Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RST - CELL શ્રેય જીર્ણોદ્ધાર -: સંયોજક :શ્રી આશાપૂરણ પાર્શ્વનાથ જૈન જ્ઞાનભંડાર શા. વિમળાબેન સરેમલ જવેરચંદજી બેડાવાળા ભવના હીરાજૈન સોસાયટી, સાબરમતી, અમદાવાદ-૩૮૦૦૦૫. મો. ૯૪૨૬૫ ૮૫૯૦૪ (ઓ.) ૦૭૯-૨૨૧૩૨૫૪૩ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ “અહો શ્રુતજ્ઞાનમ” ગ્રંથ જીર્ણોધ્ધાર ૧૧૦ જૈન લેખ સંગ્રહ ભાગ-૨ : દ્રવ્ય સહાયક: પૂજ્ય બાપજી મ.સા.ના સમુદાયના પૂજ્ય આચાર્ય નરરત્નસૂરીશ્વરજી મ.સા.ના આજ્ઞાવર્તિની પૂ. સાધ્વીજી શ્રી જયવંતાશ્રીજી મ.સા. તથા અન્ય ઠાણાની પ્રેરણાથી સુરત અઠવાગેટ પૌષધ શાળા, સૂરત જ્ઞાનખાતાની ઉપજમાંથી સંયોજક, શાહ બાબુલાલ સરેમલ બેડાવાળા શ્રી આશાપૂરણ પાર્શ્વનાથ જૈન જ્ઞાન ભંડાર શા. વીમળાબેન સરેમલ જવેરચંદજી બેડાવાળા ભવન હીરાજૈન સોસાયટી, સાબરમતી, અમદાવાદ-380005 (મો.) 9426585904 (ઓ.) 22132543 સંવત ૨૦૬૭ ઈ.સ. ૨૦૧૧ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ પૃષ્ઠ 238 286 54 007 810 850 322 280 162 302 અહો શ્રુતજ્ઞાનમ ગ્રંથ જીર્ણોદ્ધાર- સંવત ૨૦૬૫ (ઈ. ૨૦૦૯- સેટ નં-૧ ક્રમાંક પુસ્તકનું નામ કર્તા-ટીકાકાસંપાદક 001 | श्री नंदीसूत्र अवचूरी पू. विक्रमसूरिजीम.सा. 002 | श्री उत्तराध्ययन सूत्र चूर्णी पू. जिनदासगणिचूर्णीकार । | 003 श्री अर्हद्रीता-भगवद्गीता पू. मेघविजयजी गणिम.सा. 004 श्री अर्हच्चूडामणिसारसटीकः पू. भद्रबाहुस्वामीम.सा. 005 | श्री यूक्ति प्रकाशसूत्रं | पू. पद्मसागरजी गणिम.सा. 006 | श्री मानतुङ्गशास्त्रम् | पू. मानतुंगविजयजीम.सा. अपराजितपृच्छा | श्री बी. भट्टाचार्य 008 शिल्पस्मृति वास्तु विद्यायाम् | श्री नंदलाल चुनिलालसोमपुरा 009 शिल्परत्नम्भाग-१ | श्रीकुमार के. सभात्सवशास्त्री 010 | शिल्परत्नम्भाग-२ | श्रीकुमार के. सभात्सवशास्त्री 011 प्रासादतिलक श्री प्रभाशंकर ओघडभाई 012 | काश्यशिल्पम् श्री विनायक गणेश आपटे 013 प्रासादमञ्जरी श्री प्रभाशंकर ओघडभाई 014 | राजवल्लभ याने शिल्पशास्त्र श्री नारायण भारतीगोसाई 015 शिल्पदीपक | श्री गंगाधरजी प्रणीत | वास्तुसार श्री प्रभाशंकर ओघडभाई 017 दीपार्णव उत्तरार्ध | श्री प्रभाशंकर ओघडभाई જિનપ્રાસાદમાર્તડ શ્રી નંદલાલ ચુનીલાલ સોમપુરા | जैन ग्रंथावली | श्री जैन श्वेताम्बरकोन्फ्रन्स 020 હીરકલશ જૈનજ્યોતિષ શ્રી હિમ્મતરામમહાશંકર જાની न्यायप्रवेशः भाग-१ | श्री आनंदशंकर बी.ध्रुव 022 | दीपार्णवपूर्वार्ध श्री प्रभाशंकर ओघडभाई 023 अनेकान्तजयपताकाख्यं भाग पू. मुनिचंद्रसूरिजीम.सा. | अनेकान्तजयपताकाख्यं भाग२ | श्री एच. आर. कापडीआ 025 | प्राकृतव्याकरणभाषांतर सह श्री बेचरदास जीवराजदोशी तत्पोपप्लवसिंहः | श्री जयराशी भट्ट बी. भट्टाचार्य | 027 शक्तिवादादर्शः श्री सुदर्शनाचार्यशास्त्री 156 352 120 88 110 018 498 019 502 454 021 226 640 452 024 500 454 188 026 214 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 028 029 030 031 032 033 034 035 036 037 038 039 040 041 042 043 044 045 046 047 048 049 050 051 052 053 054 क्षीरार्णव वेधवास्तु प्रभाकर शिल्परत्नाकर प्रासाद मंडन श्री सिद्धहेम बृहद्वृत्ति बृहन्न्यास अध्याय? श्री सिद्धहेम बृहद्वृत्ति बृहन्न्यास अध्यायर श्री सिद्धम बृहद्वृत्ति बृहन्न्यास अध्याय३ (१) श्री सिद्धहेम बृहद्वृत्ति बृहन्न्यास अध्याय (२) (३) श्री सिद्धम बृहद्वृत्ति बृहन्न्यास अध्याय ५ વાસ્તુનિઘંટુ તિલકમન્નરી ભાગ-૧ તિલકમન્નરી ભાગ-૨ તિલકમન્નરી ભાગ-૩ સપ્તસન્માન મહાકાવ્યમ્ સપ્તભઙીમિમાંસા ન્યાયાવતાર વ્યુત્પત્તિવાદ ગુઢાર્થતત્ત્વાલોક સામાન્યનિયુક્તિ ગુઢાર્થતત્ત્વાલોક સપ્તભઙીનયપ્રદીપ બાલબોધિનીવિવૃત્તિઃ વ્યુત્પત્તિવાદ શાસ્ત્રાર્થકલા ટીકા નયોપદેશ ભાગ-૧ તરકિણીતરણી નયોપદેશ ભાગ-૨ તરકિણીતરણી ન્યાયસમુચ્ચય સ્યાદ્યાર્થપ્રકાશઃ દિન શુદ્ધિ પ્રકરણ બૃહદ્ ધારણા યંત્ર જ્યોતિર્મહોદય श्री प्रभाशंकर ओघडभाई श्री प्रभाशंकर ओघडभाई श्री नर्मदाशंकर शास्त्री पं. भगवानदास जैन पू. लावण्यसूरिजीम. सा. પૂ. ભાવબ્યસૂરિનીમ.સા. પૂ. ભાવન્યસૂરિનીમ.સા. पू. लावण्यसूरिजीम. सा. પૂ. ભાવબ્યસૂરિનીમ.સા. પ્રભાશંકર ઓઘડભાઈ સોમપુરા પૂ. લાવણ્યસૂરિજી પૂ. લાવણ્યસૂરિજી પૂ. લાવણ્યસૂરિજી પૂ. વિજયઅમૃતસૂરિશ્વરજી પૂ. પં. શિવાનન્દવિજયજી સતિષચંદ્ર વિદ્યાભૂષણ શ્રી ધર્મદત્તસૂરિ (બચ્છા ઝા) શ્રી ધર્મદત્તસૂરિ (બચ્છા ઝા) પૂ. લાવણ્યસૂરિજી શ્રીવેણીમાધવ શાસ્ત્રી પૂ. લાવણ્યસૂરિજી પૂ. લાવણ્યસૂરિજી પૂ. લાવણ્યસૂરિજી પૂ. લાવણ્યસૂરિજી પૂ. દર્શનવિજયજી પૂ. દર્શનવિજયજી સં. પૂ. અક્ષયવિજયજી 414 192 824 288 520 578 278 252 324 302 196 190 202 480 228 60 218 190 138 296 210 274 286 216 532 113 112 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ પાદક | પૃષ્ઠ ! 160 202 48 322 અહો શ્રુતજ્ઞાનમ ગ્રંથ જીર્ણોદ્ધાર- સંવત ૨૦૬૬ (ઈ. ૨૦૧૦ - સેટ નં-૨ ક્રમ પુસ્તકનું નામ ભાષા કર્તા-ટીકાકા(સંપાદક 055 | श्री सिद्धहेम बृहद्वत्ति बूदन्यास अध्याय-६ पू. लावण्यसूरिजीम.सा. 296 056 | विविध तीर्थ कल्प पू. जिनविजयजी म.सा. 057 | भारतीय हैन श्रम संस्कृति सने मना शु४. पू. पूण्यविजयजी म.सा. 164 058 | सिद्धान्तलक्षणगूढार्थ तत्त्वलोकः | सं श्री धर्मदत्तसूरि । 059 व्याप्ति पञ्चक विवृत्ति टीका श्री धर्मदत्तसूरि 0608न संगीत राजमाता | . श्री मांगरोळ जैन संगीत मंडळी 306 061 चतुर्विंशतीप्रबन्ध (प्रबंध कोश) | श्री रसिकलाल एच. कापडीआ | 062 व्युत्पत्तिवाद आदर्श व्याख्यया संपूर्ण ६ अध्याय सं श्री सुदर्शनाचार्य 668 | 063 चन्द्रप्रभा हेमकौमुदी पू. मेघविजयजी गणि 516 064 विवेक विलास सं/J. | श्री दामोदर गोविंदाचार्य 268 065 | पञ्चशती प्रबोध प्रबंध सं पू. मृगेन्द्रविजयजी म.सा. 456 066 सन्मतितत्त्वसोपानम् |सं पू. लब्धिसूरिजी म.सा. 0676शमादा ही गुशनुवाई | गु४. पू. हेमसागरसूरिजी म.सा. 638 068 मोहराजापराजयम् सं पू. चतुरविजयजी म.सा. 192 069 | क्रियाकोश सं/हिं श्री मोहनलाल बांठिया 428 070 | कालिकाचार्यकथासंग्रह सं/J. श्री अंबालाल प्रेमचंद | 071 सामान्यनिरुक्ति चंद्रकला कलाविलास टीका सं. श्री वामाचरण भट्टाचार्य | 308 072 | जन्मसमुद्रजातक सं/हिं श्री भगवानदास जैन 128 073| मेघमहोदय वर्षप्रबोध सं/हिं श्री भगवानदास जैन 532 0748न सामुद्रिनi iय jथी J४. श्री हिम्मतराम महाशंकर जानी 0758न यित्र इल्पद्र्भ साग-१ ४४. श्री साराभाई नवाब 374 420 406 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 076 | જૈન ચિત્ર કલ્પનૂમ ભાગ-૨ સંગીત નાટ્ય રૂપાવલી 077 078 ભારતનાં જૈન તીર્થો અને તેનું શિલ્પસ્થાપત્ય 079 શિલ્પ ચિન્તામણિ ભાગ-૧ 080 બૃહદ્ શિલ્પ શાસ્ત્ર ભાગ-૧ 081 બૃહદ્ શિલ્પ શાસ્ત્ર ભાગ-૨ 082 બૃહદ્ શિલ્પ શાસ્ત્ર ભાગ-૩ | 083 | આયુર્વેદના અનુભૂત પ્રયોગો ભાગ-૧ 084 કલ્યાણ કારક 183 વિધઓપન જોશ 086 087 188 હસ્તસીવનમ્ કથા રત્ન કોશ ભાગ-1 કથા રત્ન કોશ ભાગ-2 089 એન્દ્રચનુવિંશતિકા 090 સમ્મતિ તર્ક મહાર્ણવાવતારિકા ગુજ. ગુજ. ગુજ. ગુજ. ગુજ. ગુજ. श्री साराभाई नवाब श्री विद्या साराभाई नवाब श्री साराभाई नवाब સં. श्री मनसुखलाल भुदरमल श्री जगन्नाथ अंबाराम श्री जगन्नाथ अंबाराम श्री जगन्नाथ अंबाराम पू. कान्तिसागरजी श्री वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री ગુજ. ગુજ. ગુજ. सं./ हिं श्री नंदलाल शर्मा ગુજ. ગુજ. સં. સં. श्री बेचरदास जीवराज दोशी श्री बेचरदास जीवराज दोशी पू. मेघविजयजीगणि पू. यशोविजयजी, पू. पुण्यविजयजी आचार्य श्री विजयदर्शनसूरिजी 238 194 192 254 260 238 260 114 910 436 336 230 322 114 560 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आशापूरण पार्श्वनाथ जैन ज्ञानभंडार पृष्ठ 272 92 240 93 254 282 95 118 466 संयोजक-शाह बाबुलाल सरेमल - (मो.) 9426585904 (ओ.) 22132543 - ahoshrut.bs@gmail.com शाह वीमळाबेन सरेमल जवेरचंदजी बेडावाळा भवन हीराजैन सोसायटी, रामनगर, साबरमती, अमदावाद-05. अहो श्रुतज्ञानम् ग्रंथ जीर्णोद्धार-संवत २०६७ (ई. 2011) सेट नं.-३ प्रायः अप्राप्य प्राचीन पुस्तकों की स्केन डीवीडी बनाई उसकी सूची।यह पुस्तके वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं। क्रम पुस्तक नाम कर्ता/टीकाकार भाषा संपादक/प्रकाशक |91 स्याद्वाद रत्नाकर भाग-१ वादिदेवसूरिजी मोतीलाल लाघाजी पुना स्यादवाद रत्नाकर भाग-२ वादिदेवसूरिजी मोतीलाल लाघाजी पुना स्यादवाद रत्नाकर भाग-३ वादिदेवसूरिजी मोतीलाल लाघाजी पुना स्यावाद रत्नाकर भाग-४ वादिदेवसूरिजी मोतीलाल लाघाजी पुना स्यावाद रत्नाकर भाग-५ वादिदेवसूरिजी मोतीलाल लाघाजी पुना 96 पवित्र कल्पसूत्र पुण्यविजयजी सं./अं साराभाई नवाब 97 समराङ्गण सूत्रधार भाग-१ | भोजदेवसं . टी. गणपति शास्त्री समराङ्गण सूत्रधार भाग-२ भोजदेव टी. गणपति शास्त्री 99 . | भुवनदीपक पद्मप्रभसूरिजी सं. वेंकटेश प्रेस | 100 | गाथासहस्त्री समयसुंदरजी सं. सुखलालजी भारतीय प्राचीन लिपीमाला गौरीशंकर ओझा हिन्दी मुन्शीराम मनोहरराम 102 शब्दरत्नाकर साधुसुन्दरजी हरगोविन्ददास बेचरदास 103 | सुबोधवाणी प्रकाश न्यायविजयजी सं./गु हेमचंद्राचार्य जैन सभा 104 लघु प्रबंध संग्रह जयंत पी. ठाकर ओरीएन्ट इस्टी. बरोडा 105 | जैन स्तोत्र संचय-१-२-३ माणिक्यसागरसूरिजी आगमोद्धारक सभा 106 | सन्मतितर्क प्रकरण भाग-१,२,३ सिद्धसेन दिवाकर सुखलाल संघवी सन्मतितर्क प्रकरण भाग-४,५ सिद्धसेन दिवाकर सुखलाल संघवी 108 | न्यायसार - न्यायतात्पर्यदीपिका सतिषचंद्र विद्याभूषण एसियाटीक सोसायटी 342 98 362 134 70 101 316 224 612 307 250 514 107 454 354 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 109 सं./हि 337 110 सं./हि 354 111 372 112 सं./हि सं./हि सं./हि 142 113 336 364 सं./गु सं./गु पुरणचंद्र नाहर पुरणचंद्र नाहर पुरणचंद्र नाहर जिनदत्तसूरि ज्ञानभंडार अरविन्द धामणिया यशोविजयजी ग्रंथमाळा | यशोविजयजी ग्रंथमाळा | नाहटा ब्रधर्स | जैन आत्मानंद सभा जैन आत्मानंद सभा | फार्बस गुजराती सभा फार्बस गुजराती सभा | फार्बस गुजराती सभा 218 116 656 122 जैन लेख संग्रह भाग-१ पुरणचंद्र नाहर जैन लेख संग्रह भाग-२ पुरणचंद्र नाहर जैन लेख संग्रह भाग-३ पुरणचंद्र नाहर | जैन धातु प्रतिमा लेख भाग-१ कांतिसागरजी जैन प्रतिमा लेख संग्रह दौलतसिंह लोढा 114 राधनपुर प्रतिमा लेख संदोह विशालविजयजी प्राचिन लेख संग्रह-१ । विजयधर्मसूरिजी बीकानेर जैन लेख संग्रह अगरचंद नाहटा 117 प्राचीन जैन लेख संग्रह भाग-१ जिनविजयजी 118 | प्राचिन जैन लेख संग्रह भाग-२ जिनविजयजी 119 | गुजरातना ऐतिहासिक लेखो-१ गिरजाशंकर शास्त्री 120 गुजरातना ऐतिहासिक लेखो-२ गिरजाशंकर शास्त्री गुजरातना ऐतिहासिक लेखो-३ गिरजाशंकर शास्त्री ऑपरेशन इन सर्च ऑफ संस्कृत मेन्यु. | पी. पीटरसन 122 __ इन मुंबई सर्कल-१ ऑपरेशन इन सर्च ऑफ संस्कृत मेन्यु. | पी. पीटरसन 123 इन मुंबई सर्कल-४ ऑपरेशन इन सर्च ऑफ संस्कृत मेन्यु. पी. पीटरसन । इन मुंबई सर्कल-५ कलेक्शन ऑफ प्राकृत एन्ड संस्कृत पी. पीटरसन __ इन्स्क्रीप्शन्स | 126 | विजयदेव माहात्म्यम् जिनविजयजी 764 सं./हि सं./हि सं./हि सं./गु सं./गु सं./गु 404 404 121 540 रॉयल एशियाटीक जर्नल 274 रॉयल एशियाटीक जर्नल 41 124 400 अं. रॉयल एशियाटीक जर्नल भावनगर आर्चीऑलॉजीकल डिपार्टमेन्ट, भावनगर जैन सत्य संशोधक 125 320 148 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ JAINA INSCRIPTIONS. (Containing Index of Places, Glossary of Names of Acharyas, &c.) Collected & Compiled BY Puran Chand Nahar, M.A.,B.L., M.R.À.S., Vakil, High Court, Calcutta; Member, Asiatic Society of Bengal; Bihar & Orissa Research Society; Bhandarkar Institute, Poona; Jain Swetambar Education Board, Bombay; &c. &c. PART II. (With Plates.) 1927. "Aho Shrut Gyanam" Price Rs. 5/ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRINTED BY: Turantlal Mishra at the · VISWAVINODE PRESS, 48, Indian Mirror Street, Calcutta. Published by the Compiler 48, Indian Mirror Street, CALCUTTA. "Aho Shrut Gyanam" Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन लेख संग्रह। कतिपय चित्र और श्रावश्यक तासिकायों से युक्त द्वितीय खंड। संग्रह का पूण चंद नाहर, एम० ए०, वी० एलए, वकील हाईकोर्ट, रयाल एसियाटिक सोसाइटी, एसियाटिक सोसाइटो बंगाल, रिसार्च सोसाइटी विहार-उड़ीसा आदिके मेम्बर, विश्वविद्यालय कलकत्ता के परीक्षक इत्यादि २ कलकत्ता। सोर सम्बत् २४५३ मूल्य-15 "Aho Shrut Gyanam" Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिका। आज बड़े हर्ष के साथ "जैनलेख संग्रह " का दूसरा खंड पाठकों के सम्मुख उपस्थित करता हूं । इसका प्रथम खंड प्रकाशित होने के पश्चात् द्वितीय खंड शीघ्र ही प्रकाशित करने की इच्छा रहते हुए भी कई अनिवार्य कारणों से विलम्ब हुआ है। न तो प्रथम खंड में कोई विस्तृत भूमिका दी गई थो और न यहां ही लिख सके । जैनियों का खास करके हमारे मूर्त्तिपूजक श्वेताम्बर भाइयों का धर्मप्राण शताब्दियों तक बराबर आचार्यों के उपदेश से देवालय और मूर्तिप्रतिष्ठा की ओर कहां तक अग्रसर था और वर्तमान समय पय्र्यंत कहां तक है यह लेख संग्रह ” से अच्छी तरह ज्ञात हो सकता है । ऐतिहासिक दृष्टि से जिस प्रकार उपयोगी समझ कर प्रथम खंड प्रकाशित किया था यह खंड भो उसो इच्छा से विद्वानों की सेवा में उपस्थित करता हूं । सन् १९९८ में प्रथम खंड प्रकाशित होनेपर प्रसिद्ध ऐतिहासिक श्रद्धेय श्रीमान् राय वहादुर पं० गौरीशंकर ओझा जी ने पुस्तक भेजने पर उस संग्रह के उपयोगिता के विषय में जो कुछ अपना वक्तव्य प्रकट किये थे उसका कुछ अंश नीचे उद्धृत किया जाता है। उक्त महोदय अजमेर से ता० २६-१०-१६१८ के पत्र में लिखते हैं कि : " आपके जैनलेख संग्रह को आदि से अंत तक पढ गया हूं। आपका यह ग्रन्थ इतिहासवेत्ताओं तथा जैनसंसार के लिये रत्नाकर के समान है। अंत में दी हुई ताक्षिकायें जी बड़े काम की बनी हैं उनसे जिन्न १ गनों के अनेक आचार्यों के निश्चित समय का पता लगता है, यदि इसके दूसरे नाग जी निकलेंगे तो जैन इतिहास के लिये बड़े ही काम के होंगे " । प्रथम खंड में साधारण सूत्री के अतिरिक्त "प्रतिष्ठास्थान", "श्रावकों की ज्ञानि-गोत्रादि" और " आचार्यों के गच्छ और सम्वत्" की सूची दी गई थी। इस बार इन सभोंके शिवाय राजा महाराजाओं के नाम, जो इन लेखों में पाये गये हैं, उनकी तालिका भी समय २ पर आवश्यक होती है समझ कर इस खंड में दी गई है। मैं प्रथम खंड की भूमिका में कह चुका हूं कि केवल ऐतिहासिक दृष्टि से यह संग्रह प्रकाशित हुआ है। जिस समय यह खंड छप रहा था उसी समय श्री राजगृह तीर्थ में श्वेताम्बर दिगम्बरों में मुकदमा छिड़ गया था पश्चात् केस आपस में तैं हो चुका है area इस विषय में अधिक लिखने की आवश्यकता नहीं है। परन्तु मुझे बड़े खेद के साथ दिखना पड़ता है कि दिगम्बरो लोग मुझे ऐसे कार्य में उत्साहित करने के बदले स्वार्थवश उक्त मुकदमे में इजहार के समय मेरे जेनलेल संग्रह पर हर तरह से हैरान किये थे । "Aho Shrut Gyanam" Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 2 ) हाल में वे लोग मुद्दई होकर श्री पावापुरी तीर्थ पर जो मुकदमा उपस्थित किये है उस में मेरा भी मुद्दालहों में नाम रख दिये हैं। मैं प्रथम से ही धार्मिक झगड़ों से अलग रहता था परन्तु जब सर पर थोक पड़ा है तो उठाना ही पड़ेगा। दुःख इस बात का है कि शासनायक वीर परमात्मा के परम शान्तिमय निर्माणस्थान में मुकदमेबाजी से अशांति फैलाना अपने जैनधर्म पर धन्धा लगाना है। मैं इस समय इस संबंध में कुछ मतामत प्रकाश करना अनुचित समझता हूं। इसी वर्ष के अक्षयतृतीया के दिन मेवाड़ के अन्तर्गत श्री केशरियानाथजी तीर्थ में मंदिर के ध्वजादंड आरोपन के उपलक्ष में जो वीभत्स कांड हुआ है वह भी दूसरा दुःख का समाचार है । काल के प्रभाव से इस तरह प्रायः हमलोगों के सर्व धर्मस्थान और तीर्थों में अशांति देखने में आती है। ई० सम्बत् १६६४१६५ से मुझे ऐतिहासिक दृष्टि से जैन लेखों के संग्रह करने की इच्छा हुई थी तबसे अद्यावधि संग्रह कर रहा हूं और उन सब लेखों को जैसे २ सुनीता समझता हूं प्रकाशित करता हूं। यद्यपि मैंने इस संग्रह कार्य के लिये तन, मन और धन लगाने में त्रुटि न रक्सो है फिर भी बहुत खो भूलें रह गई हैं। राय बहादुर पं० गौरीशंकर ओकाजी मुझे प्रथम खंड के त्रुटियों पर अपना मन्तव्य सूचित किये थे जिस कारण में अन्तःकरण से उनका आभारी हूं और उस पर मैंने विशेष ध्यान रखने की चेष्टा की हैं। यह लेख संग्रह का कार्य बहुत कठिन और समय सापेक्ष है, कई जगह समय की अल्पता हेतु और कई जगह मेरे ही भ्रम से जो कुछ पाठ में अशुद्धियां रह गई हैं उनके लिये मैं पाठकों से क्षमाप्रार्थी हूं तथा ऐसी २ त्रुटियां रहने पर भी विद्वानों की तथा अनुसंधानों को उस ओर दृष्टि आकर्षित करने की इच्छा से इन लेखों को प्रकाशित करने का साहस किया है प्रथम खंड में १००० लेखों का संग्रह प्रकाशित हुआ था। उनमें जो कुछ नंबर छूट गये थे वे पुस्तक के अंत में दे दिया था। इस खंड में १००१ से २१११ तक याने ११११ लेख प्रकाशित किये जाते हैं। इस वार भी भ्रमवश २ नंबर छूट गये हैं । नं० १९८७ पुस्तक के अंत में छप गया है और मं० १६६० यहां दिया जाता है। श्वेताम्बरों के प्रसिद्ध स्थान जेसलमेर दुर्ग ( जेसलमेर ) के मंदिर के लेखों को संग्रह करने की अभिलाश बहुत दिनों से थी । वहां भी क्षेत्रस्पर्शना हो गई है और निकटवर्त्ती " लोद्रपुर ( लोइयां ) ” नामक प्राचीन स्थान भी दर्शन किया है। आगामो खंड में वहां के लेखों को प्रकाशित करने को इच्छा रही। ४८ इण्डियन मिरर फोट कलकत्ता । [सं०] १६८४ ई० ०२१२७ निवेदक पूरण चंद नाहर [ 1690 ] # संवत् १६७१ वर्षे आगरा वास्तव्य. ..... कल्याण सागर सूरिः.. * यह लेख पढ़ने के पास 'फतुहा ' के दिगम्बर जैन मंदिर में श्वेत पाषाण की खंडित श्वेताम्बर मूर्ति के चरण चौकी पर है । "Aho Shrut Gyanam"; । Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थान कलकत्ता । श्री आदिनाथजी का देरासर ( कुमारसिंह हाल ) १२५८ हीरालालजी गुलाबसिंहजी का देरासर ૧ लाभचंदजी सेठ का धर-देससर २ इंडियन म्युजियम ३ श्री नेमिनाथजी का मंदिर जिमगंज - मुर्शिदाबाद । सैंतीया - वीरभूम | श्री आदिनाथजी का मंदिर 846 श्री चंद्रप्रभखामी का मंदिर रंगपुर - उत्तर बंग | टोंक पर के चरणों पर श्री जल मंदिर ... श्री सम्मेत शिखर तीर्थ । श्री जैन श्वेताम्बर मंदिर लगतसेठजी का मंदिर प्रतापसिंहजी का मंदिर मधुवन । 1+4 ... 1.1 *** ... सूचीपत्र | ** पत्रांक स्थान २०५ १५८,२०७ कानपुरवालों का मंदिर लाला कालिकादासजी का मंदिर श्री चंद्रप्रभुजी का मंदिर पार्श्वनाथजी का मंदिर सुभस्वामीजी का मंदिर 35 -33 श्री गांव मंदिर " जल मंदिर समोसरण महताव विवि का मंदिर श्रो 19 ५ श्री गांव मंदिर वैभारगिरि सोन भंडार मणियार मठ 33 13 39 श्री जैन मंदिर १५६ २०८ २०६ | श्री जैन मंदिर श्री पावापुरी तीर्थ । "Aho Shrut Gyanam" राजगृह तीर्थ 1 श्री क्षत्रीकुंड तीर्थ ! लवाड़ | BABA: : पत्रांक २११ २१२ २१३ २१३ २१४ १५८,२६५ २६३ २६४ २६४ २१५ २६६ २६६ २१६ 47 १६१ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थान शहर मंदिर दिगम्बरी मंदिर म्यूज़ियम शिखरचंदजी का मंदिर श्री जैन मंदिर ㄌ श्री अजितनाथजी का मंदिर समोरण श्री जैन मंदिर 29 बनारस | 13 पटना । चंद्रावती । अयोध्या । श्री शांतिनाथजी का मंदिर " नवराई । लखनउ । श्री शांतिनाथजी का मंदिर ( बोहरनटोला ) ऋषभदेवजी का मंदिर ( बोहरनटोला ) " • महावीरस्वामी का मंदिर ( बोहरटोला ) आदिनाथजी का मंदिर (चूड़ीवाली गली ) महावीरस्वामी का मंदिर (सुपीटोला ) चिन्तामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर ( संभवनाथजी का मंदिर ( फूलवाली गली ) लाला माणिकचन्दजी का घर-देरासर फैजाबाद | 33 " 407 ... : ... ⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀ > 847 ( 2 ) पत्रांक स्थान रायसाहब का घर देरासर २२१ | लाला खेमचंदजी का घर देरासर २२१ २२१ २२२ १५५ १३८ १५० १५३ ११५ १२१ १२४ १२७ 4 १३१ १३६ १३८ श्री धोमंदिरस्वामीजी का मंदिर 33 " " 33 " 35 लाला हजारीमलजी का देरासर वीरेखाने का मंदिर श्री पार्श्वनाथ का मंदिर 31 3+ " चुनिलालजी का घर देरासर رو वासुपूज्यजी का मंदिर ( सहादतगंज ) पार्श्वनाथजो का मंदिर ( " ऋषभदेवजी का मंदिर ( शांतिनाथजी का मंदिर ( दादाजी का मंदिर " "Aho Shrut Gyanam"; " 77 " 33 घागरा । श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर श्रीमंदिरस्वामोओ का मंदिर सूर्यप्रभस्वामीजी का मंदिर गौडपार्श्वनाथजी का मंदिर वासुपूज्यजी का मंदिर केशरियानाथजी का मंदिर मेमनाथजी का मंदिर शांतिनाथजी का मंदिर मंदावस्वामी का मंदिर " " देहली। मथुरा। > ) } ::::::: ... ... *** dep 414 *** *** Poi पत्रक १३८ १३६ १३६ १४९ ફર ६४२ १४३ १४३ २२५ २२५ ६५ ६७ १०५ १०८ १०८ ११० १११ १११ १९४ Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्रांक ... E8 धन पत्रांक; स्थान ग्वालियर - लस्कर। ,, जैन उपासरा चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर श्री पंचायतो मंदिर । ,, श्रीमंदिरस्वामीजी का मंदिर ... , पार्श्वनाथजी का मंदिर ,, शांतिनाथजी का मंदिर मोरखानो-बीकानेर। श्री देवी मंदिर मुरार - लस्कर। ... चुरू-बोकानेर। श्री जैन मंदिर श्री शांतिनाथजी का मंदिर ग्वालियर मुर्ग। नागौरः। श्री जैन मंदिर श्री ऋषभदेवजी का मंदिर सुदानीय - ग्वालियर। , आदिनाथजी का मंदिर । श्री जैन मंदिर ___४। , सुमतिनाथजी का मंदिर जयपुर। , शांतिनाथजी का मंदिर श्री सुपार्श्वनाथजी का मंदिर ... सूरपुरा- नागौर। . सुमतिनाथजो का मंदिर ... | श्री माताजी का मंदिर . आदिनाथजो का मंदिर उसतरां-नागौर। ,, पाच नाथजी का मंदिर | श्री जैन मंदिर चंदन चौक। रत्नपुर-मारवाड़। श्री जैन मंदिर श्री जैन मंदिर थाम्बेर । गांधाणी-मारवाड़। श्री चंद्रप्रभस्वामो का मंदिर ... ... ४३ श्री जैन मंदिर अलवर। जोधपुर - मारवाड़। श्री जैन मंदिर .... ४४ राजवैद्य भट्टारक श्री उदयचंद्रजी का देरासर बीकानेर। नगर-मारवाड़। श्रा शंखेश्वर पार्श्वनाथजो का मंदिर ... ६३ | श्री जैन मंदिर ... २२६ "Aho Shrut Gyanam" Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थान पत्रीक २४३ २८ (४) पत्रांक स्थान जसोल -मारवाड़। करेड़ा-मेवाड़। श्री जैन मंदिर ... ... २२६ श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर ... नाकोड़ा-मारवाड़। , यावन जिनालय श्री शांतिनाथजी का मंदिर ... ... २२७ । नागदा- मेवाड़। श्री शांतिनाथजी का मंदिर श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर ... ... २२८ | ... देखवाड़ा- मेवाड । घाणराव -- मारवाड़। श्री पार्श्वनाथजो का बड़ा मंदिर - नया मंदिर श्री महावीरस्वामी का मंदिर , मृषभदेवजी का मंदिर खारची-मारवाड़। । । "पार्श्वनाथजी का बसी श्री जैन मंदिर , 'तपागच्छ का उपासरा खंडप-मारवाड़। , खंडहर उपासरा शिलालेख श्री जैन मंदिर गुडलो- मेवाड़। मांकलेश्वर-मारवाड़। | श्री जैन मंदिर श्री जैन मंदिर आबू रोड। नगर-खेड़गढ़। श्री आदिनाथजी का मंदिर (धम्मैशाला) श्री शांतिनाथजी का मंदिर श्री बाबू तीर्थे । उदयपुर - मेवाड़। श्रो आदिनाथजी का मंदिर ( देलवाड़ा) श्री शीतलनाथस्वामी का मंदिर शांतिनाथजी का मंदिर (अचलगढ़) ॥ वासुपूज्यजी का मंदिर ऋषभदेवजी का मंदिर ( ) , गौड़ीपार्श्वनाथजी का मंदिर पिंडवाड़ा-सिरोही। , पार्श्वनाथजी का मंदिर , ऋषभदेवजी का मंदिर, हाथीपोल ... श्री महावीरजी का मंदिर ऋषभदेवी का मंदिर, कसरी गली ... २२६ उथमण -सिरोही। ,, ऋषभदेवजी का मंदिर, सेठोंकी हवेली के पास ... २३० श्री जैन मंदिर ८३ क २६० ... ... १७० "Aho Shrut Gyanam" Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थान ... '२०8 पाक स्थान पत्रांक रोहेड़ा-सिरोही। श्री तारंगा तीर्थ । 'श्री जैन मंदिर ... ... २०६ | श्री अजितनाथ स्वामी का मंदिर ... ... .१७१ जारज-सिरोही। श्री शत्रुजय तीर्थ । श्री जैन मंदिर २७८ . दिगम्बर मंदिर गुड़ा-सिरोही। पालीताना। 'श्री जैन मंदिर __... ... २७८ नो सुमतिनाथजी का मंदिर ... ... तलाजा - कानियवाड़। श्री जैन मंदिर ..... २६८ जैन मूर्ति पर ... ... पाडीव-सिरोही शिलालेख श्री जैन मंदिर सिहोर - काठियावाड़।। ममिया- सिरोही ।नी सुपाश्वनाथजी का मंदिर ... ... १७४ श्री जैन मंदिर घोघा - काठियावाड़। निबज-सिरोही। श्री सुविधिनाथजी का मंदिर श्री जैन मंदिर जुड़वाल -सिरोही। चोरवाड़-जुनागढ़ । श्री जैन मंदिर श्री जैन मंदिर अजार । शोयालबंट-काठियावाड़। श्री पाश्वनाथजी का मंदिर __... ... श्री जेन मंदिर खीमत - पालणपुर। जासनगर - काठियावाड़। श्रीजेन मंदिर डीसा। आदोश्वरजी का मंदिर .. श्री आदीश्वरजी का मंदिर मांगरोल-काठियावाड़।। , महावीर स्वामी का मंदिर ... २८१ श्री जैन मूत्ति पर २८१ ०१. श्री शांतिनाथजो का मंदिर "Aho Shrut Gyanam" Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्रांक | स्थान पत्रक बेरावल-कावियावाड़। घरदेरासर ( गाम देवी ) ... ... . २०५ श्री जैन मंदिर ... ... १८६ | सिरपुर-सी० पी० । शिलालेख ८६ श्री जैन मंदिर ... ... २०४ जना- काठियावाड़। शिलालेख ... २९४ श्री जैन मंदिर रायपुर-सी० पी० गाणेसर-गुजरात। श्री जैन मंदिर ( सदर बजार) ... ... २७४ श्री जैन मंदिर .... .... १९२ हैदराबाद - दक्षिण। प्रनासपाटण-गुजरात । श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर (बेगम बजार) ... २६६ श्री धावन जिनालय मंदिर ... ... १६३ , पार्श्वनाथजी का मंदिर (कारवान साहुकारी ) ... २६८ खंजात-गुजराती , पार्श्वनाथजी का मंदिर ( रेसीडेन्सी बजार ) ..... श्री आदीश्वर भगवान का मंदिर ... ... १५ . , पार्श्वनाथजी का मंदिर (वार कथान) ... मजास। पोसिना-नरुक्ष। श्री जैन मंदिर | श्री चंद्रप्रभस्वामी का मंदिर (शूला बजार) बम्बई। , चंद्रप्रभस्वामी का मंदिर ( साहुकार पेठ) , जैन मंदिर ( , , ) ... श्री आदिनाथजो का मंदिर ... २०३ दादाजी का बंगला "Aho Shrut Gyanam" Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रतिष्ठा स्थान। लेखांक लेखांक १२७७ २०१० ... १७८१ ... २०३० १०२८,११०६,१११५,१११६,१८६८ १७१७,१७६६ अकबराबाद अचलगढ़ महादुर्ग ... २०२७ | इंद्रिय अजीमगंज भजुपुर ... १७१७ उग्रसेनपुर अहिल्लपुर (पतन) १७८६,१७८८,१६८०,१६८३ उजयंत अमदावाद ... १२५४ / उथमण अयोध्या १६४७.१६४८,१६४६,१६५१,१६५३, | उदयपुर (मेदपाट) उन्नतपुर अर्गलपुर ... १४५४, १४७८,१४६ अर्घदगिरि कईउलि अलवर ... ... १४६४ कच्छ-मांडवो बलावलपुर अष्टापद १८०८|| करहेटक ( करेडा) अहमदाबाद (गूजेरदेश) १०३०,१३०८,१४७५.१५४०,१६३५, कर्करा १७६५.१९८० कंधराची आगरा १४४६,१४५२,१४५३,१४५७, १४६७,१४६७,१५०१,१५२० कपिलपुर आगरा दुर्ग १५८०,१५८१,१५८३,१५८४,१५८५ | काशी आगोया कोठारा प्रालि ___... १५६० कुष्णिगिरि आनंदपुर १५३१,१५३२,१६४६,१६६७१६६८,१६७३ कुतवपुर भावणि ... १७६६ ! कुमरगिरि ... १०२८ कूकरवाड़ा ... १८१२ ... १०५३ १९५७ १६११,१६३० १६६२,१६६४.१६६५,१६८२ ... १०८४ १२१४ "Aho Shrut Gyanam" Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रतिष्ठा स्थान लेखांक लेखांक प्रतिष्ठा स्थान ११६७/ जयनगर १८४७ जयपुर ( जयनगर) . ... ११७६,१२२७,१२२८ १६४७१६४८,१६५०.१६५१, १७५७.१७७४ १७८८ १८०८ जाबू जालोर महादुग जावर जीर्णधारा जूहारुद्र जैनगर ज्यायपुर झाइलि टिंवानक १२८१ १२०५ खत्रीकुण्ड (पत्रोकुण्ड) खिरहालू खोमसा खीमंत गंधार याणउलि गिरनार गिरिपुर गुंडलि गोपगिरि गोपावल गोपाचल दुर्ग गोपाचलगढ दुर्ग घनीय चक्रवर्तिनगर ( गुर्जरदेश चंकिनी चंदेरा चंद्रावती १७.१ ११०४ १९०२ १७७७ ... १२३२ १४२६,१४२७ / टौवाची ... १४२६ | डूंगरपुर १२६८ २०२६ १७४३,१७६२,१७६३,१७६४ .... २००६ ... ... १३२३ १७७१,१७७३ | सारंगा दुर्ग .... १७६३ दिल्ली ... १५४४ दीववंदिर ( दीव ) ... १२०६ देउलवाड़ा ( मेवाड़) १६८१,१६८६ | देकावाड़ा ... १८१० | देलवाड़ा ... २०५२ | देवकापाटण ... २०५३ देवकुलपाटक ( पुर) १७८६.१९५५ देवड़ा ... १४२६ दौलत्ती बाद ... १७ द्वीप यन्दिर १४३७ धवलकका ... १२७३ : धार नगर चंपापुर चारकांण च्यारकर्याण चित्रकूट वित्रकूट दुर्ग चोरवाटक (जुनागढ़) जइतपुर जयतलकोट १११२,१६५८,१६६४,२००८ ... २०२५ १७६०,१७६७ ... १७८३ "Aho Shrut Gyanam" Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखांक ... २०७३ प्रतिमा स्थान लेखांक प्रतिष्ठा स्थान नगर (मारवाड़) २७१३,१७१४, बिहार नदोपद ... १६४६ भोलुनाम जवाछ १३७७ । भेव नवोननगर ... १७८२ मकसूदाबाद (म दावाद ) रव्यनगर (हल्लार देश) ... १७८१ नंदाणि ... १६६४ मद्रास (शूला) भागपुर १२७४,१६७६ मद्रासस पत्तन (साहूकार पेठ) मागार ... १४२७ । मधुमतो नारदपुरी ... १८६१ : मधुवन मासणुलो ... १६३३ मलारणा मेवोआए मगम ... १३०२ । महिसाणा प्रत्तन १७१६,६१०२.१३५४,१४०५,१५३६.१६१.१२६६०, मंगलपुर १७१३,१७१४,१७६१.१६८८,२०६१,२१०६ मंडप पत्तन नगर ... १६७६,१६१,३,२०११ मंडप दुर्ग पाटण मंडासा . पादलितनगर मंडोव पालणपुर १२६०१२६१,२०७४ मामुलक पात्रापुरो मारवीत पूर्वाचलगिरि ... १९६४ : मालपुर ... १३४६ मांगलोर मांडल (गुर्जर देश। बड़ली ... १६८२ मांडलि बालचर १०१७,१०१८१०१६,१८२१,१८२४ | माही बोकानेर २२०५,१३४६१३५०,१४४१,१६४६ मिरजापुर. . बलदउठ .... १६०४ मुरारि १९८.२७०३,१८१०,१८११, २०१२:१८१३.१८१४:१८२६ ... २०६२ ... २०७२ ... १७६ .... १८२७ ... १४८५ ११२७,१५६५ ... १७६६ ... १४७२ १३१४ “१२३३ ,२०३६,२०३७ ११३२ पोरोजपुर पथापुर -२७८७ ... १८०८ १५०५,१६२४ ... .१०६७ बलासर बंगलादसति ... १५७२ १९६७,१३२८,१४२५ "Aho Shrut Gyanam" Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) लेखांक । प्रतिष्ठा स्थान प्रतिष्ठा सन मेड़ता-नगर मोरखोयाणा योगिनीपुर रणासण ... २०८५. ... १३५१ रनपुर रत्नपुर (अयोध्या) रत्नपुर ( मारवाड़) ... १६२८ यद्धमानः ... १२२१ वाडिज ... २०५४ | वाणारसों ... १४८३ वाराणसी ... ११७५ वाराही ... ११३० विक्रमनगर १६६२,१६६३,४६६४,१६६५,१६६६ : विक्रमपुर १७०६,१७०८. विद्यापुर १०२७,११८. | विश्वलनगर ... १८५८ योचावेडा २०१४,१५१६,१७१०,१८४०,२०४२ वीरमग्राम २०७०,२०२८ | वोरमपुर ... १८६६ वीवाडा वोवलापुर १७२७,१७६७ रंगपुर राजनगर ) राजपुर (सी समगढ़ दुर्गः १७१५१८८५ ... १३२७ गलज. वनः १३१६,१७२७ रेवत ... १८११ वीसनगर ... १७६३ | बीसलनगर लक्षणपुर १८४८,१८४६,१८५०, १८५१,१८५२,१८५३ लखनऊ व्यवहार गिरि १९२६,१५३०,१५३१,१५३३,१५३१. १९२५,१५२६,१५२७,१५२८.१३३२,१५८६ । शाल्मलीयपुर ... १२८२ . शिखरगिरि ... १०१२ शालाग्राम .... २०८८ श्रागर सषवाराही | सखारि ... १८६४ सत्यपुर ११८८ समेतशल ... २०६५ ! सम्मेतगिरि ... १४१२ सम्मेतशिखर १८२७,१८३६ ... २०६४ ... १९३८ लोद्राद वटपद्र वड़नगर बड़ली पड़ेचा ... १७९६ ... ११२८ वण धनरिया १८१४,१८१६ १८०८,१८११ "Aho Shrut Gyanam" Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखांक भतिष्ठी स्थान सवाई जयनगर (नगर) सहाजगपुर सहुआला १२८३,१३३६,१४६५ १४७७ १९७३ साकर ... १२६६ साचुरा ... १७०७ साबलदन लेखांक | प्रतिष्ठा स्थान ११७८,१२१६,१४४१ ! सोराहो ... १७७८ सीहा ११६३,१७५३ | सुजाउलपुर .... ११६८ सुद्रायाणा ... १७२६ सुरमाणपुर सोजात स्तम्भतीर्थ ( खंभात ) ... १३९८ स्तम्भती बंदिर १३३६,१४४४ स्थातराय नगर ( वारपरदेश) .... १४२६ स्थिराद्र १७७६ ... १६१ हालावाड़ा १०११. हाल हाधिल ग्राम .... १८२६ हुगली ... १७५१ | हैदराबाद ( दक्षिण ) ... १३२० १२६६,१२१५,१७५६६ १७६३,१७६४,१६४२ १७९६,१८०० साहगञ्ज सांतपुर বিধ सिद्धपुर सिंहपानाय सिंहुद्रड़ा साणुरा सातापुर सोपोर साज २०१७ २०६४ २१०६ राजाओं की सूची। संवत् साम स्वान लेखांक : संवत् नाम खान लेखांक २७६७ १६३३ अकवर, सुरत्राण १६५२ अकबर, पातिसाहि मेवाड़ १७८२ १७१३ अकबर, पातिसाहि १७९६ १४६१ कुंभकर्ण, राणा ३४६४ कुंभकणे, भूपति १६२८ . १६६३ जगत्सिंह, राणा देवकुलपाटक उदयपुर १६७२ अकघर, सुरत्राण "Aho Shrut Gyanam" Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थान स्थान : लेखक गोपायल १४२६ १७३ दिवान देवकुलपाटक नवानगर १७८१ संवत् नाम लेखांक । संवत् नाम १८०१ जगतसिंह, महाराणा उदयपुर १११५ १९९० महोपाल १५६६ जगमाल, महाराजाधिराज अचलगढ २०२७ १९५० मूलदेव १५४८ जशसिंघ, राजा २०३६ : ११५३ मंगलराज १६७८ जप्तवंतसिंहजी, जाम, नवानगर १७८१ , १२७२ रणसिंह, मिहरराज १६७१ जहांगीर, पातिसाह भागरा दुर्ग १५८०-८१-८२ | १७६८ राधव, राजा ____आगरा १५८३-८४ | १६६७ लक्षराज, जाम १६७१ जहांगीर, पातिसाह सवाइ, सुरत्राण १५७८-७६ ' १०३४ वनदाम, महाराजाधिराज उग्रसेनपुर १४९६ १५२ वादाम १६७४ जहांगोर साह, १४६२ १२११ वस्तुपाल, महामात्य १४६७ डूंगरसिंह. महाराजाधिराज गोपावल १४२७ १५६२ बीकाजी, महाराजा गई गोपगिरि १४२८ १६३३ शत्रसलु, जाम १५१० डूंगरसिंहदेव, राजाधिराज गोपाचल १२३२ । १६७६ शत्रुसल्य, जाम, १५२५ डूंगसिंह, रावधर सायर अर्बुदगिरि २०२१५ । १६७१ शाहजहां १६६६ तेजसिजी, राउल वोरमपुर १७१५ : १८६३ सहादतअलि, नवाब १६५७ त्रैलोक्यमल १४२६ १६८६ साहजाह, पादशाह १२५. देवपाल गोपाचल १५२६ १६८८ साहिजा, पातिसाह सवाइ ३२५० पद्मपाल १४२६ १६९८ साहजाह, पातिसाह १३९२ पृथ्वोचंद्र, महाराजाधिराज चित्रकूट १६५५ । १८५६ सुरतसिंह, महाराज १५४६ भीमसिंध, रावल भण्डासा १०१५ १९५० सूर्यपाल २१५. भुवनपाल १४२६ १५२६ सोमदास, राउल २५५२ मलसिंहदेव, महाराजाधिराज, गोपाचल १४२६ । १६६ हठीसिंहजो, महाराज श्रणाहिलपुर बीकानेर नवीननगर नवानगर १७८८. ३५० १७८२ लखनऊ अनर्गलपुर घीकानेर १३४६ १४२६ डूंगरपुर नगर रामगढ दुर्ग १८६ "Aho Shrut Gyanam" Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Auto - ES th . 2 omer N METAL IMAGE OF SHRI ADINATU Dated, V. S. 1077, ( A. D. 1020.) "Aho Shrut Gyanam" Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ JAIN INSCRIPTIONS. जैन लेख संग्रह। दूसरा खएक। कलकत्ता। श्रीआदिनाथजी का देरासर। कुमारसिंह हाल-न० ४६, इण्डियन मिरर स्ट्रीट । धातु की मूर्तियों पर। __ [1001 ] * (१) पजक सुत अंब (३) देवेन ॥ सं.१७७७ [386]x (१) बहाल सत्क सं * चित्र देखो। लेख पश्चात् भागमें खुदा हुआ है। यह प्राचीन मूर्ति भारतके उत्तर पश्चिम प्रान्त से प्राप्त हुई है। दोनों तर्फ कायोत्सर्ग की खड़ी और मध्यमें पद्मासनकी बैठी मूर्तिये हैं। सिंहासमके नीचे नवग्रह और उसके नीचे वृषभ युगल है, इस कारण मूल मूर्ति श्रीआदिनाथजी की और यक्ष यक्षिणी भावियों के साथ बहुत मनोक्ष और प्राचीन है। x यह लेख प्रथम खण्डमें छपा था, पुनः जोधपुर निवासी पण्डित रामकर्णजी का यह संशोधित पाठ है। इसमें भी दोनों तर्फ कायोत्सर्गफी और मध्यमें पद्मासनकी मूर्ति है और गुजरात प्रान्तसे मिली है। "Aho Shrut Gyanam" Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) पंकः श्रिया वे सुन (३) स्तु पुन्नक श्राद्धः सी (४) लगल सूरि नक्तश्चन्द्र कु (५) ले कारयामासः ॥ (६) संवतु (७) १०७२ [1002] संवत् १६४५ वर्षे पो सुप १५ सोमे श्रीअजित बिंब का सा नानू जुदिङकेन प्रण श्रीहीरविजय सूरि। धातुकी चौविशी पर। [1008] ॥ श्रीमन्निवृतगछे संताने चाम्रदेव सूरीणां । महणं गणि नामाद्या चेली सर्व देवा गणिनी ॥ वित्तं नीतिश्रमायातं वितीर्य शुलवारया। चतुर्विंशति पट्टाकं कारयामास निर्मलं ॥ हीराखालजी गुलाबसिंहजी का देरासर-चितपुर रोड । धातु की चौविशी पर। [ 1004] संवत् १५०६ वर्षे श्रीश्रीमालझातीय दोसी मँगर नार्या म्यापुरि सुत मुंजाकेन जार्या सोही सुत वीका युतेन आ श्रेयसे श्रीसुविधिनाथादि चतुर्विंशति पट्टः कारितः आगमगछे श्रीअमरसिंह सूरि पट्टे श्रीहेमरत्नगुरूपदेशेन प्रतिष्ठितः॥ गन्धार वास्तव्य ॥ शुनं नवतु ॥श्लीः॥ - खानचन्दजी सेठ का घर देरासर-पुलिस हस्पिटैल रोड । पाषाण की मूर्तियों पर। [10051 संवत् १६५३ ज्येष्ठ शुक्ल ५ महोपाध्याय युग प्रण विजयेन प्रतिष्ठितं जं । यु ।प्र।न श्रीजिनरंगसूरि राज्ये। "Aho Shrut Gyanam" Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1006] संवत् १७२७ वर्षे ज्येष्ठ शुक्ल ७ रवी खरतरगछीय महोपाध्याय रामविनयगणिना प्रण पार्श्वबिम्बं । स्फटिक के बिम्ब पर। [1007] संवत् १७७७ मा । सु० १३ प्र । ख । श्रीजिनचन्द्र सूरिनिः। रोप्य के चरण पर। [1008] जंगम युग प्रधान नट्टारक श्रीजिनदत्त सूरीश्वराणां पाकुके । श्रीजिनकुशलसूरीश्वराणां पाउके। वीर संवत् २४० वि० १एतुए आषाढ शुक्ल १ चन्छे रांका गोत्रीय लालचन्द्र शेठेन श्रात्मकल्याणार्थ श्मे पाउके निर्मापित, श्री वृा खा गए ज० युग जट्टारक श्रीजिन चन्द्र सूरि विजयराज्ये श्रीमदिङ्मएमलाचार्य श्रीनेमिचन्प्रसूरि अन्तेवासि पं० श्रीहीराचन्प्रेण यतिना प्रतिष्ठापिते श्री शुनं नूयात् । शयिन म्युजियम-चौरङ्गी रोड । धातु की मूर्ति पर। [1000 ] * संवत् १४५७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ श्रीमूलसंथे प्रतिष्ठाचार्य श्रीपद्मनन्दि देवोपदेशेन... श्रीजीमदेव । नार्या महदे । सुत गणपति नार्या करमू ॥.........''