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A Catalogue of Manuscripts in Jaisalmer Jain Bhandara
जैसलमेर के प्राचीन जैन ग्रंथभंडारों की सूची।
Edited by Muni Jambuvijay
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यह विश्व के सुप्रसिद्ध और दुष्प्राप जैसलमेर के प्राचीन ग्रंथों का सूचीपत्र है। जैसलमेर के सभी प्राचीन ग्रंथभंडारों के ग्रंथों की सूची इसमें प्रथम बार एक साथ प्रकाशित की गई है।
यह सूचीपत्र निम्न कारणों से अद्वितीय है।
१.
२.
३.
".
६.
७.
विश्व के अति प्राचीन ग्रंथों का जैसलमेर स्थित बड़ा संग्रह इसमें संलग्न है।
ताडपत्रीय पाण्डुलिपियाँ एवं कागज पर लिखी पांडुलिपियाँ इसमें संग्रहित हैं।
जिनभद्रसूरि भंडार के ताडपत्रीय ग्रंथ एवं कागज पर लिखी पांडुलिपियों के अतिरिक्त और ५ ज्ञान भंडारों की सूची हर भंडार के नाम से जो प्रकाशित नहीं हुई थी वह इसके द्वारा
पहली बार प्रकाशित की गई है।
आज तक प्रकाशित सूचीपत्रों में से सभी विशेष
बातें इसमें उद्धृत करके दी गई हैं।
ताडपत्रीय एवं कागज के सभी ग्रंथों को अकारादि क्रम से सूची दी गई है। लेखनसंवत्वार, रचनासंवत्वार तथा कर्तावार
6.
सूची भी अकारादि क्रम से दी गई है।
प्राचीन वर्णमाला को पढ़ने का तरीका तथा प्राचीन वर्णमाला का कोष्ठक दिया गया है।
'संख्या सूचक शब्द' संकेत द्वारा प्राचीन संवत् पढ़ने का तरीका बताया है।
देवनागरी वर्णों को रोमन वर्णों में परिवर्तित करने के लिए कोष्ठक दिया गया है।
उपरोक्त सभी बातें इस एक ही ग्रंथ में समाविष्ट होने से इतिहासकारों के लिए भी यह एक उपयुक्त ग्रंथ है।
ISBN: 81-208-1742-7
Rs. 1500
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जैसलमेर के प्राचीन जैन ग्रंथभंडारों की सूची A CATALOGUE OF MANUSCRIPTS IN JAISALMER JAIN BHANDARAS
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A Catalogue of Manuscripts in
Jaisalmer Jain Bhandaras
Edited by
Muni Jambuvijay Disciple of His Holiness Muniraja Shri Bhuvanavijayaji Maharaja
MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHERS PRIVATE LIMITED, DELHI
BHOGILAL LEHARCHAND INSTITUTE OF INDOLOGY, DELHI SHREE JAISALMER - LODRAVPUR PARSHVANATH JAIN SHWETAMBAR TRUST, JAISALMER (RAJASTHAN)
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जैसलमेर के प्राचीन जैन ग्रंथभंडारों की सूची
संपादक पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीमहाराजपट्टालङ्कार
पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयमेधसूरीश्वरजीमहाराजशिष्यरत्नपूज्यपाद गुरुदेव एवं पिता मुनिराज श्री भुवनविजयजी महाराज के अन्तेवासी
मुनि जम्बूविजय
सहायक मुनिराज श्री धर्मचंद्रविजय-पुण्डरीकरत्नविजय-धर्मघोषविजयजी महाराज
आर्थिक सौजन्य श्री सिद्धि भुवन मनोहर जैन ट्रस्ट, अहमदाबाद द्वारा पू०आ०म० श्री रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से
श्री माटुंगा जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ, ___ माटुंगा (सेन्ट्रल), मुंबई-४०००१९
प्रकाशक मोतीलाल बनारसीदास पब्लीशर्स प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली
भोगीलाल लेहरचंद इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी, (दिल्ली) जैसलमेर लोद्रवपुर पार्श्वनाथ जैन श्वेतांबर ट्रस्ट, जैसलमेर (राजस्थान)
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प्रथम संस्करण : दिल्ली, वीर संवत् २५२६, विक्रम संवत् २०५६ पौष वदी दशमी, श्री पार्श्वनाथ-जन्म-कल्याणक, ईसवी सन् - २०००
आर्थिक सौजन्य : श्री सिद्धि भुवन मनोहर जैन ट्रस्ट, अहमदाबाद द्वारा पू० आ०म० श्री रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से
श्री माटुंगा जैन श्वेतांबर मूतिपूजक तपगच्छ संघ, माटुंगा (सेन्ट्रल) मुंबई- ४०००१९
ISBN: 81-208-1742-7
@ श्री सिद्धि भुवन मनोहर जैन ट्रस्ट, c/o जीतेन्द्र मणिलाल संघवी, ए-३, चंदनबाला एपार्ट., नवा विकास गृह रोड, अशोक नगर, पालडी, अहमदावाद-३८०००७
वितरक मोतीलाल बनारसीदास ४१ यू० ए० बंगलो रोड, जवाहर नगर, दिल्ली ११०००७ २३६ नाईथ मेन ॥ ब्लाक, जयनगर, बंगलौर ५६००११ सनाज प्लाजा, १३०२ बाजीराव रोड, पुणे ४११००२ ८ महालक्ष्मी चैम्बर, वाईन रोड, मुम्बई ४०००२६ १२० रायपेट्टा हाई रोड, मैलापुर, चेन्नई ६०० ००४
८ केमेक स्ट्रीट, कलकत्ता ७०००१७ अशोक राजपथ, पटना ८००००४
चौक, वाराणसी २२१००१
मूल्य: रु०१५००.००
नरेन्द्रप्रकाश जैन, मोतीलाल बनारसीदास, बंगलो रोड, दिल्ली ११०००७, भोगीलाल लहरचंद इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्डोलॉजी, दिल्ली एवं जैसलमेर लोद्वपुर पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट, जैसलमेर (राजस्थान) द्वारा प्रकाशित तथा जैनेन्द्रप्रकाश जैन, श्री जैनेन्द्र प्रेस, ए-४५ नारायणा, फेज-१, नई दिल्ली ११० ०२८ द्वारा मुद्रित तथा कम्प्युटर टाईपसेटींग
श्री पार्श्व कम्प्युटर्स, अहमदाबाद, फोन : ५४७०५७८
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Illustration - 1
MULI
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान जैसलमेर दुर्ग-बालू और रेत से निर्मित व विशुद्ध मोतियों से विलेपन किया गया है।
मूलनायक श्री लोद्रवपुर पार्श्वनाथ भगवान-लोद्रवपुर।
कसौटी के श्याम पत्थर से निर्मित
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान हरिद्वार ।
प्रतिष्ठा दिन - ५ फरवरी १९९५
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IIIllustration
तापगच्छीय श्री श्रमणसंघ के बहुत बड़े हिस्से के श्रमण भगवं गुरुदेव परमपूज्य पूज्यपाद तपस्वी प्रवर पं० श्री मणिविजयजी गणि (दादा)
जन्म - वि०सं० १८५२ भाद्रपद सुदि, अधार (विरमगाम गुजरात के पास)
दीक्षा- वि०सं०] १८७७, पाली (मारवाड)
पन्यासपद - वि०सं० १९२२ ज्येष्ठ सुदि १३, अहमदाबाद स्वर्गवास- वि०सं० १९३५, अश्विन सुदि ८, अहमदाबाद
पूज्यपाद महातपस्वी गणिवर पं० श्री मणिविजयजी महाराज (दादा) के शिष्यरत्त पूज्यपाद संघस्थविर आचार्य श्री १००८ विजय सिद्धिसूरीश्वरजी (बापजी) महाराज
जन्म- वि०सं० १९११ श्रावण सुदि १५, वळाद (अहमदाबाद के पास )
दीक्षा - वि०सं० १९३४ ज्येष्ठ बदि २, अहमदाबाद (गुजरात) पन्यासपद - विसं १९५७, सूरत (गुजरात) आचार्यपद - वि०सं० १९७५ महासुदि ५, महेसाणा (गुजरात) स्वर्गवास - वि०सं० २०१५, भाद्रपद बदि १४, अहमदाबाद
पूज्यपाद संघस्थविर आचार्यदेव श्री १००८ विजय सिद्धिसूरीश्वरजी (बापजी) महाराज के पट्टालंकार पूज्यपाद आचार्य देव श्री विजयमेघसूरीश्वरजी महाराज
जन्म - वि०सं० १९३२ मार्गशीर्ष सुदि ८, रांदेर दीक्षा- वि०सं० १९५८, कार्तिक बदि ९, मीयागाम-करजण पन्यासपद - वि०सं० १९६९ कार्तिक बदि ४, छाणी आचार्यपद - वि०सं० १९८१, मार्गशीर्ष सुदि ५, अहमदाबाद स्वर्गवास - वि०सं० १९९९ आश्विन सुदि १, अहमदाबाद
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Illustration - III
पूज्य आगमनभाकर मुनिराज श्री पुण्यविजयजी महाराज
पूज्यपाद आचार्यदेव श्री विजयसिद्धिसूरीश्वरजी (बापजी)
महाराज के पट्टालंकार पूज्यपाद आचार्यदेव श्री विजयमेधसूरीश्वरजी महाराज के शिष्यरत्र पूज्यपाद गुरुदेव
मुनिराज श्रीभुवनविजयजी महाराज (मुनिराज श्री जंबूविजयजी के पिताजी एवं गुरु महाराज)
पूज्यपाद साध्वीजी श्री लाभश्रीजी महाराज (सरकारी उपाश्रय वाले) की शिष्या पूज्यपाद साध्वीजी श्री मनोरहर श्रीजी महाराज
(मुनिराज श्री जंबूविजयजी की माताजी)
जन्म-वि०सं० १९५२ कार्तिक सुदि ५, कपडवंज दीक्षा-वि०सं० १९६५ महाबदि ५, छाणी स्वर्गवास-वि०सं० २०२७ ज्येष्ठ बदि ६,
मुंबई, दिनांक १४-६-१९७१ सोमवार
जन्म-वि०सं० १९५१ श्रावण बदि ५,
शनिवार, दिनांक १०-८-१८९५, मांडल दीक्षा-वि०सं० १९८८ ज्येष्ठ बदि६,
शुक्रवार, दिनांक २४-६-१९३२, अहमदाबाद स्वर्गवास-वि०सं० २०१५, महा सुदि ८, सोमवार, दिनांक १६-२-१९५९, शंखेश्वर तीर्थ
जन्म-वि०सं० १९५१ मार्गशीर्ष बदि २,
शुक्रवार दिनांक १४-१२-१८९४ झींझुवाडा दीक्षा-वि०सं० १९९५, महावदि १२,
बुधवार, दिनांक १५-२-१९३९, अहमदाबाद स्वर्गवास-वि०सं० २०५१, पौष सुदि १०,
बुधवार, दिनांक ११-१-१९९५ रात को ८-५४ बजे, वीशानीमाभवन, जैन उपाश्रय, सिद्धक्षेत्र.... पालीताणा तीर्थ
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IV - Illustration
PROI000000TumcuuuGunmun
जैसलमेर दुर्ग स्थित
जैन मंदिर
लोद्रवपुर (जैसलमेर से १६ कि०मी० दूर) स्थित पार्श्वनाथ जैन मंदिर (नलिनीगुल्म देव विमान के आकारका अष्टभुजीय)
on Eurason intemanon
जैसलमेर दुर्ग स्थित संभवनाथ जैन मंदिर के तल घर
स्थित ग्रंथभंडार का दृश्य
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लोद्रवपुर तीर्थ के अधिष्ठायक नागदेव
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Illustration - V
5
-0.
Folorotoos
अमरसागर (जैसलमेर से ६ कि०मी० दूर) स्थित जैन मंदिर
लोद्रवपुर पार्श्वनाथ मंदिर की बाहरी भमती
में समवसरण मंदिर एवं कल्पवृक्ष
लोद्रवपुर पार्श्वनाथ मंदिर के बाहर का मुख्य प्रवेशद्वार ८ वी शताब्दी में
बना सूक्ष्म खुदाईकाम युक्त मनोहर तोरणद्वार
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V - Illustration
जैसलमेर का गदीसर तालाब व दुर्ग का विहंगम दृश्य
Jan Education interman सूक्ष्म खुदाई काम के नमूने स्वरुप सालमसिंह दिवान की हवेली, जैसलमेर
बादलविलास, जवाहर पैलेस, जैसलमेर
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Illustration-VII
तपागच्छ मंदिर का उपासरा (कोठारीपाडा, जैसलमेर)
थाहरुशाह भंसाली का उपासरा (काछबापाडा-जैसलमेर)
FREE
BORDOG abobo DEE
manisapana
खरतरगच्छीय वृद्धिचंद्रजी का उपासरा (जगानीपाडा-जैसलमेर)
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लोकागच्छ का उपासरा
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VIII - Illustration
दादा साहेवजिनदत यूरिजीमहाराज की
- चादर गोल गड़ा एवं मह पता.
देवलोक होने पर अनि संस्कार के समय धारण बस्त्र अग्नि से नहीं जले सो अजमेर से पारण गये वहाँ से जैसलमेर लाकर सुरक्षित रखे।
विमलनाथजी मंदिर का उपासरा (दालोतपाडा-जैसलमेर)
लोद्रवा जैन मंदिर में कमलबंध शिलालेख
पूज्य श्री जिनदत्त सूरिजी महाराज की चादर, चोलपट्टा एवं मुहपत्ति,
जो अग्नि संस्कार के समय जली नहीं
(जैसलमेर ज्ञान भंडार)
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अनुक्रमणिका
का चरित्र ...........
विषय
विषय प्रस्तावना....... ........................................ 3 से 31 . पार्श्वजिनालयस्य प्रशस्तिः
20 से 21 - जैसलमेर में हमने देव-गुरु-कृपा से जो कार्य किया उसकी संक्षिप्त
• शान्तिजिनालयस्य प्रशस्तिः......
21 से 22 रूपरेखा
. सम्भवजिनालयस्य प्रशस्तिः ... .......... - पु०सू० से उद्धृत अमृतलाल भोजक की प्रस्तावना के कुछ अंश
• लक्ष्मीकान्तप्रासादस्य प्रशस्तिः .......... - जौहरीमलजी पारख' द्वारा प्रकाशिक सूचीपत्र के प्राककथन से
• अष्टापदप्रासादयस्य प्रशस्तिः उद्धृत कुछ अंश ............
............ 7 से 8
• लोद्रवपुरे शतदलकमलान्त:स्थो लेख: - जैसलमेर जुहारीये से उद्धृत श्रुतोद्धारक प्रभावक श्री जिनभद्रसूरिजी
............ 8 से 10
• लोद्रवपुरे शतदलकमलबहिःस्थो लेख: - जैसलमेर जुहारीये से उद्धृत श्रेष्ठी श्री थाहरुशाहजी भणशाली का
• सुपार्श्वजिनालयस्य प्रशस्तिः ... जीवनचरित्र ..
................ 10 से 14 - सूचीपत्र का उपयोग करने से पहले अवश्य पढ़ें ...... - सी०डी० दलाल के सूचीपत्र से उद्धृत (अंग्रेजी प्रस्तावना) ............ 14 - संकेत सूची. - सी०डी० दलाल के सूचीपत्र से उद्धृत श्री लालचंद भगवानदास
- जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथभंडार ..... .............. गांधी लिखित संस्कृत प्रस्तावना ..
| - तपागच्छ ताडपत्रीय हस्तलिखित ग्रंथभंडार ..............
.. ४५ से ४५ - सी०डी० दलाल के सूचीपत्र से उद्धृत जैसलमेरुमन्दिरस्थ शिलालेखाः (जैसलमेर लोद्रवा आदि मंदिरों के शिलालेख) .............. 20 से 30 |
- लोकागच्छ, आचार्यगच्छ ताडपत्रीय हस्तलिखित ग्रंथभंडार .............. ४६
- जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार .......................... ४७ से १५८ 1. पु०सू०-मुनिराजश्री पुण्यविजयजी द्वारा संपादित, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद-९, द्वारा ईसवी सन् १९७२ में प्रकाशित “New catiogue of sanskrit & prakrit Manuscripts Jesalmer collection" नाम के सूचीपत्र से उद्धृत ॥२. जौहरीमलजी पारख संपादित एवं सेवामंदिर रावटी, जोधपुर, द्वारा ईसवी सन् १९८८ में प्रकाशित "जिनभद्रसूरि ज्ञान भंडार जैसलमेर हस्तलिखित ग्रंथों का सूचीपत्र द्वितीयखंड से उद्धृत। ३. श्रीमान् महेन्द्रभाई बाफना - जैसलमेर, द्वारा प्रकाशित “जैसलमेर जुहारिये स्मारिका १९९७" से उद्धृत ॥ ४. श्रीमान् सी०डी० दलाल संपादित एवं गायकवाड ओरिएंटल सीरीज, सेन्ट्रल लायब्ररी, बडोदरा, द्वारा ईसवी सन् १९२३ में प्रकाशित 'जैसलमेर जैन भांडागारीयग्रन्थांना सूचीपत्रम् से उद्धृत।
नननननननननन
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2- अनुक्रमणिका -
विषय पत्रांक विषय
पत्रांक - डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार
|-परिशिष्ट-७ - थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार ...
(i) Granth No. wise list of the CDs of the Palm-Leaf Mss, ५६५ से ५६६ - लोंकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार ..........
(ii) Granth No. wise list of the CDs of the Paper Mss. ५६७ से ५७० - आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार .....
२५९ से २४
- Appendix-8 (परिशिष्ट-८) Brief guide to CD operation ....... ५७१ से ५७३
- परिशिष्ट-९ संख्या सूचक शब्द संकेत (श्री जौहरीमलजी पारख के सूचीपत्र - तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार........ ................ २७५ से ३२६
से उद्धृत).
५७४ से ५७९ - परिशिष्ट-१ सर्व ग्रंथभंडारों के ताडपत्रीय तथा कागज के ग्रंथों का
- परिशिष्ट-१० तपागच्छ भंडार की पुरानी सूची (श्री जौहरीमलजी पारख के अकारादि क्रम
३२७ से ४९८ सूचीपत्र से उद्धृत).
५८० से ५८१ - परिशिष्ट-२ सर्व ग्रंथभंडारों के ग्रंथों के कर्ताओं की अकारादि क्रम से सूची ४९९ से ५३६ | - परिशिष्ट-११ देवनागरी वर्णमाला को रोमन लिपिमें लिखने की पद्धति -- परिशिष्ट-३ सर्व ग्रंथभंडारों के ताडपत्रीय तथा कागज के ग्रंथों की
जाहरामलजा पारख क सूचापत्र स उद्धृत) ..................... ५८२ से ५८२ लेखनसंवत्वार अकारादि सूची
५३७ से ५४६ - परिशिष्ट-१२ विशिष्ट प्रतियाँ (पु०सू० से उद्धृत).
५८३ से ५८५ रचनासंवत्वार अकारादि सूची
५४७ से ५५१ | - परिशिष्ट-१३ हस्तलिखित ग्रंथगत ऐतिहासिक विशेष नामों की अकारादि क्रम से - परिशिष्ट-४ कागज की मूल हस्तलिखित प्रतियों के पेटी क्रमांकों तथा ग्रंथ
सूची (पु०सू० से उद्धृत) ..
५८६ से ६१२ क्रमांको की सूची
५५२ से | - परिशिष्ट-१४ प्राचीन अंकमाला के वर्ण
६१३ से ६१४ - परिशिष्ट-५ सी०डी० तथा फोटोस्टेट (झेरोक्ष) की सूची
५५४ से ५५५ - परिशिष्ट-६ C.D. No. Wise List of the Palrn-Leaf and Paper Mss. ५५६ से ५६४ 1. जैहरीमलजी पारख संपादित एवं सेवा मंदिर रावटी, जोधपुर, द्वारा ईसवी सन् १९८८ में प्रकाशित 'जिनभद्रसूरि ज्ञान भंडार जैसलमेर हस्तलिखित ग्रंथों का सूचीपत्र द्वितीय खंड से उद्धृत । २. पु०सू० मुनिराजश्री पुण्यविजयजी द्वारा संपादित एवं लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर अहमदाबाद-९, द्वारा ईसवी सन् १९७२ में प्रकाशित "New catlogue of sanskrit & prakrit Manuscripts Jesalmer collection" नाम के सूचीपत्र से उद्धृत॥
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। सिद्धाचलमण्डनश्रीऋषभदेवस्वामिने नमः | श्री चिन्तामणिपार्श्वनाथाय नमः । श्री शङ्खेश्वरपार्श्वनाथाय नमः । श्री महावीरस्वामिने नमः । श्री गौतमस्वामिने नमः । । पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वरजीपादपद्मेभ्यो नमः । पूज्यपादाचार्यदेवश्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरजीपादपद्मेभ्यो नमः । । पूज्यपादसद्गुरुदेवमुनिराज श्रीभुवनविजयजीपादपद्मेभ्यो नमः ।
-: प्रस्तावना :
तीरथ ते नमुं रे
'जैसलमेर जुहारीये दुःख वारिये रे, अरिहंत बिंब अनेक उपाध्याय श्री समयसुंदरजी महाराजकी यह उक्ति सर्वत्र प्रसिद्ध है। जैन समाजमें जैसलमेर तीर्थके तौर पर तो प्रसिद्ध है ही, किन्तु वहाँ रहे प्राचीन ग्रंथ भंडारोंके कारण भी जैसलमेर विश्व में विख्यात है । इन ग्रंथभंडारोंके प्रति जैनों का आकर्षण हो यह स्वाभाविक ही है, किन्तु विश्वके प्राचीन साहित्य संशोधक विद्वानों व अनुसंधानकर्ताओं का भी अधिक आकर्षण रहा है । विशेषतः इस भंडार में विद्यमान ग्रंथोंको दिखाने के विषयमें वहाँ प्रवर्तमान अति कड़े नियमोंके कारण भंडारमें क्या है और कैसे कैसे ग्रंथ है यह जानने के लिए अति आकर्षण और कुतूहल विश्वके विद्वानोंमें रहा है ।
जैसलमेर भारतमें राजस्थानकी सीमा पर आये हुए जैसलमेर जिलेमें अक्षांश २६-५५ तथा रेखांश ७०-५४ पर बसा हुआ शहर है । उसमें भी भारत के विभाजन के बाद अभी पाकिस्तान की सीमा पर होने से राजकीय और सैनिकी दृष्टिसे उसका महत्व बहुतही बढ़ गया है । वहाँ का आकाश दिन-रात विमानोंकी कवायतसे हमेशा धमधमाता रहता है । वहाँ अनेक प्रकारकी हस्तकलाओंके कारण और वहाँ के मकानोंमे रहे पत्थरके अद्भुत सूक्ष्म विविध खुदाईकाम के कारण पर्यटकों का अत्यंत आकर्षण रहता है । जहाँ देखो वहाँ परदेशी पर्यटकों की टोलियां देखनेको मिलती है । खादीउद्योग भी वहाँ बड़े पैमाने पर चलता है । प्रवासियोंके लिए वहाँ स्थान स्थान पर अनेक होटलें भी खड़ी हो गई हैं। फिलहाल अंदाजन पचास साठ हजार की आबादीवाला जैसलमेर शहर विश्व के मानचित्र पर आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है । जैसलमेर शहरके ही एक तरफ के भागमें ऊंची विशाल टेकरी है । उसपर चारों ओर किला है । इस किलेमें जानेके लिए अनेक द्वार (पोल) है । इसलिए यह भाग किलेके नामसे पहचाना जाता है । इस किलेनें ही राजाका महल तथा राजसभा आदि थे जो आज भी है ही, लेकिन फिलहाल वहाँ के राजा किलेके बाहर आये हुए महलमें रहते है । इस बाहर के महलके साथ ही राजकुटुंब के सदस्यों के लिए मंदिर होनेसे यह 'मंदिर पेलेस' (मंदिर महल )
के नामसे पहचाना जाता है ।
इस किलेमें जैनोंके आठ प्राचीन मंदिर हैं। किलेमें ब्राह्मण तथा राजपूतोंकी बस्ती है।
प्रस्तावना 3
जैनोंकी कोई बस्ती है ही नहीं । जैनी किलेके बाहर आये हुए अलग अलग पाडोंमें बसते है । कहा जाता है की, सौ देढसौ साल पहले वहाँ २७०० जैनोंके घर थे। फिलहाल तो ज्यादातर जैनी व्यापारके लिए बाहर चले जाने से लगभग २७ घर रहे है ।
किलेमें आठ जैनमंदिरोंमें से सात तो बिलकुल पास पास में ही है । कईमें तो एकमैसे दूसरे मंदिरमें जा सकते हैं । उसमें चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवानका मंदिर मुख्य है । उसमें से बायीं तरफ संभवनाथ भगवानके मंदिरमें और दायी तरफ शांतिनाथके मंदिरमें जा सकते है। बाहर निकलनेके बाद बायीं ओर अष्टापदजीका मंदिर है । उपर मंजिल पर शांतिनाथ भगवानका मंदिर है । श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवानके मंदिर से पहले चंद्रप्रभ भगवानका चौमुखजीवाला मंदिर है। उसमें तीन मंजिलें हैं । सर्वत्र चंद्रप्रम भगवान ही चौमुखजीके रुपमें बिराजमान है । प्रदक्षिणा (भमती) में भी लगभग सभी मंदिरोमें चंद्रप्रम भगवानकी मूर्तियाँ है । उसकी बगलमें ही आदिनाथका मंदिर है जिसमें अनेक प्रकारके पट आये हुए हैं । उसके बाहर स्नानागारकी नजदीकमें ही मेहमान स्वरूप विराजमान सीमंधरस्वामी आदि अनेक भगवानकी प्रतिमायें पवासन पर विराजमान है। सीमंधर स्वामी, संभवनाथ भगवान और शांतिनाथ भगवानके मंदिरोमें प्रदक्षिणा (भमती) नहीं है ।
किलेमें प्रवेश करने के बाद राजमहलकी नजदीक की गलिमें श्री महावीरस्वामी भगवानका छोटा मंदिर है ।
इन मंदिरोंगे पट, तोरण, स्तंभ आदि पर खुदाई की हुई प्रतिमाओंकों मिलाकर छोटी मोटी लगभग छः हजार प्रतिमाएँ है ।
चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवानके मंदिरकी बगल में जो संभवनाथ भगवान का मंदिर है उसके तलघरमें पार्श्वनाथ भगवानकी नीलमकी प्रतिमा तथा सच्चे मोती जडे हुए सिद्धचक्रजीके प्राचीन गट्टे तथा अन्य कई चित्र तथा हस्तलिखित ताडपत्रोंके थोडे बहुत नमुने शीशेकी दर्शनीय पेटीयोंमें (शो केसमें) रखे गये हैं । एक दर्शनीय पेटीमें दादा गुरुदेव श्री जिनदत्तसूरिजीके अग्निसंस्कारके समय नहीं जले हुए वस्त्र ओघा आदि भी रखे गये हैं। इस तलघरमें से दूसरे तलघरमें जाया जाता है। उसमें कागज के हस्तलिखित ग्रंथ अलमारियोंमें रखे गये हैं।
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4.प्रस्तावना
दूसरे तलघरमें एक छोटी खिडकी जैसे द्वारसे तीसरे तलघरमें जाया जाता है । बैठे बैठे ही | तरह पूर्ण करना ही था । सो सभी ताडपत्रीओं का और कुछ महत्त्व की कागजकी प्रतिओं प्रवेश हो सकता है । स्थूल शरीरवाला तो उसमें बडी मुश्कील से प्रवेश कर सकता है । का स्केनींग करवाया और महत्त्व के सभी ग्रंथो की फोटोस्टेट (Xerox) अनेक मशीनें लगवाकर इस तीसरे तलघरमें लोहे की चार पांच अलमारियाँ है, जिसमें ताडपत्रीय प्राचीन हस्तलिखित जर्मन आलाबास्टर कागज पर करवाई । स्तवन-सज्झाय-रास-ज्योतिष के अर्वाचीन ग्रंथ - गुटकोंप्रतियाँ अल्युमिनियमकी पेटीयोंमें सुरक्षित ढंगसे रखी गयी हैं । यह भाग बहुत छोटा है । उसमें सारस्वत-चन्द्रिका व्याकरण आदि के ग्रंथ-छुटक-छुटक पन्नें और जिनकी अनेक अनेक हस्तलिखित एक छोर पर खोखला गुप्त स्तंभ है । इस गुप्त स्तंभमें क्या है उसका कीसीको पता नहीं । प्रतियाँ है वैसे हस्तलिखित ग्रंथों में से कुछ कुछ प्राचीन ग्रंथों को छोडकर शेष प्रतियों-ऐसे कोई कहे उसमें पारसमणि है, कोई कहे उसमें कीमती जवाहरात है, कोई कहे उसमें प्राचीन ऐसे सामान्य सामान्य स्वरूप के ग्रंथों को छोडकर सभी महत्त्व के ग्रंथों की स्केनींग द्वारा सी.डी. महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है । सब कल्पनाका विषय है । उसको खोलनेकी चेष्टा करनेसे आदमी विक्षिप्त या फोटोस्टेट हमने करवाई है । कुछ ग्रंथों की सिर्फ स्केनींग द्वारा सी.डी., कुछ ग्रंथों की या अंधा हो जाता है ऐसी किंवदन्तीयाँ चलती हैं इस कारण यह खोखला स्तंभ आज भी एक स्केनींग द्वारा सी.डी. एवम् फोटोस्टेट उभय, कुछ ग्रंथो की सिर्फ फोटोस्टेट करवाई है । ये रहस्य बना हुआ है।
सब करने के बाद फिर उसकी जाँच (कार्य बराबर हुआ है या नहीं? कुछ पन्ने छुट तो जैसलमेर के पश्चिममें ६ कि.मी. पर अमरसागर नामक स्थान है । उसमेंभी जैसलमेरके नर्हि गये? इत्यादि बातों की चौकशी) में बहुत बहुत बहुत समय लगा । इस कार्य में वर्धमान पटवा हवेली के मालिक बाफना परिवार द्वारा बंधवाया हुआ सुंदर प्राचीन, मुलनायक श्री आदिनाथ संस्कृति धाम, विनियोग परिवार ट्रस्ट मुंबई से अरविन्दभाई पारेख की प्रेरणा एवं केतनभाई भगवानका मंदिर है। वहाँसे आगे लगभग १० किमी. पर लौद्रवा नामका प्राचीन स्थान है । वहाँ के प्रयत्न से आए हुए सेवाभावी युवकोंने एवं मुंबई से मिहिरभाई विनुभाई कांतिलाल एवं श्रेष्ठी श्री थाहरुशाहजी द्वारा बैंधवाया हुआ लौद्रवा पार्श्वनाथ भगवानका अत्यंत भव्य कला कौशल अन्य सेवाभावी सज्जनों तथा अहमदाबाद आदि से आये अनेक अनेक श्रायकोंने रात-दिन परिश्रम युक्त मंदिर है । मंदिर की भमतीमें बायीं ओर अष्टापदजी (समवसरण) मंदिर के उपर कल्पवृक्ष करके यह कार्य पूर्ण किया था । सभी साधु और सभी दस साध्वीजीयाँ तो इस कार्य में अत्यंत दर्शनीय है। वहाँके अधिष्ठायक नागराज (सर्प) संबंधी भी बहुत बातें प्रचलित हैं ।। प्रारंभ से ही रात-दिन लगे ही हुए थे ।
इन सब मंदिर, ग्रंथभंडार आदिकी व्यवस्था श्री जैसलमेर लौद्रयपुर पार्श्वनाथ जैन श्वेतांबर यह सर्व कार्य पूर्ण कर, यह सभी सामग्री जैन ट्रस्ट, जैसलमेर को दि. २८-१२-९८ के ट्रस्ट, जैन भवन, जैसलमेर की ओरसे हो रही है ।
दिन समर्पण करके एवं उसको व्यवस्थित रखकर हम ने दि. ३१-१२-९८ के दिन जैसलमेर अब ग्रंथभंडारोंकी बात पर आते है ।
से प्रस्थान किया और पोकरण-फलोदी-ओसियाँजी-नागोर-बिकानेर-दिल्ली होकर हस्तिनापुर तीर्थ में जैसलमेरमें हमने देव-गुरु-कृपा से जो कार्य किया उसकी संक्षिप्त रूपरेखा
अक्षय तृतीया करके हरिद्वार में आकर हमने चतुर्मास किया है ।
अब इन्हीं बातों को विस्तार से देखें - चातुर्मास के लिए जैसलमेर में विक्रम संवत् २०५४ (मारवाडी २०५५) अषाढ शुक्ल ९ विक्रम संवत् २०५२ में हम अमदावादमें जैन सोसायटीमें चातुर्मास कर रहे थे तब जैन मी के दिन हमने प्रवेश किया । जैन ट्रस्ट की मीटींग सन् १९९८ के जुलाई के अंतिम सप्ताह ट्रस्ट-जैसलमेर के अध्यक्ष शेठश्री युद्ध-सिंहजी बाफना हमें मिलने आये और उन्होंने बिनति की में हुई और स्केनींग करने की विधिवत् संमति उसमें हमको दी गई । बाद में सभी मशीनरी कि आप जैसलमेर पधारो और ग्रंथभंडारको व्यवस्थित एवं सुरक्षित करो । अवसर आने पर जुटाने के बाद दि. ३-८-९८ के दिन स्केनींग के कार्य का कुछ ही प्रारंभ हुआ । ओगस्त सोचेंगे ऐसा कहकर उनकी बिनतिका स्वीकार करके हम वहाँ से कच्छमें गयें । वहाँ विक्रम १५, १९९८ करीब ही व्यवस्थित कार्य प्रारंभ हुआ । भिन्न भिन्न व्यवधान आते रहे । भंडार
संवत् २०५३ का चातुर्मास नाना आसंबीया (ता. मांडवी, कच्छ) में करके संवत् २०५४ में श्री में से हमको कुछ कुछ थोडे थोडे ग्रंथ ट्रस्ट के रजिस्टर में लिखकर देते थे । उनका स्केनींग
शंखेश्वरपार्श्वनाथके दर्शन करके संवत् २०५४ के पैत्र वदि ७ को यहाँ से प्रस्थान किया और करके वापस लौटाने के बाद कुछ दुसरे ग्रंथ हमको मिलते थे । इन सभी की दर्ज (Note) चैत्र बैशाख की सख्त रेगिस्तानी गरमी और अनेक बिच्छु आदि जहरीले जंतुओंके उपद्रोंसे ट्रस्ट के रजिस्टर में ट्रस्टीओं की सही (Signature) के साथ होती थी । मिन्न भिन्न कारणों
गुजरते हुए वाव थराद-सांचोर-धोरीमणा-बाडमेर होते हुए जैसलमेर पहुँचे । वहाँ थोडे दिन रहकर | से कार्य में विलंब भी होता था । सात सात कोम्प्युटर्स लगवाए थे । कार्य तो किसी भी
लौद्रवाजीकी यात्रा करके सं.२०५४ आषाढ सुदि नवमी के दिन जैन भवन, जैन ट्रस्ट, जैसलमेरम
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प्रस्तावना -5 | हमने चातुर्मास के लिए प्रवेश किया ।
कारण से है की, सर्वप्रथम तो वहाँ जाना मुश्कील है, वहाँ जानेके बाद भी उन भंडारोंको प्राचीन ज्ञान-भंडारोंको व्यवस्थित और सुरक्षित कैसे किया जाय उसके लिए अनेक विचार देखनेकी सुविधा (अनुकूलता) मिलनी मुश्कील है और पूरे धैर्य के साथ संपूर्ण भंडारकी जाँच चल रहे थे । लगभग एक वर्ष से उसके लिए अलग अलग तलाशें चल रही थी । जैसलमेर करने का काम तो बहुत ही कठिन है । इस परिस्थितिमें उन ग्रंथभंडारोंका निरीक्षण बहुत पहुंचे तब तक अमदावाद तथा मुंबई आदिमें फोटो एवं कम्प्युटर तकनीकी के विशेषज्ञोंसे संपर्क कम होने से उसके साहित्यका अनुमान और उपयोग बहुत कम लोग कर सके हैं । इसलिए व परामर्श चल रहा था । अंतमें तुरंत शक्य और सरल उपाय स्केनींग करनेका लगा । जैसलमेर विद्वानोंमें उसका आकर्षण आज भी रहा है । जो जो विद्वान वहाँ गये उन्होंने अपने लिए ही जैन ट्रस्ट की ओरसे स्केनींगकामके लिए सन् १९९८ के जुलाई के अंतिम सप्ताह में हमे को कुछ काम करनेसे उसका व्यापक परिचय सभीको नहीं मिल सका, इस कारण भी इन भंडारोंकी अनुमति मिली । उसके बाद ही स्केनर के लिए तलाश की गई और यथा शीघ्र दो स्कैनर जिज्ञासा विद्वद्वर्गमें हमेशा बनी रही है | इस भंडारकी महत्ताका अलग उपलक्षण यही है । आ गयें । आने के बाद दि. ३-८-९८ से काम का प्रारंभ किया गया । जैसे जैसे जरुरत वैसे तो भारतमें स्थान-स्थानमें जो ताडपत्र या कागज पर लिखे हुए ग्रंथोंके संग्रह है वे सब महसूस हुई वैसे वैसे अधिक स्केनर, कम्प्युटर आदि खरीदते गये । उसके बाद भी अनेकानेक अनेकानेक दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण हैं । संक्षेपमें ऐसा भी कह सकते हैं की, गुजरात आदि के भंडार व्यवधानोंसे गुजरते हुए जिन जिन ग्रंथोंकी स्केनींग करके सी.डी. बनायी गई और जिन जिन
कई बार अपने देखनेमें आने से उनके प्रति मानसिक खिंचाव (लगाव) उतना नहीं रहता जितना ग्रंथोंकी फोटोस्टेट करनेमें आयी और जिन ग्रंथों पर कुछ भी कार्य नहीं किया जा सका उन की नवीनताकी तरफ रहता है । यह स्वाभाविक है । सभी ग्रंथो का सूचिपत्र यहाँ दीया गया है।
जैसलमेरमें कुल मिलाकर निम्नोक्त दस झान भंडार विद्यमान है । पूज्य आगमप्रभाकर मुनिप्रवरश्री पुण्यविजयजी महाराज जैसलमेर ग्रंथभंडारोंको व्यवस्थित करने १) किलेमें श्री संभवनाथजी के मंदिरमें भूमिगृह में आया हुआ श्री जिनभद्रसूरिग्रंथभंडार । के लिए विक्रमसंवत् २००६ में जैसलमेर पधारे थे । वहाँ १६ महिने रहकर उन्होंने अथक परिश्रम २) वेगडगच्छीय ग्रंथभंडार । करके ग्रंथ भंडारोंको व्यवस्थित किया था । उसके बाद श्री जिनभद्रसूरि प्रथभंडारकी ताडपत्रीय ३) खरतरगच्छीय बडे उपाश्रयका या पंचका ग्रंथभंडार । तथा कागज पर लिखित प्रतियोंका सूषिपत्र इसवी सन् १९७२ में लालभाई दलपतभाई भारतीय ४-५) खरतरगच्छीय बडे उपाश्रयमें आचार्य श्री वृद्धिचंद्रजी यतिश्रीका ग्रंथभंडार और यतिश्री संस्कृति विद्यामंदिर- अमदावाद-९ से प्रकाशित हुआ था । उसका नाम 'CATALOGUE OF लक्ष्मीचंद्रजी महाराज का ग्रंथभंडार । SANSKRIT A PRAKRIT MANUSCRIPTS OF JESALMER COLLECTION" है । उसकी ६) आचार्यगच्छ के उपाश्रयका ग्रंथभंडार । प्रस्तावनामें उसके सहायक संदापक पंडित श्री अमृतभाई मोहनलाल भोजकने ग्रंथ-भंडारोंका गुजराती ७) खरतरगच्छीय श्री थाहरूशाहजीका ग्रंथभंडार | माषामें जो वर्णन किया है उसका कुछ अंश हिंदीमें अनुवादित करके अक्षरशा यहाँ दीया जाता ८) यति श्री डूंगरजीका ग्रंथभंडार ।। है । विस्तृत और अधिक जानकारी जिज्ञासुदर्ग उस सूचिपत्र से प्राप्त करे ।
९) लोंकागच्छका ग्रंथभंडार । अमृतलाल भोजक लिखित प्रस्तावना का कुछ अंश ।
१०) तपागच्छका ग्रंथभंडार | "जैसलमेरके ग्रंथमंडारोंकी विशेष महत्ता उसमें रही हुई प्राचीन-प्राचीनतम प्रतियाँ और कई
इन भंडारोंमें से लौकागच्छीय और तपागच्छीय ग्रंथभंडारके सिवा अन्य आठों भंडार खरतरगच्छीय अन्यत्र अप्राप्य ग्रंथोंके कारण से है । इसका मतलब यह नहीं कि गुजरात आदि प्रदेशोंके ग्रंथमंडारोंका महत्त्व उससे कम है । पाटण, खंभात, अमदाबाद, सूरत और अन्यत्र रहे हुए
प्रथम दो नंबरोंके ग्रंथभंडार तो किलेमें साथ ही है, जब की तीसरे क्रमांकका बडा उपाश्रयका ग्रंथमंडारोंमें ऐसे अनेक ग्रंथ हैं जिनका मूल्यांकन हम जैसलमेर के ग्रंथोंसे. जरा भी कम नहीं
ग्रंथभंडार पूज्यपाद आगमप्रभाकरश्रीजीने जैसलमेरके श्री संघको समझाकर किले में रखवाया है। कर सकते । अर्थात् पाटण-खंभातादि के ताडपत्रीय ग्रंथभंडारोंके समान ही जैसलमेरके प्रथभंडार ।
पाँचवे क्रमांकका यतिश्री लक्ष्मीचंद्रजी महाराजका भंडार उन्होंने स्वयंने विक्रमसंवत् २००७ में श्री का महत्त्व है । जैसे जैसलमेर के भंडारमें अन्यत्र अप्राप्य और प्राचीनतम विशिष्ट ग्रंथ है वैसे
हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानमंदिर (पाटण-गुजरात) को समर्पित कर देने से फिलहाल यह मंडार पाटणमें पाटण-खंभातादि के भंडारोंके संबंध में भी है। जैसलमेर के ग्रंथभंडारका सविशेष महत्व उस | ह ।
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6- प्रस्तावना
यहाँ निदर्शित जैसलमेरके तथा अन्यान्य स्थानोंमे स्थित प्राचीन ग्रंथभंडार केवल जैनधर्मके ग्रंथोंके संग्रह रुप ही नहीं, बल्कि उसमें ब्राह्मण और बौद्ध ग्रंथोंको भी जैनोंने लिखवाकर संगृहीत किया है । इनमें ऐसे भी कोई ग्रंथ हैं जिसकी प्रति अन्यत्र उपलब्ध नहीं है, और ऐसे भी अजैन ग्रंथ हैं जिनकी सबसे प्राचीन प्रति जैनभंडारोंमें ही मिलती है । इस दृष्टिसे इन भंडारोंमें भारतीय वाङ्मयके प्राचीनतम ग्रंथ सुरक्षित है, उसमें कोई सन्देह नहीं, फिरभी इनमें जैनधर्मके ग्रंथोंकी विपुलता हो यह स्वाभाविक है । १) जिनभद्रसूरि जैन ग्रंथभंडार
इस भंडारकी स्थापना खरतरगकीय युगप्रधान आचार्य श्री जिनभद्रसूरिजीने विक्रम के ५५ वे शतकके उतरार्धमें की थी । व्यवहारमें यह भंडार 'बडो भंडार' के नामसे प्रसिद्ध है। आचार्यश्री के उपदेशसे खंभातनिवासी परीक्षक-परीख धरणाशाहने बहुत ग्रंथोंको ताडपत्रों पर लिखवाये थे जिसमें से ४८ ग्रंथ आज भी इस भंडारमें विद्यमान है । उनके उपरांत खंभातनिवासी श्रेष्ठी श्री उदयराज और श्रेष्ठी श्री बलिराज नामक बंधुयुगलने भी इन आचार्यश्री के उपदेशसे अनेक ग्रंथोंको ताडपत्र पर लिखवाये होंगे । इन दो बंधुओंके लिखवाये हुए छः (६) ग्रंथ इस भंडारमें विद्यमान है ।
श्री हेमचंद्राचार्य ज्ञानमंदिर (पाटण) में स्थित श्री वासीपार्श्वनाथग्रंथभंडारकी स्थापना भी इन्हीं आचार्यश्रीकी प्रेरणासे हुई थी । इस भंडारमें विक्रमके १५वे शतक के अंतमें श्री जिनभद्रसरिके उपदेशसे कागज पर लिखे जैन आगमादि साहित्यके अतिरिक्त काव्य, कोश, अलंकार, छंद और दर्शनशास्त्रके भी महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं । इससे इन आचार्यश्रीकी विविध विद्याशाखाओंके प्रति रुधि, आदर और प्रेरणा विशेष उल्लेखनीय है | वाडीपार्श्वनाथग्रंथभंडारमें कई ग्रंथ ऐसे हैं जो जैसलमेरके ग्रंथभंडारकी ताडपत्रीय प्रतिकी नकल स्वरुप है । आचार्यश्री जिनभद्रसूरिजीके उपदेशसे जैसलमेर, जावाल, देवगिरि, अहिपुर (आहोर), पाटण (गुजरात), मंडपदुर्ग, आशापल्ली और खंभातके ग्रंथभंडारोंकी स्थापना हुई थी।
प्रस्तुत श्री जिनभद्रसूरिग्रंथभंडारमें परीख धरणाशाह और श्रेष्ठीश्री उदयराज-बलिराज ने नही लिखवायी वैसी प्रतियाँ विक्रमके १२ वें शतक के पूर्वार्द्ध से लेकर १५ वे शतकके उत्तरार्द्ध तक अलग अलग महानुभावोंने लिखवायी है । सबसे प्राचीनतम प्रति विशेषावश्यक महाभाष्यकी है, जो विक्रमके दसवे शतकके पूर्वार्द्धमें लिखवायी है, (देखो जि.ता.क्रमांक ११६) । प्राचीनता और लिपिकी दृष्टिसे यह प्रति असाधारण महत्त्वकी है।
इस भंडारमें लंबी और छोटे नापकी कुल मिलाके ४०३ ताडपत्रीय प्रतियाँ है, जबकी उनमें अंतर्गत छोटे बडे ग्रंथ मिलाकर कुलं ग्रंथसंख्या लगभग ७५० से भी ज्यादा होती है ।।
इसमें यहाँ बताये हुए विशेषावश्यकमहाभाष्य, सर्वसिद्धांतप्रवेश, तत्त्वसंग्रह, सांख्यकारिकाकी दो टीकायें, मल्लवादिका धर्मोत्तरटिष्पन, पादलिप्तसूरिकृत ज्योतिषकरण्डक की टीका, ओघनियुक्तिभाष्य, गुणपालकृत जंबूचरिय और चंद्रलेखाविजयप्रकरण आदि अनेक अलभ्य-दुर्लभ्य ग्रंथ इस भंडारमें है। उसके अतिरिक्त जैन आगम उसकी व्याख्यायें, व्याकरण, काथ्य कोश, अलंकार, छंद और दर्शनशास्त्रके प्राचीन-प्राचीनतम महत्त्वपूर्ण ग्रंथ इसमें हैं, जो अभ्यासी. अन्वेषक इस सूचीपत्रमें से जान सकेंगे। २) वेगडगच्छीय ग्रंथभंडार
खरतरगच्छकी बेगडशाखाके विद्वानोंने इस भंडारकी स्थापना की थी । इसमें विक्रमके १३ वें शतकसे २० में शतक तक लिखे हुए ग्रंथ हैं । २० वे शतकमें लिखे हुए ग्रंथोंको आचार्य श्री जिनकृपाचन्द्रसूरिजीने लिखवाकर रखे हैं । इसमें विक्रमके १५ ये शतकमें पाटण (गुजरात) में लिखवाये हुए ग्रंथोंकी पुचिकाएं देखते यह पता लगता है की, उस कालके वेगङगच्छीय आचार्योने जैसलमेरके भंडारके लिए पाटण के प्राचीन ग्रंथोंकी नकलें करवाई हो । श्री जिनभद्रसूरिजीके पाटणमें स्थापित भंडार के लिए लिखवाई हुई प्रतियाँ भी इस भंडारमें है । (पृ.४७ से ११६)
इस भंडारके क्रमांक १ से १३३० तक के सभी कागजपर लिखवाये हुए ग्रंथ इसी भंडारके है । जि.का, ग्रंथांक १३२७ ज्योतिषके अपूर्ण और प्रकीर्णक पन्नोंके संग्रह स्वरूप है और जि.का.ग्रंथांक १३२८ से १३३० तककी तीनों प्रतियोंमें स्तवन-सज्झाय आदि के प्रकीर्णक पन्ने हैं ।
सूचीपत्रमें इस भंडारका नाम 'श्री जैसलमेरस्थित खरतरगच्छीय युगप्रधान श्री जिनभद्रसूरि ग्रंथभंडार स्थित कागजपर लिखे ग्रंथोंका सूचीपन्न' ऐसा शीर्षकमें दिया हुआ है, लेकिन वास्तवमें यह कागज पर लिखा हुआ ग्रंथभंडार वेगडगच्छीय गंधमंडार है । पूज्यपाद आगमप्रभाकरश्रीजीसे भी पहले जिस कीसीने इस भंडारको देखा उन्होंने उसे किलेके तलघरमें ही देखा है, अर्थात् अनेक वर्षासे यह भंडार किलेमें ही रखा गया है । इसीलिये जैसे यहां बताया गया वैसे भंडारका शीर्षक दीया गया है । ३) खरतरगच्छीय बडाउपाश्रयका या पंचका मंडार
प्रस्तुत सूचिपत्रमें ताडपत्रीय क्रमांक ४०४ से ४२६ तक के इस भंडारके ग्रंथोंको पंचका ग्रंथभंडार-जैसलमेर' यह नामसे सूचित किया है । वास्तवमें यह ग्रंथ वडे उपाश्रयके भंडारके ही है । इन ग्रंथों में स्थविर श्री अगस्त्यसिंहगणिकृत दशवकालिकसूत्रकी चूर्णिकी अति महत्वपूर्ण प्राचीन प्रति है, जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथांक ४१०/१. जो अन्यत्र कीसी भंडारमें नहीं है ।
१. देखो पुरातत्त्वाचार्य 'मुनि श्री जिनविजयजी संपादित विज्ञप्तित्रिवेणी की प्रस्तावना पृ.५० से ५८
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प्रस्तावना -7
उपरोक्त पंचके भंडारके बाद प्रस्तुत सूचिपत्रमें देगडगच्छीय ग्रंथभंडारके ग्रंथोंकी सूचि दी | जौहरीमलजी पारख लिखित प्रस्तावना का कुछ अंश गई है । उसके बाद कागजके ग्रंथांक १३३१ से २२५७ तक के ग्रंथ (१.११७ से १५८) बडाउपाश्रयके
"अब मुनि श्री पुण्यविजयजी के सूचीपत्रमें वर्णित २६८३ ग्रंथ और हमारे सूचीपत्रमें के ग्रंथभंडारके है । ये ग्रंथ विक्रमके १५ वें शतक से १९ वे शतक तक लिखे गये हैं और
४४५२ ग्रंथ मिलकर (कुल ७१३५) पूरे जैसलमेर शहर के सभी जैन भण्डारोंको हम समेट लेते उसका मुख्य भाग जैन आगम, प्रकरण, रास तथा स्तोत्रादि ग्रंथोंका है । ऐसा होते हुए भी
हैं । यति श्री वृद्धिचंद्रजी व उनके शिष्य यति श्री लक्ष्मीचंदजी का एक मंडार जैसलमेर में व्याकरण, काव्य, छंद, आयुर्वेद और ज्योतिषादि विषयोंकी अजैन ग्रंथोंकी प्रतियाँ भी इस भंडारमें
था जिसका मुनि श्री पुण्यविजयजी के सूचीपत्र की प्रस्तावना के पृष्ठ ५ पर चार व पांच
दो क्रमांकोंसे उल्लेख हुआ है पर वस्तुतः वह एक ही भंडार था ।। ४) लोंकागच्छका ज्ञान भंडार
जिन पाँच भंडारोंका सूचीकरण हमारे द्वारा किया गया है उनमें श्री थाहरुशाहजी का ग्रंथभंडार इस भंडारमें ताडपत्र पर लिखी हुई चार प्रतियाँ है । कागजपर लिखे हुए ग्रंथ विपुल लगभग विक्रम संवत १६५० से १६७५ के बीच में उन्हीं के द्वारा स्थापित हुआ है। संघवी थाहरुशाहजी प्रमाणमें हैं । ताडपत्रीय चार प्रतियोंमें कुल नब ग्रंथ है और वे जैन आगम और उसकी व्याख्याके ओसवाल भंसाली गौत्र, खरतरगच्छीय, जैसलमेर राज्य के दीवान थे और उन्होंने शत्रुजय तीर्थ हैं । उसमें भगवतीसूत्र (क्र.४, पृ.४६) अनुमानसे विक्रमके १२ वें शतकमें लिखा हुआ है और
का यात्रा संघ भी निकलवाया था । वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । इतने व्यस्त व उच्च शेष ग्रंथ वि.सं.१३०७ में लिखे हुए हैं । प्राचीन प्रत्यंतरकी दृष्टिसे ये ग्रंथ महत्त्वपूर्ण है। पदासीन होते हुवे भी इनके भंडार के कुछ ग्रंथ स्वयं इनके हाथ के लिखे हुए हैं । यद्यपि
इस भंडार के ग्रंथ अति प्राचीन नहीं हैं तो भी सही पाठ की दृष्टि से ये महत्त्वपूर्ण हैं ।। ५) तपागच्छका ग्रंथभंडार
और फिर जब स्वयं थाहरुशाहजी ने इस कार्यमें रस लिया है तो प्रतियोंमें भूल होने की इस भंडारमें ताडपत्री तथा कागजपर लिखे हुए ग्रंथ है | उसमें से ताडपत्रीय सभी याने ।
गुंजाइश कम है। सातों ग्रंथोंकी सूचि तथा कागज के ग्रंथोकी सूधि यहाँ दी गई है।
इस भंडारके और अन्य चारों भंडारोंके बहुतसे ग्रंथ यहीं जैसलमेर के मुख्य भंडार की ६) थाहरूशाहका ग्रंथभंडार
प्राचीन ताडपत्र पर सुंदर, स्पष्ट व शुद्ध लिखी हुई प्रतियों की ही नकलें है अता मुख्य भंडार
में कोई ग्रंथ किसी कारण वश आज यदि उपलब्ध नहीं है तो उसकी जगह यदि इन भंडारोंमें विक्रमके १० वे शतकमें जैसलमेर निवासी भंसालीगोत्रीय धनी, दानी और धर्मनिष्ठ श्रेष्ठी श्री थाहरूशाहने जिनमंदिरनिर्माण आदि अनेक धर्मकृत्य किये थे जिसमें स्वयंका ग्रंथभंडारभी लिखवाया
उस ग्रंथ की प्रतिलिपि हो तो वह अपेक्षाकृत माननीय होनी चाहिए ।
श्री तपागच्छ जैन ग्रंथ भंडार भी लगभग विक्रम संवत् १६५० से १६७५ के बीच ही था । ....... ...... ..... ..........." ___ "जिनभद्रसूरि ग्रंथभंडार में ताडपत्रीय और ताडपत्रीय आकारके कागज पर लिखे हुए ग्रंथोंके
स्थापित हुआ लगता है क्योंकि किसी भी भंडार की स्थापना आगम-ग्रंथों से होती है और इस अतिरिक्त कागजपर लिखे ग्रंथोंकी कुल मिलाके २२५७ हस्तलिखित प्रतियाँ है ।" (अमृतलाल
भंडार के आगम-ग्रंथोंका जोडा (सेट) उन्हीं लिपिकों द्वारा लिखित है जिन्होंने थाहरुशाहजी के भोजक का विवेचन समाप्त)
लिये ग्रंथ लिखे हैं । कागज, नाप, स्याही आदि सब एक सरीखी ही है । किस आचार्य ईसवी सन् १९८८ में सेवामंदिर-राबटी-जोधपुर-राजस्थान की ओर से महा त्यागी एवं तपस्वी
महाराज ने इसकी स्थापना की, यह तो पता नहीं है, परंतु जैसलमेर निवासी कोठारी, पारख स्व. जौहरीमलजी पारखने 'जैसलमेर (राजस्थान) हस्तलिखित ग्रंथोंका सूची-पत्र द्वितीय खंड आदि गोत्रीय जैन ओसवालों ने ये प्रारंभिक ग्रंथ लिखवाकर भंडार को भेंट किये हैं । यह इस नामसे एक सूचीपत्र प्रकाशित किया था । उसके प्राक्-कथन में उन्होंने ग्रंथभंडारोंकी तथा
भंडार बाद में अधिक समृद्ध होता गया जब कि थाहरुशाह के भंडारमें स्थापना के वर्षोंके अन्य विस्तृत जानकारी दी है उसमेंसे कुछ अंश यहाँ अक्षरशः उद्धृत है ।
बाद नगण्य वृद्धि हुई है । इस भंडार की पुरानी सूचि पीछे परिशिष्ट में दी गई है ।
श्री ढुंगरजी यति का भंडार उनकी परंपरागत खरतरगच्छ की संपत्ति है और अभी तक 'इनके नाम से ही प्रसिद्ध था । स्वर्गीय श्री डुंगरजी यति अपने समय में किले के मुख्य भंडार
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8. प्रस्तावना
के भी संरक्षक और विद्वान भी थे । उनके शिष्य द्वारा यह भंडार किले के मुख्य भंडार में दे दिया गया है ।
बाकी के दोनों (गुजराती लुकागच्छ तथा लघु आचार्य गच्छ का) भंडार भी यही १७ वीं शताब्दी के आसपास ही स्थापित हुए लगते हैं । इनमें गुजराती लंकागच्छ का (श्री लोकाशाह के अनुयायियों का नहीं) और खरतरगच्छकी एक शाखा लघु आचार्यगच्छ का है । इन दोनों मंडारों की प्रतियाँ भी उच्चस्तरीय थी ।
जैसलमेर के ग्रंथभंडार पहले बहुत अधिक समृद्ध थे. परंतु जब से युरोपीय लोगोंका आगमन, शासन व वर्चस्व इस क्षेत्रमें बढ़ा तब से इन भंडारों का ह्रास होना शुरु हो गया और सैंकडो की तादाद में महत्वपूर्ण ग्रंथ यहाँ से बाहर चले गये । लगभग देढ सो वर्ष पूर्व कर्नल टॉड, जो यतिजी का शिष्य बनकर रहा था, अपनी पुस्तक पश्चिमी भारत में प्रवास खा २४९ पर लिखता है -
"लोगों को परिश्रम के लिये प्रोत्साहित करने के निमित्त में एक बात कह दूँ जो साधारणतया बार बार नहीं कही जा सकती कि मैं ने जैसलमेर से कागज और ताडपत्र की कितनी ही प्रतियाँ प्राप्त कर ली थी । ताडपत्र की प्रतियाँ तो ३-५ और ८ शताब्दियों तक पुरानी है जो रॉयल एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय की अलमारियों में सुरक्षित रखी हुई अब भी शोभा बढ़ा रही है । (जौहरीमलजी पारख लिखित प्रस्तावना का अंश यहाँ समाप्त होता है)
इस बात के तथ्यांश की परीक्षा कलकत्ते की रोयल एशियाटिक सोसायटी में जाकर उन प्रतियों को देखकर करनी चाहिये ।
जैसलमेर की विश्वविख्यात 'पटया हवेली के मालिकोंमें से एक सुश्रावक महेन्द्रभाई बाफना ने ईसवी सन् १९९७ में 'जैसलमेर जुहारिये नामकी स्मारिका प्रकाशित की है जिसमें जैसलमेरके मंदिरोंकी, मंदिरके सर्जकोंकी तथा अन्य ऐतिहासिक दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण बातोंका विस्तृत विवरण दिया है । वह खास पढ़ने जैसा है । जैसलमेर तथा भारतके कई स्थानोंमें ग्रंथभंडारोंकी स्थापना करनेवाले प.पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय जिनभद्रसूरीश्वरजी महाराज साहबका तथा इन ग्रंथभंडारोंके सर्जकोंमें अद्भुत धर्मप्रेमी, आगमग्रंथोंके रसिक श्रेष्ठी श्री थाहरुशाहजी का अद्भुत चरित्र 'जैसलमेर जुहारिये नामक स्मारिकासे उद्धृत करके यहाँ दिया जाता है ।
("जैसलमेर जुहारिये स्मारिका से उद्धृत) (श्रुतोद्धारक प्रभावक श्री जिनभद्रसूरि)
- श्री भंवरलाल नाहटा आचार्य प्रवर श्री जिनराजसूरिजी के पद पर श्री सागरचन्द्राचार्य ने श्री जिनवर्द्धनसूरि को स्थापित किया था, किन्तु उन पर दैवी प्रकोप हो गया अतः चौदह वर्ष पर्यन्त गच्छनायक रहने के अनन्तर गच्छोन्नति के हेतु सं. १४७५ में श्री जिनराजसूरि के पट्ट पर उन्हीं के शिष्य श्री जिनभद्रसूरिजी को स्थापित किया गया । श्री जिनभद्रसूरि जी पट्टाभिषेक रास के अनुसार आपका परिचय इस प्रकार है ।
मेवाड़ देश में देउलपुर नामक नगर है । वहाँ के राजा लखपति के राज्य में समृद्धिशाली छाजहड गोत्रीय श्रेष्ठी श्री धीणिग नामक व्यापारी निवास करते थे । उनकी शीलादिगुणविभूषिता सतीस्त्री का नाम खेतलदेवी था । इनकी रत्नगर्भा कोख से रामणकुमार ने जन्म लिया, ये असाधारण गुणसम्पन्न थे ।
एकबार श्री जिनराजसूरिजी महाराज उस नगर में पधारे । रामणकुमार के हृदय में आचार्यजी के उपदेशों से वैराग्य परिपूर्ण रुप से जागृत हो गया । कुमार ने अपनी मातुश्री से दीक्षा के लिए आज्ञा मांगी । माता ने अनेक प्रकार के प्रलोभन दिए. मिन्नत की, पर वह व्यर्थ हुई । अन्त में स्वेच्छानुसार आज्ञा प्राप्त कर ही ली । बड़े भारी समारोह पूर्वक दीक्षा की तैयारियां हुई । शुभमुहूर्त में श्री जिनराजसूरिजीने रामणकुमार को दीक्षित कर कीर्तिसागर नाम से प्रसिद्ध किया । सूरि महाराज ने समस्त शास्त्रों का अध्ययन करने के लिए उन्हें याचक शीलचन्द्र गणि को सौंपा । उनके पास इन्होंने विद्याध्ययन किया ।
चंद्रगच्छ शृंगार आचार्य श्री सागरचंद्रसूरि ने गच्छाधिपति श्री जिनराजसूरिजी के पट्ट पर कीर्तिसागरजी को बैठाना तय किया । भाणसउलीपुर साहुकार नाल्हिग रहते थे जिनके पिता का नाम महुडा और माता का नाम आंबणि था । लीलादेवी के भरतार शाह ने सर्वत्र कुंकुमपत्रिकाएं भेजी । बाहर से संघ विशालरुप में आने लगा । सन् १४७५ में शुभमुहूर्त के समय श्री सागरचंद्रसूरि ने श्री कीर्तिसागर मुनि को सूरिपद पर प्रतिष्ठित किया । नाल्हिग शाह ने बडे समारोह पूर्वक पट्टामिषेक उत्सव मनाया । नाना प्रकार के वाजिन्द्र बजाये । याचकों को मनोवांछित दान देकर सन्तुष्ट किया गया ।
क्षमाकल्याणजी की पट्टावली में आपका जन्म सं० १४४६ चैत्र शुक्ल षष्ठी को आर्द्रा नक्षत्र में लिखते हुए. भणशाली गोत्र आदि सात भकार अक्षरों को मिलाकर सं. १४ माघ
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प्रस्तावना.. सुदि पूर्णिमा बुधवार को भणशाली नाल्हाशाह कारित नन्दी महोत्सव पूर्वक सूरिपद पर स्थापित | निर्माण कराये। उपर्यक्त स्थानों में शानभण्डार स्थापित कराने का गणित me किया था। इसमें सवालाख रुपये व्यय हुए थे । वे सात भकार ये है. भाणसोल नगर, किया था । इस जिनालय के तलघर में ही विश्वविश्रुत श्री जिनभद्रसूरि-शानभण्डार है जिसमें भयाणशालिक गोत्र, भादोनाम, भरणी नक्षत्र, भद्राकरण, भट्टारक पद और जिनभद्रसूरिनाम । प्राचीनतम ताडपत्रीय 100 प्रतियाँ सुरक्षित है । खंभात का भंडार परीक्षक (पारखगोत्रीय) धरणाक
आपने जैसलमेर, देवगिरि, नागोर, पाटण, मांडवगढ़, आशापल्ली, कर्णावती, खंभात आदि ने तैयार कराया था । स्थानों पर हजारों प्राचीन और नवीन ग्रंथ लिखवाकर सुरक्षित भण्डार स्थापित किए जिनके लिए मांडवगढ के सोनिगिरा श्रीमाल मंत्री मंडल और धनदराज आपनी के परमभक्त विद्वान केवल जैन समाज ही नहीं किन्तु सारा साहित्य संसार भी चिरकृतज्ञ है । आपश्री ने आबू, श्रावक थे । इन्होने भी एक विशाल सिद्धान्तकोश लिखवाया था जो आज विद्यमान नहीं है, गिरनार और जैसलमेर के जिनालयों की और प्रचुर परिमाण में जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा की थी पर पाटण भण्डार की भगवतीसूत्र की प्रशस्तियुक्त प्रति मांडवगढ के भण्डार की है। आपकी जिनमें सैंकड़ों प्रतिमाएं आज भी विद्यमान हैं ।
रचनाओं में जिनसत्तरी प्रकरण नामक २१० गाथाओं की प्राकृत रचना प्राप्त है । सन् १४८४ 3. जयसोमीय गुरुपर्वक्रम में छाजहठ गोत्रीय सा० धाणिक भार्या खेतलदे का पुत्र लिखा में जयसागरोपाध्याय ने नगर कोट कांगडा की यात्रा के विवरण स्वरूप विज्ञप्ति त्रिवेणी संज्ञक है, माता-पिता के नामों में तो उच्चारण भेद है । भणशाली गोत्र के तो पदोत्सव कारक नल्हिगशाह महत्वपूर्ण विज्ञप्तिपत्र आपको भेजा था । सन् १५०६ कार्तिक सुदि १३ को जैसलमेर के थे जिससे सात भकार समर्थित हो जाते है । श्री जिनभद्रसृरिजी का छाजहगोत्र ही ठीक चन्द्रप्रभजिनालय में प्रतिष्ठा की । है । शुक्लपक्ष की जगह कृष्णपक्ष लिखा है । बारह वर्ष की आयु में दीक्षित हुए और आचार्यपद
श्रुतरक्षक आचार्यों में श्री जिनभद्रसूरिजी का नाम मूर्धन्य स्थान में है । खरतरगच्छ के के समय २५ वर्ष के थे ।
दादा संज्ञक चारों गुरुदेवों की भाँति आपके चरण व मूर्तियाँ अनेक स्थानों में पूज्यमान है। श्री भावप्रभाचार्य और कीर्तिरत्नाचार्य को आपने ही आचार्यपद से अलंकृत किया था । । श्री जिनभद्रसूरि शाखा(शिष्यपरम्परा) में अनेक विद्वान हुए है । खरतरगच्छ की वर्तमान में उभय सं० १५१४ मार्गशीर्ष कृष्ण ६ के दिन कुंभलमेर में आपका स्वर्गवास हुआ ।
भट्टारकीय, आचार्षीय, भावहर्षीय व जिनरंगसूरि आदि शाखाओं में आप ही पूर्व पुरुष है। आचार्य श्री जिनभद्रसूरिजी उच्चकोटि के विद्वान और प्रतिष्ठित प्रभावक हो गये हैं । उन्होंने आपश्री ने कीर्तिराज उपाध्याय को आचार्यपद देकर श्री कीर्तिरलसूरि नाम से प्रसिद्ध अपने ४० वर्ष के आचार्यत्व काल में अनेकों उन्नायक धर्मकार्य करवाये । विविध प्रान्त-नगरों किया था । ये नेमिनाथ महाकाव्यादि के रचयिता और बड़े प्रभावक आचार्य हुए है । इनके में विचरण कर जिनशासन की सर्वागीण उन्नति का विशेष प्रयल किया । जैसलमेर के संभवनाथ- गुणरत्नसूरि और कल्याणचन्द्रादि ५१ शिष्य थे । इनके माताओं और वंशजों ने जैसलमेर, जिनालय की प्रशस्तिगत अष्टकादि में आपके सद्गुणों की बड़ी प्रशंसा की गई है । अनेक जोधपुर, नाकोड़ा, बीकानेर (नाल) आदि अनेक स्थानों में जिनालय निर्माण कराये व अनेक स्थानों में शानमण्डार स्थापित करने का उल्लेख ऊपर किया जा चुका है । राउल श्री वैरिसिंह संघ-यात्रादि शासन प्रभावना के कार्य किये थे। श्री कीर्तिरलसूरि शाखा में (अनेक) विद्वान और त्र्यंबकदास जैसे नृपति आपके चरणों में भक्तिपूर्वक प्रणाम करते थे । सं १४९४ में इस कवि आदि हुए हैं, गीतार्थ शिरोमणि श्री जिनकृपाचंद्रसूरि, श्री जयसागरसूरि, छ, सुखसागर
न निर्माण चोपडा गोत्रीय सा: हेमराज, पूना,दीता, पांचा के पुत्र शिवराज महाराज व विद्वान साहित्यकार कान्तिसागर आदि कीर्तिरत्नसूरि परम्परा में ही हुए है । लोला और लाखण ने करवाया था । राउल वैरिसिंह ने इन चारों भ्राताओं को अपने भाई श्री जयसागरजी को जो श्री जिनवर्द्धनजी के शिष्य थे, आपने ही स० १४७५ में उपाध्यायपद की तरह मान कर वस्त्रालंकार से सम्मानित किया था। सन् १४९७ में सरिजी के करकमलों से अलंकृत किया । ये बड़े विद्वान और प्रभावक हुए हैं | आबू तीर्थ की खरतरवसही दरडा से प्रतिष्ठा अंजनशलाका कराई । इस अवसर पर ३०० जिनबिम्ब, ध्वजदण्ड शिखरादिकी प्रतिष्ठा गोत्रीय सं. मंडलिक जो उपाध्याय जी के भ्राता थे, ने ही निर्माण करवाई थी । उपाध्यायजी हुई । इस ३५ पंक्तियों वाली प्रशस्ति का निर्माण जयसागरोपाध्याय के शिष्य सोमकुंजर ने की परम्परा में भी अनेकों विद्वान हुए हैं । उपाध्यायजी के निर्माण किए हुए अनेक ग्रंथ, स्तोत्र किया और पं. भानुप्रभ ने आलेखित किया । इस प्रशस्ति दशवीं में लिखा है कि आबू पर्वत
स्तवनादि उपलब्ध है । पर श्री बर्द्धमानसूरि जी के वचनों से मंत्रीश्वर विमलशाह ने जिनालय निर्माण करवाया था। श्री जिनभद्रसूरिजी ने उज्जयन्त, चितौड़, जाउर और मांडवगढ़ आदि में उपदेश देकर जिनालय
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10- प्रस्तावना
| आचार्य श्री जिनचन्द्रसूरिजी. ..महान् प्रभावक आचार्य श्री जिनभद्रसूरिजी के पट्ट पर श्री जिनचन्द्रसूरि विराजमान हुए । इनका जन्म सं. १४८७ में जैसलमेर निवासी चम्म गोत्रीय साह बच्छराज के घर हुआ । इनकी माता का नाम वाल्हादेवी था । सं. १४६२ में ये दीक्षित हुए | आपका जन्मनाम करना था और दीक्षा नाम कनकध्वज | सं. १५१५ ज्येष्ठ बदि द्वितीया के दिन कुंभजमेरु निवासी कुकड चोपड़ा गोत्रीय शाह समरसिंहकृत नन्दीमहोत्सव में श्री कीर्तिरत्नसूरिजीने पदस्थापना की । सं. १५१८ में जैसलमेर स्थित संभवनाथ जिनालय में मन्दिर निर्माता चोपड़ा परिवार मे शत्रुजयगिरनार-पट्टिकाएँ निर्माण कराके आपके करकमलों से प्रतिष्ठित करवाई । जयसागरोपाध्याय के प्राताओं ने अर्बुदाचल पर नवफण पार्श्वनाथ स्वामी के सर्वोच्च तिमंजिले खरतरवसही संझक जिनालय का निर्माण कराया जिसकी प्रतिष्ठा आपने ही की । श्री धर्मरत्नसूरि आदि अनेक मुनियों को आचार्यपदादि प्रदान करने वाले सूरि महाराज सिंघ, सौराष्ट्र, मालय आदि देशों में विचर कर सन् १५३६ में स्वर्गवासी जैसलमेर में हुए ।
("जैसलमेर जुहारिये स्मारिका से उद्धृत)
के भाटी राजपुत महारावल देवराज ने लौद्रं क्षत्रियों को परास्त कर इस बोत्र पर अधिकार कर लिया एवं लौद्रयपुर को अपनी राजधानी घोषित किया । इन्हीं के वंश में ११ वीं सदी में सगर हुए । उसके ग्यारह पुत्र थे, जिनमें आठ पुत्र मृगी नामक रोग से मृत्यु को प्राप्त हुए । राजकुमारों को बचाने का कोई भी उपाय सफल न होता देख राज्य के दीवान (मंत्री) ने राजा सगर को, खरतर विरुद प्राप्तकर्ता आचार्य श्री जिनेश्वरसरि के दर्शन करने का परामर्श दिया । सगर अपनी श्रीमती अन्य परिवार जन के साथ गुरुदेव के दर्शनार्थ गये । अपने आठ पुत्रों के अकाल मृत्यु के विषय में बताते हुए अपने जीवित तीन पुत्रों की दीर्घायु का आशीर्वाद मांगा | गुरु महाराज ने कहा - 'इससे हमें क्या लाभ ? राजा ने कहा - "जैसा आप कहेंगे वैसा होगा । गुरु महाराज ने कहा - "अपने एक पुत्र को राज्य दो और दो पुत्रों को हमारे श्रावक बना दो, सब ठीक होगा ।
राजा ने गुरु महाराज से प्रतिबोध पाकर कुलधर का राज्याभिषेक किया । श्रीधर व राजधर ने श्रावक धर्म अंगीकार किया । श्री जिनेश्वरसूरि से वासक्षेप प्राप्त करने के पश्चात् श्रीधर व राजधर ने श्री पार्श्वनाथजी के देरासर का निर्माण करवाया । श्री जिनेश्वरसूरि ने मंदिरजी की प्रतिष्ठा करी, भंडार की साल में वासक्षेप किया, इस प्रकार भण्डसाली गोत्र हुआ।
श्रीधर की उन्नीसवीं पीढ़ी में थोहरूशाहजी हुए । उनकी माता का नाम चापलदे व पिता का नाम श्रीमल्लजी था । काल निर्धारण
थाहरूशाहजी के जन्म संवत् का कोई आलेख सम्प्राप्त नहीं हुआ है । सं० १६७५ में उन्होंने लौद्रवपुर में सहस्रफणा पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई थी । प्रतिष्ठा के समय प्रति मनुष्य एक एक सोने की मुहर दान में दी थी । मूलनायक जी के शिलालेख में खुदा हुआ है कि · श्री लौद्रवनगर श्री बृहत् खरतरगच्छाधीशेः स० १६७५ मार्गशीर्ष सुदी १२ गुरी भादशालोक श्रीमल्ल भार्या चापलादे पुत्ररल थाहरूसैन भार्या करकादे पुत्र हरराज, मेघराजादि पूतेव श्री चिंतामणिपार्श्वनाथबिंबका प्र० म० युग प्रधान श्री जिनसिंहसूरिपट्टालंकार म० जिनराजसूरिजी (6) प्रतिष्ठित
उपरोक्त आलेख से यह प्रतीत होता है कि सहस्रफणापार्श्वनाथ भगवान की बिंब प्रतिष्ठा के समय थाहरूशाह जी के पिता भंसाली श्रीमल्लजी व माता चापलदे दोनों उपस्थित थे। थाहरूशाहजी की पत्नी कनकादे व पुत्र हरराज व मेघराज भी प्रतिष्ठा में सम्मिलित थे । एक शिलालेख पर यह अंकित है कि सेठ थाहरूशाह मे अपनी पत्नी, पुत्र तथा पौत्र के
कच्छवाहा सेठ रायजादा श्री थाहरूशाह जी भणशाली)
- श्री मनोज कुमार भंसाली 'चेतन' कच्छवाहा सेठ श्री थाहरूशाह भंसाली की गणना ओसवाल जाति के इतिहासपुरुषों में की जाती है । उनका जन्म विक्रम की १७ वीं शताब्दी में हुआ था । सेठ थाहरूशाह जी के व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए सुप्रसिद्ध विद्वान श्री पूर्णचन्द्रजी नाहर ने अपनी पुस्तक 'जैन लेख संग्रह भाग ३ पृ.१८ में लिखा है कि 'मेवाड के भामाशाह की तरह जैसलमेर में थाहरूशाह की भी विशेष ख्याति है । जैसलमेर के राजदरबार में उनका विशिष्ट स्थान था। धार्मिक संस्कारों से ओत-प्रोत वे एक दानवीर एवं कर्मवीर युगपुरुष थे । पारिवारिक पृष्ठभूमि
वर्तमान जैसलमेर नगर से १० मील दूर. लौद्रवपुर एक ऐतिहासिक तीर्थस्थान है । लौद्रजाति परमार क्षत्रियों का यहां शासन था । इसी से इसका नाम 'लौद्रपुर' हुआ । लौद्रजाति के अंतिम शासक नृपभानु हुए । संवत् ९०० (घटियाला शिलालेखानुसार) के लगभग यादबकुल
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पुण्यार्थ इस मंदिर का निर्माण करवाया है । इस प्रकार यह स्पष्ट है कि प्रतिष्ठा के समय उनके पौत्र मूलचन्द भी थे इसके अतिरिक्त संघनायक के करने योग्य देवपूजा-गुरु उपासना साधर्मिवात्सल्य इत्यादि सभी प्रकार के धार्मिक कार्य किये थे । अतः यह मानना उपयुक्त होगा कि सेठ श्री थाहरूशाहजी का जन्म १७ वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में हुआ । विक्रम संवत् १६९७ में सहस्रफणापार्श्वनाथ भगवान के मूल मंदिर के चारों दिशा में श्री आदिनाथ भ० श्री अजितनाथ भ० श्री संभवनाथ भ० एवं श्री चिन्तामणी पार्श्वनाथ भ० के चार नूतन जिनालयों में बिम्ब प्रतिष्ठाएं सेठ थाहरूशाहजी ने श्री जिनराजसूरिजी के द्वारा करवाई। अतः यह मानना उपयुक्त होगा कि सेठ थाहरूशाहजी का जीवनकाल १८ वीं शताब्दी तक तो रहा ही होगा ।
अन्य प्राप्त जानकारियों के अनुसार जं० यु० प्र० भट्टारक दादा साहब श्री जिनचन्द्रसूरि जी के आलेख, सेठ थाहरूशाहजी की अकबर से भेंट श्री जिनराजसूरि द्वारा प्रतिष्ठाओं के आलेख, श्री महोपाध्याय श्री समयसुंदरजी के काव्यों में थाहरूशाहजी के वर्णन आदि प्रसंगों से यह मान्यता पुष्ट होती है कि सेठ श्री थाहरूशाहजी १७ वीं शताब्दी के सुप्रसिद्ध श्रावक एवं प्रतिष्ठित व्यवसायी थे ।
व्यवसाय
सेठ थाहरूशाहजी घी के व्यापार में संलग्न रहे । उनके लक्ष्मीपति बनने के विषय में यति श्रीपालजी ने अपनी पुस्तक 'जैन सम्प्रदाय शिक्षा में एक कथा दी है, जिसके अनुसारएक बार एक स्त्री (रूपसिया गाँव से) घी बेचने के लिए थाहरूशाहजी के पास आई । राह में उसने एक हरी बेल को उखाड़ कर उसकी इंदोणी (ईडरी) बनाई । इस इंढोणी पर घी की हांडी रखकर वह थाहरूशाहजी के दुकान आई । थाहरूशाह ने उससे घी खरीद लिया । दुकान पर भीड़ होने के कारण उस स्त्री ने थाहरूशाह से घी के पैसे तो लिये और 'हांडी बाद में खाली हो जाने पर ले जाउंगी ।' ऐसा कहकर वह चली गई। बाद में भीड़ मिट जाने पर उस हांडी में से थाहरूशाह घी निकालने लगे । जब घी निकालते बहुत देर हो गई और उस हांडी से घी निकलता चला गया तब थाहरूशाह को संदेह हुआ । उन्होंने सोचा इस हांडी में से इतना घी कैसे निकलता जा रहा है । जब इंकोणी पर से हांडी हटा कर देखा तो हांडी में घी दिखाई नहीं दिया । यह स्पष्ट हो गया कि यह प्रभाव इंदोणी का है। कई वर्षों तक यह इंदोणी थाहरूशाह के पास रही क्योंकि वह स्त्री वापिस हांडी लेने
प्रस्तावना 11
कभी नहीं आई । इंदोणी के प्रभाव से थाहरूशाह लक्ष्मीपुत्र बन गये। वस्तुतः यह इंढोणी चित्राबेल की बनी थी ।
थार रेगिस्तान की कथा
जनश्रुति है कि, सेठ थाहरूशाहजी की बढ़ती समृद्धि से जैसलमेर महारावल कल्याण अत्यन्त प्रसन्न थे। अनेक जनहित के कार्य सम्पन्न हो रहे थे। राज्य के कोष में कर की आय में अभिवृद्धि हो रही थी । थाहरूशाहजी की सम्पन्नता का रहस्य ज्ञात किया । महारावल को सावधान किया गया कि थाहरूशाह की बढ़ती शक्ति उनके लिये हानिकारक हो सकती है, जब कि यदि चित्राबेल को महारावल प्राप्त कर लें तो वे अपने राज्य एवं शक्तिमें बढ़ोतरी कर सकते है । थाहरूशाहजी को जब महारावल की दुष्कामना की सूचना हुई तो उन्होंने चित्रा बेल की इंकोणी को ले जाकर रेत में दबा दिया । फलतः जैसलमेर के इर्द-गिर्द रेत की अभिवृद्धि हुई । मरुभूमि का विस्तार बढ़ गया। तब से यह मरूस्थल थाहरूशाहजी के नाम पर थार रेगिस्तान कहलाने लगा ।
थाहरूशाहजी द्वारा जैसलमेर दुर्ग के परकोटे का निर्माण
जैसलमेर दुर्ग के वर्तमान में लक्ष्मणविहारस्थित श्री पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर एवं श्री अष्टापदजी के मंदिर के बीच एक पुल निर्मित है । इसी पुल के नीचे से जैसलमेर महारावल की सवारी निकला करती थी ।
जैन धर्मानुयायियों के बढ़ते प्रभाव से चिंतित जैनंतर वर्ग के लोगों ने महारावल मनोहर दास को उकसाना चाहा और कहा कि 'अन्नदाता ! सुबह सुबह आपको जैन नारियों के घाघरे के नीचे से अपनी सवारी निकालनी होती है जो कि आपकी गरिमा के प्रतिकूल है।' महारावल ने आवेश में आकर जैन समाज से यह पुल गिराने को कहा। इस पर थाहरूशाहजी ने कहा 'अन्नदाता ! यह पुल तो पूजा अर्चना करने वाले नर-नारियों की सुविधा के लिये बना है अतः उसे तुड़वाना हमारी धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाना होगा । अतः इसके एवज में जो सेवा आप कहें वह हम कर देंगे। वैसे भी दुर्ग की सुरक्षा के लिये कोई परकोटा नहीं है सो आपका आदेश हो तो बनवा दिया जाये महारावल इस सौदे पर राजी हो गये, सोचा कि परकोटा बनने के बाद पुल गिराया जा सकता है । थाहरू शाहजी ने दुर्ग के परकोटे का निर्माण करवा दिया । ९९ बुर्जों से युक्त दोहरी दीवार वाले इस दुर्भेद्य परकोटे का आकार घाघरे के घेरे की तरह गोल घुमता हुआ बनवाया गया । महारावल को यह अहसास कराया गया कि पूरे दुर्ग को ही जब घाघरे में घेर रखा
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12 प्रस्तावना
है तो अब पुल के नीचे सवारी निकालने में बाधा ही क्या है ?
महारावल को अपनी भूल का अहसास हुआ। उन्होंने सेठ थाहरूशाहजी को दुर्ग के परकोटे का निर्माण कराने के महद कार्य को सम्पन्न करने के उपलक्ष में उन्हें काछवा (कच्छवाहा ) की उपाधि प्रदान की। तब से उनके वंशज काछबा कहलाने लगे । उनके मोहल्ले का नाम आज भी काछवा पाड़ा है ।
कहते हैं कि दुर्ग के घाघरानुमा परकोटे के निर्माण के पश्चात् स्थानीय ब्राह्मणसमाज ने दुर्ग में आना जाना यह कह कर बन्द कर दिया कि पार्श्वनाथजी के घाघरे में हम नहीं आयेंगे। तब जैन समाज ने धार्मिक समन्वय का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हुए लक्ष्मीनाथजी की प्रतिमा को दोनों मंदिर के बीच में सेतु पर स्थापित किया। तब से ब्राह्मण समाज ने अपना आवागमन पुनः प्रारम्भ किया । इस सम्बन्धित शिलालेख शान्तिनाथजी के मंदिर पर उपलब्ध है ।
थाहरूशाह जी की बादशाह अकबर से भेंट
सेठ श्री थाहरूशाह भंसाली की ख्याति सूर्य की किरण की भांति दसों दिशाओं में फैलने लगी । बादशाह अकबर ने उन्हें दिल्ली बुलवाया । श्रेष्ठिवर्य ने उस समय बादशाह को नौ हाथी, पाँच सौ घोड़े व स्वर्ण मुद्राएं भेंट की । प्रसन्न हो बादशाह ने उन्हें 'रायजादा का खिताब दिया । तब से उनके वंशज राय भंसाली कहलाने लगे ।
लौद्रवपुर पाटन
वर्तमान जैसलमेर से १० मील पश्चिम स्थित लौद्रवपुर लौद्र जाति के परमार राजपूतों की राजधानी थी । लौद्र परमारों की राज्यस्थली होने के कारण इसका नामकरण लौद्रवापुर हुआ । स्थानीय जन इसे अपभ्रंश रूप लुधरवा, अथवा लुद्रवा नाम से पुकारते हैं। लौद्रवपुर के दुर्ग के बारह प्रवेश द्वार थे। इसके अंतिम लौद्र शासक नृपभानु को भाटी देवराज ने सं० ९०० के लगभग पराजित कर उस क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया व लौद्रवपुर को अपनी राजधानी घोषित किया। लौद्रवपुरविजय के संदर्भ में श्री नैनसी मेहता ने लिखा है कि 'नृपभानु (जसभाण) की पुत्री से भाटी देवराज का विवाह होना था । विवाह के बहाने भाटी देवराज सैनिकों की ही बारात बनाकर लौद्रवपुर पहुँचा तो लौद्र शासक को षड्यन्त्र का आभास हुआ। अतः उसने दुल्हे भाटी देवराज सहित मात्र सौ बारातियों को ही दुर्ग में प्रवेश की शर्त रखी । चतुर चालाक देवराज ने शर्त मानकर १२ दुल्हों व हर दुल्हे के साथ १००
बारातियों के रूप में सौ सैनिकों को दुर्ग के सभी १२ प्रवेश द्वारों से एक साथ प्रवेश करवा कर धोखे से दुर्ग पर अधिकार कर लिया ।
इन्हीं भाटी देवराज के वंश में राजा सगर हुए । उनके पुत्र श्रीधर व राजधर ने आचार्य जिनेश्वरसूरि के सान्निध्य में प्राचीन पार्श्वनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई । कालान्तर में रावल भोजदेव के राज्यकाल में जब उनके चाचा (बड़े पिता) रावल जैसल ने मोहम्मद गोरी की सहायता से लौद्रवा पर आक्रमण कर अधिकार जमाया तब यह प्राचीन जैन पार्श्वनाथजी का मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ । तत्कालीन जैन समाज ने सुरक्षा की दृष्टि से उस समय निर्माणाधीन जैसलमेर दुर्ग में ले जाकर इस प्राचीन बालू रेत की बनी प्रभु पार्श्वनाथ की चमत्कारीक प्रतिमा को दुर्ग स्थित लक्ष्मण विहार में भव्य मंदिर बनवाकर प्रतिष्ठित किया । लौद्रवपुरस्थित इस प्राचीन पार्श्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार सेठ थाहरूशाहजी ने करवाया, किन्तु अपनी दूरदर्शिता का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने इसे जीर्णोद्धार की संज्ञा दी। इस प्रकार मंदिर की प्राचीनता का आभास अक्षुण्ण रहा तथा इस धार्मिक मान्यता का सबल उदाहरण प्रस्तुत हुआ कि नूतन मंदिर के निर्माण से आठ गुणा लाभ प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार में है ।
श्री समयसुंदर उपाध्याय ने अपने प्रसिद्ध शत्रुंजयरास में लिखा है कि
शत्रुंजय उपरि देहरउ नवउ नीपावई कोय ।
जीर्णोद्धार करावतां, आठ गुणउ फल होय ।।
श्री सहस्रफणा चिंतामणी पार्श्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार से सम्बन्धित कुछ घटनाए यहाँ
दर्ज हैं
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लौद्रवा में, इस भव्य मंदिर के निर्माण के अन्तर्गत जब नीवें खोदी जा रही थी तब इस निर्माण के लिये नियुक्त सोमपुरा सेठ थाहरूशाहजी के पास आया । थाहरूशाहजी की पेढ़ी चढ़ने से पूर्व उसने देखा कि सेठ साहब जमीन पर गिरे एक बूंद घी को अपनी अंगुली पर लेकर जूती पर रगड़ रहे हैं। उन्होंने विचार किया कि जो व्यक्ति इतना कंजूस है कि एक बूंद घी भी नहीं छोड़ता, वह मंदिर का निर्माण क्या करायेगा ? अतः उसने सेठजी से निवेदन किया कि अगले दिन मंदिरजी के खाद मुहूर्त के लिये घी चाहियेगा । सेठ थाहरूशाहजी सोमपुरा के मंतव्य को समझ गये । उन्होंने अगले दिन बैलगाड़ी भर के घी के घड़े मिजवा दिये । सोमपुरा आश्चर्यचकित हुआ । उसने सेठजी से अपनी द्विविधा का निवारण चाहा । सेठजी ने कहा "वह जो एक बूंद घी नीचे गिरा था, उसे यदि वहीं छोड़ देता तो उससे सैंकड़ों चीटियां आती जो कि किसी के पाँव से कुचल दी जाती और हिंसा घटित होती, और जब उसे जूती पर रगड़ दिया तो उससे चमड़े की उम्र भी बढ़ गई और हिंसा भी बच
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प्रस्तावना - 13 गई । इस प्रकार इस छोटी सी बात में छुपा गहरा रहस्य उद्घाटित हुआ व सेठ साहब । भार्या चापलदे पुत्र पवित्र चरित्र लौद्रवापत्तन कारित जीर्णोद्धार विहार मंडन श्री चिंतामणी ने अपने धर्म-विवेक का परिचय दिया । कहा जाता है कि लौद्रवा पार्श्वनाथ मंदिर की नींवे नाम पार्श्वनाथाभिराम प्रतिष्ठा विधायक प्रतिष्ठा समयाई सुवर्णभनिप्रदायक संघनायक करणीय घी से सिंचित है।
देवगुरुसाधर्मिक वात्सल्य विधान प्रभासित सित सम्यक्त्वशुद्धि प्रसिद्ध सप्तक्षेत्रव्ययविहित श्री मंदिर में विराजित मूलनायक सहस्रफणा पार्श्वनाथजी की प्रतिमा के विषय में कहा जाता शत्रुजयसंघलब्धसंघाधिपतितिलक से थाहडूनामको द्विपंचाशदुत्तर चतुर्दशशत १४५२ गणधराणां है कि -
श्री पुंडरीकादि गौतमानानां पादुका स्थानमजात पूर्वमचीकरत् स्वपुत्र हरराज मेघराज सहितः 'जब लौद्रवपुर में मंदिर जी का निर्माण कार्य सम्पन्न होने लगा तब थाहरूशाहजी को समेधमान पुण्योदयाय प्रतिष्ठितं च श्री बृहत् खरतरगच्छाधिराज श्री जिनराजसूरिराजः पूज्यमान चिंता हुई कि प्रतिमाजी तो अब तक आई नहीं है | थाहरूशाहजी उत्तम प्रतिमा की खोज चिरं नंदतात्। (एपिग्राफिया इंडिया द्वितीय खंड नं० २६ से) में थे कि एक दिन पाटण से दो शिल्पकार प्रभु की सहसफणी प्रतिमायें लेकर रथ पर निकले
रोठ थाहरूशाहजी के इस भव्य छ री पालित संघ के आयोजन की प्रशंसा करते हुए थे । सेठ थाहरूशाहजी ने कसौटी पत्थर की बनी उन दो प्रतिमाओं में से एक को रथ
समयसुन्दरजी महाराज ने अपने सुप्रसिद्ध शत्रुञ्जय रास में लिखा है - सहित स्वर्ण से बराबर तोल कर ले ली । एक प्रतिमा उनकी धर्म पत्नी कनकारे सेठानी
'भणसाली थिरू अति भलो ए, दयावनत दातार | से ।। ने द्विगुणित स्वर्ण से तोलकर लेने का विचार किया । परन्तु लोकापवाद को दृष्टिगत कर,
सेनुज संघ करानीउ ए. जैसलमेर मझार ।।से।। कि लोग यह न समझ बैठे कि सेठजी से सेठानीजी आगे निकल गई हैं, उन्होंने वह प्रतिमा स्वर्ण के बराबर तोलकर ले ली । ये दोनों प्रतिमाएं दिखने में एक समान है कहते है कि
उपसंहार वे दोनों शिल्पकार पिता-पुत्र थे ।
रायजायदा सेठ श्री थाहरूशाह भंसाली का जीवन जैन श्रावक वर्ग के लिये ही नहीं अपितु लौद्रवपुर का पार्श्वनाथ जैन मंदिर नलिनी विमान के आकार का अष्टभुजीय बना हुआ है। समस्त मानव समाज के लिये एक अनुकरणीय उदाहरण है । यहाँ एक और थाहरूशाहजी प्रवेश पर बना विशालकाय पैंतीस फुट लम्बा तोरण द्वार देखते ही बनता है । द्वार के अंग ने धनाढ्य होने के नाते मंदिर, उपाश्रय का निर्माण करवाया, जनकल्याण के कार्य सम्पन्न करवाये में इतनी बारीक शिल्पकारी की हुई है कि समग्रता में मानो मंदिर का ही रूप दिखाई पड़ता वहीं जैन आवक के मौलिक गुणों का परिचय देते हुए उन्होंने सामायिक, प्रतिक्रमण, पौषध, है । श्रेष्ठिवर्य श्री थाहरूशाहजी ने संवत् १६९७ में मूल मंदिर के चारों दिशा में चार नूतन उपवास आदि अनेक तप किये । सं० १६५१ से १६८४ में बीच उन्होंने अनेक ग्रंथ लिपिबद्ध जिनालय की प्रतिष्ठा आचार्य श्री जिनराजसूरी की निना में करवाई ।
किये व करवाये । अनेक मूल्यवान ग्रंथों की हस्तलिखित प्रतियों के अन्त में 'थाहरू साहे थाहरूशाह जी ने लौद्रवा से पालीताणा छ: री पालित संघ निकाला
संशोधितम् उल्लेख मिलता है | अध्यात्मरस निमग्न ज्ञानयोगी स्व० श्री जौहरीमलजी पारस
का यह मत था कि तत्कालीन सभी हस्तलिखित ग्रंथों के अवलोकन के बाद यह कहा जा लौद्रवा में पार्श्वनाथजी के मूल मंदिर के निर्माण के पश्चात् सं० १६८२ की जेठ बदी
सकता है कि सेठ थाहरूशाहजी की हस्तलिपि अत्यन्त सुन्दर थी । १० शुक्रवार के दिन खरतरगच्छ के आचार्य जिनराजसूरि के नेतृत्व में लौद्रवपुर से शत्रुजय
महोपाध्याय श्री समयसुन्दरजी म. से सेठ' श्री थाहरूशाहजी के निकट सम्बन्ध रहे ।। का छ री पालित संघ निकाला । वहाँ २४ तीर्थंकरों व पुण्डरीक आदि उनके १४५२ गणधरों
समयसुन्दरजीने अनेक स्तोत्रों में थाहरूशाहजी की प्रशंसा की है । के चरण युगलों की स्थापना का अपूर्व कार्य संपन किया, जिसका शिलालेख पालीताणा के
श्री लौद्रवपुर सहस्रफणा पार्श्वनाथ स्तवन में दे कहते हैं कि - खरतरवसही में मिलता है, जो कि यथा स्वरूप नीचे दिया है -
सीहमल नई सुत थाहरूसाह, परम घुरंधर अघि उच्छाहा || ॐ नमा श्री मारूदेवादि वर्द्धमानांत तीर्थकराणां श्रीपुंडरीकाद्य गौतम स्वामीपर्यंतेभ्यो
जीर्णउद्धार रायो जास, सहसफणा चिंतामणी पास ४|| गणधरेभ्या सभ्यजनैः पूज्यमानेभ्यः सेव्यमानेभ्यश्च । संवत् १६८२ ज्येष्ठ यदि १० शुक्रे
जैन सिद्धान्तों के अपने ग्रंथ; समाचारीशतकम् की लेख प्रशस्ति में समयसुन्दरजी ने थाहरूशाहजी श्रीजेसलमेरू वास्तव्योपकेशवंशीय भांडशालिके सुश्रावक कर्तव्यता प्रवीण धुरीण साश्रीमल्ल के परिवार की प्रशस्ति प्रकाशित की है व उसमें सेठसाहब की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए
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14 प्रस्तावना
ENGLISH PREFACE
वे लिखते हैं कि
काछवा सेठ श्री थाहरूशाह १७ वीं शताब्दी में जैसलमेर राज्य के सशक्त श्रेष्ठि हुए अत्यन्त लोकप्रिय एवं जैन समाज के प्रमुख श्रावक थे । (यहाँ जैसलमेर जुहारीये' स्मारिका से उद्धृत थाहरुशाहजीका जीवन चरित्र समाप्त हुआ)
अब मूल बात पर आते है
सं. २०१८ में जैसलमेर लौद्रवपुर पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैन ट्रस्टकी स्थापना होने के बाद सभी ग्रंथभंडार ट्रस्टको समर्पित कर दिये गये है और वे सभी ग्रंथभंडार उपर किलेमें रखे गये हैं । सिर्फ तपागच्छका भंडार नीचे जैसलमेर शहरमें तपागच्छके सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर के उपाश्रयमें रखा गया है। सभी ताडपत्रीय ग्रंथ भी उपर किलेके जिनभद्रसूरि ग्रंथभंडार में ही रखे हुए हैं। सिर्फ तपागच्छके ताडपत्रीय सात ग्रंथ शहरमें तपागच्छके मंदीर के उपाश्रय में रखे हैं ।
आज से लगभग ८० साल पूर्व सी. डी. दलालने (चीमनलाल डाह्याभाई दलाल) ईसवी सन १९१६ विक्रम संवत् १९७३ में कई महिनों तक जैसलमेर में रहकर भंडारके मुख्य मुख्य ग्रंथोंकी सूचि तैयार की थी। वह विक्रम संवत् १९७९ ( इसवी सन् १९२३ ) में गायकवाड ओरियेंटल सीरीज में प्रकाशित हुई थी । उसमें लिखित अंग्रेजी प्रस्तावना एवं विद्वान पंडित लालचंदभाई भगवानदास गांधीने संस्कृतमें प्रस्तावना लिखी है उसमें जो इस भंडारके बारेमें संस्कृतमें लिखा हैं वह अक्षरशः यहाँ दिया जाता है । और सी. डी. दलालके सूचीपत्रमें जैसलमेर लौद्रवा के भव्य मंदिरोंमें स्थित प्रतिमाजी के लेख दिये गये है वे भी यहाँ दीये हैं और लौद्रवा पार्श्वनाथ मंदिरके गमारेमें प्रवेश करतेही दायीं ओर पथ्थरकी दीवारमें एक बडा शतदल कमलाकार 'शिलालेख है वह भी यहाँ दीया जाता है ।
इन शिलालेखोंको सी. डी. दलालने कैसे पढे होंगे यह सोचकर ही हमें बहुत बहुत अचरिज हो रहा है । पत्थरकी दीवार में कमलबंध लेखको पढना अत्यंत अत्यंत दुष्कर कार्य है । सी. डी. दलाल के सूचिपत्रसे उद्धृत करके निम्नलिखित बातें यहाँ दी जाती है । (१) PREFACE अंग्रेजी प्रस्तावना ।
(२) लालचंद भगवानदास गांधी द्वारा लिखित संस्कृत प्रस्तावना' ।
(३) जैसलमेर लौद्रवा आदि मंदिरों के शिलालेख ।
(४) लौद्रवा पार्श्वनाथ के गभारे के बाहर ही स्थित शतदल कमलस्थ शिलालेख ।
English Preface from C. D. Dalal's Jaisalmer Catalogue*
PREFACE
The Jain Bhandars in Jesalmere have long been famous throughout India. They appear, however, to have escaped the notice of Western scholars until Colonel James Tod drew attention to their importance. In Travels in Western India (1829), a delightful work which deals largely with the sacred places of the Jains and which deserves to be reprinted, he remarks :
"Until we have some insight into the subterranean 'bindar' of Anhulwarra, and a more extended knolwedge of the Oswals of Jessulmer, with access to its library, which is equally numerous and probably more select than that of Pattun; above all, until we have formed some acquaintance with the dignitaries of the Jain sect and their learned librarians, we are not in a condition to appreciate the intellectual riches of the Jains, and can only pity the overweening vanity which has promited the assertion that the Hindus possess no historical records, and which seeks to quench the spirit of enquiry by proclaiming such research a vain labour."
The first Europeans to have examined these bhandars were Dr. Buhler and Dr. Jacobi. In a short letter to the 'Indian Antiquary Dr. Buhler says:
"I have succeeded in seeing a portion of the famous Bhandar of the Osval Jains of this town, and have obtained already results which repay me for the tedious journey, and the not less tedious stay in this country of sand, bad water and guinea worms. A large portion of the Bhandar consists of palmleaf Mss. dated from circa 1140 to 1340 A. D. We have worked six days in the Bhandar and have not yet done.... The Panch of the Osval, to whom the great Bhandar belongs, is very tough, and requires frequent admonitions from the Rawal, but I believe finally we shall see everything."
• A Catlogue of Manuscripts in the Jain Bhandars at Jesalmert edited by C. D. Dalal, Published by Gaekwad's Oriental Series, Central Library, Baroda. A.D. 1923.
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WENT - ENGLISH PREFACE - 15
Dr. Buhler was under the impression that he had seen all the contents of all the bhandars. As a matter of fact, he inspected only a small portion of one, viz, the Bada (Big) Bhandar, the contents of which he estimates as about 400 or so, whereas even Professor S.R. Bhandarkar knew of 2,200 works in the Big Bhandar. In a letter written in Bikanir to the Berlin Academy, and dated February 14th 1874, only fourteen days after his communication to the Indian Antiquary, Dr. Buhler remarks -
exhaustive, and to mention all the important palm leaf and paper manuscripts in Jesalmere. It is the work of a scholarly young Jain, the late Mr. C.D.Dalal, Sanskrit Librarain, Baroda Central Library. Mr. Dalal was well equipped for his arduous task. He was held in high esteem by the Icared of his community, and had been touring in Western India, doing similar research work in the Jain bhandars of Pattan, Baroda, Camaby, Ahmedabad, Channi and elsewhere. Moreover, for some years he had been engaged in handling, collating and cataloguing the manuscript collection of the Baroda Central Library.
During his visit to Jesalmere in 1916 he carefully examined all the contents of the Big Bhandar and of three other bhandars. Acknowledgement is due to the AgentGeneral for Rajputana, the Residents at Bikanir and Jesalmere, the Jesalmere Darbar and the Panches and Yatis of that city, for assistance given to him during his visit.
"In Jessalmir, which was founded about the middle of the twelfth century...there is a large colony of Jains...A temple was built under the pontificate of Jina Bhadrasuri, to which were gradually added six other temples. Through this temple and the wealth of the Jain community...Jessalmir has obtained a high fame as one of the principal seats of the Jain faith. Especially, however, is the renown of the Bhandar everywhere celebrated, which according to the statements of the Gujaratis, surpasses all similar Bhandars in the world. It was therefore one of the chief objets of my journey to obtain admittance to this Bhandar, and to make its contents accessible to science. After some trouble I succeeded in solving the mystery, and it turns out that the magnitude of the Bhandar has been very much exaggerated, but its contents are nevertheless of great value."
During a brief space of three years this brilliant young scholar found time to edit wholly or in part no less than fourteen works in the Gackwad's Oriental Series, only one half of which, however, had been published at his death. It is feared that his incessant labours seriously weakened his health, never very robust, and indirectly shortened his life.
It is unfortunate that he never found time to prepare the press copy of this Catalogue. At his death in October 1918 only rough and undigested notes were available, a portion being in pencil which had somewhat faded. However, every effort has been made by the compiler to make the List as complete and correct as possible, and he alone is responsible for the Sanskrit Preface, Introduction and Appendices.
About thirty years after Dr. Buhler's visit, he was followed by Professor Shridhar R. Bhandarkar, who has given us the result of his labours in the "Report of a second tour in search of manuscripts in Rajputana and Central India in 1904-5 and 1905-6", published in 1909. Professor Bhandarkar's Report is very interesting and important one. However, it is somewhat unfortunate that he placed so much reliance on a catalogue of Jesalmere manuscripts compiled by one of the Conference pandits, and has thereby occasionally been led into error, for, as the Conference itself confessed in its "Granthavali," the catlogue was a very faulty and imperfect piece of work. In the present Catalogue an attempt has been made to rectify these errors.
The "Descriptive Catalogue" now offered to the public is believed to be pretty
A Descriptive catalogoue of the Jain Bhandars of Patan, together with Mr. Dalal's report on his work in that town, is in hand, and will appear in due course in the Gaekwad's Oriental Series.
N.M.D.
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16 - प्रस्तावना - संस्कृत प्रस्तावना
(सी.डी.दलाल के सूचीपत्र से उद्धृत श्री लालचंद भगवानदास गांधी लिखित)
संस्कृत प्रस्तावना प्रत्रपुस्तकरवान्वेषिणः प्राज्ञवतंसाः !
प्रमोदं प्राप्नुवन्तु प्रतिभावन्तो भवन्तोऽद्याद्ययावदप्रकाशितरहस्यस्य प्रचुरप्रयासेनाप्यप्राप्यदर्शनस्य गुप्तिगुप्तजीर्णविशीर्णलुप्तावशिष्टस्य जेसलमेरुदुर्गस्थजनभाण्डागारीयदुष्पापग्रन्थरत्नसङ्ग्रहस्य प्रारम्भप्रान्तोल्लेखाधुपेतसूचिपत्रसमीक्षणेन ।
प्रत्यक्षीकृत्य चैतत् समर्पयन्तु सहस्रशो धन्यवादान् विद्याविलासिने साहित्यसागरसमुल्लासनचन्द्राय महाराजाय श्रीमते सरकारसयाजीरावगायकवाडमहोदयाय; यत्प्रसादप्राभाराद् भारतवर्षेऽद्वितीयस्य पाश्चात्यैरेतद्देशीयेश प्रभूतैः प्राशपुङ्गवैशिरादहमहमिकया दिदृक्षितस्यादृष्टाज्ञाताश्रुतपूर्वप्राचीनपुस्तकरत्नानामगारस्यापि रहस्यमेतदात्मसात् कर्तुं सम्प्राप्तोऽयं शुभोऽवसरः ।
प्रसिद्ध्यर्थ सत्वरमभिलषितस्याप्यस्य विलम्बेऽवारितप्रसरोऽतर्कितोऽनिष्टनिघ्र एव कारणम् । श्रीमतां महाराजानां समाज्ञया येन साहित्यसमुपासकेन दुर्गममपि जेसलमेरुदुर्ग गत्वा १९१६ तमख्रिस्ताब्दस्य नवममासादेतत्सूचिसङ्कलनकार्य प्रारभ्य सततप्रयासेन तस्यैव वर्षस्य द्वादशमे मासि पूर्णमकारि: हन्त ! एम्. ए. इत्युपाधिविभूषितः साक्षररलं स डाह्याभाईतनुज चीमनलालदलालमहाशयोऽघटितघटनाघटकस्य दुर्विधेर्वशादेतदसञ्जमेवानाधारमिव मुक्त्वा १९१८ तमख्रिस्ताब्दस्य दशमे मासि दिवं गतवान् ।
यशःशेष एव दलालमहाशयो यद्यप्येतत्सृचिसङ्कलनानन्तरं पादोनवर्षद्वयं यावत् स्वजीवनमधारयत्, तथाप्यन्यान्यकार्यव्यापृततयाऽन्त्यावस्थायां प्रकृतेरस्वास्थ्यादिना चैतविषयकं किमपि विशिष्टं निवेदनं नोलिलेख, न च मुद्रायन्नाहा शुद्धां प्रतिकृतिं कर्तुं कारयितुं वा प्राभवत् । स्वस्मृतियोग्यो य उलेखो यथाकथशिदनेन तत्र त्वरयाऽकारि, तस्यापूर्णरूपा कतिचित्पत्रविरहिता का प्रतिकृतिस्तत्स्वर्गमनाद् वर्षद्वये व्यतीते जातायां मत्रियोजनायां मयाऽवालोकि । अव्यवस्थितायां च तस्यां प्रतिकृती प्रथमतोऽप्यस्पष्टरूपाणि तदक्षराणि विशेषतो दुर्बोधान्यतिकृच्छ्रेण वाच्यान्यभवन् । ज्ञातपरिस्थितिरहं तभाण्डागारस्य स्वयं समीक्षणमकृत्वाऽस्य प्रकाशनं दुष्करं प्रचुरपरिश्रमेण विलम्बेन च साध्यमज्ञासिषम्, किन्तु तद्भाण्डागारस्य दर्शनं ततोऽपि दुर्घटं व्यचारयम्। ततः एम्. ए. एल.एल.बी. १. श्रीमान् सी.जी. दलाल संपादित गायकवाड ओरिएंटल सीरीश, सेन्ट्रल लायब्ररी, बडोवरा बारा ईसवी सन् १९२३
में प्रकाशित 'जैसलमेर जैन भांडागारीयग्रन्थानां सूचीपत्रम् से उद्धत
पदाङ्कितस्याचिरादमरालयमुपेयुषः जे. एस. कुडालकर (क्युरेटर ओफ स्टेटलाईब्रेरीझ) महाशयस्य प्रेरणया पूर्वोक्तप्रतिकृत्येतस्ततो यत्किञ्चित्प्राप्तान्यसामग्र्या च प्रस्तुतकार्ये प्रायतिषि ।
हंसविजयसमभिख्येन जेनमुनिना वि. सं. १९५० वर्षे (१८९४ ख्रिस्ताब्दे) जेलसमेरुदुर्ग चातुर्मासस्थितिरक्रियत, तदा तेन मुनिवर्येणैतद्भाण्डागारस्यका सूचिः सङ्कलिताऽऽसीत्, कतिपयादर्शपुस्तकानां प्रतिकृतयश्चाकार्यन्त । गवेषिताऽपि सा सूची न लब्धा, तथापि तस्य मुनिवर्यस्यात्रत्यजेनज्ञानमन्दिरस्थाः काश्चन पूर्वोक्ताः प्रतिकृतीळलोकयम् ।।
जेनश्वेताम्बरकोन्फरन्ससंज्ञकसंस्थया १९०४-५ ख्रिस्ताब्दे हीरालाल हंसराज इत्याद जेनपण्डितं प्रेष्यास्य बृहद्भाण्डागारस्य शतद्वयाधिकसहस्रद्वयग्रन्थानां सूचिपत्रमकार्यत, यञ्च तयैव संस्थया प्रकाशितायां जेनग्रन्थावल्यामविश्वसनीयत्वेन नैकवारं निरदेशिः तदित एव कालान्तरेणोपलब्धम् । दलालेन () एतादृक्कोष्टके क्वचिदस्य क्रमाङ्को दर्शितो दृष्टिगोचरीभवति । मुम्बापुरीराजकीयनिदेशात् प्रो. श्रीधरभाण्डारकरश्च तदेव (१९०४-५ ख्रिस्ताब्दे) जेलसमेरौ गतवान् । तद्यात्रासम्बन्धि भाण्डागारदर्शनविषयक च स्वानुभूतं तेन महाशयेन १९०४-५,५-६ ख्रिस्तवर्षीये रीपोर्ट-नामकपुस्तके प्रकाशितम्, तदपराणि च प्रो. पिटर्सनादिकृतानि रिपोर्ट-क्योटलोगसंज्ञकानि पुस्तकानि मयाऽस्मिन् कार्य ग्रन्थपरिचयादावुपयोजितानि, तानि तत्तत्स्थले संक्षिप्तसंज्ञया समसूच्यन्तः तत्सङ्केताभिज्ञानं त्वन्यत्राकारि ।
एतत्सूचिपत्रदर्शितानां भाण्डागाराणां स्थापन-संरक्षण-संवर्धनादिना विहितस्वपरोपकाराणां जैनाचार्यमुनि-गृहस्थानामितिवृत्तप्रतिपादका जेसलमेरुदुर्गीयनृपाणां च सम्बद्धा दलालसङ्गहीता ये केऽपि शिलालेखा मयेह दृष्टास्ते चात्र परिशिष्टे समुपवेशिताः । १,२,३,४,५,१३ परिशिष्टदर्शिता लेखा यद्यपि प्रो. श्रीधरभाण्डारकरेण स्वपुस्तके (रि०२, पृ० ९३-९७) दर्शितास्तथापि न ते परिपूर्णा यथास्थिताश्चेति सूक्ष्मदर्शिभिर्द्रक्ष्यते । १-२-३-५-६-१९-२०-२१-२२ परिशिष्टप्रदर्शिता लेखास्तु दलालेन यथाप्रतिच्छन्द (Impression) सङ्घहीता आसन् । तेषामन्येषां च लेखानां प्रतिकृतिं सावधानतयाऽतिपरिश्रमेणाकार्षम्, यथायुक्तं चेतान्यवेशयम्, एषामुपयुक्तता त्वग्रे प्रतिप्रसङ्गं प्रादर्शयम् ।
प्रो. श्रीधरभाण्डारकरेण स्वकीये पुस्तके (रि० २, पृ० १०) दशानां जेलसमेरुपुस्तकसङ्ग्रहाणां नामावल्युदलेखि । दलालेन तु निम्ननिर्दिष्टानां चतुर्णामेव जैनपुस्तकभाण्डागाराणां पुस्तकान्यत्र संसूचितानि; अन्येषां तु विशेषमहत्त्वरहितत्वादथवा श्री. भाण्डारकरेण तद्विषय उल्लिखितत्वादुपेक्षाऽक्रियतेति सम्भाव्यते ।
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प्रस्तावना-संस्कृत प्रस्तावना-17
बृहदाण्डागारः । अस्यैवात्र प्राधान्यम्, प्राचीनपुस्तकगवेषिणः साक्षरा अस्येव दर्शनार्थ समत्कण्ठन्ते । दुर्गमोऽपि स मरुदेशप्रदेश एतत्सौरभेणेवाकर्षति प्राज्ञमधुपान् । पूर्व डो. बूल्हरमहाशयेन १८७४ तमे ख्रिस्ताब्देऽस्य दर्शनं व्यधायि, तदा तेन ततो नवतिवर्षप्राचीनाऽस्य द्वाविंशत्यधिकचतुःशतीपुस्तकानां संक्षिप्ता टिप्पनिका व्यलोकि, सं. ११६० वर्षीयं तालपत्रपुस्तकं च प्राचीनतमत्वेन प्राबोधि (GowSH पृ. ११७) । तदनन्तरं १९०४-५, ख्रिस्ताब्दे ही. हं. जैनपण्डितेन स्वसूचिपत्रे, तदवलम्ब्य श्री. भाण्डारकरेण च निजे पुस्तके (रि०२, पृ० १४) ततोऽपि प्राचीनानि सं. ९२४,१००५,११२०,११२७,११३९,११४४,११५५ तमवर्षेषु लिखितानि तालपत्रपुस्तकानि सूचितानि । किन्त्वेषु केवलं सं. ११३९ वर्षीयं विहायान्यदेकमपि विश्वस्तवर्षसङ्घचाकं न प्रतिभाति । एतत्सूचिपत्रानुसारेण तु ३-४-२७ पृष्ठेषु दर्शितानि सं. १११-(2), सं. ११३०, सं. ११३९ वर्षेषु लिखितानि क्रमेण भगवतीसूत्र-तिलकमञ्जरी-कुवलयमालाऽऽख्यानि पुस्तकानि प्राचीनतमानि प्रतिभान्ति । १५०(१) क्रमाके दर्शितं सं. १११५ वषीय तु शङ्कितं भाति ।
सर्वेष्वपि ताडपत्रेष्वर्वाचीनं सं. १४९३ वर्षे लिखितं सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्यायसंज्ञक पुस्तकमत्र विलोक्यते (पृ.२३) इत्यतः सं. १४५८ वर्षीय कुमारपालप्रतिबोधनामकं ताडपत्रपुस्तकमुद्दिश्य तत्प्रस्तावकेन 'प्रायस्ताडपत्रात्मकेषु पुस्तकसमूहेषु इदं पुस्तकमपश्चिमं प्रतिभात्यस्माकम् । यतः, एतस्मात् पुस्तकादर्वाचीनं नान्यत् पुस्तकमस्माकं दृष्टिपथमायातं कर्णगोचरीभूतं वा कुत्रापि जेनग्रन्थागारे ।' (कुछ प्रस्ता०) विहितोऽयमुझेखो निरस्तो भवति ।
जेसलमेरुस्थापना सं. १२१५ वर्षे जेसलनृपाजातेति राजस्थानादीतिवृत्तवेदिनां प्रायः सुविदितमेव। ततोऽपि प्राचीनलेखनकालानि प्रभूतानि पुस्तकान्यत्र प्रेक्ष्यन्ते । येषु लेखनस्थल निर्दिष्टं विलोक्यते, तेषु क्वापि जेसलमेरुनाम नोपलभ्यते; नवरं जेसलमेरुदुर्गे रचितानि त्रीणि पुस्तकान्यत्रावलोक्यन्ते । तेषु प्रथमं तावत् पूर्णभद्रगणिना सं. १२८५ वर्षे रचितं धन्य-शालिभद्रचरित तालपत्रीयम्, द्वितीय गुणसमृद्धिमहत्तरया सं. १४०७ वर्षे विरचितमञ्जणासुन्दरीचरियम्, तृतीयं तु पुण्यसागरोपाध्यायेन सं.
१६४५ वर्षे विहिताया जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिवृत्तेः पुस्तकम् ।
खरतरगच्छीयजिनराजसरिशिष्यस्य जिनभद्रसूरेरुपदेशात् स्तम्भतीर्थ परीक्षिगूजरपुत्रधरणादिसुश्रावके: सं. १४८५ तमवर्षादारभ्य सं. १४९३ तमवर्षपर्यन्तं लेखिताना तालपत्रपुस्तकानामत्र भाण्डागारे प्राचुर्य वर्तते । तेषामन्तिमो लेख: प्रायः सदृशोऽतः क्वचित् क्वचिद् दलालेनाय संक्षिप्तो दृश्यते (पृ.१८,१९,३३,३४,३६) । सं. १४९७ वर्षे जिनभद्रसूरिणा प्रतिष्ठितस्य सम्भवजिनालयस्यैकस्मिन् प्रदेशेऽयं भाण्डागारो वर्तते । अनेन सूरिवर्येण सम्भवजिनालयप्रतिष्ठायाः प्रागणहिल्लपाटकपुरादिषु विधिपक्ष(खरतरगच्छ) श्राद्धसङ्थेन ज्ञानरत्रकोशा अकार्यन्त (परि. ३) इत्यादिनाऽयमपि बृहद्धाण्डगारोऽस्यैव सूरिवर्यस्य सदुपदेशाद् वैक्रमवत्सरपञ्चदशशतकप्रान्ते स्थापितः सम्भाव्यते । स्तम्भतीर्थाणहिलपाटकादिस्थानेषु लेखितानि सङ्गहीतानि च तालपत्रीयादिविविधपुस्तकानि तदानीं कुतोऽपि कारणवशात् तत्र नीतानि, पाश्चात्यैश्च तदनुयायिभिवृद्धि नीतानीत्यनुमीयते । पुस्तकसंग्रहस्य तत्र नयने मुख्य कारणं तु म्लेच्छनृपाणामाक्रमणरूपं तय॑ते; यतोऽत्याचारिभिरनेकैस्तैर्नृपापसदैरसकृदत्याहितमिति जनप्रसिद्धम् । जेसलमेरुदुर्गस्तु बलवद्भिरपि म्लेच्छावनीपैह आसीत् (परि. ३, श्लो. ५)। जेसलमेरुस्थापनाया अनन्तरमचिरेणेव तत्र धनाढ्या जैनगृहस्था विशेषतच खरतरगच्छानुयायिनो न्यवसन, यैस्तत्र जिनालयजिनपतिगुरुस्तूपाद्यपि चक्रे (दशश्रावकचरितप्रशस्तिः, प्रा. लेखसङ्ग्रहः २। ४४७) । जेसलमेरुपुरीयो लक्ष्मणनृपो जिनराजसूरिनिदेशात् सं. १४५९ वर्षे पाजिनालये जैनबिम्बस्थापयितुः सागरचन्द्रसूरेभक्त आसीत् (परि. १, श्लो. १४-२१) । यदीये राज्यकाल एव सं. १४७३ वर्षे जिनवर्धनसूरिणा लक्ष्मणविहाराख्यस्य पार्श्वजिनालयस्य शान्तिजिनालयस्य च प्रतिष्ठाऽकारि (परि. १२) । अयं स एव जिनवर्धनसूरियं सागरचन्द्रसूरिः सं. १४६१ वर्षे जिनराजसूरेः स्वर्गमनानन्तरं जिनराजसूरिपट्टे स्थापितवान् (ख.) । सप्तपदार्थाटीका-वाग्भटालङ्कारटीकाकर्ता च येन जिनवर्धनसूरिणा सं. १४६९ वर्षे प्रतिष्ठिता जिनराजसूरिमूर्तिरद्यापि देवकुलपाटके विद्यते । सागरचन्द्रसूरिय॑न्तरदयमानमस्य जिनवर्धनसूरेनतमालिन्यं विशङ्क्या पश्चात् समुदायात् पृथकृत्य तत्स्थाने जिनभद्रसूरिं सं. १४७५ वर्ष प्रतिष्ठितवान, यत्प्रभृति जिनवर्धनसूरितः पिप्पलखरतरशाखा निर्गता (ख.) । जेसलमेरो पञ्चायतपासादप्रतिकृत् (परि. ४) लक्ष्मणनृपस्य पुत्रो वैरिसिंहनृपश्छत्रधर-त्र्यम्बकदासो च नृपती जिनभद्रसूरेभक्ता आसन् (परि. ३) । तदानीन्तनास्तत्रत्या जनगृहस्था राजमान्या गच्छपतिजिनभद्रसूरिं
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18- प्रस्तावना - संस्कृत प्रस्तावना
प्रति श्रद्धावन्तश्चाभूवत्रित्याद्यपि परिशिष्टलेखदर्शनेन स्फुटमवगम्यते इत्यतः पुस्तकानां संरक्षणे तत् स्थान निरुपद्रवं निरूप्य विचक्षणोऽयं जिनभद्रसूरिः सारभूतं स्वपुस्तककलापं गूर्जरधरायास्तत्र नीतवानित्यनुमानं न निर्विचारम् । तथा च सप्तदशशताब्दीभवेर्गुणविनयगणि-समयसुन्दरादिभिरप्यस्य सूरिवर्वस्य ज्ञानकोशलेखनदक्षत्व-भाण्डागारपोषकत्वादिगुणोऽस्मारि, जेसलमेरुस्थस्यास्य भाण्डागारस्यापि च स्मरणमकारि । स्थाने स्थाने ज्ञानकोशान् कारयितुरस्य सरिवर्यस्य जन्म सं. १४५० वर्षे, दीक्षा सं. १४६१ वर्षे, सूरिपदं सं. १४७५ वर्षे, स्वर्गमनं च सं. १५१४ (५) वर्षे समजनि । अनेन दीक्षा खरतरगच्छीयजिनराजसूरिपाचे जगृहे । विद्याध्ययनं तु वाचकशीलचन्द्रगणिपावेऽकारि (ख.)। सूरिवर्यस्यास्य विद्वत्ता-सञ्चरित्रता-जिनमन्दिर-जिनबिम्ब-ज्ञानकोशप्रतिष्ठाकृत्त्व-व्याख्यातृत्व-राजमान्यत्वादिगुणानां वर्णनमत्र (परि. ३) विहितमिति नेह पुनः प्रतन्यते । अनेन. सूरिणा सूरिपदानन्तरं यावज्जीवं सं. १५१५ वर्षपर्यन्तं प्रतिष्ठितानि प्रभूतानि जैनबिम्बानि लेखितानि च पुस्तकानि यत्र तत्र प्रेक्षणपथपान्धीभवन्ति । सं. १५१८ वर्षे ऊकेशवंशीयेन केनचित् कारिताऽस्य सूरेः प्रतिमा नगरपामे जैनमन्दिरभूमिगृहे स्थापिता वर्तते (भावनगरप्राचीनशोधसङ्ग्रहभा० १, पृ.७१) । सं. १५२४ वर्षे जिनचन्द्रसूरेगच्छाधिपत्ये तदादेशात् कमलसंयमोपाध्यायेन प्रतिष्ठिते जिनभद्रसूरिपादुके वैभारगिरी (राजगृहे) च विद्येते (जैनलेखसङ्ग्रहले. २५७) । येन कमलसंयमेन सं. १४७६ वर्षे जिनभद्रसूरिपाचँ दीक्षाऽग्राहि, सं. १५४४ वर्षे १. श्रीज्ञानकोशलेखनदक्षा जिनभद्रसूरयो मुख्याः ।
तत्पहे सञ्जातास्ततोऽधुतन् दिव्यगुणजाताः ।। - सम्बोधसप्ततिवृत्तिप्र. अणहिल्लापत्तन-जेसलमेरुस्थितसमयकोशवीक्षायाः ।। समवसितगोप्यगम्भीरभावश्रुतनिकरसञ्चाराः ।। - विचाररत्नसङ्ग्रहः २३ । ३९० २. श्रीमोसलमेरुदुर्गनगरे जाबालों तथा श्रीमदेवगिरी तथा महिपुरे श्रीपत्तने पत्तने ।
भाण्डागारमबीपर बरतरेनानाविधेः पुस्तकेः स श्रीमजिनभद्रसूरिसुगुरुभाग्याद्भुतोऽभूद् भुवि ।। -अष्टलक्षी PR४ । ७२, ३. स्थाने स्थाने स्थापितसारज्ञानभाण्डागारश्रीजिनभद्रसूरि- पत्तनीयवाडीपार्धनावमन्दिरप्रशस्तिः (एपिग्राफिआ इण्डिका १३७)
स्थाने स्थाने पुस्तकभाण्डागारस्थापकाः श्रीजिनभद्रसूरवः । स.. ४. कीर्तिः श्रीजिनभद्रसूरिसगरोः सिद्धान्तकन्दोद्भवा व्याख्यानालबती जनोन्नतिदला..... विचदहव्या विसिनीव भव्यमधुपैः सौभाग्यसोगन्थ्यभाग भाग्यादित्यमहोदयाद् विजयते नित्यप्रबुद्धाऽमृतम् ।। षट्-समाम्युनिधि-क्षपाकरमिते संवत्सरे वैक्रमे तैरस्मि स्वकोण मोहजलधिपोतं व्रतं ग्राहितः ।
शान वा परमेष्ठिपक्षकनमस्कारागर्म पाठितो वात्सल्यं कथयामि वा कियदहं यत् प्रत्यहं तैः कृतम् ।। -उत्तरा. व.प्र. ५. अम्मोधि-वारिनिधि-याण-शशाङ्कवर्षे श्री उत्तराध्ययनवृत्तिमिमां चकार । ।
जेसलमेरो दुर्ग विजयदशम्यां समर्थिता सेयम् । श्रीजिनभद्रमुनीश्वरचरणस्मरणप्रसादेन ।। उत्तरा.कृ.प्रशस्ति.
जेसलमेरुदुर्ग सर्वार्थसिद्धिसंज्ञिकोत्तराध्ययनसूत्रवृत्तिश्च विनिर्ममे । सं. १४८४ वर्षे पत्तनस्थमेनं जिनभद्रसूरिं| प्रति जयसागरोपाध्यायः सिन्धुदेशान्तर्गतमल्लिकवाहणपुराद विद्वत्तापरिपूर्णा विज्ञमित्रिवेणिं प्रहितवान, यस्मा उपाध्यायपदं जिनभद्रसूरिणा व्यतारि (पृ. ५७) । सं. १४९५ वर्षे जयसागरोपाध्यायविहिता सन्देहदोलावलिवृत्तिश्चेतेन व्यशोधि, स्वयं च जिनसप्ततिसंज्ञकं प्रकरणं प्राणायि । सं. १४८७ वर्षे जेसलमेरो जन्मभाक्, सं. १५३० वर्षे तत्रैव स्वर्गामी जिनचन्द्रसूरिरस्य पट्टधर आसीत् (ख.) सं. १५१८ वर्षे यत्प्रतिष्ठितानां तीर्थपट्टिकानां लेखा अत्र प्रोद्धृताः (परि० १४,१५,१६,१७,१८) । सं. १५१२-१९ वर्षे पुष्पमालावृत्ति, (पृ.५८)-चरित्रपञ्चकवृत्तिविधातुः साधुसोमगणिनो गुरुग्र्यासदीनसाहिसभायां वादिविजेता सिद्धान्तरुच्युपाध्यायोऽप्यस्य जिनभद्रसूरेः शिष्य आसीत् । भावप्रभाचार्य-कीर्तिरत्राचार्यादीनयं जिनभद्रसूरिः सूरिपदेऽस्थापयत् (ख.) । अष्टादश विद्वांसोऽस्य शिष्या आसन् । सं. १५३६ वर्षे जेसलमेरुदुर्गे देवकर्णराज्येऽष्टापदप्रासादप्रतिष्ठाकारको जिनचन्द्रसूरेः शिष्यः (परि०५) जिनसमुद्रसूरिजिनभद्रसूरेः प्रशिष्य आसीत् । परमहंससम्बोधचरित्रकारो नयरङ्गो जिनभद्रसूरेः सन्तानीयः (पृ. ५७) । महेश्वरकवि कविवरमण्डनचरिते, धनदा निजनिर्मिते नीतिशतके स्वसमकालीनजिनभद्रसूरेर्गुणानवर्णयत् ।।
एवं पुस्तकलेखन-सङ्ग्रहार्थमुपदिश्य भाण्डागारं बिभ्रता जिनभद्रसूरिमहाशयेन, तदुपदेशमनुसृत्य निजद्रव्यव्ययेन पुस्तकानि लेखयित्वा संगृह्य च समर्पयित्रा धरणाऽऽदिगृहस्थगणेन च साहित्यसमुपासकानां १. जलधि-वस भवन-सङ्ख्ये वर्ष माघे सितष्टमीदिवसे । रविसुतवारे रुधिरे समर्थितोऽयं महालेखः ।। -विज्ञप्तित्रिवेणिप्र. २. विक्रमतः पञ्चनवत्यधिकचतुर्दशशतेषु वर्षेषु । प्रथितेयं श्लोकैरिह पञ्चदश शतानि सार्धानि ।। -सन्देहदोलावलीवृत्तिः ३. जैनेन्द्रागमतत्त्ववेदिभिरभिप्रेतार्थकल्पटुभिः । सद्धिः श्रीजिनभद्रसूरिभिरियं वृत्तिविशुद्धीकृता ।। -सन्देहदोलावलीवृत्तिः ४. गणहरसुहम्मवंसे कमेण जिणरायसूरिसीसेहिं । पपरणमिणं हियटुं रइयं जिणभासूरीहिं ।। - जिनसप्ततिप्रकरणम् ५. श्रीखरतरगच्छेशश्रीमजिनभद्रसूरिशिष्याणाम् । जीरापानीपाश्वप्रभूलब्धवरप्रसादानाम् ।।
श्रीग्यासदीनसाहेमहासभालभवादिविजयानाम् । श्रीसिद्धान्तरुचिमहोपाध्यायानो विनेयेन ।। साधुसोमगणीशेनाकेशेनार्थप्रबोधिनी । श्रीवीरचरिते चक्रे वृत्तिचित्तप्रमोदिनी ।।
चावी चरित्रपाकवृत्तिर्विहिता नवैकतिचिवर्षे । हर्षेण महर्षिगणे: प्रवाध्यमाना धिरं जयतु ।। -जिनवाभीषमहावीरचरितवृत्तिः ६. तस्य अष्टादश शिष्याः श्रीसिद्धान्तरुचिपाठक-श्रीकमलसंयमोपाध्यायादयो विद्वांसः । • पट्टावली (विनयवाभीया) ७. चिन्तामणिः सम्प्रति भक्तिभाजी तपस्यया त्रासितदेवनाथः ।
दयोदयः प्रीणितसर्वलोकः सिद्धो गरीयाञ्जिनभद्रसूरिः ।। -धनदनीतिशतकम् (श्लो.९४) ८. जयत्यतः श्रीजिनभद्रसूरिः श्रीमालवंशोद्भवदत्तमानः ।
गम्भीरचारुश्रुतराजमानस्तीर्थाटनैः सन्ततपूतमूर्तिः ।। -काव्यमनोहरम् (सर्ग ७. लो.३५)
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प्रस्तावना-संस्कृत प्रस्तावना-19
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(३)
समाजोऽतीवानुग्रहीत एतद्विषये केन किं वक्तव्यम् ? । किन्तु तादगलभ्यदुर्लभपुस्तकरत्नानामगारं साम्प्रतं कारागारमिव क्रियमाणं श्रुत्वा वा महापुरुषोद्गीर्णानामगणितगुणगणाकीर्णानां तेषां ग्रन्धानां दुर्दैववशात् कालक्रमेणासावधानतया जन्तुजातेन च जनितां जीर्णविशीर्णलुप्तप्रायां स्थितिं शृण्वतां केषां सहदयानां बत । शोको न समुत्पद्येत ? । सङ्ग्रहकर्तृणामुदारमाशयमनवबुध्यतां देश-क्षेत्र-काल-भावादिकमननुसरतां स्वयं तदुपयोग कर्तुमशक्नुवतामन्यांशानुपयोजयतां पूर्वोक्तां दुरवस्थितिं दृग्गोचरीकुर्वतामपि भाण्डागाररक्षकाणां दुरन्ता गजनिमीलिका कस्य सहदयस्य न दुःखाय ? । आशास्महेऽत्तः परमप्रसिद्धग्रन्थप्रकाशनप्रसङ्गे प्रशस्तपद्धत्या प्राचीनान् ग्रन्थान् प्रकाशयित्र्यै विश्वासार्हाय संस्थाया आदर्शपुस्तकप्रेषणप्रदानप्रवणा प्रशस्ता मतिरेषां प्रादुर्भवेत् ।
तपागच्छ-भाण्डागारः । तपागच्छोपाश्रयसत्कोऽयं भाण्डागारः केन कदा भत इति स्फुट न ज्ञायते. तथापि तपागच्छीयानन्दविमलसूरिशिष्यपं. वानरगणिशिष्यपं. आनन्दविजयगणिना सं. १६५९ वर्षे प्रतिमोचनेनार्य चित्कोशो वृद्धि प्रापितो ज्ञायते (पृ. ५३,५५) । हीरविजयसूरिमूर्तिरेतदुपाश्रये वर्तते । सप्तदशशताब्द्यां तपागच्छीयसाधूनां विचरणमित आसौदिति स्पष्टमवबुध्यते । तपागच्छाश्रितः सुपार्श्वजिनालयस्त्वर्वाचीनः सं. १८६९ वर्षे प्रतिष्ठितः (परि. २२) । बृहद्भाण्डागारादपि प्राचीनं सं. ११०९ वर्षे लिखितं |पशमीकहाग्रन्थस्य ताडपत्रीयमादर्शपुस्तकमत्र वर्तते (पृ. ५२); अस्मादेवादर्शात् सं. १५६१ वर्ष पं. आनन्दविजयगणिशिष्यपं, बुद्धिविमलेनानुलेखिते पत्तनभाण्डागारस्थे पुस्तके तु सं. १००९ वर्षे तत्ताडपत्रपुस्तकलेखनं समसूचि । एतस्मात् प्राचीनं ताडपत्रपुस्तकं नाद्यावधि कुत्राप्युपलब्धं श्रुतं वाऽस्माभिः । सं. १११५ वर्षे लिखिता हरिभद्रसूरिरचितपशाशकानां प्रतिरपि प्राचीनाऽत्र वर्तते (पृ. ५१) । एषां वृत्तिः सं. ११२४ वर्षे नवाझवृत्तिकर्ताऽभयदेवसूरिणा विहिता ।
डुंगरजीयति-सङ्ग्रहः । जेसलमेरुदुर्गे विवेकसमुद्रगणिना सं. १३३४ वर्षे विहितायाः पुण्यसारकथायाः पुस्तकमत्र प्रेक्ष्यते। उनविंशशताब्दीप्रणीतानि पुस्तकान्यपि सङ्ग्रहीतान्यत्र विलोक्यन्ते । सङ्ग्रहकर्तृविषये ज्ञातव्यं न किश्चिदपि ज्ञातम् ।
(४)
थीरु(थाहरु)शाह-भाण्डागारः । प्रो.श्रीधरभाण्डारकरेण चीमनलालदलालेन चैतद्भाण्डागारस्वामिनो नाम थीरुशा' इति दर्शितम्, किन्तु शिलालेखाधुलेखानुसारेण सप्तदशशताब्द्युत्तरार्धे विद्यमानो जेसलमेरुनिवासी जैनश्रेष्ठी थाहरुनामधेयः स विज्ञायते; येन सं. १६७५ वर्षे लोद्रवापत्तने चिन्तामणिपार्श्वजिनालयस्योद्धारः कारितः (परि. ६), चिन्तामणिपार्श्वजिनबिम्बमपि कारितम् । सं. १६८२ वर्षे यश्च सयपतिर्भूत्वा शत्रुाये गणधराणां पादुकाः स्थापयामास (एपिग्राफिआ इण्डिका २ । ६८) । यश्च पुनः सं. १६९३ वर्षे लोद्रवापुरि स्वजनश्रेयोऽर्थ नैकानि देवगृहानि कारयामास (परि. ७, ८, ९, १०, ११, १२) ।
चतुर्ध्वप्येषु पुस्तकसङ्ग्रहेषु यानि पुस्तकान्यत्युपयुक्तान्यवगतानि, तानि सर्वाण्यपि दलालेन प्रायोऽत्र संसूचितानि । एतन्मध्यात् केचिद् ग्रन्थाः सूचिपत्रसङ्कलनकाले मुद्रिता आसन, केचिद् ग्रन्थाश सू.सङ्कलन-मुद्रणकालयोः षड्वर्षप्रमाणेऽन्तराले मुद्रितास्तेषां समुपवेशनं न नाम निरर्थकम्; यतस्तत्तद्ग्रन्थानां पुनर्मुद्रणादिप्रसङ्गेऽशुद्धिसंशोधनाय त्रुटित-स्खलितांशपरिपूर्तये क्वचित् सन्देहापनोदादिप्रयोजनाय च स्फुटं वरिवृतीत्यावश्यकता । अत्र निर्दिष्टाश्च ये ग्रन्था मुद्रिता ज्ञातास्तान् तत्रैव (मु.) संज्ञया समज्ञापयम् । सोकर्येण ग्रन्थनामज्ञानार्थ सर्वेषामपि प्रायः षट्शतीग्रन्थानां वर्णानुपा सूची निवय प्रान्ते न्यवेशयम्, तत्राप्यप्रसिद्धग्रन्थान् चिन्हाङ्कितान् कृत्वा प्रादर्शयम् । तदनन्तरं तु जैनजेनेतरग्रन्थकर्तृणां तद्ग्रन्थनामोपेतानि नामानि समुपावेशयम् । अवशिष्टानीतिवृत्तोपयुक्तानि विशिष्टनामानि षड्विभागेन प्रान्ते समसूचयम् । अत्र सूचितान् विविधविषयकानप्रसिद्धान् अङ्गोपाङ्ग-मूलसूत्र-च्छेदसूत्र
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20- प्रस्तावना - संस्कृत प्रस्तावना
(सी.डी.दलाल के सूधिपत्र के परिशिष्ट से उद्धृत जैसलमेर, लौद्रवा आदि मंदिरों के शिलालेख)
जेसलमेरुमन्दिरस्थशिलालेखाः ।
प्रकीर्णकादिजेनसिद्धान्तग्रन्थान्, जैनन्याय-वादग्रन्थान्, बौद्ध-नैयायिक-वैशेषिक-साङ्ख्य-वेदान्तादिदर्शनग्रन्थान्, जैनद्रव्यानयोग-गणितानुयोग-चरणकरणानुयोगोपदेश-धर्मकथानुयोगग्रन्थान्, जेनेतरकथा-चरितादि, व्याकरणकाव्य-छन्दो-उलकार-कोश-नाटक-प्रकीर्णग्रन्थान्, कल्प-मन्त्र-शकुन-काम-योग-स्तुति-स्तोत्रादिग्रन्थान, गुर्जरभाषाग्रन्थांश्च पृथकृत्य यथाविषयं विभज्य यावज्ज्ञातं तत्तद्विषयक रचनासमयपोर्वापर्यमनतिक्रम्य च ग्रन्थकर्तपरिचयेन साकं पृथक् पर्यचाययम्, यथाप्रसङ्गं पूर्वसूचिपप्रजाः स्खलनाश तत्रैव समशोधयम् । विक्रमीयपनदशशताब्द्या ऊनविंशशताब्दी यावज्जातानां लक्ष्मण-वैरिसिंह-चाचिगदेव-देवकर्ण-जयतसिंहलणकर्ण-कल्याणाक्षयसिंह-मूलराजसंज्ञकानां जेसलमेरुपुरीयनृपाणां तत्पूर्वजानां च सत्तासमयादि परि. १,२,३,४,५,१३,१४,१५,१६,१७,१८,१९,२१,२२ लेखपरिपठनेन शास्यत इति नात्र पुनरुलिख्यते ।
- जेसलमेरुदुर्ग गत्वा येनेतत् सूचिपत्रं परिश्रमेण सङ्कलितम्, यशःशेषः स चीमनलालदलालमहाशयः, येथेतत्कार्येऽनल्पां सहायतां वितीर्यतत्पन्था निर्विघ्नं सुसरलो व्यधायि; तेऽर्बुदगिरिप्रष्ठाधिकारिणः (जोधपुररेसिडेन्सी), भाण्डागारनियुक्ताश्च कथं नाम धन्यवाद नार्हन्ति ? ।
कार्य चास्मिन् प्रसङ्गोचितं साहाय्यं प्रदाय येनाहं प्रोत्साहितस्तस्यैतत्संस्कृतपुस्तकालयाध्यक्षस्य (संस्कृतलाइबेरियन्) एम्. ए. पदप्रतिष्ठितस्य जी.के.श्रीगोन्देकरमहाशयस्य, के.पी.मोदी. बी. ए. एल. एल्. बी. इत्यस्य, के. रङ्गस्वामिप्रभृतेस्तथा स्वसङ्ग्रहपुस्तकानि प्रदर्शयित्रोः प्रवर्तककान्तिविजयहंसविजयमुनीशयोचोपकृतिः स्मृतिपथात् कथमपि नापैति ।
सावधानतया प्रयत्नेन संशोध्य कृतेऽप्यत्युपयोगिन्यस्मिन् कर्तव्ये मम मतिमान्द्यात् प्रमादाद् वा जाता याः काश्चन स्खलना मतिमतां मतिमार्गारूढा भवेयुस्ताः प्रकृतिकृपालवः परिश्रमवेदिनः सहदयाः 'न हि सर्वत्र पाण्डित्यं सुलभं पुरुषे क्वचित्' इत्यभियुक्तोक्तिं हद्यवधार्य संशोधयिष्यन्ति मां च संसूचयिष्यन्तीत्याशास्ते
पार्श्वजिनालयस्य प्रशस्तिः । . ऐं नमः श्रीपार्श्वनाथाय सर्वकल्याणकारिणे । अर्हते जितरागाय सर्वज्ञाय महात्मने ।। १ विज्ञानदूतेन निवेदिताया मुक्त्यंगनाया विरहादिवात्र । रात्रिदिवं यौ विगतप्रमीलो विघ्नापनोदं स तनोतु पार्श्वः ।। २ समस्ति शस्तं परमर्द्धिपात्रं परं पुरं जेसलमेरुनाम । यदाह सर्वस्वमिव क्षमायाः कुलांगनाया इव सौवकांतं ।।३ तत्राभूवनखंडा यदुकुलकमलोल्लासमार्तडचंडा दोर्दडाक्रांतचंडाहितनरपतयः पुष्कला भूमिपालाः । येषामद्यापि लोकैः श्रुतिततिपुटकैः पीयते श्लोकयूषस्तत्पूर्ण विश्वभांडं कुतुकमिह यतो जायते नैव रिक्तं ।। ४ तत्र क्रमादभवदुनसमग्रतेजाः श्रीजेनसिंहनरराज इति प्रतीतः । चिच्छेद शात्रवनृपानसिनांजसा यो वज्रेण शैलनिवहानिव वज्रपाणिः ।।५ तस्य प्रशस्यो तनयावभूतां श्रीमूलदेवोऽथ च रत्नसिंहः । न्यायेन भुंक्तः स्म तथा भुवं यौ यथा पुरा लक्ष्मण-रामदेवो ।। ६ श्रीरत्नसिंहस्य महीधवस्य बभूव पुत्रो घटसिंहनामा । यः सिंहवन् म्लेच्छाजान् विदार्य बलादलाद्वप्रदरीमरिभ्यः ।।७ सुनंदनत्वाद्विबुधैर्नुतत्वाद् गोरक्षणाच् श्रीदसमाश्रितत्वात् । श्रीमूलराजक्षितिपालसूनुर्यथार्थनामाऽजनि देवराजः ।।८
ता. १-९-२२ सेन्ट्रल लाइब्रेरी, बडौदा.
गान्धीत्युपाह्वो भगवान्दासतनुजः
. लालचन्द्रः
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प्रस्तावना - शिलालेख - 21
(२)
तदंगजो निर्भयचित्तवृत्तिः परैरधृष्यप्रगुणानुवृत्तिः ।
अर्हद्धर्मधुरंधरः खरतरः श्रीसंघभट्टारकः पराक्रमक्रांतपरद्विद्रः श्रीकेहरिः केशरिणा समोऽभूत् ।।९ प्रासाद जिनपुंगवस्य विशदं प्रारब्धवान् श्रीपदं ।। २० तस्यास्ति सूनुः स्वगुणैरनूनः श्रीलक्ष्मणाख्यः क्षितिपालमुख्यः । नवेषुवाीदुमितेऽथ वर्षे १४५९ निदेशतः श्रीजिनराजसूरेः । राज्ञोऽपि यस्यातिविसारितेनश्चित्रं न्यका(द्रविबिंबलक्ष्मी ।। १० अस्थापयन् गर्भगृहेऽत्र बिंबं मुनीश्वराः सागरचंद्रसाराः ।। २१ शत्रुघ्नबंधुरिह सन्नपि लक्ष्मणोऽपि रामाभिधानजिनभक्तिपरायणोऽपि।। ये चकुर्मुनिपा विहारममलं श्रीपूर्वदेशे पुरा एतत् कुतूहलमहो मनसाप्यसो यत्रापीडयनिबिडपुण्यजनान् ये गच्छं च समुन्नतो खरतरं संप्रापयन् सर्वतः ।
कदाचित् ।। ११
मिथ्यावादबलोन्मदद्विपकुले यैः सिंहलीलायितं तथा सुमित्रामितनंददायी नदीनबंधे निरतोऽवतीर्णः ।
येषां चंद्रकलाकलान् गुणगणान् स्तोतुं क्षमः कोऽथवा ।। २२ पुनः प्रजा पालयितुं किलायं श्रीलक्ष्मणो लक्ष्मणदेव एव ।। १२ तेषां श्रीजिनवर्द्धनाभिधगणाधीशां समादेशतः यद्गुणैगुंफिता भाति नवीनेयं यशःपटी ।
श्रीसंघो गुरुभक्तियुक्तिनलिनीलीलन्मरालोपमः । व्याप्नोत्येकापि यद्विश्वं न मालिन्यं कदाप्यधात् ।। १३
संपूष्णीकृतवानमुखरतरप्रासादचूडामणि गांभीर्यवत्त्वात्परमोदकत्वाद्दधार यः सागरचंद्रलक्ष्मी । त्रिद्वीपांबुधियामिनीपतिमिते संवत्सरे विक्रमात् ।। २३ युक्तं स भेजे तदिदं कृतज्ञः सूरीश्वरान् सागरचंद्रपादान् ।। १४
अंकतोऽपि संवत् १४७३ । प्रासाददेवालयधर्मशालामठाद्यमेवं सुकृतास्पदं तु ।
वण्यं तत्रगरं जिनेशभवनं यत्रेदमालोक्यते सार्द्ध कुलेनोद्धृतमार्यलोकैर्यत्रावनिं शासति भूमिपाले ।। १५
सलाध्यः कृतिनां महीपतिरिदं राज्ये यदीयेऽजनि । इतश्च । चांद्रे कुले यतींद्रः श्रीमजिनदत्तसूरिराराध्यः ।
येनेदं निरमायि सौवविभवेर्धन्यः स संघः क्षिती तस्यान्वयशृंगारः समजनि जिनकुशलगुरुसूरिः ।। १६
तेभ्यो धन्यतरास्तु ते सुकृतिनः पश्यति येऽदः सदा ।। २४ जिनपद्मसूरि-जिनलब्धिसूरि-जिनचंद्रसूरयो जाताः ।
श्रीलक्ष्मणविहारोऽयमिति ख्यातो जिनालयः । समुदैयरुरिह गच्छे जिनोदया मोदयासुर्नः (?) ।। १७
श्रीनंदीवर्द्धमानच वास्तुविद्यानुसारतः ।। २५ तदासनांभोरुहराजहंसः श्रीसाधुलोकस्य शिरोवतंसः । ...धामानिरासहंसो बभूव सूरिजिनराजराजः ।। १८
यावद् गगनशृंगारौ सूर्यचंद्रौ विराजतः । क्रूरग्रहैरनाक्रांतः सदा सर्वकलान्वितः ।।
तावदापूज्यमानोऽयं प्रासादो नंदताच्चिरं ।। २६
प्रशस्तिविहिता चेयं कीर्तिराजेन साधुना । नवीन...नो यो नालीकस्य प्रकाशकः ।। १९ तस्य श्रीजिनराजसूरिसुगुरोरादेशतः सर्वतो
धनाकेन समुत्कीर्णा सूत्रधारेण सा मुदा ।। २७ राज्ये लक्ष्मणभूपतेविजयिनि प्राप्तप्रतिष्ठोदये।
शोधिता वा० जयसागरगणिना श्रीः ।
शान्तिजिनालयस्य प्रशस्तिः । ।। जगदभिमतफलवितरणविधिना निरवधिगुणेन यशसा च । यः पूरितविश्वाशः स कोपि भगवान् जिनो जयति ।। १ मनोभीष्टार्थसिद्धर्थ कृतनम्यनमस्कृतिः । प्रशस्तिमथ वक्ष्येहं प्रतिष्ठादिमहःकृतां ।।२ ऊकेशवंशे विशदप्रशंसे रकान्वये श्रेष्ठिकुलप्रदीपो । श्रीजाघदेवः पुनरासदेवस्तजाषदेवोद्भवज्ञांबटोऽभूत् ।। ३ विश्वत्रयोविश्रुतनामधेयस्तदंगजो धांधलनामधेयः । ततोऽपि च द्वो तनयावभूतां गजूस्तथान्यः किल भीमसिंहः ।। ४ सुतो गजूजी गणदेव-मोषदेवौ च तत्र प्रथमस्य जाताः ।। मेघस्तथा जेसल-मोहणी च बेडूरितीमे तनया नयादयाः ।। ५ तन्मध्ये जेशलस्यासन् विशिष्टाः सूनवस्त्रयः ।
आंबः प्राच्योऽपरो जींदो मूलराजस्तृतीयकः ।। ६ ।। तत्र श्रीजिनोदयसरिप्रवरादेशसलिलेशकेशवः संवत् १४२५ वर्षे श्रीदेवराजपुरकृतसविस्तरतीर्थयात्रोत्सवस्तथा संवत् १४२७ वर्षे श्री जिनोदयसूरिसंसृत्रितप्रतिष्ठोत्सवांभोदोदकपल्लवितकमनीयकीर्तिवल्लीवलयः |सं. १४३६ वर्षे श्रीजिनराजसूरिसदुपदेशमकरंदमापीय संजातसंघपतिपदवीको राजहंस इव सं. आंबाकः श्री शत्रुजयोजयंताचलादितीर्थ-मानसरो यात्रां चकृवान् । तथा
मोहणस्य पुनः पुत्राः कीहटः पासदत्तकः । देल्हो धनश्च चत्वारश्चतुर्वर्गा इवांगिनः ।।१।। शिवराजो महीराजो नातावाद्यसुतावुभो । मूलराजभवश्वास्ति सहस्रराजनामकः ।।२।।
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22- प्रस्तावना - शिलालेख
तथा तत्र श्रीजिनराजसूरिसदाज्ञासरसीहंसेन संवत् १४४९ वर्षे श्री .
(३) शत्रुजयगिरनारतीर्थयात्रा निरमापि सं० कीहटेनेति ।
सम्भवजिनालयस्य प्रशस्तिः । थामा कान्हा जगन्मल्ला इत्येते कीहटांगजाः ।
अहं।। स्वस्ति श्रीस्तंभनपार्श्वनाथपादकल्पद्रुमेभ्यः ।। वीरदत्तश्च विमलदत्त-कर्मण-हेमकाः ।।१।।
प्रत्यक्षः कल्पवृक्षस्त्रिजगदधिपतिः पार्श्वनाथो जिनेंद्रः ठाकुरसिंह इत्येते पासदत्तसुता मताः ।।२।।
श्रीसंघस्येप्सितानि प्रथयतु स सदा शक्रचक्राभिवंद्यः । देल्हनो साधुजीवंदकुंपो धनांगजाः पुनः ।
प्रोत्सर्पति प्रकामातिशयकिशलया मंगलश्रीफलाढ्याः जगपालस्तथा नाथूरमरश्चेति विश्रुताः ।।३।।
स्फूर्जद्धार्थवल्लयो यदनुपमतमध्यानशीर्ष श्रयंत्यः ।।१।। तथा ।। भीमसिंहस्य पुत्रोऽभूलाषणस्तस्य मम्मणः ।
श्रीशांतितीर्थकरवासरेश्वरः सुप्रातमाविष्कुरुतां स्फुरद्युतिः । जयसिंहो नरसिंहो माम्मणी श्रेष्ठिनावुभौ ॥४॥
यस्य प्रतापादशिवक्षपाक्षये पुण्यप्रकाशः प्रससार सर्वतः ।।२।। तत्र स्तो जयसिंहस्य रूपाधिल्हाभिधौ सुतौ ।
कल्याणकल्पद्रुममेरुभूमिः संपल्लतोल्लासनवारिवाहः । नारसिंह पुन जो हरिराजश्च राजतः ।।५।।
प्रभारत्नावलिरोहणाद्रिः श्रीसंभवेश: शिवतातिरस्तु ।।३।। इत्थं पुरुषरत्नौघाकुलं श्रेष्ठिकुलं कलौ ।
प्रासादत्रितये नत्वा मूलनाथत्रयं मुदा । जयत्यधर्मविच्छेदि निःकलंकमद: कलं ।।६।।
रत्नत्रयमिवाध्यक्ष प्रशस्ति रचयाम्यहं ।।४।। इतश्च । श्रीवीरतीर्थे श्रीसुधर्मस्वामिवंशे युगप्रधानश्रीजिनदत्तसूर्यन्वये। | यत्प्राकारवरं विलोक्य बलिनो म्लेच्छावनीपा अपि श्रीजिनकुशलसूरि-श्रीजिनपद्मसूरि-श्रीजिनलब्धिसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि- प्रोद्यत्सैन्यसहस्रदुर्ग्रहमिदं गेहं हि गोस्वामिनः । श्रीजिनोदयसूरयो जाता: । तत्पट्टे श्रीजिनराजसूरय उदेषुः । अथ | भनोपायबला वदंत इति ते मुंचंति मानं निजं तत्पट्टे श्रीखरतरगणशृंगारसाराः कृतश्रीपूर्वदेशविहाराः श्रीजिनवर्द्धनसूरयो | तच् श्रीजेसलमेरुनाम नगरं जीयाज्जनत्रायकं ।।५।। जयंति । अथ श्रीजेशलमेरो श्रीलक्ष्मणराजराज्ये विजयिनि सं० १४७३ | वंशो यद्यदुनायकर्नरवरेः श्रीनेमि-कृष्णादिभिवर्षे चैत्रसुदि १५ दिने तैः श्रीजिनवर्धनसूरिभिः प्रागुक्तान्वयास्ते श्रेष्ठिधना- | जन्मेव प्रवरावदातनिकरैरत्यद्भुतेराख्यतः । जयसिंह-नरसिंह-धामा: समुदायकारितप्रासादप्रतिष्ठया सह | तेनासो लभते गुणं त्रिभुवनं सन्नादतो रंजयेत् जिनबिंबप्रतिष्ठा कारितवंत इति ।। वा० जयसागरगणिविरचिता को वा ह्युत्तममानितो न भवति श्लाघापदं सर्वतः ।।६।। प्रशस्तिरियमुत्कीर्णा सूत्रधारहापाकेनेति नंदतात् ।।
श्रीनेमि-नारायण-रोहिणेया दुःखत्रयात् त्रातुमिव त्रिलोकं । यत्रोदिताः श्रीपुरुषोत्तमास्ते स वर्णनीयो यदुराजवंशः ।।७।।
तस्मिन् श्रीयादववंशे राउलश्रीजइतसिंह-मूलराज-रत्नासिंह-राउलश्रीदूदा-राउलश्रीघटसिंह-मूलराजपुत्रदेवराजनामानो राजानोऽभूवन् । ततोऽभूत्केसरी राजा केसरीव पराक्रमी । वैरिवारणसंहारं यश्चकारासिदंष्ट्रया ।। श्रीमत्केसरिराजसूनुरभवच् श्रीलक्ष्मणो भूपतिविद्वलक्ष्मणलक्षतोषणशरच् श्रीलक्ष्मणस्तेजसा । दानाशाय करग्रहाञ्च सकलं लोकं व्यधालक्ष्मणं यो बिंबे मृगलक्ष्मणोऽपि यशसा सौवाभिधानं व्यधाति ।।२ तदीयसिंहासनपूर्वशैलप्राप्तोदयो ह्युग्रतरप्रतापः । श्रीवैरसिंहक्षितिपालभानुर्विभासते वैरितमो निरस्यन् ।।३ इतश्च ।। चंद्रकुले श्रीखरतरविधिपक्षे ।। श्रीवर्धमानाभिधसूरिराजो जातः क्रमादर्बुदपर्वताग्ने । मंत्रीश्वरश्रीविमलाभिधानः प्राचीकरद्यद्वचनेन चैत्यं ।।१।। अणहिल्लपाटकपुरे यैर्दुर्लभराजपर्षदि विवादे । प्राप्तं खरतरबिरुदं जिनेश्वरास्सूरयो जजुः ।।२।। ततः क्रमेण श्रीजिनचंद्रसूरि-नवांगीवृत्तिकारश्रीस्तंभनपार्श्वनाथप्रकटीकारश्रीअभयदेवसूरि-श्रीपिंडविशुद्ध्यादिप्रकरणकारश्रीजिनवल्लभसूरिश्रीअंबिकादेवतप्रकाशितयुगप्रधानपदश्रीजिनदत्तसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरिश्रीजिनपतिसूरि-श्रीजिनेश्वरसूरि-श्रीजिनप्रबोधसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरिश्रीजिनकुशलसूरि-श्रीजिनपद्यसूरि-श्रीजिनलब्धिसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरयः श्रीजिनशासनं प्रभासितवंत: ।। ततः ।। श्रीगच्छलक्ष्मीधरणे जिनोदयाः प्रकाशितप्राज्ञसभाजिनोदयाः । कल्याणवार्डो दशवाजिनोदयाः पाथोजहंसा अभवजिनोदया: ।।१।।
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प्रस्तावना - शिलालेख -23
जिनराजसूरिराजः कलहंसा इव बभुर्जिनमताब्ने । सन्मानसहितगतयः सदामरालीश्रिता विमलाः ।।२।। तत्पट्टे ।। ये सिद्धांतविचारसारचतुरा यानाश्रयन् पंडिताः सत्यं शीलगुणेन येरनुकृतः श्रीस्थूलभद्रो मुनिः । येभ्यः शं वितनोति शासनसुरी श्रीसंघदीप्तिर्यतो येषां सार्वजनीनमाप्तवचनं येष्वद्भुतं सौभगं ।।१।। श्रीउजयंताचल-चित्रकूट-मांडव्यपूर्जाउरमुख्यकेषु । स्थानेषु येषामुपदेशवाक्यान्निर्मापिताः श्राद्धवरैर्विहाराः ।।२।। अणहिलपाटकपुरप्रमुखस्थानेषु यैरकायत । श्रीज्ञानरत्नकोशा विधिपक्षश्राद्धसंधेन ।।३ मंडपदुर्ग-प्रल्हादनपुर-तलपाटकादिनगरेषु । यैर्जिनवरबिंबानां विधिप्रतिष्ठाः क्रियते स्म ।।४ यनिजबुद्ध्याऽनेकांतजयपताकादिका महाग्रंथाः । पाठ्यते च विशेषावश्यकमुख्या अपि मुनीनां ।।५।। कर्मप्रकृतिप्रमुखग्रंथार्थविचारसारकथनेन । परपक्षमुनीनामपि यश्चितचमत्कृतिः क्रियते ।।६।। छत्रधरवैरिसिंह-त्र्यंबकदासक्षितींद्रमहिपालैः । येषां चरणद्वंद्वं प्रणम्यते भक्तिपूरेण ।।७।। शमदमसंयमनिधयः सिद्धांतसमुद्रपारदृश्वानः । श्रीजिनभद्रयींद्रा विजयंते ते गणाधीशाः ।।८।। इति श्रीगुरुवर्णनाष्टकं ।। इतश्च ।। श्रीमानूकेशवंशोऽयं वर्धतां सरलाशयः । नरमुक्ताफलं यत्र जायते जनमंडनं ।।१।।
तस्मिञ् श्रीऊकेशवंशे चोपडागोत्रे । सा० हेमराजः तदंगजः सा० | सा० शिवा-महिरा-लोला-लाषणश्राद्धेः दिन ७ साधर्मिकवात्सल्यं पूनाकस्तदात्मजः सा० दीताख्यस्तत्पुत्राः सा० सोहड-कर्मण-गणदेव | कृतं राउलश्रीवेरसिंहेन साकं श्रीसंघो विविधवः परिधापितः । महिपा सा० पांचा सा० ठाकुरसिंहनामान: षट् । तत्र सा० पांचाभार्या | राउलश्रीवेरसिंहेनापि चत्वारस्ते बांधवाः स्वबांधवववस्रालंकारादिदानेन रूपादे, तत्पुत्रा इमे यथा ।।
सम्मानिता इति ।। शिवराज-महीराज-लोला-लाषणनामकाः ।
।। अथ जिनपतिपावो राजतां यत्प्रसादात् चत्वारः श्री चतुर्वर्गसाधकाः संति पांचयः ।।१
सकलसुकृतकार्य सिध्यति ध्यायकानां। एतेषां भगिनी श्राविका गेली । तत्र सा० शिवा भार्या सूहवदे तयोः | जिनकुशलम
| जिनकुशलमुनींद्रास्ते जयंतु त्रिलोक्यां पुत्र: थिराख्यः पुत्री हीराई । महिराभार्या महधलदे तयोरंगजाः सादा
| खरतरविधिपक्षे तन्वते ये सुखानि ।।१।। सहसा-साजणाख्याः सुते नारंगदे-बल्हीनाम्न्यौ । लोलाभार्या लीलादे,
| सरस्यामिव रोदस्यां पुष्पदंतो विराजतः । पुत्री सहजपाल-मेलाको, पुत्री लाषाई । लाषणभार्या लषमादे, तदात्मजाः
| हंसवत्रंदतात्तावत् प्रासादः संभवेशितुः ।।२।। शिखरा-समरा-मालाख्याः ।।
प्रासादकारकाणां प्रासादविधिप्रतिष्ठितिकराणां ।
सूरीणां श्राद्धानां दिने दिने वर्द्धतां संपत् ।।३।। इत्यादिपरिवारेण संयुताः श्रावका इमे ।
सेवायै त्रिजगजना जिनपतेर्यशृंगमूले स्थिता कुर्वति धर्मकार्याणि शासनोन्नतिहेतवे ।।१
दंडव्याजभृतस्त्रय: सुपुरुषा आमंत्रयति ध्रुवं । विक्रमवर्षचतुर्दशसप्ताशीतौ १४८७ विनिर्ममे यात्रा ।
प्रेखोलद्ध्वजपाणिभी रणरणघंटानिनादेन तत् शत्रुजय-रेवतगिरितीर्थे संघान्वितैरेभिः ।।२
प्रासादत्रितयं त्रिलोकतिलकं वंदे मुदाहं त्रिधा ।।४।। पंचम्युद्यापनं चक्रे वत्सरे नवतो पुनः ।
प्रासादत्रितयं नंद्यात् त्रिलोकोतलमंडनं । चतुर्भिबांधवैरैभिश्चतुर्धा धर्मकारकैः ।।३
त्रिविधेन त्रिधा शुद्ध्या वंदितं त्रिजगजनैः ।।५।। अथ संवत् १४९४ वर्षे श्रीवैरिसिंहराउलराज्ये श्रीजिनभद्रसूरीणा- | सौभाग्यभाग्यनिधयो मम विद्यादायकाः कविगजेंद्राः । मुपदेशेन नवीन: प्रासाद: कारितः । ततः संवत् १४९७ वर्षे । | श्रीजयसागरगुरवो विजयंते वाचकगरिष्ठाः ।।६।। कुंकुमपत्रिकाभिः सर्वदेशवास्तव्यपरःसहसश्रावकानामंत्र्य प्रतिष्ठामहोत्सवः | तशिष्यो वाचनाचार्यों वर्तते सोमकुंजरः । सा० शिवायेः कारितः । तत्र च महसि श्रीजिनभद्रसूरिभिः | प्रशस्तिविहिता तेन वाचनीया विचक्षणः ।।७।।श्रीः।।श्रीः।।श्रीः।। श्रीसंभवनाथप्रमुखबिबानि ३०० प्रतिष्ठितानि प्रासादश्च ध्वजशेखरः | लिखिता च पं० भानुप्रभगणिना ।। सर्वसंख्यायां कवित्वानि ३३ ।। प्रतिष्ठितः । तत्र श्रीसंभवनाथो मूलनायकत्वेन स्थापितः । तत्र चावसरे | शुभं भवतु संघस्य ।।८।।
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24 - प्रस्तावना - शिलालेख
जिनसेनगणिचात्र चैत्येऽकार्षीद् बहूद्यमं ।
| तेन देवभवनं प्रतिष्ठितं राज्यवृद्ध्याखिलपापशुद्धये ।।५।। संवत् १५८३ वर्षे मागसिरसुदि ११ दिने श्रीजेसलमेरुमहादुर्गे सूत्रभृशिवदेवेन प्रशस्तिरुदकारि च ।।१।।
| वेदांकाधीदुवर्षे १४९४ शिशिरऋतुवरे माघशुक्ले च पक्षे राउलश्रीचाचिगदेवपट्टे राउलश्रीदेवकर्णपट्टे महाराजाधिराजAfter this is added in a different hand षष्ठ्यां वै शुक्रवारेऽश्विनिभ उदग्यान इंदौ तु मेषे ।
राउलश्रीजयतसिंहविजयिराज्ये कुमरश्रीलूणकर्णयुवराज्ये श्रीऊकेशवंशे प्रासादे क्रियमाणेऽथ बहुविधोपशांतये । भूपः श्रीवैरिसिंहः सुरवरभवनेऽकारयत्सुप्रतिष्ठा
श्री संखवालगोत्रे सं. आंबापुत्र सं. कोचर या । जिणा कोरंटइ विज्ञानं रचयामास जिनसेनो महामुनिः ।।२।। शुभं ।
मृत्विग्भिवेदविद्धिपतिभिरनिशं वंदितांघ्यब्जयुग्मः ।।६।। | नगरि अनद संखवालीगामइ उत्तंगतोरण जनप्रासाद कराव्या । आबू संवत् श्रीविक्रमार्कसमयातीतसंवत् १४९४ वर्षे भाटिके संवत् ८१२ | जीराउलइ श्रीसंघिसुं यात्रा कीधी । जिणइ आपणइ उदारगुणइ आपणा
प्रवर्तमाने महामांगल्यमाघशुदि ६ शुक्रवारे अश्विनीनक्षत्रे शुक्लाख्ययोगे घरनउ सर्व धन लोकनं देई कोरंटइ कर्णनामना लीधी । सं. कोचरपुत्र लक्ष्मीकान्तप्रासादस्य प्रशस्तिः ।
तीतलाख्यकरणे मेषस्थे चंद्रे महाराजाधिराजश्रीयादववंशीयराउल | सं. मूला, तत्पुत्र सं. रउला सं. हीरा। सं.रउलाभार्या सं. माणिकदे, स्वस्ति श्रीगणेशाय नमः । स्वस्तिश्रीजयोऽभ्युदयश्च ।।
श्रीजेतसिंह-राउलश्रीमूलराजराज-राउलश्रीदेवराज-राउलश्रीकेहरि-पुत्र सं. आपमा सं. देपमल्ल। सं.आपमालभार्या कमलादे, पुत्र सं. ददातु वः स देवेशः शंखभूषणभूषितः ।
राउल श्रीलक्ष्मण-तत्पद (पूर्वाचलप्रचंड मातंडायमान- पेथा सं. भीमा सं. जेठा । सं.पेथाभार्या पूनादे, पुत्र सं. आसराज निपतंती दिवो येन केन मंदाकिनी धृता ।।१।।
महाराजाधिराजश्रीवेरसिंहेन सर्वकामसियर्थ श्रीलक्ष्मीकांतप्रीत्यर्थ | सं. मुंघराज, पुत्रिका स्याणी। सं.आसराजद श्रीशनुंजयमहातीर्थ सलिलनिधिसुधाया हत्सरस्यां वगाढो पंचायतप्रासादः प्रतिष्ठितः ।
श्रीसंघसहित यात्रा करी आपणा वित्त सफल कीधा । सं.आसराजभार्या लवणिमजलभाजि स्वेष्टकांताविनोदः । प्रासादसत्कूपसरःप्रतिष्ठा विधापिता येन यदूत्तमेन ।
चो. सं. पांचापुत्री गेली जिणइ श्रीशचंजय गिरनार आबूतीर्थ यात्रा विकचकुचसरोजे मंजु गुंजन् षडंघ्रिः प्रजाः सुखेन प्रतिपाल्यते यः षड्दर्शनाधारपरः स जीयात् ।। १ ।।
कीधी । श्रीशत्रुजयादितीर्थावतारपाटी करावी । सतोरण सपरिकर सजलजलदनील: पातु वः शार्ङ्गपाणि: ।।२।। पौर्वरमीभिः खलु भूमिपालैः व्य(य)स्मारि यद्यद्भुवि ।
श्रीनेमिनाथनां बिंब भरावी श्रीसंभवनाथनइ देहरइ मंडाव्या । श्रीमजेसलमेरुनाम नगरं पृथ्व्याः परं मंडनं | मत्वैव तत्कार्यसमर्थमेनं श्रीवैरिसिंह व्यदधाद्विधाता ।।२।।
समस्तकल्याणकादिक तपनी पाटी सैलमय करावी । सं.आसराजपुत्र भोग्यं यादवभूभुजामिव नवं चारु स्वभतुर्वयः । शुभं भवतु ।
सं.घेता सं. पाता । सं.षेतइ सं. १५११ श्रीशत्रुजयगिरनारतीर्थइ शूरैर्यादववंशजेरुपचितं स्वाकारशुद्धैर्नृपैश्री...पंचालीसाल्हासुतशिवदासभाटीदेपासुतभोजा.....
श्रीसंघसहित यात्रा कीधी। इम वरसइ २ तीर्थयात्रा करता सं. १५२४ नानावित्तवणिग्विशां विजयतेऽजेयं परेस्तञ्चिरं ।।३।।
तेरमी यात्रा करी श्रीशत्रुजय ऊपरि छ अरी पालता सम्राट् श्रीजेत्रसिंहो यदुकुलजलधिप्रोल्लसत्पावणेदु
श्रीआदिनाथप्रमुखतीर्थकरनी पूजा करता छद्रुतप करी बिलाष नवकार . स्तत्सूनर्मूलराजो जगति सुविदितो देवराजो नृराजः ।
अष्टापदप्रासादस्य प्रशस्तिः ।
गुणी चतुर्विधसंघनी भक्ति करी आंपणा वित्त सफल कीधा ।। वली तवंशे यादवेंद्रः समभवदसको केहरिस्तत्तनूजः
। स्वस्ति ।। श्रीपार्श्वनाथस्य जिनेश्वरस्य प्रसादतः संत समीहितानि । | चोपडा सं. पांचापुत्र सं.सिवराज सं.महिराज सं.लोला संघवीलाषण, श्रीमद्रामाभिरामः समजनि तनयो लक्ष्मणो लक्ष्मणेशः ।।४।। श्रीशांतिनाथस्य पदप्रसादाद्विजानि नश्यतु भवेच्च शांतिः ।। १ ।। पुत्रिका सं.गेली । सं.लाषणपुत्र सं.सिषरा सं.समरा सं.माला सं.महणा लक्ष्मणस्य तनयो विराजते वैरिसिंह इति विश्रुतः सदा ।
सं.सहणा सं.कुंरा प्रमुखपरिवारसहित चो.सं.लाषण संखवाल
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प्रस्तावना - शिलालेख - 25
सं.आसराजपुत्र सं.घेता ए बिहु मिली श्रीजेसलमेरुनगरि गढ उपरि | करावी । पउडसाण जाली १४ सुहणा देहरा उपरि कांगुरा अष्टापदइ बिभूमिक श्रीअष्टापदमहातीर्थप्रासाद कराव्या । सं. १५३६ वर्षे कराव्या । काउसग्गीया श्रीपार्श्वनाथनां बि कराव्या। बिहुं हाथिए सं.
लोद्रवपुरे शतदलकमलान्तःस्थो लेखः । फागुणसुदि ३ दिने राउलश्री देवकर्णराज्ये समस्तदेसना संघ मेलवी | घेता सं. सरसतिनी मूर्ति करावी । सं. १५८१ वर्षे मागसिरवदि १०. श्रीजिनचंद्रसूरि-श्रीजिनसमुद्रसूरिकन्हलि प्रतिष्ठा करावी श्रीकुंथुनाथ | रविवारे महाराजाधिराज राउलश्रीजयतसिंह तथा कुमरश्रीलणकर्णवचनात् | श्रीनिवासं सुरश्रेणिसेव्यक्रमं वामकामानिसंतापनीरोपमं । श्रीशांतिनाथ मूलनायक थपाव्या । चउवीस तीर्थकरनी अनेक प्रतिमा | श्रीपार्श्वनाथ अष्टापदविचालइ सं. बीदइ सेरी छावी । कुतना वड | माधवेशादिदेवाधिकोपक्रम तत्त्वसंज्ञानविज्ञानभव्याश्रमं ।।१।। भरावी । सं. घेतइ समस्त मारुयाडिमाहि रुपानाणासहित समकितलाडू | बंधाव्या । बारणा पउडसाण कराव्या । वेईबंध छज्जावलि करावी । | नव्यनीरागताकेलिकर्मक्षमं 'य(य)स्य भव्यर्भजे नाम संपद्रमं । लाह्या । सोनाने आषरे श्रीकल्पसिद्धांतनां पोथां लिखाव्यां। | कोहर एक कराव्या । गाइसहस १ जोडी घृत अत्र गुल रुत घणी वार | नीरसं पाप स्मर्यते सत्तम तिग्ममोहातिविध्वंसतापाश्रमं ।।२।। श्रीजिनसमुद्रसूरिकन्हां श्रीशांतिसागरसूरि आचार्यनी पदस्थापना | षट्दरसणब्राह्मणादिकनां दीधा । श्रीजेसलमेरुगढनी दक्षिणदिसइ घाघरा
| लब्धप्रमोदजनकादरसा(?)स्वधाम तापाधिकप्रमदसागरमस्तकामं । करावी । श्रीअष्टापदतीर्थइ बिहु भूमिकाए जगति करावी बिंब मंडाव्या। | बंधाव्या । देहरानी सेरीनइ घाघरा बे कु. श्रीजयतसिंहराउलनइ आदेसइ सं.घेताभार्या सं.सरसति, पुत्र सं.वीदा सं.नोडा, पुत्रिका धानू वीजू । | सं. वीदइ कराव्या । गउष करावी दस अवतार सहित लषमीनारायणनी
| घंटारवप्रकटिताद्भुतकीर्तिराम सं.नोडाभार्या सं. नायकदे सं. पूनी । सं. वीदाभार्या सं. अमरादे | मूर्ति गउखइ मंडावी ।।
| नक्षत्रराजिरजनाय लता(नीशप्रभा)भिराम।।३।। सं.विमलादे, सं. विमलादेपुत्र सं. सहसमल्ल सं. करणा सं. धरणा ।
| घंटापथप्रथितकीर्तिरमोपयाम नागाधिपः परमभक्तिवशात् सवाम । जिनो दशावतारोऽप्यवताररहितस्य तु । पुत्रिका हरघु मलषू हस्तू । सं. सहसमल्लभार्या सं. कुंरीपुत्र भोला
गंभीरधीरसमतामयमातंगमं श्रीषोडशजिनेंद्रस्य समियाय परीष्टये ।। १ सं.सवीरीपुत्र डाहा सं.करणा सं. कनकादेपुत्र षीदा । पुत्रिका शुद्धसम्यक्त्वधारित्वादावितीर्थकरत्वतः ।
मं(मार्त्यानतं नमत तं जिनपं निकामं ।। ४ ।। लाला, सं.धरणाभार्या धरणिगदे पुत्रिका वाल्ली । इत्यादि परिवारसहित सलक्ष्मीकः समायातो जिनो दातुमिव श्रियं ।। २
संसारकांतारमपास्य नाम कल्याणमालास्पदमस्तशाम । सं.वीदइ श्री शत्रुजय गिरनार आबूतीर्थ यात्रा कीधी । समकितमोदक
| लाभाय बभ्राम तवाभिरामं लोभाभिभूतः श्रितरागधूमः ।। ५ ।। घृत षांड साकरनी लाहिणि कोधी । श्रीजिनहंससूरिगच्छनायकनी मंडपादिकनी कमठा सं. सहसमा सं. करणा सं. धरणा कराविस्यइ |
कर्मणां राशिरस्तोकलोकोद्गमः संसृतेः कारणं मे जिनेशावमं । वर्षग्रंथिमहोछव करी अल्ली घर २ प्रतइ लाही । पांचमिना ऊजमणा | ।। इत्येषा प्रशस्तिः श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनहंससूरिपट्टालंकार
| पूर्णपुण्याढ्य दुःखं विधत्तेऽतिम कीधा। पांच सोनइया प्रमुख अनेक वस्तु ऊजमणइ मांडी । | श्रीजिनमाणिक्यसूरिविजयिराज्ये श्रीदेवतिलकोपाध्यायेन लिखिता चिरं श्रीकल्पसिद्धांतपुस्तक घणीवार वंचाव्यां । पांचवार लाष नवकार गुणी | नंदतु ।।
पर्ण(न) क्षमस्त्वां विना कोऽपि तं दुर्गमं ।। ६ ।। चारसो जोडी अल्लीनी लाहिणि कीधी । सं.सहसमल्ल श्रीशत्रुजयतीर्थद सूत्रधारमनसुखपुत्रसूत्रधारताकेन मुदकारि प्रशस्तिरेषा | कार्मणं निर्वृतेर्हतुमन्योऽसमः य(य)क्षराट्पूज्य तेनोच्यते निर्मम । यात्रा करी जूनइगढि राणपुर वीरमगाम पाटण पारकरि षांड आली | कोरीतं ।। ।। श्रीर्भवतु ।।
श्रीपते तं जहि द्राग् विधायोद्यम लाहणि करी घरे आव्या पछइ सं. वीदइ घर २ प्रतइ दस २ सेर घृत
दानीडाद्य मे देहि शं...प्रमं ।। ७ ।। लाह्या । अष्टापदप्रासादइ बिहु भूमिकाए जगतिना बारणानी चउकी
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26 - प्रस्तावना - शिलालेख
यस्य कृपाजलधेविश्राम कंठगताशुसुभटसंग्राम । णर्यशः सृजति शं जिनसार्वभौमः
लोद्रवपुरे शतदलकमलबहिःस्थो लेखः । भयजनकव्याया......मं जेतारं जगतः श्रितधामं ।। ८ ।। तारस्वरेण विबुधैः श्रित......होम । कक्षीकृतवसुभृत......पुर्गामं लापोञ्चारमहा...... । शोकारिमारिविरहय.....वातसादा?)मं
इत्थं पार्वजिनेश्वरो भुवनदिकुंभ्यंगचंद्रात्मके केशोच्चयमिह नयने क्षमं लिंगति कमला कुरु मे क्षेमं ।। ९ ।।
वर्षे वाचकरसारकृपया राकादिने कार्तिके । | भव्यैः स्तुतं निहतदुर्मतदंडषवा(?)मं ।। १८ ।।
मासे लोद्रपुरस्थितः शतदलोपेतेन पद्येन सन् कलयति जगतः......प्रेमं लंभयति सौख्यपटलमुद्दामं । माद्यांबुजध्वंसविधी महद्धिमं न वाजयत्याशु मनस्तुरंगमं ।
नूतोऽयं सहजादिकीतिगणिना कल्याणमालाप्रदः ।। २५ ।। कालं हंति च गतपरिणामं महे तं महियसो.....मं ।। १० ।। मंत्रोपमं ते जिन राम(ग)पंचमं स्तवेन युक्तं गुणरत्नकुट्टिमं ।। १९ ।।
ऐं नमः ।। श्रीसाहिर्गुणयोगतो युगवरेत्यर्ट(?)पदं दत्तवान् रसनयेप्सितदानसुरदुमं हितमहा....द्रिजलोत्तमं । | कलिशैलोरु व्यधाम(?) माहात्म्यं हृदयंगमं ।
येभ्यः श्रीजिनचंद्रसूरय इलाविख्यातसत्कीर्त्तयः । तं सदा पुण्यरमोदयसंगम समरसामृतसुंदरसंयमं ।। ११ ।। लब्धश्रितवसुत्राम यतिवर्गस्तुतं नुमः ।। २० ।।
तत्पट्टेऽमिततेजसो युगवराः श्रीजेनसिंहाभिधाहिनस्ति सद्ध्यानावस्थितस्य मध्यम तं तीर्थनाथं समरप्लवंगमं ।। लोकोत्पत्तिविनाशसंस्थितिविदां मुख्यं जिनं वै स्तुमः
स्तत्पट्टांबुजभास्करा गणधराः श्रीजेनराजाः श्रुताः ।। १ सुरासुराधीशम.........यमं रैःनाथसंपूजितपदयुगसुमं ।। १२ ।। द्रव्यारक्तसमाधरं नमत भो पूजां वरां पाश्चिमं ।
तेर्भाग्योदयसुंदररिषुसरस्वत्षोडशाब्दे १६७५ सितसंसारमालाकुलचित्तमादिमं सास्त्रार्थसंवेदनशून्यमश्रमं । परपक्षस्य तव स्तवं त्वन्निमित्त करींद्रग्रे(?)
द्वादश्यां सहसः प्रतिष्ठितमिदं चैत्यं स्वहस्तश्रिया ।
यस्य प्रौढतरप्रतापतरणेः श्रीपार्श्वनाथेशितुः रम्याप्ततावस्थितपूर्णचिधनं सांकितः शोषितपापकदमः ।। १३ ।। | तत्तद्भावमयं वस....तस्मै....काभ्यस्तवंदे ।। २१ ।।
| सोऽयं पुण्यभरां तनोतु विपुलां लक्ष्मी जिनः सर्वदा ।। २ रत्नत्रयालंकृतनित्यहेम सीमाद्रिसारोपमसत्त्वसोम । नयनाननसद्रोमं संततिं तव जंगम ।
पूर्व श्रीसगरो नृपोऽभवदलंकारोऽन्वये यादवे शोभामयो ज्ञानमयं विसामं षड्वर्ग मां देव विधेह्यकामं ।। १४ ।। स्थावराशु(सु)मतां स्याम(?) नयते शमकृत्रिमं ।। २२ ।।
पुत्रो श्रीधर-राजपूर्वकधरो तस्याध ताभ्यां क्षिती। भावविभासकनष्टविलोमं स्कंदितस्कंदलतं प्रणमाम । | दासानुदासस्य मम नवानंदविहंगम ।
श्रीमल्लोद्रपुरे जिनेशभवनं सत्कारितं षीमसी रंगपतंगनिवारण सुभीमं कंबुदान(गलं) जिनप...हत ते भौमं ।।१५।। माधति प्राप्य सुमं नंपा(नया)क्षत्तां महागुमं ।। २३ ।। तत्पुत्रस्तदनु क्रमेण सुकृती जातः सुतः पूनसी ।।३ मंत्रेश्वरः पार्श्वपतिपरिश्रमं लालाश्रितस्यापनया मनोरमं ।। | क्षमाबोहित्यनिर्याम मानवार्य महाक्षम ।
तत्पुत्रो वरधर्मकर्मणि रतः ख्यातोऽखिलेस्सद्गुणेः कर्मोत्थितं मे जिन साधु नैगम रंभाविलासालसनेत्रनिर्गमं ।। १६ ।। गुणिपूज्यं प्रीणयाम रं(रु)चिं स्तौमि नमं नमं ।। २४ ।।
श्रीमल्लस्तनयोऽथ तस्य सुकृती श्रीधाहरूनामकः । समितिसारशरीरमविभ्रमं हरिनतोत्तमभूरिंगमागमे ।। | स्मरंति यं सुंदरयक्षकद्देमं रागात् समादाय महंति कोकमं ।
श्रीशत्रुजयतीर्थसंघरचनादीन्युत्तमानि ध्रुवं
यः कार्याण्यकरोत्तथा त्वसरफी पूण्णौ प्रतिष्ठाक्षणे ।। ४ श्रयत तं जितमानभुजंगमं फलसमृद्धिविपीनपराक्रमं ।। १७ ।। | मिथो मिलित्वा मधु(धु?)जाड्यकुंकुम
प्रादात्सर्वजनस्य जेनसमयं चालेखयत् पुस्तकं चंद्राननं तं प्रविलोकताद्रमं ।। २५ ।।*
सर्व पुण्यभरेण पावनमलं जन्म स्वकीय व्यधात् ।
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प्रस्तावना - शिलालेख-27
(१४)
(७)
तेनाय भवनस्य यस्य जिनपस्योद्धारकः कारितः
(११) सार्द्ध सद्धरराज-मेघतनयाभ्यां पार्श्वनाथो मुदे ।। ५ ।। श्रीः ।।* | सं. १६९३ मार्गशीर्षसुदि ९ भणसाली संघवीथाहरूकेण श्रीअजितदेवगृहं | संवत् १५१८ वर्षे वैशाषसुदि १० दिने राउलश्रीवयरसिंहपुत्रराउलपुत्ररत्नहरराजपुण्यार्थमकारि प्र० श्रीजिनराजसूरिभिः ।। श्रीचाचिगदेवविजयराज्ये चोपडागोत्रे सा० सिवराज-महिराज
लोलाबांधवसं० लावणसुश्रावकेण सं० थिरा सं० सहसा सं० सहजपाल श्रीलोनवानगरे श्रीबृहत्खरतराधीशैः सं. १६७५ मार्गशीर्षसुदि १२ तिथी
सा०सिषरा सा० समरा-माला-सहणाकुंरापौत्र-श्रीकरण-उदयकरणगुरो भांडशालिक सा. श्रीमल()भा० चांपलदेपुत्ररत्नधाहरूकेण
| सं. १६९३ मार्गशीर्षशुदि ९ संघवीधाहरूकेण श्रीसंभवनाथ- प्रमुखपरिवारसहितेन श्रीसित्तुजय-गिरनारावतारपट्टिका भार्याकनकादेपुत्रहरराज-मेघराजादियुतेन श्रीचिंतामणिपार्श्वनाथबिंबं,
| देवगृहं पुत्रमेघराजपत्रिभोजराज सुखम(स्य पुण्यार्थ प्र० | समराभार्यासहजदेश्राविकापुण्यार्य कारिता प्रतिष्ठिता खरतरगच्छे का०.......युगप्रधानश्रीजिनसिंहसूरिपट्टप्रभाकर भ० श्रीजिनराजसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।।। | श्रीजिनराजसूरिभिः ।।
श्रीजिनभद्रसूरिपट्टालंकारश्रीजिनचंद्रसूरिभिः । वाचनाचार्यकमलराजगणयः प्रत्यहं प्रणमति ।।
(१२)
(८)
(१३)
(१५) संवत् १६७५ मार्गशीर्षसुदि १२ गुरौ श्रीअजितनाथबिंबं का० भ० | श्रीमहावीरतीर्थ श्रीसुधर्मस्वामिसंताने श्रीखरतरगच्छे श्रीउद्योतनसूरि
संवत् १५१८ वर्षे वैशाषसुदि १० दिने गणधरगोत्रे सा० नाथू पुत्र सं. थाहरूभार्याकनकादेपुत्ररत्नहरराजेन प्र० युगप्रधानश्रीजिनसिंह- श्रीवर्धमानसूरि-श्रीजिनेश्वरसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि-श्रीअभयदेवसूरिपट्टप्रभाकर-श्रीजिनराजसूरिभिः ।।।* श्रीजिनवल्लभसूरि-श्रीजिनदत्तसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि-श्रीजिनपतिसूरि
पासडभार्याप्रेमलदे पुत्र सं. जीवंदसुश्रावकेण पुत्रसधारण-धीराश्रीजिनेश्वरसूरि-श्रीजिनप्रबोधसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि-श्रीजिनकुशलसूरि
| प्रमुखपरिवारसहितेन निजमात्राप्रेमलदेपुण्यार्थ नंदीश्वरपट्टिका कारिता सं. १६९३ मार्गसीरसुदि ९ भणसालीसंघवीथाहरूकेण | श्रीजिनपद्मसूरि-श्रीजिनलब्धिसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि-श्रीजिनोदयसूरि
प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः । श्रीपार्श्वनाथदेवगृहं स्ववृद्धभार्याकनकादेवीपुण्यार्थमकारि प्र० | श्रीजिनराजसूरि-सुगुरुपट्टालंकारश्रीजिनभद्रसूरिविजयराज्ये
वा० कमलराजगणिवराणां शिष्य उत्तमलाभगणिः प्रणमति ।। श्रीजिनराजसूरिभिः।।।*
श्रीजेसलमेरुदुर्ग श्रीचाचिगदेवे पृथिवीं शासति सति संवत् १५०५ | वर्षे श्रीशंखवालगोत्रे सा० पेथापुत्र सा० आसराजभार्यया सा० घेता
(१६) (१०) | सा० पाताजनन्या गेलीश्राविकया वाचनाचार्यरत्नमूर्तिगणिसदुपदेशेन
संवत् १५१८ वर्षे वैशाषसुदि १० दिने संखवालगोत्रे सा० पेथापुत्र सं. १६९३ मार्गशीर्षसुदि ९ भणसालीसंघवीथाहरूकेण | वा. जिनसेनगणिरम्योद्यमेन श्रीतपःपट्टिका कारिता । लिखिता च
सा० आसराजश्रावकेण पुत्र घेता पाता पौत्र दीदा हेमराज श्रीआदिनाथदेवगृहं स्वलघुभार्यासुहागदेवीपुण्यार्थमकारि प्रतिष्ठितं | पं० मेरुसुंदरगणिना शुभमस्तु । सद्भिांच्यमाना चिरं नंद्यात् ।
प्रमुखपरिवारसहितेन निजभार्यागेलीपुण्यार्थं वा० कमलराजगणीश्रीजिनराजसूरिभिः ।।।* श्रीकीतिरत्नसूरि........
श्वराणामुपदेशेन श्रीशंत्रुजय-गिरनारावतारपट्टिका कारिता प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टालंकारश्रीजिनचंद्रसूरिभिः ।
उत्तमलाभगणिः प्रणमति सादरं ।। * एतचिनाङ्किताः सप्तापि लेखा लोद्रवपुरमन्दिरसत्काः ।
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28 - प्रस्तावना - शिलालेख
(२१)
(२०)
धृतिकुवलम्यनेत्रावश्यमंत्रायमानं राउलश्रीवयरसिंहपुत्रराऊल्त्रीचाचिगदेवविजयिराज्ये विक्रमात् सं. १५१८ श्रीखारतरवेगडगच्छे भट्टारक श्रीजिनेश्वरसूरिसंताने भजत विदितकीर्ति श्रीसुपाव विमानं ।।२।। वर्ष वैशाषसुदि १० दिने.....समरापुत्र सं० सजाकेन सं० सद्धारूहदे भट्टारकश्रीजिनगुणप्रभुसूरिपट्टे भ० श्रीजिनेशरसूरि तत्पट्टे भट्टारकरी | अहंत ईशाः सकलाक्ष सिद्धा आचार्यवर्या अपि पाठकेंद्राः । सोठा (?) राणा जावड भावड सं० सोही रांभू वीजूप्रमुखपुत्रपत्रिकादि- ५ जिनचंद्रसूरिपट्टे भट्टारकत्रीजिनसमुद्रसूरि तत्पदालंकारहारसारभट्टारक | मुनीश्वराः सर्वसमीहितानि कुर्वतु रत्नत्रययुक्तिभाजः ।। ३ ।। परिवारसहितेन श्रीमंडोवरनगरबास्तव्येन भार्यासहबदेपुण्याथै | श्री १०७ श्रीजिनसुंदरसूरि तत्पट्टे युगप्रधानभट्टारकश्री ७ | गजारूढा पीना द्विगुणभुजयुग्मेन सहिता । श्रीनंदीश्वरपट्टिका कारिता खरतरगच्छे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ।।। श्रीजिनउदयसूरिविजयराज्ये प्राज्यसम्राज्ये । श्रीरस्तुः ।। श्रीः । | लसद्विद्युत्कान्तिनरसुरभरेः पादमहिता
ददाना भक्तेभ्यः प्रतिदिवसमुच्छरमरतां (१८)
शुभं शांता संघस्य दिशतु सदानंदजननी ।। ४ ।। संवत् १५१८ वर्षे ज्येष्ठवदि ४ दिने श्रीचाचिगदेवविजयराज्ये गणघरगोत्रे | ।। उ नमः श्रीपार्श्वनाथाय नमः ।। श्रीवागडेशाय नमः ।। संवत् |
सत्सर्वद्धिसमन्विते शुभयुते दुर्टर्जनेविच्युते जगसीपुत्रनाथू तत्पुत्रसं० सझराजभार्या सं० धविणि सिंगारदे पुत्रसं० | १७८१ वर्षे शाके १६४६ प्रवर्त्तमाने महामांगल्यप्रदे मासोत्तमचैत्रमासे
धर्माधिष्ठितचित्तलोकलसिते विद्याविनीतोचिते । घरमा सं० जिणदत्त देवसी भीमसी पौत्र लाषा रिणमल्ल देव | लीलविलासे शुक्लपक्षे त्रयोदश्यां गुरुवारे उत्तराफाल्गुनीनक्षत्रे वृद्धिनामयोगे
श्रीमजेशलमेरुनाम्रि नगरे चैत्यं सुजातं कथं अमरा भउणा सूरा सामलादिपरिवारयुतेन श्रीशत्रुजय-गिरनाराव-एवं शुभदिने श्रीजेसलमेरुगढमहादुर्गे राउलश्री ५ असिंघजी
तं वक्ष्ये ह्यधुना सुपार्श्वजिनपस्याहं तपागच्छके ।। ५ ।। तारपट्टिका कारिता प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टालंकार- | विजेराज्ये।।
गांभीर्यादार्यधैर्यादिगुणसमुदयैः सद्गुरोर्धर्मचर्या श्रीजिनचंद्रसूरिभिः। अखात्रीजदिने लिखितं ।।
श्रुत्वा युक्तस्य वाणी दुरितशतदलारामकामे हिमानी ।
कंदर्पस्तेपि(?) घस्रां नवजिनभवनोत्पादनेनेत्यजत्रं (२२)
मर्त्यः प्राप्रोति नित्यं प्रतिभवकृतं यत्पापमाहत्य मुक्तिं ।। ६ ।। सुपार्श्वजिनालयस्य प्रशस्तिः ।
ब्रोद्वीशदेवासुरनरनिकरैः सेवितांहिद्वयस्य । श्रीपार्श्वनाथाय नमः ।। संवत् १६ चैत्रादि ७३ वर्षे जेठसुदि १५ | ॐ नमः श्रीसुपार्श्वनाथाय ।।
भक्तानां मंगलाय प्रमथितदनुजेंद्रस्य मायायुतस्य । सोमवारे मूलनक्षत्रे । श्रीजेसलमेरुनगरे राउलश्रीकल्याणजीविजयराज्ये | श्रीनाभेयमनुं वृषांकिततनं पापारिनाशे धन ।।
श्रीमद्विष्णोः पदाब्जामलकलनजलेः क्षालितस्वांतकस्य । । श्रीखरतरबेगडगच्छे । भ० श्रीजिनेश्वरसूरिविजयराज्ये । श्रीमच्छांतिजिनं तमोभरदिन लोकत्रयीस्वामिनं ।।
सन्न्यायाध्वप्रकर्तुजगति च विदितस्यारिवातकस्य ।।७।। छाजहहगोत्रे सं० कुलघर.......वेगहापुत्र मं.........सुर....देवद.....पुत्र | सर्वानंदकर महाभयहरं श्रीनेमिनार्थ परं ।।
निश्शेषोवीशमान्यस्य जनसुखकृतो मूलराजाभिधानमंत्री गुणदत्त तत्पुत्र नं.........सरजन पुत्र म. जी......के....तत्पुत्र | वंदे पाचप्रभुं सुरासुरविभुं श्रीवर्द्धमानं सु(शुभं ।।१।।
राज्ञः संप्राप्य चाज्ञां द्रुतहतसमघः कारयामास संघः । मं. चांपसी म. उदयसिंह मं. ठाकरसी......चांपसीपुत्र......कर्ण | भुवनभवनपापध्वांतदीपायमानं
सत्प्रासादं प्रसादं सुरभवनसमं नष्टदुष्कृद्विषादं उदयसीहपुत्र......उपासर......पदं कारितं चिरं जयत् ।। परमतप्रतिघातप्रत्यनीकापमानं ।
युक्तं पापाद्विमुक्तं गतकुमतमतं जालिकातोरणाधेः ।।८।। श्रीसंघस्य.....सूत्रधारपाचागेन.....
शुभं श्रीमच्छ्रीविक्रमस्य क्षितिपतिशुभात् प्राज्यसाम्राज्यराज्या
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वर्षा सुजाते वह(द ?) नरसगजोबीमिते १८६६ सौम्यमार्ग सूर्ये मासोत्तमाश्वियुजि सितदले कर्मवाट्यां दशम्यां । रम्यां सद्योगगम्यां वसुपतिभयुजि सोम्यवारान्वितायां ।। ९ ॥ ........... जातं हि पूण्णं गतवत्सु तूर्ण चैत्यं हि पंचस्वपि हायनेषु
जाता प्रतिष्ठा बलिनो ऽतरायात् ततोऽत्तरायस्य गता निवृत्तिः ।। १० ।। राजेंद्वक्षयसिंहनामनृपतेः पट्टोदयाद्री रवेः श्रीयद्वन्वयक्षीरनीरधिविधोः सर्वर्द्धविद्योदधेः । श्रीनाथस्य पदांबुजालिसदृशस्यामदितासन्म..... डाखंडकुमित्रपद्मिदलने दुर्दतपंचास्थिनः ।। ११ ।। सत्प्रासादतडागयागप्रभृतिश्रेयस्कृतेर्वर्द्धितामंदानंदकृदुत्तमानघपयः पुण्यीकृतप्राणिनः । जाग्रत्प्रोत्कटयत्प्रतापतपना नष्टारिजांधकृतौ राज्ये उलमूलनामनृपतेर्व विद्यमाने चिरं ।। १२ ।। सर्वाकृत्यनिवर्तिते शुभमते सद्यौवराज्यांकिते गोषड्दर्शनपालके गज....वाख्ये कुमारे स्थिते । श्रीनारायणभक्तितत्परमतिर्माहेश्वरीयेऽन्वये प्राबोभूत्करुणामृतार्द्रहृदयः प्राप्तप्रतिष्ठाश्रयः ।। १३ । आख्येनेव सुरूपसिंह इति तत्सूना अमात्योत्तमे स्वज्ञातौ तिलकोत्तमे सुहृदयानंदप्रकंदोपमे । सर्वक्षोणिमलब्धसल्लतिसमे सत्पुण्यपुष्पद्रुमे
नाम्ना सालिमसिंहके मतवरे विख्यातपृथ्वीतले ।। १४ ।। वर्षे हर्षजनप्रदे नवरसाष्टेंदो मिते संमते १८६९
श्रीमद्विक्रमभूपतेः सुललितस्यादभ्रराज्याद्भुतात् । ग्रीष्मत्त वृषराशिगे ग्रहफ्तो सौम्यायने भास्करे सत्सद्राशिनवांशगेषु सकलेषु व्योमगेषु क्रमात् ।। १५ ।। राधे मासि समन्विते सुविशदे पक्षे बलक्षे सखे श्रीमत्राभिसुतस्य पारणदिने शुद्धे तृतीयातिथौ । वारे चंद्रसुते शुभर्क्षसहिते सद्योगवेलायुते दिग्वामा मृदुमंजुलाख्यविशदे जाते... निजे ।। १६ ।। सव्रीडीकृतनाकिनागवनितानाताभिरत्यद्भुते गीतिसप्तस्वरान्विते वग( ? ) दिने सीमंतिनीभिः शुभे । काल्याणीयमहोत्सवे बहुकृते जाते महाडंबरे वादित्रध्वनिपूरिते जयरवे बंदीजनाचारिते ।। १७ ।। सद्वंशेषु तपागणस्य निखिलेषूत्पत्तिभाजां स्व....... वृद्धाचार्यमतानुगतसुहृदां पुण्यात्मनामाग्रहात् । श्राद्धानां सुखदा मया नगजयेनेष्टा प्रतिष्ठा मुदे चैत्यस्य ध्वजदंडयोश्च कलस (श) स्थाकारि सु (शु)भा हिता ।।१८।। अष्टभिः कुलकं श्रीमत्तपागणसरोजविकाशहंसाः प्राभूवनार्षशुचिमानसराजहंसाः । सिद्धांतसिंधुमथनैकनिबद्धकक्षाः सूरीशहीरविजया हतदुष्टमक्षाः । । १९ ।। दिल्लयामकब्बरसमस्तकुसार्वभौमे
नासेव्यमानचरणाः करुणार्द्रचित्ताः । यद्बोधनाज्जगति त्यक्तमृताकरेण व्यादत्तराज्यनवचिह्नत्रिदिग्पुरेण ।। २० ।। युग्मं तत्पश्चात्संव्यतीते कतिपयसुसुमे श्रीजिनेंद्राख्यसूरिः कालेऽस्मिन् सत्रिकर्षे विजितमहदनेकाभिमानिज्ञवृंदः ।
प्रस्तावना - शिलालेख 29
श्रेष्ठानंतक्षितीशाः सदननरभृतां माननीयो मुनींद्रो जैन चर्कद्धि राज्यं सुकृतयुतजनानंदजं पुण्ययुक्तं ।। २१ ।। शांतो दांतो धीमान् गीतार्थो मानवर्जितः सुचेताः । लोके हि लब्धसुयशा दृग्छुतमहागाधजलधितटः ।। २२ ।। श्रीहीरविजयसूरेः शाखायां श्रीगुलालविजयोऽस्ति । पुरवरजेशलमेरोस्तच्छिष्यौ द्वौ समायातौ ।। २३ ।। दीपविजय नगविजयौ संघस्य तपागणस्य विज्ञप्तेः । ताभ्यामिमाः प्रतिष्ठाश्चैत्यध्वजदंडकलशानां ।। २४ ।। सुपार्श्व पार्श्वभगवतो ह्यात्महितार्थं कृतास्सकल्याणं । बहाडंबरयुक्ते कृते महातूर्यसंरावे ।। २५ ।। जाते जयजयशब्दे दत्ते बंदीजनेषु सद्दाने । मिष्टान्न भोजनेन संतुष्टे सकलभूतगणे ।। २६ ।। प्रतिष्ठाकृत्ये संपूर्ण सिद्धे सर्वमनोरथे । स्वपूर्वजकृताचारविधिज्ञेन महौजसा ।। २७ ।। राज्ञा श्रीमूलराजेन गृहमागत्य सन्मुदा । वस्त्रादिकृतसत्कारः परोपकृतिकर्मठः ।। २८ ।। अवर्णवादी न कापि देवगुर्वोश्च पूजकः । कृतसंगः सदाचारैः शृण्वानो धर्ममन्वहं ।। २९ ।। दीनानाथादिहदुःखे दयार्द्रीकृतमानसः । पापभीरुः प्रसिद्धं च देशाचारं समाचरन् ।। ३० ।। सर्वमिष्टान्नसंपूर्ण सर्वव्यंजनसंयुतं । सर्वसुष्ठुरसोपेतं सर्वचित्तसुखप्रदं ।। ३१ ।। संघः साधर्मिकवात्सल्यं चकारामंदभोजनं । ईदृक्छुभेन कार्येण नरः प्राप्नोति निश्चितं ।। ३२ ।।
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30 - प्रस्तावना - शिलालेख
इहलोके धनं चायुर्वृद्धि कीर्ति सुतं सुखं । परत्र देववेभव्यं परमां शिवसंपदा ।। ३३ ।। षड्भिः कुलकं ।। भद्रं कुरुष्व परिपालय सर्वविश्व विघ्नं हरस्व विपुलां कमलां प्रयच्छ । जेवातृकार्कसुरसिद्धजलानि यावत् स्थैर्य भजस्व हि सुपार्श्वज(जि)नस्य नित्यं ।। ३४ ।।। रविचंद्रधरासुतसौम्यगुरुशनसः शनिराहुशिखिप्रमुखा दिविगाः । दिविगास्सततं मम हर्षयुताः प्रदिशंत्वयि भद्रभर भवतां ।। ३५ ।। क्षेत्राधीश्वरयोगिनीजनगणैः सिद्धैः समाराधितो ध्यातो देवगणैस्तथा मुनिगणैः कार्यार्थिभिः सर्वदा । साम्राज्यार्थकरश्चतुर्भुजधरः खड्गादिशौर्वरः । श्रीसंघस्य सुखं ददातु सततं श्रीमाणिभद्रो द्रुतं ।। ३६ ।। क्षोण्यां चाखिलदेवता गजमुखाः क्षेत्राधिपा भैरवा योगिन्यो बटुकाच सिद्ध....तरपैशाचकाचेटकाः । अन्ये भूचरखेचरामृत(ता)पगा वेतालभूतग्रहाः सानंदाः प्रदिशंतु मंगलवरं संघस्य मे सत्वरं ।। ३७ ।। यासां संस्मरणाद् भवंति सकलाः संपद्गणा देहीनां याः सर्वा दु:(?)खं दिनास्त्रिजगतामाधारभूताच याः । संघस्याप्यखिलस्य दुःखनिवहं कुर्वतु दूरं सदा श्रीमच्छासनदेवताः सुनयनाः संपूर्णचंद्राननाः ।। ३८ ।। उद्यच्छारदचंद्रास्या सूर्यकांतिसमप्रभा । सुखाय मे च संघस्य भूयाच्छीशांतिदेवता ।। ३९ ।।
यावद्विष्णुपदं ध्रुवस्थितियुतं वर्वत्ति तेजोनिधी
प्रतियाँ भिन्न भिन्न शानभंडारोमें थी उनके हस्तलिखित सूचिपत्र यावचंद्रदिवाकरौ दिविसरो यावद्धरित्रीधरौ ।
भी हर एक भंडारके भिन्न भिन्न थे किन्तु आज से १७ वर्ष यावत्संति धरांबुवतिखमरुद्धाराधरामंडलं
पूर्व ईसवी सन् १९८३ में जोधपुरके श्री जौहरीमलजी पारखने
विषयवार तथा नामवार ग्रंथ ढुंढनेमें अनुकूलता रहे इसलिए यावत्तावदिदं प्रमोदभरदं चैत्यं चिरं तिष्ठतु ।। ४० ॥
सभी ज्ञानभंडारोंके कागज पर लिखे हस्तलिखित ग्रंथोंको एकत्रित येषां लग्नं द्रव्यं यैश्चयं कारिता प्रतिष्ठा ।
कर दिये । नंबर बदल दिये । कईके नाम बदल दिये । तेषां कुलस्य नित्यं वृद्धिर्भूयाद्धनयशसोः ।। ४१ ।।
कई अलग अलग नंबर पर रहे ग्रंथों को एकत्रित कर दिये सुवृष्टास्संतु जलदाः सुवातास्संतु वायवः ।
और कई एक नंबरके ग्रंथको अनेक विभागमें बाँट दिये और
पुराने नंबर भी मिटा दिये । इतना करने के बाद वे उन्हें बहुधान्यास्तु पृथिवी सुस्थितोऽस्तु जनोऽखिलः ।। ४२ ।।
अलमारीयोंमें व्यवस्थित ढंगसे रख नहीं पाये और कपडोंके सर्वेऽपि संतु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः ।
लगभग १०० जितने बस्तोंमें अस्तव्यस्त अवस्थामें लगभग ५००० सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिदुःखभाग् भवेत् ।। ४३ ।।
आसपासकी संख्याके छोटे बडे ग्रंथ जैसलमेरमें उपर किलेके नगविजयेन मयेषा कृता प्रतिष्ठाप्रशस्तिरवशेषा ।
भंडारमें एक कमरेमें रखे थे । यह काम पूर्ण करनेसे पहले भूयाद्वृद्धिरशेषा संघस्य मे शस्यशुभरेखा ।। ४४ ।।
उनका स्वर्गवास हो गया था । इससे पूराने सूचिपत्रसे एक
भी ग्रंथ मिले ऐसी स्थिति नहीं थी और नये दिये गये क्रमांकों के विनयनतकोटिकोट्यमरनरभरसेविताहिकमलस्य ।
मुताबिक ग्रंथोंको व्यवस्थित ढंगसे जमा नहीं पाये, इस तरह श्रीमत्संखेश्वरस्य............. ।। ४५ ।।
कागजकी हस्तप्रतियोंके सभी भंडार अस्तव्यस्त हो गये | बस्तोंमें संवत् १८६९ वर्षे वैशाखसुदि ३ दिने
दीमक लगी, जंतु पड़े । किले के नीचे जैसलमेर शहरमें श्रीसंघेन प्रतिष्ठा कारिता ।।
तपागच्छके ज्ञानभंडारके कइ बंडलों में दीमक लग गई ।
लगभग ३०-४० ग्रंथ निकम्मे हो चुके । यदि हम समयपर (यहाँ सी. डी. दलाल के सूचीपत्रसे उद्धृत लेख समाप्त होते है । )
वहाँ नहीं पहुंचते तो तपागच्छका भंडार तो पूरा नष्ट हो जाता, अभी मूल बात पर आते है -
ऐसी स्थिति थी | इन सभी ग्रंथोंके मूल भंडारका नाम, नंबर, आ प्र.मुनिराजश्रीपुण्यविजयजी महाराजने जिनभद्रसूरि शानभंडारको
और ग्रंथनाम ढुंढना और मंडारके पुराने सूचिपत्रके अनुसार व्यवस्थित करने के कुछ समय बाद विक्रम सं० २०१८ ईसवी सन् उनको ढंगसे रखनेका काम अत्यंत अत्यंत दुष्कर था । हम १९६१ में जैन ट्रस्ट गठित हुआ । उसके पूर्व सभी भंडार वे वे गच्छ या सब दिन-रात इसी काममें जुटे । हम सब साधु, दस साध्वीजीयाँ ओसवाल पंच आदिके कब्जेमें, किलेमें तथा जैसलमेर शहरमें उन उन तथा कई श्रावक महिनों तक इसी काममें जुटनेके बावजूद गच्छोंके उपाश्रय या मकानोंमें ये भंडार थे । जैन ट्रस्ट का गठन होने | कई थोडे ग्रंथ पुराने सूचिपत्र अनुसार इस ग्रंथोंकी राशीमें के बाद जैसलमेर के सभी शानभंडार जन ट्रस्टको साप गये। | से हमें नहीं मिले । और कई नये नामके ग्रंथ मिले जिसे
उसके बाद ताडपत्रीय ज्ञानभंडार तो जितना व्यवस्थित | हमने तपागच्छके ग्रंथोंको तपागच्छकी पुरानी प्रविष्टयोंमें नयी था वैसे ही आज भी व्यवस्थित है । परंतु कागजकी हस्तलिखित | प्रविष्टियाँ (तपागच्छ मंडार कं १२७९ से कं.१३३७ तक) जोडकर
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प्रस्तावना-31
उसके साथ रखें और अन्य भंडारोंके सभी ऐसे नये नामके ग्रंथोंको आचार्यगच्छके पुराने सूचीपत्रमें (आचार्यगच्छ कागज ग्रंथ भंडार के ग्रंथांक १९७ से ३७१ तक) नयी प्रविष्टियों करके उनके साथ रखे है । इसलिये इस नये सूचिपत्रमें आपको ऐसे उल्लेख भी मिलेंगे । इस तरह, बहुत बहुत काम, तथा करनेवाले कम, और मर्यादित काल में सब कार्य पूर्ण करना था, इसलिये च का नाम पढ़ने में या कर्ता या लेखकका नाम दूंढनेमें हमारी भी कई गलतीयों हुई होगी ऐसा हमें लगता है ।
पुना जैसलमेरसे विहार करनेके बाद हमने इस सुचिपत्रको तैयार करनेके कामका प्रारंभ किया । हम जैसलमेरसे लगभग १२०० कि.मी. दूर हरिद्वारमें बैठे हैं । इसलिये जहाँ भी हमें शक हो वह दूर करनेके लिये मूल ग्रंथोंको देख सकें यह किसी भी तरीके से संभव नहीं है । और हमने जब ये सभी ग्रंथभंडार ढंगसे जमाकर ट्रस्टको सुप्रत कीये तब वे सभी ग्रंथ थोडे समयके लिये जैन भवनके एक कमरे में रखे गये थे । बाद में उस कमरेके द्वार पर ही बहुत बडा मधुमक्खीयोंका घर (छत्ता) बन जानेसे वहाँ कीसीको भेजकर शंकाका समाधान करना भी शक्य नहीं था । इसलिये ऐसी भूलें और क्षतियोंके लिए वाचक हमें क्षमा करें ऐसी हमारी बिनति है । अभी भी जैसलमेर ग्रंथ मंडारमें कपड़े में बंधे हुए बस्ते हैं जिनमें केवल गुटके हैं । इन गुटकोंमें कोई ग्रंथ, स्तवन, सज्झाय, मंत्र, तंत्र आदि यतियोंके युगमें जो प्रचलित साहित्य था वह है ।
यह सूचिपत्र तैयार करनेका सभी काम तथा आयोजन मेरे शिष्य मुनिराजश्री धर्मचन्द्रविजयजी महाराजके शिष्य मुनिश्री पुंडरीकरलविजयजी तथा धर्मघोषविजयजी महाराजने ही कीया है। इस काम में मेरी माता शतवर्षाधिकायु संघमाता साध्वीजी श्रीमनोहरश्रीजी महाराज की शिष्या साध्वीजीश्री सूर्यप्रभाश्रीजी की शिष्या साध्वीजीश्री जिनेन्द्रप्रभाश्रीजी आदि साध्वीजीगण का भी बहुत बड़ा हिस्सा है । खरतरगच्छ के मुनिराजश्री मणिप्रभसागरजी म.सा. एवं साध्वीजीश्री चंद्रप्रभाश्रीजी म.सा, एवं साध्वीजीश्री मणिप्रभाश्रीजी म.सा. आदि का भी इस कार्य में बहुमूल्य सहकार रहा है । पू.आ.म.श्री हेमचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से संचालित श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट तथा उसके कार्यकर चंद्रकान्तभाई पंडित(पाटण) तथा रोहितभाई अभेचंद-(मुंबई)ने भी इस कार्य में बहुत सहयोग दिया है । पू.आ .म.श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म.सा. के प्रशिष्य पू.आ.म.श्री रत्नसुंदरसूरीश्वरजी म.सा.की प्रेरणा से माटुंगा जैन श्वे.मू. संघ तथा सांताकुज जैन संघ मुंबई की ओरसे बहुत बड़ा आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ । वर्धमान संस्कृति धाम, विनियोग परिवार ट्रस्ट (मुंबई) के अरविंदभाई पारेख, केतनभाई तथा अनेक स्वयंसेवकोंने वहाँ कई दिन रहकर तन-मन-धन से कार्यमें सहयोग दिया तथा मुंबईमें देवकरण मूळजी जैनसंध (मलाक) तथा सांताक्रुज जैन संघको प्रेरणा करके फोटोस्टेट आदि कार्योमे बहुत बडा आर्थिक सहयोग प्राप्त करवाया । उमेशभाई जयंतिलाल भोगिलाल देवचंद वासणवाला(अगदाबाद)ने
ग्रंथोंको और सी.डी.योंको सुरक्षित रखनेकी स्टीलकी पेटीयों बनवाने में तथा मिहिर विनुभाई-बोरीवली, प्रतिक आसरा-नई मुंबई, राजीव बगडीया, नितिन बगडीया-बोरीवली, नानालालभाई देवराज (आघोईवाले) बम्बई, पारस विनोदभाई संघवी तथा आशीष महेन्द्रभाई अमदावाद, नरेंद्रभाई पटवा (पाटण), कच्छ तुंबडी निवासी मेहुल रमणिकलाल, लक्ष्मणभाई भोजक तथा अमृतभाई पटेल (अमदावाद), शारदाबेन चीमनलाल एज्युकेशनल रीसर्च सेन्टर-अहमदाबाद वाले पं. जितेन्द्रभाई बाबुलाल शाह तथा अमदावाद के अनेक स्वयंसेवकोंने हमें बहुत बहुत प्रकार का सहयोग दिया है, अन्य भी अनेक नामी अनामी सद्गृहस्थोंने अपनी शक्तियाँ इस काममे लगाई है।
मेरी माता साध्वीजी की शिष्या सूर्यप्रभाश्रीजीका भाई जितेन्द्र मणिलाल संघवी आदरियाणा, निवासी तो शुरुसे अंत तक सभी छोटे मोटे कार्योंमें जुटे थे और कम्प्युटर तथा फोटोस्टेट मशीनोंकी सभी जरुरतोंके पीछे मांडल निवासी अशोकभाई संघबीने अपना समय और शक्ति लगाई । इस काममें शेठश्री श्रेणिकभाई कस्तूरचंदभाई लालभाई की प्रेरणा से श्रुतनिधि ट्रस्ट, अमदावाद, तथा शेठश्री वर्धमानभाई एवं भरतभाई (माणसावाले) की प्रेरणा से पंकज सोसायटी जैन संघ (अमदावाद)ने कम्प्युटर तथा अन्य सामग्री खरीदने के लिये बहुत बड़ा आर्थिक सहयोग दीया । पुनडी (कच्छ) निवासी रविभाई संगोई की प्रेरणा से श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ श्वेतांबर कच्छी जैन संघ माटुंगा (सेन्ट्रल) मुंबई की और से भी अच्छा आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ । श्री पार्श्व कोम्प्युटर्स (अहमदाबाद) वाले अजयभाई चीनुभाई शाह तथा विमलकुमार बीपीनचंद्र पटेलने जैसलमेर में स्केनींग आदि तथा इस सूचीपत्रके टाईपसेटींग का अत्यंत जटिल कार्य अतिप्रसन्नतापूर्वक पूर्ण किया है । हजारों फोटोस्टेट कापीओंको प्लास्टीककी थैलीयोंमें दंगसे जमाकर उसके पेकींगके काममें साध्वीजीगण ने बहुत मेहनत की है। उन सबको मेरे हजारों धन्यवाद है । इस ग्रंथ की हिंदी प्रस्तावना का परिमार्जन करनेवाले दिवाकर प्रकाशन (आगरा) वाले श्रीमान् श्रीचंद सुरानाजीके हम ऋणी है । विश्व प्रसिद्ध मोतीलाल बनारसीदास-पब्लीसर्स (दिल्ली)ने इसका सुंदर मुद्रण एवं प्रकाशन-कार्य करके बहुत बडा सहयोग दिया है ।
अंतमें जैसलमेर लौद्रवपुर पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैन ट्रस्टके संचालकोंने श्रुतज्ञानकी आराधनाका जो अपूर्व मौका दिया है उसके लिये उन्हें भी हजारों धन्यवाद देता हूँ । इन ग्रंथोंका संशोधनादि कार्योंमें सदुपयोग हो और अभ्यासु वाचकगणके हाथोंमें ऐसा संशोधित साहित्य शीघ्र पहुंचे ऐसी परमात्माको प्रार्थना करके जैसलमेर दुर्गमंडन एवं हरिद्वार तीर्थमंडन श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ प्रभुजी के करकमलों में यह सृचिपत्र रूप ग्रंथ अर्पण करता हूँ । श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वे. मन्दिर, पूज्यपादगुरुदेवमुनिराजश्रीभुवनविजयान्तेवासी ऋषिकेश रोड, भूपतवाला, हरिद्वार, उत्तरप्रदेश,
मुनि जम्बूविजय पीन-२४९४१०. INDIA. विक्रमसंवत् २०५६ मार्गशीर्ष वदि २. दि. २४-१२-९९
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32 - सूचीपत्र का उपयोग करने से पहले अवश्य पढ़ें
हमने उसका स्पष्टीकरण नहीं कीया है। संवत्वार अकारादि सूधि भी परिशिष्ट में दी
सूचीपत्रका उपयोग करनेसे पहले अवश्य पढ़ें (१) जिस भंडार की सूचि चल रही है वह नाम उस भंडारके हर पन्ने पर सबसे उपर
दीया गया है । (२) पहली कॉलम ग्रंथ नंबरकी है । उसमें एकही नंबरमें जहाँ एक से अधिक ग्रंथ रखे
है वहाँ उस नंबर के साथ स्लेश करके A,B, या १, २, ऐसे नंबर दिये गये है। उदा० .....IA.
अकारादि क्रममें एकही नंबर के अंतर्गत आये हुए प्राया सभी ग्रंथोंको वही नंबरकी तहत रखके उसका अन्य विवरण अकारादि सूचीमें नहीं दिया है । याने-अकारादि क्रम में जहाँ नंबरके सामने नामकी दूसरी कॉलममें सिर्फ नाम ही है और अन्य कॉलममें (पत्र, कर्ता, संवत् आदिमें) कोई भी विवरण नहीं दीया है, वह सूचीत करता है की यह ग्रंथ एकही ग्रंथके अंतर्गत रखे हुए है ।
जिन नंबरोंके साथ ऐसा निशान दीया गया है वे ग्रंथ मूल हस्तलिखित भंडारमें विद्यमान नहीं है ऐसा सूचित करता है ।
अकारादि क्रमकी सूचि सभी भंडारोंको एकत्रित करके की गई है । उससे एक नामके ग्रंथ अलग अलग सभी भंडारोंमें कितने है यह एकही जगह देखनेको मिलता है। साथ ही वह नंबर कौनसे भंडारके है यह सूचित करनेवाले संकेत (जि.ता., जि.का., त.ता., त.का.... आदि) रखे गये है जिससे उस ग्रंथका विशेष विवरण मूल क्रमवार
सूचिमें देख सकते है । (३) दूसरी कॉलम ग्रंथनाम की है, वहाँ ग्रंथ का नाम दीया हुआ है। (४) तीसरी कॉलम 'कर्ता' की कॉलम के अंतर्गत ग्रंथ के कर्ता, लेखक, वृत्तिकार, बालायबोधकार,
मूल कर्ता, पूर्णि कर्ता, अवधूरिकर्ता आदि सभी नाम लिये गये है । जहाँ सिर्फ नाम लिखा है विशेष जानकारी नहीं लिखी है वहाँ वह नाम लेखक या कर्ता का है । जहाँ स्पष्ट जानकारी मिली है वहीं वह (वृत्तिकार, चूर्णिकार आदि) स्पष्ट कीया गया है । कर्तावारी अकारादि सूचिमें एक ग्रंथके अंतर्गत आये अनेक प्रकारके कर्ता नागों को भी
समाविष्ट कीया गया है । (५) चौथी कॉलम संवत की है उसमें रचना संवत् और लेखन संवत् दोनों समाविष्ट कीये
गये है । जहाँ एकही संवत् मिला है वह प्रायः लेखन संवत् ही है फिरभी कहीं कही रचना संवत् भी हो सकता है । क्योंकी मूल ग्रंथमें उसका स्पष्टिकरण न होने से
(६) पाँचवी कॉलग पत्र संख्या की है । वहाँ ग्रंथके कुल पत्रोंकी संख्या तथा कहाँ से कहाँ
तक के पत्रांक संबंधित ग्रंथमें है यह सूचित कीया गया है । कम या अतिरिक्त पत्रोंका
विवरण "विशेषनोंध' नामक अंतिम कॉलम में दीया गया है । (७) छठी कॉलममें झेरोक्ष (फोटोस्टेट) का विवरण दिया गया है । जिन ग्रंथोंकी फोटोस्टेट
नकल (कापी) बनायी गई है वह ग्रंथांक के सामने इस कॉलममें वह ग्रंथका नंबर दिया गया है । सिर्फ ग्रंथका ही एक नंबर इस कॉलममें हो तो यह सूचित करता है की संबंधीत ग्रंथकी फोटोस्टेट कापी के सभी पन्ने प्लास्टीककी एक ही थैलीमें रखे गये है। जिस प्रथांक के सामने इस (झेरोक्ष) कॉलममें एकसे ज्यादा नंबर लिखे है यहाँ अगर दोनों नंबर के बीच से' या 'पी' लिखा है वहाँ संबंधित ग्रंथकी फोटोस्टेट कॉपी एक ही प्लास्टीक की थैलीमें क्रमशः उन सभी ग्रंथोके साथ रखी गयी है । जहाँ दो नंबर के बीच + (अधिक) का चिन्ह है यहाँ वह नंबरके ग्रंथके साथ दूसरा भी निर्देशित ग्रंथ एक ही प्लास्टीक की थैलीमें रखा गया है । जहाँ दो नंबरके बीच (....) ऐसा निशान किया गया है वहाँ वह ग्रंथ उन दो नंबर के बीच आये हुए कोई कोई (क्रमशः सभी नंबर के ग्रंथ नहीं) दूसरे ग्रंथोंके साथ एक ही प्लास्टीक की थैलीमें रखा गया है । जहाँ इस (झेरोक्ष) कॉलममें पहले ग्रंथका नंबर लिखके कंस में (१.२. या ३ आदि) नंबर लिखा है वहाँ वह ग्रंथ बडा होने से संबंधित ग्रंथके फोटोस्टेट कापी के पन्ने एक से ज्यादा प्लास्टीक थैलीयोंमें बाँटकर रखे है । कसमें जितने नंबर दिये है वह सब अलग अलग पैलीयाँ मिलाकर वह पूरा ग्रंथ होता है ।
उदा० (0) जि.ता. ग्रंथोक १ झेरोक्ष कॉलममें १ (१, २, ३) - यह सूचीत करता है की १ नंबर के ग्रंथकी फोटोस्टेट कॉपी तीन प्लास्टीक की थैलीयोंमें बांटके रखी गयी है। मुका० - ग्रंथांक १ के सामने झेरोक्ष कॉलममें यह सूचीत करता है की, इस ग्रंथकी
फोटोस्टेट कॉपी एक ही प्लास्टीक थैलीमें रखी है । (i) डूंका. ग्रंथांक नं.२ के सामने झेरोक्ष कॉलममें '२+६+१०/१' यह सूचीत करता है कि
यह ग्रंथकी फोटोस्टेट कापी उसी भंडार के ६और १०/१ नंबर के ग्रंथोंकी फोटोस्टेट कॉपी के साथ एक ही प्लास्टीक की थैलीमें रखी है ।
.
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संकेत सूची -33
| विद्यमान हो सकते है। फिरभी ध्यानसे हमने देखे न होने से वे भंडारमें नहीं है ऐसा सूचीपत्रमें सूचित कीया है ।
ग्रंथोंका अकारादिक्रम, संवत्वार सूचि तथा कर्तावार सूचि कोम्प्युटर द्वारा की गई है । इसलिए कोम्प्युटर की स्वाभाविक हस्य, दीर्घ या नामोंको थोडा उपर नीचे करने की भूलें उससे होती है वह यथावत् रखी है । तो वाचकवर्ग उसे सुधारकर पढ़ें और इस सूचिपन में हमने कहीं गुजराती और कहीं हिन्दी भाषाका प्रयोग किया है तो इस मिश्र भाषा प्रयोग के लिए वाचकवर्ग हमें क्षमा करे ।
नहीं है।
(iv) डुका, ग्रंथांक ४२ के सामने झेरोक्ष कॉलममें '४१ थी ५' लिखा है वह यह सूचीत
करता है की, ४२ नंबर के ग्रंथ की फोटोस्टेट कॉपी उसी भंडार के ४१, ४२.४३. ४४ और ४५ नंबरके पांचो ग्रंथों की फोटोस्टेट कॉपी के साथ एक ही प्लास्टीक की
थैलीमें रखी गयी है । (1) डु.का, ग्रंथांक ६५ के सामने झेरोक्ष कॉलममें '६२...६९' लिखा है वह यह सूचित करता
है की, उसी भंडार के ६२ से ६९ तक के कोई कोई ग्रंथ (क्रमशः सभी नहीं) की फोटोस्टेट कॉपीयोंके समूह के साथ यह नंबरका ग्रंथ एक ही प्लास्टीक की थैलीमें रखा गया है । और उस समूह में जो जो ग्रंथ रखे है उन उन नंबरों के सामने झेरोक्ष कॉलममें यही समूह सूचित कीया गया है । सातवी कॉलम सी.डी. नं. की है । उसमें जिन ग्रंथोंकी सीडी बनी है उस नंबर के ग्रंथके सामने इस कॉलममें वह ग्रंथ कौन से नंबरकी (कम्प्युटर स्केन द्वारा) सी.डी. में है यह जानकारी मिलती है । जहाँ एक ही ग्रंथ के सामने सी.डी. नंबर दो या अधिक है वहाँ वह ग्रंथ दोनों या अधिक सीडी में मिलाके पूरा होता है | याने एक ही ग्रंथका एक हिस्सा एक सीडीमें और दूसरा हिस्सा अलग सी.डी. में है ऐसा सूचीत होता है । परिशिष्ट क्र.६ सी.डी. वाइझ सूची में जहाँ ग्रंथ नंबर के साथे अधिक +' यह चिन्ह है वह यह सुचित करता है की उस ग्रंथ का शेषभाग दूसरी सी.डी में है। याने वह ग्रंथ दो या अधिक सी.डी.में मिलकर पूरा होता है । आठवी कॉलम 'ग्रंथान' की है । उसमें संबंधित ग्रंथमें कुल कीतने "लोक, काव्य, आर्या, ग्रंथान, गाथा आदि है यह सूचित कीया गया है । जहाँ सिर्फ नंबर ही सूचित किया
है, वह ग्रंथान सूचित करता है । (१०) नववी कॉलम 'विशेष नोंघ' नामकी है । इस कॉलममें संबंधित ग्रंथकी विशेष जानकारीयों
पत्रोंकी कम ज्यादा संख्या, चित्र, ग्रंथकी स्थिति, स्थान, सोनेरी, रूपेरी आदि बातोंका विवरण दिया गया है ।
कई भंडारोंमें यतियों के समयके कई गुटके है । वे अलग अलग बस्तोंमें अस्तव्यस्त बांधके रखे हुए है । उन्हें हमें ध्यानसे देखनेका मौका और समय न मिलनेसे उसका विवरण हमने सूचीपत्र में नहीं दीया है । गुटकोंके सामने सूचीपत्रमें यह ग्रंथ भंडारमें नहीं है ऐसा निशान . दिया हुआ है और विशेष नोंच की कोलम में उसका स्पष्टीकरण किया है इसलिये जहाँ एसा स्पष्टीकरण विशेषनोंघ की कोलममें है वहा वास्तवमें उनमें से कई गुटके भंडार में
संकेत सूची संकेत
..सूची ............................. यह निशालवाले नंबरोंके ग्रंथ ग्रंथभंडारमें वर्तमान में विद्यमान
सिर्फ फोटोस्टेट किये गये ग्रंथ .सी. डी, और फोटोस्टेट दोनों किये गये ग्रंथ
...सिर्फ सी.डी. में लिये गये ग्रंथ अ........................ ..अन्ययोग व्यवच्छेद, अवचूरि कर्ता, अपूर्ण अप..
अपभ्रंश भाषा
आर्या ................
आचार्यगच्छ का हस्तलिखित कागजका ग्रंथ भंडार आचार्यगच्छ का ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार
उपाध्याय क...
कर्ता कारिका/काव्य गणि ..गाथा
गुप्तसंवत् गु/गुज.... गुजराती/गुर्जर भाषा
ग्रंथान चूर्णि कर्ता
ग...... गा.....
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-संकेत सूची
.......
भा...
जिनभद्रसूरि का हस्तलिखित कागज
का ग्रंथ भंडार जि.ता. ............... जिनभद्रसूरी का ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार जोहरीमलजी पारख ..... जौहरीमलजी पारख द्वारा संपादित,
.. सेवा मंदिर, रावटी, जोधपुर द्वारा
ईसवी.सन् १९८८ में प्रकाशित, ................ .'जिनभद्रसूरि ग्रंथभंडार जैसलमेर
........हस्तलिखित जेसलमेर जुहरीये ........श्रीमान् महेन्द्रभाई बाफना-जैसलमेर द्वारा .....................ई.सन् १९९७ में प्रकाशित समारिका
..ग्रंथोंका सुचीपत्र द्वितीय खंड' टी........................ ..टीकाकार डि० ................... डिगलभाषा डु.का. ...................... डुंगरजी यति का हस्तलिखित कागजका
ग्रंथ भंडार त.का.
तपागच्छ का हस्तलिखित कागज का
..ग्रंथ भंडार त.ता.....
.तपागच्छ ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार
तृतीय त्रू......................... चूटक था.का. .................. ....थाहरूशाह का हस्तलिखित कागज का
ग्रंथ भंडार द.पे.नं
जैसलमेर जिनभद्रसूरि ग्रंथभंडार की दर्शनीय पेटी (शो केस) में रखे गये ग्रंथ के नंबर पु.सु. के आधार से दीये है । .द्वितीय ..दीपिका कर्ता
.. नियुक्ति कर्ता
......पंडित/पन्यास पत्र सं. ................... पत्र संख्या
..पू.आ.प्र. मुनिराज श्री पुण्यविजयजी महाराज
द्वारा संपादित, लालभाई दलपतभाई संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद-९ द्वारा ईसवी सन् १९७२ में प्रकाशित Catiogue ..of Sanskrits Prakrit Manuscripts, ..Jesalmer Conection
प्रथम .प्राकृत भाषा बालबोध भाषा /बालावबोध कर्ता भाष्य कर्ता मागधी भाषा
..मारु गुर्जर भाषा म. ...................... ..मूलकर्ता मू.गा. ................. मूल सूत्र की गाथा संख्या
रचना संवत् लघु...................... .. लघुवृत्ति कर्ता
राजस्थानी भाषा लेखक / लेखनसंवत् लोंकागच्छ का हस्तलिखित कागज का
ग्रंथभंडार लों.ता...
लोकागच्छ का ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार वि...................
विवरण/विवृत्ति कर्ता वृ..................... वृत्ति कर्ता श्लो...
श्लोक संवत् .............. विक्रम संवत्
मार.....
संशो...................संशोधक स..................... ..संस्कृत भाषा
..साध्वीजी सी.डी.दलाल .........श्रीमान् सी. डी. दलाल द्वारा संपादित,
........गायकवाड सीरीझ, सेन्ट्रल लायब्रेरी,
..बडोदरा द्वारा ईसवी सन १९२३ में
.प्रकाशित 'जैसलमेर जैन भांडागारीय
...........ग्रन्थानो सूचीपत्रम् सी.डी. नं............सी.डी.(कोम्पेक्ट डीस्क) का सीरीयल नंबर
..................... स्तबक कर्ता हिं. .....................हिंदी भाषा AGRIT.................. आचार्यगच्छ ग्रंथमंडार का ताडपत्रीय ग्रंथ नंबर AGRNVAGR........ आचार्यगच्छ ग्रंथभंडार का हस्तलिखित कागजका
.................ग्रंथ नंबर DGRN/DGR... डुंगरजी यति ग्रंथभंडार का हस्तलिखित कागजका
...................ग्रंथ नंबर GRN............. जिनभद्रसूरि ग्रंथभंडार का ताडपत्रीय ग्रंथ नंबर LGRNMLGR........... लोकागच्छ ग्रंथभंडार का हस्तलिखित कागजका
ग्रंथ नंबर LGRIT-............... लोंकागच्छ ग्रंथभंडार का ताडपत्रीय ग्रंथ नंबर PORNPGR........ जिनभद्रसूरि ग्रंथमंडार का हस्तलिखित कागजका
...ग्रंथ नंबर SR..................... सी.डी. का सीरीयल नंबर TGRIT ............. तपागच्छ ग्रंथभंडार का ताडपत्रीय ग्रंथ नंबर THGRNTHGR... थाहरूशाह ग्रन्थानो का हस्तलिखित कागजका
...ग्रंथ नंबर TORNTGR ........ तपागच्छ ग्रन्यानो का कागजका हस्तलिखित ..........................ग्रंथ नंबर
........
..................
लों.का.
..............
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कर्ता
सी.डी.
।
विशेष नोंध
श्रेष्ठ
ग्रंथांक
ग्रंथनु नाम १/१ ... आचारांगसूत्र १/२ ... आचारांगसूत्रनियुक्ति .................. १/३ ... आचारांगसूत्रवृत्ति ................... २५...आचारांगसूत्र ...............
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग
भाषा संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष ..प्रा.
..............१-७१/......१(१-२-३) ...............७२-८७ ......१(१-२-३)
.........१-४२१ ..........१-७६ ........२(१-२)
ग्रंथान ....... २६५४ ....गा. ३६६
...१२०००
भद्रबाहुस्वामी.. शीलांकाचार्य
पत्र ७०मुं नथी. आ ग्रंथ वे पेटीमां मुकेल छे. स्थिति मध्यम छे.
गा. ३५४ पर्यंत
२।२ .... आचारांगसूत्रनियुक्ति अपूर्ण. भद्रबाहुस्वामी २/३ ... आचारांगसूत्रवृत्ति अपूर्ण .............. शीलांकाचार्य
आचारांगसूत्रचूर्णी ..
१-१३
......२-३०२ ..........१४८९ ...........२६०
......२(१-२) ....... २(१-२)
४ ....... सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति अपूर्ण ............. शीलांकाचार्य .
.............१२०० ...........४१४ ......... ४(१२) ...... ३/४
पत्र ९.५७,८०,८४,८५ नथी. पत्र ६.९.१२.१४.१५.१७.१९.२०,२७,२८,४०, ४१,४५,४८.५८.५९.६९.८३,८४,८८,१६७, २२३, २२६ नथी. ७४.१२६.१३६.१६०,२०८ नंबरना बे पत्रो छे. पत्र ३५९ मुं नथी. आ प्रतिना ताडपत्र अत्यंत सुकुमार पातळां अने सरस छे. आ प्रतिनां ताडपत्र स्थूल छे. घणा पानाना टुकड़ा थई गयेला छे. पत्र १.३.४.९/ |१०,१३,१८,१९,२३,२९.३१.३४.३८.५५थी ५९/ ६६.६९.३४२,३४६,३४९,३५२.३५३ नथी.
|५/१... सूत्रकृतांगसूत्र
1 ज तागसूत्र .................
.............१५००
.........१५३ /........ ५(१-२) ..........५
गा.२०८
(१-२)
५/२ .... सूत्रकृतांगसूत्रनियुक्ति
भद्रबाहुस्वामी. ५/३.. सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति किंचिदपूर्ण .......... शीलांकाचार्य,
स्थानांगसूत्रवृत्ति ..... ............... अभयदेवाचार्य
स्थानांगसूत्र ..... ७/२... स्थानांगसूत्रवृत्ति .
समवायांगसूत्र .... पर....समवायांगसूत्रवृत्ति ....... अभयदेवाचार्य ........
समवायांगसूत्र |१/२ .... समवायांगसूत्रवृत्ति ....
अभयदेवाचार्य ....... १० .... भगवतीसूत्र .. ११.... भगवतीसूत्र १. वि.सं. १४०१ में मूल्य देकर खरीदी गई थी।
....५४-५८ ......५(१-२)
....५९-३५६ .....५(१,२) सं.२.११२०,ले.१३०० ...........३४५ ..६(१२)
१-८७ ७(१,२) सं.र.११२०,ले.१४८६ .........१-३४९
...१-४५ सं.र.११२०,ले.१४८७ ......४६-१३४
१-६४ सं. र.११२०,ले.१४०१........ ६५-२१५ ..प्रा..........ले.१२३१ ........३४८ ..१०(१-२) .प्रा..........ले.१४८८...........२९३,.......११(१-२)
प्रा.
... १४२५० पत्र ६.८.३९.३३४ नथी श्रेष्ठ
३०५० १४२५०-३४५.३४६.३४७ पत्र नथी. १६६७ १५ मुं पत्र नथी ३५७५ श्रेष्ठ १६०० - पत्र २४ मुं नथी ३५७५ प्रति शुद्ध छे. श्रेष्ठ
अंतिम पत्रमा शोभन अने प्रतिशुद्ध छे. श्रेष्ठ | पत्र २८५ टुकडो तथा २८८ नथी श्रेष्ठ
........
मा.
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________________
.............
............
..............१-१४८
.............
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता भाषा संवत् पत्र संख्या | झेरोक्ष | सी.डी. | ग्रंथान |
विशेष नोंघ भगवतीसत्रवत्ति, प्रथम खंड, ........... अभयदेवाचार्य............... सं.र.११२८-ले.१९९५............२५६ ..............१२........११ ........ ९४३८ - आ प्रतिना केटलाक पाना गुम थवाथी अष्टमशतक पर्यन्त ......................
आशरे १३मा सैकामां से पाना नवा ................... .............................
लखायेल देखाय छे. १३ .... भगवतीसूत्रवृत्ति, द्वित्तीयखंड, ........... अभयदेवाचार्य ............... सं. २.११२८-ले.११९५ ..........२५५ ....... १३(१-२) ....... १२ सर्व ग्रं. १८६१६ . आ पोथी उघईए खाघेली छे श्रेष्ठ नवमा शतकथी संपूर्ण.
.........९१७८ १४ .... भगवतीसूत्रवृत्ति, २६ शतक पर्यन्त ..... अभयदेवाचार्य ........... ............ १२००/...........४३७ ......१४(१-२-३)... १३/१४
पत्र ४३३, ४३५ नथी. ४३६. ३३३ थी ३४२, ४३७ थी ४५३ सुधी टुकडाओ छे.
श्रेष्ठ प्रतिशुद्ध छे. १५ ..... भगवतीसूत्रवृत्ति
अभयदेवाचार्य
.सं. र.११२८-ले१२०४ ..........४३५ ......१५(१-२-३) ....१५/१६ ....... १८६१६ . आ प्रतिना पानां पहोळा अने अति सुकुमार के १६..... भगवतीसूत्रवृत्ति
अभयदेवाचार्य ......... |.. सं... र.११२८-ले१४८८ ...........३९७ ........१६(१-२) -... १७/१८ ........ १८६१६ -श्रेष्ठ १७/१.. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र ..................
..प्रा. .............१७-...१८/१९
पत्र २,३,२०,२१,१६८ नथी. ३०-३१ अने ................... ......................................
१८०-१८१ पाना मेगा छे. पत्र २६४मां
देवीनुं शोभन छे. १७/२... ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति किंचिदपूर्ण ..... अभयदेवाचार्य ........... ... सं. ......... ले.१३०० ......१४९-२६४ ..... १८/१९ १८/१.. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र ......
..................१-११४ .........
F.......२० ......... ५४६४ . पत्र १,१२ नथी. १७मां पानानो टुकडो छे.
तथा १५४ नं. ना पाना बे छे. १८/२.. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ................ अभयदेवाचार्य
सं.र.११२०-ले.१५००......११४-१९७
......२० ... ३८०० १९/१... ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति . ............ अभयदेवाचार्य
.......... र.११२०..........१-१४५ .......१९(१-२) -... २१/२२
......३७०० १९/२... उपासकदशांगसूत्रवृत्ति ..
अभयदेवाचार्य.
...................१४५-१७८ .....१९(१-२)-...२१/२२ .....९०० १९/३ .. अंतकृशांगसूत्रवृत्ति ..
अभयदेवाचार्य
.......................१७८-१८९ .......१९(१-२)...२१/२२ अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्रवृत्ति ........ अभयदेवाचार्य.
................१८९-१९३ १९(१-२) -... २१/२२ १९/५ ... प्रश्नव्याकरणसूत्रवृत्ति
अभयदेवाचार्य . ................१९३-३५०
।...२१/२२ १९/६ ... विपाकसूत्रवृत्ति
अभयदेवाचार्य.. ...............३५१-३७५
... २१/२२
श्रेष्ठ २०/9... उपासकदशांगसूत्र..
....................१-१९ २०/२... अंतकृदशांगसूत्र ........
..........१९-३७ २०/३ ... अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र .....
...................३७-४१ २०/४..प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र......
.........४१-६७ २०/५... विपाकसूत्र ................
.........ले.१५०० .........६७-९५ .......२०+२१
..प्रा....
.......१९(१-२)
..
+.
+
+
+
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________________
थाप
विशेष नोंध
२०+स
श्रेष्ठ
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांकग्रंथर्नु नाम
कर्ता २१/१.... उपासकदशांगवृत्ति ................. अभयदेवाचार्य ...... २१/२... अंतकृदशांगवृत्ति .....
अभयदेवाचार्य. २१/३... अनुत्तरोपपातिकदशांगवृत्ति.. अभयदेवाचार्य २१/४ ... प्रश्नव्याकरणवृत्ति ............... अभयदेवाचार्य २१/५... विपाकसूत्रवृत्ति
अभयदेवसूरि. २२/१.... उपासकदशांगसूत्रवृत्ति.
अभयदेवाचार्य २२/२... अंतकृदशांगसूत्रवृत्ति ........ अभयदेवाचार्य २२/३ ... अनुत्तरौपपातिकदांगसूत्रवृत्ति अभयदेवाचार्य ... २२/४ ... प्रश्नव्याकरणदशांगरात्रवृत्ति.. अभयदेवाचार्य.. २२/५.... विपाकसूत्रवृत्ति ..
अभयदेवाचार्य २२/६ ... उपासकदशांगसूत्र ...................... २२/७ ... अंतकृदशांगसूत्र २२/८... अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र ...................... २२/९ ... प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र .... २२/१०/विपाकसूत्र ............ २३/१... उपासकदशांगसूत्रवृत्ति.................. अभयदेवाचार्य ........
१३०० ४६००
संवत । पत्र संख्या झेरोक्ष
--.......१-१९ ....................१९-२६
+स .........२६-२८
....२८-१२६ ...२०+२१ ले.१४९०......१२६-१४४ २०+२१
................१-२३ २२(१-२)...२३/२४ ..................२३-३१ २२(१-२) -...२३/२४ ................३१-३४ ...२२(१-२) -... २३/२४
...........३५-१५९ ....२२(१-२) -... २३/२४ ..... ११८५/-.....१५९-१८१ ......२२(१-२) -... २३/२४
.................१८२-२०२ .......२२(१-२) -... २३/२४ ..................२०३-२२२ ......२२(१-२)...२३/२४ ..................२२३-२२८ ......२२(१-२) -... २३/२४
..२२८-२५९ ......२२(१-२) -... २३/२४ ......... ले.११८६ ......२५९-२८५ ........२२(१-२)....२३/२४ .............६१-६८
............२३ ..........................
..................६९-९५ ............ २३ ....... २४ ........ १३००.......९५-२७२ ............२३ ........२४
.....२४(१-२) ....२५/२६ ......................४४-१५८ ...२४(१-२) ... २५/२६
....१५९-२२९ २४(१-२) ......... ले.१४८९ ......२३०-३४५
१२५० ..१२१६
श्रेष्ठ पत्र १ थी ६०, १५९ थी १७९, १८१ थी १८५ नथी.
..................
......१-४३
३१३५ - २६०मुं पार्नु नथी. २०७२
... २५/२६
२३/२. अंतकृदशांगसूत्रवृत्ति ..................... अभयदेवाचार्य .. २३/३ .. प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रवृत्ति, अपूर्ण ...... अभयदेवाचार्य ....... २४/१.. औपपातिकोपांगसूत्र २४/२... औषपातिकोपांगसूत्रवृत्ति ................ अभयदेवाचार्य ....... २४/३... राजप्रश्नीयोपांगसूत्र ....... २४/४ ... राजप्रश्नीयसूत्रवृत्ति ...................... मलयगिरि आचार्य .. २१/१... जीवाभिगमसूत्र ... २५/२... जीवाभिगमसूत्र - लघुवृत्ति ............... हरिभद्राचार्य ........ २५/३..जंबूदीपप्रज्ञप्तिसूत्र .. २५/४ .. जंबूदीपप्रज्ञप्ति चूर्णि. २६ .....जीवाभिगमसूत्रवृत्ति
२४(१-२)
श्रेष्ठ
....१-१०२
....१०३-१३५ .२५(१-२) ले.१४८९ ......१३६-२६५ ........२५(१-२)
....... ले.१४८९ ......२६६-३२९ ........२५(१-२) |..सं........... ले.१४८९ ...........३३६ --......२६(१-२)
Toooo
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________________
भाषा
| ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम २७.... प्रज्ञापनासूत्र........ २८ ..... प्रज्ञापनासूत्रवृत्ति ........ २९/9... प्रज्ञापनासूत्र ........
कर्ता श्यामाचार्य ........मलयगिरि आचार्य ..... श्यामाचार्य .....
२१२
..........रका
.......३०
२९/२... प्रज्ञापनासूत्रलघुवृत्ति .................. हरिभद्र आचार्य ३०..... प्रज्ञापनासूत्रवृत्ति ....
मलयगिरि आचार्य .. ३१/१... जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र. ३१/२... जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र-चूर्णी. ३२/9... जंबूदीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र .. ३/२... जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र-चूर्णी. ३२/३ .. सिद्धप्राभृतसूत्र................ ३२/४ ... सिद्धप्राभृतसूत्रवृत्ति ३२/५.. निर्यावलिकादिपंचोपांगसूत्र. |३३/१ ... जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र ...
३३/२... जंबूढीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र-चूर्णी ..... |३३/३ .. सिद्धप्राभृतसूत्र... ३३/४ ... सिद्धप्राभूतसूत्रवृत्ति ३४/१... सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र ................ ३४/२... ज्योतिष्करंडकसूत्र वृत्तिसह. ............ पादलिप्ताचार्य ....... |३४/३... ज्योतिष्करंडकसूत्र. |३४/४ ... चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र ३५ .... सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रवृत्ति अपूर्ण ................ मलयगिरि आचार्य .....
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग _ संवत् पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी. | ग्रंथान
विशेष नोंध .... ले.१३८९/...........१७० ..............२७.......२८ ..........७८८७. श्रेष्ठ .... १४०० ..........२२९ .......२८(१-२)...२८/२९ .......२९(१-२).......३० ग्रं.८०२०. पत्र ७,१५,१६,१९,५६.२४७.२४९,५३,
... २६१ थी २६३ नथी. घणा टुकडा छे. ...... ले.१४८९ ......२३४-३५० ........२९(१-२)
.... ३९३८ ... ले.१४८९ ...........३९५ .....३०(१-२)
श्रेष्ठ .....१-१६४ ..........३१
.... ४१४६ ... ले.१४०० .....१६५-२३३
१८६० . श्रेष्ठ ले.१३७८ ............ ९७
४१४६ - पत्र ५७-५८ साथे छे. ..........१-४०
१८६० .................४१-४४
गा.१२१ ..........४४-६१ ..............१-२५
... ११००. श्रेष्ठ .........१-१०१
..४१४६ ......१०२-१४०
...१८६० ..१४१-१४४
गा.१२१. श्रेष्ठ ले.१४०० ......१४४-१६० ......१-१०१
.........७१ नं. ना वे पानां छे. ..............१०२-१६५
१५८० ...१६६-१७२ ले.१४८९ ......१८०-२५६ ....... ले.१४०० .......... २७६
९१२५ - पत्र १६३ नथी. ३८-३९ साथे छे. ६८.८३.८४,
१६५ना टुकडा छे. ले.१४८९ ..३६(१-२)
९१२५ । ले.१४८९........... ३७(१-२)
१५००. श्रेष्ठ १८६०-पत्र २५,२९,३४,४२,५३,६९.७१ नथी. १२.२८,
(५५.५७.६३ नंबरना टुकडा छे. अंक -विनाना चार पत्र छे.
.......
888
१८३१
....
३६ ..../ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रवृत्ति.......................मलयगिरि आचार्य |३७ ..... चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रवृत्ति ..
मलयगिरि आचार्य .. ३८/१.. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र-चूर्णी ..
.....३८+ ३९
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.
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________________
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
३८/२.. ३८/३
३९/१ निश्यावलिकादिउपांगसूत्रपंचक, संपूर्ण
...
| ३९/२ ...
निरयावलिकादि उपांगसूत्रपंचकवृत्ति
अपूर्ण
४०/१. कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प- दशाश्रुतस्कंधसूत्र अष्टमाध्ययन)
४०/२
कालिकाचार्यकथा पद्य. ४०/३. पर्युषणाकल्पनिर्युक्ति ४०/४.. पर्युषणाकल्पचूर्णी. ४०/५. पर्युषणाकल्पटिप्पनक
४०/६
------
सिद्धप्राभृतसूत्र. सिद्धप्राभृतसूत्रवृत्ति
कालिकाचार्यकथा गद्य अपूर्ण
| दशाश्रुतस्कंधसूत्रचूर्णी
४१/१..४१/२ दशाश्रुतस्कंधसूत्र दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति महत्पंचकल्प भाष्य
४१/३ ४१ / ४
४१/५. पंचकल्पचूर्णी
४२/१... कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प
********
दशाश्रुतस्कंधसूत्र अष्टमाध्ययन )
४२/२. कालिकाचार्यकथा गद्य अपूर्ण ४३/१. कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प
********
दशाश्रुतस्कंधसूत्र अष्टमाध्ययन)
४३/२
| कालिकाचार्यकथा गद्य
४३/३
पर्युषणाकल्पचूर्णी
४४/१ कल्पसूत्रवृत्ति (संदेहविषौपधि)
कर्ता
श्रीचंद्रसूरि
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी
पृथ्वीचन्द्रसूरि
भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी संघदास गणि क्षमाश्रमण
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी
जिनप्रभसूरि..
भाषा
प्रा.
..
..
.. SIT.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
सं.
...
प्रा.
प्रा.
..
सं.
प्रा.
.. प्रा. प्रा. .. प्रा.
..
प्रा. प्रा.
.. SIT.
प्रा.
REET
.. प्रा.
.. प्रा.
प्रा.
संवत्
१५००
१५००
१४०४
१३००
१४००
१४००
पत्र संख्या
.१-८
८-४४
२९-८३
८३-११४
... १-७४
.७५-८०
.८१-८६
८६-१३३
. १-२५
. १०३-१२९
... १.५०
५०-१२
. ९२-९६
९७-१७४
. १७५-२४९
.१-१३७
. १३७-१७५
.... १-८५ ८६-१११ ..... ११२-१५७ . १-१४६
झेरोक्ष
.....
३८ + ३९
३८ + ३९
, ३८ + ३९
३८ + ३९
४०....
४०
४०
४०
४०
४०
. ४१ (१-२)
. ४१ (१-२)
. ४१ (१-२)
.
४१ (१-२ )
. ४१ (१-२)
४२ ४३
, ४२ ४३
. ४२+४३
४२ + ४३
. ४२ ४३
४४
.....
सी.डी.
३७ . ३७ ३७
... ३७
********
---
३७
09
३७
...
३७
३७
३७
३७
३८
३८
३८
३८
३८
३९
३९
३९
३९
३९
३९
ग्रंथाप्र गा. १२१
-------
.गा. ८४
गा. ६७
७००
-----
११०९ पत्र ११, ४४, ४५,५०,५१,५३,५५.५६.५८.६२.
६३, ६८,७१,७२, १०४, १०५ नथी.
*********
.६७०
पत्र २९ नथी
पत्र २९ नथी
गा. २५७४ ३२३५
२२५० पत्र १६१, १६५. १६७ थी १७३ नथी.
२०००
विशेष नाँध
• १२१६ पत्र ११-१२, १४.२३.३२.३४-३५,४१,४५,४६. ७१ थी ७४,८४,९१ थी ९४,९६,९८, १००, १२८,
१५४, १५६ थी १५९, १६४, १६६-१६७ नथी.
१२१६
३६० कुल ग्रं. १५७६
२१६८
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________________
कता
|पंथांका
ग्रंथर्नु नाम e/R..कल्पनियुक्तिवृत्ति ........................ जिनप्रभसूरि ............. ४५.... पर्युषणाकल्पचूर्णी ..................
भाषा संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.
प्रा............. १५००......१४६-२०१.............. ........३९ प्रा............. १५००...........१-२७
.....................................................
.........
४६ ..... कल्पलघुभाष्य(बृहत्कल्पलघुभाष्य)अपूर्ण संघदासगणि क्षमाश्रमण..... प्रा. ............ १३००/-..........१४९ -.............४६ --.३९/१९८
.........
४७/१.
बृहत्कल्पसूत्र ............................ भद्रबाहुस्वामी .............. प्रा. ..............................१-१२
........४०
४७/२..-कल्पलधुभाष्य ..........................संघदासगणि क्षमाश्रमण..
........................../संघदासगणि क्षमाश्रमण.................. १४८८.......१३-२३८ .............. ४८ ..... कल्पबृहद्भाष्य प्रथम खंड ..............
............ १५००...........३११ .......४८(१२) -... ४०/४५ ..................................................... ..................
जिनभद्रसूरि ताउपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान।
विशेष नोध ................. अतिम पत्र नयी
कागळ पर लखेली पोथी छे. (ताडपत्री भेगो नथी कागळनी पोथी भेगो छ
एम लखेल के पण त्या पण ग्रंथ मळेल नथी) ......... ६५६८. पत्र १६९, १७१, १४, १८० थी १८३ नथी
पत्र १६७ थी १८३ कागळ उपर नवा लखावेलां के १६.२१.२२ बन्ने बाजु कोरा छे. २०.२३नी
एक बाजु कोरी छे. ......गा.६६००
पत्र १,२४,२७,२९.२९५ थी २९७,३००,३०९, ३११ नथी. २९०, २९३, २९५, ३०३, ३०६ना टुकडा छे. २५७ मुं पान नथी पत्र १५६, १६३.२५८.२६७.२७२,३०६ नथी. १४ नं.नाबे पत्र छे.८८.१७१,३०६.३१३, ३२५ना टुकडा छे. पत्र ३ थी २३,२८,२९,४४,४५,४८,३२१, ३२६ थी ३२९,३३१.३३३ थी ३३५.३३८.३४२, ३४४.३४८,३५० थी ३५३ नथी. १,२६.३९.४७. ३०७.३०८,३३२,३३४.३५७ ना टुकडा छे.
कल्पबृहद्भाष्य प्रथमखंड..... ५०....-कल्प चूणी ...................
.. प्रा. ............. १४९०............२०२ ..............४९ ........४१ .. प्रा. ............ १३८९ ...........३३४ ....... ५०(१२)...४२/४३ ............................. ......... ........................
१७८४
५१ ..... कल्पचूर्णी अपूर्ण ..
प्रा. ............ १५०० ....... २४-३५६ .......५१(१-२) -.......४३
कल्पवृत्ति प्रथमखंड मासकल्पप्रकृतपर्यन्त वृ.क.मलयगिरि आचार्य
.........तथा क्षेमकीर्ति तपा....... प्रा. ............ १४८८- .३३१ ५३ ..... कल्पवृत्ति द्वितीयखंड ................... वृ.क. क्षेमकीर्ति तपा. ...प्रा.सं. ........... १४९० ......३०८ ५४ .....कल्पवृत्ति तृतीयखंड ...................वृ.क. क्षेमकीर्ति आचार्य |.प्रा.सं..र.१३३२.१४८९ ५५ .... कल्पवृत्ति पीठिकासहित प्रथमखंड,.......मलयगिरि आचार्य .......प्रा.सं. ........... १३७८].. ........
मासकल्पप्रकृत पर्यन्त प्रथम उद्देश ... क्षेमकीर्ति तपा
५३(१-२)
५४(१-२) ....... ५५(१२) ........४७
..१४१६०.३०४नो टुकडो छे. ७२ नं. वे वार के.
२०६. २०० भेगा छे. १ थी ९६ पाना कल्प पीठीकाना छे.
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________________
ग्रंथान
विशेष नोंध
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
कर्ता
भाषा संवत पत्र संख्या - झेरोक्ष । सी.डी. | ५६ .... कल्पवृत्ति पीठिका अनंतरवर्ती ........ वृ.क. क्षेमकीर्ति आचार्य |.प्रा.सं. ........... १५००/...........३१५ ...... ५६(१-२).......४८
विभाग अपूर्ण ...
५७ .... कल्पवृत्ति तृतीयखंड ...................वृ.क. क्षेमकीर्ति आचार्य |.प्रा.सं. .......... १५०० ...........२८२ ......५७ (१-२) -.......४९
पत्र १,१४३-१४४,१४६,१५१,२०९.२८१ थी २८४.३०२ थी ३१०.३१२ नथी.३.१४१,१४२, |१४५,२८०,२९७,२९९.३०पना टुकडा छे.
पत्र १.२५४,२५७,२७०,२७४,२७६,२७७,२८१ नथी. २५८नो टुकडो छे. अंतनी प्रशस्तिनो भाग अपूर्ण छे
५८/१... कल्पवृत्ति द्वितीयखंड ५८/२... कल्पवृत्ति द्वितीयखंड .....
FF
....२८९-३९६ ..... १४०३ ......२७६-४२२
वचमा घणां पाना नथी मात्र २५ जेटला पाना छे.
........ २९ ...........२४९-३०५
५८/३.. कल्पविशेषघूर्णी. ५८/४ ... कल्पविशेषचूर्णी.. ५८/५..कल्पचूर्णी Jटक अपूर्ण ................... ५८/६... कल्पलधुभाष्य त्रूटक अपूर्ण ५९/१... व्यवहारसूत्र
............................ भद्रबाहुस्वामी ५९/२... व्यवहारसूत्र भाष्य
66.
66
१०००
........ Jटक अपूर्ण ग्रंथोनी पोथी छे
F...५१/५२
..६८८
१२३६ ..........१-१५..
......५९ (१-२) ......१६-१३६ .......५९(१-२)
...५१/५२
...... ६००० पत्र १३० थी १४९ नथी. ५७-५८.१९८-१९९
साथे छे. १नं.नो टुकडो छे. १९४, २३१ बेवार छे. -पत्र १३०-१४९ नथी
पत्र४ नथी १२०००
....५१/५२
.......
.....६०(१२) .....६०(१२)
प्रा.
५९/३... व्यवहार-चूर्णी
........... १२३६ .........१-२३१ ६०/१... व्यवहारसूत्र .. भद्रबाहुस्वामी
..........१-१९ ६०/२... व्यवहारसूत्र चूर्णी ....................
... १४९०..........१-३०१ ६१/१.. व्यवहारभाष्य
जिनदासगणि क्षमाश्रमण ... प्रा. ... १४९०|.........१-१५५ ६१/२ ... दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति ................... भद्रबाहुस्वामी
...............१५६-१६१ ६१/३ ... दशाश्रुतस्कंध चूर्णी ..
.................१६१-२२५ ६१/४..दशाश्रुतस्कंघसूत्र ......
भद्रबाहुस्वामी
............ १४९० ......२२५-२८० ६२ ..... | व्यवहारसूत्रवृत्ति प्रथमखंड प्रथम ........ वृ.क. मलयगिरि आचार्य |.प्रा.सं............. १४८९/...........३५०
उद्देश पर्यन्त ६३..... | व्यवहारसूत्र वृत्ति द्वितीयखंड २६ ......वृ.क. मलयगिरि आचार्य |.प्रा.सं............ १४९०/...........३७५
उद्देश पर्यन्त
.प्रा.
.......६२(१-२) ।...५४-५५
.............
.....१०८७८-३४२ थी ३४४.३४६,३४७ नथी. पनं नो
..टुकडो छे. १०५ नं.बे वार छे. ......... १३७१९ पत्र नं. ११४ नथी.
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. जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान |
विशेष नोध
झेरोक्ष
प्रा.
ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम
संवत् पत्र संख्या ६४ .... व्यवहारसूत्रवृत्ति तृ.संड-१० | .......उद्देश पर्यन्त संपूर्ण.....
वृ.क. मलयगिरि आचार्य प्रा.सं............. ...........३०७ ६५/१.. निशीथसूत्र भद्रबाहुस्वामी
.......१-१५ ६५/२... निशीथसूत्र भाष्य ...
प्रा.......... ... १२०० .........१-१७८ निशीथसूत्र भाष्य ............ निशीथसूत्रचूर्णी प्रथमखंड ११ मा .
...........४६४ उद्देश पर्यन्त किंचिद पूर्ण .......... ६८/१..निशीथसूत्र ............................. भद्रबाहुस्वामी ....
.............................
५८ गा.६४३९,७४००
१५००/-.. १२००
......६७(१-२)
....६०
...........-पत्र
.......६८(१-२).... ६१/६२
पत्र १८ थी २२,४६,४७,२७१ नथी. ३२,४१,
४३,१४६ना टुकडा छे. ...८१२. पत्र ८.१०,७४,७७.२०८ थी २११,२१५,२२० ............
थी २२३.२२५ थी २२८,२४१, ३२२ नथी.
१५०० .........१-३२४ ......६८ (१-२)....६१/६२ १५०० ...........२९४ .......६९(१-२) .......६३ १३००/- .......७० (१-२) -... ६३/६४
...............५५ नं. नथी. ......१७८८४
१३००
७२ .....
१५००
.......७१(१-२)... ६५/६६ .............७२
...........७३
१२००
.....६६ ....
......
........१-९६
९७१४२
६८/२... निशीथसूत्रचूर्णी प्रथमखंड अपूर्ण .................... ६९ ..... निशीथसूत्रधूर्णी द्वितीयखंड .. ७० .... निशीथसूत्रचूर्णी प्रथमखंड दशम ........
उद्देश पर्यंत ७१ .....निशीथसूत्रचूर्णी द्वितीयखंड
महानिशीथसूत्र ७३ ..... निशीथसूत्र लघुभाष्य .. ७४/१.. दशवकालिकसूत्र ...
शय्यंभवसूरि |७४/२... पाक्षिकसूत्र ७५ ....निशीथचूर्णी विंशोदेशक व्याख्या अपूर्ण . श्रीचंद्रसूरि ........ ७६ ..... नंदीदुर्गपदवृत्ति ..
श्रीचंद्रसूरि ............ |/9... नंदीसूत्र ..
देववाचक ... ०२.. नंदीसूत्रवृत्ति ..
मलयगिरि आचार्य ४. .... अनुयोगद्वारी
जिनदासगणि महत्तर ....... प्रा. ७२/१... अनुयोगद्वारसूत्र .... ७२/२... अनुयोगद्वारसूत्रलघुवृत्ति
हरिभद्र आचार्य ....... ८०..... अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति
मलधारी हेमचंद्रसूरि ........सं. ८१ .... अनुयोगदारसूत्रवृत्ति किंचिदपूर्ण....
१४०० ...१४०० .. १२२६
.....१७२ ......३-२२१
पत्र ९३, ९४ मुं नथी. चार टुकडा छे. .......७०० पत्र ८४ नथी.
..३०० ......... पत्र १ थी ५, ५५ थी ५८, ६०.६१ नथी ३३०० ..७००
७७३२ ........ २२६८
...... १४८८ ......१२९७ ..........१५०० ............६९
.... १५००/.......६७१६३ ... १४००
मलधारी हेमचंद्रसूरि
संशोधिता प्रति संशोधिता प्रति. पत्र २८.३६.१९१,१९२ नथी. २१.३०.३१,३२ना टुकडा छे.
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.............८३ .............८3
१११७
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथ, नाम कर्ता भाषा | __संवत् | पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.जी. ग्रंथान
विशेष नोंध ८२/१ ... दशवैकालिकसूत्र सटीक ...............मू.क. शय्यंभवसूरि टी.क. तिलकाचार्य .......प्रा.सं. ...... १३०४ .........११८६ .......८२(१-२)
..... ७००० ८२/२... संग्रहणी प्रकरण सटीक ................मू.क.श्रीचंद्रसूरी,
टी.क.देवभद्रसूरी.... ..............१८७-२७५ .......८२(१-२)
३५०० ८२/३ ... कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प)................ भद्रबाहुस्वामी ........
२७६-३०५ .......८२(१-२) ८२/४ ... कल्पसूत्रचूर्णी .....
.............३०५-३२१ ........८२(१-२) ८२/५... कल्पसूत्रनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी
......३२१-३२३ .....८२(१-२)
.गा.६८, १९०० ८२/६ ... कल्पसूत्र टिप्पनक .....
पृथ्वीचंद्रसूरि.
१४०० .....३२३-३३८ .......८२(१-२) ८३/१ ... दशवैकालिकसूत्रवृत्ति ...
हरिभद्रसूरि .. ૧૨૮૭ ......१-२०२
1.........७००० ८३/२... दशवकालिकसूत्रनियुक्ति ................ भद्रबाहुस्वामी
१२८९ ......२०३-२२१
.......गा.४४० ८३/३ ... दशवैकालिकसूत्र ......
शय्यंभवसूरि १२८९ .....२२२-२४७
19000 ८४/१.. ओघनियुक्ति वृत्ति ........................ द्रोणाचार्य ............
.........१-१०५ ........८४(१-२)
पत्र ८.२०८ नथी.१०, ४६ना टुकडा छे.
पत्र १०५ मां हाथी अने कमळनां शोभनो छे ८४/२.. दशवकालिकसूत्रवृत्ति .................... हरिभद्र आचार्य
................१०६-२१२ ......८४ (१-२)
पत्र २१२ मां हाथी, कळश, श्रीदेवी आदि
चित्ररूप शोभनो छे. ८४/३ ... दशवकालिकनियुक्ति अपूर्ण .............. भद्रबाहुस्वामी
................ १०.......८४(१-२) ....... गा.३७९ - पत्र मुं नथी ८५/१... दशवकालिकसूत्रवृत्ति ................. हरिभद्र आचार्य
.......१-१७३ /.......८५(१-२) ......७३ ...७००४ - पत्र १७३ मां शोभन छे. पत्र १७५,१७६, १८१
१८५,१८६,३४१ नथी. ८५/२... दशवकालिकचूर्णी ...................... स्थविर अगस्त्यसिंह ......... प्रा. ............ १२०० ...... १७४-३४१ /......८५ (१-२)
पत्र ३३४ मां शोभन छे ८६ .... दशवकालिकवृत्ति त्रुटक अपूर्ण ......... हरिभद्र आचार्य .... ......... १३०० ...........२०८ ..............८६ .........७४
पत्र १ थी ५.७ थी १०,१४,१८.२३.२४.२७ थी ३१.३३.३४.३७,४०,४१,५१.५४.५७.६६.६८.६९|
८२.१११,११९,१५१,१९२ नथी. १९९ अपूर्ण छे ८७/१... दशवकालिकनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी
वचमा घणा पाना खंडित थएला. घणां पाना अनु. १५मी शताब्दीमा लखाएल छे.
पत्र ६१ नथी. ८७/२... दशवकालिकवृत्ति
आचार्य हरिभद्र ..... ............ १४०० .........१-१७१ .............८७........७४ .......... ७000 ८८/१... दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति वृत्ति सह ......मू.शय्यंभवसूरि... ...प्रा.सं
सर्व ग्रं.८२७५. पत्र १३,२१५,२७१,२७२ नि.भद्रबाहुस्वामी....
पत्रो नथी. वृ.हरिभद्र आचार्य
........७२
......
२
......
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कर्ता
सी.डी.
| ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम
भावा संवत्
पत्र संख्या । २... दशवकालिक लघुवृत्ति ..................
-सुमतिसूरि
१२.१२२०-ले.१४८८ ......२७२-३५८ ८९/१... दशवकालिकचूर्णी ...
....... १४८९/.........१-३५५ ८९/२...दशवकालिक नियुक्ति .................. भद्रबाहुस्वामी
.......... १४९०/......३५६-३८० ९०/१.. पिंडनियुक्ति (महल्लिया पिंडनियुक्ति)... भद्रबाहुस्वामी ..........
....................१-३० ९०/२... पिंडनियुक्ति लघुवृत्ति
..................३१-१०२ ९०/३ .. पिंडनियुक्तिबृहवृत्ति सह ................. मलयगिरि आचार्य ... ............ १४८९ .........१-२४१ पिंडनियुक्ति वृत्तिसह .................... नि.क. भद्रबाहुस्वामी,
वृ.क. मलयगिरि. .प्रा.सं............. १२८९/...........२०० ९२ ..... पिंडनियुक्तिवृत्ति ......................... वीरसूरि
............ १४००/...........२४७
झेरोक्ष ..८८ (१-२) ...८९(१२) ...८९(१-२) ....९०(१-२) ...९० (१-२) ...९० (१-२)
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध ..२५०० ...८४००
गा.४५० गा. ६९७
...७५००
९१ .....
...........९१
|९३/१... पिंडनियुक्ति लघुवृत्ति ..... ९३/२...पिंडनियुक्ति..
भद्रबाहुस्वामी ९४/१ ... आवश्यकनियुक्ति किंचिदपूर्ण ............ भद्रबाहुस्यामी ९४/२... उत्तराध्ययनसूत्र ..............
....................१-१३१ ........... १३००......१३२-१७५
....... ..........६६ .........
१४८७
....७९/८०
७९/८०
....७२५० ......७६७१. पत्र २३५.२३७,२४२,२४४,२४६ नथी. ये पत्र
........... नंबर विनानां छे.४७ थी ६५ साथे छे. ...२९५० . गा.1900-पत्र १, १३१, १३२, १७५ मां सुंदर शोभनो छ|
पत्र २४.५४ नथी. १.४.१४.२७,२९,३३,४९ नथी.५,१६,२१.२६
टुकडा छे. ....... ५८५५ - पत्र १६, १९५ नथी.
पत्र १,१०,७८,३०९ नथी.
...........१,४,१४.२०
१४८९
९५..... उत्तराध्ययनसूत्र चूर्णी.. ............... गोपालिक महत्तर शिष्य .... प्रा. उत्तराध्ययनसूत्र बृहदवृत्ति
वादिवेताल शान्तिसूरि पाइयटीका किंचिदपूर्ण..
थारापद्रगच्छीय उत्तराध्ययनसूत्र बृहदवृत्ति वादिवेताल शांतिसूरि .
द्वितीयखंड (पाइयटीका) .......... थारापद्रगच्छीय ९८ .... उत्तरध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह ...... वृ.क.नेमिचंद्रसूरि ..........प्रा.सं... ......... १३५४ ...........
१४९१/...
.......९७ .
......९८ (१-२)....८२/८३
................अपं.
९९ .... उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति सह ......... वृ.क. नेमिचंद्रसूरि .........प्रा.सं.... ........ १४९१)...........४५५,......९९ (१-२)........८४
... पत्र ४३ नथी. १७१८ साथे छे.
अप.
मा.सं............. १३००/...........३१७ /..... १००(१-२) ........८५
|१०० .... उत्तराध्ययनसूत्र सुखावबोधा वृत्ति ........ नेमिचन्द्रसूरि ...........
Qटक अपूर्ण
लगभग २०० जेटलां पाना छे. पत्र पथी१४. १६थी२१,२३थी३४,३७.३९,४३,४५थी४९, ५१थी७२,७४,७६थी८३,१०४,१८०थी१८२. |१८४.१८८,२४०,२५०.२९१ नथी.
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.
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जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कर्ताभाषा संवत् । | पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. | १०१.....आवश्यक चूर्णी ......................... जिनदासगणि महत्तर ....... प्रा. ............. १४८८|...........४१२ |..... १०१(१२)....८५/८६
ग्रंधान
१०२ ... आवश्यक चूणी अपूर्ण .................. जिनदासगणि महत्तर ....... प्रा. ............ १४०० .........२-३७९ /..... १०२(१-२)........ ८७
।
विशेष नोंध पुष्पिका धरणाशाहनी घसाएली छे. ३१६ नंबरना बे पाना छे बचमा घणां पाना खूटे छे. घणा पानाना टूकडा छे.१३७,२०१,२०४,२०५,२१५,२१७, २१९,२२३थी२३१.२३३.२८७.२८८.३१०.३१४, ३१०थी३२०,३३६थी३४०.३६३.३६६, ३७०थी३७० नथी पत्र २.९०.९२,११५.११६, ११८.१२२,२०३.२७८/ २८० थी २८३.२८५,२९०.२९१.२९२९३. ३१३ नथी
१०३... आवश्यक चूर्णी ......................... जिनदासगणि महत्तर ...... प्रा. ............ १४०० -..........३३९ .... १०३ (१-२) ........८८
......... १०४/ आवश्यकवृत्ति शिष्यहिता प्रथमखंड ..... हरिभद्र आचार्य ............प्रा.सं............. १४८९ ...........३९६ ...... १०४(१-२) ८९/१०/१९८ १०४/२ आवश्यकनियुक्ति अपूर्ण ................. भद्रबाहुस्वामी ............... प्रा. ................................. १५..... १०४(१-२) ८९/९०/१९८ १०५.... आवश्यकवृत्ति शिष्यहिता द्वितीयखंड ... हरिभद्र आचार्य ....... .प्रा.सं............. १४८८ ..........३३१,..... १०५(१-२) .......९० |१०६ ... आवश्यकवृत्ति प्रथमखंड . ............... हरिभद्र आचार्य ...........प्रा.सं............. १४०७ |...........३१३ ............१०६ ........९१
२३१ पार्नु डबल छे.
................
........
१०७... आवश्यकवृत्ति द्वितीयखंड .. हरिभद्र आचार्य
...........३१०,.... १०७ (१-२) ........९२ १०८ ....आवश्यकवृत्ति टिप्पनक अपूर्ण .......... मलधारी हेमचंद्रसूरि ......... सं. ............................... १४६
पत्र ३०,४६,४७,४९.५०,७४,७६.७९ थी ८१, ८३.८५ थी १२८.३०५,३०७.३०८.३०९. ३११ नथी २७ थी ४०,७७.२४४ पत्रो नथी पत्र १.६७.६९,७०,८६ थी १०१,१०३.१०५, १०६.१०८ थी ११७,११९.१२० थी १२९.१३३
थी १४५ नथी. १०४ नं. टुकडो छे. ... गा.४३१४ . पत्र ६१ मुं नथी
पत्र १३२ मुं नथी
१०९ ... विशेषावश्यक महाभाष्य............... -जिनभद्रगणि क्षमाश्रम
ရ,၀၀ ........७-१०७ .............१०९ ११०... आवश्यकवृत्ति प्रथमखंड ........... मलयगिरि आचार्य .....प्रा.सं..............१४९०...........२४२ ............११०-....... १११... आवश्यकवृत्ति द्वितीयखंड .......... मलयगिरि आचार्य ...प्रा.सं ........ ..... १४९१...........३२४ .... १११ (१-२)........ ९४ ११२ .... आवश्यकवृत्ति प्रथमखंड .............. मलयगिरि आचार्य
१३००/...........२३६ .... ११२ (१-२)........९५ ११३... आवश्यकवृत्ति द्वितीयखंड .............. मलयगिरि आचार्य .........प्रा.सं.......... १३०० ...........३१० ..... ११३(१-२) -... ९५/९६
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ग्रंथांक
प्रधनू नाम ११४ ... आवश्यकलपुवृत्ति ........................तिलकाचार्य ..............
संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. सं.............. १४०० ...........३०१ .............११४ ....... ९७
.........
जिनभद्रसूरि साउपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रथाग्न ग्रंथान
विशेष नोध पत्र ५.९.१२.१३.३६,४१,४३.४८.५०.५६थी५८, ६६.६९. ७०,७२,७४,७८.१०.१४.९९.११३.१२५ १२४.१२९थी१३१.१३३थी१३५.१३७.१४० थी १४२,१४४,१४६.१५७.१६१,१६७थी१६९.१७२, १७६.१८९.१९१.२०१.२०३थी२०९.२१२थी२१४, २२थीर२७,२२९.२३०,२३श्थी२३५.२३९.२४१, २४२,२४५थी२४७.२५३थी२६१,२७१थी२७३. २७६.२७८.२८२,२९३,२९४,२९७०ची२९१ नथी.
पत्र १३,२९५.३२१ नथी. २५८-१९ साथे छे. ... गा.४३०० पत्र १,६,८,२२ नथी.
पत्र १४१,३०८,३१२,३१६,३२३.३२९ थी
३३१,३३७,३३८ नथी ....१४००० ......१४०००/पत्र १७४ नथी.
पत्र १२३.२९१,२९३ नथी. ५८-५९, १३१-१३२ १३३-१३४ भेगा छे. १२ नं ना बे पत्र छे.
११५.... आवश्यकलघुवृत्ति ................... तिलकाचार्य .............. ११६ ... विशेषावश्यकमहाभाष्य .............. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .... प्रा. ११७ .... विशेषावश्यकवृत्ति अपूर्ण ................ कोट्याचार्य
१५०० १००० १५००
...... ११५(१२) ........९८
..........११६ .... ९९/१ ...........११७,... ९९/२
१००/१०१ ......१०२ १०३/१०४
११८ ... विशेषावश्यकवृत्ति प्रथमखंड ............ वृ. मलधारी हेमचंद्रसूरि ... सं. १५००
.... ११८(१-२) ११९ ... विशेषावश्यकवृत्ति द्वितीयखंड ............ वृ.क. मलधारी हेमचंद्रसूरि . सं. ......११७५,१४८८ ३२५ ,..... ११९(१२) १२० ... विशेषावश्यकवृत्ति सह प्रथमखंड अपूर्ण .मू.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण प्रा.सं. ............ १४०० .......... ३२२...... १२०(१-२)
वृ. मलधारी हेमचंद्रसूरि . १२१.... विशेषावश्यकवृत्तिसह द्वितीयखंड ....... मू.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
वृ. मलधारी हेमचंद्रसूरि ..प्रा.सं.......११७५.१४०० १२२... ओधनियुक्तिबृहद्भाष्य
..प्रा............. १४९१.. १२३/१/ ओघनियुक्ति ..
भद्रबाहुस्वामी १२३/२ ओधनियुक्तिवृत्ति .
..... १४८७ १२४ ... ओघनियुक्तिवृत्ति ...
द्रोणाचार्य ................
...... १२८९ ओघनियुक्तिवृत्ति ..... द्रोणाचार्य
....... १३०० १२६ .... ओघनियुक्ति वृत्तिसह ..
वृ.क. द्रोणाचार्य ....
........ १३०० पाक्षिकसूत्र वृत्ति सह ..
वृ.क.यशोदेवसूरि.
..११८०,१४८८ पाक्षिकसूत्र वृत्ति सह ... वृ.क. यशोदेवसूरि ..
.११८०,१५०० १२९ .... पाक्षिकसूत्र वृत्तिसह
वृ.क. यशोदेवसूरि
..११८०,१५००
२५१७ ११६३ - पत्र ११, ३३ नथी ६८२५ - पत्र १५१ नथी
REE
१२५----
555
|१४५ थी १६४ पत्रो नथी.
पत्र ५२ थी ६० नथी. ...... २७००-पत्र ३ नथी
प्रा.सं
.११०
पत्र ५७.५८ नथी
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जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथाका ग्रंथर्नु नाम
भाषा संवत् पत्र संख्या - रोक्ष सी.डी. १३०.... आवश्यकनियुक्ति अपूर्ण ................ भद्रबाहुस्वामी ........... .. प्रा. ............. १२००/...........१४०.............१३० -......११०
प्रयाग
विशेष नोंध पत्र १थी ७.९ थी १४,१६,१७,२१,२२.२४. २६.२९,३१,३७,३८,४०,४१,४३थी४५.५३.५७, ५९.६१,६२.६३,१२६.१३८.१३९ नथी.
११०
၅၀၀
१३१... आवश्यकनियुक्ति .................. १३२ ... आवश्यक्रवृत्तिटिप्पनक १३३ .... आवश्यकनियुक्ति . १३४ .... आवश्यकनियुक्ति ....................
भद्रबाहुस्वामी ........... मलधारी हेमचंद्रसूरि .... भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी
............१३१ ........३१५
...........१३२ ........... १४०० ........२-२९१ ............ १४००/--.........२६९ .... १३४ + १३५
७.१३३
१३५ ... आवश्यकनियुक्ति त्रुटक अपूर्ण ........... भद्रबाहुस्वामी
अंतिम पत्रना टूकड़ा थई गया छे पत्र ३२.४१ थी ४८.५६,७८.९७.१३२,१४१ थी १४८.१५६.२६३ नथी १,५२,५४,७,८८.९५.९६,१०४,१०७, ११६,११८/ १२५.१४५.१६१,१६३.१६५ थी १६७,१७१ थी १७३.१७६.१८९.१८१.१८४
.........
प्रा. ............. १५००/-..........१८७/.... १३४ + १३५
.. १५५०
....११२
सं. २.११२२-ले.१२९८ ..........१९१
......९१-१४६
.....१४६-१५२ सं.र.११२२-ले.१४०० ...........१४६
...९००
....१३६ + १३७ .... १३६ + १३७ .... १३६ + १३७ ....१३६+१३७
..गा.७७ ... १५५० - पत्र ४,८४.९८.१०२.१२३ नथी.
.......८४०-पत्र १.२ नथी
१३६/११चडावश्यकसूत्रवृत्ति ..................... नमिसाधु १३६/२ श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरणवृत्ति
|श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरणवृत्ति मूल .... १३७.../घडावश्यकसूत्रवृत्ति ....
नमिसाधु ............ १३८ ... ललितविस्तरावृत्तिसंक्षेप ....... (चैत्यवंदनासूत्रवृत्ति) ...
हरिभद्र आचार्य. १३९/१४ चैत्यवंदनासूत्रचूर्णी ..
यशोदेबसरि.. १३९/२/वंदनकसूत्रचूर्णी अपूर्ण
यशोदेवसूरि. १३९/३ प्रत्याख्यानस्वरूपप्रकरण Jटक ... यशोदेवसूरि. १४०/ १चैत्यवंदनासूत्रचूर्णी
यशोदेवसूरि. १४०/२/वंदनकसूत्रचूर्णी .......
यशोदेवसूरि. १४०/३ इरियावहियादंडकचूर्णी
यशोदेवसूरि. १४०/४ प्रत्याख्यानस्वरूपप्रकरण गाथाबद्ध ..... यशोदेवसूरि १४१/१ चैत्यवंदनासूत्रवृत्ति .............. श्रीचंद्रसूरि .. |१४१/२ वंदनकसूत्रवृत्ति ......
श्रीचंद्रसूरि .... |१४१/३ प्रत्याख्यानसूत्रवृत्ति
................
श्रीचंद्रसूरि .
FFEREEEEEEE
सं............. १३००/............ २८ .........१.११७४..........१६० ............
......६०-८१ ......... १४००......१४०-१५२ र.११७४............६३
.........१-४८ ...............४८-५८
........५८-८४
गा.२५० थी ३२९
.......८४० .........७०७
.....१५० गा.३२९,४०० ...........५४०
...१-२८
...११२
-२८-६६ .........६६-७२
१४१ -......११२ .. ९२०(त्रणेना)
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________________
कर्ता
....१४२
.........
૧૨૬
२६-३५,
..............
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
| भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. | ग्रंथान
विशेष नोंध १४१/४ श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति ..................श्रीचंद्रसूरि, |..सं.र.१२२२-ले.१४००.......८०-१८२............१४१/......११२|......... १९५० |आ प्रतिमां जीर्ण धयेला अंतना पाना सं.
१६६५मां नवा उमेरेला छे. १४२ ... चैत्यवंदनादिविवरण अपूर्ण ........ .. सं. ............. १४००..... .... १४२ + १४३
पत्र ३८.३९.४३,४५ थी ४८. ५१ नथी १४३ ... यतिप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति ..
सं.............. १५००
+ १४३ १४४ ....पाक्षिकसूत्रचूर्णी.....................
............ १४००
.... १४४ + १४५ १४५... पाक्षिकसूत्र वृत्तिसह वृ.क.यशोदेवसूरि ...... २.११८०-ले.१३००
....१४४ + १४५
प्रशस्ति अपूर्ण के. पत्र २ जुनथी. १४६/१/चतुःशरणप्रकीर्णक. वीरभद्रगणि
.... १४६ + १४७
.. गा.६३ १४६/२ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक ............... वीरभद्रगणि .............
.....१४६ + १४७ १४६/३ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक ...................... वीरभद्रगणि ..
.... १४६ + १४७
गा.१७२ १४६/४/संस्तारकप्रकीर्णक ............
...... .....१४६ + १४७
गा.१२२ १४६/५/गच्छाचारप्रकीर्णक .............
३५-४६ .... १४६ + १४७
गा.१३७ १४६/६ मरणविधिप्रकीर्णक..................
...४६-९७ .... १४६ + १४७
.. गा.६५३ १४६/७/गणिविद्याप्रकीर्णक.
९७-१०२ .... १४६ + १४७ १४६/८ चंद्रवेध्यकप्रकीर्णक ..
..१०२-११५ ....१४६+१४७
गा.१७४ १४६/९ चतुःशरणप्रकीर्णक. ....................वीरभद्रगणि, .......... १५००......११५-११८ ....१४६ + १४७ ....११३
पत्र १२,३६,५७,७० थी ७३, ११४ नथी.पत्र ४.८.१०,३२,३९,४२,४४.६०.६७,७६.७९,८०,
|१०१ थी १०५ ना टुकडा छे. १४७ ... सर्वसिद्धान्तविधमपदपर्याय ..............
............ १४९३ ...........१५२ .... १४६ + १४७
....... २३६४ १४७/१४ नंदीविषमपदपर्याय ..............
२.. १४६ + १७ १४७/२ आवश्यकवृत्तिविषमपदपर्याय ......
... १४६ + १४७ १४४/३ - आवश्यकवृत्तिविषमपदपर्याय .
३९-५४ . १४६ + १४७ १४७/४ दशवैकालिकविषमपदपर्याय .....
५४-६४ .१४६ + १४० १४७/५ ओघनियुक्ति विषमपदपर्याय ...
.६४-६६ ... १४६ + ११० १४०/६ पिंडनियुक्ति विषमपदपर्याय ....
૬૬-૬૮ ..... १४६ + १४७ १४७/७ पिंडनियुक्ति कतिचिद्गाथावृत्ति
.६८-७७ |.... १४६ + १४७ १४७/८ पिंडनियुक्ति विषमगाथाविवरण,
.... १४६ + १४७ १७७/९/उत्तराध्ययनबृहद् वृत्तिपर्याय ..
..........८३-९५ ....१४६ + १४७ १४७/१० आचारांगपर्याय ...............
.....९५-१०३ ..... १४६ + १४७
भद्रगणि ............
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--------------------------------------------------------------------------
________________
कता
संवत
ग्रंथान
विशेष नोंध
... १४८९
.. ५०००
........ ९०००
...प्रा.
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
पत्र संख्या । झेरोक्ष । सी.ठी. १४७/११ सूत्रकृतांगपर्याय ...
..१०३-१०५ .... १४६ + १४७ १४७/१२ स्थानाङ्गपर्याय .............
...१०५-११४ ... १४६ + १४७ १४७/१३ समवायांगपर्याय .
.११५१२१ .. १४६ + १४७ १४७/१४ भगवतीसूत्रपर्याय
..१२१-१३१ ... १४६ + १४७ १४७/१५ जीवामिगमसूत्रपर्याय
-१३१-१३७ .. १४६ + १४७ १४७/१६ प्रज्ञापनासूत्रपर्याय ...........
.१३७-१३९ ..... १४६ + १४७ १४७/१७ प्रज्ञापनाविवरणविषमपदपर्याय ..........
.१३९-१४३ .. १४६ + १४७ १४७/१८ जीतकल्पविषमपदपर्याय ....
.....१४३-१५२ .... १४६ + १४७ १४८ ... ज्योतिष्करंडकसूत्र वृत्तिसह वृ.क.मलयगिरिसूरि ..... .प्रा.सं
...........२३३ ..... १४८(१-२) १४९ ... अंगविद्याप्रकीर्णक..
... १४८८ ...........२४१ ...........१४९ १५०.... प्रकरणपोथी ..........
१३०० ...........२०५/.... १५० + १५१ १५०/१ बृहत्संग्रहणीप्रकरण.................... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .... प्रा. ... १३०० ..........१-५७/....१५०+१५१ १५०/२ वृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण.
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .... प्रा. .१३०० ......५८-१२१ ... १५० + १५१ १५०/३/ कर्मस्तव-प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ ,
.... १३००......१२१-१३५ .....१५० + १५१ १५०/४ कर्मविपाक-प्राचीन प्रथमकर्मग्रंथ ...
....१२६-१४० ....१५० + १५१ १५०/५ शतक-प्राचीन पंचमकर्मग्रंथ .... शिवशर्मसूरि .
............ १३००......१४०-१५० .....१५० + १५१ १५०/६ सित्तरी-षष्ठकर्मग्रंथ ...........
..... १३००......१५०-१५८....१५० + १५१ १५०/७ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण........ प्राचीन चतुर्थकर्मग्रंथ ................... जिनवल्लभगणि ...
... १३००/......१५९-१७० ..... १५० + १५१
.......११४ १५०/८, सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण (सार्धशतक). जिनवल्लभगणि
......१७०-१८५ ..... १५० + १५१ १५०/९/कर्मविचारसारप्रकरण..
... १३००......१८६-२०० ....१५० + १५१ १५०/१० बंधस्वामित्व-प्राचीन तृतीयकर्मग्रंथ.....
... १३०० ......२००-२०५ ...१५०+ १५१ १५१.... प्रकरणपोथी
...........१५४ ....१५०+ १५१ १५१/१ पर्यन्ताराधनाप्रकरण.. ................ सोमसूरि ............
१४०० ...........१-९ १५१/२ विवेकमंजरीप्रकरण...................... आसड ............... प्रा........१२४८,१४००...........९.२९ .... १५० १५१/३ चउसरण .................
............. १४०० .........२९-३३ .... १५० + १५१ १५१/४ आतुरप्रत्याख्यान .......
...................... ............. १४००.........३४-३९ ....१५० + १५१ ......११४ |१५१/५ आराधनाप्रकरण ......................... अभयदेवसूरि ......... प्रा............. १४००.........३९-५२ .... १५० + १५१ ......११४
....... गा.५७१-पत्र १,२ नथी. .८७५, गा.६४०
....... गा.५८ ...... गा. १६९ ....... गा.१११
....... गा.९९
गर्गर्षि...
.१३००
..... गा.१०३
गा.१६४ गा.१६५
.... १४००
......... गा.८५
Jain Education Internatione
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--------------------------------------------------------------------------
________________
...११४
..११४
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम संवत | पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. | ग्रंथाग्र
विशेष नोंध १५१/६ वैराग्यकुलक-धर्माधर्मफलकुलक,
१४००/.........५२-५४..... १५० + १५१ .......११४ ...गा.१३ |१५१/७ मिथ्यादुष्कृतकुलक .....
१४०० .......५४-५६ ... १५०+१५१ ....११४ ... गा.१६ १५१/८ आलोचनाकुलक..............
१४०० .........५६-५८ ....१५०+ १५१ ......११४ १५१/९ आत्मविशुद्धिकुलक
..५८-६१ .१५०+ १५१ १५१/१०/ आराधनाकुलक....
....६१-६३ ... १५० + १५१ ..११४ १५१/११ वैराग्यकुलक ........
.६३-६७ .....१५० + १५१ ...११४ १५१/१२ उपदेशकुलक .............
.....६७-७८ ....१५०+ १५१ ..११४ १५१/१३ | नवकारफलकुलक.
...७८-८४ .....१५०+ १५१
......११४ |१५१/१४ मिथ्यादुष्कृतकुलक .....
.........८४-८६ ,.... १५० + १५१ |१५१/१५ संवेगमंजरी.. देवभद्रसूरि ......
......८७-९२ .....१५० + १५१ |१५१/१६ संजममंजरी ... महेश्वरसूरि
......९२-९७
....१५० + १५१ ..११४ १५१/१७ भावनाकुलक-वैराग्यकुलक
देवेन्द्रसूरि ..
१४०० ....९८-१०१ ....१५० + १५१ ......११४ १५१/१८ भावनाकुलक
.१०१-१०५ .... १५०+ १५१ ....११४ १५१/१९/ उपदेशकुलक ....... जिनप्रभसूरि .............
....१०६-११३.....१५०+ १५१ ...११४ १५१/२०| आराधना ..............
१४००|......११३-१२०/.... १५० + १५१ १५१/२१ भावनासंधि .....
............... जसदेवमुनि(यशोदेवमुनि)
....१२१-१३६ ....१५० + १५१ १५१/२२ आराधना .....
१४०० ......१४८-१४९ .... १५० + १५१
... गा.८ पत्र १३६ थी १४५ नथी १५१/२३ भावनाकुलक .........
१४०० ....१४९-१५१ ..... १५० + १५१ ....११४ १५१/२४ महर्षिकुलक.
१४०० ......१५१-१५४ १५० + १५१
.......गा.२७ १५२... प्रवचनसारोद्धार ................... नेमिचन्द्रसूरि.
.१४०० ...........१७४/.... १५२ + १५३
...२००० १५३/१४ उपदेशपदप्रकरण ................. हरिभद्र आचार्य ....
.......१-८५ ..... १५२ + १५३
गा.१०४० १५३/ २जीवसमासप्रकरण ...
.................८५-११४ .... १५२ + १५३
....... गा.२७० |१५३/३, प्रवचनसंदोह
............ १३००......११४-१३७ ..... १५२ + १५३
......११५ १५४ .... प्रकरणपोथी .................
.प्रा.सं.......१२१०-१२१५ .... १६५ + १५
.....+८=१८८ |१५४/१ आवकषडावश्यकसूत्र ......
.प्रा.सं............. १२१०/..........१-१४ ...........१५४......११५ |१५४/२,पत्रलिंगीप्रकरण जिनेश्वरसूरि |..प्रा.-... र.१२१०,१२१५.........१४-२६ .......... .......११५
......गा.१०१ |१५४/३१ श्रावक्रवक्तव्यताप्रकरण................. जिनेश्वरसूरि ............ प्रा. ............ १२१०.........२३-३५ .............१५४ ......११५ ........ गा.१०३
FFFFFFFFFFFFF
१४००
१४००
.. सं.
.११४
सोमदेव ..
......गा.१७
......११५
.........
.१५४
For Private &Personal use Only
Page #65
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________________
सी.डी.
विशेष नोध
ग्रंथान ...... गा.१०३
गा.८४
......आ.२७
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम | कर्ता
भाषा संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष १५४/४ पिंडविशुद्धिप्रकरण .................. जिनवल्लभगणि......
.... १२१०/-........३५-४५ १५४/५ आगमोद्वारगाथा ....... ..........
.... १२१० .........४५-५१ १५४/६/पौषधविधिप्रकरण. जिनवल्लभगणि.
१२१० .......५२६४ १५४/७ पंचकल्याणकस्तोत्र .....
१२१० .....६५-६७ १५४/८ लघुअजितशांतिस्तव .................. जिनवल्लभगणि.......
१२१०
....६७७० १५४/९ अजितशांतिस्तोत्र .................. नंदिषेण.....
१२१० .७०-७५ १५४/१० पर्यन्ताराधनाप्रकरण ... ........ सोमसूरी..
१२१०/.........७५-८२ १५४/११ आउरपच्चक्खाण ......
१२१० ...
.......८२८६ १५४/१२ धर्मलक्षण...
१२१० .....८६-८७ १५४/१३ प्रश्नोत्तररत्नमालिका ...... ........ विमलाचार्य ......
१२१० ......८७९० १५४/१४ नवतत्वप्रकरण भाष्यसह
मू.देवगुप्तसूरि, (नवतत्त्वप्ररूपणाप्रकरण) भा. अभयदेवसूरि
१२१०/-......९१-१०३ १५४/१५ नवपदप्रकरण ......
जिनचन्द्रगणि.....
१२१०|......१०३-११६ १५४/१६ श्रावकधर्मविधिप्रकरण .....
१२१० ......११६-१२१ १५४/१७ कर्मप्रकृतिसंग्रहणी .
शिवशर्मसूरि ...
.. १२१०.......१२१-१६२ |१५४/१८ जिनविज्ञप्तिका ... जिनवल्लभगणि..
......१६-१६५ १५४/१९ स्वप्नसप्ततिकाप्रकरणगत गाथा सटीक
... १२१५ .....१-१५ १५४/२० बोट्टिकनिराकरण
૧૨૧૫ १५५ .... प्रकरणपोथी ...............
प्रा............. १२२२ ....१६२ + १७
......+३१-२१० १५५/१४ श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण.................. देवेन्द्रसूरि ................. प्रा. ............ १२२२..........१३७|......... १५५/२ धर्मरत्नप्रकरण ..
शान्तिसूरि ....... प्रा............. १२२२/.........३७४७ १५५/३८ नवतत्त्वप्रकरण भाष्यसह ................मू.क.देवगुप्तसूरि
भा.क. अभयदेवसूरि
१२२२.........४७-५९ १५५/४ धर्मोपदेशमालाप्रकरण .................. वीरचन्द्र शिष्य
.. १२२२/-........६०-९५ १५५/५, शालिभद्रचरित्र गाथाबद्ध ................
१२२२ .......९५-१०५ १५५/६ श्रावकव्रतभंगकुलक...
१२२२ ......१०५-१०७ ......... १५५/७२ उपदेशमालाप्रकरण-पुष्पमालाप्रकरण..... मलधारी हेमचन्द्रसूरि ........ प्रा. ..... ... १२२२ ......१००-१५५............
गा.१५२
गा.१३९ ..... गा.१७० ....... गा.800
....... गा.३७ .....११५२१०, मू.गा.३८
....... गा.११५ .......११५
१२१०
प्रा.सं
....१-८
......११५,....... गा.५७०-पत्र १२५ नथी.
...... गा.१४५
.... गा.१५२ ..... गा.५०२
.............
.....गा.३० ........ गा.५०५
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________
૧૮
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम १५५/८ तपश्चरणभेदस्वरूपप्रकरण
१५५/९ त्रयोदशभेदनवकारस्वरूपकुलक
१५५/१० विचारमुखाप्रकरण
१५५/११ बृहत्संग्रहणीप्रकरण
१५६....
प्रकरणपोथी
१५६/१ १५६ / २
श्रावकवक्तव्यता-षट्स्थानकप्रकरण
पंचलिंगीप्रकरण
१५६ / ३
आगमोद्धारगाथा..
१५६/४ मिथ्यात्व मथना कुलक १५६/५ दानविधिकुलक
१५६/६ धूमावलि...
१५६/७ जिनस्नात्रविधि चतुष्पर्वात्मक
१५६/८ प्रातिहार्यस्तोत्र कुसुमाञ्जलिस्तोत्र नंदीश्वरस्तोत्र
IWatsaa
--------
*********
१५६ / ९ थेरावली- नन्दीसूत्रगता १५६/१० श्रावकधर्मविधितन्त्रप्रकरण १५६/११ नाणाचित्तयप्रकरण
१५६/१२ कथानककोशसूत्र. | १५६ / १३ जिनदत्तसूरिस्वाध्याय अपूर्ण
१५६/१४ टक कुलक
१५६/१५ आराधना
१५६/१६ ज्ञानमाहात्म्यप्रकरण
१५६/१७ आराधनाप्रकरण अपूर्ण
१५६/१८ चतुर्विंशतिजिनकल्याणकस्तोत्र
-----
----
चतुर्विंशतिका १५६/१९ ऋषभ - शान्ति-नेमि पार्श्व
महावीरजिनपंचकस्तोत्रपंचक
कर्ता
चक्रेश्वरसूरि
अमरचन्द्रसूरि.
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण.
जिनेश्वरसूरि जिनेश्वरसूरि
वादिवेताल शांतिसूरि मानतुंगसूरि
देववाचक हरिभद्रसूरि
जिनेश्वराचार्य
जिनवल्लभसूरि
भाषा
.प्रा.
.. प्रा.
.. प्रा.
प्रा.
.प्रा.सं.
.प्रा.
.. प्रा.
प्रा.
.. प्रा.
.. प्रा.
प्रा. अप
सं.
.. प्रा.
..
.. प्रा.
प्रा.
.. प्रा.
प्रा.
अप.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
.. प्रा.
प्रा.
संवत्
१२१३.१२२२
पत्र संख्या ......१५६-१६१ १२२२१६१-१६२
१२२२..........१-१७
१२२२ .........१-३१ ११९२. १२७+४+१० +8+38=969
११९२
१-७ ११९२.......... ७-१५ . १५-१९
. १९-२१
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
११९२
२१-२३
. २३-२७
. २७-३३
.३४-३७
. ३७-४० .....४०-४८
. ४८-५३
.५३-५६
........५७-५९
.६१-६२
.६६-६९
.६९-७३
.७३-७५
.७६-८४
.. ८४-९०
झेरोक्ष
.......
. १५५
. १५५
. १५५
.944
. १५६
. १५६
. १५६
१५६
. १५६
. १५६
.१५६
. १५६
१५६
सी.डी.
....... ११५
११५
. १५६
. १५६
११५
११५
.११६
......!
ग्रंथान
.......
जिनमद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंध
. ११६
११६
. १९६
. ११६
.गा. २६ .११६ गा.२५ .११६ .......... .गा. ५४ ११६ ......... का . ७४ ११६ कडी ९+५+ १०२४
. १५६ .......११६.......... गा. ५०
. १५६
.११६
गा. १२०
. १५६
११६
.गा. ८१
. १५६
.गा. ३०
११६ १५६ b...... .११६ ....... ११६
१५६
१५६
.११६
१५६
११६
१५६
११६
-------
.गा. ५४
.गा. १४
गा. १४१
गा. ३६६
गा. १०३ पत्र १, ४,६०,६३ थी ६५ नथी.
गा. १०१
गा. ७१
पत्र ६० मुं नथी .गा.३२ पत्र ६३-६५ नथी
गा.३६
.गा. ५६
. ११६
• ११६ गा. २५+३३+१५
..+94+94=903
.
Page #67
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________________
सी.डी.
ग्रंथान
विशेष नोंध
झेरोक्ष । ........१५६
...१५६
....११६
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांका ग्रंथy नाम
कर्ता
भाषा संवत पत्र संख्या | १५६/२० अजितशांतिस्तव ..................... जिनवल्लभसूरि I..प्रा............... ११९२ .........९०-९२ १५६/२१ जिनविज्ञप्तिका ........................ जिनवल्लभसूरि.
............ ११९२.........९२-९४ १५६/२२ लघुशांतिस्तोत्र ......... मानदेवसूरि ....
११९२/......९५-९५/२ १५६/२३ महावीरपंचकल्याणकस्तोत्र ....
.......... ११९२ ......९५/२-९६ १५६/२४ प्रव्रज्याविधानकुलक
.......... ११९२ .......९६-९८ १५६/२५ चउसरण ................
.......... ११९२.......९८-१०० १५६/२६ चतुर्जिनकल्याणस्तोत्र ......
. ११९२ ........ १०० मुं १५६/२७ जयतिहुयणस्तोत्र ....................... अभयदेवसूरि .......
... ११९२ ......१०१-१०४ १५६/२८ सुगुरुगुणसंथवसत्तरिया ................ सोमचंद्रसूरि
.. ११९२......१०४-१०९ १५६/२९ चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र .................
११९२ ........ १०९ मुं १५६/३० युगप्रधानगुरुसुरूपदेशिकुलक ............ जिनदत्तसूरि
११९२......११०-१११ १५६/३१ विश्रुतश्रुतस्तव...........................जिनदत्तसूरि .......
११९२| ....१११-११३ १५६/३२ श्रावकआवश्यकसूत्र ..
११९२ ....११३-१२२ १५६/३३ आलोयणाविधिप्रकरण ................... अभयदेवसूरि .......
......१२२-१२३ १५६/३४ नमिऊणस्तोत्र
....१२४-१२५ १५६/३५ पार्श्वनाथस्तोत्र ....................... जिनचन्द्रसूरि ......
......१२५-१२६ १५६/३६ गुरुपारतंत्र्यकुलक ....................
....१२६-१२७ १५६/३७ गुरुपरिवाडी ............................. पल्हकवि........
११९२ ..........४ १५६/३८ अजितशान्तिस्तोत्र. .......... नंदिषेण.
११९२ ......५१० १५६/३९| चतुर्विशतितीर्थकरस्तुतिचतुर्विशतिका ... जिनवल्लभगणि.
११९२ ..........६ १५६/४० आत्मानुशासन
जिनेश्वराचार्य
११९२ १५६/४१ उपदेशमालाप्रकरण..................... धर्मदासगणि.. १५७ ...प्रकरणपोथी १५७/१/उपदेशमालाप्रकरण................. धर्मदासगणि.
......१-४७ १५७/२१ बृहत्संग्रहणीप्रकरण.............. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ..---
.....४८-१०२ १५७/३ योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय.... हेमचंद्र आचार्य
१३१०......१०३-१५० १५७/४ पुष्पमालाप्रकरण ................ मलधारी हेमचन्द्रसूरि ....... प्रा. १३१० ......१५०-२०६ १५७/५ हितोपदेशामृतप्रकरण ............... प्रभानन्दसूरि ................ प्रा. ....... १३१०......२०७-२६१
FFFFFFFFFFFFFFFFF
११९२|
28
गा.४०
११९२
गा.५४१
१३१०
........२६१
....
गा.५४३ गा.५२४
११६
गा.५०५ ....... गा.५२५
११६
For Private &Personal Use Only
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________________
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ मंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
..गा.५४१-पत्र १ तथा २ मां चित्र छे
.......११६
गा.१४४
गा.१०३
HFFFFFF
+
ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | भाषा संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. १५८...प्रकरणपोथी ................
प्रा.सं............. १४००/...........२०४ ....१५८+ १५९ ......११६ १५८/१/उपदेशमालाप्रकरण टिप्पणीसह ........ धर्मदासगणि
... १४००...........१-४३ .... १५८ + १५९ १५८/२ योगशास्त्राधप्रकाशचतुष्टय .......... हेमचन्द्राचार्य ........
....१४०० .........४४-७५ ....१५८ + १५९ १५८/३/ विवेकमंजरीप्रकरण ................ आसड........
र.१२४८-ले.१४०० .........७५-८६ .१५८ + १५९ १५८/४ धर्मोपदेशमालाप्रकरण .............
........... १४००.........८६-९४ .....१५८ + १५९ १५८/५/घट्थानकप्रकरण ....................... प्रद्युम्नसूरि ........... ............ १४००/.......९४-१०८ ... १५८ + १५९ १५८/६/जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण ..............
..... १४००......१०९-११६ .....१५८+ १५९ १५८/७/श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र
... १४०० ......११६-१२० ....१५८+ १५९ ......११६ १५८/८पंचसूत्रसत्क प्रथमसूत्र.................
१४०० ......१२०-१२३ .....१५८+ १५९ १५८/९ गौतमपृच्छा ..............
१४००/......१२३-१२७ .....१५८+ १५९ १५८/१० थेरावली (नंदीसूत्रान्तर्गता) ............. देववाचक ...........
१४०० ......१२७-१३१ ... १५८+ १५९ १५८/११ अजितशांतिस्तोत्र....
नंदिषेण .............
१४०० ......१३१-१३६
१५८+ १५९ १५८/१२ प्रश्नोत्तररत्नमाला ................. विमलाचार्य
१४०० .....१३६-१३८ १५८/१३ धर्मलक्षण................
............ १४००/......१३८-१३९ ....१५८ १५८/१४ उपदेशमालाप्रकरण-पुष्पमालाप्रकरण..... मलधारी हेमचन्द्रसूरि ...
............१४००
.....१४०-१८० १५८/१५ आत्मानुशासन..........
पार्श्वनाग............
१०४२.१४००
......१८०-१८७ ....१५८ १५८/१६ उपदेशकंदली .....
आसड.
... १४०० .....१८७-१९८ १५८+ १५९ १५८/१७ भक्तामरस्तोत्र ........................... मानतुंगसूरि .........
... १४०० ......१९८-२०३ + १५९ १५८/५८ नवकारसारस्तव ................... मानतुंगसूरि
१४०० .....२०३-२०४ १५८ + १५९ १५९ .... प्रकरणपुस्तिका ......................
