, ' आदि - सखि आदि जिणंद को... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६, अभय ग्र., बीकानेर ५८०२. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि-जिनगुण गाइज ... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ५८०३. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, स्वार्थ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'आदि- है सब को स्वार्थ को ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५८०४. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, हितशिक्षा द्रुपद, गीत स्तवन, , राजस्थानी, १७वीं - १८वीं, 'गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५८०५. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, हियाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-जीहो एक पुरुष दिसे इसो... गा. ६, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५८०६. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, हियाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, 'आदि-नार एक अतिशय रूयड़ी... गा. ६', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५८०७. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, हियाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि–पंडित कहो न एक हियाली... गा. ७', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५८०८. महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि ) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, हियाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं-१८वीं, ‘आदि-हियाली इक सांभलौ... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७ ५८०९. महिमसिंह / शिवनिधान उ०, उत्तराध्ययन ३६ अध्ययन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७५, 'आदि-श्री जिनवर पदयुग नमी श्री सरसति गुरु पाय... अन्त- श्री उत्तराध्ययनई कह्या छत्तीसई अज्झयण', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग–३, पृ. ६९६ 426 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८१०. महिमसिंह / शिवनिधान उ०, उत्पत्तिनामा सोरठा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३३४', अ. ५८११. महिमाप्रभसागर / जिनकान्तिसागरसूरि, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ 'आदि-दादासा री महिमा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८० ५८१२. महिमाभक्ति / पौत्र क्षमाकल्याणोपाध्याय, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१८५०, आदि-सद्गुरु श्रीजिनदत्तसूरि... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८५ ५८१३. महिमाभक्ति / पौत्र क्षमाकल्याणोपाध्याय, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८८५, 'आदि-वंदो भवि नित... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६७ ५८१४. महिमामेरु, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-ऋषभादिक तीर्थंकर राया... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (२२) ५८१५. महिमामेरु, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-कुशल थुम्भ गडाले... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३०९ ५८१६. महिमाशील / धर्मकल्याणगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सुनिजर कीजै जो... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१० ५८१७. महिमाहंस / युक्तिधीर, जिनहर्षसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पहिरी ___पोसाखां सखियां पांगुरी रे... गा. ११', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०० ५८१८. महिमाहर्ष / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, गुरुजिननाम गर्भित चतुर्विंशति जिनस्तवन, गीत स्तवन, : राजस्थानी, १७२२ स्तम्भ तीर्थ, आदि-चौवीस जिन प्रणमी करी... गा. ३३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५८१९. महिमाहर्ष / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, जिनसमुद्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, _ 'आदि-आज सफल अवतार सखी री... गा. ३', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४३२ ५८२०. महिमाहर्ष / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, जिनसमुद्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि .. श्री जिनसमुद्रसूरि गाइये... गा. ५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५८२१. महिमाहर्ष / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, जैसलमेर २४ जिनगर्भित पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, ... राजस्थानी, १७१३, 'आदि-पास जिणेसर तूं जयउ रे लाल... गा. २०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ___ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१७, विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ५८२२. महिमाहर्ष / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, सर्वगुरुजिनगर्भित २४ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२२ खंभात, 'गा. २३', अ. ५८२३. महिमाहर्ष / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, सेरीसा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, __ 'गा.१४'. अ.. ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र..बीकानेर ५८२४. महेन्द्रप्रभाश्री / त्रिलोकश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि आया शरण... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८९ खरतरगच्छ साहित्य कोश 427 For Personal & Private Use Only Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८२५. महेन्द्रप्रभाश्री / त्रिलोकश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ 'आदि-तेरा आज स्वर्ग... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४२ ५८२६. महेन्द्रप्रभाश्री / त्रिलोकश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-रासलजी के... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४३ ५८२७. महेन्द्रसागर / जिनानन्दसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-कुशलसूरि गुरुदेव... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३११ ५८२८. महेन्द्रसागर / जिनानन्दसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ 'आदि-कुशलसूरि गुरुवर को... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३११ ५८२९. महेन्द्रसागर / जिनानन्दसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि भविजन पूजो बड़े... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१२ ५८३०. महेन्द्रसागर / जिनआनन्दसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-उपदेशामृत का स्तोत्र... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८६ ५८३१. महेन्द्रसागर / जिनआनन्दसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जिनदत्तसूरि गुरु के... गा. १६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८६ ५८३२. महेन्द्रसागर / जिनआनन्दसागरसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-भावे भेट्या गुरुदेव... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८७ ५८३३. महेन्द्रसागर / जिनानन्दसागरसूरि, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि जिनदत्त कुशल... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६७ ५८३४. महेन्द्रसागर / जिनआनंदसागरसूरि, महेन्द्र विलास, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, अ. ५८३५. माईदास , जिनसमुद्रसूरि गीत बेगड़, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुधन दिन ___ आज जिन समुद्रसूरिंद आयो... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३१७ ५८३६. माणक, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-सद्गुरु चरण... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१३ ५८३७. माणक, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-पुण्य योग से आई... गा. १५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१० ५८३८. माणक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-कुशल गुरु अर्ज... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१२ ५८३९. माणक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-चलो री सखी आज... ___गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१३ ।। ५८४०. माणक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-वंदो गुरु चरण... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१३ 428 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८४१. माणक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरि गुरु... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१४ ५८४२. माणक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-सद्गुरु सुनिये अरज... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१४ ५८४३. माणक, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-लीजे लीजे अरजी... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२९ ५८४४. माणक, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-श्री जिनचन्द सुखकारी... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १२९ ५८४५. माणकचन्द / मंडोवरा, बूंदी ऋषभाननादि प्रतिष्ठा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९२१ अ., ह. वृद्धिचन्द्रजी संग्रह, जैसलमेर ५८४६. माणकमुनि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-चन्द पटधारी हो... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१४ ५८४७. माणकमुनि, जिनलाभसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आज सुहावो जी ___दीह... गा. ११', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २९३ ५८४८. माधव / ज्ञानहर्ष बेगड़, जिनगुणप्रभसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सरसति सामणी समरियै... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५८४९. माधव / ज्ञानहर्ष बेगड़, जिनगुणप्रभसूरि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्रद्धा संयम साधना... गा. १०', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५८५०. माधव / ज्ञानहर्ष बेगड़, जिनधर्मसूरि गीत (जिनसागरीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, ' 'आदि-महिर करो मुझ ऊपरै... गा.७', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३३६ ५८५१. मान / बेगड़, जिनचन्द्रसूरि गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अधिकाई जिणचन्दसूर की... गा. ३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१६ ५८५२. मानसाह, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-अब तुम देखउ नेम चले गिरिनारि... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५८५३. माल, नेमिनाथ बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५८५४. मालदेव, स्थूलिभद्र धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पास जिणंद जुहारिया... गा. १०१', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ५८५५. मुक्तिमोहन उ० / लक्ष्मीप्रधान उ० , गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि सद्गुरुजी म्हारां... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१३ । ५८५६. मुक्तिमोहन उ० / लक्ष्मीप्रधान उ० , जिनकुशलसूरि बधाई, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-आज की घड़ी म्हारे... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८५ खरतरगच्छ साहित्य कोश 429 For Personal & Private Use Only Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८५७. मुक्तिमोहन उ० / लक्ष्मीप्रधान उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-थारा दरसण की... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१५ ५८५८. मुनिविमल, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-कुशल गुरुमइ... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१६ ५८५९. मेघनिधान / रत्नसुन्दर भावहर्षी, जोधपुर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.८', अ. ५८६०. मेघनिधान / रत्नसुन्दर भावहर्षी, तिमरी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'गा. ९', अ. ५८६१. मेघनिधान / रत्नसुन्दर भावहर्षी, नाकोड़ा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७', अ. ५८६२. मेघराज नाहटा / दानमल नाहटा, चतुर्दादा स्तुति, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दादा __ जिनदत्त... अपूर्ण', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८० ५८६३. मेरुकुशल / प्रीतिविलास, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि ___ श्री कुशल सूरींद... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१६ . ५८६४. यशोवर्द्धन / सुगुणकीर्ति, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि मनमोहनगारो सांम सही... गा. १०', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१६०) ५८६५. यशोवर्द्धन / सुगुणकीर्ति, फलवर्द्धि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री फलवर्द्धि पुर मंडण स्वामी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२५) ५८६६. रङ्गकलश / गुणशेखर, फलवर्द्धि पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८६७. रङ्गकलश / गुणशेखर, वीकमपुर वीरजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २५' अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८६८. रङ्गकलश / कनकसोम उ०, होलीगीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६८ बीकानेर, 'गा. २४', अ., ह. विनयचन्द्र ज्ञान भं., जयपुर ५८६९. रङ्गविनय / चारित्रसोम, चौवीस तीर्थंकर देहप्रमाण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-प्रणमुं त्रषभ जिणेसर... गा. १३', मु., अभय रत्नसार, पृ. २८२ ५८७०. रङ्गविनय / चारित्रसोम, चौवीस तीर्थंकर आयुष्यप्रमाण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–प्रणमुं त्रषभ जिणेसर... गा. १३', मु., अभय रत्नसार, पृ. २८४ ५८७१. रङ्गविनय / चारित्रसोम, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि __मोरी अरज सुनो... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१६ 430 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८७२. रङ्गविनय / चारित्रसोम, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-पास जी मन मान्यो हमारे... गा. ८', रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१०७) ५८७३. रङ्गसागर, पार्श्वतीर्थंकर फाग, गीत स्तवन, राजस्थानी-संस्कृत, १६वीं, आदि-विद्यानांकुल मेदिनी नवनमो..., अन्त-धत्तेलङ्कार रत्नौघ... गा. ४८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ५८७४. रङ्गसार उ० / भावहर्षसूरि भावहर्षी, गिरनार चैत्यपरिपाटी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८७५. रङ्गसार उ० / भावहर्षसूरि भावहर्षी, नेमिनाथ वृद्ध स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-सरसति सामिणि गजगति गामिनि... गा. २१', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८७६. रङ्गसार उ० / भावहर्षसूरि भावहर्षी, वीरमपुर शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८७७. रङ्गसार उ० / भावहर्षसूरि भावहर्षी, शान्ति जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८७८. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, करणीमाता छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, अ. ५८७९. रुघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, गुरुदेव सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि-मिश्री घृत और... गा. १', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८१ ५८८०. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, गौडी पार्श्वनाथ पंचकल्याणक छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'गा. ६५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८८१. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७९२, ___'आदि-धींगधवल गोडी धणीजी लो...', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ५७३ ५८८२. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, यु. जिनदत्तसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं - १९वीं, 'आदि-वरदायक हंसवाहिनी... गा. ३५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३० ५८८३. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, जिनकुशलसूरि छप्पय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं १९वीं, 'आदि-कुशल अङ्ग उछरङ्ग कुशल... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१४ ५८८४. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं १९वीं, 'आदि-श्री जिनदत्तसूरि... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९६ ५८८५. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, नवकार सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि-ओंकार बड़ो सब अक्षर में... गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८८६. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, नाकोड़ा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७९२, __ अ.. 431 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८८७. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बयालीस दोषगर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'गा. ३६', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग–३, पृ. १४५५ ५८८८. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, बहत्तर मिथ्यात्वभेद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'गा. ३१', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग–३, पृ. १४५५ . ५८८९. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, राणकपुर आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७९८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५८९०. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, विक्रमपुर शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८१७, अ. ५८९१. रघुपति उ० / विद्यानिधान उ०, विमल जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, अ. ५८९२. रतन, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-श्री जिनकुशल सूरिंद... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१७ ५८९३. रत्नचन्द्र, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-श्री विमलाचल तीरथ.धणी... गा. २५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२, २९८१३ ५८९४. रत्नतिलक / अभयमूर्ति, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सरस वचन... गा. १८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४२९ ५८९५. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७०, 'आदि-युगवर श्री जिनचन्दजी... गा. १७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०२ ५८९६. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, नवहर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६३३, अ. ५८९७. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६३३, 'आदि-रे जीउ तनु दुर्जन क्यों पोसो... गा. ४', अ. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ५८९८. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वृथा करम बांधति जीउ मारी... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ५८९९. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पास जिणंद जुहारियै... गा. ९', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७५५५ ५९००. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, मंगल गीम प्रथम, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पहिलो मंगल जाणीयइजी... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ५९०१. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, मंगल गीत द्वितीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बीजउ मंगल मनि ध्याइयइजी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ५९०२. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, मंगल गीत तृतीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-समता रस भरि झीलतारे... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९०३. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, मंगल गीत चतुर्थ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'आदि-धरम खरो जिनवर तणो... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७, २८३६३ (७०) ५९०४. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गहूंली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सुगुरु मेरउ कामित कामग वी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, ___ पृ. ४३२, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२३ ५९०५. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं, 'आदि-पावसि नाथन ज्युं गुरु गाजइ बे... गा. ७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५९०६. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-युगवर श्री जिनचन्दजी... गा. १७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३१ ५९०७. रत्ननिधानोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, संभव जन्माभिषेक वृद्ध स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं जैसलमेर, 'गा. २५', अ. ५९०८. रत्नराज / रत्नसुन्दरगणि, बावीस अभक्ष निवारण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७३९ से पूर्व, 'आदि-प्रणमुं भावई श्री आरिहंत... गा. २७', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १३३१ ५९०९. रत्नविशाल / गुणरत्न उ०, मुलतान पार्श्व पांच समवाय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८२, 'आदि-नमिर सुर असुर नर... गा. ३१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१४१) ५९१०. रत्नसागर, आदिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-हाँ रे मोरा आदि जिणंद देव... गा. ७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ५९११. रत्नसुन्दर वा. / रत्नकुशलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-म्हें तो सेवक दादा... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१७ ५९१२. रत्नसुन्दर वा. / रत्नकुशलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, - 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीसरु... गा.५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१८ ५९१३. रत्नसुन्दर वा. / रत्नकुशलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-श्री जिनचन्दसूरि... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१८ ५९१४. रत्नसुन्दर वा. / रत्नकुशलगणि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनदत्त जुहारा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८८ ५९१५. रयण साह, जिनपतिसूरि धवल गीत, ऐतिहासिक गीत स्तवन, राजस्थानी, १३वीं, 'आदि __वीर जिणेसर नमइ सुरेसर... गा. २०', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ६ ५९१६. राज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-अलवेसर आज भले... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१९ 433 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९१७. राज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-कुशल गुरु पूरो... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३१९ ५९१८. राज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-तू है दाता मेरो... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२० ५९१९. राज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-निरधारां आधार... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२० ५९२०. राज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-मेरी पीर हरो....गा: ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२१ ५९२१. राज, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-श्री गणधर गुरु... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२१ ५९२२. राजकरण, जिनमहेन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-आज वधाई आवियो म्हारे ... गा. ११', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०३ ५९२३. राजकरण, जिनमहेन्द्रसूरि भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-वारि जाऊं पूज म्हारी... गा. १३', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०२ . ५९२४. राजविजय, बीकानेर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२७, 'गा. १०१', अ., ह. बड़ा ज्ञान भं.. बीकानेर ५९२५. राजलाभ / राजहर्ष, उत्तराध्ययन ३६ अध्ययन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-विनय करेजो साधो विनय करेजो..., अन्त-उत्तराध्ययनमइ प्रथम अध्ययनइ', अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर ५९२६. राजलाभ / राजहर्ष, गौडी पार्श्वनाथ छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २८', अ., ह. ___मुकनजी संग्रह, बीकानेर ५९२७. राजलाभ / राजहर्ष, गौडी पार्श्वनाथ छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ११', अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर ५९२८. राजलाभ / राजहर्ष, नेमि सिलोको, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५९२९. राजलाभ / राजहर्ष, वीर २७ भव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३४, 'आदि-पाय प्रणमुरे महावीर सासन धणी... गा. २९', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग–३, पृ. १२३२ ५९३०. राजलाभ / राजहर्ष, शत्रुञ्जय यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५९, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५९३१. राजलाभ / राजहर्ष, हीरकीर्त्ति परम्परा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि पदमहेम गुरु प्रवर सदा सेवक सुख... गा. २', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५५ 434 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९३२. राजलाभ / राजहर्ष, हीरकीर्ति स्वर्गगमन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२९, 'आदि श्री हीरकीर्ति वाचक प्रणमो... गा. १७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५६ ५९३३. राजशील उ० / साधुहर्ष उ०, उत्तराध्ययनसूत्र ३६ अध्ययन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'आदि-सरसति मति अति निरमली..., अन्त–इम भणइ सोहम सोहम स्वामि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २८२५ ५९३४. राजसागर / हीरधर्म उ० पौत्र, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-ओ लाल श्री जिनकुशलसूरि... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२५४), मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२१ ५९३५. राजसिंह / विमलविनय, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ५९३६. राजसिंह / विमलविनय, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ५९३७. राजसिंह / विमलविनय, विमल जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ५९३८. राजसोम / जयकीर्त्ति उ० जिनसागरीय, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि–सांभलि गौडी पास रे मनमोहन... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २१८१३ ५९३९. राजसोम / जयकीर्त्ति उ० जिनसागरीय, नवकारवाली १०८ मणका स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५९४०. राजसोम / जयकीर्त्ति उ० जिनसागरीय, समयसुन्दर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नव खण्ड में जसुनाम पंडित.... गा. १२', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १४८ ५९४१. राजसोम / जयकीर्ति उ० जिनसागरीय, सांगानेर पद्मप्रभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २२', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, अभय ग्र., बीकानेर ५९४२. राजसोम / जयकीर्त्ति उ० जिनसागरीय, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६७, 'आदि-श्री सिद्धाचल सेवीये रे लो... गा. ४८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २१८१३ ५९४३. राजहंस / कमललाभ उ०, जिनरङ्गसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि मनमोहन महिमा महिला निलउ... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २३१ ५९४४. राजहंस / कमललाभ उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ५९४५. राजहंस / कमललाभ उ० , मुनिसुव्रत जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ५९४६. राजहंस / कमललाभ उ०, मुलतान सुमतिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, _ 'गा. १२', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ५९४७. राजहंस / कमललाभ उ०, शीतल जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश 435 For Personal & Private Use Only Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९४८. राजहंस / कमललाभ उ०, सुमति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ५९४९. राजहर्ष / ललितकीर्ति उ०, जिनकुशलसूरि १०८ स्तूप नाम गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-वंदीजइ सद्गुरु... गा. २९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १७० ५९५०. राजहर्ष / ललितकीर्ति उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि ___ श्री जिनदत्तसूरि... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ८८ ५९५१. राजिंद, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-देरावर थारो... गा.६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२२ ५९५२. राजेस, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय गणनायक... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२३ ५९५३. राधा शाह, जिनशिवचन्द्रसूरि रास पिप्पलक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७९५ राजनगर, ___ 'आदि-शासन नायक समरिये... गा. १०५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३२१ ५९५४. रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्ग वाचक, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनकुशलसूरीसर... गा.८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२३, ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२६२) ५९५५. रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्ग वाचक, दशपच्चक्खाण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२१, 'आदि-सिद्धारथ नन्दन नमूं..., अन्त–पचखांण दसविध फल', मु. जैन रत्नसार ५९५६. रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्ग वाचक, बीकानेर आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१७३०, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५९५७. रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्ग वाचक, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५०, ___ 'गा. १९', अ., ह. तपागच्छीय ज्ञान भं., जैसलमेर ५९५८. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, अभयदेवसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, अ. ५९५९. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, आबू स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ५९६०. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, गिरनार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ५९६१. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, तारङ्गा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ५६६२. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, तेरह काठिया सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१० ग्वालियर, अ. ५९६३. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, धुलेवा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१६, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर 436 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९६४. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, फलौदी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, ___ अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ५९६५. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१६, अ., ह. ___वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ५९६६. रामचन्द्रगणि / शिवचन्द्र उ०, सम्मेतशिखर ६ बोल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८७९?, अ., ह. खजांची संग्रह, बीकानेर ५९६७. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, अल्पा बहुत्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२३, 'गा. १४', अ. ५९६८. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द)/ दयासिंह उ०, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि-अहो श्री विमलाचल के धणीजी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (७०) ५९६९. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द)/ दयासिंह उ०, आबू यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२१, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५९७०. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द)/ दयासिंह उ०, गौडी पार्श्वनाथ छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि–त्रिभवण मझतत सारं..., अन्त-भव भवतूं भगवंत देव...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५९७१. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द)/ दयासिंह उ०, गौडी पार्श्वनाथ छंद, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___१८वीं-१९वीं, 'गा. ११३, १३६', अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ५९७२. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि-कृपा करौ मै गौडी पास... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (४८) ५९७३. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं जैसलमेर, 'आदि-देरावर रो... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, . पृ. ३२४ ५९७४. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, आदि-जगमोहना... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२५ ५९७५. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, .. राजस्थानी, १८वीं-१९वीं गडाला, 'आदि-दादोजी परतिख... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३२५ ५९७६. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द)/ दयासिंह उ०, जिनभक्तिसूरि पद्य, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 437 For Personal & Private Use Only Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९७७. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, जिनसुखसूरि मजलस दवावेद, गीत स्तवन, उर्दू-राजस्थानी, १७७२, आदि-अहो आवौ वे यार वैठो दरबार..., अन्त–वात की वात चोज का चोज गुण का गुण...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५९७८. रामविजयोपाध्याय ( रूपचन्द) / दयासिंह उ०, नयनिक्षेपविचार गर्भित महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि-जय जय वीरजिणेसर देव... गा. ३३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१९३) ५९७९. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द)/ दयासिंह उ०, नेमिनाथ चौमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, आदि-मारा सम मति जायो रे बाला... गा.५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२३६) ५९८०. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द)/ दयासिंह उ०, नेमिनाथ नवरसो, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, अ., ह. बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ५९८१. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, पंच कल्याणक महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७७३, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ५९८२. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं १९वीं, 'आदि-ऐसे सहिर विच कौण दीवांण है... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (५०) ५९८३. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं १९वीं, 'आदि हो जिनवर तुम से कौन धणी... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (७१) ५९८४. रामविजयोपाध्याय ( रूपचन्द) / दयासिंह उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि-पुरसादांणी हो पास जी... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९५) ५९८५. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द)/ दयासिंह उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि-सुजस तुम्हीणो सांभल्यो रे लाल... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (८९) ५९८६. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, फलौदी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२३, अ. ५९८७. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, मल्लिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि–मोहि कबहु तारोगे दीन दयाल... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (५१) ५९८८. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, समुद्रबन्धकवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६७, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर 438 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९८९. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, सहस्रकूट जिनबिंब विवरण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं-१९वीं, 'आदि-सिद्धाचल हो तीरथ राय... गा. १७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१५७), विनय. प्रतिलिपि ५९९०. रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) / दयासिंह उ०, सीहचल्यो छन्द, गीत स्तवन, पंजाबी, १८वीं-१९वीं, आदि केही गल्ला कत्थीया... गा. १४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ५९९१. रूपलक्ष्मी, तपोधन मुनि सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८९२ 'गा. २१', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ५९९२. रूपहर्ष / रामविजय, जिनरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि श्री जिनरत्नसूरीश... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४१ ५९९३. लक्ष्मण, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ५९९४. लक्ष्मीकीर्त्तिगणि / लब्धिमण्डनगणि, नवकार फल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, __ अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर | ५९९५. लक्ष्मीकीर्त्तिगणि / लब्धिमण्डनगणि, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, __'आदि-वामाराणी जायौ कीकौ... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१४६) ५९९६. लक्ष्मीचन्द्र / बालचन्द्रसूरि, चतुर्विंशति जिनस्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ५९९७. लक्ष्मीचन्द भंसाली / आसानन्दजी भंसाली, चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-आयेगा आयेगा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८७ ५९९८. लक्ष्मीचन्द भंसाली / आसानन्दजी भंसाली, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-तेरे दर्शन को जी... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३१ ५९९९. लक्ष्मीप्रभगणि / कनकसोम उ०, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २७', अ., ह. रामचन्द - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६०००. लक्ष्मीप्रभगणि / कनकसोम उ०, धर्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६४, 'गा. ८७', अ., ह. चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर ६००१. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, जिनरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, - 'आदि-श्री जिनरत्नसूरीश... गा. ७', अ. ६००२. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, अष्ट प्रातिहार्य पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, .... १८वीं, 'गा.५', अ. ६००३. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, आत्म शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आतम मृगमद आफलै... गा. ९', अ. ६००४. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, इरियावही मिच्छामिदुक्कडं गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पद पंकज रे प्रणमी वीर जिणंद रा... १३', मु., अभय रत्नसार खरतरगच्छ साहित्य कोश 439 For Personal & Private Use Only Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६००५. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, कम्मपयडी गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. २९', अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ६००६. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, कर्मप्रकृति निदान गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ४७', अ. ६००७. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, चवदह गुणठाणा विचार गर्भित तत्त्व, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-नमिय सिरि पासजिणराय पयपंकज... गा. ४३', रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१४०) ६००८. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, चौवीसी सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ६००९. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, छिन्नुं जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सयल जिनराय ना पाय प्रणमी करी... गा. १३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६०१०. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-आज तो आनंद मेरे आई भली भावना... गा.६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४७, ह., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३, ३१२२५ (२७६). ६०११. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-महिमा तो थांरी... गा. ५', अ.. ६०१२. लक्ष्मीवल्लभ / लक्ष्मीकीर्ति उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-म्हाने वांछित... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४७ ६०१३. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, जिनप्रतिमा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. मुकनजी संग्रह, बीकानेर ६०१४. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'सदा ___नीलगात्रं... गा. ७', अ. ६०१५. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, तेरह स्थान गर्भित ऋषभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ६०१६. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, देवी जी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि सुप्पाडे अनाडां झाडां... गा. ४', अ. ६०१७. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, पार्श्वनाथ देशांतरी छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुवचन सूंपो सारदा..., अन्त-जपें सहुको जगदीश इश...', अ., उ. जैन गर्जर कविओ भाग-२, पृ. १२५४ ६०१८. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि नंदन अससेन रायनौ रे लाल... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१५५) 440 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०१९. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुजस तुम्हारौ सांभलि हो...७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१५५) । ६०२०. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १८वीं, अ. ६०२१. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, भरत बाहुबली छन्द, कथा चरित्र, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-संपति करण सदा सरसति..., अन्त–बाहूबल बलवंत साधु मोटो...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग–३, पृ. १२५३ ६०२२. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, महावीर गौतम स्वामी छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४१, आदि-वर दे तुं वरदायिनी... गा. ९६', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२५० ६०२३. लक्ष्मीवल्लभ उ० / लक्ष्मीकीर्ति उ०, मुंहपति प्रतिलेखन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-वरधमान जिनवरतणाजी... गा. १५', मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. २९ ६०२४. लक्ष्मीरत्न आद्यपक्षीय, अइमत्ता मुनि सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वीर जिणंद वांदीनइ गौतम गोचरीई संचरिया... गा. १८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कांतिसागरजी संग्रह . ६०२५. लक्ष्यपूर्णाश्री / महेन्द्रप्रभाश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि सुन मनवा गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८९ ६०२६. लक्ष्यपूर्णाश्री / महेन्द्रप्रभाश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि जयंति मनाओ... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३९० ६०२७. लखमसी, जिनचन्द्रसूरि वर्णन रास (जिनप्रबोधीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १४वीं, अ., .. ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०२८. लब्धिमुनि, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अब मइं पायउ... ___गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३४, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२१ ६०२९.. लब्धिमुनि, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दुनिया चाहइ... - गा. ४', मुं. दादागुरु भजनावली, पृ. ४३४, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२१ ६०३०. लब्धिमुनि, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नीको नीकउ री... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३५, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२२ ६०३१. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, अजाहरा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १६५०, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०३२. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, अजाहरा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०३३. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, अजाहरा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर खरतरगर साहित्य काश 441 For Personal & Private Use Only Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०३४. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, अजाहरा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०३५. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, आबू यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६४१, 'गा. २१', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०३६. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, कीर्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'गा. १३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०३७. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०३८. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, चौवीस जिन पांच बोल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १२', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०३९. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, जिनकुशलसूरि गीत देराउर, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ९', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४०. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, जिनकुशलसूरि गीत अहमदपुर, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४१. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, जिनकुशलसूरि गीत अहमदपुर, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं, 'गा. ४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४२. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, जिनचन्दसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-आज उछरङ्ग आणंद अङ्गि... गा. २', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२२ ६०४३. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, जिनदत्तसूरि गीत , गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४४. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, जिनप्रतिमा स्थापना स्तवन , गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १४', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४५. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, जिनसिंहसूरि गीत , गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४६. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, तीर्थचैत्यपरिपाटी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४७. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, देवी गीत , गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४८. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, नेमिनाथ राजुल बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०४९. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, नेमिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मोहन नेमि प्रेम गेहलि... गा. १०', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ 442 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०५०. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, नेमि राजुल सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६०५१. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वनाथ देशांतरी छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ४६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०५२. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अविचल लक्ष्मी विमल... गा. ७', अ. ६०५३. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, पंजाबी, १७वीं, _ 'आदि-आखंड मै हुं तेंडी गुण गल्लां... गा. ५', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६०५४. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, पंजाबी, १७वीं, 'आदि-दोस्ती गुडी... गा. ५', अ. ६०५५. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-जगदीश जयौ श्री पास जिणंद... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१५४) ६०५६. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-वामानंदन वंदिय... गा. ५', अ. ६०५७. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वामानंदन पास सुणो मुझ वीनती... गा.७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६०५८. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सदा माहरो... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६०५९. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'आदि-सुन्दर मूरति... गा. ५', अ. ६०६०. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, प्रतिमा शिक्षा सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, .. 'आदि-चरण नमूं श्रीवीर तणो... गा. २७', रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६०६१. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, फलौदी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, - १७वीं, आदि-श्री फलवर्द्धिपुर पास जी... गा. ७', अ. ६०६२. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, बंभणवाड .... स्तवन (सिरोही संघ सह यात्रा), गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०६३. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, बीकानेर चौवीसटा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-चावौ देवल चउवीसटौ...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ । ६०६४. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, भरत बाहुबली भिडाव छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १०३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ खरतरगच्छ साहित्य कोश 443 For Personal & Private Use Only Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०६५. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, मक्षी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मक्षी पार्श्वजुहारिये... गा. ७', अ. ६०६६. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, महावीर गौतम छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'गा. ९६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६०६७. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि अकबर प्रतिबोध रास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६४८ अहमदाबाद, आदि-जिनवर जगगुरु मन धरि... गा. १३६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४८ ६०६८. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज उछरङ्ग आणंद अंगि ऊपनौ... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३५ ६०६९. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि ५२ वीरसाधना गीत, गीत . स्तवन. राजस्थानी. १७वीं. 'गा. ४६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०७०. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तरसत अंखियां... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६०७१. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, राजिमती रहनेमि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नेमि वंदन राजउ चली... गा. १८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६०७२. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, राडद्रह .... स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०७३. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, लौद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-आणी मन अविचल आस्ता... गा. ११', अ. ६०७४. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, वरकाणा अष्टभय निवारण, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०७५. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, विहरमान जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रथम सीमंधर जिन सुप्रशंस... गा. १९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६०७६. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, वीजापुर . . . . स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०७७. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, वीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. ___ अभय ग्र., बीकानेर ६०७८. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०७९. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि अहो जनम सफल भवियण करै... गा. १७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१३६) 444 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०८०. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., , बीकानेर ६०८१. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, समवसरण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७६, 'गा. ७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०८२. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, सांमल पार्श्वनाथ स्तवन, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०८३. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, साधु सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिबलिहारी जाऊं साधनी... गा. २८', अ. गीत स्तवन, राजस्थानी, ६०८४. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, सिरोही सुमतिनाथ खरतर प्रासाद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६४१, 'गा. १७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०८५. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, स्तम्भन पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६०८६. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., , बीकानेर ६०८७. लब्धिकल्लोल उ० / विमलरङ्ग उ०, स्थूलिभद्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - बाट जोवंती निशदिन... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६०८८. लब्धिमुनि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गहूंली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - अब मइ पाउ सब गुण जांण... गा. ३', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२१ ६०८९. लब्धिमुनि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गहूंली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- दुनिया चाहइ दौ सुलतान... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२१ ६०९०. लब्धिमुनि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गहूंली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नीकौ नीकौ री जिनशासन ए... गा. ३', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२२ ६०९१. लब्धिशेखर / ज्ञानविलास, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पूज्य अवाज सांभलउ सहिए... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३५, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९८ ६०९२. लब्धिसेन / रत्नतिलक, चतुर्विंशति वर्णक नामगर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'गा. ५५', अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता ६०९३. लब्धोदय / ज्ञानराजगणि, ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३१, 'गा. १५', अ. ६०९४. लब्धोदय / ज्ञानराजगणि, धुलेवा ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'गा. १३', अ. खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only १७१०, 445 www.jalnelibrary.org Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०९५. ललितकीर्त्तिगणि / लब्धिकल्लोलगणि, कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-कीर्तिरत्नसूरि वंदियै... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४०४ ६०९६. ललितकीर्त्तिगणि / लब्धिकल्लोलगणि, लब्धिकल्लोल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं ___ 'आदि-गुरु लब्धिकल्लोल मुणिंद जयउ... गा. १२', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०७ ६०९७.. लाभवर्द्धनगणि / शान्तिहर्षगणि, महाराज अजितसिंहजी री नीसाणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६३, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ६०९८. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, एकादश चतुर्विंशति स्थानक बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०१, 'गा. १९', अ., ह. विनयचंद्र ज्ञान भं., जयपुर ६०९९. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, गौडी पार्श्वनाथ बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९६, 'आदि-दूरि थकि म्हे आविया हो लाल... गा. १५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६१००. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थांनी, १७वीं, आदि गौतम नाम भणउ रे भाई... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६१०१. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तीर्थंकर चौवीसे प्रणमूं... गा. ८', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१०२. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, चतुर्विधिसंघ संख्या जिन नाम नवकार प्रथम अक्षर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, 'आदि-तीरथंकर चउवीस प्रणमउ... गा. ८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६१०३. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, चिन्तामणि लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०१, ___ 'आदि-मुझ मनि अलजउ अति घणउ रे... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६१०४. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, यु. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, 'आदि–माहरइ दादउ... गा. ४', मु. दादागुरु भजनावली, पृ. ९६, ह., विनय. प्रतिलिपि ६१०५. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सद्गुरु थे सांभलो... गा. ११', मु. दादागुरु भजनावली, पृ. ९७, ह., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२६६), विनय. प्रतिलिपि ६१०६. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, दानशील तपभाव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९६, 'आदि-दान सीयल तप भावना... गा. ८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६१०७. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, नवकार गुण श्रेष्ठफल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९६, 'आदि-जपि रे जीऊ तूं जपि नवकार... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६१०८. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, ___ 'आदि-तोरण थी जब नेमि सिधारे... गा. १०', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 446 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१०९. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, नेमिनाथ राजिमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, ___ आदि-सुणि तूं सजनी वतिया मोरी रे... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६११०. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, नेमिनाथ राजिमती बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, 'आदि-चंदला पीऊ नई वारि रे... गा. १६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६१११. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, नेमिनाथ राजीमती बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १६८९, 'आदि-सखीरी सांभलि हे तूं वाणी..., अन्त-सखीरी संवत सोलसै निव्यासी', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६११२. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, आदि-कोई भूलउ मन समझावई हो... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६११३. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, आदि-आज आणंद सवायउ... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि । ६११४. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, वरकाणा पार्श्वजिन लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०१, 'आदि–माहरइ आज वधामणा रे लाल... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६११५. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, वरकाणा पार्श्वनाथ बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं 'गा. १७', अ., ह. विनयचंद ज्ञान भं., जयपुर ६११६. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, वरकाणा पार्श्वनाथ बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ११', अ., ह. विनयचंद ज्ञान भं., जयपुर ६११७. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७५, _ 'गा. १७', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०२८ ६११८. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, सती ७२ नाम गुण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९६, _ 'आदि-प्राणी प्रणमउ सती... गा. १४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६११९. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, समस्त चैत्यप्रवाडि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, • . 'गा. १४', अ., ह. विनयचंद ज्ञान भं., जयपुर ६१२०. लाभोदय / भुवनकीर्त्ति उ०, सीमंधर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६१२१. लाभोदय / भुवनकीर्ति उ०, स्थूलिभद्र बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९, 'आदि-सखरी री वालिहित मोहि वेसासी... गा. १७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६१२२. लालचन्द / हीरनन्दनगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि आज दिन धन्य... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४८ ६१२३. लालचन्द / हीरनन्दनगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि कीजिए कुशल संपत्ति... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३४९ 447 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१२४. लालचन्द / हीरनन्दनगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि चरन सरन तुझ आयो... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५० ६१२५. लालचन्द / हीरनन्दनगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि श्री जिनकुशल को... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५० ६१२६. लालचन्द / हीरनन्दनगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि ___ श्री जिनकुशल जुहारा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५१ ६१२७. लालचन्द / हीरनन्दनगणि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि पूजो नित चित... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९८ ६१२८. लालचन्द्र / हीरनन्दनगणि, मौनैकादशी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १७', अ. ६१२९. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि रिषभजिणंद दयाल भजो भाई... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२०२) ६१३०. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३९ बीकानेर, 'आदि–रिषभजिणेसर त्रिभुवन दिवाकर... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१८) ६१३१. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि ज्ञान दिवाकर तूं सही... गा. १५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३४२) ६१३२. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., ऋषभदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सरसति सामिणि वीनवु रे... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२१९) ६१३३. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., काया सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि विणस जाय कागज की गुड़िया... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३२७) ६१३४. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-जै जै चिंतामणि पास... गा. २', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (५१) ६१३५. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आज अपूठा कांई सूता रे... गा. १२', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२८१) ६१३६. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-आज दिन धन्य गिरि भेटियै... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२८५) ६१३७. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कुशल गुरुदेव के दरसण... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २४९, ह. रा.प्रा.वि.प्र., ___जोधपुर ३१२२५ (२७७) ६१३८. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चरण शरण तुझ आयो है... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२७२) 448 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१३९. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-जिनकुशल जुहारा... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२७३) ६१४०. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पूजि मन कुशल सूरिंदा... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२७४) ६१४१. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनकुशल को ध्याइये... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२८२) ६१४२. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जपत मन मेरो श्री जिनदत्तसूरि... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२७५) ६१४३. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पूजो नित चित लाय मनां रे... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२८०) ६१४४. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., जिनवाणी सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि वीरजिणंद नी वाणी... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१३३) ६१४५. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., दशनिक विचारगर्भित नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३३ अजीमगंज, 'आदि-सद्गुरु चरण नमी करी... गा. ४५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२९२), चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६१४६. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि . नवपद ध्यान धरो रे... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (६) ६१४७. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि • शिवसुखदायक जाणिनै... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (७) ६१४८. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि सिद्ध चक्र नित्य वंदीयै रै लो... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (५) ६१४९ : लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि ___ जगतपति नेमि जिनराया... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१३१) ६१५०. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि नहीं कोई तारणहारा प्रभुबिन... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१३७) ६१५१. लालचन्द्र वा. / रलकुशल वा., नेमिनाथ होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ... 'आदि-घरि आयो सिवादेवी लाल... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२०८) ६१५२. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., नेमिनाथ होरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हो तुम नहीं रे खिलार होरी के... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (३०७) खरतरगच्छ साहित्य कोश 449 For Personal & Private Use Only Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१५३. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., नेमिराजुल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि वड वडा भूपति साथले रे... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१२५), ६१५४. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-प्रीति के फंद परो मत कोई... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१३५) . ६१५५. लालचन्द्र वा../ रत्नकुशल वा., पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भेट्यो री जिनचंदा... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१३४) ६१५६. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि एजी भवसिंधु तें प्रभुजी तारा... गा. २', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२४६) ६१५७. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि जगतपति पास जिनराया... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (५९) ६१५८. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि तेवीसम जिन ताहरो जी... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१०५). ६१५९. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि प्रभु जी तुम चरणां सुं नेहडो... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१२३) ६१६०. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि प्रभु जी मोरा रे तूं दीन दयाल... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१११) ६१६१. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि मेरो मन बस कर लीनो... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (६८) ६१६२. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि वंदन श्री महावीर पावापुरी जायै री... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१७०) ६१६३. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-अरे मन तहां जाइयै... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१०८) ६१६४. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि तीरथपति शिखर गिरिंद भेट्यो... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (११०) ६१६५. लालचन्द्र वा. / रत्नकुशल वा., सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-देख्यो री माई शिखर गिरिंद का... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१०८) ६१६६. लालचन्द्र / सोमहर्ष, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-प्रह उठी सद्गुरु अमे पर स्युं... गा. १५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६१६७. लालचन्द्र / सोमहर्ष, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४८, 'आदि-समरो साहिब कुशलसूरीसर... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ 450 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६८. लालचन्द्र / सोमहर्ष, जिनवाणी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ६१६९. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, आत्मानुशासन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भजि भजि भजि भगवंत... गा. २७', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६१७०. लावण्यकीर्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, कुन्थुनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि घड़ी सुलेखइ आज री... गा. ६', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७१. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, जिनसिंहसूरि रागमाला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-जुरि आएस वसंत... गा. १२', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७२. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि नंदन वामाकउ देव... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७३. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-संत निंद इतनी बात कहूं... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७४. लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञाननन्दीगणि, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'आदि-सदा सुखकारी अचिरानन्द... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६१७५. वर्द्धमान नवलखी, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-धन ते दिन मुझ ने कब हुवइ रे... गा. ३६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६१७६. वसता मुनि ( वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'म्हारा सेंण वालो...७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५१ ६१७७. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, जिनलाभसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जिनशासन शिणगारा... गा. १०', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २९५ ६१७८. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर उ०, जिनलाभसूरि द्वावैत, गीत .. स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-धवल धणि मोदक धणी..., अन्त–अविचल जां गिर मेरु इलम', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६१७९. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति)/ तत्त्वसुन्दर उ०, तिरेसठ सिलाकापुरुष स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सद्गुरु चरण कमल मनधारं... गा. १८', मु. . बृहद्स्तवनावली, पृ. २६ ६१८०. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-जोर बन्यो जोर बन्यो जोर बन्यो राज... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१२४) खरतरगच्छ साहित्य कोश 451 For Personal & Private Use Only Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८१. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि-सेवक नी अरदास सुणीजे... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (९३) ६१८२. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, रात्रिभोजन सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४७५ ६१८३. वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) / तत्त्वसुन्दर, वीस स्थानक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, ६१८४. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-ओ निरंजन निर्ग्रन्थ... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१५ . ६१८५. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-तू ज्ञान का बादल... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१६ ६१८६. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि तेरे दर्शन को... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१७ ६१८७. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि देवा ___ओ गुरुदेवा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१७ ।। ६१८८. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, आदि-भवसागर है... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१८ ६१८९. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-मैं हूं दुखिया... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१८ ६१९०. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, आदि-हे गुरु तेरी कृपा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५१९ . ६१९१. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०१४ मालपुरा, __'आदि-अर्ज सुनो गुरुदेव...५', दादागुरु भजनावली, पृ. ३५५ ६१९२. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं मालपुरा, _ 'आदि-कुशल गुरु गुण गाओ... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५५ ६१९३. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं मालपुरा, 'आदिमैं कुशल सूरि गुरु... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५६ ६१९४. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि श्री जिनकुशलसूरीश्वर... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५७ ६१९५. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, आदि सुनो सुनो ए दुनिया... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५२ 452 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१९६. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९९३, आदि–हे कुशल करण गुरु... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५७ ६१९७. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि पूजो पूजो जिनदत्त... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९८ ६१९८. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि सद्ज्ञान के उज्जवल... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९९ ।। ६१९९. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि __ सुगुरु जिनदत्त... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ९९ ६२००. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-गुरु चरणों की... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३१ ६२०१. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-चरणों में आए दादा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावला, पृ. १३२ ६२०२. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, _ 'आदि-जगमग ज्योति जग में... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३२ ६२०३. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि–जिनचन्द्रसूरि दादा... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३३ ६२०४. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, - आदि-तुम हो तारण तरण... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३३ ६२०५. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'तू ही जग का रखवारा... ३', दादागुरु भजनावली, पृ. १३४ ६२०६. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-भव भय भंजन... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३४ ६२०७. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि-मणिधारी जिनचन्द्र... गा. ३',मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३५ ६२०८. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि - सूखे चमन में... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३६ ६२०९. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, आदि · · तेरी भक्ति देखी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३६ ६२१०. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि दादा श्री जिनचन्द्र... गा. ४', मु., दादागुरु, भजनावली, पृ. ४३७ . ६२११. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि बार बार अभिनन्दन... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 453 For Personal & Private Use Only Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२१२. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि श्रद्धा सुमन... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३८ ६२१३. विचक्षणश्री / स्वर्णश्री, जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं-२१वीं, 'आदि हे चन्द्रसूरि... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३९ ६२१४. विचक्षण मण्डल, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-चल के आये हैं... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०० ६२१५. विजय, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव मेरी किश्ती... गा. ३', ___ मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२० ६२१६. विजय, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, गुरुवर गुरुवर... ३', दादागुरु भजनावली पृ. ५२० ६२१७. विजय, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुवर तुम्हारी... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२१ ६२१८. विजय, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-गुरुवर द्वार पे... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ.५२१ ६२१९. विजय, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दर्शन देना हमें... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२२ ६२२०. विजय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-अब तो कुशल गुरु... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५८ ६२२१. विजय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि सुनो सुनोजी... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५८ ६२२२. विजय, दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि. दादा ओ दादा... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६१ ६२२३. विजयहर्ष / विमलकीर्त्ति उ०, अढी द्वीप स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६२२४. विजयहर्ष / विमलकीर्त्ति उ०, गौडी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६२२५. विजयहर्ष / विमलकीर्ति उ०, लौद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३०, __ अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६२२६. विजयहर्ष / विमलकीर्त्ति उ०, वैराग्योपदेश सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६२२७. विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, जिनचन्द्रसूरि गीत जिनरत्नीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-श्री जिनचन्दसूरीसरु रे... गा.७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४५ 454 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२२८. विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, जीरावला पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १८वीं, 'गा. ३१', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ६२२९. विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, दशवैकालिक सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७३३ सोजत, अ., ह. धरणेन्द्र संग्रह, जयपुर ६२३०. विद्याविलासगणि / कमलहर्षगणि, स्तवनावली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६२३१. विद्याविशाल / सांवलजी, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि बलिहारी तोरे नाम... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५९ ६२३२. विद्याहेमगणि / उदयरत्नगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६८, _ 'आदि-सहाई मेरे श्रीजिन... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५९ ६२३३. विद्यासिद्धि साध्वी, गुरुणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९९, 'आदि-अपूर्ण, अन्त सोलहसइ विआणू वरस मई... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २१४ ६२३४. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, अभिनन्दन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पंथीडा अंदेसौ मिटसै... गा. ४', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५७ ६२३५. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, ऋभषजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-वीनती सुणो रे मांहरा वाल्हा... गा. ७', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५४ ६२३६.. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, कुगुरु सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि जैन युक्ति सुं साधना... गा. ३१', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०४ ६२३७. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, गौडी पार्श्वनाथ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि - नाम तुम्हारो सांभली रे... गा. १५', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६९ ६२३८. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, ग्यारह अङ्ग सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७५५ ... अहमदाबाद, 'आदि-अंग इग्यारे में थुण्या...७', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८६ ६२३९. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, चन्द्रप्रभ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि . साहिबा हो पूरण शशिहर सारिखौ... गा. ५', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५८ ६२४०. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-अरज अरिहंत अवधारियै जी... गा. ५', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७२ ६२४१. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, . 'आदि-भलौ वण्यो मुखड़ा नो मटको... गा.७', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७२ ६२४२. विनयचन्द्रगणि./ ज्ञानतिलकगणि, जिनचन्द्रसूरि गीत जिनधर्मसूरिपट्टे जिनसागरीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-वडवखती गुरु नित गाजै... गा. ११', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 455 For Personal & Private Use Only Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२४३. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, जिन प्रतिमा स्वरूप सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-विपुल विमल अविचल अमल... गा. ३६', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०० ६२४४. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, दुर्गति निवारण सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि-सुगुण सहेजा मेरा आतम... गा. ९', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९९ ६२४५. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, नारङ्गपुर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सुनिजर ताहरी देखिनई रे... गा. ७', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७६° ६२४६. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, नेमिनाथ राजुल बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आवउ हो इस रिति हितसई... गा. १३', मुं., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६१ ६२४७. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, नेमिनाथ सोहला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-नेमिकुमर वर वींद विराजै... गा. ७', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०९ ६२४८. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमी हो अरज सुणोरे वाल्हा... गा. ९', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५९ ६२४९. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदितूठा रे पास जिणंद... गा. ७', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७३ ६२५०. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, पार्श्वनाथ बृहत् स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री पास जिनेसर सामी... गा. ११', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६६ - ६२५१. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमाई मेरे सांवरी सूरत सूं प्यार... गा. ३', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७० ६२५२. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि– सुन्दर रूप अनूप... गा. ७', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६७ ६२५३. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, युगादिजिन फाग, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६२५४. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, रहनेमि राजीमती सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- शिवादेवी नंदन चरण वंदन... गा. १५', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७६ ६२५५. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, वाडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - लांघ्या गिरवर डूंगरा जी... गा. ९', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७१ ६२५६. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री शंखेश्वर पासजी रे लो... गा. ११', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६४ 456 खरतरगच्छ साहित्य काश For Personal & Private Use Only Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थानी, ६२५७. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, शत्रुञ्जय आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, १८वीं, 'आदि- बात किसी तुझ नइ कहुं... गा. १३, मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५५ ६२५८. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, शत्रुञ्जय आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्रावक सहुको हुवा आगलि... गा. १२', अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६२५९. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, शत्रुञ्जय यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५५ शत्रुञ्जय, 'आदि-हां रे मोरा लाल सिद्धाचल... गा. २१', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५० ६२६०. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, शत्रुञ्जय स्तवन, 'गा. २७', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६२६१. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि-सांभलि निसनेही हो लाल... गा. ५', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५९ ६२६२. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, स्थूलिभद्र बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि -आषाढइ आशा फली... गा. १३', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८० ६२६३. विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि, स्थूलिभद्र सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ‘आदि-सांभलि भोली भामिनी रे... गा. ७', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७९ गीत स्तवन, राजस्थानी, १७५५, ६२६४. विनयचन्द्रगणि ज्ञानतिलकगणि, स्वाभाविक पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सुणि म्हारी अरदास रे... गा. ९', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७४ ६२६५. विनयमेरुगणि / हेमधर्मगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रीजिनकुशलसूरीसरुजी... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६० ६२६६. विनयमेरुगणि / हेमधर्मगणि, पन्नवणा विचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९२ साचोर, 'गा. २५', अ. ६२६७. विनयराज वा. / ललितकीर्त्ति वा., अंतरीक पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७१२, ' आदि पर उपगारी परम गुरु... गा. ३३', अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (७८) ६२६८. विनयराज वा. / ललितकीर्त्ति वा., अंतरीक पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ३२', अ., ह. वर्द्धमान - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६२६९. विनयराज वा. / ललितकीर्त्ति वा., अंतरीक पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७१२, 'गा. २८', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६२७० विनयराज वा. / ललितकीर्त्ति वा., कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - कीर्त्तिरत्नसूरि वंदीसर... गा. १२', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २९०६३ (६३) ६२७१. विनयराज वा. / ललितकीर्त्ति वा., गौडी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'गा. ३१', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर १८वीं, खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 457 Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२७२. विनयश्री / हुल्लासश्री, सज्झाय संग्रह, सज्झाय, राजस्थानी, २०वीं, मु. पुण्यश्री स्मारक ग्रन्थमाला, जयपुर ६२७३. विनयसमुद्र उ० / जिनमाणिक्यसूरि, ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २२', अ. ६२७४. विनयसागर उ० / सुमतिकलश पिप्पलक, राजगृह स्तव, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७०, ___ 'गा. २३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६२७५. विनयसागर उ० / सुमतिकलश पिप्पलक, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७०, 'गा. २०', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६२७६. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, 'आदि-आदिनाथ जिनराज काटो भवपाश... गा. ३', मु., राइ-देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२७७. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, आदि-कुशलगुरु जैन शासन के सितारे... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६० ६२७८. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, 'आदि-गिरिनारि मण्डन शिवादेवी नन्दन... गा. ५', मु., राइ-देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२७९. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, 'आदि-पुरिसादानी पारस रे... गा. ३', मु., राइ-देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२८०. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, ___ 'आदि हे पार्श्वप्रभो मेरे दिल के विभो... गा. ४', मु., राइ–देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२८१. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, मङ्गल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, 'आदि-भज भज भज मन जिनवर देवा... गा. ५', मु., राइ-देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२८२. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, _ 'आदि-भक्तों के तारणहार... गा. ५', मु., राइ-देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२८३. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, 'आदि-ओ शान्ति जिनेश्वर शान्ति करो... गा. ३', मु., राइ–देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२८४. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, शीतलनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___२१वीं, 'आदि-मनवा शीतल जिनेन्द्र को भजलो... गा. ४', मु., राइ-देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२८५. विनयसागर महो० / जिनमाणिसागरसूरि, सीमंधर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २१वीं, 'आदि-विदेह निवासी श्रीसंमंधर... गा. ४', मु., राइ-देवसि प्रतिक्रमण सूत्र ६२८६. विनयहर्ष वा. / ज्ञानसागरोपाध्याय, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सखी री गुरु की... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६१ ।। 458 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२८७. विनयहर्ष वा. / ज्ञानसागरोपाध्याय, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मेरे जुगवर... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०० ६२८८. विनयहर्ष / देवकुमारमुनि, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि कल्याण मेरुउ... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३९ ६२८९. विनयहर्ष / देवकुमारमुनि, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि माई श्रीजिन... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४३९ ६२९०. विनीताश्री / विचक्षणश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि __ कुशल कारक कुशल... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६१ ६२९१. विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, एकविंशतिस्थानकप्रकरण स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. महरचन्द-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६२९२. विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, जैसलमेर मण्डन महावीर बृहत्स्तोत्र, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तव भाव बहुभत्तिभर नमिय जिणवरपयं... गा. १८', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह . ६२९३. विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, जोधपुर मण्डन पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ६२९४. विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, प्रतिक्रमण विधि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १६९० मुलतान, अ. ६२९५. विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, बाहुबली सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–बाहुबली चारित लीयउ रे... गा. १२', मु., सज्झाय संग्रह, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६२९६. विमलकीर्त्तिगणि / विमलतिलकगणि, सनत्कुमार चक्रवर्त्ति नीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-बिनवै सुनंदा लाडिली संगीता... गा. १२', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६२९७. विमलरत्नगणि / विमलकीर्त्तिगणि, जिनरत्नसूरि निर्वाण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १८वीं, 'आदि-श्री जिनरत्नसूरीसरो... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४४ ६२९८. विमलरत्नगणि / विमलकीर्त्तिगणि, विमलकीर्त्ति गुरु गीत, ऐतिहासिक गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-प्रह ऊठी नित प्रणमियइ हो... गा.८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०८ ६२९९. विवेकसिद्धि साध्वी, विमलसिद्धि गुरुणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि गुरुणी गुणवन्त नमीजइ रे... गा. ११', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४२२ ६३००. वीरविजय / तेजसार, चौवीस जिन ७ बोल विचारगर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६४१ जैसलमेर, 'गा. २५', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, अभय ग्र., बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 459 For Personal & Private Use Only Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३०१. वीरविजय / तेजसार, शत्रुञ्जय तीर्थयात्रा पाप आलोयणा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५२, 'गा. २१', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६३०२. वीरविजय / तेजसार, सतरहभेद पूजा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५२, आदि-वंदि चउवीस जिन गुरुचरण... गा. ३१', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६३०३. वीरविजय / तेजसार, सम्मेतशिखर चैत्यपरिपाटी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६१, ____ अ. केशरियानाथ भं., जोधपुर ६३०४. वेणीदास (विनयकीत्ति) / दयाराम आद्य., जिनगुणरस, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७९९ पीपाड़, अ. ६३०५. वेलजी / ?, जिनसुखसूरि निर्वाण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सहीयां ___ चालौ गुरु वंदिवा... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५१ . ६३०६. शशिप्रभाश्री / सज्जनश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-करो कुशल गुरुदेव... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६२ ।। ६३०७. शशिप्रभाश्री / सज्जनश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि गुरुवर हमारी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६२ ६३०८. शशिप्रभाश्री / सज्जनश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जैन ___शासन ताज हो... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६३ ६३०९. शशिप्रभाश्री / सज्जनश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-दादा के चरणों में... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६३ ६३१०. शशिप्रभाश्री / सजनश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-दादा __ श्रीजिनकुशलगुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६४ ६३११. शशिप्रभाश्री / सजनश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-मेरी नाव करो... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६४ ६३१२. शशिप्रभाश्री / सज्जनश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ___ 'आदि-तुम्हारी शरण में... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३६ ६३१३. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, आदिजिन स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि युगादि प्रथम जिणंद... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३१४. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, चक्रेश्वरी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-जय जय जिन शासन सुरी रे... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३१५. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि–रिषभ जिणेसर अजित जिणंदा... गा.६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ 460 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३१६. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ए जिनवर चउवीसनमौ... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३१७. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, जिनकुशलसूरि भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___'आदि-गुरु महिर करी... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१५ ६३१८. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं ___अजीमगंज, 'आदि-दादा कुशल सूरिंद... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६५ ६३१९. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-बलिहारी हूं कुशल... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६५ ६३२०. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं पाली, 'आदि-श्रीजिन कुशल सूरीसर... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६६ ६३२१. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि ___ जय जय जय जय जय जिनराज... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६३२२. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि तेरी सूरत से जिन मेरा जुहार रे... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६३२३. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, ज्ञान पञ्चमी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-ज्ञान निरन्तर वंदीये... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३२४. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, नन्दीश्वरद्वीप स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-स्वस्ति श्री सुखकरण...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६०६३ ६३२५. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, नन्दीसूत्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, आदि भवियण सुणियै रे नंदीसूत्रजी... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ . ६३२६. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-भवि वंदौ री शिवानंद जिणेसर... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., - जोधपुर २६८८२ ६३२७. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मोहि तारो सामि भावसिंधु तै... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३२८. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि .. नित नमीये नाथ मोहनगारो... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३२९. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि पास जिणंदा प्रभु कि बलिहारी रे... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ 461 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३३०. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि __ पास जिणंदा प्रभु मेरे मन वसिया... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३१. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि मेरी लगीय लगन प्रभु पास... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३२. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि मेरो मन हरयो प्रभु पास सांवरे... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३३. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि वामानंदा जिणंद के पद पंकज... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३४. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि हारे मारे जिणंद रा तेरी सूरत... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३५. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-आज चालौ सखी जिन मन्दिर में... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३६. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चालौ री सखीय आपे वंदन जइयै... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३७. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि–जिनवर चरण शरण मै रम रह्यौ... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३८. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-पास जिणिंदा प्रभु की बलिहारी रे... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३३९. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशील, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि ___ पास जिणेसर वंदियै... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३४०. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मन मोह्यौ स्याम जिन मूरत... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३४१. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेरी लगीय लगन प्रभु पास... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३४२. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मेरे वामा के लाल तुम... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 462 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४३. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-मेरौ मनरौ हर्यो प्रभु पास सांवरे... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३४४. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदिहां रे सामि मेरा वामानन्दन वालहा... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३४५. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ___ ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६३४६. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, पार्श्वनाथ स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-सुनीयो सुनीयो सुगुण लोक... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ । ६३४७. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, भगवती सूत्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, ___ 'आदि-अमृत परमाणंद रे बागीश्वरी... गा. ८', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३४८. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, भगवती सूत्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-सहु आगम मै सोभतौ रे... गा. ८', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६३४९. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, शील सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ६३५०. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सम्मेतशिखर पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं 'आदि-गिरिवर शिखर प्रदक्षिण फिरतां...'. अ.. ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपर २६८८२ ६३५१. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सम्मेतशिखर पार्श्वनाथ लावणी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वारी जाऊंरे ए गिरिमहि राजा... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३५२. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सहस्रफणा पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-करण दोय इक बालधीरे... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३५३. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सिद्धचक्र स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कृपानिधि वीनती अवधारौ... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३५४. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सिद्धचक्र स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, _ 'आदि-सोभागी जयकार नवपद वंदो रे... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३५५. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सिद्ध पद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८८९ - जैसलमेर, 'आदि–सिद्ध परम पद वंदौ रे लाला... गा. ७७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६३५६. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सीमंधर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री सीमंधर जिनवर साहिब हो... गा. १५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २६८८२ ६३५७. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि सयल जंतु सुखकारिणी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा 463 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३५८. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सीमंधर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ६३५९. शिवचन्द्रोपाध्याय / पुण्यशीलगणि, सीमंधर जिन स्तुति, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, __'आदि-जय जय सीमंधर जगदीश्वर... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६३६०. शिवसुन्दरगणि / क्षेमराज उ०, नेमिनाथ छन्द, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १६वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६३६१. शिवसुन्दरगणि / क्षेमराज उ०, पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि हरखि पास जिणंद पसाइयइ... गा. ९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६३६२. शान्तिमन्दिर, अल्प बहुत्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, 'गा. ३७', अ., ह. जैसलमेर भं. ६३६३. शुभवर्द्धनगणि / गजसार उ०, उज्जयन्तगिरिचैत्यपरिपाटी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६०५, अ., ह. पूनमचन्द दूधेड़िया, छापर ६३६४. शुभवर्द्धनगणि / गजसार उ०, पत्तनचैत्यपरिपाटी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६०५, अ., ह. पूनमचन्द दूधेड़िया, छापर ६३६५. शुभवर्द्धनगणि / गजसार उ०, पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, अ., ह. पूनमचन्द दूधेड़िया, छापर ६३६६. श्रीतिलक, शान्तिनाथ जन्माभिषेक, गीत स्तवन, राजस्थानी, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६३६७. श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, चतुर्दश गुणस्थानक स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-समरवि वीर जिणेसर देव..., अन्त–एय कुसलकारक दुखनिवारक... गा. २३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६३६८. श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, स्थूलिभद्र एकतीसो, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मृगनयणी ससि सिवयणी...', अ., ह. साराभाई नवाब, अहमदाबाद, महिमासागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६३६९. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, आदिजिन पारणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९९, अ. ६३७०. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रभु प्रणमुं रे प्रहसमे प्रथम जिणेसर... गा. ५१', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०३० ६३७१. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, गौतमपृच्छा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९९, आदि प्रभु प्रणमु रे परमेसर त्रिभुवनतिलो... ३१', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६३७२. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, जिनप्रतिमा स्थापना स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-समकित दृष्टि जिनप्रतिमा सेवा... गा. २७', अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा 464 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३७३. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६३७४. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, दशबोल सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिस्यादवादमत श्रीजिनवर..., अन्त - रत्न बहु मोलस्या... श्लो. - २१', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ६०८७, महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६३७५. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, दश श्रावक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिपहि उठी प्रणमुं दशे..., अन्त - सातमइ अंगई उपदिस्यउ रे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ५३९ ६३७६. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, धर्म विचार सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १९१८ ६३७७. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, नेमिनाथ बारहमासा, बारहमासा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. बीकानेर अभय ग्र., ६३७८. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, प्रवचन परीक्षा सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३६', अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर ६३७९. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, फलौदी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, — आदि-परता पूरण प्रणमियइ ..., अन्त - रतनहर्ष सूपसाउलाई ... गा. २१', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ५३९ ६३८०. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, बत्तीस दलकमलबंध पार्श्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री पार्श्व जिनेश्वर प्रणमउ... गा. ९', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, विनय प्रतिलिपि ६३८१. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, मेघकुमार सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिचारित तेई चिंतवै रे हो... गा. १५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६३८२. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, रोहिणी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि– सासण देवत सांभलिए... गा. २६', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ६३८३. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, लोकनालगर्भित चन्द्रप्रभ स्तवन, १६८७, ‘गा. ७६', अ., ह. सुमेरमलजी संग्रह, भीनासर ६३८५. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता ६३८४. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, वासुपूज्य रोहिणी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२०, 'आदि-सासण देहि सांभणिये..., अन्त-इम गगन दोय मुनिचन्द्र वरणी... गा. २६', मु., बृहद्स्तवनावली, पृ. ८९ राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २६', गीत स्तवन, गीत स्तवन, खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only राजस्थानी, 465 Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत स्तवन, ६३८६. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, सतरह भेदी पूजा गर्भित शान्तिजिन स्तवन, राजस्थानी, १६८२ फलौदी, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर ६३८७. श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, स्याद्वाद सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६३८८. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, आदीश्वर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिनयर विनीता राजीयउजी... गा. ६', अ. ६३८९. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, इरियावही मिच्छामि दुक्कडं गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि- चउवीसमा जिनराय... गा. १४', अ. ६३९०. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिभलरी भलइ आज पूज्य पधारइ... गा. ५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९० ६३९१. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसरसति सामिणी वीनवुं... गा. ११', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९३ ६३९२. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिरंग जागउ जी मोहि जिनसिंहसूरि.... गा. ५', अ. ६३९३. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिश्री जिनसिंहसूरि जगमोहण... गा. ३', अ. ६३९४. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, दशवैकालिक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिचतुर्विध संघ सुणउ हितकारक... गा. ६', अ. ६३९५. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसामलिया सुन्दर देहा... गा. ६', अ.. ६३९६. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, नेमि राजुल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिजोउ जोउ बहिनी हियइ विचारीनइ... गा. ८', अ. ६३९७. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिपुरसादेय प्रधान ध्यान तुमार हो... गा. ५', अ. ६३९८. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि–अमृत वचन पूज्य देखणा... गा. ७', अ. राजस्थानी, ६३९९. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, १७वीं, ' आदि - तुम्हारे वांदिवउ मुझ मन... गा. ९', मु. गीत स्तवन, राजस्थानी, ६४००. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, १७वीं, 'आदि-भलइरी भलइ आज पूज्य पधारइ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४४० 466 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४०१. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री खरतरगच्छ गुणनिलउ... गा. ५', अ. ६४०२. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सरसति सामिणि वीनb... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४४० ६४०३. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुणउ रे सुहागण को कहई... गा. ५', अ. ६४०४. श्रीसुन्दरगणि / हर्षविमलगणि, वैरागी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चेतन __ चेतइ जीउ चित्त मइ... गा. ९', अ. ६४०५. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-अब तो दर्शन दो... गा. ३', मु. दादागुरु भजनावली, पृ. ३६६ ६४०६. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-आओ आओ दादा... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६६ ६४०७. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-कुशल कुशल दातार... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६७ ६४०८. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुजी अब होली... गन. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६८ ६४०९. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं मालपुरा, आदि दादा सा म्हाने... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६८ ६४१०. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं मालपुरा, 'आदि मेरे दादा कशल...गा.७'.म.,दादागरु भजनावली, पृ.३६९ ६४११. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि तुम ही स्वामी हो... गा.५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३७ ६४१२. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि दादा आपकी जय हो... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३७ ६४१३. सज्जनश्री / ज्ञानश्री, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि मणिधारी दादा संघ... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३८ । ६४१४. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-भाया .. भक्ति से पूर... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२२ ६४१५. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सद्गुरु दरसण... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२३ ६४१६. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि __ आज करो रे उच्छाह... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३६९ खरतरगच्छ साहित्य कोश 467 For Personal & Private Use Only Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४१७. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि आज मानूं दरसण... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७० ६४१८. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि कुशल सूरिंद गुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७० ६४१९. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि कुशल सूरिंद सुखकारी... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७० ६४२०. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि कुशल सूरिंदा गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७१ ६४२१. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि गणधर सेवे गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७१ ६४२२. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि दरसण दीजे राज... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७१ ६४२३. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि भाव भगत धरी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७२ ६४२४. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-मैं निरख्यां गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७२ ६४२५. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि मोतीड़े तूठा मैं... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७३ - ६४२६. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि श्री सद्गुरु जिनकुशल... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७३ ६४२७. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि श्री सद्गुरु महाराज... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७४ ६४२८. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि आनन्द रङ्ग बधाई... गा.५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ.१०१ ६४२९. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६९, 'आदि ___ परचा जग सगले... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०१ ६४३०. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, शांतिनाथ जिनालय प्रतिष्ठा स्तवन कलकत्ता, गीत स्तवन, हिन्दी, १८७१, आदि-शान्ति जिणंदजी की मोहनी... गा. ९', मु. पूजा संग्रह ६४३१. सदानन्द पाठक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-मोरा पास जिनराय... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२३५) 468 खरतरगच्छ साहित्य.कोश For Personal & Private Use Only Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४३२. समयप्रमोदगणि / ज्ञानविलास उ०, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अकबर भूपति... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४४१, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९४ ६४३३. समयमाणिक्य / मतिरत्न, मल्लिनाथ पंचकल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३६, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, स्वयं लिखित ६४३४. समयरङ्ग उ० / गुणशेखर उ०, गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पास जिणेसर जग तिलो... गा. २३', मु., अभय रत्नसार, पृ. ३५३ ६४३५. समयराजोपाध्याय / यु. जिनचन्द्रसूरि, पार्श्वनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा.७'. अ.. ह. केशरियानाथ ज्ञान भं.. जोधपर ६४३६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अइमत्ता ऋषि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बेडूली मेरी री तरइ नीर विचार... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४७ ६४३७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अइमत्ता मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-श्री पोलास पुराधिप विजइ... गा. अपूर्ण', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४७ ६४३८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अठारह पाप स्थानक परिहार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–पाप अठारह जीव परिहरउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८३ । ६४३९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अतीत चौवीसी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि केवलज्ञानी नई निर्वाणी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २ ६४४०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अध्यात्म सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–इण योगी ने आसन दृढ़ कीना... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७७ ६४४१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अनागत चौवीसी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ..' १७वीं, आदि-ए अनागत तीर्थंकर चौवीस जिन... गा.६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.१ ६४४२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अनाथी मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-श्रेणिक रयवाडी चढयउ... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४८ ६४४३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अन्तरङ्ग बाह्यनिद्रा निवारण गीत, गीत स्तवन, . राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नीद्रड़ी निवारो रहो जागता... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३५ ६४४४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अन्तरङ्ग विचार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कहउ किम तिण घरि हुयइ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७३ खरतरगच्छ साहित्य कोश 469 For Personal & Private Use Only Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४४५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अन्तरङ्ग शृङ्गार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि हे बहिनी महारउ जोयउ सिणगार हे... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५६ ६४४६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अन्त समये जीव निर्जरा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–इण अवसर करि रे जीव शरणा... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८४ ६४४७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अयवंती सुकुमाल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नयरि उज्जयिनी मांहि वसइ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४९ ६४४८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अरहन्नक मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-अरणिक मुनिवर चाल्या गोचरी... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २५१ ६४४९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अरहन्नक मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-विहरण बेला पांगुरह्यो हां... गा.९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४९ ६४५०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अरहन्नक साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-विहरण वेला रिषि पांगुरय्यो... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २५० ६४५१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अरिहंत पद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि–हां हो एक तिल दिल में आवि तुं... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१९ ६४५२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अल्प बहुत्व गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अरिहंत केवलज्ञान अनंत... गा. २२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२६ ६४५३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अष्टापद तीर्थ भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मनडुं अष्टापद मोह्यं माहरु रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.७३ ६४५४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, अष्टापद तीर्थ भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि–मोरं मन अष्टापद सुं मोयु... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६१ ६४५५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आत्म प्रबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बूझी रे तू बूझि प्राणी... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२५ ६४५६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदित्यशादि ८ साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भावना मनि सुद्ध भावउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २५७ 470 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४५७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिदेवचन्द गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, — आदि-नाभिरायां कुलचन्द आदि जिणंदू...