प्रणमति । अजिमगञ्ज-मुर्शिदाबाद। श्रीनेमनाथजीका मन्दिर। पञ्चतीर्थियों पर। [1010] संवत् १५१७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि श दिने सोमवारे उकेश वंशे लोढा गोत्रे साए वीशल नार्या * यह चौविशी हाल में यहां पर दिल्ली से आई है। "Aho Shrut Gyanam" Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जावलदे तत्पुत्र सा का तना कतिगदे तत्पुत्र साप सहसमन श्रावकेण सपरिवारेण आत्मश्रेयोर्थ श्रीचन्द्रप्रन विधं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगछे श्रीजिनराजसूरि पट्टे श्रीजिननप्रसूरिनिः॥ [1011] संवत् १५१७ वर्षे माध सुदि ४ सोमे श्रीब्रह्माणगडे श्रीश्रीमालझातीय श्रेष्ठि विरूआ नार्या मुक्ति सुत हीरा जार्या हीरादे सुत जावड़ करयान्यां खपित्रोः श्रेयोर्थ श्रीधर्मनाथ बिंबं पञ्चतीर्थी कारापितः प्रतिष्ठितं श्रीबुद्धिसागरसूरि पट्टे श्री विमल सूरिनिः ॥ सीतापुर वास्तव्यः॥ [1012] सवत् १५१५ वर्षे वैशाख वदि ११ शुक्रे जा झातीय विद्याधर गोत्रे। सा तूंमण । जाप सूमलदे। पुरा वेला ना० बगू नाम्ना पु० सोमा युतयां खत्रात पुण्यार्थं श्रीआदिनाथ बिंब का प्र० वृहाचे घोकमीयावटंके (?) श्रीधर्मचन्प्रसूरि पट्टे श्रीमलयचन्छ सूरिभिः । लोप्रा ग्राम ॥ [1013] ___॥ए॥ संवत् १५३५ वर्षे श्रापाड़ सुदिप उकेशिशातीय मवेयता गोत्रे । साए केसराज जार्या "रतनाकेन श्रेयसे श्रीसुमति बिवं प्रतिष्ठितं धर्मघोषगळे श्रीसाधु ॥ [1014] संवत् १७०६ व । ज्ये । गु० श्री राजनगरवास्तव्य । प्राग्वाटझातीय वृहद्शाषायां साण रुपनदास नाव जनु नाम्न्या श्रीन मिनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं च तषागछे । ज०। श्री ५ श्रीविजयानन्दसूरिनिः॥ आचार्य श्री ५ श्रीविजयराजसूरि परिकरितैः ॥ श्रीरस्तु। न ॥१॥ पाषाण की मूर्ति पर। [1015] * संवत् १५४ए वर्षे वैशाख सुदि ३ श्रीमूलसंधे जट्टारक श्रीजिनचन्प्रदेवा सा राज पापड़ीवाल सप्रणमति का श्रीजीमसिंघ रावल । सहर भएकासा । * धरणेन्द्र पद्मावती सहित श्रीपाश्वनाथजीकी श्वेत पाषाणकी २ मूर्तियां पर एकही तरहके २ लेख है। "Aho Shrut Gyanam" Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५ ) सैंतीया ( वीरभूम) श्री आदिनाथजी का मन्दिर। धातुकी पञ्चतीर्थी पर। __ [1018] संवत् १५५३ वर्षे वैशाख वदि ४ गुरौ श्रीएसवंशे दो वरा नार्या मेघू पुत्र जश्ता सुश्रावकेण नाप जीवादे त्रातृ जटा सहितेन खश्रेयसे ॥ श्रीअंचलगन्छेश्वर । श्रीजयकेसरि सूरीणामुपदेशेन श्रीधर्मनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्री पत्तने ॥ ॥ रङ्गपुर (उत्तर बङ्ग) श्रीचन्नप्रजखामी का मन्दिर-माहीगञ्ज । शिक्षा लेख नं १ [1017] * (१) अत्यद्भुतं सजान सिद्धिदायकं जव्यांगिना मो (२) दकर निरन्तरं जिनालये रङ्गपुरे मनोहरे चन्द्रप्रनं (३) नौमि जिनं सनातनं ॥ १॥ संवत् १७७३ मि । माघ वदि । र (४) वो श्रीरङ्गपुरे । न । नीजिन सौजागा सूरिजी विजयी। (५) राज्ये वा । आनन्दवनगणरुपदेशात् श्रीमद्भुदावा (६) द बालूचर वास्तव्य पू। निहालचन्द तत्पुत्र बाबू इन्प्रच० (७) न्प्रेण श्रीचन्प्रन जिनः प्रासादः कारापितः प्रतिष्ठापि (७) तश्च । विधिना ॥ सतां कल्याण वृष्यर्थम् ॥ (ए) श्रीरस्तुः ॥१॥ * यह शिलालेख श्याम वर्णके पत्थर पर लंबाई च-१४ चौड़ाई इश्व-६ सभामण्डप के दक्षिण तर्फ की दीवार पर लगा हुआ है। "Aho Shrut Gyanam" Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शिला लेख नंग [1018 ] * (१) अत्यद्भुतं सऊनसिद्धिदायकं जव्यांगिना (२) मोदकर निरन्तरं जिनालये रङ्गपुरे मनोहरे चं (३) अप्रनं नौमि जिनं सनातनं ॥ १ ॥ संवत् १ए (४) ३२ शाके १७ए मिति आषाढ़ सुदि ए चन्छवासरे (५) रङ्गापुरे । न । श्रीजिनहंस सूरीजी विजे राज्ये ॥ श्री (६) हंसविलास गणि तत्शिष्य श्री कनकनिधान मुनि (७) रुपदेशेन । श्रीमादावाद बाखूचर वास्तव्य । (७) दूगड़ चन्द्रजी जीर्णोद्धार कारापितं ॥ नाहटा मौ (ए) जीरामजी तत्पुत्र नाहटा गुलाबचन्दजी तत्पुत्र इन्स (१०) चन्द्रजी मारफत श्री चन्द्रप्रन जिन प्रासादस्य सिषरं (११) नवीन रचिता वेदका नवीन निजव्यै कारपितं ॥ प्रति (१५) ष्ठितं विधिना सतां कल्याण वृष्ट्यर्थम् ॥ १॥ (१३) ॥ मिस्तरी पोलाराम सिलावट लालू मक्सूदका मूल नायक की पाषाण की मूर्ति पर । [1010] संवत् १७७३ वर्षे "सुदि दिने""श्रीचन्द्रप्रन विवमिदं प्रतिष्ठितं जा श्रीजिनहर्ष सूरि कारापितं शीलचन्छन । बालूचर मध्ये । पाषाण की मूर्तियों पर। ___[1020] संवत् १९३६ मिती आ..."शुक्रवारे यु । प्र० श्री...जी विजयराज्ये श्री शान्ति जिन कारापितं आणन्दवनजी तत् शिष्य.प्रतिष्ठितं । * यह मिर्जापूरी पत्थर पर खुदा हुआ न० १ के समान साइज का बायें तर्फ दीवार पर लगा हुआ है। "Aho Shrut Gyanam" Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1021] सं० १९३६ सोनाग्यसूरिजी विजय राज्ये नाहटा मौजीरामजी तत्पुत्र गुलाबचन्दजी श्री आदि जिन कारापितं श्री आणन्द... । धातु की मूर्तियों पर। [1022] सं० १९२० मि० फा कृ० बुधे सा प्रतापसिंहजी उगड़ जार्या महताब कुँवर श्री श्रेयांस जिन बिंब कारापितं । __ [1023] सं० १५५० मिः फा० कृत ५ बुधे सा प्रतापसिंह नार्या महताब कुँवर श्री अग्निदत्त २२ जिन विवं का। चौविशी पर। [1024] संवत् १७०१ मिती आषाढ़ सुदि १३ कारितं चोरबेड़ीया सा० सांवल पतिना ॥ प्रतिष्ठितं उप श्री कर्पूरप्रिय गणिनिः । पंचतीर्थियों पर। [10251 सं० १५१३ व ज्येष्ठ वदि ११ उके झा० कोठारी गोत्रे सा० मफुणा जा० काउ पुग नेता इंगर नेताकेन ना० नेतादे स० श्रीसुमतिनाथ बिंब कारि० प्र० श्रीसंडेर गडे श्री ईश्वर सूरिनिः [1026] संवत् १५५५ वर्षे पोष सुदि १५ प्राग्वाट ज्ञातीय सा० सायर नाप रत्नादे पु० सा मालाकेन नाप हांसू पुत्र गोइन्दादि कुटुम्बयुतेन निज श्रेयसे श्री वासुपूज्य बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री हेम विमल सूरिनिः ॥ श्रीः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दादाजी का मन्दिर-माहीगञ्ज । पाषाण के चरण पर। [ 1027] संवत् १७७७ रा वर्षे जेठ मासे शुक्ल पदे १७ तिथौ बुधवासरे श्री चन्द्रकुलाधिप । वृहत् श्री खरतरगछे जंगम युगप्रधान जहारक। श्री १०० श्री जिनदत्त सरिजी श्री १०० श्री जिनकुशल सूरीणां चरण स्थापितं ।। श्री रत्नसुन्दरजी गणि उपदेशात् साह श्री गड़ बुधसिंहजी तत्पुत्र । बाबू श्री प्रतापसिंहजी कारापितं ॥ श्रीसङ्घ हितार्थम् । जङ्गमयुगप्रधान जहारक श्री जिनहर्ष सूरिजी विजय राज्ये श्रीरस्तु ॥ श्रीकल्याणमस्तुः ॥ उदयपुर (मेवाड़) श्री शीतलानाथस्वामी का मन्दिर । [1028] * ॐ ॥ संवत् १६५३ वर्षे कार्तिक बदि ॥ सोमवासरे उदयपुर राणा श्री जगत्सिंह राज्ये तपागले श्री जिन मन्दिरे श्री शीतलजिन विबं पित्तलमय परिकर का रितः पासपुर वास्तव्य वृद्धशाखा प्राग्वाट ज्ञातीय पं० कान्हा सुत पंछ केसर नार्या केसर दे तत्सुत पं० दामोदर खकुटुम्बयुतैः ॥ जहारक श्री विजयदेव सूरीश्वर तत्पप्रनाकर आचार्य श्री विजयसिंह सूरीश्वर निदेशात् सकलसङ्घयुतै पएिकत श्री मतिचन्ड गणिनिः वासदेपः श्री सकलसङ्घस्य कल्याणं भूयात् ॥ धातु की चौविशी पर। [1029] संवत् १५ वर्षे जे० व० ११ प्राग्वाट दो० सूरा नाग पोमी सुत दो० आसाकेन जा रूपिणि सुत राउल माणिकलाल जोगादि कुटुम्बयुतेन स्वज्रात गोला स्वसुत सारङ्ग श्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथ चतुर्विशति पट्टः का प्रण तपागबनायक जट्टारक प्रजु श्री सोमसुन्दर सूरिभिः ॥ श्रीरस्तु ॥ वीसलनगर वास्तव्यः ॥ * मूल विय श्वेत पाषाण का प्राचीन है, लेख मालूम नहीं होता; पश्चात् धातु की परकर बनी है उस पर यह लेख है। "Aho Shrut Gyanam" Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पञ्चतीर्थियों पर। [1080] सं० १५१७ वर्षे पोष वदि छ रवी प्राग्वाट हा साप मूंगर ना सुहासिणि पुत्र वषम सिंहेन जाण सोनाई पुत्र नगराजादि कुटुब युतेन खपितुः श्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिम्ब कारितं। प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्री रत्नशेखर सूरिनिः अहिमदाबाद' वास्तव्यः । [1031] सं० १५५७ वर्षे मार्गशिर सुदि ए शुक्रे श्री नाणा वालगछे उस कावू गोत्रे का सोंगा जा सोंगलदे पु० धूलाकेन जार्या पूजी सहितेन पूर्वज पूण्यार्थं श्री शीतलनाथ बिम्बं का श्री महेन्द्र सूरिनिः॥ पञ्चतीर्थी और मूर्तियों पर । ७ ___ [1032]x १ सं० ७ गे पमा विनिगो बाज लुगापति कारितं । [1038] ॥ संवत् ११ए६ माघ सुदि १५ गुरौ सहज मत्साम्बा श्री ऋषननाथ बिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्रामदेव सूरिनिः॥ [1034] संवत् १५५७ जेष्ठ सुदि १७ रवौ। श्रेण चाएमसीहेन निज कुटुम्ब सहितेन पार्श्वनाथः कारितः प्रतिष्ठितः श्री देवना सूरिनिः । [1035] सं० १५६५ फागुण सुदि १० रवौ श्रे० प्रवदेव सुत वीराणसदेव श्रेयोर्थ का प्रा श्री नावदेव सूरिजिः। * ये मूर्तियां श्री मन्दिर जी के प्राङ्गनके दाहिने कोठरी में रखी हुई हैं। x यह मूर्ति बहोत प्राचीन है परन्तु अक्षर घिस जाने के कारण स्पष्ट पढ़ा नहीं गया। "Aho Shrut Gyanam" Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1038] १५"आषाढ़ सुदि उवएस वाधि सीहेण पु० गामा माल्हान्यां पितृ श्रेयोर्थ विम्बं कारित प्रतिष्ठितं श्री सर्वगुप्त सूगिनिः। [1037] सं० १३५३ ज्येष्ट सुदि १......"श्री पार्श्वनाथ बिम्बं कारित प्रतिष्ठितं श्री उद्योतन सूरिनिः॥ [1038] संग १३२५ वर्षे फागुण सुदि ४ शुके। श्रे० धामदेव पुत्र रणदेव धारण ना आसखदे श्रेण राम श्री पार्श्वनाथ बिम्ब कारितं श्री कक्क सूरिनिः । __ [ 1030] सं० १३२७ वर्षे वैशाष शु० ६ षएमेरक गछे श्री यशोजन सूरि सन्ताने सा सढ़ाणल ना जमदह पु० झएक श्री आस सिंह ना मीमहाकाया बिम्बं कारितं प्र० श्री ज्ञात्य सूरिजिः। [10401 सं० १३२ए वैशाख वदि ए शुक्रे कबु ऊदा नार्या लसतू श्रेयसे कर्मणेन श्री आदिनाथ बिम्बं कारित प्रतिष्ठितं । [1041] संवत् १३५५ वर्षे फागुण सुदि १७ बुधे श्री चैत्र गछिय धर्कट वंशे नाहर गोत्रे सा० हापु सुत सा विजयसीइन नात धारसीह श्रेयसे 'माग्यकेन श्री वासपूज्य बिम्ब कारितं प्र० श्री गुणचन्द्र"। [10421 सं० १३७४ माघ व १० गुरौ श्री श्रीमाल झा श्रेण पुन पास सुत सोमम पितृ पुन पाल श्रे श्री पार्श्वनाथ बिम्ब कारितं श्री रामं (?) प्रायागले प्रतिष्टितं श्री शीला सूरिनिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1043] सं० १३७५ वर्षे फागुण सुदि... श्री पार्श्वनाथ विम्वं कारिता प्रतिष्ठितं श्री कक्क सूरिनिः॥ [1044] सं० १३६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १५ बुधे श्री माल ज्ञातीय पितामह श्रेण वीटहण पितृ श्रेण सोमा पितृव्य साजण जातृ माहा. श्रेयो) सुत राणा धरणिकान्यां श्री पार्श्वनाथ पश्चतीर्थी का। [1045] संवत् १३०ए वर्षे माघ वदि ११ गुरौ श्री दाहड़ वीरम श्री चन्प्रन बिम्बं प्रतिष्ठितं । __ [1046] सं० १३५१ मड्डारुमीय गछे श्रेण पादा जाप जाइस पुत्र कर्म सीइन पित्रो श्रेयोर्थ श्री महावीरं श्री रत्नाकर सूरि पट्टे श्री सोमतिलक सूरिनिः॥ [1047] संवत् १३पए वै० सुदि १ प्राग्वाड़ श्री अगड़ा नार्या वादहु विम्वं प्र० श्री मावदेव सूरि। [1048] संग १४०५ वर्षे वैशाष सुदि ५ सोमे श्री श्रीमाल ज्ञातीय पितृ षेता मातृ जगतल देवि तयो श्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिम्ब कारितं प्रतिष्ठितं श्री नागेन्छ गछे श्री रतनागर सूरिनिः॥ [1049] सं० १४०६ वर्षे ज्येष्ठ सु० ए रवौ सा“कुटुम्ब श्रेयोर्थ श्री श्रादिनाथ चिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं जीरापलीयैः श्री रामचन्न सूरिनिः ॥ 10501 संग १४०७ वैशाख वदि ४ रवी श्री माल ज्ञातीय पितामह उदयसीह पितृ लषणसीह श्रेयसे सुत पोषाकेन श्री आदिनाथ विम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्री गुणसागर सूरि शिष्य श्री गुणप्रन सूरिनिः। "Aho Shrut Gyanam" Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1051] सं० १४०ए वर्षे फागुण सुदि ५ बुधे हुंवड़ ज्ञातीय त्रातृ पातल श्रेयसे उ० वीरमेन श्री आदिनाथ बिम्ब का रितं प्र श्री सर्वानन्द सूरि सहितैः श्री सर्वदेव सूरिनिः॥ [1052] सं० १४५१ वर्षे माघ वदि ६ दिने नाहर गोत्रे सा देवराज ना० रुपी पु० सा लोला जार्या नाव्ही.पौत्रादि सहित आत्मश्रेयसे श्री शांतिनाथ बिम्ब कारितं श्री रुउपल्लीय गजा श्री जिनहंस सूरि पदे श्री जिनराज सूरिनिः॥ [1058] सं० १४२५ वर्षे वैशाष सु० ११ बुधे प्राग्वाट झाप कहोली वास्तव्य श्रेष्ठि तिहुणा ना० वहिणि पितृ श्रेण श्री पार्श्वनाथ बिम् कारितं प्र० श्री रत्नप्रन सूरिभिः । [1054] संग १४५३ फागुण सु० सामे प्राण व्यण हरपाल नार्या श्रावण दे पु० विजयपालेन पित्रो श्रेण श्री पार्श्वनाथ बिम्बं का प्र० श्री शालिजा सूरिनिः ॥ [1055] सं० १४२३ फागुण सु० ए सोमे श्रीमाल व्य० जोहण जा० माव्हण दे सुत आव्हा पाल्हान्यां पितृव्य आसपाल नातृछान्यां श्रेयसे श्री वासुपूज्य बिम्ब का रितं श्री अजय चन्द्र सुरिणामुपदेशेन । [1056] सं० १४३६ वर्षे फाण् सु०३ दिने मंति दलीय गोत्रे सा० सारङ्ग ना सारू पुण् सीधरण जा सुहवदे पुत्र साप मांज मैस परवतादि युतेन श्री कुन्थुनाथ बिम्बं का प्र० श्री खरतरगछे श्री जिनन सूरि पट्टे श्री जिनचन्द सूरिचिः ॥ [1057] संवत् १४३७ वर्षे वैशाख वदि १० सोमे। श्री कारंटगछे श्री नन्नाचार्य सन्ताने उपकेश शाण श्रेण सोमा ना सूमलदे पुत्र सोनाकेन पितृ मातृ श्रेण श्री आदिनाथ विम्ब का प्र० श्री सांवदेव सूरिनिः। "Aho Shrut Gyanam" Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३ ) [1058 ] सं० १४५० वर्षे मगसिर बदि ६ वौ उपकेश झातीय सा० पाषण जा० षीमसिरि तयो श्रियार्थं सुत आहा ऊदा देवाकेन श्री वासुपूज्य बिम्बं पञ्चती० का० प्र० श्री नागेन्द्रगछे श्री रत्नसंघ सूरि पट्टे श्री देवगुप्त सूरिजिः । जारा सलवा श्रेयोर्थं ॥ श्री ॥ [ 1059] सं० १४५३ वर्षे वैशाष सुदि १ हुंवड़ झा० श्रे० देवड़ जा० चामल देवि पुत्र छापाकेन दापा जा० दलू पु० सु० पातल सुत जीला हुंबड़गष्ठी श्री सर्वानन्द सूरि प० श्री सिंहदत्त सूरिजिः । [1080] सं० १४५५ विणचट गोत्रे सा० तीपण जा० तिदुपश्री पु० मोषाटन आत्मपूर्वज निमित्तं प्रबिम्बं का० प्र० धर्मघोष गठे श्री सर्वान्द सूरिजिः । [ 1061 ] सं० १४५ षाढ सुदिप गुरौ प्रा० ज्ञा० व्यव० बाहड़ जाय मोखलो पुत्र त्रिजुवणा केन पित्रो श्रे० श्री पार्श्वनाथ विम्बं कारितं साधु पू० प० श्री धर्म तिलक सूरि उपदे० [1082] सं० १४६० वर्षे ज्येष्ठ वदि १३ खौ उकेश वंशे गाइडीया गोत्रे सा० देपाल पुत्र खाना जार्या जी मिपि श्रेयोर्थं श्री शांन्तिनाथ विम्बं कारितं प्रति० उपकेश गछे श्री देवगुप्त सूरिजिः ॥ [1063] सं० १४७२ वर्षे फाल्गुन वदि १ शुक्रे श्रीमाल संधे श्री पद्मनन्दि गुरु कुंवड़ ज्ञातीय व्य० पेड़ जार्या हीरादे सु० द्वय सारग सायर बध गोत्रे श्री आदिनाथ बिम् MEMBERS I [1064] ॥ सं० १४७३ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १ शुक्रवारे वावेल गोत्रे नरवच पु० आल्दा पाल्दा मातृ पितृ श्रेयसे श्रीयादिनाथ बिम्बं कारापितं श्री धर्मघोष गछे श्री पद्मसिंह सूरिनिः ॥ ४ "Aho Shrut Gyanam" Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४ ) [1085 ] सं० १४४ वर्षे माघ सुदिप शुक्रे रनघणा गोत्रे हुंवड़ ज्ञातीय श्रे० वरजा जा० रूमी सु० सुप सुरा ॥ पितृश्रेयोर्थं श्री मुनिसुव्रत स्वामी विम्बं का० श्री सिंहदत्त ( रत्न ? ) सूरिजिः ॥ [1066] संवत् १४०० वर्षे प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० नरदेव जार्या गांगी पुत्र श्रे० काबटेन जा० कडू पितृव्य चांपा श्रेयोर्थं श्री चन्द्रप्रन बिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिजिः ॥ [ 1067] सं० १४००० प्राग्वाट व्य० कव्हा कमी सुत सूरीकेन जा० नीलू जा० चांपा सुत सादा पेथा पदमादि कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री कुन्थु बिंबं का० प्र० तपा श्री सोमसुंदर सूरिजिः ॥ पुत्र [ 1968] सं० १४०० वर्षे फा०सु० १० बुधे उप० ० ० कसूयर जार्या कुसमीरदे सु० गेहा केन पित्रो श्रेय श्री नमिनाथ बिंवं का० प्र० मड्डा० रत्नपुरीय ज० श्री धणचन्द्र सूरि प० श्री धर्मचन्द्र सूरिजिः ॥ [ 1069] सर्वत् १४०१ वर्षे वैशाख शुदि ३ शनौ प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० काला जाय की म्हण दे सुत सरवणेन पितृमातृ श्रेयसे श्री चन्द्रप्रन स्वामि पंचतीर्थी बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं मडादड़ गछे श्री उदयन सूरिजिः ॥ श्री ॥ [ 1070 ] सं० २४८२ वर्षे वैशाष वदि ५ उपकेश झा० राका गोत्रे सा० भूखा जा० तेजसदे पु० कानू रूल्हा जा० रयणीदे पु० केल्दा हापा शाल्दा तेजा सोनीकेन कारापितं नि० पुण्यार्थ आत्म श्रे० उपकेश गछे कुकदाचार्य सं० प्र० श्री सिद्ध सूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५ ) [1071] सं० १४७३ वर्षे हि वैशाख वदि ५ गुरौ श्री प्राग्वाट झाण व्य० खीमसी नाग सारू पुत्र व्य० जेसाकेन पुत्र वीकन आसान्यां सहितेन श्री मुनिसुव्रत स्वामि बिंब श्री अंचल गबनायक श्री जयकीर्ति सूरि गुरूणां उपदेशेन कारितं प्रतिष्ठिनं श्री संघेन ॥ [1072] सं० १४७४ वर्षे वैशाख वदि १५ रखौ उपकेश झातीय सा कूता ना कुंवरदे पुत्र जमा नारा चावलदे पु० सायर सहित श्री वासुपूज्य बिंबं का प्र० उपकेश गठ सिकाचार्य सन्ताने मेदरथ श्री देवगुप्त सूरिनिः॥ [1078] सं० १४४ वर्षे ज्येण सु० ५ बुधे श्री नागेन्द्र गछे उपकेश झा सा सादहा ला माहा पुरा धांगा ला सामी पितृमातृ श्रेण श्री संजवनाथ चिंचं का० प्र० पद्माणंद सूरिलिः ॥ [074] सं० १४ए१ वर्षे वैशाष सु० ६ गुरौ व धरणा जाग पूनादे सुत हीराकेन ना हीरादे पुत्र श्री सुमतिनाथ बिंबं श्री सोमसुन्दर सूरि प्रा .... । [1075] सं० ए१ वर्षे माघ सुदि ५ बुधे ओसवंशे पंचाणेचा सा० वस्ता नार्या लीलादे पुत्र ऊमाकेन सपरिवारेण स्वपुण्यार्थ श्री अजितनाथ विंबं का प्र० खरतर ग० श्री जिनसागर सूरिनिः॥ [1078] सं० १४५५ वर्षे ज्ये व ११ प्राग्वाट सा० अरसी जा॥ आल्हणदे सुत चाचाकेन जा चाहणदे सुत तोला बाला सुहमा राणा षांचादि युतेन स्वसुत मोसा श्रेयसे श्री नमिनाथ बिंवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सोमसुन्दर सूरिनिः ॥ श्री॥ [1077] सं० १४एए ज्येष्ठ सुदि १४ बुधे सांषुला गोत्रे सा बीहिल पु० चांपा नाय चापलदे पु० लाषाकेन ना० लषमादे पुण्यार्थ श्री शान्तिनाथ बिंबं कारितं प्र० श्री धर्मघोष गच्छे श्री पद्मशेषर सूरि पट्टे जय श्री विजयचन्द सूरिभिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६ ) [ 1078] सं० १४९६ वर्षे फागुण वदि २ शुके ढुंवड़ ज्ञातीय ३० देपाल ना सोहग पु० ३० राणाकेन मातृपितृ श्रेयसे श्री वासुपूज्य बिंबं कारितं प्रतिष्टितं निहतिगडे श्री सूरिचिः॥ [1070] सं० १५५१ वर्षे फागुण सुदि १३ गुरौ सुराणा गोत्रे सा० सोनपाल जाप तिहुणी पुण घिणराजेन गुणराज दशरथ सहसकिरण समन्वितेन स्वश्रेयसे श्री सुमतिनाथ विवं कारितं प्रा श्री धर्मघोष गच्छे न० श्री पद्मशेषर सूरि पा जा श्री विजयचन्छ सूरिनिः॥ [1080] सं० १५०३ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ११ शुक्रे दहदहड़ा ...... श्री अरुनाथ विंबं का प्रा राम सेनीया वरफे (?) श्री धर्मचन्द्र सूरि पट्टे श्री मलयचन्द सूरिभिः । [1081] सं० १५०५ वर्षे वैशाष सुन्६ सोमे श्री संडेरगछे जा झा वासुत गोत्रे सा गांगण पु० पैरु पुत्र बुलाकेन सा गोगी पुत्र बाड़ा कुंना सहितेन वपुण्यार्थं श्री शान्तिनाथ बिंब का प्र० श्री ! [1082] सं० १५७६ मा सुरु ७ दिने श्री उपकेशज्ञातौ सिरहठ गोत्रे सा० सहदेव जा० सुहवदे पुष सालिगेन पित्रो निमित्तं श्री कुंथुनाथ बिं का प्रतिण श्री सर्व सूरिधिः ॥ [1083.] सं० १५०७ वर्षे ज्येष्ठ सु० १० उप चिपड़ गोत्रे साप रावा ना० जेठी पु० देगाकेन मातृपितृ पुण्या० श्रात्म श्रेण श्री शान्तिनाथ विंबं का उपकेश गले० प्रति श्री कक्क सूरिनिः। [1084] सं० १५०७ वर्षे ज्येष्ठ शु० १३ बुधे प्राग्वाट झातीय श्रेण सोमा जा० धरमिणि सुत मालाकेन लाला जाप गेलू राजू युतेन स्वश्रेयो) श्री वर्द्धमान बिंब कारितं प्रा तपा श्री सोम सुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेषर सूरिनिः॥ कूलिगिरि वास्तव्य ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1086] सं० १५०ए वैण् शु० ३ प्राग्वाट व्य० मेघा नार्या हीरादे पुत्र व्या आसा मामा नाग कैलू आव्हा पुत्र शिखरादि कुटुम्ब युतान्यां स्वश्रेयार्थ श्री युगादि वि० का प्र० तपा श्रो सोमसुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेषर सूरिभिः ॥ [1006] ___ सं० १५१० वर्षे वैशाष वदि ५ सोमे गिरिपुर वास्तव्य हुंवड़ शाति डेमिक गोयद (?) जाण वारू सु० जाला ना हीसू सुर आसाकेन ना0 रूपी युतेन स्व० श्री सुविधिनाथ वि० का श्री वृ तपापक्ष श्री रत्नसिंह सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ [ 1087] ___ सं० १५११ वर्षे माह वदि ६ गूर दिने उप० ज्ञा० चलद (?) गोत्रे सा बाड़ा नाण सहवादे सा० जाड़ा नाग जसमादे ... सहितया स्वश्रेयसे श्री धर्मनाथ बिंब का प्रण श्री ना रामसेनीया अटकरा० श्री मलयचन्द्र सूरिनिः ॥ [1088] ॥ सं० १५१३ वा चै सुष ६ गुरौ उपकेश वं० ताल गो० सा महिगज पु० साप कादहा जा० कलसिरि सु० धना ना धरण श्री पुरा चोषा युग श्री शितलनाथ विंबं का प्र० धर्मघोष गण श्री साधुरत्न सूरिनिः ॥ [1080] ॥ सं० १५१३ पौष शुदि ७ ककेश वंशे विमल गोत्रे संग नरसिंहांगज सा काफणेन श्री कुंथु बिंबं का प्रण ब्रह्माणी उदयप्रन सूरि तपा नट्टारक श्री पूर्णचन्म सूरि पट्टे हेम हंस सूरिनिः॥ [1000] ॥ सं० १५१५ वर्षे जे० सुदि ५ उपकेस झाप जोजा उरा सा० वीदा जा वारू पुत्र गांगा हुदाकेन पूर्वज निमित्तं श्री कुंथनाथ विंचं का० प्र० श्री चैत्रगन्छे जा श्री रामदेव सूरिनिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १ ) [10011 सं० १५१७ वर्षे फाण शु ११ शनौ सीणुरावासि प्राग्वाट व्यण चूमा नागरी पुत्र सा० देहाकेन ना रूपिणि पुत्र गरु आदि कुटुम्ब युतेन निज श्रेयसे श्री श्री विमलनाथ मूलनायक बिंबालंकृत चतुर्विंशति पट्टः का प्रा तपागचे श्री रत्नशेषर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिन्तिः ॥ [1002] सं० २५५३ वर्षे माघ सु० ६ रवी रेवती नक्षत्रे प्राग्वाट श्रेण घेघा ला जमलू सुत श्रे० रोमी भार्या श्रे० सोमा नार्या बाबलदे पुत्रहुलू नाम्ना स्वश्रेयसे श्री श्रादिनाथ बिंचं का प्र० तपा श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः ॥ श्रागीया ग्रामे । [1093] सं० १५२५ वर्षे चैत्र वदि १० गुरौ जस वास्तव्य हूंबड़ ज्ञातीय वररजा (?) गात्रे घे कर्मणजा ना नानू सुत (?) कान्हा श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ बिंब प्रति श्री ज्ञान सागर सूरिनिः॥ [1004] सं० १५२ वर्षे श्रापाड़ सु० १३ रवी ज० झातीय गूदोचा गोत्रे सा जांमा ना मापुरि पु मांझा ना वादहणदे पु० मुना पाहा सहितेन सुता श्रेयसे श्री सुमतिनाथ विवं का० प्र० श्री चैत्रगछे श्री सोमकीर्ति सूरि पट्टे श्री श्री चारुचन्द्र सूरिभिः ॥ [1095] ला संवत् १५५ए वर्षे ज्येष्ठ सु शुक्र उशवाल झा ताहि गोत्रौ सा मूलू ला लूणादे वि० सुहागद पु० सा नाषर ना० नीली पु रणधीर जगा हडी रहा धोपा श्रेयो) श्री सुविधिनाथ सिंबं का प्रण खरतर गछे श्री जिनचन्द सरिनिः। [1098] संवत् १५३१ वर्षे फागुन सुः ७ शनी उप० झा ईटोजमा गोप साप गपो ना मानू पु० माका पेढा रतना नाला ऊबू पु० जादा सहितेन आत्म श्रेयसे श्री सुमतिनाथ बिंब का प्रति श्री चैत्रगडे श्री सोमकीर्ति सरि पट्टे श्रा० श्री नारचन्ड सरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( হবে ) [1097] संवत् १९३३ वर्षे माघ सुदि १३ सोमे श्री प्राग्वाट ज्ञातीय सा० नाऊ जा० हांसी पुत्र सा० ठाकुरसी सा० वरसिंघ जातृ सा० वीसकेन जा० सोनी पुत्र सा० जीणा महितेन श्री अचलगनेश श्री श्री श्री जयकेसरि सूरीणामुपदेशेन श्री नमिनाथ बिंबं कारितं प्र० श्री संघेन मांदी ग्रामे || श्री श्री ॥ [ 1098] || सं० १५३५ वर्षे मार्ग वदि १२ साघुला गोत्रे साद पाल्हा जा० रहणादे पु० सा तेजा जा० तेजलदे पु० बलिराज वीसल लोला । मालिकादि युतेन श्री पार्श्वनाथ बिंबं hoto श्री धर्म श्री पद्मशेषर सूरि पट्टे श्री पद्माद सूरिजिः ॥ [ 1099 ] सं० १५३६ वर्षे मार्गसिरि सुदि १० बुधवासरे श्री संकेर गछे ऊ० तेलहरा गो० सा० ध्वना पु० काल्ह पूजा जा० खलतू पु० टोहा हीरा टोदा जा० वरजू पु० 'स्वश्रे० खाला निमित्तं श्री शीतलनाथ बिंबं का० श्री जिए जद्र ( ? ) सूरि सं० श्री सालि सूरिजिः ॥ [1100] सं० १९४२ वर्षे फा०व० २ दिने जालउर महादुर्गे प्राग्वाट ज्ञातीय सा० पोष जा० पोमादे पुत्र सा० जेसाकेन जा० जसमा चातृ लाषादे कुटुम्ब युतेन स्वश्रेयोर्थं श्री धर्मनाथ बिंबं कारितं तप श्री सोमसुन्दर सन्ताने विजयमान श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः ॥ श्रियोस्तु || [1101] सं० १५५ वर्षे आषाढ़ सुदि १ उसवाल ज्ञाती कनोज गोत्रे सा० वेढा पु० सहसमल जा० सुहिलालदे पु० ठाकुरसि ठकुर युतेन चात्मश्रेयसे माम्हण वितृपुण्यार्थं शीतलनाथ बिंबं का० ॥ प्र० श्री देवगुप्त सूरिभिः ॥ [1102] सं० १५६६ वर्षे वै० व० १३ २० पत्तनवासि प्रा० दो० माणिक जा० रबकू सुत पासाकेन जा० ईडू सु० नाथा सोनपालादि कुटुम्बयुतेन श्रेयोर्थ श्री धर्मनाथ बिंबं कारितं तपागच्छे श्री हेमविमन सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [11031 सं० १५६६ वर्षे फ व० ६ गुरौ प्रा॥ सा तोला ना० रुषमिणि पुरा गांगाकेन जा० पीबू पु० लाला लोला सापादि कुटुम्बयुतन श्री पार्श्वनाथ बिंबं कारितं प्र० तण श्री सोमसुन्दर सूरि सन्ताने श्री कमलकरस सूरि पट्टे श्री नन्दकल्याण सूरिनिः ॥ श्रीः ॥ श्री चरणसुन्दर सूरिचिः॥ [1104] सं० १५५६ वर्षे ज्येण शु२ दिने प्राग्वाट झातीय ज्यायपुर वा० साप हापा जा दानी पुण् सुश्रावक सा सरवण ना मना नाम सा० सामन्त ला कम्म पुण् सा सूरा सा० सीमा पता प्रमुख समस्त परिवार युतैः निज पुण्यार्थ श्री श्रेयांस बिंब कारित प्रण श्रीमत्तपा गछे श्री पूज्य श्री आनन्द विमल सूरि पट्टे सम्प्रति विजयमान राजा श्री विजयदान सूरिजिः॥ [1105] सं० १६६७ वर्षे ज्येष्ठ वदि ध लोढा गोत्रे प । साता इर्षमदे सु० कएराकेन सुत वार दास प्रमुख कुटुम्ब युतेन श्री नमिनाथ बिंचं कारित प्र० तपागले श्री विजयसेन सूरीयां निदेशात् ज० श्री साय विजय (?) गणिनिः ॥ [11081 संवत् १६६ वैशाष सुदि ७ उदयपुर वास्तव्य उसवास ज्ञातीय वरमिया गोत्रे सा० पीथाकेन पुत्र पोषादि सहितेन विमलनाथ बिंब का प्र० ता नहारक श्री विजयदेव सूरिनिः। स्वाचार्य श्री विजयसिंह सूरिभिः ॥ [11071 सं० १६ए० वर्षे ज्येष्ठ सुदि ५ सोमे उकेस वंशे मांगरेचा गोत्रे सा गोविन्द नार्या गारवदे पुत्र सा समरथ श्री खरतरगच्छे श्री जिनकीर्ति सूरि श्री जिनसिंह सूरिनिः प्रतिष्ठितं। "Aho Shrut Gyanam" Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [tio] संवत् १६ए४ वर्षे वैशाष . . श्री अनन्तनाथ विंबं का प्र० च तपगठाधिराज जहारक श्री विजयदेव सूरिनिः॥ स्वोपाध्याय श्री लावण्यविजय गणि का जप ... [1100] सं० १७३ सा तेजसी कारिता श्री विमलनाथ बिंब ... । [1110 ] संवत् ... जीवा पु० सीहड़ जार्या श्रीया देवि पु राजापाल प्रजापाल श्री श्री श्रादिनाथ विवं का० प्र०. श्री वर्धमान सूरिनिः ॥ [1111 ] * ।। सं० १४५३ श्री ज्ञानकीय गर्छ । सा बाहड़ ना प्रमी गु० पाल्हा लोलान्यां श्रद्धप्रा ( ? ) कारिता ॥ श्री वासुपूज्यजी का मन्दिर । धातु की पञ्चतीथियों पर। [1112 ] संवत् १५०६ वा ऊकेश सा बन्चराज सु० सा हीरा ना हेमादे इरसदे पुण् साण जगा ना० फफु " श्रेयसे श्री शीतल विंबं कारितं प्रतिष्ठितं सपा श्री रत्नशेखर सूरिनिः श्री देवकुलपाटक नगरे। [1113 ] सं० १७४२ वर्षे ज्येष्ठ सु० ५ गुरुवार सुराणा गोत्रे सा चेतन पु० नारायण "" सुण लीला ."" गोकलदास "" श्री चन्उपज विवं कारितं । * यह मूर्ति देवी की है और बाहन घोड़ा है। ... ... .. "Aho Shrut Gyanam" Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री गौड़ीपार्श्वनाथजी का मन्दिर । धातुकी मूर्तियों पर। [1114 ] सं० १७०५ माघ सु०१३ सोमे राणा श्री ......." __ [1115 ] सं० १७०१ ज्येण सुपए उदेपुर महाराणा श्री जगतसिंहजी बापणा गोत्र साह श्री ... । [1116] सं० १७०० वर्षे शाके १६७३ ... जेठ सु० ए बधे तपा श्री विजयदेव सरि श्री विजय धर्म सूरि राज्ये उदयपुर वास्तव्य पोरवाड़ नएमारी जीवनदास नार्या मटकू श्री पार्श्व विंचं कारापितं । धातु की चौवीशी पर । [1117] ॐ ॥ सं० १५२२ वर्षे पो० व० १ गुरौ कर्केरा वासि उकेश व्या जेसा ना जसमादे सुत व्य० वस्ता नार्या वीकलदे नाम्न्या पुत्र व्या जीम गोपाल हरदास पौत्र कर्मसी नरसिंग थावर रूपा प्रमुख कुटुम्बयुतया निजश्रेयसे श्री शान्ति बिंबं का प्र तपागच्छ श्री लक्ष्मी सागर सूरि श्री सोमदेव सूरिनिः । श्रेयः॥ धातु की पञ्चतीर्थियों पर। [1118] ॐ सं० १५११ वर्षे वैशाष वदि ५ शनी श्री मोढ़ ज्ञातीय मंजीमा नार्या मनु सुत मं गोराकेन सुत जोला महिराज युतेन स्वपितुः श्रेयो) श्री धर्मनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं विद्याधरगळे श्री विजयप्रत सूरिनिः ॥ [1119] संप १५४७ वर्षे पोष वदि १० बुधे ऊ ज्ञातीय सा कोला नार्या बीमाई पु० दीना "Aho Shrut Gyanam" Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३ ) to लाडिक नान्यादेवर सा० देमा जा० फट् पु० धरणादि युतया स्वश्रेयसे श्री शान्ति नाथ त्रिबं कां० प्र० पूर्णिमा पक्षे श्री जयचन्द्र सूरि शिष्याण या० श्री जयरत्न सूरि उपदेशेन मलीग्रामे । धातु के यंत्र पर । [1120 ] सं० १५३४ श्री मूलसंघे ज० श्री भूवनकीर्त्ति श्री ज० श्री ज्ञानभूषण हूं० दो० भाषा जा० अमरा जातृ दो० दीरा जा० घरघू सु० जूता जगिपि सुध माणिक 1 जएकार की धातु की पञ्चतीर्थियों पर | [1121 ] सं० १३३८ वर्षे चैत्र वदि ७ शुक्रे महं० हीरा श्रेया महं० सुत देवसिंहेन श्री पार्श्वनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिजिः ॥ [1122] सं० १३६१ ज्येष्ठ सु० ए बुधे श्रे० आसपास सुत अजयसिंह तार्या श्री लण देवि तयोः सुत कान्हड़ पूनाच्यां पितृव्य लूणा श्रेयसे श्री शान्तिनाथ कारितः । प्र० श्री यशो न सूरि शिष्यः श्री विबुधान सूरिजिः ॥ [1123 ] सं० १४३७ वर्षे द्वि ( ? ) वैशाष व० ११ सोमे श्रोश० व्य० नरा जा० मेघ्री पु० जीम सिंहेन पित्रो श्रेयसे श्री विमलनाथ बिंबं का० प्र० ब्रह्माणीय श्री रत्नाकर सूरि पट्टे श्री हेमतिलक सूरिजिः । [1124] सं० १४४० वर्षे वैशाष शुदि ३ सोमे श्री श्रीमाल ज्ञा० पितृ पीमा मातृ घेतलदे सुत बाबाकेन श्री संजवनाथ बिंबं कारितं प्रति० श्री नागेन्द्र गछे श्री उदयदेव श्रेयोर्थ सूरिभिः । "Aho Shrut Gyanam" Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1125] सं० १४७ ज्येष्ठ व १ प्राग्वाट 30 जलसीकेन पित्री व पूनसीह ना प्रमलदे ... श्री चन्द्रप्रन बिंब का प्र० मलधारि श्री मुनिशेखर सूरिभिः ।। __ [1128] सं० १५०१ माघ वदि ५ गुरौ प्राग्वाट व्या धणसी ना प्रीमलदे सुत व्य० लाषा जा लाषणदे सुत व्या षीमाकेन निज श्रेयसे श्री सुमति वि कारि० प्र० तपा श्री मुनि सुन्दर सूरिनिः। [1137] सं० १५१६ वर्षे वै० व १५ शुक्रे उकेश झाती व्य० नारद जा० घरघति पुत्र बाधाकेन जा वटहादे चा पहिराजादि कुटुम्ब युनेन खपितु श्रेयोर्थ श्री विमलनाथ विंबं का प्रण श्री सूरिभिः ॥ महिसाणो वास्तव्य ॥ [1128] सं० १५२० वर्षे वैशाष सु० ३ सोमे उपकेश झा मह कालू ना आघू पुत्र ३ जावड़ रतना करमसी खमातृनिमित्तं श्री चन्द्र प्रन खामि चिंब करा पितं उपकेश गछे श्री कक्क सूरिभिः सत्यपुर वास्तव्यः॥ [1120] सं० १५२४ वर्षे ज्ये सु० ए श्री श्री वंश स समधर जार्या जीविणि सुता वादही पि० हेमा युतया पितृ मातृ श्रेयसे श्री अंचल गछ श्री जयकेशरी सूरिणामुपदेशन श्री सुविधिनाथ विंबं का प्र० श्री संघेन । [11301 सं० १५५७ वर्षे ज्येष्ठ शुदि १० दिने प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेण साजण न मादह पुत्र डगड़ा देवराज ना० देवलदे स्वपुण्यार्थ श्री श्री विमलनाथ बिंध का प्रण मडाहड़ गब रत्नपुरीय जण गुणचन्ड सूरिभिः । उ आणंदनंद सूरि तेन उपरिकेन । "Aho Shrut Gyanam" Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५ ) [1131 ] संवत् १५६ए वर्षे आषाढ़ शुदि र मेडतवाल गोत्र सा इसा ना मील्हा पुत्र तान्हा जार्या तिलसिरि स्वपितृश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री मलधारि गच्छे श्री लक्ष्मीसागर सुरिनिः। [1132 ] सं० १६५५ माइ सुदि १० श्री मूलसंघे ना श्री प्रजचन्द्र देवा तत्पट्टे जा श्री चन्द्र कीर्चि तदानाये चंदवाड़ गोत्रे सं० चाहा पुत्र तेजपाल पुत्र केसै। सुरताण श्रीवंत नित्य प्रणमंति मालपुर वास्तव्य ॥ जयपुर। श्री सुणर्श्वनाथजी का पञ्चायती बड़ा मन्दिर । पंचतीर्थयों पर। [ 1133] सं० १३३५ वर्षे ज्येष्ठ वदि १ गुरौ व्य० महीधर सुत कांऊन आत्मश्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथ विध कारित प्रतिष्ठित सूरिभिः । [ 11341 ॐ सं० १३४० वर्षे ज्येष्ठ सु० १३ रवौ गूर्जर ज्ञातीय व राजड़ सुत महं देव्हणेन पितृव्य वीरम श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ वि कारितं प्रतिष्ठितं श्री चैत्रगछिय श्री देवप्रन सुरि सन्ताने श्री अमरना सूरि शिष्यैः श्री अजितदेव सूरिभिः । [1135 ] सं० १३ए० वर्षे माघ सुदि १३ सोमे श्री काष्ठासंघे श्री लाडवा गएरुगणे श्रीमत् "Aho Shrut Gyanam" Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६ ) आचार्य श्री तिहुणकीर्ति गुरूपदेशेन हुंवड़ जातीय व्या बाहड़ जार्या लाठी सु० व्य० षीमा जार्या राजूस देवि श्रेयोर्थ सु का देवा आर्या राजुल देवि नित्यं प्रणमन्ति । [1136] सं० १४३० वर्षे वैशाष वदि ११ सोमे प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेष्ठि गोहा नार्या सखतादि सुत मूजाकेन । पितृत्रातृश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथ का० प्र० श्री रत्नप्रन सूरीणामुपदेशेन । [ 1187 ] सं० २४३ए वर्षे पौष वदि ए सोमे श्री ब्रह्माण गछे श्री श्री मा पितृ माषसी जान मोषलदे प्र० सुत सोमलेन श्री शान्तिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री बुद्धिसागर सूरिनिः ॥ श्रीः॥ [ 11381 सं० १४६५ वर्षे ....... श्रात्मार्थं श्री शान्तिनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री ....... | [ 11301 - सं० १४६ए वर्षे जकेशवंशे नवक्षषा गोत्रे साप साघर यात्मश्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबं कारितं प्रति खरतर गण । जिनचन्डेण ...स्तव्य । [11401 संवत् १४७ए वर्षे पास सुदि १५ शुक्र श्री दुवड़ झातीय द्यावेमा गलनयोः पुत्रेण धान हापाकेन वज्रातृ यावड़ा मुलासी श्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री वृहत्तपागले श्री रत्नसिंह सूरिभिः ॥ शुभं भवतु ॥ श्री ॥ ७ ॥ ___ [1141] सं० १४ए४ माह सु० ११ गुरौ श्री संमेरगडे 30 श्रा० संवामि गौष्टिक सा० सुरतण पु० धर्मा ना० धर्मसिरि पु० वासलेन ना कानू पुरा नापा नादा स० पित्रोः श्रेयसे श्री श्रेयंस तु. का० प्र० श्री शान्ति सूरिनिः शुलं । "Aho Shrut Gyanam" Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३७ ) [1142] सं० १५०१ वर्षे माइ सुदि १० सोमे श्री संगठे उपकेश झाप साह कालू जाय काल्ही पुत्र कान्हा जाय सारू पितृमातृश्रेयोर्थं श्री नमिनाथ विं कारापितं प्रति० प० श्री सांति सूरिजिः । [1143] सं० १५०१ माइ सुदि १० सोमे श्री ज्ञानकापगछे उपकेश० खोलस गोत्रे साह कान्दा जाक सिरि पुत्र यास जाय जाकु पुत्र धाना रामा काना जा अर म श्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबं कारा० प्रति० श्री शान्ति सूरिनिः । [ 1144] सं० १९०१ मा सुदि १० सोमे विरुत गोत्रे सा० माएहा पु० अरजुन जाय साह पुत्र कान्हा जा० दी दफ़या श्री पद्मनः का० प्र० श्री धर्मघोषगछे श्री मही तिलक सूरिजिः या० विजयन सूरि सहितैः ॥ --- [ 1145 ] संवत् १५०१ वर्षे फागुण सुदि १३ शनौ ऊ० झा० जाजा उटाणा सा० कर्मा जा० सागू पु० पेता जताषे जा० राणी पु० पंचायण जयता जा० तो पित्रोः श्रे० श्री शान्तिनाथ बिंबं का० श्री चैत्रगछे प्र० श्री मुनितिलक सूरिनिः । [1148 ] सं० १९०२ वै० ० ५ प्रा० व्य० लाषा लापपदे पु० सामन्तेन सिंगारदे पु० पाल्हा रतना की कादियुतेन श्री कुंथु बिंबं का० प्र० तथा रत्नशेखर सूरिजिः । [1147] सं० २०४ फागुण शुदि ११ कूंगटिया श्रीमात्र सा० साधारण पुत्रेण सा० समुधरेण श्री पार्श्वनाथ प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठितं श्री तपाजहारक श्री पूर्णचन्द्र सूरि पट्टे श्री हैमस सूरिजिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २० ) [1148 ] सं० २०५ आषाढ सुदि ए श्री उप० सुचिंतित गोत्रे सा० सीढा जा० जावटही पु० सा० सोलाकेन पुत्र पौत्र युतेन आत्म पु० श्री चन्द्रप्रन बिंबं का० प्र० श्री उपकेशगन्छे श्री कक्क सूरिजिः । **** [ 1149 ] 'सं० १५०६ फा० ब० ए श्री उ० ग० श्री ककुदाचा० गो० सा० समधर सु० श्रीपाल जा० परवाई पु० मुद जव ससदा रंगाच्यां पितु श्रे० श्री सम्जवनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री कक्क सूरिजिः । 