... १३४५ ...........१६७.....१५८ + १५९ १५९/१२ उपदेशमालाप्रकरण.....
धर्मदासगणि.
१३४५ .........१-६९ ....१५८ + १५९ १५९/२धर्मोपदेशमालाप्रकरण .................. जयसिंहसूरि
... १३४५
.........६९-८२....१५८+ १५९ १५९/३ घटस्थानप्रकरण
जिनेश्वरसूरि
१३४५ ....८२-१०८ ....१५८ + १५९ १५९/४ मूलशुद्धिप्रकरण ...
१३४५ .....१०८-१११ /....१५८ + १५९ १५९/५२ श्रावकातिक्रमणसूत्र (वंदित्तासूत्र)......
१३४५......१११-११७ .... १५८ + १५९ १५९/६ प्रव्रज्याविधानप्रकरण.........
..... १३४५......११८-१२०/....१५८ + १५९ .......११६ १५९/७, पंचसूत्रसत्क पापप्रतिघात....... गुणबीजाधाननामक प्रथम सूत्र
..... १३४५......१२०-१२५/....१५८+ १५९ -......११६
+
+
गा.५०५
庐sssssssss它管后它后它 sssssssss
....१५८
+ १५९
गा.१२४
१५८
का.४४
गा.३१
रण..................
गा.५४४ गा.१०३ गा.१९१ गा.२२ गा.५० गा.२४
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________
ग्रंथर्नु नाम
सी.डी. ..११६
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक १५९/८/संक्षिप्त आराधना ........................ १५९/९ , चतुःशरणप्रकीर्णक .. १५९/१० भावनाकुलक ................................. १५९/११| विवेकमंजरीप्रकरण ..................... आसड ........ १५९/१२/ अजितातिस्तोत्र ....................... नंदिषेण .............
...............
संवत् । पत्र संख्या | झेरोक्ष ........ १३४५......१२५-१३०.....१५८+ १५९
१३४५ ......१३१:१३४ ....१५८ + १५९ ...... १३४५......१३४-१३७ .... १५८+ १५९
२४८.१३४५......१३८-१५८ ....१५८+ १५९ ............ १३४५......१५८-१६७ ....१५८+ १५९
..११६
.
अथान
विशेष नोंघ ..गा.३५ ..गा.२७ .का.२२
गा.१४४ ...छ.४०. पत्र १ पार्श्वनाथर्नु,रमा समवसरण ,१६६मां
अजित-शांतिजीननुं अने पत्र १६७ मां जीनमंदिरनु चित्र छे.आ चित्रोमां सोनेरी रंगनो उपयोग कर्यो छे.
......११७
........................................
....११७
१३०० .......... १३०० ..
...गा.५७
गा.१६६
गा.१०७ ..गा.९१ ....गा.९०
११७
..........१६१.... १६० + १६१ .......११७
.........१५ ....१६०+ १६१ .........५-१८ ....१६० + १६१
१८-२५,....१६० + १६१ १३०० .........२५-३१,....१६० + १६१
+ १६१ १३००/..
........३६-५४ + १६१ १३०० .......५५-८० .... १६० + १६१
१३०० .......८१-१०१ .... १६० + १६१ ....... १३००......१०१-१०५.... १६०+ १६१
.......३१-३६
..११७
|१६०.... प्रकरणपुस्तिका ...................... ........................ |१६०/१, कर्मस्तव-प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ | १६०/२ कर्मविपाक प्राचीन प्रथमकर्मग्रंथ ........ गर्गर्षि. |१६०/३ शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ.............शिवशर्मसूरि ..
१६०/४ सित्तरी-षष्ठ कर्मग्रंथ ........... |१६०/५४ जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण.................... |१६०/६ प्रवचनसंदोह |१६०/७४ श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण..................... उमास्वाति वाचक
१६०/८/पंचाणुव्रतप्रकरण. |१६०/९/स्थविरावली (नंदीसूत्रगत) ............. देववाचक ..... १६०/१०/नवपदप्रकरण ....
उपकेशगच्छीय ..........................
जिनचंद्रसूरि ... |१६०/११ आराधनाप्रकरण. ............. अभयदेवसूरि. |१६०/१२ उपदेशमालाप्रकरण.................. धर्मदासगणि.. |१६१/१ प्रवचनसारोद्धार ..................... नेमिचंद्रसूरि. |१६१/२ श्रावकधर्मप्रकरण ........................ जिनेश्वरसूरि ........ १६२/१ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण...... | सार्द्धशतकप्रकरण ..
जिनवल्लभगणि. |१६२/२, सूक्ष्मार्थविचारसारचूर्णि.....
.११७
... गा.४०१
गा.२०९ - पत्र ८१ थी ८८ नथी. ९१ नं.ना बे पाना छे. .... गा.५०
.....
+१६१
१३००......१०५.११३
१३००/......११३-१२४ १६० + १६१ ............ १३००......१२४-१६१ .... १६० + १६१
... १६० + १६१ ... र.१३१३,१४०० ............ २५ ....१६० + १६१
..११७ .....११७ .....११७
.. गा.१३८ ...... गा.१५९ ......गा.५४०
...गा.२००० .........२५०
......११७
..... गा.१५३
१-१५,....१६२ + १६३ .......११७ १३००/..........१-६७.... १६२ + १६३ .......११७
............
For Private &Personal use Only
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
२२
ग्रंथांक
१६२ / ३ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण
षडशीति चतुर्थ कर्मग्रंथ
१६२ / ४ जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण
उपदेशपदप्रकरण
पंचवस्तुकप्रकरण उपदेशमालाप्रकरण
१६३....
१६४....
| १६५...
| १६६....
.......
१६७ प्रवचनसारोद्धार
| १६८
उपदेशपदप्रकरण कर्मप्रकृतिचूर्णी
----
१६९....
उपदेशपदप्रकरण
१७०....
कर्मप्रकृतिचूर्णी
१७९ प्रकरणपुस्तिका
....
१७१ / १ जीवोपदेशपंचाशिका १७१ / २ उपदेशकुलक
१७१/३ हितोपदेशकुलक.
| १७१/४ हितोपदेशकुलक १७१/५ पंचपरमेष्ठिस्तव
१७१ / ६ नवतत्त्वप्रकरणभाष्य १७१/७ प्रकीर्णकगाथाव्याख्या
१७१/८ हरिवंशपुराणगत उद्देशद्वय संजमाख्यानक.
१७१ / ९
१७१/१० प्रश्नोत्तररत्नमालिका
+
कर्ता
जिनवल्लभगणि
हरिभद्रसूरि हरिभद्रसूरि
धर्मदासगणि
हरिभद्रसूरि
नेमिचंद्रसूरि.. हरिभद्रसूरि
अभयदेवसूरि
विमलाचार्य
भाषा
प्रा.
प्रा.
. प्रा.
प्रा.
.. प्रा.
..
प्रा.
.. प्रा.
प्रा.
प्रा.
.. प्रा.
प्रा. सं
**
सं.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
..अप.
प्रा.
सं.
संवत्
११७८
१३००
१४००
१३००
१४००
१३५४
१२२२
१३००
११६९
११६९
११६९
११६९
११६९
११६९
११६९
११६९
११६९
११६९
११६९
पत्र संख्या
पत्र ८ .... १६२ १६३ ८-१५
१६२ + १६३
. ११२.१६२ + १६३
१५२
११३
. १६४ . १६५
. १०९ १६६ श्री १६८
१२७ १६६ थी १६८ ११३. १६६ थी १६८
३०६
.१६९
.... १०४
१८+१७+४+४
• +२=४५
.१-३
३-५
. ५-६
.६-७
.७-९
९-१७
.१८मुं
१७
१५मुं
झेरोक्ष
.....
.१७०
. १७१
. १७१
सी.डी.
.१७१
१७१
१७१
१७१
. १७१
....११७
. ११७ ११७ ११७ ....... ११७
११७
...... ११७ ११८ ११८
.११८
११८
.११८
.१७१.......११८ . ११८
११८
.११८
११८
.११८
.१७१
. ११८ १७१ ११८ .१७१....... ११८
ग्रंथाप्र
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
.गा. ९३
गा. ९०
.गा. १०४०
गा. १७१०
गा. ५४०
*******
.गा. १०४०
गा. १०४३
का. ५० ..........गा. २५ .गा. २५
.गा. २५
.गा. ३७
गा. १५१
.........आ.२८
.
पत्र १३६, १३७, १४६ नथी.
पत्र १ थी ३,९, ११, १२, १७,४३, ११४, ११५, ११६१ १३४, १४० थी १५१,१६० थी १६४ नथी.
पत्र १०८, १०९ मां चंद्र अने चोकडीना शोभनो छे.
पत्र ८३, १०० नथी
पत्र ९५मुं नथी. २५२-२५३ साथे छे. अंतिम पत्रमां शोभन छे.
पत्र १७ मुं नथी अन्त पत्रमां शोभन छे.
घणा पत्र नंबर विनाना छे.
Page #71
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________________
भाषा
......११८
........अप.
........१-२
....२०१
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता संवत । पत्र संख्या । डोरोक्ष - सी.डी.. | ग्रंथान
विशेष नोंध १७१/११ नेमिनाथस्तोत्र ........................... विजयसिंहाचार्य ............. सं. .... ११६९ .........१५-१८ ...........१७१
J........ का.२३ - पत्र १७ मुं नथी | १७१/१२ पद्मावतीस्तोत्र....
११६९ .....१ ........१७१ ...११८ | १७१/१३ सरस्वतीस्तोत्र ...
.........अप.
११६९
.............१७१-......११८ |१७२ .... प्रशमरतिप्रकरण सटीक अपूर्ण .......... उमास्वाति वाचक..
१३०० ............१७२ .....११८
२४५ आर्या पर्यन्त छे. पत्र १९८ थी २०२ नथी| १७३ .... कर्मप्रकृतिवृत्तिसह अपूर्ण .............. मू.क.शिवशर्मसूरि, ....... प्रा.स............ १३०० ........... २२६ ..... १७३(१-२) -......११९
पत्र १.३.४ थी ११.३२,१६४.१६७.१७२.२२७. वृ.क.मलयगिरिसूरि ..
२२८ नथी. १७४ .... पंचसंग्रह सटीक प्रथमखंड ..............मू.क. चन्द्रर्षि महत्तर...... सं. ............. १४०० ...........४३२-.... १७४ (१-२) -......११९
पत्र १,२,३७,२०७,२३१ थी ३३०,३३७०,४३० नथी ........ टी.क. आचार्य मलयगिरि
अंक विनाना २ पत्र वधारानां छे. १७५ .... कर्मविपाक-प्राचीन प्रथमकर्मग्रंथ विवरण सहित ...............
प्रा.सं............. १२२१/............७१
.......१२० १७६/१, कर्मविपाक-प्राचीन प्रथम कर्मग्रंथ वृत्ति ..
.......... सं. ...............................४३
.....१२० १७६/२ कर्मस्तक प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ वृत्ति .... गोविंदगणि......... .......सं. ..............................१-५२ १७६/३ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरणवृत्तिप्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथवृत्ति ............... हरिभद्रसूरि बृहद्गच्छीय ... सं. २.११७२- ले.१४०० ............४३
...........८५० १७७/१/कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ वृत्ति ... गोविंदगणि. ............सं. १७७/२ कर्मविपाक-प्राचीन प्रथम कर्मग्रंथवृत्ति ........... ......... सं. ............ १२९५ ...........१११ १७८/१ बंधस्वामित्वप्रकरण-प्राचीन तृतीय कर्मग्रंथ वृत्ति
........ हरिभद्राचार्य बृहद्गच्छीय |.. सं.२.११७२-ले.११७२|..........४-५०.... १७८ + १७९......१२० ...........५६० १७८/२ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरणवृत्तिसह - भू.क.जिनवल्लभगणि,
............ वृ.क. हरिभद्राचार्य
बृहद्गच्छीय .....प्रा.सं.... र.११७२.११७२/..........१-७८ १७२/१/कर्मस्तवन प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ वृत्ति . गोविंदगणि........... १७२/२ शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ चूर्णी ...... ......... प्रा.............. ११७५/- ......५७-१७५
........ अंत्य पत्रमा शोभन छे. शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ चूर्णी ................................... प्रा. ............ १३००, ........१४७
२२०० १८१... शतक प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ घूर्णी .
.......... ११९६ ......... १७३
--१२० थी १२३ नथी. १८२... शतक प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ सटीक ....मू.क.शिवशर्मसूरि, वृ.क.. प्रा.सं............. १३००...........२४४
आ प्रतिमा अ? अर्ध पानां नथी. ...... Jटक अपूर्ण
मलधारी हेमचन्द्रसूरि
...............१०६
१८०....
...........
For Private & Personal use only
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________________
२४
ग्रंथ नाम
कर्ता
भाषा
शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ वृत्ति सहित मू.क. शिवशर्मसूरि.वृ.क. प्रा.सं. मलधारी हेमचन्द्रसूरि १८४ शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ वृत्ति अपूर्ण मलधारी हेमचन्द्रसूरि
ग्रंथांक
१८३....
१८५ शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ वृत्ति सहित मू.क. शिवशर्मसूरि, वृ.क. | मलधारी हेमचंद्रसूरि मू.क. जिनवल्लभगणि, वृ.क. चक्रेश्वरसूरि
१८६....
सार्द्धशतकप्रकरणसूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणवृत्ति सह शतक-नव्य पंथम कर्मग्रंथ
स्वोपज्ञवृत्ति सह
| आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरणप्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथ सटीक त्रूटक
१८७....
१८८....
१९०
१८९... सप्ततिका षष्ठ कर्मग्रंथ टिप्पनक
गाथाबद्ध
पंचसंग्रह टक अपूर्ण
१९१
...d
-----
प्रकरणपुस्तिका
१९१/१ जीवसमासप्रकरण
१९१ / २ पुलाकोद्देशसंग्रहणी- पंचनिग्रंथीप्रकरण
१९१/३ प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणी. १९१/४ श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण
----
रामदेवगणि चंद्रर्षि महत्तर
देवेन्द्रसूरि स्वोपज्ञ मू.क. जिनवल्लभगणि, वृ.क. हरिभद्रसूरि
अभयदेवसूरि. अभयदेवसूरि.
उमास्वाति वाचक
-----
.प्रा.सं.
प्रा.
प्रा.
संवत्
प्रा.सं.
१४००
.प्रा.सं. र. ११७१-ले. १४००
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
१३००
.प्रा.सं. १३५४ .प्रा.सं., र. ११७२ ले. १३००
१३००
१२११
१३००
१४००
१४००
१४००
१४००
१४००
पत्र संख्या
२९१
१८४
.२३९
२४६
१२८
७४
. ६८+१४+२ +२=८६ .... १.१७ ...
. १७-२४
२४-३२
३२-५८
झेरोक्ष
सी.डी.
.१८३.... १२१
. १८४
. १८५
. १८६
. १८७ १८८ थी १९१
५६
.. १८८ थी १९१ १३२. १८८ थी १९१
१८८ थी १९१ १८८ थी १९१ १८८ थी १९१ १८८ थी १९१
१२१
Saaaaaa
.१२१
१२२
१२२
. १२२
१२२
. १२२
१२२ १२२
ग्रंथाग्र
१२२........
. १२२
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंध
९७मुं पत्र नथी.
पत्र १,२,३,५,६,८१,९५ थी १०३, १०८, ११०, १११,१२९,१३१,१३४, १३८, १४७, १४८, १५० थी १५२, १५७ थी १६०, १६३, १६४, १७६, १८२, १८३ नथी. प्रतिमां घणा टुकडा छे.
१६२ नथी.
४३४०
गा. २९१ गा. १०६ गा. १३३ गा. ३९६
आ प्रतिमां चोथा भाग जेटलां ज पाना छे. १७, २१, २२, २३, २४,२६ थी ३०, ३३ थी ४७, ४९ थी ५१, ५३ थी ६२, ६४, ६६ थी ६७, ६९ थी ७२
पत्र १थी४, ६थी१०, १२, १४,१६,२०,२६,२७,२९, ३२, ३४, ३९, ४१, ४४, ४६, ५५,५७,५८,६४,६५,६८, | ६९,७१२७८,८१,९७६९९, ११८, १२२, १२६. १२९, १३० नथी
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________________
....१२२
FFFFFFF
.. १४००
जिमभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम
कर्ता भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. प्रधान
विशेष नोंध १९१/५/ नाणाचित्तप्रकरण .....
प्रा.............. १४०० .........५९-६४ .. १८८ थी १९१
.....१२२ १९१/६ आवकविधिप्रकरण ....
प्रा.............. १४०० .........६४-६६...१८८थी १९१ १९१/७, संजममंजरीप्रकरण ........
....... १४००
|.........६६-६८ .. १८८ १९१/८. धर्मपद-धर्मशिक्षाप्रकरण ............... जिनवल्लभगणि ........
१४०० ..........१११.. १८८ १९१/९, सिन्धमवहरउस्तोत्र .... जिनदत्तसूरि ............
.........११-१२/..१८८ १९१/१० पार्श्वनाथस्तोत्र ....
जिनदत्तसूरि ...........
........ .. १४०० .........१२-१४ .. १८८ १९१/११ सुभाषितगाथा ........
J............ १४०० ......... पत्र २... १८८ थी १९१ ... १२२ १९१/१२ नेमिनाथस्तोत्र
जिनचन्द्रसूरि. ......... ............ १४०० ......... पत्र २..१८८ थी १९१ १९२ ... बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक ............. भू.क.जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण, वृ.क.
मलयगिरि आचार्य .........सं.प्रा.............. १४८९ ...........३४२,.... १९२ (१२).......१२३ ............... पत्र २.५ नथी १९३ ...- बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक टिप्पणीसह मू.क.जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण, टी.क.
मलयगिरिसूरि ......... ..सं.प्रा............. १३००...........२४९ .... १९३ (१-२) १९४ .... बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक अपूर्ण .....मू.क.जिनभद्रगणि .........प्रा.सं............. १४०० ...........२६७ ............१९४ ......१२४
पत्र ३थी७.६१.६२.७२.७४.७५.१२०,१२१,१२३/ क्षमाश्रमण, टी.क.
थी१४४, १५४,१५७.१५८ नथी. मलयगिरि आचार्य ..... १९५..... बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक ............ मू.क.जिनभद्रगणि.....
..........२११.... १९५ + १९६ ..........३०८०. पत्र ७.३१,७५,७८,७९.१०५.१२४ थी १२७, क्षमाश्रमण वृ.क.सिद्धसूरि .............
..१५० नथी. | उपकेशगच्छीय १९६ .... जंबूद्वीपक्षेत्रसमासवृत्ति ............... हरिभद्राचार्य ..............प्रा.सं............. १४००............ २६ .... १९५+ १९६ ......१२५ १९७ .... जंबूद्वीपक्षेत्रसमासवृत्ति .................. वृ.क.विजयसिंहसूरि ......प्रा.सं ............ १४०० .........११४ .... १९७ + १९८
......१२५
थी ७.१२.२८,३० थी ४८.५५.५७.५८.६१, ६२.६९.९६,१०८ पत्रो नथी. आ प्रतिमां
अडधाथी पण ओछा पत्र छे. १९८... बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक ............. मू.क.जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण,टी.क. मलयगिरि आचार्य .........प्रा.सं..... ..........११९ /.... १९७ + १९८ -......१२५
lain Education Interation
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________________
ग्रंथांका
संवत
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम कर्ता. भाषा । पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोध १९९ .... बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक ............ मू.क.जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण, टी.क. मलयगिरि आचार्य
1.प्रा.स............. १२९६|...........२८१/............१९९ ......१२५,......... ५०००-अंतिम पत्रमा शोभन छे. २०० .... बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक किंचिदपूर्ण .मू.क जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण, टी.क.
शालिभद्रसूरि ..... ........प्रा.सं. र.११३९-ले.१३००/...........१५६ ............२०० ......१२६ ......... २५०० २०१... बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक मू.क.जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण, टी.क.
शालिभद्रसूरि .. ...प्रा.सं.र.११३९-ले.१३०० ........... १८९ /............२०१/......१२६ ......... २५०० - अंत्य पत्र जीर्ण छे २०२... बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक .......... म.क.जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण, टी.क.
......... शालिभद्रसूरि .. ........प्रा.सं. र.११३९-ले.१२०१/...........१५०..... २०२ + २०३ ......१२६ /......... २५००,१०१ अने १२७ उबल छे. २०३ ... संग्रहणीप्रकरण सटीक ............ मू.क.श्रीचन्द्रसूरि,
वृ.क.देवभद्रसूरि ...........प्रा.सं............. १४००/......१३०-२५९ ....२०२ + २०३ -......१२६ .......... ३५०० . आदिनां १२९ पत्र नथी २०४ ... प्रवचनसारोद्धारवृत्ति प्रथमखंड, मू.क.नेमिचंद्रसूरि,
वृ.क. सिद्धसेनाचार्य .. ....सं............. १४०० ...........१९५ ,............२०४ ......१२६ । २०५.... पिंडविशुद्धिप्रकरण सटीक
मू.क.जिनवल्लभगणि,
टी.क.यशोदेवसूरि ........प्रा.सं. २.११७६-ले.१४०० ...........१८४............२०५ .......१२७ [...टी.पं.२८०० २०६ .... प्रवचनसारोद्धार वृत्तिसह .......... मू.क.नेमिचन्द्रसूरि............... र.१२४२-ले.१२९५ ...........४३८..... २०६(१-२) १२७/१२८
|३५९मुं पत्र नथी. पत्र रमा भ. महावीरनु,पत्र वृ.क.सिद्धसेनगणि...............
..............४३६मां देवीनु, ४३७मां आचार्यशिष्यने वाचना
आपे छे. एम त्रण शोभनो छे २०७ ... चैत्यवंदनभाष्य संघाचारटीकासह ........ मू.क.देवेन्द्रसूरि....
.......
१३२९ ...........२६१ ..... २०७(१-२) -.१२८/१२९ ....... ७८०८ - आ पोथी टीकाकार आ.श्री धर्मघोषसूरिनी टी.क. धर्मघोषसूरि
पोतानी छे. २०८ ... पंचाशकप्रकरण वृत्ति वृ.क.अभयदेवाचार्य ................... १२००/........... २६२ ..... २०८ (१-२) F......१२९
आ प्रतिमा दरेक पंचाशकनी समाप्तिना सूचन तरीके वीसेक पत्रोमा विविध शोभनो छ| संवत १२०७मां अजयमेरना भंग पछी आ प्रतिने फरीथी पूर्ण करवामां आवी छे.
.प्रा.सं.......
1ोत
.................
Page #75
--------------------------------------------------------------------------
________________
.३९२५
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
कर्ता भाषा संवत् पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी. | ग्रंथान
विशेष नोंध २०९ .... पंचाशकप्रकरणवृत्ति...................... अभयदेवाचार्य ............ ............ १३०० ...........१८१.............२०९ .......१२९ ................... पत्र ६२.९५.१२८,१३०,१३२ थी १३५.१५४.१५६ .....................
|१५७.१५९.१६१ थी १६५.१६८-१७०,१७२ थी ............................
१७३.१७७.१७९,१८० नथी. २१० ... पिंडविशुद्धिप्रकरण सटीक
म.क.जिनवल्लभगणि,... .प्रा.सं.......११७६.१४०० ...........२०६ ...........२१० .......१३० .... वृ.अं.२८०० - पत्र १,१९.२१थी२४,२६,२७,३५,४पथीड३.४५. टी.क.यशोदेवसूरि .
[४७,६०,६१थी६४.६८,७३थी ६,७८थी८६.९३,
८८थी९०,१०३थी१०६.१०८,१११,११२,११४, |११६,१२४.१२७.१७७,१८१थी१८४,१८६ थी १८८.१९०थी१९२,१९४.१९५,१९७ नथी.४०.४८,
६१,१९३ ना टुकडा छे. २११.... पंचाशकप्रकरणलघुवृत्ति अष्टादशपंचाशकपर्यन्त ............... वृ.यशोभद्रसूरि ......... प्रा.............. ११२१
.....२६५
.............२११.......१३० | २१२ ... प्रथमपंचाशकप्रकरण चूर्णि सह अपूर्ण ..चू.क.यशोदेवसूरि ....... ... प्रा. ............ १३०० ...........२१० ............२१२ -......१३०
पत्र ७.८.१२थी१४,१७,१९थी२५.२७.३२.३६. ४१थी४७.५०.५३थी५५.५७.५८.६२.६३.६५.६७ ६९थी७१,७५थी७७,८०,८१,८३,८४,८६,८७,८९/
|९४.९५,१२४,१२५,१६१.१६६.१९९.२०० नथी. २१३.... द्रव्यसंग्रह सटीक प्रथमखंड ............ नेमिचंद्रसूरि दिगंबर ....... प्रा. ............ १४००............६८............२१३ .......१३०
पत्र १,७,८, २२ नथी २१४/१, उपदेशपदप्रकरणलघुटीका ... .........
कविधमानसूार ......... स. र.१०५५-ले.१२१२ ...........१९२.... २१४ (१-२) .......१३१ ......... ६५१३ - अंतिम पत्रमा शोभन छे. २१४/२, पंचवस्तुकप्रकरणवृत्ति अपूर्ण ............ हरिभद्रसूरि स्वोपज्ञ .........सं.............. १२०० ......१९३-३५०,..... २१४(१-२) -......१३१
पत्र २३५.२३६,२८७.२८८,२९८.२९९.३०२, ३०५,३०६.३४८ नथी. ग्रंथनो प्रारंभ १९३ मां पत्रथी थाय छे. ३०३.३०४,३०७,३०९,३१२
ना टुकडा छे. २१५... उपदेशपदप्रकरणलपुटीका ..............टी.क.वर्धमानसूरि ......... सं.२.१०५५ ले.११५३ |......१४५-२९९ ............२१५ ...१३२/२ ....टी.पं.६५१३ २१६ .... योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्तिसहित ............. हेमचन्द्रसूरि स्वोपन ......... सं. ............. १४०० ...........३१९ ..... २१६(१-२) - १३२/०२
पत्र १११,१३०,१३२,१३५.१४२थी१४४.१४६. १४८.१५६.२२६.३११,३१२.३१४थी३१७ नथी.
२४ थी ३९ एकज पत्रमा छे. प्रश्नोत्तररत्नमालिका वृत्तिसहित ........मू.क.विमलसूरि. ........... सं.र.१२२३-ले.१४००
..... २१३४ - पत्र १.२.५.१०६.१०७.११५.१३२,१६०,१६१, .............. वृ.क.हेमप्रभसूरि .......
१६६,१६७,१७०धी१७२.१७४,१७५.१८० नथी. आ पोथी कागळ पर लखेली छे
.........................
..
.
..............
२१७....
....933
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________________
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान ग्रंथान |
विशेष नोंध
ग्रंथांक
झेरोक्ष
|
सी.डी. |
ग्रंथ नाम
कर्ता | भाषा संवत पत्र संख्या | २१८/१ द्वादशकुलक विवरणसहित ..............मू.क.जिनबल्लभसूरि, वि.क,जिनपालोपाध्याय ...प्रा.सं.
.......१-१५७ २१८/२ रत्नचूडकथा विषमपदविवरण टिप्पनक
........... १४००......१५७१५८ २१९ ... स्वप्नसप्ततिका वृत्तिसहित अपूर्ण .......
.प्रा.सं. ............ १४००............ ४८
२१९
......
.....9331...
08 .......... ३३६३
आ प्रति कागळ उपर लखेली छे .....१३३
पत्र ३,४,७,१६,१८,२१,२३,२४,२७.२९ थी ३१) ४५ थी ४७ नथी. केटलाक पानाना टुकडा
थई गया छ -पत्र ५७.६५.६८ थी ७६.७८ थी ८० थी ८२,८४,
८६,८९ थी ९१.९४.९७.९८,१०२,१०५ थी ११० नथी
२२० .... उपदेशमाला अवचूरि त्रूटक अपूर्ण ..
१३०० ........... १११
...........२२०
९५००-पत्र ६२.२६० मुं नथी.
..........
९०००-पत्र १००,२४०,२४८,२४९,२५१,२५७ नथी.
पत्र ५५.६८.६९.८३.८९.११२,१३९.१४३,१४५, १७७,१८३ नथी.
.प्रा.सं.
१३००
......१५+६४
गा.२१६ - पत्र ४४.५९ नथी.
२२१... नवपदप्रकरण बृहदवृत्ति सहित .......... भू.क.जिनचंद्रसूरि,
वृ.क.यशोदेवसूरि 1.प्रा.सं............. १३००...........२६६ .............२२१ २२२ ... नवपदप्रकरण बृहदवृत्तिसहित ...........मू.क.जिनचंद्रसूरि,
वृ.क. देवेन्द्रसूरि. .....प्रा.सं.... २.११८२,१४०० ........२५९ ..... २२२(१-२) २२३ ... दर्शनशुद्धिप्रकरण विवरणसहित.........मू.क.चन्द्रप्रभसूरि..........प्रा.सं. ............१४००
............२२३ .................वि.क.देवभद्रसूरि ..... | २२४ ..... प्रकरणपुस्तिका ........... २२४/१, सुबाहुचरित
प्रा.सं
१२०० ...... १५ २२४/२ लोकतत्त्वनिर्णय......................... आचार्य हरिभद्रसूरि ...
......१-१६ २२४/३ | बोधप्रदीपपंचाशिका
....१६-२५ २२४/४ पार्श्वजिनस्तोत्र ......................... जिनबल्लभगणि.......
२५-२९ २२४/५ पार्श्वनाथस्तोत्र जिनवल्लभगणि
.२९-३२ २२४/६ पंचकल्याणकस्तव,
जिनवल्लभगणि.
१३०० ३२-३५ २२४/७ धर्मशिक्षाप्रकरण ....... जिनवल्लभगणि
३५-४३ २२४/८ धर्मबिंदुप्रकरण..
हरिभद्रसूरि आचार्य ...
१३००.........४३-६४ २२५... धर्मबिंदुप्रकरण वृत्तिसह
...............
मू.क.हरिभद्रसूरि, वृ.क.मुनिचंद्रसूरि
१३००...........१५५.............२२५ | २२६ ... श्राद्धदिनकृत्य बृहबृत्तिसह अपूर्ण ....... देवेन्द्रसूरि स्वोपन .........प्रा.सं............. १५००/...........२४८ ..... २२६(१-२)
का.२४ का.१७
........
१३००
..१०५-का.४०
......१३६
........ ३०००
पत्र ३,१५१ थी १७१,१७३ थी २२१, ....... २२३ थी २२७,२३१,२३२,२३९ नथी
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________________
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
उपदेशमालादोघट्टीवृत्ति
२२७
२२८....
उपदेशमाला बृहदवृत्तिसह
प्राकृतकथासह...
उपदेशमाला बृहदवृत्तिसह प्राकृतकथासह अपूर्ण.
| २३०.... उपदेशमाला बृहदवृत्ति प्राकृतकथासह २३१... भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह
| २२९....
| २३२... भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह २३३ भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह
२३४
----
२३५
संवेगरंगशाला
२३६.... धर्मविधिप्रकरण
२३७ चउपन्नमहापुरिराचरिय
***
....
२४०
-
| २३८...
धर्मरत्नप्रकरण बृहदवृत्तिसहित त्रुटक अपूर्ण.
कर्ता
रत्नप्रभाचार्य
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र तृतीयपर्व
पर्यन्त शीतलनाथस्वामीचरित्र पर्यन्त ......
********
२३९ / १ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र प्रथमपर्व ....... हेमचंद्र आचार्य
| २३९ / २ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दशमपर्व..... हेमचंद्र आचार्य
मलधारी हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
मलधारी हेमचंद्र स्वोपज्ञ मलधारी हेमचन्द्रसूरि स्वोपज्ञ
CHHIMALA
मू.क. शांतिसूरि,
वृ.क. देवेन्द्रसूरि जिनचंद्रसूरि
नन्नसूरि. मानदेवसूरिशिष्य शीलांकाचार्य
हेमचंद्राचार्य.
| त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र तृ. पर्व संभव हेमचन्द्र आचार्य. नाथचरित्रथी शीतलनाथस्वामी पर्यन्त २४१... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य ..... हेमचन्द्राचार्य. द्वि तृतीयपर्व संभवनाथ अभिनंदन
चरित्र
HINDI
भाषा संवत्
.प्रा.सं.
अप.
.प्रा.सं.
१३००
. १४००
.प्रा.सं. र. ११७०-ले. १३०००
.प्रा.सं.
प्रा. सं. र. ११७०- ले. १२४० .प्रा.सं. र. ११७०-ले. १२६०
प्रा.
सं.
१३००
सं.
१३००
प्रा. र. ११२५-ले. १२०७
..प्रा.र. ११९०-ले. ११९०
R
सं.
१४००
१२२७
१४००
१३१९
१३१९
१३००
१३००
पत्र संख्या
३१८
३३१
२७२
२९०
३५०
. ३८६ .३८५
२९४
. ३४८
१८६
www.
.२-१४०
*****
१०१
झेरोक्ष
२२७ (१-२)
२२८ (१-२ )
२२९ (१-२ ) २३० (१-२ ) २३१ (१-२ )
२३२ (१-२) २३३ (१-२ )
३२४
२४८......
२३५ (१-२-३) .२३६
.१-१३१
२३९ (१-२)
. १३२-३०९ २३९ (१-२ )
J----
.२३४
२३७ (१-२ )
२३८ (१-२ )
.२४०
.२४१
सी.डी.
. १३७
.१३८
.१३९
. १४०
१४१
१४२
१४३
१४४
. १४५ .....१४६
१४७
. १४८
१४९
१४९
१४९
१५०
ग्रंथाग्र
९५०० . १३०००
१३००० . १३०००
गा. १००५३ ६९५०
१४०००
विशेष नोंध
प्रशस्ति अपूर्ण छे पत्र १नो टुकडो छे.
पत्र १२६मुं नथी.
पत्र २ जुं नथी.
पत्र २०४ नथी.
अंतिम पत्र नथी.
पत्र १८मुं नथी. २३७ पत्र डबल छे. ३२८-३२९ भेगा छे.
आदिना दस पानाना टुकडा छे तथा पत्र ३३९ नो टुकडो नथी
आ प्रतिना लगभग अर्धा जेटलां पानां नष्ट थइ गया छे. २६ पत्रो नंबर विनाना छे.
पत्र ३२१ मां शोभन छे.
प्र. पर्व १-१२३ द्वि पर्व १२४-२०६, तृ. पर्व २०७-२४८
• १३८६६ आ प्रतिमां घणां पानानां टुकडा थयेला छे अने घणा पाना छूटे छे
६१ मुं पानुं नथी.
२९
.
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________________
४३..
F......१५१
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम कर्ता संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्षसी जी. ग्रंथान
विशेष नोध २४२... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र सप्तमपर्वरामायण प्रकीर्णक ...................... हेमचन्द्राचार्य .........
.... १४००/-........... ..... २४२ + २४३ ......१५०
आ पोथीमा २५ जेटलां पत्र छे. कथाकोश सटीक त्रूटक अपूर्ण ..........मू.क जिनेश्वरसूरि ...
१३०० ......१८५-३३९ J.... २४२ + २४३ .....१५०
आ पोथीमा लगभग १०० जेटलां पाना छे. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र अष्टमपर्व ..... हेमचन्द्रसूरि.
१४०० ...........२६२ ............२४४ .......१५०
पत्र १मां नेमनाथ भगवाननुं चित्र, मां नेमिनाथ चरित्रअपूर्ण ................
आचार्य शिष्यने वाचना आपे ते भावन सामान्य कलामय चित्र छे. १६०,२४,२५४
थी २५८ नथी. २४५ ... जंबूस्वामिचरित्र गाथाबद्ध ................ गुणपाल ............ १४०० ...........३२६ ............२४५
पत्र २६१ मुं नथी २४६... | त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र गधशांतिनाथ चरित्र पर्यन्त ................ विमलरारि ... ..सं............. १४०० ........... १६१ ............२४६ .......१५१
पत्र १५९ मुं नथी २४७.... द्वादशव्रतकथा गाथाबद्ध अपूर्ण ................. प्रा. ............ १३०० ........... १२१ ............२४७ .......१५१
पत्र ५१.५५.५७ थी ५९.६१.६३ थी ७०,
७३ थी ७५,७८ थी ८२,८४ थी ८८,९०,९३, .....................................................
१०१,१०३, १०७ थी १११,११३,११४.११६
नथी. पत्र ७२नो टुकडो छे. २४८ .... महावीरचरित्र गाथाबद्ध ................. नेमिचंद्रसूरि .......... |.. प्रा.र.११४१-ले.११६१ ...........१५७/............२४८
...... ३००० पत्र ४६.१०९ थी ११६, १२८, १४३, १७७ नथी २४९/१ अतिमुक्तकचरित्र ................... पूर्णभद्रगणि
सं.............. १२८२ ........१-२१
..........२४९
.....२११ २४९/२, धन्यशालिभद्रचरित्र ................... पूर्णभद्रगणि ......... सं.............. १२८५ ....... २२-१३८ ............२४९ ......१५१ २४९/३ - कृतपुण्यचरित्र ............... पूर्णभद्रगणि सं..१३०५-ले.१५०० ...१३९-२२१ ...२४९
प्रति कागळ उपर लखाएली छे.पत्र १६६मुं नथी. २५०.... आदिनाथचरित्र गाथाबद्ध पंचावसरमय वर्धमानसूरि.
प्रा.र.११६०-ले.१३३९ ........३६३ [..... २५०(१-२)
......११००० ११..... सुपार्श्वनाथचरित्र गाथाबद्ध अपूर्ण ...... लक्ष्मणगणि .... .............१४०० .........३०१ .....२५१(१-२)
प्रति २४३ सुधी व्यवस्थित तथा ते पछी
अव्यवस्थित अने केटलाक पानाना टुकडा छे १२....चंद्रप्रभस्वामिचरित्र गाथाबद्ध ............ यशोदेवसूरि .......... ..... प्रा. र.११७८-ले.११७८ ............१७८ .............२५२ .......१५३.
दशपर्वात्मक २५३ .... चंद्रप्रभस्वामिचरित्र पद्य ................ देवेन्द्रसूरि ............. सं.-............१३०० ...........२३९ .............२५३
पत्र १२.१६.१७.१९,७१.९३.१०१,१०२,१२९थी
१३८.१४१.१५७ थी १६१, १६७ थी १७०,१७४.
--१७६,१७८ थी १८१,२१३,२३१ नथी २५४ .... वासुपूज्यस्वामिचरित्र पद्य ............... वर्धमानसूरि
र.१२९९-ले.१३२७ .........३५९......२५४/१२)
.....१५४ ....... ५४९४ २५५... शांतिनाथचरित्र गाथाबद्ध............... देवचन्द्रसूरि. .. प्रा.र.११६०-ले.१३०० ...........३९७ ...... २५५(१-२) १५५/१५६/१९८ ......... १२१००-पत्र ३७७, ३७९ ना टुकडा छे. पत्र २९२ नथी|
......१५१
....... १४९०
६४००
......१५४
............
..........
.......
........................
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________________
पत्र संख्या
सी.डी.
गंधान
विशेष नोध
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक
ग्रंथतुं नाम २१६ .... मुनिसुव्रतस्यामिचरित्र पद्य पर्वत्रयात्मक पद्मप्रभसूरि. २१७ ... मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र पद्य पर्वत्रयात्मक पद्मप्रभसूरि . २५८ .... मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र पद्य पर्वत्रयात्मक पद्मप्रभसूरि
भाषा संवत्
सं.र.१२९४-ले.१३०४
सं.र.१२९४-ले.१४०० ..सं.र.१२९४-ले.१४००
झेरोक्ष
............स६ ......१९१ .........२२१ ,..... २५८(१-२)
१५६ .१५६
.....१५७
५५६८ ५५६८. पत्र ६.१४३ नथी.१ थी ५ नं ना पत्रो कागळ
पर लखेल छे. तेनी पर नंबर लखेल नथी. पत्र ९० थी २२१ पण कागळ पर लखेल छे. प्रति शुद्ध छे.
८०३२
२५९.... नेमिनाहचरिउ .....
बृहद्गच्छरीय हरिभद्रसूरि ..अप. ......१२१६.१३०० ...........३०४ ..... २५९(१-२) १५७/१५८ २६०/१ अरिष्टनेमिचरित्र (भवभावनावृत्त्यंतर्गत.) मलधारी हेमचंद्रसूरि ....... प्रा. .......११७०,१२४५ ...........२५५,..... २६०(१-२).......१५८ २६०/२ जिनदत्ताख्यान
सुमतिगणि
प्रा. ............. १२४६] ......२६५-२९४ ....२६० (१-२) .......१५८
...040
.....१५९
२६१.... पार्श्वनाथचरित्र ...
देवभद्रसूरि ........... पार्श्वनाथचरित्र किंचिदपूर्ण .............. माणिक्यचंद्रसूरि
............ १३०० ...........२२९ ..... २६१(१-२) सं.-............ १५०० ........... २९२ ..... २६२(१-२)
५१००
-पत्र २५६-२६४ सुधीना अंको लेखकनी भूलथी रही गया छे. पत्र ३४ मुं नथी.ग्रन्थकारनी प्रशस्ति अपूर्ण छ पत्र १५,१२६,२६९,२८५,२८६ नथी. पत्र ३३ | अने १२६ डबल छे. नवु लखेल १२६मां
पानानो संबंध बराबर जोडाय छे. ......१२०२५
.१०३००, अंत्य पत्रमा शोभन छे. .१०००० १३०००-पत्र १५२ थी १५६ नथी. ३६२० पत्र १०८ मुं नथी. ३६२० प्रशस्ति अपूर्ण छे ...... पत्र १६२, १८९ नथी १४६०. प्रशस्ति सह ग्रंथान १४९०
..प्रा.-..
२६३ .... | महावीरचरित्र गद्यपद्यबद्ध ............. गुणचन्द्रसूरि ......... .. प्रा.र.११३९-ले.१२४२ ..........३६३ ...... २६३(१-२) २६४ .... पउमचरियं गाधाबद्ध
विमलाचार्य प्रा..... ५३०-ले.११९८
..... २६४(१-२) २६५... समराइच्चकहा ..
हरिभद्रसूरि .......... ........ १२५०
२६५(१२) २६६ ... कुवलयमालाकथा .... दाक्षिण्यांक उद्योतनसूरि... प्रा....२.900-ले.११३९
२६६(१-२) २६७ ... विलासवईकहा .......
साधारणकवि
अप. २.११२३-ले.१४०० २६८... विलासवईकहा .........
साधारण कवि अप. र.११२३-ले.१४०० २६९...आवश्यकादिगतकथासंग्रह गद्यपद्य ..
............ १४०० २७०/१ धन्यशालिभद्रचरित्र ...
पूर्णभद्र ....
सं.र.१२८५-ले.१३०९
......१-१५६ २७०/२ कृतपुण्यचरित्र ........
पूर्णभद्र
........... १३०५ ......१५७-३२८ २७०/३अतिमुक्तकचरित्र ................. पूर्णभद्र
.......... १२८२ ...३२९-३१७ २७०/४ दशावकचरित्र गाथावद्ध पूर्णभद्र
.......... १२७५ ...३४८-३७८ २७०/५ दशश्रावकचरित्रचूर्णि
पूर्णभद्र
.... १३०९ ...३७८-३८४ २०१.... पृथ्वीचंद्रचरित्र.
शांतिसूरि ............ र.११६१-ले.१२२५ .....२६०...... २७१(१-२) २७२... प्रत्येकबुद्धचतुष्कचरित्र पद्य ..............लक्ष्मीतिलक ........ सं.र.१३११-ले.१४०० ....२७०.............२७२
...२५७
..७५०० ........१०१30
Page #80
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________________
३२
ग्रंथांक
२७३
२७४
२७५
| २७६
....
२७७
....
२८०....
प्रत्येकबुद्धचरित्र पद्य
२८१....
ग्रंथनाम
नरवर्मचरित्र सम्यक्त्वालंकार अपूर्ण
सामाचारि बीजकसह
अभयकुमारचरित्र
अभयकुमारचरित्र त्रूटक
२७८ ऋषिमंडलप्रकरण वृत्तिसह प्रथम खंड
२७९/१ आशापल्लीयउदयनविहारस्थजिनबिम्ब प्रद्युम्न सूरि
अवन्द्यत्वमतव्यवस्थापन
२७९ / २ आशापल्लीयउदयनविहारस्थजिन
-----
बिम्बावन्द्यत्वमतनिरास (अपूर्ण)
गणधर सार्द्धशतकप्रकरण
वृत्तिसह द्वितीय खंड
गणधरसार्द्धशतकप्रकरण वृत्तिसह
२८२....
२८३.... अणुव्रतविधि
तृतीयखंड
सुखबोधासामाचारी
कर्ता लक्ष्मीतिलक
वाचनाचार्य. विवेकसमुद्रगणि.
तिलकाचार्य चंद्रतिलकोपाध्याय
मू.क. जिनदत्तसूरि,
वृ.क. सुमतिगणि मू.क. जिनदत्तसूरि, वृ.क. सुमतिगणि श्रीचंद्रसूरि
भाषा संवत्
सं.
सं.
.
१४०९
सं. २. १३१२- ले. १५००
सं.
.प्रा.सं.
सं.
सं.
१५००
.प्रा.सं.
१५००
१५००
१३८०
१४००
१४००
.प्रा.सं. र. १२९५-ले. १४०० .. प्रा. १४०० ............ ११६९
1. प्रा.
पत्र संख्या
. २४८
. ३२४
१८८
. २२०
२९४
१९९
२-४२
४३-१४९
३१६
. ३९३
१११
७७
झेरोक्ष
, २७३
• २७४
.२७५
. २७६
.२७७
.२७८
. २७९
. २७९
२८० (१-२ )
२८१ २८२ + २८३ २८२२८३
सी.डी. . १६७
१६७
१६७
. १६७
.१६८
१६८ ...... १६८
. १६८
...... १६८
. १६९
. १६९
१६९
ग्रंथाग्र
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंध
पत्र ६३थी६५,६७,६९,७५,७७१७९,८३,८५, ८७, ९३.९५, ९७९८, १००, १०१,१३०, १११, १३०, १३१, १४५, १४९, १५३ी१५८, १८४६१८९ १९१,१९२, १९४, २०३, २११, २१३६२१५,२३३ | थी२३७, २४३, २४६, २४७ नथी. लगभग २० पानाना, टुकडा छे.
पत्र ३.२१थी२४,५४,६४,६५,७२,७५,८२,८६,८७, १३०,१३२, १४९,१५१, १६६, १९१,१९२, १९४. १९५,२००, २१३, २१४, २१९,२२० थी २२२,२२९, २३४, २३७,२४४,२६१,२६४,२६५,२६९,२७१, २७६, २७८, २७९,२८०, २८१,२८६, २८८,२८९. २९२,२९३,३०२थी३०४.३२३ पत्रो नथी. पत्र २३,५६,५७ नथी.
८९६४ पत्र २८,३४,५४,५५,१११,१४२, १४४,२०५ नथी. घणा पत्रोना टुकडा छे.
वचमां घणां पानां नथी. अने केटलांकना पत्रांको नथी.
पत्र ९७,१०७ नथी.
पत्र ३१,३२ नथी
पत्र ८५-८७,१३१ थी १३९, १४२, १४४ थी १४७ नथी. पट्टी उपर भूलथी पत्र १३० लखेल छे
१२१०५
१३११ पत्र १ थी ५,८१,९२ थी ९५,९७,१०३ नथी
१७००
.
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________________
| भाषा
संवत्
। पत्र संख्या
।
झेरोक्ष
ग्रंथान
विशेष नोंध
सी.डी. .......१६९ .......१६९
... १६००
.........,७२०
आ प्रतिना अक्षरो घसाई गया छे
.. १४०० ..........
.......१६९
पत्र १०७ नथी.
.....
१३०८ ...........
............२८६.......१७०
२८७...
. १४११|...........
F......१७०
...................२७०,...........
............. पत्र १८९ थी १९९ एक पत्र पर ज छे.
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम २८४/१/तपोटमतकुट्टनशत .................... जिनप्रभसूरि ......... २८४/२ तपोटर्षिमतखंडन स्वोपज्ञवृत्ति सह ...... गुणप्रभसूरि ...... २८५... कातंत्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्ति
विवरणपंजिका टिप्पणी सह ............ त्रिलोचनदास ... तद्धितपाद पर्यंत अपूर्ण कातंत्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका-आख्यातवृत्ति ............ त्रिलोचनदास कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका-आख्यातवृत्ति तथा
कृवृत्ति .................. ...त्रिलोचनदास ....... २८८/१ कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति ....... विवरणपंजिका-आख्यातवृत्ति ............ त्रिलोचनदास ....... २८८/२ कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति
| विवरणपंजिका-कृदवृत्ति .................. त्रिलोचनदास ....... २८९ ... कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति दुर्गपदप्रबोध प्रबोधमूर्ति गणि ..... २९०/१, कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति
पंचसंधिपर्यंत अपूर्ण. .......... विजयानंद .......... २९०/२ कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति
नामद्वितीयपादपर्यंत टिप्पणी सह ........ क.विजयानंद २९०/३/कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति- कारकप्रकरण विजयानंद ......
कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति
तद्धितप्रकरण पर्यन्त .................. विजयानंद ..........
पंचग्रंथी बुद्धिसागरव्याकरण ............. बुद्धिसागरसूरि ...... २९३ .... | सिद्धहमशब्दानुशासन बृहवृत्ति सप्तमाध्याय .......
... हेमचन्द्राचार्य........ २९४ ... सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहवृत्ति
आख्यातवृत्ति तथा कृवृत्ति ..
............ १४००/--.........१६४ सं.र.१३२८-ले.१४००..........
F......१७०
................. पत्र ५९.६०,१६० नथी
.... ७४९१
१२४५ -
...... २९०(१२)
२९०(१-२)
........... १२४५/
............ १४००.......... र.१०८०-ले.१३०० ...........
........२९१ ......
....... १७२......... ७००० - पत्र २०१,२४८,२५३ नथी
२१२...
सं.
............ १४००/-.......
.. १७३/१
हेमचन्द्राचार्य
............ १४०० ...........२७७ .............२९४ [..१७३/१
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________________
जिनमद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंच
भाषा
संवत
पत्र संख्या |
झेरोक्ष
|
सी.डी. |
... १४०० ...........२६५/- ...........२९५...१७३/२
-पत्र १५,२०,२५ नथी
९/१
१३००/.........५४-८६ . १३००......२०४-२४८
२९६...१७३/१
...१७३/१
६०,६२,८१ पत्रो नथी. पत्र २४८मां सरस्वती देवीनुं ऊभी मुद्रामा - सुंदर चित्र छे.
....
..........२९७ .......१७४ .......... १६७८पत्र ७४मुं नथी.
२९८.
.....१७४
ग्रंथाक ग्रंथनु नाम
कर्ता २९५.... सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहबृत्ति
तद्धितप्रकरण अपूर्ण .............. हेमचन्द्राचार्य ..... सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहवृत्ति
द्वितीयाध्याय तृतीयपाद ............ हेमचन्द्राचार्य, २९६/२ सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति- हेमचन्द्राचार्य,
तृतीयाध्याय द्वितीयपाद ........ २९७ ... सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति
पंचमाध्याय कृवृत्ति ............. ...... हेमचन्द्राचार्य सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति तृतीयाध्याय तृतीयपादथी पंचमाध्याय
चतुर्थपादपर्यन्त आख्यावृत्ति तथा कृवृति हेमचंद्राचार्य ... २९९ सिद्धहेमशब्दानुशासन लधुवृत्ति- ......... हेमचन्द्राचार्य ...
तद्धितवृत्ति अपूर्ण... सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति षष्ठ सप्तमाध्याय तद्धितवृत्ति टिप्पणीसह .... हेमचंद्राचार्य ...... सिद्धहेमशब्दानुशासन रहस्यवृत्ति
(सिद्धहेम लघुवृत्तिसंक्षेप)......... ३०२ .... सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुन्यास
(दुर्गपदव्याख्या) व्याकरण-चतुष्का
बचूर्णि षष्ठपाद पर्यन्त ................... कनकप्रभसूरि .. | ३०३/१४ धातुपाठ ३०३/२ विभक्तिविचार .............
स्यायंतप्रक्रिया .............. सर्वधरोपाध्याय ....... ३०५.... प्राकृतप्रकाश (अपूर्ण) ................. वररुचि
हैमलिंगानुशासन स्वोपज्ञविवरणसह .... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ. ३०७ .... हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसह ...... हेमचंद्राचार्य... ३०८.... | धातुपारायण.
हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
...१७४......... १६००
..-पत्र ९९ थी १३२,१३७,१४८.१४९.१५२.१५९ नथी|
पत्र ५२ अने ९३ डबल छे.
100
१३०० ...........१९८ ............३००
...१७४
..............
.../जिर्णप्राया छे.
301
१२१८/...........
............३०१
.......१७४
............३०२
...१७४......... २८१८
........... पत्र मुं नथी.
३०४..
.............
३०६ ...
..११
............३०५ ...........३०६
...........३०७ १८५ ..... ३०८(१.२)
......... पत्र २३ थी २८ नथी., जिर्णप्रायः छे. .. ३३८४
३००२ ..... ५५००-पत्र ६१ नथी.
..१७५ १७६/२१२
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ग्रंथान
विशेष नोंध
पत्र १९५.२०४,२२२ थी २२७ नथी. पत्र २६४नो टुकडो छे तथा पत्र ६६-६७ मेगा छे.
१४००
.......२३९
३१२
........३१२
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम
| भाषा संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. ३०९ ... हैम अनेकार्थकोश अनेकार्थकैरवाकर
कौमुदीटीकासह प्रथमखंड ...............मू.क.हेमचंद्राचार्य,
त्रिस्वरकांड १२६ श्लोक पर्यन्त ......... टी.क.महेन्द्रसूरि .........सं............. १४००/...........३३६ ............३०९ .......१७६ ३१०... हैम अनेकार्थकोश अनेकार्थकरवाकर- ...मू.हेमचंद्राचार्य, ............. सं. ............ १३००/...........२६४ .३१०.......१७७ कौमुदीवृत्तिसह
वृ.महेन्द्रसूरि ... द्विस्वरकाण्ड पर्यंत प्रथमखंड अपूर्ण ३११.... हैम अनेकार्थकोश अनेकार्थकैरवाकर- ...मू.क.हेमचंद्राचार्य, कौमुदीवृत्तिसह ......................... वृ.क.महेन्द्रसूरि .........
......१७७ त्रिस्वरकाण्ड द्वितीय खंड हैम अनेकार्थकोश अनेकार्थकैरवाकर- मू.क.हेमचंद्राचार्य, कौमुदीवृत्तिसह तृतीयखंड ............ वृ.क.महेन्द्रसूरि ... .......... सं. ............ १२८६ ...........१३४
.......१७७ चतुःस्वरकाण्डं से अंत पर्यंत ३१३/१ अभिधानचिंतामणिनाममाला
स्वोपनवृत्तिसह चतुर्थकांड. .........., हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ ........ ३१३/२अभिधानचिंतामणिनाममाला स्वोपज्ञवृत्तिसह पंचमषष्ठकांड हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
१३०० ............ ३१४/१/ जयदेवछंदःशास्त्र.
जयदेव ...
.. १९९० ३१४/२/जयदेवछंदाशास्त्र वृत्तिसह ...............मू.क.जयदेव, वृ.क.हर्षट |..
१३००/- ....१-५५ ३१४/३ | कइसिट्ठछंदःशास्त्र प्राकृत गाथाबद्ध .... विरहाङ्क ...
५६-८९ ३१४/४ कइसिवछंदाशास्त्रवृत्ति . भट्ट गोपाल.
.... १३००
९०-१८३ ३१४/५/ छंदोनुशासन .........
............ ११९२ ३१४/६ वृत्तरत्नाकर .............. ............. भट्ट केदार ....
........... १४००..
........... छंदोनुशासन स्वोपज्ञ
छंदवूडामणिवृत्तिसह ................. हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ ....... ३१६/१, कल्पलताविवेक (कल्पपल्लवशेष) तृतीयपरिच्छेद अपूर्ण पर्यत ....
.. १३००... .......२५९ कल्पलताविवेक (कल्पपल्लवशेष) चतुर्थ परिच्छेद ..............
... १३००...........१४८.............३१६ .......१७९
......... २६३० - पत्र १२७मुं नथी
.... ११२०/पत्र ६५.६६ नथी.
.... १०
जयकीर्तिसूरि
.......२८
.... पत्र १० मुं नथी
३१५...
१४९०
.....४१००
........३१६
पत्र ७ थी ९.१७ नथी.
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.
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________________
भाषा
संवत् । पत्र संख्या
१२०५ ...........३८९ १२१६ ............९०
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग _ग्रंथान
विशेष नोंध .३१०(१-२).......८०
..........६५००/अंत्य पत्रमा शोभन छे. .......३१८
......१८१ .............. पत्र १७,८७ नथी. जीर्णप्राया छे.
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता ३१७.... कल्पलताविवेक (कल्पपल्लवशेष) ......... ३१८ ... काव्यमीमांसा (कविरहस्य).............. राजशेखर ............. ३१९ .... काव्यादर्श (काव्यप्रकाशसंकेत) सप्तम उल्लास पर्यन्त.
सोमेश्वर भट्ट ३२०.... काव्यादर्श (काव्यप्रकाशसंकेत).......... सोमेश्वर भट्ट ......... ३२१ .... काव्यप्रकाशअवचूरि ...............
................
१४००,
१२८३/.... १४००/
...........५३
.........३२१
......१८१
पत्र १ नो टूकडो, ८.११,१६,१९,२९, ३३, |३७,४१,४३ नथी .
३२२... काव्यप्रकाश टिप्पणीसह,
राजानक मम्मट्ट अने अलक राजानक मम्मट ....... अने अलक ...
............ १२१५/ ..........१७८ .. ३२२ थी ३२४......१८१ ............ १४०० ..........१३९ .. ३२२ थी ३२४
३२३ .... काव्यप्रकाश ............
३२४.... काव्यप्रकाश अवचूरि ३२५...! व्यक्तिविवेक काव्यालंकार.
.......... १४००
.....१८१
राजानक महिम
.......... ९२..३२२ थी ३२४ ........... १३००/...........१९८ .... ३२५ + ३२६
......१८२
वचमा वचमां थईने ९० जेटला पानां नथी.
जीर्ण छ. ........ १२५० - प्रथम पत्रनो टूकडो छे.
पत्र २.३.५,६,८,१९,२०,२३, ३१,३४,३७,३९, ४१,४४.४८ थी ५०.५३.५७.६४ थी ६६,७१, ७८.८० थी ८२.८६.९१.९२.९४.९५,१०४, |११२,११५.११८.१२२.१२८.१२९.१४७. --१४९,१५०,१८०,१९० नथी.
.
.......
....१८२
११६१ १३०० १३००
.... ३९ /....३२५ + ३२६
.....३२५ + ३२६ .... ३२५ + ३२६
...१८२
गा.१३४
.........४५०
१३०० ...
३२६/१, काव्यादर्श तृतीयपरिच्छेद पर्यन्त ........दंडी कवि ३२६/२, अलंकारदर्पण ३२६/३/काव्यादर्श तृतीयपरिच्छेदटिप्पनक ३२७ .... वक्रोक्तिजीवित (काव्यालंकार)
सटीक (टक अपूर्ण .................... कुत्तक कवि...... ३२८... वक्रोक्तिजीवित (काव्यालंकार) सटीक अपूर्ण ....
कुत्तक कवि............ ३२९... उद्भटकाव्यालंकारलपुवृत्ति. वृ.क.प्रतीहारेदुराज .....
उद्भटालंकारलघुवृत्ति ............. वृ.क.प्रतीहारेंदुराज .... ३३१.... अभिधावृत्तिमातृका
भट्ट मुकुल
............३२७
...... प्रति आखी भांगी गएली अने अतिजीर्ण छ
।
१४००/...........३०० ११६०/............८६ १४००........... १४२ १४०० ............३१
३३०....
............३२८
.....३२९ ............३३० ....३३१ + ३३२
१६३९ पत्र २७मुं नथी. १६३९ .५१४
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________________
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
३३२....
रुद्रटालंकारटिप्पनक तृतीयाध्यायथी पंचमाध्याय पर्यंत.
वामनीय काव्यालंकार स्वोपज्ञवृत्ति. टिप्पणीसह
३३३
| ३३४ ... ३३५
३३६
www.
ted
... द्वयाश्रयमहाकाव्य वृत्तिसह द्वितीयखंड सर्ग ६-१२ मासर्ग पर्यन्त कविरहस्य सटीक (कविगुह्यकाव्य अपरनाम अपशब्दाभास कूटकाव्य सटीक ) भट्टिकाव्य (रामकाव्य ). भट्टिकाव्य वृत्ति सर्ग ८ थी १५ पर्यन्त द्वयाश्रयमहाकाव्य वृत्तिसह तृतीयखंड... १३ मा सर्गथी संपूर्ण.
नैषधचरितमहाकाव्य ( शशांक संकीर्तन
महाकाव्य) नैषधचरित्रमहाकाव्य
३४२....
३४३ नैषधीयमहाकाव्य साहित्यविद्याधरीटीका प्रथमखंड द्वादशसर्ग पर्यंत
३३७....
--------
३४१
३३८.... ३३९.... ३४०....
********
www.
रघुवंश महाकाव्य द्वयाश्रयमहाकाव्य वृत्तिसह प्रथमखंड पंचम सर्ग पर्यन्त.
३४४....
३४५....
कर्ता
श्वेतांबर ( नमिसाधु) वामन स्वोपज्ञ
३४६/१ विक्रमांककाव्य टिप्पणीयुक्त
३४६/२ घटकर्परकाव्य.
१. वि.सं. १३७८ में मूल्य देकर खरीदी गई थी ।
महाकवि कालिदास.
मू.क. हेमचंद्राचार्य.. वृ.क. अभयतिलकगणि
मू.क. हलायुध,
टी.क. रविधर्म
विद्याधर पंडित
नैषधीयमहाकाव्य साहित्यविद्याधरीटीका विद्याधर पंडित द्वितीयखंड १३ सर्गथी चालु अपूर्ण.
......
मू.क. हेमचंद्राचार्य,
वृ.क. अभयतिलकगणि .सं.
सं.
श्रीहर्षकवि श्रीहर्षकवि
नैषधचरित्रमहाकाव्य
साहित्यविद्याधरीटीका चतुर्थसर्ग पर्यत विद्याधर पंडित
बिल्हणकवि.
भाषा
सं.
सं.
भट्टि कविवल्लभीवास्तव्य सं. वृ.क. पंडित अनिरुद्ध.... सं. मू.क. हेमचंद्राचार्य,. सं.
..
वृ.क. अभयतिलकगणि
सं.
. १५०० सं. १३१२- ले. १४००
सं. सं.
सं.
.सं.
सं.
सं.
संवत्
. १२०६
. १३००
१३१२-ले. १४०० . १२१६
****
१४००
. १३०० ,१३१२, १४००
• खरीदी- १३७८
. १४००
. १४००
१४००
१४००
पत्र संख्या
४६
१२०
२३० २९७
. ३००
७४
. १४४
१८९-४१५
. २७३
३१७
३४९
31919
1919
झेरोक्ष
.....३३१ + ३३२
.३३३
. ३३४
.३३५
.३३६
.३३७
.३३८
. ३३९
. ३४०
.३४१
. ३४२
- ३४३
. ३४४
INFOR
.६-२१८ • ३४५ ३४६ . १५८ ....३४५ + ३४६ .२... ३४५ + ३४६
सी.डी.
. १८२
... १८३
१८३
. १८३
. १८३
१८३
. १८६
१८६
१८७
. १८७
ग्रंथाग्र
. १८८ १८८
. १८८
विशेष नोंध
. १८४
१८४
१८५ सर्व ग्रं. १७५७४ पत्र २७३ मां जिनेश्वरसूरि अने सा.
विमलचंद्रनुं चित्र छे. पत्र २०८मुं नथी.
| उंदरे करडेली पोथी. मध्यम स्थिति छे. पत्र ७,३१ नथी.
२५४५
का. २१
१४०० अंत्य पत्रमां सुंदर शोभन छे. जीर्ण | स्थितिमां छे.
अंत्य पत्रमां शोभन छे.
पत्र १ मां भ. पार्श्वनाथनुं चित्र अने पत्र २ मां हेमचंद्रसूरि तथा अभयतिलकगणिनुं चित्र छे. पत्र ५०मुं नथी.
३७
पत्र २७७ नथी.
पत्र १८३,२०५ नथी.
वचमां घणां पाना नथी, त्रूटक छे. पत्र १,
५ थी ७,१२,१३,२० श्री २३,२८,२९, ६१, ६३, ६५.६७ थी ६९,७१,७३ थी ७५ नथी.
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________________
३८
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध । का.३८ ... का.५२
का.६९ का.५५ का.२३
.............
...........
-पत्र १५ थी ३१ नथी.
-पत्र ३२ थी ३८ नथी.
| ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता
संवत - पत्र संख्या | झेरोक्ष | सी.डी. | |३४६/३ मेघाभ्युदयकाव्य .....
............३.६ ..... ३४५ + ३४६ .......१८८ |३४६/४/ वृन्दावनमहाकाव्य ................... मानांक कवि
.......६१० ....३४५ + ३४६ .......१८८ |३४६/५- मधुवर्णनकाव्य .................... केलिकवि..
.१०-१५ .... ३४५+३४६ ......१८८ ३४६/६ विरहिणीप्रलापकाव्य (षड्ऋतुवर्णनकाव्य) केलिकवि .
.१५-१८.....३४५+३४६ ......१८८ ३४६/७३ चंद्रदूतकाव्य........
१३४३/....... ..१८-२०.....३४५+३४६ ......१८८ ३४७/१२ वृन्दावनकाव्य सटीक ................... मू.क.मानांक, टी.क.
शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय .. सं. १२१५/..........१-३१,....३४७ + ३४८ १८८/२१२ ३४७/२ घटकर्परकाव्य सटीक
टी.क.शांतिसूरि पूर्णतल्लगलीय ............. सं...
.....३२-४२ /.... ३४७ + ३४८ | १८८/२१२ ३४७/३ / शिवभद्रकाव्य सटीक .............. मू.क.शिवभद्र कवि, टी.क. शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय .. सं.
..४३-८७.....३४७ + ३४८ १८८/२१२ ३४७/४ मेघाभ्युदयकाव्य सटीक
टी.क.शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय ............. सं.
...८८-११४ ..... ३४७ + ३४८, १८८/२१२ ३४७/५/ चंद्रदूतकाव्य सटीक ............... मू.क.जंबूनाग, टी.क. शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय .. सं.
..११५-१३२.....३४७ अ३४८ १८८/२१२ ३४७/६ - राक्षसकाव्य सटीक जिनचन्द्र ...............
......१३३-१४६ ..... ३४७ + ३४८, १८८/२१२ ३४७/७ घटकर्परकाव्य सटीक .............. टी.क.पूर्णतल्लगच्छीय शांतिसूरि
.३९-५३ ..३४७ + ३४८ ૧૮૮ર૧ર ३४८ .... वासवदत्ता आख्यायिका टिप्पणी सहिता सुबंधु महाकवि..........
१२०७ ............ ४७ ..... ३४७ + ३४८ ...१८८ ३४९.... चक्रपाणिविजयमहाकाव्य
लक्ष्मीधर भट्ट
१४००/..........
+ ३५० ३५०... शब्दभेदप्रकाश नाममाला किंचिदपूर्ण...
१४०० ............ ३६
+ ३५० ३५१.... निर्वाणलीलावतीमहाकथाउद्धार (लीलावतीसार) पद्य .................... जिनरत्नसूरि ............
..........३५१ ३५२ ... लीलावतीकथा गाथाबद्ध
महाराष्ट्रीय देशीभाषामय ................ भूषणभट्टपुत्र कुतूहलकवि.. प्रा. ............. १२६५ ...........१४३,.... ३५२ + ३५३ ......१८९ ३५३ ... अपभ्रंशकाव्यत्रयी बेटक ..........
..अप.
...........१०७/....३५२ + ३५३ ......१८९ ३५३/१चर्चरीरासक सटीक .................... भू.क.जिनवल्लभगणि, ............................................. टी.क. जिनपाल ........ अप.सं ...........१२९४ ..........१-३७.....३५२+३५३-......१८९
...............
१३४१,१४०० ...........
आ पोथी कागळ पर लखेली छे.
... पत्र ३७मुं नथी.
पत्र १७,२०,२२,२४ नथी.
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________________
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथनुं नाम ३५३/२ धर्मरसायनरासक सटीक...
ग्रंथांक
कर्ता
भाषा
ग्रंथान
संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ...........
१४००.........३८ थी .... ३५२ + ३५३ ......१८९
अप.सं
विशेष नोंध पत्र ६१,६२,६५.६८,७०,७१,७३,७४.७६७८ थी ८१, ८३ थी ८७,८९.९४.९६ थी १०३, १०५ नथी.
१३१४
+
१६-१६५ ........७३
+
... १३५० ......९००
जयसिंहसूरि .....
१८०, का.७७
अंत्य पत्रमा शोभन छे.
१३००
३५४ .... गउडवहोमहाकाव्य सटीक ............. मू.क.वाक्पतिराज,टी.क. .............................भट्ट उपन्द्रहारपाल भट्ट उपेन्द्रहरिपाल ......प्रा.सं.........
.......२४८,....३५४ + ३५५ ३५५ .... अनर्घराघवनाटक ....................... मुरारि कवि........... -प्रा.सं..
.......१६९ ....३५४ + ३५५ ३५६ ... अनर्घराघवनाटक टिप्पनक ............ मलधारी नरचंद्रसूरि ....... सं. १४००
........३५६ ३५७/१, मुद्राराक्षसनाटक टिप्पणी सह .......... विशाखदेव ................प्रा.सं.
.... ३५७+ ३५८ ३५७/२ प्रबोधचन्द्रोदयनाटक टिप्पणी सह ...... कृष्णमिश्र ............. .प्रा.सं. १३१८ ३५८.... वेणीसंहारनाटक ........................ भट्ट नारायणकवि.... .प्रा.सं. ३५९/१४ हम्मीरमदमर्दननाटक
जयसिंहसूरि
प्रा.सं ३५९/२१ वस्तुपालप्रशस्ति ..................... ३५९/३/वस्तुपालस्तुतिकाव्य ३६०... नागानंदनाटक ......................... श्रीहर्षकवि..
प्रा.सं. ३६१... चंद्रलेखाविजयप्रकरणनाटक ............ देवचंद्रमुनि हेमचंद्रशिष्य ..प्रा.सं.
..........२०३ ....३६१ + ३६२
....... ३६२... अनेकांतजयपताका टिप्पनक ......... मुनिचंद्रसूरि.
११७१ ...........१३१ .....३६१ + ३६२ ३६३.../सन्मतितर्कप्रकरण तत्वबोधविधायिनी...मू.क.सिद्धसेन दिवाकर, [.प्रा.सं............. १२००/.........२-२५२ वृत्ति सह द्वितीयखंड किंचिदपूर्ण ....... वृ.क.अभयदेवसूरि .....
तर्कपंचानन ३६४/१/न्यायावतारसूत्रवृत्ति टिप्पणी सह ........ वृ.क.सिद्ध साधु, टि.कत्री ज्ञानश्री आर्यिका ............ सं.
.१-१३७ ३६४/२न्यायबिंदुवृत्ति टिप्पणी सह ............
धर्मोत्तर ....
..................१३७-२४५ न्यायप्रवेशवृत्तिपंजिका ... पार्श्वदेवगणि
............ २४५-३४७ ३६४/४ न्यायावतारसूत्र ...
सिद्धसेन दिवाकर ..........
.................३४८-३५० ३६४/५ न्यायबिंदु
दिग्नाग आचार्य, ........सं. .... १४९० ......३५०-३५९ |३६५... न्यायकंदली टीका अपूर्ण .... श्रीधर भ ट्ट ................ ............. १३०० ...........३८७ ३६६/११द्रव्यालंकार सटीक द्वितीयपरिकद ...... रामचंद्र-गुणचंद्र स्वोपज्ञ ..... सं..
१९७
पत्र १०६,११६,११८,१२३, १३३,१४४, १४८. १७०,१८१ नथी.
पत्र १.८.१५,२२,७६,१०९,२३० थी २३३ नथी लीपी विशेष प्रकारनी छे.
३६४/३
विशेष प्रकारनी लीपी छे. ...पत्र ९१.९२, १२८ नथी
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________________
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान ।
विशेष नोंध
| प्रथाका
सी.डी.
१९२ ...१९३
१९३ १९३ १९३
पत्र १३८ मुं नथी
.३६१
..... पत्र २२२,२२३ नथी. ...... १३०० पत्र ८७ थी ९३ नथी ........ १३००. पत्र १ थी ४.६.७.३०,४४.५४.७५ नथी.
अंतनां ५ पत्र अति जीर्ण छे.
१९३
३७२...
१३००
.. १२००
जीर्ण स्थिति छे.
.....१९३
...१९८
ग्रंथर्नु नाम
भाषा संवत् । पत्र संख्या | झेराक्ष ३६६/२ द्रव्यालंकार सटीक तृतीयपरिच्छेद ..... रामचंद्र-गुणचंद्र स्वोपा ..... ........ १२०२ ...........११३ ३६७/१ प्रमाणमीमांसा स्वोपज्ञ टीका सह ....... हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ .......
...............१-१११ ३६७/२परीक्षामुखसूत्र
......११२-११९ ३६७/३/ सर्वज्ञसिद्धि ............................. हरिभद्रसूरि ...
१५०० ...१२०-१३९ ३६८ .... | रत्नाकरावतारिका रत्नप्रभाचार्य
......२६१ ३६९...प्रमालदमलक्षणसटीक......... बुद्धिसागरसूरि ३७०... धर्मोत्तरटिप्पनक मल्लवादी आचार्य....
.. ९४.. ३७० थी ३७४ धर्मोत्तरटिप्पनक ....................... मल्लवादी आचार्य ..........
शांतिसूरि ३७३... सर्वसिद्धांतप्रवेश (पउदर्शनसमुच्चय जेवो गद्य ग्रंथ) ...
.......... १७.. ३७४ .... न्यायप्रवेश ..............
दिङ्नाग आचार्य.
............ १३०० ............११,.. ३७० ३७५/१ न्यायप्रवेशसूत्र दिङ्नाग ..
.....१-१७ .........३७५ ३७५/ २सर्वसिद्धांतप्रवेश..
....१७४१ ३७५/३/न्यायप्रवेशटीका ... हरिभद्र आचार्य
.......४२-१३४ ३७६/१ न्यायबिंदु (लघुधर्मोत्तरसूत्र) .......... धर्मकीर्ति आचार्य
........... ३७६/२न्यायबिंदु टीका ......
धर्मोत्तरपाद आचार्य ...... ........... १३०० ३७७ ... तत्त्वसंग्रहसूत्र .............
शान्तरक्षित ............ ............ १२०० ३७८ ... तत्त्वसंग्रहपंजिकावृत्ति कमलशील आचार्य .......... ............१२००
... ३७८(१-२) ३७९ ... न्यायकंदलीटीका
श्रीधर भट्ट ................ ..र-९१३,ले-१४०० ३८०.... न्यायकंदलीटीका ... श्रीधर भट्ट ...........----- ..र.९१३-ले.१३००/- ........२३९
........३८० ३८१/१ न्यायकंदलीटिप्पनक.............. -नरचंद्रसूरि मलधारी
...........३८१/२ न्यायावतारटिप्पनक ....
मलधारी देवभद्रसूरि
हर्षपुरीयगच्छ .......... सं.............. १४८९ ......१६५-२३० ३८२... न्यायवार्तिक ................ उद्योतकर..........
सं............. १४००.........२-१५५ ....३८२ + ३८३ ३८३/१४ प्रशस्तपादभाष्य पदार्थधर्मसंग्रह अपूर्ण ... प्रशस्तपाद ......
........... १२०० .......... २३ ....३८२ + ३८३ ३८३/२, न्यायकन्दलीटीका अपूर्ण ...............श्रीधर भट्ट ....... ..२.९१३-ले.१२०० ............ ....३८२+३८३
...१२०१
.११७
१९८
१९४
१४७७ .... ३९९७ - पत्र १८६ मुं नथी
पत्र ६१,११३.३०२,३११ नथी ....... ३७१६ ...... ३७१६
१९५
"--.......१-१६४
.१९६
....१९६ ......१९६
बचमा वचमां थईने लगभग अर्धाअर्ध पानां नर्थी विशेष प्रकारनी लीपी छे. पत्र ८५ मुं नथी
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________________
_ भाषा
संवत्
पत्र संख्या ।
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथान
विशेष नोंध
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कतो ३८४ .... खंडनखंडखाद्यशिष्यहितैषिणीवृत्ति .........टिप्पणीयुक्त ............ ३८५.... खंडनखंडखाद्य....
........श्रीहर्ष............. ३८६ .... न्यायमंजरीग्रंथिभंग ...................... चक्रधर .............
........... १३००............१८१ ............३८४
१२९१/ १३००...........१८६ .... ३८६ + ३८७
...........२६१
...१९१०
....१९६ ..........७०२५ - प्रति शुद्ध छे. .१९६
-पत्र २ थी ५.१०.३३,३४,१०२,१०३.११०,११५. १२२,१२९ थी १३३,१३५,१३६,१३८,१३९, १६८ थी १७२.१७८,१८१ नथी. पत्र १३४ टूकडो छे. पत्र १२० डबल छे.
......सं.
.........५१ ........५१-९७
.........१११४
....३८६ + ३८७ ....३८६ + ३८७
........३८८
..१९७
३८७/१, शाबरभाष्य प्रथम अध्याय .......... ३८७/२, प्रमाणान्तर्भाव ..............
देवभद्र तथा यशोदेव ....... सं. ३८८/१, इष्टसिद्धि वृत्ति सह अपूर्ण .. ........... परमहंस विमुक्तात्माचार्य ... सं.
स्वोपज्ञ ३८८/२. भगवद्गीता भाष्य सह ................... भा.क.शंकरस्वामी .......... ३८९ .... गौतमीयन्यायसूत्रवृत्ति .............. ३९०.... भाष्यवार्तिकवृत्तिविवरणपंजिका ......
द्वितीयाध्यायथी पंचमाध्याय पर्यत ....... अनिरुद्ध पंडित ............ ३९१/१, सांख्यसप्ततिकाभाष्य ...................गौडपाद ..........
१२००/.. ..........१३० ... १२०८ ..........१२४
पत्र १२९.१३० मा शोभन छे. पत्र १२३ मा शोभन छे.
......१९७
-......१९८
... १३००/...........११७
१२०० .......१२-८३
.....
३९१/२ सांख्यसप्ततिकाटीका-सांख्यतत्वकौमुदी. वाचस्पतिमिश्र ............
....................९०-१८४
..........३९१
पत्र १ थी ११, ३६ थी ४०,४२,४३,४५ थी ४७,४५/ ६६ थी ७५.८२ नथी पत्र ९३-९४.९६-९८.१०१-१०४.१०७,१०९.
|११६-१३० नथी आ.७२ आ.७२ ......... पत्र ८० मां शोभन छे.
१२००
१९९
३९१/३१ सांख्यसप्ततिका.
ईश्वरकृष्ण ३९२/१ सांख्यसप्ततिका ...........
ईश्वरकृष्ण ३९२/२ सांख्यसप्ततिटीका-सांख्यतत्त्वकौमुदी..... वाचस्पतिमिश्र.. ३९२/३ सांख्यसप्ततिकाभाष्य ..
गौडपाद .......... ३९३ .... सांख्यसप्ततिका वृत्तिसह ...........
...........३९१ ....३९२ +३९३ ....३९२ + ३९३ ....३९२ + ३९३ ....३९२ + ३९३
.८५५
..१९९
१३०० . पत्र ५७.५८,६० थी ६३.६६ थी ७४,७६ थी
७९ नथी. ७०मां पत्रनो टुकड़ों छे. अंत्य पत्रमा शोभन छे.
१२००
३९४ .... सांख्यसप्ततिका वृत्तिसह ...............
....मू.क.ईश्वरकृष्ण ३९५/१४ पातंजलयोगदर्शनभाष्य वृत्ति ............ वृ.क.वाचस्पतिमिश्र ........
...........१०२.....३९४+३९५
...१-१६०,....३९४ + ३९५
.... १९९ ......२००
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ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम ३९५/२, पातंजलयोगदर्शनभाष्य किंचिदपूर्ण ......भा.क.व्यासर्षि
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग भाषा संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. | प्रधान
विशेष नोंध .. सं. ............. १२०० ......१६१२१७ /.... ३९४ + ३९५ ......२०० .................. पत्र १,३४,६६ थी ७३,८५,९५,१०५,१२५,
१२६,१३०,१३३.१३६थी१४०,१४३,१४४,१४९. १५२,१६६,१८०,१८२,१८९,१९२,१९३.
२०५.२०७.२११,२१२ नथी ............३९६ .......२००
पत्र घणा नथी तथा अस्तव्यस्त अने टुकड़ा थएल छे जीर्ण अस्तव्यस्त पानां छे
३९६/१, सुपार्श्वनाथचरित्र (सुपासनाह चरिय) .....
.........
चुटक पानां
१३००
.....३९७ +
का.२५
१३००
....३९७
S
R
१४००
३९६/२ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र अने वृत्ति .............. ३९६/३ | कल्पलघुभाष्य ...... ३९६/४ कल्पचूर्णि .................. ३९७/१, प्रत्यंगिरास्तोत्र संपूर्ण ३९७/२ सुभाषितषट्पंचाशिका... ३९७/३ भक्तामरस्तोत्र ........................ मानतुंगसूरि. ३९७/४ श्वानशकुनावलि ३९७/५ श्रावक विध्युपदेश . ३९७/६ - ज्ञाननमस्कार ...... ३९७/७ - ज्ञानस्तोत्र ३९७/८ ज्ञानलवणादिवृत्तानि ३९७/९ झानपरिधापनिकावृत्त .. | ३९७/१० पच्चक्खाण ........... | ३९७/११ गृहप्रतिमास्नात्रविधि ३९७/१२ सर्वजिनस्तोत्र ३९८ .... अर्थशास्त्रवृत्ति ................
पप्प
दश ..............
१४००
.... ३९७ + ३९८ ....३९७ + ३९८
.....३९७ + ३९८ ....... ..... १७४मु.....३९७ + ३९८
.....१७४-१७५.....३९७+३९८ ...१७५-१७६ + ३९८
.... १७६१ .....३९७ + ३९८ .....१७७-१७८ ... ३९७ + ३९८
... १७८मु ....३९७ + ३९८ .. १५०० ..... १७८९ ३९७ + ३९८
१४०० .........१२-८८ .....३९७ + ३९८
का.१३
-आ प्रतिनां छूटक छूटक बर्धा मळीने ३२ पानां छे पत्र ३९. ९७, १५५ नथी.
महाराजा भोजदेव ..
१२०० ............. ३... ३९९ थी ४०१
३९९ ... शृंगारमंजरी. ४००/१, सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण........ सार्द्धशतकप्रकरण ....... ४००/२ श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरण ......... ४००/३ श्रावकविधिप्रकरण........
जिनवल्लभगणि... हरिभद्रसूरि
१२०० ........ पत्र ११,..३९९ थी ४०१ १३०० .............८.३९९ थी ४०१ . १३००............. ४... ३९९ थी ४०१
गा.१५१ . पत्र जु नथी .........गा.७७
...गा.२२
...२००
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________________
का
भाषा
।
विशेष नोंध
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम ४००/
४ ओमकारपंचाशिका अपूर्ण .............. ४००/५- सुभाषितपद्यसंग्रह ... ४०१... दशवकालिकलघुवृत्ति अपूर्ण
संवत् । पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी. | ग्रंथान ............ १३००/............. ५... ३९९ थी ४०१ ......२०० श्लो. ३९ पर्यन्त
..................३... ३९९ थी ४०१ ......२०० ............ १४०० ...... पत्र २५२ .. ३९९ थी ४०१ -......२००
सुमतिसूरि
४०२ ...तिलकमंजरी ............................ धनपाल ..
............ ११३०
.............४०२ ..२०१-२०२
आ प्रतिमा बधां मळीने अर्धा उपरांत पानां नथी. जिर्णप्राय मध्यम छे. अतिजीर्ण अने टूकड़ा थयेला पानां छे, सीडी नं.२०१-२०२ एकज सीडीने अपायेल नंबर छे.
AAAAAA
४०३ .... उपभितभवप्रपंचाकथा प्रतित्रिकपुष्पिकात्रिक आदि
...४०३.२०१-२०२ ४०३/१, प्रथमप्रतिपुष्पिका ...
... १३०५
....४०३ -.२०१-२०२ ४०३/२ द्वितीयप्रतिपुष्पिका
१३०५
............४०३ - २०१-२०२ ४०३/३ तृतीयप्रतिपुष्पिका
१३०५
............४०३, ४०३/४ प्रकीर्णकपत्रगता पुष्पिका
१३४८
.........४०३.२०१-२०२ ४०४ .... योगशास्त्र स्वोपन्नटीकासह ............ हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ .....
१३४३ ..........३१८ ..... ४०४(१-२).......२०३ ४०५.... स्याद्वादरत्नाकर प्रथमखंड
वादी देवसूरि स्वोपज्ञ ...... सं. .. १३०० ......३७३ ..... ४०५(१-२).......२०४ ......१६००० ४०६ .... मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र गाथाबद्ध ...... श्रीचंद्रसूरि
.. प्रा. ... र.११९३,११९८/...........३७९ ..... ४०६(१-२).......२०५ .....गा.१०९९४ ४०७/१, पंचकल्पमहाभाष्य......
संघदासगणि क्षमाश्रमण.. ..प्रा. ...........................१-१०६ ...........४०७-२०६/२०७ ३२१८,गा.२५७४ ४०७/२, पंचकल्पचूर्णी .............
.. प्रा. ............ १३०० ......१०७-२०१ ............४०७ २०६/२०७ .......... ३१२५ ४०८ .... हरविजयमहाकाव्य ................ रत्नाकरकवि
वागीश्वराङ्क .............. ........ ... १२२८ ........... १०७ .............४०८ २०६/२०७ ४०९ .... वसुदेवहिंडी प्रथमखंड .............. संधदासगणि वाचक ....... प्रा. १२२८ ........... १५८ .........४०९ ....२०६ ४१०/१ दशकालिकसूत्रचूर्णि
स्थविर अगस्त्यसिंहसूरि ... प्रा. .....................१८४/..... ४१०(१-२) ......२०७ ४१०/२ नंदीसूत्रचूर्णि
जिनदासगणि महत्तर ......
..५१८ ......१८५ ..... ४१०(१-२) ४१०/३ अनुयोगदारसूत्रचूर्णी .............. जिनदासगणि महत्तर ....... प्रा. ... १३००/......२२४ ..... ४१०(१-२) ४११.... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य अष्टमपर्व नेमिनाथचरित्र ................ हेमचंद्राचार्य ..............
१३०० ...........१६१
............४११ ४१२ ... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य दशमपर्व महावीरचरित्र .................. हेमचंद्राचार्य ......
.............४१२ २०९
१२००
-२२३ ‘રાષ્પ
१३००|...........१७१
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________________
.......
जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथाका प्रथन नाम | भाषा संवत पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नाँध |४१३/१स्कंदपुराण उत्कलखंडगत पुरुषोत्तम माहात्म्य पूर्वार्द्ध २०मा अध्याय पर्यंत ..
.. सं. ............. १९१०..........१-८५ .............४१३-......२०९ ................ २० मा अध्याय पर्यत |४१३/२ स्कंदपुराण उत्कलखंडगत पुरुषोत्तममाहात्म्य उत्तरार्द्ध ......
............ १९१०.......८६-१६५
......२०९
|२१ मा अध्यायथी संपूर्ण ४१४ .... अंगविज्जा प्रथमखंड ३१ अध्यायपर्यंत .
..... १४०० ...........२९९
.......२०९ ४१५/१, पंचाशकप्रकरण..
हरिभद्रसूरि ......... ..................१-५४
......२१० ..गा.१००० ४१५/२ कर्मप्रकृतिसंग्रहणी ...शिवशर्मसूरि .....................५४-७८
...... गा.४७५ ४१५/३/आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरणप्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथ .............. जिनवल्लभगणि...
.७८-८३
L......२१० ४१५/४/ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणसार्धशतकप्रकरण.................. जिनवल्लभगणि.
.८३-९०
गा.१५० ४१५/५ बृहत्संग्रहणीप्रकरण ................... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ..
........९१-१२०
...२१०
....... गा.५१४ [४१५/६ प्रवचनसंदोह ................
.१२९-१३८ ४१५/७ कर्मस्तवकर्मग्रंथ-प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ..
.....१३९-१४२
......२१० ४१५/८ कर्मविपाककर्मग्रंथ-प्राचीन प्रथम कर्मग्रंथ गर्षि .
...१४२-१५१
....२१० ४१५/९ शतककर्मग्रंथ प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ ..... शिवशर्मसूरि .........
.....१५१-१५६
.... गा.११० ४१५/१० सप्ततिका कर्मग्रंथ-षष्ठ कर्मग्रंथ .....
....१५६-१६१ ४१५/११ भवभावनाप्रकरण मलधारी हेमचंद्रसूरि ....... प्रा. ............. १२०६ ......१६२-१९१
गा.५३१ |४१६ .... पाक्षिकसूत्र बृत्तिसह ............... वृ.क.यशोदेवसूरि ... .प्रा.सं.......११८०,१४०० ...........२४०
२७०० ४१७/ १जीतकल्प चूणींसहित ...... मू.क.जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण, चू.क. सिद्धसेनसूरि. ..प्रा.
.......२१० ११०० ४१७/२जीतकल्पचूर्णीटिप्पनक ..
श्रीचंद्रसूरि ................. .......१२२७.१५०० ......११६-१८७ ...४१७ .......२१० ......... ११२० ४१८/१/जीतकल्पसूत्र..... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .... प्रा. ....
............४१८ .......२१०........ गा.१०५ ४१८/ २ जीतकल्पसूत्र बृत्ति सह .................. मू.क.जिनभद्रगणि
क्षमाप्रमण, वृ.क. तिलकाचार्य......... ...प्रा.सं.......१२७४,१५०० .........८-१०१
.......२१०...
....... १७००
...२१०
.... गा.१६६
१-११६
..४१७
andaonntematone
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विशेष नोंध
झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान ...........४१८ ......२१०.......... गा.२०
तपागच्छ ताडपत्रीय हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम
कर्ता
भाषा | ___ संवत् । पत्र संख्या ४१८/३ श्राद्धजीतकल्पसूत्र-श्रावकसामाचारी.....तिलकाचार्य ........... ....प्रा.
......१०१-१०३ ४१८/४ श्राद्धजीतकल्पसूत्र-श्रावकसामाचारी -वृत्ति स्वोपज्ञ
वृ.क.तिलकाचार्य स्वोपज्ञ .. सं. १५००/......१०३-१०९ ४१९ .... पांडवचरित्रमहाकाव्य पद्य
मलधारी देवप्रभसूरि ........ सं. १४२९ .........२४६ ४२०.... कल्पसूत्र सचित्र रौप्याक्षरी............. भद्रबाहुस्वामी ....... ......प्रा....... १५६२ ...........१६९
.........४१८ ......२१० ..... ४१९(१-२) २१०/२११
.....२१४
आ प्रति कागळ उपर लखेली छे. ......... १२१६ - आ प्रति कागळ उपर लखेली छे. पत्र २,१९,
४४-४५.६०.६६.६७-७९.९६-९७.१००,१११, १२३,१२९,१३२,१४८.१५३,१६८ नथी. आ प्रति कागळ उपर लखेली छे.
...............१५
|४२१.... कालिकाचार्यकथा सचित्र रौप्याक्षरी .... भावदेवसूरि |४२२.... कालिकाचार्यकथा सचित्र
........ गद्यपद्य किंचिदपूर्ण ... ४२३ ....प्रकरणपोथी..
कागळ उपर लखेली प्रति. कागळ उपर लखेली प्रति.
.........४२३ .......
............२१ प्रा.सं............ १४०० ....... ९८.४४० ..अप. प्रा.सं
...........१२०
.......१-११२
...........११३-१४६ .सं........१३६४,१४९७ ...........१०२
४२४
४२४ .... देववंदनभाष्यादि प्रकरणसंग्रह ............ ४२५/१६ कल्पसूत्र सचित्र.......... ....... भद्रबाहुस्वामी ४२५/२/कालिकाचार्यकथा गद्यपद्य सचित्र ..... ४२६ ... कल्पसूत्र संदेहविषौषधि वृत्ति ........... जिनप्रभसूरि..
.. प्रा.
कागळ उपर लखेली प्रति. ........ १२१६ - मध्यम ...........३६९ . आ प्रति कागळ उपर लखेली छे. मध्यम
तपागच्छ
पंचाशकप्रकरण....................... हरिभद्रसूरि ........... ऋषभदेवचरित्र पद्य ..................... जयसिंहसूरि .........
..प्रा............... १११५............७७
............ १३३०.....१थी २०४
......२४९ ..२४९ .......... ३१००. प्रथम पत्रमा ऋषभदेव तथा २०३ नं. ना पत्रमा
ग्रंथ लखनार श्रावक-श्राविका चित्र छे.
महावीरचरित्र.................. जयसिंहसूरि ......... धर्मरत्नप्रकरणस्वोपज्ञवृत्तिसह ........... शांतिसूरि ..... महानिशीथसूत्र ........
उपदेशमाला हेयोपादेयाटीका ........... सिद्धर्षिगणि... ..- हरिविक्रमचरित्र
जयतिलकसूरि.
24.944
1.-२०६ थी ४०७ १३०९ १४०० १४०० १४१५
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________________
४६
ग्रंथांक
लोकागच्छ
४
५/१
५/२
| ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
२
३/१
३/२
३/३
कल्पसूत्रटिप्पनक
३/४
कल्पसूत्र
३/५ कल्पसूत्रचूर्णि
३/६ कल्पसूत्रनिर्युक्ति
२
३
| ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति
निरयावलिकादिपंचोपांगसूत्र निरयाबलिकादिपंचोपांगसूत्रवृत्ति
SHEERA
******
ग्रंथ नाम
HERENT
आचार्यगच्छ
भगवतीसूत्र चित्रपट्टिका पहली
चित्रपट्टिका दूसरी
ताडपत्रीय ग्रन्थ (ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र
ज्ञातावृत्ति आदि पत्रे )
ताडपत्रीय ग्रन्थ
ताडपत्रीय ग्रन्थ
कर्ता
अभयदेवसूरि
श्रीचंद्रसूरि
पृथ्वीचंद्रसूरि
भद्रबाहुस्वामि
भद्रबाहुस्वामि
भाषा
.प्रा.
.सं.
प्रा.
सं.
सं.
...SIT.
.प्रा.
प्रा.
प्रा.
संवत्
२.११२०
.र.१२२८
. ले. १३०७
१२००
पत्र संख्या
१-१५९
. १६० ३०८
.३०५ ३२९
loven ३३०३४७
. ३४८ ३६६ .३६७ ४०० .४०० ४१७ ४१७४१९
४२२
झेरोक्ष
लोकागच्छ, आचार्यगच्छ ताडपत्रीय हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी. विशेष नोंध
ग्रंथाग्र
१२५५ श्लो. ५०६१. सं. श्रेष्ठ द श्रेष्ठ, पत्र श्मां चतुर्विध संघने लगतां वे चित्रो छे. २२५५ श्लो. ३८००. सं. श्रेष्ठ द श्रेष्ठ • श्लो. ६४० श्लो. ३७०
३.२५५
• श्लो. १२१६
४२५६ २१५
. २१५
गा. ६७. सं. श्रेष्ठ, द श्रेष्ठ, पत्र ४१८ मां समवसरण नुं खंडित चित्र छे अंतनां पत्रो उंदरे करडेल छे अने टुकडाओ छे.
१५६०० पत्र ४२२ ना अंतमां त्रण शोभनो अतिसुंदर छे
..
. भगवान श्रीनेमिनाथके आठ पूर्वभवके चित्र
. भगवान श्रीनेमिनाथके च्यवन-जन्म दीक्षाकल्याणकके चित्र
१. २५७
जीर्ण अवस्था २. २५७ (अं.स.) २०७ जीर्ण अवस्था, पानीमें भीगा हुआ ३. २५७ जीर्ण अवस्था
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथनुं नाम
स्थितिकर्ता भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष | आचारांगसूत्र अतिजर्ण सुधर्मास्वामी. ............प्रा..
...............५-२७ आधारांगसूत्रनियुक्ति ............... अतिजीर्ण भद्रबाहुस्वामी. ....... प्रा.
.........४(२८-३१) आचारांगसूत्रवृत्ति प्रथम खंड ........... जीर्णप्राया शीलांकाचार्य .......
J.. गु.७७२-२.१४८८..... १०३(३२-१३४) आचारांगसूत्रवृत्ति द्वितीय खंड ....... मध्यम ... शीलांकाचार्य .......... गु.७७२-२.१४८८..... २७(१३५-१६१)
+
+
+
......१० ....१०
सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध २८.२२१....२५५४). उंदरे खाधेली अने कपाई गएली छे ..२२१..... ४००. कपाई गयेली छे
....९६६१. प्रथम श्रुतस्कंध वृत्यात्मक प्रथम खंड ....२३३९- (समग्र टीका १२०००) प्रति
शोघेली छे +-२२१/............ प्रतिशुद्ध करेली छे. ६.२२२.....
1.....२०८ 1. २२२ .. १२८५३ 4.२२२/....३७५० +.२६५ ---२६५/.. १४२५० ..२२३ ....१६६७
२२३....३५७५/- अंत्य पत्रना बे टूकडा छे
२२३ .. १६०००. आदिनां ये पानां टूकडा थएला छे +.२२३/.. १८६१६ २२४....५४६५
........... अंतना बे पाना फाटी गयां छे
+
+
सूत्रकृतांगसूत्र
जीर्णप्राया सुधर्मास्वामी.. सूत्रकृतांगसूत्रनियुक्ति
जीर्णप्राय भद्रबाहुस्थामी. -सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति ............... श्रेष्ठ .....शीलांकाचार्य स्थानांगसूत्र ................
मध्यम ... सुधर्मास्वामी. .स्थानांगसूत्रवृत्ति प्रथम खंड ........ श्रेष्ठ ...., अभयदेवसूरि स्थानांगसूत्रवृत्ति द्वितीय खंड ........ श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि समवायांगसूत्र
जीर्णप्राया सुधर्मस्वामी समवायांगसूत्रवृत्ति
जीर्णप्राया अभयदेवसूरि भगवतीसूत्र.............
जीर्ण ... सुधर्मस्वामी भगवतीसूत्रवृत्ति .....
जीर्ण .... अभयदेवसूरि ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र.
सारी..... सुधर्मास्वामी. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति
श्रेष्ठ.... अभयदवार उपासकदशांगादि सूत्र
जीर्ण .... सुधर्मास्वामी. उपासकदशांगसूत्र.
जीर्ण ... सुधर्मास्वामी. अंतकृदशांगसूत्र ...................... जीर्ण ... सुधर्मास्वामी.
अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र............... जीर्ण ... सुधर्मास्वामी १७/४....
प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र ... जीर्ण .... सुधर्मास्वामी. विपाकसूत्रांग..
जीर्ण ... सुधर्मास्वामी. १८ ...... उपासकदशांगादि पंचागी सूत्रवृत्ति ...... १८/१.... उपासकदशांगसूत्रवृत्ति ............... जीर्ण ... अभयदेवसूरि १८/२....... अंतकृशांगसूत्रवृत्ति ................ जीर्ण ... अभयदेवसूरि .... १८/३....... अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्रवृत्ति ........./जीर्ण ....अभयदेवसूरि ... |१८/४ ....... प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रवृत्ति ............/जीर्ण ....अभयदेवसूरि १. ग्रंथांक १ से १३३० तक के ग्रंथ वेगडगछीय झानमंडार के है।
................ २२(१६२-१८३)
.................३(१८४-१८६) ........१४८९ ....१३४(१८७-३२२) ....१४८९/.....३९(३२३-३६०)
६०(३६१-४२०) ९०(४२१-५१०) ......१०
. १७(५११-५२७) ले.१४८९-र.११२०/..... ३९(५२८-५६५)
.........१४८९]....१५८(५६६-७२३) ....र.११२८-१४८८ ....२००(७२४-९३०)
....५७(९३१-९७७) सं....र. १९२०-१४८९ ....४५(९७८-१०२२)
..४३(१०२३-१०६६)
१-९(१०२३-१०३२) ..९-१०(१०३२-१०४०) .१७-१९(१०४०-१०४२)
. १९-३५(१०४२-१०५४) ......-३२-४३(१०५५-१०६६) .........७५(१०६७-११४२)
१-११(१०६७-१०७७)। .११-१५(१०७०-१०८१)
..१५-१६(१०८१-१०८२) ...... १६-६६(१०८२११३३).
+
+
+
.....८१२ .....७२० ..... १९२
+
...११७०
4..२६५/....१३०० १८.२६५
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________________
४८
ग्रंथांक
१८/५
१९ ...
२०
२१....
२२
२३
२४
| २५
२६
२७
૨૮
२९
३०
३१/१
३१/२
३२
३३
३४
विपाकसूत्रवृत्ति
औपपातिकोपांगसूत्र औपपातिकोपांगसूत्रवृत्ति राजप्रश्नीयोपांगसूत्र राजप्रश्नीयोपांगसूत्रवृत्ति
ग्रंथनुं नाम
जीवाभिगमोपांगसूत्र जीवाभिगमोपांगसूत्रवृत्ति
प्रज्ञापनोपांगसूत्र प्रज्ञापनोपांगसूत्रवृत्ति
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रचूर्णी
द्वितीयखंड
स्थिति
Luftot.... | सारी
सारी
सारी.....
जीर्ण
सारी
सारी मलयगिरि आचार्य श्यामाचार्य मलयगिरि आचार्य
बृहत्कल्पसूत्रनिर्युक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसह जीर्ण
मध्यम...
मध्यम... सारी जीर्ण
जीर्ण
.....
बृहत्कल्पसूत्रनिर्युक्ति लघुभाष्य-वृत्तिसह जीर्ण तृतीयखंड
मध्यम... मलयगिरि आचार्य
चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति निर्यावलिकाउपांगसूत्र निरयावलिकाउपांगसूत्रवृत्ति - बृहत्कल्पसूत्रनिर्युक्ति-लघुभाष्य-वृत्तिसह जीर्ण
जीर्ण
जीर्ण
प्रथमखंड
कर्ता
अभयदेवसूरि
अभयदेवसूरि
www.
मलयगिरि आचार्य
श्रीचंद्रसूरि
भद्रबाहुस्वामि नि., संघदासगणि
क्षमाश्रमण लघु. भा..
मलयगिरि आचार्य बृ. भद्रबाहुस्वामि नि., संघदासगण
क्षमाश्रमण लघु. भा.. क्षेमकीर्ति आचार्य बृ.
मू..
भद्रबाहुस्वामि तथा नि. संघदासगणि
क्षमाश्रमण -लघु.भा.. क्षेमकीर्ति आचार्य बृ.
भाषा
सं.
HIT.
सं.
प्रा.
सं.
प्रा.
सं.
प्रा.
सं.
.प्रा.
प्रा.
प्रा.
.सं.
.SIT.
सं.
प्रा.सं.
संवत्
पत्र संख्या -६६-७५ (११३३-११४२) . १२ (११४३-११५४) १४८९. ३१(११५५-११८५) .१५मी सदी २२ (११८६-१२०७) १४८९. ३७१२०८-१२४४)
प्रा. सं
.. ४८ (१२४५- १२९२) १४८९ १३० (१२९३-१४२२ १४८९.८३ (१४२३-१५०५) १४८९ १४४ (१५०६-१६५०) . १५मी सदी ४६ (१६५१-१६९६ )
१४८९.. १६ (१६९७-१७१२)
...
१७ (१७१३-१७२९)
१४८९.९६ (१७३०-१८२५ )
.१२ (१८२६-१८३७)
*
८ (१८३७-१८४४)
प्रा.सं. २. १३३२- ले. १४८८ १७१ (१८४५-२०१५)
.र. १३३२ १२८ (२०१६-२१४६ )
१४८८ १२२ (२१४७-२२६८)
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथाग्र विशेष नोंध
झेरोक्ष ....... १८२६५६४०० . १९२० २२४११६७ १९२० २२४३१३५ २१. २२ २३ . २२ २३
- २२४
....२०७२ २२४३७०० २२४४७००
२४.२२५
.२५, २६५७७८७ .२६.
२२५
----
२७.२२५४४५४ .२८ २२५ . १८६० .29+ 30.22€....2000 .२९ ३०. २२६ !--.. . ९५००
. ३१३२ २२६११०९ ३१३२२२६ ..... ६३७
. ३१३२२२६
३३ २२७ १४१६०
३४.२२७
.. ९५५१
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| ग्रंथांक
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम | स्थिति | कर्ता
भाषा संवत् पत्र संख्या - आवश्यकसूत्रनियुक्ति ....................जीर्ण .... भद्रबाहुस्वामि ............ प्रा.............. १४८७ ..................३३ आवश्यकसूत्रलघुवृत्ति ...
..................जीर्ण .... तिलकाचार्य ................ सं. .र.१२९६-ले.१४८८.....१५३(३४-१७४)
IT
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान विशेष नोंध ............३५...२२७/-...३१०० ......३६ - २२७/- १२३२५ आदि अंतना पत्र अतिजीर्ण अने
'फाटेलां छे
..........३७...२२८ .. १२३८४
आवश्यकसूत्रवृहद्वृत्तिशिष्यहिता प्रथमखंड ...
जीर्ण .... हरिभद्रसूरि ........... प्रा.सं............. १४८७ .. १३४(१७५-३०८) आवश्यकसूत्रवृहदवृत्तिशिष्यहिता द्वितीयखंड
जीर्ण ....हरिभद्रसूरि -वृ.......... प्रा.सं.........................९२(३०९-४०१) आवश्यकसूत्रटिप्पनक
जीर्ण .... मलधारी हेमचंद्रसूरि ..... सं.. ........... १४८८-....४१(४०२-४४२) ओघनियुक्ति ...
श्रेष्ठ ..... भद्रबाहुस्वामि ............ प्रा.............. १४८९ -....१४(४४३-४५६) ओघनियुक्तिभाष्य
................३०(४५७-४८६) ओघनियुक्तिवृत्ति
श्रेष्ठ ..... द्रोणाचार्य ............... ............ १४८८-....७३(४८७-५५९) दशवैकालिकसूत्र
जीर्ण .... शय्यंभवसूरि .............. प्रा. ............... ....७(५६०-५६६) दशकालिकनियुक्ति .... जीर्ण .... भद्रबाहुस्वामि ............प्रा. .................... ५(५६५५७१) दशवैकालिकसूत्रबृहदवृत्ति ............. जीर्ण ....हरिभद्रसूरि आचार्य ...... सं. .......... १४८७....७२(५७२-६४३) दशबैकालिकसूत्रचूर्णी.
...................... प्रा............. १४८८-....७५(६४४-७१७)
जीर्ण ...
..............
प्रा.
......
.३८...२२८/-- १०६१६
...२२८....४७२० 1.२६५....१४३२ गाथा. ११४६ 1.२६५ गा.२५१७ 1.२२८-...७००० ...२२८ ....७००
....... गा.४४० ...२२९/ .४६ . २२९ ........२६५/ .४७.२२९/-...७०००
.२६५ ...२२९ .....७००
...२२९ -...७७३२ प्रति शुद्ध छे. ५०..२३०....२०००
.J.२३०....400
..२३० .५३+५४...२३०
+५४ ...२३०/-....७००
..५५ ---२३०
....५६ ...२३०/-...५८५० ............५७ ...२३०....३६५०
पिंडनियुक्ति वृत्तिसह .................... श्रेष्ठ .... भद्रबाहुस्वामि -नि....... प्रा.सं............. १४८९ ....७४(७१८-७९०)
मलयगिरि आचार्य -वृ.. नंदिसूत्र ............................. अतिजीर्ण देववाचक ................. प्रा.
....८(७९१-७९८) नंदिसूत्रवृत्ति ..
जीर्ण .... मलयगिरि आचार्य ....... सं. .............. .८५(७९९-८८३) अनुयोगद्वारसूत्र श्रेष्ठ ..... आर्यरक्षितसूरि ........... प्रा.
....१८(८८४-९०१) अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति ...
श्रेष्ठ ..... मलधारी हेमचंद्रसूरि ..... सं. १४८९ .....५४(१०२-९५५) अनुयोगद्वारसूत्रलघुवृत्ति श्रेष्ठ ..... हरिभद्रसूरि आचार्य ....... सं.
..३१(१५६-९८६) उत्तराध्ययनसूत्र .....................
............प्रा. ............. २४(९८७-१०१०) उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति .............. जीर्ण .... भद्रबाहुस्वामि ............. प्रा.
+-.७(१०११-१०१७) उत्तराध्ययनसूत्रबृहदवृत्ति-पाइयटीका ... जीर्ण ....वादिवेताल शांतिसूरि ..... सं.. ...१८४(१०९८-१२०१) उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णी ... ..................मध्यम ... गोपालिकमहत्तरशिष्य....प्रा. ....... १४८८.५८(१२०२-१२५९) विशेषावश्यकमहाभाष्य .................. जीर्ण .... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण |. प्रा...
...४५(१२६०-१३०४)
...............
जीर्ण ....
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________________
ग्रंथाका
८
......
जीर्ण ..........
जिनभद्रसूरि कामळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रथन नाम | स्थिति |
| भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्षसी .डीग्रंथान विशेष नोंध सन्मतितर्कप्रकरण तत्वबोध ........... जीर्ण ...मू.सिद्धसेन दिवाकर, ..प्रा.सं............ १४८७/१२६(१६३३-१७५७)/........५८+५९..२३१/.. १२८३८ विधायिनीवृत्ति सह प्रथम खंड ................ अभयदेव आचार्य वृ.
तर्कपंचानन सन्मतितर्कप्रकरण...................... मध्यम ..मू.सिद्धसेन दिवाकर, ...प्रा.सं.....................९६(१७५८-१८५३) ........५८+ ५९.२३१-- १२१६२ तत्त्वबोधविधायिनीवृत्तिसह .. " सतह ..............
अभयदेव आचार्य -वृ. द्वितीय खंड .........
तर्कपंचानन ज्योतिष्करंडकप्रकीर्णक वृत्तिसह .. जीर्ण... मलयगिरि आचार्य -वृ..प्रा.सं............ १४८८.५३(१८५४-१९०८) आचारांगसूत्रघूर्णी ..... मध्यम ...
प्रा.. ... १४८८-८३(१९०९-१९९१) ...............६१...२३१ सूत्रकृतांगसूत्रपूर्णी .... जीर्ण....
..९८(१९९२-२०८९) ..६२...२३१ कल्पविशेषचूर्णी ......
जीर्ण .....
.प्रा..
१०४(२०९०-२१९८) ........६३ +६४...२३२ .. ११००० । सूर्यप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र ...
............२५(२१९९-२२३३),........६३ + ६४ ...२५८ सूर्यप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति ..... मध्यम ..मलयगिरि आचार्य ...... ......... १४८९.९३(२२३४-२३३३)
..२३२....९५०० अन्तनां वे पत्र अति जीर्ण छे. दर्शनसप्ततिकाप्रकरणवृत्ति ........ श्रेष्ठ .... संघतिलकसूरि वृ........ ...................५७(२९३-३४९) ...............६६ ...२३२ न्यायभाष्य टिप्पणीसह .. जीर्ण ... वात्स्यायनमुनि............
..५७ न्यायवार्तिक टिप्पणीसह .............
..................१४२(५८-२००)...............६८ ...२३३ न्यायवार्तिकतात्पर्यवृत्ति टिप्पणीसह ....जीर्ण .... वाचस्पति मिश्र.......
....२०१(२०१-४०१)
अंतिम पत्रनो टूकडो छे. न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि टिप्पणीसह .......जीर्ण .... उदयनाचार्य ...........
१६५(४०२-५६६) .........७०
.... पत्र ५४०, ५४९ मुं नथी. न्यायटिप्पनक श्रीकंठीय .............. जीर्ण... श्रीकंठ ................
..४९(५६७-६१५) पंचप्रस्थान न्यायमहातर्कविषमपदव्याख्या .जीर्ण ... अभयतिलकगणि...........
२०६(६१६-८२१) ..............७२ - २३४ न्यायालंकार न्यायवार्तिकभाष्यवृत्तिविवरण ........... जीर्ण ... अनिरुद्ध पंडित ........... सं.
२६(८८२-८७) ७४ ......... नवतत्वप्रकरण भाष्यवृत्तियुक्त ........... अतिजीर्ण देवगुप्तसूरि -मू.. ....... प्रा.सं.र.११७४-ले.१४९९ ..........
............२३४....२४००/- प्रति अस्तव्यस्त अने खवाएली छे. अभयदेवसूरि -भा.,
यशोदेवसूरि -यू. . धर्मसंग्रहणिप्रकरण वृत्तिसह ............ अतिजीर्ण हरिभद्र आचार्य -मू.. ..प्रा.सं...
......७५.२५८............ प्रति अस्तव्यस्य अने खवाएली छे मलयगिरि आचार्य वृ. | सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति पष्ठाध्यायपर्यंत ..
मध्यम.. हेमचन्द्राचार्य ...सं.
........... पत्र ५१ थी ६७ उंदरे करडेला छे
जीर्ण... भारद्वाजमुनि
.........७०
00+७१.२३४
.....
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Page #99
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार ग्रंथनुं नाम
ग्रंथांक
संवेगरंगशाला (अपूर्ण)
जीवसमास प्रकरणवृत्ति सह
७७
He
७९
८०
८१
८२/१
८२/२
८२/३
८२/४
८२/५
८३
*
८५
|૬
८७/१
८७/२
८८
८९
| १०
९१
९२ ..
९३
९४
९५
सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ धातुपाठ तथा लिंगानुशासन भगवतीसूत्र आलापक आचारांगसूत्रवृत्ति उपासकदशांगसूत्र
अंतकृचशांगसूत्र
• अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्रप्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र विपाकसूत्र
शांतिनाथचरित्र पद्य
उपदेशमाला दोघट्टी वृत्ति आवश्यक सूत्रचूर्णी..
आवश्यक सूत्रबृहद्वृत्ति द्वितीयखंड आवश्यक सूत्रबृहद्वृत्ति द्वितीयखंड आवश्यक सूत्रलघुवृत्ति प्रथमखंड दशवैकालिक सूत्रचूर्णी
जैसलमेर दुर्ग स्थिति
कर्ता
- अतिजीर्ण जिनचन्द्रसूरि
अतिजीर्ण मलधारी
. मध्यम... हेमचन्द्रसूरि
मध्यम
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
www.w
शीलांकाचार्य
सुधर्मास्वामी
श्रेष्ठ......
सुधर्मास्वामी
श्रेष्ठ
सुधर्मास्वामी
श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी
सुधर्मास्वामी
श्रेष्ठ श्रेष्ठ....... श्रेष्ठ
www.w
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रचूर्णी जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रचूर्णी. जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति
श्रेष्ठ....... श्रेष्ठ मलयगिरि आचार्य
चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति. गुरुगुणषटत्रिंशतषटत्रिंशिका सटीक ... मध्यम... रत्नशेखरसूरि स्वोपज्ञ.. बलिनरेन्द्रकथा- भुवनभानुकेवलिचरित्र ..मध्यम... मलधारी हेमचंद्रसूरि. (भवभावनावृत्त्यंतर्गत)
समरादित्यचरित्रसंक्षेप त्रूटक अपूर्ण पद्य श्रेष्ठ
BAALA
हेमचन्द्रसूरि यू.
20004
प्रद्युम्नसूरि
श्रेष्ठ......
मुनिदेवसूरि
श्रेष्ठ रत्नप्रभसूरि
श्रेष्ठ
www.w
- श्रेष्ठ मलयगिरि आचार्य श्रेष्ठ मलयगिरि आचार्य तिलकाचार्य
[ श्रेष्ठ.......
श्रेष्ठ
----
भाषा
.प्रा.
...
प्रा.सं.
गुप्त. ७९८-१९८३
१९८३
१९८३
प्रा.
१९८३
प्रा.
१९८३
१९८३
प्रा. .प्रा.......... प्रा.
१९८३
१९८३
पुण्यसागर महोपाध्याय सं. र. १६४५ ले. १९८५
सं.
१९८३
सं.
प्रा.
सं.
प्रा.
.प्रा.
प्रा.सं. सं.
संवत्
सं.
.सं.
१४९९
सं.
. सं.
प्रा.सं. र. १२३८-ले. १४८१
प्रा.
१९८५
सं.
१९८६
प्रा.
१९८५
१९८५
१९८३
पत्र संख्या
१०८
२२
५५
. ३३२
१-१६
१६-३१
३१-३५
३५-५८
५८-८१
४० ३९
.२३५
१६५
१-१६
१६-४०
४२-८१
Co
९२-२५४
३३८
२२३
२२१
१५०
१५३
झेरोक्ष
.७९
......८० ८१ (१.२.३) .८२
.८२
.८२
.८२
.८२ ........८३ + ८४ ......८३ + ८४ ८५ (१२)
.८८
.८६ २३५ ८७२३५ ८७२३५
सी.डी. ग्रंथाग्र
२३४
.९१ (१,२)
• २३५
८९२३५ .९०२४०
९३
. ९४
९५
१२०००
****** ८१२
७९० १९२
. १२५०
१२१६
....१८६० १८६० १३२७५ ९५००
११८२९ ११५४५
विशेष नोंध प्रति अतिजीर्ण उधईए खाधेली अने अस्तव्यस्त छे.
प्रति उंदरे करडेली, भींजायेली, जीर्ण अने अस्तव्यस्त छे.
पत्र ३-२७ नथी
श्रेष्ठ छे.
५१
Page #100
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________________
....१६
९६/२....
..............प्रा.
.....
१९८२
..................९६
९५/३....
..
.
.........१४७८४
१९८४ १९८४
...४६००
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति
भाषा संवत्
पत्र संख्या मेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध दशाश्रुतस्कंधसूत्रनियुक्ति... श्रेष्ठ .... भद्रबाहुस्वामी .............
૧૬૨ .............. १-४ दशाश्रुतस्कंधसूत्रचूर्णी
............४-४१ दशाश्रुतस्कंधसूत्र ........ भद्रबाहुस्वामी .............प्रा.. १९८२
४१-७४ ९७..... कल्पचूर्णी .......
........२८५/......९७ (१.२) ९८........ बृहत्कल्पसूत्र नियुक्तिभाष्यवृत्तिसह ...... श्रेष्ठ .... भद्रबाहुस्वामी -मू.नि....प्रा.सं............
..............९८ .......... पीठिका ..
संघदासगणि क्षमा
श्रमण-भा, मलयगिरि-वृ । ९९ .........बृहत्कल्पसूत्र नियुक्तिभाष्यवृत्तिसह ...... श्रेष्ठ .. भद्रबाहुस्वामी -मू.नि......प्रा.सं.र.१३३२-ले.१९८४ ................ १९१/...............९९ ........... १५४०० .............. प्रथमखंड (पीठिकार्ध थी आगळ)............. | संपदासगणि क्षमा
अमण-भा, क्षेमकीर्ति-वृ. १००........ बृहत्कल्पसूत्र नियुक्तिभाष्यवृत्तिसह ..... श्रेष्ठ .... भद्रबाहुस्वामी मू.नि....प्रा.सं.२.१३३२-ले.१९८३/................३०५ /.... १00 (१.२)........... १४१६ द्वितीयखंड
संघदासगणि क्षमा
श्रमण-भा. क्षेमकीर्ति-वृ. १०१......... बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति भाष्यवृत्तिसह ... श्रेष्ठ..... भद्रबाहुस्वामी मू.नि....प्रा.सं २.१३३२-ले.१९८४ ................२८४ |.... १०१ (१,२)........... १२६५१ .......... तृतीय खंड
संघदासगणि क्षमा
श्रमण-भा. क्षेमकीर्ति-वृ. १०२...... पंचकल्पचूर्णी ........................
..............प्रा.-............
............१०२.............३२३५ व्यवहारसूत्रघूर्णी
.... १०३ (१.२). ..१२००० व्यवहारसूत्रवृत्ति द्वितीयखंड मलयगिरि आचार्य -वृ..प्रा.सं. .१९८४
.... १०४ (१,२)-.. ......१३७१९ निशीथसूत्र भद्रबाहुस्वामी
.......... १०५ .....८१२ निशीथसूत्रभाष्य .............
............ १०६ | निशीथसूत्रचूर्णी द्वितीयखंड श्रेष्ठ .... जिनदासगणि महत्तर ..... प्रा.
... १०७ निशीथसूत्रचूर्णी द्वितीयखंड ......... जिनदासगणि महत्तर .....प्रा..
... १०८ (१.२) महानिशीथसूत्र..
.. १०९ ....४५४४ अंगविद्याप्रकीर्णक
१९८४
.........
....९००० जीतकल्पसूत्र वृत्तिसह श्रेष्ठ .... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण प्रा.सं. ........... १९८३
.............१११ -भू. तिलकाचार्य -वृ. ११२/१ .....सिद्धमाभृतसूत्र
...... १.४..११२ थी ११४.........गा.१२१
श्रेष्ठ,
प्रा.
१९८३
श्रेष्ठ ..... श्रेष्ठ ....
-- १९८३
......
.......७४००
श्रेष्ठ.....
.......प्रा.
१९८३/
.मा.
... ११०
१११...
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________________
| स्थिति
भाषा
विशेष नोंध
श्रेष्ठ .....
४१-४४
प्रा.
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
___संवत् पत्र संख्या - झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान ११२/२ ......सिद्धप्राभृतसूत्रवृत्ति
१९८४-..............४-२२-११२ थी ११४ ११३/१ ....... सिद्धप्राभृतसूत्र ......
... ११२ थी ११४ .......... गा.१२१ ११३/२ ....... सिद्धप्राभृतसूत्रवृत्ति .. श्रेष्ठ.....
१९८३
६३... ११२ थी ११४ ११४ ......... कर्मप्रकृतिचूर्णी ........................
.प्रा.-...१९८३
|.. ११२ थी ११४ ११५........ शतककर्मग्रंथ वृत्तिसह .................. श्रेष्ठ ..... शिवशर्मसूरि मू.. ...... प्रा.स./............ १९८३
मलधारि हेमचंद्रसूरि ११६ ....... नवपदप्रकरण बृहद्वृत्तिसह .............. श्रेष्ठ ..... जिनचंद्रसूरि मू.. ...... प्रा.सं.र.११६५-ले.१९८३
........ग्रा.९५०० .................... यशोदेवोपाध्याय -वृ.. ११७ ......... उपदेशपदप्रकरणलघुवृत्ति ...............श्रेष्ठ ..... वर्धमानसूरि ............... सं.र.१०५०-ले.१९८३
११७...२३५....६५०० ११८........ उपदेशप्रकरणलघुवृत्ति ..................श्रेष्ठ..... वर्धमानसूरि .............. सं..र.१०५०-ले.१९८३
११८...२३६....६५०० ११९....... चैत्ययंदनाभाष्य संघाचारवृत्तिसह .......श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि -मू........... प्रा.सं............. १९८३
..२३६....७८०० धर्मघोषसूरि -वृ. १२०........ ऋषिमंडलप्रकरण वृत्तिसह प्रथम खंड ..श्रेष्ठ ..... धर्मघोषसूरि मू.........
प्रा.सं........ १२१..... उपदेशमाला हेयोपादेयावृत्तिकथासह ...श्रेष्ठ................................
संयमाख्यान ............................. चउपन्नमहापुरिसचरिय ................. श्रेष्ठ .....शीलाचार्य ..............
..१३३०० समराइच्चकहा ......... श्रेष्ठ ..... हरिभद्रसूरि आचार्य .....
२२७
१२४ ........१0000 १२५....... ... प्रत्येकबुद्धचरित्र पद्य .............. श्रेष्ठ..... लक्ष्मीतिलकगणि.... १२६ ....... अतिमुक्तकचरित्र पद्य .............. श्रेष्ठ ..... पूर्णभद्रगणि ..........
१९८३
१२६+१२८ १२७/१ .... दशउपासककथा ................. भेष्ठ ..... पूर्णभद्रगणि ...........
....१२७५ १२७/२ ... दशउपासककथाचूर्णी ..............
पूर्णभद्रगणि
१९८३ १२८ ..... गणधरसार्धशतक बृहद्वृत्तिसह श्रेष्ठ ...... सुमतिगणि -वृ.......... प्रा.स. र.१२९५-ले.१९८३
६८.... १२६ + १२८ प्रथमखंड (प्रथमगाथाव्याख्या) १२९.. गणधरसार्धशतकवृहद्वृत्तिसह ..........श्रेष्ठ ..... सुमतिगणि -वृ........... सं... र. १२९५-१९८३
............१२९ --......... १२१०५ द्वितीय खंड विधिप्रपा ........... श्रेष्ठ ..... जिनप्रभसूरि ............ प्रा.सं.र.१३६३-ले.१९८३
१३०............३५७४ कथासंग्रह
श्रेष्ठ... प्रा.सं.
१३१ १३२.........अणुव्ययविहि
श्रेष्ठ..
.प्रा............. १९८३.................३२... १३२ थी १३४
.....
१९६
१3०.
..........
१३१.
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________________
भाषा
संवत्
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग । पत्र संख्या - झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध ................१-४.. १३२ थी १३४ ................ ४-५,.. १३२ थी १३४ .
प्रा.
गा.१०१ गा.१०३ गा.१०३
..............५-७... १३२ थी १३४
.७-९... १३२ थी १३४ ....१-१२ .. १३२ ... १२-१३... १३२ थी १३४ .. १३-१७... १३२ थी १३४
१७-१८.. १३२ थी १३४ .१८ मु... १३२ थी १३४
.. गा.७१
... गा.२६/
गा.१७
गा.४०/
ग्रंथांक ग्रंथन नाम
स्थिति कर्ता १३३/१....
घडावश्यकसूत्र ........ १३३/२ ..... आवश्यकविधिप्रकरण
श्रेष्ठ .... जिनवल्लभगणि प्रतिक्रमणसामाचारी १३३/३ .... पंचगिलीप्रकरण ......
श्रेष्ठ..... जिनेश्वरसूरि . १३३/४ ...... षट्स्थानकप्रकरण-श्रावकवक्तव्यता ... श्रेष्ठ.... जिनेश्वरसरि, १३३/५ ..... पिंडविशुद्धिप्रकरण
जिनवल्लभगणि .... १३३/६ ...... आगमोद्धारगाथा ................
............ १३३/७ .... पौषधविधिप्रकरण ......
जिनवल्लभगणि ...... १३३/८ ..... पंचकल्याणकस्तोत्र..
जिनवल्लभगणि ........ १३३/९ ..... लघुअजितशांतिस्तव
जिनवल्लभगणि ........ उल्लासिक्कमनक्ख० स्तोत्र १३३/१०..... अजितशांतिस्तव ......
श्रेष्ठ....नंदिषेण ... १३३/११.... पर्यताराधनाप्रकरण ...
अभयदेवसूरि १३३/१२....आतुरप्रत्याख्यान १३३/१३ .... धर्मलक्षण.. १३३/१४ ..... प्रश्नोत्तररत्नमालिका
| विमलाचार्य १३३/१५....नवतत्त्वप्रकरणभाष्य,
| अभयदेवसूरि १३३/१६ .....नवपदप्रकरण ....
| जिनचंद्रगणि... १३३/१७ ..... श्रावकधर्मविधिप्रकरण..
हरिभद्रसूरि.. १३३/१८..... कर्मप्रकृतिसंग्रहणी....
शिवशर्मसूरि १३३/१९..... विज्ञप्तिका
जिनवल्लभगणि १३३/२०..... बोटिकनिराकरणप्रकरण .. १३३/२१...... स्वप्नसप्ततिकागत अधिकार सटीक ... श्रेष्ठ .... ........ १३४/१ ..... पर्यताराधनाप्रकरण ..
श्रेष्ठ ..... सोमसूरि ... १३४/२ .... विवेकमंजरीप्रकरण.......
आसड १३४/३ ......चतुःशरणप्रकीर्णक १३४/४.... आउरपच्चक्खाणप्रकीर्णक.. |१३४/५ ...... आराधनाप्रकरण
श्रेष्ठ .... अभयदेवसूरि
.१८-२०... १३२ थी १३४ .२०-२२-... १३२ थी १३४
... २६मु .. १३२ थी १३४ .................२२-२३... १३२ थी १३४
...२३मुं.. १३२ थी १३४ .२३-२७... १३२ थी १३४
२७-३१,.. १३२ -३१-३२.. १३२ थी १३४. .३२-४३... १३२ थी १३४ ..
...आ.२७/ .गा.१५२/
गा.१३९ ...गा.७०
गा.४७६ ...गा.३५ . गा.११५/
..............
Sm
थी १३४
........... १९८३
थी १३४ थी १३४
.......र.१२७८
:::
... 930
...गा.६९/
गा.११४] .. गा.२७
७-८... १३२ थी १३४
८-९... १३२ थी १३४ .............९-१२... १३२ थी १३४ ..
३०+.........गा.८५
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नाम
प्रा..
बैबैबैबैबैबैं
.. १३२ थी .. १३२ थी
.........
१९-२०
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथन स्थिति | भाषा | संवत् । पत्र संख्या झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध |१३४/६ ...... क्षामणाकुलक श्रेष्ठ .....
................... १२मु .. १३२ थी १३४ ........... गा.१६. आ कुलकना बीजा नामो मिथ्या
............. दुष्कृत अने भावना कुलक पण छे. १३४/७... आलोचनाकुलक......
... १२-१३ .. १३२ थी १३४ १३४/८.... आलोचनाकुलक....
.... १३मु.. १३२ थी १३४/९ .... भावनाकुलक
... १३-१४ .. १३२ थी १३४/१०.... भावनाकुलक......................
१४-१५ १३२ थी १३४/११... सुलसआराधनाप्रकरण श्रेष्ठ.....
१५-१७
१३२ थी १३४/१२... नवकारफलकुलक ................... श्रेष्ठ..............
१७-१८ .. १३२ थी १३४/१३ .... मिथ्यादुकृतकुलक
१८मुं १३४/१४ ... संवेगमंजरीप्रकरण ...................... श्रेष्ठ..... देवभद्र ................
१८-१९ १३४/१५... संयममंजरीप्रकरण .............. श्रेष्ठ ..... महेश्वरसूरि .............
.. १३२ थी १३४/१६.... सुगुरुदांगडउ............. श्रेष्ठ ....
........... २०-२१.. १३२ थी १३४/१७.... सुगुरुदांगडउ.............. श्रेष्ठ ..... जिनप्रभसूरि
२१-२३ .. १३२ थी
...गा.३२ १३४/१८.... आराधना ........................... श्रेष्ठ....
२३-२४... १३२ थी १३४/१९.... भावनासंधि................ श्रेष्ठ......यशोदेव ............
२४-२६ 1.. १३२ थी १३४/२०.... आराधना .....................
.. १३२ थी १३४/२१... भावनाकुलक सोमदेव
-- १३२ थी
गा.१७ १३४/२२.... आराधनाकुलक ..........................
...... १९८३............ २७-२८ .. १३२ थी
... गा.२७ १३५....... हरिवंशपुराणगत उद्देशद्वय .........
.......... १९८३
.. १३५ थी १३६/१ ..... जीवोपदेशपंचाशिका.
.. १३५ थी १३६/२ ..... उपदेशकुलक................... १३६/३ ..... हितोपदेशकुलक....
.. १३५ थी .... गा.२५ १३६/४ ...... हितोपदेशकुलक................
.. १३५ थी १३६/५ ...... पंचपरमेष्ठिस्तव... ............
४.५ .. १३५ थी १३७.. गा.३७ १३६/६ ......नवतत्त्वप्रकरणभाष्य............. श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि ............. .प्रा..............१९८३
५-९.. १३५ थी १३७ .......... गा.१५१ १३७..... व्याकरणचतुष्कावचूरि-हैमलघुन्यास .....श्रेष्ठ ..... कनकप्रभसूरि .. .....सं............. १९८३
.. १३५ थी १३७ ...२३६ ....२८१८ द्वितीयाध्याय द्वितीयपाद पर्यन्त,
FFFFFFFFFFFFFFF
२६-२७
१३५ थी
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| ग्रंथांक । ग्रंथर्नु नाम१३८........ अनेकार्थकोश अनेकार्थकरवाकर- ..... ........... कौमुदीटीकायुक्त तृतीय खंड ....
कइसिट्ठवृत्ति ... १४०.........कविकल्पलताविवेक ............. १४१.........कविकल्पलताविवेक द्वितीयखंड १४२........कविकल्पलताविवेक ...
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग स्थिति कर्ता भाषा | ___ संवत् । पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोध । श्रेष्ठ .... हेमचंद्रसूरि -मू............सं. ........... १९८३ ................. ५२ .....१३८ + १३९ - २३६ श्रेष्ठ ..... महेंद्रसूरि -टी. श्रेष्ठ.....गोपाल पंडित .....
३४.....१३८ + १३९ ...२३६ १९८४
श्रेष्ठ...........
.................
१९८३
श्रेष्ठ ....
बचमांनो केटलोक भाग
.... आमां लखायेल नथी.
१.२३६.....५१४ .. १४३ थी १४५ २३५२३६ .... का.२१ .. १४३ थी १४५..... "...का.३८ .. १४३ थी १४५.........का.५२ .. १४३ थी १४५....."...का.६९ .. १४३ थी १४५..... "...का.५३ .. १४३ थी १४५...."...का.२३
१४५...........२५४५ ४१... १४३ ३३ ...... १४६ + १४७...२३६ .......... अपरनाम-कविगुह्य काव्य
श्रेष्ठ .....
.. १४३
लक्ष्मीधर ....... श्रेष्ठ.....
१४५
.२३६
१४३ ........ अभिधावृत्तिमातृका
श्रेष्ठ ..... मुकुल भट्ट १४४/१ ...... घटकपरकाव्य १४४/२ ...... मेघाभ्युदयकाव्य ...... १४४/३ ..... वृंदावनमहाकाव्य १४४/४ ...... मधुवर्णनकाव्य......
केलिकवि १४४/५ ...... विरहिणीप्रलापकाव्य
श्रेष्ठ.... केलिकवि १४४/६ ...... चंद्रदूतकाव्य ................... १४४/७ ...... विक्रमांकमहाकाव्य ................. श्रेष्ठ..... | बिल्हणकवि ........ १४५........ चक्रपाणिविजयकाव्य ............... श्रेष्ठ ..... १४६ ......... कविरहस्य-अपशब्दाभासकाव्य सटीक
हलायुध मू.. ...........
रविधर्म -टी. १४७.......! न्यायकंदलीटिप्पनक
श्रेष्ठ ..... नरचंद्रसूरि .. १४८........ न्यायभाष्यविवरण .................. १४९ ....... न्यायप्रवेशवृत्तिपंजिका ............ श्रेष्ठ..... पार्श्वदेवगणि .............. १५०........ द्रव्यालंकार स्वोपज्ञवृत्ति सह ........... -द्वितीयप्रकाश टिप्पणीसह
..... रामचंद्र गुणचंद्र ........... सं. १५१......... द्रव्यालंकार स्वोपझवृत्ति सह ............ तृतीय प्रकाश टिप्पणीसह ............ श्रेष्ठ.... रामचंद्र गुणचंद्र ...........सं. १५२......... प्रमाणमीमांसा स्वोपज्ञवृत्ति सह ........ श्रेष्ठ..... हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ -आ.. सं. १५३/१ ...... प्रमाणमीमांसा स्वोपज्ञवृत्ति सह ......... श्रेष्ठ..... हेमचंद्र आचार्य.... |१५३/२..... परीक्षामुखप्रकरण .................... श्रेष्ठ.....
४७ ......१४६ + १४७.२३६
.....१४८ + १४९ १.२३६ J.....१४८ + १४९ ... २३६
१९८४
........... .. १५० थी
३९ ... १५० थी
... १५३ थी ...........४१-४३... १५३ थी १५६ - २३७
.....१-४१
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.. १९८४
१५५....
श्रेष्ठ
...............
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग
५७ | ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम | स्थिति कर्ता
भाषा संवत् । पत्र संख्या
झेरोक्षसी .डी.ग्रंथान
विशेष नोंध |१५३/३ ...... सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण .............. श्रेष्ठ ..... हरिभद्रसूरि ....
......... ४४-५०... १५३ थी १५६ ...२३७ १५४..... अनेकांतजयपताकावृत्तिटिप्पनक श्रेष्ठ ..... मुनिचंद्रसूरि
............ ३४ .. १५३ थी १५६ ...२३७ अनेकांतजयपताकावृत्तिटिप्पनक. श्रेष्ठ ..... मुनिचंद्रसूरि..
. १९८४ ...३५/.. १५३ थी १५६ ...२३७ १५६ .... परीक्षामुखप्रकरण ................
.१९८३
..३ .. १५३ थी १५६ ... २३७ सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण.. श्रेष्ठ ..... हरिभद्रसूरि
..१९८३
................२३७ सर्वसिद्धांतप्रवेश..
.१९८३
............ १५८...२३७ १५९ ......... व्यवहारसूत्र नियुक्तिभाष्यवृत्तिसह ........ श्रेष्ठ ..... भद्रबाहुस्वामी मु.नि., ..प्रा.सं. १९८३ .............७१६ .. १५९(१ थी ६)... २३७/.. ३४०००
........... मलयगिरि आचार्य -वृ.......... १६०......... परमात्मप्रकाश सस्तबक अपूर्ण .........जीर्ण ......
.............. ३०.. १६० थी १६४ ...२३८/........... पत्र ६.२८ तथा वचमां घणां
................... पाना नथी, १६१/१ ..... | मीमांसासूत्र साबरभाष्य प्रथमअध्याय श्रेष्ठ.....
.....१-१३ ... १६० थी १६४ ...२३८ प्रथमपाद १६१/२ ..... प्रमाणान्तर्भाव
..देवभद्रयशोदेव
.............. १९८२ ........ १३-२३.. १६० थी १६४ ...२३८ सर्वज्ञसिद्धि
..............
.....४... १६० थी १६४ ...२३८ १६३....... कृतपुण्यमहर्षिचरित्र पद्य.
पूर्णभद्रगणि
............. १३०५ ... ४८ .. १६० थी १६४ ...२३८ शालिभद्रचरित्र पद्य ..............
श्रेष्ठ ..... पूर्णभद्रगणि सं..र.१२८५-ले.१९८३ ................३६/-१६० थी १६४ ...२३८....१४९० भगवतीसूत्र सुधर्मस्वामी.. .........२२६२ .... १६५ (१,२).
पत्र १,२०५.२०७ नथी,
अंतिम पत्र नथी. १६६ .......
उपदेशमाला कर्णिकावृत्तिसह ........... अतिजीर्णधर्मदासगणि -मू.. ...... 1........... १२९९ ............२०-२७५ .... १६६ (१.२)...२६६ .. १२२७४ , पत्र १ थी १८ नथी.
......................................... उदयप्रभसूरि -वृ. १६७ ...... द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसंग्रहणी ...............जीर्णप्रायः
............... .. १६७ थी १७० ...२३८ .....२००/ निर्यावलिकासूत्रवृत्ति .................... मध्यम ... श्रीचंद्रसूरि
..........११/.. १६७ थी १७०...२३८ १६९...... धातुपारायण .... अतिजीर्ण हेमचंद्रसूरि
..१६७ थी १७०..................... अस्तव्यस्त, १७० ......... वंदारुवृत्ति त्रुटक ........................ अतिजीर्ण देवेंद्रसूरि .................
१७०७.२३८ ....२२२७, पत्र ३ थी ७, ११, १३ थी ३७. ३९,
.......... ..................४० नथी, प्रतिमा मात्र १३ पत्र छे, १७१........ . संघपट्टकप्रकरण सटीक .. ............. मध्यम ...जिनवल्लभसूरि -मू.. .... सं.
... ४१ /............ १७१...२३८ ....३६०० .......... जिनपतिसूरि -वृ. १७२......... ओघनियुक्तिवृत्ति .................... -मध्यम... द्रोणाचार्य
............ १७२ ...२३८ ....७०००
१६२...
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________________
५८
...........१५
६८.............
१७७...
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक । __ ग्रंथर्नु नाम
| संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध १७३ ......... मुरारिनाटक टिप्पणीसह ....... श्रेष्ठ .... मुरारि कवि ............
.................. ४०............. १७३ १.२३८ १७४ ......... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य ... श्रेष्ठ ..... हेमचंद्राचार्य ...............
.................१३९ /............ १७४...२३८ सप्तमपर्व-रामायण १७५...... मलयसुंदरीचरित्र ज्ञानरलोपाख्यान पद्य श्रेष्ठ .... जयतिलकसूरि
............. १७५...२३८/....२४३० १७६ ......
अभिधानचिंतामणि नाममाला द्वितीयकांड .................... जीर्ण ... हेमचंद्राचार्य .. अभिधानचिंतामणि नाममाला अपूर्ण... मध्यम .. हेमचन्द्राचार्य,
.१७७ ...२३९ १७८ ..... अभिधानचिंतामणि नाममाला .......... बेटक-अपूर्ण
मध्यम ... हेमचंद्राचार्य .. १७९ ......... अभिधानचिंतामणिनाममाला ........... मध्यम ... हेमचंद्रसूरि ..............
.....१७९ + १८०...२३९/............ पत्र १ थी १२ नथी १८०/१.....! पिंडविशुद्धिप्रकरण ................ मध्यम .. जिनवल्लभगणि
.....१७९ + १८०... २३९/. गा.१०३| १८०/२ .....घटस्थान प्रकरण-श्रावक वक्तव्यता .... मध्यम .. जिनेश्वरसूरी .......
१७९ + ...२३९. गा.१०२ १८०/३ ...... पंचलिंगीप्रकरण मध्यम .. जिनेश्वरसूरि
१७९ + १८०...२३९. गा.१०२ १८०/४ ...... दर्शनसप्ततिकाप्रकरणश्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरण.............. मध्यम ... हरिभद्रसूरि ....
.....१७२ + १८०..२३९/- गा.१२० १८०/५..... आगमोद्धारगाथा ..... मध्य म.................
.....१७२ + १८०...२३९/... गा.७१ १८०/६ लधुक्षेत्रसमासप्रकरण ............ मध्यम...
+ १८०...२३९. गा.१०९ १८०/७ .... संदेहदोलावलीप्रकरण.. मध्यम .. जिनदत्तसूरि ...........
.....१७१ + १८०...२३९. गा.१५१ १८१...... .संदेहदोलावलीवृत्ति. श्रेष्ठ.....
.. १८५ थी
१८३ १.२३९/....४७५०/- पत्र ७३ मुं नथी. १८२ .........शीलोपदेशमालाप्रकरण ............ मध्यम ...जयकीर्तिसूरि .....
.. १८५ थी १८३... २३९. गा.११६ १८३/१ शीलोपदेशमाला ................. श्रेष्ठ .... जयकीर्तिसूरि .......
१-३ .. १८१ थी १८३ .. २३९. गा.११६ १८३/२ ..... आत्मानुशासन ............... श्रेष्ठ ..... पार्श्वनाग ............... ........र. १०४२
.. १८१ थी १८३..२३९/...आ.७७ १८४ ...... कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति तद्धितप्रकरणपर्यंत टिप्पणी सह ......./जीर्ण ....दुर्गसिंह ...............
.......
............ आदिनां १६ पत्र चोंटेला छे सामाचारी-यतिदिनचर्या मध्यम ... देवसूरि
............१२ .. १८५ थी १८८... २३९/..... ७७५ कर्मस्तवकर्मग्रंथावचूरि ............... मध्य म ............................
....................
.. १८५ थी १८८ १८७.... ओघनियुक्तिअवचूरि ..... मध्यम..
.. १८५ थी १८८...२३९/ १८८......... आवकप्रतिक्रमणचूर्णी ............... मध्यम ... विजयसिंहसूरि ............ प्रा.
............ ३६-८४.. १८५ थी १८८...२३९/....४५९०
.....१७९
१८५...
१८६..
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१८९.......
|... १९३ थी
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक 1 ग्रंथर्नु नाम
| स्थिति ।
कर्ता
भाषा संवत्
पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान। विशेष नोंध आवश्यकनियुक्ति .......................
--मध्यम ... भद्रबाहुस्वामी प्रा.............. १५५५ । ...............५९ .. १८९ थी १९२...२३९ कालिकाचार्यकथा गाथाबद्ध ............मध्यम ... भावदेवसूरि ......
............४.. १८९ थी १९२...२३९. गा.१०६ कर्पूरमंजरीनाटिका टिप्पणीसह पंचपाठ अपूर्ण ................ .....मध्यम ... राजशेखर कवि .........
............... १६ .. १८९ थी १९२ ...२३९ अध्यात्मकल्पद्रुम तथा .. मध्यम ... मुनिसुन्दरसूरि,
.. १८९ थी १९२...२३९. का.२७८ अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका ............
............ हेमचन्द्राचार्य अद्वा. १९३..... कर्पूरप्रकर ........ मध्यम ... हरिकवि ..........
१९८...२३९/.....३४५ आ प्रति पाणीमां भीजायेल छ, । १९४/१.... गणधरसार्द्धशतकप्रकरण........... मध्यम ... जिनदत्तसूरि ....
.. १९३ १९८...२६५ गा.१५० १९४/२ ...... पंचनमस्कारफलस्तव .. मध्यम ... जिनचन्द्रसूरि
.. १९३ थी १९८...२६५. गा.११८ १९४/३ ..... नाणाचित्तप्रकरण मध्यम ...
.. १९३ थी १९८ ...२६५/... गा.८१ १९४/४ ..... कथानककोश ............... मध्यम ...जिनेश्वरसूरि.
.. १९३ थी १९८ ...२६५/... गा.३० १९४/५ .... व्यवस्थाकुलक. मध्यम ... जिनदत्तसूरि
1.२६५/... गा.७५ १९४/६ ..... पष्टिशतप्रकरण... मध्यम ... नेमिचंद्र भंडारी
.. १९३ थी १९८...२६५). गा.१६१ १९४/७ ... विवेकमंजरीप्रकरण.
मध्यम ... आसड कवि.
.....र. १२४८
1.. १९३ थी १९८ ...२६५. गा.१४४ भावशतक जीर्णप्राय नागराज ...
-- १९३ थी १९८ ...२६५. का.१०४ कर्मस्तव द्वितीयकर्मग्रंथ. ........... श्रेष्ठ..... देवेन्द्रसूरि ..
.. १९३ थी १९८ ...........गा.३४ कर्मग्रंथचतुष्क ...........
........... जीर्णप्राय देवेन्द्रसूरि
....६ ... १९३ थी १९८ नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि पंचपाठ .......जीर्णप्राय .......
........... १५३८
..४.. १९३ थी १९८ ...२६५,... गा.२७ आवश्यकसूत्रलघुवृत्ति ................ मध्यम ...तिलकाचार्य
|.... १९९ (१.२)...२६६ . प्रथम पत्रना टुकडा छे. नैषधमहाकाव्य अपूर्ण ................ जीर्ण ... श्रीहर्ष ..
३६ -- २०० थी २०३
आ प्रति पाणीमां भीजायेली छे. उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि पंचपाठ .. अपूर्ण ....धर्मदास गणि -मू....... प्रा.सं. ........... १४४८
५४ .. २०० थी २०३ ......गा.५४३, पत्र २.९,१०,३०,३१,५१.५४ नथी. संग्रहणीप्रकरण सटीक अपूर्ण ........... -- श्रेष्ठ .....श्रीचन्द्रसूरि -मू..
.. २०० थी २०३ ........... देवभद्रसूरि -वृ. २०३....... सप्तपदार्थीटीका ................... जीर्णप्रायः
... १५४६ द्वादशकुलक. अतिजीर्ण जिनवल्लभसूरि .........
.१६३१
.............
चोटेली छे. योगशास्त्रविवरण ...... जीर्णप्रयः हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ ...
२-३०... २०५ थी २१०...२६६ | लघुसंधपट्टकप्रकरण. मध्यम... जिनवल्लभगणि .......
............३ .. २०५ थी २०...२६६...का.४० सिंदूरकर ...... जीर्ण.... सोमप्रभाचार्य ......
..........१०.. २०५ थी २१०...२६६/...का.९८ पत्र ९ मुं नथी.
.........
१९५ .....
२०४ .... २०५....
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--------------------------------------------------------------------------
________________
ग्रंथांक
........प्रा.
..२११ थी
+-२६६
.......
जिनमद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम
| स्थिति कर्ता भाषा संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान विशेष नोंध २०८....... सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-सार्धशतकप्रकरण टिप्पणीसह पंचपाठ, ........... मध्यम .. जिनवल्लभगणि .......... प्रा.
.............. .. २०५ थी २१०... २६६/ २०९....... सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणटिप्पनक...... मध्यम
........ २४... २०५ थी २१०... २६६/....१४५७ २१०....... ...पंचलिंगीप्रकरण विवरणसहित......
जिनेश्वरसूरि -मू.. ........ .......... १५३५ ................. १८... २०५ थी २१० ...२६६....१४०० सर्वराजगणि
वाचनाचार्य -वि. सामाचारी..
जीर्णप्राया काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह ...... मध्यम .. अमरचंद्रसूरि .
........... १५१६
५२.. २११ थी २१४ ...२६६ काव्यकल्पलता..... मध्यम ... अमरचंद्रसूरि
.. २११ थी २१४ ...२६६ बाग्भटालंकार ............ मध्यम .. वाग्भट .................. ........... १५४८ साधुवंदनारास अपूर्ण
जीर्णप्राया सूत्रकृतांगसूत्रावचूरि अपूर्ण ... जीर्ण मुरारिनाटक टिप्पणीसह .. मध्यम ... मुरारि कवि ............ ......... १५५४ षडावश्यकबालावबोध अपूर्ण.
२१८ थी २२२ अमरुशतक टिप्पणीसह.. जीर्णप्राया अमरुक कवि ........... .सं.............. १५४२
.....२८० प्रयोगविवेकसंग्रह ... मध्यम .. वररुचि ....... ........... १५४४ .............
............ व्याकरणविषयक औक्तिक जेवो ग्रंथ बलाबलसूत्र
मध्यम.......... बलाबलसूत्रवृत्ति टिप्पणीसह ..........
जीर्ण ....... अष्टप्रकारपूजाकथा (विजयचंद्रकेवलिचरित्रांतर्गत) ...... मध्यम ... चंद्रप्रभ महत्तर .......... दशवैकालिकसूत्र ........
मध्यम .. शय्यंभवसूरि ............ २२५......
सिद्धान्तविचारसंग्रह (सिद्धांतगत आलापक) मध्यम .......
............... २२६ .... अंतकृद्दशांगसूत्रवृत्ति .... मध्यम .. अभयदेवसूरि ............
.................६
...३३७ २२७/१ ....... ज्ञाताधर्मकांगसूत्रवृत्ति ... श्रेष्ठ..... | अभयदेवसूरि ....... र.११२०-ले.१५५६ ...............१-७४ .... २२७ ....४२५५ २२७/२ उपासकदशांगसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ .... अभयदेवसूरि
७४-८७ २२८...... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र महाकाव्य दशमपर्व-महावीरचरित्र... मध्यम ... हेमचंद्रसूरि
सं............. १५३६ -.............. ........२२८ ...२६८/....५५८५
जीर्ण...
... २२३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
स्थिति
२२९
२३०
२३१
२३२
| २३३
२३४
२३५
२३६
२३७
| २३८
२३९
२४०
२४१
२४२
२४३
२४४
२४५
२४६
२४७
२४८
२४९
२५०
२५१
[सिद्धांतविचारगाथा
स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण सावचूरि काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र सूत्रकृतांगसूत्र.
अनुत्तरोबवाइयसूत्रवृत्ति त्रूटक आचारांगसूत्र
स्थानांगसूत्र
....
अभिधानचिन्तामणिनाममाला
पिंडनियुक्ति अवचूरि
भवभावनाप्रकरण वृत्तिसह
कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति टिप्पणीसह पंचपाठ चतुर्थ. कातंत्रव्याकरण बालावबोधवृत्ति
शत्रुंजयमाहात्म्य पद्य पार्श्वनाथविवाहलो
नैषधीयमहाकाव्यदीपिका द्वितीयसर्गपर्यन्त
कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति कर्पूरमंजरीनाटिका
कर्पूरमंजरीनाटिका कर्पूरसुमभाष्य कातंत्रविभ्रम सटीक टिप्पणी सह कालापकव्याकरण वृत्तिसह
| पार्श्वनाथचरित्र पद्य चंडीशतक सटीक,
*****
मध्यम....
मध्यम...
श्रेष्ठ......
मध्यम... सुधर्मास्वामी
जीर्णप्रायः सुधर्मास्वामी
जीर्ण.... अभयदेवसूरि
जीर्णप्रायः सुधर्मास्यामी जीर्ण सुधर्मास्वामी जीर्णप्रायः हेमचन्द्रसूरि मध्यम... जयकीर्तिसूरि पूर्णिमापक्षीय.
अमरचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
मध्यम मलधारी
...
- श्रेष्ठ मध्यम
कर्ता
दुर्गसिंह मेरुतुंगसूरि
अंचलगच्छीय
श्रेष्ठ धनेश्वरसूरि मध्यम... पेथो मंत्री
मध्यम
श्रेष्ठ दुर्गसिंह
-----
हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
...
मध्यम... मध्यम श्रेष्ठ मध्यम
श्रेष्ठ भावदेवसूरि
मध्यम...
राजशेखर कवि
प्रेमराज
जिनप्रभसूरि यू.
बाणभट्ट -टी.
भाषा
सं.
प्रा.सं.
सं.
प्रा.
प्रा.
सं.
प्रा...
प्रा.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
अप गु .सं.
सं.
सं.
.सं.
सं.
.सं.
सं.
सं.
संवत्
१४८०
१६१५
१५४३
**
१५४३
१५४१
र. ११७०-१५९५
१५६८
१४४४-१५३२
१५९१
१५३८
१५३८
.र. १३५२-१४७८
१५२६
झेरोक्ष
२२९ २३०
२२९ + २३०
५७
२४
• २३१ थी २३३ २३१ थी २३३ २३१ थी २३३
४१
....२ २३४ थी २३६
४८
पत्र संख्या
.२
५८
३९
४७
. १६४
१५.६०
३०६
२०
.४६ १०
९५
*****
.७९-१९१ ३९
..
""
१६
१७८
.५
. ३३ ...
..
२३४ थी २३६ २३४ थी २३६
. २३७+२३८
.२३७+ २३८
..
*****
22
सी.डी. ग्रंथाग्र
२६७३३५७ अगीयार पत्रो ओछा छे.
२६७
....१२५०
.२१०० ....११७
. २५७४ .३७७७
. २६८ ....२८३२
.२६८. १३०००
.२४० + २४१२६७
२४५ (१.२)
२४६ थी २४९
२४६ थी २४९ २४६ थी २४९ २६७ २४६ थी २४९ २६७ SAAAAAAA . २५० २६८ २५१२५२२६७
विशेष नोंध
L
२४० + २४१ २६७५०९ पत्र १ तथा १५ नथी. ....८८१२ पत्र ८,८५,८६,९१,९२,९७ नथी.
२४२
२४३ २४४२६७२५० पत्र ५ मं नथी.
, २४३ २४४
. २६१
...(9000
पत्र २७ थी ३६ नथी
६१
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
कर्ता
सवत
पत्र संख्या
२५४ .... २५५..
२५६.....
२५७........
२५८........
भेष्ठ....
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति भाषा
झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध २५२......... नलदवदंतीचरित्र पद्य ................ मध्यम..देवभद्र मुनि
.......... १५३५ ........... .....२५१ + २५२...२६७/.....८५४ २५३'..... ..अनर्घराघबनाटक .............. श्रेष्ठ..... मुरारि कवि
गु............ १३७५ ............. ....८६ ............२५३ - २६७/ गौतमपृच्छा वालावबोधसह अपूर्ण ..... श्रेष्ठ ...
....२५४ संबोधसप्तति बालावबोधसह ........ जीर्ण..
....२५४ थी ६० सप्तस्मरण खरतरगच्छीय सावपूरक पंचपाठ जीर्ण
... ५२ ..... २५४ थी ६० पर्युषणाकल्पनियुक्तिवृत्ति किंचिदपूर्ण ... श्रेष्ठ ..... भद्रबाहुस्वामी -मू.. ....पा.
४६-६०.....२५४ जिनप्रभसूरि -वृ. श्रावकाराधना .....
.............२५४ थी २५९...... ....तत्त्वसारगाथा श्रेष्ठ..... .१७४५ .................५ ....२५४
J... गा.७४ २६०......... कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तबक ........ मध्यम ...
....२५४ थी ६०......... मू.का.४४ २६१/१ ......शत्रुजयकल्प ... श्रेष्ठ ..... जिनप्रभसूरि
१७३२ .....२६१ थी ६६...२३९/..... १३५. आनुं अपरनाम धर्मोपदेशशत अने |
............ जिनोपदेशशत पण छे. २६१/२ ...... उपदेशशतक
.......५-८.....२६१ थी ६६ ...२३९..... १०३ २६१/३ ...... सूक्तसंग्रह ............ श्रेष्ठ ....
[.....२६१ थी६६...२३९.......९९ पत्र १० मुं नथी. २६२......... उपदेशमालाकर्णिकावृत्ति अपूर्ण ...... जीर्ण .... उदयप्रभसूरि ........... २६३ ........ श्राद्धविधि विधिकौमुदीवृत्तिसह श्रेष्ठ ..... रत्नशेखरसूरि स्वोपज्ञ ..... सं....र. १५०६-१५३२ .१२१
....६७६१). पत्र ६८.७०,७१,७५,८८ थी ११५ नथी, २६४ ...... भगवतीसूत्रबीजक .....
श्रेष्ठ.... हर्षकुलगणि ....... ......१६११-१६१८ २६५..... प्रव्रज्याविधानकुलक................
........... १७२३
........गा.३४ संघपट्टक सस्तबक..
...........१७३५
............ प्रति चोंटीने नकामी थयेली छे २६७/१ इंद्रियपराजयशतक सस्तबक
....मू.गा.१०० २६७/२ भववैराग्यशतक सस्तबक ....
...मू.गा.१०४ २६७/३ .. आदिनाथदेशनोद्धार सस्तबक .....
म.गा.८८| २६८....... विवेकमंजरी प्रकरण
आसड ..... प्रा. ........र. १२४८
.....गा. १४४ २६९ ....... संदेहविघौषधि-कल्पसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ ..... | जिनप्रभसूरि प्रा.सं............ १३६४
७०.२६८
........२६९ जीतकल्पसूत्र श्रेष्ठ.... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण . प्रा.
....२६७ थी ७०......... गा.१०७
श्रेष्ठ ....
..........८.93
.. १४
२६६ ..
8
बैं
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--------------------------------------------------------------------------
________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार ग्रंथनुं नाम
ग्रंथांक
२७१......
जीतकल्पसूत्र सटीक
२७२
२७३
२७४
२७५
२७६
२७७
૯
२७९
२८०
२८१
२८२
२८३
२८४
२८५
२८६
२८७
૮૮
२८९
२९०
२९१
२९२
२९३
२९४
२९५
द्वादशकथा त्रूटक अपूर्ण
सिन्दूरप्रकर
सिन्दूरप्रकर
सिन्दूरप्रकर
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र
आवश्यक सूत्रबृहद्वृत्ति कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति इंडिकासह पंचपाठ
कल्पसूत्र कल्पलतावृत्ति अपूर्ण. कल्पसूत्र सस्तबक
पर्युषणाकल्पदुर्गपदव्याख्या.
बृहत्कल्पसूत्र दशाभुतस्कंधसूत्रचूर्णी दशाश्रुतस्कंधसूत्र दशाश्रुतस्कंधसूत्र
दंडकप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह
दंडकप्रकरण सस्तबक दंडक प्रकरण अवचूरि कुमारसंभवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यंत... जीर्णप्रायः कालिदास
श्रेष्ठ .....
कथासंग्रह
कुमारसंभवमहाकाव्य अवचूरि
सप्तमसर्गपर्यन्त..
बिल्हणपंचाशिका
बिल्हणपंचाशिका
बृहत्कल्पसूत्र
शीलोपदेशमालाप्रकरण सस्तबक
जैसलमेर दुर्ग
स्थिति
मध्यम...
--------
श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी
कर्ता
भाषा
| जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण प्रा.सं.
-मू. तिलकाचार्य वृ.
मध्यम...
श्रेष्ठ..... भद्रबाहुस्वामी
श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी
मध्यम... गजसार भू..वृ.
मध्यम ... गजसार मू. श्रेष्ठ
.....
श्रेष्ठ
मध्यम बिल्हण कवि
जीर्णप्रायः बिल्हण कवि
जीर्ण
www
मध्यम...
सोमप्रभाचार्य
मध्यम सोमप्रभाचार्य
श्रेष्ठ सोमप्रभाचार्य
मध्यम... सुधर्मास्वामी
श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि श्रेष्ठ दुर्गसिंह बृ.
.....
- श्रेष्ठ श्रेष्ठ जीर्णप्रायः
श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ठ
www.
जयकीर्तिसूरि .मू.
प्रा.
प्रा.
.प्रा.
प्रा.
प्रा. सं
प्रा. गू..
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
प्रा.
सं.
सं.
सं.
प्रा.गु. सं.
प्रा.
प्रा.गु.
संवत्
१६२३
१६६५
१५७९
१५७५
१६६४
१४७४
१५५३
पत्र संख्या
५२
९
४३.
२६
१८
३
६
६
१६
१६
४५
१
६
८९-१००
७
.९
७
१८-१५३ .५५३
. २०६
....... २११४
२-१००
१३
१०
१२
www
....
• २७२ थी ७६
२७२ थी ७६
२७२ थी ७६
२७७
.....
२७८ थी ८७.२६८
२७८ थी ८७
• २७८ थी ८७
Green
झेरोक्ष
२७१
२७२ थी ७६
२७२ थी ७६
.....
..
• २७८ थी ८७
२६८
•
२७८ थी ८७ २६८ का ५१
....
• २७८ थी ८७का १२३
२७८ थी ८७
• २७८ थी ८७
.... २७८ थी ८७
.... puc eft cu.!
.....
सी.डी. ग्रंथाग्र
......... २८८ २८९ (१.२) ,२९० २६७
२९१
. २९२ थी ९४
.....
२९२ थी ९४
. २९२ थी ९४
२९५ थी ३००
. २२२५
का. ९९
का. १००
का. १००
विशेष नोंध
पत्र ३ जु नथी. प्रतिना केटलाक पाना चोंटेला छे
मू.गा. ११६
पत्र १ लुं नथी.
पत्र १, १९, २० नथी.
२२००० पत्र १८२ नथी.
६३
पत्र ७१ थी ७७, ८८, ९३, ९४, १४५
१५९. १६० नथी.
पत्र ८, ९ नथी.
.
Page #112
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________________
11
संवत
२९७........
२९८ .....
गा.५०५
देपाल
A
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम | स्थिति कर्ता भाषा
| मेरोक्ष- सी.डी. प्रधान विशेष नोंध २९६ ....... शीलोपदेशमालाप्रकरण ............. श्रेष्ठ .... जयकीर्तिसूरि ............ प्रा.
...................३... २९५ थी ३००, . गा.११५ शीलोपदेशमालाप्रकरण ............. मध्यम .. जयकीर्तिसूरि ............. प्रा.
१००.. २९५ थी ३०० गा.११५ पुष्पमालाप्रकरण ............... जीर्णप्राया मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा.
.. २९५ थी ३००... श्रेणीकरास-सम्यक्त्व रास............ श्रेष्ठ ..... सौभाग्यहर्षसूरिशिष्य .... ..१६०३-१६३१
पत्र ५ मुं नथी. गुणावलीकथानक रास............. श्रेष्ठ.... ज्ञानमेरु......
........... १६७६
.. २९५ थी ३०० ईषुकारीयचरित्ररास ................. मध्यम ... क्षेमराजमुनि
कडी ४५ ३०२ ...... जंबूस्वामिरास
श्रेष्ठ..... ........र. १५२२ ................. ३०२
कडी १७८ ३०३...... । साधुवंदनारास .. मध्यम .. पुण्यसागर
................. ३०२
कडी १०२ जंबूस्वामिचरित्रबालावबोध ........... जीर्णप्राय .......
.......... १५६८ ...............२-१४... ३०२ थी ३०४ ३०५........चदनमलयाग
चंदनमलयागिरिकथा वासवदत्ताकथा तथा बारव्रतकथा मध्यम..
११............. मृगापुत्रचरित्रसंधि ................. जीर्णप्राय जिनसमुद्रसुरि ३०७/१..... वेलिपीराएली......................... जीर्णप्राया सिंहो
.. ३०६ थी ३०८ ......कडी १५ ३०७/२ ....... जंबूस्वामिप्रबंध ..................... जीर्णप्राया
३०६ थी ३०८. ....... गा.१७ ३०८ ......... श्रेणिकरास त्रूटक अपूर्ण ............... ३०९...... ..ईश्वरशिक्षा मध्यम....
............ ३०९ कडी २९. प्रति पाणीमा भीजाएली छे ३१० .......... रत्नसारकुमाररास ....................... मध्यम... सहजसुंदर
गुज...र. १५८२-१६६२ ...................... ३१० थी ३१२. ..... कडी ३१८ रत्नसारकुमाररास.....
मध्यम ... सहजसुंदर गुज... र. १५८२-१६२१ ................. १०... ३१० थी ३१२. ......कडी ३०१, पत्र १ लुं नथी. प्रति पाणीमां
............भीजाएली छे। ३१२....... रत्नचूडरास .... मध्यम .. कमलप्रभसूरि ........... गुज............. १५७१ ............... १२... ३१० थी ३१२ कडी ३०८. पत्र ५ मुं नथी. प्रति पाणीमां
............ भीजाएली छे कयबन्नारास. श्रेष्ठ ..... गुणसागरसूरि. गुज.
कडी ३२९ कलावतीरास ................... श्रेष्ठ ..... संयममूर्ति अंचलगच्छीय ......र. १५९४
कडी १९४ ३१५.... चउगतिवेल मध्यम...
कडी १३५, प्रत्येकबुद्धरास यूटक अपूर्ण .......... जीर्णप्राय
............ वचा घणां पाना नथी पार्श्वनाथविवाहलो त्रूटक
जीर्णप्राया
गुज. १५५१
४-५......३१७+३१८ कर्मग्रंथपंचक ........
श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि
.प्रा.
................ १८......३१७+ ३१८ पगामसज्जाय तथा हरियालीगीत ..... मध्यम ... रतनमुनि...... प्रा.ग
.................३...३१९ थी ३२१
555
श्रेष्ठ.....
'
३११.......
.........
..................................
१७३७
३१३...... ३१४.....
:
.............
गुज.
..२२
:
...........१४८५
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________________
। स्थिति
३२१.....
अार...............
३२३/२..
३२३..
--000-4..गा.४१
१६५७
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कता भाषा संबत पत्र संख्या 1ोरोक्ष सी.
डीग्रंथाना विशेष नोंध ३२०...... दर्शनसप्ततिकाप्रकरण .................श्रेष्ठ.................................
.................३ .. ३१९ थी ३२१ ............ गा.७० ... कर्मग्रंथपंचक ............ श्रेष्ठ..... देवेन्द्रसूरि ...............
................ १२..३१९ थी ३२१ ................. पत्र ११ मुं नथी. ३२२..... कर्मस्तव द्वितीय कर्मग्रंथ.. ............. मध्यम ... देवेन्द्रसूरि
............३२२ ...........गा.३५ ३२३/१ ...... पष्टिशतप्रकरण सावचूरि ............... मध्यम ... नेमिचंद्र भंडारी -मू.....प्रा.सं
..........१-१५ ............३२३ .................... गजसार -अ. नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि ................ मध्यम ........ ..................प्रा.सं.
१५-२६ ............ चतुर्थ पंचम कर्मग्रंथ श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि ................. प्रा..
....... १८.....३२४ + ३२५ .......... गा.१८६ पत्र १ थी ५ नथी. काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह अपूर्ण मध्यम ... अमरचंद्रसूरि स्योपच ...... सं. !
४८..... ३२४ + ३२५ .................... पत्र २६, ३९ नथी. लघुसंघपट्टकमकरण ..................मध्यम ...जिनवल्लभसूरि ......
..२ .....३२६ + ३२७...........का.४० पुष्पमालाप्रकरण ........................श्रेष्ठ .....मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा.............. १६८५ .......... २९ .....३२६ + ३२७ .......... गा.५०८ कर्मविपाककर्मग्रंथ सावचूरि .............मध्यम ... देवेन्द्रसूरि मू............ प्रा.गु
.............६ .....३२८ + ३२९ संदेहदोलावलीप्रकरण संस्कृतस्तबक सहमध्यम ... जिनदत्तसूरि मू.........
.............. १०.....३२८+ ३२९ ...२६९ मू.गा.१५० ३३०/१ उपदेशमालाप्रकरण ...... धर्मदासगणि .......
.१.१९
......गा.५४३ ३३०/२ ...... चैत्यवंदनाविधिप्रकरण ................
............ २०-२२
................. गा.३५ ३३०/३..... नवतत्त्वप्रकरण
२२-२३
... गा.२७, ३३०/४ .. विवेकमंजरीप्रकरण................... ........... आसड ............. ..........र.१२४८............. २३.२८
गा.१४४, जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण ............... जीर्णप्रायः
२९.३३
गा.१०९ संग्रहणीप्रकरण अपूर्ण -मध्यम ... श्रीचंद्रसूरि ..........
.........३३१ -मध्यम... जयकीर्तिसूरि
...३३२+३३३ शीलोपदेशमालाप्रकरण ................ .जीर्णप्राय जयकीर्तिसूरि .
.....३३२+३३३ पुष्पमालाप्रकरण -मध्यम ... मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा.........
............३३४. वेद्यकसारोद्धार सन्निपाताधिकार अपूर्ण , मध्यम .........
.....३३५ + ३३६ अश्विनीकुमारसंहितागत त्रयोदशम प्रकरण सस्तबक ..................... ...मध्यम .........
.....३३५ + ३३६ .........मू.अं.४१ समवायांगसूत्र ......... ....मध्यम ... सुधर्मास्वामी .............
............ ३३७ ............१७६७ उपासकदशांगसूत्र . ....श्रेष्ठ ..... सुधर्मास्वामी ............
.....३३८+ ३३९ ......... .... प्रति पाणीमां भीजाएली छे सूत्रकृतांगसूत्र द्वितीयश्रुतस्कंध सस्स बक त्रिपाठ........................ मध्यम.......................... प्रा. गु
३४ .....३३८ + ३३९
३३०/५
FFFFERE
RE
23:33.
For Private & Personal use only
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
६६
ग्रंथांक
३४३/२ ३४४
३४०
३४१/१
३४१/२
३४२/१
३४२/२
३४२ / ३ ३४२/४
३४२/५
३४३/१ थिरपुरमंडन शांतिजिनस्तवन
३४५
३४६
३४७/१
३४७/२
३४७/३
३४८
३४९/१
३४९/२
३४९/३
३४९/४
३४९/५
३५०/१
३५० / २
******
- आचारांगसूत्रदीपिका.
------
*****
www.
-------
------
पार्श्वनाथस्तवन
• ऋषभदेवस्तवन बालेवामंडन
- पार्श्वनाथमेघराजगीत
गुर्वावली.....
गौतमस्वामिगीत पार्श्वनाथस्तवन
. गोडीपार्श्वनाथस्तवन
ग्रंथ नाम
-आलोचनाविनतीस्तोत्र
थिरपुरमंडन कुंथुजिनस्तवन पंचसमवायाधिकार (गुणसागरप्रबोधांतर्गत) पार्श्वजिनछंद
www..
.....
. चतुर्विंशतिजिनचतुर्विंशतिका
. शांतिनाथजिनपर्यंत (अपूर्ण) मौनएकादशीतपगर्भित सर्वतीर्थंकरस्तुतिरूप श्रीमल्लिजिनस्तोत्र - मौनएकादशीस्तुति एकादशीनिर्णयगर्भित पार्श्वनाथस्तवन
. श्रीपालचरित्रबालावबोध
------
------
-------
नेमीश्वरगीत........
. पंचासरापार्श्वनाथस्तवन
नारिंगापार्श्वनाथस्तवन
चिंतामणी पार्श्वनाथ स्तवन. हरियाली
नेमिनाथगीत
वैराग्यगीत
स्थिति
कर्ता
श्रेष्ठ...... जिनहंससूरि
श्रेष्ठ......
गुणविनय
गुणविनय
जिनसुंदरसूरि
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जिनसुंदरसूरि
श्रेष्ठ......
हर्ष समुद्र
श्रेष्ठ
जिनसुंदरसूरि
श्रेष्ठ... जिनसुंदरसूरि
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ...... मध्यम
...
जीर्णप्राय जेतसी
जिनसमुद्रसूरि
जिनसमुद्रसूरि
जिनसमुद्रसूरि
.....
श्रेष्ठ.....
.....
श्रेष्ठ..... जिनसुंदरसूरि
.....
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ .. जिनसमुद्रसूरि जिनसमुद्रसूरि जिनसमुद्रसूरि रत्नसोम वेगडगच्छीय. गुज. लाभोदय गुज.
गुज.
( श्रेष्ठ...... | श्रेष्ठ
श्रेष्ठ लाभोदय
श्रेष्ठ...... श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
लाभोदय
लाभोदय
लाभोदय
महिमराज
राजसमुद्र
मध्यम... मध्यम...
ww
भाषा
.सं.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज... र. १७४९-१७४९
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
संवत्
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
र. १५७३
र. १७४१
र. १७३२
१७२५
पत्र संख्या १९०-३०१ १-२
२ जु
१
. १लुं
१-२
२-३
३जु
३-४
३
ܡ
....
२
२-३
३-४
१४
...
....
३४१ थी ३४७
३४१ थी ३४७
३४१ थी ३४७
३४१ थी ३४७
...
३४१ थी ३४७
.. ३४१ थी ३४७
.२ ३४१ थी ३४७
३४१ थी ३४७
३४५ थी ३४७
....
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
३४०
३४१ थी ३४७
झेरोक्ष
३४१ थी ३४७
३३ ४१ थी ४७
----
• ३४१ थी ४७
• ३४१ थी ४७
३४१ थी ४७
• ३४८ थी ५१
. ३४८ थी ५१
----
१लु
.....
३४८ थी ५१ .... ३४८ थी ५१ रजु ३४८ थी ५१
१ १-२
२-३
• ३४८ थी ५१
१
. ३४८ थी ५१
१-२
.... ३४८ थी ५१
सी.डी. ग्रंथाग्र २६८.. १०५०० गा. ३१ . कडी ४
---
गा. ७
गा. ९
गा. ७
गा. ६
गा. ३९ ...गा. ४७
गा. ६९
गा. ४४
गा. ४
गा. १८
गा. ५
गा. ७
गा. ७
.गा. १३ गा.८
ग्रंथकर्ताए पोतेज लखेली प्रति छे
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--------------------------------------------------------------------------
________________
कर्ता
विशेष नोंध
.....................
...............
पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
रजु ..... ३४८ थी ५१............ गा.१५
....३४८ थी ५१
.........
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति।
भाषा संवत् ३५०/३...... संजमसुंदरीगीत .......
मध्यम ... राजसमुद्र ............... ३५१.........गोडिचास्तवन ....... .... मध्यम ... जिनसुंदरसूरि
......र. १७३
........... वेगडगच्छीय ३५२ ........ चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र..
मध्यम .................... ३५३........ औपपातिकोपांगसूत्र ................. श्रेष्ठ................................ ३५४ ...... औपपातिकोपांगसूत्रवृत्ति ............. श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि ............ . ३५५ ....... गणधरसार्द्धशतकप्रकरण............... श्रेष्ठ ..... जिनदत्तसूरि ............. प्रा. |३५६/१... पष्टिशतप्रकरण सस्तबक ............ श्रेष्ठ ..... नेमिचंद्र भंडारी ......... प्रा. गु ३५६/२ ....... महर्षिकुलक (लुद्धा नरा०) .............. श्रेष्ठ .................................. प्रा.. ३५७ पुष्पमालाप्रकरण .......
श्रेष्ठ ..... मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा. ३५८....... प्रश्नोत्तररत्नमाला बालावबोधसह ......मध्यम ... विमलाचार्य -मू.........सं. ]
चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक ............ श्रेष्ठ ..... वीरभद्रगणि-मू......... प्रा. गु वैद्यमनोत्सव .............................मध्यम ... नयनसुख ............... हिन्दी सूत्रकृतांगसूत्रगत आर्द्रकीय
आदि अध्ययन.................. ३६२..... चतुःशरणप्रकीर्णक ........... मध्यम ... वीरभद्रगणि बुद्धिरास .........................
शालिभद्रसूरि जंबूस्वामिरास ............... श्रेष्ठ ..... रत्नसिंहसूरि शिष्य ... गुज...र. १५१६-१५४१
ललितांगकुमाररास ............... श्रेष्ठ..... क्षमाकलश ............ गुज...र. १५५३-१६४५ | उपदेशरत्नकोश सस्तबक
प्रा.गू रत्नचूडरास .........
गुज. कलिकालरास .........
श्रेष्ठ ..... हीरानंदमुनि
पिष्पलगच्छीय गुज........... र.१४२६ सुंदरशृंगार ..
मध्यम..
हिन्दी ........... १७५३ रघुवंशमहाकाव्यटीका .. .................
गुणरलगणि .सं.र.१६६७ ले.१६८३ ३७१...... उत्तराध्ययनसूत्र रास्तबक ...............मध्यम ...
प्रा.गु............१७११.. शीलोपदेशमाला शीलतरंगिणीवृत्तिसह श्रेष्ठ,
सोमतिलकसूरि -यू... Jटक अपूर्ण
रुद्रपल्लीय
...... ३५२+५३ .............२००० ...... ३५२ +५३ ...२६८....११६७ ..... ३५४+५५...२६८....३१३५ ... ३५४+ ५५... २६९/
३५६ थी ६० ....... गा.१६१ .. ३५६ थी ६०. ........गा.२० |....३५६ थी ६०. +गा.५०८ ....३५६
मू.आ.२९ |....३५६ ........गा.६३ ....३५६ थी ६०..............६००
...मध्य
म ...-...---
३६३ .....
११/....३६१ थी ६५
....३६१ थी ५.
--...३६१ थी ६५. ...९०७गा.५७ .७/-. ३६१ थी ३६५ ...८.. ३६१ थी ३६५... गा.२१९ ....२... ३६६ थी ३६९. 4...गा.२५
|.. ३६६ थी ३६९ .....-. गा.३४३
३६५....... ३६६......
३६७ ......
.............१८
..............२
३६६
३६६
१२४
गा.४७ गा.३५३ पत्र ८, ९, १२ नथी. ...६०७०-पत्र ६ थी २७ नथी.
-पत्र ३५ मुं नथी. पत्र ३४, ३७ तथा ७७ थी १०७ नथी.
......३४-१३०
१८-७७
lain
ducato International
For Private & Personal use only
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________________
३७५...
प्रा. गू
३०६ ....
१९८३
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति
भाषा संवत । पत्र संख्या ___ झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोध ३७३.. कल्पसूत्र बालावबोधसह अपूर्ण .........श्रेष्ठ...........
............२-१८१ ...... ३७३ ३७४.. शीलोपदेशमालाप्रकरण बालावबोधसह मध्यम ..
प्रा. गू ........... १५७८ ................१५३ ...... ३७४ ...........६२५० ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र जीर्ण ....
--.-......... १२५-२४८ ...... ३७५ सस्तबक जूटक अपूर्ण .. कल्पसूत्र किरणावलिटीकासह त्रिपाठ श्रेष्ठ .... भद्रबाहुस्वामी -मू.. ...... प्रा. सं ........ र. १६२८ ................२०१ ३७६ .२६९/
धर्मसागरोपाध्याय -टी. रघुवंशमहाकाव्यवृत्ति ...... श्रेष्ठ.... चारित्रवर्धन ...........
३७७ ...२६९....८००० सामाचारीशतक बीजकसह ...
समयसुंदरोपाध्याय .......
१९८३ वक्रोक्तिजीवित अपूर्ण
कुत्तक महाकवि............
१९८४
... ३७९ जयदेवछंदःशास्त्र वृत्तिसह
जयदेव -मू.. हर्षट -वृ.... जयदेवछंदाशास्त्र
.... जयदेव कइसिट्ठछंदाशास्त्र ...........
१९८३ ज्योतिष्करंडकप्रकीर्णक वृत्तिसह ..... मलयगिरि आचार्य -वृ.
१९८३
३८३ नंदिसूत्रलघुवृत्तिदुर्गपदप्रयोध ......... | श्रीचंद्रसूरि .........
.........३३००. प्रथम पत्र नथी. योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय........ जीर्णप्राय हेमचन्द्रसूरि ............
......... पत्र २-३ नथी बज्जालग ............ मध्यम ..
...२६९ सूक्तसंग्रह-सम्यक्त्वकौमुदीकथागत ..... श्रेष्ठ ........... सप्तस्मरण-खरतरगच्छीय............ श्रेष्ठ......
१५४७ दुरियरयसमीर महावीरचरित्रस्तोत्र .... मध्यम ... जिनवल्लभगणि ... प्रवचनसारोद्धार अपूर्ण.
मध्यम ... नेमिचन्द्रसूरि ..... . धनपालपंचाशिका सावचूरि पंचपाठ... मध्यम .. धनपाल मू....... ३९२...... जिनशतकमहाकाव्यं...... जीर्णप्राय जंबूकवि..........
................. ३९१ थी ३९३ ३९३ ........ मलयसुंदरीचरित्र पद्य (अपूर्ण) ........ जीर्णप्राय जयतिलकसूरि .......... आगमिक
..............३०... ३९१ थी -.२६९/........... प्रति उंदरे करडेली छे ३९४ .......! उपदेशमाला हेयोपादेयावृत्तिसह ........ सारी ... धर्मदास गणि -मू.. .....प्रा. सं
..........३-१३५ | सिद्धर्षि -वृ.
श्रेष्ठ .....
에 대해 ...... 매 매매 매매 매매
9489
पण...............
... ३२१
...............
............ ३९४
३९५.........कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति
तद्वितपर्यंत टिप्पणीसह पंचपाठ ...... मध्यम ...
स.............१५५२
.....३९५
For Private &Personal use only
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________________
भाषा
संवत्
। पत्र संख्या |
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
...............३९६ + ३९७
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक | ग्रंथनु नाम
स्थिति | ३९६ ......... सप्तस्मरण संस्कृतस्तबकसहखरतरगच्छीय ......
जीर्ण ........ ३९७....... कथासंग्रह ............................. जीर्णप्रायः ३९८ ...पंचतंत्र.
श्रेष्ठ.... ३९९/१ ..... शत्रुजयउद्धाररास...................... मध्यम ... समयसुंदरोपाध्याय .. ३९९/२ ..... गौतमरवामिरास ........................ मध्यम .... ३९९/३ ...... महावीरस्यामितपपारणास्तवन .........-मध्यम ..... ३९९/४ ..... शांतिनाथस्तवन.
मध्यम ... गुणसागरसूरि. ३९९/५ ..... सोलसतीस्तवन .........................मध्यम ...... ३९९/६ ..... नवकारनी सज्झाय ................. मध्यम... गुणसागरसूरि ३९९/७ ..... अष्टापदस्तयन ..........................मध्यम ...समयसुंदर ...........
११-१७
.........२९८ .....र. १६८२
..१-१० .... १४९२.............
१७-२०
२०-२२ ........... ર૪-૨૫ ............. २४-२५
.. २६मु ..........
FFFF
गा.९ ......... गा.५ प्रतिना पानां चोंटी जवाथी अक्षरो
उखडी गया छे.
ऋषिदत्ताचोपाई
संगीतशास्त्र विषयक ग्रंथ छे.
वेगडगच्छीय महिमसमुद्र ........... प्रारब्ध, बेगडगच्छीय मध्यम ...क्षमासुंदर ............... गुज. र.१६९८-ले.१७६६ ... श्रेष्ठ..... हृदयनारायणदेव ........ सं............. १७३८ .................... ४०१ थी मध्यम.............
............... २३-४६ .. ४०१ थी ४०५ श्रेष्ठ ..... रामचंद्राचार्य
..........१०३ .. ४०१ थी ४०५ जीर्णप्राय
... १६९९ ...............३-१७ .. ४०१
..........२७.. ४०१ थी ४०५
४०२....
हृदयप्रकाश............................ पंचतंत्र............... प्रक्रियाकौमुदी .......... सुभाषितश्लोकसंग्रह सूक्तावली ......
४०३.....
श्रेष्ठ .....
.........१०४६ प्रति पाणीमां भीजाईन खराब
..........थयेली छे. ...का.१४५
४०८ ...
श्रेष्ठ .....
सुभाषितसंग्रह.
......९ .. ४०६ थी ४०९ वाग्भटालंकार
६२-७२ -- ४०६ थी ४०९ सुभाषितसंग्रह
.......८.. ४०६ थी ४०९ गुणावलीगुणकरंडकरास ............... श्रेष्ठ ..... उदयसूरि वेगडगच्छीय . .सं.... र. १७७३-१७७३
.. १२ .. ४०६ थी ४०९ ४१०/१..... सत्तरभेदीपूजा ..............."
........... जिनसमुद्रसूरि .......... गुज............. १७१८ ............ ४१०/२ ..... गुर्वावली..........
प्रा. ४१०/३ ..... पंचतीर्थीस्तुति .................... श्रेष्ठ ..... जिनसमुद्रसूरि ........... गुज...
१०मु
....१०
...... १०
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________________
७०
ग्रंथांक
४११....
४१२
४१३
| ४१४
४१५
४१६
.....
४२०/६ ४२०/७
ग्रंथनाम
जंबूस्वामिचरितरास.
साधुवंदनारास
ऋषिदत्तारास
शत्रुञ्जयमाहात्म्य सिद्धांतचंद्रिका पूर्वार्ध
द्रव्यगुणपर्यायरास सस्तबक अपूर्ण
४१७
४१८
४१९
४२०
अष्टोत्तरशतस्तोत्र कवितबद्ध अपूर्ण
४२०/१ ४२०/२ ४२०/३
द्रव्यसंग्रह..
चेतनकर्मचरित्र
४२०/४ . अक्षरबत्रीसी......
------
४२०/५ ....... ब्रह्मसमाधिशतक
उत्तराध्ययनसूत्र
चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तवक
- कल्पसूत्रअवचूरि
- ब्रह्मविलास
-----
- अष्टप्रकारीपूजाकवित अष्टप्रातिहार्यकवित
४२०/८..... [[चित्रबद्धकवितत्रिक
४२०/९ वर्तमानजिनचोवीसी छप्पा.
४२० / १०.
४२०/११
४२०/१२
४२०/१३
| ४२० / १४.
| ४२०/१५....४२०/१६ मिथ्यात्वविध्वंसनचतुर्दशी
....
बिहरमानजिनवीसीछप्पा
परमातमजयमालिका
मुनिराजजयमालिका. अहिछत्रापुरीपार्श्वनाथछंद
परमारथपद सवैया दुहा
शिष्यचतुर्दशी
www.w
......
स्थिति
कर्ता
जीर्णप्राया जिनेश्वरसूरि शिष्य
वेगडगच्छीय
श्रेष्ठ......
समयसुंदर
श्रेष्ठ......
जयवंतसूरि
जीर्णप्राया धनेश्वरसूरि
रामचंद्राश्रम
यशोविजयोपाध्याय
स्वोपज्ञ
श्रेष्ठ......
मध्यम...
मध्यम..
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
वीरभद्रगणि मू.
भगवतीदास.
भगवतीदास, भगवतीदास,
भगवतीदास, भगवतीदास.
भैया
भगवतीदास. भैया...
भाषा
गुज.
गुज.
गुज.
सं.
सं.
गुज.
.प्रा.
प्रा. गू.
सं.
हिं.
हिं.
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हिं..
हिं.
हिं.
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हिं.
हिं.
हिं.
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संवत्
१६९७
१६४३
१६५९
१७५५
१७३१
१७३६
१७१६
१७३१
पत्र संख्या
२३
२२
४-२६
२९०
३०
२७
७१
९
६३
.११६
.४-१२
१५-२३
२३-३४
३४-३५
*******
३५-३८
३८-३९
३९मु
३९-४०
४३-४५
४५-४७
४७-४८
४८मु
४८-४९
४९-५२
५२मु
५२-५४
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंध
.. १२५० प्रति पाणीमां भीजाईने खराब
गा. ५८४ थयेली छे.
५७०. गा. ५१६
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथाग्र
गा. ५४९
.९०००
. गा. २७० पर्यन्तपत्र ८, ९, २१ नथी
कवित७७
गा. २९६
.गा. ३६|
गा. १००
. कडी ११
छप्पा २५/छप्पा२२. .. कडी ९.
. कडी १०
गा.७
गा. १४.
प्रति पाणीमां भींजाएली छे
छप्पा- सवैया १५
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
४२०/१७ जिनगुणमालिका
४२०/१८....
गुणमंजरी लोकक्षेत्ररज्जुचोपाई
|
४२० /१९
| ४२० / २०.....
मधुबिंदुकथाचोपाई . सिद्धचतुर्दशी..
४२०/२१ ४२०/२२ निर्वाणकांड
४२०/२३ गुणस्थानएकादशचठ्या
पड्याकथकसज्झाय
****
www.
[ ४२० / २४.....
४२०/२५ ४२० / २६...
४२०/२७. बारभावना
४२०/२८.....
कर्मभेदविवरण
४२०/२९ सप्तभंगवाणी सुबुद्धिचोवीसी
४२०/३०.....
| ४२०/३१. - शाश्वतचैत्यजयमाला.
| ४२०/३२
, कालअष्टक,
उपदेशपच्चीसी.
नंदीश्वरद्वीपजयमाल
चौदगुणस्थानजीवसंख्याविचार
सज्झाय अपूर्ण
४२०/३३ नित्यपच्चीसी
| ४२० / ३४ अष्टकर्मचोपाई ४२०/३५..... सुपंथकुपंथपच्चीसी मिथ्यादृष्टिसम्यग्दृष्टिवर्णन
| ४२० / ३६
| ४२० / ३७
| ४२० / ३८....
| ४२० / ३९ ४२०/४० ४२०/४१ ४२०/४२
----
www.l
KALR
जैसलमेर दुर्ग
स्थिति
आश्चर्यचतुर्दशी
रागादिनिर्णयाष्टक.
पुण्यपापजगमूलपचीसी
बावीसपरीसहवर्णन
छँतालीसदोषरहित आहारवर्णनपच्चीसी
जिनधर्मपच्चीसी
भैया
भैया
भैया
भैया
भैया
भैया
भैया
कर्ता
MATARA
भगवतीदास
भगवतीदास
भाषा
.ft.
.ft.
.ft.
.ft.
.हिं..
. हिं.
. हिं.
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.हिं.
हिं.
. हिं.
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.हिं.
हिं.
ما سمع
f..
हिं..
. हिं.
. हिं..
हिं..
fé..
. हिं...
. हिं.
.हिं..
.f..
संवत्
१७४०
१७४०
१७४०
१७४१
१७४१
१७४५
१७५०
१७५०
पत्र संख्या
.... ५४-५५
५५-५८
५८मुं
५८-६१
......................
६१-६२
.... ६२-६३
६३-६४
६४मु
६४-६६
६५ मु
६५-६६
६६मु
६६-६७
६७-७०
७०-७१
७१मु
७५मु
७५-७६
७६-७९
७९-८०
८०-८२
८२ मु
८२-८४
८४-८७
८७-८९
८९-९१
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथाप्र गा. २१
गा. ७४ ... गा.२०
...
.गा. ६२ सवैया- १४
.गा. २१
गा.८
गा. २७
गा. १६
गा. १५
...गा. १५
गा. १२
सवैया २५
.गा.३३
विशेष नोंध
सवैया २५१८मा सवैयाथी शरु थाय छे.
गा. २७८
सवैया २५
सवैया ११
सवैया १४
सवैया ८
सवैया २७
स. ३०
..गा. २५
गा. २८
७१
.
Page #120
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________________
७२
ग्रंथांक
४२० / ४३
४२०/४४. समुद्घातस्वरूप ४२०/४५ ४२० / ४६ सम्यक्त्वपच्चीसी.
....
४२० / ४७.....
..... अनादिवत्रीसी.
४२१
४२२.
४२३
४२४
४२५
४२६
४२७
-----
४२८
----- . मूढाष्टक
४२०/४८....४२० / ४९
४२०/५०
४२०/५१. , चोबीसतीर्थंकरजयमाल
४२०/५२ ४२० / ५३....
****
.....
ग्रंथनुं नाम
वैराग्यपच्चीसी
परमातमछत्रीसी नाटकपच्चीसी
....
उपादानकारणनिमित्तकारणसंवाद
४२०/५४. [कर्त्ता अकर्तापच्चीसी.
४२० / ५५
दृष्टांतपच्चीसी
४२० / ५६....
मनबत्रीसी
सुपनयत्रीसी
४२० / ५७. ४२०/५८.... सूआवत्रीसी ४२०/५९...-- प्रकीर्णक सवैया ४२०/६० ग्रंथोपसंहार
.....
पंचइंद्रियथोपाई
ईश्वरनिर्णयपच्चीसी
कविप्रिया
गुणकरंडकगुणावलीरास
राजप्रश्नीयोपांगसूत्रवृत्ति
नलदमयंतीरास
धातुप्रक्रिया..
कुमारसंभवमहाकाव्यटीका अपूर्ण
सारावली
प्रदेशीराजरास
*****
स्थिति
श्रेष्ठ
.....
कर्ता
भैया
भैया
भैया
भैया
भैया
भैया
भैया
भैया
भैया
भगवतीदास.
भैया
भैया
जीर्णप्राया
भगवतीदास.
भगवतीदास.
भगवतीदास.
भगवतीदास
मध्यम
जिनहर्ष
जीर्णप्राया केशवकवि
श्रेष्ठ..... मलयगिरि
मध्यम समयसुंदर
श्रेष्ठ....
जीर्णप्राया मल्लिनाथ कल्याणवर्म
भाषा
हिं.
हिं.
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. हिं.
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हिं.
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गुज.
.हिं.
सं.
गुज.
सं.
. सं.
सं.
गुज.
संवत्
१७५०
१७५०
१७५०
१७५०
१७५०
१७५१
१७५१
१७५२
१७५३
१७५१
१७११
१६१७
पत्र संख्या
------
.......
९१-९२ ९२
९२-९३
९३-९४
९४-९५
९५-९६
९६मु
९६-९८
९८-९९
. ९९-१०४
१०४-१०५
१०५-१०६
१०६-१०७
१०७-१०८
१०९-११०
११०-१११
१११-११४
११५-११६
१६
१०९
७९
३३
२२
११६
४-१०२
. २-४९
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
सी.डी. ग्रंथाप्र
विशेष नोंध
.गा.३३
.गा. ११
.गा. ८८ .
गा. २६.
गा. २५
...गा.३६.
गा. २५
गा.४७.
.गा. १७.
गां. १५५
गा. २६.
.गा. २६
गा. २५.
गा. ३४
गा. ३४
गा. ३४
दोहा ४१/
झेरोक्ष
, ४२३
.४२५४२६ ४२५४२६२३९
. ३७००
१-३, १३-१४, २७, ४०-४२,
७२-७४, ११६ नथी
अष्टमसर्ग ७७ श्लोक पर्यंत प्रति पाणीमां भींजाएली छे आदिना पानां घोंटी गया छे
१४-१९, ४४-४५ नथी
.
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________________
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
............४२९ ...२७०..........! पत्र ८, १२ थी १५ नथी
............
.......
प्रति पाणीमां भीजाएली छे
..गा.१५८१,
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक पंधन नाम
स्थिति कर्ता
भाषा संवत् ४२९......... भगवतीसूत्र सटीक त्रिपाठ .............११मा शतक पर्यंत .. ................. मध्यम ... सुधर्मास्वामी -मू.. ...... प्रा.सं.
............ अभयदेवसूरि -टी. ४३०......... सिद्धांतविचाररास.. ............... ४३१......... हरिबलरास ............................ ..श्रेष्ठ ..... जिनसमुद्रसूरि
वेगडगच्छीय ..... ......... सिंहासनबत्रीसी....................
श्रेष्ठ ..... संघविजय ....... गुज.र.१३७८-ले.१६७८ सारस्वतव्याकरणचंद्रकीर्तिटीका पूर्वार्द्ध जीर्णप्राय चंद्रकीर्तिसूरि प्रक्रियाकौमुदी श्रेष्ठ ..... रामचंद्राचार्य
....... १७१७ पद्मकोश .............. ........ मध्यम .......
............ १६९३ सारस्वतव्याकरणचंद्रकीर्तिटीका ........श्रेष्ठ ..... चंद्रकीर्तिसूरि ........ वसंतराजशास्त्र सटीक .................. श्रेष्ठ...... वसंतराज -मू..........
............ भानुचंद्र -टी. ४३८....... परिशिष्टपर्व अपूर्ण ................. श्रेष्ठ ..... हेमचंद्रसूरि ............. ४३९........ भरहेसर वृत्तिसह त्रूटक अपूर्ण .......... मध्यम ... शुभशीलगणि -....... ४४०........ उत्तराध्ययनसूत्र सस्तबक ............... अतिजीर्ण......
|........... १७६७
७८-१२० नथी
......७१०० केटलाक पत्रो उंदरे करडेला छे १०१ /.....४३७+ ४३८...२७०....३७५०३. २२, २७.५७ नथी
४३७ ........
.....४३७+ ४३८.
................. पत्र ८९ थी १०५, ११३ थी १२२ नथी
प्रतिना बों मळीने फक्त ५० पानां ये
४४१......... प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रटीका .......... श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि
......
४४२.......... बोलविचार ........................... -मध्यम ............................
४४१............४६३०, पत्र १-२, ११ थी ३० नथी प्रतिना |
.. केटलाक पाना उंदरे करडेला छे ................
प्रति चोंटी जवाथी अक्षरो
उखडी गया छे .....४४३ +18..२७०....२७२८, पत्र २४ थी ३५ नथी. ८८......४४३, ४४४.............३६००
४४३.........वंदारुवृत्ति
दशवैकालिकसूत्र सटीक.
४४.....
४५.......
उपदेशमालाप्रकरण सस्तबक ....... अभिधानरत्नमाला ................
नंदीसूत्रवृत्ति. |४४८........सारस्वतव्याकरणभाष्य
मध्यम ... देवेन्द्रसूरि ................ सं. श्रेष्ठ ..... शय्यंभवसरि -मू.......... सं. .........- सुमतिसरि -वृ. श्रेष्ठ .....धर्मदासगणि ............ श्रेष्ठ.....हलायुध भट्ट ........... सं............. १४५४ श्रेष्ठ .....मलयगिरिसूरि ........... सं..........१६२७-२९ श्रेष्ठ ..... काशीनाथ ............... .स.............१७०९
४०४६ ...२७० ४४७..२७०....७७३२ ४४८ .............३२०१ प्रति पाणीमां भींजाएली छे
..११०
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.जी. ग्रंथान विशेष नाँध
४९......
संवत । पत्र संख्या
१६६२ ............ १६५१
प्र.८ool
...............
प्रा.
गा.43
4. प्रतिमा घणां पाना नथी
४५४ ....
ग्रंथांक प्रधनुं नाम स्थितिाकर्ता
भाषा सारस्वतव्याकरणचंद्रकीर्तिटीका ....... श्रेष्ठ ..... चंद्रकीर्ति..... ४५०...... उपदेशमालाप्रकरण ...... श्रेष्ठ ..... धर्मदासगणि
सारस्वतव्याकरण अपूर्ण ............... श्रेष्ठ ..... अनुभूतिस्वरूपाचार्य ...... सं. प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र सस्तबक .... श्रेष्ठ ..... सूत्रकृतांगसूत्रसस्तबक अपूर्ण ....... श्रेष्ठ...... उपदेशमालाप्रकरण सस्तवक किंचिदपूर्ण मध्यम ... धर्मदासगणि -मू....... कल्पसूत्र बारसा .................... श्रेष्ठ ..... भद्रबाहुस्वामी कल्पसूत्रबालावबोध सप्तम वाचना .... मध्यम .......... कालिकाचार्यकथा ...................
श्रेष्ठ.....
गुज. ४५८ ...... कालिकाचार्यकथा बालावबोधसह ....... मध्यम . ४५९ .........गीतगोविंद सटीक
मध्यम ... जयदेवकवि -मू...
| जगद्वर -टी...............सं. - उत्तराध्ययनसूत्र प्रथम अध्ययन......../जीर्ण ....
..............प्रा.
प्रा.
.......
... अंतिम पत्र नथी
१६९३ ........ १५८२
सटाक..............
.........
४६० .......
प्रति पाणीमां भीजाएली छे बंने पत्रमा भगवाननु तथा पर्षदासह आचार्यनु सुंदर चित्र छे.
२८ .. ४६२ थी ४६४ ................... प्रति पाणीमा भीजाएली छे ... ४६२ थी ४६४.
प्रति पाणीमां भीजाएली छे .. ४६२ थी ४६४ .............२०७२
. गा.५४४. पत्र १, १७२३ नथी .....४६६ + ४६७ .............८२५ .....४६६ + ४६७ ............ ३६९
४६५.... ४६६ ...
जीर्ण ....
४६१......... उत्तराध्ययनसूत्र बालायबोधसह १३ अध्ययनपर्यत ....
मध्य म.. निर्यावलिकासूत्र
श्रेष्ठ... निर्यावलिकासूत्रवृत्ति .............
श्रेष्ठ .... श्रीचंद्रसूरि ............ राजप्रश्नीयोपांग ....
श्रेष्ठ .... उपदेशमालाप्रकरण
श्रेष्ठ .... धर्मदासगणि .............. अंतगडदशांगसूत्र कालिकाचार्यकथा गद्यपद्य ........ महानिशीथसूत्रगत कमलप्रभाचार्यअधिकार सस्तबक ...... जीर्ण.....
........ ४६९ ........ अनेकविचारसंग्राह ........... जीर्ण .. ४७० ........ अंतकृशांगसूत्र वृत्तिसह त्रिपाठ ..... श्रेष्ठ...., सुधर्मास्वामी -मू......... प्रा.सं
अभयदेवसूरि -बृ. (४७१......./उपदेशमालाप्रकरण,
मध्यम .. धर्मदासगणि...........
........
........... १५२६
FNE
......४६९ + ४७०
......४६९.४७०
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________________
७५
विशेष नोंध
झेरोक्षसी .डी ग्रंथान
गा.५४४
४७३ -
..३६००
मातचाप्य
..............
श्रेष्ठ..
४७४
FFFFF ५५
| गुज.
............... पत्र ३२१ मुं नथी.
१७२५
गुज.
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथy नाम
स्थिति कर्ता भाषा संवत् । पत्र संख्या ४७२......... उपदेशमालाप्रकरण .....................श्रेष्ठ .....धर्मदासगणि....... ४७३........ स्थानांगसूत्र श्रेष्ठ ..... सुधर्मास्यामी
१५७०
......... ४७४ .........कल्पांतर्वाच्य ४७५/१ ..... लब्धिकुशलसूरिगीत...
कीर्तिवर्धन ... लब्धिकुशलसूरिगीत..
सुमतिहंस... लब्धिकुशलसूरिगीत
कीर्तिवर्धन ... ४७५/४ .....लब्धिकुशलसूरिगीत
दयावर्धन. ४७५/५ ...... लब्धिकुशलसूरिगीत ..................... श्रेष्ठ .....महिमाकीर्तिगणि ........ ४७६....... सामवेदनिर्णय-द्वादशमहावाक्यनिर्णय ... मध्यम ... ४७७ ......... जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र सटीक त्रिपाठश्रेष्ठ ..... शांतिचंद्रोपाध्याय -य. .. प्रा.सं.
........... २७३-३८३ भुवनभानुकेवलिचरित्र बालावबोध ......श्रेष्ठ ..... हरिकलश धर्मघोषगच्छीय गुज. ऋषिमंडलसूत्रबालावबोध अपूर्ण ........जीर्णप्राय .... त्याद्यतप्रक्रिया अपूर्ण....................मध्यम.......
.............. कुंडेश्वरागम अपूर्ण ................ प्रत्येकबुद्धरास अपूर्ण .. ............ मध्यम ... समयसुंदर
........... १६६४ ऋषिदत्तारास ............................ श्रेष्ठ .....जयवंतसूरि ............. गुज. र.१६४३-ले.१७०४ प्रत्येकबुद्धचोपाई त्रूटक अपूर्ण ........... श्रेष्ठ ......... चंपकमालारास अपूर्ण ................... श्रेष्ठ .....सौभाग्यसागरसूरिशिष्य. वीरस्तुतिअध्ययन नरयविभत्तिअध्ययन सूत्रकृतांगसूत्रगत .......................मध्यम .. पूर्णकलशस्थापनाविधि ................ श्रेष्ठ .....
.......... भर्तृहरिशतकवालावबोध अपूर्ण .......... श्रेष्ठ .. विक्रमचोपाईरास ...... मध्यम ..परमसागर .......
१७२४............. २३-४१ ........ शालिभद्रचोपाई ...... जीर्ण .... मतिसार ............
૧૬૭૮ ............... ४९१......... जंबूस्वामिरास.......... ... श्रेष्ठ .....नयविमल ...........
......... १२.३० ४९२........ उत्तराध्ययनसूत्र
श्रेष्ठ .... ४९३ ........ कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति अपूर्ण ... जीर्ण ....दुर्गसिंह ...............
................२७-१८०
...........
। पत्र ७४-१६१ नथी. उंदरे करडेली छे,
मध्यम ........
-४८०४८१ ...४८० + ४८१
..१७९
............
प्रति चोंटीने खराब थएली छे
पत्र ३१-३९ नथी.पाणीमां भीजाएली छे.
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संवत्
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध
.......५,.. ४९४ थी ४९९ ...२७०/......
............
....
.....
|... ४९४ थी
म.गा.७०
१७३३
मू.गा.७०
४९७ ....
| ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
स्थिति]. कर्ता ४९४ ......... प्रवज्याविधानकुलक बालावबोधसह ... मध्यम ..जिनेश्वरसूरि बा. ....प्रा.गु.
वेगडगच्छीय ४९५...... पर्यंताराधनाप्रकरण सस्तबक .......... मध्यम ... सोमसूरि मू. ४९६ ...... पर्यताराधनाप्रकरण सस्तबक .......... श्रेष्ठ .... सोमसूरि मू.....
संबंधोद्योत.......................... जीर्ण .. रभसनंदि.. ४९८..... अभिधानचिंतामणिनाममाला अपूर्ण .. जीर्ण .... हेमचंद्रसूरि .......... ४९९/१......दानविधिप्रकरण............. ४९९/२.... नवकारफलकुलक..
आदिजिनस्तवन.................. ४९९/४ ...
श्रेष्ठ.... पार्श्वनाग............. ४९९/५ ... प्रश्नोत्तररत्नमालिका ................
श्रेष्ठ .....
विमलाचार्य ........... ५००/.. सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण
जिनवल्लभगणि ........ |५००/२... आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण
(प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथ)............... मध्यम .. जिनवल्लभगणि .......... प्रा. उत्तराध्ययनसूत्र सार्थ-अवचूरिसह ..... श्रेष्ठ ....... .......................प्रा.सं.] संस्तारकप्रकीर्णक बालावबोधसह ...... श्रेष्ठ ..... क्षेमराजऋषि या. त्रिपाठ ................
पाचचंद्रगच्छीय .......... प्रा.गु. ५०३.......-ताबाद तीर्थोद्गारप्रकीर्णक
मध्यम ..
FEF.
... ४९४ थी ४९९ .
आर्या ७६ आर्या.२९ .गा.१५६ -
७-११
..........गा.८६.
५०१.
..................१६३ ............
५०२....
.................प्रा.
.....मू.गा.१२१ ..५०३ थी ५०७ ....... गा.१२५४. चोंटेली तथा, पाणीमां भीजाएली छे.
..../१५४१. पाना चॉटेला छे. 1.२७०/- गा.१७४
श्रेष्ठ ....
श्रेष्ठ..... श्रेष्ठ ....
..........
५०५......
1. २७० ........... पत्र २.४ नथी
५०४/१ ...... चंदाविज्झयप्रकीर्णक ... ........... ५०४/२.... तंदुलवेयालियप्रकीर्णक .............. ५०४/३....! पौषधविधि ...
कातंत्रव्याकरण तद्धित अपूर्ण ........ ५०६ ....... कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति
व्याख्यानकलाप्रदीपिका ........
नवपदप्रकरण ............. ५०८ .... योगशास्त्रस्वोपज्ञवृति अपूर्ण.. |५०९......... सारस्वतव्याकरण सूत्रपाठ........
श्रेष्ठ..... गौतमपंडित -दी. ......
...जिनचंद्र ................. श्रेष्ठ .... हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
५०३ थी ५०७.२७०....४०७० .......... ५०३ थी ५०७ ......... गा.१३९
श्रेष्ठ....जनमा
...
३६
श्रेष्ठ.......
सं............. १७११
.................
.............. ................
www.nebrar og
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________________
पत्र संख्या
सी.डी. ग्रंथाना
विशेष नोध
ग्रं.५६.
गुज..
......५१२...२७१/....१५५०
गा.१५० ......५१४ ११५.५१६
--....-----...६२२ ५१५+५१६ ...२७१
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
| स्थिति. कर्ता भाषा संवत् ५१०......... योगशास्त्र प्रथम प्रकाश ................श्रेष्ठ ..... हेमचंद्रसूरि ............... .सं................. ५११/१ ...... अनाथीमुनिसंधि,
बिमलविनय.............. गुज............. १६४७ ५११/२ ...... सिंहलसुतचोपाई-प्रियमेलकचोपाई अपूर्ण...........
............... जीर्ण ....समयसुंदर .............. ५१२......... संदेहदोलावली लपुटीकासह ...........श्रेष्ठ ..... जिनदत्तसूरि मू.. ......मा. सं. र. १४९५-१५७४
जयसागरोपाध्याय -वृ. ५१३...... गणधरसार्धशतकप्रकरण ................जीर्ण .... जिनदत्तसूरि ..........
दानादिकुलक सस्तबक अपूर्ण .......... श्रेष्ठ ..... ५१५........Jशानार्णवसारोद्धार ...................... मध्यम ...शुभचंद्राचार्य ............ प्रशमरतिप्रकरणअवचूरि ................
जीर्ण .... पर्यन्ताराधनाप्रकरण बालावबोधसह ....जीर्णप्रायः सोमसूरि -मू.......... पर्यन्ताराधनाप्रकरण सस्तंबक ..........जीर्ण ....सोमसूरि -मू........ पर्यन्ताराधनाप्रकरण .................... श्रेष्ठ ..... सोमसूरि ..... नैषधमहाकाव्य अपूर्ण .................. मध्यम ... श्रीहर्षकवि कातंत्रव्याकरण गोल्हणवृत्ति अपूर्ण .....अतिजीर्ण गोल्हण -वृ. सारस्वतव्याकरण त्रूटक अपूर्ण ..... रामकलशव्याकरण ...............
जीर्णप्रायः .... संग्रहणीप्रकरण .................. जीर्ण .... श्रीचंद्रसूरि ........... संग्रहणीप्रकरण बालायबोधसह ....... जीर्णप्राय श्रीचंद्रसूरि -मू. ..... अनेकार्थतिलकनाममाला........... श्रेष्ठ ..... महिप .............
१७८१ कतिचिद्विचारबालावबोध
जीर्ण........ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र अपूर्ण ............ श्रेष्ठ ..... सुधर्मास्वामी खंडनखंडखाद्य...... श्रेष्ठ.....श्रीहर्ष..
१५५४ तत्त्वचिंतामणीमंगलवाद ............. मध्यम... गंगेश भट्ट..... संबंधोद्योत ............
मध्यम ... रभसनंदी...... ५३२....... वैद्यक ज्योतिष प्रकीर्णकसंग्रह .......... श्रेष्ठ ..
१७०२ ५३३/१.... जीविवचारप्रकरण.
शांतिसूरि ............. प्रा. ५३३/२ ......नवतत्वविचारगाथा
जयशेखरसूरि.
............... प्रति चोंटेली छे ...................गा.७०
4...........
....... ५२१...२७१
.......... प्रति पाणीमां भीजाएली छे .. ५२३ थी ५२६ ...२७१/......
५२३ थी ५२६ .. 1.-५२३ थी ५२६ .................. प्रति पाणीमां भीजाएली छे २३ .. ५२३ थी ५२६ ...२७१/.....८९८
.. ५२९ थी 1.. ५२९ थी .. ५२९ थी
..... ११-१७ नथी ...२७१ ५३१.८.२७१
1.२७१
................ पाना अस्त व्यस्त छे.
.............
...........................
१५-१७
-- जयशखरसार............प्रा.................
१७-१९
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग
सी.डी) ग्रंथान विशेष नोंध
१९-२३
......गा.६४
मू.गा.६४
गा.E४
५३६.....
श्रेष्ठ.....
गा.५८ गा.६१
..७००
जीर्ण.
HEEEEEE FREE
.. ५४१ थी ५४९ ..५४१ थी .. ५४१
५४१ थी
....३५१ .--...गा.६६
मू.गा.३८ का.१६१
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
स्थिति कर्ता भाषा ५३३/३ ...... गौतमपृच्छा ..............
श्रेष्ठ.....
......प्रा. ५३४ ......
गौतमपृच्छाप्रकरण सटीक त्रिपाठ..... श्रेष्ठ.....श्रीतिलक -वृ............ प्रा.सं. ५३५....... गौतमपृच्छा..
मध्यम.. दशवैकालिकसूत्र सावचूरिक पंचपाठ . श्रेष्ठ.. गाथासंग्रह कर्मस्तवकर्मग्रंथ(प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ). श्रेष्ठ .....
'कर्मविपाककर्मग्रंथ..................... मध्यम ... देवेंद्रसूरि ................ ५४०...... दशवकालिकसूत्र..
मध्यम .. शय्यंभवसूरि ... ५४१......
अनेकार्थध्वनिमंजरी-शब्दरत्नप्रदीप....
एकविंशतिस्थानप्रकरण .............. श्रेष्ठ .... सिद्धसेनसूरि ५४३......
विचारषटत्रिंशिका सस्तबक .........../जीर्ण ...गजसार .................
प्रश्नोत्तरषष्टिशतप्रकरण.............. जीर्ण .../जिनवल्लभगणि ५४५...... क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण सावसूरिक पंचपाठ.......
जीर्णप्रायो...... .. सम्यक्त्वस्वरूपस्तवअवचूरि ............ तत्त्वार्थसूत्र भाष्यसह ............... श्रेष्ठ ..... उमास्वातिवाचक
स्वोपज्ञ....................सं. ५४८ ........
तत्त्वार्थसूत्र ........................ श्रेष्ठ .... उमास्वाति वाचक.
भवभावनाप्रकरण................... जीर्ण .... मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा. ५५०.......
सुभाषितश्लोक ......................... मध्यम.. ५५१...... -पाक्षिकक्षामणासूत्र ...................... मध्यम ..
.................प्रा. ५५२ ......... सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति .......... मध्यम .. हेमचन्द्राचार्य स्योपज्ञ ...... सं.
प्रथमाध्याय ५५३ ....... सारस्वतव्याकरण बालायबोध सह अपूर्ण जीर्णप्राया ......
................सं.गु ५५४ .....
योगवासिष्ठसार योगतरंगिणीटीका सह अपूर्ण .............................. श्रेष्ठ .....
सं.हि ५५५......... षष्टिशतप्रकरण बालावबोधसह ........ मध्यम ... नेमिचंद्र भंडारी -मू.. ...प्रा.गु.
.....सोमसुंदरसूरि -बा. ।
५४४ ......
म.गा.२५
श्रेष्ठ .........
......१..५४१ थी .................५.. ५४१ थी ५४९
५४७ .......
१६४२
.............
१६४२
.. ५४१ थी ५४९ ...२७१/....२२५०
५४१ थी ५४९ ... २७१/ ...५४१ थी ५४९ ...२७१. गा.५३१
१४९.......
.प्रति पाणीमां भीजाएली के
जैन टीका छे.
.........र.
.......५५४-५५५ .........गा.१६१
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________________
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथाग्न
विशेष नोंध
.............. २५
:
..................मू.गा.१६१||
............. वैद्यक विषयक ...गा.४७ मू.गा.२७
गा.५४
गा.३४, .....--. गा.१४
५६२....
..............
. १७७७
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
स्थिति कर्ता भाषा संवत् ५५६ ......... षष्टिशतप्रकरण बालावबोधसह ................... नेमिचन्द्र भंडारी -भू..
....... मध्यम ... सोमसुंदरसूरि बा. ..... प्रा.गु............ १४९६ ५५७ ........ समुद्रप्रकाशविद्याविलासचोपाई ......... मध्यम ... जिनभद्रसूरि ............ ५५८........ नवतत्त्वप्रकरण.....
........ मध्यम ... ५५९........ नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक पंचपाठ.......श्रेष्ठ ...... ५६०/१..... नवतत्त्वप्रकरण ५६०/२ ...
उपदेशमालागाथासज्झाय............. ५६०/३ ... तिजयपहुत्तस्तोत्र....................
श्रेष्ठ...... सारस्वतव्याकरण ................... श्रेष्ठ ..... अनुभूतिस्वरूपाचार्य ... उल्लंठवचननिर्लोठनचोपाई ............ मध्यम... तर्कभाषा
जीर्णप्राय केशवमिश्र सारस्वतमंडन ..........................
जीर्णप्राय मंडन........ उपदेशमालाप्रकरण .................. जीर्णप्राय धर्मदासगणि ...
१५६८ उपदेशमालाप्रकरण .................... श्रेष्ठ.....धर्मदासगणि. विदग्धमुखमंडनविषमपदव्याख्या अपूर्ण .मध्यम .... अष्टोत्तरशतपार्श्वनाथनामस्तय ..........श्रेष्ठ .... जिनभद्रसूरि आदिनाथधवल ..................... मध्यम..
.. १५४५ रामतियालाप्रबंध वज्रस्वामीनां फुलडाँ .. मध्यम .. साधुवंदना अपूर्ण कुंयरिश्राविकाबारव्रतनियम ......... शत्रुजयरास ..... कर्पटहेटकपार्धनाथरास .......... श्रेष्ठ..... दयारल...
१६९४ रत्नाकरावतारिका अपूर्ण ......... तर्कभाषा ...............
श्रेष्ठ ...... केशवमिश्र कर्मविपाककर्मग्रंथ अपूर्ण जीर्णप्राय देवेन्द्रसूरि. ज्ञानपंचमीकथा ........ जीर्णप्राय कनककुशल.
.......र. १६५५ वाग्भटालंकार सावचूरि पंचपाठ .... मध्यम ... वाग्भट मू........ दंडकबोलविचार .......
..........१७३१
....५६२ .......... गा.७६ ... ५६२ ....५६२ ....५६२ थी ६५......... गा.५४३
..... गा.५४३ ...... ५६७ + ६८ ......५६७ + ६८ ............का.१५
.................कडी २४
कडी १८
श्रेष्ठ .....
...... ५७५+७६
५७५+७६ ५७७ + ७८
५७७+७८ ............५७९
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________________
Co
ग्रंथांक
५८१
५८२
५८३
५८४
५८५
५८६
५८७
५८८ ५८९
५९०
५९१
५९२
५९३
५९४
५९५
५९६
५९७
५९८
५९९
६००
६०१
ग्रंथ नाम
गुणस्थानविचार
क्रियाकलाप
. अनेकार्थनाममाला वृत्तिसह
पंचपाठ अपूर्ण.
अव्यय
. बोलसंग्रह
...
द्रव्यसंग्रह सस्तबक प्रियंकरनृपकथा+उपसर्गहरस्तोत्रप्रभावे मध्यम ...
श्रेष्ठ
मध्यम
. कथासंग्रह
गौतमकुलक सस्तबक वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण.
. सुसढचरित्र
६०२........ ६०३.
सुपात्रदानादिविषयककथासंग्रह.
समवायांगसूत्र
- दशवैकालिकसूत्र सस्तबक
पाक्षिकसूत्र
अभिधानचिंतामणीनाममाला अपूर्ण.
• अभिधानचिंतामणीनाममाला सावचूरि पंचपाठ.
. अभिधानचिंतामणीनाममाला
- अभिधानचिंतामणीनाममालाअवचूरि
अपूर्ण
चंदनबालाचोपाई.
नवतत्त्वचोपाई.
बालशिक्षाव्याकरण.
......... ज्ञानपंचमीकथा
स्थिति
श्रेष्ठ .....
जीर्ण
श्रेष्ठ.....
....
जीर्ण मध्यम..
मध्यम नेमिचंद्रसूरि स्त.
श्रेष्ठ......
श्रेष्ठ
मध्यम
मध्यम...
श्रेष्ठ.
कर्ता
हेमचद्रसूरि .मू... महेंद्रसूरि वृ.
-----
मुनिचंद्रसूरि.
जीर्णप्राया
मध्यम... हेमचंद्राचार्य
...
सुधर्मास्वामी शय्यंभवसूरि .मू...
राजचंद्रसूरि स्त. पार्श्वचंद्र गच्छीय
श्रेष्ठ..... | हेमचंद्रसूरि मू. श्रेष्ठ हेमचंद्रसूरि श्रेष्ठ.
मध्यम देपालकवि मेरुमुनि
श्रेष्ठ
मध्यम संग्रामसिंह
मध्यम...
कनककुशल.
भाषा
सं.
सं.
सं.
सं.
गुज.
प्रा.
.सं.
सं.
प्रा.गु.
प्रा.
.प्रा.
. सं.
प्रा.
प्रा. गु
प्रा.
सं.
.सं.
.सं.
सं.
गुज.
गुज.
सं.
1
सं.
संवत्
१५११
१६०१
१५६५
१७०६
१५२५
१७९१
र. १३३६
पत्र संख्या
३
२७
२२८
..५
७
१२
११
.७
२
.५
२-२२
१९
३७
५५
३-५७
३६
२६-३६
દ
६
६
३०
२१
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
५८२२७१
५८३२७१
...
-------- ५८४ +२७१
..... ५८६ ५८८२७१ मू.गा. ५८
...... .५८६५८८
५९० थी ५९४
५९० थी ५९४
५९० थी ५९४
५९० थी ५९४
५९० थी ५९४
५९७
६०२
६०३
मू.गा. २० २७१ गा. ७७
गा. ५१९
१६६७
.गा. ९६
चोटी गयेल पाना छे.
पत्र २ थी ६ तथा ५३ थी ८८ नथी.
प्रति पाणीमां भींजाएली छे
१५४ प्रति घोटेली छे
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________________
ग्रंथांक
श्रेष्ठ
..............
मेष्ठ,
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम | स्थिति कर्ता
भाषा
संवत् पत्र संख्या - झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोध६०४ ........ स्थूलभद्रस्वामिचरित्र ..................
.............१२ .. ६०४ थी ६०६ ...२७१..... ५४७/ ६०५....... श्रीपालचरित्र पद्य ................... श्रेष्ठ..... सत्यराजगणि .......... र. १५१४-१५७५
१८... ६०४ थी ६०६ ...२७१/ ६०६/१.. चंदनवालाभास ...
......... गा.२२ पत्र स्थी चालु गाथा ६०६/२ ..... वीरजिनस्तवन आदि.. ६०६/३ ...... सिद्धांतगीत ............ ६०६/४ ...... चिहुंगतिनी बेल .................
गा.१३५ ६०६/५ .... मृगावतीभास ....
१५-१८
.. गा.२२ गौतमस्वामिगीत
+............ १८-१९ .. ६०४
... गा.९ ६०६/७ ...... शिवकुमारगीत ..........
.......... १९-२१/..६०४
.. गा.१८ ६०६/८ ..... गुरुगीत .................
... २१९ ६०६/९ ...... सुकोशलमुनिभास .................
२१-२४
.गा.२२| ६०६/१०..... सप्तपदी चंदी....... श्रेष्ठ....
................. २४-२५ .. ६०४ ६०६/११.... पूजाविधिभाससंग्रह ..................
............. २६.३१ ..६०४ ६०६/१२ .... पुण्यादयनरेसरभास .................
............. ३२-४३ ६०६/१३ .... राजसिंहरलवतीरास-नवप्रकारभावे .....श्रेष्ठ .....
................. ४३-४६ ६०६/१४ .... आदिदेवस्तव ........................ ६०६/१५.... शांतिनाथविनती ....................
.गा.१५ ६०६/१६ ..... भुवनतिलककुमारभास .............
५१-५२... ६०४ ६०६/१७ .....नरवर्मकुमारभास .........
५३५६.. ६०४
कडी २० ६०६/१८ .....नागदत्तकुमारभास
..५६-५९/.
कडी २३ पत्र ६०६२ नथी ६०६/१९.... मृगध्वजकुमारभास .........
.. गा.१८ गा.६ थी शरु थाय छे. ६०६/२०.... मृगांकलेखाभास ......
गा.३४ ६०६/२१..... विवेकचउपई ................... श्रेष्ठ ......
गा.१९/ ६०६/२२.....कर्मविचाचउपई ..
गा.१२|| ६०७ ......... सिद्धहेमशब्दानुशासन .............. श्रेष्ठ ..... हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ .....
अष्टमाध्याय अपूर्ण सिद्धांतचंद्रिका पूर्वार्ध ..
श्रेष्ठ ..... रामचंद्र .................. ६०९......... नेमिनाथचरित गद्य ............ .... श्रेष्ठ ....-गुणविजय.................सं..र.१६६८-ले.१७३५ -............२-१२३ /............६०९ ...........५२५५ पत्र १२ थी १५. ३४. ३५ नथी.
동동동동동동동동동동
-
४६-४८..६०४
गा.२८ गा.२१
श्रेष्ठ....
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
झेरोक्ष
.६१०
४
६११.....
........
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति
भाषा संवत् । पत्र ६१०....... द्रव्यप्रकाश अपूर्ण ................ श्रेष्ठ....देवचन्द्र ....... हिन्दी
योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्क ..... मध्यम .. हेमचन्द्रसूरि ६१२..... स्थानांगसूत्र अपूर्ण....
सुधर्मास्यामी ...... साल्हाऋषिसज्झाय ..............
मध्यम ...
शुभमंदिर ....... इलाकुमारचोपाई ............... मध्यम... न्यानसागर...........
.. १८७० कुमारसंभवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यंत ... मध्यम .. महाकवि कालीदास...
१७२३ कर्मरतयअवचूरि ............ रंगरत्नाकर-नेमिनाथप्रबंध ............. श्रेष्ठ .... लावण्यसमय........ सुबाहुकुमाररास अपूर्ण............... श्रेष्ठ .... ............... प्रश्नोत्तररत्नमाला सस्तबक ....... जीर्ण .... विमलाचार्य मू. ..... प्रश्नोत्तररत्नमाला सस्तबक ........ श्रेष्ठ .... विमलाचार्य -मू. ... ऋषभपंचाशिका सस्तबक......... श्रेष्ठ.... धनपाल .मू..... कायस्थितिप्रकरण सस्तबक ... सिंदूरप्रकर .....
सोमप्रभाचार्य सिंदूरप्रकर
श्रेष्ठ .....सोमनभाचार्य हलायुधनाममाला पंचमकांड. श्रेष्ठ....हलायुध कालज्ञान अपूर्ण..
मध्य म.......... शतश्लोकी अपूर्ण
श्रेष्ठ ..... रामबिनोद अपूर्ण...
श्रेष्ठ..... रामविनोंद ............. सिद्धान्तालापक ....
मध्य म............ धन्यशालिभद्ररास ...
मध्यम .. जिनराजसूरि ........ गुज. र.१६७८-ले.१७७१/........... छिंदमाला ..........
श्रेष्ठ .... हेमकवि ............ गुज............. १७०६.... कथासंग्रह
हिन्दी ढोलामारुवार्ता .. ६३४... प्रश्नोत्तररत्नमालिका सस्तबक ...... ....मध्यम .. विमलाचार्य -मू...... सं.गु. ६३५/१...... कायस्थितिस्तोत्र प्रकरण ... ६३५/२ ...... सम्यक्त्वस्तवपचीसी ..... ६३५/३ .... नंदीसूत्रस्थविरावली .......
............................... प्रा. ..
AAAAAEENA
मू.गा.५०
६२३
.9mmM9TmMEVIEWIme
...२२०), प्रति पाणीमा भीजाएली के .२७१
६२५
.........९.१८,१९,२१-२५ सिवायनां पानां नी ---... गा.१९४
......६३१
६३३+
६३३...
जीर्ण....
६३३
+.........गा.२४
...गा.२५ ...................गा.५०
lain Education Internatione
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________________
प्रा.
.........गा.२९
६३७..
६४३
जिनभासूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांकग्रंथर्नु नाम स्थिति । कर्ता
भाषा ____संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्षसी .डी ग्रंथान। विशेष नोध ६३५/४ ..... आवश्यकनियुक्तिगतकतिविद्गगाथा ...... श्रेष्ठ ........ ६३६... कर्मविपाककर्मग्रंथ सस्तबक ............श्रेष्ठ..... देवेंद्रसूरि मू............ प्रा.गु. बाजसनेयीसंहिता .......................मध्यम.........
गुज.
.६३७+६३८. .................बचमा घणां पाना सूटे छे ६३८ जिनबिंबनमस्कार .......................मध्यम .......
गुज.
६३७+६३८ जिनमालिका.......
जीर्ण .... सुमतिरंग..
गुज. माधवानलकामकंदलाचोपाई .......... ... श्रेष्ठ ..... कुशललाभ ....... गुज. र.१६१६-ले.१६६७
....... गा.५५० पत्र १०-११, १५-१६, १८ नथी योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय..... --मध्यम... हेमचंद्रसूरि... कातंत्रव्याकरणसूत्रपाठ... जीर्णप्राय -----
६४२...२७१ भीमसेनचोपाई मध्यम ...जिनसुंदरसूरि ......
.........गा.१४२८ सूत्रकृतांगसूत्र.....
श्रेष्ठ ..... सुधर्मास्वामी .... पंचपरमेष्ठिनमस्कार ... मध्यम .. जिनवल्लभसूरि ...
६४५...........गा.१३ पंचसंवरगीत ....... जीर्णप्राय हीरदेव .......
६४६+६४८ ...........गा.२४ श्रीपतिपद्धतिवृत्ति ...... जीर्ण ....!
प्रति चोंटीने खराब थई छे नेमिनाथस्तव तथा देवगुरुगीत .........जीर्णप्रायः ....
.....६४६+६४८ अढारपापस्थानकभास ... श्रेष्ठ..... ब्रह्मकवि............ गुज............. १६६८
प्रति उंदरे करडेली छे ६५०...... संग्रहणीप्रकरण सटीक.. श्रेष्ठ.....श्रीचंद्रसूरि मू..
...........६५०.....
..........३५०० ........... देवभद्रसूरि -टी. (५१.....- पिंडविशुद्धिप्रकरण ................. श्रेष्ठ..... जिनबल्लभगणि
...६५१+६५२......... गा.१०३ ६५२ ...... नव्यबृहरक्षेत्रसमास ............... जीर्णप्राय सोमतिलकसूरि
..६५१+६५२.८.२७१ गा.३८६ ६५३ ...... नव्यबृहत्क्षेत्रसमास ....... --मध्यम ...सोमतिलकसूरि
+गा.३८६ ६५४/१... पंचनिधीप्रकरण.. मध्यम ...अभयदेवसूरि ....
६५४
गा.१०६ ६५४/२ ... पार्श्वनाथविनती मध्यम .. जिनसमुद्रसूरि .....
........गा.९ ६५५/१ ... लघुक्षेत्रसमासप्रकरण रत्नशेखरसूरि .......
१-१४
. गा.२६७ ६५५/२ ... दंडकप्रकरण.... गजसारमुनि .........
१४-१६
... गा.३८ ६५५/३ ... जीवविचारप्रकरण...... शांतिसूरि
१६-१८
....गा.५१ ६५५/४ ... नवतत्वप्रकरण .... श्रेष्ठ
१८-२०
....गा.४७ ६५६..... प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणी मध्यम ... अभयदेवसूरि
गा.१३२. ६५७........ उत्तराध्ययननां गीतो..
श्रेष्ठ.....राजशील उपाध्याय....
For Private & Personal use only
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________________
८४
प्रथांक
६५८
६५९
६६०
६६१
६६२.
६६३
६६४
६६५
६६६
૬૬૭
६६८/१
६६८/२
६६९
६७०
६७१
કર
६७३
६७४
६७५
૬૬
દાઝ
દાse
६७९
www.
*******
६८०
૬૧
६८२/१
स्थिति
श्रेष्ठ......
लीलावतीगणित...
. अनुयोगद्वारसूत्र बालावबोधसह त्रिपाठ मध्यम .... उबवाईसूत्रपर्याय विधिप्रपा
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
. योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय
नवरससागर
ग्रंथनुं नाम
उत्तममहाराजर्षिचरित्ररास अपूर्ण
नवतत्त्वना बोल
. वसुदेवचरित्ररास
• गुणसुंदरचोपाई अपूर्ण.
सरस्वतीकुटुंबसंवाद
सज्ज्नचित्तवल्लभ
पूजाप्रकरण
उत्तराध्ययन सूत्र सावचूरिक पंचपाठ राजसिंहकुमारचोपाई.
. दशआश्चर्य
. अनेकार्थध्वनिमंजरी अपूर्ण
. पांचपांडवरास (द्रोपदीरास)
. चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र
आराधना
जीवविचारप्रकरण अपूर्ण
ऋषिमंडलप्रकरण
योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय
रामायण........
सुधानिधियोगविवरण
नवतत्वंप्रकरण सस्तवक अपूर्ण एकविंशतिस्थानप्रकरण
जिनभद्रसूरि मध्यम... हेमचंद्रसूरि
-----
जिनसमुद्रसूरि
श्रेष्ठ [ श्रेष्ठ मध्यम...
महिमासमुद्र मध्यम... जिनसुंदरसूरि
....
कर्ता
भास्कराचार्य
मध्यम...
जीर्णप्राय मल्लिषेणसूरि
जीर्णप्राया उमास्वाति वाचक
श्रेष्ठ .....
जीर्ण जटमल नहार
मध्यम...
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ जिनचंद्रसूरि
.....
मध्यम...
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ..... शांतिसूरि जीर्णप्राया धर्मघोषसूरि
हेमचंद्राचार्य
श्रेष्ठ......
मध्यम...
मध्यम... यादवसूरि
जीर्ण मध्यम..
Cred
सिद्धसेनसूरि
भाषा
सं. प्रा.गु. गुज.
१६२२ सं. १३६३-ले. १५५९
सं.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
.सं.
.सं.
प्रा. सं
प्रा.
गुज.
प्रा.
संवत्
प्रा.
सं.
सं.
सं.
प्रा.गु.
प्रा.
१७२१
.सं.
सं.
गुज. २. १६९८-ले. १७०९
१७२६
१५९८
१६९३
पत्र संख्या
३३
८५
१६-२६
६६
१७
१६-७२
४
१४
६
२-३
१-२
३ जु
१०९
११
१०
४-१०
३५
५२
५०
९
९
१५
२७
१०
२-१३
... 9-3
जिनमद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
६५८ २७१
६६०
६६१ २७२
.६६८/१२७२ का २५
.६६८/२२७२ आर्या. १९
६६९
६७३ + ६८०
. ६७३ + ६८०
६८२
६१५
- ३५७४
२७२
२७२... १३००, गा. ८७१
गा. २२५ प्रति चोटीने अक्षरो उखडी गया छे
१९ नथी
. ग्रं. २००० पत्र २४ मुं नथी
गा. २०८
गा. ६६
.
Page #133
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________________
पत्र संख्या
विशेष नोध
३जु
झेरोक्षसी .डी ग्रंधान .....६८२
.............- गा.२६३/ ...........
...६८६
............ गा.९०
६८८...२७२
2114
मू.गा.५१, J...गा.५३,
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
स्थिति कर्ता
भाषा
संवत ६८२२..... महावीरस्तवन ....................... --मध्यम ... अभयदेवसूरि ............
.प्रा.1....... लघुक्षेत्रसमासप्रकरण ...... ..जीर्ण .... रत्नशेखरसूरि .प्रा... ........ १६०० नवतत्वप्रकरण सस्तबक अपूर्ण जीर्ण ...
प्रा.सं. गौतमस्वामिसज्झाय
श्रेष्ठ..... कांतिविजय गुज. दिक्पटचोरासीबोलकवित
जीर्ण.
हिन्दी ........१७६४ चौदस्वप्नबालावबोध ........... श्रेष्ठ ..
गुज. तपागच्छगुर्वावलि सटीक त्रिपात ....... श्रेष्ठ .... धर्मसागरोपाध्याय -मू.टी प्रा.सं.
स्वोपज्ञ सारस्वत आख्यातप्रक्रिया ............... श्रेष्ठ, अनुभूतिस्वरूपाचार्य ..... सं.. नवतत्त्यप्रकरण सस्तबक ............
-प्रा.गु. ........१७४८ नवतत्त्वप्रकरण.
.प्रा.. गणेशकथा अपूर्ण ..................
हिन्दी स्नात्रपूजा ...........
जीर्ण ...+
.अप्र. तत्त्वप्रबोधनाटक .................... श्रेष्ठ ..... जिनसमुद्रसूरि ........... हिन्दी र.१७३०-ले.१७३० ज्ञानपंचमीस्तवन .................... मध्यम ... लब्धिहर्ष
गुज. योगशास्त्र अपूर्ण ....................... मध्यम ... हेमचंद्रसूरि कल्पान्तर्वाच्य प्रथमवाचना
मध्यम .. जिनभद्रसूरि ... चउगतिचोपाई
मध्यम ...यस्तिग... कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति चतुष्कवृत्ति
अतिजीर्ण दुर्गसिंह -.... दशवैकालिकसूत्र अतिजीर्ण शय्यंभवसूरि .
..... १७०१ योगचिंतामणि
श्रेष्ठ.....हर्थकीर्तिसूरि. अभिधानचिंतामणिनाममाला .......... मध्यम ... हेमचन्द्राचार्य,
१६९९ मृगावतीचरित्ररास अपूर्ण
मध्यम ... समयसुंदरगणि रात्रिभोजनरास ..................
मध्यम..
| गुज. ७०५ जीवविचारप्रकरण सस्तबक ........... श्रेष्ठ ..... शांतिसूरि मू. प्रा.गु. १७७८ देशीनाममाला श्रेष्ठ ..... हेमचन्द्राचार्य ......
१७०१ परमात्मस्वरूपगीत तथा अध्यात्मगीत.. श्रेष्ठ .....यशोविजयोपाध्याय ..... हिंदी
६९३ ...२७१
गा.१८१, ६९५............ गा.७७
................ प्रति पाणीमां भीजाएल छे
गा.९६
..४१
७०२
७०२.. ७०३. ७०४ -
२८२ ३-२६
गा.२४९ मू.गा.५१
श्लो.९२० ....गा.२१-५
७०६
For Private & Personal use only
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________________
कता
श्रेष्ठ ....
मा.सं.
.../
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथन नाम | स्थिति
भाषा | संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथाग्न विशेष नोध प्रा.पिंगल अपूर्ण
.अन.
.........७०८ धातुपाठ अपूर्ण.
श्रेष्ठ..... पंचमहावतस्वाध्याय ................ श्रेष्ठ..... कांतिविजय
गुज.
.....गा.२९. परमानन्दपंचविंशतिका सस्तबक ...... जीर्णप्राय यशोविजयोपाध्याय मू.सं.गु..
....७११+७१२ ........ मू.श्लो२५ घडविशंति प्रश्नोत्तर चार्थिक, श्रेष्ठ ....जयसोम उपाध्याय .....
.....७११+७१२ नवकारबालावबोध ...................
मध्य म .........
गुज.. कर्मस्तवकर्मग्रंथ ससत्वक............. श्रेष्ठ....देवेन्द्रसूरि -मू............प्रा.गु.
..............मू.गा.३५/- पत्र २ जु नथी भर्तृहरिवैराग्यशतक सटीक ........... जीर्णप्राया भर्तृहरि -मू.. .............सं.हि. ..१७४०
......७१५+७१६ .२७२ ७१६ ........ ऋग्वेदयजुर्वेदगतशब्दादिनिर्णय .....
जीर्णप्राया ......... ................. सं.
२-२० ......७१५+७१६ ७१७ ......... शब्बभेदप्रकाशनाममाला ..... मध्यम ... महेश्वर कवि .............. सं.
श्लो.२७०/७१८...... माधवानलकामकंदलाचोपाई किंचिदपूर्ण मध्यम ..कुशललाभ .............. गुज.
२-२०
गा. ५२९. पर्यंत ७१९...... हरिबलचरित्ररास-विबुधप्रिया अपूर्ण .... मध्यम .. महिमासमुद्रगणि ........ गुज.
गा.१३१९ पर्यंत जिनसमुद्रसूरि -टी. प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र बालावबोधसह पंचपाठ...............
श्रेष्ठ....... ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र
प्रा. ............ १५८२
.अं.४९५४ जीवाभिगमोपांगसूत्र सस्तयक .........श्रेष्ठ
प्रा.गु............ १७८६ ................
.......मू.४७५०
............उ.१५००० निरयायलिकादिपंचोपांगसूत्र सस्तबक जीर्ण
प्रा.गु................................... भक्तामरस्तोत्र भाषा कवित कल्प घडविधानसहित........................ श्रेष्ठ .........
हिंदी....... ७२५.......श्रावकाराधना ...........
श्रेष्ठ .....
.........सं..............१७९५.. ७२६ ......... महादंडकबोल .......
मध्यम...
...... गुज............. १८७० ७२७......... सप्तपदार्थीमितभाषिणीटीका .......... नायव सरस्व ती ........... . ............१६८१
.....७२७/७३७...२७२ ७२८ .........धन्वंतरीयनिघंटु.
श्रेष्ठ .... धन्वतरी................. ..सं. स. ............१६०४
......१३०० ७२९......... विपाकसूत्र सस्तबक ........
.............प्रा.गु-........... १८१६ ७३०........ लधुक्षेत्रसमासप्रकरण यंत्र स्थापना चित्रसह... श्रेष्ठ....रत्नशेखरसूरि.............
गा.२६४.
प्रा.गु....
जीर्णप्राया......
For Private &Personal Use Only
.
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________________
५४
.............
...प्रा.
...प्रा
जीर्ण...---
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक __ ग्रंथर्नु नाम
| स्थिति | कर्ता
भाषा | संवत् पत्र संख्या | झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोध ७३१......... प्रदेशीराजरास ................ ......श्रेष्ठ.....ज्ञानसागर आंचलिक... गुज.
... ७२७... ७३७............११०० गा. ७२१ ७३२....... उत्तराध्ययनसूत्र ..................... श्रेष्ठ .....
......२१०० ७३३.... उपासकदशांगसूत्र सस्तबक .... श्रेष्ठ.... ................. प्रा.गु
१६९६
....अं.२००० अंतकृदशांगसूत्र ............... श्रेष्ठ ........ उपदेशमालाप्रकरण ...... मध्यम ...धर्मदासगणि .............. प्रा.
गा.५४३, प्रति पाणीमां भीजाएली छे सुभाषितावलि .....
जीर्णप्रायः.. प्रा.सं
........... प्रति चोंटेली छे नमस्कारबार्तिक .......
७२७...७३७ सप्तस्मरण सस्तबक अपूर्ण....
जीर्ण सप्तस्मरण ......
जीर्णप्रायः देववन्दनादिभाष्यत्रय...... देवेंद्रसूरि
..गा.१५३ .........वंदारुवृत्ति-श्रायकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि
७४१.,.२७२ ७४२......... सिंदूरप्रकर सस्तवक ......
सोमप्रभाचार्य -मू.... ......१७७०
मू.का.९९ ७४३........ श्रावकविधिप्रकाश.....
क्षमाकल्याण ...... गुज. र.१८३८-ले.१९०९ ७४४/१...... समाधितंत्रदुहा ..... यशोविजयोपाध्याय ...
दुहा १०४ ७४४/२ ..... हितशिक्षाद्वात्रिंशिका आदि ............ क्षमाकल्याण आदि ....
गा.३२ ७४५........ आगमसार .................... मध्यम... देवचन्द्र
............ १७७६ ७४६........द्रव्यप्रकाश........................... श्रेष्ठ ..... देयचन्द्रगणि ........... | हिंदी र.१७१७-ले.१९०९
.. ग्रं.७५ ७४७......... सुरसुंदरीरास अपूर्ण ............... ...श्रेष्ठ..... नयनसुंदर ............ गुज.. ७४८...... जीवविचारप्रकरण सस्तबक ...... श्रेष्ठ ..... शांतिसूरि -मू........... प्रा.गु............ १८३६
...............मू.गा.५१ मजलस ...............
मध्यम ....... ................. है.उर्द
....... ................. २ ७५०....... सिद्धांतहुंडिका सटीक त्रिपाठ.......... श्रेष्ठ .........
......प्रा.स. ................... ४-२३
................... ७५१....... उपासकदशांगसूत्र सस्तबक...... जीर्णप्राया
....... मा.गु. ...................... ३८
............... ७५२ .......
तर्कसंग्रह दीपिका टीका .......... श्रेष्ठ..... अभट्टोपाध्याय ...... .सं. ७५३ ..... महावीरस्वामिचरित्रस्तोत्र बालावबोधसह श्रेष्ठ ..... जिनवल्लभगणि मू..... प्रा.गु.
....७५३...७६७ .........मू.गा.४४ ७५४/१.. पष्टिशतप्रकरण ........ नेमिचंद्र भंडारी ........
..१-९ |... ७५३... ७६७ ..........गा.१६१ ७५४/२ चैत्यवंदनाकुलक ............... श्रेष्ठ..
... ७५३... ७६७ ............गा.३५ ७५५... वीतरागस्तव ................. श्रेष्ठ..... हेमचंद्रसूरि
...७५३... ७६७ ...२७२ ७५६.......-नवतस्याप्रकरणात नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक.....
........... १
............. मू.गा.४७
.........
४९.......
.....११
..१६
श्रेष्ठ....
..९-१२
श्रेष्ठ
For Private & Personal use only
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--------------------------------------------------------------------------
________________
દ
प्रथांक
७५७
७५८
७५९
७६० ७६१/१
७६१/२
७६१/३
७६२
७६३
७६४
७६५
७६६.
७६७
७६८
७६९
७७०
७७१
ઝર
७७३
७७४ 1934
७७६ totots
ग्रंथ नाम
चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक
आराधना अपूर्ण
रसिकप्रिया
रामविनोद वैद्यक अपूर्ण
....... एकादशगणधर एकादश भास ज्ञानसुखडी
७७८ Log
[ ७८०........ ७८१
गणधरनमस्कार
एकादशगणधरस्तुति
दशवैकालिकसूत्र
नेमिनाथस्तवन
गौतमपृच्छा बालावबोधसह अपूर्ण भक्तामरस्तोत्र बालावबोध अपूर्ण. नवकारबालावबोध .लिंगानुशासन सावचूरि
जीवविचारप्रकरण सस्तबक अपूर्ण
दोढसो कल्याणकनुं गणणुं चैत्रीपूर्णिमाचैत्यवंदन अपूर्ण अध्यात्मकल्पद्रुमवृत्ति चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसह
- विनयचटकुमाररास त्रूटक अपूर्ण व्रतविचार त्रूटक अपूर्ण कल्याणमंदिरस्तोत्र सावचूरि पिंडविशुद्धिप्रकरणअवचूरि किंचिदपूर्ण
कातंत्रद्वयाश्रयकाव्य अवचूरि
सिद्धांतसारोद्धार टिप्पनकसह
प्रतिक्रमणसूत्र सस्तवक
गजसुकुमालरास
-------
कर्ता
स्थिति मध्यम... वीरभद्रगणि मू.
मध्यम ...
श्रेष्ठ......
जीर्ण
श्रेष्ठ दानशेखर
श्रेष्ठ धर्मचन्द्र वेगडगच्छीय
जीर्णप्राय शय्यंभवसूरि
श्रेष्ठ ..... धनचन्द्र
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ जीर्णप्राय
श्रेष्ठ
.....
*****
मध्यम.. जीर्णप्राय श्रेष्ठ
मध्यम...
----
केशवदास
हेमचन्द्रसूरि मू.
रत्नचंद्रगणि वृ. वीरभद्रगणि मू...
श्रेष्ठ जयचंद्रसूरि -या.
मध्यम... जीर्णप्राया
जीर्णप्राया श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जीर्ण कमलसंयमोपाध्याय श्रेष्ठ
श्रेष्ठ......
जिनराजसूरि
.....
Waaloo
भाषा
प्रा.गु.
गुज. सं.
हिंदी
गुज.
सं.
गुज.
--- गुज. प्रा. गुज.
प्रा.गु.
गुज.
गुज.
.सं.
प्रा.गु.
सं.
गुज.
प्रा.गु.
गुज.
गुज.
सं. गु.
सं. सं.
प्रा.गु.
प्रा.सं.गु.
गुज.
संवत्
१७६७-१७८४
१६७४
१५१८
१७०८
१६९२
पत्र संख्या
.९
२-९
३२
७५
१
१-२
२-४
२०
९
२
.५
.५
.७
१२
३
२
२
३५
६
२-९
१२
७
५
१६
२१
३६
१८
झेरोवा
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथाप्र विशेष नोंध मू.गा. ६३
७५३... ७६७
७७८
.कडी ११
.का. १३.
ग्रं. ११५
*1900
गा. ३५
प्रति पाणीमां भींजाएली छे
. ग्रं. २४६० वृतिनुं नाम अध्यात्मकल्पलत्ता छे
गा. ५५७
प्रति पाणीमां भीजाएली छे
.
Page #137
--------------------------------------------------------------------------
________________
संवत
पत्र संख्या
विशेष नोंध
.........१४७३
झेरोक्षसी .डी ग्रंधान
ग्रं.२००० गा.३०१
गा.११६४
गा.90
गा.५२
गा.५०
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथन नाम । स्थिति
भाषा ७८२......... बंदारुवृत्ति-भावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति ....जीर्णप्राय देवेन्द्रसूरि ...... ......पुरंदरचतुष्पदी
मध्यम ...मालदेव .. जीवविचारप्रकरण सस्तबक अपूर्ण .....जीर्णप्राय ..... द्वादशव्रतविचार .........................जीर्ण.... ओघनियुक्ति ............
श्रेष्ठ..... भद्रबाहुस्यामि दर्शनसप्ततिकाप्रकरण .................. मध्यम ......... ब्रह्मतुल्यज्योतिष ........................ द्रव्यसंग्रह .............................. श्रेष्ठ ..... नेमिचंद्र भंडारी... अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र ..............श्रेष्ठ ......... स्थविरावली ....................... मध्यम ... कुमारसंभवमहाकाव्य अवचूरि त्रू.अ.....मध्यम ... कल्पसूत्रबालावबोध अपूर्ण............ जीर्णप्रायः कल्पसूत्रबालावबोध
श्रेष्ठ.... स्थानांगसूत्रचतुर्थस्थान सस्तबक अपूर्ण श्रेष्ठ ..... रत्नाकरावतारिका अपूर्ण
श्रेष्ठ..... रत्नप्रभाचार्य ७९७....... भक्तामरस्तोत्र ....................
जीर्ण .... मानतुंगसूरि ..... ७२८/१ ... एकविंशतिस्थानप्रकरण
सिद्धसेनसूरि ........... ७२८/२.. विचारपट्त्रिंशिकाप्रकरण सायचूरि ... ..........गजसारमुनि स्वोपज्ञ ... प्रा.सं.....
पंचपाठ ७९८/३ . प्रश्नोत्तररत्नमलिका अपूर्ण............. श्रेष्ठ .... विमलाचार्य ............... सं.. धर्मरत्नप्रकरण हवृत्तिसह पू.अ. .....श्रेष्ठ.... शांतिसूरि मू.. ......... प्रा.सं.
........... देवेन्द्रसूरि -. .......... सप्ततिशतस्थानप्रकरण सस्तबक अपूर्ण श्रेष्ठ.........
प्रा.गु. गाथाकोश.
जीर्णप्राया
-प्रा.. श्रीचंद्रीयसंग्रहणीप्रकरण
जीर्ण ....श्रीचंद्रसूरि ............. भक्तामरस्तोत्र ........
श्रेष्ठ .....मानतुंगसूरि ........... भक्तामरस्तोत्र ......
मध्यम ...मानतुंगसूरि ८०५........ भक्तामरस्तोत्र सार्थ .................. जीर्णप्राय मानतुंगसूरि मू.........
७९६ ---
......... प्रति चोंटेली ....का.४४ ...गा.६६
१२-१४ ६५-२३५
७९-१६०, १७६-१८४, १९२, १९३, १९७-२०३ नथी १४ थी २२ नथी
प्रति पाणीमां भीजाएली छे
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Page #138
--------------------------------------------------------------------------
________________
९०
ग्रंथांक
८०६
८०७
८०८/१
८०८/२
८०८/३
८०८/४ सुबाहुसंधि
८०८/५ ८०८/६
८०८/७
८०८/८
८०९/१
८०२/२
८१२
| ८१३
८१४
८१५
८१६
८१०.........
८११.........
FERNA
८१७/५
८१७/६
wwwww
2969/19 ८१७/८
*****
ग्रंथ नाम
. सूर्यसहस्रनामस्तोत्र - स्कंदपुराणगत दशआश्चर्य अपूर्ण.. द्वादशभावनासज्झायदेव मेघकुमार चोढालीयुं
अनाथीसंधि
८१७/१
८१७/२
८१७/३ चोवीसजिनस्तवन ८१७/४ • चतुर्विंशतिजिनस्तवन
.........
पार्श्वनाथस्तोत्र
चंद्रप्रभजिनस्तोत्र षडभाषामय वैराग्यस्तोत्र + रत्नाकरपचीसी
• चतुर्विंशतिजिनस्तवन..
. वीसविहरमानजिनगीत षड्यांधयमुनिराज्झाय आराधनाचउपई
गौतमपृच्छाच उपई. ऋषभदेवविवाहलो
. विद्याविलासपवाडो.
. चतुर्गतिवेलि..
छोतीकुलक..
. रूपकमाला वृत्तिसह
------
****
नंदीश्वरस्तवन
. सीमंधरस्तवन
आदिनाथस्तवन
. अष्टापदस्तवन
सीमंधरजिनस्तुति पंचतीर्थीस्तुति..
....
स्थिति
जीर्णप्राया
श्रेष्ठ.....
श्रेष्ठ.....
श्रेष्ठ .....
श्रेष्ठ.....
श्रेष्ठ.....
श्रेष्ठ शिवलक्ष्मी.
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
[ श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जयसोम
कनककवि
विमलविनय
पुण्यसागरोपाध्याय
....
मध्यम...
[ श्रेष्ठ जीर्णप्राया नयरंग
श्रेष्ठ
जीर्णप्राया हीरानंदसूरि
मध्यम.. श्रेष्ठ......
पाती
जीर्णप्राय पुण्यनंदि -मू..
www.w
रत्नाकरसूरि
जिनप्रभसूरि
जिनसागरसूरि
प्रेममुनि
हरिकलशमुनि
रत्नरंगोपाध्याय वृ.
समरो
भाषा
सं.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
सं.
.सं.
सं.
सं.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गु. सं.
.अप.
.अप.
.अप.
.अप.
..अप.
.अप.
SIT.
सं.
संवत्
MANSION
१६९८
१६७६
१६४७
१६७४
१६७३
१४८५
१५८२
र. १५२१
र. १५२१
र. १५२१
र. १५२१
र. १५२१
ए. १५२१
र. १५२१
र. १५२१
पत्र संख्या ..........C ...........] [६] १-३
TIT.193
३-४
गा. ९४
गा. ४७ ...८०८... ८१७२७२ गा. ७१ ४-६ ६-९ ... ८०८... ८१७.२७२... ९ मु ....८०८...८१७.२७२.का. १३ ९-१० ८०८... ८१७२७२ का १३ १० .... ८०८... ८१७२७२ १०-११ ८०८...८१७२७२ .......५
का २५
.... ८०८...८१७२७२
५मुं
५
..२
१३
१०
१०
.... ८०८... ८१७.२७२... ... ८०८...८१७२७२
----
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथाग्र विशेष नोंध ८०६............ १३०
www
८०८... ८१७
५.
919... coc... 6969
...
४ थु ८०८...८१७ ४-६ ८०८...८१७ ६-७ ... ८०८...८१७ ८०८...८१७ ९-१० ८०८.. ८१७ १०-११. ८०८.. ८१७ ११-१२... ८०८... ८१७
७-९
१२. ८०८...८१७
गा. ८३
गा. २४५
गा. १७३
गा. १३५
गा.८५/
.गा.११
गा. २१
गा. १७
गा. २४ गा. २१ ... गा.२२ का. ४
का.४
-
पत्र १३ तथा १६ मुं नथी
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________________
भाषा
संवत् .........र. १५२१
पत्र संख्या झेरोक्ष सी.जी. ग्रंथाना
विशेष नोंध .............. १२मु ...८०८...८१७....... ...का.४
१६-२१/...८०८...८१७...... गा.४.९१ पत्र १३-१५ नथी
८१९ ........
१५६०
गा.१५७
गुज.
र.१६४६.ले.१६९५
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम ।
स्थिति ८१७/९ ...... चतुर्विशतिजिनस्तुति ........ श्रेष्ठ...... ८१७/१०.....महावीरस्तवन ......
श्रेष्ठ ..... लखमण.... श्रीपालचरित्रवालावबोध ............ मध्यम.. नंदवत्रीसीचोपाई ........................ श्रेष्ठ ..... शानशील ....... पुरंदरचोपाई............................. श्रेष्ठ ..... मालदेव ........... गौतमपृच्छाचउपई..................................नयरंग .... द्वादशभावनासंधि ....................... श्रेष्ठ .....जयसोम .............. नयतत्वविचार ........................... श्रेष्ठ ............................... कमलावतीचरित्रचोपाई .................मध्यम ... विजयभद्र .............. एकाक्षरीनाममाला .......................श्रेष्ठ.....अमरचंद्र .............. सुकोशलऋषिसज्झाय .................. श्रेष्ठ .... विद्याचारित्र ............ वाग्भटालंकार ............................जीर्णप्राया वाग्भट .............. चतुर्मुखश्रीधरणविहारश्रीआदिनाथस्तवन जीर्णप्राय मेघो ........... नमस्कारवालावबोध
मध्यम आदिजिनस्तवन..
श्रेष्ठ .... विजयतिलक भोज्यनामगर्भित जिनस्तुति ........... साधुराजगणि उत्तराध्ययनसूत्रछत्रीसभास ..... श्रेष्ठ .... राजशीलोपाध्याय ... शांतिनाथस्तवन.................
प्रेमविजय नंदीसूत्रगत द्वादशांगीआलापक ....... श्रेष्ठ..... देवबाचक रघुवंशमहाकाव्यअवचूरि............... श्रेष्ठ .... सीमंधरस्वामीरूपवर्णनस्तवन सस्तबक श्रेष्ठ .... आलोचनाविचार-योगविध्यन्तर्गत ..... मध्यम .. सम्यक्त्वकौमुदी ..........
अतिजीर्ण शत्रुजयउद्धार ....
श्रेष्ठ ..... नयसुंदर ............ देलवाडामंडनआदिजिनस्तवन सावरि पंचपाठ......
जीर्ण .... लक्ष्मीसागर -मू..... जिनपालजिनरक्षितस्वाध्याय.. मध्यम ... आनंदप्रमोद औक्तिक..
मध्यम..
..६....८२६... ८३०
... ८२६... ८३०........... गा.
गुज..र. १४९९-१५४७
+.. गा.२१, ..........का.१२
श्रेष्ठ ....
|... ८२६... ८३०
श्रेष्ठ ....
MPPLY.
१७०३ ........... १६३८
-८३७,८३९.८४१...२७२ ....१३००
गा.१२४ा
1.८३७,८३९,८४१..२७२ मू.कडी२२
गज.
गा.E९
८.८३७,८३९.८४१
For Private &Personal use Only
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________________
९२
ग्रंथांक
८४२
८४३
e
८४५
| ૮૪૬
८४७
८४८.
८४९
८५०
८५१
८५२
८५३
८५४
८५५
८५६
८५७
८५८/१
८५८/२
८५८/३
८५९
८६०
८६१
८६२
८६३
८६४
८६५
८६६/१
ग्रंथनुं नाम
चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसह चंद्रलेखाचरित्ररास अपूर्ण . चतुःशरणप्रकीर्णक .अंतरिक्षपार्श्वनाथस्तवन
रसमंजरी - अलंकारग्रंथ चारित्रमनोरथमाला
साधुवंदना. सुदर्शन श्रेष्ठिरास.
.कालिकाचार्यकथा
. एकाक्षरीनाममाला
जिनचंद्रसूरिगीतादि गुरुगीत .विदग्धमुखमंडन. जयतिहुयणस्तोत्र सार्थ
• शांतिनाथचरित्र पद्य टिप्पणीसह गुरुगुणषटत्रिंशिका सटीक
संयममंजरीप्रकरण
शीलरास
नेमिरास अपूर्ण
....... द्वादशभावना
इंद्रियपराजयशतक सस्तबक
चंदनबालाच उपई,
ध्यानस्वरूप
रघुवंशमहाकाव्य सटीक त्रिपाठ
-----
स्थिति
श्रेष्ठ
जीर्णप्राया
मध्यम...
मध्यम...
श्रेष्ठ श्रेष्ठ
श्रेष्ठ कुंवरजी श्रेष्ठ मुनिसुंदरसूरिशिष्य. श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
SARAL
| वीरभद्रगणि
सुमतिहंस
*****
....
समाधितंत्रबालावबोध
न्यायप्रवेशवृत्ति टिप्पणीसह पंचपाठ पिंडविशुद्धिप्रकरण सस्तबक चतुर्विंशतिजिनवर्णलांछनादि अष्टक ... श्रेष्ठ
जीर्ण
मध्यम..
श्रेष्ठ.......
मध्यम...
मध्यम... अजितप्रभसूरि
कर्ता
भानुकर भट्ट खेमराजमुनि
जीर्णप्राय जीर्ण
| श्रेष्ठ जीर्ण
धर्मदास
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ महेश्वरसूरि
मध्यम...
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जयसोम
भाषा
देपालकवि
प्रा.गु.
गुज.
गुज.
गुज.
सं.
अप. गु
सं.
प्रा. सं प्रा. पार्श्वचंद्रीय विजयदेवसूरि गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
गुज.
SIT.
सं.
गुज. सं.
प्रा.गु.
गुज.
गुज.
सं.
कालिदास मू.. धर्ममेरु -टी.
पर्वत धर्मार्थी हरिभद्रसूरि बृ. जिनवल्लवगणि मू. .... प्रा. गु
.अप.
गुज.
सं.
संवत्
१५७१
१६५९
१७४९
१६९२
१६०२
१६७६
१७७९
१५९६
पत्र संख्या
१७
....... १५ ३
...२
३
८
........... ८४५२७२ १९.....८४६८५०. . ૨૦૨
१०
.७
१
२
१६
....५
११२
२५
२
१-६
६-७
११-१२
१०
५
१
. १७६
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंच
सी.डी. ग्रंथाग्र
प्रति उधइए खाधेली छे
१५४
.५
झेरोक्ष
....८४६ + ८५०
. ८५३
८५४
८५५
८५६
२७२
८६५
८६६ + ८६८
२७२
.गा. ६३ गा.३२
गा. ५३
+ २७२.४९११
२३९ |
गा. २६४ गा. ५६ .प्र.३६
.गा. ३५ . कडी ७८
गा. ७३
८६१
८६२.२७२ टी.८००० प्रतिना केटलाक पाना नथी तथा कु. १०००० चोटी गयेला छे तथा टुकडा थयेल छे
गा. १७६
गा. १०३ कडी ८
.
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________________
सी.डी. ग्रंथान।
विशेष नोंघ
झेरोक्ष ..८६६ +८६८ ..८६६ +८६८
८६६/३
गा.VE
...८६६ +८६८ ........८६९ ...२७२
........गा.७१,
.........३५
७२......
८७३/२ .....
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
| स्थिति
कर्ता
भाषा संवत् । पत्र संख्या ८६६/२ ..... वर्धमानाष्टक ......................... गुरुपरिबाडी.............
श्रेष्ठ. नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक द्वारिकामाहात्म्य अपूर्ण
मध्यम भोजचरित्र पद्य मध्यम ... राजवल्लभोपाध्याय .....
१६३४ ............. ८७०/१ आगमोद्धारगाथा .....
११२-११४ ८७०१२ .. .... घटस्थानकप्रकरण अपूर्ण ................जीर्ण ...
... ११४-१२० ८७१......... पुष्पमालाप्रकरण ................ मध्यम ... मलधारी हेमचन्द्रसूरि ...
१५९६ कल्याणमंदिरस्तोत्र बृत्तिसह ............ श्रेष्ठ... सिद्धसेनाचार्य -मू....
.............१२ ८७३/१.....चतुःशरणप्रकीर्णक....
वीरभद्रगणि............ नवतत्त्वप्रकरण ........... ८७३/३ ..... जीवविचारप्रकरण ................. शांतिसूरि ......
९-१३ ८७३/४ ..... शीलोपदेशमालाप्रकरण ...... जयकीतिसूरि ...........
१३-२१ ८७३/५ .... स्थविरावली ...................... देववाचक...........
२१-२४ ८७४....... भक्तामरस्तोत्र वृत्तिसह त्रिपाठ..........मध्यम ...मानतुंगसूरि मू.........
.............१३ अमरप्रभसूरि-यू. कल्पसूत्र सस्तबक .अ.........
प्रा.गु. दशकालिकसूत्र अपूर्ण ............ मध्यम ... शय्यंभवसूरि ............ जीवविचारप्रकरण ................... -मध्यम... शांतिसूरि ............ अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र .............. श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि यू........ प्रा.सं. वृत्तिसह पंचपाठ कल्प सूत्रवृत्ति ............................मध्यम ..............
६७-७८ अमरदत्तमित्राणंदकथा बालावबोध अपूर्ण श्रेष्ठ......
गुज..
१३-१८ चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसह ......श्रेष्ठ....-बीरभद्रगणि -मू. ....... प्रा.गु.कल्याणमंदिरभाषास्तोत्र ................मध्यम ... बनारसीदास ...... हिंदी........... १७७९ सिद्धान्तआलापक .................... श्रेष्ठ......
.प्रा.... मनोवेगवायुवेगचोपाई .............. -श्रेष्ठ....-दर्शनविजय........ -- गुज. र.१७०१-ले.१७५६, ............
४-५६
..८७१... २७२ गा.५०६ ७२...८७८
-... गा.६३, 4..गा.४७
गा.५१
गा.११५,
..........गा.५० ८७२... ८७८ ..........
-मा.
गा.५१
८७२...८७८
....
.
...............
...गा.६३
.८८४
.....
...१२५२
गा.९०८
For Private & Personal use only
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________________
८८५....... ८८६...
-पड़. --प्रा.
श्रेष्ठ....
......र. ........... १८८६
जीर्णप्राया ...... श्रेष्ठ....
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथन नाम स्थिति भाषा संवत् । पत्र संख्या
झेरोक्षसी .डी. ग्रंधान । __विशेष नोंध 1वीरचरित्रस्तोत्र...........
श्रेष्ठ..... जिनवल्लभमणि ..........प्रा. चन्द्रप्रभस्वामिषड्भाषामयस्तोत्र... श्रेष्ठ.....
८८६ .२७२....गा.१३ जीवाभिगमोपांगसूत्र अपूर्ण ... तत्त्वार्थसूत्र सस्तबक अपूर्ण .....
उमास्वाति वाचक -मू....सं.गु. तत्वार्थसूत्र सस्तबक अपूर्ण.......
उमास्वाति वाचक -मू... प्रा.गुशत्रुजयरास ......... श्रेष्ठ ..... समयसुंदरोपाध्याय ...... गुज...
प्रति पाणीमां भीजाएली छे श्रीचंद्रीयसंग्रहणीप्रकरण ............ | श्रीचंद्रसूरि मू. .......... प्रा.गु.
सस्तबक यंत्रसह ...कल्पसूत्र सस्तवक ..
प्रा.गु............ १८४९ ............. एकविंशतिस्थानप्रकरण किंचिदपूर्ण.... सिद्धसेनसूरि ............ भर्तृहरित्रिशती सुखबोधिनीटीकासह... श्रेष्ठ.... भर्तृहरि -मू.. ............ . सं.र.१८१८-ले.१८७७
...५०...८९४... ९१०.२७२....३००० श्रीनाथव्यास -टी....... प्रा.गु. आचारांगसूत्रद्वितीय श्रुतस्कंध बालावबोधसह पंचपाठ अपूर्ण श्रेष्ठ..
प्रा.गु................ रामचरित्ररास
श्रेष्ठ ..... | केशराज मुनि. गुज. र.१६८३-ले.१९१५ सूत्रकृतांगसूत्र प्रथमभुतस्कंध सस्तबक
प्रा.गु. सूत्रकृतांगसूत्र प्रथमस्कंध सस्तबक ... श्रेष्ठ ....
प्रा.गु. ........... १९४८
१०५ ८९९ ....... सुभाषितसंग्रह ........................ जीर्ण ...
सं.प्रा.गु, ९००......... अनुत्तरोपपातिकसूत्र वृत्ति .............. श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -वृ.......... सं..
....८९४... ९१० ९०१........ लघुस्तव टीका सह ................ मध्यम .. सोमतिलकसूरि -वृ. ...... सं..
२-१६ ... ८९४... ९१० - २७२/९०२..... दंडकप्रकरण तथा नवतत्त्वप्रकरण ....
.प्रा.
... १५ सामायिकदोषनिवारणबत्रीसी....... प्रमोदमाणिक्य .......... गुज.
....२ ९०३/२ पीषधविधिस्वाध्याय अपूर्ण .......... मध्यम...
गुज.
२४ १९०४ .... -कुमतिउत्थापनचर्चा .............
............. १४ ...८९४... ९१० १९०५.... लघुक्षेत्रसमासप्रकरण सस्तबक यंत्र स्थापना सह अतिजीर्ण रत्नशेखरसूरि मू....... प्रा.गु.-........... १७४२
म.गा.२६२ ९०६ .... जीवबिचारप्रकरण............... श्रेष्ठ .... शांतिसूरि ............... .प्रा.............. १९०९
गा.५१॥ २०७.........कल्पसूत्र अष्टभक्षण-वाचना ...........
मध्य म .........
.................... गुज..................................... १७
३-१११
८२५
४.१७
९०३/१..
श्रेष्ठ ....
For Private & Personal use only
Page #143
--------------------------------------------------------------------------
________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
स्थिति
९०८
९०९
९१०
९११/१ ९११/२
९१२
९१३
९१४
९१५
९१६
९१७
९१८
९१९
९२०
९२१
९२२
९२३
९२४
९२५
www..
९२६........ ९२७/१
| ९२७/२ [ ९२८
९२९
९३०
वीसस्थानक पूजा नमिराजर्षिचोपाई
नंदीसूत्र
शारीरनिबंधसंग्रह वैद्यक
सिद्धान्तचंद्रिका पूर्वार्द्ध सप्ततिकाकर्मग्रंथभंगक नंदीषेणचोपाई किंचिदपूर्ण पंचमषष्ठकर्मग्रंथ बालावबोध
पाक्षिकसूत्र
उपदेशमालाप्रकरण अवचूरि किंचिदपूर्ण जीर्णप्रायः
सर्वज्ञस्तोत्र अवचूरि पंचपाठ
श्रेष्ठ
पार्श्वनाथस्तोत्र महायमकमय सावचूरि पंचपाठ
उत्तमचरित्रकथानक गद्य
.......
विद्वद्गोष्ठी.
काव्यप्रकाश
UR
रघुवंशमहाकाव्य मुनिपतिचरित्र अपूर्ण
देववंदनादिभाष्यत्रय बालावबोधसह
पंचपाठ किंचिदपूर्ण संस्कृतमंजरी....
कर्पूरप्रकर सावचूरि पंचपाठ अपूर्ण जिनयक्षयक्षणीवर्णादि निर्वाणकलिकांतर्गत
नंदीसूत्रवृत्तिगत योग्यायोग्यपर्षदाविचार श्रेष्ठ लघुस्तव वृत्तिसह चित्रबद्ध जिनस्तुति भावारिवारणस्तोत्र बालावबोधसह
मध्यम...
श्रेष्ठ......
➖➖➖➖➖➖
.....
मध्यम
श्रेष्ठ
जिनहर्षसूरि
समयसुंदर
पद्मप्रभदेव मू. श्रेष्ठ दिगंबर
श्रेष्ठ
.....
-----
सोमतिलकसूरि -मू.
कर्ता
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ..... ज्ञानसागर
श्रेष्ठ
जीर्णप्रायः
देववाचक
श्रेष्ठ: जीर्णप्रायः
जीर्ण
मध्यम..
रामाश्रमाचार्य
.... हरिकवि -मू.
देवेन्द्रसूरि .मू.
मध्यम... मध्यम...
श्रेष्ठ . श्रेष्ठ श्रेष्ठ जीर्णप्रायः
-----
...... मम्मट अने अलक महाकवि कालिदास
भाषा
संवत् गुज. र. १८७१-ले. १८९५
गुज.
१७००
.सं.
सं.
सं.
सं.
प्रा.
सं.
सं.
.सं.
.सं.
सं. .सं. जिनवल्लभगणि मू..... प्रा. गु.
सोमतिलकसूरि -टी. जिनचन्द्रसूरि
सं.
सं.
.सं.
.प्रा.
गुज.
गुज.
गुज.
SIT.
प्रा.गु. सं.
सं.
१७०१
१५०४
र. १३९७
१७११
पत्र संख्या
१३
.७
१३
९९४... ९१० ..१९११ (१.२) २७२
१-२
१४
१९
३३
२३-३७ २-८
.... 19 ५०-९३ ५
१२
२-४
२-८
..८
१
६
६
....
झेरोक्ष
९९४... ९१०
1.... ९११ (१२) २७२
१२-१८ १९
सी.डी. ग्रंथाग्र
९२१
९२२
..... ४७५ गा.३१९
२७२
९२८२७२
ग्रं. ७००
प्र. ३००
४७४
९२५
९२६ २७२.५ प्रत एक बाजुथी खवाएल छे
विशेष नोंथ
मू.का.३० .... का. २१
९५
.
Page #144
--------------------------------------------------------------------------
________________
पत्र संख्या
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध ......................... गा.८४
गुज.
- ९३२
श्रेष्ठ....
का.१७५गा.५४४
बबबबब
.......
प्रति पाणीमां भीजाएली छे . गा.२०२, प्रति पाणीमां भीजाएली छे.
.....
.
ग्रंथन नाम
स्थिति कर्ता । भाषा | संवत् बुद्धिरास
जीर्णप्राय शालिभद्रसूरि चतुर्विशतिजिनचरित्रस्तोत्र
श्रेष्ठ.. कथासंग्रह
श्रेष्ठ..... सप्ततिशतस्थानप्रकरण कर्पूरप्रकर
श्रेष्ठ ..... हरिकवि उपदेशमालाप्रकरण
जीर्णप्राय धर्मदासगणि शीलरास यू.अ. शीलोपदेशमालायालायवोध, बीसलरास प्रश्नोत्तर चार्थिक ................ मल्लिज्ञाताध्ययनगत आलापक ......... अतकृदशागसूत्र........................ श्रेष्ठ, बोलसंग्रह ...............
श्रेष्ठ. पंचवर्गपरिहारनाममाला-अपवर्गनाममाला श्रेष्ठ .... जिनभद्रसूरि ............ ९४५.. .... औपपातिकसूत्र....
श्रेष्ठ.... द्वादशव्रतस्वरूप आदि ............ श्रेष्ठ...... ज्योतिष्करंडकवृत्तिगत सप्तदश प्राभृत वृत्ति सह
मध्यम .. मलयगिरिसूरि चंद्रप्रभस्वामिस्तोत्र षड्भाषामय सटीक जीर्णप्राया ९४९. कालिकाचार्यकथाबालावबोध जीर्णप्राय ९५०..... .दशवकालिकसूत्र................... दशवैकालिकसूत्र.
श्रेष्ठ..... शय्यंभवसूरि ............ प्रा.. ............ १६११ ९५१/१.... नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक .....................
विमलकीर्तिगणि ........ प्रा.गु..
वाचनाचार्य ९५१/२.....जीवविचारप्रकरण सस्तबक ............ मध्यम ... विमलकीर्तिगणि ........ प्रा.गु.
वाचनाचार्य ९५२ ........ सम्यक्त्वपंचविंशतिका
सम्यक्त्वस्वरूपस्तवन सटीक पंचपाठ जीर्ण ...
......... प्रति पाणीमा भीजाएली छे ....... अं.७९०
- प्रति पाणीमां भीजाएली छे ...९४४.२७२ .....३६०
गुज..
९४४ .....
• सं.
...९४८ ...२७२
.. ग्रं.७०० ...गा.५१.
...........
...मा.५१/
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
स्थिति
चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक त्रिपाठ.... श्रेष्ठ
९५३ ९५४..... ९५५...
९५६
९५७
९५८
९५९
९६०
९६१
९६२
९६३
९६४
९६५
९६६
MAHARAN
९६७ ९६८
९६९ ९७०/१
९७०/२
९७१
९७२
९७३
९७४
९७५
९७६
हैमधातुपाठ
श्रीपालचरित्र प्राकृत गाथाबद्ध .कालिकाचार्यकथा
. शांतिनाथविवाहलो
. नेमिनाथशीलरास
कल्पसूत्रबालावबोध त्रू.अ. उत्तराध्ययनसूत्रवृत्ति त्रू.अ.
• सर्वसिद्धांतविषमपदपर्याय
जीतकल्पसूत्र वृत्तिसह
श्रावकाचार कुलक आगमपाठसह आतुरप्रत्यारख्यानप्रकीर्णक
आराधना .....
द्रव्यसंग्रह बालावबोधसह
वैद्यकविषयक प्रकीर्णक पानांओ वीतरागस्तोत्र
हितोपदेशप्रकरण
- बृहत्संग्रहणीप्रकरण. श्रावकधर्मप्रकरण
जीर्णप्रायः कमलसंयमोपाध्याय वृ.सं.
कल्पसूत्र वारसा श्रू.अ.
मध्यम
. कल्पसूत्र सामाचारी बालावबोध अपूर्ण जीर्णप्राय
. मात्रापताका ................
मध्यम ...
• चैत्यवंदनाबंदनकप्रत्यारख्यान श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति
• न्यायकंदलीटिप्पनक
श्रीपालरास
मध्यम...
मध्यम... मध्यम... मध्यम जीर्णप्राया श्रेष्ठ
...
कर्ता
हेमचंद्राचार्य रत्नशेखरसूरि
मध्यम क्षेमकुशल.
वीरभद्रगणि
श्रेष्ठ....... श्रीचंद्रसूरि वृ. श्रेष्ठ.... नरचंद्रसूरि
विनजविजय तथा मध्यम... यशोविजयोपाध्याय
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ..... तिलकाचार्य वृ., मू.क. प्रा. सं. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
जीर्णप्राया
श्रेष्ठ... नेमिचंद्र भंडारी मू.
POSTA
मध्यम
श्रेष्ठ
हेमचंद्रसूरि श्रेष्ठ प्रभानन्दसूरि
www.
....
भाषा
.प्रा.गु.
.सं.
प्रा.
प्रा.
गुज.
गुज.
गुज.
श्रेष्ठ श्रेष्ठ जिनेश्वरसूरि
प्रा.
गुज.
सं
सं.
सं.
गुज. सं.
गुज. प्रा.
प्रा.
प्रा.गु.
सं. गु.
सं.
प्रा.
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण प्रा.
सं.
संवत्
१२३२
. १७३८-१८७८
१९८४
१९८४
१९८४
१९८४
१३१३
पत्र संख्या
५
.९
२६
३
१६
19
७६-८५
. २९९-३०८
२-२३
२-१३
३
૮૬
६२
७५
४८
४६
२-४
१-४
४-५
१५
.६
२७
१३
.६
झेरोक्ष
९५४ ९५५
९५४ ९५५
९५७+ ९६३
९५७+९६३
. ९६५
. ९६७ + ९६८
.९६७ ९६८
९६९
९७३
९७४
९७६
सी.डी. ग्रंथाग्र
२७२
. १७०० पत्र १, ४ थी १३ नथी
गा. १०२
...
विशेष नोंथ
पत्र ४.५.१३.१५ नथी.
गा. ७१ प्रति चोटी गएली छे
गा. ८० गा. ५९
गा. ५२५
गा. ५२४.
गा . २४५
९७
.
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________________
पत्र संख्या
.
•प्रा.
जिनमद्रसूरि कामळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध ......९७७
....................गा.२६३ ........................
गुज......
...गा.५२. प्रति पाणीमां भीजाएली छे ... ९८२... ९९७ ............. २५०
| ग्रंथांक ग्रंथन नाम | स्थितिा कर्ता
भाषा संवत - ९७७ ........ पंचवस्तुकप्रकरण....
श्रेष्ठ .... हरिभद्रसूरि .............
.........१९८४................. ९७८ .......!लपक्षेत्रसमासप्रकरण टिप्पणीयंत्रसह . श्रेष्ठ .... रत्नशेखरसूरि........ प्रा.सं. १८६९ ९७९........दीवालीस्तवन ....... मध्यम ... गुणहर्ष ...........
१९०२ ९८०........कल्पसूत्रवृत्ति ..................
जीर्ण ... ९८१......... गौतमस्वामिरास .........
श्रेष्ठ ..... विजयभद्र .......... गुज. १४१२ ९८२ ........ विचारपंचाशिका सायचूरि ............. श्रेष्ठ ..... विजयविमलगणि -अ...प्रा.स............ १९०१
अपरनाम वानर्षिगणि
......... स्योपज्ञ ........ अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र सस्तबक ... श्रेष्ठ ..........
प्रा.गु- ........... १९२४, ........खंडाजोयणबोल ..........
मध्यम .......
गुज. निशीथसूत्रवचनिका .....
श्रेष्ठ....
गुज............. १९०८ राजनीतिवर्णनकवित... श्रेष्ठ ..... देवीदास ..
............ १९११ दीपालिकाकल्प
जीर्णप्राय जिनसुंदरसूरि. . सं.र.१४८३-ले.१७४० आनंदसंधि
जीर्णप्राय श्रीसारमुनि ............. गुज. र.१६८१-ले.१७३१ जयतिहुअणस्तोत्र सटीक
..........
अभयदेवसूरि मू......... अप.सं ............ १७८१ .......... नवतत्त्वप्रकरण सस्तवक .............
.............. श्रेष्ठ .... मानविजयजी -स्त........ प्रा.गु............ १७७३
-ग्रं.११००
हिंदी
....९८७ + ९८८..२७२ .....९८७ +९८८.......... गा.२४८ .... ९८२... ९९७..............२५०
मू.अं.१२५, ग्रं.११५०
१९१.....
स.-...........
... ९८२... ९९७ .............. १९२. पत्र रजु नथी प्रति चोंटी गएली छ| ... ९८२... ९९७........ ... ९८२... ९९७
૧૭૧૫ ..... १५२८
...९०७
सिद्धांतचंद्रिका उत्तरार्द्ध.
श्रेष्ठ....रामचन्द्रामम...... ९९२...... नियतानियतिविचार ..
जीर्णप्राय पार्धचन्द्रगणि अनेकार्थतिलक.......
जीर्ण .... महीप ........... स्यायंतप्रक्रिया
श्रेष्ठ .....सर्वधर .... +सूत्रकृतांगसूत्र अपूर्ण...
अतिजीर्ण...... द्वादशभावना .....
श्रेष्ठ .... सकलचंद्रगणि ....... सिंहासनबत्रीसी.............. प्रश्नोत्तरपष्टिशतअवधूरि ३.अ. ..... अतिजीर्ण दशवकालिकसूत्र सस्तबक
अतिजीणी. १०००..... सारस्वतव्याकरण .........
मध्यम ... अनुभूत स्वरूपाचार्य .. १००१ ...... वैद्यकसारोद्धार सटीक अपूर्ण ........... जीर्णप्राया हर्षकीर्तिसूरि .........
९८२... ९९७
१००१
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________________
भाषा
प्रा.स
पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध ५. १००२ + १००३ २५.१००२ + १००३.२७३............ अस्तव्यस्त पानां
...........१००४ ...............
बचमा घणा पानां नथी
१००५
. .24n
.....१८३६
ज़िनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
स्थिति
कर्ता १००२ ...... आवश्य कसूत्र.................. श्रेष्ठ........ १००३ ...... कातंत्रव्याकरण........
..मध्यम ..... १००४ ........नवतत्त्वविचार पार्श्वनाथस्तोत्र क्षेत्रसमासचतुष्पदीआदि ...
मध्यम.... १००५ ...... बंधस्वामित्वप्रकरण वृत्तिसह-प्राचीन
तृतीय कर्मग्रंथ ..................... जीर्णप्रायः
पाक्षिकप्रतिक्रमणविधि ................ मध्यम १००७ ..... | समयसारप्रकरण अपूर्ण .................मध्यम, १००८ ...... शालिभद्ररास अपूर्ण .. १००९ ....... संबोधसप्ततिकाप्रकरण अपूर्ण ........ जीर्ण १०१० ....... आराधनाबालावबोध
जीर्णप्रायः ....... दशाश्रुतस्कंध सस्तबक .......... मध्यम. ....... लुंकाचउपई ...................... मध्यम ...लावण्यसमय.......
....... सुरसुंदरीरास ............ -मध्यम ...नयसुंदर .......... १०१४ ....... जीरणशेठरत्नपालचोपाई
मध्यम ..- सुमतिकमल .... ऋधिमंडलप्रकरण ...... ....श्रेष्ठ....-धर्मघोषसूरि .... नर्मदासुंदरीरास ....... ....... श्रेष्ठ.....मोहनविजय.... मनोरथमाला .....
मध्यम ...जिनसमुद्र...... उपदेशमालाप्रकरण शब्दार्थसह ........ श्रेष्ठ ..... धर्मदासगणि.. १०१९ ..... योगशास्त्राचप्रकाशचतुष्टय .......
हेमचन्द्राचार्य .. करणीसिंडीवत्ति ............. जीर्ण .... दुर्गसिंह-पृ.... १०२१ ..... जीवसिद्धि.......
श्रेष्ठ... १०२२ ...... कल्पसूत्रवृत्ति अपूर्ण...
श्रेष्ठ. १०२३ ..... विष्णुनामसहस-महाभारतशतसाहसी
संहितागत ...... ૧૨૪ कल्पसूत्रबालावबोध घष्ठीवाचना ....... जीर्णप्राय
राजसिंघकुमारचतुष्पदी .......... श्रेष्ठ ....जिनचंद्रसूरि. १०२६ ...... एकविंशतिस्थानप्रकरण सस्तबक ....... श्रेष्ठ ..... सिद्धसेनसूरि -मू.
स्त.३०००
.. मू.प्र.८०० १०१२ .......... गा.१८१
4. गा.५०७,
गुज. र.१६४४-ले.१७०७ गुज. र.१६४५-ले.१६४५
.... १७२६ ...१८२१ ... १७०८
१०१५+१०१८..........गा.२२५
.१०१५+ १०१८.........गा.५४३
१५५०
.....१०२०...२७३
..२७३
३. 95
मध्यम
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान .विशेष नोंध
८.१२. १९. २० नथी
१०० ग्रंथांक ग्रंथनं नाम
| स्थिति
कर्ता भाषासंवत
पत्र संख्या । १०२७ ....... समाधिशतक बालावबोधसह अपूर्ण....भेष्ठ....सोमसेनसूरि मू........पा.स.गु, १०२८ ....... भक्तामरस्तोत्र सस्तबक................ मध्यम ..............................सं.गु.
..................... ५ १०२९ .......जीवविचारप्रकरण...................... साधारण शांतिसूरि ................प्रा............. १८३८].................११ १०३०......नंदीसूत्र ................................श्रेष्ठ.....देववाचक .................मा..
आवश्यकसूत्र सस्तबक ................. मध्यम .............................. सिंहासनद्वात्रिंशिका ................ श्रेष्ठ.....................
.................. ५२-६२ 'ढोलामारुवार्ता अपूर्ण ..................
........... २२ १०३४ ...... एकविंशतिस्थानप्रकरणबालावबोध ......श्रेष्ठ................................ १०३५ ...... कल्पसूत्रसंक्षिप्तवालावबोध ............ श्रेष्ठ .........
१४ १०३६ .....! नेमिनाथबारमासा तथा सवैया ........ श्रेष्ठ ....तिलक गुसाई ............हि... १०३७/१.... कर्मछत्रीसी. १०३७/२..... अध्यात्मपयडीछत्रीसी ............................. बनारसीदास ............ १०३७/३..... कवितसंग्रह .........
मध्यम .. ज्ञानरल .............. १०३८ ....... दिक्पटचोरासीबोलविसंवाद श्रेष्ठ .... जिनसमुद्र............. १०३९ .... मृगांकलेखारास
श्रेष्ठ ... १०४०.... उत्तमकुमारचरित्र पद्य ..
श्रेष्ठ .. १०४१ ......कालज्ञान
श्रेष्ठ..... १०४२ ......कातंत्रव्याकरण पंचसंधि
मध्यम.. १०४३ ....... बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक .......... जीर्ण... जिनभद्रगणि मू........
गुज......... गुज..
२४
बारमासानी आदिनी १० गाथा नीं
...गा.३५.
प्रति पाणीमां भीजाएली के
. प्रति पाणीमा (जाएली छे , गा.४०८. पत्र ५-१२ नथी ..अं.५७५.
.१०४२.२७३
प्रति त्रूटक अपूर्ण, चॉटेली अने अस्तव्यस्त छे प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थएली छे
१०४४ ....... उत्तराध्ययनसूत्र.........
4.
4.
.......१०४६
.
१०४५......भावाध्याय अपूर्ण.................... १०४६ ......-गोरक्षकप्रबोध अपूर्ण .............. मध्य म... १०४७ ....... कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति टिप्पणीसह .. मध्यम ... दुर्गसिंह -यू...... १०४८ ....... कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति टिप्पणीसह ... मध्यम ... दुर्गसिंह -वृ... १०४९ ....... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व जीर्णप्राय हेमचन्द्रसूरि ...
पत्र ४, ५ नथी १६१..१०४७ + १०४८.२७३/............पत्र २,३,७६४ नथी १२३..१०४७+ १०४८.२७३
4
4
........१०४९
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१०१
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रथांक ग्रंथनु नाम | स्थिति कर्ता
भाषा १०५०......लघुजातक सटीक त्रिपाठ............... मध्यम ... वराहमिहिर -मू...........सं.....
...... उत्पलभट्ट -टी. १०५१......
दार्शनिकग्रंथ अज्ञात अपूर्ण १०५२ ....... प्रवचनसारोद्धार त्रूटक अपूर्ण ...........जीर्ण
संवत् पत्र संख्या झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
१७०१,................६९...१०५०+१०५१.
विशेष नोंध प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थई में
....
श्रेष्ठ
....
.
सं.
........... १८...१०५० + १०५१
प्रति पाणीमां भीजाएली छे, अस्तव्यस्त छे.
......१०५३
..१०५५
NAGES
१०६०............३५६४
..गा.३७,
१०५३ ...... कथासंग्रह गद्यपद्य ........ १०५४ ....... नारचंद्रज्योतिष द्वितीयप्रकरण .... मध्यम ...नरचंद्रसूरि ..............
कातंत्रव्याकरण दुर्गसिंही आख्यातवृत्ति ,जीर्ण ....दुर्गसिंह वृ............ शालिभद्रकथा पद्य .............. जीरावलापार्श्वनाथरतबन ............... मध्यम ... भक्तिलाभ अष्टप्रकारपूजाकथा ............. मध्यम .. शीलोपदेशमालाबालाययोध ............. मध्यम..
त्रिषष्टिशलाकापुरुषारित्र परिशिष्टपर्व श्रेष्ठ ..... हेमचंद्रसूरि ............ १०६१ .... जल्पमंजरी....................
श्रेष्ठ, १०६२ अल्पबहुत्वस्तवन ................. मध्यम ...Jशांतिमंदिरशिष्य खरतर १०६३ .... घोडशकप्रकरण.....
मध्यम ... हरिभद्रसूरि. १०६४/१.... देववंदनकप्रत्याख्यानप्रकरण
श्रेष्ठ....-जिनप्रभसूरि .............प्रा. १०६४/२.... साधुसंघमर्यादापट्टक
जिनप्रभसूरि १०६५ ...... पिंडविशुद्धिप्रकरण ......
मध्यम ... जिनवल्लभगणि ......... प्रा. वरदराजीटिप्पनक ...
श्रेष्ठ.. १०६७ ......श्रीचंद्रीया संग्रहणी सावचूरि पंचपाठ...जीर्णप्राय श्रीचंद्रसूरि मू.. ........प्रा.सं .......... १५०१
......... साधुसोम -अव, मौनएकादशीकथा सस्तबक .............मध्यम ...सौभाग्यनंदी ..........सं.गु. र.१५७६-ले.१८०० १०६९ ... सारस्वतीयधातुपाठ वृत्तिसह ........... श्रेष्ठ .......... १०७० चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक .........../जीर्ण ......
..प्रा.ग. १०७१. हैमधातुपाठ सावचूरि पंचपाठ .........-श्रेष्ठ..... हेमचंद्राचार्य ....सं.... ....१४९७ ૧૦૭૨ . चंपकमालाकथा ................ ....मध्यम ...
......१०६३...२७३.....२९६
1.पं. ७२
गा.१०३,
|.सं..
१०६६
.......१०६७........मू.गा.२७६
१०८८...
.....................मू.अं.११७,
सं.
|२६ नथी,
...२७3
....३८ नथी प्रति चोंटी जवाथी अक्षरो उखडी ...............! गया छे
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संवत्
।
૧૦૨ | ग्रंथांक ।
ग्रंथy नाम |१०७३ ...... नमिराजर्षिकुलक ................ |१०७४ ....... अनाथीमुनिसज्झाय . |१०७५/१....दानषट्विंशिका वृत्तिसह . .............
मध्यम...
गुज.
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. ग्रंधान
विशेष नोंध .....गा.६३, |१०७४ थी १०७८ ........... गा.९ ......... |१०७४ थी १०७८...२७३
र.१५५२
जीर्ण
स्थिति
भाषा विनयसमुद्र वाचक ...... जीर्ण ... समयसुंदर
गुज. श्रेष्ठ.... राजशेखर -मू....... दैवललामसाधु-वृ.
-प्रा.स जीर्ण .. श्रेष्ठ .... साधुरत्नसूरि -अय. ..... जीर्ण .... त्रिविक्रमभट्ट -मू...... जीर्णप्राय चंडपाल -वि. .......... जीर्णप्राय हलायुध ................" श्रेष्ठ ....
| १०७५/२.....जीवविचारप्रकरण सटीक किंचिदपूर्ण |१०७६ ......लक्ष्मीआदिमंत्रसंग्रह १०७७ ...... नवतत्वप्रकरण सावचूरि. १०७८ ....... दमयंतीकथापू सावचूरि पंचपाठ.... १०७९/१.....दमयंतीकथाचंपूविवरण .... १०७९/२.... कविगुह्यनामकाव्य ........ १०८०......संस्कृतिशब्दरूपावली ..
SEAN
1१०७४ थी १०७८ ... २७३
१०७४ थी १०७८ ... १७१९...
१०७४ थी १०७८
३२/१०७४ थी १०७८ ...२७३ .......... १४८४
..१०७२ + १०८०...२७३/....१९००
३९-४६ ।..१०७२ + १०८०.२७३) ......३५० ..........१५५५ ................ १२ ..१०७९ + १०८० २७३/
...२८८ ...........१०८१ ..........५४ .१०८२ + १०८३
श्रेष्ठ.....
............
....८...१०८२ + १०८३ ...२७३ ६-१४
...का.२६
१४९
प्रति अस्तव्यस्त तथा पत्रांको भुंसाई गयेल छे
१०८५ ......ऋषिमंडलप्रकरण ......
श्रेष्ठ..... धर्मघोषसूरि ............... १०८२ ....... योगचिंतामणि वैद्यक .....
हर्षकीर्तिसूरि .........
| नागपुरीय तपागच्छीय १०८३ ....... बालशिक्षाव्याकरण.
जीर्णप्राय भक्तिलाभ .. १०८४/१.... दशवैकालिकसूत्र
शय्यंभवसूरि
प्रा. १०८४/२....चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र क्रियागुप्त ...... |श्रेष्ठ.....जयशेखरसूरि १०८५ ....... नयतत्त्वविवरण तथा
जीर्णप्राया चैत्यवंदनावंदनकादिविचारबालायबोध १०८६ ....... अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र ........... जीर्ण १०८७ ....... वैद्यकग्रंथ अपूर्ण................. श्रेष्ठ... १०८८ .......भववैराग्यशतक अपूर्ण ............... मध्यम १०८९ ......चैत्यवंदनाभाष्य सस्तबक ............ मध्यम १०५०......रामसीतासंबंध .....................
मध्यम १०९१.......चैत्यवंदनभाष्य ................... मध्यम ... देवेंद्रसूरि १०९२ ....... उपदेशमालाप्रकरण सस्तबक ..........जीर्ण |१०९३ .......दशवैकालिकसूत्र
श्रेष्ठ ........... ...............
.१०८६ ............. २००
२११
.
.......
गा.६३
प्रा.ग
.. ग्रं.७५० मू.गा.५४२.
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१०३
पत्र संख्या
झेरोक्षसी .डी ग्रंथान । विशेष नोंध
....... पत्र २१-३४ नथी ......१२२४
...गा.३१२ पत्र १६-१८ नथी गा.११६
.... पत्र १० मुं नथी गा.५१ म.का.४४
KummaNAA328
.......... प्रति पाणीमां भीजाएली छे
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
स्थिति कर्ताभाषा संवत् १०९४ ..... विनयचटरास ........
मध्यम ...ऋषभसागर .... गुज.
............ १८३२ १०९५ ..... शालिभद्रचरित्र पद्य .......... श्रेष्ठ.....धर्मकुमार
र.१३३४-ले.१९५१ १०९६ ..... ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र सस्तबक ......
श्रेष्ठ....
प्रा.गु.
१९११ संग्रहणीप्रकरण.......
जीर्णप्राय श्रीचंद्रसूरि बंकघूलचोपाई.. मध्यम ..........
१७६० सीमंधरजिनसवासोगाथानुं स्तवन..... श्रेष्ठ .....यशोविजयोपाध्याय .. ईधुकारीयचरित्ररास .................... जीर्णप्राय खेमराजमुनि .... भक्तामरस्तोत्र सस्तबक ......... श्रेष्ठ .....मानतुंगसूरि मू...... अध्यात्मस्तुति सस्तबक (उठी सवेरा सामायिक लीधु)........
मध्यम ...भावप्रभसूरि ........... ११०३ नवकारबालावबोध अपूर्ण ११०४ एकविंशतिस्थानप्रकरण सस्तवक ...... मध्यम ... सिद्धसेनसूरि -मू.....
१७७७ ११०५ अनेकविचार संग्रह ..... ११०६ सुव्रतष्ठिकथानकवालावबोध.. मध्यम ...
१७८४ ११०७ भक्तामरस्तोत्र भाषाकवित्त .. मध्यम ... बनारसीदास .......
१७८३ गोडीपार्श्वनाथस्तवन ............... जीर्ण .... प्रीतिबिमल
१७८३ महावीरसत्तावीसभवस्तवन ........... मध्यम ....
र. १५३० लघुचाणाक्यराजनीतिशास्त्र सस्तबक-मध्यम... कविप्रिया
श्रेष्ठ..... केशवदास
.... १८३२ गौतमपृच्छाप्रकरण ...................
जीर्णप्राय १११३ ..... अमरसेनवयरसेनरास ................... श्रेष्ठ..... जिनहर्ष
र.१७४२-ले.१७४७ महर्षिकुलक सस्तबक ..................
--मध्यम ..... पंचभावना सज्झाय .................. लधुभावना तथा तमाकुसज्झाय आदि .. श्रेष्ठ ........ श्रावकअतिचार .............
श्रेष्ठ ......... संवत् १८२५ नुं पंचांग गुटकाकारे ......मध्यम .....
सारस्वतव्याकरण पंचसंधि .............. श्रेष्ठ ..... अनुभूतस्वरूपाचार्य ..................... १९०२ १११९ ....... महावीरस्वामितपपारणुं ..................मध्यम .......
...... ग ज .....................
गा.६७
..११०८...११२६............गा.५५
.११०८...११२६.........कडी
३२
१९१०
१११२....
गा.६४
गा.४६3
म.गा.२०
1०८...११२६
..... प्रति पाणीमां भीजाएली छे .. गा.२८ प्रति पाणीमां भींजाएली छे
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१०४
संवत्
।
पत्र संख्या
|
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथाग्न विशेष नोंध
........ गा.२१. प्रति पाणीमा भीजाएली छे ........ गा.१३. प्रति पाणीमां भीजाएली छे
१७०२
मध्यम
मध्य
म...
मध्य
म
...
...११०८...११२६ -.२७३
ग्रंथांक । ग्रंधनुं नाम | स्थिति कर्ता
भाषा|. ११२० ......शांतिजिनस्तवन ......
मध्यम ..गुणसागर.
गुज. ११२१ नवकारछंद
मध्यम... कुशललाभ. ११२२ कामधेनुज्योतिषग्रंथ तथा सारणी मध्यम..रामचंद्राचार्य ११२३/१... ग्रहरत्नाकरसारणी
मध्यम ११२३/२..... ज्योतिषसारणी.... ११२३/३..... खेटभूषणसारणी .. ११२३/४ ..... ज्योतिषसारणी, ११२३/५... . ज्योतिषसारणी......
मध्यम यंत्रराजकोष्ठक ......
मध्यम यंत्रराजवृत्तिसह ........................
जीर्णप्राय महेन्द्रसूरि मू. ............ वीतरागसहस्रनाम......................
जीर्णप्राय ११२७ ....... ज्योतिषग्रंथ .......................
मध्य म ......... ....... ग्रहणाधिकार .........
मध्यम .. शतानंद ................. ....... शकुनावली....
मध्यम... ११३० ....... कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तबक ........ मध्यम .. सिद्धसेन दिवाकर -मू..सं.गु. ताजिकसार
मध्यम .. हरिहर ग्रहसाधनप्रक्रिया
श्रेष्ठ रत्नप्रदीप
श्रेष्ठ ..... गणपति जनावरशकुनावली
जीर्णप्राया षट्पं चाशिका.................
श्रेष्ठ.... पृथुयशा ..... कर्णकुतूहल................... ११३७ विचाररत्नाकरज्योतिष ............ |श्रेष्ठ...... ११३८ मुष्टिज्ञान . ११३९ .महादेवीज्योतिषयंत्रावली
मध्यम ..... ११४० ग्रहभावप्रकाश..
श्रेष्ठ..... पद्मप्रभसूरि ........ ११४१ ......यंत्रराज ....
मध्यम .. महेन्द्रसूरि ११४२ ....... महादेवीवृत्ति ......................... जीर्ण....धनराज -नृ. .......... ११४३.......विष्णुकरण सटीक त्रिपाठ.............मध्यम ..त्र्यंबक न्य..........
गुज
१७२८
.................. प्रति पाणीमां भीजाएली छे
प्रति..पाणीमां भीजाएली छे पत्र १, ५, ६ नथी
मध्यम ...
... १७२८
प्रति पाणीमां भीजाएली छे प्रति उंदरे करडेली छे
मध्यम..
...... प्रति पाणीथी भीजाएली छे
..... १७०८ ..... १७२२ ...... १६९२. ........ १७१२.
.......... प्रति पाणीथी भीजाएली छे
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________________
संवत्
। पत्र संख्या
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध प्रति पाणीथी भीजाएली छे
-...
.. १८
...
११४७....
.
.प..२१३
.
..
......
.......
१५२५
११-१४|..११५४+११८९
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांका ग्रंथन नामस्थिति । कर्ता
भाषा| ११४४ ...... ज्योतिषसारणी.
............... मध्यम
...........सं. ११४५ ...... बासठमार्गणायंत्र...............
श्रेष्ठ, ११४६ ...... ऋषिमंडलस्तोत्र........................अजितशांतिस्तोत्र तथा .
--मध्य म ......................... गोडीपाश्र्धनाथस्तवन आदि ११४८ ... नारचंद्रज्योतिष ...... ...... श्रेष्ठ .....नरचंद्रसूरि ......... ११४९ .. मुहूर्त्तचिंतामणि.....
श्रेष्ठ...... रामदैवज्ञ ..... ११५० मुहर्तदीपक .........
जीर्ण .... भूद्रभादेव ............... ११५१ ज्योतिषसारणी....... किरातमहाकाव्य......
मध्यम ... भारवि विवाहपटल सस्तबक ......... मध्यम.. विवाहपटल ......
मध्यम .. --कर्णकुतूहल वृत्तिसह .....
सुमतिहर्षगणि न्यू...... .. बृहज्जातक...........
जीर्ण षष्टिसंवत्सर ..................
षष्टिसंवत्सरवृत्ति.................. |११५९ ..... भुवनदीपक ..............
जीर्ण .... पद्मप्रभसूरि |११६० ...... पंचांगतत्त्व व्याख्यासह ............... श्रेष्ठ |११६१ ..... वृद्धग्रहरत्नाकरहतिसंस्कारयंत्र ......... ११६२ ..... आशाधरसारणी .............. ११६३..... महादेवीसारणी....
जीर्ण ११६४ ... कल्पसूत्रनवमव्याख्यानबालावबोध......जीर्ण ....
गुज ११६५ .... आशाधर, ११६६ ..... सप्तस्मरणनी अनेक प्रतिओ ....... ११६७ ...... चंद्राीपद्धति ...........................
-मध्यम ... ११६८ ...... पटपंचाशिकाबालावबोध ................ जीर्ण .... ११६९ .......श्रीपतिसूत्रवृत्ति......
जीर्णप्राया
....... .१८५० .... .७२
....... पत्र ३, ४ नथी
जीर्ण... जीर्ण..
११५८ .....
ग्रं.१७३
६५
१४-२७
.... पत्र १.४ नथी
गुज.
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ मंडार - जैसलमेर दुर्ग रोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
पत्र संख्या
१७३४
...८८०, प्रति चोटेली अने नकामी के
2088043
बबैं
ठ....
.....का.२७. प्रति एक बाजुथी उंदरे करडेली छे
१९२७
ग्रंथांक ग्रंथ नाम
स्थिति। कर्ता
भाषा संवत कर्णकुतूहलवृत्ति ........................ जीर्ण ... भास्काचार्य-मू. जीवविचारप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ .... श्रेष्ठ .... शांतिसूरि मू. ज्योतिषरत्नमाला बालावबोधसह ....... अतिजीर्ण श्रीपति ...... षष्टिसंवत्सरटीका
मध्यम.. कर्णकुतूहल ...... मध्यम .. भास्कराचार्य
१७०८ जातकपद्धति टिप्पणीसह
श्रेष्ठ.... मिश्रप्रेम कर्मविपाकज्योतिष
मध्यम .. भुवनदीपकवृत्ति अपूर्ण जन्मपत्रीपद्धति
श्रेष्ठ .... हर्षकीर्तिसूरि विपाकसूत्र सस्तबक बृहद्महरत्नाकर ........
योगराज .................. औपपातिकसूत्र सस्तबक
श्रेष्ठ ..
.....प्रा.गु............ संवत् १७२७-१७४१ सुधीना पंचांगनी . विशेष हकीकतोनो गुटको श्रेष्ठ .. सीमंधरस्वामिस्तुति आदि स्तुतित्रय ... मध्यम ..
प्रा.सं जंबूद्वीपसंग्रहणी सस्तबक..
श्रेष्ठ....हरिभद्रसूरि मू......... ११८५ ..... शिखामणस्वाध्याय अपूर्ण ........ मध्यम ..
गुज. ११८६ ..... ओमकारबावनी अपूर्ण.... ११८७ .... षडावश्यकसूत्रबालावबोध ..
गुज. तत्त्वसंग्रहपंजिका ............ श्रेष्ठ .... कमलशील ..........
१९८३ द्वादशकुलक विवरणसह
श्रेष्ठ.... जिनवल्लभसूरि -मू.. ...प्रा.सं
जिनपालोध्याय -व. नयचक्रवचनिका अपूर्ण
मध्यम ११९१ उपदेशमालाशकुनावली
मध्यम. ११९२ चंडीशतक जीर्ण ... बाणभट्ट
१५४६ ११९३ ऋषभदेवविवाहलो. ............. श्रेष्ठ... ११९४ भक्तामरस्तोत्र सावचूरिक पंचपाठ ...... अतिजीर्ण,
..........
NYC
१७४६
१९८३
.९१/..११५४ + ११८९
११९२ थी ११९४ .......... का.१०१
११९२ थी ११९४ ......... गा.२४५ ४ ११९२ थी ११९४ ...२७३
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________________
संवत्
।
झेरोक्ष
शी.डी
ग्रंथाम
विशेष नोध
पत्र संख्या । .......... ३-७ .....
...........
गुज.
. . . . . . १८१७................ १९
गुटको
......... प्रति भीजाईने चोंटी गएली छे
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथनु नाम | स्थिति
भाषा ११९५...... षष्टिसंवत्सर ............................जीर्ण ...........
1.सं. ११९६ ....... शकुनावली .............................
मध्यम...
............. ११९७ ...... विवाहपटल सस्तबक ................... जीर्ण...........
सं.गु. अनेक ग्रंथोनां प्रकीर्णक आदि अंत वगेरेनां पानां............
................ परचुरणकवितपदसंग्रह गुटको ..........मध्यम .... गोपीचंदकी वारता
......मध्यम .... नंददासनाममाला तथा दुहा सोरठा आदि रसमंजरी तथा अष्टनायिकाभेद गुटको मध्यम ...
नंददास र. कोकशास्त्र
श्रेष्ठ ..... आनंद रसिकप्रिया
श्रेष्ठ.. माधवानलकामकंदलाचोपाई .........मध्य म .. उपासकदशांगसूत्र अपूर्ण चमत्कारचिंतामणि
जीर्ण. भागवतदशमस्कंधपंचाध्यायी............मध्यम ... वल्लभदीक्षित अर्घाकांड अपूर्ण ................
मध्यम १२१० ...... भक्तामरस्तोत्रवृत्ति ................ जीर्ण .... मानतुंगसूरि मू...........
समयसुंदर -वृ. १२११ ...... दुर्गासप्तशती....................
विवाहपटल सस्तबक ........... शीघ्रबोधसंग्रह ज्योतिष ......... श्रेष्ठ ..... काशीनाथ कोकसार ......
मध्यम योगदीपकवैद्यक .....
श्रेष्ठ... देवीगीत आदि पत्र.... शिक्षापत्री त्रू.अ.....
मध्यम .. ૧૨૧૮ सारशिखामणरास..
मध्यम .. १२१९ रत्नाकरावतारिकाटिप्पनक.
श्रेष्ठ .....
ज्ञानचंद्र............. १२२०.... खंडनखंडखाद्यटिप्पनक
श्रेष्ठ..... परमानंदसूरि.............
मध्यम..
.१२०७.. १२१९
... पत्र ६९-९४ नथी
|. १२०७.. १२१९ ...२७३ ............ उत्तरार्ध मात्र छे.
१७५३
1. १२०७.. १२१९
जीर्ण ....भेष्ठ.....
१७७०
ಸೈ
.....
ಸೈ
१७४८
ಸೈ
पत्र २७-३९ नथी
श्रेष्ठ....
ಸೈ
पत्र ३२-४० नथी
ಸೈ
१७७५
१९५१ .. १९५१
1. १२०७.. १२१९ - ............१२२०...........१२५०
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी प्रधान विशेष नोध
स्थिति।
भाषा
संवत
संख्या
१०८ | ग्रंथांक -
ग्रंथ नाम १२२१ .....!जिनागमपाठसंग्रह अस्तव्यस्त ....... १२२२ .....
कथासंग्रह गद्यपद्य......
नैषधमहाकाव्य..................... १२२४ लटकमेलकप्रहसन. ...............
अतिजीर्ण मध्यम मध्यम ... हर्षकवि श्रेष्ठ ....शंखधर..
.
१२२३ -
७-२४
११ ...१०.१२२४... १२३४
2
4
अपूर्ण, प्रति अनु. १६ सैकामां लखायेली छे. पत्र १२७-१८१ नथी
:
.
१२२५
श्रीहर्षकवि
९-२०१
:
१२२६ १२२७ १२२८ ....
नैषधमहाकाव्य .... सिद्धहेमसूत्रपाठ आदि त्रूटक अपूर्ण .... मध्यम .. अनुत्तरोपपातिकसूत्र.
जीर्ण ... सन्मतितकनी चार अपूर्ण प्रतिओ.. तथा अंगविज्जा अपूर्ण .................. श्रेष्ठ ....
.:
........५७+५९+२९
......+३९.१२२४... १२३४
:
वृत्ति पत्र १ थी ५७.प्रथमखंड पत्र १ थी ५९. बीजो खंड पत्र १ थी २९. अंगिवजन पत्र १थी ३९ पत्र, ७.१.११.१२.१४.१९.२०,३३.८५.
.८६.९१ थी ९६.१४३.१५५.१५७ नथी| ग्रं.१५४.
१२२९ .....
नारदीयपुराण अपूर्ण ................... मध्यम.
2
..........१२२९
र.१४९३-ले.१४९७
४५.१२२४... १२३४
.ग्रं.१४७
। प्रतिमा १६३-१८७ पत्र नथी ...२५६
१५०-२१२.१२२४... १२३४
..४.१२२४... १२३४ २०१२३५ थी १२३७ १२/१२३५ थी १२३७
१२३० . प्रेतमंजरी............
मध्यम .. १२३१... विवेकविलास ............
मध्यम ... जिनदत्तसूरि .......... सं. १२३२ ... एकादशीमाहात्म्य-मत्स्यपुराणगत ....... जीर्णप्राय १२३३ ... जीवाभिगमसूत्रवृत्ति द्वितीयखंड ..... मध्यम ... मलयगिरि -य. ....... १२३४ अष्टकप्रकरण ............
श्रेष्ठ ....
हरिभद्रसूरि १२३५ औपपातिकोपांगसूत्र....