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८१ ६५५८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ गीत आबूमण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि-सफल नर जन्म मनु आज मेरउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८० ६४५९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ गीत शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि- इया मो जनम की सफल घरीरी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७६ ६४६०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ भास आबू मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-आबू परवत रूड्यउ आदिसर... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७८ ६४६१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ भास पुरिमताल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि - भरत नइ द्यइ ओलम्भडा रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८१ ६४६२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ भास शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि– चालउ रे सखि शेत्रुंज जइयेरे... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६५ ६४६३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ भास शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- मुझ मन उलट अति घणउ मन... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६८ ६४६४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ भास शत्रुञ्जय मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - सामी विमलाचल सिणगारजी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७३ ६४६५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ स्तवन जैसलमेर गणधर वसही, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रथम तीर्थंकर प्रणमियै हुं वारि... गा. १२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८७ ६४६६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ स्तवन बीकानेर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,‘आदि-श्री आदीसर भेटियउ... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८५ ६४६७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ स्तवन राणपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - राणपुरइ रलियामणउ रे लाल... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८२ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 471 Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–रिषभ की मेरे मन भगति वसीरी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७६ ६४६९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल शत्रुञ्जय मण्डन आलोयणा गर्भित, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-बेकर जोडि वीनतुं जी... ३२', ___मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७० ६४७०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-क्यों न भये हम मोर... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.७७ ६४७१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ स्तवन विमलाचल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १३', अ., ह. वर्द्धमान–बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६४७२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदिनाथ स्तवन सेत्रावा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-मूरति मोहन वेलडी... गा. १६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.८९ ६४७३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आदीश्वर ९८ पुत्र प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-शान्तिनाथ जिन सोलमउ... गा. ४०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २५३ ६४७४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आबूतीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५७, ___'आदि-आबू तीरथ भेटियउ... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७७ ६४७५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आरति निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–मेरी जीयु आरति कांइ धरइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३३ ६४७६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आहार ४७ दूषण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १६९१ खंभात, 'आदि-साध निमित्त छज्जीव निकाय... गा. ५२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८५ ६४७७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, इलापुत्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि–इलावरध हो नगरी, नाम कि... गा. १८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २५७ ६४७८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, इलापुत्र सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नाम इलापुत्र जाणियइ... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६१ ६४७९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, उदयन राजर्षि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सिंधु सोवीरइ वीतभउ रे... गा. २०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६२ 472 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४८०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, उद्यम भाग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-उद्यम भाग्य बिना न फलइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३९ ६४८१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, उपधान गुरुवाणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वाणि करावउ गुरुजी वाणि... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४३ ६४८२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, उपधान तप स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री महावीर धरम परकाशइ... गा. १८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.८९ ६४८३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ऋषभदेव हुलरामणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी १७वीं, 'आदि-रूडा रिषभ जी घर आवउ रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.९० ६४८४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ऋषि महत्त्व गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बैइठि तखत्त हुकम करइ... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७३ ६४८५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, एकादश गणधर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, -- १७वीं, 'आदि-प्रात समइ उठि प्रणमियइ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४६ . ६४८६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, करकण्डू प्रत्येक बुद्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, 'आदि-चंपानगरी अति भली हुं वारि... गा.५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६७ ६४८७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, करतार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कबहु मिलइ मुझ जउ करतारा... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४३ ६४८८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कर्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि- हां माई करम थी को छूटइ नहीं... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४० ६४८९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कर्म निर्जरा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कर्म तणी कही निर्जरा... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४७ ६४९०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कामिनी विश्वास निराकरण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कामिनी का कहि कुण विसासा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३४ ६४९१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काया जीव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रुड़ा पंखीड़ा मुंनइ मेल्ही... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४१ ६४९२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, क्रिया प्रेरणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-क्रिया करउ चेला क्रिया करउ... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३७ 473 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४९३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, क्रोध निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-जियुरा तूं मकरि किण सुं रोस... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४९ ६४९४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, खंदक शिष्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-खंदक सूरि समोसरया रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६४ ६४९५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, खरतर गुरु पट्टावली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि–प्रणमी वीर जिणेसर देव... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४७, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह पृ. २२७ ६४९६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गज सुकुमाल मुनि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नयरि द्वारामती जाणियइ जी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६६ ६४९७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गहूंली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि प्रभु समरथ साहिब देवा रे... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४६ .. ६४९८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गिरनार तीर्थ भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-श्री नेमीसर गुणनिलउ... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११० ६४९९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गुणरत्नाकर छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५९, अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३३१ ६५००. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गुरु दुःखित वचन, गीत स्तवन, संस्कृत, १७वीं, 'आदि-क्लेशोपार्जितवित्तेन... गा. १९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१७ ६५०१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गुरु दुःखित वचन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-चेला नहीं तउ म करउ चिंता... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१९ ६५०२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गुरु वन्दन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-हां मित्र म्हारा रे चालउ उपासरइ... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६५ ६५०३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गुर्वावली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-उद्योतन वर्द्धमान जिणेसर... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४८ ६५०४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गौतम स्वामी अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–प्रह ऊठी गौतम प्रणमीजइ... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४३ ६५०५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गौतम नाम जपउ परभाते... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४५ ६५०६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-मुगति समौ जाणी करी जी रे... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४४ 474 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५०७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, घंघाणी तीर्थ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६२, 'आदि-पाय प्रणमूं रे पदपंकज प्रभु पासना... गा. २४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २३२ ६५०८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, घड़ियाली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - चतुर सुणउ चित्त लाइ कइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३८ ६५०९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, घड़ी लाखीणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-घड़ी लाखीणी जाइ बे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२७ ६५१०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चत्तारि अठ्ठ इस दोय पद विचार गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - जिनवर भत्ति समुल्लसिय... गा. १७ ', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२४ ६५११. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चन्द्रप्रभ भास चन्द्रवारि मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - चन्द्रप्रभ भेट्यइ मंइ चंदवारि... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९६ ६५१२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चन्द्रप्रभ स्तवन पाल्हणपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७१,‘आदि- सेवो श्री चन्द्रप्रभ स्वामी... गा. १२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९३ ६५१३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चार प्रत्येक बुद्ध संलग्न गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि चिहुं दिशि थी चारे आवीया... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४७ ६५१४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चार मङ्गल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - अम्हारइ हे आज बधामणां... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८१ ६५१५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चार मङ्गल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - श्री. संघनइ मङ्गल करउ ए... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८२ ६५१६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चार मङ्गल शरणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मुझनइ चार शरणा हो जो... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८३ ६५१७. समयसुन्दरोपाध्याय / संकलचन्द्रगणि, चिलातीपुत्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पुत्री सेठ धन्ना तणी... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७५ ६५१८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चुलणी भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-नयरी कंपिल्ला नउ धणी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३२ ६५१९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चौरासी लक्ष जीव योनि क्षामणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-लख चउरासी जीव खमावइ... गा. ३', मु., संमयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८३ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 475 Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५२१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चौवीस दण्डक विचार स्त., ६५२०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चौवीस जिन सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नाभिराय मरुदेवी नन्दन... गा. २५', मु. समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५ गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री महावीर नमूं कर जोडि... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २३० ६५२२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जम्बू स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - जाऊं बलिहारी जम्बू स्वामिनी रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७७ ६५२३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जम्बू स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - नगरी राजगृह मांहि वसे रे... गा. १२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७६ ६५२४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जग सृष्टिकर्त्ता परमेश्वर पृच्छा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-पूछूं पंडित कहउ का हकीकत... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४३ ६५२५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- आज आणंदा हो आज आणंदा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५२, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७४ ६५२६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-आयो आयो जी समरंता दादौ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५०, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७५ ६५२७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दादाजी दीजइ दोय चेला... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५६, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७७ ६५२८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पाणी पाणी नदी रे नदी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५४ ६५२९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - अपूर्ण...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२५ ६५३०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं अहमदाबाद, .' आदि - दादो तो चिन्ता... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७७ ६५३१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत अमरसर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - दाखि हो मुझ दरिसण दादा... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५२, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७६ ६५३२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत अहमदाबाद मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दादो तो दरसण दाखइ... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५५ 476 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५३३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत उग्रसेनपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-पंथीनइ पूर्वी वातड़ी रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५३, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७८ ६५३४. समयसुन्दर / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पाणी पाणी रे... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७८ ६५३५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत देरावर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-देरावर ऊंचउ गढ...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२६ ६५३६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत देरावर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-देरावर दादो दीपतौ रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५१, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७७ ६५३७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत नागौर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-उल्लट धरि अमे आविया दादा... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५३, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७६ ६५३८. समयसुन्दरोपाध्याय / संकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत पाटन मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-उदउ करौ संघ उदउ करौ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५४, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७५ ६५३९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनदत्तसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-दादाजी वीनती अवधारो... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४९, दादागुरु भजनावली, पृ. १०२ ६५४०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनदत्तसूरिगीत अजमेर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८८, आदि-पूजिजि...... गा. ४ अपूर्ण', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२७ ६५४१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनदत्तसूरि जिनकुशलसूरि गीत मुलतान मण्डन, ___. गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ५ अपूर्ण', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२६ ६५४२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिन प्रतिमा पूजा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रतिमा पूजा भगवंति भाखी रे... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, . पृ. २२० ६५४३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ..'आदि-तूं तूठउ द्यइ सम्पदा पूज जी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०४ ६५४४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-भट्टारक तुझ भाग नमो... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०३ ६५४५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भट्टारक तेरी बड़ी ठकुराई... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०४ 477 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५४६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रीपूज्य तुम्ह नइ वांदि चलतां हो... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०५ ६५४७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रीपूज्य सोम निजर करो... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०५ ६५४८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'आदि-अइयो नंदनंदना, नंद नंदना... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१० ६५४९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गुरु कुण जिनसागर सरिखउ री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१० ६५५०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जिनसागरसूरि गच्छपति गिरुयउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०९ . ६५५१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जिनसागरसूरि गुरु भला ए... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१२ ६५५२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-धन दिन जिनसागरसूरि निरखी नयणा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०८ ६५५३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-न्याति चउरासी निरखता रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१३ ६५५४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पुण्य संजोगइ अम्हें सद्गुरु पाया... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१२ ६५५५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-बहिनी आवउ मिलि वेलड़ी जी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४११ ६५५६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मनडु मोहयुं रे माहरु... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१२ ६५५७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवनं, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-वंदउ वंदउ रे श्रीजिनसागरसूरि वंदउ री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४११ ६५५८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सखि जिनसागरसूरि साचउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०८ 478 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५५९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-साहेली हे सागरसूरि वांदियइ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१४ ६५६०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-सिणगार करउ रे साहेलड़ी रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१५ ६५६१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सोल शृङ्गार करइ सुन्दरी... गा. १', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१४ ६५६२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अमरसर अब कहउ केती दूर... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८८ ६५६३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-अरी मोकू देहूँ वधाई... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८४ ।। ६५६४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज कुं धन दिन मेरउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८३, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२९ ६५६५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज मेरे मन की आस फली... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८२, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२७ ६५६६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज सखी मोहि धन्य जीया री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९८ ६५६७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आचारिज तुमे मन मोहियो... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८५, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३१ ६५६८: समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आवउ सुगुण साहेलड़ी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०१ ।। ६५६९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गुरु के दरस अंखियां मोहि तरसइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९७ ६५७०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'आदि-चतुर लोक राजइ गुणे रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०३ ।। ६५७१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चालउ सहेली सद्गुरु वांदवाजी... गा. ९', मु., समयसुन्दर. कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८०, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 479 For Personal & Private Use Only Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५७२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-जिनसिंघसूरि की बलिहारी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९९ ६५७३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चिहुं खंडि चावा चोपड़ा... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८६ ६५७४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'आदि-तुम चलहु सखि गुरुवंदण... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९८ ६५७५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पंथियरा कहिजो एक संदेश... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०० ६५७६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रह ऊठी प्रणमु सदा रे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८७ ६५७७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बे मेव रे काहे री सेव रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९३ ६५७८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-बलिहारी गुरु वदनचन्द बलिहारी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०१ ६५७९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मारग जोवंता गुरुजी तुम्हें भलइ आए रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९६ ६५८०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मुझ मन मोहयो रे गुरुजी... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८७ ६५८१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-ललित वयण गुरु ललित नयण... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०० ६५८२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री आचारिज कइयइ आवस्यइ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९५ ६५८३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रीजिनसिंघसूरिंद जयउ री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९९ ६५८४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सद्गुरु सेवउ हो शुभ मतियां... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९० ६५८५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुणउ री सुणउ मेरे सद्गुरु वयणा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८९ ६५८६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-सुन्दर रूप सुहामणउ रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८८ 480 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५८७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सूयटा सोभागी कहि किहां सुगुरु दीठा... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९५ ६५८८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि चर्चरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-भोर भयउ भविक जीव... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९७ ६५८९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत चौमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रावण मास सोहामणो... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८४, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३० ६५९०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत तिथिविचार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पड़िवा जिम मुनि बड़उ साहेलड़ी ए... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०२ ६५९१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत बधावा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज रंग बधामणां... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८३, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२८ ६५९२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत वेली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-श्री गोतम गुरु पाय नमी... गा.५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७८, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२५ ६५९३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत सवैया अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-एजु लाहोर नगर वर पातिसाहि अकबर... गा.८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९० ६५९४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत हिंडोलना, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सरसति सामिणि वीन... गा.५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८०, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२७ ६५९५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव कर्म सम्बन्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १७वीं, आदि-जीव नइ कर्म माहो मांहि सम्बन्ध... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४२ ६५९६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव काया गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'आदि-जीव प्रति काया कहइ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४१ ।। ६५९७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव दया गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-हां हो जीव दया धरम बेलड़ी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४७ ६५९८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव नटावा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-देखि देखि जीव नटावइ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२५ खरतरगच्छ साहित्य कोश 481 For Personal & Private Use Only Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५९९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-ए संसार असार छइ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२३ ६६००. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - ऐ सारा जाण असार संसार ... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२४ ६६०१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- जागि जागि जंतुया तुं... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२० ६६०२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जिवड़ा जाणे जिण धर्म सार... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२१ ६६०३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-जीवड़ा रे जिन भ्रम कीजियइ ... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२२ ६६०४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव प्रतिबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रे जीव वखत लिख्या सुख लहियइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२१ ६६०५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जीव व्यापारी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आये तीन जणे व्यापारी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३८ ६६०६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ज्ञान पंचमी लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पंचमि तप तुम करो रे प्राणी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २३९ ६६०७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ज्ञान पंचमी बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६६, ‘आदि- प्रणमूं श्रीगुरुपाय... गा. २०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २३६ ६६०८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ढंढण ऋषि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९२, 'आदि-नगरी अनोपम द्वारिका ... गा. २१', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७८ ६६०९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तप गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदितप तप्या काया हुई निरमल... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५३ ६६१०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तीरथ भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिसखि चालउ हे सखि चालउ हे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६० ६६११. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तीर्थंकर २४ गुरु नाम गर्भित पार्श्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वृषभ धुरंधर उद्योतन वर... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८४ 482 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६१२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तीर्थंकर समवसरण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - विहरंता जिनराय... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२३ ६६१३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तीर्थमाला स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री त्रुञ्जि गिरिशिखर... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५८ ६६१४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तीर्थमाला स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - सेतुंजे ऋषभ समोसरया... गा. १९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५६ ६६१५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तुर्य वीसामा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - भारवाहक नइ कहया भला... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५५, ६६१६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, थावच्चा ऋषि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - नगरी द्वारिका निरखियइ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६६ ६६१७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दशार्णभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि-मुगध जन वचन सुणि राय चित... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८१ ६६१८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिजिनवर जे मुगतइ गामी... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५२ ६६१९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दान शील तप भाव गूढ़ा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-ग्रहपति पुत्र क्रतूत करउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५४ ६६२०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दुमुह प्रत्येकबुद्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नगरी कंपिल्ला नउ धणीरे... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६८ ६६२१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दुषमाकाले संयम पालन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७बीं, ‘आदि-हां हो, संयम पथ किम पलइ... गा. २, मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४४ ६६२२.. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, देवगति प्राप्ति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि बारे भेद तप तपइ गति पामइ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६.१ ६६२३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, धन्ना अणगार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वीर जिणंद समोसरया जी... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८५ ६६२४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, धन्ना अणगार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- सरसति सामण वीनवुं... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८३ ६६२५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, धन्ना शलिभद्र सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रथम गोपाल तणइ भवइजी... गा. ३६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०० खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 483 Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, धर्म महिमा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रे जीया जिन धर्म कीजइ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२४ ६६२७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नग्गइ प्रत्येक बुद्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पुंड्रवर्द्धन पुर राजियउ म्हांकी... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७२ . ६६२८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नमि प्रत्येक बुद्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नयर सुदरसण राय हो जी... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६९ ६६२९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नमि राजर्षि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-जी हो मिथिला नगरीनउ... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७१ ६६३०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नरकगति प्राप्ति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-जीव तणी हिंसा करइ... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६२ ६६३१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नववाड शील गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७० अहमदाबाद, आदि-नववाडि सेती सील पालउ... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.४५८ ६६३२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नावी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि नावा नीकी री चलइ नीर मझार... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४० ६६३३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, निद्रा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि सोइ सोइ सारी रयणि गुमाइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३६ ६६३४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, निन्दा परिहार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-निन्दा न कीजइ जीव पराई... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५१ ६६३५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, निन्दा वारक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-निन्दा म करजो कोई नी पारकी रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५१ ६६३६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, निरंजन ध्यान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-हां हमारइ परब्रह्म ज्ञानं... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४६ ६६३७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-उग्रसेन की अङ्गजा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२६ ६६३८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-एक वीनति सुणउ मेरे मीत हो... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२४ ६६३९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-एतनी बात मेरे जीउ खटकइ री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.१३० 484 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं 'आदि-करई प्रीति जोड़इ हां नेमि जी... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२२ ६६४१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-चंदइ कीधउ चानणउ रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२६ ६६४२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-छपन कोडि यादव मिलि आए... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२५ ६६४३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जादवराय जीवे तूं कोडि वरीस... गा. ३', मु. ६६४४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तोरण थी रथ फेरि चले... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२३ ६६४५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-देखउ सखि नेमि कत आवइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२२ ६६४६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नेमिजी मन जाणइ के सरजणहारा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२७ ६६४७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नेमि नेमि नेमि नेमि जपत राजुल... गा. अपूर्ण', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२८ ६६४८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नेमि परणेवा चालिया... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११७ ६६४९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नेमिजी सुं जउरे साची प्रीतडी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११६ ६६५०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, . 'आदि-मुगति धूतारी म्हारउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११८ ६६५१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मोकुं पिउ बिन क्युं सखि रयणि विहाइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२३ ६६५२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-यादववंश खाणि जोवतां जी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२४ ६६५३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-विण अपराध तजि मुंनइ बालम... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १३२ 485 खरतरगच्छ साहित्य कोश . For Personal & Private Use Only Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६५४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सखि यादव कोडि सुं परवरे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १३१ ६६५५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सामलियउ नेमि सुहावइ रे सखियां... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२७ ६६५६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत गिरनार मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-और देखले ऊंचउ गिरनारि... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.१२५ ६६५७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गूढा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–लालण को लयुं री सखि समझाइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १३० ६६५८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गूढा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,१७वीं, 'आदि-सखि मोउ मोहन लाल मिलावइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२८ ६६५९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ चारित्र चूनड़ी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, तीन गुपति ताणो तण्यो रे... २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १३० ६६६०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ फाग, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आहे सुन्दर रूप सुहामणउ... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११९ ६६६१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ फाग, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मास वसंत फाग खेलत प्रभु... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११७ ६६६२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ बारहमासा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सखि आयउ श्रावण मास... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२० ६६६३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ उलंभा भास-गिरनार तीर्थ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-दूर थकी मोरी वंदणा... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १११ ६६६४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ उलंभा उतारण भास-गिरनार तीर्थ, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-परतिख प्रभु मोरी वंदना... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११२ ६६६५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ भास-नडुलाई मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नडुलाइ निरख्यउ जादवउ... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११३ 486 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६६६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ भास-सोरिपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सौरीपुर जात्र करी प्रभु तेरी... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११२ ६६६७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ राजीमती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नेमजी रे सामलियउ सोभागी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११५ ६६६८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ राजीमती सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१७वीं, 'गा. ३४ अपूर्ण', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १३३ ।। ६६६९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ राजुल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चांपा ते रूपइ रूयडा... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११३ ६६७०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ शृङ्गार वैराग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं, 'आदि-कृपा अमूलिक कांचली रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२९ ६६७१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'आदि–दीप पतंग तणी परइ सुपिया हो... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११४ ६६७२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, सिन्धी, १७वीं, 'आदि-साहिब मइडा चंगि सूरति... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १३२ ६६७३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पंच परमेष्ठि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जपउ पंच परमेष्ठि परभाति जाप... गा.६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२१ ६६७४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पठन प्रेरणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भणउ रे चेला भाई भणउ रे भणउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३६ ६६७५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पद्मावती आराधना, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-हिव राणी पदमावती... गा. ३५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५४७ ६६७६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पर प्रशंसा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' 'आदि-हूं बलिहारी जाऊं तेहनी... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७४ ६६७७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, परमेश्वर भेद गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ... आदि-एक तूंही तूंही नाम जुदा मूंहि मूंहि... गा. १७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४४ ६६७८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, परमेश्वर स्वरूप दुर्लभ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, आदि-कुण परमेश्वर स्वरूप कहइ री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४५ 487 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६७९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, परब्रह्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-हुं हमारे परब्रह्म ज्ञानं... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४६ ६६८०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पर्युषण पर्व गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भलइ आये पर्युषण पर्व री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४१ . ६६८१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पारकी होड निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-पारकी होड तूं म कर रे प्राणिया... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, - पृ. ४३२ ६६८२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ गीत अमीझरा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भले भेट्यउ पास अमीझरउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७७ ६६८३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन गीत-कंसारी त्रबांवती मण्डन भीड़भंजन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भीड़भंजन तुम पर वारी हो... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६१ ६६८४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ गीत-भड़कुल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भड़कुल भेटियउ हो... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७८ ६६८५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ गीत-स्तम्भतीर्थ मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भलइ भेट्यो रे पास जिणेसर थंभणउरें... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५९ ६६८६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास-अजाहरा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आवउ देव जुहारउरे अजाहरउं पास... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७२ ६६८७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-कंसारी त्रबांवती मण्डन । भीड़भंजन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चालउ सखी चित चाह सुं... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६० ६६८८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास-कंसारी बांवती भीड़भंजन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भीड़भंजन तुम पर वारि हो जिणंदा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६१ ६६८९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास-कंसारी त्रंबावती भीड़भंजन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-भीड़भंजन तू श्री अरिहंत... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६१ 488 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६९०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास-कंसारी त्रंबावती भीड़भंजन, ___ गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भीड़भंजन दुखगंजण रे... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६१ ६६९१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास-चिन्तामणि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-चिंतामणि म्हारी चिंता चूरि...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७१ ६६९२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास-देवका पाटण मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-देवकर पाटण दादउ पास... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७७ ६६९३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास-नलोल मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-पद्मावती सिर ऊपरि... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७० ६६९४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास-नवपल्लव मंगलोर मण्डन, गीत - स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नवपल्लव प्रभु नयणे निरख्यउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर .. कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७६ ६६९५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ भास–वाडी मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं, 'आदि-चउमुख वाडी पास जी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७५ ६६९६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ दृष्टान्तमय लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-हरख धरि हियड़इ मांहि अति घणउ... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०० ६६९७. समयसुन्दरोपाध्यायं / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ पंच कल्याणक लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री पास जिणेसर सुखकरणो... गा. ८', मु., समयसुन्दर • कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९९ ६६९८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ लघु स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-देव जुहारण देहरइ चाली... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८१ ६६९९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन–अनेक तीर्थ नाम, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-हो जग मंइ पास जिणंद जागइ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १४३ ६७००. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ गीत-अंतरीख मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पार्श्वनाथ परतिख अंतरीख... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 489 For Personal & Private Use Only Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७०१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-अष्ट प्रातिहार्य गर्भित, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कनक सिंहासन सुर रचिय... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १९८ ६७०२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गवडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गौडी गाजइ रे गिरुयउ पारसनाथ... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६५ ६७०३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गवडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-गौडी पारसनाथ तूं गाजइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६८ ६७०४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गवडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-गौडी पारसनाथ तूं वारुं... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६८ ६७०५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गवडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-ठाम ठाम ना संघ आवै... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६६ ६७०६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गवडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तीरथ भेटन गई... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६७ ६७०७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-गवडीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–परतिख पारसनाथ तू गउडी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६७ ६७०८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-चिन्तामणि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आणी मन सुधी आसता... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७० ६७०९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-जैसलमेर मण्डन, गीत स्तवन, - राजस्थानी, १७वीं, आदि-जैसलमेर पास जुहारउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १४४ ६७१०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-जैसलमेर सप्तदशराज गर्भित __मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-पुरिसादानी परगड़उ... गा. ४७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १४६ ६७११. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-तिमरीपुर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि–तिमरीपुर भेट्या पास जिनेसर बेई... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७९ 490 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७१२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-नाकोड़ा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आंपणे घर बैठा लील करउ... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६२ ६७१३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-नागौर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६१, 'आदि-पुरिसादानी पास... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८० ६७१४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन–नारङ्गा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-पाटण मंइ परसिद्ध घणी... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७५ ६७१५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-नारङ्गा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पाटण मांहि नारङ्गपुरउ री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७४ ६७१६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन–नारङ्गा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पारसनाथ कृपा पर... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७३ ६७१७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन–प्रतिमा स्थापना, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनप्रतिमा हो जिन सारखी कही... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०० ६७१८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-फलवर्द्धि मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-प्रभु फलवर्द्धि पास परभाति पूजउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १४५ ६७१९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-फलवर्द्धि मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-फलवर्द्धि मण्डन पास... गा.१०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १४४ ६७२०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन–बीबीपुर मण्डन चिन्तामणि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-चिंतामणि चालउ देव जुहारण जावां...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७८ ६७२१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-भाभा मण्डन, गीत स्तवन, .. राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भाभउ पारसनाथ मंइ मेट्यउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६८ ६७२२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-भाभा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-भाभा पारसनाथ भलुं... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६९ खरतरगच्छ साहित्य कोश 491 For Personal & Private Use Only Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७२३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-लौद्रवपुर सहस्रफणा, गीत __स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-चालउ लौद्रवपुरे... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५४ ६७२४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-लौद्रवपुर सहस्रफणा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-लौद्रवपुरइ आज महिमा घणी... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५३ ६७२५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-वरकाणा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जागतउ तीरथ तूं वरकाणा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७९ ६७२६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-संखेसरउ रे जागतउ तीरथ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६४ ६७२७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सकलाप पार्श्व संखेसरउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६४ ६७२८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि साचउ देवतउ संखेसरउ... गा.५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.१६५ ६७२९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-परचा पुरइ पृथ्वी तणा... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १६३ ६७३०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ गीत-शामला मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-साचउ देवतउ ए सामलउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७७ ६७३१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-सिकंदरपुर चिंतामणि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-स्यामल वरण सुहामणो रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १७१ ६७३२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-सेरीसा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सकलाप मूरति सेरीसइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.१६९ ६७३३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-स्तम्भनपुर, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बेकर जोडी वीनवु रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५९ 492 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७३४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-स्तम्भनपुर, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सदा सयल सुख जाणी संपदा हेतु जाणी... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५७ ६७३५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पार्श्वनाथ स्तवन-स्तम्भनपुर, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सफल भयउ नरजन्म... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५८ ६७३६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, पौषधविधि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६७ ___ मरोट, 'आदि-जैसलमेर नगर भलौ... गा. २८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५९४ ६७३७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रबोध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि साझा थकां सहु ध्रम करउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२८ ६७३८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रमाद त्याग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-जागो रे जागो रे भाई प्रभात थयौ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२८ ६७३९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रमाद त्याग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रातः भयउ प्रातः भयउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२८ ६७४०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रसन्न चन्द्र राजर्षि गीत , गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-मारग मई मुझनइ मिल्यउ... गा.५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८६ ६७४१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रसन्न चन्द्र राजर्षि गीत , गीत स्तवन, राजस्थानी, . १७वीं, 'आदि-प्रसन्नचंद प्रणमुं तुम्हारा... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८७ ६७४२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, प्रीति दोहा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि कागद थोड़ो हेत घणउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५५ ६७४३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, फुटकर सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-दीक्षा ले सुधी पाली जइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५७ ६७४४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, बारह भावना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भावना मन बार भावउ... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५९ ६७४५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, बाहुबली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तखिशिला नगरी रिषभ समोसस्या रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८८ ६७४६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, बाहुबली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-राज तणा अति लोभिया... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८९ ६७४७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, बीकानेर चौवीसटा चिंतामणि आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८३, आदि-भाव भगति मन आणी घणी... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ८३ 493 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७४८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, भट्टारक त्रय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–भट्टारक तीन हुए बडभागी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५७ ६७४९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, भवदत्त नागिला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भवदत्त भाई घरि आवियउ रे... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २९० ६७५०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, भावना गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भावना भावजो रे भवियां... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५४ ६७५१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि गीत-दिल्ली मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३ अपूर्ण', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२५ ।। ६७५२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मन धोबी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-धोबीडा तूं धोजे रे मन केरा धोतिया... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३० ६७५३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मन शुद्धि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-एक मन शुद्धि बि कोउ मुगति... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३४ ६७५४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मन सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, आदि मना तने कई रीते समझा... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२८ ६७५५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मनोरथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, __'आदि-अरिहंत देहरइ आविनइ... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८० ६७५६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मनोरथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-ते दिन क्या रे आवसइ... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७९ ६७५७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मनोरथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि धन धन ते दिन मुझ कदि होस्यई... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८० ६७५८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मरण भय निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-मरण तणउ भय म करि मूरख नर... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३३ ६७५९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मरुदेवी माता गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मरुदेवी माता जी इम भणइ... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३३ ६७६०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि नाचति सुरियाभ सुर वीरकइ आगई... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०७ ६७६१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सामि मुंनइ तारउ भव पार उतारउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०७ 494 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७६२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि हां हमारे वीरजी कुण रमणि एह... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०८ ६७६३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर गीत-भोडुया ग्राम मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-महावीर मेरउ ठाकुर... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०६ ६७६४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर गीत-श्रेणिक विज्ञप्ति गर्भित, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कृपानाथ तइं कुणहू नूधर्यउ री... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०९ ६७६५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर जिन सुरियाभ नाटक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नाटक सुर विरचित सुरियाभ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०९ ६७६६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर जिन सुरियाभ नाटक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रचति वेष करि विशेष... गा. ', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१० ६७६७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर जिन बृहत्स्तवन–अल्पाबहुत्व गर्भित, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जेण परुविउ भेय... गा. १२', समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ:६२४ ६७६८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर जिन विज्ञप्ति स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं जैसलमेर, आदि–वीर सुणउ मोरी वीनती... गा. १९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०२ ६७६९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर जिन स्तवन साचोर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-धन्य दिवस मंइ आज जुहास्यउ... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २०५ ६७७०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, महावीर षट्कल्याणक गर्भित स्तवन, गीत स्तवन, अप., १७वीं, 'आदि-परमरमणीयगुणरयणगणसायरं... गा. २३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २११ ६७७१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मान निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-किसी के सब दिन सरिखे न होई... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, ... पृ. ४५० ६७७२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मान निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मूरख नर काहे कुं करत गुमान... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४९ ६७७३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, माया निवारण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, _१७वीं, आदि–इहु मेरा इहु मेरा इहु मेरा... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३१ 495 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७७४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, माया निवारण सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-माया कारमी रे माया न करो... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३० ६७७५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मुनिसुव्रत पक्षोपवास स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जंबूदीप सोहामj... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.६०१ . ६७७६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मृगापुत्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-सुग्रीव नगर सोहामणुं रे... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २९२ . ६७७७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मेघकुमार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-धारणी मनावइ रे मेघकुमार नई रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २९७ ६७७८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मेघरथ राजा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दसमइ भव श्री शान्ति जी... गा. २१', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २९३ ६७७९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मेतार्य ऋषि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नगर राजगृह मांहि वसउजी... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २९१ ६७८०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, मौन एकादशी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८१, 'आदि-समवसरण बइठा भगवंत... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४० ६७८१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, यति लोभ निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चेला चेला पदं पदं... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५० ६७८२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-एजी संतन के मुख वाणी सुनि... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३६१, दादागुरु भजनावली, पृ. ४०३ ६७८३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि अष्टक, गीत स्तवन, अप., १७वीं, 'आदि-पणमिय पास जिणंद... गा. १७', समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५९, दादागुरु भजनावली, पृ. ४०५ ६७८४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत-आलजा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-आसू मास वलि आवीयउ... गा. ११', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ.८७ ६७८५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत आलिजा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-थिर अकबर तूं थापीयउ... गा. १०', मु. समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७७, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४५, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०९ ६७८६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-भले री माई श्रीजिनचन्द्रसूरि आए... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७१, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४६, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०७ 496 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पूज्य जी तुम चरणे मेरउ मन लीणउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७२, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४६, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०७ ६७८८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सुगुरु चिर प्रतपे तूं कोडि वरीस... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७२, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४७, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०७ ६७८९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत-आलजा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आसू मास वलि आवीयउ... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७४, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४२ ६७९०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत-चंद्राउला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-श्री खरतरगच्छ राजीयउ रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३६८, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४६, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०८ ६७९१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अवलियउ अकबर तास अंगज... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७०, दादागुरु भजनावली, पृ. ४०७ ६७९२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरु जिणचंद सौभाग सखरौ लियो... गा. ७', मु., समयसुन्दर :: कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७३, दादागुरु भजनावली, पृ. ४०८ ६७९३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत रागमाला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५२, 'आदि-कीजइ ओच्छव संता सुगुरु केरउ... गा. १५', मु., । समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३६५, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४३, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०४ ६७९४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत-स्वप्नगीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सुपन लयुं साहेलडी रे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति . कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७०, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४७ ६७९५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगमन्धर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तूं साहिब हूं तोरउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५० ६७९६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, राती जागी गीत, गीत स्तवन; राजस्थानी, १७वीं, .. 'आदि-गायउ गायउ री राती जागउ रङ्गइ गायउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, . पृ.४९३ ६७९७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रामचन्द्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रियु मोरा तई आदरयउ वइराग... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २९८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 497 For Personal & Private Use Only Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७९८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रामसीता गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-सीतानइ संदेसउ रामजी... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २९९ ६७९९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, राजुल रहनेमि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-यदुपति वांदण जावंता रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४० ६८००. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, राजुल रहनेमि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रुडा रहनेमि म करिस्यउ... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४० ६८०१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, राजुल रहनेमि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-राजमती मनरङ्ग चाली जिण... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३९ ६८०२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, राजुल रहनेमि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-राजुल चाली रङ्गसु रे लाल... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४१ । ६८०३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रोहिणी तप स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रोहिणी तप भवि आदरो रे लाल... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४२ ६८०४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, लोभ निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रामा रामा धनं धनं... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३१ ६८०५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वर्तमान चौवीसी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-जीव जपि जपि जिनवर अन्तरजामी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १ ६८०६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, विमलनाथ पंचकल्याणक स्तवन-मेड़ता मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-विमलनाथ सुणो वीनति... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०० ६८०७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, विमलनाथ भास-आगरा मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-देव जुहारण देहरइ चाली... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०२ ६८०८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, विषय निवारण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रे जीव विषय थी मन वालि... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५१ ६८०९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वीतराग सत्य वचन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-हां हो जिनधर्म जिनधर्म सउ कहई... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४७ 498 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८१०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वीस विहरमान जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रणमिय सारदमाय समरिये सद्गुरु... गा. २३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४० ६८११. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वीस विहरमान जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-वीस विहरमान जिनवर रायाजी... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३ ६८१२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वैराग्य शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-म करि रे जीउडा मूढ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२६ ६८१३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वैराग्य सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, आदि मोक्ष नगर म्हारं सासरूं... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४८ ६८१४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, व्रत पच्चक्खाण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बूढा ते पिण कहियइ बाल... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६३ ६८१५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शत्रुञ्जय तीर्थ भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-म्हारी बहिनी हे, बहिनी म्हारी सुणी एक... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ७४ ६८१६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शत्रुञ्जय तीर्थ भास, गीत 'स्तवन, राजस्थानी, . १७वीं, 'आदि-सकल तीरथ मांहि सुंदरु... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६७ ६८१७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आंगण कल्प फल्योरी हमारे माइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ११० ६८१८.. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ गीत-अष्टापद मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थांनी, १७वीं, आदि-सो जिनवर कहउ मोहि... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.६४ ६८१९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुखदाई रे सुखदाई रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०९ ६८२०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुन्दर रूप सुहामणो... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०७ ६८२१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ स्तवन-जैसलमेर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अष्टापद हो ऊपरलो प्रासाद... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०६ 499 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८२२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ स्तवन–पाटन पंचकल्याणक गर्भित देवगृह वर्णन युक्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २५ अपूर्ण', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०४ ६८२३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ हुलरामणा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शान्तिकुंयर सोहामणउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०८ ६८२४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शालिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,. १७वीं, 'आदि–धन्नउ शालिभद्र बेइं... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०४ ६८२५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शालिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-राजगृहीनउ विवहारियउ रे... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०६ ६८२६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शालिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि शालिभद्र आज तुम्ह नइ आपणी...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०५ ६८२७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शाश्वतजिन चैत्य प्रतिमा बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–रिषभानन वधमान चंद्रानन जिन... गा. १८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५१ ६८२८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शाश्वत तीर्थंकर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शाश्वत तीर्थंकर च्यार... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१८ ६८२९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शीतल जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कहउ सखि कउण कही जइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९७ ६८३०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शीतलनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मुख नीको शीतलनाथ को... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९६ ६८३१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शीतलनाथ स्तवन-अमरसर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मोरा साहिब हो श्री शीतलनाथ कि... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९७ ६८३२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शील गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि शील व्रत पालउ परम सोहामणउ रे... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५३ ६८३३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शुद्ध श्रावक दुष्कर मिलन गीत-२१ गुणगर्भित, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कइयइ मिलस्यइ श्रावक एहवा... गा. २१', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६९ ६८३४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्रावक बारह व्रत कुलक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९ बीकानेर, 'आदि-श्रावक ना व्रत सुण जो बार... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६२ 500 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८३५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्रावक दिनकृत्य कुलक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रावक नी करणी सांभलउ... गा. १४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६६ ६८३६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्रावक मनोरथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-श्री जिनसासन हो भेट्यउ ए सहु... गा.६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७८ ६८३७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्री संघ गुण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-संघ गिरुयउ रे श्री संघ गुणे... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७६ ६८३८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्रेणिक राय गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रभु नरक पडतउ राखियई... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०७ ६८३९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, संघपति सोमजी वेलि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-संघपति सोम तणउ जस... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१५ ६८४०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, संदेह गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि - करम अचेतन किम हुयउ करता... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४२ ६८४१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, संयती साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-कंपिल्लानगरी धणी... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२१ ६८४२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती अञ्जनासुन्दरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अंजना सुन्दरी शील बखाणी... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२२ ६८४३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती ऋषिदत्ता गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रुक्मिणी नइ परणवा चाल्यउ... गा. १७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२५ ६८४४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती कलावती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बांधव मूक्या बहिरखा रे... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.३३३ ६८४५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती चेलणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, . 'आदि-वीर वांदी वलतां थकां जी... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३७ ६८४६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती दमयंती भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नल दवदंती नीसरया... ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३१ ६८४७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती द्रौपदी भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-पांच भरतारी नारी द्रूपदी रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४२ खरतरगच्छ साहित्य कोश 501 For Personal & Private Use Only Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती नर्मदा सुन्दरी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-नरमदा सुन्दरी सतिय शिरोमणि... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२३ ६८४९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती दवदंती भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-हो सायर सुत सुहामणा... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२८ ६८५०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती मृगावती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१७वीं, 'आदि-चन्द सूरज वीर वांदण आव्या... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३३६ ६८५१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सती सुभद्रा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'आदि-मुनिवर आव्या विहरता जी... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४२ ६८५२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सनत्कुमार चक्रवर्ती गीत, गीतं स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जोवा आव्या रे देवता... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१९ ६८५३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सनत्कुमार चक्रवर्ती गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सांभलि सनत्कुमार हो राजेश्वरजी... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१८ ६८५४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सर्वभेष मुक्तिगमन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं, आदि-हां बाई हर कोउ मोख मुगति पावइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३९ ६८५५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सांझी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि सांझि रे गाई सांझी रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९३ ६८५६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, साधु गुण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-तिण साधु के जाऊं बलिहारे... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७४ ६८५७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, साधु गुण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-धन्य साधु संजम धरइ सूधउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७५ ६८५८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन आंगी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नीकी प्रभु आंगी वणी जो... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२२ ६८५९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जग गुरु तारि परम दयाल... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२२ ६८६०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रभु तेरो रूप वण्यौ अति नीको... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१९ 502 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८६१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, __'आदि-हरखिया सुरनर किन्नर सुन्दर... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२१ ६८६२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामान्य जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, _१७वीं, 'आदि-शरण ग्रही प्रभु तारी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१९ ६८६३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सामायिक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–सामायिक मन सुद्धे करउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६५ ६८६४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सिद्धान्त श्रद्धा सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज आधार छइ सूत्रनउ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७७ ६८६५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पूरव महाविदेह रे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९ ६८६६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सामि सीमंधरा तुम्ह मिलिवा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५० ६८६७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-स्वामि तारि नइ रे मुझ परम दयाल... गा.७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८ ६८६८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-चंदालाइ एक करूं अरदास चंदा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७ ६८६९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, - १७वीं, आदि-धन धन क्षेत्र महाविदेह... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६ ६८७०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, 'आदि-विहरमान सीमंधर सामी... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७ ६८७१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सीमन्धर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सीमंधर जिन सांभलउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४८ ६८७२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सुकोशल साधु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-साकेत नगर सुखकंद रे... गा.६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३२० ६८७३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सुमतिनाथ बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रह ऊठी नइ प्रणमुं पाय... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९२ ६८७४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, सूता जगावण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जागि जागि जागि भाई जागि... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२७ ६८७५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आवत मुनि के भेखि देखि... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०८ 503 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only . Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८७६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तुम्हें बाट जोवंता आव्या... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१४ ६८७७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि–पिउडा मानउ बोल हमारउरे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१७ ६८७८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिप्रियडुउ आव्यउ रे आसा फली... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०९ ६८७९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी; १७वीं, 'आदि–प्रीतड़ियां न कीजइ हो नारि... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३११ ६८८०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–प्रीतड़ी प्रीतड़ी न कीजइ हे नारि... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१० ६८८१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-मुझ दन्त जिसा मचकुन्द कली... गा.५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१५ ६८८२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मुनड़उ ते मोहयउ मुनिवर माहरु रे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०८ . ६८८३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–व्हाला स्थूलिभद्र हो... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१६ ६८८४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्थूलिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-स्थूलभद्र आव्यौ रे आसा फली... गा. ५', मु., समयसुन्दरं कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३१४ ६८८५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, स्वार्थ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि स्वारथ की सब हइ रे सगाई... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३५ ६८८६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, हित शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-पुण्य न मूंकइ विनय न चूकउ... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७५ ६८८७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, हीयाली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-एक नारी वन मांहि उपन्नी... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९२ ६८८८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, हीयाली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कहिज्यो पंडित एह हीयाली... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९१ ६८८९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, हीयाली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___. 'आदि-पंखि एक वनि ऊपनउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४९१ ६८९०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, हूंकार परिहार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जहां तहां ठउर ठउर डूं डूं डूं... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४९ 504 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८९१. सरूचंद सेवक, जयमाणिक्योपाध्याय छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सरस सबुध दिये सारदा...', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३१० ६८९२. समयहर्ष, सुखसागर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-वाचनाचार्य सुखसागर वंदियै... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५३ ६८९३. सहजकीर्त्ति उ० / हेमनन्दन उ०, अल्पाबहुत्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७०४, 'गा. १३', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ६८९४. सहजकीर्ति उ० / हेमनन्दन उ०, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि विमलगिरि शिखर गजराज... गा. १७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१८१) ६८९५. सहजकीर्ति उ० / हेमनन्दन उ०, उपधानविधि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ६८९६. सहजकीर्ति उ० / हेमनन्दन उ०, एकसौ आठ स्थान पार्श्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ६८९७. सहजकीर्त्ति उ० / हेमनन्दन उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि ___ आज सफल सुरतरु फल्यउ रे लाल... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १७४ ६८९८. सहजकीर्ति उ० / हेमनन्दन उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'आदि-गच्छपति सदा गुरुयउ विलउ... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १७५ ६८९९. सहजकीर्ति उ० / हेमनन्दन उ०, जैसलमेर चैत्यपरिपाटी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७९, . 'आदि-साधु साधवी श्रावक श्राविका...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १०२२ ६९००. सहजकीर्त्ति उ० / हेमनन्दन उ०, प्रीति सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ६९०१. सहजकीर्ति उ० / हेमनन्दन उ०, लौद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १३८३, _ 'आदि-मूरति पास जिनेसर तणी... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ६९०२. सहजहर्ष, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, १९वीं जयतारण, 'आदि-प्रह सम __पूजो... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७८ ६९०३. सागरचन्द्र, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, अ., ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १४४ ६९०४. सागरचन्द्र, पंचकल्याणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८८१ बिलाऊ, अ. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ६९०५. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, अनाथी ऋषि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, .. 'आदि-चेइय मंडकुएथ कूट मूलइ ध्यान... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ६९०६. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, अलवर रावण पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६२४, 'गा. २२', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६९०७. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, अल्पा बहुत्व स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २३', अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश 505 ' For Personal & Private Use Only Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९०८. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ११', अ., ह. वर्द्धमान–बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६९०९. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, आदिजिन पारणक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज ऋषभ घरि आवे...', मु. अभय रत्नसार ६९१०. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, आदिनाथ पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-आणंद अंगइ अधिकउ विनोद... गा. १४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २७४२२ ६९११. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिम्य उ०, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ४', अ. ६९१२. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, कीर्त्तिरत्नसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नवनिधि चवद रयण आवइ... गा. १४', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४०३,. ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०६३ (६३) ६९१३. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, चैत्य वन्दन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी; १७वीं, 'गा. १६', अ. ६९१४. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, चैत्री पूनम स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६९१५. साधुकीर्त्ति / अमरमाणिक्य उ०, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-विलसे ऋद्धि समृद्धि... गा. १५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २११ ६९१६. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. खरतरच्छ ज्ञान भं., जयपुर, क्षमाकल्याण संग्रह, बीकानेर ६९१७. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, यु.जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-ए मेरउ साजणीयउ सखि सुन्दर... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५१, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९१ ६९१८. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, यु.जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बनी हे सद्गुरु की ठकुराई... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५२, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९७ ६९१९. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, जिनादि कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'गा. २१', अ., ह. वर्द्धमान–बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६९२०. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, तिमरी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ६', अ., ह. वर्द्धमान–बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६९२१. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ६', अ., ह. वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर 506 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९२२. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ४', अ., ह. वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६९२३. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'गा. ४', अ., ह. वर्द्धमान–बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६९२४. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, नेमिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___'गा. ५', अ., ह. वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६९२५. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, नेमि धमाल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-खेलइ नेमि मुरारि... गा. १७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९८१, २ ६९२६. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, मौन एकादशी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६३४ अलवर, 'गा. १६', अ. ६९२७. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, विमलगिरि आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, __ १७वीं, 'गा. १३', अ., ह. वर्द्धमान–बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६९२८. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पय प्रणमी रे जिणवरना शुभ भाव लइ... गा. १६', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. २२० ६९२९. साधुकीर्त्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, शीतल जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६३८, अ. ६९३०. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, सुमतिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १८', अ., ह. वर्द्धमान-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ६९३१. साधुकीर्ति उ० / अमरमाणिक्य उ०, स्तम्भन पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, .. १७वीं, 'गा. १६', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६९३२. साधुचन्द्र सागरचन्द्रसूरि शाखा, तीर्थराज चैत्यपरिपाटी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १५३३, अ. ६९३३. साधुरङ्ग उ० / सुमतिसागर उ०, चौवीस जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पहिलुं प्रणमुं आदि... गा. १४', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १७८८ ६९३४. साधुवर्धन, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-परतिख परचा . पूरवे... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २१२ ६९३५. सिद्धितिलक / सिद्धिविलास, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६९३६. सिद्धितिलक / सिद्धिविलास, जिनचन्द्रसूरि गीत ?, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६९३७. सिद्धितिलक / सिद्धिविलास, शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८०३, 'गा. १७' अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर 507 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९३८. सिद्धिविलास / सिद्धिवर्द्धन, नेमिजिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८०३, अ., ह. देशाई संग्रह ६९३९. सुखरतन, यशः कुशल गीत ( कनकसोमशिष्य), गीत स्तवन, राजस्थानी, १७६३, 'आदिश्री यशकुशलमुनीसर ना गुण... गा. ५', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १५९ ६९४०. सुखलाभ उ० / सुमतिरङ्ग उ०, सुपार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर गीत स्तवन, राजस्थानी, ६९४१. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, अजमेर गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, १९१२, अ. ६९४२. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, अहमदाबाद ४०० घर देरासर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१६, अ. ६९४३ . सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, केशरिया स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९२२, अ., ह. कुशलचन्द पुस्तकालय, बीकानेर ६९४४. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, गिरनार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, अ. ६९४५. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, पाटण १०८ देहरा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, अ. ६९४६. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, पालनपुर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, अ. ६९४७. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, पाली शान्तिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, अ. ६९४८. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, मगसी यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१२ अजमेर, अ. ६९४९. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, वरकाणा पार्श्व चिन्तामणि अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९२२, अ., ह. कुशलचन्द पुस्तकालय, बीकानेर ६९५०. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१५, अ. ६९५१. सुखलाल / विनयचन्द मंडोवरा, शत्रुञ्जय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९१६, अ. ६९५२. सुखवर्द्धन / जिनहर्षगणि, गौतम स्वामी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिआलसि तजि उठि प्रह समै... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (५७) ६९५३. सुखवर्द्धन / जिनहर्षगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिकुशल भयो मतां जिनकुशल... गा. ३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ ६९५४. सुखहेम, लेखन की हीयाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- इक नारी पर दीपे नीपनी... ५', अ., ह. कान्तिसागरजी संग्रह, ज्ञानमेरु लिखित गुटका 508 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९५५. सुखानन्द / सुगुणकीर्त्तिम., पोथी री हीयाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि इक छइ नारी रङ्ग रसीली रे... गा. ९', अ., ह. कांतिसागर संग्रह, धर्मकीर्ति लिखित गुटका ६९५६. सुगुण / जयरङ्ग उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि सद्गुरु नी शोभा... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७९ ६९५७. सुगुण / जयरङ्ग उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-गुरु वन्दन आये... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०२ ६९५८. सुगुण / जयरङ्ग उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-चलो सखी पूजवा... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०२ ६९५९. सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, गीत संग्रह, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. वाडीपार्श्व भं., पाटण (पत्र २) ६९६०. सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, तीर्थमाला-इडर से आबू यात्रा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, १६५४, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६९६१. सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, बीकानेर ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६४४, अ. ६९६२. सुमतिकल्लोल उ०/ यु. जिनचन्द्रसूरि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री अकबर बहुमान... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४४८, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ९४ ६९६३. सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सारद पाय... गा. २३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४४९ ६९६४. सुमतिकल्लोल उ० / यु. जिनचन्द्रसूरि, शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६९६५. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, अध्यात्म शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___ 'आदि-घरि आवि सग्यानी जीवडो... गा. ११', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ । ६९६६. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, अध्यात्म शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___'आदि-साधो ऐसा पंथ संभारो... गा.५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९६७. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, अमृत ध्वनि, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ. ६९६८. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, आत्मोपलम्भ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि आतम उलंभा तोहि आवै... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९६९. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, आशा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अवधू धरीयै न करीयै आसा... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ खरतरगच्छ साहित्य कोश 509 For Personal & Private Use Only Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९७०. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, , कीर्त्तिरत्नसूरि उत्पत्ति छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सुमतिकरण सारद सुखदाइ... गा. ३५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४०७ ६९७१. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ' आदि - उत्तम वैद्य तूं आतमा... गा. ७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ • ६९७२. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- दुविधा करम भरम की दासी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९७३. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, चन्द्रकीर्त्ति कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिपामीजै परमत्थ अत्थ पिण... गा. २', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४२१ ६९७४, सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, चौवीस जिन सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., बीकानेर ह. अभय ग्र., ६९७५. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, चौवीस जिन सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'अ., : बीकानेर ह. अभय ग्र., ६९७६. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-अरज सुणीजे दीजै... गा. ४, मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७९ ६९७७. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- दादा दरसन दे ... गा. १२', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८० ६९७८. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, जिनचन्द्रसूरि कवित्त जिनरत्त्रीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. ६९७९. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, , ज्ञानशिकार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिखुद खांन पिछाण्या... गा. ५', अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९८०. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, तृष्णा त्याग गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदितिसणा तीन भवन मैं जागी... गा. ३', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९८१. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, फाग धमाल, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदिमिथ्यामति हिम राति गइ हो... गा. १४', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर २९८१३ (१५४) गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'गा. ६९८२. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, मंडोवर सहस्रफणा, बीकानेर ७५', अ., ह. अभय ग्र., ६९८३. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, मनशिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मोह मदिरा माता... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९८४. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, मनमहल गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मन महल हमारै... गा. ७', अ., ह. रा. प्रा. वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९८५. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, मनसा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि - मनसा मोही कै मनमानी... गा. ५', अ., ह.रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ 510 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९८६. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-अइसे औषध की... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९८७. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, शुद्ध विणज करण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जीव विणज विधि ऐसी तूं जानि... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९८८. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-केसर चन्दण किर अगर कपूरभर... गा. १', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६९८९. सुमतिविजय उ० / विनयमेरु उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आवउजी म्हारइ पूज इणि देसउइ रे... गा. ६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १७७ ६९९०. सुमतिविमल, जिनसुखसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सहु मिलि सूहव ____ आवउ मनरली... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४९ ६९९१. सुमतिसागर उ० / पुण्यप्रधान उ०, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८५, _ 'गा. १२', अ. ६९९२. सुमतिसागर / बेगड़ ?, जिनचन्द्रसूरि हिंडोला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि गुरु लब्धि गौतमसामी... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ६९९३. सुमतिसिन्धुरगणि' / मतिकीर्त्ति उ०, गिरनार नेमिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६९९४. सुमतिसिन्धुरगणि / मतिकीर्त्ति उ०, गौडी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९६, 'आदि-पुरषादेय उदय करु, अन्त–संवत सोल छयाणवई... गा. २०', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५७४ ६९९५. सुमतिसिन्धुरगणि / मतिकीर्ति उ०, लौद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७१५, 'गा.७', अ. ६९९६. सुमतिसुन्दरगणि / धर्मनिधान उ०, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५० . वीरमपुर, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ६९९७. सुमतिसुन्दरगणि / धर्मनिधान उ०, सूरत पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ६९९८. सुमतिसेन, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-अब सखी देखउ री मो पीऊ... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६९९९. सुमतिसेन, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जीव मेरा हो क्युं तजि जात... गा. ५', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ७०००. सुमतिहंस / जिनहर्षसूरि आद्य, पंच महाव्रत सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश 511 For Personal & Private Use Only Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७००१. सुवर्ण मण्डल, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-स्वामी मेरे गुरुदेवा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८० ७००२. सुवर्ण मण्डल, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि हे ज्ञान दीप... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३८ ७००३. सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, अजितशांति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. १४', अ. ७००४. सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, जिनदत्तसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-आसा पूरण... गा. १७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९ ७००५. सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, जिनसिंहसूरि रास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ७००६. सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, वर्षफलाफल ज्योतिष सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ३६', अ. ७००७. सूरचन्द्रोपाध्याय / वीरकलश उ०, सुकोसल स्वाध्याय, गीत स्तवन, राजस्थानी; १७वीं, ___ 'गा. ४९', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९०३३ ७००८. सूरज, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं; 'आदि-क्यूं गये गुरु दिल तोड़... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १३९ ७००९. सूर्यमल्ल यति / जिनरत्नसूरि, जिनरङ्ग., गुरुदेव अष्टक, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-महाज्ञानी ध्यानी... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९० ७०१०. सेवकसुन्दर, पद्महेम गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पदमहेम वाचक वंदइ... __गा. १३', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४२० ७०११. सोभाग चन्द नाहटा, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-आए गुरुवर आए... ___गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२३ ७०१२. सोमप्रभ/ जिनेश्वरसूरि द्वि, शत्रुञ्जय तीर्थपरबाड़ी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १४वीं, अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, अभय ग्र., बीकानेर ७०१३. सोममुनि, करमसी संथारा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सद्गुरु चरण नमी करी... गा. ६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०४ ७०१४. सोहगसुन्दर, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जिनदत्तसूरि... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०३ ७०१५. हंसप्रमोदगणि / हर्षचन्द्रगणि, वरकाणा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५३, अ. ७०१६. हरख, गुरुदेव बधाई, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-आज आनंद... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२९ 512 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०१७. हर्ष / बेगड़, जिनसमुद्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-मेरइ आणंदा भेट्या सुगुरु मुणिंदा... गा. ३', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७०१८. हर्ष, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-आज की घड़िया... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२४ ७०१९. हर्ष, जिनकुशलसूरि बधाई, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-आज आनन्द... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८६ ७०२०. हर्ष, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-हेली है सद्गुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८१ ७०२१. हर्ष, जिनदत्तसूरि लावणी, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, आदि-जगत् में सद्गुरु... गा. ४', मु., ___दादागुरु भजनावली, पृ. ४१ ७०२२. हर्ष, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-ऐसे गुरु ध्याऊं... गा. ३', मु., ___दादागुरु भजनावली, पृ. १०३ ७०२३. हर्षकुञ्जरोपाध्याय / भुवनकीर्ति उ०, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि __ सद्गुरु समरं सुख दातार... गा. १२', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २९८१३ ७०२४. हर्षकुशल / मेघविजयगणि, महावीर २७ भव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ., ___ ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ७०२५. हर्षकुशल / मेघविजयगणि, महो. पुण्यसागर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि - श्री जगगुरु पय वंदीयइ... गा. ६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ५७ । ७०२६. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-लगन मेरी नाभिनन्दनजी सों लागी... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९८९ (३) ७०२७. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, आदिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-वाजा वाजीयां धरां...गा.८': अ..ह.रा.प्रा.वि.प्र.. जोधपर ३१२२५ (१६६) ७०२८. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, आरती, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-आरती करत जिनेश्वर ___की... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (११२) ७०२९. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, कुंथुनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-सुभ गति नाचत है सुरनारी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (११९) ७०३०. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-सद्गुरु . करुणा... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८१ ७०३१. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, जिनचन्द्रसूरि गीत जिनरत्नीय, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि श्रीजिनचन्द सूरीश्वर वंदीयई रे... गा. ९', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४५ ७०३२. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-वाजत रङ्ग बधाई... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (४९) खरतरगच्छ साहित्य कोश 513 For Personal & Private Use Only Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०३३. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-अरज सुणो वामाजू के नन्द... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (११८) ७०३४. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि–निजनंदन हुलरावे वामादेवी... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९८९ (१) ७०३५. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-माई मेरो मन तेरो नन्द हो... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९८९ (२) ७०३६. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-जिन चरण चित्त ___ मोहयौ री मेरा... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९८९ (५) ७०३७. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-ये है वीर जिणंद री पावापुर में... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९८९ (४) ७०३८. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, महावीर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-वरषत वचन मीठो सुगुरु मेरो... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९८९ (६) ७०३९. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, सुपार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, आदि-देख्यो री मुख चन्दा... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१३६) . ७०४०. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, सुमतिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-प्रभु जी जो ___तुम तारक नाम धरायो... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (५९) ७०४१. हर्षचन्द्र / रूपहर्ष, सम्मेतशिखर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, २०वीं, 'आदि-शिखर समेत वसे हो विमल जिन... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१२०) ७०४२. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, गौडी पार्श्वजिन स्तवनं, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८३, अ. ७०४३. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, आदि-नमो सूरि जिनचन्द... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५२, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२३ ७०४४. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनदत्तसूरि गुण छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जोगीश्वर जिण... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३५ ७०४५. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि अन्योक्ति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कलियुग खोहउ कवियण कर... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०४६. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गुरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, 'आदि-आज बधावउजी गाईयई... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०४७. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गुरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आठ वरसे बालकनइ रे... गा. ४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि 514 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०४८. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गुरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१७वीं, आदि-जिनसागरसूरि चिर जयउजी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०४९. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गुरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तिहां सखी वारण जाऊं... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०५०. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गुरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनसागरसूरि आचारिज... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०५१. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सखी मोरी करी सिणगार हे... अपूर्ण, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०५२. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गुरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सरवर सरवर जल हुवइ रे... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०५३. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गुरु गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, __१७वीं, आदि-हरख धरी म्हें आवीया रे... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०५४. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गहूंली गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-मंगलकारणि सहं हथइ... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ७०५५. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-ग्राम नगर पुर विहरता पूजजी... गा. ५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०१ ७०५६. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-चतुर माणस चित उलसइ रे... गा. ६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०३ ७०५७. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, _ 'आदि-पूरउ पण्डित पूछीयउ रे... गा. ५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०१ ७०५८. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रीसंघ आज बधावणी... गा. ५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २०२ ७०५९. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसिंहसूरि निर्वाण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १७वीं, आदि-मेडतइ नगरि पधारीया... गा. १२', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३२ ७०६०. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री जिनसिंहसूरि पाटइ बइठा... गा. ५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३२ ७०६१. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ... १७वीं, 'नमो सूरि जिणचंद दादा सदा दीपतउ... ४', मु. ७०६२. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, शत्रुञ्जय संघ यात्रा स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७१, 'आदि-स्वस्ति श्री सुखकर प्रथम जिनेश्वर..., अन्त–जिम चढिय सैलूंजइ तीरथ... गा. ३७', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 515 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०६३. हर्षनन्दन वादी / समयसुन्दरोपाध्याय, समयसुन्दर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-साच साचोरे सद्गुरु जनमिया रे... गा.७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १४६ ७०६४. हर्षप्रिय उ० / शान्तिमन्दिर उ०, शील इकतीसो, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १७वीं, 'अन्त-मन वचन काया तजि...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ७०६५. हर्षवल्लभ / मु. जिनचन्द्रसूरि, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि गच्छपति वंदन मन रली रे... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४१७ ७०६६. हर्षविशाल / कीर्त्तिरत्नसूरि, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६वीं, आदि-सूरिज ऊगमतै नमूं... गा. २३', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१८३), ३०३६७, २९८१३ ७०६७. हर्षविशाल शिष्य, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-अरज सुणो गुरु... ___गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२५ ७०६८. हर्षसमुद्र / जिनसमुद्रसूरि बेगड़, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि पास जिणेसर पूजिये... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ७०६९. हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, सोलह स्वप्न सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १६२२ राजलदेसर, 'आदि–हरखई प्रभु गुरु प्रणमी करी..., अन्त–संवत सोलहसई बावीस...', अ., ह. उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ७२५ ७०७०. हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, हियाली, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६४३ बीकानेर, अ. ७०७१. हीरधर्म, सोलह स्वप्न गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., ___ बीकानेर ७०७२. हीरराज, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-पासजिणेसर पूजीयइ... गा. ७', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ७०७३. हेममन्दिरगणि / जिनसिंहसूरि, जिनकुशलसूरि स्थान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'गा. ९', अ. ७०७४. हेमसिद्धि साध्वी, लावण्यसिद्धि प्रवर्त्तिनी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि आदि जिणेसर पयनमी... गा. १८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २१० ७०७५. हेमसिद्धि प्रवर्तिनी, सोमसिद्धि साध्वी निर्वाण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदिसरस वचन मुझ आपिज्यो... गा. १८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २१२ । कवि नाम रहित स्फुट कृतियाँ ७०७६. अमर विजय कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि–साच शील संतोष... गा. १', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४८ . ७०७७. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरु दर्शन पायो... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२५ 516 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०७८. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव मेरा... गा. ४', मु., दादागुरु ___ भजनावली, पृ. ५२६ ७०७९. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-दिल्ली से उठी दादा... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२६ ७०८०. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-नईया मेरी दादा... गा. ७', मु., दादागुरु __ भजनावली, पृ. ५२७ ७०८१. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-सद्गुरु ने मोहे... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ५२७ ७०८२. चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-आ करते हैं वंदना... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४८९ ७०८३. चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-देख बंगला... गा. ७', मु., दादागुरु __ भजनावली, पृ. ४८८ ७०८४. जिनकुशलसूरि आरती, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-आरती कीजे कुशल... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली; पृ. ३८७ ७०८५. जिनकुशलसूरि आरती, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जय जय आरती... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८७ ७०८६. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आया रहियोजी... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८२ ७०८७. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव जगत... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८२ ७०८८. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव मनाओ... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८३ ७०८९. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४४ गडाला, 'आदि-जिनकुशलसूरिंद... गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८३ ७०९०. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-नित नमिये कुशल... गा. २', ___मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८४ ७०९१. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५५, आदि-प्रत्यक्ष दर्शन दीजे... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८४ ७०९२. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीसर... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८५ ७०९३. जिनचन्दसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सरस वचन सरसति... गा. १३ . अपूर्ण', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०२ ७०९४. जिनचन्द्रसूरि पंचनदी साधन कवित्त (जिनरत्तीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि उछलती जल अकल बोल... गा. १', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 517' For Personal & Private Use Only Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०९५. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-ॐ अर्ह जय है गुरुदेव... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०४ ७०९६. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि - गुरु की जय जय... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०४ ७०९७. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि - गुरुदेव मनाओ... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०५ ७०९८. जिनदत्तसूरि छन्द, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि - जन जन मुख से... गा. १२', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७ ७०९९. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि- जब तुम ही चले... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०५ ७१००. जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि- श्री जिनदत्त जगत... गा. ८', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०६ ७१०१. जिनलाभसूरि विहारानुक्रम (१८१५ - १८३३ ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ' आदिगच्छनायक लायक गुणे... गा. ३४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४१४ ७१०२. जिनसमुद्रसूरि गुणवर्णन, बेगड़, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि - बीया आवइ गुरु मनतु भावइ... गा. २', अ., ह. ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७१०३. जिनसागरसूरि कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-धुरादेस मरुधर सहर बीकांण.... गा. ५', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १८९ ७१०४. जिनसौभाग्यसूरि भास, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-करणादे कूखे ऊपना... गां. १७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०१ ७१०५. जिनहर्ष गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि- सरसति चरण नमी करी... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २६१ ७१०६. ज्ञानसार अवदात दोहा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-उदैचन्द सुत ऊपज्यौ .... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४३३, ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०६ ७१०७. ज्ञानसार गुणवर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- आरम्भ थारा ईश्वर नर कुण लखें नरांण... गा. ६', मु., ज्ञानसागर ग्रन्थावली, पृ. ११० ७१०८. ज्ञानसार गुणवर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- जुग में नारायण जती सुरवृक्ष तणो सरूप... गा. ५', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १११ ७१०९. ज्ञानसार गुणवर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- ज्ञानी देख नारायण गुरुजी....', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०८ ७११०. ज्ञानसार गुणवर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-गुला में गोपाल कमल में कमल नैन... गा. १', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. ११२ ७१११. ज्ञानसार गुणवर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- पंडित प्रवीण ज्ञान गहरो समुद्र जेसो... गा. ६', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १११ 518 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७११२. ज्ञानसार गुणवर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मै वंदन जिस दिन करूं पल पल वारुं प्रान... गा. ९', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०७ ७११३. ज्ञानसार गुणवर्णन सोरठीया दूहा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कायम जस __ कीधाह लाहो लीधो लोक में... गा. ८', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०६ ७११४. दयातिलक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सरद ससी सम सुहगुरु सोहइ... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४१९ ७११५. दादा द्वय कवित्त, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-विघ्न हरण... गा. १', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६२ ७११६. दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-मुल्क में मशहूर... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७२ ७११७. बेगड़ गुरु गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १६५०, आदि-रूडी रे कीधी रूडी... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७११८. भावप्रभसूरि गीत, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-समरवि सुगुरु पाय अहे... गा. १५', ___ मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४९ ७११९. भावप्रमोद भावहर्ष उ० स्वर्गगमन अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४४, 'आदि-विरदे - वखाणीजै जी भावप्रमोद.... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५८ ७१२०. भावप्रमोद भावहर्ष,उ० स्वर्गगमन अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४४, 'आदि-जिसौ भाव जोगी जती जोग तत्त जाणंतौ... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५८ ७१२१. भावहर्ष भावहर्ष उ० गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री सरसति मति दिउ घणी... गा. १५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३५ ७१२२. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरु की नगरिया... गा. ३', - मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४३ ७१२३. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-गुरु नाम ले... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४४ ७१२४. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-गुरु नाम सहारा... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४५ ७१२५. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-गुरुवर तुम्हारी... गा. ३', - मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४५ ७१२६. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-जाना है जग से... गा. २', ___ मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४६ ७१२७. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जिन शासन के... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४६ ७१२८. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-तुम तो भले विराजो जी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४० 519 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१२९. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ' आदि - तू ही प्रीत.... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४७ ७१३०. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, ' आदि - दिवाने गा-गा...', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४८ ७१३१. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि- महिमा तेरी सब से.... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४० ७१३२. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, संस्कृत, २१वीं, 'आदि- वंदे गुरुवरम्...', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४१ ७१३३. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि- श्री जिनचन्द्रसूरि... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४१ ७१३४. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि - सरर - रर - रर.... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४८ ७१३५. यु. जिनचन्द्रसूरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मसूर पठाण... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४१३ ७१३६. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि स्तवन (जयप्राप्ति गीत ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिदेखउ माई आसा मेरइ मन की ... गा. ९', मु. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ११९ ७१३७. यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि - गुरुचरण... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५३ ७१३८. यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - देखउ माई... गा. ९', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५४ ७१३९. यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-महा मुनीसर... गा. १४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५५ ७१४०. यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २०वीं, 'आदि- श्री जिनचन्द सूरि... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५६ ७१४१. यु. जिनचन्द्रसूरि स्तवन, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-स - सरस वचन... मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४५७ अपूर्ण', ७१४२. साधुकीर्त्ति कवित्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-साधुकीर्त्ति साधु अगस्ति जिसो ... गा. १', मु. ७१४३. हियाली, बेगड़, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सुणजो पंडित एक हियाली... गा. ५', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर 520 द्वितीय खण्ड समाप्त खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरतरगच्छ साहित्य कोश तृतीय खण्ड (२०वीं-२१वीं सदी के कतिपय विद्वानों द्वारा निर्मित साहित्य) Ple For Personal & Private Use Only Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ श्रीगौतमस्वामिने नमः॥ ॥ श्रीकुशलगुरुदेवाय नमः॥ ॥ श्रीजिनमणिसागरसूरिपादपद्मभ्यो नमः॥ खरतरगच्छ साहित्य कोश ७१४४. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, ऐतिहासिक काव्य संग्रह, सम्पादन, रास, सन् १९६९, मु., श्रीमद् देवचन्द्र ग्रन्थमाला, बीकानेर ७१४५. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, अष्टप्रवचनमाला सज्झाय सार्थ, सम्पादन, सज्झाय, सन् १९६३, मु., श्रीमद् देवचन्द्र ग्रन्थमाला, बीकानेर ७१४६. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, छिताई चरित्र, सम्पादन, सन् १९६०, मु., विद्या मंदिर प्राचीन ग्रन्थमाला, बीकानेर ७१४७. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, जसवंत उद्योत, सम्पादन, सन् १९४९, मु., सादुल : प्राच्य ग्रन्थमाला, बीकानेर ७१४८. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, जिनराजसूरि कृति कुसुमांजलि, सम्पादन, संग्रह, सन् १९६०, मु., शंकरदान शुभैराज नाहटा, कलकत्ता ७१४९. अगरचन्द नाहटा/शंकरदान नाहटा, जिनहर्ष ग्रन्थावली, सम्पादन, संग्रह, सन् १९६१, मु., सादुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७१५०. 'अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, जैन मरुगुर्जर कवि और उनकी रचनाएँ भाग-१, सम्पादन, सन् १९७४, मु., अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर ७१५१. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, दानवीर सेठ भैंरुदान कोठारी का संक्षिप्त जीवन - परिचय, लेखन, हिन्दी ७१५२. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, सम्पादन, संग्रह, सन् १९६०, ... . मु., सादुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७१५३. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, पीरदास लालस ग्रन्थावली, सम्पादन, संग्रह, सन् १९६०, मु., सादुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७१५४. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, प्राचीन काव्यों की रूप परम्परा, लेखन, हिन्दी, सन् १९६२, मु., भारती विद्यामंदिर शोध प्रतिष्ठान, बीकानेर खरतरगच्छ साहित्य कोश 523 For Personal & Private Use Only Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१५५. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, बीकानेर के दर्शनीय जैन मंदिर, लेखन, हिन्दी, सन् १९५५, मु., दानमल शंकरदान नाहटा, बीकानेर ७१५६. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, बीबी चाँद का झगड़ा, सम्पादन, मु., राजस्थान साहित्य समिति, बिसाऊ ७१५७. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, बीसलदेव रास, सम्पादन, रास, मु., राजस्थान साहित्य समिति, बिसाऊ ७१५८. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, भक्तमाल, सम्पादन, मु., सादुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७१५९. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, राजस्थान का जैन साहित्य, सम्पादन, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७१६०. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, राजस्थान में हिन्दी हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज भाग-२, लेखन, सन् १९४७, मु., प्राचीन साहित्य शोध संस्थान, उदयपुर ७१६१. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, राजस्थानी साहित्य की गौरवपूर्ण परम्परा, लेखन ७१६२. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, रुखमणि मंगल, सम्पादन, मु., राजस्थान साहित्य समिति, बिसाऊ ७१६३. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, विधवा कर्त्तव्य, लेखन, हिन्दी, वि. सं. १९८६ ७१६४. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, वीस विहारमान स्तवन, सम्पादन, सन् १९८५, मु., अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर ७१६५. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, शिक्षा सागर, सम्पादन, मु., राजस्थान साहित्य समिति, बिसाऊ ७१६६. अगरचन्द नाहटा । शंकरदान नाहटा, सभा शृङ्गार, सम्पादन, सन् १९६२, मु., नागरी प्रचारणी सभा, काशी ७१६७. अगरचन्द नाहटा / शंकरदान नाहटा, हम्मीर रासो, सम्पादन, रास, मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ७१६८. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, सम्पादन, ऐतिहासिक रास, सन् १९३७, मु., अभय जैन ग्रन्थालय, बीकोनर ७१६९. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा । शंकरदान अभयराज नाहटा, कलकत्ते की जैन कार्तिक रथयात्रा महोत्सव, लेखन, सन् १९५७, हिन्दी, मु., नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता, जोगीराम बैजनाथ सरावगी, कलकत्ता ७१७०. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा । शंकरदान अभयराज नाहटा, क्याम खाँ रासो, सम्पादन, रास, वि. सं. २०१०, मु., राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला, जयपुर, इसके सम्पादन में डॉ० दशरथ शर्मा भी थे। 524 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१७१. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा । शंकरदान अभयराज नाहटा, खरतरगच्छाचार्यों द्वारा प्रतिबोधित गोत्र और जातियाँ, लेखन, सन् १९७३, हिन्दी, मु., श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता ७१७२. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, ज्ञानसार ग्रन्थावली, सम्पादक, संग्रह, सन् १९५६, मु., अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर ७१७३. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, थावच्चासुत रिषि चौपई, अनुवाद, सन् १९८०, गुजराती, मु., गुर्जर ग्रन्थरत्न कार्यालय, अहमदाबाद, डॉ० मणिलालजी शाह के साथ ७१७४. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा । शंकरदान अभयराज नाहटा, दादा श्री जिनकुशलसूरि, लेखन, सन् १९३९, हिन्दी, मु., शंकरदान शुमैराज नाहटा, बीकानेर ७१७५. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, पंच भावनादि सज्झाय सार्थ, सम्पादक, सन् १९६३, मु., श्रीमद देवचन्द्र ग्रन्थमाला, कलकत्ता ७१७६. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, बीकानेर जैन लेख संग्रह, पुरातत्त्व, सम्पादक, सन् १९५६, मु., अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर ७१७७. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, मणिधारी श्री जिनचन्द्रसूरि, लेखन, सन् १९३९, हिन्दी, मु., अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर ७१७८. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरि अष्टमशताब्दी स्मृति ग्रन्थ, सम्पादक, सन् १९७१, मु., मणिधारी श्री जिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दी समारोह, दिल्ली ७१७९. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरि, लेखन, सन् १९३५, हिन्दी, मु., अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर ७१८०. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि, 'संस्कृत-सम्पादक, सन् १९७०, मु., नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता ७१८१. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, युगप्रधान श्री जिनदत्तसूरि, लेखन, सन् १९४६, हिन्दी, मु., नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता ७१८२. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, रत्न परीक्षा, अनुवाद, ईस्वी सन् १९६२, हिन्दी, मु., अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर ७१८३, अंगरचन्द भंवरलाल नाहटा । शंकरदान अभयराज नाहटा, रत्नपरीक्षादि सप्तग्रन्थ संग्रह, सम्पादक, प्राकृत, सन् १९६०, मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ७१८४. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, विविध तीर्थ कल्प, अनुवाद, सन् १९७८, हिन्दी, मु., श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर खरतरगच्छ साहित्य कोश . 525 For Personal & Private Use Only Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१८५. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा,शान्त सुधारस, सम्पादक, मु., श्रीमद् देवचन्द्र ग्रन्थमाला, कलकत्ता ७१८६. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, श्री जैन. श्वे. पंचायती मंदिर कलकत्ता सार्द्ध शताब्दी महोत्सव स्मृति ग्रन्थ, सम्पादक, सन् १९६५, मु., श्री जैन श्वे. पंचायती मंदिर, कलकत्ता ७१८७. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, श्रीमद् देवचन्द्र स्तवनावली, सम्पादक, सन् १९५५, मु., श्रीमद् देवचन्द्र ग्रन्थमाला, कलकत्ता ७१८८. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा / शंकरदान अभयराज नाहटा, समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, सम्पादन, संग्रह, वि. सं. २०१३, मु., नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता ७१८९. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा । शंकरदान अभयराज नाहटा, सीताराम चौपई, सम्पादक, सन् १९६२, मु., सादुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७१९०. उमरावचन्द झरगड़ / प्रेमचन्द्रजी झरगड़, आनन्दघन ग्रन्थावली, अनुवाद, गीत स्तवन, हिन्दी, श्री विजयचन्द झरगड़, जौहरी बाजार, जयपुर ७१९१. उमरावचन्द झरगड़ / प्रेमचन्द्रजी झरगड़, प्रार्थना और तत्त्वज्ञान, लेखन, हिन्दी ७१९२. उमरावचन्द झरगड़ / प्रेमचन्द्रजी झरगड़, स्नात्र पूजा अनुवाद सह, अनुवाद, पूजा, हिन्दी ७१९३. ऊँकार श्री, प्रणाम-श्रेष्ठिवर्य श्री हरखचन्द नाहटा स्मृति ग्रन्थ, अभिनन्दन ग्रन्थ, हिन्दी, वि. सं. २००१, मु., हरखचन्द नाहटा स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन समिति, नई दिल्ली : ७१९४. कान्तिसागरमुनि / सुखसागर उ., जैन धातु प्रतिमा लेख-प्रथम भाग, अभिलेख, संस्कृत, वि. सं. २००७, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भण्डार, सूरत ७१९५. कान्तिसागरमुनि / सुखसागर उ., शत्रुञ्जय वैभव, अभिलेख, संस्कृत-हिन्दी, सन् १९९०, मु., कुशल संस्थान, जयपुर ७१९६. के.सी. ललवानी / रावतमल, भगवती सूत्र अंग्रेजी अनुवाद भाग - १, अनुवाद, प्राकृत अंग्रेजी, जैन भवन, कलकत्ता ७१९७. के.सी. ललवानी / रावतमल, भगवती सूत्र अंग्रेजी अनुवाद भाग - २, अनुवाद, प्राकृत ___ अंग्रेजी, जैन भवन, कलकत्ता ७१९८. के.सी. ललवानी / रावतमल, भगवती सूत्र अंग्रेजी अनुवाद भाग - ३, अनुवाद, प्राकृत ___अंग्रेजी, जैन भवन, कलकत्ता ७१९९. के.सी. ललवानी / रावतमल, भगवती सूत्र अंग्रेजी अनुवाद भाग - ४, अनुवाद, प्राकृत ___ अंग्रेजी, जैन भवन, कलकत्ता ७२००. के.सी. ललवानी / रावतमल, श्रमण भगवान महावीर, लेखन, अंग्रेजी, जैन भवन, कलकत्ता ७२०१. गणेश ललवानी / रावतमल, अतिमुक्तक, लेखन, नाटक, बंगला, जैन भवन, कलकत्ता 526 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२०२. गणेश ललवानी / रावतमल, चंदन मूर्ति, लेखन, उपन्यास, बंगला ७२०३. गणेश ललवानी / रावतमल, जैन धर्म व दर्शन, लेखन, बंगला ७२०४. गणेश ललवानी, जैनिज्म इन इण्डिया, लेखन, इतिहास, अंग्रेजी, सन् १९९७, मु. प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७२०५. गणेश ललवानी / रावतमल, त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित पर्व १ से ७ बंगला अनुवाद, काव्य ७२०६. गणेश ललवानी / रावतमल, दस सेयथ आवर लोर्ड, लेखन, अंग्रेजी, जैन भवन, कलकत्ता ७२०७. गणेश ललवानी / रावतमल, नीलांजना, लेखन, उपन्यास, बंगला ७२०८. गणेश ललवानी / रावतमल, पञ्चदशी, लेखन, एकांकी नाटक, बंगला, जैन भवन, कलकत्ता ७२०९. गणेश ललवानी / रावतमल, पी. सी. सावणसुखा - ऐसेन्स ऑफ जैनिज्म, अनुवाद, __ अंग्रेजी-हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७२१०. गणेश ललवानी / रावतमल, बरसात की एक रात, लेखन, कथा, बंगला . ७२११. गणेश ललवानी / रावतमल, वर्द्धमान महावीर, लेखन, चरित्र, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७२१२. गणेश ललवानी /, रावतमल, श्रमण संस्कृति की कविता, लेखन, बंगला, जैन भवन, कलकत्ता ७२१३. गणेश ललवानी / रावतमल, श्री भंवरलाल नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ, सम्पादन, अभिनन्दन __ ग्रन्थ, हिन्दी, सन् १९८६, मु., श्री भंवरलाल नाहटा अभिनन्दन समारोह समिति, कलकत्ता नोट:- श्री गणेश ललवानी ने प्रायः बंगला और अंग्रेजी भाषा में लिखा है। इन पुस्तकों के अधिकांशतः अनुवाद श्रीमती राजकुमारी बेगानी ने किए हैं और विविध संस्थाओं से प्रकाशित है। ७२१४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अधर में लटका अध्यात्म ७२१५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अनुगूंज ७२१६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अन्तर के पट खोल ७२१७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अन्तर-यात्रा ७२१८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अप्प दीपो भव ७२१९ चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अब भारत को जगना होगा ७२२०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अमीरस धारा ७२२१ चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अमृत संदेश ७२२२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अष्टावक्र गीता, मु., संबोधि धाम, जोधपुर ७२२३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अहसास खरतरगच्छ साहित्य कोश 527 For Personal & Private Use Only Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, अहिंसा और विश्व शान्ति ७२२५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, आत्मदर्शन की साधना ७२२६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, आत्म-सिद्धि शास्त्र, अनुवाद ७२२७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, आपकी सफलता आपके हाथ ७२२८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, आयार सुतं, आगम, अनुवाद, हिन्दी, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७२२९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, उड़िये पंख पसार ७२३०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ऊर्ध्वारोहण . ७२३१. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ऐसा है संसार, मु., जितयशा फाउंडेशन, जयपुर ७२३२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ऐसी हो जीने की शैली ७२३३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ऐसे जियें ७२३४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, कैसे करें आध्यात्मिक विकास, पुस्तक महल, दरियागंज, नई दिल्ली ७२३५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, कैसे करें आध्यात्मिक विकास और तनाव से बचाव ७२३६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, कैसे करें व्यक्तित्व विकास ७२३७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, कैसे जिएँ मधुर जीवन ७२३८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, कैसे पाएँ मन की शान्ति ७२३९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, क्या करें कामयाबी के लिए ७२४०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, क्षमा के स्वर ७२४१. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, चलें मन के पार ७२४२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, चेतना का विकास ७२४३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, छाया तप ७२४४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जागे सो महावीर ७२४५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जागो मेरे पार्थ ७२४६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिएँ तो ऐसे जिएँ, पुस्तक महल, दरियागंज, नई दिल्ली ७२४७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिन शासन ७२४८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जिन सूत्र, अनुवाद, आगम, मु., श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर 528 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२४९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जीने के उसूल ७२५०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जीवन यात्रा ७२५१. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जीवन शुद्धि का विज्ञान मु., ७२५२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, जैन पारिभाषिक शब्द कोश, कोश, पुस्तक महल दरियागंज, नई दिल्ली, ७२५३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ज्योति के अमृत कलश ७२५४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ज्योति जले बिन बाती ७२५५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ज्योति मिट्टी के दिये की ७२५६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, तीर्थ और मंदिर ७२५७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, तुम मुक्त हो अतिमुक्त ७२५८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, देह में देहातीत ७२५९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, धर्म में प्रवेश ७२६०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ध्यान का विज्ञान ७२६१. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ध्यान क्यों और कैसे ७२६२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ध्यान प्रयोग और परिणाम ७२६३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, ध्यान साधना और सिद्धि ७२६४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, नई दिशा, नई दृष्टि ७२६५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, न जन्म, न मृत्यु, मु., पुस्तक महल, दरियागंज, नई दिल्ली ७२६६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, पंछी लौटे नीड़ में ७२६७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, प्रतीक्षा ७२६८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, पर्युषण प्रवचन ७२६९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, प्याले में तूफान ७२७०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, प्राकृत सूक्ति कोश, मु., श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर ७२७१: चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, प्रेम की झील में ध्यान के फूल ७२७२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, फिर कोई मुक्त हो ७२७३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, फिर महावीर चाहिए ७२७४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, बातें जीवन की, जीने की खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 529 Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२७५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, बिना नयन की बात ७२७६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, बेहतर जीवन के बेहतर समाधान ७२७७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, मनुष्य का कायाकल्प ७२७८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, महाजीवन की खोज ७२७९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, महावीर की साधना के रहस्य ७२८०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, शोध प्रबन्ध ७२८१. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, मानव हो महावीर ७२८२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, मारग साँचा मिल गया ७२८३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, मुक्ति का मनोविज्ञान ७२८४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, मैं कौन हूँ ७२८५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, मैं तो तेरे पास में ७२८६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, Meditation And Enlightement ७२८७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, योग अपनाएँ, जिंदगी बनाएँ ७२८८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, योगमय जीवन जीएँ ७२८९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, रूपान्तरण ७२९०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, लक्ष्य बनाएँ, पुरुषार्थ जगाएँ, मु., पुस्तक महल, दरियागंज, नई दिल्ली ७२९१. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, वाह जिंदगी ७२९२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, विचार और व्यवहार ७२९३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, विराट सच्ची खोज में ७२९४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, श्रावकाचार ७२९५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, संबोधि ७२९६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, संबोधि के दीप ७२९७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, संबोधि - साधना का रहस्य ७२९८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, संभावनाओं से साक्षात्कार ७२९९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, सकारात्मक सोचिए, सफलता पाइये ७३००. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् ७३०१. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, समय की चेतना 530 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३०२. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, समवाय सुतं, अनुवाद, आगम ७३०३. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, समस्या और समाधान ७३०४. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, सहज मिले अविनाशी ७३०५. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, समाधि की छाँह ७३०६. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, साक्षी की आँख ७३०७. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, सो परम महारस चाखै ७३०८. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, स्वयं से साक्षात्कार ७३०९. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, हंसा तो मोती चुगे ७३१०. चन्द्रप्रभसागर म० / जिनकान्तिसागरसूरि, हिन्दी सूक्ति कोश नोट:- चन्द्रप्रभसागर महोपाध्याय की समस्त पुस्तकों का लेखन हिन्दी भाषा में हुआ है और जितयशा फाउण्डेशन, कलकत्ता से प्रकाशित हैं। ७३११. (डॉ०) दशरथ शर्मा, श्री अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ भाग-१, अभिनन्दन ग्रन्थ, हिन्दी, सन् १९७६, मु., अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति, बीकानेर ७३१२. (डॉ०) दशरथ शर्मा, श्री अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ भाग-२, अभिनन्दन ग्रन्थ, हिन्दी, सन् १९७७, मु., अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति, बीकानेर ७३१३. (डॉ०) नगेन्द्र, महोपाध्याय विनयसागर जीवन, साहित्य और विचार, अभिनन्दन ग्रन्थ, हिन्दी, सन् १९९९, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, जितयशा फाउंडेशन, कलकत्ता ७३१४. पूरनचन्द नाहर, जैन इन्स्क्रिप्शन भाग-१, सम्पादक, अभिलेख, संस्कृत, सन् १९१५, मु. पूरनचन्द नाहर, कलकत्ता ७३१५. पूरनचन्द नाहर, जैन इन्स्क्रीप्शन भाग-२, सम्पादक, अभिलेख, संस्कृत, सन् १९२७, मु. पूरनचन्द नाहर, कलकत्ता ७३१६. पूरनचन्द नाहर, जैन इन्स्क्रिप्शन भाग-३ जैसलमेर, सम्पादन, अभिलेख, संस्कृत, सन् १९२९, मु., पूरनचन्द नाहर, कलकत्ता ७३१७. पूरनचन्द नाहर, जैन इन्स्क्रीप्शन ऑफ मथुरा, सम्पादन, अभिलेख, संस्कृत-इंग्लिश-हिन्दी, ____ सन् १९२७, अ., पाण्डुलिपि पूरनचन्द नाहर संग्रह, कलकत्ता ७३१८. प्रमोदश्री प्रवर्त्तनी / विमलश्रीजी, गुरु गुण मौक्तिक माला, संग्राहिका, गीत स्तवन, . राजस्थानी-हिन्दी, वि. सं. २०२०, विमल प्रमोद ज्ञान भण्डार, फलौदी ७३१९. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, अलङ्कार दप्पण, अनुवाद, प्राकृत, हिन्दी, सन् २००१, मु., पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी ७३२०. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, अहिच्छत्रा पार्श्वनाथ तीर्थ, लेखन, वि. सं. २०३४, हिन्दी, मु., श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता खरतरगच्छ साहित्य कोश 531 For Personal & Private Use Only Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३२१. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, आत्मद्रष्टा मातुश्री धनदेवी जी, लेखन, सन् १९८९, हिन्दी, मु., श्री राजचन्द्र आश्रम, हम्पी ७३२२. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, आत्म साक्षात्कार का अनुभव क्रम, अनुवाद, ईस्वी सन् १९९०, हिन्दी, मु., श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी ७३२३. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, आत्मसिद्धि शास्त्र, बंगला-हिन्दी अनुवाद, सन् १९९५, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी ७३२४. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, आनन्दघन चौवीसी, सम्पादक, हिन्दी, सन् १९८९, मु., श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३२५. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, उदारता अपनाइये, लेखन ७३२६. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, कम्पिल्यपुर तीर्थ, लेखन, हिन्दी, मु., श्री जैन श्वेताम्बर महासभा, हस्तिनापुर ७३२७. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, क्षणिकाएँ, रचना, काव्य, सन् १९८४, हिन्दी, मु., नाहटा ग्रुप ऑफ ट्रेडर्स लिमिटेड, कलकत्ता । ७३२८. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची, सम्पादन, सन् १९९०, हिन्दी, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, श्री जैन श्वे. पंचायती मंदिर, कलकत्ता, संयुक्त सम्पादक - म. विनयसागर ७३२९. भँवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, गौतम स्वामी का जन्म स्थान कुंडलपुर, लेखन, हिन्दी, वि. सं. २०३१, मु., महेन्द्र सिंघी, कलकत्ता ७३३०. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, चम्पापुरी तीर्थ, लेखन, वि. सं. २०३१, हिन्दी, मु., महेन्द्र सिंघी, कलकत्ता ७३३१. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, चार प्रत्येक बुद्ध, लेखन, वि. सं. २०४०, हिन्दी, मु., श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता ७३३२. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, जैसलमेर के कलापूर्ण जैन मंदिर, लेखन, हिन्दी, ____मु., श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता ७३३३. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, जोगी पहाड़ी और पूर्वी भारत के जैन तीर्थ व मंदिर, लेखन, सन् १९८८, हिन्दी, मु., श्री जैन श्वे. पंचायती मंदिर, कलकत्ता ७३३४. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, तरङ्गवती, लेखन, हिन्दी, मु., श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता ७३३५. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, दीवनसाब सर सिरेमल बापना, लेखन, सन् १९८७, हिन्दी, मु., श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता ७३३६. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, द्रव्य परीक्षा और धातूत्पत्ति, अनुवाद, प्राकृत, हिन्दी, सन् १९७६, मु., प्राकृत जैन शास्त्र अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली 532) खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३३७. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, नगरकोट-कांगड़ा महातीर्थ, लेखन, हिन्दी, सन् १९९१, मु., पूज्य बंशीलालजी कोचर शता वार्षिकी अभिनन्दन समिति, कलकत्ता ७३३८. भँवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, निह्नववाद, अनुवाद, हिन्दी ७३३९. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, पद्मिनी चरित्र चौपई, सम्पादन, सन् १९६१, मु., सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७३४०. भँवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि स्तवन पद संग्रह, सम्पादन, सन् १९५७, हिन्दी, मु., श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, बम्बई ७३४१. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, बानगी, लेखन, राजस्थानी, सन् १९६५, मु., राजस्थान साहित्य अकादमी संगम, उदयपुर ७३४२. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, भँवर भक्तिसागर, पद्यानुवाद, सन् १९४७, हिन्दी, मु., बी. जे. नाहटा फाउण्डेशन, कलकत्ता ७३४३. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, भगवान महावीर का जन्म स्थान क्षत्रियकुंड, लेखन, हिन्दी, वि. सं. २०३०, मु., महेन्द्र सिंघी, कलकत्ता ७३४४. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, महातीर्थ पावापुरी, लेखन, हिन्दी ७३४५. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, महातीर्थ श्रावस्ती, लेखन, हिन्दी, सन् १९८७, मु., पंचाल शोध संस्थान, कानपुर ७३४६. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, मातृकापद शृंगाररस-गाथा कोश, अनुवाद, हिन्दी, सन् १९९४, मु., सोहनलाल स्मारक पार्श्वनाथ शोधपीठ, बनारस ७३४७. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसारि चरित्रम्, सम्पादन, सन् १९७२, संस्कृत, मु., अभयचन्द सेठ, कलकत्ता ७३४८. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, राजगृह, लेखन, हिन्दी ७३४९. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, वाणारसी जैन तीर्थ, लेखन, हिन्दी, वि. सं. २०३२, - मु., महेन्द्र सिंघी, कलकत्ता ७३५०. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, विचार रत्नसार, अनुवाद, हिन्दी, सन् १९८५, मु., जयश्री प्रकाशन, कलकत्ता, ७३५१. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, विनयचन्द्र कृति कुसुमांजलि, सम्पादन, सन् १९६१, मु., सादुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७३५२. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, श्रीजिनदत्तसूरि सेवा संघ-चतुर्थ अखिल भारतीय - अधिवेशन स्मारिका, स्मारिका, हिन्दी, वि.सं. २०२९, मु., श्रीजिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता ७३५३. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, श्री सहजानन्दघन पदावली, सम्पादन, सन् १९८५, हिन्दी, मु., श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी। 533 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३५४. भँवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, सती मृगावती, लेखन, सन् १९२८, मु., श्री शंकरदान भैंरूदान नाहटा, बीकानेर ७३५५. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, समय रा दसखत, अनुवाद, सन् १९८६, राजस्थानी, मु., जितशया फाउण्डेशन, कलकत्ता ७३५६. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, समयसुन्दर रास पंचक, सम्पादन, सन् १९६०, मु., सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७३५७. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, सहजानन्द संकीर्तन, सम्पादन, वि. सं. २०२२, हिन्दी, मु., नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता ७३५८. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, सहजानन्द सुधा, लेखन, वि. सं. २०३०, हिन्दी, मु., श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी ७३५९. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, साम्ब प्रद्युम्न, लेखन, वि. सं. २०४१, हिन्दी, मु., श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता ७३६०. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, सिरी सहजानन्दघन चरियं, लेखन, अपभ्रंश, सन् १९८९, _ मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी ७३६१. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, सीताराम चरित्र, सम्पादन, सन् १९६३, हिन्दी, मु., नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता ७३६२. भंवरलाल नाहटा । अभयराज नाहटा, सुमित्र चरित्र, लेखन, सन् १९८७, हिन्दी, मु., श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, कलकत्ता ७३६३. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, स्वर्णगिरि : जालौर, लेखन, हिन्दी, सन् १९९५, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, बी. जे. नाहटा फाउण्डेशन, कलकत्ता ७३६४. भंवरलाल नाहटा / अभयराज नाहटा, हम्मीरायण, सम्पादन, सन् १९६०, मु., सादुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर ७३६५. मणिप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, दादा श्रीजिनकुशलसूरि जन्म सप्तम शताब्दी समारोह स्मृति ग्रन्थ, स्मृति ग्रन्थ, हिन्दी, सन् १९८३, मु. जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्री संघ, सिवाना ७३६६. मदनलाल जोशी, दादाबाड़ी दिग्दर्शन, सम्पादन, इतिहास, संस्कृत-हिन्दी, वि. सं. २०१९, श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ, बम्बई ७३६७. (डॉ०) रमेशचन्द शर्मा, श्री हजारीमल बाँठिया अभिनन्दन ग्रन्थ, सम्पादन, अभिनन्दन ग्रन्थ, हिन्दी, सन् १९९५, मु. हजारीमल बाँठिया सम्मान समारोह समिति, अलीगढ़ ७३६८. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, अतिमुक्तक भाग-२, अनुवाद, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७३६९. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, चन्दन मूर्ति, उपन्यास, अनुवाद हिन्दी, सन् १९८३, मु. प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, जैन भवन, कलकत्ता 534 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३७०. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, जैन धर्म एवं दर्शन, अनुवाद हिन्दी, सन् १९८५, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३७१. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र पर्व १, भाग १, काव्य, ___ अनुवाद हिन्दी, सन् १९८९, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३७२. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र पर्व २, भाग २, काव्य, अनुवाद हिन्दी, सन् १९९१, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३७३. राजकुमारी बेगानी, त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र पर्व ३-४, भाग ३, काव्य, अनुवाद हिन्दी, सन् १९९२, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३७४. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र पर्व ५-६, भाग ४, काव्य, अनुवाद हिन्दी, सन् १९९२, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३७५. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र पर्व ७, भाग ५, काव्य, __ अनुवाद हिन्दी, सन् १९९४, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३७६. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, नीलांजना, उपन्यास, अनुवाद हिन्दी, सन् १९८३, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, जैन भवन, कलकत्ता ७३७७. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, पञ्चदशी, एकांकी नाटक, अनुवाद हिन्दी, सन् १९९६, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, जैन भवन, कलकत्ता ७३७८. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, बरसात की एक रात, कथा, अनुवाद हिन्दी, सन् १९९३, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३७९. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, यादों के आने में, कहानी, लेखन, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७३८०. राजकुमारी बेगानी / प्रेमचन्द, श्रमण संस्कृति की कविता, अनुवाद, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७३८१. राजकुमारी बेगाणी / प्रेमचन्द, श्री गणेश ललवानी अभिनन्दन समारोह स्मारिका, अभिनन्दन ग्रन्थ, हिन्दी, सन् १९८३, मु., श्री गणेश ललवानी अभिनन्दन समिति, कलकत्ता ७३८२. राजरूप टांक / छगनलाल टांक, रत्नप्रकाश, लेखन, रत्नशास्त्र, हिन्दी, वि. सं. २०१६, मु., दुलीचन्द कीर्तिचन्द टांक, जयपुर ७३८३. राजरूप टांक / छगनलाल टांक, रत्नप्रकाश, लेखन, रत्नशास्त्र, अंग्रेजी, वि. सं. २०१६, .. मु., दुलीचन्द कीर्तिचन्द टांक, जयपुर ७३८४. राजेन्द्रकुमार श्रीमाल / लाभचन्द श्रीमाल, श्रीमाल जाति - एक परिचय, इतिहास, हिन्दी, मु., लाभचन्द पुस्तकालय, जयपुर ७३८५. (डॉ०) लता बोथरा / सुरेशचन्द्र बोथरा, आदिनाथ ऋषभदेव और अष्टापद, इतिहास, लेखन, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता खरतरगच्छ साहित्य कोश -535 For Personal & Private Use Only Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३८६. (डॉ० ) लता बोथरा / सुरेशचन्द्र बोथरा, केसर क्यारी में महकता जैन दर्शन, लेखन, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७३८७. (डॉ० ) लता बोथरा / सुरेशचन्द्र बोथरा, दी हारमोनी विथइन, लेखन, अंग्रेजी, जैन भवन, कलकत्ता ७३८८. (डॉ०) लता बोथरा / सुरेशचन्द्र बोथरा, फ्राम वर्द्धमान टू महावीर, लेखन, अंग्रेजी, जैन भवन, कलकत्ता ७३८९. (डॉ० ) लता बोथरा / सुरेशचन्द्र बोथरा, भारत में जैन दर्शन, लेखन, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७३९०. (डॉ० ) लता बोथरा / सुरेशचन्द्र बोथरा, वर्द्धमान कैसे बने महावीर, लेखन, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७३९१. (डॉ०) लता बोथरा / सुरेशचन्द्र बोथरा, संस्कृत का आदि स्तोत्र - जैन दर्शन, इतिहास, लेखन, हिन्दी, जैन भवन, कलकत्ता ७३९२. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, उत्तम ७३९३. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, उत्तराध्ययन के सूक्ति वचन, आगम ७३९४. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, उत्तराध्ययन में बिखरते मोती ७३९५. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, उपाध्याय देवचन्द्र : जीवन साहित्य और ___ विचार, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७३९६. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, कुछ कलियाँ कुछ फूल ७३९७. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, कैसे सुलझाएँ मन की उलझन ७३९८. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, क्या स्वाद है जिंदगी का ७३९९. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, चिन्तन शिखा ७४००. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, जय सम्मेत शिखर ७४०१. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, जीवन की बुनियादी बातें ७४०२. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, जीवन के झंझावात ७४०३. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, जीवन जगत और अध्यात्म ७४०४. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, ज्योति कलश छलके ७४०५. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, ज्योतिर्गमय ७४०६. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, झरै दसहूँ दिस मोती ७४०७. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, दादा जिनदत्तसूरि, चित्रकथा, मु., प्राकृत भारती आकदमी, जयपुर ७४०८. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, धर्म, आखिर क्या है?, मु., पुस्तक महल, दरियागंज, नई दिल्ली 536 Jain Education memnational खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४०९. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, ध्यानयोग : विधि और वचन, मु., ७४१०. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, ध्यान योग : विधि और वचन, मु., पुस्तक महल, दरियागंज, नई दिल्ली ७४११. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, नव जीवन ७४१२. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, पंच संदेश ७४१३. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, प्रभुता का मार्ग ७४१४. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, प्रश्नोत्तर संग्रह ७४१५. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, प्रेम के वश में हैं भगवान ७२१६. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, प्रेरणा ७४१७. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, बूझो नाम हमारा ७४१८. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, भगवान पार्श्वनाथ एलबम्ब ७४१९. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, भजन यात्रा ७४२०. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, मन में मन के पार ७४२१. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, महक तुम्हारी ज्योति हमारी ७४२२. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, महागुहा की चेतना ७४२३. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, महान जैन संग्रह, प्राकृत-संस्कृत ७४२४. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, लोकप्रिय भजन ७४२५. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, वर्ल्ड रिनाउण्ड जैन पिलग्रिमेजेज रिवरेंस एण्ड आर्ट, लेखन, अंग्रेजी, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७४२६. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, वही कहता हूँ ७४२७. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ ७४२८. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, विश्व संस्कृत सुक्ति कोश ७४२९. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, श्रीचन्द्रप्रभ की श्रेष्ठ कहानियाँ ७४३०. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, सत्य की ओर ७४३१. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, सत्य सौन्दर्य और हम ७४३२.. ललितप्रभसागर महो० / जिनकान्तिसागरसूरि, सूयगड सुत्तं, अनुवाद, आगम, प्राकृत हिन्दी, सन् १९९०, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर नोट:- ललितप्रभसागर महोपाध्याय की समस्त पुस्तकों का लेखन हिन्दी भाषा में हुआ है और जितयशा फाउण्डेशन, कलकत्ता से प्रकाशित हैं। खरतरगच्छ साहित्य कोश 537 . For Personal & Private Use Only Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४३३. डॉ० लॉरेन्स ऐलन बैब / लॉरेन्स ऐशले बैब, ऐबसेन्ट लॉर्ड, लेखन, अंग्रेजी, १९९६, ___युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया प्रेस, लॉस एंजेलेस, अमेरिका । ७४३४. वसन्तीलाल मुकीम / शिवशङ्कर मुकीम, फ्राम द पेज ऑफ हिस्ट्री, लेखन, इतिहास, अंग्रेजी, सन् १९९२, मु. बसन्तलाल मुकीम, जयपुर ७४३५. (डॉ०) विद्युत्प्रभाश्री साध्वी / प्रमोदश्री प्र., उपधान तप स्मृति ग्रन्थ, स्मृति ग्रन्थ, हिन्दी, सन् वि. सं. २०४५, मु. श्री हेमप्रभाश्रीजी चातुर्मास आयोजन समिति, बीकानेर ७४३६. (डॉ०) विद्युत्प्रभाश्री साध्वी / प्रमोदश्री प्र., कुशल गुरुदेव, चरित्र, हिन्दी, २००२, मु., जिनकान्तिसागरसूरि स्मारक ट्रस्ट, माण्डवला ७४३७. (डॉ०) विद्युत्प्रभाश्री साध्वी / प्रमोदश्री प्र., गणिपद स्मारिका, स्मारिका, हिन्दी, सन् १९८८, मु. प्रमोद स्मृति प्रकाशन संस्थान, सांचोर । ७४३८. (डॉ०) विद्युत्प्रभाश्री साध्वी / प्रमोदश्री प्र., गुरुदेव, चरित्र, हिन्दी, १९९७, मु., पारस प्रकाशन, दिल्ली ७४३९. (डॉ०) विद्युत्प्रभाश्री साध्वी / प्रमोदश्री प्र., परिचय पुस्तिका-प्रमोद स्मृति स्मारिका, स्मारिका-साधु साध्वी परिचय, हिन्दी, सन् १९८५, मु. प्रमोद स्मृति प्रकाशन संस्थान, सांचोर ७४४०. (डॉ०) विद्युत्प्रभाश्री साध्वी / प्रमोदश्री प्र., प्रीत की रीत, गीत-विवेचन, हिन्दी, १९९८, मु., जिनकान्तिसागरसूरि स्मारक ट्रस्ट, माण्डवला ७४४१. (डॉ०) विद्युत्प्रभाश्री साध्वी / प्रमोदश्री प्र., षट्स्थानक प्रकरण सटीक, सम्पादन, प्रकरण, प्राकृत-संस्कृत? ७४४२. (डॉ०) विद्युत्प्रभाश्री साध्वी / प्रमोदश्री प्र., स्वप्नद्रष्टा, चरित्र, हिन्दी, २१वीं, मु., पारस प्रकाशन, दिल्ली ७४४३. विनयसागर महोपाध्याय / जिनमणिसागरसूरि, अरजिनस्तव सटीक (सहस्रदल कमल गर्भित चित्रकाव्य), चित्रकाव्य, सम्पादन, संस्कृत-हिन्दी, १९५३, मु., सुमति सदन, कोटा ७४४४. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, उपमिति-भव प्रपंच कथा, कथा, अनुवाद एवं सम्पादन, काव्य, हिन्दी, १९८५, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७४४५. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, ऋषिभाषित सूत्र, आगम, अनुवाद एवं सम्पादन, __ आगम, प्राकृत-हिन्दी, १९८८, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर . ७४४६. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, कल्पसूत्र सचित्र सानुवाद, अनुवाद एवं सम्पादन, आगम, हिन्दी, १९७७, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७४४७. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, कुलपाक तीर्थ-माणिक्यदेव ऋषभदेव, लेखन, इतिहास, हिन्दी, १९९१, मु., श्वेताम्बर जैन तीर्थ, कुलपाक ७४४८. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, खण्डप्रशस्तिः टीका द्वय सहित, काव्य, संस्कृत, १९७५, मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर 538 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४४९. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि,खरतरगच्छ का इतिहास-प्रथम खण्ड, सम्पादन, इतिहास, हिन्दी, सन् १९५६, मु., जिनदत्तसूरि अष्टम शताब्दी समारोह समिति, अजमेर ७४५०. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास, लेखन, इतिहास, हिन्दी, सन् २००४, मु., प्राकृत भारती अकादमी, एम.एस.पी.एस.जी.चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर ७४५१. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची, इतिहास, हिन्दी, श्री भंवरलालजी नाहटा के साथ सम्पादन, सन् १९९०, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७४५२. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, खरतरगच्छ-पट्टावली संग्रहः, सम्पादन, इतिहास, संस्कृत, सन् २०००, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७४५३. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रह, सम्पादन, अभिलेख, संस्कृत, सन् २००५, मु., प्राकृत भारती अकादमी, एम०एस०पी०एस०जी०चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर ७४५४. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, खरतरगच्छ-बृहद् गुर्वावली, सम्पादन, इतिहास, संस्कृत, सन् २०००, मु., प्राकृत 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जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली, सम्पादन, ग्रन्थ संग्रह, प्राकृत-संस्कृत, सन् २००४, मु., प्राकृत भारती अकादमी, एम.एस.पी.एस.जी.चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश - 539 For Personal & Private Use Only Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४६३. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, दादागुरु- भजनावली, सम्पादन, संग्रह, स्तवन गीत, सन् १९९३, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७४६४. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, देवतामूर्तिप्रकरण, सम्पादन, वास्तुशास्त्र, संस्कृत, सन् १९९९, मु., प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ७४६५. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, धर्मशिक्षा प्रकरण, सम्पादन, उपदेश, संस्कृत, सन् २००५, मु., प्राकृत भारती अकादमी, एम. एस. पी. एस. जी. चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर ७४६६. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, नन्दीसूत्र प्रभा टीका, सम्पादन, आगम, संस्कृत, सन् १९९७, मु., रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ७४६७. विनयसागर महो० / जिनमणिसागरसूरि, नल - चम्पू- टीकाकार महोपाध्याय गुणविनय एक परिचय, लेखन, इतिहास, हिन्दी, सन् २००३, मु., प्राकृत भारती अकादमी, 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सुरेन्द्र बोथरा / शुभकरणसिंह बोथरा, स्थानाङ्ग सूत्र (दो भाग) (आगम), अंग्रेजी ___ अनुवाद, प्राकृत-हिन्दी-अंग्रेजी, २००४, मु., पदमा प्रकाशन, दिल्ली ७५२८. सुलक्षणाश्री साध्वी / महत्तरा मनोहरश्री, मनोहर जीवन सौरभ, काव्य, हिन्दी, सन् १९८६, मु., पृथ्वीराज कस्तूरचन्द बंगानी, धमतरी ७५२९. (डॉ० ) सौम्यगुणाश्री / प्र. सज्जनश्री, विधि मार्ग प्रपा-अनुवाद एवं समीक्क्षात्मक अध्ययन, विधि, हिन्दी, वि. सं. २०६२, मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई 544 खरतरगच्छ साहित्य कोश खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथम परिशिष्ट खरतरगच्छ साहित्य कोश प्रथम-द्वितीय-तृतीय खण्ड के अन्तर्गत ग्रन्थकारों की नामानुक्रमणी कर्ता नाम क्रमांक | कर्ता नाम क्रमांक १०९९ अगरचन्द २९७१,३०८६-३०८८ अमरविजयगणि ४१३,४६९,७४९,११८४, अगरचन्द नाहटा ७१४४-७१६७ १३४३,१८३९, १८४१, १८५५, २१३६, २१५६, अगरचन्द भंवरलाल नाहटा ७१६८-७१८९ | | २१७५, २२७०, २८४३, २९७२, २९७३, २९८३, अज्ञात ३९४ २९८९, २९९६, ३१०२-३११९ अनन्तहंस १९९३, ३०८९-३०९० | अमरसिन्धुर वाचक ६८०, १०६१, १७१३, अनूप ३०९१ १७८४,३०२०,३१२०-३२९४ अनोपचन्द ३०९२ अमृत ३२९६ अबीरजी ७४२ अमृतधर्मोपाध्याय ३२९७ अभय ३०९३-३०९५ | अमृतसुन्दरोपाध्याय १८८१ अभयकुशलगणि २७५, ६९८, २४३१, २५५४, | अमोलकचन्द्र मुहता ३२९५ ३०९६ | आज्ञासुन्दर (रुद्रपल्लीय) २६४४ अभयचन्द्र ५५२ | आज्ञासुन्दर (पिप्पलक) २४१३,२४१५ अभयतिलकोपाध्याय ११५, ५०४, ११४२,१३०६,| आणंद १३३४.१४४८.२०६३.२२०४.२३५३ | आणंदविजय ३२९८ अभयदेवसूरि ५१,५६, १२६, १८९, १९७, २५८, | आतमचन्द ३२९९ २६९, ३०२, ८६८, ८१५, १०२५, १०५८, | आनन्द ३३००-३३०२ १२६४, १२७२,१३६६,१३८१,१४४९,१४५०,| आनन्दकीर्ति १८८४, ३३०३-३३०५ १४५१., १६७२, १८०६, १९५८,१९७८, २०४७, | आनन्दघन ७५९, १८७३ २०७८, २३२४, २३३९, २४२५, २७२८, २७५१ आनन्दचन्द ३३०६ अभयदेवसूरि विजयचन्द्रसूरि ८७५ आनन्दनिधानोपाध्याय ४२८, ११२९, अभयधर्म १०८८ २१८५, २९२९,३३०७-३३०८ अभयविलास ३०९७ आनन्दराज ३३०९ अभयसुन्दरगणि २३२ | आनन्दवर्धन १००, ७६१, १९७६, ३३१०अभयसोमगणि ३२०,५११,५७०,६९७,७४६, ३३१५ ८७६, २१२३, २३४०, २३५९, २३६०, २४८४, | आनन्दवर्धनसूरि १४०६ ३०९९-३१०१ आनन्दवल्लभगणि २३७५, ३३१६ अमर २०१, २९६, ७५०,२४३० | आनन्दविजय ३३१७ अमरचन्द बोथरा ७५७,७५८ | आलम ३३१८ For Personal & Private Use Only Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ..३४२८ कर्ता नाम क्रमांक | कर्ता नाम क्रमांक आलमचन्द १००८,१६६६,२१८६, २७५९,| कनकसोमगणि १९६, १९९,४१५,५६७, २८४६,३३१९-३३२८ ९४२, १०८०, १२८६, २०२४, २१६१, २६३३, आसिगु ... ६७२,१००३ ३०५७, ३०६६, ३४१५-३४२३ उदयकमल २३९५ | | कपूरचन्द १७२४ उदयकीर्ति उपाध्याय १३७३, १३८८ कपूरमल्ल . १९६५ उदयचन्द्र ५४,५२२,१४१० कमलकल्याण ३४२४ उदयचन्द्र मथेन ३३२९ कमलकीर्तिगणि २५३,३६८,९७६, उदयचन्द्र राजवैद्य ९२२ २११३,२३०३,२८१४,३४२५,३४२६ उदयरत्नगणि ४९२,७२०, ३३३०-३३३४ | कमलप्रभाचार्य ... ९३५,१४५२ उदयराज ८२५, १९१२, २४८८,३३३५ कमलमन्दिर १८२७, ३०३७, ३४२७ उदयसमुद्र उपाध्याय ४५२,४५५ कमलरत्न उदयसागर ४८४,२३१३, २३४२ | कमललाभापाध्याय १७५,२३३,३५६,८५४, उदयहर्ष ३९०, २१७२, ३३३६-३३३८ १७५६,२०५६ उमरावचन्द झरगड़ ७१९०-७१९२ | कमलसंयमोपाध्याय २२६, ३३६, ४१६, ४३५, उम्मेदचन्द्रगणि . १८२१, २५२५, ३३३९ २९५१ ऋद्धिसार म० (रामलाल) ३५५,५५७,९२३, | कमलसुन्दरगणि २४०५, ३४२९-३४३४ १०१६, ११०३, १६७८, १७०५, १७२३, १७३४, | कमलसोमगणि । ९५३, १८८५, ३४३५ २०४५, २४८७, २५११, २५४९, २६८९, २६९३, | कमलहर्ष वाचक ३४, १४७, ४५०, ९६२, २७९०, २७९४, २९१६, २९३६, ३३४०-३३९६ | | ११७५, १४११, १९०३, २२७१, ३४३६-३४४० ऋषभदास २१५५, ३३९७, ३३९८ | करमचन्द ६७१ ऊँकार श्री ७१९३ | करमसी ३४४१ कंचन ३३९९ / कर्पूरप्रिय वाचक ३४४२ कनक ३४०० कर्मचन्द्र १०५६, २११९ कनककीर्ति उपाध्याय ११४५, १२९४, | कर्मसी ३४४३ १३७९, २१६९, ३४०१-३४०७ कल्याण ५१८, ३४४४ कनककुमार १०१५,१३०७ | कल्याणकमल ६९२, १२८७, २८०३, कनकधर्म - ३४०८ ३४४५-३४४७ कनकनिधान . ३०९, ४१४, २२३९, ३४०९ | कल्याणकलश ६७३ कनकप्रभ ३४१० | कल्याणचन्द्रगणि ४३०,४३१,२१२६, कनकमुनि ३४११ ३४४८-३४४९ कनकमूर्ति २१८७, ३४१२ | कल्याणतिलकोपाध्याय ४१७, ११७३, २१५० कनकविलास उपाध्याय ११३०, १७८६,३४१३ | | कल्याणदेव ११३१, २३१८ कनकसिंह ३४१४ | कल्याणधीरोपाध्याय २८९०,३४५० ५४६ प्रथम परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्ता नाम क्रमांक कर्ता नाम क्रमांक कल्याणलाभोपाध्याय २४२४ | | कुशलां ३४९९ कल्याणविजय ३४५१ कृपाराम ३५०० कल्याणहर्ष ३४५२ केशरमुनि पन्यास ३४६ कवि कनक २१५७ केशरीचन्द ३५०१-३५०५ कवि दास ३४५३ केशवदास १९१०, २४६९, ३५०६-३५१० कवियण ३४५४,३४५५ के.सी. ललवानी ७१९६-७२०० कविरङ्ग | क्षमाकल्याणोपाध्याय ८७,८९, २९७, ४९६, कविराज ३४५७,३४५८ ५७४, ६१२, ६२७, ६३४, ६४२,७३३,७४०, कविसुन्दर १३४२ ८७४, ९२४, १००५, १०५७, १०७७, ११५९, कस्तूरचन्द्रगणि १०२६, २७३१ १३९३,१४०३, १४५३, १४५४,१७७२, १८२३, कानसुन्दर ३४५९ १८२४, १८३१, १८६८,२०१४, २१८८, २१९२, कान्तिसागर ४९१,५१३,७१९४,७१९५ २२६८,२३७२, २४०७, २५०६, २५०८, २५१५, कीर्तिरत्नसूरि १४,७६२, १२८५, १३०८, २५३४,२५४४,२६८८,२६९७,२८२२, २८९३, - १३५१, २०६६, २६००, ३४६०-३४६५ २९०१,३०११, ३५११-३६२३ कीर्त्तिवर्द्धन ६१८,८४६, १८५०, १८५९, क्षमानन्दन ३६२४ २७९९,२९७९, ३४६६,३४६७ क्षमाप्रमोद ३६२५, ३६२६ कीर्तिसुन्दर ६३, ९०, ३४५, ७४७, क्षमामाणिक्य ५०, ४२६, ४८५, ५३१, २८४८ ८११, १३३८, २११४, २३५०, ३४६८ | क्षमामूर्ति २६६३ कुमारगणि १७५५ क्षमारत्न ३६२७ ३४६९ क्षमासमुद्र २८८, ३६२८ कुम्भकरण ३४७०-३४७२ क्षमासागर ३६२९ कुशलक्षेम ३४९७,३४९८ क्षेम ४८६, ३६३० कुशलचन्दगणि ३४७३ क्षेमकुशल २६८४ कुशलचन्द्रसूरि ११४० क्षेमचन्द्र २४९५ कुशलधीरगणि २४१, ४६१,७६३, २०१६, क्षेमरत्न ३६३१-३६३५ २२५७, २२६५, २३०७, २६५७, २८२०, २९७८, | | क्षेमराजोपाध्याय २०२, २५७,७१२,७६४,९४०, ३४७४-३४८६ १०७३,१२२६,१४५५, १८३६, १८५१,१८५४, कुशलनिधान १८५७, २०२९, २१७३, २६८६, ३६३६-३६४९ कुशलमनोरथ ३४८५ | क्षेमसागर - २१७८, ३६५० कुशललाभोपाध्याय ३,५५९, ९४५, १०२९, | क्षेमसुन्दर १९९५ १०४४, १०७२, १११६, ११८७, १६५४, २१२१, क्षेमहंसगणि. ४४१, ५८५, २१६२, २२२१, २३२२, २५७०, ३४८६-३४९३ २३४३, २४७६ कुशलविनय ३४९४-३४९६ | क्षेमहर्षगणि ६७४,८८९, १६६४, ३६५१-३६५३ कुम्भ खरतरगच्छ साहित्य कोश ५४७ For Personal & Private Use Only Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्त्ता नाम खइपति खुशालचन्द खेत खेतल (खेतसी) खेमचन्द गङ्गदास गङ्गविनय गजसारगणि गणेश ललवानी गिरधरलाल गुणलाभ विलास समृद्धिमहत्तरा १३८६ ३६७०, ३६७१ गुणकमल गुणनन्दनगणि २०५, ११०७ गुणरङ्गोपाध्याय १८६५, २५७२, ३७७९-३७८१ गुणरत्नसूर २३६८ गुणरत्नोपाध्याय ४२५, १०४६, १०५५, १२२२, १३३३, २१६३, २२२२, २७०३, २७६१, २९२४ १८४९ वर्धनग ३६७२ गुणविनयोपाध्याय ४, ३०, ३५, १७६, २०४, २३५, २३६, २८१, २८९, ३००, ३१८, ३३०, ३३१, ३३९, ३५७, ४९०, ४९३, ५४७, ५६०, ५७६, ७०५, ८६१, ८७०, ९१८, ९६८, १०१४, १०४९, १०५०, १०५१, १०५२, १०८२, १११५, ११७६, १२२८, १२४१, १२८२, १४५६, १४५७, १४५८, १४५९, १४६०, १८१४, १८८६, १९५९, १९७४, १९८६, १९९१, २१४०, २२२३, २२९५, २२९९, २३०१, २३१०, २३६९, २४९६, २५५१, २६६०, २७५४, २८३७, २८५७, २९०५, २९६२, ३६७३-३७७८ गुणसेन ५४८ क्रमांक कर्त्ता नाम ३६५४ गुणाकरसूरि गुमानचन्द १०६, ८०१, ३६५५-३६६३ ३६६४ ५१६,५१९, १९२१, २०१८, ३६६५-३६६७ ३६६८ ८१३, २३१५ २३९४, ३६६९ १७४, २३७३, २७४०, २८५२ ७२०१-७२१३ ५५५, ७६५, ३७८२ ३२ ३७८३ गुलाब गूजर गोपाल गोपाल सेवक चतुरसागर चन्द वाचक चन्द्र चन्द्रकीर्त्तिगणि चन्द्रतिलकोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर महो० चन्द्रयशा श्री चरण प्रमोद चारित्र चारित्रसुन्दर चारित्रोदयगणि चारुचन्द्रोपाध्याय चारुचन्द्रसूरि क्रमांक १९६८ ४६८ ३७८४- ३७८८ ३७८९ ३७९० ३७९१ १७३९ ३७९२-३७९८ For Personal & Private Use Only ३५८ ११८९, २१९९, ३७९९ ६० ७६६, ३८००-३८०९, ७२१४-७३१० चारित्रकीर्त्ति चारित्रचन्द्रगणि • ३८१३ चारित्रनन्दन चारित्रनन्दी ६४३, ७६७, १६८३, १६८७, १६९४, १७०९, १७१६, १७१८, १७५०, १७८३, १८१६, २६९४, २८००, ३०४३, ३८१४ चारित्रवर्द्धनोपाध्याय ३८६, ४४२, १३२९, १९९६, २१६४, २२२४, २५५९, २६४२, २९५३ चारित्रसागर २५०७, २५३५, २५४०, २९०२ चारित्रसिंहगणि ६७, ४००, ५३९, ५८२, ६२३, २१३१, २२८७, २६४७, २७२९, २८५०, ३८१५-३८१९ ३८१० ३८११ ३८१२ १३०९, १३१० २२७, १०९३ २७६०, ३०३५, ३८२० - ३८२४ ३८२५-३८२७ २१५, १२१३, २००३, २०४९, २२३३, ३०५९, ३८२८, ३८२९ २३५२ प्रथम परिशिष्ट Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्त्ता नाम क्रमांक चारुदत्त ३८३० चिदानन्द प्रथम .८१५, ८२१, १७४३, १८१५, १८७४, १९३२, २०५४, ३८३१, ३८३२ चिदानन्द द्वि. (कपूरचंद) ४०, १२८, १४२, ४३४, ९९५, १०८५, ११५५, २६६७, २६६८, २७१४, ३०४४ चुन्नीदास चैनरूप चैनसुख छोटेलाल जगडू जगनाथ जगरूप जयकर्ण जयकीर्त्ति उ. जयकीर्त्ति उ. जयकुशल जयचन्द (जयविमल ) जयचन्द्र १७७४, १८५२, २७७६, २७८१, ३८४९, ३८५० १८, १४६१, २९८७ ४०६, ४४८, ११२५, ११८६, १२८८, २१९३, ३००१, ३८५१ - ३८५६ ७९, ३१५, २०१३, ३८५७-३८६७ जयधर्मोपाध्याय जयनिधानोपाध्याय ३८३३ १३८५ २४८२, २५५८ ३८३४ २८४९ ७०२ ८५१ ३८३५ ४१८, ४६२, १७६८ २६९५, २७३३, ३८३६-३८४१ १८६२ १९०४, १९३३, २११५, ३८४२-३८४८ जयरङ्गोपाध्याय (जैतसी) जयवर्द्धन जयसार जयसार जयसागरोपाध्याय १५०, १५६, २१४, २६४, ५००, ५७८, ६०४, ६०६, ६३५, ७२७, ७४५, ७५१, ९०४, १०६५, १०६९, १२११, १२८४, १२९९, १३०१, १३०२, खरतरगच्छ साहित्य कोश कर्त्ता नाम क्रमांक १३०३, १३०४, १३२८, १३५८, १३५९, १३६८, १४०५, १४३१, १४३२, १४६२, १४६३, १४६४, १४६५, १४६६, १४६७, १४६८, १४६९, १४७०, १४७१, १४७२, १४७३, १४७४, १४७५, १४७६, १४७७, १४७८, १४७९, १४८०, १४८१, १४८२, १७५९, १८७७, १९०२, १९९७, २०६४, २०६७, २२३०, २३२१, २३२८, २४०२, २४४७, २४४९, २४५१, २४५७, २४९०, २६०४, २६०५, २७२३, २७६४, २८८३, २८८७, २८८८, २८८९, २९५९, २९६३, ३८६९-३८९६ जयसोमोपाध्याय २०८, २०९, ३२९, ५७९, १४८३, १४८४, १४८५, १४८६, १४८७, १६७९, १७६२, १७६३, १८०७, १८०८, १८०९, १८७६, १८८७, २३२६, २४३६, २८९४, ३०३०, ३८८६-३८९६ जयानन्द ११८० ल्ह कवि ३८९७ जिनकवीन्द्रसागरसूरि २४५, ७४१, ७६८, १०५४, १६७५, १६८२, १६९१, १७०१, १७०२, १७१४, १७२२, १७२९, १७३०, १७३२, १७३८, १९६६, २५०२, ३०६७, ३८९८-३९१४ जिनकान्तिसागरसूरि जिनकीर्त्तिरत्नसूरि जिनकीर्त्तिसूरि जिनकुशलसूरि ३८६८ २७२३ २७१८ १६, १७, २२, १०५, ११९, जिनगुणप्रभसूरि ३९१५, ३९१६ ६६९ ३२५, ७६९, २९१४, ३९१७ १५७, १५८, ६३८, ७३१, ९०५, १३०५, १४३३, १४८८, १४८९, १४९०, १४९१, १४९२, १४९३, १४९४, १४९५, २५८६, जिनकृपाचन्द्रसूरि ३७०, १०१०, १६८९, २७००, ३९१८-३९९८ ७१८, १७४५, २६५०, ३९९९-४०१९ १३४ ११६३, २७२४, २९४८ जिनचन्द्रसूरि आद्यपक्षीय जिनचन्द्रसूरि For Personal & Private Use Only ५४९ www.jalnelibrary.org Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्ता नाम क्रमांक | कर्ता नाम क्रमांक जिनचन्द्रसूरि/जिनदत्तसूरि १३११, १४९७, २५०१, | जिनपद्मसूरि/जिनक्षमासूरि ८९१, ४१३५ २५०३ | जिनपालोपाध्याय २५६, ५६३, ७०७, ९३६, जिनचन्द्रसूरि/जिनप्रबोधसूरि १५९, १६०, ६२५, ११५७, ११९८, १३७७, २७२७, २७५२, २८०१, १३१२, १३१३, १४९८, १४९९, १५००, २०७९ / २८०२, ३०४९, ३०५० .जिनचन्द्रसूरि/जिनमाणिक्यसूरि १२१, १३६०, जिनप्रबोधसूरि ३९८, १३८२, १९६४, २४७८ __ १५०१, १७६१, १८८८, २६२०, ४०२०-४०२३ | जिनप्रभसूरि २०, २५, ५३, ९५, १०९, २४६, जिनचन्द्रसूरि/जिनयशोभद्रसूरि १६९६ २६८, २७३, २७७, ३४७, ४०१, ४०९,५४४, जिनचन्द्रसूरि/जिनरत्नसूरि १५०२, ४०८५-४०९३ ५६९,५९२,५९३,५९४,६१९,६४४, ६४५, जिनचन्द्रसूरि/जिनरङ्गसूरि २१६८ ६४६, ६४७, ६४८, ६४९, ६५०, ६५१, ६५२, जिनचन्द्रसूरि/जिनलाभसूरि १७०३, १७०७, ६५३, ६५४, ६५५, ६५६, ६८७, ६९१, ७३९, ४०९४-४१२६ ९४६, ९९०, १०५३, १०६२, १०६६, १११३, जिनचन्द्रसूरि/जिनहर्षसूरि ४८३ ११३९, ११४४, ११६६, १२००, १३१८,१३५३, जिनचन्द्रसूरि जिनाक्षयसूरि ४१२७-४१३४ १३६५,१३६९,१३७०,१३९६,१३९८,१४००, जिनचन्द्रसूरि/जिनेश्वरसूरि १८७, ४७३, १०१३, १५१४,१५१५,१५१६,१५१७,१५१८,१५१९, . १३६४, १९५४, २६८७, २७७५ १५२०,१५२१,१५२२,१५२३,१५२४, १५२५, जिनचन्द्रसूरि/जिनेश्वरसूरि बेगड़ २१८, ११४६, १५२६, १५२७,१६५५,१६५७,१७७८, १८३०, १७९६, २२६३, २२६६, ४०२४-४०८४ १९६२, १९८१, १९८८,२०२६, २०३६, २०३७, जिनचारित्रसूरि १२२१ २०८२, २०८३,२०८४,२०८५,२०८६,२०८७, जिनजयसागरसूरि ५३८,६९६, ९१० २०८८,२०८९,२०९०,२०९१,२०९२, २१३४, जिनदत्तसूरि २३, १८६, २३४, २४४, २५५, २१९०, २२०५, २२०६, २२०७, २२०८, २२८५, ४११, ५३२, ५३३, ५७७, ६१७,७०६,७२९, २३२५, २३३२, २३३४, २३९८, २४११, २४२३, १०८६, १२२४,१३८७,१५०३, २०४८, २०७३, २४३३, २४४५, २४५८,२५५२,२६०८, २६०९, २२२०, २३५१, २३६७, २४४०, २६१८, २६३८, २६१०, २६२२, २६६९, २७३२, २८५३, २८९१, २७१५, २७६२, २८१९, २८६४, २८८२, २९७७ २९२०, २९४९, २९८६,३०१७, ३०१८,३०२३, जिनदेवसूरि ४१९, २६३९ ३०२४,४१३६,४१३७ जिनधरणीन्द्रसूरि ८९० जिनभक्तिसूरि ४१३८-४१५२ जिनपतिसूरि १९, २४, १६१, ६४०, ९९१, | जिनभद्रसूरि/जिनराजसूरि - १३७८ १२६९, १३१४, १३१५, १३१६, १३५२, १३७५, | जिनभद्रसूरि/जिनप्रियोपाध्याय ४४३, ९८४, १५०४,१५०५,१५०६,१५०७,१७८९, २०७४, । ११६०, १२१७, १४३९, १५२८, १५२९, १५३०, २०८०,२०८१, २६०१,२६०७, २७८५, २८३१ २५७६, ३०१६,४१५३-४१५७ जिनपद्मसूरि १६२, १११९, ११२३, १३१७, | जिनमणिसागरसूरि ५७, ४७२, १०९६, ११२७, १३५४,१५०८,१५०९,१५१०,१५११,१५१२, - ११२८, ११३८, १९५५, १९५६, १९५७, २७२२, १५१३, २१२२, २६०६, २६२४, २८७०,३१३१ | २८९२, २९०७,२९०८ . ५५० प्रथम परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्ता नाम क्रमांक कर्ता नाम क्रमांक जिनमहेन्द्रसूरि ७७०, २९३९, ४१८५-४१६० | जिनसमुद्रसूरि/जिनचन्द्रसूरि ४४४, २२२५ जिनरङ्गसूरि १०३०, ११८५, १२५७, १८२०, | जिनसमुद्रसूरि (महिमसमुद्र) २०७, २११, २१९ १८७५, १८९८, ३०२१, ४१६१-४२३१ । २९०, ३५९, ३८१, ५५८, १०३३, १०४७, जिनरत्नसूरि/जिनराजसूरि १६३, ७७१, ८९२,। १११०, १२८९, १३३५, १७४६, १७९५, १९२६, ८९७, १५३६, ४२३२-४२३९ २२४९, २२५८,२२६९, २२८२, २२८३, २३३७, जिनरत्नसूरि/जिनेश्वरसूरि २२५, १२७७, १३१९, २३८१, २४१६, २४९८, २५७३, २८३४, २९२५, १५३१, १५३२, १५३३, १५३४, १५३५, २४५९, ३०६०,४४०७-४५५० ३०४७, २८७१ जिनसागरसूरि/जिनचन्द्रसूरि ३२१, ३७६, २७४४, जिनराजसूरि/जिनसिंहसूरि ३१६,५३०,७७२, २९३८ ९५४, १०१९, ११७९, १२५८, १३३०, १८१९, | जिनसागरसूरि/जिनसिंहसूरि ३७५, १९३९, ४५५१ १८४७, १८६३, १९३८, १९७९, २६२५, ३०२९, | जिनसागरसूरि शिष्य ३६० ४२४२-४३६० जिनसिंहसूरि ४८०,१९२२,३०६८ जिनराजसूरि/जिनोदयसूरि ६२८, १५३७, ४२४०, | जिनसुखसूरि ७७५, १८१०, ४५५२-४५५८ ____४२४१ | जिनसुन्दरसूरि ५६१, १८१३, २००५, २१२४, जिनलब्धिसूरि ७२६, १५३८, १५३७, ४५५९-४५६३ - १५४०, २४५२ | जिनसौभाग्यसूरि ४५६४-४५७५ जिनलब्धिसूरि/जिनहर्षसूरि १३४३, ४३६१-४३६३ | जिनहंससूरि १३५, ३८२ जिनलाभसूरि १३९,७७३,७७४, | जिनहरिसागरसूरि २५९, ३०३, १७००, १७२७, १४३५,४३६४-४४०० | १७३१, २०४६, ३०६९, ४५७६-४५९९ जिनवर्द्धनसूरि १७५७, १७७६, १७८०, २०९३, | जिनहर्षगणि २८,६४,७४, ८०, ९१, १९२, २२०, २०९४, २३४४, २८११, २८२९, ३०१० २६०, २९४, ३४३, ४३९, ४५७, ५२४,५२६, जिनवर्द्धमानसूरि . ११७० ५४८, ६७५, ६७६, ७२१, ७४८, ७७६, ८००, जिनवल्लभसूरि .१३०, १३८, १४५, ३३७, ८०३,८१९,८३३,८६२,९५६, १२३८, १२९५, ३८५, ४७६,६३६,६५७,७१३,७१४, ११५६, १३३७,१३४०,१३४७,१७२१,१८४५, १८७२, ११९७, १२१८, १२४७, १२८३, १३५५, १३९४, १९०५, १९१८, १९२७, १९४०, १९४१, २०२०, १३९५, १४१२, १५४१, १५४२, १५४३,१५४४, २०३४, २०५०,२१४८, २१५८,२१९४, २२३८, १५४५, १५४६, १५४७,१५४८,१६५६, १७६०, २२४५, २२४६, २२४७, २२४८, २२७२, २३२७, १७६७,१७८२,१८२५, १९९४,२०५१, २०५३, २३३८, २४१७, २४७३, २५२४, २५२६, २५४१, २०६५, २२९४, २४६४, २५८७, २६७६, २६९०, २५६८,२६४८, २६५८,२६६५, २७०४, २७०८, २७८४, २८५४, २८५८, २८५९,२८७२,२८७८, २७१२, २७९७, २७९८, २८४५, २९८४, ३०३८, ३०१२, ३०५१ ३०६५, ३०७०, ४६००-४८९६ . जिनविजयसेनसूरि ४४०१-४४०६ / जिनहर्षसूरि/जिनसुन्दरसूरि १९० जिनशेखरसूरि ६२६ | जिनहर्षसूरि/जिनचन्द्रसूरि १७३५, २५२७, खरतरगच्छ साहित्य कोश . ५५१ For Personal & Private Use Only Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमांक कर्ता नाम क्रमांक | कर्ता नाम ४८९७-४९१२ | ज्ञानप्रमोद वाचक १६४,१५५१, २३४५, ४९४६ जिनहितसूरि लघुखरतर २०९५ ज्ञानमण्डल ४९४७ जिनहेमसूरि २९४६ | ज्ञानमन्दिर २६३२ जिनानन्दसागरसूरि ___४९१३-४९१६ / ज्ञानमेरुगणि ३९६, ४२०, ५४९, ८०५, जिनेश्वरसूरि/जिनगुणप्रभसूरि बेगड़ ८५५, ८८५, | __८७१,२१२०, २३९६, २९३२, ४९४८ १८०१,४९१९-४९२४ | ज्ञानविमलोपाध्याय ५५३, १५५२, २५८२, जिनेश्वरसूरि/जिनपतिसूरि १४४, ५९५, ६५८, | ४९४९,४९५० ६८२, ६८३, ६८५, ७०९, ११५८, १४२५, | ज्ञानसमुद्र ८१२ १५४९,१५५०, २१०७, २१९७, २३५७, २४५०, | ज्ञानसारोपाध्याय ४२, १३७, ४०७, ६७०, ७६०, २४६५, २५८९, २६८०,२८६५,४९१७-४९१८ __७७९, ७९८,८०८, ८२६, ८२७,९५५, ११६२, जिनेश्वरसूरि/वर्द्धमानसूरि ११५, ११७, २४७, १६९९,१७०४, १७१०,१७५८, १७६६, १८११, २४९, २८५, ३०६, ३०७,७२८,८४४,१२७६, १८३२,१९११,१९४२,२१२७,२३७९, २४३४, १३७४, १७९४, २७२६, २८८१, २४३५, २८३६, ४९५१-५०४२ जिनोदयसूरि/जिनचन्द्रसूरि १०७५, २६२९, ४९२५ | ज्ञानसागरोपाध्याय १९८, ३१२, १२३९, २४९७ जिनोदयसूरि/जिनतिलकसूरि ३११,७००, ९२०, | ज्ञानसुन्दर ७९६, २२८०,५०४३-५०४५ २४१४, ३०७६, ४९३२-४९३६ | ज्ञानहर्षोपाध्याय ११०९, १११७, ५०४६-५०५१ जिनोदयसूरि/जिनसागरसूरिशाखा १२५१ | ज्ञानानन्द ५०५२,५०५३ जिनोदयसूरि/जिनसुन्दरसूरि बेगड़ ३३, २३८, | ठक्कुर फेरु धंधगोत्रीय ५०८,५४१, १०२३, ५६२, ५७१, १९००, २३१६, ३००२, ३०१५, | ११५०, १२०५, २२१४, २२४०, २३५८ ४९२६-४९३१ तत्त्वकुमार २२४१, २७०५ जीवराज २५२०, २५३३, २५३७, २९७६ | तत्त्वसुन्दर वाचक ५०५४ ज्ञानकलशोपाध्याय - ९९९ तत्त्वहंस २२१, २०१० ज्ञानकीर्ति १८६४ तपोरत्नगणि २२८,२७४१ ज्ञानकुशल ४९३७ तरुणप्रभसूरि २१, १६५, १६६, १६७, १६८, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय २९१,७१७, ७७८, ९४३, | १६९, १०७६, १५५३, १५५४,१५५५, १५५६, १७८५,२९४५ १५५७,१५५८,१५५९,१५६०,१८७१,२०९६, ज्ञानचन्द्र/जिनोदयसूरि ४९३८ । २०९७,२०९८,२२०९,२२१०,२४७१, २६२८, ज्ञानचन्द्र उ./सुमतिसागर उ. ४९३९,४९४० | २६३०, २६३१, २७३४ ज्ञानतिलकोपाध्याय/पद्मराज़गणि ५९०, ८९३, | तिलकगणि १८२९ १२१६, २४०३, ४९४१-४९४४ | तिलकचन्द्र १७८७ ज्ञानतिलकोपाध्याय/विजयवर्धन २४०४, २९४१ / तिलकश्री ५०५५-५०८१ ज्ञानधर्मोपाध्याय ११०८, ४९४५ | तिलोकचन्द लूणिया ७०८ ज्ञाननिधानगणि ३७७,८३० | दत्त मण्डल ५०८२ प्रथम परिशिष्ट ५५२ For Personal & Private Use Only Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्ता नाम क्रमांक का नाम क्रमांक दयातिलक वाचक ११७४, १९८४, २३६४, | देवभद्रसूरि (गुणचन्द्रगणि) ४६, ३०८,६३१, ५०८३-५०८९ १४१३, १४१५, १५६१,१५६२, १७९३, २०५८, दयाप्रियोपाध्याय ५०९० २४६१, २७७४ दयाभक्ति उपाध्याय ५०९१ | देवभद्रोपाध्याय ५१४९ दयामंदिर उपाध्याय ५०९२ | देवमुनि २६९९ दयामेरु उपाध्याय १९६७,५०९३,५०९४ | देवमूर्ति ९१६, ११६४, १८१८, २०७५, २८६९ दयारत्नगणि ४०३, १३३१, ३०६१ / देवरत्न २६५५ दयासागर ७१५, २०३८ | देवहर्ष ५२०,५२१,५१५० दयासारगणि ८१, १९३, २६५९ देवीदास ५१५१ दयासुन्दर ७८० देवेन्द्रसूरि ११०६,१२६३,१८१७ दशरथ शर्मा . ७३११,७३१२ दौलत ५१५२-५१६० दानधर्म ४६४ धनदराज मन्त्री १२७९, २४९१, २६७५ दानवर्द्धन ५०९५ | धनसागर ८४५ दानविजयोपाध्याय १२९६ धनेश्वरसूरि २७७३,३००३ दानविनय २६६, १२१४, ५०९६ धरणीधर ८९४ दानविशाल ५०९७ धरम ८६३ दिवाकराचार्य ११०५, २५७८ | धर्मकलशगणि ९०७ दीपचन्द्रोपाध्याय/धर्मचन्द्र ३००० धर्मकीर्त्तिगणि ९८६, १२९७, २१४४, दीपचन्द्रोपाध्याय १३८४, १८९४, २४८६, २८१०, २८२४, २९०३,५१६१-५१६७ ५०९८-५०९९ | धर्मचन्द्रगणि ३२३,१६९३, २९५४, ५१०० ३०५६,५१६८ दुर्गादास . ५२३, ८५२, २८३५ | धर्मचन्द्रगणि १०३७ देवकमल . ' ५१०१ / धर्मतिलकगणि २२९६ देवचन्द्रोपाध्याय ४१, ४३, ४५, १२७, २३९, धर्मदेवगणि २७४५ ३२७, ३३५, ४४७, ५४२, ५४५, ५६८, ५७३, | धर्मनन्दनगणि ८४१, २७४६ ७५४, ७५५, ७८१, ७८३, १०३४, १०३५, | धर्मनिधानोपाध्याय ६६०,१५६३ १०४८, ११५१, १२०७, १२२९, १२४९, १४१८, | धर्मप्रमोदगणि ७३६, २११२, २३०२ १६७६, १६८४, १७११, १७५४, १७७३, १७९२, धर्ममन्दिर वाचक १४३, २२९, १०८४, १२४५, १९४३, २२५२, २३७०, २३७६, २३८४, २३८५, १४०१, २१२८,२१८३, २९९७,५१६९-५१७४ २३८६, २३८७, २३८८, २३८९, २३९०,२४६६, | धर्ममाणिक्य ५१७५ २४७४, २५६१, २८१५, २८९५, २९४०,३०४१, धर्ममेरुगणि १९६१, २२२६, २४२७, २९७५ ५१०२-५१४८ धर्मरत्न ५१७६ देवनंदन ५८३ | धर्मरुचिगणि २६४३ खरतरगच्छ साहित्य कोश ५५३ For Personal & Private Use Only Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमांक कर्त्ता नाम धर्मवर्द्धनोपाध्याय ७१, ८२, १२०, १८४, २७६, ६६१, ७८४, ८१८, ८३२, ८३९, ८९६, १०८३, ११००, १२४८, १३२०, १३६२, १४०२, १५६४, १५६५, १५६६, १५६७, १५६८, १५६९, १५७०, १५७१, १५७२, १५७३, १५७४, १८०५, १८५३, १९०७, १९१३, १९१९, २०९९, २१००, २२७९, २४६८, २५८१, २६११, २६५१, २७१३, २७१९, २८२८, २८५५, ३००५, ५१७७-५३०० धर्मसमुद्रगणि ७७, ९२, ४५३, ८८०, १७९०, २५५०, २९८२, ५३०१ १८७९, ५३०२, ५३०३ १९२० ५३०४ ७३१३ ५२५, २५०९, २६७४, २९४७, ५३०५ १७९६, ५३०६, ५३०७ ५३०८ ९९, ७१९ ९७८ १०४, ४३३, ४७१, ५८४, ६०३, ८१०, १३९९, १७४४, २१२९, २४२१, ३०८२, ३०८३, ५३०९-५३१७ धर्मसुन्दरोपाध्याय धीर नगराज नगेन्द्र नन्दलाल पाठक नयकुञ्जरोपाध्याय नयनभद्र नयप्रमोदगणि यमेरु नयरङ्ग वाचक नयविजय वाचक २९४२ नयविलासोपाध्याय २३१२ नरसिंहोपाध्याय ५३१८, ५३१९ नरसुन्दरगणि नवलराय सेवग १९९८ ५३२०, ५३२१ ५३२२ नेमिचन्द्र भण्डारी ९७४, १५७५, २५१२, २७३९ नित्यविजय नैणसी पाठक ५३२३, ५३२४ नैनसिंह १२८० ५३२५ न्यायराज ५५४ कर्त्ता नाम न्यायसुन्दर - आज्ञासुन्दर पंकज नाहटा पदमकुमार पदमचन्द पद्म पद्म कवि पद्मकुमार पद्मचन्द्र/पद्मरङ्गगणि पद्मचन्द्र / जिनचन्द्रसूरि बेगड़ पद्मनिधान पद्मप्रभसूर पद्ममन्दिरगणि पद्ममन्दिरगणि पद्मरत्न ११ पद्मराजगणि ६२, २६७, ४७९, ५९६, ६६२, ९९३, १५७६, १५७९, २००२, २८०५, २८६६, ३०२६, ५३३४- ५३७१ पद्मलाभ पद्मसुन्दरगणि पद्मानन्द पद्मोदय परमाणंद परमानन्द पल्ह कवि पहराज कवि पुण्य पुण्यकीर्त्तिण क्रमांक २४१५ ५३२६ ५३२७ ५३२८ ५३२९-५३३१ ५३३२ २१४३ -८६४ १२२३, १९८३ ५३३३ २१३३ २८३ ५३४, ५५६, ११२४, १४१४, १७९७ पुण्य तिलकोपाध्याय पुण्यनन्दीगणि पुण्यनिधानगण पुण्यभुवन For Personal & Private Use Only १०८७ १७९८ २४९२, २४९३ १४०, ९२९, ५३७२, ५३७३ ११३२ २८३२ ९३२, १३८३ ९९७ ५३७४ ८३, ४४०, ८२८, ८२९, ११७१, १६७०, १८६०, २०३१, २२९१ ६१४, १२३२ २२८६ १ ३६ प्रथम परिशिष्ट Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमांक २१२५ ७, ६३२, ६३३, १०३८, ५३७५ ८६७, ९२५, ९३०, ९५१, १८२६, २०२८, २१३२, २८९६, २९६४, २९९०, ५३७६-५३९६ कर्त्ता नाम पुण्यविलासगणि पुण्यशीलगणि पुण्यसागरोपाध्याय पुण्यहर्षगणि पुण्यानन्द पूरनचन्द नाहर पूर्णकलशगणि ११४३, १५७७, २०५२ पूर्णप्रभगणि ५२७, ८८३, १६६३, २५७४ पूर्णभद्रगणि ३९, ४५९, ६२९, ६६३, ६६४, पूर्णसागर पृथ्वीचन्द्र प्रबोधचन्द्रगणि प्रभानन्दसूरि प्रमोद श्री प्र. प्रीतिसागर प्रीतिसुन्दर: प्रेमचन्द यति प्यारे फकीरचन्द फतहचन्द फूलचन्द महुवाकर बालचन्द्र भावरङ्ग ११८२, १५७८, १९८५, २१०१, २१०२, भावसागर २१६ भावहर्षसूरि भीमराज भुवनकीर्त्ति उ.. बुद्धिमुनिगण बुद्धि श्री बुद्धिसागरसूरि ब्रह्मकवि भक्तिविशाल भत्तउ कवि भद्रमुनि भद्रसेन वाचक ५३९७ |भवानीहर्ष ७३१४-७३१७ भाग्योदय ९४४, १३९१, २२२७, ३०६२ खरतरगच्छ साहित्य कोश १०१८, १२७४, २५२१, २६३७ बालचन्द्रोपाध्याय १७१७, १७५१, १८५८, २८४१, कर्त्ता नाम क्रमांक भक्तिला भोपाध्याय ३८३, १३३२, १८९५, २२९८, २३३१, २७४३, २९५०, ५४३०-५४३७ १९५१ ५४१३ ८८६ २११७ २७६३ २७८, २४६०, ३०७९ ५४१०,५४११,७३१८ भुवनसोमगणि २९२, ११९० भुवनहिताचार्य भूधरदास ५४१२ १०७४ मगन ५३९८-५४०९ मञ्जुला श्री मणिचन्द्र ५४१४-५४१६ ३८४, १४०४ ७३४ ८४२, १३५७ भँवरलाल नाहटा १८९७, २९५६, ७३१९-७३६४ भंवरीबाई भानुचन्द्र भावप्रमोदगणि ५४४९ २१४५ १२, २८१२ ५४५० ७२२, ५४५१ २८९७, ५४५२ - ५४६७ १३४६, २५६०, ५४६८, ५४६९ ८, ३७, १७७, ५२८, ८२६, १४१७, १९८२, २३७८, ५४७०-५४८७ ११६८, १२३७, २७२१ ६६५, ९९२, १३२१, २२६१ २०१९ ५४९१ ५४८८-५४९० ४५६ १६८०, १७१५, १७२५, १७२६, १७३३, १७३६, १७४०, १७४७, ५४९२-५५०४, ७३६५ मण्डन- मन्त्री ११०, २६३, ४०२, ४२७, २६७२, २७८३, २९२२, ६९५, ७०४ मतिकीर्त्ति उपाध्याय ६, ५५०, १०९८, ११८८, १२७५, २००४, २२९३, २३०६, २८१६, २८४४, ५५०५, ५५०६ ९६३ |मतिकुशलगणि ५४३८ ५४३९ ९२६, ५४४० - ५४४३ ६७७, ३०७८, ५४४४-५४४६ ५४४७-५४४८ मणिप्रभसागरोपाध्याय ५४१७- ५४२९ | मतिनन्दन For Personal & Private Use Only ६९४, ११३३, २८८४, ३००४,५५०७ ११९६ ५५५ Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमांक २६९८ कर्ता नाम क्रमांक कर्त्ता नाम मतिमन्दिर २५१३ | महीमेरु महो. १५८० मतिरत्न ५५०८ | महेन्द्रप्रभाश्री ५८२४-५८२६ मतिलाभ ५५०९ | | महेन्द्रसागर ५८२७-५८३४ मतिवर्द्धनगणि ६००, ११२१, १३७१, २९८८ | माईदास ५८३५ मतिविलास ५५१०,५५११ माणक ५८३६-५८४४ . मतिविशाल ५५१२ माणकचन्द ५८४५ मतिसार ६९९ माणकमुनि ५८४६,५८४७ मतिसोम ५५१३ माधव ५८४८-५८५० मथुर २०३९ मान ५८५१ मदन ५५१४ मानसाह ५८५२ मदनलाल जोशी ७३६६ माल ५८५३ मनसोम मालदेव ५८५४ मनोहर ५५१५-५५१९ | मुक्तिमोहन उपाध्याय ५८५५-५८५७ मलयहंस १९१ | मुनिचन्द्रोपाध्याय ४७, १५८१ मलूकचन्द २४८९ | मुनिप्रभ ५१४ महिमराजगणि ५५२०-५५२२ | मुनिमेरु उपाध्याय ५९, ६२२, १२२०, १४२१ महिमसमुद्र (जिनसमुद्रसूरि) / जिनचन्द्रसूरि बेगड़ | मुनिराज २६४१ ५१७, ८३१, १४२२, १८६६, २८९८, ५५२३- | मुनिविमल ५८५८ ५८०८ मुनिसोमगणि २२३२, २७८० महिमसिंह (मानसिंह) १०८, २२२, ३८९, ४७७, मुनिहर्ष ३९९ ८३४,१०११, १९२८, २१६५,२१७४, २२५४, | १८८२ ३०७४, ५८०९,५८१० मेघनिधान ४७८,५८५९-५८६१ महिमसुन्दरोपाध्याय १३००, २५६५ मेघराज नाहटा ५८६२ महिमाप्रभसागर मेरुकुशल ५८६३ महिमाभक्ति ५८१२,५८१३ मेरुनन्दनोपाध्याय २७, १७०, २८७, ५८०, महिमामेरुगणि १२९०,५८१४, ५८१५ ५९७,६०५,६१०,६६६,९०८,९९८, १०००, महिमाशील ५८१६ १३२२, १३२३, १५८२,१५८३,१५८४,१५८५, महिमासेन २३२० १५८६, १५८७,१५८८,१५८९,१५९०,१५९२, महिमाहंस ५८१७ १५९३, १५९४, १५९५, २१०३, २२११, २३१४, महिमाहर्ष २३१७,५८१८-५८२३ २४०६,२४४८,२५६४,२६१२,२६१३, २६८५, महिमोदय ५१२,५४०,८४७, १०२२, १३८०, २८७३, २९६५, ३०३२, ३०३३ १८३४, २७०९, २७२५ | मेरुसुन्दरोपाध्याय २६, ३१, १७१, १७८, २५२, महीचन्द्र २२३ । ३२२, ३४४, ८७२, १३६७, १५९६, १५९७, ५५६ प्रथम परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्त्ता नाम क्रमांक १५९८, १५९९, १६६१, १८१२, १९७३, २०००, २००१, २२१७, २३४९, २४१२, २४७७, २५७७, २६१४, २६६४, २६८२, २७३५, २७४७, २८१७, २८३८, २८४० मोदमन्दिर मोहन यशोरङ्ग यशोलाभगणि यशोवर्द्धनगणि ५८६४, ५८६५ १२१५, १३३६, १४२६, १८४२, १८४४, १८६७, १९०८, १९१५, १९२५, २०१७, २२४३, २२८४, २७०६, २९९२, ५८७८- ५८९१ रघुपति उपाध्याय रङ्गकलश रङ्गकुशलगणि रङ्गप्रमोद रत्ननिधानोपाध्याय रत्नरङ्गोपाध्य रत्नराज रत्नला भोपाध्याय रत्नवर्द्धन ९१२ २७४८ ११७७ ७५, ७२३, ११९९, २८०४ ६७९, ८६५, २२५०, २४१८, रत्नविमलोपाध्याय रत्नविशालगणि ५८६६-५८६८, ५८, ८५, २०६०, ३०३९ ७०१ खरतरगच्छ साहित्य कोश २२८९ ५९०८ ८८१, १०४०, १२५४, २७१० रङ्गविनयोपाध्याय ३४०, २०२१, ५८६९-५८७२ रङ्गविलास ४४ रङ्गसागर ५८७३ रङ्गसारगणि २९३, ९३९, २५९०, ५८७४ -५८७७ राजशेखराचार्य रतन ५८९२ रत्नचन्द्र ५८९३ रत्नजय उपाध्याय ३६१, १०२७, १७७०, २२१६ रत्नतिलक ५८९४ रत्नधीर २००७ राजसुन्दर ५०१, ७८५ ५८९५-५९०७ | राजसोमोपाध्याय ११६, २१०, २१२, ३४८, ६१३, १११८, १७४१, २६९२, २९३०, ३००८, ५९३८-५९४२ कर्त्ता नाम रत्नसागर रत्नसुन्दर वाचक रत्नसोम रत्नाकरोपाध्याय रमापति मिश्र रमेशचन्द्र शर्मा ६८, २२४४, ५९०९ रयण साह राचभद्दु राज राजकरण राजकीर्त्ति उ. राजकुमारी बेगानी राजतिलकोपाध्याय २६२६ राजरत्नसूर ३०६४ राजरूप टांक ७३८२, ७३८३ राजलाभगणि ४९७, ८१७, ८३५, ११७८, १८६१, १९२३, १९४४, १९८०, ३०५३, ५९२५-५९३२ राजविजय ५९२४ राजशीलोपाध्याय ८४, २३६१, २९५५, ३०६४, राजसागर राजसार राजसिंह वाचक राजहंस २७४ ७३ राजहर्षगणि क्रमांक ५९१० ५९११-५९१४ १३३९ १००६, २२५३, २८६७ २१८२ ७३६७ ५९१५ २५८५ ५९१६-५९२१ ५९२२,५९२३ ३६३, २३३० ७३६८-७३८१ For Personal & Private Use Only ५९३३ १६००, १६०१, १६०२, २१०४, २८७४ ५९३४ ४५४, ११८१, १६५९ १९४,५९३५ - ५९३७ ९७३, १०९२, २३३५, २३४६, ५९४३ - ५९४८ ९६, ९७, १०८१, १२९१, ५९४९, ५९५० ५५७ Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रमांक कर्ता नाम क्रमांक | कर्ता नाम राजिंद ५९५१ १८४३, १८४८,१९०६, १९०९, १९१४, १९१७, राजेन्द्र कुमार श्रीमाल ७३८४ १९३४, १९९०, २११६, २२५१, २२७३, २३६५, राजेस ५९५२ २४७२, २५५६, २७७९, २७८२, २७९१, राधा शाह ५९५३ ६००१-६०२३ रामचन्द्रगणि ११८,३३२,८५७, १४०८, १९४५, | लक्ष्मीविनयोपाध्याय ६५, १०४२, २००८ २१४१, २२७७, २३२३, २३८३, २७०७, २९१५, लक्ष्मीसेन/लक्ष्मीवल्लभ उ. ३९१ २९१७,५९५४-५९६६ लक्ष्मीसेन/हम्मीर २७८६ रामदेवगणि १३१ लक्ष्यपूर्णाश्री ६०२५,६०२६ रामविजयोपाध्याय (रूपचन्द) ७०,८६, ३०४, | लखपत , २०२३ ३६२, ३९३, ५५४, ६११, ६३०, ७२४, ८९८, लखमसी ६०२७ ९८१, १२५९, १२६८, १६०३, १६०४, १९७५, | लता बोथरा . . ७३८५-७३९१ २१३५, २३०५, २४०१,२४३२, २४७०, २४९९, | लब्धिकल्लोलोपाध्याय/लक्ष्मीकल्लोलणि २२८१ २५५५, २५५९, २७१६, २८०६, २८२१, २८७५, | लब्धिकल्लोलोपाध्याय/विमलरङ्गगणि ४५८, २९०६, २९४३,५९६८-५९९० ६१५,९१९, ६०३१-६०८७ रायचन्द्रगणि ११२, ३७४, २३९१ | लब्धिचन्द्र ८४९ रूपभद्र लब्धितिलकोपाध्याय १०३९ रूपलक्ष्मी ५९९१ | लब्धिनिधानोपाध्याय १७२,७३०, १८०२, रूपहर्ष २६१५ लक्ष्मण ५९९३ लब्धिमुनि उ. १२२, १४१, ३५०,४६६, ४९८, लक्ष्मीकीर्तिगणि ६०७,५९९४,५९९५ ६२४, ६८८,७३५, ९००, ९०६, ९१४, ९१५, लक्ष्मीचन्द्रगणि/बालचन्द्रसूरि ५४६ ९२१, ९३४,९५९, ९६०, ९६१,९६४,९६५, लक्ष्मीचन्द्रगणि/देवचन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय. २७६६ ९६६, ९६७, ९७१, ९७२, १०६०, १०६३, लक्ष्मीचन्द्रगणि/रत्नजयगणि २९१९ १११४, ११६१, ११६५, १२६५, १२६६,१३७२, लक्ष्मीचन्द्रगणि . २५४७,२६४६ १७९१, २१०५, २१७९, २१८०,२१८१, २१८९, लक्ष्मीचन्द भंसाली ५९९६,५९९७,५९९८ २२६४, २३२९, २४३८, २४३९, २५२९, २५६६, लक्ष्मीतिलकोपाध्याय १७८१, २५९१, २६८१ २५६७, २७०२, २९६०, २९६१, ३००६,३०२२, लक्ष्मीप्रभोपाध्याय ७६,१६६९, २१५१,५९९९, ६०२८-६०३० ६००० लब्धिराजगणि २६४९ लक्ष्मीरत्नोपाध्याय आद्यपक्षीय ४०४,६०२४ | | लब्धिविमल २५८८ लक्ष्मीलाभ लघुखरतर २००९ | लब्धिशेखर ६०९१ लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय ६६,७१, ३४९, ४१०, लब्धिसागर १२१०,१६६५ ४२१, ४४५, ४६३, ७५३, ७८६, ८०९, ८९९, लब्धिसेन ६०९२ १२०२, १२०३, १२६१, १३५६,१६०५, १६०६, | लब्धोदय ६०९३,६०९४ ५९९२ ५५८ प्रथम परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८३ कर्ता नाम क्रमांक | कर्ता नाम क्रमांक ललितकीर्तिगणि ५, २६४४, २६६१, ६०९५, | | विजय ६२१५-६२२२ | विजयतिलकोपाध्याय १७३,८६०,१६०८, ललितप्रभसागर ७३९२-७४३२ २५६२ लाधाशाह विजयमूर्ति १२४६ लाभवर्द्धनगणि ९,७१०,८४३, ११९१, १३४१, | विजयराज २३६३ १४०९, २१३८, २३०८, २३०९, २३६२, २३६६, | विजयसिंह १३२४ २५४६,३०५५,६०९७ विजयहर्ष ६२२३-६२२६ लाभोदय ३१७, १८६९, ६०९८-६१२१ | विद्धणु १०३१ लॉरन्स ऐलन बैब ७४३३ | विद्याकात्ति उपाध्याय ७११, ११९२, लालचन्द/हीरनन्दनगणि ६१२२-६१२७ १२३३, १२३४, २०३०, २९९३ लालचन्द्र वाचक(लावण्यकमल)/रत्नकुशल | विद्याकीर्ति उपाध्याय/जिनतिलकसूरि १००४ २७११,६१२८-६१६५ | विद्याकुशल-चारित्रधर्म ५८८,२२७८ लालचन्द/सोमहर्ष ६१६६-६१६८ | विद्याविलासगणि १०३, ३६९, ४५१,९०१, लालचन्द्रगणि ११२२, १३४५, १७१२, __ १६०९, १८४०, ६२२७-६२३० . १९४६, २२९० | विद्याविशाल ६२३१ लावण्यकीर्तिगणि ५२९, ११२०, १६७४, २२७६, | विद्यासागरगणि ३४१, २००६ ३०६३, ६१६९-६१७४ | विद्याहेमगणि २४२९,६२३२ लावण्यसिंह वा. १०४१ / विद्यासिद्धि साध्वी लोकहिताचार्य २९५, २९९५ | विद्युत्प्रभाश्री ७४३५-७४४२ वर्द्धमान . १८४६ | विनयचन्द्रगणि २२४, ६९३, ७८७, १२०९, वर्द्धमान नवलखा ६१७५ १९४७, २०४२, २१६६, २२९२, ६२३४-६२६४ वर्द्धमानसूरि/उद्योतनसूरि २४८, २५०, २६२, विनयप्रभोपाध्याय १५, १७९,६०८,६०९,६६७, २४६७, २६८३ | | १०६७,१०६८,१२३५, १३२५, १३६१,१६१०, वर्द्धमानसूरि/अभयदेवसूरि १४६, १५२, ११९४, | १६११, १६१२, १६१३ ११९५, २०४१ | विनयमेरुगणि ३१३, ५६३, ११३५, ११४७, वर्द्धमानसूरि/जयानन्दसूरि ३०४८ २५७१, २९८०,३०७५, ६२६५, ६२६६ वल्लभश्री प्र. २८३९ | विनयराज वाचक ६२६७-६२७१ वसता मुनि (वस्तुपाल, विनयभक्ति) १९०१, विनयलाभोपाध्याय ७४३, १६५३, १९३५,२३१९, ६१७६-६१८३ २५५७,२९३५ वसन्तीलाल मुकीम . ७४३४ | | विनयश्री २७१, २२१३,६२७२ विक्रम १२८१ | विनयसमुद्रगणि ८८,६२७३ विचक्षण मण्डल ६२१४ | विनयसागर महो०/जिनमणिसागरसूरि २६१, विचक्षणश्री. ६१८४-६२१३ | २८०, ३७२, १७२८, २७०१, ६२७६-६२८५, ६२३३ खरतरगच्छ साहित्य कोश ५५९ For Personal & Private Use Only Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्त्ता नाम ७४४३-७४९९ विनयसागरोपाध्याय/सुमतिकलश पिप्पलक ११३, ११४, १८२, ३८७, ७२५, १२४२, १६१४, १८०४, १९६९, २२६०, २४०८, ३०१९, ३०७७, ६२७४-७५ विनयहर्ष वा./ज्ञानसागरोपाध्याय ६२८६, ६२८७ विनयहर्ष / देवकुमारमुनि ६२८८, ६२८९ ६२९० विनीताश्री विबुधप्रभसूर विमलकीर्त्तिगणि विमलरत्नगणि विमलविनयगणि विवेकसमुद्रोपाध्याय ८७३, १००७, १०९४, १२५५, १३८९, १४०७, १७७१, १८८९, २१९५, २३७७, २७२०, २७३६, २७४९, ६२९१-६२९६ विवेकसिद्धि साध्वी विशालकीर्त्तिगणि ९७९, २०५७, ६२९७, ६२९८ ४८, १०१ १२३६, १६६८ ६२९९ १७६४, २९२६ वीरपुत्र आनन्दसागर ५२, ३७३, २०५९, २४५६, २५३०, २६९६, २९७४ वीरविजय वेणीदास (विनयकीर्त्ति ) वेणीराम वेलजी क्रमांक कर्त्ता नाम शशिप्रभाश्री शान्तिहर्षगणि शिवचन्द्रोपाध्याय शिवचन्द्रोपाध्याय ५६० ४३२ २५४, ३५१, ५३७, ६८१, १०८९, १७४८, ६३००-६३०३ ६३०४ ५५१ ६३०५. १५३, ६३९, ६८९, ६९०, ९०२, १४३६, १६१५, १६१६, १६६२, १६८५, १६८६, २७०८, १७३७, १७८८, १९७०, १९८९, २१४२, २४३७, २५३८, २७१७, २८२६, २९५२, २९६९, ६३१३-६३५९ शिवनिधानोपाध्याय क्रमांक ५६५, १२६०, १९६०, २२१९, २३००, २५१६, २६३४, २७५०, २७५६ २१५२ २४०९ शिवमन्दिर शिवसुन्दरोपाध्याय शान्तिमन्दिर शुभकरणसिंह बोथरा शुभवर्द्धनगणि शोभाचन्द्र श्रीकुमारगणि श्रीतिलक श्रीदेव २२१५ ६१ ६०१, ६३६६ ४८७, १०७९, १२६७, २८९९ श्रीवल्लभोपाध्याय १७, ६९, ९३, २४३, ३०१, ४६७, ४८९, ५१०, ६२१, १२७३, १६१९, १६२०, २११८, २१९८, २३९२, २४१०, २४२०, २५०५, २५९४, २६४०, २६७०, २७९२, २८८८, २९२१, ३०८४, ६३६७, ६३६८ श्रीसारोपाध्याय श्रीवन्त ६३०६-६३१२,७५०० संघतिलकसूरि १७७५ १४८, ३७८, ६०२, १६१७, १६१८, २३११, ६३६०, ६३६१ • ६३६२ ७५०१ ६३६३-६३६५ १८५, ४६०, ५६४, ७९७, ८०७, ८२०, ८५०, ८७८, ९७०, १४२३, १८५६, १८७०, १९३६, १९३७, २१४९, २१७६, २७९५, २९३१, ६३६९-६३८७ श्रीसुन्दरगणि १४९ २८६, १२०६, २३३३, २५००, २८५१ सज्जन श्री प्र. ७३२, ७८२, ११५२, ६४०५- ६४१३ सत्यरत्न ११३४, २८४२, ६४१४-६४३० सत्यसागर सदानन्दगणि सबलसिंह श्रावक समधरु २५१, ३६४, ४२२, ४६५, समयध्वजगणि For Personal & Private Use Only २, ४८१, ६३७, २२७४, ६३८८-६४०४ १७७९ २९४४, ६४३१ ७८८, १९४८ १२९२ १४२०, २९५७ प्रथम परिशिष्ट Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्त्ता नाम क्रमांक कर्त्ता नाम ३००७ समयहर्ष समयनिधानोपाध्याय समयप्रभोपाध्याय ९५७ समयप्रमोदगणि १०२, १९५, ३१४, ६१६, ७४४, ११०१,१२९३, २२०१, ३०४६, ६४३२ समयमाणिक्य ६४३३ समयरङ्गोपाध्याय ६४३४ समयरत्न २७५८ समयराजोपाध्याय १८०, २०३, ३६५, ११९३, १६२१, १८९०, २२०२, २५३१, २६२९, २९०४, ६४३५ समयसुन्दरोपाध्याय ४९, १११, १२३, १८१, २४०, २७९, २८२, ३०५, ३१९, ३५३, ३८८, ४२३, ४४६, ४७०, ४८२, ४९९, ५०२, ५०७, ५४३, ५७५, ५९९, ६२०, ७०३, ७५६, ७८९, ७९९, ८०४, ८०६, ८१४, ८२२, ८२३, ८३६, ८३७, ८३८, ८६६, ८६९, ९०३, ९०९, ९७७, ९८०, ९८५, ९८८, १०६४, १०७०, १०७८, १०९०, १०९१, ११०४,११११, ११२६, ११४८, ११४९, ११६७, ११६९, १२१२, १२२५, १२४०, १२५०, १३२६, १६२२, १६२३, १६२४, १६२५, १६२६, १६२७, १६२८, १६२९, १६३०, १६३१, १६३२,१६३३, १६३४, १६३५, १६३६, १६३७, १६३८, १६५८, १६७१, १७७७, १८२२, १८३३, १८३८, १८९१, १९४९, १९७१, १९९२, २०२५, २०५४, २०६१, २१०८, २१५४, २१६७, २१७०, २१९१, २२००, २२२८, २२३१, २२८८, २३३६, २३४१, २३४७, २३७१, २३७४, २४२८, २४४२, २४४४, २४४६, २४६३, २४७५, २४८०, २५१७, २५२८, २५७५, २६१७, २६२१, २६४५, २६९१, २७३७, २७६५, २७९३, २८१३, २८२७, २८३०, २८३३, २९००, २९२३, २९२७, २९३३, २९५८, २९७०, २९८५, ३००९, ३०४०, ३०४२, ३०८५, ६४३६-६८९० खरतरगच्छ साहित्य कोश क्रमांक ६८९२ ६८९१ १६३९, ३०५२ ५३५, १३७६ ५५, २७२, २९८, ३४२, ३५२, ५९१, ८०२, ८२४, १०९५, ११३६, १२३१, १२७८, १४३७, १६४०, १६४१, १६४२, १७६९, १७९९, १८३५, १८८३, १९५२, २१०९, २१९६, २२६२, २४९४, २५०४, २५६९, २५८४, २५९३, २६५२, २७९६, २८८५, २९२८, २९३७, २९८१, ३०७२, ६८९३-६९०१ सरूपचंद सेवक सर्वदेवसूरि सर्वजगणि सहजकीर्त्तिगणि सहजहर्ष सागरचन्द्र साधुकीर्त्ति उ. २९, २००, ३२४, ३२६, ३६६, ४०८, ५६६, १०१२, ११४१, १२२७, १९७२, २०३५, २३४८, २४४१, २७८८, २८१८, २८५६, २८६८, ३०३६, ६९०५ -६९३१ साधुचन्द्र (सागरचन्द्रसूरि शाखा) साधुरङ्गोपाध्याय ६९३२ ३३३, ८१६, १२०१, १९५३, ६९३३ ३०१४ ९९४, १०२१ ६९३४ १८९२ ९४, २१३, १२०४, १६४३, १८२८, २५८३, २६०२ ३७९, ३८०, ६८४, ९७५, १२१९, १६४४, १६६०, २०५५, २७५३, २७७८, ३०२५ साधुरङ्गोपाध्याय साधुराज महो० साधुवर्धन साधुवर्धन शिष्य साधुसुन्दरोपाध्याय साधुसोमोपाध्याय ६९०२ ६९०३, ६९०४ सारमूर्ति सिद्धाञ्जना श्री सिद्धान्तरुचि महो० सिद्धितिलक For Personal & Private Use Only ९३८ ७५०२ १६४५ ७९०, ६९३५-६९३७ ५६१ Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्त्ता नाम सिद्धिविलास सुखरतन सुखलाभोपाध्याय सुखलाभोपाध्याय/सुमतिमेरु सुखलाल सुखवर्द्धन सुखम सुखानन्द सुगनचन्द्र सुगुण सुमतिगणि सुमतिधर्मोपाध्याय सुधीर सुमतिमेरु सुमतिरङ्ग वाच ६९५२, ६९५३ ६९५४ ६९५५ १२०८ ६९५६ ३३४, ९८२ सुमतिकल्लोलोपाध्याय २१५३, २२३४, २५७९, २६६६, ३०२७, ६९५९-६९६४ ५३६, १२९८ २०११,२१४७ २४८३ सुमतिमण्डनोपाध्याय ६६८, ७९२, १६७७, १६८१, १६८८, १७१९, १७२०, १७४२, १७५२, १७५३,२१३९ सुमतिसेन सुहिंगण क्रमांक कर्त्ता नाम ५६२ ७९१, २६५३, ६९३८ ६९३९ ६९४० ८८२ सुवर्ण मण्डल सुमतिवर्द्धनगण २१७, २३७, ३२८, ४८८, ७३७, १००९, १२४४, १२६२, २३८०, २७५७ सुमतिवल्लभोपाध्याय ९८७ सुमतिविजयोपाध्याय सुमतिविमल सुमतिसागरोपाध्याय/पुण्यप्रधान सुतिसागर/बेग ? सुमतिसिन्धुरगणि सुमतिसुन्दरोपाध्याय ६९४१-६९५१ | सूरचन्द्रोपाध्याय ५८९, ८५८, ९५८, १०२८, १६४६, २१८४, ६९६५- ६९८८ क्रमांक ७९३, ८८४, २१६०, २२७५, २४८५, ७००० सुरेन्द्र बोथरा ७५०३-७५२७ ७५२८ ७००१, ७००२ १२४, १२५, ९८९, १०१७, १३६३, १३९०, १६४९, १६५०, १७६५, २११०, २१११, २१७१, २५१८, २६१९, २६७३, २६७७, ३०३१, ७००३-७००७ २१६८, २२२९, ६९८९ ६९९० ६९९१ ६९९२ सुलक्षणा श्री साध्वी सोमप्रभ २२३५ | सोममुनि १६४७, ६९९३-६९९५ १६४८, ६९९६, ६९९७ २३९७, ६९९८, ६९९९ ९८, ३५४, ३६७, ४२४, ६७८, सूरज सूरप्रभाचार्य सूरप्रभोपाध्याय सूर्यमल्ल सेवकसुन्दर सोभागचन्द नाहटा सोमकुञ्जर उ. सोमकीर्तिगणि सोमतिलकसूरि सोममूर्ति सोहगसुन्दर सौम्यगुणाश्री स्थिरहर्ष स्वरूपचन्द्र हंसप्रमोदगणि हंसराज हंसराज पिप्पलक हरख हरखचन्द हरिश्चन्द्रगणि हर्ष हर्षकल्याण For Personal & Private Use Only ७००८ ५९८ ४१२ ७००९ ७०१० ७०११ ५०० १६५१ ३१०, ४३८, २३०४, २६६२, २७३० ७०१२ ७०१३ १५४, ५८६, ९४७, ९४८, ९९६ ७०१४ ७५२९ १३९२ २५८० १३२७, २९१८, ७०१५ ११५४ १९१६, २१३७ ७०१६ ७९४ १८०३, २७७७ ७०१७-७०२२ १८८० प्रथम परिशिष्ट Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९५ २९९४ कर्ता नाम क्रमांक | कर्ता नाम क्रमांक हर्षकुञ्जरोपाध्याय २९९९,७०२३ २१३०, २१७७, २२०३, २२३६, २२६७, २३८२, हर्षकुलगणि १६६७ २८४७, २९३४, ३०८०,७०६९-७०७० हर्षकुशल ४०५, ८४०, १९५०,७०२४,७०२५ | हीरधर्म ७०७१ हर्षचन्द्र ७०२६-७०४१ | हीरनन्दनगणि ३०७३ हर्षनन्दन वादी १३३,१५१, २३१, २४२, २८४, | हीरराज ७०७२ १४२४, १९२९, २०४०, ३०२७,७०४२-७०६३ | हीरसागर हर्षप्रिय उपाध्याय १९३१, २६३५,७०६४ | हेमनन्दनोपाध्याय हर्षराजगणि २७८७ हेमनिधान २८०७ हर्षवल्लभगणि २७०, २०४३,७०६५ हेमप्रभाश्री १८०० हर्षविशाल ७०६६ हेमभूषणगणि/जिनप्रबोधसूरि ९१३ हर्षविशाल शिष्य ७०६७ हेमभूषणगणि-हेमशेखर/जिनेश्वरसूरि । १६५२ हर्षसमुद्र ७०६८ हेममन्दिरगणि ७०७३ हितधीर ११७२ हेमराज १२३०,१९७७ हीर उदयप्रमोद ७१६ हेमविलास १०४३ हीरकलशोपाध्याय ३८, २०७, १८८, ४३६, | हेमसिद्धि प्र. ७०७४,७०७५ ४९५, ५०५, ५०६, ८५९,९५०,१०२४, १८३७, | हेमाणंदगणि १०, २०१५, २४८१ हेमराज 1. ५६३ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द्वितीय परिशिष्ट खरतरगच्छ साहित्य कोश प्रथम खण्डस्थ स्तोत्र, स्तुति, स्तव, विज्ञप्ति आदि लघु कृतियों के आदिपदों का अकारानुक्रम २९८७. अइसयगुण-मणिकोसं... ५९५. अक्खीणमहाणसिचारुचार... २५९५. अचिरानन्द णमेवि संतिकरणु... १४६४. अजरामरठाणपयाणकर... २६०८. अजिकुहुका फुजु... . २५. अजितशान्तिजिनाधिपयोः... २२. अजितशान्तिजिनाधिपयोर्द्वयो... ६१०. अट्ठछन्द दसदुहड़ा... २५९२. अति आणंद नमेवि... २९६५. अतिरसहरिसरसेण विहसिय.. १५१४. अधियदुपनमन्तो.... २०७६. अनन्तविज्ञानमतीतदोषं... १४५६. अनुपमगुणगणयुतमहिमानं... १३५२. अन्वहामहतत्त्वानां... ५९८. अब्धिलब्धिकदम्बकस्य... २०६७. अभिनवइ जिणमन्दिर मंडिउ... १५३८. अभिनवस्तवनं जिनपावनं... १६५१. अभिनवस्तवनं जिनपावनं... १४६५. अभिमतफललाभकरं... १४२७. अमरगिरिशिरस्थः स्फारसिंहासनस्थः... १५०४. अमी क्व... १५०५. अरिहं थुणामि पास... १३६८. अर्हतः सकलान् वन्दे... १२२. अर्हद्भाषितमात्मभावजनकं... २२०५. अल्लाल्लाहि... २९०९. अविरलकमलगवलमुक्ता... २०८३. असमशमनिवासं... १५१५. असमसरणीय... १५८२. असुरनरसुरेन्द्र... २७६८. असुरनरसुरली वन्द्य... ९३. असुरनिर्जरबन्धुरशेखर... २२०६. अस्तु श्रीनाभिभूर्देवो... १६२२. अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा... २४५४. अहो अकुसुमं फलं... २९८६. आगमत्रिपथगाहिमवन्तं... १४४८. आचार्यशक्रोभयदेवसूरिभिः प्ररोपित... १३५८. आदिविभो भूया... १५३७. आनन्दनं समसुरमानवानां... ६४५. आनम्रनाकिपतिरत्न... १५५१. आनन्दनम्रविबुधाधिप... २४५२. आनन्दपरमानन्द... १५८३. आनन्दभन्दकुमुदाकरपूर्णचन्द्र... ६४४. आनन्दसुन्दरपुरन्दर... ६२४. आप्तोष्टादशदोषशून्य... ९९४. आंबा रायणसेलड़ी खंडकुंडि... २३३४. आसि किलठुत्तरसय... ९७१. आसीद्विप्रकुले मरुस्थलगते... २४४०. इतोऽप्यभयदेवाख्यसूरेः... २१०२. इत्यचिंत्यप्रभावा... २०९६. ईले रसातलरसा त्रिदशालयेश... २७६९. उद्दामशृंगाररसा ग्रामा... १६२३. उपोपेततपोलक्ष्म्या ... . १६३. उभावपि जगत्त्रयप्रभो... २२९४. उल्लासिक्कमनक्ख... ६४६. ऋषभदेवमनन्तमहोदयं... .. ६४७. ऋषभनम्रसुरासुरशेखरं.... ६४८. ऋषभनाथभनाथ... ६५८. ऋषभनाथ-भनाथ-निभानन... १३१२. एकस्मिन्नचलेन्द्रमौलिमुकुट... ५९२. ओं नमस्त्रिजगन्नेतुः... For Personal & Private Use Only Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८५३. ओं नमस्त्रिदशवन्दितक्रमे... ९२६. ॐ हीं गिव्वाणचक्कं.... ९३५. ॐ हीं श्री अहँ अर्हद्भ्यो नमो नमः... १४८८. ओं हीं श्रीं धरणोरु... ९६४. कच्छान्तर्गतलायजाख्यनगरे.... ६४९. कनककान्तिधनुः शत... १३६०. कनक-केतक-केसर-दीधिति... २०६९. कनकरुचिशरीरं भूधराधीरधीरं... १६००. कमठासुरमाणगिरिंदपविं.. १६२४. कमनकन्दनिकन्दनकर्मदं... १४६६. करूं ध्यान जिणेसर पासनउं... १०६३. कर्मभूमिषु ये केऽपि... २६२९. कल्याणवल्लि जलहर पणमिय... २४. कल्लोलानिव सैन्धवान्... २०८४. कंसारिक्रमनिर्यदा... १५८४. कस्मूरिका कुवलयालि... २७७९. कामारिदन्तावलि... ' १५१६. कामे वामेव शक्ति... ' १२४७. किं कप्पतरु रे अयाण चिंतइ... १६१०. किं कर्पूरमयं... १५०६. किं कर्पूरमयं सुधारसमयं... १४६७. किं निर्वाणपुराणपादपफलं... ८९०. कुशल-मंगल... . १२६६. कुष्ठादिरोगशमकं.... २९६६. केवलनाणसनाहं... १६६२. केवललोकितलोकालोक... २०७०. क्षिप्ताभिदे दश सरा इव... १५०८. खरतरगणवर समर डमरभर... ९५९. खरतरामलशिष्टगणार्चितं... १३४९. गर्भावतारजननव्रतकेवलान्त्य... ५३२. गुणमणिरोहणगिरिणो... ५३३. गुणमणिरोहणगिरिणो... ९६०. गुणगाम्भीर्याद्यै-र्विजितजलधेः... २८७४. चउवीसं उसभाई.... १०६२. चउवीसंपि जिणंदे... . १५४१. चक्रे यस्य नतिः सदा किल सुरै... १३०९. चञ्चच्चरित्रनाथ... २४०. चतुर्यामेषु शीता यामिनी... ६६९. चत्तारि जिणवीसं... २८७६. चाञ्चापतिः सुरपति... १६११. चित्तबहुलाइ चविउं... २०८५. चित्रैः स्तोष्ये जिनं वीरं.... ४७४. चिदब्येः पाराः स्फरदमलपंकेरुह... ७३५. च्यवनं यस्य सर्वार्थ... १५७८. छत्रं भेर्यंशुबिम्बं प्रवरमणि... २०७८. जइज्जा समणे भयवं.... १४६८. जगज्जीवजीवातपण्योपदेशं... ' ९०२. जगति युगप्रवरजिनकुशलसुरीश्वर... २४३८. जगत्स्तव्यं जगद्वन्द्यं... १५०७. जगद्गुरुं जगद्देवं... २१२२. जगमण्डणु गुणपवरं... २८७०. जगमंडणगुण-पवरं सित्तुंजय... १४८३. जनवनवनधर धरणधर... ५९३. जम्मपवित्तियसिरिमगहदेस... १४३१. जयति जगति देवः सेवकानां समन्तात्... १४५७. जयति जगति पार्श्व: पुण्यसम्प्राप्य पार्श्व... १५०९. जग जगत्त्रयमौलिमहामणे.... २६२३. जय जय जगदेकमातनमि चन्द्र... २८२६. जय जय जय जय जय जिनराज... १६०४. जय जय जिनतारक... १३१९. जय जय जय नेमे धर्मचकै.... १४३६. जय जिनतारक हे जगदाधरक... २४५७. जय जय जिण सुप्रसन्न मणा... २०६४. जय जय वीर जिणेसर देव... २९६९. जय जय सीमन्धर जगदीश्वर... ८६८. जयतिहुअणवरकप्परुक्ख... २१०८. जयति वीरजिनो जगताङ्गज... २४५८. जयन्ति पादा जिननायकस्य... २९८८. जय भुवियण जणमणकमलभाणु... २९५९. जयवन्तमहन्तभवन्तकरा.... २८७५. जय वीतमोह जय वीतरोष... २७६. जय वृषभवृषभवृषविहितसेव... ९५. जय शरदसकलदशहयवदन... १५७७. जसु सासणदेविवएसि... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५६५ For Personal & Private Use Only Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मा सव... १५०३. जसु सासणदेवुवएस किय... १४५२. जस्स फणिंदफणोहो... १५१७. जयामल श्रीफलवर्द्धिपार्श्व.... १५३१. जयाश्वसेनभूपाल.... ९३२. जिण दिट्ठइ आणंदु... २०२६. जितभावद्विषां सर्व... ८८७. जिनकुशलसूरीशं... ६५०. जिनर्षभ प्रीणितभव्यसार्थ... १६२०. जिनवरेन्द्रवरेन्द्रकृतस्तुते... २८६०. जिनानामनामस्फुटद्धामधाम... १३२०. जिनाय यः प्राज्यतरस्म राजी..... १४. जिनेन्द्रमानन्दमयं जितैनः... २९१०. जिनो जयति यस्यांघ्रिसुरासुर... २९११. जिनो जिनस्नानपवित्रतोच्चै... १५३२. जीयाः शंखेश्वरपुर सरोरुह... १४४०. जीयाञ्जगच्चक्षुरपास्तदोष... १५५३. जीराउलि पहु पास जिणु माणमणि... १५८०. जीराउलि वल्ली वारितर... १५५४. जीरापल्लीपार्श्वतीर्थाधि... १५१८. जीरिकापुरपतिं सदैव तं... १६०१. जो आससेण-कुलखीरसमुद्दचंदो... २८८२. तं जयउ जए तित्थं... ६५१. तत्त्वानि तत्त्वानि भृतेषु... १६१२. तमालतालीवनराजिनीलं... १५१०. तमालनीलच्छविपिच्छलाङ्ग... . १५६४. तवेश नामतस्त्वरा... " १५५५. तारङ्गरङ्गदुर्गाधिप... २१. तारं तारङ्गदुग्र्गाधिपमजितपतिं... १६५. तिजयजणपुज्ज... ६२६. तिहुयणमंडण विमलनाहिकुल... १७. तीर्थसन्नायकं... २८८७. तीर्थसन्नायकं सिद्धितादायकम्... २६३०. तीर्थाधिनाथ... २६२८. तीर्थाधिनाथं वृषभं विभुं वर्द्धमानं... २१९७. तीर्थयात्राप्रचलित... १४९८. तीर्थराज मम पार्श्व हृद्ग्रहे युष्मदास्य... ३०२३. ते धन पुन सुकयत्थ नरा... २७७१. त्रिभुवनजनतातं स्फीत... १४८९. त्रिभुवनजनतारण... २४५१. त्रिलोकीतलानंद संदोहदाया...' १६२५. त्वद्भामण्डलभास्करे स्फुटतरे... २४५६. त्वं माता त्वं पिता बन्धुस्त्वं... १७९१. त्वमेव शरणं मेऽसि... १५१९. त्वां विनुत्य महिमश्रियामहं... . . १६६. थुणिसु छव्वट्टणे... २२०९. थुणिसु छव्वट्टणे पट्टणे... ९३१. दासानुदासा इव... १४६९. दीट्ठा पास जिणेसर पाया.... १४३३. फ्रेनेंकि धपमप... ६२५. देवतिहुयण पणय... .. २३३९. देवदुत्थिय देवदुत्थिय... १४५०. देव दुत्थिय देव दुत्थिय दुभ्भि सहारु... १४७०. देवः सदैव मुदितात्मनि... १५४९. देववर्माङ्गाजं पिष्टदुष्टाङ्गनं.... १५४२. देवाधीशकृतानते शुभगते... १४४१. देवाहिदेव सिरिथंभणपट्टणेस... २४६२. देविंदनागिंद... ६८७. देवैर्यः स्तुष्टवे तुष्टैः... ११३९. दोसावहारदक्खो... १४७२. धर्ममहारथसारथिसारं... १८३. धवत्त्वं मुक्तिकन्याया... १६०२. धारइ भुअंगाहिओ... २९१२. नखौष्टप्रवाली सभायारदाली... ९०३. नतनरेश्वरमौलिमणि... ९९२. नतसुरपतिकोटिकोटीर... ६५२. नतसुरेन्द्र जिनेन्द्र युगादिमा... २९४९. नत्वा गुरुभ्यः श्रुतदेवतायै... १६४९. नत्वा सरस्वती देवी... २५६१. नमवि अरिहंत पयणंत गुण आगरा... १५४३. नमस्यद्गीर्वाणाधिपतिनृपति... १५८१. नमामि श्रीपार्श्व कलिगिरिशिराकुण्ड... ९२८. नमाम्यहं श्रीजिनदत्तसूरिम्... ११६३. नमिऊण वद्धमाणं सुरनरदेविंद... १५३६. नमिय सिरि पासजिण... ५६६ द्वितीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०५. नमिय सिरि वीरनाहं.... १३५०. नमिर अमरिंदमणिमउडचुंबीपए... २६०३. नमिरनरासुरसुरवरकिरीडमाणिक्क... १५८६. नमिरसुर... २९६७. नमिरसुरअसुरनरविन्दवंदियपयं... ४७६. नमिरसुरासुर... २६१५. नमिरसुरासुर... १६२६. नमिरसुरासुरखयरराय... २६०७. नमिरसुरासुरनरवर... २७९. नमेन्द्रचन्द्र कृतभद्र जिनेन्द्रचन्द्र... ६९१. नमो महसेननरेन्द्रतनुज... २४५५. नमोस्तुते जगन्नाथ... २०६८. नम्राखंडलमंडल स्तुत... २७७. नयगमभंगपहाणा... १४५८. नयति नयति जाता जातकीर्तिप्रमोदं... १५८५. नयपुरी फलवर्द्धिविशेषक... १३११. नरनाकिनभश्चरयोगिनतं... १५३३. नवांगीव्याख्यानोभयदेव... १४२८. नव्याम्भोधरसोदरीस्तनुरुचारा... २५९६. न व्योमस्थितिवर्जितो नखमणि... १५२. नानातीर्थसमाहितामलजलं... २८७३. नाभिनरिंदमल्हार... ६५३. नाभेय शोचिनिर्ममो..... ६३८. नाभेयाजितवासुपूज्य... २८६१. नाभेयाजितवासुपूज्यसुविधि... २८६२. नाभेयाद्या जिनेन्द्रा वरकरकनिभा... २१०४. नायकुलमयंकं सीहंकं पंचबाण... १३१०. नित्यं गोभि... ६३७. नित्यानन्दमयं स्तुवेतमनघं... ३०२४. नियजम्मु सफलु... २२०७. निरवधिरुचिरज्ञानं... १५११. निरुवममहिमनिवासं हयभवपासं... १३५३. निलिम्पलोकायितभूतलं... १४७१. निशमय गवडीश्वर जिनराज... २५९७. निष्ठरकमठमहासुर... २०८६. निस्तीर्णविस्तीर्णभवार्णवं... १४२९. निहतभवनिवासं नीलराजीवभास... १६३९. नीलुप्पलपहदेहो फणिंदफणमणि... १४९९. नुत पार्श्वजिनं नत देवमणिं... २०७९. नुत वीरजिनं नत देवमणिं... १३२८. नेमिजिण विमलगुणगहणमणसंगयं... १३१४. नेमिसमाहितधिया... १३२४. नेमिसमाहितधिया... १४७३. पउमावई धरणिंदा... ११२३. पंच समिउ तिगुत्तो... १०६७. पणमिय जिणवरचलणे... २८७९. पणमिय जिणवर चलने... २६८. पणमिय सुरनरपूइया... १४६१. पणयजणपूरिया संकयदुह... २८५८. पणयसुरविसरसिरमउड... १५०१. पदद्वयाशक्तनखप्रभूता... ११६६. पद्मप्रभप्रभोर्जन्म....... ८८८. पद्मा कल्याणविद्या... १६२७. परमपासपहू महिमालयं... १६४०. परममंगलराजितसंचरं... १५००. परमिट्ठिमलसारं...... १३७०. परमेष्ठिनः सुरतरून्... ६३१. परसिद्धि कए सिरि रिसहनाह... २०८७. पराक्रमेणैव पराजितोयं... १३०३. पसु तणउ राखिउ एक बाडउ... ७४५. पहिलउं पणमउं आदि जिणंद... १७३. पहिलउ पणमिउ देव... ६५४. पात्वादिदेवो दशकल्पवृक्षाः... २९१३. पापा धाधानिधापाधिगमपमिगसासा.. १५. पायकमल पणमेव... १५३४. पायात्पार्श्वपयोद.... १४४२. पायात्पार्श्वपयोदधुति... १५४४. पायात्पार्श्वः पयोदद्युतिरुपरि... २३२९. पायाद्भवत्खरतरामल... १५२०. पार्श्वनाथमनघं... १५८७. पार्श्वप्रभुं कपिलपाटककल्पवृक्षं... १६२८. पार्श्वप्रभुं केवलभासमानं... १५२१. पार्श्वप्रभुं शश्वद्कोपमानं... | २५९८. पार्थोऽवताद्यो रदपांडिमोच्चरत्... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५६७ For Personal & Private Use Only Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२९. पास जिणेसर पय नमिय... . १४९०. पुरिजीरिका पल्लिकापारिजातं.... ५८७. पूर्वराद्ध-प्रसन्न सुकृतनरपतिस्ते... १६२९. प्रकृत्यापि विना नाथ... १६. प्रगटिउं पुण्य प्रमाण... १६३०. प्रणत मानवमानवमानवं... ९९१. प्रणतसुरनिकायं... २३५४. प्रणतसुरनिकायं कांचनच्छायकायं... २६०१. प्रणतसुरनिकायं काञ्चनच्छायकायं... २७७०. प्रणतसुरासुरमौलिप्रदेश... १५६५. प्रणमति यः श्रीगौडीपार्श्व... १६३१. प्रणमामि जिनं कमलासदनं... २०९७. प्रणम्य सम्यक्चरणारविंद.... ६५५. प्रणम्यादिजिनं प्राणी... २५६६. प्रणम्यादिजिनं भक्त्या... २०७७. प्रतप्तहेमप्रतिमप्रदीप.... १३६५. प्रतिष्ठितं तमः पारे.... ६३९. प्रत्यूहव्यूहमोहोत्कटकरटि... ६८९. प्रत्यूहव्यूहमोहोत्कटकरटिघटो.... ६२८. प्रथमजिनवर निखिलनरनाथसंसेवित... ९९०. प्रभुः प्रदद्यान्मुनिप... ९६५. प्रवरधार्मिककच्छसुलायजा... १५६७. प्रवरपार्श्वजिनेश्वरपत्कजे... १५६८. प्रससर्ति पार्श्वेश... २२०४. प्रवीभवत्रिदशनाथकिरीटकोटि... २८५५. प्राग्वाग्देवीजगज्जनोपकृतये... १८४. प्राज्यां चरीकर्त्ति सुखस्य... १६१. प्रीणन्तु जन्तुजातं... १२६९. प्रीणन्तु जंतुजातं... १३५५. प्रीतद्वात्रिंशदिन्द्रोदित... २८७२. प्रीतिप्रसन्नमुखकौशिकनन्द्यमाना... १४७४. प्रोल्लासिप्रभयो प्रभावनवगो... ७०९. भगति करवि बह रिसह जिण... १५६९. भजेऽश्वसेननन्दनं... १६३२. भणुया तिसय तिडुत्तर... २४४८. भत्ति सरोवर उलटियो... १६३३. भलूं आज भेट्युं प्रभो पादपद्म... १४९६. भवगत्तंतो निवडंत... १५७५. भवभयगहणदहण... ९५४. भविअ जण नयण वणसंड पडिबोहगं... १४८४. भविकभावुकसङ्गमकारकं... १९९४. भावारिवारणनिवारणदारुणोरु... ६५७. भीमभवसंमभुन्भंत... . १३०१. भुवनजननयण भण वयण... . २४३९. भूतानागतवर्तमानसमये... १५७०. भो भो भव्या... १४७५. मङ्गलपुरवरमण्डन देव... २७. मंगल कमला कंदए.... २०७१. मथितमदनदर्पं ध्वंसिता... १३२२. मनोभीष्टदं रैवते पारिजातं... ७२७. मनोरंगि मई आपणइ बुद्धि पामी... २७१७. मम गिरीश्वरी भवताद्... २०४८. मम हरउ जरं... ५७७. मयरहियं गुणगणरयण... ६३६. मरुदेवीनाभितणयं... २०७२. महसारविकल्प सकल्पतरो... १६०८. महानन्दकल्याणवल्ली वसंता... १०६८. महानन्दमहानन्द... २८८०. महानंद महानंद महानंदविधायकान... १५८८. महामणिकरण्डं व्याधिसिन्धौ तरण्डं... १६४४. महिमावलि-मञ्जलमणिकरण्ड... १६७. महिलामणि मरुदेवी... २२१०. महिलामणि मरुदेवी... ८९८. मिथः प्रश्ने पुंसा... २४५३. मुखं सम्मुखं... २८८६. मुखं संमुखं नयणले देव दीठु... १४७६. मुखं स्वामिनुं चन्द्रमा बिम्ब तोलइ... २९६३. मुज मनि आविउ अविचल... १२११. मुझ मनि लागिय खन्ति... २२११. मेरुसार मरुदेविकाङ्गभू... २२०८. मेरौ दुग्धपयोधि वा... ६६७. मोह महाभड मयभड... १०९. मौनेनोर्वी व्यहतपरितो.. | २२६४. यः श्रीमोहनलालजीमुनिवरो... ५६८ द्वितीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६१५. यकः संसाराम्भोनिधि... १०६०. यच्छनोर्जयकारि... १४१६. यत्पारणासु प्रथमासु हेम... २४५९. यत्राल्पेनापि कालेन त्वद्भक्तेः... २०७३. यदंघ्रिनमनादेव... १३५४. यदानने नूतनरत्नदर्पणे... १५३९. यन्महिमाकृतसेकैः... ७२६. यन्महिमाकृतसेकैः पल्लवितुं भुवन... ६५६. यं सततमक्षमालोपशोभितं... २१७९. यस्तीर्थकृत्खरतरामल... २०९९. यत्तीर्थराज त्रिशलात्मज... १३१७. यस्य क्रमो विलसमान... १३१५. यस्याङ्गनिर्यदतिसान्द्रविसारिशील... ४६६. यस्याभवन्मरुधरस्थसुरम्यचूण्डा... १६८. युगपदर्बुदशैलशिरोमणी... ' १५३. युगादितीर्थशङ्करं... ६६५. युगादौ जगदुद्धर्तुं... १००१. यं ज्ञानामृतसारः... ' १४७९. योगात्मनामप्यपरं परस्परं... १३६२. योऽचीचलद् दुष्च्यवनोरसि... ९२३. यो दृष्टः स्मरणं... ८९६. यो नतृनिव सेवकानिव सदा... ८९३. यो भूमिपृष्ठे... ६२९. यो मारुदेवो नृपनाभिसूनु... -९१८. रङ्गद्वैराग्यवासनातिशयसमादृत... . १५५६. रयंणगब्भाइ जिष्णरयण... २४६८. राजर्द्धिवृद्धिभवनाद्... १४९१. राजीवबन्धुरिव यस्य जिनस्य जीवा... २७३८. रिसहजिण अजियजिण... . ९०४. रिसहजिणेसर जो जयउ... २८६५. रुचितरुचिमहामणिस्वर्णदुर्वर्ण... १४४३. रुचिमंडलमण्डनदिग्वलयं... १५५०. रुचिमण्डलमण्डितदिग्वलयं... २०७५. रेखाव्याजादेकाब्जे.... ८९९. लक्ष्मीसौभाग्यविद्या सुतनयललना... १५६१. लच्छीलीलाभवणं... १६३४. लसण्णाणविन्नाणसन्नाणगेहं... १४८५. लसत्पङ्कजातोदनिश्वाससारं... १२६५. लसद्गुणैः संस्तविताः... १८. लावन्नामयकलियं सोहग्गविलास... १५१२. लोकनाथ जगतीविलोकना... १४७७. लोकमनोमनदैवतपादप... २०५१. लोयालोयविलोयण... १३०८. वंदामि नेमिनाहं... १२१८. वंदिय नन्दियलोयं... १४४४. वः सहे न पणायितुं... १६३५. वन्दामहे वरमतं कृतसातजातं... १५१३. वन्दारुदेवेशसिरः किरीट... ११६४. वन्दे केवलनाणिं... २००२. वन्दे महोदयरमा... १४८६. वन्दे सुभाववसुसन्धकरं शमोकं... ९४९. वन्दे सुहम्म सामि... ९२२. वन्दे सूरिवरं... १४४५. वन्द्याय नमो निस्सीमशमणे... २८८९. वरकेवलदसणनाणधरा... १५४. वरमुत्तियहारसुतार... १६१७. वरसंवरसंवरसं... २६००. वरसोलां भलागूदवडा खजूर... २५९४. वराणं वरणं रणं रणरणं... ५९७. वर्द्धमानजिनशिष्यशेखरं.. २१०३. वर्द्धमानमतिमानसम्पदं... १६५२. वर्माङ्गजं जिनपतिं गुप्त... ६४१. वसहो रिसहस्स भवे लंछण... २६२२. वाग्देवते भक्तिमतां... . १५७१. वाञ्छितदानसुरद्रुम तुभ्यं... १५२९. वारिदेयं परमं विमायं... २३५५. वासवश्रेणिकोटीरकोटि... २३५७. वासुपूज्य वसुपूज्यप्रमोद... २०९५. विकचकमनीयतपनीय... १४४६. विजयस्व जगन्नाथ परमात्मन्... १६३६. विज्ञानविज्ञान नुवन्ति के त्वां... १४५९. वितनुते तनुते तनुतेश्वर.... १४३७. विदिता निखिलभाव... २९६२. विद्यमानं जिनं वन्दे... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५६९ For Personal & Private Use Only Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४८. विनम्रदेवाधिभुवाकिरीट... २७७२. विनम्रदेवाधिभुवाकिरीट... १५४५. विनयविनमदिन्द्र... १५०. विनेय विवेक विचार.. १८१. विनौति यो नो संकलानिकेतनं... ८८९. विपुलविशदकीर्ति..... ६६३. विभक्तिभिः सप्तभिरस्मिसर्व... १६९. विमलगिरिवरवतंस... २८६३. विमलगुणमणिकरण्डं... १३०६. विमलरैवतकाचलशेखरः... १५७. विमलाचल विमलाचल... २८७१. विरराजय दशतटद्वितये... १५९. विमलशैलमहावनिनायकं... १७९. विमलशैलशिरोमुकुटायितं... १७२. विमलशैलशिरोवरिभासुरं... १९. विशदसंविदमस्तमिताविदं... १६४. विश्वप्रभुं प्रणमत... २०८८. विश्वश्रीधुरच्छिदे... २०. विश्वेश्वरं प्रथितमन्मथभूपमानं... १५७२. विश्वेश्वराय भवभीति... २६१२. विश्वसेननरनाथनन्दनं... १४७८. विषमसंसारसरतार तारुयवरं... १५५७. विहियामोयपमोयं... १६३७. वृषभधुरन्धर उद्योतनवर... १३१६. व्याख्यास्तु यस्य रदन.... १५४६. शक्तिशूलेषुमुसल... २३. शक्रसहस्र नयनोपि गुणावसानं... २८६४. शक्रो जिनस्तुतिकृतौ... १६४५. शश्वच्छासनवैरिदानववधूवैधव्यदानोद्गतं... | १६१८. शान्तानम्रोकरक्षा... २६१७. शान्तिनाथं भजे शान्ति... २३५६. शान्ते तव स्वान्तमचक्षुमन्त्रो... २६१३. शिवश्रीवरं चङ्गसारङ्गवास... १४३५. शिवलसद्गुणराजविराजित... १५५८. शीलमहोदसहोदरस्य वपुषः... २६०९. शृङ्गारभासुरसुरासुरगिरि... २६०६. अंगारभासुरसुरासुरमौलि... १५८९. शेषराजफणराजिराजि... १३१३. श्रीउज्जयंतगिरिराजशिरोविलासं... २६३१. श्रीऋषभवर्द्धमान... १५९०. श्रीकल्पपाटकरहेटकभूवतंसं... २८७. श्रीगौतमप्रकटिते स्फुटपञ्चवर्ण... ६८८. श्रीचन्द्रप्रभदेवमष्टमजिनं... ६१७. श्रीचक्रेश्वरी चक्रचुंबित करे... ९०९. श्रीजिनचन्द्रसूरीणां... २२००. श्रीजिनचन्द्रसूरीणां... ९३४. श्रीजिनदत्तगुरुं जिनचन्द्रगुरुं... २०२८. श्रीजिनदत्तसूरिंद... १५९१. श्रीजीरापउल्लीपुरी मेरुदरी धरणी... ९००. श्रीजैनधर्मे प्रथितप्रभाव... २०३७. श्रीदेवनिर्मितस्तूप.... १७०. श्रीदेवराजपुरचन्दनपारिजातं... ८९७. श्रीदेवराजपुरमण्डन... ३०२२. श्रीनाभिनन्दनं देवं... ६४०. श्रीनाभेय... १६४२. श्रीनिवासं सुरश्रेणिसेव्यक्रम.... १०३२. श्रीनेमि जिणेसर पणय सुरेसर... ९८५. श्रीमज्जेसलमेरुदुर्गनगरे... ६५९. श्रीमतां मरुदेवाभून भिजातो... ६३२. श्रीमत्पार्श्वजिनेन्द्रं... ६३३. श्रीमत्पार्श्वनाथजिनेन्द्र... २१००. श्रीमद्वीरं तथा प्रसीद... १४३२. श्रीपार्श्वदेवः सुखदायी सेवः... ११६५. श्रीमद्वीरजिनेश्वरेण कथितं... १५२४. श्रीपार्श्व: भावतः स्तौमि... १६४१. श्रीपार्श्वजिनेश्वर प्रणमउ धरि. १५४०. श्रीपार्श्वनाथं तमहं स्तवीमि... १६१९. श्रीपार्श्वनाथजिनहंतम... १४६०. श्रीपार्श्वनाथप्रभुमीश्वराणां... १५२३. श्रीपार्श्व पादानतनागराज... १५२२. श्रीपार्श्व परमात्मानं... १५२५. श्रीपार्श्व श्रेयसे भूयात्... १५२६. श्रीफलवर्द्धिपार्श्व... २१८८. श्रीभाग्नेमिर्बभाषे... ५७० द्वितीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९४. श्रीमन्तं मगघेषु... १५३०. षड्पत्तनपुटभेदनमण्डन... ६६६. श्रीमारुदेवं नतसार्वदेवं... .. १४८१. सकलजगदेकदेव... २४२२. श्रीमालाख्यपुरे सुशर्मनगरे... १४९४. सकलभूतलभूषणशेखरं... २१८९. श्रीमल्लेर्वतजन्म-केवलवरज्ञानि... १५९२. सकलमङ्गलकेलिविधायकं... १५५९. श्रीलंभन-स्तम्भन-पत्तनेन्द्र श्रीपार्श्वविश्वेश्वर... | ९०८. सकलविबुधनम्या... २०८९. श्रीवर्द्धमानपरिपूरित.... १२४८. सख्ये सत्यपि दहनाद्... २०९०. श्रीवर्द्धमानः सुखवृद्धयेस्तु... २३१४. सच्छायागमविश्रुता सुमनसां. ९२४. श्रीवीरतीर्थेश्वर... २६१६. सज्ज्ञानभानु... १३७२. श्रीवीरेण गतेन पञ्चमगतिं... १६१३. सदसि दशशताक्षः... २५५३. श्रीशंखेश्वरनित्य... १६०५. सदानीलगात्रं... १६३८. श्रीशंखेश्वरमण्डनहीरं... १६०७. सदारुवन्दारु... १६०. श्रीशत्रुञ्जयपूर्वशैलशिखरे... १४८७. सन्तोषशर्मसदनं सदनन्द्यसारं... १०६४. श्रीशत्रुञ्जयशिखरे.... १५९३. सप्रभावमतिभावनिवेशं... १२७१. श्रीशत्रुञ्जयशैलराजभवतो... १५७६. समानो समानो... १५५. श्रीशत्रुञ्जयसिद्धक्षेत्र... २८५९. सम्म नमिऊण जिणे... २६०४. श्रीशान्तिदेववन्दितमिन्द्रचन्द्रैः... . ४६. सम्मत्तनाण दसण... २६१०. श्रीशान्तिनाथो भगवान्... १५९४. समरवि त्रिभुवन... १४९२. श्रीशेरीषकपत्तनावनिशिर... २६३५. समरवि शारदा देवि... १४८०. श्रीसङ्गरङ्गमकराकरकेलिधारं... २५६२. समरवि सरसति हंसला... २०९३. श्रीसत्यसत्यपुरपत्तन... १५४७. समुद्यन्तो यस्य क्रमनखमयूखा... २४६३. श्रीसर्वज्ञं जिनं स्तोष्ये... १३५१. सयलकल्याण... १३२३. श्रीसमुद्रविजयेशनन्दन... १३२५. सयलजगललियलावण्ण... २१०७. श्रीसिद्धार्थमहानरेन्द्रनन्दनं... १७८२. सयलभुवणिक्कवन्धव... २०९२. श्रीसिद्धार्थनरेन्द्रवंश... . १४१५. सयलसुरासुरनमियं.... १४३८. श्रीसिद्धिवध्वां मम संतु पार्श्व... १५६२. सयलसुरासुरनमियं... २९६०. श्रीसीमन्धरदेवमीश्वरविभुं... १५२७. सयलाहिवाहिजलहर... २०९८. श्रीसीमभीम नृप पल्लिमतल्लिकायां... १४९७. सरभसनतविद्याधरसुरवरमुनि... १५६०. श्रीस्तम्भन... २८५४. सरभसलसद्भक्तिप्रवी... १४४७. श्रीस्तंभनपुरवरेऽभयदेवसूरि... १५९५. सर्वकामितविधायक पार्श्व... १४९३. श्रीस्तम्भनाम्भोज... १५०२. सर्वदेवसेवितपादपद्म... १३१८. श्रीहरिकुलहीराकर... ४७५. सर्वशास्त्रार्थवक्तृणां... २११०. श्रेयःशालः सहः शाली... १५७४. सर्वश्रिया ते जिनराज राजतः... २६०५. श्रेयशान्तिसुखसंपदकारी... १५७३. संसारवारिनिधितारक... २७८०. श्रेयो दधानं कमलनिधानं... २०८०. सानन्दनम्रसुरकोटिकिरीटपीठ... १६५०. श्रेयोमयं ही बलमालमालमा... २१०६. सानंदनम्रसुरकोटिकिरीटपीठ... २२६८. श्रेयस्कारि सतां यदाशु चरितं... २५६३. सामिय रिषह पसाउ करी... २१०५. षट्कल्याणकमर्हतो.... २८६९. सार्द्धद्वादशहेमकोटय... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५७१ For Personal & Private Use Only Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९१६. सार्की द्वादशहेमकोटि.... २३६७. सिग्घमवहरउ विग्घं... १४५५. सिद्धक्षेत्रगोपाचल... १३०४. सिद्धगन्धर्वविद्याधरश्रेणिभि... २४७१. सिद्धते पढमाणुओगकहिए... १५८. सिद्धाचलश्रीललना... २०८१. सिद्धार्थराजननन्दन... २७३. सिद्धो वर्णस्समाम्नाय... १३२१. सिरिगिरिसरदेवयमंडणं पणयपाणि... १२२०. सिरिनिलय जम्बूदीवो य... १४९५. सिरिफलवद्धियनयरमण्डण... १५४८. सिरिभवणथंभणपुरे... २३९८. सिरिवीयराय देवाहिदेव... १०६६. सिरि सत्तंजयतित्थे... ९२५. सिरि सुयदेवि... २४४७. सीमन्धरं जिनवरं युगमन्धरं च... १३०२. सुकृत कीधउं मइ भवि पाछिलइ... ११६१. सुक्ख निधि जिनवीर... ८९१. सुखं सर्वा सम्पद्... २०७४. सुचण्डिमाडम्बरपञ्चबाण... २१८०. सुयशस्वियशोमुनिहर्षमुनि... ९२७. सुरकिन्नरवन्दित... १४५१. सुरनरकिन्नरपणयं... २०६५. सुनरवइकयवंदण... १५२८. सुरदानववन्दितपत्कमले... २५९९. सुरपतिनतपादः प्रास्तमिथ्याप्रवादः:.. २०३६. सुराचलश्रीजिति... १६२. सुरेन्द्रवन्दारुशिर:किरीट... ६९०. सुविलसच्छरदिन्दुसमाननं... ६३५. सुविहाणउ जइ आज मई...' १३५९. सुविहाणउं जइ आज मई... २१०१. सुवृत्तं सकलं सौम्यं... ५०४. सो गुरु सगुरु जु छविह जीव... १८३०. सौभाग्यभाजनमभंगुरु... १४८२. सोहग सुन्दर रूपिहिं रूडउ... २६११. स्तुवन्तु तं जिनं... ९६६. स्थगिताश्रवसंवरभावधरी... २९६१. स्फूर्जत्केवलबोधदर्शनधरान्... २०९१. स्वःश्रेयसरसीरुह... १५३५. स्वर्णक्षोणीभृदभ्र... ३०४७. स्वर्णक्षोणीभृदभ्रंकशिखर... ११९. स्वर्णसिंहासनं स्वामिनोधःस्थिति... १११४. स्वर्लोकाच्च्यवनं च गर्भहरणं... ६६१. स्वस्तिश्रिये श्रीऋषभादिदेवं... १३६९. स्वश्रियं श्रीमदर्हन्तः... १०६१. स्वस्ति श्री सुखदायक... १४३४. हर्षनतासुरनिर्जरलोक... ५७२ द्वितीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तृतीय परिशिष्ट खरतरगच्छ साहित्य कोश द्वितीय खण्डस्थ चैत्यवन्दन, स्तुति, गीत-स्तवन, गंहुली, भास, बारहमासा, आदि लघुकृतियों के आदिपदों का अकारानुक्रम ६५४८. अइयो नंदनंदना, नंद नंदना... ५५३१. अइसी अइसी हो... ५७४३. अइसी विधि जिनजी की... ६९८६. अइसे औषध की... ५६५७. अइसो कोउ मोहन... ६२३८. अंग इग्यारे में थुण्या... ३१३५. अंगीया सुरंगीया सोहै... ६८४२. अंजना सुन्दरी शील बखाणी... ४८०३. अंतरजामि सुण अलवेसर... ४७३२. अंतरजामी साहिब मोरा... ३५५५. अंतरीक अचल अरिहंता... ४०९४. अंतरीक जिन अंतर्यामी... ६४३२. अकबर भूपति... ४७४२. अकल अजर प्रभु एणकलै... ४१३६. अकूलु अमूलु अ... ५०५८. अखियां प्यासी... ५२६४. अगम आगम अरथ उतारै... ५६०८. अड़वड़ियां बेगड़ो. ४८५५.' अचिरानन्दन चन्दन सरिखउ... ४९५३. अचरिज होरी आई रे लोको... ३५१२. अजित जिणंदा हो... ४०२६. अजित जिणेसर प्रणमुं रंगइ... ४६००. अजित जिणेसर माहरो रे लाल... ५१४८. अजितनाथ चरण तोरे... ५२५४. अज्जु सफल अवतार असाडा... ३७७४. अति अनूप भुवन भूप... ४५९०. अति पुण्य नाम... ४६०३. अबुदनाथ जुहारीयइ रे... ३१३६. अधिक आणंद लयौ आज में... ५८५१. अधिकाई जिणचन्दसूर की... ५०२२. अधिकारी वलि अविन्यासी.... ३१२२. अनुभव वरषा आई सुचेतन... ३१२३. अनुभव रस अनुभव रस अजब मची होरी... ४९५४. अनुभव नाथ कुं आप जगावै... ५५७२. अनुपम तीरथ जग... ३२२९. अनुपम देश लही आरजकुल... ५५४०. अब ऋतु नगरनइ कपट कौ कोट... ४८१२. अबतउ अपणइ पास वसाउ... ५८५२. अब तुम देखउ नेम चले गिरिनारि... ५७६८. अब तुम ध्यावो रे माई... ४२५४. अब तुम ल्यावउ माई री... ६२२०. अब तो कुशल गुरु... ६४०५. अब तो दर्शन दो... ४८३९. अब मई नाथ कबइ जउ पाउं... ६०२८. अब मई पायउ... ६०८८. अब मइ पायउ सब गुण जांण... ५७४६. अब मोहि महर करौ... ४५२५. अब मोहे महर करो... ४८५३. अबला आखै सबलां साखै... ६९९८. अब सखी देखउ री मो पीऊ.. ४२६६. अब हइ मदन नपति कउ जोरो... ३३९९. अब हम जाते... ३६४८. अमरनरिंदविहितपयवंदण... ६५६२. अमरसर अब कहउ केती दूर... ४०८५. अमल कमल जिम धवल विराजे.. ४७३३. अमल कमल दल लोयणा हो... ३१२५. अमली ने कमल भलो आयो... ३८००. अमृत की वर्षा... ६३४७. अमृत परमाणंद रे बागीश्वरी... ६३९८. अमृत वचन पूज्य देखणा... For Personal & Private Use Only Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६१७. अम्मां मोरी सांभल बात है... ३६६२. अम्ह घर रङ्ग... ६५१४. अम्हारइ हे आज बधामणां... ६२४०. अरज अरिहंत अवधारियै जी... ४९०४. अरज करूं कर जोड ने... ४१७६. अरज सुणउ... ४८८८. अरज सुणउ जिन पांचमां... ६९७६. अरज सुणीजे दीजै... ७०६७. अरज सुणो गुरु... ७०३३. अरज सुणो वामाजू के नन्द... ४७१७. अरज सुणौ सहेलीयां रे लाल... ६४४८. अरणिक मुनिवर चाल्या गोचरी... ५५१५. अरदास हमारी... ३९९९. अरहन्त ना गुण पय सही... ६४५२. अरिहंत केवलज्ञान अनंत... ३९३१. अरिहंत देवने नमन करीने... ६७५५. अरिहंत देहरइ आविनइ... ५१२७. अरिहंत सिद्ध पवयण... ५५१०. अरिहंतादिक नवपद चितधरी... ३९३७. अरिहंतादिक पद तणो... ६५६३. अरी मोकू देहूँ वधाई... ६१६३. अरे मन तहां जाइयै... ४५२८. अरे लाल धिग धिग... ४५२१. अरे लाल श्री वासुपुज्य नमी कर.... ४४७४. अरे लाल समुद्रविजय कुल चन्दलो... ५७७६. अरे लाल सुन्दर रूप सुहामणौ... ६१९१. अर्ज सुनो गुरुदेव... ५९१६. अलवेसर आज भले... ४९५५. अलहियौ कैसी बात कहूं... ६९६९. अवधू धरीयै न करीयै आसा... ४४१५. अवल आंसल आदीश्वरा... ५५५१. अवल कुशल आदीशवर... ६७९१. अवलियउ अकबर तास अंगज... ३५२४. अविकल कुल इक्ष्वाकु... ६०५२. अविचल लक्ष्मी विमल... ३११०. अश्वसेन रा के बाग में.. ४००७. अश्वसेन वर वंश... ३५०४. अष्ट कर्ममल क्षय करी... ६८२१. अष्टापद हो ऊपरलो प्रासाद.... ५९७७, अहो आवौ वे यार वैठो दरबार... ५५७८. अहो ऋषि धन... ६०७९. अही जनम सफल भवियण करै... ५१०६. अहो जिनवरजी निके नयण निहारे... ५९६८. अहो श्री विमलाचल के धणीजी... ७०११. आए गुरुवर आए... . ३९०५. आओ मनायें आज... ५०७७. आंखलड़ी रे... ६८१७. आंगण कल्प फल्योरी हमारे माइ... ६७१२. आंपणे घर बैठा लील करउ.... ६४०६. आओ आओ दादा..... ७०८२. आ करते है वंदना... ६०५३. आखंड मै हुं तैंडी गुण गल्लां... ६५६७. आचारिज तुमे मन मोहियो... ६१३५. आज अपूठा कांई सूता रे.... ४३७०. आज आणंद धन ऊमट्यो रे... ३१९५. आज आणंद भयो सखी मेरे तो... ३१९६. आज आणंद भयो सुण सजनी री... : ३६११. आज आणंद मुझ अति घणौरे... ५६००. आस आणंद वधावणा... ६११३. आज आणंद सवायउ... ६५२५. आज आणंदा हो आज आणंदा... ६८६४. आज आधार छइ सूत्रनउ... ७०१६. आज आनंद... ७०१९. आज आनन्द... ३२१७. आज आनंद घन वरसै मिंदर में... ३२०४. आज आनन्द भयो सुगुरु मेरे ६०४२. आज उछरङ्ग आणंद अङ्गि... ६०६८. आज उछरङ्ग आणंद अंगि ऊपनौ... ६९०९. आज ऋषभ घरि आवे... ६४१६. आज करो रे उच्छाह... ७०१८. आज की घड़िया... ५८५६. आज की घड़ी म्हारे... ६५६४. आज कुं धन दिन मेरउ... ५५८७. आज कृतारथ हुँ थयो... ५७४ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२१४. आज खरै उदै मुर्दै सारा.... ५१३७. आज गइती हुं समवसरणमां... ४७२७. आज चले मनमोहन कंत... ६३३५. आज चालौ सखी जिन मन्दिर में... ४०३४. आज जिन सरस जिन दरस... ६०१०. आज तो आनंद मेरे आई भली भावना... ४९१५. आज तो दर्शन... ४११६. आज तो हमारे भाग... ५७०८. आज तौ फरूकइ... ६१२२. आज दिन धन्य... ६१३६. आज दिन धन्य गिरि भेटियै.... ४२१६. आज दिवस रलियामणौ... ४१९६. आजनइ पधारै सामलियौ यादव परीणवा... ४३२८. आज नइ बधावउ हे सहीअर... ४७९९. आजनइ मई भेट्या हो बाडी पास जी... ५२५५. आज नै अम्हारै मन आसा... ४२१२. आजनै पधारौ हे सहीयर मालपुरइ... ४३०६. आज पीउ सुपनै खरी डराई... ४१११. आज फली रे जिनराज... ४४५४. आज फल्यो म्हारई आंबलो रे... ४११२. आज बधाई मेरे आज बधाई... ४११३. आज बधाई मोतीडे मेह बूठारे... ७०४६. आज बधावउजी गाईयई... ४४१२. आज भले जिन को मुख देख्यो... ४१२४. आज भले मैं भेट्यो हो... ५१८७. आज भलै दिन ऊगौ जी... ३४५९. आज भलो दिन... ४६२७. आज मई गिरिराज भेट्यउ... ३३३३. आज मच्यो रे उछाह... ३९०६. आज मनावो शुद्ध... ४८८०. आज मनोरथ फलिया... ४६९३. आज माइ आणंद... ६४१७. आज मानूं दरसण... ६५६५. आज मेरे मन की आस फली... ६५९१. आज रंग बधामणां... ३३८३. आज रंग बरसे रे... ४९५६. आज रंग भीनी होरी आई... ५९२२. आज वधाई आवियो म्हारे... ५६०९. आज वधावो माहरइ... ४५४५. आज सखि शंखेश्वरौ... ५६०४. आज सखी मइं आणंद आयो... ६५६६. आज सखी मोहि धन्य जीया री.. ४६९५. आज सफल अवतार... ४७३४. आज सफल अवतार... ५८१९. आज सफल अवतार सखी री... ५७०६. आज सफल दिन... ४७३८. आज सफल दिन माहरउ... ४७९३. आज सफल दिन मांहरो रे... ५३०८. आज सफल दिन माहरो जी... ३४३१. आज सफल दिन मेरो... ४४३५. आज सफल दिन सफल धरो री... ४४२२. आज सफल दिवस भयो मेरो... ५६८२. आज सफल फली... ६८९७. आज सफल सुरतरु फल्यउ रे लाल... ४१७८. आज सहू हरखित हूवा रे... ३१३७. आज सुजलधर आयो... ३१३८. आज सुदीह सुहायो... ५७३८. आज सुधन दिन सुधन घड़ी ५८४७. आज सुहावो जी दीह... ५०९१. आज हरख भयो... ५४१२. आज हमारे आनन्द... ३५५६. आज हमारे हरख बधाई... ३५९४. आज हृदयकमल प्रगट्यो आनंद... ५७६५. आजु आणंद... ५५५५. आजु आणंद भयौ... ५६२६. आजु भये आनन्द... ३३४८. आजे आपे चालो... ४१२५. आजे आपे चालौ सहिया.... ३३४९. आजो आजोजी... ५०२७. आज्यो आयजो रे हो प्रीतम परम... ७०४७. आठ वरसे बालकनइ रे... . ६९१०. आणंद अंगइ अधिकउ विनोद... ५६९२. आणंद भयो... ४४२८. आणंद भयो जग पास जिणेसर... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५७५ For Personal & Private Use Only Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५८४. आणंद सुख हुआ... .. ४२४१. आणंदानंद... ५१८८. आणी आणी अधिक उमाह... ६०७३. आणी मन अविचल आस्ता... ६७०८. आणी मन सुधी आसता... ३१२१. आतम अनुभव रस पीजीये... ६९६८. आतम उलंभा तोहि आवै... ५११५. आतमभावे रमो हो चेतन... ४२५५. आतम मृगमद आफलै... ६००३. आतम मृगमद आफलै... ५०३८. आतम रूप अजाण न जाणूं निजपणुं... ३५५७. आतम संपत्ति अधिपति रे... ४०३१. आदन तइ शासन शोभ चढ़ाई... ४९३२. आदि अजित... ३८४२. आदिकरण अलवेसर नाभिनंदन... ५७१९. आदिकुमारी आदि लगी... ३३११. आदि जिणंद मया करो... ४६०९. आदि जिणेसर आज निहाल्या... ७०७४. आदि जिणेसर पयनमी... . ४६१०. आदिजिन जाऊं हूँ बलिहारी... ६२७६. आदिनाथ जिनराज काटो भवपाश... ३५२५. आदि पुरुष अलवेसरु... ३९८९. आदिसर अलवेसर जगपति... ५१९८. आदि ही कौ तीर्थंकर... ३९५०. आदीसर अलवेसरने नमीरे.. ३५१३. आदीसर जिनराज... ३४३६. आदीसर पहिल... ५२११. आदीसर पहिलो अरिहंत... ५३०३. आदीसर हो सोवनकाय... ४९५७. आन जगाई हो विवेक सुहागनि... ३१३९. आनन्दघन उपगारी निरंतर... ६४२८. आनन्द रङ्ग बधाई... ३४४३. आप रहो दिल बाग में... ३८७०. आबुय ऊपरि आदिजिन... ५१८०. आबू आज्यो रे आबू आज्यो... ४४१६. आबू तीरथ परगडौ... ६४७४. आबू तीरथ भेटियउ... ६४६०. आबू परवत रूड्यउ आदिसर... ४९५८. आम थयूं छै काम रे भाई... ४५८२. आपके दर्शन बिना... ७०८६. आया रहियोजी... ५८२४. आया शरण... ५०४८. आया श्री गुरुराय... ५९९७. आयेगा आयेगा... ६६०५. आये तीन जणे व्यापारी... .. ४९५९. आये मोहन मेरे... ४९६०. आये हो भये भोर भले ही... ६५२६. आयो आयो जी समरंता दादौ... ३२७४. आयो री भैरव भूपाला... ४०८७. आयो सहु श्री संघ... . ७०२८. आरती करत जिनेश्वर की... ७०८४. आरती कीजे कुशल... ४५८९. आरती हर गुरु... ७१०७. आरम्भ थारा ईश्वर नर कुण लखें नरांण... ३२३४. आराधो भवि भावै अहनिसै रे... ६९५२. आलसि तजि उठि प्रह समै... ४९६१. आलिजा नै थारी चाह धणी छै.... ५६४२. आली धन धन... ४३३५. आली धन वो प्रिय धन वा प्यारी... ४३१५. आली प्रीउ की पतियां हम न बची... ४३५३. आली मत आपउ परवसि पारइ... ५६७०. आलीरी देखौ... ६९८९. आवउजी म्हारइ पूज इणि देसउइ रे... ६६८६. आवउ देव जुहारउरे अजाहरउ पास... ६५६८. आवउ सुगुण साहेलड़ी... ६२४६. आवउ हो इस रिति हितसई... ६८७५. आवत मुनि के भेखि देखि... ५५४४. आवो मेरी गोद... ३३५०. आवो सजन करो... ४९३०. आवो हे सहियां आज श्री लौद्रपुरे... ५६४७. आवौ नइ जावौ... ५५४१. आव्या स्वामी सम्भार लई...' ५०७३. आव्यो छु आज... ४४१९. आशा सफल फली... ५७६ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६२. आषाढइ आशा फली... ४०६०. आस पूरण धणि... ७००४. आसा पूरण... | ५४९१. आसा सफल फली... ६७८४. आसू मास वलि आवीयउ... ६७८९. आसू मास वलि आवीयउ... ६६६०. आहे सुन्दर रूप सुहामणउ... ४२५६. इक काया अरु कामिनी परदेसी रे... ६९५५. इक छइ नारी रङ्ग रसीली रे... ६९५४. इक नारी पद दीपे नीपनी... ३६२३. इक सुणलै नाथ अरज मोरी... ६४४६. इस अवसर करि रे जीव शरणा... ५६३९. इण जगी पापश्रमण... ४४९८. इण जून पाप श्रमण... ५५८१. इण मूरति कइउ वारणे... - ६४४०. इण योगी ने आसन दृढ़ कीना... ३५९५. इण वन वीर समोसस्या... ५१८६. इण संसार समुद्र को... ५३३९. इन्द्रभूति गुरु लब्धिनिलो... ४३०७. इमारइ माई कंत दिसाउर कीनौ... ४२९५. इया देही कउ गरब कीजइ... ६४५९. इया मो जनम की सफल घरीरी... ६४७७. इलावरध हो नगरीनुं नाम कि... ३३४०. इस दुनिया में तेरो... ३२५८. इस जादव जादू जुल्हम किया... ६७७३. इहु मेरा इहु मेरा इहु मेरा... ३७८४. उँ उँ श्री जिनकुशलसूरि... ४१७९. उँचउ गिरवर मांहे मेरु सुहामणउ रे... ६६३७. उग्रसेन की अङ्गजा... ३७२७. उग्रसेन की कुमरी भणइ... ४७३५. उछरंग सदा आज हुआ आणंदा... ७०९४, उछलती जल अकल बोल... ४९६२. उठ रे आतमवा मोरा... ४८०८. उठि कहा सोइ रहयउ... ४३०९. उण मीत परदेसी बिना मोहि... ६९७१. उत्तम वैद्य तूं आतमा... ४४४५. उत्तुंग तोरण... ४०६५. उत्तुंग तोरण देहरौ... ५५९७. उत्तुंग तोरण देहरो.... ६५३८. उदउ करौ संघ उदउ करौ... ३६९३. उदय करउ दादा उदय करउ... ५२३१. उदय थयो धन धन आजनो... ७१०६. उदैचन्द सुत ऊपज्यौ... ६४८०. उद्यम भाग्य बिना न फलइ... ५५८६. उद्योतन वर्द्धमान... ६५०३. उद्योतन वर्द्धमान जिणेसर... ३६९४. उनइ मेघ घटा करी... ३९०७. उनका जीना... ५८३०. उपदेशामृत का स्रोत... ४३२३. उपनउ रूप न आप लहइ री... ४८४५. उमडी घनघोर घटा मन थी... ४५२७. उमाहौ छै अति घणउ... ४५३९. उमाहौ मन में घणउ... ४६३८. उरसीउ आणि हे सखी... ६५३७. उल्लट धरि अमे आविया दादा... ५७९७. ऊँ नमो श्रावण आवियो... ५४४०. ॐ हीं दत्त कुशल... ४१६०. ॐ हीं श्रीमाण्डव... ५२४२. ऊगो धन दिन आज सफलौ... ५०५९. ऊंचा शिखर... ५१००. ऊंची तलाई री पाल... ५४०८. ऊंचे अम्बर के चन्दा... ३४६०. ऊजल केवल... ४११४. ऊठो ने मोरे आतमरामा... ४२१३. ऊपनौ केवलनाण... ४६९९. ऊभी राजुलदे राणी अरज करैछ... ३९७७. ऋषभ चरण कज ध्यावो मन भंमरा... ४३६७. ऋषभ जिणंद सुख कंद.... ३९६२. ऋषभ जिनेश्वर रायना... ५५६५. ऋषभ जिनेश्वर सेवो माई... ३५२६. ऋषभ जिनेसर देव नमूं... ५८१४. ऋषभादिक तीर्थंकर राया... ६४४१. ए अनागत तीर्थंकर चौवीस जिन... ३४१२. एक अरज अवधारिये रे वाल्हा... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५७७ For Personal & Private Use Only Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१५४. एक घड़ी मन समरि.... ६६७७. एक तूंही तूंही नाम जुदा मूंहि मूंहि.... ५५६९. एकदा आभरण पहरनइ... ६८८७. एक नारी वन मांहि उपन्नी.... ६७५३. एक मन शुद्धि बि कोउ मुगति... ५१४९. एक मना समरं सरसति... ६६३८. एक वीनति सुणउ मेरे मीत हो.... ५१०२. एक संदेसो पंथी माहरो .... ६३१६. ए जिनवर चउवीस नमौ... ६१५६. एजी भवसिंधु तें प्रभुजी तारा... ६७८२. एजी संतन के मुख वाणी सुनि... ६५९३. एजु लाहोर नगर वर पातिसाहि अकबर... ६६३९. एतनी बात मेरे जीउ खटकइ री... ३२०० एतौ हरख सै आई होरी रे .... ५१८१. ए धन सासन वीर जिनवर तणो... ६९१७. ए मेरउ साजणीयउ सखि सुन्दर .... ४४८७. एवड़उ ज्ञान करउ छौ .... ६५९९. ए संसार असार छइ... ४५३४. ए समकित नित... ३२२३. एसै जिनराज आज नैन से निहारे... ३१४०. ए होरी भाव भले आयो... ३२४४. ऐरी मेरो पिउ गिरिंद पै गयो.... ३१२७. ऐसे कही जाए कैसे... ३२१८. ऐसे कुशल सुरिन्द... ३२०७. ऐसे कुशलसूरिंद नीके रंग..... ७०२२. ऐसे गुरु ध्याऊं... ५७०१ . ऐसे यह मण्डप मई विराज ... ३५४६. ऐसे श्याम सलूने खेलत नेमकुमार.... ५९८२. ऐसे सहिर विच कौण दीवांण है.... ६६००. ऐ सारा जाण असार संसार... ३२३८. ऐसे सोए नींद में आणंद भरी रे.... ३१११. ओं अक्षर उर में धरी... ७०९५. ॐ अर्हं जय है गुरुदेव ... ५८८५. ओंकार बड़ो सब अक्षर में... ५०८२. ओ दादा देव... ६१८४. ओ निरंजन निर्ग्रन्थ... ५४०३. ओ रे जिनदत्त... ५७८ ५७९०. ओलगड़ी अलवेसर... ५५९८. ओलगड़ी ओलगड़ी.... ५९३४. ओ लाल श्री जिनकुशलसूर..... ६२८३. ओ शान्ति जिनेश्वर शान्ति करो... ४९६३. औगुन किनके न कहिये रे भाई... ६६५६. और देखले ऊंचउ गिरनारि... ६८३३. कइयइ मिलस्यइ श्रावक एहवा... ४२४६. कइसड़ सासकउ बेसास... ४२९६. कउण धर्मकउ मरम लहइ री... ६८४१. कंपिल्लानगरी धणी.... ४७७४. कंसारी पास अरज सुणहु... ४५३५. कठिन करे इसे आचारज... ६७०१. कनक सिंहासन सुर. रचिय... ५३९८. कब तक मै सहूं.... ३३५१. कबलों कहूं गुरु... ४३११. कबहु न कर री माई मीत विदेसी... ६४८७. कबहु मिलइ मुझ जउ करतारा... ४३२०. कबहूं मइ नीकइ नाथ न ध्यायउ .... ६६४०. करई प्रीति जोड़इ हां नेमि जी.... ५२७७. कर जोडि कामण कहै हो .... ४००३. कर जोडि वर पय कमल... ४२६१. कर जोड़ी हम वीनव... ५७८६. कर सामायिक... ५२३५. करण अधिक कल्याण... ६३५२. करण दोय इक बालधीरे..... ५१८५. करणी पर उपगार की... ७१०४. करणादे कूखे ऊपना... ५६८३. करत निरति सूरियाभ... ४५४२. करत नृत्य सूरियाभ... ६८४०. करम अचेतन किम हुयउ करता.... ५३८२. करि करि कंकण खलकत जाणी... ५२८५. करिज्यो मत अहंकार... ३६७७. करि धोती धूनी धुनइ ए... ४३४५. करिवउ तीरथ तउ मूंकी रथ... ३६७८. करीजइ न्हवण रु जिनेश्वर अंगइ... ५०२१. करी मोहि सहाय... ५६२०. करुणाकर जिनवर .... For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८८०. करूं ध्यान जिणेसर पासनउं... ६३०६. करो कुशल गुरुदेव ... ६४८९. कर्म तणी कही निर्जरा ..... ४०३९. कर्मवसइ मैं सेविया ... ४१८०. कलिकाल गौतम सारिखो... ७०४५. कलियुग खोहउ कवियण कर..... ६२८८. कल्याण मेरुठ..... ६४४४. कहउ किम तिण घरि हुयइ... ६८२९. कहउ सखि कउण कही जह... ४२७८. कहा अज्ञानी जीउ कुं गुरुज्ञान..... ४३६०. कहा कोड होर करउ काहू को .... ४७११. कहिजो संदसो नेम नै... ४८९५. कहिज्यो कवियण एक हियालडी रे.... ६८८८. कहिज्यो पंडित एह हीयाली .... ४४२४. कहु तन धन की .... ३३५२. कहे गुलाब सुन.... ५४८१. कहै एम तक्षशिला धणी.... ५४८३. कहै सुनंदा बांह पसारि आवी रे.... ३२५५. कहो री सखि कैसे खेले होरी..... ३६८८. कह्या च्यारि कषाय ए... ४७०० कांई रीसाणा हो नेम नगीना.... ४८७१. कांई रीसाणा हो नेम नगीना..... ६७४२. कागद थोड़ी हेत घणठ... ४७२३. काम अंध गजराज अगाज महाबली... ५७०९. कामिण नयन... ४४२३. कामिणी नयन तीखे.... ५२४९. कामित संपय करणं... ६४९०. कामिनी का कहि कुण विसासा... ४५४७. कामिनी काम विकार... ७११३. कायम जस कीधाह लाहो लीधो लोक में.... ४६७८. काया कामिणी वीनवेजी .... ४०२२. काया नगरी कोट सबल तिहां... ५२८४. काया माया कारिमी.... ४६४१. काया सलूणी वीरवे ..... ४८४०. काहु सुं प्रीति न कीज .... ५४२२. कितने ही तार... ३५९६. किन देखावे शिवगामी हमारा स्वामी... खरतरगच्छ साहित्य कोश 4 ६७७१. किसी के सब दिन सरिखे न होई.... ४५५४. किहां किहना मिल मिलने महिमा करे..... ४९६४. की करां मैं रैंन विहानी.... ६७९३. कीजइ ओच्छव संता सुगुरु केरउ.... ६१२३. कीजिए कुशल संपत्ति... ४३७४, कीजै छै कर जोड़ने.... ३२४५. कीनी मै सुखकारी सखी मेरी..... ३८३६. कीर्त्तिरतनसूरींदा वंदे... ६०९५. कीर्त्तिरत्नसूरि दिये.... ६२७०. कीर्त्तिरत्नसूरि वंदीसर..... ६६७८. कुण परमेश्वर स्वरूप कहइ री... ५८८३. कुशल अङ्ग उछरङ्ग कुशल.... ३४९७. कुशल करण अब कुशल.... ४८९७. कुशल करण गुरु.... ५२०४. कुशल करण जिनकुशलजी... ४८९८. कुशल करण मेरे..... ४५८३. कुशल करना कुशल..... ६२९०. कुशल कारक कुशल.... ६४०७. कुशल कुशल दातार..... ५२०५. कुशल करो जिनकुशलजी.... ४०४२. कुशल करो दादा.... ५४७२. कुशल करो दादा.... ३०९३. कुशल करो रे महाराज... ४२७९. कुशलगुरु अब मोहि दरसण दीज .... ५८३८. कुशल गुरु अर्ज.... ४१३५. कुशल गुरु की.... ३७९३. कुशल गुरु कुशल.... ५६३१. कुशल गुरु कुशल करण.... ४०९८. कुशल गुरु कुशल करो..... ५१५४. कुशल गुरु कुशल करो.... ३३२०. कुशलगुरु कुशल करो भरपूर..... ३८९९. कुशल गुरु क्यों न देते.... ५०६०. कुशल गुरु गुण.... ३०८६. कुशल गुरुजी अरज.... ६२७७. कुशलगुरु जैन शासन के सितारे.... ६१९२. कुशल गुरु गुण गाओ.... ४१६७. कुशल गुरु तुम..... For Personal & Private Use Only ५७९ Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६३१. कुशल गुरु दरसन... ६९८८. केसरचन्दण किर अगर कपूरभर. ५४९३. कुशल गुरु दादा... ३८०१. केसरिया केसरिया... ५४९४. कुशल गुरुदेव... ५९९०. केही गल्ला कत्थीया... ६१३७. कुशल गुरुदेव के दरसण... ४९६६. कैउ मरड़ता स्यानैं हीड़ौ छौ... ४५८४. कुशल गुरुदेव. है... ३७८९. कैसे कैसे अवसर में गुरु... ४१६८. कुशल गुरु ध्याइये... ५३२९. कैसे कैसे गुरु गुण... ५२०६. कुशल गुरु नामै नवनिधि पामै.. ३२५९. कैसे समझाउं सहीयां जदपति... ५९१७. कुशल गुरु पूरो... ३३५५. कोई देख्यारे सपने... ५८५८. कुशल गुरुमइ... ५३६९. कोउ धन कलि फिरउ परदेश... ४५८५. कुशल गुरुराज जय... . ५५१६. कोई नहीं दादा... ५३४३. कुशल गुरु हम वीनती... ६११२. कोई भूलउ मन समझावई हो... ३३५३. कुशल छोगालो... ४९६७. कौन किसी को मीत जगत में.... ५८१५. कुशल थुम्भ गडाले... ५६५८. क्या करी पशुवन छोड़ाया.... ३४९८. कुशल नामे संकट दूर... ५७७२. क्या कोई कीर्ति आपइ... .. ६९५३. कुशल भयो नमतां जिनकुशल... ४५७७. क्या है अपूर्व दर्शन... ३६६४. कुशल सूरिंद गुरु...' ७००८. क्यूं गये गुरु दिल तोड... ६४१८. कुशल सूरिंद गुरु... ६४७०. क्यों न भये हम मोर... ४५६५. कुशलसूरिंद गुरु ध्यान... ६४९२. क्रिया करउ चेला क्रिया करउ... ६४१९. कुशल सूरिंद सुखकारी... ३९२३. क्रोध म करसो... ५८२७. कुशलसूरि गुरुदेव... ६५००. क्लेशोपार्जितवित्तेन.... ५८२८. कुशलसूरि गुरुवर को... ४१८१. क्षमता सागर जुगवर सांभलउ... ६४२०. कुशल सूरिंदा गुरु... ६४९४. खंदक सूरि समोसस्या रे... ३२०५. कुशलसूरिसर ध्यावो रे... . ५४२३. खड़े हैं द्वारे.... ३३०६. कुशल सूरीन्द... . ५२३९. खड्ग...... लाराखेसि...... ५०९२. कुशल सूरींद... ५०७४. खम्मा मारा ज्ञानी... ३३५४. कुशल सूरीन्द गुरु... ४०६६. खम्भा माहरा... ५४९५. कुशल सूरीसर... ५२२७. खरतरगच्छ जाणे खलक... ३६५६. कुशल सूरीसर सेविये... ५२०१. खरतरगच्छ जाणै खलक... ४९६५. कुसल सुमति अति वैरनि नावै... ४९३७. खरतरगच्छ युवराजियउ... ६६७०. कृपा अमूलिक कांचली रे... ४६१८. खरतर वसही आदि जिणंद... ५९७२. कृपा करौ मै गौडी पास... ६९७९. खुद खांन पिछाण्या... ६७६४. कृपानाथ तई कुणहू नूधर्यउ री... ६९२५. खेलइ नेमि मुरारि... ४६७३. कृपानिधि अब मुझ महिर करीजो... ५६५४. खेलति प्रभु नेमि कुमार... ६३५३. कृपानिधि वीनती अवधारौ... ४५१७. खेलति है होरी हो... ५२६९. केई तो निकट वाट लंघत.. ५६८०. खेलती है होरी हो... ३६६५. केई तो समस्त न्याय ग्रन्थ में दुरस्त देखे... | ४६९२. खोजइ कहा निरंजन बोरे... ६४३९. केवलज्ञानी नई निर्वाणी... . । ४९६८. खोट सयाने कहा कहि समझावै... ५८० तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१०१. गच्छनायक लायक गुणे... ४०९९. गच्छपति खरतरगच्छ... ७०६५. गच्छपति वंदन मन रली रे... ६८९८. गच्छपति सदा गुरुयउ विलउ... ४६४२. गजसुकुमाल वइरागियउ... ४६५२. गणधर इग्यारे गाइये... ३३९७. गणधर गौतम स्वामीजी समरि... ६४२१. गणधर सेवे गुरु... ५६०७. गरुबउ गच्छनायक... ३१३१. गवडी प्रभु जिनवर गुण गावो... ३८०७. गहराये भंवर... ३३५६. गाऊं गाऊं मै सुयश... ४४३६. गाजइ प्रभु गौडी धणी... ४१४२. गाजै जिनकुशल गडालै... ५५८८. गाजै प्रभु गौडी धणी... ' ६७९६. गायउ गायउ री राती जागउ रङ्गइ गायउ... | ५०२८. गायज्यो गायज्यो रे हो विमलाचल... ५६२१. गावइ अपछरा... ' ५०६७. गाव गावरे गीत... ४५०१. गावौ अपछरा ज्ञान... ५२३२. गावौ गावौ री गच्छानायक के गुण गावै... ३२४६. गिरनार पिउकै संग जाउंगी... ६२७८. गिरिनारि मण्डन शिवादेवी नन्दन... ६३५०. गिरिवर शिखर प्रदक्षिण फिरतां... ५१२१. गिरि वैताढ्यनई ऊपरे... ४८५६. गुण गरुअउ प्रभु सेवीयइ जी... ४२३२. गुण गाइजै तुज गौडी धणी... ५३२४. गुणगिरुवो गौडी धणी... ३०९१. गुणनिध गवडीपुर स्वामी... ४७७९. गुणनिधि गउड़ी पास जी... ३४२९. गुणनिधि गवडी पास जी रे राज... ४५४८. गुणनी तूं छोड़... ४५७६. गुणी ज्ञानी दाता... ४९९४. गुनहे माफ करो सुगुरु मेरे... ४६८३. गुरु आसातना जाणिवा... ३८०२. गुरुओं की महिमा... ३९०८. गुरु की जय जय... ७०९६. गुरु की जय जय... ७१२२. गुरु की नगरिया... ६५४९. गुरु कुण जिनसागर सरिखउ री... ४०१४. गुरुकुलवास सदा वसइ... ६५६९. गुरु के दरस अंखियां मोहि तरसइ... ५४०९. गुरु गौतम अभय दाता ४४०६. गुरु चन्द कहाने.. ७१३७. गुरुचरण... ६२००. गुरु चरणों की... ६४०८. गुरुजी अब होली... ५६०६. गुरु जलधि जिम.. ५२३७. गुरु जिणचंदसूरि आप हाथ पाट दीनौ... ३९०९. गुरु जिनदत्त की... ५०६८. गुरुजी ज्ञान ना... ६२९९. गुरुणी गुणवन्त नमीजइ रे... ५०५७. गुरु तारी वाणी. ३९००. गुरुदेव तुम्हारी कीर्ति... ५४१७. गुरु तुम्हें आना... ३३८४. गुरु दत्त जती... ३३००. गुरु दरसण दीजे... ५४८८. गुरु दर्शन थी... ७०७७. गुरु दर्शन पायो... ४४०१. गुरुदेव अब तो.... ३३८५. गुरुदेव आपने... ५४९६. गुरुदेव कुशल... ५४९७. गुरुदेव कुशल... ५४९८. गुरुदेव कुशल... ७०८७. गुरुदेव जगत... ४९१६. गुरुदेव जिनदत्त... ३८३३. गुरुदेवजी का... ७०८८. गुरुदेव मनाओ... ७०९७. गुरुदेव मनाओ... ७०७८. गुरुदेव मेरा... ६२१५. गुरुदेव मेरी किश्ती... ३८३४. गुरुदेव हमारे... ७१२३. गुरु नाम ले... ७१२४. गुरु नाम सहारा... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५८१ For Personal & Private Use Only Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५६६. गुरु पूज रचो रे... ३६७९. गुरुमंदिर आलोयण जीउ लीजइ... ६३१७. गुरु महिर करी... ५०५५. गुरुराजनी मूर्ति... ६०९६. गुरु लब्धिकल्लोल गुणिंद जयउ... ६९९२. गुरु लब्धि गौतमसामी... ६९५७. गुरु वन्दन आये... ६२१६. गुरुवर गुरुवर... ७१२५. गुरुवर तुम्हारी... ६२१७. गुरुवर तुम्हारी... ६२१८. गुरुवर द्वार पे... ६३०७. गुरुवर हमारी... ५५१७. गुरु वाणी गुरु वाणी... ४२८४. गुरुवाणी जग सगलउ मोहीयउ... ७११०. गुला में गोपाल कमल में कमल नैन... ४०९०. गोखे बैठी राजुल गोरी... ३७०२. गौडी गाजइ रे गिरुयउ पारसनाथ... ५०१४. गौडी गौडी जे करै... ६७०३. गौडी पारसनाथ तूं गाजइ... ६७०४. गौडी पारसनाथ तूं वारु... ५३२३. गौडी पुरवर मंडणा गावू... ५०२०. गौडी राय कहो बड़ी वेर भई... ५६१०. गौतम गंगेव सारखौ... ६५०५. गौतम नाम जपउ परभाते... ४०३६. गौतम नाम जपो जयकार... ६१००. गौतम नाम भणउ रे भाई... ३६८६. गौतम लब्धिनिधान काउजी... ३६५५. ग्यानामृत गुणसंयुता... ६६१९. ग्रहपति पुत्र क्रतूत करउ... ७०५५. ग्राम नगर पुर विहरता पूजजी... ६५०९. घड़ी लाखीणी जाइ बे... ६१७०. घड़ी सुलेखइ आज री... ३१४१. घणुं समझायो घर में... ४७१६. घनघोर घटा घन की उनई... . ४७२१. घनघोर घटा घन की उनई.... ४९६९. घर आवो ढोलन परसंग निवार... ३२३१. घर आवौजी सुगुणां री सजनां... ४३५४. घर छोड़ि परदेसि भमइ... ५४९९. घर बैठे गंगा... ६१५१. घरि आयो सिवादेवी लाल... ६९६५. घरि आवि सग्यानी जीवडो... ४९७०. चूंघरी दुनिया ओ बूंघरी दुनिया... ४८२५. चउथउ मंगल निति नमुं... ४३५८. चउमुख तीन त्रिभूमिया... ६६९५. चउमुख वाडी पास जी... ५५८५. चउवीस जिन प्रणमी करी... ३६९१. चउवीसम श्री वीर जिनेश्वर.... ६३८९. चउवीसमा जिनराय.... . ४६५४. चउवीसे जिनवर ना पाय नमूं.. ६६४१. चंदइ कीधउ चानणठ रे... ५२१६. चंद जिम सूरि जिणचंद्र चढती कला... ६११०. चंदला पीऊ नइं वारि रे... ४१८२. चंदा तूं जिण देसि... ४०२१. चंद्रानन जिन सहसफणो... ६८६८. चंदालाइ एक करूं अरदास चंदा... ६४८६. चंपानगरी अति भली हुं वारि... ३९७९. चंपानयरी जगमां दीपती रे... ३४५६. चढते दिवाजै हो... ५४७४. चतुर चकोर सुधाकर... ४४०९. चतुर नर चेतो रे... ५५३६. चतुर नर चेतो रे.... ४२३८. चतुरनसे चउवीसटे... ७०५६. चतुर माणस चित उलसइ रे... ६५७०. चतुर लोक राजइ गुणे रे... ५४७५. चतुर विहारी हो आतम माहरा... ६५०८. चतुर सुणउ चित्त लाइ कइ... ६३९४. चतुर्विध संघ सुणउ हितकारक... ५८४६. चन्द पटधारी हो.... ५०९३. चन्द पटोधर कुशल... ५६७७. चन्द वदन राजुल वदति.... ६८५०. चन्द सूरज वीर वांदण आव्या... ६५११. चन्द्रप्रभ भेट्यइ मंद चंदवारि... ३८०९. चन्द्रसूरि गुरु... | ५४४३. चन्द्रसूरि गुरु... ५८२ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४६. चिंतामणि दरसण भले पायो... ५७३९. चिंतामणि पास पूजिया..... ३१४७. चिंतामणि मुझ चित वसै... ३१४८. चिंतामणि मेरे चित में बसे हैं.... ६६९१. चिंतामणि म्हारी चिंता चूरि..... ६१३८. चरण शरण तुझ आयो है .... ६१२४. चरन सरन तुझ आयो.... ५३९९. चरणों के हैं चाकर..... ६२०१. चरणों में आए दादा.... ६२१४. चल के आये हैं..... ४१६९. चलो दादे जाइये... ३९१०. चलो पुण्य प्रतापी.... ३३८६. चलो प्यारे सयान... ५८३९. चलो री सखी आज... ६९५८. चलो सखी पूजवा ... ५७६४. चलो सखी शत्रुञ्जय गिरि जाई.... ४८८१. चांदलिया संदेसो जिनवर ने कहे रे.... ६६६९. चांपा ते रूपड़ रूपडा... ४१३७. चारि चरण चठ... ६३८१. चारित तेई चिंतवै रे हो.... ६४६२. चालउ रे सखि शेडुंज जइयेरे..... H ३५३५. चिंतामणि सामी में हुं दास तुम्हारा..... ३१४९. चिंतामणि सुप्रसन्न आज भयो .... ३५५८. चिंतामणि स्वामी मैं हुं दास तुम्हारा... ३१४३. चित हितधर चिंतामणि भजरे.... ४८१९. चित्त चिंतै कांई बात... ५४४८. चित्त जइ हो प्रभु लाग्यो रङ्ग... ४३८८. चित्त सेवा प्रभु चरण की.... ५५२९. चित्त हमारो ल्याउ.... ४९८९. चिदानंद आनन्दमय... ६५७३. चिहुं खंडि चावा चोपड़ा... ६५१३. चिहुं दिशि थी चारे आवीया... ६९०५. चेइय मंडकुएथ कूट मूलइ ध्यान... ५७५३. चेत चतुर चित प्राणी.... ४९७१. चेतन खेले नौ ककरी री.... ६४०४. चेतन चेतइ जीउ चित्त मइ... चेतन चेत रे चलि मां चपलाइ... चेतन चेतना संभार.... ६७२३. चालउ लौद्रवपुरे..... ६६८७. चालउ सखी चित चाह सुं.... ६५७१. चालउ सहेली सद्गुरु वांदवाजी... ५३००. ३५५९. ३३५७. चेत नर क्यूं भूला.... ४९७३. चेतन बिन दरियाव दी मछरी रे... ४२०९. चालउ हिब चठवीसट .... ४२७५. चालउ हिव चडवीसट... ३३४५. चाल चाल म्हारा... ३३८७. चाल चाल म्हारा... ३३७९. चालो चालो हे. ५१४२. चालो चालोने राज..... ४९७२. चेतन में हूँ राव री रानी..... ४८२०. चेत रे तूं चेत प्राणी.... ५५४६. चालो नाभिका नन्दन... ५१४३. चालो सखि जिन वंदन.... ४४२१. चालौ नाभिको नन्दन.... ६३३६. चालौ री सखीय आपे वंदन जइयै.... ५५३७. चेत रे तूं चेत प्राणी... ६७८१. चेला चेला पदं पदं ६५०१. चेला नहीं तउ म करउ चिंता... ५२६६. चैत्य प्रवाडे चौबीसटे..... ४५५२. चोवीसे जिनवर ... ५८१८. चौवीस जिन प्रणमी करी.... ५२२१. चावौ गच्छ चौरासिये.... ६०६३. चावौ देवल चउवीसटौ.... ६७२०. चिंतामणि चालउ देव जुहारण जावां ... ५६०१. चौवीसे जिनवर..... ३९८७. चौवीसम जिनवर नमूं .... ४०९६. चिंतामणि चितधर रे चेतन... ३१४४. चिंतामणि चित धार... ३१४५. चिंतामणि चित में बसें सहेलडीयां... ६६४२. छपन कोडि यादव मिलि आए..... ५२२२. छाजति छवि चंदा सुख कंदा.... ३३५८. छाजेड़ कुल रो... ५०६१. चमके चमके.... ३१४२. चरण कमल जिनराज ना हो..... खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only ५८३ www.jalnelibrary.org Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६८४. छिन छिन तोहि काल... . ३७७५. छेक जनावन भवमरथन धन... ४२९३. छोड़ि चल्यउ नलराइ... ४२२६. छोड़ि हो पीउ छोड़ि चलौ बनवास... ५२००. छोड़ो ना जी कंचन नै कामिनी... ३३०९. छोटी सी ज्यानं जरा सै जिनवर... ५४१६. जउ तुम्हे तास्यउ काम नइ... ६७७५. जंबूदीप सोहाम[... ३९२७. जंबुद्वीप सोहामणो रे लाल... ५४६१. जंबूदीपे दक्षिण भरते... ४१६३. जग आदीसर सेवीयइ... ५५५६. जगगुरु ऋषभ.... ६८५९. जग गुरु तारि परम दयाल... ४४४८. जगगुरु श्री महावीर जी... ३५६१. जागुरु श्री गौडीपुर मण्डण... ३९९०. जगगुरु श्री शंखेश्वर मण्डन पास जिणंदा हो... ३६१७. जगगुरु सांचौ स्वामी सुपास... ३४७२. जगचन्द्र अरिहंत... ३७३९. जगतगुरु बूंदीपुरी प्रभु जागइ... ६१४९. जगतपति नेमि जिनराया... ६१५७. जगतपति पास जिनराया... . ३५९७. जगतपति वीर जिनजी के... ४६७४. जगत प्रभु जगतन कउ उपगारी... ३२७९. जगत मे को केहनो नहीं जी... ५१३९. जगत में सदा सुखी मुनिराज... ७०२१. जगत् में सद्गुरु... ३५४७. जगपति नेमि जिणंद प्रभु म्हारा... ३१५०. जगदानंद जयो री चिंतामणि... ६०५५. जगदीश जयौ श्री पास जिणंद... ५६९५. जगनाथ सुन्दर अतिभला... ३८६७. जगनायक के आज.... ३१५१. जगनायक चिंतामणि जिणंद... ५३३८. जग पसरत अनंत कंत... ३७५९. जगमइ भरोसउ किसकउ करइ... ६२०२. जगमग ज्योति जग में... ५९७४. जगमोहन... ५१८९. जगि मांगै पास गौडी... ३२४७. जदवा कर कर सांवरै रे.... ७०९८. जन जन मुख से... ५१९२. जननायक जिनवर... ५७५०. जन्मोत्सव गिरिवर धीर... ४२८०. जपउ कुशल गुरु... ६६७३. जपउ पंच परमेष्ठि परभाति जाप... ६१४२. जपत मन मेरो श्री जिनदत्तसूरि.... ३१०६. जप मेरी जिह्वा जिनजी को नाम.... ४४७१. जप रे जीव जाप जाप... ४६५८. जप रे तुं चौवीसे जिनराया... ४७९४. जपि जीहा सरसति सुर राणी... ६१०७. जपि रे जीऊ तूं जपि नवकार... ४३५५. जब कहइ तुझ वनवास रे.... ४३१९. जब जाण्यउ पीउ पाहुणउ... . . ७०९९. जब तुम ही चले... ४७०१. जब म्हारो साहिब तोरण आयौ... ३२२५. जबहु ते जिणंद चंद इंद मिल आते थे... ६०२६. जयंति मनाओ... ३९४२. जयकरि जिनराज पुरसादाणि रे... ३५६०. जयकारी जिनराय पुरसादांणी रे....' ५९५२. जय गणनायक... ३७७१. जयउ जयउ जिवरु रे... ३३९३. जय जय आरती... ७०८५. जय जय आरती... ३५१४. जय जय ऋषभ जिणेसरू... ४५९७. जय जय गुरु... ३३४३. जय जय गुरुदेवा... ४५८१. जय जय गुरुदेवा... ४१३९. जय जय गौडीजी महाराज... ३१५३. जय जय चिंतामणि जगनायक... ३१५४. जय जय चिंतामणि जगदीसर... ३१५२. जय चिंतामणि जगपति... . ६३२१. जय जय जय जय जय जिनराज... ३१५५. जय जय जय जय पास जिणंद... ५१९४. जय जय जिण पास जगत्र धणी.. ३९९३. जय जय जिण सुसन्नयण... ४०२४. जय जय जिणवर... ५८४ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१५६. जय जय जिणवर भवभयदुखहर.. ३५३३. जय जय जिनवर आदिदेव... ६३१४. जय जय जिन शासन सुरी रे... ३५२०. जय जय नाभिररिंद नंद... ३५६२. जय जय परम पुरुष परमेसरु... ४१३४. जय जय मणिधारी... ४५९६. जय जय मणिधारी... २८८१. जय जय वीर जिणेसर देव... ५९७८. जय जय वीरजिणेसर देव... ३१५७. जय जय श्री जगनाथ... ४३७५. जय जय श्री जिनकुशल... ३५६३. जय जय श्री जिनराज... ४३७३. जय जय सद्गुरु... ४३७९. जय जय सद्गुरु... ६३५९. जय जय सीमंधर जगदीश्वर... ३६१८. जय जय सुमति जिनेसर सामी... ४५९८. जय जय हो... ३२०६. जय बोलो कुशलसूरीसर की... ४१०९. जय बोलो रे पास जिणेसर जी... ४१५९. जय बोलो सदगरु राजा की... ५७६६. जय जिनराज तूं ही...' ३५६४. जप त्रिभुवन स्वामी सहसफणा प्रभु... ३४६५. जय रोहिणी वन्नइ.., ४८७२. जल जलती मिलती घणी रे लाल... ३८५०. जसु हृदय कमल... ६८९०. जहां तहां ठउर ठउर डूं डूं हूं... ६५२२. जांऊ बलिहारी जम्ब स्वामिनी रे.. ५५२०. जाग जग मकटमणि नाभि नपनंदा... ६७२५. जागतउ तीरथ तूं वरकाणा... ६६०१. जागि जागि जंतुया तुं... ६८७४. जागि जागि जागि भाई जागि रे तूं... ४७९२. जागो मेरे लाल... ६७३८. जागो रे जागो रे भाई प्रभात थयौ... ६६४३. जादवराय जीवे तूं कोडि वरीस... ३२६०. जादव वस करली ताबे मेरी ज्यांन... ७१२६. जाना है जग से ३३८८. जाय फंसा कुगुरु के... ५००४. जावंतरौ पियु वारौ... ३७१२. जिउरा करि निरंजन ध्यान... ४०५७. जिणंद जो मोही अरज... ४६७५. जिणंदराय हमकुं तारउ तारउ... ५३१०. जिण चउवीस नमी मन आणि... ५३०१. जिणवर धुरि त्रेवीसमोरे... ४९२६. जिणवर पास जिणेसर सेवियइ... ४०३८. जिणवर विहरती आयौ... ४६८८. जिणि आदी तुम्ह सीखडी जी... ३७५४. जिणि दिन नयणि निहालुं... . ५७८०. जिण नइ रे कहउ किम समकित... ५३७६. जिण पणम्यइ लाभइ भव अंत... ६१३९. जिनकुशल जुहारा... ३०९८. जिनकुशलसूरि आलम... ७०८९. जिनकुशलसूरिंद... ३०९४. जिनकुशल सूरिंद गुरु... ३६९२. जिनकुशलसूरीसर सेवइ जे इकतान... ५८०२. जिनगुण गाइजइ... ७०३६. जिन चरण चित्त मोयौ री मेरा... ५५००. जिन कुशल गुरु... ५७४४. जिनके नाम बिना नहीं तरणा... ५३३४. जिनचंद चरण नमी... ५७२४. जिनचन्द जग माहे बड़ो... . ५७७७. जिनचन्द जग माहे बड़ौ... . ३८१३. जिनचन्द्रसूरि गुरु वंदियै जी राज... ६२०३. जिनचन्द्रसूरि दादा... ४४८८. जिनजी की मुरति जिन जिम दीसे... ४४६०. जिनजी की मुरति जिन जिम दीसे... ३१३४. जिनजी के गुण गावो हारे लाला... ५६४८. जिनजी हम निज भगत तुम्हारे... ३७१६. जिनजी हो गढ जेसलगिरि... ४६१६. जिन तेरी छाय रही है महिमा... ५५२२. जिन तेरे नयम अनीयारे.... ३७८५. जिनदत्त का ध्यान... ५८३३. जिनदत्त कुशल... ३४५३. जिनदत्तसूर अर कुशलसूरि... ७०१४. जिनदत्तसूरि... ५८५ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८३१. जिनदत्तसूरि गुरु के... ४३७१. जिन मंदिर जयकार ऐसे... ४३७२. जिन मन्दिर जयनगर... ५६२५. जिन मूरति जिन... ५७५१. जिन मोहे दीजिए कछु कछु दान... ५४६६. जिनराउ श्रीमुख उपदिसइ... ३५२७. जिनराज नाम तेरा... ३४२८. जिनराजसूरि पाटोधरु... ६४९३. जियुरा तूं मकरि किण सुं रोस... ६६०२. जिवड़ा जाणे जिण धर्म सार... ४००२. जिवड़ा ध्यायइ अरिहन्त... ४८१३. जिनवर अब मोहि तारउ... ६३३७. जिनवर चरण शरण मै रम रह्यौ... ६०६७. जिनवर जगगुरु मन धरि... ६६१८. जिनवर जे मुगतइ गामी... ४५५५. जिनवर जेसल जुहारियै.... ४६७२. जिनवर पूजउ मेरी माई... ६५१०. जिनवर भत्ति समुल्लसिय. ४४७२. जिनवर सफल दरस थयो... ३४३३. जिनवाणी प्रणमी करी... ५४७१. जिन विनु देव न कोई... ७१२७. जिन शासन के... ६१७७. जिनशासन शिणगारा... ६५५०. जिनसागरसूरि गच्छपति गिरुयउ... ६५५१. जिनसागरसूरि गुरु भला ए... ७०४८. जिनसागरसूरि चिर जयउजी... ६५७२. जिनसिंघसूरि की बलिहारी... ५२३३. जिनसुखसूरि सुज्ञानी... ७१२०. जिसौ भाव जोगी जती जोग तत्त जाणंतौ... ४१८३. जिहां सुमन रूप अनूप मन्दिर ४२५०. जीउ रे चाल्यउ जात जहान... ५७५४. जीउ रे तु चतुर सुजाण... ३१५८. जीया रे चितामणि जपले... ३२०३. जीया रे तजीयै जंजाला... ३५६५. जीरावलै जिनराजजी ललना... ३७१३. जीव कछु बूझयइ रे... ४६६१. जीवड़ा कीजे रे धरम सुं प्रीतड़ी... ६६०३. जीवड़ा रे जिन ध्रम कीजियइ... ६८०५. जीव जपि जपि जिनवर अन्तरयामी...' ६६३०. जीव तणी हिंसा करइ... ६५९५. जीव नइ कर्म माहो मांहि सम्बन्ध... ३९८२. जीवन मारा तेवीसमा जिणचंद... ४२५७. जीवन मेरे यहु तेरउ कउण ३९६०. जीवन म्हारां तेवीसमा जिणचंद.... ६५९६. जीवन प्रति काया कहइ... ६९९९. जीव मेरा हो क्युं तजि जात... ५५२६. जीव रे जिन चरणे... ४४६४. जीव रे तूं चेत... ३६८९. जीवन विचारी नै करउ रे... ६९८७. जीव विणज विधि ऐसी तूं जानि... ५४६५. जीव विमासिउ निज मनइ रे... .. ४६१९. जी हो आज मनोरथ माहरा...' ४०३०. जी हो आदिम आदि... ५५६३. जी हो ऋषभ प्रभु खेलइ होरी... ५८०५. जीहो एक पुरुष दिसे इसो... ४३५७. जी हो कूड कपट तिहां केलवी... ३७२९. जीहो त्रिभुवनमइ जस ताहरउ... ४२८१. जी हो धन वेला धन सा घड़ी... ३४४१. जीहो पंथी कहि संदेसडउ... ३३३६. जी हो भाव धरी... ३७२१. जीहो महीयलि महिमा सांभलि... ६६२९. जी हो मिथिला नगरीनउ... ४८१५. जी हो राजगृहपुर एकदा जी... ४१७०. जी हो श्री जिन... ४३५१. जी हो सोहम इंद प्रसंसियउ... ७१०८. जुग में नारायण जती सुरवृक्ष तणो सरूप... ३२०८. जुगवर जग जयो... ५१६१. जुगवर श्री जिनचन्द नमि कवियण... ६१७१. जुरि आएस वसंत... ४९९३. जूआ रस धन कू चहै... ५२७४. जेठ तपते तपत जीव जगरा जिके... ६७६७. जेण परुविउ भेय... ३७७२. जे मइं पाप किए परमादइ... ३७१५. जेसलगिरि रलीयामणउ... तृतीय परिशिष्ट ५८६ For Personal & Private Use Only Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६८१. ढंढण रिषि ने वंदणा हुं वारी... ४३०० तर तुम्ह तारक यादुराय. ६७४५ तखिशिला तगरी रिषभ समोसरचा रे... ... ४०१८. जेसलमेरु मझार.... ३२६९. जै जै .. ६१३४. जै जै चिंतामणि पास... ३३९५. जैन अयन... ३१२९. जै बोलो आदि जिणेसर की जै बोलो... ३१५९. जै बोलो जै बोलो पास चिंतामणि की .... ५७१०. तनड़ा तूं हइ... ६६०९. तप तप्या काया हुई. निरमल... ६०७०. तरसत अंखियां... ६२३६. जैन युक्ति सुं साधना... ६३०८. जैन शासन ताज हो.... ६७३६. जैसलमेर नगर भलौ... ६७०९. जैसलमेर पास जुहारउ... ५४४६. जो इंद्रीवसि मौन न रहुं तो.... ६३९६. जोउ जोउ बहिनी हियइ विचारीनइ... ६२९२. तव भाव बहुभत्तिभर नमिय जिणवरपयं.... ४०४६. तसरपुर में महिमा घणी .... ४९१८. ता उत्तर दक्षिण पूरव पश्चिम .... ४०२५. तारक अजित जिनेसर... ५४२४. तारने वाला... ५४९०. तारी मूर्ति मैं... ३३५९. तारो तारो कुशल.... ५७८३. तिण साधु के ... ६८५६. तिण साधु के जाऊं बलिहारे... M ५७२८. जोगियां सेईजो.... ७०४४. जोगीश्वर जिण.... ३९०३. जो जैन शासन... ५०४२. ध्रुव अलख अमूरती... ५४००. जो मैंने थामा है..... ६१८०. जोर बन्यो जोर बन्यों जोर बन्यो राज... ६७११. तिमरीपुर भेट्या पास जिनेसर बेई... ६९८०. तिसणा तीन भवन मैं जागी.... ७०४९. तिहां सखी वांरण जाऊं ... ३४६३. तिहुअण जण... ६६५९. तीन गुपति ताणो तण्यो रे.... ४३८४. जोरी थारी कौन जुरेगो... ४८०९. जोवन ज्युं नदी नीर जात..... ४८३५. जोवन में राग रंग... ५२८६. जोवनियो जायै छै जी.... ५५६४. तीन भुवन कौ साहिबौ... ६१०२. तीरथंकर चउवीस प्रणमउ... ६८५२. जोवा आव्या रे देवता... ५१८४. ज्ञान गुण चाहै तो.... ४४६९. ज्ञान तणी वाणी सुणो..... ३६१३. तीरथनायक. जिनवरुजी..... ३५४४. तीरथ नायक जिनवरु रे... ३५१५. तीरथपति त्रिभुवन तिलौ... ६१३१. ज्ञान दिवाकर. तूं सही... ४४८९. ज्ञान धरउ चित मांही... ३५३४. तीरथपति त्रिभुवन सुखदाई... ६१६४. तीरथपति शिखर गिरिंद भेट्यो.... ६७०६. तीरथ भेटन मई... ५७६०. ज्ञान धरउ चित मांही... ४४०७ ज्ञान धरौ चित मांही... ६३२३. ज्ञान निरन्तर वंदीये ... ७१०९. ज्ञानी देख नारायण गुरुजी... ६१०१. तीर्थंकर चौवीसे प्रणमूं... ५२८९. तीर्थ सैत्रुंजै जी रहिवा मनरंजै.... ३१६०. तुं तो चिंतामणि चितधर रे.... ५२५०. ज्ञायक गुणै अगाह ... ५०३२. झल हल तो भानु किधुं.... ३३९४. झुक झुक नमूं रे तोहे ... ४९७४. झूठी या जगत की माया.... ५७९४. तुं धन धन... ४०५०. तु धन भद्रा मायड़ी... ३१३०. तुं नहि किसकौ को नहि तेरो.... ४८७८. तुं मैडा पीउ राजनां बे... ६७०५. ठाम ठाम ना संघ आवै... ३७६१. डूंगर भलइ भेट्उ..... खरतरगच्छ साहित्य कोश ४८७५. तुंही नमो नमो समेतशिखर गिरि .... ३८२२. तुझ देखन मोहि चाहि... For Personal & Private Use Only ५८७ Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१००. तुझ सूरत सुखकरी... ५४०१. तुम अगर मेरे... ६५७४. तुम चलहु सखि गुरुवंदण... ७१२८. तुम तो भले विराजो जी... ४१७१. तुम पूजो श्रीजिन... ५५४७. तु मेरे स्वामी... ६४११. तुम ही स्वामी हो..... ६२०४. तुम हो तारण तरण... . ५०३४. तुम हो दीनबन्धु दयाल... ३१६१. तुम्ह दरसण विण मन मो... ४३१२. तुम्ह पइ हइ ज्ञानी कउ दावउ... ४३१६. तुम्ह सेवो पास जगतधणी... ६३१२. तुम्हारी शरण में... ६३९९. तुम्हारे वांदिवउ मुझ मन... ५७६३. तुम्हे आवो हे.... ६८७६. तुम्हें बाट जोवंता आव्या... ५२४५. तुरत चतुर नर तंबाकू तजौ... ४८०७. तुहि नमो सम्मेतशिखर गिरि... ४२१५. तूं अविनाशी आतम रे... ४४९०. तूं कहा चिन्त करती.... ५६११. तूं छत्रपति जिन धर्म को... ४२५१. तूं तउ धरउ आज अयान... ६५४३. तूं तूठउ द्यइ सम्पदा पूज जी... ५७९५. तूं तो ज्ञान कथा हिय लाय... ४२२३. तूं मेरइ दिल मई... ३४०५. तूं मेरे मन में तूं मेरे दिल में ४४१३. तूं मेरे स्वामी... ६७९५. तूं साहिब हूं तोरंउ... ४४५५. तूंही तूंही ध्यान तुहारो... ३६५७. तू चेतन गुरु भान रे... ६१८५. तू ज्ञान का बादल... ६२४९. तूठा रे पास जिणंद... ४३१३. तू भ्रम भूलउ रे आतम हित न करइ... ६२०५. तू ही जग का रखवारा... ७१२९. तू ही प्रीत... ५४२५. तू ही है मेरा... . ५९१८. तू है दाता मेरो... ५७४५. तें धन जय... ५७७९. तें मन मोसु चोर्या... ४७७६. ते मन मोह्यौ माहरो रे... ४४५६. ते अपनो विरुद श्रीजिनचन्द सूरिन्द को... ५५३३. तेड़ियौ तिण समइ... ६७५६. ते दिन क्या रे आवसइ... ४१०७. ते दिन क्यारे आवसे... ४७८०. ते दिन गिणि स्युं हुंतउ लेखइ... ४४८४. ते मन मोसु चोर्या... ४४९९. ते मूरिख जिन बाउरे... ३३८९. तेरा अमृत प्याला... ५८२५. तेरा आज स्वर्ग... ३३६०. तेरा हूं मैं तेरा हूँ...... ६२०९. तेरी भक्ति देखी... ६३२२. तेरी सूरत से जिन मेरा जुहार रे... ५२४१. तेरे तो प्रताप के प्रकाश... ३९१४. तेरे दर पे खड़ा... ६१८६. तेरे दर्शन को... ५९९८. तेरे दर्शन को जी... ३३६१. तेरे दरशन में... ६१५८. तेवीसम जिन ताहरो जी..... ६१०८. तोरण थी जब नेमि सिधारे... ६६४४. तोरण थी रथ फेरि चले... ४०६३. तोरण पधारउ प्रीतम माहरा... ५००५. तोरण वांदी प्रभु रथड़ो रे वाल्यो... ५६४५. तोरा तोरा हो... ५९७०. त्रिभवण मझतत सारं... ४१५५. त्रिभुवन गुरु... ५१८३. त्रिभुवन नायक ऋषी जिन... ३५६६. त्रिभुवनपति त्रेवीसमा हो जी... ५२५६. त्रिभुवन मांहे ताहरो हो... ४०२७. त्रिभुवन में तिलक तें चाढ़ियऊ... ४८२९. त्रिभुवन राया चौवीसम जिनचन्द... ५४७०. त्रिभुवन सामी हो... ३८८२. त्रिलोकी तलानंद संदोह दाया... ३४४२. त्रेवीसम जिन त्रिभुवन तिलौ... ३५६७. थंभण पास जुहारिये रे लो.... ५८८ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७७६. थंभन पास प्रगट परमेसर... ४१४३. थलवट देश सुहामणों... ४७३९. थांनइ वीनती करां छां राजि... ३९३५. थांपर वारी हो जिनजी... ५८५७. थांरा दरसण की... ३३६२. थांरा विरुद म्हें... ५२१५. थिया कोई दिवस मन कोड करतां थकां .... ६७८५. थिर अकबर तूं थापीयठं... ३३८०. दत्त कुशल ३३९०. दत्त गुरु दरस .... ३८१२. दया कर दरस... ४०६४. दया धर्म दातार... ३९११. दयामय मेहला आजे.... ४१२६. दया मिठाई रस भरी रे... ३७८२. दया विण करणी दु:ख देणी .... ५४०४. दर पे कोई आके... ४९७५. दरवाजा छोटा रे निकला सारा जगत... ५६३२. दरशन अब दिखलाओ.... ३९२२. दरसण कीयो... ३६९५. दरसण दादा ए अपनउ मुझनुं .... • ४७९५. दरसण दीजे आपणो हुं वारी..... ६४२२. दरसण दीजे राज... ४७९६. दरसण दीठौ राज रौ सांमलिया... ३१६२. दरसण देखी सांमनो रे... ४१४४. दरसण देज्यो हो खरतरगच्छ राजा... ३१६४. दरसण द्यो महाराज... ३३६३. दरसन देना जी.... ३४५१. दरसन हो दुःख भाजै.... ४५८६. दर्शन दीजोजी... ६२१९. दर्शन देना हमें... ३८०३. दर्शन दो गुरुदेव .... ४५७८. दर्शन दो श्री.... ४०४८. दवदन्ती धन राजकुमरिया..... ४२९७. दस दृष्टांते दोहिल उ... ४००४. दस दिशे देशे .... ३३२५. दस दिस दादोजी... ३३३४. दस दिस दादोजी.... खरतरगच्छ साहित्य कोश ३६९६. दस दिसइ दादा दीपतो... ६७७८. दसमइ भव श्री शान्ति जी .... ४०४९. दस श्रावक नित वंदू... ६५३१. दाखि हो मुझ दरसण दादा.... ४५९१. दातार मेरे प्यारे .... ३४७६. दादउ द्यइ सदा सुख सोहग... ३८१०. दादा अन्तरयामी..... ६४१२. दादा आपकी जय हो... ६२२२. दादा ओ दादा... ६३१८. दादा कुशल सूरिंद.... ६३०९. दादा के चरणों में... ५०६९. दादा गुरु चरणों... ३८०४. दादा गुरु तेरे.... ५०७८. दादा चन्द्रसूरि... ४१०१. दादा चिरंजीवो... ५८६२. दादा जिनदत्त... ५५१८. दादाजी के आये... ६५२७. दादाजी दीजइ दोय चेला..... ५६३३. दादाजी दीसे हो सहु दीपतो.... ३४०२. दादाजी दौलति दाता... ६५३९. दादाजी वीनती अवधारो.... ५४४२. दादाजी श्री जिन.... ४१४५. दादाजी हो करण्यो दया..... ४९४७. दादा तुम्हारे.... ५०७०. दादा दत्तगुरु.... ५०७१. दादा दत्तसूरि... ५४१०. दादा दत्त सूरिन्द... ४१२९. दादा दया करो.... ६९७७. दादा दरसन दे.... ५५१३. दादा दीजिये मनवंछित दौलति.... ४५७९. दादा देव दयालु.... ३६९८. दादा पूरउ हो वंछित .... ३६९७. दादा पूरि हो मन आस.... ३६७६. दादा पूरि हो मनवंछित मोरा ..... ३३६४. दादा महिर निजर.... ३४७७. दादा मोहे दीजिए शिष्य... ५०६२. दादा श्री जिन... For Personal & Private Use Only ५८९ www.jalnelibrary.org Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३१०. दादा श्रीजिनकुशलगुरु... ६२१०. दादा श्री जिनचन्द्र.... ६४०९. दादा सा म्हाने... ५८११. दादासा री महिमा... ४१७२. दादोजी दीठां.... ४३६८. दादोजी परतिख... ५९७५. दादोजी परतिख... ४३७६. दादो जी परतिख देवता... ६५३०. दादो तो चिन्ता... ६५३२. दादो तो दरसण दाखइ... ४१०२. दादो जैसलमेर... ५६३६. दादो दउलति दइ.... ५६०५. दादो दीपतो... . ५२०७. दादो देरावर... ४१७५. दादो सेवकां... ४१७७. दादो सेवकां सुखपूरइ... ३७६५. दान वडउ जगमइ काउ जी... ६१०६. दान सीयल तप भावना.... ३८४९. दायक सिर सिद्धां... ५११०. द्वारिकानगरी ऋद्धि समृद्ध... ३७०२. दिन दिनइ दरसन ताहरउ... ३३९१. दिन चंचल को काबू... ५०१५. दिल भाया मैंडे सांई... ५२५१. दिल शुद्ध प्रणमुं नेमि... ७०७९. दिल्ली से उठी दादा... ७१३०. दिवाने गा-गा... . ६७४३. दीक्षा ले सुखी पाली जइ... ३२४८. दीजीयै वधाई श्री महाराज... ४२४२. दीठा गोयम गोचरी जी... ३९७०. दीठा भोयणी गाम मझारा... ६६७१. दीप पतंग तणी परइ सुपिया हो... ५५२१. दीपे वडली में... ६०२९. दुनिया चाहइ... ६०८९. दुनिया चाहइ दौ सुलतान... ६९७२. दुविधा करम भरम की दासी... ६०९९. दूरि थकि म्हे आविया हो लाल... ६६६३. दूर थकी मोरी वंदणा... ४४३७. दूर देश थी आविया... ७१३८. देखउ माई... ७१३६. देखउ माई आसा मेरइ मन की... ६६४५. देखउ सखि नेमि कत आवइ... ४३५२. देखऊ माई पूजा मेरे प्रभुजी.... ७०८३. देख बंगला... ६५९८. देखि देखि जीव नटावइ... ५५६८. देखो कलयुग... ५५३२. देखो देखो माई... ५५४५. देखो दरिशन... ४५०७. देखो मूरख प्राणिया... .. ५७५८. देखो मूरख प्राणियां... ५५६७. देखो री कर्म तणी गति... ३३६५. देख्यां मैं दरस... ४४१४. देख्यो दरसण... ४५२४. देख्यो दरसण विमलाचल तणो... ६१६५. देख्यो री माई शिखर गिरिंद का... ७०३९. देख्यो री मुख चन्दा... . ५२१७. दे कार करण धर्म राखै.... ३९०१. देदो जी दे दो... ३२३६. देरांणी जेठांणी दो ये बहु झगरी री... ६५३५. देरावर ऊंचउ गढ... ५९५१. देरावर थांरो... ६५३६. देरावर दादो दीपतौ रे... ५९७३. देरावर रो... ४२००. देव अनेक अछै संसारइ... ६६९२. देवकर पाटण दादउ पास... ६६९८. देव जुहारण देहरइ चाली... ६८०७. देव जुहारण देहरइ चाली... ३५४३. देस सकल सिर सोभतो... ४०९१. देव सकल सिर सेहरौ लाल... ४०९२. देव सकल सिर सेहरौ लाल... ५२६३. देवां ना पिण जेह छै देव... . ६१८७. देवा ओ गुरुदेवा... ३१३२. देवी चकेसरी संघ सकल आधार... ३८५३. दोइ पुरुष नइ रमणविचार... ६०५४. दोस्ती गुडी... ५९० तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२०८. दौलति दाता द्यौ सुखदाता... ४६४९. धण पुर गुब्बर गाम... ३१६३. धणिय एक चिंतामणि ध्यावो... ३१६५. धणिय एक चिंतामणि ध्यावो... ३१६६. धणीय चिंतामणि ध्यावो सुगुणनर... ६१७५. धन ते दिन मुझ ने कब हुवइ रे... . ६५५२. धन दिन जिनसागरसूरि निरखी नयणा... ४४१७. धन धन आर्द्रकुमार... ५५५९. धन-धन आर्द्रकुमार... ६८६९. धन धन क्षेत्र महाविदेह... ३२८७. धन धन जंबूद्वीप दक्षिण धरारे... ५११३. धन धन ढंढण मुनिवर... ६७५७. धन धन ते दिन मुझ कदि होस्यई... ४३९१. धन धन थुनौ पाटण... ५२१३. धन-धन दिन आज नौ लखै... ४०९७. धन धन पारकर देश.... ५७२१. धन धन मरुदेवा माइ... ५१४४. धन धन मुनिवर जे संजमवर्याजी... ४२६४. धन धन सती रे कलावती.... ५२७८. धन धन सहु तीरथ मांहि धुरै... ६८२४. धन्नउ शालिभद्र बेइं...' ३४११. धन रसना मेरी कोइली रे.. ५७८४. धन साधु जे इणि परि रहइ... ५७१५. धन साधु बाहुबली... ३२२१. धन सूरत नगर सुचंग... ४००५. धनुष पांच शत देह मनोहर... ६७६९. धन्य दिवस मंद आज जुहास्यउ... ६८५७. धन्य साधु संजम धरइ सूधउ... ३६१४. धर नवपद से रङ्ग मेरे मन... ५१०९. धरम उत्सवसमै जैनपद... ४१९२. धरम करौ भाषित जिनजी कौ... ५९०३. धरम खरो जिनवर तणो... ४९३४. धरम पारण जिणवर... ४६८४. धरम सहू मंगलीकमई... ३३८१. धर्म कुं अधिक..... ३९२८. धर्मजिनेसर जगधणी... ५६४४. धर्मनाथ जिन धर्म धुरन्धर... ५४८९. धर्म नो डंको.... ३८६१. धर्म मङ्गल महिमा... ६१७८. धवल धणि मोदक धणी... ६७७७. धारणी मनावइ रे मेघकुमार नई रे... ५८८१. धींगधवल गोडी धणीजी लो... ४८७३. धीज करे पावक नउ जानकी... ३७९०. धीरे धीरे गारे गुरु.... ७१०३. धुरादेस मरुधर सहर बीकांण... ६७५२. धोबीडा तूं धोजे रे मन केरा धोतिया... ३१६७. ध्याया ध्याया ध्याया वे... ५७४२. ध्यावो ध्यावो श्री जिन वर्द्धमान... ५७२२. ध्यावौ ध्यावौ... ७०८०. नईया मेरी दादा... ६०१८. नंदन अससेन रायनौ रे लाल... ३७५६. नंदन नाच राधा... ६१७२. नंदन वामाकउ देव... ४१०६. नंदीसर बावन्न जिनालय... ३२८१. न कर नाह परनार तणौ संग. ६७७९. नगर राजबह मांहि वसउजी.. ६६०८. नगरी अनोपम द्वारिका... . ६६२०. नगरी कंपिल्ला नउ धणीरे... ६६१६. नगरी द्वारिका निरखियइ... .. ६५२३. नगरी राजगृह मांहि वसे रे.... ५४०५. न छिटकाओ गुरु... ६६६५. नडुलाइ निरख्यउ जादवउ... ३२०१. नणद तुमारो नवल सनेही... ३७३८. नमइ जेहना पाय... ५३९४. नमइ पाय मुणिराय जसु हाथ जोड़ी... ३८८७. नमवि गुणरगण गणे भरिय जिणवर... ५४६३. नमवि सिरि रिसह जिण भाव हियई धरी... ५००२. नमस्कार अरिहंतने... ४००१. नमियइ नाभ मल्हार... ५४५०. नमिय जिन पयकमल विमल भावइ करी... ३८२६. नमिय जिनराय गुरुपाय प्रणमी करी... ५३८७. नमिय पयकमल सुप्रभाव... ६००७. नमिय सिरि पासजिणराय पयपंकज... ४२७२. नमिय सिरि पासजिण सुजण... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५९१ For Personal & Private Use Only Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९०९. नमिर सुर असुर नर .... ५३०५. नमूं नवमं बलदेव मुनिवर.... ५२४६. नमो नितमेव सजौ सुभ सेव... ७०४३. नमो सूरि जिनचन्द... ७०६१. नमो सूरि जिणचंद दादा सदा दीपतउ... ४६८६. नयन कुं देखो नाहि.... ४१९३. नयना सटक मानइ नांहि... ४६९६. नयन सलुणा हो साहिब नेमजी... ६४४७. नयरि उज्जयिनी मांहि वसई... ४७८८. नयर नींबाजइ दीपतउ रे.... ५४२६. नयन बावरे... ६३८८. नयर विनीता राजीयउजी... ६६२८. नयर सुदरसण राय हो जी... ६४९६. नयरि द्वारामती जाणियइ जी.... ६५१८. नयरी कंपिल्ला नउ धणी..... ४८१६. नर एको निकलंक वदन... ६८४८. नरमदा सुन्दरी सतिय शिरोमणि... ६८४६. नल दवदंती नीसरया.... ५९४०. नव खण्ड में जसु नाम पंडित... ४३८१. नवखंडा प्रभु मुझ वीनती.... ३५६८. नवखंडा प्रभु मुझ वीनती..... ६९१२. नवनिधि चवद रयण आवइ... ५६९९. नव निधि नीकइ .... ३४०४. नवपद ध्यान धरीजै.. ६१४६. नवपद ध्यान धरो रे... ६६९४. नवपल्लव प्रभु नयणे निरख्यउ... ४२४५. नवलउ नवलउ बेस... ३२२६. नवल लग्यो है अब जिनजी सै नेहरा ... ६६३१. नववाडि सेती सील पालउ... ५११९. नवानगरमे भेटीए जिनवर जयकारी... ६१५०. नहीं कोई तारणहारा प्रभु विन... ३९४१. नाकोड़ा पारस प्रभुधारी.... ६७६०. नाचति सुरियाभ सुर वीरकइ आगई... ६७६५. नाटक सुर विरचित सुरियाभ... ४०८१. नाथ सुपास तणउ गुण गाऊं... ४९९१. नाभिजी के नन्द से लगा मेरा नेहरा... ४९२७. नाभिराय जूको नंद मरुदेवा कुखिचंद... ५९२ ६५२०. नाभिराय मरुदेवी नन्दन... ५३१४. नाभिराया कुल चन्द.... ६४५७. नाभिरायां कुलचन्द आदि जिणंदू.... ५३१५. नाभिरायां कुलचंद मरुदेवी को रे नन्द.... ६४७८. नाम इलापुत्र जाणियइ... ४०७४. नाम जुगति जगि तुम्हारा... ६२३७. नाम तुम्हारो सांभली रे..... ४६४८. नामे नवनिधि होय ... ५८०६. नार एक अतिशय रूयड़ी.... ६६३२. नावा नीकी री चलइ नीर मझार... ३१९७. नाह मेरो अब निठुर भयो है... ४७०२. नाहलीया निसनेह कि पाछा... ३२३७. निंदलड़ी को संग नहीं कीजै..... ५६१२. निके आज सुधन दिन..... ४७०३. निगुण निरागी नाहलउ ... ७०३४. निजनंदन हुलरावे वामादेवी.... ३७४३. निज रूप करि जिमि मयन... ३८२३. नित उठ कुशल सूरिंद के... ३३२१. नित कुशल सूरिसर... ३८२०. नित चरणों... ७०९०. नित नमिये कुशल..... ५२५७. नित नमिये पारसनाथ जी .... ३२७५. नित नमियै भैरव मतवाला.... ६३२८. नित नमीये नाथ मोहनगारो.... ३७२२. नित नमूं महिमा गुणमणि... ३५६९. नित प्रणमुं वामानंदजी ... ३१६८ नित लीजै प्रभु नाम तुहारो... ६६३४. निन्दा न कीजइ जीव पराई... ६६३५. निन्दा म करजो कोई नी पारकी रे.... ५९१९. निरधारां आधार... ३२७१. निरुपम मिंदर भल निपजायो.... ५३३० निश दिन चित चावे.... ४८६७. निशि दिन हो प्रभु... ३१०९. नींदलडी लोचन परिहरो... ३४०९. नींदलडी वेरण हुय रही... ६८५८. नीकी प्रभु आंगी वणी जो.... ५७१२. नीके नाभिके नन्दन... For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०३०. नीको नीकउ री... ६०९०. नीको नीको री जिनशासनि ए... ६४४३. नीद्रड़ी निवारो रहो जागता... ४२७४. नीलकमलदल सांउली... .. ६६६७. नेमजी रे सामलियउ सोभागी... ६२४८. नेमजी हो अरज सुणो रे वाल्हा... ४८३६. नेम भणी चाली वांदिवा हो लाल... ४७०४. नेमि कांइ फिर चाल्यो हो... ४७१८. नेमि काहे कुं दुःख दीनउ हो... ४१९४. नेमि कुमर उग्रसेन रे... ६२४७. नेमिकुमर वर वींद विराजै... ५६७४. नेमिकुमर हलधर मिस आए... ५०११. नेमिकुमार खेरे होली रे... ३९४५. नेमि जिणंद दयाल रे... ३९४६. नेमि जिणंदा पुनिम चंदा... ३९४९.. नेमि जिणेसर जग परमेसर... ६६४६. नेमिजी मन जाणइ के सरजणहारा... ६६४९. नेमिजी सुं जउरे साची प्रीतडी... ६६४७. नेमि नेमि नेमि नेमि जपत राजुल... ६६४८. नेमि परणेवा चालिया... ६०७१. नेमि वंदन राजउ चली... ३९४४. नेमिसर जिन जगधणी... ३७२४. नेमीसर पिउरा मानीयइ जु...' ३१९८. नेहरो लगायो सहीयां... ५२५८. नैणा धन लेखु देखु मुख... ६५५३. न्याति चउरासी निरखता रे... ६८८९. पंखि एक वनि ऊपनउ... ५१९५. पंच परमेष्ठि मन सुद्ध... ४७२४. पंच प्रमाद निवारउ प्राणी... ४०१६. पंचम गणधर भाखिया... ४८१८. पंचम प्रवीण वार... ५४६७. पंच महाव्रत आदरइ... ६६०६. पंचमि तप तुम करो रे प्राणी... ४३०४. पंचरंग कांचुरी रे बदरंग तीजइ... ५८०७. पंडित कहो न एक हियाली... ५७९२. पंडित ज्ञान विचार... ७१११, पंडित प्रवीण ज्ञान गहरो समुद्र जेसो... ६५७५. पंथियरा कहिजो एक संदेश... ६२३४. पंथीडा अंदेसौ मिटसै... ६५३३. पंथीनइ पूछू वातड़ी रे.... ४७०५. पंथीयडा कहे रे संदेसडो... . ४१६६. पइहिलो श्री रिसहेसर पणमु... ४२९०. पगि पगि आव्या समरता... ६५९०. पड़िवा जिम मुनि बड़उ साहेलड़ी ए... ४७२८. पड़िवा दुरगति वाटड़ी रे... ४७२६. पड़िवा पहिलै पक्खडै... ४५६७. पटोधर गुरु... ४६४६. पढमक्खर विण सखर... ५४८०. पणमउ री साहब सरब संत... ४१५३. पणमवि पण परमिट्टिपाय पउमावई देवी... ३८९०. पणमिय जिणवर पाय पौम... ५३१७. पणमिय जिनवर पय सिर नामी... ५३८९. पणमिय पण परमिट्ठि... ६७८३. पणमिय पास जिणंद...... ३६४३. पणमिय पासजिणंद चंद... ' ४४५१. पणमिय वीर जिणेसर पाय... ६००४. पद पंकज रे प्रणमी वीर जिणंद रा... ३४१०. पद पंकज सेवइ अहनिसइ... ४३८३. पदम प्रभु जिन ताहरो... ५९३१. पदमहेम गुरु प्रवर सदा सेवक सुख आपै... ७०१०. पदमहेम वाचक वंदइ... ४०५६. पद्मप्रभु जिनवर जगि राया... ५६९१. पद्मप्रभुजी गुण गांवौ... ६६९३. पद्मावती सिर ऊपरि... ६९२८. पय प्रणमी रे जिणवरना शुभ भाव लइ... ४४६१. पर उपगारी जिनवर देव... ३९१५. पर उपकारी दादा... ६२६७. पर उपगारी परम गुरु... . ३८६६. पर उपगारी साधु सुगुरु इम... ५६८५. पर उपगारी हो... ६४२९. परचा जग सगले... ६७२९. परचा पुरइ पृथ्वी तणा... ५०२९. परणामी परणांम तै.... | ४२४३. परतखि पास अमीझरइ... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५९३ For Personal & Private Use Only Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२४४. परतखि पास अमीझरइ... ६३७९. परता पूरण प्रणमियइ... ६९३४. परतिख परचा पूरवे... ६७०७. परतिख पारसनाथ तू गउडी... ३६८१. परतिख पास जुहारीयइ... ६६६४. परतिख प्रभु मोरी वंदना... ४३१०. परदेसी मीत न करीयइ री... ३७७०. परभातइ ऊठी करी रे... ५१०८. परम अध्यातम जे लखे... ४०२८. परम आणंद प्रभु... ४३१७. परम आणंद माकंद तरु फलियओ... ५७३५. परम आनन्दकारी... ४५९२. परम गुरु सेवा पाई... ४९२९. परम ज्योति परमातमा ४७८९. परम तीरथ पंचासरउ... ३२८५. परमदेव परमात्मा.... ३१०७. परम निरंजन पर उपगारी... ४८९६. परम परवीत अणजीत निर्मल... ४७४३. परम पुरुष प्रभु पूजीयइ रे लो... ५०१६. परम पुरुष सुं प्रीतड़ी..... ३४८०. परम प्रमोद करि सारदा कुं... ६७७०. परमरमणीयगुणरयणगणसायरं... ५६१८. परम संवेगी परगडौ... ४४५७. परम संवेगी परगडो रे... ४७४४. परम सनेही पास... ३५२१. परमातम पद भजरे मेरे जीउरा... ५७१४. परमेसर जगी परगड़उ... ३६६६. परव दिशि सुप्रमाणं... ३९५३. पर्व पजुषण आविया रे... ३९५२. पर्व पजुषण आव्या... ३९५५. पर्व पजुषण पुण्ये पामिया रे... ६३७५. पहि उठी प्रणमुं दशे... ३६९०. पहिलउ मंगल मनि धरौ रे... ५८१७. पहिरी पोसाखां सखियां पांगुरी रे... ४२२९. पहिरै पाटू लूगड़ा... ४६५५. पहिलउ प्रणमुं आदि जिणंद... ६९३३. पहिलं प्रणमुं आदि... ४६५६. पहिलो आदि जिणंद... ४६६५. पहिलो आदि जिणंद... ३४९१. पहिलो प्रणमुं प्रथम जिण... ५९००. पहिलो मंगल जाणीयइजी... ५२६२. पहिलो वधावै जिनवर देव जु... ४६९७. पाइ परुं वीनती करुं... ५५२७. पाउं पाउं हो... ४५०८. पाऊं पाऊ हो तो मुगति पुरी... : ६८४७. पांच भरतारी नारी द्रूपदी रे...' ३७२८. पांचे इन्द्रिय वसे करउ जी... ४११५. पाटण नगरी प्रधान... . . ४७९०. पाटण पास पंचासरउ.... ६७१४. पाटण मंइ परसिद्ध घणी... ६७१५. पाटण मांहि नारङ्गपुरउ री..... ६५३४. पाणी पाणी रे... ६५२८. पाणी पाणी नदी रे नदी... ६४३८. पाप अठारह जीव परिहरउ... ६९७३. पामीजै परमत्थ अत्थ पिण... ५९२९. पाय प्रणमुरे महावीर सासन धणी... . ६५०७. पाय प्रणमूं रे पदपंकज प्रभु पासना... ३२८३. पाया पाया पाया बे सुगुण भवि... ५४२७. पाया पाया हो... ४६८७. पारंभ करी परमेसरी... ५०६३. पार उतार पार... ६६८१. पारकी होड तंम कर रे प्राणिया... ६७१६. पारसनाथ कृपा पर... ३४८१. पारसनाथ प्रगट परमेसर... ३५७०. पारसप्रभुजी का दरसण करिलै... ३५७१. पारस प्रभु साहिब मेरे... ३११२. पार्श्व जिणंद जुहारीयै... ५७०३. पार्श्वनाथ जसु नामइ... ६७००. पार्श्वनाथ परतिख अंतरीख... ३११३. पार्श्वनाथ पियारे हो... ५६९६. पार्श्वनाथ प्रभु... ३७३२. पालीपुरी प्रभु पासजी... ४७१९. पावस विरहिणी न सुहाइ... ५९०५. पावसि नाथन ज्युं गुरु गाजइ बे... ५९४ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५०७. पावा परमपुरी तुम्ह पय परस्यां... ४११८. पावापुरी महावीर... ४११७. पावापुरी महावीर जिणेसर... ४४३८. पास गौड़ी धणी... ५५८९. पास गौडी धणी.... ५८५४. पास जिणंद जुहारिया... ५८९९. पास जिणंद जुहारिय... ४५५९. पास जिणंद मन मोह्यो... ६३२९. पास जिणंदा प्रभु कि बलिहारी रे... ६३३८. पास जिणिंदा प्रभु की बलिहारी रे... ६३३०. पास जिणंदा प्रभु मेरे मन वसिया... ६४३४. पास जिणेसर जग तिलो... ४७४५. पास जिणेसर तुं परमेसर... ५८२१. पास जिणेसर तूं जयउ रे लाल... ४०३५. पास जिणेसर पूजियइ... ४२०१. पास जिणेसर पूजीयइ... ७०७२. पास जिणेसर पूजीयइ... ७०६८. पास जिणेसर पूजिये... ६३३९. पास जिणेसर वंदियै... ४७४६. पास जिणेसर वीनती रे... ५३१८. पास जिणेसर साथी... ५३२०. पास जिणेसर साथी... ३७३७. पास जिणेसर सेवीयइ... ५६९४. पास जिणेसर सेवियइ... ४५०२. पास जिन आस पूरउ.... ३९६१. पास जिनराया वामा जाया... ३८३९. पासजिन सुजिन मन वचन कायाकरी... ४४५०. पास जिनेश्वर तूं जयो... ४३४६. पासजी की मूरति मो मन भाई... ५८७२. पास जी मन मान्यो हमारे.. ४२०४. पास सुणो मोरी वीनती... . ३९५१. पास सोभागी हो जिनजी... ४८९१. पिउडा आवउ हो मन्दिर आपणे... ६८७७. पिउडा मानउ बोल हमारउरे... ४२६८. पिउ कइ गवणि खरी अकुलाणी... ५६७१. पियउ पियउ इण प्रीतम... ५००६. पिय बिन में बेहाल करी री... ४७२०. पियाजी आय मिलउ एक बेर... ४९७६. पिया बिन एक निमेष रहूं नी... ४९१०. पिया विंशतिनाथ मंगल आरति. ४७८१. पिया सुंदर मूर्ति गुण सरी... ४७२२. पीउ चाल्यो हे पदमणी... ४८४४. पीउ चाल्यो हे पदमणी... ४१८४. पीउ जब छोरि चलै परदेसै... ६६२७. पुंड्रवर्द्धन पुर राजियउ म्हांकी... ४९२३. पुण्डरीक गणधार... ६८८६. पुण्य न मूंकइ विनय न चूकइ... ५२१८. पुण्य परकास परभात प्रगट्यौ प्रगट ५८३७. पुण्य योग से आई... ६५५४. पुण्य संजोगइ अम्हें सद्गुरु पाया... ६५१७. पुत्री सेठ धन्ना तणी... ६९९४. पुरषादेय उदय करु... ६३९७. पुरसादेय प्रधान ध्यान तुमारहो... ५७८५. पुरसादाणी पास जिण... ४२८५. पुरसादाणी पास जिण... ५९८४. पुसरादांणी हो पास जी... ३५५३. पुरिसादाणीय पासनाह... ४४९४. पुरिसादाणी हो.... ४४९५. पुरिसादाणी हो पास जुहारियइ... ६७१०. पुरिसादानी परगड़उ... ६७१३. पुरिसादानी पास... ६५२४. पूर्वी पंडित कहउ का हकीकत... ३९१६. पूछे सोमचन्द.... ५४८७. पूजउ माइ संभवनाथ... ५६१९. पूजजी पधारया रे... ३३१८. पूजजी पधारया मारु देश में... ३३९६. पूज पूज जिन... ४०००. पूजवा कारण आव्या... ३६३२. पूजवा चाली रे सुगुरुने... ६१४०. पूजि मन कुशल सूरिंदा... ६१२७. पूजो नित चित.... ६१४३. पूजो नित चित लाय मनां रे... ४३८५. पूजो पास जिणेसर प्यारो... ५२७९. पूजो पास जी परता पूरै... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५९५ For Personal & Private Use Only Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१९७. पूजो पूजो जिनदत्त..... ४५७२. पूजो भजोरे भई... ३७९५. पूजो रे पूजो रे पूजो दादै सम... ५५२४. पूजौ रङ्ग रलि हो.... ६०९१. पूज्य अवाज सांभलउ सहिए... ६७८७. पूज्य जी तुम चरणें मेरउ मन लीणउ .... ३६९९. पूनमि पूनमि गुरुजीनी पूजा..... ७०५७. पूरउ पण्डित पूछीयउ रे... ४८५७. पूरउ म्हारा मनडा नी आस रे..... ५१९७. पूर मनोरथ पास जिनेसर .... ३६०८. पूरव देसैं दीपतौ .... ६८६५. पूरव महाविदेह रे .... ४८८२. पूर्व विदेह पुखलावती... ४३२१. पोतइ जइ प्रित बूझवउ ... ४७७३. पो दसमी दिन जाया जगगुरु.... ४७३७. पोतनपुर रलियामणुं रे लाल... ३७०० प्रकट उपम धरि आन जान... ३८६९. प्रकटिउं पुण्यप्रभाव... ६८१०. प्रणमिय सारद माय समरिये सद्गुरु.... ५१०७. प्रणमियै विश्वहित जैनवाणी.... ६४९५. प्रणमी वीर जिणेसर देव... ५६२८. प्रणमी वीर जिणेसर पाय... ५८६९. प्रणमुं ऋषभ जिणेसर... ५८७०. प्रणमुं ऋषभ जिणेसर... ३०८७. प्रणमुं पंच परमेसरू... ५१७७. प्रणमुं प्रथम जिणेसर ..... ५६०२. प्रणमुं प्रभु वाणी... ५९०८. प्रणमुं भावई श्री आरिहंत... ४६०८. प्रणमुं सरसति सुमति दातारो ३८२४. प्रणमूं कुशल सूरिंदा .... ६६०७. प्रणमूं श्रीगुरुपाय... ६५४२. प्रतिमा पूजा भगवंति भाखी रे... ७०९१. प्रत्यक्ष दर्शन दीजे... ६६२५. प्रथम गोपाल तणइ भवइजी... ४६२८. प्रथम जिणेसर आदिनाथ... ४६५७. प्रथम जिणेसर रिषभनाथ.... ४६३६. प्रथमं जिणेसर प्रणमीये रे... ५९६ ३०९९. प्रथम जो देरावरे सुथान.... ४८४७. प्रथम तपइ परभात.... ६४६५. प्रथम तीर्थंकर प्रणमियै हुं वारि... ३१०३. प्रथम नमूं पंच इष्ट ने..... ४८८९. प्रथम प्रणमुं मात सरसत... ४८२२. प्रथम मंगल मन ध्याईये.... ३५५२. प्रथम महेसर पदमनाथ... ६०७५. प्रथम सीमंधर जिन सुप्रशंस... ४९४८. प्रथमहि समरुं सरसती... ५६७८. प्रभु अब मोहे महर करी.... ५०१७. प्रभु अरदास सुणी जे... ४०६९. प्रभु अवतारी ... ३१६९. प्रभु चिंतामणि जस जग जयो... ५५२५. प्रभुजी की मूरति मोहनगारी ... ५६२७. प्रभु जाणी रे सुर राणी प्रणमी करी... ७०४०. प्रभु जी जो तुम तारक नाम धरायो... ६१५९. प्रभु जी तुम चरणां सुं नेहडो..... ६१६०. प्रभु जी मोरा रे तूं दीन दयाल.... ५४४९. प्रभु तूं सांचो पारसनाथ कहावै... ४०६२. प्रभु तेरी मूरति मोहनगारी ... ६८६०. प्रभु तेरो रूप वण्यौ अति नीको... ६८३८. प्रभु नरक पडतंउ राखियई... ५१४६. प्रभु नाथ तुं तियलोकनो... ४८१०. प्रभु पद पंकज पाय के... ६३७१. प्रभु प्रणमुं रे परमेसर त्रिभुवनतिलो.... ३४८९. प्रभु प्रणमुं रे पास जिणेसर थंभणो... ६३७०. प्रभु प्रणमुं रे प्रहसमे प्रथम जिणेसर... ३७३०. प्रभु पासकुमर खेलइ वसंत .... ५५९०. प्रभु पास जिणेसर ..... ४४३९. प्रभु पास जिणेसर जगी राजइ .... ३३१०. प्रभु पासजी ताहरो .... ३६८३. प्रभु पास सहस्रफण प्रगट.... ३७५५. प्रभु सहस्रफण प्रगट... ६७१८. प्रभु फलवर्द्धि पास परभाति पूजउ ... ३५१६. प्रभु मया करि निरंजण दीदार ... ५५४८. प्रभु मूरति सुन्दर .... ४४२७. प्रभु मूरति सूरति अजब विराजे... For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट www.jalnelibrary.org Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५७३. प्रभु मूरति सोहइ अतिभली.... ४१९९. प्रभु मेरे कुण गति होइगी मेरी..... ५७३१. प्रभु वंदण... ४४७७. प्रभु वंदन राजिमती रे हाँ.... ६४९७. प्रभु समरथ साहिब देवा रे... ३६१९. प्रभु सुविधि जिणंद सुखकारी.... ५७०४. प्रवर श्री जिनधर्म... ६७४१. प्रसन्नचंद प्रणमुं तुम्हारा... ६१६६. प्रह उठी सद्गुरु अमे पर स्युं.... ६५०४. प्रह ऊठी गौतम प्रणमीजइ... ६८७३. प्रह ऊठी नइ प्रणमुं पाय.... ६२९८. प्रह ऊठी नित प्रणमियइ हो... ६५७६. प्रह ऊठी प्रणमुं सदा रे... ५१९१. प्रह सम आलस तजि परौ... ३८२७. प्रह समइ थंभण भेटीयई... ४०५८. ग्रह समइ पास जिणंदनी रे... ५५९४. प्रहसम गौतम ... ६९०२. प्रह सम पूजो... ३५४५. . प्रह सम प्रणमौ नेमिनाथ... ३७४१. प्रहसमि समरउ श्री महावीर.... ४०३३. प्रह समे पास जिण पाय पंकज समी... ५६३०. प्रह समें प्रणमुं... ४०१७. प्रह समै पास जिण पाय पंकज नमि... ४०४१. प्रहसमै प्रणमी करी.... ४८१४. प्राण पिया के चरण सरण गहि... ६११८. प्राणी प्रणमउ सती ... ४७४७. प्राण सनेही प्रीतमा... ३५१७. प्रात: उठ समरियै श्री ऋषभदेव देवा..... ३५२८. प्रत्तः ऊठी समरीयै.... ६७३९. प्रात: भयउ प्रातः भयउ ... ६४८५. प्रात समइ उठि प्रणमियइ... ५५९३: प्रातः समय गौतम समरीयइ... ४६५१. प्रात समै उठि प्रणमीयै.... ६८७८. प्रियडुउ आव्यउ रे आसा फली ... ५७३३. प्रिय मो ते कहे ... ५६६४. प्रिय प्रीत कि रीति न जाणी हो.... ६७९७. प्रियु मोरा तई आदरयउ वइराग..... खरतरगच्छ साहित्य कोश ६८७९. प्रीतड़ियां न कीजइ हो नारि... ६८८०. प्रीतड़ी न कीजइ हे नारि ..... ५७२९. प्रीतम एक मिलिया री.... ४१८५. प्रीतम तणौ मुझ ऊपरै. ५७३४. प्रीतम मोहि... ४४७८. प्रीति की रीति न जाणि हो... ६१५४. प्रीति के फंद परो मत कोई ... ४४८५. प्रीयु पति कहे राज लगार.... ५२०९. प्रेम मन धारि नित पहुर.... ५७१३. फलवद्धि पास तुं चिर जयो... ६७१९. फलवर्द्धि मण्डन पास... ३१९४. फागुण फाग सुहाए सखी मेरी... ५७६१. फुलउ वाग सुहामणौ ... ५४७७. बइठौ हिवडै आविनै हे.... ४२८८. बउरे मास बरस हुं बउरे... ३५९१. बंदु जगदाधार सार... ५४२१. बडभागी वे... ३७०३. बडवखती साहिब... ५६४३. बतावइ हो कोई .... ६९१८. बनी हे सद्गुरु की ठकुराई... ५७३६. बलदेव मन वैरागियो... ... ६५७८. बलिहारी गुरु वदनचन्द बलिहारी. ६०८३. बलिहारी जाऊं साधनी... ६२३१. बलिहारी तोरे नाम... ६३१९. बलिहारी हूं कुशल.... ६५५५. बहिनी बावउ मिलि वेलड़ी जी... ४३३३. बहिनी एक वयण अवधारउ... ६८४४. बांधव मूक्या बहिरखा रे... ४२६५. बांहे पहिर्या बहरखां... ५२२३. बाकुं दूजै पछिं दूज वंदत है कोउ ... ६०८७. बाट जोवंती निशदिन... ६२५७. बात किसी तुझ नइ कहूं... ३१७०. बाबो चिंतामणि पास विराजे... ६२११. बार बार अभिनन्दन... ६६२२. बारे भेद तप तपइ गति पामइ... ५१२५. बारै वरस तप साधन कीनो... ४२७३. बालेसर मुझ वीनती गउडेचा राय .... For Personal & Private Use Only ... ५९७ Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२२४. बावन वीर किये अपने... ६२९५. बाहुबली चारित लीयउ रे... ६२९६. बिनवै सुनंदा लांडिली संगीता... ५२६७. बीकपुर तखत महाराज मोरै वखत... ३९६७. बीज आराधो भविजना... ४८२३. बीजउ मंगल मनि धरउ... ५९०१. बीजउ मंगल मनि ध्याइयइजी... ७१०२. बीया आवइ गुरु मनतु भावइ... ३३८२. बुद्धिमती तूं... ५७५५. बूझो रे तू प्राणी... ६४५५. बूझी रे तू बूझि प्राणी... ६८१४. बूढा ते पिण कहियइ बाल... ६४६९. बेकर जोडि वीनवु रे... ६७३३. बेकर जोडी वीनवु रे... ४७४८. बेकर जोड़ि साहिबा अरज... ६४३६. बेडूली मेरी री तरइ नीर विचार... ६५७७. बे मेव रे काहे री सेव रे... ६४८४. बैठि तखत्त हुकम करइ... ५४४५. बोधा लोक न समझत ग्यानं... ६२८२. भक्तों के तारणहार... ४७४९. भगवंत भजउ सगला भ्रम भाजइ... ६६८४. भड़कुल भेटियउ हो... ६२८१. भज भज भज मन जिनवर देवा... ३२७७. भजय न क्यों भगवान्... ३२७०. भज रे जीव निरंजन भोला... ६१६९. भजि भजि भजि भगवंत... ४६७६. भजि भजि रे मन तूं दीनदयाल... ३४८२. भट्टारक जिनभद्र खरउ.... ६७४८. भट्टारक तीन हुए बडभागी... ६५४४. भट्टारक तुझ भाग नमो... ६५४५. भट्टारक तेरी बड़ी ठकुराई... ६६७४. भणउ रे चेला भाई भणउ रे भणउ... ४७५०. भय भंजण श्री भगवंत जी... ३६८४. भया दउडीय गउडीय पास... ४९७७. भये क्यों आप सयान अयान... ४९४१. भर यौवरभरि नेमि... ४२५८. भ्रम भूलउ ता बहुतेरउ रे... ३२९३. भल आई होरी भल आई होरी... ३२९४. भल आई होरी रस रंग भरी री.... ६६८०. भलइ आये पर्युषण पर्व री... ४०७०. भलइ नगर श्री भेहरइ... ३७३४. भलइ पास फलवधि सकल... ६६८५. भलइ भेट्यो रे पास जिणेसर थंभणउरे... ६३९०. भलइ री भलइ आज पूज्य पधारइ... . . ६४००. भलइ री भलइ आज पूज्य पधारइ..... ५५४९. भलई भाव भगति... ६६८२. भले भेट्यउ पास अमीझरउ... ५७३७. भले रावण निरति वणावइ हे... ६७८६. भले री माई श्रीजिनचन्द्रसूरि आए... ४८९२. भलै ऊगउ दिवस प्रमाण... ४४९१. भलै रावण नित्य वणावै... । ३१७१. भलो देव मन भायों चिंतामणि... ६२४१. भलौ वण्यो मुखड़ा नो मटको... ५४०२. भव की मंजिल... ६७४९. भवदत्त भाई घरि आवियउ रे... ५४२८. भव भय त्राणं... ६२०६. भव भय भंजन... ५४०६. भव भव की तू प्यास... ४१८९. भवसागर तरिवा तणी... ६१८८. भवसागर है... ४२१८. भविकजन ते धन जे जिन पूजा... ४८११. भविक मन कमल विबोध दिणंदा... ४१०४. भविका श्री जिनबिंब जुहारो... ५८२९. भविजन पूजो बड़े... ४१२१. भविजन वंदो श्री जिनवर पाया... ३६०२. भवि तुम्हे वंदो रे शीतल जिनपति रे... ४३६३. भवियण उपगारह भणी... ४२८३. भविय जण नयण वणखंड पडिबोहगं... ४२१९. भवियण तुम धर्म समाचरउ... ३९८५. भवियण ध्यावो रे... ५२७०. भवियण भाव धरि ने भेटौ... ६३२५. भवियण सुणिये रे नंदीसूत्रजी... ६३२६. भवि वंदौरी शिवानंद जिणेसर... ३९२९. भवीयां भावधरिने भेटो भगवानने... ५९८ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१२०. भांगडली आज भली आई... ३२७३. भंगडली आज भली आई... ३२६५. भाद्रव इम मन भावै... ३२५३. भाद्रवडौ मन भावै... ३२५४. भाद्रवडौ मन भावै... ६७२१. भाभउ पारसनाथ मंइ मेट्यउ. ६७२२. भाभा पारसनाथ भलुं... ६४१४. भाया भक्ति से पूर... ६४६१. भरत नइ द्यइ ओलम्भडा रे... ५३१२. भारती भगवती रे.... ६६१५. भारवाहक नइ कया भला... ४७५१. भावइ पूजउ जी दोहिलउ नरभव... ५७५९. भावइ हो भरतेश्वर भावना... ३४७०. भाव धरी ऊमया नमुं... ४३३६. भाव धरि धन्य दिन आज... ५७१८. भावन भरत नरेसर भावती... ६७५०. भावना भावजो रे भवियां... ६७४४. भावना मन बार भाउ... ६४५६. भावना मनि सुद्ध भावउ... ६४२३. भाव भगत धरी... ५४८५. भाव भगति करी भेटियइ रे लाल... ४३३४. भाव भगति धरि आवउ सहिअरि... ४३४३. भाव भगति धरि आवउ सहियरि... ६७४७. भाव भगति मन आणी घणी... ५७०२. भाव भलइ प्रभु भेटियइ... ४४४०. भाव भले प्रभु भेटिया... . ५२९५. भाव भले भगवंत री... ५८३२. भावे भेट्या गुरुदेव... ५७१६. भावै भावै भरतेसर भावना... ३८०५. भीगे हैं नयन... ६६८८. भीड़भंजन तुम पर वारि हो जिणंदा... ६६८३. भीड़भंजन तुम पर वारी हो... ६६८९. भीड़भंजन तू श्री अरिहंत... ६६९०. भीड़भंजन दुखगंजण रे... ५२६८. भुज्यत इष्टजनैः सह... . ४९९८. भुवन प्रदीपक वीर नमि... ६१५५. भेट्यो री जिनचंदा... ५६३४. भेट्यो री दादाजी... ३२७६. भैरव भूपाल रमै होरी... ४०६६. भोंडुआ गामइ भेटिया... ६५८८. भोर भयउ भविक जीव... ४९७८. भोर भयो अब जाग प्राणी... ३२३०. भोर भयो सुणि प्राणी हो... ३२४९. भोरी में सहियर बहुत भई... ४३३०. मइ दस मासि उयरि धर यउ... ३७३३. मइ परमादि साहिब कइसइ... ७०५४. मंगलकारणि सहं हथइ... ३३४४. मंगल दीपक मुरु... ४९९६. मंदमतिए दुसम काल नै... ४२३०. मंदिर एक सुहामणौ... ४३०८. मंदोवरि बार बार इम भासै.... ४३२७. मंदोदरि बार बार हम भाखइ... ६८१२. म करि रे जीउडा मूढ... ६०६५. मक्षी पार्श्वजुहारिये... ३२९९. मणिधारी जिनचन्द्र.... ६२०७. मणिधारी जिनचन्द्र.... ६४१३. मणिधारी दादा संघ... ४१३०. मणि मस्तक पर... ५५७९. मत को विरथा गर्व वहई... ३७७८. मदनइ को को न दम्यउ... ५३०४. मदन तणा इल कुणमलइ... ३५७३. मधुवन में जाय मचीरे होरी.. ४७५२. मन उमाह्य माहरु रे कांइ... ४५०५. मनडा तूं होई साहेब सूं राजी... ४९७९. मनडानी अमे कैने कहिये बातो... ६४५३. मनडुं अष्टापद मोह्यं माहरुं रे... ६५५६. मनडु मोहयुं रे माहरूं... ४६४५. मनडो उमाह्यउ... ४८४६. मनडौ आज उमाहियौ... ४६८५. मनडौ उमाहउ सदा माहरउ... ४९१९. मन धरि सरस्वती स्वामिणी... ३४२१. मन धरीय सासण माइ... ४६९१. मन भोला नारी न रचिये रे... . ६९८४. मन महल हमारै... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५९९ For Personal & Private Use Only Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६०१. मन मां हुं हुंती घणी रे लाल... ५८६४. मनमोहनगारो सांम सही.... ३५२२. मनमोहन जग जीवननाथ... ४५६०. मनमोहन पास सुहामणा... ३५७४. मनमोहन प्रभु पास जिणेसर ... ३५७५. मनमोहन महाराज ... ५९४३. मनमोहन महिमा महिला निलउ ... ४२६३. मनमोहन महिमा निलउ रे.... ५७२३. मनमोहन महिमानिलौ... ४८०० मनमोहन मूरति जोवतां... ४११९. मनमोहन स्वामी नमूं ... ४३४७. मन मोह्यउ हे सखि गरुयइ... ४७८५. मन मोह्यं रे श्री. चिन्तामणि पास... ६३४०. मन मोह्यौ स्याम जिन मूर..... ४७५३. मनरा मानीता साहिब पास जिणंदा... ४८५८. मन रामानीता साहिब वंछित पूरउ... ४७५४. मन रा मान्या साहिब मोरा.... ४३२४. मन रे तूं छोरि मायाजाल... ४६७७. मन रे प्रीति जिणंदसुं कीज .... ५६६५. मन लीनउ हो.... ४६५०. मन वंछित कमला आइ मिलइ .... ४१३१. मन वंछित काज... ५०९४. मन वंछित पूरण.... ५६३७. मन वंछित सुख पूर.... ३१७२. मनवा कर कर मौज सुं रे..... ६९८५. मनसा मोही कै मनमानी. ४१७३. मन हरखित... ६७५४. मना तने कई रीते समझावुं... ५४५२. मनि सुविवेकी चिंतवइ... ३२५१. मनुऔ मेरी बावरो रे... ६७५८. मरण तणउ भय म करि मूरख नर.... ६७५९. मरुदेवी माता जी इम भणइ... ५६१३. मरुधर देसे मण्डणो बीकानेर.... ५२४३. मरुधरै देस महाराज मोटों... ४८२६. मल्लि जिणेसर वाल्हा तुं उपगारी ... ७१३५. मसूर पठाण... ४२४०. महतित्थ सत्रुंजय.... ६०० ४४३४. महर करौ गौडीचा धणी.... ५६१४. महल दिउ गिरुवा गुरु महिर ..... ४२३१. महल बड़ौ सिगलां मन मोहै..... ७००९. महाज्ञानी ध्यानी... ७१३९. महा मुनीसर.... ५२७५. महा मौड मुरधर तणा... ६७६३. महावीर मेरउ ठाकुर..... ३२९०. महाराज मेरे संग भए है... ३४६४. महा हरस... ७१३१. महिमा तेरी सब से... ५१७५. महिमा तो थांरी.... ६०११. महिमा तो थांरी... ४००९. महिमा निधि... ५२८७. महिमा मोटी त्रिभुवन मांहे... ५२८०. महिमा मोटी महीयलै... ५२५९. महिमा मोटी महीयलै हो... ४०१०. महियल जिन तीरथ बड़ौ ... ५४५१. महिर करो महिर... ५०४९. महिर करो मुझ ऊपरै.... ५८५०. महिर करो मुझ ऊपरै ... ३१७३. महिर करौ महाराज चिंतामणि... ३२०९. महिरवान महाराज... ४०५३. महिरवान महि मुकुटमणि... ३१२६. मां अंबाई तो दरसण थी.... ५७७८. माई एं संसार... ५७८७. माई धन धन .... ४९८०. माई मत खेले तूं माया रंग... ५५७७. माई मति करो क्रोध... ६२५१. माई मेरे सांवरी सूरत सूं प्यार..... ७०३५. माई मेरो मन तेरो नन्द हो... ४१५२. माई रंग भर खेलेगें धमाल... ६२८९. माई श्रीजिन... ५१५३. माता सरसति मिहर कर... ३९२०. मानवभव पामी करीजी..... ५४०७. मानो तो ये जगतारक... ६७७४. माया कारमी रे माया न करो... ४८३२. माया धूतारी मोह्यो मानवी रे.... For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९७६. माया विषवेली विषवेली... ६५७९. मारग जोवंता गुरुजी तुम्हें भलइ आए रे... ५१२६. मारग देशक मोक्षनो रे... ६७४०. मारग मई मुझनइ मिल्यउ... ५९७९. मांरा सम मति जायो रे बाला... ५०७५. मारा मनमा... ३०८८. मारी वीनतड़ी अवधारो साहिब... ५५०१. मालपुरे की... ६६६१. मास वसंत फाग खेलत प्रभु... ४३८२. मांहरै भलै रै ऊगो दिन... ६११४. माहरइ आज वधामणा रे लाल... ६१०४. माहरइ दादउ... ४७५५. माहरा मन नी वातड़ी जी... ४७५६. माहरी करणी सुगति हरणी... ४८३१. माहल्लां मालियां जोति मैं जालीयां... ६९८१. मिथ्यामति हिम राति गइ हो... ३१९२. मिंदर में खूब मची होरी... ४०७१. मिली आवौ हे सखि... ५८७९. मिश्री घृत और... ५५३८. मीत किसी के नांहि... ५७९९. मुखड़ा नइ मटकई... ४७५७. मुखडं दीठे हो ताहरु पास जी... ५०३५. मुख निरख्यो श्री जिन तेरो... ६८३०. मुख नीको शीतलनाथ को... ३१७४. मुख पेखी महाराज कौ रे... ६६१७. मुगध जन वचन सुणि राय चित... ६६५०. मुगति धूतारी म्हारउ..... ६५०६. मुगति समौ जाणी करी जी रे... ६८८१. मुझ दन्त जिसा मचकुन्द कली... ६५१६. मुझनइ चार शरणा हो जो... ४२२०. मुझनै परचौ ताहरौ रे लो... ३७९४. मुझ पूर मनोरथ आज... ६४६३. मुझ मन उलट अति घणउ मन... ६५८०. मुझ मन मोह्यो रे गुरुजी... ३४७८. मुझ मन वंछित... ६१०३. मुझ मनि अलजउ अति घणउ रे... ४९०३. मुझ सकल... ६८८२. मुनड़उ ते मोहयउ मुनिवर माहरुं रे... ६८५१. मुनिवर आव्या विहरता जी...' ४३५०. मुनिवर विहरण पांगुऱ्याजी... ३६८०. मुनिवर सुणि हो सीख सुहामणी... ५५२८. मुरख म कर... . ३४१८. मुरपन मण्डन... ७११६. मुल्क में मशहूर... ५५४२. मूरख क्या प्रतिबोध... ५७२५. मूरख जनम वृथा मगावइ रे... ६७७२. मूरख नर काहे कुं करत गुमान... ५६८६. मूरख प्राणिया... ५६९७. मूरति अजब बणी... ४७८६. मूरति तेरी मोहनगारी... ६९०१. मूरति पास जिनेसर तणी... ४७९७. मूरति प्रभुनी मोहई... ५१९०. मूरति मन नी मोहनी... ४९९२. मूरति माधुर ऋषभ जिणंद... ४७४०. मूरति मोहणगारी दिट्ठडां आवै दाय... ४१४०. मूरति मोहनगारी... ६४७२. मूरति मोहन बेलडी..... ३७५८. मूरति श्री जिनवीर की रे लाल... ४५०६. मूरति सूरति की... ५६२२. मूरति सूरति मोहनगारी... ४५००. मूरिख प्राणियों माया पद... ६३६८. मृगनयणी ससि सिवयणी... ५००७. मेंडा नेम न आये... . ४५१०. मेघ महानृप... ५७२७. मेघमहा नृप आयो... ७०५९. मेडतइ नगरि पधारीया... ७०१७. मेरइ आणंदा भेट्या सुगुरु मुणिंदा... ४३०२. मेरइ नेमिजी इक सयण... ५७४७. मेरइ इक श्री वीतराग... ५६५९. मेरइ हो... ४२८७. मेरउ जीव परभव थी न डरइ... ५३४४. मेरउ....टका आवयउ गुरु चरणे... ४२७६. मेरउ नाह निहेरउ... ५०७२. मेरा गुरु है... खरतरगच्छ साहित्य कोश ६०१ For Personal & Private Use Only Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४१४. मेरी अरज सुणीजे... | ४३३२. मेलिज जमक सब गावा तरसइ... ५०१८. मेरी अरज है अश्वसेन लाल सूं... ५५१९. मैं आया मैं आया... ६४७५. मेरी जीयु आरति कांइ धरइ... ६१९३. मैं कुशल सूरि गुरु... ६३११. मेरी नाव करो.... ३२६१. मैं चतुर न कीनी चोरी रे... ३२८९. मेरी राय चेतन नै सुध न लई... ३१७८. मैं चरणन को चेरो प्रभु तेरो... ६३३१. मेरी लगीय लगन प्रभु पास... ४६०४. मैं तेरी प्रीत पिछानी हो प्रभु... ६३४१. मेरी लगीय लगन प्रभु पास... ४८९९. मैं तुमची बलिहारी... ३३६६. मेरे कुशल गुरु... ६४२४. मैं निरख्यां गुरु... ३१७५. मेरे चिंतामणि के चरण कमल युग... ५५०२. मैंने तो तेरे द्वार... ६२८७. मेरे जुगवर... ४५६८. मैं बलिहारी गुरु... ३६५८. मेरे तुम्ह हो स्याम... ७११२. मै वंदन जिस दिन करुं पल पल वारुं प्रान... ६४१०. मेरे दादा कुशल... ४४०२. मैं वारि जाऊँ... ५४२९. मेरी नैया को... ४४०३. मैं वारि जाऊँ... ४११०. मेरे पारस प्रभुजी के रंग मंडप माहि... ४४०४. मैं वारि जाऊँ... ५९२०. मेरी पीर हरो... ३३६७. मैं सीस नमाऊं... ४०३२. मेरे मन चाल सिद्धचल जाऊं... ५४२०. मैं हूं तेरा बालक... ३४०१. मेरे मन तूं ही ऋषभ जिणंदा... ६१८९. मै हूं दुखिया... ४४७५. मेरे मन मई वसिए.... ६६५१. मोकुं पिउ बिन क्युं सखि रयणि विहाइ... ४४९६. मेरे मन मान्यो हो पास... ४९००. मोकुं शरण तिहारा... ३१७६. मेरे मन मिंदरियै प्रभुजी पधारे... ६८१३. मोक्ष नगर म्हारं सासरुं... ४३३१. मेरे मोहन अब कुण पुरी बसाइ... ६४२५. मोतीड़े तूठा मैं... ६३४२. मेरे वामा के लाल तुम... ४८४१. मो पइ कठिन वियोग की.... ३२१०. मेरे सद्गुरु कुशलसूरीसर... ४२२१. मो मन अधिक उमेद जी हो... ३६३३. मेरे होउ सहाई... ५६२३. मो मन मान्यौ... ४४८६. मेरे हो नेमिजिणंद सुप्रेम... ५४८२. मो मन वीर सुहावै... ४४७९. मेरो नेमि रङ्गीलो आवइ... ६४३१. मोरा पास जिनराय... ३१७७. मेरो पास जिणंद जयो... ४७७७. मोरा लाल अंग सुरंगी अंगीया... ३२४२. मेरो पिया मेरे संग नहीं... ६८३१. मोरा साहिब हो श्री शीतलनाथ कि... ३१९९. मेरो पिया मेरो कह्यो ही न मानत... ५८७१. मोरी अरज सुनो... ५७४८. मेरो मन जिनवर सुं लीनो... ४२७१. मोरी बहिनी हे बहिनी म्हारी... ६१६१. मेरो मन बस कर लीनो... ४७५८. मोरी वीनती एक अवधारउजी... ५६६६. मेरो मन मोह्यो नेमि गीत... ६४५४. मोरं मन अष्टापद सुं मोह्यं... ५६४९. मेरो मन मोह्यो हो... ५५४३. मोहन कीयो रे दगा... ४४९२. मेरो मन श्याम भजन... ५६४०. मोहन जान आवत देखी... ६३३२. मेरो मन हर्यो प्रभु पास सांवरे... ६०४९. मोहन नेमि प्रेम गेहलि... ६३४३. मेरौ मनरौ हर्यो प्रभु पास सांवरे... ५६७२. मोहन नेमि मिलावइ... . ४५६३. मोहन मूरति हो प्यारी जिनजी ताहरी... | ४४८०. मोहन लाल आवत देखी री... ६०२ Jain Education international तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१८२. मोह बसै केइ मानवी... ५०७९. युगप्रधान... ६९८३. मोह मदिरा माता... ५८९५. युगवर श्री जिनचन्दजी... ४३२६. मोह महा बलवंत.... ५९०६. युगवर श्री जिनचन्दजी.... ४७५९. मोहन मूरति जोवतां रे... ६३१३. युगादि प्रथम जिणंद... ४८५९. मोहन मूरति शान्ति जिणेसर... ७०३७. ये है वीर जिणंद री पावापुर में... ३३२२. मोहि एक भरोसो... ६३९२. रंग जागउ जी मोहि जिनसिंहसूरि... ५९८७. मोहि कबहु तारोगे दीनदयाल... ६७६६. रचति वेष करि विशेष... ६३२७. मोहि तारो सामि भावसिंधु तै... ६०६०. रण नमूं श्रीवीर तणो... ५००८. मोहि प्रीयु प्यारे प्यारा.... ५२१२. रतन पाट प्रतपै... ५६८१. म्हांको साहिबियौ... ५२९१. रतन में जैसे हीर... ४४६८. म्हांको साहिबियो प्रभु सांचो... ४८७०. रयणि खाणि नहीं काय... ६०१२. म्हाने वांछित... ३५७६. रसना सफलभइ... ३४०८. म्हारां पूज्यजी हो श्रीजिनचन्द्रसूरि... ५६५०. रसरङ्ग रमइ... ४६३०. म्हारा साहिबा रे सोरठ देश... ४८३७. रसिक हींडोल राग... ४१४६. म्हारां साहिब हो श्रीजिनकुशल... ४९८१. रसियो मारु सौतन रे जाय हेली... ३३६८. म्हारा प्राण... ३७४४. राउल श्री भीम इम कहइ जी... ४७६०. म्हारा मनडु मोह्यउ पासजी.. ४५१८. राग न द्वेष करो मत को... ४६१३. म्हारा मन ना मान्यारे साहिबा.... ५५६२. राग न द्वेष करौ मन कोई... ४७६१. म्हारा साहिबा सुणि मोरी वीनती... ५०२५. राजगृही उद्यान में सखि समवसरण... ६१७६. म्हारा सेंण वालो... ६८२५. राजगृहीनउ विवहारियउ रे... ६८१५. म्हारी बहिनी हे, बहिनी म्हारी सुणी एक...| ५२७३. राजग्रही में गोचरी.... ४३८९. म्हारे भलै रे उग्यो घाड़ो आज नो रे.... ६७४६. राज तणा अति लोभिया.... ३२९१. म्हारे हरष सै आई हो री...: ३७४८. राजनगरि गुरुचरण भेटिवा... ३३६९. म्हारे हृदय लिख्या... ६८०१. राजमती मनरङ्ग चाली जिण... ४६१४. म्हेतो साहिबां रे चरणे आया... ३५४१. राज श्री जिनदत्तसूरि... ५९११. म्हें तो सेवक दादा... ४०५५. राजिमती कहइ ए सखी... ३३७०. हें तो सेवरा... ५६६७. राजिमती राणी बोलइ... ५६५५. यदुपति रंग रस खेलई री... ४७०६. राजुल कहे रागइं भरी सनेही... ६७९९. यदुपति वांदण जांवता रे... ५२५३. राजुल कहे सजनी सुणो रे... ३९१२. यह आज जयंति है... ६८०२. राजुल चाली रङ्गसु रे लाल... ३२३२. या अलवेली को रूप अनोपम... ५०८५. राजुल नेम भणी काहइ... ३१७९. या जिनराज सो देव नहीं... ४७०७. राजुल वीनवे हो राजि पुण्यइ में... ५२२५. यात्रा ए वडली जास्यां... ४२०५. राजे फलवर्द्धि राजीयो... ३९९८. यात्रीड़ा भाइ श्रीसिद्धाचल भेट्यो... ५२१९. राजै खरतरगच्छ राजवी... ५१११. यादव कुलमण्डण नेमिनाथ जगनाथ... ५२०३. राजै धुंभ ठौर ठौर... ५३४९. यादव मन लागो... ५२७६. राडद्रइ महावीर विराजै... ६६५२. यादववंश खाणि जोवतां जी... ४५१९. राडिद्रहे प्रभु भेटीये... . खरतरगच्छ, साहित्य कोश ६०३ For Personal & Private Use Only Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६७. राणपुरइ रलियामणउ रे लाल... ४७१२. राणी राजुल इण परि वीनवे... ४६२०. राति दिवस सूतां जागतां... ५३३७. रामति अति रलीयामणि... ६८०४. रामा रामा धनं धनं.... ५४४४. रायकुंअरि लीला लहरि लाडली... ५८२६. रासलजी के... ४६६०. रिषभ अजित अभिवंदीयइ... ५३१६. रिषभ अजित संभव सदा... ६४६८. रिषभ की मेरे मन भगति वसीरी...' ६१२९. रिषभ जिणंद दयाल भजो भाई... ६३१५. रिषभ जिणेसर अजित जिणंदा... ४६२९. रिषभ जिणेसर अलवेसर जयउ... ६१३०. रिषभजिणेसर त्रिभुवन दिवाकर... ४१६४. रिषभ जिणेसर भेटिवा रे लाल... ४२१०. रिषभ जिणेसर भेटीयइ रे... ४६११. रिषभ जिणेसर स्वामि... ४२६२. रिषभ जिन निरसन रान विहारी... ४६१२. रिषभ जिन भावई भेंटीयइ... ५३४०. रिषभ प्रमुख चउवीस तिथंकर... ३९२४. रिषभ वृषभ गज... ५००१. रिषभादिक चौवीस नमि... ६८२७. रिषभानन वधमान चंद्रानन जिन... ४६५३. रिषभनाथ सीमंधर स्वामी... ५६०३. रिसह अजिय सम्भव... ३७४२. रिसह जिण सुहकरण... ६८४३. रुक्मिणी नइ परणवा चाल्यउ... ६४९१. रुड़ा पंखीड़ा मुंनइ मेल्ही... ६८००. रुडा रहनेमि म करिस्यउ.... ३८०८. रुन झुन झूम....। ६४८३. रूडा रिषभ जी घर आवउ रे... ७११७. रूडी रे कीधी रूडी... ४९२०. रूढ़ी रे किधी रूढी सद्गुरइ... ५६९८. रूप अनूप मनमोहन मूरति... ३७९७. रूप भलो प्रभुजी को विराजित... ५७११. रे जिव वखत लिख्या सुख होई... ४३१४. रे जीउ आपणपउ अब सोच... ४२५३. रे जीउ काहइ कुं पछातावइ... ५८९७. रे जीउ तनु दुर्जन क्यों पोसो... ३७१४. रे जीउ म करि करि मेरा... ६६२६. रे जीया जिन धर्म कीजइ.... ४२६९. रे जीव काहइ करत गुमान... ३२२७. रे जीव कीधी जेह कमाई... ३१३३. रे जीव चिंता मन धरीयै... ५६८७. रे जीव ध्यान निरंजन ध्यावे... ६६०४. रे जीव वखत लिख्या सुख लहियइ... ६८०८. रे जीव विषय थी मन वालि... ५७५६. रे मन क्युं चित चिन्तत नाही... ४२२४. रे मन झूठां सुं मन राचइ... ५६८८. रे मन तज तूं तात पराई... ... . ५५८०. रे मन मूढ़... ५६८९. रे मन मूढ न कर अहंकार... . ५५३५. रे मन मूढ न करो अहंकार... ४२६७. रे मन मूढ म कहि गृह मेरउ... ४५३३. रे विवेकी प्राणी... ५७८१. रे सामी इसी विध राजता... ६८०३. रोहिणी तप भवि आदरो रे लाल... ६५१९. लख चउरासी जीव खमावइ... ४३५६. लखमणजी वीर जी रो... ७०२६. लगन मेरी नाभिनन्दनजी सों लागी... ५६६८. लगन मेरे... ४३२५. लघु बांधवं जुगबाहु नई रे... ३१८०. लटकालै जिनजी सै लय लागी... ५५९५. लब्धि महोदधि... . ६५८१. ललित वयण गुरु ललित नयण... ६२५५. लांघ्या गिरवर डूंगरा जी... ४६२१. लागइ-जागइ हो विमलाचल... ४०५९. लाधउ त्रिभुवन राज... ४५४९. लाल असाड़ा आवन्दा है... ६६५७. लालण को लयुं री सखि समझाइ... ४२९४. लालण मोरा हो जीवण मोरा हो... ३७२५. लालन मेरा हो क्या तजु... ५६६०. लाल सनेही पिउडौ... . ४१९१. लाहो लीजइ रे लाछिनउ... ६०४ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८४३. लीजे लीजे अरजी.... ४२८२. लीनउ री मो मन जिन सेती... ३७०४. लुद्रवइ पट्टणि देहर ... ५२८१. लुलि लुलि वंदो हो तीरथ .... ३९८१. लोभ तजो भवि प्राणिया ... ४८३८. लोयण भरि निरखंत... ३८९४. लोवरी नीकउ तेरउ भाग .... ४५२२. लौद्रपुर अतिसोहतो रे.... ५७४०. लौद्रपुर अति सोहतौ ... ४३२९. लौद्रपुर पासप्रभु भेटियइ... ४७९८. लौद्रपुर रलियामणो रे... ६७२४. लौद्रवपुरइ आज महिमा घणी... ३५७७. लौद्रवपुर मंडण प्रभु पास... ३४८८. वंछित पुरे विधि परे..... ६५५७. वंदउ वंदउ रे श्रीजिनसागरसूरि वंदउ री ... ६१६२. वंदन श्री महावीर पावापुरी जायै री... ६३०२. वंदि चउवीस जिन गुरुचरण... ५९४९. वंदीजइ सद्गुरु... ३५९२. वंदु जिणवर विहरमाण... ४६३१. वंदु रिषभ जिणंद विमलाचल नउ... ३४०६. वंदु श्रीजिनराय मन... ४१२०. वंदू जिन नायक वर्द्धमान.... ५२८२. वंदू मन सुध विहरत भाण... ७१३२. वंदे गुरुवरम्... ५१९६. वंदो जिन चउवीस... ५८४०. वंदो गुरु चरण... ५८१३. वंदो भवि नितं..... ४०४३. वंदो वंदो रे श्रीजिन... ४९०५. वंदो श्री जिनदत्तसूरि ... ६२४२. वडवखती गुरु जिन गाजै... ३२२२. वड वखती साहिब... ६१५३. वड वडा भूपति साथले रे.... ४८०४. वणारिसी नगरी भली... ३१८१. वण्योरी म्हारे या. प्रभु सै रंग... ३४५७. वदन कमल... ४७४१. वयण अम्हारौ लाल हीयड़ै धरीजै... ४३९४. वरकाणा प्रभु थारे... खरतरगच्छ साहित्य कोश 4 ४१४८. वरकाणा प्रभु राजियो... ४३३८. वरग विछोहउ परिहारि... ४०८६. वरतमान चउवीसी वंदू... ३७५०. वरदाई रे वरदाई रे प्रभु मेट्या... ५८५२. वरदायक हंसवाहिनी... ६०२२. वर दे तुं वरदायिनी ... ३८४३. वर द्यौ मात सरस्वती वीनति... ६०२३. वरधमान जिनवरतणाजी... ३९३४. वर्धमान जिनचंद कुं.... ३९८०. वर्धमान जिनवर नमि... ३९६६. वर्धमान जिन वंदिय... ४९२५. वर लच्छि विलास.... ७०३८. वरषत वचन मीठो सुगुरु मेरो..... ३२४१. वरसण लागी काली वदरीया... ३२७८. वसन्त सुवरषा आई सखी मेरी... ४६८९. वहिरण वेला पांगुरया रे हां.... ४६०५. वहिरण वेला हो रिषिजी पांगर्या ... ३२२४. वांणी सुधारस वरसै प्रभु तेरी... ३३१७. वाचक विमलकीर्त्ति गुरुराया..... ३२९८. वाचक विमलकीर्त्ति गुरुराया...' ६८९२. वाचनाचार्य सुखसागर वंदियै .... ७०३२. वाजत रङ्ग बधाई ... ७०२७. वाजा वजीयां ध..... ५१२२. वाटड़ली विलोकुं रे भावि जिन तणी रे. ६४८१. वाणिकराव गुरुजी वाणि.... ३८६२. वाणियगामि गाथापती .... ५१०१. वाणि रसाल अमृत रस सारिखी... ३१८२. वाधै रंग बधाई सवाई वाधत रंग... ३११४. वामानंदनदेव अरज मो.... ६०५७. वामानंदन पास सुणो मुझ वीनती... ६०५६. वामानंदन वंदिय... ३७३१. वामानंदन वंदीयइ ... ४७६२. वामानंदन वीनवूं रे ६३३३. वामानंदा जिणंद के पद पंकज ... ५९९५. वामाराणी जायो कींकौ... ४०४७. वामासुत महिमानिलउ.. ५५७१. वामेय प्रभु महिमानिलो ... For Personal & Private Use Only ६०५ Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९२३. ४६७०. ६३५१. जाऊं पूज म्हांरी... वारि वारी जाऊं गुरु राय.... वारी जाऊंरे ए गिरिमहि राजा... ५००९. वालिम मोरा ने समझावो रे.... ४३९२. वाल्हा आज सफल दिन ऊगीयो... ४३९३. वाल्हा सांभलि सेवक वीनती... ४७७८. वाल्हेसर सुणि वीनति हो माहरा .... ४६४३. वासदेव हेव उच्छव करे... ३९८६. वासुपूज्य जिन अन्तरजामी... ३९७८. वासुपूज्य जिनवर नमूं ... ३९८४. वासुपूज्य जिनेसर वन्दु मन धरि नेह.... ३४६१. वंदामि नेमिनाहं पंचम गइ .... ७११५. विघ्न हरण... ४८०२ . विजय चिन्तामणि पास जुहारीयइ... ४२२८. विजय विदेह परगडउ ... ३२६२. विण अवगुण मोहि नाह विसारी... विण अपराध तजि मुंनइ बालंम... ४२०३. विणजारा तूं परदेसइ जाय... ६६५३. ४२५९. विणजारा रे वालंभ सुणि..... ४०७२. विणमइ जगगुरु भावो ... ६१३३. विणस जाय कागज की गुड़िया .... ४२४९. विदेसी मेरे आइ घर मांहि .... ५८७३. विद्यानांकुल मेदिनी नवनमो... ५९२५. विनय करेजो साधो विनय करेजो... ३८७१. विनय विवेक विचार ... ४३८६. विनय सजी ने साहिबा जी वीनवुं .... ६२४३. विपुल विमल अविचल अमल... ३२६३. विभचारी भयो मेरो बालमीयो.... ५२९२. विमलगिरि क्युं न भयों हम मोर... ४६३२. विमलगिरि तीरथ भेटीयइ जी.... ६८९४. विमलगिरि शिखर गजराज... ६८०६. विमलनाथ सुणो वीनति.... ३७५७. विमल मइदायङ्ग विमल जिणणायङ्ग.... ३२१५. विमलवाहिनी वर दीयै... ४६३३. विमलाचल तीरथ वासी जी... ५१४५. विमलाचलमण्डण जिनवर आदि जीणंद... ४६१५. विमलाचल साहिब सांभलउ... ७११९. विरदे वखाणीजै जी भावप्रमोद.... ६९१५. विलसे ऋद्धि समृद्धि... ४४०८. विवेकी मन शुद्ध समता.... ५६४९. विवेकी मन शुद्धि समता सूं राख .... ६६१२. विहरंता जिनराय... ६४४९. विहरण बेला पांगुरह्यो हां.... ६४५०. विहरण वेला रिषि पांगुरय्यो... ४८४९. विहरमाण प्रणमुं मनरंगइ... ४१२२. विहरमान जिन वीसै वंदियै .... ६८७०. विहरमान सीमंधर सामी... ४९८२. विषम अतिप्रीत निभाना हो.... M ५१२०. विषयन को परसंग चेतन.... ४३६५. विश्वनायक लायक... ४५६९. वीनतडी सुण.... ५५७४. वीनतड़ी अवधारो.... ४४६५. वीनती एक अवधारौ .... ६२३५. वीनती सुणो रे मांहरा वाल्हा..... ४७०८. वीनवइ राजुल बाल वीनतड़ी... ३९७५. वीर आषाढ़ सुदि छठी स्वर्गथी चविया ईश..... ५७७०. वीर कहइ शालिभद्र ... ५४६०. वीर कहइ श्रीमुखसुं... ४६६६. वीर कहे गोतम सुणो.... ४७२५. वीर कहे गौतम सुणो... ५५९६. वीर जिणंद... ४५२६. वीर जिणंद अभिग्रह धरी... ५५९९. वीर जिणंद अभिग्रह धरी... ४४४४. वीर जिणंद अभिग्रह धरी रे.... ६१४४. वीरजिणंद नी वाणी... ६०२४. वीर जिणंद वांदीनइ गौतम गोचरीई संचरिया... ६६२३. वीर जिणंद समोसरया जी.... ३७५३. वीर जिणिंद जुहारीयइ ए.... ३९५७. वीर जिनेसर अलवेसर प्रभु सांभलो... ४०२९. वीर जिणेसर उपदेसई... ३९५६. वीर जिणेसर जग अलवेसर... ५११६. वीर जिणेसर जग उपकार .... ३९५८. वीर जिणेसर जगधणी.... ३९७२. वीर जिणेसर जगधणी... ६०६ For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९१५. वीर जिणेसर नमइ सुरेसर... ५४३९. वीर जिणेसर नमीउ सुरेसर... ५१७८. वीर जिणेसर वंदिये... ४४४७. वीर जिणेसर वान्दवा रे... ३९६९. वीर जिणेसर सांभलो रे लाल... ५७५२. वीर जिणेसर सेवियइ... ५२७२. वीर जिनेश्वर वंदियै... ४३४०. वीरजी उत्तम जन की रीति न कीनी.... ३५९८. वीरजी दिये छे देसना रे... ४८८६.. वीर तणउ गणधर पटधारी... ४६४०. वीर तणी सुणि देशना... ३५९९. वीरप्रभु त्रिभुवन उपकारी... ५३३३. वीरमपुर महिमा पणी... ५७२६. वीर वंदण... ४५०९. वीर वन्दन रवी चन्दमा हाँ... ६८४५. वीर वांदी वलतां थकां जी... ३१०८. वीरवचन चित्त धरी... ५४५७. वीर वचन प्रकासिओ... ६७६८. वीर सुणउ मोरी वीनती.. ६८११. वीस विहरमान जिनवर रायाजी... ३५०५. वीस स्थानक तप सेवीये... ३५९३. वीसे विहरमान जिनराया... ५३०७. वीसो वीस जिण... . ५८९८. वृथा करम वांधति जीउ मारी... ६६११. वृषभ धुरंधर उद्योतन वर... ४७१३. वैसाखां वन मोरिया... ५०१०. वो दिल लग्गा नाम तिहारे... ५०३६. वो सांई मो वीनति कैसे करूं... ६८८३. व्हाला स्थूलिभद्र हो... ५२८३. शंकर गणपति सरस्वती... ४५८७. शताब्दी चौदहवीं... ४८५२. शत्रुञ्जय यात्रा तणी... ६८६२. शरण ग्रही प्रभु तारी... ३२८०. शान्ति. ४०७३. शान्तिकरण जिन सेवियइ... ४०७९. शान्तिकरण प्रभु सेवियइ... ४९३६. शान्ति करो श्री संघ नइं... ४३९६. शान्ति कांति दांति सोहै... ६८२३. शान्तिकुंयर सोहामणउ... ६४३०. शान्ति जिणंदजी की मोहनी... ३९९२. शान्ति जिणंदने सेवो रे मनवा... ४८६०. शान्ति जिणेसर राया हुं तो... ४८६१. शान्ति जिणेसर वीनती... ४८६२. शान्ति जिणेसर साहिबा सांभलउ हो... ३९९४. शान्ति जिनराया सर्वजीव सुखदाया... ६४७३. शान्तिनाथ जिन सोलमउ... ३७६३. शान्तिनाथ दादउ ददरेवइ... ४०१२. शान्तिनाथ सोलसमौ... ६८२६. शालिभद्र आज तुम्ह नइ आपणी... ५७७१. शालिभद्र वीर तणउ आदेश लें.. ६८२८. शाश्वत तीर्थंकर च्यार... ५४४१. शासन नायक... ३८२५. शासन नायक वीरजिण... ५०२३. शासननायक वीरनै... ५९५३. शासन नायक समरिये... ५०५६. शासन बाग मां... ३५११. शासन स्वामी रे निर्मल... ६२५४. शिवादेवी नंदन चरण वंदन.... ७०४१. शिखर समेत वसे हो विमल जिन... ३८१६. शिवसुखकर हे पास जिणेसर... ६१४७. शिवसुखदायक जाणिनै... ५७७३. शीतपुरे अति शोभतौ.... ५०७६. शीतल छे दादा... ५७७४. शीतल जिन को ध्यान धरुं... ३८९५. शीतल जिन सुरतरु... ४०७५. शीतल जिनवर जगधणी... ६८३२. शील व्रत पालउ परम सोहामणउ रे... ४८७४. शील सलूणी सुभद्रा सती रे... ३७६७. शील सुदृढ़ पालइ जिको हो... ५१४१. शेज गिरि भेटीये... ५६९०. श्याम जी तुहारे... ५४१८. श्रद्धा के सुमन... ५८४९. श्रद्धा संयम साधना... ६२१२. श्रद्धा सुमन... खरतरगच्छ साहित्य कोश ६०७ For Personal & Private Use Only Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८६५. श्रावक ऊठे तुं परभाति... ६८३४. श्रावक ना व्रत सुण जो बार... ६८३५. श्रावक नी करणी सांभलउ... ४६३४. श्रावक सहु कोई आगलि... ६२५८. श्रावक सहुको हुवा आगलि... ४४७३. श्रावण आज सहामणो.... ४८९०. श्रावण आयउ वालहा... ४८९३. श्रावण आयउ साहिबा रे... ४१९७. श्रावण जलहर आज ही... ४७३१. श्रावण पावस ऊलस्यो सखी... ३२६७. श्रावण बूंद सुहाई संयोगणि... ४३०१. श्रावण मइ प्रीयउ संभरअइ ५७९८. श्रावण मास सुहामणो... ६५८९. श्रावण मास सोहामणो... ६९६२. श्री अकबर बहुमान... ४५१४. श्री अरदिक्षा नमिजिन महिमा... ३९८८. श्री अरिहंत अनत कान्ति... ३६१२. श्री अरिहंत उदार कांति... ३९३६. श्री अरिहंत ना बार गुण... ६५८२. श्री आचारिज कइयइ आवस्यइ... ४००८. श्री आदिश्वर सेवियइ.... ४५३०. श्री आदीश्वर भेटियइ... ३५३०. श्री आदीश्वर साहिब सेवियै... ५७०५. श्री आदीश्वर सेवियइ... ५५५८. श्री आदीसर भेटियइ... ६४६६. श्री आदीसर भेटियउ... ५५५३. श्री आदीसर सामी... ४०४४. श्री आदीसर सेवियइ...' ५५१४. श्री उपकारी गुरुदेव... ४७७५. श्री कलिकुण्उ जुहारीयइ... ३६८२. श्री कीत्तिरतनसूरि के पय नमउ... ३७९९. श्री कीर्तिरत्नसूरींद तणी... ५८६३. श्री कुशल सूरींद... ५३०९. श्री केलासपुराधिप विजयी... ४७३६. श्री खंभाइत पास नमुं सदा... ६४०१. श्री खरतरगच्छ गुणनिलउ... ३७४५. श्री खरतरगच्छ मंडणउ... ६७९०. श्री खरतरगच्छ राजीयउ रे... ४०८८. श्री खरतरगच्छ सिरतिलो..... ३६८५. श्री गउडि प्रभु पासु ए... ४७८३. श्री गउडीचा पास हाँ रे... ३६५२. श्रीगच्छनायक सेवियइ रे... ५९२१. श्री गणधर गुरु... ५५७०. श्री गुरुको प्रतिबोध इसो... ३७९१. श्री गुरुदेव दयाल... ४१३२. श्री गुरुवर दरसण... ६५९२. श्री गोतम गुरु पास नमी... ५३६२. श्री गोयम गणधर प्रणमी करी... ४७८२. श्री गौडीचा पास जी वाल्हेसर... ४४४१. श्री गौडीपुर सिरतिलो....... ५५९१. श्री गौडीपुर सिरतिलो... ३५७८. श्री गौडी प्रभु पासजी... ४१४१. श्री गौडी प्रभु पास नमी जे.... ३६८७. श्री गौतम प्रह समि ध्यावउ... ४६६२. श्री चन्द्रप्रभ स्वामी शिवगामी.. ३९२५. श्रीचन्द्रप्रभु साहिबा... ४७८४. श्री चारुपई पास जी... ३१८३. श्री चिंतामणि जिण जगचंद... ५०२४. श्री चिन्तामणि पार्श्वेश... ३१८४. श्री चिंतामणि पास की मैं पूज... ३५७९. श्री चिंतामणि पासजी... ३९४३. श्री चिंतामणि पासजी दरसण पायो... ३९८३. श्री चिंतामणि पास जी मारा प्रभुजी हो राज... ४४४६. श्री चिन्तामणि पास नमो नित... ३१८५. श्री चिंतामणि पास प्रभु जी... ३१८६. श्री चिंतामणि साचौ साम... . ३१८७. श्री चिंतामणि साम है साचौ... ३५८०. श्री चिंतामणि स्वामजी... ७०२५. श्री जगगुरु पय वंदीयइ... ४४१८. श्री जगजीवन जगत्र गुरु... ५५०३. श्री जिनकुशल... ४२३४. श्री जिनकुशल कुशल कारण सदारे... ६१२५. श्री जिनकुशल को... | ६१४१. श्री जिनकुशल को ध्याइये... ६०८ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१२६. श्री जिनकुशल जुहारा.... ३६३८. श्री जिनकुशल मुणिंद... ३६७२. श्री जिनकुशल सूरि ..... ५३३१. श्री जिनकुशलसूरि .... ५८४१. श्री जिनकुशलसूरि गुरु... ५२१०. श्री जिनकुशलसूरि गावो... ४५७०. श्री जिनकुशल सूरिंद... ५८९२. श्री जिनकुशल सूरिंद... ३३२३. श्री जिनकुशल सूरिंद... ३४९९. श्री जिनकुशलसूरिंद जी हो.... ४९२८. श्री जिनकुशलसूरिंदा... ३२११. श्रीजिनकुशलसूरिंदा रे ५१६८. श्री जिनकुशलसूरी... ३३३७. श्री जिनकुशल सूरीश... ६१९४. श्री जिनकुशलसूरीश्वर ... ३४६९. श्री जिनकुशल सूरीस.. ३७५१. श्री जिनकुशलसूरीसर... ३७९६. श्री जिनकुशल सूरीसर .... ४१०३. श्री जिनकुशल सूरीसर ... ५९५४. श्री जिनकुशल सूरीसर... ६३२०. श्री जिनकुशल सूरीसर... ७०९२. श्री जिनकुशल सूरीसर... ३२१२. श्री जिनकुशलसूरीसर साहिब ... ३४३८. श्री जिनकुशल सूरीसरु... ३६५९. श्री जिनकुशल सूरीसरु... ३६७१. श्री जिनकुशल सूरीसरु... ४१४७. श्री जिनकुशलसूरीसरु... ४९०१. श्री जिनकुशल सूरीसरु... ५३७५. श्री जिनकुशलं सूरीसरु... ५९१२. श्री जिनकुशल सूरीसरु... ६२६५. श्री जिनकुशलसूरीसरु... ४३७७. श्री जिनकुशलसूरीसरु रे... ५०८०. श्री जिनचन्द्र... ३७८७. श्री जिनचन्द मणिधारी... ५८४४. श्री जिनचन्द सुखकारी... ५९१३. श्री जिनचन्दसूरि ..... ७१४०. श्री जिनचन्दसूरि .... खरतरगच्छ साहित्य कोश ७०३१. श्रीजिनचन्द सूरीश्वर वंदीयई रे..... ६२२७. श्री जिनचन्दसूरीसरु रे..... ३७८८. श्री जिनचन्द्रसूरि... ७१३३. श्री जिनचन्द्रसूरि .... ३७४६. श्री जिनचन्द्रसूरि गुरु वंदउ .... ५६१५. श्री जिनचन्द्र सूरीश्वर गावो.... ३५४०. श्री जिनदत्त... ३६५०. श्रीजिनदत्त के चरणों... ७१००. श्री जिनदत्त जगत... ५९१४. श्री जिनदत्त जुहारा... ३२२०. श्री जिनदत्तसूरि.... ४९०८. श्री जिनदत्तसूरि ... ५८८४. श्री जिनदत्तसूरि.... ५९५०. री जिनदत्तसूरि... ५३९३. श्री जिनदत्तसूरिंद पय... ४९०६. श्री जिनदत्त सूरिन्दा... ३२१९. श्री जिनदत्तसूरि सुखदायक... ४५९३. श्री जिनदत्त सूरीश्वर ... ४९०७. श्री जिनदतत सूरीसरु... ६७१७. श्री जिनप्रतिमा हो जिन सारखी कही..... ५२२६. श्री जिनभक्ति जतीसर वंदौ .... ४०८९. श्री जिनरतनसूरींद तणी... ३६५१. श्री जिनरतनसूरींदा..... ५९९२. श्री जिनरत्नसूरीश.... ६००१. श्री जिनरत्नसूरीश ..... ६२९७. श्री जिनरत्नसूरींसरो.... ३५२३. श्री जिनराज चरण सरणं ३५३७. श्री जिनराज चरण शरणं... ३३०२. श्री जिनराजसूरि गुरु राय ..... ३७०८. श्री जिनराजसूरिंद ना पय.... ३७०७. श्री जिनराजसूरीश्वर गच्छधणी..... ५०६४. श्री जिनवर की... ५८०९. श्री जिनवर पदयुग नमी ... ५४५३. श्री जिनवल्लभसूरिश्वरपाट... ३९६३. श्री जिनशासन जग जयो... ५३८३. श्री जिनशासन नंदन वन भलइ .... ३२३५. श्रीजिनशासन नंदनवन समौ रे... For Personal & Private Use Only ६०९ www.jalnelibrary.org Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७६३. श्री पासकुमर खेलइ वसंत.... ४७६४. श्री पास जिणंद जुहारीयइ .... ५८२०. श्री जिनसमुद्रसूरि गाइये... ६८३६. श्री जिनसासन हो भेट्यउ ए सहु .... ७०५०. श्री जिनसागरसूरि आचारिज.... ५२९४. श्री जिनसासन सेहरौ... ५२९८. श्री जिनसासन सेहरौ.... ६६९७. श्री पास जिणेसर सुखकरणो... ६२५०. श्री पास जिनेसर सामी... ३२९५. श्री पारस प्रभुजी आप... ३७६२. श्री पुण्डरीकगिरि भेटियइ ५४७९. श्री पुण्डरीक महामुनि पामी प्रभु आदेस .... ६५४६. श्रीपूज्य तुम्ह नइ वांदि चलतां हो.... ६५८३. श्रीजिनसिंघसूरिंद जयउ री ... ३७१०. श्री जिनसिंहसूरि गुरु गाइयइ जु.... ६३९३. श्री जिनसिंहसूरि जगमोहण.... ७०६०. री जिनसिंहसूरि पाटइ बइठा.... ४२८६. श्री जिनसिंहसूरीश्वर प्रतपउ.... ३४५४. श्री जिनहरख मुनीश्वर वंदीइ ... 1 ४४६६. श्री जीरावला पासजी रे.... ३७७७. श्री थंभण पास जी पूजीयइ जु.... ४४७०. श्री थंभणपुर पास.... ४५९४. श्री दादा गुरु का .... ५६३८. श्री देवभद्र यतिश्वर... ५३४८. श्री नवकार जपो मन रंगे.... ६५४७. श्रीपूज्य सोम निजर करो.... ६४३७. श्री पोलासपुराधिप विजइ ... ४२०६. श्री फलवर्द्धिपुर पास.... ४२०७. श्री फलवर्द्धिपुर पास. ६०६१. श्री फलवर्द्धिपुर पास जी... ५८६५. श्री फलवर्द्धि पुर मंडण स्वामी.... ३८९३. श्री फलवर्द्धिपुर सिरतिलो.... ३५७२. श्री फलवर्द्धापुर जइयै.... ३७४०. श्री भडकुलि प्रभु पासु ए... ५२४०. श्रीमच्छ्री अमरादिसिंह... ४५५३. श्री नाभिनरेसर नंदनांजी .... ४६५९. श्री नाभेय नमूं सदा... ४७८७. श्री नारङ्गपुर वर पास जी... ३४६२. श्रीमरुदेश मंझारि.... ५५२३. ३७२३. श्री नींबाजि जुहारिश... ६४८२. ६५२१. श्री महावीर नमूं कर जोडि... ५३५१. श्री नेमकुमार... ४३०३. श्री नेमिनाथ जुहारियइ... ३७२६. श्री नेमिसर हम कहइ रे... ४१०८. श्री महाराज मनावो... ५५६६. श्रीनगर सुन्दर अति... ४४७६. श्री यदुपतिं तोरण आया... ४६३७. श्री नेमिसर चरण युग... ४६९०. श्री नेमिसर चरण युग.... ६९३९. ३५५०. ५६५१. श्री नेमिसर जगतगुरु.... ४०५४. श्री नेमिसर सांभलौ.... ४६९८. श्री नेमिसर स्वामी मेरी अरज.... ५६७६. ३५४८. श्री नेमीश्वर वंदीयै रे... ५४४७. श्री नेमीसर को करहु ध्यान.... ६४९८. श्री नेमीसर गुणनिलउ ... ३६६९. श्री नेमीसर पद कमल.... ३५४९. श्री नेमीसर साहिबा जी .... ५०४०. श्री परमातम परम गुरु .... ४०५१. श्री परमेसर... ६३८०. श्री पार्श्व जिनेश्वर प्रणमउ ... ६१० श्री महावीर तणी वाणी.... श्री महावीर धरम परकाशइ... श्री यशकुशलमुनीसर ना गुण.... श्री यादवकुल मंडण स्वामी... श्री यादवपति तोरण आया... ३७५२. श्री राडद्रहपुर वरइ ए.... ३११८. श्री लौद्रवपुर पासनी..... ५७४१. श्री वज्रधर जिन वन्दियइ ... ४१४९. श्री वरकांणै वंदियै रे.... ३७०९. श्री वर्द्धमान जिणंद जी ... ३७१९. श्री वर्धमान जिणेसरइ जी.... ३५३६. श्री वर्धमान जिनेसरु... ४०६८. श्री विमलाचल... ४६२२. श्री विमलाचल ऋषभ निहाल्या... For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२३. श्री विमलाचल गुणनिलउ... ४६२४. श्री विमलाचल गुणनिलउ रे लो.... ५८९३. श्री विमलाचल तीरथ धणी... ४६२५. श्री विमलाचल मण्डन रिषभ जी... ५१७३. श्री विमलाचल वंदीयई हुं वारी लाल... ४६२६. श्री विमलाचल सिखर विराजइ ४३३७. श्री विमलाचल सिरतलउ... ३७८६. श्री वीर के महाधीर... ४८५१. श्री वीस जिणेसर भाखइ तप... ४१२३. श्री शंखेश्वर पास जिणेसर... ३५८१. श्री शंखेश्वर पासजी रे... ६२५६. श्री शंखेश्वर पासजी रे लो... ४५२९. श्री शत्रुञ्जय गिरनार बे... ४५३१. श्री शत्रुञ्जयगिरि भेटियइ.... ४५६१. श्री शारद प्रणमी करी.... ५५५७. श्री श्रुतदेवी... . ४४४९. श्री श्रुतदेवी नमी करि..... ७०५८. श्रीसंघ आज बविणी... ३८४१. श्री संघ करइ अरदास हो... ६५१५. श्री संघनइ मङ्गल करउ ए... ३६०५. श्री संभव जिनरायजी... ३६०६. श्री संभव जिनरायजी... ३६०७. श्री संभव जिनराया... ३९९६. श्री संभवजिनराया... ५१३४. श्री सम्मेतशिखर वर... ३३७१. श्री सद्गुरु का दरस... ५२९९. श्री सद्गुरु उपदेस संभारो... ६४२६. श्री सद्गुरु जिनकुशल... ३३७२. श्री सद्गुरुजी से... ४५९५. श्री सद्गुरु तुम... ६४२७. श्री सद्गुरु महाराज.... ३८०६. श्री सद्गुरुवर... ७१२१. श्री सरसति मति दिउ घणी.... ३४७१. श्री सरसति सदा समरीजै... ४३१८. श्री सरसति सुप्रसन्न सदा... ४५३८. श्री समीयाण मण्डन पास.... ४५२३. श्री सहू या में महिमा घणी... ४५३६. श्री सांचोर मण्डन... ३९३९. श्री सिद्धचक्क सुहंकर जाणो... ३४९३. श्री सिद्धाचल गिरि... ३९२६. श्री सिद्धाचल तीरथ सेवो..... ३९९५. श्री सिद्धाचल भेटोरे... ३९०४. श्री सिद्धाचल रैवत... ५९४२. श्री सिद्धाचल सेवीये रे लो... ४८२८. श्री सिद्धारथ कुल कमला... ३५५४. श्री सेढीतट मेरुधाम... ६६१३. श्री सेत्रुञ्जि गिरिशिखर... ६३५६. श्री सीमंधर जिनवर साहिब हो... ४८८३. श्री सीमन्धर सांभलउ ३६१६. श्री सीमंधर साहिबा... ४८८४. श्री सीमन्धर साहिबा वीतड़ी अवधार... ५८००. श्री स्थूलभद्र प्रीतम..... ५९३२. श्री हीरकीर्त्ति वाचक प्रणमो... ३५३९. श्रुत अतिहि भलो... ४८६६. श्रुतकेवली नमूं प्रह समै... , ५७९३. श्रुत देवी रे... ४५४४. श्रुत देवी रे प्रणमी मन शुद्धभाव सुं... ५१६०. श्रुतदेवी सुणीयै अरज... ६४४२. श्रेणिक रयवाडी चढयउ... ४८३३. श्रेणिक राजा तणो रे जमाई... ५४५६. श्रेणिक वीरजिणेसर वंदइ... ३८८४. श्रेय शांति सुख संपदकारी... ६७२६. संखेसरउ रे जागतउ तीरथ... ६८३७. संघ गिरुयउ रे श्री संघ गुणे... ६८३९. संघपति सोम तणउ जस... ४३२२. संघवी तूं कलियुगी सुरतरु... ४५३२. संजम ले प्रभु रिसह नाह... ३४५०. संजम सुधो आदरइ... ४४२०. संत करण सामी सोलमउरे लाल... ६१७३. संत निंद इतनी बात कहूं... ५५६१. संतिकरण सामी सोलमो... ३७६४. संतीसर जिणराय सांभलि... . ४२८९. संतो ऐसी तंबाखू पीयो रे... ३८३१. संतो देखीए बे परगट पुद्गल जाल तमासा... खरतरगच्छ साहित्य कोश ६११ For Personal & Private Use Only Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८४५. संतौ सगतै मांडी पेट भराई... ६०२१. संपति करण सदा सरसति... ४६४४. संपत्ति पूरै सेवकां... ४०७८. संभव जिनवर सारिखौ... ३८९६. संभवनाथ नमूं... ३६५४. संवत दस सय असीयइ पाटणइ... ४२७०. संवेग रस मांहि झीलतउ... ५१९९. सकति काइ साधना... ३६७३. सकल अजितजिन भलउ... ५१५८. सकल कहीजै सरसती माई.... ५२२८. सकल गुण जाण वखाण मुख सरसती... ६८१६. सकल तीरथ मांहि सुंदरु... ३५१०. सकल देव समरु अरिहंत.... ३५००. सकल बुध परवीन सरस हे... ४४५८. सकल भविक जन सांभलो रे... ४९२१. सकल भविक जन सांभलौ... ४७६५. सकल मंगल सुख संपदा रे... ४९४९. सकल मनोरथ सफल करूं... ५११२. सकल वस्तु प्रतिभास भानु निरमल... ५२३६. सकल शास्त्र सिद्धान्त भेद... ४४२९. सकल सदा फल पुरण होए... ५५८२. सकल सदा फल पूरणो... ४०४०. सकल समीहित आपइ... ३७६०. सकल सारद तणा पाय प्रणमी करी... ३१८८. सकल सिंघ सुखदाई... ४९५०. सकल सिरि विमल जिण वंदिय... ४८०५. सकल सुरासुर सेवइ पाय... ५६१६. सकल सूरिसर पय.... ६७२७. सकलाप पार्श्व संखेसरउ... ६७३२. सकलाप मूरति सेरीसइ... ६१२१. सखरी री वालिहित मोहि वेसासी... ५८०१. सखि आदि जिणंद को... ६६६२. सखि आयउ श्रावण मास... ६६१०. सखि चालउ हे सखि चालउ हे... .. ६५५८. सखि जिनसागरसूरि साचउ... ३४६६. सखि देख्यउ रे सुपनउ मई आज... ४२९१. सखि भोजिग भाट चारण... ६६५८. सखि मोउ मोहन लाल मिलावइ... ५६७५. सखि मो मन मोहन... ३७०५. सखि मोहि धरि उछरंग हे... ४२१४. सखियन सुंराजुल कहै... ६६५४. सखि यादव कोडि सुं परवरे... ५७००. सखिरी आज अधिक सुख पायो... ५७६७. सखि शोभति शान्ति जिणेसरु... ४६७१. सखी री आज सफल जमवारउ... ४४८१. सखी आज सबै वंछित फलीया... ४३४९. सखी आणुं हे नालेर... . ३९५४. सखी पर्व पर्युषण आव्या... ७०५१. सखी मोरी करी सिणगार हे... ५७३२. सखी आज मैं वंछित.... ५२५२. सखी री ऋतु आई सावन की... ६२८६. सखी री गुरु की... ४८४३. सखी री घोर घटा घहराई... ४८४२. सखी री चन्दन दूर निवारि... ४७६६. सखी री भेट्यां मई जिनवर... ४८४८. सखी री विमलाचल जांणु जइयई... ६१११. सखीरी सांभलि हे तूं वाणी... ५७०७. सखी रे श्री जिनकुशलसूरि... ३९१७. सखी लोद्रपुरो रलीयामणो... ४१८६. सजि सजि सोल शृंगार हे सखि... ५७१७. सजी वेश अरीसां तणइ... ४५०४. सजी वेष अरीसा तणइ... ४६३९. सतजुग मां बलराजा थयउ... ३२८२. सत मत छोडी सुगुण नर... ४९९७. सत मत साई संवत... ५७८९. सतीय सूधीं सुभद्रा सती... ५२४८. सत्यगुरु कहि सुगुरु रा... ६०१४. सदा नीलगात्रं... ६०५८. सदा माहरो... ४७६७. सदा विराजइ सामि संखेसरो रे... ४८०६. सदा विराजै सांम संखेसरै..... ६७३४. सदा सयल सुख जाणी संपदा हेतु जाणी.. ५०९७. सदा सहाइ कुशल... | ६१७४. सदा सुखकारी अचि ६१२ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०३०. सद्गुरु करुणा... ३५४२. सद्गुरु का ध्यान... ३३७३. सद्गुरु की पूजन कर... ४४२५. सद्गुरु की वाणी सुनो... ४५७३. सद्गुरु के चरण... ' ३३४१. सद्गुरु के द्वार... ३३३२. सद्गुरु गच्छनायक... .. ३७९२. सद्गुरु गुण गावू... ५८३६. सद्गुरु चरण..... ५३७२. सद्गुरु चरणकमल... ६१७९. सद्गुरु चरण कमल मनधारं... ६१४५. सद्गुरु चरण नमी करी... ७०१३. सद्गुरु चरण नमी करी... ३०९७. सद्गुरु चरण नमो चितलाय... ३४०३. सद्गुरुजी थे साँभलो... ५४७३. सद्गुरु जी थे सांभलो... ५३७३. सद्गुरुजी में... .. ५८५५. सद्गुरुजी म्हारां... ३३०१. सद्गुरुजी म्हारे मन... ३६२७. सद्गुरुजी सुणो मोरी... ३३४७. सद्गुरुजी हो म्हारां... ' ६१०५. सद्गुरु थे सांभलो... ६४१५. सद्गुरु दरसण... । ३३७४. सद्गुरु दीनदयाल... ४००६: सद्गुरु देशन सांभलि... ३८२१. सद्गुरु दो बड़... ६९५६. सद्गुरु नी शोभा... ३५३१. सद्गुरु ने पकड़ी... ७०८१. सद्गुरु ने मोहे... ४४०५. सद्गुरु ने राखी... ३९३०. सद्गुरु न्यारा रे... ५४१३. सद्गुरु पूजन... ३६३४. सद्गुरु बिन मोहि... ३७७३. सद्गुरु भेटणि आवहु माइ... ४१३३. सद्गुरु मणिधारी... ३३१९. सद्गुरु मेरे... ३६६०. सद्गुरु मेरे कुशल... ३९३२. सद्गुरु म्हारां रे मोहनगारा रे... ४१६५. सद्गुरु वचन हीयइ धरउ... ३३२४. सद्गुरु श्री जिनकुशल... ३२९६. सद्गुरु श्री जिनकुशल... ४१२८. सद्गुरु श्री जिनकुशल... ५८१२. सद्गुरु श्रीजिनदत्तसूरि... ७०२३. सद्गुरु समरु सुख दातार... ४५८०. सद्गुरु सुख... ४६६८. सद्गुरु सुणि अरदास हो... ५८४२. सद्गुरु सुनिये अरज... ६५८४. सद्गुरु सेवउ हो शुभ मतियां... ३६६३. सद्गुरु सेवा भाव... ६१९८. सद्ज्ञान के उज्जवल.... ४०६१. सपत फणा प्रभु पास जी... . ५२७१. सफल थाल बागा थिरा... ६५५८. सफल नर जन्म मनु आज मेरउ... ६७३५. सफल भयउ नरजन्म... ५४३७. सफल संसार अवतार... ५७५७. सब जगि पाहुणा बे... ३८८६. सब नमइ... ३८९२. सब नमइ चक्रवर्ती जिनचन्द्रसूरि... ५२३८. सबल सकल विधि सबल सुत... ४१५०. सब स्वारथ के मीत हैं... ४१९०. सब स्वारथ के मीत हैं... . ४६६४. सभा पूरि विक्रम्म.... ४८६३. समकित दायक सोलमा रे... ६३७२. समकित दृष्टि जिनप्रतिमा सेवा... ५१३६. समकित नवि लयुं रे... ५९०२. समता रस भरि झीलतारे... ५१५१. समयसुन्दर वाणारस वंदिये... ४१२७. समरण होत सहाई... ६३६७. समरवि वीर जिणंसर देव... ७११८. समरवि सुगुरु पाय अहे... ३४७९. समरीजइ श्री जिनकुशलसूरि... ३१००. समरु माता सरसती... ३३२६. समरूं श्री जिनदत्तसूरि... ६१६७. समरो साहिब कुशलसूरीसर... ६१३ खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०३७. सम विसमी अण जाणता रे... ६७८०. समवसरण बइठा भगवंत... ४५१५. समवसरण बैठा जिनराज... ४५३७. समवसरण बैठे... ३६२८. सम्मेतशिखर जी को दरिसण करि कै... ५०३०. सम्मेतशिखर सोहामणो... ३६०९. सम्मेतशिखर सुहामणो रे जोज्यो... ५३९२. सयल जगजीव सहकार परमेसरं... ६३५७. सयल जंतु सुखकारिणी... ६००९. सयल जिनराय ना पाय प्रणमी करी... ४८३४. सयल जिणेसर पाय नमी... ३८७३. सयल जिणेसर प्रणमुं पाय... ४०१५. सयल जिनेसर पय नमि... ३८८८. सयल सुकोमल सुंदर... ५२८८. सरब पूरब सुकृत तीये किया... ५२०२. सबर सोभ गुण सकल... . ७१३४. सरर-रर-रर... ४८६९. सरवर जल तरु छांहडी... ७०५२. सरवर सरवर जल हुवइ रे... ४८७९. सरसत माता वीनQ गणपति लागू पाय... ३४००. सरसति करि सुपसाउ हो... ७१०५. सरसति चरण नमी करी.... ५९३३. सरसति मति अति निरमली... ५४३१. सरसति मति दिउ अम्ह अति घणी... . ५१५६. सरसति माता महिर कर... ३४४९. सरसति सरस वयण दे देवि... ४४३३. सरसति सांमण वीनवु रे... ६६२४. सरसति सामण वीन... ५८४८. सरसति सामणी समरियै... ३४८६. सरसति सामणी आप सुराणी... ५८७५. सरसति सामिणि गजगति गामिनि... ४६०६. सरसति सामिणि पाय नमुं रे... ३४१७. सरसति सामिणी वीनq... ४७१४. सरसति सामिणी वीनQ... ५३१९. सरसति सांमिणि वीन.. ६१३२. सरसति सामिणि वीनवु रे... ६३९१. सरसति सामिणी वीनवू. ६४०२. सरसति सामिणि वीनq.... ६५९४. सरसति सामिणि वीनवू... ५४५४. सरसति सामिणि समरियइ... ४९३५. सरसति सामिणि समरूं माय... ५५०८. सरसति सामिने पाय नमी... . ५६७९. सरसति सामिय... . . ५१५५. सरसती माता जग विख्याता... ७११४. सरद ससी सम सुहगुरु सोहइ... ५२३४. सरस वखाण सुगुरु तणो... ५८९४. सरस वचन... ७१४१. सरस वचन... ५१७९. सरस वचन दे सरसती.... ७०७५. सरस वचन मुझ आपिज्यो... ७०९३. सरस वचन सरसति... ६८९१. सरस सबुध दिये सारदा... ३८५४. सरसमेव एक अतिसुन्दर... ४२१७. सरिखा सोल कषाय... ४१९८. सहज सनेही सुणि मोरी वीनती... ५६५६. सहसावन माहि... ३२४३. सहसावन सरस मची होरी... ५१३५. सहस्रकृट जिन प्रतिमा वंदीये... ४३८७. सहस्रफणा प्रभु पासजी... ३५८२. सहस्रफणा प्रभु पासजी रे... ६२३२. सहाई मेरे श्रीजिन... ३९७३. सहियर वीर प्रभु नो जन्मोत्सव... ५२६०. सहियर हे सहियर... ३६१०. सहियां आपे अइये... ४४३०. सहियाँ मोरी पास जिणंद जुहार... ५६१७. सहियां मोरी बड़ भागी... ४४४२. सहियां मोरी वामानन्दन... ३२६६. सहियां सांवण आयो सखी मोरी... ४७६८. सहीयर टोली भांभर भोली... ४१८७. सहीयर रंग वधावणा... ६३०५. सहीयां चालो गुरु वंदिवा... ५१७४. सहीयां सेनुंज गिरिवर भेटीयइ रे... ६३४८. सहु आगम मै सोभतौ रे... ५०५४. सहुं देवां सिर सोहतो रे... ६१४ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७२०. सहुअ धरम मोहे वहउ... ५२३०. सहु धर्मं सिर सेहरौ रे... ६९९०. सहु मिलि सूहव आवउ मनरली... ३१८९. सहेली म्हारा पूजो चिंतामणि पास... ३२४०. सहेली म्हारी आई श्रावण तीज... ३२५२. सहेली म्हारी आयो श्रावण मास... ४२०२. सहेल्यां चालौ पूजण जाह... ४८०१. साइंधण कहे कर जोडी हो व्हाला... ३६२४. सांगानेर विराजे गुरु..... ३४८५. सांचो सद्गुरु सुरतरुजी... ६७३७. सांझां थकां सहु ध्रम करउ... ६८५५. सांझि रे गाई सांझी रे... ४२११. सांभलउ शीतल करि मयाजी... ४२०८. सांभलउ साहिब महाराज... ५९३८. सांभलि गौडी पास रे मनमोहन... ४८७६. सांभलि तुं प्राणी हो.... ४१६२. सांभलि तूं भोला प्राणी रे ६२६१. सांभलि निसनेही हो लाल... ४६८२. सांभलि प्राणी सुगुण सनेह... ६२६३. सांभलि भोली भामिनी रे... ६८५३. सांभलि सनत्कुमार हो राजेश्वरजी... ४३४८. सांभलि हे सखि सांभलि मोरी.... ४९८३. सांम नाम न लयौ... ३२६४. सांवरे सै हारी हारी तज गयो प्यारी... ४१९५. सांवलिया घर आव कि राजल वीनवै हो... | ५६६१. सांवलियो म्हारळ मनहरु... ६८७२. साकेत नगर सुखकंद रे ४०२०. साचउ इक अरिहन्त... ६७३०. साचउ देवतउ ए सामलउ... ६७२८. साचउ देवतउ संखेसरउ... ७०७६. साच शील संतोष... ७०६३. साच साचोरे सद्गुरु जनमिया रे... ५२९६. साचा सुज्ञानी ध्यानी सनत... ५६५२. साचौ सामरौ.... ३४३०. साचौ साहिब निरधारी... ३७६९. सात विसन तूं छांडिरे जीवड़ा... ५२९७. सात विसन नौ संग रखै करौ... ५१४०. साधक साधज्यो रे निज सत्ता... ५७३०. साधक सोई जो मनकुं... ६४७६. साध निमित्त छज्जीव निकाय... ५२२०. साधु आचार सुविचार सखरी... ७१४२. साधुकीर्ति साधु अगस्ति जिसो... ४६६३. साधु चिलातीपुत्र गाईयइ... ४२९८. साधु जी न जइयइजी पर घर एकल्या... ४५८८. साधु वेष में पासत्थों... ६८९९. साधु साधवी श्रावक श्राविका... ६९६६. साधो ऐसा पंथ संभारो... ६६५५. सामलियउ नेमि सुहावइ रे सखियां... ६३९५. सामलिया सुन्दर देहा... ५६६९. सामलिये मारुं मन मोह्य... ५६७३. साम सनेही सामरो... ४८७७. सामायिक ना दोष बत्तीस... ६८६३. सामायिक मन सुद्धे करउ... ३७३५. सामि कइ नामि नवे निधि पाइ... ६७६१. सामि मुंनइ तारउ भव पार उतारउ... ४८८५. सामि सीमंधर मोरइ मन वस्यउजी.. ६८६६. सामि सीमंधरा तुम्ह मिलिवा... ६४६४. सामी विमलाचल सिणगारजी... ४३९७. सामी सुपास सदा सुखदाई... ६९६३. सारद पाय... ५३६८. सारद सद्गुरु पाय... ४७१५. सावण मास घनाघन वास ४०८४. सावण मास सुहावियौ... ४९८४. सास गया पछी क्यूं ही आस... ६३८२. सासण देवत सांभलिए... ६३८४. सासण देहि सांभणिये... ३७१८. सासन नायक सेवीयइ... ३७३६. सासनसुरी तणी परभावइ... ६६७२. साहिब मइडा चंगि सूरति... ४३४१. साहिब वीर जी हो मेरी तनुकि... ४७६९. साहिबा जी सुगुण सनेही पास जी... ४७९१. साहिबा बेकर जोडी वीन... ४९०२. साहिबा श्री जिनकुशल... ६२३९. साहिबा हो पूरण शशिहर सारिखौ... खरतरगच्छ साहित्य कोश ६१५ For Personal & Private Use Only Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५५९. साहेली हे सागरसूरि वांदियइ... ३७०१. सिंध काबिल अंग बंग... ६४७९. सिंधु सोवीरइ वीतभउ रे... ६५६०. सिणगार करउ रे साहेलड़ी रे... ५२२९. सिणगार सार बनाई सुन्दर... ४०११. सिद्धक्षेत्र शत्रुञ्जय शिखरे... ६१४८. सिद्धचक्र नित्य वंदीयै रै लो... ३९३८. सिद्धचक्र फल दाखव्योजी... ३६१५. सिद्धचक्र भजोनी भविकजन... ६३५५. सिद्ध परम पद वंदौ रे लाल... ४०४५. सिद्धय राजन राज... ५०४३. सिद्ध सवेनई करुं प्रणाम... ३५५१. सिद्धाचल श्री नाभिराय... ३९९७. सिद्धाचल सेवू सदा... ५९८९. सिद्धाचल हो तीरथ राय... ३९४७. सिद्धारथकुल दिनमणि... ३९७१. सिद्धारथ कुल दिनमणि... ५९५५. सिद्धारथ नन्दन नमूं... ३४७५. सिधि बुधि दाता समरियइ... ३६७५. सिरि अमरसरि गुरुराज सोहइ... ३७६८. सिरि रिसह सामि नाम लेवा... ४४३२. सिरि वीर पद दिणयर... ३९४०. सिरि सिद्धचक्क सेवो भवियां... ५३९७. सिरसो देव पयास करे... ३८१७. सिवसुह कारण जग आनन्दण... ५४३०. सीख कहूं ते सांभलि माई... ४१६१. सीख भली इक सांभलो... ४७२९. सीख सुणउ प्रीउ माहरी रे... ६७९८. सीतानइ संदेसउ रामजी... ५०३९. सीमंधर की सरस सलूणी... ६८७१. सीमंधर जिन सांभलउ... ४८५०. सीमंधर पहिलउ जिनराय... ३९६८. सीमंधर युगमंधर... ३७६६. सीलइ सवि सुख पामीयइ... ४२६०. सुकलीणी प्रिउ नइ कहइ... ५१०४. सुकृत कल्पतरु श्रेणिनी... ३८७७. सुकृत कीधउ मई भवि पहिलइ... ३४५५. सुक्रत प्रेम राजी बने... ४६४७. सुखकरण दुःखहरण सुजस धावण... ३८५६. सुखकरण श्री शांति जिणेसरु... ४०७७. सुखकर नाम श्रेयांस... . ४०१९. सुखकारण भवियण... ४९९५. सुखकारी जिनदत्त सुगुरु बलिहारी... ५७८२. सुखदाइ मूरत वीर की... ५६३५. सुखदाइ दादो जी सेवकां... ६८१९. सुखदाई रे सुखदाई रे.... ४३६१. सुखदायक लायक सुगुण... ४८६८. सुखदायक संभव जिन सेवीयइ... ३२७२. सुखदायक हो चिंतामणि सामकि.... ४३४४. सुख लोभी प्राणी सांभलउ जी... ३२३९. सुख संपति दायिक जग त्रय नायक... ४७३०. सुख संपत्ति दायक सुरनरनायक... ४३६४. सुगुण अजित, जिनवर गुण... ३५८३. सुगुण नर श्रीजिन गुणमान... ४१०५. सुगुण सनेही जिनजी.... ४४८२. सुगुण सनेही साँवला... ४७७०. सुगुण सनेही साहिब सांभलि.... ६२४४. सुगुण सहेजा मेरा आतम... ५२६५. सुगुण सुज्ञानी स्वामिने जी... ३८६५. सगण सोभागी हो साहिब म्हारा...' ३७४७. सुगुरु कइ दरसण कइ बलिहारी ३७४९. सुगुरु कउ दरसण दिन प्रति... ५६४६. सुगुरु की वाणी सुणउ... ३२१३. सुगुरु कुशलसूरिंद सेवो... ३७८३. सुगुरु के पणमो भवियण पाया. ३९४८. सुगुरु चरण प्रणमी करी जी... ३९६४. सुगुरु चरण प्रणमी करी जी... ६७८८. सुगुरु चिर प्रतपे तूं कोडि वरीस... ६७९२. सुगुरु जिणचंद सौभाग सखरौ लियो... ६१९९. सुगुरु जिनदत्त... ५३४५. सुगुरुजी मच्छर... ४१५८. सुगुरुजी समर्या... ४५७१. सुगुरुजी सेवक... ३२१४. सुगुरु तै देव साचा है... तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४५२. सुगुरु बंधावउ सूहब मोतियां... . ५३२८. सुगुरु मुणिंदा हो... ३४२४. सुगुरु मेरइ... ५९०४. सुगुरु मेरउ कामित कामगवी... ३४४७. सुगुरु मेरइ चिरि जीवउ सउसाल... ३३७५. सुगुरु मेरी नैया... ४४५९. सुगुरु मेरी हो सद्गुरु पूरण... ४०३७. सुगुरु मेरो... ६७७६. सुग्रीव नगर सोहामणुं रे... ६०१९. सुजस तुम्हारौ सांभलि हो... ५९८५. सुजस तुम्हीणो सांभल्यो रे लाल... ३३७६. सुज्ञानी लाल चरणां... ६५८५. सुणउ री सुणउ मेरे सद्गुरु वयणा... ६४०३. सुणउ रे सुहागण हो कहई... ४६०७. सुण जिनवर सेजुंजा धणी रे... ७१४३. सुणजो पंडित एक हियाली... ३११५. सुणजो स्वामी मोरी वीनती... ३८९८. सुण मनवा गुरु... ३४१४. सुण रे पंथिया कब आवइ गच्छराज... ३३७७. सुण सजनी रजनी... ४३३९. सुण सुण वीनतड़ी... ४४१०. सुण सुहटड़ा... ५५३९. सुण सुहटड़ा... ४२९९. सुणहु हमारी सीख सयाणे... ५२६१. सुणि अरदासा सुगुण निवासा... ४८३०. सुणि जिनवर चउवीसमाजी... ५४१५. सुणिजो अरज... ६१०९. सुणि तूं सजनी वतिया मोरी रे... ४६०२. सुणि प्राणी रे तुझ कहुं एक बात... ४२४७. सुणि बहिनी प्रिउड़उ परदेसी... ६२६४. सुणि म्हारी अरदास रे... ४६७९. सुणि रे चंचल जीवड़ा... ४८५४. सुणि शत्रुञ्जय ना सामि रे... ४६३५. सुणि शत्रुञ्जय सामी रे... ५३२७. सुणि सुणि जीवडा रे कयउ करीजई... ४१३८. सुणि सुणि सेनूंजगिरि स्वामी... ५३७४. सुणि सहियर मुझ वातडी । ४७७१. सुणि सोभागी साहिब रे लाल... ४२२२. सुणी कामिनि कहइ केत... ३९५९. सुणो सुणो जी जिनवर जी... ५५३०. सुद्धि ऋतु रुचि फूल भरी... . ५८३५. सुधन दिन आज जिन समुद्रसूरिंद आयो... ३२८४. सुध समकित सद्गुरु दरसायो... ३१९०. सुध समकित सहिनाणी आयौ... ३१२८. सुधि साजनजी करम लाग्या छै... ४५१६. सुध्रम गण विधि संघ... ६०२५. सुन मनवा गुरु... .. ५८१६. सुनिजर कीजै जो... ६२४५. सुनिजर ताहरी देखिनइं रे... ३५३८. सुनियै रै प्राणी जिनजी की वाणी... ६३४६. सुनीयो सुनीयो सुगुण लोक... ३२०२. सुनो री सखि ऐसे रमो होरी... ३९९३. सुनो शिवपुर स्वामि अन्तर्जामी... ६१९५. सुनो सुनो ए दुनिया.... ४९१४. सुनो सुनो कुशल... ६२२१. सुनो सुनोजी... ६०५९. सुन्दर मूरति... ४५४१. सुन्दर मूरति अजब दीदार... ६२५२. सुन्दर रूप अनूप... ४७७२. सुन्दर रूप अनूप मूरति सोहइ हो... ६५८६. सुन्दर रूप सुहामणउ रे... ६८२०. सुन्दर रूप सुहामणो... ४८८७. सुन्दर वेस लवेस अनोपम... ५५५४. सुन्दर शोभित... ६७९४. सुपन लघु साहेलडी रे... ६०१६. सुप्पाडे अनाडां झाडां... ५७७५. सुप्रन्न होई माई... ५७८८. सुबाहु सांभलौ जी... ७०२९. सुभ गति नाचत है सुरनारी...' ३७११. सुभ दिन आज बधाई... ३२९२. सुमत सुहागण राय चेतन भल... ६९७०. सुमतिकरण सारद सुखदाइ... ४०५२. सुमति गुपतिसुं मुनिवर विहरइ... ५१९३. सुमति जिणंद सुमति दातार... खरतरगच्छ साहित्य कोश ६१७ For Personal & Private Use Only Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०८२. सुमति जिणेसर देव जी... ३२२८. सुमति भज हो कुमति तज हो... ३८८९. सुर असुर इन्द चन्द... ४०७६. सुर असुर किन्नर... ४३०५. सुर नर किन्नर राय आज्ञा हो... ३११६. सुर नर माहे जिनजी सिर दादो... ५१०५. सुरपति नत देव अनित गुणी... ५७९१. सुरियाभ सुर नृत्य करह... ४४६३. सुरि सिरोमणि गुणनिलो... ५०९५. सुर्यदेवी प्रणमूं सही... ४०६७. सुललित कामण वीनवइ... ३८७५. सुललिय वर लावण्ण... ६०१७. सुवचन सूंपो सारदा... ४०८३. सुविधिजिन सांभलौ... ३८७९. सुविहाणं जइ आज मई. ६२०८. सूखे चमन में... ७०६६. सूरिज ऊगमतै नमूं... ५७६२. सूधई मन प्राणी सुणउ... ५२४७. सूधे मन प्रणमो दस श्रावक... ६५८७. सूयटा सोभागी कहि किहां सुगुरु दीठा... | ३५१८. सूरति स्वामी तुहारि वो... ४५४३. सूरियाभ नाटक सुं करे... ४१८८. सूहब सूहब वधावो पूजजी मोती ए... ६६१४. सेर्जेजे ऋषभ समोसस्या... ५०३१. सेजे साध अनंता सीधा... ५५५०. सेवउ सेवउ अहनिशि... ६१८१. सेवक नी अरदास सुणीजे... ४२२७. सेवक साहिब एक राजी... ४३७८. सेवकां निवाजे हो... ५७६९. सेवियइ सुखकर शान्ति... ३१०५. सेवो चन्द्रप्रभ सामि हो... ४४५२. सेवो चित लाई... ५२९३. सेवो भाई सेवो भाई शान्तिजिन सेव रे... ६५१२. सेवो श्री चन्द्रप्रभ स्वामी... ५५५२. सेवो सुखदातार... ३०९५. सेवो सुगुरु सुखदाय... ४४११. सेवो सेवो अहनिशि आदिदेव... ५२९०. सैजै नायक वीनति सांभलौ... ५५८३. सैयां मोरी पास जिणंद... ४४४३. सैयां मोरी वन्दन... ६६३३. सोइ सोइ सारी रयणि गुमाइ... ४९८५. सोई ढंग सीख लै... ५७२०. सोगुरु जो मो मन समझावइ... ६८१८. सो जिनवर कहउ मोहि... ३६००. सो प्रभु मेरे वीर जिणंद जयो... ५३२१. सोभत गुण सागर है बुद्धि को उजागर... ३७०६. सोभागी गुरु माहरउ... ६३५४. सोभागी जयकार नवपद वंदो रे... ४२३३. सोभागी सिर सेहरउ... ३६०१. सोलम जिनवर शांतिनाथ... ३९९१. सोलम जिनवर सेवियइ... ४८६४. सोलम संतीसर राया रे... . ६५६१. सोल शृङ्गार करइ सुन्दरी... ४५४६. सोल सति ना नाम जपु नित... ३८९७. सोलह पंचवीसइ समइ.... ४२७७. सोवन की बरीयां ना ही बे... ३८८५. सोहग सुंदर सविहिं रूडउ...' ३८३७. सोहे गुरु नगर महेवा... ६६६६. सौरीपुर जात्र करी प्रभु तेरी... ६८८४. स्थूलभद्र आव्यौ रे आसा फली... ४३५९. स्थूलिभद्र न्यारी भांति तिहारी... ६३७४. स्यादवादमत श्रीजिनवर... ६७३१. स्यामल वरण सुहामणो रे... ४७०९. स्युं कीधउ इण जादवइ मां मोरी रे... ४६९४. स्वस्ति श्री जिनपय प्रणमी करी... ४८१७. स्वस्ति श्री प्रभु प्रणमीयें... ३९१९. स्वस्ति श्रीमङ्गलकरण... ३९७४. स्वस्ति श्री सम्पद करण... ७०६२. स्वस्ति श्री सुखकर प्रथम जिनेश्वर... ६३२४. स्वस्ति श्री सुखकरण... ३२३३. स्वस्ति श्री सुखदायक... ३९६५. स्वस्ति श्री सुख सम्पदा... ५१३८. स्वस्ति सीमंधर परम... ६८८५. स्वारथ की सब हइ रे सगाई... ६१८ तृतीय परिशिष्ट For Personal & Private Use Only Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८६७. स्वामि तारि नइ रे मुझ परम दयाल.... ७००१. स्वामी मेरे गुरुदेवा..... ६३४४. हां रे सामि मेरा वामानन्दन वालहा... ५४१९. हाल हुए बेहाल.... ३९१८. स्वामी रिसहेसरु... ४५५०. हइ सबको स्वारथ... ५६२९. हथिणाउर पुरनो धणी .... ६६३६. हां हमारइ परब्रह्म ज्ञान.... ६७६२. हां हमारे वीरजी कुण रमणि एह... ६४५१. हां हो एक तिल दिल में आवि तुं.... ६८०९. हां हो जिनधर्म जिनधर्म सउ कहई ... ५६६३. हपि हमारी ल्याउ वे.... ३६३५. हमकूं शरण तिहारी ... ५५७५. हम तो तुहारे श्याम... ४३४२. हम तुम्ह वीर जी क्युं प्रीति... ५५०४. हम मिलकर... ५४९२. हम वन्दन करते... ४२४८. हमारइ माइ कंत दिसावर ... ५०१९. हमारी अंखियां अति उलसानी... ४४६२. हमारै माई इण जिनवर सुं प्रेम... ६५९७. हां हो जीव दया धरम बेलड़ी... ३८३८. हां हो रे देवा... ३२६८. हां हो लाल परनाली सें परै नीर नीर... ६६२१. हां हो, संयम पथ किम पलइ... ४१५६. हियड़े उल्लहि... ५८०८. हियाली इक सांभलौ... ४२५२. हिलि मिलि साहिब कउ जस.... ६६७५. हिव राणी पदमावती... ४८२४. हिवे त्रीजउ मंगल गाईये.... ५३६३. हुं तो तेरी मोहि रे प्यारे..... ३२५२. हुं तों न रहुं तुहारा मंदिर में.... ५२४४. हुंतौं जसवंत तां थोक .... ७०६९. हरखई प्रभु गुरु प्रणमी करी... ४२२५. हरख आज पायउ हो.... ६६९६. हरख धरि हियड़इ मांहि अति घणउ ... WE ७०५३. हरखं धरी म्हें आवीया रे... ३१२४. हरख सुं अनुभव होरी आई.... ६३६१. हरखि पास जिणंद पसाइयइ... ६८६१. हरखिया सुरनर किन्नर सुन्दर .... ४६६७. हरखे किस्युं गमार देश धन... ४८९४. हरिकेशी मुनि वंदिये.... ५४६४. हरिहर बहु पर जोइया ... ४४८३. हस हस इण रस खेलूंगी.... ६६७९. हुं हमारे परब्रह्म ज्ञानं... ३४५८. हूं तो अरज करूं कर..... ४६६९. हूं तो आयो भाव.... ३३४६. हूं तो थांरा दर्शन.... ४१७४. हूं तो मोही रह्यो जी.... हूं बलिहारी जाऊं तेहनी.... ६६७६. ५७४९. ५६५३. हस हस इन रङ्ग खेलूं... ३२५६. हसि हसि खेलूं होरी री... ५५११. हां जी वामाजी को ध्यावो.... ६८५४. हां बाई हर कोउ मोख मुगति पावइ... हूं बलिहारी रे माइ... ५७९६. हूं बलिहारी हो थांरी..... ३९०२. हे अशरण शरण... ६१९६. हे कुशल करण गुरु.... ६१९०. गुरु मेरी कृपा.... ५०६५. हे गुरुवर तमे... ६४८८. हां माई करम थी को छूटइ नहीं.... ६३३४. हारे मारे जिणंद रा तेरी सूरत..... ६५०२. हां मित्र म्हारा रे चालउ उपासरइ... ३५८५. हारे गवडीपुर मंडण स्वामी... ३९३३. हारे मारे दीवाली दिन आव्यो सजनी जाणवो..... ५०८१. हे चन्द्रसूरि ..... ६२१३. हे चन्द्रसूरि.... ५०२६. हे जिनराय सहाय करौ यूं... ३३७८. हे जी मेरे प्यारे..... ५९१०. हाँ रे मोरा आदि जिणंद देव... ६२५९. हां रे मोरा लाल सिद्धाचल.... ३४३२. हारे म्हांने राखोरे प्रभु... ७००२. हे ज्ञान दीप... ६२८०. हे पार्श्वप्रभो मेरे दिल के विभो .... ६४४५. हे बहिनी महारउ जोयउ सिणगार है... खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only ६१९ Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पधारो.... ४४९३. हे मन तंज तूं तात पराई ... ५३२६. हे मेरा जीवन.... ३९१३. हे युगप्रधान ७०२०. हेली है सद्गुरु... ५८०३. है सब को स्वार्थ को .... ४९८६. है सुपनौ संसार... ६६९९. हो जब मंइ पास जिणंद जाग... ३१९१. होजी चिंतामणि लागै प्यारो.... ५६२४. हो जिणंद जी.... ४४३१. हो जिणंद जी मोही..... ५९८३. हो जिनवर तुम से कौन धणी.... ४७१०. होजी रथ फेरी चाल्या जादुराई... ६१५२. हो तुम नहीं रे खिलार होरी के..... ६२० ४४२६. हो मुनिवर धन.... ५५७६. हो मुनिवर धन धन... ४९८७ हो रही तातै दूध बिलाई... ३१९३. होरी आई रे होरी आई ..... ३३२८. होरी खेलत प्रभु जी .... ३२५७. होरी खेलूंगी संग मिल्यां सजनां.... ३३४२. होली खेलो भविक ... ३३९२. होरी खेलो भविक..... ४९८८. होरी रे आज रंग भरी रे.... ४८२७. हो वीर काहे छेह दिखायउ .... ६८४९. हो सायर सुत सुहामणा... ५६६२. हो हो रङ्ग रसीला.... ४४००. हो होरी के खिलैया.... For Personal & Private Use Only तृतीय परिशिष्ट www.jalnelibrary.org Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अप्रतिम कार्य साहित्य वाचस्पति महोपाध्याय विनयसागरजी ने आचार्यश्री जिनेश्वरसूरिजी से प्रारम्भ हुई खरतरगच्छ की अविछिन्न परम्परा विषयक समस्त सामग्री को तीन खण्डों में विभाजित कर एक अतुलनीय, अनूठा कार्य किया है। इनमें से 'खरतरगच्छ का इतिहास' और 'खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेख संग्रह' नामक दो खण्ड क्रमशः २००४ और २००५ में प्रकाशित हो चुके हैं। तीसरा खण्ड 'खरतरगच्छ साहित्य कोश' प्रकाशित हो रहा है। यह निर्विवाद है कि खरतरगच्छ के उद्भव काल से आज तक इस गच्छ के प्रतिष्ठित विद्वानों ने विविध विषयों और विभिन्न भाषाओं में अपार साहित्य सृजन किया है। महोपाध्याय विनयसागरजी ने 'खरतरगच्छ साहित्य कोश' का सम्पादन करके एक अप्रतिम कार्य किया है। इसमें परिणामस्वरूप साहित्य-सूचनाएँ सुलभ एवं प्रमाणिक बन गई हैं। अध्ययनार्थी और शोधार्थी के लिए तो यह कोश प्रकाश स्तम्भ है ही, साथ ही अन्य गच्छों के विद्वानों के लिए दिशा सूचक यंत्र की भाँति मार्गदर्शक भी। तीन खण्डों में विभक्त यह साहित्य कोश ज्ञान-पिपासा को संस्तुष्ट पर सकेगा, ऐसा निश्चल विश्वास है। यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि खरतरगच्छ की उपलब्ध सामग्री के आलोक में महोपाध्याय विनयसागरजी खरतरगच्छ के उपासकों के विभिन्न सामाजिक दायित्वों के विषय में लिखेंगे तो यह एक प्रामाणिक और प्रेरणादायी दस्तावेज बन जायेगा। जयपुर For Persona Private User डॉ० कमलचन्द सोगाणी Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महोपाध्याय विनयसागर एक परिचय जन्म-तिथि: 1 जुलाई 1929 माता-पिता: (स्व.) श्री सुखलालजी झाबक, श्रीमती पानीबाई। गुरू आचार्य स्व. श्रीजिनमणिसागरसूरिजी महाराज शैक्षणिकयोग्यता: १.साहित्य महोपाध्याय 2 साहित्याचार्य ३.जैन दर्शन शास्त्री ४.साहित्यरत्न (संस्कृत-हिन्दी) आदि सामाजिकउपाधियाँ सम्मानित शास्त्रविशारद, उपाध्याय, महोपाध्याय, विद्वद्रन, समाजरत्न राजस्थान शासन शिक्षा विभाग, जयपुर, नाहर सम्मान पुरस्कार, मुम्बई: हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग की सवोच्च मानद उपाधि सन् 1948 से निरन्तर शोध लेखन, अनुवाद, संशोधन/संपादन; वल्लभ साहित्य वाचस्पति साहित्य सेवा भाषा एवं लिपिज्ञान संग्रह, जिनवल्लभसूरि ग्रन्थावली आदि विविध विषयों के 63 ग्रन्थ प्रकाशित और प्राकृत भारती अकादमी के 171 प्रकाशनों एवं चित्रकथाओं का सम्पादन; शोधपूर्ण पचासों निबन्ध प्रकाशित। प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, गुजराती, राजस्थानी, हिन्दी भाषाओं एवं पुरालिपि का विशेष ज्ञान। सन् 1977 से प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर के निदेशक एवं संयुक्त सचिव पद पर कार्यरत। कार्यक्षेत्र Tagsendieyaferior