3459 GURANSHO [1150] सं० १५० वर्षे मार्गशिर सुदि ३ शुक्रे उपकेश ज्ञातीय जढक गोत्रे संदणसीद जायदादा वीसल जाती महिपाल पु० मगराज साधी श्रात्मपुष्यार्थं श्री विमलनाथ बिंबं का० प्र० श्री वृछे श्री सागर सूरिजिः । [ 1151 ] सं० १५०० वर्षे चैत्र वदि ५ शनौ लोढा गोत्रे । श्रे० गुणा जार्या गुणश्री पुत्र श्रे० पूजा 'कचरौच्यां पितृव्य धन्ना पुण्यार्थ श्री धर्मनाथ बिं० का० प्र० खरतर श्री जिनजड सूरि श्री जिनसागर सूरि । [1152 ] सं० १५१० वर्षे चैत्र वदि ४ तिथौ शनौ हिंगड़ गोत्रे गौरन्द पुत्रेण सा० सिंधकेन निज श्रेयो निमित्तं श्री सुविधिनाथ बिंबं कारितं प्रति० तपा० ज० श्री हेमहंस सूरिजिः । [ 1153:] सं० १५१२ माघ सुदि ७ बुधे श्री ओसवाल ज्ञाती आदित्यनाग गोत्रे सा० सिंघा पु० ज्येल्दा जा० देवादी पु० दशरथेन चातृपितृश्रेयसे श्री अनन्तनाथ बिंबं कारितं श्री उपकेश श्री कुदाचार्य सन्ताने प्रतिष्ठितं श्री कक्क सूरिजिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ए ) [1154 ] सं० १५१५ वर्षे फागुण शुदि ४ शुक्रवारे ओसवाल ज्ञातीय वश गोत्रे सा० धीना जा फाई पु० देवा पद्मा मना बाला हरपाल धर्मसी श्रात्मपुण्यार्थ श्री धर्मनाथ विकास प्र श्री मखधार गछे ... सूरिजिः। [1155] सं० १५१६ वर्षे वैशाख सुदि २ बुधे श्री श्री मा श्रे० जश्ता नारा लाबू तयो पुण माधव निमित्तं लालू आत्मश्रेयोऽर्थ श्री शान्तिनाथ विंचं का पिप्पल गज श्री विजयदेव सू० मु प्र श्री शालिन सुरिनिः । [1156] ___ संघ १५५३ वर्षे वैशाख सुदि ४ बुधे जालह राशा मंचूणा शाप देऊ सुत पितृ पांचा मातृ तेजू श्रेयसे सुत गोयंदेन श्री नमिनाथ विंचं कारितं पूनिम गछे श्री साधुसुन्दर सूरि उपदेशेन प्रतिष्ठितं । [1157] ।सं० २५२३ वर्षे वैशाख सुदि १३ दिने मंत्रिदलीय शातीय मुंगोत्रे सा रतनसी नार्या बाकुं पुत्र सा० देवराज नार्या रामाति पुत्र सा० मेघराज युतेन खपुण्यार्थ श्री विमलनाथ बिंब कारितं प्र० श्री खरतरगच्छ श्री जिनहर्ष सूरिनिः॥ [1158] सं० १५२० वर्षे विदि १ सोम दिन श्रीमास वंशे जूनीवाल गोत्रे सा दासा पुत्र साग बिजराजकेन समस्तं परिवारेण आत्मश्रेयसे श्री श्रेयांसनाथ बिंब का० श्री परतर गले श्री जिनप्रन सूरि अनिप्रतिष्ठितं श्री जिनतिलक सूरिभिः। शुभं भवतु ॥ छ ॥ [1150] सं० १५२५ वर्षे आषाढ सु० २ रवी श्री ओसवाल झा चांणाचाल गल्छे षांमक्षेचा गोत्रे सा० साल जार्या मेघादे पुरा जापर नार्या जावलदे पु० मोहण हरता युतेन मातृ मेघू निमित्तं श्री पद्मप्रन बिंबं कारित प्रण जय श्री वजेश्वर सुरिनिः । "Aho Shrut Gyanam" Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३० ) [ 1160] सं० १५३० वर्षे माघ वदि २ शु० पालणपुर वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० नरसिंग जा० नामलदे पु० कांदा जा० सांवल पु० षीमा प्रषू माषी जा० सीचू श्रेयोर्थं श्री नमिनाथ विं कारापित प्रतिष्ठितं तपागले ज० श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः । [1161] सं० १५३० वर्षे मा० ० १० बुधे प्राग्वाट सा० सिवा जा० संपूरी पुत्र सा० पाल्दा पादे सुत सा० नाथाकेन चातृ ठाकुरसी युतेन स्वश्रेयसे श्री मुनिसुव्रत बिम्बं का० प्र० तपा श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः धार नगरे | [1162] सं० १५३३ वर्षे वै सुदि ६ दिने श्रीमाल वंशे स० जईता पु० स० मागण जा० लीलादे पु० षीमा जात युतेन श्री सुपार्श्व विंबं का० प्र० श्री खरतर गष्ठे श्री जिनचन्द्र सूरि पट्टे श्री जिनन सुरिनिः । [1163 ] ० १५३४ वर्षे कार्त्तिक शुदि १३ खौ श्री श्रीमाल ज्ञा० गोत्रजा अम्बिका श्रेष्ठ चांद्रसाव जा० कमकु सुत वानर जा० ताकू सुत जागा जा० नाथी सहितेन स्वपूर्वजश्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिंबं का० प्र० श्री चैत्रगछे श्री मलयचन्द्र सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः । [1164 ] सं० १५३४ फा० शु० २ वासावासि प्राग्वाट व्य० थाल्दा जा० देसू पुत्र परवतेन जा० नरमी प्रमुख कुटुम्बयुतेन स्वधेयसे श्री शीतलनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री तपागच्छे श्री रत्नशेपर पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः । [1165 ] ॥ सं० १५३०फा०व० छ बुधे ऊ० पांटड़ गो० म० पूना जा० खचू पु० रापाकेन जा रयणादे पु० इरपति गुणवति तेज । दरपति जा० हमीरदे प्रमुख कुटुम्ब सहितेन स्वश्रेयसे "Aho Shrut Gyanam" Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३१ ) श्री सुमति बिंबं का० प्रतिष्टितं जावकहरा गछे श्री जावदेव सूरिजिः ॥ खिरदालू वास्तव्येन || [1186] संवत् १५४५ वर्षे माघ शु० १३ बु० लघुशाखा श्रीमाली वंशे मं० घोघल जा० छाकाई सुत मं० जीवा जा० रमाई पु० सहस किरणेन जा० लखनादे वृद्ध जा० इसर काका सूरदास सहितेन मातु श्रेयसे श्री अंचल श्री सिद्धान्तसागर सूरीणामुपदेशेन श्री यादिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री संघेन श्री स्तम्जतीर्थे । [1187] सं० १४० वर्षे वैशाष सुदि ५ रवौ उपकेशज अचावल दढागोत्रे सा० साज जा० तेजसर पु० कुंप कोन्दा सहिसा सीधरा अरब युतेन स्वपुण्यार्थ श्री नमिनाथ बिं० का० प्र० श्री मलयचन्द्र सूरि पट्टे श्री मणिचन्द्र सूरिनिः । [1168] संवत् १८५७ वर्षे शाके १४२२ वैशाष सुदि ५ गुरौ चएकाव्या गोत्रे सा० तेजा जा० रूपी ० चला जा० देमी आत्मश्रेयसे श्री धर्मनाथ बिंबं कारापितं श्री मलयधार गष्ठपति श्री गुणवान सूरिजिः । [1169] सं० १५६२ व० माघ सु० १५ गु० उ० चौक० गोत्र० स० जेसा जा० जिसमादे पुत्र राणा जा० पदे पु० बाल तेजा श्रा० श्रे० श्रेयांस बिं० कारि० बोकड़ी० श्री मलयचन्द्र पट्टे मुषिचन्द्र सूरिजिः । [1170] संवत् १५६६ वर्षे फागुण सुदि ३ सोमे विश्ववनगरे प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० जीवा जाय रंगी पुत्र रत्न श्रे० काहीच चातृ श्रीवन्त । केन जार्या श्री रत्नादे द्वि० दामिदे सुत पीमा जामादि कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री छयादिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री तपागछ जहारक श्री हेमविमल सूरिजिः ॥ कल्याणमस्तु ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३ ) [1171 ] संवत् १५७१ वर्षे माघ सुदि ५ रवौ उप० सा० धरमा नाण काल सु सोता मांडण सुण रूपा सोता ना सुहड़ादे सु० नरसिंघ आव्हा नापा माला मामण नार्या माणिकदे पुण् गांगा मोका पदम रूपा नार्या हासू सु० सेटा नोमा सुकुटुम्बेन रूपा नापा निमित्तं श्री शान्तिनाथ विवं का प्रा श्री दैवरत्न सूरिभिः ॥ [1172 ] सं० १५७७ वर्वे पोस वदि ६ रवौ प्राग्वाट ज्ञातीय पत्र काका ना बाक सुत पण पहिराज ना वरबागं आत्मश्रेयोर्थ श्री चन्द्रप्रन स्वामी विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिभिः श्रीरस्तुः ॥ [1173 ] सं० १६७ वर्षे ज्येष्ठ सु० १ दिने सुजाललपुर वास्तव्य श्री तिलका श्री सुविधिनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री विजयदेव सूरिलिः । धातु की चौवीशी पर । ___[1174 ] सं० १५०ए वर्षे आषाढ सुदि २ सोमे उसिवाल ज्ञातीय सूराणा गोत्रे सा लपणा जा सषण श्री पुण् सा सकर्मण सा सिवराजेन श्री कुन्थुनाथ चतुर्विंशति पद कारितं प्रतिष्ठितं श्री राजगछे नहारक श्री पद्माणंद सूरिभिः ॥ श्री ॥ [11761 संवत् १५५१ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ गुरौ रणासप वासि श्री श्रीमान झातीय श्रेण धर्मा जा धर्मादे सुत नोजाकेन ना० नली प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री शान्तिनाथ चतुर्विंशतिः पट्टः कारितः प्रतिष्ठितं श्री सुविहित सूरिनिः । श्रीरस्तु ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३३ ) धातु की मूर्तियों पर । [ 1178] संवत् १६०१ वर्षे श्री व्यादिकरण बोटा बा० रंजा श्री श्रीमाली न्यात श्री धर्मनाथ श्री विजयदान सूरि | [11771 संवत् १५४४ वर्षे फागुण सुदि १ तिथौ बुधवासरे तपागच्छाधिराज जट्टारक श्री विजय प्र सूरि निदेशात् श्री पार्श्वनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं बा० मुक्तिचन्द्र गणिनिः कारितः । धातु के यंत्र पर । [1178] सं० २०५२ पोस सुदि ४ वृहस्पतिवासरे श्री सिद्धचक यंत्र मिदम् प्रतिष्ठितं बा० लालचन्द्र गणिना कारितं सवाई जैनगर वास्तव्य से० वषतमल तत् पुत्र सुषलालेन श्रेयार्थं । ब । [1179] सं० २०५६ माघ मासे शुक्लपक्षे तिथौ ए गुरौ श्री सिद्धचक्र यंत्र प्र० श्रीमद् वृहत् खरतरगच्छे ज० श्री जिनचन्द्र सूरिजिः जयनगर वास्तव्य श्री मालान्वय फोफलिया गोत्रीय अनन्दरात त० षूवचन्द तत् पुत्र बहादुरसिंव सपरिकरेण कारितं स्वश्रेयोर्थं । श्री सुमतिनाथजी का मन्दिर । पञ्चतीर्थियों पर । [ 1180] संवत् १४०६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ सोमवासरे जाईलबाज पवित्र गोत्रे संघवी बील पुत्र सं० जेजा जि० जस ० वाइड सहितेन आत्मश्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री धर्म्मघोषगछे श्री मही तिलक सूरिजिः ॥ **** "Aho Shrut Gyanam" Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३४) [1181] सं० १४ए१ श्राषा बदि । श्री श्रीमालवंशे वडली वास्तव्य संग सांगा ना० कामसदे पुत्र सा मना जा रशदे पुत्राच्यां सं० समधर सं० सालिन बन्यो नारा राजू साधू सुत मिघा माणिक रत्ना प्रमुख कुकुम्ब सहिताच्या श्री सुपार्श्वनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री तपागबाधिराजैः श्री सोमसुन्दर सूरिनिः शुभं भवतु कल्याणमस्तु । __ [1182] संग १४५३ वैशाष सुदि ५ उप झा आदित्यनाग गोत्रे । सा पदमा पु० षेढा नाग प्रजी पुत्र बीमाकन श्री श्रेयांसनाथ विवं का श्री उपकेशगल्छे कुक० प्र० श्री सिद्ध सुरिनिः । ___ [1123] सं० १५०६ वर्षे माह वदि ए श्री कोरंटकीयगळे श्री नत्राचार्य सन्ताने । ऊ ती सुचन्ती गोत्रे जाण् थानग्मुणया पुण् हाता जा दुती पु० मांगण ना माणिक पुरा घेतादि श्री वासपूज्य बिंवं कारापितं प्र० श्री सांबदेव सूरिनिः। [1184] सं० १५१३ ओसवाल मं0 नारमझ नावलदे पुत्र रत्नाकेन जा अन नाप टीव्हा शिवादि कुटुम्बयुतेन श्री सुमतिना विचं कारितं प्रतिष्ठितं तपा श्री सोमसुन्दर सूरि श्री मुनिसुन्दर सूरि श्री जयचन्छ सूरि शिष्य श्री रत्नशेषर सूरिनिः। [1185] संव० १५१७ वर्षे चैत्र शु० १३ गु० प्राग्वाट झा सा लषमण ना साधू पुत्र साह गोवले ना राजू युतेन स्वश्रेयसे श्री पार्श्व बिंबं का प्र तपागछेश श्री मुनिसुन्दर सूरि तत् पट्टे श्री रत्नशेषर सूरिनिः॥ [1186] सं० १५४ए फा सु० ११ जौ श्री मूविजुवनकीर्ति देवा० तत् पट्टान्व सा पची। ना० वरम्हा पु० सा जनु । ना० चादंगदे पु० वर जा नूपा । त्रि पु सादा ना० दान सिरि व० पु० अजितू ना नैना कके (?) विजसी ....। "Aho Shrut Gyanam" Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) [1188] सं० १५५४ वर्षे वैशाख सुदि १३ सोमे श्री ब्रह्माण गडे श्री श्रीमाल ज्ञातीय श्रेष्ठ मईया नार्या माणिक सुत सामल जार्या लारू सु धर्मण धाराकेन खपित्र पूर्विज श्रेयोर्थ श्री धर्मनाथ विवं काराषितं प्रा श्री विमल सुरि पट्टे श्री बुद्धिसागर सूरिभिः वर्णन वास्तव्य ॥ [1189] ॐ सं० १५५५ वर्षे अाषाढ सुदि १० बुधे श्रोसवाल ज्ञातौ सातहड़ मोत्रे सा० बाढ जा गोपाही पुण् सुललित । न सांगर दे स्वकुटुंबयुतेन श्री कुन्थुनाय बिंव कारित प्रतिष्ठितं ककुदाचार्य सन्ताने उरकेश गछे नए श्री देवगुप्ति सूरितिः । [10] सं० १५६३ माह सु० १५ गुरु श्री संमेर गहे उसवाल पूगलिया गोत्रे स० काजा जाप रानू पु० नरवद ना राण) पु० तिगुण करमा कुवाला सहसा प्र० आत्म पुरा श्री मुनिसुव्रत. स्वामि बिंब कारापितं प्रति श्री शान्ति सूरिनिः ॥ [1191 ] सं० १५६५ वर्षे वैशाष सुदि ६ दिने सूराणा गोत्रे संग चांपा सन्ताने । सं० सवारू मु० सं० गांडा ना० धणपालही पु० सं० सहसमस ब्रात आढा पुण् सोमदम युनेन मात पुण्यार्थ श्री शान्तिनाथ विंबं का श्री धर्मघोष गछे प्राज्ञ श्री नन्दिवर्द्धन सूरिभिः ।। __[1102] सं० १५७४ वैशाष वदि ५ ओसवंशे घरमिया गोत्रे सा खाषा पुत्र सा हर्षा नार्य हीरा दे पुत्र सा० टोकर श्रावकेण स्वश्नेयसे श्री शान्तिनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं च अश्चत गळे श्रावण श्रेयोस्तु ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Er193] संवत १५ए वर्षे पोस वदि ५ सकरे सहाला वास्तव्य प्राग्वाट वृद्ध शाखायो दोष बीरा जाग जाणा जाजरमा दे तेन स्वश्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री जिन साधु सूरिनिः॥ ___[1104] संघ १६१२ वर्षे फागुण शुदि तिथौ श्री ओसवाल वंशे सा० श्राढत जा रेणमा सण साप चतुह धर्मते कारापितं श्री बहितेरा गहे ना श्री जावसागर सूरि ता श्री धर्ममूर्ति सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्री अनन्तनाथ । [1105] ॥ संवत् १६२४ वर्षे माद्दा शुदि ६ सोमे ओसवाल ज्ञातीय दोसी नामा संत दोसी यूप। ज । नार्या बाई मेलाई सुत वानरा श्री धर्मनाथ विवं कारापितं ॥ तपागल श्री तु श्री द्वारा विजय सर प्रति साबसटन नगरे। [11961 सं० १६५३ वषे अखाई ४५ संवत् ॥ माघ सुदि १० दिने सोमवारे ऊकेश वंशे शंखवाल गौत्रीय सा रायपाल नार्या रूपादे पुत्र सा पूना नार्या पूना दे पुत्र मंण् पाता मंग देहान्यां पुत्र जिणदास म चांपा मूला दे मू । सामस सपरिकराच्यां श्री शांतिनाथ बिंवं कारितं प्रतिष्ठितं च श्री वृहत् खरतर गदाधीश्वर श्री अकबरसादिप्रतिबोधक श्री जिनमाणिक्य सूरि पद्दालङ्कार युगप्रधान श्री जिनचन्द सूरिचिः । [1197] संघ १७०३ वर्षे मार्गशिर्षे सित १ दिने मेडता नगरे वास्तव्य शंखवालेचा गोत्रे सा मंगर पुत्र सा० माईदासकेन श्री मुनिसुव्रत बिंब का रितं प्रतिष्ठितं च तपागबाधिराज सुविहित बहारक श्री विजयदेव सूरि पट्टे आचार्य श्री विजयसिंह सूरिनिः ॥ कृष्णगढ नगरे मुदपप्त जयचन्छ(?) प्रतिष्टायां ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धातु की चौवीशी पर। [1198] ॥ संवत् १५३५ वर्षे वैशाख वदि । शुक्र प्राग्वाट ज्ञातीय व्या मामल जाए कोई सुरा पाताना वाऊं सु० देवाकेन नाग देवलदे प्रात्रात सामंत नाप लामी सु समधर नाव अजी सु मामण जोजा राणा हि० चा ऊदा ना बाई पु० साईया जा सदिज्यादि कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री संनवनाथ चतुर्विंशति पट्टः जीवितस्वामी पूर्णिमापके श्री पुएयरत्न सूरीणामुपदेशन का प्रा सुविधिना साकरमामे । धातु की मूर्तियों पर। [ 1100] सं० १६३१ श्री संनवनाथ विंबं पास । [ 12000 सं० १७७४ माघ तिन ५३५ वासा गुप्तालचन्द श्री सुमति विषं कारितं । [1201] सं० १०३१ वर्षे मार्गशिर वदि १ शनौ रोहिणी नक्षत्रे नय श्री विजयधर्म सूरीश्वरराज्ये मुनि श्री शद्धि विजय गणि प्रतिष्ठित पं० विद्याविजय गणि श्री वृषजनाथ बिंब कारापितं स्वप्रेयसे । [1202] श्री षनदेवजी मीती माग श्री सु० ३ सं० १९०६ । [1203] श्री हंसराज श्रेयोर्थ श्री अजिनन्दन विवं । "Aho Shrut Gyanam" Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३७ ) धातु के यंत्र पर। [1204] संवत् १४७ आश्विन शुक्ल १५ दिने तपागलाधिराज श्री विजेजिनेन्ड सूरिन्तिः प्रतिष्ठितं सिद्धचक्र यंत्रमिदं कारापितं पटणी बाहापुरसिंहेन स्वश्रेयसे पं० पुन्यविजे गणीनामुपदेशात् ॥ . [1205] संवत् १७५५ पोस सुदि ४ दिने वृहस्पति वासरे श्री सिद्धचक्र यंत्रमिदं प्रतिष्ठितं जैनगरमध्ये वा० सालचन्छ गणिना वृहत् खरतरगछे कारितं बीकानेर वास्तव्य जै० मधेन श्रेयोर्थ ॥ श्री॥ श्री श्रादिनाथजी का (नया) मन्दिर । पञ्चतीर्थियों पर। [1206] संवत् १४७६ वर्षे माघ वदि ११ तिथौ श्री मालान्वये ढोर गोत्रे सा० तोदहा तशा श्रा० माणी तत् पुत्र सा0 महराज श्री शान्तिनाथ बिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्री खरतरगडे जा श्री जनचन्द्र सूरिजिः ॥ शुनं नवतु ॥ [12071 सं० १४ फागुण वदि । गुरौ श्री उपकेश झातो श्री धरकट गोत्रे सा० हरिराज प्रसिझनाम सा बगुला पुत्रेण साप लाषा श्रावकेन जार्या गजसीही पुत्र बलिराज युतेन श्री संजवनाथ बिंब का प्रण श्री वृहमने धी रत्नप्रन सूरिभिः । [1208] ॥ सं० १५२४ वर्षे ज्येष्ठ शुदि ५ सा० साषा जा लषमादे सा गुणराज धर्म "Aho Shrut Gyanam" Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३ए ) पुत्री श्रा० धारू नाम्न्या श्री सुविधिनाथ बिंब कारितं प्र० तपागच्छनायक श्री सोमसुन्दर सूरि संताने श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः ॥ सा गुणराज सुत सा कालू सुत सा सदराज ॥ 12001 सं० १५३१ वर्षे चैत्र वदि ७ बुधे चंदेरा वास्तव्य श्रोसवाल सादापा जाए हरषमदे सुत समराकेन नार्या शीतादे सु० वेला मेघराज हंसराज प्रमुख कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री अनंत बिंब का प्र० श्री परतरगचे ज० श्री जिनचंड सूरिनिः । [ 1210] सं० १५३६ ज्येष्ठ शु० ५ रवी उप० सीसोदिया गोत्रे सा० देवायत जार्या देवलदे पु० षेता नार्या घेतलदे पुत्र नाषर युतेन वपुण्यार्थं श्री नमिनाथ बिंब कारापितं प्रति० संमेरवालगळे श्री सालि सूरिभिः। [1211 ] ॥ सं० १५४२ वर्षे वैशाष सुदि ए शुक्र ऊकेश शाप सिंघामिया गोत्रे संग रेमा सं० साण कदा जार्या जदतदे पु० सा मामू श्रीमल जिणदत्त । पारस युतेन श्रा० पु श्री मुनिसुव्रत बिंब का श्री मेरुप्रन सूरिभिः ॥ श्री ॥ [1212] संवत् १५५ए वर्षे मानस ( मार्गशीर्ष ) शु० १५ सोमे श्री श्रीमाल न वरसिंग ना देमी० सुप हेमा सुख हराज सु जयता पोमा सुण पांचाकेन आत्मश्रेयसे श्री संजवनाथ बिंब कारितं श्री पूर्णिमा पदे श्री मनसिंह सूरिभिः प्रतिष्ठितं मारबीआ ( ग्रामे ?) । [1213] ॥ संवत् १५७५ वर्षे माघ सुदि १३ भूमे श्री प्राग्वाट सा शेवा ना सहजलदे पुत्र हरषा रूपा हरषा नाग सामकि पुत्र मातृपितृत्रातृ भृण् श्रेयोर्थ श्री श्री श्री आदिनाथ विवं कारापितं । प्रतिष्टितं श्री नागेन्गछे जट्टा श्री हेमसिंघ सूरिनिः । "Aho Shrut Gyanam" Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४ ) [1214] ॥ संवत् १६२० वर्षे फागुन शुदि ७ बुधे कुमरगिरि वासि प्राग्वाट झातीय वृद्ध शाखायां अंबाई गोत्रे व्यवहाण खीमा नाम कनकादि पुत्र व्य० गकरसी नाम सोनागदे पुत्र देवर्ण परिवारयुतेन स्वश्रेयोर्य श्री धर्मनाथ विवं कारितं । प्रतिष्ठितं श्री वृहत्तपागछे श्री पूज्याराध्य श्री विजयदान सूरि पट्टे श्री पूज्य श्री श्री श्री हीरविजय सूरिनिः श्राचंजार्क नन्द्यात् श्रीः ॥ [1215] संवत् १६३७ वर्षे माघ शुदि १३ सोमे श्रीस्तम्नतीर्थ वास्तव्य श्री श्रीमाल ज्ञातीय साय वस्ता ना० विमलादे सुत सा थावरवठी .... आ श्री शान्तिनाथ विंबं कारापितं श्रीमत्तपागछे जट्टारक श्री हीरविजय सूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ धातु की चौवीशी पर। [1216] संवत् १५६५ वर्षे वैशाष शुदि ए शुक्र श्री बायड़ा ज्ञातीय म मांण्यक ना गोमति स वेवाकेन जा वनादे सु० खहूंथा लामण लहूंआ ना लालू सकुटुम्ब श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ चतुर्विशति पहः कारापितं श्री आगमग श्री सोमरत्न सूरि प्रतिष्ठितं विधिना ओरस्तु। धातु की मूर्तियों पर। [ 1217] सं० १७१० ज्येष्ठ सुदि ६ सा० कपूरचन्द । चन्प्र न न । तपागचे प्रतिष्ठितं । [1218] सं० १७२७ वर्षे ॥ घाइ । सावर । शेन । श्री रुषजनाथ विंबं श्री तपागछे । "Aho Shrut Gyanam" Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १ ) धातु के यंत्र पर। [1210] संवत् १७५२ वर्षे पोष सुदि ४ दिने सिहचक यंत्रमिदं प्रतिष्ठितं वा० लालचन्द्र गणिना कारितं सवाई जयनगरमध्ये समस्त श्रीसंघेन वृहत् परतरगन्छे । शुत्नमस्तु । श्री पार्श्वनाथजी का मन्दिर–श्रीमानोंका महला । पञ्चतीर्थियों पर। [ 1220] सं० १४६५ वर्षे वैशाष सुदि ३ सापुता गोत्रे सा वेला नार्या स० वोहणदे पुण् साधु पिमराज पेमाच्यां पितृ मातृ श्रेयसे श्री शांतिनाथ बिंबं कारितं ॥ प्र श्री धर्मघोषगडे श्री सोमचन्द्र सूरि पट्टे श्रीमलचन्द्र सूरिभिः ।। [ 1221 ] सं० १५११ वर्षे माघ शु० ५ गुरू श्री श्रीमाल झातीय श्रेण मकुणसी नार्या नाऊ सुत कीयाकेन पितृमातृनिमित्तं श्रात्मश्रेयोर्थ श्री आदिनाथ बिवं कारितं प्र श्रीब्रह्माणगछे श्री मुनिचन्द्र सूरिनिः मेहूणा वास्तव्य । श्री। [ 12221 संवत् १५३० वर्षे पोष वदि ६ रवी श्री श्रीमाल झा मंत्रि समधर जाप श्रीयादे सुत बीकाकेन श्रात्मश्रेयो) श्री विमलनाथ विंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री पिप्पलगने श्री गुणदेव सूरि पढे श्री चन्प्रन सूरिनिः राजपामे । {12231 सं० १५३१ वर्षे वै० शु० १० सोमे उसवंशे खोढा गोत्रे सा० चाहड़ ना देह सुख "Aho Shrut Gyanam" Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४१ ) नीव्हा जा० सोनी करमी सु० सा० हासकेन चातृ सा० नाऊ सा० षेठ दासा जार्या रतनी सु० सा० ठाकुर सा० ईलटला० ऊधादि प्रमुखयुतेन स्वश्रेयसे श्री अजितनाथ बिंबं का० प्रति० श्री वृदष्ठ श्री सूरिनिः प्रतिष्ठितं ॥ [1224 ] ॥ संवत् १५५५ वर्षे फागुण सुदि ए बुधे सीधुम गोत्रे उधरि गमपाल जा० गोरादे सुत वस्तुपाल चातृ पोमदत्त वस्तपाल जा० वल्हादे पुत्र त्रैलोक्यचंड श्रेयोर्थं श्री संजवनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं खरतरगच्छे ज० श्री जिनसमुद्र सूरिभिः ॥ 1225] संवत् १६२४ वर्षे वै० शुदि १ शुक्रवासरे तपगछे नायक ज० प्रज श्री हीरविजय सूरि मनराज श्री पद्मप्र बिंबं प्रतिष्ठितं प्रतिष्ठापितं नागपर गहिलड़ा गोत्र सा० श्रमीपाल to अमूलकदे पु० कूअरपाल जा० कुरादे प्रतिष्ठितं शुद्धं जवति ॥ धातु की मूर्ति पर । [1226] सं० २००७ माघ शुक्ल १३ बुधे श्री पार्श्वनाथ जिन बिंबं कारितं । प्र०वृ० त ० श्री जिनचन्द्र सूरिनिः । धातु के यंत्र पर । [1227 ] संवत् १८५६ वर्षे वैशाष मासे शुक्ल पक्ष तिथौ ३ बुधे श्री सिद्धचक यंत्र प्रतिष्ठितं ज० जिन सूरि पहालङ्कार श्री जिनचन्द्र सूरिनिः जयनगर वास्तव्य श्रीमालान्वये सीम गोत्रीय किसनचन्द्र तत्पुत्र उदयचंद्र सपरिकरेण कारितं स्वश्रेयोर्थं ॥ [1228] सं० १९०२ वर्षे आश्विन मासे शुक्के पदे पूर्णमासी तिथौ बुधे जयनगर वास्तव्य "Aho Shrut Gyanam" Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४३ ) श्रीमालवंशे फोफलिया गोत्रीय चुनीलाल तत् पुत्र हीरालालेन श्री सिद्धचक्र यंत्र कारितं चारित्रउदय उपदेशात् प्र० ज० खरतरगष्ठीय श्री जिननन्दीवर्द्धन सूरिजिः पूजकानां ती नूयात् । *$$$== . आम्बेर । * श्री चन्द्रप्रन स्वामी का मंदिर । पंचतीर्थयों पर | [1229] सं० १३०० वर्षे पोष सुदि १२ सोमे श्री काष्ठासंघे सुमतिनाथ प्रतिष्ठितं । BEIensese [1230] सं० १५२५ वर्षे मार्गसिरि वदि १२ शुक्रे उपके० बावेल गोत्रे सा० यह पुत्र लोला जाय वामदे स्वश्रेयसे पितृमातृपुण्यार्थं श्री चंद्रप्रन बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री मलधार ग श्री गुणसुन्दर सूरिभिः । * जयपुर शहरसे ५ मैल पर यह स्थान है और यहांका विशाल प्राचीन दुर्ग प्रसिद्ध हैं । सुत ताड़ श्रेयोर्थं श्री [1231] || सं० १५४२ वर्षे फागु० ० २ दिने सीतोरेचा गो० श्रस० सा० सूरा जा० सूरमादे yo परवत जा० सहजादे तथा परवत देलू समधर वीजा सहस जा० पगमलदे सहित जा० सहजा पुरयार्थं श्री संजवनाथ बिंबं का० प्र० श्री नायकीयगछे श्री धनेश्वर सूरिजिः ॥ ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४ ) अलवर। पाषाण के मूर्ति पर। __ [1232 ] * (१)॥ सिजि ॥ संवत् १५१० वर्षे ज्येष्ठ वदि ११ दिने शुक्रवासरे श्री गोपाचल नगरे राजाधिराज श्री मूंगर-सिंह-देवराज्ये ऊकेश वि (वं ) शे । (५) [पं] चलउट गोत्रे भएकारी देवराज नार्या देव्हणदे तत्पुत्र नं नाथा चार्या रूपाई स्वश्रेयो) श्री संजवनाथ बिंब कारितं प्रति(३) ष्ठितं श्री घरतरगजे श्री जिनचन्द्र सूरि शिष्य श्री जिनसागर सूरिनिः॥ ॥ श्रीरस्तु ॥३॥ नागौर। श्री झपनदेवजी का बड़ा मंदिर-हीरावाडी । पञ्चतीर्थियों पर। [1233] १। उ संवत् सुण १०६६ फाल्गुन विदि । । मा मुलक व सतो पाहूरि सा३। वकेणं सन्तरसुतेन नित्य।। श्रेयोर्थ कारिताः॥ [12341 संवत् १३६१ वर्षे ... सुदि १ सोमे श्रेष्ठि धणपाल नार्या पादह पुत्रेण कुमरसिंह श्रावकेण आत्मश्रेयोर्थ श्री महावीर बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री ... * यह लेख राय गौरीशङ्करजी बहादुर से मिला है उनके विवार से इस लेख का राजाधिराज डूंगरसिंह देव ग्वालियर का तंवर ( तोमर ) वंशी-राजा डूंगरसिंह ही हैं। इस मूर्ति की मूल प्रतिष्ठा ग्वालिअर में हुई थी, यहां से किसी प्रकार अलपर पहुंची है । "Aho Shrut Gyanam" Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) [ 1235] संवत् १५३० वर्षे चैत्र सुदि १५ सोमे रावगणे वोवे (?) नेपाल ना पूरी पु० सा पेथा खपितृमातृश्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिंब कारापितं श्री धर्मघोषगन्छे श्री मलय चन्द्र सूरि पट्टे प्रतिष्ठितं श्री पद्मशेषर सूरिभिः॥ __ [1236] संवत् १४५० वर्षे वैशाख वदि २ बुधे उरकेश ज्ञातीय केकडिया गोत्र .. नाण रूदी । जस ना जसमादे पित्रोः श्रे० श्री चन्द्रप्रजस्वामि बिंब काप रामसेनीय श्री धनदेव सूरि पट्टे श्री धर्मदेव सूरिनिः ॥ [1237] संबर १७२८ वर्षे फाल्गुण बदि १ गुन्के उपकेशीय इष्टचाथि जोमा सा पानात्मज साप सजना ना श्रीयादे पुत्र प्रसूणबकेन श्री सुमति वियं कारितं प्रति श्री पबिगळे श्री शान्ति सूरिभिः ॥ [ 1238] संवत् १४५३ वर्षे वैशास्त्र वदि १ उपकेशवंशे ने बाडा पुत्र श्रेण केव्हाकेन कुमरपाल देपालादियुतेन श्री शान्तिनाथ बिंबं स्वपुएशर्थ कारितं प्रतिष्ठिनं खरतरगचे श्री जिनवर्द्धन सूरिनिः॥ [1280] संवत् १४१४ वर्षे फाल्गुन वदि र सूराणा गोत्रे से0 हेमराज लाए हीमादे पुत्र सं० पेल्हाकेन श्री आदिनाथ वि कारिन अनि श्री धघोषगच्छे श्री मलय चन्द्र सूरि पट्टे श्री पद्मशेखर सूरिभिः॥ [[240] संवत् १४७५ वर्षे मागसिर वदि ४ दिने वमाहमा गोत्रे सा डंगर पुत्रेण सा० शिखर केन निजश्रेयसे श्री आदिनाथ प्रतिमा कारिता प्रण तथा श्री पूर्णचन्द्र सूरि पट्टे जट्टारक श्री महंस सूरिनिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४६ ) [1241] संवत् १४०५ वर्षे ज्येष्ठ शुक्ल ७ जौमे प्राग्वाद ज्ञातीय व० साढा श्री जादी पु० सहसा जा० सीतादे पु० पाहा स० आत्मश्रेयसे श्री संजवनाथ बिंबं कारितं प्रति पूर्णिमा पक्षे श्री सर्वानन्द सूरिजिः ॥ [1242] संवत् १४९० वर्षे माह सुदि पक्षे श्री घोसवंशे कलग ज्ञातीय सा० अजीया सुत सा० जेसा जाय जासू पुत्र पोमासाणा दिजिः अञ्चलगनेश श्री जयकीर्त्ति सूरीषामुपदेशेन श्री चन्द्र बिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिभिः ॥ [1243] .... संवत् १४३ वर्षे वैशाख सुदी ३ सोमे उपकेश ज्ञातीय सा० दादा जा० कर्म्मादे पुत्र मेघा जा० पदे सहितेनात्मश्रेयसे श्री वासुपूज्य बिंबं कारितं प्रति० श्री अमरचन्द्र सूरिजिः ॥ [1244] सवत् १४९०३ वर्षे फाल्गुन विदि १ दिने श्रीवीर बिंबं प्रतिष्ठितं श्री जिनन सुरिनिः उपकेशवंशे सा० वाहक पुत्र पूजाकेन कारितम् ॥ [1245] संवत् १४९०५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १४ बुध उपकेश वंशे लघुशाखा मरमण सा० मन्दलिक जार्या फदकू सुत सा० मूंगरसी जार्या दल्हादे पुत्र सा० सोना जीवा घीनेन मातृपुण्यार्थ श्री मुनिसुत चिंचं कारितं प्रति० श्री खरतरगच्छे श्री जिनवर्द्धन सूरि पट्टे श्री जिनचन्द्र सूरि तत् पट्टे श्री जिनसागर सूरिनिः ॥ [1246] संवत् १४७६ वर्षे फाल्गुण सुदि ए बुधे उपकेश ज्ञातीय व्यव० शाखा जा० चांपू पुत्र ऊधरणकेन जार्यादेपू सहितेन आत्मश्रेयसे श्री वासुपूज्य बिंबं कारितं प्रति बोक मियागछे जहा श्री धर्म्मतिलक सूरिजिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४ ) [ 1247] संवत् १४ए वर्षे फाल्गुण विदि ५ फांफटिया गोत्रे सा0 मोहण नार्या कुमरी पुत्र सा मेहाकाहान्यां खश्रेयसे श्री वासुपूज्यं कारितं प्रतिष्ठितं श्री धर्मघोषगळे श्री पद्मशेखर सूरि पट्टे श्री विजयचन्द सूरिभिः ॥ __ [1248] संवत् १५०१ वर्षे आषाढ सुदि ए दिने उपकेशवंशे करमदिया गोत्रे सा वीदहा तत् पुत्र सा० धना पुत्र नाषा वादहा बाबा प्रमुख परिवारेण श्री सुविधिनाथ बिंबं कारितं प्रति श्री खरतरगळे श्रीमत् श्री जिनसागर सूरि शिरोमणिनिः॥ शुन्नम् ॥ [ 1249] संवत् १५०४ व्य० (वर्षे ) गवदहो रत्नदे पुत्र लक्षण जाहणदे पुत्र नाथू ला दोया ज्रातृ चीढा युतया सूदही नाना कारितः श्री सुपार्श्वः। प्रति तपा श्री सोमसुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेखर सूरिभिः ॥ [12501 संवत् १५७७ वर्षे कार्तिक सुदि ११ शुक्रे प्राग्वाट कोग० साषा ना लाषणदे पुत्र कोण परवत ..........लोला माहा नाना मुंगर युतेन श्री संजवनाथ बिंवं कारितं जएस गछे श्री सिद्धाचार्य सन्ताने प्रति० श्री कक्क सूरिनिः ॥ [1251] सं० १५०७ वर्षे माह सुदि १३ शुक्रे षटवड़ गोत्रे सा० साहा नार्या सोना पुत्र सा कुसमाकेन ना कमलश्री पुत्र धानादियुतेन श्री आदिनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री धर्मघोषगच्छे पद्माणन्द सूरिचिः .." श्री हेमचन्द्र सूरीणामुपदेशेन ॥ [1252] संवत् १५०ए वर्षे चैत्र सुदि १२ श्री काष्ठासंघे श्री मलयकीर्ति श्री राब्द नार्या चीव्ह "Aho Shrut Gyanam" Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४ ) पुत्र राजा नार्या साल्ही द्वितीय पुत्र पहाणी राजा सुता ही पजमदरा रतक्ष एतेषां प्रणमति ॥ [1253] संवत् १५०० वर्षे वैशाख सुदि ३ उपकेश ज्ञातीय आईरी गोत्रे सा खूणा पुत्र सा गिरिराज ना मुगुणादे पु० सोनाकेन गकुर देवात् श्री चन्प्रनस्वामि बिंब का उपकेश गो ककुदा प्र० श्री कक्क सूरिभिः ॥ [1254] संवत् १५८५ वर्षे वैशाख सुदि ए बुधे श्री ओसवंशे वृद्धशाखीय सा ढ़ता जा रंगादे पुत्र सा माका श्री सपतिनाथ विवं कारागितं श्री सासु सूरिलिः प्रतिष्टितं श्रीरस्तु श्रो अमदावाद वास्तव्य ॥ [1955] संवत् १५० वर्षे मार्गशिर सुदि दिने उपकेशवंशे साधुशाखायां सा० लाखमण सुत सा महिपाल सा वोल्हाख्यौ तत्र सा० महिपाल नार्या रूपी पुत्र तेजा सा वस्तान्यां पुत्रादि परिवारयुतान्यां स्वयोर्थ श्री पार्श्वनाथ विं कारितं श्री खरतर श्री जिनराज सूरि पट्टे श्री जिनन सूरि निः प्रतिष्टितं ॥ श्रीः ॥ [1250] संवत् १५० वर्षे माह सुदि ५ सोभे उपकेश झातो श्रेष्टि गोत्रे साग कूरसी पु० पासड़ ना जश्नलदे पुण् पारस जा पाइणदे पुत्र पदा परवतयुतेन पितृश्रेयसे श्री संभवनाथ बिवं कारितं उ० श्री ककुदाचार्य सन्ताने प्रतिष्टितं श्री कक्क सूरिनिः । [1257] संवत् १५० वर्षे माघ सुदि १० शनो श्रीमान् जाए मुठीया गोत्रे सा० पिउपाल पु० सोनाकेन आत्पश्रेय से आदिनाथ विंध कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतरगच्छे श्री जिनहिलक सूरिजिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1258] संवत् १५१० वर्षे चैत्र सुदि १३ गु० प्राग्वाट साप गोगन जार्यां सपू पुत्र साजेसाकेन ना० राणी ... नात जामा ना हीरू प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री धर्मनाथ बिंवं कारापितं प्रति तपागलेश श्री रत्नसागर सूरिनिः ॥ ___[1250] संवत् १५११ वर्षे मार्गशिर सुदि ५ रवौ उपकेश ज्ञातीय शाह आसा ना अहविदे तुप शाह ठाकुरसी ना जानू खहितन पितृ त्रातृ श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ विंबं कारापितं श्री कोरएटग प्रति श्रो सावदेव सूरिभिः । [1260] संवत् १५१५ मार्ग शुदि १५ . वारे प्राग्बाट श्रेष्टि गोधा जा फसी सुत नरदे सहसा माटा नाय धीराकेन ना तारू सुन खीमादिकुटुम्बयुतेन निजश्रेयसे श्री आदिनाथ बिषं का प्रण तपा श्री सोमसुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेखर सूरिभिः । [1261] संवत् १५१५ माघ विदि ७ बुधे उपकेश ज्ञातो आदित्यनाग गोत्रे साग तेजा पुत्र सुहमा जा० सोना पु सादावचा हंसा पासादेवादिनिः पित्रोः श्रेयसे श्री सुमतिनाथ बिंब कारित प्रतिष्ठितं उपकेश गछे ककुदाचार्य सन्ताने श्रीकक सूरिनिः। [12621 संवत् १५१५ वर्षे फाल्गुन सुदि ए शनौ श्री श्रीमाल झातीय व्यय तरसी सुत काला सुतवईमान सुत दोण बालाकेन ना कूवरि सुत सा अरण प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वज्रातृ जयारामी तो श्रेयोर्थ श्री सुमतिनाथ बिवं कारितं प्रतिष्ठितं तपागडे श्री श्री रत्नशेखर "Aho Shrut Gyanam Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५० ) [1263] संवत् १५१५ बर्षे फाल्गुन सुदि १५ श्री उपकेशगळे श्री कक्कुदाचार्य सन्ताने श्री उपकेश झातौ श्री आदित्यनाग गोत्रे सा आसा ना नीबू पुत्र बानू ना गजलदे पितृ मातृश्रेयोर्थ श्री आदिनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं श्री कक्क सूरिनिः॥ [1264] संवत् १५१३ वर्षे वैशाख सुदि ५ शुक्रे गूंदोचा गोत्रे सा धीरा नार्या धारलदे पु० देता ना सहजलदे पाहा ना पोमादे० स्वयार्थ संनवनाथ विंबं का प्र० श्री चित्राबालगछे श्री मुनितिलक सूरि पट्टे श्री गुणाकर सूरिनिः। [1265] संवत् १५१३ वर्षे थाषाढ सुदि २ गुरू दिने उपकेश ज्ञातीये मएकलेचा गोत्रे सा वुहथ ना वाहणदे पुत्र रणमल नार्या रतनादे पु० माहायुतेन श्री आत्मश्रेयस श्री सुविधिनाथ चिंबं कारािपितं प्रति श्री वृहछे जानोरावटंके जट्टा श्री हेमचन्द सूरि पट्टे श्री कमलप्रन सूरिभिः ॥ [1268] सवत् १५१३ पोस सुदि ७ उपकेश वंशे लोढा गोत्रे सा० नूणा पुत्रेण सा साब्हाकेन निज नार्या निमित्तं श्री सुविधिनाथ विवं कारितं प्रति तय नहारक श्री पूर्णचन्द्र सूरि पट्टे श्री हेमहंस सूरिभिः ॥ [12671 संवत् १५१७ वर्षे माघ वदि ५ दिने श्री उपकेश ज्ञातौ गम गोत्र सा० सुहमा नाम गुणपाल ही पुण् नगराज ना. नावलंदे पु० नानिगमूला सोढद वीरदे हमीरदे सहितेन श्री श्रेयांस बिंब कारितं श्री रूपली गछे श्री देवसुन्दर सूरि पट्टे श्री सोमसुन्दर सूरिनिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १ ) [1288] संवत् १५१ए वर्षे वैशाख विदि ११ टोबाची वासि प्राग्वाट ज्ञातीय ण केसव ना० जोली सुत सा लामणेन ना मरगादे सुत जसवीर प्रमुखकुटुम्बयुतेन निजश्रेयसे श्री शान्तिनाथ वि कारितं प्रा तपागाधिराज श्री श्री रत्नशेखर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सुरिजिः ॥ श्री ॥ [ 1280] संवत् १५१५ वर्षे माघ सुदि ५ सोमे श्री ब्रह्माएगछे श्री श्रीमान झातीय श्रेष्टि देवा जाप हरपू सुत चाम्पाकेन नार्या जस्ती करणकुंजायुतेन पित्रो श्रेयसः श्री धर्मनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री बुद्धिसागर सूरि पट्टे श्री विमल सूरिनिः ॥ सुखीयाणा वास्तव्य । [1270] संवत् १५१ए वर्षे माघ सुदि १० उपकेशवंशे थुनगोत्रे साप गूजरेण ना गडटपे पुत्र पेदा अजाण ना कुसजगदे पाटेवाट ( ? ) सहितेन श्री आदिनाथ विंबं कारितं प्र० श्री खरतरगळे श्री जिनचन्द्र सूरिन्निः ॥ [ 12711 संवत् १५२० वर्षे मार्गशीर्ष वदि ११ उपकेश झातौ श्रेष्ठि गोत्रे वैद्य शाप सांगण पुत्र सण सोनाकेन नार्या लाबलदे पुत्र समस्त स० वृद्धपुत्र संसारचन्द्रनिमित्तं श्री चन्द्रप्रज स्वामि विंध का प्र० उपकेश गछे ककुदाचार्य सन्ताने श्री कक्क सूरिजिः ॥ श्रीः । [12721 संवत् १५५१ माघ सुदि १३ गुरौ प्राण ज्ञातीय व्यत्र नींबा पुत्र खीमा जार्या पूली पुत्र लांघा हेमा पाहा सहितेन श्री नेमिनाथ बिंब का रितं प्रा तपागच्छे श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ) [12781 संवत् १५३४ वर्षे वैशाख सुदि ३ सोमे दिने प्राण वंशे साए आका नार्या खेलतादे तयोः पुत्र धारा नार्या वीजलदे श्री अञ्चलगच्छे श्री श्री केशरि सूरीणामुपदेशेन निज श्रेण श्री शीतलपन वित्र कान्तिं प्रतिष्ठितं श्री सूरिनि; ॥ जयतलकोट वास्तव्य; ॥ [1274] संवत् १५२४ वर्षे मार्गशीर्ष सुदि ११ शुक्र उपकेश ज्ञाती आदित्यनाग गोत्रे सा सीधर पुत्र संसारमन्छ नार्या सानाही पुत्र श्रीवन्त शिवरतान्यां मातृपुण्यार्थ श्री शीतलनाथ चिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री जपकेश गच्छे श्री ककुदाचार्य सन्ताने श्रीकक्क सुरिनि; ॥ नागपुरे ॥ श्रीः॥ [1275] संवत् १५२५ वर्षे ज्येष्ठ विदि १ गुरौ उपकेश झातीय खावही गोत्रे साह भूणी जा खूणाद पुत्री बाई कपूरी श्रात्मपुण्यार्थ श्री नेमिनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं श्री कृष्णाषि गले तपा शाखायां नहारक श्री कमवचन्द्र सूरिनिः शुजम् श्रीरस्तु ॥ [1276] संवत् १५२७ वर्षे वैशाख सुदि ३ सोमे उप० झा० सा आना ना० पूरी० पु० देपाकेन जा देवलदे पु वच्चा हर्षा नयणा युतेन श्री शीतलनाथ बिंब कारापितं प्रति माह अण् श्री नयचन्द्र सूरिजिः ॥ [2771 संवत् १५२७ वर्षे पौष विदि १ सोमे इन्डीयवासि उपकेश मंत्र कान्हा नार्या उमी सुत मंग कुम्पाकेन ना सावित्री सुत तेजादि कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री मुनिसुव्रतस्वामि बिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री सरिचिः ॥ श्री ।। "Aho Shrut Gyanam" Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1278] संवत् १५२७ वर्वे पोष विदि ६ शुक्रे उप० गहिलमा गो० सा षेढा नारा दामिमदे प्रभृति पुत्रादियुतेन स्वश्रेयसे श्री सुविधिनाथ बिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्री मलधारि गच्छे श्री विद्यासागर सूरि पट्टे श्री गुणशेखर सूरिनिः॥ खीमसा वास्तव्य ॥ [1279] संवत् १५२७ वर्षे प्राग्वाट् सा प्रथमा जा० पाहणदे सुत सं० परवत नाप चाम्पू सुत सा नीसलेन ना नांई श्रेयोथ सुत जगपालादि कुटुम्बयुतेन श्री श्रेयांसनाथ बिवं कारितं प्रति तपा लक्ष्मीसागर सूरि निः । [1280] संवत् १५३५ वर्षे वैशाख विदि ६ चंझे उपकेश ज्ञातौ दूगड़ गोत्रे साप सिखा नाण थली पुत्र धनपालेन जा मारू पु० नागिन सोनपाल प्रमुख सहितेन स्वश्रेयसे श्री शीतलनाथ विंबं कारितं प्रति श्री वृगछे श्री मेरुप्रन सूरिभिः । [1281] संवत् १५३५ माघ सुदि ६ सोमे श्रीमान ज्ञातीय पिण्हवेखापट (?) नामलदे सु ताजा जा राजलदे सुत्र कर्मसी तेजा सा० श्री श्रेयांसनाथ विंबं कारितं श्री पूर्णिमापदीय श्री साधुसुन्दर सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं । जूहारुज वास्तव्यः ॥ श्री ॥ [1282] संवत् १५३० वर्षे वैशास्त्र सु० ३ उपकेश ज्ञातीय सा० रणसिंह नाप तेजलदे पुत्र साप कीताकेन ला कुनिगदे प्रमुख कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री मुनिसुव्रत स्वामि बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागबनायक श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः ॥ खूभामा वास्तव्य ॥ शुनं नवतु ॥ श्रीः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1283] संवत् १५३० वर्षे माघ सुदि ध प्राण झा रादा मा आधू पु० सिरोही वासी सा मांगणेन जा माणिकदे पु० लषमादियुतेन श्री शांतिनाथ बिंबं कारितं तपा श्री सोमसुंदर सूरि सन्ताने श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः॥ [1284] संप १५३० वर्षे फाल्गुण सुदि ७ बुधे श्रीमान ज्ञातीय सा राना ना राजलदे लागेयर स्वश्रेयोर्थ श्री अंचलगडे श्री जयकेसरि सूरीणामुपदेशेन श्री सुमतिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री संघेन ॥ [1285] ___ संवत् १५३५ वर्षे वैशाख सुदि १० शुके श्री उएसवंशे चएकालिया गोत्रे साग नेमा जाण मीमी पुत्र सा० सोहिल नार्या माईठी पुत्र सा पहिराज नार्या पाम्हणदे पुत्र सा० रत्नपाल सुश्रावकेण पितृव्य शाह नोपाल प्रमुख कुटुम्ब सहितेन पितुः श्रेयसे श्री सुविधिनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री मनधारि गच्छे श्री पुण्यनिधान सूरिनिः॥ पहिराज पुण्यार्थ ॥ [1288] संवत् १५३३ वर्षे चैत्र सुदि ४ शुक्रे ओसवंशे बावेल गोत्रे सा घेव्हा पुत्र शाखेता जा खेतश्री पुत्र शा० देदाकेन स्वपिता श्रेयसे श्री अजिनन्दन नाथ बिंबं कारित प्रतिष्ठितं श्री मलधारि गले श्री गुणसुन्दर सूरि पढे श्री गुणाननिधान सूरिनिः॥ [1287] संवत् १५३४ वर्षे ज्येष्ट शित १० दिने सोमे उपकेशवंशे कटारीय गोत्रे जापचा जार्या पाल्दणदे पुत्र सामरसिंह श्रीरकेण श्री श्रेयांस बिंब कारितं प्रति श्री परतरगडे श्री जिनचन्द्र सूरि पट्टे श्री जिनचन्ड सूरिनिः ॥ श्रेयसे ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1288] सं० १५३४ वर्षे आषाढ सुदि १ गुरौ उप० कयणथा गोत्रे साप लषमण नार्या सषमादे पु० टिता साना ना कीदहणदे स्वश्रेयसे श्री शीतलनाथ विंबं कारितं प्रजापमाण गच्छे श्री कमलचन्द्र सूरिनिः ॥ [1280] सं० १५३४ वर्षे आषाढ सुदि १ गुरौ ऊकेश वंशे जहड गोत्रे साप उगच पुत्र सा खरहकेन जा नीविणि पुत्र माला वला पासड सहितेन धर्मनाथ बिंबं निज श्रेयोर्थ काराप्तिं श्री खरतरगछे जट्टा श्री जिनचन्द्र सूरिनिः॥ [12001 संवत् १५३४ वर्षे माद वदि ५ तिथौ सोमे उपकेश झाती धरावही गोत्रे अबण वीपां म. कान्हा जाय हीमादे पुत्र सतपाक तिहुश्रणान्यां पित्रोः पुण्यार्थ श्री शीतखनाथ बिंब कारितं श्री कन्हरसा तपागछे श्री पुण्यरत्न सूरि पढे श्री पुण्यवर्धन सूरिनिः प्रतिष्ठितं ॥ [1291] सं० १५३४ मा शु० १० डा व्य० नरसिंह नार्या नमसदे पुत्र मेलाकेन नाम वीराणि सुत रातादि कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री आदिनाथ विंबं कारितं प्र श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः ॥ पालणपुरे ॥ [1292] . संवत १५३५ वर्षे आषाढ द्वितीया दिने उपकेश ज्ञातीय आयार गोत्रे लूणात शाखायां साप कांका पु० चउत्था जाए मयलहदे पु० मूलाकेन आत्मश्रेयसे श्री पद्मप्रन बिवं कारितं ककुदाचार्य सन्ताने प्रतिष्ठितं श्री देवगुप्त सूरिभिः ॥ [1298] संवत १५४६ वर्षे श्राषाढ विदि २ ओसवाल ज्ञातौ श्रेष्ठि मोत्रे वैद्य शाखायो सारा "Aho Shrut Gyanam" Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिंघा नाण सिंगारदे पु० वींका माजू तान्यां पुत्र पौत्र युतान्यां श्री चन्प्रन बिंबं सा सिंधा पुण्यार्थ कारापितं प्रम श्री देवगुप्त सूरिनिः ॥ [1204] संवत् १५५५ वर्षे वैशाख सुदि ३ शनी ओसवाल ज्ञातीय म० साहेजा ना केव्ही सु० गकुरसीकेन नार्या गिरसू सहितेन आत्मश्रेयोर्थ श्री आदिनाथ बिंब कारितं श्री वृद्धतपापदे जा श्री जिनसुन्दर सूरिनिः प्रतिष्ठितं च विधिना ॥ [1295] संवत् १५५५ वर्षे चैत्र सुदि ११ सोमे उपकेश वंशे मेडतावाल गोत्रे शाण पगारसीह सन्ताने शा० सहसा सु० हा श्रवण नाप सालिगसुतेन श्री अजितनाथ बिंब कारितं प्र० हर्षपुरीय गच्छे नहारक श्री गुणसुन्दर सूरि पट्टे ॥ श्री ॥ ___ [1206] संवत् १५५६ वैशाख सुदि ३ शनौ श्री सएफेर गछे ऊ० बढाला गोत्रे सा लूसा लीला पुण लाला हरा खोजा जार्या तारू पुरा हरालज (?) तू पुण् पु० सु० श्रेण श्री शांतिनाथ विंबं कारितं प्र श्री शान्ति सूरि । [1297] संवत् १५५ए भाषाढ सुदी १० बुधे श्री पहुवम गोत्रे शा० तोला सन्ताने कुंअरपाल पुत्र साधू ..." वेत ना० देवल पु० णए रूपचंद युतेनात्मश्रेयसे श्री कुंथुनाथ बिंबं कारितं प्र वृहाच्छे ज० श्री मेरुप्रन सूरि पढे श्री मुनिदेव सूरिभिः॥ [12981 संवत् १५५ वर्षे माह सुदि १० दिने शनिवारे उपकेशवंशे सखवाल गोत्रे सा गुणदत्त चार्या जंगादे पुत्र सा० धणदत्त नार्या धन श्री पुत्र सा हीरादे परिवारयुतेच श्री शीतल "Aho Shrut Gyanam" Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५ ) नाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतरगच्छे श्री जिनसमुद्र सूरि पट्टे श्री जिनहंस सूरिभिः॥ कल्याणमस्तु ॥ श्रीः॥ [1200] संवत् १५६३ वर्षे माह सुदि १५ उच्छितवालगोत्रे संघवी देवा नाग देवलदे सा० वीण्हा नार्या वोहणदे पुत्र तेजा वस्ता धन्ना आत्मपुण्यार्थं श्री सुमतिनाथ बिंब कारितं प्र० श्री धर्मघोषगच्छे श्री श्री श्रुतसागर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः॥ [1300] संवत् १५६६ वर्षे फाल्गुन सुदी ३ सोमवासरे उपकेशवंशे रांका गोत्रे शाप श्रीरंग जाप देऊ पुण् करमा जा० रूपादे स्वश्रेयसे आत्मपुण्यार्थ नमिनाथ बिंबं कारितं प्र उपकेश गछे ज० श्री सिद्ध सूरिनिः॥ [1301] संत्व १५७५ वर्षे वैशाख सुदि ५ सोमे श्री श्रीवंशे मं० सिंघा ना रहा पु० मं० करण ला० रमादे पुण् मंण् अजा सुश्रावकेण ना पाहवदे पुण् राणा तथा पितृव्य पुण् मा० गोगद प्रमुखसहितेन मातृ साधुपुण्यार्थं नागेन्द्रगडे सुगुरूणामुपदेशेन श्री वासुपूज्य बिंब का रितं प्रतिष्ठितं श्री संघेन वीवलापुरे ॥ [1202] संवत् १५७६ वर्षे चैत्र सुदि ५ शनी श्री श्रीमाल ज्ञातीय मं० राजा ना रमादे पुत्र खीमाकेन ना हीरादे पुत्र धनादि समस्त कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयोर्थ श्री मुनिसुव्रतस्वामी बिंब कारितं श्री पूर्णिमा पदे नीमपसीय न० श्री चारित्रचन्ड सूरि पट्टे श्री मुनिचन्छ सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं ॥ नेवीपाए मगम वास्तव्य ॥ [1303] जे संवत् १५७६ वर्षे ज्येष्ठ सुदी ए न० सुराणा गोत्रे शाप हेमराज जार्या स० हेमश्री "Aho Shrut Gyanam" Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५० ) पुत्र शा० देवदत्तेन स्वपितृपुन्यार्थेन कारितं श्री आदिनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं श्री धर्मघोष गछे जहारक श्री पाणंद सूरि पट्टे श्री नन्दिवर्द्धन सूरिजिः ॥ [1304] सं० १९७६ वर्षे माघ सुदि ५ रवौ उप० झा० टप गोत्रे द्वे० सदा जा सक्तादे पु० थिरपाल जा० पेमलदे पु० सहसमल हापा जगा सहितेन पितृ नि० श्री मुनिसुव्रत बिंबं कारितं प्र० श्री सरगछे श्री शांतिसुन्दर || [1305] संवत् १८०२ वर्षे आषाढ सुदि ए दिने यादित्यनागगोत्रे तेजाणी शाखायां शा० मुहमा पु० दासा पुत्र सखारण दा० नरपाल सधारण जार्या सुहवंदं पुत्र ४ श्री करणरंगा समरथ अमीपाला सखारण स्वपुण्याय कारितं । श्री जपकेश ग जट्टा० श्री सिद्ध सूरिजिः श्री जिनन्दन बिंबं प्रतिष्ठितं स्वपुत्रपौत्रीय श्रेये मातु ॥ [1306 ] संवत् १५ वर्षे वैशाख विदि १३ सोमे श्री सएकेरगछे ऊ० जएकारी गोत्रे न० ईसर पु० बीसल जा० कील्हूपत्ते निमित्तं श्री नेमिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री शांति सूरिजिः ॥ [1307] संवत् १६१५ वर्षे वैशाख पदि १० जोमे जवाब वास्तव्य ढूंबम ज्ञातीय मंत्रीश्वर मोत्रे दोसी श्रीपाल जा सिरीयादे सुतं दोसी रूढाकेन जा० राणी युतै श्री पद्मप्रन बिंबं तपा श्री तेजरत्न सूरिनिः प्रति० ॥ [1308] संवत् १६४३ वर्षे फाल्गुन सित ११ अहमदाबाद वास्तव्य बाई कोमकीसइया प्रारबाट सेवि मूला जा० राजलदे पुत्री श्री व्यादिनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं श्री विजयसेन सुरिनिः श्री तपागछे ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( प ) [1300] संवत् १६ए६ वर्षे मिगसिर सुदि १० रवौ उपकेश झातीय लघु शाखायां बुरा गोत्र फुमण गोत्रे वाइ गेलमादि पुत्र गकुरसी टाइसिंघ श्री कुन्थुनाथ बिंबं कारापितं श्री तपागडे गुरु श्री विजयदेव सूरि तत्पटे विजयशिव सूरिः प्रतिष्ठितं ॥ [ 13101 संवत् १६एए वर्षे वैशाख शुक्ल ए दिने ................ श्री शांतिनाथ विंबं कारितं प्र० तपागछे श्री विजयसिंह सूरिनिः॥ [1311] संवत् १६एए वर्षे फागुन विदि तिथौ साप पुरुषाकेन शीतल बिंत्र कारितं प्रतिष्ठितं ..... गन्छे आचार्य श्री विजयसिंह सूरिनिः ॥ [ 1312 ] संवत् १७१५ श्री श्रीमाल ज्ञातौ शाह आला नार्य अणुपमदे पुत्र थिर पालेन बातृ लूणसिंह ". निज नार्या .... (नमित्तं श्री पञ्चतीर्थी का0 प्र० श्री नागेन्द्र गछे श्री पद्मचन्द सूरि पट्टे श्री रत्नाकर सूरिनिः॥ चौवीसी पर। [ 1313} संवत् १५३० वर्षे पौष विदि ५ शुक्रे श्रीभोढ झातीय मे0 काण्हा नार्या काचू सु० भूराकेन ना माई सु० अजनरामा सहितेन पितृत्रातृश्रेयसे स्वपूर्वजनिमित्तं श्री कुन्थुनाथ चतुर्विंशति पट्टः कारितः प्रति श्री विद्याधरगच्छे श्री विजयपन सूरि पट्टे श्री हेमप्रन सूरिनिः । वर्तमान नगरे ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 1314] संवत् १५५१ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ४ मएमपउर्गे प्राग्वाट सं० अजन नाप टबकू सुत सं० वस्ता जाग रामा पुत्र सं० चाहाकेन ना जीविणि पुत्र संजाग आमादिकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री चन्द्रप्रन २४ पट्ट का प्र० तपा पक्षे श्री रत्नशेखर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः॥ श्री आदिनाथजी का मन्दिर-दफ्तरियों का महल्ला । [ 1315] संवत् १५१३ माघ शुक्ल ७ बुधे श्री नसवाल झातौ लोढा गोत्रे सा चूचर ना सरू पु० हंमू ना सहमाई पु० जरदूकेन पितृ श्रेयसे श्री विश्वनाथ विंबं कारितं श्री रुउपल्लीय गच्छे श्री देवसुन्दर सूरि पट्टे प्रतिष्ठितं श्री सोमसुन्दर सूरिचिः॥ __ [ 1316 ] संवत् १५२७ वर्षे आषाढ सुदी २ गुरौ उपकेश झातीय तावअजा नार्या श्राहलदे पुत्र नीवा ना मानू सहितेन आत्मश्रेयोर्थं श्री मुनिसुव्रत बिंबं कारितं । प्रतिष्ठित अञ्चलगछे श्री जयकेसर सूरि निः॥ [1817 ] संवत् १५३४ वर्षे आषाढ सुदि श दिने उपकेशवंशे बोथरागोत्रे शाण जेसा पु० थाहा सुश्रावकेण ना सुहागदे पुत्र देव्हा भानी वाकि युतेन माता लखी पुण्यार्थ श्री श्रेयांस विंब कारित प्रतिष्ठितं श्री खरतर गछे श्री जिनचन्द्र सूरि पट्टे श्री जिनचन्द्र सूरिभिः ।। [13181 मंवत् १५३० वर्षे मिगसिर वदि ५ उपकेश ज्ञातीय नाहर गोत्रे शा० चाहरु नार्या हरखू पुत्र वीजाकेन ना० वींकलदे पुत्र कैशवयुतेन स्वश्रेयसे श्री विमलनाथ विवं कारितं प्रति श्री धर्मघोषगडे श्री धर्मसुन्दर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६१ ) [1819 ] संवत् १५३४ वर्षे प्राग्वाट झा० श्रे० सोमा जा० देऊसु जोटाकेन जा० वानरि चातृ जोजा प्रमुखकुटुम्बेन युतेन श्री संजवनाथ बिंबं का० प्र० तपापचे श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः ॥ वीसनगरे ॥ [ 1320 ] सवत् १८६० वर्षे वैशाख सुदि ३ दिने सोजात वास्तव्य उपकेश ज्ञातीय शा० जाणा जा० जावलदे पु० आशाकेन जा० मी सुत वाया वीदा प्रमुखकुटुम्बयुतेन श्रेयोर्थ श्री पूज्य बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छनायक श्री हेम विमल सूरिजिः || [1821 ] सवत् १५७७ वर्षे वैशाख सुदि ६ सोमवार पुष्य नक्षत्रे नाहर गोत्रे सं० पटा तत् पुत्र से० पासा जाय पालनदे तत् पुत्र सं० लाखणाख्येन तद् नार्या जाषणदे तत् पुत्र सं नानिग सं० खीमसिंह सहितेनात्मश्रेयसे बिंबं कारितं श्री शांतिनाथस्य श्री धर्मघोष Tara श्री नन्दिवर्द्धन सूरिभिः प्रतिष्ठितः न जवनात् ॥ श्री सुमतिनाथजी का मन्दिर । पञ्चतीर्थियों पर | [1322] संवत् १५२७ वर्षे पौष विदि ५ शुक्रे प्राग्वाट श्रे० हरराज जा० अमरी पु० समधरेण to नाई प्रमुखकुटुम्बस हितेन स्वश्रेयसे श्री कुन्थुनाथ बिंबं कारितं प्रति० श्री उपकेश सिकाचार्य सताने श्री देवगुप्त सूरि पट्टे श्री सिद्ध सूरिभिः ॥ १६ "Aho Shrut Gyanam" Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ई) चौवीसी परं। [1323] संवत् १५३५ वर्षे वैशाख सुदि ३ शनौ श्री वायम ज्ञातीय मं0 माहव ना हलू सुण म(हा)देवदास ना जीवि सु० सिंहराज जात हरदास मादी आसुरा पञ्चायण अमीपाल श्रेयसे श्री पाश्वनाथादि चतुर्विशति पट्टः कारितः आगमगच्छे श्री अमररत्न सूरि गुरूपदेशेन प्रतिष्ठितश्च विधिना ॥ देकावामा वास्तव्य ॥ श्री शान्तिनाथजी का मन्दिर-(घोमावतों की पोल) पंचतीर्थयों पर । [1324] संवत् १३१६ वर्षे चैत्र विदि ६ नौमे श्री वृहलीय श्री उद्योतन सूरि शिष्यैः श्री हीरना सूरिनिः प्रतिष्ठितं । श्रेण शुभंकर नार्या देवइ तयोः पुत्रेण श्रेण सोमदेवेन जार्या पूनदेवि पुत्र श्रीवच नागदेवादियुतेन श्रात्मश्रेयोर्थ श्री वीरजिन बिवं कारितं ॥ [1325] संवत् १५०३ वर्षे माहू गोत्रे सा जाखर नरमी श्राविकायाः पुण्यार्थ मा० खलाकेन जीवा खीदा जीदा नादा पुत्र युतेन कारितं वपुण्यार्थ श्री अजितनाथ बिंवं प्रतिष्ठितं श्री जिनन सूरिभिः ॥ श्रीखरतरगछे ॥ [1328] संवत् १५३५ वर्षे वैशाख विदि ५ ओसवाल झातो सूराणा गोत्रे सा सखर सहसवीरेण नायर्या नोजी पु० मीमा वरता रंगू रत्नू युक्तेन स्वनायर्या पुण्यार्थ श्री धर्मनाथ विंबं कारितः प्रति श्री धर्मघोषगच्छे श्री पद्माणन्द सूरिनिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1327] संवत् १५४५ वर्षे ज्ये० विदि ११ दिने वीरवाडा वासि प्रागण झाति सा रत्ना ना० माघू पु० सा नीमाकेन ना हेमी कुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ बिंब कारितं श्री श्री श्री सूरिनिः ॥ श्रिये ॥ [1328] संवत् १५६६ वर्षे फाल्गुण सुदि ३ सोमे श्री नाणावालगझे उसन्न गोत्रे को वुइथ नाण चाहिणदे पुत्र वीवावणा वधा दोहावणी पुण्यार्थ श्री विमलनाथ बिंब कारितं प्रा श्री शांति सूरिभिः ॥ मेमता नगरे ॥ चौवीसी पर। [1329] संवत् १४ए वर्षे फाल्गुन शुक्ल ए जालंवाल गोत्रे सा० शिखर पुत्राच्यां शाण संग्राम सिंह धनान्यां निज मातृ साल्हीं श्रेयो निमित्तं श्री सुविधिनाथ चतुर्विंशति पर्ट कारितः प्रतिष्ठितं। तपा जट्टारक श्री पूर्णचन्द्र सूरि पट्टे जट्टारक श्री हेमहंस सूरिनिः॥ बीकानेर। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथजी का मन्दिर । श्रासानियों का महला-बांठियों के उपासरे के पास । पंचतीर्थयों पर। [13301 सं० १४ए६ फागुण वदि ६ बुधे जकेश ज्ञातीय सा जगसी ना ऊवकू पुत्र्या श्री० "Aho Shrut Gyanam" Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६४ ) रोहिणी नाम्न्या क० जिणंद वासा स्वजर्तृनिमित्तं श्री शांतिनाथ बिंबं का प्रतिष्ठितं श्री कोरंट श्री कक्क सूरि पट्टे श्री सावदेव सूरिः ॥ [1831] सं० १४ वर्षे ज्येष्ठ सुदि २ सोमे प्राग्वाट व्य० जश्ता नार्या वरजू पु० बुवा स० श्री श्रेयांसनाथ चित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्री मं श्री मुनिप्रन सूरिभिः || **** [1382] सं० १२०० वर्षे वै० ० ५ दिने सोमे ओसवाल ज्ञातीय सुचिंती गोत्रे सा० धन्ना जा मरी पु० तोलून खपूर्वज रीजा पुण्यार्थं श्री वासुपूज्य बिंबं का० प्र० श्री कक्क सूरिनिः ॥ [1333] सं० १५० वर्षे माघ ० उ ऊकेशवंशे मालू शाषायां सा० पूना सुत सा० सहसाकेन पुत्र ईसर महिरावण गिरराज माला पांचा महिपा प्रमुख परिवारेण स्वश्रेयोर्थं श्री कुंथुनाथ बिंबं कारितं श्री खरतरगछे श्री जिनराज सूरि पट्टे श्री जिनन सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री ॥ [1334] संवत् १५१० वर्षे माघ सुदि ५ दिने श्री उपकेशगछे ककुदाचार्य संताने जागोत्रे सा० साधा सा० सारंग जा० तब्दी पु० षीमधर जा० जेठी पु० घेता बेमायुतेन आत्मश्रेयसे श्री संजवनाथ बिंबं का प्रति० श्री कक्क सूरिभिः । [1335] सवत् १५१६ वर्षे ज्येष्ठ सु० १० दिने ऊकेशवंशे दोसी सा० जादा पुत्र सा० धणदत्त तथा ठकण पुत्र सा० वच्छराज प्रमुखपरिवारयुतेन श्री शीतल बिंबं मातृ अपू पुण्यार्थं कारितं १० खरतर श्री जिनचन्द्र सूरिजिः "Aho Shrut Gyanam" Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं० १५१७ वर्षे माघ सु० ५ बुधे ऊकेश शुन गोत्रे श्रे० आसधर पुत्र श्रे० पूनड़ जाय फती पुत्र सा० करमणेन जार्या कर्माद धर्म पुत्र सा० समरा जार्या सहजलद सुत तेजावि कुटुम्बयुतेन श्री प्रथम तीर्थंकर विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिजिः । श्री सिद्धपुर वास्तव्य ॥ सं० १५३२ फा० सुदि श्री ( ६५ ) [1336] --- [1837 ] संजवनाथ चित्रं श्री संरग जहारक श्री 1 [1328] सं० १५३४ वर्षे मा० सुदि ५ सोमे श्री उपकेश वांज गोत्रे । सा० वा जा० वोरिषि पु० सा० सच्चू जा० लषमाद मातृपितृ पु० यात्म पु० श्री कुंथुनाथ विं कारापितं श्री मलधर ग० प्र० श्री गुण विमल सूरिजिः ॥ [1339] सं० १५३६ वर्षे फागु०सु० २ रवौ श्रोसवाल धामी गोत्रे सा० पदमा जाय प्रेमलदे जोला जा० जावलं पु० देवराज युतेन स्वपुण्यार्थं श्री विमलनाथ बिंबं कारापितं प्र० ज्ञानकीय गठे श्री धनेश्वर सूरिजिः ॥ सारो བྷུ॰ ---- - [1840] संवत् १५३६ वर्षे फागुण सु० ३ तइट गोत्रे सा० सीधर पुत्र गुरपतिना जा० गरलदे ० सहसा पुनि जार्या साग्दे पुत्र करमसी पाज युतेन श्री कुंथुनाथ बिंबं निज पुष्पार्थं कारितं प्र० नमदाल गछे श्री देवगुप्त सूरिजिः । 1 [1341] सं० १५३६ वर्षे [फा० सू० ३ दिने ऊकेश रा गोत्रे सा दूल्हा पुण्यार्थ पुत्र सा० राज तद् चातू ली युतेन श्रो नमिनाथ बिंबं का० प्र० श्री खरतरग श्री जिनजड सूरि पट्टे श्री जिनचन्द्र सूरिनिः ॥ श्री ॥ १७ ---- "Aho Shrut Gyanam" Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६६ ) [1342] सं० १५३५ वर्षे वैशाष सुदि । शुक्र ३० झातीय प्राह्मचा गोत्र व्य० चांदा जाम धम्मिणि पुरा गांगा ना म्यापुरि सहितन श्री पार्श्वनाथ बिंब का प्रश्नावड़ गडे श्री . जावदेव सूरिनिः। [1848] संवत् १५४ए वैशाष सु० ५ बुध काष्ठासंघ नट्टारक श्री ... तस्याम्नाये ..... । [1344] संप १५५२ वर्षे फा शु० ६ शनी अोमा ज्ञानीय मा० मुंज जाए मुजादे पु० साण परवत जाप अमगद साप पर्वत श्रयार्थ श्री विमलनाथ विंबं कारितं प्रण तथागळे श्री हेमविमल सूरि [1345] संवत् १५६१ वर्षे माद सुदि ५ दिने शुक्रे हुँबड़ ज्ञानीय श्रेण विजपाल ना हीरू सु श्रेण पदमाकेन ना० चांपू सु० षोना ना रषी सु० कर्मसी प्रमुखपरिवारपरिवृत्तेन स्वश्रेयो) श्री विमलनाथ विंचं कारिन प्रतिष्ठिनं तपागलाधिगज श्री लक्ष्मीसागर सूरि तत्पट्टे श्री सुमनिसाधु सूरि तत् पट्ट साम्प्रत विद्यमान परमगुरु श्री हेमविमल सूरिनिः ॥ बीचावमा वास्तव्य ॥ [1346] सं० १५ वर्षे वैशाष वदि ७ श्री श्रीमवंशे उनमाणी गोत्रे। पीगंजपुर स्थाने । सा धनू नार्या ... सुत सा वीपम नार्या वीरमद सुत दीपचंद उधरणादि कुटुम्बयुतेन श्री संजवनाथ विवं कारितं । प्रतिष्ठितं ... । [13471 संवत् १५५६ वर्षे वैशाख सुदि ३ सोमवारे श्री आदित्यनाग गोत्रे चोरवेड्या शाखाया "Aho Shrut Gyanam" Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सा पासा पुत्र ऊदा जा0 पऊमादे पुण् कामा गयमल देवदत्त ऊदा पुण्यार्थ शांतिनाथ विंबं कारापित उपपल सिद्ध सूहिनिः प्रति .... । [1848] संवत् १६२७ वर्षे पोष वदि ३ दिने साह काजड़ गोत्र माह चापसी नार्या नारंगदे पुण् श्री वासपु श्री वासुपूज्य बिंबं कागपितं प्रतिष्टितं श्री हीरविजय सूरिभिः। जैन उपसरा का शिला लेख । [1349] (१) पृथवी नल मांहे प्रगटः बड़ो नगर बीकाण । (२) सुग्नसींह महागजजुः गज करै सुविहाण ॥१॥ (३) गुणी कमामाणिक्य गणिः पाठक पुन्य प्रधान । (४) बाचक विद्या हेमगणिः सुप्रत सुग्व संस्थान ॥ २ ॥ (५) सय अढार गुणासह में महिवान महागज । (६) नव्य बनाय नपासरी दियो सदा थित काज ॥३॥ श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मन्दिर बाजार में । शिलालेख । [1350] . ॥ संवत् १५६५ वर्षे आषाढ़ सुदि ए दिने वार रवि । श्री बीकानेर मध्ये महाराजा राई श्री श्री श्री वीकाजी विजयराज्ये । देहगे करायो श्री संघ । संवत् १३०७ वर्षे श्री जिनकुशल सूरि प्रतिष्ठितः ॥ श्री मंगोवर मूलनायक ॥ श्री श्री आदिनाथ चतुर्विशति "Aho Shrut Gyanam" Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६७ ) पढे । नवपक्षक रासन पुत्र नवनदक राजाल पुत्र श्री नवलक्षक सा नेमिचं सुश्रावकेण साह वोरम पुमाऊ देवचंड कान्हम महं ।। संवत् १५५१ वर्षे श्री श्री श्री चनवीस इन्जी रो परघो महं वगवते नरायो । चौवीस जिनमाता के पट पर । [1351] ॥ संवत् १६०६ वर्षे फागुण वदि ७ दिने श्री वृहत् खरनग्गछे। श्री जिन ना सूति सन्ताने । श्री जिनचन्द्र सूरि श्री जिनसमुत्र सूरि पट्टे ॥ श्री जिनइंस सूरि तत् पट्टालंकार श्री जिनमाणिक्य सूरिभिः प्रतिष्टिता श्री चतुर्विशति श्री जिनमातृणां पट्टिका कारिता । श्री विक्रमनगर संघन । चरण पर। [1352] संवत् १७५ वर्षे शाके १७७० प्रमिते माधव मास शुक्ल पद पौर्णिमास्यां तिथौ गुरुवार वृहत खरतर गणाधीश्वर ज । जंग। युग प्र० श्री १०७ श्री हर्ष सूरि जित्नक श्री संघन काराफ्तिं प्रतिष्ठितं च जण । ०। यु । प्रण। श्री जिनसौनाग्य सूरिनिः श्री विक्रमपुर वरे ॥ श्री ॥ श्रामन्दिर स्वामी का मन्दिर-लामासर । [1353] सं० १५३७ वर्षे मार्ग सुदि १५ जकेश ज्ञातीय बांह दिया गोत्रे सा सवर पुत्रेण सा0 जानु ...... युनेन श्री पद्मप्रन चिंचं कारितं तपा जा श्री हिमसमुझ सूरि पट्टे श्री हेमरत्न सूरिभिः । [13641 सं० १५७ वर्षे प्राग्बाट श्रेण गोगेन ना राणी सुत वरसिंग ना बीबू नाम्न्या जात "Aho Shrut Gyanam" Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमा नरसिंह लोलादि कुटुम्बयुतया श्री संजव बिंब कारित प्रतिष्ठितं तपागडे श्री इन्धनन्दि सूरिभिः पत्तने ॥ श्री॥ कुंभ और नहर पर की शिलालेख । [1355] ॥ श्री नेमिनाथाय नमः ॥ श्री बीकानेर तथा पूरव बंगाला तथा कामरू देस श्रासाम का श्री संघ के पास प्रेरणा करके रुपया ला करके कुंड तथा आगोर की नहर बनाया सुश्रावक पुण्य प्रजावक देवगुरुजतिकारक गुरुदेव को नक्त चोरडिया गोत्रे सीपानी चुन्निलाल रावतमलाणि सिरदारमल का पोता सिंधिया की गवाड़ में वसता मायसिंध मेघराज कोगरी चोपड़ा मकसुदाबाद अजिमगंजवाले का गुमास्ता और कुंड के ऊपर दारईकेलाव (?) बकतावर चंद सेठिया बनाया संवत् १९५४ शाके ११ए प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे जावामासे शुक्ल पहे पंचम्या तिथौ नौमवासरे। मोरखानो-बीकानेर। [1358 ] * १. ॥ ॥ श्री सुसाणं कुलदेव्यै नमः॥ मूलाधारनिरोधबुद्धफणिनीकंदादिमंदानिले। (5) नाक्रम्य ग्रहराज मंझ * यह खान “ देशनोक " से दक्षिण-पूर्व कोण १२ मील पर है। यहां के देवी मंदिर में काले पाषाण पर यह लेख खुदा हुआ है और टेसिटोरी साहब ने अपने ई० सं० १९१६ की रोपोर्ट में छापी है। See J& P of the A. s. of thengal Vol xIll. pp. 214-215. "Aho Shrut Gyanam" Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २. लधिया प्रागपश्चिमांतं गता। तत्राप्युज्ववचंधमंडलगलत्पीयूषपानोल्लसत्केव ध्यानुजव्या सदास्तु जगदानं ३. दाय योगेश्वरी ॥ १ या देवेंनवंदितपदा या नातादायिनी । या देवी किल ___कल्पवृदसमतां नृणां दधा४. .. लो। या रूपं सुरचित्तहारि नितरां देहे सदा विव्रती। सा सूराणासवंश सौख्य जननी यात्प्रवृझिं का ५. री ॥ २ तंत्रैः किं किल किं सुमंत्रजपनैः किं नेषवा वरैः। किं देवेंडनरें: सेवनतया किं साधुनिः किं धनैः । ए६. का या जुवि सर्वकारणमयी झात्येति जो ईश्वरी। तस्याध्यायत पादपंकजयुगं तद्ध्यानलीनाशयाः ॥ ३॥ श्री भूरिईर्म७. सूरी रसमयसमयांजोनिधेः पारदृश्वा । विश्वेषां शश्वदाशा सुरतरुसदृशस्त्या जितप्राणिहिंसा। सम्यग्दृष्टि ७. मनणु गुणगणां गोत्रदेवी गरिष्ठां। कृत्वा सूराणवंशे जिनमतनिरतां यां चका. रात्मशक्त्या ॥ ४ तयात्रां महता महेन ए. विधिवछिको विधायाखिले निर्गे मार्गणचातकपृणगुणः सन्जारटंकबटः। जातः क्षेत्रफले पहिर्मरुधरा धाराधरः ख्यातिमान् संघेशः शिवराज इत्ययमहो चित्रं न गमिध्वजः ॥ ५ तत्पुत्रः सच्चरित्रे वचनरचनया नूमिराजः ११. समाजालंकारः स्फारसारो विहित निजहितो हेमराजो महौजाः। चंगप्रात्तुंग शृगं जुवि जवनमिदं देवयानोप१५. मानं । गोत्राधिष्ठातृदेव्याः प्रष्टमर किरणं कारयामास नक्त्या ॥ ६ संवत् १५७३ वर्षे ज्येष्ठमासे सितपक्ष पूर्णिमा "Aho Shrut Gyanam" Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १ ) १३. स्यां शुक्रे ऽनुगधायां धीमकर्णे श्री सूराणवंशे सं० गोसल तरपुत्र संग शिवराज तत्पुत्र सं० हेमराज तद्भार्या सं० हेमश्री त. १४. (पुत्र सं० धजा सं० काजा सं० नामहा संप नरदेव सं० पूजा सार्या प्रतापदे पुत्र सं० चाहड़ ला पाटमदे पुत्र सं० रणधीर १५. सं० नाथू संग देवा संग रणधीर पुत्र देवीदास सं० काजा नार्या कतिगदे पुत्र सं० सहसमस सं० रणमल १६. सहसमन पुन्न मांमण । रणमल पुत्र घेता पीमा । सं० नादहा पुत्र सं० सोहम पुत्र पीथा सं० नरदेव पुत्र मोकला. १७. दिसहितेन । सं० चाइमेन प्रतिष्ठा कारिता सपरिकरेण श्रीपद्मानंद सूरि तत्सद्दे जा श्री नंदिवन सूरीश्वरेज्यः ॥ चुरू-बीकानेर। श्री शांतिनाथजी का मंदिर। पंचतीर्थयों पर। [1357] सवत् १३०४ ... गो .. कारितं श्री पार्श्वनाथ बिंबं । [1358] ॥ सं० १३०० ज्येष्ठ सु० १४ श्री जएसगळे श्रे० म ..." खा ला० मोषलदे पु० देहा कमा पितृ मातृ श्रेयसे श्री आदिनाथ बिवं कारितं प्र० श्री ककुदाचार्य सं० श्री कक्क सूरितिः। "Aho Shrut Gyanam" Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1850] सं० १४६ए वर्षे फा० वदि । शनौ नागर इातीय अलियाण गोत्र श्रेठ का नार्या धाणू सुत मूग जातृ सांगा श्रेयसे श्री शांतिनाथ बिंब का प्रण अंचलगल ना श्री मेरूतुंग सूरिनिः॥ [1860] सं० १५७७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १० ओसवंशे नारे गोत्रे साप हेमा जाप हेम सिरि पु० तेजपालह आत्मश्रेयसे श्री सुविधिनाथ बिंबं का० प्र० धर्मघोषगछे ...। [1361] सं० १५३० वर्षे फा० वा १ रवौ प्राग्वाट ज्ञाण साह करमा ना० कुनिगदे पु० सा० दोला जाग देव्हा चोखा भ्रातृ मुंणा खश्रेयसे श्री धर्मनाथ बिंबं का प्र पूर्णिण कगेली. वालगन्छे ना श्री विद्यासागर सूरीणामुपदेशेन । [1862] ॥ सं० १५४५ वर्षे माह सु ३ गुरौ उपकेश झाग श्रेष्ठि गोत्रे साह आसा नाग ईसरदे पुष जस्ता ना जीवादे पुत्र चाहा युतेन पित्रो श्रेयसे श्री श्रेयांसनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं मड्डाहरज गछे .... श्री कमलचं सूरिनिः ॥ गवालियर ( लस्कर )। पंचायती मंदिर - सराफा बजार । पञ्चतीर्थियों पर। [13631 * सं० ११५० ज्येष्ठ सु० १५ देवम सुतया वीटिकया कारितेयं प्रतिमा । "Aho Shrut Gyanam" Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1364 ] सं० १३४० वै० सुदि २ गुरौ श्रीमाक्ष ज्ञातीय ." श्री प्रद्युम्न सूरिभिः । [1365] संवत् १३७६ वर्षे वैशाख सु० ३ ...... प्रणमंति । [1866] सं० १४एर माघ सुदि ६ बुधे उप० वोहड़ वर्धमान गोत्रे सा० राणा नाप सूहवदे पु० महिण मोकल श्रेयोर्थ श्री वासुपूज्य बिंब कारितं खरतरगधे श्री जिन चंन सूरि पट्टे श्री जिनसागर सूरि प्रति ॥ [1367] सं० १४९७ फागुण वदि १७ चजरिया गोत्रे। सा० धर्मा पुत्रेण जीणाजूणान्यां निजपितृनिमित्तं श्रीपद्मप्रन बिंब कारित प्रण तपागछे जट्टारक श्री हेमहंस सूरिभिः। [1368] संवत् १५०० वर्षे वैशाख सुदि ३ जाज श्रीमाल झातीय। श्रे सादा ना मनूं सुत माईथा ना अधू सुत देवगजेन पितानिमित्तं श्री शीतलनाथ पंचतीर्थी बिंब कारापितं प्रति श्री ब्रह्माणगछे प्रजा श्री विमल सूरिभिः । [1860] संवत् १५५१ वर्षे माण् सु० ५ श्री श्रीमान ज्ञातीय मं० जांषर सुत नट्टसा जा जामि पुण् सायकरणा परनारायजिः पित्रो श्रेण चंचप्रन स्वामि बिंबं प्र श्री वृहत् सा गले प्रण श्री मंगलचं सूरिनिः। [13701 सं० १५०५ वर्षे सुप १३ शान्ति बिंबं का प्रण तपापके श्री जयचं सूरिभिः । "Aho Shrut Gyanam" Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४ ) [1371] सं० १५० वैशाष सुए जूका बेविकान्यां स्वश्रेयसे कारिता [1372 ] सं० १५०० वर्षे माघ सु० १० शनौ ऊकेशवंशे माल्हू गोत्रे मं० जोजराज जा० क्रमाद पुत्र [सं०] देवाना० मं० सोनार संग्रामादि सहितेन सू (?) जा० देवलदे श्रेयोर्थं श्री अजित विं का० प्र० श्री खरतरगच्छे श्री जिनसागर सूरिनिः ॥ [1373] सं० १९१२ माघ ० १ बुधे श्री ओसवाल ज्ञानो सुहणाणी सुचिंती गो० सा० सारग जा० नयी पु० श्रीमान जा० षीमी पु० श्रीयंत्र युतेन मातृश्रेयसे श्री आदिनाथ विं कारितं उपकेशगछे ककुदाचार्य सं० प्र० श्री कक्क सूरिजिः ॥ [1874] सं० १५१३ पोष सु० ७ ऊकेशवंशे वि क गोत्र सं० नरसिंहांगज सा० मार पुत्रेण सा० की हाकेन निजमातृपुण्यार्थ श्री नमि चिंचं का० प्र० ब्रह्माण तपगठे उदयप्रन सूरि जहारक श्री पूर्णचंद्र सूरि पट्ट श्री हेमहंस सूरिनिः । **** } *0*2 101-02 [ 1375] सं १९१३ वर्षे माह सु० ३ ऊमेश पीछेपरिया गो० सा० पिया जाय मथी पु० जावू सेषू जा० सोम श्री प्ररपोध ( ? ) ० श्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबं का० प्र० श्री वृहज श्री सागरचंद्र सूरिजिः । माथी ----- "Aho Shrut Gyanam" 200119 [ 1370] संवत् १८१५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ९ सोमे गूर्जर ज्ञातीय दो० अमरसी जा० रूपिणि सुत Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऊसाकेन जा वइजीयुतेन पितुरादेशेन आत्मश्रेयसे जीवितस्वामी श्री धर्मनाथ विं कारितं पूर्णिमापदे भीमपल्लीय लहारक श्री जयचंद्र सूरीणमुपदेशेन प्रतिष्ठितं ॥ ३ ॥ ___[1877] सं० १५५० वर्षे वैशाष सुदि ए सामे श्रीमाल झानीय मजड़ा (?) गोत्रे सा बबराज पु० सारा जाटा नार्या गजवदे पुत सा बाज़ जा हर्षमः पुण् सा रत्नपाल सीधर समदा मायगन्यः स्वपितृणां श्रेयस श्री श्री सुविधिनाथ वियं का प्र० श्री धर्मघोषगन्छे श्री विजयचंद्र सूरि पट्टे श्री साधुरत्न सूरिलिः ॥ [1378] ॥ संवत् १५५१ वर्षे वैशाष वदि ७ शुक्रे प्राग्वाट झालीय सा देवप्तीय नार्या पाल्दणदे पुत्र सा जानवेन जा माकू सहितेन पारमश्रेयोर्थ श्री पद्मप्रन बिवं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री साधपूर्णिमापद ५। श्रीरामचंद्र सूरि पट्टे पज्य । श्री पुज्य चंछ सूरीणामुपदेशेन विधिना याचष्टे । [1270] सं० १५२६ वर्षे वैशाष वदि लौमवारे प्रामचा गोत्र साप जाटा ना जश्तो पुरषी माता जाटो पुरा नाशवदास ... ला उन्लादे सहितन लाबि निमित्त श्री धर्मनाथ बिंब कारितं खरतरगढ़ प्रतिष्टितं श्री जिनचंड सूरिभिः। शुनं जवतु । [13801 सं० १५३५ वर्षे वैशाष सुदि ६ सोमे श्री कोरंटग श्री मन्नवाय संताने उप० पोमालेचा गोत्रे सारा जगमाल ना जासहदे पु० सा० सांग मा० संसारदे पु० साए महा नरसि सहितेन श्रेयसे श्री सुमतिनाथ विंचं प्र० श्री सांबदेव मूरिनिः॥ ___[1881] संवत् १५३३ वर्षे माघ सुदि १३ सामवासरे प्राग्वाट ज्ञातीय साप हेमा जाप मानू पुत्र "Aho Shrut Gyanam" Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६ ) स० बया जा माही ." पु० स० वता ना मनकू पुत्र शृंगर आत्मश्रेयसे श्री विमलनाथ विषं का रितं साधुपूर्णिमापदे प्रतिष्ठितं श्री जयशेखर सूरिभिः । [1382] सं० १५३४ वर्षे फागुण सुदि ए बुधवारे प्रा० झा० सा मोकल ना मोहणदे पु० मेहाके नाग कुंती पुण् रोग ला लषमण श्रासर वीसल महितेन श्रा० श्री वासुपूज्य बिंबं का प्रा पूर्ण वि० कलोली वा जा श्री विजयप्रन सूरीणामुपदेशेन । [1383] संवत् १५४ वर्षे ज्येष्ठ सु० ५ सोमे ओलवाल झातीय सा मूला ला० माणिकदे संप माणिक ना गंगाद सुण् नूनं च नाळ लागी बिंबं कारितं मूला श्रेयोर्थ श्री वासुपूज्य बिंब का प्रतिष्ठितं । श्री संझेरगळे श्री सुमति सूरिनिः॥ [1384] सं० १५६३ वर्षे माह सुदि ५ गुगै उपकेश झा नूरि गोत्रे साप चांपा चहथ चांण ना चांपले पुण् कान्हा ना गंगी पुरु देवा शिवा सुकुटुम्बयुतेन चनहथ श्रियोर्थ श्री सुविधिनाथ बिंब श्री धर्मघोषगडे ज श्री श्रुतसागर सूरिभिः प्रतिष्ठितं । शुत्तं जवतु ॥ [1385] सं० २५६७ वर्षे वैशाष सुदि १० बुधे गूंदेचा गोत्रे ऊकेशवंशे साप ठाकुर नार्या टहन पुण् ऊधा सुत कचा वर्जू जाण ५ जसा गुणा प्रमुख कुटुंबसहितैः श्री अंचलग जावसागर सूरीणामुपदेशेन । [13801 ____सं० १५७२ वर्षे वैशाष सुदि ५ सोमे 30 ज्ञा० फूलपगर गोत्रे सा० दधीरथ पु० सा० धर्मा ना ५ पाबू साही पाबू ... पु. का नाम पूरी ... पुत्र मोकक्षा प्रमुख समस्त "Aho Shrut Gyanam" Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुटुम्बेन स्वश्रेयसे श्री आदिनाथ विंबं कारितं प्रा श्री वडगन्छे श्री श्री चंडप्रन सूरिनिः ॥ ॥ श्री ॥ जावर वास्तव्य ॥ [1387] सं० १५Jए वर्षे वैशाष सु० ६ सोमे कूकर वाड़ा वा नागर झातीय श्रे० कान्हा माण धनी सु० श्रे हरपतिलदणकेन जा लषमादे प्र० का सुतेन नपा सीपा पदमा श्रेण श्री श्रेयांसनाथ बिंब काय श्री वृहत्तपा प० श्री धनरत्न सूरि श्री सौ लाग्यसागर सूरिनिः प्रतिष्ठितं ॥ [1388] संवत् १६२७ वर्षे वैशाष शुदि ३ शुक्र ऊकेशवंशे गोठ १ गोत्रे सोप श्रीवच सोप जोला पुत्र सो उदयकरण चार्या अडवोदे पुत्र सो जसवीर । सो नका सोए धवजी प्रमुख परिवारयुतैः श्री धर्मनाथ विंबं कारितं श्री वृहत्खरतरगछे श्री जिनसिंह सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ श्रीः॥ चौवीसी पर। [1380] सं० १५२१ वर्षे वैशाष सुदि १० श्री उपकेश झातीय बापणा गोत्रे साप देहड़ पुण देव्हा नार्या धाइ पुत्र सा खूला नीमा कान्हा सजीमाकेन ना वीराणि पुत्र श्रवणा मामू काकू सहितेन श्री शांतिनाथ मूलनायक प्रभृति चतुर्विंशति जिनपट्टः का श्री उपकेशगले ककुदाचार्य संताने प्रण श्रीसिद्ध सूरि पट्टे श्री कक्क सूरिनिः ॥ शुजं ॥ [13001 सं० १५४१ वर्षे आषाढ सु० ३ शनी उप० श्रेष्ठि गोत्रे सा रामा नाण रत्नू पुत्र राजा माजा शिवा राजा ना० टहकू पुत्र बना सांगा मांगा गीईया बाला सहदेव नार्या नटी सा सांगाकेन ना करमी Fि० ना रामति प्र० समस्तकुटुम्बसाहितेन त्रातृ वना "Aho Shrut Gyanam Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निमित्तं श्री कुंथुनाथ चतुर्विंशति पट्टकं का श्री महड़ गछे रत्नपुरीय न० श्री धर्मचं सूरि पट्टे ज० श्री कमलचंग सूरिनिः॥ शाल्मलीयपुरे । धातु की मूर्ति पर। __[1301] सं० १६७५ वर्षे वै० सु० १५ दिने इंदलपुर वास्तव्य प्रा० वाद (प्राग्वाट ) ज्ञातीय बाई वन का० श्री संजव बिं० प्र० श्री। विजयदेव सूरिनिः । श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर। पंचतीर्थियों पर। [1302] संवत् ११७ फागुण सुदि ए सालिगदे खूण वति ना कारिता । [1303] सं० १३०६ माह वदि २ श्री वृहाच बाग श्री देवार्य स० ककेश झा श्रे० आसचंद्र साए श्रेण देदारिसीहेन पितृश्रेयसे श्री वासुपूज्य वि० का० प्र० श्री अमरचंड सूरि शिष्यैः श्री धर्मघोष सूरिनिः॥ [1304] ॥ सं० १४६६ वर्षे वैशाष सुदि ३ सोमे श्री श्रीमाल झाती म सादहा सुत पितृ मण्मूलू मातृ मूमी सुत उकुरसिंहेन पितृमातृश्रेयसे श्री संजवनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री ब्रह्माणगछे श्रीवीर सूरिभिः ॥ श्री॥ [1305] सं० १५६ए वर्षे माह सुदि ६षमेरकीयगछे ऊ सा० आजा ना कपूरदे सु० तिहुथणा "Aho Shrut Gyanam" Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ए ) जा माव्हणदे पु० तेजाकेन पितृ घस्समेठी सहितेन पित्रोः श्रेयसे श्रीशांति विंबं का० प्रति श्रीसुमति सूरिजिः॥ [13061 ___ संघ १४७० वर्षे माघ सुस १५ गुरुवारे आदित्यनाग गोत्रे सा० सलपण पुत्र कम्मण ना सांवत दीर तेजाकेन श्री शांतिनाथ बिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीदेव सूरिनिः॥ ॥ [1397] सं० १४नए माघ सुदि १० शनी श्रीमाल झातीय मं० घेता संताने मं० बाड़ा ना नाऊ नाम्ना पुरा कान्हा सोना सहितया नतु श्रेयसे श्री श्रेयांस विंचं का प्रा श्री पूर्णिमा पक्षे श्री विद्याशेखर सूरीणामुपदेशेन विधिना श्राझैः ॥ 1308] संवत् १४एए माह सुदि ५ गुरों श्री श्रीमाल शातीय वीटवल व्य पाता सुत वयरसी नार्या माही ... पितृमातृश्रेयोर्थ सुत मेलाकेन श्रात्मश्रेयसे श्री सुविधिनाथ विंचं कारापितं श्री नागेन्द्र गछे श्री गुणसागर सूरिः शिष्यैः प्रतिष्ठितं श्री श्री गुणसमुज् सूरिनिः ॥ श्री सांतपुरे पितृव्य देवलवणीली। [1300] सं० १५०४ वर्षे फागण शुरु ११ गुरौ दिने नाहर गोत्रे सा जाहड़ लाए जोलाही सा० राजा नाग लावू " पु० काफू सहितं निजपूण्यार्थं श्री वासुपूज्य विंबं का० प्र० श्री धर्म गछे श्री विजयचंड सूरिनिः । 