जीर्णप्राया १२३६ भयहरस्तोत्र वृत्तिसह ... .......... जीर्णप्राया
मंत्रकल्पगर्मित अपूर्ण............... १२३७ श्रीपालचरित्रप्राकृत .............. मध्यम .. हेमचंद्र..............
.. उत्तराध्ययनसूत्र
बप्पभट्टीस्तुतिचतुर्विशतिका.......... मध्यम ... बप्पभट्टीसूरि ............ सं. वीतरामस्तोत्रअष्टमप्रकाशवृत्ति ३.अ... मध्यम ... वीतरागस्तोत्रअवचूरि-त्रयोदशनकाशथी वीस सकाशपर्यंत ................ .....श्रेष्ठ ....... एक एक पानानां स्तवन, छंद, सज्झाय,
गीत, स्तुति आदि........ |१२४३ ....... भयहरस्तोत्र सटीक अपूर्ण....
FFFFFF
१४२८
... २४/१२३५ थी १२३७ ........ |गा.१३४२
...१५३९
....३/१२३९... १२४६ ...........का.९६ प्रथम पत्र नथी २१३.१२३९... १२४६ ................४.५ नथी
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________________
१०९
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथापा
विशेष नोंध
.
संवत्
पत्र संख्या ... १७६४.......
१२३९ थी १२४६ ......... भ.२०६.
........... .प्र.१७
१२५२ ......
प्रा.
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति
भाषा १२४४ ...... संग्रहणीप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ ....... श्रेष्ठ .....श्रीचंद्रसूरि -गू....... १२४५/१.... कल्याणमंदिरस्तोत्र सावचूरि...... |१२५५/२..... भक्तामरस्तोत्र सावरि ....
भवानीसहस्रनामस्तोत्र तथा ...
जैनरक्षास्तोत्र................... १२४७ .....
धनंजयनाममाला अपूर्ण .................श्रेष्ठ .....धनंजय ............. १२४८ ...... कथासंग्रह
श्रेष्ठ ....-....
प्रा.सं. १२४९ ......चंद्राकींटिप्पनिका ............... मध्य म................................ स. १२५० ...... उल्लासिक्कमस्तोत्रबालावबोध ...... -जीर्ण ........
गुज. १२५१ ..... वृत्तरत्नाकर ......
केदारभट्ट .............. जयतिहुयणस्तोत्र.......
श्रेष्ठ..... अभयदेवसूरि ..............अप १२५३ ..... दुरियरस्तोत्र अपूर्ण
श्रेष्ठ.....जिनबल्लभगणि ........ १२५४ ...... भक्तामरस्तान
भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसह पंचपात .. श्रेष्ठ .... १२५५ ...... स्वप्नचितामणि.......................... मध्यम ... जगदेव....... १२५६ ...... लग्नपत्रसारणी.......................... श्रेष्ठ ......... १२५७.......चैत्यवंदनावंदनकप्रत्याख्यानविवरण .... श्रेष्ठ ... १२५८ ....... शिशुपालकथा. १२५९ ....... स्तोत्रस्तवनादिसंग्रह ....................मध्यम ... १२६०........आचारांगसूत्रआलापक
.............बालावबोधसह पंचपाठ .................भेष्ठ १२६१ .......क्रांतिसाधन ..............
.सं. १२६२ .......सरस्वतीस्तवन ................ १२६३/१..... नेमिनाथबारमासा गीत ..............
धर्मकीर्ति.
गुज. १२६३/२.....जेसलमेरपार्श्वनाथगीत ..............
धर्मकीर्ति
गुज. १२६३/३.....जिनचंद्रसूरिगीत .........
धर्मकीर्ति
गुज. १२६३/४ .... सीमंधरगीत ........... ..........जीर्ण ....धर्मकीर्ति ... १२६४ ...... ज्योतिषरत्नमाला बालावबोधसह अपूर्ण जीर्णप्राया...
सं.गु. १२६५ .......ऋषिमंडलप्रकरण ...
श्रेष्ठ.....धर्मघोषसूरि ......
१२५५... १२७८
..२४-३५ ................ ६.८
.........मध्य
म...
.. अप.गु--
मध्यम
गुज.
५२...............
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१२६६ ---
गा.७
जीर्ण...
११०
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति। कर्ता भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध शीतलामातागीत आदि ............ मध्यम .. कानजी .... सिद्धांतशिरोमणिसूत्र ........... श्रेष्ठ ..... भास्कराचार्य
..... १५-२६ - १२५५.. १२७८ उपधानविधिप्रकरण ... जीर्णप्राया मानदेवसूरि
...३.१२५५.. १२७८ ......गा.५४ राशिचक्र ............. नंदितान्यछंदाशास्त्र किंचिदपूर्ण मध्यम ... संवत् १८२२ नुं पंचांग .. .......... मध्यम .. भागवतदशमस्कंधविवरण अपूर्ण, जीर्ण .... अंतःकरणप्रबोधवृत्ति ................. जीर्ण.... वल्लभ
.. ग्रं.१७०, प्रति घोंटेली छे १२७४/१ न्यायतात्पर्यटीका द्वितीयाध्यायपर्यन्त श्रेष्ठ .... वाचस्पतिमिश्र ....
... १२७५ .......५ १८९ . १२१५.. १२७८ - २२०/.......... अतिशुद्ध छे. पत्र ३७मुं नथी. टिप्पणी सह १२७४/२....न्यावतात्पर्यटीका तृतीयाध्यायपर्यन्तथी श्रेष्ठ .... वाचस्पतिमिश्र .....
.... १२७९ ...... १९० थी २८०. १२५५.. १२७८ ...२२० ........... . प्रति अतिशुद्ध छे. ... सम्पूर्ण टिप्पणी सह ............. १२७४/३ ..... न्यायभाष्य टिप्पणीसह अपूर्ण ...........श्रेष्ठ .... वात्स्यायनमुनि...
१२७५......२८१ थी ३५०. १२५५.. १२७८ .२२०............ प्रति अतिशुद्ध छे. १२७५/१.....न्यायवार्तिक टिप्पणीसह ...............
भारद्वाज.......
१२७९ .........८ थी १५७, १२५५.. १२७८.२४१ नूतनलिखित सं. १७४५ १२७५/२.... तात्पर्यपरिशुद्धि टिप्पणीसह अपूर्ण ..... श्रेष्ठ .... उदयनाचार्य...............
१२७९.१५७ (२ थी ३२५), १२५५.. १२७८ - २४१........... अतिशुद्ध छे. १२७६ ......राजप्रश्नीयोपांगसूत्रवृत्ति ...
मलयगिरि आचार्य -वृ. १४९०
प्रति उधेईए खाधेली छे १२७७... चैत्यवंदनाकुलक वृत्तिसहित अपूर्ण .....
१४००
२.१५, १२५५.. १२७८ १२७८ अंजनासुंदरीकथानक.. श्रेष्ठ..... गुणसमृद्धि महत्तरा .......
१४०७
...२३ १२५५... १२७८ १२७९ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य दशमपर्व महाबीरचरित्र श्रेष्ठ ..... हेमचन्द्रसूरि ............
१३८४
.२४१............१२७९ .२७३ १२८० संग्रहणीप्रकरण आदि संक्षिप्तटिप्पणी . जीर्ण .........
......८/१२८० थी १२८२ १२८१ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य प्रथमपर्व आदिनाथचरित्र .............. श्रेष्ठ.... हेमचन्द्राचार्य ...........
१५०० ................१०२ १२८० थी १२८२ १२८२.... दुर्गवृत्तिव्याश्रयमहाकाव्य ............... .... जीर्ण ... जिनप्रभसूरि श्योपज्ञ......
१५०० .......... १२२-२८२ १२८० थी १२८२... २७४............ अपूर्ण स्वोपज्ञवृत्तिसह त्रू.अ.
पंचवस्तुकप्रकरणवृत्ति प्रथमखंड अपूर्ण श्रेष्ठ .... मुनिचंद्रसूरि, .सं.-............ १४००.................१९५/..१२८३ + १२८४ ...२७४ ..! कर्मप्रकृतिप्रकरण सटीक अपूर्ण........ श्रेष्ठ .... शिवशर्मसूरि मू.. .......प्रा.सं ............. १४०० .................३४७...१२८३+ १२८४ -.२७४........ -पत्र ११७-११८.१५५,१६१-१६३,१९५. मलयगिरि आचार्य -टी.
.............१९७, २०४-३४६ नथी
www.nebrar og
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________________
भाषा
पत्र संख्या
........
..... २०८
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक | ग्रंथ नाम | स्थिति
झेरोक्ष सी.डी गंधाय
विशेष मोध १२८५/१..... प्रद्युम्नशांबचरित्र ........................ श्रेष्ठ.........
..............३-५०/-.१२८५ - १२८६ .. २७४ गा.१०७०/ पत्र २५-४६ नथी १२८५/२.... सीताचरित्र ..............................श्रेष्ठ.......
५०० ..........५०-१४३ . १२८५ + १२८६ ... २७४
पत्र ५५.५७-६१,६६-६९,७१,७३-७४ ..........................
७७.७२-८५,८९-९०,९७,१०६,१०८, ......................
११०, ११५, १२२, १४२ नथी १२८६ ...... बृहत्संग्रहणीप्रकरण त्रू.अ...............अतिजीर्ण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .प्रा.
१४००
५६-७६/..१२८५ + १२८६ ...२७३ १२८७ ....... पाणिनीय्याकरणमहाभाष्यप्रदीप त्रू.अ....श्रेष्ठ..... कैयट ...
............. १५०० ............. ४-१०८ ...........१२८७
बचमा केटलांक पानां नथी १२८८/५..
कातंत्रव्याकरणदुर्गपदप्रबोधवृत्तिकुँदिका
कारकपर्यन्त.... १२८८/२.... शास्त्रीयअनेकविचार,
२०९-२४३ १२८८/३.... कर्मविपाककर्मग्रंथबालावबोध
२४४-२५७ १२८८/४.... लघुअजितशांतिस्तव भाषार्थसह .. ................ जिनदत्तसूरि
२५७-२६१ १२८८/५.... प्रकीर्णकविचार मध्यम
१५००..........
२६१-२६४ १२८९ ....... बृहत्संग्रहणी + चंदनविधि + पंचाशक ..अतिजीर्ण.........
F........... १४०० ...............२२४
। प्रति चोंटी गयेली अने उंदरे + श्रावकवक्तव्य आ.प्रक
करडी खाधेली छे १२९० ...... उपदेशमालाप्रकरण दोघट्टीवृत्तिसह अपूर्ण..... ... श्रेष्ठ ..... रत्नप्रभाचार्य -टी. .......
पत्र २१९, २२० नथी १२९१ ... कातंत्रव्याकरण विद्यानंदिवृत्तिसह .......मध्यम ... विजयानंद ..............
प्रति पाणीमा भीजाईने खराब थई थे १२९२ ... प्रवचनसारोद्धारप्रकरणवृत्ति द्वितीयखंड ३४ मा द्वारथी ८३मा द्वार पर्यंत ......... श्रेष्ठ.........
........
.........१२९२...२९० अक्षरो उखडी गया है. प्रवचनसारोद्धारप्रकरणवृत्ति तृतीयखंड..............
पत्र ६२-६४.७६.७८,८९.२२५,२२७ ८४ मा द्वारथी २१७ .....................अतिजीर्ण
.......१२९३ ...२७३ नथी, प्रति पाणीमा भीजाएली छे १२९४ पंचवस्तुकप्रकरणवृत्ति प्रथमखंड ........अतिजीर्ण
प्रति पाणीमां भींजाएली अने
उधेईए खाधेली छे रुद्रटालंकार त्रू.अ................. ......अतिजीर्ण रुद्रट
४६-५९ /..१२९५+ १२९६ शिशुपालवधमहाकाव्य-माघकाव्य ....... अतिजीर्ण महाकवि माघ ........
......... ..१०७.१२९५+ १२९६ टिप्पणीसह २० मा सर्ग पर्यत अपूर्ण १२९७ ...... कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति अपूर्ण ....श्रेष्ठ ..... दुर्गसिंह -वृ.......
१५००
३-३२
१२९५
१२९६.
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________________
११२
ग्रंथांक
१२९८
१२९९/१
सर्वजिननमस्कार
....
१२९९/२ • चतुर्विंशतिजिनस्तव. १२९९/३ जिननमस्कार
१३००/१ दशवैकालिकसूत्रनिर्युक्ति
----
.....
१३००/२ . उत्तराध्ययनसूत्रनिर्युक्ति १३०० / ३ आचारांगसूत्रनिर्युक्ति
....
१३००/४
सूत्रकृतांगसूत्रनिर्युक्ति सनत्कुमारचरित्र
१३०१
१३०२
१३०३
१३०४
१३०५/१
....+
ग्रंथनुं नाम शतककर्मग्रंथ सटीक
.....
१३०५/३
१३०६
१३०७
१३०८
१३०९
१३१० / १. १३१० / २
१३०५/२ उपदेशरसायनरासक सटीक
• कालस्वरूपकुलकविवरण
श्रेष्ठ. सामायिकप्राप्ति आदिविषयककथानकादि मध्यम तत्त्वप्रदीपिका चित्सुखी
. कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृति त्रू.अ. सिंहासनद्वात्रिंशिका
पाक्षिकसूत्र यतिप्रतिक्रमणसूत्र स्थविरावलि
.....
. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य सप्तमपर्व- रामायण श्रेष्ठ...... किरातार्जुनीयमहाकाव्य पंचदशसर्गपर्यंत श्रेष्ठ नैषधमहाकाव्य पंचसर्गपर्यन्त टिप्पणीसह श्रेष्ठ.... - चच्चरीरासक सटीक
श्रेष्ठ
१३१० / ३
१३१० / ४
पिंडविशुद्धिप्रकरण
१३१०/५ दशवैकालिकसूत्र..
स्थिति
कर्ता
अतिजीर्ण शिवशर्मसूरि मू.. मलधारी हेमचंद्रसूरि टी
| श्रेष्ठ
श्रेष्ठ पूर्णभद्र
श्रेष्ठ
अतिजीर्ण भद्रबाहुस्वामी अतिजीर्ण भद्रबाहुस्वामी अतिजीर्ण भद्रबाहुस्वामी अतिजीर्ण भद्रबाहुस्वामी
श्रेष्ठ
जिनपालगणि
श्रेष्ठ.
हेमचंद्रसूरि आचार्य महाकवि भारवि
श्रीहर्ष
www.
जिनदत्तसूरि .मू.. जिनपाल टी. जिनदत्तसूरि मू.. जिनपाल -टी. जिनपाल
जीर्णप्रायः चित्सुखमुनि
जीर्णप्राय दुर्गसिंह वृ.
श्रेष्ठ..... जीर्ण जीर्ण ...
जीर्ण
जीर्ण
जीर्ण
जिनवल्लभगणि शय्यंभवसूरि
-----
भाषा
प्रा.सं.
सं.
सं.
सं.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
सं.
सं.
सं.
सं.
अप सं
अप. सं
अप. सं. प्रा.सं.
सं.
सं.
सं.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
संवत्
. १४००
१४००
१४००
१४००
१२७७
१२७७
१२७८
१४००
१४००
१४००
र. १२९४
र. १२९४
१४००
. १४००
१३००
१५००
पत्र संख्या
.७
१
१-४
४-६
१.२१
२२-४७
४८-६५
६६-७५
१८४
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथाप्र
झेरोक्ष
विशेष नोंध
. ग्रं. ३७००
प्रतिना अंको घसाई जवाथी . पानां अस्तव्यस्त छे
६ काव्य प्रति पाणीमां भींजाएली छे
प्रति पाणीमां भींजाएली छे प्रति पाणीमां भींजाएली छे
.५९-६५ १३
१२९९
. १२९९
. १२९९
. १३००
१३००
. १३००
. १३०० १३०१.२९०
३९-५९ १३०५ १३०७ २७४
२-१८५
७६
.१३०३२७४ ७८ --------- १३०४ - २७४ ९३५ १७-३९ ,१३०५ १३०७२७४
, ३३-८०
१-१७ १७-२२
२२-२५
२५-३०
३०-६८
.. १३०५ + १३०७२७४
१९५ १३०५ +१३०७ १९९
.का. २०
गा. ४४४
२४२
गा. ५९६
४७० गा. २०८
ग्रं. ३००
गा. ५०
गा. १०३
प्र. ७००
पत्र १०- १३ नथी
पत्र ६५ मुं नथी.
पानां अस्त व्यस्त छे.
आदि अने अंतनो थोडो भाग नथी
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________________
जिनमद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार ग्रंथनुं नाम
ग्रंथांक
१३१०/६.... उपदेशमालाप्रकरण
| १३११
........ षट्रधानकप्रकरण वृत्तिसह त्रू.अ.
१३१२
१३१३
| १३१४
१३१५ १३१६ / १....
१३१६ / २....
१३१६ / ३....
पंचवस्तुकप्रकरण. किरणावली.
दमयंतीकथाचंपू त्रू.अ. बृहत्संग्रहणीप्रकरण अपूर्ण.
१३१७/१......
१३१७ / २..... १३१७/३
१३१७/४
१३१७/५
१३१७/६
[ १३१७ / ७....
| १३१७/८
...
.... द्वादशकुलक
..
ऋषभदेव, शांतिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरजिनपंचस्त
धूमावलि अजितशांतिस्तोत्र
उपदेशमालाप्रकरण श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरण
आगमोद्धारगाथा- स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण
१३१७ /९ १३१७/१० १३१७/११ १३१७/१२ | १३१७/१३ १३१७/१४ १३१७/१५ १३१७/१६...
-
भावकवक्तव्यताप्रकरण-षट्स्थानकप्रकरण
पंचलिंगीप्रकरण अपूर्ण
जैसलमेर दुर्ग
स्थिति जीर्ण
कर्ता धर्मदासगणि अतिजीर्ण अभयदेवसूरि मू... जिनपाल बृ.
श्रेष्ठ...... हरिभद्रसूरि
चच्चरीप्रकरण उपदेशरसायन
कालस्वरूपकुलक
गणधर सार्धशतकप्रकरण
प्रवचनसंदोह अपूर्ण नाभेयस्तोत्र, शांतिनाथस्तोत्र, नेमिनाथस्तोत्र, पार्श्वनाथ स्तोत्र, महावीर स्तोत्र गणधरस्तव.........
चैत्यवन्दनकुलक चैत्यवन्दनविधिकुलक
आवक आवश्यकसूत्र
मध्यम
सं.
अतिजीर्ण त्रिविक्रमभट्ट
जीर्णप्राय: जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .प्रा.
जीर्ण नन्दिषेण श्रेष्ठ
--
"T
धर्मदासगणि
श्रेष्ठ..... हरिभद्रसूरि . श्रेष्ठ
श्रेष्ठ अभयदेवसूरि
श्रेष्ठ ......
----
श्रेष्ठ......
श्रेष्ठ ......
जिनवल्लभसूरि
श्रेष्ठ ..... जिनबल्लभगणि
श्रेष्ठ जिनदत्तसूरि
श्रेष्ठ
जिनदत्तसूरि
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जिनदत्तसूरि
श्रेष्ठ जिनदत्तसूरि
जिनदत्तसूरि जिनदत्तसूरि
-----
भाषा
प्रा.
प्रा.सं.
STES.....
श्रेष्ठ.....
511.
सं.
प्रा.
.प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
SIT.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
.प्रा.
प्रा.
अप.
.अप.
अप.
अप.
संवत्
१५००
१४००
१४००
१४००
१३००
१४००
१३३४
पत्र संख्या ६९.१०३ ९३
१९१
२२९
९४
१९२-१९४
१९४-१९५
१९६-२०२
..... ३-३५
३५-४२
४२-४६
४६-५३
५३-५८
६९-८६
८६-१०३
, १११-१८
११९-१२०
१२०-१२२
१२२-१२४
१२४-१२७
१२७-१३२
१३२-१३८
१३८-१४१
१४१-१५०
झेरोक्ष
.........१३११२७४
सी.डी. ग्रंथाग्र गा. ५४१
.१३१२२७४
. १३१३
. १३१४२७४ .१३१५
२७४
गा.३१
गा.१४ ..गा. ४२ १३१७२७५. गा. ५४१ १३१७२७५ गा.१२० १३१७ २७५... गा.७१ २७५. गा. १०३
. १३१७
. १३१७
२७५
. १३१७
२७५
. १३१७
. २७५
१३१७२७५. गा. १३२ १३१७२७५.गा.२१
. १३१७
---
१३१७२७५ गा.३०
१३१७२७५.गा.३३ .२७५
१३१७
१३१७२७५ १३१७२७५ १३१७२७५.गा.३१ २७५.गा. १५०
गा. ४७ गा. ८०
विशेष नोंध
प्रति अत्यंत अस्तव्यस्त छे.
पत्रांको भुसाई गया छे
११३
.
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________________
48822.
FFFFFF
१३१७ -
।
१३१७ +
बैं
११४
जिनमसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक | ग्रंथन नाम स्थितिकर्ता |भाषा
झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध १३१७/१७ ... संदेहदोलावलीप्रकरण................. | जिनयल्लभगणि .......... प्रा.
......... १५०-१५९ ......१३१७ .. २७५. गा.१५० |१३१७/१८ --- वन्दित्तुसूत्र ....
..... १५९-१६३
१३१७१.२७५... गा.५० १३१७/१९ ... प्रश्नोत्तररत्नमालिका अपूर्ण..
| विमलाचार्य ...............
.. १६४-१६५
१३१७ १.२७५ १३१७/२०...नयकारफल ...........
.. १७०मुंपत्र
...२७५/... गा.२३| १३१७/२७ ... अजितशांतिस्तय ......................
नंदिषेण .................
.१७०-१७४ १३१७/२२ .. लघुअजितशांतिस्तोत्र................ जिनवल्लभगणि
१७७-१७८ |१३१७/२३..स्नपनविधि ..........
१८२-१९३ १३१७/२४ ... कथानककोश .................. जिनेश्वारसूरि ............
१९३-१९५
१३१७ १.२७५ १३१७/२५ ... चतुःशरणप्रकीर्णक ..............
१९५-१९६ १३१७/२६ --- आतुरप्रत्याख्यान ......
१९६-१९९ १३१७/२७ .. भावनाप्रकरण ......
१९९-२०१ १३१७
...गा.२९ १३१७/२८ ... प्रव्रज्याविधानप्रकरण ...
१४०० २०१-२०३
२७५...गा.३०. वचमां केटलांक पाना नथी १३१८ ......कातंत्रसूत्रपाठ .....
१५०० .....४-१५
१३१८ ...२७५ ............ वचमां केटलांक पानां नथी १३१९ ...... ऋषिदत्ताचरित्र अपूर्ण.. अतिजीर्ण
१४०० १३२० ...... स्मरणस्तोत्रत्रिक जीभप्राय
१४०० ........ २४२-२४६ १३२१ ...... उपदेशमालाप्रकरण अपूर्ण .......... अतिजीर्ण धर्मदासगणि ........
१४०० .......... १०५-११६ १३२२ आवश्यक सूत्रनियुक्ति अपूर्ण .......... श्रेष्ठ ..... भद्रबाहुस्वामि
............ १५०० ................. २६
................. प्रति पाणीमां भींजाएली छे १३२३ योगशास्त्र नवतत्त्व जीवविचारप्रकरण आदिना प्रकीर्णक पानां अअपूर्णत्रूट ... जीर्ण ...........
सं.प्रा ...........१५१८... १३२४/५..... सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण ............ श्रेष्ठ.....चक्रेश्वरसूरि ...............प्रा. ...... १२४६ .................७३ ...........१३२४ .२७५ १३२४/२..... षट्शीतिप्रकरण चतुर्थकर्मग्रंथ .......... श्रेष्ठ .... जिनवल्लभगणि -मू.......प्रा.! ......१२४६-...........७४-१०५-...........१३२४ .२७५
टिप्पनकसह ................. ...... टि.रामदेवगणि १३२५ ...... मणिपतिराजर्षिचरित्र ............... जीर्णप्राय जंबूकवि............
.. १३००-...............१०७...........१३२५.................... प्रति उधेईए खाघेली छे १३२६/१..... उपदेशमालाप्रकरण ............... धर्मदासगणि.........
..१-४२...१३२६ (१.२)'.२७५. गा.५४१ (१३२६/२..... पिंडविशुद्धिप्रकरण .. जिनवल्लभगणि ....
४२-५०/...१३२६ (१,२)--२७५/- गा.१०३ १३२६/३....श्रावकबक्तव्यताप्रकरण-षट्स्थानकप्रकरण जिनेश्वरसूरि ......
.५०५८/...१३२६ (१.२)-२७५ गा.१०३ १३२६/४ .....पंचलिंगीप्रकरण ................. जिनेश्वरसूरि ......
.५८-६६ /...१३२६ (१.२) + २७५. गा.१०२ |१३२६/५.....श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरण...........
हरिभद्रसूरि..
६६-०५-...१३२६ (१.२). २०५. गा.१२०
श्रेष्ठ....
श्रेष्ठ .... श्रेष्ठ ...
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________________
भाषा
विशेष नोंध
श्रेष्ठ
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
। स्थिति कर्ता . आगमोद्धारगाथा-स्वप्नसप्ततिका ...... श्रेष्ठ.... १३२६/७.... जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण १३२६/८.... संदेहदोलावलीप्रकरण ..
श्रेष्ठ.... --जिनदत्तसूरि १३२६/९.... गणधरसार्धशतकप्रकरण
जिनदत्तसूरि १३२६/१०... पंचनमस्कारफलस्तव
|जिनचंद्रसूरि |१३२६/११.. नाणाचित्तप्रकरण. १३२६/१२ ... कथानककोश
जिनेश्वरसूरि |१३२६/१३ ...व्यवस्थाकुलक
जिनदत्तसूरि |१३२६/१४ ... षष्टिशतप्रकरण,
नेमिचंद्र भंडारी १३२६/१५ ... विवेकमंजरीप्रकरण ......
आसड | १३२६/१६ ... प्रवचनसंदोहप्रकरण ......... |१३२६/१७ ...बालावबोधप्रकरण.............. |१३२६/१८ ...चतुर्विशतितीर्थकरनमस्कार ........... १३२६/१९ ...चतुर्विशतिजिननमस्कार ......... १३२६/२०..आवकपडावश्यकसूत्र ...............
संवत् । पत्र संख्या - झेरोक्षसी .डी ग्रंथाग्न |
७५-८०...१३२६ (१,२)...२७५...गा.७१
८०-८८ |...१३२६ (१,२)...२७५/- गा.१०९ .८८-१०१ ...१३२६ (१.२)... २७५. गा.१५० १०५-११२ ...१३२६ (१.२) २७५. गा.१५० ११२-१२१ ...१३२६ (१.२) १२१-१२७ ...१३२६ (१.२) १२८-१३० ...१३२६ (१.२) २७५... गा.३० १३०-१३५ |...१३२६ (१.२) २७५... गा.७५
१३५-१४७ ....१३२६ (१.२) २७५ गा.१६१ . र. १२४८ १४७-१५८ ...१३२६ (१.२) ...२७५ - गा.१४४ .................. १५९-१८१....१३२६ (१.२)...२७५
.१८१-१९२ |...१३२६ (१.२)...२७५. गा.११६ ..... १९२-१९७ ....१३२६ (१.२)...२७५ ... गा.२५ ... १९७-२०२/...१३२६ (१,२)...२७५ ...गा.२५ .. २०२-२१९ ...१३२६ (१.२)...२७५
श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि .......
नंदिघेण श्रेष्ठ ..... जिनवल्लभगणि ....
२१९-२२४/...१३२६ (१,२)..२७५ कडी २२४-२३०/...१३२६ (१,२)...२७५ २३०-२३२...१३२६ (१,२)...२७५
श्रेष्ठ
१३२६/२१... जयतिहुयणस्तोत्र |१३२६/२२ ...अजितशांतिजिनस्तोत्र .. |१३२६/२३ ...उल्लासिक्कमस्तोत्र-..
लघुअजितशांतिस्तोत्र १३२६/२४ ... भयहरस्तोत्र . १३२६/२५ ... स्मरणास्तोत्र १३२६/२६ ... गुरुपारतंत्र्यस्मरण १३२६/२७ ...सिग्घमवहरउपायजिनस्तोत्र १३२६/२८ ... श्रावकविधिप्रकरण १३२६/२९ ... दानविधिकुलक.
१३२६/३० ... लघुनमस्कारफलस्तय ... |१३२६/३१ .. चैत्यवंदनविधिकुलक ....
मानतुंगसूरि... जिनदत्तसूरि .... जिनदत्तसूरि जिनवल्लभगणि
FF FF FF FF
श्रेष्ठ
२३२-२३४ ...१३२६ (१.२)... २३४-२३६ ।...१३२६ (१,२)... २३६-२३८ ...१३२६ (१.२)... २३८-२३९ । ...१३२६ (१.२)... २३९-२४१ ..१३२६ (१.२)... २४१-२४३/...१३२६ (१.२)...२७५... गा.२५ २४३-२४५ ...१३२६ (१.२)...२७५... गा.२३ २४५-२४९ /...१३२६ (१.२)...२७५ ... गा.३५
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ श्रेष्ठ..
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________________
११६ ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
स्थिति। १३२६/३२.चैत्यवंदननियमकुलक..
श्रेष्ठ....जिनदत्तसुरि.... १३२६/३३ .. महर्षिकुलक..... १३२६/३४ ... महर्षिकुलक.... १३२६/३५ ... गुर्वावलि .............. १३२६/३६ ... प्रवज्याविधानप्रकरण .. १३२६/३७ ... संजममंजरीप्रकरण ..
महेश्वरसूरि १३२६/३८ ... प्रश्नोत्तररत्नमाला ........
विमलाचार्य १३२६/३९ ...धर्मलक्षण....... १३२६/४०. साधर्मिकवात्सल्यकुलक
अभयदेवसूरि १३२६/४१. उपदेशमणिमालाकुलक
जिनेश्वरसूरि. १३२६/४२ संवेगकुलक
धनेश्वरसूरि १३२६/४३ . चिन्ताकुलक १३२६/४४ - पुण्यलाभकुलक १३२६/४५ ..इगुणतीसीभावना. १३२६/४६ ... चतुःशरणप्रकीर्णक १३२६/४७ ..आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक .... १३२६/४८.-द्वादशकुलक.............
श्रेष्ठ .....जिनवल्लभसूरि ...... १३२६/४९ आदीश्वरस्तवन .....
श्रेष्ठ.... जिनचंद्रसूरि..... १३२६/५०. भक्तामरस्तोत्र अपूर्ण...
श्रेष्ठ ..... मानतुंगसूरि ...... १३२६/५१ . युगादिदेवस्तोत्र .... १३२७ ...... ज्योतिषग्रंथो अपूर्ण तथा प्रकीर्णक
ज्योतिषविषयक पाना .......... १३२८......अनेक ग्रंथोनां अने स्तवन सज्झाय
आदिना प्रकीर्णक पाना ......... १३२९..... अनेक ग्रंथोना अने स्तबन सज्झाय
आदिनां प्रकीर्णक पाना. १३३०'.....अनेक ग्रंथोनां अने स्तवन सज्झाय .
आदिनां प्रकीर्णक पाना ....................... १. ग्रंथांक १५३० तक के पंच बेगमगच्छीय शानभंडार के ।
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग भाषा
। पत्र संख्या झेरोक्ष सी.ठा ग्रंथान विशेष नोंध
२४१-२५१/... १३२६ (१.२). २७५... गा.२८ २५१-२५४... १३२६ (१.२)...२७५... गा.३६ २५५-२५७/... १३२६ (१.२)...२७५... गा.२६
.२५७-२५८...१३२६ (१.२)-२७५... गा.१० ...........२५८-२६१/... १३२६ (१.२)...२७५ ...........२६१-२६३.... १३२६ (१.२)...२७५
....२६३-२६६... १३२६ (१.२) . २७५
.....२६६-२६७ ... १३२६ (१.२). २७५ ...........२६७-२६९, .... १३२६ (१.२)
.२६९-२७० ...१३२६ (१.२) २७०-२७२ ... १३२६ (१.२) २७२-२७३ .... १३२६ (१.२) २७३-२७४... १३२६ (१.२). २७५ २७४-२७६ ... १३२६ (१.२)...२७५ २७६-२७९ ... १३२६ (१.२)...२७५
२७९-२८२... १३२६ (१.२).
....२८२-३०१,... १३२६ (१.२). २७५ ..गा.२३३ .............४१२४१३.... १३२६ (१.२) 4.२०५ का.३-२५
...............४१३-४१५ -... १३२६ (१.२) .२७५ अप-............१३८५/-..........४१७-४२० ... १३२६ (१.२) |.२७५. कडी ३०, वचमा केटलांक पाना नथी
FFFFFFFFFFFF
...
......
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________________
विशेष नोंध
भाषा प्रा.सं.
पाक सटाक............
4.4
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक _ ग्रंथर्नु नाम
स्थिति
कर्ता गोमटसार कर्मकांड सटीक .
श्रेष्ठ..... नेमिचंद्र तत्त्वसंग्रहलघुटीका
मध्यम ...शिवाचार्य तत्वसंग्रहलघुटीका
मध्यम ... शिवाचार्य न्यायग्रंथ
मध्यम ..... न्यायग्रंथ .....
जीर्ण ..... न्यायग्रंथ ...
मध्यम ......... न्यायग्रंथ
जीर्ण .......... द्वादशांशफल आदि ज्योतिष ....... जीर्ण ...... योगिनीदशाफलज्योतिष ......... जीर्ण ..... लोकतत्त्वनिर्णय सस्तबक...........
जीर्ण ....हरिभद्रसूरि मू....... प्रकीर्णकविचारसंग्रह .............. मध्यम ..... रयाद्वादरत्नाकर सावधूरिक त्रिपाठ......जीर्णप्रायः
न्यायसिद्धांतमंजरी प्रत्यक्ष परिच्छेद .....जीर्ण ....| १३४४ ...... वृत्तरत्नाकर सटीक पंचपाठ........... जीर्ण ....भट्ट केदार -मू..... १३४५ .......कल्पसूत्र सचित्र .....
श्रेष्ठ .....भद्रबाहुस्वामि.....
संवत् । पत्र संख्या झेरोक्षसी .डी ग्रंथान
..६४|१३३१ थी १३३५...२७५ १५/१३३१ थी १३३५ ... २७५
१३३१ थी १३३५... २७५ २५/१३३१ थी १३३५...२७५ १३३१ थी १३३५
१३३६ ...२७५ [.. १३३७+ १३३८...२७५ |.. १३३७+ १३३८ ...२७५
2.24.
4.
४%8948
4.
4.
.........१३४०...२७५
.२४२
:
म
आचारांगसूत्र
श्रेष्ठ आचारांगसूत्र आचारांगसूत्रनियुक्ति... आचारांगसूत्रवृत्ति .....
मध्यम ...शीलांकाचार्य -..... आचारांगसूत्रवृत्ति ....
शीलांकाचार्य ७. सूत्रकृतांगसूत्र प्रथम तस्कंध.....
सूत्रकृतांगसूत्र .... १३५३ सूत्रकृतांगसूत्र ....
श्रेष्ठ १३५४ सूत्रकृतांगसूत्र
श्रेष्ठ. |१३५५ ....... सूत्रकृतांगसूत्रनियुक्ति
श्रेष्ठ .....भद्रबाहुस्वामी...... |१३५६ ....... सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति..
श्रेष्ठ.....शीलांकाचार्य -वृ........ सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति ...
श्रेष्ठ .....शीलांकाचार्य -टी.. १. ग्रंथांक १339से २२५ तक के धबडोउपाश्रयके ज्ञानभंडार के है
..१३४४+१३४८ ....२१४ ............ताडपत्रीय पेटी नं. ४१९/४२०
मां मुकेल छे.
-२५५४ ...७२ .........१३७.२७५....२५५४
.. १३४४ + १३४८...२७५
..........१३४९ .. २७५/-. १२००० |... १३५० (१.२). २७६].. १२००० |१३५१ थी १३५३ ...२७६ ............ किनारी उंदरे करडेली छे
१३५१ थी १३५३ ...२७६ |१३५१ थी १३५३ ... २७६ ....२१००
१३५४ थी १३५६ ... २७६ ....२१००
|१३५४ थी १३५६ ... २७६ १६९/१३५४ थी १३५६ ... २७६ .. १३८४३, पत्र १९मुं नथी.
...........१३५७...२७७ .. १३८५३
HAS
३५७..----
..२६४
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________________
प्रा.ग.
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग स्थिति। भाषा संवत । पत्र संख्या - झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोध श्रेष्ठ ..............
................ .......१८९ मध्य म.....
......९३-११९ श्रेष्ठ...
....... १६५३
....१३६० .२७७....४७५० श्रेष्ठ...
....... १६५९
......१३६१.२७६ ....३७०० श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि -टी..... सं... र. ११२०-१६७६
... १३६२ (१.२). २७७ .. १४५०० श्रेष्ठ... अभयदेवसूरि -टी. ..... ........ र. ११२०
........१३६३ +-२७७ .. १४३५० मध्यम .. अभयदेवसूरि .......... सं.-........ र. ११२०/
३०३ ...१३६४ (१.२)+.२७८ .. १८६१६ श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -वृ.......... सं.र.११२८ ले.१५७५.......... .....१३६५(१,२)-.२७८ .. १८६१६
१३६१..
..१०४
१३६७ ..
..........
११८ ग्रंथांक
ग्रंथy नाम १३५८ ..... -सूत्रकृतांग सस्तबक .............. १३५९ ..... स्थानांगसूत्र........... १३६०.. स्थानांगसूत्र.......
स्थानांगसूत्र....... १३६२ .... स्थानांगसूत्रवृत्ति .... १३६३ .. स्थानांगसूत्रवृत्ति ... १३६४ ... भगवतीसूत्रवृत्ति ... १३६५ .... भगवतीसूत्रवृत्ति . १३६६ .... भगवतीसूत्र सस्तबक
त्रयोदशशतकतृतीयोदेशपर्यंत..
स्थानांगसूत्रवृत्ति सह १३६८ समवायांगसूत्र १३६९ भगवतीसूत्र
भगवतीसूत्रवृत्ति अपूर्ण भगवतीसूत्रवृत्ति अपूर्ण जाताधर्मकथांगसूत्र.. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र ..... ज्ञाताकर्मकथांगसूत्र .... ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र झाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति उपासकदशांगसूत्र अंतकृशांगसूत्र.. अनुत्तरौपपातिकसूत्रवृत्ति प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र
प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र १३८४ ....... विपाकसूत्र सस्तबक ....
श्रेष्ठ ....
श्रेष्ठ.
३९५ श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि
........र. ११२०
...१३६७ (१.२)!.२७९ .. १८००० श्रेष्ठ श्रेष्ठ
....... १६७६
....१३६९ (१.२). २७९.. १५७५० श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -टी. .... श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि .......
..........२७९ प्रा............. १६५६ ............... १३२ ............................ ५३७५ मध्यम ........................... .प्रा. ............
२२० ..................... ५३७५ ............................. .प्रा.-............ १६६३
............... F000 प्रा.सं....................
५६५० श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -वृ.......... सं.--........र. ११२०
.४२०० अभयदेवसूरि -ह........... सं.र.११२० ले.१६१६
...४२०० श्रेष्ठ ... अभयदेवारि -यू. ......... सं.-..........र.११२०
...३८०० श्रेष्ठ.
१३७९ ...२८८ .....८१२ श्रेष्ठ.. श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -वृ........ ... १६५३
.....१०० मध्यम.
............. १५९१
..१३८२ + १३८५...२८०....१२५०,१,२८ नथी श्रेष्ठ...
..१२५० ..................५०००
बैं
१३८१
1.२८० 4.२८०
श्रेष्ठ .......
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________________
AAAA
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथन नाम
I स्थिति
का भाषा संवत । पत्र संख्या । मेरोल सी.डी! ग्रंथान
विशेष नोध १३८५ ..... | उबवाइसूत्र ..... ................ मध्य म
.प्रा. ............ १६४९ ................. २९ .. १३८२ + १३८५.२८०.......... किनारी उंदरे खाघेली छे औपपातिकोपांगसूत्र सटीक ............ श्रेष्ठ .....अभयदेवसूरि -टी....... मा..सं...
........... १५...........१३८६- २८० त्रिपाठ अपूर्ण राजप्रश्नीयोपांगसूत्र ..... मध्यम प्रा.............१५९०
.२०८९ राजप्रश्नीयोपांगसूत्रवृत्ति ................ श्रेष्ठ ..... मलयगिरि आचार्य -टी.. सं.
९३ १३८८ थी १३९०...२८०....३७०० राजपनीयोपांगसूत्र वृत्तिसह त्रिपाठ... श्रेष्ठ........
९८ १३८८ थी १३९०...२८० जीवाभिगमोपांगसूत्र ...... ..मध्यम .......
८५ १३८८ थी १३९०...२८० जंयूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र ...
१६५१
....१३९१ ...२८० १३९२ ...... जंबूदीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र .....
- किनारी उंदरे खाधेली छे. १३९३ ...... जंबूढीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र.............
.१३१ ...................४१५४ १३९४ ...... सूर्यप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र ............... मध्यम.......
१०२ १३९५ ...... कल्पसूत्रकल्पलतावृत्ति ... श्रेष्ठ......समयसंदरोपाध्याय -....सं...........र. १६८५
१४० .....१३९५ ...२८१|....६३७८ कल्पसूत्र कल्पमंजरी टीका.. श्रेष्ठ..... सहजकीर्ति -टी...... .सं.र.१६८५-ले १७७१
|. १३९६.. १४३०.६.२८१ १३९७ ..... कल्पांतर्वाच्य अपूर्ण ... १३९८ ...... कल्पसूत्र भाषाटीकासह........
१५८६ कल्पसूत्र भाषाटीकासह ........ ..... भद्रबाहुस्वामी
... १७८७ कल्पसूत्र सस्तवक..
भद्रबाहुस्वामी
१७४० कल्पसत्र सस्तवक अपूर्ण ............ भद्रबाहुस्थामी
सूत्रकृतांगसूत्र तथा सूत्रकृतांगनियुक्ति .... भद्रबाहुस्वामी १४०३ उपासकदशांगसूत्र .............. १४०४ उपासकदशांगसूत्र .............
प्रा............. १७९८ १४०५ ... ..प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र...........
प्रा..........
... १६६१ १४०६ प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रवृत्ति ......
अभयदेवसूरि १४००
--प्रश्नव्याकरण सस्तबक .... १४०८ समयायांगसूत्र अपूर्ण ... उपासकदशांगसूत्र सस्तबक .......
प्रा.गू. अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र .............
मध्यम
.प्रा.+...........
श्रेष्ठ श्रेष्ठ
yor
For Private & Personal use only
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________________
कता
भाषा
संवत
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी ग्रंथान
विशेष नोंध ......१२५०
श्रेष्ठ..
श्रेष्ठ .....
.प्रा.
प्रा.गू.
१३९६.. १४३०
प्रा.गु प्रा.ग
सं. सं.गू
१४१९
9696
प्रा.सं
१२० | ग्रंथांक ग्रंथy नाम
स्थिति १४११ ...... प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र .......... १४१२ ......अनुयोगद्वारसूत्र १४१३ .....-अनुयोगदारसूत्र अपूर्ण १४१४ ......कल्पसूत्र सस्तवक ....... १४१५ ......कल्पांतर्वाच्य ........... १४१६ ...... कल्पांतर्वाच्य ...........
मध्यम १४१७... ....... कल्पसूत्र सस्तबक ...
श्रेष्ठ.. १४१८ कल्पसूत्र सस्तबक अपूर्ण
श्रेष्ठ... कल्पसूत्र सप्तमव्याख्यान कल्पसूत्र नवमव्याख्यान सस्तबक. श्रेष्ठ.....
कल्पसूत्र अष्टमनयमव्याख्यानबालावबोध मध्यम ... १४२२ श्राद्धजीतकल्प सटीक अपूर्ण.....
श्रेष्ठ...... १४२३ कल्पसूत्रसंदेहविषौषधिटीका .. श्रेष्ठ ..... जिनप्रभसूरि १४२४ चतुःशरणप्रकीर्णक.
श्रेष्ठ ..... वीरभद्रगणि १४२५ चतुःशरणप्रकीर्णकादि.. १४२५/१.....चउसरणपयन्नो .........
वीरभद्र १४२५/२....चउक्क साय ...... १४२५/३.... संथारापोरिसी .............. १४२६ .चतुःशरण-आउरपच्चक्खाण-भक्तपरिज्ञा संस्तारकप्रकीर्ण
श्रेष्ठ.... विषमपदविवरण १४२७ चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक
वीरभद्रगणि -मू. १४२८ चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोध... मध्यम .. पार्श्वचंद्रसूरि .... १४२९ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्ण ...
वीरभद्रगणि .... संस्तारकप्रकीर्णक ..
श्रेष्ठ .... तीर्थोद्गालिप्रकीर्णक... १४३२.... तीर्थोद्गालिप्रकीर्णक ..
श्रेष्ठ ....
1. १३९६.. १४३०..२८१....२१६८. प्रति पाणीथी भीजाएली छे
१३९६.. १४३०.२८१ 1... गा.६३
१३९६.. १४३०१.२८१ . १३९६.. १४३०...२८१... गा.६३
१३९६.. १४३०१.२८१/.... गा.२ १३९६.. १४३०१.२८१/... गा.२३
मध्यम..
.
.सं. प्रा.गू-........... १७२६ प्रा.गुज र.१५९७ ले.१६९८ - .प्रा.
:
१४३०.
*444
१४३१...
मू.गा.६३ १३९६.. १४३०.२८१............ प्रति उंदरे करडेली छे
........गा.६० 1. १३९६.. १४३०.२८१. गा.१२२
...........१४३१...२८१ गा.१२२३ ।..१४३२ + १४३३.२८१/...१५६५.. प्रति उंदरे करडेली छे
...गा.१२२३ ११.. १४३२ + १४३३ - २८१
:
.. १५६२
:
श्रेष्ठ .....
१४३३ ....... आवश्यकसूत्रनियुक्ति १४३४ .......आवश्यकसूत्रनियुक्ति
भद्रबाहुस्वामी जीर्ण ... भद्रबाहुस्वामी ........
For Private & Personal use only
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--------------------------------------------------------------------------
________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनु नाम
१४३५
१४३६
१४३७ १४३८ १४३९
१४४०
१४४१
१४४२
१४४३
१४४४
१४४५
१४४६
१४४७
१४४८
१४४९
१४५०
१४५१
१४५२
१४५३
१४५४
Bro
******
49.
प्रमदाषः
१४५७
-----
आवश्यक सूत्रनिर्युक्ति
आवश्यक सूत्रिनिर्युक्ति आवश्यक सूत्रिनिर्युक्ति आवश्यकसूत्र अवचूरि
विशेषावश्यकमहाभाष्य
.......
ललितविस्तरावृत्ति
श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र वंदित्तुसूत्र अर्थदीपिकाटीका सह
पाक्षिकसूत्र
पाक्षिकसूत्र अपूर्ण
+
पाक्षिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र पाक्षिकसूत्र सटीक
पाक्षिकसूत्र सावचूरि पंचपाठ यतिप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति टिप्पनकसह
पगामसज्झाय सस्तबक
ओघनियुक्ति
ओ नियुक्ति
ओघनियुक्ति
ओघनियुक्तिवृत्ति ओघनियुक्ति सटीक
जैसलमेर दुर्ग
स्थिति जीर्ण
श्रेष्ठ जीर्ण
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
साधुषडावश्यक सूत्र- स्मरणादिआवश्यक सूत्रसंग्रह श्रवकषडावश्यकसूत्र
श्रावक आवश्यकसूत्र श्रावकषडावश्यकसूत्र अपूर्ण चढावश्यकसूत्र अपूर्ण
आवक आवश्यकसूत्र
श्रेष्ठ
COLLE
FOTEC
श्रेष्ठ
मध्यम मध्यम... जीर्ण जीर्ण
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
मध्यम
श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी
श्रेष्ठ
---
----
*****
कर्ता
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामि
भद्रबाहुस्वामि ज्ञानसागरसूरि अब. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
हरिभद्रसूरि
रत्नशेखरसूरि - टी.
मध्यम...
श्रेष्ठ......
श्रेष्ठ द्रोणाचार्य बृ.
श्रेष्ठ द्रोणाचार्य -टी.
जीर्ण
मध्यम
जीर्ण
-----
शय्यंभवसूरि यसोदेवसूरि
मध्यम....
. मध्यम
भद्रबाहुस्वामी -मू.
भाषा संवत्
प्रा.
प्रा.
प्रा.
सं.
प्रा.
सं.
प्रा.सं. प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.सं.
प्रा. सं
सं.
प्रा. गू.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
सं.
प्रा.सं.
प्रा.सं.
प्रा.
प्रा.
.प्रा.
.प्रा.
प्रा.
१५३३
१५०३
१६७९
१५११
र. १४९६
११८०
१६९४
१६५७
१५९०
१५१०
१५१४
१५३८
पत्र संख्या
६३ १०४
४९-९५
७१
११७
२४
6
९
१०
८९
.५
१४
.६
१४
५३
३२
६९
१२५
४६
.६
६
झेरोक्ष
. १४२१४४११४४२२८२४२६६
.९१४४१ १४४२ . २८१
.२-१३
५-२१
४
सी.डी. ग्रंथाग्र
१४३८
२८१
१४३९२८२४४१० प्रति उंदरे करडेली छे
गा. ३६२५
१४४०२८११२७०
२२०७
विशेष नोंध
गा. ११६०
गा. ११६०
, १४५२ २८२.७०००
. १४५३ २८३८३८५
प्रति उधईए खाली छे.
१२१
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--------------------------------------------------------------------------
________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.टी ग्रंथान विशेष नोंध
२-३०
२५
१२२ ग्रंथांक ग्रंथ नाम स्थिति
भाषा संवत् । पत्र संख्या १४६०......पडावश्यकसूत्र सस्तबक........... मध्यम...
प्रा.गू १४६१......आवकपडावश्यकसूत्र सस्तबक ........ १४६२ ......श्रावकषडावश्यकसूत्र सस्तबक ....... १४६३ ..... -आवश्यकसूत्रबालावबोध अपूर्ण ...... १४६४ ..... आवकप्राकृतअतिचार सस्तबक ....
मध्यम...... १४६५ .... श्रावकअतिचार ........
जीर्ण ... १४६६ .... आवकअतिचार ..
श्रेष्ठ ... १४६७ .... दशवकालिकसूत्र ......
श्रेष्ठ ..... शय्यंभवसूरि दशवकालिकसूत्र चारअध्ययनपर्यंत ... मध्यम.. १४६९ ... दशवकालिकसूत्रवृत्ति
श्रेष्ठ .... हरिभद्रसूरि वृ. आवश्यकसूत्रलघुवृत्ति ..
श्रेष्ठ .... सुमतिसूरि उत्तराध्ययनसूत्र ...... उत्तराध्ययनसूत्र ....
.......... उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति
श्रेष्ठ .... भद्रबाहुस्वामी १४७६ ...... उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह ...... श्रेष्ठ ..... नेमिचंद्रसूरि ..............प्रा.सं.ले.१६२४.र.११२९
।२८२ |.....७००
१४६८ ...
४६९ ...२८२/....६८१०
+२८२....२६००
७00
...मू.१४००
.टि.१२००० ............. १४००० ...१४७८ (१.२)-२८२ -- १४०००
१४७७ ...... उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह ......श्रेष्ठ ..... नेमिचंद्रसूरि -.........प्रा.सं..........र.११२९ १४७८ ...... उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह ..... श्रेष्ठ .... नेमिचंद्रसूरि -वृ..........प्रा.सं.र.११२९-ले.१५८६ १४७९ ...... उत्तराध्ययनरात्रिसुखबोधावृत्ति-नवम अध्ययन पर्यंत..
श्रेष्ठ ..... नेमिचंद्रसूरि -वृ........... सं.- ...र.११२९ १४८०...... उत्तराध्ययनसूत्र अवचूरिटिप्पणीसह ... श्रेष्ठ .... ज्ञानसागरसूरि अब....... सं.ले.१४८६.२.१४४१ १४८१...... उत्तराध्ययनसूत्र प्रथमद्वितीयाद्ययन सस्तबक
मध्यम.. १४८२ ....... उत्तराध्ययनसूत्र स्तबक अपूर्ण .......... जीर्ण १४८३ ...... उत्तराध्ययनसूत्र दीपिकासह
....२४४...१४८३ (१.२) + २८३ -- १०७००
Page #171
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________________
१२३
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
स्थिति १४८४ ......
- उत्तराध्ययनसूत्र सावचूरि किंघिदपूर्ण .. जीर्ण ....
संवत्
रोक्ष
सी.डी ग्रंथान
।
भाषा प्रा.सं.
। पत्र संख्या - +..............२१८
विशेष नोध पाणीथी भींजायेली तथा उधेईए खाधेली छे.
मा.सं
-१८५०
... १४९२+१५०५...२८३.....६६७, मू.गा.२९
MER:08
...............
.................गा.४७
१४८५ उत्तराध्ययनसूत्र सस्तबक ............... मध्यम,
प्रा.गू १४८६ दशवकालिकसूत्र सस्तबक अपूर्ण .....-मध्यम,
प्रा.गू जीवविचार-नवतत्त्व-दंडकप्रकरण ....... मध्यम.. जीयविचारप्रकरण सावचूरिक त्रिपाठ -जीर्ण ....शांतिसूरि मू. .......... नवतत्त्वप्रकरण .................. मध्यम. नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक ........... श्रेष्ठ,
.... प्रा.गू विचारपदिशिकाप्रश्नोत्तर ............. जीर्ण ....जिनाधिसूरि......
......र.१७२४ जंबूदीपसंग्रहणीप्रकरण सटीक त्रिपाठ श्रेष्ठ.....हरिभद्रसूरि -मू..........प्रा.सं. .......र. १३९०
टी.प्रभानंदसूरि नवतत्त्वप्रकरण
जीर्ण. श्रीचंद्रीयासंग्रहणी
मध्यम ... श्रीचंद्रसूरि मू. श्रीचंद्रीयासंग्रहणी सटीक त्रिपाठ ..... श्रेष्ठ ... श्रीचंद्रसूरि मू. श्रीचंद्रीयासंग्रहणी सस्तबक ........... जीर्ण .... श्रीचंद्रसूरि मू. श्रीचंद्रीयासंग्रहणी
मध्यम ... श्रीचंद्रसूरि लघुक्षेत्रसमास ....................... श्रेष्ठ ..... रत्नशेखरसूरि ........ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण यंत्रसह ..................... रत्नशेखरसूरि ........ जंबूढीपक्षेत्रसमासप्रकरण ...............श्रेष्ठ ............ जंबुद्धीपक्षेत्रसमासप्रकरण सस्तबक .....मध्यम .....
कर्मविपाककर्मग्रंथ प्राचीन वृत्तिसह ..... श्रेष्ठ .....परमानंदसूरि ........ १५०३ ....... प्राचीन कर्मस्तव बंधस्वामित्वकर्मग्रंथवृत्ति जीर्ण .. १५०३/१.... कर्मस्तबवृत्ति ....... .............. जीर्ण. १५०३/२...... बंधस्वामित्वकर्मग्रंथवृत्ति .............. १५०४ ...... आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण-प्राचीन
चतुर्थ कर्मग्रंथ ............ ......मध्यम ...जिनवल्लभगणि .......... प्रा.. १५०५ ...... आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण- ........ श्रेष्ठ.....जिनवल्लभगणि -मू.....प्रा.सं.......
प्राचीनषडशीतिचतुर्थकर्मग्रंथ ..................... .टी.क.मलयगिरि
52
गा.२६४ गा.२६३
गा.१०९
गा.१५४
....! किनारी उंदरे करडेला छे.
..गा.१२
.३९... १४९२+१५०५...२८८
For Private &Personal use only
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग मेरोक्ष सी.डी ग्रंधान
विशेष नोंच
स्थिति
।
पत्र संख्या
२०
१५०० ....
! पाणीमा भीजाएली छे.
१२४ ग्रंथांक पंधन नाम
कर्ता
संवत १५०६ .....कर्मग्रंथघटक ........................... १५०६/१... कर्मग्रंथ १ थी ४ ................................... देवेन्द्रसूरि १५०६/२.....सत्तरिनामा षष्ठकर्मग्रंथ ..............
कर्मग्रंथ प्रथम द्वितीय तृतीय ........... जीर्ण .... देवेन्द्रसूरि १५०८ ... कर्मग्रंथ प्रथम द्वितीय तृतीय सस्तबक जीर्ण .... देवेन्द्रसूरि -मू...
कर्मविपाककर्मग्रंथ................... श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि .... कर्मविपाककर्मग्रंथवालावबोध .......... जीर्ण .... द्वितीयतृतीयकर्मग्रंथ.
श्रेष्ठ .... देवेन्द्रसूरि सप्ततिका षष्ठकर्मग्रंथ
श्रेष्ठ..... सप्ततिका षष्ठकर्मग्रंथ सटीक, श्रेष्ठ ..... मलयगिरि -टी.... कर्मग्रंथपञ्चक
मध्यम ... देवेन्द्रसूरि कर्मप्रकृतिप्रकरण........
मध्यम ... शिवशर्मसूरि .... कर्मप्रकृतिवृत्ति.
अतिजीणं मलयगिरि -........... १५१७ ....... कर्मप्रकृतिप्रकरण वृत्तिसह करण वृत्तिसह .............
शिवशर्मसूरि मू.. .......प्रा.सं
मलयगिरि वृ. १५१८ ...... सार्धशतकप्रकरण ..............(सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण) सटीक ... श्रेष्ठ .... जिनवल्लभगणि -मू......प्रा.सं. १५१९ ....... लोकनालिकाद्वात्रिंशिका ............... श्रेष्ठ .... १५२० .......लोकनालिकाद्वात्रिंशिका प्रकरण
बालावबोधसह पंचपाठ ................ श्रेष्ठ ... १५२१ ......क्षुल्लकभवावलिप्रकरण सावचूरिक । पंचपाठ
श्रेष्ठ.. १५२२ .... प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणीप्रकरण ...... श्रेष्ठ .... अभयदेवसूरि .......... १५२३ प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणीप्रकरण ...... मध्यम.. अभयदेवसूरि ............
प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणीप्रकरणअवचूरि श्रेष्ठ ..... कुलमंडनगणि -अब....... सं. १५२५ प्रज्ञापनातृतीयसंग्रहणीप्रकरण .......
अभयदेवसूरि -मू.. सावरि त्रिपाठ ...................... श्रेष्ठ .... कुलमंडनगणि अव......प्रा.सं............
१५१६ .....
... १२२
१५१६ ...२८३ ....१५१७ ...२८३.....
.गा.३२
१५२४
For Private & Personal use only
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--------------------------------------------------------------------------
________________
संवत्
। पत्र संख्या
झेरोक्षसी .डी ग्रंथान
विशेष नोध
.......................... उंदरे किनारी करडेली छे.
.......... गा.२५
....१५३०... २८३ ....१५३१ ...२८३ ....१५३२ ...२८३
..गा.१०२
षट् गा.१०३ १५३४.,.२८४
श्रेष्ठ .....
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथ नाम | स्थिति कर्ता
भाषा १५२६ ...... देववंदनादिभाष्यत्रय ................. जीर्ण .... देवेन्द्रसूरि ................. १५२७ ...... प्रत्याख्यानभाष्यवंदनकभाष्य ........ श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि ................. १५२८ ...... सम्यक्त्वस्तवपंचविंशतिकाप्रकरण ...... जीर्ण .....
गुणस्थानक्रमारोहप्रकरण............... श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि ............... १५३० ...... तत्त्वार्थाधिगमसूत्र .................... श्रेष्ठ ..... उमास्वातिवाचक ........ १५३१ ......तत्वार्थसूत्र श्रुतसागरीटीकासह .......... श्रेष्ठ ..... उमाश्यातिवाचक -मू..... सं १५३२ ...... समयसारनाटक सटीक त्रिपाठ .......... श्रेष्ठ ..... अमृतचंद्राचार्य मू......... सं.
........... टी.क.शुभचंद्राचार्य १५३३ ...... पदस्थानकप्रकरण पंचलिंगीप्रकरण पंच..श्रेष्ठ ..... जिनेश्वरसूरि.............
............ १५३४ ..... घटस्थानकप्रकरण वृत्तिसह
जीर्ण .... जिनपाल -टी.. १५३५ ...... प्रवचनसारोद्धारप्रकरण
नेमिचंद्रसूरि प्रवचनसारोद्वारप्रकरण.
जीर्ण .... नेमिचंद्रसूरि प्रवचनसारोद्धारप्रकरण ...
नेमिचंद्रसूरि प्रवचनसारोद्धारकरण ..............
नेमिचंद्रसूरि प्रचनसारोद्धारप्रकरण............... श्रेष्ठ ..... नेमिचंद्रसूरि ....... प्रवचनसारोद्धारप्रकरण अपूर्ण
..... नेमिचंद्रसूरि प्रवचनसारोद्धारप्रकरणवृत्ति
सिद्धसेनसूरि वृ... प्रवचनसारोद्धारविषमपदपर्याय प्रवचनसारोद्धारबीजक. प्रवचनसारोद्धारबीजक..........
सत्तरिसवठाणप्रकरण ........... ...एकविंशतिस्थानप्रकरण ..........
जीर्ण .... सिद्धसेनसूरि ........ Ham- एकविंशतिस्थानप्रकरण ...........
श्रेष्ठ ....एकविंशतिस्थानप्रकरण ............. श्रेष्ठ ..... सिद्धसेनसूरि ......... एकविंशतिस्थानप्रकरण..............
जीर्ण ... सिद्धसेनसूरि ..... एकविंशतिस्थानप्रकरण सस्तबक .......
.......गा.१६१४
15582898
| किनारी खाली छे. पं.१८००, पत्र १९९ थी २४२ सुधी जीर्ण छे.
पाणीधी भीजायेली छे.
........गा.१७० पाणीमां भीजायेली छे.
जीर्ण ...
For Private &Personal use Only
Page #174
--------------------------------------------------------------------------
________________
१२६
ग्रंथांक
१५५१
१५५२
१५५३
१५५४
१५५५
१५५६
१५५७ १५५८......
१५६१ १५६२
१५६३
१५६४
१५५९.......
संघपट्टकप्रकरण.
१५६०....... संघपट्टकप्रकरण सावधूरिक
१५६८
१५६९
१५७०
ग्रंथनुं नाम अष्टकप्रकरण सटीक
H
१५७१
षोडशकप्रकरण टिप्पणीसह
षोडशकप्रकरणवृत्ति ज्ञानमंजरीज्योतिष
योगशास्त्र प्रथमप्रकाश
योगशास्त्रप्रथमप्रकाश
. योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय योगशास्त्र बालवबोधसह
१५६५० एषणाशतक
१५६६
१५६७
संदेहदोलावलीप्रकरण
संदेहदोलावलीप्रकरण
संदेहदोलावलीप्रकरण.
संदेहदोलावलीप्रकरण वृत्तिसह
द्वादशकुलक टिप्पणीसह द्वादशकुलक विवरणसह
षष्टिशतप्रकरण
षष्टिशतप्रकरण बालावबोधसह
षष्टिशतप्रकरण बालाबोधसह
. सम्यक्त्वसप्ततिकाप्रकरण
स्थिति
श्रेष्ठ.......
श्रेष्ठ मध्यम. यशोभद्रसूरि श्रेष्ठ
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य
मध्यम... हेमचंद्राचार्य
श्रेष्ठ......
श्रेष्ठ......
श्रेष्ठ.....
जीर्ण
श्रेष्ठ जिनवल्लभसूरि मू.. अव.क. साधुकीर्त्तिगणि जिनदत्तसूरि
.....
श्रेष्ठ जीर्ण जीर्ण
श्रेष्ठ......
श्रेष्ठ......
मध्यम...
जीर्ण ....
जीर्ण
श्रेष्ठ
कर्ता
हरिभद्रसूरि - मू..
टी.क. अभयदेवसूरि हरिभद्रसूरि
श्रेष्ठ
wwwww
मध्यम
| हेमचन्द्राचार्य मू.. बा.क. सोमसुंदरसूरि
Ind
जिनदत्तसूरि भू... वृ. क. जिनेश्वरसूरि पार्श्वचंद्र
जिनवल्लभसूरि मू. जिनवल्लभसूरि मू... टी.क. जिनपाल नेमिचंद्र भंडारी नेमिचंद्र भंडारी मू. बाला. सोमसुंदरसूरि नेमिचंद्र भंडारि मू.. बा.क. सोमसुंदरसूरि
भाषा
सं.
सं.
.सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.गू..
सं.
सं.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.सं.
गू.
१. प्रा.
प्रा.सं.
प्रा.
प्रा.गू.
प्रा.गू.. प्रा.
संवत्
१५५५
१६६४
१७०८
१५०२
र. १६१९
१६७५
१६१६
र. १३२०
र. १२९३
२. १४९६
र. १४९६
पत्र संख्या
८२
६
३०
१६
.३
१४
.११०
३
१४१५६०...१५६८२८४
.४
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथाग्र विशेष नोंध
१५५१
२४२ / ....३३७०
૨૮૪
१५५२२८४
. १५५३२८४१५००
गा. १५०
गा. १५०
.९.१५६०...१५६८ २८४. गा. १५० ६८.१५६०...१५६८ २८४४७५०
गा. १०४ .६.१५६०...१५६८ २८४३०० ७५.१५६०.१५६८२८४ |
४४
२-४४
५६ ५६
..८ .. १५६०...१५६८२८४ गा.१६१
६. १५७१ १५७२ २८४
जैसलमेर दुर्ग
. ११२५ गा. ७०
• अंत्य पत्रमां चतुर्विध संधनुं चित्र छे.
Page #175
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्रेष्ठ ....
१५७८ .....
..... २६ ..१०-२५
FFFFF
जिनभद्रसूरि कागळनो हरतलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग
१२७ । प्रथाक ग्रंथन नाम | स्थिति भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध दर्शनसप्ततिका वृत्तिसह अपूर्ण ..........जीर्ण ...
|..१५७१+१५७२...२८४ ............ पाना चोटेल छे. पत्र १८१,१८२ नथी १५७३ ......ऋषिमंडलप्रकरण ..........
धर्मघोषसूरि १५७४ ऋषिमंडलप्रकरण .......... श्रेष्ठ .... धर्मघोषसूरि
.....-.गा.२३३ विवेकमंजरीप्रकरण जीवविचारप्रकरण ... श्रेष्ठ ..... वि.क.आसड
र.१२४८
वि.गा.१४ १५७६ ..... | उपदेशमालाप्रकरण अपूर्ण ........... जीर्ण .... धर्मदासगणि
............६-१४
..गा.५४४ उपदेशमालाप्रकरण.................. श्रेष्ठ .....धर्मदासगणि
गा.५४४ उपदेशमालाप्रकरण अपूर्ण............... मध्यम ... धर्मदासगणि .....
........ १५७९ ..... उपदेशमालाप्रकरण............... श्रेष्ठ .....धर्मदासगणि ............
३-१८ १५८० ...... उपदेशमालाप्रकरण.............. मध्यम ... धर्मदासगणि ....
२-१५ १५८१ ...... उपदेशमालाप्रकरण बालावबोधसह ......श्रेष्ठ ..... धर्मदासगणि बा. भू.
...........क. विमलकीर्ति ......... प्रा.गू.२.१६६९-ले.१६८०.............. उपदेशमालाप्रकरण बालावबोधसह अपूर्ण श्रेष्ठ ..... ... .................... प्रा.गू.
५००० उपदेशमाला बालायबोध अपूर्ण .......... जीर्ण
............................ -8ଓ पुष्पमालाप्रकरण श्रेष्ठ ... मलधारी हेमचंद्राचार्य ...... प्रा..
.गा.५०५ पुष्पमालाप्रकरण अपूर्ण श्रेष्ठ .... मलधारी हेमचंद्राचार्य ...... प्रा.
..गा.५०५, पत्र ७ थी १२ नथी. पुष्पमालाप्रकरण ..
मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा.! ૧૬૮૦ अध्यात्मकल्पदुम सटीक त्रिपाठ ...... मुनिसुंदरसूरि-मू. ......... सं.र.१६७२-ले.१६७४
१५८७ ...२८४....२४५९|| टी.क.बाचकरत्नचंद्र रत्नसंघय सस्तवक अपूर्ण ............. मध्यम पूजाप्रकरण.. जीर्ण.
.१५८९ ...२८४ --. गा.५० संबोधसप्ततिकाप्रकरण..
जीर्ण ....रत्नशेखर .......... संबोधसप्ततिकाप्रकरण...... मध्यम ... रत्नशेखर...... संबोधसप्ततिकाप्रकरण...... मध्यम ... रत्नशेखर ......... संबोधसप्ततिकाप्रकरण सरतयक......
श्रेष्ठ .....रलशेखर ............ .र.१७३३.ले.१७७९ उपदेशरत्नकोश सावचूरिक त्रिपाठ......मध्यम ........
प्रा.सं.
.३..१५९४.. १६००..२८४ उपदेशरत्नकोश सस्तबक ..............
प्रा.गू--.......... १५९६ ....... सिंदूरपकर ..... श्रेष्ठ .....सोमप्रभाचार्य ............. ...................
..................... का.१००
... २४
...२४
RSex
१७
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________________
१२८
संवत्
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी ग्रंधान विशेष नोध
.. २३ ............१५९७ - २८४
१-४, १५९४.. १६०० + २८४...गा.८८
१५९४.. १६०० - २८४ १५९४.. १६००.. गा.१०३ १५९४., १६००..२८४
A4:58
ग्रंथांक | ग्रंथन नाम
| स्थिति कर्ता भाषा ..................... श्रेष्ठ ....सोमप्रभाचार्य -मू..........सं.!
..टी.क.हर्षकीर्तिसूरि १५९८ .....- सिंदूरपकर अवचूरि किंषिवपूर्ण ......... मध्यम ......... १५९९/१....आदिनाथदेशनोद्धार .................... श्रेष्ठ......... १५९९/२....आत्मभावनास्तव ....................... श्रेष्ठ ....पार्श्वनाग.... १६००/१....भववैराग्यशतक .................... श्रेष्ठ ..... १६००/२...-जिनस्तुति ................... श्रेष्ठ.... १६०१ ...... 'भववैराग्यशतक सस्तबक ...... मध्यम १६०२ .....
गौतमपृच्छा बालावबोधसह ...... जीर्ण गुणस्थानकप्रकरण वृत्तिसह .......... मध्यम ...रत्नशेखरसूरि स्वोपज्ञ.... दानादिकुलकबालावबोध अपूर्ण ....... जीर्ण श्रावकदिनकृत्यप्रकरण............. गौतमकुलक सस्तबक ................
जीर्ण गौतमकुलक सस्तबक ..................मध्यम ......... गौतमपृच्छा ............................. श्रेष्ठ.......... ईरियापथिकीकुलक सस्तयक .......... मध्यम ......... प्रश्नोत्तरर्तनमाला सस्तबक ............ जीर्ण ... विमलाचार्य ...... सिद्धमातृकाप्रकरण ................ मध्यम ..... वष्टिशतप्रकरण ................ श्रेष्ठ.... नेमिचंद्र भंडारी... वीतरागस्तोत्र ................. श्रेष्ठ....हेमचंद्राचार्य..... यीतरागस्तोत्र ..........
हेमचंद्राचार्य ..... वीतरागस्तोत्र सावचूरि
जीर्ण.. हेमचंद्राचार्य -मू......... भावारिवारणस्तोत्र ..
जीर्ण जिनवल्लभगणि .......... प्रा भावारिवारणस्तोत्र सटीक
जिनवल्लभसूरि मू.
टि.जयसागरसूरि ....... प्रा. १६१८....
उल्लासिक्कमरमरण सस्तबक नमिऊणस्तोत्र सस्तबक .
... जिनवल्लभसूरि -उ. .....प्रा.गू६१९ ......दुरियरयसमीरस्तोत्र...
श्रेष्ठ .... जिनवल्लभसूरि ........... प्रा.
FREE HEE
मू.गा.२० मू.गा.२०
गा.६४
22488882
..१६११... २८४
१६१३ थी १६१५ - २८४
थी १६५५ .२८४ १६१३ थी १६१५ - २८४
.....१६१६ -.२८४
श्रेष्ठ
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-
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________________
१२९
संवत
पत्र संख्या |
झेरोक्ष
सी.डी ग्रंथाना
विशेष नोंध
प्रा.ग.
१६२२..
૧૪ १५९१ १६००
..४/..१६२१ + १६२२...२८४ |..१६२१ + १६२२ ...२८४
.१६२३
२६२४. १६२५..
.........१-२
....२-४
२०
१६२५ १६२५ १६२५
गा.५ १६२५
गा.१३ .१६२५.
-१६२५...२८५ ...........१६२५.६.२८५ १६-१९ ............१६२५...२८५ १९-२० ...........१६२५...२८५ ... गा.१७
गा.२४
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथ नाम
स्थिति कर्ता
भाषा दुरियरयसमीरस्तोत्र बालावबोधसह अपूर्ण मध्यम ........ १६२१.... दुरियरयसमीरस्तोत्र सावचूरिक पंचपाठ मध्यम .. जिनवल्लभसूरि मू.....प्रा.स
अजितशांतिस्तवावचूरि ................ १६२३.. अजितशांतिस्तव सावचूरिक पंचपाठ ... श्रेष्ठ .....|नंदिषेण -मू. अजितशांतिस्तोत्रसस्तबक.......
मध्यम... नंदिघेण सप्तस्मरण ............
मध्यम १६२५/१.... नवकार ...... १६२५/२.... उवसग्ग हरं ........
...भद्रबाहस्वामी १६२५/३ ..... संतिकरं .............
.... मुनिसुंदरसूरि ...... १६२५/४ .... नमिऊण.............. १६२५/५...... अजितशांति ....................
नंदिषेण ............... १६२५/६ ..... भक्तामर ...............
मानतुंगसूरि ............. १६२५/७.... बृहत्शांति ..............
मध्यम... बादिवेताल शांतिसूरि... १६२५/८.... लघुशांति ...............
मध्यम... मानदेवसूरि १६२६ ..... सप्तस्मरण ......
मध्यम १६२६/१.... अजितशांति ......
मध्यम ... नंदिषेण ............... १६२६/२..... लघुअजितशांति ..
मध्यम ...जिनयलल्भ ......... १६२६/३.....नमिळण.............
............. १६२६/४ .....लं जयउ स्मरण .....
मध्यम ... जिनदत्तसूरि १६२६/५..... मयरहियस्तोत्र
मध्यम ... जिनदत्तसूरि १६२६/६ .... सिग्धमवहरउविग्धं स्तोत्र.
मध्यम ... जिनदत्तसूरि १६२७ ..... भक्तामर स्तोत्र.........
श्रेष्ठ .....मानतुंगसूरि. १६२८ ...... भक्तामरस्तोत्र बालावबोध............... जीर्ण ........... १६२९ ....... कल्याणमंदिरस्तोत्र.................... --जीर्ण .... सिद्धसेन दिवाकर ......|
कल्याणमंदिरस्तोत्र.............. मध्यम ... सिद्धसेन दिवाकर ....... सं. ....... कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तबक अपूर्ण .... मध्यम ... सिद्धसेन दिवाकर ........ सं. १६३२ ...... लघुशांतिस्तव .....
श्रेष्ठ .....मानदेवसूरि .............. सं. १६३३ ......जयतिहुयणस्तोत्र सस्तबक.... .........मध्यम ...अभयदेवसूरि ..............अप.
गा.४४
गा.४०
गा.१७
मध्यम
.
तात्र.............
.
.
१६३०......
१६३१
मू.गा.३०
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
संवत
।
पत्र संख्या |
...... १६३५+३६ ...... १६३५+३६
.२८४ .......३३ .२८४.......२८
........
...का.२८
...का.९६
......... पाणीथी भींजायेली छे.
L.२८४
१३० ग्रंथांक ___प्रधनुं नाम
स्थिति कर्ता भाषा १६३४ .....कलिकुंडपार्श्वनाथस्तोत्र धरणोरगेन्द्रस्तोत्र मध्यम ... १६३५ ...... विज्ञप्तिद्वात्रिंशिका ............ .......मध्यम ... १६३६ ...... परमानंदस्तोत्र तथा मूर्खशतक ..........जीर्ण .... १६३७ .....-ऋषिमंडलस्तोत्र ............... जीर्ण .... १६३८......चतुर्विशतिजिनस्तय तथा सद्भक्त्या ............देवलोके स्तोत्र......
मध्यम ... देवविजयगणि च........ १६३९ ....... बप्पभट्टिस्तुतिचतुर्विशतिका सटीक पंचपाठ..
श्रेष्ठ ..... बप्पभट्टिसूरि -मू......... १६४०..... शोभनस्तुति ....
मध्यम ... शोभनमुनि ................ १६४१ ..... स्तोत्रसंग्रह ....
श्रेष्ठ... १६४२ ..... जिनस्तोत्ररत्नकोश ......... मध्यम ... मुनिसुंदरसूरि ........... १६४३ ..... नवकारमहात्म्य अपूर्ण.
श्रेष्ठ ..... जिनकुशलसूरिकवित्वाष्टक .... मध्यम ... मुनिमेरुपाध्याय ........
भवानीसहस्रनामस्तोत्र ..
त्रिपुरास्तोत्र लघुस्तय ....... १६४७ ...... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य ............. दशमपर्व-महावीचरित्र.
मध्यम .. हेमचंद्राचार्य १६४८ ...... एकविंशतिस्थानकप्रकरण सस्तबक .... जीर्ण .... सिद्धसेनरि.... प्रा.ग १६४९.....'शांतिनाथचरित्र गद्य त्रूटक........... मध्यम .. भावचंद्रसूरि .....
-त्रिषष्टिलक्षणमहापुराण त्रूटक अपूर्ण .. मध्यम ........... १६५१ ......जंबूस्वामिचरित्र..................... मध्यम... पद्मसुंदर ........... १६५२ ......जंबूस्वामिचरित्रगध .................. जीर्ण.../सकल हर्ष ............ १६५३ .......अंबडचरित्र गद्य पत्र .................. मध्यम.. अमरसुंदर ........ १६५४.....धर्मदत्तकथानक गद्य .............. १६५५ .....'ज्ञानपंचमीकथा ............... जीर्ण ... कनककुशल... १६५६ ...... पौषदशमीकथा गद्य ...........
मध्य म .. ... १६५७ ...... होलिकाकथा पद्य .....
जीर्ण ... |१६५८ ..... चातुर्मासिकव्याख्यान .....
श्रेष्ठ .... समयसुंदर
श्रेष्ठ.... मध्यम..
१६४७ ...२८५
............१६५७-..........
२०८ ..... १७०१ ............ १६५६, ११-४६ अने १९६मुं
..........६४-१०१
....१८
६५१
६५२
:
१६५३
श्रेष्ठ:..........
............ १७२०........... ............ १८५७..... ............ १६६८ र.१६५५-ले.१८५९....
:
m
प्रति पाणीथी भीजायेली छे. - प्रति पाणीथी भीजायेली छे.
फक
.र.१६६५
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार ग्रंथनुं नाम
ग्रंथांक
१६५९
१६६०
१६६१
१६६२
१६६३
१६६४
१६६५
| १६६६
१६६७
१६६८
१६६९
.......
१६७४ १६७५
१६७६
१६७७
[१६७८] [.......]
१६७९
१६८०
१६८१
१६८२
१६७०
१६७१ MANTRA आचारांगसूत्र
१६७२
१६७३ क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरणसावचूर्णि
SHILL.
सम्यक्त्वकौमुदीकथा गद्य चातुर्मासिकव्याख्यान
सिंहासनद्वात्रिंशिकाकथा
उत्तराध्ययनसूत्र सप्तबक
भक्तामर स्तोत्र वार्त्तिकसह
उपदेशरत्नाकर
सुरसुंदरीकथा टिप्पनकसह मलयसुंदरीचरित्र.
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र दशमपर्व
महावीरचरित्र
श्रीपालचरित्र
श्रीपालचरित्र
वरांगचरित्र
चैत्यवंदनभाष्य सस्तबक
पंचपाठ
पाक्षिकसूत्र तथा अतिचार श्रीचंद्रीयासंग्रहणी सस्तबक अपूर्ण प्राचीनकर्मस्तवकर्मग्रंथवृत्ति उपदेशमालाप्रकरण टिप्पणीसह संघपट्टकप्रकरण वृत्तिसह
जैसलमेर दुर्ग स्थिति जीर्ण
दर्शनसप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसह लघुक्षेत्रसमासप्रकरण
श्रीचंद्रीयासंग्रहणी
जीवविचार नवतत्त्वप्रकरण
मध्यम
जीर्ण
श्रेष्ठ
जीर्ण
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जीर्ण
....
जीर्ण जीर्ण
कर्ता
मानतुंगसूरि मू...
वा. क. मेरुसुंदरोपाध्याय मुनिसुंदरसूरि
धनेश्वरसूरि जयतिलकसूरि
जीर्ण श्रेष्ठ
श्रेष्ठ धर्मशेखरगणि अब.
. श्रेष्ठ
. श्रेष्ठ
हेमचंद्राचार्य
प्रा.
रत्नशेखरसूरि मध्यम... रत्नशेखरसूरि बर्द्धमानभट्टारकदेव.. सं. सुधर्मास्वामी
मध्यम... श्रेष्ठ......
प्रा.
प्रा.गू.
Hasnal
****
गोविंदगणि धर्मदासगणि जिनदत्तसूरि भू.. टी. जिनपतिसूरि सोमतिलकाचार्य टी. मध्यम... रत्नशेखरसूरि. मध्यम.... श्रीचंद्रसूरि श्रेष्ठ..... शांतिसूरि
श्रेष्ठ
भाषा
सं.
सं.
सं.
प्रा. गू. मू- १८२८. ८-१८३३ सं. गुज
१६४२
संवत्
सं.
प्रा.र. १०१५-ले. १५०३ सं.
सं.
प्रा. र. १४२८-ले. १६७४
र. १४२८
प्रा.सं.
प्रा.गू. प्रा.गू. सं. .प्रा.
ले- १७८५
सं. ले- १५६४ प्रा. सं. र. १४२२- ले. १५०१ .प्रा. १८६०
. प्रा.
. प्रा.
पत्र संख्या
३९ .४ १२-४४
. १६८
२८
८१
३-४३
८३
२७
३८
३८
३९
.४
२-१७
२-३८
२-१५
२६
४८
.११६
सी.डी. ग्रंथाम १६५९ २८६
झेरोक्ष
. १६६३ २८४
. १६६७.२८५
. १६६८
.९०००
..4000
. १६६६ २८५२४०६ प्रति उधईए खाली छे
१६७०
. १३८३
•
२५५४ गा. ६२
गा. २५
- १४९९
विशेष नोंध
प्रति पाणीथी भींजाएली छे
-३६०० .८७०७ गा. २६५
गा. १३० सुधी टबो छे.
जी.गा. ५०/न.गा. ५१
१३१
.
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी. ग्रंधान
विशेष नाँच
...७१
...१६८९ -.२८५.. १००००
"....५२
१६९१ - ३३०.. १६००० प्रति पाणीथी भीजाएली छे
प.सं.गु
...१६९३
१६९३
१३२ ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति
भाषाा संबत
पत्र संख्या १६८३ .....-नवतत्त्वप्रकरण सावचूरिक .............. मध्य म........................
प्रा.सं....... १६८४ ......गीत सज्झायादि ................... मध्य म ............................ १६८५ .......पर्युषणाष्टाहिकाव्याख्यान ............. श्रेष्ठ....क्षमाकल्याण .......... सं.र.१८६०,ले.१८८२ १६८६ ......आत्मप्रबोध बीजकसह ............. श्रेष्ठ .....जिनलाभसूरि ......
.र. १८३३ १६८७ ...... वर्धमानदेशना गद्य ................. मध्यम ..राजकीर्ति
+........... १८६५ १६८८ ......श्रीचंद्रीयासंग्रहणी अपूर्ण ............
श्रेष्ठ ............. १६८९ ......समरादित्यचरित्र संस्कृतणयासह ..... मध्यम .. हरिभद्रसूरि मू.........
.३०१ १६९०.... सप्तव्यसनकथानक पद्य अपूर्ण .... मध्यम ...सोमकीर्ति. १६९१ .... प्रज्ञापनोपांगसूत्रटीका ............. जीर्ण ... मलयगिरि आचार्य -टी. 1. सं.-........... १७८२-...........३६-३५२ १६९२ .... पाक्षिकसूत्र.......................... मध्यम .......
.........................८ १६९३ ..... स्मरणस्तोत्रादि सार्थ कल्प सह ...... मध्यम ...
.......... १८२९ .................२१ १६९३/१....जांगुलीमहाविद्याकल्प.............. मध्यम ...
..............१ १६९३/२.... सर्वरोगहरस्तोत्र ...................
मध्यम ... १६९३/३ .....ज्वालामालिनीमंत्र ................. १६९३/४ ..... उवसग्गहरंस्तोत्र .....................
मध्यम ... १६९३/५..... सप्ततिशतजिनस्तोत्र ........... मध्यम १६९३/६ .... भयहरस्तोत्र ............ मध्यम
४-७ १६९३/७.....अजितशांतिस्तोत्र ...... मध्यम
७-१४ १६९३/९ ... बृहत्शांतिस्तोत्र ................ मध्यम.
१४-१५ १६९३/९ .... लघुशांतिस्तोत्र ................. मध्यम..
१५-१७ १६९३/१०. संतिकर ............... मध्यम...
................ १७-१९ १६९३/११. भैरवपदमावतीकल्प ...... मध्य म......................
+............१९-२० १६९३/१२.अवकहडाचक्र ...... मध्यम ...........
.................२१ १६९४ ..... रत्नाकरपच्चीसी सस्तबक .... मध्यम ... |१६९५ ..... अजितशांतिस्तव ....
मध्यम ..नंदिघेण.. १६९६ .....- भक्तामरस्तोत्र ......
जीर्ण ... मानतुंगसूरि ......... १६९७ ...... घोडशकप्रकरणटीका ....
श्रेष्ठ .....यशोभद्रसूरि -टी......... |१६९८ ..... योगशास्त्रटीका ....
...मध्यम .. हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञटीका सं.
मध्यम ...
....१६९३ ...१६९३
........गा.४०
..........का., किनारी संदरे करडेली छे. १६९७ - २८५
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
दशयैकालिकसूत्र सस्तबक सप्तस्मरण अपूर्ण
शीलोपदेशमालाप्रकरण भावारिवारणस्तोत्रादिवृत्ति अष्टानिकाव्याख्यान अपूर्ण
ज्योतिषाम्नाय
कल्पसूत्र ............
आवकषडावश्यकसूत्र
दशवैकालिकसूत्र भक्तामरस्तोत्र वृत्तिसह
१६९९ [.......]
१७००
१७०१
१७०२
| १७०३
१७०४ [.......] १७०५
| १७०६
१७०७
१७०८
१७०९
------
१७११/१
१७११ / २......
१७११/३
१७१०] [.......]
१७११........ शीतलजिनस्तुति आदि
शीतलनाथस्तुति ज्ञानपंचमीस्तुति.. मौनएकादशीस्तुति
१७१३
१७१४
--------
१७११/४..... पार्श्वनाथस्तुति
१७११/५..... वीरस्तुति
१७१२ सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति
१७१५
भावारिवारणस्तोत्र तथा दुरियरयसमीरस्तोत्र कालज्ञानभाषाप्रबंध
*****
जैसलमेर दुर्ग स्थिति
द्वितीयअध्याय प्रथमपादपर्यंत
सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति षष्ठसप्तमाध्याय तद्वितवृत्ति.. सिद्ध हेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति लघुन्यास षष्ठपाद पर्यंत सिद्धहेमशब्दानुशासन चतुष्कावचूरि षष्ठपादपर्यंत
मध्यम... शय्यंभवसूरि
मध्यम .... जीर्ण
मध्यम
मध्यम... जीर्ण
मध्यम
मध्यम...
जीर्ण ......
श्रेष्ठ
जयकीर्तिसूरि
कर्ता
.....
जीर्ण
शय्यंभवसूरि
. मानतुंगसूरि मू. वृ. गुणाकरसूरि
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ मध्यम
मध्यम मध्यम...
जिनलाभसूरि जिनलाभसूरि
मध्यम ...
जिनलाभसूरि
मध्यम... जिनलाभसूरि मध्यम... जिनलाभसूरि
जीर्ण
www
जिनवल्लभसूरि लक्ष्मीवल्लभगणि
.... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
जीर्ण..... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
. श्रेष्ठ..... कनकप्रभसूरि
भाषा
प्रा.गू.
प्रा.सं.
.सं.
सं.
सं.
- प्रा.
प्रा.सं.
प्रा.
प्रा.
.....
प्रा. गुज
सं.
.सं. १४२६-ले. १८५९
audel
सं. प्रा.
राज. र. १७४१-ले. १८५३
......
गूज.
गूज.
गुज.
गुज.
सं.
सं.
संवत्
सं.
१६०६
सं.
१५१६
पत्र संख्या
४८ ...........
.६
१५
२१
१
९९
१६
२८
५९
४१
झेरोक्ष
१७११
१७११
२०
१७११
१७११
१७११
१७११
१५. १७१२ १७१४२८६
सी.डी. ग्रंथाग्र .... ४५००
६९१७१२ १७१४२८६
गा. ११७
१७१५२८६
१५७२
१७१३२८६१६२८
गा. ४
गा.४
गा. ४
गा. ४
गा. ४
विशेष नोंध
१३३
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________________
१३४
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी ग्रंथान विशेष नाघ
भाषा
संवत्
पत्र संख्या -
सं.
....१७१६ --.२८६ १७१७ १७१८ .-.२८६ .१७१७. १७१८...२८६
...१७१९ - २८६
१५५४
१०२०....
-
जीर्ण...
१६४१ १७१६ ૧૮૮૬
१७२० ...२८६ १७२१ +.२८६ १७२२ १७२३ १७२४............१६५१ १७२५ २.२८६
ग्रंथांक ग्रंथ नाम
| स्थिति १७१६ ......! सिद्धहेमशब्दानुशासन आख्यातावचूरि
..... चतुर्थाध्यायपर्यंत किंचिदपूर्ण........ जीर्ण १७१७ ...... हैमलिंगानुशासन अपूर्ण ....... मध्यम ... हेमचंद्राचार्य .... १७१८ .....
लिंगानुशासन स्वोपज्ञटीकासह ...... श्रेष्ठ .... हेमचंद्राचार्य .. १७१९ ..... सिद्धहेमशब्दानुशासन अष्टमाध्याय.... श्रेष्ठ.... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ ......सं.
बृहवृत्तिसह प्रा.चंद्रिका.....
जीर्ण ... १७२१ .... पाणिनिव्याकरण अष्टाध्यायीसूत्रपाठ ... १७२२ ..... लघुसिद्धांतकौमुदी................... श्रेष्ठ....बरदगज ............. मध्यमसिद्धांत कौमुदि
श्रेष्ठ.....यरदराज .............. १७२४ ...... पाणिनि उणादिमणवृत्ति ................ श्रेष्ठ... १७२५ ....... पाणिनिपरिभाषा ...................... श्रेष्ठ..... व्याडि .............. १७२६ ....... सिद्धांतचंद्रिका सुबोधिनीव्याख्यासह ... मध्यम ... रामाश्रमाचार्य -मू. .....
व्या. सदानंद ............. सिद्धांतचंद्रिकातत्त्वदीपिकाव्याख्या पूर्वाई
श्रेष्ठ ....बोकेशकर शर्मा ........... सं.. सारस्वतव्याकरण.
..... मध्यम .. अनुभूतिस्यरूपाचार्य ...... सं. सिद्धांतकौमुदी पूर्वार्ध ...
श्रेष्ठ....भट्टोजी दीक्षित ......... सिद्धांतकौमुदी तत्त्वबोधिनी टीका अपूर्ण श्रेष्ठ.......... सिद्धांतचंद्रिका ...... सिद्धांतचंद्रिका स्वरान्तनपुंसकलिंग पर्यंत . मध्यम .. रामाश्रमाचार्य .... सिद्धांतचंद्रिका ......
मध्यम .. रामाश्रमाचार्य सारस्वतव्याकरण.
श्रेष्ठ.... अनुभूतिस्वरूपाचार्य ... सारस्वतव्याकरणटीका.
श्रेष्ठ सारस्वतव्याकरण ...
श्रेष्ठ. अनुभूतिस्वरूपाचार्य सारस्वतव्याकरण.
अनुभूतिस्वरूपाचार्य सारस्वतव्याकरण अपूर्ण
अनुभूतिस्वारूपाचार्य. १७३९ ...... सारस्वतवृत्ति अपूर्ण
चंद्रकीर्ति -यू...........
१७२७...
१८३१
૧૮૬૦
可可可可可可可可可计
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ग्रंथान |
विशेष नोध
१६७२
१७५४
• ३२५
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक. ग्रंथ नाम | स्थिति। भाषा संवत्
झेरोक्षसी .डी १७४०...... सारस्वतदीपिका पंचसंधि ........... मध्यम .... १७४१ ...... सारस्वतटिप्पनक .
श्रेष्ठ .....क्षेमेन्द्र -टी. ..............सं... १७४२ ...... सारस्वतप्रथमश्लोकार्थ...
मध्यम .... १७४३ ....... क्रियाचंद्रिका अपूर्ण ............... मध्यम ........ ....... ऋजुप्राज्ञप्रक्रियावृत्ति ............... श्रेष्ठ...........
|१७४४ थी १७४७ ...२८६ १७४५ ......ऋजुप्राज्ञव्याकरण .................. - श्रेष्ठ..... सहजकीर्ति ............
१७४७ ...२८६ शब्दशोभाव्याकरण टिप्पणीसह ......... जीर्ण .... नीलकंठ ..............
१७३७
१७४७ शतश्लोकीव्याकरण अपूर्ण............. मध्यम ........
" થી ૧૭es कविकल्पद्रुम टिप्पणीसह ...............मध्यम ... बोपदेव ...
.१७४८. कविकल्पद्रुम ....................... श्रेष्ठ..... वोपदेव..
१७४९ ...२८६ कविकल्पद्रुम धातुपाठ ............... जीर्ण ....
१७५० क्रियाकलाप श्रेष्ठ ..... विद्यानंद
१७५१ क्रियाकलाप जीर्ण .... विद्यानंद
.. १७५८
.१७५२ दुर्गसिंहलिंगानुशासन श्रेष्ठ .....दुर्गसिंह
१७५३ थी १७५५...२८६ कातंत्रविक्रम सटीक त्रिपाठ... श्रेष्ठ ..... चारित्रसिंह -टी..
. १६३५- ..............७ १७५३ थी १७५५ अव्यय सावचूरिक त्रिपाठ.. श्रेष्ठ .....
१७५३ थी १७५५ १७५६ .... अनिट्कारिका ...... विभक्तिविचार ...........
..१७ वाक्यप्रकाश औक्तिक सटीक त्रिपाठ ... श्रेष्ठ ..... उदयधर्मगणि -टी....... -र.१५०२-ले.१६१२
.. १७५७ + १७५८ ....... गणरत्नमहोदधिवृत्ति .................... श्रेष्ठ ..... गोविंदसूरिशिष्य
यर्द्धमान .................. सं.र.११९७-ले.१७६९/................ |...........१७५९ . १७६०...... गणरत्नमहोदधि स्वोपज्ञटीकासह अपर्ण..............
मध्यम ... गोविंदसूरिशिष्य ....वर्द्धमान ..................सं......... र. ११९७-.............
.....१७६०...२८६ वृत्तरत्नाकर टिप्पणीसह ............. मध्यम ... गोविंदसूरिशिष्य वर्धमान . सं.-.... वृत्तरत्नाकर...
मध्यम ..-भट्ट केदार ...............सं......... वृत्तरत्नाकर सटीक
जीर्ण ... भट्ट केदार -मू. ..........टी.क. सोमचंद्र ...........सं........... र.१३२९
...१२
...........
*...
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________________
कर्ता
१७६४
.
१३६
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ मंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथन नाम| स्थिति
भाषा संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोध ......भुतबोध .............................. मध्यम .. कालिदास कवि.... - भरतसंगीतसंयोग ................. मध्यम...
.................१५१ रूपदीप भाषाछंदोग्रंथ ............... मध्यम .. जयकृष्ण
१७७६ रूपदीप भाषाछंदोग्रंथ .............. मध्यम काव्यानुशासनसूत्रपाठ...... मध्यम ..
१७६८.२८६ हैमकाव्यानुशासनविवेक .............. श्रेष्ठ .... हेमचंद्राचार्य ......
१७६९ .२८७....४०००| कविशिक्षा काव्यकल्पता वृत्तिसह ....... श्रेष्ठ..... अमरचंद्रसूरि
१७७०.२८६ ....२३५७/ वाग्भटालंकार .. वाग्भट
१७७१ 4.२८६/-....२८९/ ......
कुमारसंभवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यंत सावचूरि श्रेष्ठ ..... कवि कालिदास -मू.....
.................. प्रति पाणीथी भींजायेली छे. १७७३ ... रघुवंशमहाकाव्य अपूर्ण.
मध्यम ... कवि कालिदास १७७४ ... रघुवंशमहाकाव्य - सर्ग नवथी बार अपूर्ण मध्यम ... कवि कालिदास ....... १७७५ अभिधानचिंतामणिनाममाला .......... श्रेष्ठ .... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ .....
....१७७५ ...२८७/.. १०००० प्रतिनी किनारी उंदरे करडेली छे स्वोपज्ञटीका १७७६ अमिधानचिंतामणिनाममाला ............श्रेष्ठ.... हेमचंद्राचार्य ............... ........... १६५०.................२४७ /...........१७७६ ...२८७ .. १००००/
स्वोपज्ञटीकासह १७७७ ....... अमरकोश प्रथमकांड सटीक त्रिपाठ .. मध्यम ... अमरसिंह मू........................... १८०२]................ ...१७७७ ...२८७
.................टी.क.भावुजी दीक्षित १७७८ ....... अमरकोश सटीक द्वीतीयकांड त्रिपाठ. मध्यम ... अमरसिंह मू..
....... १८०३/................
.२८७ टी.क.भावुजी दीक्षित १७७९ ...... अमरकोश तृतीयकांड सटीक त्रिपाठ मध्यम ... अमरसिंह -मू..
............१७७९ .२८७ टी.क. भावोजी दीक्षित १७८० अभिधानचिंतामणिनाममाला अपूर्ण .... मध्यम .. हेमचंद्राचार्य १७८१. अभिधानचिंतामणिनाममाला अपूर्ण .... जीर्ण ... हेमचंद्राचार्य
............. १०-३१ १७८२. अभिधानचिंतामणीनाममाला अपूर्ण.... मध्यम ... हेमचंद्राचार्य, १७८३. अभिधानचिंतामणीनाममाला
स्वोपज्ञवृत्तिसह अपूर्ण .................. श्रेष्ठ.... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ .. |१७८४ .......अमरकोश प्रथमकांड.
मध्यम ...अमरसिंह................
.
.........१७७८
*
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________________
संवत
पत्र संख्या
-
झेरोक्षसी .डी ग्रंथात्रा
विशेष नोंध
१७१८.
२७
१८१६
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रथांक ग्रंथन नामस्थिति
कर्ता
भाषा १७८५ ......रघुवंशमहाकाव्यटीका ............ ....... श्रेष्ठ ..... मल्लिनाथ ..... १७८६ ...... न्यायरत्नप्रकरण शशधरसूत्र...........श्रेष्ठ..... शशधर ...
न्यायरत्नप्रकरण शशधरसूत्र टीप्पणीसह श्रेष्ठ..... शशधर, तर्कपरिभाषा......
श्रेष्ठ.....केशवमिश्र ..... तर्कपरिभाषा............
..जीर्ण .... केशवमिश्र ..... तर्कपरिभाषा अपूर्ण............... .. मध्यम ... केशवमिश्र ....... तर्कभाषाप्रकाशवृत्ति .............. श्रेष्ठ.....गोवर्धन ............. न्यायसार न्यायतात्पर्यदीपिकाटीका .... श्रेष्ठ..... जयसिंहसूरि सप्तपदार्थी ............................ मध्यम ...शिवादित्य मिश्र ....... तर्कसंग्रहदीपिका ................. -मध्यम...अन्नंभट्ट............. मंगलवादप्रश्नपद्धति .................. ..जीर्ण .... समयसुंदरजी ...........
३९.१७८६ + १७८७.६.२४२-......... प्रतिनी किनारी उंदरे करडेली छे .. १७८६ + १७८७-२४२ ......१७८८
........ प्रति चारे बाजुची उधईए खाघेली
१७९१...२८८ १७९२...२४२/....३००० १७९३ १७९४ १७९५
प्रतिनी किनारी खबाएली छे
| ग्रंथकर्ताए स्वहस्ते लखेली प्रत .१७९६
१७९५ ...
...१७९८ ... २८८ ....१२५२, प्रति पाणीथी भीजाएली
जीर्ण ..........
१७९९ ... १८००...
१८०१..
१७९६ आलापकपद्धति अपूर्ण
मध्यम ... १७९७ पड्दर्शनसमुच्चय ........... श्रेष्ठ ..... हरिभद्रसूरि ............. १७९८ ....... घड्दर्शनसमुच्चय सटीक .............. .जीर्ण .... हरिभद्रसूरि मू..........
....व.क.विद्यातिलक प्रामाण्यवाद
मध्यम ... हरिराम तर्कवागीश बादस्थल अपूर्ण शिरोमणीटीका .....
मध्यम .... न्यायग्रंथ
मध्य म........ न्यायग्रंथ अपूर्ण.
मध्यम ... सारस्वतव्याकरणदीपिकाटीका ...........मध्यम ...चंद्रकीर्ति लोकानी हुंडी बीजकसह ........... .../मध्य म...... शत्रुजयकल्प सस्तवक तथा पडिलेहणाकुलक .................. ......मध्यम .. विनयविमल सिद्धांतचंद्रिका स्वरान्तनपुंसकपर्यत .........
रामाश्रम १८०८ व्याकरण ....
....... मध्यम १८०९ ...... अनिट्कारिका सटीक त्रिपाठ ..........मध्यम ......
१८०२ --- १८०३ २८८-.......... पत्र बीजू नथी
सं.र.१७७४-ले.१८२२
१८०७
.६............१८०९
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________________
१३८
ग्रंथांक
१८१०
१८११
१८१२
१८१३
१८१४
१८१५
१८१६
१८१७
१८१८
१८१९
१८२०
१८२१
१८२२
१८२३
१८२४
१८२५ १८२६
१८२७
१८२८
१८२९
१८३०
१८३१
१८३२
१८३३
१८३४
१८३५ १८३६
......
......
.....
www.
ग्रंथ नाम
हारितोत्तर वैद्यकग्रंथ अपूर्ण
अष्टांगहृदगयसंहिता उत्तरकल्प त्रूटक निबंधसंग्रह वैद्यक सटीक अपूर्ण
शार्ङ्गधरसंहिता
अष्टांगहृदयसंहिता
रामविनोद वैद्यक
अनेकार्थतिलक
योगचिंतामणी सस्तबक अपूर्ण बालतंत्र वैद्यक
सन्निपातकलिका वैद्यक
सूत्रस्थान- वैद्यकग्रंथ
सुश्रुतसूत्रस्थान
. योगसारसमुच्चय सस्तबक- वैद्यक
न्यायग्रंथटीका..
----
लीलावतीगणित
• अभिधानचिंतामणि सटीक बृहदवृत्ति सारस्वतव्याकरणसिद्धांतरत्नावलीटीका
||
अपूर्ण
. शीघ्रबोधज्योतिष
रत्नदीपज्योतिष
फलकल्पलता .......... बालावबोधसारसंग्रहज्योतिष
रुद्रयामलज्योतिष
रुद्रयामलज्योतिष भुवनदीपक
प्रश्नप्रदीप
प्रश्नप्रदीप
महादेवी दीपिकावृत्ति
स्थिति
जीर्ण
मध्यम वाग्भट
जीर्ण मध्यम...
जीर्ण ... वाग्भट
मध्यम रामचंद्र
मध्यम
***
----
मध्यम...
मध्यम..
मध्यम
जीर्ण
श्रेष्ठ......
मध्यम
मध्यम
जीर्ण
मध्यम ...
ARRES
शार्ङ्गधर
मध्यम... श्रेष्ठ
[ श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
वैद्यरतन
अश्विनीकुमार
मध्यम... मध्यम..
श्रेष्ठ. गणपति
श्रेष्ठ
कर्ता
भास्कराचार्य
मध्यम...
मध्यम...
काशिनाथ
मुंजादित्य
धनराजगणि
पद्मप्रभसूरि
भाषा
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
गू.
.सं.
सं. गू.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं. गू.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
संवत्
सं.
१७१४
र. १६१०
१८८६
१६६२
१८४३
१८४४
सं. १६९२- ले. १८२९
सं.
१८२९
सं.
पत्र संख्या
६७ १०३
७२
५९-९८
११२
७६
३४
९१
१२
३-३२
३-३२ २४ ३९-४८
९१ ५१
, २०५८९ २९४
८४
१३
११
१२
१०
.C
.५
२७
.४
१८
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंथ सी.डी. ग्रंथाग्र
झेरोक्ष
१८१८
१८२३२८८
. १८२४२८८
. १८२५ (१.२) २८८
५००
१५००
.
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संवत
संख्या ।
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंधान
विशेष नोंध
मध्य
म..........
358
श्रेष्ठ
जिनभद्रसूरि कागळतो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम
स्थिति कर्ता १८३७ यंत्रर्थितामणी सटीक ................... मध्यम ...........
ताजिकसार ज्योतिष ...... ताजिकसार ज्योतिष................
श्रेष्ठ ............ ताजिकत्सारकारिकाटीका .............. मध्यम ... सुमतिहर्ष अपरनाम
सामंत
सं.र.१६७४ ले.१८१८ ताजिकबालावबोध ज्योतिष ........... मध्यम .. ताजिकभूषण ज्योतिष अपूर्ण ........... श्रेष्ठ, रत्नमाला ज्योतिष बालबोधिनी टीका. श्रेष्ठ.....महादेव
१७६४ विवाहवृंदावन ज्योतिषशास्त्र सटीक ... श्रेष्ठ, षट्पंचाशिका ज्योतिष ............... भावर्षितामणि षष्ठपटल-ज्योतिष ......
१८४८ आरंभसिद्धि-ज्योतिष द्वितीयविमर्श पर्वत श्रेष्ठ उदयप्रभसूरि ...... लधुजातक ज्योतिष
जीर्ण ... वराहमिहिर ........ १८४९ लघुजातक सटीक-ज्योतिष .............जीर्ण .... उत्पलभट्ट -टी.,
मूल, वराहमिहिर लपुजातक सटीक-ज्योतिष ............. श्रेष्ठ ..... वराहमिहिर मू..
टी.उत्पलभट्ट ... १८५१ . पद्मकोशज्योतिष.
मध्यम ... गोवर्धन ૧૮પુર अर्घकांड-ज्योतिष.
जीर्ण १८५३ पद्मकोष-ज्योतिष
श्रेष्ठ ..... गोवर्धन पद्मकोश-ज्योतिष
श्रेष्ठ .....गोवर्धन प्रश्नफलादेश ज्योतिष ज्योतिषप्रकीर्णकविचार - पष्टिसंवत्सर-ज्योतिष किंचिदपूर्ण .....-मध्यम ... वष्टिसंवत्सर-ज्योतिष ................. मध्यम..! योगरत्नावली ज्योतिष .................. श्रेष्ठ .....श्रीकंठशिव पंडित ......---
लघुसारावलीगत अरिष्टाध्याय ज्योतिष श्रेष्ठ ..... ....... ग्रहभावप्रकाशज्योतिष अपूर्ण ............ श्रेष्ठ ........
१८५०......लपुजारा
श्रेष्ठ ........... मध्यम...
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी प्रथान विशेष नोंध
संवत्
। पत्र संख्या -
श्रेष्ठ...
... १८१७
दिनकर
श्रेष्ठ
..१७६२
.१६९३
ग्रंथ नाम
स्थिति] ग्रहभावप्रकाशज्योतिष सस्तबक ........ मध्यम ..... जातकचंद्रिका ज्योतिष अपूर्ण ... त्रिपुरबन्धमुहूर्त ज्योतिष ....... श्रेष्ठ ... ग्रहसिद्धिज्योतिष.
जीर्ण.... महादेव दैवज्ञ चंद्रार्कीज्योतिष.
जीर्ण ... दिनकर चंद्रार्कीज्योतिष
मध्यम भवनविचार ज्योतिष . जन्मपत्रीविधानपद्धति अपूर्ण
जगभूषणसारणी. १८७१ ...... कामधेनुपंचांगसारणी .............. ....... जातककर्मपद्धतिउदाहरण ...........
कृष्ण दैवज्ञ १८७३ ...... समाविचार (सुभिक्षदुर्भिक्षविचार) .... १८७४ ....... कर्णकुतूहलज्योतिष ...............
भास्कराचार्य १८७५ .......नारचंद्रज्योतिष अपूर्ण ............. ....नरचंद्राचार्य .... ---भुवनदीपक सरतयक ....
जीर्ण .... पद्मप्रभसूरि १८७७ ....... आरंभसिद्धि पंचम विमर्श पर्यंत ....
उदयप्रभसूरि ताजिकसारसूत्रज्योतिष
हरिभट्ट प्रश्नमनोरमाविद्याज्योतिष
गर्गाचार्य पंचांगानयनविधिज्योतिष भुवनदीपक सस्तबक ...
पद्मप्रभसूरि पष्टिसंवत्सर ...........
मध्यम श्रीपतिपद्धति अपूर्ण...
मध्यम दशाकोष्ठकज्योतिष. उपदशायंत्र ज्योतिष. सारणी ज्योतिष..
कामधेनुकोष्टक ज्योतिष.. ......दशाकोष्ठक ज्योतिष १८८९ ....... महादेवीकोष्ठक ज्योतिष ...........
श्रेष्ठ .....
....१८७७.२८८
ले.१८४४
मध्यम
मध्यम ..
बबबबब
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________________
१४१
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
जीर्ण
हिंदी
....... १८०७
१८९८ थी १९००...२८८ १८९८ थी १९००...२८८ १८९८ थी १९००...२८८
.... १८२०
जिनमद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथ नाम | स्थिति
भाषा संवत्
पत्र संख्या १८९०...... ज्योतिषसारणी ................. ....- श्रेष्ठ ........ १८९१...... शीघ्रबोधज्योतिष.....................
मध्यम ... काशीनाथ भट्ट.........सं............. १८६१ १८५२ .....
भुवनदीपकज्योतिष सटीक ............ मध्यम... पद्मप्रभसूरि ... ....... सं.-........... १६७८ चरखंडांज्योतिषसारणी ................
मध्यम..+ रत्नमाला बालावबोध सह .......... श्रेष्ठ .....श्रीपति .............. सं.गू............. १८०४
४८-९० वैद्यजीवन........................... श्रेष्ठ .....लोलिंबराज ........
.........१८५० योगचिंतामणी अपूर्ण ................ अनेकार्थनाममालाभाषा ........... मध्यम ... नंददास ........... विश्वशंभुएकाक्षरनाममाला..... मध्यम ...विश्वशंकर.. वाग्भटालंकारवृत्ति....
मध्यम ...जिनवर्धनसूरि -वृ........ सं. याग्भटालंकार ..
मध्यम ...याग्भट विद्धनमनोरंजनीप्रक्रिया .............
शंकरदत्त............. तर्कभाषा अपूर्ण
मध्यम ... केशव निकोदाहरणज्योतिष ...............
मध्य म........ श्रावकअतिचार .................. षड्दर्शनसमुच्चय बालावबोधसह ....... मध्यम ..... विनयचंद्रकृत घोविशी
मध्यम...विनयचन्द्र ....... | गू. भाषाभूषण.......
मध्य म.......
.... हिन्दी
............. ज्योतिषसारणी....
..... धातुरूपावली......
मध्य म...........
.सं.. कोकसवैयाछप्पा..... चिहुंगतिवेल ......
मध्यम ... जिनआनंद .............. . . ...........१६६६ ग्रहलाघवसारणी.....
मध्यम ..... धीकोटीग्रंथ्यादि .......
मध्य म ..... १९१४ .... दंडकपकरण-विचारषद्भिशिका स्वोपज्ञवृत्तिसह .........
मध्यम ...गजसार १९१५..... रामकृष्णचरित्ररास .....
-मध्यम...लावण्यकीर्त ... भगवद्गीता दोहासह भाषाटीका ......
22
मध्यम.....
मध्यम...-....--
R343
......
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग मेरोक्षसी .डी. प्रधान । विशेष नोंध
संवत
पत्र संख्या
र.१७४८-ले.१७८४
मध्यम ...
१४२ | ग्रंथांक - ग्रंथनु नाम स्थिति कर्ता
भाषा १९१७ ..... पष्टिशतप्रकरण
मध्यम ... नेमिचंद भंडारी ...... १९१८ ..... सौदर्यलहरी.
मध्यम ... शंकराचार्य ..... मृगांकलेखाचरित्रचोपाई जीर्ण ... जिनहर्ष .......
गू. सुभाषितसंग्रह .......
मध्यम ...... मेघदूतमहाकाव्य......
मध्यम .. कवि कालिदास ..... सूक्तावली अपूर्ण ............... सुभाषित
जीर्ण... सुभाषितप्रास्ताविकश्लोक ........ जीर्ण. अतिचारनी आठगाथा सटीक त्रिपाठ -- श्रेष्ठ... रसरत्नाकरवैद्यक......
मध्यम.. रूपमंजरी
श्रेष्ठ.... रूपचंद्र ....... वैद्यजीवनटिप्पणीसह ............... श्रेष्ठ....लोलिवराज ..........
धनंजयनाममाला............... जीर्ण...धनंजय ................ गणितनाममालाजयोतिष ......
धनंजय ................ ....... भट्टिकाव्य................... जीर्ण ... भट्टिकवि ............. १९३२ ...... भर्तृहरित्रिशती........................... मध्यम .. भर्तृहरि ............. १९३३ ....... कालिकाचार्यकथानक गय ..... मध्यम ....... १९३४ .....-कालिकाचार्यकथानक अपूर्ण ..... श्रेष्ठ... १९३५......दिव्यतत्त्व..........
रघुनंदन भट्टाचार्य .... १९३६ ....... ग्रहलाघवज्योतिष ................ मध्यम..
नारचंद्रज्योतिष ................ मध्यम ... नरचंद्राचार्य. ज्योतिषसारणी ............... श्रेष्ठ, व्याकरण ................ किरातार्जुनीयमहाकाव्य ....
..भारवि..... रघुवंशमहाकाव्य अपूर्ण,
कालिदास.... -प्रक्रियाकौमुदी अपूर्ण....
रामचंद्राचार्य ....... सुभाषितश्लोकसंग्रह ..... १९४४ ......अलंकारमाला ........
श्रेष्ठ....सुरतमिश्र
१९२९ - २८८
१९३१ ३.२८८
१८७८
५५.४५
मध्यम
- प्रथम पत्र नथी.
मध्यम
- पत्र ८ मुं नथी.
in Education Internatione
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
स्थिति
१९४५
१९४६ ...
१९४७
१९४८
१९४९
१९५०
रघुवंशमहाकाव्य. दशवैकालिकसूत्रलघुवृत्ति
१९५२
१९५३
गणधर सार्धशतक सटीक अपूर्ण उपदेशतरंगिणी
गणधर सार्धशतकप्रकरण
गणधरसार्धशतक लघुटीकासह
१९५१
१९५१/१......
१९५१/२
१९५१ / ३....
१९५१ / ४......
१९५१/५.....
१९५१ / ६.... १९५१ / ७.
१९५१/८..... गणिविज्जाप्रकीर्णक महापच्चक्खाणप्रकीर्णक.
१९५१/९....
१९५१ / १० वीरस्तव
| १९५४
१९५५
१९५६
चतुःशरणप्रकीर्णकादिप्रकीर्णकसंग्रह
चतुःशरणप्रकीर्णक भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक
आउरपच्चक्खाण.... संथारगपयनो
तंदुलवेयालियपयनो चंदाविज्झयप्रकीर्णक देविदत्थओ
१९५१/११..
१९५१/१२..
गच्छाचारप्रकीर्णक
१९५१/१३ मरणविधिप्रकीर्णक
भरतबाहुबलीकथा
कथासंग्रह ऋटक
अजीवकल्प
-
कालिकाचार्यकथाबालावबोध त्रू.अ. कुमारविहारशतक. कुमारसंभवमहाकाव्य सप्तमसर्गपर्यंत
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जीर्ण
श्रेष्ठ
wwwww
श्रेष्ठ.....
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
मध्यम
कर्ता
कालिदास
शय्यंभवसूरि मू.. सुमतिसूरि
जिनदत्तसूरि
रत्नमंदिरगणि.
जिनदत्तसूरि
जिनदत्तसूरि मू... टी. सर्वराजगणि
रामचंद्रगणि
कालिदास
भाषा
सं.
सं.
प्रा.सं.
सं.
प्रा.
प्रा.सं.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा...
HT.....
SIT.
SIT.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
SIT.
गू.
सं.
गू.
सं.
सं.
संवत्
१४८१
१५३५
१७८६
पत्र संख्या
१४६
५१
११०
९-४१
३१
९५
१-४
४-११
११-१४
१४-१९
२५-३३
३३-४०
४०-५१
५१-५४
५५-६०
६०-६२
६३-६४
६४-६९
६९-९५ ...........४
... २५८
१२ थी २४
.७
२८
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथाप्र
....२१००
. १९४६२८८२८००
१९५५
. २८८
२८२५
गा.६३
गा. १७२
गा. ६०
गा. १२१
गा. १७४
गा. ३००
... गा.८६
गा. १४१ ....83
... गा. ४५
विशेष नोंध
गा. १३७
गा. ६५९ आ प्रतिमां पानां सांधेलां छे.
१४३
पत्र १, ४, ८, १३, १७ थी २७.३६.३९.४८ ५४.५५.५७ नथी.
. पाणीथी भीजायेली छे.
.
Page #192
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________________
१४४
ग्रंथांक
१९५७ १९५८
१९५९
१९६०
१९६१
१९६२
१९६३
१९६४
१९६५
१९६६
१९६७
| १९६८
| १९६९
१८७०
१९७१
१९७२
१९७३
१९७४
१९७५
१९७६
-----
१९८०
१९८१
१९८२
ग्रंथनु नाम.
कुमारविहारशतक
• नलोदयकाव्यसावचूरिक पंचपाठ [जिनशतकमहाकाव्य जिनशतक सावचूरि पंचपाठ • यथाश्रयमहाकाव्य वृत्तिसह
. कुमारपालचरित.
पट्टावली भाषानी खरतरगच्छीया पट्टावली खरतरगच्छीया
पट्टावली खरतरगच्छीया
पट्टावली खरतरगच्छीया कृत्यरत्नावली. राजमृगांकसारणी श्रावकातिचार
संबोधसप्ततिकाप्रकरण वृतिसह
-----
• चतुःशरणप्रकीर्णक पर्यंताराधनाप्रकरण
वर्षतंत्र
सूर्यचंद्रसारणी.
ज्योतिषासरणी
धनफलीगणसारणी सस्तबक
ज्योतिष संग्रह
१९७७
ज्योतिषप्रकीर्णकसंग्रह.
१९७८
. जीवाभिगमोषांगसूत्र अपूर्ण १९७९ ....... स्तवन सज्झायथोय विगेरेसंग्रह
धन्यशालिभद्ररास
श्रीपालरास
श्रीपालरास अपूर्ण
स्थिति
श्रेष्ठ.....
श्रेष्ठ......
मध्यम... जंबूकवि
श्रेष्ठ......
श्रेष्ठ.......
श्रेष्ठ
मध्यम..
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
मध्यम...
stes.....
मध्यम...
श्रेष्ठ......
*****
*****
कर्ता
रामचंद्रगणि.
रविदेव स्वोपज्ञ
www.
जंबूकवि मू. हेमचंद्राचार्य मू.. वृ.क. राजशेखर
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ सोमसूरि
श्रेष्ठ नीलकंठ
श्रेष्ठ त्रिविकम दैवज्ञ
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
मध्यम.. मध्यम..
श्रेष्ठ
रामचंद्रभट्ट
रत्नशेखरसूरि - मू..
टी.क. अमरकीर्तिसूरि
वीरभद्रगणी
मध्यम..
मध्यम... जिनविजय मध्यम... जिनहरख
जीर्ण
भाषा
सं.
सं.
गू.
गू.
गू.
गुज.
सं.
सं.
सं.
१५२०
प्रा.सं. र. १३८७-ले. १५११
गू.
सं.
प्रा.
प्रा.
सं.
सं.
सं.
सं. गू..
मिश्र
मिश्र
प्रा.
मिश्र
संवत्
गू.
गू.
गू.
१४८९
१४९६
१७५५
१३८१
१८४५
१८९६
१८४२
१७७६
१८२२
र. १७४०
पत्र संख्या
.७
.९
.६
.९
४५
१५
११०
१६०
.४
२५
१३
१०
१०
५४
जिनमद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
सी.डी. ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
७५
२७
१०
झेरोक्ष
. १९५७.२८८
. १९५८
१९५९
૨૮૮ ૮૮
१९६०.२८८
.८
२०. १९६९ + १९९१ २८८
. १९६१ २८८३५००
१९६५२८८
. २३००
गा. १२६०
अंत पत्रमां गोडियार्श्वनाथनुं स्तवन छे
.
Page #193
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________________
। ୩୫
| ग्रंथांक
झेरोक्षसी .डी ग्रंथान
विशेष नोंध
......
मृगावतीरास अपूर्ण ...
.......११
श्रेष्ठ..
..१९६९+ १९९१ .,.२८८
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम | स्थिति कर्ता
संवत् । पत्र संख्या ....... श्रीपालरास अपूर्ण ........... मध्यम ...जिनहर्ष
... र.१७४० अंजनासुंदरीपवनंजयकुमाररास ........ -मध्यम ... पुण्यसागर ........
.....र.१६८९
-जीर्ण १९८६ ....... सुरसुंदरीरास ................. ..श्रेष्ठ..... नयनसुंदरजी
र.१६४४ १९८७ ...... शत्रुजयउद्धाररास ....................... मध्यम ...नयसुंदर
.ले.१७७१.र.१६४८ |१९८८ ......शश्रृंजयआदिराससंग्रह .................. मध्यम
+......... रे.१८७०
.३-२४ १९८८/१.... शत्रुजयरास ............ ............ समयसुंदरजी
.........३-६ १९८८/२..... अवंतिसुकुमालचोढालीया ......................... जिनहर्ष .....
.६-११ १९८८/३..... आषाढाभूतिधमाल ..............
कनकसोम ..............
.......... र.१६३८ ...... ११-१४ १९८८/४.... | मेघकुमारराजर्षिसज्झाय ...............
श्रीसार .............."
.... १५-२४ १९८९ ..... अभयकुमाररास अपूर्ण ..................श्रेष्ठ.....पद्मराज................ ......... र.१६५० १९९० ..... परदेशीराजारास अपूर्ण ............... १९९१ ...... जिनप्रतिमास्थापनरास.... मध्यम ... पार्श्वचंद्रसूरि ............ १९९२ ..... विद्याविलासचोपाई
श्रेष्ठ..... आज्ञासुंदर
.........र. १५१६ १९९३ ..... हंसराजवच्छराजचोपाई अपूर्ण-Jटक ...जीर्ण ...
१६४७ रत्नचूडमुनिचोपाई ............... जीर्ण .... कनकनिधान
ले.१८११.र.१७२४ माधवानलकामकंदलाचोपाई अपूर्ण .....श्रेष्ठ .... चंद्रलेखाचोपाई. मध्यम ...मतिकुशल
.........र. १७२८. मृगावतीचोपाई मध्यम ... चंद्रकीर्ति.
.......... र.१६८२ जयसेनकुमारचोपाई तथा रात्रिभोजनचोपाई ..................
जीर्ण .... धर्मसमुद्रयाचक १९९९ शालिभद्रचोपाई....
जीर्ण .... मतिसार
ले.१७२३.रे.१६७८ उपदेशरसाल........................ मध्यम ......
+........... १८१३ २००१ अइमत्तामुनिचोढालियु.............. जीर्ण.....नयरंग २००२ ......
दानशीलतपभावनाचोपाई ... मध्यम ...समयसुंदर ........ गू............र.१६६४ (२००३ ....... ज्ञानपचीसी ...
जीर्ण ....बनारसीदास .......... हिन्दा ...........१७३२ २००४ .......स्त्रीसंयोगबत्रीसी.
मध्यम...
गू.............१८१३ २००५ ...... शाश्वतजिनस्तोत्र ..
श्रेष्ठ ..... देवेंद्रसूरि ................
KARE
...१९९६ ...२८८
MFN0287
२०००
THAN
NE
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
पत्र संख्या
प्रा.ग
२००८
.........र.१७00
१४६ ग्रंथांक ग्रंथन नाम
| स्थिति
कर्ता
भाषा संवत २००६ ऋषभदेवस्तवन बालावबोधसह ........मध्यम ..विजयतिलक............
............... २००७ .. वासुपूज्यजिनपुण्यप्रकाशस्तवन....... श्रेष्ठ ....सकलचंद्र ............... | गू.
जिनप्रतिमाहुंडीस्तवन .................. जीर्ण ... विजय....... . गू............. १६४३ वीसस्थानकस्तवन ...
श्रेष्ठ..... बस्तो .......
.गू............. १६३८ गोडीपार्श्वनाथस्यनादि ............... मध्यम ...
गू........... र.१८१३ गोडीपार्श्वनाथरतबन..
जिनलाभ २०१०/२... शांतिजिनस्तयन .......
धर्मवर्धन २०१०/३.... पार्श्वनाथस्तवन
जिनहर्ष २०१५ ...... वीसविहरमानजिनगीतो अपूर्ण .......... मध्यम,
जिनराज
............. गू २०१२ ...... आदिनाथस्तवननादि स्तवनो ........... मध्यम
....... ग २०१२/१..... आदिनाथस्तवन ..
विजयतिलक २०१२/२.... सामायिकदोषनिवारणस्तबन.
वा.गुणरंग २०१२/३ .... उपदेशस्तवन ...............
धर्मसी.. २०१२/४ .....गोडीपार्श्वनाथस्तवन ........... २०१३ ....... महावीरस्तवन नयनिक्षेप विचार गर्मित श्रेष्ठ .... रामविजय .............. २०१४ ...... स्थविरावलीस्याध्याय ....... ..श्रेष्ठ .... सहजकीर्ति ............... गू. २०१५ ...... सुंदरशृंगार ..........
श्रेष्ठ ..... कवि राजसुंदर ........... हिन्दी............ १७५७ २०१६ ......जीवोत्पत्तिसज्झाय कलियुगगीत .... श्रेष्ठ..... श्रीसार क.क.कर्मचंद्र ..... गू. २०१७ सीमंधरस्वामिस्वाध्याय ...
श्रेष्ठ.... लावण्यसमय
......... र.१५६२ २०१८ ......त्रेसठशलाकापुरुषस्तवन
मध्यम २०१९ ..... राजनीतिकवित.
जीर्ण.. देवीदास
.... १८७४ २०२०..... महावीररसोइस्चन ............ जीर्ण. दयासागर मल्लिनाथबृहत्स्तवन .........
मध्यम. कुशललाभ, २०२२ ..... हितशिक्षा..........................
मध्यम... धरणसी. २०२३ .... कोकचोपाई.
जीर्ण नर्बुद २०२४.......गोरावादरप्रस्ताविक................. जीर्ण.
१७६६ २०२५ ....... पृथ्वीराजवेली सस्तबक अपूर्ण ...... मध्यम.. २०२६ ....... मुष्टिज्ञान आदि .........
मध्यम...
MADRI
.२०१३
.
२०१५
.
.
......
.
२०२१
SHRA
...............
. पाणीथी भीजायेली छे.
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________________
पत्र संख्या ।
मेरो
विशेष नोंध
संवत् ।
१६८५
..... पत्र ३ जूं नथी.
जीर्ण ..
....२०३४ - २८९
२०३५.
२०३६ -.२८९
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति
भाषा २०२७...
अभिधान चिंतामणिनाममाला ...........श्रेष्ठ .... हेमचंद्राचार्य ...............सं. चैत्यवंदनचतुर्विशतिका ...............
जीर्ण ....
क्षमाकल्याण .............. सारस्वतव्याकरण अपूर्ण
मध्यम .. अनुभूतिस्वरूपाचार्य ... श्रीचंदरास अपूर्ण....
मध्यम ... चोवीसतीर्थकरगीत
लक्ष्मीवल्लभ नर्मदासुंदरीरास अपूर्ण .. सबैया-ऋषभदेवछंद आदि. स्वरोदय ..
मध्यम .. प्रतिष्ठाविधि,
जीर्ण जिनजन्माभिषेकमहोत्सव
श्रेष्ठ .... २०३७ .... भगवतीसूत्र अपूर्ण
जीर्ण २०३८ ...... सप्तस्मरण .......
जीर्ण. २०३८/१.....एकीभावस्तोत्र ...........
.......... वादिराज........ २०३८/२.....पार्श्वनाथस्तोत्र .......... २०३८/३ ... पार्धनाथस्तोत्र ............ २०३८/४ .....भावारिवारणस्तोत्र ......
....... जिनबल्लभ ....... २०३८/५.... भयहरस्तोत्र ............. २०३८/६....लघुशांति ..... २०३९ .... सारस्वतपुंजराजीटीका अपूर्ण ......... श्रेष्ठ ..... पुंजराज ................ २०४०... सभासयोगपटल ......
मध्यम .. वररुचि २०४१... माघकाव्य संदेहविधीषधिटीका अपूर्ण ... मध्यम .. आनंददेव -टी..........
भावारिवारणस्तोत्र वृत्तिसह ... मध्यम ..जिनवल्लभ ...... २०४३ ... .ज्ञानपहेरामणी आदि ........... जीर्ण .... २०४४ ... अनेकविचार संग्रह
मध्यम .. रत्नसूरि ............ २०४५ ... कल्पसूत्रनी मांडणी .....
श्रेष्ठ, २०४६ .... स्थानांगसूत्रना बोल ...
मध्य म........ २०४७ ......इंदकप्रतिक्रमण .....
मध्यम...
.........का.२५
اليه
له
NAGAR
२०४२..
१६१६
For Private & Personal use only
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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी ग्रंथान
विशेष नोध
जीर्ण...
श्रेष्ठ....
मिश्रित
१४८ | ग्रंथांक ____ ग्रंथनुं नाम स्थिति
भाषा संवत । पत्र संख्या । २०४८ ...... बाग्भटशारीरस्थान......
.....गू..............१७१५..... २०४९ ..... अभिधानचिंतामणिनाममाला ....
......... १७२१ २०५० ..... योगविधिआदि....... बिहारीसतसइयां ......
मध्यम .. बिहारीदास ........... आराधना ...........
मध्यम .... स्तवनचोवीसी...........
मध्यम .. ज्ञानविमल ........... बृहत्संहितागत अधिकार ..
मध्यम.. देशकालस्वरूप....
श्रेष्ठ .... हेमवातुपाठ......
मध्यम... भोजराजकथा ......
मध्यम आगमसारबालावबोध
देवचंद्रजी लिंगानुशासन ..........
हेमचन्द्राचार्य शक्रस्तवाम्नाय................... २०६१ ... स्व रोदय ............................ २०६२ प्रश्नोत्तरसार्धशतकभाषा................. २०६३.......सामायिकबत्रीसदोषसज्झाय...........मध्यम... गुणरंग .............. २०६४ ........सज्झायसंग्रह ........................... मध्यम.. २०६५...... सत्तरभेदीपूजा ..........................श्रेष्ठ....साधुकीति............... .......... र.१६१८ २०६६ ..... अष्टयोगिनीअंतर्दशा .................. २०६७ .....
अंतर्दशाकोष्ठक ...... आवश्यकपीठिकाबालावबोध ...... श्रेष्ठ..... संवेगदेवगणि ........ ग. ले.१५५७.र.१५१४ मार्गगत्यध्ययन सावचूरि ......... मध्यम ... पासाकेवली
जीर्ण त्रिपताकीचक्रोदाहरण....
मध्यम नृसिहकवच .....
मध्यम २०७३ नवकारनो अर्थ
जीर्ण २०७४ .... जिनागमगाथासंग्रह ...
मध्यम... रत्ननिधान
.......
...... १८१०
mms
जीर्ण ...---...जीर्ण..........
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________________
१४९
का
भाषा|
संवत्
।
पत्र संख्या |
झेरोक्ष
सी.डी प्रधान
विशेष नोंध
......२४
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक - ग्रंथनुं नाम
| स्थिति २०७५ ...... प्रश्नोत्तरीसंग्रह
श्रेष्ठ, २०७६ ......श्रीदेवीवर्णन (चुर्थस्वप्नवर्णन)..........मध्यम २०७७ .......दशआश्चर्यस्यरूप २०७८ ....... चतुर्दशस्वप्नविचार .................... २०७९ ...... नागमहामंत्रषोडश.....................
............. गू. ................. सं...
।..२०७२ + २०८०.२८९//
.....................२९० 1..२०७१ + २०८०
...........२०८२
२००४
श्रेष्ठ
१३
नागमता चोपाई...................... श्रेष्ठ ..... मेरुशेखर ............... २०८१ ..... भगवतीसूत्रगतशतकादि ................ श्रेष्ठ ...... २०८२ .....
कल्पसूत्रकल्पद्रुमटीका अपूर्ण ......... श्रेष्ठ..... २०८३ ..... कल्पसूत्र अपूर्ण .......
मध्यम ... कल्पसूत्र अपूर्ण .....
जीर्ण २०८५ ..... शत्रुजयमाहात्म्य चतुर्धसर्ग .. मध्यम... धनेश्वरसूरि ......... २०८६ .......चोल्लकदृष्टान्त .....
जीर्ण २०८७ ....... दशप्रश्नोत्तर .......
जीर्ण .. २०८८ ...... वृत्तज्योतिष .......
श्रेष्ठ......महेश्वराचार्य....... पार्श्वनाथदशभव संक्षेपबालावबोध .... खरतरगच्छसामाचारी................. जीर्ण .... जिनपतिसूरि ............ अष्टोत्तरीस्नात्रविधि खरतरगच्छसामाचारी................. श्रावकआराधना .......
मध्यम सिद्धान्तहुंडी...................... वसुधारा....... चार्थिक ..............
श्रेष्ठ.. मोकलीआराधना.........
जीर्ण. प्रश्नोत्तरसंग्रह ......... योगविधि .............. रत्नकोश .............
मध्यम...
...२०९०...२८९
....५
.
९
श्रेष्ठ,
.............. प्रति पाणीथी भीजायेली . ...२०९४ ... २८९
प्रा.सं
-१.
20A
.".
श्रेष्ठ ....
सं.गज
...२०१८ ...२८९
-
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________________
१५०
मध्यम
..............
मध्यम
.....................१४
जिनमासूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांकग्रंथर्नु नाम 1 स्थिति
भाषा संवत् पत्र संख्या
रोक्षसी . डीग्रंथान
विशेष नोंध २१०० ....... पौषधादिविधि ज्वरहरादिमंत्र ....... श्रेष्ठ .... ......आराधना
श्रेष्ठ.. ......सौलस्वप्नविचार .......
जीर्ण. ...... योगविधि यंत्र
श्रेष्ठ.. वसुधारा श्रेष्ठ
૧૭ર૧ आठकर्मनी उत्तरप्रकृति योगविधि स्वरोदयविचार. मध्यम..
.१८४३ द्वादशवतअतिचारस्वरूप....... मध्यम.. पंचसमितिसज्झाय .............. श्रेष्ठ.... देवचंद्रजी एगुणतीसीभावना संस्कृत स्तबक सह. मध्यम , अष्टप्रकारीपूजा ...........
मध्यम... ज्ञानछत्रीशी...........
.. मध्यम ... कान्हजी.
................ गजसिंहचरित्र रास ...................... जीर्ण... राजसुंदर ................ रे.१५५६,ले.१८११.....
..... प्रति उधईथी खवायेली छे. नवपदपूजा अपूर्ण ....................... मध्यम ...यशोविजयजी........... ....... लोंकाहुंडी ५८ बोल ..............
श्रेष्ठ......... ....... चंदराजरास अपूर्ण ................ मध्यम... २११७ .....सिंहासनबत्रीसीरास अपूर्ण
जीर्ण... २११८ ......चतुःश्लोकीप्रकाश ..........
मध्यम... केशवभट्ट.......... २११९ ...... स्वरोदयसिद्धि
२११९ -.२९० २१२० ...... प्रतिक्रमण सूत्रवृत्ति तथा सप्तस्मरणवृत्ति .. श्रेष्ठ ..
.२१२०-२१२२ 4.२८९ १२०/१.... चैत्यवंदनकप्रत्याख्यान लघुवृत्ति तिलकाचार्य
.२१२०-२१२२.२८९ २१२०/२.... बंदित्तुसूत्रवृत्ति श्रेष्ठ .... तिलकाचार्य
............ १०-१४
.२१२०-२१२२...२८९ २१२०/३... चत्तारि अठ्ठदसदोय सूत्रवृत्ति ....... श्रेष्ठ .... देवेन्द्रसूरि
...................... १४ -- .२१२०-२१२२ १.२८९ स२०१४...नवग्रहस्तुतिगर्मित पार्श्वनाथ स्तुतिवृत्ति श्रेष्ठ ..... जिनप्रभसूरि
.......................... १४-१६....२१२०-२१२२-२८९ २१२०/५...-लधुशांतिवृत्ति .................
श्रेष्ठ..... हर्षकीर्तिसूरि
............ १६-१८ .....२१२०-२१२२ .२८९ २१२०/६ ....अजितशांतिवृत्ति .................... श्रेष्ठ .... जिनप्रभसूरि .............. प्रा. .........र. १३६५/-............ १८-२७ /....२१२०-२१२२ १.२८९/.....७४०
PRE
मध्यम.
..............११०
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.....
श्रेष्ठ..... श्रेष्ठ....
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर 'दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
| स्थिति कर्ता
भाषासंवत ___ संवत् पर
। पत्र संख्या । मेरोक्ष सी.डी ग्रंथाना विशेष नोंध २१२०/७..... लघुअजितशांतिवृत्ति ............... .....धर्मतिलकोपध्याय........ प्रा...........र. १३२२............. २७-३१....२१२०-२१२२...२८९ --... ३२० २१२०/८ .... भयहरस्तोत्रवृत्ति .................
जिनप्रभसूरि
........... ३१-३५/....२१२०-२१२२.,.२८९ .....३०० २१२०/९.....तं जयउ स्तववृत्ति .......
जयसागर वाचनाचार्य ..
................................३५-३७ ....२१२०-२१२२...२८९ २१२०/१०.. गुरुपारतंत्र्यस्तववृत्ति .....
.................... ३७-३९/....२१२०-२१२२.,.२८९ २१२०/११ ... सिग्घमवहर स्तोत्र ....
................................ ३९ ....२१२०-२१२२...२८९ २१२०/१२ ... वसग्गहरं वृत्ति .........
.....जिनप्रभसूरि ..............
........................ ४०-४३|....२१२०-२१२२...२८९ २१२०/१३ .. भक्ष्याभक्ष्यगाथा वृत्ति ....
....... ................४३ ....२१२०-२१२२...२८९ २१२०/१४ ..पार्श्वनाथ स्तोत्र वृत्ति ..
श्रेष्ठ.....
........................... ४३-४४/....२१२०-२१२२.,.२८९ २१२०/१५ ..पार्श्वनाथ स्तोत्र वृत्ति .
.......................४४-४५ ....२१२०-२१२२...२८९ २१२०/१६ ..साधुप्रतिक्रमण सूत्रवृत्ति
...................४५-४९ ....२१२०-२१२२...२८९ २१२०/१७ ...तिजयपहुत्त स्तोत्रवृत्ति ... श्रेष्ठ.....हर्षकीर्ति
.१८८५ ....... ४५-५१ 1....२१२०-२१२२...२८९ २१२१ ...... प्रकीर्णकविचारसंग्रह ..... मध्यम...
..१० २१२२ ....... सारोद्धारकोश सस्तबक जीर्ण..
|....२१२०-२१२२ गौतमस्वामिरास ......
मध्यम .. विनयप्रभ. गुज.र.१४१२-ले.१७२९
|.२१२३ + २१२४ लघुसिद्धांतकौमुदी अपूर्ण श्रेष्ठ..
२५/..२१२३ + २१२४ शंखेश्वरपार्श्वनाथछंद... मध्यम ... वर्द्धमानकवि
.........२१२५...२८९ द्वादशभावफलविवरणज्योतिष
1..२१२६ + २१२७ ....... प्रति पाणीथी भीजाएली छे अव्ययसंग्रह ........... मध्य म.......
२१२६ + २१२७ जीवविचारप्रकरणवृत्ति ................. मध्यम .........
૨૧૨૮ एकाक्षरीनाममाला ..................... मध्य म .................. पाणिनीय व्याकरणगणपाठ ............
२१३०
...२८९ कल्पसूत्रटीका अपूर्ण .............. मध्यम.......
|..२१३१ + २१३२ श्री चंद्रीयसंग्रहणीप्रकरण ... मध्यम ...श्रीचंद्रसूरि
२०/..२१३१ + २१३२ चिंतामणिसार प्रत्यक्षखंड श्रेष्ठ.....भवानंद सिद्धांत .......
४४ २१३३ थी २१३७ ...२८९ .... ...... लखतां अधुरी छे पदमकोश......... मध्य म ..........
....६.२१३३ थी २१३७ ऋषभदेवस्तवनआदिपत्र . मध्य म................
..........६ २१३३ थी २१३७ ... २८९ २१३५/१....आदिनाथ स्तवन.................... ....मध्यम ... रतनचंद..............
........ १-२ २१३३ थी २१३७...२८९
सं.
मध्यम ....
श्रेष्ठ
...........
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.
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________________
संबत
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग पत्र संख्या झेरोक्ष सी.ही प्रथान विशेष नोंध
२-३ |२१३३ थी २१३७ ...२८९ ३-४२१३३ थी २१३७.२८९ ४-६ २१३३ थी २१३७.२८९ ..२ २१३३ थी २१३७ ..७ २१३३ थी २१३७ - २८९
२१३५/४..
२१३६...
४८..२१३९ २ २१४०
.
१५२ ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
। स्थिति
कर्ता २१३५/२....आदिनाथ स्तवन ................... मध्यम .. समयसुंदर ........ २१३५/३.. लोदवास्वामिलेख .................. मध्यम ..जिनचंद्रसूरि ...
चौदगुणस्थानकस्तवन ............... मध्यम .. धर्मसी.. बैंतालीसदोषविवरणस्तवन.......... मध्यम .. सिद्धार्थमुनि.. स्नात्रविधि
श्रेष्ठ....देवचंद्र ................ २१३८ .... दंडकचोवीसबोलयंत्रपट ........... श्रेष्ठ ............ 'श्रीपालरास ...................
श्रेष्ठ .... विनयविजयजी ........
यशोविजयजी दानविजयचोवीसी
मध्यम .. दानविजयजी ......... महावीरस्तुतिआदि ..
मध्यम ... कालकाचार्यकथानक
मध्यम ... दिगंबरचोरासीबोल
श्रेष्ठ ...... भक्तामरस्तोत्रभाषाकवित.. श्रेष्ठ.... हेमराज सुभाषितश्लोकसंग्रह
श्रेष्ठ.... मेघदूतमहाकाव्य ..
श्रेष्ठ ..... कालिदास प्रश्नोत्तर तथा बोलविधार . मध्यम बोलविचार संग्रह ....
मध्यम... चातुर्मासिकव्याख्यानबालावबोध ...... मध्यम ...... भवानीकवच आदि ................
मध्यम..हरिहरब्रह्म ....... गोडीपार्श्वनाथछंद .......
जीर्ण ...रूपचंद ......... गोरखयोधवाणीआदिदुहाकवितसंग्रह.. कुंटमुदगर.
मध्यम... माधव ............... मोतीकपासीयासंवाद ..
मध्यम श्रीसार विचारसित्तरिप्रकरण सस्तयक .. मध्यम वार्तासुभाषितादि
मध्यम ..... २१५७ .... विनोदकथासंग्रह अपूर्ण ............ मध्यम ..... २१५८ ..... दृष्टिफलज्योतिष.....
श्रेष्ठ.....
..५..२१३९ + २१४०
|२१४१ थी २१४३ १.२९० १९ २१४१ थी २१४३
२१४१ थी २१४३ |२१४४ थी २१४६ २१४४ थी २१४६ - २९० २१४४ थी २१४६
२१४७ २१४८
२१४९ ...२१५०+२१५१ ...२१५०+२१५१
a/१२
.
.........
S
M
...........२१५३
.KA
प्रा.
.
३२..२१५७ + २१५८
..२१५७+ २१५८
.
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भाषा- संवत्
।
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
मध्यम
......... गा.३४
.............११२
१-९ ९-११ ११-१४ १४-२८ १८-२१ २१-२२
गा.३०
जिनमतसरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
| स्थिति ___कर्ता २१५९ ...... पच्चक्खाणविचारगर्भपार्श्वनाथस्तवन... मध्यम... याचक खेम ...... २१६०..... साधुषडावश्यकसूत्र आदि ............... २१६०/१... प्रतिक्रमणसूत्र ....................... २१६०/२.. प्रवज्याकुलक........ २१६०/३ .... साधुप्रतिक्रमणसूत्र ..... २१६०/४.... जयतिहुयणस्तोत्र ..
अभयदेवसूरि ... २१६०/५.... वंदित्तु २१६०/६.... संथारापोरसी. २१६०/७..... सीमंधरस्वामिआदिनी स्तुतिओ
स्तवन-स्तोत्र ................ २१६०/८....अजितशांति ............... २१६०/९.... लघुअजितशांति .......... २१६०/१०...नमिऊणस्तोत्र......... २१६०/११... महरियगुण ........ २१६०/१२ ... सिग्धमवहरउस्तोत्र २१६०/१३ .. लघुशांति २१६०/१४ ..तिजयपहुत्त...... २१६०/१५ .. उपदेशमाला ....... २१६०/१६ ..भक्तामरस्तोत्र ..... २१६०/१७ ...कल्याणमंदिरस्तोत्र... २१६०/१८ ..भावारिवारणस्तोत्र २१६०/१९ ... दुरियरयस्तोत्र... २१६०/२० ...जीवविचार २१६०/२१..नवतत्त्वप्रकरण. २१६०/२२..दंडकप्रकरण.... २१६०/२३ ..संग्रहणीप्रकरण... २१६१...... दूहासंग्रह ......
४९-५१
५१.५४
..... ५४-५६ .................५६-५७ .............५७-५८
५८-५९ ५९-६३ ६३-६८ ६८-७३ ७३-७६ ७६-८० ८०-८४ ८४-८७
०-११२
For Private & Personal use only
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________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान | विशेष नोंध
संवत
संस्था
।
स्थिति कर्ता
भाषा मध्यम ............. .................. गू.....
............................ सं. ........................... प्रा.गू.
૧૮૨૬
१३१ .६३ ..३८
.......... पत्र ३७ मुं नथी.
--....७७८७ .....२३३ सुधी ...२१६७ (१.२) ..... २३४-३६५ 1...२१६७ (१.२).......... १६०००
.... श्यामाचार्य ...............
मलयगिरि ............... श्रेष्ठ .... मलयगिरि -यू...........
.............२५८
२१६०/२.
૧૮૨૬ ૧૮૮૪ १५७१
२१६९ ...
.४८८०
२१७१...२८९ २१७२ ...........१२०००
र.
१५४ । ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम२१६२ ....... कोकदोहासंग्रह ..................... २१६३ .....
सप्तव्यसनकथा पद्य ............... २१६४ ..... -बृहत्क्षेत्रसमास सस्तबक २१६५ .... उपदेशमालाप्रकरण ..... २१६६ .... प्रज्ञापनोपांगसूत्र ......... २१६७/१.. प्रज्ञापनोपांगसूत्रवृत्ति......
प्रज्ञापनोपांगसूत्रवृत्ति..... २१६८ ... लघुजातक ............
जीवाभिगमोपांगसूत्र .... गोयरिगवयरिरूपविचार ....... वासुपूज्यजिनचरित्रमहाकाव्य ...... उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह .... हनुमत्राटक सिद्धान्तकौमुदी पूर्वार्ध अपूर्ण कल्पसूत्रसंदेहविषौषधिवृत्ति, दशर्यकालिकसूत्रलघुवृत्ति निरुक्तिकांड............ प्रशमरतिप्रकरण....... चिंतामणि ............. Jटक पानाना टूकडा.... संकाशकथानक ........
व्याकरणन्यायसंग्रह .... २१८३/१. कौतुकमंजरी ....... २१८३/२... कौतुकमंजरीटीका ..... २१८४ ... कविशिक्षा .....
आलोचनाविधि अपूर्ण ... २१८६ ....... कर्पूरप्रकरवृत्ति अपूर्ण ...
१४८२ ११२९. १६३५
आपत्ति ..........
जीर्णप्राया वर्धमानसूरि जीर्णप्राया नेमिचंद्रसूरि -वृ... जीर्ण... हनुमंत मध्यम. जीर्णप्राय जिनप्रभसूरि .. जीर्णप्राया सुमतिसूरि . मध्यम मध्यम ... उमास्वातिवाचक. मध्य म ............
२१७५... २९०/....३५४१
ર૧૭૮
जीर्ण... सर्वलाभगणि........... जीर्ण ..... श्रेष्ठ ..... जयचंद्रसूरि ............
..२१८३..२१९७१.२८९ ..... १४२ ..२१८३..२१९७२८९
३-५
4.
...५२५
4.
२१८५.
.... उंदरे करडेली छे.
4.
For Private & Personal use only
Page #203
--------------------------------------------------------------------------
________________
संवत्
विशेष नोंध
| पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
....५/...२१८३..२१९७.८.२८९
२९ ..८
..१५६०-..
१४५६
...२१८३..२१९७ ...२८९ ...........२१९०.६.२८९/
श्रेष्ठ....
१४९E
श्रेष्ठ....
.२१९३ ...२८९/ .२१९३ ...२८९/ .२१९३ ...२८९||
..................३२०२ ....................३६००
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम | स्थिति
भाषा २१८७ ........ प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार ............ जीर्ण ....! २१८८ ...... सम्यक्त्वकौमुदी .........
जीर्ण ..... २१८९ ...... शोभनस्तुतिचतुर्विशतिका टिप्पणीसह ..श्रेष्ठ .... शोभनमुनि ... २१९०... दमयंतीकथा-नलचंपूविवरण ......... श्रेष्ठ..... चंडपाल २१९१ .... बंधस्वामित्व तृतीयकर्मग्रंथ वृत्तिसह
प्राचीन ............... २१९२ .... प्रवचनसारोद्धारप्रकरण ......
नेमिचंद्रसूरि २१९३/१... एकाक्षरीनाममाला ..... ........ २१९३/२.. एकाक्षरीनिर्घटुनाममाला ....... श्रेष्ठ .....सुधाकलश. २१९३/३ ... शब्दप्रभेदनाममाला.....
श्रेष्ठ .....महेश्वर भट्टारक २१९४ .... प्रवचनसारोद्धारप्रकरणलधुवृत्ति ........ श्रेष्ठ ..... उदयप्रभसूरि ... २१९५ .... संघपट्टकप्रकरण वृतिसह ............ जीर्ण .... जिनदत्तसूरि -मू. ........
........ जिनपतिसूरि -टी. २१९६ ..... उपदेशमालाप्रकरण .................. जीर्ण .... धर्मदासगणि ........... २१९७/१.... बृहत्क्षेत्रसमास विवरण सह ............ जीर्ण .... जिनभद्रगणि समाश्रमण सं.प्रा.
-मू.. वि.क.मलयगिरि .......... २१९७/२.....लोकनालिकाद्वात्रिंशिका मूल ...........जीर्ण .... धर्मघोषसूरि -मू......... प्रा.सं.
तथा अवचूरि २१९८ ...... घडावश्यकसूत्रवालावबोध अपूर्ण........जीर्ण ....तरुणप्रभसूरि ............ गू.. २१९९ ...... श्रीचंद्रीयासंग्रहणी सटीक ...............जीर्ण....श्रीचंद्रसूरि -मू.
.............. टी. देवभद्रसूरि ......... प्रा.सं. २२०० ..... अनुयोगद्वारसूत्र ........................
श्रेष्ठ..... २२०१ .... अगडदत्तकथा ..................
जीर्ण .... धर्मकुटुंबकथा-अष्टप्रकारीपूजाफलविषये जीर्ण... २२०३ तत्त्वचिंतामणिआलोक अपूर्ण ......... श्रेष्ठ.... २२०४ . ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र ...
श्रेष्ठ.... २२०५. अष्टकप्रकरण वृत्तिसह ................. जीर्ण.... हरिभद्रसूरि -मू.........
टी.क.अभयदेवसूरि ...
...२१८३..२१९७ ...२८९
.... २६-२७/...२१८३..२१९७ ...२८९/
.......५१
............
उंदरे करडेली छे.
२२०२ ..
२२०३.,.२८९/
१६१९
१५०९
..२२०५.२४२/....२३७०
.२९०
For Private & Personal use only
Page #204
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________________
१५६
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
२२०६
....... सम्यक्त्वस्वरूपस्त्व सावचूरिक
२२०७ ....... कविशिक्षा काव्यकल्पलतावृत्तिसह
२२०८
तर्कपरिभाषा
२२०९ .......
षष्टिशतकप्रकरण सटीक
२२१०.......
२२११........ कथासंग्रह
२२१५
२२१६
२२१२......
२२१३....... व्रतविधिसंग्रह
२२१४........
प्रवचनसारोद्धारप्रकरण
खंडप्रशस्तिकाव्य
२२१७/१..... २२१७ /२ जीवविचारप्रकरण सटीक संसारदावास्तुति सटीक हनुमंतवज्रकवच
२२१७/३....
२२२१ / ३
२२२१ / ४
२२२२
२२२३
. आराधनाविधिआदि.
भर्तृहरित्रिशती सावचूरिक पंचपाठ चैत्यवंदनादिभाष्यत्रयसावचूरिक जयतिहुयणस्तोत्र सटीक
२२१८
| २२१९
२२२०......
२२२१ . प्रमेयरत्नकोश आदि
२२२१/१.......
२२२१ / २
२२२४
. प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र - कल्पसूत्र संदेहविषौषधिटीका
प्रमेयरत्नकोश: महाविद्याविडंबन
विदग्धमुखमंडन
अनेकार्थतिलककोश.
नंदिताढघछंदःशास्त्र सटीक सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति टिप्पणीसह चतुष्कवृत्ति पर्यंत . श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णि
स्थिति जीर्ण जीर्ण
जीर्ण
....
श्रेष्ठ......
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ जीर्ण
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
जीर्ण
श्रेष्ठ
.....
SITE
मध्यम जीर्ण .....
...
श्रेष्ठ......
अभयदेवसूरि मू.
श्रेष्ठ........
शांतिसूरि मू.
श्रेष्ठ... पार्श्वचंद्र टी.
-----
SAND
कर्ता
श्रेष्ठ जिनप्रभसूरि
जीर्ण
जीर्ण
जीर्ण
जीर्ण धर्मदास श्रेष्ठ... महीप जीर्ण रत्नचंद्र
अमरचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
केशवमिश्र
नेमिचंद्रसूरि
गुणरत्नो पाद्याय
नेमिचंद्रसूरि
www.
भर्तृहरि देवेन्द्रसूरि
www
चन्द्रप्रभसूरि वादींद्र
श्रेष्ठ हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ जीर्ण
भाषा
प्रा. सं
... सं.
.सं.
.प्रा.
प्रा.
सं.
सं.
प्रा. सं
प्रा.सं.
प्रा.सं.
प्रा. सं
प्रा. सं
प्रा. सं
सं.
....
प्रा.
प्रा. सं
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
.सं.
SIT.
संवत्
१५४६
र. १४३०
पत्र संख्या
...3
४६
१०
५४
४८
९
९
१७
२१
१८
२७
१-९
९-१५
१५-१७
.७
४-२६
३१
३२
१-१०
१०-२०
२०-२४
२४-३२
....4
८९ ६९
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार जैसलमेर दुर्ग
सी.डी. ग्रंथाप्र
विशेष नोंधे
झेरोक्ष
.२२०७ २८९३३५०
२२१२२८९
२२१७२८९ २२१७२८९
२२१७
२८९
.२२२१२८९
२२२१२८९
२२२१२८९
२२२१२८९
.२२२१२८९
.२२२३
२२२४२८९
उंदरे करडेली छे.
पाणीथी भीजायेली छे. किनारी उंदरे करडेली छे.
.
Page #205
--------------------------------------------------------------------------
________________
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार
ग्रंथांक
२२२५.........
२२२६
२२२७
२२२८
| २२२९
२२३०
२२३१
२२३२
| २२३३
२२३४
२२३५
२२३६ २२३६/१
www.
www.
ग्रंथ नाम
कर्मविपाककर्मग्रंथ सटीक
समयसार सटीक
प्रश्नप्रदीप
२२३६/२..... मेघकुमारसज्झाय २२३६/३ धन्यर्षिसज्झाय
धन्यर्षिसज्झाय अनाथीमुनिसज्झाय
ढणऋषिसज्झाय
------
योगशत सटीक
पाशाकेवली
प्रश्नशतावचूर्णि सारसंग्रह
हरिवंशपुराण समयसारनाटक सटीक
जैसलमेर दुर्ग
स्थिति
सप्ततिकाकर्मग्रंथ सस्तवक यंत्रसह प्रवचनसारोद्धारटीका अपूर्ण दशवैकालिकसूत्रनां गीतो आदि
दशवैकालिकगीत
२२३६/४..... २२३६/५......
२२३६ / ६.....
| २२३७ बटुकभैरवस्तोत्र मंत्राम्नायसह अपूर्ण
२२३८
चातुर्मासिकव्याख्यान २२३९ यशोधरनृपचरित्र गद्य साधुविधिप्रकाश.
२२४०
२२४१
श्राद्ध विधिप्रकाश
२२४२
२२४३
उपासक दशांगसूत्र सस्तबक अपूर्ण आवश्यकहारिभद्रीयवृत्ति
! श्रेष्ठ जीर्ण
मध्यम
जीर्ण
***
मध्यम ....
मध्यम
मध्यम
जीर्ण
श्रेष्ठ
---
*****
कर्ता
वरदराज
जीर्ण जीर्णप्रायः सिद्धसेनाचार्य
मध्यम
अमृतचन्द्राचार्य .मू... टी.क. देवेन्द्रकीर्ति
जीर्ण
श्रेष्ठ क्षमाकल्याण श्रेष्ठ क्षमाकल्याण
H
खेतसी पुण्यकलश शिष्य श्रीसार
नयरंग
विद्याकीर्ति
अभयचंद्र
जिनहर्ष
श्रेष्ठ
श्रेठ
जीर्ण
श्रेष्ठ हरिभद्रसूरि
क्षमाकल्याण
....... क्षमाकल्याण
.....
भाषा
प्रा.सं.
प्रा. सं
सं.
सं.
गू.
सं.
प्रा.यू. सं.
गू.
संवत्
१४३५
सं.
सं. १७२७ संर १७८८-ले. १८२८
सं. गू. प्रा.गू..
सं.
१५४५
.सं. .सं. ले. १८३९ सं. १८३९ ले. १८३९ सं.
र. १८३८
२. १८३८
पत्र संख्या
२९
२३
१
२१
७
.६
१०
२०१-३९६
९३
३८
४४
६
.९
३४
१६
११
३२
१०८-४२२
झेरोक्ष
२२२६
२२२८
सी.डी. ग्रंथाग्र
४८२
२२३३२८९
२२४०
.२२४१
४०१
७००
विशेष नाँध
उंदरे करडेली छे.
२२४३ (१२) २८९ / २२००० पत्र ३८७ मुं नथी.
२९०
१५७
.
Page #206
--------------------------------------------------------------------------
________________
१५८
संधांक
.....३८
२२४६.. २२४७.. २२४८ ..
श्रेष्ठ.
२२५० --
२२५०.२८९
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम | स्थिति
भाषा
संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी प्रथान विशेष नौध२२४४ ...... गदाधरीअनुमानखंज-न्याय .......... श्रेष्ठ.....
२२४४ ...२८५ ........... प्रति संदरे करडेली छे २२४५... न्यायग्रंथ ...... जीर्णप्राय
.१०१ २२४५ न्यायग्रंथ मध्यम
२२४६ भवानंदीप्रकाश सटीक मध्यम... महादेव मू.......
१८३२
२२४७ - २९० न्यायग्रंथ
जीर्ण २२४९ ..... सिद्धांतकौमुदी
नादकारिका वृत्तिसह तथा ...... मध्यम ..
तत्त्वनिर्णयविवरण २२५१.. श्रीचंद्रीयासंग्रहणी बालावबोधसह ....
मध्यम .............
प्रा.ग. ........... १८३१ રરર प्रयोगमुखव्याकरण अपूर्ण .......
.२२५२ २.२८९ २२५३ ...... विशेषशतक बीजकसह .................जीर्णप्राय समयसुंदर ................ सं. ........ र. १६८७- ................. ...........२२५३ २.२९०/ २२५४ .. ..अनेक ग्रंथो अने स्तवन,
. सज्झाय आदिनां प्रकीर्णक पान २२५५ .......अनेक ग्रंथो अने स्तवन सज्झाय .............आविना प्रकीर्णक पान २२५६ ....... स्तवन,सज्झाय,रास.चोपाई, प्रतिक्रमण
अने नवरमरण आदि गुटकाओ २२५०........ तीर्थकरभगवाननां चित्रो जीर्ण २२५८ ....... कल्पसूत्र (सुवर्णाक्षरी)
१. ग्रंथांक २२५७ तक के ग्रंथ बजोउपाश्रय ज्ञानभंडार के है।
For Private &Personal use Only
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________________
विशेष नोंध
सपनाध
91900
..स्थीए पाना नथी
१८४४
१८०२
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवतपत्र संख्या। झेरोक्ष सी.डी.नं. १......नमिउणभयहरस्तोत्रवृत्ति ... .पं. गुणसुंदर ....
....८4
.......... ......३३१. २ ...... गुर्वावली पत्र......
.जिनहर्षसूरि
....१८५६ .२७....२+६+ १०/१ ....... ३३१ ३ .....
कल्पसूत्र सह व्याख्या अपूर्ण ................ कल्पसूत्र अपूर्ण.. कल्पसूत्र पांच, व्याख्यान ............. 1.जिनहर्घसूरि . पर्युषण अष्टालिका व्याख्यान ............... समुद्रविजय ....
..१९३०
१४...२+६+१०/१.......३३१ पर्युषणाकल्प (कल्पसूत्र) .................. .समयहंसमुनि
१७५९ वीशस्थानकतपोविधि....
श्रायकना बारह व्रतना अतिचार ...... १०/१ . श्रावक आराधना ............... समयसुंदर ......
--.२+६+१०/१........३३१ १०/२.वीशस्थानकभाषा विधि ...................... ज्ञानसागरसूरि .......... ११..... चातुर्मासिक व्याख्यान ...................... .क्षमाकल्याण............
...........११.......३३१ १२....-ऋषिमंडल प्रकरण
ऋषिमंडल प्रकरण .......................... उदयवल्लभ ................
कालिकाचार्य बालावबोध .....................समयसुंदर ................ ..१८५३ १४..... चातुर्मासिक व्याख्यान..................
..................... गांगा तैली कथा ................... १६ ..... उपदेशसप्तति ...............................सोमधर्मगणि.. १७/१ . प्रकीर्णकपोथी संकलन कल्याणमंदिर भक्तामर १७/२/प्रकीर्णकपोथी संकलन-पाक्षिकसूत्र-सिंदूरपकर १७/३ -प्रकीर्णपोथी संकलन जयतिहुअगसूत्र+कर्मग्रंथ
..प्रकीर्णपोथी संकलन क्षेत्रसमास+स्नात्रविधि. १७/५ -प्रकीर्णपोथी संकलन ऋषिमंडलस्तोत्र......
अभिधानचिंतामणी .......................... हेमचंद्रसूरि.. १९.... प्रथमसे तृतीय कर्मग्रंथ सह टब्बार्थ ....... देवेन्द्रसूरि २०.... भक्तामरस्तोत्र ..........
-मानतुंगसूरि चतुर्थ कर्मग्रंथ .........
देवेन्द्रसूरि २२.... थंभनपार्श्ववृद्धि स्तव ...
कुशललाभसूरि २३.... उत्तराध्ययनसूत्र...
१३ .....
.१८१६
१५ .....
१७/४
२१....
SA
For Private & Personal use only
.
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________________
१६०
ग्रंथांक
जीवाजीवाभिगमसूत्र ज्ञाताधर्मकथाटीका
जीवाजीवाभिगमवृत्ति विधिप्रपा
२४....... २५.....
२६.....
२७.......
२८/१. मंत्रराजरहस्य
२८ / २. वर्धमानविद्याकल्प
..
ग्रंथनुं नाम
२८/३ परमेष्ठीमंत्रकल्प
२८/४ ऋषिमंडलयंत्र
२८/५. लघुनमस्कारचक्र.
२९......
३०....
३१.... विधिप्रपा
३२... प्रतिष्ठा मूर्ति मंडळ
३३
प्रतिष्ठाविधि.
३४
प्रतिष्ठाविषय के छूटक पत्र
+
प्रतिष्ठाविधि मुद्राविधि अष्टोतरी स्नात्र विधि
३५.... नवरत्नपरीक्षा समुच्चय
३६ धर्मकथा
३७....
३८.... वर्धमानविद्या
३९.... चित्रासन पद्मावली कथानक
४०. मेघमाला ग्रंथ
४१. भोजराजचरित्र
सामुद्रिकशास्त्र
४२.... ४३/१ भरटककथा
४३/२. भरटककथा
www.
द्विजवदनचपेटा
४४..... वृत्तरत्नाकर पंचकुमारकथा भरटकद्वात्रिंशिका अपूर्ण
४५...
४६
कर्ता
. टीका. अभयदेवसूरि.
मलयगिरि
सिंहसूरि
. माणेकराजमुनि
. माणेकराजमुनि
. माणेकराजमुनि
. माणेकराजमुनि
. माणेकराजमुनि
नयरंगमुनि
सुवर्णलक्ष्मीगणि . गुणचंद्र
पंडित नाथुक
. पद्मचंद्रसूरि
सोमचंद्र लक्ष्मीवल्लभ
संवत्
११२०
१६६८
१४९५
१८४३
१८४३
१८४३
१८४३
१८४३
१८५३
१८९४
. १६१७
. १६२१
. १४९९
. १६९२
१७२१
पत्र संख्या
२०२
७५
२०९
७०
१-२०
. २१-२८
. २९-३०
.. ३०-३१
.
३१-४३
३६
२४
९६
५
५
८०
, ३-८६
१३१
१७
४३
१३
३०
४७
.4 f....
१३
.७
२४
२५
२४
झेरोक्ष
२५+२६.. .....३३१
. २५+२६.
३३१
३३१
२७ २८ थी ३० ३३१ २८ थी ३० ....... ३३१ २८ थी ३०३३१
२८ थी ३०
२८ थी ३०
२८ थी ३०
... 26 eft 30..... 339.
३१.३३१
३७ थी ४०
३७ थी ४०
३७ थी ४०
३७ थी ४०
३२ थी ३५ ३३१.
३२ थी ३५
३३१
३२ थी ३५
३२ थी ३५
सी.डी.नं.
४१ श्री ४५
४१ थी ४५
४१ थी ४५
........
४१ थी ४५.
४१ श्री ४५.
३३१ ........ ३३१. ........३३१.
३३१
३३१
३३१
३३१
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंच
ग्रंथाग्र
४८००
... 400...
३५७४
३६१
१-२ पानुं नथी
.
Page #209
--------------------------------------------------------------------------
________________
कर्ता
ग्रंथान
विशेष नोंध
झेरोक्ष सी.डी.नं. ...........४७ ....... ३३१
......
.......
.
.....
T
e
554
७९५
+.५४+५७+५८
1.५४ + ५७+५८
५४.
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
संवत् पत्र संख्या ४७ ..... मंत्राधिराजकल्प ..............................सिंहतिलकसूरि, ४८....काव्यप्रकाशटीका ............................भवदेव ........... .................१६९८..... ४९.... कुमारसंभववृत्ति ..............................शिवराज ......... ५०..... संबोधसप्तति वृत्ति सह .....
पृथ्वीचंद्रचरित्र ............................. .जयसागरगणि............ पांडित्यदर्पण पद्य ...................... बालकृष्ण.......... वैद्यक सारोद्धार ...................... पुण्यसारकथानक
.विवेकसमुद्रगणि........ .....प्रवचनसारोधारसूत्रवृत्ति ................. .जिनरंग गणि.. ......................१८७५ ૨૨
भगवती सूत्रवृत्ति अपूर्ण ....... जीवसमासवृत्ति ................. तिलकसरि
......... १८१५ हीरप्रश्नोत्तरग्रंथ बीजक सहित ...............हीरविजयसूरि श्राद्धविनकृत्य सूत्र ..........
..............१६०२ .... प्रश्नोत्तरसार्धशतकम् ....................... हेमराज ...... सारोध्धारसारसंग्रह ........
१००९ पाशाकेवली ................
.................१८०२ सिंहासन द्वात्रिंशिका अपूर्ण ................ क्षेमंकरमुनि .......... कुमारसंभव काव्य टीका ............... स्व र्गबोध...............
नागार्जुन ..... जवराजर्षिचरित्र (कथा)............... चन्द्रशेखरसूरि नारचन्द्र .................. कारकसंबंधोद्योतविवरण .... चमत्कारचिंतामणी
श्रीदह राजर्षि वसुधारा ...
.जिनचंद्रसूरि. शब्दरत्नप्रदीप . अंबडचरित्र
-मुनिरलसूरि.. रामविनोद (पैदकनो ग्रंथ) अपूर्ण .............
..१८५५
६२... ६९
25ARRANA
.......६२... ६९.......३३२.
....... ६२...६९ ....... ३३२ .
+..... ३३२
........
........
..... ३३२
For Private &Personal use only
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रथान
विशेष नोंध
बांक
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
....२१५ श्लोक ..७९ +८१.......३३२
.१८७७
.......... २८४७
थी ८५
१६२ ग्रंथतुं नाम
संवत् पत्र संख्या प्रव्रज्याविधि............ बिंबप्रवेशविधि ........... प्रतिष्ठाविधि............... ............नयनंदनमुनि पांडवचरित्र अपूर्ण ................... चउसरण .............. ................विनयसुंदर .. आर्द्रकुमारमुनिकथा .................. किरातटीका ............... चंद्रधवलकथा.... सिंहासन बत्रीसी..........
.हर्षदेव शुकनसारोधार-स्वप्न अध्याय ... ............ पंचदश कथा प्रकीर्णक रामविनोद (वैदकनो ग्रंथ शब्दानुशासन अपूर्ण ...... सम्यक्त्वकौमुदी......
-गुणसुंदर ....... ..................१८२५ संग्रहणीसूत्र.................
-गुणसुंदर ले.....
.श्रीचंद्रसूरि -र. सिद्धदंडिका अवचूरी दंडकसूत्र ............
-गजसारमुनि.. चोयीसदंडकस्तव बालावबोध ........... गजसारमुनि.
.................... २५ पंचप्रतिक्रमण अपूर्ण
................ २६ सारस्वत व्याकरण..
.पं.दानमसमुनि
.........१८८४ ..........८१ सिंदुरप्रकर .........
भाग्यविलासमुनि......................१९०१ क्षेत्रसमास ..
कुशलरंगमुनि ..... अमिधानचिंतामणी - पहेलो कांड .......... हेमचंद्राचार्य .... .................. सम्यकत्वकौमुदीकथा ...
.शिवलाल............................१९०१ .......... ६४ यतिआराधनाविधि ..
गौतमस्वामीनो रास .......... १००.. भक्तामरस्तोत्र बालावबोध सहित .............मानतुंगसूरि .........................१८३४ ..........११
38432
For Private & Personal use only
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________________
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथान
विशेष नोंध
.१०४... १६१.......!
---.........
व
:
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग : | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् | पत्र संख्या | १०१ सागरोपमग्रंथ ............... १०२-ठाणांगसूत्रगाथा .......... १०३ .. नारचंद्र (ज्योतिष ग्रंथ) अपूर्ण ............... १०४ .. अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय ..... ............पं. मोतीचंद ..... ...................१८९७ ...........११ १०५ ... पौषधविधि ........ १०६ ... कुमतिउत्थापन ........... १०७ .. उपदेशमाला सह टब्बार्थ च कथाओ...........शांतिविजय ...........................१८२४
........१०९ १०८ . पृथ्वीचंद्रगुणसागरचरित्र.......................लब्धिसागर ...... ...................१८२४ ..........२११ १०९ ...जंदूकुमारना पांच भव.... ११० ... नवकार बालावबोध ....
.......सत्यमूर्ति .................१८६० १११ ... कल्याणमंदिर स्तोत्र ११२ .. आराधना (यति)............... ११३ ... पांच पांडव चौपई अपूर्ण .................. ११४ ... विचारवाद संग्रह + आवश्यक लघुवृत्ति ...... ११५ ... शत्रुजयरास अपूर्ण ................ ११६ - बृहत्स्तोत्र अपूर्ण ................. ११७ ... यीशस्थानकविधि अपूर्ण....................... ११८ ... श्रावककरणी स्वाध्याय ........................जिनहर्षगणि..... ...................१८६२ ११९ ..जीवाजीव विचार बोल १२०..नवतत्त्व ..... १२१.. सठ शलाका गीत ............... १२२ .. चातुर्मासिक व्याख्यान ...................... १२३ ..सत्तावीश बोलथोकडा संग्रह ... १२४ .. विचारसूत्र पत्रिंशिका (दंडकसूत्र)..........गजसार, ले-अमरविजय ........... १२५ ..नवतत्व सह टब्बार्थ ...........
रंगविजय. १२६ .. संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय) सह वृत्ति अपूर्ण ..... १२७ ... जीवाजीवविचारप्रकरण सह वृत्ति .......
.....................१८५०..........३०
..........१-२ पार्नु नथी
26.
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान |
विशेष नोध
१६४ | ग्रंथांक ग्रंथ नाम
कर्ता
संवत | पत्र संख्या। झेरोक्ष सी.डी.नं. १२८ ..सिंदूरप्रकर सह वृत्ति.................
.हर्षकीर्तिसूरि ................ ...१८९४ ..... १२९ .. सिद्धांतचंद्रिका .........
रामचंद्र १३० ... पाक्षिकसूत्र + क्षेत्रसमाससूत्र ................. कुशलरंगमुनि १३१ ..नारचंद्र (ज्योतिषशास्त्र)..... १३२ ... प्रभंजनादि सज्झाय १३३ ..रघुवंश...
कालिदास १३४ .. प्रकीर्णक पोथी (संकलन) .... १३५ .. राईप्रतिक्रमण विधि .. १३६ .. अमरकोश (लिंगानुशासन)............ .अमरसिंह ..
१९२२ १३७ .. सारस्वतव्याकरण ........
चंद्रकीर्ती.
........ १७४५ १३८/. भक्तामरस्तवटीका ....
.ले. देवसूरि
१९०७
.... १०४... १६१ ........ ३३२ १३८/७. लघुशांतिटीका सहित + तिजयपुहुत्त ........ हर्षकीर्तिसूरि
१६४४
.... १०४... १६१ ........ ३३२ १३९ ... कल्याणमंदिर टीका ......
.पं. माणेकमुनि ..
१९०५ १४० ... आदिनाथस्तवन....
हेमसारमुनि १४१ .. ऋषभदेवस्तोत्र. १४२ .. अध्यात्मबत्तीसी ......... १४३ .. कुमती उत्थापन ......
... १०४... १६१ .... |पंचकल्याणक पूजा ............ १४५ ..चतुर्विशती स्तवन जिनराजसूरि ...............
.... १०४... १६१ .......३३२ १४६ .. अध्यात्मपदावली - ज्ञानसार
....... २३ १४७ .. सिध्धचक्र गुणना + रोहिणी तपविधि ....... १४८ ..चतुर्विशतिजिनस्तव पंचाशिका ............. .ले.पं. सागरचंद्र .....................१८५७-............५ १४९ .. जिनसहस्रनामस्तोत्र .......
.सिद्धसेन दिवाकर ले. क्षमाचंद्र ...
J....१०४... १६१....... १५०...पंचविंशतिकथा १५१ ...मल्लीजिन स्तवन ........
.........
19
q
q
1 ...........३
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
पद्ममुनि
पं. जयसोममुनि नवरंगमुनि
देवेन्द्रसूरि
.ले. बलिभद्र
.पं. बुंगरशी मेघराज
१५२
१५३
१५४
बारह भावना गौतमाष्टक
१५५..
१५६ कर्मग्रंथ प्रथम से चतुर्थ नवीन
शिखनख
ग्रंथ नाम
| पार्श्वनाथ यमकाष्टक स्तोत्र
जिनमालिका
www
...
१५७
१५८ जिनचंद्रसूरि चरित्र
१५९
...
***
***
१६२ ...
१६३
१६०... १६१..
पट्टावली दीक्षा सूतकादि विविध विचार संग्रह
संघमाळारोपण विधि
नलचंपू सूत्र अपूर्ण.
कल्पांतर्याच्यानि
गुर्वावली
१६४.. दीपालिका कल्प
Sa
१६५ ... धातुपाठ
१६६ ...
१६७ ...
१६८ १६९
१७०. भक्तामर बालावबोध
१७१...
अनिट् कारिका
१७२...
सिध्धांतचंद्रिका
तर्कसंग्रहदीपिका.
सारस्वतव्याकरणवृत्ति अभिधानचिंतामणी
अभिधानचिंतामणी
१७३
...कथासंग्रह
१७४... कल्पसूत्र सह वृत्ति
9194 गीतमपृच्छा सह वृत्ति
गोडीपार्श्वस्तवन अपूर्ण
१७६...
१७७ • प्रणम्यपद समाधानम्
१७८ ...
श्री शान्तिनाथचरित्र गद्य
.ले. भक्तिचंद्र नेमिचंद्रसूरि
कर्ता
.अन्नभट्टोपाध्याय.
.ले. पंडित हेमराज
. हेमचंद्राचार्य
. हेमचंद्राचार्य
.ले. लालचंद्र
. रूपचंद्र
गुणसुंदर
भावचंद्रसूरि
संवत्
१६७२
१८२०
१७७४
१८७५
१९०५
. १९०५
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
५ ... १०४... १६१३३२.
२०
४५
४
११
...4
१६
....
१०४... १६१
३थी१० .३ ... १०४... १६१ १३. १०४१६१
६७
२०३
७-१६
३
१२
५५
१०१
९७ ...... ३
. ९.
९२
..... १०४... १६१
२३९
५७
......
२ २२०
, १७३
१७८
३३२
३३२. ३३२.
३३२
ग्रंथाग्र
१८००
४२२५...
विशेष नोंध
११५,१५४ १७२ पानुं नथी
१६५
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१६६
हूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष । सी.डी.नं. ग्रंथान
विशेष नोंध .. १७९... १९७ ....................... १४०0...पत्र १५ मुं नथी.
..........
[.. श्लोक १५८ ....
ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम
संवत | पत्र संख्या १७९... अनुयोगदारसूत्र १८० .. उत्सूत्रखंडनाधिकार १८५ .. त्रैलोक्यदीपिका संग्रहणी सह टवार्थ ....... .ले. भक्तिसागरमुनि ..................१८३२ ... श्री जिनपंजरस्तोत्र .
.कमलप्रभसूरि ..... ../विज्ञानचन्द्रिका .............
.जयशेखर ....... धर्मास्तिकाय चतुभंगी... सुभाषित संग्रह .......
साधुवंदना ....... १८७ .. चाणक्यनीतिशास्त्र अपूर्ण १८८ ... दुहाबावनी .............. १८९ ... पंचपरमेष्ठि मंत्रार्थ १९० .. विचारसंग्रह १९१ ... देवीदास कवित्त ..
देवीदास ...... ............ १९२ .. मंत्र तंत्रनो ग्रंथ (चमत्कार चिंतामणी)..... १९३ ..बलिनरेन्द्रनी कथा.. ...................... भावहर्ष गणि ........................१५९३ -... १९४ ... पृथ्वीचन्द्र चरित्र ...
.जयसागर उपाध्याय ...... ............१८८२ १९५ ... मिथ्याज्ञान खंडन ..
.ले.मतिसागर,क.रविदास षट्पंचाशिका वृत्ति सह
-वृत्ति - विनयसुंदर .................... १९८४ ...चंद्रलेखा चौपाई ....
...रत्नवल्लभ
- रत्नवल्ल भ ..........................१८५१ १९८ ... नवकार वालावबोध .
प्रश्नोत्तर बोलसंग्रह,
नवस्मरण तथा थिरादृष्टि स्वाध्याय .......... २०१...आठ महासिद्धि. २०२ .. भक्तामर स्तोत्र....
मानतुंगसूरि ..... २०३ ... सारस्वतकौमुदी........... २०४ ... भू धातुवृत्ति .............
हर्षविमलमुनि.. २०५ .. ज्योतिषसारोद्धार टब्यार्थ.
206:
...............
१०५
.... १७९... १९७ ....... ३३२.
.... १७९... १९७ ....... ३३२ .... १७९... १९७ ..
....२०४... २३४ .......
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथनुं नाम
ग्रंथांक
जलवीर्यमुनिकथा
२०६... २०७
भुवनदीपक ज्योतिषशास्त्र टब्बार्थ
२०८
संग्रहणी (श्री चन्द्रीय)
२०९ भुवनदीप टब्बार्थ (ज्योतिष)
...
२१०
श्राद्धगुणसंग्रह
२११. गुणस्थान स्तवन सह बालावबोध २१२... गोडी वरकाणापार्श्वनाथ रतवन २१३ जंबूद्वीप वर्णन
२१४
and
वीसस्थानकपूजा विधि
वीसस्थानकतपविधि ओळी मंडाण
२१५.. २१६...
२१७...
२१८ २१९.
२२० • किरातटीका अपूर्ण
२२१
२२२
आठकर्मनी १५८ उत्तर प्रकृति.
बलिनरेन्द्र भुवनभानुकेवली दृष्टांत बालावबोध.
- पाक्षिकसूत्रवृत्ति
जन्मपत्रिका गणितक्रम
...
विशेष काव्य
स्नात्र अने अष्टप्रकारीपूजा जंबूस्वामी चरित्र
श्री दीवाळीकल्प
२२३.
२२४..
२२५ २२६ २२७ २२८
२२९
२३० ...
२३१
वीसस्थानक क्षमाश्रमण विधि वृद्धचाणक्यनीति आठमो अध्याय
...
मायाबीजाक्षर स्तोत्र
[ षट्पंचाशिका टीका सह जिनकुशलगीत पर्युषणाष्टान्हिका व्याख्यान सूक्तरत्नावली
कर्ता
पद्मप्रभसूर
. मलधारी हेमचंद्रसूरि
.ले. पं. गौडीदास,
. पद्मप्रभसूरि.
.ले. पं. हर्षजितगणि
धर्मर्षिमुनि
जिनहर्षसूरि
ले. पं. दयावर्धन.
.पं. जगमालगणि
कविकालिदास .प. नेयनंद
. सकलहर्ष
वृत्ति उत्पलभट्ट
.पं. भक्तिमाणिक्यमुनि
.पं. विवेकविजय
संवत्
१२०१
१८४७
१५७२
१८४३
१९१९
१८७४
. १६३७
१७६९
१७४५
१९३३
. १७७५
. १८८९
पत्र संख्या
.३
१४
२४
२२
३६
..C
..4
.५
१५
.२
...८
६३
५७
२५
६१
.९
१५
१८ १५...
१३
२८
१५
१०
२
१४
७
झेरोक्ष
....२०४... २३४
२०४...२३४
सी.डी.नं.
३३२
ग्रंथाग्र
२२२५
३५००
विशेष नोंध
१६७
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१६८ ग्रंथांक
www
२३२ ...
२३३ ... २३४/१ सरस्वतीमंत्रकल्प
२३४/२ सरस्वतीमंत्रकल्प
२३५. बीजक्रियावृत्ति ( ज्योतिष शास्त्र) अपूर्ण
२३६. हंसराज कथा..
२३७... २३८ ... २३९ श्री शान्तिनाथचरित्र
२४०
ग्रंथनुं नाम
पार्श्वजिनस्तोत्र
सूर्यकल्प
भोजचोपाई
२४१ नवतत्वप्रकरण
२४२. सामायिक पौषह पारवानी विधि
..
श्रावकविधिचौपाई
संबोधसत्तरी सहावचूरी
२४३ वीतरागरतवन (सम्यक्त्व सह टब्बार्थ)
२४४ ...
केशवदास बावनी अपूर्ण
दीपावली व्याख्यान
२४५...
२४६. आत्मप्रबोध चार प्रकाश
२४७
सिंदूरप्रकरण
२४८ ऋषिमंडल ग्रंथ
T
२४९ गुणमाला प्रकरण
२५० दशवैकालिक वृत्ति
२५१
भगवतीसूत्र जमालीकी गति
TEC
२५२ पुष्पमालाप्रकरण समरराजकथानक २५३ .. प्रश्नव्याकरणांगवृत्ति २५४ .. अनुयोगद्वारसूत्र
२५५..
ज्ञाताधर्मकथा
२५६
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र
२५७ षट्त्रिशिका वृत्ति..
+
-----
.ले. पं. बेलचंद
मल्लिषेणसूरि .मल्लिषेणसूरि
खेमराज
कर्ता
अजितप्रभसूसरि .जिनचंद्रसूरि.
.ले. विमलकीर्तिगणि
. उमेदचंद्र
वृत्ति ले हर्षविमल, हर्षकिर्ती जिनलाभसूरि.
पं. हर्षविमलमुनि
. तिलकाचार्य
.ले. विशालसुंदरगणि
.ले. मुनि विशालकीर्ति
. क्षेमहर्षमुनि
रत्नसिंहसूरि
संवत्
१९८४
१९८४
१८७६
१५४६
• १६९७
१७३७
१९२९
१८६५
१८८३
१५८६
१६६६
१७००
पत्र संख्या
८
१
२
१
५१
२९
६
.८
१२५
१०७
.३
४
२
...५ .७१-९४
१६४
२७
१३०
७२
१७१
४५
९३
१२७
२६
९३
१०६
८
----
झेरोक्ष
२०४... २३४ २०४... २३४
- २३९
२५०
२५३ -
सी.डी.नं.
३३२ .३३२
३३३
३३३
३३३
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
. प्रथम अने छेल्लुं पानुं नथी
१३९९ .... ३८००... ५४००
.
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________________
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
प्रथा
।
विशेष नोंध
....... २५९ + २६८ ........ ३३३
...... २५९ + २६८
.....33
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् २५८ ..पुद्गल षट्त्रिंशिकावृत्ति ..................... रत्नसिंहसूरि. ...................१८८४ २५९ .. अंगचूलिका ........
.विनयरंग २६० ...पौषदशमी कथा ...... २६१ ..चातुर्मासिक व्याख्यान ........
.ले. मणिमाणिक्य ... मौन एकादशी कथा .......... ... कालज्ञान सह टब्बार्थ.............
१८७७ गुरु पट्टावली................ कालिकाचार्यकथा ................. .ले. क. विजयचंद्र ..................१९३० दीपावली कल्पसह टब्यार्थ
.ले. लक्ष्मीराज. ....................१४८३ -कल्पसूत्र सह वृत्ति.
लक्ष्मीवलल्म मुनिपतिचरित्र ..............
ले. क्षमाप्रभमुनि
................१८४४ मुनिपतिकथा ...............
.हरिभद्रसूरि .....
...........१७१८ ..चैत्रीपूर्णिमा व्याख्यान ..... २७१.पोषदशमी का महात्म्य.... २७२ ..सौभाग्यपंचमी व्याख्यान.... २७३ ...कालिकाचार्य कथा........................... २७४../कल्पसूत्र सह व्याख्यान.......................समयसुंदर ...... २७५ .. दशवकालिक सूत्र टवार्थ ................... .ले.पं. क्षेमविमल २७६ .. सम्यक्त्वसप्ततिका ........ २७७ ..दीपावलीव्याख्यान .......................... -गुणसुंदर ........ २७८ .. अंबडचरित्र ...............
ले. ठाकुर .......
१९०३ २७९ .. मेस्त्रयोदशी व्याख्यान ..... २८०.. सिद्धांतसारगाहा सह टब्बार्थ अपूर्ण............. २८१.. पार्श्वनाथकथा.... ...........--गुणसुंदर ...
.१९०७ २८२ ..तिजयपहुत्तस्तोत्र सहवृत्ति .. २८३ .. नेमिनाथ चरित्र
.१७४८ २८४ .. उपदेशमाला प्रकरण सह टब्बार्थ व कथाओ.ले. पं. रत्नशेखर ....................
205:
323222322
82
... २८१ + २८२ .--..... ३३३ .....२८१+२८२ --......३३३
५२७५
.१८२५
For Private & Personal use only
Page #218
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
कर्ता
झेरोक्ष सी.डी.नं. ...........२८५ ....... ३३३ -
... २८८ + २९० ....... ३३३
.. २८८ + २९० ....... ३३३
१७० | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
संवत् पत्र संख्या | २८५ ..अंबडचरित्र ...............
............ २८६ .. पुण्य बत्तीसी अपूर्ण ....................... .ले.पं. समयसुंदर ....................१६६९ २८७ .. पूजा अष्टक सह कथानक................. ...मल्लिनाथ कथा
.पं. समयमाणिक्यगणि ... ............१७३६ २८९ मेधनाथ कथा अने रुपसेनकथा .............
-ल. गणशमुनि ........................१९०३ घड़ आवश्यकवृत्ति ............... २९१ .. शत्रुजय स्तुति .............. २९२ .. लोकनालिका द्वात्रिंशिका सह बालावबोध ....नयविलासमुनि .......... २९३ ...पंचकुमार कथा ..... २९४ ...सौभाग्यपंचमीस्तबन ..........
समयसुंदर .... २९५ ..दीपावली कल्प ............................. .पं. गणेशमुनि ...
.१८९९ --.४३ थी ५५ २९६ ..रुपसेन कथा ............. जिनसूरि .......
....१९००.......... २६ २९७ ... भोजनयुक्ति २९८ ...सिंदूरकर ...............
.ले.जितरंगमुनि..
सोमप्रभमुनि २९९ ...सिंदूरप्रकर
क. सोमप्रभमुनि. ३००/१, मेघदूत महाकाव्य टीका ३००/२ मेघदूत काव्य
.कालिदास. ३०१..शुकराज कथा .............
.ले. नंदिषेणगणि
.१५३२ ३०२ ..अंजनासुंदरी कथा ...................... .ले. हर्षकिर्तीगणि
.१६७४ ३०३/१ उपसर्गहर स्तवन बालावबोध ............
१६४६ ३०३/२/उपसर्गहर बालाचबोध ....
१६४६ ३०४ ... ईलाकुमारचौपई...
१७२६ ३०५ ... उत्तमकुमार चौपई ......... ३०६ .. रघुवंशवृत्ति अपूर्ण ................... ३०७ .. अर्घकांड ...................... ३०८ ..आत्मप्रबोध कुलक टब्बार्थ ................
...७७०
For Private & Personal use only
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
३०९ ... ३१०
ऋषिमंडल स्तोत्र तपमतखंडन
३११.२
सौभाग्यपंचमी व्याख्यान
३१२. दश व्याख्यान कथा....
३१३ ... अमरसेन कथा.
३१४ / १ जयतिहुअण सूत्र टब्बार्थ +
स्तंभन पार्श्वनाथ स्तुति कथासंग्रह
प्रतिष्ठादि विधिमंत्रादि
बत्तीस जिन नामानि ३१७... नयस्वरुप अपूर्ण ३१८ .. चैत्रीपूर्णिमा कथा
३१९ • शरदकालकौमुदि अपूर्ण
३१४ / २
३१५ ३१६
***
३२० सनत्कुमार चरित्र
३२१, नारचंद्र ज्योतिषग्रंथ
३२२ स्थंभन पार्श्वनाथ स्तवन
३३२
३३३
ग्रंथ नाम
***
३२३
श्रावक आराधना
३२४
दुरियरयसमीरवृत्ति,
३२५...
मौन एकादशी कथा
३२६ मौन एकादशी कथा
३२७ चैत्रीपूनम व्याख्यान सह विधि
३२८ रोहिणी स्तुति अष्टभय निवारण छंद
३२९ ..
जिनदत्तसूरिकथा अपूर्ण
330. उपदेशमाला सहावचूरी
339.
वीशस्थानक पूजा
... वीशविहरमान जिन स्तवन स्नात्रविधि
...
+
कर्ता
भक्तिसागरगणि .विजयसुंदर गणि
रत्नचंद्र
उदयसागर गणि
.ले. उदयमुनि
लक्ष्मीसिद्धिसाध्वी
समयसुंदर
सौभाग्यनंदिसूरि
सौभाग्यनंदिसूरि
हीरामुनि
यतिनथमल
.ले. सूर्यविजय
संवत्
१८३९
१६३०
१९००
१८५६
१८९४
१५७६
१५७६
१६२५
१९०३
पत्र संख्या
२
४२
६
३
१०
१७-२८
. ९
२
.४
. ९
.४
२५
.3
.. ६
२०
.६
१८७६..........
६
.४
३
.६
२६
१४
६६ ... ६
Face
झेरोक्ष
३१०... ३३१
३१०... ३३१
...
३१०... ३३१
सी.डी.नं.
३३३
ग्रंथाग्र
विशेष नोध
१७१
.
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
औरोल
सी.डी.नं.
ग्रंथान
.......११
....३३८... ३९३ .......३३३
....७६ थी ९५ पाना नथी
..............
१७२ ग्रंथांक ग्रंथन नाम
सवल
प त्र संख्या ३३४ ... अडीदीप स्तवन.......
धर्मसिंह ........
.. ...........१७२९ .. ३३५ ... प्रकरणत्रियी
गजसार ........ (नवतत्व-जीवविचार-चौबीसदंडक) ३३६ ..इंढक पवाडो रास ...
.ले. शंकर ............................१८७४ ३३७ ... ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र सह टब्बार्थ ..... ३३८ ..निरयावलीकादि पंचोपांग सूत्र
.त्रिलोकसिंह. ....................... १६५९ ३३९ ... संग्रहणीसूत्र (श्री चंद्रीय) ३४० ...अंजनासुंदरी चौपई ......
.ले.पं. जीवणजी....................१७९४ - ३४१...आत्मकरणी संवाद .....
.जिनसमुद्रसूरि ....................... १७९६ ३४२... कल्प सूत्र................
.ले. मुनिसुंदर ....................... १७५८ ३४३ ... उत्तराध्ययनसूत्र - चोत्रीस अध्ययन ........ ३४४ ..व्याकरणसूत्र
................ले. मुनिसुंदर .............. ३४५ .. केशीकुमार संबंध ........................
..१९१५ ३४६ .. चाणक्य राजनीतिशास्त्र .................... जयरत्नमुनि...........................१८५४ ३४७ .. नेमनाथ बोल + स्नात्रपूजा ३४८/१सौभाग्यपंचमी + मौन एकादशी कथा ...
थी। ३४८/२ चैत्रीपूनमविधि+पौषी दशम कथा ... ३४९ .. पासा केवली....... ३५०..सइकी संवत्सरफलम् अपूर्ण .............. ३५१ ... प्रास्ताविक कथा श्लोक.. ३५२ ..बटुकनाथ स्तोत्र ......
.पं. प्रतापविजय. ३५३ .. समवसरण स्तोत्र- बालावबोध .............. ३५४ ... उधमणेका श्लोक
.पं. दलिधंद ..........................१९३१ ३५५ ..चतुःशरण चौपइ.
............१९०५ ३५६ .. दशपच्चखाण स्तवना .................. .ले.पं. कल्याणविजयजी ३५७ .. रोहिणीतप स्तवन...... ३५८ ..वक्ता श्रोता लक्षण .....
.पं. प्रतापविजय ................
Jain Educato International
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथ ना
३५९
तिथि मंतव्य
३६० ... ऋषिमंडल पूजाविधि
३६१. भाष्यत्रय वार्तिक
३६२ ...
अजित शान्तिवृद्धिस्तवन साधारण विधिओ
३६३ ३६४ ... अनेकार्थ नाममाला ३६५. आवक अनुष्ठान ३६६ एकादश अंगनी सज्झाय
विधि
नंदीश्वरद्वीपस्तुति..
३६७
३६८ ...
आलोयणा छूटक
३६९ ... पडिलेहणविधि + शत्रुंजय संघवर्णन
३७०
धातुरुपावली अपूर्ण
३७१
गौतमकुलक टब्बार्थ
३७२
ऋषभदेव स्तवन दशवैकालिकनी सज्झाय लालचंद
303
मानसागर
३७४
सुभद्रासती चौढालीया
चौवीसजिन काल मानादि स्तवन
३७५...
विवाहपडल ग्रंथ
३७६
जिनपतिदिव्य स्तोत्र
३७७
उपदेशयत्रीसी
३७८ ...
सिध्धांतचंद्रिका
३७९
मोतीकपासीयासंवाद
३८० आलोयण विधि + कर्मग्रंथयंत्र विधि
३८१ कल्पसूत्र.
...
३८२ ...
जिनकुशलसूरि अष्टक.
३८३ ...
नवपदचैत्यवंदन
३८४ आलोयणसूत्र असज्झाय
३८५.
३८६
उपधान आलोचना
| स्थंभनपार्श्वजिनस्तवन अपूर्ण.
कर्ता
ज्ञानविमलसूरि
मेरुनंद उपाध्याय
पं. चिरकुशल
.ले. कपूरचंद, धरमशी जेतसिंह
रामचंद्र
मानचंदसिंह
संवत्
१४२७
. १८३९
१७५९
१८४४
१८८५
१८७१
१८४६
१७९९
१८३९
पत्र संख्या
झेरोक्ष
२. ३३८.३९३
११
५२
१०
....
.६
४१
..६
२
४
३
. ३७-६१
३
3
३
९१०
४
.४
२
१४८
.४
..५
७१
३
२
.३
२.... ३३८...३९३ २
सी.डी.नं. ३३३.
३३३.
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
१७३
.
Page #222
--------------------------------------------------------------------------
________________
१७४
ग्रंथांक
३८७ • गौतमस्वामी स्तवन
३८८
भावनाविलास अपूर्ण
३८९
सीमंधरस्वामी स्तुति
३९०
सिध्धचक्र आराधनाविधि
३९१
...
३९२
३९४
३९३ ... विदग्धमुखमंडनकाव्य विदग्धमुखमंडन सहावचूरी पुष्पमालावृत्ति हेमनाममालाभिधान
३९५ ३९६ ...
३९७ 38C ... ३९९ ...
पार्श्वजिन सहस्रनाम स्तवन साधु अतिचार
अर्थकल्पलता बालावबोध
४०० ज्योतिषग्रंथ अपूर्ण तृतीयकर्मग्रंथरहस्ययंत्र
४०१
ग्रंथ नाम
COE
गोरखकुंडली तीर्थयात्राविधि
www
४०२.. ४०३
४०४ ईरीयापथिकी पच्चखाण विचार-स्तुति
४०५ बासठमार्गणा द्वार स्तवन
४०६ ...
४०७ ...
४०८ ...
४०९
४१०
पासाकेवली
धर्मोपदेशग्रंथ
नवपदविधि पाक्षिक खामणां + प्रवज्याविधि
+
वैराग्यशतक सह बालावबोध
तपरयाविधि
विचारसंग्रह अपूर्ण
सारस्वतसूत्रपाठ
दशठाण अपूर्ण
पार्श्वनाथ स्तवन सात स्मरण
४११
४१२
४१३. चमत्कार चिंतामणी टीका.
. धर्मदास
धर्मदास सोमगणि रामविजय
. रुपचंद
कर्ता
. गर्गऋषि
संवत्
. १८९६
१८७०
पत्र संख्या
१
६
१
४१
९१
१०८
१२९
....६
१४
४२
३१
.३
.. ९
१९
१०
१०
.३
..५
.२
४२
..८
१६
.८
१३
झेरोक्ष
३३८... ३९३
३९४ + ३९८
*****
-.... ३९४ + ३९८
सी.डी.नं.
३३३ ३३३
३३४
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथाप्र
विशेष नोंध
१लुं पानुं नथी
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
सी.डी.नं.
विशेष नोंध
४२७......
महिवल्लभ
...१७८६
--गुटकोंके साथ होगा ..गुटकोंके साथ होगा .. गुटकोंके साथ होगा
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांका पंथन नाम ४१४ ..-तीर्थकर बोल ........ ४१५ ...दंडकना २९ द्वार बालावबोध ४१६ ---मंत्र गुटका ............... ४१७ ...तिथि-वार मास फल ................... ४१८ ..तपविधि .... ४१९ .. ज्योतिष कुंडली.. ४२० .. दशार्णभद्रऋषि सज्झाय ..
महिमासागर .... .............. ४२१ ... दृष्टांतरत्नावली काव्य ... ४२२ • गुटका स्तवन सज्झाय......... ४२३. गुटका स्तवन सज्झाय............................................. ४२४ -गुटका स्तवन सज्झाय..................... ४२५ ... षड् आवश्यकसूत्राणि सह बालाववोध .......
.१९२५ ४२६ ... श्रावकप्रतिक्रमणवृत्ति .......................
-गुमानचंद
.......................... ..१९०४ ४२७ .. दशवैकालिकटीका ........................... .समयसुंदरगणि ....
..................८५ ४२८ ..राजप्रश्नीयसूत्र ..............................मेघराजमुनि ..................
........१३७ ..दशदृष्टांत + अनुत्तरोवबाई .............
....ठाणांगसूत्र सह दीपिका .....................खुशालविमलमुनि, ४३१..शत्रुजययात्रा ............. ४३२ .. अंतगडदशांग सूत्र टब्बार्थ ........... ४३३ ... सूयडांगसूत्र बीजो श्रुतस्कंध .................. ४३४ .. श्रीपाल चरित्र व्याख्यान ........... ४३५ ..-समवसरण विधान , ४३६ ..उपासकदशांग रब्बार्थ-प्रथम श्रुतस्कंध ............... ४३७ ... सिलोकारो अर्थ ४३८ ... देशनानी पध्दति .......
- गुलाबचंद
१९४२ ४३९ ... पाक्षिकसूत्र..........
१७४३ ४०...दोषावली ...............
.........
१८
...४१६+४२७.......३३४ .......... ३१५०
........
४३+४५३
.पुण्यसोम
५०५
१८३८
For Private & Personal use only
Page #224
--------------------------------------------------------------------------
________________
१७६
ग्रंथ नाम
स्थूलिभद्र नवरसा नेमराजुलनी सज्झाय उदयरत्न ... कल्पसूत्र अपूर्ण.
४४३ पाक्षिकसूत्र सह टब्बार्थ
४४४
ग्रंथांक
४४१ ... ४४२
***
नवकारछंद दादाष्टक
अष्टमहासिद्धि
नलदमयंती चौपई (४८२ भेगो मुकेल छे)
४४७
कल्याणमंदिर टब्बार्थ अपूर्ण प्रियमेलक चरित्र.
४४८
विष्णुकुमार कथा धर्मरत्न मंजुषा.
+
४४९ ४५०...
जयंति श्राविका अधिकार
रत्नमालासूत्र बालावबोध अपूर्ण
४५१ ४५२...
भगवतीसूत्र
४५३.. आचारांगसूत्र
४५४. शत्रुंजयमहात्म्य
४५५ धर्मबिंदु + योगबिंदु पंचाशक + उपधानविधि संपूर्ण
४५६
४४५.... ४४६...
...
४५७ ...
४५८
४५९
४६०
४६१
औपदेशिक कथा
कल्याणमंदिर बालावबोध
...
साधुविधि प्रकाश..
ज्ञानपंचमी अक्षयतृतीया मौनएकादशी
+
नारकी देवलोक जीवभेद
पाक्षिकसूत्र अपूर्ण.
४६२ ... नवतत्व ....... ४६३ बंकचूल चोपाई ४६४ .. स्तवन संग्रह
४६५
४६६ ४६७
+
. यशोविजय
कुशललाभ
रुपचंद
हर्षनंदन
कर्ता
. सकलचंद्रगणि
गंगदास
शांब प्रद्युम्न चौपई
स्तवन संग्रह.
त्रेसठ शलाकापुरुषादि अनेक स्तवन संग्रह जिनचंद्र
समयसुंदर
संवत्
. १८२०
१८७३
१८२५
१५६८
१६५९
पत्र संख्या
.६
६५
१५
३
१५
४२
.४
१०
(+
३ ४२
३५६
६६
२९०
९६-१२०
४४
...C
१२
२४
.४
१०
..२
...५
.८
११
१२
२९
झेरोक्ष
४३१४५३
४५५
सी.डी.नं.
३३०
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथाप्र
विशेष नोंध
१३५०
१५६७
.. ४४६,४८२ वे ग्रंथ भेगा छे.
.. पत्र ११ अने २९ मुं नथी.
..२ थी १४ पाना नथी
Page #225
--------------------------------------------------------------------------
________________
झेरोक्ष
सी.डी.न.
ग्रंथान थान
विशेष नोंध
.. पलुं पार्नु नथी
.१८५७
...४७८....
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
संवत् पत्र संख्या । ४६८ .. खरतरगच्छ समाचारी अपूर्ण. ४६९ ...धर्मनाथ स्तवन
.विनयरससूरि .................. .१८२९ ४७० ... सम्यक्त्व कौमुदी कथा ....................... रत्नचंद्र ४७१ ...कल्प सूत्र..............
.१९०१ ४७२. उपाश्रयद्वार पदावृत्य विधिचैत्यालय ............................ ४७३ ... कल्पसूत्र सहवृत्ति .......
लक्ष्मीवल्लभ..... ४४४ ... स्थविरावली ....
समयसुंदर ....
१८७५ ४७५.. दीवालीकल्प..................
विमलमुनि..
१८७२ ४७६ ...पर्युषणा अष्टाहिनका व्याख्यान......... ४७७ .. भगवतपारणाधिकार .............. ४७८ ..संदेहविषौषधिनाम पर्युषणाकल्प दुर्गपदवृत्ति पंजिका नियुक्ति सहवृत्ति
. उदयाकरणगणि.
१३६४ ४७९ ...गुर्वावली कल्पसूत्र......
.............जितरंगगणि....................... ४८१ ...सिंदूरप्रकर ......
.....हर्षकीर्ति
१९०९ ४८२ .. नलदमयंती दोहा अपूर्ण (नं. ४४६नी साथे छे.) ४८३ .. पोषदशमीकथा. ४८४ ...पर्युषण अष्टाह्निका व्याख्यान ४८५ .. ज्योतिषपत्र ............... ४८६ ..द्वितीयवाचना ......................... ४८७ .. विपाकसूत्र टब्बार्थ ........................... युक्तिधीर ....... ................१८४९ ४८८ ..शातासूत्र सह टब्यार्थ .....
..........१९२३ ४८९ .. निरयावलीसूत्र बालावबोध ....
.१९११ ४९० .. तीर्थकरराशी पत्र ........ ४९१ .. वर्धमानदेशना .........
शुभवर्धनगणि ४९२ .. संग्रहणी सह टब्बार्थ .... ४९३ .. सिंहासनबत्तीसी .....
..........६८
...१८७१
........२.३१, ६२.८६ नथी
....४४००
For Private &Personal Use Only
Page #226
--------------------------------------------------------------------------
________________
इंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
.................१लुं पार्नु नथी
४९८........३४०
४९९
.........
........ ५०००
१७८ ग्रंथांकाग्रंधर्नु नाम
कर्ता
संवत ४९४..पूरवदेस देसंतरी छंद.... ४५५ ..प्रश्नोत्तर रत्नमालीका सह बालावबोध .......जिनराजसूरि ४९६ .. मेरुपर्वतवर्णन ..... ४९७..बोधसंग्रह ...... ४९८ .. कुमारपालचरित्र ............
कालज्ञान ...... ५०० .. लघुसंग्रहणी सह बालावबोध
.१८३१ ५०१ ... भववैराग्यशतक सह टव्यार्थ ५०२ ... प्रियमेलक चौपई
यशोविजयगणि.......
.१७९४ ५०३ ... सूत्रकृतांग सह बालावबोध ................... .ले. जीवणजी
..........
....१७९८ ५०४ ...पूजा पंचाशिका .......
..................१८९९ ५०५ ... चित्रसेन पद्मावती चौपई .................. .मानसूरी. .................१८४९ ५०६ ... प्रथमकर्मग्रंथथी चतुर्थ कर्मग्रंथ अपूर्ण ....... | देवेन्द्रसूरि ५०७ .. भक्तामरस्तोत्र............................... -मानतुंगसूरि
श्रावकआराधना ............... ५०९ ... श्राध्धजीतकल्पसूत्र सहावचूरी
नमस्कार वार्सिक ........... ५११ ... बिंबप्रवेश प्रतिष्ठाविधि अपूर्ण...... ५१२ .. खरतर तथा तपानी व्युत्पत्ति अपूर्ण .. ५१३ ... अष्टालिका व्याख्यान अपूर्ण ........ ५१४ ... सामायिक प्रतिक्रमण विधि, ५१५ ... जीवाजीवविचार प्रकरण टब्बार्थ, ५१६ ... मानतुंग मानवती रास ....
.मोहनविजय.. ........................१८८३ ५१७ ... विक्रमादित्य चौपई .. ५१८ ... कृदंत प्रक्रिया ..
.क्षमाप्रभ पंडित ....................१८४६ ५१९ ..वीशस्थानक तप विधि ५२० ... कल्याणमंदिर ...
.५१२...५४६........३.
...........१८४८
XTTm
For Private &Personal Use Only
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथनुं नाम
ग्रंथांक
५२१
चतुर्मासिक व्याख्यान
५२२ • डुंगरजी यतिना हाथे लखेला जूना सूचीपत्रमा आ नंबर भूलथी लीधो ज नथी, तेथी आ
नंबरनो ग्रंथ नथी.
प्रकीर्णक पोथी
५२३
५२४
५२५..
५२६...
५२७...
५२८...
५३०...
लघुक्षेत्रसमास अध्यात्मवहुत्तरी
चतुर्थ कर्मग्रंथ सस्तबक
श्रावकना २१ गुण सज्झाय
हुन्डीस्तवन अपूर्ण
५२९ ... बत्रीस अभक्ष्य प्रत्याख्यान अवचूरी
- अक्षयतृतीया व्याख्यान
श्रावकविधि प्रकाश...
***
५३१
५३२ - धर्मचतुस्त्रिंशिका बालावबोध
५३३
...आनंदघन बहुत्तरी
५३४ • अहोरात्र कृत्यानि
----
५३५
चतुर्विंशति शासनाधिकार
५३६ • कर्मविपाक बालवबोध जयतिहुअणसूत्र बालावबोध
५३७ ...
५३८ • वधस्वामित्व बालवबोध. षड्शीतक बालावबोध,
५३९
५४०...
शतक बालावबोध
५४१...
कर्मस्तव बालावबोध
५४२. चैत्यवंदन अधिकार
५४३
५४४
५४५ लोद्रवगीत
...
विजययंत्र महात्म्य (ज्योतिषसार)
अनानुपूर्वी नवकार
कर्ता
रत्नशेखर
आनंदघनजी
देवेन्द्रसूरि
समयसुंदर
लाभविजय
शिवनिधान
तेजसिंह, जयमलमुनि
देवेन्द्रसूरि..
भतिचंद्रमुनि
. मतिचंद्रमुनि
. मतिचंद्रमुनि
. मतिचंद्रमुनि
संवत्
१७४६
१७६८
पत्र संख्या
१२
११५
१०
१३
१२
१७
.4
६थी१३
२३
४
२५
१२
..७
५३.
.७
१८
५४
. १४७
३१
Hom
३
४
३
झेरोक्ष
५१२... ५४६
सी.डी.नं.
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
१७९
Page #228
--------------------------------------------------------------------------
________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
संवत्
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
......१८७३
.............१
५१२...५४६
....पहेला बे पाना नथी
...१६४६
.५५३
.....३३५
..............१४५४
..............१७८९
ग्रंथांक
कर्ता ५४६ .. मार्जारी व क दोष निवारण विधि .........महिमा मुनि
जलयात्रा उपकरण ................ पर्युषणाकल्प ........................... अणुत्तरोवयाई टब्बार्थ ....................... कर्मविपाकग्रंथ ................... शान्तरस समुच्चय(अध्यात्मकल्पद्रुम) ........मुनिसुंदरसूरि
उपासकदशांगविवरण.. ५५३ ...अनेकार्थसंग्रहटीका .. शत्रुजयमाहात्म्य
.धनेसरसूरि ५५५ ... परिशिष्टपर्व चरित्र
.हेमचंद्रसूरि ५५६ ...कर्पूरप्रकरण सह बालावबोध ................ मेरुसुंदर .... ... पद्मावती आराधना ....
समयसुंदर ....... • श्लोक अर्थ संपूर्ण ......... ५५९ ...चंदराजानो रास ...........
श्रीपाल राजानो रास अपूर्ण जातकाद्योयम् ............. तंदुलवैचारिक सह टब्बार्थ... धर्मबावनी....
आनंदवर्धन आनंदघनपद ............ पुष्पमाला प्रकरण ........ गजविद्या प्रकरण .......... अटणमलनी कथा......
भक्तामर समस्या. ५६९ ... प्रतिक्रमण त्रूटक अपूर्ण ५७० ... पाक्षिक सूत्र बेटक अपूर्ण. ५७१ --सुभाषित श्लोक............ ५७२ ... महावीर स्तवन टब्बार्थ ....
...१८९७ ...........१७८३
११२७
RABk
...१५६९
.....२,५,७,१०,१३.१७.१८.२० पानां नथी
For Private & Personal use only
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--------------------------------------------------------------------------
________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार ग्रंथांक ग्रंथ नाम
५७३
गुर्वावली
५७४. पार्श्वनाथ स्तवन
५७५
५७६
---
५७७
५७८. बारह भावना
५७९ पंचागी नाममाला (श्राद्धविधि)
शांतिकर शांतिभ्रमण प्रकरण
भुवनदीपक
५८२ ग्रीष्म वर्णन प्रथम सर्ग
-----
५८३... प्रतिक्रमण सूत्र • ५८४ मौनएकादशी कथा अपूर्ण दीपावलीकल्प ५८६ सामायिक ग्रहणविधि उपस्थापनविधि
५८५
and
५८०...
५८१...
...
गजसुकुमाल चीपई
प्रतिक्रमणसूत्र. कल्याणमंदिर अपूर्ण
---
५८७ ५८८ मंत्रपत्र.
---
५८९ गौतमकुलक
५९० आगमसारोद्धार बालावबोध ...वीशस्थानक ओळी मंडाण
५९१
गौतमकुलक टब्बार्थ
५९२ ... ... नवपद स्वाध्याय
५९३
***
५९४ ...
५९५
प्रत्याख्यानवृत्ति
... भक्तामरस्तोत्र बालावबोध
C
*****
५९६ श्रीपालचरित्र (गद्य)
५९७ ...
५९८ ५९९ दानादिकुलकवृत्ति.
...
सौभाग्यपंचमी कथा अपूर्ण मुनिमालिका
जैसलमेर दुर्ग
गुणहर्ष
रत्नविमल
जिनहर्ष
कर्ता
दयाशेखर
कालिदास
. विमलमुनि
गुणशेखर
ज्ञानतिलकगणी
.सत्यसागरगणि
भक्तिमाणिकय मुनि
. विनयधर्म
. सुमतिनिधान
संवत्
१८७३
१८७१
१९१८
. १८८१ १८६२
पत्र संख्या
१
१
.५
.५
१५
.४
२
२
२१
१०
..८ 3
..c
१
३७
३४
४
३
.४
२५
३७ ५
........ 3
. १४५
झेरोक्ष
५८८... ६०७
५८८... ६०७
सी.डी.नं.
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
१८५
Page #230
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________________
रंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोध
मेरोक्ष
सी.डी
(4.
..१८-२३
१८२
ग्रंथ नाम ६०० ...आगमआलापकसंग्रह ..... ६०१ ... श्रावकालोचना ...... ६०२ ..सज्झाय संपूर्ण ..... ६०३ .. कल्याणमंदिर स्तोत्रटीका .. ...बीशस्थानक तपविधि अपूर्ण
चौमासी अतिचार संपूर्ण ६०६ ... कार्तिक पूर्णिमा व्याख्यान..
जयसारगणि ६०७ .. बृहत्शांति टीका ......... नयनंदन
.. ५८८...६०७ ....... ६०८ ... नेमनाथ चोक .....
अमृतविजय ................. ६०९ ...गौतमपृच्छा सहवृत्ति ....
-पुन्यराज ............ ६१०/१, भववैराग्य शतक टब्बार्थ .... ६१०/२, हितोपदेशरत्नमाला ............. ६११...गीतमाष्टक ....................
-सुधर्मास्यामी.... ............. ६१२ ..कालग्रहणविधि योगोपधान विधि ......
..... ६१२ + ६१४ ६१३ ..संग्रहणी सूत्र .......
.श्रीचंद्र ......... ६१४ ..शांतिनाथ चरित्र ......
भावचंद्र
............... १७५३ ........१२४..... ६१२ + ६१४ ६१५ --- प्रकीर्णक पोथी + जयतिहुअण + कुलक....... चत्तारिमंगलं सप्तस्मरण + जीविचार + दंडकादि ६१६/१ प्रकीर्णक पोथी+ रोहिणी स्तवन
क्षेत्रसमास. दंडक सप्तस्मरण ................. ६१६/२ वृधनवकार व अन्यस्तोत्र................. आनंदसंधि...........
.श्रीसारमुनि... ६१८ --- दयाधिकार (चोवीस दंडकबोल)......... ६१९.. बारव्रत टीप्पणी.............
१८८२ - ६२० ..अमिधानचितामणी .......
हेमचंद्राचार्य .ले. उदयमुनि
१८४१-.........११७ ६२१ .. अभिधानचिंतामणी
हेमचंद्राचार्य, .ले. लाभगणि
.. १७२३ .......... ५५ ......
..................... १७६५
१२
६१७ ---
....१थी७ नथी
.....१३
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________________
विशेष नोंध
१००००
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् पत्र संख्या ६२२ ...योगशास्त्र-पहेलो-बीजो प्रकाश .............. हेमचंद्राचार्य. ६२३ ...नामकोश
धीरमुनि
..१७४७ ६२४..रसमंजरी टिप्पणी
भानुदत्तमित्र ६२५.. दृष्टांत शतक.....
तेजसिंह .. ६२६ .. अभिधानचिंतामणी ...
.हेमचंद्राचार्य ६२७ ...एकाक्षरी नाममालिका ..................... शंभुमुनि......... ६२८ ..धनंजयनाममाला.....
.धनंजय .......... ६२९ ... अमरनामकोश ......
.धीरमुनि ...... ६३० ... अभिधानचिंतामणी ..
.हेमचंद्राचार्य,
............ले. विवेकचंद्र ................ ६३१...षट्कारकाणि ........... ६३२ ..भावप्रकाश
ले. पंडित प्रताप विजय ..............१९०९ +........ ६३३ .. अभिधानचिंतामणी .............. ....... हेमचंद्राचार्य, ले.धर्मसुंदर ६३४ ... नैषधकाव्य ................
.हर्षकवि ६३५ .. कल्पसूत्र टब्बार्थ ..............................ले. नथुराम .........................१८२६ ........ ६३६ .. कल्पसूत्र टब्बार्थ .........
.ले. महिवल्ल भ ....................... .१७९० ६३७ ... श्रीपाळचरित्र सह वृत्ति ..
.शानानंदसूरि. ................. ६३८ ... पिंडविशुद्धि सह दीपिका ..
देवचंद्र ....... ६३९ -- दृष्टांतशतक ६४० ..श्रीपालराजा कथा टब्बार्थ.....................कस्तुरचंद्र ...........................१५५० ६४१ .वृत्तरत्नाकरछंद वृत्ति सह ....................समयसुंदर ..........................१८७३ ६४२ ---वृत्तरत्नाकर...........
समयसुंदर ....... ६४३ --- मेघदूत सस्तवक ......
.ले. महिमाकल्याण कवि कालीदास
૧૮ર૬ ६४४ ... गुर्वावली ...........
हर्ष सूरि ....... ६४५ ... पंचमीतपविधि-श्रावक आलोचना ..... ६४६ ... स्थविरावली.......
.जितरंग
......७३-७५ पार्नु डबल छे
१५५० • १५०३
.... ६४१... ६४ .......३३४
................
For Private & Personal use only
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इंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नाँध
सवतपत्र सख्या
सी.डी.नं
ग्रंथान
4...६४१...६७४ --.....
+...........१६६७
१८४ ग्रंथांक
ग्रंथन नाम ६४७ दश दृष्टांत ............. ६४८ .. क्रियाकलाप,
.विजयानंद...... ६४९ .. किरातार्जुनीय काव्य ...... ६५०.. श्रावक आराधना
सुखानंद ६५१ ... मेघदूतकाव्य-प्रथमसर्ग .....
.कवि कालिदास ६५२ ... श्रीपालचरित्र सह वृत्ति ...................... ६५३ .. वीरसेन कुसुमश्री कथा ..................... ६५४ ..अमरसेन वयरसेन कथा .................... ६५५ .. औपदेशिक कथाय .......................... ६५६ .. पर्युषण अष्टालिका व्याख्यान .............. ६५७ .. श्रावकपाक्षिक अतिचार अपूर्ण ............... ६५८ .. चातुर्मासिक व्याख्यान ....................... क्षमाकल्याण ६५९ ... सौन्दर्यलहरी टीका ......................... शंकराचार्य ६६०.. कल्पसूत्र
शंकरमुनि - चातुर्मासिक व्याख्यान ६६२ ..कल्पसूत्र सह वृत्ति ......... सरस्वतीमस्तकमाधव ....
.शिवादित्य कल्पसूत्र सह व्याख्या ... खरतरगच्छ पट्टावली .................. प्रतिष्ठाविधि.
.महेन्द्रसूरि ..... द्वितीय श्रुतस्कंध प्रथम अध्ययन ६६८ .. उपासक अंतकृत-अनुतरीपपातिकदशांगवृत्ति, ६६९ ..काव्यादर्श वृत्तरत्नाकरवृत्ति .....
.यशकिर्ती ...... ६७१ .. श्रीपालरास अपूर्ण... ६७२ .. स्थूलिभद्र नवरसा
उदयरत्न ६७३ .. अष्टोत्तरीदशाकरणविधि
१८७३
.........
१३००
दंडिन .......
.................१६४९
................१६५१ ...................१७५५
....६४१...६७४-......३३४ २०.... ६४१... ६७४ ....... ३३४
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________________
१८५.
ग्रंथांका
ग्रंथान
विशेष नोंध
..........९७५..
श्लोक-७३
१८३७
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.नं.1 ६७४ - संदेहदोलावली प्रकरण सह टब्बार्थ .........वल्लभसूरीनाशिष्य ............................................ ६४१... ६७४ ....... ६७५... ढोलाचारवणी चौपाई ..............
.......१६७७
+......... २१ ६७६ ..क्षुल्लक भवावलीका सह अवचूरी ... चंद्रकुमारनी वार्ता ............................
...............१८४८ चंदनमलयागिरी चोपाई ......................
...........१८०८ देवप्रभोस्तोत्रसहवृत्ति ...................... त्रिपुरा स्तोत्र.................................रघुआचार्य....... |जिनावरारी सुकनावली .........................................
१९९४ चिन्तामणि नाममाला ........................
૧૭૮ર साधुवंदना ...........
समयसुंदर
૧૪૮૮ कुमारसंभव महाकाव्य (आठसर्ग)............ कविकालिदास श्रीपेना टीका (व्याकरण) ............ सारस्वत प्रक्रिया अपूर्ण................... अभिधान चिंतामणी बीज़क ...............
हितोपदेश (सुभाषित श्लोक)......... ६८९ .. लघुसंग्रहणी सह वृत्ति..
....कल्याणसारमुनि. ६९० .. लोकनालिका बालावबोध .................. भारमल्लमुनि ........................१८८५ ६९१ ... प्रश्नोत्तरसार्धशतक बीजक .............. ६९२ .. सम्यक्त्व + संभवमहाकाव्य (सुलसाचरित्र)...जयतिलकसूरि ......... ..विदग्धमुखमंडन ........
धर्मदास ..विशेषशतक उध्धरण परिवर्धन .............. समयसुंदर ... ..विचारषत्रिशिकावधूरि ..................... जीतरंगगणि...
---विशेषशतक उधरण परिवर्धन ........... ६९७ ..-सम्यक्त्व विचार ............... ६९८ ..कल्याणमंदिर स्तोत्र टीकासह .............. .टी. देवसुंदर उपाध्याय. ६९९ ..-धर्मरत्नप्रकरण सह वृत्ति .. ......... खुशालविमल
.१८७७
--......३३४ ७००..संग्रहणी श्रीचन्द्रीय सह वृत्ति................ .दयासागर ........................ १६६६
पर888
...............
३५००
९७००
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रधान
विशेष नोध
रोक्ष
सी.डी.नं.
.......३३४
.....गंधार भांडागार नो आ ग्रंथ छे.
७०३ ७०४ + ७०५ ७०४ + ७०५
....... ७१००
.......3३४
......... १५५०
........७२०
१८६ ग्रंथांक ग्रंथ नाम
का
संवत पत्र संख्या ७०१... लघुक्षेत्रसमास ............ .... .हेमरत्नमुनि .........................१८७१.......... ७०२ ..पुष्पमाला सह वृत्ति ..........................हेमचंद्रसूरि
.ले.दयासागर.. ७०३ .. अध्यात्मकल्यदुम सह वृत्ति ७०४ ... शीलतरंगिणी
.सोमतिलकसूरि ......................१३९४. ७०५ ..संदोहदोलावली लघुटीका
.जयसागर ७०६ --कल्याणमंदिर.
.सिद्धसेन दिवाकर .................... ७०७ ... हरिचंद्र राजा चौपई
रंगहर्ष. ७०८ .. रायपसेणीसूत्र सह अवधूरी ...................ले. दयाकमलमुनि .................. १६३१ ७०९...विधिप्रपा ................................... ७१० .. ठाणांगसूत्रवृत्ति .............................. .अभयवेवसूरि ................................... ७११.. बृहत् संग्रहणी सहवृत्ति .......................मलयगिरि ....... ७१२ ..आवश्यकवृत्ति ................................प्रतापसूरि ...........................१६६१ ७१३ .. विशेषआवश्यकवृत्ति .. ........................प्रतापरारि ....... ७१४ ... ठाणांगवृत्ति ७१५ ... समवायांगसूत्र ..........
समदागिसूत्र .......... ७१७ समवायांगसूत्रवृत्ति .......................... ..जिनहर्षसूरि ..................... ७१८ .. कल्पसूत्रटीका .........
.पंडित जितरंग ................... ७१९ .. कल्पसूत्र
.मेरुमुनि ७२०.. दंडक टवार्थ ...............
पंडितमोतीचंद ................. ७२१..दुरियरयसमीर ..........
समयसुंदर ..................... ७२२ ...नवपद क्षमाश्रमण दानविधि................. ७२३ .. राईसंथारापोरसी विधि ...................... .लक्ष्मीरंगमुनि ...... ............ १८८० ७२४. पुष्पचूलिक स्थानक ............. ७२५ --- घनानी सज्झाय+नंदीषेण सज्झाय ......... .उदयतिलक..... ७२६ ..नवकार बालावबोध ......
......२१२० .......७०९ ....... ३३४ .........३५७४ ..... ७१०(१.२) ....... ३३५. ....१४०००
.......७११........ ३३४ . .... ७१२(१.२) ....... ३३६ . ................ .........७१३ ....... ३३५
१७१४ १६६७ १६६७ ---- १६६७ ....
७१६..समवाया
१२१६
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________________
कर्ता
ग्रंथान
विशेष नोंध
-गुणसंदर
इंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार • जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
संवत । पत्र संख्या । झेरोक्ष
सी.डी.नं. ७२७ ... नवपद वासक्षेप पूजा .................. .ले.अभयचंद गणि,
क.वाचकयशमुनि. ...................१९२०.............१:-... ७२७... ७३३ ७२८ ... नवतत्त्व प्रकरण टब्बार्थ
.ले. देवविजय मुनि ७२९ ...सिध्धचक्र महिमा
.क. जिनहर्षमुनि .ले. नयनंदन मुनि
१८५५ ७३० ...साधुविधि प्रकाश .............. ७३१ ..वृतरत्नाकरवृत्ति .............................. समयसुंदर ...............
....७२७... ७३३ ....... ३३४. वृत्तरत्नाकर .........
भट्ट केदार .... ७३३ .. भांडागरीय भक्तामरकाव्य ..
+...७२७... ७३३ ......... ७३४ .. पोसहपडिलेहण विधि ... ७३५ .. नवपदक्षमाश्रमण दानविधि, ७३६ ... प्रतिक्रमण बालावबोध ... ७३७ .. त्रिभुवनकुमारचरित्र ७३८ ... प्रियंकरनृपचरित्र ............... ७३९ ...यशोधरचरित्र ७४० .. उत्सूत्रप्ररुपणाविषये जमालीदृष्टांत ......... ७४१ ... विविध पूजासंग्रह (स्नात्र पंचाशिका) ..........उदयसागरसूरि............ ७४२ .. धर्मोपदेशरास ७४३ .. सूतक सज्झाय ७४४ .. विवेक विलास
जिनदत्तसूरि
१६७१ ७४५ ..विवेक विलास .
.क.जिनदत्तसूरि, .ले.मोतीचंद ..
१९१७ ७४६ ...दानादि कुलक ...............
देवेन्द्रसूरि................. ७४७ ...यशोधरनरेन्द्रचरित्र ...... ७४८ ...गौतमपृच्छा ....
भक्तिमाणिक्य
.. १८९३ ७४९ ...यशोधरनरेन्द्रचरित्र
क्षमाकल्याण ५०.. कठियारा कान्हड चोपाई
....१८९१
..१८५३
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झेरोक्ष
सी.डी.नं.1
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान |
विशेष नोध ....... १०००....
१८५२
...........१७२९
१८८ ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कता । संवत् । पत्र संख्या ७५१ .. रत्नपालमुनिचोपाई.
+...........१८९९ -.......... २७ ७५२ ... आध्धविधिकौमुदी .........
..अभयसुंदर .... ७५३ .. त्रिभुवनकुमारचरित्र .........
.................१९०३....... ७५४ ..जंबूचरित्र ...................
...................१९५१ ७५५ .. चोवीसदंडक.............. ७५६ ..गीतमपृच्छा ............. .............
1.जिनहर्षसरि ७५७ .. गौतमकुलक सह वृत्ति .......................ले. व्यास लक्ष्मण ७५८ ..प्रस्ताविकश्लोक संग्रह ...... ७५९ ... प्रश्नोतररत्नमालीका सह टब्बार्थ ७६० ... विचारबत्तीसी सार्थ ................
......................१८०२ ७६१ ... आलोयण वृत्ति स्तवन ....... ७६२ ... वीस विहरमान विचार स्तवन, ७६३ ..नवपद कलश पूजा ..... .............वाचक यशमुनि.. ७६४ बांसठ मार्मणा द्वार .....
कपुरा पं. .... ७६५ ..ढूंढक चर्चा
.ले. भक्तिमाणिक्य .. ७६६ ... यति आराधना ....
.समयसुंदर
.१८५५ | श्लोकार्थ संपूर्ण. ७६८ ... आयुष्य प्रमाण + प्रायश्चित विधि........................... ..जंबूदीपसंग्रहणी सूत्र ........
.हरिभद्रसूरि.... ७०... कल्पान्तर्वाच्य + कल्पसूत्र वाचना ........... ७०१ ... नवपद स्तवन ................ ७७२ ... विचारसंग्रह ७७३ ...विचारशत त्रिंशीका ..........................जिनहंससूरि.... ७७४ ... जिनकुशलसूरिदादा आरती. ७७५ ... गौतमकुलक सह टब्बार्थ .....
.रिधिविजय ... ७७६/Aधर्मसंग्रहणि
-खुशाल ७७६/B- प्रश्नोत्तरी
---.......
.............
४६०
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कर्ता
विशेष नोंच
........१५७२
.............
५४
इंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
संवत् पत्र संख्या झेरोक्षसी .डी.न. पंधान७७..भक्तामरवृत्ति
.......शंकरदासमुनि..
........१८७२ ..........४७ ७७८ .. नेमीनाथचरित्र ..........
.........७७८ ....... ३३४ ७०९ ...विवेकमंजरी .............. ७८०..बृहतकल्पवृत्ति (प्रथम खंड) ..................रत्ननंदीगणी .. ७८१ .. वसुदेवहिण्डी (प्रथम खंड) .............. ७८२ .. औपपात्तिकवृत्ति
धर्मसुंदर ......
.............. ७८३ --- औपपातिकसूत्र
व्यवहारभाष्य ७८५ .. ललितविस्तरा सह पंजीका ................. -मुनिचंद्रसूरि .............
७८५+७८६ .......३३६ ७८६ ..-क्षेत्रसमासवृत्ति ............
1....७८५+७८६ ....... ३३६ ७८७ .--आवश्यकसूत्राणी+ सप्तस्मरण + अन्यस्तवन ७८८ ... आषाढाभूति चौढालीया .....
.मानसागरसूरि ........................१९०५ ७८९ ..-समवायांगसूत्र
हर्षविमल मुनि ७९० .. प्रज्ञापनावृत्ति ............................... .जितरंग गणि...
૧૮૭રે ......३०५ ...... ७९० (१,२) ....... ३३७ ७९१ ... रायपसेणीय
.विशालकीर्ती .. .......
.१६७० ७९२ ... प्रज्ञापनाटीका
मलयगिरि
૧૮૬૦
..... ७९२(१.२)........ ३३७ ........१५००० ७९३ - श्रावकानुष्ठान विधि .......
कीर्तिसूरि .......
१४२७ ७९४ ... वैराग्यशतक.....
भर्तृहरि ७९५ .. षड्आवश्यक नियुक्ति ..... ७९६ .. हितशिक्षाद्वात्रिंशिका ......
.क्षमा कल्याण ७९७ .. सिंदूरप्रकरटीका ............
हर्षकिर्तीसूरि ७९८ ...सिंदूरप्रकरसुभाषित ... ७९९ -- वसुधारा ८००... आवश्यकविधि ८०१...महानाटके रामविजय सुभाषित ...............कालिदास .... ८०२... शृंगारनैराग्यतरंगिणी सुखबोधिका वृत्ति.......सोमप्रभाचार्य .. ८०३ ..जीवविचारटीका ..............................युक्तिधीरगणि........................१८७२
... १८८९ ---
Rouge
१५७२
....२५५०
१७९७
-गुणहर्ष
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________________
१९०
ग्रंथांक
८०४ ● अष्टादशपद शास्त्र
८०५.. मुनिनांमान्यामान्यार्थ विचार षड्दर्शनसमुच्चय
८०६ ...
८०७..
पासाकेवली
८०८...
बृहत्शांति सप्तभंगी.
८०९...
८१०...
धुलकभवानी स्तोत्र
८११/१ भावनाकुलक.. ८११ / २ गोडीपार्श्वनाथस्तवन ८११/३ स्यादवाद सज्झाय
८११/४ स्तुतिसंग्रह..
८१२ चंदराजाचरित्र
८१३ घटसर्प
...
ग्रंथनुं नाम
--
८१४...
८१५...
८१६... श्रीपालचरित्र..
८१७ भक्तामरबालावबोध
---
पांडवचरित्रचोपाई.
रत्नपालमुनिचोपाई
८२६...
८२७...
८१८...
८१९...
८२०...
८२१
८२२ विक्रमसेन लीलावती चोपाई
चंपकचोपाई...
८२३ ८२४
श्रीपाल मयणासुंदरी चोपाई. आचारांगसूत्रवृत्ति
८२५
सूत्रकृतांगवृत्ति प्रश्नव्याकरणवृत्ति
विक्रमादित्यचतुष्पदी.
श्रीपालचरित्र
शालीभद्रचोपाई
विक्रमादित्यचोपाई
. कर्मचंद्र
गर्ग ऋषी
- हर्षसूरि
कर्ता
.मोहनविजय
. कालिदास
सोम्यगणि
रत्नपालमुनि
. पुन्यशील
खेमचंद
मानसागर
समयसुंदर
. जिनहर्ष
शीलगणी
. अभयदेवसूरि
संवत्
१८७७
१८४५
१९१२
. १८५७
१८२६
१८८५
. १८५२
. १८५३
१७४०
१६६८
१८४१
पत्र संख्या
१४
१३
.५
३
२
३२४
.२
.9
९
७२
२
७६
४२
५०
३८
२३
२८
२७
१००
३२
१६
४३
३२४
२५८
१२८
झेरोक्ष
८०८ + ८१३
८०८ + ८१३
८२५.
८२६.
૮૭
सी.डी.नं.
३३८
३३८
३३८
३३८
३३८
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंच
ग्रंथाग्र
१२०१६
३७८४ १०८०
५०६...
. १२०००...
१३९४०
४६००
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--------------------------------------------------------------------------
________________
|
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथान
विशेष नोंध
.......... ५३
.८३३+८३६ .......३३८
....८३३ + ८३६
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
| संवत् । पत्र संख्या ८२८ .. आचारांगसूत्र ................................विद्यासागर गणि ....................१६५९ ..........६१ ८२९ - नियुक्ति कीर्ति दोष्दे अपूर्ण .................................... ८३० ..-मुनिपतिचरित्र
..................१९८२ ८३१ ...वर्धमानदेशना (गद्य) .... .....................राजकीर्ति गणि.. ८३२ .. शांतिनाथचरित्र (गद्य)..................... .लेभक्ति माणिक्य
.क.भावचंद्र सूरि. ८३३ ..साधुप्रतिक्रमणवृत्ति ...................... तिलकाचार्य ... ८३४. पनवणासूत्र द्वे गाथा ..
ज्ञानसारेण ... ८३५ ..-पडशीतीक वालावबोध ..
.ले. मतीचंद्र
.क. देवेन्द्रसूरि ८३६ ... चोवीस दंडकना २९ बोल .. ............
.पंडित अमृत
.१८३० ८३७ ...सातमी नरक नकशा ................ ८३८ ...आनंदघन चोवीसी + महावीर जिन स्तवन ............ ८३९ ...चउसरण प्रकरण ......
..श्यामसिंह ..... ........... १९०६ --- ८४० .. भक्तामरस्तोत्र......
........ले.समयसुंदर
..क. मानतुंग सूरि.. .................. १७६४ ८४१ ... सम्यक्त्व कौमुदी........................
... षड् आवश्यक बालावबोध .................. सोमचंद्र ......... ...................१८१४.. ..-लघुसंग्रहणी बालावबोध ... ...........
.............................१८९९ 1. चौद गुणठाणा ............. उपदेशरत्नाकर .......................... -मुनिसुंदरसूरि अध्यात्मकल्पद्रुम ........................... -मुनिसुंदरसूरि क्षेत्रसमास प्रकरण ......................... .ले. चारित्रोदय .......................१८४१ प्रज्ञापना तृतीयपद सह अवचूरी ............अभयदेवसूरि ..
....................... १६५० समयसार नाटक
.................१७५३ हररस संपूर्ण ८५१..वृन्दविनोद................. ................युक्तिधीर मुनि .......................१८३०
..............८३८
......८४८+८५१.
...पत्र १०Y नथी.
......८४८+ ८५१
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________________
१९२
ग्रंथांक
८५२
८५३
८५४
८५५
ww
८५६...
८५७ ...
८५८ ...
८५९ ... शीलव्रतविषये नववाड
८६०...
८६१... ८६२ / १ ८६२ / २
८६३.
८६४. तर्कभाषा
...
तृतीय वैराग्यशतक
अष्टप्रकारी जिनपूजा
समयसार नाटक बनारसीविलास
संबोधसत्तरी बालावबोध सम्यक्त्वस्तवन बालावबोध
चतुर्विंशतिजिनस्तवन अवचूरी.
८६५ सारस्वतव्याकरण तृतीयवृत्ति
सिद्धांतचंद्रिका
...
ग्रंथनुं नाम
आत्मानुशासन
गाथासहत्री
विद्याहल छाया (संपूर्ण) शीलोपदेशमाला
स्याद्वादस्तवन
८६६ २
८६७ ... पाणीनीय लिंगानुशासन
८६८... तर्कसंग्रहटीका
८६९ सिद्धांतचंद्रिकावृत्ति
८७१
८०० न्यायप्रकरण सारस्वतदिपिका तर्कसंग्रह ८७३ संस्कृतमंजरी
८७२
८७४
+44
८७५..
cist
८७७
...
सिध्धांतचंद्रिकावृत्ति अनिट्सेट् धातु कारिका सिध्धांतकौमुदी तत्वबोधिनी टीका
सिध्यांतचंद्रिकावृत्ति
कर्ता
Email
लक्ष्मीविजय
धर्मसुंदर 1. मेरुसुंदर . सुमतिहर्ष
जिनहर्ष
जयवल्लभ
न्यायसागर मुनि
.ले. देवचंद्र
लोकशंकर भट्टोजी
शशधर
चंद्रकीर्ति सूरि
अन्नं भट्ट
हर्षकीर्तिसूरि
. ज्ञानेन्द्रसरस्वती
.ले. पं. तत्त्वकुमार
संवत्
१७७४
१६३२
१९०९७१
पत्र संख्या
३४
३८
४३
६२
११
१०
१४
४
२
२७
.४
७२
२
४२
१२६
७७
..C
१८
१२५
२९
. १२५
.C
. ३
६५
.५
१८७१
.५१२
. १८२७१५० थी १९६
झेरोक्ष
८७६ (१,२)
सी.डी.नं.
३३९.
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंध
ग्रंथाग्र
२१११
. ३७५
६३००
-
.
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विशेष नोध
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथाका ग्रंथन नाम
पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.नं. ८७८ ..जीवाजीवाभिगमसूत्रटीका अपूर्ण ..................... ८७९ ...विपाकसूत्र ८८० ... प्रथमथी पंचमकर्मग्रंथ सहवृत्ति, .............मलयगिरि ...............
.......८८०............. ८८५ ... आचारदिनकर . ..........क्षमाप्रभ .......
..........८८५.......३३९-१५००० श्लोक ८८२ .. शिशुपालवध काव्य ........................ कवि माघ ..... ८८३..रघुवंशमहाकाव्य ................
...............पं.सुखकीर्तिमुनि ...................... १६६६ .......... ८८४ ..रघुपंजिका ................. ...............वल्लभदेव .....
.. अष्टोत्तरी दशा ................... ..रघुपंजिका ..............
बल्ल म देव..... ...श्रीपालनरेन्द्रकथा टब्बार्थ ................... .जिनरंगगणि .........................१८७३ -........१५३ ८८ ..रघुवंशशकुनावली..... ८८९ .. सिध्यांतचंद्रिका ............................. रामचंद्राश्रम ...................... १८२५...........७० ८९० ..रघुवंशमहाकाव्य............................ .ले. हर्षविमल .क. कवि कालिदास
......८९०+ ८९७ ........ ८९१ .. विवाह मुहूर्त + जिनस्तुतिओ .................
प्रथमथी चतुर्थकर्मग्रंथ ................. देवेन्द्रसूरि ८९३ ...तर्कसंग्रह ...............
...........१८६५ ८९४ .. लघुचाणक्यनीतिशास्त्र सह टीकार्थ अपूर्ण .......... ८९५ ...सारस्वत कृदंतप्रक्रिया .......................अनुभूति स्वरुपाचार्य................
१८६४...... ८९६ - उत्तराध्ययन सूत्र सह टब्बार्थ ...............
१८८३ ..... २०१
1. १९४०० ८९७ .. जिनप्रवेशविधि सह धारणायंत्र ...........................
.............. १३ +....८९०+८९७. ८९८ ... पार्श्वनाथचरित्र टवार्थ ...................मनरुप विजयगणि
૧૮૮૫ .........२९५ ८९९ ... सुभाषित सार्थ .......... संघाचारटीका................................हरिभद्रसूरि....
.................२४८ ९०१ . क्षेत्रसमास + पाक्षिक अतिचार ....
......(१०६ थी +...१३२) २६
For Private & Personal use only
Page #242
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
.... 9000 ....९१३ नंबरनो ग्रंथ अहीं साथे मुकेल छे..
.......ग्रंथ ९१०नी साथे छे.
१९४ | ग्रंथांक ग्रंधन नाम
कर्ता
संवत् पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी.नं. ९०२ ..पाक्षिकसूत्र....... ९०३ .. व्याकरण की पांच संधिका अर्थ .....
..............१० ९०४ .. प्रतिक्रमणहेतुओ................. ९०५. मेघछंद अपूर्ण ..........
+. १९थी ९०६ .. व्याकरणसिद्धांतरहस्य ............
हेमपरिभाषासूत्रवृत्ति ............. सारस्वत व्याकरण सह टीका .................टीका.क. भट्टमाधव ..... सारस्वत टीका ....................... भट्ट माधव ....
.......... सुबोधिका टीका + सारस्वत टीका ...........चंद्रकीर्ति + क्षेमचंद्र,
1.८१ थी १५९ सारस्वत प्रक्रिया ................. -अनुभूति स्वरुपाचार्य.................१८२१.......... ५३ सारस्वत प्रक्रिया. .अनुभूति स्वरुपाचार्य..
.... ५९ सारस्वत टीका (९१० नी साथे छे)........ -क्षेमचंद्र ................१७६५.८१ थी १५९ ९१४ - हिंसाष्टकसावचूरि
.हरिभद्रसूरि. ९१५ ../लीलावती टीका .........
भास्क राचार्य.......................................... १९.....९१५ +९१७ ..... ९१६ ..सारस्वत माधवी वृत्ति अपूर्ण ..............
... ९५ कल्पलता नामनी कल्पसूत्रटीका .समयसुंदर ............ र.१७६७,ले.१७६८
....९१५+९१७ कल्पसूत्र सह वृत्ति .................. .समयसुंदर ..........................१८२८ पर्युषणाष्टानिका व्याख्यान ..................गुणसुंदरमुनि ............. कल्पांतर्वाच्य ..........
.......समयमाणिक्यगणि...................१७४० समवसरण
माणिक्यनंदन .............. १८५० ९२२ .. त्रिषष्ठी शलाकापुरुष-आदिनाथचरित्र ....... |.जिनरंगगणि..... ........... ૧૮૮૬ ...वासुपूज्य चरित्र..
नथमल.......
१८८३ ...पउमचरिय॑म् .......
-सुमतिमंदन गणि
१६२५ पार्श्वनाथ चरित्र ....
भावदेव सूरि ... ९२६ ... परिशिष्ट पर्व.. हेमचंद्रसूरि ...
-...९२६... ९४५ .. ९२७ ... आदिनाथचरित्र ...
.हेमचंद्रसूरि. ९२८ .. भगवती सूत्र............
प्रजटाका
............
.......(१ थी १६ नथी)
812
९२५....
११५००
...पत्र १६मुं नथी. ३५००.
५०१७ ....१५७५२
૧૬૪
For Private & Personal use only
Page #243
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विशेष नोंध
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक. ग्रंथनु नाम ।
कर्ता
संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.नं. ग्रंथान ९२९ ..सिंदूरमकरवृत्ति ...............
हर्षकीर्ति सूरि ..
....४७.... ९२६... ९४५....... ३३८ ९३०.. सिंदूरप्रकरटीका .............
-गुणकीर्तिसूरि ............१८०३ ...........११ .. ९२६... ९४५ ....... ३३९ ९३१ .. अक्षयतृतीया व्याख्यान ............... .राजमूर्ति .
F...........१८३२ +.....थी२० ९३२ .. अमरकोश लिंगानुशासन ...................
अमरसिंह ......
...२१५ ९३३ .. सिध्यांतचंद्रिका ...........................
..............................३६ ९३४ ..नवपदपूजा ......
धरमसिंह.....
...................६ ९३५ .. स्थंभन पार्श्वनाथ स्तबन ....
कुशललाभ ९३६ ..लोकनालिका द्वात्रिंशिकावृत्ति ...............
....................१८५० ९३७ .. ऋषभविवाहली .................... ९३८ .. भगवतीबीजक .............................. .माणिक्यसागरगणि ...................१९२४ ९३९ -- भगवतीवृत्ति ................ माणिक्यसागरगणि ...................१८४४
.....१८६१६ ९४० --लघु प्राध्यजितकल्पसूत्र सह वृत्ति. ९४१ ..सिध्धांतकौमुदी ९४२ ... प्रतिक्रमणविधि.
........................ eva..Jहरिविक्रमचरित्र.............................. जयतिलकसूरि .......................१८६० ९४४ ... प्रवचनसारोद्धार सटीक.. ९४५ ..उपदेशमालावृत्ति
.वरचंद्र गणि. .................
1... ९२६....९४५ --......... ९४६ ..रुपसेनकथा
.अमरविजय...........................१७२४ -.........३५ ९४७ .. कर्मग्रंथ प्रथमथी पांच सटीक .............. मलयगिरि ...............
..........४००0---- ९४८ ..कथारत्नाकर ........ ................. दरडामेहाजल ........................१६६७ ....(१२१ थी
.....................१६१)४०
...1000---- ९४९ .. भक्तामरस्तोत्र सटीक ................... मानतुंग सूरी ....
..१५७२ ---- ९५० ...पष्टिशतक प्रकरण..... ९५१ ..गौतमपृच्छा सह वृत्ति ..
दयाराज मुनि ९५२ ... श्रावकविधिप्रकाश ........
जयचंद्र मुनि ... ९५३ --- दृष्टांतशतक पत्र ............. -गुणविजय .....
७६९ ९५४ ...सुभाषितसारोघ्यार ..........
.विजयचंद .....
.१५०६
...................जयचंद्र सरि
...१५१८
........६९
+.......-२८३
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Page #244
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
झेरोक्षसी
पत्र संख्या
११ ......२११४
.९५९
.....९६३ +९८७ ..
१९६ | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् ९५५ ... श्रुतबोध ............
............ कालिदास................ ........... ९५६ ..प्रभावकचरित्र त्रूटक अपूर्ण ९५७ .. चौद गुणस्थानक, संपूर्ण
.ले. शांतिसमुद्र,
.क. रत्नशेखर ...........१८५३ प्रश्नोत्तर अभिधान शास्त्रम्
.मेघजी
.................१६९९ लीलावती टीका
नंदलाल........ ..चतुःशरण पंजीका .............
..........१८७८ एकाक्षरनाममालिका .....
दशकालिकसूत्र ..... ९६३ .. उपदेशमालावृत्ति .. ९६४ ... सूक्तावली. ९६५ .. | संबोधवृत्ति ........... ९६६ ..धनंजयनाममाला
१९२१ ९६७ .. श्रीपालचरित्रव्याख्या ... .............. -गुणसुंदर मुनि ..........
....१८९९ ९६८ .. मौनएकादशी कथा .
.सौभाग्यनंदीसूरि .....
.....१८५२ ९६९ ..दुरियरयसमीर वृत्ति............... समयसुंदर ..... ...................१९०३
जयतिहुअण + स्तंभन पार्श्वनाथ द्वात्रिंशिका ऋधिमंडलस्तोत्र सह कथासंग्रह
हर्षनंदन.. ऋषिमंडलसूत्र वृत्ति सह कथा सप्तभेदप्रकाश ......... ............. .महेश्वर कवि ........................१५७६ विचारवादसंग्रह .............. पंचसायक .............
शेखरज्योतिरीश्वर .... लोकतत्वनिर्णय .........
.हरिभद्र...... चोचीसदंडक सहावचूरी..
-गजसारमुनि... ९७८ ...पालाविचार ......
देवेन्द्रसूरि ...... ९७९ .. सिध्धदंडिका अवचूरी ९८० .. चार्चिक स्तवन टम्बार्थ .
..........
........२५ मुं पानु नथी
.हर्षनंदन.
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Page #245
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथनाम
९८१
९८२
९८३ ..
९८४
जिनकल्पिका
कर्मग्रंथ सार. नवतत्त्वबालावबोध
...नवतत्वप्रकरण
९८५...
बंधतत्त्वबालावबोध
९८६ प्रथमथी त्रण कर्मग्रंथ
९८७ ..
स्वरोदय सह वार्तिक
श्रावकप्रतिक्रमण सूत्र महावीरचरित्रटीका.
वीतराग स्तोत्र
९८८ ९८९ ... ९९० ९९१ तपोटमतकुट्टनशत श्रीपालचरित्र संघपट्टक.
९९२
९९३
९९४
विचारपंचाशिका
IAN
| सिध्धचक्रोद्धार सह व्याख्या
---
---
९९५ ...
९९६ ... ग्रहशांतिटीका...
९९७ ज्योतिषनां पानां
९९८ • लघुटीका
९९९
१०००
१००१
१००२. कल्पसूत्रकलिका १००३. उत्तमराजर्षिकथा
नारचंद्रज्योतिषनां पानां
प्रवचनसार
रायपसेणीसूत्र सह टब्बार्थ
१००४. प्रज्ञापनासूत्र सह टब्बार्थ
१००५० स्त्री रीड असज्झाय
१००६. दीपावली कल्प
१००७. कल्पसूत्र
हर्षविमल
कर्ता
हेमचंद्राचार्य
जिनप्रभसूरि
शशिसूरि .जिनवल्लभसूरि
चंद्रकीर्तिसूरि
नारचंद्र
अमरसागर
लक्ष्मीवल्लभ
गंगाराम
.ले. कमलमुनि
.जिनसुंदरसूरि अमरचंद्र
संवत्
. १८४३
१६३६
१७२३
१८५४
. १८१२
१८८३
. १८१२
. १८७९
. १८२४
.१८१५
१८१६
१४८३
१८६२
पत्र संख्या
४ ....४
१३
१२
.८
19
४
.७
१२
.४
४८
४
19
२
.८
१४
४
.७
..४
१७९
१५२
१६
२७९
...५
२१
७९
झेरोक्ष
९६३ + ९८७
. ९९०
सी.डी.नं.
३३९
३३९.
ग्रंथाग्र
२४०००
विशेष नोंध
१९७
Page #246
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________________
रोक्ष
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी.न. ग्रंथान
विशेष नोंध .........१२१६...
...............
........१२१६.
.........
१९८ ग्रंथांका पंधन नाम
कर्ता
संवत् पत्र संख्या | १००८ - कल्पसूत्र...........
-कुशलमुनि
............१८६२ .........४४० १००९ - पर्युषणाकल्पदुर्गपदविवृति ... १०१०. कल्पसूत्र सह वृत्ति ................ १०११. स्थविरावली पर्युषणा कल्प अपूर्ण १०१२ - अठ्ठाइ व्याख्यान......
मुळचंद्रजी....... १०१३.शिशुपालवधटीका अपूर्ण ...
कवि माध..... १०१४ . मेघदूत काव्य .......
.कवि कालीदास. १०१५. किरातार्जुनीय काव्य .........
.ले. हर्षविमल, क. भारवि १०१६ - किरातार्जुनीय काव्य ....
भारवि........... १०१७ माघ काव्य (शिशुपालवध टीका)
कवि माघ ....... १०१८ - किरातार्जुनीय वृत्ति
भारवि......... १०१९ रघुवंश सस्तवक अपूर्ण . १०२०. पाक्षिक अवधूरि ........... १०२१. भगवतीसूत्र सह वृत्ति .................. विमलगणि ...........................१६३० १०२२ - पनवणासूत्र .......
रत्नविवेकमुनि ...................... १०२३ - कर्पूर सहावचूरि ... १०२४ . उत्तराध्ययनसूत्र सह बृत्ति .
..................-१६० से १०२५. भक्तपरिज्ञा सह अवचूरी .....................शांतिसूरि १०२६ . हुंडीका ग्रंथ (१०२९ नी साथे छे.)...... १०२७. व्यवहारसूत्र ......." १०२८ . सिध्यमाभृत सह वृत्ति ....... १०९. सिध्यांतहुंडिका सह बीजक, हुंडीका ग्रंथ ... पद्मविलासमुनि, .......(१०२६ नी साथे मुकेल छे.) .............. -गुणविनयगणि ........... र.१८४१,ले.१८४३ -..२७४ + १०३०. भुवनभानुकेवलीचरित्र कथा सह ........ १०३१. शोभनमुनि वृत्ति
जयविजयगणि १०३२ . मुक्तावलि (श्लोक संग्रह).. १०३३ - पार्श्वनाथचरित्र ......
भावदेवसूरि ...
.१८0-........
...१५१
....... ३३९
........३०५
२६८
........... १०२९ नी साथे छे.
Page #247
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________________
|
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
विशेष नोंघ
ग्रंथान अं.१३४०
१036.......३
१०४३ .......३४०.
इंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
| संवत
पत्र संख्या १०३४. त्रिषष्ठिशलाकापुरुष चरित्र दशमुं पर्व ........ १०३५ - श्रीपाल चरित्र
.शशीसूरि .... १०३६ -- दानशीलतपभावनाकुलक सह वृत्ति अपूर्ण ....... १०३७. जगतभूषण.. १०३८. सिध्धांतचन्द्रिका
रामचंद्राश्रम.. १०३९ -- सिध्यांतचंद्रिका वृत्ति-उत्तरार्ध
.दयाराज
...........१८२६ ...
.......१९१ १०४०-सारस्वत सूत्र ................................ .ले. सोमगणी,
..................................क. अनुभुति स्वरुपाचार्य, ............ १७९८ ... १०४१. सिध्यांतचंद्रिका ...............
रामचंद्र .......
...................१५३ १०४२. सिध्धांतचन्द्रिका ...............
रामंचद्र ..........
.......................१५१ १०४३. योगशास्त्र-बारमो प्रकाश विवरण सहित १०४४ उत्तराध्ययनसूत्र-सह टब्बार्थ ...................जीवणदास ...........................१८३२.......... १७२ १०४५. सिध्धांतचंद्रिका अपूर्ण
................... ६९ १०४६ दश दृष्टांत ..
** ................ १०४७/१/पार्श्वनवग्रहस्तव टीका १०४७/२ लघुशांतिस्तव टीका ........
हर्षकीर्ति सूरि .... १०४८ . जंबुस्वामीचरित्र टीका ................. सकलहर्ष मुनि ................. १०४९ - कर्पूरप्रकरण सह कथाओ................. .ईन्द्रमाण मुनि ...................... १०५०..जीवाजीवविचार सह वृत्ति ............... .क्षमाकल्याण मुनि ...... १०५१. व्याकरण भूषणसार,
"" "" " १०५२. कर्मग्रंथ १ थी ४ बालावबोध
.देवेन्द्रसूरि... १०५३ -- सम्यक्त्व कौमुदी..............................ले. गोपीदास...................... १०५४ बोल थोकडा भंग संग्रह .................................. १०५५ - शत्रुजयमहात्म्य सह वृत्ति ....................रुपचंदमणि .................. १०५६ -जीवाजीवामिगमसूत्र सह बालावबोध ..........पं. जीवणजी .................. .१८१६ १०१७--पौसहविधि तथा चौद नियम... १०५८ -- चातुर्मासिक व्याख्यान ...
पं. प्रेमवर्धन...
... १०५१.. ११४५ .......३५
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
२०० | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
.
संबत १०५९-चंद्रप्रभस्तवन-प्रदेशीकेशीप्रश्न .. १०६०. प्रवचनसारोद्वारवृत्ति ....
- सुगुणकुशलमुनि..............
.....१८६४ १०६१. विशेषसंग्रह ...............
.ले.अमृतधर्म.क.समयसुंदर ...........१६८५ १०६२. शत्रुजयमाहात्म्य ..
........ -धनेश्वरसूरि ............... १०६३ . प्रवचनसारोद्धार १०६४ . आत्मप्रबोध
.............--- -खुशालविमलमुनि ....................१८७५ १०६५ - सिध्धांतआलापक १०६६ . आत्मप्रबोधबीजक १०६७. विक्रमादित्यचौपई ............................सुमतिनिधान मुनि ...................१८५४ १०६८. शालिभद्रचौपई.............................. .मतिसार........... १०६९ . हंसराज-बच्छराजचीपई .............. १०७० . कुलपजकेवलीचौपई (एसलहरी).............उदयसमुद्र उपाध्याय ............... १७४७ १०७१ . राजसिंहचौपई (नवकार फल)...........
....................१८४४ १०७२. श्रीपालरास
नेमचंद्र .........
. ૧૮૮૨ १०७३ - पुरंदरकुमार चौपई + आनंदसंधि .......... दानविमलमुनि...
..........
१७४६ १०७४ . मृगावती चौपई ..
समयसुंदर ......................... १०७५.चंदराजानो रास .......... १०७६ .शांब प्रद्युम्नचौपई
.विनयशील ....................... १०७७. नलदमयंतीचौपई
.शिवनंदन
१७३० १०७८-मानतुंग मानवती रास .....
.मोहनविजय
.१८५१ १०७५. चित्रसेन पद्मावती चौपई.
.रामविजय १०८० . हंसराज बच्छराज चौपई ..
.विनयमेरुमुनि .. १०८१. श्रीपालरास ....
.मयाचंद ......
................१८२१ १०८२ . अंजनासुंदरी चौपई ...
भुवनकीर्ति ....
.१७६६ १०८३. श्रीपालरारा ......
जशविजय...... १०८४ चंदराजारास .....
-मोहनविजय .... १०८५ सुरप्रियराजर्षिचरित्र ..
दानचंद्र ........
S
१७४९
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Page #249
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________________
झेरोक्ष
सी.डी.न.
ग्रंथान
विशेष नोध
१२८५
....बे पाना नथी
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक प्रधनुं नाम ।
कर्ता
संवतपत्र संख्या १०८६ -- ईलाकुमार चौपाई ............
ज्ञानसागर.
................१७१९... १०८७.. हरिचंद्रराजाचौपाई ............................भालचंद्र गणि
................१७७७ १०८८.शालिभद्-धन्नाचरित्र......................... .मतिसार मुनि १०८९ - भोजचरित्र......
.राजवल्लभ ...१०९०. रसिकप्रिया अपूर्ण .............. १०९१ . प्रवज्याविधानकुलक सहावचूरि ................. १०५२ . सामायिकग्रहण विचार ... १०९३. सिध्धांतकौमुदी १०९४ . विदग्धमुखमंडन चौपई
.धर्मदास . १०९५ - सिध्धांतकौमुदी यातकामुदा .............
.ले. महिमासुंदर
भट्टोजीदिक्षीत १०९६ --प्रहसन्नाटक.......
शंखधर ........
....१६०२ १०९७ . हेमलिंगानुशासन विवरण
हेमचंद्राचार्य ..... १०९८ - धातुगण सेट् आदि (प्रश्न विवरण).......... .हेमचंद्राचार्य..... १०९९ - तर्कसंग्रह दीपिका .......
.ले.दयाराज मुनि .क. अनंभट्ट...
૧૮ર૬ ११०० -- सारस्वत व्याकरणवृत्ति .......................
हर्षविमल.........
.................१८७१ ११०१. न्यायसार त्रण परिच्छेद................ ११०२ - नाममाला व्याख्या .......
भाग्यविलासगणि ................... ...१८३२ ११०३. अनेकार्थ शब्द संग्रह .. ................. हेमचंद्राचार्य ........
......१६४७ ११०४ . अभिधानचिंतामणि नाममाला .............. हेमचंद्राचार्य ....... ११०५ --अभिधानचिंतामणी नाममाला .............. हेमचंद्राचार्य ......................... १७३३ ११०६ - मेघदूत काव्य...
कवि कालिदास . ११०७. भगवतीसूत्रवृति..
.जिनरंगगणि
................१८७३ ११०८.नवतत्व सह वृत्ति ११०९ -जीवाजीवाभिगमवृत्ति
मलयगिरि ..................१८८१ १११०. अंतकृतदशांग सूत्र...........
.................
१०५१.. ११४५........३४०
.१८६१६
.१४०००
....८२५ ...
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________________
१०२
रंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
कती
संवत
पत्र संख्या
मेरोश
सी.डी.नं.
ग्रंथात्र
विशेष नॉu
१०५१..११४५
ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम ११११. अनुत्तरीपपातिकदशांग सूत्र ... १११२. साताधर्मकथांगवृत्ति .... १११३ शांतिनाथनाममहिमा अपूर्ण .. १११४ - अंतकृत्दशांगवृत्ति .............. ............. ज्ञानहर्षमुनि .. १११५ . अंतकृतदशांगसूत्र सह वृत्ति ............... १११६ .. आचारांगनियुक्ति ........ १११७ दशवैकालिकसूत्र सहायधूरी ...
गंगादास ....... १११८ . साधुविधिप्रकाश + लघुप्रतिक्रमण विधि .... १११९. शिशुपालवध .......
.मल्लीनाथसूरि .. ११२०..प्रतिक्रमणविधि (हेतुगर्भ).. ११२१. शाश्वतजिनर्विवस्तवन- विचार संग्रह अपूर्ण ११२२ - मेघदूतकाथ्य .......
कवि कालीदास .. ११२३ --कुमारसंभव महाकाव्य....................... कवि कालीदास .............................. ११२४ . सिद्धांतचंद्रिका अपूर्ण ..
कवि कालीदास ...................... १७६१ ११२६ - मेघदूत संजीवनी वृत्ति .. .................. कवि कालीदास .................. ...१८७० ११२७ .. सम्यक्त्वकौमुदी
................ .१८२५ ११२८. सिद्धांतकौमुदी............ ११२९ . सिद्धांतकौमुदी अपूर्ण ११३०. कर्मग्रंथ प्रथमसे छा ...... ...........ले. कल्याणमुनि ११३१ -कर्मग्रंथ सस्तबक ................ .ले.सुंदरमुनि क.जीवविजय ...........१८०३ ११३२ . त्रिशष्टिशलाका पुरुष (जैन रामायण).......हेमचंद्राचार्य .... ११३३ - भक्तामरसुबोधिका टीका .................... गोवर्धन ........ ११३४ - कर्मग्रंथ (प्रथमसे पाँच) सह वृत्ति ........... देवेन्द्रसूरि ...... ११३५ - गौतम कुलक सह वृत्ति .
|.सागरचंद्र ....
.१७५३ ११३६ -- सम्यक्त्वस्तव
...... ११३७. नंदीश्वरद्वीप स्तबन + गाथा सहस्री ..........समयसुंदर ..... .....................१६८६
११२५ -- कुमारसा
.......१०६१५
For Private & Personal use only
Page #251
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________________
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी
विशेष नोंध
१८३०
१६८०
१०५१..११४५.......३४०
११४७..१२६२ .--..... ३४०
....१८४६
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कर्ता
संबत ११३८ वैराग्यशतक ................................ भर्तृहरि ... ११३९ - भगवतीबीजक ..............
१९२५ ११४०. कर्मग्रंथषट् सहटब्धार्थ
| पं. हर्षचंद्र ११४१. श्रावकविधिप्रकाश,
......नथमलजी.
१८७५ ११४२ . प्रत्याख्यानभाष्यावचूरी, ११४३ - ऋषिमंडलवृत्ति ................ ११४४ . सिद्धपंचाशिकायचूरी .........................देवेन्द्रसूरि ....... ११४५ - तत्त्वार्थ सूत्र सह भाष्य ....
................१६८७ ११४६ --कर्मग्रंथ चतुर्थ -पंचम (नवीन) ११४७ - शांतिनाथचरित्र ....
.पं. पद्मसोम मुनि
१७०४ ११४८ -- बलिनरेन्द्र-भुवनभानु बालावबोध ......... नेणचंद्र ११४९ नमस्कारस्तव सह वृत्ति..
.जिनकीर्तिसूरि. ११५०. सिद्धपंचाशिका सहावपूरी...
देवचंद्र ११५१ . लघु संघपट्टक प्रकरण
| पं. गुणसागर ......................... १६७४ ११५२ -- रघुवंश महाकाव्य ........................ कवि कालिदास ....... ११५३ -- बंधस्वामित्व तृतीयकर्मग्रंथ ................ भाटपांचाल. ११५४ .. वृत्तरत्नाकर ...........
भट्ट केदार ... ११५५ . विचारसंग्रह + आवश्यकनियुक्ति अपूर्ण, ११५६ - प्रश्नोत्तररत्नमालीका सह
जिनराजसूरी ११५७. उत्तराध्ययनकथाओ बालावबोध .. .जयहंस
...............१७५१ ११५८ उत्तराध्ययन टीका
सोमहर्ष ११५९ . ठाणांगसूत्र सह दीपिका ......................राजसूरी ....... ................१८२८. ११६०.दानमाहात्म्य .......
.रत्नहर्ष.....
१८९६ ११६१. गुरुवंदनभाष्य ...... ११६२ . शकुनचौपाई (दीपिका).. ११६३. सम्यक्त्वस्तवावचूरी ... ११६४.Jआगमसारोद्वार ......
देवचंद्रमनि
२७९
११३०० .३७७०...
११५०...
Page #252
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
कता
पत्र संख्या
स
सी .डी.नं.
ग्रंथान
.......१६५०..........१५
......५००
......२२३
................१८२०
. ११४७..१२६२
२०४ | ग्रंथांक
ग्रंथन नाम ११६५-शुकराजा कथा ............................. .अनंतविजय... ११६६ --समरादित्य विवरण ...................... .क्षमाकल्याण.. ११६७ . अजितशांतिस्तवन बालावबोध ११६८ . श्रावक गुण ११६९ . श्रीपालरास
जिनहर्षसूरी ११७०. योगदृष्टिसज्झाय सह टब्बार्थ ............. यशोविजय ११७१ . भावट्त्रिंशिका सह टब्बार्थ ................ .मोहनरत्न ...... ११७२० दशकालिकसूत्र ११७३ - दशवकालिकसूत्र सह टब्बार्थ...... ११७४ - उपासकदशांगसूत्र सह टवार्थ .............. ११७५-लघुक्षेत्रसमास ........... ११७६ - सम्यक्त्वकौमुदी............... ११७७. उपासकदशांगसूत्र सह रब्बार्थ.. ....... ११७८ दशाश्रुतरकंधसूत्र सह टब्बार्थ
............
धर्मसुंदर ११७९ . योगशास्त्र-चोथो प्रकाश सह टबार्थ ........ .हेमचंद्राचार्य ११८० दशकालिक सूत्र ........................... ११८१. जंबूद्वीपप्रकरण........... ११८२.. उपदेशरत्नकोश सह बालावबोध .. ११८३. सप्तस्मरण ११८४ . दशाश्रुतस्कंध टब्बार्थ
-मुनिचंद्र ......... ११८५-सप्तदशशते तृतीय .................. ११८६ . आत्मप्रबोध .........
जिनरंगगणि ११८७ . मध्यान्ह व्याख्यान पद्धति
.शिवलाल ११८८ . जीवाजीवविचार मार्गणाद्वार ११८९ - चौत्रीस अतिशय + वर्धमान देशना ....... जिनलाभ गणि ११९०. निदानांजनं सह बालावबोध .......... अग्निवेशऋषि ११९१ . सन्निपात कलिका .........
..........
.... १६०० .... ३०००
।
...................
१८७४
..१९०३
For Private &Personal Use Only
Page #253
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________________
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथान
विशेष नोंध
संवत् पत्र संख्या ...१७४८ ......
.....११५
.९७७
१७६०
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता ११९२ . रुम्विनिश्चय निदान ....
माधकथि.... ११९३० माधवबंद .......... ११९४ -- पवनविजय ............. ११९५ . अमृतमंजरी ............
काशिराज ११९६/१ वैद्यजीवन सह दिपिका ......................लोलंबराजकवि ................ ११९६/२ योगशतक सह टब्बार्थ .... ११९७ -- मुनीनां मान्यार्थ विचार ..... १९९८ - उपकरण गाथा ........... ११९९ - श्रावककर्तव्य. १२००. प्रस्ताविक श्लोक संग्रह ...................................... १२०१. भगवतीसूत्र ... १२०२० दानशील चौढालीया (गुटका).............. .नेमीदास ..... १२०३० गुणठाणेका बोल (गुटका).................. .ताराचंद.... १२०४० स्तवन (गुटका).............. १२०५० चंदनमलयागिरीकी वार्ता + ढोलामारु वार्ता . १२०६० पूजा (गुटका) १२००. स्तवन (गुटका) ...... १२०८० अष्टमीस्तुति (गुटका)...... १२०९० समवसरण (गुटका)...... १२१०० रतवन (गुटका) ....... १२११० स्तवन (गुटका) १२१२० नवतत्व बालावबोध .................. ...फतेचंद १२१३ क्षेत्रसमास स्तवन-सज्झाय १२१४- शालीभद्रचौपाई
१२१५- पच्चक्खाणमाला ........ [ १२१६ -शांतिस्तव ................
कमलकीर्ति. | १२१७.जैनरक्षास्तोत्र ...... ..............हर्षसुंदर .......
-- गुटका अमें ध्यानथी जोया नथी.
.. गुटका अमे ध्यानथी जोया नथी. .....गुटका अमे ध्यानथी जोया नथी,
................ पोथी
.. गुटका अमे ध्यानथी जोया नथी. गुटका अमे ध्यानथी जोया नथी. गुटका अमे ध्यानथी जोया नथी. गुटका अमे ध्यानथी जोया नथी. -- गुटका अमे ध्यानथी जोया नथी. ---गुटका अमे ध्यानथी जोया नथी.
...१८५०
.........
१६८८ ૧ર૮
Page #254
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________________
२०६
ग्रंथांक
१२१८. श्रावक आराधना
१२१९ हितोपदेश पंचाख्यान
१२२० प्रश्नोत्तर सार्धशतक सूचीबीजक
१२२१ विहरमान जिन एकवीस ठाण+ सत्तरीसय ठाण
१२२२ ऋषिमंडल + पार्श्वजिनस्तोत्र पाशाकेवलीस्तोत्र
१२२३
१२२४. चातुर्मासिक व्याख्यान १२२५. एकवीस स्थानक
१२२६. चतुर्विंशति स्तुतिओ.
ग्रंथनुं नाम
१२२७. सारस्वत....
१२२८. चैत्यवंदन अने स्तुति
१२२९ दानशीलतपभावनो संवाद
१२३०
१२३१. बृहत्शांति सह वृत्ति १२३२. सिंदूरप्रकर
जीवाजीवविचार प्रकरण टब्बार्थ
१२३३ सत्तावीस बोल.. १२३४
नवकारमंत्रपर राजसीनी कथा
१२३५. सप्तरमरण- चैत्यवंदन (टब्बार्थ)
१२३६.
१२३७ गुटका
१२३८• गुटका
१२३९ त्रुटक पन्ने के बंडल बड़े
१२४० त्रुटक पने के बंडल छोटे
१२४१ ह्रींकारमें पार्श्वनाथजी का चित्र
कल्पसूत्र.
१२४२ पाक्षिक सूत्र
कर्ता
.गुणसुंदर मुनि रत्नसिंह क्षमाकल्याण
. गर्गऋषि
.पं. ईश्वर
ले. जयचंद
समयसुंदर
हर्षकीर्ति सूरि . सोमप्रभसूरि
.ले. विनयचंद
संवत्
१८०६ १८२७
१९१०
१८०६
. १८८१
. १९६४
पत्र संख्या ...........६
८०
A
२७
२०
.७
.८
१६
१३
११
१३
२०
१०
१०
.५
१७
.७
१०
१३
૬૮
१०
१५
.. ४
४.
३
.c
झेरोक्ष
११४७..१२६२.
सी.डी.नं.
३४०
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंध
ग्रंथाग्र
-
गुटकानी साथे राख्या हशे ध्यानथी जोया नथी.
गुटकानी साथे राख्या हशे ध्यानथी जोया नथी. .गुटकानी साथे राख्या हशे ध्यानथी जोया नथी. गुटकानी साथे राख्या हशे ध्यानथी जोया नथी.
. चोतरफ देवी देवतां ना १५ चित्र, ह्रींकार यंत्र .सादु हस्तकला ना चित्र
..
Page #255
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________________
पत्र संख्या
रोश
सीडी नं.
विशेष नोंध
...............अपूर्ण
.....१,८,११ पाना नथी
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक । ग्रंथन नाम
कर्ता १२४३. योगशास्त्र ............... १२४४ - सामुद्रिकशास्त्र .............. ..............रामचंद मुनि..... १२४५ --आठकर्म की १५८ प्रकृति का विचार ... १२४६ द्विघटिका
१३) १२४७ आठ वर्गादि. (ज्योतीष) १२४८. चातुर्मासिक व्याख्यान, १२४९ --सिन्दूरप्रकर . १२५०. सौभाग्यपंचमीकथा ................. १२५१.नीति व श्रृंगारशतक अपूर्ण, १२५२. षष्टिशतक अपूर्ण ..... १२५३ - पन्नासंग्रह ............. १२५४ विपाकसूत्रवृत्ति ..........
.अभयदेव आचार्य १२५५ - संग्रहणीसूत्र .............
मलधारी हेमचंद्राचार्यसूरि ...........१८८१ १२५६ -- पूजाविधि पं. रामप्रमोद ..
+.. ११४७..१२६२.-......३४० १२५७ . आदिनाथ स्तवन .......... १२५८ -- ज्ञातोपनया ........ १२५९ . विवादपटल अवचूरिसह... १२६०. समकित उत्पत्ति ...... १२६१ . वशीकरण तन्त्र नुस्खे १२६२ . आणंदसंधि
....................(६७रो७२)१३.... ११४१७..१२६२ १२६३ वस्तुपाल तेजपालरास ............... १२६४ . नेमजीका रास १२६५ -- अष्टप्रकारपूजा ............
खीमाबिजय .......................... १८४१.............२ १२६६ ..दानशीलतप चौढालिये + गौडी पार्च स्तवन ,
(८०से८८)९ १२६७ - मौनएकादशीकथा ...
सौभाग्यनंदी मुनि... १२६८ -आषाढाभूति धमाल (चरित्र) ............... .कनकसोमसुरि १२६९ . छींक आदि शुकन विचार .............
क्षेमंकर
----१ पत्रा नहीं है
lain
ducato International
For Private & Personal use only
Page #256
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोध
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंधान
२०८. ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता सं बत पत्र संख्या १२७० उपदेशरत्नकोश सह टब्बार्थ ................
...................१८७५१२७१./स्व रोदय ............... १२७२ आत्मनिन्दा ................................. ज्ञानसार मुनि १२७३.गौतमक्ल क ................. १२७४ . दो काव्य पंचपाठी अर्थ सहित ............. १२७५
कायस्थिति भाव बंधादि विचार ............... १२७६ विचारसंग्रह ................ १२७७ मूर्खविचार सज्झाय १२७८ कपूरचक्र यंत्रफल
........ले. माणिक्यराज १२०९ चार्षिक ग्रंथ ............... १२८०. शत्रुञ्जयकुलक........... १२८१. दशार्णभद्र चौडालियादि सज्झाय .. १२८२.नवतत्व + चतुः शरण.... १२८३ . प्रकीर्णक विचार संग्रह .......... १२८४ . जिनप्रतिमापूजाविचार ............ १२८५.अनिट्कारिका व्याख्या सह १२८६ - देशविरती प्रायश्चित विधि .................. .जिनप्रभसूरि १२८७ उपस्थापनविधि .................. १२८८ - गणधरवाद..................
सोमध्यजगणि १२८९ - जिनप्रतिमादबकरणहुन्डीरास अपूर्ण ....... १२९०. धार्मिक सुभाषित........... १२९१/१ अक्षयतृतीयादिपर्व व्याख्यान +
नवतत्वसह बालावबोध. १२९१/२ मौनएकादशी
..... (५६से६०५ १२९२ . चैत्रीपूनम देववांदवा विधि १२९३ . मौनएकादशी स्तवन.....
समयसुंदर १२९४ . जैनमहिम्न स्तुति (स्तोत्र)........
.१८८८
2
0
..१३८९......
......१९३०
For Private & Personal use only
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सी.डी.नं.
ग्रंथान
विशेष नोध
............७ से १२)६
...७०.... १२८७..१३८९ ........३४०.
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक पंथन नाम
कता १२९५.बारहभावना...................................जयसोमगणि ...... १२९६ . जैनतीर्थावलीद्वाप्रिंशिका ...
..क्षमाकल्याण... १२९७ .-अरत्रकक्षुल्लक साधुसम्बन्ध ...................मान मुनि .. १२९८ . कर्मक्षय व सिद्ध स्वरूप .... १२९९ - विकृति अविकृति विचार १३०० प्रतिक्रमण, सज्झाय, स्तुतिस्तवनादि संग्रह .............
(प्रकीर्णक पोथी) १३०१. चंडाप्रचण्डाथोपाई. १३०२. नवपदखमासमणाविधि .... १३०३ . हर (हरि रस)......... १३०४ चौबीसदंडक बोल ... १३०५ -- न्याय का ग्रंथ अपूर्ण ................ १३०६ .. संग्रहणी बालावबोधसह अपूर्ण १३०७ प्रकीर्णधार्मिकसंग्रह ... १३०८ . भगवान महावीर पूर्वभव सह वृत्ति १३०९ . स्तवनसंग्रह अपूर्ण १३१०. नवपदक्षमाश्रमणा विधि ...... १३११- कल्याणमंदिर .. १३१२० उपदेशसत्तरी १३१३ - जीवाजीवविचार सह रब्धार्थ अपूर्ण १३१४ - अध्यात्मबिन्दु
.हर्षवर्धन .......... १३१५ --चंद्रलेखाचौपाई १३५५ च द्रलखाचापाई ...............................हर्षति मनि ....... १३१६ - नाभेयस्तव अवचूरि सह .. १३१७ -ऋधिमंडलस्तोत्र सह गौतमस्तोत्र ...... १३१८ . तप विधि विधान ...... १३१९० जिनभक्तिकर्तव्य .... १३२०. नित्य कर्तव्य
(४से ११८
............... १७३९
......१ लुं पार्नु नथी
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________________
डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंघ
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
२१० | ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत पत्र संख्या १३२१ -- पर्यन्तआराधना .......
.सोमसूरि.... १३२२ आचारागचूला अवचुरी सह ...... १३२३ . चौवीशजिन स्तुति/ अवचूरि सह ......
............४ १३२४ . सुसढचरित्र .......... १३२५ - अनिट्कारिका अवधूरि सह ............. १३२६ - कृदन्त वक्तव्य ....... १३२७ . चतुर्विशतिजिनस्तुति .............. १३२८. बारह भावना..
.राज कवि
................. .१७२७ १३२९. चौवीसी (आनंदघन चोवीसी)............. आनंदघन. ..................१८६६ -.......... १३३०. रंग बहोतरी ............
.जिनरंग ...... १३३१ आराधना के दस अधिकार. (पुण्यप्रकाश स्तवन).... ............ विनयविजय उपाध्याय.............
१७२९ १३३२. नंदीश्वरप्रतिमार्चन विधि...... १३३३ . गीतसंग्रह (अध्यात्म बहुत्तरी)................
१८७९ -......... १८ १३३४ . चौवीसदंडकबोल ................. १३३५० स्तवनसंग्रह १३३६ - वास्तुशास्त्र (वैद्य) ....
+......(६७ से
.......१२२)५१ १३३७ --सुभाषितसंग्रह ........... १३३८. संवाद सुंदर ............
(२५से३३)९ १३३९० गांगेयाधिकार अवचूरी सह १३४०. प्रकीर्णविचारसंग्रह १३४१ . भगवती (बीजक) टीप ...... १३४२. प्रेमविलास प्रेमलताचौपाई .. १३४३ . सवासौ सीख . १३४४ . शुकरत्नावली ..... १३४५. दादाजीके गीत ........
KARO
१९०१
.
.
......... प्रथम पार्नु नथी.
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संवत
पत्र संख्या
प्रेरोल
सी.
विशेष नोध
.................(४ से १५)
.......
..............................३
.
दूंगरणीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक
ग्रंथनु नाम १३४६ रात्रिसंथारापोरसीगाथा भाषा.... १३४७ सौभाग्यपंचमी व्याख्यान.. ............. J.जिनहर्ष....... १३४८ . पट्टीपहाडे १३४९ - चण्डीकवच ........ १३५०. पंचांगुलिमंत्र + सहयनाम + बीज, आम्नाय .......- + कल्पचन्द्रादि .........
................... (४ से १५)१२ १३५१. प्रश्नोत्तररत्नमालीका .........................विमलकिर्तीमुनि ................. १३५२ . षट्पंचाशिकाटीका ....
नेमचंद ........ ...................१८४२.............८ १३५३ - स्फुट स्तवन स्तुति स्तोत्र व. लघुग्रंथ अपूर्ण
!(७ से १२)४ १३५४नवकारस्तवन...........
.......................................१८४८........ १३५५. जयतिहुअण ..................................देवचंद .................................. १३५६ . पंडितगोष्ठी.
............२ १३५७. नलकथाके पन्ने ... १३५८ . स्वरोदयविचार १३५९ . कर्मविपाकवृत्ति (प्रथम ग्रंथकी) अपूर्ण ........ १३६० - ज्ञानार्णव अपूर्ण .....
.....(१२८ से
.... १३५)८... १२८७..१३८९ ....... ३४० १३६१. शिवस्तुति. १३६२. दक्षिणामूर्तिस्तोत्र........ ...............शंकराचार्य १३६३ प्रज्ञाविवर्धन, आदि स्तोत्र. १३६४ . भगवतीवृत्ति अपूर्ण ...
..................(३०९ से
.........३३८)३० १३६५. सुभाषितबावनी १३६६ - अजितशांतिस्तवन .......... १३६७ . प्रतिक्रमणविधि आदि संग्रह .... १३६८. भक्तामर ....
...मानतुंगाचार्य
T***.......a
जीनचंद्रसरि
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डूंगरजीयति कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
।
संवत्
। पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
२१२ ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कर्ता १३६९ - श्रावकआराधना ..... १३७०० विधिसंग्रह अपूर्ण त्रुटक ............ १३७१ श्रावक्राराधना १३७२. आलोयणा (पद्मावली) जीवराशी ..... १३७३.भावनाप्रकरण ........................ १३७४० राचाछत्तीसी ............... १३७५० भावपत्रिशका ....... १३७६ अध्यात्मद्वात्रिंशिका १३७७० भावषट्त्रिंशिका + आत्मप्रबोध छतीसी +
चारित्रछत्तीसी + मतिप्रबोध छत्तीसी. १३७८ . आहारविधि छत्रीसी ...........
.जिनहर्ष १३७९ . श्रावकपाक्षिक अतिचार ..... १३८०.जैनस्तोत्र .............. १३८१. जैन औपदेशिक पद ........... १३८२ जैन ऐतिहासिक जानकारी ... १३८३ . ज्योतिष निमित्त .... १३८४ व्याकरण....... १३८५ - वैद्यक ..........
मंत्र तन्त्र ...... १३८७ . साहित्यिक नैतिक ..... १३८८ . जैनेतर धार्मिक ..... १३८९ . न्यायपन्ने १३९०. बोलथोकडे जैन १३९१ . जैनकथायें १३९२ ..जैनस्तवन सज्झायादि ............... १३९३ . स्फुट अपूर्ण लघुग्रंथ व त्रूटक पन्ने .................
....पत्र २८ मुंनथी.
१२८७..१३८९.
+--. १२८७..१३८९
For Private & Personal use only
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________________
४(१,२,३)
११८०.
Move
.. २९२.--
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथन नाम संवत् पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.नं. प्रथाप्र
विशेष नोध धर्मरत्नकरंडकवृत्ति ...........
वर्धमान आचार्य ..........र.११७२-ले.१६७९ . .........२२० 4............... ....... २५१ ...१०००० --- षट्स्थानकश्रावकसह वक्तव्यता सह वृत्ति .....जिनपति सूरि
........ ३६.............
....... २९२
...१४९४ ... ...नवतत्त्वप्रकरण सह भाष्य विवरण, -मू.क.देवगुप्तसूरि,
...२४००... .वि. अभयदेवसूरि प्रवचनसारोद्धार सह वृत्ति .टी.सिद्धसेनसूरि.
..१८००० आवश्यकबालावबोध ....... ...................१५२५
... १५००... तपोटचतुष्पदिका वृत्ति ...................... -गुणबिनयोपाध्याय .... चैत्यवंदनमहाभाष्य .......................
-शांतिसूरि आराधनापताका ...........
..............१६७३ संग्रहणी राह वृत्ति .......................... मलयगिरि ....... धर्मपरीक्षा .................
अमितगति आचार्य ................ र.१००० ११ ...... घोडशकविवरण (वृत्ति) ..................... .वि.यशोभद्रसूरि ...................... १६७१
.-.....२५१. १२ ......षोडशकसूत्र ...... हरिभद्रसूरि...........................१६७१
थी १४ ....... २९२...........२९६ प्रवचनसारोद्धार ............................. नेमीचंदसरि ................................"
२९३ चैत्यवंदन भाष्य...........................
..२५१/२९३ विजययन्त्र ....
...कपडा उपर लखेलुं छे. प्रवचनसारोद्धार
.. र.१५५६ कल्पसूत्र सह व्याख्यान अपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र
उदयरंग मुनि .................१८६० हैमलिंगानुशासन..
हेमचंद्राचार्य
........१६९७ गणधरसार्द्धशतक.....
विनयसोमसूरि उत्तराध्ययनसूत्र .......... प्रश्नव्याकरणसूत्र
उदयरंगमुनि
.................१८६० पष्टिशतं सह बालायवोध.
. सोमसुंदर सूरि
................१४९६ क्षेत्रसमास दशकालिकसूत्र
..शय्यंभवारि प्रवचनसारोद्धार
......पृष्ठ १ उपर भगवान चित्र छे. ऋषिमंडल सूत्र ..........
थी १४.... થી ૧૪
For Private & Personal use only
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________________
२१४ ग्रंथांक
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
पत्र संख्या
रोक्ष
सी.जी.नं.
ग्रंथान
१६७४
................"
ग्रंथ नाम
संवत उपदेशमाला प्रकरण.. पुष्पमाला पुष्पमाला श्राइदिनकृत्य
.................१६५७ श्राद्धदिनकृत्य उपदेशमाला क्षेत्रसमास श्रीपालचरित्र...... श्राद्धदिनकृत्य योगशास्त्र-चोथो प्रकाश ...................... .हेमचंद्राचार्य उपदेशमाला ........ लघुक्षेत्रसमास .......... उपदेशमाला + दानविधि + चैत्यवंदनभाष्य ....... अभयकुमारचीपाई.......................... पद्मराज.... चतुर्विधसंघनाममाला ................... .पं.जेतसी निशीथसूत्र
.ज्ञानमेसमुनि निशीथभाष्य
.जिनचंद्रसूरि. निशीथ चूर्णि खंड-१................ निशीथ चूर्णि खंड-२ प्रवचनसारोद्धार विषमपदार्थावबोध .उदयप्रभसूरि ........ .१८४० आराधनापताका
..१५०७ ललितविस्तरापंजिका टिप्पण
-मुनिचंद्रसूरि प्रवचनसारोद्धार
नेमीचन्द्रसूरि ललितविस्तरा - चैत्यवंदनवृत्ति उपदेशरत्नाकर .......
-मुनिसुंदरसूरि व्यवहारभाष्य.......
.संशो० धर्मकितीगणि पंचकल्पचूर्णि ...............
............ १००५
..१७०१
१६६९ -
..८१२ UNOD
૨૬૮
४........
५२२
४३ ....... २९३
२९३ . ..४५(१,२)........ २९३ .
४६(१.२)........
..१७८८४
३००३
......
For Private & Personal use only
Page #263
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________________
संवत
५६...
... २९४ ...... २९४
५९.६०
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
झेरोक्ष सी.डी.नं. ग्रंथान ।
विशेष नोंध ५५ ..... आवश्यकनियुक्ति
२९४ ......... ३०१५... पत्र २८.६३ नथी तपामतखंडन
......पत्र १,२ पर भगवाननुं तथा कळशनुं चित्र छे. ५७... पार्धचन्द्रमतखंडन तपोचतुष्पदीका
...... २९४ आंचलिया मतखंडन श्रावकप्रज्ञप्ति
५९ +६० ..२५२/२९४ चैत्यवंदन विवरण. चैत्यवंदन + गुरुवंदन + पच्चखाण भाष्यचूर्णि
............ व्यवहारवृत्ति. अंगविद्या..
........महिमासुंदर गणि. .................. . १६६९
२९४ आवश्यकनियुक्ति ..............."
........................१६७३ आवश्यकवृत्तिटिप्पनक ...................
......................१६७३ आवश्य कवृत्ति................................तिलकाचार्य..................................
.........६७(१.२) विशेषावश्यकमहाभाष्य .................
.............६८ विशेषावश्यकभाष्य प्रथम खंड .................मलधारी हेमचंद्रसूरि ................................. ३३१ .........६९(१.२) ....... २९५./....... १४००० विशेषावश्यकभाष्य द्वितीय खंड ............ ..मलधारी हेमचंद्रसूरि .................११७५ ........ ३४८ .........७०(१.२)...२९५/२९६ - आवश्यकबृहद्वृत्ति
.हरिभद्रसूरि ... .१६६९
....२२००० आवश्यक वृत्ति..
मलयगिरि ..
૧૬૭૬
...... ७२(१,२.३) .-......३१७ . दशकालिकसूत्र ...
शय्यंभवसूरि.
१६७४ दशकालिकसूत्र
शय्यंभवसूरि .. दशकालिकसूत्रचूर्णि .. दशवैकालिकसूत्रवृत्ति
२९७ .......... २६०० ... दशवकालिकसूत्रवृत्ति
२९७ .......... २६०० ... उत्तराध्ययनसूत्र ...
१६६९ उत्तराध्ययनसूत्र .......
१६७४ उत्तराध्ययनसूत्र ...... उत्तराध्ययनसूत्रवृत्ति .......
.८१(१,२) ....... २९७........१४००० उत्तराध्ययनवृत्ति
........८२(१.२) ....... २९८ ........१४००० ...
.....२५४
.......४४५०
६९ .....
For Private & Personal use only
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________________
२१६
ग्रंथांक
८३..... ओघनियुक्तिभाष्य ओघनिर्युक्तिवृत्ति
८४
८५ पिंडनियुक्तिसूत्रवृत्ति अपूर्ण
८६
८७
८८
८९
९०
९१
९२
९३
९.४
९५
९६
९७
९८
९९
------
ग्रंथनुं नाम
दशवैकालिकसूत्र
कर्मग्रंथ प्रथम थी पंचम (नवीन)
सहवृति तथा षष्ठमूल (कर्मग्रंथटीका)
योगशास्त्र सह वृत्ति
प्रतिक्रमणविधि ( हेतुगर्भ)
नवपदप्रकरण सहवृत्ति
नवपदप्रकरण सहवृत्ति
श्राद्धविधि सह वृत्ति ( प्रकरणविधि)
उपदेशपदवृत्ति
धर्मसंग्रहणीवृत्ति
संस्कृताष्टक सह वृत्ति
पंचाशक
उपदेशपद
सुकृतरत्नावली सह व्याख्या
दान-शील-तप-भावनाकुलक सहवृत्ति
१००....
परिशिष्ट पर्व १-१३ सर्ग
१०१ संग्रहणीसूत्र (श्री चन्द्रीय) अपूर्ण
१०२.... षष्टिशतम्
१०३..... साधुवंदना
१०४..... संग्रहणी १०५ पाक्षिकसूत्र विवेकमंजरी
१०६
१०७
१०८.....
आवश्यकसूत्राणि व पाठ.
दर्शनसत्तरि
कर्ता
. भद्रबाहुस्वामि,
.वृ. मलयगिरि
. शय्यंभवसूरि..
.जिनलाभसूरि
. हेमचंद्रसूरि
. कक्कसूरि रत्नशेखरसूरि
. वर्धमानसूरि
मलयगिरि
. अभयदेवसूरि
हरिभद्रसूरि
हरिभद्रसूरि. उदयरंगमुनि
- देवेन्द्रसूरि.
. हेमचंद्राचार्य
श्रीचन्द्रसूरि
जिनचंद्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
संवत्
. १८२५
१६८०
. १६७३
१६७१
. १८९१
. १८५४
१२४८
पत्र संख्या
६८
१५५
१६१
२१
५३६.... २९२
२५
२३८
२०
१६१
१५१
२७१
१०५
२८
३१
२०
२१४
९२
१७
६
७
११
९
19
८
३
झेरोक्ष
८७ (१,२,३ )
.८८ (१.२)
८३.
८४......
८५.
.९० (१.२)
. ९४ (१.२)
सी.डी.नं.
२९७
२९८
३३०
९५.
९६ थी ९८.
९६ थी ९८
९६ थी ९८.
९९.
९१. ९२ .......... ९३.
२९९
२९८
२९८
, २९८
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
ग्रंथाग्र
३०००
9000
७८००....
१२३९४
९५००
३००
३००
३१७ 300 २९९
३०० श्लो. १२००
३००..
३००
७२०० ६५१३ १२०००... ३३७० ...
३५००
पत्र १९, २० नथी
.४००
..
पत्र १०० थी ११० नथी.
.
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________________
सी.डी नं.
थाप
विशेष नोध
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कर्ता १०९... शीलोपदेशमाला ............................
.जयकीर्ति....... ११०. शीलोपदेशमाला ....................
.जयकीर्ति ....... शीलोपदेशमाला ...
.जयकीर्ति ...... प्रव्रज्याविधानकुलक सहावचूरि, ............. पंचनिन्धीसंग्रहणी
|.अभयदेवसूरि ......... प्रत्याख्यानभाष्य .......... इन्द्रियपराजयशतक ..... क्षेत्रसमास
रत्नशेखरसूरि जीवाजीयविचार .....
शान्तिसूरि. नवकारवालावबोध
.रत्नरंगमुनि... पाक्षिकसूत्र........... चैत्यवंदन-गुरुवंदनभाष्य..
राजप्रमोदगणि पिंडविशुद्धि
जिनवल्लभगणि कल्याणमंदिर पंचपाठ
कुमुदचंद्र .. काँकी १५८ उत्तर प्रकृतियां कल्याणमंदिर टब्बो
-कुमुदचंद्र ....... गणधरसार्द्धशतक प्रकरण ..
प्रत्याख्यानभाष्य राह टब्बार्थ १२७ .....
संबोधसत्तरी + बनस्पति सप्ततिका
+विचार सप्ततिका ...... १२८..... भक्तामरस्तोत्र सह बालाववोध .............. .प्रमोदगणि १२९.....सिंदूरामकर ..............
.सोमप्रभ आचार्य १३०... आवकप्रतिक्रमण सूत्र सह टब्बार्थ .......
प्रज्ञापना तृतीयपद संग्रहणी..... संग्रहणी
श्रीचंद्रीय संबोधसप्तति ...............
प्रमोदगणि नादरथल ...............
प्रद्युम्न सूरि ... प्रबोधोदय वादस्थल .....
199mmT97079V7re
१२४...
१२९.... १२६ ....
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Page #266
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________________
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोध
प्रधान
७८८०
...२६९
2033K
शालागरथ
........
.................
१४५.....
३०१
१४८
२१८ ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कता
संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.नं. १३६ ..... प्रश्नोत्तररत्नमालिका सहवृत्ति .................मुनिभद्रसूरि .....
..........१३६.......३०१. १३७ ..... स्नात्र अभिषेक विधि ......... १३८ ..... शान्तिपर्वविधि .जीनदत्तसूरि ..............
१३८ .......३०१ १३९ .... चैत्यवंदनमहाभाष्य ..........................
शान्तिसूरि...... १४०.... पंचलिंगीप्रकरण सहवृत्ति
जिनेश्वरसूरि.. १४१.... विशेषणवती............... .जिनभद्रगणि...
...३०१ १४२..... नवतत्त्व सह वृति ....................." १४३ ..... शीलांगरथ. १४४.....
शीलांगरथ.....
विचारसार ........ १४६ ....
संघाचारभाष्य (टीका)..... १४७ .... पंचाशकवृत्ति ..
अभयदेवसूरि .. १४८ ..... पंचाशकसूत्र ...........
हरिभद्रसूरि.. १४९ .....पंचाशकसूत्र
.............हरिभद्रसूरि... जंबूदीपप्रज्ञप्ति सूत्र .........
૧૬૭ર
१५०.......३०१ प्रज्ञापनावृत्ति ...............मलयगिरि ...................१६७३
..... १५१(१.२)........ ३०२ . प्रज्ञापना सूत्र..........................
..............१६७२ प्रज्ञापना बीजक.............. निरयावलिकादि पंचोपांग सूत्र ...............
..................१६७३
२५.....१५४ + १५५ ...... .. ३०२ १५५.... राजप्रश्नीय सूत्र ...........
................१६७३
.....१५४ + १५५........३०२ १५६ .... | राजप्रश्नीय सूत्र ............ १५७.... राजप्रश्नीय सूत्र ...........
..१५७. १५८. रायपसेणीवृत्ति (राज.वृत्ति) ............ १५९ ..... राजप्रश्नीय वृत्ति ...... मलयगिरि
१५९ १६०.... नंदिसूत्र .......... १६१.... नंदीसूत्र वृत्ति ..........
मलयगिरि १६२ ....जीवाजीवाभिगमसूत्र १६३..../उपासकदशांग वृत्ति...
----.... ३०१
..४४४५
३३६ -
.....१६०००....
....७७८७ ....
......
..
२१७९ .... २२८९ ....
..३०२
.....३७००
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________________
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
१६४.....
१६५.....
१६६.....
१६७....२
१६८.....
१६९.....
१७०.... प्रश्नव्याकरण सूत्र
१७१.....
-ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र
ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति
ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति (सूत्र) ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र प्रश्नव्याकरणवृत्ति
अन्तकृद्दशांग (अनुत्तरोववाई) सूत्र
१७२ अन्तकृत् अनुत्तरीपपातिकदशांग वृत्ति
१७३
१७४
9194.....
१७६
१७७
१७८
व्यवहारसूत्र चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र
चन्द्रप्रज्ञप्तिवृत्ति
सूयर्प्रज्ञप्तिसूत्र
सूर्यप्रज्ञप्तिवृत्ति
विपाकसूत्र
१८१.....
विपाकवृत्ति.
१८२....... ऋषिमंडल सूत्र सहवृत्ति
963.....
दर्शनसत्तरि सहवृत्ति
संघाचारभाष्य
१८४ १८५..... १८६.....
प्रवचनसारोद्वार.
| उपदेशमाला
१८७.....
महावीर (दुरियरयसमीर) चरित्र
स्तोत्र सहवृत्ति
१७९......
१८०
१८८...
१८९
१९०
औपपातिकसूत्र
उपासकदशांगसूत्र
www..
द्वादशकुलक
शालिभद्र चौपड़
नेमिनाथरास
कर्ता
.टी. मलयगिरि
.वृ.क. श्रीसार
. जयंतसिंह ...
जिनवल्लभ
संवत्
१६७२
१६७१
. १६७१
१६७१
१६७२
१६७२
१६७१
१६७१
१६८३
१६७१
. १८४०
१७०१
१६९४
१६९३
पत्र संख्या
१०७
११८
८५
९३
१०९
१०२
४१
२०८
3
५४
२१७
२९
२५ ... १७५ थी १७३ ११. १७१ थी १७३ ...909 2ft 903........
२९
१९
१७
२९
२२
३६३...... २१६
१८३
५१
२४
झेरोक्ष
११
KE
३८
१७
. १६७
. १६९
१७६
सी.डी.नं.
१८२ (१.२)
३०२
३०२
३०२
३०३ ३०३.
१७७३०३. १७८ ...
१७९३०३.
१८१३०३ ...... 308
. १८३३०४
१८४३०३
ग्रंथाग्र
५४६४ ४९५४ ४७०० .... ३७०० ... ५४६४....
४६००... १२५०...
.१९२ ...
१३०० ... ११६७
..
श्लोक ६८८...
२०००
९५००....
.....
१२१६ .१११६०.... १८०००] [...]]
.... ७८०० २३००...
.३३० ...
विशेष नोंध
भगवाननुं चित्र १५२ मा पाने छे
. संपूर्णग्रंथ सुंदर चित्रो सहित छे
२१९
Page #268
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________________
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंयभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नाँच
ग्रंथांक
पत्र संख्या
।
प्रथान
300
१९४ --.......
momkA
१९६ .......३०३
१९८ ..
२००...
.cm.
२०२ ....
२२० ग्रंथ, नाम
कर्ता
संवत १९१.... नवकारमहालय ............
.लावण्य हर्ष .........................१६९४ पाक्षिकसूत्र......
.............१६९७ संबोधसप्तति .......... सम्यक्त्व ६७ बोलनी सजाय .......... जसविजयगणि. चौवीसदंडक सह अवचूरि ..... .सौभाग्यकीर्ति... पिंडविशुद्धि सह अवघूरि
..........१५६२ चैत्यवंदनभाष्य...
पं.रंगविजय .....
+...........१६९३ संबोधसप्तति
.जयशेखरसूरि .... मंगलकलश चौपइ.
.कनकसोम .. जिनकल्याणक महोत्सव
सह बालायबोध (पदार्थ लेश) .............. .मतिकीर्ति ......... २०१.... तीर्थकर बोल
सारावली प्रकीर्णक पत्र २०३ ..... बोल थोकडा भंग संग्रह .... २०४ ..... मौनएकादशीगुणना .................. २०५..... भवभावना सह वृत्ति .............. २०६.... विवेकमंजरी सह वृत्ति ........
बालचंद्राचार्य.. श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि .जिनप्रभसूरि .... विधिप्रपा ......... संग्रहणी (श्रीधंद्रीय) सहवृत्ति
श्रीचन्द्रसूरि शत्रुजयमहात्म्य ......
.जिनचंद्रसूरि. क्षेत्रसमास ......... क्षेत्रसमास सहवृत्ति
मलयगिरि पंचवस्तुकवृत्ति ....
प्रतिक्रमणविधि (हेतुगर्भ). २१५- पार्श्वनाथ गणधर संबंध.. २१६. संवेगरंगशाला
.जिनचंद्रसूरि .... २१७... धर्मोपदेशमाला सहवृत्ति ...............
.जयंतसिंह .....
२०२ .......३०६
3
..Cooo ..४५९०
...... १०८ +........ ८६
...........
३५००
....... २६४
........२०६ .........२०७ .........२०८
.......२०९ ... २१०(१.२)
.......२११ ..........२१२ .........२१३
२१४
.....६०००
----
...90043
......२१६(१.२)
...........२१७........३०६
For Private & Personal use only
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________________
पत्र संख्या
२२१..... २२२ ... २२३ ...
२२७..
...
.......१६९४
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रयांक ग्रंथनु नाम
झेरोक्ष सी.डी.नं. ग्रंथान
विशेष नोंघ २१८ .....चड़ आवश्यकवृत्ति ..
२१८+ २१९ ... कर्मग्रंथ प्रथम-द्वितीय पंचम (प्राचीन) षष्ठ ...
...... २१८+ २१९ ..... २२०....पौषधविधि........ भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध
मानतुंगसूरि .. निशीथपूर्णी व्याख्या .. श्रीचन्द्रसूरि
.....२२२ २२३ ३०६-....... ११०० पंचवस्तुक २२४ . घडर्विशतिस्थान गृहदेरासरे शांतिकलशविधि
.... २२५ ....... २२६ - साधुवंदना ..
....कचराऋषि ...........................१६९६ .. वसुधारा
२२७ ........ आवश्यकसूत्राणि व पाठ (खरतरगच्छ).
कुशलानुबंधि. २३०... योगशास्त्र- प्रथमप्रकाश .................. .हेमचंद्राचार्य ...............
..................१६९९ कल्याणमंदिर स्तोत्र
-कुमुदचंद्र ................ ...१६८५ २३२.... मुनिपति वार्ता (गुजराती)
.सा. धर्मविज्या गणीनी ...
............१६५६ २३३ . श्रृंगार वैराग्य तरंगिणी......
उत्तराध्ययनसूत्र सहवृत्ति ......................नेमीचन्द्रसूरि .................. ११२९ .. २९२ ....... २३४(१.२) ....... ३०७ २३५.... यंत्रपत्र..... २३६ ..... बृहत्कल्पसूत्र सह लघुभाष्य ................................................ ...१६७६ ........ १९९ ..............२३६ ....... ३०८. ...............१ थी एअ सुधी सूत्र,
.......९५ थी १९९ सुधी भाष्य २३७ ..... उत्तराध्ययनपाइयटीका .......................शान्तिसूरि...................
... ४१७ ...... २३०(१.२).............. २३८....बृहत्क ल्प वृति प्रथम खंड.......................................................... ............. ४०७ ....... २३८(१.२) ........ ३०८, २३९.... बृहत्कल्पवृत्ति द्वितीय खंड ...............
+............२३९ ....... ३०८
.. पत्र ४३ मुं नथी. २४०.....पंचलिंगीप्रकरणवृत्ति.......
.जिनपतिसूरि ................. .... १५४ ..............२४० .......३०९
..गाथा २९९१ सुधी अपूर्ण २४१..... उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति..... नेमीचन्द्रसूरि ...............
..... २४१(१.२) .............. २४२ ..... उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति .............. नेमीचन्द्रसूरि .............र.११२९-ले.१६७२ २४३..... व्यवहारभाष्य.........
........... .................... २४४ ..... प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक ....... .क्षमाकल्याणगणि ....................१८५१
.............२४४ .--..... ३०९
२३१...
२३४....
......
---
...----......
१४१
१०
१४१
Join Education International
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________________
२२२
ग्रंथांक
२४५..... निशीथसूत्र २४६..... निशीथचूर्णि
२४७ दशाश्रुतस्कंधसूत्र नियुक्ति सह चूर्णि
२४८
श्राद्धजीतकल्पसूत्र सह वृत्ति
स्थानांग सूत्र
२४९ २५०....
स्थानांगवृत्ति
२५१ स्थानांग सूत्र स्थानांगवृत्ति
| २५२
.....
-----
२५३.....
२५४.....
ग्रंथ नाम
२५५
२५६ सूत्रकृतांगवृत्ति २५७..... समवायांगसूत्र
२५८...... समवायांगवृत्ति २५९. समवायांगसूत्र
२६०..... समवायांगवृत्ति २६१.... आचारांगसूत्र
-----
२६२.... आचारांगवृति
२६३..... आधारांगसूत्र आचारांगवृत्ति
२६४.....
२६५ आचारांगनिर्युक्ति
ર૬૬ भगवतीसूत्र
२६७ भगवतीवृत्ति
२६८ भगवतीसूत्र
२६९ भगवतीवृत्ति
२७०
२७१
२७२........
www.
सूत्रकृतांगसूत्र सह नियुक्ति सूत्रकृतांगवृत्ति
सूत्रकृतांगसूत्र सह नियुक्ति
.....
महानिशीथसूत्र
बृहत्कल्पटीका खंड १
बृहत्कल्पटीका खंड-२
कर्ता
. अभयदेवसूरि
. अभयदेवसूरि
शीलांकाचार्य
शीलांकाचार्य
. अभयदेवसूरि
. अभयदेवसूरि
शीलांकाचार्य
संवत्
. १६६९
१६७१
११२०
१६७०
. १६७०
१६७०
. १६७१
१६६९ १६७०
२. ११२८-ले. १६७२
२. ११२८-ले. १६७२.
पत्र संख्या
१९
३३५
१०१
५६
९२
३३०
८६
TERRES
३११
६१
२९८
५३.
२८०
३८
SE ४० ......... ९३ ..... ६२
२६५
६२
२०७४
११
३५५
४२७
३४४
४०२
१४३
५३७
५१७
झेरोक्ष
*******
२४७
२५१ २५२ (१,२)
२५३
२५४ (१.२)
२५९ + २६० २५९
२६३
२६४ (१.२)
. २६५
२६६ (१.२) २६७ (१.२)
२६०......
२७०
. २७१ (१.२.३)
. २७२ (१ थी ४)
सी.डी.नं.
३०९
३०९.
३०९
३१०
३०९
३१० ....... ३१०. ३११ ३१२
३१०
३१३
३१४
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंध
ग्रंथाग्र
३७५०
१२८५०
, १२८५३
१६६७
३५७५
१६६७
१५६७५
. अपूर्ण
पत्र १९७ थी २०५ नथी.
-
.
Page #271
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________________
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
२७३
२७४
२७५
२७६
.....
२७७ - ओघनियुक्ति ૮ निरयावलिकादिपंचोपांगवृत्ति
२७९
२८० औपपातिक वृत्ति
२८१
राजप्रश्नीयवृत्ति अनुयोगद्वारवृत्ति.
२८२
२८३ अनुयोगद्वारसूत्र
२८४ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र
२८५..... ज्ञाताधर्मकथांवृत्ति ૮૬ -ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र २८७ ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति.
२८८ आचार दिनकर कल्पसूत्र सोनेरी
२८९.....
www.w
-----
www.
.....
-----
-----
.....
बृहत्कल्पटीका खंड-३
बृहत्कल्पसूत्र भाष्य
.....
जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिवृत्ति..
जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति (करणाणं) चूर्णि
------
जीवाजीवभिगमवृति
२९० - कल्पसूत्रचित्रावली
२९१.....
कालिकाचार्य कथा
२९२.... जिनदत्तसूरि चित्र पट्टिका
२९३..... स्नात्र विधि (बृहत्)
२९४... वादस्थल
देवपूजापर्व विधि
२९५.....
२९६.....
२९७.....
२९८..... योगशास्त्र तृतीयप्रकाश.
- तपोटमतकुट्टनशतम्.
आधारांगनियुक्ति
मलयगिरि
कर्ता
मलयगिरि
. मलधारी हेमचंद्रसूरि
1. यू. अभयदेवसूरि
वृ. अभयदेवसूरि वर्धमानसूरि
हर्षनंदनगणि
- प्रद्युम्नसूरि
संवत्
१६७२
. १६४५
१६७३
१६७२
१६७५
र. ११२० ले. १६७३
१९९९
१९९९
१९९९
पत्र संख्या
४४४
२७१
३१०
४०
३२
१६
३११
७४
९१
१३५
५६
१३३
८७
११२
८७
३०९
११५
१०४
११
१
७
१३
६
४
११
१४
झेरोक्ष ,२७३ (१,२)
३१५. २७५ (१.२) ....... ३११ ....20€ eft 20€........ ३११. .... 2005 eft 7102... 392. ...२७६ थी २७८.... २७९ (१.२) 300 ....... २८१.
३१२
३१६
३१३.
३१४
२८२
૨૮૩
२८४
२८५
२८८ (१.२)
• २९४ थी २९६
...२९४ थी २९६
. २९४ थी २९६
ग्रंथाग्र
सी.डी.नं. ३१५ ४४५५१त्रणे खंडनु
*****
३१२
३१६
२१४
२१४
२१५
३१५. ३१५
३१५
१८६० १४३२ ..
. १४०००
३१३५
५७००
..१३ मा पाना सुधी सूत्र अने पछी भाष्य. .. शुद्ध करेली प्रत.
विशेष नोंध
.. शुद्ध करेल प्रत.
२२३
, चार पाना ओछा छे, ताडपत्रीय ग्रंथोके साथ पेटी .नं. ४१९ में रखा है. ताडपत्रीय ग्रंथोके साथ पेटी
.नं. ४१९ में रखा है. (जीर्ण सुरक्षित)
.चित्र पट्टिकाओंके साथ पेटीमें रखी होगी ।
.
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थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोध
संवत
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
२४ ग्रंथांका
ग्रंथर्नु नाम २९९ ..... आवकव्रत. ३०० - रोहिणीतपविधिस्तवन ३०१.... आचारांगवृत्ति .... ३०२ ..... आचारांगसूत्र .... ३०३.... चौबीसी ................ ३०४. पड़शांगसूत्र. ३०५ . प्रतरप्रमाणसंग्रह. ३०६ . गणधर सार्द्धशतक + गणधर सप्ततिका .....जिनदत्तसूरि,राजसोम ..
..... सुरक्षित
कपडे पर लिखा हुआ. देखनेमें महत्वपूर्ण .(गोलबंधन) सुरक्षित
जीर्ण ...सुरक्षित (कपडे पर) ..जीर्ण (भगवान के चित्र ६ कपड़े पर)
...........
३०७. ग्रहशान्ति स्तोत्र गोल बंधन....... .विद्याकलशमुनि ................. १६८४ ३०८ . बृहत् स्नात्र विधि ......
बादिहर्षनंदनगणि
१६७६ ३०९ . थाहरुशाह ज्ञान भंडारकी प्राचीन सूचि ..... थाहरुशाह ..... ................ १७१३ ३१०. | चित्रमय संग्रह ३१५.. उपदेशमाला
१६५७ .... ३१२ . गणधर सार्द्धशतकान्तर्गत प्रकरणम् ..............
गणधर सार्द्धशतकान्तर्गत प्रकरणम् . संवेगरंगशाला प्रथमभाग .. जयतिहअण स्तोत्र २ प्रति द्वादशपर्वव्याख्यान भाषान्तरम् .............. चातुर्मासिक व्याख्यानम् .....
आवश्यकविधि ............ ...............जिनवल्लभसूरि ... | पुष्पमाला ......
वसुधारा (लघु)............. ३२१.... वृत्तरत्नाकर ........
...........भट्ट केदार
............ ३२२..... प्रग्रज्याविधानकुलक ३२३ .... चतुःशरण. ३२४ ..... चौबीसदंडक |३२५.... प्रवज्याकुलक .........
...............छापेल
.छापेल ..छापेल .छापेल
छापेल .छापेल
Page #273
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थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथनु नाम
३२६..... ३२७.....
३२८.... चौवीसी
३२९. जयतिहुअण स्तोत्र.
३३० • चक्रवर्तिऋद्धि सूचक शान्तिनाथस्तोत्र
क्षेत्रसमास
३३१.....
३३२..... ३३३ .....
३३४... चतुःशरण
३३५ शीलोपदेशमालाप्रकरण मूल
महावीरस्तवन + पार्श्वनाथलघुस्तोत्र
पच्चखाणविधि
३३६..... सीमंधरस्वामी स्तवन ३३७... सकलार्हत् स्तोत्र.
३३८..... चंद्रप्रभुस्तवन.. ३३९ भववैराग्यशतक ३४० महादीरबत्तीसी ३४१.... बोल थोकडा भंग संग्रह
३४२. स्फुट स्तवन स्तुति स्तोत्र पत्र व लघु ग्रंथ
३४३....
कृष्णराजी विचार
३४८
३४९
३५०
३५१
३५२
३५३
३४४ • ३४५ •
| ३४६.....
३४७.....
.....
विचारप्रकीर्णक लघु शांति
www..
थोकडा यंत्र....
यंत्र तथा बोल थोकडा
लघुशांति...
चउगति चौपई
शत्रुंजयसंघ यात्रा स्तवन
तीर्थकरचोत्रीस अतिशय स्तवन
सम्यक्त्वस्तव
चैत्यपरिपाटीस्तोत्र
संदेहदोलावली
वसुधारा (लघुतर)
कर्ता
धर्मसुंदरशिष्य
कुशलधीरगणि
मानदेवसूरि
.पुण्यसागर
. हेमचंद्रसूरि
कुमारसुंदरगणि
मानदेवसूरि
गुणविनयगणि धर्मविजयगणि
. १६४४
पत्र संख्या
३
२
५.
3
१
ક્
२
१
3
३
१
१
१
२
२
२
२
१
१
१
१
५
२
२
१
3
४
१
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथाग्र
बे पानां नथी.
विशेष नोध
२२५
Page #274
--------------------------------------------------------------------------
________________
२२६
ग्रंथांक
३५४. कयवना संधि
३५५.....
३५६
3413.....
३५८
३५९....
३६० बोलथोकडाभंग संग्रह
-----
३६१......
बोलथोकडाभंगसंग्रह
३६२ • प्रशमरतिप्रकरण मूल
३६३.....
कालग्रहणविधि
३६५.
३६६ ३६७
३६४ संमूर्च्छिममनुष्यपद सह टब्बार्थ
वीसविहरमानस्तवन
समवसरणस्तोत्र
********
| ३६८ ३६९
३७०
३७५
३७६
AHANI
| ३७१....
३७२
३७३
३७४ ●
ग्रंथ नाम
धन्नाऋषि पंचढालिया
चैत्यवंदनदानविधिकुलक जयतिहुअणस्तोत्र
अल्पबहुत्वकुलक सह व्याख्या अर्हनकचौढालिया.
सारस्वत +
हैमव्याकरण प्रथमपद समाधान
दशार्णभद्रऋद्धि
अनाथीमुनिसंधि.
गौतमपृच्छाचौपई.
योगशास्त्र प्रथम प्रकाश वैरागसंग्रह आदि प्रकरणसंग्रह
सत्तरभेदीपूजा.
साधुवंदना
कल्याणमंदिरस्तोत्र
३७७.....
[३७८ ..... षष्टि शतम् ३७९ शीलरास
३८०
महावीर (भावारिवारण) सम संस्कृत स्तोत्र. उदयसागर
संधपट्टक सह टब्बार्थ
राजप्रमोदगणि
वीशवीहरमानस्तवन
कर्ता
जिनकुशलसुरि
. कल्याणतिलक गणि
. कमलविजय
.विमलविनयमुनि
.उमास्वाति वाचक
रंगविजय
नयरंगमुनि राजप्रमोदगणि
. हेमचंद्राचार्य
रंगचंद्रगणि
. पुण्यसागर
. कुमुदचंद्र नेमीचंद्र देवविजयसूरि
संवत
१७०२
१७०५
पत्र संख्या
८
3
२
३
५
३
२
१
१
१०
१
१०
३
२
२
२
११
४
६
३
९
४
७
४
९
१०
७
झेरोक्ष
३६३
३६६
सी.डी.नं.
३९५
३१५
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग विशेष नोंध ... पत्र ५ मुं नथी पत्र १ लुं नथी
ग्रंथाप्र
-
.
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________________
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
३८१. शालिभद्र चौपई
362.....
३८३
३८४
चतुःशरण
लोकनालि द्वात्रिंशिका
कल्याणक पत्र + तीर्थंकर जानकारी
छप्पनदिशीकुमारी अधिकार
कालकाचार्यकथा
स्फुट स्तवन स्तुति स्तोत्र पत्र व लघु ग्रंथ...,
| नंदीश्वरशाश्वतप्रतिमासंख्याधिकार स्तवन
३८५.....
3CE.....
3010.....
३८८....
...... मनोरथमाला
संबोधसप्तति
प्रवचनसारोद्धार बालावबोध
क्षमावत्रीसी
श्रुतज्ञान अवधिज्ञान के भेद
३८९
३९०
३९१
३९२.....
३९३ ३९४ विचारस्तवन
www.w
३९५..... साधुगुणमालिका
३९६ सीमंधरस्वामी लेख
३९७.....
जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति
३९८ कायस्थितिस्तोत्र सह बालावबोध
३९९.
स्थलिभद्रफाग
४००.....
नवकारस्तवन (जकठी)
४०१..... जिनप्रतिमाहुंडी स्तवन
४०२ सात समुद्घात ४०३. ऋषभस्तवन
४०४ .....
चतुःशरण ऋषिमंडलसूत्र
४०५.....
४०६..... कल्याणमंदिरस्तोत्र ४०७........ क्षेत्रसंग्रहणी सार्थ
४०८ • नवतत्वप्रकरणमूल
कमलहर्ष
क्षेमराज
कर्ता
राजप्रमोदगणि
. महिमाकल्लोल मुनि
. कुमुदचंद्र
संवत्
१६९२
१८७५
१६४२
१७१९
पत्र संख्या
२२
४
२
२
२
१५
२
३
३
३
3
११
२
२
२
३
११
४
४
१
३
१
२
२
१०
४
१
३
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
२२७
.
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________________
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान प्रधान विशेष नोध
।
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
४११....
४१३ .... ४१४.... १५....
४१६..
४१७..
१९.
१२१.
ग्रंथांक ग्रंथy नाम
कतो
संवत | पत्र संख्या .....नवतत्त्व + जीवविचार ...... ११०....
मल्लिनाथसंबंध .......
चउशरणसंधि.... ५१२....
एकविंशति स्थानक - चार ढाल ............ धर्ममेरुगणि ..... मेघकुमारचौढालिया..
.दयाविमल गणि..... कर्मग्रंथ द्वितीय (प्राचीन) सह अवधूरि ..... कालसत्तरी सह टब्बार्थ आदिनाथदेशनाशतक
आर्द्रकुमारचौपई ४१८ प्रश्नोत्तररलमालिका सह टवार्थ गणधरसार्द्धशतक
.राजप्रमोदगणि २० सुबाहुसंधि .
...............१६७४ चैत्यवंदन + दानविधि कुलक............ ४२२.. ...चैत्यवंदन + दानविधिकुलक.........
चैत्यवंदन + दानविधि कुलक+ सनत्कुमार गीत ............
....१६९९ -- चैत्यवंदन + दानविधिकुलक+ सनत्कुमार गीत ....
............१६९९. समवसरणस्तोत्र ..... पंचकल्याणकस्तवन ..
-पुण्यसागर ........... संभवनाथ (जैसलमेरीय) जन्माभिषेक स्तवन.मानविजय .. ऋषभस्तवन ...
.पं जेतसी नेमिनाथस्तवन ........
.जीवकिर्ती ऋषभस्तवन ..
-पुण्यसागर.. पार्श्वनाथरास + रथुलिभद्रगीत ... पंचतीर्थी स्तवन
विनयवर्धन मुनि ......................१५९८ गुणस्थानस्तवन ........
.दानविजय..
१२३....
00000ww.amarem.
.१९९२
For Private &Personal Use Only
Page #277
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________________
कर्ता
| पत्र संख्या |
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथाग्न
विशेष नोंध।
.WOMWWW
थाहरुशाह कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक
ग्रंथ नाम ४३४ .... शाश्वतजिनप्रतिमाप्रमाण स्तवन + ..........शंखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन ............... नयरंगमुनि ४३५.....महावीरस्तवन ..
-नयरंगमुनि ४३६ ..... कुबेरदत्ताचौपई
समयसुंदर . चौपाई.
.जिनरतन ४३८ ....- साधु (मुनि) मालिका ..... ४३९ ....-पंचकल्याणक स्तवन, ..... जिनराजसूरिगीत .....
कायस्थिति स्तोत्र ४४२. प्रभुदेशना + जिनवाणी गीत ...
प्रवर्तिनी कुशल विजय गीत .... लघुशांति
मानदेवसूरि ..............! तीर्थकर ३५ वचनातिशय स्तवन ...... पार्श्वनाथस्तवन अतिमुक्तकगीत
नयरंगमुनि पार्श्वनाथस्तोत्र शीलांग रथ + सुभाषित बारह भावना स्वरूप कुलक ..... चैत्यवंदन+दानविधिकुलक ................ शीलबावनी............... योगशास्त्रमूल ................. गुर्जर सस्तबक प्रकरणमूल ............. सौभाग्यपंचमीस्तवन ................. शत्रुजयस्तवन ...................
हरियालीपार्श्वनाथस्तवन .............. ४५८ .... सीमंधरस्वामीस्तवन................... नयरंगमुनि ....... ४५९ ..... लोढणपार्श्वनाथस्तवन......
कनकसार मुनि ४६०.....पार्श्वनाथस्तवन + जिनदत्तसूरिगीत ..... रत्ननिधानगणि
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५६.....
For Private & Personal use only
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________________
थाहरुशाह कागळमो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
कतो
पत्र संख्या
झेरोक्ष
प्रधान
विशेष नोध
به
قی
له
له
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ه
२३० ग्रंथांक |
ग्रंथन नाम ४६१.... ब्रह्मचर्यनववाडगीत ....... ४६२..../चतुःशरण................. ४६३..... ऋषभरतवन .......................... -पुण्यसागर
ब्राह्मणवाडमहावीरस्तवन ... रूपकमाला ........... लोककथा ... कर्मवत्रीसी.. सौभाग्यपंचमीस्तवन ..
समयसुंदर ................ स्थंभनपार्श्वनाथस्तवन.. तिजयपहुत्त (सप्तति शतं) स्तोत्र ....... वैद्यकसारपंचाशिका ..
राजप्रमोदगणि .......... साधु (मुनि) मालिका.
.........१७०१ दादागुरुगीत..
रंगविजयगणि मिथ्यात्वस्थानककुलक..... ४७५. पार्श्वनाथजिनमाला. ४७६ नवकाररास.
विक्रमादित्यकथा...................... गीतमपृच्छा स्तवन ................... आराधना बालायबोध (संक्षिप्त प्राकृत).................... सुमतिकुमाररास + सनत्कुमार चौपई .........................
१६४९ भक्तामर स्तोत्र..........
-मानतुंगसूरि .................... १६२९ | चौवीसदंडक ....... ४८३.... ऋषभस्तवन ............
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:
अतिरिक्त मिले वादमे, .द.जौहरीमलजी पारख
अतिरिक्त मिले बादमे. .द.जौहरीमलजी पारख
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४८४....राममंदोदरीसंवाद ........
For Private & Personal use only
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. १६००
.१३३
लोंकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम
कर्ता
भाषा संवत् पत्र संख्या ___ झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान . विशेष नोंध आचारांगसूत्र प्रथम श्रुतस्कंध.. सुधर्मास्वामी
.........१-३४ आचारांगसूत्र द्वितीयश्रुत स्कंध.......... सुधर्मास्वामी
१-६८ आचारांगसूत्र प्रथम श्रुत स्कंध .......... सुधर्मास्वामी
१-२९
............प्रथम पत्र नथी आचारांग मूल त्रूटक .............. सुधर्मास्वामी आचारांगसूत्र तथा मूल अपूर्ण Jटक .....सुधर्मास्यामी
...२२-६२
........... ...............५४४ आचारांगसूत्र मूल अपूर्ण .................. सुधर्मास्यामी
१-६१ ७........ आचारांगसूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध ............ सुधर्मास्वामी
...३३-१०२ ..आचारांगसूत्र बालावबोध सटीक .........टी. पाचचंद्र उपाध्याय
.१.८९
...........८...३१९....... आधारांगसूत्र बालावबोध सटीक त्रूटक ....टी. पार्श्वचंद्र उपाध्याय
.......४-१११
....पत्र १थी ३ नथी. ' १०...... सूत्रकृतांगसूत्र मूल ........................ सुधर्मास्वामी .........
........श्लो . २१००/सूत्रकृतांगसूत्र मूल ........................सुधर्मास्वामी .............मा.
............ श्लो. २१००/सूत्रकृतांगसूत्र दि.श्रुतस्कंध ............... सुधर्मास्यामी ..........
.....३४-८५ सूत्रकृतांगसूत्र मूल त्रूटक.................सुधर्मास्यामी ....
१-६२ सूत्रकृतांगसूत्र प्र.श्रुतस्कंध सह बालावबोध ....टी.पार्चचंद्र उ. ..........
... १.६५ ...१४+ १५...३१९ सूत्रकृतांगसूत्र प्रथम-द्वितीय श्रुतस्कंध ....टी.पार्धचंद्र उ...........
१-६१, १-६३ ..........१४+१५...३१९ सूत्रकृतांगसूत्र प्रथम श्रुतस्कंध ........ सह बालावबोध सूत्रकृतांगसूत्र श्रुतस्कंध सह बालाव० ..
...............२-१८ टक.......... १८ ...... सूत्रकृतांगसूत्र मूल सह बालावबोध ...... टी.पार्श्वचंद्र उ. स्थानांगसूत्र मूल .....-सुधर्मास्वामी . १६६३ .........९-१५१
इलो. ३६००.१ थी ८ पाना नथी २०...... स्थानांगसूत्र मूल ..........................सुधर्मास्वामी
.......१-१६८.
लो. ३६०० २१...... स्थानांगसूत्र मूल ..................... -सुधर्मास्वामी
.......११३०--
श्लो. ३६०० २२...... समवायांगसूत्र मूल ................ -सुधर्मास्वामी
....... १६६५ ..........१-४९---
श्लो. १६६०/२३ ...... समवायांगसूत्र मूल ................. सुधर्मास्वामी
...... १८७३..........१-६६..
..... श्लो. १६६७ २४ ...... भगवतीसूत्र सह शब्दार्थ
सुधर्मास्वामी ............१६११........१-७०७
..लो.१५७५० २५...... भगवतीसूत्र सह शब्दार्थ ..
सुधर्मास्वामी ................१-५४८
.....लो.१५७५०
FFFFFFFFFFFFFFFFFF
१९.....-
मा
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________________
लौकागज कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
कता
पत्र संख्या
विशेष नाँध
१-२४५
१-११
श्लो.४९०.. लो.५४००--
१-२३६
१-१२९
१७००
८१२
८१२--
.१-९
.श्लो. १९२--
२३२ ग्रंथांक
ग्रंथ नाम २६ ...... -भगवतीसूत्र सटीक त्रूटक................
भगवतीसूत्र बीजक..... शाताधर्मकांगसूत्र मूल ................... सुधर्मास्वामी शातासूत्र मूल ............................ सुधर्मास्वामी ज्ञातासूत्र मूल रब्बार्थ .................... टी.कनकसुंदरमुनि ज्ञातासूत्र टबार्थ त्रूटक .................. उपासकदशांग मूल चूटक................
सुधर्मास्वामी उपासकदशांगमूल ....................
सुधर्मास्वामी उपासकदशांग मूल त्रूटक.............. सुधर्मास्वामी उपासकदशांग विवरण त्रूटक ...... अन्तकृदशांगसूत्र मूल .............. सुधर्मास्वामी अन्तकृदशांगसूत्रवृत्ति,
सुधर्मास्वामी अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र मूल .......... सुधर्मास्वामी अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र ............ सुधर्मास्वामी अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र सह टब्बार्थ अन्तकृदशांगसूत्र सह टब्वार्थ प्रश्नव्याकरणमूल अपूर्ण झूटक ........... सुधर्मास्वामी प्रश्नव्याकरणमूल अपूर्ण Qटक ........... सुधर्मास्वामी प्रश्नव्याकरणमूल अपूर्ण झूटक..... प्रश्नव्याकरणसह टब्बार्थ अपूर्ण त्रूटक. विपाकसूत्रमूल.
सुधर्मास्वामी विपाकसूत्र टब्बार्थ ..
सुधर्मास्वामी औपपातिकसूत्र मूल ......
सुधर्मास्वामी औपपातिकसूत्र मूल.......
सुधर्मास्वामी राजप्रश्नीय मूल ......
सुधर्मास्वामी राजप्रश्नीय मूल ..........
सुधर्मास्वामी राजप्रश्नीय सह वृत्ति ...
मलयगिरि ५३..... जीवाजीवाभिगमसूत्र मूल ..........
सुधर्मास्वामी ....
........श्लो, २०५..
१-१३
१७८५ १८२२
.....१८६२/
..........अपूर्ण
१-१०० १-६९ १-६५
9-10
१-५०
१.१०३
श्लो. ११७५ श्लो. १२५० श्लो. २०७१/श्लो, २०१९/श्लो. ३७००..
१.३५
१-११० .......१-२०१
andaonntematon
www.
brary.org
Page #281
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________________
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक प्रधनू नाम
कर्ता ५४ ...... जीवाजीवाभिगम सह वृत्ति ............. मलयगिरि ........
भाषा
| पत्र संख्या
।
झेरोक्ष
१६७२
........१-४१७
..१-२८६
१-३१५ १-१२४ १-२०
सी.डी. प्रधान
विशेष मोंध -मूल-४७५० .टी.१४०००.. श्लो. More.. श्लो. ८८.. श्लो. ४२५४..
श्लो. ८१५.. श्लो. ११००. .............११ मुं पानु नथी
१६४६
..१२१६
५५ ...... प्रज्ञापनासूत्र मूल ........
सुधर्मास्वामी... प्रज्ञापनासूत्र मूल ...
सुधर्मास्वामी ... जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र ......
सुधर्मास्यामी ... निशीथसूत्र मूल ..........
सुधर्मास्वामी.. निशीथ सूत्र मूल व्याख्या यूटक ..... श्रीचन्द्र ....... बृहत्कल्पसूत्र....
भद्रबाहुस्वामी.... कल्पसूत्र मूल ............
भद्रबाहुस्वामी.. कल्पसूत्र मूल सह अवधूरि ............. भद्रबाहुस्वामी... कल्पसूत्र मूल अपूर्ण Qटक ........... भद्रबाहुस्वामी. कल्पसूत्र सह टब्बार्थ व्याख्यान ........... भद्रबाहुण्यामी... कल्पसूत्र सह टब्बार्थ ............. कल्पसूत्र सह टब्बार्थ .... कल्पसूत्र मूल टब्बो ........... कल्पसूत्र बालावबोध (सचित्र) Jटक ....
... १७३२
१९१२ १-२०१
१-१२४
.१-४४
....१-३०८ ................ १-८E ... १७७२/.........१-११८
१-१९२ १-८४
१२१६
३२००
...............रंगीन चित्रमय, ताडत्रीय ग्रंथोंकी ...............पेटियों के साथ पेटी नं.४१९ में रखा है
कल्पसूत्र मूल सह व्याख्यान.. कल्पांतर्वाच्य व्याख्या .....................सोमसुंदर व्यवहारसूत्र मूल .......................... भद्रबाहु व्यवहारसूत्र मूल ..........................-ले. गंगदास व्यवहारसूत्र सह टब्यो .............. व्यवहारसूत्र सह टब्बो ..................... दशाश्रुतस्कंध मूल......................... भद्रबाहु .......... दशाश्रुतस्कंध मूल सहवाचना ............-भद्रबाहु .... आवश्य कनियुक्ति .......................... भद्रबाहु आवश्यकसूत्राणि सह बालावबोध अपूर्ण.................. घडावश्य कति ............................................
.....८ मुं पार्नु नथी २७२०..
Jain Educato International
Page #282
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________________
२३४
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोंध
धाक
भाषा
संवत्
पत्र संख्या
पेरोक्षसीटीभाव
..१७६१
१-२७ १-१०
१-३९
१-२३
२-२१
ग्रंचनुं नाम आवश्यक सूत्राणि सह रब्धार्थ ...........
प्रतिक्रमणसूत्र सह टब्बार्थ..................ले.देवचंद्र ....... ......आवश्यकसूत्राणि सह टबार्थ ................. ......आवश्यकसूत्राणि सह टब्बो ..............
आवश्यकसूत्राणि सह टबार्थ .............ले.शिवजी मालजी. दशवकालिक सूत्र .........................शय्यंभवाचार्य.. दशवकालिकसूत्र मूल .................... शय्यंभवस्थाभी.. दशवकालिकसूत्र मूल .................... शय्यंभवस्वामी.. दशवकालिक सूत्र मूल .................... शय्यभवस्वामी.. दशवकालिकसूत्र मूल ..... ............... शय्यंभवस्वामी.. दशवैकालिकसूत्र मूल ....................शय्यंभवरयामी.......... दशवकालिकसूत्र मूल ..................... शय्यंभवस्वामी.......... दशकालिकसूत्र मूल चूटक ............. शय्यंभवस्वामी...
क . मूल ............. शय्यंभवस्वामी.. दशवैकालिकसूत्र मूल ........ ले.लाभमंडन दशवैकालिकसूत्र सह वृत्ति ,
............
सुमतिमूरि दशवैकालिकसूत्र सटीक चूटक .... दशकालिकसूत्र सह अवधूरि त्रूटक .... शांतिदेय दशवकालिकसूत्र सह टब्बार्थ..........----- दशवैकालिकसूत्र बालावबोध ................. दशवैकालिकसूत्र बालावबोध सह ............... दशवकालिक सूत्र सह बालावबोध अपूर्ण ..........
दशवकालिक सूत्र सह टब्बार्थ .............. शय्यंभवसूरि ..... १०३... उत्तराध्ययन मूल
सुधर्मास्वामी .. १०४ उत्तराध्ययन मूल
सुधर्मास्वामी १०५ उत्तराध्ययन मूल
सुधर्मास्वामी १०६. उत्तराध्ययन मूल
सुधर्मास्वामी .. १०७..... उत्तराध्ययन मूल
सुधर्मास्वामी
.....................
१६९० १७६१ ............१-५ ૧૫૮ર
१-१० ૧૬૬૭
....... 00०.८ पानु नथी ......२६००/
१-७८
५९-३१४
१-५८
१-
५
१-१०८ १-२४ १-१४
१०२.
1-१००
१-४१
FFFFF
-१०४
For Private & Personal use only
Page #283
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________________
कता
भाषा
संवत
सी.डी. प्रधान
विशेष नोंध
14
.
१-११२ ७०२ .........१.१६४ ....३५(६३.९७)
१-२४
.
.
लौकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथर्नु नाम १०८..... उत्तराध्ययन मूल त्रूटक ..................सुधर्मास्वामी १०९...... उत्तराध्ययन मूल अपूर्ण ..................-सुधर्मास्वामी ११०..... उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति त्रूटक ........ १११..... उत्तराध्ययनवृत्ति सह टब्बार्थ ............ ११२..... उत्तराध्ययनवृत्ति सह बालावबोध व.....
कथाओ उत्तराध्ययनसूत्र बृत्ति सह टब्बार्थ. उत्तराध्ययनसूत्र वृत्ति सह टब्बार्थ ...
उत्तराध्ययनवृत्ति अर्थ त्रूटक ........ ..... उत्तराध्ययनसूत्र सहटब्बार्थ बेटक नन्दीसूत्र मूल
देवर्द्धिगणि नन्दीसूत्र मूल अपूर्ण ................ देबर्दिगणि नन्दीसूत्र मूल बेटक .............. देवर्डिगणि नन्दीसूत्र सह व्याख्यान
देवगिणि १२१..... अनुयोगद्वार सह व्याख्यान मूल ...... आर्यरक्षित १२२..... अनुयोगदार सह व्याख्यान मूल .... आर्यरक्षित १२३ ..... अनुयोगद्वार चालावबोध ......... आर्यरक्षित... १२४ .. चउसरणसूत्र सह मूल ............ वीरभद्रगणि १२५..... चउसरणसूत्र बालावबोधसह .. १२६..... सूत्रकृतांगसूत्र सह बालावबोध ..... १२७ ..... स्थानांगसूत्र सटीक ............. १२८..... ज्ञाताधर्मकांगसूत्र मूल ..............
भगवतीसूत्र मूल .............. |निरियावलिकादि पंचोपांगसूत्र ........... निरियावलिकादि पंचोपांगसूत्र ....... निरियावलिकादि पंचोपांग सूत्र (विवरण)
......... श्रीचंद्रसूरि
१२०.....
।
१४००L.
AS
348
श्लो.-१७१४.पत्र १४४ मुं नथी.
५५००
२१८
प५२
१३०.....
१३१...
FF
...........१६८२ ...........१६०१...
१.२७ १-३९
१३१..२८७..३१९
१३२...
......
............१३२..२४२.-.३१९ /....... ६५०/
JainEducation International
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________________
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोध
| भाषा
संवत्
। पत्र संख्या
झेरोक्ष
+
:
-
... १८१६ ..........१-५३ १७६५ ......... १-१३
२.४४
१-२ १-४३ १-८
.
१८६०/-........
.
. १८५
.
१-१४
939-२८७
२३६ | ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम निरियावलिकादि संग्रहणी सूत्र वृत्ति टबो ......... नवतत्त्व + जीवविचारप्रकरण सह टब्बार्थ. संग्रहणीसूत्र मूल त्रूटक दानशीलतपभावना कुलक ........ संग्रहणीसूत्र मूल ................. गौतमपृच्छा मूल ................. दशवैकालिकसूत्र टब्बार्थ इंद्रियपराजयशतक टब्बार्थ त्रूटक ...........
संग्रहणीसूत्र मूल ................ १४२..... पंचसूत्र ......................... ........... चिरंतनाचार्य .....
संग्रहणीसूत्र सह बालावबोध .............. नवतत्त्व सह टबो.....
पिंडविशुद्धि सह बालावबोध .............. जिनवल्लभसूरि १४६ ... पिंडविशुद्धि मूल ..... संग्रहणीसूत्र
मलधारि हेमचंद्र. १४८ निशीथसूत्र. १४९.....संग्रहणीसूत्र ..
निशीथसूत्र
श्राद्धदिनकृत्य प्रकरण................. १५२.. आवश्यकसूत्र सह टब्बो ................. १५३.. नवतत्वजीवविचार सह टबो ......................
सूत्रकृतांग सूत्र सह टवार्थ. १५५/१.. इकविंशतिस्थानक टक ................ १५५/२. उत्तराध्ययनसूत्र .................... १५६....-चउसरण.......................... १५७.... अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र ........... १५८..... षडावश्यकसूत्राणि व पाठ .....
.२-९ .. १८८१/.......९३-१०५
..१-५ .....१-३५
१-१० १-२९
*
*
*
१८९४
*
*
*
EEEEEEEEEE
*
१५४..
............ १८६८
For Private & Personal use only
Page #285
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________________
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
१५९...... . सूत्रकृतांगनिर्युक्ति १६० जंबू अध्ययन
.....
१६१....... १६२..... प्रतिक्रमणादिविधि त्रूटक
१६४.
१६३ ..... भगवतीसूत्र सह टब्बार्थ त्रूटक कल्पसूत्र सह टब्यार्थ त्रूटक १६५..... कल्पसूत्र सह टब्बार्थ मूल त्रूटक १६६ / १. वीरत्थुई टब्बो
१६६/२ ..
महावीरस्तवन टब्बो
१६७/१ षष्टि शतं मूल त्रूटक १६७/२ षष्टि शतं मूल त्रूटक
१७२
१७३
१७४
www.
षष्टिशतक सह टब्बो
..
..
जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ मूल त्रूटक
१६८..... १६९...... १७० प्रवचनसारोद्धार मूल
प्रवचनसारोद्धार मूल
१७१
उपदेशमाला मूल
चातुर्मासिक व्याख्यान
त्रिशती गणितसार सह टीका टक चतुर्विंशति स्तुति सह टब्बार्थ
मरणविहि
शतककर्मग्रंथ जंबुद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णि
अभिधानचिंतामणि नाममाला
१७५......
१७६.....
9000 १७८.....
१७९..... धम्मिलकथा त्रूटक औपपातिकवृत्ति त्रूटक
१८०.......
१८१..... प्रश्नव्याकरणसूत्र त्रूटक
१८२..... भक्तामरस्तोत्र सटीक
संघपट्टक..
कर्मग्रंथ प्रथमथी चतुर्थ
१८३.....
१८४........
wwww
कर्ता
भंडारी नेमिचंद्र
शोभनमुनि
देवेन्द्रसूरि
आ. हेमचन्द्र
मानतुंगसूरि
भाषा
मा.
.मा.
मा.
मा.
मा.
मा.
. सं.
.प्रा.
SIT.
.मा.
सं.
मा.
मा.
मा.
सं.
. सं.
प्रा.
संवत्
१५७२
१६७०
१६९६
१६७२
१८७९
१५७२
१५६२
१५७२
पत्र संख्या
१-५
१-६५
१-१२
१-८
१.३
२-७१
४-२५
१-२
१
८
७
१-५
१-६४
१-६८
१-२२
१-१९
२-३५
१-८
१-२१
१-६
१-३६
.१-५
१-२१
.१-५
.१-४
.१.३
.१-३
१-११
झेरोक्ष
. १३२.२४२
सी.डी.
. १३२.२४२३१९
ग्रंथाप्र
विशेष नोंध
.(प्रति पाणीमां भीजाएली छे )
२३७
.
Page #286
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________________
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंद
भाषा
पत्र संख्या
.....१-१३४
......५४५० "..............फुटा पाना
१-८३
१-९८
-१२९
.........१-३
१-१२ .......
.............
..सं.
............
२३८ ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम क र्ता
संवत १८५.... अनुयोगद्वार त्रूटक...... १८६ ....- हरिवंश प्रबंध (ढाल सागर) ............... गुणसागर.......
...१६७६-१९०३ १८७.....लब्धिस्तवन संग्रह .... १८८....मलयसुंदरी रास.........
शान्तहर्ष शिष्य जिनहर्ष .......... .... १७५१-१८६१ १८९..... पंचदंड चौपाई - विक्रमादित्य चौपई ...... लक्ष्मीवल्लभ ...
૧૨૮ १९०.....श्रीपाल चरित्र सह टब्बार्थ .......
........ १८५५ १९१.... कर्मग्रन्थ प्रथमथी चतुर्थ .......................
......... १८६० १९२ ..... पार्श्वनाथनो छंद .............
...... १९४२ जयमालीका त्रूटक ... स्थानांगसूत्र त्रुटक ज्ञानक्रिया संवाद... साधुवंदना. क्षेत्रसमास
............ १८३८ जीवाजीवविचार प्रकरण .................... ......नवतत्त्व सह टबार्थ
...... गौतमपृच्छा सह बालावबोध ........... २०१..... एकवीसस्थानक ........ २०२.....भक्तामरस्तोत्र...............
शीलोपदेशमाला प्रकरण .......... नेमिरायशिक्षा - बृहत् शांति ............... सिदप्रकर...... चोवीस दंडकरतबन सह रब्बार्थ........... धर्मसिंह
त्रिभुवनकुमार चौपई....... २०८ ..... सज्झाय और चोबीसदंडक बोल ..... २०९.... अदारनातरांनी सज्झाय .... २१०..... कर्मसंवेध भंग प्रकरण. २११..... दानशीलतपभावना संवाद ............... समयसुंदर २१२.....जीवाल्पबहुत्वस्तवन सह टमार्थ ........
T
.........
...१६००
मानतंगसार
.
04-...
२०६ .....
For Private & Personal use only
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डोरोक्ष
विशेष नोंध
.........१तुं पार्नु नथी
२२१....
................
नसियतनामा .........
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक
ग्रंथतुं नाम २१३ ..... सम्यकत्वकौमुदी कथा चूटक २१४ ..... अभिधानचिंतामणि नाममाला त्रूटक.. प्रतिक्रमणसूत्र टब्बो ...
१८५७ चैत्रीपूनम व्याख्यान .. कल्पसूत्र.
१९४० २१८ ..... उपदेशरलकोष २१९.... सेट सुदर्शन अर्जुनमाली चौढालिया ... भक्तामरस्तोत्र
मानतुंगसूरि ..............सं. लीलावती सुमतिविलास रास ............. उदयरत्न ................१७६० १८६८
महावीरजन्मोत्सव भोज ....... २२३..... सिंदूरप्रकर. २२४ ..... वक पाक्षिक अतिचार ....
............... १८४९ २२५..... २२६ ..... एकादशगणधरपतवन ......
रस्त वन ..................................................मा............. १६६८ २२७ ..... सूक्तिमाला चुटक ..... २२८..... फूलजी फूलवती पत्राचार .... २२९ ..... आर्यवसुधारा........... २३०..... भक्तामर + कल्याणमंदिर प्रकीर्ण २३१/१.. जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ त्रूटक
........... १८७० २३१/२ .. आत्मप्रबोध छत्रीसी ..........
पिंडविशुद्धिवृत्ति .................. आर्यवसुधारा ताजिकसार त्रूटक षड्जीवनिकाय + दशकालिकसूत्र. महावीरजिनस्तव सह टब्बो
नलदमयंती रास चूटक ....... २३८..... पडिलेहणा कुलक सह टब्बार्थ त्रूटक ........ २३९..... चउसरणसूत्र ..............
...............७ मुं पार्नु नथी
--.
सं.
...............छुटा पाना
AAAAAAAE...
छुटा पाना
२३२....
२३३ .....
Jain Educato International
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लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
कता
संवत्
डोरोक्ष
। पत्र संख्या
१-८१ ......१-१२४
.....
२४० |ग्रंथांक - ग्रंथन नाम
भाषा २४० ..... प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण
रामचन्द्र २४१ प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण
रामचन्द्र २४२..... प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण
रामचन्द्र गणितसार
श्रीधर ज्योतिषरत्नमाला सह बालावबोध ..... रघुवंश बेटक ........
कालिदास ...... साररवतव्याकरण Jटक .................. अनुभूति स्वरूपाचार्य ...
... १६८९
....... १७९
........१३२..२४२...३२०
..१-८
4444444
१८५७
......१-५६
.....१-४ .........१-४५.१.१७
4..१८, २१, २२, २८, ३६, ३८, ३९, ४२ नर्थी ...............२८८ नंबरनो ग्रंथ आनी साथे भेगो राखेल छ
.........१-८
....१.४५
१-६७ ....२-१६०
२५०....
१८८४
२४७..... केशव वाक ज्योतिष सह टब्बार्थ, २४८..... सारस्वतव्याकरण त्रूटक .................. अनुभूतिस्वरूपाचार्य....... २४९ ..... सारस्वतव्याकरण ........................ अनुभुतिस्वरूपाचार्य.......
राजामृगांकसारणी त्रूटक ............ २५१/१ . मुहूर्तमुक्तावली ...... २५१/२ ..ग्रहभावफल ..... २५१/३ ..चंद्रार्की आदि सारणिओ ........ २५१/४ .. भ्रमणसूत्र सह सारणि.. २५२.... संग्रहणीसूत्र त्रूटक ........................ मलधारि हेमचंद्रसूरि शि, मा. २५३..... भर्तृहरिनीति व श्रृंगार शतक .............--... २५४ ..... उपदेशरत्नकोष .....
चउसरण सह बालावबोध...................... पिंडविशुद्धि अवचूरि........................ हितोपदेश भाषा त्रूटक ....................नारायण........... सारस्वत त्रूटक........................... अनुभूतिस्वरूप ........ स्यादिशब्दसमुच्चय......
अमरचन्द्र सारस्वतय्याकरण (टव्यो) Jटक ......... अनुभूतिस्वरूप .... मेघदूत ......
कालिदास सिंदूरपकर त्रूटक ... २६३ .. सूक्तिमुक्तावली बेटक
... १४ ......... १७८० .......... १-२९
.........१-१९ ................ १-१७
................१.३
...........१-९ .........१-४१
..........१-२८
२६०....
..२.१८
२६१.....
..१-६ १-१२
२६२...
२-१३
For Private & Personal use only
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________________
२४१
कर्ता
भाषा
संवत
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोध
.
.२६७..६५१
-३२०
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक
ग्रंथY नाम २६४ ..... सारस्वतव्याकरण त्रूटक.................. अनुभूतिश्यरूप..... २६५..... पृथ्वीराजकृता वेली ........... २६६.... विवाह पडल (ज्योतिष) ...... २६७ .... किरणावलीसूत्र (न्याय) त्रूटक ..... २६८... सारस्वत बालावबोध (संक्षेप)...........
आर्यवसुधारा........... ग्रहगोचरफल (ज्योतिष).............. महिमभट्टिव्याकरण Jटक ......... चन्द्रार्कीसूत्र सह वृत्ति त्रूटक ....... मन्वन्तरदेवीमाहात्म्य Qटक ............ शकुनावली त्रूटक वृत्तरत्नाकर छंद
केदारभट्ट ... अव्ययार्थ त्रूटक २७७..... कातंत्रविभ्रम सूत्र सह अवचूरि त्रूटक... २७८ ..... लीलावती भाषा २७९ ..... महामायी वाचक (ज्योतिष) २८०/A... शकुनाबली (ज्योतिष).. २८०/B.....नसीयतनामादि शिक्षा संग्रह ... २८०/C.......बोल थोकडा संग्रह त्रूटक ........ २८०/D.... बोल थोकडा भंग संग्रह त्रूटक ......... २८१..... पार्थपराक्रमनाटक चूटक................... २८२..... ताजिकसार भाषा वचनिक.. २८३..... लघुप्रक्रिया (ज्योतिष) त्रूटक २८४...... भगवद्गीता सटीक अपूर्ण.
टी.श्रीधर. २८५..... कातंत्र सह विस्तार पाठ पाद (व्या.)... कर्णदेवोपाध्याय २८६ ...... हेमधातुकोष २८७ ..... कातंत्र मोक्षेश्वरी टीका
मोक्षेश्वर २८८..... सारस्वतय्याकरण.........................
4444444444444
.
२७६....
..१३१..२८७.३२० ...२६७..६५१ .--३२०
१७३६
..+छुटा पाना
1230
१-qG
..१३१..२८७..३२०
... पत्र ३ थी ७.९ थी ११ नथी.
१-१७
१-१० १०५
...........२६७..६५१ ..३२० ............१३१..२८७.--३२० ............१३१..२८७ .. ३२०
......४६०५, पत्र १, ४२, ४६ नथी. .............ग्रंथ नं.२४६ साथे भेगो मकेल छे.
For Private & Personal use only
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लोकागछ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सीडी प्रधान
विशेष नोंध
भाषा
संवत ..........१९११
पत्र संख्या | ...........१-८
।
........... १८३८
२४२ ग्रंथांक
ग्रंथन नाम सारस्वतव्याकरण सूत्राणि सस्तबक ............. मन्वन्तरदेवीमहात्म्य . रंभामंजरीनाटिका त्रूटक .......
नयचंद्र. कातंत्र५डिकावृत्ति त्रूटक ............ गोल्हण ....... मेघदूत
कालिदास.. सारस्वतव्याकरण त्रूटक ........ अनुभूति स्वरूपाचार्य.. महावीरचरित्र + पार्श्वनाथचरित्र त्रूटक आराधना और प्रकीर्ण त्रूटक. उत्तराध्ययनसूत्र सह कथाओ बेटक ..
नेमिनाथगीत और प्रकीर्णकगीत ......... आनंदघन . २९९ ..... साधुवंदना................
नवतत्त्वप्रकरण............. - सिद्धचक्रजीरा गुण ........................
बोलथोकडा भंगसंग्रह ..................... ३०३..... दशवैकालिकसूत्र त्रूटक .................. शय्यंभवाचार्य ..
दशवैकालिकसूत्र सटीक त्रूटक .......... शय्यंभवाचार्य... गौतमपृच्छासार्थ आवश्यकसूत्राणि सह टम्वार्थ जीवाजीवविचार नवतत्त्व + जीवविचार सह टवार्थ ................ अंजनासुंदरीचीपई बेटक चउसरण सह टब्बार्थ ........ साधुवंदना.
पुण्यसागर बोलथोकडाभंगसंग्रह .. -नवतत्त्व सह टब्बार्थ
महेरचंद्र -श्रावकपाक्षिकातिचार ..... ३१५....-कामना
..-रुक्मिणी-विवाह .......... ३१६ ....- हमधातुपाठ (व्याकरण).................
३०२....
३०४....
...१३ मुं पार्नु नथी
१८४८ ૧૮૬ ૧૭૫
3१४
............२६७..६५१ ..३२०......
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लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
३१७..... रत्नपालकथा
३१८.
३१९.
३२०.
३२१......
३२२......
३२३.....
३२४...... चउसरण सह टब्बार्थ
वीररतवन
क्षेत्रसमास
पर्यन्त आराधना
३२५ ● ३२६
अभिधानचिंतामणी नाममाला त्रूटक सारस्वतदीपिका त्रूटक
३३०
३३१
३३२
३३३
३३४
श्रीपालचरित्र त्रुटक आवश्यकसूत्र ( जीर्ण)
साधुवंदना.
कालज्ञानकुलक
३२७.....
३२८..... उत्तराध्ययनसूत्र सह कथाओ त्रूटक
३२९......
संग्रहणीसूत्र
संबोधसत्तरि
वीसविहरमानगीतसंग्रह
क्षेत्रसमास सह टब्बार्थ
क्षेत्रसमास सह टब्बार्थ नवतत्त्व (टब्बो).
.
उवसग्गहरंस्तोत्र व बृहत्शांति
चाणक्यराजनीती सह टब्बार्थ त्रूटक
अभिधानचिंतामणी नाममाला त्रूटक
परदेशीबोध
सित्तरीसयस्तोत्र
३३५......
३३६ ३३७..... ३३८.....
३३९
३४०.....
३४१......
३४२. ३४३ ३४४......
थावच्यापुत्र चौढालीया.
मेघकुमार चौढालिया
| सदेवंतसावलींग वार्ता त्रूटक षट्भाईना ढालिया
चित्तोडगढ गझल
कर्ता
हेमचंद्राचार्य
ले. राजप्रमोदगणि
ले. आनंद विजय
पं. देवचंद्र
कुशलरंग
ज्ञानचन्द्र
क्षमाकल्याण
जिनहर्ष
मालमुनि
भाषा
.सं.
सं.
सं.
मा.
सं.
.. मा.
सं.
मा.
मा.
.मा.
मा.
.मा.
मा.
.मा.
.मा.
.मा.
.मा.
सं.
सं.
भाषा
.प्रा.
.का.
..का.
.का.
का.
का.
संवत्
, १६७५
१६२२
१८६५
१७०४
१८१४
१७२४
१८८२
१८४६
पत्र संख्या
१८५६
१-११ १-१६
१-२५
१.३७
9-19
१७६९ .......१.९ ***.... १-३१ १-१२
१७८२
[१८४३ [........... १-१२
१-२ १४ छुटा पाना
१-२४
१-२२
१-९
१-३
१-३
१-३
१.११
१-३
१-११
१-२५
१-७
१-६
१-१३
१-७
१-१३
१-३० १-४
झेरोक्ष
सी.डी
२६७.६५१३२०
२६७-६५१
३२०
ग्रंथाग्र
विशेष नोध
३. ५ पत्र नथी
त्रीजु पानुं नथी.
२४३
Page #292
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________________
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
FFE
......... १७०१
३५३...
मा
..........२६७..६५१.५.३२०
३५५ .....
२४४ ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कर्ता
भाषा | संवत - पत्र संख्या | । ३४५.....दोषपृच्छा शकुनाबली ३४६.....| गांगातली दृष्टांतकथा + महावीर स्तवन
+दंडक स्तवन ३४७..... बासठमार्गणास्तवन त्रूटक ३४८ ..... पद्मकोष ज्योतिष ३४९ . पौषधविधि + आदीश्वरस्त्तवन ....... ३५०... अनाथीसाधुसंधि
विमलविनय .....
......... १६४७ ३५१..... आषाढभूतिचोडालिया ..................
.......... १८३० ३५२ .....लेखकशालाकथा .................... चित्रसंभूतिसज्झाय ........................ नयप्रमोदगणि...
....... १७०९ ३५४ ..... चंद्रलेखारास ............................... रत्नवल्ल भ ................का. ...........१८२५
महादंडक ..... ३५६.... बोलथोकडासंग्रह ....
समयसुंदर ..... ३५७ ..... महानिशीथ सूत्र आलापक ...
.प्रा. ३५८ ..... नवतत्त्वचौपाई.....
गोकुल गांधी
... १७६६-१७८६ शालिभद्रचौपई त्रूटक .... जिनराजसूरि
૧૬૭૮ ३६०... बारह भावना
सोमसुंदर..
..... १६४६-१७७२ ३६१... जिनस्तुतिसटीक इलाकुमारचौपाई
ज्ञानसागर.
..... १७२९-१८२२ ३६३ .... शांबप्रद्युम्नचौपाई ............... समयसुंदर. ३६४ ..... परनिंदाचौपाई. ३६५..... मुनिपतिचरित्र .. ३८६..... अजितशांतिस्तवन ......................../ले.गोपालचंद............... प्रा. नेमिजिणवररास ................
..................१९१० ३६८..... थावच्चामुनिचौढाल .......................क्षमाकल्याण.................... ......१८४७-१९१३ ३६९..... आषाढभूतिचौपाई..
ज्ञानसागर....... चौवीसदंडक सह रब्बार्थ
ले.विनयविजय.... ३७१ . गौतमकुलक टल्बार्थ ...
गजसार मुनि.....
३६२.....
१७....
13७०.....
For Private & Personal use only
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________________
| भाषा
पत्र संख्या ।
विशेष नोंध
संवत् ..... १६५६-१८२३
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथान । ....२६७..६५१...३२०
३०३ ----
३०४..
....१६८२
1
............ १८८७
..............बीजु पानु नथी.
. १८९९
.
.
.
... १८७४ ..... १७२५-१९३०
......... १८६२
.
.
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार · जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक 1 ग्रंथ नाम
कर्ता ३७२..... शंखेश्वरपार्श्वजिनछंद
नयसुंदर ........ सुबाहुसंधि
पुण्यसागर .... अंजनासुंदरीचौपई
पुण्यसागर .... ३७५.. चौवीसतीर्थकरनां अंतरा...
धर्मसिंह ३७६ .... कविवृंदसत्तसई मौनएकादशीस्तवन .......
प्रेमविजय ३७८ .... श्रावकआराधना...
रूपचंद ... नवकार बालावबोध ...................... ३८०..... आबुजायाचौपई त्रूटक ................
रुक्मिणि (वैदी ) चउपई ................ प्रेमराज, ३८२.....श्रावकपाक्षिकातिचार ...... ३८३..... कोणिककथा ................... ३८४.... सुबोधसत्तरी सार्थ... ३८५..... आणंदसंधि....... ३८६ .
प्रकीर्णपत्र................. ३८७..... विधारसंग्रह बिकानेर गझल ..
लालचंद्र अक्षयतृतीयाव्याख्यान
क्षमाकल्याण.. सौभाग्यपंचमीस्तवन
समयसुंदर. श्रावकव्रतविचारचौसठी महावीर सत्तावीसभवरतवन . आषाढभूति चौपई.
........ज्ञानसागर..... प्रकीर्णसंग्रह .......
पुण्यपाल चउपई अपूर्ण. ३९६ ..... सुभद्रासतीचउपई त्रूटक
रुपवल्लभ ३९७.....गजसुकुमारढाल............
नथमल..... ३९८.....थावच्यापुत्रचौपई त्रूटक............ नथमल...... ३९९..... आणंदसंधि............
............१८५७
प्रकीर्ण पत्रो
.१-३२
..१९०७ ... १८४८-१८४९
.. १७६१
.. १८२५-१८२८
......२-२०
१८५७-......
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लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
भाषा
संवत
पत्र संख्या
........ १८५२
.छुटक पाना
१८७१
मा.
.. १८७४ ...........१८९८
२४६ ग्रंथांक ग्रंथतुं नाम
कर्ता ४००..... मौनएकादशीव्याख्यान.....
ले.सौभागचंद ४०१..... समवसरणस्तवन ............
धर्मवर्धन ४०२.....कुमारसंभवकाव्य........
कालिदास ...... ४०३.....प्रकीर्णपदसज्झाय आदि ..... ४०४ ..... कवितसंग्रह त्रूटक............. ४०५...... प्रकीर्णस्त वन............................. ४०६/१.. प्रकीर्णस्तवन ....................... ४०६/२.. गौतमपृच्छाचौपई .............. ४०७... नवकारस्तवन और प्रास्ताविक श्लो.आदि ....
सारस्वतव्याकरण......................... अनुभूति स्वरूपाचार्य.....सं. प्रकीर्णस्तवन..... रुक्मीणी (वैदी) चउपई ............ प्रेमराज .. षटभाईना ढालिया
मालमुणि ४१२.. समवसरणविधान त्रूटक .. ४१३.... विक्रमादित्य (पंचदंड) चउपई ........... लक्ष्मीवल्लभ.. ४१४/१.. सुमतिपच्चीसी. ४१४/२.. प्रकीर्ण पद संग्रह सज्झाय आदि ४१५..... रतनपालरास त्रूटक....... ४१६ ..... रतनपालरास ..........
मोहनविजय.... ४१७/१..पार्धनाथस्तवन.....
समयरंगगणि... ४१७/२. जयतिहुयण..
समयरंगगणि. ४१८..... बूढाचरित्र ४१९/A...... आलोयणापद ४१९/B..... आलोचनाविधान....... ४२०.... श्रमणअतिचार ४२१..... मौनएकादशीव्याख्यान ..
४२२...... वसुधारास्तोत्र ..... | ४२३..... शनिश्चरनीकथा ...........
१७२८-१८७७
......
.........५४ मुं पानु नथी
..... १७९५
.. १७९५
.... १८३६-१८८३
१८६५ ... १९४३
...................
...........१-४
For Private & Personal use only
Page #295
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________________
झेरोक्ष
पत्र संख्या ।
१-१०
सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध .......... फाटेला तुटेला पाना
.
.
........... १८४
.
.
.
.
.
लगभग ४०
लॊकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
भाषा संवत् ४२४..... गौतमपृच्छा ............... ४२५.... गजसुकुमारचौपई .......................... मतिसार
........ १७७१ ४२६..... चतुर्विशतिजिनस्तवन .....................वीरचंद्रर्षि ४२७... पोषदशमीकथा ................. ४२८.. दीपावलीव्याख्यान ................
........... १९०४ ४२९..... आदीश्वरविनंती + गुणबावनी..............लावण्यसमय उदयराज .............. १६७६ ४३०. दादीजीरो छंद .............. ४३१..... मुनिमालिका + पंचकल्याणक ............... समुद्रविजय ....
............ १९३२ ४३२... प्रकीर्णपदो...... ................-मुनिवस्तो आदि ........
विचारसंग्रह चूटक..... ४३४. प्रकीर्णपदसज्झाय..... ४३५ ... चंदराजाचउपई........
विद्यारुचि......
१७१७ ४३६ . परदेशीराजानो रास Jटक ............... कांतिसागर ....
कर्मग्रंथ प्रथम बालावबोध (टक ..... ४३८.. श्रीपालरास
विनयविजय ...
१७२८-१८७E ४३९ .. सुत चउपई ............
समयसुंदर .....
............१६७२ प्रकीर्णपदो ............................ ४४१..... कालिकाचार्यकथा ................
............प्रा. ४२.....क्षमाछत्रीसी. ..................समयसुंदर ....... ४३..... चरकसंहिता (वैदक ग्रंथ) जूटक ................. ४४४ ..... जगदेवपरमारवार्ता ..............
............ १८७२ धर्मध्यान और आलोचना ...........
........... १७६५ ४४६/A...... वैराग्यसज्झाय ......... ४४/B.....भक्तामरस्तोत्र + वैराग्यसाय ४४६/c......जेसलमेरस्तवन....... ४४७..... मौनएकादशीमाहात्म्य त्रूटक ... ४४८ .....महाबलसन्धि त्रूटक ....... ४४९..... नवकारबालावबोध.......
१६९५
४३७..
पाना
.........४-३९
१-२६
१-१२
......१थी पाना नथी
Jain Educatan Internation
Page #296
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लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
कर्ता
भाषा
संवत
- पत्र संख्या ।
२४८ ग्रंथांक
ग्रंथन नाम ४५०..... नेमिस्तवन...... ४५१..... बोलथोकडाभंगसंग्रह ........... ४५२..... मुनिसुव्रतचरित्र + सीतारामचौपई त्रूटक ..
......१४
................१६८६............१-८
.........२२-६७
.................१-१५, १७-२१, २३-३१, ३३, ..............३६. ४२-४७ पाना नथी
४५४ ....
१९२०
........१थी १५ पाना नथी
...........२६७..६५१
-३२०
प्रकीर्णगीतो...........
२४ तीर्थकरो के गीत ................ ४५५... ऋषभदेवरतुति + अवंतिसुकुमालरास ..... ४५६ .. विजयशेठ विजयाशेठाणीचौपई .........
जादवरास + दसपच्चक्खाण +
प्रत्याख्यानविधिस्तवन ................ ...देवधंद......... ४५८... चौमासीच्याख्यान - होलिकाव्याख्यान.... क्षमाकल्याण... ४५९.... धन्नासंधि......
कल्याणतिलक ४६०/A. नरक-चोढालिया ...................... गुणसागर...... ४६०/B..... अर्जुनमाली अधिकार ................... ४६१.... ऋषभविवाहलो ...................
....नथमल........ ४६२ .... साधुवंदना ...............
................. कुंवरजी ....... ४६३ ..... पोषदशमीकथा सह टव्वार्थ ............... ४६४. परचूरणस्तवन..... ४६५/A....
चतुःशरणप्रकीर्णक ४६५/B.. प्रकीर्णपद.... शत्रुजयरास ......
समयसुंदर.. ४६७ ... दान-शील-तप-भावनासंवाद
समयसुंदर ४६८ ... मुनिमालिका ...
मतिभद्र उपदेशमालाप्रकरण.....
चातुर्मासिकव्याख्यान ... ४७१... भगवतीसूत्र....... ४७२.... शकुनावली + पाशाकेवली बालावबोध. ४७३.....तत्वसार भाषा ....
कुंवरजी
४६६.--
१६८२-१७६३
१८४३
१६३६
.......१८ मुं पानु नथी
४६९.-- ४७०...
मा
For Private &Personal Use Only
Page #297
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झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
संवत । पत्र संख्या | .......... १९१९ .......... १-५३
१-३१
४०८ .....
1. छूटा पानां
..... १६७२-१७६८
.........१८४६ .......... १८१६
..............चोटी गयेला छे
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक . ग्रंथ नाम
कता संघयणीसूत्र .......... ४७५. प्रकीर्णकथा संग्रह त्रूटक ............. ४७६ . नवतत्वविचार त्रूटक .............. ४७७ ..... रतनगुरु सज्झाय .............
ऋषिमंजलसूत्र मूल टब्बार्थ अपूर्ण .............. ४७९ ..... गजसुकुमार चौपई ...... ४८०..... छुटक पद और आराधना ... ४८१..... गुणस्थान + कर्मप्रकृति पदवी बोल ४८२ ..... हिंसाछंद + श्रावककर्तव्य .................. पाल्हभाट .... ४८३ ..... सिंहलसुतचउपई .........................समयसुंदर... ४८४ ..... बलिनरेन्द्र भुवनभानुचरित्र ................. ४८५ ..... उपदेशमाला सह टब्बार्थ व कथाओ........ ४८६ ..... पुण्यविलासरास ....... ................. जिनहर्ष ४८७ ..... संबोधसत्तरि सह टब्बार्थ ................ ४८८..... शीलरास त्रूटक ........................ ४८९ ..... प्रकीर्णक पद संग्रह .......................... ४९०..... जीवस्थानविचार सह बालावबोध ........ ४९१.....गौतमपृच्छा सह बालावबोध, ४९२IA... ऋषभदेवजी रो विवाहलो + प्रकीर्णक पद ............ ४९/B...... ऋषभदेवविवाहलो. ४९३ . शीलरास ............
-ज्ञानचंद्र ४९४. आवश्यकसूत्राणि च पाठ ..................तिलकाचार्य . ............सं. ४९५..... नंदबत्तीसी.
.........नरपति कवि ४९६ ..... चौबीसदंडक सह टब्बार्थ . ४९७..... दान-शील-तप-भावनासंवाद ...............समयसुंदर. ४९८ ..... अतिमुक्तककुमारचौपई. अतिमक्तककमारचौपई....................
नारायणमुनि... ४९९ . चैत्यवंदन सज्झाय ...... ५००/A..... चिडियारो विवाह .....
...........१.६
१८४५
.........
........---...
......१६८३-१७३७
......... 400/A..५१६.....
For Private &Personal Use Only
Page #298
--------------------------------------------------------------------------
________________
२५०
ग्रंथांक
५०० / B....... अणगोस अधिकार
५०१ पुष्पमाला प्रकरणम्
५०२. सूत्रग्रंथ (जीर्ण) त्रूटक
५०३
विचारसार प्रकरण (जीर्ण) त्रुटक ५०४ कातंत्र कात्यायनी वृत्ति (जीर्ण) (कृतप्रक्रीया) जीर्ण शीर्ण
-----
www.w
.....
५०५
५०६
५०७
५०८ ५०९/A.
ग्रंथनुं नाम
कल्पसूत्रवाचना त्रूटक श्रमणप्रतिक्रमणवृत्ति. ....... कयवन्ना- चौपई ५०९/B ....... कयवन्ना- चौपई
५१०
५१७.
५१८
५१९
कातंत्र (दौर्गसिंही) आख्यात वृत्ति त्रूटक दौर्गसिंह
जिनशतक सह पंजिका त्रूटक
बारह भावना क्रोधकथा.
| आत्मप्राप्तिविधि
५११
५१२.....
५१३ शीलरास
५१४..... शांबप्रद्युम्नप्रबंध
५१५..... प्रत्येकबुद्ध थउपई
५१६..... आनंदघनचीवीसी और पदो
सुरसुंदरीरास त्रूटक
अनाथी संधि
परदेशी प्रबंध त्रूटक- जीर्ण
चौवीस दंडकविचार त्रूटक- जीर्ण
५२०.......
५२१ महावीर २७ भवनुं स्तवन.
५२२ •
प्रकीर्ण-स्तवनो
शालिभद्र चौपई
५२३..... ५२४..... परचुरणस्तवनत्रूटक ५२५..... दुर्गापाठ
कात्यायन
जयरंग
कर्ता
सोमविबुध
ज्ञानचंद्र लावण्य समय
समयसुंदर.
समयसुंदर.
आनंदघन आदि
धर्मवर्द्धन
विमलविनय
गजसार
भाषा
.सं.
.मा.
.मा.
सं.
सं.
मा.
सं.प्रा.
सं.
.मा.
संवत्
१५४८
१७८३
१७७३
१८१९
१६६२
१८८२
१८२६-१८२६ १६४७
पत्र संख्या
१-१० ,३१-६१
२२-५५
.४१
२-१०७
१-४०
१-२३ १-१५
४ १-१८
१-४
१-४
१-७
१-११
१-२२
१-१०
90+3
२-१६
१-२
२९
१-२ १-५
लगभग ३५
२२
१९
१-१२
झेरोक्ष
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग सी.डी.
ग्रंथाप्र
विशेष नोंध
५००.५१६३२०
५०००.५१६३२०
. ५००A..५१६३२०
.
पत्र ११ १३, १७, १८ छे.
छुटक पाना
१७. ९-१६. १८-२१ पानां नथी
. चोथुं पानुं नथी
.
Page #299
--------------------------------------------------------------------------
________________
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
५२६ •
५२७
५२८..... ५२९ •
आराधनास्तवन
५३० ● प्रतिक्रमणसूत्र अपूर्ण
५३१
आर्यवसुधारा.
५३२
उत्तराध्ययन
५३३/A. नवतत्त्व प्रकीर्णक पत्र
५३३/B. ५३३/C.......
AAAAA
सामायिकविधि
पाशाकेवलि बालावबोध
मेघकुमाररास सातवीषयनी सज्झाय
.....
+
तीर्थंकरबोल
तीर्थंकर अतिशय सह बालावबोध + ३५ वचनातिशय
५३४ /A..... श्रावक आराधना ५३४ / B नवतत्त्व [ ५३४ / C...... दोषावली
५३४ / D... श्रावक आराधना...
५३५..... ज्योतिष लघुग्रंथ त्रुटक व स्फुट पन्ने दशवैकालिकनियुक्ति.
शतकत्रय
५३६..... ५३७ ५३८ सुदर्शनकथा ५३९/A. रामायणसार
[ ५३९/B.......
५४०
५४१
+
५४२
५४३ ५४४......
----
[ नलदमयंतीचरित्र
दुर्गसिंहवृति पंजिका.
कातंत्र दौर्गसिंह आख्यात कृत्सूत्र + चतुष्क इंडिकावृति
वैशेषिक न्यायग्रंथकी अवचूरि उपदेश बारहखडी
मुनिमालिका.
गर्ग संघराज
कर्ता
समयसुंदर
भर्तृहरी
भाषा
मा.
मा.
EFF
प्रा.
सं.
मा.
मा.
संवत्
१८४०
१९५८
१९६८
१९७०
१९६८
पत्र संख्या
१-४ १-८
१.६. १-२
१-८
१-९
२२
१०
६
४
४
* 8 ∞ ∞ ∞ ≈ 2288
१०
४
४
१०
५२
३०
३-७
३३
१०
९३
१-९३.९४ १७२
१७३ थी २६१
६९
३
१-४
झेरोक्ष
सी.डी.
५४०३२०
५४१ (१२) ३२०
. ५४२ ६९२३२०
ग्रंथाग्र
चिपकी हुई
विशेष नोंध
अतिरिक्त १५ पान
१-७ पाना नथी
२५१
Page #300
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________________
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंधान
विशेष नोंध
भाषा
संवत
। पत्र संख्या
।
रोश
..................१७७१
१७९८
५४५...
..........१-१५ ..........१-३०
............१-९
ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
| कर्ता ५४५..... पंचभावना .................................. ५४६ . अष्टापदजिनस्तवन त्रूटक.............. ५४७.... -चंद्रगुप्त स्वप्न स्वाध्याय ......
जयमल........ ५४८... चमत्कारचिंतामणि ग्रहभावफल अध्याय...
ताजिक नीलकंठ (ज्योतिष) त्रूटक ....... नीलकंठ.......
ताजिक भूषण (ज्योतिष) ................ गणेश दैवज्ञ ... ५५१... ज्योतिष टिप्पण................... ५५२.... विवाहपटल अपूर्ण ....................
ज्योतिषसार .............. ५५४..... सारसंग्रह (ज्योतिष).....
ज्योतिषगणित त्रूटक ....
भावफलप्रदीप........................ ५५७.... ज्योतिषसार .....................
बृहत् जातक .............................. वराहमिहिर ........ कन्यादान विधि ................... दश प्रत्याख्यानपाठ
रामचंद्र चौवीस दंडक बोल..... ५६२ . आत्मप्रबोधस्वाध्याय और प्रकीर्ण पन्ने ..... ५६३ ... सिंदूरप्रकर ...... ५६४ ... नवतत्त्व सह टब्बार्थ.... ५६५... अजितशांतिस्तवन जीर्ण ५६६ ... जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ ५६७ ... क्षेत्रसमास ..... ५६८..... सप्तपदार्थी त्रूटक जीर्ण. ५६९ .....गौतमकुलक सह टब्वार्थ ५७० ..... किमिया विधान त्रूटक .. ५७१..... भगवद्गीता........... ५७२.....छंदसार झूटक ....
...........५५८.७०७.J.३२१
...........१३
१-११
......... ७ मुं नथी
पाना
नंदिघेण
For Private & Personal use only
Page #301
--------------------------------------------------------------------------
________________
पत्र संख्या
ोरोक्ष
ग्रंथान ।
विशेष नोंध
........१.२
५७४..
.१७६५
-
..................छूटक पाना
५८१...--भक्तामा ५८२....
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
भाषा ५७३ ..... कल्याणमंदिर ........................
जीवराज ...... ५७३ पूज्य भास ...
जीवराज साधुवंदना पाचचंद्र ......
...१-३ ५७५. सप्तस्मरण ५७६ दान-शील-तप-भावना-संवाद + वृद्ध शांति.
समयसुंदर ............. ५७७ नवतत्त्य सह टब्बार्थ त्रूटक .............. ५७८ सिंदूरप्रकर ......
सोमप्रभाचार्य ......... चोवीसदंडक-विचार सह टब्बार्थ जीर्ण.. ५८०... प्रकीर्ण ज्योतिष लघुग्रंथ त्रुटक व स्फुट पन्ने.
भक्तामरस्तोत्र सह टब्बार्थ त्रूटक .........मानतुंगसूरि ...............सं. ...जिनहंससूरिगीत तथा साधुवंदना बेटक. पुण्यसार ......
....... ५८३....-ष्टि
वष्टि संवत्सरी................. ५८४... ...नवतत्व दण्डक लघुसंग्रहणी सह ........................
............ १९१० .......... ....... टब्बार्थ जीर्ण ५८५... गुराचार संक्रान्ति (ज्योतिष)..........
अजितशांतिस्तवन सह टवार्थ ............ सुरप्रियऋषिचौपई श्रमण प्रतिक्रमण सूत्र .....
.........मा. ............ कालकाचार्यकथा संग्रहणीसूत्र
श्रीचन्द्र ५९१..... चोवीसजिनगीत ............. राजसागर आदि ५९२ कल्याणमंदिरस्तोत्र सह अवधूरि
........... ५९३..... सुभाषित पद्यसंग्रह ............ ५९४ ..... महावीरजी स्तवन ............
भक्तामर मूल ...............................मानतुंगसूरि ...............सं. १७५९ ५९६ ..... प्रकीर्णगीत .......
१९०८ ५९७ ..... भववैराग्यशतक सह टब्बार्थ,
१८००
......१५ पाना नथी.
.१८७७
१८७४
............
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लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथान । विशेष नोंध
| भाषा
झेरोक्ष
५९८ ...
संवत् । पत्र संख्या ....... १६४७.
...... १८४३ ............६२ .......... १७४९
..........१-६ .........१-१०
.....................छूटक पाना
........
............१-४
R
................... १६७३-१७२७
............ १७०३
६०७....
..छूटक पाना
२५४ ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम --भद्रनंदिकुमारकथानक .....
मानवंती मानतुंग रास अपूर्ण ............ मोहनविजय विवाहपटल (ज्यो.).................. प्रियमेलक चौपाई त्रूटक .................
धरस्वामानाकागल वि. पदा.......................... मुनिमालिका............... हरि रस ................
इसर........... नलदमयंतीरास ............................ समयसुंदर ..... शर्बुजयउद्धाररास ....
नयसुंदर ....... पार्श्वनाथस्तुतिओ व निशानी ............ जिनहर्ष ६०८... पंचलिंगीप्रकरण सह टब्बार्थ त्रूटक,जीर्ण ६०९.... दान,शील तप,भावना, कुलक सहटब्बार्थ ६१०. चौद गुणस्थान ..... ६११..... क्षुल्लकऋषिसंबंध ......................... जिनसिंहसूरि. ६१२..... पद्मावतीक्षमापना ........................समयसुंदर...... ६१३..... सूक्तमाला अपूर्ण .......................... ६१४ ..... कर्मविपाक बालावबोध ............... ६१५.....
जंबुद्धीपसंग्रहणी और छूटक पत्र .......................... एकादशगुणस्थानाधिकार .....................
दशवैकालिकसूत्र .... ६१८... चौवीस चौक...
विवेकबिजय... ६१९ ... क्षेत्रसमास.......
सिद्धचक्रनवपदस्तवन ... ६२१ ग्रहभावप्रकाश (ज्यो.) त्रूटक
चेडा-कोणिक चौपाई ६२३ . परदेशीराजानो रास अपूर्ण ६२४... अनित्यकथा..... ६५.....पार्श्वनाथस्तुति त्रूटक ....
१-२०
...............छुटा पाना
६१६....
.१८७३
१-६
६१७...
१-२७
६०..
६२२...
रायचंट
For Private & Personal use only
Page #303
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________________
२५५
भाषा
संवत
पत्र संख्या
___
झेरोक्ष
सीडी. ग्रंथान.
विशेष नोंध
...............................१.३
..१४००
............ १८१४-...........१४
६२९....
..............
........
...........बीजुं पार्नु नथी.
.......................
........
१७३५-१७७८
1.प्रति चोंटेली छे
लौकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथाक । ग्रंथ नाम
कर्ता ६२६.....ब्रह्मचर्यनववाडगीत व हरियाली...........समयसुंदर ..... | ६२७ ..... गौतमपृच्छा सह बालावबोध .. ६२८ ..... दान-शील-तप-भावना संबाद ............... समयसुंदर .......
नवतत्त्व सह बालावबोध ............. ६३०.... कर्मछत्रीसीसज्झाय................... समयसुंदर..... ६३१.... देवकीजीको चौढालियो ...... दामनकचौपाई .....
ज्ञानधर्म ६३३.... नेमिजिनयररास ......
पुण्यरत्नमुनि ६३४.... प्रदेशीकेशीकुमार प्रश्न .. ६३५..... चंदनवालाचौढालिया ..... ६३६ ... शीलरास ..............
विजयदेवसूरि ६३७... आनंदसंधि + बारह भावना.
हेमकीर्ति सूरि अक्षयतृतीयाव्याख्यान
अनाथीसाधुसंधि ............ बिमलविनय .. ६४०...
गौतमपृच्छा चौपाई गौतमरास .............. शुक्ल कृष्ण दंपतीगीत आदि .....
पंचांग ज्योतिष .... ६४५... सिंदूरप्रकर ...... ६४६ ... कर्मविपाक प्रथम कर्म ग्रंथ ६४७... पंखीनो विवाहलो ६४८ ..... प्रमाणमंजरी मूल .......
सर्वदेव ६४९..... प्रमाणमंजरीटिप्पण.......
अद्वयानंद भगवतीसूत्र सह टब्बार्थ त्रूटक........... सुधारयामी. ६५१..... मूत्रपरीक्षा ............. ६५२..... भक्तामरस्तोत्र.......... ६५२ ..... लोकनालिद्वात्रिंशिका सावचूरि
६३८ ....
गौतमरास ..........
..... १८०४
....
४२... pa....
१४७२ १९०५
Em....
4.
...५५८..७०७.१.३२१
१४७० ...१४७०
4.
........६४९
२६७..६५१
Jain Education international
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________________
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग मीजीप्रधान
विशेष नोंध
संवत
पत्र संख्या
.............१-६. ३५-३६.........
गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी. गुटकाओ अमे ध्यानथी जोयेल नथी.
...........
२५६ ग्रंथांक ग्रंथ नाम
भाषा ६५३ .... दशकालिकसूत्र सह टवार्थ त्रूटक ........ ६५४..-गुटका ६५५..-गुटका ६५६..-गुटका ६५७..-गुटका ........ ६५८..-गुटका, ६५९...६५८ थी ६७३ नाना-मोटा गुटका छे.. ६७४..दशकालिकसज्झाय गुटको ६७५..-६७५ थी ६८२ नाना मोटा गुटका है, ६८३..-संबोधअट्ठोतरी गुटको ............. ६८४+.६८४ थी ६८८ नाना मोटा गुटका छे..... ६८९....-उत्तराध्ययनसूत्र सह बालावबोध ......... ६९०..... पनवणासूत्र......... ६९१..... भगवतीसूत्र ......... ६९२..... वसुधारा
बौद्धाचार्य ६९३ ..... पौषध सह देशावगाशिकविधी .......... पूर्वाचार्य.
मार. ६९४..... श्रावक षडावश्यक
पूर्वाचार्य.
प्रा.मा ६९५/A...... चौत्रीस अतीशय सह टव्यार्थ
पूर्वाचार्य .. ६९/B..... चीत्रीस अतिशय सह टब्यार्थ पूर्वाचार्य.. ६९६ .....चौवीस दंडक प्रकरण ....... गजसार मुनि जीवाजीवविचार ......................
शान्तीसूरि ..... ६९८/A.....नवतत्त्व प्रकरण ...........................
पूर्वाचार्य......... ६९/B....नवतत्वप्रकरण ........................
पूर्वाचार्य.........
..प्रा. ६९९ ..... बोलधोकडा भंगसंग्रह .............. पूर्वाचार्य.
..मा. योग प्रकरण ............
गरीबगिरि
..मा. ७०१..... सारस्वतसूत्र.............
अनुभूति स्वरूपाचार्य... ७०२.... मुत्रपरीक्षा....
पूर्वाचार्य ... ७०३....-चंद्रगुप्त के १६ स्वरूप्न
पूर्वाचार्य .....
१५९९
७०७/.........६९१(१,२,३)..३२१
...........५४२ + ६९२.३२१
For Private & Personal use only
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का
झेरोक्ष
सी.डी.
विशेष नोंध
०६ --
.....५५८.180७.३२१ .....५५८.1800---३२०
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
भाषा ७०४ ..... पंचकल्याणकटीप ............... पूर्वाचार्य .. ७०५ जानवर सुकनावली .....
पूर्वाचार्य स्तोत्र संग्रह .........
मानतुंग सूरि,
अभयदेवसूरि आदि ...... प्रा.सं. मंत्रसकुन आदि
पूर्वाचार्य राईसंथारा आदि
पूर्वाचार्य ७०९... ऋषियत्तीसी
पूर्वाचार्य ७०९... -लघुचाणक्य नीति
पूर्वाधार्य. ७१०..... शान्तिनाथस्तवन
मेघमुनि ७११... स्तवन-सज्झाय-संग्रह ........
पूर्वाचार्य ७१२... स्तवनसंग्रह
पूर्वाचार्य ७१३... भक्तामरस्तोत्र भाषा गोटका .............. पूर्वाचार्य ७१४... शनिश्चरजीकी कथा ......................पूर्वाचार्य, ७१५.. . सत्तरभेदी, नवपदजी, स्नात्र प्रतिक्रमण
आदि गोटका ...... ७१५.. गोटका ........ ७१६... धन्नाशालीभद्रचौपई + थंभनापार्श्वनाथ
जीकी स्तवन ७१७... जैसलमेर के ज्ञानभंडारोकी सूची ७१८... रत्नसागर (मोहन गुणमाला) ७१९... पर्युषणादिक पर्वोनी कथा ............... ७२०... श्रीपालचरित्र .............. ७२१... अथ नवपदमहिमावर्णनरूप श्रीपाल
राजानो रास............ ७२२.....श्रावकप्रतिक्रमण वंदितु सह बालावबोध ७२३... पंचप्रतिक्रमणादिसूत्र ... ७२४... श्रीजीना हितोपदेश........................ ७२५...विवेकसार
+२ .........१-११ .........१-१२
..........आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी. ............आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी.
.........१-३९
.........आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी.
..... आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी
ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी. ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी.
ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी. आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी, आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी.
.आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी. १थी १०९ नथी . आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी.
.. आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी. ............... आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी,
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कतो
भाषा|
संवत्
| पत्र संख्या
।
झेरोक्ष
लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंच ............ आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी
..आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी ..आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी. +.आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी 1. आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी. .आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी
................
.आ बधा ग्रंथो अमे ध्यानथी जोयेल नथी.
ર૬૮ | ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम ७२६...दंडक तथा लघु संघयणी. ७२७-.-गुरुदेवदादासाहिब की पूजा .. ७२८.. स्तवन संग्रह ............ ७२९... वृद्धिरत्नमाला ....... ७३०..येतालपच्चीसी ७३१... विद्याज्ञान प्रकाश ...... ७३२... जैसलमेर जैन भाण्डागारीय ......... ग्रंथना सूचीपत्र..... ७३३/A.... खरतरगच्छ उपाश्रय जैन शान भंडार की ........ सूची व पट्ट.................... ७३३/B... बाई बीपनो पट्ट .............. ७३३/c...यह कागज को कपड़े पर चिपक्यो हुवो ......... जिस पर ४९ मंडलानि लिख्यो हुओ ...... ७३३/D...यह कपड़े चिपक्यो हुवो ................ ७३३/E ... कागज के दो पट्ट .......... ७३४ ..... लोकागच्छ उपाश्रय के भंडार की
पुरानि प्रिंट ७३५..... कल्पसूत्र सह अवधूरि
वैराग्यशतक .... ७३७..... प्रश्नव्याकरण वृत्ति .......
.. हस्तलिखित छे
हस्तलिखित छे ......--आ ग्रंथो जौहरीमलजी पारखे .......ता.२४-५-८३ना रोज नंबर बिनाना ......बंडलोमांथी शोधी काढला छे.
७३६.....
-४७(३८+ १११)
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कर्ता
संवतपय मंशा
ग्रंथान
विशेष नोंध
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक' | ग्रंथर्नु नाम
झेरोक्ष सी.डी.नं. १ थी ३ ग्रंथो ताडपत्रीय होवाथी.
ताडपत्रोनी यादी तेनी विगत छे. ४.... नंदीसूत्र...............
उपदेशमाला ...... ६ ....उपदेशमाला सह अवचूरि................. ७ .... चैत्य-गुरूवंदन-प्रत्याख्यान भाष्य. ८ .... हेतुगर्भ प्रतिक्रमण विधि .............. .जयचंद्रसूरि
.....-सूत्रकृतांगसूत्र ...................... १०.../पिंडविशुद्धि सह दीपिका ... ११... बलिनरेन्द्र (भुवनभानु कथा)................ १२....गुणस्थानक्रमारोह वृत्ति सह ...
........१८२५..... ... श्राद्धदिनकृत्य सूत्र १४...कल्पसूत्र सह टब्बार्थ
.......... १५... ठंढणऋषि स्वाध्याय + देवचंद्र ग्रंथावली.....
..................१८०९ .......... १६...दशआश्च र्य............... १७ .... अंतकृदशांगसूत्र सह वृत्ति ................
सुकृतसागर १९... श्रावकानुष्ठानविधि + आवश्यकवृत्ति ............... २०...शत्रुजयमहात्म्य ................. .धनंजय .........
...........१६४९-4 कल्पसूत्र सह वृत्ति ................... समयसुंदर ......
औपपातिकसूत्र .................... २३.../विपाकसूत्र ................................ .ले.ज्योसींग ग....
.............................४२ २४....द सपन्नासूत्र --
..................१८४० .........११५ २५.... उत्तराध्ययनसूत्र (१९१ नंबरका ग्रंथभी साथ है)...
....................१५५४ ...........५४
.................
१८...
......५००
१४५६ २७००
१६९३
१२२५ ........१२५०
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पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंधान
विशेष नोध ........२०००
१२५८
१४... ३५...
२६० ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कर्ता
। २६... उत्तराध्ययनसूत्र..... २७... संग्रहणीसूत्र• आवश्यकसूत्राणि व पाठ....मलहारी हेमसूरि. २८... कृष्ण-शुक्लपक्षस्तुति .................. ज्ञानविमलसूरि ......... २९... प्रश्नव्याकरणसूत्र ३०...साधुसमाचारी..................
निरयावलिकादि पंचोपांग सूत्र ............... ३२... गुणमंजरीवरदत्तचौपई ......
दिशा तस्कन्ध कल्पसूत्र टब्बार्थ यात्रोपदेश + स्नात्रपंचाशिका विवेकमंजरी.. ......................... शालिभद्रमहामुनिचौपई
चित्रसेन पदमावती कथा ................. ३८... आनंदभावकसंधि ...........................हेमकीर्ति ...........
...नंदिसूत्र ४०... आवकप्रतिक्रमणसूत्र लघुवृत्ति .. ४१.... औपपातिकसूत्र सह टिप्पणक ४२... राजप्रश्नीयसूत्र ............... ४३... भगवतीसूत्र ............... ४४/A .. शतकचूर्णि ........ ४४/B. कर्मप्रकृत्ति चूणि ...................
.जिनभद्रसूरि
............ ४५...अंतकृद्दशांगसूत्र ४६ ... विपाकसूत्र ४७/१उपासकदशांगसूत्र ........... ४७/२/उपासकदशांगसूत्र .......... ४८... शत्रुजयमाहात्म्य ......
............999
१६५५
११७५
१५९०
२०८०
२२००
१२१६
+..
१२०००
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संख्या
झरोक्ष
| सी.डी.नं.
विशेष नोंध
ग्रंथाग्न
ग्रंथान ........ १२५०.
१६६७ ......२१०
................१७५२
..................१६०८
........................
.१७२४
...१७५२
..................१७८४
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
- कर्ता ४९...-प्रश्नव्याकरणसूत्र ५०.... समवायांगसूत्र ५१.... प्रवचनसारोद्धार.
....हेममंदिर गणि. ५२... उदयबावनी .......... ५३.... योगशास्त्र......
........हेमचंद्राचार्य ५४/A .. सम्मतितर्क पूर्वार्ध ... ५४/B..सम्मतितर्क उत्तरार्ध ....
कमलविजय ५५... शांव-प्रधुम्नचौपाई ........
समयसुंदर ५६...-बीहल्लबावनी ... ५७... इलाकुमारचौपाई .... ५८... शालिभद्रमहामुनिचौपाई ........ ५९.... कर्मग्रंथ द्वितीय तृतीय बालावबोध .......... देवेन्द्रसूरि ....... ६०.... चोवीसदंडक अवचूरि
चौवीसी ................ ६२... विवाहप्रकरण..
काशीनाथ ६३... कालिकाचार्यकथा .......
समयसुंदर ...... ६४... भक्तामरवृत्ति ६५.... स्तवनावली
-ज्ञानविमल.... ६६ .....क्षेत्रसमास ............... ६७.... चोचीसी सह बालाबोध
मानविजय उत्तराध्ययनसूत्र ६९... भक्तपरिज्ञा ............... ७०....चौबीसीजिनस्तवन ............ ७१... कर्मग्रन्थ षष्ठ (सत्तरी)............... ७२... श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सहवृत्ति ........
.छतु पार्नु नथी
...............१६९४ .........
.१७०२
................१४२६ -
१५७२
..१७९४
........१७८५..........
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आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ' ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
७८-७९ .......३१८ ७८+७९ ---.....३१८
............ पहेतुं पार्नु नथी ........३३५७ .... ........१३७०
२६२ ग्रंथांका ग्रंथ नाम
कर्ता
। पत्र संख्या ७३... अभिधानचिंतामणि शेष... ७४... ललितविस्तरापंजिका ......
-मुनिचंद्र सूरि ७५...आवश्यकवृत्ति ................ ७६...प्रवचनसारोद्धारसूत्र ....................... ७७ ....पोषधविधी ... ७८....कविशिक्षा सह वृत्ति काव्यकल्पलता ........अमरचंद्र ललितविस्तरा....
.........लक्ष्मण मुनि ....... दसवैकालिकसुत्र ............... बारह भावना ...............................
.विमलचंद जिनपूजन इत्यादिक विधी ................ समाससारोवार ..................... सीमन्धरस्वामीस्तवन ..................................................... भववैराग्यशतक क्षेत्रसमास प्रकरण ..................
विवेकमंजरीप्रकरण .. ८८.... दसवैकालिक
.लावण्यनंदि गणि..
... ...........१५४८ ८९. क्रियातपवृत्तिकारिका,
श्रीपालचरित्र..... ९१.... योगशास्त्र सार्थ ....................... .हेमचंद्राचार्य .... ९२... श्राद्धदिनकृत्य ............
चउदीसदंडक सह टवार्थ ......... गजसार ९४ ... चतुर्विशति स्तवन + नवतत्व विचारसार ..
...........१६०५ ९५.... चउशरणसन्धि पत्र ...... ९६ ... क्षेत्रसमास ९७...शीलोपदेशमाला .
.........३ पाना नथी .५१२
९३....
.....एक पानु नथी
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संवत्
पत्र संख्या
झरोक्ष
सी.डी.नं.
विशेष नोंध
४७
+
.....
..................१७३८
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक थर्नु नाम
कर्ता ९८...कल्पान्तर्वाच्यानि....... ९९...-सीमन्धरस्वामी विनति.
जशबिजय..... 100 नेमिनाथछन्द.. १०१. सारस्वतप्रक्रिया त्रिवृत्ति १०२ . बोल थोकडा भंग संग्रह + गांगेय ........भंग प्रकरण ........ १०३/A. द्रव्यगुणपर्यायरास ...... १०३/B. शत्रुजयमहिमा ........
जशबिजय..... १०३/ शत्रुजयउद्धाररास ......
१०४ दशाफलम्.................. १०५ श्रमण अतिचार ......................... १०६ लघुक्षेत्रसमास ...............................कुशलरंग ..... १०७. सारस्वत ....................... १०८-प्ररूपणा संख्यातादि + कर्मग्रंथ प्रथमथी
पंचम पष्ठ १०९ --वसुधारा........ ११०. बीसविहरमानस्तवन .................... .जशविजय १११. दोषावली................. ११२ पष्टिशतकप्रकरण............................. ११३ चैत्रीपूर्णिमा देवबंदन................... ११४ - वीतरागस्तोत्र ...............................हेमचंद्राचार्य ११५ -- प्रत्याख्यान द्विभाष्यानि सह टब्बार्थ ११६ --सत्तरहभेदीपूजा प्रबन्ध .. ११७. पर्यन्तआराधना सह बालावबोध ................... ११८ --चौमासिकव्याख्यान पद्धति
.ले.उदयरत्नमुनि, समयसुंदर क.
.............................. ४०
................१ थी १९ पाना नथी
१४. १२१ + १५६/......३१८
lain
ducato International
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आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
झेरोक्ष
सी.डी.न.
११४ + १२१ + १५६
....३१८
२६४ | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
पत्र संख्या ११९ - योगउपधान विधि... १२०. कल्पसूत्र सह अवचूरि १२१. श्रमणदिनचर्या १२२ . सदयवत्सकथा .............
......१५२८ १२३ - आरामशोभाचरित्र...........
-मुनिदेवसूंदर .... ............ .......१५२२ १२४ . कल्पसूत्रांतर्वाध्य ............
अदारंग......
१६३५ १२५ . शत्रुजयचैत्यपरिपाटी १२६ . प्रतिक्रमणस्तोत्र १२७. आषाढाभूतिचौपई ................. १२८ . मौनएकादशीव्याख्यान .......
...............१८०४ -- १२९ जीवविचार प्रकरण + नवतत्त्वविचार ....... सह टब्बार्थ ............... १३०. आवश्यकसूत्राणि सह टब्बार्थ १३१.साधुवंदना................ १३२ - अठारहपापस्थानक सज्झाय ..
जशविजय....... १३३ - गण्डस्स कहाणयं
.राजप्रमोद
१६६० १३४ . चैत्रीपूनमदेववंदन..
.ज्ञानविमलसूरि . १३५ - दानशीलतप संवाद ..... १३६ . कर्मभावना ग्रंथ प्रथम (नवीन)..............देवेन्द्रसूरि ... १३७ शत्रुजयकल्प..... १३८ . चोवीसी स्तवन १३९ . समासविचार.
...ज्ञानसागर ......
........१६२२ १४० - पुंडरीक कंडरीक संधि ...............
........१७०२ १४१ . शालिभद्रचरित्र ......... १४२ . पापत्यागोपदेश ..............................देवचंद्रकवि .....
...५५०
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ग्रंथांका
कर्ता
रोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथान
विशेष नोध
......
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम
। संवत् पत्र संख्या १४३ --हरियाली गीत + पुष्पमाला .................. |.संवेगराज..... .....................१५८९ ......... १४४. संदेहदोहावली सह टवार्थ ...... १४५ - श्राद्धदिनकृत्य ...... १४६ - रत्नचूडाचौपई .................
.................१५८७ १४७-दस ढाढा ......... १४८.नवतत्व सह वृत्ति.
.संघविमल
.१७५१ १४९ - लोकनालद्वात्रिंशिका सह बालावबोध.....
...............१७९५ १५०..कल्याणमंदिर स्तोत्रवृत्ति ................... .देवतिलक सूरि ............................. १५१-नयचक्र सह बालावबोध ..................
.देवचंद ........ १५२ --अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र....... १५३ - योगशास्त्र. .................हेमचंद्राचार्य
....... .१५९९ - १५४ --श्राद्धदिनकृत्य ................
............१५९५ १५५ --श्रावकसमाचारी व्याख्यान .............. १५६ परिशिष्टपर्व स्थविरावलीचरित्र महाकाव्य..हेमचंद्राचार्य ..
...१५२० १५७.चउशरण सह अवचूरि .... १५८ --पंचनिग्रन्थी संग्रहणी... १५९ . सूर्यमंडलगतिकोष्टक ......... १६० कर्मग्रंथ चतुर्थ प्राचीन .......................देवेन्द्रसूरि .................. १६१ . औपदेशिककथाओ १६२ चैत्यवंदन गुरुवंदनभाष्य प्रत्याख्यान ........ विद्यारत्न गणि ................... १६३ - विवेकमंजरी सह बालावबोध .........
.......१२४८ १६४ . चैत्य-गुरुबंदन-प्रत्याख्यान भाष्य ........ ....... सह अवचूरि १६५ --उपदेशमालाप्रकरण.. .धर्मदासगणि.
......२९ १६६ योगशास्त्र
हेमचंद्राचार्य
११४ + १२१ + १५६ -......३१८
.......
.......१५७
...१६३५+--
.......१४६
........
....
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आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोच
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
२६६ ग्रंथांक। ग्रंथर्नु नाम
का
संवत्
पत्र संख्या १६७-भक्तामरस्तोत्र सह वृत्ति. ...................ले.रामजी ...........................१६८४ +...... १६८ उपदेशमालाविधि १६९. प्रश्नव्याकरणसूत्र ..............ले.क्षेमकलशमुनि...................१६४६ १७०. अंतकृत्दशांगसूत्र .............. १७१. संग्रहणीसूत्र + पुष्पमाला ....................मलधारी चंद्रसूरि ......... १७२ . क्षेत्रसमास सह वृत्ति ...... १७३. रत्नश्रावकप्रबन्ध ..... ............मलधारी राजशेखरसूरि............१६३३ १७४ - दशविहा सामाचारी. १७५ - पुष्पमाला.
..................१६५६ १७६ उपदेशमालाप्रकरण ..... १७७ . जीवाजीवविचार सह वृत्ति
.. १०.............१६६२ १७८ - उत्तराध्ययनसूत्र ................. १७९ पुष्पमाला..
ज्ञानमेरु मुनि .................. १८० श्राद्धदिनकृत्य... १८१ . अंतकृदशांग वृत्ति..... १८२ . प्रबंधचिंतामणि १८३ - पुरन्दरकथा ............. १८४ - प्रवचनपरीक्षा सह वृत्ति १८५ - पिण्डविशुद्धिवृत्ति ................ १८६ पुष्पमाला........
-मुनिसुंदर १८७ - कर्पूरप्रकरण.. १८८. शोभनस्तुति. अष्टपंचाशत स्तुति अवचुरि. १८९ - सिद्धपंचाशिका...... १९०. भववैराग्यशतक.... १९१ . उत्तराध्ययन (ग्रंथ नं. ५ के साथ रखा है .......
१६५३
.... १८२+१८४ ....... ३१८
.......3१०४
.. १८२+१८४.......३१८
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पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
विशेष नोंध
X4
..... १९४ + १९६ .......३१८
.....१९४+१९६ .......३१८
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम १९२ -- भगवतीसूत्र सह टब्बार्थ . १९३ - तत्त्वार्थसारदीपक ....... १९४ - जगसिंह यशसिंहमहाकाव्य .. १९५ --प्रश्नोत्तरषष्ठिशतवृत्ति ..... १९६ - न्यायविवेक (अनुमान खंड) ... १९७१-सुसढचरित्र......... १९८ . अक्षयतृतीयाव्याख्यान.... १९९ .. श्रीपालचरित्र २०० ..-आराधना ................. २०१..पिंडविशुद्धिदीपिका .................... २०२ .. व्याकरणन्यायवृत्ति ................. २०३ .. शीलोपदेशमाला बालावबोध ................... २०४ ...भावप्रकरण व्याख्या २०५ ... श्रावकपाक्षिक अतिचार .................... २०६ ...सङ्ग्रहणी...................................
....श्रीचंद्रसूरि... २०७ ..-सुभाषित पद्य संग्रह ........... २०८ ..आवश्यकसूत्राणि सहबालावबोध .... ...वसूधारा...........
प्रत्याख्यानादि विधियें ............... ...सौभाग्यपंचमीव्याख्यान ...............
...सारस्वतव्याकरण. १३ ... मौनएकादशीव्याख्यान ....... २१४ ... सिद्धान्तकौमुदीव्याख्या ......... २१५ ... चारित्रमनोरथमाला ..... २१६ ---कल्याणमंदिरस्तोत्र .............. प.प्रयांक ११० से ३१ तक की प्रतियाँ पागकाकी प्रतियों के अलावा अन्य जानकी जो अतिरिक्त प्रतियों हमें मिली उन पुराने आचार्य
24mM
के सूचिपत्रके अंतिम यांक १५ो आगे नये क्रमांक देकर आचार्यगमनभखार के साथ रखी है।
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आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रधान
विशेष नोंध
संवत्
पत्र संख्या |
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
२६८ ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम २१७ ... परिकाष्टकम् - २१८ ...जिनानंदलहरी (चैत्यवंदन सुभाषितादि). २१९ ...कालकाचार्य कथा सहबालावबोध ....... २२०.. ज्योतिषकानन्थ ......... २२१ ... सारस्वत सह बालावबोध ........
महावीरचरित्र स्तोत्र सह टवार्थ २२३ ..धर्मयावनी............. २२४ - शान्तिनाथस्तव ...... २२५ .. थावच्यापुत्रचौपई .... २२६ ... दशवैकालिकसूत्र............... २२७ ... अध्यात्मकल्पद्रुम २२८ ... श्रमणश्रावक पाक्षिक अतिचार ... २२९ ..अजितशान्तिस्तय ..... २३०..वारहभावना स्वरूपकुलक ..... २३१..औपपातिकसूत्र ...... २३२ ..ब्रह्मदत्तकथा ....... २३३ .. उत्तराध्ययनसूत्र ................ २३४ ..लकारार्थप्रक्रिया
कढियाराकान्हडरास २३६ ..कल्याणमंदिरस्तोत्र .............
..शास्त्रीय अनेक विचार .......... २३८ ... कर्मग्रंथप्रथमसे चतुर्थ(नवीन) सह सस्तबक २३९ .. दशवैकालिकसूत्र ............ २४० ... कातन्त्र सह (कात्यायन) कृत्सूत्रिवृत्ति ... २४१ ... ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र
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पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथान
विशेष नोंध
१६९
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता २४२..-स्फूट स्तवन ................ २४३ .. उत्तराध्ययनसूत्रसहवृत्ति २४४ .--आवश्यकसूत्राणि. २४५ ..प्रकीर्णकपोथी ............
..आयंबिलविचार ............... २४७ ..दशाभुतस्कन्धसूत्र ............... २४८ ....प्रतिक्रमणविधि (हेतुगर्भ). २४९ .. निगोदषत्रिंशिकासहवृत्ति २५० ... गणधर सार्द्धशतकसह टब्बार्थ .. २५१ ...मङ्गलिकमाला ..................... २५२ ...अङ्गचूलिका ....... २५३ .. न्यायसिद्धान्तदीपप्रभा (शेषीटीका).............. २५४ श्रावकपाक्षिकअतिचार २५५ .. भावना उपयोग .. २५६ .. शान्त्यादि विधिर्यावसतक ............... २५७... अंतकृत् + अनुत्तरौपपातिक + ......... प्रश्नव्याकरण विपाकवृत्ति. २५८ ...पर्युषणाष्टान्हिका व्याख्यान + .......कल्पसूत्र मांजणी ....... २५९ ---वसुधारा.............. २६० ..कल्पसूत्र ....... २६१... बोलथोकडाभङ्गसंग्रह ...... २६२ ..विचारसङ्गह ............. २६३ ..प्रक्रिया कौमुदी............ २६४ ...बोलथोकडा भङ्गसंग्रह .......
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२७०
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथान
विशेष नोंध
संबत
पत्र संख्या पत्र संख्या
झेरोक्ष राक्ष
सी.डी.नं.
.श्रीचंद्रसूरि .....
ग्रंथांक
ग्रंथनु नाम २६५.. सिन्दूरप्रकर ........... २६६ ... कर्मग्रन्थ प्रथम (नवीन) २६७ ... बोलथोकडाभजगसंग्रह ............... २६८ .. चैत्यगुरुवंदनप्रत्याख्यानभाष्य ....... २६९ .. प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक सूचाबीजक ..... २७०..दीपावलीकल्प ........ २७१...गोगेयभंगकसह अवचूरि २७२ ... जिनकुशल - गौतम अष्टक ...... २७३ ... प्रमाणकानन्ध त्रुटक (जैनन्याय) ....... २७४ ... चातुर्मासिकव्याख्यान ................ २७५ ... दसवैकालिकसूत्र................ २०६ ... सङ्गहणी २७० ... प्रमाणनयतत्त्वालोकालकारवृत्ति ...... २७८ .. राजप्रश्नीयवृत्ति ...... २७९ .. जनकथा त्रूटक पन्ने २८० ... दसवैकालिकनियुक्ति ............ २८१ ... आचारांगनियुक्ति ..... २८२ ... सूत्रकृतांगनियुक्ति ................ २८३ .. कल्पसूत्रचूर्णी ............ २८४ ... दर्शनसत्तरि सह टब्बार्थ, २८५ .. अट्ठाइसलब्धि स्तवन ... २८६ .. सिद्धपंचाशिका........... २८७ ... सिद्धपंचाशिका............. २८८ .. चौबीसदण्डक .... २८९ .. धार्मिकसुभाषित
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कतो
संवत
पत्र संख्या ।
होरोक्ष
सी.डी.नं.
गंशारा
विशेष नोंध
MY
२९५ ..
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ___ग्रंथर्नु नाम २९०... मायाबीजआम्नायस्तोत्र
कल्पस्तुतिमंत्रवसाधन . २९१ ... संजममञ्जरी ...... २९२ ...धारणायन्त्र......... २९३ ... धारणायन्त्र. २९४ ... विधारसंग्रह ...........
विनयबोल............ २९६ .. श्रमण अतिचार ........ २९७ .. न्यायसिद्धान्तदीपप्रभा २९८ ../कर्मग्रन्थ चतुर्थ (प्राचीन) सह टिप्पनक २९९ ..नवतत्वसह अवचूरि .......... ३०० ... बोलथोकडाभङ्गसंग्रह ............ ३०१ .. चतुःशरणप्रकरण सह टब्बार्थ .. ३०२ .. सिन्दूरप्रकर ................ ३०३ .. सज्ञासोलहविचार ३०४ ... उपदेशमाला (सज्झाय) ....... ३०५ ... सूत्रकृतांगवृति ............. ३०६ .. ऋजुप्राज्ञव्याकरण. ३०७... नाडीपरीक्षा ३०८... अष्टोतरीस्नानविधि ................ ३०९ ...
श्रीमती सज्झाय ..............." ३१० ... बारहभावना ................ ३११ .. अवन्तिसुकुमालरास ........ ३१२ ... आवश्यकसूत्राणि व पाठ ३१३ ../उपदेशमाला ......
१०० mm पर
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आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार • जैसलमेर दुर्ग. प्रधान
विशेष नोंध
। पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
२७२ | ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम३१४ ..उपदेशसप्तति ३१५ .. सिद्धचक्रयन्त्रोद्वारविधि सहवृत्ति ...................... ३१६ .. धनदत्तचौपई. ३१७ .. संग्रहणी.
.(श्रीचन्द्रीय).. ३१८ ... दानशीलतपभावनासंवाद ........ ३१९ .. मंगलकलशरास..... ३२० ..राजप्रश्नीयसूत्र .................. ३२१ ...षोडशयोग .........................
... एकविंशतिस्थानक (इक्कवीसठाणा) .. अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र.
../उत्तरमांगलिकमाला ...................... ३२५ .. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति..
................. ३२६ ... तम्बाखूनिवारण संज्झाय ................
पंचनिन्ध संग्रहणी.
उपदेशमाला ३२९ .. श्रावक पाक्षिक अतिचार . ३३०... श्रावक आराधना. ३३१... जिनदत्तसूरि चरित्र .............
द्वितीय कर्मग्रंथ यंत्र ... ३३३ ... क्षेत्रसमास ...............
गौतमपृच्छाचौपई ........ ३३५ ... साधुवंदना
पुण्यलाभकुलक .......... .. ज्ञानचतुर्विंशतिकासह अवघूरि .. ३३८ ... क्षेत्रसमास ......
३३४ ..
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आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार जैसलमेर दुर्ग
ग्रंथांक
कर्ता
३३९
३४०
३४१
३४२ ३४३
ग्रंथ नाम न्यायसिद्धान्तदीपप्रभा चतुःशरण सह टब्बार्थ
चतुःशरण
जिनचन्द्रसूरि अष्टक अनुत्तरोपपातिक सूत्र करमबत्तीसी
...
३४४... ३४५. नवतत्व + सह टब्बार्थ
ज्ञाताउपनयकथा. उत्पतिबहुत्तरी
अभिधान चिंतामणी नाममाला
कर्मसज्झाय वीर स्तवन
+
| मेरुत्रयोदशीव्याख्यान. कृदन्तनिरुक्ति
संग्रहणी सह बालावबोध
३४६
३४७ ...
३४८ ३४९
३५०
३५१
३५२
३५३ रघुवंश सस्तबक
३५४ ... लोकनालिद्वात्रिंशिका
३५५
३५६
३५७
३५८ ... इकविंशति स्थानक
३५९ पौषधविधि
३६०
-.
...
जीवविचार + चौवीसदण्डक
पिंडनियुक्ति
मजलस
गौडी पार्श्वनाथ (अष्टभयनिवारण छंद)
अर्धकाण्ड
कल्पप्रदीप
क्षेत्रसमास
३६१... ३६२
श्रीचंद्रसूरि
संवत्
पत्र संख्या
४६
.२
२
9
११
.५
२६
.६
.३
६४
१
.७
२
१३
१२
५.
१६
.२
.५
३
१
५५
१२
झेरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथाप्र
विशेष नोंथ
२७३
.
Page #322
--------------------------------------------------------------------------
________________
२७४
आचार्यगच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग
विशेष नोध
संवत
। पत्र संख्या
डोरोक्ष
सी.डी.नं.
ग्रंथान
........२६०
.
.
.
ग्रंथांक
ग्रंथन नाम ३६३ ... स्फूट पाने ............................ ३६४ ...जयतिहुअणस्तोत्रसहवृत्ति ... ३६५ ... स्फूट स्तवन स्तुति स्तोत्र पत्र व लघुग्रंथ ३६६ ...सर्वज्ञसिद्धि .................. ३६७ .. तपोभेद........ ३८८ ..आवश्यकनियुक्ति ........... ३६९ .. सिद्धचक्रस्तोत्र तथा
भावारिवारणसमसंस्कृतस्तोत्र ३७० ... स्फुटस्तवनस्तुति स्वाध्याय पत्र व लघुग्रंथ ३७१ .. अष्टक..
J
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
ग्रंथांक
१
२
3
४
५.
६
७
८
९
[१०]........
११
१२
१३
१४
१५
१६
919
१८
१९
२०
२१
२२
२३
२४
२५
२६
२७
ग्रंथनुं नाम
विशेषावश्यक बृहद्वृत्ति प्रथम खंड विशेषावश्यक बृहद्वृत्ति द्वितीय खंड व्यवहार भाष्य.
| दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र
दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति चूर्णि
जीतकल्पवृत्ति
जीतकल्पसूत्र. बृहत्कल्पचूर्णि
बृहत्कल्पसूत्र मूल
बृहत्कल्पभाष्य पिण्डनिर्युक्तिसूत्रवृत्ति
पंचकल्पचूर्णि
पंचकल्पबृहद्भाष्य
ओघनियुक्तिभाष्य
समाचारी पदस्थापन दीक्षा
श्राद्धजीतकल्पवृत्ति
आचारांगचूर्णि दशवेकालिकचूर्णि
महानिशीथ
धर्मसंग्रहणीटीका
वसुदेवहिण्डी प्रथमखंड
षट्स्थानकवृत्ति
प्रश्नोत्तररत्नमालासहवृत्ति
दर्शनसत्तरीवृत्ति..
पंचलिंगीप्रकरण
भवभावनावृत्ति
नवतत्त्वविवरणम्
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर कर्ता
संवत्
पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी.
.१ (१.२) २४३
.२ (१.२)
३२२
- हेमचन्द्रसूरि
हेमचन्द्रसूरि
सुधर्मागणधर
तिलकाचार्य
मलयगिरि
देवाचार्य
संघदास क्षमाश्रमण
धर्मघोषसूरि
मलयगिरि
संघदास गणि जिनपतसूरि के शिष्य
- मुनिभद्रसूरि
संघतिलकसूरि जिनेश्वर सूरि
हेमचन्द्रसूरि
देवाचार्य
भाषा सं.प्रा. सं.प्रा.
.प्रा.
..प्रा.
.प्रा.
प्रा.सं.
प्रा.
.प्रा.
.प्रा.
.प्रा.
प्रा.सं.
.प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.सं.
प्रा.सं.
.. प्रा.
.. प्रा.
प्रा.सं.
प्रा.
सं.
सं.प्रा.
सं.
.सं.
प्रा.सं.
सं.प्रा.
१६७७
१६७८
१६७७
१६७७
१६७७
३३०
. ३२५
. १५९
४६
५६.
४६
४
३२१
९
२०१
१६०
.७३
.७३
.६७
.३०
.६०
२०९
१७५
९६
२७८
१६७
- ३७
१५८
१९९
.३५
३१७
. ६७
. १३ थी १५
. १३ थी १५
१३ थी १५
१७ (१,२)
२०(१.२)
२४४
२६ (१.२)
. २७
२४४
ग्रंथाग्र
२४४ . १८ २४४ १९२४४
- २४५ .२१ २४५ ..... २२ २४५ .... १४९४
१०४८९
२३ २४५ ७८८० २४२४५
२५ २४६
२४६
२४६
७५००
२४४
२४४ को ३०००
२४४
१२५४
४५४४
विशेष नोंध
पत्र ३८३ मुं नथी.
आ ग्रंथ उधईए खाघेल छे.
१३०००.
....... २४००.
२७५
.
Page #324
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________________
नक
संवत | पत्र संख्या । .......... १५२६ ........... २२८
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान _ विशेष नोंध ..............२८ -२४६
................२४६ ......१७५०/...............२४६ ....... १६६७/..
....५५३४.. ... १८२००/.. १५४८५
............
भा.
-
..१८८०
१७९० १९०८
ग्रंथ नाम
भाषा सुपार्श्वनाथचरित्र .......
........... ..प्रा. समवायांगसूत्र.......
सुधर्मा गणधर ............मा. समवायांगसूत्र ...............
सुधमा गणधर ............मा. ज्ञातासूत्र
सुधर्मा गणधर झातासूत्र टब्बा ................... धनजी खरतरगच्छीय ...... मा. ज्ञातासूत्र
सुधर्मा गणधर ......... अन्तकृदशांगसूत्र ............
सुधर्मा गणधर ......... अन्तकृदशांगसूत्र ................. सुधर्मा गणधर .......... अन्तकृशांगसूत्र ................ सुधर्मा गणधर ....... अन्तकृशांगसूत्र .................. सुधर्मा गणधर ...... अन्तकृशांगसूत्र .................. सुधर्मा गणधर ........ अन्तकृद्दशांगसूत्र ................. सुधर्मा गणधर ...... अनुत्तरीपपातिकसूत्र टब्बा ............ सुधर्मा गणधर .. अन्तकृशांगसूत्र
सुधर्मा गणधर सूत्रकृतांगवृत्ति
अभयदेवसूरी अनुतरौपपातिकदशांगसूत्र सह टल्बार्थ ... सुधर्मागणधर अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र
सुधर्मागणधर... प्रश्नय्याकरणसूत्र.
सुधर्मागणधर... प्रश्नव्याकरणसूत्र....
सुधर्मागणधर... प्रश्नव्याकरणसूत्र....
सुधर्मागणधर... प्रश्नव्याकरणसूत्र सह बालावबोध...... पार्श्वचंद्रसूरि सूहविवाग ...............
जिनहर्ष .... विपाकसूत्र...............
लक्ष्मणमुनि . विपाकसूत्रवृत्ति ................. अभयदेवसूरि. विपाकसूत्र सह टब्दार्थ .............. पार्श्वचंद्रसूरि प्रश्नव्याकरणसूत्र सह टब्बार्थ
पार्चचंद्रसूरि प्रश्नव्याकरणवृत्ति
अभयदेवसूरि.
AA
........४२+४८+५०...२४७
.........
४९००/- प्रथम पृष्ठ नथी
For Private & Personal use only
Page #325
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________________
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर
-
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
कर्ता
५४
५५.
५६
५७
५८
५९
६०
६१
દર
६३
|૬૪
६५
६६
६७
६८ •
६९
| ७०
|७१
७२
७३
Mad
Foy
७८
१७९
जीवाभिगमवृत्ति जीवाजीवाभिगमसूत्र जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति.
भगवतीसूत्र
भगवतीसूत्रवृत्ति
*******
भगवती सूत्रवृत्ति
भगवतीसूत्र मूल भगवतीसूत्र
. भगवतीसूत्रबीजक
भगवती सूत्र
भगवती सूत्रवृत्ति
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र आवश्यकचूर्णि
....... सारस्वत बालावबोध
कल्पसूत्रविवरण
आवश्यकलघुवृत्ति.
पाक्षिकविचार
चैत्यवंदनादिभाष्य सह टब्बार्थ +
....
पाक्षिकसूत्र सह क्षमापना आवश्यकनियुक्ति आवश्यक सूत्राणि सह टब्बार्थ - उत्तराध्ययनकथायें ७. कल्पसूत्र सहावचूरि उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र
सम्यक्त्वस्तवन
चैत्यवंदनादिभाष्य
मलयगिरि
गणधर
गणधर
गणधर
अभयदेवसूरि
अभयदेवसूरि.
गणधर
गणधर
हर्षकुलगणि
अभयदेवसूरि.
सुधर्मागणधर
जिनदास गणि अनुभूति स्वरूपाचार्य
तिलकाचार्य
हेमसागर
देवेन्द्रसूरि दोलतविजयगणि
भद्रबाहुस्वामी ट. हर्षकिर्ती
गणधर
नेमीचन्द्रसूरि
भाषा
. सं.
.मा.
.मा.
.मा.
सं.
सं.
मा.
मा.
मा.
सं.
मा.
SIT.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
मा.
प्रा.
प्रा.
गु..
सं.प्रा.
सं.प्रा.
सं.प्रा.
संवत्
१६१५
१५७८
१६१५
१६६१
१६६१
१९००
१७६९
१५०३
१७८१
१८६४
१६४३
१८२८
पत्र संख्या
३००
.९६
१००
३२८
३८४
५०५
३१२
. ३९९
.१२
.१५
.७९
१५४
३९९
२३७
...३०
३०६
...१२
१७
५
१५
२
१८
२२
.७२
२७६
.४५
झेरोक्ष
सी.डी.
५४ २४७
. २४७
५८ (१.२)
.५९ (१.२,३)
२४७ २४७ २४८
६६ (१,२३२२
६९.३२३
प्रथाग्र
. ४८५०
... ४४५४ १५७५५.
....
१८६१६.. १६०००.
१६०००.
विशेष नोंध
१८६१६ २४ मा शतक सुधी
.५५३४.
१८०००
अपूर्ण
पहेलुं पानुं नथी
पहेलुं पानु नथी
२७७
.
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार-श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध ................९३थी १०९ नथी ......३६२६ --
....
..पा.
संवत् । पत्र संख्या
.. १४४(१-१६१) ... १८२८
१६६१ १६४६ १६१० ૧૮૧૭ १८७७ १६००
.........८४. ३२३
...८५................१२५०..
६१८
..५० मुं पानु नथी
.. १६५७
ग्रंथर्नु नाम
|भाषा उत्तराध्ययनकथायें......................... विजयदेवसूरि .............सं. उत्तराध्ययनसूत्र अवचूरि ................. गणधर ........... उत्तराध्ययनदीपिका........................ कमलसंयम ......... उववाइ उपांगसूत्र सह टब्बार्थ .............. निरयावलि.
औपपातिकसूत्र .... निरयावलिकादिपंचोपांगसूत्र सह टब्बार्थ.... षडावश्यकसूत्राणि सह बालावबोध .... आवश्यकनियुक्ति ............... आवश्यकबालावबोध ........................ आवश्यक(वृन्दाक)वृत्ति .................. आवश्यकवृत्ति टिप्पनक ..................... हेमचंद्रसूरि...
सं.प्रा पाक्षिकसूत्र सह वृत्ति .......................यशोदेवसूरि...............सं. पाक्षिकसूत्र क्षमापना सह टब्बार्थ .......... भावविजयगणि........... आवश्यकसूत्राणि सह बालावबोध पाक्षिकसूत्र सह क्षमापना आवश्यकसूत्राणि ब पाठ....... आवश्यकसूत्राणि सह बालावबोध अपूर्ण आवश्यकसूत्राणि व पाठ....
श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह टब्बार्थ .. ००....--श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र..... भाष्यत्रय........
देवेन्द्रसूरी १०२...... प्रत्याख्यानचूर्णि..........
जयदेवसूरि 1०३...... चैत्यवंदनमहाभाष्य........
शान्तिसूरि ..... ०४ ...... प्रतिक्रमणविधिहेतुगर्भ .................... जयचंद्रसूरि ..... ०५ ...... आवश्यकवृन्दारुवृत्ति...... १०६ ...... आवश्यकनियुक्ति ........ १.०७.....-आचारांगसूत्र सह बालावबोध
बाला.कीर्तिकलश..........
.... पत्र १, २ नथी
......
......१६१०
andaonntematon
www.
brary.org
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________________
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथान
विशेष नोंध
१०८ ....--
११२ --
... १२००० ...... ११३ ---३२३
११४ --- ३२४ .... १४२५०..
गणधर ............ गणधर .........
.....३७०० .....५३००/....८००९०
.....प्रा.
...१७२०
......८१२.
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर • जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता |भाषा संवत् पत्र संख्या । --आचारांगसूत्र
.मा. |............ १७१२-............७१ १०९...... आचारांगबालावबोध
पार्चचंद्रसूरि ११०.....
आचारांग प्रथमश्रुत स्कंघटबार्थ पार्धचंद्रसूरि १११....--- आधारांग..........
गणधर आचारांगवृत्ति ..........................
शिलांगाचार्य मूळशुद्धिप्रकरण सह वृत्ति ............. देवचंद्ररारि. ११४ .... मूळशुद्धिप्रकरण सह वृत्ति
अभयदेवसूरि... ११५.... सूत्रकृतांगसूत्र .........
१७६४ ११६ ...... स्थानांगसूत्र..
.. प्रा. ११७.... सूयगडांगवृत्ति ...........
अभयदेवसूरि............. सं.प्रा ११८ ..... उपासकदशांगसूत्र सह टब्बार्थ .........
.......प्रा.गु. ११९...... उपासकदशांगसूत्र ..................... गणधर ........ १२० ...... उपासकदशांगसूत्र ....................... गणधर ........ ..प्रा. ...... औपपातिकवृत्ति .................
प्रा.सं १२२ ...... उपासकदशांगवृत्ति + अंतगड + अणुत्तरोववाइ....
.प्रा.सं उपासकसूत्र .............
गणधर श्राद्धदिनकृत्यवृत्ति ................ ...... श्राद्धदिनविधि ...... ...... श्राद्धविधि सह वृत्ति .................. रत्नशेखरसूरि..
श्राद्धदिनकृत्यवृत्ति .................. ...... आचारप्रदीप.. ................... रत्नेश्वरसूरि ... यतिदिनचर्या.. ...............भावदेवसूरि
१६५१ आचारोपदेश ....
........... मेरूविजयगणि ......श्रावकप्रतिक्रमण सूत्र सह अवचूरि.......... १३२ . आवकप्रतिक्रमणसूत्र ... ......... पूर्वाचार्य ...... १३३ ......श्रमणअतिचार १३४ ...... श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र ....
.१२१
.३२४ ......२२२५/
......१३०० .......८१२ .... १२८२०..
.१७३५-- ......६७६२. ३२४ 1.... १२८२०.
...... ४०६५/
........ १२७.
१२९.....
....१३०...१७८.
३२४
For Private &Personal use Only
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________________
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथाग्न ।
विशेष नोंघ
...... १८०६
.१३०... १७८
EEEEEEER
१३८ ......
.६०००.. .... १२६१६..
.....३५००.. १०६ थी ११७ पाना नथी ...............१थी७ पाना नथी
१४३..... १४४ .....
२८० ग्रंथांक ग्रंथतुं नाम
का
संवत् पत्र संख्या १३५..... आवश्यकसूत्राणि व पाठ....... १३६......श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र............... १३७ ...... पाक्षिकसूत्र सह क्षमापना ................. मनरूपविजय
...१८५३ I.............२१ कल्पसूत्र सह शब्दार्थ व अन्तर्वाच्य ....... भद्रबाहु .......
१९०४............ १३९ ...... कल्पसूत्र सह टब्बार्थ ..
भद्रबाहु ........
१८१०
........... ११५ १४० ..... पट्टावली ..............................
हर्षविजय ...............
... १७८३ .. ४(१८३-१८७) १४१..... कल्पसूत्रवाचना.......................
.प्रा.गु
.....................१०६ १४२..... कल्पसूत्रसह वृत्ति ........................... समयसुंदरोपाध्याय ........सं.......................१२४(१-१३१) कल्पसूत्र सह वाचना.................
मार.गु........... १७७८ .... ११६ नेमनाथ नवभव चरित्र .............. १४५ ...... कल्पान्तर्वाच्य.....
.......... १६५० १४६/A....
जैन रक्षा व जिन वज्रपंजरस्तोत्र ... १४६/B..... कल्पावलि ..............
कल्पसूत्र सह टब्बार्थ ............. १४८ ......कल्पसूत्र.................................. भद्रबाहस्वामि ............. प्रा.
कल्प सूत्रवाचना .............................मनरूप विजय ............ साधु समाचारी नवम् व्याख्यान ............ कल्पसूत्र सह वृत्ति
........... धर्मसागर .............. निशीथसूत्र सह भाष्य ओधनियुक्ति सह वृत्ति द्रोणाचार्य ..
१६६५ ... ओपनियुक्ति सह वृत्ति
१६५१ ओधनियुक्ति सह वृत्ति निशीथसूत्र .....
१४९२ पिंडविशुद्धि ....... आचारविधि (सामाधारी) नन्दीसूत्र
देवर्धिगणि क्षमाश्रमण १६०...... योगशास्त्र..
हेमचंद्राचार्य १६१......पिंडविशुद्धि
....... १५१
..१५२ + ३१२ .........१५३. १३०...१७८.
.८०००/.....८३८५.. ......१४००...
१५४ .....
.
भद्रबाह
....१३०... १७८
......अपूर्ण
१५९ .....
For Private & Personal use only
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________________
पत्र संख्या -
विशेष नोंध
१६२...--
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान - १३०... १७८............... ४००. १३०... १७८..
1.अतिजीर्ण
*. १६७०
..........१३०... १७८.
३२४
EF
......... १७१५
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर प्रियांक - ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
भाषा संयत सङ्ग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)............... मलधारी हेमचंद्रसूरि शिन- प्रा. १६३ ...... सिद्धपंचाशिका सह अवचूरि ............ देवेन्द्रसूरि .... १६४ ...... ज्योतिषसार
हीरकबीश्वर...... ..सं............ ૧૮દ્ર १६५ ...... चतुर्विशतिस्तुति ..............
लावण्यसमय .............-- अप. नवकारस्तवन (गुणवर्णन) ढाल ...... महावीर (दुरियरयसमीर) चरित्र स्तोत्र सह अवचूरि .................
जिनवल्लभसूरि ...........सं. .......... ध्यानशतक
जिनभद्रक्षमाश्रमण .........प्रा. अजितशांतिस्तव सह अवचूरि १७०...... बृहतशान्ति सह बालावबोध............. ऋषभविजय ...........
............१८६९ १७१..... वसुधारा ............................
--........... १८५२ १७२..... मृगापुत्रसन्धि (दाल)...................... जिनहर्षसूरि ... १७३..... गणधरसार्द्धशतक .................... जिनदत्तसूरि .... १७४ ...... मच्छोदररास ........ १७५..... सत्तरहमेदीपूजा स्तवन + ..........
.. १६८६ स्तंभन पार्श्वनाथ स्तवन चउगति बेल. श्रावकव्रत आलोचना.
१६६० चतुर्विशतिस्तुति (पंचाशिका).............. अपमविजय ..
१६६३ गणधरसाईशतक ......................... जिनदत्तसूरि नवतत्त्व मौनएकादशीतप+ उपधान कथानक .... सौभाग्यपंचमीव्याख्यान ..................... विजयसेनसूरिशिष्य
कनककुशल ....
............१८५० ......नवाणुंप्रकारनी पूजा ............. वीरविजय
१८९४ १८४ ...... पंचनिन्थी संग्रहणी सह अवधूरि .......... अभयदेवसूरि .... १८५...... चतुर्विंशतिस्तुति ..........
शोभनमुनि .....
..१८६३ १८६ ...... जातककर्मपद्धति ....
...........१३०...१७८...
१६९५
..........१३०... १७८.. ३२४
..........-
--
....प्रथम पार्नु नथी
Jain Educato International
For Private &Personal use only
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________________
२८२ | ग्रंथांक
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सीडी
विशेष नोंध.
कता
पत्र संख्या
प्रधान
गर्गऋषि ..
ग्रंथ नाम
भाषा संवत मुहूर्तमुक्तावली ..
उमेदविजय ....
.......... १९०६ पट्टी पहाडे विवाहपटल
... १७७२ ज्योतिषसार
१८०३ पाशाकेवली.
१७९४ नन्दबहुत्तरी
૧૮૧ सामाधिकादिविधि क्षमाछत्तीसी.
समयसुंदर कायाजीवसज्झाय .........
ऋषभमल्ल नवकार स्तवन ............
रविराज, पुण्यप्रकाश (आलोचनागर्भित) महावीरस्तवन ....... ............ विनयविजय .... श्रावक (आराधना)..... श्रावक (आराधना) ...... .................. सोमचंद्रसूरि ............ जीवविचारप्रकरण
शांतिसूरी कर्मग्रन्थ षष्ठ (सत्तरि). चौवीसदंडकबोल
धवलचंद्र कल्याणमंदिरस्तोत्र ........
कुमुदचंद्र
.................. १७९५ सम्बोधसप्तति .. .............जयशेखरसूरि इन्द्रियपराजयशतक .......
................. १६१८ गौतमपृच्छासार्थ ........................... क्षत्तकऋषिसम्बन्ध........................
.................. गौतमरास.............................
विनयप्रभसूरि .... घड़ आरक स्त वन.........................
हिरसूरि .......
......... १८१८ बारह भावना ......................... विजयप्रभगणि...
....१७७३ मोतीकपासियासंवाद ................
श्रीसारमुनि...... चौबीसदंडकबोल ..........
भक्तिविजय ............
.२०४-२६६............
शांतिसागर ....
२०९ ....
100.. २११ ...
२१२....
in Education International
www.
brary.org
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पत्र संख्या
झेरोक्ष
सी.डी
विशेष नोध विशेष नाँध
१६५५ १७५९
...........२०४ - २६६ ---
..........
..........२०४ - २६६ ---
............ १६४८
१५३२
|...........२०४ - २६६..
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथ नाम
कता २१३ .... आवश्यकसूत्राणि व पाठ.................
अंगुलसप्ततिका + जीवाकारविचार .........चंद्रमुनि ........ पंचपरमेष्ठिनमस्कार स्तवन............... इकविंशतिस्थानक ...................... सिद्धसेन सूरि ........ सिद्धपञ्चाशिका ........................ देवेन्द्रसूरि .......... इकविंशतिस्थानक ............ -सिद्धसेन सूरि......... उपधानदीक्षानुयोगविधि ... पर्यन्ताराधना
सोमसूरि .. आराधनाप्रकरण ... पर्यन्ताराधना
सोमसूरि नवतत्त्व सह टवार्थ नवतत्त्वबोल
विनितसागर तत्त्वतरंगिणी. होलिकाव्याख्यान .......... पौषदशमीकथा ............................. रविविजय ...... उपदेशरत्नकोश सह बालावबोध ................... मीनराशी गुराधार फल ............ स्नातस्याप्रकरण सह अवधूरि ...............विवेकहर्ष ...... चौविशदंडक (पाच) स्तवन..... पार्चचंद्र सूरि सूत्रकथांगसूत्र सह टब्बार्थ ..... बारह भावना
सोमसूरिगणि गोडीपार्श्वनाथस्तवन ................. प्रीतविमलप्रभ अष्टापदस्तवन झांझरियामुनिसज्झाय.
शांतिकुशल रोहिणीतपस्तयन
श्रीसारमुनि वरकाणापार्श्वनाथस्तवन ................ जिनराज ज्ञानकुशल
सोलहस्वप्नसमाय...... २४०...... हितोपदेशसित्तरी .......................... जिनचंद्र .......
.............धनसागरजी
...........२०४ - २६६
... १७८९ ... १९०८ .. १६५९ -
૧૮દ્ર
१७६१ १७००
१७०१ १८४४
For Private & Personal use only
Page #332
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________________
૨૮૪ ग्रंथांक
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान |
विशेष नोध
ग्रंथर्नु नाम
भाषा
संवत
पत्र संख्या
२४१....
२४३ .
वसुधारा............ वसुधारा .... लघु, अजित, बृहत् शांति ..... कल्याणमंदिर सार्थ .................... कुमुदचंद्र....... .सं.गु.
........... भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध ............ मानतुंगसूरि ............ सं.प्रा साधारणजिनस्तोत्र सह अवधूरि ........... जयानंदसूरि ............ त्रिपुरा (विजया) देवी पूजामंत्र स्तोत्र .....
... १७६७ जयतिहअणस्तोत्र.......................... अभयदेवसरि............ इन्द्रियपराजयशतक .................... शत्रुजयस्तवन ...............
.......... १८५९ शुभाशुभकरणस्वाध्याय .................... भावसागर ........ अष्टप्रकारीपूजा
........... १७०० सज्झाय-स्तुति-स्तवन ...............
|..प्रा. नागपुरऋषभरतवन..... तपविधियंत्र ............... पद्मकोश ................................. गोवर्धन ........... .. सं. अष्टयोगिनी दशा अन्तर्दशाफल ............ जातकबालावबोध .......................... हरिदत्त ......... ढूळकरास ........................... समवसरणप्रकार ............... नवकारअर्थ+ कल्पोपमा.
समयसुंदर .............. नवकारवालावबोध खन्डायोजन द्वार
रविविजय. चातुर्मासिक व्याख्यान (पद्धति)....... समयसुंदर
........ १८५७ जीवाजीवविचार शांतिसूरि
१८५३ उष्ट्रिक (खरतर) मत ..
धर्मसागर नवतत्त्व बोल..............
लक्ष्मीकुशल गणि.......... प्रा.
............ १८९१
.. सं.
TTTTTTTTTTTT
..
सं
............२०४ - २६६ .
For Private & Personal use only
Page #333
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________________
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथान
विशेष नोंध
:
:
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता भाषा संवत् । पत्र संख्या २६८...... नवतत्त्वस्वरूप.....
........ १८९९ २९...... विचारप्रकीर्णक .....
................महेस्वर सूरि............... प्रा. ............ १६६२ २७० .... जीवाजीवविधार सह टब्बार्थ.............
गुणस्थानविचार.. आराधना बालावबोध (संक्षिप्त)...........
.......१५३२ श्रावक आराधना... इकविंशतिस्थानक सह टब्बार्थ... सिद्धसेनसूरि..
१८०३ इकविंशतिरथानक.... मनरूपविजयगणि.
१८९५ सम्यक्त्व सत्तरि..... बनारसी दास ....
૧૬o परमागम समयसार नाटक. उत्तमचंद
१७४२ जिनपूजाविधि ........... नवपदपूजा .......... सप्त (नव) स्मरण ...... चतुःशरण ...........
...१६३७ बासठिया बोल थोकडा संग्रह .... आवश्यक अवधूरि ....
हरिभद्रसूरि
............ १५६८ ...........९९ आवश्यकवृत्ति .......
........ प्रा.सं. पंचाशकप्रकरण....
....प्रा. प्रतिक्रमणसूत्र वृत्ति
प्रा.सं. २८७. कल्पसूत्र मूळ + कालिकाचार्य
कथासहित सचित्र...
कल्प सूत्र ................ २८९/A.... कल्पसूत्र २८९/B...... कालिकाचार्यकथा ....... २९०......
कल्पसूत्र सह (प्रथमाष्टम, नवम) वाचना २९१...... कल्पसूत्र सह वाचना............ २९२ ...... कल्पसूत्र प्रथम द्वितीय वाचना ........
... पहेलुं पार्नु नथी
...........२८३+२८४ .. ...........२८३+२८४ ..
............... पत्र ७५९ नथी.
२८४ ...... २८५ .... २८६ .
२८८ .....
...रुपेरी अक्षरथी लखेलु जीर्ण.
.... पहेली, आठमी, नवमी वाचना
Page #334
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________________
२८६
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
२९३..... कल्पसूत्र सह (चतुर्थ) वाचना
२९४ •
कल्पसूत्र चतुर्थ वाचना
२९५
दस आश्चर्य.
दस आश्चर्य
२९६
२९७
कल्पसूत्र (षष्ठ) वाचना
२९८
कल्पसूत्र (षष्ठ) वाचना
२९९
कल्पसूत्र (सप्तम) वाचना
३०० कल्पसूत्र (अष्टम) वाचना ३०१ कल्पसूत्र बीजी वाचना ....... कल्पसूत्र बीजी वाचना नवकार अर्थ कल्पोपमा शीलवत्याश्चरित्र
३०२
३०३
+
३०४
३०५
३०६
३१२
३१३ ३१४
३१५
३१६
३१७
३०७
३०८......
३०९..... चतुर्विंशति सहावचूरि
३१०......
३११......
-----
श्रीपालचरित्र सह टब्बार्थ अष्टानिका + व्याख्यान
सौभाग्यपंचमीकथा अक्षयतृतीया
| मेरुत्रयोदशीकथा.
------
मृगावतीचरित्र षट्पुरुषविचार
श्रीपालचरित्र सह टब्बार्थ
श्रीपालचरित्र
श्रीपालचरित्र
चातुर्मासिक व्याख्यान प्रत्येकबुद्धकथा नेमिकथा
+
चातुर्मासिकव्याख्यान.. जंबूस्वामी बालावबोध सनत्कुमारकथा.
कर्ता
आज्ञासुंदरोपाध्याय
देवप्रभाचार्य
मेरुविजयगणि
रत्नशेखरसूरि.
रत्नशेखरसूरि. रत्नशेखरसूरि
वीरसागरगणि
भाषा
गु..
. गु.
गु..
गु..
गु..
.गु..
गु.
.गु.
गु.
.गु.
.सं.
सं.प्रा.
.सं.
सं.
सं.
. सं.
**
.. गु..
... SIT.
प्रा.
.सं.गु.
..SIT.
.सं.
.प्रा.गु.
प्रा.सं.
संवत्
१७६६
१८०६
१५७०
१९०७
१६३७
૧૮૬૪
१५४२
पत्र संख्या
१३
१४
११
९
१३
१७
१९
९
२३
१६
२
१२
१०३
.१८ (१२-२८)
.५६
२०
१२
1७८
. ३९
.४९
५२
.१८
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर विशेष नोंध
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथाग्र
१५२+३१२.. ३३०
१६
१८. ३१६ थी ३२२ + ३८९.
१४ ३१६ थी ३२२ + ३८९.
१०००
६७०.
१७००
.
Page #335
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________________
संवत
ग्रंथान
विशेष नोध
३१६...
......... १६०५
पत्र संख्या ।
झेरोक्षसी .डी. ..५.३१६ थी ३२२+३८९. ...........८.३१६ थी ३२२+३८९.4
३१६ थी ३२२ + ३८९ -- ३१६ थी ३२२ + ३८९ ३१६ थी ३२२ + ३८९
..... १६५७
.. १६६४ .१६६४
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
कर्ता भाषा ३१८...... अगडदत्तकथा ......... वसुधारा ...........
. सं. मृगसुन्दरीकथा .............................वीरसागरगणि............. रोहणीतप कथा .... कूर्मापुत्रकथा ......
......... जिनमाणिक्यसूरि कूर्मापुत्रकथा ....
.....जिनमाणिक्यसूरि दीपावलीकल्प ..... मौनएकादशीकथा ..
दानचन्द्रगणि ... कथासंग्रह विनोदकथासंग्रह .....
मलधारी राजशेखर ... महीपाल कथा चरित्र
वीरदेवगणि पर्वतिथि + अक्षयतृतीया समुच्चय व्याख्यान पांडवचरित्र....
देवप्रभसूरि ........... प्रज्ञापनावृत्ति
मलयगिरि आत्मरस समाधितन्त्र सह बालावबोध, राजप्रश्नीय सूत्र टब्बार्थ,
मेघराज पार्धचंद्रगच्छीय. ३३४ ...... गोडीपार्श्वनाथ स्तवन ....... ३३५ ....
साधु (मुनि) मालिका...... ३३६ ...... सौभाग्यपंचमीस्तवन .....
कान्तिबिजय..... ३३७ ...... पर्युषणाष्टान्हिका व्याख्यान ................. ऋषभविजय ३३८ . स्तुति संग्रह ...........
बृहत् शान्ति ........................ जयतिहुअण स्तोत्र सह टब्बार्थ ............
सम्यक्त्व अधिकार ....................... रविविजय ...... .... गुणस्थान तथा कायस्थिति.
बीशस्थानकपूजा ...................... केशरसागर चौवीशदंडक सह टब्बार्थ ............
4141HHHH4444444444444
१६६० १६६९ १७३२
... १८९२
. १८७१
TIT
१८६९
१९११
For Private & Personal use only
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________________
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान।
विशेष नौध
भाषा
संवत्
पत्र संख्या
१९२५
..-३५४.
३५४ ..... ३५५.....
.. १९११
१८६४
ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम सम्यक्त्व अधिकार प्रकरणसंग्रह . जीवाजीवविचार .............. उपदेश बारहखडी. दान-शील-तप-भावना संवाद
........... पंचमुखीहनुमानकवच .. आराधना .............
अनाथीमुनिसंधी ............................ विमलविनय ..... ३५३ ..... परसमय सूक्तानि.........
अंतरीक्षपार्श्वनाथ छंद ...................... होलिकाव्याख्यान सह टब्बार्थ ..............
सज्झायादि संग्रह ...... ३५७...... चौविस चौक .........
अमृतविजय ३५८ ...... राजुलविरह + नवग्रहस्तोत्र ३५९ ...... पार्श्वनाथस्तोत्र सह वृत्ति ... ३६० ...... पृथ्वीचंद्रधरित्र...... ३६१...... जंबूस्वामीचरित्र ............. ३६२ ...... जंबूस्वामीबालावबोध .................. ३६३ ...... मौनएकादशीव्याख्यान सह बालावबोध ...... ३६४ ...... हरिबलचरित्र ............. ३६५..... अंबडकथा ......
अमरसुंदर ... रूपसेनचरित्र....... संग्रहणी सह बालावबोध.
श्रीचन्द्रसूरि ३६८ ...... आगमसारोद्धार ....
देवचन्द्ररारि. ३६९ .... नवतत्त्व सह बालावबोध ३७०......विचारसंग्रह .......... ३७१.......नवतत्व सह वृत्ति ...
......३६१.............
१७९५ १७८६
....
१९१८ १८९४ १९०७ १८०२ १८६३
Page #337
--------------------------------------------------------------------------
________________
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
कर्ता
३७२
३७३
३७४
३७५
नवतत्त्व सह बालावबोध
३७६
जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ
३७७......
नवतत्त्व सह वृत्ति..
३७८ जीवाजीवविचार सह बालावबोध
३७९
******
३८३
चोवीशदंडकबोल
नवतत्त्व सह बालावबोध
| चौवीशदंडकबोल
*.....
३८४
३८५
३८६
३८७
३८८
३८९
३९०
३८०...... कर्मग्रन्थ पंचम (नवीन)
३८१ / A...... इन्द्रिय पराजय शतक.
| ३८१ / B...... भववैराग्यशतक,
३८२... कर्मग्रन्थ प्रथम से पंचम (नवीन) सह
कर्मग्रन्थ प्रथम से पंचम सह सस्तबक
......
बालावबोध
कर्मग्रन्थ प्रथम से चतुर्थ (नवीन)
सह बालावबोध...
अष्टप्रकारी पूजा कथानक
श्रावक आराधना...
पद्मावती आराधना सह टब्बार्थ
आत्मप्राप्तिविधी
सत्तरीसयठाण
आराधना पताका ( भगवती)
सत्तरीसयठाण
इकविंशतिस्थानक सह टब्बार्थ
संबोधसत्तरी + चतुःशरण | सौभाग्यपंचमीव्याख्यान
चातुर्मासिकव्याख्यान.
३९१.......
३९२
३९३
३९४ ......
३९५/ A... मृगांकलेखाचौपाई
३९५ / B... सुमित्रधरित्र
रविविजय
रविविजयगणि वीरसागर
देवचन्द्रसूरि
समयसुंदर
समयसुंदर
सोमतिलक
जयशेखर
कनककुशल
हर्षकुंजर उपाध्याय
भाषा
प्रा.
प्रा.
.प्रा.
.प्रा.गु.
प्रा.
प्रा.
गु...
प्रा.
सं.
सं.
सं.
संवत्
१९०२
१५६५
१८९४
१९०५
१७८३
१६४८
१५१६
१७५७
१८७६
१८९५
१८६५
१८७३
२-१३८७, ले. १६७९
१७६२
१६५५
पत्र संख्या . २० .३१
७
.२८
६
२९
९
५
. ९ (६-१४)
२७
२७
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.११
८
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.४१
७
३८८ - २४३१६ थी ३२२ + ३८९ १७
९
१२
१३ १२
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथाग्र
११६४
विशेष नोंध
२८९
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान ।
विशेष नोंध
कता
भाषा
__संवत् । पत्र संख्या
.........१६८६ ........... १८५०
.......... १७१३
..१७७९ .. १५५७
४०३....
...४०३...४७२
૧૬૪૧
....प्रथम पृष्ठ नहीं
हिन्दी
२९० |ग्रंथांक
ग्रंथन नाम ३९६ ...... चंपकरास .............
सोमविमलसूरि ३९७ ..... गुणावली गुणकरंडकचौपाई ...... ३९८.. तेजसारचौपाई ......
कुशलराज ...... नलदमयंतीरास............................ समयसुंदर .... too.. पांडवद्रौपदीचौपाई........................
कनककीर्ति ४०१... हंसराज बच्छराजचीपाइ.................. जिनउदयसूरी
खरतरगच्छ..... आषाढाभूतिचौपाई ................... ज्ञानप्रबोध.....
यादवाधिकार + वसुदेवकुमार चौपाई ...... हर्षकुलगणि... ४०४ ... पांडवद्रौपदीचौपाई .......
समयसुंदर ... सुदर्शनसेठरास ......................... उदयरंग... त्राधम विवाहलो ................ थावच्चापुत्र संधि ..................... समयसुजान..... आनंदसंधि .............
श्रीसार शत्रुजय (उदार) रास ................. ऋषभदास ........ अमरसेनजयसेनरास .................. सुमतिहंस. ब्रह्मचर्यनीवाडगीत .................. जिनहर्ष रत्नचूडचौपाई ..........
हिरकलश..... लीलावतीचौपाई ....
हेमरत्न ......... आदीश्वरवाहुबलीयुगलाधिकार .. श्रीपालचौपाई..
ज्ञानसागर. चन्द्रलेखारास
धर्मरत्न जयविजयचौपाई...
मतिकुशल रत्नसारचौपाई ...
सहजसुंदर आषाढाभूतिचौपाई .....
ज्ञानसागर हरिवंशकुलविचार .... ...... मौनएकादशीमाहात्म्य + आवश्यक
(चउवीसस्तव)बालाववोध ....... रविसागर
2362349
मार.
१७४५ .मार.. વછર ..गु............... १६६८ .मार. ............ १७६१
१८४८ ૧૬૬૦ १७३४
१८८७ १६५७ १५८२
१८०५
in Education International
www.
brary.org
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________________
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
कर्ता
४२२........
४२३
४२४
४२५
४२६
४३८
४३९
४४०
| ४४१
४४२
४४३
४४४
ऋषभविवाहली. दशविधयतिधर्म
| शनिविक्रमादित्य चौपाई
४२७......
B2C......
४२९.......
४३० / A ...... राजप्रश्नीयसूत्र
|
४३० / B... राजप्रश्नीयसूत्र
| ४३१......
उपदेशतरंगिणी
४३२......
४३३ ...... [४३४.......
४३५......
834...... मणीभद्रच्छंद
४३७.....
४४५
rut
४४७
४४८
बोलथोकडा भंगसंग्रह
प्रज्ञापनाटीका
पत्रवणासूत्र
राजप्रश्नीयसूत्र रायपसेणीटब्बार्थ
बारहव्रतविधौजिनपूजा सत्तरहभेदीपूजा
महावीरस्तवन (ब्राह्मणवाड) संग्रहणी (श्रीचंद्रीय) सह टिप्पणी
| कर्मबंध हेतु उदय त्रिभंगी सह वृत्ति
विचारवादसंग्रह
......
क्षेत्रसमास
महावीरवार्ता
जोगीदास
ज्ञानविमल
विद्यारंसगणि
उमेदविजय
मलयगिरि
गणधर
गणधर
गणधर
गणधर
गणधर
रत्नमंदिर गणि
वीरविजय
साधुकीर्ति
जिनकलश सुरी
श्रीचंद्रसूरि
हर्षकुलगणि
रत्नशेखर
जंबूद्वीप सह बालावबोध
संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)
संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)
वैद्यमनोत्सव
हस्तिरुचि मुनि
वैद्यवल्लभ व कालज्ञान सह टब्बार्थ चतुर्विंशतिस्तुति महावीर (भावारिवारण) स्तोत्र सह वृत्ति...मेरुसुंदरगणि
- शोभनमुनि
संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)
श्रीचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि
केसवराय
भाषा
सं.प्रा.
..MIT.
प्रा.
प्रा.
..प्रा.
प्रा.
सं.
गु..
गु..
प्रा.
. गु..
सं.प्रा.
.सं.
SIT.
SIT.
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सं.
सं.
सं.
सं.
प्रा.
संवत्
१८९४
१६८६
१८७४
१६६७
१६६७
१५३९
१२६४
१५९०
१९२२
१६६२
१८४२
१८४४
पत्र संख्या
... ९
७
८
. ९
४५२
१५८
.८१
.८९
५५
५५
३२
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३
१९
२
१३
१६
३१
३१
१२
१४
१७
२२
१३
.१२
.११
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथाग्र
३९५-
. २०७०
११२०८. ११२०
५५५
विशेष नोंथ
आ ग्रंथ उधईए खाघेल छे.
२९१
.
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________________
२९२
ग्रंथांक
४४९
४५०
४५१
४५२
४५३
४५४
४५५
४५६
४५७
४५८
४५९
४६०
४६१
४६२
४६३
| ४६४
४६५
४६६
.....
AAAAA
......
******
******
******
ग्रंथ नाम
मैत्र्यादिक चारभावना बोलविचार
बोलविचारसंग्रह
शतसंवत्सरी.
महेशनंदीकेश्वरसंवाद + भवानीसहस्रनाम
ज्योतिषवालावबोध.
भुवनदीपक सह टब्बार्थ ज्योतिषबालावबोध शीघ्रबोध,
| विवाहपटल सह बालावबोध
षट्पंचाशिका सह बालावबोध
ग्रहलाघवप्रबोध व सारिणी
नारचंद्रज्योतिष
......
ज्योतिषग्रहगोचरादि
अध्यात्मविद्योपदेश सह बालावबोध
४६७ षट्प्रश्नीयनिर्णय
४६८ ताजीकसार......
४६९ रामविनोद
४७०
४७१
शकुनरत्नमाला सामुद्रिकशास्त्र प्रश्नप्रदीप
www.l
भुवनदीपकज्योतिषशास्त्र
प्रियंकरनृपकथा. चाणक्यनीति
૭૨ सिद्ध हैमशब्दानुशासनलघुवृत्ति अवचूरि
रतनरासौ महाराज रतनजी वधनिका.
४७३ ४७४ [.......] ४७५...... आलोचनाविधि.
उपदेशमाला
४७६...... अठ्ठारहपापस्थानक सज्झाय
-----
कर्ता
शंकराचार्य
काशीनाथ भट्टाचार्य
मुंजादत्त पद्मप्रभसूरि
काशीनाथ भट्टाचार्य
मनरूपविजय
नरचंद्रसूरि
हरदासनररंजन
हरिभद्रगणि रामचंद्र
हेमचंद्रसूरि
धर्मदासगणि रविविजय
जशविजय
भाषा
.सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
.सं.
.सं.
.सं.
. सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
.सं.
सं.
प्रा.
संवत्
१९०५
१७६७
१७९९
१८२४
१७४८
१८२६
१८८९
१८६४
१८९९
१७७१
१८०२
१८२७
१८१३
१७६९
१९०५
पत्र संख्या
२०
६
८
३०
1
१०
१८
وا
८
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१२
९
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२१
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१७
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१७
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. १८
१०
.२९
९
२१
१३
१०
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर विशेष नाँध
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथाग्र
४०३... ४७२३२४
४०३... ४७२..
३२४
.४०३.४७२३२४
.
Page #341
--------------------------------------------------------------------------
________________
संबत
पत्र संख्या |
झेरोक्ष
सी.डी. ग्रंथान |
विशेष नोंध
.... १८९१ .... १८५८
१९०७
१६५२
..........
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर, जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
कर्ता
| भाषा ४७७...... चौवीसी........
मोहनविजय............... सम्यक्त्व ६७बोली सज्झाय सहटबार्थ...
जशविजय ...... अठ्ठारहपापस्थानसज्झाय............ मनरूपविजय ...... चतुर्विंशतिवृत्ति............
धनपाल... जीवाजीवविचार स्तवन ...
वृद्धिविजय. चतुर्विंशतिस्तुति सह वृत्ति ............... शोभनदेव आचार्य सप्तभंगीगर्मित महावीरस्तवन ......... शत्रुजयस्तवन ............ प्रश्नोत्तराणि ................ विष्णुसहस्रनाम ........
कल्याणमंदिरस्तोत्र सह वृत्ति .............. सिद्धसेन दिवाकर ४८८/A.. सरस्वतीछंद सह अष्टोत्तर
नाम स्तोत्र मंत्रादि................
गौतम स्तोत्र............... ४८८/c परमेष्ठीरक्षा वजपंजर + पद्मावती स्तोत्र ...
अन्योक्तिबावनी भैरवकवच अष्टोत्तरशत स्तोत्र मंत्रसहस्रनाम..... कल्याणमंदिरस्तोत्र सह टब्बार्थ... भक्तामरकी कथायें........ भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध .............मानतुंगसूरि भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध .............लब्धिशेखरगणि
अजितशांतिस्तव सह टब्बार्थ ......... ४५६ ...... भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध .. मानतुंगसूरि....
चतुःशरण सह अवधूरि ............. योगशास्त्र सह वृत्ति ...................... हेमचंद्रसूरि ........ पंचवस्तुक सह वृत्ति .................. हरिभद्रसूरि ...
४८८/B....
:
:
१८६९
HTAम
१७४६ १८७० १७८६ ૧૬ર
..४९९.३२४
Jain Education internatione
Page #342
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________________
२९४
ग्रंथांक
५०० / A..... चंद्रप्रज्ञप्ति.
५०० / B...
सूर्यप्रज्ञप्ति
५०१
५०२
५०३
५०४
५०५
५०६
५०७
५०८
राजप्रश्नीयसूत्र विवेकविलास
******
राजप्रश्नीयसूत्र
उपदेशमाला सह वृत्ति
दर्शनशुद्धि.
जीवसमास
.....
ग्रंथ नाम
५०९...... ५१०
५११....... आगमसार..
५१२...... नवतत्त्वबालावबोध
www.
शांतिनाथचरित्र
दशवैकालिक सह वृत्ति
योगशास्त्र
योगशास्त्र सह बालावबोध
५१३...... लोकनालिद्वात्रिंशिका सह बालावबोध
नवतत्व सह बालावबोध
उपदेशरत्नकोश सह टब्बार्थ सारस्वतानुसार शब्दनिष्पादन
सारस्वत
अनिट्कारिकार्थ
रघुवंशपंजिका
ग्रंथसारसमुच्चय
५१४
५१५
५१६
५१७
५१८
५१९
५२०
५२१
५२२
५२३
सारस्वत
५२४ सुंदरविलास
५२५...... अष्टफलकथा
५२६
गौतमकुनक सह टब्बार्थ
प्रबोधचंद्रिका
प्रभंजनास्वाध्याय
गणधर
What
गणधर
गणधर
जिनदत्तसूरि समयसुंदरगणि
हरिभद्रसूरि हेमचंद्राचार्य.
देवचंदजी
कर्ता
रविविजय
अनुभूतिस्वरूपाचार्य
आनंददेव वल्लभ
सुंदरदास
देवचंद्रजी
भाषा
..प्रा.
...RI.
प्रा.
सं.
प्रा.
प्रा.
4. 4. 4. 4. 4.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
सं.
हिन्दी
संवत्
१६६०
१८३४
१८९३
१७९७
१९१४ ||
१८७५
१९१५
१८५९
१८९५
१९१०
पत्र संख्या
.३१
. ४०
५५
.४३
. २२
११३
७
६
५७
.५२
६
१२६
७९
१९
५
. २९
३
09
४
१२
१७ २ १९
.११
.२८
.२४
७
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
५०० /B... ५८८.
५०४३२५
५०० / B... ५८८.
५०० / B... ५८८३२५ ५०८,५४०, ६२३.३२५
५२४
२०००
.
Page #343
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________________
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता
५२७...... | तपबारभेदविचार
५२८
५२९
५३०
५३१
५३२
मैत्र्यादिक चारभावना व बोल. ..... उत्तराध्ययन की सज्झाय
******
.....
मौनएकादशीव्याख्यान सह टब्बार्थ. अष्टप्रकारीपूजारास....
हरिवंशप्रबंध (ढालसागर )
५३३ उपदेशपद सह वृत्ति.
५३४
५३५
५३६
५३७
५३८
५३९
५४०
५४१
५४२
५४३
५४४......
५४५ ●
षोडशक
शीलोपदेश माला योगसार सह टब्बार्थ
सज्जनविलास सत्सई
प्रवचनसारोद्धार
संग्रहश्लोक.
५४६....... ध्यानशतक
५४७...... चतुःशरण
५४८...... उपदेशमालावृत्ति
५४९......
उपदेशमाला
५५० | उपदेशमाला अवचूरि
PARMES
५५१.......
उपदेशमाला
५५२......
उपदेशमाला
५५३...... उपदेशमाला उपदेशमाला अवचूरि
५५४......
शीलोपदेशमाला सह बालावबोध. उपदेशपद
पुष्पमाला
- अभयदेवसूरिशिष्य
चैत्य गुरुवंदनप्रत्याख्यानभाष्य सह टब्वार्थ लक्ष्मीविजयगणि
दर्शनसतरि सह वृत्ति
शीलोपदेशमाला
उदयरत्न
मनरूपविजय
गुणसागरसूरि मुनिचंद्र मेरुसुंदरजी
हरिभद्र
संघतिलक जयकीर्ति
हरिभद्र
जयकीर्ति
चंद्रमुनि
नेमिचंद्रसूरि
जिनभद्रक्षमाश्रमण
दुर्गास्वामीशिष्य
जयशेखसूरि
जयशेखरसूरि
भाषा
सं.
WEEEEEEEE
गु...
.. प्रा.
..प्रा.
.. प्रा.
सं.प्रा.
.सं.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
प्रा.
.प्रा.
१. प्रा. सं.प्रा.
SIT.
प्रा.सं.
प्रा. प्रा. ..प्रा.
.. प्रा.
संवत्
१९१०
१८६६
१८८९
१८२२
१४७८
१६४६
१६६२
१६८२
१६६२
१७४०
१७८७
१७५९
१८४५
पत्र संख्या
१५
१०
દ
१४
४४
७४
२४४
१६०
३१
१४०
१३
४०
९
१०
६
२३
२५
९४
२
६
६
९७
२३
२४
.२८
. २०
२०
२७
झेरोक्ष
सी.डी.
.५०८... ५२३.३२५
५०० / B... ५८८
३२५
ग्रंथाग्र
१५०००
२९६
१४०५
. अपूर्ण
विशेष नाँध
२९५
.
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
भाषा
संवत
पत्र संख्या
स
................... १६२१
............ १७६८
... १७६२ .... १६२० ... १६६५
૮
२९६ ग्रंथांक प्रथनु नाम
कर्ता ५५५..... चउशरणपईना .................
संस्तारक सह टब्बार्थ ...... चतुःशरणटब्बार्थ
वीरभद्रसाधु चतुःशरण सह बालावबोध ............ चउशरणपईना (मूळ) चतुःशरण सह टन्नार्थ ....... भक्तपरिज्ञा.
[विनीतसागर ..... संस्तारकपयना ...................... शतसंवत्सरी.......................... सारस्व त .......................... रघुवंश .........
कालिदास ....... विष्णुसहस्रनाम सटीक ...... कुमारसंभव सह टीका .... ............. कालिदास .. हमशब्दानुशासनन्यास ................... हेमचंद्रसूरि ... सारस्व त ................................ कातंत्रविभ्रमसूत्र .......................... जिनप्रभसूरि. तर्कपरिभाषा ...........
केशवमिन अभिधानचिंतामणि शीलोञ्छ ............... हेमचंद्रसूरि... हैमधातुपाठ सस्तबक.
हेमचंद्राचार्य, सिद्धांतकौमुदी (वैदिक प्रक्रिया)........... दिक्षीत .... एकाक्षरी नाममालिका ......... अनेकार्थध्वनिमंजरी (शब्दरत्नप्रदीप)...... हेमआचार्य
हैमलिंगानुशासन ...... ५७८ .....- एकाक्षरीनाममालिका .... ५७९ ...... शब्दसंचय ...... ५८०..... अनेकार्थशब्दसंग्रह ........... ५८१..... भववैराग्यशतक सह टब्बार्थ .......... ५८२.....-नलदमयंतीचंपू ......
3+१८७-२३०
............... ५६८..३२५
........५००/B... ५८८.-३२५
.........५७४... ५८२......
.........५७४...५८२..
q५७८
५७४... ५८२.३२५
५७४...५८२---- ...५७४... ५८२ .३२५
.........५७४... ५८२
.३२६ .......
For Private & Personal use only
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पत्र संख्या
विशेष नोंध
......... १५६५
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
.....५८३.. .......५००/B... ५८८.-३२६
......१७२५
५८४ ....
... ५००/B... ५८८.4-३२६
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता भाषा संवत् ५८३...... हेमशब्दानुसासन .........
हेमचंद्राचार्य...
पत्राचाय.................स. वाग्भटालंकार सह वृत्ति ............. सारस्वतधातुपात सह बालावबोध ..... अमरकोश (नामलिंगानुशासन) उमेदविजयगणि....
१८९७ सिद्धांतचंद्रिका ....
रामचंद्राश्रम... प्राकृतदीपिका (शब्दानुशासन).
१४५३ सारस्वत ...... गुणावली गुणकरंडकरास .............. शांतिदर्थ
१८o विक्रमादित्य चौपाई गुणावली गुणकरंडकचौपई श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र .........
जिनवल्लभसूरि... क्षेत्रसमास सहवृत्ति
हरिभद्रसूरि .... सं.प्रा. आवश्यकनियुक्ति अवधूरि सह कथायें ......देवेन्द्रगणि
सं.प्रा ५९६...... पंचलिंगीअवधूरि ..... ५९७ .....दशवकालिक वृत्ति
प्रा.सं. ५९८/A..... अग्यारह उपासकप्रतिमा.
.. प्रा. ५९८/B...... आराधना बालावबोध (संक्षिप्त)............
.प्रा. गीतमपृच्छा सार्थ ....
-प्रा.गु. षट्स्थानक आयकवक्तव्यता सह वृत्ति.....
सं.प्रा प्रतिक्रमणवृत्ति .................
सं.प्रा ६०२ .... उत्तराध्ययनसूत्र ......................
दशकालिक अवचूरि .................. दशवकालिकसूत्र सह अवचूरि............ दशवकालिकसूत्र ..........................शय्यंभवसूरि .............सं.प्रा दशवकालिकसूत्र सह बालावबोध....... दशवकालिकलघुवृत्ति ....................... हरिभद्रसूरि ............. सं.मा. दशवकालिकसूत्र ........
..............प्रा. ............१४८८ दशवकालिकसूत्र .....
शय्यंभवसूरि ...............प्रा............. १६४२
६०१....
3Kई583
.........
प्रा.स
...........६०७ + ६०८ .-३२६ ...........६०७+ ६०८.-.
.............२०
For Private & Personal use only
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२९८
ग्रंथांक
६१०
दशवैकालिकसूत्र
६११....... दशवैकालिकसूत्र ६१२...... दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकवृत्ति
६१३
६१४
६१५......
६१६ बृहत्कल्पवृत्ति
६१७
******
www...
६१८......
६१९ ६२०
६२१ गौतमपृच्छा सह वृत्ति.
६२२ ६२३ सिंदूरप्रकर सह वृति ६२४. सिंदूरप्रकर सह वृत्ति ६२५ | शतकत्रय सहवृत्ति ૬૬
शतकत्रय सहवृत्ति
------
-----
ग्रंथ नाम
सम्यक्त्वकौमुदीकथा. सम्यक्त्वकौमुदीकथानक
दशाभुतस्कंध सह टब्बार्थ दशाश्रुतस्कंध सह टब्बार्थ गौतमपृच्छा सह बालावबोध षट्दर्शनसमुच्चय सह वृत्ति
गीतमपृच्छा सह बालावबोध
६२७....... प्रवचनसारोद्धार
६२८......
******
प्रशमरति
६२९ ऋषिमंडल सहावचूरि
६३०
त्राषिमंडलसूत्र
६३१......
त्राषिमंडलसूत्र
६३२
| अध्यात्मकल्पद्रुम
६३३
गौतमपृच्छा सह बालावबोध
६३४ कायस्थितिस्तोत्र सह बालावबोध
६३५.
६३६
६३७ गौतमकुलक सहबालावबोध
सूत्रकृतांगबालावबोध
....... सारस्वतव्याकरण.
कर्ता
हरिभद्रसूरि
पूर्वाचार्य
सोमप्रभसूरि नेमचंद्रसूरि
भतृहरि क., धनसार-टी..
भतृहरि
नेमिचंद्रसूरि
उमास्वाति
देवसारमुनि
धर्मघोष
मुनिसुंदरसूरि
कल्याणविजय
अनुभूति स्वरूपाचार्य
भाषा
.प्रा.
.प्रा.
प्रा.
सं.प्रा.
सं.
सं.
सं.प्रा.
सं.प्रा.
सं.प्रा.
सं.प्रा.
सं.
सं.
सं.प्रा.
सं.प्रा.
सं.
संवत्
१६४०
१६८३
१८९६
१९२१
१८२७
१८६७
१९००
१७७२
१७५१
१८७३
पत्र संख्या
. २४
. १६
. २०
१३१
७७
. ५०
३८५
१०३
.४८
८४
२२
२३
५७
.५३
२७
५३
२६
३६
७
१३
१३
१५
१२
२३
९
. ३६
६९
८०
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर सी.डी. विशेष नाँध
झेरोक्ष
६१३.३२६
.६१६ (१.२)
, ६२०... ६६१३२६
.५०८... ६२३३२६
ग्रंथाग्र
७०४. ६९७२-
१०००
. १२५२
प्रति सडी गयेली छे
-
.
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झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
X.Me
लावण्यसमय.
२४०००
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर • जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
भाषा संवत् । पत्र संख्या ६३८...... संबोधसत्तरी सह टवार्थ ...
हेमसागरगणि
.......... १७६९ ६३९ ...... अभिधानचिंतामणी.......
हेमचंद्रसूरि.
............ १९०० ६४०..... मानतुंग मानवती रास ...
रूपविजय ....
....... १८२५ ६४१.... आत्मप्रबोधाछत्तीसी .......
ज्ञानसागर
... १९०७ ६४२.... विवाहप्रकरण............
रूपचंदजी स्थूलिभद्रएकवीसु.........
૧૮૮૩ ६४४/A. गौतम + नवकाररासादि ............ ६४४/B. उत्तराध्ययनसज्झाय.... ६४५... आवकपाक्षिक अतिचार .............. ६४६ ..... प्रकरणत्रथि........
(नवतत्त्व + जीवविचार + चौबीस दंडक) ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति ........
औपपातिकसूत्रवृत्ति .........................अभयदेवसूरी.............. निरयावलिकादिपञ्चोपांगसूत्र सह वृत्ति .. पिंडविशुद्धि सह वृत्ति ....... राजप्रश्नीय सह वृत्ति ...............
मलयगिरि ...... पुष्पमाला .................................. मलधारी हेमचंद्ररारि ............. संस्तारक सह टब्यार्थ ....................................... आतुरप्रत्याख्यान.................... शीलोपदेशमाला ........................... जयवल्लभसूरि .... लोकनालिद्वात्रिंशिका प्रकरण .............. जंबूदीपप्रज्ञप्ति चूर्णि...... चैत्यवंदन आदि भाष्य बालावबोध .............. कर्मग्रंथ ये थी पांच ......... अनुयोगद्वारसूत्र..............
मलधारी हेमचंद्रसूरि अनुयोगद्वारदृत्ति
मलधारी हेमचंद्रसूरि -जीवाजीवाभिगमवृति ........
मलयगिरि .... ६६३ ...... पंचलिंगीप्रकरणवृत्ति
जिनपतिसूरि ....
.............................१८६०
.६२०...६६१ -- ३२६ ......२०००/..६२०... ६६१.-- ३२६ ....... ५७००. पत्र १०५ मुं नथी. ..........६६२.-३२६
For Private & Personal use only
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भाषा
संवत
पत्र संख्या ८८(२८-११२) ३४(२६०-३०३)
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध ........६६४.......................जीर्ण,पत्र १थी १२, १४ ची २७, २ नथी।
..............२०९५/६६६.-३२७ ६६७...३२७ .......९५००/-.
..जीर्ण
..६७१.
....१५००L.
३०० ग्रंथांक.
ग्रंथर्नु नाम ६६४ ...... स्थानावृत्ति ........ ६६५...... उत्तराध्ययनसूत्र .... ६६६ ...... पंचाशकवृत्ति .......
अभयदेवसूरि. ..नवतत्वप्रकरण सह वृत्ति
स्तोत्र संग्रह ... ... नयचक्र आलाप पद्धति .....
दिवसेन पंडित ..वीशरथानकपूजा.....
विजयलक्ष्मी ... जिनशतकपंजिका टीका ................ जम्बूसाधु ..... ... गौतमपृच्छा बालावबोध ..... रघुवंश .................
कालिदास -सप्तति अवचूरि ............ चोवीसदंडकबोल .......................... लक्ष्मीकुशल.. गुणस्थानविचार ...... शाश्वतजिनर्विवस्तवन.. नवतत्त्वप्रकरण सहटब्बार्थ
जिनहंस .. कर्मप्रकृतिसंग्रहणी कर्मप्रकृतिटीका ......
मलयगिरि नलदमयंतीचरित्र (नलायनम्) ..... सप्तम कर्मग्रंथ .....
देबेन्द्रसूरि समयसारप्रकरण टब्बार्थ.. पंचास्तिकाय सह छाया अर्थ व भावार्थ प्रवचनसार सह छाया अर्थ व भावार्थ सामायिकसूत्र सह वचनिका व बालावबोध . पंडित मनोहर .. समयसारप्रकरण............ द्रव्यसंग्रहटीका ............. नारचंद्रज्योतिष सह टब्बार्थ शांतिनाथचरित्र
जिनप्रभसूरि शजयमाहात्म्य
धनेश्वर सूरि
१७८४
ECO
---३२७
...८१५०..
६८१...३२७
............ पत्र १२२. १२५. १२८ नथी.
1७४२
२७००..जीर्ण तथा चोटेलों छे.
... ४८०५/- पत्र १५० थी १५३ नथी.
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विशेष नोंध
संवत् पत्र संख्या
झेरोक्षसी .जी. ग्रंधान ................. २८६ ................... ६९२..३२८ .... १६०००
........... ३४६०
२१४
...............३१६२
१७९५
६९९.
३२७......८३६५
नचापाइ........
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर प्रयांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ताभाषा ६९२..... उपमितिभवप्रपंचकथा ............ ६९३ .... परिशिष्ट पर्व + त्रिषष्टि शलाका .......... हेमचंद्रसूरि ...............
पुरुष चरित्र त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र पर्व ............ हेमचंद्रसूरि ....... प्रकीर्णविचार संग्रह शत्रुजयमाहात्म्य ...
.... धनेश्वरसूरि .... शुकराजकथा .... शत्रुजयमाहात्म्य...
धनेश्वर सूरि ... शांतिनाथकथा.....
ले.भावचंद्रसूरि.. मानतुंगमानवतीरास .....
मोहनविजय क...
ले.हर्षविजय रलपालचौपाई आराधना सह टवार्थ
ऋषभविजय आनंदसंधि
समयसुंदरसूरि. साधुवंदना
समयसुंदर सप्तस्मरणस्तोत्र सह टब्बार्थ भबवैराग्यशतक...... जिनशतक सह पंजिका .............. तर्कपरिभाषा .......
..............
केशवमिश्र कर्पूरप्रकरणकथाये ......... ७१०...... चौवीसदंडक सह टब्बार्थ ७११.... भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध ७१२... श्रीपालरास ...........
विनयविजयजी उपाध्याय ७१३ ..... रसिकप्रिया
केशवमित्र ७१४... नियमसार सह वृत्ति
मलधारि देवसूरि .. ७१५... श्रेणिकचौपाई
जिनचंद यति.. भक्तामरस्तोत्रकथा ....
७०६ .... 800 ... ७०८ ...
.....७०३...७८०...........
१६६८
०५...
१५४९
७८०..३२८
१८३९ १७७५ ૧૯ર૬ १७६६
For Private & Personal use only
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर सी.डी.
विशेष नोध
कती
संवत
होरोक्ष
ग्रंथात
..... १७६१
૧૮૧૧
................
३०२ ग्रंथांक
ग्रंथन नाम कल्याणमन्दिरस्तोत्र सह वृत्ति ......... प्रत्येकबुद्धचरित्र + अंजनासुंदरीचौपाई ...... समयसुंदरसूरि . आलोचनाविचार ............... चन्दराजारास ............................. मोहनविजय मृगांकलेखाचीपई ............ भक्तामरस्तोत्र सहावचूरि घटपंचाशिका बालावबोध गुणमंजरीवरदत्तचौपई ............... ऋषभसागर नलदमयंतीरास गजसुकुमालचौपई . चाणक्यनीतिशास्त्र सह टवार्थ ............ श्रीपालचौपाई ...
........... ज्ञानसागर उपाध्याय .. सज्झायसंग्रह ......... शत्रुजय उद्धाररास ........................भानुमेरुगणेश ........ गोराबादलचौपाई .........................
हेमरतन ....... सप्त नवस्मरण.... शालिभद्रचौपाई रत्नपालरास
मोहनविजय. विक्रमसेनलीलावतीचौपई
परमसागरजी भुवनेश्वरीबृहतस्तोत्रविवरण ............... श्रीधरजी. भक्तामरस्तोत्रसहवृत्ति ......
सहजसुंदर.. अचलदासखिची री बात... वीसविहरमानस्तवन ....................... जसविजय .......
दीपावलीकल्प सह टब्बार्थ .. ७४२.....
उपदेशरत्नकोश सह टब्बार्थ .............. धनपाल पंडित . ७४३ ...... लघु अजितशांतिस्तवन ............
१८३३ १७५२
...अपूर्ण
.७०३... ७८०...३२८
............
मारास........
............. १८५०
७४१....
बाथ.............
............. १९११
For Private & Personal use only
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संवत
- पत्र संख्या ।
झेरोक्ष
सी.डी.
जी. ग्रंथान
विशेष नोंध
१७६३
1
.
4
.
10/B.....
4
4
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार-श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिप जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथ नाम
भाषा ७४४ ...... इन्द्रियपराजयशतक ......
श्रावकपाक्षिकअतिचार ...... अनुतरौपपातिकदशांग सूत्र सह टब्बार्थ .... ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति आवश्यकसूत्राणि सह बालावबोध ... विधिसंग्रह श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र
भक्तामरस्तोत्र सह टब्बार्थ ....... ७५१..... अष्टापदस्तवन ............. १२......
भावना वेली ७५३ . कायस्थितिस्तोत्र............................ कल्याणधर्म ..... ......
दश दृष्टान्त................ स्तोत्रादिसंग्रह .... तुलसीपूजा सहविधि ... सज्झायसंग्रह
महावीरपारणास्तवन ... ७५९ ...... जन्म कुंडली.
.............. ७६०...... शालक बोली................. ७६१...... ग्रहभावफल ............... ७६२ ...... सुगमविवाह शोधनक्रिया ............... ७६३ ...... ज्योतीष का ग्रंथ (साधारण)...............
शुकन बत्रीसी ............. ७६५.....
तुकी ताजीक सह टवार्थ मासफल........... छिंकादिशुकनाधिकार....
पल्लीविचार ...... ७६९ .... प्रतिष्ठाविधि
UU
............१८०७
......... १८८५
७६४ .....
१८५३
Jain Education internatione
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३०४ |ग्रंथांक
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
भाषा
संवत्
। पत्र संख्या -
४०......
.. १८९५
ग्रंथनू नाम सूर्यस्तोत्र......... प्रायश्चितप्रदानविधि .............. चैत्रीपूर्णिमापुंडरीकआराधना ....... भक्तामरस्तोत्र........................ प्रवज्याविधि......... प्रवज्याविधि.. वीशस्थानकविधि बारव्रतना प्रत्याख्यानआलावा चैत्रीपूर्णिमापुंडरीकआराधना .. पौषधविधि साधुविज्ञप्तीपत्र ....
.... १७६२ ..... १८९९ ..... १८७० ..... १८७६
...........७०३... ७८०.३२८/
.३३०
................
१८१२
मणीभद्रछंद आबुतीर्थस्तवन ................ रूपचंद मौनएकादशीव्याख्यान सह स्तवन ......... तीर्थकर अतिशय स्तवन ...................... विचारपत्र............................ प्रत्याख्यानपाठ......................... महावीर २७ भवस्तवन...................... कल्याणमंदिर ............................... जीरावलापार्श्वनाथस्तवन................... लावण्यसमय..... सज्झायसंग्रह शांतिनाथविवाहली.. पंचनिर्ग्रन्थीसंग्रहणी पंचनिम्रन्थीसंग्रहणी अष्टप्रकारीपूजा.
आवश्यकसूत्राणि व पाठ. ७९६/A..... प्रवचनसारोद्धार ...
............ १६५६
For Private & Personal use only
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पत्र संख्या
सीडीग्रंथात
विशेष नोंध
८०५ .
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथन नाम
भाषा संवत ७९६/B...... आदिनाथदेशना ............... ७९७ ...... चैत्यवंदन आदि भाष्य ........ ७९८ ...... श्रमणप्रतिक्रमणवालावबोध .. ७९९ ...... पर्यन्तआराधना सह टब्बार्थ, ८०० ..... विचारसंग्रह. ...............
ज्ञानद्विपंचाशिका ................ स्तवनादिसंग्रह ............... जंबूदीपभूगोलबोल ................ पार्श्वजिनस्तवन.................. सज्झायसंग्रह चोवीसी सह बीसविहरमाननमस्कार .... प्रतिमास्थापनस्तवन
................. १७७७ सिद्धचक्रादिस्तवन .............. गणधरवादस्तवन ..........................सकलचंद ....... महावीरस्त वन ........................ आलोचनास्तबन..
| रविविजयगणी महावीरस्तवन सह टब्बार्थ
अभयसूरि सप्तभंगीगर्भित महावीरस्तवन मनरूपविजय
१८९५ ऋषभस्तवन
समयसुंदर ८१५ . क्षेमऋषिपारणास्तवन ८१६ ..... सोलह स्वप्नसज्झाय ...........
सज्झायसंग्रह ..................... ८१८...... वीशविहरमानस्तवन ...... ८१९...... स्थूलिभद्रनवरसा .................
उदयरत्न ८२०...... सप्ततिशतजिनयंत्रस्तवन +
पार्श्वनाथस्तवन....... ८२१......ऋषभदेवस्तवन.......................
रविविजय ....
...............१९३४
१९२२
८१२
८१४
...१६९१
For Private & Personal use only
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्षसी .डी ग्रंथान
विशेष नाँध
का
भाषा
संवत
। पत्र
संख्या
..... १८५२
८२५...८७६
.......... १७९८ ............ १७०२
ग्रंथन नाम शत्रुजयसंघयात्रास्तवन ...... सारशिखामणसज्झाय........ थलीकाव्याख्यान.............. गहुंलीसंग्रह .............. सौभाग्यपंचमीस्तवन ..... सीमन्धरस्वामीस्तवन .... ब्रह्मचर्यनववाडीगीत उन्नतीसभावनास्तवन चोवीसदंडक (आदीश्वर) स्तवन .......... धर्मसुंदर ......... ऋषभस्तवन आवककरणी सज्वाय ......................... साधुवंदना सरस्वतीस्तोत्र + पुष्पांजली ................ रामविजय ....... अपिबत्तीसी....................
हरखविजय ..... नेमीनाथरास........................
कल्परत्नविजय भक्ष्याभक्ष्यविचार + पच्चक्खाणविधि .....
.......नयविमल ....... पार्श्वनाथविनति .......
हरखविजय ........ पंचमहावतगीत
लक्ष्मीरत्न....... मीनएकादशीगुणना
यशोविजय ........ वसुधारा लघु सर्वसिद्धान्तस्तवन ..
जयशेखरसूरि. बृहत्शांति Ja४ ...... जयतिहुअणस्तोत्र
अभयदेवसूरि. सरस्वतीस्तोत्र.......... भक्तामरस्तोत्र
मानतुंगविजय. बटुकस्तोत्र सहमंत्र ................. ज्वालामालिनीमंत्र सहविधि ................
.................. १७९६
WWWWWWWWWWWAND
१८६७
८२५...८७६ ...३२८
................ १९३१
For Private & Personal use only
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
कर्ता
८४९........... ८५०
८५१ ८५२/A.
८५२/B.. ८५३
छत्रीसमन्त्र गोडीपार्श्वनाथस्तवन
सरस्वतीछंद
८५४
८५५ षट्पंचाशिका ८५६...... नवकारफलस्तवन ८५७ पद्मावतीस्तोत्र. ८५८ सकलार्हतृस्तोत्र ऋषिमंडलस्तोत्र
८५९
चिंतामणिपार्श्वनाथस्तोत्र सह स्तबक चिंतामणिपार्श्वनाथस्तोत्र
सकलाईतस्तोत्र + लोद्रवपार्श्वनाथजिन स्तवन
शनिछंद
८६०........
उवसग्गहरंस्तोत्रसहावचूरी
८६१....... भक्तामरमंत्रतंत्र व फल ... ८६२....... सरस्वती (त्रिपुरा) लघुस्तोत्र
८६७
८६८
|८६९
८७०
८६३ जिनपंजरस्तोत्र
भवानीसहस्रनाम
८६४.......... ८६५ बृहत्नवकारमंत्र |राईप्रतिक्रमणविधि
८६६
➖➖➖➖➖➖
द्वादशवतप्रकरण.
जीवों के ५६३ भेद अंतरीक्षपार्श्वनाथस्तवन
कालसत्तरी
विभक्तिश्रोतृगोचर सह व्याख्या
८७१
८७२ • कवित्तसंग्रह
(193
मिथ्यात्वस्थानककुलक
सोमगणि
धर्मघोषसूरि
भाषा
संवत्
१९१०
१८५७
१७९८
१८७५
१८५५
१८५३
१८४८
१८९९
१८११
१९१७
पत्र संख्या
२
२
२
२
२
३
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
झेरोक्ष
सी.डी.
.८५२/२
८२५... ८७६.३२८
.८२५... ८७६.३२८
.८२५... ८७६.३२८
८२५ ८७६३२८
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
३०७
.
Page #356
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________________
३०८
ग्रंथ नाम
८७४
प्रतिमापूजास्तवन
८७५ पार्श्वनाथ घ (स?.) ग्धरा निशानी हीरविजयनिर्वाणसज्झाय. उठामणश्लोकार्थव्याख्यान
८७६ 21909
मंगलमालिका + राशीनक्षत्रविचार मरणांतिक अणसणगाथा चोवीसदंडक
ग्रंथांक
૩૮
८७९
*****
GALORE
*****
८८०
८८१* स्तुतिटब्बार्थ
८८२...... ऋषभस्तवन
८८३ ● चतुर्विंशतिका टब्बार्थ
८८४
८८५
८८६ •
संख्यात बकिया हरताल विधि कुबेरदत्ताचीपई
पखवाडास्तवन
शत्रुंजयसज्झाय.
८८७......
cel...... |उठामणश्लोकार्थव्याख्यान
८८९...... शत्रुंजयकल्पस्तवन
८९०...... प्रतिक्रमणविधि
८९१ • स्थलिभद्र और मुहपत्तिसज्झाय
८९२.
आहार अनाहारविचार
उठामण श्लोकार्थ व्याख्यान
|८९३....... ८९४ | बोलथोकडाभंगसंग्रह
८९५
बोलथोकडाभंग संग्रह
८९६
बोलथोकडाभंगसंग्रह
८९७
८९८
८९९
९००
AREILL
आधाकर्मी असज्झायादि दोष
| कर्मभेदस्थिति आदि
बोलथोकडाभंग संग्रह
सात हितशिक्षायें
विवेकहर्ष
हेमसागर
कुशलहर्ष
हर्षविजय
कर्ता
भाषा
संवत्
१९१२
१८८५
१६८७
१८७४
पत्र संख्या
२
२
३
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
२
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर
-
झेरोक्ष
सी.डी.
विशेष नोंध
.C24... CISE... 32
ग्रंथाग्र
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डोरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथान
विशेष नोंध
संवत् ...... १६०९
पत्र संख्या । ....
१०६.३२८
१७८५
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांकग्रंथन नाम
कर्ता
भाषा ९०१ . द्रव्यानुयोग पत्र ...................... ९०२ ...... मीनएकादशीगणj ................... ९०३ ...... कायभेदस्थितिआदि .................. ९०४ . महावीरस्तुति और गुणस्थान ..... ९०५...... सप्तदशपूजाद्रव्य ....
गांगातैलीकथा .... होलीका व्याख्यान..... होलीका व्याख्यान ........ होलीका व्याख्यान................
पुण्यराजगणि नयतत्व........... लोकनालिद्वात्रिंशिका ................. चौबीसदंडक............................... गजसारमुनि चौबीसदंडक......... नवतत्त्वविचारगाथा टवार्थ ............ चोचीसदंडक
.............गजसारमुनि सम्यक्त्व ६७ बोल ..... कायस्थितिस्तोत्र महादंडकस्तोत्र. सिद्धपंचाशिका .. आत्मनिंदा..... ज्ञानपंचमीस्तवन....... तीर्थकरबोल .............. बारभावना ........................ नंदीश्चरस्तवन ...............
नवकारटीका ...... ९२६ . पच्चखाणविधि .........
सारस्वत
१८०० ..... १८९६
१८४५
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www.sainelibrary.org
Page #358
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथाग्न
विशेष नोंध
सवत
पत्र
संख्या ।
....९२९ + ९४६ --- ३२८
९३१
..... १६१३
............ ..................
.................... १६३८
३१० ग्रंथांक
ग्रंथन नाम ९२८ ...... श्रुतबोध ..........
कालिदास...९२९ ..... मोगलपुराण ............
-स्थुलिभद्रफाग ............
महावीरजन्मोत्सव ......... ९३२...... शत्रुजयरास .......... ९३३ ..... कल्याणकस्तवन ..... ९३४ ...... साधु-श्रावकदिनचर्याविधियाँ ............. ९३५.... मेघकुमारचौढालिया .. ................. कनकमुनि.... ९३६/A... गौतमकुलक ९३६/B... दानशीलतपभावनाकुलक ९३७/A.... ऋषभस्तवन
दानमुनि ...... ९३७/B..... ऋषभस्तोत्र. ९३८..... गौतमकुलक सह टब्बार्थ ...................
गौतमपृच्छाचौपई ......... जंबूद्वीपसंग्रहणी सह टव्वार्थ ............... हरिभद्रसूरि
लोकनालिबत्तीसी (द्वात्रिंशिका टब्बार्थ) ................. ९४२ ...... संवोहसत्तरी .. ९४३ ..... शत्रुजयकल्प ......... भावप्रकरण..
विमलविजय विचारसप्तिका
शांतिकुशल मोतीकपासीयासंवाद. चित्रसेन रोहीणीचोढालीया मौनएकादशीगणj सवैयासंग्रह सुभाषितपद्यसंग्रह मेधकुमारचौडालिया षट्पंचाशिका . गौतमाष्टक + ग्रहशांतिस्तुति ............... ललितसागर ..
९३९ ....
.....................
९४१......
१७८९ ૧૯૮૨ ૧ર૬
१९००
१८५२
..........९२९ +९४६...३२८
mmmmmm
.............
१६९६
"
""
"
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भाषा
विशेष नोंध
झेरोक्षसी .डी. प्रधान .९५४ थी ९५६.३२८ ९५४ थी ९५६३२८ ९५४ थी ९५६ ---३२८
....१८०५
...१८५१
९६०....
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर | ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कर्ता ९५४ ...... सप्तति शत जिननाम स्तोत्र............... विशालसुंदर ............. ९५५ ...... जयतिहुअणस्तोत्र + स्तंभनपार्श्वनाथस्तोत्र ... ९५६ ...... देवप्रभस्तोत्र अवधूरि की पीठिका ...... ९५७ ...... भगवती पद्म पुष्पांजलीस्तोत्र .........
सरस्वतीस्तोत्र छंद ........................ यशोविजय ... ९५९ . शांति + पाक्षिक खामणां .. जयतिहुअणस्तोत्र......
अभयदेवसूरि.... शनिस्तोत्र मंत्र जाप .... सकलार्हतादि ........ साधारणजिनस्तोत्र सह अवचूरि ........... दयाविजयगणि. अजितशांतिस्तवन ......... महावीरचरित्र ..........
जिनवल्लभसूरि १६६ .....
४५ आगमस्तवन ....... सीमंधरस्वामीस्तवन
सकलचंद जिनस्तवनधीवीसी. ९६९ . स्तुतिस्तवनसंग्रह चतुर्विशतिस्तुति
.... विमलसौभाग्य.. गोडीपार्श्वनाथस्तवन ....... ...... पार्श्वनाथछंद देशांतरी ............
छंदपत्र ......................... वृषांकस्त वन .................................... महावीरजिनकल्याणकस्तवन................ सामायिकना दोष + चउद नियमनी सज्झाय.. जीवाजीवविचार पार्च स्तवन .............. वृद्धिविजय दानशील-तप-भावनासंबाद शतक व स्तवन .... कुमतिखंडनस्तवन .............................. स्नात्रविधि ..................
१७.....
९६८
.
....... १८६०
.... १९०३ ....१६४२
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
राधाक
सवत
पत्र ससया
............ १८५३
ग्रंथन नाम सुभाषितसूक्तावली चैत्रीपूर्णिमापुंडरीकआराधना भगवतीसूत्र (तामली समाप्त) ग्रहसिद्धि मुहूर्तावली. तीर्थकरबोल भास्करोविचग्रहागम
रविविजय
गुराचार
.............
१६७० १७४८
............ १८७६ ........... १८६९
कुमतीखंडनस्तवन तीर्थकरबोल
कनकविजय चतुर्विंशति नमस्कार. स्फूटस्तवन सज्वाय लघुग्रंथ ...................... बारहताव व मिर्चगुण अष्टप्रकारीपूजा सह विधि .................. नवपदपूजा ...........
पदमविजय .... नवपदपूजा
उत्तमविजय ... सौभाग्यपंचमीव्याख्यान ...
हरखविजय श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र ९९९ ... नवतत्त्व १००० ... कल्याणमंदिर.
हेमसागर, बनारसीदास १००१... उष्ट्रीकमतोत्सूत्र उद्घाटनकुलक ....... १००२... चौवीसदंडक सह टवार्थ
गजसार मुनि .......... १००३ .... कर्मग्रंथप्रथम (नवीन) १००४ .... पर्यन्त आराधना ..... १००५ ... विहरमान एकविंशतिस्थान अवचूरि. १००६ ...- गुरुगुणछत्रीसकुलक १००७ ...-श्रमणअतिचा
|श्रमणअतिचार ....... |१००८ .... ऋषिमंडलस्तोत्र (डिझाईन).................
१७९५ ................... १७७६
........१००१...११६२ .-३२८
.................. १६५१
For Private & Personal use only
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कर्ता
| पत्र संख्या
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथाग्र
विशेष नोध
.......१००१...१०७९ ...३३०
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर |ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
| भाषा
सवत १००९ .... मौनएकादशी व्याख्यान ..................
.... १६६० १०१०.... शीलोपदेशमाला ...............
१६७४ सुबाहुसंधि ............. ..................... पुन्यसागर .....
१६७४ ऋषभविवाहली........... हेमराजबावनी ..........
.................. स्तवनसज्झाय ..
....................... १०१५ ... सिद्ध अधिकार १०१६ .... शतसंवच्छरी.
..............श्रीसेन १०१७... निर्जराफल १०१८ ... जैनधर्ममंजरी १०१९ . मौनएकादशीगणj .. १०२०/A .. दशआश्चर्य ...
....कालिदास ..... १०२०/B ...जयतिहुअणस्तवन + स्तंभनपार्श्वनाथ ........ १०२०/C..जयतिहुअणस्तोत्र.......................... अभयदेवसरि
- ...........१७१५ १०२१ . एक पत्रकी पूर्ण प्रतिओंका संग्रह ..........
शनि (विक्रमादित्य चौपाई) १०२३/A -प्रीतवत्रीसी ..... १०२३/ Bखुमाणसिंह का बारहमासा
१८५६ १०२३/C..दानशीलतपभावनाकुलक १०२३/D..जैनेतर धार्मिक स्फुट लधुग्रंथ त्रुटक पन्ने . १०२३/E - साहित्यिक स्फुट पन्ने त्रुटक लघुग्रंथ .... १०२३/F.. मंत्र तंत्र यंत्र स्फुट पन्ने त्रुटक लघुग्रंथ ... १०२३/G-शीलबत्तीसी १०२३/H... व्याकरण स्फुट पन्ने त्रुटक लघुग्रंथ
.................. १८७७ १०२३/.... सम्यक्त्वकुलक १०२३/J... सामायिकपौषधफलकुलक १०२३/K.. सम्यक्त्वस्तव
१०२२ ...
.१७५३
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार-श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्षसी .जी. ग्रंथाग्न
विशेष नोंध
संस्ध्या
३ . ४ ग्रंथांक ग्रंथ नाम
भावा १०२३/...स्फुट धार्मिकक्रियाविधि पने.... १०२३/M. ज्योतिष लघुपंथ त्रुटक व स्फुट पन्ने ... १०२३/N-पट्टावली ............ १०२३/०. वैद्यक स्फुट त्रुटक लघुग्रन्थ पत्रे १०२३/P-गीतपत्र .................. १०२४ ....ध्यानपत्र.................. १०२५ .... स्नात्रपूजा ................ १०२६ ....भावषट्त्रिंशिका ............ १०२७ .... उपदेशबाराखडी............... १०२८ ... पट्दर्शनसमुच्चय .............. १०२९ ..... गुणस्थान उपशमक्षपक श्रेणिविचार .... १०३०.... श्रावक आराधना १०३१ .... नरसंबोध नारीबोध चतुर्थ प्रबंध .. १०३२ .... अढारपापस्थानक |१०३३ ....गौतमपृच्छा सह बालावबोध
देवकुशल मुनि १०३४ .... भवभावना
हेमचंद्रसूरि. १०३५ .... श्रावकपाक्षिकंअतिचार .. १०३६ .... प्रत्येकबुद्धचौपई ........................... समयसुंदर १०३७ .... कूर्मापुत्रकथा ............... १०३८ .... चतुःशरण ............. १०३९ ...
उपदेशमाला ......... १०४० ... एकवीशस्थानक सह टवार्थ १०४१.. कर्मग्रंथ एक थी। १०४२.. आवश्यकविधि..... १०४३ .... सिद्धांतकौमुदीपूर्वार्थ .
भट्टोजी दिक्षित १०४४ .... सारस्वतदीपिका ...
अनुभूति स्वरूपाचार्य. १०४५ .. सारस्वतप्रक्रिया.
अनुभूति स्वरूपाचार्य .... १०४६ ... उत्तराध्ययनसूत्र सह टब्बार्थ अपूर्ण .................
0AMAN..
..............
१८००
..१४६६
2
......अपूर्ण
१६६५
१८४९ १७०८ १८५४ १६४१
4. पहेलुं पार्नु नथी.
1. पहेलु. बीजु पार्नु नथी
For Private & Personal use only
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झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथान
विशेष नोंघ
...........१४
अपूर्ण अपूर्ण जीर्ण
......१०११...१008.1.३२८
"...२२
.१ थी ५ पाना नथी
.१थी ३ पाना नथी .प्र.७५०००/-(पत्र ३५ थी ८७, पत्र ५० थी १५२)
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार- श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांक पंथन नाम
कता
भाषा- संवत् पत्र संख्या १०४७.... भगवतीसूत्र....................
................. .....११२-४८२ १०४८ .... शीलोपदेशमाला सह बालावबोध.. १०४९ .... एकवीशस्थानक .......
............१६९९ F- .........५ १०५०.... सिद्धहमशब्दानुशासन बृहदीपिका बृहदवृत्ति हेमचंद्राचार्य ..
.......................१३६८ १०५१.... उपदेशमाला ....... १०५२ .... सामाचारी आचारविधि,
............ १६४५-............२४ १०५३ .... रघुवंशटीका .............................. चारित्रवर्धन ..
................१५६ १०५४ .... पाशाकेवली सह बालावबोध ...........
.................. ९-१५ १०५५ . पाशाकेवलीकाव्य अपूर्ण .. १०५६ ....
-चतुःशरण सह बालावबोध (दोषावली). १०५७ .... अष्टोत्तरीस्तोत्र+नवस्मरण+
..........२१(३ थी २६) श्रावकपाक्षिक अतिचार १०५८ .... भगवतीसूत्र ............... १०५९ .... आवश्यकसूत्राणि च पाठ, १०६० . चतुःशरण ................. १०६१ .... आगमसार ............. १०६२ .... उठामणाश्लोकव्याख्यान
अपूर्ण १.२. ५.७. २२ पाना नथी अपूर्ण
अपूर्ण अपूर्ण पत्र १ लं, २ जूं नथी. अपूर्ण आ जेरोक्ष कोपी कदाच १००१..११३१ ना | बंचमा अथवा १०११...१०७९ ना बंधमा ..होई शके.
१०ER
.....१ थी १० पाना नथी
१०६३ .... ज्योतिषबालावबोध .............. १०६४ .... लघुप्रक्रिया ............ १०६५ ....पंचास्तिकाय सह छाया अर्थ व भावार्थ .... अमृतचंद १०६६ .... श्रीपालचौपई......... १०६७ . प्रकरण ........ १०६८ .... ज्योतिषशास्त्रबालावबोध
..... रत्नमाला ......... १०००.... ग्रहदशा अन्तर्दशाफल........
1.१,२ पाना नथी
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३१६
ग्रंथांक
१०७१ कल्पान्तर्वाच्य...
----
१०७२ .... किरातार्जुनीय ऋषिमंडल सहवृत्ति
१०७३ १०७४
श्रीपालरास ....
----
१०७५ नवपदमहिमा
----
१०७६ नवतत्व सह बालावबोध
१०७७] ....
१०७८ ....
करमछत्रीसी
१०७९
विचारसंग्रह
१०८० ● महीपालकथा त्रुटिता
१०८१ विपाकसूत्र.
१०८२ उपासकदशांगसूत्र.
१०८३ ● उपासकसूत्र
१०८४ आचारांगसूत्र
१०८५ .... उपदेशमाला सह बालावबोध अने कथायें
www.
....
१०८६.... गजसुकुमालचीपई
१०८७....
वर्धमानदेशना
----
१०८८ त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र +
परिशिष्ठ पर्व
ग्रंथ नाम
----
१०८९ /A.. सूक्तमाला
१०८९ / B. कर्मग्रंथ एक थी चार
१०९० ● शीलोपदेशमाला
१०९१....
| कामघटमंत्रीकथा
१०९२ ऋषिमंडलसूत्र सहवृति १०९३ वाराही संहिता........ १०९४ आचारांगसूत्र सह टब्बार्थ
१०९५
सिद्धांतचंद्रिका
----
सिद्धहेमशब्दानुशासन सह बृहद्वृत्ति
wwww
----
कर्ता
यशोविजय
लालचंदगणि हेमचंद्राचार्य
रामचंद्र
शुभवर्धनगणि
हेमचंद्राचार्य
भाषा
संवत्
१७१४
१८५०
१६६८
१८९६
पत्र संख्या
........४२
.२४
३२३ (५२५)
.९७ .१०
.४४ (३५-७८)
१-१७८
३-६
.१०
.४९
१६
. २०
३
२ थी १८
१२५
. २३
900
.३०-१२३
२३-४०
.१५ ४ २-८
१५०
..९९
१०८
८३ (१२-१०२ )
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर सी.डी.
झेरोक्ष
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
. १०७७११११
. १०११. १०७९
१०८७ + १०८८
. १०८७ + १०८८
३२८
३२८
१०९३.३२८
अपूर्ण
अपूर्ण
पत्र २४०-४३७ नथी
अपूर्ण
अपूर्ण
अपूर्ण
पहेलु पानुं नथी . अपूर्ण
..
अपूर्ण
- प्रथम पानुं नथी
पहेलुं पानुं थी.
4-- पहेलु पानुं नथी
. अपूर्ण
.
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संवत
| पत्र संख्या |
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथात
विशेष नोध
...........अपूर्ण
.आ ग्रंथ छे के नहिं तेमां शंका छे.
१६ (१९-३४)
....
22ms
अपूर्ण अपूर्ण अपूर्ण
...............९९ थी ११०
........... ............. ५
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर [ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
भाषा १०९६ ....विक्रमसेनलीलावतीचौपई १०९७ .... कथासंग्रह १०९८ .
श्रमणश्रावकाचारविचार विक्रमसेनलीलावतीचौपई. क्षेत्रसमास ........ कल्याणमंदिरस्तोत्र ................. दुष्टग्रहयोगादि ................. सुभाषितसंग्रह ............
कल्पसुत्र सह अवचुरी................ .... कालज्ञान ......... .वंदारूवृत्ति ......
बोलसंग्रह २७ द्वारोंसे ... ..........
ऋषिमंडलस्तोत्र ... .... सारस्वतविभक्तिसमासवृत्ति ... १११०.... क्रियाकलाप .. ११११ .... पथ्यापथ्यविबोधक ......
नलदमयंतीरास............................-समयसुंदर ..... •नलदमयंतीरास................... .... ऋषभस्तवन सह बालावबोध ..............
बृहत्संग्रहणीसूत्र (श्री चन्द्रीय)............. श्रीचंद्रसूरि ..... शब्दकोश (अनिर्णित).................. पांडवचरित्र..........................
चित्रसेनपद्मावतीचौपइ ....................राजसिंह ....... १११९ जन्मपत्रिकापद्धति ................ ११२० ... शत्रुजय उद्धाररास ........................ऋषभदास ११२१ दानशीलतपभावनासंवाद .. ११२२ .... सप्तस्मरण ....
...............अपूर्ण
...............अपूर्ण ....१००१... ११६२.३२८ ....१०७७+११११.......................अपूर्ण
पहेलु पार्नु नथी अपूर्ण
अपूर्ण अपूर्ण अपूर्ण अपूर्ण प्रथम पांच पानां नथी अपूर्ण प्रथम दे पाना नथी अपूर्ण
१११८ ...
...........
1.अपूर्ण
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________________
३१८
ग्रंथांक
११२३ ... नवतत्त्व...
११२४ योगशास्त्र
११२५ बारभावना ११२६
११३३
|११३४
११३५
११३६
११३७
११३८
११३९
| ११२७
११२८.....
११२९ / A. सागरचंद्रमृगांकलेखाचरित्र.
११२९ / B. अंतकृत-अनुत्तरौपपातिक दशांगवृत्ति
११३०
११३१
११३२
गुणस्थान कर्मग्रंथ पार्श्वस्तवन
बालावबोध
अभिधानचिंतामणिटीका.
धर्मोपदेश.
www.
ग्रंथ नाम
+
गुणस्थानक्रमारोह सहवृत्ति.
ओघनियुक्तिवृत्ति
विचारसंग्रह
११४४ .... पुष्पमाला
११४५ पिंडविशुद्धि ११४६ हरिबलचीपई तीर्थंकरबोल
| ११४७
कल्पसूत्र सह टब्बार्थ कल्पसूत्र सह टब्बार्थ
कल्पसूत्र सह टब्बार्थ
सूत्रकृताङ्ग सह टब्बार्थ
-------
उपदेशमालाप्रकरण. पुरन्दरचौपई.
कुमारसंभव सह टीका
अजापुत्ररास
११४०....
११४१ हैमलिंगानुशासन सहवृत्ति.
११४२ • लघुसज्झायटीका.
११४३... कल्पान्तर्वाच्यबालावबोध
कर्ता
हेमचंद्राचार्य.
हेमचंद्राचार्य.
मलधारिहेमचंद्रसूरि
जितविजय
भाषा संवत्
१७९८
१७०१
१८२५
१६८८
पत्र संख्या
.१९
२९
१७६
.१६ २-२३ . १०
१४-२७
३-६६
५-११
. २९ .१२-१०७
.७१-१४९
५-७३
१२-२१
.....११
२०-३०
६-१५
.....११
४ ७
४-१९ ५
१२-२२
८-११
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर सी.डी.
झेरोक्ष
ग्रंथाग्र
विशेष नाँध
१००१... ११६२.३२८
१००१... ११६२.
३२९
नं. ९९९७
- प्रथम पार्नु नथी
अपूर्ण अपूर्ण
अपूर्ण
. अपूर्ण अपूर्ण
.
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________________
कता
-
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथान
विशेष नोंध
संवत् पत्र संख्या
...........१४ (४२-५६) .... १७९८
१८९९
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथ नाम
भाषा |११४८ . कल्पसूत्र पांचमी वाचना ....... ११४९ .... लघुसंग्रहणी श्रीचन्द्रीय .................. श्रीचंन्द्रसूरि .... ११५०....चमत्कारचिंतामणि+
भुवनदिपक अध्याय ज्योतिषशास्त्र ..... पद्मप्रभसूरि ११५१ .... हैमन्यास ...
हेमचंद्रसूरी ११५२ .... शीलोपदेशमाला + योगशास्त्र ....... अजयसिंहमुनि ११५३ .... कर्मग्रंथ एक थी चार सह टब्बार्थ ....... देवेन्द्रसूरि ११५४ ..... बनारसीविलास ....
समाधितंत्र सह बालावबोध .. महावीरचरित्रस्तवन .. आगमसार............. रत्नपालरास...............
मोहनविजय ...... द्वादशग्रहभावफल ११६०... संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)
श्रीचन्द्रसूरि कालसप्ततिका सहटब्बार्थ ११६२ .... हैमधातुपाठ सहवृत्ति ..... ११६३ .... बेलीकेसन रूक्मिणीरी.... ११६४ ....
सप्तस्मरण ११६५ .... उपदेशमाला + लघुशांति ११६६ .... सिंदूरपकर ....
..........सोमप्रभाचार्य. ११६७ .... चौवीसी. ११६८ .... षष्टिशतं सह स्तबक .. ११६९ .... कर्मग्रंथ १ थी ३ सह टब्बार्थ ११८०.... उपदेशसार ...... ११७१ .... साधुवंदना .......... ११७२ .... शालिभद्रचौपई....
हंसमनि ११७३ . शालिभद्रधनारास..
:
११६१ ...
:
...१००१...११६२...
VAR
..अपूर्ण प्रथम पत्र नथी. ...अपूर्ण
१७९९
१६७९
आ ग्रंथ छे के नहिं तेमा शंका छे,
For Private & Personal use only
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भाषा
संवतपन संख्या
झरोस -
सीडीप्रधान
तपागचा कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर • जैसलमेर
विशेष नोंध ........ प्रथम पार्नु नथी
1.अपूर्ण
.अपूर्ण
आ ग्रंथ छे के नहिं तेमा शंका छे. ..आ ग्रंथ के के नहिं तेमा शंका छे.
..अपूर्ण
....अपूर्ण
३२० ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम ११७४ ... विद्यासारगील .....
विद्यासागरउपाध्याय ११७५ .... नलदमयंतीरास...... ११७६ .... आवश्यकसूत्राणि (डिझाईन) ११७७ ..... ऋऋषिमंडलसूत्र ......... ११७८ ....
ऋषिमंडलसूत्र
नवतत्वबालावबोध ११८० . भगवतीबोलसंग्रह ११८१ .... उत्तराध्ययनसज्झायो.......... ११८२....बारभावना .............. ११८३ .... योगशास्त्र........... ११८४ .... जीवाजीवविचार ...............
आवश्यकसूत्राणि अने पाठ ............... गुरुवंदनप्रत्याख्यानभाष्य ................
प्रतिक्रमणसूत्र...... .... महावीरचरित्रस्तवन .......
प्रतिमापूजाबृहदास .... चौवीसी.
............... शांतिविजय ११९१ . प्रतिमापूजा ............. ११९२ ...- वसुदेवकुमारचीपई .................... ११९३ ...- स्थुलिभद्रफाग .............................. ११९४ . स्तुतिस्तवन ........................ ११९५ .... दशआश्चर्यकल्पसूत्रवाचना ............. ११९६ .... [सिंदूरकर ............ ११९७ .... शत्रुजय उद्धाररास ....... ११९८ .... कठियाराकान्हडरास....... ११९९ .... पर्युषणा अष्टानिकाव्याख्यान १२०० . स्तोत्रप्रकरण.........
११८५ ....
........... १८४२ ................ १६९८
............. १६१२
4JDWma
........आ ग्रंथ छे के नहिं तेमा शंका छे. ......अपूर्ण
..पत्र २, ३ नथी
११९० ....
............
..आ ग्रंथ छे के नहिं तेमा शंका छे. ..४, ५, ६.७.१० पानां नथी
"अपूर्ण
....आ ग्रंथ के के नहिं तेमा शंका छे.
२-५
..............अपूर्ण .............आ ग्रंथ
के नर्हि तेमा शंका है.
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________________
संवत्
। पत्र संख्या |
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथान |
विशेष नोंध
....आ ग्रंथ छे के नहिं तेमां शंका छे. ....आ ग्रंथ छे के नहिं तेमा शंका छे.
...........अपूर्ण
...आ ग्रंथ छे के नहिं तेमा शंका छे. ...पान नं. नथी
૧૮૬ १८६६
अपूर्ण १.६. १४ पानां नथी प्रथम पार्नु नथी
तपागक कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांक 1 ग्रंथर्नु नाम ।
कर्ता भाषा १२०१ .... श्रावक आराधना..............
आराधनाप्रकरण ........ पच्चखाण....
................. दशकालिकसूत्र सह बालावबोध ........................... कामघटकथा ..... शतकत्रय सह टब्बार्थ ..................... भर्तृहरि ...... साधुबंदना.............
तिलकसिंह .... उत्तराध्ययनसूत्र सहटबार्थ ............ बनारसीविलास ......... मेघदूतकाव्य......
कालिदास ... भक्तामरसूत्र सहवृत्ति ......
मानतुंगसूरि उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति, सागरचंद्रकमलामेलाचौपई ............. पर्युषणा अष्टानिकाव्याख्यान .........
प्रवचनसारोद्धार ................. १२१६ .... सिंदूरप्रकर सुभाषित ................. १२१७ .... सारस्वतसूत्रवृत्ति १२१८.नवतत्वमाला ........ १२१९ . अंतगडवृत्ति ..........
तीर्थकरबोल ...... कर्मग्रंथ १ थी ३...
विक्रमचरित्र ... .... शालिभद्रचौपई.. १२२४ .... तपविधि.
.... सिंदूरप्रकर सह वृत्ति
.... उत्तराध्ययनसूत्र १२२७ .... हैमउणादि गणविवरण..
विजयशेवर..
૧૮
अपूर्ण
...........१७७८
........१७-२८
....रजुं पार्नु नथी (ग्रंथ छे के नहिं शंका छे.)
१२५६--
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________________
३२२
ग्रंथांक
१२२८ • पर्युषणासमाचारी
१२२९ शत्रुंजयरास
उपदेशमाला
१२३०.... १२३१ श्रावक अतिचार
१२३२ सिंदूरकर सह बालावबोध
१२३३ ऋषभस्तवन
उपासकदशांगसूत्र.
१२३४ १२३५ सम्यक्त्व अधिकार
१२३६ १२३७ नयविवरण
१२३९ १२४०
१२३८ कल्पसूत्र सह टब्बार्थ व व्याख्यान अनुयोगद्वारसूत्र सह बालावबोध अनुयोगद्वारसूत्र.
१२४१ अनुयोगद्वारसूत्र सह बालावबोध
नीतिशतक
----
१२५२
१२५३
१२५४
----
....
----
----
....
----
----
ग्रंथ नाम
सारस्वतव्याख्या (क्षेमंकरी टीका)
१२४२ ....
१२४३ सौभाग्यपंचमीव्याख्यान
१२४४ नयचक्र सह बालावबोध
१२४५ .... हरिवंशप्रबंध
१२४६ .... शीलांगरथ
१२४७ कर्मग्रंथ पांचथी छ सह टब्बार्थ
१२४८
१२४९
१२५०
१२५१
-------
दशवैकालिकसूत्र सह टब्बार्थ वृत्ति मौनएकादशीव्याख्यान सह टब्बार्थ. प्रस्ताविकश्लोकसंग्रह.
| सारस्वतप्रक्रियाबालावबोध
| मारवाडतीर्थवर्णन.
प्रियंकरनृपकथा..
राजप्रश्नीय सह टब्बार्थ
कर्ता
भर्तृहरि
कनककुशल
ढालसागर
भाषा
संवत्
१९१३
१८७७
१५७६
पत्र संख्या
६
४
१०
५
९
७-१२
. २७
દ
७०
8
.६२
.३० .३३
२
३४-३९ १५-३५
.. ६६ ८ 30-02
.१०
.११
१६
१२
३ ८-३७
. २३
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर
झेरोक्ष
विशेष नोंध
सी.डी.
१२३७ ३२९
१२२५... १२५६
ग्रंथाग्र
प्रथम पानु नथी
३. ४ पानां नथी
.. प्रथम पानुं नथी अपूर्ण
. अपूर्ण
. अपूर्ण
. अपूर्ण
अपूर्ण
अपूर्ण
उधई खाई गयेल छे. अपूर्ण..
५ थी ७ पानां नथी
अपूर्ण
. अपूर्ण. थोडो खवाई गयो छे.
.
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________________
संवत् । पत्र संख्या | झेरोक्ष सी .डी. ग्रंथान ।
विशेष नोंघ
............ पानांनं. नथी ...........................९६ ....... १२२५...१२५६ --- ३२९ /............. ........१८-२२
T "
:
१२५८ ....
३-१४ ....४
अपूर्ण
...............३० ...................११
..............१०
अपूर्ण खवाई गयो छे. अपूर्ण. अपूर्ण पानां नं. नथी .२९, ३१, १००, ११० पानां छे
.....१२६६ + १२७०...३२९
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर · जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथन नाम
| कर्ता भाषा | •साधुसमाचारी.. १२५६ ....
समयसार सह आत्मख्यातिवृत्ति .................. १२५७ ....
दशवैकालिकसूत्र
द्रव्यनयका ग्रंथ .. १२५९ .... नवतत्त्वसहवृत्ति ................... १२६० .... प्रतिष्ठाविधि
अमरकोशनामलिंगानुशासन ............... १२६२ .... चैत्यवंदनभाष्य टब्बार्थ विधि .............. १२६३ .... आवश्यकसूत्राणि व पाठ....................... १२६४ चैत्यवंदनादिसूत्र ....................... १२६५ .... ब्रह्मविलास ............ १२६६ .... त्रिषष्ठी शलाका पुरुष चरित्र पर्व ८ ... १२६७ .... नैषधचरित्रदीपिका .. १२६८/A ... पाक्षिक सूत्र + अविचार +
पच्चक्खाण विधि... १२६८/० .. सिंदूरप्रकर ......... १२६९ .... मृगावतीचौपई ............................................. १२७० .... प्रश्नोत्तरी................. १२७१/A ... दान-शील-तप-भावनासंवाद ................................ १२७१/B... द्वात्रिंशिका ............... १२७२ .... उपदेशमाला ..... १३७३ ....गीतगोविंद, १२७४ ....पिंडविशुद्धि सह टब्बार्थ ...... |१२७५ पिंडविशुद्धि १२७६/A --- अजितशांतिस्तवन .... १२७६/B... तीर्थस्तोत्रार्थवर्णन .... १२७७ पिंडविशुद्धि....
१-७१
..अपूर्ण
...१०
...........१, ४, ५, ६, १० पानां नथी
१८२०
.......१२६६ + १२७०
१६६६
............. पलळी गई छे
१६५४..........६-१४
..पानां नं. नथी
१६५६
।.पानांनं. नथी
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३२४
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर | ग्रंथांक ग्रंथन नाम
भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी.
विशेष नोंघ १२७८ ....नवतत्त्व बालावबोध............
.................... १९३४ .......... १२७९ कल्याणमंदिरस्तोत्र.............. १२८० ..... सौभाग्यपंचमीस्तवन ................. १२८१ .... प्रत्याख्यान पाठ ................. १२८२ ....बोलथोकडा भंगसंग्रह ........... १२८३ .... वीसस्थानकतपविधि .............. १२८४ .... बनारसीविलास ...... १२८५/A .. पद्मावती आराधना ...... १२८५/B.. पुण्यप्रकाशस्तवन... १२८६ .... कर्मग्रंथ पंचम (नवीन) सह स्तबक १२८७ .... कल्पसूत्रवृत्ति १२८८ ... चउक्कषायसज्झाय
गौतमकुलक सह टब्बार्थ नवतत्व सह बालावबोध गुणस्थान उपशम भावविचार ..... भक्ष्याभक्ष्यविचार विचारसंग्रह .................... कर्मबंधहेतु त्रिभंगीस्तोत्र ................ कर्मप्रकृतिबंधहेतु ...................... आवश्यकवृत्ति (वंदारु)..............
उत्तराध्ययननियुक्ति ......................... १२९८ .... नेमिचरित्र .......................................... १२९९ .... श्रमण अतिचार........................................ १३०० .... बोलविचार उद्धरण त्रूटक पत्रो....................... १३०१ ....सिन्दुरप्रकर सह वृत्ति .............. १३०२ .... स्फूट अपूर्ण लघुग्रंथ अने त्रुटक पाना ..... १३०३ ... सौभाग्यपंचमी व्याख्यान सह टब्बार्थ ................... १. ग्रंथांक १२७५ से आगेकी सब प्रविष्टियों पुराने सूचीपत्र के अंतिम ग्रंथांक १२७८ से आगे जो तपागच्छके अतिरिक्त पंथ मिले उन्हें नये क्रमांक देकर जोडी गयी है।
SAHAARAANEMAMMGww
...............
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेर ग्रंथ नाम
ग्रंथांक
कर्ता
१३०४
9304.... १३०६
१३०७ नवकार (बालावबोध) टीका १३०८ नवतत्त्व सहवृत्ति (अपूर्ण) नवतत्त्ववालावबोध
| १३०९
१३१०. श्रीपालरास
HAND
www.
१३१९
१३२०
१३२१
....
१३११
श्रमणश्रावकाचारविचार दीपावलीकल्प
| १३१२.
| १३१३ संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)
१३१४
---
स्फूट स्तवन स्तुति स्तोत्र अने लघुग्रंथ भक्तामरस्तोत्र + कल्याणमंदिर भक्तामरस्तोत्र आदि
www.
१३१५
१३१६
१३१७ सप्तस्मरण
१३१८ ऐतिहासिक आदि वृत्तांत स्फूट पन्ना
----
प्रत्याख्यानपाठ
प्रतिष्ठाविधि
प्रतिक्रमणविधि
अने लघुग्रंथ..
कायस्थिति स्तोत्र सह बालावबोध
मौनएकादशीस्तवन
मौनऐकादशीगुणनां
सिद्धान्तोक्तविचार गाथा
१३२२....
१३२३.... सकलार्हतृस्तोत्र
१३२४ .... कल्पसूत्र सह टब्वार्थ अने व्याख्यान
१३२५ मौनएकादशीगुणना.
पुष्पमालाबालावबोध (जीर्ण)
१३२६ १३२७... आवश्यक ( वन्दारु) वृत्ति १३२८. श्रावकपाक्षिक अतिचार १३२९. प्रवचनसारोद्धार
श्रीचंद्रसूरि
भाषा
संवत्
पत्र संख्या
५७
وا
५
४
.३०
१०
१६
४
८
३
१
३
१७
५
.१४
३
3
३
१८३ 3
१२ (९९-११०)
७
७५
झेरोक्ष
सी.डी.
ग्रंथाग्र
विशेष नोंध
३२५
.
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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
भाषा
. संबत
पत्र संख्या
ર૬ ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम १३३०/A --आवकप्रतिक्रमणसूत्र ...... १३३०/8- सप्तस्मरण .............. १३३१ .... चतुर्विधधर्म + मेरुत्रयोदशी • दीपावली गुणना १३३२ ....
कल्पसूत्र सह बालावबोध ..... जैसलमेर अष्टचैत्यजिनस्तवनम् ...
चतुर्विशतिजिनस्तोत्र........ १३३५ .... उत्तराध्ययन सुखबोधाटीका ..... १३३६ ... शनीश्वरकथा + सकलाहतस्तोत्र, १३३७ .... न्यायप्रथ........
१३३३ ....
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________________
परिशिष्ट १.३२७
भंडार
ग्रंथांक ।
नामा ग्रंथांक
संख्या
• अंगविद्या
FEEEEEEEE
परिशिष्ट १ : जैसलमेर के सर्व ग्रंथभंडारों के ताडपत्रीय तथा कागज के ग्रंथों का अकारादिक्रम
कर्ता
| संवत्
पत्र ग्रंथर्नु नाम
भंडार
ग्रंथनुं नाम संख्या नामा ग्रंथांक |
संवत
कर्ता डूं.का. २५९ अंगधूलिका. ............... विनयरंग...... १५ जि.ता.२०/२ -अंतकृदशांगसूत्र.
१९.३७ जि.ता,४१४ अंगविज्जा प्रथमखंड
जि.का १७/२ -अंतकृदशांगसूत्र..
सुधर्मास्वामी एकत्रीस अध्यायपर्यंत
१४०० का ८२/३ 0 अंतकृदशांगसूत्र..
सुधर्मास्वामी .......... था.का.६४
महिमासुंदर गणि ........
.१६६९
..३३२ जि.का ०३४ अंतकृदशांगसूत्र जि.ता. १४९ अंगविद्याप्रकीर्णक...
.१४८८
९४२ अंतकृदशांगसूत्र...... जि.का ११०० अंगविद्याप्रकीर्णक ..
.१९८४
CG जि.का १३८० -अंतकृदशांगसूत्र त.का. २१४ अंगुलसप्ततिका+जीवाकारविचार चंद्रमुनि
जि.का ४७०
अंतकृदशांगसूत्र वृत्तिसह त्रिपाठ सुधर्मास्वामी -मू.क., डूं.का. ३४० अंजनासुंदरी चौपई ........... जीवणजी पं.ले. ..१७९४
वृ.क.अभयदेवसूरि .. इं.का. १०८२ अंजनासुंदरी चौपई.
भुवनकीर्ति ..१७६६
२२६० अंतकृदशांगसूत्रवृत्ति ....... अभयदेवसूरि.. जि.का १२७८ अंजनासुंदरीकथानक .........
१७८-१८९ गुणसमृद्धि महत्तरा .......... १४०७
१९/३ - अंतकृशांगसूत्रवृत्ति ...... अभयदेवाचार्य. त.का. ७१८ अंजनासुंदरीचौपाई
२३/२ - अंतकृदशांगसूत्रवृत्ति
अभयदेवाचार्य जि.का १९८४
-अंतकृदशांगसूत्रवृत्ति
अभयदेवाचार्य. अंजनासुंदरीपवनंजयकुमाररास . पुण्यसागर लों का ३७४ अंजनासुंदरीचौपई .............
जि.का १८/२ -अंतकृदशांगसूत्रवृत्ति
अभयदेवसूरि ... पुण्य सागर .................
१६८२ लों का ३०९
आ.का ४५ अंजनासुंदरीचौपई त्रूटक ......
| अंतकृद्दशांगसूत्र .. डूं.का. ३०२ अंजनासुंदरी कथा
हर्षकिर्तीगणि-ले.
त.का. १२२ अंतगडदशांगवृत्ति ...... गाण-ले..............१६७४
अंतगडदशांगसूत्र .... जि.का १२७३ अंतःकरणप्रबोधवृत्ति
१२१९ अंतगडवृत्ति ....... अंतकृत-अनुतरोपपातिक .... त.का.|११२९/०
अंतरिक्षपार्श्वनाथस्तयन .........सुमति दशांगवृत्ति
त.का.८६९ - अंतरीक्षपार्श्वनाथस्तवन .. इं.का. ६६८
२०६७
अंतर्दशाकोष्टक .... १११० अंतकृतदशांग सूत्र .......
जि.ता.२२/७
• अंतकृदशांगसूत्र... १११४ अंतकृतदशांगवृत्ति ........... ज्ञानहर्षमुनि
1.का.१८१
अंतकृदशांग वृत्ति ....... १११५ अंतकृतदशांगसूत्र सह वृत्ति ...
१७ अंतकृदशांगसूत्र सह वृत्ति, आ.का. १७० अंतकृत्दशांगसूत्र......
त.का. ३५४ 0 अंतरीक्षपार्श्वनाथ छंद ...... भावविजय ... आ.का २५७ अंतकृत् + अनुत्तरौपावातिक +
त.का. ३६५ अंबडकथा ....
अमरसुंदर प्रश्नव्याकरण विपाकवृत्ति ...........
डूं.का. ७२ . अंबडचरित्र .....
मुनिरत्नसूरि .. जि.ता.२१/२ अंतकृदशांगवृत्ति ................. अभयदेवाचार्य ..
डूं.का.२७८
अंबडचरित्र.... १.. यह निशान वाले ग्रंथो की सी.डी. और फोटोस्टेट दोनों कीये है। यह निशान वाले ग्रंथोंकी सिर्फ फोटोस्टेट की गई है। यह निशानवाले ग्रंथोकी सिर्फ सी डी.की गई है। यह निशान वाले ग्रंथ ग्रंथ-भंडारमें विद्यमान नहीं है।
१-१५
वल्लभ
RERE
FREE
आ.का
ठाकर-ले.
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________________
३२८ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
नाम
जि.का १६५३ जि.का. २००१
त. का. ३०६
डूं. का. ४५९
डूं. का. ५३०
डूं. का. ९३१
त. का. ३२९
डूं. का. १२९१/१
आ. का. १९८
लॉ का ६३८
लों का, ३८९ जि.का २२०१ त. का. ३१८
त. का. ५९८ / A
आ. का. २५२
त. का. ७३९
ग्रंथनुं नाम
अंबडचरित्र गद्य पत्र अइमत्तामुनिचोढालियु अक्षतृतीया अक्षयतृतीया
अक्षयतृतीया व्याख्यान
अक्षयतृतीया व्याख्यान
अक्षयतृतीया समुच्चय व्याख्यान अक्षयतृतीयादिपर्व व्याख्यान + नवतत्वसह बालावबोध
अक्षयतृतीयाव्याख्यान अक्षयतृतीयाव्याख्यान अक्षयतृतीयाव्याख्यान अगडदत्तकथा..
[D] अगडदत्तकथा
अग्यारह उपासकप्रतिमा
अङ्गचूलिका
अचलदासखिची री बात
त. का. ११४०
डूं. का. ३६२
जि.का १६२६/१० अजितशांति
अजितशांति
जि.का २१६०/८ जि.का. १६२५/५
अजितशांति
जि.का १३२६ / २२० अजितशांतिजिनस्तोत्र
जि.का २१२०/६० अजितशांतिवृत्ति
जि. ता. १५६/२० ● अजितशांतिस्तव जि.का १३३/१० अजितशांतिस्तव जि.का १३१७/२१० अजितशांतिस्तव
जि.का १६९५
अजितशांतिस्तव
अजापुत्ररास
अजित शान्तिवृद्धिस्तवन
अमरसुंदर नयरंग
राजमूर्ति
कर्ता
क्षमाकल्याण
मेरुनंद उपाध्याय नंदिषेण
नंदिषेण
नंदिषेण
जनप्रभसूरि जिनवल्लभसूरि
नंदिषेण
नंदिषेण
नंदिषेण
संवत्
१८३२
पत्र संख्या
------
भंडार
नाम
३१ त. का. ४९५ .........२ जि. का १६२३
ग्रंथांक
लों का ३६६ ६थी १३ त.का. ९६४ ७थी२० त.का. १२७६/A लों का ५८६ जि.का १६२२
१५ जि. ता. १५४ / ९ ...३ जि. ता. १५८/११ .१८ जि. ता. १५९/१२ .१-२ जि.का १३१६ / ३ .७ जि.का १६९३/७
.५ जि.का. ११४७
१३६५
. ११९२...
.७
१३
त. का. १६९
.९
लो. का. ५६५
६-१५ जि. ता. १५६ / ३८
१० आ.का. २२९ १-४ हूं. का. ११६७ ४४-४९ जि.का. १९५१/११ ५-११ आ. का २८५ २२४-२३० आ.का. १३२ १८- २७ हूं. का. १०१२ ९०-९२ त. का. ४७६ १८-२० १७०-१७४
त. का. ४७९
जि. का ६४९
३ लो. का, २०९
ग्रंथनुं नाम
अजितशांतिस्तव सह टब्बार्थ ● अजितशांतिस्तव सावचूरिक पंचपाठ
| अजितशांतिस्तवन अजितशांतिस्तवन अजितशांतिस्तवन अजितशांतिस्तवन सह टब्बार्थ • अजितशांतिस्तवावचूरि
• अजितशांतिस्तोत्र अजितशांतिस्तोत्र अजितशांतिस्तोत्र अजितशांतिस्तोत्र ० अजितशांतिस्तोत्र अजितशांतिस्तोत्र तथा गोडीपार्श्वनाथस्तवन आदि अजितशांतिरतव सह अवचूरि अजितशांतिस्तवन जीर्ण
० अजितशान्तिस्तोत्र अजितशान्तिस्तव अजितशांतिस्तवन बालावबोध अजीवकल्प अट्ठाइसलब्धि स्तवन
नंदिषेण
अठ्ठाइ व्याख्यान..
अठ्ठारहपापस्थानक सज्झाय... अट्ठारहपापस्थानसज्झाय अठारपापस्थानकभास
अढारनातरांनी सज्झाय
गोपालचंद
नंदिषेण
नंदिषेण
नंदिषेण
नन्दिषेण
कर्ता
नंदिषेण
नंदिषेण
अठारहपापस्थानक सज्झाय जशविजय
मुणचंद्रजी जशविजय
मनरूपविजय ब्रह्मकवि
संवत्
१८७०
१६५६
१२१० १४००
११९२
पत्र
संख्या
१९३८
. १९०५
१८५८
. १६६८
. १३४५१५८-१६७
. १३३४ १९६-२०२
७-१४
११
१-७ 3 ६-१४
१-११ ....... C ७०-७५ १३१-१३६
----
५ .६ १-५
५-१०
..3
१४
६३-६४ १
.५
२०
१०
१४
२-८
१-३
.
Page #377
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________________
भंडारा
पत्र
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथांक
संख्या
नाम
ग्रंथांक
माम
..--...१७२९
त.का. १०३२ इं.का. ३३४ लो.का ५००/B त.का. १२२ इं.का. ५४९ जि.ता २८३ जि.का १३२ त.का. १२६८/ जि.का १९२५
UMAN
9103
१.१९८३
हर्षवर्धन ....
य
..१६९
............१२८२
...१-२१
....
८६
था.का.४४७ जि.ता,२४९/१ जि.ता.२७०/३ जि.का १२६ लों का ४९८
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३२९ ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत्
ग्रंथतुं नाम
कर्ता | संवत् । पत्र अढारपापस्थानक ................
जि.का ११०२ अध्यात्मस्तुति सस्तबक अळीद्वीप स्तवन................. धर्मसिंह
(उठी सवेरा सामायिक लीy)... भावप्रभसूरि अणगोस अधिकार ........
अध्यात्मकल्पद्रुम................ मुनिसुंदरसूरि .. अणुत्तरोववाइदशांगवृत्ति .........
| अध्यात्मद्वात्रिंशिका ......... अणुत्तरोववाई टब्बार्थ .............
अध्यात्मबत्तीसी.... अणुव्रतविधि..............
अध्यात्मबहुत्तरी.............. आनंदघनजी ० अणुब्बयविहि
अध्यात्मविद्योपदेश ......... शंकराचार्य .. अतिचार
| सह बालावबोध अतिचारनी आठगाथा ......
अध्यात्मबिन्दु सटीक त्रिपाठ
|८४६ अध्यात्मकल्पद्रुम.............
मुनिसुंदरसूरि ... अतिमुक्तकगीत नयरंगमुनि जि.ता.३५५ अनर्घराघवनाटक
मुरारि कवि
..१४०० अतिमुक्तकचरित्र................- पूर्णभद्रगणि...
जि.का २५३ अनर्घराघवनाटक
मुरारि कवि .............. ..१३७५ अतिमुक्तकचरित्र ................. पूर्णभद्र.......................१२८२१ ३२९-३४७ |जि.ता, ३५६० अनर्धराघवनाटक टिप्पनक .. मलधारी नरचंद्रसूरि ...... ....१४०० ...२०३ अतिमुक्तकचरित्र पद्य ........... पूर्णभद्रगणि...................१९८३
जि.का ५११/१ अनाथीमुनिसंधि
विमलविनय..................१६४७ अतिमुक्तककुमारचौपई..........नारायणमुनि .............. र.१६८३
त.का. ३५२ अनाथीमुनिसंधी ..
विमलविनय........ .ले.१७३७
जि.का १०७४ 0 अनाथीमुनिसज्झाय ......... समयसुंदर .............. अध्यात्मकल्दुमसटीक त्रिपाठ... मुनिसुंदरसुरि-मू.टी.क. र.१६७२
जि.का २२३६/५ अनाथीमुनिसज्झाय ......... अनाथीमुनिसज्ड
अभयचंद्र .... वाचकरत्नचंद्र ............ले.१६७४
था.का. ३७१
अनाथीमुनिसंधि ............. नयरंगमुनि अध्यात्मकल्पद्रुम ......
जि.का ८०८/
३ ० अनाथीसंधि ............... विमलविनय.. अध्यात्मकल्पद्रुम तथा........... मुनिसुन्दरसूरि,
लो.का ३५० अनाथीसाधुसंधि
विमलविनय...... अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिशिका ..... अ.द्वा.क.हेमचन्द्राचार्य
लो.का ५१८ अनाथीसंधि
विमलविनय........ अध्यात्मकल्पद्रुम सटीक त्रिपाठ मुनिसुंदरसूरि ............. र.१६७२ लों.का ६३९ अनाथीसाधुसंधि ...... विमलविनय....
. १-५ ले.१६७४ | जि.का ४२०/४३
अनादिबत्रीसी................ भया .................... ....१७५०/...९१-९२ अध्यात्मकल्पद्रुम सह वृत्ति .........
डूं.का. ५४४ अनानुपूर्वी नवकार ........ अध्यात्मकल्पदुमवृत्ति .. ...........रत्मचंद्रगणि-वृ............... १६७४
डूं.का. १७१ | अनिट् कारिका... अध्यात्मगीत.......
जि.का १८०९ अनिट्कारिका सटीक त्रिपाठ .. अध्यात्मपदावली - ज्ञानसार ..
| जि.का १८०९ अनिट्कारिका सटीक त्रिपाठ .. अध्यात्मपयडीछत्रीसी ........... बनारसीदास . |त.का. ५१८ अनिट्कारिकार्थ.
....१९१५
|जि.का १५८७
आ.का.२२७ जि.का. १९२०
१६४७
१६४७
जि.का १५८७
....३२
डूं.का. ७०३ जि.का ७७२ जि.का ७०७ डूं.का. |१४६ |जि.का १०३७/२
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________________
कर्ता
I
संवत्
भंडार| ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
कर्ता
संवत् | संख्या
संख्या नाम
.....
.....
१८९-१९३
३१-३४
३३०. सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम नाम डूं.का. १३२५ अनिट्कारिका अवचूरि सह ......... डूं.का. १२८५ | अनिट्कारिका व्याख्या सह डूं.का. ८५
अनिट्सेट् धातु कारिका .........हर्षकीर्तिसूरि ............. लों का ६२४ अनित्यकथा ... जि.का १७५६ अनिट्कारिका ................ डूं.का. ६६८ अनुतरोपपातिकदशांगवृत्ति ........................... आ.का ३४३ अनुत्तरोपपातिक सूत्र ......... जि.का २३४ ० अनुत्तरोबवाइयसूत्रवृत्ति बेटक .--अभयदेवसूरि डूं.का. ४२९ अनुत्तरोववाई ...............
अनुत्तरोपपातिकदशांग सूत्र .............. त.का. ४६ अनुत्तरीपपातिकदशांग सूत्र ......
सह टब्बार्थ
अनुत्तरीपपातिकदशांगवृत्ति ..... अभयदेवाचार्य था.का १७२ अनुत्तरीपपातिकदांगवृत्ति .. जि.ता. २०/३ ० अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र .... जि.ता. २२/८ ०अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र ..... जि.का १७/३ • अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र .......
सुधर्मास्वामी जि.का ८२/३ अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र ....... सुधर्मास्वामी जि.का ७९० अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र ....... जि.का १०८६ ० अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र .............
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र.......
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र ...... सुधर्मास्थान लों.का. १५७ अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र...... आ.का १५२ अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र ...... आ.का, ३२३ अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र......
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र ....... सुधांगणधर अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र मूल. सुधर्मास्वामी
..२||जि.का ८७८० अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र वृत्तिसह पंचपाठ
अभयदेवसूरि-व जि.का ९८३ अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र..
..........१९२४ सस्तबक अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र ....... सुधर्मागणधर .. सह टबार्थ
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्रवृत्ति . अभयदेवसूरि २||जि.ता.१९/४ ०अनुतरौपपातिकदशांगसूत्रवृत्ति
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्रवृत्ति . अभयदेयाचार्य ...... ५] जि.का १२२७ अनुत्तरौपपातिकसूत्र .. १०||त.का. ४० अनुत्तरौपपातिकसूत्र टब्बा ....... सुधर्मा गणधर ...............१९०८
___Dअनुतरोपपातिकसूत्र वृत्ति ........ अभयदेवसूरि-वृ.
अनुत्तरौपपातिकसूत्रवृत्ति ....... अभयदेवसूरि-वृ. - आ.का.२५७ अनुत्तरौपपातिक ... ३७-४१
अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र ...... २३-२२८
सह टब्बार्थ १७-१९
अनुयोगद्वार त्रूटक .... ... ३१-३५
अनुयोगद्वार बालावबोध ......... आर्यरक्षित ...................... अनुयोगद्वार सह व्याख्यान मूल ... आर्यरक्षित ...
अनुयोगद्वार सह व्याख्यान मूल... आर्यरक्षित....... ० अनुयोगद्धारचूर्णी ................ जिनदासगणि महत्तर ...
अनुयोगद्वारसूत्र... ५० ० अनुयोगद्वारसूत्र ................. आर्यरक्षितसूरि
.......
LEEEEEEE __EEEEEEE
...१-१३
...१९८३
.....१-४ ....१.१८३
--१-५०
१-
४
न
१- ६ १८(८८४
९०१)
जि.का. जि.का २२००
अनुयोगद्वारसूत्र अनुयोगद्वारसूत्र अनुयोगद्वारसूत्र अपूर्ण
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________________
भंडार
ग्रंथांक
जि.का ६५९
जि.ता. ४१०/३
ता.७२/२
जि.ता.८१ था.का २८२
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३३१ ग्रंथर्नु नाम
पत्र पत्र संवत् ।
भंडार| ग्रंथांक | संख्या नाम ग्रंथर्नु नाम
|सवत् । संख्या अनुयोगद्वारसूत्र बालायबोधसह.......
...... ८५% जि.का ११९८ अनेक ग्रंथोनां प्रकीर्णक आदि त्रिपाठ
अंत वगेरेनां पानां... . अनुयोगद्वारसूत्रचूर्णी ............ जिनदासगणि महत्तर ........१३००/२२४-२७५ जि.का १३३० अनेक ग्रंथोनां अने स्तवन . अनुयोगद्वारसूत्रलघुवृत्ति......... हरिभद्र आचार्य .............१५००/-.६७-१६३
सज्झाय आदिनां प्रकीर्णक पाना अनुयोगद्वारसूत्रलधुवृत्ति.. हरिभद्रसूरि ................... .३१(९५६-जि.का ११०५ अनेकविचारसंग्रह ...... .. ९८६) जि.का २०७४ अनेकविचारसंग्रह ................ रत्नसूरि ....................
...............१६१६ अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति ............. मलधारी हेमचंद्रसूरि ........१४००, ......१८१ | जि.का
अनेकविचारसंग्रह ..... ० अनुयोगदारसूत्रवृत्ति............. मलधारी हेमचंद्रसूरि .........१४८९.५४(९०२- जि.का १५४० अनेकांतजयपताकावृत्तिटिप्पनक मुनिचंद्रसूरि ................ ...१९८४
.... ९५५) जि.ता/३६२ ०अनेकांतजयपताका टिप्पनक... मुनिचंद्रसूरि ..................११७१ ० अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति किंचिदपूर्ण मलधारी हेमचंद्रसूरि .........१५०० ......१९४| डूं.का. ३६४ अनेकार्थ नाममाला ............... ० अनुयोगद्वारवृत्ति .................. |मलधारी हेमचंद्रसूरि .................... १३५||.का. ११०३ ०अनेकार्थ शब्द संग्रह ............ हेमचंद्राचार्य ..................१६४७ • अनुयोगद्वारवृत्ति .................. मलधारी हेमचंद्रसूरि ......................१५३ जि.का १३८ ०अनेकार्थकोश अनुयोगद्वारसूत्र .................
..६१
अनेकार्थकरवाकरकौमुदीटीकायुक्त | हेमचंद्रसूरि -मू.. अनुयोगद्वारसूत्र ................. विशालकीर्ति मुनि-ले. ......१६६६
तृतीय खंड
टी.क.महेंद्रसूरि. ..............१९८३ |.......५२ अनुयोगद्वारसूत्र ..............
जि.का १८१६ अनेकार्थतिलक अनुयोगद्वारसूत्र .................मलधारी हेमचंद्रसूरि
जि.का २२२१/४ ० अनेकार्थतिलककोश
महीप
२४-३२ अनुयोगद्वारसूत्र ......
अनेकार्थतिलकनाममाला ........ महिप .............. अनुयोगद्वारसूत्र सह बालावबोध
अनेकार्थध्वनिमंजरी अपूर्ण.
४-१० अनुयोगद्वारसूत्र सह बालावबोध
५४१ ०अनेकार्थध्वनिमंजरी-शब्दरत्नप्रदीप अनेक ग्रंथो अने स्तवन सज्झाय
५८३ ०अनेकार्थनाममाला वृत्तिसह .... | हेमचद्रसूरि -मू.क.. आदिनां प्रकीर्णक पान...........
|पंचपाठ अपूर्ण .............. पू.क.महद्रसार .......................... २२८ अनेक ग्रंथो अने स्तवन, सज्झाय
जि.का १८९७ अनेकार्थनाममालाभाषा नंददास . आदिनां प्रकीर्णक पान.....
जि.का ९९३ ० अनेकार्थतिलक
महीप
.....१७१५ ...... ३८ अनेक ग्रंथोनां अने स्तवन सज्झार्य
त.का. ५७६ ० अनेकार्थध्वनिमंजरी..... हेमआचार्य आदिना प्रकीर्णक पाना
(शब्दरत्नप्रदीप) अनेक ग्रंथोनां अने स्तवन राज्झाय त.का. ५८० ० अनेकार्थशब्दसंग्रह ....
.......३४ आदिनां प्रकीर्णक पाना ...... डूं.का. ५५३ ० अनेकार्थसंग्रहटीको .
....१६४६ .......२२९
डूं.का. १७९ डूं.का. |२५४ था.का २८३
..१७८१
जि.का २२५४
जि.का १३२८
जि.का १३२९
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________________
संवत्
...............
१८१८
जि.का १७६
३३२ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम · परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता नाम था.का. १७२ अन्तकृत तथा .....
अनुत्तरौपपातिकदशांग वृत्ति अन्तकृदशांगसूत्र ...... सुधर्मा गणधर अन्तकृदशांगसूत्र
सुधर्मा गणधर. अन्तकृदशांगसूत्र .... सुधर्मा गणधर .... अन्तकृशांगसूत्र ........ सुधर्मा गणधर ....... अन्तकृद्दशांगसूत्र ........ सुधर्मा गणधर ............. अन्तकृदशांगसूत्र ....... सुधर्मा गणधर ..
अन्तकृदशांगसूत्रवृत्ति ........ |सुधर्मास्वामी. लों का ३६ अन्तकृहशांगसूत्र मूल ..........
सुधर्मास्वामी. अन्यस्तवन ..... त.का. ४८९ अन्योक्तिबावनी.... त.का. ३७ अन्तकृशांगसूत्र ............... सुधर्मा गणधर जि.ता|३५३ अपभ्रंशकाव्यत्रयी त्रूटक ...... जि.का ९४४ अपवर्गनाममाला .. जि.ता. २७६ अभयकुमारचरित्र
.चंद्रतिलकोपाध्याय...... .र.१३१२
.ले.१५०० जि.ता २७७ अभयकुमारचरित्र चूटक ...
....१५०० जि.का १९८९ अभयकुमाररास अपूर्ण ..........-पद्मराज....
र.१६५० था.का.४१ अभयकुमारचौपाई ............... पद्मराज.... आ.का ३४८ अभिधान चिंतामणी नाममाला डूं.का. ६८७ अभिधान चिंतामणी बीजक...... जि.का २०२७ अभिधान चिंतामणिनाममाला...- हेमचंद्राचार्य, इं.का. ११०४ अभिधानचिंतामणि नाममाला ...- हेमचंद्राचार्य
अभिधानचिंतामणि नाममाला...आ.हेमचन्द्र लो.का, २१४ अभिधानचिंतामणि नाममाला..
झूटक
पत्र भंडार| पंचांक
ग्रंथन नाम संख्या
कर्ता | संवत् नाम ११ जि.का १७८ अभिधानचिंतामणि नाममाला... हेमचंद्राचार्य...
बेटक-अपूर्ण का १७७ अभिधानचितामणि नाममाला... हेमचन्द्राचार्य..
अपूर्ण अभिधानचिंतामणि नाममाला .... हेमचंद्राचार्य ..............
द्वितीयकांड आ.का ७३ अभिधानचिंतामणि शेष...... १८२५० अभिधानचितामणि सटीक .............
बृहदवृत्ति ....... त.का. ११२७ अभिधानचिंतामणिटीका ......... हेमचंद्राचार्य जि.का ७०२ ० अभिधानचिंतामणिनाममाला ..... हेमचन्दाचार्य........ जि.का २०४९ अभिधानचिंतामणिनाममाला ... |जि.का ४९८ अभिधानचिंतामणिनाममाला ..... हेमचंद्रसूरि ..............
अपूर्ण जि.का १७८१ अभिधानचिंतामणिनाममाला ...... | हेमचंद्राचार्य .....
अपूर्ण २२० |जि.का १७०५ .अभिधानचिंतामणिनाममाला ..../हेमचंद्राचार्य स्योपज ... ........
स्योपाटीका जि.का १७७६ ० अभिधानचिंतामणिनाममाला
स्वोपज्ञटीकासह ........ हेमचंद्राचार्य .......... जि.ता.३१३/१ ० अमिधानचिंतामणिनाममाला
स्वोपज्ञवृत्तिसह चतुर्थकांड ... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ.... जि.ता.३१३/२ ० अभिधानचिंतामणिनाममाला
स्वोपज्ञवृत्तिसह पंचमषष्ठकांड ... हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ.... जि.का १७९ अभिधानचिंतामणिनाममाला .. हेमचंद्रसूरि १७ इं.का. १८ अभिधानचिंतामणी ........ हेमचंद्रसूरि. इं.का. १६८
अभिधानचिंतामणी .... हेमचंद्राचार्य अभिधानचिंतामणी
हेमचंद्राचार्य ....
१६५
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________________
भंडार | नाम
ग्रंथांक
पत्र संध्या
जं.का.८२०
___
१४५४
| मुकुल भट्ट ....
बाब
का.५८६
न.का १00
NTEE
लो.का ३१८
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३३३ ग्रंथनुं नाम
___कर्ता संवत् | | अभिधानचिंतामणि शीलोछ .... | हेमचंद्रसूरि ..... अमिधानचिंतामणिनाममाला .... हेमचंद्राचार्य अपूर्ण अभिधानरत्नमाला .......... हलायुध भट्ट ....... अभिधावृत्तिमातृका ............. भट्ट मुकुल अभिधावृत्तिमातृका .............. अमरकोश (नामलिंगानुशासन) उमेदविजयगणि.....
.......१८९७ अमरकोश (लिंगानुशासन)..... अमरसिंह................ ..१९२२ ० अमरकोश तृतीयकांड ........ अमरसिंह-मू..
सटीक त्रिपाठ................... टी.क. भावोजी दीक्षित
अमरकोश प्रथमकांड ............ अमरसिंह ० अमरकोश प्रथमकांड
अमरसिंह-मू.. सटीक त्रिपाठ
टी.क.भावुजी दीक्षित अमरकोश लिंगानुशासन ..... अमरसिंह अमरकोश सटीक द्वीतीयकांड.. अमरसिंह-मू.. त्रिपाठ
टी.क.भावुजी दीक्षित अमरकोशनामलिंगानुशासन ..... अमरदत्तमित्राणंदकथा ....... बालावबोध अपूर्ण अमरनामकोश .............धीरमुनि .......................१८२६ अमरसेन बयरसेन कथा ....... अमरसेनकथा ............. उदयसागर गणि............. १६३० अमरसेनजयसेनरास........ सुमतिहंस .............. अमरसेनवयरसेनरास ........... जिनहर्ष ....................र.१७४२
ले.१७४७ अमरुशतक टिप्पणीसह ........ अमरुक कयि ................१५४२ अमृतमंजरी ................ काशिराज................
पत्र भडार ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत्
| ग्रंथांक
संख्या ।। नाम अभिधानचिंतामणी ........ हेमचंद्राचार्य-क.,
त.का. ५७२ | उदयमुनि-ले.... .....१८४१६......११७ जि.का १७८० अभिधानचिंतामणी ....... हेमचंद्राचार्य क..
लाभगणि-ले...... .......... १७२३/.......५५ जि.का ४४६ अमिधानचिंतामणी. हेमचंद्राचार्य ....
....१५९||
जि.ता.३३१ अभिधानचिंतामणी ....... हेमचंद्राचार्य-क..
जि.का १४३ विवेकचंद्र-ले... अभिधानचिंतामणी ............... हेमचंद्राचार्य क.
डूं.का. १३६ धर्मसुंदर-ले.... अभिधानचिंतामणी - पहेलो कांड हेमचंद्राचार्य . अमिधानर्षितामणी नाममाला ..... हेमचंद्राचार्य
ना नाममाला....हमचद्राचाय.................१७33 ....... ४६/ जि.का १७८४ अभिधानचिंतामणी नाममाला..... हेमचंद्राचार्य
.....१-१६] जि.का १७७७ चूटक अभिधानचिंतामणी नाममाला ....
.....१-२४५.का. ९३२ बेटक
| जि.का १७७८ अभिधानचिंतामणीनाममाला ..... हेमचंद्रसूरि ............... १७११,... २६-३६/ अभिधानचिंतामणीनाममाला ..... हेमचंद्राचार्य
--.....३-५७| त.का. १२६१ अपूर्ण
जि.का/८८० अभिधानचिंतामणीनाममाला ....... हेमचंद्राचार्य .................
..५-१२ अपूर्ण
डूं.का. ६२९ ० अभिधानचिंतामणीनाममाला सावधूरि पंचपाठ हेमचंद्रसूरि-मू.क.........
.का. ३१३ अभिधानचिंतामणीनाममाला
का. ४१० स्वोपज्ञवृत्तिसह अपूर्ण ............ हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ.....
.......५४ |जि.का १११३ अभिधानचिंतामणीनाममाला- .... अवधूरि अपूर्ण
जि.का २१९ अभिधानचिंतामणी ............... हेमचंद्रसूरि .............. .... १९०० ....... १२८ डूं.का. ११९५ ० अभिधानचिन्तामणिनाममाला .... हेमचन्द्रसूरि ............. ....१५४१........३९/
लों.का. ३३७
जि.का ५९८
............
का १७८२
जि.का ५९७
जि.का १७८३
-. १७६१
MAY
त.का. ६३९ जि.का २३७
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कर्ता
| नाम
त.का.
३३४ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् पत्र भडारण ग्रंथांक ग्रंथतुं नाम
संवत् संख्या नाम ।
संख्या जि.ता २६० अरिष्टनेमिचरित्र ................. मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... र.११७०.......२५५/ जि.का २२०५ ० अष्टकप्रकरण वृत्तिसह .......... | हरिभद्रसूरि-भू.. ..... (भवभावनावृत्त्यंतर्गत.)...... .ले.१२४५
टी.क.अभयदेवसूरि आ.का ३६० अर्धकाण्ड .......
| जि.का १५५१ . अष्टकप्रकरण सटीक हरिभद्रसूरि-मू.. इं.का. ३०७ अर्घकांड....
टी.क.अभयदेवसूरि जि.का १२०९ अर्घकांड अपूर्ण.
| जि.का ४२०/३४ अष्टकर्मचोपाई जि.का १८५२ अर्घकांड-ज्योतिष...
जि.का १०५८ | अष्टप्रकारपूजाकथा .. लों.का ४६०/8 अर्जुनमाली अधिकार .....
| जि.का २२३ ० अष्टप्रकारपूजाकथा . चंद्रप्रभ महत्तर ........... डूं.का. ३९९ अर्थकल्पलता बालावबोध........रुपचंद ......
(विजयचंद्रकेवलिचरित्रांतर्गत) जि.ता.३९८ ०अर्थशास्त्रवृत्ति ..... ....१४०० १२-८८ डूं.का. |१२६५ अष्टप्रकारपूजा .......
खीमाविजय
૧૮૪૧ था.का ३५९ अर्हन्नकचौढालिया............... विमलविनय मु.........
.का. ८५३ अष्टप्रकारी जिनपूजा ............ लक्ष्मीविजय
. १६३२ हूं.का./१०४ ०अर्हन्नामसहस्त्रसमुच्चय ..........मोतीचंद -पं. .................१८९७
अष्टप्रकारी पूजा कथानक ..... इं.का. १२९७ अरनकक्षुल्लक साधुसम्बन्ध.....-मान मुनि ..............
जि.का २१११ अष्टप्रकारीपूजा.. जि.ता. ३२६/२ ० अलंकारदर्पण .
....१३००
त.का. २५२ अष्टप्रकारीपूजा.. जि.का १९४४ अलंकारमाला ................... सूरतमिश्र.
र.१७६६ त.का. ७९४ अष्टप्रकारीपूजा..
. १८३९ जि.का १०६२ अल्पबहुत्वस्तवन ............ शांतिमंदिरशिष्य खरतर
त.का.५३१ अष्टप्रकारीपूजा रास ............ मनरूपविजय ................१८८९ था.का.३५८ अल्पबहुत्वकुलक सह व्याख्या,
त.का. ९९४ अष्टप्रकारीपूजा सह विधि ... जि.का १९८८/२ अवंतिसुकुमालचोढालीया .......
जिनहर्ष जि.का ४२०/६ अष्टप्रकारीपूजाकवित
............... ३८-३९ लो.का ४५५ अवंतिसुकुमालरास ......
जि.का २२०२ अष्टप्रकारीपूजाफलविषये .... जि.का १६९३/१२० अवकहडाचक्र.............
जि.का ४२०/० अष्टप्रातिहार्यकवित ..............
..... ३९मु आ.का ३११ अवन्तिसुकुमालरास...........
त.का. ५२५ अष्टफलकथा ....................
............... १९१०
....... २४ जि.का/५८४ ०अव्यय
..५डूं.का. |३२८ अष्टभय निवारण छंद. जि.का १७५५ अव्यय सावपूरिक त्रिपाठ.....
... २५.का.४४५ अष्टमहासिद्धि.. जि.का २१२७ ०अव्ययसंग्रह .......
५ ई.का. १२०८ अष्टमी स्तुति (गुटका) ................ लों.का २७६ ० अव्ययार्थ त्रूटक,
...... १-२||जि.का २०६६ अष्टयोगिनीअंतर्दशा ....... अश्विनीकुमारसंहितागत
..................१६८८...... ११|| जि.का १८११ अष्टांगहृदगयसंहिता ..... वाग्भट त्रयोदशम प्रकरण सस्तबक
उत्तरकल्प त्रूटक जि.का १२३४ ० अष्टकप्रकरण ......... हरिभद्रसूरि ..
..४||जि.का १८१४ अष्टांगहृदयसंहिता ... वाग्भट डूं.का. ८०४ अष्टादशपदशास्त्र
कर्मचंद्र
.......४४
१५११
जि.का ३३६
.
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________________
पत्र
भंडार
कर्ता
संवत्
२६मु
..१७८७
FFERE
११५७ २०५८
.२७
७-१९
भंडार प्रशांक
ग्रंधन नाम नाम जि.का ३९९/७ अष्टापदस्त वन .................. समयसुंदर .... जि.का ८१७/६ अष्टापदस्तवन
समरो त.का. २३५ अष्टापदस्तवन ... ७५१ अष्टापदस्तवन
अष्टालिका व्याख्यान........ जि.का १७०३ अष्टाह्निकाव्याख्यान अपूर्ण..... लो.का ५४६
अष्टापदजिनस्तवन त्रूटक... पं.का. ५१३
अष्टालिका व्याख्यान अपूर्ण .... .का. ३० ० अष्टोतरी स्नात्र विधि...........नयरंगमुनि.. आ.का ३०८ अष्टोतरीस्नात्रविधि ........ जि.का ५६८ ० अष्टोत्तरशतपार्श्वनाथनामस्तव... जिनभद्रसूरि ... जि.का ४२०/१ अष्टोत्तरीशतस्तोत्र कवितबद्ध..
अपूर्ण त.का.|१०५७ अष्टोत्तरीस्तोत्र + नवस्मरण ...................
+श्रावकपाक्षिक अतिचार ........ जू.का. ६७३ अष्टोत्तरीदशाकरणविधि इ.का. ८८५
अष्टोत्तरी दशा .. आ.का ३७१ अष्टक त.का. २५०
अष्टयोगिनी दशा ...
अन्तर्दशाफल जि.का ४२०/१३ अहिछत्रापुरीपार्श्वनाथछंद .. इं.का. ५३४ अहोरात्रि कृत्यानि...... था.का ५९ ० आंचलिया मतखंडन ............. जि.का १९५१/३ आउरपथक्खाण ...... जि.का १४२६ आउरपच्चक्खाण जि.का १३४/४ आउरपच्यवखाणप्रकीर्णक जि.ता/१५४/११ ०आउरपच्चक्खाण डूं.का. ६०० आगमआलापकसंग्रह ......
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३३५ । ग्रंथांक पंधन नाम कर्ता
पत्र संख्या
संवत् नाम
संख्या जि.का. ७४५ आगमसार ..
देवचन्द्र.
....१७७६
... ४८ १०-११ आगमसार ....
देवचंद्रजी
...१८३४ ७९ १०६१ आगमसार.
आगमसार.
आगमसारबालावबोध ........... देवचंद्रजी... ११६४ आगमसारोद्धार ................. देवचंद्रमुनि..............---.
३६८ आगमसारोद्धार ................ देवचन्द्रसूरि ..................१८०२ जि.का ५०० ५००/२ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण . जिनवल्लभगणि ............
(प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथ) जि.ता/१५०/ ७०आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण- जिनबल्लभगणि .............१३००
१५९-१७० प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथ ..४-१२ जि.ता ४१५/३ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण- जिनवल्लभगणि ................. .७८-८3
प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथ ... २१ जि.का १५०४ आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण- .. जिनवल्लभगणि. (३थी२६)
प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथ जि.ता.१८८ ० आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण-मू.क.जिनवल्लभगणि, ... र.११७२
प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रंथ ............क. हरिभद्रसूरि .........ले.१३००
सटीक त्रूटक ५||जि.ता. १६२३ . आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण- जिनवल्लभगणि ...............
घडशीति चतुर्थ कर्मग्रंथ १७३१,.. ४८-४२ जि.ता. १७८/२ • आगमिकवस्तुविचारसार- ........ भू.क.जिनवल्लभगणि... र.११७२ |.....१७८
| प्रकरणवृत्तिसह .................. वृ.क. हरिभद्राचार्य ........ले.११७२
बृहद्गच्छीय ... ११-१४ जि.ता. १७६/३ • आगमिकबस्तुविचारसार. ....... हरिभद्रसूरि बृहद्गच्छीयर.११७२ |... ... ४३ | प्रकरणवृत्तिप्राचीन चतुर्थ
ले.१४०० कर्मग्रंथवृत्ति ........१२१०६...८२-८६ जि.ता. १५६/३ ०आगमोद्धारगाथा .......
.....................११९२/... १५-१९ .........२ जि.का १३३/६ ०आगमोद्धारगाथा .......
...१२-१३
Page #384
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________________
पन्न
संवत्
संस्ख्या
....६६
५९०
३३६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक -
| भंडार ग्रंथनुं नाम कर्ता
ग्रंथांक संवत्
ग्रंथनुं नाम नाम
कतो नाम
संख्या जि.का १८०/५ ०आगमोद्धारगाथा ...
जि.का १३४७ ०आचारांगसूत्र... |जि.का १३२६/६ ० आगमोद्धारगाथा-स्वप्नसप्ततिका
७५-८०
डूं.का. ४५३ आचारांगसूत्र..... जि.का १३१७/३ ०आगमोद्धारगाथा
४२-४६ बूं.का./८२८ आचारांगसूत्र ................ विद्यासागर गणि..........
.....६१ | स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण
था.का २६१ आचारांगसूत्र............. जि.ता. १५४/५ ० आगमोद्धारगाथा
१२१० 1...४५-५१
आचारांगसूत्र ................ आगमसारोद्धार बालावबोध...... सत्यसागरगणि
१८७१
आचारांगसूत्र................. ૨૮૮ आचार दिनकर ................. वर्धमानसूरि ...
आचारांगसूत्र.............
७१ बूं.का. ८८१ आचारदिनकर ................. क्षमाप्रभ....
..१८३२ आचारांगसूत्र.....
२थी १९ आचारप्रदीप................... | रत्नेश्वरसूरि ..........
आधारांगसूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध. सुधर्मास्वामी
३३-१०२ आचारविधि (सामाचारी) ........
आचारांगसूत्र द्वितीयश्रुत स्कंध. सुधर्मास्वामी
...१-६८ त.का. १११ आचारांग ...................... | गणधर ......
आचारांगसूत्र प्रथम श्रुतस्कंध .. सुधर्मास्वामी
....१-३४ त.का. ११० आचारांग प्रथमश्रुतस्कंध टब्बार्थ पार्श्वचंद्रसूरि
आचारांगसूत्र प्रथमश्रुतस्कंध .... सुधर्मास्वामी
.....१-२९ लों.का ४ आवारांग मूल त्रूटक ........... सुधर्मास्वामी
आचारांगसूत्र बालावबोध सटीक पार्चचंद्र उपाध्याय -टी.
.....१-८९ था.का २९७ आचारांगनियुक्ति ......
आचारांगसूत्र बालावबोध पार्धचंद्र उपाध्याय-टी..
... ४-१११ आ.का २८१ आचारांगनियुक्ति ......
सटीक त्रूटक डूं.का. १११६ आचारांगनियुक्ति
लों .का ६ आचारांगसूत्र मूल अपूर्ण सुधर्मास्वामी.
......१-६१ जि.ता/१४७/१० ० आचारांगपर्याय..
त.का. १०९४ आचारांगसूत्र सह टब्बार्थ.. त.का. १०९ आचारांगवालायबोध ........ पार्धचंद्रसूरि
१२१ त.का.
आचारांगसूत्र सह बालावबोध ... कीर्तिकलश.............. था.का.२६२ आधारांगवृत्ति.
.... २६५ जि.का.
१२६० आचारांगसूत्रआलापक .......... था.का २६४
शीलांकाचार्य...... ...... २७४
बालावबोधसह पंचपाठ ३०१ आचारांगवृत्ति ...
..... २९| जि.का आचारांगसूत्रचूर्णी.......
.................१४८८३(१९०९आधारांगवृत्ति शिलांगाचार्य ..... .....२३३
...........१९९१) ता/१/ १ ० आचारांगसूत्र
जि.का ३४०० आचारांगसूत्रदीपिका ............. जिनहंसारि .................१५७३ | १९०-३०१ २/१ आचारांगसूत्र.. जि.का ८९५ आधारांगसूत्रद्वितीय तस्कंध ..
३-१११ जि.का १ आचारांगसूत्र
सुधर्मास्वामी
५-२७
बालावबोधसह पंचपाठ अपूर्ण आचारांगसूत्र
सुधर्मास्वामी .. ......१५४३ ४८ जि.का २ आचारांगसूत्रनियुक्ति ..... भद्रबाहुस्वामी ....................४(२८-३१) जि.का १३४६ आचारांगसूत्र
७९ जि.का १३००/
३० आचारांगसूत्रनियुक्ति ............ भद्रबाहुस्वामी ...१२७७... ४८-६५ जि.का १६७१ आचारांगसूत्र.............. सुधर्मास्वामी ......................... ३९|| जि.का १३४८ आचारांगसूत्रनियुक्ति .....
---....१५३३/.......११
SFSCREEMEMEEME
• १०८
.१७४
....१-७१
....१-७६
.का २३५
For Private &Personal Use Only
Page #385
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
जि.का ८१
ग्रंथांक
जि.का १३४९
जि.का १३५०
डूं. का. ८२५
जि.का ४
जि.का ३
जि. ता. ३
जि. ता. १/२
जि. ता. १/३
जि. ता. २/३
त.का. १३०
बूं. का. १३२२
था. का. २६५
डूं. का. २०१
डूं. का. १२४७ जि.का २१०५ डूं. का. २१६ दू.का. १२४५
लो. का. ३८५
लों का, ३९९
डूं. का. १२६२
ग्रंथ नाम
आचाराङ्गचूला अवचुरी सह
० आचारांगसूत्रवृत्ति
● आचारांगसूत्रवृत्ति
● आचारांगसूत्रवृत्ति
● आधारांगसूत्रवृत्ति
शीलगणी
० आचारांगसूत्रवृत्ति द्वितीय खंड शीलांकाचार्य
● आचारांगसूत्रवृत्ति प्रथम खंड... शीलांकाचार्य
• आचारांगसूत्रचूर्णी
● आचारांगसूत्रनिर्युक्ति
● आचारांगसूत्रवृत्ति
● आचारांगसूत्रवृत्ति अपूर्ण
• आचारोपदेश
● आचारांगनियुक्ति
आठ महासिद्धि
आठ बर्गादि (ज्योतीष) आठकर्मनी उत्तरप्रकृति
आठकर्मनी १५८ उत्तर प्रकृति
आठकर्म की १५८ प्रकृति
का विचार आनंदसंधि आणंदसंधि
० आनंदसंधि
जि.का १३३/१२ D आतुरप्रत्याख्यान
जि.का १३१७/२६ ० आतुरप्रत्याख्यान
कर्ता
शीलांकाचार्य
शीलांकाचार्य
शीलांकाचार्य
भद्रबाहुस्वामी शीलांकाचार्य. शीलांकाचार्य मेरूविजयगणि
ग्रंथनुं नाम
पत्र भंडार ग्रंथांक संख्या नाम ... २.७९८......३३२ जि.का १४२९ . ले. १९८३ जि. ता. १४६/२
आतुरप्रत्यारख्यानप्रकीर्णक
आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्ण ● आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक २०९ जि.का १३२६/४७० आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक ३१६ जि.का ९७०/१ ३२४ त.का. ६५४ र.७७२. २७ (१३५- सूं. का. ३४१ .ले. १४८८ ...... १६१) त. का. ९२० र. ७७२१०३ (३२ हूं. का. १२७२ .ले. १४८८..... १३४) हूं. का. १०६४ २६० डू. का. ३०८ ७२-८७ हूं. का. २४६ १-४२१ जि.का. १६८६ २-३०२
. १४८९.......
त. का. ६४१
संवत्
१४८५....
. १८५७
१८५७
.६
.१
११ हूं. का. १३७७
.८ लों. का. ५६२
. का. १०६६
लो. का, ५१२
१.११ १११
.८
३
८ त.का. ३३२
७
..(६७ से
.७२) १३
२६
● आत्मप्रबोधस्वाध्याय और
प्रकीर्ण पन्ने
जि.का १५९९ / २ ० आत्मभावनास्तव
जि. ता. १५१/९ जि. ता. १५६/४०
जि. ता. १५८/१५
जि.का. १८३/२ जि.का ४९९ / ४ १९६-१९९ . का. ८६०
आतुरप्रत्याख्यान आत्मकरणी संवाद आत्मनिंदा
आत्मनिन्दा. आत्मप्रबोध
आत्मप्रबोध कुलक टब्बार्थ आत्मप्रबोध चार प्रकाश आत्मप्रबोध बीजकसह आत्मप्रबोधछत्तीसी
आत्मप्रबोधबीजक आत्मप्राप्तिविधि
आत्मप्रोबध छत्तीसी
आत्मरस समाधितन्त्र
सह बालावबोध
● आत्मविशुद्धिकुलक
● आत्मानुशासन आत्मानुशासन
आत्मानुशासन
आत्मानुशासन
आत्मानुशासन
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १३३७
कर्ता
संवत्
वीरभद्रगणि वीरभद्रगणि
वीरभद्रगणि
जिनसमुद्रसूरि
ज्ञानसार मुनि खुशालविमलमुनि
जिनलाभसूरि
ज्ञानसागर
पार्श्वनाग
जिनेश्वराचार्य पार्श्वनाग
पार्श्वनाग
पार्श्वना
. १८७९
. १८७५
१७९६ ..........
२. १८३३ १९०७
पत्र
संख्या
. १७३२
.४
६-१२ २७९-२८२. १-४
....4
१४००
१७७३] [.......]
.२
3
...... १४७
...८ १६४
१२४
११
१४२
१-७
छुटा पाना
४-७ . ११७
५८-६१
११९२१-४ २.१०४२ १८०-१८७ .ले. १४००
.१०४२३-५
४-६ .........?
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
भिंडार
पत्र
नाम
४६-४८
0D
बूं.का. ५६४ आ.का
३३८ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत्
__ ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | संदत | पत्र । नाम
संस्या इं.का. ११८६ आत्मप्रबोध.. .............. जिनरंगगणि:................१८७४ :
..१७२ इं.का.
आनंदसंधि लों.का. २३१/२ आत्मप्रबोध छत्रीसी
आनंदसंधि
श्रीसार त.का. ३८७ आत्मप्राप्तिविधी..
आनंदसंधि ....
समयसुंदरसूरि ...... जि.का ४९९/३ ० आदिजिनस्तवन ..
आनंदसंधि+बारह भावना ...... हेमकीर्ति सूरि ........... २.१६२८......१-१० जि.का ८२९ आदिजिनस्तवन ................ विजयतिलक .....
ले.१८३५ जि.का ६०६/१४ 0 आदिदेवस्तव
इं.का.
आनंदघन चोवीसी+ महावीर .. जि.का २१३५/१ ० आदिनाथ स्तवन................. रतनचंद.....
जिन स्तवन जि.का २१३५/२०आदिनाथ स्तवन.................समयसुंदर ......
डूं.का. ५३३ आनंदघन बहुत्तरी.... बूं.का. |१२५७ आदिनाथ स्तवन..........
आनंदघनपद ........ त.का. ७९६/8 आदिनाथदेशना ........
११-१८ आनंद श्रावकसंधि ............... हेमकीर्ति
.................... था.का ४१६ आदिनाथदेशनाशतक......
लों.का ३८०
आबुजायांचौपई Jटक ............... जि.का २६७/3 आदिनाथदेशनोद्धार सस्तबक ...
१९-२७ त.का. ७८२ आयुतीर्थस्तवन .................. रूपचंद ................. जि.का ५६९ आदिनाथधवल..........
आ.का, २४६
आयंबिलविचार ............. जि.का ८१७/५ आदिनाथस्तबन ...
९-१० डूं.का. ७६८ आयुष्य प्रमाण + प्रायश्चित विधि .............. जि.का २०१२/१ आदिनाथस्तवन................. विजयतिलक .................. .. १-२ जि.का १८७७ आरंभसिद्धि पंचम विमर्श पर्वत उदयप्रभसूरि
................ जि.का २०१२ आदिनाथस्तवननादि स्तवनो ....
.....४ जि.का १८४७ आरंभसिद्धि-ज्योतिष
उदयप्रभसूरि डूं.का. १४० आदिनाथस्तवन ................. हेमसारमुनि .....
द्वितीयविमर्श पर्यत जि.का १५९९/१० आदिनाशदेशनोद्वार ....
|जि.ता.१५१/२०० आराधना....
..१४००/११३-१२० इं.का. ९२७ आदिनाथचरित्र ....... हेमचंद्रसूरि
जि.ता. १५१/२२ . आराधना..
..१४००/ १४८-१४९ त.का. ४१४ आदीश्वरबाहुबलीयुगलाधिकार ..
जि.ता/१५६/१५ आराधना......
......११९२/...६६-६९ जि.का १३२६/४९० आदीश्चरस्तवन........ जिनचंद्रसूरि ............---
| जि.का १३४/१८
......... २३-२४ लों का ३४९ आदीश्वरस्तवन........
||जि.का १३४/२०
........... २६म .का. ४२९ आदीश्वरविनंती+ गुणबावनी ... लावण्यसमय उदयराज .....१६७६.१ २. १-६ जि.का ६७५ त.का. ८९७ आधाकर्मी असझायादि दोष ....
जि.का २७०/२ लों.का ५१६ आनंदघनचौवीसी और पदो ....आनंदघन आदि .............१८८२
जि.का २०५२ .का ९८८ आनंदसंधि.................. श्रीसारमुनि .............. र.१६८१
जि.का २१०१ ......ले.१७३१
आ.का. २०० आनंदसंधि श्रीसारमुनि
त.का. ३५१ आराधना
..................
...१५४
१२-४१३
आराधना
आराधना
आराधना
|आराधना
आराधना
आराधना
आराधना
इं.का. १७
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--------------------------------------------------------------------------
________________
|
नामा ग्रंथांक
संवत्
जि.का ७५८
-१२-१३
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३३९ भंडार
पत्र ग्रंथांक
भिडार ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत
पंथन नाम
कर्ता संख्या
संख्या डूं.का. ११२ आराधना (यति)..........
लो.का २३३ आर्यवसुधारा
१-६ आराधना अपूर्ण ...........
लो.का २६९
आर्यवसुधारा लो.का २९६ आराधना और प्रकीर्ण चूटक....
लो.का ५३१ आर्यवसुधारा
...... २२ इं.का. १३३१ आराधना के दस अधिकार ......विनयविजय उपाध्याय ......१७२९
जि.का १७९६ ०आलापकपद्धति (पुण्यप्रकाश स्तवन)
जि.ता १५१/८ ० आलोचनाकुलक
......................१४००|...५६-५८ त.का. ३८९ | आराधना पताका (भगवती).......
जि.का १३४/७० आलोचनाकुलक था.का ४७९ आराधना बालावबोध.
जि.का १३४/
८० आलोचनाकुलक | (संक्षिप्त प्राकृत)
त.का. ७१९ आलोचनाविधार त.का. २७२ आराधना बालावबोध (संक्षिप्त)..................................१५३२.........४ त.का.४७५ आलोचनाविधि..
रविविजय ......................... त.का. ५९८/B |आराधना बालावबोध संक्षिप्त ..
जि.का ૨૧૮ आलोचनाविधि अपूर्ण.. त.का. आराधना सह टब्बार्थ...... ...ऋषभविजय.................. १८६३६.........८
त.का. ८११ आलोचनास्तवन ....... रविविजयगणी...............१९२२ जि.ता १५१/१० ० आराधनाकुलक........
.....१४००...६१-६३ ७.का.
१३७२
आलोयणा(पद्मावली)जीवराशी जि.का १३४/२२ Dआराधनाकुलक....
....१९८३...२७-२८ जि.ता|१५६/३३ आलोयणाविधिप्रकरण .......... अभयदेवसूरि .................११९२ | १२२-१२३ जि.का ८१० आराधनाचउपई...........
हरिकलशमुनि.......
लो.का ४१९/A आलोयणापद ....... जि.ता/१५१/५ ०आराधनाप्रकरण. अभयदेवसूरि ... .............१४००...३९-५२ ई.का.
आलोयणसूत्रअसज्झाय ...... जि.ता/१६०/११ ०आराधनाप्रकरण,
अभयदेवसूरि ...............१३००/११३-१२४| जि.का ८३६ आलोचनाविचार-योगविध्यन्तर्गत .......................................... १५-२१ जि.का १३४/५ Dआराधनाप्रकरण,
अभयदेवसूरि.
लों.का ४१९/० आलोचनाविधान त.का.|१२०२ आराधनाप्रकरण
डूं.का. ७६१ आलोयण वृत्ति स्तवन जि.ता/१५६/१७० आराधनाप्रकरण अपूर्ण
....११९२६...७३-७५ ३६८ आलोयणा छूटक जि.का १०१० आराधनाबालावबोध...
त.का. ४२१ आवश्यक (चउरीसस्तव) .... जि.का २२१४ आराधनाविधिआदि....
बालायबोध • आराधनापताका...
आवश्यक (वन्दारु) वृत्ति ...... आराधनापताका.. आराधनास्तवन .....
आवश्यक अवधूरि..
हरिभद्रसूरि.......... आरामशोभाचरित्र .......
आवश्यक चूर्णी..
जिनदासगणि महत्तर ........१४८८ था.का ४१७ आर्द्धकुमारचौपई ....
आवश्यक चूर्णी ...
जिनदासगणि महत्तर ........१४०० ० आर्टकुमारमुनिकथा .....
.६ जि.ता.१०२ आवश्यक चूर्णी अपूर्ण ........ जिनदासगणि महत्तर ........१४०० लो.का २२९
इं.का. ११४
आवश्यक लघुवृत्ति ......
३८४
EFFEy
........१६७३
......
त.का.
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________________
३४० सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
नाम
था. का. ७२
त. का. ९०
त. का. ६६
जि.ता, १३४
जि.का १८९
था. का ५५
था. का, ६५ लों का ७७ आ.का., ३६८ त. का. ७४
त. का. ८८
त. का. १०६ जि.ता १०४/२ जि. ता. १३० डूं. का. ११५५
त. का. ५९५
जि.ता, ९४/१ जि. ता. १३५ जि.का ६३५/४ जि. ता. १३१ जि. ता. १३३ जि.का, २०६८
था. का. ५
त. का. ८९
| था. का. ७१
जि. ता. ११४
ग्रंथनुं नाम
● आवश्यक वृत्ति
आवश्यक ( वृन्दारु) वृत्ति ० आवश्यकचूर्णि
आवश्यक नियुक्ति
● आवश्यक नियुक्ति
• आवश्यकनियुक्ति
● आवश्यक निर्युक्ति
आवश्यक नियुक्ति
आवश्यकनियुक्ति
आवश्यकनिर्युक्ति आवश्यक नियुक्ति आवश्यक नियुक्ति
० आवश्यकनियुक्ति अपूर्ण ● आवश्यकनिर्युक्ति अपूर्ण. | आवश्यकनियुक्ति अपूर्ण आवश्यकनियुक्ति अवचूरि सह कथायें
D आवश्यक बालावबोध आवश्यकबालावबोध आवश्यक बृहद्वृत्ति ● आवश्यकलघुवृत्ति.
कर्ता
मलयगिरि
जिनदास गणि भद्रबाहु स्वामी भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहु
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी
देवेन्द्रगणि
● आवश्यकनियुक्ति किंचिदपूर्ण भद्रबाहुस्वामी ● आवश्यकनिर्युक्ति त्रुटक अपूर्ण... भद्रबाहुस्वामी आवश्यक नियुक्तिगतकतिविद्गाथा
● आवश्यकनियुक्ति ● आवश्यकनिर्युक्ति आवश्यकपीठिकाबालावबोध
भद्रबाहु स्वामी भद्रबाहुस्वामी संवेगदेवगण
हरिभद्रसूरि तिलकाचार्य
संवत्
१६७६ ......
. १६१८
१६६१
१४००
. १५५५
. १६७३
१२००
१५००
पत्र
संख्या
१६६९
१४००
भंडार नाम
ग्रंथांक
५०३
५२
३९९
२६९
था. का. ३१८
५९
त. का. १०४२
६९ जि.का. १३३ / २
196
१-६१
२३
...२
७२
८६
१५
१४०
जि. ता. ११५
त. का. ६९
हूं. का. ८००
डू. का. ७१२
था. का ६७
आ. का. ७५
त. का. २८४
त. का. १२९६
त. का. ९१
जि. ता. १०८
जि. ता. १०७
६२ जि. ता. १११
जि. ता. ११३
६६
जि. ता. १०६
१८७
जि. ता. ११० ७-८ जि. ता. ११२ १४१ जि. ता. १०५
११६६ १४००
२ २९१
ले. १५५७ १५ जि. ता. १०४/१
र. १५१४
.... १५२५
४३
जि. ता. १४७/३
३५
था. का, ६६
५४१
त.का. १०५
३०१ जि.का १००२
ग्रंथ नाम
● आवश्यक लघुवृत्ति
० आवश्यकलघुवृत्ति आवश्यकविधि
● आवश्यकविधि आवश्यकविधि
D आवश्यक विधिप्रकरण
| प्रतिक्रमणसामाचारी
● आवश्यकवृत्ति
● आवश्यकवृत्ति आवश्यकवृत्ति
D आवश्यकवृत्ति
आवश्यकवृत्ति (वंदारु) आवश्यकवृत्ति टिप्पनक
● आवश्यकवृत्ति टिप्पनक अपूर्ण..
● आवश्यकवृत्ति द्वितीयखंड
● आवश्यकवृत्ति द्वितीयखंड
● आवश्यकवृत्ति द्वितीयखंड ● आवश्यकवृत्ति प्रथमखंड • आवश्यकवृत्ति प्रथमखंड ● आवश्यकवृत्ति प्रथमखंड ● आवश्यकवृत्ति शिष्यहिता द्वितीयखंड
● आवश्यकवृत्ति शिष्यहिता
प्रथमखंड
• आवश्यकवृत्तिविषमपदपर्याय.
● आवश्यकवृत्तिटिप्पनक आवश्यकवृन्दारुवृत्ति
→ आवश्यकसूत्र
4
कर्ता
तिलकाचार्य तिलकाचार्य
जिनवल्लभसूरि
| जिनवल्लभगणि
प्रतापसूरि तिलकाचार्य
हेमचंद्रसूरि
मलधारी हेमचंद्रसूरि
हरिभद्र आचार्य मलयगिरि आचार्य मलयगिरि आचार्य हरिभद्र आचार्य मलयगिरि आचार्य मलयगिरि आचार्य हरिभद्र आचार्य
हरिभद्र आचार्य
संवत्
१५००.३२२
. ३०६
५७
3
पत्र
संख्या
१५००
१४९१
. १३०० १४०७
. १४९० १३००
. १४८८
१६६१ ३८५
३२२
३१
. १४८९
.....3 ४-५
....
६२
८५
. १४६
. ३१०
. ३२४
. ३१०
. ३१३
२४२
. २३६
.३३१
-३९६
३९-५४
. १६७३..... १०२
२५
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
पत्र
भिंडार
| भंडार नाम
ग्रंथर्नु नाम
ग्रंथांक
कर्ता
|
संवत्
पत्र
ग्रंथांक
संख्या
नाम
संख्या
....
१-७
था.का. १०७
लों.का ३२१ जि.का १४३८० जि.का १०३१ लो.का १५२ जि.का ९१० जि.का ३९
आवश्यकसूत्र (जीर्ण)
....१६२२ आवश्यकसूत्र अवचूरि. ....... ज्ञानसागरसूरि-अ.य. ......... आवश्यकसूत्र सस्तवक आवश्यकसूत्र सह टब्बो .......... आवश्यकसूत्रचूर्णी......
.....१९८५......३३८ आवश्यकसूत्रटिप्पनक ...........मलधारी हेमचंद्रसूरि ........१४८८.४१(४०२
.............
१११
........
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३४१ ग्रंथनुं नाम
कर्ता | संवत् आवश्यकसूत्राणि व पाठ आवश्यकसूत्राणि व पाठ तिलकाचार्य आवश्यकसूत्राणि व पाठ आवश्यकसूत्राणि व पाठ आवश्यकसूत्राणि व पाठ आवश्यकसूत्राणि व पाठ आवश्यकसूत्राणि व पाठ ... आवश्यकसूत्राणि य पाठ ..... आवश्यकसूत्राणि व पाठ ..... आवश्यकसूत्राणि व पाठ ....... आवश्यकसूत्राणि च पाठ .... (खरतरगच्छ) आवश्यकसूत्राणि सह टब्बार्थ .... आवश्यकसूत्राणि सह टवार्थ .... आवश्यकसूत्राणि सह टब्बार्थ ..... शिवजी मालजी-ले........... १८५८ .....९-१५ आवश्यकसूत्राणि सह टब्बार्थ ......
-९-१९ आवश्यकसूत्राणि सह टल्वार्थ ...... आवश्यकसूत्राणि सह टब्बार्थ .... हर्षकिर्ती
।.... १८६४ आवश्यकसूत्राणि सह टब्बो......
.१-३० आवश्यकसूत्राणि सह बालावबोध - आवश्यकसूत्राणि सह ........... बालावबोध अपूर्ण आवश्यकसूत्राणि सह ....... बालावबोध अपूर्ण आवश्यकसूत्राणि सहबालावबोध आवश्यकसूत्राणी + सप्तस्मरण. + अन्यस्तवन आवश्यकसूत्राणि सह बालावबोध
-१-११ ..१-१०
EEEEEEEEEEEEEEEEEE
जि.का ३५ ० आवश्यकसूत्रनियुक्ति ............. भद्रबाहुस्वामि ...............१४८७
आवश्यकसूत्रनियुक्ति ............. भद्रबाहुस्वामी आवश्यकसूत्रनियुक्ति............. भद्रबाहुस्वामी आवश्यकसूत्रनियुक्ति ............. भद्रबाहुस्वामी आवश्यकसूत्रनियुक्ति अपूर्ण...... भद्रबाहुस्वामि आवश्यकसूत्रवालावबोध अपूर्ण
२६.५१|| लो.का ८० २८९ आवश्यकसूत्रबृहदवृत्ति ......... हरिभद्रसूरि .. .................१६६४
..... ५५३|| लो.का २ ३८ • आवश्यकसूत्रबृहद्दत्ति- ........... हरिभद्रसूरि वृ..........- .९२(३०९- लो.का/८४ शिष्यहिता द्वितीयखंड ...
४०१) जि.का ९२ आवश्यकसूत्रबृहवृत्ति .......... मलयगिरि आचार्य ..........१९८६ - .....२२३|
द्वितीयखंड जि.का ९३० आवश्यकसूत्रबृहवृत्ति ... मलयगिरि आचार्य ...........१९८५,......२२१
द्वितीयखंड आवश्यकसूत्रलघुवृत्ति ........... तिलकाचार्य............... र.१२९६.१५३(३४-त.का. ९७
.ले.१४८८ .... १७४) आवश्यकसूत्रलघुवृत्ति ......... तिलकाचार्य
. २२५ लों.का ७८ आवश्यकसूत्रलघुवृत्ति ..........
सुमतिसूरि जि.का १४५४ आवश्यकसूत्रसंग्रह ......
आ.का २०८ आ.का २४४ आवश्यकसूत्राणि .......
डूं.का. ७८७ आवश्यकसूत्राणि (डिझाईन)... आवश्यकसूत्राणि अने पाठ
... ११||त.का. |७४८
..........
जि.का १४७०
33
त.का. ११८५
For Private & Personal use only
Page #390
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
पत्र
१०८-४२२
.३१५
..............
..
..
..
.
.
३४२ - सर्व ग्रंथों का अकाराविक्रम , परिशिष्ट १ ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम कर्ता
पत्र भडार नाम
संवत्
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम |
संवत ।
कर्ता
संख्या।। नाम जि.का १४३६ आवश्यकसूत्रिनियुक्ति .......... भद्रबाहुस्वामि ....
.....१०४जि.का/१५०५ आगमिकवरतविचारसारप्रकरण- जिनवल्लभगणि-ग.. जि.का १४३७ आवश्यकसूत्रिनियुक्ति ......... भद्रबाहुस्वामि.
.१५०३ ... ४९-९५
प्राचीनषडशीतिचतुर्थकर्मग्रंथ ... टी.क.मलयगिरि आवश्यकसूत्रलधुवृत्ति प्रथमखंड तिलकाचार्य, १९८५ .....१५० जि.का ८७०/१ आगमोद्धारगाथा .........
......११२-११४ जि.का ३७ ० आवश्यकसूत्रबृहदत्ति-............हरिभद्रसूरि -वृ.... ....१४८७३४(१७५- त.का.१७ आचारांगचूर्णि
...१६७७ २०१ शिष्यहिता प्रथमखंड......
३०८) लों.का/५
आचारांगसूत्र तथा मूल.........सुधर्मास्वामी.................१६२५...२२-१२ ० आवश्यकहारिभद्रीयवृत्ति ......... हरिभद्रसूरि
अपूर्ण त्रूटक २६९ आवश्यकादिगतकथासंग्रह ...... ..१४०० ....२५७ जि.ता.१५१/४ आतुरप्रत्याख्यान ......
...........१४०० .....3४-३९ गद्यपध
| जि.ता. २५० ० आदिनाथचरित्र गाथाबद्ध ........ वर्धमानसूरि ............... र.११६० जि.ता आवश्यक्रवृतिटिप्पनक...........मलधारी हेमचंद्रसरि.........१३००..
पंचावसरमय ..............
.......ले.१३३९ जि.ता. १४७/२ ०आवश्यकवृत्तिविषषपदपर्याय...........
| त.का. २२१ आराधनाप्रकरण....... जि.का ११६५ आशाधर ........
डूं.का. ३८० आलोयण विधि. जि.का ११६२ आशाधरसारणी ............
+ क़र्मग्रंथयंत्र विधि जि.ता/२१/१ आशापल्लीयउदयनविहारस्थजिन प्रघुग्नसूरि ..................
२-४२
लो.का १४० इंद्रियपराजयशतक टबार्थ त्रूटक,....... | बिम्बअवन्द्यत्वमतव्यवस्थापन
२६७/१ ० इंद्रियपराजयशतक सस्तबक .. जि.ता. २७९/२ ० आशापल्लीयउदयनविहारस्थजिन-..
1....१४००..४३-१४९ जि.का ८५९ इंद्रियपराजयशतक सस्तबक . बिम्बावन्द्यत्वमतनिरास (अपूर्ण)
आ.का ३५८ इकविंशति स्थानक ......... जि.का ४२०/३७. आश्चर्यचतुर्दशी ... भैया...
२१६ इकविंशतिस्थानक ... सिद्धसेन सूरि .... लो.का ३५१ आषाढभूतिचोढालिया ....
२१८ इकविंशतिस्थानक..... सिद्धसेन सूरि ...... लो.का ३९३ आषावभूतिचौपई ...
ज्ञानसागर.. १७६१ --......१-८ त.का. २५
इकविंशतिस्थानक........... मनरूपविजयगणि....... लो.का ३६९ आषाढभूविचौपाई ज्ञानसागर..
.१-११|| त.का. २७४ इकविंशतिस्थानक सह टवार्थ सिद्धसेनसूरि.......... इं.का. |
आषाढाभूति चौटालीया ... मानसागरसूरि ................१९०५ .......७ त.का. ३९५ इकविंशतिस्थानक सह रब्बार्थ .... ४०२ आषाढाभूतिचीपाई ....... ज्ञानप्रबोध..................
लों.का. १५५/१ इकविंशति स्थानक त्रूटक ........... त.का. ४१९ आषाढाभूतिचौपाई ......... ज्ञानसागर................... .१८०५
जि.का.
१३२५/४५ ० इगुणतीसीभावना ............... जि.का १९८८।३ आधादाभूतिधमाल.
कनकसोम............... ..र.१६३८ ....११-१४ त.का. ३८१/A इन्द्रिय पराजय शतक .............. आ.का १२७ आषाढाभूतिचौपई.
त.का. २०५
इन्द्रियपराजयशतक ..... डूं.का. १२६८ आषाढाभूति धमाल (चरित्र).... कनकसोमसुरि.
२४९ इन्द्रियपराजयशतक ..... त.का. ८१२ आहार अनाहारविचार .......
........१८४
त.का.um
इन्द्रियपराजयशतक ... |१३७८ आहारविधि छत्रीसी .............. जिनहर्ष
था.का. ११५ इन्द्रियपराजयशतक
.१७७९
Jain Education international
Page #391
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि.ता, १४०/३
लॉ. का. ३६२
जि.का ६१४
आ.का. ५७ जि.ता ३८८/१
जि.का. १६०९ हूं. का. ४०४
हूं. का. ३०४
डूं. का. १०८६
जि.का ४२० / ५३ जि.का ३०९ जि.का ३०१ जि.का ११००
त. का. ८९३
त. का. ८७७
त. का. ८८८
त. का. १०६२ हूं.का. ३०५ जि.का १०४० जि.का ९१२
बूं. का. १००३
लों का, ५३२
आ.का. १९१
ד
बूं. का. ११५८
ग्रंथ नाम
• इरियावहियादंडकचूर्णी इलाकुमारचौपाई.
इलाकुमार चोपाई इलाकुमारचीपाई
• इष्टसिद्धि वृत्ति सह अपूर्ण
ईरियापथिकीकुलक सस्तबक ईरीयापथिकी + पच्चखाण विचार + स्तुति ईलाकुमारचीपई ईलाकुमारचौपाई. ईश्वरनिर्णयपच्चीसी.
D ईश्वरशिक्षा
D ईषुकारीयचरित्ररास ईषुकारीयचरित्ररास
उठामण श्लोकार्थ व्याख्यान उठामणश्लोकार्थव्याख्यान उठामणश्लोकार्थव्याख्यान उठामणाश्लोकव्याख्यान उत्तमकुमार चौपई.. उत्तमकुमारचरित्र पद्य
उत्तमचरित्रकथानक गद्य उत्तमराजर्षिकथा
उत्तराध्ययन
• उत्तराध्ययन
(ग्रंथ नं. २५ के साथ रखा है) उत्तराध्ययन टीका
यशोदेवसूरि
ज्ञानसागर
कर्ता
न्यानसागर
परमहंस विमुक्तात्माचार्य स्वोपज्ञ
ज्ञानसागर भैया
क्षेमराजमुनि खेमराजमुनि
गंगाराम
सोमहर्ष
संवत्
र. १७२९
.ले. १८२२
....१८७०
१७८४
१७२६
१७१९
१९१२
१७७९
पत्र भंडार संख्या नाम ४८-५८ लों का, १०३ .... १-७ लों का, १०४
लो. का. १०५
लो. का. १०६
लों का १०७
लो. का १०९
लो. का. १०८
१८१५
dost
७
१२
८९.
२ त. का. १३३५
१० जि. ता. १९
त. का. ७६ १२. का. ८० . ४
१०४-१०५
त.का. ८२
३ जि.का ६५७
३
त.का. १२९७
३ था. का. २३७
२ जि. ता. १४७/९
ग्रंथांक
.२ था. का. ८२ २लों का ११५
.३
२७
३-१९
१७०११४
लों का, १११ ल. का. ११२
१६ त. का. ६४४/०
१० त. का. ११८१
३० जि. ता. ९४ / २ जि.का ४१७ २७९ जि.का ४९२
ग्रंथनुं नाम
उत्तराध्ययन मूल उत्तराध्ययन मूल
उत्तराध्ययन मूल
उत्तराध्ययन मूल
उत्तराध्ययन मूल
उत्तराध्ययन मूल अपूर्ण.
उत्तराध्ययनकथायें उत्तराध्ययनकथायें
उत्तराध्ययन मूल त्रूटक
उत्तराध्ययन सुखबोधाटीका
० उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति सह वृ.क. नेमिचंद्रसूरि
उत्तराध्ययनदीपिका उत्तराध्ययननां गीतो
| उत्तराध्ययननिर्युक्ति.
० उत्तराध्ययनपाइयटीका
• उत्तराध्ययनबृहद् वृत्तिपर्याय • उत्तराध्ययनवृत्ति उत्तराध्ययनवृत्ति अर्थ त्रूटक
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम परिशिष्ट १३४३
कर्ता
पत्र संख्या
उत्तराध्ययनवृत्ति सह टब्बार्थ उत्तराध्ययनवृत्ति सह बालावबोध व कथाओ उत्तराध्ययनसज्झाय उत्तराध्ययनसज्झायो • उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र
सुधर्मास्वामी.
सुधर्मास्वामी.
सुधर्मास्वामी.
सुधर्मास्वामी.
सुधर्मास्वामी.
सुधर्मास्वामी.
सुधर्मास्वामी.
विजयदेवसूरि
कमलसंयम राजशील उपाध्याय
शान्तिसूरि
संवत्
. १-१००
१-४१
१-९७
१-१०४
१-८४ १-१० , १-२३ ३९८ ..... ४५५ २२ . १४४ (१. १६१)
१६६१ ......२६७
१४९१
१६ १७ ४१७ ८३-९५
११२९.....३१२
१४८७
३५ . (६३-९७) १-१९९ १-३७८
....१५-२०
२१
५०
७१
५२
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--------------------------------------------------------------------------
________________
३४४ सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
नाम
जि.का ७३२
जि.का १०४४
जि.का १२३८
जि.का १४७१
जि.का १४७२
जि.का १४७३
जि.का. १४७४
हूं. का. २३
था. का. १८
था. का. २१
था. का. ७८
था. का. ७९
था. का. ८० लों का, १५५/२
आ.का. २६ आ. का. ६८ आ.का. १७८ आ.का. २३३
त. का. ७९
त. का. ६०२ त.का. ६६५
त. का. १२२६
आ. का. २५
हूं. का. ३४३
त. का. ८१
-
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र
० उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययन सूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
उत्तराध्ययनसूत्र
(१९१ नंबरका ग्रंथभी साथ है) उत्तराध्ययनसूत्र चोत्रीस
अध्ययन उत्तराध्ययनसूत्र अवचूरि
कर्ता
उदयरंग मुनि
गणधर
संवत्
१५३९
१६३५
१८६०
१६६९
१६७४
१५५४
૧૮૨૮
भंडार नाम
८४ जि.का १४८०
८०
३६
जि. ता. ९५ ७६. जि.का १४८३ ३-४० जि.का ४६१
पत्र
संख्या
३६
५१ जि. ता. ९७
४९
४१ जि.ता. ९६
.... 41
..... ५१ ...... ५३
ग्रंथांक
लों का, ११३
लों. का. ११४ ४५ जि.का. १६६२
१८
६६ जि.का ३७१
६४ जि.का, ४४०
४८ लों. का, २९७
६२
४५ लों का, ३२८ ७२
- ३४ (२६०- त.का. १०४६
३०३)
४-२९
५४
लो. का ६८९
हूं. का. १०२४
९६ था. का. २४१
त. का. ७८ .....४५ त. का. १२१२
ग्रंथनुं नाम
उत्तराध्ययनसूत्र अवचूरिटिप्पणीसह
• उत्तराध्ययनसूत्र चूर्णी
● उत्तराध्ययनसूत्र दीपिकासह उत्तराध्ययनसूत्र
बालावबोधसह १३ अध्यनपर्यंत ● उत्तराध्ययनसूत्र बृहदवृत्ति द्वितीयखंड (पाइयटीका)
• उत्तराध्ययनसूत्र बृहदवृति पाइयटीका किंचिदपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र वृत्ति सह टब्बार्थ. उत्तराध्ययनसूत्र वृत्ति सह टब्बार्थ उत्तराध्ययनसूत्र सप्तबक
उत्तराध्ययनसूत्र सस्तबक उत्तराध्ययनसूत्र सस्तबक उत्तराध्ययनसूत्र सह कथाओ त्रुटक
उत्तराध्ययनसूत्र सह कथाओ त्रुटक
उत्तराध्ययनसूत्र सह टब्बार्थ, अपूर्ण
उत्तराध्ययनसूत्र सह बालावबोध उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति
० उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति उत्तराध्ययनसूत्र सह वृति
पत्र
कर्ता संवत् संख्या ज्ञानसागरसूरि अव.क.र.१४४१ ........ ३३ .से. १४८६ १४८९ [.......] . २५३
गोपालिक महत्तर शिष्य
२४४
४९
वादिबेताल शांतिसूरि धारापद्रगच्छीय वादिवेताल शान्तिसूरि थारापद्रगच्छीय
नेमीचन्द्रसूरि नेमीचन्द्रसूरि
१४९१
१३००
१७०२ मू-१८२८. ..८-१८३३
१७११ १७६७
. १८२८
२०८
....३९० . १-११२ ...१.१६४ १६८
- ३४-१३० १६१ . १-६५
१-१३
४१
२३८ - १६० से . २६८ तक २९२ .....२७६ ४२
Page #393
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार ग्रंथांक |
नाम
१-२४
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३४५ ग्रंथनुं नाम पत्र भेजार| ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
। कर्ता संख्या ।। नाम
पत्र संवत्
|
संख्या त.का. १२०८ उत्तराध्ययनसूत्र सहटब्बार्थ ......
........१६ जि.का १४७९ | उत्तराध्ययनसूत्रिसुखबोधावृत्ति- नेमिचंद्रसूरि-वृ............ र.११२९ .....८३ लों .का ११६ उत्तराध्ययनसूत्र सहटबार्थ झूटक..
नवम अध्ययन पर्यंत था.का २३४ ०/उत्तराध्ययनसूत्र सहवृत्ति......... नेमीचन्द्रसूरि ................११२९..... २९२| था.का.८१ ० उत्तराध्ययनसूत्रवृत्ति .............
... ३०७ जि.का ५०१ ० उत्तराध्ययनसूत्र सार्थ-अवचूरिसह ... १६३| जि.का १४८५ उत्तराध्ययनसूत्र सस्तबक ......
.१७४ जि.का १४८४ उत्तराध्ययनसूत्र सावचूरि .....
......२१८||था.का/२४२ ०उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति ...... नेमीचन्द्रसूरि .............. र.११२५ |..... २९९ | किंचिदपूर्ण
............. ले.१ 100 जि.ता९८ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह वृ.क.नेमिचंद्रसूरि ....... ....१३५४ ......३९५||जि.का १४८१ उत्तराध्यनसूत्र. .का १४७७ | उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह नेमिचंद्रसूरि-वृ. .......... र.११२९
र.११२९ .......२९५ ।
प्रथमद्वितीयाद्ययन सस्तबक जि.का १४७८ ० उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह नेमिचंद्रसूरि-वृ......
..... २८१त.का. ५२९ | उत्तराध्ययन की सज्झाय ........उदयरत्न................. जि.का २१७२ ०|उत्तराध्ययनसूत्र सुखयोधावृत्तिसह | नेमिचंद्रसूरि-यू......
. १७० आ.का. ३२४ उत्तरमांगलिकमाला ....... जि.का १४७६ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसह | नेमिचंद्रसूरि .............. र.११२९ ......३०४||जि.का १४७५ उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति .......... भद्रबाहुस्वामी ............
.............ले.१६२४
आ.का ३४७ उत्पतिबहुत्तरी.............. जि.ता. १०० उत्तराध्ययनसूत्र सुखावबोधा ... नेमिचन्द्रसूरि ................१३००/......३१७ डूं.का. १८० उत्सूत्रखंडनाधिकार ................ | | वृत्ति त्रूटक अपूर्ण
बूं.का. ७४० उत्सूत्रप्ररुपणाविषये .... जि.का १४८२ उत्तराध्ययनसूत्र स्तबक अपूर्ण ................
....................१२२
जमालीदृष्टांत ई.का. 900 उत्तराध्ययनसूत्र-सह टवार्थ .....जीवणदास ..................१८३२...... १७२ आ.का.५२ उदयबावनी. जि.का ८३५ उत्तराध्ययनसूत्रछत्रीसभास...... | राजशीलोपाध्याय ...........१६१२
उद्भटकाव्यालंकारलघुवृत्ति..... वृ.क.प्रतीहारेदुराज .......... जि.का ५४ उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति .......... भद्रबाहुस्वामि ............... .७(१०११- .का.
उधमणेका श्लोक ...
दलिचंद-पं. १०१७)ीत.का.
उन्नतीसभावनास्तवन .... |जि.का १३००/ २० उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति
.५२७७ .. २२-४७| डूं.का. ११९८ उपकरण गाथा...... जि.का ५५
०/उत्तराध्ययनसूत्रबृहदवृत्ति- .......वादिवेताल शांतिसूरि ... .......... .........१८४ जि.का १८८५ उपदशायंत्र ज्योतिष ................. पाइयटीका ....
......(१०९८- लों.का ५४३ उपदेश बारहखडी ............१२०१)
उपदेश वारहखडी जि.का ९६० उत्तराध्ययनसूत्रवृत्ति त्रू.अ......कमलसंयमोपाध्याय ................. २९९-३०८ १५८/१६० उपदेशकंदली ................... आसड ....................१४००/ १८७-१९८ आ.का २४३ उत्तराध्ययनसूत्रसहवृत्ति............. ......२९४ १५१/१२ उपदेशकुलक
....१४००/...६७-७८ (जि.का ६६९ उत्तराध्ययनसूत्रसावचूरिक. .......१५९८ ..... १०९/ १५१/१९ ० उपदेशकुलक
जिनप्रभसूरि
१४०० १०६-११३ पंचपाठ
उपदेशकुलक
..११६९/......३-५ १३६/२ ० उपदेशकुलक .......
....४
जि.ता.
EEEE
जि.ता १७१/२
.
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________________
भंडार| ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
पत्र संस्था
नाम
संवत्
संख्या
३४६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथनुं नाम कर्ता
भंडार| संवत्
ग्रंथांक त.का.४३१ | उपदेशतरंगिणी
रत्नमंदिर गणि ..............१५३९
त.का.|५५३ जि.का ४२०/२५ उपदेशपच्चीसी
भैया.
..१७४१ ६४-६६ त.का. |१०३९ था.का.९७ उपदेशपद...
हरिभद्रसूरि ......
त.का. १०५१ त.का. ५३५ उपदेशपद .....
हरिभद्र
त.का. १२३० त.का. ५३३ उपदेशपद सह वृत्ति
मुनिचंद्र ..........
त.का. १२७२ जि.ता. २१४/१ ०|उपदेशपदप्रकरणलघुटीका ...... टी.क.बर्धमानसूरि ....... र.१०५५
आ.का. ३०४ .ले.१२१२
था.का ४० |जि.ता/२१५ ०|उपदेशपदप्रकरणलपुटीका .......टी.क.वर्धमानसूरि ....... र.१०५५, १४९-२९९
.ले.११९३
त.का. ११६५ |जि.का ११७ ० उपदेशपदप्रकरणलघुवृत्ति ....... वर्धमानसूरि.
1 4
||त.का. ५५० ..............र.१०५०, .ले.१९८३
त.का.५५४ था.का. ९३ . उपदेशपदवृत्ति .............. वर्धमानसूरि.
१५५ जि.ता. २२० जि.का ११८० उपदेशप्रकरणलघुवृत्ति वर्धमानसूरि
र.१०५० ...१४३
.ले.१९८३
उपदेशमाला उपदेशमाला उपदेशमाला ........... उपदेशमाला ........... उपदेशमाला ............ उपदेशमाला (सज्जाय)........... उपदेशमाला + दानविधि............... +चैत्यवंदनभाष्य
उपदेशमाला + लघुशांति ...... ० उपदेशमाला अवचूरि ...........जयशेखसूरि ..............
उपदेशमाला अवचूरि ............ जयशेखरसूरि ................१८४५ ० उपदेशमाला अवचूरि त्रूटक अपूर्ण ........... .........१३०० ०/उपदेशमाला कर्णिकावृत्तिसह ... धर्मदासगणि -मू.. ..........१२९९ /..२०-२७५
........... वृ.क.उदयप्रभसूरि । उपदेशमाला दोघट्टी वृत्ति ..... रत्नप्रभसूरि ....र.१२३८/..९२-२५४
...ले.१४८१ उपदेशमाला प्रकरण ....... उपदेशमाला प्रकरण सह टब्बार्थ रत्नशेखर पं..ले.............१८२५ व कथाओ
उपदेशमाला बालावबोध अपूर्ण ........... ०/उपदेशमाला बृहवृत्ति ..........
............... प्राकृतकथासह ०/उपदेशमाला बृहद्वृत्तिसह ....... ..........
..............१३०० प्राकृतकथासह उपदेशमाला बृहद्वृत्तिसह ..... प्राकृतकथासह अपूर्ण उपदेशमाला मूल
....१६७२|.....१-२२
...११७८
जि.ता १५३/
१ ०/उपदेशपदप्रकरण ............... हरिभद्र आचार्य जि.ता. १६३० उपदेशपदप्रकरण
हरिभद्रसूरि .. त.का. १०२७ उपदेशबाराखडी जि.का १३२६/४१० उपदेशमणिमालाकुलक .........जिनेश्वरसूरि .. जि.का २१६०/१५ उपदेशमाला ... था.का ३३
उपदेशमाला ........................ था.का. ३८ उपदेशमाला ..........................
उपदेशमाला ...... उपदेशमाला उपदेशमाला
उपदेशमाला .................धर्मदासगणि त.का. ५४९
उपदेशमाला त.का. ५५१ उपदेशमाला .... त.का. ५५२ उपदेशमाला
....१.८५ जि.का. .....११२
था.का.२८ २६९-२७०|इं.का. २८४ ५९-६३
|जि.का १५८३
२४ जि.ता.२३० .. ६-४७
जि.ता.२२८
जि.ता.२२९
.......
..१७५९
लों,का,१७१
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Page #395
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
ग्रंथांक
लो.का.४८५
त.का.|१०८५
त.का. ५०४ बूं.का. ३३० जि.का १२१
ववव
जि.का २१९६
जि.का ३९४
जि.का १५७६
११०
जि.का २६२ जि.का ५६०/२ जि.ता.२२७ जि.ता, १५६/४१ जि.ता/१५७/१ जि.ता.१५९/१ जि.ता. १६०/१२
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३४७ पत्र भंडारा ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् संख्या नाम ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत् उपदेशमाला सह टब्बार्थ ...... ..१-५७ जि.का १३१०/६ उपदेशमालाप्रकरण ............. धर्मदासगणि ..........
... ............१५००
..६९-१०३ व कथाओ जि.का १३१७/१ ० उपदेशमालाप्रकरण ...... धर्मदासगणि..
....३-३५ उपदेशमाला सह बालावबोध ..
जि.का १३२६/१० उपदेशमालाप्रकरण ........ धर्मदासगणि. अने कथायें
जि.का १५७९ उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि उपदेशमाला सह वृत्ति ...........समयसुंदरगणि
जि.का १५८० उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि उपदेशमाला सहावचूरी हीरामुनि
.१६२५
.का २१६५
उपदेशमालाप्रकरण | उपदेशमाला हेयोपादेयावृत्ति...
.......१९८३
उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि .. कथासह
१५७७ उपदेशमालाप्रकरण .... धर्मदासगणि .. उपदेशमाला हेयोपादेयावृत्तिसह धर्मदास गणि -मू.क...................
११३७ उपदेशमालाप्रकरण .....
....१६८८ 1... १२-२१ वृ.क.सिद्धर्षि उपदेशमालाप्रकरण अपूर्ण ...... धर्मदासगणि ....................
.....६-१४ उपदेशमाला हेयोपादेयाटीका ... सिद्धर्षिगणि. ............१४००
२३५ १५७८ उपदेशमालाप्रकरण अपूर्ण ...... धर्मदासगणि .........
...१०-२५ उपदेशमालाकर्णिकावृत्ति अपूर्ण . उदयप्रभसूरि ....
जि.का
० उपदेशमालाप्रकरण अवचूरि ... उपदेशमालागाथासज्झाय...
किंचिदपूर्ण उपदेशमालादोघट्टीवृत्ति .. रत्नप्रभाचार्य
१३०० उपदेशमालाप्रकरण टिप्पणीसह धर्मदासगणि
१-४३ उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि
११९२ ४-३४ जि.का १६७० उपदेशमालाप्रकरण टिप्पणीसह धर्मदासगणि . उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि
.१३१० जि.का १२९० उपदेशमालाप्रकरण
रत्नप्रभाचार्य-टी..............१४००[.. ७३७० ० | उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि .१३४५
दोघट्टीवृत्तिसह अपूर्ण ० उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि
.१३०० १२४-११ जि.का १५८१
उपदेशमालाप्रकरण. धर्मदासगणि-मू............२.१६६९/........४३ उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि १४००
बालावबोधसह ......... बिमलकीर्ति-बा.क.......ले. १६८० उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि
.१५७३ १९/ जि.का १५८२
उपदेशमालाप्रकरण. उपदेशमालाप्रकरण
धर्मदासगणि ..१६५१
बालावबोधसह अपूर्ण उपदेशमालाप्रकरण .. धर्मदासगणि
.का १०१८
उपदेशमालाप्रकरण शब्दार्थसह. धर्मदासगणि. उपदेशमालाप्रकरण .. धर्मदासगणि
उपदेशमालाप्रकरण सस्तबक ...... उपदेशमालाप्रकरण... धर्मदासगणि
उपदेशमालाप्रकरण सस्तबक... धर्मदासगणि -मू.क. .......... उपदेशमालाप्रकरण ... धर्मदासगणि
किंचिदपूर्ण उपदेशमालाप्रकरण ... धर्मदासगणि
का २०१ ० उपदेशमालाप्रकरण सावचूरि ... धर्मदास गणि मू.क.......... १४४८ | उपदेशमालाप्रकरण.. धर्मदासगणि
पंचपाठ उपदेशमालाप्रकरण ....... धर्मदासगणि..
जि.ता. १६५
३३०/१
४५०
EEEEEEEEEEEE
M
का ४६५ का ४७१ का ४७२
५४
जि.का ७३५ जि.का ९३६
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________________
भंडार
ग्रंथांक
कर्ता
ग्रंधर्नु नाम
संवत्
नाम
का ४६९
२१८
३४८ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथर्नु नाम
संक्त । पत्र भंडार नाम
| संख्या
ग्रंथांक जि.ता.१५५/७ ० उपदेशमालाप्रकरण- ............ मलधारी हेमचन्द्रसूरि ........१२२२/१०४१५५/ आ.का. ३१४ पुष्पमालाप्रकरण
जि.का २०१२/३ जि.ता. १५८/१४ ० | उपदेशमालाप्रकरण- ............ मलधारी हेमचन्द्रसूरि .......१४००/१४०-१८०||.का. १३१२ पुष्पमालाप्रकरण
जि.ता. १६८ जि.का १५० उपदेशमालाप्रसरण.............. धर्मदासगणि ....
.........२६] .का. ३७७ जि.का ४५ उपदेशमालाप्रकरण सस्तबक .... धर्मदासगणि ................
...... ४३
था.का. १८६ इं.का. १०७ उपदेशमाला सह टब्बार्थ ........ शांतिविजय .................१८२४....... १०२/
आ.का./५ व कथाओ
आ.का.१६८ उपदेशमालाप्रकरण.............. आ.का १६५ उपदेशमालाप्रकरण.............. धर्मदासगणि ................१६२४ इं.का. ९४५ उपदेशमालावृत्ति ................. वरचंद्र गणि. ................१५१८
का. ८४५ ड्र.का. ९६३ ० उपदेशमालावृत्ति ..
था.का. ५२ त.का. ५४८ उपदेशमालावृत्ति ................
बूं.का. १६ जि.का ३६६ ० उपदेशरत्नकोश सस्तयक
२||त.का. ११७० बूं.का. १२७० उपदेशरत्नकोश सह टब्यार्थ....
......२ जि.का १९४८ त.का. ७४२ उपदेशरत्नकोश सह टब्बार्थ.... धनपाल पंडित.............
का ११९१ |११८२ उपदेशरत्नकोश सह बालायबोध त.का. २२८ उपदेशरत्नकोश सह बालावबोध
डूं.का. ३८५ जि.का १५९४ | उपदेशरत्नकोश सावचूरिक .........
त.का. १८१ त्रिपाठ
२१९ लों,का १४ उपदेशरत्नकोष..............
............१.१७/ नं.का. जि.का १६६४ उपदेशरत्नाकर ................... मुनिसुंदरसूरि ...............
जि.का. ૧ર૬૮ जि.का १५९५ उपदेशरत्नकोश सस्तबक .....
जि.ता.४०३ जि.का १३०५/२ ० उपदेशरसायनरासक सटीक ... जिनदत्तसूरि-मू.क., ........१२९४ --- ३९-५९
टी.क.जिनपाल
त.का. जि.का १३१७/१४ ० उपदेशरसायन
जिनदत्तसूरि
१३२-१३८ ३०३ जि.का २००० उपदेशरसाल.
.१८१३ जि.का २६१/२ ० उपदेशशतक .......
दुर्गास्वामीशिष्य
.............
उपदेशसप्तति.... उपदेशस्तवन .............. धर्मसी.
उपदेशसत्तरी.. ० उपदेशपदप्रकरण .............. हरिभद्रसूरि..
उपदेशवत्रीसी........ उपदेशमाला ....................जयंतसिंह.............. उपदेशमाला .......... उपदेशमालाविधि.......... उपदेशमाला सह अवचूरि, उपदेशरत्नकोष .. उपदेशरत्नाकर ................... मुनिसुंदरसूरि उपदेशरत्नाकर ............. | मुनिसुंदरसूरि उपदेशसप्तति .................... | सोमधर्मगणि. उपदेशसार
.....१७९९ उपदेशतरंगिणी .............. रत्नमंदिरगणि................१५३५ उपदेशमालाशकुनावली .........
उपदेशमालाप्रकरण ..... • उपधान आलोचना ......
उपधानकथानक ...... ० उपधानदीक्षानुयोगविधि.............
उपधानविधि ............. 0 उपधानविधिप्रकरण.............. मानदेयसूरि.. ० उपमितभयप्रपंचाकथा.
प्रतित्रिकपुष्पिकात्रिक आदि उपमितिभवाप्रपंचकथा. उपसर्गहर बालावबोध उपसर्गहर स्तवन बालावबोध ........ उपसर्गहरस्तोत्रप्रभाये ..........
१-४१
१०६
...................
६९२
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________________
३५० सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
नाम
ग्रंथनुं नाम
जि.का. १३२६/२३० उल्लासिक्कमस्तोत्र
जि.का १२५०
जि.का १६१८
जि.का ४६०
लों का ११० जि.का ५६
जि.का १३८५ जि.का ६६० त. का. ८३ जि.का १६२५/२० उवसग्गहरं जि.का २१२०/१२ उवसग्गहरं वृत्ति जि.का १६९३ / ४ ० उवसग्गहरंस्तोत्र
त. का. ८६०
लों का, ३३५
त. का. २६६ त.का. १००१
हूं. का. ८९६
डूं. का. ११५७ जि.का. ५३
जि.ता ३३० जि.का १३२१ त. का. ११९ जि.का ७१६ जि.का १७४४
लघुअजितशांतिस्तोत्र उल्लासिक्कमस्तोत्रबालायबोध
उल्लासिक्कमस्मरण सस्तबक जिनवल्लभसूरि
नमिऊणस्तोत्र सस्तबक
• उवयाइसूत्र
० उववाईसूत्रपर्याय.
....
उववाइ उपांगसूत्र सह टब्बार्थ
उत्तराध्ययनसूत्र प्रथम अध्ययन उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति त्रूटक
कर्ता
जिनवल्लभगणि
| धर्मसागर
• उवसग्गहरंस्तोत्र सहावचूरी. • उवसग्गहरंस्तोत्र व बृहत्शांति ० उष्ट्रिक (खरतर ) मत .......... • उष्ट्रीकमतोत्सूत्र उद्घाटनकुलक ● उत्तराध्ययन सूत्र सह टब्बार्थ उत्तराध्ययनकथाओ बालावबोध जयहंस
• उत्तराध्ययनसूत्र
• उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णी.
• उद्भटालंकारलघुवृत्ति उपदेशमालाप्रकरण अपूर्ण उपासकदशांगसूत्र
D. ऋग्वेद यजुर्वेद गतशब्दादिनिर्णय ● ऋजुप्राज्ञप्रक्रियावृत्ति
भद्रबाहुस्वामी जिनप्रभसूरि
गोपालिक महत्तरशिष्य
वृ.क. प्रतीहारेंदुराज धर्मदासगणि
गणधर
संवत्
. १८५३
. १६२२... १६४६
. १८८३
. १७५१
पत्र भंडार संख्या नाम २३०-२३२ जि.का १७४५ आ.का. ३०६ २ त.का. ४०६
१४००
, १४००
. १७२०
७ था. का. ४०३ जि. ता. १५६/१९
२९
१६-२६ सूं. का. ३७२
५६
१ जि.का १३१६/१ ४०-४३
२-३ त. ता. २ .......२ लों का ४९२/A १-२
.५ जि.का ८१२ .३ जि.का ११९३ २०१ त.का. ८२१ ..... १११ जि.का २००६ . २४ (९८७- जि.का ३४२/४ . १०१०)
जि.का २१३५
....
२ १-६
.. १४८८५८ (१२०२
- १२५९) १४२ १०५-११६
ग्रंथांक
२१
२-२० ५
लों. का ४९२ / B
लों का ४५५
डूं. का. १४१ जि.का ६२१ त.का. ४२२
त. का. १०१२
था. का. ४३०
था. का. ४६३
ग्रंथनुं नाम
● ऋजुप्राज्ञव्याकरण ऋजुप्राज्ञव्याकरण ऋषभ विवाहलो
ऋषभ स्तवन,
० ऋषभ शान्ति नेमि पार्श्वमहावीरजिनपंचकस्तोत्रपंचक ऋषभदेव स्तवन..
+ दशवैकालिकनी सज्झाय ऋषभदेव, शांतिनाथ, नेमिनाथ, | पार्श्वनाथ, महावीरजिनपंचस्तवन
• ऋषभदेवचरित्र पद्य ऋषभदेवजी रो विवाहलो + प्रकीर्णक पद
D ऋषभदेवविवाहलो D ऋषभदेवविवाहलो ऋषभदेवस्तवन
| ऋषभदेवस्तवन बालावबोधसह D ऋषभदेवस्तवन बालेवामंडन
• ऋषभदेवस्तवनआदि
| ऋषभदेवविवाहलो ऋषभदेवस्तुति
+ अवंतिसुकुमालरास ऋषभदेवस्तोत्र ऋषभपंचाशिका सस्तबक
ऋषभविवाहली ऋषभविवाहला
ऋषभस्तवन
ऋषभस्तवन
कर्ता
सहजकीर्ति
जिनवल्लभसूरि
लालचंद
जयसिंहसूरि
रविविजय विजयतिलक जिनसुंदरसूरि
धनपाल
जोगीदास
पुण्यसागर पुण्यसागर
संवत्
११९२
१८३९
पत्र संख्या
१०
७६
११
२
८४-९०
.3
- १९२-१९४
• १३३०१ थी २०४
१-७
१३ १३
१९३४ ......२
.........4 २-३
१-८
१-६
४
१९
.
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________________
भंडार | नाम
ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम
को
डूं.का.|५८७ इं.का. १२८७ जि.का ४२०/५० इं.का. ४७२
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३४९ पत्र भडार।
पत्र ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | संवत् संख्या नाम
संख्या .........८ जि.का २२४२ | उपासकदशांगसूत्र सस्तबक .. ....................
अपूर्ण ........१७५०... ९६-९८ /जि.का ७३३ उपासकदशांगसूत्र सस्तबक
.१६९६ ....२१ डूं.का. ११७४ उपासकदशांगसूत्र सह टब्बार्थ ... क्षेमविमल .११७७ उपासकदशांगसूत्र सह टवार्थ ...
... १७११ १८३२ ५७ त.का. ११८ उपासकदशांगसूत्र सह टब्बार्थ .... | जि.का १८/१ उपासकदशांगसूत्रवृत्ति ..... अभयदेवसूरि..
.....१-११ २२७/२ उपासकदशांगसूत्रवृत्ति..... अभयदेवसूरि
... ७४-८७ २१ जि.ता.१९/ २ ० उपासकदांगसूत्रवृत्ति...... अभयदेवाचार्य
१४५-१७८ २३/१ ० उपासकदशांगसूत्रवृत्ति.. अभयदेवाचार्य
६१-६८ ० उपासकदशांगादि सूत्र......... सुधर्मास्वामी
१०२३
.. १७३३
इं.का.
इं.का. ४३६
लों का ३४
था.का. १६३ लौ.का ३३ जि.ता. २१/१ त.का. १२२
१९ जि.का १७
उप
जि.ता.२०/१ जि.ता. २२६
५५२
उपस्थापनविधि ० उपस्थापनविधि
उपादानकारणनिमित्तकारणसंवाद भैया ........... | उपाश्रयद्वार पदावृत्य. |विधिचैत्यालय उपासकदशांग टब्बार्थ-प्रथम .............. श्रुतस्कंध उपासकदशांग मूल त्रूटक ....... सुधर्मास्वामी... उपासकदशांग वृत्ति........ उपासकदशांगमूल ..............-सुधर्मास्वामी उपासकदशांगवृत्ति ..............अभयदेवाचार्य, |उपासकदशांगवृत्ति + अंतगड.... + अणुत्तरोववाइ उपासकदशांगसूत्र .. उपासकदशांगसूत्र उपासकदशांगसूत्र
सुधर्मास्वामी उपासकदशांगसूत्र
सुधर्मास्वामी ० उपासकदशांगसूत्र
सुधर्मास्वामी. उपासकदशांगसूत्र उपासकदशांगसूत्र उपासकदशांगसूत्र ... उपासकदशांगसूत्र .......... उपासकदशांगसूत्र ....... उपासकदशांगसूत्र उपासकदशांगसूत्र अपूर्ण उपासकदशांगसूत्र सस्तबक उपासकदशांगसूत्र सस्तबक..
EEEEEEE
ME15
१८२-२०२ आ.का ४७/१ .....१-१
- आ.का. ४०/२ .....१-१६ जि.का
८२/१
....१९८३
७५(१०६७..११४२)
१४०३
२५ त.का.|१०८३
जि.का १४०४ जि.का १३७९ त.का. १२० त.का. १०८२ तं.का. |१२३४ जि.का १२०६ जि.का ७५१ जि.का १४०९
PAHERE
उपासकदशांग विवरण .. उपासकदशांगविवरण.. उपासकदशांगसूत्र ... उपासकदशांगसूत्र ..... उपासकदशांगादि पंचागी...
................ सूत्रवृत्ति उपासकसूत्र
गणधर उपासकसूत्र............. उपासकदशांगसूत्रवृत्ति .......... अभयदेवाचार्य.............. उपासक + अंतकृत् ...... + अनुतरोपपातिकदशांगवृत्ति उपासकदशांग मूल त्रूटक ........ सुधर्मास्वामी उपासकदशांगसूत्र.......... उपदेशरत्नकोश सह टब्बार्थ ..... उपदेशपदप्रकरण ................
--- हरिभद्रसूरि. ० उल्लंठवचननिर्लोठनचोपाई .....
२३ था.का. १७४ ३८ त.का. ५१५ ६४ जि.ता. १६६
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________________
सर्व प्रथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ . ३५१
|
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत्
32
भंडार
ग्रंथांक नाम था.का ४८३ त.का. ८१४ त.का. ८३१ त.का. ८८२ त.का. ९३७/ त.का. १११४ त.का. ९३७/B इं.का. ९३७ लो.का ४६१ था.का ४२८ त.का. १२३३ जि.का १३१९ जि.का ४००
का.११७८
ऋषभस्तवन ऋषभस्त्तवन.... ........ समयसुंदर ..... ऋषभस्तवन... ऋषभस्तवन...
कुशलहर्ष ऋषभस्तवन......................दानमुनि ऋषभस्तवन सह बालावबोध ऋषभस्तोत्र ऋषभविवाहली..... ऋषभविवाहलो
...नथमल ऋषभस्तवन....
................ जेतसी-पं... ऋषभस्तवन ऋषिदत्ताचरित्र अपूर्ण..
...१४०० ऋषिदत्ताचोपाई
वेगडगच्छीय महिमसमुद्र..र.१६९८ प्रारब्ध, वेगडगच्छीय .....ले.१७६६ ....... २७
क्षमासुंदर ऋषिदत्तारास ................
जयवंतसूरि ................. १६४३ ऋषिदत्तारास ..
जयवंतसूरि
I..र.१६४३
.ले.१७०४ ऋषिबत्तीसी
पूर्वाचार्य....... ऋषिबत्तीसी ........
हरखबिजय...... ऋषिमंडल ग्रंथ .............. जिनलाभसूरि ................ १८६५ ऋषिमंडल पूजाविधि ........ ऋधिमंडल प्रकरण ............ उदयवल्लभ ................. १८०२ ऋषिमंडल सहवृत्ति
(५२५) ऋषिमंडल सहावचूरि ............
देवसारमुनि ऋधिमंडल सूत्र .... ऋषिमंडल सूत्र सहवृत्ति ........ श्रीसार -वृ.
३६३ ऋषिमंडलप्रकरण ............... धर्मघोषसूरि
aaaaaaa
भडारण ग्रंथांक - ग्रंथन नाम
कर्ता
संवत् नाम
संख्या जि.का १०८१ 0 ऋषिमंडलप्रकरण ....... धर्मघोषसूरि ...... जि.का १५७३ ऋषिमंडलप्रकरण ..... धर्मघोषसूरि .. २७८ ०ऋषिमंडलप्रकरण बृत्तिसह ........
............१३८० ......१९९ प्रथम खंड जि.का १२० अपिमंडलप्रकरण वृत्तिराह ....... धर्मघोषसूरि मू..............१९८३
प्रथम खंड जि.का १२६५ ऋषिमंडलप्रकरण................ धर्मघोषसूरि ...
................१६५२ त.का. ६३० ऋषिमंडलसूत्र ....... त.का. ६३१ ऋषिमंडलसूत्र ................... धर्मघोष त.का. ११७० ऋषिमंडलसूत्र .............
ऋषिमंडलसूत्र ........ .का ४७९ ऋषिमंडलसूत्रवालावबोध अपूर्ण
११४६ ऋषिमंडलस्तोत्र १६३७ ऋषिमंडलस्तोत्र ८५९ ऋषिमंडलस्तोत्र
.................. १८५५ ૧૧૦૮ ऋषिमंडलस्तोत्र त.का. १००८ ऋषिमंडलस्तोत्र (डिझाईन)
९७१ ऋषिमंडलस्तोत्र सह कथासंग्रह - हर्षनंदन २८/४ ऋषिमंडलयंत्र..... माणेकराजमुनि ..............१८४३
|११४३ ऋषिमंडलवृत्ति .... था.का.४०५ ऋषिमंडलसूत्र ............ .का. ९७२ ऋषिमंडलसूत्र बृत्ति सह कथा..हर्षनंदन, त.का. १०९२ ऋषिमंडलसूत्र सहवृत्ति.
.का. ३०९ ऋषिमंडलस्तोत्र ........ डूं.का.|१७/५ ऋषिमंडलस्तोत्र ...... डूं.का. १२२२ ऋषिमंडल + पार्धजिनस्तोत्र... लों.का. ४७८ ऋषिमंडलसूत्र मूल टब्बार्थ अपूर्ण इं.का. १३१७ ऋषिमंडलस्तोत्र सह गीतमस्तोत्र
जि.का ४१३
इ.का.
.............
१३०
त.का. १०७३ त.का. ६२९ था.का./२७ था.का १८२
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________________
१७८
सधाकलश
३५२ . सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ | ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता नाम जि.का १०१५ ०ऋषिमंडलप्रकरण ...............धर्मघोषसूरि ........ जि.का १५७४ ऋधिमंडलप्रकरण ................धर्मघोषसूरि .... जि.का १२४२ एक एक पानानां स्तवन, छंद, ..........
सज्झाय, गीत, स्तुति आदि त.का. १०२१ एक पत्रकी पूर्ण प्रतिओंका संग्रह ...... था.का ४१२ एकविंशति स्थानक • चार डाल धर्ममेरुगणि.... जि.का १६४८ एकविंशतिस्थानकप्रकरण ...... सिद्धसेनसूरि.
सस्तबक जि.का ६८२/१ एकविंशतिस्थानप्रकरण ...... सिद्धसेनसूरि .... जि.का ७२८/१ एकविंशतिस्थानप्रकरण .. सिद्धसेनसूरि ... जि.का १५४६
एकविंशतिस्थानप्रकरण.. सिद्धसेनसूरि.... जि.का १५४०
एकविंशतिस्थानप्रकरण . जि.का १५४८ एकविंशतिस्थानप्रकरण . सिद्धसेनसूरि.. जि.का १५४९ एकविंशतिस्थानप्रकरण ......... सिद्धसेनसूरि .. जि.का ८९३
एकविंशतिस्थानप्रकरण ......... सिद्धसेनसूरि ..
किंचिदपूर्ण जि.का ११०४ एकविंशतिस्थानप्रकरण सस्तवक सिद्धसेनसूरि ..... जि.का १५५० एकविंशतिस्थानप्रकरण सस्तबक
का १०२६ एकविंशतिस्थानप्रकरण सस्तबक सिद्धसेनसूरि ....... जि.का १०३४
एकविंशतिस्थानप्रकरणबालावबोध आ.का. ३२२ |एकविंशतिस्थानक ...
(इक्कवीसठाणा) त.का. १०४९ एकवीशस्थानक...... त.का. १०० एकवीशस्थानक सह टब्बार्थ ..
एकवीस स्थानक.................ईश्वर -......... २०१ | एकवीसस्थानक ...........
० एकविंशतिस्थानप्रकरण ......... सिद्धसेनसूरि. ६२७ एकाक्षरी नाममालिका ........... शंभुमुनि ..........
पत्र | संवत् | भडारा driक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत संख्या ....१७२६ १४ त.का. ५७५ एकाक्षरी नाममालिका .... .११ जि.का ८२४
एकाक्षरीनाममाला......... २१२९
एकाक्षरीनाममाला..... जि.का २१९३/१ ० एकाक्षरीनाममाला ... त.का.
एकाक्षरीनाममालिका..... जि.का २१९३/२ एकाक्षरीनिर्घटुनाममाला ...... डूं.का. ९६१ एकाक्षरनाममालिका .... इं.का. ३६६ एकादश अंगनी सज्ज्ञाय.. जि.का ७६१/३ एकादशगणधर एकादश भास ..दानशेखर ....
७६१/२ एकादशगणधरस्तुति .......... जि.का ३४७/३ एकादशीनिर्णयगर्भित ........... जिनसमुद्रसूरि ..........
पार्श्वनाथस्तवन जि.का १२३२ एकादशीमाहात्म्य-मत्स्यपुराणगत लों.का २२६ एकादशगणधरस्तवन........
....१६६८ लों.का ६१६ एकादशगुणस्थानाधिकार .........
....१८७३ जि.का ८५१ एकाक्षरीनाममाला ...... जि.का २०३८/१ एकीभावस्तोत्र..
....
बादिराज ૧૮૨૨ जि.का २११० एगुणतीसीभावना संस्कृत .....
स्तबक सह १७१९
जि.का १५६५ एषणाशतक... ...|त.का. १३१८ ऐतिहासिक आदि वृत्तांत ......
स्फूट पन्ना अने लघुग्रंथ १६९९ - १२३/१ ओघनियुक्ति .......
भद्रबाहुस्वामी .... १८५४ जि.का ४० ओधनियुक्ति ..........
भद्रबाहुस्वामि ................१४८९.१४(४४३....१८०६-...
४५६) ....१७७९
ओधनियुक्ति .................."
भद्रबाहुस्वामि จชะ ओघनियुक्ति
भद्रबाहुस्वामी ................१६५७ जि.का १४५० ओधनियुक्ति ................
भद्रबाहुस्वामी ................१५९०
१
७
.........
पार्धचंद्र
EEEEEEE
५४२
JainEducation International
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________________
संख्या
संख्या
......................४४
..३२
इं.का.
................१९२७
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३५३
भडारा ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत्
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत्
नाम जि.का १४५१ ओघनियुक्ति .................... भद्रबाहुस्वामी ...................
डूं.का. ४५६ औपदेशिक कथा .. था.का २७७ . ओघनियुक्ति
औपदेशिक कथायें। जि.ता.१२६ ० ओघनियुक्ति वृत्तिसह. वृ.क. द्रोणाचार्य ............१३००
....१३००/......२३३ आ.का १६१ औपदेशिककथाओ जि.का १४५३ ० ओघनियुक्ति सटीक, द्रोणाचार्य-टी..
१२५ था.का. २८० औपपातिकवृत्ति भद्रबाहुस्वामी-मू.
| लोंका १८० औपपातिकवृत्ति त्रूटक ० ओघनियुक्ति सह वृत्ति .... द्रोणाचार्य
.....१६६५ २०९| जि.का ९४५ औपपातिकसूत्र ० ओघनियुक्ति सह वृत्ति ....
--....१६५१
....२६ .का. ७८३ औपपातिकसूत्र... त.का. १५५ ओपनियुक्ति सह वृत्ति भद्रबाहु .............
... २३| था.का १७३ ० औपपातिकसूत्र .... ० ओघनियुक्तिअवचूरि ...
औपपातिकसूत्र ... ० ओघनियुक्तिबृहद्भाष्य....
१४९१
औपपातिकसूत्र .............. त.का. १४ ० ओघनियुक्तिभाष्य.
औपपातिकसूत्र सस्तबक .......... जि.ता.८४/4 • ओधनियुक्तिवृत्ति ...........
१११७
औपपातिकसूत्र सह टिप्पणक ... जि.ता.१२३/२ ० ओघनियुक्तिवृत्ति ..
....१४८७,......१६४||त.का.६४८ • औपपातिकसूत्रवृत्ति .............. अभयदे ० ओघनियुक्तिवृत्ति .......... द्रोणाचार्य ....................१२८९
....१२८९ ......२४१ जि.ता. २४/१ औपपातिकोपांगसूत्र जि.ता. १२५ ०ओघनियुक्तिवृत्ति ....
....१३००.......२३४ जि.का १९ औपपातिकोपांगसूत्र जि.का ४२ ओघनियुक्तिवृत्ति
द्रोणाचार्य ..................१४८८५-७३(४८७ | ३५३ ०औपपातिकोपांगसूत्र .......
. ५५९) जि.का १२३५ ० औपपातिकोपांगसूत्र .का १७२ ० ओघनियुक्तिवृत्ति
द्रोणाचार्य ...............१६२९ ...... ९८ जि.का १३८६ औपपातिकोपांगसूत्र सटीक .... अभयदेवसूरि-टी. .का १४५२ ० ओघनियुक्तिवृत्ति
द्रोणाचार्य-वृ..........
..... ६९||
त्रिपाठ अपूर्ण त.का. ११३१ ० ओघनियुक्तिवृत्ति
.....३-६६ जि.का २० ० औपपातिकोपांगसूत्रवृत्ति ........ अभयदेवसूरि .................१४८९ ३१(११५५जि.का ४१० ओघनियुक्तिभाष्य..
-३०(४५७
.. ४८६) जि.का ३५४ ०औपपातिकोपांगसूत्रवृत्ति ..... अभयदेवसूरि .................१६१ था.का ८३ ०ओधनियुक्तिभाष्य......
• ६८ जि.ता. २४/२ ०औपपातिकोपांगसूत्रवृत्ति ..... अभयदेवाचार्य .......... था.का.८४ ओघनियुक्तिवृत्ति ............
१५५ त.का. 0 औपपातिकसूत्र .... जि.ता.१४७/५ ० ओघनियुक्ति विषमपदपर्याय
६४-६६ औपपातिकसूत्र मूल .......
सुधर्मास्वामी जि.ता. ४००/४ ओम्कारपंचाशिका अपूर्ण ...
लों.का ४९ औपपातिकसूत्र मूल .......
सुधर्मास्वामी जि.का ११८६ ओम्कारबावनी अपूर्ण ....
७८२ ० औपपात्तिकवृत्ति
धर्मसुंदर .. जि.का ८४१ औक्तिक ..........
१२१ औपपातिकवृत्ति ...
जि.ता. १२४
११८५)
लों का ४८
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________________
भंडार
ग्रंथांक
भडार
संवत्
ग्रंथांक |
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत्
संख्या
संख्या
....
............१८२८
१३१
.१८७०
१२४८
जि.का १५५
३५४ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १
| नाम
कर्ता ग्रंथर्नु नाम डूं.का. ४३२ अंतगडदशांग सूत्र टब्बार्थ डूं.का. २८५ अंबडचरित्र. जि.का ४२०/४ अक्षरबत्रीसी
भगवतीदास.. जि.का १६२४ अजितशांतिस्तोत्रसस्तबक ...... नंदिघेण. जं.का. १३६६ अजितशांतिस्तवन हूं.का. ५६७
अटणमलनी कथा. लो.का ७२१ अथ नवपदमहिमावर्णनरूप ..............
श्रीपाल राजानो रास
अनेकांतजयपताकावृत्तिटिप्पनकमुनिचंद्रसूरि. था.का १७१ अन्तकृदशांग ......
(अनुत्तरोबवाई) सूत्र लों.का ४१ अन्तकृदशांगसूत्र सह टमार्थ .. जि.ता. ३१४/ ३० कइसिट्ठछंदाशास्त्र प्राकृत...
गाथाबद्ध जि.ता. ३१४/४ ० कइसिट्ठछंदाशास्त्रवृत्ति ..... भट गोपाल ....
१३९ कइसिठ्ठवृत्ति........... गोपाल पंडित.. जि.का ३८२ ० कइसिट्ठछंदाशास्त्र
.१९८३ इं.का. ७५० कठियारा कान्हड चोपाई ..... त.का. ११९८ कठियाराकान्हडरास ....... आ.का २३५ कटियाराकान्हडरास ..... जि.का ५२७
कतिचिद्विचारबालावबोध...
०/कथाकोश सटीक त्रूटक अपूर्ण .मू.क.जिनेश्वरसूरि ..........१३०० जि.का १९४/४ ० कथानककोश ........ जिनेश्वरसूरि. |१३१७/२४०/कथानककोश
जिनेश्वरसूरि जि.का १३२६/१२० कथानककोश .... जिनेश्वरसूरि जि.ता. १५६/१२० कथानककोशसूत्र
जिनेश्वराचार्य इं.का. ९४८
दरडामेहाजल
कथासंग्रह का २८००कधासंग्रह ३९७० कथासंग्रह
कथासंग्रह कथासंग्रह कथासंग्रह कथासंग्रह कथासंग्रह
कथासंग्रह ३१४/२ कथासंग्रह
१०९७ कथासंग्रह .. १-५४ १०५३ कथासंग्रह गद्यपद्य .......
१२२२ कथासंग्रह गद्यपद्य .....
१९५३ कथासंग्रह त्रूटक.............. १०-१८ त.का. ३२६ कथासंग्रह .......... लो.का ५५९
कन्यादान विधि .............. डूं.का. १२७८ कपूरचक्र यंत्रफल.............. जि.का ८२३ कमलावतीचरित्रचोपाई ....... था.का, ३५४ कयवना संधि लो.का ५०९/A कयवना-चौपई
लों.का ५०९/० कयवन्नाचौपई ... १८५-३३९] जि.का. ३१३ कयवन्नारास..
त.का. १०७८ करमछत्रीसी १९३-१९५/ आ.का ३४४ करमबत्तीसी १२८-१३० जि.का ११३६ कर्णकुतूहल
जि.का ११७४ कर्णकुतूहल ..... (१२१ थी जि.का. ११५५ कर्णकुतूहल वृत्तिसह ...... १६१)४० जि.का १८७४ कर्णकुतूहलज्योतिष
aPAAN-APP
1300
जि.का
माणिक्य राज -ले............. विजयभद्र
जयरंग.
जि.ता.२४३
गुणसागरसूरि.... रामचंद्र
१७२८
१७०८
कथारत्नाकर
भास्कराचार्य ........ सुमतिहर्षगणि-वृ.क...... भास्कराचार्य ..........
१६७८
..१६९३
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________________
भंडार माम
ग्रंथांक
जि.का ११७० जि.का ४२०/५४ जि.का ५७४ इं.का. १०२३ जि.का १९३ जि.का ९३५ जि.का ९२२
५३६
आ.का १८७ त.का. ७०९ जि.का २१८६ जि.का २४ जि.का २४७ जि.का १९१
पत्र भडाराजांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् |
| संख्या नाम कर्णकुतूहवृत्ति भास्कराचार्य -मू................."
...१८ था.का.४१४ कर्ताअकर्तापच्चीसी ............ भैया
......१७५१
११०५-१०६ कर्पटहेटकपार्श्वनाथरास ....... दयारत्न......................१६९४ ...... आ.का ५९ ० कर्पूर सहावचूरि. कर्पूरप्रकर हरिकवि....
१० त.का. १२८६ कर्पूरप्रकर ....
हरिकवि.... ० कर्पूरप्रकर सावचूरि पंचपाठ ..... हरिकवि ......
५ त.का./१२४७ अपूर्ण
था.का ८७ | कर्पूरप्रकरण ....... कर्पूरप्रकरणकथायें ..... कर्पूरप्रकरवृत्ति अपूर्ण .............
जि.का १५०७ कर्पूरमंजरीनाटिका ..............राजशेखर कवि..............१५३८
१५०७ ० कर्पूरमंजरीनाटिका कर्पूरसुमभाष्य प्रेमराज ........
४३७ कर्पूरमंजरीनाटिका टिप्पणीसह राजशेखर कवि ....... पंचपाठ अपूर्ण कर्पूरप्रकरण सह कथाओ ......... ईन्द्रमाण मुनि .............
...३६ | कर्पूरप्रकरण सह बालावबोध .... मेरुसुंदर ......
........--.७२-१२८|| कर्मक्षय व सिद्ध स्वरूप ..... कर्मग्रंथ कर्मग्रंथ (प्रथमसे पाँच) सह वृत्ति देवेन्द्रसूरि ...............
..१६८ कर्मग्रंथ १थी ४ .................देवेन्द्रसूरि .... कर्मग्रंथ १ थी ४ बालावबोध ...... देवेन्द्रसूरि ............
१९७० कर्मग्रंथ एक थी।
३१८ कर्मग्रंथ एक थी चार.....
३२१ कर्मग्रंथ एक थी चार सह टब्बार्थ देवेन्द्रसूरि
१५१४ कर्मग्रंथ एक थी त्रण.............. देवेन्द्रसूरि
१००३ कर्मग्रंथ एक थी त्रण सह टवार्थ
२३८ कर्मग्रंथ चतुर्थ -पंचम (नवीन).....
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ . ३५५
पत्र ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | सवत्
संख्या कर्मग्रंथ द्वितीय (प्राचीन) सह ................ अवचूरि कर्मग्रंथ द्वितीय तृतीय .......... देवेन्द्रसूरि ...............
......८ बालावबोध कर्मग्रंथ पंचम (नवीन) .... सह स्तबक कर्मग्रंथ पांचथी छ सह टमार्थ .. कर्मग्रंथ प्रथम थी पंचम(नवीन) (कर्मग्रंथटीका) सहवृत्ति .........जिनलाभसूरि ................ १८ तथा षष्ठमू कर्मग्रंथ प्रथम द्वितीय तृतीय ..... देवेन्द्रसूरि ............... कर्मग्रंथ प्रथम द्वितीय तृतीय.... देवेन्द्रसूरी ........... कर्मग्रंथ प्रथम बालावबोध त्रूटक... कर्मग्रंथ प्रथम द्वितीय .... पंचम (प्राचीन) पष्ठ कर्मग्रंथ प्रथमथी चतुर्थ ....... कर्मग्रंथ प्रथमथी पांच सटीक .... मलयगिरि .. कर्मग्रंथ प्रथमसे छा............. कल्याणमुनि -ले......... कर्मग्रंथ बेथी पांच .... कर्मग्रंथ सस्तवक.
सुंदरमुनि-ले.......
जीवविजय-क. कर्मग्रंथचतुष्क...
देवेन्द्रसूरि ........... कर्मग्रंथपंचक....
देवेन्द्रसूरि ......... ० कर्मग्रंथपंचक.......
देवेन्द्रसूरि -क.... कर्मग्रंथपञ्चक ...
देवेन्द्रसूरि ... कर्मग्रंथप्रथम (नवीन)... कर्मग्रंथप्रथमसे चतुर्थ(नवीन)... सह सस्तबक
AAAAA
न.का. १०४९ इं.का./५५६ नं.का. १२९८ त.का. ११२६ इ.का. ११३४ जि.का १५०६/१ इं.का. १०५२ त.का. १०४१ त.का. १०८९/ त.का. ११५३ त.का. १२२१ त.का. ११६९ इं.का. ११४६
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३५६ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
नाम
जि.का १५०६
डूं. का. ११४०
डूं. का. ९८२
आ.का २९८
त. का. ३८०
त. का. ३८३
त. का. ३८२
त. का. ३७९
लॉ. का. १९१
त.का. २०१
जूं. का. १५६ आ. का २६६ जि.का १०३७/१ लों का, ६३०
लो. का. ४८१ जि. ता. १६९ जि. ता. १७० जि.का ११४
त. का. ६८० जि.का १५१५ जि.का १५१५ जि.का १५१७
कर्मग्रंथषट्क कर्मग्रंथषट् सहटब्बार्थ
कर्मग्रंथसार
कर्मग्रन्थ चतुर्थ (प्राचीन ) सह टिप्पनक
कर्मग्रन्थ पंचम (नवीन)
कर्मग्रन्थ प्रथम से चतुर्थ (नवीन) सह बालावबोध
| कर्मग्रन्थ प्रथम से पंचम (नवीन)
सह बालावबोध
कर्मग्रन्थ प्रथम से पंचम:
सह सस्तबक
कर्मग्रन्थ प्रथमथी चतुर्थ
कर्मग्रन्थ षष्ठ (सत्तरि )
कर्मग्रंथ प्रथम से चतुर्थ नवीन कर्मग्रन्थ प्रथम (नवीन) कर्मछत्रीसी कर्मछत्रीसीसज्झाय कर्मप्रकृति पदवी बोल
० कर्मप्रकृतिचूर्णी
• कर्मप्रकृतिचूर्णी
D कर्मप्रकृतिचूर्णी • कर्मप्रकृतिटीका कर्मप्रकृतिप्रकरण. कर्मप्रकृतिप्रकरण.
● कर्मप्रकृतिप्रकरण वृत्तिसह
कर्ता
हर्षचंद्र पं.
देवचन्द्रसूरि
देवेन्द्रसूरि
समयसुंदर
मलयगिरि शिवशर्मसूरि शिवशर्मसूरि शिवशर्मसूरि.मू..
वृं. क. मलयगिरि
संवत्
. १८३७
१७५७
१५१६
१८६०
१२२२
१३००
. १९८३
• १४६८
पत्र संख्या
२०
६६
४ त.का. १२९५
३२ जि.का १५१६
२९
भंडार नाम
जि.का १२८४
जि. ता. १५४/१७० कर्मप्रकृतिसंग्रहणी
.९ जि. ता. ४१५/२
२७
● कर्मप्रकृतिसंग्रहणी जि.का १३३/१८० कर्मप्रकृतिसंग्रहणी कर्मप्रकृतिसंग्रहणी कर्मप्रकृत्ति चूर्णि कर्मबंध हेतु उदय त्रिभंगी सह वृत्ति
त. का. ६७९
२७ आ.का. ४४/B
त. का. ४३७
ग्रंथांक
१-८
६
११
३
१-२
. १-२
त. का. १२९४
था. का. ४६७
जि.का, ४२०/२८
त. का. ८९८
जि.का ६०६/२२० कर्मविचाचउपई
जि. ता. १५०/९
लों का, ६४६
डूं. का. ५३६
. ३०६ लॉ. का. ६१४
१०४ ११४
..... १५५ जि. ता. १७७/२
जि. ता. १७६/१
ग्रंथ नाम
• कर्मप्रकृतिप्रकरण सटीक अपूर्ण. कर्मप्रकृतिबंधहेतु • कर्मप्रकृतिवृत्ति
१७
१७ जि. ता. १५०/४ २०७ जि. ता. १६० / २ जि. ता. १७५
कर्मबंधहेतु त्रिभंगीस्तोत्र कर्मवत्रीसी कर्मभेदविवरण कर्मभेदस्थिति आदि
*******
• कर्मविचारसारप्रकरण कर्मविपाक प्रथम कर्म ग्रंथ ● कर्मविपाक बालावबोध
कर्मविपाक बालावबोध.
कर्ता
शिवशर्मसूरि-मू.क.. टी.क. आचार्य मलयगिरि
मलयगिरि-यृ. | शिवशर्मसूरि शिवशर्मसूरि
शिवशर्मसूरि
जिनभद्रसूरि
हर्षकुलगणि
भैया
देवेन्द्रसूरि
• कर्मविपाक प्राचीन प्रथम. कर्मग्रंथ वृत्ति
• कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रंथवृत्ति
• कर्मविपाक प्राचीन प्रथमकर्मग्रंथ गर्मर्षि
• कर्मविपाक प्राचीन प्रथमकर्मग्रंथ गर्मर्षि
• कर्मविपाक प्राचीन प्रथमकर्मग्रंथ विवरण सहित
संवत्
१४००
१४९९
. १६६२
पत्र
संख्या
१२१० १२१-१६२
५४-७८ ... ३२-४३
११
१००
१३
१२९५
३४७
१३००
१२२१
२ २ ६६मु ........२ ७०-७१
१३०० | १८६-२००
२
१२२
१-३ ५३ १-२०
४३
*****
१११
१२६-१४०
५-१८
७१
.
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________________
भंडार
संवत् ।
संख्या
...........
51052
आ.का १६०
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३५७ | भंडार कर्ता ।
पत्र ग्रंथनु नाम
संवत
ग्रंथांक | | नाम | प्रथाक |
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता नाम
संख्या जि.का ५३९ कर्मविपाककर्मग्रंथ.............. देवेंद्रसूरि
..४ जि.ता. ४१५/ ७ ० कर्मस्तवकर्मग्रंथ-........................
.............. १३९-१४२ जि.का ५७७ कर्मविपाककर्मग्रंथ अपूर्ण ........ देवेन्द्रसूरि ....
(प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ) जि.का १५०२ कर्मविपाककर्मग्रंथ प्राचीन ...... परनानंदसूरि ..
... १५/ जि.का १८६० कर्मस्तवकर्मग्रंथावचूरि |वृत्तिसह
जि.ता. १७९/ १ ० कर्मस्तवन-.......
गोबिंदगणि.............. जि.का २२२५ कर्मविपाककर्मग्रंथ सटीक
प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ वृत्ति जि.का ६३६ कर्मविपाककर्मग्रंथ सस्तबक ...... देवेंद्रसूरि
११ ३४५ कर्मसज्झाय+वीर स्तवन जि.का १२८८/३ कर्मविपाककर्मग्रंथवालावबोध ...
२४४-२५७ था.का १२३
कर्मोकी १५८ उत्तर प्रकृतियां |जि.का १५१० कर्मविपाककर्मग्रंथवालावबोध ...
|१७/३ कर्मग्रंथ बूं.का. ५५० कर्मविपाकग्रंथ ..
कर्मग्रंथ चतुर्थ प्राचीन .......... देवेन्द्रसूरि ........... जि.का ११७६ कर्मविपाकज्योतिष
१५०८ कर्मग्रंथ प्रथम द्वितीय ............ देवेन्द्रसूरि .......... हूं.का. १३५९ कर्मविपाकवृत्ति (प्रथम ग्रंथकी)
तृतीय सस्तबक अपूर्ण
डूं.का. ३८० कर्मग्रंथयंत्र विधि ........... जि.का १५०९ कर्मविपाककर्मग्रंथ ............... देवेन्द्रसूरि ..
७१ कर्मग्रन्थ षष्ठ (सत्तरी) जि.का ३२८ कर्मविपाककर्मग्रंथ सावचूरि...... देवेन्द्रसूरि मू.क.........
जि.ता. १७३० कर्मप्रकृतिवृत्तिसह अपूर्ण .........मू.क.शिवशर्मसूरि, ..........१३०० .....२२६ कर्मसंवेध भंग प्रकरण .......
वृ.क.मलयगिरिसूरि जि.का ३२२ कर्मस्तव द्वितीय कर्मग्रंथ ......... देवेन्द्रसूरि ....
आ.का १३६ कर्मभावना ग्रंथ प्रथम (नवीन) ... देवेन्द्रसूरि जि.का १९६० कर्मस्तव द्वितीयकर्मग्रंथ.......... देवेन्द्रसूरि,
जि.ता.४१५/८ . कर्मविपाककर्मग्रंथ-.
गर्गर्षि
१४२-१५१ ७.का. ५४१ कर्मस्तव बालावबोध ............. मतिचंद्रमुनि
प्राचीन प्रथम कर्मग्रंथ जि.ता १५०/३
कर्मस्तव-प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ, कमस्तवमा
...१३००/१२१-१३५ जि.का १५०३/१ कर्मस्तववृत्ति जि.ता.१६०/१ ०कर्मस्तव-प्राचीन द्वितीय कर्मग्रंथ ....१३००.......१५ जि.का ३१४० कलावतीरास ....
संयममूर्ति अंचलगच्छीय ....१५९४ जि.ता.१७६/२ ० कर्मस्तव-प्राचीन द्वितीय.........गोविंदगणि............ ..-.....१-५२||जि.का ३६८० कलिकालरास ....
हीरानंदमुनि..................१४२६ कर्मग्रंथ वृत्ति
पिष्पलगच्छीय जि.ता/१७७/१ कर्मस्तव-प्राचीन द्वितीय .........गोविंदगणि.................................१०६||जि.का १६३४ कलिकुंडपार्श्वनाथस्तोत्र... कर्मग्रंथ वृत्ति
धरणोरगेन्द्रस्तोत्र जि.का ६१६ कर्मस्तवअवचूरि .............................
डूं.का./१३५० कल्पचन्द्रादि ..... जि.का ५३८ कर्मस्तवकर्मग्रंथ ....
जि.ता. ३९६/४ ०कल्पचूर्णि (प्राचीन द्वितीय कर्मांथ) जि.ता.५० ०कल्पपूर्णी
..१३८९ जि.का ७१४ कर्मस्तवकर्मग्रंथ ससत्यक ........ देवेन्द्रसूरि
जि.का ९७ ०कल्पचूर्णी .....
लों का २१०
....३३४ ......२८५
..१९८४
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________________
नाग
2
0
१९०१
W
10
३५८ - सर्य ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक
| पत्र | भंडार ग्रंथर्नु नाम नाम
संवत्
ग्रंथांक
संख्या जि.ता.५१ . कल्पचूर्णी अपूर्ण
....१५००-२४-३५६||जि.ता ५५ ० आ.का ३६१ कल्पप्रदीप
..... ५५ ता,४८० कल्पबृहद्भाष्य प्रथम खंड ....
..१५००/......३११/ जि.ता ४९ कल्पबृहद्भाष्य प्रथमखंड
...१४९०......२०२ जि.ता/५२ जि.ता/४७/२ ०कल्पलघुभाष्य
संघदासगणि क्षमाश्रमण ....१४८८..१३-२३८ जि.ता. ३९६/३ ०कल्पलघुभाष्य...
..... १५ जि.का १४०१ जि.ता. ४६ ०कल्पलघुभाष्य.................. संघदासगणि क्षमाश्रमण ....१३०० ......१७९|| त.का.
(बृहत्कल्पलघुभाष्य) अपूर्ण जि.ता.५८६ ०कल्पलघुभाष्य त्रूटक अपूर्ण.... |९१७ कल्पलता नामनी कल्पसूत्रटीका समयसुंदर
१७६७ ३१७ ० कल्पलताविवेक(कल्पपल्लवशेष)
१२०५ जि.ता.३१६/२ ० कल्पलताविवेक(कल्पपल्लवशेष)
१३०० चतुर्थ परिच्छेद जि.ता/३१६/१ ०कल्पलताविवेक(कल्पपल्लवशेष)
१३०० ......२५९ तृतीयपरिच्छेद अपूर्ण पर्यंत जि.ता.५८/३ ०कल्पविशेषचूर्णी ........ जि.ता.५८/ ४ ०कल्पविशेषचूर्णी ..
२४९-३०५ ६३ कल्पविशेषचूर्णी ................
.....१०४(२०९०
...२१९८) ०कल्पवृत्ति तृतीयखंड .............वृ.क. क्षेमकीर्ति आचार्य . र.१३३२ .....२९६
.ले.१४८९ कल्पवृत्ति तृतीयखंड ..............क.क्षेमकीर्ति आचार्य
....१५०० कल्पवृत्ति द्वितीयखंड ............व.क. क्षेमकीर्ति तपा...
त.का. २८९/A जि.ता./५८/१ . कल्पवृत्ति द्वितीयखंड
२८९-३९६ त.का. ३०० कल्पवृत्ति द्वितीयखंड ..
....१४०३ २७६-४२२ जि.ता ८२/३ | कल्पवृत्ति पीठिका अनंतरवर्ती ..वृ.क. क्षेमकीर्ति आचार्य |....१५००/......३१५||जि.ता/४०/१ विभाग अपूर्ण
"
पत्र ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत्
संख्या कल्पवृत्ति पीठिकासहित ......... वृ.मलयगिरि आचार्य, .. | प्रथमखंड, मासकल्पप्रकृत ....... तथा क्षेमकीर्ति तपा. ........१३७८......२०७ पर्यन्त प्रथम अउद्देश कल्पवृत्ति प्रथमखंड .............. वृ.क.मलयगिरि आचार्य मासकल्पप्रकृत पर्यन्त ............ तथा क्षेमकीर्ति तपा..........१४८८ ......३३१ कल्पसत्र सस्तवक अपूर्ण ......... भद्रबाहुस्वमी-क. ........ कल्पसुत्र सह अवचुरी....... कल्प सूत्र............... कल्प सूत्र......................... मुनिसुंदर-ले. ................. १७५८ कल्प सूत्र......................
१७९९ कल्प सूत्र................... कल्प सूत्र........................
जितरंगगणि ................. १८७५ कल्प सूत्र......................... शंकरमुनि......... कल्प सूत्र......................... भेरुमुनि .................. कल्प सूत्र....................
अमरचंद्र
૧૮૬ર कल्पसूत्र....
कुशलमुनि ......... कल्पसूत्र....
विनयचंद -ले...... कल्पसूत्र.
१-४१ कल्पसूत्र. भद्रबाहुस्वामि
3E७-४०० कल्पसूत्र.... कल्पसूत्र.
भद्रबाहुस्वामि ................१८३१ कल्पसूत्र.....
..१५३२ ...... १०६ कल्प सूत्र..........
.......९० कल्पसूत्र (अष्टम) वाचना ............ कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प)........ भद्रबाहुस्वामी ....................... २७६-३०५
..१-७४ ० कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प- ....... भद्रबाहुस्वामी ......
दशाश्रुतस्कंधसूत्र अष्टमाध्ययन)
'
'
૧૮૬ર
ढूं.का.
.......४६
EEEEEEEE
....१४९०
....१६९७
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________________
सर्व प्रथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १. ३५९
....१-८५
१३९८
१३९९
......१८२
१-१२२
१७
लो.का ५२
भंडार ग्रंथांक - ग्रंथर्नु नाम कर्ता
पत्र || भडारण ग्रंथांक | संवत् था। नाम |
ग्रंथनुं नाम नाम
कर्ता संवत्
संख्या जि.ता,४३/१ ०कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प-........ भद्रबाहुस्वामी
लोका ६८ • कल्पसूत्र बालावबोध ....
.१-८४ दशाश्रुतस्कंधसूत्र अष्टमाध्ययन)|
(सचित्र) Jटक जि.ता. ४२/१ कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प..........भद्रबाहुस्वामी .. १-१३७ जि.का ३७३० कल्पसूत्र बालावबोधसह अपूर्ण
२-१८१ दशाश्रुतस्कंधसूत्र अष्टमाध्ययन)
३०१ कल्पसूत्र बीजी वाचना ...... त.का. २९७ कल्पसूत्र (षष्ठ) वाचना .....
३०२ कल्पसूत्र बीजी वाचना ..
...१६ त.का. २९८ कल्पसूत्र (षष्ठ) बावना ....
कल्पसूत्र भाषाटीकासह .........
..............१५८६ ......१३५ त.का. २९९ कल्पसूत्र (सप्तम) वाचना.......
कल्पसूत्र भाषाटीकासह ........भद्रबाहुस्थामी-क. ............१७८७ जि.का २०८३ कल्पसूत्र अपूर्ण.....
२५८ कल्पसूत्र मांडणी ........ कल्पसूत्र अपूर्ण......
कल्पसूत्र मूल .................... भद्रबाहुस्वामी ................१९१२ ..१-२०१ कल्पसूत्र अपूर्ण ......
कल्पसूत्र मूल अपूर्ण त्रूटक ....... भद्रबाहुस्वामी का. २ कल्पसूत्र अपूर्ण ..............
कल्पसूत्र मूल टब्बो ........... कल्पसूत्र अष्टभक्षण-वाचना.....
कल्पसूत्र मूल सह अवचूरि ...... भद्रबाहुस्वामी ............... १७३२ 1.का १४२१ कल्प सूत्र......
...............१७७६ ....... लो.का ६९ कल्पसूत्र मूल सह व्याख्यान....... अष्टमनवमव्याख्यानबालावबोध
त.का. २८७ कल्पसूत्र मूळ + कालिकाचार्य .... भद्रबाहु जि.का १३९६ . कल्पसूत्र कल्पमंजरीटीका ....... सहजकीर्ति ................ र.१६८५
कथासहित सचित्र ..ले.१७७१
डूं.का. Jugn कल्पसूत्र वाचना. जि.का ३०६ कल्पसूत्र किरणावलिटीकासह... भद्रबाहुस्वामी -मू.क..
| जि.ता. ४२६ कल्पसूत्र संदेहविषौषधि वृत्ति.... जिनप्रभसूरि .............. र.१३६४ त्रिपाठ टी.क.धर्मसागरोपाध्याय .... १६२८ ..... २०१
.......ले.१४९७ त.का. २९४ कल्पसूत्र चतुर्थ वाचना......
४२१/१ कल्पसूत्र सचित्र ................ भद्रबाहुस्वामी ................
....----.१-११२ जि.ता ८२/६ कल्पसूत्र टिप्पनक ............. पृथ्वीचंद्रसूरि .......... .१४०० ३२३-३३८ १३४५ कल्प सूत्र सचित्र ................ भद्रबाहुस्यामि
... २३-८८ ९.का.|६३५ कल्पसूत्र टब्बार्थ ................ नथुराम-ले. ...
.१८२६
कल्पसूत्र सचित्र रौप्याक्षरी .....भद्रबाहुस्वामी ................१५६२ ......१६९ जि.का १४२० कल्पसूत्र नवमव्याख्यान सस्तबर्क
कल्पसूत्र सप्तमव्याख्यान.......
१६ डूं.का. ५ कल्पसूत्र पांच, व्याख्यान........जिनहर्षसूरि .....
कल्पसूत्र सस्तबक.............
२-१०० त.का. ११४८ कल्पसूत्र पांचमी वाचना............
१४ जि.का ८५२ कल्पसूत्र सस्तबक .....
५६) जि.का १४०० कल्पसूत्र सस्तबक .............. भद्रबाहुस्वामी-क.............१७४० त.का. २९२ कल्पसूत्र प्रथम द्वितीय वाधना
.३१ जि.का १४१४
कल्पसूत्र सस्तवक जि.का ४५५ कल्पसूत्र बारसा
भद्रबाहुस्वामी.
3-१०१ जि.का १४९८ कल्पसूत्र सस्तनक अपूर्ण
| जि.का ८०५ कल्पसूत्र सस्तबक त्रू.अ....
.....१५७
J......१०२
.....३४०
१७ जि.का
ফ্র ডু ফ্ল ফ্র ড্র ব্লু ব্লু ব্লু ফ্র ক্ল
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Page #408
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________________
भंडार| ग्रंथांक
नाम
...........J
/IAN/
३६० - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ ग्रंथनुं नाम
पत्र भंडारा
ग्रंथांक
संख्या नाम त.का. २९३ कल्पसूत्र सह (चतुर्थ) वाचना .......
.......||र.का. २४ त.का. कल्पसूत्र सह (प्रथमाष्टम्, ..
......८०||था.का. नवम्) याचना कल्पसूत्र सह अवचूरि कल्पसूत्र सह अवचूरि ............... कल्पसूत्र सह टब्बार्थ ................
..१.८६जि.का ९६२ कल्पसूत्र सह टब्बार्थ ................. .................. १७७२,
कल्पसूत्र सह टबार्थ. त.का. १३९ कल्पसूत्र सह टमार्थ
............
....१८१०.......११५ कल्पसूत्र सह टमार्थ
.... १६४३ त.का. ११३३ कल्पसूत्र सह टबार्थ त.का. ११३४ | कल्पसूत्र सह टबार्थ
.१२-१०७|| जि.का २०८२ त.का. ११३५
कल्पसूत्र सह टब्बार्थ त.का. १३२४ | कल्पसूत्र सह टवार्थ.
२९० अने व्याख्यान कल्पसूत्र सह टब्बार्थ मूल त्रूटक
८२/
४ ० त.का. १२३८ कल्पसूत्र सह टवार्थ व व्याख्यान
.७०लों .ता.३/३ लो.का ६४ कल्पसूत्र सह टब्बार्थ व्याख्यान .. भद्रबाहुस्वामी लो.का १६४ | कल्पसूत्र सह टब्बार्थ त्रूटक.....
२-७१||इं.का. ७१८ त.का. १३३२ | कल्पसूत्र सह बालावबोध .. त.का. १४३ कल्पसूत्र सह वाचना ..................
कल्पसूत्र सह वाचना......... कल्पसूत्र सह वृत्ति कल्पसूत्र सह वृत्ति कल्पसूत्र सह वृत्ति कल्पसूत्र सह वृत्ति
कल्पसूत्र सह व्याख्या ... डूं.का. ३ कल्पसूत्र सह व्याख्या अपूर्ण ..
२७त.का. १४९
७१-१४९
१४०
AAAAAAAAAAAAAAAAAAA243984
ग्रंथनुं नाम
कर्ता | संवत् । पत्र
संस्था कल्पसूत्र सह व्याख्यान समयसुंदर .................... १८९० ....... ३१ कल्पसूत्र सह व्याख्यान अपूर्ण ... कल्पसूत्र सह शब्दार्थ व......... भद्रबाहु .......................१९०४
अन्तर्वाच्य | कल्पसूत्र सहावचूरि कल्पसूत्र सामाचारी बालावबोध अपूर्ण कल्पसूत्र सोनेरी. कल्पसूत्र-बारसा त्रू.अ. कल्पसूत्र-सहवृत्ति............... लक्ष्मीवल्लभ
कल्पसूत्रअवचूरि .... ० कल्पसूत्रकल्पद्रुमटीका .. ० कल्पसूत्रकल्पलतावृत्ति ........... समयसुंदरोपाध्याय-टी. • कल्पसूत्रचित्रावली.........
१०४ कल्पसूत्रचूर्णि ..........
४००-४१७ कल्पसूत्रचूर्णी ..............
३०५-३२१ कल्पसूत्रटिप्पनक ............... पृथ्वीचंद्रसूरि ............... ३४८-३६६ -कल्पसूत्रटीका .........
१५ कल्पसूत्रटीका .................. जितरंग -पंडित ......
..१९६ कल्पसूत्रनवमव्याख्यानबालायबोध
१४-२७ कल्पसूत्रनियुक्ति .............. भद्रबाहुस्वामी
३२१-३२३ कल्पसूत्रनियुक्ति | भद्रबाहुस्वामि
४१७-४२९ कल्पसूत्रनी मांडणी.. कल्पसूत्रबालावबोध अपूर्ण.... कल्पसूत्रबालावबोध त्रू.अ. .....
७६-८५ कल्पसूत्रबालावबोध षष्ठीवाचना कल्पसूत्रबालावबोध सप्तम वाचना, कल्पसूत्रवाचना.......
...१४८
लो.का १६५
इ.का. ६६४
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________________
संवत्
भंडार| ग्रंथांक
भडार ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नामत.का. ६८ कल्पसूत्रविवरण, त.का. १२८७ कल्पसूत्रवृत्ति ..... जि.ता.
कल्पसूत्रवृत्ति (संदेहविधीपधि). जिनप्रभसूरि जि.का १०२२ कल्पसूत्रवृत्ति अपूर्ण.. जि.का ८७९ कल्पसूत्रवृत्ति त्रू..... जि.का ९८० कल्पसूत्रवृत्ति त्रू..... जि.का १०३५ कल्पसूत्रसंक्षिप्तबालावबोध .. जि.का २२२० कल्पसूत्रसंदेहविषौषधिटीका .... जिनप्रभसूरि, जि.का १४२३ कल्पसूत्रसंदेहविषौषधिटीका .... जिनप्रभसूरि जि.का २१७५ कल्पसूत्रसंदेहविषौषधिवृत्ति ......जिनप्रभसूरि ... जि.का १४१७ कल्पसूत्रसस्तबक..... आ.का १२४ कल्पसूत्रांतर्वाच्य ................. अदारंग.. इं.का. १००२ कल्पसूत्रकलिका ................. लक्ष्मीवल्लभ . आ.का २८३ कल्प सूत्रचूर्णी ...................... त.का. १४१ कल्पसूत्रवाचना ................ लों.का ५०७ कल्पसूत्रवाचना टक......... त.का. १४२ कल्पसूत्रसह वृत्ति ...............समयसुंदरोपाध्याय
पत्राभंडार संख्या
नाम डूं.का.७७० जि.का १९७
त.का. ११४३ | आ.का ९८
त.का. १०७१
त.का. १४५ | त.का. १४६/ ३१ त.का. २६१ त.का. ३०३
५८/५
SEE
are/२
२९१
..१५२ .... २७ ..१०६
आ.का २१ .का. ९१८ था.का ३८४
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३६१
पत्र ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत्
संख्या कल्पान्तर्वाच्य+कल्पसूत्र वाचना कल्पान्तर्वाच्य प्रथमवाचना....... जिनभद्रसूरि कल्पान्तर्वाच्यबालावबोध... कल्पान्तर्वाच्यानि. कल्पान्तर्वाच्य ...... कल्पान्तर्वाध्य ...... कल्पावलि ....... कल्पोपमा ....................
कल्पोपमा ....... ० कल्पचूर्णी त्रूटक अपूर्ण ..........
कल्पनियुक्तिवृत्ति .................जिनप्रभसूरि .................१५००/ १४६-२०१ कल्पसूत्र कल्पलतावृत्ति अपूर्ण -
................-... -११४ कल्प सूत्र सह वृत्ति...............समयसुंदर ................................१९१
कल्पसूत्र सह वृत्ति ..............समयसुंदर ...................१८२८ ......१८४ . कल्याणक पत्र....
+ तीर्थकर जानकारी कल्याणकस्तवन. कल्याणमंदिर कल्याणमंदिर ... कल्याणमंदिर ................. कल्याणमंदिर .... कल्याणमंदिर अपूर्ण ............. कल्याणमंदिर रब्बार्थ अपूर्ण.... कल्याणमंदिर रब्बो
कुमुदचंद्र कल्याणमंदिर टीका.
माणेकमुनि-पं. ....१९०५ कल्याणमंदिर पंचपाठ कल्याणमंदिर प्रकीर्ण कल्याणमंदिर बालावबोध .......
. १२४(१-त.का. ९३३ १३१) इं.का. ५२०
का. १७/१
त.का. ७८८ ६४ त.का. १३०५
कुमुदचंद्र
इं.का. ६३६ त.का. १५१ जि.का ७२४ |जि.का ४०४ जि.का १४१५ जि.का १४१६ जि.का १३९७ लो.का ७० डूं.का. १६२ डूं.का. |९२०
कल्पसूत्र टब्बार्थ .............. महिवल्लभ-ले. Dकल्पसूत्र सह वृत्ति,
धर्मसागर कल्पसूत्रबालावबोध .............. कल्पांतर्वाच्य ..................... कल्पांतर्वाच्य .............................. कल्पांतर्वाच्य ........... कल्पांतर्वाच्य अपूर्ण .............. कल्पांतर्वाच्य व्याख्या ...........-सोमसुंदर ....................१५२० कल्पांतर्वाच्यानि ...
भक्तिचंद्र ले................१६७२ कल्पांतर्वाच्य
समयमाणिक्यगणि.......... १७४०
कुमुदचंद्र
...१६२५
६७ लोंका २३० ६७ .का.ve
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________________
कर्ता
इं.का.
जि.का १२२
जि.का १७४९
ल
३८२ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक | | ग्रंथनुं नाम
संवत नाम र.का. १११
कल्याणमंदिर स्तोत्र ...... इ.का. ६०३ कल्याणमंदिर स्तोत्रटीका ....... ऋद्धिरत्न....... जि.का ८८२ कल्याणमंदिरभाषास्तोत्र ....... बनारसीदास ......
कल्याणमंदिरस्तोत्र......... सिद्धसेन दिवाकर जि.का १६३० कल्याणमंदिरस्तोत्र........... सिद्धसेन दिवाकर त.का. १९०१
कल्याणमंदिरस्तोत्र ......... त.का. १२१ कल्याणमंदिरस्तोत्र ....... जि.का ८७२
कल्याणमंदिरस्तोत्र वृत्तिसह .... सिद्धसेनाचार्य ............ जि.का २६० कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तवक... जि.का १६३१
कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तबक ... सिद्धसेन दिवाकर ........
अपूर्ण जि.का ११३० कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तबक.... सिद्धसेन दिवाकर ......... लों.का ५९२ कल्याणमंदिरस्तोत्र सह अवचूरि.. जि.का ७७६ कल्याणमंदिरस्तोत्र सावचूरि, जि.का १२४५/१ कल्याणमंदिरस्तोत्र सावचूरि.... था.का. ३७७ कल्याणमंदिरस्तोत्र ............... कुमुदचंद्र था.का.४०६ कल्याणमंदिरस्तोत्र ..
कुमुदचंद्र ર૧૬ कल्याणमंदिरस्तोत्र..
कल्याणमंदिरस्तोत्र.. स.का. २०३ कल्याणमंदिरस्तोत्र.............
कल्याणमी
कल्याणमंदिर ...... त.का. ०१७ कल्याणमन्दिरस्तोत्र सह वृत्ति ...
|१००० कल्याणमंदिर .......... ... हेमसागर, बनारसीदास ..... १७७६ त.का. २४४ कल्याणमंदिर सार्थ..............कुमुदचंद्र ....... था.का.२३१ कल्याणमंदिर स्तोत्र ..............कुमुदचंद्र ....................१६८५ आ.का. १५०
कल्याणमंदिर स्तोत्रवृत्ति .......... देवतिलक सूरि ....... जि.का २१६०/१७ कल्याणमंदिरस्तोत्र त.का. ४११ कल्याणमंदिरस्तोत्र सह टबार्थ,
महार| ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम
संवत् ४८७ कल्याणमंदिरस्तोत्र सह वृत्ति .... सिद्धसेन दिवाकर ............१६५२
कल्याणमंदिर स्तोत्र टीकासह ... देवसुंदर उपाध्याय -टी. लों.का. १७३ कल्याणमंदिर....
जीवराज इं.का. ७०६ कल्याणमंदिर ........
सिद्धसेन दिवाकर ० कविकल्पद्रुम ....
बोपवेव.. | जि.का १७४८ • कविकल्पद्रुम टिप्पणीसह ....... बोपदेव ....
जि.का १७५० ० कविकल्पदुम धातुपाठ ...... जि.का १४२ कविकल्पलतावियेक ... जि.का १४१ कविकल्पलताविवेक द्वितीयखंड जि.का १०७९/२ ० कविगुह्यनामकाव्य .............. हलायुध जि.का १०३७/३ कवितसंग्रह .....................ज्ञानरत्न ..... त.का.८७२
कवित्तसंग्रह ........................ लों.का ४०४ कवितसंग्रह त्रूटक......................... जि.का ४२२ कविप्रिया ...................केशवकथि .................
.१७११ १-७|| जि.का ११११ कविप्रिया.
| केशवदास ..................१८३२ .. ४ जि.ता. ३३७ कविरहस्य सटीक.
मू.क.हलायुध, (कविगुह्यकाव्य अपरनाम ........ टी.क.रविधर्म ................१२१६
अपशब्दाभास कूटकाव्य सटीक) जि.का १४६ कविरहस्य-अपशब्दाभासकाव्य ... हलायुध -भू.. टी.क.रविधर्म . १९८४ |.....
सटीक लो.का ३७६ कविदसत्तसई ......
................. ..... जि.का २१८४
कविशिक्षा ............. जि.का १७७० कविशिक्षा काव्यकल्पता वृत्तिसह अमरचंद्रसूरि ............. जि.का २२०० ०कविशिक्षा काव्यकल्पलतावृत्तिसह अमरचंद्रसूरि स्योपज्ञ ............ जि.का १४० कविकल्पलतावियेक .............
..............१९८४ आ.का ७८ ० कविशिक्षा सह वृत्ति ............. अमरचंद्र
काव्यकल्पलता
१०९
...........
आ.का २३६
कुमुदचंद्र
5555EWEDDI
.१७६१
.......१७
४६
Page #411
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
लों का ५०४
ग्रंथांक
लों का, ५०५
लों का, ५४१
लों का २८७ लों का, २८५
जि.का २४८
जि.का १७५४ लों का, २७७
त. का. ५७० जि.का १००३
जि.का ५२१
जि.का ५०५ जि. ता. २८५
जि. ता. २८६
जि.का १०५५
जि.का २४०
ग्रंथनुं नाम
• कातंत्र कात्यायनी वृत्ति (जीर्ण) कात्यायन (कृतप्रक्रीया) जीर्ण शीर्ण
दौर्गसिंह
• कातंत्र दोर्गसिंही आख्यात वृत्ति त्रूटक
• कातंत्र दौर्गसिंह आख्यात. कृत्सूत्र + चतुष्क ढुंढिकावृति
• कातंत्र मोक्षेश्वरी टीका
• कातंत्र सह विस्तार
पाठ पाद (व्या.)
• कातंत्रविभ्रम सटीक टिप्पणी सह
• कातंत्रविभ्रम सटीक त्रिपाठ
• कातंत्रविभ्रम सूत्र सह अवचूरि त्रूटक
.....
० कातंत्रविभ्रमसूत्र
• कातंत्रव्याकरण
० कातंत्रव्याकरण गोल्हणवृत्ति अपूर्ण
• कातंत्रव्याकरण तद्धित अपूर्ण.. • कातंत्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका टिप्पणी सह तद्धितपाद पर्यंत अपूर्ण
----
कर्ता
मोक्षेश्वर कर्णदेवोपाध्याय
जिनप्रभसूरि बृ.
चारित्रसिंह
जिनप्रभसूरि
गोल्हण वृ.क.
त्रिलोचनदास
• कातंत्रव्याकरण दुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका आख्यातवृत्ति
दुर्गसिंह
० कातंत्रव्याकरण दुर्गसिंही.. आख्यातवृत्ति
• कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति दुर्गसिंह टिप्पणीसह पंचपाठ चतुर्थ
त्रिलोचनदास
संवत्
१५४८
१५१७
र. १३५२, ले. १४७८
१४००
१३०८
पत्र
संख्या
भंडार नाम
४१ जि.का २९०
२-१०७ जि.का ५०६
१-९३. जि.का. १८४ ९४-१७२
..
१-६० जि.का. १०४२
. १-३० जि.का, २४१
. १५६८....
..... १० जि.का १२९१ जि.का १२८८/१
ग्रंथांक
७
१-६ जि. ता. २८९
१.८ जि. ता. २८८/१
२५ |
X
४८ जि. ता. २८८/२
६ जि. ता. २८७
१८१
जि.का २४५
२०३ जि.का ४९.३
३१ जि.का १२९७
१५-६० जि.का ६९९
ग्रंथनुं नाम
• कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति कुंडिकासह पंचपात
० कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति गौतमपंडित दी.क.
व्याख्यानकलाप्रदीपिका
कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति.. दुर्गसिंह
तद्वितप्रकरणपर्यंत टिप्पणी सह
कातंत्रव्याकरणदुर्गपदप्रबोधवृति
इंडिका कारकपर्यन्त
• कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति दुर्गपदप्रबोध.
• कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका आख्यातवृत्ति • कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति | विवरणपंजिका कृदवृत्ति • कातंत्रव्याकरणदुर्गसिंहवृत्ति विवरणपंजिका आख्यातवृत्ति तथा कृवृत्ति
-----
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम परिशिष्ट १३६३
संवत्
पत्र संख्या
कर्ता
दुर्गसिंह बृ..
• कातंत्रव्याकरण पंचसंधि
• कातंत्रव्याकरण बालावबोधवृत्ति मेरुतुंगसूरि अंचलगच्छीय र. १४४४.
.ले. १५३२
कातंत्रव्याकरण विधानंदिवृत्तिसह विजयानंद
१३९२
D कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति
• कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति
....
प्रबोधमूर्ति गणि
त्रिलोचनदास
त्रिलोचनदास
त्रिलोचनदास
अपूर्ण
| कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति. दुर्गसिंह-वृ. अपूर्ण
० कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति दुर्गसिंह वृ.क.. चतुष्कवृत्ति
....
दुर्गसिंह दुर्गसिंह
१४७४२०६
रे. १३२८ .ले. १४००
१४००
. १४११
१५००
દાક
३६
१०
१६
३२३
२०८
. १९१
२७०
१६४
. १९६
३०६ .. २७-१८०
३-३२
४६-६४
.
Page #412
--------------------------------------------------------------------------
________________
पत्र
संवत् । संख्या
संवत
नाम
जि.का १३१८
३६४ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट । भंडार| ग्रंथांक | प्रधनुं नाम
कर्ता
| भंडार
ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम जि.का १०४७ . कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति ....दुर्गसिंह ...
.... १६१|त.का. ९०३ कायभेदस्थिति आदि .............. टिप्पणीसह
त.का. ३४२
कायस्थिति ......... जि.का ३९५ ० कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति .
....१५५२...... ९० हूं.का. १२०५ कायस्थिति भाव बंधादि विचार तद्धितपर्यंत टिप्पणीसह पंचपाठ
था.का.४१ कायस्थिति स्तोत्र जि.का १३०८ कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति ..... दुर्गसिंह-वृ. ............................. १९९/ त.का. १३१९ कायस्थिति स्तोत्र Jटक अपूर्ण
सह बालावबांध जि.का १०२० कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति ....दुर्गसिंह ....
२-१४२ जि.का ६२२ कायस्थितिप्रकरण सस्तबक .. जि.का ६४२ ०कातंत्रव्याकरणसूत्रपाठ
त.का. १३ कायस्थितिस्तोत्र ..
कल्याणधर्म जि.का १०४८ . कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति ... दुर्गसिंह ....
त.का. ९१७ कायस्थितिस्तोत्र .... टिप्पणीसह
जि.का ६३५/१ कायस्थितिस्तोत्र प्रकरण .... •कातंत्रसूत्रपाठ .....
१५०० ४-१५ त.का.|६३४ कायस्थितिस्तोत्र सह बालावबोध कल्याणविजय जि.ता.२९०/३ ०कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति- ...... विजयानंद ...
....१२४५
कायस्थितिस्तोत्र सह बालावबोध कारकप्रकरण
कायाजीवसज्झाय .......... ......ऋषभमल्ल ........ जि.ता.२९१० कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति- ......विजयानंद .................. १४००..
२०५|| इं.का. ६८० कारक
कारकसंबंधोद्योतविवरण ...... तद्धितप्रकरण पर्यन्त
६०६ कार्तिक पूर्णिमा व्याख्यान ....... जयसारगणि जि.ता,२२०/२ ० कातंत्रोत्तर विद्या दिवृत्ति- .
जि.का ४२०/२४ कालअष्टक......
भैया .. नामद्वितीयपादपर्यंत टिप्पणी सह
था.का. ३८६ कालकाचार्य कथा कातंत्रोत्तर विद्यानंदिवृत्ति- ...... विजयानंद ............................... आ.का २१९ कालकाचार्य कथा सहबालावबोध पंचसंधिपर्यत अपूर्ण
कालकाचार्यकथा. कातंत्रटिकावृत्ति छूटक .......... गोल्हण ........
जि.का २१४२ -कालकाचार्यकथानक. जि.का कातंत्रदयाश्रयकाव्यअवधूरि .............
३६३ ०/कालग्रहणविधि... आ.का २४० कातन्त्र सह (कात्यायन).......
६१२ कालमहणविधि योगोपधान विधि कृत्सूत्रवृत्ति
डूं.का. ४९९ कालज्ञान ..... कामघटकथा ..........
का.|११०५ कालज्ञान ......... त.का. १०११ कामघटमंत्रीकथा ......
६२६ कालज्ञान अपूर्ण ........... जि.का १८८७ कामधेनुकोष्टक ज्योतिष ....
कालझान सह टब्बार्थ ..... जि.का ११२२ कामधेनुज्योतिषग्रंथ तथा सारणी रामचंद्राचार्य
੩੨੩ कालज्ञानकुलक... जि.का १० कामधेनुपंचांगसारणी .........
जि.ता.२९०/१
AAAAAAA
............
लों.का ५८९
२९२
का. १२०५
२६३
Page #413
--------------------------------------------------------------------------
________________
.
पत्र
.
2
....१५२६
4A
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३६५ भंडार। ग्रंथांक - ग्रंथनुं नाम
| भंडार कर्ता संवत्
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत् नाम संख्या नाम
संख्या जि.का १७१० कालज्ञानभाषाप्रबंध ............. लक्ष्मीवल्लभगणि .. .र.१७४१
जि.का १९३४ कालिकाचार्यकथानक अपूर्ण, .ले.१८५३
जि.का १९३३ कालिकाचार्यकथानक गद्य . जि.का १०४१ कालज्ञान..............
१३ जि.का ९४९ कालिकाचार्यकथाबालावबोध ..... त.का. ११६१ कालसप्ततिका सहटब्बार्थ.....
कालिकाचार्यकथाबालावबोध ... जि.का १३१७/१५० कालस्वरूपकुलक................ जिनदत्तसूरि ............... १३८-१४१
Jटक अपूर्ण जि.का १३०५/३ ० कालस्वरूपकुलकविवरण ....... जिनपाल....... ....१४०० .. ५९-६५
कालिकाचार्य कथा ........ | कालापकव्याकरण वृत्तिसह ........
कालिकाचार्यकथा ............... | कालिकाचार्य कथासहित सवित्र...
कालसत्तरी. ...................... धर्मघोषसूरि ................ कालिकाचार्य बालायबोध ......... समयसुंदर
कालसत्तरी सह टब्बार्थ.......... कालिकाचार्यकथा ...
०/काव्यकल्पलता .... .. अमरचंद्रसूरि कालिकाचार्यकथा
० काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह अमरचंद्रसूरि .................१५ कालिकाचार्यकथा विजयचंद्र-ले.क.
०/काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह अमरचंद्रसूरि स्वोपज ........१४८० लो.का ४१ कालिकाचार्यकथा
काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह अमरचंद्रसूरि स्वोपज ..... आ.का/६३ कालिकाचार्यकथा ............... समयसुंदर ....
अपूर्ण त.का.|२८९/B कालिकाचार्यकथा ................
....१३८९ ..७(१०४-1 जि.ता. Dकाव्यप्रकाश............. राजानक मम्मट अने अनक.१४०० .................११०) जि.का
काव्यप्रकाश....
मम्मट अने अलक ...........१७११ जि.ता.४३२ ० कालिकाचार्यकथा गद्य ...............
• काव्यप्रकाश अवधूरि .............
.............१४०० जि.ता.४०/ ६ ० कालिकाचार्यकथा गद्य अपूर्ण ...............
१०३-१२९
० काव्यप्रकाश टिप्पणीसह .........राजानक मम्मट अने अतक .१२१५ जि.ता.४२/२ ० कालिकाचार्यकथा गद्य अपूर्ण .......................
१३७-१७५
० काव्यप्रकाशअवधूरि ............. जि.का ४६७ कालिकाचार्यकथा गद्यपद्य .........
...... २६
० काव्यप्रकाशटीका ................ भवदेव .................. ..१६९८ जि.ता.४२५/२ • कालिकाचार्यकथा गद्यपद्य सचित्र
११३-१४६
काव्यमीमांसा (कविरहस्य).....राजशेखर ...................१२१६ जि.का १९० ० कालिकाचार्यकथा गाथाबद्ध .... भावदेवसूरि
काव्यादर्श ...
दंडिन
..१६५१ जि.ता.४०/२ कालिकाचार्यकथा पद्य ..........
०काव्यादर्श (काव्यप्रकाशसंकेत). सोमेश्वर भट्ट ...............१२८३ जि.का ४५८ कालिकाचार्यकथा बालायबोधसह-.......
|३१९ काव्यादर्श (काव्यप्रकाशसंकेत). सोमेश्वर भट्ट ...............१४०० जि.ता.४२२ कालिकाचार्यकथा सचित्र गद्यपच
सप्तम उल्लास पर्यन्त किंचिदपूर्ण
|जि.ता|३२६/१ ०/काव्यादर्श तृतीयपरिच्छेद पर्यन्त | दंडी कवि ................. ...११६१ जि.ता. ४२१ • कालिकाचार्यकथा सचित्र ......... भावदेवसूरि ....
जि.ता ३२६/३ ०काव्यादर्श तृतीयपरिच्छेदटिप्पनक.
.... १३०० रौप्याक्षरी
जि.का १७६८ ० काव्यानुशासनसूत्रपाठ............
..............८६-१११
..१४००
EEEEEE
94-60
२०७
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________________
३१६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
क
भंडार
ग्रंथनुं नाम
संवत
ग्रंथांक
नाम
संख्या
...........
का. ६८४ जि.का १२
२२२ जि.का.
भारवि
...१७८६
.....१८७९
TEEEEEEEEEEEEEE - FERREEEEEEE
ग्रंथन नाम
कर्ता
संवत् कुमारसंभव महाकाव्य (आठसर्ग) कविकालिदास ....... कुमारसंभवमहाकाव्य अवचूरि.............. ३.अ. कुमारसंभवमहाकाव्य ............ कालिदास....................१५७५ सप्तमसर्गपर्यंत कुमारसंभवमहाकाव्य ............. महाकवि कालीदास .......... १७२३ सप्तमसर्गपर्यंत कुमारसंभवमहाकाव्य ............ कालिदास ............. सप्तमसर्गपर्यंत कुमारसंभवमहाकाव्य ............ कालिदास .......... सप्तमसर्गपर्यंत सावचूरि कुमारसंभवमहाकाव्यअवचूरि सप्तमसर्गपर्यन्त कुमारसंभवमहाकाव्यटीका अपूर्ण मल्लिनाथ ..... कुमारसंभवकाव्य .............. कालिदास... कुमारसंभव महाकाव्य........... कालीदास कवि.... कुमारसंभव सह टीका .......... कालिदास.. कुमारसंभव सह टीका ............ कुमारसंभवकाव्यटीका ........... कुमारसंभववृत्ति .................शिवराज.......
कुलक ........... ० कुवलयमालाकथा ................ दाक्षिण्यांक उद्योतनसूरि ....1000
कागज के दो पट्ट कालिकाचार्य कथा.
...१८८९ किमिया विधान त्रूटक ............ किरणावली ............
...१४०० किरणावलीसूत्र (न्याय) बेटक.. किरात टीका अपूर्ण ........ किरातमहाकाव्य ................. किरातार्जुनीय ० किरातार्जुनीय काव्य ... | किरातार्जुनीय काव्य ............ हर्षविमल ले.. भारवि-क. | किरातार्जुनीय काव्य ............ भारवि........
...१६७२ किरातार्जुनीयमहाकाव्य ..... • किरातार्जुनीयमहाकाव्य ......... भारवि महाकवी.............१४००
पंचदशसर्गपर्यत | किरातार्जुनीय वृत्ति
... १८७२ किरातटीका
....१८७७ 0 कुंडेश्वरागम अपूर्ण .............. कुंयरिश्राविकाबारबतनियम .... कुबेरदत्ताचौपई ................. हर्षविजय कुबेरवत्ताचौपई ..................समयसुंदर .............. कुमतिउत्थापनचर्या ........ कुमतिखंजनस्तबन ....... कुमतिउत्थापन............. कुमती उत्थापन ............... कुमतीखंडनस्तयन .............
कुमारपालचरित्र ........... ० कुमारविहारशतक ............ रामचंद्रगणि..
रामचंद्रगणि.
भारवि........
जि.का ४२६ ...११०| लोंका ४०२
बूं.का.८०
४८१
त.का. ५६७ त.का. ११३९ बूं.का. ६४
त.का. ८८५ था.का ४३६ जि.का ९०४ त.का. ९७९
ढूं.का. ६१५ जि.ता. २६६
.का. १०६
डूं.का. १४३
९८९
१७४७
इं.का. ४९८
था.का २२९ डूं.का.19०७० जि.का २१५३
३२२ त.का. ३२३
कुशलानुबंधि
कुलधजकेचलीचौपई (रसलहरी)/उदयसमुद्र उपाध्याय ...... Dकूटमुदगर ....
माधव.............. कूर्मापुत्रकथा ............... जिनमाणिक्यसूरि ............ कूर्मापुत्रकथा ....................
जिनमाणिक्यसूरि ............१६६४
त.का
.
जि.का १९५५
१९५५ जि.का १९५७
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________________
भंडार
ग्रंथांक
नाम
कर्ता
त.का.१०३७ जि.ता. २४९/३
ग्रंथर्नु नाम कूर्मापुत्रकथा ...... ० कृतपुण्यचरित्र......
पूर्णभद्रगणि ......
जि.का १६३
AA
FEEMES
E११
जि.का ५४५०
|१६७३
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम : परिशिष्ट १. ३६७ पत्र
पत्र भडार संवत् ।
ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम । कर्ता . संख्या नाम
संवत्
संख्या ....१६६५.........९ आ.का
| क्रियातपवृत्तिकारिका.. र.१३०५, १३९-२२१ १११० क्रियाकलाप ले.१५००
लो.का ५११ क्रोधकथा १५.३२८ त.का. १९४ क्ष मा क्षमाछत्तीसी..
समयसुंदर १३०५
क्षमाछत्रीसी....
समयसुंदर क्षमाबत्रीसी .......
राजप्रमोदगणि.. १३४/६ ०क्षामणाकुलक..... ..४ त.का. २०७ क्षुल्लकऋषिसम्बन्ध ............ शांतिसागर
क्षुल्लकऋषिसंबंध ............... जिनसिंहसूरि ............ क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण .... |सावसूरिक पंचपाठ | क्षुल्लकभवायलिकाप्रकरण- ...... धर्मशेखरगणि-अव.क...... ले-१७८५
| सावचूर्णि पंचपाठ जि.का १५२१ क्षुल्लकभवावलिप्रकरण .
|सावचूरिक पंचपाठ
क्षुल्लकभवावलीका सह अवचूरी, ८१०
क्षुलकभवानी स्तोत्र............... १७/४ क्षेत्रसमास .. ३६ ई.का. ६१६/१ क्षेत्रसमास ... १५ था.का २४ क्षेत्रसमास .... १-३ था.का.३४
क्षेत्रसमास ...... ३-५ था.का., ११६ क्षेत्रसमास
रत्नशेखरसूरि. क्षेत्रसमास क्षेत्रसमास ...
राजप्रमोदगणि-ले............. क्षेत्रसमास क्षेत्रसमास
क्षेत्रसमास .७३ आ.का ३६२ क्षेत्रसमास
जि.ता. २७०/२ ० कृतपुण्यचरित्र.....
पूर्णभद्र ..... कृतपुण्यमहर्षिचरित्र पद्य .. पूर्णभद्रगणि ...... जि.का १९६६ कृत्यरत्नावली..
रामचंद्रभट्ट ...... .का. ५१८ कृदंत प्रक्रिया ...
क्षमाप्रभ पंडित-ले..... .का. १३२६ कृदन्त वक्तव्य.. आ.का ३५१
कृदन्तनिरुक्ति ... आ.का २८ कृष्ण-शुक्लपक्षस्तुति ............. शानविमलसूरि था.का, ३४३ कृष्णराजी विचार ...............-कुमारसुंदरगणि .का. २४४ केशवदास बावनी अपूर्ण ......... ३४५ केशीकुमार संबंध ................
केशव वाक ज्योतिष सह टवार्थ.. २०२३ कोकचोपाई......................नर्बुद .......... ર૧દ્ર कोकदोहासंग्रह ..... १२०३ कोकशास्त्र......................
.............Jआनंद ......... १९१० कोकसवैयाछामा...............
૧૨૧૪ कोकसार लों.का. ३८३ कोणिककथा ... २१८३/१ ० कौतुकमंजरी.......
जयचंद्रसुरि... २१८३/२ ० कौतुकमंजरीटीका..... आ.का १०८ क्रमग्रंथ प्रथमथी पंचम षष्ठ......... जि.का १२६१ क्रांतिसाधन ...... जि.का ५८२ ० क्रियाकलाप ... र.का. ८४८
विजयानंद जि.का १७५१ ० क्रियाकलाप
विद्यानंद जि.का १७४३ क्रियाचंद्रिका अपूर्ण
(२४०
६७६
हर्ष सूरि
"
.
SEMEMEFF REEEER
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.
.
..............
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________________
भंडार
ग्रंथांक
...-१४
३६८ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ | ग्रंथर्नु नाम
संवत् पत्र भंडार
ग्रंथांक | ग्रंथन नाम नाम
संख्या नाम त.का. ११०० क्षेत्रसमास
जि.का २२१२ खंडप्रशस्तिकाव्य...... हूं.का./९०१ क्षेत्रसमास + पाक्षिक अतिचार ...
..(१०६थी जि.का ९८४ . खंडाजोयणबोल ......
. १३२)२६/ त.का. २६३. खन्डायोजन द्वार ............... रविविजय लो.का ३३२ क्षेत्रसमास सह टब्बार्थ .......... कुशलरंग........ ..............१७८२,.....१-३१५.का.|५१२ ० खरतर तथा तपानी व्युत्पत्ति ... ३३३ क्षेत्रसमास सह टब्बार्थ .........
.....१-१२
अपूर्ण त.का. ५९४ | क्षेत्रसमास सह वृत्ति ............हरिभद्रसूरि
.... २६ लों.का/७३३/A खरतरगच्छ उपाश्रय जैन ज्ञान .. था.का २१२ - ० क्षेत्रसमास सहवृत्ति .....
१८३
भंडार की सूची व पट्ट इं.का. १२१३ क्षेत्रसमास स्तवन-सज्झाय ........
.४९० हूं.का. ४६८ खरतरगच्छ समाचारी अपूर्ण...... क्षेत्रसमाससूत्र
जि.का २०११ खरतरगच्छसामाचारी........... था.का. ४०० क्षेत्रसंग्रहणी सार्थ....
जि.का २०९० ० खरतरगच्छसामाचारी ........... जिनपतिसूरि ................ इं.का. २५ क्षेत्रसमास ............... कुशलरंगमुनि
अष्टोत्तरीस्नात्रविधि था.का ३३१ क्षेत्रसमास...
डूं.का. ६६५ खरतरगच्छ पट्टावली. लों.का १९७ क्षेत्रसमास
.....१-१०||त.का. १०२३/० | खुमाणसिंह का बारहमासा.
...................... १८५६ | आ.का ६६ क्षेत्रसमास .. १४ जि.का ११२३/३ खेटभूषणसारणी .............
...... १९ क्षेत्रसमास
...||जि.ता/३५४ ० गउडवहोमहाकाव्य सटीक ......मू.क वाक्पतिराज, ..........१३००/......२४८ क्षेत्रसमास
टी.क.भट्ट उपेन्द्रहरिपाल त.का. ४३९ क्षेत्रसमास ........................रत्लशेखर....
३१ जि.ता. १४६/५ ० गच्छाचारप्रकीर्णक ..........
.................३५-४६ क्षेत्रसमास प्रकरण ................ चारित्रोदय-ले............... १८४१
जि.का. १९५१/१२ गच्छाचारप्रकीर्णक
....................६४-६९ क्षेत्रसमास सह वृत्ति ..............
गजविद्या प्रकरण क्षेत्रसमासप्रकरण..
| जि.का २११७ गजसिंहचरित्ररास
राजसुंदर
र.१५५६. इं.का. ७८६ ० क्षेत्रसमासवृत्ति
ले.१८११ क्षेमऋषिपारणास्तवन.........
गजसुकुमार चौपई ........... देवचंद्र
.. १-६ | कुमारसंभव महाकाव्य .......... कालीदास कवि.............१७६१
गजसुकुमारचौपई.
मतिसार .................1001
.....१७७१ .....१-२८ जि.ता.३८५ ०खंडनखंडखाद्य
....१२९१
गजसुकुमारवाल
नथमल ० खंडनखंडखाद्य
गजसुकुमाल चौपई जिनहर्ष १२२० खंडनखंडखाद्यटिप्पनक......... परमानंदसूरि .............!
गजसुकुमाल चीपई ३८४ ०खंडनखंउखाद्यशिष्यहितैषिणीवृत्ति ...............
....१३००
गजसुकुमालचौपई टिप्पणीयुक्त
गजसुकुमालरास ............
......२०
.......
श्रीहर्ष
१-११
श्रीहर्ष...........
....१५५४ ....१९५१
EEEEEE
.१८१
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________________
88
४१९
१७३
A
श्रीधर .......
भिडार ग्रंथांक . ग्रंथर्नु नाम
कर्ता - संवत् नाम था.का ३१२ गणधर मार्द्धशतकान्तर्गत ..............
प्रकरणम् गणधर सार्द्धशतकान्तर्गत ........ प्रकरणम् गणधर सार्द्धशतक तथा गणधर | जिनदत्तसूरि, राजसोम.. सप्ततिका
गणधर सार्द्धशतकसह टबार्थ ....... Ka/ गणधरनमस्कार...........
गणधरवादस्तवन................सकलचंद ...... २० ०गणधरसार्द्धशतक ................ -विनयसोमसूरि .... .का ३५५० गणधरसार्द्धशतकप्रकरण...... जिनदत्तसूरि .................१६८९ २८१ . गणधरसार्द्धशतकप्रकरण.........मू.क.जिनदत्तसूरि, ....... र.१२५५
वृत्तिसह तृतीयखंड ............ वृ.क.सुमतिगणि .........ले.१४०० २८० ०गणधरसार्द्धशतकप्रकरण...... मू.क.जिनदत्तसूरि,
| वृत्तिसह द्वितीय खंड. ....... वृ.क.सुमतिगणि |जि.का १२८ गणधरसार्धशतक बृहद्दत्तिसह ... सुमतिगणि ........... . १.१२९५ प्रथमखंड (प्रथमगाथाव्याख्या)
.ले.१९८३ गणधरसार्धशतक लघुटीकासह जिनदत्तसूरि-मू.......
टी.सर्वराजगणि जि.का १९४७ गणधरसार्धशतक सटीक अपूर्ण . जिनदत्तसूरि ..... जि.का ५१३ गणधरसार्धशतकप्रकरण......... जिनदत्तसूरि ... जि.का १३२६/९ ० गणधरसार्धशतकप्रकरण ........ जिनदत्तसूरि ........... जि.का १२९ गणधरसार्धशतकबृहद्दत्तिसह ....सुमतिगणि य.......... . र.१२९५
.ले.१९८३ जि.का १३१७/१६० गणधरसार्धशतकप्रकरण ...... जिनदत्तसूरि जि.का १९४९ गणधरसार्धशतकप्रकरण ...... जिनदत्तसूरि जि.का १९४/१ ०गणधरसार्द्धशतकप्रकरण........ जिनदत्तसूरि जि.का १३१७/९ ० गणधरस्तव.................. जिनदत्तसूरि ..
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.३६९ पत्र भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् संख्या
था,का १२५ |गणधरसार्द्धशतक प्रकरण ... का. १७९ गणधरसार्द्धशतक..... जिनदत्तसूरि ............
गणधरसार्धशतक..... राजप्रमोदगणि.........
गणधरसार्द्धशतक ..... जिनदत्तसूरि
• गणरत्नमहोदधिवृत्ति ............ गोविंदसूरिशिष्य बर्द्धमान का १७६० ० गणरत्नमहोदधि स्योपशटीकासह गोविंदसूरिशिष्य बर्द्धमान जि.का १९३० गणितनाममालाजयोतिष .......
धनंजय ......... लों.का २४३ गणितसार १९५१/८ गणिविज्जाप्रकीर्णक
५१-५४ जि.ता. १४६/७ ०गणिविद्याप्रकीर्णक
१७-१०२ जि.का ६९२ गणेशकथा अपूर्ण आ.का १३३ गण्डरस कहाणयं
राजप्रमोद ........... का. १२८८ गणधरवाद ............. सोमध्यजगणि.........
२२४४ ० गदाधरीअनुमानखंड-न्याय .... .३१६ त.का. ८२५ गहुँलीसंग्रह
Dगांगा तैली कथा ..... | त.का. ९०६ ०गांगातलीकथा .....
गांगेय भंग प्रकरण ........ गांगेयाधिकार अवचूरी सह ....
गाधाकोश ......... जि.का ५३७ गाथासंग्रह ................. १०१-११२
गाथासहची जि.का १६८४ गीत सज्झायादि
त.का. १२७३ गीतगोविंद .. १४१-१५० जि.का ४५९ गीतगोविंद सटीक
जयदेवकवि -मू.क.. .... ५ त.का. १०२३/P गीतपत्र ....
डूं.का. १३३३ गीतसंग्रह (अध्यात्मबहुत्तरी)... इं.का. १२३७ - गुटका .........
.MYE
.......१४००
व
का १९५०
१९-१२०
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________________
भंडार
नाम
संख्या
PETEEEEEEE
१८६०
....१८५०
३७०. सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट , भंडार| ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम
कर्ता | संवत
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता
| संवत्
संख्या इं.का. १२३८ गुटका ...
त.का. ११३०
गुणस्थानकमारोह सहवृत्ति ........ गुटका ..
जि.का. १५२९ गुणस्थानक्रमारोहप्रकरण ......... देवेन्द्रसूरि ............... गुटका ..
गुणस्थानविचार गुटका
गुणस्थानविचार .... गुटका
गुणस्थानविचार .... गुटका
गुणस्थानस्तवन .............. दानविजय ........... गुटका स्तवन सज्झाय ....
गुणावली गुणकरंडकचौपई ..... गुटका स्तवन सज्झाय ..
गुणावली गुणकरंडकचौपाई .... मनरुप विजय ........... | गुटका स्तवन सज्वाय ..
0 गुणावलीकथानक रास ........ ज्ञानमेक.
..१६७६ गुणकरंडकगुणावलीरास ....... जिनहर्ष.........
जि.का ४०९ 0 गुणावलीगुणकरंडकरारा ......... उदयसूरि बेगडगच्छीय ...१७७३ लों का ४२९ गुणबावनी.......
ले.१७७३ जि.का ४२०/१८ गुणमंजरी ............. भैया ............
१७४० ...५५५८|| त.का. ५९० गुणावली गुणकरंडकरास........ शांतिहर्ष
१८०७ त.का. ७२४ गुणमंजरीवरदत्तचौपई ..... ऋषभसागर .......
.का. १२०३ गुणठाणेका बोल (गुटका) ...... ताराचंद
.१८७५ ढूं.का. २४९ गुणमाला प्रकरण
हर्षविमलमुनि पं. .....
| आ.का ३२ गुणमंजरीवरदत्त चौपई ..... जि.का ६६६ गुणसुंदरचोपाई अपूर्ण ......... जिनसुंदरसूरि ..
त.का. ९८८ गुराचार.... त.का. ११२६ गुणस्थान + कर्मग्रंथ
गुराचार संक्रान्ति (ज्योतिष).. • पार्श्वस्तवन बालावबोध
जि.का ६०६/
८० लों.का ४८१ गुणस्थान + कर्मप्रकृति
त.का. १००६ गुरुगुणछत्रीसकुलक .. पदवी बोल
जि.का ८५६ ० गुरुगुणषटत्रिंशिका सटीक .... त.का.|३४२ गुणस्थान • कायस्थिति ...........................
जि.का ८७/
१ ० गुरुगुणषटत्रिंशतषटत्रिशिका ... रत्नशेखरसूरि स्योपज्ञ............ त.का. १२९१ गुणस्थान उपशम भावविचार ............
सटीक त.का.१०२९ गुणस्थान .......
लो.का ७२७ - गुरुदेवदादासाहिब की पूजा ...... उपशमक्षपक श्रेणिविचार
जि.ता. १५६/३७ ० गुरुपरिवाडी...
पल्हकवि इं.का. २११ गुणस्थान स्तवन सह बालावबोध धर्मर्षिमुनि ............
जि.का ८६६/३ 0 गुरुपरिवाडी, जि.का ४२०/२३ गुणस्थानएकादशचढया- ......... भैया..
...६३-६४ जि.ता. १५६/३६ ० गुरुपारतंत्र्यकुलक ... पड्याकथकसझाय
जि.का १३२६/२६ ० गुरुपारतंत्र्यस्मरण जि.का १६०३ गुणस्थानकप्रकरण वृत्तिसह ....... रत्नशेखरसूरि स्वोपज्ञ ...
३१ था.का.६२ गुरुवंदन ................ आ.का. गुणस्थानकमारोह वृत्ति सह ...... ............ १८२५ ...... २८||त.का. ११८६ गुरुवंदनप्रत्याख्यानभाष्य ........
.... १६१२.......३-६
१८८३
लों.का.५८५
१८
गुरुगीत
...१६०२
.१११५
१२६-१२७
२३६-२३८
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________________
संख्या
भंडार
ग्रंथांक नाम जि.का ११४७ जि.का २०१०
१५१ २५७-२५८
इ.का. ८११/२
जि.का १२०० १०मु जि.का १३३१
२१७० |जि.का|१०४६
३९१ २१५२
..१८२०
२०३ जि.का
भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् धा.का./१२०
गुरुवंदनभाष्य .का. २६४ | गुरुपट्टावली था .का. ४५४ गुर्जर सस्तवक प्रकरणमूल जि.का १३२६/३५० गुर्यायलि. जि.का ३४१/१ ० गुर्वावली...
गुणविनय ... जि.का ४१०/२ गुर्वावली. इं.का. १६३ गुर्वायली...
नेमिचंद्रसूरि ............. इं.का. १७९ गुर्वावली...... इं.का. ५७३ गुर्वावली............. गुणहर्ष इं.का. ६४४ गुर्वावली.............
हर्षसूरि .का.२ गुर्वावली पत्र .................... -जिनहर्षसूरि इं.का. ११६१ गुरुवंदनभाष्य .......... जि.का २१२०/१०० गुरुपारतंत्र्यास्तववृत्ति.. था.का २२५० गृहदेरासरे शांतिकलश विधि जि.ता ३९७/११ ० गृहप्रतिमास्नात्रविधि ..... आ.का २७१ गोडगेयभंगकसह अवचूरि ..... लों का ७१५ गोटका ... का गोडियास्तवन.......
जिनसुंदरसूरि ............... १७५३
वेगडगच्छीय इ.का. २१२ गोडी बरकाणापार्धनाथ स्तवन..
गोडीपार्श्वनाथ स्तवन जि.का ३४२/२ ० गोडीपार्श्वनाथस्तवन ...... जिनसुंदरसूरि जि.का ११०८ ० गोडीपार्श्वनाथस्तवन ..... प्रीतिविमल.. जि.का. २०१०/१ गोडीपार्श्वनाथस्तवन ......... जिनलाभ जि.का २०१२/४ गोडीपार्श्वनाथस्तवन .... त.का. २३४ गोडीपार्श्वनाथस्तवन....... प्रीतविमलप्रभ
८५० गोडीपार्श्वनाथस्तवन .. ९७१ गोडीपार्श्वनाथस्तवन ..
जि.का २०२४ डूं.का. १७६ त.का. ७३१ आ.का ३५७
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १. 31 ग्रंथर्नु नाम
| संवत्
संख्या गोडीपार्श्वनाथस्तवन आदि ................. गोडीपार्श्वनाथस्वनादि ......
....र.१८१३ गाडापावनाथाछद...............रूपचंद गोडीपार्श्वनाथस्तवन......
गोपीचंदकी वारता .गोमटसार कर्मकांड सटीक ..... नेमिचंद्र
गोयरिगवयरिरूपविचार ...... ० गोरक्षकप्रबोध अपूर्ण ........
गोरखकुंडली.... गोरखबोधवाणीआदिदुहा- .... कवितसंग्रह गोरावादरप्रस्ताविक गोडीपार्श्वस्तवन अपूर्ण .... गोराबादलचौपाई ..... गौडी पार्श्वनाथ ...... (अष्टभयनिवारण छंद) गौडीपार्श्व स्तवन..... गौतम + नवकार रासादि ....... गौतम अष्टक............... गौतम स्तोत्र ........ गौतमकुलक ..................... ज्ञानतिलकगणी..... गौतमकुलक...... गौतमकुलक टवार्थ गौतमकुलक टब्बार्थ .............. गजसार मुनि गौतमकुलक सस्तबक...... गौतमकुलक सस्तबक .............. गौतमकुलक सस्तबक...... गौतमकुलक सह टदार्थ............
१७८मु
बूं.का. १२६६
त.का. ६४४/| आ.का २७२ -त.का. ४८८/० ५ इं.का. ५८९
त.का. ९३६/A ई.का. ५९२ लों.का ३७१ जि.का ५८९ जि.का १६०६ जि.का १६०० त.का. ५२१
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________________
३७२ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम
भंडार
ग्रंथांक
नाम
त. का. ९३८
त. का.
१२८९
त. का.
६३७
सूं. का. ३७१ जि.का ५३३/३
जि.का ५३५
जि.का १६०८
ढूं.का. ७४८ लों का, ४२४
त. का. ६७२
जि.का. ७६५
जि.का १६०२ जि.का २५४ लों का, ६२७ त. का. ६१९ त.का. ६२२
त. का. ६३३
डूं. का. १७५
त.का. ६२१
हूं. का. ६०९ था. का. ४७८
जि.का ८२१/१
त. का. ९३९ जि.का १११२ जि.का ५३४ त. का. २०६ जि.का. ८११ आ.का. ३३४
परिशिष्ट १
ग्रंथनुं नाम
गौतमकुलक सह टब्बार्थ गौतमकुलक सह टब्बार्थ गौतमकुलक सहबालावबोध गौतमकुलक टब्बार्थ
गौतमपृच्छा
गौतमपृच्छा
गौतमपृच्छा
गौतमपृच्छा
गौतमपृच्छा
| गौतमपृच्छा बालावबोध
चिरकुशल पं.
| भक्तिमाणिक्य
गीतमपृच्छा बालावबोधसह अपूर्ण
| गौतमपृच्छा बालावबोधसह
D गौतमपृच्छा बालावबोधसह अपूर्ण गौतमपृच्छा सह बालावबोध गौतमपृच्छा सह बालावबोध गौतमपृच्छा सह बालावबोध गौतमपृच्छा सह बालावबोध
गौतमपृच्छा सह वृत्ति
गीतमपृच्छा सह वृत्ति गौतमपृच्छा सहवृत्ति
गौतमपृच्छा स्तवन. | गौतमपृच्छाच उपई गौतमपृच्छाचौपई
| गौतमपृच्छाप्रकरण
गौतमपृच्छाप्रकरण सटीक त्रिपाठ श्रीतिलक चूक.
गौतमपृच्छासार्थ गौतमपृच्छाच उपई गौतमपृच्छाचौपई
गुणसुंदर
कर्ता
पुन्यराज
नयरंग
नयरंग
संवत्
. १८९३
. १९२१
१७७२
१९०५
१६७३
पत्र संख्या
भंडार नाम
३. लो. का. ३०५
२ लों. का. १३८
८०
लों का, ६४० ३ त.का. २०८ १९-२३ जि.का ३४१/२ २ जि.का. ६०६/६ .... २ जि.का ३९९ / २ ..... ४२ जि.का २१२३
४०
४०
ग्रंथांक
१-१०
....४ जि.का ६८५
५ जि.का ९८१
१-७४
८४
५७
२३
५७
२३
३७
२
१-४
सूं. का. ३८७
हूं. का. ६११
त. का. ९५३
हूं. का.
१५५
जि. ता. ३८९
हूं. का. १२७३
हूं. का. ७७५
लॉ का ५६९
हूं. का. ११३५
. का. ७५७
जि. ता. १५८/९
३
ढूं. का. ७५६
३ लों. का. ६४१
२४ लॉ का ४९१
४ त.का. १०३३
२
डूं. का. ९५१
४
त.का. ५९९
ग्रंथनुं नाम
गौतमपृच्छासार्थ गौतमपृच्छा मूल गौतमरास गौतमरास
० गौतमस्यामिगीत ० गौतमस्वामिगीत
० गौतमस्वामिरास
गौतमस्वामिरास
गौतमस्वामिसज्झाय गौतमस्वामिरास
● गौतमस्वामी स्तवन गौतमाष्टक गौतमाष्टक + • गौतमाष्टक
• गौतमीयन्यायसूत्रवृत्ति गौतमकुलक
| गौतमकुलक सह टब्बार्थ गौतमकुलक सह टब्बार्थ गीतमकुलक सह वृत्ति गौतमकुलक सह वृत्ति ● गीतमपृच्छा
ग्रहशांतिस्तुति
गीतमपृच्छा गौतमपृच्छा चौपाई गीतमपृच्छा सह बालायबोध गौतमपृच्छा सह बालावबोध
गौतमपृच्छा सह वृत्ति गौतमपृच्छा सार्थ
कर्ता
विनयप्रभसूरि गुणविनय
विनयप्रभ
कांतिविजय
विजयभद्र
सुधर्मास्वामी
ललितसागर
नवरंगमुनि
रिध्धिविजय
सागरचंद्र लक्ष्मण व्यास-ले.
जिनहर्षसूरि
देवकुशल मुनि दयाराज मुनि
संवत्
. १८०४ ...... १-४
.........४
.... २ जु १८-१९
११-१७ ...... ६
१४९२
र. १४१२ .ले. १७२९
१४१२
१२०८
पत्र
संख्या
...... १-४
१२४
१
.८ १-२ • १७५३ ३० १८९४ . ४० १४०० १२३-१२७ ७६ ....... १-५ १-१४
७५
३९
१५
. १८०९
१८४३
3
-------
.
Page #421
--------------------------------------------------------------------------
________________
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.३७३
कर्ता | संवत्
भंडार
पत्र
पत्र
संवत् | पत्र
| भतार| ग्रंथांक |
ग्रंथर्नु नाम
मस्या
राजप्रमोदगणि
३२-४२
3२-५३
जि.ता.
EEEEEEEEEEEEE
१०७०
१८६१
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता था.का. ३७२ गौतमपृच्छाचीपई .................
४०६/२ गौतमपृच्छाचौपई ..... लों का,२०० गौतमपृच्छा सह वालायबोध लों का ६४२ गौतमरास ... ई.का. ९९ गौतमस्वामीनो रास... त.का. ५२०
ग्रंथसारसमुच्चय ...... जि.का ४२०/६० ग्रंथोपसंहार .........
२७० ग्रहगोचरफल (ज्योतिष)........ १९२८ ग्रहणाधिकार .................... शतानंद ........
ग्रहदशा अन्तर्दशाफल........... जि.का ११४० ग्रहभावप्रकाश .................... पद्मप्रभसूरि
ग्रहभावप्रकाश (ज्यो.) त्रूटक ..... ग्रहभावप्रकाशज्योतिष अपूर्ण.... ग्रहभावप्रकाशज्योतिष सस्तबक ग्रहभावफल....................
ग्रहभावफल जि.का ११२३/१ ग्रहरलाकरसारणी .... जि.का १९३६ ग्रहलाघवज्योतिष..... त.का. ४६४ ग्रहलाघवप्रबोध य सारिणी जि.का १९१२ ग्रहलाघवसारणी...... त.का. ९५३
ग्रहशांतिस्तुति........... इं.का. ९९६ ग्रहशांतिटीका .......... था.का. ३०७ ग्रहशान्तिस्तोत्र गोलबंधन ........ विद्याकलशमुनि जि.का ११३२ ग्रहसाधनप्रक्रिया , त.का. ९८४
ग्रहसिद्धि जि.का १८६५ ग्रहसिद्धिज्योतिष
महादेव दैवज्ञ ग्रीष्म वर्णन प्रथम सर्ग ........... कालिदास जि.ता. ३४६/२ ०घटकपरकाव्य .......
१८६२
जि.का १४४/१ . घटकर्परकाव्य............. जि.ता.३४७/२ घटकर्परकाव्य सटीक.......... टी.क.शांतिसूरि
पूर्णतल्लगच्छीय जि.ता १३४७/७ . घटकपरकाव्य सटीक ....... टी.क.पूर्णतल्लगच्छीय..........
शांतिसूरि घटसर्प ..
कालिदास.... १५-११६ २२५० धर्मबिंदुप्रकरण वृत्तिसह ..... मू.क हरिभद्रसूरि, ............१३००
वृ.क.मुनिचंद्रसूरि जि.का १९१३ धीकोटीग्रंथ्यादि ..
चंडाप्रचण्डाचोपाई ...... चंडीशतक..............
|बाणभट्ट ....................१५४६ १-६ जि.का २५५ चंडीशतक सटीक
बाणभट्ट -टी.. जि.का ६०० चंदनबालाचोपाई. ............ देपालकबि ....
चंदनबालाचौढालिया जि.का ८६० चंदनबालाचउपई .............. देपालकवि २] जि.का ६०६/१
६०६/१ ० चंदनबालाभास.. ३०५०
चंदनमलयागिरिकथा ... यासवदत्ताकथा तथा बारव्रतकथा चंदनमलयागिरी चोपाई .......... चंदनमलयागिरीकी वार्ता ........ +डोलामारु वार्ता चंदराजरास अपूर्ण.. चंदराजानो रास .................
...........१७८३ इं.का. १०७५ चंदराजानो रास ..... लों.का.४३५ चंदराजाचउपई ..
विद्यारुचि डूं.का. ८१२ चंदराजाचरित्र ...... मोहनविजय. डूं.का. १०८४ चंदराजारास
मोहनविजय......... |जि.का ५०४/१ . चंदाविहायप्रकीर्णक
...........
१८०८
....१८७९
........
ई.का. ५८२
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________________
पत्र
दिनकर ..............." दिनकर ......
M
जि.का
388 - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट . भंडार ग्रंथांक
कर्ता
पत्र ग्रंथन नाम
भंडारा संबत्
ग्रंथांक
ग्रंधन नाम | कर्ता संवत् नाम
संख्या
नाम जि.का १९५१/६ चंदाविज्झयप्रकीर्णक,
...३३-४०
लो.का ३५४ ० चंद्रलेखारास .................... रलवल्लभ ....................१८२५ .....१-२० चंद्रकुमारनी वार्ता ......
... १८४८ जि.ता. १४६/८ . चंद्रवेध्यकप्रकीर्णक
१०२-११५ लो.का ०३ चंद्रगुप्त के १६ स्वरूप्न.......... पूर्याचार्य
लों का २५१/३ चंद्राकी आदि सारणिओ लो.का ५० चंद्रगुप्तस्वप्नस्वाध्याय ..........जयमल
जि.का १८६६ चंद्रार्कीज्योतिष जि.ता. ३४६/- चंद्रदूतकाव्य........ चंद्र
....१३४३ १८-२० जि.का १८६७ चंद्रार्कीज्योतिष |१४४/६ चंद्रदूतकाव्य
जि.का ११६७ चंद्राीपद्धति |३४७/५ . चंद्रदूतकाव्य सटीक
............. भू.क.जंबूनाग, टी.क....
११५-१३२
० चंद्रधवलकथा शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय
०चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति ........ मलयगिरि आचार्य ........... १४८९ १६(१७३०त.का. 400/- चंद्रप्रज्ञप्ति. गणधर
................
...१८२५) .का २९० चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र ......
७(१७१३-1 ० चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र ..........
.........................१६२० १७२९)
चंद्राकींटिप्पनिका ................. ८६ ०चंद्रप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति ......... मलयगिरि आचार्य ...........१९८३ १६५
चंपकचोपाई
समयसुंदर .................. चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र ............. .................१४८९/१८०-२५६ जि.का
चंपकमालाकथा ....... |जि.का ६७४ चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र .............
चंपकमालारास अपूर्ण........... सौभाग्यसागरसूरिशिष्य |जि.ता.३७ चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रवृत्ति ............... मलयगिरि आचार्य ...........१४८९ ..३३५ त.का. ३९६ चंपकरास .................... सोमविमलसूरि ............ जि.का ८०८/६ चंद्रप्रभजिनस्तोत्र पडभाषामय.....
........... ९-१० त.का.
घउक्कषायसज्झाय .... चंद्रप्रभस्वामिचरित्र गाथाबद्ध .... यशोदेवसूरि प र ..............र.११७८
जि.का १४२५/२० चउक्कसाय दशपर्वात्मक ............ .ले.११७८
चउगति चौपई जि.ता. २५३ चंद्रप्रभस्वामिचरित्र पथ ........ देवेन्द्रसूरि ................१३०० २३९ त.का. १७६ चउगति वेल
......१६९५ जि.का ९४८ चंद्रप्रभस्वामिस्तोत्र पभाषामय
४ जि.का ६९८ चाउगतिचोपाई ............... वस्तिग सटीक
३१५ घउगतिवेल था.का. ३३८ चंद्रप्रभुस्तवन ...........
हेमचंद्रशरि .....
|त.का. ९७६ चउद नियमनी सज्झाय ....... ई.का. १०५९ चंद्रप्रभस्तवन + प्रदेशीकेशीप्रश्न,
घउपनमहापुरिसचरिय........... मानदेयसूरिशिष्य ............१२२७ चंद्रलेखा चौपाई .............. रत्नबल्लभ ..............
शीलांकाचार्य चंद्रलेखाचरित्ररास अपूर्ण.....
चउपनमहापुरिसचरिय
......१९८३/......१९६ जि.का १९९६
चंद्रलेखाचोपाई
............. मतिकुशल
चउवीसदंडक सह टब्बार्थ गजसार डू.का. १३१५ चद्रलेखाचौपाई.................. हर्षमूर्ति मुनि
चउशरण सह अवचूरि जि.ता. ३६१ ०|चंद्रलेखाविजयप्रकरणनाटक .....देवचंद्रमुनि हेमचंद्रशिष्य ....१३00 ....२०३
चउशरणपईना ...........
बबबबब
३४/ ४०
१८८
FGEEEEEE
शीलाचा
१५४७
Page #423
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________________
भंडार
था.का. ४११
CICCICE
""""
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३७५ भंडार ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
पत्र कर्ता संवत्
ग्रंथांक ग्रंथतुं नाम
कर्ता संख्या
संवत् नाम
संख्या त.का. ५५९ चउशरणपईना (मूल)
आ.का.३४१ चतुःशरण चउशरणसंधि.. त.का. २८१ चतुःशरण
.१६३७ आ.का ९५ चउशरणसन्धि पत्र ........
त.का.|१०३८ चतुःशरण
...१८४९ जि.ता. १५१/३ | चउसरण ........
.......१४००...२९-३३ चतुःशरण ......
....... जि.ता. १५६/२५ ० चउसरण .............
.....११९२...९८-१००
चतुःशरण बूं.का.७८ चउसरण ......................... विनयसुंदर ..............
चतुःशरण चौपड़..
.....१९०५ लोंका १५६ चउसरण..........
चतुःशरण सह अवचूरि
.............. १६८२ डूं.का. ८३९ चउसरण प्रकरण................. श्यामसिंह
१९०६
चतुःशरण सह टब्बार्थ लों का ३१० चउसरण सह टब्बार्थ......
चतुाशरण सह टब्बार्थ लों का ३२४ चउसरण सह टब्बार्थ....
चतुःशरण सह बालावबोध ...... चउसरण सह बालावबोध....
|१०५६ चतुःशरण सह बालाववोध ..... १४२५/१ चउसरणपयनो.................. वीरभद्र ......
(दोषावली) लो.का २३९ चउसरणसूत्र ...............
जि.का १४२६ चतुःशरण-आउरपच्चक्खाण-...... विषमपदविवरण... का १२५ | चउसरणसूत्र बालावबोधसह .....
भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्ण चउसरणसूत्र सह मूल ............वीरभद्रगणि ....
१-१५ त.का. ५५७ चतुःशरणटब्बार्थ ..................वीरभद्रसाधु....... जि.का १४५ चक्रपाणिविजयकाव्य............. लक्ष्मीधर ....................१९८४
......१९८४-.......४१ | आ.का ३०१ चतुःशरणप्रकरण सह टब्बार्थ जि.ता,३४९ | चक्रपाणिविजयमहाकाव्य ........ लक्ष्मीधर भट्ट .............१४०० ......११७ जि.ता. १४६/
१ ०चतुःशरणप्रकीर्णक ......... वीरभद्रगणि था.का.३३० चक्रवर्तिऋद्धि सूचक ........
जि.ता. १४६/९ .चतुःशरणप्रकीर्णक .......... वीरभद्रगणि..................१५००
११५-११८ शान्तिनाथस्तोत्र जि.ता. १५९/९ चतुःशरणप्रकीर्णक
१३१-१३४ जि.का १३१७/१३० चच्चरीप्रकरण जिनदत्तसूरि १२७१३२ जि.का ३६२ चतुःशरणप्रकीर्णक
वीरभद्रगणि जि.का १३०५/१ ०पच्चरीरासक सटीक जिनदत्तसूरि-मू.क., ........ १२९४... |जि.का ८४४ चतुःशरणप्रकीर्णक
वीरभद्रगणि टी.क.जिनपाल जि.का १३१७/२५०चतुःशरणप्रकीर्णक....
१९५-१९६ डूं.का. १३४९ चण्डीकवच
जि.का १३२६/४६०/चतुःशरणप्रकीर्णक ..... बूं.का. १२८२ चतुः शरण
जि.का १९५१/१ चतुःशरणप्रकीर्णक..... था.का. ३२३ चतुःशरण,
जि.का १८७० चतुःशरणप्रकीर्णक ............. वीरभद्रगणी था.का.३३४ चतुःशरण
जि.का १४२८ ०चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोध पार्धचंद्रसूरि था.का.४०४ चतुःशरण
जि.का ८४२ चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसह था.का४६२ चतुःशरण
जि.का ८८१ चतुशरणप्रकीर्णक बालावबोधसह वीरभद्रगणि.......
+
= = = = = = = ...
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________________
भंडार ग्रंथांक
भंडार
ग्रंथांक
पत्र
संख्या
...
१२
जि.का ९३२
जि.का १४२५
१९५१
MEEEEEEEEEE
३७६ • सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट . नाम ग्रंथनुं नाम कर्ता संवत्
ग्रंथर्नु नाम संख्या नाम
संवत् । जि.का ३५९ चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक ..... वीरभद्रगणि मू.क. ..............
आ.का.९४ चतुर्विंशति स्तवन
...१६०५ जि.का ४१८ चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक ..... वीरभद्रगणि -मू.क. .....
+ नवतत्त्व विचारसार जि.का १०७० चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक.
त.का. १८५ चतुर्विशति स्तुति................. शोभनमुनि
.... १८६३ जि.का १४२७ चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तबक.... वीरभद्रगणि ..................१७२६
लों.का. १७४ चतुर्विशति स्तुति सह टब्बार्थ ... शोभनमुनि जि.का ९५३ चतुःशरणप्रकीर्णक सस्तवक ...
त.का. ३
चतुर्विशतिका टब्बार्थ ...... त्रिपाठ
चतुर्विशतिजिनचरित्रस्तोत्र ... चतुःशरणप्रकीर्णकादि ...........
जि.का/१३२६/१९ ० चतुर्विशतिजिननमस्कार .... चतुःशरणप्रकीर्णकादिप्रकीर्णक ..
जि.का १६३८ चतुर्विशतिजिनस्तब तथा. संग्रह
सद्भवस्या देवलोके स्तोत्र जि.का १३४/३ ० चतुःशरणप्रकीर्णक
| जि.का ८१७/४ 0 चतुर्विशतिजिनस्तवन ..... चतुशरणप्रकीर्णक ............ वीरभद्रगणि-मू.क., .........१५
त.का.
चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र .... बालावबोधसह ............ जयचंद्रसूरि-बा.क.
जि.का |१०८४/२ चतुर्विशतिजिनस्तोत्र क्रियागुप्त जयशेखरसूरि .......... जि.का १४२४ चतुःशरणप्रकीर्णक .......... वीरभद्रगणि.......
चतुर्विशतिवृत्ति ............ धनपाल ..... .का ३८२ चतुःशरण ................... कमलहर्ष ........
४त.का.|४४६ चतुर्विंशतिस्तुति ................ शोभनमुनि .............. ५४७ चतुःशरण .....
त.का. ९७० चतुर्विंशतिस्तुति ............. विमलसौभाग्य ...............१८९१ जि.का ८७३/१ चतुशरणप्रकीर्णक .............
वीरभद्रगणि ................
५||त.का. ४८२ चतुर्विशतिस्तुति सह वृत्ति ....... शोभनदेव आचार्य...... लों.का ४६५/A चतुःशरणप्रकीर्णक
૪ર૬ चतुर्विशतिजिनस्तयन....... बीरचंद्रर्षि ......... जि.का ८१४ चतुर्गतिवेलि .........
१०||.का. १४८ चतुर्विशतिजिनस्तब पंचाशिका . सागरचंद्र -पं.ले........... जि.ता/१५६/२६ ०/चतुर्जिनकल्याणस्तोत्र ..
१६५ चतुर्विंशतिस्तुति ............ लावण्यसमय..... डूं.का. २१ चतुर्थ कर्मग्रंथ. देवेन्द्रसूरि
१७८ चतुर्विशतिस्तुति (पंचाशिका)..ऋषभविजय .............. इं.का. ५२६ चतुर्थ कर्मग्रंथ सस्तवक ...... देवेन्द्रसुरि
१३३१ चतुर्विधधर्म , मेरुत्रयोदशी... जि.का ३२४ ० चतुर्थ पंचम कर्मग्रंथ ......... देवेन्द्रसूरि
|+दीपावली गुणना चतुर्दशस्वप्नविचार ....
था.का.४२ चतुर्विधसंघनाममाला ........... जेतसी .......................१७०१ चतुर्मासिक व्याख्यान ........
..१२ त.का. ९९१ चतुर्विशति नमस्कार चतुर्मुखश्रीधरणविहार-........... मेघो........
.३|| जि.का ३४६ चतुर्विशतिजिनचतुर्विशतिका ... जिनसुंदरसूरि, श्रीआदिनाथस्तवन...............
।.ले.१५७
शांतिनाथजिनपर्यंत (अपूर्ण) चतुर्विशति शासनाधिकार ........
...७ जि.का ८०८/८ ०चतुर्विशतिजिनस्तवन ........ जिनप्रभसूरि त.का. ३०९ चतुर्विंशति सहावचूरि ........... मेरुविजयगणि.............................१२||जि.का ८१७/५ चतुर्विशतिजिनस्तुति ............
१३३४
त.का.४८०
२.१४९९
१०-११
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________________
भंडार
संवत्
११९२
लों.का ३३६
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३७०
पत्र । | ग्रंथांक
पत्र | ग्रंथर्नु नाम
संवत्
ग्रंथांक | नाम
ग्रंथतुं नाम संख्या
कर्ता
संख्या जि.का १३२६/१८० चतुर्विंशतितीर्थकरनमस्कार .......
१९२१९७५.का. ६९ चमत्कारचिंतामणी ............. श्रीदह राजर्षि ... जि.ता. १५६/१८ ० चतुर्विशतिजिनकल्याणक-...
1... ७६-८४ लों.का.४३ चरकसंहिता (वैदक ग्रंथ) Jटक ......... स्तोत्रचतुर्विशतिका
जि.का १८९३ चरखंडांज्योतिषसारणी ....... जि.का ८६६/१ ० चतुर्विशतिजिनवर्णलांछनादि ...
...... २| जि.ता. ३५३/१ ०चर्चरीरासक सटीक ..............मू.क.जिनवल्लभगणि, ......१२९४ १-३७ अष्टक
..................टी.क. जिनपाल जि.का १२९१/२ चतुर्विशतिजिनस्तव.............. पूर्णभद्र
. १-४ त.का.४७१ चाणक्यनीति ................
....................१८१३ जि.ता.१५६/३९ ० चतुर्विंशतितीर्थकरस्तुति-........जिनवल्लभगणि .............११९
त.का. ७२७ चाणक्यनीतिशास्त्र सह टब्बार्थ... चतुर्विंशतिका
चाणक्यराजनीती सह टब्बार्थ. हूं.का. १३२७ चतुर्विंशतिजिनस्तुति .....
त्रूटक लो.का ५४१ चतुष्क इंडिकावृत्ति.
डू.का. ३४६
चाणक्यराजनीतिशास्त्र............ जयरत्नमुनि .................. डूं.का. ९६० चतुःशरण पंजीका .
....१८७८
चाणक्यनीतिशास्त्र अपूर्ण जि.का/७५७ चतुःशरणप्रकीर्णक सक्तबक ..... वीरभद्रगणि..
चातुर्मासिक व्याख्यान .. क्षमाकल्याण हूं.का.८५८ चतुर्विंशतिजिनस्तवन अवचूरी..
डूं.का.
चातुर्मासिक व्याख्यान. इं.का. १२२६ चतुर्विशति स्तुतिओ ............. जयचंद ले....
१७२ चातुर्मासिक व्याख्यान ..... जि.का २१२०/३ ०चत्तारिअठ्ठदसदोय सूत्रवृत्ति .... देवेन्द्रसूरि .....
चातुर्मासिक व्याख्यान..... ६१५ चत्तारिमंगलं सप्तस्मरण ......
त.का.२६४
चातुर्मासिक व्याख्यान (पद्धति).. समयसुंदर ............... त.का. ७२० चन्दराजारास .....................मोहनविजय ............१९१७ ११६ था.का.३१७ चातुर्मासिक व्याख्यानम् ----- चन्द्रप्रज्ञप्तिवृत्ति.
....१६७१
जि.का. १६६० चातुर्मासिकव्याख्यान ......... चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र ................
|....१६७१.
२२३८ चातुर्मासिकव्याख्यान ........... क्षमाकल्याण ............... जि.का ८८६ चन्द्रप्रभस्वामिषड्भाषामयस्तोत्र,
१६५८ ० चातुर्मासिकव्याख्यान ........
समयसुंदर ........... चन्द्रलेखारास ................Jधर्मरत्न
..१८८७
आ.का २७४ चातुर्मासिकव्याख्यान चन्द्राकीसूत्र सह वृत्ति चूटक ...
|३१५ घातुर्मासिकव्याख्यान
................. चमत्कार चिंतामणी टीका ......
चातुर्मासिकव्याख्यान चमत्कारचिंतामणि ...
२१४९ चातुर्मासिकव्याख्यानबालावबोध त.का. ११५० चमत्कारचितामणि + भुवनदिपक पद्मप्रभसूरि
१०५८ चातुर्मासिक व्याख्यान.
............. अध्याय ज्योतिषशास्त्र
लों.का ४७० चातुर्मासिकव्याख्यान लों.का./५४८ चमत्कारर्षितामणि प्रहभावफल ..
| डूं.का. १३७७ चारित्रछतीसी..... अध्याय
जि.का c0
चारित्रमनोरथमाला ............... खेमराजमुनि ...
28
१८७९
३१३
GEEEEENA
21
24EDAAR
३९४
प्रेमवर्धन
Jain Educatan Internation
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________________
|
संवत्
कर्ता
संवत् | संख्या
३७८ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता नाम आ.का २१५ चारित्रमनोरथमाला ..... जि.का २०९५ चाचिंक हूं.का. ९८० चार्चिक स्तवन टब्बार्थ डूं.का. १४ चातुर्मासिक व्याख्यान डूं.का. १२२४ चातुर्मासिक व्याख्यान .... जि.का २१७९ चिंतामणि ........ त.का. ८५२/० चिंतामणिपार्श्वनाथस्तोत्र .... त.का.८५२/A चिंतामणिपार्श्वनाथस्तोत्र
सह स्तबक जि.का ३४९/४ चिंतामणीपार्श्वनाथ स्तवन...... लाभोदय .........
.का २१३३ ०/चिंतामणिसार प्रत्यक्षखंड ....... भवानंद सिद्धांत ...... जि.का ६०६/४ चिहुंगतिनी वेल .....
1400/A चिडियारो विवाह ...... का ३४४ |चित्तोडगढ गझल... .ता.५/२ . | चित्रपट्टिका दूसरी. लों.ता.५/१ • चित्रपट्टिका पहली....
४२०/८ चित्रबद्धकवितत्रिक ....
९२६ चित्रबद्धजिनस्तुति ...............जिनचन्द्रसूरि ....... था.का. ३१० चित्रमय संग्रह ...... लो.का ३५३ चित्रसंभूतिसज्झाय ..............नयप्रमोदगणि........... आ.का ३७ चित्रसेन पदमावती कथा ........
चित्रसेन पद्मावती चौपई ....... मानसूरी .......... इं.का. १०७९ चित्रसेन पद्मावती चौपई......रामविजय.............. त.का. ९४७ चित्रसेन रोहीणीचोदालीया ...... त.का. १११८ चित्रसेनपद्मावतीचौपड़ .........राजसिंह डूं.का. ३९ |चित्रासन पद्मावली कथानक ... पद्मचंद्रसूरि जि.का १३२६/४३ ० चिन्ताकुलक ....... इं.का. ६८२ चिन्तामणि नाममाला.........../राजहंस ...
___EEEEEEEEEEE
पत्र भंडार। ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
| पत्र संख्या नाम
जि:का १९११ चिहुंगतिवेल ..................... जिनआनंद .............- ....१६६६ लों.का ६२२ चेडा-कोणिक चौपाई ............. रायचंद शाह ............
१-६ जि.का ४२०/३ चेतनकर्मचरित्र..
भगवतीदास.................१७३६/... २३-३४ आ.का १६४ चैत्य-गुरुवंदन-प्रत्याख्यान
भाष्य सह अवचूरि त.का. ५३७ चैत्य-गुरुवंदनपत्याख्यानभाष्य .... लक्ष्मीविजयगणि .............. १६४६
सह टब्बार्थ चैत्य-गुरूवंदन-प्रत्याख्यान भाष्य .. चैत्यगुरुवंदनप्रत्याख्यान भाष्य.. चैत्यपरिपाटीस्तोत्र.............. गुणविनयगणि ..............१६ चैत्यवंदन + गुरुवंदन + पच्चखाणा ...... भाष्यचूर्णि चैत्यवंदन + दानविधि कुलक ... चैत्यवंदन + दानविधि कुलक ..
+ सनत्कुमारगीत था.का.
चैत्यवंदन + दानविधिकुलक.. ३९-४० था.का. ४२४ चैत्यवंदन + दानविधिकुलक..
............... १६९९ + सनत्कुमारगीत .का.५४२
चैत्यवंदन अधिकार ... का. |७२७ चैत्यवंदन आदि भाष्य.. का. |६५८ चैत्यवंदन आदि भाष्य बालावबोध 1.का. १६२ चैत्यवंदन गुरुवंदनभाष्य .......... विद्यारत्न गणि................१६३५
प्रत्याख्यान था.का.१४ चैत्यवंदन भाष्य...... था.का ६१ चैत्यवंदन विवरण.... लो.का ४९९ चैत्यवंदन सज्झाय .... था.का. १२० चैत्यवंदन-गुरुवंदनभाष्य ......... राजप्रमोदगणि.. |जि.का २१२०/१०/चैत्यवंदनकप्रत्याख्यानलघुवृत्ति तिलकाचार्य ....
.... १५९६
इं.का. ५०५
..१७८२
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भंडार| ग्रंथांक
नाम
२४९-५१
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ - ३७९ भंडार
पत्र ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत् संख्या नाम
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | संवत्
संख्या जि.का २०२८ चैत्यवंदनचतुर्विशतिका .......... क्षमाकल्याण
जि.का ९६४ चैत्यवंदनाबंदनकप्रत्यारख्यान-...श्रीचंद्रसूरि-यू.क..............१२३२ था.का ३५६ चैत्ययंदनदानविधिकुलक......... कल्याणतिलक गणि....
आवकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति जि.का १०११ चैत्यवंदनभाष्य ................ देवेंद्रसूरि
....गा.६३ जि.का. १०८५ चैत्यवंदनावंदनकादिविचारथा.का १९७ चैत्यवंदनभाष्य ................ रंगविजय पं..................१६९३
बालावबोध चैत्यवंदनभाष्य
|जि.का ३३०/२ चैत्यवंदनाविधिप्रकरण .......
....२०-२२ त.का. १२६२ चैत्यवंदनभाष्य टब्बार्थ विधि .........
जि.ता. १३९/१ . चैत्यवंदनासूत्रपूर्णी यशोदेवमूरि..................११७४
.....१.६० जि.ता २०७ ० चैत्यवंदनभाष्य संघाचारटीकासह मू.क.देवेन्द्रसूरि,............१३२९ ......२६१||जि.ता/१४०/१ . चैत्यवंदनासूत्रचूर्णी
यशोदेयसूरि ..................११७४ ........... टी.क. धर्मघोषसूरि
जि.ता/१४१/१ ० चैत्यवंदनासूत्रवृत्ति
श्रीचंद्रसूरि
....१-२८ चैत्यवंदनभाष्य सस्तवक......
|जि.का १३२६/३२० चैत्यवंदननियमकुलक...... जिनदत्तसूरि था.का. ७ ० चैत्यवंदनमहाभाष्य ...............शांतिसूरि ...............
२६ जि.का १३१७/१०० चैत्यवन्दनकुलक ... |जिनदत्तसूरि चैत्यवंदनमहाभाष्य ..............शान्तिसूरि ......... | जि.का १३१७/११० चैत्यवन्दनविधिकुलक....
१२२-१२४ चैत्यवंदनमहाभाष्य .............. शान्तिसूरि
चूं.का. १२२८ चैत्यवंदन अने स्तुति जि.का १३२६/३१० चैत्यवंदनविधिकुलक ..............
लों का २१६ | चैत्रीपूनम व्याख्यान जि.का ७५४/ २ ० चैत्यवंदनाकुलक ...
डूं.का. ३२७ चैत्रीपूनम व्याख्यान सह विधि जि.का १२७७ चैत्यवंदनाकुलक वृत्तिसहित अपूर्ण ....
डूं.का. ३४८/२ चैत्रीपूनमविधि + पौषी दशम कथा २-१५
चैत्रीपूनमदेववंदन. ............. ज्ञानविमलसूरि.. चैत्यवंदनादिभाष्यत्रयसावचूरिक देवेन्द्रसूरि .................
चैत्रीपूर्णिमा व्याख्यान ....... ० चैत्यवंदनादिविवरण अपूर्ण......सं. ..........................१४०० ..... ५४
चैत्रीपूर्णिमापुंडरीकआराधना ..... १२६४ चैत्यवंदनादिसूत्र ....................................
चैत्रीपूर्णिमापुंडरीकआराधना .... त.का. ७२ चैत्यवंदनादिभाष्य ................. देवेन्द्रसूरि ...................१५०३
| चैत्रीपूर्णिमापुंडरीकआराधना .... चैत्यवंदनाविभाष्य सह टब्बार्थ ... हेमसागर .................... १७८९ .... १७
चैत्रीपूर्णिमाकथा ............ + सम्यक्त्वस्तवन
चैत्रीपूर्णिमाचैत्यवंदन अपूर्ण ... जि.का ११९ ० चैत्यवंदनाभाष्य संघाचारवृत्तिसह देवेन्द्रसूरि -मू.. .............१९८३ ....१८८ हूं.का.
चैत्रीपूनम देवांदवा विधि. वृ.क.धर्मघोषसूरि
आ.का ११३ चैत्रीपूर्णिमा देवयंदन... जि.का. १०८९ चैत्यवंदनाभाष्य सस्तबक ....
....... ५ था.का ४२२ चैत्यवंदन+दानविधिकुलक ..... जि.का. १२५० चैत्यवंदनावंदनकप्रत्याख्यान-...
२४-३५ था.का ५१ चॅत्यवंदनवृत्ति ......... विवरण
जि.का २०८६ चोल्लकदृष्टान्त ..............
..............१७१२ त.का. ३७२
चोवीशदंडकबोल............... रबिबिजय...................१९०२
१४००
AAAAA
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Page #428
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पत्र संख्या
भंडारा | ग्रंथांक
- नाम
आ.का. ११८
९८-९९
इं.का. ६०५
लों.का. ४५८
....१८८४
३८० - सर्व प्रथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् नाम ८३६० चोवीस दंडकना २९ बोल ....... अमृत पं....
...११| २०३१ चोवीसतीर्थकरगीत ...........
लक्ष्मीवल्लभ. ४२०/५१ चोवीसतीर्थकरजयमाल....... भैया ... त.का. 20 चोवीसदंडक ...
हेमसागर.... त.का. ८३०
चोवीसदंडक (आदीश्वर) स्तवन धर्मसुंदर .... आ.का ६० चोवीसदंडक अवचूरि ... त.का. १००२ चोवीसदंडक सह टब्बार्थ ........गजसार मुनि .. डूं.का. ९७७ चोवीसदंडक सहावचूरी ..........गजसारमुनि ... त.का. ६७५ चोवीसदंडकबोल................ लक्ष्मीकुशल
चोवीसदंडकस्तव बालावबोध ....गजसारमुनि आ.का १३८ चोवीसी स्तवन ............... त.का. ८०६ चोवीसीसहवीसविहरमाननमस्कार लो.का ५९१ चोवीसजिनगीत ................. राजसागर आदि जि.का ८१७/३ 0
चोवीसजिनस्तवन ..............." ७५५
चोवीसदंडक मो.का ५७९
चोवीसदंडक-विचार सह टब्बार्थ
जीर्ण डूं.का. ११८९ चौत्रीस अतिशय + वर्धमान देशना जिनलाभ गणि................१८७९ ... लो.का./६९५/० चौत्रीस अतिशय सह टब्बार्थ ...... पूर्वाचार्य ....... लों.का ६९५/ चौत्रीस अतीशय सह टब्बार्थ......पूर्वाचार्य .... इं.का. १५० चौद गुणस्थानक, संपूर्ण ........शांतिसमुद्र-ले.रत्नशेखर ....१८५३ इं.का. ४ चौद गुणठाणा .......... ला.का ६१० चौद गुणस्थान .......... जि.का २१३५/४ ० चौदगुणस्थानकस्तवन, जि.का ४२०/३२ चौदगुणस्थानजीवसंख्याविचार ......
सज्झाय अपूर्ण जि.का. ६८७ चौदस्वप्नवालावबोध ................ था.का ४३७ चौपाई.
जिनरतन ...............
त.का. २३१ त.का.३५७ लों.का. ४५४ त.का. |३४४ त.का. डूं.का. १३२३ लों.का. ६१८ लों.का. ६९६ लों.का.५६१
३७४
|३७४
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत् चौमासिकव्याख्यान पद्धति ....... उदयरत्नमुनि-ले........
समयसुंदर-क. चौमासी अतिचार संपूर्ण ...... चौमासीव्याख्यान....
क्षमाकल्याण ............ +होलिकाव्याख्यान चौविशदंडक (पार्च) स्तवन ....... पार्श्वचंद्र सूरि ....... चौविस चौक..................... अमृतविजय............... चौविस तीर्थकरो के गीत ..... चौवीशदंडक सह टब्बार्थ, चौवीशदंडकबोल. चौवीशजिन स्तुति/ अवचूरि सह .......... चौवीस चौक
विवेकविजय चौवीस दंडक प्रकरण............ गजसार मुनि ............ चौवीस दंडक बोल चौवीसजिन काल मानादि स्तवन कपूरचंद-ले., धरमशी-क ......... चौबीसदंडक चौबीसदंडक ...
गजसारमुनि.. चौवीसदंडक...... चौवीसदंडक ....
गजसारमुनि चौबीसदंडक सह अवचूरि.........सौभाग्यकीर्ति चौबीसदंडक सह टब्बार्थ, चौबीसदंडकबोल..................धवलचंद्र चौवीसदण्डक चौवीसी चौवीसी चौवीसी चौवीसी
मोहनविजय चौवीसी.
९३१०
TEES
..१७६५
SA
5555
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________________
पत्र ।
नाम
...१९१०
....१८६६
१७६६
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.३८१ | भंडार
भंडार। ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कर्ता संवत्
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
| संवत्
पत्र । नाम संख्या
संख्या त.का.|११९० चौवीसी..
शांतिविजय ......
त.का.८४९
छत्रीसमन्त्र.... डूं.का. १३२९ चौवीसी (आनंदधन चोवीसी)....आनंदधन................
था.का ३८५ छप्पनदिशीकुमारीअधिकार .. आ.का.६७ चौवीसी सह बालाबोध............ मानविजय ...................१७९४
छसो अट्ठावन थी छसो .. आ.का. ७० चौवीसीजिनस्तवन
तोत्तेर नाना-मोटा गुटका छे. लो.का. ३७५ चौवीसतीर्थकरना अंतरा ..........धर्मसिंह ......................१८८७
छसो चोर्यासी थी छसो ..... था.का. ३२४ चौवीसदंडक
॥
इठ्यासी नाना मोटा गुटका छे डू.का. १३०४ चौवीसदंडक बोल
लों.का. ६७५ छसो पंचोत्तेर थी छसोव्यासी.. लों.का. ३७० चौवीसदंडक सह टब्बार्थ ......... विनयविजय .................
नाना मोटा गुटका छे लो.का. ४९६ चौवीसदंडक सह टवार्थ
|त.का. |७६७ छिकादिशुकनाधिकार ....... त.का. २१२ चौवीसदंडकबोल.
भक्तिविजय
बूं.का. १२६९ छींक आदि शुकन विचार. बूं.का. १३३४ चौवीसदंडकबोल....
लों.का. ४८० छुटक पद और आराधना चौबीसदंडकविचार बेटक-जीर्ण ...गजसार ..... जि.का.४२०/४१ चंतालीसदोषरहितआहार-.........
...१७५०
.....८७-८९ आ.का. २८८ चौवीसदण्डक.............
वर्णनपच्चीसी जि.का २११८ चतुःश्लोकीप्रकाश .................... केशवभट्ट ..
जि.का ८१५ छोतीकुलक
पाती डूं.का. १४५० चतुर्विशती स्तवन................जिनराजसूरि ...........
लो.का. १७७ जंबुद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णि... ...........
१-३६ जि.ता. १५६/२९ ० चतुस्त्रिंशदतिशयस्तोत्र ..........
१०९ में लो.का. ६१५ | जंबुद्धीपसंग्रहणी और छूटक पत्र डूं.का. १२२ चातुर्मासिक व्याख्यान
जंबुस्वामीचरित्र टीका............ सकलहर्ष मुनि................१८१८ इं.का. २६१ चातुर्मासिक व्याख्यान ...........मणिमाणिक्य -ले. ..
जंबू अध्ययन........... चातुर्मासिक व्याख्यान
३९५.का. १०९ जंबुकमारना पांच भव ............ चातुर्मासिक व्याख्यान ........... क्षमाकल्याण
१२| डूं.का. २१३ | जंबूद्वीप वर्णन .......... इं.का. १२७२ चार्चिक ग्रंथ.
११ त.का.४१ जंबूद्वीप सह बालावबोध चोवीस दंडकस्तवन सह टब्बार्थ क.धर्मसिंह .................. १७२९
१५८/६ जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण
.............१४००/१०९-११६ त.का. ९७३ .छंदपत्र ......... जि.ता.१६०/५ . जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण
..३१-३६ जि.का ६३१ छंदमाला ......................... हेमकवि ......................१७०६ .... २-११ जि.ता. १६२/४ . जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण ..
८-१५ छंदोनुशासन ....................जयकीर्तिसूरि ...............११९२ जि.का ३३०/५ जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण.
२९-३३ |जि.ता.३१५ दोनुशासन स्वोपज्ञ ........... हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ ........१४९०.......२१४ जि.का १३२६/७०जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण.. छंदश्चूडामगिवृत्तिसह
जि.का १५०० | जंबूदीपक्षेत्रसमासप्रकरण लों.का ५७२ छंदसार त्रूटक .......
जि.का १५०१ जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण सस्तबक
...................११९२
१.६५ ---................
I.......३४
NEECE
i
.....२८
Co-८८
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३८२ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि.ता. १९७
त. का. ५६
जि. ता. ३१/१
for a 33/9
जि.का १३९२
जि.का १३९३
जि.का १३९१
जि.का ४७७
जि.ता, ३२/२ जि.ता, ३३/२ (जि.ता, ३१/२
जि.का ८४
जि.का २८
जि.का ८५
जि. ता. २५/३
जि. ता. ३२/१
त. का. ८०३ जि.का ११८४ त. का. ९४० जि.का १४९२
डूं. का. ११८१
था. का. ३९७
त. का. ६५७
था. का. १५०
-
ग्रंथनुं नाम
● जंबूद्वीपक्षेत्रसमासवृत्ति
• जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति.
• जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र
● जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र
| जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र
• जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र
D जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र सटीक त्रिपाठ
त्रिपाठ
जंबूद्वीपप्रकरण जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति
जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति चूर्णि
● जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति सूत्र
कर्ता
वृ.क. विजयसिंहसूरि
गणधर
...
• जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र- चूर्णी. • जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र- चूर्णी • जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र- चूर्णी. D जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रचूर्णी. ● जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रचूर्णी.
D जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति
• जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र.
• जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र. जंबूद्वीपभूगोलबोल
जंबूद्वीपसंग्रहणी सस्तबक हरिभद्रसूरि जंबूद्वीपसंग्रहणी सह टब्बार्थ..... क. हरिभद्रसूरि • जंबूद्वीपसंग्रहणीप्रकरण सटीक हरिभद्रसूरि-मू., प्रभानंदसूरि.टी.
...
----
शांतिचंद्रोपाध्याय वृ.क.
पुण्यसागर महोपाध्याय
भंडार पत्र संवत् संख्या नाम
११४लों का ५७ १०० था. का २७५ १-१६४ हूं. का. ७६९ १-१०१ जि.ता, १९६ ९६ जि. ता. २५/४ १३१ जि.का ४११
८१
२७३-३८३ जि.का, १६५१ जि. ता. २४५ १-४० जि.का. १६५२ १०२-१४० जि.का ३०४ . १४०० १६५-२३३ जि.का ३०७/२ १९८३ ३९ जि.का ३०२ . १४८९ १६ (१६९७- जि.का ३६४
१४००
२. १६४५ .ले. १९८५
.....
. १४८९१३६-२६५ .१३७८....... ९७
.५
. १६६०
१८१७
१७८९
.. १७१२) • २३५
. १६७२
८
ग्रंथांक
.३
९
जि.का ४९१
डूं. का. २२३
त.का. ३१६
त. का. ३६२
त.का. ३६१
डूं. का. ७५४
था. का. २७६
डूं. का. १०३७
लों का, ४४४
१० जि.का १८७o
११ आ.का. १९४
३० जि.का ११३४
....... ९० त.का. ७५९
ग्रंथनुं नाम
जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र ● जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिवृत्ति जंबूद्वीपसंग्रहणी सूत्र • जंबूद्वीपक्षेत्रसमासवृत्ति ● जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति चूर्णि जंबूस्वामिचरितरास.
D जंबूस्वामिचरित्र. ● जंबूस्वामिचरित्र गाथाबद्ध जंबूस्वामिचरित्रगद्य
D जंबूस्वामिचरित्रबालावबोध ० जंबूस्वामिप्रबंध जंबूस्वामिरास
D जंबूस्वामिरास
जंबूस्वामिरास
• जंबूस्वामी चरित्र.
D जंबूस्वामी बालावबोध जंबूस्वामीबालावबोध
० जंबूस्वामीचरित्र. जंबूचरित्र
● जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति (करणाणं) चूर्णि
जगतभूषण जगदेवपरमारवार्ता जगद्भूषणसारणी
www..
• जगसिंह यशसिंहमहाकाव्य जनावरशकुनावली. जन्म कुंडली
कर्ता
सुधर्मास्वामी
हरिभद्रसूरि हरिभद्राचार्य...
जिनेश्वरसूरि शिष्य | वेगडगच्छीय पद्मसुंदर
गुणपाल. सकल हर्ष
देपाल रत्नसिंहसूरि शिष्य
नयविमल
सकलहर्ष.
संवत्
.... १-१२४ ३१० .......५ १४०० ******** २६ १४८९ २६६-३२९
२३
. १६४५
१४००
. १५६८
र. १५१६ ..ले. १५४१
. १५४२
. १७९५
१९५१
पत्र संख्या
१८७२
SEAR
२४
१८
३२६
११
२-१४
१-२ ९
१२-३०
१८
१८
....९
२०
६९
४०
.४
१-२६
३४
२२
९
.
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________________
| सबत् । संख्या
9ERE)
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३८३ भंडार
पत्र ग्रंथांक __ग्रंथनुं नाम
| भंडार कर्ता संवत्
ग्रंथांक संख्या
ग्रंथनुं नाम नाम
| नाम
कर्ता ई.का. २१९ जन्मपत्रिका गणितक्रम .....१७६९, जि.का. १३५२ जयतिहुयणस्तोत्र
अभयदेवसूरि त.का. १११९ जन्मपत्रिकापद्धति जि.का १३२६/२१० जयतिहुयणस्तोत्र ......... अभयदेवसूरि
२१९-२२४ जि.का ११७८ जन्मपत्रीपद्धति ................., हर्षकीर्तिसूरि
जि.का २१६०/४ जयतिहुयणस्तोत्र ............... अभयदेवसूरि ..
१४-२८ जि.का १८६९ जन्मपत्रीविधानपद्धति अपूर्ण ......
|जि.का २२१७/१ ०|जयतिहुयणस्तोत्र सटीक ....... अभयदेवसूरि-मू. ............... जि.का २७ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र ........................................१५०० ६(१६५१. ||जि.का १६३३ जयतिहुयणस्तोत्र सस्तबक ..... अभयदेवसूरि ..............
जि.का ८५४ 0 जयतिहुयणस्तोत्र सार्थ .. ३८/१ ०जम्बूदीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र-चूर्णी ..
डूं.का. १७/३ जयतिहुअणसूत्र .......... जि.का ८३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रचूर्णी...............
||जि.का ९८९० जयतिहुअणस्तोत्र सटीक ....... अभयदेवसूरि .................१७८१ इं.का. ४५० जयंति श्राविका अधिकार ...................
जि.ता. १५६/२७ ० जयतिहुयणस्तोत्र .......
जयातहुयणस्तोत्र................ अभयदबसूरि .................११९२|१०१-१०४ इं.का. १३५५ जयतिहुअण ...................... देवचंद
था.का. ३१५ .जयतिहअण स्तोत्र के प्रति
................. २४ .का. ६१५ जयतिहुअण.
त.का. ३४० जयतिहुअण स्तोत्र सह टब्बार्थ . इं.का. ९७० जयतिहुअण + स्तंभन.
जि.ता.३१४/१ .जयदेवछंदःशास्त्र ............... जयदेव .......................११९०/.......१० पार्श्वनाथ द्वात्रिंशिका
जि.का ३८१ 0 जयदेवछंदःशास्त्र ............... जयदेव ........................१९८३ डूं.का. ३१४/१ जयतिहुअण सूत्र टब्बार्थ + स्तंभन उदयमुनि-ले............
| जि.ता ३१४/२ ० जयदेवछंदःशास्त्र वृत्तिसह ....... मू.क.जयदेव, वृ.क.हर्षय....१३०० पार्श्वनाथ स्तुति
जि.का ३८० 0 जयदेवछंदःशास्त्र वृत्तिसह ....... जयदेव -मू.क., वृ.क.हट................. डूं.का. ५३७ जयतिहुअणसूत्र बाल
लों,का १९३ जयमालीका चूटक ...........
........................त.का. १०२०/० जयतिहुअणस्तवन
त.का. ४१७ जयविजयचौपाई. ............... मतिकुशल ...................१६५७ + स्तंभनपार्श्वनाथ
जि.का १९९८ जयसेनकुमारचोपाई तथा ...... धर्मसमुद्रवाचक त.का.८४४ जयतिहुअणस्तोत्र ................ अभयदेवसूरि ...
रात्रिभोजनचोपाई त.का. ९६० जयतिहुअणस्तोत्र
अभयदेवसूरि ...
| डूं.का. ५४७० जलयात्रा उपकरण ............. त.का. १०२०/८ जयतिहुअणस्तोत्र ................ अभयदेवसूरि ...........
डूं.का. २०६ जलवीर्यमुनिकथा .......................... त.का. ९५५ ०जयतिहुअणस्तोत्र ............
जि.का १०६१ जल्पमंजरी.... + स्तंभनपार्श्वनाथस्तोत्र
जवराजर्षिचरित्र (कथा) ........ चन्द्रशेखरसूरि .............. आ.का.३६४ जयतिहुअणस्तोत्रसहवृत्ति .......
जि.का १६९३/१ ० जांगुलीमहाविद्याकल्प ........... जयतिहुअणस्तोत्र कमलविजय
जि.का १८७२ जातककर्मपद्धतिउदाहरण त.का. २४८ जयतिहुअणस्तोत्र.
अभयदेवसूरि
त.का. १८६ जातककर्मपद्धति............ था.का. ३२९ जयतिहुअण स्तोत्र. कुशलधीरगणि.
| जि.का १८६३ जातकचंद्रिका ज्योतिष अपूर्ण .. लो.का.४१७/२ |जयतिहुयण ...
क.समयरंगगणि .............. .......१-४ ||जि.का ११७५ जातकपद्धति टिप्पणीसह ........ मिश्रप्रेम
For Private & Personal use only
.....१-५५
था.का. ३५७
Page #432
--------------------------------------------------------------------------
________________
३८४ सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
नाम
त. का. २५८
हूं. का. ५६१
लों का ४५७
+ प्रत्याख्यानविधिस्तवन
जानवर सुकनावली. जिनकल्पिका
जिनकल्याणक महोत्सव सह बालावबोध ( पदार्थ लेश) • जिनकुशलसूरिकवित्वाष्टक. जिनकुशलसूरि अष्टक जिनकुशलसूरिदादा आरती. जिनकुशलगीत
जिनकुशल गौतम अष्टक
+
जिनगुणमालिका.
जि.का १२६३/३० जिनचंद्रसूरिगीत
जि.का ८५२
डूं. का. १५८
आ.का., ३४२ जि.का २०३६ आ. का ३३१ था. का. २९२ जि. ता. १५६/१३
जि. ता. २६०
डूं. का. ३२९ जि.का, ४२०/४२ जि. का १२९९ / ३० जिननमस्कार
लों. का. ७०५
डूं. का. ९८१
था. का. २००
जि.का १६४४
हूं. का. ३८२
हूं. का. ७७४ हूं. का. २२९
आ.का. २७२
जि.का ४२०/१७
त. का. ८६३ हूं. का. १८२
जातकबालावबोध जातकाद्योयम्
जादवरास दसपच्चक्खाण
*********
-----
| जिनदत्तसूरि घरित्र
जिनदत्तसूरि चित्र पट्टिका .
० जिनदत्तसूरिस्वाध्याय अपूर्ण
• जिनदत्ताख्यान..
| जिनदत्तसूरिकथा अपूर्ण जिनधर्मपच्चीसी
| जिनपंजरस्तोत्र
जिनपंजरस्तोत्र
हरिदत्त
देवचंद
पूर्वाचार्य
मतिकीर्ति
जिनचंद्रसूरिगीतादि गुरुगीत
जिनचंद्रसूरि चरित्र पट्टावली डुंगरशी मेघराज पं..
जिनचन्द्रसूरि अष्टक
• जिनजन्माभिषेक महोत्सव.
कर्ता
- मुनिमेरुपाध्याय
भैया
धर्मकीर्ति
सुमतिगणि
भैया
कमलप्रभसूरि
संवत्
.११९२ १२४६
१७५०
१४००
पत्र संख्या
भंडार
नाम
ग्रंथांक
.५ हूं. का. ३७६ ३२ जि.का ८४० १-५ आ.का. ८२
त. का. २७८
१५ जि.का. १९९१
४ था. का. ४०१
५ जि.का २००८
डूं. का. १२८९
३ हूं.का. ८९७
३३ हूं.का. १२८४
२ जि.का ६३८
..७ हूं. का. १३१९ ५४-५५ जि.का ६३९
१६
२जुं हूं.का. १५३
२ जि.का ९२३
१ त.का. ७०७
५७-५९ लों का, ५०६ २६५-२९४ जि.का १९६०
.६ त.का. ६७१ ८९-९१ जि.का ३९२ ४-६ जि.का १९५९
.... २ त. का. ९६८ ३ जि.का १६०० / २
ग्रंथनुं नाम
जिनपतिदिव्य स्तोत्र. जिनपालजिनरक्षितस्वाध्याय जिनपूजन इत्यादिक विधी जिनपूजाविधि
१ था. का. ४४०
जिनराजसूरिगीत
२
जि. ता. १५४/१८ ० जिनविज्ञप्तिका
२ जि. ता. १५६/२१० जिनविज्ञप्तिका
• जिनप्रतिमास्थापनरास जिनप्रतिमाहुंडी स्तवन | जिनप्रतिमाहुंडीस्तवन जिनप्रतिमादढकरणहुन्डीरास
अपूर्ण
D जिनप्रवेशविधि सह धारणायंत्र जिनप्रतिमापूजाविचार.
D जिनबिंबनमस्कार • जिनभक्तिकर्तव्य. जिनमालिका. | जिनमालिका
| जिनयक्षयक्षणीवर्णादि
| निर्वाणकलिकांतर्गत
....
जिनशतक सह पंजिका जिनशतक सह पंजिका त्रूटक • जिनशतक सावचूरि पंचपाठ • जिनशतकपंजिका टीका. D) जिनशतकमहाकाव्य • जिनशतकमहाकाव्य • जिनस्तवनचौवीसी ० जिनस्तुति ..
HA-------
****
कर्ता
आनंदप्रमोद
पार्श्वचंद्रसूरि
विजय.
सुमतिरंग
जिनवल्लभगणि जिनवल्लभसूरि
जंबूकवि-मू.
जम्बूसाधु
जंबूकवि.
जंबूकवि
संवत्
१६४३
. १५०४
पत्र
संख्या
.........४
३
३१
.५
२
३
२-४
..२
१३
.६
२
११
३
२०
२
३
, १२१० १६२-१६५
११९२
...९२-९४
१३ १-४० ९ २७
५मुं
.
Page #433
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________________
भंडार| ग्रंथांक
पत्र
संख्या
नाम
१५६/७
. इं.का. १४९
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३८५
|भंडार ग्रंथर्नु नाम
कता संवत्
ग्रंथांक | नाम
ग्रंथनुं नाम | कर्ता संवत् । डूं.का.८९१ जिनस्तुतिओ ..
जि.का ९६८ ०जीतकल्पसूत्र वृत्तिसह ........... तिलकाचार्य-वृ.क............१९८४ |...... ४६ लों.का.३६१ | जिनस्तुतिसटीक ...........
मू.क.जिनभद्रगणि जि.का. १६४२ जिनस्तोत्ररलकोश ............... मुनिसुंदरसूरि ...............
क्षमाश्रमण जिनस्नात्रविधि चतुष्पर्धात्मक ... वादिवेताल शांतिसूरि ........११९२ /... २७३३ जि.का २७१ 0 जीतकल्पसूत्र सटीक ........... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू................ लो.का ५८२ जिनहंससूरिगीत तथा ...........
१-५
वृ.क.तिलकाचार्य साधुवंदना बेटक
त.का.६ जीतकल्पवृत्ति ...
तिलकाचार्य जि.का. २०७४ जिनागमगाथासंग्रह ............... रत्ननिधान....
......... १२ जि.का. १०१४ जीरणशेठरलपालचोपाई .......... सुमतिकमल ..................१६४५ जि.का.१२२१ जिनागमपाठसंग्रह अस्तव्यस्त ...
ले.१६४५ आ.का.२१८ जिनानंदलहरी......
त.का. ७८९ जीरावलापार्श्वनाथस्तवन ......... लावण्यसमय.................. (चैत्यवंदन सुभाषितादि)
जि.का १०५७ जीरावलापार्श्वनाथस्तवन ......... भक्तिलाभ इं.का. ६८१ जिनावरारी सुकनावली ..
......१९९४ .........५ जि.का. २१६०/२० जीवविचार. ० जिनसहस्रनामस्तोत्र ........... सिद्धसेन दिवाकर क......१७७१........... जि.का. १६८२ जीवविचार नवतत्त्वप्रकरण ....... शांतिसूरि .. क्षमाचंद्र -ले.
लो.का. ३०८ जीवविचार सह टब्बार्थ ....... जि.ता. ४१७/१ ०जीतकल्प चूर्णीसहित . मू.क.जिनभद्रगणि
जि.का., १४८७ जीवविचार-नवतत्त्व-दंडकप्रकरण क्षमाश्रमण, जीवविचारप्रकरण................ शांतिसूरि
१६-१८ चू.क.सिद्धसेनसूरि
जीवविचारप्रकरण...... शांतिसूरि जि.ता|४१०/२ जीतकल्पचूर्णीटिप्पनक ..........श्रीचंद्रसूरि ................ २.१२२७ / ११६-१८७
८७ जि.का. जीवविचारप्रकरण
शांतिसूरि ....................ले.१५०० जि.का ९०६ जीवविवारप्रकरण..........
शांतिसूरि.
.१९०९ जि.ता. १४७/१८ ० जीतकल्पविषमपदपर्याय .......
१४३-१५२ जि.का. १०२९ जीवविचारप्रकरण ............ शांतिसूरि जि.ता,४१८/१ ०जीतकल्पसूत्र ...................जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
त.का. |२०० . जीवविचारप्रकरण ........... शांतिसूरी. जि.का २७० 0 जीतकल्पसूत्र ....................जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
जि.का ६७६ जीवविचारप्रकरण अपूर्ण ....... शांतिसूरि त.का.. जीतकल्पसूत्र
जि.का २२१७/२ . जीवविचारप्रकरण सटीक ...... शांतिसूरि-मू... जि.ता,४१८/२ ० जीतकल्पसूत्र वृत्ति सह ..........मू.क.जिनभद्रगणि ........ र.१२७४,... ८-१०१ जि.का १०७५/२ ० जीवविचारप्रकरण सटीक ...... क्षमाश्रमण, ..............ले.१४००
किंचिदपूर्ण वृ.क.तिलकाचार्य
| जि.का ७०५ जीवविचारप्रकरण सस्तवक ...... शांतिसूरि ..................... १७७८ जि.का १११ 0 जीतकल्पसूत्र वृत्तिसह ........... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.. १९८३ ....... ३६ जि.का.७४८ जीवविचारप्रकरण सस्तबक ...... शांतिसूरि
वृ.क.तिलकाचार्य
जि.का.९५१/२ जीवविचारप्रकरण सस्तबक ...... विमलकीर्तिगणि जि.का. ७६९
जीवविचारप्रकरण सस्तबक अपूर्ण
जि.का.,६५५/३ जि.का., ०७३/३
...१८३८
....................१८३६
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________________
पत्र
संवत्
संख्या
....१६७२
त.का. ५५
..
.............
जि.का ७८
३८६ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
|भंडारक | ग्रंथतुं नाम | कर्ता संवत् नाम
| नाम लों.का. १३४ जीवविचारप्रकरण सह टब्बार्थ
लों.का.५४ जीवाजीवाभिगम सह वृति ........ मलयगिरि ... .................१६७२
....१-४१७ जि.का. ११७१ जीवविचारप्रकरण सावचूरि ...... शांतिसूरि .........
था.का १६२ जीवाजीयाभिगमसूत्र ............................
...११३ त्रिपाठ
जीवाजीवाभिगमसूत्र........... गणधर
१६१५ जि.का., १४८८ जीवविचारप्रकरण सावचूरिक ..... शांतिसूरि .........
लो.का ५३ जीवाजीवाभिगमसूत्र मूल ..... सुधर्मास्वामी. त्रिपाठ
था.का ११७ जीवाजीवविचार
शान्तिसूरि ... २१२८ जीवविचारप्रकरणवृत्ति
लो.का ६९७ जीवाजीवविचार
शान्तीसूरि जीवविचारटीका ............... युक्तिधीरगणि ...............१८७२ .......३१ इं.का. १२३० जीवाजीवविचार प्रकरण टब्बार्थ जि.का ७८४ जीवविचारप्रकरण सस्तबक अपूर्ण
त.का. २७० जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ. जि.ता.१५३/२ ०जीवसमासप्रकरण .........
..८५-११४ त.का. ३७६ जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ .... रविविजयगणि ............... १७८३ जीवसमासप्रकरण ...१४०० ...१-१७ आ.का,१७७ जीवाजीवविचार सह वृत्ति ......
........१६६२ • जीवसमासप्रकरण वृत्तिसह ...... मलधारि हेमचन्द्रसूरि-यू.क. .१४९९ ....१०८ त.का. ४८१ जीवाजीवविचारस्तवन ........... वृद्धि विजय ०जीवसिद्धि
त.का. ६६२ जीवाजीवाभिगमवृत्ति ........... मलयगिरि .................................१९७ लो.का ४९० जीवस्थानविचार सह बालावबोध ...................
डूं.का. ८७८ जीबाजीवाभिगमसूत्रटीका अपूर्ण ........... त.का. २१४ जीवाकारविचार ..
डूं.का. १०५६ जीवाजीवाभिगमसूत्र सह ........जीवणजी-पं. त.का. २६५ जीवाजीव विचार................. शांतिसूरि .. .......१८५३ --........५
बालायबोध जीवाजीवभिगमवृत्ति ............. मलयगिरि .. .... १६७२ डूं.का. ११०९ जीवाजीवाभिगमवृत्ति मलयगिरि
१८८१......३१५ लों.का ३०७ जीवाजीवविचार
|....१८५९ .१-४ त.का.५४ जीवाभिगमवृत्ति ................. मलयगिरि. त.का. ३४७ जीवाजीवविचार जि.ता २५/१ ०जीवाभिगमसूत्र .................
...१-१०२ त.का. ११८४ जीवाजीबविचार ....१८४२ जि.ता.१४७/१५ ०जीवाभिगमसूत्रपर्याय .....
१३१-१३७ इं.का. १९८८ जीवाजीवविचार + मार्गणाद्वार..........
जि.का १२३३ 0 जीवाभिगमसूत्रवृत्ति द्वितीयखंड , मलयगिरि-वृ......
१५०-२१२ त.का. ९७७ जीवाजीवविचार पार्श्व स्तबन ... वृद्धिविजय..................१९०३ जि.ता. २५/२ ०जीवाभिगमसूत्र - लघुवृत्ति ..... हरिभद्राचार्य ..
१०३-१३५ लों.का. १९८ जीवाजीवविचार प्रकरण .......
१-३|| जि.का २१६९ जीवाभिगमोपांगसूत्र
..१५७१ .......५५ लों का ५६६ जीवाजीवविचार सह टब्यार्थ ....
१३९० ०जीवाभिगमोपांगसूत्र ........... इं.का. १३१३ जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ अपूर्ण
जि.का ८० जीवाभिगमोपांगसूत्र अपूर्ण......
...... लों का २३१/१ जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ त्रूटक
....... १८७० ....... ३ जि.का ७२२ जीवाभिगमोपांगसूत्र सस्तबक ... ...............१७८६ जीवाजीवविचार सह टब्बार्थ ....
...१-५ | जि.का १९७८ जीवाभिगमोषांगसूत्र अपूर्ण ...... मूल त्रूटक
जि.ता. २६ जीवाभिगमसूत्रवृत्ति .............. मलयगिरि आचार्य ...........१४८९ त.का. ३७८ जीवाजीवविचार सह बालाववोध ..
लो.का २१२ जीवाल्पबहुत्वस्तवन सह टब्दार्थ
.........
..१७६
......३००
.....१७७३.......
१-७
ফ্র
लो.का १६८
......clों
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________________
पत्र
संवत्
जीविचार ......
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ - ३८७ भंडार
भंडार ।' ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता
पत्र संवत्
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम | कर्ता नाम संख्या
संख्या डूं.का. ५१५ जीवाजीवविचार प्रकरण टब्बार्थ
....१८४८ त.का. १०१८ जैनधर्ममंजरी
..१३ जीवाजीवविचार सह वृत्ति ....... क्षमाकल्याण मुनि ....... ....४० डूं.का. १२९४ जैनमहिम्न स्तुति (स्तोत्र) ...
..१८८८ डूं.का. २६
जीवाजीवाभिगमवृत्ति ............ मलयगिरि ...................१६६८......२०९ डूं.का. १२१७ जैनरक्षास्तोत्र ................... हर्षसुंदर ................... ....१९२८ डूं.का. २४ जीयाजीवाभिगमसूत्र.........
...२०२ डूं.का. १३९२ जैनस्तवन सज्झायादि डूं.का. ११९ जीवाजीवविचार बोल...........
..... डूं.का. १३८० जैनस्तोत्र जीवाजीयविचारप्रकरण सहवृत्ति क्षमाकल्याण ................१८५० .......३०|| .का. १३८८ जैनेतर धार्मिक ......... जि.का २३ ०जीवाभिगमोपांगसूत्र
.............४८(१२४५- त.का. १०२३/D जैनेतर धार्मिक स्फुट लघुग्रंथ ... +...१२९२)
त्रुटक पन्ने २४० जीवाभिगमोपांगसूत्रवृत्ति ......... मलयगिरि आचार्य ...........१४८९ १३०(१२९३| लों.का. ७३२ जैसलमेर जैन भाण्डागारीय
... १४२२
ग्रंथना सूचीपत्र डूं.का.६१५
त.का. १३३३ जैसलमेर अष्टचैत्यजिनस्तवनम् ... जि.का.५३३/१ जीविवचारप्रकरण................ शांतिसूरि .......
१५-१७ लों.का.७१७ जैसलमेर के ज्ञानभंडारोकी सूची त.का. ८६८ जीवों के पांचसो त्रेसठ भेद ....
जि.का. १३७४ ज्ञाताकर्मकथांगसूत्र
.....१६६३ जि.का. २०१६ जीवोत्पत्तिसज्झाय कलियुगगीत ... श्रीसार, कर्मचंद्र क..........
डूं.का. २५५ ज्ञाताधर्मकथा ................... क्षेमहर्षमुनि ................... १७०० जि.ता. १७१/१ ०जीवोपदेशपंचाशिका ..........
........११६९ ......१३||जि.ता.३९६/२ ०ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र अने वृत्ति ....................................... जि.का १३६/१ ०जीवोपदेशपंचाशिका,
का १६६ ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति. आ.का १२९ जीवविचार प्रकरण.........
था.का २८७ |शाताधर्मकथांगवृत्ति .............. अभयदेवसूरि-य .................... + नवतत्त्वविचार सह टब्बार्थ
त.का. ६४७ ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति ....
........... त.का. ५०६ - जीवसमास......
जि.ता/१७/१ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र ......
... ३-१४८ डूं.का. ५७ ०जीवसमासवृत्ति ....... तिलकसूरि. ....१८१५.......१२९] जि.का ७२१ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र जि.का १२६३/२ ० जेसलमेरपार्श्वनाथगीत .......... धर्मकीर्ति
१-२ जि.का १३७२ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र..
.....१६५६ लों का ४४६/c जेसलमेरस्तवन .......
१-७ जि.का,१३७३
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र............ डूं.का. १३८२ जैन ऐतिहासिक जानकारी....
३१ जि.का. २२०४ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र......
....१६१९ डूं.का. १३८१ जैन औपदेशिक पद
२१ जि.का,१३७५ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र........ त.का. १४६/A जैनरक्षा व जिन वज्रपंजरस्तोत्र
.२ जि.का. १३७५
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र आ.का, २७९ जैनकथा त्रूटक पन्ने
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र........ डूं.का. १३९१ जैनकथायें......
| था.का. १६४ जाताधर्मकथांगसूत्र........ डूं.का. १२९६ जैनतीर्थावलीद्वात्रिंशिका ......... क्षमाकल्याण
था.का. १६५ जाताधर्मकथांगसूत्र ......
....१४५
पाराका
.........
........
"".............१५८२
........१६७३
For Private & Personal use only
Page #436
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________________
भंडार| ग्रंथांक
१५४
लो.का ३१
१-१९
研jiaj如同前研 研。
.........
१०९
३८८ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ ग्रंथनुं नाम
| भंडार संवत्
ग्रंथांक
ग्रंथतुं नाम नाम
कर्ता संख्या नाम
संवत्
संख्या आ.का २४१ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र............
..१२६ त.का. ज्ञातासूत्र.........
सुधर्मा गणधर ...............१६१४ | त.का. ६५ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र............... सुधर्मागणधर ....
ज्ञातासूत्र टब्बार्थ त्रूटक.. जि.का ५२८ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र अपूर्ण ........ सुधर्मास्वामी ....... २५ लों.का २९ ज्ञातासूत्र मूल .................. सुधर्मास्वामी ....................
---...१.१२९ लो.का १२८ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र मूल ..
.१-१०४ .का. ४८८ ज्ञातासूत्र सह टब्बार्थ ...
....१९२३ ......३१५ जि.का १०९६ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र सस्तबक ...
....१९११..... ३००
ज्ञातासूत्रटब्बा ....
धनजी खरतरगच्छीय .........१७८६ .३१० जि.ता. १८/२ • ज्ञाताधर्मकांगसूत्रवृत्ति .......... अभयदेवाचार्य, . र.११२०/११४-१९७
ज्ञातासूत्र मूल टब्बार्थ
१-४०९ .ले.१५००
आ.का ३४६
ज्ञाताउपनयकथा .... जि.का १६ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ......... अभयदेवसूरि ........... . र.११२०.४५(९७८
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र ................ .... .ले.१४८९ ... १०२२)
ज्ञाताधर्मकांगसूत्र जि.का २२७/ १० ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति .......... अभयदेवसूरि . ........... र.११२० ........ लो.का २८ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र मूल ........ सुधर्मास्वामी
.ले.१५५६ हूं.का. १२५८ ज्ञातोपनया........ जि.का १३७६ ०शाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ......... अभयदेवसूरि-वृ...
.. १२३ लो.का, १९५ ज्ञानक्रिया संवाद ........... जि.का १३७७ ०ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ..........अभयदेवसूरि-वृ.
१११ आ.का ३३७ ज्ञानचतुर्विशतिकासह अवचूरि जि.का १३७८ ०ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ......... अभयदेवसूरि-वृ..
.. ९९ जि.का २११२ ज्ञानछत्रीशी.
कान्हजी. |जि.ता/११/१ ०ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ......... अभयदेवाचार्य .. ....११२०... १-१४५ त.का. ८०१ ज्ञानद्विपंचाशिका. जि.ता. १७/२ .ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति किंचिदपूर्ण. अभयदेवाचार्य .....
जि.ता. ३९७/६ ० ज्ञाननमस्कार ज्ञाताधर्मकथांवृत्ति ............... अभयदेवसूरि -वृ.......... र.११२० .८७९.का. ४५९ ज्ञानपंचमी + अक्षयतृतीया
.ले.१६७३
+ मौनएकादशी इं.का. २५ ज्ञाताधर्मकथाटीका ............. अभयदेवसूरी टीका.........११२०........७५ जि.का ५७८ ० ज्ञानपंचमीकथा ................ कनककुशल..... ..............१६५५ शाताधर्मकथांग सूत्र सह टवार्थ .................१८७||जि.का ६०३ ०ज्ञानपंचमीकथा .
कनककुशल.. ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र ....... ....................१-१५९ज १६५५ ज्ञानपंचमीकथा ..
कनककुशल.. .............. र.१६५५ त.का. ७४७ ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति ...
..................ले.१८५९ था.का १६७ ० ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति (सूत्र).
|जि.का ६९५ ज्ञानपंचमीस्तवन ...
लब्धिहर्ष ................. ० शाताधर्मकांगसूत्र ..............सुधर्मास्वामी .......................... १८-१५३ त.का. ९२१ ज्ञानपंचमीस्तवन.. ज्ञाताधर्मकांगसूत्र
|जि.का १७११/२ ० ज्ञानपंचमीस्तुति
जिनलाभसूरि. झाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ........
जि.का, २००३ ज्ञानपचीसी
बनारसीदास शाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ......... अभयदेवसूरि .................११२०, १६०-३०८||जि.ता ३९७/९ . ज्ञानपरिधापनिकावृत्त ..... त.का. ३१ ज्ञातासूत्र ...
सुधर्मा गणधर .....
......१०३| जि.का २०४३ ज्ञानपहेरामणी आदि
क्षेमंकर ......
हंसराज ........
.........
...............१६७१
Page #437
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________________
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३८९
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत् । संख्या
पत्र
............
......१८५
....१.३०
१-१६
पत्र भंडार
| संवत् ग्रंथर्नु नाम कर्ता
ग्रंथांक नाम
संख्या नाम जि.का १५५४ | ज्ञानमंजरीज्योतिष .....
.... १६ जि.का. १८५६ जि.ता. १५६/१६ ० शानमाहात्यप्रकरण....
..........११९२,... ६९-७३ जि.का. १९७० जि.का १७५ ज्ञानरत्नोपाख्यान पद्य.
.....|त.का. ४५८ जि.ता.३९७/८ ०ज्ञानलवणादिवृत्तानि
| १७५-१७६ त.का. ४६० जि.का ७६२ ज्ञानसुखडी ..................... धर्मचन्द्र वेगडगच्छीय ..... २.१७६७ ...... २०||त.का. १०६३
.ले.१७८४
| जि.का. ११७२ जि.ता. ३९७/७ ०ज्ञानस्तोत्र...
| १७४-१७५ जि.का., १२६४ इं.का. १३६० ० ज्ञानार्णव अपूर्ण,
.(१२८ से
...१३५)८ लों.का. २४४ जि.का ५१५ ज्ञानार्णवसारोद्धार ...............शुभचंद्राचार्य
....... त.का./१०६८ जि.का १५० ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र ... सुधर्मास्वामी
..............
.४७(९३१- जि.का. १९७६
.... ९७७) लो.का. ५५३ था.का.२८४ शाताधर्मकथांगसूत्र
..............१६७५ ...... १३३/ लों.का./५५७ डूं.का. १११२ ज्ञाताधर्मकांगवृत्ति ......................
.......८६
त.का. १६४ जि.का ३७५० ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र सस्तबक ........
१२५-२४८ जि.का. ११२३/२ Jटक अपूर्ण
जि.का. ११२३/४ इं.का. ४१९ ज्योतिष कुंडली .........
जि.का. ११२३/५ लो.का. ५५१ ज्योतिष टिप्पण.........
जि.का. ११४४ हूं.का. १३८३ ज्योतिष निमित्त .............. लों.का. ५३५ ज्योतिष लघुग्रंथ त्रुटक व.............
५२ जि.का. १८९० स्फुट पन्ने
जि.का. १९०८ त.का. १०२३/M ज्योतिष लघुग्रंथ त्रुटक व...............
. ५३ जि.का १९३८ स्फुट पन्ने
जि.का १७०४ आ.का. २२० ज्योतिषकानन्थ .......................... लों.का. ५५५ ज्योतिषगणित त्रूटक ..............
जि.का ३८३ जि.का. ११२७ ज्योतिषग्रंथ
1.... ३-१३] जि.का ६० जि.का.१३२७ ज्योतिषग्रंथो अपूर्ण तथा प्रकीर्णक -
ज्योतिषविषयक पाना
ज्योतिषप्रकीर्णकविचार .. ज्योतिषप्रकीर्णकसंग्रह .. ज्योतिषवालावबोध ............... मुंजादत्त ................१७४८ ज्योतिषवालावबोध . ज्योतिषबालावबोध ....... ज्योतिषरत्नमाला बालावबोधसह . श्रीपति ......................... १७३४ ज्योतिषरत्नमाला बालावबोधसह .. अपूर्ण ज्योतिषरत्नमाला सह बालावबोध ज्योतिषशास्त्रबालावबोध ......... ज्योतिषसंग्रह ........ ज्योतिषसार... ............... नरचंद्र ज्योतिषसार ........ ज्योतिषसार ...................... हीरकवीश्वर ..................१८६२.......३० ज्योतिषसारणी.. ज्योतिषसारणी. ज्योतिषसारणी. ज्योतिषसारणी. ज्योतिषसारणी. ज्योतिषसारणी.. ज्योतिषसारणी. ज्योतिषसारणी. ज्योतिषाम्नाय.. ज्योतिषासरणी.
.१० ज्योतिष्करंडकप्रकीर्णक वृत्तिसह मलयगिरि आचार्य -Z....... १९८३ ..... १३२ ज्योतिष्करंडकप्रकीर्णक वृत्तिसह मलयगिरि आचार्य -........ १४८८ १३(१८५४.
..............१९०८)
४-१९
११५१
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Page #438
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३९० सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
नाम
जि.का ९४७
जि. सा. ३४/२
जि. ता. १४८
जि.ता, ३४ / ३
डू. का. ४००
त. का. ४५२
हूं. का. ४८५
त. का. १९०
खूं. का. २०५ त. का. ७६३ डूं. का. ९९७ जि.का १६९३/३
त. का. ८४८
त. का. २३६ डूं. का. ११५९
हूं. का. ४३०
डू. का. १०२
हूं. का. ७१०
हूं. का. ७१४ जि.का २२३६/६ आ. का. १५
लौ. का. ७३३/० जि.का. २०४७ त. का. २५९ हूं. का. ७६५ हूं. का. ३३६
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
ज्योतिष्करंडकवृत्तिगत सप्तदश मलयगिरिसूरि प्राभृत वृत्ति सह
• ज्योतिष्करंडकसूत्र वृत्तिसह | पादलिप्ताचार्य.
------
• ज्योतिष्करंडकसूत्र वृत्तिसह
वृ.क. मलयगिरिसूरि
• ज्योतिष्करंडकसूत्र
ज्योतिषग्रंथ अपूर्ण
| ज्योतिषग्रहगोचरादि
ज्योतिषपत्र ज्योतिषसार
ज्योतिषसारोद्धार टब्बार्थ
ज्योतीष का ग्रंथ (साधारण)
ज्योतिषनां पानां .....
० ज्वालामालिनीमंत्र
| ज्वालामालिनीमंत्र सहविधि
| झांझरियामुनिसज्झाय ठाणांगसूत्र सह दीपिका ठाणांगसूत्र-सह दीपिका
● ठाणांगसूत्रगाथा
• ठाणांगसूत्रवृत्ति ठाणांगवृत्ति
| ढंढणऋषिसज्झाय ढणऋषि स्वाध्याय
+ देवचंद्र ग्रंथावली
ढाई द्वीपनो पट्ट ढुंढकप्रतिक्रमण बुंढकरास
ढूंढक चर्चा .... ढूंढक पवाडो रास
- शांतिकुशल
राजसूरी खुशालविमलमुनि
अभयदेवसूरी
जिनहर्ष
भक्तिमाणिक्य-ले. शंकर पं.ले.
संवत्
१४८९
. १८०३ १९८४
१६७६
१८२८
.... १८८४
.... १८०९
१७६७
. १९१४
१८७४
ग्रंथनुं नाम ३ हूं. का. ६७५ ढोलाचारवणी चौपाई. डूं. का. १२०५ ढोलामारु वार्ता १०२-१६५ जि.का. १०३३ ढोलामारुवार्ता अपूर्ण. . २३३ जि.का, ६३३ १० ढोलामारुवार्त्ता १६६-१७९ जि.का १६२६/४० तं जयउ स्मरण ३१ जि.का २१२० / ९ ० तं जयउ स्तववृत्ति .८ जि.का, १९५१/५ तंदुलवेयालियपयन्नो ४थी७ जि.का, ५०४/२ • तंदुलवेयालियप्रकीर्णक ६ हूं. का. ५६२ तंदुलवैचारिक सह टब्बार्थ ३६ जि.का २२०३ .२ जि.का. ५३० १४ त.का. २२५
२ जि.का. १३०७ .२ जि.का ११८८
.४
जि. ता. ३७८ २२१ जि.का. १३३२ २२१ जि.का. १३३३ ....७ जि. ता. ३७७ .४३९ लों. का, ४७३ . २२९ जि.का. २५९ जि.का. ५४८
पत्र
भंडार संख्या नाम
ग्रंथांक
७५ जि.का ५४७ जि.का १५३१ जि.का. ८८८
११ जि.का. ८८९
.५ जि.का, १५३०
१३ आ.का. १९३
.४ हूं. का. ११४५
● तत्त्वचिंतामणिआलोक
● तत्त्वचिंतामणीमंगलबाद D तत्त्वतरंगिणी
● तत्त्वप्रदीपिका चित्सुखी. ● तत्त्वसंग्रहपंजिका
● तत्त्वसंग्रहपंजिकावृत्ति
● तत्त्वसंग्रहलघुटीका
● तत्त्वसंग्रहलघुटीका
● तत्त्वसंग्रहसूत्र
तत्त्वसार भाषा
...
*****
कर्ता
● तत्त्वसारगाथा
● तत्त्वार्थसूत्र
उमास्वाति बाचक
● तत्त्वार्थसूत्र भाष्यसह
उमास्वातिवाचक स्वोपज्ञ
● तत्त्वार्थसूत्र श्रुतसागरीटीकासह उमास्वातिवाचक-मू. तत्त्वार्थसूत्र सस्तबक अपूर्ण उमास्वाति वाचक तत्त्वार्थसूत्र सस्तबक अपूर्ण उमास्वाति वाचक ● तत्त्वार्थाधिगमसूत्र. उमास्वातिवाचक. तत्त्वार्थसारदीपक
० तत्त्वार्थसूत्र सह भाष्य
....
जिनदत्तसूरि जयसागर वचनाचार्य
गंगेश भट्ट
धनसागरजी
चित्सुखमुनि
कमलशील
कमलशील आचार्य
शिवाचार्य
शिवाचार्य
शान्तरक्षित
संवत्
, १६७७
१५६९
. १३००
. १९८३
१२००
. १२००
१७४५ . १६४२ . १६४२
. १६८७
पत्र संख्या
......
२२ ५ ७-८
३५-३७
२५-३३
५.११
....... १५
३६
४
२१
.४
१९५
३३८
३१३
१५
...१८ १८७
५ SANILION+ ५ ४५
५१
२०
१४
-----
५
२९
५९
.
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________________
भंडार
ग्रंथांक
कर्ता
संवत् | संख्या
नाम
जि.का ६९४
25:32
केशव .........
जि.ता.२९१ जि.का. १८४ त.का. ५२७ .का. ३१० इं.का. ४१८ त.का. १२२४ त.का. २५५ जि.ता/१५५/८
.... जि.का १७९१
का./
जि.का ६८८
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ - ३९१ पत्र भंडार ग्रंथनुं नाम ।
संवत्
| ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम | कर्ता
संख्या | नाम तत्त्वप्रबोधनाटक .................| जिनसमुद्रसूरि ........... र.१७३०....... १३ जि.का. १७९०
केशवमिश्र... ....ले.१७३० जि.का १७८८ मतर्कपरिभाषा ......
केशवमिश्र तद्धितप्रकरण पर्यन्त
जि.का ५६३ तर्कभाषा
केशवमित्र .................. तद्धितप्रकरणपर्यंत टिप्पणी सह ...................
जि.का ५७६ ० तर्कभाषा .................. केशवमिश्र तपदारभेदविचार ..
१५||इं.का. ८६४ तर्कभाषा ................. देवचंद्र-ले.. तपमतखंडन .................... भक्तिसागरगणि
१९०२ तर्कभाषा अपूर्ण ............... तपविधि
० तर्कभाषाप्रकाशवृत्ति
गोवर्धन .......................... तपविधि ....................
तर्कसंग्रह
अन्नं भट्ट. तपविधियंत्र ................
५ इं.का. ८९३ तर्कसंग्रह ..........
.......................१८६५ ० तपश्चरणभेदस्वरूपप्रकरण ...... चक्रेश्वरसूरि .............. र.१२१३ /१५६-१६१||जि.का ७५२ तर्कसंग्रह दीपिका टीका ........ अन्नंभट्टोपाध्याय .................
.............ले.१२२२ डू.का. १०९९ तर्कसंग्रह दीपिका.............. दयाराज मुनि-ले.. ० तपागच्छगुर्वावलि सटीक त्रिपाठ ... धर्मसागरोपाध्याय .....
... १९|
अन्नभट्ट-क. .................. स्वोपज्ञ -मू.टी.क.
इं.का.८६८
तर्कसंग्रहटीका तपामतखंडन ........
५१ जि.का १७९४ ० तर्कसंग्रहदीपिका ................ अ भट्ट ................ तपोचतुष्पदीका
तर्कसंग्रहदीपिका
............
अन्नभट्टोपाध्याय ..... तपोटचतुष्पदिका वृत्ति ........... गुणविनयोपाध्याय .....
ताजिक नीलकंठ (ज्योतिष) ... नीलकंठ ० तपोटमतकुट्टनशत ............. जिनप्रभसूरि
Jटक तपोटमतकुट्टनशत ............ जिनप्रभसूरि .................१८५४ लों.का. ५५० ताजिक भूषण (ज्योतिष) ......... गणेश दैवज्ञ ...... ० तपोटमतकुट्टनशतम् -
जि.का. १८४१ ताजिकबालावबोध ज्योतिष ० तपोटर्षिमतखंडन स्वोपज्ञवृत्ति सह गुणप्रभसूरि ..................१६००
| जि.का. १८४२ ताजिकभूषण ज्योतिष अपूर्ण .. तपोभेद ...........
जि.का ११३१ ताजिकसार ....................... हरिहर ....................... तपविधि विधान ...............
जि.का १८३८ ताजिकसार ज्योतिष ....... तमाकुसज्झाय आदि .....
जि.का. १८३९ ताजिकसार ज्योतिष तम्बाखूनिवारण सज्झाय
लो.का २३४ ताजिकसार त्रूटक तर्कपरिभाषा केशवमिश्र.. ...............१६५९ .......२०
२० लो का २८२ ताजिकसार भाषा वचनिक .... तकंपरिभाषा .... केशवमिश्र ..................१५४६ ........१०
ताजिकसारकारिकाटीका ....... सुमतिहर्ष अपरनाम सामंत. र.१६७० तर्कपरिभाषा .... केशवमिश्र.............
....ले.१८१८ तर्कपरिभाषा केशवमिश्र..
4....... २८] जि.का. १८७८ ताजिकसारसूत्रज्योतिष .......... हरिभट्ट ................ ...ले.१८४४
था.का ५६०
...
था.का. ५८
२८४/१
.........
था.का २९६ जि.ता. २४/२ आ.का ३६७ डूं.का. १३१८ जि.का १११५/२ आ.का.३२६ जि.का. १७८९ जि.का. २२०८ त.का. ५७१ त.का. ७०८
....१६६८
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भंडार
ग्रंथांक
कतो
संख्या
व भक
.....१५७
३९२ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत् नाम
नाम त.का. ४६८ ताजीकसार ...................... हरिभद्रगणि ....
त.का. १२२० आ.ता.२ ताडपत्रीय ग्रन्थ.................
जि.का. २२५७ आ.ता. ३ ० ताडपत्रीय ग्रन्थ...
था.का. ३४९ आ.ता. १ ० ताडपत्रीय ग्रन्थ (ज्ञाताधर्मकथांग
डूं.का. ४९० | सूत्र ज्ञातावृत्ति आदि. पन्ने)
इं.का. ३९२ जि.का १२७५/२० तात्पर्यपरिशुद्धि. टिप्पणीसह अपूर्ण. याचस्पतिमिश्र ...............१२७९ त.का. १२७६/B
1.(२-३२५) जि.का १४३२ जि.का २१६०/१४ तिजयपहुत ......
५८-५९/ जि.का १४३१ था.का ४७० तिजयपहुत्त (सप्तति शत)स्तोत्र
..... १||जि.का ५०३ जि.का २१२०/१७० तिजयपहुत्त स्तोत्रवृत्ति .......... हर्षकीर्ति .................१८८५ ... ४९-५१|| त.का. ७६५ |जि.का ५६०/३ तिजयपहुत्तस्तोत्र ...
त.का. ७५६ डूं.का. २८२ ० तिजयपहुत्तस्तोत्र सहवृत्ति
.........
डूं.का. ८५२ डूं.का. १३८/७ तिजयपहुत...
डूं.का. ४०१ डूं.का. ३५९ ० तिथि मंतव्य .....
जि.ता.४०३/३ ४१७ तिथि-वार मास फल ............. महिवल्लभ ....
त.का. ३९८ जि.ता,४०२ ० तिलकमंजरी...
जि.का ४८० .का. ४४५ तीर्थकर ३५ वचनातिशय स्तवन ................
|जि.का १२४१ लों.का. ५३३/० तीर्थकर अतिशय सह बालावबोध
............१९६८ |जि.ता/१५५/९ +३५ वचनातिशय
जि.का २०७१ था.का. ३८४ तीर्थकर जानकारी................. डूं.का. ४१४ तीर्थकर बोल ....
त.का. |२४७ था.का. २०१
तीर्थकर बोल ........ तीर्थकरअतिशयस्तवन
डूं.का.६८० लो.का. ५३३/ तीर्थकरबोल
लों.का. २०७ त.का. ९२२ तीर्थकरबोल त.का. ९८६
तीर्थकरबोल त.का. |९९० तीर्थकरबोल
कनकविजय ..................१७४८
.........३| लों.का. १७३ त.का. |११४७ तीर्थकरबोल
ग्रंथनुं नाम
संवत्
संख्या तीर्थकरबोल .......... तीर्थकरभगवाननां चित्रो जीर्ण .... तीर्थकरचोत्रीसअतिशय स्तवन ... तीर्थकरराशी पत्र ............ तथियात्राविधि.................
तीर्थस्तोत्रार्थवर्णन. ०तीर्थोद्गालिप्रकीर्णक................. ० तीर्थोद्गालिप्रकीर्णक
तीर्थोद्गारप्रकीर्णक तुर्की ताजीक सह टब्बार्थ .. तुलसीपूजा सहविधि ....... तृतीय वैराग्यशतक
..................१७७४ ....... ३४ तृतीयकर्मग्रंथरहस्ययंत्र ...... ० तृतीयप्रतिपुष्पिका ...............
...................१३०५ तेजसारचौपाई ... -त्याधंतप्रक्रिया अपूर्ण ..
........................... २-२२९ त्रयोदशप्रकाशथी वीस प्रकाशपर्यंत ० त्रयोदशभेदनवकारस्वरूपकुलक
.............. १२२२ १६१-१६२ त्रिपताकीचक्रोदाहरण. त्रिपुरबन्धमुहूर्त ज्योतिष त्रिपुरा(विजया)देवी पूजामंत्र ..
...................१७६७/.........५ स्तोत्र त्रिपुरा स्तोत्र.... ................. रघुआचार्य ....................१८३७ त्रिभुवनकुमार चौपई त्रिभुवनकुमारचरित्र त्रिभुवनकुमारचरित्र
..................१९०३ त्रिशती गणितसार सहटीका बेटक
क
शलराज..................................
जि.का १८६४
त.का.
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________________
| संवत् | संख्या
।
भंडार नाम
पत्र
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३९३ ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
__ कर्ता | संवत् । संख्या नाम
| ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम डू.का. ११३२ त्रिशष्टिशलाका पुरुष ........... हेमचंद्राचार्य ...
........८८||जि.ता|२४२ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ......हेमचन्द्राचार्य ................ १४०० /....... २५॥ (जैन रामायण)
सप्तमपर्व-रामायण प्रकीर्णक त.का. १९४० |त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र पर्व | हेमचंद्रसूरि .................................१०९|| जि.ता/४११ ०|त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचंद्राचार्य ...................१३०० जि.का १६५० त्रिषष्टिलक्षणमहापुराण त्रूटक ...
अष्टमपर्व-नेमिनाथचरित्र अपूर्ण
जि.का १२७९ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचन्द्रसरि .................. जि.ता. २४४ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ...... हेमचन्द्रसूरि ..................१४०० ......२६२|| । दशमपर्व महावीरचरित्र अष्टमपर्व नेमिनाथ चरित्रअपूर्ण
| ||जि.का १२८१ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य | हेमचन्द्राचार्य .................१५०० ..... १०२ जि.ता. २४६ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र गद्य- विमलसूरि ...................१४०० .......१६१||
प्रथमपर्व आदिनाथचरित्र शांतिनाथ चरित्र पर्यन्त
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य हेमचंद्रसूरि आचार्य जि.ता. २३८ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ....... हेमचंद्राचार्य ,
सप्तमपर्व-रामायण तृतीयपर्वपर्यन्त-शीतलनाथस्वामी |जि.का १६४७ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाय्य हेमचंद्राचार्य ..
.............२०८ चरित्र पर्यन्त
दशमपर्व-महावीचरित्र जि.ता.२३९ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ....... हेमचंद्र आचार्य ...............१३१९ / १३२-३०९ त.का. १०८८ ० त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र ....... हेमचंद्राचार्य ..................१६६८ .. ३०-१२३ दशमपर्व
|+ परिशिष्ट पर्व जि.का १६६७ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ...... हेमचंद्राचार्य ...
० त्रिषष्ठी शलाका पुरुषचरित्र पर्व ८ दशमपर्व महावीरचरित्र
डूं.का. ९२२ त्रिषष्ठी शलाकापुरुष-........... जिनरंगगणि ................१८८९ जि.का १०६० ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ...... हेमचंद्रसूरि ....
आदिनाथचरित्र परिशिष्टपर्व
जि.ता|२३९ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ....... हेमचंद्र आचार्य ...............१३१९ जि.का १०४९ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ....... हेमचन्द्रसूरि ...
प्रथमपर्व परिशिष्टपर्व
जि.ता/४१२ ०|त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र...... हेमचंद्राचार्य ..................१३०० जि.का २२८ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ....... हेमचंद्रसूरि .............. .१५३६.......११३
महाकाव्य दशमपर्व-महावीरचरित्र महाकाव्य दशमपर्व-महावीरचरित्र
डूं.का. १०३४ त्रिषष्ठिशलाकापुरुष चरित्र....... जि.ता.२४१ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ....... हेमचन्द्राचार्य
.१३०० १०१
दश, पर्व महाकाव्य द्वि.तृतीयपर्व
त.का. ६९३
त्रिषष्ट शलाका पुरुष चरित्र .......... |संभवनाथ अभिनंदन चरित्र
जि.ता २४० ०|त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र तृ... हेमचन्द्र आचार्य ..............१३००/...२-१४० जि.का १७४ ० त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ....... हेमचंद्राचार्य ..
पर्व संभवनाथचरित्रथी महाकाव्य सप्तमपर्व-रामायण
शीतलनाथस्वामी पर्यन्त हूं.का. १२४० • त्रुटक पन्ने के बंडल छोटे.
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________________
३९४ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १
भंडार| ग्रंथांक
कतो
डूं.का. ४०८
ग्रंथनुं नाम
भंडार संवत् ग्रंथांक | ग्रंथतुं नाम
कर्ता
संवत् नाम संख्या
संख्या डूं.का. १२३९ · त्रुटक पन्ने के बंडल बडे ..............
डूं.का. ७२० दंडक टब्बार्थ
मोतीचंद पं. ............... जि.ता/१५६/१४ ० त्रूटक कुलक
....११९२-... ६१-६२ लों.का. ७२६ दंडक तथा लघु संघयणी ... |जि.का २१८० Jटक पानाना टूकडा .........
लो.का. ५८४ दंडक लघुसंग्रहणी... डूं.का. ४६७ त्रेसठ शलाकापुरुषादि ........... जिनचंद्र .........
सह टब्बार्थ जीर्ण अनेक स्तवन संग्रह
डूं.का. ६१६/१ दंडक सप्तस्मरण..... जि.का. २०१८ त्रेसठशलाकापुरुषस्तवन
लों.का. ३४६ दंडक स्तवन ....... डूं.का. १२१ सठशलाका गीत
जि.का. २१३८ दंडकचोवीसबोलयंत्रपट डूं.का. १८१ त्रैलोक्यदीपिका संग्रहणी ......... भक्तिसागरमुनि-ते.............१८३२ डूं.का. ४१५ दंडकना २९ द्वार बालावबोध...... सह टब्यार्थ
जि.का.६५५/२ दंडकप्रकरण...................... गजसारमुनि . जि.का. १६४६ त्रिपुरास्तोत्र लघुस्तब ..............
जि.का,२१६०/२२ दंडकप्रकरण................ तपस्याविधि.
जि.का.९०२ दंडकप्रकरण तथा नवतत्त्वप्रकरण थंभनपार्श्ववृद्धि स्तव .............. कुशललाभसूरि
जि.का २७७
P दंडकप्रकरण सस्तबक .........
ण सस्तवक..........गजसार................ लो.का.७१६ थभनापार्श्वनाथजीकी स्तवन ...
|जि.का २७६ दंडकप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह ...गजसार मू.क................१५ त.का. ८२४ थलीकाव्याख्यान ...
जि.का १९१४ दंडकप्रकरण-विचारषटत्रि ....... गजसार .............. लों.का, ३४० थावच्चापुत्र चौढालीया ........... क्षमाकल्याण
स्वोपज्ञवृत्तिसह त.का. ४०० थावच्यापुत्रसंधि ................. समयसुजान .................१७४९
११ जि.का २७८ ० दंडकपकरणअवचूरि लो.का, ३९८ थावच्चापुत्रचौपई त्रूटक ......... नथमल
-१३ जि.का ५८० दंडकबोलविचार ... लो.का. ३६८ थावच्चामुनिचौडाल क्षमाकल्याण....... .र.१८४७ .१५ डूं.का. ९० दंडकसूत्र.
गजसारमुनि .ले.१९१३
दंडकादि ............. आ.का. २२५ थावच्चापुत्रचौपई ...............
१५| डूं.का. १३६२ दक्षिणामूर्तिस्तोत्र.............. शंकराचार्य... थाहरुशाह ज्ञान भंडारकी.........थाहरुशाह .................... १७१३
दमयंतीकथा-नलचंपूविवरण ..... चंडपाल ................ प्राचीन सूचि
जि.का १३१४ दमयंतीकथाचंपू त्रू.अ........... त्रिविक्रमभट्ट ...............१३०० जि.का ३४३/२ ० थिरपुरमंडन कुंथुजिनस्तवन .... जिनसमुद्रसूरि
१०७८ दमयंतीकथाचंपू सावचूरि पंचपाठ त्रिविक्रमभट्ट-टि....... जि.का ३४३/ १०थिरपुरमंडन शांतिजिनस्तबन .. जिनसमुद्रसूरि
| जि.का १०७९/१ ०दमयंतीकथाचंपूविवरण ......... चंडपाल ......................१४८४.. आलोचनाविनतीस्तोत्र
डूं.का. ६१८ दयाधिकार (चोवीस दंडकबोल)| जि.ता, १५८/१० ० थेरावली (नंदीसूत्रान्तर्गता) ..... देववाचक ....१४००, १२७-१३१ त.का. ५०५ दर्शनशुद्धि ............. जि.ता. १५६/९ . थेरावली-नन्दीसूत्रगता ........... देववाचक
। .....११९२...36-४ol|जि.ता २२३ दर्शनशटिपकरण वितरणसहितne स नि था.का. ३४४ थोकडा यंत्र..
...................
वि.क.देवभद्रसूरि
...............१८४६
Page #443
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________________
पत्र
संवत ।
......५२
............
...१-२४
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३९५ भंडार | ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत् | भंडार ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
|| नाम नाम
| संख्या था.का. १०८ दर्शनसत्तरि
| जि.ता.८९/१ ० दशवकालिक नियुक्ति ............ भद्रबाहुस्वामी ................१४९१ | ३५६-३८० आ.का, २८४ दर्शनसत्तरि सह टब्बार्थ ..........
..६ जि.ता.८८/२ ० दशकालिक लघुवृत्ति ............ सुमतिसूरि ................ र.१२२०/२७२-३५८ त.का. ५३८ दर्शनसत्तरि सह वृत्ति
....... ४०
..................ले.१४८८ था.का १८३ ०दर्शनसत्तरि सहवृत्ति
... २१६ त.का. ५०८ दशवकालिक सह वृत्ति हरिभद्रसूरि.. त.का. २४० दर्शनसत्तरीवृत्ति .. संघतिलकसूरि ...............१६७७ ...... १९९ लो .का.८५ दशवकालिक सूत्र ...... शय्यंभवाचार्य ...................... ...१-३० दर्शनसप्ततिका वृत्तिसह अपूर्ण
डूं.का. २७५ दशवैकालिक सूत्र टब्बार्थ ...... क्षेमविमल-ले.पं...............१७३३ जि.का ३२०० दर्शनसप्ततिकाप्रकरण ..........
लो.का, १०२ दशवैकालिक सूत्र सह टब्बार्थ . शय्यंभवसूरि ........................ जि.का ७८७ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण ..
लों का १०१ दशवकालिक सूत्र सह...... जि.का १६७९ दर्शनसप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसह . सोमतिलकाचार्य-टी. .... २.१४२२
बालावबोध अपूर्ण ............ले.१५०१ जि.का २२३६/१ दशवैकालिकगीत,
खेतसी पुण्यकलश शिष्य जि.का १८०/ ४ ० दर्शनसप्ततिकाप्रकरण- ......... हरिभद्रसूरि .............. ...६-८ जि.ता.८५/२ ० दशवैकालिकचूर्णी .. अगस्त्यसिंह स्थविर ..........१२००/ १७४-३४१ श्रावकधर्मविपितंत्रप्रकरण
डूं.का. ४२७ ० दशवैकालिकटीका .. समयसुंदरगणि ............................८५ जि.का ६६ ०दर्शनसप्ततिकाप्रकरणवृत्ति ...... संघतिलकसूरि -वृ.. 1.५७(२९३- जि.ता ८७/१ ० दशवैकालिकनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी ..
१-१६ । .... ३४९) जि.का ४४ दशवैकालिकनियुक्ति भद्रबाहुस्यामि
..५(५६७ जि.का १६७९ दर्शनसप्ततिकाप्रकरणवृत्तिसह ... सोमतिलकाचार्य-टी. ..... र.१४२२ ......११६
५७१) ...........ले.१५०१
दशबैकालिकनियुक्ति इं.का. ६४७ दश दृष्टांत ...
जि.ता,८४/३ दशवकालिकनियुक्ति अपूर्ण ...... भद्रबाहुस्वामी ...........
...१० डूं.का. १०४६ दश दृष्टांत ..
डूं.का. ३७२ दशवकालिकनी सज्झाय ..... त.का. ७५४ दश दृष्टान्त..
त.का. ६०७ दशवकालिकलघुवृत्ति ............ हरिभद्रसूरि .. |जि.का ६७१ दशआश्चर्य
जि.ता. ४०१ ० दशवैकालिकलघुवृत्ति अपूर्ण ..... सुमतिसूरि ...................१४०० ..... २५२ त.का. १०२०/ दशआश्चर्य ....................... कालिदास .....
जि.ता. १४७/४ ० दशवैकालिकविषमपदपर्याय
......५४-६४ त.का. ११९५ दशआश्चर्य कल्पसूत्रवाचना .....
जि.ता./७/२ ० दशवकालिकवृत्ति ............ हरिभद्र आचार्य ..............१४००... १-१७१ जि.का २०७० दशआश्चर्यस्वरूप.......
डूं.का. २५० दशवकालिकवृत्ति ............. तिलकाचार्य ..
..१७१ जि.का १२७/१ ० दशउपासककथा ............. पूर्णभद्रगणि..
त.का. ५९७ दशकालिकवृत्ति
........... ५.का. ३५६ दशपच्चखाण स्तवना.. कल्याणविजयजी पं.ले. ....३ त.का. ६१३
६१३ ० दशबैकालिकवृत्ति
हरिभद्रसूरि. जि.का २०८७ दशप्रश्नोत्तर.....................
० दशकालिकवृत्ति त्रुटक अपूर्ण . हरिभद्र आचार्य .. आ.का. १७४ दशविहा सामाचारी ......
लो.का ६७४ दशकालिकसज्झाय गुटको ...
...५६ त.का. ६०३ दशवैकालिक अवचूरि ...
जि.ता/७४/१ ० दशवैकालिकसूत्र.............. शय्यंभवसूरि
..१-९६
.........
..................
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Page #444
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________________
संवत | पत्र भडारक
संख्या ।। नाम
३९६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक | ग्रंथy नाम
कर्ता नाम जि.ता.८३/३ दशवैकालिकसूत्र................. शय्यंभवसूरि जि.का ४३ दशवैकालिकसूत्र......... शय्यंभवसूरि
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत्
पत्र संख्या
..........१२८९/२२२-२४७| लों.का ९३
५६०- जि.का ८७६ ५६६)| जि.का १४६८
० दशवैकालिकसूत्र.
दशवकालिकसूत्र............ दशवैकालिकसूत्र............. दशवैकालिकसूत्र.............
शय्यंभवसूरि शय्यंभवसूरि शय्यंभवसूरि शय्यंभवसूरि
.. १९ लो.का. १३९
लों.का. ३०३ .. १६११ /-..... २४ जि.ता,
जि.ता.८८/१
.१-१०८
सलों.का.८६
जि.का २२४ जि.का ७०० जि.का ७६३ जि.का ९५० जि.का १०८४/१ जि.का १०९३ जि.का १३१०/५ जि.का १७०७ जि.का १४६७ जि.का १४४४ डूं.का. ९६२ इं.का. ११७२ इं.का. १९८० था.का.७३ था.का.७४ लो.का.६१७ लों.का. २३५ आ.का. २३९ त.का. ६०५
१८ लो.का.८९
दशवैकालिकसूत्र अ.४ मूल ..... शय्यंभवस्थाभी ...............१७६१ ......१-५ दशवकालिकसूत्र अपूर्ण......... शय्यंभवसूरि ............ दशवैकालिकसूत्र चारअध्ययनपर्यंत दशवैकालिकसूत्र टवार्थ
१-१४ दशवैकालिक सूत्र बेटक........... शय्यंभवाचार्य
.१-२१ दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति ........मू.शय्यंभवसूरि .. ...... ..२७०
नि.भद्रबाहुस्वामी
............हरिभद्र आचार्य दशवैकालिकसूत्र बालावबोध .....
१-६५ दशकालिकसूत्र बालावबोध सह दशवैकालिकसूत्र मूल............ शय्यंभवस्वामी दशवैकालिकसूत्र मूल............ शय्यंभवस्यामी दशवैकालिकसूत्र मूल. शय्यंभवस्वामी दशवैकालिकसूत्र मूल ............. शय्यंभवस्वामी दशवैकालिकसूत्र मूल. शय्यंभवस्वामी दशबैकालिकसूत्र मूल ............. लाभमंडन-ले..................१५८२ .....१-१० दशवैकालिकसूत्र मूल त्रूटक ...... शय्यंभवस्वामी ................१६९० .....-२१ दशवकालिकसूत्र सटीक ........मू.क. शय्यंभवसूरि ..........१३०४ |... १-१८६
टी.क. तिलकाचार्य ० दशवैकालिकसूत्र सटीक ....... शय्यंभवसूरि -मू.क.,
वृ.क.सुमतिसूरि दशवैकालिकसूत्र सटीक त्रूटक.
दशवकालिकसूत्र सटीक त्रूटक ... शय्यंभवाचार्य ० दशवैकालिकसूत्र सस्तबक ...... शय्यंभवसूरि मू.क.. ........१७०६
स्त.क,राजचंद्रसूरि
पार्चचंद्रग दशबैकालिकसूत्र सस्तबक ......
................१७६३
दशवैकालिकसूत्र. विशवकालिकसूत्र................. दशवैकालिकसूत्र. शय्यंभवसूरि .................
३०-६८/ दशवैकालिकसूत्र शय्यंभवसूरि .................१६०६ ......२८
.२८ लो.का. १०० ०/दशवैकालिकसूत्र
शय्यंभवसूरि .. दशकालिकसूत्र..
। लो.का. ८७ दशवैकालिकसूत्र दशर्यकालिकसूत्र .
लो.का.९० दशवकालिकसूत्र दशबैकालिकसूत्र ................ शय्यंभवसूरि .................. १६७४ ..... २१| दशवकालिकसूत्र ............... शय्यंभवसूरि
लॉ.का.९२ दशवकालिकसूत्र
....... १-२७||जि.ता/८२/१ दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र
४४४ दशबैकालिकसूत्र .................शय्यंभवसूरि ............... दशकालिकसूत्र...
२९| लो.का. ९६ दशबैकालिकसूत्र................. शय्यंभवारि .................१६४२ ० लो.का. ३०४ दशवैकालिकसूत्र.
२४ जि.का ५९४ दशवैकालिकसूत्र.
..१६४० दशवैकालिकसूत्र..
....१६८३ दशवकालिकसूत्र.........
लों का.९४
..८८
...१४८८
२५९-३१४
ICICI
.....२०
E
१२५७
TE
-२२ जि.का.९९९
For Private &Personal use Only
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________________
भडार नाम
संवत्
भंडार
ग्रंथांक
सपए
संस्था
R
..............१८७
......१-५८
...........
ग्रंथांक ग्रंथतुं नाम
कर्ता
संख्या। नाम जि.का. १६९९ दशवैकालिकसूत्र सस्तबक ........ शव्यंभवसूरि ..
जि.का १४६९ जि.का., १४८६ दशवकालिकसत्र सस्तबक अपूर्ण त.का. ६०४ दशवकालिकसूत्र सह अवधूरि ....
४६ लों.का.९७ दशकालिकसूत्र सह अवचूरि ... शांतिदेव ..... त्रूटक
था.का.७६ लो.का.९८ दशवैकालिकसूत्र सह टब्बार्थ ..... लो.का. ६५३ दशवैकालिकसूत्र सह टब्बार्थ ...
....१-६. जि.का ५४०
था.का ८६ त.का. १२४८ दशवकालिकसूत्र सह टब्बार्थ वृत्ति
था.का, २५ डूं.का. ११७३ दशवैकालिकसूत्र सह टब्बार्थ ....
.................१६५७
८३/२ त.का. |१२०४ दशवकालिकसूत्र सह बालावदोष
२७०/४ लो.का.९५ दशवकालिकसूत्र सह वृत्ति ....... सुमतिसूरि .... १६६७
२७०/५ डूं.का.|१११७ दशवैकालिकसूत्र सहावचूरी....... गंगादास. ...................१६४३ जि.का.,५३६ दशवकालिकसूत्र सावरिक.
जि.का/१८८४ पंचपाठ त.का. ६०६ दशकालिकसूत्र सह बालावबोध
४४| डूं.का. १२८१ जि.ता/४१०/१ ० दशवैकालिकसूत्रचूर्णि ............ स्थविर अगस्त्यसिंहसूरि
१८४ था.का ३६८ जि.का ९५ ० दशवकालिकसूत्रधूणी ............
..................१९८३ -......१५३| डूं.का. ४२० जि.का २२३६ | दशवैकालिकसूत्रनां गीतो आदि
.६ जि.ता.६१/४ जि.का १३००/१ ० दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी
१-२१ जि.ता.६१/३ जि.का ४५ दशकालिकसूत्रबृहदवृत्ति ...... हरिभद्रसूरि आचार्य ..........१४८७ /७२(५७२
६४३) लों.का ७६ जि.का २१७६ दशवकालिकसूत्रलघुवृत्ति ....... सुमतिसूरि
.४८ जि.का १०११ जि.का १९४६ ० दशवकालिकसूत्रलपुवृत्ति .....-शय्यंभवसूरि-मू............
कसुमतिसूरि
जि.ता.४१/२ जि.ता.८३/१ ० दशवैकालिकसूत्रवृत्ति ........... जि.ता.८४/२ ० दशवकालिकसूत्रवृत्ति .... हरिभद्र आचार्य
१०६-२१२ जि.का २७४ जि.ता.८५/१ ० दशवैकालिकसूत्रवृत्ति ............ हरिभद्र आचार्य
... १-१७३| जि.का ९३/२
१८८८
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३९७ ग्रंथनुं नाम | कर्ता | संवत् ।
पत्र ० दशवकालिकसूत्रवृत्ति ............ हरिभद्रसूरि-वृ........
..........१२५ दशवकालिकसूत्रपूर्णि.
.. १८८ ० दशकालिकसूत्रचूर्णी,
...........१४८८.७५(६४४
७१७) दशवकालिकसूत्रवृत्ति दशवैकालिकसूत्रवृत्ति दशवकालिकसूत्र ...... शय्यंभवसूरि
दशवैकालिकसूत्र.. शय्यंभवसूरि ...... ० दशबैकालिकसूत्र ......
शय्यंभवसूरि दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी ................१२८९/२०३-२२१ ० दशश्रावकचरित्र गाथावद्ध ... पूर्णभद्र ..................... ...१२७५/३४८-३७८
दशश्रावकचरित्रचूर्णि. पूर्णभद्र .......................१३०९ | ३७८-३८४ दशाकोष्ठक ज्योतिष दशाकोष्ठकज्योतिष ............ दशाफलम् ....... दशार्णभद्र चौढालियादि सजाय दशार्णभद्रऋद्धि. दशार्णभद्रऋषि सज्झाय ....
दशा तस्कंघसूत्र ................ | भद्रबाहुस्वामी ................१४९० २२५-२८० ० दशाभुतस्कंध चूर्णी
१६१-२२५ दशाभुतस्कंध मूल .............. भद्रबाहु ...............
.१-२९ दशाभुतस्कंध मूल सहवाचना ..भद्रबाहु .......................१६७४ |... १५-४० दशाश्रुतस्कंध सस्तबक
.......१८३६ ... ५२ • दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति ..... भद्रबाहुस्वामी
... ९२-९६ ० दशाश्रुतस्कंधसूत्र भद्रबाहुस्वामी
५०-९२ दशाश्रुतस्कंधसूत्र ........ भद्रबाहुस्वामी
1... ४१-७४ दशाश्रुतस्कंधसूत्र .. भद्रबाहुस्वामी ० दशाभुतस्कंधसूत्रचूर्णी ....
१९८२ .....४-४१
..........
१०४
Twr
हरिभद्रसूरि ...
...........१२८९-...
१-२०२/
.....
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________________
भंडार
ग्रंथांक
नाम
..
१-४
.१०३
....४८/ला.
...१-४
१७८3
३९८ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथनुं नाम कर्ता | संवत्
पत्र | भंडार । ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
संवत | संख्या नाम
संख्या जि.का २७३ ० दशाश्रुतस्कंधसूत्रचूर्णी ..
आ.का २७५ दसवैकालिकसूत्र जि.का ९६/१ दशाश्रुतस्कंधसूत्रनियुक्ति ........ भद्रबाहुस्वामी
था.का/४७३ दादागुरुगीत.
रंगविजयगणि. दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति चूर्णि ...
डूं.का. १३४५
दादाजीके गीत .... त.का.४ दशाभुतस्कन्ध सूत्र .............. सुधर्मागणधर ....
का. ४४४ दादाष्टक..... आ.का. २४७ दशाभूतस्कन्धसूत्र ..
लों.का.४३० दादीजीरो छंद.
................ इं.का. ११८४ दशाश्रुतस्कंध टब्बार्थ मुनिचंद्र ..
लों.का. ६०९
दान, शील तप, भावना, कुलक त.का. ६१७ दशाभुतस्कंध सह टब्बार्थ ......- पूर्वाचार्य ....
सहटब्बार्थ त.का. ६१८ दशाश्रुतस्कंध सह टब्बार्थ ......
लों.का. ६२८ दान-शील-तप-भावना संवाद ...... समयसुंदर ... इं.का. ११७८ दशाभुतस्कंधसूत्र सह टब्बार्थ ..धर्मसुंदर ......
....... ४९|| त.का. ३४९ दान-शील-तप-भावना संवाद ..... ० दशाश्रुतस्कंधसूत्र नियुक्ति ....
... १०१ लों.का.५७६ दान-शील-तप-भावना-संवाद ....... समयसुंदर ....................... सह चूर्णि
+ वृद्ध शांति दशाश्रुतस्कन्ध कल्पसूत्र टब्वार्थ
१५१/ था.का ९९ दान शील-तप-भावनाकुलक .... देवेन्द्रसूरि ................. जि.का २७५ दशाश्रुतस्कंधसूत्र ... भद्रबाहुस्वामी
| सहवृत्ति जि.ता.४१/१ दशाश्रुतस्कंधसूत्रचूर्णी ..
१५० त.का. १२७१/A दान-शील-तप-भावनासंवाद ....... दश प्रत्याख्यानपाठ.............. रामचंद्र ...
१-३ त.का. ९७८ दान-शील-तप-भावनासंवाद आ.का १६ दशआश्चर्य .......................
शतक व स्तवन जि.का १२७/२ ० दशउपासककथाचूर्णी ........... पूर्णभद्रगणि .............१९८३ ... १०-१२ लो.का. ४६७ दान-शील-तप-भावनासंवाद ....... समयसुंदर ............... इं.का. ४११ दशठाण अपूर्ण ..................
. १६ लों.का. ४९७ दान-शील-तप-भावनासंवाद ...... ई.का. ४२९ दशदृष्टांत अनुत्तरोयवाई
....... १५
डूं.का. ११६० दानमाहात्म्य .................... रत्नहर्ष .......................१८९६ त.का. १८ दशवकालिकचूर्णि..
...........१६७८.......१७५
१७५ जि.का २१४० ० दानविजयचोबीसी. ............. दानविजयजी ......... लों का ८८ दशवैकालिकसूत्र मूल .......... शय्यंभवस्वामी ...........................१-३९
१-३९ था.का ४० दानविधि ... दू.का. ३१२ दशव्याख्यानकथा .......... रत्नचंद्र
.९| जि.ता १५६/५ दानविधिकुलक
...................११९२... २१-२३ त.का. २९५ दस आश्चर्य
.............१७६६ .......११ ११ जि.का १३२६/२९० दानविधिकुलक
२४१-२४३ त.का. २९६ दस आश्चर्य ...... | जि.का ४९९/१ दानविधिप्रकरण......
ज आ.का. १४७ दस ढाढा .............
डूं.का. १२०२ -दानशील चौडालीया (गुटका) - नेमीदास .... आ.का २४ |दसपइन्नासूत्र ...
......११५
त.का. ९३६/B दानशीलतपभावनाकुलक आ.का २८० दसवैकालिकनियुक्ति
त.का. १०२३/c दानशीलतपभावनाकुलक आ.का २२६ दसवैकालिकसूत्र ..........
जि.का. २००२ दानशीलतपभावनाचोपाई ......... समयसुंदर ................. र.१६६४
............ १८४७
...............१९२३
...१७६०
.....१८४०
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________________
कता
संख्या
संख्या
E
दीपावलीकल्प ..
३२४
b
u
......१-४
Pos full to
.............
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३९९ भडार
पत्र भंडार ग्रंथांक |
पत्र ग्रंथन नाम
- संवत्
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत् नाम त.का. ११२१ • दानशीलतपभावनासंवाद
त.का. १३३१ दीपाली गुणना ........ डूं.का. १०३६ ० दानशीलतपभावनाकुलक .............
का. २९५ दीपावली कल्प
गणेशमुनि पं..................१८९९ ४३ थी ५५ सह वृत्ति अपूर्ण
२४५ दीपावली व्याख्यान .............. उमेदचंद्र.....................१९२९/-...७१-९४ आ.का. ३१८ दानशीलतपभावनासंवाद .
२७०
...... २१ लो.का. १३६ दानशीलतपभावना कुलक
दीपावलीकल्प ................. डूं.का. १२२९ दानशीलतपभावनो संवाद.. ....समयसुंदर
१३१२ दीपावलीकल्प, डूं.का. १२६६ दानशीलतप चौढालिये..
७४१ दीपावलीकल्प सह टब्बार्थ ..
...१९११ + गौडीपार्श्व स्तवन
५८५ दीपावलीकल्प ........ विमलमुनि. आ.का. १३५ दानशीलतप संवाद ......
दीपावलीकल्पसह टब्बार्थ ....... | लक्ष्मीराज-ले................ लों.का. २११ दानशीलतपभावना संवाद ........ | समयसुंदर
दीपावलीव्याख्यान ......... गुणसुंदर ....... जि.का १०७५/१ ० दानपट्विशिका वृत्तिसह .........राजशेखर-मू.क., ...........१५५२ ..... १-९
दीपावलीकल्प
जिनसुंदरसूरि .. वृ.क.दैवललामसाधु...........
दीवालीकल्प ....................
विमलमुनि ............... डूं.का. ७४६ दानादि कुलक.................. देवेन्द्रसूरि ....................१८९१ ......२९२|
दीवालीस्तवन ................... गुणहर्ष ................. जि.का ५१४ दानादिकुलक सस्तबक अपूर्ण .
................६
दीवाळीकल्प ... जि.का १६०४ दानादिकुलकबालावबोध अपूर्ण
लों.का. ४२८ दीपावलीव्याख्यान डूं.का. ५९९ ० दानादिकुलकवृत्ति ........... सुमतिनिधान ......१८६२.......१४५/
.१४५ डूं.का. ७२१ दुरियरयसमीर .................. समयसुंदर ............... लो.का ६३२ दामनकचौपाई
शानधर्म .............र.१७३५.
र.१७३५,.....१-११| डूं.का. ९६९ दुरियरयसमीर वृत्ति ............... समयसुंदर ................ ...................ले.१७७८
| डूं.का. ३२४ दुरियरयसमीरवृत्ति .... समयसुंदर ............... जि.का १०५१ दार्शनिकग्रंथ अज्ञात अपूर्ण....
१८ जि.का १६१९ दुरियरयसमीरस्तोत्र जि.का ६८६० दिक्पटचोरासीबोलकवित .......
................१७६४ जि.का. १६२० दुरियरयसमीरस्तोत्र जि.का १०३८ दिक्पटचोरासीबोलविसंवाद......जिनसमुद्र............
बालावबोधसह अपूर्ण जि.का २१४३ ० दिगंबरचोरासीबोल.....
३ जि.का १६२१ • दुरियरयसमीरस्तोत्र सावबूरिक जिनवल्लभसूरि जि.का १९३५ दिव्यतत्त्व. ............. रघुनंदन भट्टाचार्य .
२४||
पंचपाठ डूं.का. १५९ दीक्षा-सूतकादि विविध
...............३थी१० जि.का २१६०/१९ दुरियरयस्तोत्र .............. विचार संग्रह
| जि.का. १२५३ दुरियरस्तोत्र अपूर्ण ............... जिनवल्लभगणि....... डूं.का. १६४ दीपालिका कल्प
|......१६||जि.का ३८९ दुरियरयसमीर महावीरचरित्रस्तोत्र. जिनवल्लभगणि ........ जि.का ९८७ ०दीपालिकाकल्प ................. जिनसुंदरसूरि ........... र.१४८३.... ४-११ जि. .का १२८२ ० दुर्गवृत्तिव्याश्रयमहाकाव्य ........ जिनप्रभसूरि स्वोपज्ञ.........१५००/ १२२-२८२
...ले.१७४०
स्वोपज्ञवृत्तिसह त्रू. अ.
.............
....२४
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________________
४०० सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि.का १७५३
लों का ५४०
लों का, ५२५
जि.का १२११
त.का. ११०२
डूं. का. १८८
जि.का. २१६१ जि.का ४२०/५५
डूं. का. ४२१
डूं. का. ६३९
डूं. का. ९५३
डूं. का. ६२५
जि.का २१५८
लों का, ६३१ जि.का ६४८ था. का. २९५
जि.का. १०६४/१
जि.ता. ४२४ जि.का १५२६ जि.का. ९२०
जि.का. ७४० जि.का. १९५१/७ जि.का. १२१६
हूं. का. १९१
त. का. ९५६ जि.का २०५५
डूं. का. ४३८
ग्रंथनुं नाम
● दुर्गसिंहलिंगानुशासन
• दुर्गसिंहवृति पंजिका दुर्गापाठ
D. दुर्गासप्तशती
दुष्टग्रहयोगादि दुहाबावनी.
दूहासंग्रह दृष्टांतपच्चीसी. दृष्टांतरत्नावली काव्य
.....
दृष्टांतशतक दृष्टांतशतक पत्र
दृष्टांत शतक
D दृष्टिफलज्योतिष
देवकीजीको चौढालियो
देवगुरुगीत.
देवपूजापर्व विधि.
●
| देववंदनकप्रत्याख्यानप्रकरण
• देववंदनभाष्यादि प्रकरणसंग्रह देववंदनादिभाष्यत्रय
| देववंदनादिभाष्यत्रय
| बालावबोधसह पंचपाठ किंचिदपूर्ण
| देववन्दनादिभाष्यत्रय.
"
देविंदत्थओ.
देवीगीत आदि पत्र
देवीदास कवित्त.
• देवप्रभस्तोत्र अवचूरि की पीठिका
देशकालस्वरूप
देशनानी पध्यति
दुर्गसिंह
राजकवि
कर्ता
भगवतीदास.
| गुणविजय तेजसिंह.
जिनप्रभसूरि
देवेन्द्रसूरि देवेन्द्रसूरि
देवेंद्रसूरि
वीदास
गुलाबचंद
संवत्
. १७५३
. १७६९
१७५२ १०६-१०७ ..५
. १९९९
१५४४
पत्र संख्या
१९४२
....१२ हूं. का. १२८६ ९३ जि.का ७०६ १-१२ जि.का ८३९
४७
६
.८
..८ जि.का., ७७०
५
.४०-५१
भंडार नाम
६
ग्रंथांक
१९ आ.का. १११ ११
लों. का. ३४५
९. जि. का ४१६
३
१८
२३
३
.५
हूं. का. ६७९
डूं. का. १२७४
६।
१८ जि.का ६१० १२० जि.का ४२०/२
११ जि.का ७८९
१२ जि.का. ९७१
जि. ता. २१३
जि.का ५८६
त.का. ६८८
त.का. ९०१
जि. ता. ३६६ / २
डूं. का. ४४०
लों. का. ५३४/c
आ. का. १०३ / A
त. का. १२५८ जि.का ७४६
(जि.ता, ३६६/१ जि.का १५१
ग्रंथ नाम
जिनप्रभसूरि
देशविरती प्रायश्चित विधि ० देशीनाममाला.
हेमचन्द्राचार्य
• देलवाडामंडन आदिजिनस्तवन लक्ष्मीसागर
सावचूरि पंचपाठ देवप्रभोस्तोत्रसहवृत्ति
दो काव्य पंचपाठी अर्थ सहित
| दोठसो कल्याणकनुं गणणं.
दोषावली
दोषावली
दोषावली
दोषपृच्छा शकुनाचली
....
० द्रव्यप्रकाश अपूर्ण द्रव्यसंग्रह. द्रव्यसंग्रह
कर्ता
द्रव्यगुणपर्यावरास सस्तबक अपूर्ण, यशोविजयोपाध्याय स्वोपज्ञ द्रव्यगुणपर्यायरास..
द्रव्यनयका ग्रंथ द्रव्यप्रकाश
द्रव्यसंग्रह बालावबोधसह
• द्रव्यसंग्रह सटीक प्रथमखंड
• द्रव्यसंग्रह सस्तबक द्रव्यसंग्रहटीका
● द्रव्यानुयोग पत्र
● द्रव्यालंकार सटीक तृतीयपरिच्छेद • द्रव्यालंकार सटीक द्वितीयपरिच्छेद • द्रव्यालंकार स्वोपज्ञवृत्ति सह तृतीय प्रकाश टिप्पणीसह
देवचन्द्रगणि
देवचन्द्र भगवतीदास
नेमिचंद्र भंडारी
नेमिचंद्र भंडारी नेमिचंद्रसूरि दिगंबर नेमिचंद्रसूरि स्त.क.
रामचंद्र गुणचंद्र स्वोपज्ञ रामचंद्र गुणचंद्र स्वोपज्ञ रामचंद्र गुणचंद्र
संवत्
१७०१
. १८३८
१९७०
र. १७१७
.ले. १९०९
. १७३१
१४००
पत्र
संख्या
१९८४
.६
२५
१
२
६
४
३
.१-२
२७
१५
३-१४ .... ४१
१८
१५-२३
५ १५ ६८ १२
१७४२७९ १६०९
१२०२
.२
११३
१९७
३५
Page #449
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________________
नाम
संवत् । संख्या
३००
..........
J..........
बबबबब
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४०१ भडार ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम | कर्ता संवत पत्र भडार ग्रंथांक
पत्र कर्ता
ग्रंथनुं नाम | नाम जि.का १५०० द्रव्यालंकार स्वोपज्ञवृत्ति सह .... रामचंद्र गणचंद्र..
द्वादशभाबनासंधि ............... जयसोम ................ र.१६४६ ..... ४८ द्वितीयप्रकाश टिप्पणीसह
ले.१६९५ जि.ता./३४० दयाश्रयमहाकाव्य वृत्तिसह .......मू.क.हेमचंद्राचार्य, ....... र.१३१२ ...२७३||जि.का ८०८/१ ०द्वादशभावनासज्झायदेव ........ जयसोम ..................१६७६
तृतीयखंड १३मा सर्गथी संपूर्ण वृ.क.अभयतिलकगणि ...ले.१४०० जि.का २१२६ 0 द्वादशभावफलविवरणज्योतिष |जि.ता.३३६० दयाश्रयमहाकाव्य वृत्तिसह .......मू.क.हेमचंद्राचार्य........ र.१३१२ जि.का ४७६ द्वादशमहावाक्यनिर्णय द्वितीयखंड सर्ग ६-१२मासर्ग..... वृ.क.अभयतिलकगणि ....ले.१४००
द्वादशव्रतअतिचारस्वरूप पर्यन्त
द्वादशव्रतकथा गाथाबद्ध अपूर्ण
..............१३०० जि.ता/३३५ ०द्वयाश्रयमहाकाव्य बृत्तिसह .......मू.क.हेमचंद्राचार्य, ......|र. १३१२/- ..२९७
द्वादशवतप्रकरण ..................... ..............१८९९ प्रथमखंड पंचम सर्ग पर्यन्त ....वृ.क. अभयतिलकगणि..ले.१४००
द्वादशव्रतविचार ............. जि.का १९६१ ० दयाश्रयमहाकाव्य बृत्तिसह- ..... हेमचंद्राचार्य-मू...
द्वादशव्रतस्वरूप आदि ................ कुमारपालचरित.............. वृ.क.राजशेखर
• द्वादशांशफल आदि ज्योतिष .... त.का. १२७१/8 द्वात्रिंशिका ................
द्वादशकुलक..................... जि.का २८४ द्वादशकथा त्रूटक अपूर्ण
.८१-१०० जि.का ८६८० द्वारिकामाहात्म्य अपूर्ण जि.का २०४ ० द्वादशकुलक..................... जिनवल्लभसरि ....... 1....१६३१........४ डूं.का. १२४६ |
द्विघटिका जि.का १३१७/६ ०द्वादशकुलक:
जिनवल्लभसूरि...
• ६९-८६ जि.का १३२६/४८० द्वादशकुलक. जिनवल्लभसूरि ..............१३८९ २८२-३०१/
द्विजवदनचपेटा ................. गुणचंद्र .
............... जि.का १५६६ ०द्वादशकुलक टिप्पणीसह ......... जिनवल्लभसूरि ....
आ.का ३३२ द्वितीय कर्मग्रंथ यंत्र ............ जि.का ११८९ ०द्वादशकुलक विवरणसह .... जिनवल्लभसूरि-भू.क.........१९८३ ....... ९१| डूं.का. ६६७ द्वितीय श्रुतस्कंध प्रथम अध्ययन
वृ.क.जिनपालोध्याय
जि.का १५११ द्वितीयतृतीयकर्मग्रंथ ............ देवेन्द्रसूरि |जि.का १५६७ ०द्वादशकुलक विवरणसह ........ जिनवल्लभसूरि-मू..
जि.ता.४०३/२ द्वितीयप्रतिपुष्मिका .. टी.क.जिनपाल
इं.का. ४८६ द्वितीयवाचना ..... जि.ला. २१८ द्वादशकुलक विवरणसहित.......मू.क.जिनवल्लभसूरि...
१-१५७ जि.का १६७
द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसंग्रहणी ............................... वि.क.जिनपालोपाध्याय
जि.का ८०७ दशआश्चर्य अपूर्ण... त.का. ११५९ द्वादशग्रहमावफल.
दशविधयतिधर्म. ज्ञानविमल .................... था.का. ३१६ द्वादशपर्वव्याख्यान भाषान्तरम्
दशवकालिकचूर्णी.
......१४८९/...१-३५५ जि.का ८५८/३ द्वादशभावना
जयसोम.............
..१६७६ .. ११-१२
११-१२ जि.ता ६१/२ दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति ............ भद्रबाहुस्वामी .................. १५६-१६१ द्वादशभावना .. सकलचंद्रगणि .........१७७३........ ५
लों.का ४५७ दसपच्चक्खाण...... दसवैकालिक
लावण्यनंदि गणि ............१५४८
...........
...
...........
त.का. ४२३
जि.का ९९६
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________________
भंडार
ग्रंथांक
संवत्
भंडार| ग्रंथांक
| संवत्
संख्या
इं.का. ६२८
४०२ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथy नाम कर्ता
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता नाम
| नाम आ.का ८० दसवैकालिकसुत्र.............
डूं.का. ५३२ धर्मचतुस्त्रिंशिका बालावबोध ... तेजसिंह-ले................ .१७६८ ........४ जि.का १९२९ ० धनंजयनाममाला धनंजय .......
जयमलमुनि-क. धनंजयनाममाला ............. धनंजय .......
जि.का. १६५४ धर्मदत्तकथानक गद्य ... इं.का. ९६६ धनंजयनाममाला
लो.का.४५ धर्मध्यान और आलोचना जि.का १२४७ धनंजयनाममाला अपूर्ण .........धनंजय .......
धर्मनाथ स्तवन .................
विनयरससूरि ................. १८२९ आ.का, ३१६ धनदत्तचौपई.
जि.ता. १९१/८ ०धर्मपद-धर्मशिक्षाप्रकरण....... जिनवल्लभगणि .............१४०० जि.का ३९१ धनपालपंचाशिका सावरि ... धनपाल -मू...
था.का.१० .धर्मपरीक्षा ..................... अमितगति आचार्य...........१०७० पंचपाठ
डूं.का. ५६३ धर्मबावनी ................ आनंदवर्धन............... जि.का. १९७५ धनफलीगणसारणी सस्तबक ............... .१० डूं.का. ४५५ ० धर्मबिंदु + योगबिंदु • पंचाशक
--९६-१२० ई.का. १०८ धन्नाचरित्र
|+ उपधानविधि संपूर्ण ५.का. ७२५ धन्नानी सज्झाय ................. उदयतिलक .............
२ .का. ४४९ धर्मरत्न मंजुषा +नंदीषेण सज्झाय
जि.ता.२३४ .धर्मरत्नप्रकरण बृहदवृत्तिसहित .मू.क.शांतिसूरि, लों.का ४५९ धन्नासंधि कल्याणतिलक
|Jटक अपूर्ण ...... | वृ.क.देवेन्द्रसूरि जि.का २२३६/३ धन्यर्षिसज्झाय.................. नयरंग ..................
जि.का.७९९ धर्मरत्नप्रकरण बृहद्वृत्तिसह ..... शांतिसूरि-मू.क.. ..................६५-२३५] जि.का २२३६/४ धन्यर्षिसज्झाय. ......... विद्याकीर्ति
बेटक अपूर्ण .................. वृ.क.देवेन्द्रसूरि जि.ता २४९/२ . धन्यशालिभद्रचरित्र
पूर्णभद्रगणि .................१२८५,..२२-१३८ ई.का. ६९९ ०धर्मरत्नप्रकरण सह वृत्ति ......... खुशालविमल ................ ......२६९ जि.का ६३० धन्यशालिमद्ररास ............. जिनराजसूरि .र.१६७८ .. २५ त.ता. ४ • धर्मरत्नप्रकरणस्वोपज्ञवृत्तिसह .. शांतिसूरि ................. ...१३०९
.......१९८ ......................
............ले.१७७१ जि.ता.३५३/२ ० धर्मरसायनरासक सटीक .........
...३८ थी जि.का १९८० धन्यशालिभद्ररास ..............
७५ जि.ता.१५४/१२ ० धर्मलक्षण ..
--.....१२१०/...८६-८७ जि.का ७२८ धन्वंतरीयनिघंटु. ............ धन्यतरी ................१६०४ | जि.ता. १५८/१३ ० धर्मलक्षण
.....१४०० १३८-१३९ था.का ३५५ धन्नाऋषि पंचढालिया ........... जिनकुशलसुरि ..........
३ जि.का १३३/१३ ० धर्मलक्षण ...
............... २२-२३ जि.ता.२७०/१ ० धन्यशालिभद्रचरित्र .............. पूर्णभद्र ................... र.१२८५ --..१-१५६ जि.का १३२६/३९० धर्मलक्षण ..
२६६-२६७ +...........................ले.१३०९
जि.ता.२३६ धर्मविधिप्रकरण .................. नन्नसूरि ................... र.११९० ......१८६ लों.का. १७९ धम्मिलकथा त्रूटक
........ले.१९९० इं.का. ३६ धर्मकथा
-सुवर्णलक्ष्मीगणि ..
......१३१ जि.ता.२२४/ ७ ० धर्मशिक्षाप्रकरण..
जिनवल्लभगणि .............१३००... ३५-४३ जि.का २२०२ धर्मकुटुंबकथा
३ इं.का. ७७६/ A धर्मसंग्रहणि
खुशाल..... अष्टप्रकारीपूजाफलविषये
जि.का ७५० धर्मसंग्रहणिप्रकरण वृत्तिसह ..... हरिभद्र आचार्य -मू...
मलयगिरि आचार्य-वृ.
......
.. १४००
...१२१
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________________
कर्ता
नाम
संख्या
।
| नाम
१४००
..........
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४०३ | भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता पत्र भंडार
पत्र संवत्
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
संवत्
संख्या था.का.९४ धर्मसंग्रहणीवृत्ति ..
मलयगिरि... ..१६७३ ... २७१|| जि.का १३१६/२ धूमावलि
१९४-१९५ डूं.का. १८४ धर्मास्तिकाय चतुर्भगी.
|त.का. १०२४ ध्यानपत्र जि.ता.३७० धर्मोत्तरटिप्पनक.................. ...मल्लवादी आचार्य ..........१२०० ..... ९४ त.का. १६८ ध्यानशतक ....
जिनभद्रक्षमाश्रमण .... जि.ता. ३७१ धर्मोत्तरटिप्पनक.................. मल्लवादी आचार्य ...........१३०० ......७७ त.का.|५४६ ध्यानशतक ....
जिनभद्रक्षमाश्रमण..... त.का. ११२८ धर्मोपदेश..............
१६ जि.का ८६१ मध्यानस्वरूप .. जि.ता.१५५/४ धर्मोपदेशमालाप्रकरण............ वीरचन्द्र शिष्य ..............१२२२
लों.का ७१६ धनाशालीभद्रचौपई व जि.ता. १५८/४ धर्मोपदेशमालाप्रकरण...........
८६-९४
थभनापार्श्वनाथ जीकी स्तवन जि.ता.१५९/२ धर्मोपदेशमालाप्रकरण........... जयसिंहसूरि .............१३४५,... ६९-८२ जि.ता/२२४/
८ ० धर्मबिंदुप्रकरण ....
हरिभद्रसूरि आचार्य ..........१३००/... ४३-६४ डूं.का. ४०३ |धर्मोपदेशग्रंथ.
था.का/ १ ०धर्मरलकरंडकवृत्ति.
वर्धमान आचार्य........... र.११७२/..... २२० था.का.२१७ धर्मोपदेशमाला सहवृत्ति ..........जयंतसिंह .. १४०
..............ले.१६७९ डूं.का. ७४२ | धर्मोपदेशरास ....
जि.ता.१५५/२ ०धर्मरत्नप्रकरण
शान्तिसूरि ...................१२२२/... ३७-४७ आ.का २२३ धर्मबावनी ........
जि.का १२०१ नंददासनाममाला तथा दुहा .... त.का. २० ० धर्मसंग्रहणीटीका ................ मलयगिरि ...................१६७७
सोरठा आदि गुटको डूं.का. १०९८
हेमचंद्राचार्य
जि.का. ८१९ नंदबत्रीसीचोपाई .................. ज्ञानशील .....................१५६०/..... २८ (प्रश्न विवरण)
जि.का. १२७० नंदिताब्यछंदःशास्त्र किंचिदपूर्ण . जि.ता.३०३/१ ० धातुपाठ .........
..................१३००.......१८ जि.का. २२२२ नंदिताब्यछंदाशास्त्र सटीक ...... रत्नचंद्र. जि.का ७०९ धातुपाठ अपूर्ण ..
था.का.१६० नंदिसूत्र,
.१६७२ जि.ता, ३०८ ० धातुपारायण .................... हेमचंद्राचार्य स्वोपक्ष ... ....१३००
आ.का ३९ नंदिसूत्र
..१६५५ जि.का १६९ धातुपारायण ................... हेमचंद्रसूरि..
जि.ता/७६० नंदीदुर्गपदवृत्ति ................... | श्रीचंद्रसूरि ...................१२२६ ...
३-२२१ डूं.का. १६५ धातुपाठ ..................
जि.ता./१४७/१ ०नंदीविषमपदपर्याय .. जि.का ४२५ धातुप्रक्रिया .......................
जि.का ४२०/२६ नंदीश्वरद्वीपजयमाल ............
६५ मु जि.का १९०९ धातुरूपावली
त.का. ९२४ नंदीश्वरस्तवन.......... डूं.का. ३७० धातुरुपावली अपूर्ण ..............
३७-६१ डूं.का. ११३७ नंदीश्वरद्वीप स्तवन/गाथा सहस्री समयसुंदर ...................१६८६ आ.का, २९२ धारणायन्त्र.......
था.का.३८८ नंदीश्वरशाश्वतप्रतिमाआ.का २९३ धारणायन्त्र.......
संख्याधिकार स्तवन डूं.का. १२९० धार्मिक सुभाषित ...
जि.का ८१७/१ - नंदीश्चरस्तवन.... आ.का २८९ धार्मिकसुभाषित.
डूं.का. ३६७ नंदीश्वरद्वीपस्तुति. जि.ता. १५६/६ धूमावलि .........
...११९२६... २३-२७||५.का. ७२५ नंदीषेण सज्झाय.......
....२७८
4.............
१८१
m
११
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________________
नाम
संस्या
१२४-१२५
४०४ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक |
पत्र ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | संवत भंडार ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम
कर्ता
| संवत् नाम
संख्या जि.का,९१७ नंदीवेणचोपाई किंचिदपूर्ण.. ज्ञानसागर ...
जि.का.८२८ नमस्कारवालावबोध ............. जि.ता/७७/१ ० नंदीसूत्र....................... देववाचक .....
जि.का ७३७ ० नमस्कारबार्तिक .............. जि.का ९१३ नंदीसूत्र ....................... देववाचक ...
डूं.का. ११४९ नमस्कारस्तव सह वृत्ति ........ जिनकीर्तिसूरि जि.का १०३० नंदीसूत्र ....................... देववाचक .......
हूं.का. १ ० नमिउणभयहरस्तोत्रवृत्ति ......... गुणसुंदर पं... था.का १६१ ० नंदीसूत्र वृत्ति
मलयगिरि ................
| जि.का १६२६/३ ० नमिऊण |जि.का ८३३ नंदीसूत्रगत द्वादशांगीआलापक. देववाचक
जि.ता./१५६/३४ ० नमिऊणस्तोत्र
.............११९२ जि.ता ४१०/२ नंदीसूत्रचूर्णि....................जिनदासगणि महत्तर .........५१८/१८५-२२३||जि.का २१६०/१० नमिऊणस्तोत्र ................. जि.ता,७७/२ ० नंदीसूत्रवृत्ति .................... मलयगिरि आचार्य ...........१४८८ ... १-२९७ | जि.का १०७३ नमिराजर्षिकुलक ............... विनयसमुद्र वाचक ...... जि.का ९२४ नंदीसूत्रवृत्तिगत ................
| जि.का ९०९ नमिराजर्षिचोपाई
समयसुंदर ...................१७०० । योग्यायोग्यपर्षदाविचार
जि.का १६२१/४ 0 जि.का ४४७ नंदीसूत्रवृत्ति .................... मलयगिरिसूरि ............ र.१६२७ ..... २०५||त.का. ६६९ नयचक्र आलाप पद्धति .......... दिवसेन पंडित ........
.ले.१६२९
आ.का. १५१ नयचक्र सह बालावबोध ........ देवचंद ............... जि.का ६३५/३ नंदीसूत्रस्थविरावली..
.. ५-७||त.का. १२४४ नयचक्र सह बालावबोध ..
................१८७७|... १५-३५ डूं.का. १३३२ नंदीश्वरप्रतिमार्चन विधि
जि.का ११९० नयचक्रवचनिका अपूर्ण .. आ.का.४ नंदीसूत्र
त.का. १२३७ ०नयविवरण लों.का ४९५ नंदबत्तीसी ...................... नरपति कवि ...............
डूं.का. ३१७ नयस्वरुप अपूर्ण ..................... जि.का ४८० नंदिसूत्र
देववाचक
लों.का ४६०/A नरक-चोढालिया ................ गुणसागर ... जि.का ४९ ०नंदिसूत्रवृत्ति .................. मलयगिरि आचार्य .............
जि.का ६०६/१७ ० नरवर्मकुमारभास ............
जि.ता./२७४ नरवर्मचरित्र-सम्यक्त्वालंकार .... वाचनाचार्य ..................१५०० ......३२४ .का ३८४ ० नंदीसूत्रलघुवृत्तिदुर्गपदप्रबोध ... श्रीचंद्रसूरि ..............
अपूर्ण........................... विवेकसमुद्रगणि त.का. १५९ नन्दीसूत्र
देवधिंगणि क्षमाश्रमण
जि.का/१०१६ नर्मदासुंदरीरास .................. मोहनविजय .................. लों.का. ११७ नन्दीसूत्र मूल .... ............... देवर्द्धिगणि
जि.का, २०३२ नर्मदासुंदरीरास अपूर्ण. लों.का ११८ नन्दीसूत्र मूल अपूर्ण ............ देवर्दिगणि ..
त.का. १०३१ नरसंबोध नारीबोध चतुर्थ प्रबंध .. लो.का ११९ नन्दीसूत्र मूल त्रूटक ............. देवदिगणि
इं.का. १३५७ नलकथाके पन्ने ................... विशालरत्नगणि-पं...... लो.का १२० नन्दीसूत्र सह व्याख्यान ........ देवर्द्धिगणि
जि.का, २१९० नलचंपूविवरण ......... जि.ता. १५६/९ नन्दीसूत्रगता
१६१ ० नलचंपू सूत्र अपूर्ण .............-- त.का. १९२ नन्दबहुत्तरी....
डूं.का. ४४६ नलदमयंती चौपई इं.का. ५१० नमस्कार बार्तिक ...........
(४८२ भेगो मुकेल छे.)
......
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________________
भंडार| ग्रंथांक
संवत् । संख्या
पत्र
संवत ।
त.का. १११२
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.४०५ पत्र भंडार ग्रंथनुं नाम कर्ता संवत् ग्रंथांक __ ग्रंथनुं नाम
कर्ता नाम
। संख्या । | नाम डूं.का. ४८२ नलदमयंती दोहा अपूर्ण ........ ......२०|त.का. ९२५ नवकारटीका ......
......१८०८ (नं. ४४६ नी साथे छे.)
जि.का ३९९/६ नवकारनी सज्झाय ............ गुणसागरसूरि ......................... २४-२५ त.का. |३९९ नलदमयंती रास
समयसुंदर
जि.का २०७३ नवकारनो अर्थ. लो.का. २३७ नलदमयंती रास त्रूटक ..........
जि.का १३१७/२०० नवकारफल .....................
| १७०मुंपत्र त.का. ५८२ ०नलदमयंतीचंपू ..
जि.ता. १५१/१३ ० नवकारफलकुलक.......
..................१४०० ...७८-८४ लों.का ५३९/B नलदमयंतीचरित्र
जि.का १३४/१२ । नवकारफलकुलक.............
...१७-१८ जि.का ४२४ नलदमयंतीरास
समयसुंदर
जि.का ४९९/२ ० नवकारफलकुलक त.का. ७२५ नलदमयंतीरास
त.का. ८५६ नवकारफलस्तवन. नलदमयंतीरास .............. समयसुंदर ...
जि.का ७१३
नवकारबालावबोध ............ त.का. १११३ नलदमयंतीरास
जि.का ७६७ नवकारबालावबोध .......... त.का. ११७५ नलदमयंतीरास
जि.का ११०३ नवकारबालावबोध अपूर्ण ..... त.का. ६८१
० नलदमयंतीचरित्र (नलायनम्). ...............................१६५९, ......१३२ जि.का १६४३ नवकारमहात्म्य अपूर्ण ........ डूं.का. १०७७ नलदमयंतीचौपई ................/शिवनंदन ....................१७३०........३६||था.का/४७६ नवकाररास ..................... जि.का २५२ नलदवदंतीचरित्र पद्य ............ देवभद्रमुनि ...................१५३५ ...... २४ त.का.|६४४/A नवकाररासादि ................ |जि.का १९५८ नलोदयकाव्यसावचूरिक पंचपाठ
जि.ता/१५८/१८ ०/नवकारसारस्तव ................. मानतुंगसूरि ..................१४००/ २०३-२०४ लों.का. ६०५ नलदमयंतीरास ..................समयसुंदर ................ र.१६७३ .....१-२३| त.का.२६१ नवकारअर्थ + कल्पोपमा ...... समयसुंदर
.ले.१७२७
था.का ११८ नवकारवालावबोध .......... रत्लरंगमुनि ...................... जि.का १५२५/१ ० नवकार .....
लोका ४४९
नवकारबालायबोध ...... रत्न राज......................१६९५ त.का.|१३०७ नवकार (बालावबोध) टीका ...
का. २६२ नवकारबालावबोध ........... त.का. ३०३ नवकार अर्थ + कल्पोपमा .....
२ था.का. १९१
नवकारमहात्म्य................... | लावण्य हर्ष . इं.का. ११० नवकार वालावबोध .............. सत्यमूर्ति ले. .............
६ .का. १३५४ नवकारस्तवन............ डूं.का. १९८ नवकार बालावबोध ..........
था.का ४००
नवकारस्तवन (जकडी).... डूं.का. ७२६ नवकार बालावबोध ..
लों.का.४०७
नवकारस्तवन और प्रास्ताविक लों.का ३७९ नवकार बालावबोध
श्लोक आदि डूं.का. १२३४ नवकार मंत्रपर राजसीनी कथा,
त.का. १६६ नवकारस्तवन (गुणवर्णन) त.का. १९६ नवकार स्त वन ............... रविराज .....
त.का. ३५८ नवग्रह स्तोत्र जि.का ११२१ नवकारछंद ...............
कुशललाभ.
२||जि.का २१२०/४ 0 नवग्रहस्तुतिगर्भित पार्श्वनाथ .... जिनप्रभसूरि .............. हूं.का. ४४४ नवकारछंद + दादाष्टक ....... कुशललाभ.
स्तुतिवृत्ति
... १४-१६
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४०६ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट ।
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
भंडार।
का
| संवत्
संवत
नाम
पत्र भडार ग्रंथांक संख्या
|त.का. १०७६
नाम
ग्रंथनुं नाम
कर्ता नवतत्त्व सह बालावबोध ........ लालचंदगणि,
संख्या
४४(३५
हूं.का. १२० हूं.का. ४६२ लों.का./५३४/० त.का. ९१० त.का. ९९९ त.का. ११२३ लों का ३३४
..१७९५ ....१७९८
....१८४३
...........
............
....१७६५
लो.का.५८४
लों का ५३३/A त.का. १२७८ आ.का.९४ लो.का. १९९
नवतत्त्व ........... नवतत्त्व नवतत्त्व..... नवतत्त्व .... |नवतत्त्व ................. नवतत्त्व.. नवतत्त्व (टब्बो) नवतत्त्व+जीवविचार ............. नवतत्त्व + जीवविचार सह टबार्थ । नवतत्त्व + जीवविचारप्रकरण ...... सह रब्बार्थ नवतत्त्व + दण्डक लघुसंग्रहणी सह टब्बार्थ जीर्ण नवतत्व + प्रकीर्णक पत्र ..... नवतत्त्व बालावबोध नवतत्त्व विचारसार .. नवतत्त्व सह टब्बार्थ नवतत्त्व सह टब्बार्थ ............. महेरचंट नवतत्त्व सह टब्बार्थ नवतत्त्व सह टब्बार्थ... नवतत्त्व सह टबार्थ त्रूटक ...... नवतत्व सह टब्बो ............... नवतत्त्व सह बालावबोध नवतत्व सह बालावबोध ....... नवतत्त्व सह बालावबोध .. नवतत्त्व सह बालावबोध नवतत्त्व सह बालावबोध .........
|त.का. १२९० |नवतत्त्व सह बालावबोध..
वाय................ था.का १४२ नवतत्व सह वृत्ति .....................
त.का. ३७१ नवतत्त्व सह वृत्ति ................. .........२ त.का. ३७७ नवतत्त्व सह वृत्ति
वीरसागर .. त.का. १३०८ नवतत्त्व सहवृत्ति (अपूर्ण) .......... जि.का ६०१ नवतत्त्वचोपाई
मेरुमुनि ....... लों का १५३
नयतत्त्वजीवविचार सह टब्बो...... जि.का ६६४ नयतत्त्वना बोल............ जि.का ३३०/३ नयतत्त्वप्रकरण.......... जि.का ५६०/१ नयतत्त्वप्रकरण ......... जि.का ६५५/४ नवतत्त्वप्रकरण........ जि.का ६९१ नवतत्त्वप्रकरण... |जि.का ८७३/२ नवतत्त्व प्रकरण................... जि.का १४८९ नवतत्त्वप्रकरण..
जि.का २१६०/२५ नवतत्त्वप्रकरण ...... | जि.का ९०२ नवतत्त्वप्रकरण..
डूं.का. ९८४ नवतत्त्वप्रकरण ..४ जि.का.७४ . नवतत्त्वप्रकरण भाष्यवृत्तियुक्त...... देवगुप्तसूरि -मू..............र.११७४
| अभयदेवसूरि-भा.क........ले.१४९९
यशोदेवसूरि-वृ. १५] जि.ता/१५५/३ ०|नवतत्त्वप्रकरण भाष्यसह ........ | मू.क.देवगुप्तसूरि भा.क......१२२२ |... ४०-५९
अभयदेवसूरि ..३१| जि.ता.१५४/१४ ०|नवतत्त्वप्रकरण भाष्यसह ........मू.देवगुप्तसूरि, ..............१२१०/..९१-१०३
(नवतत्त्वप्ररूपणाप्रकरण)....... भा. अभयदेवसूरि ....२९ जि.का ६९० नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक .....
........१७४८ | जि.का/७५६ नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक .....
....१८४३.
EEEEEEEEEEE
१-१०
..१-१०
१८६३
१५६५
१९०५
....१७०९
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सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ - ४०७
भंडार| ग्रंथांक
पत्र
ग्रंथ नाम
कर्ता
संवत्
संख्या
संख्या
................
..१५
..२
55
पूर्वाचार्य
......
भंडार ग्रंथनुं नाम का
ग्रंथांक नाम
नाम जि.का.८६७ नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक
डूं.का. १२९१/१ जि.का. ९५१/१ नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक .......... विमलकीर्तिगणि ................ ... १९ त.का. १२५९
वाचनाचार्य
त.का. २६८ जि.का. १४९० नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक
..................१८५०........ ११ लो.का. ३५८ जि.का.६८१ नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक अपूर्ण
-२-१३ जि.का. ६८४ नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक अपूर्ण ..
जि.का. १४९३ जि.का ५५९ नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक पंचपाठ..
लों.का. ३०० जि.का.,९९०
नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक ..........मानविजयजी ................१७७३ ...... ५० लों.का. ६९८/A ३ ० /नवतत्त्वप्रकरण सह भाष्य ........ देवगुप्तसूरि मू.. ..............
लों.का. ६९८/० विवरण अभयदेवसूरि-वि.
त.का. ६६७ त.का. ६७८ नवतत्त्वप्रकरण सहटब्बार्थ.........जिनहंस .....................१७८४... डूं.का. ९८३ जि.का ३२३/२ ० नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि ....
१५-२६ लों.का ४७६ जि.का १०७७ 0 नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि ........ साधुरत्नसूरि अव.क........१७१९ .... ६-१०| त.का. जि.का १९८० नवतत्वप्रकरण सावचूरि पंचपाठ
......१५३८ .... ४ इं.का. १२८२ जि.ता/१७१/६ ०/नवतत्वप्रकरणभाष्य............. अभयदेवसूरि .................११६९ .....९.१७||आ.का. जि.का ११३/१५० नवतत्त्वप्रकरणभाष्य.............. अभयदेवसूरि ...................... २३-२७
२३-२०|| नवतत्त्वप्रकरण ..............
डूं.का. १२५ त.का. ५१२ नवतत्त्वबालावबोध..... .......
१९ डूं.का. ११०८ नवतत्त्वबालावबोध ..
३० जि.का १३६/६ त.का. २२४ नवतत्त्वबोल ................... विनितसागर ..................
आ.का २९९ त.का. १२१८ |नवतत्त्वमाला
डूं.का. २४१ जि.का. ८२२
नवतत्त्वविचार............... जि.का १००४ नवतत्त्वविचार पार्श्वनाथस्तोत्र....
....................२४८ क्षेत्रसमासचतुष्पदीआदि
त.का. ११७९ आ.का. १२९ नवतत्त्वविचार सह टब्बार्थ .............
डूं.का. ७६३ त.का. ९१४ नवतत्त्वविचारगाथा टवार्थ. जि.का. १०८५ नवतत्त्वविवरण तथा चैत्यवंदना ......
डूं.का. ७७१ वंदनकादिविचारवालावबोध
डूं.का. १३१०
नवतत्त्वसह बालावबोध.. नवतत्त्वसहवृत्ति ....... नवतत्त्वस्वरूप ...
.....१८९९ नवतत्त्वचौपाई
गोकुल गांधी................र.१७६६
.ले.१७८६ नवतत्त्वप्रकरण.................. नवतत्त्वप्रकरण ............. नवतत्त्वप्रकरण............. पूर्वाचार्य नवतत्त्वप्रकरण....... नवतत्त्वप्रकरण सह वृत्ति नवतत्त्वबालावबोध ..... नवतत्वविचार त्रूटक .... नवतत्त्व नवतत्व + चतुः शरण नवतत्व + जीवविचार. + चौवीसदण्डक सह टब्बार्थ नवतत्व सह टब्बार्थ............ रंगविजय-ले. |नवतत्व सह वृत्ति .....
नवतत्वप्रकरणभाष्य.. अभयदेवसूरी .................१९ |नवतत्वसह अवचूरि नवतत्वप्रकरण .. ............ विमलकीर्तिगणि ले... नवतत्यप्रकरणमूल .............. नवतत्व बालावबोध .............. फतेचंद .......................१८५० नवतत्वबालावबोध ............. नवपद कलश पूजा ............ वाचक यशमुनि नवपद क्षमाश्रमण दानविधि .. नवपद स्तवन .......
.१८७१ नवपदक्षमाश्रमणा विधि....
१८८९
जि.का ५५८
.
......................१८९३
त.का. १३०९
AASA
इं.का. १२१२
...१८९६
..........
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________________
पत्र संस्था
संवत् । संख्या
नाम
४०८ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट । । ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम कर्ता संवत्
पत्र ग्रंथर्नु नाम
भडार| ग्रंथांक नाम त.का. २७९ | नवपदपूजा.
डूं.का. २०० नवस्मरण तथा थिरादृष्टि..
.... १५ त.का. ९९५ नवपदपूजा ................. पदमविजय .................१८७६
स्वाध्याय त.का. ९९६ नयपदपूजा...
उत्तमविजय ....
त.का. १८३ नवाणुप्रकारनी पूजा .............. वीरविजय .. जि.का २११४ | नवपदपूजा अपूर्ण
यशोविजयजी....
जि.का ६५२ नव्यबृहत्क्षेत्रसमास ............ सोमतिलकसूरि ... जि.ता.१५४/१५ ०|नवपदप्रकरण
जिनचन्द्रगणि................१२१०/१०३-११६]
११६] जि.का ६५३ नव्यबृहत्क्षेत्रसमास..... सोमतिलकसूरि .. जि.ता. १६०/१००/नवपदप्रकरण उपकेशगच्छीय..............१३००/ १०५-११३
नवतत्त्व प्रकरण टब्बार्थ देवविजय मुनि-ले. जिनचंद्रसूरि
त.का. २६७ नवतत्त्व बोल
लक्ष्मीकुशल गणि. जि.का १३३/१६ नवपदप्रकरण ............... जिनचंद्रगणि.......................... २७-३१| आ.का १४८ नवतत्त्व सह वृत्ति............... संघविमल................ जि.का ५०७ नवपदप्रकरण ................. ..जिनचंद्र ........
जि.का १६८३ नवतत्त्वप्रकरण सावचूरिक ..... जि.ता.२२१० नवपदप्रकरण बृहद्वृत्ति सहित .मू.क.जिनचंद्रसूरि, .........१३०० जि.का ५३३/२ नवतत्वविचारगाथा .......... जयशेखरसूरि. ..........
१७-१९ वृ.क.यशोदेवसूरि
त.का. २७
• नवतत्त्वविवरणम् .. ......... देवाचार्य जि.ता. २२२ ० नवपदप्रकरण बृहद्वृत्तिसहित ..मू.क.जिनचंद्रसूरि. ...... र.११८२ डूं.का. ७२७ नवपद बासक्षेप पूजा ........... अभयचंद गणि-ले...........१९ वृ.क. देवेन्द्रसूरि .........ले.१४००
वाचकयशमुनि-क. जि.का ११६ ० नवपदप्रकरण बृहदत्तिसह .......जिनचंद्रसूरि -मू.. ....... र.११६५
इं.का. ५९३
नवपद स्वाध्याय .. वृ.क.यशोदेवोपाध्याय ......१९८३. १८३ हूं.का. ९३४ नवपदपूजा.
धरमसिंह त.का. १०७५ नवपदमहिमा ..
१० लों.का. २२५ नसियतनामा..... डूं.का. ४०६ नवपदविधि + पाक्षिक खामणां
लो.का. २८०/8 नसीयतनामादि शिक्षा संग्रह + प्रवज्याविधि
जि.का ६०६/१८ नागदत्तकुमारभास डूं.का. ३८३ नवपदचैत्यवंदन
त.का. २५४ नागपुरऋषभस्तवन ............... था.का.९० नवपदप्रकरण सहवृत्ति ....
जि.का २०८० 0 नागमंता चोपाई ................. मेरुशेखर . .............
......३ था.का.९१ नवपदप्रकरण सहवृत्ति .......... कक्कसूरि ....
जि.का २०७९ ० नागमहामंत्रषोडश .......... जि.का ६०६/१३ नवप्रकारभावे..
जि.ता. ३६० . नागानंदनाटक
श्रीहर्षकवि .................१३००.......५६ डूं.का. ७३५ नवपदक्षमाश्रमण दानविधि ....... - गुणसुंदर .......
जि.का ४२०/४५ नाटकपच्चीसी ................. भैया
................ ९६मुं डूं.का. १३०२ नवपदखमासमणाविधि ..............
आ.का ३०७ नाडीपरीक्षा .... डूं.का. ३५ नवरत्नपरीक्षा समुच्चय ........
जि.ता. १९१/५ ० नाणाचित्तप्रकरण.....
......१४००/-...५९-६४ जि.का ६६३ नबरससागर-उत्तममहाराजर्षि-... जिनसमुद्रसूरि
जि.का १९४/३ . नाणाचित्तप्रकरण... चरित्ररास अपूर्ण
१३२६/११० नाणाचित्तप्रकरण,
१२१-१२७ त.का. १०५७ नवस्म रण...........
१५६/११ ० नाणाचित्तयप्रकरण...........
.............११९२/... ४८-५३
५६.५९
......
३.८
१७30
जि .ता.
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________________
संवत् | संख्या
संरया
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४०९ पत्र || भंडार
पत्र भंडार | ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम ।
कर्ता संवत्
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता नाम
नाम जि.का २२५०० नादकारिका वृत्तिसह तथा .....
जि.का ९९२ ० नियतानियतिविचार ............. पार्धचन्द्रगणि.. तत्त्वनिर्णयविवरण
त.का. ७१४ ० नियमसार सह वृत्ति .............
मलधारि देवसूरि. ............१७७५ |......१०६ इं.का. १३१६ नामेयस्तव अवचूरि सह ........... विजयतिलकसूरि
|जि.का ३१/२ ०/निरयावलिकाउपांगसूत्रवृत्ति ....श्रीचंद्रसूरि ..........................। .८(१८३७ जि.का १३१७/८ 0 नाभेयस्तोत्र,शांतिनाथस्तोत्र, .... जिनवल्लभगणि ...........
... १८४४) नेमिनाथस्तोत्र,पार्श्वनाथस्तोत्र,
निरयावलिकादि पंचोपांग सूत्र
...... २५ महावीरस्तोत जि.ता.३९/१ ० निरयावलिकादिउपांगसूत्रपंचक,
... २९-८३ डूं.का. ६२३ नामकोश .................धीरमुनि ......................१७४७/.......८१|
| संपूर्ण जि.ता. २९०/२ नामद्वितीयपादपर्यंत टिप्पणी सह
लों.ता.३/ १ ०/निरयावलिकादिपंचोपांगसूत्र...........
३०५-३२९ डूं.का. ११०२ नाममाला व्याख्या .............. भाग्यविलासगणि .............. १८३२ ......४३२| त.का. ८६ निरयावलिकादिपंचोपांगसूत्र.....
.......६८ हूं.का. ४६० नारकी देवलोक जीवभेद
सह टब्बार्थ इं.का. १०३ नारचंद्र (ज्योतिष ग्रंथ) अपूर्ण .
जि.का ७२३ निरयावलिकादिपंचोपांगसूत्र. इं.का. १३१ नारचंद्र (ज्योतिषशास्त्र)....
सस्तबक जि.का. ११४८ नारचंद्रज्योतिष ................... नरचंद्रसूरि .
त.का. ६४९ निरयावलिकादिपञ्चोपांगसूत्र ............ |जि.का. १९३७ नारचंद्रज्योतिष नरचंद्राचार्य
सह वृत्ति जि.का. १८७५ नारचंद्रज्योतिष अपूर्ण ............. नरचंद्राचार्य
निरयावलिकादिपंचोपांगवृत्ति जि.का.१०५४ नारचंद्रज्योतिष द्वितीयप्रकरण.....नरचंद्रसूरि ..
डूं.का. ३३८ निरयावलीकादि पंचोपांग सूत्र त्रिलोकसिंह इं.का. ३२१ नारचंद्रज्योतिषग्रंथ
डूं.का. ४८९ निरयावलीसूत्र बालावबोध ..... नारचंद्रज्योतिषनां पानां ........... नारचंद्र ................. | आ.का.३१ निरयावलिकादि पंचोपांग सूत्र
.......२४ इं.का. ६७ नारचन्द्र .....
१८ जि.ता.३९/२ ० निरयावलिकादिउपांगसूत्र .. श्रीचंद्रसूरि
...८३-११४ जि.का १२२९ ० नारदीयपुराण अपूर्ण ....
पंचकवृत्ति अपूर्ण नारिंगापार्श्वनाथस्तवन ...........लाभोदय ............... १-२ लों.का. १३० निरियावलिकादि पंचोपांग सूत्र...
.१६८२/..... १२७ त.का. ४६५ नारचंद्रज्योतिष ................ नरचंद्रसूरि ....
| लो.का. १३३ निरियावलिकादि संग्रहणी...
१८१६ /..... १-५३ त.का.६८९ नारचंद्रज्योतिष सह टब्बार्थ ..........
५२|| | सूत्र वृत्ति टम्बो आ.का २४९ निगोदषट्त्रिंशिकासहवृत्ति .....
निरियायलिकादि पंचोपांगसूत्र, डूं.का. १३२० नित्य कर्तव्य ...............
...२ जि.का २१७७ निरुक्तिकांड ..... जि.का ४२०/३३ नित्यपच्चीसी
त.का. १०१७ निर्जराफल. डूं.का. ११९० | निदानांजनं सह बालावबोध .... अग्निवेशऋषि
जि.का ४६२ निर्यावलिकासूत्र .. जि.का १८१२ निबंधसंग्रह वैद्यक सटीक अपूर्ण |
७२| जि.का १६८ ० निर्यावलिकासूत्रवृत्ति .. श्रीचंद्रसूरि
था.का.
जि.का ३४९/३
०
+......
:
भैया.......
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________________
भंडार
ग्रंथांक
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम
नं नाम
कर्ता
संवत् | संख्या
सख्या
नाम
निशीथसूत्र
.............
१८३९
पातिष.......
लो.ता.३/२
४१० - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत् | नाम जि.का ४६३ ० निर्याबलिकासूत्रवृत्ति ............ श्रीचंद्रसूरि ....
.. १४ जि.ता.६७
६७ इं.का. ८२९ नियुक्ति कीर्ति दोष्दे अपूर्ण.. |जि.का ४२०/२२ निर्वाणकांड ................ भैया.......... ....१७४१. ६२-६३
.का. २४६ जि.ता ३५१ ० निर्वाणलीलावतीमहाकथाउद्धार |जिनरत्नसूरि,
-२६७ था.का.४३ (लीलावतीसार) पद्य ..........
............ले.१४००
था.का २४५ त.का. ८४ ० निरयावलि ............
...१६१०
६६ - था.का.४५ ० निशीथ चूर्णि खंड-१........................ ......१६६९/.....
. ५२२ लो.का.५८ था.का ४६ निशीथ चूणि खंड-२.
त.का. १५२ | निशीथ सूत्र मूल व्याख्या त्रूटक | श्रीचन्द्र .......
जि.का. १९०३ जि.ता.७५ ० निशीथचूर्णी विंशोदेशक व्याख्या श्रीचंद्रसूरि ....
......१७२/ अपूर्ण
लों का १३२ का २२२ निशीथचूर्णी व्याख्या श्रीचन्द्रसूरि
..२८ का,४४ . निशीथभाष्य
जिनचंद्रसूरि ..........१६६९ ...... २६८ जि.का ३१/१ जि.ता, ३५/१ . निशीथसूत्र ............. भद्रबाहुस्यामी
.१-१५ जि.ता.६८/ १ ० निशीथसूत्र............... भद्रबाहुस्थामी
.. १८ जि.ता, ३२/५ जि.का १०५ ० निशीथसूत्र. ................... भद्रबाहुरवामी ...............१९८३ ....... १५|| जि.ता.७० लों .का. १४८ | निशीथसूत्र...
J................१-२१ निशीथसूत्र.
-१८ इं.का. १२५१ त.का. १५६ | निशीथसूत्र. ................
..१४९२(२८-३५)| त.का. जि.ता.३५/२ ० निशीथसूत्र भाष्य
................१२००... १-१७८ जि.का २०७२ जि.ता.७३ . निशीथसूत्र लघुभाष्य ..
..१२००/...४-१०० डूं.का. १२६४ जि.ता ७१० निशीथसूत्रचूर्णी द्वितीयखंड ......
....१३०० ० निशीथसूत्रचूर्णी द्वितीयखंड .....जिनदासगणि महत्तर .......१९८४ जि.का १०८
० निशीथसूत्रपूर्णी द्वितीयखंड .... जिनदासगणि महत्तर ... .१९८३ जि.ता.६८/२ | निशीथसूत्रचूर्णी प्रथमखंड अपूर्ण..
..१५०० जि.का १०६ निशीथसूत्रभाष्य
...१९८३ --.....१४३ ९८५ निशीथसूत्रवचनिका ...........
....१९०८ ....... २६ लो.का-३६७ निशीथसूत्रचूर्णी द्वितीयखंड .....
....१५००
......२९४/ .......२९४ लॊ.का.६३३
०|निशीथसूत्रचूणी प्रथमखंड ११.
.......१२०० ......४६४ मा उद्देश पर्यन्त किंचिद पूर्ण निशीथचूर्णि
..... ३३५ ...- ज्ञानमेरुमुनि ....................... निशीथसूत्र....................... निशीथसूत्र भाष्य ................
......... |निशीथसूत्र मूल ................. सुधर्मास्वामी .................१६४६ .....१-२० ० निशीथसूत्र सह भाष्य .......
......१७२ निषेकोदाहरणज्योतिष
निरयावलिकादिपंचोपांगसूत्रवृत्ति श्रीचंद्रसूरि ...................१२२८ | ३३०-३४७ . निरियावलिकादि पंचोपांगसूत्र .. श्रीचंद्रसूरि ....................... १-१६
(विवरण) ० निर्यावलिकाउपांगसूत्र
..........१२(१८२६.
|... १८३७) . निर्यावलिकादिपंचोपांगसूत्र
.....१-२५ निशीथसूत्रचूर्णी प्रथमखंड
....३३८ दशम उद्देश पर्यंत नीति + श्रृंगारशतक अपूर्ण ...... नीतिशतक ....................... भर्तृहरी नृसिहकवच ...... नेमजीका रास ................... नेमनाथ चोक ..................... अमृतविजय ...................१८५८ नेमनाथ नवभव चरित्र ...... नेमनाथ बोल + स्नात्रपूजा नेमराजुलनी सज्झाय ..... नेमिचरित्र........ नेमिजिणवररास ....
...............१९१० पुण्यरत्नमुनि ............
....४१०
८३||त.का.
DATE
| नेगिजिनवररास
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Page #459
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________________
भंडार ग्रंथांक
९-२०१
..........
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४११ पत्र ग्रंथनुं नाम
भंडार कता संवत्
पंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता | नाम
संवत् । संख्या नाम जि.का. १३१७/८ नेमिनाथ स्तोत्र .........
जि.ता. ३४१ ० नैषधचरितमहाकाव्य ............श्रीहर्षकवि ...................१३७८ ......३१७ जि.का ३५०/१ ० नेमिनाथगीत . महिमराज
(शशांकसंकीर्तन महाकाव्य) जि.का ६०९० नेमिनाथचरित गद्य ............. गुणविजय .............. .र.१६६८ ... २-१२३ त.का. १२६७ नैषधचरित्रदीपिका
.....३१-७१ .ले.१७३५
जि.ता.३४२ ० नैषधचरित्रमहाकाव्य ............ श्रीहर्षकवि ...................१४०० ......३४९ जि.ता. ४११ नेमिनाथचरित्र .............................................
जि.ता. ३४५० नैषधचरित्रमहाकाव्य साहित्य- .. विद्याधर पंडित ..............१४००... ६-२१८ नेमिनाथछन्द ...........
विद्याधरीटीका चतुर्थसर्ग पर्यंत १२६३/१ D नेमिनाथबारमासा गीत ..........धर्मकीर्ति
जि.का १२२३ नैषधमहाकाव्य
श्रीहर्षकवि नेमिनाथवारमासा तथा सवैया . तिलक गुसाई
जि.का. १२२५ नैषधमहाकाव्य
श्रीहर्षकवि नेमिनाथशीलरास
जि.का २०० नैषधमहाकाव्य अपूर्ण ........... श्रीहर्ष. का ६४८० नेमिनाथस्तव तथा देवगुरुगीत ..
जि.का ५२० नैषधमहाकाव्य अपूर्ण .......... श्रीहर्षकवि नेमिनाथस्तवन.... धनचन्द्र .......
जि.का १३०४ ० नैषधमहाकाव्य पंचसर्गपर्यन्त ... श्रीहर्ष ....................... १४०० नेमिनाथस्तवन ....... जीवकिती ......
टिप्पणीसह जि.ता/१७१/११ ० नेमिनाथस्तोत्र .
विजयसिंहाचार्य ..............११६९ /... १५.१८||जि.ता,३४४ नैषधीयमहाकाव्य साहित्य- ..... विद्याधर पंडित जि.ता. १९१/१२ ० नेमिनाथस्तोत्र .... जिनचन्द्रसूरि ...............१४०० .........
| विद्याधरीटीका द्वितीयखंड लो.का २९८ नेमिनाथगीत और प्रकीर्णकगीत आनंदघन ...............
१३ सर्गथी चालु अपूर्ण डूं.का. २८३ नेमिनाथचरित्र
.............१७४८ /......१९०||जि.ता/३४३ ०/नैषधीयमहाकाव्य साहित्यविद्या- विद्याधर पंडित ..............१४०० ......३७७ था.का. १९० नेमिनाथरास.
...........१६९३ .... १७||
धरीटीका प्रथमखंड द्वादशसर्ग २५९ नेमिनाहचरिउ ................... बृहद्गच्छरीय हरिभद्रसूरि. र.१२१६ | ......३०४
पर्यत .ले.१३००
जि.का २४४० नैषधीयमहाकाव्यदीपिका.... जि.का ८५८/२ नेमिरास अपूर्ण.
द्वितीयसर्गपर्यन्त लोका २०४ नेमिरायशिक्षा + बृहत् शांति
१३०५ ० न्याय का ग्रंथ अपूर्ण. लों का ४५० नेमिस्तवन ....
जि.ता, ३६५ न्यायकंदली टीका अपूर्ण ......
श्रीधर भट्ट त.का. ३१४ नेमिकथा ......
जि.ता ३८१/१ ० न्यायकंदलीटिप्पनक ........ नरचंद्रसूरि मलधारी................ ...१-१६४ त.का. ८३६ नेमीनाथरास
कल्परत्नविजय
जि.का १४७० न्यायकंदलीटिप्पनक........ नरचंद्रसूरि ...................१९८३ इं.का. ७८ ० नेमीनाथचरित्र
जि.का ९६५ ० न्यायकंदलीटिप्पनक ........... नरचंद्रसूरि ............... जि.का ३४९/ १ ० नेमीश्वरगीत ......................लाभोदय .....
पलु जि.ता, ३७९ न्यायकंदलीटीका .............. श्रीधर भट्ट ................र.९१३ ......२८९ दूं.का. ६३४ नैषधकाव्य.................... हर्षकवि .......
.......ले.१४००
.........१-93
नामनाथचारत्र.............
दू.का. १३०५
...३८७
.
..५४/जि
Page #460
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________________
पत्र
संवत्
संख्या
दिनाग ........
...9-40
EEEEEEE
ब
..२८१ थी
जि.ता.
४१२ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता
भंडार संवत्
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम कर्ता
पत्र नाम
|नाम
संख्या जि.ता.३८० ० न्यायकंदलीटीका ................श्रीधर भट्ट ...............र.९१३ -......२३९|| जि.ता.३६४/३ ० न्यायप्रवेशवृत्तिपंजिका .. पार्श्वदेवगणि
२४५-३४७ .ले.१३००
जि.का १४९ ० न्यायप्रवेशवृत्तिपंजिका ..... पार्श्वदेवगणि .................१९८३ .......३४ जि.ता. ३८३/२ ० न्यायकन्दलीटीका अपूर्ण ........श्रीधर भट्ट ................र.९१३ जि.ता, ३७५/१ ० न्यायप्रवेशसूत्र ...............
.ले.१२०० जि.ता, ३६४/५ ० न्यायबिंदु ....
दिग्नाग आचार्य ..............१४९० ३५०-३५९ त.का. १३३७ न्यायग्रंथ ........
३७६/१ ० न्यायबिंदु (लघुधर्मोत्तरसूत्र).... धर्मकीर्ति आचार्य ..... जि.का १३३५ न्यायग्रंथ ..
६३ जि.ता, ३७६/२ ० न्यायबिंदु टीका .. धर्मोत्तरपाद आचार्य ..........१३०० .......८१ जि.का १३३६ ० न्यायग्रंथ ,
३६/२ ० न्यायबिंदुवृत्ति टिप्पणी सह ..... धर्मोत्तर
१३७-२४५ जि.का १३३७ ० न्यायग्रंथ .....
६७० न्यायभाष्य टिप्पणीसह ........... वात्स्यायनमुनि, जि.का १८०२ ० न्यायग्रंथ......
१२७४/३ ० न्यायभाष्य टिप्पणीसह अपूर्ण ... वात्स्यायनमुनि...............१२७९ | जि.का १८०३ ० न्यायग्रंथ . जि.का २२४५ न्यायग्रंथ
|जि.का १४८० न्यायभाष्यविवरण .........
....१९८३ न्यायग्रंथ
३८६ ० न्यायमंजरीग्रंथिभंग .............. चक्रधर ....................१३०० जि.का २२४८० न्यायग्रंथ ....
• ३७||जि.का १७८७ न्यायरत्नप्रकरण शशधरसूत्र.... शशधर ... जि.का १३३४ न्यायग्रंथ ......
टीप्पणीसह जि.का १८२३ न्यायग्रंथटीका
... ९१||जि.का १७८६ ० न्यायरत्नप्रकरण शशधरसूत्र .... शशधर ... जि.का ७१ ० न्यायटिप्पनक श्रीकंठीय .........श्रीकंठ .......
.४९(५६७-|| जि.ता. ३८२ ० न्यायवार्तिक .................. उद्योतकर ...................१४०० ...२-१५५
... ६१५) जि.का १२७५/१० न्यायवार्तिक टिप्पणी सह ...... भारद्वाज ................१२७९४ थी १५७ जि.का १२७४/२ ० न्यायतात्पर्यटीका तृतीयाध्यायधी वाचस्पतिमिश्र ...............१२७९.१९० थी जि.का ६८ . न्यायवार्तिक टिप्पणीसह ........ भारद्वाजमुनि,
.१४२(५८. संपूर्ण टिप्पणी सह ........................२८०
....२००) जि.का १२७४/१ ० न्यायतात्पर्यटीका द्वितीयाध्याय वाचस्पति मिश्र
||जि.का ७३० न्यायवार्तिकभाष्यवृत्तिविवरण ... अनिरुद्ध पंडित ......... -२६(८८२|पर्यन्त टिप्पणी सह
८४७) जि.का ७० ० न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि टिप्पणीसह उदयनाचार्य,
१६५(४०२- आ.का. १९६ ० न्यायविवेक (अनुमान खंड)................
५६६) डूं.का. ११०१ न्यायसार त्रण परिच्छेद ....... डूं.का. १३८९ ० न्यायपन्ने .........
........
० न्यायसार न्यायतात्पर्य- .......... जयसिंहसूरि .......... हूं.का. ८७० शशधर .......
दीपिकाटीका जि.ता.३७४ ० न्यायप्रवेश ................... दिङ्नाग आचार्य
..११ जि.का
न्यायसिद्धांतमंजरी.प्रत्यक्षपरिच्छेद.. जि.ता.३७५/३ ० न्यायप्रवेशटीका .................. हरिभद्र आचार्य
४२-१३४ आ.का,
न्यायसिद्धान्तदीपप्रभा .......... |जि.का ८६४ न्यायप्रवेशवृत्ति टिप्पणीसह पंचपात हरिभद्रसूरि-वृ.
५ आ.का.,२५३ न्यायसिद्धान्तदीपप्रभा (शेषीटीका)
.२५
T
his............
......-३८
।
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पत्र
नाम
संख्या
लों का १८९
१२मु ...१-१८
पायावतारसूत्र...................
...४२
-१२१
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४१३ भंडार
भंडार ग्रंथांक - ग्रंथनुं नाम
कतो संवत् ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत् | नाम
संख्या आ.का ३३९ न्यायसिद्धान्तदीपप्रभा.
जि.का ४०२ पंचतंत्र
२३-४६ जि.ता/३८१/२ ० न्यायावतारटिप्पनक .............मलधारी देवभद्रसूरि .........१४८९/१६५-२३० था.का ४३२ पंचतीर्थीस्तवन .. विनयवर्धन मुनि .............१५९८
हर्षपुरीयगका जि.का ४१०/३ पंचतीथींस्तुति ... जिनसमुद्रसूरि ......
.. १० जि.ता, ३६४/१ . न्यायावतारसूत्रवृत्ति टिप्पणीसह वृक,सिद्ध साधु, टि.कत्री............. १-१३७ जि.का ८१७/८ ० पंचतीर्थीस्तुति , ज्ञानश्री आर्यिका
पंचदंड चौपाई + विक्रमादित्य .. लक्ष्मीवल्लभ जि.ता. ३६४/४ ० न्यायावतारसूत्र
सिद्धसेन दिवाकर १३४८-३५०
| चौपई जि.का ६९० न्यायवार्तिकतात्पर्यवृत्ति .......... वाचस्पति मिश्र ......... .....(२०१-डूं.का. ८४ ० पंचदश कथा प्रकीर्णक ....... [टिप्पणीसह......
४०१)२०१| जि.का १९४/२ . पंचनमस्कारफलस्तव .......... जिनचन्द्रसूरि .. लों का ६४७ पंखीनो विवाहलो.
..... १-३ जि.का १३२६/१०० पंचनमस्कारफलस्तव जिनचंद्रसूरि जि.का ४२०/५२ पंचइंद्रियचोपाई .......... भगवतीदास.. ............१७५१ ..९९-१०४ आ.का. १५८ पंचनिग्रन्थी संग्रहणी ...... था.का ५४ • पंचकल्पचूर्णि.
९९ जि.ता, १९१/२ पंचनिग्रंथीप्रकरण ... त.का. १२ पंचकल्पचूर्णि. .... देवाचार्य .....
६५४/
१ ०पंचनिग्रंथीप्रकरण .............. अभयदेवसूरि जि.ता/४१/५ पंचकल्पचूर्णी,
.१३००/१७५-२४९ त.का. १८४ पंचनिम्रन्थी संग्रहणी सह अवचूचि अभयदेवसूरि जि.ता ४०७/२ ० पंचकल्पचूर्णी
१३००/१०७-२०१ था.का ११३ पंचनिर्ग्रन्थीसंग्रहणी अभयदेवसूरि त.का. १३ पंचकल्पबृहद्भाष्य............... संघदास क्षमाश्रमण ..
.७३ आ.का ३२७ |पंचनिर्ग्रन्थ संग्रहणी. जि.का १०२ ० पंचकल्पचूणी
....... ....१९८३ --...... ६४|
पंचपरमेष्ठि मंत्रार्थ . लो.का ४३१ पंचकल्याणक ...
पंचपरमेष्ठिनमस्कार .............जिनवल्लभसूरि .. डूं.का. १४४ पंचकल्याणक पूजा
जि.का १३६/
५० जि.ता. २२४/६ पंचकल्याणकस्तय. जिनपल्लभगणि ............१३००.... ३२-३५ जि.ता १७१/५ . पंचपरमेष्ठिस्तव ................ जि.ता.१५४/ ७ ० पंचकल्याणकस्तोत्र ............
.१२१०.... ६५.६७ लो.का ७२३ पंचप्रतिक्रमणादिसूत्र, जि.का १३३/८ पंचकल्याणकस्तोत्र ........... जिनवल्लभगणि
१७-१८ जि.का ७२ ० |पंचप्रस्थान न्यायमहातकविषम- अभयतिलकगणि....................२०६(६१६जि.ता/४०७/१ . पंचकल्पमहाभाष्य ...............संघदासगणि क्षमाश्रमण
............ १-१०६
पदव्याख्या न्यायालंकार'. डूं.का. २९३ पंचकुमार कथा
.... २५ लो.का ५४५ पंचभावना...........
१-७ इं.का. ४५० पंचकुमारकथा ...
लक्ष्मीवल्लभ ........................ ....२५ जि.का १११५/१ पंचभावना सज्झाय ............. जि.का १३३/३ ० पंचगिंलीप्रकरण............... जिनेश्वरसूरि ....
.........५-७ जि.का ९१८ |पंचमषष्ठकर्मग्रंथ यालायबोध .............. |जि.ता २९२ पंचग्रंथी-बुद्धिसागरव्याकरण ..... बुद्धिसागरसूरि ....... ..... र.१०८०......३७४ त.का. ८३९ पंचमहाव्रतगीत. ............. लक्ष्मीरत्न ....
.ले.१३००
जि.का ७१० पंचमहाव्रतस्वाध्याय .............. कांतिविजय ... जि.का ३९८ ० पंचतंत्र ...
............. २२९८ इ.का. ६४५ पंचमीतपविधि+श्रावक आलोचना .
.........
55FEE
..........................११६९
.......
७-९
..८२१)
.........
....9
ree
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.
...............Jसर्वशी
४१४ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत् । पत्र भडार गंथांक | ग्रंथनुं नाम
कर्ता | संवत् | पत्र नाम संख्या
| संख्या त.का.३५० पंचमुखीहनुमानकवच ...
....१९२५ .........४ जि.ता.१७४ ० पंचसंग्रह सटीक प्रथमखंड ...... मू.क. चन्द्रर्षि महत्तर, ......१४००/......४३२ त.का. ५९६ पंचलिंगीअवचूरि
........टी.क. आचार्य मलयगिरि जि.ता. १५४/२ ० पंचलिंगीप्रकरण.... जिनेश्वरसूरि ............. र.१२१०/... १४-२६ जि.ता. २९०/१ पंचसंधिपर्यंत अपूर्ण..............
पण......................................... .ले.१२१५ जि.का ६४६ पंचसंवरगीत ......
हीरदेव ........ जि.ता. १५६/२ ० पंचलिंगीप्रकरण................ जिनेश्वरसूरि .................११९२/.....७-१५||जि.का २१०९ पंचसमितिसज्झाय.... देवचंद्रजी............... जि.का १८०/३ ० पंचलिंगीप्रकरण ................ जिनेश्वरसूरि .. .................. ४-६|जि.का ३४४ ० पंचसमयायाधिकार .............. जिनसमुद्रसूरि जि.का १३२६/४० पंचलिंगीप्रकरण................ जिनेश्वरसूरि ....................... ५८-६६
(गुणसागरप्रबोधांतर्गत) त.का. २५०पंचलिंगीप्रकरण
जिनेश्वर सूरि ... .....................३५
...34
हूं.का. ९७५
इं.का. ९७५ पंचसायक................ शेखरज्योतिरीश्वर ....... जि.का १३१७/५ ० पंचलिंगीप्रकरण अपूर्ण.
५३-५८ लों.का. १४२ ० पंचसूत्र
चिरंतनाचार्य जि.का २१०० पंचलिंगीप्रकरण विवरणसहित ... जिनेश्वरसूरि -मू.. वि.क ...१५३५,.......१८ जि.ता. १५९/७ ० पंचसूत्रसत्क पापप्रतिघातगुण
.............१३४५/ १२०-१२५ सर्वराजगणि वाचनाचार्य
बीजाधाननामक प्रथम सूत्र था.का १४० पंचलिंगीप्रकरण सहवृत्ति ....... जीनेश्वरसूरि ................. ....... ३४||जि.ता.१५८/८ ०|पंचसूत्रसत्क प्रथमसूत्र .........
.......१४००/ १२०-१२३ लो.का ६०८ पंचलिंगीप्रकरण सह टब्बार्थ ....
.... ३-९||लों.का ६४४ पंचांग ज्योतिष ... बेटक, जीर्ण
जि.का १८८० पंचांगानयनविधिज्योतिष पंचलिंगीप्रकरणवृत्ति ............. जिनपतिसूरि
......१२० इं.का. ५७९ पंचागी नाममाला (श्राद्धविधि). था.का २४० पंचलिंगीप्रकरणवृत्ति ............ .... जिनपतिसूरि ...... १५४ जि.ता.१६०/८ पंचाणुव्रतप्रकरण
................१३००...८१-१०१ जि.का ९४४ पंचवर्गपरिहारनाममाला- ........ जिनभद्रसूरि .................१५२५ ........६ इं.का. ४५५ पंचाशक......... अपवर्गनाममाला
था.का.९६ ० पंचाशक.......
हरिभद्रसूरि त.का. ४९९ ०|पंचवस्तुक सह वृत्ति ............. हरिभद्रसूरि ...................१६१९ --.....१२० त.ता.
०पंचाशक प्रकरण
हरिभद्रसूरि. जि.ता. २१४/२ ०पंचवस्तुकप्रकरणवृत्ति अपूर्ण .... हरिभद्रसूरि स्वोपज्ञ ....... ...१२०० १९३-३५० जि.ता.४१५/१ ० पंचाशकप्रकरण .......... हरिभद्रसूरि जि.का १२९४ पंचवस्तुकप्रकरणवृत्ति प्रथमखंड
....१४००
..... २१६ त.का. २८५ पंचाशकप्रकरण .......... जि.ता. १६४ पंचबस्तुकप्रकरण ............ हरिभद्रसूरि ........... १३०० ......१५२| जि.ता.२०८ ० पंचाशकप्रकरण वृत्ति........... व.क.अभयदेवाचार्य ..........१२०० जि.का ९७७ ०पंचवस्तुकप्रकरण ............... हरिभद्रसूरि
१९८४ ....... ४७| जि.ता. २११ ० पंचाशकप्रकरणलघुवृत्ति ......... १.यशोभद्रसूरि ...............११२१ जि.का १३१२ ०पंचवस्तुकप्रकरण ......... हरिभद्रसूरि ..................१४००-.... १९१
अष्टादशपंचाशकपर्यन्त जि.का १२८३ ० पंचवस्तुकप्रकरणवृत्ति .......... -- मुनिचंद्रसूरि.
..... १९९| जि.ता. २०९ ०पंचाशकप्रकरणवृत्ति. अभयदेवाचार्य .. | प्रथमखंड अपूर्ण
था.का. १४७० पंचाशकवृत्ति ............. अभयदेवसूरि. जि.ता. १९० पंचसंग्रह त्रूटक अपूर्ण ..........चंद्रर्षि महत्तर ................१३००-......१३२||त.का. ६६६ पंचाशकवृत्ति .............. अभयदेवसूरि
था.का. १४८ पंचाशकसूत्र ................ हरिभद्रसूरि ...
...१-१३
..................
.१४००
.१२५
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सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४१५ कर्ता | संवत्
पत्र
पत्र
ग्रंथतुं नाम
नाम
संख्या
पच्चक्खाणविधि .. पच्चक्खाणविधि.. पच्चक्खाणमाला .................. पच्चखाण पच्चखाण भाष्यचूर्णि पच्चखाण विचार-स्तुति . ......... पच्चखाणविधि ..... पच्चखाणविधि ...
धर्मसुंदरशिष्य ........ पट्टावली................. ........ हर्षविजय .....................१७८३/..४(१८३.
भंडारा ग्रंथांक
भंडार कर्ता ग्रंथर्नु नाम
संवत्
ग्रंथांक संख्या
नाम था.का. १४९ पंचाशकसूत्र...
हरिभद्रसूरि ...
३१ त.का. ८३७ जि.का ३४९/२ पंचासरापार्श्वनाथस्तवन ......../लाभोदय .....
पलुं त.का. १२६८/A त.का. १०६५ |पंचास्तिकाय सह छाया अर्थ..... अमृतचंद .. ..........
....१५३ डूं.का. १२१५ व भावार्थ
|१२०३ त.का. ६८४ |पंचास्तिकाय सह छाया अर्थ.,
.१५७ था.का. ६२ व भावार्थ
डूं.का. ४०४ जि.का. ११६० पंचांगतत्त्व व्याख्यासह .....
त.का. ९२६ डूं.का. १३५० पंचांगुलिमंत्र + सहस्रनाम + बीज आम्नाय + कल्पचन्द्रादि
१५)१२
त.का. १४० था.का. ४३९ पंचकल्याणक स्तवन.... लों.का. ७०४ पंचकल्याणकटीप....
पूर्वाचार्य
त.का. १०२३/N था.का. ४२६ पंचकल्याणकस्तवन.
पुण्यसागर
जि.का. १९६३ त.का. ७९२ पंचनिन्थीसंग्रहणी
जि.का १९६५ पंचनिर्ग्रन्थीसंग्रहणी
जि.का १९६४ त.का. २१५ पंचपरमेष्ठिनमस्कारस्तवन
जि.का १९६२ हूं.का. ९२ पंचप्रतिक्रमण अपूर्ण.
૧૮૮ था.का,२२३ पंचवस्तुक ....
डूं.का. १३४८ था.का २१३ पंचवस्तुकवृत्ति ..........
डूं.का. ३६९ डूं.का. १५० |पंचविंशतिकथा.
१० १३५६ पंडितगोष्ठी
| लों.का. २३८ जि.ता.२६४ पउमचरिय गाथाबद्ध ............ विमलाचार्य ................र.५३०/.. ..२६०
.ले.११९८
त.का. ११११ .का. ९२४ ० पउमचरियम् ..................... सुमतिमंडन गणि ...........१६२५ ,......१७१||जि.का ४३५ त.का. ८८६ बाडास्तवन
जि.का २१३४ ३१९ ० पगामसज्जाय तथा हरियालीगीत..रतनमुनि
त.का. २५६ जि.का १४४८ पगामसज्झाय सस्तबक....
जि.का १८५४ जि.ता.३९७/१० ० पच्चक्खाण,
जि.का १८५१ जि.का २१५९ पच्चक्याणविचारगर्भपार्श्वनाथस्तवन वाचक खेम .
लों.का ३४८
त.का. ०९३
पट्टाबली..................... पट्टावली खरतरगच्छीया ..................... . पट्टावली खरतरगच्छीया ....
पट्टावली खरतरगच्छीया ..... पट्टावली भाषानी खरतरगच्छीया. पट्टी पहाडे पट्टीपहाडे ..... पडिलेहणविधि + शत्रुजय .............. संघवर्णन पडिलेहणा कुलक सह.
टब्बार्थ त्रूटक ० पथ्यापथ्यविबोधक ....
पदमकोश ० पद्मकोश .........
पद्मकोश ............... गोवर्धन पद्मकोश-ज्योतिष .......... गोवर्धन पद्मकोशज्योतिष........... गोवर्धन पद्मकोष ज्योतिष ......
१६९३
१८४६
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४१६
| भंडार
नाम
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
पद्मकोष-ज्योतिष पद्मावती आराधना ० पद्मावतीस्तोत्र
पद्मावतीस्तोत्र पद्मावतीक्षमापना
जि.का १८५३
त.का. १२८५/A
जि. ता. १७१/१२
त. का. ४८८ /C
लो. का. ६१२
डूं. का. ५५७
त. का. ३८६ त. का. ८५७
डूं. का. १०२२ लो. का. ६९०
त. का. ४२७
डूं. का. ८३४ जि.का. ११९९
लो. का. ५२४
लों का, ४६४
लों का ५१९
लों. का. ३३८ जि.का. १९९० लॉ. का. ६२३ लो. का. ४३६ लो. का. ३६४
त. का. २७७ जि.का. ४२०/४८ जि.का. ४२०/११ जि.का. १६० जि.का. ७०७
जि.का १६३६
पन्नवणासूत्र
पत्रवणासूत्र
समयसुंदर. समयसुंदर
पद्मावती आराधना.
पद्मावती आराधना सह टब्बार्थ समयसुंदर पद्मावतीस्तोत्र
रत्नविवेकमुनि
पनवणासूत्र
● पन्नवणासूत्र हे गाथा
| परचुरणकवितपदसंग्रह गुटको
परचुरणस्तवन त्रूटक
परचूरणस्तवन
1
परदेशी प्रबंध त्रुटक- जीर्ण परदेशीबोध परदेशीराजारास अपूर्ण
● परदेशीराजानो रास अपूर्ण. ● परदेशीराजानो रास त्रूटक परनिंदाचौपाई
परमागम समयसार नाटक. परमातमछत्रीसी परमातमजयमालिका
• परमात्मप्रकाश सस्तबक अपूर्ण परमात्मस्वरूपगीत तथा | अध्यात्मगीत
● परमानंदस्तोत्र तथा मूर्खशतक
गोवर्धन
*****
कर्ता
गणधर
ज्ञानसारेण
ज्ञानचन्द्र
ज्ञानचंद्र कांतिसागर
उत्तमचंद | भैया
यशोविजयोपाध्याय
संवत्
. ११६९
१७८९
१८६५
१८७५
१५७१
१७२४
१७४२
१७५०
पत्र संख्या
. १-३
भंडार नाम
.५ जि.का. ७११
६. जि.का ४२० /१४
.१
डूं. का. २८/३ त. का. ४८८ /C
ग्रंथांक
४
२ आ.का. २१७
.८ त.का. ६९३
२
१३९ था. का. १००
२८५ त.का. १०८८
१५८
जि. का ४३८
डूं. का. ९२६
आ. का. १५६
१९
१-१८
हूं. का. ५५५
२९ जि.का १५६ १-२२ जि.का १५३/२ .६ जि. ता. ३६७ / २ १-११ जि.का १३३/११ १२-२९ जि.का १३४/१ .१-६ जि.का १९७१ ८२ जि.का ४९५ - ९५-९६ जि.का ४९६ ४७-४८ लों.का ३२७
३०
त. का. १००४
१
त.का. २२०
त. का. २२२
१ जि. ता. १५१/१
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
० परमानन्दपंचविंशतिका सस्तबक यशोविजयोपाध्याय
| परमारथपद सवैया दुहा
● परमेष्ठीमंत्रकल्प परमेष्ठीरक्षा वज्रपंजर + पद्मावती स्तोत्र परिकर्म्माष्टकम्
परिशिष्ट पर्व + त्रिषष्टि शलाका हेमचंद्रसूरि
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्रसूरि
हेमचंद्रसूरि
• परिशिष्टपर्व स्थविरावलीचरित्र हेमचंद्राचार्य.
हेमचंद्रसूरि
पुरुष चरित्र परिशिष्ट पर्व १-१३ सर्ग परिशिष्टपर्व
D परिशिष्टपर्व अपूर्ण
D परिशिष्टपर्व
महाकाव्य परिशिष्टपर्व चरित्र
• परीक्षामुखप्रकरण ● परीक्षामुखप्रकरण ० परीक्षामुखसूत्र ० पर्यताराधनाप्रकरण ० पर्यंताराधनाप्रकरण |पर्यंताराधनाप्रकरण
D पर्यंताराधनाप्रकरण सस्तबक D पर्यंताराधनाप्रकरण सस्तबक पर्यन्त आराधना पर्यन्त आराधना पर्यन्ताराधना पर्यन्ताराधना
• पर्यन्ताराधनाप्रकरण
भैया...... | माणेकराजमुनि
अभयदेवसूरि
सोमसूरि
सोमसूरि
सोमसूरि मू.क. सोमसूरि मू.क. आनंद विजय-ले.
सोमसूरि
सोमसूरि
सोमसूरि
संवत्
१८४३
१८५४
. १६९१ १५२०
१४५४
. १९८३
. १७३३
१६४८
, १५३२
१४००
पत्र संख्या
***
..... 3
४९-५२ २९.३० १२-१५
.२
८६
...... ९२
१३३ ६९
६३
७२
३
४१-४३ ११२-११९ २०-२२
......१.३
.४
६
६
१-७
3
.४
.४
१-९
Page #465
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________________
पत्र
नाम
संख्या
कर्ता
HEE BEEG
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४१७ | भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
संवत्
पत्र
संख्या जि.ता.१५४/१०० पर्यन्ताराधनाप्रकरण .............सोमसूरी.....................१२१०५...७५-८२
पर्युषणाकल्प .......... जि.का ५१९ पर्यन्ताराधनाप्रकरण .......... सोमसूरि ...............
० पर्युषणाकल्पदुर्गपदव्याख्या ...... जि.का ५१७ पर्यन्ताराधनाप्रकरण ............ सोमसूरि मू.क. ..............
लों का ७१९ पर्युषणादिक पर्वोनी कथा .... बालावबोधसह
त.का. ३२९
पर्वतिथि + अक्षयतृतीया जि.का. ५१८ पर्यन्ताराधनाप्रकरण सस्तबक ..... सोमसूरि -मू.क............... १७३३
समुच्चय व्याख्यान डूं.का. १३२१ पर्यन्त आराधना...................सोमसुरि...............
त.का. ३५३
परसमय सूक्तानि ... त.का. ७२९ पर्यन्तआराधना सह टब्बार्थ .......................
त.का. ६८ पल्लीविचार ...... आ.का. ११७ पर्यन्तआराधना सह बालावबोध ,
डूं.का. ११९४ पवनविजय. त.का. १२१४ पर्युषणा अष्टाहिनकाव्याख्यान .....
५ का. ११३ पांच पांडव चौपई अपूर्ण ...... पर्युषण अष्टानिका व्याख्यान ......
जि.का ६७३
पांचपांडबरास (द्रोपदीरास)..... जिनचंद्रसूरि .............. २.१६९८ .... ३५ इं.का. ४८४ पर्युषण अष्टाहिनका व्याख्यान ...................
.............ले.१७०९ .पर्युषण अष्टाहिनका व्याख्यान... समुद्र विजय . ................१९३ ....... १४| त.का. १११७ पांडवचरित्र .......
२१७-२८६ त.का. ११९९ पर्युषणा अष्टानिकाव्याख्यान,
२-५] जि.ता ४१९ पांडवचरित्रमहाकाव्य पद्य........ मलधारी देवप्रभसूरि .......१४२९ ......२४६ इं.का. ४७६ पर्युषणा अष्टाह्निका व्याख्यान. ..................११ |त.का. ४०० पांडवद्रौपदीचौपाई
कनककीति ......................... त.का. १२२८ पर्युषणा समाचारी
पांडवद्रौपदीचौपाई ............. समयसुंदर • पर्युषणाकल्पचूर्णी ...............१४०४...८६-१३३
पांडवचरित्र ........ देवप्रभसूरि ....................१६६० जि.ता.४३/३ ०पर्युषणाकल्पचूर्णी
........१४००११२-१५७
११२-१५७ इं.का. ७७ पांडवचरित्र अपूर्ण जि.ता. ४०/५ ०पर्युषणाकल्पटिप्पनक ............ पृथ्वीचन्द्रसूरि ...................... .१-२५ डूं.का. ८१४ पांडवचरित्रचोपाई ............... सोम्यगणि....................१८४५ इं.का. १००९ पर्युषणाकल्पदुर्गपदविवृति.
डूं.का. ५२ पांडित्यदर्पण पद्य -- बालकृष्ण जि.ता. ४०/३ ० पर्युषणाकल्पनियुक्ति .... भद्रबाहुस्थामी .....................
५३३/० पांत्रीस वचनातिशय.. जि.का २५७ पर्युषणाकल्पनियुक्तिवृत्ति ........ भद्रबाहुस्वामी -मू.. ................ डूं.का. ९०१ पाक्षिक अतिचार .................किंचिदपूर्ण ................ क.जिनप्रभसूरि
डूं.का. १०२० पाक्षिक अवचूरि जि.ता.४५ पर्युषणाकल्पचूर्णी ................. प्रा. ..........................१५००/-....
इं.का. ४०६ पाक्षिक खामणां ..................... .का. २३० पर्युषणाष्टान्हिका व्याख्यान..... भक्तिमाणिक्यमुनि-पं.........१८८९
इं.का. १२४२ पाक्षिक सूत्र ..... त.का. ३३७ पर्युषणाष्टान्हिका व्याख्यान ....... ऋषभबिजय ...............१८६९
त.का. १२६८/ पाक्षिक सूत्र + अतिचार .. जि.का. १६८५ पर्युषणाष्टाहिकाव्याख्यान ......... क्षमाकल्याण ............. 1. र.१८६०
+ पच्चक्खाण विधि ............. .ले.१८८२
डूं.का. |५७० पाक्षिक सूत्र त्रूटक अपूर्ण डूं.का. ९१९ | पर्युषणाष्टाहिनका व्याख्यान ...... गुणसुंदरमुनि ..............................३३||त.का.100
पाक्षिकविचार .
.....
जि.ता.४०/४
.......
१-२७
Jain Education international
.
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कता
संवत ।
पत्र || भंडार
संख्या
संवत्
संख्या
....७
४१८ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भिंडार | ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता | नाम
| नाम जि.ता. ४/२ ० पाक्षिकसूत्र .
..१४००६.९७-१४२ डूं.का. २१८ पाक्षिकसूत्रवृत्ति .............. जगमालगणि-पं..............१६३७ जि.का ९१९ पाक्षिकसूत्र.
डूं.का. ९०२
पाक्षिकसूत्र ...... |जि.का १३१०/१ |पाक्षिकसूत्र.
.१-१७ त.का. ९३ पाक्षिकसूत्र क्षमापनासह टब्बार्थ | भावविजयगणि ..... जि.का १६९२ पाक्षिकसूत्र.
त.का. ९५९ पाक्षिक खामणां................. जि.का १४४२ पाक्षिकसूत्र
जि.का १७२५ | पाणिनिपरिभाषा ................ व्याडि ................ ४३९ पाक्षिकसूत्र
जि.का १७२१ ० पाणिनिव्याकरण इं.का. १७/२ पाक्षिकसूत्र .......
| अष्टाध्यायीसूत्रपाठ था.का. १०५ पाक्षिकसूत्र....
जि.का १२८७ ० पाणिनीव्याकरणमहाभाष्यप्रदीप., कैयट ............. .......१५००/..४-१०८ था.का. ११९ पाक्षिकसूत्र........
..... २०|| |
Qटक अपूर्ण था.का. १९२ पाक्षिकसूत्र.
जि.का २१३० ० पाणिनीय व्याकरणगणपाठ .........
..................४६ ५.का. १३० पाक्षिकसूत्र + क्षेत्रसमाससूत्र....... कुशलरंगमुनि
डूं.का. ८६७ पाणीनीय लिंगानुशासन ......... भट्टोजी. जि.का. १४४४ पाक्षिकसूत्र + दशवैकालिकसूत्र... शय्यंभवसूरि ....
जि.ता. ३९५/
१ ० पातंजलयोगदर्शनभाष्य वृत्ति ....व.क.बाचस्पतिमिश्र ................ |... १-१६० जि.का. १४४३ पाक्षिकसूत्र अपूर्ण
जि.ता.३९५/२ ० पातंजलयोगदर्शनभाष्य किंचिदपूर्ण भा.क.व्यासर्षि ............... १२०० | १६१-२१७ डूं.का. ४६१ पाक्षिकसूत्र अपूर्ण ........
आ.का, १४२ पापत्यागोपदेश ................. देवचंद्रकवि...................... जि.का. १६७४ पाक्षिकसूत्र तथा अतिचार.
लो.का २८१ . पार्थपराक्रमनाटक त्रूटक ........ क.प्रहलादन .................१८३० ......१-१७ १२९ ० पाक्षिकसूत्र वृत्तिसह ............. वृ.क. यशोदेवसूरि ...... .र.११८०
था.का.५७ ०पार्श्वचन्द्रमतखंडन .............. .ले.१५०० डूं.का. ३९७ पार्श्वजिन सहस्रनाम स्तवन
.....६ जि.ता.१४५० पाक्षिकसूत्र वृत्तिसह ............. वृ.क.यशोदेवसूरि ..... .र.११८० त.का. ८०४ पार्श्वजिनस्तवन
ले.१३०० जि.ता.२२४/४ पार्श्वजिनस्तोत्र ................ जिनवल्लभगणि ............१३००/... २५-२९ जि.ता|४१६ ०पाक्षिकसूत्र वृत्तिसह ............. वृ.क,यशोदेवसूरि , .र.११८०
डूं.का. २३२ पार्श्वजिनस्तोत्र .ले.१४०० डूं.का. १२२२ पार्श्वजिनस्तोत्र
........................ जि.का १४४५ पाक्षिकसूत्र सटीक .............. यसोदेवसूरि .. ....११८०
८९|| था.का. २१५
पार्श्वनाथ गणधर संबंध त.का. ७३ पाक्षिकसूत्र सह क्षमापना ........ दोलतविजयगणि .... .......१७८१ १५] त.का. ८७५ पार्श्वनाथ घ(स?)ग्धरा निशानी ........ पाक्षिकसूत्र सह क्षमापना......
....१७६३
पार्श्वनाथ यमकाष्टक स्तोत्र ..... पद्ममुनि.... पाक्षिकसूत्र सह क्षमापना ........मनरूपविजय ........... ...,१८५३ १] .का. ५७४ पार्श्वनाथ स्तवन ................. रत्नविमल... डूं.का. ४४३ पाक्षिकसूत्र सह टब्बार्थ .......... यशोविजय...
पार्श्वनाथ स्तवन त.का. ९२ पाक्षिकसूत्र सह वृत्ति ........... यशोदेवसूरि. ..१६५७
पार्श्वनाथ स्तवन + सात स्मरण जि.का १४४६ पाक्षिकसूत्र सावचूरि पंचपाठ ...
जि.ता,२६१ पार्श्वनाथचरित्र..
देवभद्रसूरि ...................१३००
.का. १५२
त.का. १३७
६०डूं.का. ४१२
...२२९
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'Pold To
त.का. ९७२
............................
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम.. परिशिष्ट १ - ४१९ भंडार संथांक
पत्र ग्रंथy नाम
भंडार कर्ता संवत्
पत्र ग्रंथर्नु नाम
'कर्ता ग्रंथांक
संख्या | नाम नाम
संवत्
संख्या जि.ता.२६२ पार्श्वनाथचरित्र किंचिदपूर्ण ...... माणिक्यचंद्रसूरि .............१५०० ......२९२ डूं.का. २८१ -पार्श्वनाथकथा
गुणसुंदर . ................ ...१९०७ जि.का २५० पार्श्वनाथचरित्र पद्य ............. भावदेवसूरि .............
0 पार्श्वनाथचरित्र....
भावदेवसूरि
.......... लो.का २९५ पार्धनाथचरित्र त्रूटक................
पार्श्वनाथचरित्र................. भावदेवसूरि .. ............ ....१८७७ पार्श्वनाथछंद देशांतरी .............
३] डूं.का. ८९८ पार्श्वनाथचरित्र टवार्थ ........... मनरुप विजयगणि ..........१८८५ था.का. ४७५ पार्श्वनाथजिनमाला
२ लो.का १९२ पार्श्वनाथनो छंद ..
...............१९४२ जि.का. २०८९ पार्श्वनाथदशभव संक्षेपबालावबोध
.१३ था.का४३१ पार्श्वनाथरास + स्थुलिभद्रगीत. जि.का ३४२/५ o पार्श्वनाथमेघराजगीत ........... जिनसुंदरसूरि ............ र.१७४९ ..... ३जु
पार्श्वनाथलघुस्तोत्र .ले.१७४९
पार्श्वनाथरतवन ........ त.का. ८३८ पार्श्वनाथविनति .................. हरखविजय ................ ...२ लो.का. ४१७/१ पार्श्वनाथरतवन ................... समयरंगगणि जि.का ६५४/२ ० पार्श्वनाथविनती जिनसमुद्रसूरि
.
पार्श्वनाथस्तुति त्रूटक जि.का ३१७ ० पार्श्वनाथविवाहलो त्रूटक ......
...............१५५१
.का. ६०७ पार्श्वनाथस्तुतिओ व निशानी. जिनहर्ष जि.का २४३ पार्श्वनाथविवाहलो ............. पेथो मंत्री
था.का./४४८
पार्श्वनाथस्तोत्र ......... जि.का ३४२/ १०पार्श्वनाथस्तवन जिनसुंदरसूरि . त.का. ३५९ पार्श्वनाथस्तोत्र सह वृत्ति ........
................. जि.का ३४२/३ ० पार्श्वनाथस्तवन
हर्षसमुद्र
त.का. ११२६ पार्श्वस्तवनबालावबोध ........... जि.का २०१०/३ पार्श्वनाथस्तवन .
जिनहर्ष
३-४ जि.का ३४५० पार्श्वजिनछंद.. .................जेतसी था.का.४६० पार्श्वनाथस्तवन + जिनदत्तसूरिगीत , रत्ननिधानगणि
डूं.का. १०४७/१ पाचनवग्रहस्तव टीका... जि.का १७११/४ 0 पार्श्वनाथस्तुति ..
जिनलाभसूरि . डूं.का. ९७८ पालाविचार
देबेन्द्रसूरि .. जि.ता/१५६/३५ ० पार्श्वनाथस्तोत्र .............. | जिनचन्द्रसूरि ................११९२/१२५-१२६ जि.का २२२९ । पाशाकेवली जि.ता. १९१/१० ० पार्श्वनाथस्तोत्र
जिनदत्तसूरि ............१४०० ... १२-१४ डूं.का. ६२ 0 पाशाकेवली ................... जि.ता.२२४/५ ० पार्श्वनाथस्तोत्र.............. जिनवल्लभगणि .............१३०० ... २९-३२ लों.का ४७२ पाशाकेवली बालवबोध जि.का ८०८/५ . पार्श्वनाथस्तोत्र ................. शिवलक्ष्मी......
९मुत.का. १०५४ पाशाकेवली सह बालावबोध । जि.का २०३८/२ पार्श्वनाथस्तोत्र....
२ जुत.का. १०५५ पाशाकेवलीकाव्य अपूर्ण जि.का २०३८/३ पार्श्वनाथस्तोत्र
डूं.का. १२२३ पाशाकेवलीस्तोत्र ................. गर्गऋषि . .................१९१० जि.का १३१७/८ पार्श्वनाथस्तोत्र
लों.का.५२७ पाशाकेबलि बालावबोध ........... गर्ग जि.का,९११/२ . पार्श्वनाथस्तोत्र महायमकमय ...... पद्मप्रभदेव दिगंबर .....
१-२ त.का. १९१ पाशाकेवली..
गर्गऋषि .. .............. ... १७९४ सावरि पंचपाठ
डूं.का. ३४९ पासा केवली ......
...............१८८५ जि.का २१२०/१५०/पार्श्वनाथस्तोत्र वृत्ति .......
४४-४५ जि.का २०७० पासाकेवली .... जि.का २१२०/१४ ० पार्श्वनाथस्तोत्रवृत्ति ,
४३-४४ डूं.का. ४०२ पासाकेवली.....
गर्गऋषि ..............
EFF EESE
.. १८४०
Y
Jan Education International
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भंडार
पत्र संख्या
संवत्
पत्र संख्या
................१६५२
....१५६२
...............
.......१९
४२० . सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत्
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता नाम इं.का. ८00 पासाकेवली..................... गर्ग ऋषी
त.का. १२७० .पिंडविशुद्धि ... जि.का ५५१ पाक्षिकक्षामणासूत्र
लों.का. २५६ पिंडविशुद्धि अवचूरि . जि.का १००६ पाक्षिकप्रतिक्रमणविधि
.............१९०८
लों.का. १४६ पिंडविशुद्धि मूल ...... पाक्षिकसूत्र...
..१७०६
था.का. १९६ पिंडविशुद्धि सह अवचूरि जि.ता. १४४० ० पाक्षिकसूत्रचूर्णी .............
........१४०० त.का. १२७४ पिंडविशुद्धि सह टब्बार्थ ...
....१६५४ ०पिंडनियुक्ति ........... भद्रबाहुस्वामी ................१३००/१३२-१७५ डूं.का. ६३८ पिंडविशुद्धि सह दीपिका ........ देवचंद्र .......................१५०३ आ.का, ३५५ पिंडनियुक्ति पिडनि
आ.का १० पिंडविशुद्धि सह दीपिका ..... जि.ता.९०/१ ० पिंडनियुक्ति (महल्लिया ......... भद्रबाहुस्वामी
..१-३० त.का. ६५० पिंडविशुद्धि सह वृत्ति .........
.............................३३ पिंडनियुक्ति) लो.का १४५ पिंडविशुद्धि सह बालावबोध .....
१-२९ जि.ता, १४७/७ ०पिंडनियुक्ति कतिचिद्गाथावृत्ति
आ.का.२०१ पिंडविशुद्धिदीपिका ........ जि.ता. ९०/२ ० पिंडनियुक्ति लघुवृत्ति .
जि.ता.१५४/४ ०पिंडविशुद्धिप्रकरण ............. | जिनवल्लभगणि .............१२१०/... ३५-४५ जि.ता,९३/१ ० पिंडनियुक्ति लघुवृत्ति
जि.का १३३/५ पिंडविशुद्धिप्रकरण ........... जिनवल्लभगणि ......
.....१-१२ जि.ता, १४७/८ ०पिंडनियुक्ति विषमगाथाविवरण ,
जि.का १८०/१ ० पिंडविशुद्धिप्रकरण ........... जिनवल्लभगणि जि.ता.९१ . पिंडनियुक्ति वृत्तिसह ............ नि.क, भद्रबाहुरवामी, .......१२८९ /......२०० जि.का ६५१ पिंडविशुद्धिप्रकरण ......... जिनवल्लभगणि .....
वृ.क. मलयगिरि
जि.का १०६५ पिंडविशुद्धिप्रकरण ......... जिनवल्लभगणि का ४७ ०पिंडनियुक्ति वृत्तिसह ............
भद्रबाहुस्वामि -नि. ... १४८९ /.७४(७१८-||जि.का १३१०/४ पिंडविशुद्धिप्रकरण ......... | जिनवल्लभगणि ........ मलयगिरि आचार्य वृ... .... ७९०)||जि.का १३२६/२ ० पिंडविशुद्धिप्रकरण ......... जिनवल्लभगणि ........
૪રધ્રુવ जि.का २२८ ० पिंडनियुक्तिअवचूरि ..... जयकीर्तिसूरि पूर्णिमापक्षीय ...... ४७||जि.ता. २०५ ० पिंडविशुद्धिप्रकरण सटीक ....... मू.क.जिनवल्लभगणि, ... र.११७६ जि.ता.९०/३ . पिंडनियुक्तिबृहबृत्ति सह वृ.मलयगिरि आचार्य ........१४८९ ... १-२४१
............... टी.क.यशोदेवसूरि ........ले.१४०० जि.ता.९२ पिंडनियुक्तिवृत्ति
वीरसूरि ....... ................१४०० ......२४७||जि.ता.२१० ०पिंडविशुद्धिप्रकरण सटीक ........क.जिनवल्लभगणि.... र.११७६ | ५ ० पिंडनियुक्तिसूत्रवृत्ति अपूर्ण...... भद्रबाहुस्वामि,
टी.क.यशोदेवसूरि ..............
.............................ले.१४०० मलयगिरि-वृ.
जि.का ८६५ ०पिंडविशुद्धिप्रकरण सस्तबक .... जिनवल्लबगणि..............१५९६ जि.ता. १४७/६ ० पिंडनियुक्ति विषमपदपर्याय ...
पिंडविशुद्धिप्रकरणअवचूरि .... था.का,१२१ पिंडविशुद्धि जिनवल्लभगणि
किंचिदपूर्ण त.का. १५७ पिंडविशुद्धि
पिंडविशुद्धिवृत्ति त.का. १६१ पिंडविशुद्धि
• पिण्डनियुक्तिसूत्रवृत्ति त.का. ११४५ पिंडविशुद्धि
पिण्डविशुद्धिवृत्ति .. त.का. १२७५ पिंडविशुद्धि ...
त.का. ९६६ |पीस्तालीस आगमस्तवन
....
१.३
.........
Por
.. १६१
For Private & Personal use only
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सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४२१
भंडार
पत्र
ग्रंथांक
कर्ता
संवत्
संख्या नाम
कर्ता
....१७०२
..८२-८४
.........................
SSSSPAPNA TNANAबबबबबब
१८८४
पत्र || भंडार ग्रंथर्नु नाम
ग्रंथांक नाम आ.का. १४० | पुंडरीक कंडरीक संधि ....
.........८ त.का. ६५२ जि.का.४२०/३९ पुण्यपापजगमूलपचीसी.
त.का. ११४४ लो.का. ३९५ पुण्यपाल चउपई अपूर्ण ............. त.का. १९७ पुण्यप्रकाश (आलोचनागर्भित) ..... विनयविजय ...
.६ लो .का. ५०१ महावीरस्तवन
जि.ता.१५७/४ त.का./१२८५/8 पुण्यप्रकाशस्तवन
१५५/७ जि.का १३२६/४४० पुण्यलाभकुलक
३-२७४ १५८/१४ आ.का.३३६ पुण्यलाभकुलक..
२९८ लो.का ४८६ पुण्यविलासरास ... जिनहर्ष ..
१-५५, जि.का ३२७
३२७ डूं.का. ५४ ० पुण्यसारकथानक ............... विवेकसमुद्रगणि
१० जि.का ३३४
३३४ जि.का ६०६/१२ 0 पुण्यायनरेसरभास ...
३२४३ जि.का ३५७ डूं.का. २५८ पुद्गल षट्त्रिंशिकावृत्ति ......... रत्नसिंहसूरि ,
.११ जि.का ८७१ डूं.का. १०७३ पुरंदरकुमार चौपई आनंदसंधि . दानविमलमुनि ..........
२९ जि.का १५८४ जि.का ७८३ पुरंदरचतुष्पदी.................... मालदेव ..........
जि.का १५८६ पुरंदरचोपाई ...................... मालदेव ................. त.का. ११३८ पुरन्दरचौपई.. आ.का. १८३
पुरन्दरकथा........... पुलाकोदेशसंग्रहणी-..............अभयदेवसूरि ..................१४०० |... १७-२४
पंचनिग्रंथीप्रकरण इं.का. ७२४ पुष्पचूलिक स्थानक ... था.का. २९ पुष्पमाला ... था.का. ३० पुष्पमाला था.का. ३१९ पुष्पमाला आ.का. १७५ पुष्पमाला
........१६५६ पुष्पमाला
ज्ञानमेरु मुनि ................. १६६९ /पुष्पमाला ... मुनिसुंदर .......
...९ जि.का ६६८/२ पुष्पमाला
जि.का १५८९ पुष्पमाला
अभयदेवसूरि शिष्य ...........१४७८ ...१४०/डूं.का. १२५६
....१७४६
ग्रंथर्नु नाम
संवत्
संख्या पुष्पमाला .....
मलधारी हेमचंद्रसूरि ..... पुष्पमाला मलधारिहेमचंद्रसूरि
....४-१९ पुष्पमाला प्रकरण. पुष्पमाला प्रकरणम् ......
१-१० पुष्पमालाप्रकरण ............... मतधारी हेमचन्द्रसूरि .........१३१०, १५०-२०६ पुष्पमालाप्रकरण पुष्पमालाप्रकरण पुष्पमालाप्रकरण
मलधारी हेमचंद्रसूरि .... ........ पुष्पमालाप्रकरण .........
मलधारी हेमचंद्रसूरि .........१६८५ 0 पुष्पमालाप्रकरण ....
मलधारी हेमचंद्रसूरि .........१६६७ |पुष्पमालाप्रकरण.
मलधारी हेमचंद्रसूरि ............... पुष्पमालाप्रकरण
मलधारी हेमचन्द्रसूरि .... .....१५९६ पुष्पमालाप्रकरण ......... मलधारी हेमचंद्राचार्य .... पुष्पमालाप्रकरण ........... मलधारी हेमचंद्रसूरि.. पुष्पमालाप्रकरण अपूर्ण ...... मलधारी हेमचंद्राचार्य पुष्पमालाबालावबोध (जीर्ण)... पुष्पमालावृत्ति ................ सोमगणि ........... पुष्पमाला सह वृत्ति .............. हेमचंद्रसूरि-क., दयासागर-ले. पुष्पमालाप्रकरण .... +समरराजकथानक पुष्पांजली. पुण्यबत्तीसी अपूर्ण . ............... समयसुंदर पं.-ले. ............ १६५ पूजा (गुटका)..... पूजा अष्टक सह कथानक ....
पूजा पंचाशिका ....... ० पूजाप्रकरण ................. उमास्याति वाचक ..... ० पूजाप्रकरण . पूजाविधि
रामप्रमोद -पं.....
जि.का ८२०
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________________
ग्रंथांक
पत्र
भंडार नाम
भंडार| ग्रंथांक
संवत्
सरया
नाम
१-२
५.का. १०८
जि.का २०२५
४२२ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ | ग्रंथनुं नाम का
पत्र संवत् ग्रंथनुं नाम
संख्या जि.का ६०६/११ ० पूजाविधिभाससंग्रह ...... २६-३१ जि.का २०३/२ पौषधविधिस्वाध्याय अपूर्ण .....................
..... -४ लो.का ५७३ | पूज्य भास ...................... जीवराज
जि.का २१०० पौषधादिविधि ज्वरहरादिमंत्र .... डूं.का. ४९४ | पूरवदेस देसंतरी छंद
जि.ता.१५४/६ पौषधविधिप्रकरण ............... जिनवल्लभगणि .............१२१० [...५२-६४ जि.का ४८७ ० पूर्णकलशस्थापनाविधि
|१०५७ पौसविधि तथा चौद नियम .. जि.ता २७१ पृथ्वीचंद्रचरित्र ..
शांतिसूरि .. र.११६१ ......२६० त.का. १०६७ प्रकरण
६(२थी७) .........ले.१२२५
त.का. ६४६ प्रकरणत्रयि (नवतत्त्व........... पृथ्वीचंद्रगुणसागरचरित्र ......... लब्धिसागर .... .............१८२४
+ जीवविचार + चौवीस दंडक) पृथ्वीचंद्रचरित्र ................ जयसागरगणि
.६६ डूं.का. ३३५ प्रकरणत्रयी (नवतत्व.............. गजसार त.का. ३६० पृथ्वीचंद्रचरित्र
जीवविचार-चौवीसदंडक) डूं.का. १९४ पृथ्वीचन्द्र चरित्र .................जयसागर उपाध्याय .........१८८२
प्रकरणपुस्तिका
....१३४५.......१६७ लो.का, २६५ पृथ्वीराजकृता वेली .............. भाषा ......
-१२ जि.ता, १६० ० प्रकरणपुस्तिका ..
....१३००......१६१ पृथ्वीराजवेली सस्तबक अपूर्ण.. जि.ता. १७१ ० प्रकरणपुस्तिका
.११६९/१८.१७.४ इं.का. ४८३ पोषदशमीकथा.
+४+२-४५ लों का ४२७ पोषदशमीकथा...
||जि.ता. १९१ प्रकरणपुस्तिका ................
..१४००६८+१४.२ आ.का.७७ | पोषधविधी
.............+२%3८६ लों.का ४६३ पोषदशमीकथा सह टब्बार्थ ...... क.कुंवरजी ..
.१.८ जि.ता. २२४ प्रकरणपुस्तिका
..१३००.१५ + ६४ हूं.का. ७३४ |पोसहपडिलेहण विधि
- ७२ ५.का.२६० | पौषदशमी कथा .........
जि.ता. ४२३ प्रकरणपोथी
..१४०० ..९८-४४० त.का. २२७ | पौषदशमीकथा ................... रविविजय .......... ........१९०८
जि.ता.१५०० प्रकरणपोथी
....१३०० ......२०५ |जि.का १६५६ | पौषदशमीकथा गद्य.
जि.ता. १५१ प्रकरणपोथी. लों.का ६९३ पौषध सह देशावगाशिकविधी ... पूर्वाचार्य
जि.ता. १५४ प्रकरणपोथी..
....१२१०. १६५.१७ जि.का ५०४/३ ० पौषधविधि .......
+३१-२१३ डूं.का. १०५ | पौषधविधि ||जि.ता.१५५ ० प्रकरणपोथी ....
....१२२२/. १६२+१७ था.का २२० पौषधविधि ..............................
+३१-२१० पौषधविधि ....३ जि.ता.१५६ प्रकरणपोथी
....११९२/..१२७+४+ त.का. ७७९ पौषधविधि
१०+६+३४ लो.का ३४९ पौषधविधि + आदीश्वरस्तवन ....
...- १८१ जि.का १३३/ ७० पौषधविधिप्रकरण जिनवल्लभगणि
.१३-१७ || जि.ता. १५७ ० प्रकरणपोथी.......
....१४००
......१५४
आ.का ३५९
......१८७६
..... १३१०......२६१
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सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४२३
भंडार| ग्रंथांक
पत्र
ग्रंथर्नु नाम
संवत् । संख्या ।
कर्ता
भडार नाम
ग्रंथांक
|
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
| संवत ।
पत्र
नाम
त.का.३४६ लो.का ५८०
.....१४००......२०४ इं.का. १७/४
....... २५ J................३ पन्ने डूं.का. १७/३
छुटा पाना त.का. लगभग३५ लों.का. ४७५
अकोणक पाया
...................]
.....४१
जि.ता. १५८
० प्रकरणपोथी.
प्रकरणसंग्रह ................ प्रकीर्ण ज्योतिष लघुग्रंथ.
त्रुटक व स्फुट पन्ने लों.का. ४१४/२ प्रकीर्ण पद संग्रह सज्झाय आदि .. लो.का ५२२ प्रकीर्ण-स्तवनो लो.का,५३३/A प्रकीर्णक पत्र .. लो.का ४९२/ प्रकीर्णक पद. लो.का.४८९ प्रकीर्णक पद संग्रह .............. डूं.का. ५२३ प्रकीर्णक पोथी इं.का. १३४
प्रकीर्णक पोथी (संकलन)... इं.का. ६१५ प्रकीर्णक पोथी + जयतिहुअण .
सप्तस्मरण + कुलक +चत्तारिमंगलं +जीविचार
+दंडकादि डूं.का. |१२८३ प्रकीर्णक विचारसंग्रह ... जि.का. ४२०/५९ प्रकीर्णक सवैया ............... जि.ता.४०३/४ ० प्रकीर्णकपत्रगता पुष्पिका .. इं.का. १७/१ प्रकीर्णकपोथी संकलन.
+ कल्याणमंदिर + भक्तामर जि.का १२८८/५ प्रकीर्णकविचार .... जि.का १३४१ प्रकीर्णकविचारसंग्रह ............
प्रकीर्णकविचारसंग्रह . लो.का ५९६ प्रकीर्णगीत
प्रकीर्णपद ................. हूं.का. १७/५ प्रकीर्णपोथी संकलन ..........
+ ऋषिमंडलस्तोत्र
प्रकीर्णपोथी संकलन.... + क्षेत्रसमास + स्नात्रविधि प्रकीर्णपोथी संकलन.. +जयतिहुअणसूत्र + कर्मग्रंथ प्रकीर्णविचारसंग्रह .... प्रकीर्णकथा संग्रह यूटक .... प्रकीर्णकपोथी..... प्रकीर्णगीतो प्रकीर्णधार्मिकसंग्रह . प्रकीर्णपत्र.. प्रकीर्णपदो ........................ मुनिवस्तो आदि ................. प्रकीर्णपदो ................
छुटा पाना प्रकीर्णपदसज्झाय ......
लगभग ४० प्रकीर्णपदसज्झाय आदि...
.. १० प्रकीर्णविचार संग्रह .. प्रकीर्णसंग्रह ..................... प्रकीर्णस्तवन ...................... कांतिप्रेमविजय...... |प्रकीर्णस्तवन ......................................................१८७१ प्रकीर्णस्तवन, प्रकीर्णक पोथी + रोहिणी स्तवन .
+क्षेत्रसमास + दंडक सप्तस्मरण ० प्रकीर्णकगाथाव्याख्या ............
....१९४७
लो.का ४५३ डूं.का. १३०७ लो.का३८६ लो.का. ४३२ लो.का.४४० लो.का ४३४ लो.का. ४०३ डूं.का. १३४०
लो.का. ३९४ .१११-११४ लों.का. ४०५
लों.का. ४०६/१ ......१८२ लों.का. ४०९
डूं.का. ६१६/१ ............१५००/२६१-२६४
२२ जि.ता. १७१/
७
आ.का.२६३ ....१९०८
जि.का ४३४ जि.का १९४२ लों.का २४० लो.का २४१ लो.का २४२
..........१३४८,
--छुटक९
..... १८ मुं
जि.का २१२१
................
..... १२८
लो.का ४६५/०
प्रक्रियाकौमुदी ...
रामचंद्राचार्य ............. प्रक्रियाकौमुदी अपूर्ण रामचंद्राचार्य प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण रामचन्द्र ..............
प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण ........ रामचन्द्र.... ० प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण ......... रामचन्द्र
रामचन्द्र................
.-१८१
१-१२४
.....१७९
For Private & Personal use only
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संवत्
पत्र
भंडार| ग्रंथांक मार
नाम
संवत्
संख्या
....१८२६
......२५८ .-३६-३५२
..-१६५०) २३३ सुधी २३४-३६५
........
४२४ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक - ग्रंथनुं नाम कर्ता
पंथन नाम
कर्ता नाम
संख्या । जि.का १५३९ प्रचनसारोद्धारप्रकरण ............ नेमिचंद्रसूरि ....
...८९|| जि.का २१६६ प्रज्ञापनोपांगसूत्र ......... श्यामाचार्य था.का १३१ प्रज्ञापना तृतीयपद संग्रहणी...
...५ जि.का १६९१ . प्रज्ञापनोपांगसूत्रटीका ..... मलयगिरि आचार्य .. इं.का. ८४८० प्रज्ञापना तृतीयपद सह अवचूरी अभयदेवसूरि .................१६५०.......११||जि.का २६ प्रज्ञापनोपांगसूत्रवृत्ति ............
का/१५३ | प्रज्ञापना बीजक ............. था.का १५२ प्रज्ञापना सूत्र .............
१७३| जि.का २१६७/१० प्रज्ञापनोपांगसूत्रवृत्ति .. त.का. ४२६ प्रज्ञापनाटीका.................. मलयगिरि.......
......... ४५२] जि.का २१६७/२ ० प्रज्ञापनोपांगसूत्रवृत्ति .. १९१/३ ०प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणी...... अभयदेवसूरि
२४-३२ डूं.का. १३६३ प्रज्ञाविवर्धन, आदि स्तोत्र ६५६ प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणी ....... अभयदेवसूरि
डूं.का. १७७ • प्रणम्यपद समाधानम् .... जि.का १५२२ प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणीप्रकरण अभयदेवसूरि ..
था.का ३०५ प्रतरप्रमाणसंग्रह ............ जि.का १५२३ प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहगीप्रकरण अभयदेवसूरि ....
...७ इं.का. ५६९ प्रतिक्रमण त्रूटक अपूर्ण .. जि.का १५२४ |प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणीप्रकरण कुलमंडनगणि-अक.क
... १४|| डूं.का. ७३६ प्रतिक्रमण बालावबोध . अवचूरि
प्रतिक्रमण सूत्र... जि.का./१५२५ प्रज्ञापनातृतीयसंग्रहणीप्रकरण .... अभयदेवसूरि-मू............... १६५५ ६.........७
प्रतिक्रमण,सज्झाय,स्तुतिस्तवनादि . सावचूरि त्रिपाठ................. अव.क. कुलमंडनगणि
संग्रह (प्रकीर्णकपोथी) जि.ता/१४७/१७ ० प्रज्ञापनाविवरणविषमपदपर्याय
१३९-१४३ त.का. ८९० प्रतिक्रमणविधि था.का १५१ प्रज्ञापनावृत्ति .
मलयगिरि.............. .....१६७३ /..... ३३६ त.का. १३१६ प्रतिक्रमणविधि .......... जि.ता/२७ ० प्रज्ञापनासूत्र ................... श्यामाचार्य ...................१३८९ /...... १७०||था.का २१४ प्रतिक्रमणविधि (हेतुगर्भ)........ जि.ता २९/१ ० प्रज्ञापनासूत्र .
श्यामाचार्य ......
................२३३ आ.का/२४८ प्रतिक्रमणविधि (हेतुगर्भ).... प्रज्ञापनासूत्र मूल ............ सुधर्मास्वामी ..
..१-२८६ त.का. १०४ प्रतिक्रमणविधि हेतुगर्भ ........... जयचंद्रसूरि १४७/१६ ० प्रज्ञापनासूत्रपर्याय
१३७-१३९ त.का. ६०१ प्रतिक्रमणवृत्ति ........... |जि.ता. २९/२ ० प्रज्ञापनासूत्रलघुवृत्ति. हरिभद्र आचार्य ...१४८९/२३४-३५० जि.का २१६०/१ प्रतिक्रमणसूत्र... जि.ता. २८ प्रज्ञापनासूत्रवृत्ति .... मलयगिरि आचार्य ...१४००
डूं.का. ५७६ प्रतिक्रमणसूत्र जि.ता ३०० प्रज्ञापनासूत्रवृत्ति . मलयगिरि आचार्य ..... ....१४८९ त.का. ११८७ प्रतिक्रमणसूत्र डूं.का. ७९२ ० प्रज्ञापनाटीका ...
मलयगिरि.. ......१८६०......३४५ लो.का ५३० प्रतिक्रमणसूत्र अपूर्ण डूं.का. ७२० . प्रज्ञापनावृत्ति
जितरंग गणि ...... ....१८७२,......३०५ त.का.२८६ प्रतिक्रमणसूत्र वृत्ति त.का. ३३१ प्रज्ञापनावृत्ति ............. मलयगिरि..
१६६९/.. | जि.का ७८० प्रतिक्रमणसूत्र सस्तबक प्रज्ञापनासूत्र मूल ................सुधर्मास्वामी.
........ १-३१५||जि.का २१२० ० प्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति तथा डूं.का. |१००४ प्रज्ञापनासूत्र सह टब्बार्थ.......कमलमुनि-ले.........
सप्तस्मरणवृत्ति
१४.
..........
......२२९
.....
लो.का ५६
..१७०८
...... ३६ ..१८८५........५१
૧૮૧૬
...२७९
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सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १. ४२५
भंडार
ग्रंथांक
पत्र
भंडार नाम
ग्रंथांक
कर्ता
ग्रंथनुं नाम
पत्र
संवत् । संख्या
......१८
............१७०१
कर्ता ग्रंथर्नु नाम
।
संवत् । .का. ९०४ प्रतिक्रमणहेतुओ ..
क्षमाकल्याण ..... लो.का १६२ प्रतिक्रमणादिविधि त्रूटक ....... ढूं.का. ९४२ प्रतिक्रमणविधि.
जयचंद्रसूरि ...................१५०६ इं.का. ११२० प्रतिक्रमणविधि (हेतुगर्भ) था.का.८९ | प्रतिक्रमणविधि (हेतुगर्भ) इं.का. १३६७ प्रतिक्रमणविधि आदि संग्रह लो.का,२१५ प्रतिक्रमणसूत्र टब्बो..
१८५७ लो .का.८१ प्रतिक्रमणसूत्र सह टब्बार्थ ....... देवचंद्र-ले. ..................१७६९
प्रतिक्रमणस्तोत्र
प्रतिमापूजा............... त.का. ११८९ प्रतिमापूजा बृहदास ...............
१६३२ त.का. ८७४
प्रतिमापूजा स्तवन..... प्रतिमास्थापनस्तवन .....
प्रतिष्ठा मूर्ति मंडळ .....
० प्रतिष्ठादि विधिमंत्रादि. जि.का २०३५ प्रतिष्ठाविधि. हूं.का. ७६ ० प्रतिष्ठाविधि.. .......... नयनंदनमुनि ................ ५.का. ६६६ प्रतिष्ठाविधि. ......... महेन्द्रसूरि ............ त.का. ७६९ प्रतिष्ठाविधि. त.का. १२६० प्रतिष्ठाविधि.. त.का. १३१५ प्रतिष्ठाविधि.. हूं.का. २९ ० प्रतिष्ठाविधि + मुद्राविधि
प्रतिष्ठाविषय के छूटक पत्र ... डूं.का. ३३ ० प्रतिष्ठाविधि............
३९७/१ ०प्रत्यंगिरास्तोत्र संपूर्ण आ.का ११५ प्रत्याख्यान द्विभाष्यानि सह टब्बार्थ त.का. १०२ प्रत्याख्यानचूर्णि................. न.का. ७८६ प्रत्याख्यानपाठ......
त.का./१३१४ प्रत्याख्यानपाठ..... १-८ था.का ११४ प्रत्याख्यानभाष्य...... ३५/ जि.का १५२७ प्रत्याख्यानभाष्यबंदनकभाष्य ..... देवेन्द्रसूरि २८ डूं.का. ११४२ प्रत्याख्यानभाष्यावचूरी था.का १२६
प्रत्याख्यानभाष्य सह टब्बार्थ .७७.का. ५९४ प्रत्याख्यानवृत्ति जि.ता. १४१/३ प्रत्याख्यानसूत्रवृत्ति ..............श्रीचंद्रसूरि
...६६-७९ जि.ता.१४०/४ प्रत्याख्यानस्वरूपप्रकरण गाथाबद्ध यशोदेवसूरि
...५८-८४ जि.ता. १३९/३ प्रत्याख्यानस्वरूपप्रकरण Jटक यशोदेवसूरि ...................१४००/ १४७-१५२ .३ आ.का २१० प्रत्याख्यानादि विधियें .....६ लो.का ४५७ प्रत्याख्यानविधिस्तवन ........ ति.का. ३१४ प्रत्येकबुद्धकथा + नेमिकथा ......
..१६३७ जि.ता २७२ प्रत्येकबुद्धचतुष्कचरित्र पद्य ..... लक्ष्मीतिलक .............. र.१३११ ......२७०
.............ले.१४०० .का.७१८ प्रत्येकबुद्धचरित्र..
समयसुंदरसूरि ................१८१९ ....... + अंजनासुंदरीचौपाई . २६ जि.ता,२७३ ०प्रत्येकबुद्धचरित्र पद्य ............ लक्ष्मीतिलक .................१५००/......२४८
.का १२५० प्रत्येकबुद्धचरित्र पद्य ............ लक्ष्मीतिलकगणि ................. .का ४८४
प्रत्येकबुद्धचोपाई त्रूटक अपूर्ण. ११ त.का. १०३६ प्रत्येकबुद्धचौपई ....... समयसुंदर ..............-- .१ जि.का ३१६ प्रत्येकबुद्धरास त्रूटक अपूर्ण ... ३६ लों.का ५१५ प्रत्येकबुद्धचउपई .............. समयसुंदर ..............
1.का ४८२ | प्रत्येकबुद्धरास अपूर्ण ........... समयसुंदर ................ ...५ इं.का. ८९२ प्रथमथी चतुर्थकर्मग्रंथ .......... देवेन्द्रसूरि
cco प्रथमथी पंचमकर्मग्रंथ सहवृत्ति . मलयगिरि जि.ता. २१२ प्रथमपंचाशकप्रकरण चूर्णि.......चू.क.यशोदेवसूरि ............१३००/-..
सह अपूर्ण जि.ता. ४०३/१ ० प्रथमप्रतिपुष्पिका........
..१३०५
SEEX
जयदेवसरि
lain
ducato International
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भंडारा धाक
पत्र
भिंडार ग्रंथांक
१o ર
४२६ - सर्व ग्रंथाँका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १
| कर्ता
ग्रंथर्नु नाम नाम
संवत्
ग्रंथ संख्या
पत्र नाम
कर्ता I संवत् |नाम
संख्या ई.का.५०६ प्रथमकर्मग्रंथथी चतुर्थ .......... देवेन्द्रसूरि .... जि.का/१५३/१ ०प्रमाणमीमांसा स्वोपज्ञवृत्ति सह हेमचंद्र आचार्य,
.१-४१ कर्मग्रंथ अपूर्ण
जि.ता/३६९ ०प्रमालक्ष्मलक्षणसटीक ............ बुद्धिसागरसूरि ...............१२०१ ..२७२ डूं.का. ९८६ प्रथमधी त्रण कर्मग्रंथ .............हर्षविमल ..
जि.का २२२१/१ . प्रमेयरत्नकोश.................... चन्द्रप्रभसूरि. १९ प्रथमसे तृतीय कर्मग्रंथ ............ देवेन्द्रसूरि
जि.का २२२१ ० प्रमेयरलकोश आदि सह टब्बार्थ
जि.का २२५२ ० लों.का. ६३४ प्रदेशीकेशीकुमार प्रश्न......
जि.का २२० ० प्रयोगविवेकसंग्रह ............... वररुचि ......................१५४ डूं.का. १०५९ प्रदेशीकेशीप्रश्न
आ.का. १०८ प्ररूपणा संख्यातादि + कर्मग्रंथ ..
..............१९९४
.....२२ जि.का ४२८ प्रदेशीराजरास
प्रथमथी पंचम षष्ठ जि.का ७३१ ० | प्रदेशीराजरास
ज्ञानसागर आंचलिक ...
आ.का. १८४० प्रवचनपरीक्षा सह वृत्ति ... त.का. ७३८ प्रदेशीराजारास .................. सहजसुंदर ..
जि.ता. १५३/३ ० प्रवचनसंदोह ......
......१३००/११४-१३७ जि.का १२८५/१ ० प्रद्युम्नशांबचरित्र...
३-५० जि.ता.१६०/६ ० प्रवचनसंदोह ....
......१३००/... ३६-५४ आ.का. १८२० प्रबंधचिंतामणि ..
जि.ता.४१५/६ ० प्रवचनसंदोह ..............
१२९-१३८ जि.ता.३५७/ २ ० प्रबोधचन्द्रोदयनाटक टिप्पणी सह . कृष्णमिश्र ...१३१८.९६-१६५|| जि.का १३१७/७
..............८६-१०३ त.का. ५२२ प्रबोधचंद्रिका..
त.का. प्रवचनसार सह छाया अर्थ ............
.......२५१ था.का,१३५० प्रवोधोदय वादस्थल
व भावार्थ त.का. ५२६ प्रभंजना स्वाध्याय ............... देवचंद्रजी
जि.ता.१५२ प्रवचनसारोद्धार .................. नेमिचन्द्रसूरि .................१४०० .... १७४ प्रभंजनादि सज्झाय ............
जि.ता.१६१/१ प्रवचनसारोद्धार
नेमिचंद्रसूरि. इं.का. ९५६ प्रभावकचरित्र त्रूटक अपूर्ण .......
जि.ता. १६७ प्रवचनसारोद्धार................. नमिचंद्रसूरि ..................१४०० .. १२७ प्रभुदेशना+जिनवाणी गीत .....
प्रवचनसारोद्वार, प्रमाणकाग्रन्थ त्रुटक (जैनन्याय)
प्रवचनसारोद्धार ................
नेमीचंद्रसूरि. जि.का २१८७ प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार ....
प्रवचनसारोद्धार
.................
.१५५६ आ.का २७७ प्रमाणनयतत्त्वालोकालकारवृत्ति
प्रवचनसारोद्धार ३६७/१ प्रमाणमीमांसा स्वोपज्ञ टीका सह .. हेमचन्द्राचार्य स्वोपन ....
प्रवचनसारोद्धार.
नेमीचन्द्रसूरि ............ प्रमाणमीमांसा स्वोपज्ञवृत्ति सह हेमचंद्रसूरि आचार्य स्वोपन .........
प्रवचनसारोद्धार.
१८४० जि.ता.३८७/२ ०प्रमाणान्तर्भाव .. देवभद्र तथा यशोदेव ... ....१११४ ... ५१-९७
प्रवचनसारोद्धार
हेममंदिर गणि १६१/२ ०प्रमाणान्तर्भाव .. देवभद्रयशोदेव ..............१९८२ ... १३-२३
प्रवचनसारोद्धार
नेमिचंद्रसूरि ... ६४८०प्रमाणमंजरी मूल .. सर्वदेव .......................१४७०.....१-११
प्रवचनसारोद्धार
नेमिचंद्रसूरि. लों.का. ६४९ प्रमाणमंजरीटिप्पण ... अद्वयानंद ....................१४७०.....१-२९ त.का. ७९६/- प्रवचनसारोद्धार
...........
...१९ ..३९/
...१४
...........
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________________
भंडारक
संवत् ।
नाम
त.का. १२१५ त.का. १३२९
....१४००
लोका. १६९ लो.का. 400 था.का.४७
GGEEEEEEEEEEEE
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
| संवत् प्रयचनसारोद्धार ............. प्रवचनसारोद्धार ....... प्रवचनसारोद्धार अपूर्ण........... नेमिचन्द्रसूरि प्रवचनसारोद्धार त्रूटक अपूर्ण.. प्रवचनसारोद्धार बालावबोध .... प्रवचनसारोद्धार मूल .......... प्रवचनसारोद्धार मूल .........
....१६९६ प्रवचनसारोद्वार विषमपदार्थावबोध उदयप्रभसूरि ............
....१८४० प्रवचनसारोद्वार वृत्तिसह .......मू.क.नेमिचन्द्रसूरि....... १.१२४२
...क.सिद्धसेनगणि......ले.१२९५ प्रवचनसारोद्धार सटीक ..... प्रवचनसारोद्वार सह वृति ...... सिद्धसेनसूरि-टी.......११७४१६८३ प्रवचनसारोबारटीका अपूर्ण .... सिद्धसेनाचार्य प्रवचनसारोद्वारप्करण ........ | नेमिचंद्रसूरि. प्रवचनसारोद्धारप्रकरण ....... नेमिचंद्रसूरि. प्रवचनसारोद्वारप्रकरण ....... नेमिचंद्रसूरि -....१५८५ प्रवचनसारोद्धारप्रकरण .......... नेमिचंद्रसूरि
.१६६१ प्रवचनसारोद्धारप्रकरण ..........
नेमिचंद्रसूरि प्रवचनसारोद्वारप्रकरण ......... नेमिचंद्रसूरि प्रवचनसारोद्धारप्रकरण अपूर्ण ... नेमिचंद्रसूरि प्रवचनसारोवारप्रकरणलघुवृत्ति.. उदयप्रभसूरि प्रवचनसारोद्धारप्रकरणवृत्ति ...... सिद्धसेनसूरि ..... प्रवचनसारोद्धारप्रकरणवृत्ति .... तृतीयखंड ४ मा द्वारथी २१७ प्रवचनसारोद्वारप्रकरणवृत्ति .... द्वितीयखंड ३४ मा द्वारथी ४ प्रवचनसारोद्धारबीजक ............ प्रवचनसारोद्धारबीजक ...........
डूं.का. ९४४ था.का.४ जि.का २२३५ जि.का १५३८ जि.का १५३५ जि.का १५३६ जि.का १५३० जि.का २१९२ जि.का २२१० जि.का १५४० जि.का २१९४ जि.का १५४१ जि.का १२९३
सर्य ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ . ४२७ भंडार। पंचांक
पत्र ग्रंथन नाम
कर्ता संख्या नाम
संख्या जि.का १५४२ प्रवचनसारोद्धारविषमपदपर्याय. जि.ता.२०४ ०प्रवचनसारोद्धारवृत्ति प्रथमखंड मू.क.नेमिचंद्रसूरि,
वृ.क. सिद्धसेनाचार्य का. १०६० प्रवचनसारोद्धारवृत्ति. सुगुणकुशलमुनि ....... .....१८४ .. ३ आ.का.७६ प्रवचनसारोद्धारसूत्र
....१६९३ १-६४ इं.का. ५५ प्रवचनसारोधारसूत्रवृत्ति ......... जिनरंग गणि
१८५ १-६८५.का. १००० प्रवचनसार ................
५९ जि.का १३२६/१६ ० प्रवचनसंदोहप्रकरण ....४३८५.का. ४०६ प्रवज्याविधि.......................... त.का. ७७४
प्रवज्याविधि..................... ... २१ त.का. ७७५ प्रवज्याविधि............... था.का.४३
प्रवर्तिनी कुशल विजय गीत...... जि.का २१६०/२ प्रव्रज्याकुलक
ता. १५६/२४ ० प्रवज्याविधानकुलक ..... जि.का २६५ प्रवज्याविधानकुलक .... जि.का ४९४०प्रव्रज्याविधानकुलक ..
बालावबोधसह था.का. ११२ प्रवज्याविधानकुलक सहावचूरि.. जि.ता. १५९/६ . प्रव्रज्याविधानप्रकरण,
..१३४५ |११८-१२० जि.का १३१७/२८० प्रव्रज्याविधानप्रकरण.
२०१-२०३ जि.का |१३२६/३६० प्रव्रज्याविधानप्रकरण,
२५८-२६१ था.का १२५
प्रव्रज्याकुलक ....... था.का ३२२ प्रव्रज्याविधानकुलक ....
प्रव्रज्याविधि १०९१ प्रवज्याविधानकुलक सहायधूरि , प्रशमरति
उमास्वाति जि.का प्रशमरतिप्रकरण
उमास्वातिवाचक..... २१७८ ०प्रशमरतिप्रकरण .......... उमास्वातिवाचक ........
.......१५२९
जि.का १२९२
२३०
त.का.
जि.का. १५४३
२१७८
For Private & Personal use only
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भंडार
पत्र संख्या
पंधांक
अचाक
नाम
जि.का ७२०
..........
४२८ - सर्व ग्रंथाका अकारादिकन - परिशिष्ट भंडार| ग्रंथांक प्रचन नाम
कर्ता
संवत् जि.ता/१७२० प्रशमरतिप्रकरण सटीक अपूर्ण. उमास्याति वाचक ..........१३00-......२०१ जि.का ५१६० प्रशमरतिप्रकरणअवधूरि .......... था.का ३६२ प्रशमरतिप्रकरण मूल ...........Jउमास्वाति बाचक .. जि.ता.३८३/१
प्रशस्तपादभाष्य पदार्थधर्मसंग्रह प्रशस्तपाद
अपूर्ण जि.का. १८३१ प्रश्नप्रदीप जि.का. १८३२ प्रश्नप्रदीप जि.का.२२२७ प्रश्नप्रदीप त.का. ४५६ प्रश्नप्रदीप ............ काशीनाथ भट्टाचार्य .... .....१७९९ जि.का. १८५५ प्रश्नफलादेश ज्योतिष ...........जि.का. १८७९ प्रश्नमनोरमाविद्याज्योतिष .........गर्गाचार्य ................ लो.का.४३ प्रश्नव्याकरण मूल अपूर्ण चूटक..सुधर्मास्वामी ............. लो.का.४४ प्रश्नव्याकरण मूल अपूर्ण त्रूटक..-.... .का. २५० प्रश्नव्याकरण विपाकवृत्ति .............
प्रश्नव्याकरण वृत्ति ..................
EEEEEEEE
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
| संवत्
। संख्या प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र बालावबोधसह पंचपाठ प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र सस्तवक
J.... ..... १०० प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रटीका ... अभयदेवसूरि
१७१ प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रवृत्ति ....अभयदेवसूरि.
...१६-६६ प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रवृत्ति अपूर्ण . अभयदेवाचार्य ...... .........१३०० ..९५-२७२ प्रश्नव्याकरणमूल अपूर्ण त्रूटक . सुधर्मास्यामी.
१-३० ० प्रश्नव्याकरणवृत्ति ...............अभयदेवाचार्य...
२८-१२६ प्रश्नव्याकरणसूत्र...............उदयरंगमुनि प्रश्नव्याकरणसूत्र .............
प्रश्नव्याकरणसूत्र ............. | सुधर्मागणधर ... ०प्रश्नव्याकरणसूत्रवृत्ति ........... अभयदेवाचार्य
१९३-३५० प्रश्नव्याकरणांगवृत्ति .......... | विशालसुंदरगणि -ले. ........१५८६ ...१२७ ० प्रश्नव्याकरणवृत्ति ............. अभयदेवसूरि .................१८४१ ...१२८ प्रश्नव्याकरणवृत्ति .............
.. १०२ प्रश्नव्याकरणसूत्र ............. प्रश्नव्याकरणसूत्र
क्षेमकलशमुनि-ले. ...........१६४६ प्रश्नव्याकरणसूत्र ............. सुधर्मागणधर प्रश्नव्याकरणसूत्र
सुधर्मागणधर प्रश्नव्याकरणसूत्र त्रूटक ........ प्रश्नव्याकरणसूत्र सह रब्बार्थ .. पाश्र्धचंद्रसूरि प्रश्नव्याकरणसूत्र सह बालावबोध पार्धचंद्रसूरि प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रवृत्ति .... अभयदेवाचार्य .... प्रश्नव्याकरण सूत्र .............. प्रश्नशतावचूर्णि ............... प्रश्नोत्तर अमिधान शास्त्रम् ...... मेघजी प्रश्नोत्तर बोलसंग्रह .....
का ७३७
था.का १६९ आ.का ४९ आ.का. त.का.
लों.का.४५
१-१०७
जि.ता. २०/४
जि.ता.२२/९
...४१-६७ २२८-२५९
१९-३९
लों.का
प्रश्नव्याकरण सह टब्बार्थ ..
अपूर्ण त्रूटक ०प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र
प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र ० प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र.........
प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र......... प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र......... प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र......... प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र........ ० प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र
EEEEEEEEE
सुधर्मास्यामी सुधर्मास्यामी सुधर्मास्वामी
३५-५८त.का
... २४ जि.ता.
For Private & Personal use only
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________________
पत्र संख्या
भंडार नाम
कर्ता
संख्या
SSE
...............१९०७
जि.का
....१२१०
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ - ४२९ भंडार ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत
ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
संवत् नाम इं.का. ४५५ प्रश्नोत्तर रत्नमालीका सह ...... जिनराजसूरि ..
डूं.का.
प्रश्नोत्तररत्नमालीका सह ....... जिनराजसूरी बालावबोध
प्रश्नोत्तररत्नमालीका सह टब्बार्थ .. डू.का. १२२० प्रश्नोत्तर सार्धशतक सूचीबीजक क्षमाकल्याण ...
...२७ आ.का. १९५ प्रश्नोत्तरषष्ठिशतवृत्ति ........... जि.का.७८५/३ प्रश्नोत्तररत्नमणिका अपूर्ण....... विमलाचार्य
प्रश्नोत्तरसार्धशतक बीजक ...... जि.ता. १५८/१२ ० प्रश्नोत्तररत्नमाला ............... विमलाचार्य
प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक ............. क्षमाकल्याणगणि ....... ....१८५१ जि.का १३२६/३८० प्रश्नोत्तररत्नमाला ................ विमलाचार्य
२६३-२६६
प्रश्नोत्तराणि........ जि.का ३५८ प्रश्नोत्तररत्नमाला बालायबोधसह .. विमलाचार्य -मू.क. ...
प्रश्नव्याकरण सस्तबक ....... जि.का ६१९ प्रश्नोत्तररत्नमाला सस्तबक, विमलाचार्य -मू.क..
जि.का १४०५ प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र. त.का.२३ प्रश्नोत्तररत्नमालासहवृत्ति .... मुनिभद्रसूरि.
....१६७७ ......१५८ जि.का १४०६ प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रवृत्ति .... अभयदेवसूरि जि.ता. १५४/१३ ० प्रश्नोत्तररत्नमालिका...... विमलाचार्य.
.... ८७-९० जि.का ९४० प्रश्नोत्तर चार्षिक जि.ता./१७१/१०० प्रश्नोत्तररत्नमालिका. विमलाचार्य.
....११६९
... १५ मुं. जि.का ६२० प्रश्नोत्तररत्नमाला सस्तबक .... विमलाचार्य -मू.क. ......... जि.का १३३/१४ ० प्रश्नोत्तररत्नमालिका विमलाचार्य
.... २३मुं जि.का २०१७ प्रश्नोत्तरसंग्रह .
जयसोम जि.का १३१७/१९ ० प्रश्नोत्तररत्नमालिका अपूर्ण ...... विमलाचार्य
१६४-१६५] डूं.का. ६०० प्रश्नोत्तरसार्धशतकम् .. | हेमराज जि.ता.२१७ प्रश्नोत्तररत्नमालिका वृत्तिसहित मू.क.विमलसूरि, ....... .र.१२२३ ..१८२| डूं.का. १२०० प्रस्ताविक श्लोक संग्रह .... वृ.क.हेमप्रभसूरि
प्रस्ताविकश्लोक संग्रह .... जि.का ४५५/ ५० प्रश्नोत्तररत्नमालिका ... विमलाचार्य ....
६७
प्रस्ताविकश्लोकसंग्रह ........... जि.का १६१० प्रश्नोत्तरर्तनमाला सस्तबक ..... विमलाचार्य .......
प्रहसन्नाटक.....................शंखधर
.१६०२ जि.का ९९८ प्रश्नोत्तरपष्टिशतअवधूरि त्रू.अ.
प्राकृतचंद्रिका ................ जि.का ५४४ प्रश्नोत्तरषष्टिशतप्रकरण ........ जिनवल्लभगणि
१० त.का. ५८ प्राकृतदीपिका (शब्दानुशासन)......................... ....१४५३ जि.का २०६२ प्रश्नोत्तरसार्धशतकभाषा .......
प्राकृतर्पिगल अपूर्ण आ.का, २६९ प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक सूचाबीजक
प्राकृतप्रकाश (अपूर्ण) .......... वररुचि
..१४०० डूं.का. ७७६/9 प्रश्नोत्तरी..
१५०३ प्राचीन कर्मक्तव..... त.का. १२७० प्रश्नोत्तरी..
बंधस्वामित्वकर्मग्रंथवृत्ति जि.का २०७५ प्रश्नोत्तरीसंग्रह
| जि.का. १६७६ प्राचीनकर्मस्तककर्मग्रंथवृत्ति ....... गोविंदगणि ........................ ...२-१५ जि.का ६३४ प्रश्नोत्तररत्नमालिका सस्तबक विमलाचार्य,
|जि.का. १५०४ प्राचीनचतुर्थ कर्मग्रंथ .. प्रश्नोत्तररत्नमालिका सह टब्यार्थ
जि.ता/१५६/८ ० प्रतिहार्यस्तोत्र कुसुमाञ्जलिस्तोत्र .. मानतुंगसूरि ..................११९२ ...३४-३७ प्रश्नोत्तररत्नमालिका सहवृत्ति ... मुनिभद्रसूरि ............
नंदीश्वरस्तोत्र प्रश्नोत्तररत्नमालीका ............. विमलकिर्तीमुनि.......
|जि.का १७९९ ०प्रामाण्यवाद ..................... हरिराम तर्कवागीश .................
3000
............१८
१७८
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________________
४३० सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
नाम
जूं. का. ७६८
त. का. ७७१
डूं. का. ३५१ त. का.
१२५३
जि.का. ५८७
बूं. का. ७३८
त. का. ४७०
ढूं. का. ५०२ जि.का. ५११/२ ढूं. का. ४४८
लॉ. का. ६०१
त. का. १०२३ / A
जि.का. १२३०
डूं. का. १३४२ डूं. का. १७/२
जि.का ४०३ जि.का २५
त. का. १२८१
त. का. ५३ डू. का. १२५३ आ.का. २५८
बूं.का. ७ जि. ता. १२७
.
ग्रंथनुं नाम प्रायश्चित विधि प्रायश्चितप्रदानविधि.
प्रास्ताविक कथा श्लोक प्रियंकरनृपकथा. प्रियंकरनृपकथा
| उपसर्गहरस्तोत्रप्रभावे
प्रियंकरनृपचरित्र प्रियंकरनृपकथा प्रियमेलक चौपई प्रियमेलकचोपाई प्रियमेलक चरित्र.
प्रियमेलक चौपाई टक प्रीतवत्रीसी
प्रेतमंजरी प्रेमविलास प्रेमलताचीपाई प्रकीर्णकपोथी संकलन
+ पाक्षिकसूत्र सिंदूरप्रकर
+
D प्रक्रियाकौमुदी
● प्रज्ञापनोपांगसूत्र
प्रत्याख्यान पाठ
प्रश्नव्याकरणवृत्ति पन्नासंग्रह पर्युषणाष्टान्हिका व्याख्यान. + कल्पसूत्र मांडणी
पर्युषणाकल्प ( कल्पसूत्र )
● पाक्षिकसूत्र वृत्ति सह
कर्ता
यशोविजयगणि
रुपचंद
रामचंद्राचार्य श्यामाचार्य
अभयदेवसूरि
समयहंसमुनि वृ.क. यशोदेवसूरि
संवत्
.... १८२७ १७९४
-----
----
૧૮૨૧
१७५३
पत्र संख्या
१७५९ २.११८०
.ले. १४८८
१०३
. १४८९ ८३ (१४२३
१५०५)
२
३० हूं. का. २७१ ८-३७ जि.का २१४७ ११ जि.का १८२९ लॉ का २२८ डूं. का. ९८५ १८ हूं. का. ११५३ ....८ जि.का २१९१
३८
भंडार नाम
जि. ता. १२८
१० जि. ता. १५०/१० १-१० जि.का १५०३/२ .......१ जि.का १००५ १६
१७ जि. ता. १७८/१
३
९४
५९
..६
ग्रंथांक
४४
६८
ढूं. का. ३५२ जि.का २२३७
त.का. ८४७ ३१६
हूं. का.
ढूं. का.
५२९
हूं. का.
५३८
त. का. ११५४
त. का. १२०९ त.का. १२८४
खूं. का. ८५५
ग्रंथनुं नाम
● पाक्षिकसूत्र वृत्ति सह
● पोषदशमी का महात्म्य
D प्रश्नोत्तर तथा बोलविचार
फलकल्पलता
फूलजी फूलवती पत्राचार बंधतत्त्वबालावबोध बंधस्वामित्व तृतीयकर्मग्रंथ बंधस्वामित्व तृतीयकर्मग्रंथ वृत्तिसह प्राचीन
० बंधस्वामित्व-प्राचीन तृतीय कर्मग्रंथ बंधस्वामित्वकर्मग्रंथवृत्ति
D बंधस्वामित्वप्रकरण वृत्तिसह| प्राचीन तृतीय कर्मग्रंथ • बंधस्वामित्वप्रकरण- प्राचीन तृतीय कर्मग्रंथ वृत्ति बटुकनाथ स्तोत्र | बटुकभैरवस्तोत्र मंत्राम्नायसह अपूर्ण बटुकस्तोत्र सहमंत्र
| बत्तीस जिन नामानि
बत्रीस अभक्ष्य प्रत्याख्यान अवचूरी
• वधस्वामित्व वालवबोध बनारसीविलास
● बनारसीविलास बनारसीविलास बनारसीविलास
कर्ता
वृ.क. यशोदेवसूरि
भाटपांचाल
हरिभद्राचार्य बृहद्गच्छीय
प्रतापविजय पं.
मतिचंद्रमुनि
धर्मसुंदर
संवत्
र. ११८० ८९
..ले. १५००
१८४४
१५२८
१४९६
२. ११७२ .ले. ११७२
पत्र संख्या
१३०० २००-२०५
२५ १३
१९३१
१७७१
..६
२५
१२
६
८
९
19
...................
....४-५०
५.
६
.२
.५
१०
११२
८५ ६२
.
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________________
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १-४३१
भंडार | ग्रंथांक
संख्या
नामा जि.का १६३९
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | संवत् बप्पभट्टिस्तुतिचतुर्विशतिका ... वप्पभट्टिसूरि-भू.क..............
सटीक पंचपाठ 0 बप्पभट्टीस्तुतिचतुर्विशतिका ... बप्पभट्टीसूरि ..........
जि.का १२३९ जि.का २२१ जि.का २२२ डूं.का. ११४८ जि.का ८७/२
डूं.का. १९३ आ.का.११ डूं.का. |७६४ जि.का ४२०/२७ त.का. ९२३ त.का. |११२५ त.का. ११८२ डूं.का. ६१९ त.का. ७७७ त.का. ९९३ हूं.का. ५७८ ढूं.का. १३२८ लों.का. ३६०
पत्र भडा ग्रंथांक ।
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | संवत् संख्या नाम
आ.का.२३० बारहभावना स्वरूपकुलक ........ लो.का ५१० बारभावना ......
सोमविबुध ............-- बूं.का. १२९५ बारहभावना ........
जयसोमगणि. .....४ |जि.का १८१८ ० बालतंत्र-वैद्यक
वैद्यरतन. जि.का ६०२ ० बालशिक्षाव्याकरण ....
संग्रामसिंह ..................१३३५ जि.का १०८३ ० बालशिक्षाव्याकरण
भक्तिलाभ १६-४० जि.का १३२६/१७ ० बालावबोधप्रकरण
जि.का १८३० बालावबोधसारसंग्रहज्योतिष .... मुंजादित्य जि.का ४२०/४० बावीसपरीसहवर्णन .........
भैया डूं.का. ४०५ बासठमार्गणा द्वार स्तबन.....
ago १० जि.का ११४५ बासठमार्गणायंत्र...... ६५-६६ त.का. २८२ वासठिया बोल थोकडा संग्रह ..
३४७ बासठमार्गणास्तवन त्रूटक...... .का. १५४ बारह भावना..
| जयसोममुनि -पं. ...... ५ त.का. ४३२ बारहव्रतविधीजिनपूजा .......... 9-१३|| डूं.का. ७५ बिंबप्रवेशविधि
बिंबप्रवेश प्रतिष्ठाविधि अपूर्ण, ३ लों.का ३८८ बिकानेर गझल
लालचंद्र ................ .र.१८४८
.ले.१८४९ जि.का २८२ बिल्हणपंचाशिका
विल्हण कवि ...........--- २८३० बिल्हणपंचाशिका
बिल्हण कवि .... जि.का २०५१ बिहारीसतसइयां
विहारीदास... बीज, आम्नाय डूं.का. २३५ बीजक्रियावृत्ति (ज्योतिष शास्त्र) ........
अपूर्ण
बीसविहरमानस्तवन............... जशविजय ............... . आ.का ५६
बीहल्लबावनी ... ..२ जि.का ३६३ ० बुद्धिरास ........
शालिभद्रसूरि
० बलाबलसूत्रवृत्ति टिप्पणीसह
बलिनरेन्द्र + भुवनभानु बालावबोध नेणचंद्र .................. १८४६ बलिनरेन्द्रकथा-भुवनभानुकेयलि-मलधारी हेमचंद्रसूरि .... ........... चरित्र (भवभावनावृत्त्यंतर्गत)... बलिनरेन्द्रनी कथा
भावहर्ष गणि. ....१५९३ बलिनरेन्द्र (भुवनभानु कथा). बांसठ मार्मणा द्वार..
कपुरा पं... बारभावना
भैया बारभावना बारभावना बारभावना बारवत टीप्पणी ..................
.....१८८२ बारजतनाप्रत्याख्यानमालावा...... 4................................१८ बारह ताव+मिर्च गुण ............................... बारह भावना.... बारह भावना.
राज कवि .............. बारह भावना..
..र.१६४६
.ले.१७७२ बारह भावना.. बारह भावना ...
विमलचंद ..... बारह भावना...
विजयप्रभगणि बारह भावना...
सोमसूरिगणि बारह भावना स्वरूप कुलक बारहभावना....
बीरविजय
....१८५६
सोमसुंदर ........
-१३५०
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________________
र.१८३६
......२
१०१
४३२ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक - ग्रंथर्नु नाम कर्ता संवत् । पत्र | भंडार ग्रंथांक | ग्रंथन नाम
कर्ता - संवत । पत्र नाम
संख्या जि.का ९३१ बुद्धिरास.. ............... शालिभद्रसूरि .....
जि.का ९८ बृहत्कल्पसूत्र नियुक्तिभाष्य ....... भद्रबाहुस्वामी -मू.नि..........१९८४ |........ लों.का ४१८ बूडाचारित्र..
वृत्तिसह पीठिका ........... संघदासगणि क्षमाश्रमण .ले.१८८३
भा.क..वृ.क. मलयगिरि जि.का ११५६ बृहज्जातक ....१६३४ .........||जि.का ९९ ०बृहत्कल्पसूत्र नियुक्तिभाष्य ...... भद्रबाहुस्वामी -मू.नि...... र.१३३२
......१९१ जि.का २१९७/१ ०बृहत्तक्षेत्रसमास विवरण सह .... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण टी....
वृत्तिसह प्रथमखंड ..............- संघदासगणि क्षमाश्रमणले.१९८४ .............वि.क.मलयगिरि
(पीठिका से आगे)............. भा.क., वृ.क. क्षेमकीर्ति जि.का १६२५/७ ०बहतूशांति........................ यादिवेताल शांतिसूरि ...........
बृहत्कल्पसूत्रमूल ............. लों.का ५५८ बृहत् जातक................... वराहमिहिर .............
१-८ जि.का ३४ वृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-लघुभाष्य-भद्रबाहुस्वामि-मू. तथा नि..... १४८८१२२(२१४७ लों.का २०४ बृहत् शांति.
वृत्तिसह तृतीयखंड .............. | संघदासगणि क्षमाश्रमणत.का. ३३९ |३३९ बृहत् शान्ति..
लघु.भा..वृ.आ.क्षेमकीर्ति ०बृहत् संग्रहणी सहवृत्ति ......... मलयगिरि
जि.का ३३ ०बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-लघुभाष्य- .. भद्रबाहुश्वामि -नि............१३३२१२८(२०१६ था.का ३०८ बृहत् स्नात्र विधि ................बादिहर्षनंदनगणि ...........
वृत्तिसह द्वितीयखंड .......... संघदासगणि क्षमाश्रमण
-२१४६) त.का. बृहत्कल्पचूर्णि
लघु.भा.क...आ.शेमकीर्ति बृहत्कल्पभाष्य
जि.का ३२ बृहत्कल्पसूत्रनियुक्ति-लघुभाष्य-- भद्रबाहुस्वामि -नि......... २.१३३२१७१(१८४५ बृहत्कल्पवृत्ति
|वृत्तिसह प्रथमखंड ............... संघदासगणि क्षमाश्रमण.ले.१४८८/-.-२०१५) बृहत्कल्पवृत्ति द्वितीय खंड
.... लघु.भा..वृ.मलयगिरि आ. बृहत्कल्पवृत्ति प्रथम खंड ....
था.का २७४ ०बृहत्कल्पसूत्र भाष्य ..
.......१६७२|..... २७१ बृहत्कल्पसूत्र .... ............. भद्रबाहुस्वामी...
था.का.२३६ बृहत्कल्पसूत्र सह लघुभाध्य ...
.........१६७६ ..... १९९ जि.का २७२ बहत्कल्पसूत्र.
भद्रबाहुस्यामी ........
जि.का २१६४ बृहत्क्षेत्रसमास सस्तबक..... जि.का २९४ ० बृहत्कल्पसूत्र.
भद्रबाहुस्वामी..
जि.ता.१५०/२ ०बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण ........... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ....१३००/-.५८-१२१ लो.का ६० बृहत्कल्पसूत्र........... भद्रबाहुस्वामी ....
|जि.ता.१९२ बहरोत्रसमासप्रकरण सटीक ...मू.क.जिनभद्रगणि ...........१४८९ |......३४२ १०१ ० बृहत्कल्पसूत्र नियुक्ति ............ भद्रबाहुस्वामी -मू.नि.....र.१३३२. २८४
समाश्रमण, वृ.क.मलयविरि भाष्यवृत्तिसह तृतीय खंड ......संघदासगणि क्षमाश्रमणले.१९८४
आचार्य भा.क., वृ.क. क्षेमकीर्ति | जि.ता. १९४ ०बृहत्यक्षेत्रसमासप्रकरण ....... मू.क.जिनभद्रगणि
......२६७ जि.का १००० वृहत्कल्पसूत्र नियुक्तिभाष्य- ...... भद्रबाहुस्वामी -मू.नि...... र.१३३२ ....३०५
सटीक अपूर्ण................ क्षमाश्रमण, टी.क. वृत्तिसह द्वितीयखंड .............. संघदासगणि क्षमाश्रमण .ले.१९८३
मलयगिरि आचार्य भा.क., वृ.क. क्षेमकीर्ति
त.का./१०
.........
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________________
LED
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.४३३ । भंडार ग्रंथांक | ग्रंथन नाम
कर्ता कर्ता | संवत् | पत्रमा संवत । पत्र | भंडार| ग्रंथांक |
ग्रंथांक | ग्रंथनुं नाम ग्रंथर्ने नाम
कर्ता | संवत् | पत्र जि.ता.१९३ .बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक .... मू.क.जिनभद्रगणि ..........१३००......२४९| जि.ता २०२ ० वृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक .....मू.क.जिनभद्रगणि ........ र.११३९ /......१५० टिप्पणीसह क्षमाश्रमण,
क्षमाश्रमण, टी.क. .......ले.१२०१ टी.क.मलयगिरिसूरि
शालिभद्रसूरि जि.ता.१९५ ०बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक ... मू.क.जिनभद्रगणि ....... र.११९२६......२११ जि.का १०४३ बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक ....... | जिनभद्रगणि......
क्षमाश्रमण वृ.क.सिद्धसूरिले.१३००
जि.ता/२०० वृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक .....मू.क.जिनभद्रगणि........ र.११३९ उपकेशगच्छीय
किंधिदपूर्ण ............... क्षमाश्रमण, टी.क. .......ले.१३०० ई.का. ६०७० बृहत्शांति टीका ............... नयनंदन ....................१८५७..........६
शालिभद्रसूरि इं.का. १२३१ ०बृहत्शांति सह वृत्ति ............. हर्षकीर्ति सूरि.............. .........५ जि.का, २०५४ बृहत्संहितागत अधिकार ........... जि.का १२८९ बृहत्संग्रहणी + वंदनविधि
...........१४००..... २२४| डूं.का. ११६ •बृहत्स्तोत्र अपूर्ण ...... + पंचाशक + आवकवक्तव्य
डूं.का./८०८ ० बृहत्शांति ........
...................१८iate आ.प्रक
त.का. ८६५ •बृहत्नवकारमंत्र..... त.का. १११५ बृहत्संग्रहणी सूत्र (श्री चन्द्रीय)... श्रीचंद्रसूरि
• १४ त.का. ८४३ बृहत्शांति.. जि.ता. १५०/१ ० बृहत्संग्रहणीप्रकरण ....... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण....१३००......१-५७ डूं.का. ७८० बृहतकल्पवृत्ति (प्रथम खंड).... रत्ननंदीगणी .
.२८९ जि.ता.१५५/११ ०बृहत्संग्रहणीप्रकरण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ....१२२२ ....१-३१| था.का २७१० बृहत्कल्पटीका खंड १...............
.. ५३७ जि.ता/१५७/२ ० बृहत्संग्रहणीप्रकरण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ...१३१० ..४८-१०२ | था.का २७२ ० बृहत्कल्पटीका खंड-२......
.. ५१७ जि.ता,४१५/५ ० बृहत्संग्रहणीप्रकरण
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .९१-१२० था.का. २७३ ० बृहत्कल्पटीका खंड-३............
४४४ जि.का ९७५ बृहत्संग्रहणीप्रकरण...... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ....१९८४....... १३ |जि.का १६९३/८० बृहत्शांतिस्तोत्र.... जि.का १३१५ बृहत्संग्रहणीप्रकरण....... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ....१४००
त.का. |१७० ० बृहत्शान्ति सह बालावबोध ..... ऋषभविजय जि.का १२८६ ०बृहत्संग्रहणीप्रकरण त्रू.अ. ...... जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण....१४००.. ५६७६]
बृहद्महरत्नाकर ......
योगराज जि.ता.१९८ ०बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक ..... मू.क.जिनभद्रगणि
|जि.का २१३६ ० बैंतालीसदोषविवरणस्तवन ..... सिद्धार्थमुनि क्षमाश्रमण,टी.क. त.का. ११६३ बेलीकेसन रूक्मिण
... १२-३४ मलयगिरि आचार्य जि.का १३३/२०० बोटिकनिराकरणप्रकरण .............
४४-४७ जि.ता. १९९ ० बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक .... मू.क.जिनभद्रगणि ....१२९६ ......२६१ जि.ता. १५४/२० ० बोट्टिकनिराकरण......
...............१२१५ क्षमाश्रमण,टी.क. मलयगिरि आचार्य
डूं.का. ४९७ बोधसंग्रह जि.ता. २०१ ० बृहत्संग्नहणीप्रकरण सटीक .... मू.क.जिनभद्रगणि ...... . र.११३९ ......१८९||डूं.का. १०५४ बोल थोकडा भंग संग्रह
क्षमाश्रमण, टी.क. ......ले.१३००
था.का २०३ बोल थोकडा भंग संग्रह शालिभद्रसूरि
बोल थोकडा भंग संग्रह
१४-१५
जि.ता. २२४/३
...१३००
१६-२५
था.का, ३४१
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________________
नाम
सख्या
पत्र भंडार| | संवत् ।
| ग्रंथांक | संख्या । नाम ..........१८३१..........७ था.का. ४६१
त.का. ८२८ त.का. ४११ जि.का. ७८८
आ.का.२३२ |जि.का.४२० ९||त.का. १२६५ ||जि.का. ४२०/५
था.का. ४६४ लों.का. ६२६ डूं.का. २१७
...११६
............
............
/Rom
४३४ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार | ___ ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कता आ.का. १०२ बोल थोकडा भंग संग्रह .......
+ गांगेय भंग प्रकरण लों.का. २८०/० बोल थोकडा भंग संग्रह त्रूटक .............. लो.का. ३०२ बोल थोकडा भंगसंग्रह . लो.का. २८०/c बोल थोकडा संग्रह टक.........................." आ.का. २६४ बोलथोकडाभङ्गसंग्रह .. त.का. ४२५ बोलथोकडा भंगसंग्रह
उमेदविजय त.का. १२८२ बोलथोकडा भंगसंग्रह
बोलथोकडाभंगसंग्रह त.का. ८९५ बोलथोकडाभंगसंग्रह
बोलथोकडाभंगसंग्रह त.का. ८९९ बोलथोकडाभंगसंग्रह
बोलथोकडाभगसंग्रह आ.का. ३०० बोलथोकडाभङ्गसंग्रह ...
बोलथोकडाभगसंग्रह .................
बोलथोकडे जैन................ जि.का. ४४२ बोलविचार त.का. १३०० बोलविचार उद्धरण त्रूटक पत्रो त.का. ४५० बोलविचारसंग्रह जि.का.५८५ बोलसंग्रह जि.का.९४३
बोलसंग्रह त.का. ११०७ बोलसंग्रह सत्तावीस द्वारोंसे ... था.का. ३६१
बोलथोकडा भंगसंग्रह था.का. ३६० बोलथोकडाभंगसंग्रह लों.का. ३१२ बोलथोकशाभंगसंग्रह लो.का. ४५१ बोलथोकडाभंगसंग्रह लों.का. ३५६ बोलथोकडासंग्रह
समयसुंदर.. लो.का. ६९९
बोलथोकडा भंगसंग्रह ............ पूर्वाचार्य .......
MMMMमर
....१८४६
१-६०
ग्रंथनू नाम
कर्ता
संवत् ब्रह्मचर्य नववाडगीत ......................... बह्मचर्यनववाडीगीत.
................... १७०२ ब्रह्मचर्यनीवाडगीत ................ जिनहर्ष ....................... १८४८ ब्रह्मतुल्यज्योतिष ................. ब्रह्मदत्तकथा ...... ब्रह्मविलास....................... भगवतीदारा ..................१७५५ ब्रह्मविलास.. .....
..... १७७२ ब्रह्मसमाधिशतक ................ भगवतीदास .................. १७१६ ब्राह्मणवाडमहावीरस्तवन ब्रह्मचर्यनववाडगीत व हरियाली.. समयसुंदर.
समयसुदर.............. बलिनरेन्द्र भुवनभानुकेवली........ दयावर्धन पं.-ले............... १८७४ दृष्टांत बालावबोध बलिनरेन्द्र भुवनभानुचरित्र .... भक्तपरिज्ञा... ..................... विनीतसागर .................. १७६२ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक भक्तपरिज्ञासंस्तारकप्रकीर्ण ....... भक्तामर ...... ......... मानतुंगसूरि ... भक्तामर ...... ....... मानतुंगाचार्य. भक्तामर + कल्याणमंदिर प्रकीर्ण भक्तामर की कथायें. भक्तामर वालावबोध ............. लालचंद्र-ले. .................१७७४ भक्तामर मूल ................... मानतुंगसूरि ...............१७५९ भक्तामर समस्या भक्तामर स्तोत्र
मानतुंगसूरि भक्तामर स्तोत्र
मानतुंगसूरि भक्तामरबालावबोध भक्तामरमंत्रतंत्र व फल .... भक्तामरसूत्र सहवृत्ति ............ मानतुंगसूरि
लों.का.४८४ त.का. |५६१ जि.का. १९५१/२
जि.का. १४२६ ३९| जि.का १६२५/
६० ४६||७.का. १३६८ २०|लों का २३०
त.का. ४९२ डूं.का. १७० लों.का ५९५
४-११
४ . SAAAAAA
. .
.१८४८ ....१-३ था.का. ४८१ .... १६८६ ......१-८५.का. ८१७ .................१-१० | त.का. ८६१ ..............१४-१८||त.का. १२११
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सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४३५
भंडार| ग्रंथांक
-भंडार
पत्र संख्या
ग्रंथांक
पत्र
ग्रंथy नाम
- संवत् । संख्या
कर्ता
....१४००
का ८०४
-४१५
AEEEEEEEEEEEEE
....
१-४
गोवर्धन .........
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् नाम जि.ता.१५८/१७ ० भक्तामरस्तोत्र ................ मानतुंगसूरि.. ....१४००/१९८-२०३ था.का. १२८ जि.ता.३९७/३ ० भक्तामरस्तोत्र
मानतुंगसूरि .....
त.का.७२२ जि.का ७९७ भक्तामरस्तोत्र
मानतुंगसूरि .....
जि.का.१२४५/२ जि.का ८०३ भक्तामरस्तोत्र. मानतुंगसूरि .....
जि.का ११९४ भक्तामरस्तोत्र............... मानतुंगसूरि .....
त.का. ७१६ का १३२६/५०० भक्तामरस्तोत्र............... मानतुंगसूरि ...
जि.का २१४४ का १६२७ भक्तामरस्तोत्र .................. मानतुंगसूरि ....
|जि.का १२१० १६९६ | भक्तामरस्तोत्र................... मानतुंगसूरि २१६०/१६ भक्तामरस्तोत्र ...............
..६३-६८ त.का. ७३७ भक्तामरस्तोत्र ...............
जि.का ८०५ त.का. ८४६ | भक्तामरस्तोत्र ................... मानतुंगविजय
डूं.का. |७७७ .का. १३०५ भक्तामरस्तोत्र + कल्याणमंदिर
... ७| आ.का. ६४ .का. १३०६ भक्तामरस्तोत्र आदि
..५डूं.का. ११३३ जि.का १६२८ भक्तामरस्तोत्र बालावबोध......
... १२ डूं.का. १३८/A जि.का ७६६ भक्तामरस्तोत्र बालावबोध अपूर्ण
..... ५ डूं.का. २० जि.का १२५४ भक्तामरस्तोत्र बालावबोधसह ....
...... ६-२४ डूं.का. ५०७ पंचपाठ जि.का.७२४ भक्तामरस्तोत्र भाषा कवित कल्प...
घडविधानसहित जि.का.११०७ भक्तामरस्तोत्र भाषाकवित्त ........बनारसीदास ................. १७८३ जि.का १६६३ ० भक्तामरस्तोत्र वार्तिकसह ....... मानतुंगसूरि-मू...
| डूं.का. १०० या.क मेरुसुंदरोपाध्याय
लो.का ७१३ जि.का. १७०८ भक्तामरस्तोत्र बृत्तिसह ........... मानतुंगसूरि-मू.. ........... र.१४२६
गुणाकरसूरि-वृ............ले.१८५९ जि.का ८७४० भक्तामरस्तोत्र वृत्तिसह त्रिपाठ...मानतुंगसूरि-भू.क.. ..........१८५१
वृ.क.अमरप्रभसूरि
था.का,२२१ जि.का. १०२८ भक्तामरस्तोत्र सस्तवक ........... त.का. ७५०/ भक्तामरस्तोत्र सह टब्बार्थ ...............
त.का. ४९३
भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध.... प्रमोदगणि भक्तामरस्तोत्र सहावचूरि ................. भक्तामरस्तोत्र सावचूरि................... भक्तामरस्तोत्र सावचूरिक पंचपाठ .......... भक्तामरस्तोत्रकथा भक्तामरस्तोत्रभाषाकबित ...... हेमराज भक्तामररतोत्रवृत्ति .............. मानतुंगसूरि-मू.क.
यू.क.समयसुंदर भक्तामरस्तोत्रसहवृत्ति ....
................१८२८ भक्तामरस्तोत्र सार्थ
मानतुंगसूरि ...... भक्तामरवृत्ति ..........
शंकरदासमुनि...
. ૧૮૭૨ भक्तामरवृत्ति ................
.१४२६ भक्तामरसुबोधिका टीका .....
૧૮૨૬ ० भक्तामरस्तवटीका ...
देवसूरी ले..... १९०७ भक्तामरस्तोत्र...
मानतुंगसूरि ... .१८२६ भक्तामरस्तोत्र...
मानतुंगसूरि भक्तामरस्तोत्र ............... मानतुंगसूरि. भक्तामरस्तोत्र ............. भक्तामरस्तोत्र + वैराग्यसज्झाय. भक्तामरस्तोत्र बालावबोध .. भक्तामरस्तोत्र बालायबोध सहित... मानतुंगसूरि . भक्तामरस्तोत्र भाषा गोटका ....पूर्वाचार्य भक्तामरस्तोत्र सटीक ............ मानतुंग सूरी. भक्तामरस्तोत्र सटीक ............ मानतुंगसूरि ... भक्तामरस्तोत्र सह रब्बार्थ बेटक ... मानतुंगसूरि... भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध..मानतुंगसूरि ... भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध... मानतुंगसूरि .... भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध ... मानतुंगसूरि ..................१८६९
१-५
AIIALA
सालों का ५८५
.......१८
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कता
.१-११
4ETEEEEE
...३१२
४३६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता
|भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
संवत् नाम
नाम
संख्या त.का. ४९४ भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध.. लब्धिशेखरमणि..
त.का. १०५८ भगवतीसूत्र त.का. ४९६ भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध.. मानतुंगसूरि ...
त.का. ९८३ भगवतीसूत्र (तामली समाप्त) .. आ.का १६७ भक्तामरस्तोत्र सह वृत्ति ......... रामजी -ले.......
डूं.का. |२५१ भगवतीसूत्र + जमालीकी गति त.का. ७११ भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध
जि.का २०३७ भगवतीसूत्र अपूर्ण ............... लों का २२० भक्तामरस्तोत्र ................... मानतुंगारि...
८० भगवतीसूत्र आलापक ......... डूं.का. १७/१ भक्तामर .....
२७ भगवतीसूत्र बीजक ...... आ.का-६९ भक्तपरिज्ञा ...........
भगवतीसूत्र मूल ................
१-२९८ डूं.का. १०२५ भक्तपरिज्ञा सह अवचूरी ......... शांतिसूरि ......
भगवतीसूत्र मूल ................ गणधर ....... जि.का २१२०/१३० | भक्ष्याभक्ष्यगाथा बृत्ति .....
भगवतीसूत्र सटीक त्रूटक
...१-२४५ त.का. १२९२ भल्याभक्ष्यविचार ......
आ.का.१९२
भगवतीसूत्र सह टव्यार्थ त.का.८३७ भक्ष्याभक्ष्यविचार ................ नयविमल ...............
लों.का १६३ भगवतीसूत्र सह टब्यार्थ चूटक. + पच्चक्खाणविधि लों.का २४ भगवतीसूत्र सह शब्दार्थ ...... सुधर्मास्वामी
...१६११ |... १७०७ बूं.का. ४७७ | भगवतपारणाधिकार
जि.ता.१४७/१४ ० भगवतीसूत्रपर्याय.
१२१-१३१ डूं.का. १३४१ | भगवती (बीजक) टीप ११|| जि.का २६४ भगवतीसूत्रबीजक ............. हर्षकुलगणि ............. र.१६११
.....३-१० त.का. ९५७ भगवती पद्म पुष्पांजलीस्तोत्र ... .........
.ले.१६१८ भगवतीवोलसंग्रह
| जि.ता.१६ . भगवतीसूत्रवृत्ति .................. अभयदेवाचार्य ......... .र.११२८ .....३९७ • भगवतीसूत्र ....
.ले.१४८८ जि.ता.११ • भगवतीसूत्र ...
.....२९३ जि.का १४० भगवतीसूत्रवृत्ति .................. अभयदेवसूरि .............. र.११२८ २०७(७२४जि.का १३ १३ . भगवतीसूत्र ...
सुधर्मस्वामी........ ५८(५६६
.ले.१४८८ |.... ९३०) .... ७२३)| जि.का १३६४० भगवतीसूत्रवृत्ति .................. अभयदेवसूरि-यू......... ................ ३०३ जि.का १६५ 0 भगवतीसूत्र ...
सुधर्मस्वामी...
२-२६२ जि.का १३६५ ० भगवतीसूत्रवृत्ति जि.का १३६९ • भगवतीसूत्र ...
...................... ४०८||जि.का १३७१ भगवतीसूत्रवृत्ति अपूर्ण .......... अभयदेवसूरि ....... का ४७१ भगवतीसूत्र ....
.... १-३ जि.ता.१२ • भगवतीसूत्रवृत्ति, प्रथम खंड,... अभयदेवाचार्य र.११२८ भगवतीसूत्र .... ..............१२०० ......४२२ अष्टमशतक पर्यन्त ......
ले.१९९५ त.का. ५७ भगवतीसूत्र:--
गणधर
..३२८ त.का. ६२ भगवतीसूत्रबीजक .............. हर्षकुलगणि. ...१५७८ भगवतीसूत्र.
0 भगवतीसूत्रवृत्ति .............. अभयदेवसूरि त.का. ६३ भगवतीसूत्र
.१६१५ ...१५ त.का. ६४ भगवतीसूत्रवृत्ति ..
अभयदेवसूरि ...............१६ER भगवतीसूत्र
११२-४८२ जि.का १३७० भगवतीसूत्रवृत्ति अपूर्ण ... अभयदेवसूरि-टी. ..................
3४८
.........
.४२५
लो.ता.४
गणधर
त.का. १०४०
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पत्र
संवत
45
६४७
......१-४
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४३७
पत्र भिंडार
ग्रंथनुं नाम ग्रंथांक
भंडार कर्ता
ग्रंथांक संख्या नाम
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत्
संख्या जि.ता१४ . भगवतीसूत्रवृत्ति, २६ शतक .... अभयदेवाचार्य ...............१२००६......४३७| जि.ता ३३९ ० भट्टिकाव्य वृत्ति सर्ग ८ ........वृ.क. पंडित अनिरुद्ध .......१३००/ १८९-४१५ पर्यन्त
थी १५ पर्यन्त का ४२९ • भगवतीसूत्र सटीक त्रिपाठ ...... सुधर्मास्वामी -मू.क.,
लों.का. ५९८ भद्रनंदिकुमारकथानक ... ११ मा शतक पर्यत ............. टी.क.अभयदेवसूरि .... ३०२ जि.का १३२६/२४० भयहरस्तोत्र...
२३२-२३४ था.का.२६७ भगवतीवृत्ति ................
र.११२८ ..... ४२७| जि.का २०३८/५ भयहरस्तोत्र.......
ले.१६७२ | जि.का १६९३/६ ० भयहरस्तोत्र ...... भगवतीवृत्ति .................
.र.११२८ .... ४०२| जि.का १२३६ ० भयहरस्तोत्र वृत्तिसह ... .ले.१६७२
मंत्रकल्पगर्मित अपूर्ण हूं.का. १३६४ भगवतीवृत्ति अपूर्ण .................
(३०९ से जि.का. १२४३ भयहरस्तोत्र सटीक अपूर्ण ....
३३८)३०||जि.का २१२०/८ ० भयहरस्तोत्रवृत्ति ................. जिनप्रभसूरि हूं.का. ४५२ भगवतीसूत्र ....................... हर्षनंदन
.....३५६| डूं.का. |४३/
१ ० भरटककथा ............... डूं.का. ९२८ भगवतीसूत्र
....३४२ ९.का. |४३/२ भरटककथा बूं.का. १२०१ भगवतीसूत्र
इं.का. ४६ भरटकद्वात्रिंशिका अपूर्ण ....................................................... २४ भगवतीसूत्र
...................... ३५५||जि.का १९५२ भरतबाहुबलीकथा. था.का २६८ भगवतीसूत्र
.... ३४४ जि.का १७६५ भरतसंगीतसंयोग. लो.का ६९१ भगवतीसूत्र
भरहेसर वृत्तिसह त्रूटक अपूर्ण .. शुभशीलगणि -वृ....... लों का ६५० भगवतीसूत्र सह टब्बार्थ बेटक - सुधर्मास्वामी
१९३२ भर्तृहरित्रिशती .का. ५६ भगवतीसूत्रवृत्ति अपूर्ण........
भर्तृहरिवैराग्यशतक सटीक ..... भर्तृहरि -मू.क............. त.का. ५८ भगवतीसूत्रवृत्ति ................. अभयदेवसूरि ...
जिनसमुद्रसूरि -टी.क. जि.का १९१६ भगवद्गीता दोहासह भाषाटीका
भर्तृहरिशतकवालावबोध अपूर्ण .. जि.ता३८८/२ भगवद्गीता भाष्य सह .......... भा.क.शंकरस्वामी ........
भर्तृहरिनीति व श्रृंगार शतक ....
१-१९ भगवद्गीता सटीक अपूर्ण ....... श्रीधर ..
भर्तृहरित्रिशती सुखबोधिनी- .... भर्तृहरि मू.क.............. र.१८१८
...... ५० जि.का २०८१ भगवतीसूत्रगतशतकादि ....
टीकासह .......
टी.क.श्रीनाथव्यास .......ले.१८७७ हूं.का. ११३९ भगवतीबीजक..
..................१९२५ ....... १५ जि.का १८६८ भवनविचार ज्योतिष आ.का ४३ भगवतीसूत्र..
......१८० था.का २०५ ०भवभावना सह वृत्ति भगवद्गीता
....१७६६......२.५५ जि.ता.४१५/११ ० भयभावनाप्रकरण................ | मलधारी हेमचंद्रसूरि .........१२०६ | १६२-१९१ जि.का १९३१ ० भट्टिकाव्य...
भट्टिकयि .......
..... ६१] जि.का ५४९ भवभावनाप्रकरण................. मलधारी हेमचंद्रसूरि .. जि.ता.३३८ ० भट्टिकाव्य (रामकाव्य)..... भट्टि कवि वल्लभीवास्तव्य ..१४००,......१४४
था.का २६६
भर्तृहरि
का/०१५
.३८४
EEEEEE
.१२००
.... २९३
लों.का ५७१
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४३८ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
नाम
जि.का २३९
जि. ता. २३१
जि. ता. २३२
जि. ता. २३३
त.का. २६ हूं. का. ६१० आ.का. १९० त. का. ३८१/० त.का. ७०६ जि.का. १०८८ जि.का २६७/२ जि.का १६०१
सूं. का. ५०१
त. का. ५८१
लों का, ५९७ जि.का २२४७ जि.का २१५०
त. का. ८६४ जि.का १२४६
जि.का. १६४५ त. का. १०३४
[ था. का. ३३९ आ.का. ८५
ग्रंथनुं नाम
● भवभावनाप्रकरण वृत्तिसह
● भवभावनाप्रकरण
स्वोपज्ञवृत्तिसह
● भवभावनाप्रकरण
स्वोपज्ञवृत्तिसह.
● भवभावनाप्रकरण
स्वोपज्ञवृत्तिसह.
● भवभावनावृत्ति
भववैराग्य शतक टब्बार्थ
भववैराग्यशतक
भववैराग्यशतक
भववैराग्यशतक
भववैराग्यशतक अपूर्ण
८ भववैराग्यशतक सस्तबक
भववैराग्यशतक सस्तबक भववैराग्यशतक सह टब्बार्थ भववैराग्यशतक सह टब्बार्थ भववैराग्यशतक सह टब्बार्थ
• भवानंदीप्रकाश सटीक ० भवानीकवच आदि
भवानीसहस्रनाम.
० भवानीसहस्रनामस्तोत्र तथा
जैनरक्षास्तोत्र
भवानीसहस्रनामस्तोत्र
भवभावना भववैराग्यशतक
| भववैराग्यशतक
कर्ता
संवत्
मलधारी हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ. मलघारी हेमचंद्रसूरि | स्वोपज्ञ.
२.११७० .ले. १५९५ र. ११७० .ले. १३०० मलधारी हेमचंद्र स्वोपज्ञ र ११७० .ले. १२४०
मलधारी हेमचन्द्रसूरि स्वोपज्ञ.
हेमचन्द्रसूरि
महादेव-मू. हरिहरब्रह्म
ग्रंथांक
भंडार ग्रंथनुं नाम नाम जि.का १६००/१ ० भववैराग्यशतक डूं. का. ७३३ ० भांडागरीय भक्तामरकाव्य - ३५० जि.का १२०८ भागवतदशमस्कंधपंचाध्यायी जि.का १२७२ भागवतदशम स्कंधविवरण अपूर्ण भावचिंतामणि षष्ठपटल-ज्योतिष भावना उपयोग
....
• ३८६ जि.का १८४६ आ.का. २५५ हूं.का. १३७३ त. का. ७५२
भावना प्रकरण
- ३१७ जि. ता. १५१/१८ १-१७ जि. ता. १५१ /२३
२
जि. ता. १५९/१०
. १६४८.९ (६-१४)
४
हेमचंद्रसूरि
. १८६४ १८००
पत्र संख्या
२. ११७०३८५ .ले. १२६०
१४६६
१६४
भावना वेली भावनाकुलक ० भावनाकुलक भावनाकुलक
जि.का. १३४ / ९ ० भावनाकुलक
जि.का १३४/१०० भावनाकुलक
जि.का १३४ / २१० भावनाकुलक
. १०-१२ जि. ता. १५१/१७ ० भावनाकुलक-वैराग्यकुलक
११ जि.का १३१७/२७ भावनाप्रकरण
..८ जि. ता. १५१ / २१ १० जि. का १३४ /१९ १-१०.का. ८११/१ ४७ खूं. का. ३८८ ७ त.का. ९४४ २ आ.का. २०४ ७लों का, ५५६ जि.का. १९५ ९ त.का. १०२६
१६
हूं. का. १३७७
ર
० भावनासंधि ० भावनासंधि.
भावनाकुलक भावनाविलास अपूर्ण
भावप्रकरण भावप्रकरण व्याख्या भावफलप्रदीप
• भावशतक
भावषट्त्रिंशिका ● भावषट्त्रिशिका छतीसी + चारित्रछतीसी +
| मतिप्रबोध छत्तीसी
आत्मप्रबोध
वल्लभदीक्षित
धर्मचंद्र
सोमदेव
कर्ता
सोमदेव देवेन्द्रसूरि
जसदेवमुनि (यशोदेवमुनि) यशोदेव
विमलविजय
महादेव
नागराज
संवत्
. १८२२
१८४८
- १७७६
पत्र संख्या
१९००
१४००१०१-१०५
. १४०० १४९-१५१
- १३४५ १३४-१३७
१९०४
१-५
....9
२-१०९
४८
३
२१
१
४
२६-२७
१४०० ९८१०१ १९९-२०१ १४०० १२१-१३६ २४-२६ . ३२४
..६
...
१३-१४
१४-१५
.३
.४
१-३
२-६
.२
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.४३९
भंडार
भंडार
ग्रंथांक
कर्ता
पत्र
| संवत् ।
नाम
नं.का./१३७५ नई.का. ११७१ जि.का. १०४५ आ.का. ३६९ जि.का.२०३८/४ जि.का. २१६०/१८ जि.का १६१६ जि.का १७०९
जनवल्लभ..
जि.का. ९२७/१ जि.का. २०४२ जि.का.१६१७
जि.का. १७०२ डूं.का. ६३२ जि.का. १९०७ त.का. १०१ इं.का. ३६१
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत्
ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम संख्या नाम
| सपन संख्या भावषट्त्रिशका.....
जि.का १८७६
भुवनदीपक सस्तबक ............ पद्मप्रभसूरि ...... भावषट्त्रिंशिका सह टवार्थ .......
जि.का १८८१
मुवनदापक सस्तबक........... पद्मप्रभसूरि भावाध्याय अपूर्ण ..............
| त.का. ४५९ भुवनदीपक सह टब्बार्थ .......... पद्मप्रभसूरि भावारिवारणसमसंस्कृतस्तोत्र...
जि.का १८९२ भुवनदीपकज्योतिष सटीक ...... पद्मप्रभसूरि भावारियारणस्तोत्र
त.का. ४६६ भुवनदीपकज्योतिषशास्त्र .... भावारिवारणस्तोत्र .........
जि.का ११७७ भुवनदीपकवृत्ति अपूर्ण भावारिवारणस्तोत्र ............. जिनवल्लभगणि
डूं.का. ५८१ भुवनदीपक .... | भावारिवारणस्तोत्र तथा ........ जिनवल्लभसूरि
५.का. ११४८ भुवनभानु वालावबोध. दुरियरयसमीरस्तोत्र
|जि.का ८७/२ भुवनभानुकेवलिचरित्र ... भावारिवारणस्तोत्र बालावबोधसह जिनवल्लभगणि .........
(भवभावनावृत्त्यर्गत) भावारिवारणस्तोत्र बृत्तिसह ........ जिनवल्लभ .............
जि.का ४७८ |भुवनभानुकेचलिचरित्र बालावबोध हरिकलश धर्मघोषगच्छीय ....१७२५/...... ८२ भावारिवारणस्तोत्र सटीक ........ जिनवल्लभसूरि-मू., ..
.का. १०३० |भुवनभानुकेवलीचरित्र कथा सह . ....जयसागरसूरि-टी.
त.का. ७३६ . भुवनेश्वरीबृहत्स्तोत्रविवरण ...... श्रीधरजी....................१८४० भावारिवारणस्तोत्रादिवृत्ति .....
...... १५ जि.का ६०६/१६ ० भुवनतिलककुमारभास ...... भावप्रकाश....................... प्रताप विजय पं.ले...........१९०९ ...... ३७२| डूं.का. २०४ |भू धातुवृत्ति .................. हर्षविमलमुनि ................ भाषाभूषण..............
त.का. ४९० भैरवकवच अष्टोत्तरशत स्तोत्र... १८६६......... भाष्य त्रय ......................... देवेन्द्रसूरी ............
मंत्रसहस्रनाम भाष्यत्रय वार्तिक .................ज्ञानविमलसूरि.....
जि.का १६९३/११० भैरवपद्मावतीकल्प .... भाष्यवार्तिकवृत्तिविवरणपंजिका. अनिरुद्ध पंडित ..............
डूं.का. १०८९ भोजचरित्र ...
राजवल्लभ | द्वितीयाध्यायथी पंचमाध्याय पर्यंत
जि.का ८६९
राजवल्लभोपाध्याय .. |भास्करोषितग्रहागम......
५.का. २४०
भोजचोपाई ................ जिनचंद्रसूरि भीमसेनचोपाई .................. जिनसुंदरसूरि ............... १७५५ ...... ६४ डूं.का. २९७ भोजनयुक्ति ............... भुवनदिपक अध्याय ज्योतिषशास्त्र.
जि.का २०५७ भोजराजकथा ........भुवनदीप टम्बार्थ (ज्योतिष) ....गौडीदास पं.ले., ...........१८४७ .......२२|७.का. ४१ भोजराजचरित्र...... पद्मप्रभसूरि-क.
जि.का ८३०० भोज्यनामगर्भित जिनस्तुति ...... साधुराजगणि भुवनदीपक ............... पद्मप्रभसूरि
................ २६ लो.का २५१/४ भ्रमणसूत्र सह सारणि भुवनदीपक................ पद्मप्रभसूरि जि.ता/१४६/३ ० भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक
वीरभद्रगणि
१२-२६ भुवनदीपक ज्योतिषशास्त्र टब्बार्थ पद्मप्रभसूरि .................१२०१ /....... १४ जि.का ११०१ भक्तामरस्तोत्र सस्तबक ......... | मानतुंगसूरि.
त.का. ९८७ जि.का ६४३ त.का. ११५० बूं.का. २०९
जि.का. ११५९ जि.का १८३६
....१८
इं.का. २०७
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भंडार
ग्रंथांक
संख्या
१०.२३
MEE
....४३५
जि.ता. १३
... १००
...........
A NEWS
४४० - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथनुं नाम
भंडार कर्ता
पत्र संवत्
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता नाम
संवत् । संख्या डूं.का. ८४० भक्तामरस्तोत्र .. समयसुंदर-ले.. ...१७६४..........७ लों.का ७०७ मंत्र-सकुन आदि
पूर्वाचार्य मानतुंगसूरि-क. डूं.का. ५८८० मंत्रपत्र
गुणशेखर जि.का. १३६६ भगवतीसूत्र सस्तबक ................. ३९५ इं.का. ४७ मंत्राधिराजकल्प
सिंहतिलकसूरि त्रयोदशशतकतृतीयोदेशपर्यंत
डूं.का. २८/१ मंत्रराजरहस्य
माणेफराजमुनि .............१८४३ भगवतीसूत्र सह शब्दार्थ ....... सुधर्मास्वामी
......१-५४८
मङ्गलिकमाला .... भगवतीसूत्रवृत्ति ............. अभयदेवाचार्य. .र.११२८
त.का. १७४ मच्छोदररास
ले.१२०४ | जि.का ७४९ मजलस • भगवतीसूत्रवृत्ति, द्वितीयखंड, .. अभयदेवाचार्य ......... .र.११२८
५५ आ.का ३५६ मजलस नवमा शतकथी संपूर्ण ....
.ले.११९५ जि.का १३२५ 0 मणिपतिराजर्षिचरित्र ........... जंबूकवि ................
मणिपतिराजा डूं.का. ९३८ भगवतीबीजक .............. माणिक्यसागरगणि..... ....१९२४
.... १६ त.का. ४३६
मणीभद्रछंद..... .का. ९३९ भगवतीवृत्ति .....
माणिक्यसागरगणि .... ....१८४४
त.का.७८१ मणीभद्रछंद ... का. १०२१ भगवतीसूत्र सह वृत्ति .......... विमलगणि
डूं.का. १३७७ | मतिप्रबोध छत्तीसी......... ११०७ भगवतीसूत्रवृत्ति ............... |जिनरंगगणि.................१८७३
जि.का ४२०/२० | मधुबिंदुकथाचोपाई ............. मैया डूं.का. १३०८ भगवान महावीर पूर्वभव .........
(४से११ जि.ता.३४६/
५ ०मधुवर्णनकाव्य ............. केलिकवि सह वृत्ति .............
जि.का १४४/४० मधुवर्णनकाव्य ............. केलिकवि जि.का २२१५ भर्तृहरित्रिशती सावचूरिक पंचपाठ...
भर्तृहरि
बूं.का. ११८७ | मध्यान्ह व्याख्यान पद्धति.... शिवलाल जि.का ४२०/५६ मनबत्रीसी
भगवतीदास.. त.का. ४५७ भवानीसहस्रनाम..
............. जि.का १०१७ मनोरथमाला ..
जिनसमुद्र
...१७०८ आ.का. ३१९ मंगलकलशरास.
था.का. ३८९ मनोरथमाला
क्षेमराज त.का.८७८ मंगलमालिका + राशीनक्षत्रविचार
जि.का.८८४ मन्दोवेगवायुवेगचोपाई दर्शनविजय ........ र.१२५२ जि.का १७९५ 0 मंगलवादप्रश्नपद्धति ........ समयसुंदरजी....
ले.१७५६ था.का. १९९ मंगलकलश चौपइ ... कनकसोम ....
लों का २९० मन्वन्तरदेवीमहात्म्य. डूं.का. ४१६ मंत्र गुटका ..
लों.का २७३ मन्वन्तरदेवीमाहात्य त्रूटक.... त.का. १०२३/F मंत्र तंत्र यंत्र स्फुट पन्ने ..............
जि.का १६२६/५ ० मयरहियस्तोत्र
जिनदत्तसूरि .....-- त्रुटक लघुग्रंथ
|जि.ता. १४६/६ ०/मरणविधिप्रकीर्णक .. ढूं.का. १९२० मंत्र तंत्रनो ग्रंथ .....
जि.का १९५१/१३ मरणविधिप्रकीर्णक (चमत्कार चिंतामणी)
लों.का १७५ मरणविहि ........ डूं.का. १३८६ मंत्र तन्त्र.
....१६३०
५८.६१
१०-१५
५-७
.१९५ १०७-१०८ ...... १८
१-१९ १३-२३
For Private &Personal Use Only
Page #489
--------------------------------------------------------------------------
________________
नाम
........
3-४3
त.ता.
............
.२१५
३९३
१२
CHEESEE
TM
........१-७
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४४५
पत्र भंडार ग्रंथांक ग्रंथन नाम
कतो संवत् ग्रंथांक ।
पत्र संख्या
ग्रंथतुं नाम
कर्ता नाम
संवत् त.का. ८७९ |मरणांतिकअणसणगाथा.........
लों.का ३५७
महानिशीथ सूत्र आलापक ..... लो .का. १८८ मलयसुंदरी रास ................-शान्तहर्ष शिष्य जिनहर्ष . र.१७५१ --....१-८३ जि.ता ७२ ० महानिशीथसूत्र
.ले.१८६१
जि.का १०९ ० महानिशीथसूत्र ...... का १६६६ मलयसुंदरीचरित्र............... जयतिलकसूरि...
० महानिशीथसूत्र • मलयसुंदरीचरित्र पद्य (अपूर्ण). जयतिलकसूरि आगमिक
जि.का ४६८ महानिशीथसूत्रगत कमलप्रभाचार्य १७५० | मलयसुंदरीचरित्र-..... जयतिलकसूरि ..............१५६८ ...९३
अधिकार सरतवक ज्ञानरत्नोपाख्यान पद्य था.का.२७० ० महानिशीथसूत्र ..................
..... १४३ | मल्लिज्ञाताध्ययनगत आलापक.. जि.का. १९५१/९ महापच्चक्खाणप्रकीर्णक .............
... ५५-६० जि.का. २०२१ मल्लिनाथबृहत्स्त वन .............. कुशललाभ ......
लो.का ४४८ महाबलसन्धि (टक ...........
................१६६५ ......२-८ था .का. ४१० मल्लिनाथसंबंध ..................
जि.का १०२३ महाभारतशतसाहस्रीसंहितागत.......... हूं.का./२८८० मल्लिनाथकथा...................समयमाणिक्यगणि-पं.......१७३६
4......१०
लों.का. २७२ महामायी वाचक (ज्योतिष).. डूं.का. १५१ मल्लीजिन स्तवन........
|जि.का २२२१/२ ० महाविद्याविडंबन
बादींद्र
१०-२० जि.ता ४१/४ ० महत्पंचकल्प भाष्य .............. संघदासगणि क्षमाश्रमण .९७-१७४ था.का १८७ महावीर (दुरियरयसमीर) चरित्र जिनवल्लभ जि.का २१६०/११ महरियगुण
५४-५६
स्तोत्र सहवृत्ति जि.ता. १५१/२४ ० महर्षिकुलक
|....१४०० १५१-१५४ त.का. १६७ महावीर (दुरियरयसमीर)....... जिनवल्लभसूरि ..............१६ जि.का १३२६/३३ ० महर्षिकुलक
२५१-२५४
चरित्र स्तोत्र सह अवचूरि जि.का १३२६/३४ ० महर्षिकुलक .....
२५५-२५७ था.का. ३६९ महावीर (भावारिवारण) सम.....उदयसागर ..... जि.का ३५६/२ ० महर्षिकुलक (लुद्धा नरा०) ....
.. १६-१७/
संस्कृत स्तोत्र जि.का १११४ महर्षिकुलक सस्तबक ......
....... ३|त.का.
महावीर (भावारिवारण)..........क.मेरुसुंदरगणि ...... लों.का. ३५५ महादंडक............
.....१-२८
स्तोत्र सह वृत्ति जि.का ७२६ महादंडकबोल ..................
लो.का ५२१ ................१८७०
महाबीर २७ भवनुं स्तवन .... त.का. |९१८ महादंडकस्तोत्र
इं.का.८३८ महावीर जिन स्तवन..... जि.का १८३३ महादेवी दीपिकावृत्ति............धनराजगणि ............. र.१६५२ ....... २७ .का. ३९२ महावीर सत्तावीसभवस्तवन | |
...........ले.१८२९
महावीर सत्यावीस भवरतवन .. जि.का १८८९ महादेवीकोष्ठक ज्योतिष........
का. ५७२ महावीर स्तवन टब्बार्थ जि.का ११३९ महादेवीज्योतिषयंत्रावली.
लों.का ३४६ महावीर-रतवन. ११४२ महादेवीवृत्ति .................... धनराज-वृ...- ............१६९२ जि.ता,४१२ महावीरचरित्र .. |११६३ • महादेवीसारणी..
१५ त.का. ९८५ महावीरचरित्र..
जिनवल्लभसूरि ......
.......१२%
.....११
त.का. ७८७
Page #490
--------------------------------------------------------------------------
________________
कता
...............१७२३
.......
w२. सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम : परिशिष्ट भिंडार ग्रंथांक |
कर्ता
पत्र ग्रंथर्नु नाम
संवत् नाम
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
संवत् संख्या
संख्या जि.ता. २६३ ० महावीरचरित्र गद्यपद्यबद्ध ....... गुणचन्द्रसूरि ............. र.११३९. जि.का १११९ महावीरस्वामितपपारणुं ..........
............ले.१२४२
त.ता. ३ ० महावीरचरित्र ...................जयसिंहसूरि .................१३३०/-.२०६ थी जि.ता.२४८ ० महावीरचरित्र गाथाबद्ध .......... नेमिचंद्रसूरि ...............र.११४१ ....१५७
....४०० ............ले.११६१ लों.का २९५ महावीरचरित्र + पार्श्वनाथचरित्र
............................१६९१ त.का. ११८८ महावीरचरित्रस्तवन................
टक त.का. ९३१ महावीरजन्मोत्सव.......
आ.का. २२२ महावीरचरित्र स्तोत्र राह टवार्थ त.का. ९७५ महावीरजिनकल्याणकस्तबन ...........
....१८६०
त.का. ११५६ महावीरचरित्रस्तवन.............. लो.का २३६ महावीरजिनस्तव सह टब्बो
डूं.का. ९८९ महावीरचरित्रटीका ......... लो.का ५९४ महावीरजी स्तवन ..
१९३५
लो.का. २२२ महावीरजन्मोत्सव भोज ......... त.का. ७५८ महावीरपारणास्तवन ........
...१९३२
जि.ता. १५६/२३ - महावीरपंचकल्याणकस्तोत्र. .....................११९२ . ९५/२९६ जि.का २०२० महावीररसोइस्त्वन.............. दयासागर ..............
था.का.३४० महावीरबत्तीसी.. त.का. ४४० महावीरवार्ता
सत.का. ४३४ महावीरस्तवन (ब्राह्मणवाड).... जिनकलशसुरि ........ जि.का ११०९ ० महावीरसत्तावीसभवस्तवन,
....१५३० ४ था.का. ३२६ महावीरस्तवन + पार्श्वनाथ, |जि.का ६८२/२ ० महावीरस्तवन
अभयदेवसूरि ......
उजु ।
लघु स्तोत्र |जि.का ८१७/१० ० महावीरस्तवन ...,.
लखमण
....१५२१.. १६-२१ जि.का. १३१७/८ महावीरस्तोत्र था.का.४३५ | महावीरस्तवन ............... नयरंगमुनि ......
डूं.का. ८०१ महानाटके रामविजय सुभाषित... कालिदास त.का. ८१०
त.का. १९ ० महानिशीथ ........ लों.का. १६६/२ महावीरस्तवन टब्यो ............
लों.का २७१ महिमभट्टिव्याकरण Jटक ..... |जि.का २०१३ ० महावीरस्तवन नयनिक्षेप.........रामविजय ..............
त.का. ३२८ महीपाल कथा चरित्र ............ वीरदेवगणि बिचार मार्भित
त.का. १०८० महीपालकथा त्रुटिता .......... जि.का, २०१३ महावीरस्तवन. ................... रामविजय ....
३त.का. ४५७ महेशनंदीकेश्वरसंवाद नयनिक्षेपविचारगर्मित
+ भवानीसहस्रनाम त.का. ८१२ महावीरस्तवन सह टब्बार्थ ........अभयसूरि ....
डूं.का. १०१७ माघ काव्य (शिशुपालवध टीका), त.का. ९०४ महावीरस्तुति और गुणस्थान....
....... जि.का.२०४१ माघकाव्य संदेहविधौषधिटीका .... आनंददेव -टी. जि.का २१४१ ० महावीरस्तुतिआदि
अपूर्ण जि.का ०५३ ० महावीरस्वामिचरित्रस्तोत्र....... जिनवल्लभगणि
.. १६ जि.का. १९९५ माधवानलकामकंदलाचोपाई अपूर्ण ........ |बालावबोधसह
| जि.का.७१८ माधवानलकामकंदलाचोपाई ......कुशललाभ .. जि.का ३९९/३ ० महावीरस्वामितपपारणास्तवन,
......................--- १७-२०
किंचिदपूर्ण
५
For Private &Personal use only
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--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
जि.का. ६४०
ग्रंथांक
जि.का. १२०५
डूं. का. ११९३
हूं. का. ५१६
डूं. का. १०७८ त. का. ६४०
त. का. ७००
लों. का. ५९९
आ.का. २९०
मानवंती मानतुंग रास अपूर्ण मायावीजआम्नायस्तोत्र कल्पस्तुतिमंत्रवसाधन मायाबीजाक्षर स्तोत्र
मारवाडतीर्थवर्णन मार्गगत्यध्ययन सावचूरि मार्जारी व छींक दोष निवारण | विधि
मासफल मात्रापताका
● मिथ्यात्व मथना कुलक मिथ्यात्वविध्वंसनचतुर्दशी. मिथ्यात्वस्थानक कुलक मिध्यात्वस्थानककुलक
त. का. ८७३
था. का. ४७४
जि. ता. १५१/१४ • मिथ्यादुष्कृतकुलक जि.का १३४/१३८ मिथ्यादुष्कृतकुलक जि.का ४२० / ३६ | मिथ्यादृष्टिसम्यग्दृष्टिवर्णन मिर्चगुण..
त. का. ९९३
डूं. का. २२७
त. का. १२५२ जि.का., २०६९ डूं. का. ५४६
त. का. ७६६ जि.का ९६३ जि. ता. १५६/४ जि.का ४२० /१६
ग्रंथनुं नाम
माधवानलकामकंदलाचोपाई
माधवानलकामकंदलाचोपाई
माधववृंद
मानतुंग मानवती रास
मानतुंग मानवती रास
मानतुंग मानवती रास
मानतुंगमानवतीरास.
-------
....
कुशललाभ
कर्ता
मोहनविजय
मोहनविजय
रूपविजय
मोहनविजयक-क.. हर्षविजय-ले. मोहनविजय
महिमा मुनि.
भैया
भैया
. १८८३ १८५१
१८२५
संवत्
र. १६१६ १९ डूं. का. १९५
[ले. १६६७
१८४३
१८७३
. १८५३
पत्र
संख्या
११९२
५९ १७
६२
भंडार नाम
.४
319
५२ सूं. का. १०३२
३० जि. ता. ३५७/१
जूं. का. २९
था. का. २३२
जि.का. ९३०
डूं. का. २६९
हूं. का. २६८
१५
३
.२-८
.१
ग्रंथांक
जि. ता. १५१/७ त.का. २२९ जि.का १६१/१
जूं. का. ८३०
लों का, ४६८
लों का, ५४४
लो. का. ६०३ २लों का, ४३१
३ जि.का ४२० /१२
१९-२१ जि.ता, ४०६ ५२-५४
२ जि. ता. २५६
२
१४०० ८४-८६ जि. ता. २५८ १८मुं ७९-८० जि. ता. २५७
ग्रंथनुं नाम मिथ्याज्ञान खंडन
● मिथ्यादुष्कृतकुलक मीनराशी गुराचार फल • मीमांसासूत्र साबरभाष्य
प्रथम अध्याय प्रथमपाद
मुक्तावलि (श्लोक संग्रह )
• मुद्राराक्षसनाटक टिप्पणी सह... मुद्राविधि
मुनिपति वार्ता (गुजराती) मुनिपतिचरित्र अपूर्ण मुनिपतिकथा..
● मुनिपतिचरित्र
मुनिपतिचरित्र
मुनिमालिका
मुनिमालिका
मुनिमालिका
मुनिमालिका पंचकल्याणक
+
● मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र पद्य पर्वत्रयात्मक
● मुनिसुव्रतस्यामिचरित्र पद्य पर्यत्रयात्मक
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम परिशिष्ट १४४३
संवत्
पत्र संख्या
● मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र पद्य पर्वत्रयात्मक
कर्ता
मतिसागर ले., रविदास क.
विशाखदेव
साध्वी धर्मविज्या गणीनी
समुद्रविजय
मुनिराजजयमालिका
० मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र गाथाबद्ध श्रीचंद्रसूरि
पद्मप्रभसूरि
पद्मप्रभसूरि
पद्मप्रभसूरि
हरिभद्रसूरि क्षमाप्रभमुनि-ले.
मतिभद्र
-
१४००
१३१४
.... १६५६
१९३२
४३ १९ १७१८....... १२ १८४४ .........९ १९८२ ..... ५३ १६३६
१-३ १-४
१-४
२. ११९३
.ले. ११९८
२. १२९४
.ले. १३०४
र. १२९४
.ले. १४००
६
र. १२९४
.ले. १४००
५४-५६
.४
. १-१३
७६ ....१.९५
१-९
४८मु
- ३७९
... १५७
२२१
१९१
Page #492
--------------------------------------------------------------------------
________________
४४४ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
नाम
लों का, ४५२
मुनिसुव्रतचरित्र + सीतारामचीपई
टक
डूं. का. ८०५
लों. का. ३६५
ढूं. का. ५९८
बूं. का. ११९७
जि.का १७३
जि.का २१७
त. का. ९८५ जि.का ११३८ जि.का २०२६ जि.का ११५०
|त.का. १८७ जि.का ११४९
लों का, २५१/१ जि.का ४२०/४५ लों का ७०२ लों का, ६५१ डूं. का. १२७७
जि.का १६३६
जि. ता. १५९/४
त. का. ११३ त. का. ११४ जि.का ६०६/१९ त. का. ३२० जि.का. १९१९
त. का. ३९५/A
मुनिनांमान्यामान्यार्थ विचार मुनिपतिचरित्र. मुनिमालिका
मुनीनां मान्यार्थ विचार
● मुरारिनाटक टिप्पणीसह
● मुरारिनाटक टिप्पणीसह मुहूर्तावली. मुष्टिज्ञान
मुष्टिज्ञान आदि मुहूर्तदीपक
मुहूर्तमुक्तावली मुहूर्तचिंतामणि मुहूर्तमुक्तावली
मूढाष्टक मूत्रपरीक्षा
● मूत्रपरीक्षा
मूर्खविचार सज्झाय मूर्खशतक
● मूलशुद्धिप्रकरण
• मूळशुद्धिप्रकरण सह वृत्ति
● मूळशुद्धिप्रकरण सह वृत्ति
० मृगध्वजकुमार भास ० मृगसुन्दरीकथा मृगांकलेखाचरित्रचोपाई
मृगांकलेखाचौपाई
विनयधर्म
कर्ता
मुरारि कवि
मुरारि कवि
रविविजय
भूद्रमादेव
उमेदविजय
रामदैवज्ञ
भैया पूर्वाचार्य
देवचंद्रसूरि अभयदेवसूरि
वीरसागरगणि जिनहर्ष
हर्षकुंजर उपाध्याय
संवत्
१८४३ १८८१
१५५४
१९१५
१९०६
पत्र संख्या
२. १७४८
.ले. १७८४
ग्रंथांक
२२-६७ जि.का ६०६/२०० मृगांकलेखाभास जि.का १०३९ १३ त. का. ७२१
१-१६ त.का. १७२
.३ डूं. का. १०७४
.६ जि.का ७०३
४० जि.का १९९७
भंडार नाम
५५ त.का. १२६९
२ जि.का ६०६/५
१ जि.का. १९८५
४ त. का. ३०७
३ जि.का ८०८/२
६
लों का, ३४१
१४
... ८
९२-९३ १-२ ... १-५
.४
१३४५ १०८-१११ . २८३ . ३०४ ६३-६४
.६
२८
त.का. ९३५
था. का ४१३
त. का. ९५१ जि.का. १९८८/४ लों का, ५२८
जि.का. २२३६/२
हूं.का. ९०५
लों. का. २६१
लों. का. २९३
हूं. का. ३००/२
जूं. का.
३००/१ डूं. का. ११२६
त.का. १२१०
१३ हूं. का. ६५१
ग्रंथनुं नाम
मृगांकलेखारास मृगांकलेखाचीपाई D मृगापुत्रसन्धि ढाल मृगावती चौपई मृगावतीचरित्ररास अपूर्ण मृगावतीचोपाई
मृगावतीचीपई.
० मृगावतीभास.. मृगावतीरास अपूर्ण मृगावतीचरित्र
● मेघकुमार घोढालीयुं मेघकुमार चौढालिया
| मेघकुमार चौढालिया
•
मेघकुमारचौढालिया
| मेघकुमारचौढालिया मेघकुमारराजर्षिसज्झाय
+
मेघकुमाररास सातवीषयनी
सज्झाय
मेघकुमारसज्झाय मेघछंद अपूर्ण. मेघदूत.
मेघदूत.
मेघदूत काव्य
मेघदूत महाकाव्य टीका
मेघदूत संजीवनी वृति
मेघदूतकाव्य मेघदूतकाव्य प्रथमसर्ग.
कर्ता
जिनहर्षसूरि
समयसुंदर समयसुंदरगणि
चंद्रकीर्त्ति
देवप्रभाचार्य
कनककवि
कनकमुनि दयाविमल गणि
कालीदास कवि.
कालिदास कवि
संवत्
१६६०
. १६९६
१७१५.........६ १७९४ .......२९ ३-२६
१६३९
पत्र संख्या
..
६४-६८ ...... 94. ११
२. १६८२९
१८७७
१८६६
३३
१५-१८
१८
५६
३-४
१-३
.३
३
.३
१५-२४ १.६. १-२
१९ थी २३
.१.६ ..१.६ ર १६ ५१ ३-१०
३
.
Page #493
--------------------------------------------------------------------------
________________
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.४५
भंडार
ग्रंथतुं नाम
कर्ता
संवत् |
पत्र संख्या
__ ग्रंथांक
ग्रंथन नाम
कर्ता
संवत्
संख्या
.....१२
भंडार।
ग्रंथांक नाम जि.का. १९२१
.का./१०१४ बूं.का. ११२२ जि.का २१४६ डूं.का. २८९ ई.का. ४०० जि.का १४४/२ जि.ता.३४६/३
AAJAAAAAA
२६२ ३२५ ३२६ ५८४ १००९ १२९३ ३७७ १२६७
३२५
जि.का
१०६८
|१३३१ का. २७९ इं.का. ११०६ हूं.का. ६४३ जि.ता.३४७/४
| मेघदूतमहाकाव्य .............. कालिदास मेघदूत काव्य ............ कालीदास कवि ....... १८७२ मेघदूतकाव्य
कालीदास कवि ० | मेघदूतमहाकाव्य
कालिदास मेघनाथ कथा अने रुपसेनकथा गणेशमुनि-ले.
मेघमाला ग्रंथ ० मेघाभ्युदयकाव्य .. | मेघाभ्युदयकाव्य. मेरुत्रयोदशीकथा .. मेरुत्रयोदशीव्याख्यान ...... मेरुत्रोयदशी मेरुत्रयोदशी व्याख्यान ......... मेघदूत काव्य ................ कालिदास कवि... | मेघदूत सस्तबक....
कालीदास कवि............. 0 मेधाभ्युदयकाव्य सटीक ..... टी.क.शांतिसूरि
पूर्णतल्लगच्छीय मेरुपर्वतवर्णन ....... मैत्र्यादिक चारभावना बोलबिचार
...............१९०५ मैत्र्यादिक चारभावना व बोल ....... मोकलीआराधना ................. मोगलपुराण.................... | मोतीकपासियासंवाद ............. श्रीसारमुनि
मोतीकपासीयासंवाद ............श्रीसार मोतीकपासीयासंदाद...... मोतीकपासीयासंबाद ............ मानचंदसिंह मौनएकादशी
त.का. ९०२ त.का. ९४८ था.का. २०४
मीनएकादशी कथा मौनएकादशी कथा ........ सौभाग्यनंदिसूरि .............१५७६ | मौनएकादशी कथा
| सौभाग्यनंदिसूरि. ..............१५७६ | मौनएकादशी कथा अपूर्ण .. | मौनएकादशी व्याख्यान
१६६० मौनएकादशी स्तवन.............
समयसुंदर............... मौनएकादशी स्तवन ....... | प्रेमविजय. मौनएकादशीकथा.... सौभाग्यनंदी मुनि .............. १५०६ मीनएकादशीकथा..... दानचन्द्रगणि मौनएकादशीकथा सस्तबक ..... सौभाग्यनंदी ................र.१५७६
................ले.१८०० | मौनएकादशीगणणु............ | मौनएकादशीगण'. मौनएकादशीगुणना ... मौनएकादशीगुणना .....
यशोविजय मौनएकादशीगुणना मौनएकादशीण| | मौनएकादशीतप
+उपधानकथानक ० मौनएकादशीतपगर्मित ........... जिनसमुद्रसूरि ........
सर्वतीर्थकरस्तुतिरूप श्रीमल्लिजिनस्तोत्र मौनएकादशीमाहात्म्य .............रविसागर ......... +आवश्यक (चउवीसरतय) बालावबोध मौनएकादशीव्याख्यान
१८०४ | मौनएकादशीव्याख्यान सह टब्बार्थ
...१५७६ मौनएकादशीव्याख्यान सह स्तवन
...१८१२
...............
८८-११४
त.का.८४०
का. १३२५ का. १०१९ का. १८१
२ जि.का ३४७/
१
इं.का. ४९६ त.का. ४९
५२८ जि.का. २०९६ त.का. ५२९
२११
२१५४ त.का. ९४६ डूं.का. ३७९
त.का. ४२१
१२९१
(५६ से ६०)५
आ.का. १२८ त.का. १२४९ त.का. ७८३
हूं.का. ४५९
मौनएकादशी........
For Private & Personal use only
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________________
भिंडार ग्रंथांक
संवत
...---...१३८५
४४६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १
कर्ता
भंडार
| संवत् । ग्रंथनु नाम
पत्र ग्रंथांक
कर्ता नाम
ग्रंथनुं नाम संख्या नाम
संख्या त.का. १३२० | मौनएकादशीस्तवन ..........
....................... १४ डूं.का. ७३९ | यशोधरचरित्र .. जि.का ३४७/२ ० | मौनएकादशीस्तुति ...... जिनसमुद्रसूरि .......................... २-३
|७४७ | यशोधरनरेन्द्रचरित्र ......
.१८५३ जि.का १७११/३ 0 मीनएकादशीस्तुति .............. जिनलाभसूरि .....
७४९ यशोधरनरेन्द्रचरित्र
क्षमाकल्याण मौनएकादशीकथा................ सौभाग्यनंदीसूरि .............१८५२ |लों का.७३३/० यह कपडे चिपक्यो हुवो ... मौनएकादशीमाहात्म्य त्रूटक ....
लों का.७३३/० | यह कागज को कपडे पर .........लिख्यो हुओ भीनएकादशीव्याख्यान ............सौभागचंद ...................१८५२
|चिपक्यो हुवो जिस पर ४९ मौनएकादशीव्याख्यान .............
.......१८६५
मंडलानि मौनएकादशीव्याख्यान ...................
आ.का.३४ यात्रोपदेश + स्नात्रपंचाशिका ..... मीनएकादशीव्याख्यान सह टब्बार्थ
....१८६६
त.का.४०३ यादवाधिकार + वसुदेवकुमार ... हर्षकुलगणि ..................१५५७ ....... २२ मौनएकादशीव्याख्यान सह .....१७८६ .......
चौपाई बालावबोध
जि.ता/१५६/३० ० युगप्रधानगुरुसुरूपदेशिकुलक .. जिनदत्तारि ............... ११०-१११ मौनऐकादशीगुणनां .... जि.का १३२६/५१० युगादिदेवस्तोत्र .....
४१७४२० मृगापुत्रचरित्रसंधि .............. जिनसमुद्रसुरि
आ.का. ११९ योगउपधान विधि ....... यंत्र तथा बोल थोकडा .......
जि.का ७०१० योगचिंतामणि..
हर्षकीर्तिसूरि जि.का १८३७ यंत्रचिंतामणी सटीक ........
जि.का १०८२ ० योगचिंतामणि वैद्यक .. हर्षकीर्तिसूरि नागपुरीय यंत्रपत्र.....
तपागच्छीय यंत्रराज महेन्द्रसूरि ................. १७२२
૧૮૧૭ योगचिंतामणी सस्तबक अपूर्ण ................. जि.का ११२४ यंत्रराजकोष्ठक
૧૨૧૫ योगदीपकवैद्यक जि.का ११२५ यंत्रराजवृत्तिसह .............. महेन्द्रसूरि
डूं.का. ११७० योगदृष्टिसज्झाय सह रब्बार्थ ... यशोविजय डूं.का. ७६६ यति आराधना .................. समयसुंदर ..................१८५५
योगप्रकरण......................गरीबगिरि, त.का. १२९ यतिदिनचर्या ..................... भावदेवसूरि .................१६५१
४५५ योगबिंदु................ जि.का १३१०/२ यतिप्रतिक्रमणसूत्र ..........
१७-२२ १८५९ योगरत्नावली ज्योतिष ............श्रीकंठशिव पंडित ............ जि.ता.१४३ यतिप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति ..................
| जि.का ५५४० योगवासिष्ठसार .......... जि.का १४४७ यतिप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति ......
योगतरंगिणीटीका सह अपूर्ण टिप्पनकसंह
योगविधि... डूं.का. ९८ यतिआराधनाविधि...
जि.का २०१८ . योगविधि ... |जि.का २२३९ यशोधरनृपचरित्र गद्य
जि.का २१०३ योगविधि यंत्र... ले.१८३९
जि.का २०५० योगविधिआदि
था.का २३५
११४१
बबब
.का/७००
....१५००
२८
२१०६
१८३९
For Private &Personal Use Only
Page #495
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
जि.का २२२८
डूं. का. ११९६
आ. का. ५३
ग्रंथांक
आ.का. १५३
आ.का. १६६
त.का. १६०
त. का. ५०९
त. का. ११२४
त. का. ११८३
त. का. ११५२
जि.का. ६९६
जि.का. ६११ जि.का ३८५ जि.का ६४१
जि.का ६६२ जि.का ६७८ जि. ता. १५७/३ जि.का १३२३
जि.का. ५१० था. का. ३७३ जि.का. १५५५ जि.का. १५५८
त. का. ५१०
था. का. ८८
त. का. ४९८
ग्रंथनुं नाम
० योगशत सटीक
योगशतक सह टब्बार्थ
योगशास्त्र
योगशास्त्र
योगशास्त्र
योगशास्त्र
योगशास्त्र.
| योगशास्त्र सह बालावबोध
• योगशास्त्र सह वृत्ति
● योगशास्त्र सह वृत्ति
कर्ता
हेमचंद्राचार्य हेमचंद्राचार्य
| हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य हेमचंद्राचार्य
योगशास्त्र
योगशास्त्र
योगशास्त्र
योगशास्त्र अपूर्ण. हेमचंद्रसूरि योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्क हेमचन्द्रसूरि ० योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय... हेमचन्द्रसूरि योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय... हेमचंद्रसूरि योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय... हेमचंद्रसूरि योगशास्त्र आयप्रकाशचतुष्टय हेमचंद्राचार्य • योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय... हेमचंद्र आचार्य योगशास्त्र नवतत्त्व जीवविचार
प्रकरण आदिनां प्रकीर्णक पानां अपूर्णत्रूटक
योगशास्त्र प्रथम प्रकाश
योगशास्त्र प्रथम प्रकाश
योगशास्त्र प्रथमप्रकाश योगशास्त्र बालवबोधसह
------
हेमचंद्रसूरि हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य
हेमचन्द्राचार्य, सोमसुंदरसूरि
हेमचंद्रसूरि हेमचंद्रसूरि
संवत्
१६०८
१५९९
. १६२३
. १३१० १५१८
१७०८
१५०२
पत्र संख्या
भंडार नाम
ग्रंथांक
२१ आ.का. ९१
२२ जि.ता ४०४ १५ जि. ता. २१६
१९ था. का २३०
.८
था. का. ३७
१९
डूं. का. ६२२
६
हूं. का. १०४३
१९
६-१४ जि. ता. १५८/२ जि.का. १०१९ १० जि.का १५५७ २७ जि.का. १६९८ १४ जि.का १५५६ १९ था. का. ४५३
१७ जि.का २०५ १५ जि.का ५०८ १०२-१५० था. का. २९८ त. का. ५४२ जि.का १८२२ जि.का १३३९
४ जि.का १८९६ ३ डूं.का. १२४३
.३
ढूं. का. ११७९
११०
डूं. का. १३३०
१२६ जि.का ६१७
२९२ लों का, २९१
. १९७
ग्रंथनुं नाम योगशास्त्र सार्थ
• योगशास्त्र स्वोपज्ञटीकासह • योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्तिसहित योगशास्त्र- प्रथमप्रकाश योगशास्त्र चोथो प्रकाश योगशास्त्र-पहेलो-बीजो प्रकाश
• योगशास्त्र बारमो प्रकाश विवरण सहित
● योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय. योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय. योगशास्त्रटीका योगशास्त्रप्रथमप्रकाश
● योगशास्त्रमूल. • योगशास्त्रविवरण योगशास्त्रस्वोपज्ञवृत्ति अपूर्ण | योगशास्त्र तृतीयप्रकाश योगसार सह टब्बार्थ योगसारसमुच्चय सस्तबक- वैद्यक योगिनी दशाफलज्योतिष योगचिंतामणी अपूर्ण
● योगशास्त्र..... योगशास्त्र चोथो प्रकाश सह टव्यार्थ रंगबहोतरी
रंगरत्नाकर नेमिनाथप्रबंध रंभामंजरीनाटिका त्रूटक
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १४४७
कर्ता
संवत्
हेमचंद्राचार्य हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
हेमचन्द्रसूरि स्वोपज्ञ हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य.
हेमचंद्राचार्य
हेमचन्द्राचार्य
हेमचन्द्राचार्य हेमचंद्राचार्य हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञटीका हेमचंद्राचार्य .......
हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ. हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
चंद्रमुनि
हेमचंद्राचार्य
जिनरंग
लावण्यसमय नयचंद्र
१३४३
१४०७
१६९९
१५८५
. १७४०
. १६७७
पत्र
संख्या
.१४०० FOOD १५५० ......
www
२७
. ३१८
.३१९
२
१४
१०
४३
४४-७५ १९ १४ ४८
.........3 २० २-३०
३६
१४ २३ ३९-४८
.७
८२
.८
४३
.२
८
४-१३
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
नाम
संख्या
रघुवंश..
&RYA
१५७-१५८
me - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट भडार ग्रंथांक |
- पत्र भंडार ग्रंथनुं नाम
| कर्ता संवत् । ग्रंथांक
कर्ता | संख्या नाम प्रधनुं नाम
| संवत् | लों.का ३४६ रगांगातैली दृष्टांतकथा+महावीर
डूं.का. ८१० ० रघुवंशमहाकाव्य ........... हर्षविमल-ले.. स्तवन + दंडक स्तवन
कालिदास कवि-क. इं.का. १३३ रघुवंश कालिदास
रघुवंशशकुनावली. त.का. ५६५ कालिदास
रघुपंजिका .....
वल्लभ देव त.का. ६७३ रघुवंश.. कालिदास
रघुपंजिका ..
वल्ल भ देव
रतनगुरु सज्झाय ...... रघुवंश बेटक क.कालिदास
रतनपालरास ................ मोहनविजय ..... जि.ता.३३४ रघुवंश महाकाव्य ............... महाकवि कालिदास .........१५००
रतनपालरास त्रूटक.... रघुवंश महाकाव्य ................ कालिदास कवि ........
रतनरासी
१७६९ रघुवंश सस्तबक अपूर्ण ........
महाराज रतनजी वचनिका रघुवंश सस्तबक ...........
.१२ | जि.का. २०९९ रत्नकोश त.का. १०५३ रघुवंशटीका ..................... चारित्रवर्धन..
१५६ जि.ता.२१८ • रत्नचूटकथा विषमपदविवरण ...
....१४०० जि.का ९२९ रघुवंशमहाकाव्य ................ कालिदास..
१२-१८
टिप्पनक जि.का १९४५ रघुवंशमहाकाव्य ......... कालिदास.
त.का. ४१२ रत्नधूनचौपाई
हिरकलश ............. .१६६० | .का. ८८३ रघुवंशमहाकाव्य .... सुखकीर्तिमुनि-पं........
रत्नघूउमुनिचोपाई
कनकनिधान
.ले.१८११ रघुवंशमहाकाव्य - सर्ग नवथी .. कालिदास...
र.१७२४ बार अपूर्ण
रत्नचूजरास
कमलप्रभसूरि ..........
--....१५७१ का १७७३ रघुवंशमहाकाव्य अपूर्ण........... कालिदास .........
रत्नचूडरास जि.का. १९४१ महाकाव्य अपर्ण............ कालिदास
रत्नचूडाचौपई.
१५८७ ० रघुवंशमहाकाव्य सटीक त्रिपाठ कालिदास-मू.क...................
रत्नदीपज्योतिष.....
गणपति टी.क.धर्ममेरु
रत्नपालचौपाई
१६८४ जि.का ८३४ रघुवंशमहाकाव्यअवचूरि......
... १७ रत्नपालमुनियोपाई
१८९९ ३७०० रघुवंशमहाकाव्यटीका ........... गुणरत्नगणि ............. १.१८६५ ..... १२४
रत्नपालमुनिचोपाई
रत्नपालमुनि................ १९१२
रत्नपालरास ................ मोहनविजय ..........----- जि.का १७८५ रघुवंशमहाकाव्यटीका ........... मल्लिनाथ.. ..............१७१८
रत्नपालकथा ....... जि.का ३७० • रघुवंशमहाकाव्यवृत्ति ............ चारित्रवर्धन.
रत्नपालरास ......
मोहनविजय..... रघुवंशवृत्ति अपूर्ण ...
जि.का ११३३ रत्नप्रदीप
गणपति रघुवंशपंजिका ........ आनंददेव बल्लभ ...
त.का. १०६९ रत्नमाला...
..८६
जि.का १७
.....................ले.१६८3
बELANGANA
१८२४
33-४३
AN/300
त.का. ५१९
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Page #497
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________________
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४४९
भंडार नाम
ग्रंथांक
कर्ता
संवत्
संख्या
जि.का
१८४३
...१८८०
१३३-१४६
....८२ म
........१
....... १५
..१८७४ .१९११
जि.का. १८९४ डूं.का. ४५१ आ.का. १७३ जि.का. १५८८ लो.का. ७१८ जि.का ३१० जि.का ३११ त.का.४१८ जि.का ८०८/७
.१६२१
...१५८२
लो.का ५२
पत्र भंडार ग्रंथनुं नाम
संवत् |
ग्रंथांक
| संख्या नाम रत्नमाला ज्योतिष ...............महादेव...... ....१७६४........ ४२ लों.का.७०८ बालबोधिनी टीका
डूं.का. ७२३ रत्नमाला बालावबोध सह ........श्रीपति ........................ १८०४ .....४८-९० जि.ता.३४७/६ रत्नमालासूत्र बालावबोध अपूर्ण,
... ४२|| जि.का ४२०/३८ रत्नश्रावकप्रवन्ध ............ मलधारी राजशेखरसूरि ....... १६३३ . ......५ डूं.का. १३७४ रत्नसंचय सस्तबक अपूर्ण
..१८-४० जि.का २०१९ रत्नसागर (मोहन गुणमाला)..
जि.का ९८६ रत्नसारकुमाररास................ सहजसुंदर ............ र.१५८२
लो.का ५०
ले.१६६२ लो.का ५१ | रत्नसारकुमाररास................ सहजसुंदर
र.१५८२
था.का १५९
त.का. १२५४ रत्नसारचौपाई .................
सहजसुंदर रत्नाकरपचीसी, रत्नाकरपच्चीसी सस्तवक
था.का/१५५ रत्नाकरावतारिका अपूर्ण.
था.का १५६ रत्नाकरावतारिका अपूर्ण रत्नप्रभाचार्य
त.का. ४३०/० रत्नाकरावतारिकाटिप्पनक...... ज्ञानचंद्र
.१९५१
त.का. ३३३ रत्नाकरावतारिका ............. रत्नप्रभाचार्य ................१२२५
था.का.२८१ रसमंजरी तथा ............ नंददास-र.क.
.१७११
आ.का ४२ अष्टनायिकाभेद गुटको
आ.का ३२० रसमंजरी अलंकारग्रंथ. भानुकर भट्ट
त.का. ४२८ रसमंजरी टिप्पणी .......... भानुदत्तमिश्र
|४३०/A रसरत्नाकरवैद्यक.. रसिकप्रिया .. केशवदास.
|५०३ रसिकप्रिया ......
जि.ता/२४/४ रसिकप्रिया ......................
૪૨૮ रसिकप्रिया अपूर्ण
जि.का ४६४ राईप्रतिक्रमणविधि
जि.ता. २४/३
__EEEEEEEEEEEEEEEEE
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता राईसंथारा आदि ............... पूर्वाचार्य
राईसंथारापोरसी विधि .......... लक्ष्मीरंगमुनि ० राक्षसकाव्य सटीक ....... जिनचन्द्र.....
रागादिनिर्णयाष्टक ........... भगवतीदास ...... राचाछत्तीसी.. राजनीतिकवित
देवीदास ... राजनीतिवर्णनकवित देवीदास राजप्रश्नीय मूल
सुधर्मास्वामी राजप्रश्नीय मूल .
सुधर्मास्वामी राजप्रश्नीय वृत्ति ....... मलयगिरि राजप्रश्नीय सह टब्बार्थ.. राजप्रश्नीय सह वृत्ति ...... मलयगिरि राजप्रश्नीय सह वृत्ति ............ मलयगिरि राजप्रश्नीय सूत्र........
राजप्रश्नीय सूत्र ............... ० राजप्रश्नीय सूत्र............... गणधर ....
राजप्रश्नीय सूत्र टब्बार्थ ......... मेघराज पार्श्वचंद्रगच्छीय ० राजप्रश्नीयवृत्ति
मलयगिरि राजप्रश्नीयसूत्र राजप्रश्नीयसूत्र राजप्रश्नीयसूत्र
गणधर राजप्रश्नीयसूत्र
गणधर राजप्रश्नीयसूत्र
गणधर राजप्रश्नीयसूत्र
जिनदत्तसूरि राजप्रश्नीयसूत्रवृत्ति
मलयगिरि आचार्य ... राजप्रश्नीयसूत्र
मेघराजमुनि ......... राजप्रश्नीयोपांग ० राजप्रश्नीयोपांगसूत्र ...
..१६७६
जि.ता, ३६८ जि.का १२०२
................१५९०
जि.का ८४६ इ.का. ६२४ जि.का १९२६ जि.का ७५९
५०१
२३०-३४५
जि.का १२०४ त .का. १३
केशवमिश्र
5.का. १०९०
१६१७
४८
त.का. ८६६
१५९-२२९
For Private & Personal use only
Page #498
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________________
भंडार
ग्रंथांक
पत्र संख्या
रामचंद्र
.१६१०
..........
Ito
5
......१६०
-१५८
४५०. सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथर्नु नाम
पत्र भंडार
___ ग्रंथांक | संवत् ।
ग्रंथर्नु नाम | नाम।
संवत् संख्या। | नाम जि.का १ ० राजप्रश्नीयोपांगसूत्र ..........
---....१५०० २(११८६-| जि.का ७६० रामबिनोद वैद्यक अपूर्ण ......... |... १२०७)| जि.का १८१५
रामविनोद-वैद्यक................ जि.का १३८९ ० राजप्रश्नीयोपांगसूत्र वृत्तिसह .......
.............. ३७१८/ जि.का १०९० रामसीतासंबंध त्रिपाठ
जि.का ६७९ रामायण जि.का २२ ० राजप्रश्नीयोपांगसूत्रवृत्ति ......... मलयगिरि आचार्य ...........१४८९३७(१२०८-|| जि.ता.२४२ रामायण प्रकीर्णक
....१२४४) लों. -५३९/ रामायणसार जि.का ४२३ ० राजप्रश्नीयोपांगसूत्रवृत्ति .... मलयगिरि .. J....१६१७ ...... | जि.का.८९६
रामचरित्ररास .....
केशराज मुनि ..............र.१६८३ जि.का १२७६ राजप्रश्नीयोपांगसूत्रवृत्ति .. मलयगिरि आचार्य..
.ले.१९१५ जि.का १३८८ राजप्रश्नीयोपांगसूत्रवृत्ति ... आचार्य मलयगिरि-टी.. .......
त.का. ४६९ रामविनोद
रामचंद्र जि.का १३८७ राजप्रश्रनीयोपांगसूत्र ....
१५९० .का. ४२९ रायपसेणीटब्बार्थ ...
गणधर आ.का २७८ राजप्रश्नीयवृत्ति ....
७९१ रायपसेणीय ......
विशालकीर्ती .................. १६७० जि.का १९६७ राजमृगांकसारणी
१८४५
रायपसेणीवृत्ति (राज.वृत्ति) ...... जि.का १०२५ राजसिंघकुमारचतुष्पदी
डूं.का. १००१ रायपसेणीसूत्र सह टब्बार्थ ....... अमरसागर ......... ... १८२४ जि.का ६७० राजसिंहकुमारचोपाई ............जटमल नहार .....
१६९३
डूं.का. ७०८ | रायपसेणीसूत्र सह अवचूरी ...... दयाकमलमुनि ले............. १६३१ जि.का ६०६/१३ 0 राजसिंहरत्नवतीरास-नवप्रकारभावे ..
जि.का. १२६९ राशिचक्र हूं.का. १०७१ राजसिंहचौपई (नवकार फल)..
८७८ राशीनक्षत्रविचार .... लों का २५० राजामृगांकसारणी त्रूटक ........
................१८८४
...२-१६०
डूं.का. १३५ राईप्रतिक्रमण विधि त.का. ३५८ राजुलविरह + नवग्रहस्तोत्र ....
था.का १५७ राजप्रश्नीय सूत्र ... जि.का ७०४ रात्रिभोजनरास
लो.का ३८१ रुक्मिणि (वैदी) चउपई ...... प्रेमराज .................!
......................१८७४ डूं.का. १३४६ रात्रिसंथारापोरसीगाथा भाषा.................
.का ३१५ रुक्मिणी-विवाह जि.का ५२३ रामकलशव्याकरण
रुक्मीणी (वैदी) चउपई .... प्रेमराज ........... .१८७४ जि.का १९१५ रामकृष्णचरित्ररास ............... लावण्यकीर्त ............. र.१६७७
૧૧૧ર रुग्बिनिश्चय निदान
माघकवि.............. जि.का ५७० रामतियालाप्रबंध बज्रस्वामीनां ..
जि.ता.३३२ ० रुद्रटालंकारटिप्पनक श्वेतांबर (नमिसाधु)........१२०६ फुलडां
तृतीयाध्यायथी पंचमाध्याय पर्यंत था.का. ४८४ राममंदोदरीसंवाद..
.... १ जि.का १२९५ रुद्रटालंकार त्रू.अ. ... रामविनोद (वैदकनो ग्रंथ).
૧૮૩૪ रुद्रयामलज्योतिष.. रामविनोद (वैदकनो ग्रंथ)अपूर्ण,
२९६ रुपसेन कथा ............ |जि.का ६२८ रामविनोद अपूर्ण............... रामविनोद
.... ८ जि.का १८३५ रुद्रयामलज्योतिष ....
१६८७
......१७९
१८४४
SSMEETEN
का ४१०
१७४८
AAA
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--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
था. का. ४६५
जि.का ८१६
जि.का. १७६६ जि.का. १७६७ जि.का. १९२७ त. का. ३६६ त.का. ३२१
जूं. का. १४७
डूं. का. ६१६/१
हूं. का. ३२८
बूं. का. ३५७
था. का. ३००
त.का. २३७ डूं. का. ९४६ आ.का. २३४ जि.का १०७६ जि.का १२५६
ग्रंथनुं नाम
रूपकमाला
D. रूपकमाला वृत्तिसह
रूपदीप भाषाछंदोग्रंथ
रूपदीप भाषाछंदोग्रंथ रूपमंजरी. रूपसेनचरित्र
D रोहणीतप कथा रोहिणी तपविधि रोहिणी स्तवन
रोहिणी स्तुति अष्टभय
+
निवारण छंद
रोहिणीतप स्तवन:
• रोहिणीतपविधिस्तवन रोहिणीतपस्तवन
रुपसेनकथा लकारार्थप्रक्रिया
[D] लक्ष्मीआदिमंत्र संग्रह लग्नपत्रसारणी.
त. का. ७४३
डूं. का. ९४०
हूं. का. ११५१ जि.का १६२६ / २० लघुअजितशांति जि.का २१२०/७० लघुअजितशांतिवृत्ति जि. ता. १५४/८ ● लघुअजितशांतिस्तव. जि.का १२८८/४ जि.का. १३१७/२२ ० लघुअजितशांतिस्तोत्र. जि.का १३२६/२३ | लघुअजितशांतिस्तोत्र.
लघु अजितशांतिस्तवन
लघु श्राध्धजितकल्पसूत्र सह वृत्ति लघु संघपट्टक प्रकरण
कर्ता
पुण्यनंदि-क.मू... वृ.क. रत्नरंगोपाध्याय
जयकृष्ण
रूपचंद्र
श्रीसारमुनि अमरविजय
गुणसागर पं. जिनयलल्भ धर्मतिलकोपाध्याय जिनवल्लभगणि
लघुअजितशांतिस्तव भाषार्थसह जिनदत्तसूरि
जिनवल्लभगणि
संवत्
. १५८२
२. १७७६
१८९४ १६५७
१७२४
पत्र
संख्या
१६७४
भंडार नाम
........ २ जि.का १३३ / ९
१७
.....
ग्रंथांक
३५ आ.का. १०६ ४२ लो. का. ७०९ १. का. ८९४ ३० |
...४ जि.का १११० १०
......८ जि.का. २१६८ ४-६ जि.का १८४८ १३२२ २७-३१ जि.का १०५०
१२१०
f....
जि.का. १४९८ ५. का. ११७५ ७ था. का. ३९ .६ जि.का. १८०/६ २९ जि.का ६५५/१ जि.का ६८३ जि.का १६८० जि.का, ७३०
जि.का. १४९४ जि.का. ९०५
२
.४ डूं. का. ७०१
६७-७०
२५७-२६१ जि.का १८४९
१७७-१७८
ग्रंथनुं नाम ० लघुअजितशांतिस्तवउल्लासिक्कमनक्ख० स्तोत्र लघुक्षेत्रसमास लघुक्षेत्रसमास लघुक्षेत्रसमास
● लघुक्षेत्रसमासप्रकरण लघुक्षेत्रसमासप्रकरण लघुक्षेत्रसमासप्रकरण लघुक्षेत्रसमासप्रकरण लघुक्षेत्रसमासप्रकरण यंत्र स्थापना चित्रसह
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १४५१
कर्ता
संवत्
पत्र संख्या
सस्तबक लघुजातक लघुजातक ज्योतिष
० लघुजातक सटीक त्रिपाठ
लघुजातक सटीक ज्योतिष,
जिनवल्लभगणि
रत्नशेखरसूरि
रत्नशेखरसूरि रत्नशेखरसूरि
रत्नशेखरसूरि
रत्नशेखरसूरि
रत्नशेखरसूरि
लघुक्षेत्रसमासप्रकरण यंत्रसह लघुक्षेत्रसमासप्रकरण सस्तबक .... रत्नशेखरसूरि
यंत्र स्थापना सह लघुक्षेत्रसमास लघुक्षेत्रसमास लघुचाणक्य नीति लघुचाणक्यनीतिशास्त्र सह टीकार्थ अपूर्ण
D लघुचाणाक्यराजनीतिशास्त्र
हेमरत्नमुनि कुशलरंग.
पूर्वाचार्य
वराहमिहिर वराहमिहिर मू.क.. टी.क. उत्पलभट्ट उत्पलभट्ट-टी..
वराहमिहिर-मू.
१८५८
१७३४
. १६००
. १८६०
१७४२
१८७१
.....१२ ..... १३ १२
१७०१
******
-----8-99 १-१४ १०
----
४४
२०
३२
2
५७
१३
९
४
१८८४ १२ ..९ .... ६९
३३
Page #500
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडारा भांक
S
भी जि.का ४७५/३
जि.का ४७५/४
४५२ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | नाम
संवत् संख्या
नाम जि.का १८५० लघुजातक सटीक-ज्योतिष..... वराहमिहिर-मू...............१८४५
जि.का १७२२ उत्पलभट्ट-टी.
जि.का २१२४ डूं.का. ९९८ लघुटीका ........
जि.का ९०१ बूं.का. २८/५ 0 लघुनमस्कारचक्र
माणेकराजमुनि .............१८४३... ३१-४३
३१-४३|| त.का. ११४९ जि.का १३२६/३०० लपुनमस्कारफलस्तव ....
२४३-२४५ था.का ३३३ त.का. १०६४ लघुप्रक्रिया ...... लों का २८३ लधुप्रक्रिया (ज्योतिष) Qटक ......
जि.का १२२४ डूं.का. १११८ लघुपतिक्रमण विधि ...........
त.का. २४३ जि.का १११५/२ | लघुभावना तथा तमाकुसज्झाय .......
जि.का ४७५/१ आदि
४७५/२ जि.का २०३८/६
लघुशांति जि.का २१६०/९ लघुशांति जि.का २१६०/१३
लघुशांति जि.का १६२५/८ - लघुशांति
मानदेवसूरि
-२० लो.का. १८७ था का ४४४ लघुशांति. मानदेवसूरि
आ.का.७९ त.का. ११६५ लघुशांति
था.का ५१ जि.का २१२०/५ ० लघुशांतिवृत्ति .....
हर्षकीर्तिसूरि
१६-१८ जि.का १४४० जि.का १६३२ लघुशांतिस्तव ...
मानदेवसूरि..
|| जि.ता.१३८ जि.ता. १५६/२२ ० लघुशांतिस्तोत्र........... मानदेवसूरि .................११९२६.९५-९५/२/ जि.का १६९३/९ ० लघुशांतिस्तोत्र.......
१५-१७ आ.का.-७४ इं.का./१३८/8 लघुशांतिटीका सहित ...........हर्षकीर्तिसूरी.................१६४४ /... १२-१९| था.का. ४९ + तिजयपहुत्त
जि.का ३६५ डूं.का./१०४७/२ लघुशांतिस्तव टीका .............. हर्षकीर्ति सूरि ................ डूं.का.|५०० लघुसंग्रहणी सह बालावबोध ..
|जि.का २०५९ डूं.का.६८९ लघुसंग्रहणी सह वृत्ति .............कल्याणसारमुनि
जि.का ७६८ त.का.|११४२ लघुसज्झायटीका ....
जि.का १७१८ जि.का. १८६० लघुसारावलीगत अरिष्ठाध्याय ..
बूं.का. ९१५ ज्योतिष
डूं.का. ९५९
ग्रंथर्नु नाम कर्ता
पत्र संवत्
संख्या लघुसिद्धांतकौमुदी .. वरदगज
.............५४-११७ लघुसिद्धांतकौमुदी....
..... २५ लघुस्तव टीका सह सोमतिलकसूरि-बृ.
.... २-१६ लघुसंग्रहणी श्रीचन्द्रीय श्रीचंद्रसूरि
...१७९८ | लघुशांति......
मानदेवसूरि लघुशांति,
मानदेवसूरि ० लटक
लटकमेलकप्रहसन ........... शंखधर लधु, अजित, बृहत् शांति ..... लब्धिकुशलसूरिगीत ........ कीर्तिवर्धन .... लब्धिकुशलसूरिगीत ......... सुमतिहस ..... लब्धिकुशलसूरिगीत ......... कीर्तिवर्धन .... लब्धिकुशलसूरिगीत .......... दयावर्धन. लब्धिकुशलसूरिगीत ............. महिमाकीर्तिगणि लब्धिस्तवन संग्रह .......... ललितविस्त रा.................... लक्ष्मण मुनि ललितविस्तरा - चैत्यवंदनवृत्ति
ललितविस्तरावृत्ति ............. हरिभद्रसूरि - ललितविस्तरावृत्तिसंक्षेप ........ हरिभद्र आचार्य ...............१३०० (चैत्ययंदनासूत्रवृत्ति) ललितविस्तरापंजिका ............. मुनिचंद्र सूरि ललितविस्तरापंजिका टिप्पण .. मुनिचंद्रसूरि... ललितांगकुमाररास .............. क्षमाकलश ....
४७५/५
...१२७०
--1......
१६४४
लिंगानुशासन .................... हेमचन्द्राचार्य ......
लिंगानुशासन सावचूरि ....... हेमचन्द्रसूरि - लिंगानुशासन स्वोपज्ञटीकासह . हेमचंद्राचार्य लीलावती टीका ....
भास्कराचार्य लीलावती टीका ........... नंदलाल.....
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Page #501
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार| ग्रंथांक
कर्ता
..१.३०
लावण्यसमय
ग्रंथनुं नाम नाम
संवत् लो.का २७८ लीलावती भाषा .........
..१७३६ लो.का २२१ लीलावती सुमतिविलास रास ..उदयरत्न .....
र.१७६०
ले.१८६८ जि.ता, ३५२ लीलावतीकथा गाथाबद्ध........ भूषणभट्ट पुत्र.... ....१२६५
महाराष्ट्रीय देशीभाषामय ..... कुतूहल कवि ६५८ लीलावतीगणित....
भास्कराचार्य जि.का १८२४ - लीलावतीगणित...
भास्कराचार्य त.का. ४१३ लीलायतीचौपाई ..
हेमरत्न जि.का १०१२ लुंकाचउपई .... लों का ३५२ लेखकशालाकथा. जि.का १८०५
लोकानी हंडी बीजकसह... जि.का २११५ लोंकाहुंडी ५८ बोल.... था.का ४६६ लोककथा .......... जि.का ४२०/१९ लोकक्षेत्ररज्जुचोपाई ............. भैया .. जि.ता.२२४/२ ० लोकतत्त्वनिर्णय .................. आचार्य हरिभद्रसूरि ........ जि.का १३४० ० लोकतत्त्वनिर्णय सस्तबक ........ हरिभद्रसूरि. ९७६ लोकतत्वनिर्णय ...
हरिभद्र था.का ३८३ लोकनालि द्वात्रिंशिका ..... डूं.का. २९२ लोकनालिका द्वात्रिंशिका ........नयविनासमुनि ................
सह बालावबोध डूं.का. ९३६ लोकनालिका द्वात्रिंशिकावृत्ति.... डूं.का. ६९० लोकनालिका बालावबोध ......... भारमल्लमुनि जि.का. १५१९ लोकनालिकाद्वात्रिंशिका ........... जि.का २१९७/२ ० लोकनालिकाद्वात्रिंशिका ........ धर्मघोषसूरि-मू..
मूल तथा अवचूरि |जि.का. १५२० लोकनालिकाद्वात्रिंशिका प्रकरण...
बालायबोधसह पंचपाठ आ.का. ३५४
लोकनालिद्वात्रिंशिका ..............
सर्व प्रथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.४५३ पत्राभडारा
ग्रंथांक संस्था
ग्रंथतुं नाम
कर्ता संवत् । ९११ लोकनालिद्वात्रिंशिका ...... त.का.५१३ लोकनालिद्वात्रिंशिका सह ........रविविजय ...................१७२७
बालावबोध त.का. ९४१ |लोकनालिबत्तीसी (द्वात्रिंशिका ........... ........... १७८९
टब्बार्थ) त.का. |६५६ लोकनालिद्वात्रिंशिका प्रकरण .... लो.का. ६५२
लोकनालिद्वात्रिंशिका सावरि लोकनालद्वात्रिंशिका .
सह बालावबोध लो.का. ७३४ लोकागच्छ उपाश्रय के भंडार .....
की पुरानि प्रिंट था.का. ४५९ लोढणपार्श्वनाथस्तवन ............. कनकसार मुनि ............... १६२९ |
.का. ५४५ लोद्रवगीत ........ ५८ मुं त.का. ८५३ लोद्रवपार्श्वनाथजिन स्तवन ................ १.१६] जि.का २१३५/३ | लोगवास्वामिलेख ................जिनचंद्रसूरि ............... . २१ जि.का ९७८ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण ........... रत्नशेखरसूरि ...............
टिप्पणीयंत्रसह
लघुक्षेत्रसमास ............. रत्नशेखर ...... • लघुसंघपट्टकप्रकरण ......... जिनवल्लभगणि
लघुसंघपट्टकप्रकरण ...... जिनवल्लभसूरि ९ जि.का ९२५ लघुस्तव वृत्तिसह ...... सोमतिलकसूरि ७५.का. ८४३ लघुसंग्रहणी बालावबोध .... मतीचंद्र २| डूं.का. ७८५ ललितविस्तरा सह पंजीका ..... मुनिचंद्रसूरि... २७ डूं.का. ४६३ यंकचूल चोपाई .........
गंगदास ..... जि.का १०९८ वंकचूलचोपाई.....
१७६० जि.ता. १४०/२ ० यंदनकसूत्रचूणी ............. यशोदेवसूरि
१-४८ जि.ता. १३९/२ ०चंदनकसूत्रचूर्णी अपूर्ण ........... यशोदेवसूरि. ............----..६०-८१ ...५ जि.ता. १४१/२ ० यंदनकसूत्रवृति ..
श्रीचंद्रसूरि ............................ २८-६६
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________________
भंडार
ग्रंथांक
०
HRSS
१२६१
त.का.
बंदितु...
२१
.....१६७
इं.का.
......१७२१
४५४ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् | नाम
नाम जि.का ४३ ०बंदारुवृत्ति ...
देवेन्द्रसूरि .........
डूं.का. २८/२ ०बंदारुवृत्ति त्रुटक.............. देवेंद्रसूरि ......
८६६/
२ जि.का ७४१ ०बंदारुवृत्ति-आवकप्रतिक्रमण- .... देवेन्द्रसूरि .... सूत्रवृत्ति
१९७२ जि.का ७२ बंदारुवृत्ति-श्रावकप्रतिक्रमण- ....... देवेन्द्रसूरि ...
सूत्रवृत्ति त.का. ११०६ -बंदारुवृत्ति.
.९९ थी
.११० जि.का. जि.का १६०/५
१८२१ जि.ता २१२०/२ ० यंदित्तुसूत्रवृत्ति.................. तिलकाचार्य
१०-१४ त.का. ३५८ वक्ता ओता लक्षण .............. प्रतापविजय पं.. .१८८९/.........६ जि.ता/३२८ ०वक्रोक्तिजीवित (काव्यालंकार)-कुत्तक कवि
.१४०० -......३००/ जि.का सटीक अपूर्ण
२०१४ जि.का ३७९ वक्रोक्तिजीवित अपूर्ण ........... कुत्तक महाकवि ........
...... ४४||इं.का. ७० जि.ता ३२७ ०वक्रोक्तिजीवित (काव्यालंकार). कृतक कवि ... ..१३००/-....-२३४|| हूं.का. ७९९ सटीक त्रूटक अपूर्ण
था.का २२७ ई.का. १०६९ बच्छराजचौपई .......
लों का ६९२ जि.का ३८६
बज्जालग...
वनस्पति सप्ततिका... जि.का ५९०० बनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण ....... मुनिचंद्रसूरि ..... वरकाणापार्श्वनाथस्तबन ......... जिनराज शानकुशल ...
त.का. २४१ १०६६ ० वरदराजीटिप्पनक ....... १६७० ० वरांगचरित्र
वर्द्धमानभट्टारकदेव.... इं.का. ११८९ वर्धमान देशना ......... त.का. १०८७ ० वर्धमानदेशना
शुभवर्धनगणि वर्धमानदेशना (गद्य) ......... राजकीर्ति गणि
१३२ त.का. ८४१ जि.का १६८७ वर्धमानदेशना गद्य ............
राजकीर्ति .....
१८६५
... १७९ लो.का ४२२ इं.का. ४
नाथुक पंडित .......... ....१४९९ .४३ आ.का. २०५
जि.का
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत् ।
संख्या वर्धमानविद्याकल्प ............... माणेकराजमुनि ..............१८४३
.... २१-२८ वर्धमानाष्टक............. वर्धमानदेशना .................. शुभवर्धनगणि वर्धतंत्र .....
नीलकंठ वशीकरण तन्त्र नुस्खे बसुदेवकुमार चौपाई ....... यसुदेवकुमारचीपई ......... वसुदेवचरित्र रास ..
महिमासमुद्र... वसुदेवहिंडी प्रथमखंड ...........संघदासगणि वाचक .........१२२८
यसुदेवहिण्डी प्रथमखंड .......... संघदास गणि • वसुदेवहिण्डी (प्रथम खंड).....
१४४ बसुधारा...................... वसुधारा.... वसुधारा ................
जिनचंद्रसूरि ................. १६३७ वसुधारा वसुधारा वसुधारा
........... क.बौद्धाचार्य ........... यसुधारा वसुधारा यसुधारा वसुधारा वसुधारा.... यसुधारा............."
.............१६७५ वसुधारा (लघु) ................. वसुधारा (लघुतर)................ यसुधारा लघु ................ वसुधारास्तोत्र वसूधारा..............
...१५४१
7/१२७
त.का. १७१
.१७२४
१००
था.का.
इं.का. ८३१
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________________
सवत
संख्या
3-१६
ले.१३२७
....
...............
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४५५ भंडार | ग्रंथांक
भंडार ग्रंथनु नाम
न कर्ता
पत्र
कर्ता ग्रंथांक
संवत् । ग्रंथतुं नाम
नाम नाम
संख्या इं.का. १२६३ वस्तुपाल तेजपालरास .......
ढूं.का. १३३६ वास्तुशास्त्र (वैद्य) ................
....१९०१/...(६७ से जि.ता३५९/ २० वस्तुपालप्रशस्ति जयसिंहसूरि ..
. १२२)५१ जि.ता ३५९/३ वस्तुपालस्तुतिकाव्य......
था.का/१३४ ० बादस्थल .....................
प्रद्युम्न सूरि ......... जि.का १७५८ ०वाक्यप्रकाश-औक्तिक ........... उदयधर्मगणि-टी.
जि.ता|२५४ वासुपूज्यस्वामिचरित्र पद्य ....... वर्धमानसूरि .............. र.१२९९ ......३५९ सटीक त्रिपाठ जि.का.२०४८ याग्भटशारीरस्थान ....
- १७१५........ ५० डूं.का. १२९९ विकृति अविकृति विचार ......... जि.का २१४ ० वाग्भटालंकार ..................
वाग्भट
....१५४८
..... ११ त.का. १२२२ . विक्रमचरित्र ........... जि.का ८२६ . वाग्भटालंकार .................... वाग्भट ...
जि.का ४८९ विक्रमचोपाईरास ............... परमसागर ..................१७२४... २३-४१ जि.का/१७०१० वाग्भटालंकार ................... बाग्भट .......
डूं.का. ८२२ विक्रमसेन लीलावती चोपाई .... मानसागर..
... ३२ जि.का १९०० ० वाग्भटालंकार ............... वाग्भट .......
त.का. ७३५ विक्रमसेनलीलावतीचौपई...... परमसागरजी ............... ५८४ ० वाग्भटालंकार सह दृत्ति......
...४५ त.का. १०९६
विक्रमसेनलीलावतीचौपई ... जि.का ५७९ ० वाग्भटालंकार सावरि पंचपाठ वाग्भट-मू.क.
त.का. १०९९ विक्रमसेनलीलावतीचीपई.. जि.का १८९९ .याग्भटालंकारवृत्ति..... जिनवर्धनसूरि-यू......
जि.ता. ३४६/१ . विक्रमांककाय्य टिप्पणीयुक्त ...... बिल्हणकवि
......१५८ जि.का ४०७०वाग्भटालंकार
६२-७२ जि.का १४४/७ . विक्रमांकमहाकाव्य
बिल्हणकवि
.... १९८३ .. १०-६६ जि.का ६३७ वाजसनेयीसंहिता ......
१८६ | लोका/४१३ विक्रमादित्य (पंचदंड) चउपई ... लक्ष्मीवल्लभ
२.१७२८ |.....१-८॥ जि.का १८०० ०वादस्थल .....
.ले.१८७ था.का २९४ ० बाद स्थ ल ...........
इं.का. ५१७ विक्रमादित्य चौपई ...
.... २५ जि.ता|३३३ चामनीय काव्यालंकार चोपज्ञवृत्ति वामन स्योपश
...१२०
विक्रमादित्य चीपई टिप्पणीसह
विक्रमादित्य चौपाई
....१७१३ त.का. १०९३ चाराहीसंहिता
... ९९|| विक्रमादित्यचतुष्पदी...
....१८५७ जि.का २१५६ बार्तासुभाषितादि
विक्रमादित्यचोपाई ......... खेमचंद .......................१८८५ जि.ता. ३७२ बार्तिकवृत्ति....................... सातसूर ...................१३००......१५५५.का. १०७
विक्रमादित्यचौपई ..
सुमतिनिधान मुनि ...........१८५४ जि.ता.३४८ ० चासवदत्ता आख्यायिका ..........सुबंधु महाकवि..............१२०७ ....... ४७ था.का.४७७ विक्रमादित्यकथा ...... टिप्पणी सहिता
११२१ विचार संग्रह अपूर्ण ........... दू.का. ९२३ वासुपूज्यचरित्र नथमल.. ..............१८८३/......१४७ था.का. १२७
विचार सप्ततिका ......... जि.का २१७१ वासुपूज्यजिनचरित्रमहाकाव्य ... वर्धमानसूरि
...... ६८ जि.का ९८२ ० विचारपंचाशिका सावधूरि .... विजयविमलगणि ............१९०१ ........५ जि.का २००७ वासुपूज्यजिनपुण्यप्रकाशस्तवन. सकलचंद्र
अपरनाम वानर्षिगणि स्वोपक्ष
........
प्रधुम्नसूरि
त.का. ५९१
EEN
......२०/
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--------------------------------------------------------------------------
________________
४५६ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
नाम
त. का. ७८५
● विचारपत्र
जि. ता. १५५/१०० विचारमुखप्रकरण
जि.का. ११३७
हूं. का. ११४
त. का. ४३८
बूं. का. ९७४ जि.का ५४३ जि.का. १९१४
जि.का. ७९८/२
जि.का. १४९१ बूं. का. १९०
हूं. का. ७७२
आ.का. २९४ त. का. १०७९ त. का.
११३२ त. का. १२९३
डूं. का. ११५५
त. का. ९४५
था. का. १४५ जि.का. २१५५ डूं. का. १२४
हूं.का. ९९४. था. का. ३३२
त. का. २६९
विचाररत्नाकरज्योतिष
विचारवाद संग्रह
+ आवश्यक लघुवृत्ति
विचारवादसंग्रह विचारवादसंग्रह
D विचारषटत्रिंशिका सस्तबक विचारषट्त्रिशिका विचारषट्त्रिंशिकाप्रकरण
| विचारषट्त्रिंशिकाप्रश्नोत्तर विचारसंग्रह
| विचारसंग्रह
| विचारसंग्रह
० विचारसंग्रह
विचारसंग्रह
विचारसंग्रह
विचारसंग्रह आवश्यक निर्युक्ति
अपूर्ण
| विचारसप्तिका
विचारसार
विचारसित्तरिप्रकरण सस्तबक विचारसूत्र षटत्रिंशिका
(दंडकसूत्र ) विचारपंचाशिका
विचारप्रकीर्णक
विचारप्रकीर्णक
कर्ता
अमरचन्द्रसूरि
गजसार
गजसारमुनि स्वोपज्ञ सावचूरि पंचपाठ जिनाब्धिसूरि
शांतिकुशल
गजसार-क.. अमरविजय-ले.
महेश्वर सूरि
संवत्
१२२२
२. १७२४
१६६२
पत्र भंडार संख्या नाम
२.का. ७६० १-१७ खूं. का. ७७३ ६९५
ढूं. का.
हूं. का. १२७६
लों. का. ३८७
३
६७
ग्रंथांक
१६ त.का. ३७०
त.का. ८००
लों. का. ४३३
४५
५
आ.का. २६२
८-१२ लो. का. ५०३
५
६
.७
था. का. ३९४ बूं. का. ५४३
था. का. १५
लों. का. ४५६
१२ जि.का १३३/१९
१० जि.का १६३५
....५.११ हूं. का. १८३ ८ जि.का ८५३ ३-१९ जि.का २२२१/३ जि.का ५६७
3
२४७ सूं. का. ६९३
.९ हूं. का. १०९४
८
हूं. का.
३९४
डूं. का. ३९३
लों का ७३१
७
२ जि.का. १९९२
.५ जि.का. ८१३
ग्रंथ नाम विचारबत्तीसी सार्थ विचारशत त्रिशीका विचारषट्त्रिशिकावचूरि विचारसंग्रह
विचारसंग्रह
विचारसंग्रह
विचारसंग्रह
विचारसंग्रह लूटक
विचारसङ्ग्रह
विचारसार प्रकरण (जीर्ण) त्रूटक विचारस्तवन
विजययंत्र महात्म्य ( ज्योतिषसार ). विजययन्त्र
विजयशेठ विजयाशेठाणीचीपई.
० विज्ञप्तिका
● विज्ञप्तिद्वात्रिंशिका
| विज्ञानचन्द्रिका
• विदग्धमुखमंडन. विदग्धमुखमंडन ..
D | विदग्धमुखमंडनविषमपदव्याख्या अपूर्ण विदग्धमुखमंडन.
विदग्धमुखमंडन चौपई
• विदग्धमुखमंडन सहावचूरी
• विदग्धमुखमंडनकाव्य
• विद्याज्ञान प्रकाश
विद्याविलासचोपाई विद्याविलासपवाडो
जिनहंससूरि जीतरंगगणि
कर्ता
जिनवल्लभगणि
जयशेखर-ले.
धर्मदास
धर्मदास
धर्मदास
धर्मदास
धर्मदास
धर्मदास
आज्ञासुंदर हीरानंदसूरि
संवत्
१८०२ २१
. १८५३ .........९
१९०७
१९२०
पत्र संख्या
. १५१६
१४८५
१६
५१
१-३२
.६
.९
.१-३
.७
. २२-५५
२
.४
१
.१-६
४३-४४
२
११
१६
२०-२४
७
१४
११
९१
४१
१६
१०
.
Page #505
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
त. का. ११७४
डूं. का. ८६२/१
जि.का ९२७/२ जि.का. १९०१ जि.का. १३०
जि.का. ६६१
था. का, २०८.
ढूं. का. ३१
डूं. का.
२७
डूं. का. ७०९
त. का. ७४९
बूं. का. १३७० जि.का. १९०६
जि.का. ७७४
जि.का. १०९४
आ.का. २९५
जि.का २१५७
त. का. ३२७ था. का. १८१
जि. ता. २०/५
जि. ता. २२/१० जि.का. ८२/५ डूं. का. ८७९ था. का. १८०
आ. का. २३
आ.का. ४६
ग्रंथनुं नाम
विद्यासारगीत
विद्याहल छाया (संपूर्ण) विद्वद्गोष्ठी.
विद्वनन्मनोरंजनीप्रक्रिया
० विधिप्रपा
● विधिप्रपा
● विधिप्रपा
• विधिप्रपा
• विधिप्रपा
० विधिप्रपा
विधिसंग्रह
● विधिसंग्रह अपूर्ण त्रुटक विनयचंद्रकृत चोविशी.
विनयचटकुमाररास त्रूटक अपूर्ण
विनयचटरास
विनयबोल
D विनोदकथासंग्रह विनोदकथासंग्रह
● विपाकवृत्ति
० विपाकसूत्र
● विपाकसूत्र D विपाकसूत्र विपाकसूत्र
विपाकसूत्र
विपाकसूत्र
विपाकसूत्र
कर्ता
| विद्यासागर उपाध्याय
जयवल्लभ
शंकरदत्त
जिनप्रभसूरि
जिनभद्रसूरि
सिंहसूरि
विनयचन्द्र
ऋषभसागर
मलधारी राजशेखर
सुधर्मास्वामी
ज्योसींग ग.ले.
संवत्
१८२०
र. १३६३
.ले. १९८३
२. १३६३
.ले. १५५९
१८९४
१४९५
. १८३२
पत्र भंडार संख्या
नाम
त. का. ४९
त.का. १०८१
डूं. का. ४८७
लों. का ४७
लों का ४६
जि.का ७२९
६६ जि.का ११७९ जि.का १३८४ ८६ त. का. ५१ ९६ जि.का १८/५ ७० त. का. ५० ८७ जि.का १७/५ ५ जि.ता. १९/६ जि. ता. २२/५
.६ डूं. का. १२५४ २-९ जि.का ७१९ ५-४३ .... १९
जि. ता. ३०३/२ जि.का १७५७
३
४
६तुं
६३
७३
ग्रंथांक
३२ त.का. ८७१ ३३ जि.का १४४/५
.१६७१....... २२ जि. ता. ३४६/६
१५०० ६७-९५
****
. ११८६२५९-२८५ जि. ता. २६७
. १९८३... ५८-८१
४३ जि. ता. २६८ २९
४२ खूं. का. १२५९ ३३
लॉ का २६६
ग्रंथनुं नाम
विपाकसूत्र
विपाकसूत्र
विपाकसूत्र टब्बार्थ
विपाकसूत्र टब्बार्थ विपाकसूत्र मूल
विपाकसूत्र सस्तबक विपाकसूत्र सस्तबक विपाकसूत्र सस्तबक विपाकसूत्र सह टब्बार्थ ० विपाकसूत्रवृत्ति.. D विपाकसूत्रवृत्ति.. • विपाकसूत्रांग
• विपाकसूत्रवृत्ति.. ० विपाकसूत्रवृत्ति. विपाकसूत्रवृत्ति विबुधप्रिया अपूर्ण ० विभक्तिविचार
• विभक्तिविचार
• विभक्तिश्रोतृगोचर सह व्याख्या ० विरहिणीप्रलापकाव्य
• विरहिणीप्रलापकाय्य (षऋतुवर्णनकाव्य)
० विलासवईकहा
० विलासवईकहा
विवादपटल अवचूरिसह विवाह पडल (ज्योतिष)
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम
fum ali
लक्ष्मणमुनि
युक्तिधीर सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी
पार्श्वचंद्रसूरि अभयदेवसूरि अभयदेवसूरि सुधर्मास्वामी अभयदेवाचार्य अभयदेवाचार्य अभयदेव आचार्य
केलिकवि
केलिकवि
साधारणकवि
साधारण कवि
परिशिष्ट १४५७
पत्र
संख्या
संवत्
१७५९
१८४९
१८४५
१८४५ ...... १८१६
१-६५
१-६९
४४
८०
७२
८१
६६-७५
.... १७
३२-४३ ३५१-३७५ ११८५१५९-१८१
१८८९
. १६५०
१३००
१९१७
र. ११२३ .ले. १४०० . ११२३ .ले. १४०० १७७८
२५
१६
८२
-------
३१
१६
19
७-९ १५-१८
. २०६
२०३
३ १-६
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
पत्र
पत्र
संवत् । संख्या
सख्या
लो.का ५५२
.. १८४४
.......
४५८ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार | ग्रंथांक |
भंडारा ग्रंथर्नु नाम
संवत्
ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता नाम
| नाम डूं.का.८९१ विवाह मुहूर्त + जिनस्तुतिओ.
..८] जि.ता१५८/३ . विवेकमंजरीप्रकरण ............. आसड ...
र.१२४८/...७५-८६ जि.का ११५४ । विवाहपटल ..
११-१४
.ले.१४०० विवाहपटल अपूर्ण ... .१-१५ जि.ता.१५९/११ विवेकमंजरीप्रकरण ........... आसड
र.१२४८ १३८-१५८ जि.का ११५३ |विवाहपटल सस्तबक ...........
.ले.१३४५ जि.का. ११९७ विवाहपटल सस्तबक
.............१८१७ जि.का १३४/२ D विवेकमंजरीप्रकरण
आसड
..१२७८ ...३-४ जि.का.१२१२ विवाहपटल सस्तबक
.. १७७० जि.का १९४/७ विवेकमंजरीप्रकरण
आराङ कवि....... ...१२४८/...११-१४ त.का. ४६२ विवाहपटल सह बालावबोध ...
...१८२६ जि.का ३३०/४ विवेकमंजरीप्रकरण
आसड
...१२४८.
1... २३.२८ डूं.का. ३७५ विवाहपडल ग्रंथ
जेतसिंह जि.का १३२६/१५० विवेकमंजरीप्रकरण
आसड
...१२४८/१४७-१५८ त.का. |६४२ विवाहप्रकरण
रूपचंदजी
आ.का.८७ | विवेकमंजरीप्रकरण जि.का. १८४४ विवाहवृंदावन ज्योतिषशास्त्र...
जि.का १५७५ | विवेकमंजरीप्रकरण
....................र.१२४८ सटीक
जीवविचारप्रकरण त.का. १८९ विवाहपटल.
१७७२ जि.का १२३१ ० विवेकविलास
जिनदत्तसूरि .............. र.१४९३ लों.का. ६०० विवाहपटल (ज्यो.) ...१७४९
.ले.१४९७ आ.का. ६२ विवाहप्रकरण ................ काशीनाथ ..
त.का. ५०२
विवेकविलास ..... .का.४१ विविध पूजासंग्रह (स्नात्र......... उदयसागरसूरि .
लो.का ७२५ विवेकसार .. पंचाशिका)
आ.का. १६३ विवेकमंजरी सह बालावबोय.....
......१२४८ विवेक विलास .................. जिनदत्तसूरि ..............१६७५.......३५ बूं.का. २२१ विशेष काव्य ....................
... कालीदास कवि...............१७४५ डूं.का. ७४५ विवेक विलास ..............
जिनदत्तसूरि-क.. ............१९१७.. ....३१२ था.का. १४१ विशेषणवती. ................ जिनभद्रगणि मोतीचंद-ले.
जि.का २२५३ विशेषशतक बीजकसह ......... समयसुंदर जि.का ६०६/२१ । विवेकचउपई
६८.७० डूं.का. १०६१ विशेषसंग्रह ..
अमृतधर्म-ले.. ............१६८५ ढूं.का. ७०९ विवेकमंजरी ...............१८७८
समयसुंदर क. था.का १०६ विवेकमंजरी
....१२४८
त.का. विशेषावश्यक बृहद्वृत्ति प्रथमखंड हेमचन्द्रसूरि
-३३० आ.का ३५ | विवेकमंजरी
जि.ता/१०९ विशेषावश्यक महाभाष्य.......... | जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ....१५००/...७१०७ जि.का २६८ ०वियेकमंजरी प्रकरण , आसड कवि ...........
....१२४८ विशेषावश्यक वृद्धवृत्ति .......... हेमचन्द्रसूरि
1-.....३२५ था.का २०६ ०विवेकमंजरी सह वृत्ति ......... बालचंद्राचार्य
..... २०१
| द्वितीय खंड जि.ता. १५१/२ ० विवेकमंजरीप्रकरण ............. आसड ..................
.............. र.१२४८.....९-२९| था.का.
विशेषावश्यकभाष्य द्वितीय खंड मलधारी हेमचंद्रसूरि .........११७५ |..... ३४८ ले.१४००
विशेषावश्यकभाष्य प्रथम खंड ... मलधारी हेमचंद्रसूरि ............... ..... ३३१ जिता११६० |विशेषावश्यकमहाभाष्य.......... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ....१०००
......२८४
*
जू.का.७४४
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________________
९८
14EEFERE
.३६४
mmen.
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ . ४५९ भंडार| ग्रंथांक
पत्र ग्रंथन नाम | कर्ता | संवत् | पत्र | भंडार ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता । संवत् नाम
संख्या जि.का ५७ विशेषावश्यकमहाभाष्य ..........- जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ४५(१२६०. |जि.का ४२०/१० विहरमानजिनवीसीछप्पा ...
१३०४) जि.का ११२६ वीतरागसहस्रनाम ... जि.का १४३९ विशेषावश्यकमहाभाष्य .......... जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
११७ |जि.का ७५५० वीतरागस्तव .....
हेमचंद्रसूरि विशेषावश्यकमहाभाष्य ....
डूं.का.|२४३ वीतरागस्तवन ........ विशेषावश्यकवृत्ति अपूर्ण ....... कोटधाचार्य .................१५००... ..३४०
(सम्यक्त्व सह टब्बार्थ) विशेषावश्यकवृत्ति द्वितीयखंड ... द.क. मलधारी ........... र.११७५ ..३२५] जि.का ९७३ वीतरागस्तोत्र..
हेमचंद्रसूरि. हेमचंद्रसूरि ................ले.१४८८
जि.का १६१३ वीतरागस्तोत्र .. ............. हेमचंद्राचार्य.... जि.ता.११८ विशेषावश्यकवृत्ति प्रथमखंड ....-वृ. मलधारी हेमचंद्रसूरि ....१५००......३३५ जि.का १६१४ ०वीतरागस्तोत्र .... .............. हेमचंद्राचार्य जि.ता.१२१ विशेषावश्यकवृत्तिसह ...........मू. जिनभद्रगणि ......... र.११७५
डूं.का. ९९००वीतरागस्तोत्र ............... ... हेमचंद्राचार्य द्वितीयखंड ............... क्षमाश्रमण, ..............ले.१४००
आ.का ११४ वीतरागस्तोत्र,
हेमचंद्राचार्य वृ. मलधारी हेमचंद्रसूरि
जि.का १६१५ ०वीतरागस्तोत्र सावचूरि .......... हेमचंद्राचार्य डूं.का, ७१३० विशेषआवश्यकवृत्ति .............. प्रतापसूरि ...
..१८८ जि.का १२४१ वीतरागस्तोत्रअवचूरित्रयोदशविशेषशतक उध्धरण परिवर्धन .-समयसुंदर ..................१६८५
....१६८५,.......२३||
प्रकाशथी वीस प्रकाशपर्यंत डूं.का. ६९६ | विशेषशतक उध्धरण परिवर्धन
..१८७२ | जि.का १२४० वीतरागस्तोत्रअष्टमप्रकाशवृत्ति जि.ता. १५६/३१ - |विभुतभुतस्तय ................ जिनदत्तसूरि .................११९२०
Qटक अपूर्ण जि.का १८९८० विश्वशंभुएकाक्षरनाममाला....... विश्वशंकर
| जि.का/८८५ वीरचरित्रस्तोत्र ................. जिनवल्लभगणि. जि.ता. १२० विशेषावश्यकवृत्ति सह .. मू.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण,....१४०० .३२२ जि.का ६०६/२ 0 वीरजिनस्तवन आदि प्रथमखंड अपूर्ण....... वृ. मलधारी हेमचंद्रसूरि
लों.का१६६/१ जि.का. ११४३ विष्णुकरण सटीक त्रिपाठ.........त्र्यंबक-वृ.क. ............
डूं.का. ६५३ वीरसेन कुसुमश्री कथा .... डूं.का. ४४९ विष्णुकुमार कथा+धर्मरत्नमंजुषा
जि.का १९५१/१० वीरस्तव......
६०-६२ जि.का १०२३ विष्णुनामसहस्र-महाभारत
....१७३९
लो.का ३२५ • वीरस्त शतसाहखीसंहितागत
जि.का १७११/५०वीरस्तुति..... त.का. ४८६ | विष्णुसहस्रनाम ......
वीरस्तुतिअध्ययन नरय-.......... त.का. ५६६ विष्णुसहस्रनाम सटीक.
विभत्तिअध्ययन सूत्रकृतांगसूत्रगत त.का.19००५ विहरमान एकविंशतिस्थान ......
|३८० वीश बीहरमान स्तवन अवचूरि
| ३३२ वीशविहरमान जिन स्तवन ........ यतिनथमल .................. १८७६ .......६६ इं.का. १२२१ विहरमानजिन एकवीस ठाण...
त.का. ८१८ वीशविहरमानस्तवन +सत्तरीसय ठाण
इं.का. ५९१ यीशस्थानक ओळी मंडाण ............
.........
.............७५
जि.का.
जि.का ४८६
...........
८
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________________
भंडार
नाम
कर्ता
कर्ता
संवत ।
नाम
Aalaaaaaal
४६० - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथांक | भंडार
पत्र ग्रंथनु नाम
संवत्
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
संख्या इं.का. ५१९ बीशस्थानक तप विधि.
|जि.का १७६२ वृत्तरत्नाकर ...................... भट्ट केदार .......................... वीशस्थानक तपविधि अपूर्ण..
लों.का २७५
वृत्तरत्नाकर छंद ................. केदारभट्ट ...............................१-१० दीशस्थानकतपोविधि ....
जि.का १७६१ वृत्तरत्नाकर टिप्पणीसह ......... गोविंदसूरिशिष्य वर्धमान..... वीशस्थानकपूजा............... केशरसागर
जि.का १७६३ वृत्तरत्नाकर सटीक .............. भट्ट केदार-मू............ र.१३२९ .......३० वीशस्थानकपूजा............... विजलक्ष्मी
सोमचंद्र-टी. यीशस्थानकविधि ........
जि.का १३४४ वृत्तरत्नाकर सटीक पंचपाठ..... भट्ट केदार ... वीशस्थानकविधि अपूर्ण ........
..५-१४| डूं.का.६७० ०वृत्तरत्नाकरवृत्ति..
यशकिर्ती................ इं.का. १०/२ वीशस्थानकभाषा विधि ..........-ज्ञानसागरसूरि .....
1.का.६४२
वृत्तरत्नाकर ............ समयसुंदर ..... डूं.का. ७६२ बीस विहरमान विचार स्तवन ..
डूं.का. ७३२ | वृत्तरत्नाकर ................ भट्ट केदार, जि.का ९३९ बीसलरास .......
..... ११॥ डूं.का. ११५४ |वृत्तरत्नाकर ...............
भट्ट केदार......... जि.का २०११ वीसविहरमानजिनगीतो अपूर्ण .. जिनराज .......
था.का ३२१ वृत्तरत्नाकर ................. भट्ट केदार-क.......... त.का. |७४० बीसविहरमानस्तवन
जसविजय ..................१८५० ........९| बूं.का. ६४१ वृत्तरत्नाकरछंद वृत्ति सह ....... समयसुंदर ................ डूं.का. २१५ यीसस्थानकतपविधि ओळी मंडाण ,
डूं.का. ४४ ० वृत्तरत्नाकर .....................
सोमचंद्र................ जि.का ९०८०बीसस्थानकपूजा.
जिनहर्षसूरि
र.१८७१
लों.का/५७६ वृद्ध शांति ..............
.ले.१८९५ जि.का. ११६१ वृद्धग्रहरत्नाकरहतिसंस्कारयंत्र ... जि.का २००९ वीसस्थानकस्तवन ............ वस्तो .
..१६३८
बूं.का. २२६ वृद्धचाणक्यनीति - आठमो अध्याय छं.का. २१४ बीसस्थानकपूजा विधि ........ जिनहर्षसूरि
.१९१९
लों.का. ७२९ . | वृद्धिरत्नमाला .................. लों का ३३१ बीसविहरमानगीतसंग्रह ........ देवचंद्र पं.
हूं.का. ६१६/२ वृध्धनवकार + अन्यस्तोत्र ......
४०-५६ था.का ३६५ वीसविहरमानस्तवन ...........
रंगविजय .... जि.ता.३४७/१ वृन्दावनकाव्य सटीक
मू.क.मानांक, टी.क.........१२१५
.१-३१ त.का. १२८३ यीसस्थानकतपविधि............
शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय डूं.का. ३३१० वीशस्थानक पूजा ............
डूं.का. ८५१ वृन्दविनोद
युक्तिधीर मुनि ...............१८३० जि.का ८०९/१ ०वीसविहरमानजिनगीत ........./जिनसागरसूरि ...
त.का. ९७४ .वृषांकस्तवन .......... डूं.का. २२५ बीसस्थानक क्षमाश्रमण विधि
जि.ता.३५८ वेणीसंहारनाटक ............... भट्ट नारायणकवि ..........१४०० जि.का १४४/३ ०वृंदावनमहाकाव्य .....
लों.का ७३० - बेतालपच्चीसी ........ डूं.का. ७३१० वृतरत्नाकरवृत्ति .............. समयसुंदर .............. .......२४||जि.का ३३५ - वेद्यकसारोद्धार सन्नि- ... जि.का २०८८ वृत्तज्योतिष ... महेश्वराचार्य
पाताधिकार अपूर्ण जि.सा. ३१४/६ वृत्तरत्नाकर . भट्ट केदार ....१४०० ........१५| जि.का ३०७/१ ० बेलिपीराएली....
सिंहो जि.का १२५१ वृत्तरत्नाकर ......
............................. २७||७.का. १३८५ वैद्यक ......................
• १३
१७६९
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________________
ग्रंथनुं नाम
पत्र
| नाम
...१७०२
भंडार ग्रंथांक नाम जि.का ५३२ त.का. १०२३/० जि.का १८२० जि.का.१०८७
.का.९७२
T
"..............७-८
..१५९
EEEEEEEEEE
..१-१५
जि.79
त.का. ४४४ त.का. ४४५ था.का ३७४ जि.ता,१५१/११ जि.ता. १५१/१७
वैद्यक ज्योतिष प्रकीर्णकसंग्रह . वैद्यक स्फुट त्रुटक लघुग्रन्थ पन्ने वैद्यकग्रंथ ... वैद्यकग्रंथ अपूर्ण..... वैद्यकविषयक प्रकीर्णक पानांओ..--
वैद्यकसारपंचाशिका ............... राजप्रमोदगणि ० वैद्यकसारोद्धार ............. - वैद्यकसारोद्धार सटीक अपूर्ण ... हर्षकीर्तिसूरि ...
वैद्यजीवन .............. लोलिबराज वैद्यजीवन सह दिपिका ........ लोलंबराजकवि वैद्यजीवनटिप्पणीसह ........... लोलिवराज वैद्यमनोत्स व..................... नयनसुख ....... वैद्यमनोत्स व................
केसवराय वैद्यवल्लभ व कालझान सहटबार्थ हस्तिरुचि मुनि
वैरागसंग्रह आदि प्रकरणसंग्रह .... ०|वैराग्यकुलक ..............
वैराग्यकुलक .......... |वैराग्यकुलक-धर्माधर्मफलकुलक.
राजसमुद्र ... वैराग्यपच्चीसी..
भैया.. वैराग्यशतक......
भर्तृहरि वैराग्यशतक............... भर्तृहरि .... वैराग्यशतक सह बालावबोध ... वैराग्यशतक ..................... भर्तृहरि.
वैराग्यसज्झाय .... . वैराग्यस्तोत्र + रत्नाकरपचीसी... रत्नाकरसूरि .
वैराग्यसज्झाय वैशेषिक न्यायग्रंथकी अवधूरि ...
...............
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ - ४६१ | भंडार| पंथांक संवत्
| ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत् संख्या
संख्या जि.ता. ३२५ ० व्यक्तिविवेक काव्यालंकार ...... राजानक महिम ..............१३०० .......१९८ जि.का १९४/५ .
जिनदत्तसूरि ....... जि.का १३२६/१३ ० व्यवस्थाकुलक ............ जिनदत्तसूरि ...
१३०-१३५ त.का.३ व्यवहार भाष्य जि.ता.६१/१ व्यवहारभाष्य ..
जिनदासगणि क्षमाश्रमण....१४९०|... १-१५५ १] था.का ५३ ०व्यवहारभाष्य ...
धर्मकिर्तीगणि-सं.क..............
.....२२२ १४४ था.का.२४३ व्यवहारभाष्य
१४१ व्यवहारवृत्ति
११४० जि.ता.५९/१ व्यवहारसूत्र .....
भद्रबाहुस्वामी ................१२३६ जि.ता. ६०/६ व्यवहारसूत्र ......
भद्रबाहुस्वामी...
१-१९ व्यवहारसूत्र चूर्णी .....
१४९०
|... १-३०१ व्यवहारसूत्र
भद्रबाहुस्वामी -मू.नि.........१९८३ |..... ७१६ नियुक्तिभाष्यवृत्तिसह ............ १. मलयगिरि आचार्य व्यवहारसूत्र भाष्य...
...................१६-१३६ व्यवहारसूत्र मूल
भद्रबाहु............................... .......१४००...६३-६७| लों.का.
व्यवहारसूत्र मूल ............... गंगदास-ले. ............
व्यवहारसूत्र वृत्ति द्वितीयखंड .... वृ.क. मलयगिरि आचार्य....१४९०.......३७५ ....१४००... ५२-५४
२६ उद्देश पर्यन्त १-२ व्यवहारसूत्र सह टब्बो .......
.१-३६ ९४-९५ व्यवहारसूत्र सह टब्बो .......
१-३६ जि.का १०३ व्यवहारसूत्रचूर्णी .....
.....१९८३
......२२७ व्यवहारसूत्रवृत्ति तृ.खंड ७-१० ... वृ.क, मलयगिरि आचार्य ....१४९० ...३०७ उद्देश पर्यन्त संपूर्ण व्यवहारसूत्रवृत्ति द्वितीयखंड .... मलयगिरि आचार्य -वृ.......१९८४/......२२७ व्यवहारसूत्रवृत्ति प्रथमखंड ....... वृ.क.मलयगिरि आचार्य ....१४८९ ......३५० | प्रथम उद्देश पर्यन्त व्यवहारचूर्णी ............
---...१२३६.....१-२२१ डूं.का. ७८४ ध्यवहारभाष्य............."
........१८२९ ......१०५
-१-१० .........१-१६
जि.का ३५०२
लो.का, ७३
जि.का ४२०/४७ इं.का. ७९४ लों.का |७३६ हूं.का. ४०७ डूं.का. ११३८ लों का ४४६/A जि.का ८०८/७ लों का ४४६/B लों.का. ५४२
X
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________________
भंडार
ग्रंथांक
जि.का १९३
%
FEENE
1
.५१
२
१८७
४६२ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत । भंडार ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
संवत् नाम
नाम डूं.का. १०२७ व्यवहारसूत्र ....
त.का. ४५४ शकुनरत्नमाला ...... का/१७५ व्यवहारसूत्र ...
1.का ११२९ शकुनावली....... का १८०८ व्याकरण ...
२६, जि.का ११९६ शकुनावली... व्याकरण .....
का २८०/A शकुनावली (ज्योतिष) १३८४ व्याकरण .....
शकुनावली+पाशाकेवली बालावबोध का. ९०३ व्याकरण की पांच संधिका अर्थ
.१७ लो .का२०४ शकुनावली त्रूटक ....... हूं.का. १०५१ ०व्याकरण भूषणसार ......
३८ जि.का २०६० शक्रस्तवाम्नाय...... त.का. १०२३/H व्याकरण स्फुट पन्ने त्रुटक लघुग्रंथ
५३||९.का. ५४०
शतक बालावबोध .............. मतिचंद्रमुनि..... जि.का १३७ व्याकरणचतुष्कावचूरि............ कनकप्रभसूरि ................१९८३
जि.ता.१८७ शतक-नव्य पंचम कर्मग्रंथ ...... देवेन्द्रसूरि स्वोपज ...........१३५४.......१२८ हैमलधुन्यास द्वितीयाध्याय
स्वोपज्ञवृत्ति सह द्वितीय पाद पादपर्यन्त
जि.ता.१६०/३ शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ .... शिवशर्मसूरि ..................१३00/--. १८-२५ आ.का २०२ व्याकरणन्यायवृत्ति
जि.ता. १७९/२ ० शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ चूर्णी ..
...............११७५/-.५७-१७५ जि.का. २१८२ व्याकरणन्यायसंग्रह ....
..२ जि.ता.१८० ०शतक प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ चूर्णी .................... डूं.का. ३४४ व्याकरणसूत्र ......................मुनिसुंदर-ले. ......
..... १९| जि.ता. १८१ शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ घूर्णी ..........
..........१९९६ इं.का. ९०६ व्याकरणसिद्धांतरहस्य ......
....... १५|जि.ता १८५० शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ ....मू.क.शिवशर्मसूरि, ..........१३०० ......२३९ जि.का.७५ व्रतविचार त्रूटक अपूर्ण.....
वृत्ति सहित ............. .क. मलधारी जि.का. २२१३ व्रतविधिसंग्रह .
हेमचंद्रसूरि जि.का १३१७/१८० वन्दितुसूत्र .....
१६३ जि.ता. १८२ ०शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ.... मू.क.शिवशर्मसूरि, ..........१३००....... २४४ जि.का ४२०/५ वर्तमानजिनघोचीसी छप्या ......
सटीक त्रूटक अपूर्ण ... वृ.क.मलधारी जि.का ४३७ वसंतराजशास्त्र सटीक..........वसंतराज -मू.क., वसंतराजशास्त्र सटा
हेमचन्द्रसूरि टी.क.भानुचंद्र
|जि.ता. १५०/५ ० शतक प्राचीन पंचमकर्मग्रंथ .... |शिवशर्मसूरि ..
| १४०-१५० इं.का. ४०१ | विचारसंग्रह अपूर्ण .. .. ४२ जि.ता./१८४ शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ ...., मलधारी हेमचन्द्रसूरि ........१३००
J......१८४ जि.ता. २१/५ ०|विपाकसूत्रवृत्ति ... अभयदेवसूरि ... ............१४९०१२६-१४४
वृत्ति अपूर्ण जि.ता. ३४६/ ४० वृन्दावनमहाकाव्य
मानांक कवि....
...६-१० जि.ता.१८३ शतक-प्राचीन पंचम कर्मग्रंथ .... मू.क. शिवशर्मसूरि..........१४०० जि.का २१२५ ०शंखेश्चरपार्श्वनाथछंद ............ बर्द्धमान कवि...
वृत्ति सहित ...
वृ.क.मलधारी लो.का ३०२ शंखेश्वरपार्धजिन छंद ... नयसुंदर ..
हेमचन्द्रसूरि .ले.१८२३ लों.का १७६ शतककर्मपंथ.
देवेन्द्रसूरि. इं.का. ११६२ शकुनचौपाई (दीपिका) .............
१७३
11...१२
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________________
भंडार| ग्रंथांक
ফা
संवत् ।
पत्र
| भंडार | ग्रंथांक | ग्रंथन नाम
कर्ता संवत् पत्र
नाम |जि.का ११५ शतककर्मग्रंथ वृत्तिसह .......... शिवशर्मसूरि मू.............१९८३ /.......७३ | जि.का १९८७
वृ.क.मलधारि हेमचंद्रसूरि
आ.का. १०३/० जि.का. १२९८ शतककर्मग्रंथ सटीक ........... शिवशर्मसूरि वृ.क.. ........ १४००
टी.क.मलधारी हेमचंद्रसूरि
२६१/१ जि.ता,४१५/९ . |शतककर्मग्रंथ-प्राचीन पंचम ..... शिवशर्मसूरि
कर्मग्रंथ
आ.का.४४/A लों.का. ५३७ त.का. १२०६ त.का. |६२५ त.का. |६२६ जि.का ६२७ जि.का १७४७ त.का. १०१६
....१९००
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १-४६३ ग्रंथ नाम
संख्या शत्रुजयउद्धाररास ............... नयसुंदर .............. . र.१६४८
.ले.१७७१ शत्रुजयउद्धाररास शत्रुजयउद्धाररास
नयसुंदर -
१७०३ शचुंजयउद्धार ................... नयसुंदर शत्रुजयकल्प .................... जिनप्रभसूरि ........ शत्रुजयकल्प ...... शत्रुजयकल्प..... शत्रुजयकल्प सस्तबक तथा ..... विनयविमल...... पडिलेहणाकुलक शत्रुजयकल्पस्तवन.... शत्रुजयचैत्यपरिपाटी.... शत्रुजयमहात्य .....
सकलचंद्रगणि-ले.. शर्बुजयमहात्म्य ............. जिनचंद्रसूरि
.१८११ शत्रुजयमहात्म्य ........
.१६४ शगुंजयमहात्म्य सह वृत्ति......
रुपचंदमणि ........
.१८१ शत्रुजयमहिमा ...
जशविजय शत्रुजयमाहात्म्य ......... धनेसरसूरि. शत्रुजयमाहात्म्य ........... धनेश्वर सूरि शत्रुजयमाहात्म्य ..
धनेश्वरसूरि शत्रुजयमाहात्म्य
धनेश्वर सूरि शशुंजयमाहात्म्य चतुर्थसर्ग ... धनेश्वरसूरि शत्रुजयमाहात्म्य पद्य ........ धनेश्वरसूरि
१५९१
१८ शत्रुजयमाहात्म्य ...
.१५६७ ०शश्रृंजययात्रा.......
.१८७ शत्रुजयरास ............ ०शर्बुजयरास ................ समयसुंदरोपाध्याय ..........१६८२ शत्रुजयराम ......
समयसुंदरजी
धनंजय ......
शतकचूर्णि............. | शतकत्रय ........
भर्तृहरी.. | शतकत्रय सह टब्बार्थ ........... भर्तृहरि शतकत्रयसहवृत्ति ................ धनसार -टी. भर्तृहरी-क.....१८६७
आ.का. १२५ शतकत्रयसहवृत्ति ................ भर्तृहरी..... शतश्लोकी अपूर्ण ....................................
.... ११ था.का २१० शतश्लोकीव्याकरण .............--..
| आ.का २० शतसंवच्छरी
डूं.का. १०५५ शतसंवत्सरी ..........
१०३/० शतसंवत्सरी शत्रंजय संघवर्णन ... शत्रुजय (उद्धार) रास............ शत्रुजय उद्धाररास .............. भानुमेरुगणेश............ शत्रुजय उद्धाररास ..............- ऋषभदास
जि.का २०८५ शत्रुजय उद्धाररास ...............
जि.का २४२ शबुंजय महात्म्य..................धनेश्वरसूरि ....... शत्रुजय स्तुति
डूं.का. ४३१ शत्रुजयआदिराससंग्रह .........
(जि.का ५७३ |शत्रुजयउद्धाररास...............समयसुंदरोपाध्याय ..........१६८२....१-१० जि.का ८९०
| जि.का १९८८/१
RECENE
ऋषभदास
त.का. ७३०
११२० त.का. ११९७ इं.का. १०६२ ५.का. २९१ जि.का. १९८८ जि.का ३९१/१
...........१८७०
३-२४
For Private & Personal use only
Page #512
--------------------------------------------------------------------------
________________
४६४ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
नाम
लों का ४६६
त. का. ९३२
त. का. १२२९
डू. का.
११५
था. का ३४८ त.का. ८२२
त. का. ८८७
था. का. ४५६
त. का. २५०
त.का. ४८४ जि.का ४१४
डू. का. १२८०
त. का. १०२२
त. का. ८५४
त. का. ४२४
लों का ७१४
लों का ४२३ त. का. ९६१ त. का. १३३६
जि.का. ७१७ जि.का., ४४१ हूं.का. ७१
शत्रुंजयरास
शत्रुंजयरास शत्रुंजयरास. शत्रुंजयरास अपूर्ण
शत्रुंजयसंघ यात्रा स्तवन शत्रुंजयसंघयात्रास्तवन
शत्रुंजयसज्झाय
शत्रुंजयस्तवन
शत्रुंजयस्तवन
शत्रुंजयस्तवन
शत्रुञ्जयमाहात्म्य
शत्रुञ्जयकुलक
शनि (विक्रमादित्य चौपाई) शनिछंद
शनिविक्रमादित्यचौपाई
+ शनिश्चरजीकी कथा शनिश्चरनीकथा
| शनिस्तोत्र मंत्र जाप
शनीश्चर कथा सकलार्हत्
त. का. १११६
जि.का २१९३/३ ● शब्दप्रभेदनाममाला
जि.ता ३५०
स्तोत्र
शब्दकोश (अनिर्णित )
• शब्दभेदप्रकाश नाममाला किंचिदपूर्ण
शब्दभेदप्रकाशनाममाला.
शब्दरत्नप्रदीप
• शब्दरत्नप्रदीप
कर्ता
समयसुंदर
समयसुंदर
धनेश्वरसूरि
विद्यारंसगणि पूर्वाचार्य
महेश्वर भट्टारक
महेश्वर कवि
संवत्
९. १६८२
.ले. १७६३
. १६८८
१८५९
१६५९
१८५७
, १६८६
१४००
१७७२
भंडार नाम जि.का १७४६ हूं. का. ८६
.३ त.का. ५७९
६
हूं. का. ३१९
३
त. का. ९५९
२ ढूं. का. ५८०
.२ जि.का ११२०
..२ जि.का २०१०/२ १. का. ६१४ ..५ त.का. ६९९ ..८ जि.का १६४९
पत्र संख्या
१-८
२९०
ग्रंथांक
.१ जि. ता. २५५
.७
.२ जि.का ८९
.८ जि.का. ८५५
१-१२ जि. ता. २४६ १४ जि.का ६०६/१५
३ जि.का ९५७
१५ त.का. ७९१ जि.का ८३२
.६ जि.का १३१७/८ ३-८ हूं. का. ११४७ ३६ त.का. ५०७ स. का. ६९० ७ हूं. का. ८३२
८. का. १११३
ग्रंथनुं नाम
० शब्द शोभाव्याकरण टिप्पणीसह नीलकंठ
● शब्दानुशासन अपूर्ण
० शब्दसंचय
● शरदकालकौमुदि अपूर्ण
● शांति + पाक्षिक खामणां
शांतिकर शांतिश्रमण प्रकरण शांतिजिनस्तयन शांतिजिनस्तवन
गुणसागर धर्मवर्धन
भावचंद्र भावचंद्रसूरि भावचंद्रसूरि
देवचन्द्रसूरि
• शांतिनाथचरित्र पद्य
मुनिदेवसूरि
● शांतिनाथचरित्र पद्य टिप्पणीसह अजितप्रभसूरि
शांतिनाथचरित्र पर्यंत शांतिनाथविनती
० शांतिनाथविवाहलो शांतिनाथविवाहली. शांतिनाथस्तवन शांतिनाथस्तोत्र
● शांतिनाथचरित्र
• शांतिनाथचरित्र ● शांतिनाथचरित्र शांतिनाथचरित्र (गद्य)
● शांतिनाथनाममहिमा अपूर्ण
० शांतिनाथ चरित्र • शांतिनाथकथा
शांतिनाथचरित्र गद्य त्रुटक
कर्ता
० शांतिनाथचरित्र गाथाबद्ध
प्रेमविजय
पद्मसोम मुनि पं.
जिनप्रभसूरि भक्ति माणिक्य- ले., भावचंद्र सूरि-क.
संवत्
...... २८ २९
. १५७८ .......२०
.९
र. १७००
१७५३
१७९५
१६५६
र. ११६०
.ले. १३००
१६९२
१७८४
पत्र संख्या
. १५५८ १९०३
३ जु.
. १२४
१४६ ११-४६ .अने १९६ . ३९७
Co ११२
४९-५०
१६
१७ २
११५ ५७ ...१५१ . १९९
Page #513
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि.का ३९९/४ डू. का. ४६५
हूं. का. १०७६
आ.का. ५५
लॉ का ३६३.
लॉ का ५१४ सूं. का. ५५१
लों. का. ७१०
हूं. का. २३९
हूं. का. १७८
आ.का. २२४
था. का. १३८ आ. का २५६
जि.ता ३८७/१ जि.का ९१४
त. का. ७६०
हूं. का. १०८८ जि.का १०५६ जि. ता. १५५/५ जि.का १०९५
जि.का ४९० जि.का. १९९९
त.का. ११७२
त. का. १२२३
ग्रंथ नाम
D शांतिनाथस्तवन.
शांव प्रद्युम्न चौपई
शांव प्रद्युम्न चौपई
शांब-प्रद्युम्नचौपाई. शांबप्रद्युम्नचौपाई. शांबप्रद्युम्नप्रबंध
शान्तरस समुच्चय (अध्यात्मकल्पद्रुम) शान्तिनाथस्तवन
• शान्तिनाथचरित्र
• शान्तिनाथचरित्र गद्य
| शान्तिनाथस्तव
• शान्तिपर्वविधि
शान्त्यादि विधिर्यावसतक.
● शावर भाष्य प्रथम अध्याय
शारीरनिबंधसंग्रह वैद्यक शालक बोली
शालिभद्र + धन्नाचरित्र शालिभद्रकथा पद्य
• शालिभद्रचरित्र गाथाबद्ध शालिभद्रचरित्र पद्य
शालिभद्रचोपाई
शालिभद्र चोपाई
शालिभद्रचीपई शालिभद्र चौपई
कर्ता
- गुणसागरसूरि
समयसुंदर
| विनयशील
समयसुंदर
समयसुंदर
समयसुंदर मुनिसुंदरसूरि
मेघमुनि.. अजितप्रभसूसरि भावचंद्रसूरि
जीनदत्तसूरि
मतिसार मुनि
धर्मकुमार
मतिसार
भतिसार
हंसमुनि
संवत्
१७८७
१७२४
१८१९
१७३७
. १९०५
.....
...
पत्र संख्या
२०
२३ १-११
, १-२२
१९
२०-२२ त. का. ७३३ जि.का १६४
११
➖➖➖➖➖➖➖
भंडार नाम
२
२४
. १२२२
२-४ ९५-१०५ २. १३३४..... ५६ 1. ले. १९५१ ..... १६७८ ...... २१ २. १६७८
. ले. १७२३
१६७९
ग्रंथांक
१-३
१२५
था. का ३८१
. २२० लों. का, ५२३
.१लों का, ३५९
स. का. ११७३ आ.का. ५८ जि.का १००८
आ.का. १४१ था. का. १८९
३५.
,१०,११
. का. १०६८
७ आ. का ३६
.७
डूं. का. ८२०
५१
हूं. का. १२१४
३३ जि.का ४२० / ३१
त. का. ६७७
हूं. का. ११२१
जि.का. २००५ था. का. ४३४
आ.का. २३७ १७ जि.का १२८८/२ डूं. का. १२१६
११ जि.का. १८१३
जि.का. १२१७
डूं. का. १५७
ग्रंथनुं नाम
शालिभद्रचौपाई
० शालिभद्रचरित्र पद्य
● शालिभद्रधनारास
| शालिभद्रमहामुनिचौपाई शालिभद्ररास अपूर्ण | शालिभद्रचरित्र शालिभद्रचौपड़ शालिभद्र चौपई. शालिभद्रचौपई
शालिभद्रचीपई शालिभद्र चौपई त्रूटक शालिभद्रमहामुनिचौपई | शालीभद्रचोपाई
● शालीभद्रचौपाई
शाश्वतचैत्यजयमाला शाश्वतजिनबिंबस्तवन शाश्वतजिनबिंबस्तवन + विचार संग्रह अपूर्ण शाश्वतजिनस्तोत्र शाश्वतजिनप्रतिमाप्रमाण स्तवन + शंखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन शास्त्रीय अनेक विचार शास्त्रीयअनेकविचार शांतिस्तव, शार्ङ्गधरसंहिता शिक्षापत्री त्रू.अ. शिखनख
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १४६५
कर्ता
संवत्.
पत्र संख्या
पूर्णभद्रगणि
अमृतसागरगणि
मतिसार
जिनराजसूरि
भैया
देवेंद्रसूरि नयरंगमुनि
कमलकीर्ति
शार्ङ्गधर.
बलिभद्र ले.
१३
र.१२८५ ...... ३६ .ले. १९८३
१६९४
१६९२
१६७८
१७४५
१६८८
.५
१९
४१
३८
२०
२२
२२
... ५.२७
२५ २७ ११५ ७०-७१
.९ ७-२९४
३७
. २०९-२४३ ३९ .... ५९-९८
५०
.५
Page #514
--------------------------------------------------------------------------
________________
४६६ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
नाम
शिखामणस्वाध्याय अपूर्ण
जि.का. ११८५ जि.का ६०६/७
डूं. का. १३६१ जि.ता ३४७/३
जि.का. १२५८
डू.का. १११९
हूं. का. १११९
डूं. का. ८८२ जि.का १२९६
डूं. का. १०१३ जि.का., ४२०/१५ जि.का १८०१ त. का. ४६१ जि.का १८२७ जि.का १८९१ जि.का १२१३ जि.का १७११ जि.का. १७११/१ जि.का १२६६ डूं. का. ७०४
स. का. १०२३/G
था. का. ४५२
जि.का ८५८/१ था. का. ३७९ लो. का. ४९३
D शिवकुमारगीत शिवस्तुति
० शिवभद्रकाव्य सटीक
मू.क. शिवभद्र कवि, टी.क. शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय
शिशुपालकथा. शिशुपालवध
मल्लीनाथसूरि
शिशुपालवध
शिशुपालवध काव्य
माघ कवि
D शिशुपालवधमहाकाव्य-माघकाव्य... माघ महाकवी टिप्पणीसह २० मा सर्ग पर्यत शिशुपालवधटीका अपूर्ण शिष्यचतुर्दशी
• शिरोमणीटीका
शीघ्रबोध
| शीघ्रबोधज्योतिष शीघ्रबोधज्योतिष
शीघ्रबोधसंग्रह ज्योतिष
D शीतलजिनस्तुति आदि
० शीतलनाथस्तुति. शीतलामातागीत आदि ● शीलतरंगिणी
कर्ता
शीलबत्तीसी शीलबावनी
शीलरास
शीलरास
• शीलरास
माघ कवि भगवतीदास
काशीनाथ भट्टाचार्य
काशिनाथ
काशीनाथ भट्ट काशीनाथ
जिनलाभसूरि कानजी सोमतिलकसूरि
पार्श्वचंद्रीय विजयदेवसूि
देवविजयसूरि
ज्ञानचंद्र
संवत्
१४००
१८४३
१८६१
१३९४
१८४५
(..
पत्र संख्या
भंडार
नाम
लौ. का. ५१३
लॉ का ६३६
...... २ १९-२१ ....३ ४३-८७ लॉ का ४८८ त. का. ३०४
जि.का ९३७
डूं. का. ८५९
६-८ था. का. ४४९
५०
था. का. १४४
८७
ग्रंथांक
त. का. १२४६ १०० त.का. ५४१ १०७ जि.का १८३/१ था. का. ११० १२८ था. का. १११
५२मु त.का. ५३९ ६३ त.का. १०१०
२८ त.का. १०९०
१३ स. का. ११५२
२१
लों. का २०३
२
आ. का. २०३
जि.का ३७२
११४ त. का. ५३४ १त. का. १०४८
२ जि.का. १८२ १६ जि.का २९६ १० जि.का. २९७
१-६ जि.का ३३२
ग्रंथ नाम
शीलरास
शीलरास शीलरास त्रू.अ.
शीलरास टक शीलवत्याश्चरित्र शीलव्रतविषये नववार शीलांग रथ + सुभाषित शीलांगरथ
| शीलांगरथ शीलोपदेश माला
• शीलोपदेशमाला
शीलोपदेशमाला
शीलोपदेशमाला शीलोपदेशमाला
शीलोपदेशमाला
● शीलोपदेशमाला
● शीलोपदेशमालाप्रकरण D शीलोपदेशमालाप्रकरण D शीलोपदेशमालाप्रकरण
० शीलोपदेशमालाप्रकरण
कर्ता
ज्ञानचंद्र लावण्य समय विजयदेवसूरि
..
आज्ञासुंदरोपाध्याय
जिनहर्ष
शीलोपदेशमाला + योगशास्त्र शीलोपदेशमाला प्रकरण शीलोपदेशमाला बालावबोध
→ शीलोपदेशमाला शीलतरंगिणीवृत्ति सह टक अपूर्ण शीलोपदेशमाला सह बालावबोध मेरुसुंदरजी.
शीलोपदेशमाला सह बालावबोध
जयकीर्ति
जयकीर्तिसूरि
जयकीर्ति
जयकीर्ति
जयकीर्ति
अजयसिंहमुनि
सोमतिलकसूरि रुद्रपल्लीय-यू.
जयकीर्तिसूरि
जयकीर्तिसूरि
जयकीर्तिसूरि जयकीर्तिसूरि
संवत्
१६६२
१६८२
. १६७४
१५०५
पत्र
संख्या
..... १.११
..... 9-99
२-६
१-६
१२
४
१
----
१-३
६
६
.९
६
४
२६ 9-19
....... १६ 96-4909
१६०
१४
४
३
१०
19
Page #515
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि.का ३३३ जि.का ८७३/४
जि.का १७०१
जि.का ३७४
था. का. ३३५ जि.का २९५ जि.का ९३८. जि.का १०५९ हूं. का. ८६२/२ था. का. १०९
आ. का ९७
त. का. ६५५
था. का. १४३
त. का. ७६४
डू. का.
८३ १३४४
डूं. का.
डूं. का. ३०१ त. का. ६९७
हूं. का. ११६५ लों का, ६४३
त. का. २५१
जि. ता. ३९९ डूं. का. ८०२
डूं. का. १०३१
जि.का. १६४०
ग्रंथनुं नाम
८ शीलोपदेशमालाप्रकरण शीलोपदेशमालाप्रकरण शीलोपदेशमालाप्रकरण ० शीलोपदेशमालाप्रकरण बालावबोधसह
● शीलोपदेशमालाप्रकरण मूल
० शीलोपदेशमालाप्रकरण सस्तवक... जयकीर्तिसूरि मू.क..
शीलोपदेशमालाबालावबोध शीलोपदेशमालाबालावबोध शीलोपदेशमाला
शीलोपदेशमाला
शीलोपदेशमाला
शीलोपदेशमाला
शीलांगरथ
शुकनबत्रीसी
० शुकनसारोध्धार- स्वप्न अध्याय शुकरत्नावली
शुकराज कथा शुकराजकथा. शुकराजाकथा
शुक्ल कृष्ण दंपतीगीत आदि
● शुभाशुभकरणस्वाध्याय
• शृंगारमंजरी.
कर्ता
मलधारी हेमचंद्रसूरि
जयकीर्तिसूरि जयकीर्तिसूरि
शृंगारवैराग्यतरंगिणी सुखबोधिका वृत्ति शोभनमुनि वृत्ति शोभनस्तुति
न्यायसागर मुनि जयकीर्ति
जयवल्लभसूरि
नंदिषेणगणि-ले.
अनंतविजय
भावसागर
महाराजा भोजदेव
सोमप्रभाचार्य
जयविजयगणि शोभनमुनि
संवत्
१५७८
१६६१
१५३३
१५३२
१६५०
१९०५
१२००
पत्र संख्या
आ.का. १०५ .... ३ आ.का. २९६ १५५३....... १२.का. १२९९
५९-७७ लों. का. ५८८
१८७६
१३-२१
३ आ. का. १८८
भंडार नाम
...६ जि.का २१८९
१५३
ग्रंथांक
६
७ त.का. १००७
७२
स. का. १३६
आ. का. २२८
त.का. १०९८
.५
११
११
१५
१-३७
.६
.३
९ त. का. २त. का. १२ आ. का १२१
१३११ १३३
त. का. ७९८
लों का ५०८
त.का. ५९३
त. का. ७५०/A जि.का १४२२ जि.ता ४१८/४
३
.७ त.का. १६
था. का. २४८
९४ जि. ता. ४१८/३
.८
था. का. ३१
ग्रंथनुं नाम
शोभनस्तुति, अष्टपंचाशत स्तुति अवचुरि • शोभनस्तुतिचतुर्विंशतिका
टिप्पणीसह भ्रमण अतिचार
भ्रमण अतिचार
श्रमण अतिचार अमण प्रतिक्रमण सूत्र श्रमणअतिचार
D श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र
श्रमणश्रावक पाक्षिक अतिचार
● अमणश्रावकाचारविचार
श्रमणश्रावकाचारविचार श्रमणअतिचार
● भ्रमणदिनचर्या
श्रमणप्रतिक्रमणबालावबोध श्रमणप्रतिक्रमणवृत्ति श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र. श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र
श्राद्धजीतकल्प सटीक अपूर्ण
• श्राद्धजीतकल्पसूत्रश्रावकसामाचारी वृत्ति स्वोपज्ञ श्राद्धजीतकल्पवृत्ति. श्राद्धजीतकल्पसूत्र सह वृत्ति • श्राद्धजीतकल्पसूत्रश्रावकसामाचारी श्राद्धदिनकृत्य
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १ - ४६७
कर्ता
संवत्
पत्र संख्या
शोभनमुनि
जिनवल्लभसूरि
१७३८
धर्मघोषसूरि
तिलकाचार्य
१८७४
६
१६५७
८
३
.4
५
१-२
३
३
१६ (१९
३४)
१-१५
१९ २
२०
वृ.क. तिलकाचार्य स्वोपज्ञ. १५०० १०३-१०९
१६
९
१३
८
६० ५६
१०१-१०३
१६
.
Page #516
--------------------------------------------------------------------------
________________
पत्र
नाम
१-३७
SR
.१६३
१४२
४६८ . सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ भंडारा ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम था.का. ३२ श्राद्धदिनकृत्य ....... था.का.३६
श्राद्धदिनकृत्य .. आ.का. १८० श्राद्धदिनकृत्य ... जि.ता.२२६
० भाददिनकृत्य ग्रहदवृत्तिसह अपूर्ण. देवेन्द्रसूरि स्वोपक्ष ..........१५०० जि.ता. १५५/१ ० श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण ...........देवेन्द्रसूरि ...................१२२२ त.का. १२४ आइदिनकृत्यवृत्ति ........... त.का. १२७ श्राद्धदिनकृत्यवृत्ति ........ त.का. १२५ श्राद्धदिनविधि............ |जि.का १४४१ ० श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-वंदित्तुसूत्र ... रत्नशेखरसूरि-टी...................
अर्थदीपिकाटीकासह |जि.ता/१४१/४ भाद्धप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति .........श्रीचंदमूरि............... र.१२२२..
.ले.१४०० जि.का २६३० श्राद्धविधि विधिकौमुदीवृत्तिसह रत्नशेखरसूरि स्योपका ... र.१५०६
.ले.१५३२ त.का. १२६ श्राद्धविधि सह वृत्ति ............. रत्नशेखरसूरि ........ था.का/९२० भाद्धविधि सह वृत्ति (प्रकरणविधि) रत्नशेखरसरि
२२४१ आद्धविधिप्रकाश ............. आ.का. ९२ श्राद्धदिनकृत्य .... आ.का १४५ श्राद्धदिनकृत्य...... आ.का/१५४ श्राद्धविनकृत्य ......
आद्धदिनकृत्य प्रकरण ......... श्राद्धदिनकृत्य सूत्र ..... प्रारदिनकृत्य सूत्र .... आध्धजीतकल्पसूत्र सहावचूरी. माध्यविधिकौमुदी
अभयसुंदर स.का. १९८ आवक (आराधना)
श्रावक (आराधना) ............ सोमचंद्रसूरि आवक अतिचार......
FREEEEEEE
ग्रंथांक ग्रंथ नाम
कर्ता
संवत् ।
| संख्या ३६५ श्रावक अनुष्ठान विधि........
............१४२७ .का./१०/१ श्रावक आराधना .................समयसुंदर .............. इं.का. ३२३ श्रावक आराधना............
....१८५६ डूं.का. ६५० आबक आराधना ................. सुखानंद ................. .....१६६७ लो.का ५३४/ श्रावक आराधना ........ लों.का.५३४/० श्रावक आराधना ................समयसुंदर ...................१९६८ आ.का ३३० श्रावक आराधना त.का. २७३ श्रावक आराधना.. त.का.३८५ श्रावक आराधना
...समयसुंदर ...................१८९५ त.का.१०३० श्रावक आराधना .का. १२०१ श्रावक आराधना
श्रावक आलोचना .का.६५५
श्रावक आलोचना लों.का. २२४ श्रावक पाक्षिक अतिचार
................................१८४९ श्रावक पाक्षिक अतिचार ३९७/५ ० श्रावक विध्युपदेश
.........१४०० जि.का १११६ श्रावक अतिचार .... जि.का १४६५ श्रावकअतिचार ......
१४६६ श्रावकअतिचार ...... १९०४ श्रावकअतिचार.... २०१२ आवकआराधना.......
१८४६ डूं.का. १२१८ श्रावकआराधना .................. गुणसुंदर मुनि ...............१८०६ ई.का. १३६९
भावकआराधना....... लों.का.३७८ श्रावकआराधना .................. रूपचंद
१८९९ १-८ जि.ता. १५६/३२ ० श्रावक आवश्यकसूत्र............
११३-१२२ जि.का १३१७/१२० श्रावकआवश्यकसूत्र.
१२४-१२७ जि.का १४५६ श्रावकआवश्यकसूत्र........
समाकल्याण
श्रावकआराधना.....
५०८
व.का. ५२
For Private & Personal use only
Page #517
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
प्रथांक
...........
.का ७२२
......१६
....२५
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १-४६९
|भंडार ग्रंथर्नु नाम कर्ता
ग्रंथर्नु नाम ग्रंथांक
| संवत । नाम
कर्ता संख्या
पत्र | नाम
संख्या जि.का १४५९ |आवक आवश्यकसूत्र...
....१५३८ लो.का ३१४ भावकपाक्षिकातिधार .......
....१७२७
१-११ त.का.८३२ श्रावककरणी सज्झाय...
जि.ता. १६०/७ ० श्रावकप्रजाप्तिप्रकरण........... उमास्वाति बाचक ...........१३००/...५५-८० ९.का. १५८ श्रावककरणी स्वाध्याय ........... जिनहर्षगणि
...........
जि.ता. १९१/४ ० श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण ............. उमास्वाति वाचक ...........१४००/...३२-५८ डू.का. ११९९ श्रावककर्तव्य ....
श्रावकप्रतिक्रमण वंदित्तु.......
...११६ लोका ४८२ आवककर्तव्य .......
सह बालावबोध हूं.का. ११६८ श्रावकगुण .................
.का. ९८८ श्रावकप्रतिक्रमण सूत्र ......
....................१६३६ जि.का. १६०५ श्रावकदिनकृत्याप्रकरण ....
का. १३१ आवकप्रतिक्रमण सूत्र सह अवधूरि . जि.ता/१६१/२ ० श्रावकधर्मप्रकरण................जिनेश्वरसूरि ..
.का, १३०
श्रावकप्रतिक्रमण सूत्र सह टमार्थ ............ले.१४००
जि.का १८८ श्रावकप्रतिक्रमणघूर्णी ........... विजयसिंहसूरि ...................... ३६-८४ जि.का ९७६ श्रावकधर्मप्रकरण................. जिनेश्वरसूरि ................१३१३
इं.का. ४२६
श्रावकप्रतिक्रमणवृत्ति ............-गुमानचंद ...................१९०४ जि.ता ४००/२ ० श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरण........हरिभद्रसूरि .... ...............१३००........८ जि.ता. १५८/ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र ....
.................१४००/ जि.का १३१७/२ ० श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरण....... हरिभद्रसूरि. करण.......हारमधसूर.........................
... ३५-४२ त.का. १३२ आवकप्रतिक्रमणसूत्र ............पूर्वाचार्य ........................... |जि.का १३२६/५ ० श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरण....... हरिभद्रसूरि ..
| त.का. ९९८ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र ...... जि.ता./१३६/२ ०भावकधर्मविधितंत्रप्रकरणवृत्ति ..
...........-.-९१-१४६ जि.ता. १५९/५ ०भावकातिक्रमणसूत्र (वंदित्तासूत्र).
........१३४५
१११-११७ जि.ता/१३६/३ ० श्रावकधर्मविधितंत्रप्रकरणवृत्ति मूल
१४६-१५२ था.का २०७ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि. जिनप्रभसूरि ............ जि.ता/१५६/१० 0 भावकधर्मविधितन्त्रप्रकरण...... हरिभद्रसूरि ............ ....११९२८... ४०-४८ जि.का २२२४ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णि जि.ता/१५४/१६ ० श्रावकधर्मविधिप्रकरण...........
श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति .. बूं.का. ५२७ श्रावकना २१ गुण सज्झाय .....-समयसुंदर
जि.का/७४१ आवकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति ... इं.का. १३७९ श्रावकपाक्षिक अतिचार ...............
श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र ......... आ.का, २०५ श्रावकपाक्षिक अतिचार ........................
श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र ....... त.का. १४५ भावकपाक्षिक अतिचार.......................
१३३०/A श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र .... त.का. १३२८ आवकपाशिक अतिचार ..........
आ.का.४० श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघुवृत्ति ..... तिलकाचार्य ...... डूं.का. ६५७ पाचकपाक्षिक अतिचार अपूर्ण..
त.का. १९ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह टवार्थ -- आ.का.२५४ श्रावकपाक्षिकअतिचार ........
आ.का ७२ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सहवृत्ति......
............१७८५ त.का. ७४५ श्रावकपाक्षिकअतिचार
जि.का. १४६४ श्रावकप्राकृतअतिचार सस्तबक... त.का. १०३५ श्रावकपाक्षिकअतिचार ....
त.का. १०५७ श्रावकपाक्षिक अतिचार लो.का ३८२ श्रावकपाक्षिकातिचार ....
..१७९५. .... १-५ जि.का १३३/४ श्रावकवक्तव्यता .ले.१९३० |जि.ता/१५६/१ ० श्रावकवक्तव्यता-घटस्थानकप्रकरण. जिनेश्वरसूरि .................११९
.......१२१०११-920
....१७
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________________
४७० सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथ नाम
नाम
जि. ता. १५४/३ • श्रावकवक्तव्यताप्रकरण जि.का १३२६/३ ० श्रावकवक्तव्यताप्रकरणषट्स्थानकप्रकरण
जि.का १३१७ / ४० श्रावकवक्तव्यताप्रकरणषट्स्थानकप्रकरण श्रावकविधि प्रकाश
हूं.का. ५३१ जि.ता. १९१/६ ० आवकविधिप्रकरण • श्रावकविधिप्रकरण
जि.ता. ४००/३ जि.का १३२६ / २८० श्रावकविधिप्रकरण
जि.का ७४३
श्रावकविधिप्रकाश
जूं. का. २३७
डूं. का. ९५२ डूं. का. ११४१
था. का. २९९ त.का. १७७
जि. ता. १५५/६ लों का, ३९१
-
श्रावकविधिचौपाई श्रावकविधिप्रकाश श्रावकविधिप्रकाश.
श्रावकव्रत ......... आवकव्रत आलोचना
० श्रावकव्रतभंगकुलक श्रावकव्रतविचारचौसठी श्रवकषडावश्यक
लॉ. का, ६९४
जि. ता. १५४/१ जि.का १४५५ जि.का १७०६
जि.का, १४५७
जि.का १४६१
जि.का १४६२
जि.का १३२६/२०० श्रावकषडावश्यकसूत्र
जि.ता. ४१८/४
आ.का. १५५
● आवकषडावश्यकसूत्र | श्रावकषढावश्यकसूत्र श्रावकषडावश्यकसूत्र श्रावकषडावश्यकसूत्र अपूर्ण
श्रावकषडावश्यकसूत्र सस्तबक
श्रावकषडावश्यक सूत्र सस्तबक
श्रावकसमाचारी
श्रावकसमाचारी व्याख्यान
'mti Um
जिनेश्वरसूरि जिनेश्वरसूरि
अभयदेवसूरि
शिवनिधान
क्षमाकल्याण
खेमराज
जयचंद्र मुनि नथमलजी
पूर्वाचार्य
पत्र भंडार ग्रंथांक संख्या नाम १२१०२३-३५ जि. ता. ४१८/३ .. ५०-५८ जि. का ९६९ जि.का. १९६८ ४६-५३ लूं. का. ७९३ आ.का. १९
संवत्
१४००
१३००
२. १८३८ .ले. १९०९
.... १५४६
.... १८७५
१८७५
१६६०
. १२२२
. १२१०
२३ ६४-६६ जि.का २५८ ४ जि.का ७२५
२३९-२४१
२३
-------
.......६ २१
था. का. ६०
सूं. का. २१० १४ जि.का २१३२
३ जि.का २०३०
........६ जि.का. ८०२ १०५-१०७ जि.का. ८९१ १-२
१-१० जि.का १०६७ १-१४
.६ जि.का. १४९४ १६ जि.का. १४९७ २-१३ जि.का. १६८१ . २-३० जि.का. १६८८ १५ जि.का. २२५१ २०२-२१९ जि.का. २१९९
२१ जि.का. १४९५
ग्रंथनुं नाम
हूं. का. १३७१
हूं. का. ६०१
जि.का १३३/१७० श्रावकधर्मविधिप्रकरण
श्रावकसामाचारी
आवकाचार कुलक आगमपाठसह श्रावकातिचार
• श्रावकानुष्ठान विधि श्रावकानुष्ठानविधि + आवश्यकवृत्ति
• श्रावकाराधना ● आवकाराधना श्रावकाराधना श्रावकालोचना
• श्रावकप्रज्ञप्ति श्राद्धगुणसंग्रह
D श्री चंद्रीय संग्रहणीप्रकरण श्रीचंदरास अपूर्ण
श्रीचंद्रीय संग्रहणीप्रकरण श्रीचंद्रीय संग्रहणीप्रकरण सस्तबक यंत्रसह
D श्रीचंद्रीया संग्रहणी सावचूरि पंचपाठ श्रीचंद्रीयासंग्रहणी श्रीचंद्रीयासंग्रहणी श्रीचंद्रीय संग्रहणी श्रीचंद्रीयासंग्रहणी अपूर्ण श्रीचंद्रीयासंग्रहणी बालावबोधसह श्रीचंद्रीयासंग्रहणी सटीक
www.
कर्ता
क्षेमकुशल
कीर्तिसूरि
हरिभद्रसूरि
हर्षजितगणि पं.ले. श्रीचंद्रसूरि
श्रीचंद्रसूरि श्रीचंद्रसूरि
श्रीचंद्रसूरि.मू. क... अब.क. साधुसोम श्रीचंद्रसूरि
श्रीचंद्रसूरि
श्रीचंद्रसूरि
श्रीचंद्रसूरि-भू., टी. देवभद्रसूरि
श्रीचंद्रीया संग्रहणी सटीक त्रिपाठ. श्रीचंद्रसूरि.
संवत्
१४२७
. १६९३
. १७९५
१५७२
पत्र संख्या
૧૮૪૧
२-४
१८३१
[१५०१] [.......]
.c
४१
६२
६
१७२३ ..... १३ १८८६ ४४-७१
.७ २
३१-३२
१७
३६
२०
१०
१४
३१
६
७१
६५
३४
.
Page #519
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________________
भंडार
ग्रंथांक
नाम
जि.का. १४९६ जि.का १६७५ लो.का ७२४ जि.का.२०७६ जि.का. १८८३ जि.का.६४७ जि.का. ११६९ डूं.का. १०३५ लो.का. १९० हूं.का. ८२४ डूं.का. ५६० जि.का १६६८
..१७४०
|१६६९
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १-४७१ ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत् | भंडार ग्रंथांक | ग्रंथतुं नाम ।
कर्ता | संवत्
| पत्र
संख्या श्रीचंद्रीयासंग्रहणी सस्तबकं ....... श्रीचंद्रसूरि .....
जि.का ९६६ श्रीपालरास ........ विनजविजय तथा ........ र.१७३८ श्रीचंद्रीयासंग्रहणी सस्तबक अपूर्ण
यशोविजयोपाध्याय .......ले.१८७८ श्रीजीना हितोपदेश....
| जि.का १९८१ श्रीपालरास......
जिनहरख ............. र.१७४० श्रीदेवीवर्णन (चुर्थस्वप्नवर्णन)...
||जि.का २१३९ 0 श्रीपालरास ................ विनयविजयजी.. श्रीपतिपद्धति अपूर्ण ....
यशोविजयजी श्रीपतिपद्धतिवृत्ति ....
२-२०डूं.का. १०८१ श्रीपालरास ...
मयाचंद..
...१८२९ श्रीपतिसूत्रवृत्ति .......
१४ .का. १०८३ श्रीपालरास
जशविजय ... श्रीपाल चरित्र.....................शशीसूरि
श्रीपालरास
जिनहर्षसूरी
१८२० श्रीपाल चरित्र सह टब्वार्थ ........
.. १८५५.....१-१२९
श्रीपालरास ...............
विनयविजय
.र.१७२८ श्रीपाल मयणासुंदरी चोपाई ....../जिनहर्ष .......
ले.१८७६ श्रीपाल राजानो रास अपूर्ण.......
श्रीपालरास ... श्रीपालचरित्र ..................... रत्नशेखरसूरि ....
श्रीपालरास अपूर्ण..
जिनहर्ष ............... र. wo श्रीपालचरित्र................... रत्नशेखरसूरि ..... ३८ .का. ९९२ श्रीपालचरित्र
शशिसूरि ................
१८१२ श्रीपालपरित्र.......
५० लों.का. ७२० श्रीपालचरित्र. श्रीपालचरित्र.. ................... पुन्यशील ................
२८ आ.का.९० श्रीपालचरित्र.. श्रीपालचरित्र.
६२ त.का. ३११ श्रीपालचरित्र.
...रत्नशेखरसूरि .... श्रीपालचरित्र.............
४६ त.का. ३१२ श्रीपालचरित्र................. रत्नशेखरसूरि ................१५७० | श्रीपालचरित्र पद्य ................सत्यराजगणि .......
इ.का. ५९६
श्रीपालचरित्र (गद्य)............ भक्तिमाणिकय मुनि..........१९१८
श्रीपालचरित्र त्रूटक ..... ० श्रीपालचरित्र प्राकृत गाथाबद्ध रत्नशेखरसूरि.
श्रीपालचरित्र सह वृत्ति श्रीपालचरित्र सह टब्बार्थ........ रत्नशेखरसूरि........... ....१८०६ ......
श्रीपालचरित्रबालावबोध .... श्रीपालचरित्र सह टबार्थ.........
श्रीपालनरेन्द्रकथा टब्बार्थ....... जिनरंगगणि + अष्टालिका व्याख्यान
श्रीपालरास .............
नेमचंद्र श्रीपालचरित्रप्राकृत .............. हेमचंद्र .......
....१४२८
श्रीपालरास ......
विनयविजयजी उ......... श्रीपालचरित्रवालावबोध ........ रत्नसोम वेगडगच्छीय ......१७२५
श्रीपालराजा कथा टव्यार्थ ....... | कस्तुरचंद्र
.......१५५० श्रीपालचौपई....
श्रीपाळचरित्र सह वृत्ति .......... ज्ञानानंदसूरि .................१५५० ..१३८ श्रीपालचौपाई ................ ज्ञानसागर
श्रीपालरास
यशोविजय...................... श्रीपालचौपाई ................... ज्ञानसागर उपाध्याय .......१७२३
श्रीपालचरित्र व्याख्यान...................................................... पर
इं.का. ८१६ इं.का. ८१९
...१८२६
आ.का. १९९ जि.का ६०५
MEENEFFENTENETWEE
र.१५१४
१५७५
जि.का ९५५ त.का. ३१० त.का. ३०५
.............१८७३ .............१८८२
जि.का १२३७ जि.का ३४८ त.का. १०६६ त.का.|४१५ त.का. ७२८
रास.....
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________________
पत्र
नाम
संख्या
به
به
به
श्रुतबोध
था.का.२
ق سه
का.७१५
षट्दर्शनस
४७२ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ भडार ग्रंथांक ग्रंथY नाम कर्ता | पंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् नाम
संख्या आ.का ३०९ | श्रीमती समाय ................
जि.ता/१५८/
५ ० पदस्थानकप्रकरण .............. प्रद्युम्नसूरि .............. जि.का १९८२ श्रीपालरास अपूर्ण
जि.ता १५६/१ षट्स्थानकप्रकरण ....... इं.का. ९६७ श्रीपालचरित्रव्याख्या ............गुणसुदरमुनि................१८९९
जि.का.१३१७/४ षट्रस्थानकप्रकरण. इं.का. ६८५ श्रीधेना टीका (व्याकरण) .......
|जि.का १३११ ० षट्स्थानकप्रकरण वृत्तिसह .....अभयदेवसूरि-भू.क.. .........१४०० ३९३ श्रुतज्ञान अवधिज्ञान के भेद ..... महिमाकल्लोल मुनि ....
टक अपूर्ण ...............
.व.क.जिनपाल जि.का १७६४ श्रुतबोध ...
कालिदास कवि ......
जि.का १३३/ पदस्थानकप्रकरण-श्रावकवक्तव्यता . जिनेश्वरसूरि का. १५५ कालिदास .........
० षट्स्थानकश्रावकसह बक्तव्यता. जिनपति सूरि त.का. ५२८ श्रुतबोध ..... कालिदास............
सह वृत्ति २३३ श्रृंगार वैराग्य तरंगिणी
१५९/३ घट्थानप्रकरण ................. जिनेश्वरसूरि .................१३४५/..८२-१०८ अणिकचौपाई ... जिनचंद यति ...............१७२९. 4.......३१
षट्कारकाणि....... ३०८ श्रेणिकरास त्रूटक अपूर्ण...
.२० त.का. १०२८ घट्दर्शनसमुच्चय ......... जि.का २९९ श्रेणीकरास-सम्यक्त्वरास ....... सौभाग्यहर्षसूरिशिष्य..... र.१६०३
षट्दर्शनसमुच्चय सह वृत्ति ....................
षट्पंचाशिका ज्योतिष ................. लो.का ४२० श्रमणअतिचार ......
२२८ षट्पंचाशिका टीका सह ......... उत्पलभट्ट-यू........... श्रावकना बारह व्रतना अतिचार
||इं.का. १९६ • पटपंचाशिका वृत्ति सह .......... विनयसुंदर · वृ........ इं.का. ९७१
घट्पंचाशिका सह बालायबोध ... मनरूपविजय ................१८८९ बूं.का. ५५८
..............१८९७ |त.का. ७२३. षट्पंचाशिकाबालावबोध इं.का. ७६७ श्लोकार्थ संपूर्ण ......................
त.का. ३०८ षट्पुरुषविचार ........ जि.ता.३९७/४ ० श्वानशकुनायलि ..................
त.का.
घट्प्रश्नीयनिर्णय. हरदासनररंजन ..............१७७१ जि.का ११६८ पटपंचाशिकाबालावबोध .
षट्स्थानक श्रावकवक्तव्यता. लों.का ४११ घटभाईना ढालिया ............... मालमुणि...................
सह वृत्ति जि.का १८०२ ० घटस्थान प्रकरण-भावक वक्तव्यता .जिनेश्वरसूरी
जि.का १५३३
षट्स्थानकप्रकरण पंचलिंगीप्रकरण जिनेश्वरसूरि-पंच.क. ... जि.का ८७०/२ घटस्थानकप्रकरण अपूर्ण ......
त.का. २२ ०पदस्थानकवृत्ति ................ जिनपतसूरि के शिष्य .. जि.का १५३४ घटस्थानकप्रकरण वृत्तिसह ..... जिनपाल-टी....................
इं.का. १३५२ षट्पंचाशिकाटीका............. नेमचंद.. जि.का ११३५ पटपंचाशिका ................. पृथुयशा ....
जि.का/७१२ पविशति प्रश्नोत्तर चार्षिक ...जयसोम उपाध्याय षट्पंचाशिका .................... सोमगणि.............
जि.ता/१६२/३ पडशीति चतुर्थ कर्मग्रंथ ...... त.का. ९५२ घट्पंचाशिका ..............
जि.का २१८ पडावश्यकबालावबोध अपूर्ण .... लों.का ३४३ घटभाईना डालिया .............. मालमुनि.....
| लोंका ७९ पडावश्यकवृत्ति .....
.ले.१६३१
सत.का. ६२०
जि.का १८४५
..............
१४-१२०
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www.
brary.org
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भंडार
ग्रंथांक
कर्ता
संख्या
संस्था
--
...
....---...१७४६
४-४३
त.का./20
इं.का. ८४२
....१८१४
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.४७३ ग्रंथर्नु नाम
भंडार संवत
__ ग्रंथांक | नाम ग्रंथनुं नाम
| संवत् नाम जि.का १३३/ १० बडावश्यकसूत्र ......
जि.का. १९४/६ ० षष्टिशतप्रकरण........... नेमिचंद्र भंडारी ................... जि.का १४५८ षडावश्यकसूत्र अपूर्ण ............
जि.का ७५४/१ षष्टिशतप्रकरण......... नेमिचंद्र भंडारी ... जि.का १४६० पडावश्यकसूत्र सस्तवक.......
जि.का १३२६/१४० षष्टिशतप्रकरण....
नेमिचंद्र भंडारी ............. जि.का ११८७ घडावश्यकसूत्रबालावबोध.......
जि.का १९१७ पष्टिशतप्रकरण......... नेमिचंद भंडारी.. ...... जि.का २१९८ पडावश्यकसूत्रवालावबोध अपूर्ण तरुणप्रभसूरि
.....५१ जि.का १५६८० पष्टिशतप्रकरण............ भंडारी नेमिचंद्र जि.ता.१३६/१ • घडावश्यकसूत्रवृत्ति .............. नमिसाधु .
.र.११२२ .....१-९१ जि.का १५७० पष्टिशतप्रकरण बालाबवोधसह भंडारि नेमिचंद्र-मू......... र.१४९६ |.....२४४ .ले.१२९८
वा.क. सोमसुंदरसूरि जि.ता. १३७ ०पडावश्यकसूत्रवृत्ति.............. नमिसाधु ................ र.११२२ ..१४६ जि.का.५५६ पष्टिशतप्रकरण बालावबोधसह ... नेमिचन्द्र भंडारी -मू.क...... १४९८ ...... २५ .ले.१४००
बा.क.सोमसुंदरसूरि लों.का १५८ षडावश्यकसूत्राणि व पाठ ......
.१८ जि.का, १५६९ पष्टिशतप्रकरण बालावबोधसह... भंडारी नेमिचंद्र मू..बाला.. र.१४९६/षडावश्यकसूत्राणि सह बालावबोध, ...............१६००
सोमसुंदरसूरि पड़ आवश्यक बालायबोध ...... सोमचंद्र ...............
३५६/१ ० षष्टिशतप्रकरण सस्तबक ....... | नेमिचंद्र भंडारी... इं.का. ४२५ षड् आवश्यकसूत्राणि सह .....
...................१९२५
१६१२ पष्टिशतप्रकरण.. ............ नेमिचंद्र भंडारी बालावबोध
| जि.का ११५७ पष्टिसंवत्सर ..... खू.का. ५३९ घड़शीतक बालावबोध ............ मतिचंद्रमुनि
५४ जि.का ११९५ पष्टिसंवत्सर ................. इं.का. २९० •घड आवश्यकवृत्ति...
.........................
पष्टिसंवत्सर ............... इं.का. ७९५ पआवश्यक नियुक्ति
षष्टिसंवत्सर-ज्योतिष. जि.का १७१७ घड्दर्शनसमुच्चय ................हरिभद्रसूरि .............
૧૮૬૭ पष्टिसंवत्सर-ज्योतिष किंधिवपूर्ण जि.का १९०५ षड्दर्शनसमुच्चय बालावबोधसह
११७३ षष्टिसंवत्सरटीका इं.का. ८०६ षड्दर्शनसमुच्चय ...............
११५८ पष्टिसंवत्सरवृत्ति २२४ पहिंदशतिस्थान.........................................
१६७/२ पष्टि शतं मूल . •षशांगसूत्र ...............
का, १६७/ पष्टि शतं मूल बेटक .............. त.का. २०९ घड आरक स्तवन. हिरसूरि ......................
का ५८३ पष्टि संवत्सरी.. २१८ पर आवश्यकवृत्ति.
पष्टिशत सह बालावबोध ....... सोमसुंदर सूरि ............... १७९८ ० चड्दर्शनसमुच्चय सटीक ....... हरिभद्रसूरि-भू.....
पष्टिशतम् .............. वृ.क.विद्यातिलक
२२०९ पष्टिशतकप्रकरण सटीक ....... नेमिचंद्रसूरि जि.का. ८०९/२ पबांधवमुनिसज्झाय ....... प्रेममुनि
..............गुणरत्नोपाध्याय पष्टिशतक सह टब्बो भंडारी नेमिचंद्र ........-----..१६७० .....१-१२ आ.का
पष्टिशतकप्रकरण............
REEEEEEEEEEEEE
१०२
६.
११२
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________________
..७६
....१५४४
wwe - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार| ग्रंथांक
भंडार ग्रंथर्नु नाम
संवत कर्ता
ग्रंथांक नाम
संख्या | नाम था.का-३७८ पष्टि शतम् .
नेमीचंद
लों.का १३७ त.का.११६८ षष्टिशतं सह स्तबक ....
लों.का १४१ डूं.का. ९५० पष्टिशतक प्रकरण बूं.का. १२५२ पष्टिशतक अपूर्ण जि.का ५५५ षष्टिशतप्रकरण.
नेमिचंद्र मंडारी -मू.क.......१४९६
लो.का १३५ बालावबोधसह .... बा.क.सोमसुंदरसूरि
था.का. १०४ त.का.|५४० ० षोडशक..
हरिभद्र...
था.का १३२ जि.का १०६३ ०बोडशकप्रकरण ........ हरिभद्रसूरि ..............
....८
आ.का ३१७ जि.का १५५२ षोडशकप्रकरण टिप्पणीसह ..... हरिभद्रसूरि.....
६ .का. २०८ जि.का १६९७ षोडशकप्रकरणटीका............. यशोभद्रसूरि .......... जि.का १५५३ ०/पोडशकप्रकरणवृत्ति ..............यशोभद्रसूरि..
त.का.|४३५ था.का ११ षोडशकविवरण (वृत्ति)..........यशोभद्रसूरि-वि. .............१६७१ था.का १२ ०षोडशकसूत्र...................... हरिभद्रसूरि ...................१६७१ आ.का. ३२१ षोडशयोग ...............
त.का. ११६० .का. २५७ पट्त्रिशिका बृत्ति ................ रत्नसिंहसूरि
........... षडशीतीक बालावबोध .......... मतीचंद्र-ले. देवेन्द्रसूरि-क
डूं.का. १२६ .का २३५ षड्जीवनिकाय+दशकालिकसूत्र ... |जि.का १३२४/ २० षडशीतिप्रकरण चतुर्थकर्मग्रंथ...जिनवल्लभगणि-मू.क
त.का. ४४२ टिप्पनकसह ......
टि.क.रामदेवगणि ............१२४६ ७४-१०५ जि.ता/८/२ जि.का ३२३/ १ ० षष्टिशतप्रकरण सावचूरि ...... नेमिचंद्र भंडारी मू.क.. अ.क.गजसार
बूं.का. १३०६ २१८१ संकाशकथानक ............. सर्वलाभगणि...
इं.का. ७०० |१५९/८ संक्षिप्त आराधना ....
...........१३४५. १२५-१३० डूं.का. ४९२ संख्यात बकिया हरताल विधि -
आ.का. ३५२ संग्रहणीसूत्र.... ...मलधारि हेमचंद्र ............
त.का. ३६७ संग्रहणीसूत्र......................
१-२० था.का लों का ३२९ संग्रहणीसूत्र ................
१-३० ||.का. ६१३ आ.का १७१ संग्रहणीसूत्र + पुष्पमाला ......... मलधारी चंद्रसूरि ...............
जि.का ५२४०
55550-500
पत्र ग्रंथनुं नाम
संवत् ।
। संख्या संग्रहणीसूत्र मूल .............
....१८६०
.....१-४३ संग्रहणीसूत्र मूल .........
....१८८१/..९३-१०५ संग्रहणीसूत्र + आवश्यकसूत्राणि मलधारी हेमसूरि-ले.... व पाठ संग्रहणीसूत्र मूल त्रूटक .......... संग्रहणी.
श्रीचन्द्रसूरि ............... संग्रहणी.........
श्रीचंद्रीय .. संग्रहणी
श्रीचन्द्रसूरि संग्रहणी (श्री चन्द्रीय).......... मलधारी हेमचंद्रसूरि ... संग्रहणी (श्रीचंद्रीय) सहवृत्ति .. श्रीचन्द्रसूरि संग्रहणी (श्रीधंद्रीय)सहटिप्पणी श्रीचंद्रसूरि संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)......... श्रीचन्द्रसूरि संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)......... श्रीचन्द्रसूरि संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय) श्रीचन्द्रसूरि संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय) श्रीचंद्रसूरि संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय) सह .... वृत्ति अपूर्ण संग्रहणी (श्रीचन्द्रीय) ............ श्रीचन्द्र सूरि ...................१८४२ | संग्रहणी प्रकरण सटीक ........मू.क.श्रीचंद्रसूरी,
१८७-२७५ टी.क.देवभद्रसूरी | संग्रहणी बालावबोधसह अपूर्ण ... संग्रहणी श्रीचन्द्रीय सह वृत्ति ...... दयासागर .................... १६६६ संग्रहणी सह टव्यार्थ ............ संग्रहणी सह बालावबोध ......... | श्रीचन्द्रसूरि संग्रहणी सह बालावबोध ....... श्रीचन्द्रसूरि संग्रहणी सह वृति
मलयगिरि संग्रहणी सूत्र....
श्रीचंद्र संग्रहणीप्रकरण..
श्रीचंद्रसूरि
OBER
८९४
"
...२२
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________________
संवत् ।
पत्र
०.११२
...३.२२
१८
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १-४७५ भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता
पत्र संवत् भंडार| पंचांक
ग्रंथन नाम संख्या नाम
कर्ता
संख्या जि.का १०९७ संग्रहणीप्रकरण ..................श्रीचंद्रसूरि ......
.. १९||जि.का २१९५ संघपट्टकप्रकरण वृत्तिसह ..... जिनदत्तसूरि मू.. ....... जि.का २१६०/२३ संग्रहणीप्रकरण...................
जिनपतिसूरि -टी. जि.का ३३१० संग्रहणीप्रकरण अपूर्ण ...........श्रीचंद्रसूरि ......
.. १० जि.का. २१९५ संघपट्टकप्रकरण वृत्तिसह ..... जिनदत्तसूरि मू.. जि.का १२८० ० संग्रहणीप्रकरण आदि ..... ............१५००
जिनपतिसूरि-टी. संक्षिप्तटिप्पणी
जि.का १७१० संघपटकप्रकरण सटीक .... जिनवल्लभसूरि -मू.क.. ५२५ ० संग्रहणीप्रकरण बालावबोधसह --श्रीचंद्रसूरि मू.क. ............
वृ.क.जिनपतिसूरि २०३ ० संग्रहणीप्रकरण सटीक ...........मू.क.श्रीचन्द्र सूरि, ..........१४०० १३०-२५९| जि.का १५६० ० संघपट्टकप्रकरण सावचूरिक ...जिनवल्लभसूरि-मू.. वृ.क.देवभद्रसूरि
अब.क.साधुकीर्तिगणि जि.का ६५० संग्रहणीप्रकरण सटीक ........ श्रीचंद्रसूरि-क.. ...
संघमाळारोपण विधि ........ देवभद्रसूरि -टी.
संघयणीसूत्र जि.का २०२ ० संग्रहणीप्रकरण सटीक अपूर्ण....श्रीचन्द्रसूरि -मू.. .........
संघाचारभाष्य .... वृ.क.देवभद्रसूरि संघाचारभाष्य (टीका) ....
१७६ जि.का. १२४४ संग्रहणीप्रकरण सावरि त्रिपाठ श्रीचंद्ररारि................... १७६४ ....७
संघाचारटीका................... हरिभद्रसूरि ....
.२४८ 5.का. १२५५ संग्रहणीसूत्र ..................... मलधारी हेमचंद्राचार्यसूरि .....१८८१........' १५१/१६ ० संजममंजरी................. | महेश्वरसूरि .......... .१४०० |... ९२-९७ लो.का ५९० (संग्रहणीसूत्र.....................
| जि.ता. १९१/७ . संजममंजरीप्रकरण .....
...१४००/...६६-६८ इं.का. ३३९ संग्रहणीसूत्र (श्री चंद्रीय)........
जि.का १३२६/३७० संजममंजरीप्रकरण ......... महेश्वरसूरि....
२६१-२६३ संग्रहणीसूत्र (श्री चन्द्रीय)अपूर्ण श्रीचन्द्रसूरि ...............
आ.का २११
संजममञ्जरी संग्रहणीसूत्र...................... गुणसुंदर-ले.....
जि.का ३५०/ ३० संजमसुंदरीगीत ...
राजसमुद्र ... श्रीचन्द्रसूरि-र.
जि.ता.१७१/९ ० संजमाख्यानक संग्रहणीसूत्र त्रूटक ............... मलधारि हेमचंद्रसूरि शिष्य .... १७८० जि.का १६२५/३ 0 संतिकरं ....
मुनिसुंदरसूरि | संग्रहश्लोक.... जि.का १६९३/१०० संतिकरं ........
१७-१९ संघपट्टक ...................... जिनयल्लभसूरि .............१८८३ जि.का १९५१/४ | संथारगपयन्नो .......
१४-१९ संघपट्टक................. | जि.का २१६०/६ संथारापोरसी
...२१-२२ संघपट्टक सस्तबक ...........
....१७३५
जि.का १४२५/३ ० संथारापोरिसी. जि.का १५५९ संघपट्टकप्रकरण...............
था.का. ३५२ संदेह दोलावली
धर्मविजयगणि........... संघपटकप्रकरण वृत्तिसह ...... जिनदत्तसूरि-क., ........ले.१५६४ ........४८ जि.का ५१२० संदेहदोलावली लघुटीकासह ... जिनदत्तसूरि मू.क.. ..... १.१४९५ ...... ३५ |जिनपतिसूरि-टी.
वृ.क.जयसागरोपाध्यायले.१५७४ ||जि.का १८०/७ ०|संदेहदोलावलीप्रकरण............ जिनदत्तसूरि .....................
....... ११-१४
SEGREE SEEEEEEEEEE
श्रीचन्द्र ..........
प-२
.
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________________
भडार| ग्रंथांक | नाम जि.का. |१५९१ जि.का १५९२ जि.का १००९
१९६९
१५९३
488
388
का. ९६५
३९२
जयशेखर
४७६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत्
| पत्र नाम
संख्या जि.का १३१७/१७०|संदेहदोलावलीप्रकरण......... ..जिनवल्लभगणि.
१५०-१५९ जि.का १३२६/८०संदेहदोलावलीप्रकरण........ जिनदत्तसूरि ...
.८८-१०१ जि.का १५६१ जि.का १५६२ |संदेहदोलावलीप्रकरण............ जि.का १५६३ संदेहदोलावलीप्रकरण........... जि.का १५६४ ०|संदेहदोलावलीप्रकरण वृत्तिसह . जिनदत्तसूरि-मू....
...वृ.क.जिनेश्वरसूरि जि.का ३२९०संदेहदोलावलीप्रकरण संस्कृत .. जिनदत्तसूरि मू.क...
........ स्तबक सह जि.का १८१ ० संदेहदोलावलीवृत्ति .......... जि.का २६९ संदेहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्ति .... जिनप्रभसूरि .................१३६४
संदेहविधीषधिनाम पर्युषणाकल्प, दुर्गपदवृत्ति + पंजिका नियुक्ति ...उदयाकरणगणि ले.
सहवृत्ति आ.का. १४४ संदेहदोहावली सह टब्बार्थ.... डूं.का.|६७४ 0 संदेहदोलावली प्रकरण सह टब्बार्थ वल्लभसूरीनाशिष्य..............
० संदोहदोलावली लघुटीका ......जयसागर .......
संधपट्टक सह टब्बार्थ .........राजप्रमोदगणि...............१७०२
संबंधोद्योत ..................... रभसनंदि. जि.का ५३१ ० संबंधोद्योत
- रभसनंदी संबोधअठ्ठोतरी गुटको.. संबोधसत्तरि.......... संबोधसत्तरि सह टबार्थ ....
संबोधसत्तरी सहावचूरी था.का १३३ संबोधसप्तति ................... प्रमोदगणि... था.का. १९३ संबोधसप्तति ........... |जि.का २५५ संबोधसप्तति बालावबोधसह .... जि.का १५९०
संबोधसप्ततिकाप्रकरण ......... रत्नशेखर ......
FREEEEEEEE
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता |संबोधसप्ततिकाप्रकरण .......... रत्नशेखर ............ संबोधसप्ततिकाप्रकरण .... रत्नशेखर .........
संबोधसप्ततिकाप्रकरण अपूर्ण .. ० संबोधसप्ततिकाप्रकरण वृत्तिसह
...............टी.क.अमरकीर्तिसूरि |संबोधसप्ततिकाप्रकरण सस्तवक. रत्नशेखर ................. र.१७३३
.ले.१७७९ संबोधवृत्ति .......... संबोधसत्तरी+ चतुःशरण.......... संबोधसत्तरी + वनस्पति सप्ततिका + विचार सप्ततिका संबोधसत्तरी बालावबोध ......... मेरुसुंदर.... संबोधसत्तरी सह टब्बार्थ ......... हेमसागरगणि.... संबोधसप्तति .......
जयशेखरसूरि संबोधसप्तति ..... संबोधसप्तति वृत्ति सह .......... संबोहसत्तरी ....... संभवनाथ (जैसलमेरीय)........ मानविजय ..................१९९२ जन्माभिषेक स्तवन संभवमहाकाव्य (सुलसाचरित्र)............. |संमूमिमनुष्यपद सह टब्बार्थ ० संयममंजरीप्रकरण ............. महेश्वरसूरि |संयममंजरीप्रकरण .............. महेश्वरसूरि
संयमाख्यान........... |संवत् १७२७-१७४१ सुधीना
पंचांगनी विशेष हकीकतोनो गुटको |संवत् १८२२ नुं पंचांग ........ संवत् १८२५ नुं पंचांग गुटकाकारे
....१७२५
त.का. ९४२ था.का.४२७
"SEEEEEEEE
डूं.का.६९२ था.का.,३६४ |जि.का १३४/१५ जि.का ८५७ जि.का १२२ जि.का ११८२
जि.का. १२७१ जि.का १११७
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________________
संवत्
|१६२
ल.१२०७
२२०
त.का. ७५७
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १.४७७ भंडार | ग्रंथांक |
कर्ता ग्रंथर्नु नाम पत्र | भंडार पंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता - संवत् नाम संख्या ।। नाम
संख्या इं.का. |१३३८ संवाद सुंदर
....(२५ सेत.का.८५३
|८५३ - सकलाहतस्तोत्र .............
सकलालस्तोत्र .... ३३)९||
+ लोद्रवपार्श्वनाथ जिन स्तवन जि.का १३२६/४२० संवेगकुलक
धनेश्वरसूरि ..
२७०-२७२ आ.का.२७६ सङ्गहणी ................ चन्द्रीय ................. जि.ता. १५१/१५ ० संवेगमंजरी
देवभद्रसूरि
..१४००... ८७-९२ त.का. 0 सङ्ग्रहणी (श्रीचन्द्रीय).......... मलधारी हेमचंद्रसूरि शिस्थ जि.का १३४/१४ संवेगमंजरीप्रकरण
देवभद्र
... १८-१९ त.का.|५४३ सज्जनविलास सत्सई. जि.ता. २३५ संवेगरंगशाला ....... जिनचंद्रसूरि .......... र.११२५ ......३४८ जि.का ६६८/4 सज्जनचित्तवल्लभ............... मल्लिषेणसूरि
लो.का २०८ सज्झाय और चोवीसदंडक बोल था.का २१६ ० संबेगरंगशाला.................. जिनचंद्रसूरि .........
बूं.का. ६०२ सज्झाय संपूर्ण ..... जि.का ७७ -संवेगरंगशाला (अपूर्ण) ..........जिनचन्द्रसूरि ........
त.का. २५३ सज्झाय-स्तुति-स्तवन... था.का. ३१४ •संवेगरंगशाला प्रथमभाग .....
जि.का २०६४ सज्झायसंग्रह .. जि.का २२१७/३ . संसारदावास्तुति सटीक .... ...पार्चचंद्र-टी....
१५-१७ त.का. ७२९ सज्झायसंप्रह... जि.का ९२१ - संस्कृतमंजरी.....
सज्झायसंग्रह ...... था.का ९५ . संस्कृताष्टक सह वृत्ति ...
त.का. १० सज्झायसंग्रह .... जि.का १०८० ० संस्कृतिशब्दरूपावली ...
१५५५
त.का. ८०५ सज्झायसंग्रह .... डूं.का. ८७३ संस्कृतमंजरी.
सज्झायसंग्रह त.का. ५५६ संस्तारक सह टब्बार्थ....
....१६२१ ....... १०
सज्झायादि संग्रह .................... त.का. ६५३ संस्तारक सह टब्बार्थ .....
सज्ञासोलहविचार ...... त.का. ५६२ संस्तारकपयन्ना.......
....१६२०
सत्तरभेदी, नवपदजी, स्नान ......... जि.का १४३० |संस्तारकप्रकीर्णक......
प्रतिक्रमण आदि गोटका। जि.ता.१४६/४ ० संस्तारकप्रकीर्णक ......
जि.का ४१०/१ सत्तरभेदीपूजा ..............
जिनसमुद्रसूरि जि.का ५०२ संस्तारकप्रकीर्णक .............. क्षेमराजऋषि
२०६५ सत्तरभेदीपूजा ............ साधुकीर्ति बालावबोधसह त्रिपाठ........... पार्श्वचंद्रगच्छीय -बा.क.
त.का. ४३३ सत्तरहभेदीपूजा ........... डूं.का. ३५० सइकी संवत्सरफलम् अपूर्ण ..
त.का. १७५ सत्तरहभेदीपूजा स्तवन + स्तंभन त.का. ९६२ सकलार्हतादि......
पार्धनाथ स्तवन था.का ३३७ सकलार्हत् स्तोत्र....
आ.का. ११६ सत्तरहभेदीपूजा प्रबन्ध त.का.८५८ सकलार्हत्स्तोत्र. जि.का/१५०६/२ सत्तरिनामा षष्ठकर्मग्रंथ ..
.१७-२० त.का. १३३६ सकलार्हत्स्तोत्र.
जि.का १५४५
सत्तरिसयठाणप्रकरण ..... त.का. १३२३ सकलार्हत्स्तोत्र
डूं.का. १२२१ सत्तरीसय ठाण ..................
१६७१
जि.का.
साधुकीर्ति
पुण्यसागर
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.
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________________
४७८ सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
नाम
त. का. ३८८
त. का. ३९०
था. का. ३७५
डूं. का. १२३
डू. का. १२३३
आ. का १२२
लो. का, ३४२ जि.का. १६३८ जि.का. १३०१ त. का. ३१७
डूं. का. ३२०
डूं. का. ११९१
जि.का. १८१९
जि.का १२२८
जि.ता. ३६३
जि.का. ५८
जि.का. ५९
त.का. २८०
त. का. ७३२
त. का. ६७४
D सत्तरीसयठाण
सत्तरीसयठाण सत्तरभेदीपूजा
सत्तावीश बोलथोकडा संग्रह
● सत्तावीस बोल
सदयवत्सकथा
सवेवंतसावलींग वार्ता त्रूटक
सद्भक्त्या .....
• सनत्कुमारचरित्र D सनत्कुमारकथा
सनत्कुमारचरित्र
सन्निपात कलिका सन्निपातकलिका वैद्यक सन्मतितर्कनी चार अपूर्ण प्रतिओ तथा अंगविज्जा अपूर्ण
• सन्मतितर्कप्रकरण तत्त्वबोधविधायिनी वृत्ति सह द्वितीयखंड किंचिदपूर्ण..
● सन्मतितर्कप्रकरण तत्त्वबोधविधायिनीवृत्ति सह प्रथम खंड
● सन्मतितर्कप्रकरण तत्त्वबोध| विधायिनीवृत्तिसह द्वितीय खंड
तर्कपंचानन
सप्त (नव) स्मरण
सप्त नवस्मरण
सप्तति अवचूरि
कर्ता
सोमतिलक
रंगचंद्रगणि
जिनपालगणि वीरसागरगणि
अश्विनीकुमार
मू.क. सिद्धसेन दिवाकर, वृ.क. अभयदेवसूरि तर्कपंचानन सिद्धसेन दिवाकर मू.. अभयदेव आचार्य तर्कपंचानन-यू. सिद्धसेन दिवाकर मू.. वृ. अभयदेव आचार्य
संवत्
२. १६७९.४१
. ले. १३८७
१५२८
. १२७८
पत्र भंडार संख्या नाम
....१२००
------
त. का. ९५४ जि.ता. ४१५/१० जि.का १५१२ ४ जि.का १५१३
१७
.७ जि. ता. १८९
.७
२८ जि.का. २२३४
१-३
-----
ग्रंथांक
१८४
१४
४ जि.का १६९३/५
१२ जि.का ९३४
. ३-३२ जि.का. ८००
- १४८७ १२६ (१६३३ -१७५७)
जि.का. ९१६
स. का. ८२०
त. का. ९०५ २-२५२ जि.का १७९३ जि.का, २०३ जि.का ७२७ जि.का ६०६/१० जि.का ४२०/२९ त. का. ८१३ त.का. ४८३ डू. का. ९७३ जि.का २१६३ ११ जि.का. १६९०
१७ जि.का ७३९
२७ जि.का १६२६
९६ (१७५८ - १८५३)
ग्रंथ नाम
● सप्तति शत जिननाम स्तोत्र... विशालसुंदर
• सप्ततिका कर्मग्रंथ षष्ठ कर्मग्रंथ
| सप्ततिका षष्ठकर्मग्रंथ. सप्ततिका षष्ठकर्मग्रंथ सटीक
• सप्ततिका षष्ठ कर्मग्रंथ. टिप्पनक गाथाबद्ध सप्ततिकाकर्मग्रंथ सस्तबक यंत्रसह
सप्ततिकाकर्मग्रंथभंगक
| सप्ततिशतजिनयंत्रस्तवन
+ पार्श्वनाथस्तवन
० सप्ततिशतजिनस्तोत्र सप्ततिशतस्थानप्रकरण सप्ततिशतस्थानप्रकरण सस्तबक अपूर्ण सप्तदशपूजाद्रव्य
० सप्तपदार्थी
० सप्तपदार्थीटीका
• सप्तपदार्थी मितभाषिणीटीका सप्तपदी चंदी सप्तभंगवाणी सप्तभंगीगर्भित महावीरस्तवन सप्तभंगीगर्मित महावीरस्तवन सप्तभेदप्रकाश
सप्तव्यसनकथा पद्य
सप्तव्यसनकथानक पद्य अपूर्ण सोमकीर्ति
कर्ता
सप्तस्मरण
सप्तस्मरण
मलयगिरि रामदेवगणि
शिवादित्य मिश्र
माधव सरस्वती
भैया मनरूपविजय
महेश्वर कवि
संवत्
१२११
१५४६
१६८१
. १८९५
पत्र संख्या
१५७६
३
१५६-१६१
२८
१६९१ २
३
३४-६१
५६
३८
३-४
४
४१
४
१९
३०
२४-२५
६६-६७
५
१३१
५२
९
१०
.
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________________
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १-४७९
भंडार नाम
ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत्
भंडार नाम
ग्रंथांक
संख्या
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत्
पत्र संख्या
त.का.६८७ जि.का.१००७ बूं.का. जि.का १५३२
त.का.६८३
१६८९ जि.का ८८
जि.का २०३८ सप्तस्मरण जि.का १६२५ सप्तस्मरण इं.का. ११८३ सप्तस्मरण ५.का.७८७
सप्तस्मरण त.का. ११२२ सप्तस्मरण त.का. ११६४ सप्तस्मरण.. त.का. १३१७ सप्तस्मरण............. त.का. १३३०/० सप्तरमरण.................. जि.का. १७०० | सप्तस्मरण अपूर्ण.............. जि.का २५६ | सप्तस्मरण खरतरगच्छीय
सावचूरक पंचपाठ जि.का ७३८ सप्तस्मरण सस्तवक अपूर्ण .... जि.का ३८८ सप्तस्मरण-खरतरगच्छीय.. त.का. ७०५
सप्तरमरणस्तोत्र सह टब्बार्थ .. जि.का ३९६
सप्तस्मरण संस्कृतस्तबकसह-..
खरतरगच्छीय लो .का. ५६८ सप्तपदार्थी बेटक जीर्ण.......... डूं.का. ८०९ सप्तभंगी.. त.का. ६८२ सप्तम कर्मग्रंथ ................... देवेन्द्रसूरि लों का.५७५ सप्तस्मरण....... डूं.का. १२३५ सप्तस्मरण-चैत्यवंदन (टब्बार्थ). जि.का.११६६ सप्तस्मरणनी अनेक प्रतिओ डूं.का. १२६० समकित उत्पत्ति ....... डूं.का. ४९ समयसार नाटक....... जि.का २२२६ समयसार सटीक...... त.का. १२५६ ०|समयसार सह आत्मख्यातिवत्ति जि.का २२३३ ०समयसारनाटक सटीक.
अमृतचन्द्राचार्य-मू... .............टी.क.देवेन्द्रकीर्ति
जि.ता. २६५ डूं.का. ११६६ डूं.का. १२०९ डूं.का. ४३५
|३५३ त.का. २६०
समयसारप्रकरण समयसारप्रकरण अपूर्ण समयसार नाटक. समयसारनाटक सटीक त्रिपाठ अमृतचंद्राचार्य-मू......
टी.क.शुभचंद्राचार्य समयसारप्रकरण टब्बार्थ.... समराइच्चकहा .....
हरिभद्रसूरि आचार्य ..........१९८३ |......२२७ समरादित्यचरित्र संस्कृतछायासह...हरिभद्रसूरि.........
..... ३०१ समरादित्यचरित्रसंक्षेप त्रूटक... प्रद्युम्नसूरि ....
४२-८१ अपूर्ण पद्य समराइच्चकहा ................... हरिभद्रसूरि .................. सभरादित्य विवरण ............. क्षमाकल्याण समवसरण (गुटका)............ समवसरण विधान.... समवसरण स्तोत्र- बालावबोध.. समवसरणप्रकार ..... समवसरणस्तोत्र समवसरणविधान त्रूटक.... समवसरणस्तवन...
धर्मवर्धन ...... समवसरणस्तोत्र ० समवायांगपर्याय .
११५-१२१ |समवायांगवृत्ति ....
अभयदेवसूरि ० समवायांगवृत्ति ...
अभयदेवसूरि ........ समवायांगसूत्र ० समवायांगसूत्र समवायांगसूत्र
सुधर्मास्यामी समवायांगसूत्र ...
सुधर्मास्वामी .... समवायांगसूत्र.
|लों.का. ४१२
लों.का. ४०१ था.का ३६६
१४७/१३
GEEEEEEEEEEEE
जि.ता/८/१
| जि.का १३६८
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________________
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथन नाम
संवत
.....४२
......अचमा
गणधर..........
..........
जि.का १२
४८० - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट । | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
पत्रा भंडार ग्रंथांक नाम
संख्या इं.का. ७१५ | समवायांगसूत्र .......
आ.का.८३ डूं.का. ७१६ समयायोगसूत्र .......
जि.का/५५७ समयायांगसूत्र .................. हर्षविमल मुनि ................१८८९
जि.का.४२०/४४ समयायांगसूत्र ................ समवायांगसूत्र ...........................
४०|आ.का.५४/ समयायांगसूत्र .......................
| समवायागसूत्र ..................सुधर्मा गणधर .. ૧૪૦૮ समवायांगसूत्र अपूर्ण ..............
समवायांगसूत्र मूल .............. सुधर्मास्वामी .... ...१६६५.....१-४९| डूं.का. समयायांगसूत्र मूल .............. सुधर्मास्वामी
...१८७३.....१-६६] समवायोगसूत्रवृत्ति ............... अभयदेवसूरि ............ ..११२०-३९(५२८- था.का
... ५६५)| त.का. ४७८ .ता. ० समवायांगसूत्रवृत्ति ...............अभयदेवाचार्य .......... . र.११२०/-.४६-१३४
.ले.१४८७
त.का.३४१ जि.ता.९/२ समवायांगसूत्रवृत्ति ............... अभयदेवाचार्य . र,११२०/-६५-२१५||त.का. ३४५
.ले.१४०१
डूं.का. ४७० जि.का ११ समवायांगसूत्र............... सुधर्मास्वामी ............ |.१७(५११-त.का.-९१६
..५२७) त.का. १०२३/1 त.का. २९ • समयायांगसूत्र .................. सुधर्मा गणधर ....
....५१ जि.का ८३७ त.का. १५ |समाचारी पदस्थापन दीक्षा......
....३० जि.का २१८८ त.का. ११५५ समाधितंत्र सह बालावबोध .......
१७२ त.का. ६१४ जि.का ८६३ समाधितंत्रबालायबोध............पर्वत धर्मार्थी ................१७०९ ... १५४ जि.का १६५९ जि.का ७४४/१ समाधितंत्रदुहा ................... यशोविजयोपाध्याय .....
त.का. ६१५ जि.का.१०२७ समाधिशतक बालावबोधसह ... सोमसेनसूरि
..... १४ | जि.का ९५२ अपूर्ण जि.का. १८७३ समाविचार (सुभिक्षदुर्मिक्षविचार)...
| जि.का.४२०/४६ जि.का.२०४० समासयोगपटल.
वररुचि..
जि.का, २९९ आ.का. १३९ समासविचार .................. ज्ञानसागर .......
डूं.का. ६९७
समाससारोद्वार..... समुद्रप्रकाशविद्याविलासचोपाई .... जिनभद्रसूरि | समुद्घातस्वरूप ..
भैया.. सम्बोधसप्तति .... जयशेखरसूरि. सम्मतितर्क उत्तरार्ध ............. कमलविजय .... सम्मतितर्क पूर्वार्ध ...... सम्यकत्वकौमुदी कथा त्रूटक ... सम्यकत्वकौमुदीकथा ...........
शिवलाल-ले.................१९०१ सम्यक्त्व + संभवमहाकाव्य ..... जयतिलकसूरि ..
(सुलसाचरित्र) ० सम्यक्त्व ६७ बोलनी सज्झाय ...जसविजयगणि ................... सम्यक्त्व ६७ बोली सज्झाय.... जशविजय ...
...................१८९१/...... सहटल्यार्थ सम्यक्त्व अधिकार ............... रविविजय .................. १९११ सम्यक्त्व अधिकार सम्यक्त्व कौमुदी कथा ........... रत्नचंद्र ......... ... १८५७ सम्यक्त्व सडसठ बोल.
.. १८४५ सम्यवत्वकुलक.. . सम्यक्त्वकौमुदी...
सम्यक्त्यकौमुदी..
सम्यक्त्वकौमुदीकथा ....... ० सम्यक्त्वकौमुदीकथा गद्य ......
सम्यक्त्यकौमुदीकथानक... सम्यक्त्वपंचविंशतिका- सम्यक्वस्वरूपस्तवन सटीक पंचपाठ, सम्यक्त्वपच्चीसी............... भैया ............... १७५०....९३-९४ सम्यक्त्व रास......... सम्यक्त्वविचार...............
.....
.......
१६२२
..........३
For Private &Personal use only
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________________
भिकार ग्रंथांक
नाम
..१९१३
/१६२
३६६
-५०
ग्रंथर्नु नाम जि.का १५७१ ० सम्यक्त्वसप्ततिकाप्रकरण........ त.का. १०२३/x
सम्यक्त्यस्तय. त.का.७१ सम्यक्त्यस्तवन ....... जि.का.६३५/२ सम्यक्त्व रतवपचीसी ............ जि.का १५२८
सम्यक्त्वस्तवपंचविंशतिकाप्रकरण ..
सम्यक्त्वस्तवावधूरी.......... जि.का ५४६ सम्यक्त्वस्वरूपस्तवअवचूरि...
सम्यक्त्वस्वरूपस्त्व सावचूरिक, सम्यक्त्वालंकार अपूर्ण.. सम्यक्त्वअधिकार. सम्यक्त्वकौमुदी.. ............. गुणसुंदर ..................
.......१८२५ सम्यक्त्वकौमुदी..
गोपीदास-ले. ................१९०३ सम्यक्त्वकौमुदी..
.................१८२५ डूं.का. ११७६ सम्यक्त्वकौमुदी
1....१८२४ सम्यक्त्वसत्तरि .......... बनारसी दास................१६६० इं.का. २०६ सम्यक्त्वसप्ततिका ........ था.का. ३५०
सम्यक्त्वस्तव इं.का. ८०
सम्यक्त्वस्तवन बालावबोध ........ सुमतिहर्ष ..... हूं.का. ११३६ सम्यक्त्वस्तव डूं.का. ८४१ सम्यक्त्वकौमुदी... इं.का. ९२२ समवसरण................... माणिक्यनंदन................ १८५० त.का.८६२ सरस्वती (त्रिपुरा) लघुस्तोत्र ....
.................१८४८ जि.का ६६७ | सरस्वतीकुटुंबसंवाद
............... १७२६ त.का. ८५१ सरस्वतीछंद इं.का. २३४/२ ० सरस्वतीमंत्रकल्प ...
मल्लिषेणसूरि ढूं.का. २३४/१ ० सरस्वतीमंत्रकल्प ......
मल्लिषेणसूरि
१९८४ जि.का १२६२ सरस्वतीस्तवन.. जि.ता. १७१/१३ ० सरस्वतीस्तोत्र ...
..११६९
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ४८१ . भंडार
ग्रंथांक नाम ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत्
संख्या त.का. ८४५ ० सरस्वतीस्तोत्र .............. त.का.८३४ सरस्वतीस्तोत्र + पुष्पांजली..... रामविजय, ............... .१७९६ त.का. ९५८ सरस्वतीस्तोत्र छंद
यशोविजय .................१८५१ त.का. ४८८/A सरस्वतीछंद सह अष्टोत्तर ..
नाम स्तोत्र मंत्रादि डूं.का. ६६३ सरस्वतीमस्तकमाधय ............. शिवादित्य ............... .१६६३
.......२७ जि.का १२९९/१ ० सर्वजिननमस्कार
.१४०० |..... पलु जि.ता. ३९७/१२ ० सर्वजिनस्तोत्र
..१५०० |....१७८मु जि.ता.३६७/३ ० सर्वज्ञसिद्धि
हरिभद्रसूरि ................ ..१५००/१२०१३९ सर्वज्ञसिद्धि
सर्वज्ञसिद्धि १५३/३ ० सर्वज्ञसिद्धिप्रकरण..............हरिभद्रसूरि...
१५७ सर्वशसिद्धिप्रकरण..............हरिभद्रसूरि ..................१९८ जि.का
सर्वज्ञस्तोत्र अवधूरि पंचपाठ .... सोमतिलकसूरि ......... १६९३/२० |सर्वरोगहरस्तोत्र ........... ३७५/२ ० सर्वसिद्धांतप्रवेश ............ -सर्वसिद्धांतप्रवेश ...........
.१९८३ सर्वसिद्धांतप्रवेश (षड्दर्शन
.१२०० समुच्चय जेवो गद्य ग्रंथ)
सर्वसिद्धांतविषमपदपर्याय ....... .२ जि.ता. १४० सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय ..... ..२ त.का.८४२ सर्वसिद्धान्तस्तवन .............. जयशेखरसूरि........... २-३||७.का. १३४३ सबासौ सीख .................. | धरमसी उपाध्याय ...
सवैया-ऋषभदेवछंद आदि ...... | त.का. |९४९ सवैयासंग्रह .
सह दीपिका... १ डूं.का. १३५० सहस्त्रनाम .. १२ जि.ता. ३९१/२
सांख्यतत्वकौमुदी....
१११/१
.
.
....१४९३
१९८४
२
.का. ४३०
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________________
कर्ता
संवत्
पत्र संख्या
४५-४९ ११-१४
ईश्वरकृष्ण.....
कुंवरजी ...............
.anin
"
३९४
AEEEEEEE EEEEEEE
था.का २२६
जिनचंद्रसूरि ......... कचराऋषि. पुण्यसागर ..
..१६९६
३७६
...१८३८
पुण्यसागर
पार्धचंद्र
४८२ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
पत्र । भंडार नाम
| ग्रंथांक
ग्रंथर्नु नाम
संख्या नाम जि.ता. ३९२/२ सांख्यतत्त्वकौमुदी
जि.का २१२०/१६ ० साधुप्रतिक्रमण सूत्रवृत्ति ३९१/३ ० सांख्यसप्ततिका ... ईश्वरकृष्ण ...........-- ....१२००
जि.का २१६०/३ साधुप्रतिक्रमणसूत्र ३९२/१ ० सांख्यसप्ततिका
जि.का ८४८ साधुवंदना सांख्यसप्ततिका बृत्तिसह .
......८९ बूं.का. १८६ साधुवंदना सांख्यसप्ततिका वृत्तिसह ........ मू.क.ईश्वरकृष्ण .............१२०० --.....१०२ था.का १०३ साधुवंदना. ३९१/२ सांख्यसप्ततिकाटीका.. वाचस्पतिमिन .............. ..९०-१८४
साधुवंदना. सांख्यतत्त्वकौमुदी
साधुवंदना. .ता, ३९१/१ सांख्यसप्ततिकाभाष्य ........ गौडपाद .....................१२००... १२-८३
साधुवंदना. जि.ता.३९२/३ ० सांख्यसप्ततिकाभाष्य .. गौडपाद ......... ..........१३००/.....१७०
साधुवंदना. जि.ता. ३९२/ २ ० सांख्यसप्ततिटीका- .............. वाचस्पतिमिन .............. ...१-८०
साधुवंदना. सांख्यतत्त्वकौमुदी
साधुवंदना .. त.का. १२१३ सागरचंद्रकमलामेलाचौपई ........ विजयशेखर ..................
५७४ साधुवंदना .. त.का. |११२९/A सागरचंद्रमृगांकलेखाचरित्र .........
१३१ साधुवंदना. बूं.का. १०१ सागरोपमग्रंथ ....
७०४ साधुबंदना .... ........ .का. ४१२ सात स्मरण .......
८३३ साधुवंदना .... त.का. ९०० सात हितशिक्षायें
त.का. ११७१ साधुवंदना. डूं.का. ८३७ सातमी नरक नकशा .......................
त.का. १२०७ साधुवंदना सातवीषयनी सज्झाय ...........................
जि.का ५७१ साधुवंदना अपूर्ण .... ४०२ सातसमुद्घात
जि.का ३०३ ० साधुवंदनारास जि.का १३२६/४० साधर्मिकवात्सल्यकुलक ........ अभयदेवसूरि ...
जि.का ४१२ साधुवंदनारास त.का. २४६ साधारणजिनस्तोत्र सह अवधूरि जयानंदसूरि ...
साधुवंदनारास अपूर्ण ..... इं.का. ३६३ साधारण विधिओ..
साधुविधि प्रकाश ... साधु (मुनि) मालिका
साधुविधिप्रकाश. था.का.४७२ साधु (मुनि) मालिका ...
१११८ साधुविधिप्रकाश... त.का. ३३५ साधु (मुनि) मालिका .......
+ लघुप्रतिक्रमण विधि हूं.का. ३९८ साधु अतिचार....
जि.का. २१६० साधुषडावश्यकसूत्र आदि त.का. १५० साधु समाचारी नव व्याख्यान ..
| जि.का. १४५४ साधुषडावश्यकसूत्र-....... त.का. ९३४ साधु-श्रावक दिनचर्या विधियाँ ..
स्मरणाविआवश्यकसूत्रसंग्रह
समयसुंदर
तिलकसिंह ..................
लो.का ५२८
पुण्यसागर समयसुंदर ............
REL-RES
AAR856
क्षमाकल्याण ...
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सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.४८३
भंडार| ग्रंथांक
पत्र
नाम
संख्या
૧ર૧
जि.का ४७६
ग्रंथर्नु नाम कर्ता
पत्र भंडार संवत् ।
ग्रंथांक
संख्या नाम जि.का. १०६४/२ | साधुसंघमर्यादापट्टक .............जिनप्रभसूरि .....
... १८मु लों.का. ५२६ त.का. १२५५ .साधुसमाचारी.
....| त.का.६८६ था.का. ३९५ | साधुगुणमालिका ..... डूं.का. ८३३ ०|साधुप्रतिक्रमणवृत्ति .............. तिलकाचार्य.
त.का. १९३ लो.का ४६२ साधुवंदना ...................... कुंवरजी
.... १-९ डूं.का.४२ आ.का ३३५ साधुवंदना.....................
डूं.का. १२४४ त.का. ७८० oसाधुविज्ञप्तीपत्र...................
त.का. ४५५ बूं.का. ४५८ साधुविधि प्रकाश...............----...
१२/ जि.का १८८६ आ.का ३० | साधुसमाचारी.....
.... १४| त.का.|८२३ इं.का. ६८३ साधुवंदना ........................ समयसुंदर ...................१७८८........ २० जि.का १२१८ -सामवेदनिर्णय-द्वादशमहावाक्यनिर्णय
२१-३६| जि.का २२३१ जि.ता/२७५ ०|सामाचारि बीजकसह ...........तिलकाचार्य ..................१४०९ ......१८८| लों.का ५५४ जि.का २११ सामाचारी....
डूं.का. १२२७ त.का. १०५२ सामाचारी आचारविधि,
आ.का १०७ जि.का १८५ सामाचारी-यतिदिनचर्या.
नचया......... देवसूरि.
१५६२ त.का. ५१७ जि.का ३७८० सामाचारीशतक बीजकसह ..... समयसुंदरोपाध्याय ..........१९८३
.का. ५६४ डूं.का. ५८६ सामायिक ग्रहणविधि ..... इं.का. २४२
सामायिक पौषह पारवानी विधि इं.का. ५१४
सामायिक प्रतिक्रमण विधि ...... इं.का. १०१२ सामायिकग्रहण विचार ..........
डूं.का. ८९५ जि.का ९०३/१ |सामायिकदोषनिवारणबत्रीसी....प्रमोदमाणिक्य
ई.का. ९०९ जि.का २०१२/२ सामायिकदोषनिवारणस्तवन..... गुणरंग वा. .............
डूं.का. ९१० त.का. ९७६ सामायिकना दोष...
डूं.का. ९१३ + चउद नियमनी सज्झाय त.का. १०२३/- सामायिकपौषधफलकुलक
लों.का. २५८ जि.का. १३०६ सामायिकप्राप्तिआदिविषयक ..
...... १३
डूं.का. ९११ कथानकादि
५.का. ९१२ जि.का. २०६३ सामायिकबत्रीसदोषसज्झाय ...... गुणरंग
लों.का. २६८
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत् सामायिकविधि सामायिकसूत्र सह वचनिका ...... मनोहर पं. ................... १७५४ व बालावबोध सामायिकादिविधि ....... सामुद्रिकशास्त्र..... सामुद्रिकशास्त्र.................. रामचंद मुनि ............ सामुद्रिकशास्त्र...... सारणी ज्योतिष सारशिखामणसज्झाय ................
.१८५२ सारशिखामणरास ..............
....१७७५ सारसंग्रह
वरदराज सारसंग्रह (ज्योतिष) सारस्वत सारस्वत सारस्वत ................ अनुभूतिस्वरूपाचार्य .... सारस्वत सारस्वत सारस्वत.. सारस्वत आख्यातप्रक्रिया ....... अनुभूतिस्वरूपाचार्य सारस्वत कृदंतप्रक्रिया ..........! अनुभूति स्वरुपाचार्य.... ....१८६४ सारस्वत टीका ................. भटट माधव..........----...१६८ सारस्वत टीका ............... सारस्वत टीका (९१०नी साथे छे) क्षेमचंद्र ....................... १७६५
.१६४५
SHA
.......४८
सारस्वत त्रूटक .................. अनुभूतिस्वरूप........... सारस्वत प्रक्रिया .......... अनुभूति स्वरुपाचार्य ..........१८२१ सारस्वत प्रक्रिया ................ अनुभूति स्वरुपाचार्य ......... सारस्वत बालावबोध (संक्षेप)....
..........१८५३
... १-२४
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भंडार| ग्रंथांक
पत्र
भंडार नाम
शांक |
ग्रंथनु नाम
कता
संवत्
पत्र संख्या
संख्या
५०९
२०३
११००
१७३५
बम बन बन
१८०४
जू.का. १०४०
जि.का ४४८
.का १८२६
जि.का. १७४०
४८४ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत् नाम डूं.का. |९१६ सारस्वत माधवी वृत्ति अपूर्ण .... लो.का २४९ सारस्वत व्याकरण
अनुभुतिस्वरूपाचार्य .... ............ लों.का २८८
सारस्वत व्याकरण डूं.का. ९०८ सारस्वत व्याकरण सह टीका .....भट्टमाधव - टी.
सारस्वत व्याकरण .... --दानमलमुनि पं..............१८८४
सारस्वत व्याकरणवृत्ति .......... हर्षविमल ..................... १८७१ आ.का. २२१ सारस्वत सह बालावबोध ..... सारस्वत सूत्र .................. सोमगणी-ले., अनुभुति ....... १७९८
स्वरुपाचार्य-क. जि.का. १७४१ सारस्वतटिप्पनक ............... क्षेमेन्ट -टी......................१६६२ त.का. १०४४ सारस्वतदीपिका ................. अनुभूति स्वरूपाचार्य.....
सारस्वतदीपिका पंचसंधि ....... त.का. ५८५ सारस्वतधातुपाठ सह बालावबोध जि.का.२०३९ सारस्वतपुंजराजीटीका अपूर्ण ..... पुंजराज ....... त.का. १०४५
अनुभूति स्वरूपाचार्य... आ.का.१०१
| सारस्वतप्रक्रिया त्रिवृत्ति ........ जि.का/१७४२ सारस्थतप्रथमश्लोकार्थ .... जि.का ५६४ सारस्वतमंडन........... मंडन.......... जि.का १७३९ सारस्वतवृत्ति अपूर्ण ........... चंद्रकीर्ति ......
सारस्वतव्याकरण ....... अनुभूतिस्वरूपाचार्य ....... जि.का १७३४
सारस्वतव्याकरण ......... सारस्वतव्या
अनुभूतिस्वरूपाचार्य .... जि.का १०३६
सारस्वतव्याकरण ......... अनुभूतिस्वरूपाचार्य .... जि.का १७३७ सारस्वतव्याकरण..... अनुभूतिस्वरूपाचार्य .... त.का. ६३६ सारस्वतव्याकरण ..... अनुभूति स्वरूपाचार्य ... जि.का १७३८ सारस्वतच्याकरण अपूर्ण ...... अनुभूतिस्वारूपाचार्य ....
सारस्वतव्याकरण अपूर्ण ....... अनुभूतिस्वरूपाचार्य ....
सारस्वतव्याकरण Jटक अपूर्ण जि.का १११८ सारस्वतव्याकरण पंचसंधि ..... अनुभूतस्वरूपाचार्य .........१९०२
१७-२८
१२१७ ५१६
१०६९ त.का. ६७
२०३ डूं.का.८७१ लों.का. ३१९
१२५१ |११०९ का. ४०८ .का. २१२ .का. २६० का. ८६५
सारस्वतव्याकरण सूत्रपाठ ................
१७११ सारस्वतव्याकरणचंद्रकीर्तिटीका चंद्रकीर्तिसूरि ... सारस्वतव्याकरणचंद्रकीर्सिटीका चंद्रकीर्ति
....१६६२ १०३ सारस्वतव्याकरणचंद्रकीर्तिटीका पूर्वार्द्ध सारस्वतव्याकरणटीका .....
.....१७१६ | सारस्वतव्याकरणदीपिकाटीका ...चंद्रकीर्ति .............. .र.१७७४
...ले.१८२२ सारस्वतव्याकरणभाष्य .......... काशीनाथ....................१७०९/..... ११० सारस्वतव्याकरणसिद्धांत .... रत्नावलीटीका अपूर्ण सारस्वतसूत्रवृत्ति ......
..................१७७८|... सारस्वतानुसार शब्दनिष्पादन ......... ....................१९१४ सारस्वतीयधातुपाठ वृत्तिसह ......
.. १९ सारस्वत बालावबोध ............. अनुभूति स्वरूपाचार्य .......... १९०० ...२३७ सारस्वतकौमुदी.... सारस्वतदिपिका ..................चंद्रकीर्तिसूरि . सारस्वतदीपिका त्रूटक .... सारस्वतप्रक्रियाबालावबोध ...... सारस्वतविभक्तिसमासवृत्ति .....
४६-५६ सारस्वतव्याकरण ......... अनुभूति स्वरूपाचार्य .. सारस्वतव्याकरण ..... सारस्वतव्याकरण (टब्यो) Jटक - अनुभूतिस्वरूप ........
..२-१८ सारस्वतच्याकरण तृतीयवृत्ति ..... सारस्वतव्याकरण त्रूटक .......... अनुभूति स्वरूपाचार्य.....
१-४५ +
१-१७ सारस्वतव्याकरण Jटक ......... अनुभूतिस्वरूपाचार्य..
१-४५ सारस्वतव्याकरण त्रूटक ........ अनुभूतिस्वरूप..........
१-४४
100
...१२६
२०२९
५२२
HERE
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ग्रंथनुं नाम
कर्ता
| संवत्
१-४१
भंडार
अंधांक नाम लों.का. २९४ इ.का. १६७ त.का. १२३६ ई.का. १३७ लों का ७०१
३६७
२
.का. १८६ जि.का २००
५२३
का. ५८९
ENSEEEEEEEEEEE
सारस्वतव्याकरण त्रूटक ........ अनुभूति स्वरूपाचार्य .... सारस्वतव्याकरणवृत्ति हेमराज पं.ले. सारस्वतव्याख्या (क्षेमंकरी टीका सारस्वतव्याकरण..
चंद्रकीर्ती ....................१७४५ सारस्वतसूत्र
अनुभूति स्वरूपाचार्य ....... सारस्वतसूत्रपाठ... सारस्वत + हैमव्याकरण.... प्रथमपद समाधान सारस्वत ............. सारस्वत ....... सारस्वतव्याकरण .......... .....- अनुभूत स्वरूपाचार्य सारस्वतव्याकरण अपूर्ण ......... अनुभूतिस्वरूपाचार्य.... सारस्वतव्याकरण बालावबोध .... सह अपूर्ण सारस्वतव्याकरण सूत्राणि सस्तबक सारस्वतव्याकरण ................ अनुभूतिस्वरूपाचार्य सारावली ............
कल्याणवर्म सारावली प्रकीर्णक पत्र..............
सारोद्धारकोश सस्तबक ...... ० सारोवारसारसंग्रह ............
साईशतकप्रकरण...... सार्द्धशतकप्रकरणसूक्ष्मार्थ-.......मू.क.जिनवल्लभगणि, .. १.११७१ विचारसारप्रकरणवृत्ति सह ........क.चक्रेश्वरसूरि ........ले.१४०० सार्धशतकप्रकरण ................जिनवल्लभगणि ...... (सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण) सटीक सार्धशतकप्रकरण टिप्पणीसह ... पंचपाठ
सर्व ग्रंथों का अकाराविक्रम · परिशिष्ट १ - ४८५ | भंडार| ग्रंथांक | नाम ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संख्या
| संवत् जि.ता. ४१५/४ सार्धशतकप्रकरण.. जि.का.६१३ साल्हाऋषिसज्झाय
शुभमंदिर डू.का. १३८७ साहित्यिक नैतिक त.का. १०२३/E साहित्यिक स्फुट पजे ..........
त्रुटक लघुग्रंथ त.का. ९६३ साधारणजिनस्तोत्र सह अवचूरि दयाविजयगणि ...............१८५१
सारस्वत प्रक्रिया अपूर्ण .का. ९४ |सिंदुरप्रकर..
भाग्यविलासमुनि-ले...........१९०१ सिंदूरप्रकर ......
सोमप्रभाचार्य ५ जि.का ६२३ | सिंदूरमकर ...........
सोमप्रभाचार्य १४ जि.का ६२४ | सिंदूरप्रकर ..........
सोमप्रभाचार्य ४५ जि.का १५९६ |सिंदूरप्रकर ...
सोमप्रभाचार्य २९८ |सिंदूरप्रकर .....
जितरंगमुनि-ले.......
सोमप्रभमुनि-क. १७/२ | सिंदूरप्रकर...... त.का. ११६६ | सिंदूरप्रकर..
सोमप्रभाचार्य, त.का. १२६८/० |सिंदूरप्रकर. जि.का. १५९८ सिंदूरप्रकर अवधूरि किंचिदपूर्ण लों.का.२६२ सिंदूरप्रकर त्रूटक. जि.का १५९७ ० सिंदूरमकर सटीक
सोमप्रभाचार्य-मू..
टी.क.हर्षकीर्तिसूरि जि.का. ७४२ सिंदूरमकर सस्तबक.........
सोमप्रभाचार्य.......-- १२१६ सिंदूरकर सुभाषित ... २९९ |सिंदूरप्रकर..
सोमप्रभमुनि .. |सिंदूरप्रकर.
हर्षकीर्ति | सिंदूरप्रकर..
सोमप्रभसूरि सिंदूरप्रकर...
सोमप्रभ आचार्य.. सिंदूरप्रकर.....
का.८१ .ता ४००/१ जि.ता. १८६०
जि.का १५१८
ENNA
जि.का २०८
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भंडार| पंथांक
MEEEEEN
9300
४८६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम : परिशिष्ट । भंडार| ग्रंथांक
ग्रंथनुं नाम २२३ सिंदूरकर .................... ५६३ सिंदूरकर ............ ६४५ |सिंदूरमकर ................
|सिंदूरप्रकर ......... १२३२ सिंदूरमकर सह बालावबोध... डूं.का. १२८ सिंदूरप्रकर सह वृत्ति ... हर्षकीर्तिसूरि त.का. २३
•| सिंदूरमकर सह वृत्ति ............ सोमप्रभसूरि ............ त.का. ६२४ [सिंदूरप्रकर सह वृत्ति ............ नेमचंद्रसूरि .............. त.का. १२२५ सिंदूरमकर सह वृत्ति ............ ढूं.का. २४७ सिंदूरप्रकरण .....................
हविमल......
हर्षकिर्ती -वृत्ति ले. डूं.का. |७९७ | सिंदूरप्रकरटीका .................. हर्षकिर्तीसूरि ...... ... १७९३ डूं.का. ९३० ०सिंदूरप्रकरटीका ................. गुणकीर्तिसूरि ......... ....१८० ई.का. ९२९ |सिंदूरमकरवृत्ति ................... हर्षकीर्तिसूरि बूं.का. |७९८ सिंदूरप्रकरसुभाषित .............
....१७८३ लों.का ५७८ सिंदूरकर .....
सोमप्रभाचार्य जि.का ५११/२ सिंहलसुतचोपाई-................ समयसुंदर .. । । प्रियमेलकचोपाई अपूर्ण लों.का. ४८३ सिंहलसुतचउपई ................. समयसुंदर ....
9300
..१८८२
KANA
ग्रंथनू नाम
संवत् नाम
संख्या जि.का ९९७ ० सिंहासनवत्रीसी......... जि.का २११७ सिंहासनबत्रीसीरास अपूर्ण .
દર जि.का २१२०/११० सिग्घमबहरउ स्तोत्र ... जि.का १३२६/२७० सिग्घमवहरउपार्वजिनस्तोत्र ... जिनवल्लभगणि
२३८-२३९ जि.का १६२६/६ ० सिग्घमवहरउविग्धं स्तोत्र ....... जिनदत्तसूरि ..... जि.का २१६०/१२ सिग्घमवहरउस्तोत्र .........
... ५६-५७ जि.ता. १९१/९ सिम्धमवहरउस्तोत्र ............. जिनदत्तसूरि .................१४००...११-१२ जि.ता. १६०/४ ० सित्तरी-षष्ठ कर्मग्रंथ .............
... २५-३१ जि.ता. १५०/६ ० सित्तरी-षष्ठकर्मग्रंथ ..............
१५०-१५८ लो.का ३३९ सित्तरीसयस्तोत्र ................. त.का. १०१५ | सिद्ध अधिकार ................... लों.का. ३०१ सिद्धचक्रजीरा गुण ......... आ.का. ३१५ सिद्धचक्रयन्त्रोद्वारविधि सहवृत्ति आ.का ३६९ |सिद्धचक्रस्तोत्र तथा ......
| भावारिबारणसमसंस्कृतस्तोत्र त.का. ८०८ • सिद्धचक्रादिस्तवन ....... जि.का.४२०/२१ सिद्धचतुर्दशी .................... भैया लों.का. ६२० सिद्धचक्रनवपदस्तवन.......... आ.का. १८९
सिद्धपंचाशिका ................ आ.का २८६
सिद्धपंचाशिका ................ आ.का. २८७ सिद्धपंचाशिका.... त.का. ९१९ सिद्धपंचाशिका
देवेन्द्रसूरि डू.का. ११४४ सिद्धपंचाशिकावचूरी.. देवेन्द्रसूरि
सिद्धपञ्चाशिका ...... देवेन्द्रसूरि .... २७ जि.ता,३८२ ० सिद्धप्राभृतसूत्र
सिद्धप्राभृतसूत्र.......... ...... ६३| जि.का ११३/१ ० सिद्धप्राभृतसूत्र ..
४१-४४ जि.का ११२/२ ० सिद्धप्राभृतसूत्रवृत्ति
..........१९८४ .....४-२२
388585
१७६८
हर्षदेव ...
हूं.का.८२ जि.का. १३०९ जि.का. १०३२ जि.का. १६६१
सिंहासन बत्रीसी.................. सिंहासनद्वात्रिंशिका .............. सिंहासनद्वात्रिंशिका बृ.अ........... सिंहासनदार्जिशिकाकथा .......... सिंहासनद्वात्रिंशिका अपूर्ण ....... खेमंकरमुनि ... सिंहासनबत्तीसी........... सिंहासनयत्रीसी................. संघविजय ..
.का. ४९३ जि.का ४३२
जि.का ११२/१
.र.१३७८ .ले.१६७८
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________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि.का ११३/२
जि. ता. ३३/४
जि. ता. ३८/३
जि. ता. ३२/४ जि.ता.३३/३ जि.ता, ३२/३ जि.का १६११
जि.का ६०७
जि.का १७१९
जि.का १७१६
जि.का १७१५
जि.का १७१४
जि. ता. २९३
जि. ता. २९४
जि. ता. २९५
जि. ता. २९६/२
जि.ता, २९६/१
ग्रंथनुं नाम
D सिद्धप्राभृतसूत्रवृत्ति
• सिद्धप्राभृतसूत्रवृत्ति
• सिद्धप्राभृतसूत्रवृत्ति
० सिद्धप्राभृतसूत्रवृति
० सिद्धप्राभृतसूत्र
० सिद्ध प्राभृतसूत्र
• सिद्धमातृकाप्रकरण
D सिद्धहे मशब्दानुशासन. अष्टमाध्याय अपूर्ण
• सिद्ध हेमशब्दानुशासन. अष्टमाध्याय बृहद्वृत्तिसह • सिद्धहेमशब्दानुशासन... आख्यातावचूरि चतुर्थाध्यायपर्यंत किंचिदपूर्ण
कर्ता
+4
हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
० सिद्धहेमशब्दानुशासन. चतुष्कावचूरि षष्ठपादपर्यंत
● सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति कनकप्रभसूरि लघुन्यास षष्ठपाद पर्यंत
० सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति. हेमचन्द्राचार्य:
सप्तमाध्याय
० सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति हेमचन्द्राचार्य आख्यातवृत्ति तथा कृवृत्ति
● सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्धति हेमचन्द्राचार्य तद्धितप्रकरण अपूर्ण
० सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति हेमचन्द्राचार्य तृतीयाध्याय द्वितीयपाद
● सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति हेमचन्द्राचार्य द्वितीयाध्याय तृतीयपाद
संवत्
. १९८३....
. १४००
. १५००
१४००
नाम
पत्र भंडार संख्या ४४-६३ जि. ता. ३०२ १४४-१६० ८-४४
४४-६१ जि. ता. २९७
१४००
१४१-१४४
४१-४४ जि. ता. ३००
२५
४८
६८
. १३००...
ર
ग्रंथांक
२०
जि.का ७९
जि.का २२२३
जि. ता. २९८
६९ जि.का १७१२
• २७७ जि.का १७१३
१४०० २६५ जि.का. ७६
.१३०० २०४-२४८ जि. ता. २९९ ५४-८६ जि. ता. ३०१
. १९३ जि.का ५५२
ग्रंथनुं नाम
• सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुन्यास कनकप्रभसूरि (दुर्गपदव्याख्या) - व्याकरण-चतुष्का वचूर्णि षष्ठपाद पर्यन्त
• सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति हेमचन्द्राचार्य पंचमाध्याय कृद्वृत्ति
• सिद्ध हे मशब्दानुशासन लघुवृत्ति हेमचंद्राचार्य षष्ठ सप्तमाध्याय तद्धितवृत्ति
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १४८७
कर्ता
पत्र संख्या
टिप्पणी सह
० सिद्ध हे मशब्दानुशासन सूत्रपाठ हेमचन्द्रसूरि धातुपाठ तथा लिंगानुशासन
D सिद्ध हेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति, हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ-क.
| टिप्पणीसह चतुष्कवृत्ति पर्यंत
● सिद्ध हेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति हेमचंद्राचार्य
तृतीयाध्याय तृतीयपादथी
पंचमाध्याय चतुर्थपादपर्यन्त
आख्यातवृत्ति तथा कृवृत्ति
● सिद्धहे मशब्दानुशासनलघुवृत्ति हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ द्वितीयअध्याय प्रथमपादपर्यंत
० सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति. हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ
प्रथमाध्याय
● सिद्ध हे मशब्दानुशासनलघुवृत्ति हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ षष्ठसप्तमाध्याय तद्वितवृत्ति सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति.
हेमचन्द्राचार्य
षष्ठाध्यायपर्यंत • सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति हेमचन्द्राचार्य तद्धितवृत्ति अपूर्ण
• सिद्धहेमशब्दानुशासन रहस्यवृत्ति. (सिद्धहेम लघुवृत्तिसंक्षेप)
•
****
संवत्
१२७१ १८६
१२०६
१३००
. १४००
१४००
१२१८
.......९१
१९८
२२
८९
. १२३
१५
४१
..५१-१२२
१७१
१६०
Page #536
--------------------------------------------------------------------------
________________
४८८ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
नाम
जि.का १२२६
त. का. १०७७
त.का. १०५०
जि.का. २२४९ जि.का. १७३०
जि.का. १७२९
त. का. १०४३
जि.का. १७३१ जि.का. १७३३
डूं. का. ८६६
त. का. १०९५
जि.का. ४१५ जि.का. ६०८ जि.का. १७२६
जि.का. १८०७
जि.का. १७३२
जि.का. १७२७
जि.का. ९९१ जि.का २२९
जि.का ४३०
ग्रंथनुं नाम
सिद्धहेमसूत्रपाठ आदि त्रूटक अपूर्ण
● सिद्ध हेमशब्दानुशासन सह बृहद्वृत्ति
० सिद्ध हैमशब्दानुशासन बृहद्दीपिका बृहद्वृत्ति सिद्धांतकौमुदी सिद्धांतकौमुदी तत्त्वबोधिनी
टीका अपूर्ण
सिद्धांतकौमुदी पूर्वार्ध
| सिद्धांतकौमुदी पूर्वार्ध
सिद्धांतचंद्रिका सिद्धांतचंद्रिका सिद्धांतचंद्रिका
सिद्धांतचंद्रिका
सिद्धांतचंद्रिका पूर्वार्ध
सिद्धांतचंद्रिका पूर्वार्ध सिद्धांतचंद्रिका सुबोधिनी
व्याख्यासह ....
सिद्धांतचंद्रिका स्वरान्तनपुंसकपर्यंत
सिद्धांतचंद्रिका स्वरान्तनपुंसकलिंग पर्यंत
कर्ता
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य
भट्टोजी दीक्षित, भट्टोजी दिक्षित
रामाश्रमाचार्य
लोकशंकर
रामचंद्राश्रम
रामचंद्र
रामाश्रमाचार्य भू.. व्या. सदानंद
... रामाश्रम
रामाश्रमाचार्य
| सिद्धांतचंद्रिकातत्त्वदीपिकाव्याख्या बोकेशकर शर्मा.
पूर्वार्द्ध
● सिद्धांतचंद्रिका उत्तरार्द्ध
० सिद्धांतविचारगाथा
| सिद्धांतविचाररास
रामचन्द्राश्रम
संवत्
१३६८
.... १८३१
१८६०
१७७९
१७२४
पत्र भंडार संख्या नाम
ग्रंथांक
जि.का १२६७ १-१७८ जि.का ७७९ जि.का ७५० ८१ दूं. का. ११२८
त. का. ५७४ १३. का. ११२९ ८५ जि.का ६०६/३ डूं. का. १२९ १३७ त. का. ५८७ ८६. का. ११२४ ८७ डूं.का. २८० ३४
७७ जि.का. ८८३
८३ (१२- जि. का. २१७४
१०२) आ.का. २१४
३० जि.का. ९१५ ४४ जि.का २२५
११८
जि.का. २०९३ ३२ जि.का. ६२९
त. का. १३२२
१२ हूं. का. ८६९ त. का. १६३ ७५ हूं. का. ११५० त. का. ४७२
.... ४०
२ हूं. का. १४७ ...२-९९
ग्रंथनुं नाम
D सिद्धांतशिरोमणिसूत्र सिद्धांतसारोद्वार टिप्पनकसह सिद्धांतहुंडिका सटीक त्रिपाठ सिद्धांतकौमुदी
D सिद्धांतकौमुदी (वैदिक प्रक्रिया) दिक्षीत
सिद्धांतकौमुदी अपूर्ण D सिद्धांतगीत
सिद्धांतचंद्रिका
सिद्धांतचंद्रिका
सिद्धांतचंद्रिका अपूर्ण
सिद्धांतसारगाहा सह टब्बार्थ अपूर्ण
सिद्धान्तआलापक
सिद्धान्तकौमुदी पूर्वार्ध अपूर्ण. सिद्धान्तकौमुदी व्याख्या सिद्धान्तचंद्रिका पूर्वार्द्ध ० सिद्धान्तविचारसंग्रह (सिद्धांतगत आलापक) सिद्धान्तहुंडी
• सिद्धान्तालापक सिद्धान्तोकविचार गाथा सिद्धांतचंद्रिका वृति
D सिद्धपंचाशिका सह अवचूरि सिद्धपंचाशिका सहावचूरी
० सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति अवचूरि
सिध्धचक्र गुणना + रोहिणी तपविधि
कर्ता
भास्कराचार्य कमलसंयमोपाध्याय
रामचंद्र रामचंद्राश्रम
रामाश्रमाचार्य
देवेन्द्रसूरि
देवचंद्र
हेमचंद्रसूरि
संवत्
पत्र
संख्या
१५-२६ २१ ४-२३ १६५
१४
५०
६ं
१४०
५७
६३
६७
६
५५
.६
२३-३७
१७
८
३
. १२५
१३
९०
२९
.८
.
Page #537
--------------------------------------------------------------------------
________________
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १.४८९
भंडार
ग्रंथांक
कर्ता
भंडार
ग्रंथांक
नाम
डूं.का. ७२९
इं.का. ३९०
१०९३ इं.का. १०६५ डूं.का. ९४१
१०९५
४५२
AAAAAAAAAAAA AAlil.
FFEEEEEEE
८७६ १७२ |३७८
११-१२
०
ग्रंथर्नु नाम
संवत् सिध्धचक्र महिमा.............. जिनहर्षमुनि-क.. .............१८५५ ....... ५५ जि.का २८७ नयनंदन मुनि-ले.
आ.का २६५ सिध्धचक्रआराधना विधि सिध्धांतकौमुदी.... सिध्धांतआलापक ... सिध्धांतकौमुदी सिध्धांतकौमुदी.. महिमासुंदर ...
१२९ डूं.का.८७७ भट्टोजीदिक्षीत-ले.
१२८५/२ सिध्धांतकौमुदी तत्वबोधिनी टीका ज्ञानेन्द्रसरस्वती........... ....१८७१ सिध्धांतचंद्रिका....
१२६३/४ सिध्धांतचंद्रिका.............. रामचंद्र .....
|१०९९ सिध्धांतचंद्रिका................. रामचंद्राश्रम... ..............१८२५
८१७/७ सिध्धांतचंद्रिका......
८१७/
२ सिध्धांतचंद्रिका.... रामचंद्र..
२१६०/७ सिध्धांतचंद्रिका अपूर्ण.... सिध्धांतचंद्रिका बृत्ति-उत्तरार्ध ... दयाराज .................१८२६
जि.का ११८३ सिध्धांतचन्द्रिका...
रामचंद्राश्रम ........ सिध्धांतचन्द्रिका................ रामंचद्र.
......१५१] जि.का. | सिध्धांतहुंडिका सह बीजक...... पद्मविलासमुनि. हुंडीका ग्रंथ (१०२६ नी साथे ..... गुणविनयगणि ............... मुकेल छे) सिध्धचक्रोद्धार सह व्याख्या .......चंद्रकीर्तिसूरि ............ |सिध्धदंडिका अवचूरी ......... सिध्धप्रामृत सह वृत्ति .......
था,का. ३३६ सिन्दुरप्रकर सह वृत्ति. सिन्दूर प्रकर ..............
सोमप्रभाचार्य.. सिन्दूरप्रकर ...... सोमप्रभाचार्य .....
त.का. ० सिन्दूरप्रकर ......
सोमप्रभाचार्य ......
डूं.का. १०४१
१०४५ |१०३९
ग्रंथनुं नाम
कर्ता | संवत्
संख्या सिन्दूरप्रकर
सोमप्रभाचार्य सिन्दूरप्रकर .... सिन्दूरप्रकर सिलोकारो अर्थ........ सिद्धदंडिका अवचूरी सिध्धांतचंद्रिकावृत्ति .. सिध्धांतचंद्रिकावृत्ति .............. तत्त्वकुमार पं.ले.............१८२७ ५०थी१९६ सीताचरित्र......
.................१५०० ..५०-१४३ सीतारामचौपई त्रूटक ........ 0 सीमंधरगीत | धर्मकीर्ति
१-२ सीमंधरजिनसवासोगाथानुं स्तवन ... यशोविजयोपाध्याय
३-११ ० सीमंधरजिनस्तुति.............. सीमंधरस्तवन ............ सीमंधरस्वामिआदिनी स्तुतिओ
२२-४४ स्तवन-स्तोत्र सीमंधरस्वामिस्तुति आदि स्तुतित्रय सीमंधरस्वामिस्वाध्याय ........... लावण्यसमय.............. सीमंधरस्वामीस्तवन .............. नयरंगमुनि सीमंधरस्वामीस्तवन .............. सकलचंद सीमंधरस्वामीरूपवर्णनस्तबन ...... सस्तवक सीमंधरस्वामी लेख .. सीमंधरस्वामी स्तवन.. सीमंधरस्वामीनोकागल वि. पदो सीमंधरस्वामी स्तुति सीमन्धरस्वामीस्तवन ....... सीमन्धरस्वामी विनति
इं.का. १०८
|१०४२ १०२९
२७४ + १४
१८१७
डूं.का. ९९५ इं.का. ९७९ डूं.का. १०२८ त.का. १३०१ इं.का. १२४९ जि.का २८५ जि.का २८६
BEESE
AR
इं.का. ३८९ आ.का.९९
For Private & Personal use only
Page #538
--------------------------------------------------------------------------
________________
संख्या
६७-७०
ड.का.९१०
...१५९
..
१-५
...१७५९
MEHEER
४१० - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट भंडार | ग्रंथांक | पंथनुं नाम
संवत् भडार गंधांक | ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत् नाम आ.का ८४ सीमन्धरस्वामीस्तवन ......
१०११ ० सुबाहुसंधि ....................... पुन्य सागर............... त.का. ५२४० सुंदरविलास ........ सुंदरदास
४२० सुबाहुसंधि .... सुंदरशृंगार .......
३७३ सुबाहुसंधि
पुण्यसागर .... जि.का २०१५ ० सुंदरशृंगार ...... राजसुंदर कवि..
४२०/३० सुबुद्धिचोवीसी ......... भगवतीदास.... सुकृतरत्नावली सह व्याख्या .... उदयरंगमुनि .....
सुबोधिका टीका + सारस्वत टीका. चंद्रकीर्ति +क्षेमचंद्र ... सुकृतसागर ............ सुकोशलऋषिसज्झाय .......... विद्याचारित्र.
लों.का ३८४ सुबोधसत्तरी सार्थ .............. जि.का ६०६/९ ० सुकोशलमुनिभास...........
सुभद्रासती चौढालीया ...........मानसागर ............. जि.ता २८२ सुखबोधासामाचारी.............श्रीचंद्रसूरि
सुभद्रासतीचउपई त्रूटक .........
...........र.१८२५ त.का. ०६२ सुगमविवाह शोधनक्रिया ........ |....१८८५
.....ले.१८२८ जि.ता. १५६/२८ ० सुगुरुगुणसंथवसत्तरिया ......... सोमचंद्रसूरि ...............११९२/१०४.१०९
सुभाषित पद्यसंग्रह जि.का १३४/१६ ० सुगुरुदांगउउ ......
२०-२१ आ.का २०७ सुभाषित पद्य संग्रह ....... जि.का १३४/१७ 0 सुगुरुदांगडउ ................... जिनप्रभसूरि
२१-२३ डूं.का. ५७१ सुभाषित श्लोक.. लो.का ४३९ सुत चउपई
समयसुंदर .... ........१६७२ .... १-९ डूं.का. १८५ सुभाषित संग्रह लों.का ५३८ सुदर्शनकथा.
...२-७ डूं.का. ८९९ सुभाषित सार्थ ............. जि.का ८४९ सुदर्शनष्ठिरास
मुनिसुंदरसूरिशिष्य.
.... १० जि.ता.४००/५ सुभाषितपद्यसंग्रह त.का. ४०५ सुदर्शनसेठरास
उदयरंग. ....१६४२
९५० सुभाषितपद्यसंग्रह जि.का ६८० ० सुधानिधियोगविवरण यादवसरि
१९२४ सुभाषितप्रास्ताविकश्लोक ... जि.का ४२०/३५ सुपंथकुपंधपच्चीसी भैया..
७६-७९ जि.का ५५० सुभाषितश्लोक ...... जि.का ४२०/५७ सुपनबत्रीसी ...
भगवतीदास.
९-११० जि.का ४०४ सुभाषितश्लोकसंग्रह .... जि.का ५९२० सुपात्रदानादिविषयककथासंग्रह
....१५६५
सुभाषितश्लोकसंग्रह ...... त.का.२८ सुपार्श्वनाथचरित्र ....
० सुभाषितश्लोकसंग्रह .......... जि.ता ३९६/१ सुपार्श्वनाथचरित्र ...
० सुभाषितषट्पंचाशिका
...............१३०० (सुपासनाह परियम्)
सुभाषितसंग्रह ......... जि.ता. २५१ सुपार्श्वनाथचरित्र गाथावद्ध अपूर्ण... लक्ष्मणगणि.. ...............१४००
सुभाषितसंग्रह .......... |जि.का ६१८ सुबाहुकुमाररांस, अपूर्ण ........
.... ३ जि.का १९२०
सुभाषितसंग्रह जि.ता. २२४/१ . सुबाहुचरित
..१२०० ... १५||त.का. ११०३ सुभाषितसंग्रह जि.का ८०८/४ 0 सुबाहुसंधि पुण्यसागरोपाध्याय .........१६७४
सुभाषितसूक्तावली ...............
................१८५३
ANNA
..१६९९
..........१५२६
f-.....२२८
३९७/२
Jain Education international
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________________
भंडार| ग्रंथांक
संवत्
२३-४०
..... ११
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १-४९१ ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता संवत्
ग्रंथर्नु नाम नाम
कर्ता संख्या
संख्या जि.का/७३६ सुभाषितावलि.
जि.का ४२०/५८ सूआबत्रीसी ........
भगवतीदास............. .१७५३/११०-१११ डूं.का. १३६५ सुभाषितबावनी..
जीनचंद्रसूरि ... त.का. १०८९/A सूक्तमाला
...१८९६ इं.का. १३३७ सुभाषितसंग्रह.
जि.का २६१/३ ० सूक्तसंग्रह इं.का. ९५४ सुभाषितसारोध्धार ............... विजयचंद.
|४०५० सूक्तावली जि.का ८९९ सुभाषितसंग्रह ..
सूक्तावली अपूर्ण ............. जि.का १९२३ सुभाषित ..
लो.का २२७ सूक्तिमाला त्रुटक .............. था.का ४८० सुमतिकुमाररास तथा.......
लो.का २६३ सूक्तिमुक्तावली त्रूटक ........... सनत्कुमार चौपई
लो.का ६१३ सूक्तमाला अपूर्ण .... लों.का. ४१४/१ सुमतिपच्चीसी ........
छटा पाना
० सूक्ष्मार्थविचारसारचूर्णि ........ त.का. ३९५/० सुमित्रचरित्र
जि.ता.१५०/८
| सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण ....... सूक्ष्मायविचार
जिनबल्लभगणि .............१३०० १७०-१८५ लो.का-५८७ सुरप्रियऋषिचौपई ....
(सार्धशतक) डूं.का. १०८५ सुरप्रियराजर्षिचरित्र . ........... दानचंद्र
१७२५
जि.ता. ४००/ १ ० सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण- ......
..१२०० जि.का १६६५ सुरसुंदरीकथा टिप्पनकसह ...... धनेश्वरसूरि ...............र.१०१५
सार्द्धशतकप्रकरण .ले.१५०३
जि.ता.४१५/
४० सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण- ....... जिनवल्लभगणि जि.का १०१३ सुरसुंदरीरास .................... नयसुंदर ................ .र.१६४४. .स. १७
सार्धशतकप्रकरण .ले.१७०७
जि.का २०८०सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण ...... जिनवल्लभगणि जि.का १९८६ सुरसुंदरीरास ..................... नयनसुंदरजी 1. र.१६४४
सार्धशतकप्रकरण टिप्पणीसह जि.का ७७ सुरसुंदरीरास अपूर्ण ............. नयनसुंदर ............
|पंचपाठ लों.का ५१७ सुरसुंदरीरास त्रूटक.............धर्मवर्द्धन ................ .र.१८२६ .....२-१६ | जि.का १३२४/१ ० सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण ....... चक्रेश्वरसूरि ...............
..... ७31 .ले.१८२६
जि.ता १८६ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणवृत्ति सह ..... १३४/११Dसुलसआराधनाप्रकरण
..१५-१७ जि.ता.१६/१ . सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण- ...... जिनवल्लभगणि ...... जि.का ११०६ सुव्रतष्ठिकथानकवालावबोध ...
..१७८४
सार्द्धशतकप्रकरण जि.का १८२१ सुश्रुतसूत्रस्थान .................
-- २४ इं.का. २३१ सूक्तरत्नावली .................... विवेकविजय -पं..... जि.का ५९१ 0 सुसढचरित्र ......................
| जि.का ३८७० सूक्तसंग्रह-सम्यकचकौमुदीइं.का. १३२४ सुसडचरित्र.........................
कथागत आ.का. १९७ सुसढचरित्र .....................
..९ इं.का. ४३ सूतक सज्झाय........... त.का. ४८ सुहविवाग...................... जिनहर्ष
१७०८
५ त.का. २३२ सूत्रकांगसूत्र सह टब्बार्थ |जि.ता. १९१/११ ० सुभाषितगाथा ................
सूत्रकृतांग सस्तबक........
जि.का, १३५८
सूत्रकृताग
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Page #540
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________________
भंडार
ग्रंथांक
पत्र
भंडार नाम
.....१-६५
२१५
४९२ - सर्व ग्रंधों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत्
ग्रंथांक नाम
ग्रंथy नाम
कर्ता | संवत् संख्या
संख्या हूं.का. ५०३ सूत्रकृतांग सह बालावबोध ......जीवणजी -ले........ ...१७९८. ......१३३||लों का १४ सूत्रकृतांगसूत्र प्र.श्रुतस्कंध ...... पार्धचंद्र उ. -टी.............. लों .का. १५४ सूत्रकृतांग सूत्र सह टवार्थ ......
...१८६८
सह बालावबोध त्रूटक जि.का १४०२ सूत्रकृतांगनियुक्ति.
लों.का १६ सूत्रकृतांगसूत्र प्रथम श्रुतस्कंध.....
१-८३ लो.का. १५९ सूत्रकृतांगनियुक्ति ...
सहबालावबोध आ.का.२८२ सूत्रकृतांगनियुक्ति
लों.का १५० सूत्रकृतांगसूत्र प्रथम द्वितीय .....पार्धचंद्र उ.टी. ... जि.ता.१४७/११ ०| सूत्रकृतांगपर्याय
१०३-१०५
श्रुतस्कंध त.का. ६३५ | सूत्रकृतांगबालावबोध.
१३५१ ० सूत्रकृतांगसूत्र प्रथमश्रुतस्कंध ......... आ.का. ३०५ सूत्रकृतांगवृति
५८ जि.का ८९७ सूत्रकृतांगसूत्र प्रथमश्रुतस्कंध ...........
सस्तबक ० सूत्रकृतांगवृत्ति
..........१६६८ ......२५८ थाका २५४ ० सूत्रकृतांगवृत्ति
शीलांकाचार्य ................१६७०..... २९८
जि.का ८९८ सूत्रकृतांगसूत्र प्रथमरकंध था.का २५६
शीलांकाचार्य............................. २८० | सूत्रकृतांगवृत्ति
सस्तबक
IL... ० सूत्रकृतांगवृत्ति
सूत्रकृतांगसूत्र मूल .............
१-५१ अभयदेवसूरी
सुधर्मारवामी. जि.ता.५/१ . सूत्रकृतांगसूत्र ..
१-३३ सुधर्मास्वामी
सूत्रकृतांगसूत्र मूल
.....१५०० जि.का ५
सूत्रकृतांगसूत्र मूल त्रूटक ...... सुधर्मास्वामी .............|
सुधर्मास्वामी ० सूत्रकृतांगसूत्र ..
सूत्रकृतांगसूत्र मूल सह ........ पाचचंद्र उ.-टी. .....
बालावबोध ० सूत्रकृतांगसूत्र .. सुधर्मास्वामी
| सूत्रकृतांगसूत्र श्रुतस्कंध सह जि.का ६४४ सूत्रकृतांगसूत्र ...................सुधर्मास्वामी
बालावबोध बेटक जि.का १३५३ ० सूत्रकृतांगसूत्र
सूत्रकृतांगसूत्र सह नियुक्ति ...
...६१ जि.का १३५४ ० सूत्रकृतांगसूत्र
था.का २५५ सूत्रकृतांगसूत्र सह नियुक्ति
... ५३ जि.का १३५२ | सूत्रकृतांगसूत्र
लों.का १२६ सूत्रकृतांगसूत्र सह बालावबोध.....
.....१-७ आ.का.९ सूत्रकृतांगसूत्र
...... ४१ जि.का ६२ सूत्रकृतांगसूत्रचूर्णी ..
...............१४८८८(१९९२त.का. ११५ सूत्रकृतांगसूत्र गणधर ....................... १७६४
...२०८९) जि.का ९९५ सूत्रकृतांगसूत्र अपूर्ण.....
६३| जि.का ६ ० सूत्रकृतांगसूत्रनियुक्ति ............ भद्रबाहुस्वामी
.. ३(१८४जि.का. १४०२ सूत्रकृतांगसूत्र तथा भद्रबाहुस्वामी क.............१५६६
.... १८६) सूत्रकृतांगनियुक्ति जि.का १३००/४० सूत्रकृतांगसूत्रनियुक्ति ........ भद्रबाहुस्वामी
६६-७५ लों.का १२ सूत्रकृतांगसूत्र द्वि.श्रुतस्कंध ..... सुधर्मास्वामी-क. ................ . ३४-८५||जि.का १३५५ ० सूत्रकृतांगसूत्रनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी जि.का ३३९० सूत्रकृतांगसूत्र द्वितीयश्रुतस्कंध ...
३४ जि.का. सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति
शीलांकाचार्य..
४(१८७सस्तबक त्रिपाठ
३२२)
का ११
.१-५३||लों का १३
(१६२-लों का १८
............
५५//न.का/
EMEMEEEEEE
For Private & Personal use only
Page #541
--------------------------------------------------------------------------
________________
भडार नाम
संख्या
३८
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ . ४९३
पत्र ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संवत
भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
कर्ता | संवत् संख्या
नाम जि.का १३५६ ० सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति .............. शीलांकाचार्य-वृ. ...
जि.का ५००/१ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण ........जिनवल्लभगणि ............. जि.का १३५७ ० सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति ........ शीलांकाचार्य-टी...
२०९ ० सूक्ष्मार्थविवारसारप्रकरणटिप्पनक ... जि.का ४५३ सूत्रकृतांगसूत्रसस्तबक अपूर्ण ......
• सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रवृत्ति .............. मलयगिरि आचार्य ..... जि.का २१६ ० सूत्रकृतांगसूत्रावचूरि अपूर्ण....
था.का. १७९
१७९ ० सूर्यप्रज्ञप्तिवृत्ति ........... मलयगिरि-टी........ ३६१० सूत्रकृतांगसूत्रगत आर्द्रकीय ........
११ लो.का २१९ सेठ सुदर्शन अर्जुनमाली ..... आदि अध्ययन
चौढालिया ता/५/ २ ० सूत्रकृतांगसूत्रनियुक्ति ........... भद्रबाहुस्वामी ...
५४-५८ जि.का ३९९/५ ० सोलसतीस्तवन ० सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति अपूर्ण ....... शीलांकाचार्य,
...४१४ त.का. २३९ सोलहस्वप्नसज्झाय........ जि.ता/५/ ३ ० सूत्रकृतांगसूत्रवृत्ति किंचिदपूर्ण.. शीलांकाचार्य .....
९-३५६ त.का. ८१६ सोलहस्वप्नसज्झाय........ त.का. ११३६ सूत्रकृताङ्ग सह टब्बार्थ ......
५-७३ जि.का १९९८ सौंदर्यलहरी................. शंकराचार्य ............ लो.का ५०२ सूत्रग्रंथ (जीर्ण) त्रूटक
१-६१ इं.का. ६५९ सौन्दर्यलहरी टीका ............ शंकराचार्य ........... जि.का १८२० सूत्रस्थान-वैद्यकग्रंथ ..
३-३२ इं.का. ३४८/१ सौभाग्यपंचमी, मौन.... त.का. ११७ सूयगडांगवृत्ति... अभयदेवसूरि
एकादशी कथा बूं.का. |४३३ सूयडांगसूत्र-बीजो श्रुतस्कंध ..... पुण्यसोम,
सौभाग्यपंचमी कथा अपूर्ण .......... था.का. १७८ ० सूयर्पज्ञप्तिसूत्र
सौभाग्यपंचमी व्याख्यान. इं.का. २३३ सूर्यकल्प ......................... वेलचंद -पं.ले..........
सौभाग्यपंचमी व्याख्यान.......... जिनहर्ष..... सूर्यचंद्रसारणी................... त्रिविकम दैवज्ञ .......
... १३ त.का.
सौभाग्यपंचमी व्याख्यान ....... 1५००/8 ० सूर्यप्रज्ञप्ति ...................... गणधर .............
सह टब्बार्थ जि.का ६४ सूर्यप्राप्तिउपांगसूत्र................................. .....१५(२१९९-/ लों.का. ३९० सौभाग्यपंचमी स्तवन .............समयसुंदर,
... २२३३)| त.का. ३०६ सौभाग्यपंचमीकथा - अक्षयतृतीया, जि.का १३९४ सूर्यप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र
.१०२
+ मेरुत्रयोदशीकथा जि.का ६५ सूर्यप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति ........ मलयगिरि आचार्य ...........१४८९ ३(२२३४-||त.का. |३९३ सौभाग्यपंचमीव्याख्यान कनककुशल .............
२३३३)। त.का. ९९७ सौभाग्यपंचमीव्याख्यान हरखविजय जि.ता.३४/१ • सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र
१-१०१ त.का. १२४३ सौभाग्यपंचमीव्याख्यान कनककुशल जि.ता.३५ • सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रवृत्ति अपूर्ण ........ मलयगिरि आचार्य ...........१४०० २७६ डूं.का. २९४ सौभाग्यपंचमीस्तवन
समयसुंदर. आ.का १५९ सूर्यमंडलगतिकोष्टक ........
था.का. ४६८
सौभाग्यपंचमीस्तवन. समयसुंदर.. जि.का ८०६ ० सूर्यसहखनामस्तोत्र-स्कंदपुराणगत
त.का. १२८० सौभाग्यपंचमीस्तवन सूर्यस्तोत्र........
डूं.का. ३११ सौभाग्यपंचमीव्याख्यान ......... | विजयसुंदर गणि .......
...............
११३
इं.का. ५९७
जि.का १९७३
..४०
१६५५
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Page #542
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४९४ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम • परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
संवत् । सप
भंडार| ग्रंथांक
| नाम आ.का २११ था.का ४५५
त.का. ३३६
त.का. ८२६ त.का. १८२
जि.का.२१०२ जि.ता ४१३/१
वचार ............
जि.ता ४१३/२
जि.का/८०६ डूं.का. ९७० त.का. १७५ लूं.का. ३१४/१ त.का. १०२०/० त.का. ९५५ डूं.का. १२०४ डूं.का. १२०७ इं.का. १२१० ई.का. १२११ ई.का. ४६४
ग्रंथनुं नाम कर्ता
ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
संवत संख्या नाम
संख्या सौभाग्यपंचमीव्याख्यान .................
जि.का २०५३ स्तवनचोवीसी ... ............. ज्ञानविमल .... सौभाग्यपंचमीस्तवन..
डूं.का. १३३५ . स्तवनसंग्रह ... सौभाग्यपंचमीस्तवन ............/कान्तिविजय .................१८७१
लो.का ७१२ स्तवनसंग्रह ...
पूर्वाचार्य सौभाग्यपंचमीस्तवन ........... | सौभाग्यपंचमी व्याख्यान ......... विजयसेनसूरिशिष्य.........
डूं.का. १३०९ स्तवनसंग्रह अपूर्ण ................. कनककुशल
त.का.१०१४ |स्तवनसज्झाय सौलस्वप्नविचार
त.का.८०२
स्तवनादिसंग्रह ० स्कंदपुराण उत्कलखंडगत ..........१९१० .....१-८५ आ.का ६५ |स्तवनावली...
झानविमल ...... पुरुषोत्तम माहात्म्य पूर्वार्द्ध
त.का. ३३८ •स्तुति संग्रह .. २०मा अध्याय पर्यंत
त.का.८८१
• स्तुतिटब्बार्थ ... ० स्कंदपुराण उत्कलखंडगत
त.का. ११९४ • स्तुतिस्तवन पुरुषोत्तममाहात्म्य उत्तरार्द्ध ...
.......१९१०५..८६-१६५ त.का.
त.का. ९६९
• स्तुतिस्तवनसंग्रह...... स्कंदपुराणगत ....
बूं.का. ८११/४ स्तुतिसंग्रह ...... | स्तंभन पार्श्वनाथ द्वात्रिशिका
लों.का ७०६ स्तोत्र संग्रह ......................मानतुंग सूरि,.... स्तंभन पार्धनाथ स्तवन..............
............ अभषयदेवसूरि आदि स्तंभन पार्श्वनाथ स्तुति
त.का. ६६८ स्तोत्र संग्रह .. | स्तंभनपार्श्वनाथ
त.का. १२०० स्तोत्रप्रकरण ....... स्तंभनपार्श्वनाथस्तोत्र.
जि.का. १६४१ स्तोत्रसंग्रह......... | स्तवन (गुटका)
जि.का. १२५९ स्तोत्रस्तवनादिसंग्रह ................. स्तवन (गुटका)...
त.का.७५५ स्तोत्रादिसंग्रह | स्तवन (गुटका)
डूं.का. |१००५ स्त्री रीउ असज्झाय .....---- स्तवन (गुटका)
जि.का २००४ स्त्रीसंयोगबत्रीसी... स्तवन संग्रह
डूं.का. ९३५ स्थंभन पार्श्वनाथ स्तवन ......... कुशल स्तवन संग्रह ..
डूं.का. |३८६ स्थंभनपार्श्वजिनस्तवन अपूर्ण .... स्तवन संग्रह ....
डूं.का. ३२२ स्थंभनपार्श्वनाथ स्तवन ......... लक्ष्मीसिद्धिसाध्वी स्तवन सज्झायथोय विगेरे संग्रह ..
था.का.४६९ स्थंभनपार्श्वनाथस्तवन .......... स्तवन,सज्झाय,रास,चोपाई. जि.का १३१०/३ |स्थविरावलि ...............
२२२५ प्रतिक्रमण अने नवस्मरण आदि..गुटकाओं
जि.का ७९१ स्थविरावली ...... स्तवन-सज्झाय-संग्रह ........... पूर्वाचार्य
||.का. ४४ स्थविरावली...... .......... समयसुंदर ...................१८७५ /.......२२
का ७२८
१९७९
૨૨૬૬ लो.का ११
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________________
भंडार
नाम
ग्रंथांक
डूं. का. ६४६ जि.का २०१४
था. का. २४९
था. का. २५१
था. का. २५०
था. का २५२
जि.ता ७/१
जि.का. ८
जि.का, २३६
जि.का ४७३ जि.का १३५९ जि.का १३६० जि.का १३६१ त. का. ११६
जि.का. ६१२ लों का, १९४
लों का, २१
लों का, १२७ जि.का ७९५
जि.का., २०४६
जि.का १३६२ जि.का १३६३ जि.का. १०
जि.का ९
ग्रंथनुं नाम
स्थविरावली स्थविरावलीस्वाध्याय
स्थानांग सूत्र.
० स्थानांग सूत्र. स्थानांगवृत्ति
• स्थानांगवृत्ति
० स्थानांगसूत्र
० स्थानांगसूत्र
कर्ता
जितरंग सहजकीर्ति
अभयदेवसूरि
अभयदेवसूरि
सुधर्मास्वामी
सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी
०
स्थानांगसूत्र.
D स्थानांगसूत्र. स्थानांगसूत्र.
० स्थानांगसूत्र. ● स्थानांगसूत्र. स्थानांगसूत्र स्थानांगसूत्र अपूर्ण स्थानांगसूत्र त्रुटक स्थानांगसूत्र मूल. ० स्थानांगसूत्र सटीक स्थानांगसूत्रचतुर्थस्थान सस्तबक अपूर्ण स्थानांगसूत्रना बोल
● स्थानांगसूत्रवृत्ति
● स्थानांगसूत्रवृत्ति.
● स्थानांगसूत्रवृत्ति द्वितीय खंड... अभयदेवसूरि
• स्थानांगसूत्रवृत्ति प्रथम खंड
अभयदेवसूरि
गणधर
सुधर्मास्वामी
सुधर्मास्वामी
अभयदेवसूरि-टी. अभयदेवसूरि.टी.
संवत्
....
१८५३
१६६९
१६७१
११२०
पत्र भंडार संख्या नाम
. १६२३
३३०
३११ लों का, २० १-८७ जि. ता. १४७/१२ १४८९.३९ (३२३- त. का. ६६४ ३६० ) |
....
१५७०......
ग्रंथांक
२२ जि.का १३६७ .२ जि. ता. ६
९२
८६ जि. ता. ७/२
५८ त. का. ८९१ १५४ त.का. ९३० ९३-११९ त. का. १९९३ ७७ था. का. ३९९ १०४ जि.का ६०४ ७४ त.का. ६४३ ४१ त.का. ८१९ १-२४ जि.का ८७३/५ १-१३० जि. ता. १६०/९ . का. १०११
१-२५६
२०
C...
. ११२०.९० (४२१५१०) . ६० (३६१ ४२०)
● स्थलिभद्र और मुहपत्तिसज्झाय
स्थलिभद्रफाग स्थलिभद्रफाग स्थलिभद्रफाग
● स्थूलभद्र स्वामिचरित्र स्थूलिभद्रएकवीसु स्थूलिभद्रनवरसा स्थविरावली
------
• स्थविरावली (नंदीसूत्रगत ) स्थविरावली पर्युषणा कल्प अपूर्ण स्थूलिभद्र नवरसा स्थूलिभद्र नवरसा + नेमराजुलनी सज्झाय २५५ जि.का १३१७/२३ ० स्नपनविधि २१२ त.का. २३०
.....6
लूं. का. २२२ था. का. १३७ था. का. २९३ आ.का., ३४ जि.का. ६९३
हूं. का. ६७२ डूं. का. ४४१
ग्रंथनुं नाम
• स्थानांगसूत्रवृत्तिसह ● स्थानांगसूत्रवृत्ति
• स्थानांगसूत्रवृत्ति
स्थानांगसूत्र मूल ० स्थानाङ्गपर्याय ० स्थानाङ्गवृत्ति
स्नातस्याप्रकरण सह अवचूरि स्नात्र अने अष्टप्रकारीपूजा स्नात्र अभिषेक विधि स्नात्र विधि (बृहत् ) स्नात्रपंचाशिका
• स्नात्रपूजा
अभयदेवसूरि अभयदेवाचार्य
अभयदेवाचार्य
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १४९५
कर्ता
संवत्
पत्र संख्या
सुधर्मास्वामी
...
लावण्यसमय. उदयरत्न
देववाचक
देववाचक
उदयरत्न
उदयरत्न
विवेकहर्ष नेयनंद पं.
हर्षनंदनगणि
.११२०.३५३
र. ११२० .ले. १३०० र. ११२० १.३४९ .ले. १४८६
१८८३
. १८२०
....
३४९
. १८६२
१-१६८ १०५-११४ .. ८८(२८११२) .२
१९९९
२१-२४
१३०० १०१-१०५
.....३
२-२५
४
१२
.८ २
८२
३
६
१८२-१९३
.४ १५
१२
७
१०
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________________
भंडार| ग्रंथांक
कर्ता
संख्या
...५३
.........
..१४००
....१२१५
४९६ - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट । भंडार
पत्र ग्रंथांक | ग्रंथर्नु नाम | नाम
संवत्
ग्रंथy नाम
| संवत् नाम
संख्या डूं.का. ३४७ | स्नानपूजा ..................
|जि.ता/४०५ स्याद्वादरत्नाकर प्रथमखंड ....... वादी देवसूरि स्योपश........१३००.......३७३ त.का. १०२५ स्नात्रपूजा.....
....१८७६
|जि.का १३४२ स्याद्वादरत्नाकर सावचूरिक... जि.का २१३७ ० स्नात्रविधि ....................... देवचंद्र
त्रिपाठ डूं.का. १७/४ स्नात्रविधि
डूं.का.८६३
स्याद्वादस्तवन त.का. ९८० स्नात्रविधि
डूं.का.८११/३ स्यावाद सज्झाय.. त.का. १०२३/- स्फुट धार्मिकक्रियाविधि पन्ने ......
जि.का १२५५ 0 स्वप्नचिंतामणि था.का. ३८७ स्फुट स्तवन स्तुति स्तोत्र ......
२ जि.का १६२६/६ स्वप्नसप्ततिका .. पत्र व लघु ग्रंथ
जि.ता.२१९
० स्वप्नसप्ततिका वृत्तिसहित अपूर्ण . डूं.का. १३५३ स्फुट स्तवन स्तुति स्तोत्र व. ..
(७ से १२)||जि.का १३३/२१ ० स्वप्नसप्ततिकागत अधिकार ...
..............१९८३|...४७-५१ लघुग्रंथ अपूर्ण .....
सटीक था.का. ३४२ स्फुट स्तवन स्तुति स्तोत्र ..............
२ जि.का. १३१७/३ | स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण .......... पत्र व लघु ग्रंथ
स्वप्नसप्ततिकाप्रकरण सावचूरि आ.का. ३७० स्फुटरतवनस्तुति स्वाध्याय ..
| जि.ता.१५४/१९० स्वप्नसप्ततिकाप्रकरणगत पत्र व लघुग्रंथ
| गाथा सटीक त.का.|१३०२ स्फूट अपूर्ण लघुग्रंथ अने
|जि.का. २०६१ स्वरोदय .... त्रुटक पाना
जि.का २०३४ स्वरोदय...... आ.का.३६३ स्फू ट पन्ने ...............
बूं.का. १२७१ स्वरोदय. त.का.|१३०४ स्फूट स्तवन स्तुति स्तोत्र
डूं.का. ९८७ स्वरोदय सह वार्तिक अने लघुग्रंथ
जि.का २१०७ स्वरोदयविचार ... आ.का-३६५ स्फूट स्तवन स्तुति स्तोत्र ....
डूं.का. |१३५८ स्वरोदयविचार ........... पत्र व लघुग्रंथ
जि.का २११९
स्वरोदयसिद्धि....... त.का. ९९२ स्फूटस्तवन सज्झाय लघुग्रंथ ..
डूं.का. ६५ स्वर्गयोध .....
नागार्जुन.. जि.का १६९३ ० स्मरणस्तोत्रादि सार्थ कल्प सह
५.का. १३९३ स्फुट अपूर्ण लघुग्रंथ व त्रूटक पन्ने जि.का १३२० स्मरणस्तोत्रत्रिक ......
J....१४००-२४२-२४६ आ.का.२४२ स्फू ट स्तवन ............... जि.का १४५४ | स्मरणादि
लों.का,१४३ संग्रहणिसूत्र सह बालावबोध .... |१३२६/२५० स्मरणास्तोत्र
जिनदत्तसूरि २३४-२३६ २०६ सङ्ग्रहणी
श्रीचन्द्रसूरि स्यादिशब्दसमुच्चय अमरचन्द्र
...१-४२ ११८५ सप्तदशशते तृतीय जि.ता.३०४ स्यायंतप्रक्रिया सर्वधरोपाध्याय .......
समवायांगसूत्रवृत्ति .............. जिनहर्षसूरि .............. ९९४ स्याधंतप्रक्रिया
सर्वधर ......................१५२८....... ५४||.का. ९६४ सूक्तावली ............
३३८
२१
५०७
जि.का लौ.का २५९
EF
इं.का.
..१२०७
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________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
डूं.का. १२५० लों.का. १९ डूं.का.३३३ डूं.का. १०६९ डूं.का. २३६ ५.का.|१०८० त.का. ४०१
..११६९ ...१९८३
जि.का. १९९३
..१६३५
जि.का.२२१८ जि.का.२१७३ जि.ता ३५९/१ .का. १३०३
सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १-४९७ पत्र भंडार ग्रंथनुं नाम कर्ता
ग्रंथांक संवत
ग्रंथर्नु नाम कर्ता
पत्र संख्या | नाम
संवत्
संख्या सौभाग्यपंचमीकथा ........
जि.का ३१९ हरियालीगीत ... स्थानांगसूत्र मूल................ सुधर्मास्वामी
....१६६३
...९-१५१ लों.का./१८६ हरिवंश प्रबंध (डाल सागर).....गुणसागर ................ ...र.१६७६ ....१-१३४ स्नात्रविधि सूर्यविजय-ले.
...............ले.१९०३ हंसराज + बच्छराजचौपई.
३५ त.का. ४२० हरिवंशकुल विचार हंसराज कथा ........१८७६ ...२९ जि.का/२२३२ हरिवंशपुराण .....
.१७२७ .२०१-३९६ हंसराज बच्छराज चौपई........ विनयमेरुमुनि
२२ जि.ता.१७१/८ हरिवंशपुराणगत उद्देशद्वय ....... हंसराज बच्छराजचौपाई........ जिनउदयसूरि
३३| जि.का १३५ हरिवंशपुराणगत उद्देशद्वय ...... खरतरगच्छ त.का. १२४५ हरिवंशप्रबंध ......
डालसागर .... हंसराजवच्छराजयोपाई अपूर्ण- .. ............१६४७.....१२-२५ त.का. ५३२ हरिवंशप्रबंध (ढालसागर).......- गुणसागरसूरि .......
१८२२ Jटक
त.ता. हरिविक्रमचरित्र ................. जयतिलकसूरि......
१४१५ हनुमंतवज्रकवच........ डूं.का. ९४३ हरिविक्रमचरित्र ................. जयतिलकसूरि ..........
.१८६० हनुमन्नाटक ............... हनुमंत.
जि.का ६२५
हलायुधनाममाला पंचमकांड....हलायुध .......... हम्मीरमदमर्दननाटक ............जयसिंहसूरि ...............१२८६
जि.का १८१० हारितोत्तर वैद्यकग्रंथ अपूर्ण .....! हर (हरि रस)
१२) डूं.का. ९१४ हिंसाष्टकसावधूरि ..............! हरिभद्रसूरि..
लों का ४८२ | हिंसाछंद + श्रावककर्तव्य ......... पाल्हभाट हररस संपूर्ण
.....१० जि.का २०२२ हितशिक्षा .......................धरणसी हरविजयमहाकाव्य .............. रत्नाकरकवि .......
जि.का ७४४/२ | हितशिक्षाद्वात्रिंशिका आदि....../क्षमाकल्याण आदि..... वागीश्वराङ्क डूं.का. ६८८ हितोपदेश (सुभाषित श्लोक)
...१८४२ हरि रस ईसर इं.का. १२१९ हितोपदेश पंचाख्यान ........... रत्नसिंह
............. हरिचंद्र राजा चौपई .. रंगहर्ष
लों.का २५७ हितोपदेश भाषा त्रूटक .......... हरिचंद्रराजाधौपाई भालचंद्र गणि. ३८ जि.ता/ १७१/३ ० हितोपदेशकुलक ...
११६९ हरिबलचरित्ररास-विबुधप्रिया अपूर्ण महिमासमुद्रगणि ....
जि.ता. १७१/ ४ ० हितोपदेशकुलक .....
११६९ हरिबलचौपई .... जितविजय..
जि.का १३६/३ 0 हितोपदेशकुलक ..... हरिबलरास.................. जिनसमुद्रसूरि .....
जि.का १३६/४ 0 हितोपदेशकुलक ... वेगडगच्छीय जि.का ९७४ 0 हितोपदेशप्रकरण,
प्रभानन्दसूरि
.१९८४ हरिबलचरित्र...
त.का. २४० हितोपदेशसित्तरी
जिनचंद्र 0 हरियाली ........ लाभोदय
जि.ता. १५७/५ ० हितोपदेशामृतप्रकरण ... प्रभानन्दसूरि .........१३१०/२०७-२६१ हरियाली गीत + पुष्पमाला ...... संवेगराज
१५८९ डूं.का. ६१० हितोपदेशरत्नमाला ......
... १८-२३ हरियाली पार्श्वनाथस्तवन.....
डूं.का.७९६ हितशिक्षाद्वात्रिंशिका ......... क्षमा कल्याण ......
ढूं.का. ८५० जि.ता.४०८
....१८२७
लों.का. ६०४ डूं.का. |७०७ डूं.का. |१०८७ जि.का ७१९ त.का.|११४६ जि.का ४३१
I.....३M
त.का. ३६४ जि.का ३४९/५ आ.का. १४३ था.का. ४५७
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________________
४९८ सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम परिशिष्ट १
भंडार
ग्रंथांक
नाम
त. का. ८७६
डू.का. ५८
हूं. का. १०२६
हूं. का. ५२८
जि.का ४०१
आ.का. ८
डूं. का. ३९६
त. का.
१०१३ डूं. का. १०९७ जि.का २०५६
त. का. ५६८
लों का, २८६
लों का ३१६
डूं. का. ९०७ जि.ता, ३१२
जि. ता. ३१०
जि. ता. ३०९
जि. ता. ३११
-
ग्रंथनुं नाम
D हीरविजयनिर्वाणसज्झाय
• हीरप्रश्नोत्तरग्रंथ बीजक सहित हुंडीका ग्रंथ (१०२९ नी साथे छे) हुन्डीस्तवन अपूर्ण
हृदयप्रकाश
हेतुगर्भ प्रतिक्रमण विधि हेमनाममालाभिधान हेमराजबावनी हेमलिंगानुशासन विवरण हेमवातुपाठ
----
• हेमशब्दानुशासनन्यास
• हेमधातुकोष
• हेमधातुपाठ (व्याकरण)
अपूर्ण
• हम अनेकार्थकोश
कर्ता
विवेकहर्ष हीरविजयसूरी
लाभविजय
हृदयनारायणदेव जयचंद्रसूरि रामविजय
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्रसूरि
हेमपरिभाषासूत्रवृत्ति
• हम अनेकार्थकोश अनेकार्थकैरवा मू.क. हेमचंद्राचार्य. करकौमुदीवृत्तिसह तृतीयखंड
वृ.क. महेन्द्रसूरि मू. हेमचंद्राचार्य,
• हम अनेकार्थकोश
| अनेकार्थकैरवाकरकौमुदीवृत्तिसह वृ. महेन्द्रसूरि. द्विस्वरकाण्ड पर्यंत प्रथमखंड
मू.क. हेमचंद्राचार्य,
अनेकार्थकरवाकरकौमुदीटीकासह टी.क. महेन्द्रसूरि
| प्रथमखंड त्रिस्वरकांड १२६
श्लोक पर्यन्त
• हम अनेकार्थकोश
| अनेकार्थ कैरवाकरकौमुदीवृत्तिसह त्रिस्वरकाण्ड द्वितीय खंड
मू.क. हेमचंद्राचार्य, वृ.क. महेन्द्रसूरि
संवत्
. १८९६
. १७३८ २७
२१
. १२९
. १६२७ १७९६
१२८६
१३००
१४००
पत्र संख्या
१४००
३ त.का. १२२७ ३८ जि. ता. ३०७ जि.का १७६९ .८ जि.का ९५४ त. का. ५७३
.३
४४
भंडार नाम
ग्रंथांक
त.का. ११५१
जि.का १७१७
.७ त.का. ११४१ ४३+१८७ जि. ता. ३०६ = २३० १-१२ त.का. ५७७ ...... १-४ जि.का. १३७ .........C
त. का. ११६२
जि.का १०७१
२३९
था. का. ३६७ १३४ त. का. ५८३ था. का. १९
. २६४ जि.का १६५७ लों का ४५८ त.का. २२६ त. का. ३५५
• ३३६ त.का. ९०७ त. का. ९०८ त. का. ९०९
डूं. का. १२४१
ग्रंथनुं नाम
हमउणादि गणविवरण • हमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसह • हेमकाव्यानुशासनविवेक D हमधातुपाठ
हैमधातुपाठ सस्तबक
• हमधातुपाठ सहवृत्ति
● हमधातुपाठ सावचूरि पंचपाठ हैमन्यास
० हैमलिंगानुशासन अपूर्ण ० हैमलिंगानुशासन सहवृत्ति
● है मलिंगानुशासन.. स्वोपज्ञविवरणसह
हैमलिंगानुशासन हैमलघुन्यास द्वितीयाध्याय द्वितीयपाद पर्यन्त
हैमव्याकरण प्रथमपद समाधान ...
D हैमशब्दानुसासन
० हैमलिंगानुशासन.
होलिकाकथा पद्य होलिकाव्याख्यान
होलिकाव्याख्यान..
होलिकाव्याख्यान सह टब्बार्थ
होलीका व्याख्यान होलीका व्याख्यान होलीका व्याख्यान
● ह्रींकारमें पार्श्वनाथजी का चित्र
कर्ता
हेमचंद्राचार्य हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्रसूरी
हेमचंद्राचार्य
हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
हेमचंद्राचार्य हेमचंद्राचार्य
पुण्यराजगणि
संवत्
.१४००
१४९७
१४००
१५६५
. १६९७
१७८९
१९११
१७८५
पत्र संख्या
८४
.....८३ ११२ ९ १८
.....
४-८
४३
११
११
१०३
.५
९४ १०
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परिशिष्ट २-४९९
परिशिष्ट २ : जैसलमेर के सर्व ग्रंथभंडारों के ताडपत्रीय तथा कागज के ग्रंथों के कर्ताओं की अकारादि सूची
भंडार
भंडार | ग्रंथांक
भंडार
ग्रंथांक
भडा
| नाम
नाम
कर्तानुं नाम नाम जि.ता....८५/२.अगस्त्यसिंह स्थविर हूं.का.... ११९०-अग्निवेशऋषि त.का... ११५२.अजयसिंहमुनि जि.का... ८५५.अजितप्रभसूरि इं.का..... २३९/अजितप्रभसूसरि आ.का. ... १२४ | अदारंग लों.का... ६४९ / अदयानंद ई.का... ११६५, अनंतविजय जि.ता.... ३९०
अनिरुद्ध पंडित जि.का.... ७३. अनिरुद्ध पंडित जि.ता.... ३३९. अनिरुद्ध पंडित - वृ.क. लों.का ... २४९ /- अनुभुतिस्वरूपाचार्य .का. १०००/- अनुभूत स्वरूपाचार्य
|. १११८. अनुभूतस्वरूपाचार्य
|... २४६ - अनुभूति स्वरूपाचार्य लों का ... ४०८ अनुभूति स्यरूपाचार्य
|... ७०१ अनुभूति स्वरूपाचार्य .....६७ अनुभूति स्वरूपाचार्य .. १०४५ अनुभूति स्वरूपाचार्य
1. अनुभूति स्वरूपाचार्य .... ९११/- अनुभूति स्वरुपाचार्य .... ९१२/- अनुभूति स्वरुपाचार्य .... ८९५ / अनुभूति स्वरुपाचार्य ... २५८ . अनुभूतिस्वरूप ... २६०. अनुभूतिस्वरूप
२६४ . अनुभूतिस्वरूप
४५१ . अनुभूतिस्वरूपाचार्य ... ६८९ / अनुभूतिस्वरूपाचार्य
ETEEEEEEEEEEEEEEETEEE
कर्तान नाम नामा जि.का. १७२८. अनुभूतिस्वरूपाचार्य जि.का. १७३४. अनुभूतिस्वरूपाचार्य जि.का. १७३६ . अनुभूतिस्वरूपाचार्य जि.का, . १७३७, अनुभूतिस्वरूपाचार्य जि.का. २०२९ / अनुभूतिस्वरूपाचार्य लों.का ... २४८ अनुभूतिस्वरूपाचार्य त.का. .... ५१७/ अनुभूतिस्वरूपाचार्य जि.का, ... ५६१. अनुभूतिस्वरूपाचार्य जि.का. १७३८. अनुभूतिस्वारूपाचार्य लों.का ... २९४ . अनुभूति स्वरूपाचार्य त.का... १०४४. अनुभूति स्वरूपाचार्य डूं.का.... १०४०. अनुभुति स्वरुपाचार्य-क. डूं.का.....८७२.अनं भट्ट जि.का. १७९४- अनंभट्ट डूं.का.... १०९९ . अन्नंभट्ट-क. डूं.का..... १६६. अन्नभट्टोपाध्याय डूं.का. .... ७२७. अभयचंद गणि-ले..
. वाचकयशमुनि-क. २२३६/५ अभयचंद्र जि.का
अभयतिलकगणि जि.ता ....३३५. अभयतिलकगणि-वृ. जि.ता| ....३४० 1. अभयतिलकगणि-वृ.
.....५८/- अभयदेव आचार्य-वृ.
.....५९. अभयदेय आचार्य वृ. ७.का. .. १२५४ अभयदेव आचार्य जि.ता ...२१/५
.अभयदेवसूरि जि.ता . १५१/५/- अभयदेवसूरि जि.ता| १५६/२७. अभयदेवसूरि
ग्रंथांक कर्तार्नु नाम जि.ता १५६/३३.. अभयदेवसूरि जि.ता. १६०/११/. अभयदेवसूरि जि.ता. १७१/६ .. अभयदेवसूरि जि.ता . १९१/२ . अभयदेवसूरि जि.ता . १९१/३ .. अभयदेवसूरि |जि.का.......९.अभयदेवसूरि
.... १०. अभयदेवसूरि .... १२. अभयदेवसूरि .... १४. अभयदेवरि .... १६. अभयदेवसूरि ...१८/१,. अभयदेवसूरि
१८/२ . अभयदेवसूरि
१८/३ .. अभयदेवसूरि ...१८/४. अभयदेवसूरि
...१८/५/. अभयदेवसूरि जि.का. .... ७.. अभयदेवसूरि जि.का. १३३/११, अभयदेवसूरि जि.का. ११३/१५, अभयदेवसूरि जि.का.. १३४/५.अभयदेवसूरि जि.का.... २२६ - अभयदेवसूरि जि.का. . २२७/१/. अभयदेवसूरि जि.का. . २२७/२. अभयदेवसूरि जि.का.... २३४ - अभयदेवसूरि |जि.का.... ३५४- अभयदेवसूरि जि.का.... ४४१.अभयदेवसूरि जि.का. .६५४/१, अभयदेवसूरि जि.का.... ६५६. अभयदेवसूरि |जि.का. . ६८२/२. अभयदेवसूरि
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| ग्रंथांक
कर्तानु नाम जि.का.... ९८९.अभयदेवसूरि जि.का.. १२५२ . अभयदेवसूरि जि.का.१३२६/२१,. अभयदेवसूरि जि.का.१३२६/४०. अभयदेवसूरि जि.का.. १३७१. अभयदेवसूरि जि.का.. १४०६ - अभयदेवसूरि जि.का.. १५२२ - अभयदेवसूरि जि.का.. १५२३ - अभयदेवसूरि जि.का. . १६३३ - अभयदेवसूरि जि.का. २१६०/४. अभयदेवसूरि जि.का... १३६७ .. अभयदेवसूरि था.का. .... ९५ - अभयदेवसूरि था.का. ... ११३ - अभयदेवसूरि था.का.... १४७ .. अभयदेवसूरि का ... २५२ . अभयदेवसूरि
... २५८. अभयदेवसूरि ... २६०. अभयदेवसूरि ........२.अभयदेवसूरि ..... ५०..अभयदेवारि ..... ५३. अभयदेवसूरि ..... ५८. अभयदेवसूरि ..... ५२. अभयदेवसूरि .... ११४. अभयदेवसूरि .... ११७ | अभयदेवसूरि .... १८४. अभयदेवसूरि .... २४८. अभयदेवसूरि
६६६ - अभयदेवसूरि .... ८४४.अभयदेवसूरि
जि.का.
....
७२
555555EEEEEEEEEEE
5210
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________________
भंडार
ग्रंथांक
भंडार
नाम
EEEEEEEEEE
५०० - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २
कर्तानुं नाम त.का. .... ९६०-अभयदेवसूरि त.का. . १०२०/० -- अभयदेवसूरि जि.का .. १५५१ . अभयदेवसूरि था.का..... २८५ अभयदेवसूरि वृ. जि.ता ....३६३ अभयदेवसूरि तर्कपंचानन
.... ५३६ अभयदेवसूरि शिष्य . १३७०
अभयदेवसूरि-टी. . १३६२- अभयदेवसूरि-टी. जि.का.
. १३६३/. अभयदेवसूरि-टी.
१३८६ - अभयदेवसूरि-टी. का .. २२०५ . अभयदेवसूरि-टी. ता..१५४/१४, अभयदेवसूरि-भा.
.....४.अभयदेवसूरि-भा.
२२१७/१/ अभयदेवसूरि-मू. जि.का . १५२५/- अभयदेवसूरि-मू..
अब.क. कुलमंडनगणि जि.का. १३११. अभयदेवसूरि-मू.क.,
वृ.क.जिनपाल था.का.........३ .अभयदेवसूरि-वि.
....८७८. अभयदेवसूरि वृ.
९००-अभयदेवसूरि-वृ. १३६४ / अभयदेवसूरि वृ. १३६५. अभयदेवसूरि-वृ. १३७६ . अभयदेवसूरि-जू. १३७०/अभयदेवसूरि-वृ.
१३७८ | अभयदेवसूरि-वृ. . १३८१ | अभयदेवसूरि-वृ. का. ....४७०-अभयदेवसूरि-वृ.
:
EEEEEEEEEEEE EEEEEEEEEEEE
:
:
भंडार थांक
कर्तानुं नाम जि.का
|-१३६/६.अभयदेवसूरी बूं.का. ५.अभयदेवसूरी-टीका. जि.का १३१७/४. अभयदेवसूरि
.... ८२७ .अभयदेवसूरि ....८४८
. अभयदेवसूरि 1.अभयदेवसूरि .अभयदेवसूरि अभयदेवाचार्य अभयदेवाचार्य .अभयदेवाचार्य .अभयदेवाचार्य अभयदेवाचार्य अभयदेवाचार्य अभयदेवाचार्य अभयदेवाचार्य
अभयदेवाचार्य .१९/१ . अभयदेवाचार्य
अभयदेवाचार्य १९/४.अभयदेवाचार्य
१९/५.अभयदेवाचार्य ..१९/८.अभयदेवाचार्य
२१/१.अभयदेवाचार्य २१/२. अभयदेवाचार्य २१/३. अभयदेवाचार्य २१/४ | अभयदेवाचार्य
अभयदेवाचार्य
अभयदेवाचार्य ....२२/३/- अभयदेवाचार्य
SECREEEEEEEEEEEEEEEE
mm而别而而而而而而而可而而而甜而訂阳江阳阳阳阳阳
ग्रंथांक | कानुं नाम ...२२/४ अभयदेवाचार्य --२३/१. अभयदेवाचार्य २३/२. अभयदेवाचार्य
प.अभयदेवाचार्य २०९ .. अभयदेवाचार्य २०८. अभयदेवाचार्य-वृ.क.
१६.. अभयदेवाचार्य .....९/२. अभयदेवाचार्य ....१९/३ . अभयदेवाचार्य ....२३/३, अभयदेवाचाय
....४२९ - अभयदेवसूरि-टी. .ता .. १५५/३. अभयदेवसूरि-भा. डूं.का...... ७१०.अभयदेवसूरी त.का....... ४२.. अभयदेवसूरी जि.ता ....२२/५/. अभयदेवाचार्य था.का. .... २८७. अभयदेवसूरि-बू इं.का.
अभयसुंदर त.का......
अभयसूरि त.का...... ६४८. अभयदेवसूरी जि.का. .. १९६९ - अमरकीर्तिसूरि-टी. जि.का. ... ८२४, अमरचंद्र डूं.का.... १००01. अमरचंद्र आ.का ..... ७८ अमरचंद्र जि.का, ... २१२, अमरचंद्रसूरि जि.का ... २१३. अमरचंद्रसूरि जि.का. १७७०. अमरचंद्रसूरि जि.का ... २३१, अमरचंद्रसूरि स्वोपज्ञ जि.का... ३२५, अमरचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
भंडार धांक कर्तानुं नाम जि.का. . २२००. अमरचंद्रसूरि स्वोपज्ञ लों.का.... ५९.अमरचन्द्र जि.ता. १५५/१०, अमरचन्द्रसूरि जि.का ....८७४. अमरप्रभसूरि-वृ. डूं.का...... ९४६. अमरविजय
.का....... १२४. अमरविजय-ले. डूं.का.... १००१.अमरसागर जि.का. १७८४. अमरसिंह डूं.का...... ९३२ . अमरसिंह जि.का. . १७७९ - अमरसिंह-मू..
........... ....टी.क. भावोजी दीक्षित |जि.का. १७०७. अमरसिंह मू..
टी.क.भावोजी दीक्षित जि.का. १७७८. अमरसिंह-मू..
टी.क.भावुजी दीक्षित जि.का . १६५३ .. अमरसुंदर त.का...... ३६५ . अमरसुंदर जि.का ... २१९/. अमरुक कवि था.का..... १०. अमितगति आचार्य ५.का...... ८३६. अमृत पं. त.का.... १०६५, अमृतचंद जि.का, . १५३२. अमृतचंद्राचार्य-मू.. ......! टी.क.शुभचंद्राचार्य जि.का. २२३३ - अमृतचन्द्राचार्य-मू..
1.टी.क.देवेन्द्रकीर्ति डूं.का.... १०६१, अमृतधर्म-ले.. समयसुंदर-क. डू.का...... ६०८. अमृतविजय
का.-.... ३५० अमृतविजय
..१९/२. अमर
जि.का.... २००
जि.ता.....१९/
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कावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ -५०१
भिकार ग्रंथांक
भंडार नाम
ग्रंथांक
कर्तानु नाम
भंडार
प्रथांक
ग्रंथांक
कर्तार्नु नाम नाम जा.का..... ५८-अमृतसागरगणि रन..... १३६ - अमरसिंह जि.ता......३२३.अलक जि.का. १८१९. अश्विनीकुमार जि.का. १९९२ . आज्ञासुंदर त.का..... ३०४.आज्ञासुंदरोपाध्याय जि.का. .. १२०३- आनंद लौ.का..... ३२७/.आनंद विजय-ले. ई.का... १३२९. आनंदघन लों.का.... २९८ आनंदघन इं.का..... ५२५ आनंदघनजी जि.का. २०४१/.आनंददेव -टी.
.... ५१९ . आनंददेव वल्लम | ... ८४0 आनंदप्रमोद .... ५६३.आनंदवर्धन .... ५१६ - आनंदघन आदि ...७५२. अन्नभट्टोपाध्याय ..... १२१. आर्यरक्षित का.... १२२ आर्यरक्षित लो.का.... १२३
आर्थरक्षित जि.का.... ५० आर्यरक्षितसूरि जि.ता... १५१/२ आसड जि.ता... १५८/३ आसड जि.ता..१५८/१६
आसड जि.ता..१५९/११
आसड जि.का - १३४/२ आसड जि.का. . ३३०/४ जि.का १३२६/१५
जि.का. १९४/७.आसड कवि जि.का ....२६८.आसड कवि जि.का. १५७५.आसड जि.का. २०३६ . इंद्र हू.का... १०४९. ईन्द्रमाण मुनि इं.का... १२२५. ईश्वर -पं. जि.ता.- ३९१/३. ईश्वरकृष्ण जि.ता.. ३९२/१/-ईश्वरकृष्ण जि.ता...... ३९४ ईश्वरकृष्ण-मू.क. लों.का .... ६०४ ईसर त.का..... २७७. उत्तमचंद त.का...... ९९६. उत्तमविजय जि.का .. १०५० . उत्पलभट्ट-टी. जि.का .. १८५०. उत्पलभट्ट-टी. ढूं.का..... २२८. उत्पलभट्ट-. जि.का. १८४९. उत्पलभट्ट-टी., ....................बराहमिहिर-गू, हू.का..... २५.उदयतिलक जि.का . १७५८. उदयधर्मगणि-टी. जि.का .... .. उदयनाचार्य
का ... २६२. उदयप्रभसूरि जि.का. १८४७. उदयप्रभसूरि जि.का. २१९४ . उदयप्रभसूरि जि.का. १८७७. उदयप्रभसूरि था.का...... ४७. उदयप्रभसूरि ५.का... ३१४/१. उदयमुनि-ले. ५.का. .....६२०. उदयमुनि-ले. त.का..... ४०५. उदयरंग
कानुं नाम ..... १८. उदयरंग मुनि ..... २२. उदयरंगमुनि
..... ९८. उदयरंगमुनि ७.का...... उदयरत्न डूं.का...... ६७२. उदयरल लो.का .... २२१. उदयरल त.का...... ५२९. उदयरल त.का...... ८१९.उदयरल .... ११८. उदयरत्नमुनि-ले..
समयसुंदर-क.
१२. उदयवल्लभ था,का.... ३६९.उदयसागर
.उदयसागर गणि इं.का. उदयसागरसूरि जि.का ... ४०१ उदयसूरि बेगडगच्छीय इ.का.... १000 ..उदयसमुद्र उपाध्याय इं.का...... ४७८. उदयाकरणगणि-ले. जि.ता .... ३८२. उद्योतकर जि.ता......३५४. उपेन्द्रहरिपाल भट्ट-टी. त.का...... ६२८. उमास्वाति जि.ता... १६०/७/- उमास्वाति वाचक जि.ता.... १७२. उमास्वाति वाचक जि.का... ५४८ उमास्वाति वाचक जि.का . ६६८२ उमास्वाति वाचक जि.का... ८८८
..समास्वाति वाचक जि.का... ८८५
.उमास्वाति वाचक था.का .... ३६२. उमास्वाति बाचक जि.का. २१७८ उमास्वातिवाचक
कर्तानु नाम जि.का. १५३०. उमास्वातिवाचक |जि.का .. २१७८. उमास्वातिवाचक जि.का. ... ५४७. उमास्वातिवाचक स्वोपन जि.का. १५३१. उमास्वातिवाचक-मू.
|... १९१/४. उमास्वाति याचक
..... २४५. उमेदचंद्र का...... १८० उमेदविजय ... ४२५ उमेदविजय
५८६ - उमेदविजयगणि ४०९ऋषभदास ११२०.ऋषभदास १९५ 1.ऋषभमल्ल १७० ऋषमविजय १७८-ऋषमविजय ३३७. ऋषमविजय ७०२ ..ऋषमविजय
७२४.ऋषमसागर जि.का . १०९४ ऋषभसागर
.का...... ६०३ - ऋद्धिरत्न था.का..... ९१. कक्कसूरि था.का .... २२६ . कचराऋषि जि.का. . ८०८/२. कनककवि त.का...... ४०० कनककीर्ति जि.का...५७८.कनककुशल जि.का... ६०३ कनककुशल जि.का. १६५५. कनककुशल त.का.-.... ३९३/- कनककुशल त.का.... १२४३ . कनककुशल
EEEEEEEEEEEEEEER
आसड
भासह
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भिंडार | ग्रंथांक |
भंडार नाम
इं.का.....
५०२ - कर्तावार अकारादि सूची- परिशिष्ट २ नाम
कर्तार्नु नाम जि.का. १९९४ | कनकनिधान जि.का... १३७. कनकप्रभसूरि जि.का. : १७१४. कनकप्रभसूरि .... ३०२
.कनकप्रभसूरि |.... ९३५ कनकमुनि त.का..... ९९० कनकविजय था.का. ..४५९.कनकसार मुनि लों.का. ..... ३०. कनकसुंदरमुनि-टी. जि.का. १९८८/३.कनकसोम था.का..... १९९.कनकसोम इं.का... १२६८ . कनकसोमसुरि ई.का. ....७६४ कपुरा पं. डूं.का..... ३७४ कपूरचंद-ले., धरमशी-क. इं.का... १२१६ - कमलकीर्ति जि.का... ३१२. कमलप्रभसूरि ई.का..... १८२-कमलप्रभसूरि बूं.का... १००४. कमलमुनि-ले. था.का..... ३५७/- कमलविजय आ.का....५४/B. कमलविजय जि.का. . ११८८ कमलशील जि.ता..... ३७८-कमलशील आचार्य त.का....... ८२.कमलसंयम जि.का... ७०९कमलसंयमोपाध्याय जि.का. ... ९६०/- कमलसंयमोपाध्याय
|.... ३८२. कमलहर्ष लो.का..... २८५/- कर्णदेवोपाध्याय इं.का. .... ८०४. कर्मचंद्र त.का.....'८३६ कल्परत्नविजय
A
| ग्रंथांक । कानु नाम लों.का.... ४५९. कल्याणतिलक था.का.... ३५६. कल्याणतिलक गणि
1. कल्याणधर्म 1. कल्याणमुनि -ले. 1. कल्याणवर्म .कल्याणर्विजय
कल्याणविजयजी पं.-ले. इं.का..... ६८९ कल्याणसारमुनि
कविकालिदास - कस्तुरचंद्र कांतिविजय कांतिविजय कांतिसागर कात्यायन
कानजी |त.का...... ३३६ - कान्तिविजय . २११२. कान्हजी
कालिदास ... २७२ कालिदास ... ९२९.कालिदास • १७०२
कालिदास १७७३ [.कालिदास
१७७४ कालिदास . १९२१ कालिदास . १९४१. कालिदास |. १९४५. कालिदास
१९५६. कालिदास |. २१४६, कालिदास
मंडार ग्रंथांक . कर्तार्नु नाम सूं.का...... १३३. कालिदास
.का.... ३००/२. कालिदास हूं.का.......८०१. कालिदास इं.का......८१३. कालिदास इं.का...... ९५५.. कालिदास लों.का..... २९३/. कालिदार
.... ४०२. कालिदास
..... ५६५. कालिदास त.का...... ५६७, कालिदास त.का...... ६७३. कालिदास त.का...... ९२८. कालिदास त.का...१०२०/A - कालिदास त.का.... १२१०..कालिदास जि.का. . १७६४. कालिदास कवि ७.का...... ६५१, कालिदास कवि ५.का.... ११५२. कालिदास कवि बूं.का.......८९०.. कालिदास कवि-क. जि.ता.... ३३४. कालिदास महाकवि जि.का ... ६१५, कालीदास महाकवि जि.का. ... ८६२. कालिदास-मू.क.,
1.टी.क.धर्ममेरु ई.का.... ११०६. कालिदास कवि डूं.का...... २२१, कालीदास कवि ई.का...... ६४३. कालीदास कवि डूं.का.... १०१४. कालीदास कवि ई.का.... ११२५ - कालीदास कवि इं.का.... ११२६ . कालीदास कवि इं.का....... ६४३ - कालीदास कवि
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम इं.का.... ११२२.कालीदास कवि डूं.का.... ११२३ / कालीदास कवि जि.का. १८२७. काशिनाथ बूं.का.... ११९५, काशिराज जि.का.... ४४८. काशीनाथ जि.का. १२१३, काशीनाथ आ.का..... ६२. काशीनाथ जि.का. १८९१.. काशीनाथ भट्ट त.का...... ४६१. काशीनाथ भट्टाचार्य त.का...... ४५६ . काशीनाथ भट्टाचार्य
का .... ४०५, कांतिप्रेमविजय हूं.का...... ५८२ | कालिदास
i.का.... २६१ .. कालिदास त.का...... १०७कीर्तिकलश बूं.का....... ७९३ .. कीर्तिसूरि जि.का . ४७५/१. कीर्तिवर्धन जि.का. ४७५/३ कीर्तिवर्धन जि.का. ... ८४८
-कुंवरजी लो.का.... ४६२ - कुंवरजी लों.का..... ४६३ . कुंवरजी-क.
कुतूहल कवि भूषणमट्ट पुत्र जि.ता..... ३२८. कुत्तक कवि
-कुत्तक महाकवि था.का.... ३४३ कुमारसुंदरगणि
कुमुदचंद्र
कुमुदचंद्र था.का .... २३१.कुमुदचंद्र
३७७, कुमुदचंद्र
लो.का .... २०५क
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भंडारा
ग्रंथांक
कर्तान नाम
EEEENNN
जि.का ... ७५९
000000AAAADDAAAAAAAAS.
| ग्रंथांक कर्तानुं नाम
४०६ - कुमुदचंद्र .... २०३- कुमुदचंद्र .... २४४ - कुमुदचंद्र
sce- कुमुदचंद्र १५२५ - कुलमंडनगणि-अव. १५२४. कुलमंडनगणि-अक.क.
३२९, कुशलधीरगणि
१००८-कुशलमुनि लो.का..... ३३२
३३२ कुशलरंग
१०६ - कुशलरंग ..... ९५/- कुशलरंगमुनि .... १३० कुशलरंगमुनि .... ३९८-कुशलराज ... ६४०/-कुशललाभ ... ७१८ |
-कुशललाभ • ११२१-कुशललाभ . २०२१-कुशललाभ
४४.कुशललाभ .... ९३५ -कुशललाभ ..... २२ कुशललाभसूरि .... ८८२-कुशलहर्ष ..., ३२७-कृतक कवि
. १८७२ - कृष्ण दैवज्ञ जि.ता.... ३५७/२ कृष्णमित्र
३१४/६.केदार भट्ट - . १७६२. केदार भट्ट . १७६३.केदार भट्ट सोमचंद्र-टी. .... ३२१.केदार भट्ट-क.
भंडार | नाम
ग्रंथांक कर्ता नाम जि.का . १२५१/- केदारभट्ट
.... २७५.केदारभट्ट जि.ता... ३४६/५. केलिकवि
३४६/६/- केलिकवि .१४४/४.केलिकवि .१४/५.केलिकवि
३४३ केशरसागर ... ८९६ 1.केशराज मुनि . १९०२ .केशव
1.केशवदास का . १११५ केशवदास का . २११८ केशवभट्ट
... ५७६ केशवमिश्र जि.का. १७८९. केशवमिश्र जि.का. १७९० केशवमित्र .२२०८
| केशवमित्र - केशवमिश्र | केशवमिम .केशवमिश्र
केशवमित्र . केशवमित्र
- केशवकवि ow.केसवराय
|- कैयट ११७.कोटयाचार्य ७२६.क्षमा कल्याण ३६५.क्षमाकलश ७४३.क्षमाकल्याण
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जि.का .. १६८५.क्षमाकल्याण जि.का.२०२८.क्षमाकल्याण
.२२३८.क्षमाकल्याण .२२३९.क्षमाकल्याण .२२४०.क्षमाकल्याण ..२२४१.क्षमाकल्याण
1. क्षमाकल्याण .. १२७.क्षमाकल्याण .... ७४९.क्षमाकल्याण
९०४.क्षमाकल्याण डूं.का.... १२२०.क्षमाकल्याण डूं.का.... १२९६ क्षमाकल्याण लों.का..... ३४०. क्षमाकल्याण लों.का..... ३६८. क्षमाकल्याण लों.का.... ३८९. क्षमाकल्याण लों.का.... ४५८.क्षमाकल्याण जि.का .७४४/२.क्षमाकल्याण आदि
१०५०
.क्षमाकल्याण मुनि
. क्षमाकल्याणगणि ११६६ क्षमाकल्याण ..१४९ क्षमाचंद्र-ले. ८८१ क्षमाप्रभ
२६८. क्षमाप्रभमुनि-ले. इं.का...... ६५८. क्षमाकल्याण जि.का. १०६२.शांतिमंदिरशिष्य खरतर इं.का....... ६३.क्षेमंकरमुनि आ.का..... १६९ . क्षेमकलशमुनि-ले. जि.का. ....१०१. क्षेमकिर्ति-वृ.
BEEEEEEEEEEEE
कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २-५०३
ग्रंथांक कर्तानुं नाम .... ५४. क्षेमकीर्ति आचार्य वृ.क. -३४.क्षेमकीर्ति आचार्य-वृ... ५६. क्षेमकीर्ति आचार्य-वृ.क. ५३. क्षेमकीर्ति तपा. - वृ.क. ५५. क्षेमकीर्ति तपा. - वृ.क. ५२. सेमकीर्ति तपा.-.क. ५७. क्षेमकीर्ति आचार्य-वृ.क. १९.क्षेमकीर्ति-वृ. .३३. क्षेमकीर्ति आचार्य-बृ. ... ९६९-.क्षेमकुशल ....१००..क्षेमकीर्ति-वृ. .... ९१३.क्षेमचंद्र .....९१०, क्षेमचंद्र .... ३८९ . क्षेमराज ... ५०२. क्षेमराजऋषि
............. पार्धचंद्रगच्छीय बा.क. जि.का... ३०१. क्षेमराजमुनि डूं.का...... २७५.क्षेमविमल-ले.पं. डूं.का.... ११७४.क्षेमविमल जि.का. १७४१. क्षेमेन्द्र-टी. बूं.का...... २५५ क्षेमहर्षमुनि इं.का...... ५१८. क्षमाप्रभ पंडित -ले. ५.का.... १२५८. क्षेमंकर इं.का.... १२६५ - खीमाविजय ई.का....७७६/A-खुशाल डूं.का...... ६९९/खुशालविमल ५.का...... ४३०-खुशालविमलमुनि इं.का.... १०६४ खुशालबिमलमुनि
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ग्रंथांक
ग्रंथांक
गणधर
५०४ - कर्तावार अकारादि सूची- परिशिष्ट २ भंडार
ग्रंथांक कर्तानुं नाम | नाम जि.का, २२३६/१.खेतसी पुण्यकलश शिष्य बूं.का..... ८२१ खेमचंद डूं.का..... २३७.खेमराज जि.का..... ८४७. खेमराजमुनि जि.का - ११०० खेमराजमुनि डूं.का..... ४६३ / गंगदास लो.का...... ७२. गंगदास-ले. डूं.का... १११७ | गंगादास डूं.का.... १००३ | गंगाराम
गंगेश भट्ट जि.का., ... २७०, गजसार जि.का., ... ५४३ .गजसार जि.का. . १९१४ गजसार
.... ३३५ गजसार .... ५२० गजसार
गजसार .का..... ३७१/-गजसार मुनि
का..... ६९६ गजसार मुनि त.का... १००२ . गजसार मुनि जि.का... २७६ - गजसार मू.क. जि.का - ३२३/१. गजसार-अ. डूं.का..... १२४. गजसार-क., अमरविजय-ले. जि.का., . ६५५/२ -गजसारमुनि
.....९० - गजसारमुनि ... ९१ -गजसारमुनि ... ९७७ गजसारमुनि
.. ९१२ .गजसारमुनि .... ९१५, गजसारमुनि
TEEEEEEEEEEEETENCE
भंडार
ग्रंथांक नाम
कर्तानुं नाम .७९८/२.गजसारमुनि स्वोपज्ञ
५५.गणघर |त.का./..... ५६. गणधर
त.का...... ५७. गणधर |त.का....... ६०. गणधर
त.का....... ६१. गणधर |त.का....... ७.. गणधर |त.का...... ८१. गणधर |त.का..... १११. गणधर .... ११५ . गणधर
गणधर
गणधर .... १२०/- गणधर
.... १२३ / गणधर त.का...... ४२७ . गणधर त.का...... ४२८. गणधर
४२९. गणधर त.का... ४३०/- गणधर त.का...५००/BI.गणधर त.का..... ५०१. गणधर त.का...४३०/B. गणधर जि.का. ११३३ गणपति जि.का. १८२८.गणपति लों.का.... ५५० गणेश दैवज्ञ डूं.का..... २९५, गणेशमुनि पं. डूं.का..... २८९. गणेशमुनि-ले. त.का...५००/AI. गणधर
1.... 000/- गरीबगिरि
भंडार नाम
| कानुं नाम लों.का.... ५२७. गर्ग डूं.का...... ८०७. गर्ग ऋषी इं.का...... ४०२ . गर्गऋषि
का.... १२२३ . गर्गऋषि त.का...... १९१.. गर्गऋषि जि.ता.. १५०/४. गर्गर्षि जि.ता.. १६०/२. गर्गर्षि जि.ता.. ४१५/८. गर्गर्षि जि.का . १८७९. गर्गाचार्य जि.का. . २२५६ , गुटकाओ
का....... ३७. गुणचंद्र जि.ता.... २६३. गुणचन्द्रसूरि जि.ता.... २४५.. गुणपाल जि.ता .. २८४/२ गुणप्रभसूरि जि.का. . २०६३ . गुणरंग जि.का, २०१२/२. गुणरंग वा. जि.का ... ३७०. गुणरत्नगणि जि.का, ... ६०९. गुणविजय डूं.का....... ९५३ , गुणविजय जि.का. . ३४१/१ गुणविनय जि.का . ३४१/२ . गुणविनय था.का .... ३५१ गुणविनयगणि डूं.का..... १०२९-- गुणविनयगणि था.का ....... ६. गुणविनयोपाध्याय ७.का...... ५८८ गुणशेखर जि.का. १२७८.गुणसमृद्धि महत्तरा जि.का, . ११२० गुणसागर लों.का.... १८६ गुणसागर
भंडार नाम
कर्तानुं नाम लों.का..४६०/A- गुणसागर डूं.का.... ११५१-गुणसागर -पं. जि.का. ३९९/४ गुणसागरसूरि. जि.का. . ३९९/६ - गुणसागरसूरि त.का...... ५३२- गुणसागरसूरि जि.का ... ३१३ गुणसागरसूरि
..... .गुणसुंदर ... २७७-गुणसुंदर ... २८१.गुणसुंदर .. ७३५-गुणसुंदर .....१.गुणसुंदर-पं.
१२१८, गुणसुंदर मुनि
.... ८.गुणसुंदर ले..श्रीचन्द्रसूरि-र. डू.का...... ९१९ - गुणसुंदरमुनि
.... ९६७- गुणसुंदरमुनि
..... १७५-गुणसुंदर जि.का ... ९७९ - गुणहर्ष
--.... ७९८ - गुणहर्ष जि.का .. १७०८ गुणाकरसूरि-वृ. डूं.का...... ९३० गुणकीर्तिसूरि डूं.का...... ४२६ गुमानचंद डूं.का...... ४३८, गुलाबचंद लों.का.... ३५८. गोकुल गांधी जि.का ... १३९. गोपाल पंडित जि.ता.. ३१४/४. गोपाल भट्ट लो.का.... ३६६. गोपालचंद जि.ता..... ९५. गोपालिक महत्तर शिष्य जि.का .... ५६. गोपालिकमहत्तरशिष्य
इं.का.
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कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ - ५०५ ग्रंथांक | कर्तार्नु नाम
भंडार
भंडार
ग्रंथांक
भंडार
FREEEEEEEEE
भंडार|
ग्रंथांक । नाम
कानुं नाम इं.का... १०५३ - गोपीदास-ले. लो.का..... २९२ गोल्हण
1.का. १८५१ . गोवर्धन जि.का. १८५३. गोवर्धन जि.का. १८५४गोवर्धन
. १७९१, गोवर्धन इं.का.... ११३३, गोवर्धन
२५६ . गोवर्धन ... १७६/२ . गोविंदगणि जि.ता... १७७/१. गोविंदगणि जि.ता... १७९/१, गोविंदगणि जि.का. १६७६ . गोविंदगणि जि.का. १७६० . गोविंदसूरिशिष्य बर्द्धमान जि.का. १७६१. गोविंदसूरिशिष्य वर्धमान जि.का. १७५९. गोविंदसूरिशिष्य वर्द्धमान जि.का .... ५२१/- गोल्हण -वृ.क. जि.ता... ३९१/१.गौडपाद जि.ता... ३९२/३.गौडपाद ५.का..... २०९ - गौडीदास पं.ले.. ................... पद्मप्रभसूरि-क. जि.का... ५०६.गीतमपंडित-दी.क. ढूं.का..... ५७३/-गुणहर्ष जि.का. १०७९/१.चंडपाल जि.का. १९०.चंडपाल जि.का. . १७३९. चंद्रकीर्ति
चंद्रकीर्ति तथा सेमचंद्र इं.का..... ८७१, चंद्रकीर्तिसूरि .का. .... १३७चंद्रकीर्ती
ग्रंथांक कर्तानु नाम नाम जि.का... ४९.चंद्रकीर्ति जि.का. १८०४ चंद्रकीर्ति
. चंद्रकीर्तिसूरि ..चंद्रकीति ..चंद्रतिलकोपाध्याय .चंद्रप्रभ महत्तर ..चंद्रमुनि ..चंद्रमुनि .चंद्रर्षि महत्तर
..चंद्रकीर्तिसूरि ... ४३६ चंद्रकीर्तिसूरि |जि.ता..... ३८६ चक्रधर |जि.ता... १५५/८. चक्रेश्वरसूरि
जि.का १३२४/१ चक्रेश्वरसूरि |जि.ता...... १८६ . चक्रेश्वरसूरि-वृ. जि.का २२२१/१.चन्द्रप्रभसूरि जि.ता..... १७४.चन्द्रर्षि महत्तर-मू.क.,
.टी.क. आचार्य मलयगिरि ...... ६६ चन्द्रशेखरसूरि आ.का......२७६.चन्द्रीय जि.ता...... २२३. चन्द्रप्रभसूरि-मू.क..
1. वि.क.देवभद्रसूरि जि.का... ३७०. चारित्रवर्धन त.का.... १०५३. चारित्रवर्धन जि.का. १०५४. चारित्रसिंह डूं.का....... ८४७. चारित्रोदय-ले. लो.का.... १४२.चिरंतनाचार्य इं.का..... ३७१.चिरकुशल पं.
| नाम
कर्तानुं नाम जि.का. १३००, चित्सुखमुनि जि.का ... ३९२ . जंबूकवि जि.का. .. १३२५. जंबूकवि जि.का. . १९५९ ..जंबूकवि जि.का. १९६०.. जंबूकवि-मू. जि.ता . ३४७/५. जंबूनाग-मू.क., टी.क. .................... शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय जि.का . १२५५..जगदेव जि.का. ....४५९ - जगद्धर-टी. डूं.का...... २१८ ..जगमालगणि पं. जि.का. ...६७०. जटमल नहार जि.का, २१२०/६. जनप्रभसूरि त.का...... ६७१ - जम्बूसाधु था.का.... १८६ - जयंतसिंह था.का .... २१७ .. जयंतसिंह था.का .... १०९ - जयकीर्ति
.... ११०.जयकीर्ति .... १११.. जयकीर्ति
..... ५३९ ..जयकीर्ति त.का...... ५४१ जयकीर्ति जि.का ... ३३२.जयकीर्तिसूरि जि.का. १७०१.जयकीर्तिसूरि जि.का. ... २३८.. जयकीर्तिसूरि पूर्णिमापक्षीय जि.ता... ३१४/५..जयकीर्तिसूरि जि.का. ... १८२..जयकीर्तिसूरि जि.का. . १८३/१. जयकीर्तिसूरि जि.का ... २९६ .. जयकीर्तिसूरि जि.का ... २९७ ..जयकीर्तिसूरि
ASSSSSS
जि.का. .८७३/४-जयकीर्तिसूरि जि.का ... २९५ - जयकीर्तिसूरि मू.क. |जि.का. १७६६ - जयकृष्ण डूं.का.... १२२० - जयचंद -ले. डूं.का...... ९५२ - जयचंद्र मुनि
जि.का, २१८३/१. जयचंद्रसूरि | आ.का........ ८..जयचंद्रसूरि
त.का...... १०४.जयचंद्रसूरि |जि.का. ....७७३. जयचंद्रसूरि-बा.
डूं.का...... ९४२. जयचंद्रसूरि जि.का... १७५.जयतिलकसूरि जि.का. १६६६. जयतिलकसूरि डूं.का...... ६९२ - जयतिलकसरि त.ता......... ७. जयतिलकसूरि जि.का, ... ३९३ . जयतिलकसूरि आगमिक डूं.का...... ९४३ - जयतिलकसूरि जि.ता .. ३१४/१.जयदेव जि.का ... ३८५.जयदेव जि.का. ... ३८०..जयदेव -मू.क., वृ.क.हर्घट जि.ता... ३१४/२..जयदेव-मू.क.. वृ.क हर्षट ... ४५९ - जयदेवकवि-मू.क..
टी.क.जगद्धर |त.का...... १०२.जयदेवसूरि
लों.का.... ५४०.जयमल डूं.का.......५३२.जयमलमुनि लो.का... ५०९/A-जयरंग
.का...... ३४६ - जयरत्नमुनि जि.का. ... ४१३, जयवंतसूरि
बूं.का.
जि.का.
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________________
५०६ कर्तावार अकारादि सूची परिशिष्ट २
भंडार
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
नाम
जि.का. बूं.का.
त. का.
डूं. का.
Tr
४८३. जयवंतसूरि
८६२/१ जयवल्लभ
ISTOR
६५५. जयवल्लभसूरि
जयविजयगणि
त. का.
जयशेखर
१८३
जयशेखर-ले.
डूं. का. जि.का. ५३३ / २ जि. का १०८४ / २ था. का.
जयशेखरसूरि जयशेखरसूरि
१९८ जयशेखरसूरि
[त. का. २०४ जयशेखरसूरि
त. का. ५५४ जयशेखरसूरि त. का. ८४२ जयशेखरसूरि त. का. ५५० जयशेखसूरि
डूं. का. ७०५ जयसागर डूं. का. १९४. जयसागर उपाध्याय जि.का. २१२०/९ जयसागर वचनाचार्य खूं. का. ...... ५१ जयसागरगणि जि.का. १६१७ जयसागरसूरि-टी.
जि.का.
.... ५१२
जयसागरोपाध्याय-वृ. जयसारगणि
....
१०३१
३९२
सूं. का. ६०६ जि. ता. १५९/२ जि. ता.
जयसिंहसूरि ३५९/१ जयसिंहसूरि जि. ता. ३५९ / २ . जयसिंहसूरि
जि.का. १७९२ जयसिंहंसूरि त. ता. २ जयसिंहसूरि
.
त. ता. [.......]] ३. जयसिंहसूर
जि.का. ८०८/१ जि.का. - ८२१/२
जयसोम जयसोम
भंडार नाम
जि. का जि.का
जि. का
बूं. का.
डूं. का.
ई.का.
ग्रंथांक
".
. ८५८/३
२०९७
जयसोमगणि
... ७१२ १२९५ १५४ जयसोममुनि पं. जयहंस
कर्तानुं नाम
जयसोम
जयसोम
जयसोम उपाध्याय
---...
११५७
त. का....... २४६ जयानंदसूर
खूं. का...
जशविजय
१०८३ ९९ आ. का. १०३ / ए
आ. का
जशविजय
जशविजय
जशविजय
जशविजय जशविजय जशविजय जि. ता. १५१/२१ जसदेवमुनि (यशोदेवमुनि)
आ. का ११० आ.का. १३२ त. का. ४७६ त. का. ४७८
जसविजय जसविजयगणि जितरंग
त. का. ७४० था. का. १९४ सूं. का. ६४६ डूं. का...... ७१८ डूं. का. ..... ७९० डूं.का. ४८० डूं. का. २९८
जितरंग पंडित जितरंग गणि जितरंगगणि
त. का... ११४६ जि.का. १९११
त. का.
.
भंडार नाम
४०१ जिनउदयसूरि खरतरगच्छ त. का...... ४३४. जिनकलशसुरि ढूं. का.... ११४९ जिनकीर्तिसूरि
था. का. ३५५ जिनकुशलसुरि
ग्रंथांक
७१५ जिनचंद यति जिनचंद्र जिनचंद्र जिनचंद्रगणि
५०७ डूं. का.. ..... ४६७ जि.का. १३३/१६ जि.ता २३५ जिनचंद्रसूरि जि.का. ६७३ जिनचंद्रसूरि जि.का १०२५ जिनचंद्रसूरि जि.का. १३२६/१० जिनचंद्रसूरि
जि.का. १३२६ / ४९ जिनचंद्रसूरि
त. का. जि.का.
....
जि.का २१३५/३ जिनचंद्रसूरि
७०. जिनचंद्रसूरि २४० जिनचंद्रसूरि
जितरंगमुनि-ले, सोमप्रभमुनि क जि.ता जितविजय जिनआनंद
बूं. का.
बूं. का.
४४. जिनचंद्रसूरि
था. का था. का था. का
१०३ जिनचंद्रसूरि २१०. जिनचंद्रसूरि था. का. २१६ जिनचंद्रसूरि जि. का .... ११६ जिनचंद्रसूरि मू.. .वृ.क. यशोदेवोपाध्याय जिनचंद्रसूरि उपकेशगच्छीय जिनचंद्रसूरि-मू.क.. .वृ.क. देवेन्द्रसूरि
www.
...
....
जि. ता. १६०/१० जि.ता. २२२
....
कर्तानुं नाम
२२१ जिनचंद्रसूरि-मू.क..
P
वृ.क. यशोदेवसूरि जिनचन्द्रगणि जिनचन्द्रसूरि जिनचन्द्रसूरि
जि. ता. १५४/१५ जि. ता. १५६ / ३५ जि. ता १९१ / १२
जि.का. जि.का.
१९४/२ जिनचन्द्रसूरि
..... ७७ जिनचन्द्रसूरि
भंडार नाम
ग्रंथांक
कर्ता जि.का. ९२६ जिनचन्द्रसूरि जि.ता ३४७/६ जिनचन्द्र जि. ता. १५६/३० जिनदत्तसूरि जि. ता. १५६ / ३१ जिनदत्तसूरि जि.ता १९१ / ९ जिनदत्तसूरि जि.ता. १९१/१० जिनदत्तसूरि जि.का. १८० / ७. जिनदत्तसूरि जि.का.
--
१९४ / १. जिनदत्तसूरि
जि.का.
जि.का
जि.का. १२८८/४ जिनदत्तसूरि जि.का. १३१७/९ जिनदत्तसूरि जि.का. १३१७/१० जिनदत्तसूरि जि.का. १३१७/१३ जिनदत्तसूरि जि.का. १३१७/१४ जिनदत्तसूरि जि.का. १३१७/१५ जिनदत्तसूरिं जि.का. १३२६/८ जिनदत्तसूरि जि.का. १३२६ / ९ जिनदत्तसूरि जि.का. १३२६ / १३ जिनदत्तसूरि जि.का. १३२६/२५ जिनदत्तसूरि जि.का. १३२६ / २६ जिनदत्तसूरि
--
जि.का. १३२६ / ३२ जिनदत्तसूरि जि.का. १५६१ जिनदत्तसूरि जि.का. १६२६/४जिनदत्तसूरि जि.का. १६२६ / ६ जिनदत्तसूरि जि.का. १९४७ जिनदत्तसूरि जि.का. १९४९ जिनदत्तसूरि जि.का. १६२६/५ जिनदत्तसूरि
.
a
१९४/५ जिनदत्तसूरि
३५५ जिनदत्तसूरि
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
ग्रंथांक
जि.ता...
कर्तानुं नाम नाम त.का..... १७३. जिनदत्तसूरि त.का..... ५०३ . जिनदत्तसूरि जि.का... २१९५/- जिनदत्तसूरि -मू..
जिनपतिसूरि -टी. 1.जिनदत्तरारि मू..
जिनपतिसूरि -टी. जि.का... ५१२. जिनदत्तसूरि -मू.क.,
बृ.क.जयसागरोपाध्याय था.का..... ३०६ जिनदत्तसूरि, राजसोम जि.का. . १६७८. जिनदत्तसूरि-क..
जिनपतिसूरि-टी. डूं.का. .... ७४५ . जिनदत्तसूरि-क., मोतीचंद-ले. जि.का. १९५०/-जिनदत्तसूरि-मू., .....................टी.सर्वराजगणि जि.का. १५६४ जिनदत्तसूरि-भू..
.....वृ.क.जिनेश्वरसूरि जि.का, १३०५/१/- जिनदत्तसूरि-मू.क..
.टी.क.जिनपाल जि.का. १३०५/२. जिनदत्तसूरि-मू.क..
टी.क.जिनपाल 1. जिनदत्तसूरि-मू.क..
वृ.क.सुमतिगणि जि.ता..... २८१ जिनदत्तसूरि-मू.क.,
-वृ.क.सुमतिगणि डूं.का..... ७४४.जिनदत्तसूरि त.का..... १७९. जिनदत्तसूरि जि.का. ....५१३.जिनदत्तारि त.का...... ६६. जिनदास गणि
भंडार
कर्तानुं नाम जि.ता.....६१/१.जिनदासगणि क्षमाश्रमण जि.ता...... ७८.जिनदासगणि महत्तर जि.ता..... १०१, जिनदासगणि महत्तर जि.ता..... १०२ ..जिनदासगणि महत्तर जि.ता..... १०३ ।.जिनदासगणि महत्तर
४१०/२ .जिनदासगणि महत्तर जि.ता... ४१०/३ 1. जिनदासगणि महत्तर जि.का ... १०७. जिनदासगणि महत्तर जि.का ... १०८ 1. जिनदासगणि महत्तर जि.का. १२३१. जिनदत्तसूरि जि.का १३१७/१६ जिनदत्तसूरि जि.का ... ३२९ . जिनदत्तसूरि -मू.क. था.का........२ 1. जिनपति सूरि जि.का. . २०९०. जिनपतिसूरि था.का..... २४० 1. जिनपतिसूरि त.का...... ६६३ . जिनपतिसूरि जि.का .. १६७८. जिनपतिसूरि-टी. जि.का.... १७१. जिनपतिसूरि-वृ. जि.का .. २१९५, जिनपतिसूरि-टी. त.का....... २२. जिनपतसूरि के शिष्य जि.का, १३०५/३. जिनपाल जि.का. १५३४]. जिनपाल-टी. जि.ता... ३५३/१. जिनपाल-टी. जि.का १३०५/१ . जिनपाल-टी.
१३०५/२. जिनपाल टी. .. १५६७. जिनपाल-टी.
१३११. जिनपाल-वृ. . १३०१ 1. जिनपालगणि
| भंडार
ग्रंथांक कर्तानुं नाम नाम जि.का .. ११८९ . जिनपालोध्याय-वृ. जि.ता... २८१/१. जिनपालोपाध्याय-वि. जि.ता.....४४/१, जिनप्रभसूरि जि.ता..... ४४/२..जिनप्रभसूरि जि.ता. १५१/१९.. जिनप्रभसूरि जि.ता.. २८४/१, जिनप्रभसूरि जि.ता.... ४२६. जिनप्रभसूरि जि.का, ... १३०..जिनप्रभसूरि जि.का १३४/१७. जिनप्रभसूरि जि.का.२६१/१.जिनप्रभसूरि जि.का. ... २६९. जिनप्रभसूरि जि.का .८०८/८..जिनप्रभसूरि जि.का. १०६४/२. जिनप्रभसूरि जि.का. २२२०. जिनप्रभसूरि जि.का. . १४२३. जिनप्रभसूरि जि.का . २१७५, जिनप्रभसूरि जि.का, २१२०/८. जिनप्रभसूरि जि.का २१२०/१२. जिनप्रभसूरि था.का .... २०७ . जिनप्रभसूरि त.का...... ५७०.. जिनप्रभसूरि त.का...... ६९०..जिनप्रभसूरि जि.का ... २४८.जिनप्रभसूरि वृ. जि.का. . १२८२.जिनप्रभसूरि स्योपज्ञ जि.का ....२५७, जिनप्रभसूरि-वृ. डूं.का...... ९९१ . जिनप्रभसूरि डूं.का.... १२८६ .. जिनप्रभसूरि त.का...... १६८..जिनभद्रक्षमाश्रमण .का...... ५४६ ..जिनभद्रक्षमाश्रमण
BEEEEEE:
कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ - ५०७ भंडार ग्रंथांका कानुं नाम जि.का. . १०४३. जिनभद्रगणि जि.ता.... १०९. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जि.ता.... ११६. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जि.ता.. १५०/१. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
| .. १५०/२.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण |.१५५/१५.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ..१५७/२.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
४१५/५. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .. ४१८/१. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण .... ५७. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
२७०. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ९७५ - जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
१२८६ - जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ... १११.. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण -मू..
वृ.क.तिलकाचार्य जि.का. ... २७१, जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण -मू.क.,
वृ.क.तिलकाचार्य जि.का. २१९७/१.. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-टी.. ....................वि.क.मलयगिरि जि.का, ....९६८. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू. जि.ता.... १२०. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू..
.............. मलधारी हेमचंद्रसूरि |.... १२१, जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू..
वृ. मलधारी हेमचंद्रसूरि .जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क.,
चू.क.सिद्धसेनसूरि .जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क., 1.टी.क. शालिभद्रसूरि
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भंडार ग्रंथांक |
ग्रंथांक
जि.ता.
५०८ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २
भंडार
कर्तानुं नाम नाम |
ग्रंथांक नाम
कर्तानु नाम जि.ता..... २०२ . जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क.. जि.का . २०११. जिनराज .टी.क. शालिभद्रसूरि
त.का...... २३८.जिनराज ज्ञानकुशल जि.ता ....... १९४.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क... जि.का.... ६३०.जिनराजसूरि
.टी.क.मलयगिरि आचार्य | जि.का ... ७८१. जिनराजसूरि जि.ता. |.... १९९ . जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क., लो.का.... ३५९ . जिनराजसूरि
1.टी.क.मलयगिरि आचार्य डूं.का. .. ११५६ . जिनराजसूरी जि.ता..... २००.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क.. डूं.का..... १४५ . जिनराजसूरि 1.टी.क.शालिभद्रसूरि
डूं.का..... ४९५ - जिनराजसूरि जि.ता..... १९३/. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क..||जि.का २०१०/१|.जिनलाभ
............टी.क.मलयगिरिसूरि डूं.का... ११८९ . जिनलाभ गणि जि.ता... ४१८/२. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क.. जि.का. १६८६ .जिनलाभरि .............क.तिलकाचार्य
जि.का १७११/१.जिनलाभसूरि जि.ता..... १९२ | जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण-मू.क., जि.का १७११/२. जिनलाभरुरि
वृ.क.मलयगिरि आचार्य जि.का १७११/३ . जिनलाभसूरि जि.ता..... १९८ . जिनभद्रगणि क्षमाश्नमण-मू.क., जि.का १७११/४. जिनलाभसूरि
.टी.क.मलयगिरि आचार्य जि.का. १७११/५. जिनलाभसूरि 1. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण था.का. ..... ८७. जिनलाभसूरि 1.जिनभद्रसूरि
डूं.का..... २४८.जिनलाभसूरि 1.जिनमद्रसूरि
जि.का. १८९९ . जिनवर्धनसूरि-वृ. जि.का...६६१. जिनभद्रसूरि
जि.का १६२६/२. जिनवलल्म जि.का... ६९७ | जिनभद्रसूरि
जि.का ... ८६५. जिनवल्लबगणि 1... ९४४ . जिनभद्रसूरि
जि.का २०३८/४. जिनवल्लभ आ.का....४४/B... जिनभद्रसूरि
जि.का. २०४२.जिनवल्लभ जि.का.. १३१५ . जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण था.का..... १८७. जिनवल्लभ त.का. .... ३२३. जिनमाणिक्यसूरि
जि.ता... १५०/७. जिनवल्लभगणि त.का..... ३२२. जिनमाणिक्यसूरि
जि.ता... १५४/४. जिनवल्लभगणि डूं.का... १३३०. जिनरंग
जि.ता... १५४/६. जिनवल्लभगणि जि.ता..... ३५१. जिनरत्नसूरि
जि.ता... १५४/८. जिनवल्लभगणि
भंडार
कर्तान नाम नाम जि.ता.१५४/१८..जिनवल्लभगणि जि.ता. १५६/३९. जिनवल्लभगणि जि.ता... १६२/१. जिनवल्लभगणि जि.ता.. १६२/३. जिनवल्लभगणि जि.ता... १९१/८. जिनवल्लभगणि जि.ता.. २२४/४.जिनवल्लभगणि जि.ता. |.. २२४/५. जिनवल्लभगणि
.. २२४/६/- जिनवल्लभगणि जि.ता. |.. २२४/७ -जिनवल्लभगणि जि.ता. |.. ४००/१. जिनवल्लभगणि जि.ता. .. ४१५/३/. जिनवल्लभगणि जि.ता... ४१५/४. जिनवल्लभगणि जि.का . १३३/२. जिनवल्लभगणि जि.का. . १३३/५.. जिनवल्लभगणि जि.का . १३३/७.. जिनवल्लभगणि जि.का. . १३३/८.. जिनवल्लभगणि जि.का. . १३३/९ .. जिनवल्लभगणि जि.का. १३३/१९ .. जिनवल्लभगणि जि.का. . १८०/१/.जिनवल्लभगणि जि.का... २०६. जिनवल्लभगणि जि.का ... २०८. जिनवल्लभगणि जि.का ... ३८९ . जिनवल्लभगणि जि.का . ५००/१. जिनवल्लभगणि जि.का . ५००/२.जिनवल्लभगणि जि.का ... ५४४. जिनवल्लभगणि जि.का ... ६५१. जिनवल्लभगणि जि.का ... ७५३ . जिनवल्लभगणि जि.का ...८८५, जिनवल्लभगणि
भंडार नाम
| ग्रंथांक कर्तानुं नाम जि.का. . ९२७/१.जिनवल्लभगणि जि.का. १०६५. जिनवल्लभगणि जि.का. . १२५३ . जिनवल्लभगणि जि.का १३१०/४. जिनवल्लभगणि जि.का १३१७/८. जिनवल्लभगणि जि.का १३१७/१७. जिनवल्लभगणि जि.का १३१७/२२. जिनवल्लभगणि जि.का १३२६/२. जिनवल्लभगणि जि.का १३२६/२३ - जिनवल्लभगणि जि.का, १३२६/२७. जिनवल्लभगणि जि.का १५०४. जिनवल्लभगणि जि.का. . १५१८.. जिनवल्लभगणि जि.का, .. १६१६ .. जिनवल्लभगणि था.का .... १२५ - जिनवल्लभगणि जि.का. . १५०५. जिनवल्लभगणि-मू..
.टी.क.मलयगिरि जि.का १३२४/२. जिनवल्लभगणि-मू.क.,
.टि.क.रामदेवगणि जि.ता .. ३५३/१.जिनवल्लभगणि-मू.क., ................ .टी.क. जिनपाल जि.ता.... २०५ - जिनवल्लभगणि-मू.क.,
टी.क.यशोदेवसूरि जि.ता.... २१०. जिनवल्लभगणि-मू.क.,
टी.क.यशोदेवसूरि जि.ता.... १८८ 1.जिनवल्लभगणि-मू.क..
वृ.क. हरिभद्रसूरि जि.ता... १७८/२. जिनवल्लभगणि-मू.क., .....................क. हरिभद्राचार्य बृहद्गच्छीय
१४३९ ... ५५७ .. ५६८
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भंडार | ग्रंथांक
भंडार
नाम
जि.का
डूं.का.
| नाम
| कानुं नाम जि.ता..... १८६, जिनवल्लभगणि-मू.क..
............क.चक्रेश्वररुरि जि.ता.. १५६/१९ . जिनवल्लभसूरि जि.ता.. १५६/२०. जिनवल्लभसूरि जि.ता.. १५६/२१. जिनवल्लभसूरि जि.का... २०४. जिनवल्लभसूरि जि.का. ... ३२६ / जिनबल्लभसूरि जि.का., ... ६४५ जिनवल्लभसूरि
१३१७/६/. जिनवल्लभसूरि जि.का १३२६/४८. जिनवल्लभसूरि जि.का. १६१८, जिनवल्लभसूरि जि.का. १६१९ . जिनवल्लभसूरि जि.का. १७०५. जिनवल्लभसूरि
. १५६६. जिनवल्लभसूरि
१६२१ . जिनवल्लभसूरि
३१८. जिनवल्लभसूरि .का.... १४५. जिनवल्लभसूरि
का..... १६७ . जिनवल्लभसूरि .का..... ५९३ - जिनवल्लभसूरि जि.का.... १७१ 1. जिनवल्लभसूरि -मू.क..
वृ.क.जिनपतिसूरि जि.का - १५६० - जिनवल्लभसूरि-मू..
अव.क.साधुकीर्तिगणि जि.का. १६१७. जिनवल्लभसूरि-मू..
.जयसागरसूरि-टी. का - १५६७. जिनवल्लभसूरि-मू..
.टी.क.जिनपाल
भंडार
ग्रंथांक | नाम
कर्तानुं नाम जि.ता./.... २१८. जिनवल्लभसूरि-मू.क.,
वि.क.जिनपालोपाध्याय जि.का. ११८९ . जिनवल्लभसूरि-मू.क.,
वृ.क.जिनपालोध्याय डूं.का...... ९९३ . जिनवल्लभसूरि जि.ता... १५०/८. जिनवल्लभगणि त.का..... ९६५ - जिनबल्लभसूरि जि.का. १९८०८. जिनविजय जि.का. १०१७,, जिनसमुद्र जि.का. १०३८. जिनसमुद्र जि.का ... ३०६, जिनसमुद्रसुरि जि.का - ३४३/१. जिनसमुद्रसूरि जि.का - ३४३/२. जिनसमुद्रसूरि जि.का ... ३४४ . जिनसमुद्रसूरि जि.का - ३४७/१. जिनसमुद्रसूरि जि.का . ३४७/२. जिनसमुद्रसूरि
389/31.जिनसमुद्रसूर जि.का - ४१०/१ . जिनसमुद्रसूरि जि.का.४१०/३. जिनसमुद्रसूरि जि.का ... ६६३. जिनसमुद्रसूरि जि.का ... ६९४ जिनसमुद्रसूरि
.७१९ - जिनसमुद्रसूस्-िटी. ३४१ जिनसमुद्रसूरि
४३१. जिनसमुद्रसूरि वेगडगच्छीय जि.का. ८०९/१. जिनसागरसूरि लो.का..... ६११. जिनसिंहसूरि जि.का - ३४२/१ जिनसुंदरसूरि जि.का - ३४२/४ . जिनसुंदरसूरि
ग्रंथांक कर्तानु नाम
. ३४२/५ - जिनसुंदरसूरि जि.का. ....३४६.जिनसुंदरसूरि जि.का. ... ६४३ . जिनसुंदरसूरि जि.का ... ६६६ .. जिनसुंदरसूरि
... ९८७ -. जिनसुंदरसूरि ....३५१. जिनमुंदरसूरि बेगडगच्छीय .. १००६ . जिनसुंदरसूरि ..... २९६ - जिनसूरि .६५४/२..जिनसमुद्रसूरि
. ३४२/२. जिनसुंदरसूरि त.का...... ६७८.जिनहंस जि.का ... ३४०. जिनहंससूरि छु.का...... ७७३. जिनहससूरि जि.का ... ४२१, जिनहर्ष जि.का. १११३ , जिनहर्ष जि.का. १९१९, जिनहर्म जि.का. १९८३. जिनहर्ष जि.का. १९८८२. जिनहर्ष जि.का, २०१०/३. जिनहर्ष जि.का, २२३६/६ जिनहर्थ चूं.का...... जिनहर्ष
८२४. जिनहर्ष डूं.का...... ८५९ . जिनहर्थ ५.का.... १३७८ जिनहर्ष लों.का.... ३४१ जिनहर्ष लों का .... ४८६ .जिनहर्ष लों.का.... ६००. जिनहर्ष त.का....... ४८.जिनहर्य
कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ - ५०९ भंडार
ग्रंथांक कर्तार्नु नाम त.का. ..... ४११, जिनहर्ष
..... ११८. जिनहर्षगणि ..... ७२९. जिनहर्षमुनि-क.,
........ नयनंदन मुनि-ले. जि.का... ९०८-. जिनहर्मसूरि डूं.का...... २१४ - जिनहर्यसूरि त.का...... १७२जिनहर्यसूरि डूं.का.... ११६९ - जिनहर्षसूरी ७.का......... ५. जिनहसूरि डूं.का...... ७१७. जिनहर्थसूरि डूं.का...... ७५६. जिनहर्ष सूरि डूं.का......... २. जिनहर्षसूरि जि.का. १४९१.जिनाधिसूरि त.का....... २५ जिनेश्वर सूरि जि.ता... १५४/२. जिनेश्वरसूरि जि.ता .. १५४/३, जिनेश्वरसूरि जि.ता... १५६/१. जिनेश्वरसूरि
.ता... १५६/२. जिनेश्वरसूरि जि.ता... १५९/३ . जिनेश्वरसूरि जि.ता .. १६१/२ . जिनेश्वरसूरि जि.का . १३३/३ . जिनेश्वरसूरि जि.का. . १३३/४.जिनेश्वरसूरि जि.का. . १८०/३.जिनेश्वरसूरि जि.का. . १९४/४. जिनेश्वरसूरि जि.का ... ९७६ .जिनेश्वरसूरि जि.का १३१७/२४.जिनेश्वरसूरि जि.का १३२६/३.जिनेश्वरसूरि जि.का, १३२६/४.जिनेश्वरसूरि
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५१० - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ मंडार ग्रंथांक | कानुं नाम
भंडार
भंडार ग्रंथांक
नाम
11
... ३६९/शान
जि.का १३२६/१२/. जिनेश्वरसूरि जि.का १३२६/४१.जिनेश्वरसरि जि.का.... २१०.जिनेश्वरसूरि -मू..
...वि.क.सर्वराजगणि वाचनाचार्य जि.का... ४९४ . जिनेश्वरसूरि वेगडगच्छीय बा.क जि.का ... ४११/- जिनेश्वरसूरिशिष्य वेगडगच्छीय जि.का. १५३३ / जिनेश्वरसूरि-पंच.क. जि.ता..... २४३.जिनेश्वरसूरि-मू.क. जि.का.. १५६४ ..जिनेश्वरसूरि-वृ. जि.का. . १८०/२. जिनेश्वरसूरी जि.ता.. १५६/१२.जिनेश्वराचार्य जि.ता..१५६/४०. जिनेश्वराचार्य जि.का. २१२०/४. जिनप्रभसूरि डूं.का... १३४७.जिनहर्ष त.का..... २४०जिनचंद्र जि.का. १०६४/१/. जिनप्रभसूरि बूं.का...... ५५.जिनरंग गणि डूं.का..... ८८७.जिनरंगगणि डूं.का..... ९२२. जिनरंगगणि डूं.का... ११०७. जिनरंगगणि इं.का... ११८६ जिनरंगगणि जि.का. १९८१.जिनहरख डूं.का... १३६५.जिनचंद्रसूरि
... १३८.जिनदत्तसूरि ... १४१.जिनभद्रगणि ... ४३७ .जिनरतन ... १४०/- जिनेश्वरसूरि .... ६९५ . जितरंगगणि
| ग्रंथांक 'कर्तान नाम | नाम था. काvel
|... ४२९.जीवकिर्ती डूं.का..... ५०३.जीवणजी-ले. डूं.का..... ३४०.जीवणजी प.ले. डूं.का... १०५६ .जीयणजी-पं. जं.का... १०४४.जीवणदास लों.का ... ५७३ .जीवराज लों.का ... ५७३ .जीवराज डूं.का.... ११३१. जीवविजय-क. डूं.का..... ३७५.जेतसिंह था.का .... ४२.जेतसी था.का... ४२८.जेतसी -पं. जि.का. ... ३४५.जेतसी त.का..... ४२२. जोगीदास |जि.का. १२१९ - ज्ञानचंद्र
का ... ४९३ ज्ञानचंद्र का ... ६२३ 1.ज्ञानचंद्र का ... ५१३. ज्ञानचंद्र लावण्य समय
ज्ञानचन्द्र
ज्ञानतिलकगणी लो.का ... ६३२. ज्ञानधर्म
ज्ञानप्रबोध जि.का.... ३०० 1. ज्ञानमेरु
ज्ञानमेरु मुनि
.ज्ञानमेरुमुनि जि.का १०३७/३ ज्ञानरत्न जि.का. २०५३ ज्ञानविमल आ.का .... ५. ज्ञानविमल आ.का ... १३४ झानविमलसूरि
भंडार
| ग्रंथांक कर्तानुं नाम नामा ढूं.का. .... ३६१, ज्ञानविमलसूरि आ.का..... २८ ज्ञानविमलसूरि त.का. .... ४२३ | ज्ञानविमल जि.का.... ८१९ ज्ञानशील जि.ता. . ३६४/१, ज्ञानश्री आर्यिका-टि.की. जि.का.... ९१७, ज्ञानसागर डूं.का... १०८६.ज्ञानसागर लो.का. ... ३६२ / ज्ञानसागर
1.ज्ञानसागर
1.ज्ञानसागर आ.का, ... १३९. ज्ञानसागर त.का. .... ४१५. ज्ञानसागर त.का. .... ४१९, ज्ञानसागर त.का. .... ६४१, ज्ञानसागर जि.का.... ७३१. ज्ञानसागर आंचलिक त.का. .... ७२८ - ज्ञानसागर उपाध्याय जि.का.. १४३८.. ज्ञानसागरसूरि-अ.प. जि.का. . १४८०.. ज्ञानसागरसूरि-अव.क. डूं.का. ....१०/२. ज्ञानसागरसूरि ढूं.का... १२७२ - ज्ञानसार मुनि डूं.का. .... ८३४. ज्ञानसारेण डूं.का... १११४. ज्ञानहर्षमुनि डूं.का..... ८७६. ज्ञानेन्द्रसरस्वती
.... ६३७. ज्ञानानंदसूरि
.... २३.ज्योसींग ग-ले.
|.... २७८. ठाकुर ले. डूं.का. .... १५८ डुंगरशी मेघराज पं.
का... १२४५, बालसागर
नाम
कर्तानुं नाम बूं.का.....८७७..तत्वकुमार पं.ले. जि.का.. २१९८. तरुणप्रभसूरि डूं.का. .. १२०३. ताराचंद जि.का.. १०३६. तिलक गुसाई डूं.का. ..... ५७ तिलकसूरि त.का... १२०७ तिलकसिंह जि.ता. ... ११४. तिलकाचार्य जि.ता. ... ११५.तिलकाचार्य जि.ता. ... २७५, तिलकाचार्य जि.ता.४१८/३. तिलकाचार्य जि.का..... ३६.तिलकाचार्य जि.का..... ९४.तिलकाचार्य जि.का.... १९९ . तिलकाचार्य जि.का. २१२०/१, तिलकाचार्य जि.का. २१२०/२ . तिलकाचार्य इं.का. .... २५०, तिलकाचार्य लं.का. .... ८३३ . तिलकाचार्य था.का. .... ६७..तिलकाचार्य लों.का.... ४९४ . तिलकाचार्य आ.का, .... ४०.तिलकाचार्य त.का. ..... ६९. तिलकाचार्य त.का. ....... ६. तिलकाचार्य जि.ता, . ४१८/४. तिलकाचार्य स्वोपज्ञ-य.क. जि.ता. ...८२/१, तिलकाचार्य-टी. जि.का.....१११, तिलकाचार्य-वृ.. जि.का.....२७१, तिलकाचार्य-वृ. ।
.का.... ९६८. तिलकाचार्य-वृ.क., .....................मू.क.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
लों का ... ३३८. ज्ञा
AAAAAAAAN
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भंडार
भंडार
ग्रंथांक
नाम
AAA
GEEEEE
कम
--
-
ग्रंथांक कर्ता नामाभडार
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
नाम जि.ता. . ४१८/२. तिलकाचार्य-.क.
५.का..... ९५१ . दयाराज मुनि .... ६२५ |. तेजसिंह
|जि.का...८८४
दर्शनविजय .... ५३२
जयमलमुनि-क बूं.का. .... ९४८, दरडामेहाजल .... ३३८. त्रिलोकसिंह
|.... ३५४. दलिचंद-पं. ... २८६ त्रिलोचनदास
२६६. दाक्षिण्यांक उद्योतनसूरि |... २८७.त्रिलोचनदास
डूं.का... १०८५. दानचंद्र 1-२८८/१, त्रिलोचनदास
त.का. .... ३२५. दानचन्द्रगणि जि.ता.. २८८२-त्रिलोचनदास
त.का...९३७/A- दानमुनि जि.ता.... २८५,.त्रिलोचनदास
था.का ... ४३३, दानविजय जि.का. १९७३. त्रिविकम दैवज्ञ
जि.का. २१४०. दानविजयजी जि.का. १३१४त्रिविक्रमभट्ट
इं.का... १०७३. दानविमलमुनि जि.का. १०७८. त्रिविक्रमभट्ट टि. जि.का.७६१/३. दानशेखर जि.का. ११४३ - त्र्यंबक-वृ.क.
त.का. .... १७४, दिक्षीत था.का. ... ३०९ थाहरुशाह
जि.ता - ३६४/५. दिग्नाग आचार्य इं.का..... ६६९ . दंडिन
जि.का. १८६६. दिनकर जि.ता. . ३२६/१/- दंडी कवि
जि.का. १८६७ 1.दिनकर डूं.का..... ७०८ दयाकमलमुनि-ले,
त.का. .... ६६९ जि.का... ५७४. दयारत्न
- ३७५/१ दिङ्नाग डूं.का... १०३९ दयाराज
1. दिङ्नाग आचार्य इं.का... १०९९ दयाराज मुनि-ले.. अनंभट्टक
-दुर्गसिंह जि.का. . ४७५/४ दयावर्धन
.दुर्गसिंह त.का. .... ९६३ दयाविजयगणि था.का... ४१३ दयाबिमल गणि
. दुर्गसिंह डूं.का. .... २१७ दयावर्धन पं..ले. दयाशेखर
- दुर्गसिंह दयासागर
१०४८
- दुर्गसिंह बूं.का..... 000 |.दयासागर
१०५५/- दुर्गसिंह डूं.का. .....७०२. दयासागर-ले.
| जि.का. १७५३. दुर्गसिंह
नाम
कर्तानुं नाम जि.का.... २९०/- दुर्गसिंह . जि.का.. १२९७. दुर्गसिंह वृ. का.. १३०८. दुर्गसिंह-य.
६९९ - दुर्गसिंह-य.क. .... ५४८ दुर्गास्वामीशिष्य
.... ३०२ . देपाल जि.का.... ६०० देपालकवि .का.... ८६०. देपालकवि
.. १०३३ . देवकुशल मुनि जि.का...... ७४. देवगुप्तसूरि -मू..
अभयदेवसूरि-भा.क.,
यशोदेवसूरि-व. जि.ता, १५४/१४. देवगुप्तसूरि-मू..
.भा. अभयदेवसूरि जि.ता . १५५/३. देवगुप्तसूरि-भू.क.,
. भा.क. अभयदेवसूरि इं.का... १३५५, देवचंद लों.का.... ४५७. देवचंद आ.का ... १५१. देवचंद जि.का... २१३७. देवचंद्र डूं.का..... ६३८. देवचंद्र डूं.का. .. ११५०. देवचंद्र लों.का.... ४७९, देवचंद्र इं.का. .... ८६४. देवचंद्र-ले. लों.का..... ८१. देवचंद्र-ले. आ.का, ... १४२. देवचंद्रकवि जि.का.. २०५८. देवचंद्रजी जि.का.. २१०९, देवचंद्रजी
कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ - ५११ भंडार
ग्रंथांक कर्ता नाम नाम त.का. .... ५११, देवचंद्रजी
.... ५२६ . देवचंद्रजी ई.का. .. ११६४ . देवचंद्रमुनि
३६१- देवचंद्रमुनि हेमचंद्रशिष्य ११३. देवचंद्रसूरि ६१०. देवचन्द्र ७४५. देवचन्द्र ७४६.देवचन्द्रगणि
२५५. देवचन्द्रसूरि .... ३६८. देवचन्द्रसूरि
.... ३७९. देवचन्द्रसूपि .का. ... ३३१. देवचंद्र पं. आ.का ... १५०. देवतिलक सूरि त.का. .... ३३०. देवप्रभसूरि त.का. .... ३०७. देवप्रभाचार्य । जि.का. १३४/१४. देवभद्र |जि.ता, .३८७/२. देवभद्र तथा यशोदेव जि.का.... २५२ देवभद्रमुनि जि.का. . १६१/२. देवभद्रयशोदेव जि.का.....६५०. देवभद्रसूरि-टी. जि.का... २१९९, देवभद्रसूरि-टी. जि.ता. ....२२३ , देवभद्रसूरि-वि.
....२०३ , देवभद्रसूरि-दृ. ... २६१ 1. देवभद्रसूरि
देवभद्रसूरी-टी. ... ११७.. देवदिगणि
... ११८.. देवर्दिगणि लों.का. ... ११९ .. देवर्किगणि
जि.का. ... २०५ - दुर्गा
EEEEEEEEEEEE
3/सिंह
जि.का.
.दुर्गसिंह
१०४७
EEEEEEEE
...८२/२.देबभद्र
1. २०२०
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५१२ कर्तावार अकारादि सूची
भंडार नाम
ग्रंथांक
लॉ. का त. का. जि.ता.७७/१ जि. ता. १५६ / ९
जि. ता. १५८/१०
जि.ता. जि.का जि.का जि.का जि.का जि.का
त. का.
डूं. का.
जि. का
...
बूं. का. जि.का.
था. का.
. देववाचक
देववाचक देववाचक १६०/९. देवयाचक .... ४८
देववाचक ८३३. देववाचक -८७३/५. देववाचक ९१३. देववाचक
. १०३०. देववाचक
१२०. देवर्द्धिगणि १५९
...
कर्तानुं नाम
६९८ १८५
हूं.का. त. का. ..... १२ देवाचार्य
- १३८ / A
-
परिशिष्ट २
देवर्धिगणि क्षमाश्रमण
त. का........ २७. देवाचार्य जि.का ९८६ देवीदास २०१९ देवीदास देवीदास
जि.का. बूं.का. .... १९१ जि.का १७० देवेंद्रसूरि जि.का ५३९. देवेंद्रसूरि जि.का ६३६. देवेंद्रसूरि जि.का
७४० देवेंद्रसूरि
जि.का. २००५ देवेंद्रसूरि
૩૨૮ देवविजय मुनि-ले. १६३८. देवविजयगणि-च. क. ३७९. देवविजयसूरि
६२९. देवसारमुनि
ग्रंथांक
जि.का २२३३ त. का. ५९५ देवेन्द्रगणि जि.ता १५१/१७ देवेन्द्रसूरि जि.ता . १५५/१. देवेन्द्रसूरि जि.ता २५३ देवेन्द्रसूरि जि.का. १९६ देवेन्द्रसूरि
जि.का. ....
१९७ देवेन्द्रसूरि
जि.का. ३१८ देवेन्द्रसूरि
...
...
A
जि.का. जि.का. जि. का जि.का जि.का. जि.का जि.का. ७८२. देवेन्द्रसूरि
३२२ देवेन्द्रसूरि ३२४ देवेन्द्रसूरि ४४३. देवेन्द्रसूरि ५७७. देवेन्द्रसूरि ७१४. देवेन्द्रसूरि ७४१ देवेन्द्रसूरि
....
जि.का. ९२०. देवेन्द्रसूरि जि.का. जि. का. जि.का.
१५०८ देवेन्द्रसूरि १५०९. देवेन्द्रसूरि १५११ देवेन्द्रसूरि जि.का. १५२६ देवेन्द्रसूरि जि.का. १५२७ देवेन्द्रसूरि जि.का १५२९ देवेन्द्रसूरि
जि.का...
• २२१६ देवेन्द्रसूरि जि. का • १५०७ देवेन्द्रसूरि
जि.का. २१२० / ३ देवेन्द्रसूरि
डूं. का.
५३६. देवेन्द्रसूरि ९९ देवेन्द्रसूरि १७६. देवेन्द्रसूरि
देवसुंदर उपाध्याय -टी.
देवसूरि
देवसूरी ले.
भंडार
नाम
था. का
लों का
COT
कर्तानुं नाम
देवेन्द्रकीर्ति-टी.
भंडार
नाम
ग्रंथांक
आ.का. आ.का. आ. का
त. का.
त. का.
त. का.
त. का.
त. का...
त. का. जि.का.
जि.का. ...
SETO
...
१६३ देवेन्द्रसूरि २१७ देवेन्द्रसूरि
L
९१९. देवेन्द्रसूरि ११५३
देवेन्द्रसूरि देवेन्द्रसूरि
१२२१
--
३२१ देवेन्द्रसूरि क. ११९. देवेन्द्रसूरि -मू.. वृ.क. धर्मघोषसूरि ३२८. देवेन्द्रसूरि मू.क. १८७ देवेन्द्रसूरि स्वोपज्ञ
जि.का. ... जि.ता.
जि.ता. २२६ देवेन्द्रसूरि स्वोपज्ञ
जि.ता.
२०७. देवेन्द्रसूरि मू.क., टी.क. धर्मघोषसूरि जि.ता. २२२. देवेन्द्रसूरि-वृ. जि.का. .... ७९९ देवेन्द्रसूरि बृ. जि.का .. १५०७ देवेन्द्रसूरी त. का..... १०१. देवेन्द्रसूरी त. का....... ६८२. देवेन्द्रसूरि
१५१४ देवेन्द्रसूरि
जि.का हूं. का.
१९
देवेन्द्रसूरि
२१
• देवेन्द्रसूरि
देवेन्द्रसूरि
डूं. का. डूं. का. १५६ डूं. का. ५०६ हूं. का. ५२६
देवेन्द्रसूरि
देवेन्द्रसूरि
***
•
.....
----
५९. देवेन्द्रसूरि
१३६. देवेन्द्रसूरि १६० देवेन्द्रसूरि ७२. देवेन्द्रसूरि
----
कर्तानुं नाम
PO
भंडार नाम
ग्रंथांक
डू. का.
७४६ देवेन्द्रसूरि
डूं. का.
८९२ देवेन्द्रसूरि
९७८ देवेन्द्रसूरि
हूं. का. ई.का.
१०५२ देवेन्द्रसूरि देवेन्द्रसूरि ११३४.
डूं. का. हूं. का.. ११४४. . देवेन्द्रसूरि जि.का. १५०६/१. . देवेन्द्रसूरि जि. ता. २३४ - . देवेन्द्रसूरि-वृ. था. का. ३. देवगुप्तसूरि मू.. अभयदेवसूरि-वि. देवभद्रसूरि देवेंद्रसूरि दैवललामसाधु-बृ.
त. का......... ७३ दोलतविजयगणि
....
....
..
"
जि. ता. १५१/१५ जि.का.. १०९१ जि.का. १०७५/१
लो. का. जि.ता जि. ता. for...
जि.का. जि.का.
त. का.......
जि.का.
जि.का.
जि. ता.
जि.का.
जि.का.
१५३
१४५३
१४५२
१२६ ९३
जि.का. १२४७
FO
कर्तानुं नाम
५०५ दौर्गसिंह
८४/१ द्रोणाचार्य
१२४ द्रोणाचार्य १२५ द्रोणाचार्य
४२ द्रोणाचार्य
१७२
द्रोणाचार्य
द्रोणाचार्य
. द्रोणाचार्य.टी.. भद्रबाहुस्वामी- मू. द्रोणाचार्य-वृ.
द्रोणाचार्य वृ.क.
दानमलमुनि पं. धनंजय
१९३० धनंजय
१९२९. धनंजय
Page #561
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
हूं.का.
आ. का. २०
जि.का
...
६२८. धनंजय
धनंजय
३२
त. का. जि.ता. ४०२ जि.का ६२१ जि.का ३९१ त. का. .... ७४२ जि.का ११४२ जि.का. १८३३ त. का. .... २२५ त. का. ६२५ ....... 24
TT
७६४
त. का.....
हूं. का. हूं.का. जि.का
६९१
कर्तानुं नाम
त. का.
६९८
त. का. जि.का
२४२
जि.का ४१४ जि.का १३२६ / ४२
धनेश्वरसूरि जि.का २०८५ धनेश्वरसूरि जि. का १६६५ धनेश्वरसूरि ६९६ धनेश्वरसूरि १०६२ धनेश्वरसूरि
धनेसरसूरि धन्वतरी जि.का धरणसी हूं. का. ३७४ धरमशी
५५४ ... ७२८ २०२२
बूं. का.
था. का.
धनचन्द्र
धनजी खरतरगच्छीयं
धनपाल धनपाल
धनपाल मू. धनपाल पंडित
धनराज वृ. धनराजगणि धनसागरजी
धनसार टी. भर्तृहरी क. धनसार-टी.
धनेश्वर सूरि
धनेश्वर सूरि धनेश्वरसूरि धनेश्वरसूरि
१३४३. धरमसी उपाध्याय
.... ५३ . धर्मकिर्तीगणि-सं.क.
भंडार नाम
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
जि.का १२६३/१ धर्मकीर्ति जि.का १२६३/२. धर्मकीर्ति जि.का. १२६३/३ धर्मकीर्ति जि.का १२६३/४ धर्मकीर्ति जि.ता ३७६/१ धर्मकीर्ति आचार्य for.251. १०९५ धर्मकुमार
त. का.
६३१ धर्मघोष
जि.का ६७७. धर्मघोषसूरि जि.का. १०१५ धर्मघोषसूरि जि.का.
१०८१. धर्मघोषसूरि
जि.का.
१२६५ धर्मघोषसूरि १५७३. धर्मघोषसूरि
जि.का. जि.का.
१५७४ धर्मघोषसूरि त. का. ८७० धर्मघोषसूरि जि.ता ....२०७. धर्मघोषसूरि-टि. जि.का. २१९७ / २. धर्मघोषसूरि.मू. जि.का. .... ११९. धर्मघोषसूरि-वृ. डूं. का. १३७३ धर्मचंद्र जि.का. ७६२ धर्मचन्द्र वेगडगच्छीय जि.का. २१२०/७ धर्मतिलकोपाध्याय जि. का. ८५३ धर्मदास जि.का. २२२१/३. धर्मदास बूं..कां. ३९३ धर्मदास
डूं. का.
बूं. का.
१०९४
ढूं. का. जि.का.
३९४ धर्मदास ६९३. धर्मदास धर्मदास ३९४ धर्मदास गणि मू.क.. बृ.क. सिद्धर्षि
...
भंडार
नाम
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम जि.का. ... २०१ धर्मदास गणि मू.क. जि. ता. १५६/४१. धर्मदासगणि जि.ता. धर्मदासगणि -9469/9 जि.ता. १५८/१ धर्मदासगणि जि. ता. १६०/१२ धर्मदासगणि जि.ता. १६५. धर्मदासगणि जि.का. ३३०/१ धर्मदासगणि जि.का. धर्मदासगणि ... ४५० जि.का. ४६५. धर्मदासगणि जि.का. धर्मदासगणि ४७१जि.का. ४७२. धर्मदासगणि जि. का. ५६५. धर्मदासगणि जि.कां.
५६६. धर्मदासगणि
७३५. धर्मदासगणि
जि.का. जि.का.
९३६. धर्मदासगणि जि.का.. १०१८ धर्मदासगणि जि.का. १३१०/६ धर्मदासगणि जि.का. १३१७/१ धर्मदासगणि जि.का. १३२१. धर्मदासगणि
जि.का. १३२६/१ धर्मदासगणि जि.का. १५७६ धर्मदासगणि १५७८. धर्मदासगणि
...
....
जि.का.
जि.का. १५७९ धर्मदासगणि जि.का. १५८०. धर्मदासगणि जि.का. १६७७ धर्मदासगणि जि. का. २१९६ धर्मदासगणि जि.का. १५७७. धर्मदासगणि
कर्तावार अकारादि सूची
ग्रंथांक
भंडार नाम जि.का. त. का जि.का.
****
जि.का.
जि.का.
त. का.
जि.का.
१५७७. धर्मदासगणि ४७४ धर्मदासगणि १६६ धर्मदासगणि मू... वृ.क. उदयप्रभसूरि
४५४. धर्मदासगणि मू.क. १५८१ धर्मदासगणि-मू..
विमलकीर्ति - बा. क. जि. ता. १५९/१ धर्मदासगणि आ. का ... धर्मदासगणि १६५. जि.का. ... ४४५. धर्मदासगणि जि.का. धर्ममेरु-टी.
था. का
.८६२ . ४१२ ४१६
--
त. का.
• धर्ममेरुगणि धर्मरत्न २११. धर्मर्षिमुनि ५१७. धर्मवर्द्धन जि.का. २०१०/२. धर्मवर्धन
जूं. का. लों का
लों का...... ४०१ धर्मवर्धन
था. का ... ३५२ जि.का.
जि.का.
त. का.......
...
www.
जि.का.
डू. का. लों का. लों का.
...
....
परिशिष्ट २५१३
..
कर्तानुं नाम
..
१६७३ धर्मशेखरगणि-अव.क. १९९८ धर्मसमुद्रवाचक धर्मसागर २६६. धर्मसागर
१५१
६८८. धर्मसागरोपाध्याय स्वोपज्ञ .मू.टी.क. ३७६. धर्मसागरोपाध्याय-टी.
३३४८. धर्मसिंह ३७५. धर्मसिंह २०६. धर्मसिंह
धर्मविजयगणि
.
Page #562
--------------------------------------------------------------------------
________________
५१४ कर्तावार अकारादि सूची परिशिष्ट २
भंडार नाम
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
जि.का २०१२/३ . धर्मसी
जि.का
२१३५ / ४ धर्मसी
बूं. का.
हूं.का.
डूं.का.
त. का..... ८३० . धर्मसुंदर
सूं. का.
था. का. ...
६३३ धर्मसुंदर-ले. ३२७. धर्मसुंदरशिष्य ३६/२ धर्मोत्तर ३७६ / २ धर्मोत्तरपाद आचार्य १२०. धर्मघोषसूरि मू. त. का... १६ धर्मघोषसूरि त. का. २०२ धवलचंद्र डूं. का. ६२३. धीरमुनि सूं. का. ६२९ धीरमुनि त.का.
४८० धनपाल धरमसिंह नंददास
हूं.का. ९३४ जि.का . १८९७ जि.का १२०२ नंददास-र.क. हूं. का. ९५९ नंदलाल जि. ता. १५९/१२ नंदिषेण जि.का १३३/१० नंदिषेण जि.का १३१७/२१ नंदिषेण जि.का १३२६/२२. नंदिषेण जि.का १६२४ नंदिषेण जि.का १६२६ / १ नंदिषेण
जि.का. १६९५
नंदिषेण नंदिषेण
जि.का. १६२३
जि.ता जि.ता जि.का
७८२. धर्मसुंदर
८५५ धर्मसुंदर
११७८. धर्मसुंदर
....
भंडार नाम
लों का,
डूं. का.
जि. ता
डूं. का.
लॉ का
लॉ का लॉ का
ग्रंथांक
५६५. नंदिषेण
३०१
१५४ / ९
www
जि.ता १५८/११ जि.का. १६२५/५ जि. ता
१५६ / ३८
...
..
३९८
४६१ ११४१
डूं. का.
बूं. का.
जि. का. १३१६ / ३
जि.ता
जि.ता.
जि.ता
९२३
३९७
२३६
१३६ / १
१३७
२९१
६०७
-----
*****
...
नंदिषेणगणि-ले.
नंदिषेण
नंदिषेण
नंदिषेण
नंदिषेण
नथमल
नथमल
कर्तानुं नाम
नथमल
नथमल
नथमलजी
६३५. नथुराम-ले.
लो. का
ढूं. का.
डू. का. ७६. नयनंदनमुनि
हूं. का. ..... ७२९. नयनंदनमुनि ले. जि.का ७४७ नयनसुंदर जि.का. १९८६. नयनसुंदरजी जि.का ३६०. नयनसुख लों का ... ३५३. नयप्रमोदगणि जि.का. नयरंग ... ८११ जि.का. ८२१/१ नयरंग जि. का २००१ नयरंग जि.का २२३६/३
नयरंग
नन्दिषेण
नन्नसूरि
नमिसाधु
नमिसाधु
नयचंद्र
नयनंदन
भंडार नाम
ग्रंथांक
३७१
३० नयरंगमुनि नयरंगमुनि था. का ... ४३४ नयरंगमुनि था. का .... ४३५ नयरंगमुनि
था. का ... ४४७
नयरंगमुनि था. का..... ४५८ नयरंगमुनि
४९१ नयविमल
डूं. का.
था. का
जि.का.....
८३८. नयसुंदर
त. का........ डू.का. for.451.... जि.का. १०१३ नयसुंदर जि.का. १९८७ नयसुंदर Laff.251.... ३७२ नयसुंदर
लों का
६०६ नयसुंदर
लों का......
५५३ नरचंद्र जि.का.... १४७ नचंद्रसूरि for.051.... ९६५ नरचंद्रसूरि for... १०५४ नरचंद्रसूरि जि.का. ११४८ नरचंद्रसूरि त. का. ४६५ नरचंद्रसूरि जि. ता. ३८१/१ नरचंद्रसूरि मलधारी जि.का. १८७५ नरचंद्राचार्य जि. का. १९३७ नरचंद्राचार्य लॉ. का. ... ४९५ नरपति कवि जि.का. २०२३ नर्बुद ....१५५ नवरंगमुनि for.201.... १९५ ढूं.का.
नागराज
६५. नागार्जुन
+
....
कर्तानुं नाम
८३७. नयविमल
२९२ नयविलासमुनि
..
.
भंडार नाम
ग्रंथांक
डूं. का. ३८. नाथुक पंडित हूं. का. ९९९ नारचंद्र लो. का. २५७ नारायण जि.ता.
३५८
लों का. जि.का.
जि.का. लो. का. ... हूं.का.
११४८
डूं. का.
४९८ १९७२ नीलकंठ १७४६. नीलकंठ ५४९. नीलकंठ नेणचंद्र १३५२ - नेमचंद ढूं. का. १०७२नेमचंद्र त. का...... ६२४ नेमचंद्रसूरि जि.का. १९१७ नेमिचंद भंडारी जि.का. १९४ / ६ नेमिचंद्र भंडारी जि.का. ३५६/१ नेमिचंद्र भंडारी जि.का. ७५४/१ नेमिचंद्र भंडारी जि.का..... ७८९ नेमिचंद्र भंडारी जि.का..... नेमिचंद्र भंडारी जि.का. १३२६/१४ नेमिचंद्र भंडारी जि.का.. १६१२ नेमिचंद्र भंडारी जि.का.
९७१
५५५ नेमिचंद्र भंडारी मू.क.. .बा.क.सोमसुंदरसूरि जि.का. ३२३/१ नेमिचंद्र भंडारी मू.क.,
अ.क. गजसार
****
.
जि. ता. १६१/१ जि.ता.
जि.ता.
जि.का.
.
कर्तानुं नाम
.
नारायणकवि भट्ट नारायणमुनि
नेमिचंद्रसूरि १६७ नेमिचंद्रसूरि
२४८ नेमिचंद्रसूरि
१४७६ नेमिचंद्रसूरि
.
Page #563
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडारा नाम
नाम
भंडार
ग्रंथांक नाम
कर्तानुं नाम जि.का. १५३५ - नेमिचंद्रसूरि जि.का. १५३६. नेमिचंद्रसूरि जि.का. १५३७. नेमिचंद्रसूरि
का. १५३८. नेमिचंद्रसूरि जि.का . १५३९. नेमिचंद्रसूरि जि.का. १५४०. नेमिचंद्रसूरि जि.का - २१९२ . नेमिचंद्रसूरि जि.का. २२१०. नेमिचंद्रसूरि डूं.का..... १६३. नेमिचंद्रसूरि त.का..... ५४४ नेमिचंद्रसूरि त.का..... ६२७
नेमिचंद्रसूरि जि.का. २२०९ 1. नेमिचंद्रसूरि गुणरत्नोपाध्याय जि.ता. ... २१३. नेमिचंद्रसूरि दिगंबर .ता.... २०४. नेमिचंद्रसूरि-मू.क.,
वृ.क. सिद्धसेनाचार्य .ता .... ९८. नेमिचंद्रसूरि-वृ.
नेमिचंद्रसूरि-वृ. जि.का. १४७० नेमिचंद्रसूरि-वृ. जि.का. १४९. नेमिचंद्रसूरि-वृ. जि.का. १४७८. नेमिचंद्रसूरि-वृ. जि.का. २१७२. नेमिचंद्रसूरि-वृ. जि.का. १३३१. नेमिचंद्र जि.का ... ५५६ - नेमिचन्द्र भंडारी -मू.क.,
--.बा.क.सोमसुंदरसूरि जि.ता... १००/- नेमिचन्द्रसूरि जि.का ... ३९०. नेमिचन्द्रसूरि जि.ता, ... २०६ - नेमिचन्द्रसूरि-मू.क.,
--वृ.क.सिद्धसेनगणि
पंथांका
कर्तानु नाम ... १५२. नेमिचन्द्रसूरि ... ५८८.नेमिचंद्रसूरि स्त.क. ३७८. नेमीचंद्र
५०. नेमीचन्द्रसूरि
२३४. नेमीचन्द्रसूरि
... २४२. नेमीचन्द्रसूरि त.का. ..... ७८. नेमीचन्द्रसूरि था.का .... १३. नेमीचंद्रसूरि डूं.का. .. १२०२. नेमीदास था.का... २४१, नेमीचन्द्रसूरि इं.का. .... २२२, नेयनंद -पं. जि.का... ६१४.न्यानसागर इं.का. .. ८६२/२.न्यायसागर मुनि त.का..... ९९५, पदमविजय
.३९ पदमचंद्रसूरि जि.का. . ९११/२ . पद्मप्रभदेव दिगंबर
... २५६. पद्मप्रभसूरि ... २५७. पद्मप्रभसूरि ... २५८ पदमप्रभसूरि
पद्मप्रभसूरि 1. पद्मप्रभसूरि
पद्मप्रभसूरि 1. पद्मप्रभसूरि .पद्मप्रभसूरि पद्मप्रभसूरि पद्मप्रभसूरि पद्मप्रभसूरि . पद्मप्रभसूरि
कर्तावार अकारादि सूची- परिशिष्ट २-५१५ ग्रंथांक कर्तानुं नाम भडार ग्रंथांक कर्तानुं नाम डूं.का..... १५२ . पद्ममुनि
त.का. .... १०९. पार्श्वचंद्रसूरि जि.का.. १९८९. पदमराज
त.का..... ११०. पार्श्वचंद्रसूरि था.का..... ४१. पद्मराज
जि.का.. १४२८. पार्धचंद्रसूरि ५.का... १०२९. पद्मविलासमुनि,गुणविनयगणि ||जि.का. .८५८/५. पार्श्वचंद्रीय विजयदेवसूरि जि.का.. १६५१. पद्मसुंदर
जि.का.... ९९२ -. पार्धचन्द्रगणि हूं.का... ११४७ - पद्मसोम मुनि -पं. त.का...... ४०. पार्श्वचंद्रसूरि त.का. .. ११५०. पद्मप्रभसूरि
जि.ता. . ३६४/३. पार्श्वदेवगणि जि.का.... ४८९.परमसागर
जि.का. ... १४९ -. पार्श्वदेवगणि त.का. .... ७३५. परमसागरजी
जि.ता. १५८/१५. पार्श्वनाग जि.ता . ३८८/१. परमहंस विमुक्तात्माचार्य स्योपशा जि.का... १८३/२. पार्श्वनाग जि.का.. १२२०. परमानंदसूरि
जि.का. . ४९९/४. पार्श्वनाग जि.का.. १५०२. परमानंदसूरि
जि.का. १५९९/२. पार्श्वनाग जि.का.... ८६३. पर्वत धर्मार्थी
लों.का. ... ४८२. पाल्हभाट जि.ता. १५६/३७. पल्हकवि
जि.का. . २०३९. पुंजराज जि.का.... ८१५.पाती
का.... ८१६
1. पुण्यनंदि-क.मू.. जि.ता...३४/२. पादलिप्ताचार्य
वृ.क.रत्नरंगोपाध्याय जि.का.. १५६५.पार्धचंद्र
लों का.... ६३३ /- पुण्यरत्नमुनि का ... ५७४. पार्धचंद्र
त.का..... ९०९ - पुण्यराजगणि का..... १४. पार्धचंद्र उ. -टी.
जि.का.... ३०३. पुण्यसागर .का. .... १५. पार्यचंद्र उ.टी.
जि.का.. १९८४- पुण्यसागर .का..... १८..पार्चचंद्र उ.टी.
३३७. पुण्यसागर लों.का. ......८०.पार्धचंद्र उपाध्याय -टी.
पुण्यसागर लों.का. ...... ९. पाचचंद्र उपाध्याय-टी.
४२६ . पुण्यसागर त.का..... २३१. पार्चचंद्र सूरि
1.पुण्यसागर जि.का. २२१७/३. पार्श्वचंद्र-टी.
..पुण्यसागर जि.का. . १९९१,. पार्श्वचंद्रसूरि
1.पुण्यसागर त.का...... ५१. पावचंद्रसूरि
३७३.पुण्यसागर ..... ५२. पाचचंद्रसूरि
३७४.पुण्यसागर
BEEEEEEEEE
FEEEEEEEEEEEEEEE
For Private & Personal use only
Page #564
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार ग्रंथांक
भंडार
ग्रंथांक
भंडार
... ६९९
E ELAAAAAAI
लों का ... ७१३
५१६ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २
कर्तानुं नाम नाम जि.का .... ८५/- पुण्यसागर महोपाध्याय जि.का - ८०८/४. पुण्यसागरोपाध्याय लों.का... ५८२. पुण्यसार डूं.का. .... ४३३ - पुण्यसोम बूं.का. .... ६०९ - पुन्यराज डूं.का. .... ८१९ | | पुन्यशील त.का... १०११ -पुन्यसागर जि.ता..३४७/७ - पूर्णतल्लगच्छीय शांतिसूरि
टी.क. जि.ता. २७०/१/- पूर्णभद्र जि.ता. २७०/२/- पूर्णभद्र जि.ता.२७०/३.पूर्णभद्र जि.ता.२७०/४२७०. पूर्णभद्र जि.ता.२७०/५.पूर्णभद्र |जि.का १२९९/२.पूर्णभद्र जि.ता. २४९/१/.पूर्णभद्रगणि जि.ता. . २४९/२. पूर्णभद्रगणि जि.ता. . २४९/३ - पूर्णभद्रगणि
|... १२६ - पूर्णभद्रगणि . १२७/२. पूर्णभद्रगणि ... १६४.. पूर्णभद्रगणि . १२७/१, पूर्णभद्रगणि |... १६३. पूर्णभद्रगणि का ... ६९३ / पूर्वाचार्य लों.का ... ६९४ - पूर्वाचार्य लों.का - ६९५/A .. पूर्वाचार्य
.६९५/B... पूर्वाधार्य .६९८/B..पूर्वाचार्य
ग्रंथांक कर्तानु नाम
पूर्वाचार्य पूर्वाचार्य .पूर्वाचार्य पूर्वाचार्य पूर्वाचार्य
पूर्वाचार्य 1. पूर्वाचार्य
पूर्वाचार्य 1. पूर्वाचार्य
| पूर्वाचार्य लों का ... ७१२. पूर्वाध
1. पूर्वाचार्य ... ७१४ | पूर्वाचार्य त.का. .... १३२ - पूर्वाचार्य त.का. .... ६१०/- पूर्वाचार्य लो.का - ६९८/A पूर्वाधार्य जि.का. ११३५ पृथुयशा
..पृथ्वीचंद्रसूरि | ...४०/५ |-पृथ्वीचन्द्रसूरि .....३/३ |-पृथ्वीचंद्रसूरि ... २४३ .पेथो मंत्री
1. प्रताप विजय पं.ले. 1. प्रतापविजय पं. 1. प्रतापविजय-पं. 1. प्रतापसूरि 1. प्रतापसूरि 1. प्रतीहारेदुराज-वृ.क. 1. प्रतीहारेदुराज-वृ.क.
कर्तानुं नाम नाम था.का... १३४. प्रद्युम्न सूरि जि.ता. १५८/५/- प्रद्युम्नसूरि जि.ता . २७९/१. प्रधुम्नसूरि जि.का..... ८८. प्रद्युम्नसूरि था.का ... २९४, प्रद्युम्नसूरि जि.ता... २८९ - प्रबोधमूर्ति गणि जि.का... १४९२. प्रभानंदमूरि-टी. जि.ता. . १५७/५. प्रभानन्दसूरि जि.का.... ९७४. प्रभानन्दसूरि था.का ... १२८. प्रमोदगणि जि.का. .९०३/१. प्रमोदमाणिक्य जि.ता.३८३/१, प्रशस्तपाद जि.का.. ११०८. प्रीतिविमल त.का..... २३४. प्रीतविमलप्रभ जि.का..८०९/२.प्रेममुनि लों.का. ... ३८१.. प्रेमराज लों.का. ... ४१०. प्रेमराज डूं.का... १०५८. प्रेमवर्धन-पं. जि.का.... ८३२. प्रेमविजय लों.का. ... ३७७. प्रेमविजय जि.का.... २४७. प्रेमराज था.का... १३३. प्रमोदगणि लो.का.... २८१/- प्रहलादन .का... १२१२.. फतेचंद त.का..... २७६ . बनारसी दास जि.का.... ८८२.बनारसीदास (जि.का. १०३७/२.बनारसीदास जि.का.. ११०७.बनारसीदास
ग्रंथांक
कर्तान नाम नाम जि.का. . २००३ - बनारसीदास जि.का. . १६३९ - बप्पभट्टिसूरि-मू.क. जि.का.. १२३९ - बप्पभट्टीसूरि बूं.का. .... १५७.. बलिभद्र -ले. जि.का. . ११९२ बाणभट्ट जि.का.... २५१. बाणभट्ट -टी. डूं.का...... ५२. बालकृष्ण था.का, ... २०६ - बालचंद्राचार्य जि.का.... २८२. बिल्हण कवि जि.का.... २८३. बिल्हण कवि जि.ता.१४६/१. बिल्हणकवि जि.का. . १४४/७. बिल्हणकवि जि.का.. २०५१. बिहारीदास
... २९२. बुद्धिसागरसूरि जि.ता. ... ३६९-बुद्धिसागरसूरि लों.का. ... ६९२. बौद्धाचार्य - क. जि.का.... ६४९. ब्रह्मकवि जि.का.. १५७०. भंडारि नेमिचंद्र-मू..
...बा.क. सोमसुंदरसूरि जि.का., १५६८. भंडारी नेमिचंद्र लों.का. ... १६१ - भंडारी नेमिचंद्र जि.का.. १५६९. भंडारी नेमिचंद्र मू..बाला.
सोमसुंदरसूरि |.... ८३२. भक्ति माणिक्य-ले..
भावचंद्र सूरि-क. J.... १६२ --
भक्तिचंद्र -ले. डूं.का. .... ५९६ - भक्तिमाणिकय मुनि डूं.का. .... २३०, भक्तिमाणिक्यमुनि -पं.
. N
जि.ता ...८२/६/
巨巨巨巨巨巨巨巨巨龙虎虎虎虎
PEPA.A.A.AAR
.... ७१२
AAA
For Private & Personal use only
Page #565
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
4
डूं. का.
७६५ भक्तिमाणिक्य-ले.
१०५७.
जि. का जि.का. १०८३ .
त. का. ... २१२.
३१०. भक्तिसागरगणि
.... ७४८
.... १८१. भक्तिसागरमुनि-ले. भक्तिमाणिक्य ४२० / २. भगवतीदास
जि.का ४२०/३०
जि.का ४२० / ३८ जि.का ४२०/५२ जि.का ४२० / ५५
जि.का ४२० / ५६ जि.का ४२० / ५७ जि.का ४२०/५८ जि.का ४२० १३४४ ११५४
जि.का.
डूं. का. हूं. का. ९०९ डू.का. ९०८ जि.का डू. का.
१९३१ ८६७
त. का... जि.का.
डूं. का.
हूं.का. डूं. का.
जि.का
जि.का
४२० / ३
भगवतीदास
भगवतीदास
जि.का ४२० / ४ जि.का ४२०/५
भगवतीदास
जि.का ४२०/१५ भगवतीदास
भगवतीदास
भगवतीदास
भगवतीदास
भगवतीदास
ANAN
----
कर्तानुं नाम
www.
१०४३
१७२९
भक्तिलाभ भक्तिलाभ
भक्तिविजय
भगवतीदास
भगवतीदास भगवतीदास भगवतीदास भट्ट केदार भट्ट केदार
भट्ट माधव भट्टमाधव टी.
• भट्टिकवि भट्टोजी
भट्टोजी दिक्षित
भट्टोजी दीक्षित
-
भंडार
नाम
ग्रंथांक
त. का ... २८७
लों का
७१
लों का
भद्रबाहु
• भद्रबाहु
७५. भद्रबाहु ७६. भद्रबाहु भद्रबाहु ७७. १३९. भद्रबाहु
१५५ भद्रबाहु ३५. भद्रबाहुस्वामि
जि.का
४०. भद्रबाहुस्वामि
जि.का.
५४ भद्रबाहुस्वामि भद्रबाहुस्वामि
जि.का
७८६
जि.का. १३२२ भद्रबाहुस्वामि जि.का. १४३७ भद्रबाहुस्वामि लॉ. ता ..... ३/४ भद्रबाहुस्वामि १४८ भद्रबाहुस्वामि
लो. का लों का
त. का.
त. का.
जि.का.
त. का.
जि. का
जि.का.
जि.का.
था. का
जि.ता
जि.ता
जि. ता
जि.ता
कर्तानुं नाम
.....
४७. भद्रबाहुस्वामि नि...
मलयगिरि आचार्य-वृ. ३३ भद्रबाहुस्वामि नि.,
संघदासगणि क्षमाश्रमण- लघु. .भा.क..वृ. आ.क्षेमकीर्ति
३२. भद्रबाहुस्वामि नि..
८५
संघदासगणि क्षमाश्रमण- लघु. भा., वृ. मलयगिरि आचार्य भद्रबाहुस्वामि, मलयगिरि-बृ. भद्रबाहुस्वामी ४०/३ भद्रबाहुस्वामी ४१/२ भद्रबाहुस्वामी ... ४१/३ भद्रबाहुस्वामी
५/२
-
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि.ता. ४३/१ भद्रबाहुस्वामी जि. ता. ४७/१ भद्रबाहुस्वामी जि. ता.५९/१ भद्रबाहुस्वामी
जि. ता. ६०/१ भद्रबाहुस्वामी जि.ता.६१/४ भद्रबाहुस्वामी जि.ता. ... ३५/१ भद्रबाहुस्वामी जि. ता. ६८/१ भद्रबाहुस्वामी जि.ता.८२/३ भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी
जि. ता. ८२/५ जि.ता.८३/२ for....28/3 जि.ता ८७/५
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी
जि. ता. ९० / १ जि. ता. ९३ / २ जि.ता.९४ /१
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी
जि. ता. १०४/२ जि.ता.
१३० भद्रबाहुस्वामी
१३१ भद्रबाहुस्वामी
१३४ भद्रबाहुस्वामी
जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता
१३५ भद्रबाहुस्वामी ४२० भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी
४२५/१
२
--
भद्रबाहुस्वामी
जि.ता . ८९/१ जि. का. जि.का. ....... ६. भद्रबाहुस्वामी जि. का. ९६/१ भद्रबाहुस्वामी जि.का. ९६/३ भद्रबाहुस्वामी for.451.... १०५ भद्रबाहुस्वामी
...
.
bo
..
--
-
कर्तानुं नाम
भंडार
नाम
कर्तावार अकारादि सूची
ग्रंथांक
जि. का. जि.का. जि.का.
१८९. भद्रबाहुस्वामी २७२. भद्रबाहुस्वामी
२७४ भद्रबाहुस्वामी २७५ -- भद्रबाहुस्वामी
जि.का. जि.का....
४५५
भद्रबाहुस्वामी
जि.का. १३०० /१
भद्रबाहुस्वामी
KAR
जि.का. १३००/२ जि.का. १३०० /३
त. का. जि.का.
जि.का.
परिशिष्ट २५१७
कर्तानुं नाम
जि.का. १३०० / ४
भद्रबाहुस्वामी
जि.का. १४३४
भद्रबाहुस्वामी
जि.का. १४३५ भद्रबाहुस्वामी
जि.का. १४४९. भद्रबाहुस्वामी for.451.. १४५० भद्रबाहुस्वामी जि.का..
-- --
CONT
१४५१ भद्रबाहुस्वामी
जि.का. १४७५ भद्रबाहुस्वामी
जि.का. १४३३ भद्रबाहुस्वामी
जि.का. १६२५/२
भद्रबाहुस्वामी भद्रबाहुस्वामी
जि. क. १३५५
लों का... ६० भद्रबाहुस्वामी लों का . ६१ भद्रबाहुस्वामी लों का. .... ६२. भद्रबाहुस्वामी लॉ. का. .... ६३. भद्रबाहुस्वामी ६४ भद्रबाहुस्वामी ७४. भद्रबाहुस्वामी
लों का. ....
·
LETE
भद्रबाहुस्वामी
भद्रबाहुस्वामी
२५७ भद्रबाहुस्वामी मू.. क. जिनप्रभसूरि ३७६ भद्रबाहुस्वामी मू.क.. टी.क. धर्मसागरोपाध्याय
.
Page #566
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडारा
पंचांक
भंडार
धाक
नाम
....
४
५१८ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ भंडार| शांक । । कर्तार्नु नाम
कर्तानु नाम जि.का ..... १९. भद्रबाहुस्वामी -मू.नि. जि.ता.....४०/१.भद्रबाहुस्वामी ....संघदासगणि क्षमाश्रमण भा.क./
जि.ता... १२३/१
| भद्रबाहुस्वामी --वृ.क. क्षेमकीर्ति
जि.ता ... १३३ भद्रबाहुस्वामी • १५९ - भद्रबाहुस्वामी -मू.नि., लों.ता. .... ३/५/ भद्रबाहुस्वामि
--- ३. मलयगिरि आचार्य त.का. १३८ .... ९८. भद्रबाहुस्वामी -मू.नि., | जि.का
भद्रबाहुस्वामि ......संघदासगणि क्षमाश्रमण | जि.का |. १३४५ 1. भद्रबाहुस्वामि
|.भा.क..वृ.क.,मलयगिरि | जि.ता.....४२/१ 1. भद्रबाहुस्वामी जि.का. ... १०० भद्रबाहुस्वामी -मू.नि.. जि.ता.....६१/२. भद्रबाहुस्वामी
....... संघदासगणि क्षमाश्रमण भा.क.जि.का. १९३२. भर्तृहरि .वृ.क. क्षेमकीर्ति
| जि.का .. २२१५, भर्तृहरि जि.का... १०१/- भद्रबाहुस्वामी -मू.नि., |.का... ११३८.. भर्तृहरि -........... |. संघदासगणि क्षमाश्रमण भा.क.लों.का.... ७३६ / भर्तृहरि - वृ.क.क्षेमकीर्ति
त.का... १२०६भर्तृहरि जि.का. १३९९ . भद्रबाहुस्वामी-क.
जि.का ... ७१५, भर्तृहरि मू.क.. १४००.भद्रबाहुस्वामी-क.
............ जिनसमुद्रसूरि-टी.क. ....८८/१.भद्रबाहुस्वामी-नि.
जि.का ... ८९४ . भर्तृहरि-मू.क.. ..... ९१ भद्रबाहुस्वामी-नि.क.,
.टी.क.श्रीनाथव्यास ----- वृ.क. मलयगिरि
लों.का.... ५३७. भर्तृहरी १४५३. भद्रबाहुस्थामी-मू.
, ६२६ .. भर्तृहरी ३४ भद्रबाहुस्वामि मूतथा नि, ति.का.... १२४२ . भर्तृहरी 1. संघदासगणिक्षमाश्रमण- ५.का. ..४८ भवदेव
-लघु.भा.,बृ.आ.क्षेमकीर्ति | जि.का. १३३. भवानंद सिद्धांत १४०१ भद्रबाहुस्वामी-क.
बूं.का. .. ११०२. भाग्यविलासगणि १४०२, भद्रबाहुस्वामी-क.
डूं.का....... ९४ . भाग्यविलासमुनि-ले. .. २९४ . भद्रबाहुस्वामी
इं.का... ११५३ .भाटपांचाल १४३६ - भद्रबाहुस्वामि
जि.का... ८४६.भानुकर भट्ट जि.ता......१२ - भद्रबाहुस्वामी
जि.का ....४३७, भानुचंद्र-टी.
कर्तार्नु नाम हू.का......६२४.भानुदत्तमिश्र त.का...... ७३०. भानुमेरुगणेश जि.का, १२७५/१. भारद्वाज जि.का. .... ६८ भारद्वाजमुनि इं.का.......६९०. भारमल्लमुनि जि.का. ११५२, भारवि जि.का. १९४०- भारवि इं.का.... १०१६ - भारवि इं.का.... १०१८ भारवि जि.का. १३०३. भारवि महाकवी डूं.का..... १०१५, भारवि-क. डूं.का.... १०८७. भालचंद्र गणि डूं.का...... ६१४. भावचंद्र |जि.का. १६४९. भावचंद्रसूरि त.का...... ६९९ . भावचंद्रसूरि डूं.का.......८३२. भावचंद्रसूरि क. बूं.का...... १७८ - भावचंद्रसूरि जि.का ... १९०. भावदेवसूरि जि.का. ... २५०. भावदेवसूरि ५.का.... १०३३ / भावदेवसूरि डूं.का.-.... ९२५/- भावदेवसूरि जि.का . ११०२. भावप्रभसूरि त.का...... ३५४. भावविजय त.का....... ९३. भावविजयगणि त.का...... ११. भावसागर डूं.का...... १९३ - भावहर्ष गणि जि.का. .. १७७७. भावजी दीक्षित-टी. जि.का. .. १७०८ भानुजी दीक्षित-टी.
ग्रंथांक कर्तानुं नाम .. १७०२ - भावुजी दीक्षित-टी.
६५८.भास्कराचार्य ११७४.भास्कराचार्य १८७४. भास्कराचार्य १८२४. भास्कराचार्य
११७०. भास्कराचार्य-मू. ..... ९१५. भास्कराचार्य जि.का. . १२६७. भास्कराचार्य जि.ता.... ४२१. भावदेक्सरि त.का...... १२९. भावदेवसूरि जू.का.... १०८२-भुवनकीर्ति जि.का . ११५०. भूद्रमादेव बूं.का...... ७१९, भेरुमुनि जि.का, ४२०/१४. मैया जि.का ४२०/१६, मैया
४२०/१८..मैया
४२०/१९. मैया जि.का, ४२०/२०. मैया जि.का, ४२०/२१, मैया जि.का, ४२०/२२. मैया जि.का. ४२०/२३ | मैया जि.का, ४२०/२४. मैया जि.का, ४२०/२५, मैया जि.का ४२०/२६. मैया जि.का, ४२०/२०/- मैया जि.का, ४२०/२८/- भैया जि.का ४२०/२१ जि.का, ४२०/३१
लिका
- मैया
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--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
संचार
ग्रंथांक
कर्तार्नु नाम
ग्रंथांक
कर्तानु नाम
नाम
नाम
त.का
जि.ता
५४०.
जि.का ४२०/३३.भैया जि.का. ४२०/३४. भैया जि.का. ४२०/३५/- मैया जि.का. ४२०/३६ जि.का. ४२०/३७, भैया जि.का. ४२०/३९. मैया
४२०/४०/- मैया
GP VIE "OPPING
जि.का. ४२०४१
जि.का. ४२०/४२. मैया जि.का, ४२०/४३. मैया जि.का ४२०/४. भैया जि.का, ४२०/४५. भैया जि.का ४२०/४६. भैया जि.का. ४२०/४७/- भैया जि.का. ४२०/४८ | मैया जि.का. ४२०/४९. भैया जि.का. ४२०/५० जि.का. ४२०/५१. भैया जि.का. ४२०/५३
४२०/५४. भैया
४२०/१७/- मैया ता..... ३९९.भोजदेव महाराजा का..... ७३२. भट्ट केदार डूं.का..... ७९४ | भर्तृहरि जि.का.... ५६४-मंडन ५.का..... २६१. मणिमाणिक्य -ले. था.का..... २००. मतिकीर्ति जि.का. १९९६ / मतिकुशल
FERREREBEEEEEEEEEE
४१७. मतिकुशल ५३९. मतिचंद्रमुनि
. मतिचंद्रमुनि ५४१. मतिचंद्रमुनि
४६८. मतिभद्र .... १९५, मतिसागर ले.. रविदास-क. |. १९९९ . मतिसार
१०६८. मतिसार
४२५. मतिसार १०८८. मतिसार मुनि
1. मतिचंद्रमुनि
मतिसार
मतीचंद्र ८३५ मतीचंद्र-ले.. देवेन्द्रसूरि-क.
1. मनरुप विजय १४९.मनरूप विजय
मनरूपविजय मनरूपविजय मनरूपविजय .मनरूपविजय
.मनरूपविजयगणि ८९८. मनरुप विजयगणि ६८६.मनोहर पं. ९२८.मम्मट अने अलक
.मयाचंद ७१४ . मलधारि देवसूरि १४७. मलधारि हेमचंद्र २५२ . मलधारि हेमचंद्रसूरि शिष्य
भंडार ग्रंथांक
कर्तानु नाम नाम जि.का. ....११५. मलधारि हेमचंद्रसूरि-वृ. जि.का .....७८. मलधारि हेमचन्द्रसूरि-यू.क. त.का.... ११४. मलधारि हेमचंद्रसूरि आ.का....
१७१, मलधारी चंद्रसूरि जि.ता .... ४१९, मलधारी देवप्रभसूरि जि.ता... ३८१/२. मलधारी देवभद्रसूरि
..........हर्षपुरीयगच्छ .... ३५६. मलधारी नरचंद्रसूरि ..... ३२७. मलधारी राजशेखर १७३, मलधारी राजशेखरसूरि
मलधारी हेमचंद्र स्वोपज्ञ .मलधारी हेमचंद्रसूरि
मलधारी हेमचंद्रसूरि
१३२. मलधारी हेमचंद्रसूरि जि.ता..... २६०. सलधारी हेमचंद्रसूरि
मलधारी हेमचंद्रसूरि
मलधारी हेमचंद्रसूरि २९८, मलधारी हेमचंद्रसूरि ३२७ मलधारी हेमचंद्रसूरि
मलधारी हेमचंद्रसूरि 1. मलधारी हेमचंद्रसूरि
मलधारी हेमचंद्रसूरि
मलधारी हेमचंद्रसूरि | मलधारी हेमचंद्रसूरि
.मलधारी हेमचंद्रसूरि .... ७०. मलधारी हेमचंद्रसूरि .. २८२, मलधारी हेमचंद्रसूरि .. ६५२, मलधारी हेमचंद्रसूरि
.४१५/१५
CEN NDTD.VDEOECE
मैया
कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २-५१९ भंडार
ग्रंथांक नाम
कर्तानुं नाम .....६६०. मलधारी हेमचंद्रसूरि ......८०.. मलधारी हेमचंद्रसूरि .....३९. मलधारी हेमचंद्रसूरि ....८७/२. मलधारी हेमचंद्रसूरि
२३१- मलधारी हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ २३९ - मलधारी हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ
१२९८ - मलधारी हेमचंद्रसूरि-टी. जि.ता.... ११८- मलधारी हेमचंद्रसूरि-त.
.१२०. मलधारी हेमचंद्रसूरि-य. जि.ता ..... १२१, मलधारी हेमचंद्रसूरि-वृ. जि.का. . १५८४ | मलधारी हेमचंद्राचार्य जि.का. १५८५. मलधारी हेमचंद्राचार्य इं.का.... १२५५ . मलधारी हेमचंद्राचार्यसूरि जि.ता... १५५/७. मलधारी हेमचन्द्रसूरि जि.ता .. १५७/४. मलधारी हेमचन्द्रसूरि जि.ता. १५८/१४. मलधारी हेमचन्द्ररारि .... १८४- मलधारी हेमचन्द्रसूरि
८७१. मलधारी हेमचन्द्रसूरि २३३ - मलधारी हेमचन्द्रसूरि स्वोपज्ञ १८२. मलधारी हेमचन्द्रसूरि-वृ. १६२ . मलधारी हेमचंद्रसूरि शिष्य १८३ . मलधारी हेमचन्द्रसूरि-वृ. १८५ - मलधारी हेमचन्द्रसूरि-वृ.
६६१- मलधारी हेमचंद्रसूरि आ.का.... .२७. मलधारी हेमसूरि-ले. जि.का ... ४२३ - मलयगिरि जि.का. १५१३. मलयगिरि जि.का, २१६७/१, मलयगिरि
EEEEEEEEEEEEEEEEEEEE
- मैया
बबबबबब
EEEEEEEE
जि.ता.....१८५
For Private & Personal use only
Page #568
--------------------------------------------------------------------------
________________
५२० कर्तावार अकारादि सूची परिशिष्ट २
भंडार नाम
कर्तानुं नाम
ग्रंथांक जि.का. २१६७/२. मलयगिरि
eco
हूं. का. २६. मलयगिरि मलयगिरि हूं. का. ७९२ मलयगिरि ढूं. का. हूं.का. ९४७ मलयगिरि खूं. का. ११०९ मलयगिरि मलयगिरि था. का. ....... ९ ७२ मलयगिरि ९४. मलयगिरि मलयगिरि मलयगिरि मलयगिरि मलयगिरि
था. का. था. का. था. का. था. का. था. का..... था. का. २१२
१५१ १५९ १६१
था. का. २७९ मलयगिरि
-
-
भंडार नाम
ग्रंथांक कर्तानुं नाम जि. ता १७४ मलयगिरि आचार्य-टी. मलयगिरि आचार्य-टी. • मलयगिरि आचार्य-टी. मलयगिरि आचार्य-टी.
१९८
..... १९९ .. १२८४ --
जि. ता जि.ता जि. का जि.ता जि.ता जि.का. जि.का. ......
.... ९० / ३ मलयगिरि आचार्य-छू.
ग्रंथांक कर्तानुं नाम जि.ता. २४/४ मलयगिरि आचार्य जि.ता. मलयगिरि आचार्य ३० जि.ता. मलयगिरि आचार्य ३५ जि.ता. मलयगिरि आचार्य ३६ जि.ता. मलयगिरि आचार्य ३७ जि. ता... ७७/२ मलयगिरि आचार्य जि.ता. मलयगिरि आचार्य .... १११ जि.ता. ११२ मलयगिरि आचार्य जि.ता. मलयगिरि आचार्य जि. का मलयगिरि आचार्य मलयगिरि आचार्य २६ मलयगिरि आचार्य
...... १९२
.
११३ २२
मलयगिरि आचार्य-वृ. ३२ मलयगिरि आचार्य-वृ. ७५. मलयगिरि आचार्य-वृ. १५९ मलयगिरि आचार्य-वृ. ६२. मलयगिरि आचार्य वृ.क. ६३. मलयगिरि आचार्य-वृ.क. ६४. मलयगिरि आचार्य-वृ.क.
जि.का. जि.ता जि.ता जि.ता था. का
२४
Hel
-----
www
....
३०
जि.का जि.का जि.का जि.का जि.का जि.का जि.का
मलयगिरि आचार्य ४९. मलयगिरि आचार्य ६५. मलयगिरि आचार्य ८६. मलयगिरि आचार्य ९२. मलयगिरि आचार्य ९३. मलयगिरि आचार्य
१७९. मलयगिरि- टी. १५०५ मलयगिरि-टी. १२३३
जि.का जि.का जि.का जि.ता.
मलयगिरि-वृ. १५१६. मलयगिरि-वृ. ......९१ मलयगिरि-वृ.
....
जि.का
जि.का.
जि.का जि.का.
९८ मलयगिरि-वृ. जि.का .. १५१७. मलयगिरि-वृ. जि.का २१९७/१-
१२७६. मलयगिरि आचार्य १६९१ मलयगिरि आचार्य .....१९४
• मलयगिरि-वृ. ...... ८५. मलयगिरि-बृ.
जि.ता.
था. का
जि.का
जि. का ... १०४ जि.का जि.ता.......
जि.का. जि.का. जि.ता
३८३ ५२
मलयगिरि आचार्य टी. ६०. मलयगिरि आचार्य वृ. मलयगिरि आचार्य बृ. मलयगिरि आचार्य यू. मलयगिरि आचार्य वृ.क. तथा क्षेमकीर्ति तपा. वृ.क. मलयगिरि आचार्य, तथा क्षेमकीर्ति तपा. -वृ.क.
जि.ता. जि.ता हूं. का. जि. ता. ११०
४४७. मलयगिरिसूरि ९४७ मलयगिरिसूरि १९३ मलयगिरिसूरि-टी. १७३. मलयगिरिसूरि बृ. १४८. मलयगिरिसूरि-वृ.क. ७११ मलयगिरि मलयगिरि आचार्य
२८१
था. का. लॉ का ५२ लों का ५४ मलयगिरि
मलयगिरि मलयगिरि
त. का. ५४ मलयगिरि
त. का..
३३१ मलयगिरि ४२६ मलयगिरि
त. का. त. का.
६५१
मलयगिरि
६६२
मलयगिरि ६८०. मलयगिरि
११
मलयगिरि २०. मलयगिरि १३८८. मलयगिरि आचार्य -टी.
२६
मलयगिरि आचार्य
२८
मलयगिरि आचार्य
त.का. त. का. त. का. ....... त. का. ......
जि.का. जि. ता.
जि.ता.
भंडार
नाम
जि.ता.
५५
----
भंडार नाम
ग्रंथांक
३७० मल्लवादी आचार्य
जि.ता जि.ता जि.का.
जि.का
३७१ मल्लवादी आचार्य ४२६. मल्लिनाथ १७८५. मल्लिनाथ ६६८/१. मल्लिषेणसूरि डूं. का. २३४/१ डूं. का.
जि.का)
२३४ / २ जि.का. १८४३.
मल्लिषेणसूरि मल्लिषेणसूरि महादेव
लों का ५५६ महादेव
...
जि.का जि.का
जि.का. डूं. का. था. का .....
कर्तानुं नाम
१८६५. महादेव दैवज्ञ २२४७ महादेव-मू.
३५०/१
महिमराज ५४६ महिमा मुनि ३९३. महिमाकल्लोल मुनि ६६५. महिमासमुद्र ७१९. महिमासमुद्रगणि
४२०
था. का
महिमासागर ६४. महिमासुंदर गणि १०९५
हूं. का. डूं. का.
महिमासुंदर भट्टोजीदिक्षीत-ले. ४१७ महिबल्लभ ५२६ महिप .....६३६
महिवल्लभ-ले. - महीप
९९३
जि.का हूं. का. जि.का जि.का. २२२१/४ जि.का. ५८३ जि.का ११२५ महेन्द्रसूरि जि.का. डू.का.
महीप महेंद्रसूरि-वृ.
११४१ महेन्द्रसूरि
..... ६६६. महेन्द्रसूरि
जि. का ...
जि.का.
डूं. का.
.
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--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
नाम
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम ......३१०. महेन्द्रसूरि-वृ. सा......३११. महेन्द्रसूरि-त.
ला......३१२. महेन्द्रसूरि-वृ. जी का..... ३१३ महेरचंद्र जि.का. ... ७१७- महेश्वर कवि र.का..... ९७३/- महेश्वर कवि नि.का. २१९३/३. महेश्वर भट्टारक जि.ता.. १५१/१६. महेश्वरसूरि जि.का. १३४/१५. महेश्वरसूरि जि.का...८५७ महेश्वरसूरि जि.का १३२६/३७. महेश्वरसूरि जि.का. २०८८. महेश्वराचार्य त.का. .... २६९ - महेस्वर सूरि जि.ता......३०९ - महेन्द्रसूरि-टी. ई.का. .... ८८२ माघ कवि इं.का.... १०१३, माघ कवि
.का... १०१७-माघ कवि जि.का. १२९६ - माघ महाकवी ई.का... ११९२ माघकवि जि.ता..... २६२. माणिक्यचंद्रसूरि इं.का..... ९२१. माणिक्यनंदन हूं.का. .. १२७८. माणिक्यराज -ले.
का..... ९३८. माणिक्यसागरगणि का..... ९३९ .माणिक्यसागरगणि का..... १३९ |माणेकमुनि-पं. ....२८/१|
|माणेकराजमुनि ....२८/२ .माणेकराजमुनि इं.का.....२८/३ - माणेकराजमुनि
भंडार
ग्रंथांक | नाम
कर्तानु नाम डूं.का......२८/४. माणेकराजमुनि
.का......२८/५, माणेकराजमुनि जि.का. २१५३.माधव जि.का ... ७२७. माधव सरस्वती इं.का... १२९७ .. मान मुनि डूं.का...... ३७९, मानचंदसिंह लों.का.... ७०६ - मानतुंग सूरि,
अभषयदेवसूरि आदि बूं.का. .... ९४९ . मानतुंग सूरी त.का...... ८४६ मानतुंगविजय जि.ता... १५६/८/- मानतुंगसूरि |जि.ता.. १५८/१७. मानतुंगसूरि जि.ता. १५८/१८. मानतुंगसूरि जि.ता... ३९७/३ मानतुंगसूरि
|... ७९७ 1. मानतुंगसूरि
| ... ८०३-मानतुंगसूरि जि.का. ... ८४ 1. मानतुंगसूरि ... ८०५
|मानतुंगसूरि - ११०१
- मानतुंगसूरि जि.का १३२६/२४-मानतुंगसूरि जि.का १३२६/५० -मानतुंगसूरि जि.का. १६२७ मानतुंगसूरि जि.का. १६९६ .मानतुंगसूरि जि.का १६२५/६ 1. मानतुंगसूरि
.... २०२ मानतुंगसूरि था.का..... २२१ .मानतुंगसूरि था.का..... ४८१, मानतुंगसूरि
.... १८२. मानतुंगसूरि
कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २-५२१ भंडार नाम ग्रंथांक कर्तानु नाम
ग्रंथांक | कर्तानुं नाम लों.का..... २०२. मानतुंगसूरि
था.का.... ४२७. मानविजय लों.का.... २२०. मानतुंगसूरि
आ.का..... ६७. मानविजय लों.का.... ५८१, मानतुंगसूरि
त.का.... ११९८. मानविजय .... ५९५. मानतुंगसूरि
जि.का. ... ९९०. मानविजयजी त.का...... २४५.. मानतुंगसूरि
डूं.का...... ३७३ - मानसागर त.का...... ४९६मानतुंगसूरि
डूं.का...... ८२२. मानसागर त.का.... १२११ मानतुंगसूरि
डूं.का...... ७८८ 1. मानसागरसूरि ....८४० मानतुंगसूरि-क.
इं.का...... ५०५ मानसूरी जि.का. १७०८ मानतुंगसूरि-भू..
जि.ता .. ३४६/४ 1. मानांक कवि गुणाकरसूस्वि.
जि.ता .. ३४७/१. मानांक-मू.क., शांतिसूरि जि.का. १६६३ मानतुंगसूरि-मू..
पूर्णतल्लगच्छीय-टी.क. बा.क.मेरुसुंदरोपाध्याय
.... ७८३. मालदेव जि.का ...८७४ मानतुंगसूरि-मू.क.,
का ... ८२०, मालदेव वृ.क.अमरप्रभसूरि
लों.का.... ४११, मालमुणि जि.का. १२१०, मानतुंगसूरि-मू.क., लों.का.... ३४३ 1. मालमुनि वृ.क.समयसुंदर
त.का...... ४९३मानतुंगसूरि डूं.का....... २०. मानतुंगसूरि
जि.का . ११७५. मिश्रप्रेम बूं.का...... १००/- मानतुंगसूरि
त.का...... ४५८- मुंजादत्त डूं.का...... ५००-मानतुंगसूरि
जि.का. . १८३०- मुंजादित्य ९.का.... १३६८. मानतुंगाचार्य
जि.ता.... ३३१ - मुकुल भट्ट जि.ता.. १५६/२२- मानदेवसूरि
जि.का, ... १४३. मुकुल भट्ट जि.का. . १२६८. मानदेवसूरि
डूं.का.... ११८४ -- मुनिचंद्र जि.का. १६३२.मानदेवसूरि
त.का...... ५३३- मुनिचंद्र १६२५/८.मानदेवसूरि
..... ७४, मुनिचंद्र सूरि .... ३३३. मानदेवसूरि
. ३६२- मुनिचंद्रसूरि .... ३४६, मानदेवसूरि
का ... १५४ - मुनिचंद्रसूरि .... me. मानदेवसूरि
जि.का... १५५, मुनिचंद्रसूरि ..., २३७. मानदेवसूरिशिष्य शीलांकाचार्य | जि.का ... ५९०/- मुनिचंद्रसूरि
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________________
भंडार
भंडार
अंधांक
कानुं नाम
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
नाम
AEEEEEEE FERESERE
IEEEEEEEEEEEE
... ३३३
५२२ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २
ग्रंथांक कर्तानुं नाम नाम जि.का, १२८३ - मुनिचंद्रसूरि जि.ता. ...२२५/- मुनिचंद्रसूरि-वृ. था.का...... ४९ - मुनिचंद्रसूरि आ.का..... १२३ | मुनिदेवसूंदर जि.का. .... ८९. मुनिदेवसूरि था.का..... १३६ - मुनिभद्रसूरि त.का. .. २३ - मुनिभद्रसूरि
१६४४ - मुनिमेरुपाध्याय डूं.का. ..७२- मुनिरत्नसूरि लों.का. .. ४३२ - मुनिवस्तो आदि आ.का. .. १८६ - मुनिसुंदर डूं.का..... ३४२ - मुनिसुंदर-ले. हूं.का..... ३४४ - मुनिसुंदर-ले. जि.का. .. १५८७ / मुनिसुंदरसुरि-भू..टी.क.
वाचकरत्नचंद्र जि.का. १५८७ - मुनिसुंदरसूरि जि.का. . १६४२ - मुनिसुंदरसूरि जि.का. १६६४ - मुनिसुंदरसूरि
- मुनिसुंदरसूरि ... ८४९ -- मुनिसुंदरसूरिशिष्य
1- मुनिसुंदरसूरि डूं.का. .... ८४५ - मुनिसुंदरसूरि डूं.का. .... ८४६ - मुनिसुंदरसूरि जि.का. ... १९२ - मुनिसुन्दरसूरि,
अद्वा.क.हेमचन्द्राचार्य जि.का. १६२५/३ - मुनिसुंदरसूरि डूं.का. .... ७८५ - मुनिचंद्रसूरि था.का.-..... ५२ - मुनिसुंदरसूरि
भंडार | नाम ग्रंथांक
का नाम जि.ता ... ३५५/- मुरारि कवि जि.का... १७३.मुरारि कवि जि.का... २१७ मुरारि कवि जि.का... २५३ - मुरारि कवि डूं.का... १०१२ - मुणचंद्रजी डूं.का..... ९५८ मेघजी लो.का .... ७१० - मेघमुनि
- मेघराज पार्धचंद्रगच्छीय 1. मेघराजमुनि 1. मेरुतुंगसूरि अंचलगच्छीय
1. मेरुमुनि त.का..... ३०९. मेरुविजयगणि त.का...... ४४७. मेरुसुंदरगणि-क. त.का...... ५३४. मेरुसुंदरजी जि.का. .. १६६३ . मेरुसुंदरोपाध्याय-वा.क, त.का...... १३०. मेरूविजयगणि जि.का. .. २०८०, मेरुशेखर डूं.का...... ५५६ | मेरुसुंदर डूं.का..... ८५६. मेरुसुंदर ई.का...... ३६२. मेरुनंद उपाध्याय
.का.... २८७. मोक्षेश्वर .का..... १०४. मोतीचंद -पं. डूं.का..... ७२०.मोतीचंद पं.
J.....७४५.मोतीचंद-ले. इं.का... ११७१.मोहनरत्न जि.का. १०१६ . मोहनविजय इं.का..... ५१६..मोहनविजय बूं.का..... ८१२. मोहनविजय
डूं.का.... १०७८. मोहनविजय हूं.का.... १०८४. मोहनविजय लों.का.... ४१६. मोहनविजय लो.का.... ५९९ . मोहनविजय त.का...... ४७७ मोहनविजय त.का. .. ७२०.मोहनविजय त.का. . ७३४. मोहनविजय
११५८. मोहनविजय त.का. ... ७००, मोहनविजयक-क., हर्षविजय-ले. त.का...... ८१३...मनरूपविजय जि.ता.... ११९ .. मलधारी हेमचंद्रसूरि-वृ.क. इं.का.. ... २०८.मलधारी हेमचंद्रसूरि
. १११९ . मल्लीनाथसूरि जि.का . ४७५/५.. महिमाकीर्तिगणि जि.का. ... ८२७.. मेघो इं.का...... ३३२. यतिनथमल
६७०,.यशकिर्ती जि.ता......२२१, यशोदिवसूरि-वृ.
३८७/२. यशोदेव |जि.ता.१५१/२१.यशोदेवमुनि(जसदेवमुनि) जि.ता... १३९/१. यशोदेवसूरि
... १३९/२/. यशोदेवसूरि .. १३९/३. यशोदेवसूरि
१४०/३. यशोदेवसूरि .. १४०/४. यशोदेवसूरि
.... २५२. यशोदेवसूरि त.का....... ९२, यशोदेवसूरि जि.ता .... २१२, यशोदेवसूरि-चू.क.
वसमा रूकुकरम
.....२१०. यशोदेवसूरि-टि.
.२०५. यशोदेवसूरि-टी. .wwL.यशोदेवसूरि-वृ. १२७.यशोदेवसूरि-वृ.क. १२८. यशोदेवसूरि-वृ.क.
१२९ - यशोदेवसूरि-वृ.क. जि.ता .... १४५. यशोदेवसूरि-वृ.क. जि.ता.... ४१६. यशोदेवसूरि-वृ.क. जि.ता.. १४०/२. यशोदेवसूरि
....११६ - यशोदेवोपाध्याय-वृ. जि.का. १५५३. यशोभद्रसूरि जि.का. १६९७ .. यशोभद्रसूरि था.का..... ११..यशोभद्रसूरि-वि. जि.ता..... २११ 1. यशोभद्रसूरि-वृ. डूं.का....... ४४३ यशोविजय डूं.का.... ११७० यशोविजय
.... ८४०.. यशोविजय
..... ९५८.यशोविजय त.का.... १०७४- यशोविजय इं.का...... ५०२. यशोविजयगणि जि.का. २११४ - यशोविजयजी जि.का. .. २१३९/- यशोविजयजी जि.का, ... ७०७ .. यशोविजयोपाध्याय 1.का ... ७११. यशोविजयोपाध्याय का - ७४/१ [.यशोबिजयोपाध्याय
. १०९९ - यशोविजयोपाध्याय .....९६६ - यशोविजयोपाध्याय ... ४१६. यशोविजयोपाध्याय स्वोपज्ञ
of 'NTENT
बकवककुमA
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________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
नाम
...
२६
३११
ENTRE 555105
25E0%E
भंडार ग्रंथांक
कानु नाम नाम जि.का.
१३४/१९ - यशोदेव जि.ता... १४०/१, यशोदेवसूरि जि.का. १४५. यसोदेवसूरि
|... ६८० यादवसूरि .... ४८७-युक्तिधीर
-युक्तिधीरगणि .योगराज
युक्तिधीर मुनि रंगचंद्रगणि रंगविजय
रंगविजय -पं. १२५. रंगविजय-ले. .... ४७३. रंगविजयगणि ढूं.का.....७०७. रंगहर्ष बूं.का. ..... ६८० रघुआचार्य जि.का, • १९३५ रघुनंदन भट्टाचार्य
२१३५/१. रतनचंद जि.का.... ३१९. रतनमुनि
. २२२२ . रत्नचंद्र .... ३१२. रत्नचंद्र .... ४00 रत्नचंद्र ....७७२. रत्नचंद्रगणि-.
.... ७८० रत्ननंदीगणी जि.का. २०७४ | रत्ननिधान था.का ..४६० रत्ननिधानगणि
.... ८१५. रत्नपालमुनि जि.का
.... ९०. रत्नप्रभसूरि .... २२७ . रत्नप्रभाचार्य
भंडार ग्रंथांक
कर्तानुं नाम .... ३६८. रत्नप्रभाचार्य
1.रत्नप्रभाचार्य
रत्नप्रभाचार्य-टी. रत्नमंदिर गणि रत्नमंदिरगणि रत्लरंगमुनि
रत्नरंगोपाध्याय-वृ. 1.रत्नराज 1.रत्नवल्लभ 1. रत्नविमल
. रत्नविवेकमुनि का . १५९० .रत्नशेखर का . १५९१, रत्नशेखर 1. १५९२ 1. रत्नशेखर 1. १५९३ . रत्लशेखर
1.... ५२४. रत्नशेखर त.का...... ४३९. रत्नशेखर चूं.का..... २८४ . रत्नशेखर पं.ले.
1. रत्नशेखर क. जि.का . ६५५/१, रत्नशेखरसूरि
1. रत्नशेखरसूरि जि.का ... ७३०. रत्नशेखरसूरि
... ९०५, रत्नशेखरसूरि ... ९५५ . रत्नशेखरसूरि
... ९७८ . रत्नशेखरसूरि जि.का . १४९८. रत्लशेखरसूरि जि.का . १६८०. रलशेखरसूरि जि.का . १६६९ . रत्लशेखरसूरि
A4: बबबबEEEE
था.का .... ९२.. रत्लशेखरसूरि था.का .. ११६ .. रत्नशेखरसूरि
१२६ - रत्नशेखरसूरि ३१०, रत्नशेखरसूरि
. रत्नशेखरसूरि ३१२. रत्नशेखरसूरि ८७/१, रत्नशेखरसूरि स्वोपन
२६३, रत्नशेखरसूरि स्वोपज्ञ १६०३. रत्नशेखरसूरि स्वोपज्ञ
. १४४१, रत्नशेखरसूरि-टी. जि.का. १९६९. रत्नशेखरसूरि-मू..
....टी.क.अमरकीर्तिसूरि डूं.का.... १२१९, रत्नसिंह डूं.का...... २५७, रत्नसिंहसूरि जि.का ... ३६४. रत्नसिंहसूरि शिष्य ७.का...... २५८. रत्नसिंहसूरि जि.का. २०४४. रत्नसूरि जि.का ... ३४८. रत्नसोम वेगडगच्छीय बूं.का.... ११६०. रत्नहर्ष
1.... ४०८. रत्नाकरकवि बागीश्वराङ्क का . ८०८/७. रत्नाकरसूरि
.... १२८. रत्नेश्वरसूरि का .... ३५४. रत्नवल्लभ का ... ४९७. रभसनंदि
... ५३१.रभरानंदी
.....१९५.रविदास-क.
का, . १९५८. रविदेव स्वोपज्ञ | जि.ता......३३७.. रविधर्म-टी.
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कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ - ५२३ भंडार
ग्रंथांक | कर्तानु नाम ..... १९६ .. रविराज .... २२७, रविविजय ... २६३ . रविविजय ... ३४१, रविविजय
३७२. रविविजय ५१३. रविविजय ८२१. रविविजय ९८५, रविविजय ३०६. रविविजयगणि ८११. रविविजयगणी ४२१. रविसागर १३२८. राज कवि
१८८ राजकवि जि.का. १६८७. राजकीर्ति
.५९४. राजचंद्रसूरि-स्त, पार्श्वचंद्रगच्छीय आ.का.... १३३.राजप्रमोद .... १२०, राजप्रमोदगणि
. राजप्रमोदगणि 1.राजप्रमोदगणि 1. राजप्रमोदगणि
राजप्रमोदगणि ४७१, राजप्रमोदगणि ३२६ - राजप्रमोदगणि-ले. ९३१.राजमूर्ति १०८९राजवल्लम
८६९.. राजवल्लभोपाध्याय ... ६५०. राजशील उपाध्याय ... ८३१.राजशीलोपाध्याय
PAPANA
655
510
जि.ता.
For Private & Personal use only
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________________
भडार
ग्रंधांक
भंडार
ग्रंथांक
भंडार ग्रंथांक
नाम
नामा प्रथाक
कर्तानुं नाम
AAPAN
५२४ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २
| कर्तानुं नाम जि.ता..... ३१८.राजशेखर .का. ... १९१/- राजशेखर कवि
... २४६ - राजशेखर कवि जि.का | १०७५/१.राजशेखर-मू.क..
----वृ.क.दैवललामसाधु जि.का. .. १९६१.राजशेखर-वृ. जि.का.. ३५०/२.राजसमुद्र जि.का.,.३५०/३.राजसमुद्र लों.का.... ५९१.राजसागर आदि त.का... १११८.राजसिंह जि.का., . २११३, राजसुंदर जि.का. २०१५, राजसुंदर कवि ५.का... ११५९ / राजसूरी था.का......३०६राजसोम इं.का. .... ६८२
.राजहंस .ता..... ३२३ .राजानक मम्मट अने अलक जि.ता..... ३२२. राजानक मम्मट्ट अने अलक जि.ता....: ३२५. राजानक महिम डूं.का... १०४२.रामंचद्र बूं.का... १२४४. रामचंद मुनि
... ६०८.रामचंद्र जि.का. १८१५.रामचंद्र इं.का. .... ३७८.रामचंद्र ५.का... १०४१ रामचंद्र लों.का..... ५६०.रामचंद्र त.का..... ४६९. रामचंद्र त.का... पं०७८.रामचंद्र जि.का ... १५०. रामचंद्र गुणचंद्र
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|... १५१. रामचंद्र गुणचंद्र जि.ता... ३६६/१. रामचंद्र-गुणचंद्र स्वोपज्ञ
३६६/२. रामचंद्र-गुणचंद्र स्वोपज्ञ
- रामचंद्रगणि १९५७. रामचंद्रगणि१९८८- रामचंद्रभट्ट
.रामचंद्राचार्य
रामचंद्राचार्य ११२२. रामचंद्राचार्य १९४२. रामचंद्राचार्य
रामचंद्राश्रम रामचंद्राश्रम रामचंद्राश्रम . रामचंद्राश्रम
रामचन्द्र 1. रामचन्द्र
रामचन्द्राश्रम .रामचन्द्र
.रामजी-ले. .... १८९.रामदेवगणि
१३२४/२.रामदेवगणि-टी. जि.का. ११४९ .रामदैवज्ञ डू.का... १२५६.रामप्रमोद-पं. जि.का. २०१३.रामविजय जि.का.. २०१३ | रामविजय डूं.का...... ३९६ - रामविजय ५.का... १०७९.रामविजय त.का..... ८३४. रामविजय
भंडार
__ ग्रंथांक कर्ता नाम | नाम जि.का...६२८.रामविनोद जि.का. १८००. रामाश्रम जि.का,... ९१५. रामाश्रमाचार्य
. १७३२.रामाश्रमाचार्य
१७३३. रामाश्रमाचार्य
૧૭૨૬ . रामाश्रमाचार्य-मू.. व्या. सदानंद
.... १२९ रामचंद्र लो.का..... ६२२. रायचंद शाह डूं.का...... ८३१. राजकीर्ति गणि डूं.का....... ७०५. रिधिविजय जि.का. ....३७२. रुद्रपल्लीय जि.का. १२९५, रुद्रट डूं.का...... ३९९ रुपचंद डूं.का...... ४४८.रूपचंद डूं.का.... १०५५ रुपचंदमणि .लों.का..... ३९६ - रुपवल्लभ जि.का . २१५१. रूपचंद लों.का..... ३७८.रूपचंद त.का...... ७८२.. रूपचंद
.का.-.... ६४२.रूपचंदजी जि.का. १९२७.रूपचंद्र डूं.का...... १७३. रूपचंद्र त.का...... ६४०.रूपविजय त.का...... ९३३ . रूपसागर जि.का. १४९४. रत्नशेखरसूरि जि.का. १६६८. रत्नशेखरसूरि त.का...... ४७५. रविविजय आ.का...... ७९. लक्ष्मण मुनि
कर्तानुं नाम .... ७५७.. लक्ष्मण व्यास-ले.
.... २५१.लक्ष्मणगणि त.का....... ४९. लक्ष्मणमुनि
1. लक्ष्मीकुशल गणि
1. लक्ष्मीतिलक १२५.. लक्ष्मीतिलकगणि
लक्ष्मीधर ३४९ . लक्ष्मीधर भट्ट का...... ७२३ . लक्ष्मीरंगमुनि त.का......८३९. लक्ष्मीरल डूं.का...... २६६ . लक्ष्मीराज ले. डूं.का...... २६७ लक्ष्मीवलल्म जि.का. २०३१. लक्ष्मीवल्लभ डूं.का....... ४५, लक्ष्मीवल्लभ डूं.का...... ४७३. लक्ष्मीवल्लभ डूं.का.... १००२. लक्ष्मीवल्लभ लों.का..... १८९ - लक्ष्मीवल्लभ लों.का..... ४१३.लक्ष्मीबल्लभ जि.का, . १७१०.लक्ष्मीवल्लभगणि डूं.का...... ८५३. लक्ष्मीविजय त.का...... ५३७. लक्ष्मीविजयगणि जि.का. ... ८३९. लक्ष्मीसागर डूं.का...... ३२२. लक्ष्मीसिद्धिसाध्वी त.का...... ६७५. लक्ष्मीकुशल जि.ता.... २७३ - लक्ष्मीतिलक जि.का.८१७/१०. लखमण त.का...... ४९४ लधिशेखरगणि इं.का...... १०८.लब्धिसागर
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________________
भंडार
नाम
जि.का.
हूं.का.
ई.का. ५२८ जि.का ३४९/२ जि.का
जि.का
ग्रंथांक
... ६९५
... ६२१
३४९ / ३ लाभोदय
३४९ / ४. लाभोदय
जि.का. ३४९/१ लाभोदय ३४९/५. लाभोदय
जि.का.
लॉ. का.
बूं.का.
त.का. लो. का.
डू.का.
था. का.
जि.का. आ. का... जि.का. जि.का. जि.का.
...
९४ • लाभमंडन-ले. ३७२ लालचंद १०७६. लालचंदगणि ३८८ . लालचंद्र १७०. लालचंद्र ले.
५९१. लावण्य हर्ष १९१५. लावण्यकीर्त ८८
६१७ लावण्यसमय १०१२. लावण्यसमय २०१७ लावण्यसमय
लावण्यसमय
४२९
त. का. .... १६५. लावण्यसमय त. का...... ६४३ त.का. ७८९ लो. का. दू.का. ८६६ डूं. का. .. ११९६ जि.का. १८९५ जि.का. १९२८
त. का......
९५३
....
लब्धिहर्ष
लाभगणि-ले. लाभविजय लाभोदय
....
कर्तानुं नाम
लावण्यनंदि गणि
लावण्यसमय लावण्यसमय उदयराज . लोकशंकर लोलंबराजकवि
लोलिंबराज
लोलिवराज
ललितसागर
भंडार
नाम
ग्रंथांक
जि.का १७२२ जि.का २२३१ जि. ता. ३०५
जि. का
जि.का
जि.का
लों का जि.का
जि.का
जि.का
जि.का जि.का
वरदगज
वरदराज
वररुचि
...२२० वररुचि
२०४० . वररुचि
१८४८ -
4
....५५८
..
.
www.
वराहमिहिर
वराहमिहिर
१८४९ वराहमिहिर मू.
१८५०. वराहमिहिर मू., उत्पलभट्ट-टी.
१०५० वराहमिहिर मू.क.,
....
----
था. का.
१
जि.ता. २५० जि.ता. २५४ वर्धमानसूरि
जि.का ११७. वर्धमानसूरि जि.का ... ११८. वर्धमानसूरि जि.का २१७१ वर्धमानसूर था. का........ ९३. वर्धमानसूरि था. का. २८८ वर्धमानसूरि जि.ता. २१४ / १ वर्धमानसूरि-टी.क. जि.ता. २१५. वर्धमानसूरि.टी.क. जि.का
१२७३
जूं. का.
हूं. का ... ८८४ ८८६ १२०८
जि.का
डूं. का.
कर्तानुं नाम
२१२५ १६७०
....
.टी.क. उत्पलभट्ट वर्द्धमान कवि वर्द्धमानभट्टारकदेव वर्धमान आचार्य वर्धमानसूर
वल्लभ वल्लभ देव वल्लभ देव बल्लभदीक्षित
६७४. वल्लभसूरीनाशिष्य
भंडार नाम
जि.ता. जि.का......
जि. कर.... ६९८
२००९
३५४
जि.का.
जि.ता
जि.का.
जि.का.
जि.का.
जि.का
जि.का
ग्रंथांक
कर्तानु नाम ३३८. वल्लभीवास्तव्य भट्टि कवि ४३७ वसंतराज मू.क., टी.क. भानुचंद्र वस्तिग
यस्तो
...
२१४ वाग्भट
८२६. वाग्भट
१८१४
वाग्भट
१७७१
जि.का जि.का
.......
वाग्भट १९०० वाग्भट ५७९. वाग्भट-मू.क. २१५९ वाचक खेम डूं.का. ७६३. वाचक यशमुनि डूं. का. ...... ७२७. वाचकयशमुनि जि.का .. १५८७. वाचकरत्नचंद्र टी. जि.जा .... २७४ वाचनाचार्य विवेकसमुद्रगणि जि.का ६९ वाचस्पति मिश्र जि.का. १२७४/१ वाचस्पति मिश्र जि.ता. .. ३९२/२ जि.का. १२७४ /२ जि.का. १२७५/२ जि.ता ३९५/१
जि. ता३९१/२ वाचस्पतिमिश्र जि.का. ६७. वात्स्यायनमुनि
जि.का. १२७४ / ३ जि.का. २०३८ / १
वात्स्यायनमुनि वादिराज
.
T
वाक्पतिराज-मू.क..
टी.क. भट्ट उपेन्द्रहरिपाल
....
वाचस्पतिमिश्र
वाचस्पतिमिश्र वाचस्पतिमिश्र
वाचस्पतिमिश्र-वृ.क.
कर्तावार अकारादि सूची परिशिष्ट २५२५
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
जि.ता
भंडार नाम जि.ता बादिबेताल शांतिसूरि .. १५६/७ जि.का. १६२५/७ वादिवेताल शांतिसूरि जि.ता. वादिवेताल शांतिसूर .थारापद्रगच्छीय वादिबेताल शान्तिसूरि 1. धारापद्रगच्छीय वादिबेताल शांतिसूरि
९७
..... ९६..
.... 44. ३०८ बादिहर्षनंदनगणि
जि.का. था. का जि.ता. ....४०५ बादी देवसूरि स्वोपज्ञ जि.का. २२२१/२ वादींद्र जि.का ९८२ बानर्षगणि स्वोपज्ञ जि.ता ३३३ वामन स्वोपज्ञ for all. १८११ वाग्भट जि.का. २००८ विजय डूं. का...... ९५४ विजयचंद ढूं. का. ..... २६५ विजयचंद्र ले. क. जि.का
८२९. विजयतिलक २००६ विजयतिलक २०१२/१. विजयतिलक
जि.का. जि.का. ढूं. का. लो. का
१३१६ विजयतिलकसूरि
६३६ विजयदेवसूरि
८०. विजयदेवसूरि २१०. विजयप्रभगणि ... ८२३. विजयभद्र ९८२. विजयविमलगणि अपरनाम वार्षिगणि स्वोपज्ञ तका १२१३. विजयशेखर जि.का १८८. विजयसिंहसूर
.....
-----
www.
त. का.
त. का.
जि.का. जि.का
"+
"
.
Page #574
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
ग्रंथांक
भंडार
नाम
कर्तानुं नाम
= "42
५२६ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ भंडार
ग्रंथांक | __ कानुं नाम | नाम |जि.ता..... १९७ . विजयसिंहरारि-वृ.क. जि.ता.. १७१/११. विजयसिंहाचार्य डूं.का...... ३११. विजयसुंदर गणि त.का..... १८२ . विजयसेनसूरिशिष्य कनककुशल जि.ता... २९०/१. विजयानंद जि.ता... २९०/३.विजयानंद जि.ता..... २९१. विजयानंद जि.का. . १२९१ . विजयानंद डूं.का..... ६४८. विजयानंद त.का..... ६७०/. विजलक्ष्मी था.का..... ३०७. विद्याकलशमुनि जि.का २२३६/४. विद्याकीर्ति जि.का., ... ८५, विद्याधारित्र जि.का., .. १७९८ . विद्यातिलक-यू. जि.ता..... ३४३ . विद्याधर पंडित जि.ता..... ३४५. विद्याधर पंडित जि.का. १७५१.विद्यानंद त.का..... ४२४ . विद्यारंसगणि आ.का..... १६२. विद्यारत्न गणि लो.का..... ४३५. विद्यारुचि हूं.का. .... ८२८. विद्यासागर गणि त.का... ११७४. विद्यासागरउपाध्याय जि.का. ... ९६६ - विनजविजय तथा
.यशोविजयोपाध्याय जि.का. १९०६. विनयचन्द्र ढूं.का..... ५९८. विनयधर्म जि.का. . २१२३ | विनयप्रभ त.का..... २०८ | विनयप्रभसूरि
g theo
डूं.का... १०८०. विनयमेरुमुनि बूं.का..... २५९, विनयरंग ७ .का...... ४६९. विनयरससूरि लों.का.... ३७०. विनयविजय त.का. .... १९७. विनयविजय
... १३३१.विनयविजय उपाध्याय जि.का. - २१३९. विनयविजयजी यशोविजयजी जि.का - १८०६ - विनयविमल त.का...... ७१२. विनयविजयजी उ. था.का..... ४३२ . विनयवर्धन मुनि [.. १०७६. विनयशील
विनयसमुद्र याचक ..... ७८. विनयसुंदर ..... १९६ . विनयसुंदर • वृ.
..... २० . विनयसोमसूरि त.का...... २२४. विनितसागर त.का...... ५६१. विनीतसागर जि.का .. १५८१. विमलकीर्ति-क. हूं.का...... २४१. विमलकीर्तिगणि-ले. जि.का - ९५१/१. विमलकीर्तिगणि वाचनाचार्य जि.का - ९५१/२. विमलकीर्तिगणि वाचनाचार्य डूं.का... १०२१. विमलगणि आ.का...... ८१.विमलचंद ५.का...... ५८५.विमलमुनि त.का. .... ९४४. विमलविजय जि.का - ५११/१, विमलविनय जि.का - ८०८/३. विमलविनय लों का .... ३५०. विमलविनय
ग्रंथांक नाम।
कानुं नाम लों.का..... ६३९. विमलविनय स.का...... ३५२.विमलविनय था.का .... ३५९ . विमलविनय मु. लों.का ..... ५१८.विमलविनय जि.ता. .... २४६ . विमलसूरि |जि.ता | -... २१७ - विमलसूरि-मू.क..
............. .क.हेमप्रभसूरि त.का...... ९७०- विमलसौभाग्य जि.ता. १५४/१३. विमलाचार्य जि.ता.१५८/१२.विमलाचार्य जि.ता. १७१/१०. विमलाचार्य जि.ता .... २६४. विमलाचार्य जि,का, १३३/१४. विमलाचार्य जि.का. . ४५९/५ - विमलाचार्य जि.का. ... ६३४. विमलाचार्य जि.का १३१७/१९ . विमलाचार्य जि.का. १३२६/३८. विमलाचार्य जि.का. . ७८९/३ . विमलाचार्य जि.का. १६१०. विमलाचार्य जि.का, ... ३५८. विमलाचार्य -मू.क. जि.का. ... ६१९ - विमलाचार्य -मू.क. जि.का.... ६२०. विमलाचार्य -मू.क. डूं का.... १३५१. विमलकितीमुनि डूं.का...... ४७५ विमलमुनि जि.ता..३१४/३. विरहाइक डूं.का.......६३०. विवेकचंद्र ले. लोका .... ६१८. विवेकविजय डूं.का...... २३१. विवेकविजय -पं.
भंडार
ग्रंथांक नाम
कर्तानु नाम ति.का...... २३०, विवेकहर्ष त.का......८७६.विवेकहर्ष डूं.का....... ५४. विवेकसमुद्रगणि जि.ता .. ३५७/१. विशाखदेव डूं.का...... २५४. विशालकीर्ति मुनिले. हूं.का... १३५०. विशालरत्नगणि-पं. त.का...... ९५४. विशालसुंदर डूं.का...... २५३- विशालसुंदरगणि-ले. हू.का...... ७९१. विशालकीती जि.का. १८९८.विश्वशंकर जि.का . १४२६. विषमपदविवरण जि.ता .... ३४४. विद्याधर पंडित लो.का.... ४३८. विनयविजय लों.का.... ४२६. वीरचंद्रदर्षि जि.ता, .. १५५/४. वीरचन्द्र शिष्य त.का...... ३२८.बीरदेवगणि जि.का १४२५/१, बीरभद्र जि.ता... १४६/१. वीरभद्रगणि जि.ता .. १४६/२. बीरभद्रगणि जि.ता.. १४६/९. वीरभद्गगणि जि.का. ... ३६२. वीरभद्रगणि जि.का. ... ७५७. वीरभद्रगणि जि.का ... ८४४ वीरभद्रगणि जि.का - ८७३/4वीरभद्रगणि जि.का, ... ८८१ वीरभद्रगणि जि.का. . ९७०/१. वीरभद्गगणि जि.का. १४२७. वीरभद्रगणि जि.का. १४२९. वीरभद्रगणि
ý
Page #575
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि.का. १४२४ लों का १२४ जि.का.,
३५९ जि.का. ४१८ जि.का.
...
हूं. का. जि.का.
जि.का.
१८७०
त. का.
५५७ वीरभद्रसाधु जि. ता. १४६/३ वीरभद्रगणि त. का. १८३ वीरविजय त. का. ४३२ वीरविजय ३७७. वीरसागर
त.का.
त. का.
३१७ वीरसागरगणि
त. का. ....
३२०. वीरसागरगणि
जि.ता.
कर्तानुं नाम
वीरभद्रगणि वीरभद्रगणि
वीरभद्रगणि मू.क. वीरभद्रगणि मू.क.
७७३. वीरभद्रगणि- मू.क.,
• जयचंद्रसूरि बा.क. वीरभद्रगणी
....९२ वीरसूरि
त. का...... ४८१. वृद्धिविजय
जि.का
---
•
४०० वेगडगच्छीय महिमसमुद्र प्रारब्ध,
• बेगडगच्छीय क्षमासुंदर
• बेलचंद पं.ले.
वैद्यरतन
वोकेशकर शर्मा
२३३
१८१८
जि.का. १७२७
जि.का. १७४८ वोपदेव
जि.का. १७४९
बोपदेव १७२५. व्याडि
जि.का. जि. ता.
३९५ / २. व्यासर्षि भा.क.
९४५
वरचंद्र गणि
डूं. का. जि.का. जि. ता.
९८१
२९०/२
. विजयभद्र विजयानंद क.
भंडार
नाम
ग्रंथांक
जूं. का.... १२३६ त. का...... हूं.का. ३३६ जि.का. १९०१
त. का.
जि. का
www.
बूं. का. डूं. का. जि.का जि. ता.
जि. ता.
डू. का.
७७७. शंकरदासमुनि ६६० शंकरमुनि
बूं. का. जि.ता. .. ३८८ / २. शंकरस्वामी- भा.क. जि.का. १९१८ शंकराचार्य डूं.का. ६५९. शंकराचार्य
बूं.का.
.. १३६२
शंकराचार्य
४५३
शंकराचार्य
१२२४
शंखधर
१०९६
शंखधर
६२७. शंभुमुनि
जि.का
जि. का
( था. का.
.
...
...
कर्तानुं नाम
११२८
७४ /१
८३/३
५४०
... ७००
जि.का. जि.का • शय्यंभवसूरि जि.का ७६३. शय्यंभवसूरि जि.का. ८७६ शय्यंभवसूरि जि.का. जि.का
९५० शय्यंभवसूरि
१०८४ / १. शय्यंभवसूरि
जि.का १३१०/५
शय्यंभवसूरि
जि.का १४४४ शय्यंभवसूरि
१६९९ शय्यंभवसूरि
१४६७
शय्यंभवसूरि २५ शय्यंभवसूरि
Set
विनयचंद ले.
4
९७७ वृद्धिविजय
शंकर पं. ले. शंकरदत्त
शतानंद शय्यंभवसूरि
• शय्यंभवसूरि शय्यंभवसूरि
भंडार
नाम
था. का
था. का
था. का
लों का
ग्रंथांक
.....७३ शय्यंभवसूरि
७४. शय्यंभवसूरि ८६. शय्यंभवसूरि १०२. शय्यंभवसूरि
त. का.
६०५ शय्यंभवसूरि
त. का. ६०९ था. क्रा ८६ जि.का ... ४४४
शय्यंभवसूरि शय्यंभवसूरि शय्यंभवसूरि मू.क., वृ.क. सुमतिसूरि ५९४ शय्यंभवसूरि मू.क.. स्त. क. राजचंद्रसूरि रपार्श्वचंद्रग जि.का. १९४६ शय्यंभवसूरि.मू. क. सुमतिसूरि जि. ता. ८८/१ शव्यंभवसूरि-मू.. .नि. भद्रबाहुस्वामी,
जि.का)
- वृ. हरिभद्र आचार्य
जि.ता.
.८२/१ शय्यंभवसूरि-मू.क..
८६
८९
लों का
९०
.टी.क. तिलकाचार्य शय्यंभवस्वामी शय्यंभवस्वामी शय्यंभवस्वामी ९१. शय्यंभवस्वामी ९२. शय्यंभवस्वामी ९३. शय्यंभवस्वामी ४३ शय्यंभवसूरि
लो. का
लों का
लों का जि.का
लों का
शय्यंभवाचार्य शय्यंभवाचार्य
८५. लो. का .... ३०३ लॉ. का .... ३०४ शय्यंभवाचार्य जि.का. १७०७ शय्यंभवसूरि
कर्तानुं नाम
लों का
लो. का
भंडार नाम
कर्तावार अकारादि सूची परिशिष्ट २५२७
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
लॉ. का ..... लॉ का जि.का.
शय्यंभवस्वामी शय्यंभवस्वामी .. शशधर
१७८६ डूं. का. ८७० शशधर जि.का. १७८७ . शशधर डूं. का९९२ शशिसूरि *.451.... १०३५ शशीसूरि त. का. २३६ शांतिकुशल त. का. ९४५ शांतिकुशल जि.का. शांतिचंद्रोपाध्याय वृ.क. ४७७ लों का... ९७ शांतिदेव शांतिविजय
११९०
त. का. त. का... २०७
शांतिसागर
जि.ता
२७१. शांतिसूर जि.ता ३७२ शांतिसूरि जि.का. ५३३/१ शांतिसूर जि.का. ६५५/३ शांतिसूरि जि.का ६७६ शांतिसूरि जि.का. ७०५ शांतिसूर जि.का. ७४८ शांतिसूर शांतिसूरि
जि.का ८७३/३ जि.का ... ८७७ शांतिसूर जि.का. ९०६ शांतिसूर
जि.का १०२९ शांतिसूर
जि.का. ११७१
शांतिसूरि जि.का. १४८८ शांतिसूर जि.का. १६८२ शांतिसूरि डूं. का.... १०२५ शांतिसूरि
T
...
...
८७-
८८
..
--
.
Page #576
--------------------------------------------------------------------------
________________
भडारा
नामा
५२८ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ भंडार ग्रंथांक |
भंडार
ग्रंथांक कर्तार्नु नाम नाम
नाम कर्तानुं नाम
कर्तान नाम था.का....... शांतिसूरि जि.ता. ....२०१/- शालिभद्रसूरि-टी.
जि.का. १२..शिवशर्मसूरि-भू.क.. त.का..... २६५/-शांतिसूरि जि.ता ...२०२. शालिभद्रसूरि-टी.
+.टी.क आचार्य मलयगिरि त.ता........ ४.शांतिसूरि |जि.का. १८१३. शार्गधर
जि.ता.... १८५, शिवशर्मसूरि-भू.क.. जि.ता... ३४७/१, शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय-टी.त.का. ... ११२. शिलांगाचार्य
......... वृ.क. मलधारी हेमचंद्रसूरि जि.ता... ३४७/३ | शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय-टी. | लों.का ....८४.शिवजी मालजी-ले. जिं.ता .... १८३ - शिवशर्मसूरि-भू.क.. जि.ता... ३४७/५ | शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय-टी. ||ई.का... १०७०, शिवनंदन
वृ.क. मलधारी हेमचन्द्रसूरि जि.ता... ३४७/४. शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय-टी.ई.का. .... ५३१. शिवनिधान
जि.ता .... १८२ . शिवशर्मसूरि-भू.क.. जि.ता... ३४७/२/- शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय-टि. ||जि.ता... ३४७/३/शिवभद्र कवि-मू.क.,
वृ.क.मलधारी हेमचन्द्रसूरि जि.का २२१७/२/- शांतिसूरि-मू.
.शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय-टी. जि.का .. १३३२. शिवाचार्य जि.ता.... २३४ - शांतिसूरि
...... ४९.शिवराज
|जि.का ..१३३३.शिवाचार्य - मू.क...क.देवेन्द्रसूरि जि.का.८०८/५. शिवलक्ष्मी
इं.का......६६३.शिवादित्य त.का. .... २००/- शांतिसूरी ७.का.... ११८७, शिवलाल
जि.का. १७९३..शिवादित्य मिश्र त.का..... ५९०.शांतिहर्ष डूं.का. ..... ९७.शिवलाल-ले.
1.शीलांकाचार्य डूं.का..... १०७. शांतिविजय जि.ता... १५०/५.शिवशर्मसुरि
1. शीलांकाचार्य ... ७९९ ..शांतिसूरिजि.ता.. १५४/१७.शिवशर्मसूरि
.शीलांकाचार्य - मू.क...क.देवेन्द्रसूरि जि.ता... १६०/३. शिवशर्मसूरि
शीलांकाचार्य डूं.का. .... ९५७ . शांतिसमुद्र-ले., रत्नशेखर |जि.ता... ४१५/२.शिवशर्मसुरि
शीलांकाचार्य जि.ता..... ३७७ . शान्तरक्षित जि.ता... ४१५/९ .. शिवशर्मसूरि
.शीलांकाचार्य लों.का..... १८८. शान्तहर्ष शिष्य जिनहर्ष | १३३/१८. शिवशर्मसूरि
1. शीलांकाचार्य जि.ता... १५५/२ शान्तिसूरि जि.का .. १५१५. शिवशर्मसूरि
• १३४९ शीलांकाचार्य था.का..... ११७ शान्तिसूरि जि.का .. १५१५,. शिवशर्मसूरि
. १३५०शीलांकाचार्य था.का..... १३९ शान्तिसूरि
... ११५ . शिवशर्मसूरि -मू..
.... २५४.शीलांकाचार्य .... २३७ शान्तिसूरि
- वृ.क.मलधारि हेमचंद्रसूरि था.का .... २५६. शीलांकाचार्य ६९७ - शान्तीसूरि जि.का. १२९८. शिवशर्मसूरि -वृ.क.,
था.का.... २६४.शीलांकाचार्य त.का...., १०३ . शान्तिसूरि
.टी.क. मलधारी हेमचंद्रसूरि जि.का. १३५७.शीलांकाचार्य टी. ३६३. शालिभद्रसूरि
जि.का - १५१७. शिवशर्मसूरि-भू...क.मलयगिरि | जि.का ... १२३ . शीलाचार्य ९३१.शालिभद्रसूरि जि.ता..... १७३ . शिवशर्मसूरि-भू..
जि.का . १३५६. शीलांकाचार्य-वृ. .....२००/शालिभद्रसूरि-टी.
-- वृ.क.मलयगिरिसूरि
डूं.का....... ८२५. शीलगणी
ENE:
BEEEEEEEEE
भंडार ग्रंथांक
कर्तानु नाम नाम जि.ता..... २/३.शीलांकाचार्य जि.का, .. १५३२ शुभचंद्राचार्य-टी. जि.का. ... ५१५, शुभचंद्राचार्य जि.का, ... ६१३ - शुभमंदिर डूं.का...... ४९१ .. शुभवर्धनगणि त.का.... १०८७.. शुभवर्धनगणि जि.का ... ४३९ - शुभशीलगणि-वृ. ई.का...... ९७५. शेखरज्योतिरीश्वर त.का...... ४८२.. शोभनदेव आचार्य जि.का. १६४०. शोभनमुनि जि.का . २१८९, शोभनमुनि लों.का.... १७४. शोभनमुनि
1. शोभनमुनि
शोभनमुनि डूं.का...... ८३९. श्यामसिंह जि.ता..... २७. श्यामाचार्य जि.ता....२९/१. श्यामाचार्य जि.का. .... २५. श्यामाचार्य जि.का . २१६६ - श्यामाचार्य जि.का .... ७१ श्रीकंठ .का. १८५९.श्रीकंठशिव पंडित
.... ६१३. श्रीचंद्र जि.ता..... ७५.श्रीचंद्रसूरि जि.ता ..... ७६. श्रीचंद्रसूरि जि.ता .. १४१/१. श्रीचंद्रसूरि जि.ता.. १४१/३. श्रीचंद्रसूरि |जि.ता.. १४१/४. श्रीचंद्रसूरि जि.ता.... २८२. श्रीचंद्रसूरि
......४
जि.का
....८१
जि.का
बबब
For Private & Personal use only
Page #577
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
जि. ता.
४०६
श्रीचंद्रसूरि जि. ता. ४१७/२ श्रीचंद्रसूरि जि.का. ३१/२ श्रीचंद्रसूरि जि.का. १६८ श्रीचंद्रसूरि जि.का. ३३१ श्रीचंद्रसूरि ३८४ श्रीचंद्रसूरि
जि.का.
४६३ श्रीचंद्रसूरि
जि.का. जि.का. ५२४ श्रीचंद्रसूरि
जि.का. ८०२ श्रीचंद्रसूरि
जि.का. ८९१
श्रीचंद्रसूरि
जि.का. १०९७ श्रीचंद्रसूरि जि.का. १२४४ श्रीचंद्रसूरि जि.का. १४९४ श्रीचंद्रसूरि १४९५ श्रीचंद्रसूरि १४९६ श्रीचंद्रसूरि
जि.का. जि.का. जि.का. १४९७ श्रीचंद्रसूरि जि.का. १६८१ श्रीचंद्रसूरि जि.का २१३२ श्रीचंद्रसूरि लों का १३२ श्रीचंद्रसूरि लों. ता. ३/२ तका ४३५ त. का... १११५
श्रीचंद्रसूरि श्रीचंद्रसूरि
श्रीचंद्रसूरि श्रीचंद्रसूरि
त. का. १३१३ जि.का. ५२५ श्रीचंद्रसूरि मू.क. जि.का. ६५० श्रीचंद्रसूरि-क., देवभद्रसूरिटी जि.का २१९९ श्रीचंद्रसूरि मू. टी. देवभद्रसूरि १०६७. श्रीचंद्रसूरि मू.क... अव.क. साधुसोम
जि.का.
...
कर्तानुं नाम
भंडार नाम
डूं. का. जि.का जि.ता.८२/२
जि. ता. १४१/२
त. का.
था. का.
लों का
लों का
था. का.
था. का.
था. का..... २०९ २२२
था. का.
त.का. ३६७
४४३
४४८
...२०२
त. का.
त. का.
जि.का
ग्रंथांक
www.
F....
....
लों. का.
लॉ. का
દ श्रीचंद्रसूरि र.
९६४. श्रीचंद्रसूरि.वृ.क.
F..
श्रीचंद्रसूरि ११४९ श्रीचंद्रसूरि १३२ श्रीचंद्रीय
५९. श्रीचन्द्र
५९० श्रीचन्द्र
१०१
१०४
त. का.......
४४२ आ.का. ३१७
त. का.
११६० आ. का ३५२ आ.का. .....२०६ जि.का.
कर्तानुं नाम
वृ.क. देवभद्रसूरि
जि.ता २०३ श्रीचन्द्रसूरि-मू.क.,
.वृ.क. देवभद्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि
५३४
२४३
२८४
श्रीचंद्रसूरी मू.क.. टी.क. देवभद्रसूरी
12
श्रीचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि मू...
श्रीचन्द्रसूरि
श्रीतिलक चूक.
श्रीधर
श्रीधर
भंडार नाम
जि.ता
जि.ता
त. का जि.का जि.का,
ग्रंथांक
३७९ श्रीधर भट्ट ३८० श्रीधर भट्ट
श्रीधर भट्ट
श्रीधर भट्ट
श्रीधरजी
श्रीनाथव्यास.टी.
जि. ता. ३८३/२ .... ३६५
जि.ता
७३६ ८९४
११७२. श्रीपति
जि.का १८९४ श्रीपति
जि.का. १९८८/४
श्रीसार
श्रीसार
जि.का. . २१५४ जि.का. २२३६ / २
श्रीसार
त. का.
४०८ ..... १८२
श्रीसार श्रीसार बृ.
था. का
२०१६
श्रीसार, कर्मचंद्र क
जि.का जि.का हूं. का.
९८८ श्रीसारमुनि
६१७
श्रीसारमुनि
त. का.
२११
श्रीसारमुनि
त. का.
२३७
श्रीसारमुनि
जि.ता जि.का
३८५
श्रीहर्ष
२००.
श्रीहर्ष
जि.का ५२९ श्रीहर्ष जि.का १३०४ श्रीहर्ष जि.ता. ३४१ जि.ता. ३६० जि.का. ... जि.का. १२२३ जि.का. - १२२५ जि.ता.
५२०
"
...
....
CHAR
कर्तानुं नाम
----
श्रीहर्षकवि
श्रीहर्षकवि
श्रीहर्षकवि श्रीहर्षकवि
श्रीहर्षकवि
३९/२ श्रीचंद्रसूरि
भंडार नाम
कर्तावार अकारादि सूची परिशिष्ट २ ५२९
-
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
डूं. का.
त. का. १०१६ जि.ता ३४२ जि.ता ....३३२ जि.का २२४ जि.का
श्वेतांबर ( नमिसाधु)
शय्यंभवसूरि
संग्रामसिंह ६०२ संघतिलक ..... ५३८ २४. संघतिलकसूर ६६. संघतिलकसूरि बृ. १३. संघदास क्षमाश्रमण २१. संघदास गणि
***
६९. श्रीदह राजर्षि श्रीसेन श्रीहर्षकवि
त. का
त. का
जि.का. त.का.
त. का........ जि.ता
४०७/१
जि.का
९८
जि.का.
संघदासगणि क्षमाश्रमण- भा. संघदासगणि क्षमाश्रमण- भा. संघदासगणि क्षमाश्रमण
९९ जि.का. .... १०१ जि.ता४७ / २ जि.का. • संघदासगणि क्षमाश्रमण- भा. .... १००. ४६ संघदासगणि क्षमाश्रमण ४१/४ • संघदासगणि क्षमाश्रमण
जि.ता
"+
जि.ता
जि.ता
४०९
• संघदासगणि वाचक
लों का
जि.का.
....
SELLE
. संघराज
५२८ ४३२. संघविजय
संघविमल
संयममूर्ति अंचलगच्छीय
संवेगदेवगणि
आ. का १४८
जि.का. जि.का
संघदासगणि क्षमाश्रमण संघदासगणि क्षमाश्रमण- भा.
३१४ २०६८
आ. का. १४३ जि.का,
त. का.
संवेगराज १६५२. सकल हर्ष ८०९ सकलचंद
.
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________________
भंडार|
ग्रंथांक
कान नाम
| नाम
नाम
to
one if no lod is gk i
५३० - कर्तावार अकारादि सूची- परिशिष्ट २ भंडार
ग्रंथांक | नाम
कर्तार्नु नाम त.का..... १६७.सकलचंद जि.का. २००७ सकलचंद्र जि.का... ९९६. सकलचंद्रगणि डूं.का..... ४५४.सकलचंद्रगणि-ले.
.का...... २२३. सकलहर्ष डूं.का... १०४८. सकलहर्ष मुनि बूं.का..... ११०. सत्यमूर्ति-ले. जि.का., ... ६०५. सत्यराजगणि डूं का..... ५९० सत्यसागरगणि जि.का. .. १७२६, सदानंद-व्या. डूं.का..... ९२०. समयमाणिक्यगणि लों का .. ४१७/१ . समयरंगगणि जि.का - ३९९/७. समयसुंदर
का ... ४१२. समयसुंदर का ... ४२४. समयसुंदर का ... ४८२ |. समयसुंदर
. ५११/२. समयसुंदर
... ९०९ | समयसुंदर जि.का. . १०७४ | समयसुंदर जि.का. २००२ |-समयसुंदर जि.का. १६५८. समयसुंदर जि.का. २२५३-समयसुंदर जि.का, २१३५/२/. समयसुंदर दूं.का..... १०/१ . समयसुंदर
..... १३ समयसुंदर .... २७४ समयसुंदर
.... ३२४. समयसुंदर डूं.का..... ४६५/- समयसुंदर
1.समयसुंदर
समयसुंदर 1. समयसुंदर
समयसुंदर
समयसुंदर 1. समयसुंदर
समयसुंदर । समयसुंदर
समयसुंदर
समयसुंदर . ११८ समयसुंदर
९६९ समयसुंदर
११३७ समयसुंदर बूं.का... १२२९ समयसुंदर
१२९३ समयसुंदर
... ४३६ समयसुंदर था.का.... ४६८ समयसुंदर -... २११
समयसुंदर
..८२३
A A
n
भंडार नाम
ग्रंथांक कर्तानुं नाम लो.का..... ६०५, समयसुंदर लों.का.... ६१२. समयसुंदर लों का...... ६२६ . समयसुंदर लो.का.... ६२८. समयसुंदर लो.का..... ६३०. समयसुंदर
.. ५३४/. समयसुंदर ..... २१. समयसुंदर ..... ५५..समयसुंदर ..... ६३. समयसुंदर
समयसुंदर
समयसुंदर त.का...... २६४. समयसुंदर त.का...... समयसुंदर त.का....... ३८६. समयसुंदर
समयसुंदर ..... ४०४ समयसुंदर
..... ७०४ समयसुंदर त.का...... ८१४. समयसुंदर त.का...... ९३२ समयसुंदर त.का.... १०३६. समयसुंदर .का.... १११२. समयसुंदर .का...... २८६ . समयसुंदर पं.ले.
का..... १०६१, समयसुंदर-क. आ.का......११८. समयसुंदर-क. डूं.का. .... ८४०. समयसुंदर-ले., मानतुंगसूरि-क. जि.का .. १२१०.. समयसुंदर-वृ. जि.का... ७०३/. समयसुंदरगणि त.का...... ५०४. समयसुंदरगणि
भंडार ग्रंथांक
कर्तानु नाम जि.का. १९८८/१. समयसुंदरजी जि.का. १७९५-समयसुंदरजी त.का...... ७०३. समयसुंदरसूरि जि.का. ... ३७८.. समयसुंदरोपाध्याय जि.का....८०. समयसुंदरोपाध्याय त.का...... १४२ -. समयसुंदरोपाध्याय जि.का. . १३९५, समयसुंदरोपाध्याय-टी. त.का...... ७१८.. समयसुंदरसूरि डूं .का...... ४२७ समयसुंदरगणि जि.का. . ३९९/१.. समयसुंदरोपाध्याय त.का...... ४०७.
समयसुजान डूं.का...... ९१७ समयसुंदर डूं.का.... १०७४, समयसुंदर
....... ७. समयहंसमुनि इं.का...... ५२७. समयसुंदर लों का .. ४१७/२. समयरंगगणि जि.का . ८१७/६. समरो डूं.का.........६. समुद्रविजय लोका..... ४३१. समुद्रविजय डूं.का...... २८८. समयमाणिक्यगणि-पं. लों.का.... ६४८, सर्वदेव
का ... ९९४ . सर्वधर जि.ता .... ३०४. सर्वधरोपाध्याय जि.का ....२१०. सर्वराजगणि वाचनाचार्य-वृ. जि.का .. १९५०.. सर्वराजगणि-टी. जि.का . २१८१, सर्वलाभगणि जि.का. .. १३९६. सहजकीर्ति जि.का. १७
. १७४५, सहजकीर्ति
.... ३९९
त.का.
EFEELEMEHEEMEMEMEEME
1. समयसुंदर । समयसुंदर
समयसुंदर समयसुंदर समयसुंदर समयसुंदर समयसुंदर
समयसुंदर .... ५७६ . समयसुंदर
.... ४६७
.... ४८३
AAAAA
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Page #579
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार ग्रंथांक
भंडार
ग्रंथांक
A:
कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ - ५३१ भंडार
भंडार कर्तानुं नाम
कर्तानुं नाम ग्रंथांक कर्तानुं नाम
ग्रंथांक
कानुं नाम नाम
नाम नाम जि.का. २०१४. सहजकीर्ति जि.का. १६२९. सिद्धसेन दिवाकर जि.का - २२३५. सिद्धसेनाचार्य
...८२/३. सुधर्मास्वामी जि.का... ३१०. सहजसुंदर जि.का. १६३०. सिद्धसेन दिवाकर जि.ता......२०४. सिद्धसेनाचार्य-वृ.क.
...८२/४ सुधर्मास्वामी जि.का. ... ३११. सहजसुंदर जि.का. 1. सिद्धसेन दिवाकर जि.का . २१३६. सिद्धार्थमुनि
...८२/५. सुधर्मास्वामी त.का..... ७३८. सहजसुंदर त.का...... 1. सिद्धसेन दिवाकर जि.ता..... ३६३. सिद्धसेन दिवाकर-मू.क.,
... २३३ / सुधर्मास्वामी त.का...., ४१८ 1. सहजसुंदर डूं.का..... १४९ - सिद्धसेन दिवाकर क..
व.क.अभयदेवसूरि तर्कपंचानन
|जि.का, ... २३५, सु
सुधर्मास्वामी डूं.का... ११३५ सागरचंद्र
क्षमाचंद्र-ले. .... ७०६. सिद्धसेन दिवाकर
सुधर्मास्वामी |.... १४८ | सागरचंद्र -पं.ले. 1. सिद्धसेन दिवाकर -मू.. त.का...... ५२४. सुंदरदास
२८८. सुधर्मास्वामी जि.ता..... २६८. साधारण कवि अभयदेव आचार्य तर्कपंचानन वृ.इं.का.... ११३१ - सुंदरमुनि-ले., जीवविजय-क.
जि.का... ३३०
- सुधर्मास्वामी |.... २६७ | साधारणकवि ५९. सिद्धसेन दिवाकर मू... डूं.का...... ८८३सुखकीर्तिमुनि-पं.
सुधर्मास्वामी त.का..... ४३३, साधुकीर्ति अभयदेव आचार्य तर्कपंचानन .... ६५०. सुखानंद
जि.का ...
1. सुधर्मास्वामी जि.का., . २०६५, साधुकीर्ति त.का..... २१६ . सिद्धसेन सूरि .का.... १०६०/- सुगुणकुशलमुनि
1. सुधर्मास्वामी जि.का.. १५६० साधुकीर्तिगणि-अव. त.का..... २१८. सिद्धसेन सूरि
जि.का. .... १३.. सुधर्मस्वामी
-सुधर्मास्वामी जि.का.. १०७७. साधुरत्नसूरि अब.क. जि.ता.....२०६ सिद्धसेनगणि-वृ.
जि.का ... १६५, सुधर्मस्वामी
1. सुधर्मास्वामी जि.का. ... ८३०. साधुराजगणि जि.का ... ५४२. सिद्धसेनसूरि त.का....... ३१, सुधर्मा गणधर
जि.का .. ६४४. सुधर्मास्वामी जि.का. .. १०६७. साधुसोम-अव जि.का - ६८२/१, सिद्धसेनसूरि त.का........३६ सुधर्मा गणधर
जि.का.. .१७. सुधर्मास्वामी था.का..... २३२. साध्वी धर्मविज्या गणीनी जि.का .७२८/१. सिद्धसेनसूरि
..... ३७, सुधर्माः गणधर
. १६७१, सुधर्मास्वामी जि.का. .. १८४०. सामंत
८९३ . सिद्धसेनसूरि
३८.सुधर्मा गणधर
का...... ६११, सुधर्मास्वामी बूं.का. ..... ४७. सिंहतिलकसूरि जि.का. १०२६ . सिद्धसेनसूरि
३९. सुधर्मा गणधर
१. सुधर्मास्वामी 1. सिंहसूरि जि.का. ११०४. सिद्धसेनसूरि
४०. सुधर्मा गणधर
२.सुधर्मास्वामी जि.का. . ३०७/१ सिंहो जि.का . १५४१ . सिद्धसेनसूरि
४१.. सुधर्मा गणधर
३. सुधर्मास्वामी जि.ता... ३६४/१ . सिद्ध साधु-व.क., टि.की.. जि.का. १५४६. सिद्धसेनसूरि
४३.. सुधर्मागणधर
सुधर्मास्वामी ज्ञानश्री आर्यिका जि.का. १५४८. सिद्धसेनसूरि
४४.. सुधर्मागणधर
सुधर्मास्वामी जि.का. ....३९४ | सिद्धर्षि-वृ.
१५४९.सिद्धसेनसूरि .... ४५..सुधर्मागणधर
[.सुधास्वामी त.ता.........६.सिद्धर्षिगणि जि.का. १६४८. सिद्धसेनसूरि ..... ४६.सुधर्मागणधर
सुधर्मास्वामी जि.ता...... १९५/. सिद्धसूरि उपकेशगच्छीय-वृ.. त.का..... २७४.सिद्धसेनसूरि
त.का....... ६५.सुधर्मागणधर
सुधर्मास्यामी जि.ता..... १९५ / सिद्धसूरि उपकेशगच्छीय वृ.क.||जि.ता... ४१७/१, सिद्धसेनसूरि-चूक.
का......४६/A सुधर्मागणधर .
१३. सुधर्मास्वामी जि.ता... ३६४/४.सिद्धसेन दिवाकर था.का ....... ४.. सिद्धसेनसूरि-टी. जि.का ...८२/१, सुधर्मास्वामी
..... १९. सुधर्मास्वामी जि.का. . ११३०/-सिद्धसेन दिवाकर जि.का ...८७२.सिद्धसेनाचार्य जि.का ...८२/३ सुधर्मास्वामी
.....२०.सुधर्मास्वामी
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________________
भंडारधांक
भंडार नाम
EEEEEEEEEne
५३२ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २
ग्रंथांक | कर्तार्नु नाम लों.का...... २१. सुधर्मास्वामी लों.का...... २२. सुधर्मास्वामी
२३. सुधर्मास्वामी
२४ - सुधर्मास्वामी ... २५/- सुधर्मास्वामी
२८. सुधर्मास्वामी २९ - सुधर्मास्वामी ३२. सुधर्मास्वामी ३३- सुधर्मास्वामी ३४ - सुधर्मास्वामी ३६- सुधर्मारवामी ३७-सुधर्मास्वामी ३८-सुधर्मास्वामी ३९ - सुधर्मास्वामी ४२ सुधर्मास्वामी
सुधर्मारवामी ४६
सुधर्मास्वामी ४७.
सुधर्मास्वामी ४८-सुधर्मास्वामी
४९. सुधर्मास्वामी ... ५०-सुधर्मास्वामी
५५/- सुधर्मास्वामी
५३. सुधर्मास्वामी .० ५५ - सुधर्मास्वामी
..... ५६ सुधर्मास्वामी लों.का.....
.... ५७/- सुधर्मास्वामी ..... ५८-सुधर्मास्वामी .... १०३. सुधर्मास्वामी
前前前前前前前前前前前前訓动計研渐渐渐渐渐动动动渐渐动
प्रथांक कर्तानु नाम १०४ सुधर्मास्वामी
सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी
सुधर्मास्वामी ६५०. सुधर्मास्वामी ४२९. सुधर्मास्वामी -मू.क.,
.टी.क.अभयदेवसूरि ४७०/- सुधर्मास्वामी -मू.क.. .............- वृ.क.अभयदेवसूरि ..... १२. सुधर्मास्वामी-क. ..... १०. सुधर्मास्वामी ... २३२ . सुधर्मास्वामी २१९३/२. सुधाकलश
२९. सुधर्मा गणधर ३०. सुधर्मा गणधर ३३. सुधर्मा गणधर ३४. सुधर्मा गणधर ३५.सुधर्मा गणधर ४. सुधर्मागणधर १. सुधर्मास्वामी ५.सुधर्मास्वामी
८.सुधर्मास्वामी .... ११-सुधर्मास्वामी
१७/१/- सुधर्मास्वामी
१७/२- सुधर्मास्वामी ... १७/३/ सुधर्मास्वामी
ग्रंथांक कर्तार्नु नाम जि.का ... १७/४. सुधर्मास्वामी जि.का, ... १७/५. सुधर्मास्वामी जि.का. .... १५सुधर्मास्वामी
.... ३४८- सुबंधु महाकवि . १०१४. सुमतिकमल .... २६०. सुमतिगणि
... १२८. सुमतिगणि -वृ. का ... १२९ - सुमतिगणि वृ. ता .....२८०. सुमतिगणि-वृ.
.....२८१, सुमतिगणि-वृ. इं.का...... ५९९ . सुमतिनिधान डूं.का.... १०६७ सुमतिनिधान मुनि जि.का...६३९. सुमतिरंग जि.ता.... ४०१. सुमतिसूरि |जि.का . २१७६ - सुमतिसूरि जि.का. १४७०. सुमतिसूरि
..... १५ सुमतिसूरि ... १९४६ - सुमतिसूरि ....४४४ सुमतिसूरि-वृ.
... 04/२. सुमतिहंस जि.का, ... ८४५, सुमतिहंस त.का...... ४१०. सुमतिहंस डूं.का...... ८५७.सुमतिहर्ष जि.का, . १८४०. सुमतिहर्ष अपरनाम सामंत जि.का. ११५५ -- सुमतिहर्षगणि यू.क. इं.का...... ९२४ - सुमतिमंडन गणि डूं.का....... ३६ - सुवर्णलक्ष्मीगणि जि.का. १९४४. सूरतमित्र
कानुं नाम डूं.का. ... ३३३, सूर्यविजय-ले. जि.का. . १६९०. सोमकीर्ति डूं.का. ..... ३९५, सोमगणि त.का...... ८५५सोमगणि बूं.का.... १०४० सोमगणी-ले., अनुभुति
.......... स्वरुपाचार्य-क. डूं.का. ...... ४.सोमचंद्र डूं.का...... ८४२. सोमचंद्र जि.का .. १७६३. सोमचंद्र-टी. जि.ता . १५६/२८. सोमचंद्रसूरि त.का...... १९९. सोमचंद्रसूरि त.का...... ३८८. सोमतिलक जि.का ... ६५२ . सोमतिलकसूरि जि.का, ... ६५३ - सोमतिलकसूरि जि.का, . ९११/१, सोमतिलकसरि
... ९२५, सोमतिलकसूरि जि.का.... ३७२/. सोमतिलकसूरि तापल्लीय -वृ. डूं.का...... ७०४ - सोमतिलकसूरि जि.का .. १६७९. सोमतिलकाचार्य-टी. जि.का. १६७२.सोमतिलकाचार्य-टी. जि.ता. १५१/२३. सोमदेव डूं.का....... १६ .. सोमधर्मगणि डूं.का.... १२८८. सोमध्वजगणि था.का .... १२९ - सोमप्रभ आचार्य 5.का...
....२९८. सोमप्रभमुनि-क. त.का...... ६२३ . सोमप्रभसूरि डूं.का.... १२३२ . सोमप्रभसूरि जि.का, ... २००, सोमप्रभाचार्य
लो.का...
in Education Internatione
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________________
ग्रंथांक
भिड
कर्तानु नाम
| भंडार
भिंडार
ग्रंथांक
कर्तानुं नाम
ग्रंथांक
कर्तार्नु नाम
TECEEEEEEEE:
सोमप्रभाचार्य
२८५, सोमप्रभाचार्य ... २८६. सोमप्रभाचार्य का.... २८७.सोमप्रभाचार्य
|...६२३.सोमप्रभाचार्य
| ... ६२४ का.... ७४२.सोमप्रभाचार्य का.. १५९६
।.सोमप्रभाचार्य लों का..... ५७८. समिप्रभाचाय त.का... ११६६. सोमप्रभाचार्य जि.का. १५९७ 1. सोमप्रभाचार्य-मू..
.टी.क.हर्षकीर्तिसूरि डूं.का... १२४९. सोमप्रभाचार्य इं.का..... २९९. सोमप्रभमुनि ई.का..... ८०२. सोमप्रभाचार्य लो.का......५१० सोमविबुध
.... ३९६ . सोमविमलसूरि ..., ३६० सोमसुंदर
..... २३, सोमसुंदर सूरि .का. ....५५५.सोमसुंदरसूरि-बा.
का. .. १५५८. सोमसुंदरसूरि बा.क. .का. .. १५७०/- सोमसुंदरसूरि-बा.क. जि.का. .. १५६९ . सोमसुंदरसूरि बाला.
का... १३२१- सोमसुरि जि.ता... १५१/१. सोमसूरि जि.का. . १३४/१, सोमसूरि जि.का. . १९७१.. सोमसूरि तं.का..... २२०. सोमसूरि त.का. .... २२२ . सोमसूरि
...४९५ सोमसूरि-मू.क. जि.का ... ४९६. सोमसूरि गू.क. जि.का... ५१८. सोमसूरि मू.क. जि.का ... ५१७. सोमसूरि मूक, त.का..... २३३. सोमसूरिगणि
.१५४/१०. सोमसूरी . .का. १०२७. सोमसेनसूरि जि.का....५५६ . सोमसुंदरसूरि-चा. डूं.का... ११५८. सोमहर्ष जि.ता..... ३१९. सोमेश्वर भट्ट जि.ता..... ३२०. सोमेश्वर भट्ट
.... ८१४.सोम्यगणि ... ९०१. सोमतिलकसूरि-यू. १३४/२१. सोमदेव ..... ७०. सोमसुंदर ... ५१९ . सोमसूरि .... ४००. सौभागचंद .... १९५.सौभाग्यकीर्ति
..... ३२५, सौभाग्यनंदिसूरि डूं.का..... ३२६ . सौभाग्यनंदिसूरि बूं.का... १२६७, सौभाग्यनंदी मुनि डूं.का..... ९६८. सौभाग्यनंदीसूरि जि.का. १०६८. सौभाग्यनंदी जि.का... ४८५ सौभाग्यसागरसूरिशिष्य जि.का ... २९९ |.सौभाग्यहर्षसूरिशिष्य जि.ता... ४१०/१ . स्थविर अगस्त्यसिंहसूरि
डूं.का..... २९४ . समयसुंदर | लो.का .... ३५६ . समयसुंदर
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लों.का.... ५१४.समयसुंदर जि.ता....८८/२| सुमतिसूरि त.का.... ११७२ हंसमुनि त.का. ८०१, हंसराज जि.का . २१७३. हनुमंत त.का...... ८३५, हरखविजय त.का......८३८. हरखविजय .का...... ४६७..हरदासनररंजन
... ४७८ हरिकलश धर्मधोषगच्छीय
... ८१०. हरिकलशमुनि |... १९३. हरिकवि . ... ९२२ - हरिकवि
... ९३५, हरिकवि ..... २५८. हरिदत्त
. १८७८- हरिभट्ट ..... ९७६. हरिभद्र ..... ५३५..हरिभद्र ..... ५४०.हरिभद्र ....२९/२. हरिभद्र आचार्य
७९/२. हरिभद्र आचार्य
८४/२.हरिभद्र आचार्य ....८५/१. हरिभद्र आचार्य ..८६. हरिभद्र आचार्य
८७/२.हरिभद्र आचार्य १०४/१.हरिभद्र आचार्य .... १०५.. हरिभद्र आचार्य .... १०६ . हरिभद्र आचार्य |.... १०७. हरिभद्र आचार्य
BEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE
EEEEEEE
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कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ - ५३३ ग्रंथांक
कर्तानुं नाम .... १३८..हरिभद्र आचार्य .. १५३/१. हरिभद्र आचार्य .. ३७५/३ .. हरिभद्र आचार्य ....८८/१. हरिभद्र आचार्य-वृ. ..... ४६८.हरिभद्रगणि |.. १७८/२. हरिभद्रचार्य बृहद्गच्छीय-वृ. | ....८३/१.हरिभद्रसूरि |-१५६/१०. हरिभद्रसूरि .... १६३ .. हरिभद्रसूरि .... १६४ - हरिभद्रसूरि .... १६८. हरिभद्रसूरि
.... २६५. हरिभद्रसूरि जि.ता.. ३६७/३ .. हरिभद्रसूरि जि.ता... ४००/२.हरिभद्रसूरि जि.ता.. ४१५/१.हरिभद्रसूरि
५२. हरिभद्रसूरि जि.का १३३/१७. हरिभद्रसूरि जि.का . १५३/३. हरिभद्रसूरि जि.का ... १५७. हरिभद्रसूरि जि.का . १८०/४. हरिभद्रसूरि जि.का ... २८९, हरिभद्रसूरि जि.का ... ९७७. हरिभद्रसूरि जि.का . १०६३. हरिभद्रसूरि, जि.का . १२३४. हरिभद्रसूरि जि.का. . १३१२.हरिभद्रसूरि जि.का १३१७/२. हरिभद्रसूरि जि.का १३२६/५. हरिभद्रसूरि जि.का. १७९७.हरिभद्रसूरि
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________________
भंडार
नाम
FNANDED EEEEEEE
५३४ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ भंडार ग्रंथांक
कर्तान नाम | नाम जि.का. . १३४० | हरिभद्रसूरि जि.का. . १४४०. हरिभद्रसूरि जि.का. . १५५२ | हरिभद्रसूरि
१६८९ - हरिभद्रसूरि
२२४३ . हरिभद्रसूरि हूं का..... ९१४ . हरिभद्रसूरि था.का...... १२. हरिभद्रसूरि
.... ७१. हरिभद्रसूरि था.का...... ९६ हरिभद्रसूरि
..... ९७ हरिभद्रसूरि .... १४८. हरिभद्रसूरि .... १४९. हरिभद्रसूरि .... २८३ हरिभद्रसूरि .... ४९९ | हरिभद्रसूरि .... ५०८. हरिभद्रसूरि .... ५९४ | हरिभद्रसूरि
- हरिभद्रसूरि 1.... ६१३. हरिभद्रसूरि
J.......१.हरिभद्रसूरि जि.का .... ३७. हरिभद्रसूरि वृ. जि.का.... ३८. हरिभद्रसूरि -वृ. जि.ता... २२४/२. हरिभद्रसूरि आचार्य जि.ता... २२४/८. हरिभद्रसूरि आचार्य जि.का. .... ४५ हरिभद्रसूरि आचार्य जि.का... १२४ - हरिभद्रसूरि आचार्य जि.ता..... २५९/- हरिभद्रसूरि बृहद्गच्छरीय जि.ता... १७६/३/- हरिभद्रसूरि बृहद्गच्छीय जि.ता... २१४/२/- हरिभद्रसूरि स्वोपन्न
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|भंडार ग्रंथांक
कानुं नाम नाम
ग्रंथांक कर्तानुं नाम त.का. .... ९४०-हरिभद्रसूरि-क.
©.का...... ३०२.हर्षकिर्तीगणि-ले. जि.का. १५५१ 1. हरिभद्रसूरि-मू..
हू.का...... ७९७. हर्षकिर्तीसूरि .टी.क.अभयदेवसूरि
डूं.का.......२४७.हर्षकिर्ती जि.का. २२०५.हरिभद्रसूरि-मू..
जि.का २१२०/१७. हर्षकीर्ति .टी.क अभयदेवसूरि
डूं.का...... ४८१ ।. हर्षकीर्ति जि.का. . १४९२ हरिभद्रसूरि-मू.,प्रभानंदसूरि-टी. | जि.का. १००१/- हर्षकीर्तिशूरि जि.का. १७९८. हरिभद्रसूरि-मू..
जि.का, २१२०/५. हर्षकीर्तिसूरि वृ.क.विद्यातिलक
डूं.का.... १३८/B. हर्षकीर्तिसूरी जि.ता..... २२५, हरिभद्रसूरि-मू.क..
डूं.का...... ९२९ - हर्षकीर्तिसूरि वृ.क.मुनिचंद्रसूरि
जि.का, ... ७०१, हर्षकीर्तिसूरि जि.का ... ८६५. हरिभद्रसूरि-वृ.
जि.का. . ११७८. हर्षकीर्तिसूरि जि.का .. १४६९/- हरिभद्रसूरि-वृ.
जि.का . १०८२. हर्षकीर्तिसूरि नागपुरीय जि.ता...... १८८ हरिभद्रसूरि-वृ.
..................... तपागच्छीय जि.ता. |.... १६६ 1.हरिभद्रसूरि
जि.का .. १५९७. हर्षकीर्तिसूरि-टी.. डूं.का..... २६९ . हरिभद्रसूरि
डूं.का.... १२३१. हर्षकीर्ति सूरि डूं.का..... ७६९ . हरिभद्रसूरि
डूं.का... १०४७/२.. हर्षकीर्ति सूरि डूं.का...... ९००हरिभद्रसूरि
डूं.का...... ८७५. हर्षकीर्तिसूरि जि.ता.....२५/२ . हरिभद्राचार्य
त.का.... ३९५/A - हर्षकुंजर उपाध्याय जि.ता..... १९६ - हरिभद्राचार्य
लों.का..... २७. हर्षकुल जि.ता... १७८/१ - हरिभद्राचार्य बृहद्गच्छीय जि.का. ... २६४. हर्षकुलगणि जि.का. ....७५ हरिभद्र आचार्य -मू.. त.का....... ६२ हर्षकुलगणि ..मलयगिरि आचार्य वृ.
त.का...... ४०३. हर्षकुलगणि जि.का, . ११८४. हरिभद्रसूरि
त.का...... ४३७ . हकुलगणि जि.का. १७९९ . हरिराम तर्कवागीश डूं.का.... ११४०. हर्षचंद्र पं. जि.का. ११३१. हरिहर
जि.ता.. ३१४/२. हर्षट-वृ. जि.का. २१५०. हरिहरब्रह्म
जि.का....३८०, हर्घट-वृ. इं.का..... ६३४-हर्षकवि
डूं.का....... २. हर्षदेव त.का...... ७५ हर्षकिर्ती
डूं.का...... ९७१ हर्षनंदन
भंडार | नाम
ग्रंथांक कर्तानुं नाम
.... ९७२. हर्षनंदन था.का .... २९३ . हर्षनंदनगणि
१३१५-- हर्षमूर्ति मुनि
१३१४. हर्षवर्धन त.का...... १४०.हर्षविजय
८८५.हर्षविजय ..७००.हर्षविजय-ले. .. ९८६. हर्षविमल +.. ११००. हर्षविमल ..... ७८९. हर्षविमल मुनि
... २४७. हर्षविमल, हर्षकिर्ती -वृत्ति ले. बूं.का. ..... २०४-. हर्षविमलमुनि ७.का...... २४९ - हर्षविमलमुनि -पं. जि.का, . ३४२/३ .. हर्षसमुद्र डूं.का.... १२१७ .. हर्षसुंदर टू.का...... ६४४. हर्षसूरि बूं.का...... १२८. हर्षकीर्तिसूरि -.... ४५२- हर्षनंदन
८९० हर्षविमल-ले..
....... कालिदास कवि-क. ई.का.... १०१५, हर्षविमल ले., भारवि-क. डूं.का...... ८१०. हर्षसूरि त.का...... ९९७ -- हरखविजय डूं.का...... २१० हर्षजितगणि पं.ले. जि.का ... ६२५.. हलायुध जि.का १०७९/२. हलायुध जि.का ... १४६ - हलायुध -मू.. टी.क.रविधर्म जि.का ... ४४६ . हलायुध भट्ट
.... ६०७
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Page #583
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________________
भंडारांक
कर्तानुं नाम
नाम
भंडार नाम
नाम
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v૧ર
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भंडार ग्रंथांक
कानुं नाम जि.ता. ३३७/ हलायुध-मू.क., टी.क.रविधर्म | त.का.
४४५. हस्तिरुचि मुनि त.का.....४१२.हिरकलश .... २०९ . हिरसूरि
१६४ हीरकवीश्वर ... ६४६
।. हीरदेव
हीरविजयसूरी
हीरानंदमुनि पिष्पलगच्छीय का....८१३ हीरानंदसूरि डूं.का..... ३३० हीरामुनि जि.का.... ४०१ . हृदयनारायणदेव जि.का ... ६३१/ हेमकवि आ.का..... ३८. हेमकीर्ति लों.का..... ६३७ - हेमकीर्ति सूरि जि.का., . १२३७ . हेमचंद्र जि.ता... १५७/३/- हेमचंद्र आचार्य जि.ता..... २३९. हेमचंद्र आचार्य
.ता..... २३९ हेमचंद्र आचार्य जि.का.१५३/१.हेमचंद्र आचार्य
.... १७८ .हेमचन्द्र आ. ... १६९
1. हेमचंद्रसूरि ... १७९ 1. हेमचंद्रसूरि ... २२८ हेमचंद्रसूरि ४३८ हेमचंद्रसूरि
हेमचंद्रसूरि हेमचंद्रसूरि
.हेमचंद्रसूरि ... ६४१. हेमचंद्रसूरि
जबबEAAAAAA
६६२. हेमचंद्रसूरि ... ६९६ . हेमचंद्रसूरि ... ७५५ हेमचंद्रसूरि
९७३ हेमचंद्रसूरि . १०६०. हेमचंद्रसूरि
.....८८ . हेमचंद्रसूरि था.का..... ३३८. हेमचंद्रसूरि त.का. .९१/- हेमचंद्रसूरि
J.हेमचंद्रसूरि .... ४९८ 1. हेमचंद्रसूरि
हेमचंद्रसूरि
-हेमचंद्रसूरि का.....
६३९. हेमचंद्रसूरि का..... हेमचंद्रसूरि
६९४ - हेमचंद्रसूरि १०३४. हेमचंद्रसूरि
1. हेमचंद्रसूरि -मू.,टी.क.महेंद्रसूरि १३०२. हेमचंद्रसूरि आचार्य
... १५२ 1. हेमचंद्रसूरि आचार्य स्वोपज्ञ जि.का ... ५०८. हेमचंद्रसूरि स्वोपज्ञ का ... ६०७.हेमचंद्रसूरि स्योपन्न
५९७. हेमचंद्रसूरि-मू.क. त.का... ११५१ . हेमचंद्रसूरी डूं.का...... १८.हेमचंद्रसुरि डूं.का..... ५५५ - हेमचंद्रसूरि डूं.का..... ९२६ - हेमचंद्रसूरि डूं.का. .... ७०२. हेमचंद्रसूरि-क., दयासागर-ले. जि.ता. .... २३८.. हेमचंद्राचार्य
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भार ग्रंथांक| कर्ता- नाम
.... २९८.हेमचंद्राचार्य .... ३००
[.हेमचंद्राचार्य
. हेमचंद्राचार्य ४११ हेमचंद्राचार्य
. हेमचंद्राचार्य १७४ ।.हेमचंद्राचार्य १७६ L.हेमचंद्राचार्य १७८.हेमचंद्राचार्य ५९६.. हेमचंद्राचार्य ६७८.हेमचंद्राचार्य
९५४. हेमचंद्राचार्य का . १०७१, हेमचंद्राचार्य
. १५५५, हेमचंद्राचार्य
.१५५६ हेमचंद्राचार्य जि.का. १५५७. हेमचंद्राचार्य जि.का. १७८० हेमचंद्राचार्य
• १७८१ हेमचंद्राचार्य . १७८२ 1.हेमचंद्राचार्य
ર૦ર૭ 1. हेमचंद्राचार्य १६१३ हेमचंद्राचार्य
१६१४.हेमचंद्राचार्य का . १६१५.. हेमचंद्राचार्य जि.का . १६४०. हेमचंद्राचार्य जि.का. १७१७/.हेमचंद्राचार्य जि.का. १७१८.हेमचंद्राचार्य जि.का . १७६९ , हेमचंद्राचार्य जि.का . १७७६ . हेमचंद्राचार्य इं.का....... ९६ हेमचंद्राचार्य
कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ - ५३५
ग्रंथांक कर्तानुं नाम का...... १६८.हेमचंद्राचार्य
का...... १६९.हेमचंद्राचार्य इं.का......६२२.हेमचंद्राचार्य डूं.का......६२६.हेमचंद्राचार्य डूं.का.... ..९९०.हेमचंद्राचार्य डूं.का.... १०४३.हेमचंद्राचार्य हूं.का.... १०९८ - हेमचंद्राचार्य ७.का.... ११०३.हेमचंद्राचार्य डूं.का.... ११०४ - हेमचंद्राचार्य डूं.का.... ११०५, हेमचंद्राचार्य इं.का.... ११७९ - हेमचंद्राचार्य
..... १९.हेमचंद्राचार्य ..... ३७.हेमचंद्राचार्य .... १००. हेमचंद्राचार्य .... २३०.हेमचंद्राचार्य .... ३७३/ हेमचंद्राचार्य
३१८. हेमचंद्राचार्य आ.का.... ५३.हेमचंद्राचार्य
९१.हेमचंद्राचार्य ११४. हेमचंद्राचार्य
१५३.. हेमचंद्राचार्य .... १५६ . हेमचंद्राचार्य .... १६६ . हेमचंद्राचार्य
..... १६० हेमचंद्राचार्य का...... ५०९. हेमचंद्राचार्य का...... ५७३ - हेमचंद्राचार्य .का...... ५८३ .. हेमचंद्राचार्य त.का.... १०५०.. हेमचंद्राचार्य
AASSSSSSNAA
५१० ५९८
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________________
भंडार ग्रंथांक
भंडारा
भंडार ग्रंथांक
नाम
नाम
जि.ता.
.... २९४
ककककब
५३६ - कर्तावार अकारादि सूची - परिशिष्ट २ कर्तानुं नाम
ग्रंथांक नाम
कर्तानुं नाम त.का... १०००/- हेमचंद्राचार्य
.... ३०९ हेमचंद्राचार्य-मू.क.. त.का... १०८८ हेमचंद्राचार्य
.टी.क.महेन्द्रसूरि .का... ११२४.हेमचंद्राचार्य
जि.ता..... ३४०.हेमचंद्राचार्य-मू.क., का... ११२७ , हेमचंद्राचार्य
वृ.क.अभयतिलकगणि ता..... ३०६ हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
५.का... १०९७.हेमचंद्राचार्य ता...३१३/१.हेमचंद्राचार्य स्वोपन
५.का... ११३२.हेमचंद्राचार्य ता... ३१३/२.हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
जि.का. १६६७ [.हेमचंद्राचार्य ता..... ४०४.हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
जि.ता....३०८.हेमचंद्राचार्य स्वोपक्ष का. १७८३.हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
1. हेमचंद्राचार्य-क., धर्मसुंदर-ले. .का. १७१२.हेमचंद्राचार्य स्वोपत्र
डूं.का..... ५२७. हेमचंद्रसूरि का.. १७१३. हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ जि.ता..... ३३५. हेमचंद्राचार्य मू.क., जि.का, . १७१९हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
वृ.क. अभयतिलकगणि जि.का.. १७०५. हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञ
जि.ता....
हेमचन्द्र आचार्य जि.का. .. २२२३ | हेमचंद्राचार्य स्वोपन-क. | जि.ता..... 1.हेमचन्द्रसूरि जि.का. १६९८ | हेमचंद्राचार्य श्योपज्ञटीका | जि.का ... २३७, हेमचन्द्रसूरि डूं.का..... ६२०/- हेमचंद्राचार्य क., उदयमुनि-ले. जि.का... ३८५ .हेमचन्द्रसूरि डूं.का..... ६२१. हेमचंद्राचार्य-क., लाभगणि-ले. जि.का ... ६११. हेमचन्द्रसूरि
.... ६३० हेमचंद्राचार्य-क., विवेकचंद्र-ले. जि.का ... ७६८.हेमचन्द्रसूरि .... ३११ | हेमचंद्राचार्य मू.. वृ.क.महेन्द्रसूरि जि.का . १०४९ हेमचन्द्रसूरि .... ३१२ - हेमचंद्राचार्य-मू.. वृ.क.महेन्द्रसूरि जि.का 1. १२७९ हेमचन्द्रसूरि 1. १९६१/.हेमचंद्राचार्य-मू.. वृ.क.राजशेखत.का. ....... हेमचन्द्रसूरि ता......३१०.हेमचंद्राचार्य-मू.. वृ.महेन्द्रसूरित.का........ २. हेमचन्द्रसूरि
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भंडार
ग्रंथांक कानुं नाम नाम
..... २६-हेमचन्द्रसुरि .. १५८/२.हेमचन्द्राचार्य .... २९३ 1.हेमचन्द्राचार्य
1.हेमचन्द्राचार्य
हेमचन्द्राचार्य -- २९६/१ .. हेमचन्द्राचार्य
.हेमचन्द्राचार्य .... २९७
..हेमचन्द्राचार्य जि.का .... ७६ 1.हेमचन्द्राचार्य जि.का, ... ७०२ ..हेमचन्द्राचार्य जि.का ... ७०६ ..हेमचन्द्राचार्य जि.का . २०५९ [.हेमचन्द्राचार्य जि.ता .. ३६७/१ हेमचन्द्राचार्य स्वोपन जि.का. ... २०५ हेमचन्द्राचार्य स्वोपज्ञ . १५५८ हेमचन्द्राचार्य, सोमसुंदरसूरि
हेमचन्द्राचार्य स्वोपक्ष .... २४२ . हेमचन्द्राचार्य ..... २९९.हेमचन्द्राचार्य . १०१९ ..हेमचन्द्राचार्य ... ५८३. हेमचद्रसूरि
........मू.क..वृ.क.महेंद्रसूरि जि.ता .... २१६ . हेमचन्द्रसूरि स्योपज्ञ
कर्तानु नाम जि.ता. ... ३१५ - हेमचन्द्राचार्य स्वोपन
| .....२१७ हेमप्रभसूरि-वृ. आ.का ..... ५१ हेममंदिर गणित.का...... ४१३ - हेमरल .... ७०१.हेमरत्नमुनि
७३१ 1.हेमरतन २१४४ हेमराज
हेमराज
१६७ 1.हेमराज पं.ले. त.का.
हेमसागर हेमसागर
हेमसागर, बनारसीदास त.का
हेमसागरगणि हेमसारमुनि
हेमआचार्य जि.ता ....३३६ ..हेमचंद्राचार्य-मू.क.,
............. वृ.क.अभयतिलकगणि . १२८१.. हेमचन्द्राचार्य
.... ९.. हेमचन्द्रसूरि जि.ता.... २४१. हेमचन्द्राचार्य | जि.का. ... १७७.. हेमचन्द्राचार्य
SA
. ५७६..
५२
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________________
परिशिष्ट ३ - ५३७
परिशिष्ट
जैसलमेर के सर्व ग्रंथभंडारों के ताडपत्रीय तथा कागज के ग्रंथों की लेखन और रचना संवतवार अकारादि सची
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ले.संवत
.३६२
जि.ता
भंडार | नाम जि.ता. जि.ता, जि.ता त,ता.
११६ ३८७/२ १५६/३६
१५
ले.संवत
भंडार
नाम १००० जि.ता १११४ जि.ता १११५
| जि.ता १११५ जि.ता १११७ जि.ता ११२० ११२० ११२१
जि.ता जि.ता
१८९/ २१४/१ १५४/२ १५४/१९ १५४/२०
२३२
८४/१
जिता
3३२
રર
११९२
३४७/१
३१८
।
IEEEEEE
EEEEEEEEEE
३३७ ३०१
२२४/
३४८
जि.ता
जि.का
३२९
१६३
EEEEEEEEEEEEEEEEEEEE EEEEEEEEEEEEEEEEE
ग्रंथांक ले.संवत
भंडार | ग्रंथांक ले.संवत
भंडार नाम
नाम ११७१ जि.ता १५६/१९
११९२] १७८/१ ११७२ जि.ता. १५६/२० ११९२ जि.ता १७८/२ ११७२| जि.ता १५६/२१/ ११९२ १७९/२ ११७५ | जि.ता १५६/२२
११९२ ३९३ ११७६ |जि.ता. १५६/२३
११९२
जि.ता १६३
११७८ जि.ता १५६/२४ ११९२ जि.ता २५२ ११७८ जि.ता १५६/२५ २२/५ ११८५ जि.ता १५६/२६] ११९२ २२/१० ११८६ जि.ता. १५६/२७
११९२ २३६ ११९० जि.ता १५६/२८/ ११९२ ३१४/१ ११९० जि.ता. १५६/२९
११९२ १५६/१ ११९२ जि.ता १५६/३० ११९२ १५६/२ ११९२ || जि.ता. १५६/३१|| ११९२ जि.ता १५६/३ ११९२ जि.ता १५६/३२ ११९२ जि.ता १५६/५ ११९२ | जि.ता १५६/३३
११९२
|जि.ता १५६/६ ११९२
जि.ता. १५६/३४ ११९२ जि.ता १५६/७
११९२ |जि.ता. १५६/३५
११९२
जि.ता १५६/८ ११९२
जि.ता. १५६/३७ ११९२ जि.ता १५६/९ ११९२
१५६/३८ ११९२ जि.ला १५६/१० ११९२ जि.ता १५६/३९ ११९२ जि.ता १५६/११ ११९२
१५६/४० ११९२ १५६/१२ ११९२ जि.ता
११९२ जि.ता १५६/१३ ११९२ जि.ता ३१४/५ ११९२ जि.ता १५६/१४ ११९२
१५६/४
११९२ १५६/१५ ११९२ जि.ता
११९३लों .ता १५६/१६, ११९२ जि.ता १३] ११९५ जि.ता, १५६/१७/ ११९२ | |जि.ता १८१, ११९६ जि.ता १५६/१८ ११९२ | जि.ता २६४] ११९८1 जि.ता
भंडार ग्रंथांक ले.संवत
ग्रंथांकले.संवत भंडार नाम
नाम ४०६ ११९८
२०७]
१२०१ जि.ता. १४ १२०० जि.ता. ३६६/२ १२०२ |जि.ता ३५/२/
१२०० १२०० जि.ता
१२०४
|जि.ता १२०० जि.ता ३१७ १२०५ जि.ता १२०० जि.ता २९७ १२०६ जि.ता. १२००
१२०६ जि.ता. १२०० जि.ता ४१५/११ १२०६ जि.ता १२०० जि.ता २३५
१२०७
जि.ता. २१४/E १२०० जि.ता ३०४ १२०७
जि.ता १२०० जि.ता
१२०७ १२०० जि.ता ३८९ १२०८ जि.ता ३७० १२०० जि.ता १५४/१ १२१० जि.ता. ३७३ १२०० जि.ता. १५४/३ १२१० जि.ता ३७७ १२०० जि.ता १५४/४ १२१० जि.ता
३७८ १२०० जि.ता १५४/५ १२१० जि.ता ३८३/१ १२०० जि.ता १५४/६ १२१० जि.ता ३८३/२ १२००
जि.ता. १५४/७ १२१० |जि.ता ३९१/१ १२०० जि.ता १५४/८]
१२१०
जि.ता १२०० जि.ता १५४/९ १२१० जि.ता
१२०० जि.ता. १५४/१० १२१० ३९५/२ जि.ता. १५४/११
१२१० १२०० जि.ता १५४/१२ १२१० ४००/१ १२००
जि.ता. १५४/१३ १२१० ३८८/२ १२०० जि.ता १५४/१४ १२१०
४ १२०० जि.ता १५४/१५ १२१० २०२ १२०१ |जि.ता. १५४/१६ १२१०
३६९ १२०१ जि.ता १५४/१७ १२१० ३७५/३] १२०१| जि.ता १५४/१८ १२१०
३५२
१२११ १२१२ १२१५ १२१५ १२१५ १२१५ १२१५ १२१६ १२१६ ૧૨૧૮ १२२१ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ १२२५ १२२५ १२२७ ૧૨૨૮ १२२८
१७५ १५५/१ १५५/२ १५५/३ १५५/४ १५५/५ १५५/६ १५५/७ १५५/८ १५५/९ १५५/१० १५५/११
१६९
भंडार
ग्रंथांक |ले.संयत नाम जि.ता
१२३१ जि.ता ५९/१ १२३६ |जि.ता
१२४० जि.ता २६३ १२४२ जि.ता
२६०
१२४५ जि.ता २९०/२ १२४५ जि.ता २९०/३/ १२४५ जि.ता
२६०
१२४६ जि.का १३२४/१ १२४६ १३२४/२
१२४६ था.का. १०६ १२४८ आ.का
१२४८ जि.ता २६५ १२५० जि.ता २३३ १२६० जि.ता
१२६५ था.का ५१
१२७० जि.ता
१२७१ जि.का १३००/२ १२७७
१३००/३ १२७७ जि.का, १३०१ १२७८ जि.का, १२७४/२
१२७९ जि.का, १२७५/१ १२७९ जि.का १२७५/२ १२७९ जि.ता ३२० १२८३ जि.ता
१२८६ जि.ता ३५९/१ १२८६ जि.ता ८३/१ १२८९ |जि.ता ८३/३] १२८९
११६० ११६१ ११६१ || जि.ता ११६६ | जि.ता ११६९ | जि.ता ११६९ जि.ता ११६९
जि.ता ११६९ जि.ता ११६९ ११६९ ११६९ ११६९ जि.ता ११६९ ११६९ | जि.ता ११६९ | जि.ता ११६९ | जि.ता ११६९ | जि.ता ११६९ | जि.ता
२४८ ३२६/१
१३१ १७१/१ १७१/२ १७१/३ १७१/४] १७१/५ १७१/६ १७१/७ १७१/८ १७१/९ १७१/१० १७१/११ १७१/१२ १७१/१३
२८३
३०२
जि.ता
जि.ता
जि.का.
लि
जि.
जि.ता
जिता
१२००
१५६/४१
जि.ता
जि.ता
जि.ता
बबर
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२७१
२१५
३६८
३१२
२३७
जि.ता. जि.ता, जि.ता जि.ता,
४०८
४०९
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Page #586
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________________
ग्रंथांक ले.संवत
ग्रंथांकले.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांक
से.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांक
ले.संवत
९१
जि.ता.
२५५
३७६/२
300
१३०० १३००
त.ता. जि.ता.
३८०
जि.ता. जि.ता. जि.ता जि.ता.
१३०० १३०० १३०० १३००
३८५
जि.ता.
जि.ता.
१३०९ १३१० १३१० १३१० १३१०
जि.ता.
४०३४
जि.ता.
जि.ता. जि.ता जि.ता जि.ता जि.ता जि.ता जि.ता जि.ता जि.ता
३९०
१३००
१३१०
.
१५७/१ १५७/२ १५७/३ १५७/४ १५७/५ ३५७/१ ३५७/२
२३९
१३६/१
५३८ - लेखन संवत्वार अकारादि सूची - परिशिष्ट ३ भंडार ग्रंथांक ले.संवत भतार | ग्रंथांक |नाम
ले.संवत नाम
१२८९
जि.ता. १५०/५|| १३०० १२४ ૧૨૮૨ जि.ता. १५०/६] १३००
जि.ता. १५०/७ १३०० 100/२
१५०/८ १३०० जि.ता. १५०/९ १३०० जि.ता. १५०/१० १३००
१५३/३ १३०० १६०/१ १३०० १६०/२ १३०० १६०/३|| १३०० १६०/४ १३०० १६०/६/ १३००
१६०/७/ १३०० १३०० | जि.ता. १६०/८| १३००
जि.ता १६०/५/ १३०० जि.ता. १६०/१०
१३०० १६०/११ १३०० १६०/१२ १३०० १६२/२ १३००
१६४ १३००
.
जि.ता जि.ता जि.ता जि.ता. जि.ता
१३१८
.
२६१ २९२ २९६/१ २९६/२
३०० ३०३/१ ३०३/२
३०८
३१० ३१३/२ ३१४/२ ३१४/४ ३१६/१ ३१६/२
BE EEEEEEEE
.
१३००
| १३०० ३९२/३ ३९७/१ १३०० ३९७/२ ४००/२ ४००/३ ४००/४
४०५ ४०७/२ ४१०/३ १३००
४११
जि.ता
.
२७२ २५४
.
जि.ता. जि.ता.
.
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१३००
२०७
EEEEE
जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता.
२२१ २२४/२ २२४/३ २२४/४] २२४/५ २२४/६ २२४/७ २२४/८
२२५
.
भंडार नाम
ग्रंथांक ले.संवत जि.ता. १५९/१० १३४५ जि.ता. १५९/११/ जि.ता. १५९/१२ १३४५
१३४८
१३५४ १६८ १३५४
१३५४ १३६४ १३७५ १३७८ १३७८ १३७८ १३८०
१३८४ १३२६/५१ १३८५
१३८७ जि.ता.
१३८९
५० १३८९ जि.का १३२६/४८ १३८९
१२९१ १३९२ डूं.का.
१३९४ १४०० १४०० १४०० १४०० १४०० १४०० १४००
१३००
जि.ता
.
४१३
१३०० १३०० १३०० १३००
जि.ता. जि.ता. जि.ता जि.ता. जि.ता. जि.ता.
३२५
३६५
१३००
१३०० १३०० १३००
जि.ता. जि.ता
३२६/२ ३२६/३
जि.ता
जि.ता. जि.का जि.का जि.का
१३०७ १३१४ १३२५
१३००
जिका
जि.ना.
૬
1300
जि.का. १३१६/३
२५० ३४६/७
४०४ १५९/१ १५९/२ १५९/३ १५९/४ १५९/५ १५९/६
EEEEEEEEEEEE
बजकर
EEEE
E222222
१३४३ १३४३ १३४५ १३४५ १३४५ १३४५ १३४५ १३४५
४०३/१ ४०३/२ ४०३/३
३/५
१३८
१४५ १५०/१ १५०/२ १५०/
३
१३०५
REEEEEE
२८६
जि.ता जि.ता.
१३०० १३०० १३००
१३०९
१३००
२७०/५|| २७०/५
१३०९
१५९/८ १५९/९/
ब
जि.ता.
१३४५ १३४५
Page #587
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार नाम
ग्रंथांक
ले.संवत
भंडार
ग्रंथांक
ले.संवत
ले.संवत
नाम
नाम
भंडार ग्रंथांक जि.ता. २१०
१४००
१४०० १४००
१४०० १४०० १४०० १४०० १४०० १४०० १४०० १४००
जि.ता. जि.ता जि.ता. जि.ता. जि.ता
EEEEEEEEE
३५६/ १४००
१८3
१३३
의 의의
१८६
१३७
भिंडार
ग्रंथांक नाम जि.ता. १५८/१६ जि.ता. १५८/१७ जि.ता. १५८/१८ जि.ता. १६१/२ जि.ता. १६५ जि.ता. १६७ जि.ता. १७४ जि.ता १७६/३ जि.ता. जि.ता. जि.ता. १९१/१ जि.ता. १९१/F
१९१/३
१९१/४ जि.ता. १९१/५ जि.ता. १९१/८
१९१/७ जि.ता. १९१/८ जि.ता. १९१/९
१९१/१० १९१/११ १९१/१२
जि.ता
जि.ता.
१५१/१३, १४०० १५१/१४|
१४०० १५१/१५ १४०० १५१/१६ १४०० १५१/१७
१४०० १५१/१८ १४०० १५१/१९ १४०० १५१/२० १४०० १५१/२१ १४०० १५१/२२ १४०० १५१/२३ १४०० १५१/२०
१५२ १४०० १५८/१ १४०० १५८/२ १४००
१४०० १५८/४ १४०० १५८/५ १४०० ૧૧૮/૬ १४०० १५८/७ १४०० १५८/८ १४०० १५८/९ १४०० १५८/१० १४०० १५८/११ १४०० १५८/१२ १४०० १५८/१३/
१४०० १५८/१४ १४०० १५८/१५ १४००
जि.ता
लेखन संवत्वार अकारादि सूची - परिशिष्ट ३ -५३९ ग्रंथांकले.संवत भंडार |
भंडार प्रथांकले.संवत ग्रंथांक ले.संवत्त
नाम २९१ १४०० जि.ता. ३५० १४००||जि.का १२९९/२] १४60 १४०० जि.ता. ३५१, १४००||जि.का १२९९/३
१४०० जि.ता.
३५३/२] १४०० |जि.का १३०२ १४०० ३५५ १४०० जि.का १३०३ १४०० जि.का. १३०४
१४०० ३५८ १४०० जि.का
१३०६ १४०० ३७९ १४००
जि.का १३११ १४०० દર
१४०० जि.का १३१२ १४०० ३९७/३ १४०० जि.का १३१३ १४०० ३९७/४ १४०० जि.का
१३१५
१४०० ३२७/५ १४०० जि.का १३१७/२८
१४०० ३९८ १४०० जि.का. १३१९
१४०० ४०१ १४०० |जि.का १३२० १४०० ४१५ १४०० जि.का
१३२१
१४०० १४०० त.ता.
१४०० ४१८/२ १४०० त.ता.
१४०० ४२३
१४०० जि.ता. ९/२ १४०१ १२७७ १४००
जि.ता. ५८२ १४०३ १२८३
१४०० जि.ता. ४०/४ १४०४ १२८४ १४०० जि.ता.
१४०७ १४०० जि.ता.
१४०७ १४०० जि.ता. १२९० १४०० १२९४ १४०० त.ता. १२९५
१४०० १२९६ १४००
१२९८ १४०० डूं.का. जि.का. १२९९/१, १४०० जि.ता.
dEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE
जि.ता. जि.ता
१३४ १४००
१४०० १३९/३
१४०० १४१/४ १४००
१४२ १४००
१४४ १४०० १५१/१ १४०० १५१/२ १४०० १५१/३ १४०० १५१/४ १४०० १५१/५ १४०० १५१/६ १४०० १५१/७ १४०० १५१/८ १४०० १५१/९/ १४०० १५१/१० १४०० १५१/११
१४०० १५१/१२/ १४००
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१५८/
जि.ता.
जि.ता जि.ता
२६७
जि.ता
२६९
२७२ २७९/
૧ર૮૬
EEEEE
१२८९
१४०२
4
आ.का,
जि.ता जि.ता जि.ता. जि.ता जि.ता
ब
२८८/२
3१४
जि.ता.
२८९
For Private &Personal Use Only
Page #588
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
माम
ग्रंथाक ले.संवत
ग्रंथांक
ले.संवत
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ले.संवत
नाम
भंडार नाम जि.ता. जि.ता.
.३६
५३
९२३
६०/२/
७७
६१/४
६३
१०१
जि.ता.
५४० - लेखन संवत्वार अकारादि सूची - परिशिष्ट ३ ग्रंथांक- ले.संवत ग्रंथांक ले.संवत
भंडार
नाम जि.का २०१ १४४८ जि.ता. "५२ ૧૪૮૮ |जि.ता. १४५४ जि.ता. ७०/२ ૧૪૮૮
जि.ता. ५५५
८८/२ १४८८ जि.ता ६४८
૧૪૮૮ ६४९
૧૪૮૮ १४८८ १४८८ १४८८ १४८८ जि.ता. १४८८ जि.ता. ૧૪૮૮ जि.ता. १४८८ जि.ता. १४८८ जि.का. १४८८ जिका
८९/१ ९०/३
१५०४ १५०५ १५०६ १५०७ १५११ १५१६ १५१७
११०
भंडार नाम जि.ता, जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.का जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता डूं.का. था.का.
१४८९
જ૮૨ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९ १४८९
FREE EEEEEEEEE
१०४/१
३१५ ३६४/५ १२७६
१५१८
जि.का
६९
२७
१५१८
७२
१११e
Po
२६६
७९/२
900E
बबबबबबबबबबबबबबबबबब
जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता.
१४९० १४९० १४९० १४९० १४९० १४९० १४९० १४९० १४९० १४९१ १४९१ १४९१ १४९१ १४९३ १४९५ १४९६ १४९७ १४९७ १४९७ १४९९ १४९९ १४९९ १४९९ १५०० १५०० १५०० १५०० १५००
१०७९/१
ववववववव
ले.संवत
| भंडार
नाम १५०० जि.ता.
२७६ १५०० |जि.ता
जि.ता. जि.ता.
३६७/ १५००
जि.ता. ३९७/१२ १५०० जि.ता. ४१७/२
जि.ता. ४१८/४ १५०० जि.का १५०० १५०० जि.का. १२८०
जि.का. १२८१ जि.का.
१२८२ १५०० १२८५/२ १५०० जि.का. १२८७ १५०० जि.का. १२८८/५ १५०० जि.का १५०० जि.का.
जि.का. १२९७ १५०० जि.का. १५०० जि.का. १३१०/६ जि.का. १३१८
१३२२ १५०० १५००
१६७९ १५००
१६७२ १५०० १५०० १५००
६३८
ले.संवत
भंडार
नाम १५०० जि.का १५०० जि.का १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०० १५०१ १५०१ १५०१ ૧૫૦૨ १५०३ १५०३ | इं.का.
NEEEEEE EEEEEEEEEN
११५२
जि.ता.
१२१२ १२९३
४२६ १०७१ ૧૨૩૧
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१११
१३०
१५२२ १५२५ १५२५ १५२५ १५२५ १५२५ १५२६ १५२६ १५२८ ૧ર૮
૧ર૮ १५३२ १५३२
१३२
A
आ.का
१४६/९
२५/३
१४८९
224220
जि.ता जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता. जि.ता.
जि.ता. जि.ता जि.ता. जि.ता.
२२६
२४१/३
२६२
२९/
१५३२
१६६५
३४४
१४८९
२७३ २७४
૧૪૮
८३
૧૫૩૩ १५३३
Page #589
--------------------------------------------------------------------------
________________
ग्रंथांक
ले.संवत
भंडार नाम
ले.संवत
ग्रंथांक
ले.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांकले.संवत
| भंडार
नाम
नाम
ग्रंथांक
१५९
મે
था.का. लो.का
आ.का
आ.का. लौका
४३२ ६९१ १५३
१३९ १२७
१६२२ १६२३
ग्रंथांक ले.संवत
भंडार ६४० १५५०
लो.का १५५२ लो.का १५५३ लों.का १५५४ जि.का १५५४||जि.का १५५४||जि.का १५५५ जि.का.
१८८
१५९८ १५९९ १५९९ १६००
जि.ता.
२८४/२
३३०/१
५१३
डू.का.
जि.का लों का
डूं.का. डूं.का.
६०५ ३२५ ३२६
जि.का लो.का
५४८
२०६
९७३
१५७३ १५७४ १५७५ १५७५ १५७६ १५७६ ૧૭૬ ૧૫૭૬ १५७८ १५७९ १५८२ ૧૫૮૨
इं.का.
जि.का
1.का. ५.का. डूं.का. लो.का जि.का जि.का था.का. इं.का. डूं.का. डूं.का. था.का. जि.का जि.का डू.का.
ई.का. | .का.
४२० १८५
आ.का.
FLEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEERE
9
लेखन संवत्वार अकारादि सूची - परिशिष्ट ३ - ५४१ ग्रंथांक ले संवत भंडार ग्रंथांक
ले.संवत ૧દર
११६५ १६५० जि.का
४५०
१६५१ ६६९ १६५१
१६५२ १६५२ १६५३ १६५५ १६५६
१६५६ १११७
१६५७ १३८०
१६५७ १०४७/२
१६५७ ३५१
१६५७ ३६५
१६५९ १०१४
१६५९ ३०३
१६५९ १६५९
१६५९ आ.का
१६६०
१६६१ आ.का
१६६१ १६६२ १६६२ १६६२ १६६३ १६६३ १६६४ १६६५
आ.का जि.का
१०६३ १०६४/१
५६९
१५५६ ई.का. १५५७ १५५९ बूं.का. १५६२ | जि.का. १५६२ | जि.का. १५६२ | जि.का, १५६२ | जि.का १५६४ लो.का १५६५ १५६७ चूं.का. १५६८ आ.का. १५६८ आ.का. १५६८ आ.का. १५६८ १५६८ १५६९ १५७०
आ.का. १५७१ થર जि.का ૧પુછર जि.का.
१५४४ १५४४ १५४४ १५४५ १५४६
METE55555405
FREE
१६७८ ५९२
११९
१५४
१५४६
१५४७
EEEEEEEEE
लों.का. आ.का.
जि.का.
१५४७ ૧૬૪s
१५४८
५.का. जि.का डूं.का.
लों.का. लो.का. डूं.का.
था.का.
१५४८ १५४८ १५५० १५५०
२१०
जि.का लो.का
आ.का. डूं.का.
२४४
Page #590
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
ग्रंथांक
ले.संवत
ग्रंथांक
ले.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांक
ले.संवत
नाम
११३३]
૬% ११७२ ४३२
ढूं.का.
ले.संवत | भंडार
नाम १६९० डूं.का.
जि.का जि.का
૧૬ઝલ १६७७
भंडार| | नाम
ग्रंथांक लों.का डूं.का. था.का. लों.का. जि.का.
१६९८ १६९९
जि.का डूं.का.
४८ ४०४ ७०२ ९५८ २३०
१४७
३२१
४८३ ३२६ ३७१ ५९४ ५९५ १०१३
७८० ११४०
१५८१
४३५/ १६९३ |
१६७१ | था.का
जि.का
ई.का.
१६८१
१६७१
था.का
लो.का
१३० १६८२ || था.का
जि.का
५४२- लेखन संवत्वार अकारादि सूची - परिशिष्ट ३ भंडार ग्रंथांक ले.संवत भडार ग्रंथांक ले.संवत
भंडार
ग्रंथांकले.संवत
नाम लो.का २२ १६६५ था.का. २६४ १६७० था.का.
१६७२ लो.का
लों .का. १६१ १६७० था.का.
१६७१ लों.का. ११ १६७१ | लो.का. १२, १६७१ | जि.का. ९५ १६७१ | था.का.
१६७१ | था.का. १६६७
१६७१ | था.का. १६६७ १६६७
१६७१ था.का. १६६७ १६६८
१६७१ था.का १६६८
१६७१ था.का १६६८
१६७१ था.का. १६६८
१६७१ जि.का. लो.का
|जि.का छु.का. ૧૬૭ર चूं.का.
१६७४ डूं.का.
१६७४ था.का ૧૬૭ર था.का.
१६७४ था.का. ૧૬૨ था.का
૧૬૪ था.का. ૧૬૭ર था.का
१६७४ ૧૬૭ર लो.का
१६७४ ૧૬૨ था.का १६७२ लों.का
૧૨ लों.का था.का
૧૬૭ર था.का था.का. २५४ १६७० था.का.
૧૬૭ર था.का. था.का. १९१६
था.का. १६७२ था.का
१६७६
३७०/ १६८३ | आ.का
४ १६८३ | आ.का. १७९ १६८३ ||था.का. ९२७/ १६८४ | था,का, ३०७ १६८४ | था.का.
5555EEEEEEEEEEEE
१७०१
१७०१
4EEEEEEEEEEEEEEEE425EE
१७०३ १७०३ १७०४ १७०४ १७०५ १७०६ १७०६ ৭qo3 १७०८ १७०८ १७०८ १७०९ १७०९ ୨୨୦ ৭9o8 १७११ १७११ १७११ १७११ १७११ १७११ ૧૭૧૨ १७१३ १७१५ १७१६ १७१७ ૧૭૧૭ १७१८
३०२
૧૬૭ર
जि.का
आ.का,
१०८
८२१/२
१६६९
४४९ ७३३
था.का. इं.का.
२२६
लों.का डूं.का. जि.का डूं.का. जि.का
६९४ जि.का. १०६१ लों.का.
२३१ जि.का ११३७ था.का. ४५१
था.का. ११४५
लो.का ___३३६/ १६८८||.का. १२१६
था.का. ३५५ १६८९ था.का.
१६८९ जि.का.
२४२
२६७
१९२
१६९७ ૧૬૧૭ १६९७ १६९८
लों.का. आ.का. आ.का. जि.का
१७०२ १७०२ १७०३
२६९
लों का
२४२
०६
२६९
For Private & Personal use only
Page #591
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
भंडार
-
भंडार
ग्रंथांक
भंडार
भंडार
ले संवत
ग्रंथांकले.संवत
नाम
नाम
१७१९
२३९
४४५
भंडार | नाम जि.का जि.का हूं.का. था.का.
१०३४ १०७७
५७
१४८
५२
आ.का
४०० १०८२
५६
१३३१
३७०
ग्रंथांकले.संवत
नाम ११५७|| १७५१ लो.का,
१७५१ लों.का १७५२ जि.का
१७५२ डूं.का. ३६९ १७५३ लो.का १२११ १७५३ | लो.का ६१४ १७५३|| |जि.का ८४९ १७५३
१७५३ लों.का. १७५५ डूं.का. १७५६ लों.का.
१७६६
५७१ ४४० ९१७ ७३३/B
१७३०
८२४
જાજર
FEEEEEEEEET RE.SEE
५३२
NEEEEEE
१७६५ जि.का. १७६५ |जि.का. १७६६ जि.का १७६६ लो.का
लों.का. १७६६ डूं.का. १७६७ १७६७ |जि.का १७६७ इं.का. ૧૮ १७६८ |जि.का. १७६९ |जि.का. १७६९ १७६९ जि.का. १७६९ ৭৫০ १७७०
जि.का. १७७१ जि.का.
ग्रंथांक ले.संवत ग्रंथांक ले.संवत
नाम १५३६ ૧૦ર૮
१७३७ जू.का. २१२३ १७२९ लों.का ४९८ १७३७
आ.का ३३४ १७२९ |जि.का ४०१ १७३८ | १७२९ आ.का
१०५
१७३८ ૧૭૨૬ जि.का १०२३ १७३९ १७२९ इं.का. १३१४ १७३९ १७३० | जि.का
१७४० २०८० डूं.का.
१७४० १०७ १७३० डूं.का.
१७४० डूं.का १७३१ १७३१
१७४३ जि.का १७३१
१७४५ १७३२
१७४५ १७३२
१७४५ जि.का. ११८७ १७४६ १७३३ डूं.का.
१७४६
जि.का १७३३
१०७३ १७४६ .का. ११०५ १७३३|| जि.का १११३ ওওও इं.का. १७३३
६२३ १७४७ १७३४
१०७० १७४७ लों का १७३४||जि.का ६९० ૧૭૪૮ १७३५ जि.का १२१४ १७४८ १७३५ | डूं.का. २८३ १७०८
डू.का. ११९२ ૧૪૮ १७३६ जि.का. ३४२/५ १७४९ १७३६
८५१
१७४९ ৭২
१७४९ डूं.का. ११३० १७३७ लों.का
१७४९
૧૭૨૩ १७२४
१०८७
लेखन संवत्वार अकारादि सूची - परिशिष्ट ३ -५४३ ग्रंथांकले.संवत
भंडार ग्रंथांकले.संवत
नाम ४०९ ૧૭ लों.का.
३३२ વાર ९९० १७७३ |जि.का.
११०७ १७८३ ९९६ ৭০93 जि.का. ११०८ १७८३ ५१२ ৭০০ ५.का. ५५९ १७८३ ५६६ १७७३ .का. ७९८ १७८३ १७० १७७४ डूं.का.
११७८
१७८३ ८५२ १७७४ लों.का. ५०९/A
१७८३ ૧૨૧૮ १७७५ | जि.का ७६२ १७८४
૨૨૮ १७७५ | जि.का ११०६ १७८४ १३७३ १७७६ जि.का १९१९ १७८४ ५६३ १७७७
११४७ १७८४ ११०४ १७७० आ.का.
१७८४ १७७७ जि.का. १६७३ १७८५
लों का ४० १७८५ आ.का
१७८५ जि.का ૧૭૮૬ १७७९
४२० १७८६ १७७९ |लों.का. ३५८|| ૧૩૮૬ १७०९
१०७६] ૧૯૮૭ १७७९ बूं.का. ६८३ ૧૭૮૮ १७७९ डूं.का.
१७८९ १७७९
१७९० |जि.का
વક૬૧ इं.का.
१७९३ आ.का.
१७९३ डूं.का.
१७९४ ૧છ૮ર बूं.का. ५०२ १७९४ १७८२ ई.का. १०७४ १७९४
३७३
१७२४
१७३३
लों.का. लों.का. जि.का.
३३१
बूं.का.
७२
१७२४
५२
लों का
এই
१७५९ १७५९ १७५९ १७६० १७६० १७६१ ૧૭૬૧ १७६१
२०५
आ.का जि.का
५९५ १०९८ १२०२|| ११२५
९३ ३९३ ११७२
१२१२
६३० १९८७
११७४
१७२४ १७२५ १७२५ ૧૦ર૫ ૧ર૬
४७८ ४३५ १०८५
P4A
१७६३
लो का
जि.का जि.का, इं.का.
१७६३ १७६४ १७६४
बECENTATEMETECEME
१७२६
लो.का
2
१७०९
१७३५
१२०
इं.का.
१०१५
३०४ १३२८ ३१४ ६०५
लों.का.
૧૭૨૬ १७२७ १७२७ ૧૭૭ ૧૭૨૮
लों का जि.का जि.का डूं.का. डूं.का.
लो.का.
goch
जि.का
অ952 વાછર
Page #592
--------------------------------------------------------------------------
________________
५४४ - लेखन संवत्वार अकारादि सूची
भंडार नाम
ग्रंथांक ले. संवत
आ.का.
जि.का.
हूं.का.
लॉ. का.
लों. का.
आ.का.
डूं. का.
हूं.का.
हूं.का. लो. का.
दू.का. जि.का. लॉ. का.
डूं.का. डूं. का.
डूं. का.
डूं.का.
डू.का.
६७ १७९४
७२५
१७९५
५३
१७९५
१७९५
डूं. का. लौ. का.
४१७/१
४१७/२
१४९
३४१
५०३
१०४०
५४८
३८१
१०६८
५९७ १२
६२
भंडार नाम
हूं. का.
था. का.
हूं. का.
हूं. का.
१७९५ हूं. का. लो. का
१७९५
१७९९
१८००
१८००
१७९६ लों का
१७९८ डूं. का.
१७९८ डूं. का. जि.का
१७९८
१८०२
१८०२
७६०
१८०२
४३३
जि. का १८०३ जि.का ९३० १८०३ जि.का ११३१ १८०३ हूं. का. लों का
६४०
१८०४
आ.का.
१२८
१८०४
हूं. का.
१२१८
१८०६
हूं. का.
डू. का.
जि.का
हूं. का. हूं.का. १२२५ १८०६ हूं. का. ६७८ १८०८ १५ १८०९ हूं. का. ९५४ १८१० जि.का. १९९४ १८११ जि.का. २११३ १८११
आ.का.
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
लों का,
लों.का.
हूं. का. जि.का जि.का हूं. का.
परिशिष्ट ३
ग्रंथांक ले. संवत
१०५५
२१०
९९२
९९५
८४२
३२९
६२८
५७
१००३
७२९
१८११
१८११
१८१२
१८१२
१८१४
१८१४
१८१४
१८१५
१८१५
१८१६
१४
१८१६
१००४
१८१६
१०५६
१८१६
१३३
१८१६
४८५ १८१६ ११८४ १८१७ ११९७ १८१७
१८४०
१८१८
१०४८
१८१८
५१४
१८१९
१६३
४४१
११६९
१०१६
९११
१२०८
१८०४
७२१
१८२०
१८२०
१८२०
१८२१
१८२१
१८२२
१८२२
१८२२
भंडार नाम
. का.
लो.का.
लों. का
लो.का.
हूं. का.
जू. का.
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
डूं. का.
डूं.का.
हूं. का.
डू. का.
था. का.
लों का.
आ.का.
डूं. का.
हूं. का.
सूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
लो. का.
हूं. का.
हूं. का.
लों. का.
ग्रंथांक ले. संवत
१८२२
१८२२
१०१७
४१
३६२
३७२
१०७
१०८
१००१
११७६ ८७
૨૯૪
ટ
८८९
११२७ ८७
३५४
१२
२०
६२९
६३५
६४३
८१९
१०३९
१०९९
११३३
५१७
८७७
१२१९
९८
भंडार नाम
१८२२
. का.
१८२३ लों. का
१८२४ जि.का
१८२४
१८२५
१८२५
१८२५
१८२५
हूं. का.
हूं. का.
१८२४ हूं. का.
१८२४
दू.का.
हूं. का.
डूं. का.
हूं. का.
लों. का
बूं. का.
१८२५
आ. का
१८२५ जि.का
१८२५ जि.का
१८२५
१८२६
१८२६
१८२६
१८२६
१८२६
१८२७
१८२७
१८२७
डू. का.
डूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
१८२६
हूं. का.
१८२६ जि.का
१८२६ डू.का.
१८२६
बूं. का.
लों. का
जि.का
जि. का
ग्रंथांक ले. संयत
१८२८
१८२८
૧૮૨૮
१८२८ डूं. का. लों. का
१८२९
१८२९
लो. का १८२९ लों. का. १८२९ जि.का हूं. का.
१८३०
१८३०
हूं. का.
१८३०
डूं. का.
१८३१
था. का
४३२
९१८
११५९
३९६
१८३३
४६९ ७८४
१०८१
८३६
८५१
२८१
५००
१०२
१०९४
११११
१८१
४३६
८८१
९३१
१०४४
११०२
११३४
१६६२
१००
१२७८
६३७
७४८
१०११
१८३१
१८३२
१८३२
१८३२
१८३२
१८३२
१८३२
१८३२
१८३२
१८३२
१८३३
१८३४
भंडार नाम
१८३५
१८३५
१८३६
१८३६
सूं. का.
हूं. का.
जि.का
था. का. लों. का.
आ.का.
डूं. का.
डूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
जूं. का.
डूं. का.
सूं. का.
डूं. का.
जूं. का.
डूं. का.
जूं. का.
डूं. का.
हूं. का.
ग्रंथांक ले. संवत
१८३७
हूं. का.
१८३७
हूं. का.
१८३८
लों. का.
१८३८
ल. का.
१८३८ लॉ. का १८३८ लॉ. का. १८३८ जि.का. १८३९ हूं. का. हूं. का.
१८३९
१८३९
हूं. का.
१८३९
हूं. का.
१८४०
१८४०
डू. का. लो. का. १८४० डू. का. १८४० लों का
१८४१
लॉ. का
१८४१
लो. का.
१८४१
१८४१
१८४१
१८४२
६८०
११४०
१०२९
४४०
१९७ २९९
४६२ २२३९ ३१०
३७२
३८५
४७
१८५
५२७ २४
६२०
૮૭
८४७
१०२९
१२६५
६८८
१३५२
२८/१
२८/२
२८/३
२८/४
२८/५
२११
१८४२
१८४३
१८४३
१८४३
भंडार
नाम
१८४३
१८४३
१८४३
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का.
हूं. का. लॉ. का.
लों. का
बूं. का.
लॉ. का.
. का.
हूं. का. हूं. का.
ग्रंथांक
ग्रंथांक ले. संवत
९५१
९८४ ३३४
३१२ ૧૮૪૮ ८९२ १८४९ ४८७ १८४९ ५०५ १८४९ २२४ १८४९ ३८८ १८४९
३६५
४६७ ५९९
डूं. का.
१८७८ ८
हूं. का.
१२७ १८५० ९२१ १८५० ९३६ १८५० ९७६ १८५०
२६८
सूं. का.
३७५
१८४४
हूं. का.
९३९
१८४४ ढूं. का. १०७१ १८४४ जि.का
१२१२ १८५० ८७२ १८५१
४२६ १८४४ जि.का ८७४ १८५१
डूं. का.
८१४ ४६ ४७
डू. का.
था. का.
४९३
३७९
१९७ १८५१ १०७८ १८५१ २४४ १८५१ ७५८ १८५२ ८२२ १८५२ ९६८ १८५२ १०५२ १८५२ ४०० १८५२ १७१० १८५३ १८५३
५०८
५१८
११४८
डूं. का.
हूं. का.
१८५३
डूं. का.
१८५३
६४६ डूं. का. ७४७ १८५३ ढूं. का. ७७३ १८५३ डूं.का. ८२३ १८५३
ले. संवत
३४०
४८४
१८४३ लॉ. का. १८४३ जि.का १८४३ बूं. का. १८४३ ढूं.का. १८४३ लॉ. का १८४३ लॉ. का
१८४४
१८४४
१८४४
१८४५ १८४५
भंडार नाम
१८४५
१८४५
१८४६
૧૮૪૬
१८४६
૧૮૪૬
१८४६
१८४६
१८४७
१८४७
२०९
४९७
५१५ १८४८ ६७७ १८४८ १३५४ १८४८
डूं. का.
डू.का.
डूं. का.
हूं. का. लों का जि. का
१३ ३०
.
Page #593
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
ग्रंथांक ले.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांक ले.संवत
भंडार
ग्रंथांक ले.संयत
भंडार
ग्रंथांक
ले.संवत
भंडार।
ग्रंथांक
ले.संवत
भंडार नाम
नाम
लेखन संवत्वार अकारादिसूची-परिशिष्ट३-५४५ ग्रंथांक ले.संवत भंडार ग्रंथांक ले.संयत ८९६ १८८३ | इं.का. ७१९ १८९०
इं.का. १७४६ १८९१ था.का.
१८९१
जि.का
६१४
डूं.का.
११०७
१८७० १८७०
५.का.
लों.का. बूं.का.
२६८
७२६
इं.का. लों.का
जि.का डूं.का. डूं.का.
८०८ १०३३ ११२६
१८७० १८७७ १८७७ १८७७
डूं.का. डूं.का. डूं.का.
५.का.
१८७३ १८७३ १८७३ १८७४ ૧દાજ ૧૮૭૪ १८७४
.का
लों.का.
४१३
१३६५
१८७७
५.का
२३१/१
११८
जि.का डूं.का.
३७८
डूं.का.
510051
५०
१८७८ ૧૮૭૮ १८७८ १८७९
A.A2313394Al-AA
डूं.का.
१८७० १८७० १८७० १८७० १८७१ १८७१ ૧૮૭૧ १८७१ १८७१ ૧૮૭૧ ૧૮૭૧ ૧૮૭ર
लों.का
REEEEE
जि.का.
९९६ १०१५
ट्रॅ.का.
डूं.का.
डूं.का.
बूं.का. डूं.का.
११८९
१८७९| डूं.का.
नूं.का.
डूं.का.
१८७९
३९६
ढूं.का.
१२७२ १३३३ ૧૭ર
४०६/ ४७५
जू.का.
ALANA.
4-AN
१८७९ १८७९ ૧૮૮૦
डूं.का.
लों.का
१८९४ १८९४ १८९५ १८९६ १८९६ १८९६ १८९७ १८९७ १८९७
लों.का. डूं.का.
इं.का. १८६२ .का.
.का. बूं.का.
૧૮૭ર
५.का.
५९९ १००७ १००८ ३८३ ८९५
डूं.का.
जि.का
७७७ ७९० ८०३ १०१४ १०१८
૧૮૭૨ ૧૮૭ર ૧૮ર ૧૮ર ૧૮૨
५.का.
१०६४ ११४१ १२०३ १२७०
डूं.का.
10 THINTENTENTINENTATE EEEEEEEEEEEEEEEEEE555
१८७५ १८७५ १८७५ १८७५ १८७५
५९८ ११०९ ૧રર૬ १२५५ १४१
१८९८
'
90g
.का. ५.का. ५.का. ५.का. लों.का. जि.का. डूं.का. .का.
था.का
लों का
डूं.का. लो.का लो.का.
३२३
1754444SAAN
डूं.का.
TEN100-100
१८९९ १८९९ १८९९ १८९९ १८९९ १८९९ १९०० १९०० १९०० १९०१
लों.का लो.का
८४३ ९६७ ३७८
२९६ ३१४/१ ११६४
TOf 'N'VEN IM
८४ १६५५ १८५९ १७०८|| १८५९
EEN
२२१
९७८
For Private & Personal use only
Page #594
--------------------------------------------------------------------------
________________
५४६ - लेखन संवत्वार अकारादि सूची- परिशिष्ट ३ भंडार | ग्रंथांकले.संवत भंडार ग्रंथांक ले.संवत
भंडार
ग्रंथांक
ले.संवत
भंडार
ले.संवत
भंडार
ग्रंथांक
ग्रंथांक
संवत
ले.संवत
नाम
ले.संवत
नाम
नाम
भंडार| नाम |
ग्रंथांक जि.का ११२/२
९४
३८७
ढूं.का.
१९०१ १९०१ १९०१
BEE
१४०
४७१ १३३६
१००६ ५९६
IEEEEE
१९०७ १९०८ १९०८ १९०८ १९०९ १९०९ १९०९ १९०५
१४५ १४६ १५०
७४३
NANAARON.
EEEEEEEEE
भिंडार| नाम
ग्रंथांक जि.का. १३४/२२ जि.का. १३५
१३७ १३८ १३९
१४३ १४४/७
१४७
१४८ जि.का १४९
७४६ POE
८९८ ६२० १०९५ १२१९ १२२०
जि.का
जि.का
४८१
जि.का
६३२
१९०९
१९२५
४१३/१ ४१३/२ ੧੨੨੩
डूं.का. लो.का डूं.का. लो.का
१९२५ १९२७
१२३६
१९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९०४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४
जि.का जि.का जि.का. जि.का जि.का
१९५१ १९५१ १९५१ १९५८ १९६४ १९६८ १९६८ १९७० १९८२
१९८३
९६८ ९७४
११५
१९८३
जि.का जि.का जि.का जि.का
लों.का
३६७
BEEEEEEEEEE
५३३/ ५३४/D ५३४/ ९६/१
५८४
wwwmwwwwwmwwmwwmw
लोक
९७७ १९६
२०५ २३४/१ २३४/२
९3/
लूं.का.
१९१० १९१० १९१० १९१० चूं.का. १९१० ५.का. १९११ १९११ १९११ १९११ १९१२ १९१२ | बूं.का. १९१३ लो.का. १९१४ | डूं.का. १९१५ लों.का. १९१५ ई.का. १९१७ लों.का. १९१८
लोका १९१९ १९१९ लों.का
लों.का
जि.का १९०४ १९०४ १९०५ लों.का.
इं.का.
लों.का १९०५ लों.का १९०५ इं.का. १९०५ जि.का १९०५||
.का. १९०६ १९०७५.का. १९०७|हूँ.का. १९००||लों.का
EEEEEN05
१९८५
१९
BaaEEEEEEEEEE
ર ३८३ १३६/६ १९८८ ११८९
९७
१९८३
जि.का
१९८४
१२७/२
ठू.का. लो.का
३४५
७८८ ६४३
८३९ १३/A
१९३३ १९३५ १९३८ १९४० १९४१ १९४२ १९४२
१२८
जि.का जि.का
जि.का जि.का था.का जं.का. जि.ता था.का.
१९८५ १९८५ १९८५ १९८६
१९९२ ६८१ १९९४
१२ १९९५ २९३ १९९९ २९४ १९९९ २९५, १९९९
१२९
१९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४
५९६
१३०
जि.का जि.का जि.का जि.का
डूं.का.
२१४ ४७४
૧૧૮૩ १९८३ १९८३ १९८३||जि.का.
१०१ १०४ १०७ ११०
जि.का
८६
१९८३
१३२ १३३/२१
था.का.
Page #595
--------------------------------------------------------------------------
________________
भडार नाम
ग्रंथांक
र.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांक
र.संवत
भंडार ग्रंथांक
नाम
जि.ता. जि.ता.
५१८
था.का
४१०/२
२६४ २६६
२५२ २८५
११२० ११२० ११२०
१३६/१
४०६
जि.का
BEE
FEEEEEEEE
३७९ ३८०
२३९
१८६ १७६/३ १७८/ १७८/२
PEEEEEEE
जि.ता.
३८३/२
१६६५ १५८/१५ १८३/२
૧૧૨૮ ૧૧૨૮
२७०/१
BEEEEEEEE
११२८
व
૧૦જર १०४२ १०५० १०५० १०५५
११०
लेखन संवत्वार अकारादि सूची- परिशिष्ट३-५४५ र.संवत
भडार ग्रंथांक र.संवत
भंडार |
ग्रंथांक र.संवत ग्रंथांक र.संवत भडार | ग्रंथांक र.संवत माम
नाम ११७० जि.ता. २३६ ११९० त.का. ४३३ १२६४ जि.ता. २४९/३] १३०५ जि.का २१२०/६] १३६५ ११७० १९५ ११९२ जि.ता. ४१८/२ १२७४ |जि.ता. २७०/२
त.का. १०५० १३६८ जि.ता. १५६ ११९२ | जि.ता. २७०/४२ १२७५ जि.का १६३ |जि.का ४३२
१३७८ ११९३ १२७/१
जि.ता १५७
१९६६ १३८१ ११७० | जि.ता. १२०० १३४/२/ १२७८ जि.ता. २७२| १३११ || त.का. २८१०] १३८९ ११७१ | जि.ता. १५४/२ १२१०
१२७४/३
___२७६ | १३१२ | जि.का, ९२५ १३९७ १५४ १२१० २४९/१
____ ३३५, १३१२ | जि.ता. ३३/४ १४०० १५५/८ १२१३ २७०/३
३३६, १३१२ || जि.ता. १५१, १४०० ११७२ जि.ता २५९
२४९/२
३४० १३१२|| जि.ता. १५८ १४०० ८८/२
१६१/२ १३१३ | जि.ता. १४०० १४१/४ १२२२ | जि.का
१७६ १३१३ | जि.का १३०५/३] १४०० ११७४
१२२२ ८३/२ २१२०/७/ १३२२ | जि.का
१४०७ ११७४
१२२३ ૬ २८५ १३२८ जि.का
१४१२ २५७ जि.ता.
१४१२ ११७४ ४१७/२ १२२७ २५८
१६७२ १४२२ ११७५ 3/२ ३५३/१] १२९४
३६८ १४२६ ११७५
१२३२ 930५/१ १२९४ जि.का,
१२३७ ११७५
१२३६ १३०५/२ १२९४ जि.का,
२४१ १४१४४ ११७६
१२३८
२८१ १२९५ १०१ त.का.
५८८
१४५३ ११७६
२०६ १२४२ १२८ १२९५
त.का. १०३४ १४६६ ૧૧૭૮ १५१/२ १२४८
१२९ १२९५
त.का.
१४६८ १५८/३ १२४८
१२९६ १३४१ लों.का
१४७२ १५९/११ १२४८
१२९९ १३४५ त.का.
१४७८ १९४/७ १२४८ १६६ १२९९
१३५२ जि.का
૧૪૮૩ ११८० ३३०/४ १२४८
१५० १३००
१३६३
१४८५ ११८० २६८ १२४८ १६० १३००
१३६३ त.का.
१४८५ ११८० जि.का १३२६/१५ ૧૪૮
१३००
१३६४ त.का.
१४८८ ११८२ जि.का ८८४ १२५२ जि.ता. ८२/१ १३०४
१३६४ जि.ता.
१४८९
१५५ २१७
११८
जि.का.
११७४
१२२६
२१४/१
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૧૨૮
१४२८
११२९
0
११३९ ११३९
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૧૨ાજ
१९८०
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१२९
११८०
१४५
जि.का
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११२० ११२० ११२०
४१६ १४४५ २२२
२२७/१ १३६७
२२४
जि का
For Private &Personal use only
Page #596
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
भंडार
ग्रंथांक |र.संवत
ग्रंथांक
र.संवत
भंडार
ग्रंथांक
र संबत
भडार| पंथांक
र.संवत भडार
नाम
ग्रंथांक
नाम
नाम।
र.संवत
८१६
जि.का
था.का
२७
जि.ता.
४१८
१६२० ૧ર૦
१२७६/A १०४९
त.का
१०५२
जि.का
जि.का
१६४५ १६४६ १६४६
MER
लोका
१५३६ १३९८ १३८७ १४५०
त.का.
३स
१५८२ १५८२ १५८५ ૧૫૮૬ १५९० १५९० १५९० १५९४ १५९६ १६००
१५६
EC 5
५३७
५१२
४३५
जि.का जि.का
६३७
५६३
३१४ ६५८ ८७
१६५९
जि.का |जि.का लों का त.का.
त.का. जि.का जि.का लों.का त.का. जि.का लों.का त.का. त.का. जि.का जि.का
५११/१ ८०८/३ १९९३ ५१८
१६५६
जि.का १६५७ १६५७ १६५७ १६५७ १६५८ १६५९ त.का.
त.का. जि.का
त.का. १६६० | जि.का १६६० त.का. १६६० त.का. १६६० १६६०
१६५९
१६६०
२९९
१६६३ १६६३ १६६४ १६६४ १६६४ १६६५ १६६५ १६६५ १६६६ १६६६ १६६७ १६६७ १६६७ १६६८
१६०३
५४८ - लेखन संवत्वार अकारादि सूची- परिशिष्ट ३ ग्रंथांक र.संवत ग्रंथांकर.संवत
नाम नाम जि.ता. २१/५ १४९० जि.का १९४८ १५३५
जि.का. ६९/१
१४९० जि.क १४५९ १५३८ ८९/१ १४९१
१५३९ ३९९/२ १४९२
१५४२ जि.का. १४९२
१५४६ जि.का १२३१ १४९३
१५४९ जि.का १४९५
३१७
१५५१ १४९६
१०४५/१ १५५२ |जि.का ५५६ १४९६ जि.का
१५५३ त.का. २१९१ १४९६ था.का
१५५६ त.का. १४९९
जि.का. १५५८ १५०२ ||त.का.
जि.का. १४३७ १५०३||जि.का
त.का. ७२ १५०३] त.का.
त.का. १५०६ त.का.
त.का. |जि.का
त.का. १५१६
जि.का ३८२
१५१६ जि.का, ८१७/१० १५२१ था.का. १५२५ त.का. २८ ૧૬ર૬
.का. जि.का. १५३८ १५२९ जि.का. ११०९ १५३० त.का. ६६७ १५३० त.का.
जि.का त.का.
રરર
१५३२ त.का.
१५३२ त.का.
का. ર૮૮ १५३२
|जि.का. जि.का. १४३५ १५३३ जि.का
२२०
१०३७
१९११ १२७१/A
३७० ४३०/A ४३०/०
VEEVEGGC FREEEEEEEEE5
PPP
१७०७
१६३७
૧૧૮૦ २१७३ ४६८ २८१ ३१४ ८३८ २००९ ९३७०
६११ १०४१ ६०९ ९७८
१६०६ १६०८ १६०९
३८१/० ४०५
५० १४५ १२९
जि.का
२६३
त.का.
जि.का
१६६८
६०५
१५१४||
१00
१६१०
१६६०
३६४
जि.का त.का.
BSE
२६४
१६६०
१६११ १६१२
१६३८ १६३८ १६४० १६४१ १६४२ १६४२ १६४३
८3
EET IT
न
११८६
१००२
४८७ १२७४
१६१२
त.का. त.का. त.का. त.का. जि.का जि.का जि.का त.का त.का
१६६८ १६६८ १६६८ १६६९ १६७०
(जि.का
t
९३UA
त.का. त.का. त.का. त.का. त.का. त.का. त.का. त.का. जि.का जि.का त.का. त.का. जि.का जि.का लों.का. त.का.
४१३
१६५० १६५१ १६५१ १६५१ १६५२ १६५४ १६५५ १६५५ १६५५ १६५५ १६५६
४८३
१६ १६७२
+ d2
त.का. त.का. जिका
२०००
१६१६
६४० २०४४
१६६१ १६६१ १६६१ १६६१ १६६१ १६६२ १६६२ १६६२ १६६२ १६६२ १६६२
१५२५
२१७ ३९३ १३७२ १६४९
लौका
RA
त.का
२७२
६४५
४
૧૬૭ર १६७२ નક્કર १६७३
१६७४ ८०८/४] १६७४
लों.का त.का.
लों.का |जि.का जि.का.
२०५ २२०४
जि.का
१६१८ १६१९
त.का.
२
१०१४
१६५६ १६५६
७९३
५४१
For Private & Personal use only
wwwjainelibrary.org
Page #597
--------------------------------------------------------------------------
________________
भंडार
भंडार नाम
त.का.
Pupe
३e
१७६३
२१२
१७२३
१५
૧૭ર૪
૨૮
का.
६०६
ग्रंथांक र.संवत
भंडार
नाम १०१०
१६७४ १०११
१६७४ त.का. શ્વર
१६७५ त.का. ३१९ १६७५ जि.का १६७६
लों.का ८०८/१ १६७६
१६७६ त.का. १६७६ १६७६ १६७६ त.का. १६७७
त.का. १६७७ त.का. १६७७ त.का. १६७७ १६७८
त.का. १६७८ ११५५/ १६७८ त.का. १८९२ १६७८ त.का. १९९९ १६७८ जि.का ३५९ १६७८ जि.का
१८ १६७८ जि.का ३८८ १६०२ जि.का ११७२ १६७२ जि.का २०५९ १६८० जि.का १८८
१६८१ त.का. ३९९/१
૧૬૮૨ ८९०
१६८२ | जि.का ३७४ १६८२ |त.का.
ग्रंथांक र.संवत
मंडार
| नाम १६८२ |जि.का. ४९७ १६८२ जि.का.
१६८२
१६८३ त.का. ૪૨૮ १६८३ त.का. ૧૨ त.का. ७१
त.का. ર૭ जि.का. १३९६ त.का. १२१३
त.का. १७५
त.का. ३९६
त.का. ४२४
लों.का. १०२५
जि.का
जि.का १६८८ जि.का. ११३७ १६८८ त.का. ८२०
१६९१ त.का. ७८१ १६९२ लों.का ११४२ १६९२ जि.का ६७० ૧૬૧૩ त.का. १८७४ १६९३ त.का.
१६९४ जि.का. १४४८ १६९४ त.का. १७६ १६९५ त.का. ९५१ १६९६ जि.का ४१२| १६९७ त.का. २८८ १६९७ त.का.
जि.का
ग्रंथांक |र.संवत
| नाम ४००/
१६९८ | | जि.का ६७३|| १६९८ जि.का ११८५ १६९८ जि.का
७२६|| १६९९| जि.का १०४५ १६९९ | जि.का २३३
१७००||त.का.
१७०० जि.का १६४८
१७०१ जि.का २३८
१७०१ त.का. ११२६ १७०१ जि.का. १८ १७०२ जि.का
१७०२ त.का. १७०३ जि.का
१७०६ त.का. १०१७ १७०८ त.का. १५५५ १७०८ | जि.का ४८ ૧૭૦૮ जि.का
१७०८ लों.का. ३५३
१७०९ लों.का २०८६ १७१२ लों.का.
१७१३ लों.का. १७१३
जि.का १७१४ जि.का १०७८ १७१४ जि.का २०४८ १७१५ जि.का
१७१५ जि.का १०२० १७१५ त.का.
लेखन संवत्वार अकारादि सूची- परिशिष्ट ३-५४९ भिंडार ग्रंथांक |र.संवत
भंडार ग्रंथांक |र.संवत नाम
नाम
ग्रंथांक |र.संवत ४१३ १७३४ जि.का. ४२०/४६ १७५०
૧૮૦૨ ૧૬૨ ६३२ १७३५ जि.का. ४२०/४७ १७५०
૧૭૬૨ ४२०/३ १७३६ जि.का. ४२०/४८ १७५०
१७६२ जि.का., ४२०/५० १७५०
१७६२ ९६ जि.का. ४२०/५२ १७५१
१७६३ ४२०/१८
जि.का. ४२०/५४ १७५१ ४२०/१९ जि.का, ४२१
१७६३ ४२०/२० लो.का. १८८ १७५१
१७६४ ६३४ १७५१
વહ૪ १४०० जि.का ४२०/५५ १७५२
१७६६ પુર त.का. ૧૦૮ १७५२
१७६६ ३४२/३ त.का. ७३१ १७५२
१७६६ ४२०/२२ ୩୫୪୨ जि.का. ३५१ १७५३ त.का.
१७६६ ४२०/२५ ୩୭୪ |जि.का ४२०/५८ १७५३ जि.का
१७६७ १०६५ १७४१ १०२३/A १७५३
१७६७ १११३ १७४२ त.का.
१७५४ २७ નજર जि.का. ६४३ १७५५
વાછ૬૮ जि.का. ४२० १७५५
१७६९ १७४५ जि.का. ૧૭ १७५५
१७६९ १७४५ जि.का. १७५५
१७६९ त.का. १०५७
१७७१ | त.का. १७५९
વણકર ९९० १७४८ त.का.
१७५९
વહર ੩੨ १७४९ त.का.
१७५९ का
१७७२ ४०७ १७४९ लों.का. १७६० जि.का
१७७३ ४२०/४१ १७५०
१७६१ त.का.
१७७३ ४२०/१२ १७५० त.का. ४१० १७६१
त.का.
१७७५ ४२०/४३
१७५० त.का. ७१७ १७६१ जि.का
१७७६
ग्रंथांक |र.संवत
| भंडार
| नाम ४२०/५, १७१६ त.का. १७३५] १७१६ लों.का
७४६ १७१७ जि.का ४१०/१| १७१८
त.का. १७८५ १७१८
जि.का ११९
૧૦ર૦ जि.का. २०४२ ૧૩૨૧ जि.का. २१०४ ૧૯ર૧ जि.का ૨૮
जि.का ४८९ १७२४ जि.का, १९९४ त.का.
२४४ १७२४ ३४८
१७२५|| जि.का ४०८
१७२५ जि.का ९४२ १७२५ त.का. १४२७ १७२६ | जि.का. २२३२] १७२७ त.का. १८९ १७२८ त.का. ४१३ १७२८ जि.का ४३८| १७२८ त.का.
१७२९ त.का. ७१५ त.का. ६९४
त.का. ४२०/२ जि.का ४२०/१३
त.का. ३४३/१ जि.का २००३ |जि.का ३३२
जि.का.
८८५
६३०
૬૮૬
का.
१०३९
१७४२
१९६२
३९९
૨૬ર,
DE
५९१
१७१४
सि.का
जिका
२३२
जि.का
१७२
For Private &Personal use only
Page #598
--------------------------------------------------------------------------
________________
५५० लेखन संवत्वार अकारादि सूची परिशिष्ट ३
भंडार
भिंडार
ग्रंथांक
र. संयत
ग्रंथांक
नाम
नाम
-
जि.का. जि.का.
त. का.
त. का.
त. का.
त. का.
त. का.
जि.का.
त. का.
जि.का.
त. का.
त. का.
[त. का.
त. का.
जि.का.
त. का.
त. का.
त. का.
जि.का.
त. का.
त. का.
त. का.
[त.का.
त. का.
त. का.
त. का.
लो. का.
त. का.
१४२१
१९७३
१०००
2009
१४३
१२१७
४०२
१५४५
७३
१५०१
१४०
३७६
६७८
९०८
१९५६
३६३
४९६
३२
१३९९
२३५
५४४
२२६
९४०
९४१
३९
१९१
३८२
२०३
१७७६
१७७६
१७७६
१७७७
१७७८
१७७८
१७७९
१७८१
१७८१
१७८३
१७८३
१७८३
१७८४
१७८५
१७८६
१७८६
१७८६
१७८६
१७८७
१७८७
१७८७
१७८९
१७८९
१७८९
१७९०
१७९४
१७९५
१७९५
त. का.
स. का.
त. का.
जि.का
त. का.
त.का.
जि.का
त. का.
त. का.
त. का.
त.का.
त. का.
त.का.
त.का.
त. का.
त. का.
त. का.
त.का.
त. का.
जि.का
त. का.
त. का.
त. का.
त.का.
त. का.
त. का.
त. का. जि.का
३६२
६९९
९९९
२०५६
८३४
भंडार
नाम
जि.का.
र. संवत
१७९५
१७९५
त. का.
१७९५ जि.का.
१७९६ जि.का
१७९६ त.का.
१७९७
जि.का
१७९८
त. का.
त.का.
१७९८ १७९८ जि.का. १७९८ जि.का.
५१३
१४०४
८२७
८५५
११२३
११४९
४५६
११७०
९१३
१९२
३६८
४६८
१९०
२७४
१८९४
४१९
१८०५
९५५
१८०५
१३५
१८०६
त. का.
३१०
१८०६
त. का.
५९०
१८०७
त. का.
७६१
१८०७
लों का, ९२५ १८०८ त.का. १८०९ १८५१ त.का.
त. का.
१७९८ १७९९ जि.का.
१७९९ त.का.
१८००
१८०१
१८०२
१८०२
१८०३
१८०३
१८०४
जि.का.
त.का.
त. का.
त. का.
जि.का.
त. का.
जि.का.
जि.का.
त.का.
ग्रंथांक
२०९
३४
७१८
र. संवत
१९०१
१२७०
१९१६
१०३३
१४६६
२०६४
१३९ १८११ १७३४ ८६९ १८११ ७८३
१८१२
१८१३
१८१३
२००० २००४ ४७१ १८६५ ८५ ८९४
लों का १८१३ १८१७ जि.का जि.का
१८१७
१८१८
त.का.
१८१८
त. का.
१८१८
भंडार नाम
१८०९
त. का. १८०९ जि.का १८१० लों का १८१० स. का. १८१०
त. का.
त. का.
त. का. त. का.
त. का.
जि.का
१८१९
१८२०
त.का.
लों का
जि.का
जि.का
जि.का
१८२०
१८२२
१५५० १८२२ १९८० त. का. ५३२ १८२२ त. का. १८२४ त.का. ३७१ जि.का
४५७
१८२४
७३४
१८२४
३९६ १८२५ ५६५ १८२५ १८२५ ६४०
त. का.
त. का. जि.का जि. का
ग्रंथांक
११३४ २१६६
५१७
४६२
४७०
६२३
lse
८१
७३७ १८३४
३५१
१७२९
२२५१
१४८
र. संवत
भंडार नाम
१८२५ जि.का १८२६ त.का. १८२६ त. का. १८२६ जि.का. जि.का.
१८२७
१८२७ त. का. १८२८ त.का. जि.का. १८२८ ૧૮૨૮ लो. का. जि. का १८२९
१८३०
लॉ. का
१८३१
त. का.
१८३१
१८३१
७३०
१८३३
५११ १८३४
४१८
१८३६
७४३
१८३८
२२४१
१८३८
१८३९
त. का.
जि.का
त. का.
जि.का.
जि.का
त. का.
त. का.
त. का.
१९०३
७१३
१८३९
७९४
१८३९
७३६
१८४०
त. का.
१९७२
१८४२
त. का.
[त. का.
४४२ १८४२ ११८४ १८४२ १८२७ १८४३ २१०७ १८४३ त.का.
त. का. त.का.
त. का.
त. का.
ग्रंथांक
१८२९
२३९
४४३
१८४४ त. का. १८४४ त.का. १८४४. त.का.
१८४५ त.का.
१८४५ त.का. १८४५ त.का. १८४५ त. का.
जि.का.
१८५४ ३६८
१८४६ १८४७
१८४६
१८४८
३८८
१८४८
४११
१८४८
૮૬૨
१८४८
१४९७
१८४९
१०३८ १८४९ १४९० १८५० १८५०
१८९५ १८२
१८५० १९६७
५५४ ९१६
३९७
७४०
१०८६
९५८
१७१
८२३
९४६
१३७
र. संवत
२६५ GEE
भंडार नाम
त. का.
त. का.
जि.का.
त.का.
त. का.
त. का.
जि.का. जि.का.
त. का.
जि.का.
१८५०
१८५०
त. का.
१८५०
त. का.
१८५०
त. का.
१८५१
त. का.
१८५२
त. का.
१८५२
त. का.
१८५२
त. का.
१८५३
त.का. १८५३ त.का. १८५३ त.का.
ग्रंथांक
८६०
९८१
१०४०
८५९ १०२३/७
२६४
८५४
१४९८
४७९
११५८
१७३६
२५०
५२३
९६३
१६८०
१७३१
९७५
१८९१
१६४ २३०
१८५
३६९
७०२
७५ ३१५
३५७
४६४
५८१
भंडार नाम
१८५३ जि.का
१८५३
त. का.
१८५४
त.का.
१८५५
त. का.
१८५६
त. का.
त. का. १८५७ १८५७ त.का. त. का. १८५८
१८५८
त. का.
त. का.
त. का.
त.का.
त. का.
जि.का.
१८६०
त. का.
१८६०
त. का.
१८६०
त. का.
१८६१
जि.का
૧૮૬૨
त. का.
१८६२
त. का.
१८६३
त. का.
जि.का
१८६३ १८६३ त.का. १८६४ त.का. स. का.
१८६४
र. संवत
१८५८
१८५९
१८५९
१८५९
१८५९
त.का.
१८६४ १८६४ जि.का १८६४ त.का.
ग्रंथांक
र. संवत
१६८७ १८६५ ३८६ १८६५ ४९० १८६६ ५३० ૧૮૬૬
१२१०
१८६६
१२११
૧૮૬૬ ५९२ १८६७ ६२५ १८६७
८४०
१८६७
१७०
१८६९
३३७
१८६९
४९३
९९६
१९८८ १००
४९५
७७८
९०८
३३६
३८७
६३६
२०१९
४२५
८९२
५१७
८५७
१६४०
३८४
१८६९
१८६९
१८७०
१८७०
१८७०
१८७०
१८७१
१८७१
१८७३
१८७३
१८७४
१८७४
१८७४
१८७५
१८७५
१८७६
१८७६
.
Page #599
--------------------------------------------------------------------------
________________
भडार नाम
ग्रंथांक
|र.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांक
र.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांक
र.संवत
भंडार नाम
ग्रंथांक
र.संवत
ग्रंथांकर.संवत भंडार
त.का. त.का.
३७४
भंडारा
ग्रंथांक नाम त.का. ३७५ त.का. त.का.
३६५
१८९४ १८९४
९९५
त.का.
६१९
१०२५
१८९५
४३६
१८९५
१८७६ १८७६ १८७६ १८७७ १८७७ १८७७ १८७८ १८७८
त.का. त.का. त.का. त.का. त.का. त.का. जि.का. त.का. त.का. त.का. जि.का त.का.
१८९५
त
१९०६
लेखन संवत्वार अकारादि सूची- परिशिष्ट ३-५५१
| नाम
| ग्रंथांक |र.संवत १९१० त.का.
१९१८ १९१० त.का.
१९२१ त.का.
१९२२ त.का
८१०
१९२२ त.का
१९२५ ८४७ १९३१
७५८ १९३२ त.का. ८२१ १९३४ त.का. १२७८ १९३४ जि.का ३७८ १९८३
१०२३/H
१२४४ १९३२ २९१
१९००
१८९९ १८९९ १८९९ १८९९ १९०० १९०० १९०० १९००
१९०२ ९७७ १९०३
१३८ १९०४ १०२ १०२६] १९०४
र.संबत
| भंडार
| नाम १९०५ त.का. १९०५ त.का. १९०५ त.का. १९०६
त.का. त.का.
त.का. १९०७ त.का. १९०७ त.का. १९०८ |त.का. १९०८ |त.का. १९१० त.का.
의식의 의의와 의외의
८१३
१९०७
의 회원
१८९५ १८९५ १८९६ १८९६ १८९६ १८९७
६१७
REE
३८
८०
३७२
त.का. त.का. त.का. त.का. त.का.
९१४ १०८९/A
६४३ २१६८ કદર
૮૬
४०
२६८
१८९९
त.का.
त.का.
For Private & Personal use only
Page #600
--------------------------------------------------------------------------
________________
५५२ - परिशिष्ट ४
परिशिष्ट . ४ : कागज की मूल हस्तलिखित प्रतियों के पेटी क्रमांक तथा ग्रंथ क्रमांकों की सूची
|
पेटीनं,
ग्रंथांक्र
अप्राप्त ग्रंथांक
पेटीनं.
ग्रंथांक
अप्राप्त ग्रंथांक
पेटीनं.
ग्रंथांक
अप्राप्त ग्रंथांक
से ५६१
५३४. ५३६. ५३८. ५५८ ५८४, ६०५
| पेटीनं. ग्रंथांक अप्राप्त ग्रंथांक जिनभद्रसूरि कागज का ज्ञानभंडार
१से ३५ ३६ से ६७ ६८ से ७१ ७२ से ८५ ८२ से ९८ ९९ से ११३ ११४ से १३९ १४० से १७३ १७४ से २२७
४२ ४३ ४४ ४५ ४६ ४७ ४८
...
२५ ११९९ से १२१८
१२२२ से १२२७. १२३७ से १२४०.
१२४३ से १२७३ २६ १२८३ से १२९० २७ १२१९ से १२२१. १२२८ से १२२६.
१२४२, १२७४ से १२७८.
१२९१ से १२९६ २८ १२९७ से १३११ २९ १३१२ से १३२५ ३० १३२६ से १३५०
१७७६ से १८१३ १८१४ से १८८९ १८९० से १९४७ १९४८ से २०३० २०३१ से २१५२ २१५३ से २२१९ २१६०, २१६३.
२१६४ २२२० से २२५३
६६७
२०३५ २१८२
EEEEEEEE
८११
FFFFF
૧૭ से ३७०
है.
३७८
से ४२७
१३२८, १३२९. १३३०, १३४५
४७६.५१३
४२८ से ४६१ ४६२ से १७५ ५७६ से ६७८ ६७९ से ७३२ ७३३ से ८१० ८११ से ८९२ ८९३ से ९६७ ९६८ से १०२० १०२१ से १०७१ १०७२ से ११४३ ११४४ से ११९८
३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४० ४१
७०३,७२५ ७६६ ८४८ ९४५ ९९१ १०३२
१३५१ से १३६५ १३६६ से १३७४ १३७५ से १३९८ १३९९ से १४३६ १४३७ से १४७६ १४७७ से १५०० १५०८ से १५६३ १५६४ से १६४६ १६४७ से १६८८ १६८९ से १७२० १७२१ से १७७५
७२४ ७६४, ७७६A
७९३,८०४ ८१२ से ८३२ ८२९ ८३३ से ८७१
८३४ ८७२ से ८९७ ८९८ से १२७ ९०५. ९१४
(९१० और ११३
एक साथमें रखा है) २५ ९२८ से ९६४ २६ ९६५ से १०१८ ९९८, १००५,
१००० २७ १०१९ से १०४६
(१०२६ और १०२९
एक साथमें रखा है) २८ १०४७ से १०७७ २९ १०७८ से ११११ ३० १११२ से ११५१
१११३ ३१ ११५२ से ११९४ ११७२. ११८३,
११९३ ३२ ११९५ से १२७८ १२०५ से १२१५.
१२३३. १२३७ से १२४१
डुंगरजीयति कागज का ज्ञानभंडार
१ से २९ ३० से ५६ ५७ से १०० ८२, ८६ १०१ से १५० १०१, १०२,
११६. १४४ १५१ से १८१ १८२ से २४५ २२० २४६ से २८० २५७,२७१ २८१ से ३३४ ३१९
३३५ से ३९४ ३८७ १० ३९५ से ४४१ ४२२, ४२३, ४२४
४४२ से ४७९ ४७२ (०४६ और ४८२
एक साथमें रखा है) १२ ४८० से ५२२ ५२२
ve
१५६५
१ २२ २३ २४
११६३, ११८८, ११९५
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________________
कागज की मूल हस्तलिखित प्रतियों के पेटी क्रमांक तथा ग्रंथ क्रमांकों की सूची परिशिष्ट ४ - ५५३
पेटी.
ग्रंथांक
२०
८७८ से १०१७
| पेटीनं. ग्रंथांक अप्राप्त ग्रंथांक तपागच्छ कागज का ज्ञानभंडार
१ से १६ १० से २८ २९ से ५४ ५५ से ११ ६२ से १ ८२ से ११२ ११३ से १३६ १३२ १३७ से १६९ १७० से २८५ १९६. २००, २४३.
२४४, २५१, २५३ १० २८६ से ३३२ २८६. २८७. २९४, ११ ३३३ से ४१४ ३३८, ३५१, ३५६ १२ ४१५ से ७२ ४२६ से ५३३ ४८०, ५०१
५४५
." m»rusvr
।
२१
| पेटीनं. प्रथांक अप्राप्त ग्रंथांक | | पेटीनं. प्रथांक अप्राप्त ग्रंथांक | ३३ १२७९ से १३८८ १३०७. १३११, १३१२, १३१९.
थाहरुशाह कागज का ज्ञानभंडार १३३५. १३३९.
१से५व १३७०, १३७२.
४५ से ६२ १३७४ से १३७७. | २ ६३ से ७० व ૧૩૮૧
७ से ८५ ३४ १३८९ से १३९३
८६ से ११७ व
११८ से १६१ १५८ लीकागच्छ कागजका ज्ञानभंडार ४ १६२ से १९४ व २२४, २३३ १ से २२
१९५ से २४९ २३ से २९
२४६ से २६३ ३० से ५३
२६४ से २७२ ५४ से ६३
२७२ से २९५ ६४ से ८८
२९६ से ४८४ ३००.३०४ से ३१०, ८९ से ११३
३३०.३३५.३४४,३४५, ११४ से १४२ १२४
३६२,३७४,४०८,४३७, १४३ से १९१
४४२,४४६.४५३.४५४, १९२ से २५०
४५७,४६६.४७५.४८२ २५१A से ३०६ २६३.२९६
१ २३४ से २४५ - ३०७ से ३८४ ३२५,३३४.३४९.३७१
| आचार्यगच्छ कागज का ज्ञानभंडार ३८५ से ४५४ ३८६,४३४.४३६ -४५५ से ५१५ ४६४,४०४थी ४७६..
४ से ३८ ४९३,४९९
३९ से ६३ ५१६ से ५५६ ५२२.५२६.५२९.
६४ से १२० ५३०.५४६
१२१ से १९४ ५५७ से ६३४
१८६. १९१ ५६२,६१०.६२३ ६३५ से ६९०
१९५ से २४९ ६५४ से ६८४ ६९१ से ७३७ ७११ से ७२१. ७२३
२५० से ३२६ से ७३२
३२७ से ३७१
१०१८ से १०६७
अप्राप्त ग्रंथांक - ८०५, ८०८, ८१०, ८१५, ८१७.८४३. ८५८. ८६५, ८७२ ८८१, ८८३.८८६. ८९१, ९०१, ९०४, ९२१, ९२५, ९२६. ९५९, ९६२, ९६८, ९६९. ९७३, ९७४, १०१४ १०१९, १०२१. १०५५. १०६०, १०६७ १०८०, १०८३. १०९०, १०९८. ११०६ १११३, ११२१, ११४२, ११४८ १२१८, १२१९. १२२२, १२२८. १२५५, १२६४ १२७५, १२७०
२२
१०७३ से ११११
२३
१११२ से ११८५
२४
११८६ से १२६७
८९.१०४
६४८ ६६८.६८२ ६९५, ७१६. ७२९ ७३८, ७५३. ७५५. ७५७.७७६, ७८५, ७८८, ८०२, ८०४.
२५ १२६८
से १३३२
ता.क.: इस भंडारकी प्रते सुपार्श्वनाथ
जैन मंदिर जैसलमेरमें रखी है।
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________________
५५४
- परिशिष्ट ५
जिनभद्रसूरि कागज का ज्ञानभंडार *
सिर्फ झेरोक्ष (फोटोस्टेट) किये गये ग्रंथों की सूचि ८० से ८५.८८, ९३ से ११६, १२० से १२६. १२८ से १३४, १३६, १६५, १६९, १८६, १९६. १९७, २०० से २०४, २१८ से २२७, २२९ २३०, २३३ से २३८, २४२ २४४ से २४७ २५४ से २५७, २६०, २६३, २६५ से २६८, २७० से २७७. २७९,२८०, २८३ से २८९ २९१ से ३२८. ३३१ से ३३९, ३४१ से ३५२, ३५६ से ३७५, ३७८ से ३८५, ३८७ से ३९२, ३९९, ४०१ से ४०९, ४२३. ४२५ ४३४, ४३८, ४४१, ४४४, ४४८, ४६२ से ४६४, ४६६. ४६७, ४६९, ४७०, ४७३, ४७४, ४७७ ४८० ४८१ ४८७ ४९५ से ४९९ ५०१, ५०३, ५०७, ५१४ ५१५ ५२४ ५२५. ५४१ से ५४६. ५५२. ५५४ ५५५, ५६२ से ५६५. ५६७. ५६८, ५७५ से ५७९, ५८८ ५९१ से ५९४ ५९७, ६०२. ६०३. ६०६. ६०७ ६०९. ६१०, ६१७, ६२०, ६२३. ६३१, ६३३, ६३७, ६३८, ६४५. ६४६. ६४८. ६५०, ६५१, ६५४, ६६०, ६६९, ६८२. ६८६. ६९५ ६९९, ७०१, ७०२, ७०६. ७०८ ७११ ७१२ ७१६, ७३६, ७३७, ७५३ से ७५५, ७६७, ७७८. ८०६, ८०८, ८१२. ८१६,
* जिनमद्रसूरि तपागच्छ लोकागच्छ और आचार्यगच्छके सभी ताडपत्रीय ग्रंथोकी सी.डी. तथा झेरोक्ष की है सिर्फ जिनमद्रसूरि ताडपत्रीय ज्ञान भंडारका ४५ क्रमांक का ग्रंथ नहिं मिलनेसे उसकी सी. डी. या झेरोक्ष नहीं की गई ।
परिशिष्ट ५ : सी.डी. तथा झेरोक्ष (फोटोस्टेट) किये गये ग्रंथों की सूची
झेरोक्ष (फोटोस्टेट) तथा सी.डी. दोनों किये गये ग्रंथो की सूचि
८१७, ८२६, ८२७, ८३०, ८४१, ८५०. ८५४. ८६१, ८६५, ८६६. ८६८. ८७२. ८७४, ८७८, ८८४ ८९० ९०० ९०४ ९०८. ९१०, ९२१, ९२२. ९३२. ९५४ ९५५ ९५७ ९६३. ९६७, ९६८. ९६९. ९७३. ९७४ ९७७ ९८२. ९८८. ९८९, ९९२ ९९३ ९९४ ९९७ १००१, १००२. १००४, १००५, १०१२, १०१५, १०१८, १०४६. १०४९, १०५० १०५१, १०५३ १०५५, १०६०. १०६६, १०६७, १०७४, १०७६, १०७७, १०८१. १०८२ १०८६, ११०८, ११०९, १११०, १११६. ११५४ ११८९, ११९२ ११९३, १२०७, १२११. १२१९, १२२०, १२२४ १२२८, १२२९, १२३१, १२३३ से १२३७, १२३९, १२४० १२४६ १२५५. १२६३, १२६७, १२६८, १२७७, १२७८, १२८०, १२८१ १२८७, १२९५. १२९६.१२९९. १३००, १३१५, १३२५, १३३५, १३४०, १३४४, १४१७, १६५१ से १६५३, १६५८, १६६८, १६७०, १७११, १७२२ से १७२४, १७५० १७५२ १७८८ १७९३ से १७९६, १८०९, १८१९, २०१३, २०१५, २०८०, २०८२, २१२२ से २१२४, २१२६, २१२८, २१३१, २१३२ २१३४, २१३६ २१३९ २१४० २१४२ से २१४४, २१४६.२१५१२१५३ २१५७ २१५८, २१६७, २१७२, २१७८, २२२३, २२२६, २२२८, २२४०, २२४१ २२४५, २२४६.२२४८
१ से ४३, ४५ से ६४, ६६ से ७३. ७५ ८६ से ८७, ८९, ९०, ११७ से ११९, १३५. १३७ से १३९. १४३ से १६४, १६६ से १६८, १७० से १७७, १७९ से १८३, १८५ १८७ से १९५. १९८. १९९२०५ से २१७, २२८, २३१ २३२ २४०, २४१, २४३, २४८ से २५३, २५८, २५९,२६१, २६२, २६४, २६९, २७८, २८१, २८२, २९०. ३२९, ३४०, ३५३ से ३५५, ३७६, ३७७, ३८६. ३९३ से ३९५, ४२६, ४२९ ४३७, ४४३, ४४६, ४४७ ४९३ ४९४,५०४ से ५०६ ५१२, ५१६. ५२१, ५२३. ५२६, ५२९ से ५३१, ५४७ से ५४९. ५८२ से ५८४, ५८६ ५९० ६०४ ६०५ ६२५. ६३३, ६५२, ६५८, ६६१, ६६८, ६७६ ६८०. ६८८, ६९३, ७१५. ७२७, ७४१, ८३७, ८३९. ८४५, ८४६, ८५३. ८५५ ८५६ ८६२. ८६९. ८७१, ८८६, ८९४, ९०१, ९११, ९२५. ९२६. ९२८,९४४९४८, ९६५. ९८७ १००३. १०२० १०२१, १०४२, १०४७, १०४८, १०६३, १०७१, १०७५, १०७८, १०७९, १०८०, १०८३. ११२६. ११९४ १२१०, १२७४ १२७५. १२७९, १२८२, १२८३. १२८४ १२८५, १२८६, १२९२, १२९३, १३०५, १३०३ से १३०५, १३०७, १३११ से १३१४. १३१७, १३१८, १३२४. १३२६. १३३१ से १३३४. १३३६ से १३३८, १३४७ से १३५७, १३६० से १३६५.१३६७, १३६९, १३७६ से १३८२ १३८५.
१३८६, १३८८ से १३९१ १३९५ १३९६ १४२३ से १४२५, १४२८, १४३० से १४३३. १४३८ से १४४२, १४५२, १४५३, १४६७, १४६९. १४७०, १४७८, १४८३, १४९२, १५०५. १५१६, १५१७, १५३० से १५३२. १५३४, १५५१ से १५५३. १५६०, १५६३, १५६४, १५६६ से १५६८, १५७१, १५७२, १५८७, १५८९, १५९४, १५९७ १५९९. १६०० १६११, १६१३ से १६१६, १६२१ से १६२३. १६२५. १६३५. १६३६. १६४४, १६४७, १६५९. १६६३. १६६६. १६६७, १६८९, १६९१. १६९३, १६९७, १७१२ से १७२१, १७२५ १७४४ से १७४५. १७५१, १७५३ से १७६०. १७६८ से १७७१ १७७५ से १७७९ १७८६, १७८७, १७९१, १७९२ १७९८ से १८०३, १८२३ से १८२५, १८७७, १८९८ से १९००, १९२९, १९३१, १९४६. १९५५ १९५७ से १९६१, १९६५. १९६९. १९९१. १९९६. २०३४ २०३६, २०७९ २०९० २०९४, २०९८ २११९२१२०, २१२५२१२७, २१३०, २१३३ २१३५२१३७, २१४१, २१४५, २१७१, २१७५ २१८३ २१८७, २१८९, २१९०, २१९३. २१९७ २२०३२२०५ २२०७ २२१२, २२१७, २२२१, २२२४, २२३३.२२४३. २२४४, २२४७. २२५० २२५२, २२५३
सिर्फ सी. डी. में लिये गये ग्रंथोंकी सूचि
६५. ७४, ७६ ७७ ७८, २३९, ८६४, १३४३. १३४५. १३७१, २२२५, २२५८
.
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________________
सी.डी. तथा झेरोक्ष (फोटोस्टेट) किये गये ग्रंथों की सूची- परिशिष्ट ५ -५५५
आचार्यगच्छ कागज का ज्ञानभंडार झेरोक्ष (फोटोस्टेट) तथा सी.डी. दोनों
किये गये ग्रंथों की सूचि | ७८.७९, ११४, १२१, १५६, १८२, १८४, १९४,
१९६
२८४
डुंगरजीयति कागज का ज्ञानभंडार सिर्फ झेरोक्ष (फोटोस्टेट) किये
गये ग्रंथों की सूचि १५. १६.३४, ३९.४१,४२, ४३/२ से ४५. ४९ से ५४,६१, ६२, ७०,८३ से ८५, १४३, १६१. १७३. १७९, १९७,२२८,३१५.३३१,४५३.४७८. ५३३. ५४६. १४८, ५६४.५८८.५९९,६१२.६१४, ६४९.६७४,७२७,७३३.७८३.७९५.८३६.८३८, ८४१,८४८,८५१.८८०.८९०,८९७. १००,९१५. ९१७. ९२२.९२४, ९२५. ९२६. ९४५. ९५९. ९६३. १११९. १२६२, १३७९ झेरोक्ष (फोटोस्टेट) तथा सी.डी. दोनों
किये गये ग्रंथो की सूचि १.२.६.१०/१, ११, २५ से ३३, ३५. ३७. ३८, ४०, ४७, ४८, ५७ से ६०, ६५, ६८. ६९. ७१, ७२.७४ से ७६.७९,८१,१०४, १३८०, १३८०, १४५, १४९, १५२. १५५. १५९. १६०, १७८, १९२, १९६, २०४, २२३, २३४/१ से २. २३९. २५०, २५३.२५९.२६८.२८१,२८२.२८५, २८८.२९०, ३१०.३३८.३५९.३८५.३९३.३९४,३९८.४१६. ४२७.४३१, ४५५.४९८.५१२. ५५३. ६००.६४१, ६६९, ६७०, ६९९, ७०३ से ७०५, ७०९ से ७१३, ७३१, ७७८,७८० से ७८२, ७८५, ७८६, ७९०, ७९२, ८०८,८१३. ८२५ से ८२७, ८३३, ८७६, ८८१, ९२९, ९३०, ९८७, ९९०, १०२३, १०३६. १०४३, १०५१, ११०३, ११४५, ११४७, ११७०, १२३१, १२५६. १२८७, १३०५, १३६०, १३८६ सिर्फ सी.डी. में लिये गये ग्रंथोंकी सूचि १०/२
लोकागच्छ कागज का ज्ञानभंडार सिर्फ झेरोक्ष (फोटोस्टेट) किये
गये ग्रंथों की सूचि ५.९, १८, १४२, १८०, १८९, ५००-A, ६४९ झेरोक्ष (फोटोस्टेट) तथा सी.डी. दोनों
किये गये ग्रंथो की सूचि ८. १४, १५, १२७. १३१, १३२, १८२, २४२, २६७, २७६, २७७, २८१, २८५, २८६, २८७, ३१६.३१७.३३५.३५४, ३७२,४५९, ५०४,५०५, ५१६,५४०.५४१.५४२.५५८.६४८.६५१.६९१, ६९२.७०६,७००
थाहरुशाह कागज का ज्ञानभडार
तपागच्छ कागज का ज्ञानभंडार सिर्फ झेरोक्ष (फोटोस्टेट) किये
सिर्फ झेरोक्ष (फोटोस्टेट) किये गये ग्रंथों की सूचि
गये ग्रंथों की सूचि ५. १६ से १८, २१ से से २३, २६, ४२. | ४८, ५०, ५३, ५९, ८५, १३६, १५५ से १५४, ४८. ५०.७८, १४७, १५७, १६०, १६२. १७६. १५६, १६२. १६३, १७२. २०४, २१७, २१९. १७८, १९४, १९८. २०१ से २११, २१४, २१८, २२३. २२५, २६६, २८३, २८४, ३१६ से ३२२, २१९, २३७. २४१, २५१, २५९. २६३. २८२ से ३३०, ३३९. ३५४, ३५९, ३६१, ३८८.. ३८९,
४०३, ५००/8, ५०६, ५२४, ५७४, ५०६, ५७९,
५८३. ६०८,६१६.६६४,६९४, ७०३,७००, झेरोक्ष (फोटोस्टेट) तथा सी.डी. दोनों ८२५. ८५२/8, १०६२, १०७९, १०८७, ११११,
१२५०, १२७० किये गये ग्रंथो की सूचि १ से४, ६.८ से १४, १९, २०, २४, २५.४३ से
झेरोक्ष (फोटोस्टेट) तथा सी.डी. दोनों ४६,४९, ५१ से ६०,६३ से ७०,७२,७६.७७,
किये गये ग्रंथो की सूचि ८१, ८२, ८३, ८४, ८५, ८७.८८, ९० से ९९. १, २, ७, १३-१५, १७-२८, ४२, ५४, ५८.६६. १३४ से १३६, १३८, १४१, १४६, १४८, १५०, ६९. ८४, ११३, ११४, १२१, १२७, १३०, १७०, १५१,१५४, १५५, १५९, १६१, १६३. १६७. १६९, १७८.३१२,४५४,४५५.४७२,४९८.४९९, ५०४, १७१ से १७३. १७७, १७९, १८१ से १८४, १९६. ५०७.५०८. ५४०.५५०.५६८.५७०.५७८.५८०, २०२. २०५ से २०८, २१२, २१३, २१६, २१७, ५८२.५८४, ५८८.६००,६१३, ६२०,६२३, ६६०, २२२, २२३. २२५, २२७. २३४, २३६. २३८ से ६६१, ६६२, ६६६.६६७. ६७१.६८०.६८१.६९०, २४०, २०४. २७७, २५२ से २५४, २६०,२६४ से ६९२.६९९,७१४,७३६.७८०,८४५,८५३.८६०, २६७,२७० से २७३. २७५ से २८१, २८५, २८८, ८६९, ८७१, ८७६. ९०६. ९२९. ९४६. ९५४-९५६. २९४ से २९६, ३६३, ३६६
१००१, १०११, १०५०, १०७७, १०८८, १०९३,
१११०, ११३१, ११४१, ११६२. १२२५. १२३७, सिर्फ सी.डी. में लिये गये ग्रंथोंकी सूचि
१२५६. १२६६
सिर्फ सी.डी. में लिये गये ग्रंथोंकी सूचि २७४, २८५ से २९१
११, २९, ३०, ५५, ५६.५७. १०७, १३३७
सिर्फ सी.डी. में लिये गये ग्रंथोंकी सूचि
६८
Page #604
--------------------------------------------------------------------------
________________
५५६ - परिशिष्ट ६
opiereg
: C. D.- No.- WISE LIST OF THE PALM-LEAF & PAPER Mss.
wit. . क्रमांक ग्रंथांक
GAN
.. क्रमांक ग्रंथांक 11 GRN 12
eitt. क्रमांक
. . क्रमांक
4.8. क्रमांक ग्रंथांक
GRN 19 A GAN 20
ग्रंथांक
ग्रंथांक
4.1. क्रमांक ग्रंथांक 32 GRN 30 A
GRN 31
eitt. क्रमांक pia
GRN GRN 48 +
GRN
40
GRN2
GRN
13
51 GRN59+
63 63
GAN GRN
70 A
GRN GRN
GRN GRN
GRN GRN
GRN GRN
GRN
GRN
GRN
GAN GRN
GRN
GAN
GRN GRN GRN
GRN
GRN GAN
GRN GRN
GAN GAN
GRN GRN
oo...voane ----1
GAN
GAN
GRN
GAN
75
GAN
GRN
GAN GAN
GAN GRN GRN GRN GRN
GAN GRN
GAN GAN GAN GAN GRN GRN
77
GAN GRN
GRN GRN
GAN
GRN
GRN
GRN
GRN
9
GRN
10+
GAN
GRN GAN GAN
GRN
10 10
GRN
GRN GAN
10 A 11
GRN GRN GRN GAN
GAN GRN
31
30+
49
GRN
57
70
GRN
B2
NOTE :
+ Sign Indicates the Granth is not completed in the same CD
A Sign indicates the part of the Granth. GRN indicates Jinbhadrasuri Palm-Leaf Mss. Bhandar. PGR/PGAN indicates Jinbhadrasuri Paper Mss. Bhandar. • TGRTGRN indicates Tapagachha Palm-Leal Mss. & Paper Mss. Bhandar. THGR/THGRN indicates Thaharushah Paper Mss. Bhandar.
LGRVLGRN indicates Lonkagachha Palm-Leaf Mss. & Paper Mss. Bhandar. AGR/AGRN indicates Acharyagachha Palm-Leaf Mss. & Paper Mss. Bhandar. DGR/DGRN indicates Yati Dungarshi Paper Mss. Bhandar. 99/1, 99/2, 132/1, 132/2, 173/1, 173/2 These numbers of CD's contains two-two CD's each. CD Nos. 201 & 202 are given to a single CD. 216 to 219 Nos. & 259 to 264 Nos, are kept blank in CD's. There for total no of CD's is 334. After the Granth no I, indicate that the Granth originaly has two parts like A, B.
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Page #605
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C. D. No. WIE UST OF THE PALM-LEAF & PAPER Mss. - R
e
- 440
.
.
.81 क्रमांक
. . क्रमांक ग्रंथांक 71 GRN
ग्रंथांक
.. क्रमांक
. क्रमांक
ग्रंथांक
.. क्रमांक
4.&. क्रमांक
क्रमांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
84
GRN
99
97
GRN
114
110 110 110 110
GRN GRN GRN GRN
128 129 130 131
120 120 120
85
115 115 115 115
GAN GRN GRN
GRN
GRN GRN GRN GRN
178 179 180
100
152 153 154 155
126 126 126
GRN GRN GRN
202 2013 204
115
38
GAN
121
127
GRN
-205 206 +
121
182
GRN
156 157
2
111 111 111 111
GRN GRN GRN GRN
132 133 134 135
116 116 116 116
GRN GRN GRN GRN
GRN GRN GRN GRN GRN
121 121
184
128
159
185
GRN GRN
206 A 207
118 A
117
122
186
160 161 162
GAN GAN
208 209
117
122
187
129
119
188
112 112 112 112 112 112 112
GAN
GRN GRN GRN GRN GAN
163
122
130
90
GRN
GRN GRN GRN GRN GRN GAN GRN GAN GAN
105
120+
136 137 138 139 140 141 142 143 144
GRN GRN GRN GRN GRN GRN GRN GRN
117 117 117 117 117 117
GRN
164 165
122 122
GRN GRN GAN GAN
130 130
210 211 212 213
GAN
191
GAN
91
GRN
106
120 A
166
130
167
123
GAN
GAN
112 112
GRN
121
GAN
131
GAN
214
124
113
GRN
118 118
GRN GAN
GAN GAN
122 123
124
GRN
13211
216 A
GAN
113
146
118
GRN
168 169 170 171 172
GAN GRN GRN
113
195
13212
147 148
GRN
124
118 118
GRN GRN
GAN 132/ 2 GAN
GAN GAN
125 125 125
215 216 +
113
GAN
GAN
125
149
114 114 114
119 119
GAN GAN GRN
GRN GAN
125
173 174
133
125
GAN GRN
199
150 151
133
95
GRN
113 A
109 109
GRN GAN
126 127
GAN GRN GRN GRN
217 218 219 220
133
133
120 120 120
83
GAN
98
|
96
GRN
113+
GAN GRN GRN
175 176 177
126 126
GRN GRN
200 201
Page #606
--------------------------------------------------------------------------
________________
.
1.51. क्रमांक
. . क्रमांक
.81. क्रमांक
ग्रंथांक
क्रमांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
446 - C. D. No. WE LIST OF THE PALM-LEAF & PAPER Mss.. tre . . 11.81
wit.. क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक 134 GRN 221 148 GRN 238 157 GRN 258
157 GRN259 A 135 GRN 222 149 GRN 239 135 GRN 223
149 GAN
158 135 GRN 224
GRN
174
168 168 168
181 181
GRN GRN
323 324
188 188
174
GAN
GRN GRN GRN GRN
277 278 279 280
174 174
GRN GRN GAN GRN
300 301 302 393
168
182 182
188 188
325 326
GRN 345 GRN 346 GRN 347 GRN 348 GAN 349 GRN 350
188
GRN
281
175 175
327
188
GAN
202
GRN GRN GRN GRN
304 305 306
182
GRN GRN GAN GRN GRN GAN GRN GRN
328
175
GRN
283 284 285
175
307
GRN GRN GRN GRN
169
182 182 182
GRN
353
331 332
245
176 176
GRN GAN
308
GRN
189
300
GAN GAN GRN GAN GAN
170 170 170
247 248 249
286 287 288
GRN GRN
GAN
190 190
177
GAN
151
177
GAN GAN GRN
310 311 312
183 183 183 183
GRN GRN GAN GRN GRN
333 334 335 336 337
GRN
357
289
171
290
358
GAN GRN GRN GRN
313
191 191
359
178 178 178
GRN GAN
172 172
191
268
360
292
GAN
GRN GRN GRN GRN GRN GRN
191
191
179
GRN
316
GAN GAN GAN GRN GAN
191
362 363
173 1 GAN 173 1 GAN 173 1 GAN
293 294 296
166
180
GRN
192
364
186
192 192
GRN GRN GRN
365 366
173 2 GRN
295
181 181 181
187
GRN GAN
343 344
187
193
256 257
GRN
167 167 167
GRN 318 GAN 319 GRN 320 GAN 321 GRN 302
GRN GAN GRN
274 275 276
174 174 174
GAN GAN GRN
297 298 299
181
GAN GRN GRN
193 193
367 368 369
147
GRN
237
181
Jain Educatan Internation
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C. D. No. ORUST
THE PALM-LEAF & PAPER Mss. -
ire
-448
4.. क्रमांक
H.. क्रमांक
. . क्रमांक
. . क्रमांक
. क्रमांक
. . क्रमांक
. . क्रमांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
RIS
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
199
391
209
220
PGR
1274A
58
199
209
193 193 193 193
GRN GAN GRN GRN GRN
370 371 372 373 374
GRN GRN GAN GRN
GAN GRN GRN
412 413 414
199
209
221
393 394
226 226 226
PGR PGR PGR PGR
231 231 231 231 231
PGR PGR PGR PGR PGR
199
236 236 236 236 236
PGR PGR PGR PGR PGR
60 61 62
210 210 210
200
415 416
236
GRN
412
GRN GRN GAN GRN GRN
200 200
232
395 396 397 378 399
GRN GRN GRN GRN GRN GRN GRN
227 227 227 227
PGR PGR PGR PGR
418 419 A
PGR PGR PGR PGR
232
PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR
63 65 66 67
135 137 138 139 143 144 145 146 147 148 149 150 151
236 236 236
200
236
GAN GRN
195
200 200
GRN
419 +
228
236 236
401
68
GAN GAN
308 347
PGR PGR PGR
212
236
PGR PGR PGR PGR PGR
196 196 196 196 196
233
GRN GRN GRN GRN GRN
381 382 383 384 365
201 202
GRN GRN
PGR PGR PGR PGR
402 403
228 228
13
237
223
71
213 213 213
GRN GRN GRN
423 424 426
GRN
PGR PGR PGR
PGR PGR PGR
PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR
152 153 154 155 156 157 158
197 197
GRN GAN GAN GAN
386 387 388 389
214 214
224 224 224 224 224 224 224
GRN
229
LGR 68 PGR 1345 THGR 289 THGR 290 GRN 420 GRN 421
197
214
PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR
PGR PGR
PGR
159
GRN GRN GRN
214
PGR
19a 198 198
214
206
224
161
GAN GAN GRN GAN GRN GRN
46 A 104 B 255 A 375 376 390
PGR PGR PGR PGR
215
19e
PGR PGR PGR
19e
PGR
144 A
207 207 207 208
164
GRN GRN GRN GRN
407 A 408 A 410 411
PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR
PGR 2258 THGR 291 GAN 422 GRN 425 Chitra Pattika
225 225 225 225
215 215 215 215
PGR PGR PGA
238 238 238 238
198
167
236
230
20
PGR
PGR PGR
118 119
168
236
C. D. No. 201 & 202 are given to one CD only
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MEO.C.D. No. we LIST OF THE PALM-LEAF A PAPER Mss.. w
ere &
. . क्रमांक
. . क्रमांक
1.31. क्रमांक
. . क्रमांक
ग्रंथांक
. क्रमांक
1.. क्रमांक
. . क्रमांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
266
240 240
PGR 90 PGR 1274 A
246 246
26
238 238 238 238 238
PGR PGR PGR PGR PGR PGR
170 171 172 173 174 175
271 271 271
27
268 268 268 268
266 266 266
239 250 269 278
TGR TGR TGR TGR TGR TGR
PGR PGR PGR PGR PGR
246 246 246 246
241 241
PGR 1275+ PGR 1275 A
512 516 521 523 526
271
268
266 266
PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR
PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR
166 199 205 206 207 208 209 210 211 212
238
252 252 252 252 253 254 254 255 255 255 256
PGR
THGR 46 THGR 49 THGR 51 THGR 60 THGR 63 THGR 67 THGR 68 "LGRT 1 "LGR/T 2 LGR/T 3 "LGRIT 4
529
271 271 271 271
242
268 268 268 268
239
177
242
353 354
239
179
242
54
271
PGR 1307 PGR 1343 PGR 1551 PGR 1786 PGR 1787 PGR 1792 PGR 2205
239
55
242 242 242
271
266 266 266 266 266 266 266
TGR TGR TGR TGR TGR 57 TGR 1337
239
56
PGR
213
269 269 269
PGR 214 PGR 215
242
247
180 181 182 183 185 187 188 189
271 271 271 271
269
239 239 239 239 239 239
584
1
246
TGR
58
TGR TGA
271
267 267 267
1 2
PGR 269 PGR 329 PGR 355 PGR 376 PGR 377 PGR 386 PGR 393 PGR 394 PGR 395 PGR 398
PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR
PGR 530 PGR 531 PGR
547 PGR 548 PGR 549 PGR 582 PGR 583 PGR PGR 586 PGR 590 PGR 604 PGR 605 PGR
625 PGR 642 PGR 652 PGR
658 PGR 693
2
3 64 75
269 269 269 269 269 269
257 257 258 258
239
POR
190
267
TGR TGR
249 249 249 249 249
'TGAT "TGRIT TGRT *TGRIT TGRIT
239 239 239
191 192 193 258
*AGRIT "AGRT "AGRT PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR
PGR 216 PGR 217 PGA 231 PGR 232 PGR 240 PGR 241 PGR 243 PGR 248 PGR
249 PGR 251 PGR 252 PGR 253 PGA 290
267 267 267 267
271 271 271 271 271 271 271 271
239
259
TGR
267
250 250
'TGRIT *TGR/T
265
239 239 239 239 239
251
261 262 264 426 629 864
267 267 267 267
245 245 245 245 245
TGR TGA TGA TGR TGR
10 18 25 40 41 46 47 194 195 198
THGR THGR THG
270 270 270 270 270 270 270 270 270 270
265 265 265 265 265 265 265
PGR 429 PGR
437 PGR 443 PGR 446 PGR 447 PGR 493 PGR 494 PGR 504 PGR 505 PGR 506
251 251
272 272 272 272
11 14
239
PGR 661 PGR 668 PGR 673 PGR 380 PGR 688 PGR 715
21 22 23 24
239
272
268 268
PGR PGR
228 238
272
- TGRVT, LGRVT and AGRIT In all there cases oblie T UT) indicates that particular granthank Is of the palm leaf MSS.
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C. D. No. WISE UST OF THE PALM-LEAF & PAPER Mss. - free
- 49
#1.. क्रमांक
.. 46414
a. क्रमांक
.. क्रमांक
#.$. क्रमांक
.. क्रमांक
.. क्रमांक
ग्रंथांक
Rua
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
272 272 272 272
273 273 273 273 273
278 278 278
PGR 1364 PGR 1365 PGR 1376
281 281 281
PGR 1438 PGR 1440 PGR 1442
284 284 284 264
286 286 286 286
272
279
286
273
272 272 272
279
275 275 275 275 275 275 275 275 275 275 275
PGR 1367 PGR 1369 PGR 1371
284 284 284
273
279
727 737 741 755 808 837 839 B45 846 853 855 856 862 869 871
282 282 282 282 282 282 282
PGR 1042 PGR 1047 PGR 1048 PGR 1063 PGR 1071 PGR 1075 PGR 1078 PGR 1079 PGR 1080 PGR 1083 PGR 1126 PGR 1194 PGR 1210 PGR 1279 PGR 1286 PGR 1293
PGR 1318 PGR 1324 PGR 1326 PGA 1331 PGR 1332 PGR 1333 PGR 1334 PGR 1336 PGR 1337 PGR 1338 PGR 1340 PGR 1347 PGR 1348 PGR 1349
PGR 1439 PGR 1441 PGR 1452 PGR 1467 PGR 1469 PGR 1470 PGR 1478
284
272
272
273 273 273 273 273 273 273 273 273
272
286 286 286 286 286 288 286
284 284 284 284 284
272
PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGA PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGR PGA PGR PGR
PGA 1568 PGR 1571 PGR 1572 PGR 1587 PGR 1589 PGR 1594 PGR 1507 PGR 1599 PGR 1600 PGR 1611 PGR 1613 PGR 1614 PGR 1615 PGR 1616 PGR 1621 PGR 1622 PGR 1623 PGR 1635 PGR 1636 PGR 1644 PGR 1663
275
275
286
272 272
280 280 280 280 280 280 280 280 280 280 280
275
PGR 1377 PGR 1378 PGA 1380 PGR 1381 PGR 1382 PGA 1385 PGR 1386 PGR 1388 PGR 1389 PGR 1390 PGR 1391
284
272
272
888
276
283 283 283 283 283 283 283 283
284 284 284
PGR 1659 PGR 1712 PGR 1713 PGR 1714 PGR 1715 PGR 1716 PGR 1717 PGR 1718 PGR 1719 PGR 1720 PGR 1721 PGR 1725 PGR 1744 PGR 1745 PGR 1746 PGR 1747 PGA PGR
1749 PGR 1751 PGR 1753 PGR 1754 PGR 1755 PGR 1756 PGR 1757 PGR
1758 PGR 1759 PGR 1760 PGR 1768 PGR 1770 PGR 1771
272
PGR 1453 PGR 1483 PGR 1492 PGR 1516 PGR 1517 PGR 1530 PGR 1531 PGR 1532
894
276
1748
901
286 286 286 286 286 286 286 286
276
911 925
PGR 1350 PGR 1351 PGR 1352 PGR 1353 PGR 1354 PGR 1355 PGR 1356 PGA 1361
272 272 272 272 272 272 272 272
274 274 274 274 274 274 274 274
926
276 276 276 276 276
284 284 284
284
PGA 1282 PGR 1283 PGR 1284 PGR 1285 PGR 1303 PGR 1304 PGR 1305 PGR 1311 PGR 1312 PGR 1313 PGR 1314
286
928 944 948 965 987
284 284
285 285
277
284
285
272
274
281 281 281 281 281 281 281 281 281 281
PGR 1357 PGA 1360 PGR 1362 PGR 1363
PGR 1395 PGR 1396 PGR 1423 PGR 1424 PGR 1425 PGR 1428 PGR 1430 PGR 1431 PGR 1432 PGR 1433
PGR 1534 PGR 1551 PGR 1552 PGA 1553 PGR 1560 PGR 1563 PGR 1564 PGR 1566 PGR 1567
286 286 286 286 286 286
PGA
PGR 1625 PGR 1647
1666
1667 PGR 1689 PGR 1693 PGR 1697
274 274
285
284 284 284 284 284
273 273 273
285
PGR 1003 PGR 1020 PGR 1021
285
286
275
PGR
1317
286
anderen Internet
For Pate & Personal use only
wwwane by
Page #610
--------------------------------------------------------------------------
________________
YER - C. No, WISE LIST OF THE PALM-LEAF & PAPER Mss. - offee ..
.. क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक
..
. . क्रमांक
ग्रंथांक
. . क्रमांक
... क्रमांक
क्रमांक
ग्रंथांक
.. क्रमांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
288 288
297
292 2912
THGR THGR
10 12
297
306 306
PGR 1959 PGR 1960 PGA 1961 PGR 1965
THGR THGR
222 223
287 287 287 287 287 287
PGR 1769 PGA 1775 PGR 1776 PGR 1777 PGR 1778 PGR 1779
THGR THGR THGR THGR
297
78 77 81 83
297
307
288 288 288 288 288
PGR 1969
289 289 289 289 289 289 289 289 289
PGR 2212 PGR 2217 PGR 2221 PGR 2224 PGR 2233 PGR 2243 PGR 2244 PGR 2250 PGR 2252
302 302 302 302 302 302 302 302 302
307
THGR THGR THGR THGR THGR THGR THGR THGR THGR
13 14 19 20 43 44 45
PGR 1991 PGR 1996
151 154 155 159 161 163 167 169 171
293 293 293 293 293 293 293 293 293
THGR THGR THGR THGR THGR THGR THGR THGR THGR
THGA 216 THGR 225 THGR 227 THGR 234
307 307
288 288 288
298 298 298 298 298
THGR 82 THGR THGR 88 THGR 90 THGR 91
289
PGR
289
308 308 308
THGR 236 THGR 238 THGR 239
288
290
303
299
299
THGR THGA
288 288 288 288 288 288
PGR
294 294
300
THGR 172 THGR 173 THGR 177 THGR 179 THGR 181 THGR 184 THGR 196
290 290 290 290 290 290 290 290
PGR 1292 PGR 1301 PGR 2079 PGR 2119 PGR 2141 PGR 2145 PGR 2175 PGR 2205 PGR 2243 PGR 2247 PGR 2253
THG
289 289 289 289 289 289 289 289 289 289 289 289 289 289
294
300
THGR
309 309 309 309 309 309
92 93 95
PGR 1080 PGR 1379
1505 PGR 1791 PGR 1798 PGR 1799
1800 PGR 1601 PGR 1802 PGR 1803 PGR 1823 PGA 1824 PGR 1825 PGR 1877 PGR 1898 PGR 1899 PGA 1900 PGR 1929 PGR 1931 PGA 1946 PGA 1955 PGR 1957 PGR 1958
THGR 240 THGR 244 THGR 247 THGR 252 THGR 253 THGR 260
54 55 56 57 58 59
PGR 203- PGR 2036 PGR 2079 PGR
2090 PGR 2094 PGR 2098 PGR 2120 PGR 2125 PGR 2127 PGR 2130 PGR 2133 PGR 2135 PGR 2137 PGR 2171 PGR 2183 PGR 2107 PGA 2189 PGR 2190 PGR 2193 PGA 2197 PGR 2203 PGR 2207
303 303
288 288
THGR THGR THGR THGR THGR THGR THGA THGR
294 294 294
THGR THGR THGR THGR THGR THGR
300 300 300 300
304
98 99
THGR 182 THGA 183
294
304
294
64
310 310 310 310
THGA
254 THGR THGR 265 THGR 270
HGR 264
305
301 301
291
PGR
394
65
295 295 295
THGR THGR THGR
305 305
288 288 288 288 288 288 288 288 288 288 288
THGR 205 THGR 206 THGR 207
301
289
70
306
THGR
THGR 134 THGR 135 THGR 136 THGR 138 THGR 141 THGR 146 THGR 148 THGR 150
311 311 311
289 289 289 289 289
292 292 292 292 292 292
THGR 266 THGR 275 THGR 276
THGR2 THGR THGR THGR THGR THGR
3 4 6 8 9
301 301 301 301 301
296 296
THGR THGR
66 70
306 306 306 306
THGR 202 THGR 208 THGR 212 THGR 213 THGR 217
312 312
THGR 267 THGR 277
For Private & Personal use only
Page #611
--------------------------------------------------------------------------
________________
4.1. क्रमांक
*.:. क्रमांक
ग्रंथांक
C. D. No. WISE LIST OF THE PALM-LEAF & PAPER Mss. - ffre -463 1.2. 1.1.
. . क्रमांक ग्रंथांक
क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक
4.31 क्रमांक
ग्रंथांक
. . क्रमांक
ग्रंथांक
ग्रंथांक
312 312
THGR THGR
278 285
318 318
AGR AGR
194 196
541 558
328 328
332 332
321 321 321 321 321
LGR LGR LGR LGR
548
8
313 313
THGR 271 THGR 280
651
325 325 325 325 325 325 325
319 319 319 319 319
TGR TGR TGR TGR TGR TGR TGR
328 328 328
508 540 550 568 570 578 580
LGR LGR LGR LGR LGR LGR LGR
330 330 330 330 330 330 330
691
DGA 455 PGR 394 PGR 1691 TGR 312 TGR 780 TGR 1011 THGR 85
332 332 332 332 332
15 127
314 314
THGR 272 THGR 281
328 328
131
328
906
319
326
328
331
319
182
DGR DGR
326
328
326
328
315 315 315 315 315 315 315
242
THGR 273 THGR 274 THGA 294 THGR 295 THGR 296 THGR 363 THGR 366
TGR 782 TGR 845 TGR 853 TGA 860 TGR 869 TGR 871 TGR 876 TGR TGR 929 TGR
946 TGR 954 TGR 955 TGR 956 TGR 1001 TGR 1050 TGR 1077 TGR 1088 TGR 1093 TGR 1110 TGR 1131
332
276
331
TGR TGR TGR
TGR TGR TGR TGR TGR TGR TGR TGR TGR TGR
326 326 326 326
84 107 113
582 584 586 607 613 620 623 660 661 662
320 320 320 320 320 320 320
328 328 328 328 328
331
332
81
277
331 331
326
281 285 286
27
332 332 332
DGA DGA DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGA DGR DGR DGR 76 DGR 79 DGR DGR 104 DGA 1381 DGR 138 11 DGR 145 DGR 149 DGR 152 DGR 155 DGR 159 DGR 160 DGR 178 DGR 192 DGA 196 DGR 204 DGR 223 DGR 2341 DGR 234 II
114
326 326
328 328
331
332
316 316
THGR 279 THGR 288
287
320 320
328 328
331
316
332 332
331
317
320
317
THGR THGR
THGF
72 94
DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR
320
TGR TGR TGR TGR TGR TGR TGR TGA TGR TGR
121 127 130 170 178 454 455
324 324 324 324 324
327 327
331
LGR LGR LGR LGA LGR LGR LGR LGR LGR LGR LGR LGR LGR LGR LGR LGR
332 332
317
331
335 354 372 459 504
TGR TGR TGR TGR TGR TGR
327
666 867 680 681 690 699
329 329 329
78
79 114
332 332
331 331 331
327 327
472
329
TGR 1141 TGR 1162 TGR 1225 TGR 1237 TGR 1256 TGR 1266
320 320 320 320 320 320 320 320 320
324
505
318 318 318 318 318 318 318
499
331
AGR AGR AGR AGR AGR AGR AGR
329 329
328 328
498
331 331
58
516 540 542 707
156 182 184
332 332 332 332 332 332
TGR TGR TGR TGR
TGR TGR TGR
671 692 714 736
328
325
325
507
328
For Private & Personal use only
Page #612
--------------------------------------------------------------------------
________________
4€ - C. D. No. WBE UST OF THE PALM-LEAF & PAPER Mss..
E
4. क्रमांक
ग्रंथांक
339
334 334 334
DGR DGR DGR DGR DGR
705 709 711 731
.. क्रमांक, ग्रंथांक DGR 876
881 DGR 830
DGR 987 339
DGR
334
329
778
. क्रमांक ग्रंथांक 28* DGR
DGR 239
DGR 250 333 DGR 253 333 DGR 259
DGR 268 DGR 281
DGR 282 333 DGR 285 333 DGR 288 333 DGR 290 333 DGR 310
DGR 338 DGR 359
DGR 385 333 DGR 393 333 DGR 394
335 335 335
339
1036
DGR DGR DGR
710 713 782
335
336 336
DGR DGR DGR DGR
712 780
333
336
785
336
786
340 340 340 340 340 340 340 340 340 310 340 340 340
1043 DGR
1051 DGR 1103 DGR 1145 DGR 1147 DGR 1170 DGR 1231 DGR 1256 DGR 1287 DGR 1305 DGR 1360 DGR 1386
337
337
337
334 334
338
781 790 792 808 813 825
398 416 427 431 512
334
338
DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR DGR
334 334
338
607
DGR DGR DGR DGA DGR DGR DGR DGR DGR DGA DGR DGR
827
641
334
669
334
334 334 334
670 699 703 704
Page #613
--------------------------------------------------------------------------
________________
५६५ - परिशिष्ट
GRN ग्रंथांक
सी.डी. क्रमांक
GRN सी.डी. || GRN क्रमांक
ग्रंथांक JINABHADRASURI BHANDAR :- GRN
185
121
124
154 155 156
186
122 122
108
187
+
188
122
189
122
128
159
190
+
+ ९
191
161
192 193
162
> +
१
117
194
124.
164
195
125
406
196
..
111
197
परिशिष्ट ७: GRANTH No.-WISE LIST OF THE CDS.OF THE PALM-LEAF Mss.
सी.डी. GRN सी.डी. || PGR सी.डी. GRN सी.डी. || GRN सी.डी. ॥ GRN सी.डी. क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक
ग्रंथांक
क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक 23
198 70A 98A 123 106
115 40 714
"107
115 71A
125
116 126 109 157 116 127 109 158
116 102
110
116 103 129 110 160
117 104+
130 110
117 104A 131 110
117 104 B
132 111
163 133 111
117 134 111 165 117 107 135
166 117 108
136 112 167 117 137 112 168
11B 110
138 112 169 11B 111
170 118 112
140 112
171 118 113+ 141
172 118 113A
112 173 119 114
112
119 115 116 99/1 145
120 117 99/2 146 113
120 118+ 100 147
178
120 94+ 118A 101 148 113
179 94A 119 102 149
120 120+ 103 150 114
121 120A 104
151 114 105 152
121 98+
106
115
.
198 199
109
200
88 288 dada dada 8888 २२३३१३ 8888
201
139
112
202 203
125 125 125 125 126 126 126 126 126 127 127 128 128 129
112
+
13 14+
204
205
142 143 144
174 175
98
120
2064 206A
+
112 113
988 8898 88488
4
207
+
208
113
129
६
120
+
114
180
130 130
६
209 210 211 212 213 214 215
130
+
115
121 122
130 131 132/2
46.
153
121
For Private & Personal use only
Page #614
--------------------------------------------------------------------------
________________
सी.डी. क्रमांक
GRN ग्रंथांक
सी.डी. | GRN क्रमांक ग्रंथांक
370
168
371
193 193 193
372
279
177
184 185 186 186 187 187
193
सी.डी. | TGRA.GR सी.डी. क्रमांक AGR ग्रंथांक क्रमांक 201 TAPAGACHHA 202
| BHANDAR :-TGR 203 204
249 205
249 206
249 207
249 249 250 250
251
153
193
312
375
198
178
188
376
198 194
188
N
315
194
156 198
188 212 188
378 379
402 403 404 405 406 407+ 407A 408+ 408A 409 410 411 412 413 414 415 416 417 41a
170
195 195 196
380
188
350
196
188 189
MEE - GRANTH NO, WISE LIST OF THE CDS OF THE PALM-LEAF OF JINBHADRASURI GRANTH BHANDAR Mss. - effe
GRN सी.डी. | GRN सी.डी. || GRN सी.डी. | GRN सी.डी. GAN ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक. 216+ 132/2
247 151 276 167
308
176 339 216A 182/1 248 151 277
208
212 340 217 133 249 151
278 168 309 176 341 218 133 250 152
168 310
342 219 133
280 168
177
343 220 133 252 153 281 169
177 344 221 134 253
154 282 169 313
345 222 135 254
154 283 169 314 178 346 223 135 255+
155 284 169
178
347 135 255A
285 169 316
179
347 136 255A 286
317 180 348 136 256 156 287 170 318 181
349 137 257 156
288
170 319 181 138 258 157 289
320
351 139 259+ 290
181 352 140 259A
157 291 172 322
181 353 141 260
292 172 323 181 354 261 159
293 173/1 324 181 355 143 262
294 173/1 325 182 356 234 144 263 161 295 173/2
182 357 235 145
264 162 296
1731
327 182 358 236 146
163 297 174 328 182 359 266 164 298 329 182
300 267 164
209 174 330 182 239 149 268
300 174
182 362 149 269 165 301
332 182
363. 241 150. 270
165 302
333 183 364 150 166 174 334
183 150 166
335 183
366 150
167 151
183 367 175
183 368 338 184
369
181
171 171
158
321
189
LOKAGACHHA BHANDAR :- LGR
158
189 189 190 190
381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392
209 209 209 210 210 210 210 211 210
142
233
160
326
180
196 196 196 197 197 197 197 190 199 199 199 199 200 200
255 255 255 256
191 191
419A
265
420
214
237
147
174
191
238
361
191 191
393
215
165
331
394
422 423
240
174 174
395
424
191 192 192
396
425
ACHARYAGACHHA BHANDAR :- AGR
271
365
192
175 175
257
336
193
183 193
257 257
175
Page #615
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक
តំ ន៍ និ ន់ នី ៩ ៖
ខ្ចី ខ្លី ឤ 3 3 5 ឋ 3 3 ខ ខ ច ខ 3 2 5 ជ 2 1 2 2 F 2 8 3 3 8
៩ នននននន
ग्रंथांक
15
BHANDAR
សសសសស ននន
12345678
២០០៤
6666666
គ ន ៖ ៩ ទី ឌី
8
22
28588
5885
សំសំÅនំ ននននន
BOEREN 2222222
Page #616
--------------------------------------------------------------------------
________________
PGR
PGR ग्रंथांक
सी.डी. क्रमांक
PGR ग्रंथांक
सी.डी. क्रमांक
सी.डी. क्रमांक
ग्रंथांक
272
275
284 284
280
275
284 284 285 284 284
241
284
886
285
286
272
284
284 285 205
1352
285
YEC - GRANTH No. WE USE OF THE CDS OF THE PAPER OF JINABHADRASURI GRANTH BHANDAR Mss.. YRR
PGR सी.डी. PGR सी.डी. PGR सी.डी. || PGR सी.डी. | PGR सी.डी. ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक
क्रमांक 853
1000 288 1333
1379 288 1483 283 855 272 1083
273 1334 275 1380
280
1492 283 856 272 1126
273 1336 275 1381
1505 288 862 272 1194 273 1337
1382
200 1516 283 864 239 1210
273 1338 275 1385
280
1517 283 1274A 869 272
240 1340
275 1386 280 1530
283 1274A 871 272
220
1343 242 1388 280 1275+
1531 283 272
1345
214
1389 1275A
280 241
1532
283 894 272
1347
1390
275 1279
280 273
1534 284 901
1348
1391
275 1282
280 274
1551 242 911 272
1349 1283
275 1395 281 274
1551 925 272
1350 1284
276 1396
281 274
1552
284 926 272
1351 1285
276 274
1423
281
1553 284 928 1286 273
276
1424 281 1560 284 944
1353 1292 272 290 276 1425 281
1563 284 948 1293 273
1354 276 1428 281 1564 284 965 272 1301
290
276
1430 281 1566 284 987 1303
1356
274 272
276 1431 281
284 1357 1003
274 273
281
1568 284 1305 273
274 1360
277 1433
281 1571
284 1307
1361 242
1438
281 1021 273
1572 284 1311
274
1362 277 1439 282 1042 273
1587
284 1312 274 1363
277 1440 1047
1589
284 273 1313 274 1364
278
1441 282 1594 1048 273
284 1314
274
1365 278 1442 281 1597 1063 273 1317 275 1367 279 1452 282 1599
284 1071 273
1318
275 1369
279 1453
283
1600 284 273 1324 275 279 282 1611
284 1078 273 1326
275 1376
278 1469 282
1613
284 1079
275 1377 280
1470 282
284 1080 273
1332 275 1378 280 | 1478 • Only a part of Granth No. PGR 1274 is soared in CO No 240 but the whole Granth No. PGR 1274 is scaned in one CD No. 220.
1615
284
272
330
1616 1621 1622 1623 1625 1635 1636 1644 1647 1659 1663 1666 1667 1689 1691 1683 1697 1712 1713 1714 1715 1716 1717 1718 1719 1720 1721 1725 1744 1745 1746
1747 1748 1749 1751 1753 1754 1755 1756 1757 1758 1759 1760 1788 1769 1770 1771 1775 1776 1777 1778 1779 1786 1787 1791 1792 1798 1799 1800 1801 1802 1803 1823
285 285
286 286 286 286 286 286 286 286 286 286 206 286 286 287 280 286 287 287 287 287 287 242 242 288 242 288 288 288 288 288 288 288
1824 1825 1877 1898 1899 1900 1929 1931 1946 1955 1957 1958 1969 1960 1961 1965 1969 1991 1996 2034 2036 2079 2079 2090 2094 2098 2119 2120 2125 2127 2130
288 288 288 288 288 208 288 288 2aa 288 288 288 288 288 288 288 288 288 288 299 289 289 290 209 289 209 290 289 289 289 289
272
1355
1567
286
1304
277
1432
286
1020
278
281
284
286 286 286 286 286 286 286 286 286 286 286 286
1075
1371
1467
273
1331
1614
282
For Private & Personal use only
Page #617
--------------------------------------------------------------------------
________________
e
PGR ग्रंथांक
सी.डी. क्रमांक
| DGR
ग्रंथांक
सी.डी. || DGR क्रमांक ग्रंथांक
सी.डी. क्रमांक
DGR ग्रंथांक
. 468 सी.डी. क्रमांक
72
2133 2135 2137
DUNGARSHIYATI BHANDAR :- DGR
74
290 310 338
300 300
75
2141
331 331
76
333
251
359 385
135
79
331
393
292
101
394
813
338
331
398 416 427
292
150
431 455 498 512
332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332 332
154
553
289 289 2e9 290 290 289 290 289 289 289 2e9 289 289 289 242 290 289 289 289 289 289 289 289 290 209 290 289 299 290 215
159
2145 2171 2175 2183 2187 2189 2190 2193 2197 2203 2205 2205 2207 2212 2217 2221 2224 2233 2243 2243 2244 2247 2250 2252 2253 2258
GRANTH No. WISE LIST OF THE COS OF THE PAPER OF JINABHADRASURI GRANTH BANDAR Mss.
सी.डी. DGR सी.डी. THGR सी.डी. ॥ THGA सी.डी. THGA क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक
ग्रंथांक क्रमांक | ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक 333 782 335 THAHARUSHAH
58 294
98 333 785 336 BHANDAR :- THGR
294
99 333 786 336
252
134 790 337
294 333 792 337
292 333
253
136 808 338
294 333
292
138
295 334 825 338
292 334
296 826 338 334
254 827 338
292 334
254 833
338 330
295 876 339
151 340
295 881 339 334
296 929 338
155 335
317 930
339 334
297 987 339
161 334
990 334 339
297 1023 339 334
298 1036 339 334
283 1043 334
171 340 293
298 340 334
172
293 334 1103 340
252
299
173 334 1145 340
252 335 1147 340
252 334 1170 340
293 336 1231 340
182 335 1256
340 334
1287 340
1305 334
294 340 336
1360 340 337 1386 340
300
607
104 1381 1381 145 149 152 155 159 160 178 192 196 204 223 2341 234॥ 239 250 253 259 268 281
297
302 302 302 302 302 302 302 302
16
167
293
670 699
332
703
1051
330
332 332
332 333
331
181
332
704 705 709 710 711 712 713 731 778 780 781
293
332 332 332 332 332
294
282
294
285 288
Page #618
--------------------------------------------------------------------------
________________
सी.डी. क्रमांक
TGR ग्रंथांक
सी.डी. क्रमांक
TGR ग्रंथांक
सी.डी. क्रमांक
322
69
321
613 620 623 660 661
306
322
15
214 319
326 326 326 326 326 326 327 327 328 327 327 327
281
328 330 328 328 328 328 328 328 329 329 329 329
323 323 323 323 324. 324 324 324 324 324 330 324 324 324 325
1001 1011 1050 1077 1088 1093 1110 1131 1141 1162 1225 1237 1256 1266 1337
312
680
227
681
454
५७०. GRANTH No. WISE LIST OF THE CDS OF THE PAPER OF THAHARUSHAN GRANTH BHANDAR Mss. - परिशिष्ट ७ THGR सी.डी. THGR सी.डी. LGR सी.डी. LGRIAGR सी.डी.
सी.डी. || TGR ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक || ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक क्रमांक ग्रंथांक 206 305 274 315 LOKAGACHHA 558
321 TAPAGACHHA
66 207 305
275
311 BHANDAR :- LGR 648 321 | BHANDAR :- TGR 208 306 276 311
319 651
84 212 306
277 312 691
243 319 14 321
107 213
278 312
692 319 321
113 216 307 279 316 706 321
244 217
114 306 280 313 707
244 127
320 222
121 306 314
244 131
127 223
319 306 285
244 225
130 132 307 288
319 316
244 182 319
170 307 289
214 242
244
178 234 307 290
320 214
244 267
ACHARYAGACHHA 320
312 236 308 291 215
276 238
BHANDAR :- AGR
320 308 294 315
455 239 308
320 295 315
318 281 320 296
472 79 315
318
245
498 244
320 309 315
114 318
245 286
499 247 309 366
121 318
245 287
504 252
320 309
246 316 253 320
507 309
182 318
246 254
317 320 184 318
246 320 309
540 194 318
246 354
550 264
320 310
196
246 265 372 320
568 310
246 459 266
570 320 311
247 320
578
247 505 270 310 516
247 320
582 271 313 540
247 320
584 272 314
247 541 321
588 273 315
248 542 320
607
328
690 692 699
329
244 245 245
277
329
714
247
240
309
285
363
320
315
324 325
156
318
508
736 780 782 845 853 860 869 871 876
310
335
260
327 328 328 330 328 328 328 328 328 328 328 328 328 328 328 328 328
325 325 325 325 325 325 325 325 326 326 326 326
318
.504
906
267
312
320
580
929 946 954 955 956
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APPENDIX (fire) .. 404 APPENDIX : 8 SCANNING AND REPRODUCTION & OPERATION OF MANUSCRIPTS IN THE
JINABHADRA JNANABHANDARA,
JAISALMER (*3 August-Dec. 1998 - Sravana 2054-Pausa 2055 sarvat)
PROJECT CARRIED OUT UNDER THE GUIDANCE OF Pujyapădăcāryadevasrimadvijaya-SiddhisüriśvarapattalankaraPujyapádacáryadevasrimad-Vijayameghasurisvara sisyaratnaPujyapada Gurudevamuniräjasri Bhuvanavijayantevisi Munirājasri Jambūvijayaji Maharaja
BRIEF GUIDE
1.
INTRODUCTION
All the palm-leaf manuscripts held in the Jnanabhandara were scanned and the images recorded on compact disks. The original palm-leaf manuscripts range in length from 6-38 inches with the text written from left to right across the entire length of the page. Page-numbers however are traditionally written only on the second side. The first side is known as the recto or 'A'side, while the second side is the verso or 'B' side.
HOW THE IMAGES WERE MADE
The largest scanners available were only able to make images 11 x 17 inches. For manuscripts written on short palm-leaves there was no problem for scanning. The first pages were placed on the scanner, a complete image was made of all the A-sides, and then cach leaf was turned over and all the B-sides scanned together. Then the next few pages were placed on the scanner and the process repeated for the entire manuscripts, i.e. in two scans the A-sides and B-sides could be scanned.
The werk was started a little bit only on the August 3, because it was an auspicious day Really it was started from August 15.
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43 - BRIEF GUIDE TO SCANNING & REPRODUCTION & OPERATION OF CDS . APPENDIX (offre). 8
However for the longer palm-leaves (which are longer than the bed of the scanner) it was necessary to scan each side twice, first one end then the other, a total of four scans. Several leaves were placed on the scanner and the text on the left of the page was scanned first, i.e. the start of the A-side. Then all the palm-leaves were slide horizontally to scan the text on the left of the page, ie, the remaining part of the A-side. An overlapping area in the middle of each left was scanned twice to provide continuity of text (see Figure I overleaf). Next the leaves were all turned over and the process repeated to make two images of the B-side. A total of four images to scan all parts of the longer palm-leaves in one case it was necessary to take three images of each side).
Because of the possibility of confusion all the palm-leaves were renumbered before scanning to ensure that every scanned image contained page numbers and an indication of whether the images were of the A-side or B-side.
HARDWARE USED TO CREATE IMAGES
Processor Pentium P-II 266 MHz Physical memory 262 Mb Scanner Umax Mirage Ilse CD writer Yamaha CRW42601x Printer HP Laserjet 5000
(Any similar IBM compatible should also be able to access the CDs.)
SOFTWARE USED TO CREATE THE IMAGES
Operating system Windows 95 (version 4)
Windows 98 was also tested and worked well Scanner software Magic Scan 4.01 CD writer CeQuadrat WinOnCD 3.50.273(OEM) Image processing Adobe PhotoShop 4.0
There are a number of options in Adobe PhotoShop which allow the production of extremely high quality prints from the scanned images: Greyscale (to reduce the colour images to black and white), Brightness, Contrast, Blur, Noise, Sharpen, Texture etc. can optimize the image before attempting to print.
lain
ducato International
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BRIEF GUIDE TO SCANNING & REPRODUCTION & OPERATION OF CDs . APPENDIX (fire)-8 - 493
5.
VIEWING FROM CD
We recommend the use of ThumbsPlus 3.0 (or later version) which allows processing and printing of the scanned images, this has fewer options than Adobe PhotoShop 4.0 but can produce adequate results. ThumbsPlus 3.0 is provided on many of the CDs.
1. 2.
Choose File icon or press Enter key. There you can rotate the image, zoom, fit on screen etc.
PRINTING FROM CD
We recommend using ThumbsPlus 3.0 (or later version)
1.
Load CD into CD drive. The first time you use the software you will need to make the following settings:
1.1
From the menu bar choose PICTURE, then page setup, from the page setup window clear the tick mark from the maintain aspect ration line. Then clear the tick mark from the border line. Choose OK.
2.
To print all pages, Choose edit menu. Then choose select all, Hit enter, From the picture menu, select print, Choose OK.
FIRST SCAN
SECOND SCAN FIGURE 1 : INDIVIDUAL PALM-LEAF SHOWING AREA COVERED IN TWO SCANS
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मटि
५७४ - संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट -१
परिशिष्ट ९: संख्या सूचक शब्द संकेत यह सूचि इसवी सन् १९८८ में सेवामंदिर-रावटी-जोधपुर राजस्थान की ओर से श्रीमान् जोहरीमलजी पारख द्वारा संपादित व प्रकाशित 'जेसलमेर (राजस्थान) हस्तलिखित ग्रंथोंका सूचिपत्र द्वितीयखंड इस नाम के सूचिपत्र के परिशिष्ट से उद्धृत है । शब्दों द्वारा सूचित मंक (साल) को जानने का तरीका - उदा० "विक्रमादष्टाष्टाधीन्दु' ऐसा लिखा हो तो दायीं ओर से पहला अंक इन्दु याने १, अब्धो याने ४, अष्ट याने ८, अष्ट याने ८ इस तरह यह साल होगी विक्रमको १४८८ संवत् इसी तरह शब्द से अंकोको दायीं ओर से पढे ।
१ अभि ..................... | अब्जिनीपति ................१२ | अरि ..........................६ | अश्विनि .................. १४ | माप.......................... ४ | उडू .........................
| अंशुमाली ...................१२ अदोश्चर ................. भब्दबीज................ अरुण ...-----..........
| आशा .......
उड्पति .................. अर्क......... भष्ट. आश्रम
उत्कृति ................ २९
आहर्व अक्ष.....अद्वेतवाद. अधि ...................
अष्टादश.. अचि ..
उदधि......... अक्षि ......
उदन्यन्त..... उपाध्याय..... अब्राहा....... अर्जुन बाण.
इन......... अक्षौहिणी..............१९, २३
१००० अनन्त... अभिनय..................२, ४ अर्जुनभुज...............
उदन्वान.......
असिधारा ............ अग्नि...........................३ अनन्त चक्षु.............
अध..... अर्जुनसुत .................. असु ...................
उदय.....
इन्दुकला ... mm अनल...................१,३,७ अमर ....................
अर्णव .................-- अखक .................. इन्दुवाजि.....
उदयिम् .............. अनिल.................. ५, ४९ अमरलोक...................२१ | अर्थ ........
अहन्....................... इन्द्र ....... १४, १०००,१,२४ उपचार ....... अनीक...................
| अर्थि अमरालय ................... ......
महस्कर ...................
उपाह ................. अम..........२,४,५,६,७,८.
इन्द्र चक्षु..................१०००
अहि | ......................
उपाय....... अनद्वार .............
अर्बुद.....
इन्द्र दृष्टि ................ १००० अनत्तर...................
उम.......... अङ्गिरस.................९.११ अनुप्रेक्षा .................. अमृतधुति .....................१
महिकुल ................... इन्द्र नेत्र...................१०००
| अर्यमा.... अंलि ..................- अनुयोग..................... अमृत रुचि ................... अर्हत्..
अहिपति मुख .............१००० इन्द्र ......... अष्ट ............... अनुष्टम्...................... अम्ब
आँख...........
क................. अझोपांग.....
उर्वी ............. अनेकप .................. अम्ब र.............. ...
आँखडी ...mommam अपोष..... अन्तःकरण
अलिपद ... आकाश.......-
उष्णांशु ......
- अली अम्बुज छन्द.............१०००
आकृति ........ इलापति
उष्णरश्मि अन्तर ....... अम्बुद...mmmm आखण्डल...............
ऋक्ष ........ मजमुख... अन्तरिक्ष.. मम्युधि....... अवनि
आचार ...... अणु-- अन्त्रि
इंश..... ........ अम्बनिधि..
अक्लेभ.. मति जगति
अवस्था माज्याश ईश मूर्ति
ऋषि....... अप....... अति घृति. अपापत्ति अम्मोनिधि अशिव आत्मा
ईश्वर मयत
आदि इंश्वर ग
एक अधिष्ठि...
अश्वि .....
आदित्य इधर नवन...
एक विंशति ................. अब्जदल ...
इन्द्री ........
उर्वरा .........
अलि...
अचल...
अन्तक.......
अन.
इ
आज्याश..
अतीत..
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संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट ९ - 404
।
कलानिधि...................... कलि .......
मो.............................१ ग्वाधि .........................४
चार...........................४ चित्रभानु...........१२, १६.
|
|
एकादश.................१ (११) एकोनो विशति .............१ एणभूत... एणाक.. ऐशवर्य
कषाय..........
..........
क्षेत्र........................... ७ क्षोणी. क्षोणीश.. मा.... .....................१
.. ............०.९ खग्..........................९
काम..
.......usian...
घन ............ .ma.m. | घन......................२,१५
धोटक........................७
कामगुण......................५ कामदेव.....................१२
कुम्भी .........................८
कुम्भीपाल....................८ | कुरुभूपति सेना ............. ११
कु ल ........................... | कुलगिरि .... | कुलपति .... | कुल पर्वत.
कुलाकार .. कुलाचल कुलादि..
गिरि ......................७, ५ | गिरी......................६,८ | गिरीश.......................११
गण....................३. ६.९ | गुणमणि................. .१४
गुण स्थान...... | गृति ........ | गुल्फ ......
NW0...60
ओषधीश.................. ककुम.................. कथा ........... .........
खड्ग
गुह ...
| चक्ररथ...... चक्रवर्ती ......... चक्रवर्तिन ........ चक्रबाल चक्रिन.. चक्रिराजन .......
कपर्दि ....................... ११ कपार. कपालभूत्.... कबुग्रीव रेखा ................. कमल दल ......... १००,१०००
कारक....... कार्तवीर्यशर .. ...........१००० कार्ति के नेत्र ............... १२ कार्ति केय ................... ६ काल..................
........... ३. ६ कालिदास काव्य.............३ काशयपि काष्ठा कास्य ..... किरण कीचक
धारा खण्ड खर. खानि खेचर.
छाया ....................१.१० छिद्र .......................०.९ जग....... जग चक्षु ...... जगत: जगती .................१२, ४८ जंघा ......... जट.......... जपमाला ......... जम जरात्रि जरासन्ध... जल..
खेट.
कृत.......
..........४ कृत रावण मुण्ड .............९ कृता.. कृतान्त.... कृति ............२, २०, २२ कृशानु.
............५
गुह वक्त. गुहाक्षि.. गुहास्य गृहाधीश. गृहानल.
करणीय ... करभ (करभ)...............६ कररी. कराङ्गुली करिवासक. करी..
चक्षु...................... २, २० चतुर ....................... चतुरिका स्तम्भ ............. चतुर्दश चर्तुविशति ................. २४ चतष्टय....................... चत्वारि ......
क्रतु.
कुच..... कुअर .....................
गगन. गङ्गा गोरी गङ्गा मार्ग
Poee गङ्गा मुख
गज....... | गन जाति .....
गज दन्त ..................... गजस्य ............ गणपति रदन ................. गति ............गन्ध र्व ........................७ गयवर ...
गोचर.. गोचरण .........
जलाध....................४. ७ जलधि भोजन ............ जलनिधि.................४,७ जलाश्य......................४ जाति ........................२२
कर्ण
गोत्र.........
कमे...
जानु.....
गोदावर्य ....... गोस्तन ........
& MM
कर्मदेव.... कलत्र....
क्रिया स्थान.................१३ क्रोशारी......................६ क्षपाकार....
साकार .....................१ क्षमा ............................१ क्षमाखण्ड....................६ क्षमाधर.......................७ क्षमापति मंडल .............१२ क्षिति..........................१
कुभन्त ...............कुभारवदन....................६
कुमुद ........... | कुमुदनि पित.................. | कुमुदवान्धव ..................१
कुम्भ ........................११
चन्द्रकला ..............१५, १६ चन्द्रकी......................१६ चन्द्रयति....... चन्द्रवाह.... चन्द्रशेखर.. चन्द्राश्व.................. चर चरण ...................... २,४
गौरय.......
जास्व स्य ..................... जाहवी. ...................१००० जिन.. जिनोपासक प्रतिमा.........११ जिष्ण. जीभूत.......................१७
कलश
गवांधि.
ग्रीवा रेखा.......
पर
.
.....
.......५
कलाधर .............
गायत्री ...................... २४
ग्रेवयक......................
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दशकन्धर मुजा.............
पशन
दिशि दीप......दुःख....
............२७ ।
दशरथ पुत्र दशा
2061
हिज.................१,२,३२ द्विजय................. विजराज...................... द्विप......................८,१८ द्विरद्... द्विष.
9
.२०
दख..............---
दुर्गति .. ध्यमणि
.
रहन दाक्षायणी प्राणेश दानवारि.
इहद
होप..
देषण ...
धुक्तारा... नक्षत्र.. नक्षत्रेश.. नख.......... नखर ...... नखत्र.... नदीकूल .. नदी तट.. नदो द्वार...... नदी नाथ....
तीर्थ
दिकुम्भी दिक्पति दिक्पाल
धन्या
५७६ - संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट-९ जीव........................१.६ तारक ...................... २७ । त्रिदशा... जीवाजीवोपकरण .........१४ तारण...................
.१८ | त्रिदशालय तारा................
त्रिदिव.. जैनपदम...............
ताल......... जैवातूक....
तिथि.......... जोधार. तिथि संख्या.
त्रिपदी ज्वर... तिस.....
त्रिफला ग्वारसुर तोक्षणाशु....
त्रिमौलि. ज्वलन तीनलोक
त्रियम्बक... ज्ञाताध्याय,
त्रियामायाम ज्ञान
जियादश.... त्रिरत्र......
त्रिवस्ति .... सुला ..
त्रिविष्टप.. तत्व...... तूड....
त्रिशरानेत्र नाराणी....... तैतिल..
त्रिशिरा तनुवात. तोयधि..
त्रिशूल ..... तनूनपात ...................
वेत. तन्तुसायक................... ५ जयत्रिश्त् ....................३३ दंश. तपन....................१,३, १२ त्रयोविंशति..
दण्ड तपस्वी .......................७
दण्डधर तपोधा .............
प्रिकट....................... दधि.. त्रिकाल..................
दन्त
....८,३२ त्रिकट......... ......
दन्तावल त्रिकूटकूट ............
दन्ती... त्रिक्षेप
दर्शन .... त्रिगुण
त्रिजगत..... ताम्बूल गण
दशकन्धरनेत्र ........
देवालय देवीतरा
धरणी
परती
नन्देषु तिथि
धरा... धाता.
तेनु
नयन
दिग्गज दिदुरित. दिन दिनकर दिनकृत ..................... दिननायक.. दिनमणि. दिनेश ..... दिव्..
नयस सन्तान ................७
दो..... दोर .....
दोष.
धात्री..... धान्य .. धान्यक. धामनिधि.... विष्णाय ................"
होस् -
घुमणि.
तरणी.......--
नरक...................७,४० नरपति नरलक्षण................... नव. नाग .............. नाग जिह्वा नागेन्द्र.
तरुवर तर्क
दिवस ....................... दिवाकर ...... दिवोकस ...............
द्वत्रिशत्.... द्वादश.....
धीगुण ................धति ......... ....... घूर्जटी........... धृतराष्ट्र पुत्र ............... १०० धृतराष्ट्र सुत ................
दिश............"
नाडि....
द्वाविंशति....
दिशा ...............४, १०.८ दिशापति ......................१
नाय ....... नाभि ........
त्रिदश
भूति..
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नाम........................
पाकुल......................५
जायक.....
.
र
भवी ........
प्रियश्तक.................. प्रीति रति ................. कोण......................७८ बन्ध ..........................४
।
| पादश......................१५ पविशन्ति ................ २५ पडोत्तरविभान ...............५ पताका ...... पत्ररी .........................५
संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट ९-५७० भरत-बाप्न ..................२ भूत......
|भूमि......... भव..........................११ -भांगी .........
भोजक..... भवमार्ग भवानिसुत....
घड़ा पद ...................६
भ्रमर चरण .................६ भार.
मकराकर........ भाव..
मशाल .................८.९
म
व
भाग
...
.............
नारद.......................... . नाराच............ ......... ५ नारायण (वासुदेव)..........९ नासत्य ......................८ नासावन्श.....................१ निधान.....mmmmmmmm... निधि.........
३
भोजन......
महुमाता .....................१२ याईसी .......................२२
पद..........
पद्यो ...........................८ पदार्थ ....................४.१
बाण (बाणी) बाणी
नियन.....
मणि
मणिहार ...mmar
पन्तग......mmmam
पाल.
बुद्धि...........
निरात्मा ..... निर्जर. निर्जरालय... निशाकर .............. निशानाथ.... निशापति. निशिपति.... निशेष ....
पाठक ........................४ पुष्क र.................. ८, ३० पाणि
पर..................... पाण्ड व....................... ५ पुरण....................... . पाताल
..................७ पू र्ण..... पतिशाही सेना.............२२ । पूर्व ......................... १४ ....... ...... .....२ पूषा..
पृथ्वीपति ..................१.१६ पाप स्थानक...............१८
पच्ची ............... पयोनिधि
प्रकृति .........२१, २५, १४ पारावार.
प्रजापति......................५ पार्थिव पार्शव चिन्ह ......
प्रतिनारायण पार्षद
(प्रतिवासुदेव) ................
प्रथम जिनभव.............. पावक
प्रभजन.............. पिण्ड स्थान................
प्रभव.. पितामह पिनाकी. पीयूष दोधिति ...............१ प्रभुनेत्र...... पुणातर दृष्टचन्द्र.......१००० प्रमत्तपति.................... ११ पुर.......................३. ७ । प्रमाण ........................ २ पुरन्द र ......................१४
प्रमाची. पुराण........................१८ प्रवचनमाय..................१३ परी........................... ७ | प्रवराम .......... पुरुष.............
प्राण.....................५.२० पुरुषकला ................. ७२ प्राणेश...... पुरुषान्वय ..........
मालेय पुरुषायु.............१०० प्रालेयाशु ....................... पुरुहूत ..................... १४ प्रासाद..........
भास्वन्त भिक्षु प्रतिमा ...............१२
मदकल..................... मधवा .......... ..... मनम् ....... .....
पत्रग........... पयोद .. पयोधर ....................... पयोधि .......
मरुत्.................... महाकाव्य
पयोनिधि ......mmmmmsame
ब्र ह्म ...................... ब्रह्मगुप्ति ............... ग्रामुख..................महावृत्ति ......
भु जग.........................८ भुजा ....................२, १० भुवन..................३.७.१४
परमधार्मिक .................१५
नोरधि............mmmmmm नीरनिधि
परियुत................१०००००
.....२२
अमावा
.
..
..........
.
ब्रह्मास्य......mmmmmmmmmr
भू..............................१ भूखण्ड .................. ६, ९ भूत प्राम..................१४
पव.......
.
......
५
महापाप.....mmmmm. महाभूत..................... महामय..................... महायज्ञ ......................५ महावत महासेन बदन.. महिधर
नेम .........." पक्ष .......
4...१२
भूति ..... भूतेश...........
पलाशदल.....
भक्ति पक्ष (भोजन)
पवन..........
भूधर.......
पंकन दल ...............१०००
. ........,१०
पंक्ति ..........
पवमान...... पशुपति...................... पाकशासन..................१२
महीभूत .......
भूपति .......................१६ भूपाल.......................१६
पक्षक....
भर............
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________________
वर्ण...............
रत्न.............३,५,९,१४,१३ रत्नाकर.. रख धुर्य
वत्
| रावण मुख................
रावण शिस्त्र .............. रावण श्रुति ............ रावणांगुलि ......
विषय................... विष्टप.. विष्णुपाद्.. विष्णुभुजा.. विहायस्...... श्रीहि..........
यति
वर्षधर.
स्द
५०८ - संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट - १ महेश्वर ........
यक्ष ........
यज्ञ... मातग...माता ...
यज्ञोपवित्र सूत्र.............. मातृक.... मात्रक.....
यति धर्म ................... मारुत...
यतिप्रतिमा ..................१२ मार्गण ...... ........५. मार्तण्ड......................
यम..............२, १२, १४ माला ........................ .
यमक.........................१२ मास........ .........
यमराज....................... २ मासार्ध..
यमल.......यादः पति...................
न
.....................
...............३२
शशि .................. रिप..........रोति ......
........१
रमा.....
......................१
वलय............ वलि... बहिन................. वहिन शिखा................७ ब सु ........................८,७
रवि रविकर....................१००० रविचन्द्र रविवाह... रशिम...
वसथा
.........
.
.
له خلی
रोहिणी ........................ ४ रोहिणीपति ....................१ रोहिताश्व ..................... ३ लब्धि .....................९.२८
मिथन ........................र
याम .... युग .........
वसुन्ध रा .......................१ वाडव..... वाजि वाजी ...................... ३,७
वाखव................ वाह ..... विशंति विकतन.... विकृति ...................२३,६ विक्रम....................३,१४ विडोजा..................... १४ विद्या .................३,१४,१८ विधादया ....................१६ विद्यास्थान ................. १४ विधि ......................४,८ विधिमुख ..................... ४ विधु ........................१,४ विनायक दन्त ...............१ विनायक स्कन्ध............२ विबुध.....
....३३ विबुधालय ..................२१ विभव. विभाकर.. वियत् ... विशिख.. विशेष.. विशोपक. विश्व .................३.१३,१४ विश्वमित्र आश्रम.......१०००
रस...
रस
......
....६.९
मिहिर .......................१२ मीन
बृहस्पति..... बृहस्पति हस्ता ............१२ वेद........................३,४ बेदाग ....................... ६ वैवस्वत......................२ वैश्वदेवाहा ..................१३ वैश्वानर.......................३ व्यय .....................१२.२० व्यसन......... व्याकरण ....................८ व्याधी स्तन................. व्याल व्योम
..--.-....-१२
रसातल...
.............
.
७
मुक्ति
..........................
राग
लेश्या ........................६ लोक ..................७.१४,३ लोकपाल .................४८ लोक बन्धु ................. १२ लोचन..
०,४
युगल... युनक... युथप ........ युथपनाथ.... युवा .....
बाणिग .............------ बात ................----
मुख
५,४९
रागिनो. राजमण्डल ..................१२
VOU
राजा .....
वक्त
योग ....
वघ्न
मृगशिर. मृगाक मृगादन. मेदिनि मेदिनीपति मेघ मेघाण्य.
योगग... योगेश्वर.. योजन (कोश).... रजनीकर रजनीनाथ ................. रजनीश............... रजसूत्र....
राज्याा . रात्रिपति.. राम....... रामनन्दन..... राम-लक्ष्मण.. रामसुत ......
वक्र..... वक्षोज.. वचन. वज्रकोण वक्तिन
वामदेव............... वायु ...... वायुसख... वार.... वारण. वारणरद.. वारि.. वरिद.... वरिधि वारिनिधि. बारिराशि .....
व्रीहि शक्ति शक............ .. शक यज्ञ.................१००
बदन....
रामा
बनधि
विभो ...........
वयरमा
शक्रवाह.....
मेष ......
रावणचक्ष ................. रावण भुजा ................ रावण मस्तक..............१०
वर्ग........
विश्वेदेव.....................१०
विश्वेदेवा ....................१३ | विषधि........................४
शक्व री........................१ शंकर ........................ ११
ति
..........................६
वर्ग मूल ...................३
वार्षि
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________________
संख्या सूचक शब्द संकेत. परिशिष्ट ९.५७९
सायक.mmsamusaman
|स
वर्तम.......................
हरनयन.......................
श्रीक ण्ठ ....................११ श्री भर्तृकर शाखा........२०
सारि ....
सप्तापि सप्ताश्च
ति
................२.४,८,२०
सिद्धि.. सिद्धिगुण
सेनाश...सेनानी नेत्र सेना भारत... सोम
हरहतपुर...... हरि ..........
शंकर लोचन ................ शंख................ शतपत्र पत्र .......... शतमिवा .... शतमन्यु..... शतमुख ........ शमन ............. शम्भव शम्भुवाहू .................. शम्मु मुख शम्पुमूर्ति. शम्भू-....शर .......... शरद......... शरीर............
अंगार................ श्वेत श्वेत ज्योति
सिन्धुर.....
...... शिलि मुख..........., ५,६,७ शिव................. १०,११,३० शिव नेत्र....................३ शिव मागे...................३ शिव वदन ...... शिव सूली ...............१९ शिवाक्ष......................... शिशिर........................ शीतकर ................. शीतगु शीत दथि........------- शीतरशिम्... शीतापु ............... शीता ............... शुक्रदृष्टि............... शुक्र मेन शुक्राचिष....................१६
समासद समय समाय समास समिति समीर. समीरण..
स्तवक ... स्त रम. स्वीकला
...
...
...
.
.
५
३
घटक ......... षट्पद षोडश संयम. संयमभेद ... संस्कार ....... संक्रांति
सुधांशु. सुधाकुण्ड .. सुधांक सुधा रुचिकला ......... सुनासिर . सुपार्श्वफणि ............
हरिदेव....... हरिभुन. हरिवसु.. हव्यवाहन.. हस्त ........ हस्तागुंलि .........-- हस्ति हक्तिकर........ हिमकर.................
स्पर्श.. स्म र...... स्मरवाण.................
शवं.............
सम्पति ..... सम्प्रदाय... सरिकोष्ट.. सरिस्पति. सरोवर.... सर्व............................ ८ सर्वजित.....................२९ सलिलाकार ..................४ सविता ......................१२
शर्वरी ........ शबरीकान्त...................... शशधर........ शशमृत......................... शशांक शशि ........................१.१२ शशिकला ....................१६
१००
| शुभेतरा लेश्या.......
......
संघात...... सज्ञा .................४, १९ सदल....... सनकादि सन्ध्या , सपतन..... सप्त सप्तदश सप्त पर्व
सुर.............. ५.७.८.१६.३५ सुरगजरद.....................४ सुरपति ................. १४.१६ सुरभवन ....................१४ सुरभेद. सुस्लोक सुखक्षसुरालय सुरेश सूत्र... सूर.........
हिमज्योति हिमरुच.. हिरण्यरेता.
हुताशय ...... | हृदय कमल..........
होत......--
शेवधि ...... शेष-शीर्थ....... शैल..... श्रम. श्रमण धर्म श्रवण....
सहस किरण ...............१२ सहाश....................१२
21
| स्रोत स्विनी ............... १४
स्वप्न.......................१४ स्वर ..................५,६,७,८ स्वर्ग...............स्वर्ग व्रताग्नि ............... ५ स्वदण्ड ...................----- स्वाध्याय ....................' हय........................ ७,८ हरचक्षु........................
शिखर. शिखी शिनिकष्ट.................... ११
---.१७
सागर... सामवेद शाखा ......... १०००
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५८० - जैसलमेर तपागच्छ- भंडार की पुरानी सूची - परिशिष्ट - १०
परिशिष्ट १०: जैसलमेर तपागच्छ भंडार की पुरानी सूची वह सूचि ईसवी सन् १९८८ में सेवामंदिर-रावटी-जोधपुर-राजस्थान की ओर से जोहरीमलजी पारख द्वारा संपादित व प्रकाशित 'जैसलमेर (राजस्थान) हस्तलिखित ग्रंथोंका सूचिपत्र - द्वितीयखंड इस नामसे प्रकाशित सूचिपत्र में से उद्धृत है । सम्वत् १८६४ वर्ष शक १७४२ प्रवर्तमाने मिति भादरवा सुद ५ दिने सुरतितराम लिखते यां मुनि श्री गुलाब विजयना श्री चिंतामणि पाच प्रभोप्रसादात्
श्री जैसलमेर नगरे तपागच्छे उपासरारे भंडार री टीप छे डबो १ नंबूहीपफ्नति वृत्ति .........४५५ | डब्बा ४ बीगत कथाकोष (द्वितीय खण्ड)..१५० प्राकृत ..................... ५४४ कर्म प्रकृति वृत्ति ...........१७० चेत्यवन्दन बृहत गाचाराा सूत्र.............. ४९ चन्द्र पनति सूत्र ............... ५२ | उत्तराध्ययन वृत्ति.......... ४४५ | हव्या ६ री बीगत शत्रुजय महात्य
नाममाला सूत्र ............ ४०
वृत्ति भाष्य ................ आधाराङ्ग वृत्ति ............ २३३ सूर्य पन्नति वृत्ति ............ १६४ | श्राद्ध प्रतिक्रमण ............ २८६ | ऋषिमंडल वृत्ति............. १२० लघु (८८)...................८८ | नाममाला वृत्ति .............२४५ प्रवचन सारोद्धार ......... ९४ सूत्रकृताश वृत्ति .......... २१५ जंबूढोपपत्रति ................ १०० शांतिनाथ चरित्र लोक...... १५१ उपदेशमाला वृत्ति ............. २७ शत्रुञ्जय महात्म्य वृद्ध .... २१४ सारस्वत व्याकरण......... | वंदनक चूर्णि ................. २४ ठाणांग वृत्ति................ ३०४ प्रज्ञापना सूत्र ............... १५८ | | पदावली ...................... १८ दिनकृत्य वृत्ति ..............२८१ परिशिष्ट पर्व.................८६ | छंदानुशासन वृत्ति ............ ९४
मंदानुशासन वृत्ति
उपदेश माला..................२० ठाणांग सूत्र..................७४ जंबूद्वीपपत्रति .................८० कल्प-किरणावली........... १९५ ठाणाग वृत्ति ................ २८५
२८५ भवन भानु केवली चरित्र ... ३३ दर्शनसत्तरी टीका | दशवकालिक सूत्र ............ १० समवायाग वृत्ति ............ ६८ डब्बो ३ बीगत आवश्यक सूत्र ...............८६ यतिदिनचर्या वृत्ति............ ४० डल्या ८ री बीगत सत्तरिसयसद्वाण..............१७ उत्तराध्ययन नियुक्ति ......... १७ समवायाग सूत्र ............. ३४ कल्प सूत्र बारे सौ ..........१२८ यतिदिनचर्या सूत्र .............५०
अनवउच.................... कर्म प्रकृति सूत्र ...............११
आवश्यक प्रथम खंड
दशवकालिक अवचूरि .... ३४ ज्ञाताधर्म कथाग सूत्र .......९९
|शाताधर्मकांग............. १५४ वृंदारु वृत्त ...................६६ कर्म प्रकृति वृत्ति .......... १५५
(वृत्ति)...................... २०४ |
अंगचूलिया सूत्र...............२० पंचनिन्थ संग्रहणी अवधूरी .. ६ उपाशकदशाङ्ग सूत्र..........१६
गौतमपूछा ....................५७ श्रावक दिनचर्या सूत्र ........ १४ आवश्यक द्वितीय खंड | सूत्रकृताङ्ग वृत्ति .......... २४२
हब्बा १० री बीगत हेतु विभांगियावचूरो ...........१३ अंतकृत सूत्र ..................१६
मंडल विचार..................१६ श्रीपाल सूत्र ...........४६, ११८ पंचाशक वृत्ति.............. १४३
(वृत्ति)...................... २८२ | उत्तराध्ययन वृत्ति........... २७६ |
प्रश्मरति सूत्र ...................७ अनुत्तरोपपातिक सूत्र:........५
कल्प सूत्र बालबोध ........१०६ उत्तराध्ययन वृत्ति............३२३ नवपद प्रकरण .............. ११६
आवश्यक बृहदवृत्ति
श्राद्धविधि वृत्ति ............ १५५
श्राद्धविधि वृत्तिरह ........ २०४ प्रश्न व्याकरण सूत्र...........२७
इम्या ५री बीगत | उत्तराध्ययन सूत्र ............. ४१ पंचाशक सूत्र..................१६
(२२ सहस्री)............... ५६० विचारामृत संग्रह .............५६
आत्मकल्पदुम वृत्ति ......... ५८ विपाक सूत्र.................. २५
विशेषणवती ...................११ जीवसमास वृत्ति ............ १२८ |निशीथ सूत्र....................८ | डब्बा ७री बीगत
प्रतिक्रमण हेतु गर्भ...........
आवश्यक चूणि.............३९८ विपाक सूत्र वृत्ति ............१७
ललित विस्तरावृत्ति ........ सूर्य पति.....................७१
क्षेत्रसमास वृत्ति .............. २३ विशेषाविशेष लघु वृत्ति ... ४२५ निशीथ चूर्णि...............२७५ पांडव चरित्र.................२३३ दशवकालिक वृत्त .......... १३१ नंदीसूत्र......................... १४ मृगावती चरित्र ............... ५६
ललित विस्तरा पंजिका .....४५ निशीथ चूणि विशक ..........१२ गणधर सार्धशतक
डब्बा ११ री बीगत बाद जीतशल्प सूत्र......... ६० नंदीसूत्र वृत्ति ................ ११८ व्यवहारवृत्ति................ ३२७ नेमी चरित्र................... १०९
सटीक ....................... २४० प्रश्नोत्तर समुच्चय ........ निशीच सूत्र ...................! तर्क भाषा .................... २८ प्रश्न व्याकरण ..............१२८ | निशीथ भाष्य ...............१७२ उपमिति मव चरित्र
डब्बा ९री बीगत । अंबार प्रदीप........
ज्ञातां धर्म कांग वृत्ति ...... ५६ रबो २ बीगत शांतिनाथ चरित्र ..............५७ गृहत् कल्प
(प्रपंच कथा).............. २८६ श्राद्ध दिन कृत्य तिवृत्ति ....२८१ |
ओघनियुक्ति सूत्र ............. निरियावलिका सूत्र ...........२ राजप्रश्नीय सूत्र ............५५ योगशास्त्र वृत्ति .............१९७ वृत्ति खण्ड ४............. १००२ मलयसुन्दरी कथा ............ ३६
तिलोयपत्रति ............ उपदेश पद सूत्र ...............३१
ओपपातिक वृत्ति ......... जीवाभिगमं सूत्र ............. ९६ दशवकालिक वृत्ति .......... ५२ | बृहत् कल्प वृत्ति यूटक ... ३८५ श्री महावीर चरित्र
उपदेश पद वृत्ति ..........२४४
प्रतिक्रमण हेतु गर्भ ............१८ नंबूदीपपन्नति चूर्णि ....... प्रज्ञापना सूत्र ............... २८६ जीव समास .....................८ उत्तराध्ययन कथा ........... १६१
कर्म प्रकृति सूत्र ............. १४
आराधना पत्रिका पद्धति ....२४ चन्द्रपत्रति वृत्ति ............ १३१
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9.82825
जैसलमेर तपागच्छ भंडार की पुरानी सूची- परिशिष्ट १०-५८१ जीवाभिगम वृत्ति............१९७ पदार्थ संग्रह -
पंचलिंगी विवरण ........... १२० (चालावयोध).............. १७४ लोकनालि.......................२|हीरप्रश्न ...................... ३२ | पोथी २५ रायपषेणी वृत्ति
उपदेश माला............... २३५ पंचलिंगी लघुवृत्ति ........... ३५ सूत्रकृतांग वृत्ति ........... २७३ |आवश्यक सूत्र ...............७२ अनुयोगद्वार अटक ............३० षट्पुरुषी विचार .............२० (राजप्रश्नीय)................. ६८ ऋषभ महावीर चरियं......४०७ डब्बा १७ री बीगत नाममाला वृत्ति.. .............१९४ ओघनियुक्ति वृत्ति ........... ७४ | आवश्यक टिप्पनक .........८५ | षट्दर्शन ......................२२ राज प्रश्नीय सूत्र .............५५ रत्न प्रकरण .................१९८ विशेषावश्यक बृहदवृत्ति
क... र प्रकरण ......८ भक्त परिज्ञा.....................७ कर्म विपाक वृत्ति .............१६ राजप्रश्नीय सूत्र ................ पिंडविशुद्धि................... ३३ हरिविक्रम चारित्र ........... ३००
महिपाल चरित्र, प्रथम खंड...................३३०
.....६० भव वैराग्य .......
षष्ठी शतक ................... ११ प्रश्नव्याकरण वृत्ति ........ सूत्रकृतांग नियुक्ति .............२ पंचाशक सूत्र.................७७ विशेषावश्यक बृहदवृत्ति
ओपनियुक्ति सूत्र ............. २३ पाक्षिक
..... २३ पाक्षिक विचार ................१२ दसवैकालिक ................ २४ षष्टीशतक टीका .......... दशाश्रुत स्कं ध .................३ मेघदूत ................ द्वितीय खंड...............
ओधनियुक्ति वृत्ति ............२०९ ३२५ उपदेश शतक................ २५ उपाशकदशांग वृत्ति ..........३१
................
| कर्मसत्तरी. कुमारसंभव........ हब्बा १२ री बीगत
खंदक.. |पिंडनियुक्ति ............... षोडस सूत्र ....................१० सप्तति जिन स्तोत्र ..
जनशतक साधुकुल ...
षोडस वृत्ति.................. ४४ विचार पत्र. भवभावना वृत्ति.........
षड् आवश्यक ............... ४० हरिबल चरित्र आवश्यक टिप्पणक.........५७ हव्या १५ री बीगत
संघाचार वृत्ति ............... २०६
प्रश्नोत्तर रत्नमाला....... काव्य कल्पलता वृत्ति ....... ५४
उपदेशमाला बालावबोध .... २४ | डब्बा २२ री बीगत
| उपदेशमाला .............. भगवती सूत्र ................ ३९९
उत्तराध्ययन वृत्ति............ २६७ क्षेत्रसमास .. ................ मुपार्ध चरित्र ............... २२८
षट्स्थानक वृत्ति .... तत्वार्थ सूत्र ...........
कल्पसूत्र सोनेरी ............२७
सारंगसार काव्य ............. ४३ नवतत्व विवरण ....... प्रश्नोत्तर रत्नमाला..........१८३
डब्बा १९ री बीगत प्रज्ञापना टीका ............. ४५२
श्रीपालरास ...................
पदावली ....................... | ओघनियुक्ति .................. २८ तेजसार चोपई...............२५ उत्तराध्ययन सूत्र ............. ३५
विशेषणवती सूत्र ............. ११ डब्बा १६ री बीगत
आवश्यक नियुक्ति
डब्बा २३ री बीगत सम्यकत्वरत्न वृत्ति ......... ३१३
|श्रुकराज कथा.................११ दशवकालिक चूर्णि ........ १७५ यतिजीत कल्प सूत्र ........... ४ स्वर्णाक्षरी .................... ११७ प्रवचन सारोद्धार .............२६
दशवकालिक वृत्ति .......... २८ पंचसंग्रह.......................३३ आचारांग चूर्णि.............. २०९
यतिजीत कल्प वृत्ति......... ४६
डब्बा २०
करन्पान्तरवाच्य............... ३७ षडशीति ...................... ५१ कर्मग्रन्थावरि ...............२७ बृहतकल्प चूणि ............ ३२१ दर्शन सप्ततिका वृत्ति ...... १९९ टक पन्ने
उपासकदशांग................ ३८
उत्तराध्ययन टीका ...........४५ विवेक विलास ............... २२ बृहतकल्प भाष्य ............ २०१
श्राद्ध जीतकल्प सूत्र वृत्ति... ६०
डल्या २१ री बीगत ज्योतिषरा ................... ज्ञाता धर्म कथांग ............ दर्शन शुद्धि प्रकरण ............७ व्यवहार भाष्य ..............१५२ वसुदेव हिंडी प्रथम खण्ड. १६७
वाग्भटालंकार................ अनुयोगद्वार सूत्र.............. ३२
क्षेत्रसमास ............... नलायन चरित्र ..............१३२ दशाश्रुत स्कन्ध सूत्र .........४६ समाचारी (विधिप्रपा).........३०
अनुयोग वृत्ति ...............१५३ गणधर सूत्र.................
कोमुदिय............ | पत्रवणा वृत्ति................ २११ डब्बा १३ री बीगत दशाश्रुत स्कन्ध चूणि ........ ५६
पच्चकखाण भाष्य............१२ योगशास्त्र ..................
| सम्यक्त्व कौमुदी धर्म संग्रहणी वृत्ति ......... २७८
चउसरसा भगवती सूत्र ................ ३१२
.......................७ आदिनाथ देशना ...............५ औपपातिक वृत्ति .............५३
भाचारांग...........-- भगवती वृत्ति .............. ५०५
धर्मोपदेशमाला ............. १४३ पंचकल्प बृहत् भाष्य........७३
संस्तारक सूत्र ..................४ दशवकालिक सूत्र ......... योगशास्त्र बालावबोध ...... १२०
कुमारसंभव टीका ...........४२ पंचकल्प चूर्णि ...............७३ भगवती बीजक...............१२
पुष्पमाला मूल ................ १९ जंबू चरित्र .................. उपदेशमाला .......... ओघनियुक्ति भाष्य ...........६७ डब्बा १८ री बीगत
कालसत्तरी .....................२
...........२ डब्बा १४ री बीगत
कालाप व्याकरण ........... १६१
अनेकार्थ.......................३४ महानिशीथ सूत्र .............. ९६ शीलोपदेशमाला वृत्ति ...... १६० शीलोपदेश प्रकरण ............३
पोपकरण.......... रामकथा (सब ताडपत्रीय)
...................... २२ ऋषिमंडलसूत्रावचूरि ........ ५३ बृहत् कल्प सूत्र ...............९ महानिशीथ .................. २१५
पुष्पमाला वृत्ति .............. १२८ सप्तस्मरण .....................८ मृगांकलेखा चौपई ............ १९ दशवकालिक अवथरी ..... ३४ ज्योतिष करंडक टीका ..... १२२ आचासंग दीपिका
कर्मग्रन्थ यन्त्र .................१०ऋषि मण्डल ...................१३
४४
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-५८२ देवनागरी वर्णमाला को रोमन लिपि में लिखने की पद्धति परिशिष्ट ११
Description
VOWELS (स्वर)
Gutturalis Brevis...... Gutturalis Longa
Palatalis Brevis.
Palatalis Longa
Libialis Brevis
Libialis Longa..
Lingualis Brevis
Denalis Brevis
Gutturo-palatalis Longa..
Gutturo-palatalis Diphthongus.
Gutturo-Libialis Longa...
Gutturo Libialis Diphthongus
अनुस्वार
farerf
CONSONANTS (व्यंजन)
Gutturales Tenuis
Gutturales Tenuis aspirata.
Gutturales Media
.....................
-
('श्री जौहरीमलजी पारख के सूचीपत्र से उद्धृत) परिशिष्ट ११ : देवनागरी वर्णमाला को रोमन लिपि में लिखने की पद्धति
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Gutturales Media aspirata Gutturales Nasalis........
Gutturales Modifications Tenuis
Gutturales Modifications Tenuis aspirata.
Gutturales modifications Media
Gutturales Modifications Media aspirata. Gutturales Modifications Nasalis
Dentales Modificatiosn Tenuis
Dentales Modifications Tenuis aspirata. Dentales Modifications Media..
Dentales Modifications Media aspirata. Dentales Modifications Naslis...
Dentales Tenuis.
Dentales Tenuis aspirata Dentales Media.
Dentales Media aspirata..
Dentales Nasalis
Labialis Tenuis..........
Labialis Tenuis aspirata
१. विस्तृत जानकारी संकेत सूची से प्राप्त करें । २. दे० देवनागरी वर्ण ३. R रोमन वर्ण ।
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Labialis Media
Labialis Media aspirata...
Labialis Nasalis.
Semivocalis
Semivocalis
Semivocalis
Description
Spiritus lenis
Spiritus asper assibilatus.
Spiritus asper.....
Spiritus asper 1
Spiritus asper... क् + ष्
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अवग्रह
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परिशिष्ट १२ : विशिष्ट प्रतियाँ जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय तथा कागज के हस्तलिखित ज्ञानभंडार में विद्यमान विशिष्ट प्रतियोंकी | जानकारी पुण्यविजयजी के लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर द्वारा सन् १९७२ में प्रकाशित जैसलमेर सूधिपत्र में अमृतलाल भोजक ने लिखि प्रस्तावनासे उद्धृत करके हिंदी अनुवाद करके अक्षरशा दी जाती है।
"इसके अतिरिक्त जिसका अमुक दृष्टि से वैशिष्टय हो वैसी प्रतियों में से कितनीक उदाहरण दाखल यहां दी जाती है । (१) भगवतीसूत्रवृत्ति (जि.ता.ग्रंब्यांक १५) के पत्र अतीव सुकुमार है । (२) विक्रम संवत् १२०० में अजमेर का भंग हुआ था उस समय त्रुटित हुई पंचाशकप्रकरणवृत्ति
(जि.ता.ग्रंथांक २०८) को श्री स्थिरचंद्रगणिने त्रुटित भाग पुनः लिखके संपूर्ण किया था । इससे जान सकते है की वि.सं. १२०७ में अजमेर का भंग हुआ था, और उस समय जैन शानभंडार को भी हानि पहुंची थी । विक्रम संवत् १९८० में लिखी पाक्षिकसूत्र सवृत्तिक (जि.ता.ग्रंथांक) की प्रति थोडे ही समयमें दीमक (उघई) लगने से या फट जाने से कीसी कलाकार ने उसे सावधानी से सिलाई करके तैयार की है । विशिष्ट रूप से सिलाई की गई प्रतियों में यह प्रति मुल्यवान दर्शनीय नमुने स्वरुप है । पैत्यवंदनभाष्य (जि.ता,पंचांक २००) पर देवेन्द्रसूरि रचित संघाचारटीका की प्रति टिकाकार की स्वयं की ही है । विक्रम संवत् ११९० के कार्तिक शुदि १ को रचित धर्मविधिप्रकरण की वि.सं. ११९० के पौष शुदि तीज के दिन लिखि प्रति का ग्रंथांक जि.ता.२३६ है । श्री नामकी सेठानी ने लिखवाई भवभावनावृत्ति की प्रति उपद्रव से खंडित हो गई थी उसे उन्हींकी प्रपौत्रवधूने समारकाम करके पूर्ण की थी । (देखो पु.सू में पृष्ठ ८४-८५ श्लोक २५
२६) इस प्रतिका ग्रंथांक जि.ता. २३१ है । (७) सिद्धसाधुरचित न्यायावतारवृत्ति (ग्रंथांक जि.ता.३६४/) की टिप्पणीयाँ भानश्री नामकी साध्वीजी
महाराज ने की होगी ऐसा संभव है । प्रकरण-स्तोत्रादि के संग्रह रुप (जि.ता. ग्रंथांक १५४) वि.सं. १२१५ में लिखि प्रति शांतिमतिगणिनी की स्वाध्याय की पोथी थी, और सटीक पिंडविशुद्धिप्रकरण (जि.ता.थांक २१०) की प्रति प्रभावतिमहत्तरा की थी ।
विशिष्ट प्रतियाँ- परिशिष्ट १२-५८३ (९) कर्मप्रकृतिपूर्णि (जि.ता.ग्रंथांक १६९) की प्रति गच्छादि के दुराग्रह से या मालिकिहक्क के
व्यामोह से प्रेरित होकर ग्रंथ लिखवाने वाले की पूधिका मिटा देने के नमुने रुप है । (१०) जि.ता, ग्रंथांक २३२ मवमावनावृत्ति की प्रति नन्नी-नानी श्राविका ने वि.सं. १२४० में लिखवाई
और उसका व्याख्यान वि.सं. १२४०, १२४८ तथा १२५३ में 'पादरा' में करवाया था । इस ननी-नानी के बाद उनके सुकृत के लिये उनकी पुत्री जयती ने वि.सं. १२६५ में तिमिरपाटक में और वि.सं. १२८० में पंडित नेमिकुमार द्वारा इस ग्रंथ का व्याख्यान करवाया था । उसके बाद देवपत्तन से आकर जयती ने अभयकुमारगणि को यह ग्रंथ पादरा में समर्पित कीया । यह ग्रंथ नानी भाविकाने तीन बार पढ़वाया उसके बारे में नानी श्राविका की प्रशस्ति प्राकृत भाषा में है और उसकी पुत्री जयती की प्रशस्ति संस्कृतभाषा में है।
लिखवाये ग्रंथों के व्याख्यान की हकीकत और ग्रंथ पढवाने की एवं उनका संशोधन करने की हकीकतों के उदाहरण अन्देवकों को पू.सू.' में से मिल सकेंगे ।
इसके अतिरिक्त इस भंडार की १२ वे शतक से पंद्रहवे शतक तक में लिखि प्रतियाँ लिखवाने वालों की प्रशस्ति-पुष्पिकाओं में तत्तत्कालिय राजवंशो, राजाओं, महामात्यों, पंचकुलों, दंडनायकों, श्रमणों के गणों-शाखाओं-गच्छों-परंपराओं, जैनाचार्यों आदि जैन विद्वानों, जैन गृहस्थ, उनके कुल-वंश-गोत्र और अटकों, अजैन विद्वानों, प्राचीन ग्रंथों और गांव-नगर आदि के नाम मिलते हैं, जिनको उनके सत्ता समय और प्राचीनता के प्रामाणिक आधार स्वरुप स्वीकार कर सकते है। ये महत्त्वपूर्ण बहुत से नाम प.स.' के तीसरे परिशिष्ट में से देख सकेंगे (ऐतिहासिक आधार के लिये ये बहुत ही महत्त्वपूर्ण है)
प्रशस्ति-पुष्मिका में बताये हए जिनमंदिरनिर्माण आदि धर्मकत्य-एवं उक्त तीसरे परिशिष्ट पु.सु. में बताये हुए नामों में से कितनेक गाँव-नगर आदि के नाम वाचकों की जानकारी के लिये नीचे बताये जाते है । श्री जगडर श्रेष्ठी ने जैसलमेर में श्री पार्श्वनाथजिन का मंदिर बनवाया था । जिता. ग्रंथांक ११४, २१७, २७०, २७२ (विस्तृत जानकारी पु.सु) में से प्राप्त करे । श्री पञ्चदेव श्रेष्ठी ने नागपुरं (नागौर) के पास कुडिलुपुरीमें भव्य जिनालय बनवाया था देखो जि.ता.अथांक २१७ । वहाँ भगवान के नामवाला पन्ने का भाग टूट गया है । कुमारपल्ली (गुजरात-पाटण के पास कुणधेर) में श्री पार्थ नामके श्रेष्ठी ने श्री वीरजिन का
चतुर्मुख (चौमुखजी का) प्रासाद (मंदिर) बनवाया था । देखो जि.ता. ग्रंथांक २३५ ४) भीमपल्ली (भीलडी-बनासकांठा) में श्री भुवनपाल नाम के श्रेष्ठी ने मांडलिकनिहार नामका श्री १. पु. सु.- सन् १९७२ में LOINSTITUTE OF NDOLOGY, ANAMEDABAD द्वारा प्रकाशित JEASALMERCOLLECTION
सकलविता मुनिराज श्री पुण्यविजयजी महाराज,
Jain Educato International
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५८४ - विशिष्ट प्रतियाँ - परिशिष्ट १२
वीरजिन का उत्तुंग मंदिर बनवाया था । देखो जि.ता.ग्रंथांक २१७ उपरोक्त जैसलमेर के |
पार्श्वजिनमंदिर को बनवाने वाले श्री अगडूर शेठ के ये भुवनपाल शेठ पुत्र थे । (५) श्री गोल्ल नामके श्रेष्ठी ने मरुकोह में श्री चन्द्रप्रमजिन का उत्तुंग मंदिर बनवाया था ।
देखो जि.ता. ग्रंथांक ३१२ लवणखेट में श्री शान्तिनाथजिनमंदिर बनवाने की नोंध मिलती है । देखो जि.ता.ग्रंथांक ११२ और ११४ श्री ब्रहादेव नाम के श्रेष्ठी ने श्रीमंट (?) जिनेशमंदिर में श्री वीरदेवगृह करवाया था । देखो जि.ता. ग्रंथांक २३२ क्षेमंघर श्रेष्ठी ने अजमेर में श्री पार्श्वजिनमंदिर में भव्य मंडप बनवाया था । देखो जि.ता. ग्रंथांक ११२. २७० तथा २७२ । आवश्यकवृत्ति प्रथमखंड (जि.ता, ग्रंथांक ११२) लिखवाने वाले की प्रशस्ति में भीमदेव नाम के शेठ को कर्मग्रन्थविचार में अतिनिपुण और धर्मक्रियानिष्ठ बताये है ।
ये गये श्री उदयराज-बलिराज के दादा हाजी शेठ ने श्री जिनचंद्रसरि की आचार्यपदवी का महोत्सव कीया था । देखो जि.ता. ग्रंथांक ११९ ।।
इसके अतिरिक्त अनेक श्रेष्ठीयों ने तीर्थयात्रा-संघ, आवश्यक-पूजादिकार्य, उपधानतप, उजमणा.' साधर्मिकभक्ति आदि धर्मकार्योंकी नोंद भी इन प्रशस्तियों में की गई है।
ग्रंथ लिखवाने वालों की प्रशस्ति-पुष्पिकाओं में अणहिलपुर पतन, स्तम्भतीर्थ, भृगुकच्छ, धवलक्रांक (घोळका) वडउद (वडोदरा) आदि अनेक सुख्यात प्राचीन नगरों के नाम अनेक स्थानों पर मिलते है और उसके अतिरिक्त अन्य भी गांव नगरों के नाम मिलते है । उसमें से कितनेक नाम जिस संवत् में नोंदे गये है, वे संवत् के साथ बताता हूँ ।
कांसा, सं.१२६० (जि.ता, ग्रंथांक २३३) अणहिलपुर पत्तन के विषयपथक में आया हुआ गांव, जो आज भी कासा नाम से ही पहचाना जाता है ।
कुमारपल्ली, सं, १२०७ - आज से लगभग पांचसौ सालके पहले के रचित रास आदि में जो कुमरगिरि नाम का गांव उल्लिखित हुआ है वही यह कुमारपल्ली होगा ऐसा लगता है । आज यह गांव पाटण (गुजरात) से पांच मील दूर आया हुआ है और वह कुणघेर नाम से पहचाना जाता है । कुमारपाल के नाम की स्मृति स्थायी करने के लिये यह गांव बसा था । इ.स. १२०० में यह प्रति (जि.ता. ग्रंथांक २३५) लिखवाने वाले के पिता ने कुमारपल्ली में श्री बीरजिन का चतुर्मुखप्रासाद बनवाया था. इससे जान सकते है की, कुमारपाल के राज्य के प्रारंभ में ही यह गांव बसा था । । कुमारपाल का राज्यारोह वि.सं. ११९९ वे में हुआ था ।
पालउद्र, सं.१२२७ महेसाणा (उ.गु.) के पास का पालोदर गांव । इस गांव को विषयदंडराज्य'। पथक में बताया है । देखो जि.ता. ग्रंथांक २३७
कटुकासन, सं. १२२७ - महेसाणा --विरमगाम के रेलमार्ग पर आया हुआ कटोसण | देखो जि.ता.ग्रंथांक २३७
बदरसिद्धस्थान, चतुरोत्तरमंडलकरणमध्यस्थित सं १३३९ चरोतर प्रदेश में आया हुआ बोरसद । देखो जिता, प्र.२१०
आशापल्ली, आशावल्ली - सं. १२२३ -अमदावाद के पास असारवां । देखो जि.ता. अं.२१७ पद्रउर, पद्र, पद्रगाम, - सं. १२४० वडोदरा के पास पादरा । देखो जिता. ग्रं.२३२ ऊमता, सं. ११९८ विसनगर (उ.गु.) के पास ऊमता । देखो जिता. गं.४०६ वासप्पय, वासव - सं, १२४० वडोदरा के पास चासद । देखो जिता, अं.२३२ मंडली- सं. १२१८ और १२२६ वीरमगाम के पास मांडल । देखो जिता. अं.७६ और ३०१ गंभूयपुरी सं. १२१६ गांभू (उत्तर गुजरात) जिता. ग्रं.२५९ पंचासर' सं. १२१६ मांडल के पास पंचासर जिताग्रं.२५९ संडथल सं.१२१६ जिता ग्रं.२५९ चड्ढावली सं. १२१६ जिता.ग्रं.२५९ . छत्तावल्लिपुरी, सं. ११२५ जिता. ग्रं. २३५ छत्रापल्ली . सं.१३०४ जिता. पं. २५६ मूलनारायणदेवीयमठ, सं. १२०० जिता.प्र.३९१ शेरिंडक, सं. १२२३ जि.ता.अं.२१७ धारापुरी, सं. १२९५ जि.ता.नं.२८१ नलकच्छपुर, सं.१२९५ जि.ता..२८१ मण्डपदुर्ग, सं.१२९५ जि.ता.अं.२८१. सं १३०८. जिता.अं.२८६
बाहुपुर - मठस्थानक, सं.१३८४ जि .का.पं.१९७९ . मडाहड, सं, १२१३ जिता.अं.१५५/८
उपरोक्त उदाहरण रुप बताये गये गांव-नगरों में से जो नाम लेखक की प्रशस्तियों में से है उनमें से बहुत से नाम गुजरात के है । उससे और खंभात निवासी परीख धरणाशाह एवं उदयराजबलिराज के ग्रंथो को देखकर यह कहा जा सकता है की जैसलमेर के प्रस्तत ताडपत्रीय ज्ञानभंडार के स्थापक आचार्यप्रवर का उपासकवर्ग गुजरात में विपल प्रमाण में था और वह धर्मशील, समृद्ध
१ थी६.ये छह भाम ग्रंथकार की प्रशस्ति में से लिखे है ।
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विशिष्ट प्रतियाँ - परिशिष्ट १२ - ५८५ और दानी था । ग्रंथ लिखने वाले लेखक (लहियों) के भी नाम मिलते है । उन लेखकों में मुनिओ. | (२) उपरोक्त महण श्रेष्ठीने वि.सं. १३०४ में लिखि मुनिसुव्रतस्वामिचरित्र की प्रति (जिता.अं.२५६) को श्रावकों और ब्राह्मणों के नाम भी शामिल है । इन गृहस्थ लेखकों ने अपने गांव के नाम इस वि.सं. १३४३ में मुल्य से खरीदकर श्री जिनचन्द्रसूरिजी को समर्पित की थी । तरह बताये है : स्तंभतीर्थ, अणहिल्लपुरपतन, मंडली-मांडल, कांसा, पलोदर, ऊमता और मुडहटा । | (३) 'आना' नामके श्रेष्ठीने वि.सं. १३७८ में श्री जिनकुशलसूरिजी के उपदेश से नैषध महाकाव्य | उन में एक लेखकने 'स्वयं भव्य अक्षर से भवभावनावृत्ति (जिता.पं.२३३) का पुस्तक लिखा' ऐसा की प्रति (जिता.ग्रं.३४१) खरीदी थी । बता के और एक लेखक ने स्वयं के लिये 'विविध लिपि का जानकार' (जिता.प्र.४०८) ऐसा पिशेषण | (४) विक्रम के १४ वे शतक में पिण्डविशुद्धिप्रकरण सटीक की प्रति को (जिता.पं.२०५) वि.सं. १३९४ देकर अपना अपना विशेष परिचय भी दीया है ।
में सेलु नाम के श्रेष्ठी ने खरीदकर श्री जिनपनासूरिजी को समर्पित की थी । पुरातत्त्वाचार्य मुनि श्री जिनविजयजी आदि द्वारा प्राचीन-प्राचीनतम ग्रंथोंको लिखवाने वालों की । (५) समवायांगसूत्र और समवायांगवृत्ति की प्रति (जि.ता.प्र.५) को राउला नाम के श्रेष्ठी ने वि.सं. प्रशस्ति-पुत्रिकायें अलग मुद्रित ग्रंथरुप प्रकाशित हुई है । इससे भी अनेक प्रकार से अधिक उपयुक्त १४०१ में मूल्य से खरीदकर श्री जिनचंद्रसूरिजी को समर्पित की थी । प्राचीनतम सामग्री ग्रंथकारों की प्रशस्तियों में सुरक्षित है. यदि उसका संग्रह करके एक या अधिक (६) वि.सं. १२७४ में लिखि भगवतीसूत्र की प्रति (जि.ता.अं.१५) को सुसाउ नामके श्रेष्ठी ने वि.सं. गंध रुप में प्रकाशित किया जाय तो अभ्यासी एवं जिज्ञासुओं को अनेक ऐतिहासिक और धर्मकार्यों १४०५ में श्री जिनपद्मसूरिजी के उपदेश से छुडवाई । इससे ज्ञात होता है की यह प्रति गीरो की उपयुक्त सामग्री उसमें से प्राप्त हो सके । अस्तु ।
रखी थी । भाग्यवान दानी श्रेष्ठीयों ने अपने अपने श्रद्धेय गुरुवयों के उपदेश से लिखवाई प्रतियों की (७) वि.सं. १२९५ में लिखि प्रवचनसारोद्धार सटीक की प्रति (जिता.पं.२०६) को खंभातनिवासी बल्लाल अव्यवस्था भी कभी कभी होती थी । जिसके कारण यह पोथीयां पैसा लेकर बेचनेवाली व्यक्तियों नाम के श्रेष्ठी ने वि.सं. १८८४ में मूल्य से खरीदी थी । के हाथ में भी जाती थी । प्रस्तुत भंडार की कितनीक प्रतियां के अन्त में मुल्य देकर लेने में (८) विक्रम के चौदहवे शतक में गोपी नाम की श्राविकाने उपदेशमालाबृहद्वृत्ति की प्रति को मूल्य आयी हुई प्रति के रुप में उल्लेख मिलते है ।
से खरीदकर श्री जिनेश्वरसूरिजी को समर्पित की थी । (जिता ग्रं.२३०) जैसे -
(९) वि.सं. १३३९ में लिखि आदिनाथचरित्र की प्रति (जिता ग्रं.२५०) को जावड नाम के श्रेष्ठी ने (१) वि.सं. १३१९ में लिखवाई हुई त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र के प्रथम और दशम पर्व की प्रतिको खरीदकर खरतरगका को समर्पित की थी ।
(जिता..२३९) वि.सं. १३४३ में महण नाम के श्रेष्ठी ने (?) मूल्य से लेकर श्री जिनधन्द्रसूरिजी उपरोक्त प्रतियों की खरीदनोंद में जिससे खरीदा गया है उसका नाम बताया नहीं गया है । इससे को समर्पित की थी ।
खरीदनेवाला गृहस्थ एवं उसकी प्रेरणा देनेवाले धर्मगुरु की महानुभावता (गंभीरता) प्रगट होती।
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.........२१६९
५८६ - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३
परिशिष्ट १३ : हस्तलिखित ग्रंथगत ऐतिहासिक विशेष नामों की अकारादि क्रम से सूची इस परिशिष्ट में जैसलमेर स्थित जिनभा शानद्वार के ताडपत्रीय तथा कागज की हस्तलिखित प्रतिळमें लिखे कर्ता लेखक आदि की पुषिका-प्रशस्ति पंथ, मादि में लिखे गये ऐतिहासिक नार्मोकी सूचि पृ.सु. में. से उद्धृत करके दी जाती है । यह नाम किस ग्रंथ में आते है वह जानने के लिए पु.सु. के आधार से नाम के सामने ग्रंथांक दीया है । प्रशस्ति पुस्तिका आदि में विशिष्ट नाम कहाँ आता है उसकी विस्तृत जानाकारी जिज्ञासु वर्ग पु.सु. में से प्राप्त कर लें. । (पु.सु. - सन् १९७२ में आ. प्र. श्री पुण्यविजयमहाराज द्वारा संपादित लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद-९, द्वारा प्रकाशित, "CATALOGUE OF SANSKRIT A PRAKRIT MANUSCRIPTS, JESALMER COLLECTION से उद्धृत) विशेषनाम किम् ___ ग्रंथांक विशेषनाम किम्
ग्रंथांक विशेषनाम किम्
ग्रंथांक अणहिल्लपाटक .......... नगर
.............. जि.ता.२३७,४०६
......... ............................. जि.ता.२७०/१,२७०/२,२७२, अकबर .................... पातीसाह .......................... जि.ता.४५०,४६९ अणहिल्ल पुर .............. नगर
............................ जि.ता.३४०,३५१,३८१/२,४१९, अकंपित.................... गणधर.............
mmmmm ...............जि.ता.२७२ अणहिल्लपुरपट्टण......... नगर
...................जि.ता.२८७
..... जि.ता.४२६,जि.का.८५,जि.का.७१५, अक्षयतृतीया .............. तिथि .................... ......जि.का.१७५९ अणहिल्लपुरपत्तन..........
......जि.का.१२५,जि.का.१६२९,त.ता.८ अग्निभूति ............... गणधर................ ...जि.ता.२७२ | अणहिल्लवाड.............
जि.ता.२५९ | अभयप्रभगणि ....................................................... जि.का.८२७ अचल................. गणधर ............... ...... जि.तिा.२७२ अणहिल्लवाङपुरपट्टण ....
... जि.ता.२५२ अभयराजगणि,
.......जि.का.१८४० अच्युत.. ................. देवलोक ..........जि.ता.२५२ अध्यारु................
जि.का.१८२३ | अभयश्री ...................श्रेष्ठिनी.
श्रेष्टिनी.................................... जि.ता.१५ अजमेर .................
नगर .............. जि.ता.१५६/३७ अनंग ......................श्रेष्ठी .................थाहरु.का.२९२ | अभयसिंह .................श्रेष्ठी
............................... जि.ता.२३६ अजयपुर................... नगर ..........., ....................... जि.ता.२१७ अनीश्वर ...............
................ जि.ता.२८,५०अभयी..................... श्रेष्ठी
1 0...............श्रष्ठा .... ....................जि.ता.२७०/५ अजयमेरुदुर्ग .............. नगर ...............................नि.ता.२९४,३३७ अनुपमदेवी ............ श्रेष्ठीनी. ............................ जि.ता. २३९/२ |अभिधानकोष .............ग्रंथ .......................................जि.ता.३१२ अजयमेरु पुर............. नगर ...............नि.ता.११२,२०८,२७०/४,२७२ | अनुपमादेवी ............... श्रेष्ठीनी ...................................जि.ता.२३१ अभिषेक ...................................
जि.ता.५० अजितनाथ ............... तीर्थकर .............. जि.ता.२५०,३६१,३४८,११३६ | अनेकार्थसंग्रह ............. ग्रंथ ................. ..................... जि.ता.३१० अमरकीर्ति ................ मुनि,
जि.ता.३४० अजितसेन.................. राजा ......... ............... जि.ता.२५२ अनोपचंद्र .................. लेखकमुनि ...............................जि.ता.१२३ अमरगिरि गणि........... लेखकमुनि
जि.का.८५६ अजीमगंज.................
नगर ............. ...............नि.का.१९७२ अभय ...................... श्रेष्ठी ................... जि.ता.२७०/५,जि.ता.२७२ | अमरचंद्र ................... मुनि ...........
जि.ता.२२२ अजेसीह ................................. नि.ता.२३६ अभयकुमार पं. ......... मुनि....................... जि.ता.१६४,जि.ता.१७६, अमरनंदि उपाध्याय.........................
जि.का.२९५ अणल्हपुर ................. .. जि.का.३०,५१ .........नि.ता.२३२,जि.ता.२५२ अमरप्रभसूरि...
.जि.का.३१७ अणहलपुरपत्तन ............ नगर .............. .......... नि.का.३ अभयकुमार ............... ............... जि.ता.२३७ अमरमाणिक्यगणि
जि.का.१६२२ अणहिल................... ..... जि.ता.२३७ अभयचंद्र .................. ......... जि.ता.१५,जि.ता.२१७ अमरसिंह .................. ग्रंथकार ...
.जि.ता.३१० अणहिलपाटक ............ नगर .............. जि.ता.२२/५.५९/१,२३३,२३५, | अभयड. ...............
........ जि.ता.२५६ अमरा ...................... श्रेष्ठिनी.
.जि.ता.४२६ ..................... २६०/२,२७९,३२२,४०८,तता.८ अभयतिलक गणि...
जि.ता.२३०,जि.ता.३४० अमीझरा पार्श्वनाथ...
.........जि.का.४५८ अणहिल्लनगर ............ नगर ..................................... जि.ता.२३७ | अभयदेवसूरि .......................................नि.ता.१५१/५,१५७/५,२०९, अमृतदेवी.................. श्रेष्ठिनी ........................... जि.ता.२३९/२ अणहिल्ल पण ........... नगर .................................. जि.ता.२२/१०/..........
.. २११,२३५,२३७,२५६,२६०/१, अमृतधर्मगणि ........
... गोत्र,
नगर ..........
श्रेष्ठी
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श्रेष्ठी
अमृतपाल अमृतमूर्ति
FREE
आम्र
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
नगर .......
श्रेष्ठी
विशेष नामों की सूची- परिशिष्ट १३ -५८७ विशेषनाम किम् ग्रंथांक | विशेषनाम
ग्रंथांक| विशेषनाम किम्
ग्रंथांक ........ जि.ता.२३९/२|अंबड....
...................... जि.ता.२३०,जि.ता.२५६ आम्रदेव ... लेखकमुनि ........................... जि.ता.२१४/१ मुनि.. ..... जि.ता.२८१ अंबहुंडी.......
.....................जि ...नि.ता.१९
जि.का.८४/१/२,४०७/२ .ता.स
आम्रदेवसूरि ........... अम्मुक श्रेष्ठी .. .जि.ता.२३७ अंबा ........... .......................नि.ता.२५९,जि.का.८५ | आम्रवीर ..
श्रेष्ठी
.जि.ता.२५६ अरसिंह श्रेष्ठी.. जि.ता.२३६
जि.ता.२३२ अरिसिंह श्रेष्ठी.. ...जि.ता.२०६ आकाश मंत्री ........ ........................ जि.का.६० आम्रसीह .................. श्रेष्ठी
जि.ता.२३६,२५६ अरिष्टनेमि तीर्थकर. ...... जि.ता.२६० आगरा .......... ................. जि.का.१९४४ आनेश्वर .....
जि.ता.२३६,२५६ अर्जुनदेव . सजा ................. ......जि.ता.२५४ आचवाटिक ...............
.................जि.का.१३६५ आरज्या..
जि.का.७२९ अर्जुनपुर.............. ............................जि.का.१५३२ आजड ..................
.... जि.ता.१५ आराधनामाला..............
जि.ता.२३५,२३७ अर्णोराज . राजा ..................................... जि.ता.३६२ आणंद जोषी ............. लेखक ................... जि.ता.२३७,जि.का.१०८६ | आरासण .................. तीर्थ.......
.जि.ता.४२६ अर्बुदगिरि....... .. तीर्थ.............. जि.ता.२५९,जि.का.२१७५,तता.८ आणंदविमलसूरि ................................................... जि.का.१३७७ आर्यभद्रगुप्त ............... स्थविर आचार्य ............
.....तता .८ अलकपुर.................. नगर ......... .........................जि.ता.११७ आदित्यवर्धनपुर................... ..............................जि.का.१७९८ आर्यमनक.. स्थविर आचार्य ....... ......जि.ता.८५ अलकापुरी ................ नगरी ....................................जि.का.१६२९ मादिनाथ .................. तीर्थकर ................. जि.का.४००,८२७,त.ता.२ | आर्यमहागिरि .............. स्थविर आचार्य .....
..तता.८ अलवेसर................... श्रेष्ठिनी................................ जि.का.१३६९ आनंदनंदनगणि.................. .........................जि.का.१५३६ आर्यमंगु................... स्थविर आचार्य.
.....त.ता.८ अल्ह...................... श्रीष्ठ ................................. जि.ता.२२/१०
आनंद मन्त्री ......................................... ......................... जि.ता.२३५,जि.ता.२५९
..त.ता.८ जि.ता.१२
आर्यरक्षितसूरि ............. स्थविर आचार्य ..... अवलेपचिन्ह आचार्य ... ग्रन्थकार..........................जि.ता.३१४/३/४ आनंदमूत्ति ................ लेखकमुनि ....................... जि.का.१३२६/१९ आर्यसंभूत ................. स्थविरआचार्य ........
.त.ता.८ अवंकउर .................. नगर ................................ जि.का.१३१६/३ आनंद ..................... श्रेष्ठी ... जि.ता.८४/१/२,जि.ता.२३२,जि.ता.२३५ | आर्यसुहस्ति ............... स्थविर आचार्य ............... -त.ता.८ अविधवदेवी. .............श्रेष्ठिनी.
जि.ता.२३२ आना
श्रेष्ठी .................................... जि.ता.३४१ | आलापुर................... नगर ......................... जि.का.१३२६/१५/१९ अव्ययात्मा आचार्य
.जि.ता.३८८/१ आफर पातसाह
........................... जि.का.२१६९ | आल्हाक ..................श्रेष्ठी ................. ...जि.ता.२३९/२ अशोकचंद्र ................ मुनि....
जि.ता.२७२ आभड
श्रेष्ठी .................................... लो.ता.३/८ | आल्ही ..................... श्रेष्टिनी .......... ..............जि.ता.४२६ अश्वतर. ग्रन्थकार जि.ता.३१४/४ आमचंद्र श्रेष्ठी ...................जि.ता.२३९,जि.ता.२३९/२, आशाधर ................... श्रेष्ठी ................
.जि.ता.४०३/४ अश्वदेव श्रेष्ठी जि.ता.२३७
............जि.ता.२५६,जि.ता.४०७/२ | आशापल्ली ............... नगर ....................जि.ता.२१७,जि.ता.२७९/२ अश्वराज........... श्रेष्ठी जि.ता.३४१ आमण.
श्रेष्ठी
जि.ता.२५६ आशापाल ................. श्रेष्ठी .....................................जि.ता.३१२ असाढ ...................... श्रेष्ठी
जि.ता.२७२ आमणाग.
श्रेष्ठी
जि.ता.२३६ आशामती .................श्रेष्ठिनी ..............................जि.ता.४०३/४, अहमद... ... पादशाह ............. ...जि.का.३९ आमंधर
श्रेष्ठी
जि.ता.२३० आशावल्लीपुरी............ नगर ..................................... जि.ता.२५२ अहिपुर .................... नगर ...
.जि.का.८१० आमाक श्रेष्ठी
जि.ता.२३२ आशक .................... श्रेष्ठी .......................जि.ता.२३२,जि.ता.२३६ अंकक.......................शाखा ................................. ..जि.ता.४२६ आमी
श्रेष्ठीनी.
जि.ता.२३६ आसदेव ................... श्रेष्ठी ...........जि.ता.७६,जि.ता.२३६,जि.ता.३०१ अंचल..................... गच्छ ................................... जि.का.१८३३ | आम्रकुमार................. श्रेष्ठी.
जि.ता.२३६ आसनाग .................. ...........................नि.ता.२८,जि.ता.५० अंचलमत .....................
......................... जि.ता.२८४/२|आम्रदत्त ...................श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३६ आसराज...................श्रेष्ठी ................ जि.ता.२३९/२,जि.का.१४५०
श्रेष्ठी
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५८८ विशेष नामों की सूची परिशिष्ट १३
-
विशेषनाम आसी
किम् लेखक मंत्री
आसादित्यमहामात्य. . लेखक ठक्कुर
श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी
आसासाह
आसाही संघवाणी
आसिग
आसुरि..
आसुला.
आहड
आहडसर आह्लादनसिंह
आंचलिक .............
उग्रसेन.
उच्चानगरी.
उज्जयंत तीर्थ
उनल
उत्तरायन
उदयकर्ण
उदयचंद्र
उदयन
श्रेष्ठी
महर्षि
ईटायी..
ईश्वर.. ईश्वरकृष्ममहर्षि
ईश्वरसाडु ईश्वरसूरि.
ईसमाईलखान देशकोट नगर
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
नगर
श्रेष्ठी
मत
नगर
श्रेष्ठी
लेखक श्रेष्ठी
नगर
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
वाचक
बिहार.
उ
ग्रंथांक विशेषनाम जि.ता.८९/१, जि.का. १६ उदयनंद गणि .जि.ता.३५७/१/२, जि.ता.८८ उदयनंदसूरि . जि. ता. १८३,जि.का.१०८ उदयमती .जि.का. १४५० उदयराज. .जि.ता.३१२
.जि. ता. ३९३ उदयश्री
.जि.ता.२७२ उदयसंघ पं.
.जि.ता.३४० उदयसिंह जि.का. १९४४ उदयसिंह
.जि. ता. ४०३/३ उद्दा .जि.का. १८४०
उद्धार ... उद्भट जि.का. ४०० उद्यमनक .जि.ता.२८,जि.ता. ५०, जि. ता. २३६ उद्यापन: .जि.ता.३९३ उद्योतनसूरि. .जि. ता. २८ .जि.का. १३९८ उपकेशपुर. जि.का. ४४८ उपकेश
उपधानतप
जि.ता.३४७/१ उपाध्याय .जि.ता.४२६
.जि. ता. १५, जि. ता. १७७/२.
जि.ता. ४२६. त.ता.८ उलूक. .जि.ता.३१/२ उसभदत्त .जि.का. १८२३ सहजिणेसर.
.जि.का. १३५२
.जि.का. १७६९ ऊकेश.
.जि. ता. २७९ / २
ऊकेश.
किम्
ग्रंथांक | विशेषनाम .जि.का.८६९ ऊकेशपुर.. जि.का. ५९७ ऊकेशपुरीय ..जि. ता. २३१ ऊकेश.
....... जि. ता. ३७, जि. ता. ८८/२, जि.ता.९०/३, . जि. ता. १०४/१, जि. ता. ११९ .जि. ता. २८, जि. ता. ५० .जि.का. १०८, थारुशा. का. ६४ जि.ता.३४० श्रेष्ठी ....... जि. ता. १८३, जि.का. ८५०, जि.का.१०८६ ऊदयश्री .जि.ता. ४१५/११ ऊदल.. .जि. ता. २३१ ऊदा जि.ता.३१७ ऊमता .जि. ता. २३१
श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी
मुनि
राजा
ग्रंथकार.
त.ता.८ ऋषभदेव जि. ता. २७२,जि.ता.३८७/२, ऋषभभवन
नगर
.. जि. ता. ४२६, जि.का. ८५, जि.का. ७१५, त.ता.८ ऋषभवीरस्तव. जि. ता. २१७ ऋषिगुप्त क्षमाश्रमण जि. ता. ११४, जि. ता. १७७ ऋषिमुनीन्द्र जि. ता. २३१
. वंश
तपः
..जि. ता. १४९, जि. ता. ३४०, जि.का. ५०६, ओसवाल जि.का. १०६७, जि.का. १५८१, जि.का. १५८७, थाहरुशा. का. ६४ औरंगाबाद .जि.ता. ३९४ औष्ट्रिकमत .जि.ता. ४२६
जि. ता. २५९ कठतिग कठल...
.जि. ता. २२८ ककीआ राउल .जि.का. १५५८ ककुदसूरि.
महर्षि श्रेष्ठी
, चैत्य
गच्छ
शाति
ऊ
किम्
नगर
गच्छ वंश
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
. श्रेष्ठी ग्राम.
. तीर्थकर, चैत्य
स्थविर
शाति
नगर
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
लेखक
ग्रंथांक .जि. ता. २५२ जि.ता. १९५
.जि.ता.१९/६. जि. ता. २८, जि. ता. ५०, .जि. ता. ११२, जि. ता. १५७/५, जि. ता.१९५, . जि. ता. २१७, जि. ता. २२५, जि. ता. २३०, जि. ता. २७०/४, जि. ता. २७२, जि. ता. २८३, .जि.ता.३४०, जि. ता. ४२६,जि.का.८५, .जि.का. ९५५, जि.का. २१६६. त.ता.८ जि. ता. २१७ जि. ता. २१७, जि. ता. २३६
..लो.ता.८ .जि.ता. ४०६
जि. ता. २३६, जि. ता. २५२
.जि. ता. २५९ जि.का. १५८७ ...जि.ता.८५
.जि.ता.३९१
जि.का. २१६९
जि.का. ७१५
.जि. ता. २७९
जि.ता. ४२६
.त.ता.८
.जि.का. २०४४ .जि. ता. २२८
.
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________________
नगर
श्रेची
नगर
श्रेष्ठी मुनि,
विशेष नामों की सूची- परिशिष्ट १३-५८९ , विशेषनाम
ग्रंथांक विशेषनाम किम्
ग्रंथांक विशेषनाम किम्
ग्रंथांक कटुकासन..
जि.ता.२३७ कर्कसूरि ...................
मुनि. जि.ता.१९५,जि.ता.२५२ कान्ह ....
महामात्य...... ................मि.ता.२५० कथाकोश................. .ता.२७०/२ कर्णदेव ....... राजा
..............जि.ता.२५९ कान्ह .............. श्रेष्ठी ................ .....जि.ता.४२६ कथारत्नकोश............. जि.ता.२३० कर्णपुर................. जि.का.७१५,७७३ काम (देव).............. श्रेष्ठी
नि.का.१२७९ कनककीत्ति पं. ........ जि.का.१६७३ कर्पटवाणिज्य ........
जि.का.७०२ कायस्थ .ज्ञाति
.जि.का.२४८ कनकचंद्र .................. जि.ता.२८१ कर्पूरदेवी................... श्रेष्ठिनी
जि.ता.१५ कारु सं..................
.जि.का.१४५३ कनकप्रभ.................. जि.ता.२५२ कर्पूरी ...................... श्रेष्ठिनी
जि.ता.४२६ कालक ....................
श्रेष्ठी
...जि.ता.२५६ कनकप्रियगणि ............ मुनि .................. जि.का.१७५९ कर्मग्रंथप्रकरण ............ ग्रंथ ........
जि.ता.२७२ कालू....................................
...जि.का.२१७५ कनकसार .................लेखक मुनि.................... .जि.का.१४८३ कर्मग्रंथविचार ............. ग्रंथ .......
.जि.ता.११२ काव्यतीर्थ ................. पदवी .......
......... जि.का.८५. कनकसोम पं. ........... मुनि. ..जि.का.१६२१ कर्मचंद पं....................................
जि.का.१०८ कासहदीय ......... पसलदार................ गच्छ
...........जि.का.१७७/२ कनौज जि.का.१९४४ कर्मण ठ.........................
..जि.ता.४२६ |कांसा..
ग्राम..
... जि.ता.२३३ कन्हाई. श्रेष्ठिनी ..............जि.का.१३५२,जि.का.१३६५ | कर्मवाटी... ...........................जि.का.१२३१,१३६३,१७३५ | किरता ........
....नि.ता.७६ कपरिका (?) ........ .................. जि.ता.२३७ कर्मसार पं. .............. मुनि ....................................जि.का.१४८३ | किसना ................
...जि.का.१४८३ ................... लेखक ..................................... जि.ता.१९ | कर्मसिंह,
ता.७५ काका......................श्रेष्ठी
........ जि.ता.७६,जि.ता.२३१ कपर्दि. ...................... श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३० कलसभवमइंद ............ स्थविर आचार्य ...................... जि.ता.८५/२ कीतिकलशगणि ......
.....................जि.ता.२७२ कपिल ..................... महर्षि ....................... जि.ता.३९१,जि.ता.३९३ | कल्याणकमल पं......... जि.ता.६८/२
कोलिसागरसूरि ......... ..............................जि.का.२४८ कमलकलशसूरि ....... ................ जि.का.५९२ | कल्याणचंद्रगणि........
........................जि.का.४ | कीर्तिरत्नसूरी......... ....................... जि.का.४.१४७०,१९४६ कमलमंदिरणि ........... लेखक मुनि .....................जि.का.१७२-४०३ कल्याणजी ................ राजा ................... .जि.का.३७० कीर्तिसुंदरमुनि ......
..जि.ता.३४० कमलरत्नगणि............. मुनि...........................जि.का.१७४६,२०४९ कल्याणदास राउल ...... राजा ...................जि.का.१०८ थाहरु.का.२८९ कोहट ..................... श्रेष्ठी
...जि.ता.४२६ कमलराजगणि............. मुनि ...................................... जि.ता.४२६ | कल्याणविजयवाचक ..........
............जि.का.१७१८ कुडिलूपुरी ................. नगर ......
जि.ता.२१७ कमलसंयम उपाध्याय ... मुनि .....................मि.ता.६८/२,जि.का.९४४ कल्याणसमुदसूरि .................
..............नि.का.१८३३ कुतबपुर ................... नगर ..............
जि.का.८२७ कमलसिंहगणि ............ मुनि ...................मि.का.१७४६,जि.का.२०४९ | कल्ल टभट्ट..................
..................जि.ता.३३१ कुभमेरगढ................. नगर ............................ .नि.का.८६९ कमलसुंदर................. मुनि .....................................जि.का.४५८ कल्लाणयपंच .............
जि.ता.२५० कुमरपाल ................... राजा ...............................थाहरुशा.का.६४ कमलसूरि ................. मुनि...................................... जि.ता.२३६ | कसरूपजी पं.............
.जि.का.१७६९ कुमरपाल .................. ..............जि.ता.२८,जि.ता.५०,जि.ता.५० कमलादे श्रेष्ठिनी ............................... जि.का.१३७७ कंबल.......................
............... जि.ता.३१४/४ कुमरसिंह मंत्री ........... श्रेष्ठी ................... जि.ता.२३९/२,जि.ता.२७१ कमलोदयगणि .......... लेखक मुनि............ जि.का.१०८,जि.का.१३६३, कंबोज .. ...................कु ल ...........
.. जि.का.९२५ कुमरसिंह उ.............. लेखक ........ जि.ता.८३/१,जि.ता.९१,जि.ता.१२४ ....................... चारुशा.का.६४ कातंत्रभूषण-न्यास ........ ग्रंथ
...जि.ता.८८ कुमरसिंह .................. श्रेष्ठी ............जि.ता.२८,जि.ता.५०,जि.ता.२०६ करमचंद. ..................मुनि..................................चारुशा .का.६४ | कात्यायन..................
........ जि.ता.३१४/४ कुमरिका................... श्रेष्ठिनी .................................. जि.ता.२१७ करेणुगत............................................................... जि.ता.२५९ | कानजी ................ लेखक. ................................. जि.का.४०९ |कुमारपल्ली ............... नगर ..................................... जि.ता.२३५
कपर्द
श्रेष्ठी
ग्रंथकार .............."
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________________
केली...................
श्रेष्ठी
.....
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
गोत्र................"
५९० - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ विशेषनाम
प्रयांक|विशेषनाम किम्
पंचांक | विशेषनाम किम्
ग्रंथांक कुमारपाल................. राजा ...................... जि.ता.२३७,जि.ता.२५९. केली...........
.......जि.ता.७६ खरतरगच्छ .........................................जि.ता.३,जि.ता.७,जि.ता.१६.. .जि.ता.२७१,जि.ता.३२२, केल्हण .........
... जि.ता.२३२
जि.ता.९,जि.ता.११. जि.ता.२४, ....................... जि.ता.३६१,जि.का.१०८,जि.का.२२८, केरल्हणदेवी श्रेष्टिनी
...........जि.ता.२३९/२
जि.ता.२५,२६,२९,३०,३४/४,३६.३७. ......................लो.ता.८ केल्हा ............
.जि.का.१९४६
४७,४९,५२,५३,५४,५८,६०,६१/१, कुमारपाल ................. श्रेष्ठी ........................जि.ला.५०,जि.ता.२२५ कोचर............
......... नि.का.८५,१३६९
६२,६३,६४,८८/२,८९/१,९०/३,९४, कुमारविहार.... ........जि.ता.३६१ कोटिक..........
..... जि.ता.११९
९५,९७,९९,१०४,१०५,११०,१११/कुमारिल......... ......... दार्शनिक............ ......... जि.ता.३८७/२ कोटिक ........ शाखा .................................. जि.का.४४८
११९,१२२,१२३,१४७/१८,१४८,१४९,१५६/३७. कुलचंद्र......... श्रेष्ठी ................ .जि.ता.२३०,जि.ता.३१२ कोटीगण .................... जि.ता.८५/२,जि.ता.२५९,
१६८,१८३,१९२,२०९,२५०,२८७. श्रेष्ठी .....जि.ता.२३०,जि.ता.२७०/५.नि.ता.३४० .................... जि.ता.२६७,जि.ता.२७२,नि.ता.४१९
३१५,३४०,३६४/५,त.ता.७,जि.का.३४ जि.का.३६, कुलप्रभसूरि ...............................................नि.ता.४०३/१,त.ता.२ कोला ................. श्रेष्ठी
....त.ता.८
जि.का.३९,जि.का.४०,४५,४६,४७,५१,५५.५६. कुलमंडन .................. मुनि ......................................जि.का.३१७ कोल्हण ................... श्रेष्ठी .............................जि.ता.२२८
५८,६०,६१,६२,६५,७४,८५.१८५.१८९, कुशलकल्याण पं. ....... लेखक मुनि .......................... जि.का.१९७२ | कोकण .................... देश ..
....... ...................... जि.ता.३२९
२२८.२३७,२३९,२४६,२४७,२४९,२५२,३८६, कशली....................श्रेष्ठिनी.......................................त.ता.८ कोशांबी ................... नगरी..................................... जि.ता.३५१
४००,४०९,४३१,६६१,७०६,७१२,८३१, कुसिकस .................. गोत्र .................................... जि.का.१८६६ क्षमाकल्याणगणि....................................जि.का.१४९५,१५७३,२२३९
८७१,९४४,९९४,१०६२,१०६७,१२३१, कुंअरी ..................... श्रेष्ठिनी .........................जि.ता.४२०,त.ता.८ क्षमाप्रमोदजी उपा० ...... लेखक मुनि ........... जि.ता.४०९,जि.का.२१६६,
२३५२,१३६५,१३६९,१४५०,१४५२, कुंडधर..................... यक्ष.........................................जि.ता.११
.......................................२१६७/२
१४५३,१५३४,१५३६.१६६५,१६७३,१६७८, कुंप.............. ..................जि.ता.४२६ क्षमामूर्ति.
.........जि.का.४६७
१७४६,१७५०.१७५४,१७५९,जि.का.१९७२,त.ता.८ कुंभकर्णविजय ...............नि.का.१६६५ क्षमारत्न .............
.जि.का.२३८ खरतर गण........................जि.ता.७७/२,जि.ता.२८४/२,जि.ता.४२६, कंवरजी जोषी. लेखक जि.का.१०८६ क्षमासुंदर उपा० ............
.जि.का.१८९
..............जि.का.१८५,१८९,थारुशा.का.६४,२८९ कुंवरपाल ........ श्रेष्ठी .................जि.का.१२७९ क्षेमकलश पं............. लेखक मुनि
..जि.का.८३१ खरतरविधिपक्ष . ...........................नि.का.१०८,थारुशा. का.६४,२८९ श्रेष्ठिनी ................... जि.ता.२५६ क्षेमकीर्ति .................. मुनि. ..................................जि.का.१७५९ खरतर वेगडगच्छ
....... जि.का.२३९,२४७,२७२, श्रेच्छिनी ................. जि.का.१०८६ | क्षेमसिंह श्रेष्ठी ...................... जि.ता.२१७,जि.ता.३४०
३७०,३७१,३७४,४२३,४६४, कृच्चकल्लाग...... ......................जि.ता.२६७ क्षेमधर ..................... श्रेष्ठी ...................... जि.ता.११२,जि.ता.१
५४७.५४८,७०६,८०६,८५०,८६३, कृपाचंद्रसूरि .. ..............जि.का.८४ जि.का.१०८ ............. जि.ता.२१७,नि.ता.२७०/४,नि.ता.२७२
१०१५,११०८,११३६,१६७३,२१६९ कृपारसकोश .............. ग्रंथ ................................... जि.का.१५८७
खारहत.
श्रेष्ठी .....
....................थाहरुशा.का.२८९ कृष्ण ............. ....... गच्छ ...................................जि.का.१४९२ खयर....................... श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३६ खंभात ....................
....................... जि.ता.२५० कृष्णर्षि महेश ........... गच्छ ................... .................जि.का.१७९२ खयरोड.....................ग्राम......................................जि.ता.२०७खाती ...................... गोत्र...................................जि.का.१४७८ कलिका ...................श्रेष्ठिनी .................................. जि.ता.२३६
खानपुर....................ग्राम....................................जि .का.९५५
श्रेष्ठी
राजा
......नगर.
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अष्ठी
श्रेष्ठी
विशेष नामों की सूची- परिशिष्ट १३ -५९१ विशेषनाम ग्रंथांक | विशेषनाम प्रयांक विशेषनाम
ग्रंथांक खीमसिंह .................. श्रेष्ठी .............जि.ता.२३६,२५६,२७०/४,२७२ गुणदेवी.................... श्रेष्ठिनी
.............. जि.ता.२०९ गूर्जरवाल .. शाति.
................................... जि.ता,२०७ खकचंचलि................. महर्षि .................................... जि.ता.३९० गुणधर ......
............जि.ता.३४० गूर्जर, ..... श्रेष्ठी ..................जि.ता.३,११४,१९२,३६४/५ ......................जि.ता.२३६,जि.का.२४८ गुणपाल ...................
....लो.ता.८ गोईद.......
.....................................त.ता.८. खेतसिंह ................... श्रेष्ठी ..जि.ता.२३६,जि.ता.३४६/७,जि.का.१२७९ गुणप्रभसूरि ...................................... जि.ता.२७५,जि.ता.२८४/२ गोगी ....................... श्रेच्छिनी ............................... जि.ता.२८.५० खेतसी ............. श्रेष्ठी ................................... जि.का.८०६ गुणभद्रसूरि ..............................................................नि.ता.७६ गोडि पार्श्वनाथ ...... ............................जि.का.११०८,१७५९,१९६९ ग्राम....................................जि.का.१८४० गुपमती .................... श्रेष्ठिनी ..................................... जि.ता.१५ गोपोचल. ....... संस्थान................................
...जि.का.८६९ खोपन.................
...जि.ता.२५६ गुणरत्ना टोका ........... ग्रंथ ..................................... जि.का.३७० गोपाल ..................... लेखक ................................जि.का.१३७७ खोतू ................ श्रेचिनी................................जि.का.१२७९. गुणराज पं०......................................जि.का.१०८,थाहरुशा.का.६४ गोभद्र ...................... श्रेष्ठी ........
...जि.ता.२७०/१ गुणराज .................... मंत्री ............................ जि.का.१३५२,१३६५ गोभी .................
मा..................श्रेष्टिनी.
... नि.ता.२३० गइपालदेव................. राजा .............. ...जि.का.१४८० गुणराज .................... श्रेष्ठी ..........................जि.का.१०८६,२१७५ गोरधन ............. श्रेष्ठी
........ जि.ता.२३५ गग्ग य...................... श्रेष्ठी ................................ ... जि.ता.२५२ गुणवल्लभ पं०.................... ................... जि.ता.३०२ गोरा ..................... .... श्रेष्ठी .................................. जि.का.१३६९ गजराज गणि........ ....................जि.का.१३६५ गुणविनय उपाध्याय ..................... ....................जि.का.१०८ गोलवत्या .................. गोत्र..
............... जि.का.२१६६ गजसिंह.................... राजा ...................................जि.का.१८३७ गुणशेखरसूरि ................... ................... जि.का.९२५,१७९८ गोल्ल ...................... श्रेष्ठी
...................................जि.ता.३१२ गजू ........................ श्रेष्ठी ....................................जि.ता.४२६ | गुणसमुद्र .................. लेखक मुनि.....................जि.का.४०३,४४७ गोल्हण ................ ..श्रेष्ठी , .....................जि.ता.२५६ गणदेव................. श्रेष्ठी ...................... जि.ता.११४ जि.ता.४२६ गुणसमुद्राचार्य ............
...................... थाहरु.का.२९२ गोविंदचंद्र .................. राना .....................................जि.ता.३४८ गणेश्वर .................... श्रेष्ठी ...................................जि.का.५५४ गुणसागर पं. ................... ....................................जि.का.४५८ गोविंद ..................... श्रेष्ठी .........................जि.का.१२७९त.ता.८ गर्ग... महर्षि ....... ............ जि.ता.३९३
गुणसूरि .................
................................................... जि.ता.१५१/२९ गोव्यंद ..................... अध्यारु-लेखक ....................... जि.का.१८२३ श्रेष्ठिनी. ...............जि.ता.२०६
........... पंडित ................................... जि.का.२४८ गोसाल ................... ...............................लो.ता.८/४ मुनि..
.............जि.का.१३९८ गुर्जर .. ......श्रेष्ठी ..................... जि.ता.२४/४,२५/४,२६ गोतम ...................... गणधर .................... जि.ता.२३६,जि.ता.२५०, गंगादेवी. श्रेष्ठिनी ............. जि.का.१०८६ गुर्जर देश ...................................... जि.ता.२७०
.......................... जि.ता.२७२,जि.का.४००,५६२,८२७ गंधहस्ती कवि ........... ग्रंथकार .. ........... जि.ता.३१४/४ गूजर
श्रेष्ठी,.............जि.ता.१/३,७/२,११,१६,२४/४, " MALAY . ४ प्रामाध्य क्ष..................पद...........
...........................जि.ता.२३१ गंधार बंदर ......... ..... नगर .. ................जि.का.२०६८
..................... २५/४,२६,३४/४,४९,५२,५३, ग्बालेर ..................... देश .... गांगदेव .................... श्रेष्ठी .........................जि.ता.२५६,जि.का.९०
.......................५४,६०,६२,६३,६४,८९,९५, गांभपरी..................... नगर
............जि.ता.२५१ ..................................९७.९९,११०,१११,१२२. घडमल्ल..........................
...............जि.का.१२३१ गुजर ........................ श्रेष्ठी ... जि.ता.२४/४,२५/४,२६,जि.ता.३४/४,
................ १४७/१८,१४८,१४९,३१५ प्रतघटीपुरी ................ नगरी.
..जिका.९२५ ......................जि.ता.२१/५ गूर्जर ................................. जि.ता.१६८ घृतलंभनिका .............. प्राभृत.
..............जि.का.१३६५ गुणचंद्र गणि.......................... .........................जि.ता.२३५
......................जि.ता.२७९/२,३४०,३५१ प्रणचंद्र .................... श्रेष्ठी ................................... जि.ता.४०४ गूर्जर ....................... वंश ................................. जि.ता.२५६ ।
गुणीया .........
"
शाति
गूर्जर .............
देश
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________________
किम्
श्रेष्ठी.
५९२ - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ विशेषनाम किम्
ग्रंथांक | विशेषनाम किम् पंचांक | विशेषनाम
ग्रंथांक चामुंड......................राजा .............................
श्रेष्ठी ................. जि.ता.२०६,२१७,२३६,२५६ चक्रपालमट्ट....................... ...जि.ता.३१४/४ | चामुंडी..................... देवी.............
.जि.का.८५ जगदेविका
श्रेष्ठिनी..............................जि.ता.४०३/४ चक्रेश्वर ............... श्रेष्ठी... ...जि.ता.२३७ चारित्रसिंहगणि .......
जि.ता.२०९ जगडर. .. श्रेष्ठी ............. जि.ता.११४,२१७,२७०/४,२७२ चक्रेश्वरसूरि.. ..... जि.ता.२३१,३४०,४०३/१ चारित्रसुंदरी ................ साध्वी
जि.ता.११४ जगधर .. .. श्रेष्ठी.. ................. ...जि.ता.२७२ चट्ठावल्लिपुर .............. नगर ..................................... जि.ता.२५९ चारित्रोदयगणि...
..जि.का.१७५० जगपाल
श्रेष्ठी .. .............जि.ता.४२६,जि.का.१३५२ चतुरंगदे.................... श्रेष्ठिनी. .............................. जि.का.१३६९ चाहड पं........ लेखक ............................. जि.ता.१७७/२ जगमतगणिनी .. साध्वी ............................. जि.ता.२२५ चतुर्मासी ............................................ जि.का.१७३५,१७९५,२०४९ |चाहिणिदेवी.... श्रेच्छिनी. ........................ जि.ता.११९ जगमाल
श्रेष्ठी ...................... जि.ता.४२६,त.ता.८ चतुर्मुखधरणविहार ........ चैत्य ...................... जि.का.८२७,जि.ता.२३५ | चाहिणी ........ श्रेष्ठिनी .................... जि.ता.२३६,२५६,३४० जगसिंह,
....... जि.ता.२१७,२३६,३४६/७ चगाई ............. श्रेष्ठिनी.......................................त.ता.८ चाही...... श्रेष्ठिनी ............................. जि.ता.४१५/११ जजमल संघपति. ....... श्रेष्ठी.
..........जि.का.१४५० चंड ठ.................... लेखक ...................................जि.ता.२०७|चांदु.......
श्रेष्ठिनी ........................जि.ता.२३१ जज्जणाग, ....... श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३५ चंडप्रसाद................... लेखक............................... जि.ता.१७१/११ चांपलदे..
श्रेष्ठिनी.....................जि.का.१०८,था.का.६४ जज्ज य..................... श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३५ चंडसिंह ....................श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२०६ चापला................. श्रेष्ठिनी.............................जि.ता.२०६,२५६ जनादर्न .................... व्यास .................................. जि.का.१२२९ चंदन.......................श्रेष्ठी ................................ जि.ता.१५७/५ चापसी .....................श्रष्ठी ................................... जि.का.८५० जनाश्रय पं....................................................... जि.ता.३१४/५ चद्र........................शाखा ....................................जि.ता.२३२ चाप........................श्रेष्ठी .....................................जि.ता.१८३ जयचंदसार................................
................................................ जि.का.५९७ चंद्रकुल.......................... ..जि.का.८५,४४८,जि.ता.३१,८४/१/२, चित्कोश.....................................................जि.का.१७१८,२१७५ जयतक....................श्रेष्ठी .....................................जि.ता.२३१
११२,११९,२२२,२३०,२३७,२५०,२५२, चित्रकुटदुर्ग ................ नगर ..............जि.ता.२२/१०,१७७/२,३४६/७ | २५६,२५९,२६७,२७०/१/२,२७२,२८९, चित्रपट ....................
.जि.ता.२५९ जयतसिंह
श्रेष्ठी ........................ जि.ता.२३६,३४१ __३४०,३६९.४२६,त.ता.४,त.ता.८ चलुग ...................... कुल
जि.ता.२५९ जयतिपाल ...... श्रेष्ठी
...जि.ता.३१२ चंद्रगच्छ . .... जि.ता.१४७/८,२३६,२७०/१,लो.ता.४ चैत्यनिवासी.
.नि.का.८५ जयति...
.. जि.ता.२३२ चंद्रप्रभप्रासाद.............. चैत्य. ........................ जि.ता.३१२ चैत्यवंदनमीमांसा .......... ग्रन्थ
जि.ता.२५२ जयतुग्निदेव ............... राजा .......................... जि.ता.१७७/२ चंद्रप्रभ..................... अष्ठा .................. श्रेष्ठी ....................................जि.ता.२६४
जयदेव.. ......... साधु कवि............... जि.ता.३१४/५,३४० चंद्रप्रभसूरि.. .........................जि.ता.२१७,४०३/१ छज्जल .................... श्रेष्ठी ................... जि.ता.३४१ जयदेवसूरि...
....जि.ता.२३१ चंद्रसूरि .........................................जि.का.१७९८,जि.ता.२०५,२५९, बहुक ......................
.....................जि.ता.२३५ जयदेवी. ................. श्रेष्ठिनी ...
...जि.ता.११२ ................३८१/२,४०६ छत्रापल्ली ................. ....................... लि.ता.२३२,२३५,२५६ जयनिधानगणि ..............................जि.का.१३८५,१७४६,१७४९,२०४९ ............. श्रेष्ठिनी. ............................जि.ता.४२६ छाजहह.................... ................................ जि.का.८५० नयवर्मदेव .............. राजा......
..जि.ता.२८६ चंद्रिका .................... श्रेष्ठिनी. ..................................त.ता.८ | छाहड ...................... श्रेष्ठी .............................. जि.ता.३४६/७ जयशीलगणि.............. मुनि.................... चंपाई ......................श्रेष्ठिनी ........................जि.का.१३६५,त.ता.८
जपशीलमेरु पुर............ जेसलमेरनगर............................. जि.का.८५ चाचाकराण................ महामात्य ................................ जि.ता.२३३ | जइतसी.................... श्रेष्ठी .. .................... जि.का.८५ जयश्री ..................... श्रेष्ठिनी .................................. जि.ता.२३२
श्रेष्ठी
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नगर ........ नगर ..... नगर ..........
नगर ...
विशेष नामों की सूची- परिशिष्ट १३-५९३ विशेषनाम ग्रंघांक विशेषनाम किम् ग्रंथांक विशेषनाम किम्
ग्रंथांक जयसमुद्रसूरि .......... ......................... ..." जि.ता.२७५ जाल्योधर................ गच्छ .................................जि.ता.७६,३०१
१२९१.१३६०,१४८३,१४९१,१६२१, जयसागर उपाध्याय,
.जि.ता.१/३ जाल्हणदेवी
श्रेष्टिनी ...........-- ..जि.ता.४०३/१
१७३५,१७५४,१७६९,१७९५,१९७२, जयसिरि ................... श्रेष्टिनी. जि.ता.२३२ जावड...................... श्रेष्ठी ........
.जि.ता.२५०
२०४९,२१६१,२२३९,१२७५,त.ता.८,था.का.२८९ जयसेनमुनि ......................... जि.ता.२२५ जावालदुर्ग............... ....जि.का.१३८५ जिनदत्तगणि,
......... जि.ता.२३५ जयसेनसूरि .................................. ................ जि.ता.४०३/१/२/३
जावालपुर .............. ..जि.का.३१७ जिनदत्तसूरि..
..जि.ता.३१/२,६७,८५,११२, जयसोम उपाध्याय.................... ....................... जि.का.१०८ जावालिपत्तन ............
१५६/३०/३१/३७,२०८,२३१,२७०/१, जयसिंघदेव ................ राजा ............................... जि.ता.१३१,२६४ | जाचालिपुर..............
...... जि.ता.३४०
२७०/२,२७२,२७९/२,२८१,२८९, जयसिंघसूरि ... ..........................जि.का.३७४ जासला.................. श्रेष्ठिनी...........................
३१२,३४०,३४७/६,३५१,४२०,जि.का.८५,२२८, जयसिंह.................... राजा ......................... जि.ता.११९.१५६/३७, जांबू ठ...................श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३५
२४९,४४८,७१५.९४४,१२३१,६.पे.नं.१०,त.ता.८.था.का.२९२ ................................ २१७,२५०,२५२,२५९,४०६ जिनकुशलसूरि ............................ जि.ता.२८,३१,५०,६८/२,३४१,४२६, जिनदत्तसूरिशिष्या .......
..................... जि.ता.१५४/१९ | जयसिंहसूरि .......................................जि.ता.६५,२२२,२३१.२६०/१,
जि.का.८५.१०८,४४८,७१५,१०१५, जिनदासगणि महत्तर............ .....................................................द.पे.न.९.९.त.ता.२,लो.३/८
१७४६,१७५९ त.ता.८,था.का.६४ जिनदास ...................श्रेष्ठी .............................जि.ता.४७/२,४८ जयसुंदर ................... मुनि ......................................नि.ता.३४० जिनगुणप्रभसूरि................ .....जि.का.१७२,२३९,२७२,३५२, जिनदेव .................... श्रेष्ठी .............. जि.ता.१५,२८,३४/२,१५०/१० जयस्तंभविहार............. प्रासाद ...................................जि.ता.२७२
३५३,३७०,४०३,४०९,४२३,४३१, जिनदेवसूरि...
......................... जि.का.८७१ जयानंदसूरि.................................................... जि.का.४६७,९९४
४४७,४४८,४६४,५४८,७१५,८०६, जिनदेवी ................... श्रेष्ठिनी .............................. जि.ता.१५,२०९ जयेन्दुक-जयचंद .......... राना ...................... ...... नि.का.७१५
८५०,१०१५ जिनधर्मसूरि ..
...जि.का.१७२,१८९,२२८,२३७,२३९: जल्हण पंडित ............ लेखक ... ................. जि.ता.२८१ जिनयंद..
.जि.ता.१५
२४६,२४७,२४९,२७२.३५२,३५३, जसदेव.... ........... जि.ता.१५१/२२ जिनचंद्रसूरि .................... ..जि.ता.९/२,२८,३१/२,५०,६८/२,११२,११९,
३८६,४०९,४२३,४५८,४६४,४६७, जसमाई..................... श्रेष्टिनी....... ....... जि.का.२१७५,त.ता.८
१४१/४.१६८,२११.२१७,२३५.
६६१,७१५,९९४,१०१५,१२३४. जससोम.................... लेखक-मुनि ..........................जि.का.१७५९
२३७,२३९/२.२५६,२५९.२७०/१,२७०/२, जिनपतिसूरि ..
जि.ता.१९/६,२२/१०,२८,३१. जसोधर. .................. लेखक-मुनि ........................नि.ता.२११
२७२,२७९/२,२८१,२८७,२८९,३०३/२.
५०,११२.११४,२९७,२२५,२३० जहांगीरसाहि .............. पातिशाह .. ........................ जि.का.१३६९
३१२,३४०,३४७/६,३५१,४०४,४२६ जि.का.२७,
२७०/१,२७०/२,२७०/४,२७२,२७९/२,२८१, जंगल...................... देश ....................जि.का.१०८६,१६७८
५५.८५.१०८,१८९,२३७,२३९,२४६,२४७,२४९,
२८३,२८९,३१२,३३१,३४०,३५१, जंबूस्वामि .......................................जि.ता.२३५,२५९,२७२,त.ता.८
२५२,२७२,३५२,३५३,३७०,३७१,३७४,३८६,
४२६,जि.का.८५,४४८,७१५,१०१५. जागूसा..................... ग्राम....... ................. जि.का.२५२
४००,४०९,४२३,४३९,४४८,४५०,४५८,
१३००/२,१२७५/१,त.ता.८ जामुणाग .................. श्रेष्ठी ...................... जि.ता.२७२
४६४,६६१,६७३,७०६,७१२,७१५,७६२,८०६, जिनपद्मसूरि ........ .............. जि.ता.९/२,१५,७६,२०५,४२६, जालियर.................... गच्छ ............................. जि.ता.२५९
८१०,८६३,९९४,१०१५,१२३१,१२७८,
.....................जि.का.८५,त.ता.८
Page #642
--------------------------------------------------------------------------
________________
५९४ विशेष नामों की सूची परिशिष्ट १३
विशेषनाम
जिनपाल. जिनप्रबोधसूरि
जिनप्रभसूरि..
जिनबंधुर..
जिनभक्त जिनभद्रसूरि
जिनमतसाधु.
जिनमती जिनमाणिक्यसूरि
जिनमेरु सूरि
जिनयुगल जिनरक्षितसूरि
जिनरत्नसूरि
जिनराजसूरि
-
किम्
श्रेष्ठी
मुनि.
. श्रेष्ठी
ग्रंथांक | विशेषनाम
जि. ता. २७२
जि.ता.३१/२,५०,३५१.
. ४०४, ४२६, जि.का. ८५. स. ता.८
जि. ता. २८४ / २, जि.का. २४८
जि.ता.५९/१/२
.जि. ता. ३१/२ जिनलब्धिसूरि . जि. ता. १/३,३,७/२,११,१६,२४/४, जिनलाभसूरि २५/४,२६,२९/२,३०,३४/४, ३५, ३७, जिनवल्लभसूरि ४७/२,४९,५२,५३,५४,६०/ २,६२,६३,६४,
७७/२,८८/२,८९/१,९०/३,९४/२,
१५,९७,९९, १०४ / १,१०५, ११०,१११, ११९,
१२२,१२३/२,१४७/१८, १४८, १४९, १९२, २३७, जिनशासनपातसाह. २५६, २७२,३१५,३६४/५, ४०३ / ४,४२६, जिनशेखरसूरि
जि.का. ७, २२, २४, २५, २६, २८, ३४, ३६, ४७,५५,
५६, ६०, ६१, ६२, ६५, ७०४,८५,१०८, ७२१, १०६७,
१५३२, १६६५, त.ता. ८, था. का. ६४
लेखक-मुनि श्रेष्ठिनी
जि.ता. ३०२ / २ जिनसमुद्रसूरि.. .जि. ता. १५
जि. ता. १४९/४, जि.का. ८५, १०८, ४३१, ४५०,७२१, १५३६, १७५४ था. का. ६४ जिनसिंहसूरि. .जि.का. १७२, १८५,२३९, २७२, जिनसुंदरसूरि ३५२,३५३,३७०, ४०९, ४२३, ४५८, जिनसेनगणि ४६४, ६६१, ७१५, २१६९ जिनहर्षसूरि. . त. ता. २ जिनहंससूरि. जि.ता.५९/२
जि. ता. २७०/२,२७२,३४०,३५१ जिनागर. .जि.ता.७/२,११,१६,२४/४,२४/४, ३७, जिनेश्वरसूरि.
किम्
गणि
बिरुद
श्रेष्ठी
ग्रंथांक विशेषनाम ४७/२, ४९, ५४,६०/२, ६३, ७७/२,८३/३,८९/१,९०/३,९५,९७,९९, १०४. ११०, १११, ११९.१२२, १२३/२, १४८, ३१५, ३६४/५,४२६,जि.का. ५५, ८५,१३६९, त.ता.८ जि.ता. ४२६, जि.का.८५, त.ता.८ .जि.का. २१६६/१
.जि.का. ११२,१५६/३१,१७७/२, २३५, जिनोदयसूरि २७०/१,२७०/२,२७२,२७९/ २,२८९, ३४०, ३५१, ४२६.जि.का. ८५, ७१५, ९४४, जिल्हण. १६२१. त.ता.८ जीरापल्ली .जि.का. १०८ जीर्णागमोद्धारिणीसंस्था .जि.का. १७२, १८९,२२८, २३९, २४७, जीर्णोद्धार.. २४९,२५२, २७५,३५२, ३५३,३७०, जीवणजी
३७४, ४०९, ४२३, ४५८, ४६४, जीवणी ४६७, ६६१, ७१५, १२३१,२१६९ जीवंद , जि.ता.६८/२.जि.का. ८५, जीवंदही ३४८, ४००, ४०९, ४३२, ४५८, जीवा. ७१५, जि.का. १०१५, ११३६, १४९१ जीव. .जि.का. ८५,१०८, ४५०, ७१२, १३६९, था, ३ जेठमल व्यास ....जि.का. ४००, ४०९ जेल्लक... ....जि.का. १९४६ जेसलपुरी. .जि.का. ५७४ जेसलमेरकोट्ट .जि.का.१३,८५,१०६२,१३५२, जेसलमेरदुर्ग.
१३६५, १४०२, १४०५, १५३६
.जि. ता. २३० जेसलमेरनगर. .जि. ता. २८, ३१/२,५०,११२, ११७/२, २११,
किम्
श्रेष्ठी
तीर्थ.
ग्रंथांक २१७, २२५,२३०, २३५, २३७, २५०, २५६, २७०/१,२७०/२,२७२, २८१, २८९,३४०,३५१. ४२६, जि.का.८५,१७२,१८९,२२८,२३९, २४६,२४७,२४९,२५२,२७२,३५२, ३५३, ३७०, ३७४, ४०९, ४२३, ४३१, ४४८, ४६४, ४६७,५५४.६६१, ७१५,८०६, • ९९४,१०१५, १२३१,२१६९, त.ता.८ जि. ता. ११९, १८३,४२६, .जि.का.८५, ४०९, १६७३, त.ता.८ जि. ता. २२८ जि.का. २१७५, त.ता.८ .जि.का.८४
लेखक
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
पंडित
श्रेष्ठी
नगर
नगर नगर
नगर
.जि. ता. २३१.जि.का. १०८ .जि.का. १८४३
त.ता.८ .जि.ता. ४२६
.जि.ता.३१/२
.जि.का. २९५
.जि.ता. ४२६
.जि.का.८५
जि. ता. २०९
जि. ता. २७०/४, २७२ जि.का. १०८ .जि.का. १०८, १४९५, २१६६, , जि. ता. २७०/१,२७० / २ ...जि.ता.३४०, जि.का. २७,७४, . १०८, १२७८, १५३६, २१७५, २२०८
.
Page #643
--------------------------------------------------------------------------
________________
विशेषनाम
जेसलमेरपत्तन
जेसलमेरभंडार.
जेसलमेरदुर्ग.
जेसलमेरुइंग, जेसलमेरु नगर..
किम्
नगर
नगर
नगर ... नगर
जेसलमेरुपत्तने जिनपार्श्वमन्दिरं जेसलमेरु महादुर्ग..
नगर
जेसलमेरु सत्क ज्ञानकोश.
जेसल..
जैत्रकर्ण,
जैत्रसिंह ठक्कुर जैन्शास्वोद्धार
जैनेन्द्रव्याकरण
श्रेष्ठी
राजा
जैमिनि.
जैवातृक
जोधपुर
जोषी.
ज्ञानकोश
ज्ञानचंद्र ज्ञानतिलकगणि प्रथमादर्शलेखक
ज्ञानभांडागार
ज्ञानमंदिरगणि लेखक मुनि
ऋषि
ऋषि
नगर
गोत्र
मुनि
ग्रंथांक | विशेषनाम .जि.का.८१ ज्ञानमेरु पं. .जि.का. २१७५ ज्ञानवर्धनमणि .जि.का.१३,८५. था. का. २८९ ज्ञानश्री साध्वी .जि.का. २२३९ ज्ञानसागर. .जि. ता. ११४, जि.का. १७२,३७१,४३१, ज्ञानोदय
४४७, ४५८, ४६७,५४७,७०६,८५०. १३६३, १४८३, १७६९,२२०८ था. का. २८९ जि. ता. २१७ .जि.ता. ४२६, जि.का.१०८, २२८. २३७, २४६, २४७, २४९,३८६, १६९१ .जि.का.८५ जि.ता.१९/६, २३०, २३६, ४२६, त. ता. २ .जि.का. १३ .जि.ता.४०३/१ जि. ता. १७७/२ जि. ता. ३६९ .जि.ता. ४१३/२ .जि.का. १५३२ .जि.का.३७०,७२९ .जि.ता.४२०.जि.का. ५९२ ठाकुरसी जि.ता.४७/२, था. का. २८९
ठकुरसिंह
ठक्कुर ठक्कुर
जि.का. १७४६ डुसाऊ .जि.का.८५, १२७५ डुंगरसी.
डूणायि. डूंगर
*******
झांझट झांबटक झेरिंडक
टप्पत्तकुवादि
टंकसाल.
टिप्पण.
टीकमचंद
टीका
टीबू...
.जि.का. १४९५, २२३९ .जि.का. १८५, २३९,६६१, डूंगरपुर.. १४०२,१४२३,१४८३, १५५२, १६७८ डेरासमालखांन
किम् लेखक-मुनि . लेखक-मुनि ग्रन्थकत्री
मुनि
लेखक.
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
नगर
तपागच्छ.
महात्मा
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
गोत्र.
कुल
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
लेखक
श्रेष्ठी
झ
नगर
नगर
5
जि.का.८५०
. जि. ता. २३५, २५०, २५१,४०३/१, जि.का. ९२५
.जि.का. २४८ .जि.का. १४५३
ग्रंथांक | विशेषनाम .जि.का. १५८१. था. का. ६४ .जि.का. १९७२ तखतमल पं. .जि.ता.३६४ तत्त्वादित्य .जि.का. १४८० तपउद्यापन जि.का. ५७४ तपगच्छ
जि. ता. २३६ .जि.ता. ४२६
जि. ता. २१७
जि. ता. १६२/१
जि. ता. २५९
.जि. ता. १८९
.जि.का.८५ . जि. ता. २७०/१,३१० .जि.का. १०८६
तपन तपागच्छ
तपोटमत
तरु णप्रभसूरि
तारंगा.
तारादेवी
ताल्हण
तिजाभापुर. तिमिरपाटक तिमिरपुरे चैत्य तिमिरासहन बासर तिमिरीपुर,
तिलककल्याणगणि
तिलोकसी
तिहणदेवी
.नि. ता. १५
.जि.का. २१७५ .जि.का. १३८७ .जि.का. १४८०
.जि. ता. १४०, ११९ तेउका
जि.का. ११०८ तेजा
तिहुण श्रेष्ठी.
तिहुणी..
तीर्थयात्रा.
तील्हिका
विशेष नामों की सूची परिशिष्ट १३५९५
किम्
ग्रंथांक
मुनि . ऋषि
...........] उत्सव
. देव गच्छ
गच्छ
तीर्थ
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
नगर
नगर
वार
नगर
लेखक:
श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी
त
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठिनी
लेखक- श्रेष्ठी
.जि.का. १७६९ .जि.ता.१/३
जि.ला. २३२
जि.का. १७५८ ,जि.का. १८३३
जि.का. २९५,५५६, ५९२, ५९७,७७३,१३७७, १४८०, १५५८ .जि.ता.२८४ .जि.ता.५८/२
.जि.ता. ४२६
जि. ता. ११९
..त.ता.८
.जि.का. १४२३
जि. ता. २३२
लो.ता.३/८
जि. ता. ३७५/३
.जि.का. १४०५ .जि.का. ७७३ जि.का. २१६६
जि. ता. २३६ जि. ता. २३६
.जि. ता. २२८
.जि.ता.१५, २१७,२३२ .जि.ता.३४०
.जि. ता. २३१
.जि.का. ७.५८
.
Page #644
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रयांक
श्रेष्ठिनी............
त्रिभुवनी ..............श्रीकम.................
श्रेष्ठी ............
दीपिका..............
५९६ - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ विशेषनाम किम् ग्रंथांक विशेषनाम
ग्रंथांक विशेषनाम तजा ....................... श्रेष्ठी ............... जि.ता.१५.११९.२१७
............१५५२,१६७८ देहणदेवी ............. श्रेष्ठिनी................................. लो.ता.३/८ तोडरमल्ल ..................जि.का.८५० दलहक
...जि.ता.२५६ दल्ला ................. श्रष्ठा ....................................जि .ता.४२६ त्रिभुवनदेवी.............. श्रेष्ठिनी जि.ता.२३९/२ दशराज
......त.ता.८ देव................... श्रेष्ठी .........................................त.ता.८ त्रिभुवनश्रेष्ठी .............. श्रेष्ठी जि.ता.२३० दंडधर
..जि.ता.२५९ देवकर्ण .................... राजा ................ जि.का.२२८,२४६,२४९,३८६, त्रिभुवनपालधौदा ........... श्रेष्ठिनी. जि.ता.२१७,२७०/४,२७२ दंडनायक
जि.ता.२३५
.............................८५०,२२०८ त्रिभुवनमल्लदेव........ जि.ता.३४६/१ दाडिम.....................
.जि.का.१०८६ | देवकी ..................... श्रेष्टिनी ..................................जि .ता.२२८ श्रेष्ठिनी
जि.ता.३४० दशनचंद्र पं...............
..जि.का.२०४९ देवकुलपाटक ............. नगर ..................................जि.का.१६६५ जि.ता.२३७ दामोदर .................... .जि.ता.३४९ देवकुलिका
जि.ता.२८.५० त्रैलोक्यगंड ................ विरुद............................
जि.ता.१३१ दीक्षादानोत्सव............
........त.ता.८ | देवकुसल.................. लेखक-मुनि ........................ ... जि.का.४०९ दीपचंद्रजी ................ मुनि .................... जि.का.११०७,११०८,१२४४ देवगिरि .................... नगर .................................. जि.का.७१५
व्याख्या ............................... .जि.का.८५ देवगुप्तसूरि ........................ ........................ जि.ता.१९५,२५२ घटा........................ नगर .................... जि.का.७६२,८२१/२,८६३ दुर्गदत्त................... वंश ................................. ..जि.ता.४०८ देवचंद्र ..................... मुनि....................... जि.ता.३१४/१,३६१.१८९ यंभणपार्धनाथ ............ जि.ता.११९
दुर्लभराज ................ राजा .................जि.का.८५,जि.ता.२५९,२७०, देवचंद्र ..................... श्रेष्ठी ........................१९/६,२२८,जि.का.९० चारापद्रपुरीय.... ................ जि.ता.२०२ ................... २७२,३४०,३५१ | देवचंद्रसूरि .............
.............. जि.ता.१५,२३२ श्रेष्ठी
..जि.का.३६४ दुर्लभश्रेष्ठी ...... श्रेष्ठी ............................... जि.ता.२८,४९ देवड ....................... श्रेष्ठी .............................जि.ता.१९/६,२८३ थाहरू ........नि.का.१०८,था.का.२८९ दुलही.
श्रेष्ठिनी.................................. जि.ता.२३० देवत.......................श्रेष्ठिनी .................................. जि.ता.२२८ थिरराज पं.......... लेखक....
...जि.का.१०८ दुलीचंद महात्मा ... लेखक.............. जि.का.८४,१०८,५७४,१९७२ देवतिलकगणि ............ लेखक ........ जि.का.१४०५,१४८३,१५५२,१६७८ थिरराज................ श्रेष्ठी .................. जि.का.८५,१०८,था.का.६४ दूअक.
श्रेष्टिनी... ..जि.ता.२२५ देवदत्त ...................
............जि.ता.११९ थिराख्यपुर ................. नगर ......
जि.का.२६१/१
श्रेष्ठी ......
..........त.ता.८ देवधर...................... श्रेष्ठी ............ जि.ता.३४०,४०३/४,लोता.३/८ थिरुक सा...............
.... था.का.६४
श्रेष्ठी ..... .................त.ता.८ देवनाग ..................
.................जि.ता.२२५ थिरुकभंडारपुस्तिका.....
.. जि.ता.१४९
श्रेष्ठी
........जि.ता.४०३/४ देवपत्तन ................... नगर ......................... जि.ता.२३२ बीदुक .....................श्रेष्ठी
जि.ता.२३० श्रेष्ठी ....जि.ता.१७७/२,२३६,३४१,जि.का.१२७९ देवप्रभसूरि ..........
............जि.ता.२५६,३५६ श्रेष्ठिनी.
जि.ता.२३२,३४० देवभद्रगणि ................ ..................जि.का.२२८.२३७,२४६, दयाकलशगणि..
.नि.का.१६२१
श्रेष्ठी ..... ......जि.का.१९४६
... २४७.२४९.२५२,३८६.९९४ दयानंदगणि......
.जि.का.१४५०
श्रेष्ठी .. .जि.ता.४०३/४ देवभद्र .................
........... जि.ता.३८७/२ दयारतन गणि.. ..जि.का.२०४९
........त.ता.८ देवभद्र ..........
............जि.ता.१९/६ दयासागर गणि.. ........जि.का.१४०२,१४२३, देयड
जि.ता.३५७/२ देवभद्रसूरि ................ जि.ता.१५.१५७/५,२५५,२७०/२,१२४४ ... १४५२,१४५३,१४८३,१५३४, देल्हक
................ जि.ता.२५६ देवमूत्ति उपाध्याय .....
.................. जि.ता.२९७
गच्छ
थावर
श्रेष्ठी ...............
श्रेल्ती
श्रेष्ठी ..
जिनी
For Private&Personal Use Only
wwwjainelibrary.org
Page #645
--------------------------------------------------------------------------
________________
किम् लेखक....
ग्रंथांका
देवराज............
श्रेस्टिनी
श्रेष्ठिनी...
प्रासाद......
विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ - ५९७ विशेषनाम
ग्रंथांक | विशेषनाम किम्
ग्रंथांक विशेषनाम किम् ...........................जि.ता.१८१ धनसिंह ......
श्रेष्ठी
... जि.ता.३१,२३६ धर्मदास .................... लेखक-मुनि ....................... जि.का.१२७५/१ देवराज.....................श्रेष्ठी
...............त.ता.८ | धनेश्वरसूरि..
श्रेष्ठी
....जि.ता.७६,लो.ता.४ धर्मदेव उपा० ........................... ...................जि.ता.२११ देवराजपुर .................. नगर ..................... जि.का.१२९१,जि.ता.४२६ धनाई ...
श्रेष्ठिनी.. ........ त.ता.८ धर्मदेव उपा० ............ मंत्री .............
जि.ता.१७७/२ देवविनयगणि .......... ........................ जि.का.७०२ धन्य ..........
श्रेष्ठी .. जि.ता.२७०/१,४२६ धर्मधीरगणि..........................
....जि.का.४ देवत्री....... ............... जि.ता.११२,२२८,२७०/४ धन्यराज
श्रेष्ठी ...जि.का.१०८६ धर्मनिधान पं........ मुनि........
जि.ता.६८/२ देवसार पं. ............... मुनि .....था.का.६४,जि.ता.१०८ धन्या .
... जि.ता.२८,५० धर्मरत्नसूरि ......................
जि.का.१३५२ देवसिंह .................... मंत्री ....... जि.ता.२३६,४०३/३ धन्यादेवी
श्रेष्ठिनी.
जि.का.१०८६ धर्मराज ..................... मंत्री .........
जि.का.१३६५ देवसुंदरसूरि ........ ......जि.का.१४८०,१५५८ धरणविहार,
..जि.का.८२७ धर्मवद्धन गणि........................
..जि.ता.३४० देवसूरि................. ता.२३२,२३३,२३६,२७२,२७९,४२६ | धरणाक.. श्रेष्ठी ..................जि.ता.१/३.३.११.१६,२१/५, धर्मशाला .................. विश्रामस्थान...
.......त.ता.८ देवाउ महं० .......... श्रेष्ठी ............ जि.ता.१६८ धरणाक............... श्रेष्ठी ........ २४/४,३०,३४,३६,४७/२,४९,५२, धर्मशेखर .................. लेखक-मुनि
..जि.का.२४८ देवानंद..................... गच्छ ........... जि.ता.३८७/२
५३.५४,६०,६२,६३,६४,८९,९४, धर्मसूरि .................... जि.का.८६९ देवानंदसूरि .......... ..जि.ता.२०६,२५६,३५६ ९५.९७.९९,१०५,११०,१२२,१२३, धर्मिणी.....................श्रेष्ठिनी...
...जि.ता.३१/२ देवा भणसाली ........... ..................त.ता.८
१४७/१८,१४८,१४९,२९२,३१५,३६४/५ | धवलक्क पुर ............... नगर ........................ जि.का.१७५४,त.ता.४ देविणी...................... श्रेष्ठिनी .............................. जि.ता.२५६ धरणिग .................... श्रेष्ठी .............. .............जि.ता.२५६ धवलगुणदेवी..............श्रेष्ठिनी ................................ जि.ता.८५/२ देवीदास ...................
.................जि.का.२४७ धरणिय .................. विद्याधर............ ................ जि.ता.२५२ धवलचंद्रगणिमित्र......... जि.का.१३६५ देवेन्द्रसूरि ......नि.ता.२२२, २३९ धरणिंद .................... श्रेष्ठी
.जि.का.८२७ धवल ...................... ....................... जी.ता.२३७,२५२,२५९ देसेल................ जि.ता.४०३/४ धरणीधरशाला ............. वसति............
जि.ता.११७/२ धंधल ...................... श्रेष्ठी ...... .............. लो.ता.३/८ दोसो........................ गोत्र.................................... जि.का.२१६९ धरणेन्द्र .................... देव....................................... जि.ता.२६० धंधिका ....................वेष्ठिनी .................................. जि.ता.२३५
धरसेन ..................... राजा ..................................... जि.ता.३३८ धंधुक्क्य पुर ................ नगर ........... ..................... जि.ता.२५२ धणचंड
...................... जि.ता.१० धरावास .................... नगर .........जि.ता.४०/२-६,४२/२,४२/२,८५० थानी ....................... श्रेष्ठिनी ................................जि.का.१२७९
धरावास....... धणदेवी
श्रेष्ठिनी. ....................... जि.ता.२२५ | धर्कट...................... कुल ........ ................... जि.ता.२५६ धाम........................ श्रेष्ठी ..............................नि.ता.२३६.४२६ धणपति.......
..........जि.का.१३५२,१३६५ धर्कट ...................... वंश .........जि.ता.१५,८५/२,२२८,३१२,लो.ता.४ धारसी ..................... श्रेष्ठी ...........................नि.का.२१६६,२२३९ .. मुनि....... .....................जि.ता.२५२ धर्म ........................ मुनि..............
.........जि.का.९० धारादित्य पंडित.......... लेखक....................................जि.ता.३९१ धनदेव....
....................... जि.ता.३४० धर्मकीस्तिगणि..................... .......................जि.ता.२५६ धारापुरी.................... नगर ....... ...................... जि.ता.२८१ धनपति
श्रेष्ठी ............................त.ता.८ धर्मघोष ................ गच्छ.................................... जि.का.८६९ धांउका ....................श्रेष्ठिनी..................................जि.ता.२३५ धनपाल..................
..मंत्री, ..........................जि.ता.२०६,३१० धर्मघोषसूरि........................................... जि.ता.२०७,२१७,४०३/१. धांधलदेवी.................श्रेष्ठिनी.................................. जि.ता.२०६ धनपाल..........
श्रेष्ठी " ......जि.ता.२३५
..................... लो.ता.३/८ धांधल ..................... श्रेष्ठी ................... नि.ता.२३६,३४६/७,४२६ धनराज .................... श्रेष्ठी ................... जि.ता.४२६,जि.का.१८४० धर्मचंद ..................... लेखक-मुनि .....................जि.का.८६३,१५३२ धांधी .......................श्रेष्ठिनी ..................................नि.ता.३४०
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
.. मंत्री
..श्रेष्ठी
www.nebrar og
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________________
घोणिग..
धीदा ...
श्रेष्ठी ..
५९८ - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ विशेषनाम किम्
ग्रंथांक विशेषनाम किम् ग्रंथांक विशेषनाम
ग्रंथांक धांधुक ..... श्रेष्ठी ... जि.ता.२५६ नंदकिशोर ................. ... जि.का.२९३३ नायिका ................... श्रेष्ठिनी..
.जि.ता.२३७ श्रेष्ठी .जि.ता.२५६ नंदरबार......... नगर ....
... जि.का.३३७७ नालूदेवी .................... श्रेष्टिनी .................................. जि.ता.२०६ श्रेष्ठिनी जि.ता.२७०/४ नंदिसहजगणि .......... लेखक..
जि.का.५९७,८२७ नाहट्ट...................... वंश................................... जि.ता.५०.२८ धीरा..... श्रेष्ठिनी जि.का.१२७९ नंदीश्वर ................
तीर्थ..
..... जि.ता.२५६ निघण्टु .................... वैद्यकग्रंथ............................... .जि.ता.३१० धीराक.. श्रेष्ठी जि.का.१२७९ नंदुरबार .............. नगर..
...जि.का.२१७५ नित्रय ठक्कुर ............................ ............... जि.ता.२५९ धींगपंचमी तिथि. जि.का.१०१५ नाइकि ............... श्रेष्ठिनी.
.जि.ता.४०३/४ | निवृत...................... कुल .............................. जि.ता.३४६,२३७ धींध . श्रेष्ठी जि.ता.२१७,३४० नाकर ................ लेखक...
..जि.का.४५८ नीलकंठ ......
..............जि.ता.४१३/२ धीधी....... श्रेष्टिनी
..जि.ता.३४० नाग..............
गोत्र..
.जि.का.१०८६ नींबाक .................... श्रेष्ठी ........ .............जि.ता.३४० धेनड..........श्रेष्ठी ... ...जि.का.१०८ | नाग................. श्रेष्ठी
..... लो.ता.४ नुरद......
राजा ........ .................जि.ता.१४ नागड महामात्य ... श्रेष्ठी ..
..जि.ता.१५७ | नेढ.....
मंत्री....
............. जि.ता.२५९ नउल................. ....नि.ता.२५६,त.ता.८ | नागदेव, श्रेष्ठी .......... जि.ता.२३५,२३६,२३७,जि.का.८५ नेमिकुमार .............. पंडित ...
............... जि.ता.२३२ नत्रसूरि.
...... जि.ता.२२६ नागपाल...................श्रेष्ठी ... .............................जि.ता.८४/२ नेमिकुमार .... श्रेष्ठी ............................ जि.ता.११४,२३७ नत्रुक ...................... श्रेष्ठी
........... जि.ता.२३५ नागपुर ..................... नगर .............. जि.ता.२१७,जि.का.४५०.१६२२ नेमिचंद्र ........ श्रेष्ठी .......................... जि.ता.२७२ नयणा ...................... श्रेष्ठिनी ................जि.ता.२०५ नागराज.................
.......................... जि.का.८५ नेमिचंद्रसूरि .................................................जि.ता.२७२.जि.का.८ नयनानंद मुनि पं. .........................
जि.का.१७४६ नागिनी.
श्रेछिनी............................ जि.ता.२०६,२१७ नेमिनाथ ................... तीर्थकर ....................जि.ता.२६०,जि.का.७२५ नयमेरु पं....................
......... था.का.६४ नागेन्द्र ..................... श्रेष्ठी ...................................... जि.ता.१५ नैयायिक................... सम्प्रदाय .................................जि.ता.३७३ नयसमुद्र पं............... लेखक-मुनि, .......................... जि.का.१८९ नाथी .
श्रेष्ठिनी .......................जि.का.१३६९,त.ता.८ नीतू ........................ श्रेष्ठिनी .................................. जि.ता.३४० नरचंद्रसूरि ............. ..................जि.ता.३०२,३५६ नाथू..
श्रेष्ठिनी. ..............................जि.ता.४२६ नरदेव......................श्रेष्ठी ... ...................................जि.ता.१५ नानक,
महर्षि. .............................जि.का.२१७३ पञ्चनदीश..................
......................जि.ता.१४ नरपतिः ..................... श्रेष्ठी ..................................... जि.का.६८ ...........
नानी.
श्रेष्ठिनी ................... जि.ता.२३२,जि.का.१०८६ पट्टन ........................ नगर ........... .....................त.ता.८ नरसिंह पं. ............... लेखक ऋषि ....................... जि.का.१५६४ नानू ....................... श्रेष्ठी. ................................ जि.का.१२७९ पण्झ्झा भीदाक .......... लेखक........... ...............नि.का.६६१ नलकच्छ कपुर............. नगर ...............................जि.ता.२८१,२८६ नाभिसून................... तीर्थकर ......... नि.ता.२३६,जि.ता.२७०,३८७/२, पण्ड्याइंस ................. पन्यासपदवी. ..................... जि.ता.२९७ नवफणा पार्श्वनाथ ....... अजमेर ...... ...........................जि.ता.३७
....................त.ता.२ पत्तनतिलक............... नगर ....................................जि.ता.१३६ नवरंगखानकोट्ट............ नगर .................................. जि.का.१७४६ | नाभेयजिन ................ तीर्थंकर .................. जि.का.१८३३,जि.ता.२३२ पत्तनपुर .................... नगर .... .........................त.ता.८ नवलखा ................... कुल . ................... जि.ता.२५० नायक ................... श्रेष्ठी
.........................त.ता.८ पदमचंदजी ................ मुनि.... ........................ जि.का.७६२,८६३ नवलादे. ................. श्रेष्ठिनी, .............................जि.का.४५० नायका..................... श्रेष्ठिनी, ......................... नि.ता.७६,२३६ पदमसी
...................... जि.का.१३६५ नवांगवृत्तिं ...................... .................... जि.ता.२३७,२७०/१ नायकदे.................... श्रेष्ठिनी. ...................जि.ता.४२६,जि.का.८ पद्म,
पन्ध .......................
श्रेष्ठी ..............जि.ता.११२,२२५,२३६,२७०/नसरपुर ................... नगर ....................................जि.का.११३६ नायकदेवी ................. श्रेष्ठिनी ....................... जि.का.८,नि.ता.२०६ पन्धकेसर .................. मुनि ...................................... जि.ता.३५
........... श्रेष्ठी
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..............मान....
श्रेष्ठी
श्रेष्ती
विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ - ५९९ विशेषनाम किम् ग्रंथांक |विशेषनाम किम्
ग्रंथांक |विशेषनाम किम्
___ ग्रंधांक पद्यचंद्रसूरि ..... ..................जि.ता.२३१ पर्थि......... .................जि.का.१४०२ पाश्चदेव..
..................... जि.ता.२०५ पन्यदेव..................... श्रेष्ठी .................. जि.ता.१९२,२१७,२७२,३१२ | पर्युषणा .................... जेनपर्व...............................
लो.ता.३/८ पाश्चदेव........
...................... जिता.२५६ पञ्चदेवसूरि.............. ..जि.ता.२३७ पल्लिका................. पालीनगर.............................. जि.ता.८५/२ पार्श्वनाग...................
श्रेष्ठी ................जित
जि.ता.२०९,२३५,२५६,३१२ पद्मनाभ ................... राजा ...............
जि.ता.२५२ लेखक-श्रेष्ठी ........................ जि.ता.७६,३०१ पार्श्वनाथचैत्य.................
... जि.ता.२५६,२५९.२७०/४, पद्मप्रभ .................... तीर्थकर ........
.जि.ता.२५६ पवयणदेवी ............... ..................................जि.ता.११
जि.का.१०८,८५० पत्यप्रभसूरि ...................... .....जि.ता.२८८.५०,२५६ पवित्तिणी ........
.............. लो.ता.४ पार्श्वनाथ तीर्थकर .......................... ............जि.ता.८५,११२.२३७, पद्ममंदिर पं०............. मुनि............. ..जि.का.१४८३ पंचक ......................
.जि.का.१०८६
...............२५०.२५२,३४०, पद्यराजगणि................. मुनि.............. .........नि.का.२७,८५,१३९१ पंचप्रमाणीवृत्ति ............ ग्रंथ ....................... ... जि.ता.२५३
.............. जि.का.११०८,१७३५ पद्यलदेवी.................. श्रेष्ठिनी ..नि.ता.२३९/२ | पंचमी उद्यापन .................
......जि.ता.४२६ पाश्चनिकेतन .......................................................... जि.ता.११४ पद्यला ..................... श्रेष्ठिनी ......... १५.२०६.२३६ पंचशिख................... महर्षि
जि.ता.३९३ पार्श्वनेतुः सदन ........
....................जि.ता.२७२ पद्यसिद्धि गणिनी ......... साध्वी .. ..जि.का.१५८१ पंचाइण मंत्री............. श्रेष्ठी
जि.का.८५० पाचवीर .................... श्रेष्ठी .................................जो.ता.११९.१५ पद्मसिंह .............. श्रेष्ठी ... .... जि.ता.२०६,त.ता.२ |पंचानन विप्न ... ...नि.का.७४,१६६५ पार्श्वसाधु ................
...जि.ता.३४० पद्याक .....................श्रेष्ठी ..... ..................जि.ता.२७२ पंचासर
ग्राम. जि.ता.२५९ पश्विलगणि .....................
.जि.ता.२१४/१ पद्यानंदसूरि ........ ......................त.ता.२ पाजाक
श्रेष्ठी
.. जि.ता.२५२ पालउद्र .................... ग्राम..................... ... जि.ता.२३७ पद्यावती ................ श्रेष्ठिनी. ..................................जि.ता.२५९ पाणिनी
महर्षि ... जि.ता.३६९ पाल्हण ठक्कर..........
.... जि.ता.४०३ पद्यावतीपत्तन ....... नगर .................................. जि.का.१८३३ पातू ........
श्रेष्ठिनी जि.ता.२५६ पाल्हणसिंह ............
............................. जि.ता.१५ पचिका. श्रेष्ठिनी. .जि.ता.२३७ पादरा ...
जि.ता.२३२ पावटी .................. नगर ...
जि.का.१७२१ पन्धिनी. श्रेष्ठिनी... जि.ता.२१७ पारि ......
.जि.ता.२८१ पासड......................
श्रेष्ठी
..जि.का.२३६ पची...... श्रेष्ठिनी. जि.ता.२३२,२३६ पारीख ......
ज.का.८२१/२ पाससामिजिणभवण ..
.जि.का.२५२ पदाउर............. नगर ...... जि.ता.२३२ पारुत्य ....
जि.ता.२१७ पासुक................. परतापसी लेखक .... जि.का.८२१/२ पार्श्व.........
जि.ता.३४० पाहिका ............... श्रेष्ठिनी
... जि.ता.३२५ परमश्री महत्तरा ........ साध्वी ... जि.का.१०१८ पार्श्वकुमार...............,
जि.ता.२३७ पाहिनी................. श्रेष्ठिनी
... जि.ता.१५ मानंदसूरि .जि.ता.२३४ पार्श्वचंद्रगणि............... मुनि-लेखक
जि.ता.२५० पाहिल.................
.जि.ता.८४/२ गोत्र ......................१/३,२६,३४,४९,५४,६३, पार्श्वठक्कु र ............
... जि.ता.२३५ पांचाणी.................
.. जि.का.८२१/२ ६४,६०,८९,११०,१११,१२२.१४९, पार्वतीर्थ ......
जि.का.२२०८ पिङ्गल पं.
..जि.ता.३१४/४/५ .३६४/५,४०३/३ पार्वतीर्थशदेवगृहक .......
..जि.ता.३४० पोल्हाक ........
.... जि.ता.२३६ ............... जि.ता.३,१६,३०,९९,१०५ पार्श्वदत्त ................... श्रेष्ठी ...................... जि.ता.२३६,जि.ता.४२६ पुण्य
... जि.ता.२३६ जि.ता.२१/५ | पार्श्वदेवजन्मकल्याणक .... ............... जि.ता.७७/२ पुण्यप्रभसूरि
जि.का.१८५९
प्राम
......... २३१
लेखक
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________________
....... साध्वी ........श्रेस्टिनी.
... श्रेष्ठी.
६००-विशेष नामों की सूची- परिशिष्ट १३ विशेषनाम किम् पंचांक विशेषनाम
पंचांक विशेषनाम पुण्यवल्लभ उपा. ...............
जि.का.१३५२ पूर्णभद्र...
श्रेष्ठी ....
..........जि.ता.८५ प्रसनचंद्रसूरि.......................................... ......जि.ता.२३५,२५६ पुण्यसागर उपा. ..................................जि.का.८५,जि.का.२७,१३९१ पूर्णसिंह,
................. जि.ता.३१/२ प्रहलादनपुर................ नगर ...........जि.ता.१५,१६१,२७०/३,२७२,३४०, पुण्यसिद्धि गणिनी ....... साध्वी ....
.जि.का.१५८१ पूर्णिमापक्ष ................. गच्छ .............. जि.ता.२७५,४१९,जि.का.१०८६ .......................................................जि.का.१३००/३,१२७५/१ पणियनी.....................ाष्टना
जि.ता.२१७ पृथिवीदेवी
श्रेष्ठिनी .....
.......................... जि.ता.२०६ प्रहलादन ..................श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३६ पुनिणी ..................... श्रेष्ठिनी......................................लो.ता.८ पृथ्वीधर.................... ग्रंथकार ............................... जि.ता.३८१/१ प्राग्वाट .................... शाति.....................................जि.ता.२५० पुन्नाग .. ......श्रेष्ठिनी... ........ जि.ता.५०,२८ पृथ्वीपाल.......
.राजा. .........................जि.ता.२८,५०,२५९ प्राग्वाट .................... बंश......................... जि.ता.२०६.२१७,२३९, श्रेष्ठिनी ..... .................. जि.ता.१५ पेथड....
श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२०६
..................२३९/२,४०३/४,जि.का.८२७,२१७५ पुरा आरज्या ............. जि.का.७२९ पोरुयाड.. ... वंश.
........ जि.ता.२५९ प्रियमति ................... श्रेष्ठिनी.......................................लो.ता.८ .......जि.ता.४२६ पौषधालय
धर्मस्थान ....................... त.ता.८ प्रेमराज ................ श्रेष्ठी ...................................जि.का.२४७ पुरुषाक ................... लेखक........... ..................जि.का.२४८ प्रतापदेवी
वेष्ठिनी. ............................ जि.ता.२०६ प्रेमिका................. ...श्रीष्ठ नी .................................... जि.ता.३१ पुरुषोत्तमदास ............. लेखक................................जि.का.१४७८ प्रतापसिंह
लेखक.
..........................नि .ता.२०६ पुरोहित .................... शाति..................................... जि.ता.५४, प्रतापसिंह.
.................. जि.ता.२३६ | फतूबाई ....................श्रेष्टिनी ................................ जि.का.२२३९ ................... १२२,१४८,१९२,३१५,३६४/५,१४८३ प्रतिपदा.................. ....तिथि................................... जि.का.१८२३ |फम्म ण....................श्रेष्ठी .....................................जि.ता.११९ पुंजराज ....................श्रेष्ठी ....................................जि.का.१०८ प्रतिमा......
४. म ................................जि.ता.२५५ज.का.१०८ फलवाद्ध कापुर...........नगर...................................जि.का.१७३५ पुजा.........................श्रीष्ठनी..................................जि.ता.४२६ । प्रतिष्ठा ........................................................ जि.ता.३९/२,३४० फूदी .......................श्रीष्ठनी.................................. जि.ता.२३२ पुंडरीक .................... गणधर .................... जि.ता.२५०,जि.का.४०० प्रत्यागदास .............
..................................... जि.का.१४७८
ब पूनपाल....................श्रष्ठी .........................................त.ता.८ प्रद्युम्न ..................... श्रेष्ठी
प्रद्युम्न ...........................श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२०९ ........
बकुलदेवी................. श्रेष्टिनी............................... ..जि.ता.२०६ पूनसिंह .................... श्रेष्ठी ...............................जि.ता.२०६,२३९ | प्रद्युम्नसूरि ......................... ............. जि.ता.२१७,२४५.२७२,२७९/१ बकुलश्री.. ................ श्रेष्ठिनी.
जि.ता.१५ पूनसी ...................... श्रेष्ठी ....................... जि.का.१०८,था.का.६४ प्रबोधचंद्रगणि ............... ...................... जि.ता.२२५,३४० बडुआक जोषी........... लेखक,
..जि.ता.४२० पूनाई.......................श्रेष्ठिनी .......................................त.ता.८ | प्रभवस्वामि............................... ......जि.ता.२३५.२५९,२७२,त.ता.८ बप्पट्टिसूरि ....................
.जि.ता.२६७ पूनाक ..................... श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२०६ | प्रभाकरगणि .................
............... जि.ता.३६८ बलवंश....................
.................. जि.का.७१५ पूर्णकलशगणि ..................................... जि.ता.२७०/२,जि.ता.३४० प्रभावती महत्तरा ......... साध्वी
..जि.ता.२१० बलात्कार..................
............जि.का.१६७० पूर्णतल्ल ................... गच्छ................. ........जि.ता.३४७/२| प्रभास ..................... गणधर
जि.ता.२७२ बलालदेवी ............... श्रेष्ठिनी......................................लो.ता.८ पूर्णदेव ...................... श्रेष्ठी ................................ जि.ता.४०३/४ | प्रमोदचंद्र .................. मुनि...
जि.ता.३४० बलिराज ...................
राजा ............................... थाहरुशा .का.६४ .... जि.ता.२३५ प्रमोदमाणिक्यगणि
जि.ता.७१२ बलिराज................... श्रेष्ठी ............ जि.ता.२९/२,३७,८८,९०/३,११९ ...... जि.ता.२३५ प्रमोदमूर्ति .......
.जि.ता.२७०/२ बल्लाल ठ............... श्रेष्ठी
.............................. जि.ता.२०६ पूर्णभद्रगणि................. लेखक .........................जि.ता.२०२,२७०/९ |
प्रयागदास.................. श्रेष्ठि .जि.का.२४७ बहादुरपुर ..................
...................... जि.का.२९७ ................ २७०/२,जि.का.१२९९/२,१३००/२/३ प्रश्नवाहन ................. कुल ......................... जि.ता.२६०/१,४१९ बहुदेव .................... श्रेष्ठी ............................जि.ता.२३६.३४०
गण..
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ग्रंथांक
श्रेष्ठी
..
गोत्र.......
विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ - ६०१ विशेषनाम किम् ग्रंथांक | विशेषनाम किम्
ग्रंथांक | विशेषनाम बहुदेवी ........ श्रेष्टिनी.. ......... जि.ता.८५/२बोधक ....
आचार्य
.जि.ता.८८/२ भवभावना पढ़े बहुपाल........ .............लो.ता.८ बोधिस्थ................. श्रेष्ठी
जि.ता.१५,२३२ तृतीयवार व्याख्यान........
......... जि.ता.२३२ बहुरी.......... श्रेष्ठिनी .. ......... जि.ता.४२६ मोहडि .................. श्रेष्ठी
जि.ता.२५६ भवभावना पढ़े चतुर्थवार श्रेष्ठिनी. ........ जि.ता.१५ थोहित्य ................... श्रेष्ठी ...
जि.ता.२७२ व्याख्यान तिमिरपाटके.
....... जि.ता.२३२ बंदर ............... ....जि.का.३४८ ब्रह्म .................... गच्छ......
... जि.ता.२३२ भवभावना पटे बंदिर......... जि.का.१३८१ ब्रह्मचंद्रगणि ............... लेखक ..
जि.ता.१५६/३७ पंचमवार व्याख्यान .
................. जि.ता.२३२ बंदिराज.................. लेखक... ...... जि.ता.१३ ब्रह्मचंद्र पंडित ........... मुनि.......
पाहरुशा.का.२९२ भवविरहसरि.......
.......जि.ता.२११.२१४ बंधक ................... श्रेष्ठी ... ...जि.ता.२३७ ब्रह्मदेव ................. श्रेष्ठी .....
.जि.ता.२३१ भंडशाली ................... गोत्र ................ जि.ता.२५२,थाहरु.का.२८९ ...जि.का.४३१ ब्रह्ममूर्ति ..................
उपाधि ......... ..जि.का.१२२९ भंडार .......
...जि.का.२१७५ बारेजा .... ग्राम...... जि.का.१८६६ माशांति ................. ..............जि.ता.१९ भंडारी..................
.......जि.ता.७६ बालचंद.................. मुनि........... .......जि.ता.७६ ब्रह्माण .................... गच्छ ........................ जि.ता.१६४,२३२,२५२ भाऊ......
श्रेष्ठिनी
..................त.ता.८ बालचंद.................... श्रेष्ठि ............ ...............जि.ता.२३१ ग्राह्मण ..................... शाति ......................................जि.ता.३१२ भागुरि.................... ग्रंथकार
जि.ता.३१० बालप्रसाद ................. ................ जि.ता.२३२
भादा...................
.जि.का.१९४६ बालबृहस्पति .............. राणा (2)....................... जि.ता.४०८ भक्तिमंदिर .............. लेखक-मुनि ................. जि.का.२७२,३५३, | भानुविमल गणि
.जि.का.१३७७ बालोतरा................... ग्राम.................................... जि.का.१८३३ ...............................४२३,४४७,४६४. भारतवर्ष ...............
जि.ता.२३७,२६० बाहड...................... श्रेष्ठी ....................... जि.ता.३१/२,२३६,२३७ भणसाली .................. गोत्र ..................जि.का.१०८,थाहरु शा.का.६४ भारती..
...जि.का.१६७० बाहुपुर ..................... नगर ...................................जि.का.१२७९ भद्रगुप्तसूरि.......................................................जि.ता.४०३/४ भारती.................. प्रेष्टिनी
..जि.ता.२५६ बाहुबल .... अमात्य...... ....................... जि.ता.२३७ भद्रबाहुस्वामि ...............................जि.ता.२७२,२८०,४०३/४.त.ता.८ भार्गव....
महर्षि
...जि.ता.३९४ बिकानेर ................... नगर, .........................८५,१०८ भद्रेश्वरसूरि.....................
......जि.ता.३०१ भावदेव....................श्रेष्ठी
.जि.ता.१९/६ बिल्हण ............ ........... लेखक.................................जि.का.१२७५ भखाज .................... कुल
................ जि.ता.३२० भावधर्मवाचक .........
..जि.का.८६९ बिल्हण ....................श्रेष्ठी ................................ जि.ता.१५७/५ भरमादेवी.................. श्रेष्टिनी
...........त.ता.८ भावसुंदरपतेः व्रतोत्सव....
...जि.ता.४२६ बीकानेर ................... नगर .............................जि.का.८४,१४७८ भतहरि...................... ऋषि
...जि.ता.३८६ भानां श्रेष्टिनी
... जि.का.८५० बुद्धिसागरसूरि ............................... जि.ता.२३५.२५०,२५६,२७२,३४० भवभावना पढ़े
भांडकर...............--
................जि.ता.८९ बूटिक ........ ............ नगर ...................................जि.का.२१७३ प्रवमवेला व्याख्यान
.जि.ता.२३२
भांडशालिक...............शाखा ............................................त.ता.८ बहत्खरतरगच्छ..................................... जि.का.४४८,१४०५,१४८३, भवभावणा पदे
भांडागार .....................................जि.ता.२९/२,जि.का.८,१२,१३,१४, ................ १५३२,१६२१,१७५९,१७६९,थाहरुशा.का.२८९ द्वितीयवार व्याख्यान ....
..........................२२,२४,२५,२६,४०,जि.का.४५,४६,५६, बृहत्खरतरं वेगडगच्छ ................... ...जि.का.३४८,४५०,६७३
... जि.ता.२३२
...........................१०८,१५७३,१७६९,थाहरुशा.का.६४ वृहद्गच्छ .............................................. जि.ता.२३१,जि.का.१८५९
भांडागारिक................ गोत्र ........................................जि.ता.७६
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
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Page #650
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________________
प्रयांकन
शम
---------...ता.८
श्रेष्ठी ..........
६०२ - विशेष नार्मों की सूची - परिशिष्ट १३ किम् पंचांक | विशेषनाम
प्रयांक | विशेषनाम ................ कुल ........................जि.ता.२३५,२६४,२६७
महण.
श्रेष्ठी
......................... २३९/२,२५६,४०४ गोत्र..... ......................... जि.ता.२३५ मकसूदाबाद ................ नगर ....
..जि.का.१९७२ महत्तरी
साध्वीपद ..................जि.ता.२२०,जि.का.२०१८ वंश ..................... जि.ता.१५०/१०,जि.ता.२३२ मठस्थानक ................ ग्राम.......
.जि.का.१२७१
............जि.ता.३४० श्रेष्ठी ................ जि.ता.२३६,३४६/७.त.ता.८ महाहड....................
जि.ता.१५५/८ महमूद भीमदेव महाराजा .................... जि.ता.१९९,२३३,२५९, मणकाई ....................श्रेष्ठिनी
.... जि.का.३६४ महसेनसूरि...
.........नि.ता.४०३/१ ......................जि.का.२७,८५.१०८ जि.का.५४७. मणिभद्रगणि......................
.......... जि.का.२७०/२ महागिरि
........नि.ता.२७२ ............................... ५४८,थाहरुशा .का.६४ मतिकोर्ति पं. ....................... ...................जि.का.१०८ महात्मा ....
...जि.का.८४,८५,१०८ भीमदेव. .................... श्रेष्ठी .................... जि.ता.११२,जि.का.२१७५ मतिभद्रगणि................
............... जि.का.१७५४ महादेव ......
जि.का.१८३३ भीमपल्लीपुरी.. ................................ जि.ता.२१७ मतिसागर पं. ............ लेखक-मुनि ............... जि.का.३७०,५४८,८५० महादेवी........
.जि.का.१८४० भोमसिंह ...................श्रेष्ठी ....जि.ता.२०६,२५६,४०३/३,४२६,त.ता.२ मथुरा ...................... देश ......................................जि.ता.२६७ महाप्रतिष्ठा ................
...जि.ता.४२६ भौमसौ संघवी ........... श्रेष्ठी ............... ..जि.का.२१७५ मदन ........................ ......................... जि.ता.२३६ महावीर .................... तीर्थकर ...................जि.ता.२३६,जि.का.१०१५ भीमसेन राजा .............. जि.का.८५० मदनाग .................... श्रेष्ठी ................................ नि.ता.१७७/२ महावीरबिम्ब ...............
....................जि.ता.२५६ भोलमाल.................. .जि.का.३१७ मध्यमा..................... ......... जि.ता.२७२,४१९ महिका .....................
जि.का.१३६९ भुवणिग ................... श्रेष्ठी ............. जि.का.२२५ मनसुखदास ..............
........जि.का.८५ महिपाक................... लेखक.. ..........................जि.ता.२८७ भुवनक..................... श्रेष्ठी ........ जि.ता.३४० मयाचंदजी .................. लेखक-मुनि
..... जि.का.१२४४ महिपाल ................... श्रेष्ठी .......................जि.ता.२३३,३४०,४०४ भुवनचंद्र ...................श्रेष्ठी ................................... जि.ता.४०४ मयूरसीमा.................. ..जि.का.१६७३ महिममंदिर ................ मुनि ..
.. जि.का.२३७ भुवनतुंगसूरि.
.लो.ता.८ | मरघा .....................
श्रेष्ठिनी........ ...जि.ता.१०८६ महिमराजगणि ..
............जि.ता.६८/२,जि.का.१४५२, भुवनपाल.................. श्रेष्ठी ................... जि.ता.११४,२९७,२७०/४, मरु कोहदुर्ग................ नगर ............................... जि.ता.२१७,३१२
जि.ता.२१७,३१२ |..........................
.....१४८३,१५३४,१६७८ .................................२७२ मरुदेवा .................... श्रेष्ठिनी......
.......जि.ता.७६ महिमलाभगणि..................
...............जि.का.१४५० भुवनरानगणि ............. जि.का.१८३३
मरुभूमि................... ......जि.ता.२७२ महिमसमुद्र पं..................
.... जि.का.४०० भुवनी.. ...............श्रेष्ठिनी..................................जि.ता.२२८ मरुमण्डल................देश ................जि.ता.११४.२१४.जि.का.१८३३ महिमसंदरगणि.........................जि.ता.१४९,जि.का.१५८१.थारु.का.६४ भुवनेश्वरी..................देवी....................................जि.का.१८३३ मरुस्थ ल.................. देश ......
... जि.ता.२१७ महिमासमुद्र पं. .......... लेखक-मुनि .......
.........जि.का.४४८,७०६ भृगुकच्छ .................. नगर ..........................जि.ता.२६४,३५७/२, मरोटकोइ.................. नगर ....
जि.का.१३९६ महिमाहर्ष पं. ............ लेखक-मुनि ............................ जि.का.४४८ ....................३७५/३,जि.का.१८२३ मलधारी ...................गच्छ ..
..जि.ता.३८१/१,४१९ महीतिलक पंडित.............
..................नि.ता.४०३/१ ............ नगर ..............................जि.का.६७१,८०६ मलयगिरि आचार्य......
.जि.का.८५ महीन्द्र
श्रेष्ठी
जि.ता.२३० भोजराज गणि......
मलसाह .............................................जि.का.१८३३
..............श्रेष्ठी
.जि.का.१०८ महीपति....................
श्रेष्ठी
.... .. ............त.ता.८ मोपला..................... श्रेष्ठिनी ........................... जि.ता.२५६.३४० मलिकवाहणस्थान ........ ग्राम,
जि.का.१२२९ महीराज................
श्रेष्ठी
.......जि.ता.४७/२,४८,४२६, मल्ह ण...................... श्रेष्ठी
जि.ता.२२/१०|----.. ......."
...............जि.का.२९७,त.ता.८
गच्छ ............
श्रेष्ठी
वैद्य..........
ग्राम...
..................
प्र ष्ठा
Page #651
--------------------------------------------------------------------------
________________
मंडप.......
विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ - ६०३ विशेषनाम किम् ग्रंथांक विशेषनाम
ग्रंथांक | विशेषनाम किम्
ग्रंथांक महीलण ...................श्रेष्ठी
|मानतुंग .................... प्रासाद... ............... जि.ता.२८.५० मुनिसिंह गणि............ लेखक ............ ..... जि.का.१३२६/१५ महीसमुद्र वाचक ....... .............नि.का.२१७५ मानदेव .................... श्रेष्ठी ......
... जि.ता.३४० मुनीन्द्रसूरि ................
..... जि.ता.३५६ महेन्द्र ...................... श्रेष्ठी ............... जि.ता.२२५ मानदेवसूरि ...........................
... जि.ता.२३७ मुरारि पंडित ..........
जि.ता.३२८,३५६ महेन्द्रनृप................... राजा .... ........... जि.ता.२५२ मानसिद्धि गणिनी........ साध्वी
जि.का.१५८१ मुलतान ................. नगर ......
जि.का.१४४९ महेन्द्रसूरि .............----- ............................. जि.ता.२७२,२७९,३१२, मानसिंघ गणि .....................
जि.का.१८४३ मुलासी .................. लेखक..
.जि.का.५१ ............................... जि.का.१७९२,लो.गच्छ ता.२/८ मानसिंघ मुनि........
. जि.का.८०६ मुंजला .................. श्रेष्ठिनी.
..जि.ता.२३६ महेवा ...................... ग्राम.................................... जि.का.१३६९ मानसिंह ................... श्रेष्ठी ......
जि.का.१४५० मुंबटा ......
जि.ता.१९/५ महेश्वरकवि................ ग्रन्थकार.................................. जि.ता.३५० मानांक पंडित ............ ग्रंयकार ............
जि.ता.३४७/१ मूलदेव ................
श्रेष्ठी ........
जि.ता.२३७,२५६ मंख........................ ग्रन्थकार ...................................जि.ता.३१० मानू........................ श्रेष्ठिनी .......
... जि.का.३६४ मूलनारायणदेवीय मठ ................
....जि.ता.३९१ मंटजिनेशमंदिर .......................... ...............जि.ता.२३१ मामल्लदेवी ............... श्रीहर्षमाता ..........
नि.ता.३४१ मूलराज.....................
.... जि.ता.२५९ मंडन ... ....... श्रेष्ठी .......... ...................त.ता.८ मालदेवविजय ............. राजा .................
...जि.ता.२३६,४२६ ......... जि.ता.१६८ मूलराज ....................
श्रेष्ठी .......... ..........जि,ता.११२,२५९ मालव ..................... देश ................ जि.ता.३६१,जि.का.९५५,१०६७ मूलसंघ ...................
......जि.का.१६७० |मंडपदुर्ग ................... नगर ............. जि.ता.२८१,जि.का.१०६७,१४५३ मालारोपोत्सव ........
उत्स व .......... ............जि.ता.४२६ मूला ...................... श्रेष्ठिनी.
........त.ता.नं.८ मंडली
ग्राम..... ............. जि.ता.७६,३०१ माल्हणदे.................. श्रेष्ठिनी......... .................जि.ता.४२६ मूंजालदेव ...............
जि.ता.२५६,जि.का.१३६५ मंडलीक................... ................................... जि.ता.२३६ माहण... श्रेष्ठी .......................त.ता.नं.२ मृगाई ............... श्रेष्ठिनी
............जि.का.२९५ मंडिक ............... गणधर ...................................जि.ता.२७ ...... जि.ता.२७२ माहेश्वर.
श्रेष्ठी .......जि.ता.२१७,२७२ मगादे ..............
............. जि.का.१३६९ मंडोवरा .............. जाति.....
जि.ता.४२० मांडण जोषी ........ लेखक ..........................जि.का.५९२,१८५९ मृगावती...................श्रेष्ठिनी................................जि.का.१५३६ ...जि.का.९० मांडलिका ................. श्रेष्ठिनी
जना - |मंत्रीदलीय ............
मेघराज.................. ...................................त.ता.८
.. श्रेष्ठी .............जि.का.१०८,थाहरु शाह.का.२८९ माऊ.......... श्रेष्ठिनी.. .....त.ता.८ मांडव्यपुर .................. नगर ........... ....................... जि.ता.१२ मेघविजय मणि ......
........जि.का.१२७५ श्रेष्ठी .. त.ता.नं.२ मियावई ................... प्रवर्तिनी ...........................लोकगच्छ ता.४ मेष ...
..........जि.ता.४२६ माणिकि ............. श्रेष्ठिनी.....
जि.ता.२३६ मीमांसक ..................
संप्रदाय ...................... .........................जि.ता.३७३ मेडता...................
........ जि.ता.२३२ माणिक्यपाटकपुर .......... नगर .................... जि.ता.४०३/१,४०३/२ मीरामबीरवश्याह .......... राजा ...... ................... जि.का.१३७७ मेतार्य.......
मिताय......................गणधर......
mmmmm.........................नि.ता.२७२ माणिक्यसूरि......... .. जि.ता.२०६ मुकुट ..................
...................... जि.ता.२३२ मेदपाट .................... ग्राम......... .................... जि.ता.२७०/५ माणेक...................... श्रेष्ठी ............ जि.ता.१५७/५ मुकुलभट्ट पंडित ............. .....जि.ता.३१४/२,३२९,३३१ मेदपाठ .........
................जि.का.१८३२ माण्डलिक विहार........ प्रासाद ...... ..जि.ता.२१७ मुणाग .....................श्रेष्ठी
..जि.ता.१३२ मेया .................. ..लेखक-मुनि........................... जि.का.१३९८ माण्डव्य पं......... जि.ता.११४/५ मुनिचंद्र उपा. .......
............... लो.ता.४ मेरु मुनिवाचक ............ लेखक-मुनि ......... जि.ता.६८/२,जि.का.१३,९४४ माथुर ...................... वंश....... ..जि.का.२४८ मुनिचंद्रसूरि ..................... .....जि.ता.८४/१.२०५.२३२,२३६,२६०,२६४ मेहा ..................
....जि.ता.१८३ माधलदेवी ................. श्रेष्ठिनी................................... जि.ता.२०६ मुनिप्रभगणि ...............
.................... जि.का.८६२ मेहाजल पं. .............. यति ....................................जि.का.१४८३
मंत्री .....
श्रेष्ठी.
श्रेष्टिनी
वंश...
माणिक ...............
श्रेष्ठी ....
देश.......
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________________
श्रेष्ठी .. बंश......
मोषू.....--
मोहिणी ...
श्रेष्ठी
६०४ - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ विशेषनाम किम् पंचांक | विशेषनाम किम्
पंचांक विशेषनाम
किम् ......जि.ता.२३६,४२६
...... २७२,जि.का.१०८ रत्ननिधान मुनि प.........
............जि.ता. ६८/२ ...जि.ता.७६ यशोनाग.................... श्रेष्ठी ...................... जि.ता.१५.२०९ रत्नपाल ................... श्रेष्ठी
...................जि.ता.११९ मोषदेव .... श्रेष्ठी. ............. जि.ता.३१ यशोभट ...................श्रेष्ठी .
............ जि.ता.१५ रत्नप्रभसूरि ........................
........ जि.ता. ४१३/११ श्रेष्ठिनो.. .............. जि.ता.२३६ यशोभद्र.................... मुनि........ .............जि.ता.८५/२ रत्नरंग उपा............
...................... जि.का.८५६ मोहण .... श्रेष्ठी जि.ता.२५९,४२६ यशोभद्रसूरि........................... .......... जि.ता.२११,२६७, रत्नशेखरसूरि ......
...जि.का.७७३ श्रेष्ठिनी.. ....जि.ता.२५६
................... २७२,२८०,जि.का.१३९८,त.ता.नं.८ रत्नसमुद्र पं. ............. मुनि ......................... जि.का.१५३२ ग्राम..... .... जि.का.१०९८ यशोराज ...................श्रेष्ठी ..........
....... जि.ता.२३६ रत्नसिंह .................
श्रेष्ठी ................ जि.ता.२३६,२५६,३४०,४०८ ज्ञाति .....
जि.का.१८६६ यशोवर्धन ................श्रेष्ठी .................................... जि.ता.३४० रनसोममुनि........... लेखक,ग्रंथकार ............ जि.का.३४८,३७१,६७३ मौर्यपुत्र गणधर.. .. जि.ता.२७२ यशोवर्धनसूरि .........
...जि.ता.३८७ रत्नदेवी.............. श्रेष्ठिनी.................................. जि.ता.२३६ यक्षदेव................. ...जि.ता.४२६ यशोवीर.................... मुनि-लेखक ........
..जि.ता.१८९ रत्मी ..................... श्रेष्ठिनी ....................... जि.ता.१५,२३०,२३६, यवन....................... ..नि.ता.४२६ यशोवी..................... श्रेष्ठी ............जि.ता.२३६,२५६
..........लो.का.ता.२/८ यवनधीश.............................. .जि.का.१०८ याकिनी महत्तरा........ प्रवर्तिनी ...... .................... जि.ता.८८/२ | रभस ......
ग्रंथकार ..
.............जि.ता.३१० यश:कीर्तिगणि ............ लेखक ........ जि.का.१२९१ यात्रा ............................................................... मि.ता.१७७/२ | रमा .....
श्रेष्ठिनी
............जि.ता.२७२ यशश्चन्द्र................... श्रेष्ठी .......... जि.ता.२३६,२३७ यात्रोत्सव............................ ......................मि.ता.४२६ रमाई.....
श्रेष्ठिनी
.नि.का.२९५ यशश्चन्द्रसूरि ............................... जि.ता.२३६,२३७ यादव ...................... कुल ........... जि.का.१४८३,थाहरु शाह का.६४ ।
श्रेष्ठिनी
जि.ता.२३६ यशःपाल .................. श्रेष्ठी ......... ......जि.ता.२५६ यादव ...................... ग्रंधकार ...................................जि.ता.३१० रंगाई .....
श्रेष्ठिनी ................ ...... जि.का.७२१,त.ता.८ यश:सूरि...................... .............................जि.ता.२३९ युगप्रधान ...................
....................जि.का.१२७५ राउत ......................श्रेष्ठी ....................................जि.ता.२५६ यशोघोषसूरि ........................... ........................ जि.ता.२१७ युगादिजिनालय............ चैत्य ..................................... जि.ता.२५६ राउल.................................. जि.का.३७०,३८६,५४७,१४८३,२०४४ यशोदेव .................... मुनि .................................. जि.ता.३८७/२ युगादिदेवतीर्थ .................. ......................... जि.का.२५२ राकापक्ष ................... गच्छ................. जि.ता.२८४/२,जि.का.१०८६ यशोदेव....................श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३२ युगादिदेव .................. तीर्थकर ........जि.ता.२३९/२,२४५,२५०,त.ता..२ राजदेव .................... श्रेष्ठी ..............................जि.ता.३४०,३४१ यशोदेव.................... उपा०....................................जि.ता.१९५ युवराजपद..............
..................था.का.२८९ राजनगर ................... नगर ........ ........................जि.ता.२५६ यशोदेवसूरि....................... ..............जि.ता.८४/२,२०५,२५०,२६७ योगिनीपुर .................नगर ....................................जि.का.२४८ राजपाल ................... श्रेष्ठी .............................. जि.ता.११९,४२० यशोदेवी...................श्रेष्टिनी....................... जि.ता.१५,२३५,२७२ योद्धपुर .................... नगर .................................... जि.का.८७९ राजपुर ..................... नगर .... ................जि.का.२०४४ यशोधन....................श्रेष्ठी ................................जि.ता.४०३/४ योधपुर..................... नगर ...................................जि.का.१५५२ राजशेखर पं.............. लेखक-मुनि.. ....................जि.का.३७४ यशोधर भद्द............... लेखक...................................जि.ता.३४८२
राजसिंह ...................श्रेष्ठी
..............जि.ता.३१/२ यशोधवल पं............. लेखक...................................जि.ता.३४८ रउला .......................श्रेष्ठी .................................... नि.ता.९/२ राजसिंहविजय............. राजा
.................. जि.का.१५६४ यशोधवन पं .............. श्रेष्ठी ....................... जि.ता.११४.२१७,२३६, रणसिंह ठक्कुर ...............
...................जि.ता.४०३/१ राजहंसगणि .................
...................जि.का.८३१ ................................. २३७.२५६,२७०/४, रतनसी .................... श्रेष्ठी ..................................... जि.का.८५ | राजा ........................ श्रेष्ठी .................................... जि.का.८५|
रली.......
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________________
विशेषनाम राजिणी ............
राणा
राणिका
राम..
श्रेष्ठिनी........
"
विशेष नामों की सूची- परिशिष्ट १३-६०५ ग्रंथांक | विशेषनाम किम्
ग्रंथांक विशेषनाम किम्
ग्रंथांक श्रेष्ठिनी..... ...............जि.ता.२६४ रूपल
श्रेष्ठिनी
जि.ता.२५६ लही........................ श्रेष्ठिनी.................................. जि.ता.२३२ | राजिनी श्रेष्ठिनी .... ..जि.ता.२३५ रूपा.
श्रेष्ठिनी
जि.का.२९७ लब्धिनिधान ............... मुनि.................................... जि.ता.२८,५० राजीमती श्रेष्ठिनी... ........जि.ता.२३७,२६० रूपाई
श्रेष्ठिनी.. ......त.ता.८ ललतू......................श्रेष्ठिनी .........
आष्टना............................ जि.ता.२३६ राजुका.. श्रेष्ठिनी... जि.ता.२३६ रूपादे
श्रेष्ठिनी ....
... जि.ता.११९ ललितादेवी ................. श्रेष्ठिनी .... ..............जि.का.२१७५ राज................... श्रेष्ठिनी.....
........जि.ता.३४० रूयड.
श्रेष्ठिनी .. .... जि.ता.३४० लवणखेट ................
.........जि.ता.११२,११४ राडद्रह नगर ......... ..............जि.का.४ रेवंतगिरि,
तीर्थ-नगर.
.... जि ता.२५९ लहर ठक्कुर .......... दंडधर................. ............ जि.ता.२५९ ....................जि.ता.१९९,जि.का.१६६५ रक्ताचल
तीर्थ ........................जि.का.८५,४२६,२१७५ लहूजी व्यास, लेखक ................................ जि.का.१६४७ ....................श्रीष्ठ नी .............
जि.ता.२०६ रोहाइय..
ग्राम................
............... जि.ता.२५९ लाखण ................... श्रेष्ठी ..................................... जि.ता.२३६ | राणी श्रेष्टिनी ............जि.ता.२३६,४२६,जि.का.१३६९ रोहिणी..
श्रेष्ठिनी.......
.......................जि.का.१२७९ लाखुका ....... श्रेष्टिनी............................. .. जि.ता.२०६ राणू................... श्रेष्ठिनी ........ जि.ता.२३६
लाय. श्रेष्ठी ..
जि.का.१२७९ ........................... जि.ता.२३६ लक्खुका.............. श्रेष्ठिनी ....... ................जि.ता.२३५ लाय.
..................... जि.ता.२३६ रामचंद्रगणि ................ .......... जि.ता.३५१,३६२ लक्षिका .................... श्रेष्ठिनी.
....... जि.ता.३४० लाछू.....
श्रेण्टिनी............. .................. जि.ता.२५६ रामदासाचार्य .. ..............................जि.का.२१७३ लक्ष्म ण ठ............ लेखक..
... जि.ता.२०७ लाड...
.................. जि.ता.२११ रामदेव ................... लेखक............................. जि.ता.२३१,३६२ लक्ष्म ण...... श्रेष्ठी.
............... जि.ता.२३५ लाडिम..
श्रेष्ठिनी................................. जि.का.१०२८ रायचंदमणि ...............................................जि.का.१७४६,२०४९ लक्ष्मणी
..श्रेष्ठिनी.. ... जि.ता.२५६ लाडी................. श्रेष्ठिनी.
.............................जि.ता.२३२,२५६ राल्डाक...... श्रेष्ठी जि.ता.१७७/२ लक्ष्मसीह ..................श्रेष्ठी
.जि.ता.२३१ लाभपुर ...............
जि.का.७१२,१७४९ गल्ह ...... श्रेष्ठिनी ..... ...........जि.ता.२५६ लक्ष्मिणी................... श्रेष्ठिनी ..
जि.ता.२१७ लालचंदजी वाचक ...... मुनि ........
...जि.का.१७६९ रासला .... श्रेष्ठिनी ......... .............. जि.ता.२२८ लक्ष्मी ....................... श्रेष्ठिनी.
... त.ता.नं.२ लालबाई ...................श्रेष्ठिनी ....
जि.का.८२१/२ राष्ट्रोद. वंश................. जि.का८३३ लक्ष्मीकोर्ति गणि ........................ .........जि.का.१७५९ लालविजय ................ मुनि.........
जि.का.१७१८ रांवदेव.... श्रेष्ठी ....... ............... जि.ता.२६० लक्ष्मीचंद्रगणि ......................
नि.का.५६२ लावण्यसिंह ब्राह्मण ..... लेखक.....
.जि.ता.३१२ रिणमल्ल पं......... लेखक-मुनि ..................जि.का.१४४९,१४८३ लक्ष्मीतिलकगणि ....................
........ जि.ता.२७२,३४० लिहवेह ................... लेखक.....
.जि.ता.१३९ रिसहजिण .. तीर्थकर ...................जि.ता.२३२,जि.का.१०६२ लक्ष्मीधर पंडित .......... लेखक
..........जि.ता.२६७,३२२ लिंबचंद ...................
श्रेष्ठी
.जि.ता.२३१ रिसासी ..... ........... जि.का.१३९८ लक्ष्मीधर पंडित .......... श्रेष्ठी जि.ता.१२.२३२,२३७,३१२ लिंबार्या ...................
जि.ता.२८६ रुक्मिणी. श्रेष्ठिनी .................................. जि.ता.२३६ लक्ष्मीरंग पंडित ...
..... जि.ता.४०१ लीलादेवी...................
..तता.नं.८ रुद्रजी
लेखक ..... ............ जि.का.१८२३ लक्ष्मीसागरसूरि ....
जि.का.७७३ लीलुका................... श्रेष्टिनी
जि.ता.२०६ रुद्रपल्ली . नगर ....... ..............जि.ता.३४८ लखमाई ...............
जि.का.२१७५ लींबाक पुरोहित .........
लेखक
जि.का.१४८० रुद्रपल्लोय जि.ता.२३३,जि.का.१७९८ लखा..................
जि.का.१९४६ लूणकर्ण
राजा .....
जि.का.१६७८ रुल्हण
श्रेष्ठी ............... जि.ता.१५७/५ लटकण ...............
जि.का.१३५२,१३६५ लूणदेवी ................... श्रेष्ठिनी
..जि.ता.२०६
सहामण............
..............
श्रेष्ठिनी...
Page #654
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________________
किम्
जि.ता.२७२
श्रेष्ठी
................
श्रेष्ठिनी.........
....................
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
६०६ - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ विशेषनाम
ग्रंथांक विशेषनाम किम्
ग्रंथांक|विशेषनाम किम्
ग्रंथांक लणा ..............natin. ................श्रेष्ठी ................... जि.ता.१८३,२३६,तता.नं.८|वरसिंघ .................... ....................थाहरूशाह का.२८९ वायग.......
..जि.ता.३४/२ खणिग............... श्रेष्ठी ..............जि.ता.२२५,जि.का.१८४३ | काxalवरांग..
राजा
........जि.का.१६७० वायुभूति ................... गणधर लोहट. ......................... जि.ता.२८,५० वर्धमानजिन ............... तीर्थंकर ..
जि.ता.२८४/२,३५१, वार ...
.............. . जि.ता.२५९ लोहट.. नगर ................................ जि.का.१३१६/३
.जि.का.१०८६,१४२८ वार्तिक ...
... जि.ता.३६९,३९०,जि.का.५५४ लोहदेव श्रेष्ठी ... जि.ता.३४० वर्धमानजिनसंवत्सर..................... .जि.का.१४०२,१६७० बालब्म ..
... जि.ता.३४ लोहिनी .......... जि.ता.३४० वर्धमान .................... श्रेष्ठी .. ......... जि.ता.२३५,२३६ वाल्मीकि .................. महर्षि
..जि.ता.३९४ वर्धमानसूरि ................ ........................ जि.ता.२३१,२३५,२३६,२५०, वासप...
ग्राम..
जि.ता.२३२ वइन................. श्रेष्ठिनी ......... .जि.ता.२५६ २५६,२७२,३४०,३४७. वासुपूज्य ................. तीर्थंकर
जि.ता.३४० वउध.....
जि.का.१३६९ ................................ ३५१,४२६,जि.का.८५,७१५, वाहरि साधु मुनि..
..जि.ता.१/३ बिकत्तु साध्वी ... जि.का.७२९
........................१६७०,त.ता.नं. ८ वाहला.
..जि.ता.२३६ बचावा ग्राम... ..जि.ता.२७५ वर्धापन .................... श्रेष्ठी ......................................जि.ता.५० वांकुलदेवी
देवी.
........ जि.का.४०९ वच्छक.. जि.ता.२२/१० वर्षाऋतु
............... जि.का.१७४६ वांकुलांबा
देवी.
... जि.का.१०१५ ..... शाखा ............जि.ता.८५,२५०,२५९,२६७,२७२ | वलमा .....................नगर
......जि.ता.११६,३३८ विक्रमद्रंग...
नगर ..
...जि.का.१७५४ वज्र .......... ..........................जि.ता.१८३ वल्ल भराज ...
राजा ... नि.ता.२५९ | विक्रमपुर ............. नगर.
....जि.का.२३९ वञ्चसिंह ................... श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३६ वल्लाल.......... ..राजा...........
.....जि.ता.३६१ | विक्रमवप्र.. नगर
........... जि.का.१५६४ वनसेनसूरि .............. ........................ जि.का.७१५ वसन्तोत्सव
.......जि.ता.३६१ विक्रमसिंह ..
......जि.ता.४०३/३ वजस्वामी ....................... जि.ता.२३१,२३५,२७२,जि.का.७१५,तता.नं.८ वस्ता ... .............
जि.का.१०८ विग्रहराजदेव राजा --
जि.ता.२१४ वटपद ..................... नगर ......................... जि.ता.२११,२३५,३६८ । ................... देवी ................ .......... जि.ता.२३६ | विनमल ...................
..जि.ता.७६ वडाच्छ..... ..........जि.ता.२५९ वाग्देवी .......
जि.का.१८३३ विजय ..................... श्रेष्ठी ................ जि.ता.२७०/३,तता.नं.२ वदरसिद्धि ................. ग्राम..................... ................ जि.ता.२५० वाचक ........................... जि.ता.३४/२,१६०/८,२७०/१,जि.का.१२४४ विजयकीर्तिमुनि .....................
.....जि.ता.३४० वनराज .................... राजा ....... .... जि.ता.२५९ वाचनाचार्य .......................... जि.ता.२३२,३४०,जि.का.१२७५,तता.नं.८ |विजयचंद्रगणि ...........
जि.ता.२०२ वनेचंद...................... लेखक-श्रेष्ठी ...... .. जि.का.९५५ वाचस्पति .................. ग्रंथकार ...... ..........................जि.ता.३१० |विजयदशमी ................ तिथि ................... .................जि.का.१७३५ वयजल ...... श्रेष्ठी ............ जि.ता.२३६ वाच्छ ...................... श्रेष्ठी ................................... जि.ता.२२१० | विजयदानसूरि ................................
जि.का.१७५८ वयजलदेवी श्रेष्ठिनी................................... जि.ता.२३६ वाछामंत्री .................. लेखक.............. तता.नं.८,थाहरुशाह का.२८९ | |विजयदेवसूरि ................................... जि.ता.२७२,३५१,जि.का.१५८७ वयरसिंह .. राजा ................................... जि.ता.४०/२ वाणिज्य .................... कुल
........जि.ता.२६७ विजयमती .................श्रेष्ठिनी................................... जि.ता.२३५ वरणू.................. श्रेष्ठिनी .....................जि.का.१३६५,तता.नं.८ वाणी......................
..........नि.ता.२५२ विजयराजगणि................. ........................ जि.ता.४५०,१४८३ बरद...... गोत्र ............................थाहरूशाह का.२८९ | वादिराज ....................
जि.का.१८४० विजयसिंह ................. श्रेष्ठी .................... जि.ता.२०६,२३६,४०३/३ वरदेव ............... श्रेष्ठी ........ जि.ता.१५,२३९/२,२५६,३४०,४०४ वामनस्थली ............... नगर
जि.ता.३५७ विजयसिंहसूरि ........................ ................ जि.ता.२५२
श्रेष्ठी.
श्रेष्ठी
श्रेती
श्रेष्ठी
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श्रेष्ठी ............... श्रेष्ठी .... श्रेष्ठी ....
.....
वीरम ........
वीर ...
विशेष नामों की सूची- परिशिष्ट १३-६०७ विशेषनाम किम्
ग्रंथांक विशेषनाम किम्
ग्रंथांक | विशेषनाम किम्
. ग्रंथांक विजयसेन.................. राजा ... जि.ता.३५१ विमलसूरि:.............जि.ता.३५६ वीरदेव...
...........जि.ता.२८,३१२ विजयहर्षगणि वाचक .......... ..जि.ता.३४० विमलेन्द्रसूरि.
.जि.का.१७८९ वीरधवल
....... जि.ता.२३६ विद्यादेवी जि.ता.११,२६० विरहलांछन................' आचार्य
जि.ता.३१४/४ वीरनाग...
................ जि.ता.२०९ विद्याधर.... गच्छ ..जि.ता.२५९ विल्वक..
श्रेष्ठी .......... .जि.ता.१९/६ वीर .....
पंडित
... जि.ता.१७७/२ विद्याधर. ता.१७७/२,जि.का.१३६५ विशददशमी ............... तिथि .............
जि.का.१५८७ | वीरपाद ....
देवीस्थानक....................... जि.का.१०१५ विद्याधरी ...............जि.ता.२७२ विशालसत्यगणि .......................
जि.का.१७५८ वीरपाल...
श्रेष्ठी .................... जि.ता.३१२,लोका.नं.३/८
..... विद्युत्पुर ..................जि.ता.१९९ विश्रान्त.................... ग्रंथकार.............
जि.ता.३६९ वीरभद्रसूरि.
.जि.ता.२४५ विधिधर्म .............जि.ता.३४०,३५१ विश्वप्रकाश ................ ग्रंथकार ........
.जि.ता.३१०
श्रेष्ठी .............
.................................... जि.ता.२३६ विधिपक्ष ..... जि.का.४७,१०८,२३८ विश्वलदेव ................. राजा .........
जि.ता.१५७/५ वीरमगाम ...... नगर .....
.....नि.का.१८९ विधिपथ ......... जि.ता.३१,२९७ |विषयदण्डाराज्यपथक.......................
..जि.ता.२३७ वीरमदेव
राणा .....
..जि.ता.१९९ विधिमार्ग............... ....जि.ता.२७० विषयपथक...............................
जि.ता.२३३ वीरमपुर.
नगर .......
जि.का.१५८१ विनयकुमार गणि .................... ..जि.का.७२१ विष्णुदास.................. राजा ................
.जि.का.१८४०
मंत्री..
जि.ता.२५९ विनयाप्रमोद गणि............................................. .जि.का.१७३५ विध्यगिरि .................जि.ता.२५९ वीरवती ............... श्रेष्ठिनी..
जि.ता.१५ विनयगेरु गणि .......... लेखक ........................... .जि.का.१२३९ वीजापुर .................... नगर .............. ..........जि.का.१३००/२ वीरश्रेष्ठी...................
... जि.ता.२३२ .जि.का.१७३५ बीण्हुका ...................श्रीष्ठना ........ विनयलाभगणि ......................
.. जि.ता.२०६ वीरसद्म.. .............
चैत्य ................................
........ जि.ता.४०३/२ विनयसुंदर ................. लेखक-मुनि ..................... जि.का.४०९,७५६ | वीरक..
......... जि.ता.११९,२३२ वीरसिंह उपाध्याय .....................
.जि.का.५०६ विनामिका .............. श्रेष्ठिनो......................................तता.नं.८ वीरकलशगणि..........................
जि.ता.२७२ वीरसूरि
जि.ता.२३१,२३२,२५२ नगरी........................................तता.नं.२ | वीरगणि..
..जि.ता.२०५ वीराई ................. श्रेष्ठिनी..
..जि.का.२१७५ विपुलमती ................. श्रेष्ठिनी ................................लोका.नं.३/८ वीरचंद्रमुनि ..
.जि.ता.२७५ वीरातरा....
..... जि.का.४०९ विबुधप्रभ.................. ....जि.ता.२५६ वीरजिनचैत्य चढावल्ली ग्रामे .
..जि.ता.२५९
श्रेष्ठिनी.
जि.का.९५५ विमल .....................श्रेष्ठी ......... ..............जि.ता.११९,२३७,४२६ बोरजिनभवन .........
जि.ता.२३५,२५२ वीरोधी ....
श्रेष्ठिनी..
..जि.का.१२७९ विमलकीर्तिगणि......... ...............जि.ता.३४०,७२१ वीरड.......................
...जि.ता.२५६
श्रेष्ठी .
जि.ता.२७२,४२६ विमलचंद्रगणि............. श्रेष्ठी ......जि.ता.१५,३४०वीरतीर्थ .................................
...जि.ता.११९ बीसल ..... राजा....
...जि.का.१२३१ विमलचंद्रसूरि ........... .................जि.का.१०८६ वीरतीर्थकर ...............
..जि.ता.३४/४,३७,२५९,
बीसल .... श्रेष्ठी .
.........जि.ता.२३२ विमलतिलकगणि................ ......जि.ता.३४० जि.ता.३६२,जि.का.५६२,७१५, वृटिक
......जि.का.२१७३ विमलमती .................श्रेष्ठीनी ...जि.ता.३४० १२७९,१३९६/३,तता.नं.८, वृद्धखरतरवेगडगच्छ...
....... जि.का.४५८,७१५ विमल ..................... मंत्री .... ..जि.ता.२५९
लोका.ता.३/८ वेगडगच्छ
.... जि.का.१७२,१८५,३४८,८५०,१४९९ विमलरीले प्रतिष्ठा ........................ ..जि.ता.३१/२ वीरदेव ..................
..जि.ता.१६०/१ वेगविरुद ..................
.........जि.का.४००,४०९,४३१,७१५
श्रेष्ठी
विनीता ...........
ग्राम....
वोरी.......
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________________
वेल्लक
वैरोट्या ........
६०८ - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३
ग्रंथांका विशेषनाम किम् ग्रंथांक|विशेषनाम
ग्रंथांक वेजयंत ........... देवलोक................ ........ नि.ता.२५२ शशधर...................... कल....
..जि.ता.२११ / शिवनिधानगणि ..........
..जि.का.४५० श्रेष्ठी ...जि.ता.४२० शशांकधर ................. पंडित.....
....जि.ता.३८६ शिवराज ................... मंत्री..................... .जि.ता.४२६,जि.का.१३६५. लेखक .जि.का.१२७५ शंकर भट्ट
..जि.ता.२८६ शिवहर्षगणि ....
लेखक
जि.का.१७५८ वेत्रातट नगर .जि.का.१७५१ शंखलवाल ................ गोत्र
.जि.का.८५ शिवादेवी..
श्रेष्ठिनी
..... जि.ता.१५ वेल(सी) श्रेष्ठी जि.का.९५५ शंखवाल .................. गोत्र जि.का.१३६९ शीतपुर .................... नगर
... जि.का.८११ श्रेष्ठी जि.ता.११९,२३२ शंखेश्वरापार्श्वनाथ ......... .जि.का.४५८ शीता.................. श्रेष्ठिनी.
जि.ता.२३५ वेल्हक... श्रेष्ठी जि.ता.२८३ शंभवनाथदेवगृहस्थापनामहे
शीलदेवसरि
जि.का.१८५९ बेहक, लेखक नि.ता.२०९ राजती मुद्रां प्रददौ ........... ...नि.का.१०८ शीलभद्रसूरि .
जि.ता.७६.२०२ श्रेष्ठी ..जि.ता.१५ शंभु...... ................ जि.का.१०५१ शीलमती ...............
जि.ता.२३७ वेरसिंह............... श्रेष्ठी .नि.ता.२०६ शाकंभरि .......... .................जि.ता.३२२,२६१ शीलाचार्य
जि.ता.१/३,२३७ वैरिसिंह ........
.जि.ता.४२६ शाखा ........ ..................... जि.का.२२८.१४५२,१७५९ शीलांकाचार्य ...
..जि.ता.१/३ देवी. ...जि.ता.११ शालिग .................... श्रेष्ठी .............................जि.ता.२५६ शीलुका.................
.जि.ता.२३७ वैशेषिक .............. संप्रदाय ..जि.ता.३७३ शालिभद्र ..................श्रेष्ठी ........................ जि.ता.८५,२७० शुभविजय
जि.का.१७१८ वेसट.
जि.ता.१५ शालिभद्रसूरि ...........................जि.ता.२०२,२३१,२८१ शुल्क शाला ..........................
जि.ता.२१७ बोडसिंह ...............जि.ता.२५६ शाश्वत ..................... ग्रंथकार..... ..............जि.ता.३१० शुषमिणि ..................श्रेष्ठिनी ............
जि.ता.३१२ वोसरि .................. श्रेष्ठी . ............. जि.ता.२३१,२३५ शांतमती गणिनी......... साध्वी
......... जि.ता.१५४/१९ शृंगारदे..................... श्रेष्ठिनी ...........
जि.ता.११९ वोहडि.. श्रेष्ठी ............... जि.ता.४२/१,२३० शांति....................... श्रेष्ठी ....
............जि.ता.२३७ शंगारदेवी .................. प्रेष्ठिनी ......
जि.ता.२०६ व्यक्त... गणधर.... .........जि.ता.२७२ शांतिजिनप्रासाद .........
..जि.का.६७३,८०६ शेषभट्टारक................ पंडित ............. व्याडि...................... ............................ जि.ता.३९० शांतिनाथ .................. तीर्थकर, ........................ जि.ता.२५२,२४०
जि.ता.२५२,३४० शैक्ष..
जि.का.१४०२ व्यास ...................... गोत्र ............................जि.का.१२३९,१६४७ शांतिनाविम्य ........................ ................ जि.ता.२३७
.जि.ता.२६४
शोभनदेव .................. व्रतोत्सव...................जि.ता.४२६ शांतिनाथमंदिर................................... .........जि.ता.११२,११४ शोल्लिका ................. श्रेष्ठिनी ...........
.जि.ता.२५६ शांतिमती ...................श्रेष्ठिनी ...... ........जि.ता.८५ श्यामल पं...............................
.जि.ता.३२५ शतपत्रग्रामे नेमिपार्श्वयोबिम्चे .. ................. जि.ता.२५६ शांतिरत्नगणि..
....जि.का.१९४६ श्रीकृष्ण ..........................................
जि.ता.४१३/२ .............. जि.का.१०१८ श्रीचंद.....................श्रष्ठा
... श्रेष्ठी ................. जि.ता.२३९/२,जि.का.१३६०
................. ज.ता.२२१/ शत्रुजय .................... तीर्थ ....... नि.ता.१५,११७/२,४२६,जि.का.१०६२, शांतिवल्लरी गणिनी ..... साध्वी ....
न.का.१५५ ........................ १३६९,२१७५,तता.नं.८,थाहरुशाह का.६४ शांतिसूरि
..जि.ता.२०९,२६६,३४९, श्रीचंदसूरि ......
....जि.ता.२५१ शत्रुजयदेवदेवकुलिका ........... .जि.ता.२८,५० ..जी.का.१३९८,१४८० | श्रीदेवी,
जि.ता.२३५,२३६,३४०, ............. जि.ता.२३७ शांती ................... श्रेष्ठिनी
.जि.ता.२५६
..जि.ता.४०३/३,लो.ता.१/८ शय्यंभवसूरि.
१५.२७२,तता.नं.८ शांब .......................श्रेष्ठी .................................... जी.ता.२०९ श्रीधर ...................... लेखक ................................... जि.ता.३१४ शरणिग.. जि.ता.२३१.२३५ | शिवदिनसूरि
जि.ता.१५१/२१ श्रीधर
श्रेष्ठी ........... जि.ता.८४/१,२७०/४,त.ता.१/८ शर्व ....................................................................जि.ता.२८५ | शिवदेवमणि ........................................... ..जि.का.२०४९ श्रीय
जि.ता.३२५
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
..........
जि.ता.३६१
श्रेष्ठी
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विशेषनाम श्रीध्वजा ..................."
नगर...
..जि.ता.१५
श्रेष्ठि
...
श्रेष्ठी
विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ - ६०९ किम्
ग्रंधांक | विशेषनाम किम
ग्रंथांक|विशेषनाम किम्
ग्रंथांक ....जि.ता.३४० सज्जना ........... श्रेष्ठिनी..
..जि.ता.२३१ सर्वानंदसूरि.
.......जि.ता.२७५ श्रीपती
.जि.का.१८४० सज्जनी...
श्रेष्टिनी ......... जि.ता.२३६ सलक्षणा .................. श्रेष्ठिनी.
....जि.ता.२३६,२३७ श्रीपादपज्य ................ग्रन्थ कार....
जि.ता.३१४/५ | सत्यपुर .... नगर ......जि.ता.७७/२,जि.का.१९४६,त.ता.१/८ सलषाक ठ.............. लेखक.
.जि.ता.१८७ श्रीपाल .................... श्रेष्ठी ....... ..जि.का.१०८६ सत्यपूः .. ...जि.का.१०८६ सल्लक्षण..................श्रेष्ठी
जि.ता.१५ श्रीमती. श्रेष्ठिनी................................ जि.ता.४/१५ सत्यशील
मुनि......
...जि.का.१५३२ सल्ल क्षण..................श्रेष्ठिनी...... श्रीमल्ल ................... श्रेष्ठी ........................जि.ता.१०८,था.का.६४ सदारंग पं.......
..............जि.का.२५१ सल्हाण.................... मुनि............... .........जि.ता.३९१/१ श्रीमाल .................... कुल ..............................जि.ता.३१/२,३४१ सदेव...............
श्रेष्ठी
.......जि.ता.७६ सवाईयुगप्रधान ............ बिरुद ................... जि.ता.१०८,जि.का.१०१५ श्रीमाल ................... जाति...................................जि.का.१४५३ सद्धर..
श्रेष्ठी जि.ता.४०३/४ सवाईवेगडविरुद.......... विरुद.
.............. जि.का.४०९ श्रीमाल .................... वंश ...................... जि.ता.२२/१०,८३/३,९१, सद्भावलांछन ............. आचार्य
जि.ता.३१४/४ ससिप्रभ
...................जि.ता.२५२ ११९,१२४,४०३/१/३, सप्तक्षेत्री........................
.जि.ता.३१/२ सहजकीर्तिगणि ........... लेखक ............... ........जि.का.१६२२,२०४९ जि.का.१२७९,तता.२,लो.ता.१/८ सप्तचेत्य ........................
....जि.ता.१०८ सहजगति ..................
....................जि.ता.१५ श्रीमालपुर................. नगर ........... ..............जि.ता.२५९ सप्तफणापार्श्वनाथ ..........
जि.ता.३४० सहजल................
.................. तता.१/४ श्रीराज ..................... मंत्री..................................... जिका.१३६५ सभाचंद ................... श्रेष्ठी
जि.का.७६२ सहजलदेवी........... श्रेष्ठिनी..
..............जि.का.९५५ श्रीराटहद.................. ग्राम................................... जि.का.१४७० समधर .....................
..जि.का.१/८ सहजला
श्रेष्ठिनी. .................... जि.ता.२०६ श्रीरास ..................... श्रेष्ठी .................................. जि.का.१३६९ समधरधी .................. श्रेष्टिनी..
.जि.का.१२७९ सहजिग......
लेखक ............
...............जि.ता.३६६/२ श्रीधर. ... जि.ता.२५९ समयकल्लोल............. लेखक-मुनि
.जि.का.१७५० सहणपाल ..... श्रेष्ठी
..................था.का.२९२ श्रेष्ठिनी. ..जि.ता.२३१ समयराज पं.
जि.ता.६८/२ सहदेव
श्रेष्ठी ....... जि.ता.११४,२१७,२३६,२७०/४,२७२ श्रीस्वामि .................. पंडित ........ जि.ता.३३८ समयसुंदरगणि............. लेखक-ग्रंथकार............जि.का.१७९५,१२७५/
१ सहसमल्ल ............... राजा ...
..जि.का.१२३१ ............जि.ता.२६०,जि.का.७१५ समयहर्षगणि .......
....जि.का.१५३२ | सहस्रकिर्ण................. श्रेष्ठी ..................................जि.का.१३६५ श्रुतदेवी. ............ जि.ता.२५२,३२६/२ |समालखानडेरा नगर
.. जि.का.११०८ सहस्रकिरण .... श्रेष्ठी
....................
..जि.का.२१६९ श्रेयांसजिन ................ तीर्थंकर ........जि.का.१५८१ समुद्रमुनि पं. ............ लेखक-मुनि
..जि.का.१०१५ सहस्रराज..................
श्रेष्ठी
.जि.ता.४२६ घेतांबर
....जि.ता.३७५/३,जि.का.७१५ .................संप्रदाय
समुद्रोद्यंतसूरि........ ....... जि.का.७१५ सहिगिल ................... श्रेष्ठी
जि.का.२४७ श्वेतांबर यति .................... ............जि.ता.२७९/१ समुद्धर........... .......................... जि.ता.२७०/५,३९२ सहिजला .................. श्रेष्ठिनी......
जि.ता.२३६ श्वेतांबराचार्य ........ जि.ता.२११,जि.का.१०१५ सरस्वती.............. .....................जि.ता.२५०,२६७,३९४/२, संखटक ................... नगर .......
जि.का.९५५ ......... ३२६/१,३३७,जि.का.५६२,२०४१ संगमखेटक................ नगर .........
जि.ता.२२२ सकलचंद्रगणि.....
....... जि.का.१७९५,१२७५ सरस्वती...................श्रेष्ठिनी........जि.ता.१५,२८,५०,११४,२३६,४२६ संघ साधु साध्वी सक्तिपर....................नगर.... ..............जि.का.७६२ | सरस्वतीपत्तन .........
..........................जि.का.१८५९ श्रावक श्राविकारूप .............. ......................जि.ता.१७७/२,तता.८ सगणिव ...................
जि.ता.११६ सर्वदेव .... .................... श्रेष्ठी ................ जि.ता.२३६,२३७,लो.ता.१/८ संधतिलकसूरि.........
..........................जि.का.१७९८ सज्जन..................... श्रेष्टी .. ...................... जि.ता.२३१,२३२,२३७ सर्वदेवसूरि...................................... जि.ता.२२२,२३१,२७०/१,२७२, संघपट्टक ............
......................... जि.ता.२७२ सज्ज न..................... श्रेष्ठिनी...................................जि.ता.२३१
............................ ३९४,३५१,३६४/२,लो.ता.४ संधपति...................... ...................... जि.का.२९७५,त.ता.८
.......
श्री....................
श्रलदेवता .......
.....
g
...नगर .....
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श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
६१० - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ विशेषनाम पंचांक|विशेषनाम
ग्रंयांक विशेषनाम संघवाणी ...... .................जि.का.१४५० साढदेव ...................
...... लो.ता.१/८ साहण ..........
............. जि.ता.२३६ संघवी
..जि.का.३६४,२१७५ साढल ..................
श्रेष्ठी जि.ता.११२,२७२ साहिसलेम .......
.जि.ता.१०८,या.का.६४ संघसोमगणि
....जि.का.५१२ सादलही...................
श्रेच्छिनी जि.ता.११४,२७०/४,२७२ साहु हेमा................. श्रेष्ठी
जि.ता.४२/१ संघाटिक ...जि.का.८२७ सादा ठ.................
.जि.ता.८३/१,११,१२४ सांख्य........
संप्रदाय
..जि.ता.३७३ संघेशपद........... ..जि.ता.४२६ सादेव पंडित .............. लेखक ......जि.ता.१५९/१२
जि.ता.२३६,४२० संडपल............... जि.ता.२५९ साधर्मिक............ .........त.ता.८ सांगाकउ .................... लेखक....
जि.ता.१५७/५ संडेर............... जि.का.१३९८ सार्मिकवात्सल्यभोजनदान....... ....जि.ता.१५,४२६ सांगा मंत्री................ लेखक....
.नि.का.१५५८ संतिजिणभवण ............
...जि.ता.११६ साधारण ................... श्रेष्ठी ....................जि.ता.३१/२,८५/२.२३२, सांपट स्वर्णिक .......... श्रेष्ठी संतुक श्रेष्ठी जि.ता.२३७
.................... २३७,त.ता.८ सांपू........................ श्रेष्ठिनी..... संपिका................... श्रेष्टिनी .........जि.ता.२३७ साधारणकवि .............. मुनि.
.जि.ता.२६७ सितपटगुरु .....................
.............. जि.ता.२१७ संपूर्णा ..................... श्रेष्ठिनी जि.ता.२३६ | साधुकीर्ति उपाध्याय ................................................ जि.ता.१४९, | सितपनपुर ................. नगर .....
.जि.का.१८४० संप्रति ...................... महाराजा...... .................. जि.ता.२७२ ....................................................३४०,जि.का.१५८१,था.का.६४ | सिद्ध .......................
............नि.ता.२३६,२३७ संभूतविजय ....................... ........जि.ता.२७२,२८० साधुरत्न .............................. ..............जि.का.१४२८ सिद्धधवल.................श्रेष्ठी
................... जि.ता.२३७ संवत्सर.. ....जि.का.९२,१६७०,१७२१ साधुसंदरगणि वाचनाचार्य... .................जि.ता.३४० सिद्धराज................... राजा ......
....जि.ता.२५२,२५९ संसारदे .................... श्रेष्ठिनी...... .......... जि.का.२१५९ साधुसोमगणि.............. लेखक-मुनि ........................... जि.का.१०६७ | सिद्धवीर .................
............. जि.ता.१९५,२५२ साइया..................... श्रेष्ठी ..................जि.ता.७/२,११,४७/२,४९, साभट .....................श्रेष्ठी .................................... जि.ता.२३६ | सिद्धसेन दिवाकर.........................
.........जि.का.२४८ ..... ............................. ५६,६०/२,६४,९९.९९० ४ ८ साम.......................श्रेष्ठी
......... जि.ता.२६७ .................................... मि.ता.२३२ सिखसेनसार....... श्रेष्टिनी ....................... .............. जि.ता.२३६ सामंत .................... लेखक.....
.जि.का.१८४० सिद्धान्तकोश........................ जि.ता.२१/५,२४/४,३४/४,४९, श्रेष्ठी ....................जि.ता.१६,२४/४,३४/४, | सामंत .....
श्रेष्ठी
.जि.ता.२३६,२५६,त.ता.२ |.................................................. ५२,६३,१७,१५१.१२२,१४७/१८ ...................८९/१,११०,१२२,१४७/१८,३१५ सामंतसिंह ............. श्रेष्ठी
....जि.ता.२०६ सिद्धान्तभाण्डाकार .....................
.....................जि.ता.८९/१ गोत्र.................................... जि.का.१३६० सायणवाड...........
....जि.ता.२५९ सिद्धान्तरुचि उपा......
.....जि.का.१०६७ श्रेष्ठिनी.... ........................जि.ता.३४० सारंग
श्रेष्ठी
.जि.ता.८५ सिद्धान्तसंग्रह ........जि.का.२१७३ सारंग
लेखक जि.ता.१/३ | सिद्धायिका ......
.... जि.ता.२६३ .............. जि.का.९५५ सारंगदेव
राजा --- जि.ता.२५० सिरपति ...
जि.का.२१६९ सागरचंटूगणि
सालिग mmun.................जि.का.१४०२ श्रेष्ठी .....
जि.ता.२६७
....... त.ता.२ | सिरोहा....... सागरचंद्रसूरि ....जि.का.१४०२,१४५३, सालिसरि
जि.का.१३९८ सिल्लण...........
.जि.ता.२६४ १४८३,१५३४,१६७८.१७४६,२०४९ साल्हण
श्रेष्ठी जि.ता.१५.१५७/५,२५६ सिवनंदिवाचक ......
जि.ता.३४/२ ...................... जि.ता.२१७ साल्ही
श्रेष्ठिनी
..जि.का.१२७९ सिंधु ....................... देश .. ...........जि.का.८११,२०४९ ..........................नि.ता.२९७ सावित्री
श्रेष्ठिनी ........जि.ता.२३६,२७०/५ सिंहगिरि .....
.जि.ता.२७२ श्रेष्ठी .....................................जि.ता.१५साहड................
श्रेष्ठी ................... जि.ता.२३६ सिंहतिलकसरि ....................
.जि.का.९२५
........
.ता.४
minश्रेष्ठी
श्रेती
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
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________________
विशेषनाम
सिंहबल
सिंहसूरि
सीणि
सीतादेवी
सीतु
सीधर.
सीधा
सीमंधर
सौमिका
सीलादिच्च
सीलुका.
सीलू.
सीहक
सीहड
सुजाणविजयगणि
सुधर्म
सुधवा सुप्रतिबद्ध.
सुभटादेवी
सुमति
सुमतिधर्म पं.
सुमतिविजयगणि
सुमतिविमलगणि
सुमतिसिंह सूरि.. सुमतिसुंदरगणि
सुमतिसूरि
सुमतिसेनगणि.
सुमतिहर्षगणि
सुमतिहेमगणि
किम्
राजा
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
तीर्थंकर
श्रेष्ठिनी
राजा
श्रेष्ठिनी श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
लेखक
गणधर
श्रेष्ठिनी
आचार्य
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
लेखक-मुनि
लेखक.
ग्रंथांक | विशेषनाम .जि.ता.३१२ सुयदेवया जि. ता. ३५१ सुरतिबंदर. .जि. ता. २५९ सुरपति.
जि. ता. १५, २०६२३६, २३७, ४०३/१ सुशर्म. ..जि. ता. २३१ सुस्थित
.त.ता.८ सुषमता त. ता. ४ सुहस्ती जि.का. ४०० सुंदरी.
७६ सूपट पंडित
. जि. ता. ११६ सुमिणि
.जि.ता. २३५ सूमक. .जि. ता. २५५ सूमणबुध सूमला सूमशाखा, सुमाक सूर.
जि. ता. २०६ जि. ता. २३६ .जि.का. १७२९ .जि.ता.८५, २३५, २५९,२७२,
,३५१. त.ता.८ . जि. ता. २३६ .जि. ता. २७२ . जि. ता. २३९ / २ .जि. ता. २२५, २५६ .जि.का. ७५६, १८३३, १८४० ,जि.का. १७२१
सूप्रभ वाचक सूरसुंदरसूरि. सुराचंद
सूर्यवंश
सूहवदेवी
सूहवा सेढी.
.जि.का. १७३५ सेतव पं० .जि. ता. ४०३/१ सेनापुर... .जि.का. १७३५ सेरणा
.जि.ता.८८.१७७/२.जि.का. १३९८ सेलू..
.जि.ता.८, ४७, ६१ सेवाक .जि.का. १४० सैतव .जि.का. १७३५ सीडल
किम्
नगर ...
inth 11, 2
श्रेष्ठिनी. लेखक,
श्रेष्ठिसन्तति
. लेखक
ग्रंथांक | विशेषनाम .जि. ता. ११ सोणला .जि.का. ३४८, १३८१,१५८७ सोनपाल
.... त.ता.८ सोनाइबा जि. ता. ३४० सोभना जि. ता. २७२ सोभाक जि. ता. २०६
सोभी
.जि. ता. २७२ सोमकीर्तिगणि
. जि. ता. ११४, २३७ सोमकुंजरगणि.. .जि.ता. ४०८ सोमगणि साधु
. जि. ता. २५६ सोमजयसूरि जि. ता. २३६ सोमटि
, जि. ता. २६३ जि. ता. २०६ जि. ता. २३६
. जि. ता. २५६ सोमसिंह. .जि. ता. २१७ सोमसुंदर वाचक , जि. ता. २७० / १ सोमसुंदरसूरि ,जि.का. ५९७ सोमहर्षगणि
.जि.का. १२३१ सोमाकर भंडारी.
.जि.का. २४७ जि. ता. २०६
, जि. ता. २३७ , जि. ता. २७२
जि. ता. ३१४/५ जि.का. ५९२ .जि.का. ८५६
. जि. ता. २०५ .जि. ता. २५६
जि. ता. ३९४ /४ जि. ता. २२/५
सोमदेव...
सोममुनि.
सोमरत्नगणि
सोहिक सोहिणी.
सौधर्मगच्छ
सौधर्मगण
सौभाग्यदेवी सौभाग्यसमुद्र पं. सौम्यमूर्तिगणि सौम्यसंवच्छर
सौराष्ट्र. सौरिपाद सौवर्णिक
विशेष नामों की सूची परिशिष्ट १३ - ६११ ग्रंथांक .जि.ला. १५ .त.ता.८
जि. ता. १३७७ .जि.ता.४०३/३. .त.सा. २
.जि. ता. १५ .जि.ता.२८७ .जि.ता.१/३
किम् श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी
• श्रेष्ठिनी श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी
श्रेष्ठि
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी
श्रेष्ठी श्रेष्ठी
श्रेष्ठिनी लेखक-मुनि
. देश
पंडित
श्रेष्ठी
-
.. त.ता.८
जि.का. ५९७ जि.ता. २३०
.जि.ता. १९/६
.जि.का. ७२९
.जि.का. ५९२ जि.ता.२०६,२१७ जि.का. १२४४ .जि.का. ५५६,८२७,१५५८, २०६८
.जि.का. १७५९ .जि.ता.७६ जि. ता. २३५
.जि. ता. १५०/१०,२३२,२३६,२५६ जि.का. ७१५ जि.का. ७१५ जि. ता. १५ .जि.का. १९३६ जि. ता. ३५१
जि.का. १७२१
जि.का. १३६५ जि.ता.३२९
जि. ता. २३२
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________________
....जि.ता.११९
स्तुति -------
६१२-विशेष नामों की सूची- परिशिष्ट १३ विशेषनाम किम्
ग्रंथांक | विशेषनाम किम् ग्रंथांक| विशेषनाम
ग्रंथांक स्तंभतीर्थ .................. नगर ............जि.ता.७/२,११,१६,२१/५,२४/४, | हरिपाटक................ गोत्र
जि.ता.२२८ हाजीखांनडेरा .............. ग्राम.. .......................जि.का.७५६,२०४९ ३०,३४/४,३७,४९,५३,६०,६३, हरिपाल ...........
..जि.ता.२१७ हाजी.
श्रेष्ठी ८३/१,८८/२,९०/३,९७,१०४/५. | हरिभद्र ............... श्रेष्ठी
...जि.ता.८५ हायल....
श्रेष्ठी
............त.ता.८ ११०,१२२,१२४,१४७/१८,१४९. हरिभद्रसूरि ............. ................. जि.ता.८८/२,२०२,२३७,२५९ हारी..
लेखक.
.जि.का.८६९ १९२,२०६.२८१,३१५,३५१,त.ता.७
.......................३७५/३,त.ता.८ हारीत.
महर्षि
जि.ता.३९४ स्तंभनपार्श्वनाथ ......... ....जि.का.८५ हरियाक पुरोहित ......... लेखक .................... जि.ता.३४/४,५४ १२२, हालार ....
जि.का.१०१८ स्तं भनपुर .................. नगर .....................................जि.ता.३४० .............. १४८.१९२,३१५.३६४/५,जि.का.१३१६/३ होडण..........
......त.ता.८ .....................जि.ता.२६७ हरिराज .. ........... राजा .....................जि.का.१७२,४४७,१४८३ हीर.......................... कवि.........
जि.ता.३४१ स्तूप......................
...जि.ता.२१७,२७०/४,२७२ हरिराज .................... श्रेष्ठी ...............जि.का.१०८,याहरुशा .का.२८९ हीरला .....................श्रेष्ठिनी.......................जि.ता.२७२,४१५/११
.......... जि.ता.२६७ हरिश्चन्द्र .................. व्यास ...... ................ जि.का.१२२९ होरविजयसरि................... .....................जि.का.७०२,१७५८ स्थाण......................... mmmun.nn ...........जि.ता.९२५ हर्ष......................... श्रेष्ठी .......... .............. जि.का.१३६५ होराई ......................श्रेष्ठिनी.
mmana......ाष्छ ना ...............................त.ता.८ स्थिरचंद्रगणि................... ............. जि.ता.२०८ हर्षकुसलगणि.... ........ जि.का.१२७५/१ हीरा ठक्कुर ..........................................................
जि.ता.२५० स्थिरदेव ...................श्रेष्ठी ............ जि.ता.२८.५० हर्षकुंजर................... लेखक-मुनि ....
... जि.का.८७१ हंबठ.......................
वंश.
जि.ता.२३६ स्थिरमती ..................श्रेष्ठी ..... ...........जि.ता.४०३/४ हर्षट ....................... ग्रंथकार .......
......जि.ता.३१४/२ | हेमचंद्र .....................श्रेष्ठी ...................... जि.ता.२५६,३४०.४०४ स्थूलभद्रस्यामि ..........................जि.ता.२७२,२८०,जि.का.७१५,त.ता.८ |हर्षति ...................... श्रेष्ठी ..................................जि.का.१५५८ हेमचंद्रसरि.............. ...................... जि.ता.७६,२६०/१,३११,३१२, ................... जि.ता.२२८ हर्षनंदन पं. .............. मुनि.................. जि.का.१७९५,थाहरु.का.२८९
............................. ३६१,३८१/२,४१९,जि.का.२२८ स्याणी ..................... श्रेष्ठिनी.. ना ..................................जि.ता.४२६ हर्षनिधानर्माण.......
... जि.का.१२७५/१ हम ............श्राष्ट्र
ठ................................................................जि.ता.४२६ स्वर्णप्रभगणि........................................जि.का.१०८,थारुशा.का.६४ हर्षपूरीय गच्छ......... .....................जि.ता.२६०,३५६.३८१/२,४१९ हेमप्रभसूरि.......................
.............. जि.ता.२१७,२८१ स्व ल .......................ग्राम......... ......................... ...जि.का.८६९ हर्षप्रभ.....................
...........................जि.का.८१० हेमभद्रसूरि...
...जि.ता.४०३/४ हर्षप्रिय उपा................ ....................जि.का.१७५० हेमसमुद्रसूरि....
........जि.का.२९७ षट्कर्म ......................जि.ता.२८ हर्षरत्न गणि ...... .................जि.का.१८४० हेमसिंह .................... श्रेष्ठी
.......... जि.ता.३१/२ जनपद ......................नि.का.४०९.१०१५ हर्षसागर या.......
.जि.का.१३९८.१२७५ हेमसूरि
....जि.ता.२३६.२४६ पंडेर..
गच्छ ................... जि.ता.२०१ हर्षसार गणि......
....... जि.का.४५० हेमा.
श्रेष्ठी
जि.ता.४२/१ श्रेष्ठिनी......... .........जि.ता.४२६
श्रेष्टिनी........... .जि.का.१५३६,१५५८ हमीर.. श्रेष्ठी . ...........त.ता.८ हंसरत्नसूरि .......
.जि.का.२९७ हेरंब देव..
जि.का.१८३३ लेखक .जि.का.१४२८ हंसराजसूरि
जि.का.२१७३ हीला
जि.का.१२७२ श्रेष्ठी थाहरुशा.का.६४ हंसला
बेक्तिनी ..................... .... जि.ता.२३९,जि.ता.२३६
जि.ता.२११ हरसिंग..................... श्रेष्ठी ..जि.का.१५५८ हंसाई ...................... श्रेष्ठिनी...
...........................त.ता.८ होबट
जि.ता.२३७ हरिकलश.................. मुनि.......... ...जि.का.८१० हंसिनी ..................... श्रेष्ठिनी ............................ जि.ता.११२,२७२ हौंबट
वंश ...............
जि.ता.२३७ हरिणदशमी .................... ....
... जि.का.१३८१ ।
षट्पत्तन
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प्राचीन अंकमाला के वर्ण - परिशिष्ट १४ - ६१३
('ज्ञानांजलि के पृष्ठ ४९ से निम्न तीन प्राचीन वर्णमाला के कोष्टक उद्धृत किये है)
. परिशिष्ट १४ : प्राचीन अंकमाला के वर्ण सेभ ी (एकम स्थानीय वर्ण) "
Is ta (दशम स्थानीय वर्ण) १% १,,,,,श्री.थी
१ = ल, लें. २ = २,न, सि, सि.श्री.श्री
२% ध, घा.
३ ल, ला. ३% ३,मः, श्री, बोयो.
४% प्ल, प्त, प्ता,ता. ४- कक, क, का, फँ, को, क,का,,का, v. 4- C, G6.६,. ५-कई ,,20,ठ, न,ना,वा,वी,वा,वी. ६. फ,,फा,,,,का,फ्रो,ऊ,ऊ,कु. र. ७-याये, या,या 63,ई,झा,को,v.
ए-8,3,3,8 ए उँ, .
RAGMCHAN
Aria (शतक
स्थानीय वर्ण) १- सु, से. २% सस्त,स. ३% क्षा, सा,या. ४- स्नासा,मा. 4% स्नोमोसो. ६% , तं, सं. -नः,सः,मः.
उपरोक्त कोष्टक में एकम अंक, दशक अंक और शतक अंकों को पृथक् पृथक् बताने का | प्राचीन ताडपत्री या कागज के ग्रंथों में सांकेतिक पत्र क्रमांक निम्नोक्त तरीके से (उपरसे नीचे | कारण इतना ही है की, एक, दो, तीन आदि ९ तक की एकम स्थान की संख्या पढ़नी हो तो के क्रम से) लिखा जाता था। एकम अंकों के कोष्टक में दीये गये १,२,३ आदि लिखें या पढ़ें । दस, बीस, तीस आदि ९९ तक
प्राचीनलिपि
अर्वाचीन वर्णमाला की संख्या पढनी हो तो दशम स्थानीय अंक दशक अंकों के कोष्टक में लिखे हुए एक, दो, तीन
............ शतक स्थान .......... १ आदि का प्रयोग करें या पढें । और १००, २००, ३०० आदि ७९९ तक के अंक पढना हो तो शतक स्थानीय अंक शतक कोष्टक में लिखे गये एक, दो, तीन आदि को लिखें या पढ़ें । हस्तलिखित
.... ............... दशम स्थान ........... ४ प्रतियों में बहुधा ८०० से ज्यादा पन्ने नहीं होते इसलिए इस से ज्यादा क्रमांक नहिं दिये ।
.... ............... एकम स्थान ...........४ - १४४
१. पू.पं. रमणिकविजयजीमहाराज आदि द्वारा संपादित सागरगच्छ जैन उपाश्य, वडोदरा द्वारा प्रकाशित 'ज्ञानांजलि पू. मुनि श्री पुण्यविजयजीमहारान अभिवादन ग्रंथ' से उद्धृत । (प्राप्तिस्थान : श्री महावीर जैन विद्यालय, गोवालिया टैंक रोड, मुंबई-२६.)
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६१४ - प्राचीन अंकमाला के वर्ण - परिशिष्ट १४
उदा० १.हम प्राचीन वर्णमाला में निम्नोक्त तरीके से लिखे गये सांकेतिक वणों को इस तरह पढेंगे -
खः..............शतक स्थान ..........७ & ............ दशक स्थान ..........५ ६..............एकम स्थान ..........
८ ७ ५८
उदा० २ . हम प्राचीन वर्णमाला में निम्नोक्त तरीके से लिखे गये सांकेतिक वो को इस तरह पढ़ेंगे -
शु दशक स्थान ६ ह एकम स्थान ५
जौहरीमलजी पारख' के सूचीपत्र से उद्धृत -
प्राचीन वर्णमाला के वर्ण १ से १०० तक । ।। 1 । । । । । । । पाललाप्र१ ६१
] 2|२|ल ३२२ २६२२१२२३२]
३३३ ला३५३६३३१३३३३ - [कल/कलाकाप्रधधधाक
Ek jalors || •[फ्रालय font o
fe[] सीलग्री घना लाप्राहमा थुनामा 984 ही लिहाहाहाहाहीही काही | पुलवधालाउप्रयाबुलाला ] 95 101XIA
. 100 10 20 30 40 5060 70 80 90 100
- ६५ इस तरह प्राचीन अंक पढ़ सकते है ।
उदा०३. प्राधीन वर्ण सिर्फ 'का' ऐसा लिखा हो तो यह एकम स्थानीय ६ अंक है। इस तरह प्राचीन वर्ण लिख या पढ़ सकते है ।
||१. विस्तृत जानकारी संकेत सूची से प्राप्त करें ।
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मुनिराज श्री जम्बूविजयजी महाराज द्वारा संपादित, संशोधित एवं प्रकाशित ग्रंथप्रकाशित ग्रंथ
८- धर्मबिन्दुप्रकरण (प्रताकार ग्रंथ)-आचार्य श्री मुनिचंद्रसूरिविरचितवृत्तिसहित आचार्य १- द्वादशार नयचक्र,भाग-१,२,३-आचार्य श्री मल्लवादिक्षमाश्रमण विरचित, आचार्य श्री हरिभद्रसूरिविरचित, प्रकाशक-जिनशासन आराधना ट्रस्ट, मुंबई। श्री सिंहसूरिगणिक्षमाश्रमणविरचितवृत्तिसह ।
९ - वैशेषिकसूत्र-चद्रानंदविरचितवृत्तिसहित २ - स्त्रीनिर्वाण केवलिभुक्ति प्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसह-यापनीयसंघाग्रणी शाकटायन प्रकाशक-गायकवाड ओरिएंटल सिरीझ, महाराजा सयाजीराव युनिवर्सिटी, बड़ोदरा
विरचित, प्रकाशक-जैन आत्मानंद सभा, खार गेट, भावनगर (गुजरातराज्य), (गुजरात), पीन-३९०००१ पीन-३६४००१
१०-- श्री सिद्धहेमचंद्रशब्दानुशासन स्वोपज़लघुवृत्तिसहित योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्तिसह, भाग-१,२,३ कलिकालसर्वज्ञ आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरि । - श्री सिद्धहेमचंद्रशब्दानुशासन स्वोपज्ञरहस्यवृत्तिसहित विरचित
प्रकाशक-श्री हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानमंदिर, पाटण-३८४२६५ - सूरिमंत्रकल्पसमुच्चय, भाग-१,२ - सर्वसिद्धान्त प्रवेशक, प्रकाशक-जैन साहित्य विकास मंडल, मुंबई, पीन-४०००५६ ४ - आचारांग-सूत्र
मुद्रणाधीन ग्रंथ - सुयगडंग-सूत्र
१- आवश्यकसूत्र नियुक्ति तथा चूर्णि सहित - ठाणंग-समवायंग-सूत्र
२- अनुयोगद्वारसूत्र, भाग-२, चूर्णि, हारिभद्रीवृत्ति तथा आ० म० श्री मलधारी - ज्ञाताधर्मकथांग-सूत्र
हेमचन्द्रसूरिविरचित वृत्तिसह अनुयोगद्वारसूत्र, भाग-१, चूर्णि, हारिभद्रीवृत्ति तथा आचार्य महाराज श्री मलधारी
३ - उत्तराध्ययनसूत्र, चूर्णि सहित हेमचंद्रसूरिविरचितवृत्तिसह, प्रकाशक-श्री महावीर जैन विद्यालय, ऑगस्ट क्रान्ति मार्ग,
४- औपपातिकसूत्र-आ०म० श्री० अभयदेवसूरिविरचितवृत्तिसहित मुंबई, पीन-४०००३६
५- प्रशस्तिसंग्रह-पाटण में श्री हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानमंदिर में एवं भाभा का पाडा के अणहिलपाटक (पाटण )नगरस्थजैनग्रंथभाण्डागारान्तर्गतानां हस्तलिखितग्रंथानां
भंडार में रही कागज की पांडुलिपियों में लिखी प्रशस्तिओं का संग्रह। सूचिः (अकाराद्यनुक्रम सहिता),भाग-१,२,३,४
पाटण में श्री हेमचंद्राचार्य ज्ञानमंदिर में रहे संघभंडार, संघवीपाडा का भंडार एवं| प्रकाशक-शारदाबेन चिमनलाल एज्युकेशनल रिसर्च सेन्टर, 'दर्शन' राणकपुर सोसायटी
खेतरवासी का पाडा में रहे ताडपत्रीय ग्रंथों की प्रशस्ति आदि सह विस्तृत सूची। के सामने, शाही बाग, अहमदाबाद, पीन-३८०००४
६ - द्रव्यालंकार, स्वोपज्ञवृत्ति सहित, कर्ता-कालिकालसर्वज्ञ आ० म० श्री.हेमचंद्रसरिजी ६- आचारांगसूत्र तथा सूत्रकृतांगसूत्र-शीलांकाचार्यविरचितवृत्तिसहित
महाराज के पट्टालंकार आ० म. रामचंद्रसूरिजी तथा गुणचंद्रसूरिजी महाराज। स्थानांगसूत्र तथा समवायांगसूत्र-आचार्य श्री अभयदेवसूरिविरचितवृत्तिसहित
७- स्थानांगसूत्र-आ०म० श्री. अभयदेवसूरिविरचितवृत्तिसहित मूल संपादक-आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानन्दसूरिजी महाराज
८- समवायांगसूत्र-आ०म० श्री० अभयदेवसूरिविरचितवृत्तिसहित परिशिष्ट कर्ता-मुनिराज श्री जम्बूविजयजी महाराज
प्रकाशक-मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली-११०००७ ७ - पंचसूत्र-आचार्य श्रीहरिभद्रसूरि विरचितवृत्तिसहित
प्रकाशक-भोगीलाल लहेरचंद भारतीय संस्कृति संस्थान, दिल्ली, पीन ११००३६ ।
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पूज्यपाद १०५ वर्ष के संघस्थविर आचार्य देव श्री १००८ विजयसिद्रिसूरीश्वरजी महाराज के पट्टालंकार पूज्यपाद आचार्य देव श्री विजय मेषसूरीश्वरजी महाराज के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री भुवनविजयजी महाराज ने विक्रम संवत् १९८८ में जैन दीक्षा ग्रहण की थी। उन्हीं के सांसारिक संबन्ध से पुत्र एवं श्रमण जीवन में शिष्य मुनिराज श्री जंबूविजयजी महाराज हैं।
इनकी सांसारिक माता ने भी जैन दीक्षा ग्रहण की थी। उनका नाम साध्वीजी मनोहर श्रीजी था। १०० वर्ष की आयुष्य समाप्त कर सं० २०५१ में श्री सिद्ध क्षेत्र पालिताणा में उन का स्वर्गवास हुआ था।
प०पू० मुनिराज श्री जंबूविजयजी महाराज ने मात्र १४ साल की बाल उम्र में जैन श्रमण दीक्षा ग्रहण की। आज दीक्षा जीवन का ६३ वाँसाल चल रहा है। इतनी लम्बी उम्र से अनेक शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन, संशोधन तथा संपादन का कार्य करते आए है। षड् दर्शन और न्याय का आपने अध्ययन किया है। आप अनेक भाषाओं के ज्ञाता हैं। पांडुलिपियों से संशोधन, संपादन करना आपके जीवन का मुख्य विषय बन गया है। द्वादशारनयचक्र नाम के ग्रंथ पर आपने तीस साल तक कार्य किया। इस ग्रंथ के माध्यम से आपकी प्रसिद्धि विश्व में चारों ओर फैल गई। परदेश से भी अनेक स्कॉलर्स, प्रोफेसर्स आपके पास पढ़ने हेतु आते रहते हैं।
जीवदया और सहधर्मियों को सहाय, ये दो परोपकार के कार्यों को आप प्राधान्य देते हैं।
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