1400] सं० १५०७ ज्येष्ठ सुदि ५ दिने ऊकेशवंशे सा जाणसी ला करदे श्राविकया निज गर्नु नौणतीपुण्यार्थं श्री आदिनाथ बिंब कारि० प्रति० खरतरगनाधिराज श्री जिनराज सूरि पट्टालङ्कार प्रति श्री जिनजा सूरि राजैः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 40) [ 1401] ॐ ॥ सं० १५११ वर्षे माघ वदि ए डोहरिया गोत्रे सा० दातु पूरेण ... श्री विमलनाथ विवं कारितं प्रण तपा जट्टारक श्री पूर्णचंद्र सूरि पट्टे श्री हेमहंस सूरिनिः॥ [1402] सं० १५११ फाग शुग ए रवौ प्राग्वाट सा पेषा जार्या राजू सुत वीढाकेन नार्या कमा सुत दरपाल टाहा नरकीता नरमा कगतादि कुटुम्बयुतेन श्री संजवनाथ बिंवं स्वश्रेयसे कारितं प्रतिष्ठितं तपागल नायक नहारक श्री सोमसुंदर सूरि प्रांपज श्री रत्नशेषर सूरिनिः। {1403] सं १५१३ वर्षे मा० व ५ प्राग्वाट व्यतिहुणा ना कर्मा पुत्र हासा नगिन्या व्य दमा पट्या श्राण मनी नाम्न्या श्री वासुपूज्य विवं स्वश्रेयसे का प्र तपा श्री रत्नशेषर सूरिनिः॥ [1404] संवत् १५१७ वर्षे माह सुदि १० बुधे श्री कोरंटगच्ने उपकेश ज्ञाए काला पमार शाखायां सा सोना ना सहजलदे पु० सादाकेन ब्रातृ चउड़ा जादा नेमा सादा पुण् रणवीर वणवीर सहितेन स्वश्रेयसे श्री चंप्रन बिंब कारिण श्री कक्क सूरि पट्टे श्रीपाद .. . । [1405] संवत् १५१७ वर्षे वैशाष सुदि ३ गुरु श्री श्रीमान झातीय बनोला नार्या देमा सुत व्यव० कुरुपालेन चार्या कमलादे सुत व्यव० विद्याधर वीरपाल प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयोर्थ श्री मुनिसुव्रत स्वामी विवं कारितं प्रतिष्टितं तपागच्छनायक जद्वारक श्री सूरसुंदर सूरिभिः । श्रीपत्तन वास्तव्य शुभं भवतु ॥ श्री॥ [14081 ॥ संवत् १५१७ वर्षे माह सुदि १० दिने श्रीमालवंशे । पहवड़ गोत्रे सा मेया नायर्या "Aho Shrut Gyanam" Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मेलाही पु० सा वीरमेन नार्या षीमा पुर्ण सा समरा सहसू श्रेण श्री शांतिनाथ विंग प्र० श्री वृद्दजले श्री रत्नाकर सूरि प० श्री मुनिनिधान सूरि श्री मेरुपज सूरिचिः ॥ [1407] सं० १५५१ वर्षे वैशाप सु० १० सोमे ओसवाल द्वारा सा गकुरसी ना वीसलदे सुत सा धनाकेन नार्या सोनाई पुत्र साप हांसादियुतेन सुता बाबू श्रेयसे श्री शीतलनाथ बिंब का रितं प्रति श्री वृहत्तपापके भी उदयवसन सूरिलिः। [1408] संवत् १५३३ वर्षे वैशाष वदि ५ श्री संडेरगछे ओसवाल ज्ञाय राणु माथेच (१) गोत्रे केलादेन चणा आल्हू पुण् गोकाला उदेव्ह "" जयनादर्पदयुतेन आत्मपुण्यार्थ श्री चंप्रन स्वामि विंबं का प्र० श्री " सूरि संताने श्री शांति सूरिजिः। 14001 सं० १५३३ माघ सुदि ५ श्री आदिनाथ बिंचं कारितं प्रतिष्ठितं श्री जयशेषर सूरिनिः। [14101 सं० १५३६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि जोमे श्री ५ माल झा महाजन । सदा जा सूहवये सुत बीका आका महा० बीका ना कपूर सुत ताव्हा कान्हा जनासहितेन मातृपितृश्रेयसे श्री विमलनाथ विंबं का प्रति श्री चैत्रगच्छे श्री लक्ष्मीसागर सूरिक चांअसमीया असारि गोयं वासर (?) वा। [1411 1 ॥ सं० १५३६ वर्षे माघ सुदि ए सोमे प्राण । झाति सा सरवण ना सहजलदे सुत सा सूरा पाल्ह साप जोगा नार्या कमी सुत असल प्रमुखकुटुंवयुतेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथ बिंबं कारित प्रतिधित प्रा " सूरिनिः ॥ ॥ श्री॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ { 1412] सं० १५५४ वर्षे वरडउद वास्तव्य ऊकेश झातीय गांधी गोत्रे सा सारंग नायर्या जाही पुत्र सा० फेरू जार्या सूहवेदकेन नाराऊयुतेन श्री आदिनाथ विवं कारित प्रतिष्टितं श्री अंचलपदे श्री सिद्धान्तसागर सूरिनिः । [14131 सं० १५५७ वर्षे वैशाष सु०६ शुक्रे ऊकेशवंशे नणसाली गोत्रे ना गुणराज पुजा सहदे पु० ना हासा न राजी ..पुरा ना वसुपाल ना० लीला पु० नए सालिग सुश्रावकेण जाम जीमी प्रमुखपरिवारयुतेन पितृयोर्थ स्वपुण्यार्थ श्री सुविधिनाथ विवं का प्रतिष्ठितं श्री। ___ [1414] सं० १५५ए वर्षे वैशाष शु० ७ बुधे उपकेश ज्ञा० श्रेण सालिग सुत श्रेण नरवद नाण षेत पुत्र राणाकेन पितुः पुण्यार्थं श्री सुमतिनाथ बिंघ कारित प्र० श्री वृहाच्छे बोकडिया बंटुकेन श्री श्री श्री मलयचं सूरि पट्टे श्री मणिचंड सूरिभिः ।। [1415] सं० १५६७ वर्षे माघ सु० ५ दि० श्रीमाल धांधीया गोत्रे सा० सारंन पु० सा दोदा जा संपूरी पुरा सा० मालण सा ऊदा सा गला सा मालण पु० गोपचंद्र श्रीचंड इत्यादिपरिवृत्तान्यां सा ऊदा० सा0 टासान्यां श्री सुविधिनाथ विंग काण् स्वपितृव्य दोदा श्री संसरी पुण्यार्थ प्रतिष्ठितं श्री जिनराज सूरि पट्ट श्री जिनचं सूरिनिः॥ [1416] सं० १५७१ वर्षे पोस सुदि ५ शुक्र दिने उशीसोद्या गोत्रे गोत्रजा वायण सा पद्मा नाप चांगू पु० दासा ना करमा पु० कमा अषाई लावेता पातिः स्वश्रेबसे श्री अजितनाथ बिवं का प्र० श्री संमेर मणे कवि श्री ईश्वर सूरिजिः ॥ श्री ॥ श्री चित्रकूटउर्गे। "Aho Shrut Gyanam" Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३ ) धातु के यंत्र पर । [1417] || संवत् १८२५ वर्षे आश्विन शुक्ल १५ दिने सिद्धचक्रं यंत्रमिदं । प्रतिष्ठितं वा । लावण्य कमल गणिना । कारितं श्री नागोर नगर वास्तव्य लोढा गोत्रे ज्ञान चंद्रेण श्रेयोर्थ ॥ श्रीरस्तु ॥ [1418 ] ॥ श्रीमन्वि ... गच्छे संगन (१) देव सूरीणां मध्य गणिना ज०....... 1 श्री शान्तिनाथजी का मन्दिर -- दादावाड़ी | पञ्चतीर्थियों पर । [1419 ] ॥ सं० १३०१ माघ शुक्ल ५ कुशल पु SONSCOVERED श्री शांतिनाथ बिंबं । [1420] संवत् १४४३ वर्षे वै० सु० १३ श्री मूलसंघे [1421] सं० १४८२ वर्षे फा० सुदि ३ श्रीमाल ज्ञा० ० सादा जा० मटकू सुत श्रे० देवराज दरपति व्रातृयुत श्रे० वरसिंह जाय कपूरादे सुत पर्वतेन जाय वरण निज पितृमातृश्रेयसे श्री मुनिसुव्रत विकारितं प्र० श्री तपागल नायक श्री श्री श्री सोमसुंदर सूरिनिः । ---- 1 [1422] ॥ सं० २४९६ वर्षे वैशाष सु० ५ बुधे श्री श्रीमाल ज्ञातीय थे० माका जा० शाखी "Aho Shrut Gyanam" Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ) तो साक्षगगदा श्री सुविधिनाथ विषं कासपितं श्री मुनिसिंह सूरीधामुपदेशेन प्र० श्री शीलरत्न सूरिजिः ॥ शुनं ॥ [1423] || संघ १५३६ वर्षे माइ सुदि ५ ओसवालान्वय सूराणा गोत्रे स० नाल्दा जा० नावलदे न० । यग पलषु सनषन कारापित वासुपूज्य वि० धर्मघोष गछे श्री . सूरि प्रतिष्ठितः । मुरार । पञ्चतर्धियों पर | [1424] सं० १४९६ वर्षे फा० व० २ हुंबड़ ज्ञातीय ऊ० चाकम जा० वाल्हणदे सुत करमसी देवसहाय निज पितृश्रेयोर्थं श्री आदिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिजिः ॥ मङ्गलं भवतु ॥ ३ ॥ चरण पर दादावाड़ी | [1425] सं० २०३१ शा० १७६६ माघ मासे शुक्लपक्षे षष्ट्यां- ६ पूर्व तु मरुदेशे मेमतेति नाम नगरस्थोऽभूत् अधुना च मुरारि बावण्यां वास्तव्य धाड़ीवाल गोत्रीय शंजुमन सुजानमायां युगप्रधान दादा श्री जिनदत्त सूरीषां श्री जिनकुशल सूरीणां च पादन्यासौ कारापितौ प्रतिष्ठितौ च वृ । ज । खरतरगच्छीय श्री जिनकल्याण सूरिजिः ज० माणिक्यचंद तश्चिष्य पं० हुकुमचंद्रोपदेशात् । 43pm "Aho Shrut Gyanam" Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1426] + पहला पत्थर | ( १ ) ॐ नमः पद्मनाथाय । दर्वोत्फुलविलोचनैर्दिशि दिशि प्रोजीयमानं जनैर्मेदिन्यां विततन्ततो हरिहरब्रह्मास्पदानि क्रमात् । श्वेतीकृत्य यदात्मना परिणतं श्री पद्मभूभृद्यराः पायादेव जगन्ति निम्लवपुः श्वेतानि रुद्रश्चिरम् ॥ १ ॥ मौलिन्यस्तमदानोलकलः पातु वो हरिः । दर्शयन्निव केशस्थ नवजीमूत कर्णिकाम् ॥ १॥ मुकाबलेन क्षितिति (2) ( or ) ग्वालियर (गोपाचल ) दूर्ग । शिलालेख | लकयशो राशिना निम्तोऽयन्देवः पायाडुषायाः पतिरतिधवलखष्ठ कान्तिर्जगन्ति 1 मन्वानः सर्वथैव त्रिभुवनविदितं श्यामता पह्नवं यः शङ्के खं वर्णचिह्नं मुकुटतटमिलन्नीलकान्त्या विजर्ति ॥ ३ ॥ इदं मौलिन्यस्तं न जवति महानीलशकलं न मुक्ताशैलेन स्फुरति घटितश्चैष I (३) नगवान्। उशकत्तंसीकरण सुजगं नीलनक्षिनं वत्यद्याप्यस्याश्चिरविरपाडूकृततनुः ॥ ४ ॥ श्रासीद्वीर्य घुकुन्द्रतनयो निःशेषभूमीभृतां वन्द्यः कछपघातवंशतिलकः क्षौणीपतिह्मणः । यः कोद एकधरः प्रजाहितकरश्चक्रे स्वचित्तानुगानामेकःपृथुवत्पृथून दिवात्पापृथ्वीभृतः ॥ ५ ॥ तस्माद्वज्रधरोपमः क्षिति ( ४ ) पतिः श्रीवज्र दामानव डुर्यारोतिवाद एक वि जिते गोपा डिडुर्गे युवा । निर्व्याजंवरि नूय वैरिनगराधोशप्रतापोदयं यद्वोरखतसूचकः समजवत् प्रोद्घोषणा मंमिः ॥ ६ ॥ १३. • ग्वालियर किले के लेख डाः राजेन्द्रलाल मित्र के “एरियनस् " मैं छपे थे। वह पुस्तक अब दुष्प्राप्य होने के कारण ये भो यहां प्रकाशित किये गये । + Indo-Aryans, Vol. II pp. 370-373 "Aho Shrut Gyanam" Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६ ) न तुति: दिल केनचिदप्यनुजगति भूमिभृतेति कुतूहलात् । तुलयतिस्म तुला पुरुषः स्वयं खमिद वर्ष्म विशुद्ध हिरण्मयैः ॥ ७ ॥ ततो रिपुध्वान्तसहस्रधामा नृपोजव ( ५ ) न्मङ्गलराजनामा । यज्ञेश्वरैकप्रणति प्रजावान् महेश्वराणाम्प्रणतः सहस्रैः ॥ ८ ॥ श्री कीर्तिराजो नृपतिस्ततोनूद्यस्य प्रयाणेषु चमूसमुत्थैः । चूली वितानैः सममेव चित्रं मित्रस्य वैवर्ण्यमनृद् द्विषश्च ॥ ए ॥ किं ब्रूमोस्य कथामृतं नरपतेरेतेन शौर्याधिना धन्ते मालवभूमिपस्य समरे सङ्ग्रामतीतोर्जित: यस्मिन् रङ्गमुपागते दिशि दिशि चासा अद्भुतः ( ६ ) करायच्युतैर्या मीणाः स्वगृहाणि कुन्दनिकरैः सम्वादयाञ्चक्रिरे ॥ १० ॥ सिंहपानीयनगरे येन कारितः । कीर्तिस्तम्न श्वाजाति प्रासादः पार्वतीपतेः ॥ ११ ॥ तस्मादजायत महामतिमूलदेवः पृथ्वीपतिर्भुवनपाल इति प्रसिद्धः । श्री नन्ददएम गदनिन्दितचक्रवर्ति चिह्नरखंकृततनुर्मनुतुल्य कीर्त्तिः ॥ १२ ॥ यस्य ध्वस्तारि भूपालां सर्वाम्पालयतः (७) प्रनोः । जुवन् त्रैलोक्यमनस्य निःसपत्नमनूजगत् ॥ १३ ॥ पत्नी देवत्रता तस्य हरेर्ला। रिवाजवत् । तस्यां श्री देवपालो नूत्तनयस्तस्य भूपतेः । दानेन कर्णमजयत् पार्थं कोदमविद्यया । धर्मराजश्च सत्येन स युवा विनयाश्रयः ॥ १४ ॥ सुनुस्तस्य विशुद्धबुद्धिविजवः पुण्यैः प्रजानामनुन्मान्धातेव स चक्रवर्ति तिलकः श्रीपद्मपाल: : स्वप ( 0 ) रप्रवृत्तिरपरस्येतीव यश्चिन्तयन्दिग्यात्रासु मुदुः खरांशुमरुणं सान्द्रैश्वमूरेणुनिः ॥ १५ ॥ कृत्वान्याः स्ववशे दिशः क्रमवशात्सक्ष्यापतिर्दक्षिणानु खिताचलस विज्ञान विरत - वाजिव्रजे । उद्भूतान् पततः प : संप्रदय रेणूत्करान् भूयो प्युनटसेतुबन्धनधिया त्रस्यन्ति ॥ १६ ॥ तस्येन्दुयुतिसुंदरेण यशसा नाके सुराषांगणे सौवर्यमशीलखंरुन uest www. "Aho Shrut Gyanam" Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 3 ) (ए) जयादप्राप्नुवत्यः प्रियान् । नूनं शक्रपुरः सुरासुरवधूसङ्घाः श्रिये साम्प्रतं .. यंति ये प्रथमतः सर्वा वपुः संश्रिते ॥ कैईप्ता-पादपां गाव:कामघा .... कैश्चितितार्थप्रदाः । पूर्णाः कस्य मनोरथा इह न कैः "मुना पूरिता वीरो यानि तदस्ति तद्गुणवतः कस्य द्रुमादीन्यपि। श्रुत्वा न पद्मनृपतिं परिरक्षितारं प्राप्तोदयोपि यदसौ वत नम्रनावः। योयापि ... तनुर्बिपिनेष्यशो ॥ नमः कुलालचक्रे च लान: पुण्यार्जनेषु च । काठिन्यं कुम्जेषु क "" शासविमर्दिनीम् ॥ श्रसम्मतो . पीमा साधुन निस्त्रिंशपरि ... तोपि ६. सलग्नेन धनुर्न चासिं तथापि या वैरिगणं जिगाय । सद्य .... .. पाधिप शिरोमणिं नि । लोकानुरागयशसापि प्रतापं विस्तारयां यदसि • ॥ वलयानीव नारीणां हिमानीव नन:श्रियः । " स विमृश्य नदीपूरचत्वरे सम्पदायुषः पूर्तधर्मे मतिं चक्रे जिघृकुरनयोः फलम् ॥ प्रजा . त्वते न क्षितितिलकजूतं न जवनं ... कारितमदः। .. मिव गिग यस्य शिखरं ___ समारूदसिंहो मृगमिव नृ" मशितुम् ॥ "" सश्च " वर शिखरस्पाईनो हिममएफ - त्यावतीयं शशिकरधवला वैजयन्ती पतन्ती। निर्वातं नाति नूतिच्चरितनिजतनोदेवदेवस्य शम्जोः खर्गाजलेव पिङ्गस्फुटविकट जटाजूटमध्यं विशन्ती ॥ तदेतद्ब्रह्माएमं स श्ह नविता पङ्कजजुवः पुनर्वयं बोदारमो वयमिह ... वियति । तदिदमुरीकृत्य सकलं ध्रुवं संसेवन्ते हरिपदन तममी ॥ कनकाचलः शुजविद्यावन्तः स्थित: श्रीपतिर्विज्राणोद्विजसत्तमानुदधि जावासो नृसिंहान्वितः। निर्माता स्ववृतः समस्तविबुधैर्वब्धप्रतिष्ठेरयं प्राप्तोदश्च (१४) धरातले सममहो कल्पं हरेः कपताम् । -- हिजपुङ्गवेषु प्रतिष्ठितेष्वष्टषु पद्मपालः युवेव देवप्रतिकूललावा "" बनूव ॥ तस्य त्राता नृपतिरजवत् सूर्यपाखस्य सूनुः श्री "Aho Shrut Gyanam" Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोपाद्वैः प्रकृतनिलयः श्री महीपालदेवः । यम्प्राप्येव प्रथितयशसन्तावनूतां सनायौ सोयं त्यागो हरिरविसुनानावस्थोऽचिरेण । सृष्टिकुर्वन्नमात्यानां विप्रा. (१५) णां स नृपस्थितिम्। प्रलयं विद्विषामासीद् ब्रह्मोपेन्द्रहरात्मकः यत्र धामनिधो गझि पातयत्यवनीतलम् ॥ .. मुराहन्ति शिरस:खदु राजहंसाः सृष्टास्त्वया पुनरिमा: समयावसन्नाः। नाथ प्रजा सुमनसां प्रथमो "" सि त्वं सिद्धवीररसता. (१६) मरसोद्भवस्य ॥ लक्ष्मीपतिस्त्वमसि पङ्कजचक्रचिह्नं पाणिवयं वदसि नूप जुवं विनर्षि। श्यामं वपुः प्रथयसि स्थितिहेतुरेकस्त्वं कोपि नीतिविजितो ...... सम्पालयस्य निशमर्थिजनस्य कार्य रामश्रिया त्वमसि नाथ मु . । सङ्कर्षणस्त्वमसि विद्विषदायुधन्वं त्वं कोसि सच्चरितहालहलायुधस्य ॥ .. ख्यातारति " रूपं तवातिश .. (१७) यविस्मयकारिदेव। त्वं मानसिहपुरुषोत्तमसम्नवोसि कस्त्वं क्षितीशवरशंकर सूदनस्य ॥ नूतृत्सुता पतिरसि द्विषतां पुराणि नेत्ता त्वमीश "" म्। जूति दधास्य मलचन्द्र विजूषिताङ्गः कस्त्वं सदम्बुजदिवाकर शङ्करस्य ॥ त्वं तेजला शिखिन मिझमध: करोषि शक्तिं दधासि । त्वन्तारकं रिपुबलं (१७) "बलान्निहंसि कस्त्वं नवीनसनीलमलब्धजन्मा (?) ॥ त्वं वज्रनृत्वमसि पक्षनिदप्य शेषं नूमीभृतां विवुधबन्धगुरुप्रियोसि"पुर्गाचरणोसि कोसि वं नीमसाइप्ससहस्त्रविलोचनस्य। ख्यातं तवेश बहु पुण्यजनाधिपत्यं कान्तालकावलिनिरासतमैः सुगुप्ता॥ त्वामामनन्ति परमेश्वरबद्धसख्यं त्वं कोसि सद्गुणनिधानधराधिपस्थ । तेजोनिधिस्त्वमसि चूमिनृत: समग्राः कान्ता: करैः प्रयतमुनतरैस्तवेश । प्राप्तोदयः सततमर्थिजनस्य कोसि त्वं कल्पजूधरसरोरुहबान्धवस्य ॥ आनन्ददोसि जनतान नोत्पलानामाप्यायिताखिखजनः करमाईवेन । वं शश्वदीश्वर शिरस्तमदत्त पादस्त्वं कोसि मर्त्यनुवनेश निशाकरस्य ॥ त्वामंशमीश नि(२०) गदन्ति मधुद्विषोमी श्यामाजिरामतनुरस्य मखप्रबोध: पुण्यं रतमिदं विहितं त्वयैव (रए) "Aho Shrut Gyanam" Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्वं कोसि सत्यधन सत्यवती सुतस्य । ( 2 ) न्ति सुरसिन्धुरियं समुद्र प्रान्तन्त्वयोनतमसौ गमितः स्ववंश: । पूर्वे पवित्रवन के विदिताच कोसि वंशस्थलब्धपरता ''जगीरथस्य || एतत्त्वया कृतमताङ्कमा सुधिस्त्वं व्याप्ता मदीद ( 0 ) (११) "रीश मनोजवैस्ते पुण्यावतारकरणत दुर्दशास्वस्त्वं को सि इन्त रिपुलाघव राघवस्त्वम् । धर्मवर्मा सत्यधरस्त्वमेकस्त्वं वासुदेवचरणार्चनदत्तचित्तः । त्वं कोसि विप्रजनसे विशेषतः संग्राम निष्ठुर युधिष्ठिरपार्थिवस्य ॥ त्वं नूरिकुञ्जरबलो जुवनेकम ... जूषित तनुर्नृपपावनोसि । प्रच्छन्न दूसरा पत्थर । ● 0420 (?) : कस्त्वं कवीन्द्रकृतमाद .... कादरस्य । पक्कस्त्वशील जुवि धर्मभृतां वरिष्ठः सस्वामिकारिगुणदर्पहर स्त्वमाजौ । त्वं सर्वराज पृतना विजयाप्त कीर्तिस्त्वं कोसि सुन्दर पुरन्दरनन्दनस्य । दुर्योधनारिबलदर्पहृतस्ववेश यत्नः परार्जनयशः प्रसरे निरोद्धुम् | त्वं कोसि भूजनित ... कर्त्तन विकर्त्तनसम्नवस्य । ---- 0025 मन्त यस्त्वमसि कर्म गभीरतायास्त्वं पासि पार्थसमभूमिभृतः प्रविष्ठान् । अन्तः स्थितस्तव इरिः सततं नरेश कस्त्वं विदीर्णरिपुजागर सागरस्य ॥ क्रमसमागतसत्ववृत्तिस्त्वं राजकुअर शिरः प्रवितीर्णपादः । दीप्ता रिजास्कर तिरस्कृतिसिंहिकाजूः कस्त्रं महीपतिमृगाङ्कमृगाधिपस्य । दानं ददासि विकटो वत वंशशोजस्त्वं दन्तपाविकरवा adok (३) लड़ता श्विर्पः कोणी भृतो जयसि तुछतया नरेन्द्र त्वं कोसि वैरिखलदारण वारणस्य ॥ सद्म श्रियस्त्वमसि मित्रकृतप्रमोदस्त्वं राजहंससमलंकृतपादमूलः । स्वामिन्नधः कृतजको सि जनाजिरामः कस्त्वं स्मिताद्य मुखपङ्कज पङ्कजस्य ॥ सत्पत्रभूषिततनुः सुविशुद्धकोश स्वं चन्द्रकीर्त्तिसमलंकृतकान्तमूर्त्तिः ख्यातं तवैव कविवर्ष ---- ages * Indo-Aryans, Vol. 11, pp. 373-377. R2 "Aho Shrut Gyanam" Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४) समरजैरवकैरवस्य ॥ त्वं पश्यतां हरसि देव मनांसि सश्वन्मङ्गख्यतस्त्वमसि निर्मलता निगमः। कोसि प्रवीद वदुः सद्गुणरत्नयोनिस्त्वंकलपारिकुलनूषण जूषणस्य ॥ धात्रा परोपकरणाय विसृष्टकाय: सहायजन्म समलंकृततुङ्गगोत्र । ब्रूहि ... मवनीश्वरवन्दनीयस्त्वं कोसि सूर्यनयनन्दन चन्दनस्य .... ॥ नत्वाशु शुद्धहृदय प्रथितो. प्रमायस्त्वं जानुना क्षतवृषो न जमोकृताहस्तेनास्तु नाथ हरिणोपमितिः कथं ते ॥ नित्यं सन्निहिते कृपाणनमसा प्रायोचियेत स त्वत्रासाद सुवनैकनाथ हरण:स्तस्योदरे प्राविशन् । मूर्तिस्ते च कलङ्किता सजमना धत्ते .. : शलस्थैविदित स्तथापि नृपते राजा त्वद्भुतः विषतां पार्थेन नीताः परे व्यसिनस्तुनिरर्जुन स्या विहिते व्यज्ञायि पूर्व किल तत्सम्यक् प्रनिजानि सम्प्रति पुनः श्रीमन्मही. पालबत् त्वामालोक्य सहस्रशो रिपुत्रलं निनन्तमेकं रणे॥ किं बमोपि ... स्त्वं नीतिपात्रं परं वृत्तान्तं जगतीपतेरनिस्सृणात्मप्रियाणां शृणु। कीर्तिनाम्यति दिनु .... किं चित्रं जुवनैकमल यदि (७) मन्दाकिनोपद्मनूलोकापुद्धरता जगीरथनृपेणानायि निम्नां महीम् । आश्चर्य पुनरेतदीश यदि ते निम्नान्सही मंशापूई कीर्तिणीकालनूलोकं त्वया प्रापिता। चित्रं मात्र फल .... सर्वात्मना विद्विषो विशिखैः संमूर्बिनस्याइवे । .... मध्ये (७) नताश्चर्यकृत् ॥ अत्यंबुधिनवमत्या दित्यनवन्महः। अतिमिहनवत्शौर्यमतः केनोपमीयते ॥ केयूरं बलपाखजुजदएके विराजते किरीटमिव .... त्रिधासि विजय श्रियः । ... जुवनगुगेस्तोत्रमकथास्तदेष (1) वैतालिकॅरिस्थमनिष्टुतेन संपूजितानयगुरुद्विजेन । विमुक्त कारागृहसंयतेन विदीर्ण नूताजयदक्षिणेन । तेनानिषिक्तमात्रेण प्रतिजझे घ्यं स्वयम् । पद्मनाथस्य सिद्धिः कन्यायाः " | " यशः शरीरम् ॥ स. "Aho Shrut Gyanam" Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) (१५) (१५) प्तर्षिता ब्रह्मपुरी च तेन शेषान् विधायावनिदेवसुख्यान् । प्रवर्ति "" ब्रमतन्द्रितेन मृष्टान्नपानरतिधार्मिकेण || श्री पद्मनाथस्य सलोकनाथ ". नैवेद्यपाका .. विला सिनीचा " नानिय गाईन: पादकुलस्य मूर्तिम् । स पद्मनाथस्य पुरः समग्रामकल्पयत्प्रेक्षणकायचूपः ॥ पापाणपत्री प्रविनज्य सम्यग् देवाय " । सम्पाद. यामास तथा द्विजेन्यः । गतो योगीश्वरांगोद्भवः ख्यातः सूरिसलक्षणः वितिपतेः सर्वत्र विश्वासनः । आधारो विनयस्थ शीवजवनं शूमिः श्रुत्रस्याकरः स्वाध्यायस्य क क वसतिः ". (१३) हीपा नतो विप्रास्तस्मिन् ग्रामे प्रतिष्टिताः। तेषां नामानि लिख्यन्ते विसूरः शासनोदितः ॥ देवलब्धिः सुधीराख्यस्ततः ओधरदीक्षितः ॥ (१४) " रामेश्वगे हिजवरस्तथा दामोदरो हजः। अष्ठादशैते विप्राश्च ... द्विजः । पादोनपदिका .... कौसुगर्घकौ। हावीपदिनावेष विप्राणां संग्रहः कृतः। "दद्धपदं नृपः। विधाय "कायस्य सूरये देवाय दत्तः सौवर्णो राज्ञा दत्तैः समाचितम् । ... हरिएमणिमयं नृप(१५) . कं दौ। रत्नविचित्र निष्कञ्च निष्क स भूपतिः ॥ प्रा-केयूरयुगलं रत्नैर्धहुनिचितम् । कङ्कणानां चतुष्कञ्च महाईमणिभूषितम्। ... द्वितीय मनि " स्य सौवर्णं केवलं यथा। कङ्कणानां चतुष्कञ्च नीलपदृष्यं तथा । " लैः पंचनियुता। ... धारापात्रश्च कां । .... चतुष्टयम्। सुवर्णाणमात्रयं देवपरिवार विजूषणम् । . परिहेमाब्जमातपत्रीकृतं विनोः ॥ निवेश्य ताम्रपट्टे च तन्मयनैवम ...। प्रतिभा नित्यं मणि "" राजती " प्रतिमा " का द्वितीया ... युती। राज ... मयी चान्या . । ताः प्रयत्नेन तिस्रोपि पूज्यते .."वेश्मनि । तत्र ताम्रमयं देवं दीपार्थं मण्डिकाकृतम् । "Aho Shrut Gyanam" Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) ....क । ताम्रार्थपात्रहितयं तथा दत्तं महीजुजा। सधूपदहनाः सप्त घएताश्चा । दत्ताः शङ्खाश्च सतैव ताम्रपात्रीचतुष्टयम् । स कांस्यनाजनं प्रादान्नुपतिः .."चामरं दएक" वृहच्चतुष्टयम् ताम्रमयं तास्ता .. । दत्ताश्च दशतन्मयाः॥ .."देकोपकरणप्रव्याणां संग्रहः कृतः । (१७) .वापीकूपतडागादि " नानावनेषु च। दशमासं तथा विंशत्यूई सर्वत्र मएकले। ददौराजा नि “यते सर्व प्रवर्तते। अयं देवालयो नाम स्फटिकामल नारछाजेन मीमांसान्यायसंस्कृतबुद्धिना । कवीन्द्ररामपौत्रेण गोविन्दक विसूनुना। कविता मणिकर्णेन सुनाषितसरस्वती। प्रशस्ति (ए) "सङ्केश्वरवान् द्वितीयां विनत्सुहृता मणिकएउसूरैः। पञ्चासे चाश्विने मासे कृष्णपदे नृपाझया। रचिता मणिकर्णेन प्रशस्तिरियमुज्ज्वला ॥ अङ्कतोपि ११५० ॥ आश्विनबहुलपञ्च। (२०) - खिनां महीम् । यस्य गीर्वाणमन्त्री च मन्त्री गोरो भव । प्रशस्तिरियमुत्की र्ण सम पद्मशिपिना। - मूर्तियों के चरणचौकी पर। [1427] * श्री श्रादिनाथाय नमः ॥ संवत् १४ए वर्षे वैशाख . ७ शुके पुनर्वसुनक्षत्र श्रीगोपाचलदुर्गे महाराजाधिराज राजा श्रीग संवर्तमानो श्रीकाञ्चीसंघे मायूरान्वयो पुष्करगणचट्टारक श्रीगणकीर्तिदेव तत्पदे यत्यः कीर्तिदेवा प्रतिष्ठाचार्य श्रीपंडितरघूतेपं * श्री मादिनाथनी की बड़ी मूर्ति पर यह लेख है। Indo-Aryans, Vol. II, P. 38, "Aho Shrut Gyanam" Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थानाये अग्रोतवंशे मोजलगोत्रा सा ॥ धुरात्मा तस्य पुत्रः साधु नोपा तस्य नार्या नाही। पुत्र प्रथम साधुकेमसी द्वितीय साधुमहागजा तृतीय असगज चतुर्थ धनपाल पञ्चम साधुपाल्का। साधुकेमसी नार्या नोरादेवी पुत्र ज्येष्ठ पुत्र जधायि पतिकोल ॥ न-चार्य, च ज्येष्ठ स्त्री सुरसुनी पुत्र मलिदास द्वितीय नार्या साध्वीसरा पुत्र चन्द्रपाल । क्षेमसी पुत्र द्वितीय साधु श्रीलोजराजा नार्या देवस्य पुत्र प्रर्णपाल ॥ एतेषां मध्ये श्री॥ त्यादिजिनसंघाधिपति काला सदा प्रणमति ॥ [1428 ] * (१) सिद्धि संवत् १५१० वर्षे माघसुदि ७ अष्टम्यां श्रीगोपगिरी महाराजाधिराज रा (२) जा श्रीडंगरेन्द्र देवराज्यप्र. श्रीकाञ्चीसंघे मायूरान्वये नट्टारक श्री। (३) देमकीर्तिदेवस्तत्पदे श्रीहेमकीर्तीदेवास्तत्पदे श्रीविमलकीर्तिदेवाः .. (४) डिता "" सदाम्नाये अग्रोतवंशे गर्गगोत्रेसा "" त (५) योः पुत्राः ये दशाय श्रीवंद नार्या मालाह। तस्य प्रवसाषेषार राजीसा (६) तीयसा हरिवंदनार्या जसोधर हितये ... एसी सा सधा सा तृती (७) य हेमा चतुर्थ सा रतीपुत्र साप सह सापं .. मु सा0 धंसा सम्हापुत्र एसेवं ए (5) तेषां मध्ये साधु श्रीचंद्रपुत्र शेषा तथा हरिचंद्र देवकी नार्या ... (ए) दीप्रमुखा नित्यं श्रीमहावीर प्रतिमा प्रतिष्ठाप्य नूरिजक्त्या प्रणमंति ॥ (१७) अङ्गुष्ठमात्रां प्रतिमां जिनस्य चक्त्या प्रतिष्ठापयतो महत्या। फलं बलं राज्य (११) मनन्त सौख्यं जवस्य विच्छित्तिरथो विमुक्ति ॥ शुलं लवंतु सर्वेषां ॥ [1420] (१) श्रीमजोपाचलगढपूर्गे ॥ महाराजाधिराज श्री मल्लसिंह देवराज्ये प्रवर्तमाने । सर्वत् १५५५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि। + Indo Aryans. Vol, II. pp. 383-84. "Aho Shrut Gyanam" Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (a) मकासरे श्रीमलसंधे बनवारगये सरस्वती ग कुंदकुंदाचार्यान्माये । ज श्रीपन नन्दिदेव तत् पहावंकार थी। (३) शुलचंद देव । तत्पट्ट ज० मणिचंद्र देव । तत्पढे पं मुनि " गणि कचरदेव तदन्वये वारह नेणीवंशे सालम भार्या व -- (४) युक पु ४ तेषां मध्ये अणंद नार्या उदेसिरि। पुत्र ६ खोहंगराम मुनिसिंघ अजुन उधरण महू नन्हू । महू नार्या । (A) पियौसिरि पुत्र पारसराम आर्या नव। पुती पुत्र गमास जार्या नामसिरी । तृतीय पुत्र सिन। चतुर्थ पुत्र रोपण ॥ सौ मस्तु । (१) " तीर्थकर बिंब निषितं प्रणमति प्रीत्यर्थ ।। सुहानीय। पाषाण की मूर्तियों के चरणचौकी पर। [1430 ] * संवत १७१३ माधवसुतन महिन्द्रचन्केन कना खोदिता । [1431]+ संवत १७३४ श्रीवजदाम महाराजाधिराज वइसाख वदि पाचमी ." * Indo Aryans. Vol. II, p. 36g, + Do. p. do, "Aho Shrut Gyanam" Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1432] * ६॥ सिद्धि । सन्तु १४ वर्षे पेशाख सुदि १५ दि - नमो " मद्यावे वेर " करा ब्रह्मजूता सर “मस्या र "यादि घरखंड ढा " औस्व "क"सुत - रिता मु द " व " [1433] + · ११६० कातिक सुदि १३ गुरू दिने रतन लिषितं राजन ताढ " तधार दिवसम्मि पंच " धंधाना पसावे आदेसू संवतु १५५५ वर्षे चैत सुदी १० बुधे । मथुरा। श्रीपार्श्वनाथजी का मंदिर-घीयामंडि । पंचतीर्थयों पर। [1434] ॥ सं १३३५ । श्र० ससीह जार्या मालू पुत्री समिणि मातापित अयस श्री शांतिनाथ का प्र० ब्रह्माणस्य श्रीमदनप्रन सूरि पट्टे श्री विजयसेन सूरिनिः॥ [1435] ॐ सं० १३०० वर्षे माघसुदि ५ उस सुचिंती गोत्रे सा० षीमा पुत्र सा भूषा जोजा" श्रीजिनन सूरि शिष्य श्रीजगत्तिक्षक सूरिनिः । " श्रीपद्मानंद सूरिनिः ॥ [1438] सं० १४६१ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १० शुक्र उपकश ज्ञा० व्या जश्ता पुरा जगपाल ना० पूजबदे पुष खोलाकेन पितृमातृ ० श्रीशांतिनाथ विंबं का प्र० बहाने श्रीरामदेव सूरिनिः । * Indo-Aiyans, Vol, II, p. 381. किले पर "सास बहु के मंदिर की मात पर यह लेख है। "Aho Shrut Gyanam" Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ए६ ) [ 1437] सं० १५२३ व० वै० सु० ६ प्राग्वाट श्रे० वस्ता जा० फडू सुतश्रे० सारंगेण जा० मरगादे पुत्र श्रे० वीकादि कुटुम्बयुतन स्वश्रेयसे श्री कुंथुनाथ बिम्बं का० प्र० तपागच्छे श्री रत्नशेखर सूरि पट्टे श्रीलक्ष्मीसागर सूरिजि : || जइतपुर | [1438] सं० १५२० वर्षे फागुण - श्रीमालज्ञातीय टामी गोत्रे स० जाविनो पुत्र श्रीजागू श्रावक श्री आदिनाथ बिंबं का० प्र० श्री खरतरगच्छे श्री जिनसागर सूरितत्प० श्री सुंदर सूरि पट्टे श्री हर्ष सूरिजिः । [1439] सं० १७ वर्षे माघसुदि ६ शुक्रे बैशाष वदि ५ उसवंशे लाषाणी गांधी गोत्रे साव तेजपाल पुत्र सा० कुयरपाल जार्या सालिगदे पुत्र रायमल्ल श्रावण स्वश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथ बिंवं कारित प्रतिष्ठितं श्री अंचलगने श्रावके श्री गुणनिधानसूरि उपदेशात् । धातुकी मूर्ति पर [ 1440 ] सं० १६०० फाग० सू० १० देमकीर्त्ति I धातुके यंत्र पर | [1441] सं० २०५५ पोष सुदी ४ दिने । वृहस्पति वासरे श्री सिद्धचक्र यंत्रमिदं प्रतिष्ठितं सवाई जैनगर मध्ये वा० लालचंद्र गणिना कारितं वीकानेर वास्तव्य कोठारी अनोप चंद तत्पुत्र जेठमलेन श्रेयोर्थं शुद्धं जवतु ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 2 ) आगरा। श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर-रोशन मोहवा । पंचतीर्थयों पर [1453] ॥ संवत् १३०५ वर्षे वैशाख सुदी ६ बुधे श्रीमाल ज्ञातीय श्रेण अरसीह ना पामनापुत्र " वाल्हाकेन श्री पार्श्वनाथ बिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिनिः॥ [14431 ॥ संवत् १५५४ वर्षे मार्गशिर बदी ४ रवौ उपकेश ज्ञातीय लिंगा गोत्रे सा पीघा ना ऊदी 'पु० सा चेडन ना सूहवादे पुत्र शेषा सरूजन अरजन अमरासहितेन वपु० श्रीकुन्थुनाथ बिम्बं का प्रा श्रीजपकेशगले ककुदाचार्यसन्ताने श्री सिझ सूरि पट्टे श्री कक्क सूरि निः॥ __ [1444] ॥ सं० १५३३ वर्षे पोस सुदि १५ सोमे सिद्धपुर वास्तव्य ओसवाल ज्ञातीय सास नासण चाय वालू सु० बडाकेन ना० माई मुसूरा प्र० कुटुम्बयुतेन श्री सुमतिनाथ विम्वं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृहतगगडे श्री ज्ञानसागर सूरि पट्टे श्री उदयसागर सूरिभिः ॥ [1445] ॥ संवत् १५३६ व० ज्येष्ठ वदि ४ नोमे श्रीश्रीमाली दोसा रगना उपरिसन प्रावक ना हपारा सुत नैरवदासेन खश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ वि का प्रति बृहत्तपा श्री उदयसागरसूरिनिः॥ [1440] ॥ संवत् १५७२ सा लीबा नारा का सं० गांडण रणधीर र देवाति प्रणमन्ति २७ "Aho Shrut Gyanam' Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [1447] ॥ संवत् १५एर माघ सुदी ५ बुधवासरे श्री मूलसंघे नए श्री जिनचन्छ तदाम्ना जसवाल इव्हा - कुवेसल श्री हेमणे .... [1448] ॥ संवत् १६२७ वर्षे ज्येष्ठ वदी १..." भी सुपार्श्वनाथ बिम्ब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीवृहत् खरतरगडे न0 श्री जिनना सूरिनिः । [1449] ॥ सं० १९३१ वर्षे आगरा वास्तव्य लोढा गोत्रे प्रतापसिंहस्य जाण् मूल श्रीनवपद कारितं प्रतिष्ठितं श्री (?) विजयसूरी... । धातु की चौविशी पर। [1450] ॥ संवत् १५३४ वर्षे वैशाख सुदी दशमी शुक्र ओसवाल झातीय राका शाखायां वलह गोत्रे संप रत्नापुत्र स राजा पु० सं० नाथू ना बदहा पुत्र सं० चूहम ना हीसू पु० सण महाराज नाग संया पुत्र सोहिल लघुत्रातृ महपति ना माणिकदे सुण जरहपाल ना मबूही पुण् धनपाल स० हेमराज ना० उदयराजी पुत्र संघागोराज ज्रातृ सेन्यरत्न नाम श्रीपासी पु० संघराज समस्तकुटुम्बसहितेन सुश्रावकेन हेमराजेन श्री धर्मनाथ बिम्ब कारापितं श्रीनपकेश गछे ककुदाचार्यसन्ताने प्रतिष्ठितं न० श्री सिझ सूरि निः ॥ श्रीरस्तु ॥ पाषाण की मूर्तियों पर। [1451] उ सिद्धिः ॥ संवत् १६६० ज्येष्ट सुदि १५ तिथौ गुरुवासरे अनुराधा नक्षत्रे । श्रोसवाख ज्ञातीय थरडक सोनी गोत्रे साह पूना संताने सा कान्हड़ जान्जामनी वहु पुत्र सा० "Aho Shrut Gyanam' Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( o ) हीरानंदेन बिम्बं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री खरतरगच्छे श्री जिनवर्धन सूरि संताने . श्री लब्धिवर्धन शिष्येन। [1452] श्रीमत्संवत १६२१ वर्षे वैशाख सुदी ३ श्री आगरावासी उसवाल ज्ञातीय चोरमिया गोत्रे साह " पुत्र साप हीरानंद नार्या हीरादे पुत्र सा जेठमल श्रीमदंचलगछे पूज्य श्रीमद्धर्मममूर्ति सूरि तत्पट्टे .... पाषाण के चौविशी के चरण पर । [1453] संवत १७६५ ज्येष्ठ शुक्ल १३ गुरुवारः श्री सिंघाड़ो बाई ने बनाया। श्री आगरा वास्तव्य व्या संघपति श्री श्री चंपालेन प्रतिष्ठा कारिता । शिलालेख । [1454] ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ संवत् १६७७ वर्षे आसोज सुदी १५ श्री अर्गलपुरे जलालूदीन पातिसाद श्री अकब्बर सुत जहांगीर सुत सवाई साहिजां विजयराज्ये " राजद्वार शोजक सोनी ... श्री होरानंद " श्री जहांगीरस्य गृहे ... कृतं। तत्र तस्य नंदनबनोयानसमवाटिकायां निज धनस्य - भार्या सोना सुत निहालचंद नार्या भृगां खोटंग पुत्र चिरं सहसमल सना श्री गंगाजल वारि पूरपूरित निर्मल कूपः कागपितः ॥ आचं. माकं यावतिष्ठतु ॥ [1455 ] * ॥ ॥ श्री सशुरुन्यो नमः ॥ सत्पदोत्तुंग,गोदयं शिखरि शिखा जानु बिबोपमाना जैनोपज्ञास नटे मंदिर के बगल में जो जहाई काम को नई वेदो और सभामंडप बने हैं उसके दाहिने तर्फ उपर में यह शिलालेग लगाया दवा है। इसकी लंबाई अंदाज २ फिट और चौडाई १॥ फिट है और मामूली पत्थर है। शिलालेख के निचे ४ यंत्र है (१) २. का (२)१५ का (३) ३४ का और (४) १७० का बदा हुवा है। "Aho Shrut Gyanam" Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) । मं चञ्चरित चित तपस्तेजसा तप्यमानाः नूनं नंदा सुरैरेते जुवि यश विमला राज राजीव इंसा॥ ३। श्रेय : श्री हीरनामा विजयपदयुता सूरिवंशावतंसाः १ जहारक श्री विजयेण युक्तः भी ४। धर्म सूरी जगति प्रसिद्ध : तत् प्राज्यराज्ये प्रगुणी कृतो यः श्री संघमानन्द विकास हेतु २ श्री ५। हीरवंशे जुवि कीर्तिविश्रुतं यशोत्तरं यस्य समीक्ष्य मानवाः पश्यति ने सुधाकर वरं श्री पा ६। उकश्रेणिपुरन्दरप्रनु : ३ श्रीमेघनामा जुवि पाठक प्रनु प्रसह्य पापं दहतेस्म कामदः महादवं । वन्हि रिव स्फुरद्युतिः ज्वलत्प्रतापाव लि कीर्तिममलं ४ तत्पट्टे विबुधार्चितो विजय. प्राक् श्री । मेरुनामा मुनी नलिष्यो मणिसदृशौ शुजमति माणिक्य नानू जयौ ताज्या शिष्य कुशाग्रधीति कु ए। शलो जैनागमे यन्मति तद्वाक्यं श्रवणेन निर्मबंधीयां निर्मापितोयं गृहं ५ श्री अकबरावाद पुरे १०॥ श्रीसंघमेरुसदृशो धर्मे निर्मापय जिनजवनं करोति बहुक्तिः वात्सत्यं ६ दिगष्टैक मिते ११। वर्षे माघशुक्ल चतुर्दशी बुधवारे च पुष्य स्थापितोयं जिनेश्वरान् ७ श्रेयः कल्याणं जयं १॥ ॥ सवैया ३१ प्रथम वसंत सिरी सीतल जू देवदु की प्रतिमा नगन गुन दस दोय जरी है आग १३। रे सुजन साचे अधोरेसे दस आवे माह सुदी दस च्यार बुद्ध पुष धरी है देहरा नवीन कीन्यो संग "Aho Shrut Gyanam" Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'नामरुयोतमासत्वहीन गयोदयविसिवानातीबचायात प्राम नवसतिलसात मावतधामरेतयटीशिमसागरासारमा या टारनामाविरुदण्दयतासविवादतमारतहारकप्रावळयास: परारे काति:मिलता गोरापाकतेयः श्रामधारानंतविकासका दावोraanifफ्रतंयोनायास्मसामान तितो रायोकरवर अंगा andiपुरंदरतु: ३ APRIJAWटक्नु पमहापENARENA | स्तम्भवतः कालसनावाट निमाविमल घतय विवानिलियामा म तामाटी तबियमशिकत सानिमारकालान स्टीशियनशानana | जाला है नारेबामनिता गतिलायोपितोयंगद श्री प्रकारावार मधमेम शोध, नियnिda तिबनशक्तिदात्मयतावित | घामाच्या पाच माविहातिमान या सत्यागाला। देवा ॥ प्रथमतमतमोतातदेवकी प्रतिमानानकदमटेदारीदा रममादेप्रकारेमेटमा मादमादमच्याJEANIदे देदानवानी ने मा नस्यात्यो कालविजयपुरणतयारपरादै टेवप्रायविदारसायव सुनाए। ਜਸਕੀਰਨਿਟੈ ੨ - ਗੋਮੁsaiਚ #ਯਰ'; मनोवतमानित करतदान करतरवासनोमानलमारताना पिल नगराधसिलवाली मुरिमोवहिनतलपनलपोतमनुप्रता सवारी नलानमुनोमध प स ल AND TRP सालाना ||GWRITER AGRA TEPLE PRASHASTI Dated, V.S. 1818 ( A.D. 1761) "Aho Shrut Gyanam" Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०१ ) १४ | जिनराय चिन्यो कुशल विजय पुन्यास तपगन घरी है देख श्रीवछ विचार सम्यक् गुन सुधार १५ | नरम की रज टार पूजा जिन करी है १ कुंम लिया चोमुष की प्रतिमा चतुर धरम विमल जिन नेम १६ । मुनिसोत र निकै करत जवानी प्रेम करत जवांनी पेम नेम जिन संघ सुजानौ विमल ल १७ | न वाराह धरम जिन व ( ज ) र पानी मुनिसोत जिन कूर्म सपन लप होत सबै सुष प्रति १८) मा चारों जांन न सुन घरीसु चौमुष २ ॥ ११ १ ४ + ५ १२ ३ ७। २ ५ १५ १२ १ ४ € ७ ५. १० १६ २ १४ । ११ १३ "Aho Shrut Gyanam" २५ ८० २० क्षि ७० क्षि १५ ५० प ३० ॐ | स्वा ३५ स्वा ६० ५५ ४५ प * Bio हा हा ६५ | ४० [ 1456 ] * पातिसादि श्री जहांगी ( २ ) । १ | | ० || श्री सिद्धेभ्यो नमः ॥ स्वस्ति श्री विष्णुपुत्रो निखिल गुणयुतः पारगो वीतरागः । पायाः क्षीणकर्मा सुरशिखरि समः [कल्प ] २| तीर्थप्रदाने ॥ श्री श्रेयान् धर्ममूर्तिर्भविकजनमनः पंकजे विजातुः कल्याणां - चंद्रः सुरनर निकरैः सेव्यमा ३। नः कृपालुः ॥ १ ॥ ऋषजप्रमुखाः सर्वे गौतमाचा मुनीश्वराः । पापकर्म विनिर्मुक्ताः क्षेमं कुर्वंतु सर्वदा ॥ २ ॥ कुंर । * यह लेख प्रफेसर बनारसीदासजी ने " जैन साहित्य संशोधक " खंड २ अंक १ पृ० २५-३४ में विस्तृत टिप्पणी के साथ प्रकाशित किया है । २६ Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७५) ४॥ पाल स्वर्णपालो। धर्मकृत्य परायणौ । स्ववंशकुजमाडौं । प्रशस्तिलिख्यते तयोः ३। श्रीमति हायने रम्ये चर्षि रस ५। नूमिते । १६७१ षट् त्रिंशत्तियो शाके। १५३६ । विक्रमादित्यभूपतेः । ४ । राधमासे बसतौ शुक्लायां तृतीया तिथौ । युक्ते तु ६। रोहिणी तेन । निर्दोषगुरुवासरे । ५। श्रीमदंचलगडाख्ये सर्वगछावतंसके । सिद्धा न्ताख्यातमार्गेण । राजिते विश्वविस्तृते । ६ । उग्रसे । नपुरे रम्ये। निरातके रमाश्रये प्रासादमंदिराकीर्णे। सद्द्वातौ ह्युपकेशके । ७ । लोढागोत्रे विश्वास्त्रिजगति सुयशा ब्रह्मवी । यादियुक्तः श्री अंगाख्यातनामा गुरुवचनयुतः कामदेवादि तुझ्यः। जीवाजीवादि तत्त्वे पररुचिरमतिर्लोकवर्गेषु यावजोया U: श्चंपार्कत्रिंवं परिकरभृतकैः सेक्तिस्त्वं मुदाहि ।। लोढा सन्तान विज्ञातो। धन राजो गुणान्वितः। द्वादशतधारी च। शुज । । कर्मणि तत्परः । ए। तत्पुत्रो वेसराजश्व। दयावान सुजनप्रियः । तुर्यवतधरः श्रीमान् चातुर्यादिगुणैर्युतः । १७ । तत्पुत्रौ छा। ११॥ वलूतां च सुरागावर्थिनां सदा। जेतु श्रीरंगगोत्रौ च । जिनाज्ञा पालनोच्नुको ।। तो जीण। सीह माख्यो । जेत्वात्मजो बनूवतु १। धर्मविदौ तु ददौ च । महापूज्यौ यशो धनौ। १५ । आसीच्छ्रीरंगजो नूनं । जिनपदार्चने रतः । मनीषी सुमना नव्यो राजपा१३। ल उदारधीः । १३ । आर्या । धनदौ चर्षजदास । षेमाख्यो विविध सौख्य धनयुक्तौ। आस्तां प्राज्ञौ छौ च । तत्वज्ञौ तो तु तत्पु १४। त्रौ । १४ । रेषानिधस्तयोर्येष्ठः । कल्पद्रुरिव सर्वदः। राजमान्यः कुलाधारो। दयानुर्धर्मकर्मवः । १५। रेषश्रीस्तत्प्रिया १५1 जव्या । शीलाकारधारिणी। पतिव्रता पतो रक्का। सुखशा रेवती निना। १६ । श्री पद्मप्रबिधस्य नवीनस्य जिनाल। "Aho Shrut Gyanam" Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०३ ) १६ । ये । प्रतिष्ठा कारिता येन सत्श्राद्धगुणशालिना । १७ । ललो तुर्यवृतं यस्तु । श्रुत्वा कष्यादेशनां । राजश्रीनंदन : १७। श्रेष्ठ | आदभावकोपम: । १० । तत् सूनुः कुंरपालः किल विमलमतिः स्वर्णपालो द्वितीय । चातुयौदार्यधैर्यप्रमु- । १७ । खगुणनिधिग्य सौनाग्यशाली । तौ द्वौ रूपाजिरामों विविधजिनवृषध्यान कृत्यैकनिष्ठौ । त्यागैः कर्णावतारौ निज. १। कुलतिलक वस्तुपालोपमा । १९ । श्री जहांगीरनूपालनान्यो धर्मधुरंधरौ । धनिनौ पुण्यकर्तारौ विख्यात जा. २० | तरौ भुवि । ३० । याभ्यामुप्तं नव क्षेत्रे | वित्तबीजमनुत्तरं । तौ धन्यो कामदौ लोके । लोढा गोत्रावतंसकौ । २१ । अवा २१ | य शासनं चारू | जहांगीरपतेर्ननुः कारयामास तुर्धर्म | कृत्यं सर्व सहोदरौ । २२ । शालापषपूर्वा । यकाच्यां सा २। विनिर्मिता । अधित्यका त्रिकं यत्र राजते चित्तरंजकं | २३ | समेत शिखरे जव्ये शत्रुंजयेर्बुदाचले । अन्येष्वपि च तीर्थेषु । गि २३ | रिनारिगिरौ तथा । २४ । संघाधिपत्यमासाद्य । ताभ्यां यात्रा कृता मुदा । महद्धर्या सवसामय्या । शुद्धसम्यक्क देतवे । २५ | तुरंगा २४ । णां शतं कांतं । पंचविंशति पूर्वकं । दत्तं तु तीर्थयात्राचां गजानां पंचविंशतिः । २६ । अन्यदपि धनं । वित्तं । प्रत्तं संख्यातिगं खलु २५ । खर्जयामासतुः कीर्त्ति । मित्थं तौ वसुधातले । २७ । उत्तुंगं गगनाखंबि । सच्चित्रं सध्वजं परं । नेत्रासेचनकं ताभ्यां । युग्मं चैत्य २६ । स्य कारितं । २० । अथ गद्यं श्रीयंचलगछे। श्री वीरादष्टचत्वारिंशत्तमे पट्टे । श्रीपावक गिरौ श्री सीमंधर जिनवचसा । श्रीचक्रे ( श्वरीद ) 29 | वराः । सिद्धांतोक्तमार्गप्ररूपकाः । श्री विधिपगष्ठ संस्थापकाः । श्री आर्यरक्षित सूरय । १ । स्तत्तद्वे श्री जयसिंह सूरि २ श्रीधर्मघो "Aho Shrut Gyanam" Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) २७ ष सूरि ३ श्रीमहेन्द्रसिंह सूरि ४ श्रीसिंहप्रसूरि ५ श्रीश्रजितसिंह सूरि ६ श्री देवेंद्रसिंह सूरि ७ श्रीधर्मप्रज सूरि श्री (सिंहतिलक सू) २ए। रिए श्रीमहेंद्रप्रनसूरि १० श्रीमरुतुंगसूरि ११ श्रीजयकीर्ति सूरि १५ श्री जयकेशरि सूरि १३ श्री सिद्धांतसागर सूरि १५ ( श्री नावसा) ३०। गर सूरि १५ श्री गुणनिधान सूरि १६ श्रीधर्ममूर्ति सूरय १७ स्तत्पट्ट संप्रति विराज मानाः श्रीनहारकपुरंदराः स .. ३। णय : श्रीयुगप्रधानाः। पूज्य जट्टारक श्री ५ श्रीकल्याणसागरसूरय रए स्तेषामुप देशेन श्रीश्रेयांस जिनबिंबादीनां . ३। कुंरपालसोनपाप्लान्यां प्रतिष्ठा कारापिता। पुनः श्लोकाः। श्री श्रेयांसजिनेशस्य विंबं स्थापितमुत्तमं । प्रतिष्ठितं "" गुरू ३३। णामुपदेशतः । शए । चत्वारिंशत् मानानि सार्धान्युपरि तत् क्षणे। प्रतिष्ठितानि विद्यानि जिनानां सौख्यकारिणां । ३० । ... ३४॥ तु लेजाते प्राज्य पुण्यप्रजावत: देवगुर्वोः सदाजक्तौ । शश्वती नंदतां चिरं । ३१ । अथ तयोः परिवारः संघराजो पु ... ३५। ... ३२ । सूनवः स्वर्णपाल ... श्चतुर्जुज " पुत्री युगलमुत्तमं । ३३ । प्रेमनस्य त्रयः पु (त्रा: ") ३६। षेतसी तथा। नेतसी विद्यमानस्तु सबीलेन सुदर्शन । ३४। धीमतः संघराजस्य । तेजस्विनो यशस्विनः। चत्वारस्तनुजन्मानः .... मताः । ३५। कुंरपासस्य स"" ३। भार्या ... पत्नीतु स .. पतिप्रिया । ३६। तदंगजास्ति गंजीरा जादो नाम्नी स... दानी महाप्राझो ज्येष्ठमलो गुणाश्रयः । ३७ । ३०। संघश्रीसुलषश्रीर्वा उर्गश्रीप्रमुखैनिजैः। वधूजनैर्युतो जाता। रेषश्री नंदनौ सदा १३० । जूमंडलं सन्नारंगमिछर्कयुक्त संव "." । "Aho Shrut Gyanam" Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री श्रीमंदिर स्वामी जी का मंदिर-रोशन महला । गपाण की मूर्ति पर। [1467]. (१) ॥ सं० १६६७ ज्येष्ठ सुदि १५ गुरौ ॥ ओसवा (२) ल झाति श्रृंगार । अरडक सोनी गोत्रे (३) साप हीरानंद पुत्र सा निहाखचंदे (४) न श्री पार्श्वनाथ कारितः सर्परूपाकार (५) श्री खरतरगल्ले श्री जिनसिंह सूरि पट्टे श्री (६) जिनचन्ड सूरिणा। श्री श्रागरा नगरे धातुकी मूर्तियों पर । [1458] ॥ सं० १५३४ वर्षे माघ सुदी ५ श्री मूबसंघे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये श्री जिनवरदेवाः तत् शिष्य मुनिरत्नकीर्ति उपदेशात् खएमेलवालान्वये पहाड्या गोत्रे सा तेजा नार्या रोहिणी पुत्रो सा पूना पाहा नित्यं प्रणमन्ति । [1450] ॥ सं० १६१ श्री सुपार्श्वनाथ वि० का प्रबी हीरविजय रिनिः ।। __[14601 ॥संवत् १६७४ वर्षे माघ वदी १ दिने गुरुवारे पुष्यनक्षत्रे साह श्रीजहांगीर विजय मानराज्ये श्रोसवालज्ञातीय नाहर मोडे। संग हीरा तत्पुत्र सम् अमरसी ना अन्तरङ्गारे तत्पुत्र सा साडूला जाव सोजागदे युतेन श्री मुनिसुव्रतस्वामी बिम्ब कारापितं प्रतिष्ठितं जहांगीर महातपाविरूद्धधारक चट्टारक श्री ५ श्री विजयदेवसूरिजिः ॥ शुनं जवतु ॥ • यह क्षेत्र श्री पारवनाथ स्वामी की श्वेत पाषाण की कायोत्सर्ग मुद्रा की मनोह मूर्ति के घरणचौका पर खुदा हुआ है। "Aho Shrut Gyanam" Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचतीर्थयों पर [1481] ॥ सवत् १५०० वर्षे वै० शु० ५ उपकेशज्ञातीय सा नानिग ना मल्हाड सुत साथ लाखा ला लाखणदे सुत सा० चाइडेन मातृ हासा सिधराज ना चापलदेवी सुत वसुपालादिकुटुम्बयुतेन पितृ श्रेयसे श्रीचन्सप्रनबिम्ब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागठनायक श्री श्री मुनिसुन्दर सूरिभिः ॥ [1462] ॥ संवत् १५३६ वर्षे आषाढ सुदी नवम्यां तिथौ उप० वीरोलिया गोत्रे सा मूमा ना केव्ही पु० दशरथ नाम सा दशरथ ना दत्तसिरी पु० जिष्णदत्त श्री संजवनाम विम्ब का प्रा श्री पलीवालगच्छेश ज श्री ऊजोधण सूरिनिः॥ 1463] संवत् १५५५ वर्षे महा सुदी १० श्रीमालवंशे वहकटा गोत्रे साथ तेजा पुत्र साक जोगाकेन पुत्रादियुतेन श्रा० अमरसहितेन श्री सुविधिनाथ बिम्ब कारित प्रा श्री खरतरगजे श्री जिनइंस सरिनिः॥ भेयसे । 11464]: ॥ संवत् १५७७ वर्षे ज्येष्ठ वदी सोमे श्री अलवर वास्तव्य उपकेश ज्ञातीय वृद्धशा. खायां आयत्रिएयगोत्रे चोरवेडिया शाखायां सं० साहणपाल मा सहमालदे पु० सं० रत्नदास जा सूरमदे श्रेयोऽर्थ श्री उकेशगछे कुकदाचार्यसन्ताने श्री सुमतिनाथ कारापितं विम्ब प्रतिष्ठितं श्री सिक सूरिनिः ॥ चौविशी पर। [1465] ॥ संवत् १५३६ ज्येष्ठ शु० ५ प्राण ज्ञातीय सं० पूजा ना कर्मादे पुत्र सनरजम नाई "Aho Shrut Gyanam" Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०७) नायकदे पुत्र सा खीमाकेन ना० इषमदे पुत्र परवत गुणराज प्रमुखकुटुम्बयुतेन श्री आदिनाथ चतुर्विशतिपदः कारितः प्रा लक्ष्मीसागर सूरिनिः सीरोही नगरे धातु के यंत्रों पर। [1466] ॥ सं० १६०४ वर्षे शाके १४७० प्रवर्त्तमाने आश्विनमासे वदिपदे १४ दिने रविवासरे दीपालिकादिने श्री श्रीमालगोत्रीय साह श्री जयपाल सुत साह सोरंगकेन सुखशांति श्री हर्षरत्न समुपदेशेन श्री पार्श्वमाथ यंत्रं कारापितं प्रतिष्ठितम् शुनं नवतु ॥ श्रीरस्तु ॥ २॥ [1487] ॥ संवत् १७०५ वर्षे माघशुक्ल ५ गुरौ श्री गूर्जरदेशीय पाटण वास्तव्य श्री खरतरगछीय कावमीया गोत्रे सेठ वेशजी पुत्र. सेव हेमचन्डेण खात्मार्थे श्री सिद्धचक्र नवपदगुह्यकर्म दयार्थ करापितं श्री श्रागरा नगरमध्ये श्रीतपागलीय पं० कुशल विजय गणि उपदेशात् [14681 ॥ सं० १७० वर्षे श्राधिन शुक्ल १० जोमे गम गोत्रीय सा कपूरचन्ड पुत्र सिताव सिंह गृहे तरसम्रित(?) सुखदे नाम्नी स्वारमार्थे श्री सिद्धचक्रयंत्रं कारितं. तपागलाय जहारक श्री विजयदेव सूरीश्वरराज्ये पं० कुशल विजय गणि उपदेशात् कृतम् ॥ श्रीः॥ [14601 सं० १९३१ वर्षे आगरा वास्तव्य लोढ़ा गोत्रे प्रतापसिंहस्थ जार्या मूलो श्री नवपद कारित प्रतिधितं श्री धरणेन्द्रविजय सूरिराज्ये तपा। → "Aho Shrut Gyanam" Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०० ) श्री सूर्यप्रस्वामी जी का मंदिर-मोती कटरा पचतीर्थियों पर । [1470] || संवत् १५३३ मार्ग सुदि ६ शुक्रे श्रोसवाल ज्ञातीय बड़गोत्रे साह जीमदे जा० रूम्ही पुत्र सा० जोजा जा० जेवी नाम्न्या पुत्र सा० महीपति मेघादि कुटुम्बयुतया स्वश्रेयसे श्री शांतिनाथ बिम्बं का० प्र० श्रीसूरिनिः ॥ [1471] ॥ संवत् १८४६ वर्षे पौष वदी ९ सोमे राजाधिराज श्री श्री श्री नाजिनरेश्वरराज्ञी श्री श्री श्री मरुदेवी तनया पुत्र श्री श्री श्री श्री श्री आदिनाथदेवस्य बिम्बं सुप्रतिष्ठितम् ॥ [1472] ॥ सं १५ वर्षे माघ सु० १३ रवौ श्री मंगपे श्रीमाल ज्ञातीय सं ऊदा जा० हर्षू सा० खीमा जा पूंजी पु० सा० जेगसी जा० माऊ पु० सा० गोल्दा जा० सापा पु० मेघा पु०काणी बघुचातृ सं० राजा जार्यां सागू पु० सं० जावडेन जा० धनाई जीवादे सुहागदे सत्तां धनाई पुत्र सं० हीरा जा० रमाई सं० लाखादिकुटुम्बयुतेन विम्बं कारापितं निज श्रेयसे श्री कुन्थुनाथ विम्बं कारितं प्रतिष्ठितं तपागठे श्री सोमसुन्दर सूरिसन्ताने लक्ष्मी सागर सूरिपट्टे श्री सुमतिसाधु सूरिजिः ॥ चोवीसी पर । [1473] ॥ सं० १५१३ वर्षे वैशाखमासे ऊकेश ज्ञातीय से० पेथड जा० प्रथम सिरी पुत्र सं tara जाय हीमादे द्वितीया खाबि पुत्र देल्हा राणा पासादि कुटुम्बयुनेन स्वश्रेयोऽयं श्रीकुन्थुनाथादि चतुर्विंशतिपद्यः कारितः श्री अञ्चलगनेश श्री जयकेशरी सूरिनिः प्रतिष्ठितः ॥ शुजं जवतु ॥ श्रीः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०ए) श्री गोड़ीपार्श्वनाथजी का मंदिर - मोती कटरा। पञ्चतीषियों पर । [1474] ॥ सं० १५१३ वर्षे ज्येष्ट वदी ११ सूगणा गोत्रे सा धन्ना ना धानी पुत्र सा फसहकेन आत्मपुरखार्थ श्री पार्श्वनाथ विम्बं का प्रण श्री धर्मघोष गछे श्री पद्मशेखर सूरि पट्टे श्री पद्माणक सूरिभिः ॥ श्रीः ॥ [1475] ॥ सं० १५२० वर्षे वैशाख शुदी १२ बुधे श्री श्रीमाली झातीय श्रेण हीरा ना जीविलि सु० कान्हाकेन जा पदमाई सुण रत्नायुतेन ब्रात हांसा मना निमित्तं श्री अरनाथ बिम्ब कारितं प्रतिष्टितं श्री सूरिभिः ॥ अहमदाबाद वास्तव्य ॥ [14761 ॥ संवत् १५३६ वर्षे कार्तिक शु॥ १५ गूजर श्रीमाल झातीय बहरा गोत्रे स० धन्ना जाए धारखदे युग सा0 माडा पुत्र देवाराजादि श्री शान्तिनाथ विम्यं कारितम् ॥ प्रतिष्ठितम् ॥ श्री सूरितिः ॥ [ 1477] ॥ संवत् १५५४ वर्षे मा व श सीहा वास्तव्य प्राग्वाट झातीय व्या अमा नार्य लखमादे पुत्र व्य० मादहण ना मादहणदे सुन नरवद प्रमुखसमस्तकुटुम्बयुतेन खश्रेयोर्य श्री सुविधिनाथ बिम्ब का रितं प्रतिष्ठितं तपापक्ष श्री हेमविमल सूरिनिः॥ [1478] ॥ ॥ सं० १९४० वर्षे वैशा वस्तुदी ५ भृगुवारे अर्गल पुरे ओसवाल वंशोगवे झातो वेद मोता गोत्रे साह हंसराज चन्सपालस्प कारितं नेमनाथस्प विम्बं प्रतिष्ठितम् ॥ कमला गछे श्री सिद्ध सूरिभिः ॥ उपकेश गछे ॥ ॥ श्री॥ श्रेयम् ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११ ) चौवीसी पर | [1479] ॥ संवत् १५०५ वर्षे वैशाख सुदी ६ श्री उपकेश ज्ञातीय प्रादित्यनाग गोत्रे सा० ठाकुर पु० सा० भणसी जा० पणश्री पु० सा० साधू जा० मोहश्री पु० श्रीवंत सोनपाल जिखू एतैः पित्रोः श्रेयसे श्री अजितनाथ चतुर्विंशतिपट्टः कारापितः । श्री उपकेशले श्री ककुदाचार्य संताने प्रतिष्ठितः । जहारक श्री सिद्ध सूरिः तत्हालंकारदार जहारक श्री कक्क सूरिजिः ॥ बः ॥ [1480] ॥ सं० १५११ वर्षे माघे शुदी ५ गुरू श्री श्रीमाल ज्ञातीय व्यवहीता सुत व्यव कर्मसीह जाय कस्मीरदे सुत सायरकेन जार्या मेथू सहितेन पितृमातृश्रात्मश्रेयसे श्री कुंभु नाथ चतुर्विंशतिपट्टः कारितः श्री पूर्णिमापके चहारक श्री राजतिलक सूत्रीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितम् ॥ श्री वासुपूज्यजी का मंदिर - मोती कटरा । पञ्चतीर्थी पर | [1481] ॥ संवत् १४९६ वर्षे वैशाख सु० १२ गुरु बाहखा गोत्रे सं घेल्दा पुत्र स० दया डीडा पुत्र स० जादा सादा जार्या रू० डीडानिमित्तं श्री सुविधिनाथ विधं कारितं प्रतिष्ठितम् तपागछे जहा ( रक ) श्री पूर्णचंद सूरि पट्टे श्री हेमहंस सूरिजिः ॥ चौवीसी पर । [1482] ॥ जं ॥ [सं० १२०१ वर्षे *१५ व० ६ बुधे लोढ़ा गोत्रे सा० दरिचन्दसन्ताने । सा० गोगा ० सं० गोरा । पुत्र । स० श्रासपास तत्पुत्रेण सः० लाखाकेन । जातृ स० वस्तुपाल तेजपाल "Aho Shrut Gyanam" Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १११ ) पूनपाल । पुत्र सोनपाल पासवीर । सं । हंसवीर जातृ पुत्र । कुमरपाल पर्वत । दियुनेन निजमाता मूली पुष्यार्थं श्री संजवनाथ विम्बं चतुर्विंशति देवपट्टे । का० प्र० तपागळे श्री पूर्णचन्द्रसूरि पढे श्री हेमट्स सूरिजिः ॥ धातु के यन्त्र पर [1488] ॥ ॥ स्वस्ति संवत् १४७ वर्षे माघ सुदी ५ गुरुवासरे श्रीमतू योगिनी पुरे राज्य श्री काष्टा मयुरान्वये पुष्करगणे जहारक श्री श्री क्षेमकीर्त्तिदेवानस्तत्पट्टे जहारक श्री हेमकीर्त्तिदेवस्तत् शिष्य श्री धर्मचन्द्रदेवान् श्री महेन्द्रकीर्त्तिदेवान् श्री जिनचन्द्र tara frees शिक्षिणी वाई सहजाई एतेन श्री कलिकुण्डयंत्रस्वकर्मक्षयार्थ कारापितं ॥ शुनं जयतु ॥ श्री केशरियानाथजी का मंदिर - मोतीकटरा । पञ्चतयों पर । [1484] संवत् १२०१ वर्षे खुदी ६ शुक्रे उकेशवंशे घांघ गोत्रे सा० बीतर जा० बखमाई पुत्र सा० सांगा यासा० सिया हीरा तन्मध्ये सांगाकेन जा० सिंगारदे पु० राजसी रामसी "युतेन श्री शान्तिनाथ त्रिम् कारितं प्रतिष्ठितं मलधारि गछे श्री गुणसागर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः ॥ श्री नेमनाथजी का मंदिर - हींगमंडी । पञ्चतीर्थियों पर । [1485] || संवत् १८१५ वर्षे मलारणावासी मुदरल गोत्रे श्रीमाल ज्ञातीय सा० घोधू ना० देव्हू पु० मडमथेन जा० माब्दी चाट हरिगए जा० पूरा पुत्र सरजन प्रमुखकुटुम्बन सश्रेयसे श्री सुमतिनाथ विम्बं का० प्र० तपागचे श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः || "Aho Shrut Gyanam" Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [14861 ॥ संवत् १२१ शा० १७६६ प्र० माघ शु० । गुरुवारे अञ्चगड़े कच्छ देश कोठारा वास्तव्य जैसवाल शाम गांधी मोहता गोत्र श्री केशवजी नायकेन श्री सत्रे श्री नेमिनाथ जिन बिम्बं कारापितं प्रण ना श्रीरत्नशेखर सूरितिः ॥ श्री शान्तिनाथजी का मंदिर - नमकमंडो । पञ्चतीर्थियों पर । [1487] ॥ सं० १४०५ वर्षे फार सु ए शुके श्री ज्ञानकीय गछे उसन गोत्रे जप्त ज्ञातीय साम शिवा ना कांऊ पुत्र केव्हा ना कोहण दे सन्ततिवृष्ट्यर्थ पितृमातृनिमित्तं श्री कुंथुनाथ विम्बं कारितं प्रतिष्ठितं । श्री शान्ति सूरिभिः ॥ शुनं नवतु ॥ [1488] ॥ संवत् १४२५ माघ वदि ७ सोमे श्री संडेरगछे श्री जगकेशज्ञाति सा महीपाल ना महणदे पु वैला ना सहजादे पु० सरवणनैक (?) जात कसामलस्य श्रेयसे श्री आदि नाथ पवती कारिता । प्र श्री ईश्वर सूरिनिः॥ [1480] ॥ सं० १४५३ " शुण ३ शनौ श्रीमाल माधलपुरा गोत्रे साप केला पुत्रेण सा० तोलाकेन नरपाल श्री पालेल्यादि पुत्रयुतेन श्री धर्मनाथ बिम्बं कारितं. प्र. तपागछे श्री पूर्णचन्न सूरिपट्टे श्री हेमहंस सूरिनिः [14001 ॥ सं० १४५७ वर्षे वै० शु०३ शनी उपकंश गच्छे धेधड ना० केसी प्रा० जूपणा नाम णेमी पुरा सीगकेन (?) पितृमातृ श्रेय श्री आदिनाथ बि० का प्र० श्री श्रीमाले श्री रामदेव सूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११३ ) [1401] || सं० १४८५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ जसवाल खांटड गोत्रे सा० जाइजू जा० अहवदे पु० पूना पितृश्रेयसे श्री संजवनाथ विम्बं का० प्र० श्री धर्मघोष गरे श्री मलयचन्द्र सूरि पट्टे श्री पद्मशेषर सूरिभिः ॥ [1492] || सं० १५०३ मार्ग सुदि ५ ॐ० झा० उबितवाल गोत्र सा० मेघा पुत्र सा० खेताकेन जा० हर्षमद सह पूर्वपुरष मेलानिमित्तं शान्तिनाथ विम्बं का० प्र० श्री धर्मघोष श्री महोतिलक सूरिजिः ॥ [1493] || सं० १५०० वर्षे उएश वंशे सा० पेड़ जा० षीयाही पु० खेला सरवण साजण कै श्री अंचलगष्ठेश श्री जयकेशरी सूरि उपदेशेन श्री विमलनाथ बिम्बं स्वश्रेयसे कारितं प्र० ॥ [1494] ॥ सं० १५० वर्षे वैशाख सुदि छ रवौ उपकेश सुचिन्ति गोत्रे सा० नरपति पु० साव साहा पु० फमण जा० कल्हाही पु० सुधारण जा० संसारदे युतेन पित्रोः श्रेयसे श्री यादि नाथ विम्बं कारापितं उनके ककुदावार्य प्र० श्री कक्क सूरिजिः ॥ [ 1405 ] ॥ सं० १५२४ वर्षे मागसिर वदि ५ सोमे जयकेश ज्ञातीय मर्द केल्दा जाय कील्हल पुत्र मुरजकेन जा० रापी सहितेन श्री कुन्थुनाथ त्रिस्थं का प्रतिष्टितं श्री ब्रह्माणी यग ज० श्री उदयन सूरिजिः ॥ श्रीः ॥ [1496] || संवत् १८५४ वर्षे माइ यदि २ गुरौ प्राग्वाट ज्ञातीय शृङ्गारसंघवी सिद्धराज सुश्राव केन नाय पकू पुत्र सा० कूपा जाय रम्मदे मुख्यकुटुम्बस हितेन श्री सुपार्श्वनाथ चित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११४ ) श्री दादावाडी - साहगंज । श्री महावीरखामी के वेदी पर । [1407] संवत् १९७५ मिति वैशाख सुदि ३ सोमवारे मुलीचन्द के पुत्र प्यारेलाल चोरडिया की बहूने वेदी बनाई ॥ चरणों पर । [1498] ॥ सं० १४४ मिति आषाढ़ सुदि १० श्री गोतमस्वामीजी प्रतिष्ठितं । पं० संवेगी श्री रणधीर विजय कारापितं । [1400] श्री अर्गलपुरे साहगले प्रथम प्रतिष्ठा संवत् १७ मिति ज्येष्ट सुदि १५ खरतरगडे भी १०७ श्री जिनकुशल सूग्जिी के पाचुके संवत् १९६४ मिति जेठ सुदी ३ गुरुवार प्रतिष्ठा समय विद्यमान श्री तपागल उपाध्याय श्री वीरविजयजी॥ [1500] ॥ सकस नहारक पुरन्दर जद्वारक श्री १०७ श्री हीरविजय सूरी सरकस्य चरण प्रतिष्ठापितं तपागहे। [1501] ॥ संवत् १९६४ वर्षे ज्येष्ठ शुक्ल २ दिने गुरुवारे श्री यागरा नगरे सकलसंघन श्री सोकागन्छे श्रीमद् प्राचार्य नेमकरणस्य पाका श्री तपागलीय श्रीमद् वीरविजयेन प्रतिष्ठा कारिता ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११५ ) लखनउ। भी शान्तिनाथजी का मंदिर - बोहरन टोला । पंचतीर्थयों पर। [1502] सं० १३१६ वर्षे वैशाप सु० १३ सा० करमण ना " लसिरि पु गोसाकम मातृपित भयोर्य श्री विंचं का०प्र० च धर्मप्रन सूरि । [1503] संवत् १४२ वर्षे फा सु० ३ उकेस वंशीय सा जेसिंग सुत सामल नार्या सहअनदे सुन सा जसा नाय जासलदे व्रातृ देवर नार्या श्रा० संगाई स्वश्रेयार्थ श्री अजित नाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गले श्री जिनजा सूरिनिः॥ 1504] सं० १५१५ वर्षे वैशाष वदि ११ शुक्रे श्रीमाली ज्ञातीय मं अर्जुन ला स्वसु पुछ टोई श्रामाई ... हदाकेन जाण लखी सहितन निजश्रेयसे श्री अजितनाथ विकं का उकेशग श्री सिनाचार्य संताने श्री कक्क सूरितिः प्रतिष्ठितमिति । [1505] संवत् १५१७ वर्षे वैशाष सुदि ३ सोमे श्री श्रीमान झाती श्रेण वाकुरसी सुत । धंगाकेन नार्या होमी सु० धना बना मिला राजी युनेन श्री शीतलनाथादि पंचतीर्थी श्रागमगछे श्री हेमरत्न सूरीणामुपदेशात् कारिता प्रतिष्ठिता च माइलि वास्तव्य ! [15061 सं० १५३७ वर्षे माघ वदि वो उप० शा० मं कूपा चा सोपा पुत्र रूपा जार्या स्तू सुन निंदा जुणा मिला श्रात्मश्रेयसे श्री शांतिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठित भी "Aho Shrut Gyanam" Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९६ ) जिरायपत्रीय गछे जट्टारक श्री सालिना सूरि पट्ट श्री ज्ञ श्री उदयचंड सूचिः प्रतिष्ठितं श्री ॥ ४ ॥ [ 1507 ] संवत् १५५६ वर्षे वैशाष सुदि ६ सोमे सा अचू जार्या सवीराई। पुत्र अका श्री विजयदान सूरिभिः प्रतिष्ठितं । [15081 संवत् १६१६ वर्षे वैशाष शुदि १० रवी श्रोमाय) झातीय सा० सता श्रेयोर्थ श्री वासुपूज्य विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री विजयदान सूरिनिः । [1500] सं० १६१६ वर्षे वै० शुक्र १० रवी श्रे० ककुश्रेयोर्थ श्री संजयनाथ विंबं कारितं तपा गन्छे प्रतिष्ठितं श्री विजयदान सूरिनिः ।। [1510] संवत् १६ए व७ फागुण सुदि .......। मूर्तियों पर । [1511] ॥ सं १९२४ मा शु १३ गुरौ श्री महावीर जिन वियं का रितं च उस वंशे बाजे गोत्रे। लाला जीवनदास पुत्रेण दुर्गाप्रसादेन कारितं जट्टारक श्री शांतिसागर सूरिजिः प्रतिष्ठितं विजयगछे । [15121 ॥ सं० १०२४ मा शु० १३ सुमतिजिन बिंबं का उस वंशे वैद मुहता बाल समार्या महताको बीबी प्र । विजयगळे श्री शांतिसागर सूरिनिः श्रेयो) । "Aho Shrut Gyanam" Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 1518] मं० १९२४ मा शु० १३ गुगै मुनिसुव्रत जिन किंवं कारितं उस वंशे बाजेड़ गोत्रे माखा हरप्रसाद तन् पुत्र जीवनदास जार्या नन्ही बीबी श्रेयोर्थ न श्री शांतिसागर समितिः प्रतिष्ठितं विजय गछे। [1514] मं० २९२४ मा शु० १३ गुरौ सुमतिनाथ जिन विवं वैद मुहता गोत्रे सासा धर्मचंड पुत्र शिषरचंद तद् ना० सांस्न बीबी श्रेयोर्य। जय श्री पूज्य श्री शांतिसागर सूरिशिः प्रति विजय गई [1515] ॥ सं० १९२४ मा शु० १३ महावीर जिन । वैद धर्मचंदजी विजय गछे ज० शांतिसागर सूरिनिः। [1516] सं० १९२४ मा शु० १३ श्री सुमति जिन बिंब का उस वंशे मालकस गोत्रीय धर्म चंद तत् पुत्री मंगल बीवी प्र०। विजयगळे जण। श्री शांतिसागर सूरिभिः श्रेयोर्थे प्रतिष्ठितं हीरा बीबी। [1517] सं० १९५४ मा शु०१३ संजव जिन। मालकस गो धर्मचं तत् पुत्र हीरा बीबी । प्र० । शांतिसागर सूरिनिः विजयगछे। [15183 सं० १९२४ मा शु० १३ गुरौ श्री धर्मनाथ बिंब का उस वंश सुचिंति गोने बाण नोवतराय पुण् रेवा प्रसादेन कारितं प्रा.विजवगछे शांतिसागर सूरिजिः । "Aho Shrut Gyanam" Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११७) [1510] सं १७७३ माघ सुदि १३ बुधवारे राजनगरे जैसवाल झाति वृद्ध शाम साकोरचंद रूपा श्रेयोर्थ शांतिनाथ विंबं जरावी प्रतिष्ठाया प्रतिष्टितं तपागछे । [1520] शाहजहां विजय राज्ये । श्री विक्रमार्क समयातीत संवत् १६७१ वर्ष शाके १५३६ प्रवर्त्तमाने आगरा वास्तव्य जैसवाल झातीय लोढा गोत्रे श्रवाणी वंशे सं० शपनदास तत्पुत्र सं० श्री कुंरपाल सोनाक्ष संघाधियां श्री अनंतनाथ विवं प्रतिष्ठित श्रीमदंचल गछे पूज्य श्री ५७ श्री धर्ममूर्ति सूरि पदाम्बुज हंस श्री श्री कल्याण सागर सूरीणा मुदेशेन । श्याम पाषाणके मूर्तियों पर [1521] ॥ सं० १७ फा सु० ॥ शनी उश वंशे लोढा गोत्रे हरपचंद्रस्य ... श्री सुर्थ विवं ..। [1522] ॥ सं० १७Jए फाप सु ए शनी उस वंशे मयाचंदजी तत्पुत्र धनसुख । [ 1523] सं० १७ फा० सु । शनी श्रीमान पाइड मन्नुलाल । [1524] ॥ स रपए का सु० ॥ शनौ चोरडिया गोत्रे दयाचंद ........! श्वेत पायाण के चरणों पर। .. [1525] . से १७६३ मिण माघ ० ५ दिने श्री अतीत चौविसी जगवान जी की जैसवाल वेत्रो "Aho Shrut Gyanam" Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाहटा गोत्र राजा वचगज बाबू विशेश्वरदास बाबू नैरुनाथ बाबू वैजनाथ बालू जगन्नाथ धाबू लबमणदास ने चरण जगया वृहखरतर गछे नहारक श्री जिनहर्ष सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्रेयार्थ शासन देवो अस्य मंदिरस्य रक्षा कुवतु ॥ श्री ।। श्री ॥ श्री लखनउ नगरमध्ये नवाब साहव सहादतअलि विजय राज्य । __[1526] संप १७६४ मिग वै सुण ३ दिने वर्तमान चौविशी २५ नगवान जी के उसवाल वंशे काकरिया गोत्रे खुमालराय। वखतावरसिंह । गोकलचंद। माणकचंद । स्वरुपचंद । रतनचंद । ताराबंद । सपरिवारण चरण वनवाया श्री वृहत्तरतर गछे नहारक श्री जिनहर्ष सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्री लखनउ नगरे । [1527] . सं० १७३५ मि वै० सु० ३ दिने अनागतचोबिसी जैसवाल वंशे नाहटा गोत्र राजा पन्नाज तत्पुत्र बाबू जगन्नाथस्य जार्या स्वरुपने इं चरणं कारापितं अयोर्थ श्री वृहस्वरतर गई नहारक श्री जिनहर्ष सूरिभिः प्रतिष्ठितं श्री लखनउ नगरे । [1528 ] मंण् १७६४ मि वै० सु० ३ दिने २० विहरमान ४ शास्त्रतानि नगरानजी के उलवाला वंशे कांकरिया गोत्रे जेवमल गुजरमल बहापुरसिंह स्वरुपचंद सपरिवारेण चरण बनवाया श्री बृहत्त्वरतर गछे ज० श्री जिनहर्ष सूरि निः प्रतिष्टिनं श्री लखनउ नगरे । सहनकूट पर। [1529] ॥ सं० १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्त्तमाने माघ शुक्ल तिथी सोमवातरे सहस्रकूट. बिगनि प्रनिष्टिनानि बृहत्खरता नहारक गछे श्री जिनइर्ष सूीण पष्टप्रनाकर नहारक श्री जिनमछ सूरिनिः सपरिकरैः कारितं श्री लक्षाणपुर वास्तव्य हावत गोछ । श्री जेठमल तत्पुत्र कालकादास तत्पुत्र वनदेवदासेन श्रेयोधनानंदपुरे "Aho Shrut Gyanam" Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२० ). [1530] - ॥१५१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्तमाने माघशुक्ल २ तिथौ सोमवासरे सहस्रकूट विबानि प्रतिष्ठितानि बृहत्खरतर नट्टारक गछे श्री जिनदर्ष सूरीणां पहनाकर नहारक श्री जिनमहेंऽ सूरिनिः सपरिकरैः कारितं श्री सदापुर वास्तव्य चो० । गो। श्री हंसराज सद्भार्या सोना विवि तया श्रेयोर्धमानंदपुरे ॥ पं० । प्र० । कनकविजय मुएयुपदेशात् । [1531] ॥सं १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्त्तमाने माघ शुक्ल ५ तिथों सोमवासरे सहस्त्रकूट विवानि प्रतिष्ठितानि बृहत्खरतर जट्टारक गछे श्री जिनहर्ष सूरोणां पट्टप्रनाकर जट्टारक भी जिनमहेश सूरिभिः सपरिकरैः कारितं श्री लक्षणपुर वास्तव्य बा । गो। साह उमेदचंद तत्पुत्र हरप्रसाद रामप्रसाद तत्पुत्र जीवनदास धनपतराय तत्पुत्र दूर्गाप्रसादन सपरिकरः अयोधमानंद पुरे । [1532] - ॥ सं० १९१० शाके १७७५ प्रवर्त्तमाने माघ शुक्ल तिथो सोमवासरे सहस्रकूट विधानि प्रतिष्ठितानि बृहखरतर जट्टारक गछे श्री जिनहर्ष सूरीणां पट्टजाकर जट्टारक श्री जिनमहेंऽ सूरिजिः सपरिकरः कारित श्री लखननु समस्त श्री संघेन श्रेयोर्थमानंदपुरे। [1583] संवत् १९१३ शाके १७७७ तिथौ माघ शुक्ल पंचम्या परमाईत श्रीमत् शांति जिन मोक्ष कल्याणक पातुका लक्षणपुर वास्तव्य समस्त श्री संघेन कारितं प्र० च बृहत्वग्तर गच्छीय जं । यु । प्र। श्री जिनचंड सूरि एकूजभृत् श्री जिन जयशेखर सूरिनिः । श्वेताषाण के पंचमुष्टिलोच के नाव पर । - [1534] संबत १९१३ शाके १७ तिथौ माघ शुक्ल पंचम्या दीक्षा कल्याणक पुकाछेस वंशे महता गोत्रे । "Aho Shrut Gyanam" Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री ऋषभदेवजी का मंदिर - बोहग्नटोला। शिलालेख । . [1535] ॥ ६ ॥ ॐ नमः सिद्धं । संवत् १९३४ माघ शुक्ल १३ गुरौ ॥ श्लोकाः ॥ विजयगवाधिपणे मूरि। विहरन् सन् महीतलं ॥ शांति सूरीति नामेन । संप्राप्तो लक्षणे पुरे ॥ १ ॥ जगन् दशनारब्धा । जिनशक्तिलनुछिका ॥ कादंवनीव संजाता । जव्यानां बोधहेतवे ॥२॥ तदा तस्योपदेशेन । श्री संघो लक्तिवचन ॥ कारयनिस्म जिनं चैत्यं । इष नस्वामिमंदिर ॥३॥ सूरिस्तु विचरन् जूम्यां । वशिष्यं स्थारितं मुदा ॥ धर्मचंझानिधानं च । संस्थिति धर्महनव ॥ ४ ॥ तत्रैव धर्म दिसैतिस्म । शिष्यान् पाठयति सदा ॥ स्व शिष्यं गुणचं जाह्न ! गुरुनक्तिगयणं ॥ ५॥ मंदिरोपरि जूम्यां च। विहारं जमरिकायुनं ॥ मंदिरं कारयेत् संघः । जातः स धर्मवत्सलः ॥६॥ माघमाले शुक्रबके । त्रयोदश्यां गुरी दिने ॥ जट्टारक शांति सूरिः। प्रनिष्ठां चकिो मुदा ॥ ७॥ तस्मिन् जिनमंदिरे । श्री चतुर्मुख बिंबानां चतुणांमध्ये । श्रादिजिनस्य विबं । उसवंशे बरड्या गोत्रे लाला बाटेवाल पुत्रेण स्वरूपचंप्रेण कारितं ! तथा द्वितीय श्री वासुपूज्य जिनवित्रं । फूमषाणा गोत्री लामा सीतागम तद्भार्या जांडिया गोत्री तया कारितं । तृतीयं श्री शांतिनाथ जिनपिं । श्री शांतिसागर सूरि शिग । शविणा धर्मचंद्रण कारितं । चतुर्थ श्री महावीर सामि जिनपिं । सुनिता गोत्रे । लाला पेरानीमन पुत्रेण गोविंदरायेण रूपवंश पुत्र सहितेन कारितं । श्री विजयगढाधीश्वर सार्व नौम जंगमयुगप्रधान जट्टारक श्री जिन चंडसागर सुरि पट्टप्रजालंकार श्री पूज्य श्री शांतिसागर सूरिनिः प्रतिष्ठिनं । इपिणा चतुर्जुनाथ । गोकुलचंडल संयुना ॥ श्यं कृति लिषितान्यां। गुरुत्तक्तिपरायणों ॥ १॥ श्रीरस्तुः ॥ श्रीः ॥ पद्मावती सधवर प्रसादात् । यो मेदयादाधिपति स्वरूपं । राणापदे संस्थित शत्रु सिंह रोगात् प्रमुच्येत स शांति सूरिः ॥ २॥ --- - ------- ------.. --. . का है, उनके निचे दाहिना खाने का और पाये। इस लेख के अतो चार यंत्र हैं। दाहिने २० का और बाये खाने का यंत्र है, इनके जोड मिते नहीं है। ३१. "Aho Shrut Gyanam" Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५५) ३९ ३० ३१ २२ २१ २६६७६६ ७१७६७७६४ ३७ २४ २२ । ११७ २०४ २५ २४१६५.७०६६१०३ ६० ८८७, ६२ ७४ ७६७८ ३८ ४३ १३ १२ १७ १८५७ ६२ ६६ ४८ ५२.३० १७ । १८ १४ १० ६३ ५६ ५५ ५४ ५०. ४६ ४२ . २६ १६ ११२ १२ १३ १४ १५८ ४. ' ४३ . ३ १११ १७६६ ८३ ७० ५० ५५ धातु की मूर्ति पर। [1538 ] सं। १५७३ व ज्येष्ठ सुदि १३ माधु साखायां नेलड़िया वंशे माप कसा पुत्र सा सबमसी पुत्र सारा वर्षमान सा० रीडा श्री पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा कृता श्री साधु वचनात् । पंचतार्थियों पर। [1537] म १५०० वर्षे मार्गशिर वदि १ बुधे सामझिया गोत्रे मा जोला पु० साए काऊल "Aho Shrut Gyanam" Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५३ ) ज्रातृ उसीह " निः पितुः पुरु श्री श्रादिनाथ विवं का प्रा वृहाछे श्री महेश सूरिभिः ॥ श्री शुनं ॥ [1538] सं० १५११ वर्षे माघ वदि ५ उसवात झाती जामवाल गोत्रे जोजा पुत्र धडिया पु० मोहण पुत्र घेताकेन व नार्या श्रेयो) श्री शांतिनाथ विंबं श्री धर्मघोष गछे जा श्री मही तिलक सूरिनिः॥ चौवीशी पर। [1580] सं० १५१७ माघ शुदि ५ दिने पत्तन वासी श्रीमाली श्रेगकरसी ना धारी सुत श्रेा गांधा साका नाणा लगिन्या श्रे० नरसिंग नार्या वैगमति नाम्न्या श्री वासुपूज्य चतुर्विशति पट्टः का प्र० श्री सोमसुंदर सूरि पढे श्री रत्नशेखर सूरिनिः ॥ श्री श्री तपमह ॥ [1540] संग । १६१६ वर्षे शाके १७५ प्रवर्तमाने वैशाख सुदि १० दिने रवौ अहमदाबाद वास्तव्य न केस वंशीय मा० आंतः ना० असरा तत्पुत्र सागकर नाव संपू तत्पुत्र साय मेलाटग्रेन ना मेलाद पुत्र पुत्री परिवारयुतेन आत्मश्रयोर्थ श्री अजितनाथ विवं कारितं तपागचे जट्टारक श्री आनंद विमान्न सूरि तत्पद्दे विजयदान सूरिभिः प्रतिष्टितं । पाषाण के चरण पर। [1541] सं० १९२४ । नूग वंशे पदलावन गोत्रे लालु तत् पुत्र किसनचंद कारितं । "Aho Shrut Gyanam" Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) श्री महावीर स्वामीजी का मंदिर - बोहरनटोला । मूलनायकजी पर। [1542] ॥ सं० १५ "" श्री वर्धमान जिन प्रिंवं उसवंशे बहुग गोत्र लाला कीर्तिवंद तार्या शुलीया विधि तयो पुत्र मोतीचंदेन कारितं बृहत् विजय गठे ज० श्री सार्वजौम श्री पूज्य श्री जिनचंगसागर सूरि पट्टपनाकर जं। यु । प्र। शांतिसागर सूरिनिः । मूर्ति पर। [1548] सं० १ए ... श्री पार्श्वजिन विंबं उसवंशे बड़डिया गोत्रे लाला दयानंद तत्पुत्र बोट मधून सत्पुत्र सरुपचंदेन सहितः कारितं प्र० विजय गच्छे ..... सूरिनिः। पंचतीर्थी पर। [1544] सं० १५१७ वर्षे माघ वदी रवौ सं० फाला जाए लपी सा दर्षा चा0 वारू सा गजा जा० माजी सं० वसा जा० बाली सं० जोगा श्री शांतिनाथ विवं तपा श्री हेमविमल मुरिचंकिनी ग्रामे। श्री पद्मप्रन स्वामीजी का मंदिर - चूडिवाली गली। पंचतीर्थियों पर। [1545] सं० । १३ न० श्री जिनचं सूरि शिष्यैः श्री जिनकुशल सूरिनिः श्री पार्श्वनाथ जिंत्र प्रतिष्ठितं कारितं च सा केसव पुत्र रत्न सा० जेहकु सुश्रावकेन पुण्यार्थ । "Aho Shrut Gyanam" Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२५) [ 1546] सं० १४१५१ वर्षे माह शुदि ५ बुध दो गादहिया गोत्रे सा सिवराज सुत सा० सहजान माता पदमाहीनिमित्तं श्री पार्श्वनाथ विवं कारितं श्री जपकेस गळे प्र० श्री सिद्ध मूरिभिः । [ 1547] सं० १५०३ वर्षे ज्येष्ठ शुक्ल ११ ओसवाल ज्ञातीय अजमेरा गोत्रे साप सुरजन ना सहजलदे पुण् सा सहजाकेन अात्म पुण्यार्थ श्री आदिनाथ विंग का प्रतिष्ठितं श्री धर्मधाप ग न श्री विजय सूरिनिः । [1548] सं १५०० वर्षे वैशाष वदि ४ शनौ श्री संडेर गछे पक्षनेवी गोष्टीगानान्वये साग कुरान पु० धांशश ना वारू पु० तु पाकेन ना कोखा पुत्र स्वश्रेयसे श्री शितलनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री शांति सूरिनिः ।। [1540] सं० १५१० वर्षे ३० व ५ प्रा० सा " ना0 राजू पुत्र सा० सरमाकन नाए चांपू पुत्रेन स्वश्रेयसे श्री सुविधि विवं का प्रण तपा श्री रत्नशेषर सूरिनिः ॥ श्री ॥ [1550] ॥ सं० १५११ वर्षे माघ सुदि ५ गुरों श्री उकेस वंशे दोसी गोत्र मंण् डूडा पुए सा० नरनं जा० सीत तत्पुत्रेण सा धाराकेन नार्या माणुकाई पुत्र उदयसिंहयुतेन श्री आदिनाथ विवं कारितं प्र० श्री खरतर गछे श्री जिनन सूरिलिः [1551] सं० १५१६ वैशाख वदि ११ शुके श्री श्रीमान ज्ञातीय पितृ मांडण मातृयुक्त श्रेयोर्थ सुन सांगाकेन श्री संजवनाथ विवं कारितं श्री ब्रह्माण गछे श्री मुनिचं मूरि पट्टे प्रतिषितं श्री वोर मूरिनिः गुंडलि वास्तव्यः । "Aho Shrut Gyanam" Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५६) [ 1552] सं० १५१६ वर्षे वैशाख सु० ५ श्री ज्ञानकीय गढे उप किसासीया गोत्रे श्रेण रेलण जा मादणदे पुत्र कर्मा जाप कर्मादे पुण् घडसीसहितेन कर्मा पना हान्यां आत्मपुण्यार्य श्री आदिनाथ चिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सिद्धसेन सूरि पट्टे श्री धनेश्वर सूरिभिः ॥ श्री॥ [1553] ... ॥ संवत् १६१७ वर्षे माघ पदि १ गुगै मं० आना जार्य अवसादे पु० मंः नींवाकेन भ्रातृ म कान्हाई सा वस्था आजीवा जर्या जश्चंत तत् पुत्र मं० कर्मसी राजभी ने. सया कुटुंबयुतेन स्वश्रेयो) श्री कुंथुनाथ विवं का० प्र० श्री तपागठे श्री दानविजय सूरिति श्री हीरविजय सूरि प्रमुग्वैः परिवारपरिवृतः ॥ [1554] सं० १५२७ वर्षे आषाढ़ शुदि ३ शुके उसवान शा० सा लेषा जा सषमादे पु० साल राउनकेन जा० रत्नादे पु० स: कोदहा जा० शादहणदे पु० सा गांगा सकुटुंबयुतेन खपुण्य यं श्री कुंथुनाथ वियं का प्र० संडेरक गछे श्री शांति सूरिभिः॥ { ច ] संप १५३६ वर्षे वै० ए चंडे " नाईलेका गाने सा पानल नावाचा पुरावीका ना मदना नाथी पुरा बाजू स्वपित श्रेण श्री चंग्रज घिर्ष कारित प्रश्नी पान गळे श्री नन्न सूरि पट्टे मध उद्योतन सूरिभिः । [1568] संवत् १५६४ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ५ शुक्रे काकरेचा गो० पूर्व सा बोटा पु० चुंडा पुर घेता ना नाउ तत्पुत्र कान्हा जाग कस्मीरदे सकुटुदेन श्रेण वि० श्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथ विषं का प्र श्री यशाना सूरि संताने श्री शांति सूरिजिः ॥ श्री। "Aho Shrut Gyanam" Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२७ ) [1557 सं० १४७७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि पूर्णिमा तिथौ गुरुवारे मूलनायक श्री पार्श्वनाथ जिन पंचतीर्थी जिनैः प्रतिष्ठितं श्री वृहत् परम जहारक श्री जिनसुख सूरि वराणां उपाध्याय श्री देवराम गणिभिः ॥ श्रारस्तु ॥ कारितं चैतत् गणधर चौपड़ा गोत्रे शाह श्री लाल चंदजी पुत्ररत्न श्री कपूरचंदजीकेन स्त्रषुन्यविवृद्धयर्थ ॥ शुभं भवतु ॥ श्री आदि जिन वि ॥ श्री नेमिनाथ जिन बिच ॥ श्री शांति जिन विवं ॥ श्री महावारस्वामी विवे श्री पार्श्वनाथजी की प्रतिमा पर [15581 संवत् १७२५ शाके १५५१ वैशाख सुदि ५ आदित्यवारे ..."। श्री श्रादिनाथजी का मंदिर - चुडीवाली गली । मूर्ति पर। [15581 सं० १९३४ माघ शुदी ३ चंद्रप्रन बिंब कारितं । मालकोस गोप परमसुख करमचंद प्रतिए । विजय गछे ज०। श्री शांतिसागर सूरिनिः ॥ पंचतीर्थयों पर। [530] ॥ सं० १५५४ वर्षे मार्ग सु० दसमी ऊकल चलथ गोने शा ! पेडा जा० । देउ सुत म। विमा। ना धली क्षापाकेन ला अमरी पुत्र नाथू प्रमुखकुटुंबयुतेन निजपितृव्य श्रेयसे श्री आदिनाथ विवं कारितं । प्र । तपा श्री पदमीसागर सूरिनिः श्रीरस्तुः॥ [1561] सं० १५१७ वर्षे माघ शु० ५ बुधे प्रागः । ज्ञा० । श्रे० कक्षा न वानू सु० मूग गला रागा वरद जा जोविणी विरु मानू सु० घावर तेजा सहिमादि कुटुंत्रयुतेन पितृमातु "Aho Shrut Gyanam" Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) श्रेयसे श्री शांतिनाथ विंचं का। प्र० । श्री पार्श्व वंश सूरिनिः ॥ वीसस्थानक यंत्र पर । [1562] सं० १७६१ वर्षे आश्विन शु० १५। गुरौ श्री सिद्धचक्रराज यंत्र प्रतिष्ठापितं श्री श्रीमाल पटणीय बहाउसिंहजी तत्पुत्र लाला वखनावरसिंहजी श्रेयोर्थ तगगलीय जं । यु ।प्र।ज। श्री १०७ श्री श्री विजयजिनें, सूरिलिः विजयराज्ये वाणारस्यां । श्री महावीर स्वामीजी का मंदिर - सुंधि टोला । पंचतीर्थयों पर। [1568] सं० १४३५ वर्षे पोष वदि ए ... । [15643 ॥ सं० १५२ वर्षे चैत्र वदि ५ शुक्रो श्रीमाली झातीय फोफलिया नरसिंघ जान नामलदे सुत बाछा पितामह पितृश्रेयसे माता व जलदे युतेन सुतेन योग केन श्री न मिनाथ मुख्य पचनीर्थी का पूर्णिमा पके जीमपही श्री पास सूरि पढे श्री जयचं सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं ॥ श्रीः ॥ [1565] ॥ संग १५०१ वर्षे ज्येष्ठ वदि ए रवौ श्री श्रीमालझातीय श्रेण सरवण ना वारू पुरु श्रे० गोवल ना पूसी पुण् सहसाकेन स्वपितृमातृश्रेयसे श्री कुंथुनाथ बिंब कारित पूर्णिमापदं श्री गुणसमुख सूरीणामुपदेशेन कारित प्रतिष्ठितं च विधिना ॥ ७ महिसाणा स्याने ॥ श्री॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२ए) [1566] सं० १५०५ वर्षे माघ सुदि १० रवी श्री श्रीमान सं० सामक्ष ना० लाखणदे सुक्त देवा ना० मधू नाम्न्या देवड़ा कुटुब महिनया. अंचल ग श्री जयकेशर सूरीणामुपदेशन खश्रेयार्थ श्री विमलनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठित श्रासंधेन ॥ [1567 ] सं० १५१५ वर्षे वैशाख वदि ११ शुक्र श्री श्रीमाल ज्ञातीय सा कांटा ना जासू सुत सा० सामंत जार्या काईसु श्रदाकन नातु वहा पाशवीर प्रभृतिकुटुंबयुतेन मातृपितृ श्रेयसे श्री आदिनाथ चिंब पूर्णिमा । श्रो पुण्यग्न सूरीणामुपदशन का प्रण विधिना । [1588] सं। १५२३ वर्षे माघ सुदि ६ रवौ उपकेश ज्ञातीय साप जेमा नार्या पोईणी सुत राजाकन नार्या राजलदे व्रातृ मौर्यद ना मारू प्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोथं श्री श्री श्री सुमति बिंब का प्र० कनकरत्न सूरिनिः । [1560] सं० १५२४ वै० सु० १० प्राग्वाट साप धन्ना नाम रान सुत सं० येना ना० जीविणी सुत सं० समधर संग्रामाच्या स्वयसे श्री शांतिनाथ बिंब कारितं । तपागले श्री लक्ष्मी. सागर सूरितिः । जीर्णधारा वासिनः ॥ श्रीरस्तु ॥ [1570] सं० १५३५ वर्षे माघ वदि ६ प्राग्वाट व्या देवसी नार्या देव्हण दे पुत्र विजाकेन मा० वींकलदे पुत्र सांडादिकुटुंबयुतेन श्री सम्नवनाथ धिं कारितं प्रतिष्ठितं तपा श्री रत्नशेखर सूरि पट्टे श्री सदमोसागर सूरिनिः । श्री जेवनामे ॥ [1571] सं० १५२७ वर्षे वैशाख वदि ६ सोमदिने । उपकेश ज्ञातो बलही गोत्रे रांका सा गोयंद पु० सालिग ना० वाजहरु पुरा दोहू नाम्ना ना खलतादे पुत्रादियुतेन पित्रोः "Aho Shrut Gyanam" Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३० ) पुण्यार्थ स्वश्रेयसे च श्री नमिनाथ बिवं का० प्र० उपकेश गझीय श्री ककुदा० सं० श्री देवगुप्त सूरिजिः । __ [1572] सं० १५३५ वर्षे वैशाष सुदि ३ प्राग्वाट झातीय व्या नरसिंग ना संनू सुत वा . केन जा रही प्रमुखकुटुंग्युतेन स्वश्रेयसे श्री विमलनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागबनायक श्री रत्नशेषर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरि निः । मूंडहटा वास्तव्यः ।। [1573] सं० १५५४ वर्षे पोष सुदि १५ सोमे उपकेश ज्ञातीय संघ मेहा जा सरूपदे पुण सं० रिणमलेन ला रत्नादे पु० लापा दासा जिण दात पंचायणकुटुंवयुनेन स्वश्रेयसे श्री सुमतिनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री अंचल गठे श्री प्तिकांतसागर सूरिनिः॥. [1574] संप १५७१ वर्षे फागुण शुदि ३ शुक्रे सवाल ज्ञातीय श्रादित्यनाग गोत्रे साह सहदे पुत्र साह नयणाकेन कलत्रपुत्रादिपरिवारयुनेन पुण्यार्थ श्री मुनिसुत्रत स्वामि विवं कारितं प्रतिपितं श्री उपकेश गळे कदाचार्य संतान नहारक श्री श्री सिंह सूरि निः ॥ थशावक्षपुरे ॥ श्रीरस्तु । [1576] सं० १५५१ वर्षे मार्ग शिर कृष्णैकादश्यां रूढा बाई नाम्ना कारितं श्री नमिनाथ विध प्रतिष्ठितं तपागळे श्री विजयदेव सूरि पट्टे प्रत्नाकर आचार्य श्री विजयसिंह सूरिनिः। . [1578] सं0 .. १२ वर्षे चैत्र वदि ३ बुधे उसबाप्त झातोय चोरडिया गोत्र सं० साहिल नत्यु सघव सिंघगन तस्य पुण्यार्थं सं० सिद्धपासेन श्री शांतिनाथ विंबं कारापितं श्री जपनाका गछे श्री सिद्ध सूरि प्रतिष्ठितं । पूजक श्रेयसे ॥ श्रीः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीशो पर । [ 1577] संवत् १५७१ वर्षे चैत्र वदि ७ गुरौ श्री वायड़ ज्ञातीय मं० नरसिंघ ना0 चमकू सुन समधर द्वितीया जा हीरू नाम्न्या देकारडा वास्तव्यः सुत मंण् धनराज नगराज संधादि स्वकुटुंगयुनया सश्रेयले श्री अभिनंदन स्वाम्यादि चतुर्विंशति एट्ट श्री आगम गछे श्री अमररत्न सूरि तत्पट्टे सोनरदन सूरि गुरूपदेशेन का रिता प्रतिष्ठिता च विधिना ॥ श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर -- सुधिटोला । मूलनायकजी के चरणोंक पर। [1578 ] * (१) ॥ श्री विक्रम सम्यात् सं० १६७१ वर्षे वैशाष सुदि ३ शनौ ॥ श्रीमत्वीर ब्धि लोलक(२) बोलडिंडी पिंडप्रसरतरसशारदशशांककिरणसुयुक्तिनौक्तिकहानिकरधवलय(३) शोनिः पूरितदिझंडलसकलधर्मकर्मनीतिप्रवृत्तिकरण प्राप्ताशेषजुवनप्र(४) सिजिनानाशास्त्रोत्पन्नप्रवक्षघुद्धिप्राग्जारजावितांतःकरणाश्वपतिगजपतित्रपति-- (५.) प्रणतपादारविंद वंदप्रथिततनुनवनव्यजुजादंडचंडप्रचंडकोदंडखंडितानेकका(६) विन्यतमकुशितारिप्रकरतरवशीकृताखि अखंगभूपालमौलिसंधृत निर्देशाधिशेषधर्म(७) शर्माधिकावाससत्कीर्तिनिःशेषसावनोमशालसमस्तमनुजाधिपत्यपदवीपो * दिल्ली सम्राट जहांगीर के समय ये मूर्तियां की प्रतिष्ठा हुई, उस समय पातसाह को कई लोगोंने कह दिया कि सेवड़ोंने (जैनी लोगोने) मूर्तियां यन वाई हैं और हजुरके नामको अपने बुटीक (मूर्तियों के) पैरों के निचे लिख दिया है। फिर पाधापातिसाहके क्रोधका पार न रहा। श्री संधन पातिसाह का क्रोध शांति तथा राज्यके तर्फसे सर्व प्रकार अनिष्ट दूर करनेको ये मूतियों (न १५७८-१९८४) के मस्तक पर पातिसाह का नाम खुदवा दिया था ऐसा प्रवाद है। "Aho Shrut Gyanam" Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३२ ) (G) खोमीपरिरंजमुनाशीरविजयराज्ये । उसवाल ज्ञातोय लोढा गोत्रे श्रांगाणी संघवी (ए) रेषा तद्भार्या श्राप रेषश्री तत्पुत्र श्री कुंरपालसोनपासाख्याः। तेषां प्रागुक्तमालीयुत (१०) प्रतिष्ठाया ॥ स्तन्नाम्ना प्रतिमा इय प्रतिष्ठा गतः संदेशैः स्वपितृणाम् धर्म चितामणि (११) पार्श्वनाथ विवं प्रतिष्ठापितं । अंचलगनश श्री धर्ममूर्ति सूरि पट्टालंकार पूज्य (१२) श्री ५ कल्याणसागर सूरीणामुपदेशेन ॥ ( मस्तकपर ) पातिसाह सवाई श्री जहांगीर सुरत्राण . [1570] (१) संवत् १६७१ वर्षे वैशाप सुदि ३ शनी उसवास ज्ञानी(२) य लोढा गोत्रे यांगाण सं० षनदास तझार्या श्रा० (३) रेषश्री तत्पुत्रप्रवरैः श्री कुरंपास सोनपाल सं(४) घाधिपः सुत सं० संघराज रूपचंद चतुर्जुज धन(५) पावादियुतैः श्री पंचक्ष गळे पूज्य श्री ५ श्री धर्ममूर्ति (६) सूरि पट्टे श्री कल्याणसागर सूरीणामुपदेशेन (७) विद्यमान श्री अजितनाथ विवं प्रतिष्ठापितं ॥ श्रीरस्तु ॥ ( मस्तकपर ) पातिसाद श्री जहांगीर विजय राज्ये । [15803 (१) ॥ खस्ति श्रीमन्नृपविक्रमादित्य संवत्सर समयातीत संवत् १६७१ वर्षे (१) शाके १५३६ प्रवत्तमाने वैशाख सुदि ३ शनो श्रीमदागरा पुर्ग वानव्योपकेश (३) ज्ञातीय लोढा गात्र गावंशे माह जमिम तत्पुत्र सा राजपाल तनार्या श्रा० रा (४) जश्री तत्पुत्र श्री विमलाद्यादि संघकारक संझपनदास तद्भार्योनयकुमा(५) रानंददायिनी षश्री तरषुत्राच्या श्री शजय समेतगिरि संघ महन्मह निर्वा१६) इ प्राप्तमत्कीर्तिन्या श्री कुंरपाल सोनगल संघाधिपायां ॥ सुत सं० संघराज रूपचंद पौत्र "Aho Shrut Gyanam" Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३३ ) ( 3 ) सं० जुधराम सूरदास सिवदास पदमश्री । प्रपौत्र साधारणादि परिवाभ्यु(८) ताज्यां श्रष्ठ पूज्य श्री मूर्ति सूरि व्हां भेजनास्वराणां पूज्य श्री ५ ( ९ ) श्री कल्याणमागर सूरीनामुपदेशेन श्री संजवनाथ बिंबं प्रतिष्ठापितं जव्यैः पूज्यमानं (चर नंयादिति श्रेयस्तुः ॥ ( मस्तक पर ) पातिसद श्री ५ श्री जहांगीर विजयराज्ये [ 1581] ( २ ) (१) ॥ स्वस्ति श्रीमन्नृप विक्रमादित्य समयात् संवत् १६७१ वर्षे शाके १५३६ प्रवर्त्तमाने श्री आगराडुर्ग वास्तव्य उपकेश ज्ञा( ३ ) तीय खोढा गोत्रे "" सा० राजपाल सद्भार्या श्रा० राजश्री तपुत्र संघपतिपदागर्जनक्षम संग रुषनदास ता ( ४ ) (५) र्या श्र० श्री तत्पुत्राय श्री कुंरपान सोनपाल संघाधिगच्यां श्री चत्र(६) ग पूज्य श्री ५ धर्ममूर्ति सूरि पट्ट श्री ५ कल्याणसागर सूररोधामुपदे ( 9 ) शेन श्र। अजिनंदन स्वामि चित्रं प्रतिष्ठापितं ॥ पूज्यमानं चिरं नंद्यात् ( मस्तकपर) पातिसाद अकबर जलालुदीन सुरत्राणात्मज पातिसाद श्री जहांगीर विजयराज्ये [1582] ( १ ) ॥ संवत् १६७१ वर्षे वैशाष सुदि ३ शनौ उसवाल हा ( २ ) तीय लोढा गोत्रे यांगाणी वंशे सं० ऋपनदास त(३) नार्या श्रा० रेषश्री तत्पुत्राज्यां सं० श्री कुंरपाल सं० सोन ( ४ ) पाल संघाधियैः तत्पुत्र सं० संघराज सं० रूपचंद चतुरजुज़ (५) धनपालादिसहितैः श्रीमदंचलगष्ठे पूज्य श्री ५ धर्ममूर्ति सूरि तत्व(६) हे श्री कल्याणसागर सूरिरुपदेशेन विद्यमान श्री रुपजानन जिन ( 3 ) बिंबं प्रतिष्ठापितं ॥ श्रीरस्तु ॥ ( मस्तक पर ) पातिसाद श्री जहांगीर विजयराज्ये ३४ , "Aho Shrut Gyanam" Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३४ ) [1583]. (१) ॥ संवत् १६७१ वर्षे वैशाप शुदि३ शनी रोहिणी नदाटे श्री आ(२) गरा वास्तव्योपकेश झातीय लोढा गोत्रे गावंशे सं० रुपनदाल (३) नार्या रेषश्री तत्पुत्र संघाधिप सं० श्री कुंरपाल सं० श्री सोनपा-- (४) स तत्सुत सं० संघराज सं० रूपचंद चतुरनुज धनपालादियुतः (५) श्रीमदंचन गई पूज्य श्री ५ श्री धर्ममूर्ति सूरि तत्पटे पूज्य (६) श्री ५ कल्याण सागर सूरीणामुपदेशन विहरमान श्री ईश्वर (3) जिन विप्रतिष्ठापितं सं० श्रीकान्द " । ( मस्तकार ) पातिसाह श्री जहांगीर विजयराज्ये [1584] (१) ॥ श्रीमत्संवत् १६७१ वैशाष शुदि ३ शनी रोहिणी नक्षत्रे अागरा वा(२) स्तव्योसवाल झाती लोढा गोत्र गावंशे सा० राजपात जार्या राजश्री (३) तत्पुत्र ० शपनदास ना रेषश्री तत्सुत संघाधिप सं0 कुंरपाल संग (४) श्री सोनाक्ष तत्सुन संग संघराज सं० रूपचंद संग चतुर्जुज सं० धन(५) पाल पोग जुधरदास युतैः श्री अंचल गछे पूज्य श्री (६) ५ श्री वर्म सूरि पट्टालंकार श्री कल्याण सागर सूरोणाहुपदेशेन (७) श्री पझानन जिन विचं प्रतिष्ठापितं ॥ श्री ॥ (मस पर ) पानिसाह श्री जहांगीर विजयराज्ये [1585] (१) ॥ ॥ स्वस्ति श्री संवत् १६६० वर्षे ॥ ज्येष्ठ शुदि १५ तिथौ गुरूवासरे (२) अनुराधा नक्षत्रे सवाल ज्ञातीय अगड़बोली गोत्रे साकूना (३) ॥ संताने सा कान्हड़ । ना० नामनी " पुत्र सा० पहीराज " (४) ना इंद्राणी । नाप सोनो पुत्र सा० निहालचंद । तेन श्री चंदानन शास्वत जि-- (५) न धिंधं कारितं प्रतिष्ठित । श्री खरतरगचे श्री जिनवर्द्धन मूरि संताने "Aho Shrut Gyanam" Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३५ ) ( ६ ) श्री जिनसिंह सूरि पट्टे श्री जिनचंद्र सूरिचिः ॥ श्री आगरा नगरे ॥ शुनं जयतु ॥ [ 1586] स० १०००मा० शु० ५ श्री बर्द्धमान जिन त्रिंवं कारितं सवंशे चोरडिया गोत्रे हरीमल जाये नवी तथा । प्रवृ । न । खरतर ग । श्री जिनाक्षय सूरि पङ्कजप्रबोध खपितृसम श्री जिनचंद्र सूरिनिः कारितं पूजकयोः श्रेयोर्थं । लखनउ नगरे | पंचतीर्थयों पर [1587] सं० १९१५ वर्षे माद य० ६ बुधे श्री उगस वंशे सा० जिपदास जा० मूव्ही पु० सा० लाषा जा० बापादे कुछ सा० काहा जा० लघनाद पुत्र सा० बाबा सुश्राव के पुहती पुत्र नरपाय सा० पुंजा सा० सामंत सा० नासण प्रमुख समस्त कुटुंब सहितेन श्री अंचल ग गुरु श्री जयकेशरी सूरीयां उपदेशेन मातुः श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ वित्रं का० प्रतिष्ठितं श्री संवत ॥ [1588] सं० ११७ ० माघ शिति १ ओस पावची गोत्रे सा० ईसर जा० गोपालदे पु० धीरा जा० दमल पु० जावड़ासा निज त्रातृ श्रेयोर्थे श्री नेमिनाथ बिंबं का० तपाप श्री जयशेषर सूरि पट्टे प्र० कमलबज्र सूरिजिः ॥ शुद्धं ॥ [1589] ॥ सं० १८३५ वर्षे माघ व० ए शनौ ज्ञा० व्य० समा जा० गुरा सुत धना जा० रूपाई नाम्ना पितृव्य० जाया जातु धर्मा कर्मादिकुटुंक्युतया स्वश्रेयोर्थ श्री शांतिनाथ बिंधं काम ० तपागनेश श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः । कुतवपुर वास्तव्य ॥ श्रीः ॥ चौवीशी पर [1590] सं० १५२० वर्षे ज्येष्ठ सुनि ए खौ आजुचि वास्तव्य श्री श्रीमाली मं० सिंघा जाय "Aho Shrut Gyanam" Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीरू सुत अर्जुन सहिद वाद पुत्री श्राजुमाश्रय पे श्री कुंथुनाथ चतुर्विशति एख कारितः प्रतिष्ठितो वृक्ष तपाप नहा श्री इनसागर सूरिनिः ॥ [29] । संवत् १५५५ वर्षे फागुन शुदि तृतीया ३ कियो बुध ॥ श्री पटीलिया गोत्रे । साए पोल । तत्पुत्र घेता। तत्पुत्र रूपा । तत्पुत्र गई। । तत्पुत्र मोहण । नत्पुत्र एडा पुत्रौ छौ। चांपा पाहा। चांपा स्वनिजपुरयार्थ । स्वयशस च । श्री चतुर्विशति पी कारितवान् प्रतिष्ठितः श्री राजगडीय श्री पुण्यवर्धन सूरिनिः ॥ श्रेयस ॥ श्री संजनाथजी का मंदिर - फुलवाली गली। श्याम पाषाण के मूर्तियों पर। [ 150] सं० र माघ सुदि ५ मामे श्री गौड़ी पार्श्वनाथ विवं का० । उस वंशे सखलेचा गोत्रे महनाव "। [15031 सं० १00 माघ सुदि ५ सामे श्री चंचानन शास्वतजिन विर्ष कारितं उस क्शे कुचेरा गोत्र वसंतलालस्य नार्या ... । धातु की मूर्तियों पर। [1004] श्री मूलसंघ वघरवासान्वये बांका मेला प्रणमति । [1506] सं १७२७ माघ सु० १३ बु।। वंशे डागा गोत्र सेटमस तद्भार्या गिलहरी ताज्या श्री पाश्वनाथ जिन विंबं का० । वृज । खर । ग। श्री जिचं सुरिनिः। "Aho Shrut Gyanam" Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३७ ) [ 1596] संघ १९९१ शाके १७७६ । मा । छु । पदे ६ | बुधे श्री महावीरजी जिन चि० प्र० श्री शातिसागर सूरिभिः का० सुचिती गोत्रे रुपचंद तत्पुत्र धर्मचंद्र श्रेयोर्थं । [ 1597] सं० १९९२१ शाके १७७६ | मा । शु० ६ बुधे श्री महावीर जिन विव प्र० श्री शांति सागर सूरिजिः का० सुचिंती गोत्रे बाबू रूपचंद तद्भार्या मनि विवि श्रेयोर्थं । [ 1598] सं० १९२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री अजित जिन बिंबं उस वंशे सुचिंती गोत्रे बाबा रूपचंद पुत्र धर्मचंद तनार्थ गुलाबो विवि श्रेयोर्थं ज० श्री शांतिसागर सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥ [1509] सं० १९७२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री महावीर जिन बिंबं उस वंशे सूराणा गोत्रे लाला खैराती मल पुत्र रूपचंद तद्भार्थी बोटी विबि का० प्र० श्रीशांतिसागर सूरिनि: बिजयगडे | [ 1600] सं० १९२४ मात्र शुक्क १३ गुरौ श्री पार्श्वनाथ जिन बिंबं उस वंशे चोरडिया गोत्रे ला । रजूमल तत्पुत्र इंद्र चंद्रण का० प्र० श्री शांतिसागर सूरिजिः विजय गछे । [1601] सं० २०२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री पार्श्वनाथ जिन विं उस वंशे सुचिंती गोत्रे लाला रूपचंद पुत्र धर्मचंद्रेण का० प्र० श्री शांतिसागर सूरिनिः विजय गछे । पंचतीर्थयों पर | [1602] सं० १३१३ फा० शु० ६ प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० बोचा जाय सहज मननयी ( ? ) पूर्वज ३५ "Aho Shrut Gyanam" Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३७ ) श्रेयार्थं सुत सांगणेन श्री शांतिनाथ बिंब कारापितं । [1003] ॥ संवत् १५४४ वर्षे आषाड़ वदि गुरौ उपकेश ज्ञाता हुंड यूग गोत्र संभ गांगा पुष पदमसी पुण् पासा ना मोहणदेव्या पु० पाहा श्रीवंतसहितया स्व पुण्यार्थं श्री आदिनाथ विंबं का प्रण उपकेश गळे श्री देवगुप्त सूरिजिः ॥ [1604] संवत् १५५५ वर्षे ज्येष्ठ शु० १३ दिने अ० झा बलदनन ग्रामवासि व्या वेता जाय सारू पुण् व्य० येसाकेन नाम कीहु सहितेन स्वश्रेयोर्थ श्री शांतिनाथ विंबं काय प्रतिष्ठितं तपागछे श्री हेम विमल सूरिलिः । श्रीरस्तु। [1605] संवत् १५५७ वर्षे कार्तिक वदि ५ रवी श्री श्रीमाल झा श्रेण मोकल जाए वरजू पुत्र पांचा ना जासू पुरा वछासहितेन स्वपूर्वजश्रेयो) शीतलनाथ चिंबं का नागेंऽ गर्छ भाग श्री कमलचंद सूरि पट्टे श्री हेमरत्न सूरि प्रतिष्ठितः ॥ [1606] "" श्री नागपुरीय गछे श्री हेमसमुद्र सूरि पट्टावतंसेः श्री हेमरत्न सूरिनिः ॥ शुनै॥ लाला माणिकचंदजी और राय साहब का देरासर । मर्तियों पर । [1607] सं० १९२० मि० फा० कृण ५ बुध सा । प्र। जाण महसाव कुंवर श्री अधिष्टायक जिन त्रियं का श्री अमृतचंछ सूरिनि । [1608] सं० १९२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री रुपनदेव जिन चिं कारितं ओस वंशे चोरडिया "Aho Shrut Gyanam" Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३ए ) गाने वाला प्रतापचंछ तत्पुत्र शिखर चंद्रेण । प्रतिष्ठितं । ज० श्री शांतिसागर सूरि निः । पंचतौर्थियों पर। [1600] सं० १५५७ छापाड़ सुदि १७ बुधे श्री वीर वंशे ॥ सं० पोपा ना करणं पुत्र सं० नरसिंघ सुश्रावकेण नालनात जयसिंघ राजा पुत्र सं० वरदे कान्हा पोत्र सं० पदमसो सहितेन निज श्रेयोर्थ श्री अंचलगोश श्री जयकेशर सूरीणां उपदेशेन श्री श्रेयांसनाथ वि कारित प्र संघेन पत्तन नगरे। [1810] ॥ संवत् १५६३ वर्षे श्राषाढ़ सुदि ७ गुरौ पत्तन वास्तव्य । मोढ ज्ञातीय श्रेण जीवा जा होरू पुत्र श्रेण अमराकेन जा० पुहुति सुत हांसादिकुटुंबयुतेन श्री वासुपूज्य बिंब कारिलं । प्रतिष्ठितं श्री तपागबनायक 1 श्री निगमाविनाविका । परमगुरु । श्री श्री श्री इंशनंदि सूरितिः ॥ लाला खेमचंदजी का देरासर । [1611 ] २० १४ माघ शुक्ल ए बुधे ओ। वज्रजातीय गोत्रे ला० रोसनलाल तत्पुत्र सोचावचंडेण नाव नति विवि तया श्री पार्श्वनाथ बिंव कारितं पांचाल देशे कंपिलपुर प्र० न श्रीमद् नहारक " सूरिनिः। लामा हीरालालजी चुन्निलालजी का देरासर । मूलनायकजी पर। [ 1612] संवत् १७२५ वर्षे चैत वदि १ सुत दलसुख जगमल । श्री पनदेवजी ... । "Aho Shrut Gyanam" Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४७) मूर्ति और पंचतीथियों पर। [ 1813] सं० १७०५ व0 वै० व० लवकेश ज्ञा० सा कान्ह जी सुत वीरचंद नाना श्री विमलनाथ कारि० प्रति तर श्री विजयदेव सूरिनिः । जय । [1614] सं० १७१० व0 जैण् सु० ६ मि० प्राग्वाट लघुशाशयां श्री व्य० मं० मनजीकेन सुपार्श्व विवं कारितं । प्रतिष्ठितं तपा विजयराज सूरनिः। [1615] सं० १९२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री सुविधिनाथ जिन बिंवं श्रीमाल जांडिया कन्हैयासास तद्भार्या छ्नु श्रेयोर्थे न० श्री शांतिसागर सूरि निः प्रति विजय गछे । [136] सं० १ए५४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री अनंतनाथ जिन विवं श्रीमाल टांक गोत्रे हस. मतरायजी तत्पुत्र हजारीमलेन का रितं प्रा श्री विजय गच्छे न श्री शांतिसागर सूरिभिः। ___ [16:7] संघ १९५४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री आदिनाथ विंचं ..." निहालचंदण कारितं प्रतिष्ठितं विजय गच्छे श्री शांतिसागर सूरिभिः श्रेयोर्थ । [ 1618] संत एए४ माघ शुदि १३ गुरौ श्री पार्श्वनाथ विंबं श्रीमाल पारड़ गोत्रे पड़चंद [?] तत्पुत्र श्री कपूरचंप्रेण का रितं । प्रजा श्री पूज्य शांतिसागर सूरिनिः। विजय गजे। [1310] सं० १५२७ चैत्र २० १० गुरौ श्री श्रोपस व मिडीया सोश जावड़ न जमादे "Aho Shrut Gyanam" Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४१) पुत्र सो० गुणराज सुश्रावकेण जाप मेघाई पुण् पूनां महिपाल नात हरषा श्री राजसिंह राज सानपानसहितेन श्री अंचल गछे श्री जयकेशरि सूरि उ० पत्निपुण्यार्थं श्री कुंथुनाथ वियं कारितं । प्रा श्रीसंघेन चिरं नंदतु । [1820] ॥ सं० १५७० वर्षे या सुदि ५ बुधे सूगणा गोत्रे संग शिवराज पु० सं० हेमराज नार्या हेमसिरि पुत्र संघवी नाव्हा ना नारिगदे संघवी सिंहमल आर्या संघवीणि चापश्री पुत्र पृथ्वीमा प्रमुग्वपुत्रपौत्रसहितैः श्री वासुपूज्य बिंब कारितं । पितृमातृपुन्यार्थ । श्रात्मश्रेयते श्री धर्मघोष गछे श्री पद्मानंद सूरि पट्टे श्री नंदिवर्धन सूरि प्रतिष्टितं । चौवीसी और पाषाण के चरणों पर । [1621] ॥ उ संवत् १५३७ वर्षे जेठ सुदि । मंगलबारे उपकेश झातीय सोनी गोत्री स० तिणाया पुत्र सारा संसारचंड पुण्यार्थ श्री चतुर्विशति कारापितं । प्र । रुपलीय गळे जट्टारक श्री जिनदत्त सूरि पट्टे जा श्री देवसुंदर सूरिभिः ॥ [1622] ॥ सं० १९१४ व ज्ये । छि। ति । चं । श्री जिन कुशल सूरि पादौ न । श्री जिनमहेछ सूरिजिः का । श्री गो। कन्हैयालाक्षेन मुसार्थ । [1623] संघ १९५४ मा शु० १३ गुरौ श्री गौतमस्वामी पादुका कारिता ओ वं नाहर गोत्र लाला चंगामल पुत्र जवाहिरलालेन प्रतिष्ठितं । श्री विजय ग श्री जिनचंडसागर सूरि पट्टोदयाधिदिनमणि पूज्य श्री शांतिसागर सूरिलिः ॥ श्रीमंदिर स्वामीजी का मंदिर - सहादतगंज । 624] ॥ संवत् १५१७ वर्षे माघ सूदि । शुके श्री मोढ झा मं० गोरा ना० राऊ सुत जोजा ३६ "Aho Shrut Gyanam" Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महिराज ..." जात नागानिमित्तं श्री शांतिनाथ विधं का प्र० श्री विद्याधर गछे जा श्री हेमप्रज सूरिभिः ॥ मांडलि वास्तव्यः ॥ १ ॥ श्री वासुपूज्यजी का मंदिर - सहादलगंज । पंचतीर्थी पर। 1625] सं० १५७६ वर्षे वैशा० सुदि ६ सोमे यूगड़ गोत्रे सा वीव्हा ना पूना पु०४ सा मेहा ना रेडाही सा कामी नाण झूला सा पूला जाण् मूलाही सा० उदा० ना० षीमाह। साण सधारण श्री सुविधिनाध विवं कारितं रफुल ग श्री सूरि प्रतिष्ठितं ।। श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर - सहादतगंज । मूलनायकजी पर। [1826] ॥ संवत् १९७" पचतीथियों पर। ___[1627] संवत् १५६७ वर्षे वैशाष सुदि ३ दिने श्री श्रीमाल झातीय श्रेष्टि राजस्ल भार्या लानी सुत जोगा नार्या रूपो जसमादे सुन करमण काहा करमण नार्या रत्नादसहितेन श्री शांतिनाथ विवं कारापितं श्री ..." गछे शांति सूरि पद्देश सर्वदेव सूरिनिः। कंथरावी वास्तव्यः॥ [16281 संवत् १६३० वर्षे वैशाष शित पंचम्यां तिथौ सोमे मेड़तानगर वास्तव्य समदड़ीया गोत्रीय । उकेश शातीय वृद्धशाषीय सा० माना जा० मनरमदे सुत रामसिंह नाम्ना जात रामसिंह प्रमख कुंटुबयुतेन श्री शांतिनाथ विवं कारितं प्र तपा ग श्री अकबर सुरत्राए. "Aho Shrut Gyanam" Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४३ ) दत्तमान ज० श्री हीरविजय सूरि पहालंकार श्री अकवत्रते (?) परिषतप्राप्तवादजयकार ज० श्री विजयसेन सूरिजिः ॥ श्री वजदेवजी का मंदिर - सहादतगंज । मूर्त्तियों पर । [1629] सं० १००० मा | सु । ५ । श्री आदि जिन बिंबं कारितं उस वंशे पहलावत गो । सदानंद पुत्र गुलाबराय जार्या सूत्राख्या का० प्र । वृ । न । खरतर । ग । श्री जिनाक्षय सूरि तत् पंङ्कजभृंगैः श्री जिनचंद्र सूरिनिः । [1630] सं० १९१७ फागुण शीत २ बुधे श्री श्री आदि जिन परिकरं कारितं पाचालदेशे कांवखपुर प्रतिष्ठितं । श्रमहारक वृहत् खरतर गन्नाधिराज श्री जिनाय सूरि पट्टस्थित श्री जिनचंद्रसूरि पदक जलयखीन विनेय श्री जिननंदिवर्द्धन सूरिनिः उस वंशे पदलावत गोत्रे लालाजी श्री सहानंदजी तत्पुत्र लाला श्री सदानंदजी तत्पुत्र लाला गुलावरायजी ता जून्नु विवि तेन कारितं महता प्रमोदेन । पंचतीर्थी पर | { 1631] सं० १५१८ वर्षे माघ वदि २ बुधे नदेउरा झा० सा० कमलसी जा० तेजू सुत सा० खेतान जा० वीरणिश्रेयोर्थं पुत्र गोविंदादियुनेन श्री संजवनाथ बिंबं का प्रतिष्ठितं श्री संडेर गछे श्री शांति सूरिभिः || श्री शांतिनाथजी का मंदिर - सहादतगंज । चौकी पर | [1632] ॥ संवत् १९२३ का मिति जेष्ठ सूदि १० म्यां श्रीमाल वंशे बोटेसाजन सवाणां गोत्रे "Aho Shrut Gyanam" Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४४ ) खाला विसनचंद जी तत्पुत्र काशीनाथजी तत्पुत्र देवीप्रसाद तद् चातृवधुः ननकु ॥ श्रेयार्थं ॥ १ ॥ पंचतीर्थयों पर [ 1633] संवत् १५२३ वर्षे माद सुदि ६ नासली वासि मं० जलाकेन जार्या जावलदे सुत मांडण जा० जेारि प्रमुखकुटुंबयुतेन चातृ बलराज श्रेयसे श्री शांतिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं सपागच्छेश श्री श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः ॥ श्रीः ॥ [1834 ] सं० १२५० वर्षे वैशाप सुदि ११ गुरौ श्री सवाल ज्ञातौ कवजतिया गोत्रे । सं० पदमसी जा० पदमलदे पु० पासा जा० मोहदे । पु० पाल्हा श्रोत तत्र सा० पाल्हाकेन स्वनार्या इंद्रापुण्यार्थं श्री श्रेयांस वित्रं कारितं । प्रतिष्ठितं । ककुदाचार्य संताने उपकेश हारक श्री देवगुप्त सूरिजिः ॥ [1635] सं० १६८२ वर्षे ज्येष्ठ वदि ए गुरौ श्री अहमदावाद वास्तव्य उसवाल ज्ञातीय वृद्ध. शापायां श्री शांतिदास जा० बाई रूपाई सुत सा पनजी कारितं श्री शांतिनाथ वि प्रतिष्ठितं श्री तपा गछे ज० श्री विजयदेव सूरि वरैकि ( ? ) महोपाध्याय श्री श्री श्री सुनिसागर गणिनिः श्रेयोस्तु ॥ चसी पर | [1636 ] सं० २६१७ वर्षे वैशाष यदि श्रु० श्री मूलसंघे सरस्वती गछे बलात्कारगणे श्री कुंदकुंदाचार्यन्वये ज० श्री सकलकीर्त्ति देवास्त० ज० श्री जुवनकीर्त्ति देवास्त० ज० श्री ज्ञानभूषण देवास्त० ज० श्री विजयकीर्त्ति देवास्त० भ० श्री शुनचंद्र देवास्तत्पङ्के "Aho Shrut Gyanam" Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४५ ) महारक श्री सुमतिकीर्ति गुरूपदेशात् हुंचड़ ज्ञातीय वजीयाणा गोत्रे साधारा नाप राणी सुप दादा जाप हरबमदे सुत सा जगा नाप जगमादे ब्रा० जयवंत जाण जीवादे चा० जेला नाय काका सुत बवृथा युतैः श्री मुनिसुव्रत तीर्थंकरदेव नित्यं प्रणमंति ॥ श्री दादाजी का मंदिर - जौह्रीवाग । श्वेत पाषाण के चरणों पर। [1687] संवत् १५१३ शाशिवाइन शाके १७७० प्रवर्तमाने तिथौ माघ शुक्ल पंचम्यां ॥ ५ ॥ शुक्रवासरे जं। यु । प्र । नहारक श्री जिनकुशल सूरि पाकुका लक्षण पुर वास्तव्य श्रीसंघेन कारितं वृहत् जट्टारक खरतर गढीय श्री जिननंदिवर्धन सूरि पट्टालंकृत श्री जिनजयशेखर सूरिचिः॥ श्रयोस्तु ॥ श्री ॥ अयोध्या। यह बहुत प्राचीन नगरी है। प्रथम तीर्थकर श्री रुपनदेवजी का व्यवन, जन्म, और दीक्षा ये तीन कल्याणक यहां हुए। दूसरे तीर्थकर श्री अजितनाथजी का च्यवन, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान ये ४ कट्याणक और चतुर्थ तीर्थंकर श्रो अभिनन्दनजी का च्यवन, जन्म, दीका और केवलज्ञान ये ४ कल्याणक और पांचवें तीर्थंकर श्री समतिनाथजो का च्यवन जन्म दीका और केवलज्ञान ये ४ कल्याणक तथा चौदहवें तीर्थंकर श्रो अनन्तनाथजी का च्यवन जन्म दीक्षा और केवलज्ञान ये ४ कल्याणक इसी नगरी में हुए, श्री महावीर स्वामी के नवमें गणधर श्री अचलवाता इसी अयोध्या के रहने वाले थे। रघुकुलतिलक श्री रामचन्झजी सदमणजी आदि जी इसी नगरी में पैदा हुए थे। "Aho Shrut Gyanam" Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४६ ) श्री अजितनाथजी का मंदिर - महवा कटड़ा। पाषाण की मूर्तियों पर। [1638] मूलनायकजी। संवत् १७७१ माघ सुदि ३ वृहत् खरतर गच्छे श्री जिनलाल सूरि शिष्य पाठक श्री हीरधर्मगण्युपदेशेन श्रीमाल टांक जांवतराय सुनन चुनिलालेन सुन बहापुरसिंहयुतेन श्री अजितनाथ विं कारितं । श्री बाराणश्यां प्रतिष्ठितं । श्री जिनहर्ष सूरिणा श्री खरतर गई। [1630] संघ एएए मि फा० सु० ५ इदं श्री ऋषनदेवजी आदिनाथ विवं कारितं श्री उत्सवास वंशज ताराचंद लखमीचंद प्रतिष्ठितं वृहद् जहारक श्री जिनचंद सूरिभिः । [1640] सं० १५५ए मि० फा० सु०५ श्दं श्री महावीर विवं कारापितं सेठ सराचंद प्र० जद्वारक जिनचा सूरिचिः। पंचतीथियों पर। [1841] सं० १४५ वर्षे मार्ग० वदि ४ गुरौ उपकेश झातो सुचिंतो गोत्रे साह निरकु नार्या जयनादे पु० सा नान्हा नोजाकेन मातृपितृश्रेयसे श्री शान्तिनाथ विंबं कारितं श्री उपकेश गछ ककुदाचार्य संताने प्रतिष्ठितं जय श्री श्री श्री सर्व सूरितिः ॥ [1642] संवत् १५६७ वर्षे वैशाष सुदि १० उ० सुचिंती गोत्रे साजेसा जार्या जस्मादे पुणे मीडा नार्या हर्षु आत्मपुण्यार्थ श्री आदिनाथ बिंब कारितं । को० श्री नन्द सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) [1648] सं० १५७५ वर्षे फाप व०४ दिने प्राण साण आल्हा नार्या आम्हणदे पुत्र सा विसा. केन ना० विहणदे पुत्रीपुत्र जयवंतप्रमुखयुतेन श्री सं नवनाथ विंबं का प्र० तपा गछे श्री जयकल्याण सूरि निः। धातु की मूर्ति पर। [1644] सं० १७९६ फाण व ५ श्री पार्श्वनाथ बिवं प्रतिष्ठितं श्री जिनमहें सूरिणा । फोग गो सेवाराम । धातु के यंत्र पर। [1645] श्री । संवत् १९०५ श्रासु०३ श्री सिद्धचक्र यंत्रं का गांधी गुलाबचंप्रस्य नायाँ कली नाम्ना प्र० श्री जिनमहेश सूरिणा श्री बृहत् खरतर गछे। [1646 ] सं० १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्त्तमाने माघ शुक्ल द्वितीया तिथौ श्री सिद्धचक्र यंत्रं प्र० ज० श्री महेश सूरिनिः का० गो नाहटा जैसवाल क्षमणदास तद् नार्या मुन्नि विवि तत्पुत्र हजारीमल श्रेयोर्थमानंदपुरे। पाषाण के चरण पर। [1847] ॥ सं० १७७७ रा धराकायां पाठक हीरधर्मोपदेशेन जयपुर वास्तव्य ओसवाल सेठ हुकुमचंदजेन उदयचंदेन अयोध्यायां श्री मरुदेव १ विजया सिद्धार्थी ४ सुमंगला ५ सुयशा १५ गर्जरत्नानां परमेष्ठिना चरणन्यासाः कारिताः प्रम श्री जिनहर्ष सूरिणा। "Aho Shrut Gyanam" Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४८ ) समवसरणजी के चरणों पर । [ 1648] ॥ सं २०१७ रा धराकार्या वृहत् खरतर जहारक गणीय पाठक हीरधर्मोपदेशेन जयनगर वासिना ओसवाल ज्ञातो सेव गोत्रीय हुकुमचंदजेन । उदयचंदेन अयोध्यायां श्री अजित सर्वज्ञस्य पादन्यासः कारितः । प्र । श्री जिन हर्ष सूरिणा ॥ [1649 ] ॥ सं० २०११ धराकायां श्री जिनलाज सूरि शिष्योपाध्याय श्री हीरधर्मोपदेशेन अयोध्यायां श्री वृषनाथानां पादन्यासः कारितः ओसवाल | मिरगा जाति सामंतसिंहेन बडेर गोत्रीयेत बीकानेरस्थ पदार्थमलेन । प्रतिष्ठितः श्री जिनहर्ष सूरिणा । [1650] ॥ सं० २०७७ रा धराकायां खरतर गणीय पाठक हीरधर्मोपदेशेन सवाल जातो सठ गोत्रीय हुकुमचंदजेन । उदयचंदेन जयनगरस्थेन । अवधौ सर्वज्ञाजिनंदन पादाः कारिताः । प्र । जिनदर्ष सूरिणा । V [1651] ॥ सं० २०७७ रा धराकाय खरतर गणीय पाठक हीरधर्मोपदेशेन जयनगर वासिना सवाल जातो सेव गोत्रीय हुकुमचंदजेन । उदयचंदेन । अयोध्यायां श्री सुमति सर्वज्ञ पादाः कारिताः प्र । श्री जिनहर्ष सूरिणा । [1652] ॥ [सं०] १०७७ रा धराकायां श्री बृहत् खरतर गणेश श्री जिनल्लाज सूरि शिष्योपाध्याय श्री हीरधर्मोपदेशेन अवधी सर्वज्ञानंत पादन्यासः कारितः सेव उदयचंद प्र । श्री जिन दर्ष सूरिणा ॥ १५ ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४ ) [1853] ॥ सं० १७७७ रा धराकायां खरतर गणीय पाठक हीरधोपदेशेन अयोध्यायां श्री अजिताजिनंदन सुमत्यनंतनाथानां चरणन्यासः कारितः जयनगर वासिना । ओसवाल सेठ गोत्रीय हुकुमचंद सुतेन । उदयचंदेन प्रतिष्ठितः खरतर जट्टारक गणेश श्री जिनहर्ष सूरिणा। [1664] ॥ सं० १७७४ रा धराकायां खरतरगणेश श्री जिनलाल सूरि शिष्य पाठक हारधर्मोपदेशेन । अयोध्यायां श्री नानि १ जितशत्रु ५ संवर ४ मेघ ५ सिंहसेन १४ जानामाहता कमन्यासः काग्निः जयनगरस्थेन ओसवाल सेव हुकुमचंद सुतेन । उदयचंदेन प्रतिष्ठितः श्री जिनहर्ष सूरिणा। [1655] ॥ सं० १७७ रा धराकायां श्री जिनलाल सूरि शिष्योपाध्याय हीरधर्मोपदेशेन जयनगरस्थेन ओसवाल सेठ हुकुमचंद सुतेन । जदयचंदेन। अयोध्यायां ।।४।५।१४। जिनादयो गणधराणां श्री सिंहसेन । वजनान । चमरगणि । यशसां पादाः कारिताः । प्रतिष्टिताः श्री जिनहर्ष सूरिणा। दादाजी के चरण पर। __[1656] - ॥ सं १७७७ रा धराकायां पितामहानां श्री जिनकुशत सूरीणामयोध्यायां चरणन्यासः प्र। श्री जिनहर्ष सूरिणा खरतर प्रहारक श्री जिनवाज सूरि शिष्योपाध्याय श्री हीर. धर्मोपदेशेन कारिताः । जयनगर वासिना अधुना मिरजापुरस्थेन सेठ हुकुमचंदजेन । उदयचंदेन श्रेयोर्थ । यह और देवियों के पाषाण की मूर्तियों पर । [1657] ॥ श्री गोमुख यद मूर्सिः ॥ १॥ ॥ सं० १७३ फाल्गुन कृष्ण गुरौ प्रतिष्ठितं । "Aho Shrut Gyanam" Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५० ) जं । यु । प्र। वृहखरतर जट्टारकेंदु श्री जिनमुक्ति सूरि जिनामादेशात्मंडलाचार्य श्री विवेककीर्ति गणिना कारितं । श्री संघस्य श्रेयोर्थमयोध्यायाम् ॥ शुजम् ॥१॥ नोर- असेही लेख और (१)॥ श्री महायमूर्तिः ॥ २॥ (२)॥ श्री यवनायक मूर्तिः ॥ ४ ॥ (३)॥ श्री तुंबुरुयक्षमूर्तिः ॥५॥ (४) ॥ श्री पातालयद मूर्तिः ॥ १४ ॥ (५) ॥श्री अजितबला देवी ॥ १॥ (६)॥ श्री कालिदेवी मृतिः ॥ ४ ॥ (७) ॥ श्री अंकुशदेवी मूर्तिः ॥ १४ ये सात मूर्तियों पर हैं। नवराई। मवराई फैजाबाद से १० मैल और सोहावस स्टेशन से अंदाज मैख पर एक मेटा गांव है। यही प्राचीन तीर्थ 'रत्न पुर) है। यहां १५ वें तीर्थंकर श्री धर्मनाथस्वामी का व्यवन, जन्म. दीक्षा और केवलज्ञान ये ४ कट्याणक हुवे हैं। पंचतीर्थयों पर [ 1651 मंवत् १५१५ वर्षे माह शुदि ५ सामे वाडिज वास्तव्य चावसार जयसिंह नाय फाली पु० पोचा जाम् जासी पु० सीबा तरयण साह उमाटु पोचाकेन । श्री सुविधिनाथ विवं कारापितं श्री विवंदणीक गठे श्री सिद्धाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्री सिद्ध सूरिजिः । [ 16501 सं० १५६७ वर्षे वेशाप सु० १० बु० श्री उपकेश ज्ञातौ सं० साहिल सु० सं० हासा जाय बाजी नाम्न्या स्वपुण्यार्थ श्री पार्श्वनाथ बिंघं कारितं प्रतिष्ठितं श्री उपकेश गले ककुदाचार्य सं० नए श्री सिक सूरिनिः "Aho Shrut Gyanam" Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५१ ) [1660] संवत् १६२७ वर्षे ज्येष्ठ शुदि ए सोमे श्री पत्तने उसवाल ज्ञातीय सा० अमरसी सुत आद। जा० वीरु सुत काहाना सारंगधर वियं श्री पद्मप्रजनाथ । प्रतिष्ठितं । तथा गछे श्री विजयदान सूरिजिः ॥ श्री ॥ [ 1661] ॥ संवत् १६४४ वर्षे फागुण शुदि २ दिने उसवाल ज्ञातीय बंज गोत्रीय साह कटारू नार्या लादे सुत सा तारू जार्या जीवादे सुत सा० टटना श्री (१) संघनाम चिंतामणि श्री श्रेयांसनाथ त्रिं तपागष्ठाधिराज श्री हरिविजय सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥ पाषाण के चरणों पर । [1662] संवत् १८७७ रा धराकार्या श्री रत्नपुरे श्री धर्मनाथानां पादाः कारिताः वरढ़ीया बूलचंदज वेणीप्रसाद प्र । बृहत् खरतरगणेश श्री जिनलाज सूरि शिष्य पाठक हीरधर्मोपदेशन | सवालेन । काशीस्थेन प्रतिष्ठिताः श्री जिनदर्ष सूरिणा । [1663] संवत २००७ रा धराकार्या श्री रत्नपुरे श्री धर्माईतापादाः कारिताः बृदत् खरतर गणेश श्री जिनलाज सूरि शिष्य पाठक दीरधर्मोपदेशेन बरदीया बूलचंदज वेणी प्रसादेन | श्री जिनद सूरिणा बृहत् खरतरगणेशेन । [1664] सं। २००७ रा धराकार्या बृहत् खरतर गणेश श्री जिनलाज सूरि शिष्य पाठक हीरधर्मोपदेशेन काशस्थ वरदीया बूचचंदज । वेणीप्रसादेन श्री धर्मपरमेष्ठिनां पादाः कारिताः श्री रत्नपुरे प्र । श्री जिनदर्ष सूरिया खरतर गणेश । [1665] सं । १७०० रा धराकायां श्री रत्नपुरे श्री धर्म सर्वज्ञानां पादाः कारिताः सर्वशे "Aho Shrut Gyanam" Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वरदीया बूलचंदज वेणीप्रसादेन श्री काशीस्थेन वृहत् खरतर गणना श्री जिनबाल सूरि शिष्य पाठक हीरधर्मोपदेशेन प्र । श्री जिनहर्ष सूरिणा खरतर गणेश । [ 1666 ] * सं० १७७७ रा धराकायां श्री रत्नपुरे श्री धर्मनाथायः गणधर श्रीमद् थरिष्टाण्यानां पादाः कारिताः योसवाल वंशे बरदीया बृलचंदज वेणी प्रसादेन वृहत् खरतर गणेश श्री जिनलान सूरि शिष्य पाठक हीरधर्मोपदेशन । प्र । श्री जिनहर्ष सूरिणा । वृहत खरतर गणेशेन । [1667] सं० १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्तमाने माघ शुक्ल तिथौ । श्री गौतम स्वामी जी पादन्यासौ।प्र।न। श्री जिनमहेंड सूरिनिः । का। गा श्री अगरम पुत्र बोटणलालेन पाणंद पुरे ॥ श्री॥ [ 1668] सं० १९१० वर्षे शाके १७१५ प्रवर्तमाने माघ शुक्ल ५ तिथौ सोमवासरे श्री जिन कुशल सूरीणां पादन्यासौ प्रतिष्ठितः ज । श्री जिनमहेंड सूरिनिः का। गां । श्री बेणीप्रसादांगज बोटणखालेण आणन्दपुरे । पाषाण की मूर्तियों पर। [16601 सं। १६६७ का अभिनंदन " । जं । यु । प्र । जट्टारक श्री जिनचंछ सूनिनिः । 1670] सं। १६७५ वैशाष सुदि १३ शुक्रे श्री बृहत् खरतर संघेन कारित श्री अजितनाथ विंबं प्रतिष्ठितं श्री जिनराज सूरिनिः युगप्रधान श्री जिनसिंह सूरि शिष्यैः । * किन्नर पक्ष और कंदा देवी मूर्तियों पर भी ऐसे ही लेख हैं । "Aho Shrut Gyanam" Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५३ ) [1671] ॥ सं। १७५३ शाके १७५० प्र । माघ सुदि १० बुध वासरे श्री पाद लिप्त नयरे श्री थजिनंदन त्रिवं कारितं श्री वृहत् खरतर गडे न । जं। यु । श्रीमहज सूरिलिः प्रतिष्ठितं ॥ [1072] सं। २०७३ माघ सुधि १० बुध वारसर श्री सुमतिनाय बिर्व कारितं वृहत्खरतर गछे प्रतिष्ठितं जं० यु० प्र० मा श्री जिजमहेंद्र परिनिः । [673] ॥ सं० १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रामाने माघ शुक ५ तिथौ श्री पाश्वनाथ बिवं प्रतिष्ठित न0 श्री जिनमहेंछ सूरिनिः कारित वमा ( ? ) गोत्रीय श्री हुकुमचंद तत्पुत्र अगरम तद्भार्या बुध तया श्रेयोपुरे। धातु की मूर्ति पर। [1314] सं० १४२० मि० फा० कृष्ण बुधे दूगड़ तारसिंह जार्या महताब कुंवर का० विहरमान अजित जिन २० वि श्री अमाचं सूरि राज्ये वा जानश्चं गणिना । फैजाबाद। श्री शांतिगायनी का मंदिर । महला - पालखीखाना । पंचतीर्थयों पर। {CTS १४६१ वर्षे जे दि १० झुक प्रा अष्टिमा जा। देवल पुध जैसा भ्रातृव्य पीनाच्या स्वश्रेयसे श्री पद्मन वि का प्रतिक विपक्ष गोश्री वीरप्रत्न सूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५४) [1676] सं० १४ वर्षे फागुण वदि ५ गुरौ श्रीमाल ज्ञातीय श्री एलहर गोत्रे शाप दया. संताने सा० पूनात्मज म मिच्चाकेन जात डोडाप्रभृतिपरिवारयुतेन श्री वासुपूज्य विवं कारितं श्री बृहद् गच्छे श्री मुनीश्वर सूरि पट्टे प्रा रत्नप्रन सूरिनिः । धातु की मूर्ति पर। [1677] सं० १६६४ वर्षे राय पालक मु० पा प्र० तप ........। पट्ट पर। [16787 सं १६७२ जान सुदि ११ श्री चंप्रत जिन विंबं ॥ बीरदास प्रणमति । ३. ॥ पाषाण के चरणों पर। [16701 सं० २७ फागुण शुदि ५ वार शनि अयोध्या नगरे बंगलासति वास्मस नखल गोत्रीय जोरामल तत्पुत्र बपतावरसिंघ तत्पुत्र कनईवालालादिसहिनन श्री जिनकुशल सूरि पादुका कारितं । प्रतिष्ठितं वृहत् जहारक खस्तर गर्छीय श्री जिनचंड मुरिन्तिः कारक पूजकानां नूयसि वृहितसं नूयात् ॥ [1680] संद ? [म । फा। सु० ४ श्री जिन कुशल पादौ । प्र | श्री जिनर्च सूर नः । "Aho Shrut Gyanam" Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५५ ) चंद्रावती। यह तीर्थ बनारस से 3 कोस पर गंगा के किनारे अवस्थित है। श्रावें तीर्थंकर चंद्रप्रतस्वामी का इसी चंद्रावती नगरी में च्यवन, जन्म, दीदा और केवलज्ञान ये ४ कल्याणक हुए हैं। पाषाण के चरण पर। [ 1681] श्री वाराणसी नगरी स्थित समस्त श्री संघेन श्री चंदावत्यां नग- श्री चंद्रग्रनु सुनाम म जगनाथानां चरण न्यासः समस्त सर्व सूरितिः प्रतिष्ठितं । संवत् १७६० मिति आषाड़ मासे शुक्ल पक्ष ११ वार शुक्रवार शुनं ।। पाषाण की यह मूर्ति पर। [1682 ] * संवत् १९१३ फाल्गुण शुक्ल सप्तम्यां विजय यद मूर्ति प्रतिष्ठितं । नद्दारक । युगप्रधान श्री जिनमहेंड सूरिनिः कारिता काशीस्य श्री श्वेताम्बर श्री संघेन । [1633] सं० । १७ माघ शुदि ५ सोमे श्री जिनकुशल सूरि चरण कमलं कारितं श्री. मालान्वये फोफलिया गोत्रीय वपतमस पुत्र दिलसुखरायेण प्र। वृन। खरतर ग। श्रीजिनचंड सूरिनि: श्री जिनादाय सूरि पदस्थैः । शिलालेख । [1684] श्री दादाजी महाराज के मंदिरजी का जीरणनछार । लदमीचंद राखेचा की लड़की चोटी वित्रि की तरफ से बनाया। जादो सुदि । शुक्रवार सम्बत् १५५५ । * ज्वाला देवी की मूर्ति पर भी इसी प्रकार का लेख है। "Aho Shrut Gyanam" Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५६) [ 1885] श्री संवत् १७एशाके १७५७ माघ शुक्ल १५ जोमवार पूष्यनत्रे आयुष्य माण योगे चोरडिया गोत्रोत्पन्न लाला मन्नुलालजी बुधसिंहेन निर्मिता विश्रामस्थान । ॥ सं। १७एच वर्षे शा १३५ माघ शुझा ४ चतुय बंजवासरे श्रीमाज्ञान्वये कोशलिया गोत्रे सा । श्री पुसवपतरायली तत्सुतौ दिलसुखराय .... चाजधानी श्री चंघन कल्याणकनुभ्यां चंद्रावती पूर्ण धर्मशाला कारापिता संघार्थ । ....................... ... er 12UNCUL TETanmant श्री सम्मेदशिखर तीर्थ । मधुवन - जैन श्वेताम्बर मन्दिर । पंचतीर्थयों पर। [16873 सं० १५१० आषाड़ सुदि ए सोमे श्री पंडेरक गठी ... प्रतिमा का रिता वसु ." । [1668] संवत् १२३५ वैशाख सुदि ३ बुधे तंगकीय सोहि सुत पीत श्रावकेण स्वश्रेयोर्थ श्र पार्श्वनाथ प्रतिमा कारिता । ... श्री पूर्णजम सूरिणा । ___ संवत् १२४२ वैशाय सुदिप श्री बादीय गठे श्री जीवदेव सूरि क्लुियोर्धं सूति अयोथ भी टाणाकेन कारितं । "Aho Shrut Gyanam" Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५७) [ 1601 ] संवत् १४ए६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १० बुधे श्री श्रीमान ज्ञातीय श्रेण कर्मसी जायर्या मटफू सुत गुणीआकेन स्वकुलश्रेयसे श्री कुंथुनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं । श्री बृहत्तपापक्ष श्री ज्ञानकलश सूरि पट्टे श्री विजय तिलक सूरिनिः । [ 16921 सं० १५५३ वर्षे वैशाष बदि ११ शुक्र उकेश वंशे सा पनरवद जार्या मानू पुत्र साह वदा सुश्रावकेण नार्या धनाई पुत्र कुंरपान सोनराल प्रमुखसहितेन श्री वासुपूज्य बिंब स्वश्रेयो कारितं । प्रतिष्ठितं श्री बृहत् खरतर गल नायक श्री जिनसमुऽ सूरिन । [1608 ] संवत् १५७० वर्षे माह दि १३ बुध दिने सुराणा गोत्रे । सं० केसव पुत्र संग समरथ नार्या सं० सोमलदे पु० सं० पृथीमल महाराज कर्मसी धर्मसी युनेन श्री अजितनाथ विंबं कारित मातृपितृपुण्यार्थ यात्मश्रेयसे प्रतिष्टितम् । श्री धर्मघोष गछे जट्टारक श्री श्री नंदिघद्धन सूरिनिः॥ चौवीसी पर। [ 16841 सं० १२५७ वैशाख शु० ३ गुरौ नंदाणि ग्रामेन्या श्राविकया थारमीय पुत्र खूणदे श्रेयोथ चतुर्विंशति पट्टः कारिताः । श्री मोढ गछे वप्पट्टि संताने जिन नाचार्यः प्रतिष्ठितः । [16051 सं० १५०० प्रा० सा० पादहणसी ना० नोटू सुत सा राजाकेन नाण मंदोथरि सुन सीहा कमुआदिकुटुम्बयुतेन श्री कुन्थुनाथ सपरिकर चतुर्विशति पट्टः कारितः प्रतिष्टितः श्री सोमसुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेखर सूरिनि ॥ ॥ श्री ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५७) जलमंदिर। पंचतीर्थ पर। [ 1000] संघ १५११ पोष वदि ६ गुण मंत्रीअर गोत्र श्री हुँबड़ ज्ञाति गारुडिया नाग पूजू सुप समेत जाण सहनल दे सु० समधर सोमा श्रेयोर्थ ना पाव्हण नाल्दा एतैः श्री आदिनाथ विंबं कारितं वृतपान श्री रत्नसिंह सूरिनिः प्रतिः ॥ श्री पावापुरी तीर्थ । मंदिर प्रशस्ति । शिलालेख । [16071 (१)॥ ९ ॥ स्वस्ति श्री संवति १६एन वैशाख सुदि ५ सोमवासरे। पातिसाद श्री सादिजांद सकलनूर {५ ) मंमलाधीश्वर विजयिराज्ये ॥ श्री चतुर्विंशतितमजिनाधिराज श्री वीरवर्षमान स्वामी ( ३ ) निर्वाण कल्याणिक पवित्रित पावापुरी परिसरे श्री वोरजिनचेत्यनिवेशः । श्री ( ५ ) षन जिनराज प्रथम पुत्र चक्रवर्ती श्री जरत महाराज सकलमंत्रिमंडलश्रेष्ठ मंत्रि श्रीदलसन्तानीय म. "Aho Shrut Gyanam" Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - raiसनिश्री संत लेवा दिएकोमसापानसार सामादिनीरसक मला निमारा मे SNEHAAHजमा समानारमानमामि Bिalmar.padaनाSAरिसर कीवीर मनाRRANCHश्र REराजमाबरकतारमासन मैकलमलम बदनसीage का RG2 mरवीगाय में घनायकसंघतीन मादा मनापानसरोवर याम ECEdihaaaamRRIोट Enant पर मालदसाकार मनोज Awta R aniमामा दामनरलोदरदासस 2HBOURIpIRTRA मदारिया PATRIA Rो वार घातक रवमय भनाainmhaकारामाला KamarpaAndrामागदराय भिमकामार याला सोसमो तालमेलनारदाम काका (JAAAAमक्षा Reima rathiसमलदलालाबाite मदमकमल मारात मनानाधिEAt.ZA neportinnihilatianeमाजकारवामगोतमामात | कटारSH मेदनीवरीदारमासापकानातकसम सदादा जो सपहारा परममा टाटासमरनेANKATHA पर.AURAIगाना MAHRAU? 12/3GRECORAKHP35 AMRI मारमा EnangHINDRATEligiममतापायकावन्यायका ARRIAGascामाहाशिमिजाविक HAIR मारनपEABARKA R INATIOmanमिति PAWALIRI TEMPLE PRASHASTI Dated v.S.1608 (1641 A.D.) "Aho Shrut Gyanam Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (एए) (५) हतियाण शातिशृङ्गार चोपड़ा गोत्रीय संघनायक संघवी तुलसीदास नार्या निहा सो पुत्र सं० संग्राम । (६) लघुत्रातृ गोवर्धन तेजपाल नोजराज । रोहदीय गोत्रीय मं० परमाणंद सपरिवार भदधा गोत्रीय विशेष धर्म। (3) कम्मोद्यम विधायक व मुलीचंद कानड़ा गोत्रीय मं मदनस्वामीदास मनोहर कुशला मुंदरदास रोहदिया। (७) मथुरादास नागयण दासः गिरिधर सन्तादास प्रसादौ । वार्त्तिदिया गो गूजरमद्ध बृदड़मल मोहनदास । (ए) माणिकचन्द बूदमल्ल जेठमल व जगन नूरीचन्द । नान्हा गो 70 कल्याणमन्त्र मलूकचन्द पन्ना(१७) चन्द । संघेला गोत्रीय व सिंजू कीर्तिराख बाबूराय केसवराय सूरतिसिंघ । काड़ा गोप दयाल। ११) दास नोवालदास कृपालदास मीर मुरारीदास किलू । काणा गोत्रीय व राजपाल रामचन्द ॥ (१५) महधा गो कीर्तिसिंघ रोग बोचन्द । जाजीयाण गोश मं० नथमल नंदलास नान्हड़ा गोत्रीय। (१३) वापरास नागरमल कमलदास ॥ रोग सुन्दर सूरति मूरति सवल कृती प्रताप पाहड़िया। ( १४) गोण् हेमराज भूपति । काणा गो मोहन सुखमल का गढ़मल जा० हरदास पुर सोत्तम । मीणवा. (१५) ण गोल बिहारीदास बिछ । मह० मेदनी जगवान गरीबदास साहरेणपुरीय जीवण वजागरा गो। (१६) मलूकचन्द जूऊ गो० सवल बन्दी संती । चोग गो नरसिंघ हीरा घरमू उत्तम वर्षमान प्रमुख श्री। "Aho Shrut Gyanam" Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६० ) ( ११ ) बिहार वास्तव्य महतीयाण श्री संवेन कारितः तत् प्रतिष्ठा च श्री बृहत् खरतर गन्नाधीश्वर युगप्रधान श्री । (१८) जिनसिंह सूरि प्रजाकर युगप्रधान श्री जिनराज सूरि विजयमान गुरुराजानामादेशन कृत । (१९) पूर्वदेश विहारे युगप्रधान श्री जिनचन्द्र सूरि शिष्य श्री समयराजोपाध्याय शिष्य वा० अजयसुन्दर ग ( २० ) णि विनेय श्री कमललाजोपाध्यायैः शिष्य पं० लब्धकीर्त्ति गणि पं० राजदंस गणि देवविजय ग. (२१) पि थिरकुमार चरणकुमार मेघकुमार जीवराज सांकर जसवन्त महाजवादि शिष्य सन्ततिः सपरिवायैौ । श्रीः । क्षत्रियकुण्ड । * पंचतीर्थी पर | [1698 ] संवत् १८५३ वर्षे माह सुदि ५ दिने । बारडेचा गोत्रे सा० कोदा जा० सोनी पु० साद सीहा सहजा सीहा जा० हीरू श्रेयले श्री कुंथुनाथ विनं कारितं प्र० श्री कोटगले श्री नन्न सूरिजिः ॥ *' लछवाड़' ग्रामसे १ कोस दक्षिण में छोटे पहाड़ पर यह स्थान है। श्वेताम्बर सम्प्रदाय वाले २४ वें तीर्थकर श्री महावीर स्वामी के पवन, अन्न और दीक्षा ३ कल्याणक इसी स्थान में मानते हैं। वहां के लोग इसको 'जलम थान' कहकर पुकारते हैं। पहाड़ के तलहटी में २ छोटे मन्दिर हैं। उन में श्री वीर प्रभु की श्याम वर्ण के पाषाण की मूर्तियां है। पहाड़ पर मन्दिर में भी म पाकी है और मन्दिर के पास एक प्राचीन कुएड का विह वर्तमान है। "Aho Shrut Gyanam" Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लछवाड़ा धातु की मूर्ति पर। { 16001 ॥ सं० १२० मि फाल्गुन कृण ५ बुधे मारू गो० केसरीचंद नार्या किसन विवि वीर जिन बिंध का । जं । यु । छ । श्री जिनहंस सूरि राज्ये उ । सं। ग। च । प्रतिः । पंचतीर्थयों पर। [ 1700] सं० १५१३ । वै० मुदि ५ गुरौ श्री हुरड़ ज्ञातीय फडो शिवराज सुन महीया श्रेयसे जात हीयकेन व्रातृज कुसूया युतेन श्री शांतिनाथ विंबं कारितं प्रति वृहत्तपा पक्ष श्री श्री रत्नसिंह सूरिभिः । [1701] सं० १९५० फा० कृ० २ बुधे प्रतापसिंह इगड़ गोत्रे नार्या महताब कुंवर श्री सुमति जिन पंचतीर्थी का न । सदालान गपिना श्री जिनहंस सूरि राज्ये । यंत्र पर। [ 1702] सं० १९३३ ज्येष्ट शुक्ल १५ शनिवासरे श्री नवपद यंत्र कारितं ओस वंशे झूगड गोत्रे श्री प्रतापसिंह तरपुत्र रायबहादुर धनपत्सिंहेन कारितं प्रतिष्ठित विजयगळे ज० श्री शांति. सागर सूरिभिः। [1703] सं० १९३३ का ज्येष्ठ शुक्ल १५ छादश्यां शनिवासरे नवपद यंत्र.......का मकसूदावाद वास्तव्य उस वंशे झूगड गोत्रे बाबू प्रताप सिंह तत्पुत्र राय बहादुर सबमीपतसिंद रायबहादुर धनपतसिंह ने कारितं विजय गो श्री शांतिसागर सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री। "Aho Shrut Gyanam" Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । १६२ ) चन्दनचौक। मन्दिर का शिला लेख । [17041 १॥ ॥ संवत् १३४४ वर्षे था- २ । पाद सुदि पूर्णिमायां देव श्री ने. ३। मिनाथ चैत्ये श्री कल्याण .... ४। यस्य पूजार्थ श्रेण तिरधर । त. ५। पुत्र श्रेण गांगदेवेन वीस..... ६। ल प्रीय प्रमाणं ए श्री नेमि ७। नाथ देवस्य नांडागारे निदितं वृद्ध फा नोगेन सम्प्रति 5. ए । ....३३ प्रदत्तं पूजार्थं श्राचं १५। कालं यावत् शुभं भवतु श्री ॥ मूर्ति के चरण चौकी पर। [1705]. १ । गुणदेव नार्या-जतसिरि साहू । पुत्र दरा पूना लूणाव " कम. ३। रेवता हरपति कर्मद राणा क४। मैट पुत्र खीमसीह तथा धीर. ५। देव सुत अरसीह तत्पुत्र वस्तु. ६ । पाल तेजःपाल प्रभृति सकल७ । कुटुंब सामस्त्येन श्रेण गांग5। देवेन कारितानि । "Aho Shrut Gyanam" Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६३ ) रत्नपुर-मारवाड़। जैन मंदिर। शिला लेखः । [ 1700] १। सं० १३४३ वर्षे माद सुदि १० शनौ रत्नपु।। रे श्री पार्श्वनाथ चैत्ये श्री जसिवाल ज्ञातीय व्यवसी३। ह ग सुतयासी पुत्रादि सरोराज हसिकया व्यव महि४। लण नार्यया महाण देव्या स्वात्म श्रेयसे कारितं श्री श्रा५। दिनाथ विबस्य नेचक निमित्तं श्री पार्श्वनाथ देव नांडा६। गारे क्षिस वीसल प्रिय अम्म २० तथा सं० १३४६ माह सुदि छ। १५ पूर्णिमायां कल्याणिक पंचकनिमित्तं क्षितं १० उ ७। जयं च ३० अमीषां अम्माणमं व्याजे शतं मासं प्रति अ २० ए। विशति इम्मा पूम्बाणां व्याजेन नवकं करणीयं दश अम्मा१। णां व्याजेन कट्याणिकानि करणीयानि शुनं नवतु । मूर्तियों पर। [1707 ] १ देव श्री शान्तिनाथ । दीसावाल न्याती सुरमा३। णपुर वास्त (व्य) साधु रतन ४। सुत साप हापु जलगे E1708] १। ॥ सं० ॥ १३३७ फागुण सुदि १० गुरौ । अयेह रत्नपुर श्री पंडेर गछे श्री । ....महं मदन पुत्रम डूंगरसीहेन "Aho Shrut Gyanam" Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६४) ४। योर्थ श्री जिनेन्द्रस्य बिं--कारितं ॥ प्रण ५। श्री यशोना सूरि संताने श्री सुमति सूरिनिः ॥ शुनं जवतु ॥ गांधाणी ( मारवाड़)। प्राचीन जैन मंदिर। धातु की मूर्ति पर [ 1709 ] * (१) जे ॥ नवसु शतेष्वद्वानां । सप्ततुं (त्रिं) शदधिकेष्वतीतेषु । श्रीवनमांगनीच्यां । ज्येष्ठार्यान्यां (२) परमजतया ॥ नाय जिनस्यैषा ॥ प्रतिमा पाडाईमास निष्पन्ना श्रीम(३) तोरण कलिता । मोक्षार्थ कारिता तान्यां ॥ ज्येष्ठार्यपदं प्राप्तो । छावपि (४) जिनधर्मबखलौ ख्यातौ । उद्योतन सूरेस्तौ । शिष्यो श्रीवछत्रदेवौ । (५) संग ए३७ अपादाः ॥ --- <(r)>oc ... * गांव गांधाणो' जोधपुर से उत्तर दिशा में कोस पर है। वहीं तालाब पर एक प्राचीन जैन मन्दिर में यह सर्वधातु की आदिवायनो को मूरिहै और उसके पृट पर यह लेख खुदा हुआ है। जोधपुर निवासी पण्डित रामकर्णजी की कृपा से मुझे यह लेख का छापा और अक्षरान्तर प्राप्त हुआ है। उहोंने इस लेख पर निन्न लिखित नोटस् लिखे हैं। पंक्ति -- 1ोष्ठार्य" यह पदनी वावक शब्द ज्ञात होता है, जो पंक्ति ३ में के "ज्येष्ठार्य पदं प्राप्तौ" इस वाक्य से स्पष्ट है। , - २ "आषाढ़ाई" पद से आषाढ़ सुदि १ और वदि १५ का भी ज्ञान हो सकता है, परन्तु यहां प्रतिपदा का सन्भव . अधिक है, क्योकि शुभ कार्य में अमावसा वर्जित है। --४1" उद्योतन सूरेः " --पट्टावली में इनके स्वर्गवास का संवत् १६४ मिलता है परन्तु उन के पहाधिकारी होनेका संक देखने में नहीं आया। लेख से जाना जाता है कि उद्योतन सूरि संवत् ६३७ में आचार्य पद पा चुके थे। इनके समय पय्यंत गच्छ भेद नहीं था इसो लिये लेख में पत्र का उल्लेख नहीं है । ऐतिहासिक दृष्ट्रिसे यह लेख बड़े महत्त्व का है। "Aho Shrut Gyanam" Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६५) सूरपुरा - नागौर। माताजी के मंदिर के स्तम्न पर। शिला लेख । [17101 (१) संवत् १५१५ पोस व (२) दि १ श्री नेमिनाथ चैत्ये (३) ..." पुन्या धाहम ना (४) यया देवधरमात्रा सू (५) हवा निधानया आत्म श्रे- (६) योर्थ स्तंनभयं दत्तं ॥ [17111 (१) संवत् १५३ए पोस व(३) ... पुध्या धाहा ना. (५) हडानिधानया श्रात्म श्रे(७) मूल्ये ऽ १० ॥ सर्व झु (२) दि १ श्री नेमिनाथ चैत्य (४) या देवधरमात्रा सूः (६) योर्थ स्तनयं दत्तं ॥ (७) 5 उसतरां - नागौर। शिला लेख । [ 1712] (१) संवत् १६४४ वर्षे फागुण वदि १५ नरकेश झातीय बाबणा गोत्रे । (२) .... (३) संजवनाथ ... तपागल श्री श्री हीर विजय सूरि । "Aho Shrut Gyanam" Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६६ ) नगर - मारवाड। मूर्तियों के चरणचाकी पर। दाहिने तर्फ। [1718] * २॥ ॥ संवत् १२ए५ वर्षे आषाढ़ सुदि ध रखौ श्री नारदमुनि विनिवेशोते श्री नगर वरमहास्थाने सं० ए० । २ वर्षे अतिवर्षाकाम वशाद तिपुराणतण च आकस्मिक श्री जयादित्य देवीय महाप्रसाद विनष्टायां । ३। श्रीराजुलदेवी मूर्ते पश्चात् श्रीमत् पत्तन वास्तव्य प्राग्वाट उ० चंडपात्मज व श्रीचंड. प्रसादांगज उ० श्री सो। ४। मतनुज 30 श्री आसाराजनन्दनेन स श्री कुमारदेवीकुक्षिसंजूतेन महामात्य श्री वस्तुपाखेन स्वज्ञार्या म. ५। हं श्री स ... पुण्यार्थमिदेव श्री जयानित्य देवपल्या श्री राजलदेन्या मूर्ति रिय कारिता ॥ शुजमस्तु ॥ बायें तर्फ । [ 1714] १। ॥ ॥ संवत् १५७५ वर्षे आषाढ़ सुदि ७ रवी श्री नारद मुनि विनिवेशीते श्री नगर वर महास्थाने सं० ए०७२ वर्षे अ। तिवर्षाकालवशादतिपुराणं तया च आकस्मिक श्री जयादित्य देवीय महाप्रसाद पतन विनष्टायां श्री रत्नादेवी मूर्ती ३। पश्चात् श्री मत् पत्तन वास्तव्य प्राग्वाट ३० श्री चएडपात्मज श्री चण्डप्रसादाङ्गज व श्री सोमतनुज उप श्री यासाराजनन्द * श्री भीड़भंजन महादेव के मंदिर में सूर्य के मूर्ति के दोनों तर्क स्त्री मूर्तियों के चरणचौकी पर यह लेख है। "Aho Shrut Gyanam" Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६७) ४। नेन उ० श्री कुमारदेवीकुदिसम्जूनन महामात्य श्री वस्तुपालेन वनार्या मय्याः 10 कन्हड पुत्र्याः उप संधू कुक्षि नवा ५। याः महं श्री ललिता देव्या पुण्यार्थमिदेव श्री जयादित्य देवपल्या श्री रत्ना देवी मूर्तिरियं कारिता ॥ शुजास्तु ॥ ॥ नगर - खेडगढ़। श्री शान्तिनायजी का मन्दिर । ७ [1715] १। सं० १६६६ वर्षे । जाडपदे शुलपके । श्री द्वितीया दिने । शुक्रवारे । वीरमपुर वरे । श्री शान्तिनाथ प्रासाद । नूमि यह । श्री खरतर गर्छ । युगप्रधान श्री जिन चन्द्र सूरि विजयराज्ये । आचार्य श्री जिनसिंह सूरि यौवराज्ये । श्री ३। राजल श्री तेजसिजी विजविराज्ये । कारितं श्री संधन ॥ लिखितं वा श्री गुणरत्न गणिना विनेयेन रत्न विशालगणिना ४। सूत्रधार । चांपा पुत्र । रत्ना । पुत्र । जोधा दामा । पुत्र मन्ना । धन्ना । वर योगेन कृतं । नार्या सोमा किल पाणा । वही। मेघ । श्री रस्तु । घाणेराव मारवाड़। महावीर स्वामीका मन्दि । [1716 ] सं० १५१३ जानपद सुदि ४ मङ्गल दिने श्री दण्डनायक तेजल देव राज्ये श्रीवंश * यह लेख मन्दरि के भूमिग्रह का है। पं: यह मन्दिर "घाणेराव" से कोस पहाड़ पर है। "Aho Shrut Gyanam" Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६० ) ज्ञातीय राउत महणसिंह जक्तिवसन वादमध्यात् । श्री महावीर देव बिंबं प्रति ग्राम ४ पालसु दत्ताः यस्य भूमि तदा फलं ॥ से० रायपाल सुत रावनिकु महाजन कुरुपाल विना धिय सारिवर्दि ॥ +4 (5) 8+ अआर । श्री पावनयजी का मन्दिर । प्रशस्ति । [1717] श्री ह गणेश १। ॐ नमः श्री पार्श्वनाथाय । २ | श्री मेद मुनीन्द्र गुरुभ्यो नमः ॥ स्वस्ति श्री पार्श्वनाथांचं तुष्टि ३ | हेतु स्मृतौ सतां । यो विश्वत्रय विख्यातां तावष्टिप्रदो मम ॥ १ ॥ ४ । श्रीमद्विकमतः संवत् । मुनिवाजी रसेन्दुके । १६७७ । वर्षे वैशाष मा वृद्धिपर्क दिने ॥ २ ॥ श्रयायां तृतीयायां रोहिणीस्थे ... वां | .... ६ । जवे एवं सर्व शुनेस्ते । जीर्णः प्रसाद उद्धृतः ॥ ३ ॥ श्री मत्पार्श्व जिनेन्द्रस्य कट्या | फल देत । श्रीमत्यात्मज पुर्य्यां च धुर्यायां तीर्थ संसदि ॥ ४ ॥ श्री श्री ८ | मालीकुजांनोधि । चान्द्रेय सितकीर्त्तिना । दोसी श्री श्री जीवराजह्न सुनेए । नः गुणशालिना ॥ ५ ॥ सद्धर्मचारिणा हर्षादुन्नतपुरवासिना । श्रीम१० | कुंवरजी नाम्ना सद्द्रव्यस्थ व्ययेन च ॥ ६ ॥ साहाय्यी संघस्य ११ | गुरुदेव प्रसादतः | जाता कार्यस्य संसिद्धिः । पुण्येः किं किं न सि १२ । इति ॥ ७ ॥ श्रीमत्तागणाधीश श्री दीरविजय प्रतोः । पढे श्री विजय १३ । : सेन | सूरि परमजाग्यवान् ॥ ८ ॥ तत्पदेऽनि विराजति । सुगुने श्री २४ | विजयदेव सूरीन्द्रं । निष्यन्नोयं पुष्यः । प्रासादवरश्विरंजीयात् ॥ ७ ॥ तस्य द "Aho Shrut Gyanam" Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६ए ) १५ । कि दिग्नागे। सदंगरचनान्विते । स्तूचे श्री झपनस्वामी पामुकेऽत्र महाद्भू१६ । ते ॥१०॥ पूजनीयाः शुनाः ग्लाघ्याः । गुरूणां तत्र पादुकाः कारिता मदनाख्येन । दो१७ । सोना चालयान्विता ॥११॥ धर्मशाला विशाला च शालारकेन निम्मिता। साहाय्या१७। हरसंघस्य दोसीसंज्ञस्य तुष्टयः ॥ १२ ॥ परिसनगणमौलीमणेः । ता विकसिद्धान्त - रए । शव्यशास्त्रार्थः । श्रीमत्कल्याणकुशलं । सुगुमेश्वरणप्रसादेन ॥ १३ ॥ तविष्यस्य सुषु. २० । विपुषः सुयतेर्दयाकुशलनान्नः । महतोयमेन कृत्यं । सिद्धं श्री जगषतः कृ. २१। एथा ॥ १४ ॥ रम्यो जीर्णोद्धारो। श्रीपार्श्वनाधान्वितोऽर्थ्य मानश्च। थाचंझार्क राजत् जी. २५ । योजनसुख हरो नित्यं ॥ १५ ॥ संवत् १६७५ वर्षे वैशाप सुदि ३ शनौ श्री अजपु. २३ । रे महातीर्थे जीर्णोद्धारो जानः श्रीमत्तागोश नहारक प्रजा श्री ५ २४ 1 श्री विजयदेव सूर विज पराज्ये । पं श्री मेहमुनोन्ड गाण शिष्य पं० श्री २५ । कल्याणकुशल गणि पं0 ! श्री दयाकुशल गणि शिव्येन । प्र. २६ । शास्तरिय विधिता गलि नक्तिशक्षेन ॥ श्री रस्तु ॥ श्रीः॥ पापा की मूर्तियों पर । 1718] १। सं० १३४३ वर्षे माघ दि २ शनो श्रीमानीय हरिपाखेन । ..." सूमिः । 1710] १। सं० १३४६ वर्षे वै० सुदि । बुधे दीशावाल ज्ञानीय महंग लाषण सुन धी. २ । रमन सुन । वासल श्रेयोर्थ श्री पार्श्वन श्र का रितं प्रतिष्ठि श्री महेन्द्र सूरिभिः । पंचतीर्थियों पर। [1720] सं० १५०० वर्षे वैशाष सुदि १५ शनी श्री ..." पदेशेन हुँबड़ ज्ञातीय व अर्जुन * ये मूर्तियां खण्डित है, लेख चरणचौकी पर है। ४३ "Aho Shrut Gyanam" Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७० ) मारुतयो युत धीधा जुहा सुत नेमिनाथ प्रणमति । [1721 ] सं० १९२० वर्षे वैशाष सुदि ३ गुरौ श्री श्रीमाल ज्ञातीय मं० वाठा जाय गोमती तया श्री पद्मन स्वाम्यादिपञ्चनीय श्री श्रगम गडे श्री हेमरत्न सूरीणामुपदेशेन कारिता प्रतिष्ठिता च विधिना । म पिंडवाड़ा - सीरोही । श्री महावीरजीका मन्दिर । शिला लेख [1722] ( १ ) नीरागगन्धा दिजावेन सर्वज्ञान विनायकं । ज्ञात्वा जगवतां जाएं जिनानमिव पावनं ॥ .... रिदं जैनं कारितं युग्ममुत्तमं ॥ ( 2 ) डोयेयक यशोदेव देव I ( ३ ) जयशतपरम्पराजित गुरुकर्मराजो खाजाय ॥ संवत् ८ (६१) ४४ । साक्षात्पिता मदन व विश्वरूपविनायिना । शिल्पिना गोपगार्गेन कृतमेतनि. इयम् ॥ ..30 *** कारापितां परदर्शनाय शुद्धं सज्ज्ञानचरण "Aho Shrut Gyanam" Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७१) खीमत-पालणपुर। जैन मंदिर। मूर्चिकी चरणचौकी पर। ___ [1723] १।० ॥ सं० १५१५ वैशाष वदि ४ शुक्रे खीमंत स्थाने प्राग्वाट वं. । शीय श्रे० श्रासदेव नार्यया दमति श्राविकया स्त्रपुत्र जसचन्द्र देवय ३। तत् पुत्र पूना अजयडषद प्रति समस्तमानुषसमेतया घा. ४। स्मश्रेयसे श्री महावीर जिनयुगलं कारितं सूरिनिः प्रति(ष्टितं)। SEEEEEEEEE श्री तारंगा तीर्थ। श्रीअजितनाथ स्वामीजी का मंदिर। सहस्रकूट के चरण पर। [1724] श्री शाश्वता परमेश्वर ४ श्री चौबीस तीर्थकर २४ श्री वीत विहरमाण २७ श्री गणघरना १४५२ सर्वमलिने संख्या पनरसो जोड़ावि बई सहि । सं० १७७३ वर्षे माघ सुदि ऽ शुक्र श्री तारंगाजी उंगे। श्री श्री विजय जिनेन्द्र सूरि प्रतिष्ठितं तपा गछे। सा करमचन्द मोतीचन्द सुत पनाचन्द करापितं । वीसनगर वास्तव्य । पंचतीर्थयों पर। [1725] सं० १५०ए वर्षे माघ सुदि १५ शनी उकेस वंशे साहु गोत्रे सा तुया ना भूपादे "Aho Shrut Gyanam" Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७ ) पु० सा० सातलकेन जा० संसारदे पुत्र सा हेमादि युतेन श्री कुयु वियं का प्र० खरतर गछे श्री जिनसागर सूरिभिः । [1726] सं० १५१७ वर्षे ज्येष्ठ शुदि ६ बुधे श्री कोरंट गर्छ । बाकेश मडाइड वा सा० श्रवण ला० राऊ पु० साहा नाय सांयू पु० जाऊण साहितेन स्वमातृपितृश्रयार्थ श्री चंञान विवं कारितं । प्रति श्री सांवदेव सूरि निः [1727] सं० १५५४ वर्षे वै० । सु०३ रियापुर वासि श्री श्रीमालि ज्ञा० म० लपमीधर शाम जासू पु० मंछ जूवाकेन ना डीरू dि० जसमादे प्रमु० पुत्रादि कुटुंबगुतेन वयाम श्री धर्मनाय पिवं कारित प्रतिष्टितं । श्री विनंदनीय गछे श्री कक्क सूरिभिः । [1725 ] सं० १५३२ वर्षे मार्गशिर लुधि ५ दिने श्री श्रीमान झातीय श्रेण अर्जन जाए हवकू पुरा सहिजाकेन ना मानू सु० जून जावा स्वस्वपुर्व निमित्तं कुटुंष० श्री सुमति नाथ विवं का प्र० पूणिमापके नाप श्री गुणतिलक सूरि प्रतिष्टितं ॥ श्री॥ [1720] ॥ सं० १५० वर्षे माघ वदि १ श्री श्रीमाल हातोय श्रेण चुंडा ना चांपलदे सुत बीसा धरणा वीसा ना० माणिकदे पितृमातृश्रेषसे श्री शीतलनाथ विंबं कारिनं पिप्पल गो ज० श्री गुणप्रन सूरि पं० श्री तिलकप्रन सूरि प्रतिष्ठितं ॥ साचुरा ॥ ७ ॥ [17301 सं० १५० वर्षे वैशाष सुदि १५ शुके प्राग्वाट ज्ञातीय महं धना सुत महं जीवा नाया असमादे सुत गोगा जार्या रूपाई श्रेयोर्थ श्री धर्मनाथ विवं कारित प्र० श्री तपा गठे हेमविमल सूरिनिः पेयापुर। "Aho Shrut Gyanam" Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७३ ) चौविशी पर। [ 1731] सं० १४ वर्षे आषा० शुक्ल ५ दिने प्रग्वाट ज्ञातीय मंत्रि बाहड़ सुत सिंघा ना० पूजल सुत बमुथाकेल जाप कपूरीयुतेन निजश्रेयो) श्री शांतिनाथ मूवनायक चतुविंशति पट्टः का प्रश्रो तपागक्षाधिष श्री सोमसुन्दर सूरि निः। [1732] ॥ सं० १५०४ वर्षे फागुण सुदि ए सोमे प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेष्ठि राणा संताने श्रेण रत्ना जा धरण सुत पूर्णसिंहन जार्या देमाई सहितेन तथा बात हरिदास स्वपुष पासवीर युतन श्री अजितनाथ विवं चतुर्विशति पट्टः कारितः प्र श्री साधुपूर्णिमापदे न श्री रामचन्द्र सूरि पट्टे शिष्य पूज्य श्री श्री पूर्णचन्द्र सूरीणानुपदेशेन विधिना नारु श्राव। [17331 सं० १५० वर्षे शाप वदि ११ दिने उपकेश झा० डागक्षिक गोधे। सात् धिना जात बार पुत्र संघवी पालवीरेण जाग संपूरदे सहितेन स्वश्रेयसे श्री संजयादि ती प्रकृचतवि. शति पहः का प्र श्री कोस्टगछे श्रीनन्नाचार्य संताने श्री ककसूरि पटे श्री सारदेव सूरिनिः॥ श्रीः । नन्दीश्वरजीप की देहरी पर। [1784] सं० १७७० महा सुदि ५ शुरु श्री विजयजिनेन्द सूरिजो नन्दीश्वरकोप विप्रवेश प्रतिष्ठित श्रीमतगडे श्री गाम बड़नगर दोध पानचन्द जयचन्द स्थापित । "Aho Shrut Gyanam" Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) सिहोर-काठियावाड़। श्री सुपार्श्वनाथजी का मंदिर। पतीर्थियों पर। [1735] सं० १४७० वर्षे वैशाष सुदि १२ शुक्र प्राग्वाट ज्ञाण में रत्ना नाए रजाई पु० सं० सहस्सकिरण सार्या धरणू सुत तजदे कुटुंबयुतेन श्री कुंथुनाथ विंचं कारितं प्रतिष्ठित श्री हेमविमल सूरिभिः । पसासर वास्तव्य ॥ [17801 सं० १५१६ वर्षे चैत्र वदि १ रखो श्री श्रीमाठ झातीय ३० तयरा जाण वाबू सुत माणा वड़ीय गोवल नाय हांसू सुए वीरा नाय बांऊसदे सुत मालु काएहु वानर एने जिनपितृमात श्रेयोर्य श्री श्रेयांसनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं मधुकर गछे जप ""। [1737] सं० १५३६ वर्षे पोष दि ...' गुरू श्री श्रीमाल ज्ञा श्रेण टोझ्या नाम लखा सुन पर्वत प्रातृ कमि श्रेयोर्य जीवितस्वामी श्री नमिनाथ विवं कारितं श्री आगमगचे श्री श्री सिंघदत्त सूरिनिः प्रतिष्ठितं विधिना कारितानि । पालिताना। श्री सुमतिनाथजी का मन्दिर माधोलासजी की धर्मशाखा । धातु की मूर्तियों पर। [1738] संवत् १५५५ वर्षे माह शुदि १५ शुक्रे पाणंदरिम सूरि बाप चन्दा जाप माइवजी भीवजदेव (?) ...॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७५ ) [1730] संवत् १६०० [पो] स वदि ५ सोम० श्रीमालयातीय साप हेमा श्रेयसे शा० नाथुजी. केन धर्मनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिजिः ॥ [1740] संवत् १६६ वर्षे फाल्गुण सुदि ७ सोम नसण झा० व्य० "श्री सुमतिनाथ विंबं ... हीरविजय सूरिः ....। [1741] संवत् १६७० वर्षे माघ सुदि १ दिने छ । इन्धापीता (?) श्री श्री श्रादि विं का प्रण तपागछे श्री विजयसेन सूरिभिः ॥ [1742] संवत् १६७७ वै० शुण् ५ शुस .... । [1743] संवत् ११० वर्षे मार्गशिर सुदि ६ शुक्रे श्री धनलगलाधिराज पूज्य जहारक श्री कम्मापसागर सूरीश्वराणामुपदेशेन श्री दीव वंदिर वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय नाग गोत्रे मंत्रि विमल सन्ताने मं० कमलसी पुत्र मंण् जोवा पुत्र मंग प्रेमजो सं० प्रागजी मंग पाणंदजी पुत्र केशवजी प्रमुखपरिवारयुतेन स्वपितृ मं जीवा श्रेयोऽर्थ श्री आदिनाथ बिंवं कारितं प्रतिष्ठितं चतुर्विध श्रीसंघेन। [1744] संवत् १७१५ वर्षे वैशाख सुदि दिने शाप मनजी भार्या बाई मनरंगरेकेन मुनिसवत बिंब का प्रण श्री विजयसेन मूरि । [1745] सं० १७५ वर्षे वैध शुण १ सोमि] शाप खिमचंद नार्या विश्व श्री अनन्त पिंवं प्रण जए श्री विजयशद्धि सूरि । "Aho Shrut Gyanam" Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७६) [ 1746] संवत् १०४... ॥ फाल्गुण सुदि २... वासरे नदिने श्री पार्श्वनाथ विवं प्र० बाई खीगी नरावती॥ [1747] दोष वाघा श्वी जीराउलाउ श्री पार्श्वनाथ । [ 1743] बाप हीराई श्री शान्तिनाथ · · श्री हीरविजयसूरि प्र० ॥ [1740] संवत् १९०३ वर्षे माघ विधि ५ शुक्रे श्री चन्द्रप्रन विवं कारावितं श्रीमानि वंशे शाण अनोपचन्द तस्य नार्या बाई नाथो अंचत गर्छ श्री सिहच यन्त्र पर। 1750] संवत् १५४ ना वर्षे माघ विदि ५ चन्झे श्री तपागछे वाई फूली तस्या पुत्री वाई जवन श्री सिद्धचक्र करापितं पं० पवाविजैः (?) प्रतिष्टितं श्री राजनगर मध्ये । चौतीसी पर। [1751] संवत् १५५३ वर्षे वैशाख विदि ७ रवी श्री सोलंज वास्तव्य प्राग्वाट झातीय श्रे वाला जा मान सुत श्रेष्टि समधेरण ना जासी ना धर्मादे सुता लाली प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयस श्री सुमतिनाथ चतुर्विशति पट्टः कारितः प्रतिहितः श्री तथागछे श्री रत्नशखर सूरि पट्टे गवनायक श्री लक्ष्मीसागर सूरितिः । पञ्चतीधियों पर। [ 1732 ] सं० १४३५ ( ? ): : : प्राग्वाट ज्ञातीय शाण झासा जार्या दानू सुत शा ठी गिरण "Aho Shrut Gyanam" Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७७) श्री पार्श्वनाथ बिंब कारित प्रतिष्ठितं तपागछे श्री देवचन्ड सूरिनिः । 1753] सं० १५०३ वर्षे आषाढ़ मुदि १० शुक्र श्री प्रग्वाट ज्ञातीय श्रे० पींचा जार्या लाखणदे तयोः पुत्रः श्रेष् वीरम धीटा चीगाख्यैः मातृपितृश्रेयोऽर्थं श्री मुनिसुव्रतस्वामी विवं कारित प्र० तपागचे वृद्धशाखायां श्री जिनरत्नसूरिनिः । श्री सहूआता वास्तव्य । { 1754] सं० १५१५ वर्षे प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेण श्रासपाल ना पचू पुत्र धना ना० नमकू पुत्र माधवेन ना वाव्हो भ्रातृ देवराज ना रामकी देपालादियुतेन श्री सुमति पिंव कारितं प्रय तपागलेश श्री सोमसुंदर सूरि श्री मुनिसुंदर सूरि श्री जय बन्छ सूरि शिष्य श्री श्री रत्नशेखर सूरिनिः॥ श्री ॥ [17551 सं० १५१७ वर्षे श्राषाढ़ सुदि १० बुधे उकेश वंशे झुंकड गोत्रे शा० गुजर पु० शा देव. राज पुरा आसः पु० शा० समधरेण खमातृ चाई पुण्यार्य श्री कुन्थुनाय पिंवं कारित प्रति श्री खरतरगळे श्री श्विकरन सूरिभिः । [1750] सं० १५१७ वर्षे वैशाख सुदि १३ सवारि वासि प्राय सा० जावड़ ना वारू सुत हर. दासन ना गोमती ब्रातृ देवा ना० धर्मिणियुतेन श्रेयोऽयं श्री सुमति विवं का प्रण तपा श्री रत्नशखर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः । 1757] सं० १५१ए वर्षे माघ सुदि १५ गुरु श्री श्रीमाल झातीय ध्वय गगा जार्या वाल्ही आत्मश्रेयोऽर्थ जीवतस्वामी श्री अजितनाथ मुख्य पंचतीर्थी विवं कारितं श्री पूर्णिमा पक्षे श्री मुनितिखक सूरि पढे श्री राजतिलक सूरिणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं ॥ जाबू वास्तव्य । "Aho Shrut Gyanam" Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५० ) [1758] सं० १९२१ वर्षे वैशाख सुदि ६ बुधे श्री श्रीमाल ज्ञातीय दो० गोपाल जा० सखी सु० पोमाकेन जा० कमकू श्रेयोऽर्थं श्रीसुमतिनाथ त्रिंवं कारितं श्री पूर्णिमापक्षे ज० श्री सागरतिलक सूरि पट्टे ज० श्री गुणतिलक सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं । [1759] सं० १५३१ वर्षे मात्र वदि छ सोमे श्रीमान ज्ञातीय शा० राजा जा० राजब्दे सुब सब शाद शिकूया जाय राजाई तथा सु० पासा जीवायुतया खश्रेयले श्री सुविधिनाथ बिंबं श्री आगम गछे श्री जयानन्द सूरि पट्टे श्री देवरत्न सूरि गुरुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठापितं च ॥ शुनं वतु || श्री स्तम्नतीर्थ ॥ ७४ ॥ [1760 1 सं० १५४० वर्षे वैशाख सुदि ३ खौ श्री श्रीमाल ज्ञातीय म० देवसी जा० देल्हणदे सबू दांसा जातृ कीपा प्रमुखकुटुम्बयुतेन पितृश्री पूर्णिमापद श्री सौभाग्यरत्न सूरिणामुपदेशेन पुत्र सहिजाकेन जा० धनी पुत्र गंगदास निमित्तं स्वश्रेयसे च श्री कुन्थुनाथ विं का० प्र० विधिना श्री लीवासी ग्रामे || [1761 ] सं० १५५२ वर्षे मात्र दि १२ बुधे प्रावाद ज्ञातीय प० सधा जा० श्रमकू सु० प० मूलाकेन जा० हांसी सु० हर्षा लषा सहितेन स्वथेयोऽर्थं श्री सम्जवनाथ विं कारितं प्रतिष्ठितं श्री वृत्तपाप ज० श्री उदयसागर सूरिनिः ॥ श्री पसने ॥ [ 1762] संo १६३० वर्षे माघ वद ए शनौ श्री दीव वास्तव्श श्री श्रीमान ज्ञातीय लघुशाखामण्डन श्रे० काबा जा० कामलदे सुत कक्की जाय हर्षादे सुत सचवीर नार्या सहिजलदे सुत हीरजी जाय हीरादे श्री आदिनाथ विं कारितं तपागछे श्री दीरविजयसूरिनिः प्रतिष्ठितं ॥ व ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७ ) [ 1763] सं० १६५१ वर्षे मार्गशीर्ष वदि ४ गुरी दो० वेधराजकेन निजश्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिध कारितं प्रतिष्ठितं च तपापदे श्री हीरविजयसूरिश्वरैः नार्या मोलादे सुत धनजी प्रमुखकुटुम्बयुनेन श्री दीवचन्दिर वास्तव्येन ॥ श्री रस्तु ।। 1781 सं० १६५६ घर्वे फाल्गुण वदि ५ गुरौ दीववन्दिर वास्तव्य ओसवाल ज्ञातीय बाई मनाईकया निजश्रेयसे श्री सम्नवनाथ विवं काग्तिं प्रतिष्ठितं च तपागबाधिराज परमगुरु श्नी ६ विजयसेन सूरिनिः परिकरसादतः । शत्रुजय तीर्थ। दिगम्बर मन्दिर। श्री शान्तिनाथजी की मूर्ति पर। [ 1765 ] * सं० १६०६ वर्षे वैशाप सुदि ५ बुधे शाके १५५१ वर्तमाने श्री मूलसंधे सरस्वतीगळे बलात्कारकगणे श्री कुंदकुंदान्वये नहारक श्री सकलकीर्ति देवास्तपट्टे न श्री वनकीर्ति देवास्तत् पट्टे न श्री ज्ञान जूषण देवास्तत्पट्टे जा श्री विजयकीर्ति देवास्तत्पट्टे जण श्री शुभचन्द्र देवास्तत्पढे ज० श्री सुमतिकीर्ति देवगस्तत्पढे ज० श्री गुणकीर्ति देवास्तपट्टे जय श्री वादिषण देवास्तत्पट्टे न श्री रामकीर्ति देवास्तत्पटे लण् श्री पद्मनन्दि गुरूपदेशात् पादशाह श्री साहजाद विजयराज्ये श्री गुर्जरदेशे श्री अहमदाबाद वास्तव्य हुँबड़ ज्ञातीय वृदछाखीय वाग्बर देश स्थातरीय नगर नौतननप्रसादोहरणधारजाज (?) संग जोजा जाए सं० खकु संग संवस्ता ना० संघ रनादे तयोः सुत ब्रह्मचर्यवतप्रतिपासनेन * यह लेख “जैन मित्र" माघ वदी २ वीर सं० २४४७ के अङ्क से मिला है। "Aho Shrut Gyanam" Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 26 ) पवित्रीकृतनिजांग सप्तदेवारोपितस्वकीयवित्त सं० लटकणा जा० सं० लतादे तयोः सुत (जनकुलकमलविकाशनकसूर्यावतारः दातृगुणेन नृपतिश्रेयांससमः श्री जिनबिंच. प्रतिष्टातीर्थयात्रादिधर्मकर्मकरणोत्सुकचित्त संघपति श्री रत्नसो ना० सि0 रुपादे वि० ला सं० मोहणदे तृतीय ना० सं० नवरंगदे द्वितीय सुत संघर! श्री रामजी जाए सं० केशरदे तयोः सुन संघवी शृंगरसी ना संग काळसदे द्वितीय सुत संघवी शुद्धमती जा० सं० मसतादे एतेषां महासिक क्षेत्र श्री सेव॒नय रत्नगिरी श्री जिनप्रासाद श्री शांतिनाथ बिवं कारयित्वा नित्यं प्रणमति । सुन जवतु । चोरवाड़-जुनागढ। जैन मन्दिर। शिक्षा लेख। [1786] १। सुरमकल विशाल नगर श्री चोरवाट के रुचिरीचंतामषि पार्श्वनाथ विनाश्च पद रजस्य तत् सुत व. । सी। सायर तनयो । श्रांबाख्यस्तत्र चादिमो गुणवान् । द्वितीयो मनानिधानो जिन धर्म रतः कृपावासः ॥५॥ ३। वाख्यस्य तनुजः सुविवेकः समरसिंह इत्याह्नः । देवगुरु नक्तिपरमः तत् सूनु चैत्र: पासाख्यः ॥ ३॥ श्री ४। सं० १५५ए वर्षे वैशाख सुदि तृतीया गुरौ । श्री मंगलपुर वास्तव्यः । श्री उसवाख. झातीय सोनी साय५। रजनदे सुत सोनी आंबा नार्या वाई सहित सुत सोनी समरसी लार्या मनाई अपर नार्या सलबाई "Aho Shrut Gyanam" Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) ६। त० सोनी जयपाल नार्या मृगाई ॥ ततः ॥ सोनी सायर नार्या बाई वाकू सुत सोनी मना नार्या बाई ७। बरजू सुत सोनी श्रीवंत सोनी जयवंती। सपरिजनसहितेन ॥ सोनी समरसिंह नार्या वाई पाही. ७। सहितेन ॥ एतै श्री चारवाड पुरै चर (?) ॥ निजजोपार्जितधन कृतार्थहेतोः ॥ श्री चिंतामणि पार्श्वनाए। थ चैत्यं कारापितं ॥ श्री वृछतागछे नहारक श्री जयचन्छ सूरि पट्टावतंस ॥ जट्टा० श्री जिन१० । सूरि शिष्य महोपाध्याय श्री जयसुन्दर गणि शिष्य महोपाध्याय श्री संवेगसुन्दर गुरूपदेशेन ॥ प्र. ११ । तिष्टितं चेति कल्याणमस्तु ॥ शुलं नवतु ॥ → EETA - घोघा-काठियावाड़। श्री सुविधिनायजी का मन्दिर। .. पंचतीधियों पर । [1767] ॥ सं० ११६१ माघ ११ श्री नागेअकुले श्री विजय तुंगसूरि.... । [ 17881 सं० १५०३ धर्मप्रन सूरि त० पट्टे श्री धर्मशेखर सूरिभिः शुभं भवतु आराधकस्य । [1789] सं० १५१७ वर्षे महा सुदि ५ शुक्र श्रेष्टि नरमान जाए कई नेषां सुना सामन हेमा "Aho Shrut Gyanam" Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७२ ) रोका बीमा स्व नार्या पितृमातृश्रेयोर्थ श्री कुंयुनाय किंवं का प्र० श्री आगम गळे श्री आनन्दप्रन सूरिजिः आवरणि वास्तव्य । [ 1870] सं० १५३६ वर्षे याषाढ़ सुदि ६ श्री श्रोलाल झाती सा पाला नार्या कम सुत गोविन्द ना गंगादे नाना आत्मयते श्री कुंथुनाथ विवं कारित प्रा वृहत्तपा पक्ष जय जिनरत्न सूरिचिः [1771] सं० १५५५ वर्षे वैशाख सुदि ३ शनों धनौघ वास्तव्य श्री सबाल झा सा गोगन नाण गुरदे सुन हांसाकन ना कस्तुगई सहितेन स्वयले श्री अजितनाथ विंवं का० श्री बृहत्तपा गवे च श्री धर्मरत्न सूगिनिः । 1772] सं० २५५५ वर्षे वे सु० ३ शनौ श्री श्रीमान शाप मनोरद ना मोकी सु वाइराज ना जीविनी सुण् देवदालेन ना दगा सुरु पासा करन धर्मदास सूरदास युनेन श्री विमलनाथ वि कारित श्री अंगठे श्री सिद्धांतासागर सूरि गुरूपदेशात् । [17] संग १५५७ वर्षे पोष बदि ६ स्यौ घनौध वासी श्री श्रीमान ज्ञाय साए माईया जाए जीवी सुत कानाकेन स्वश्रेयसे श्री न मिनाथ चिंबं का प्रण श्री बृहत्तपा पक्ष श्री लक्ष्मी. सागर सूरिजिः । श्रेयो नक्तु पूनकस्य । 1774 ] सं० १५५३ वर्षे वैए सु० ११ शुके श्री श्री वशे मं0 माया सुत मंग मूखा जा रमा सुश्राविकया सुत मं० मा मेधा रामा सहितया निजश्रेयार्थं श्री सुमतिनाय किंवं का प्रए धर्मवद्धन सूरिभिः श्री जांबू ग्रामे । "Aho Shrut Gyanam" Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७३) चौविशो पर। [1775] सं० १५१५ वर्षे का शु शनी श्री श्रीमान झातीय में कहा जार्या राजुन सुत सिंह राज मं० विरुपाकेन पितृमातृवातृश्रेयार्थं श्री कुंथुनाथ चतुर्विशति जिनपट्टः का श्री ज० गुण सुंदर सूरिचिः। { 1778] सं० १५२४ वर्षे आ० सुदि १० शुक्रे श्री श्रीवंशे मं० सांगन ना सोहागदे पुत्र मं० वीरधवल ना० गुरी पुष खेतसी जन्मनाम्ना जूताकेन मं० लार्या जयतलदे जातु काला चडया भारपुत्र नोजा देवसी धीरा प्रमुखसमस्तकुटुम्बसहितेन तपितृश्रेयार्थ श्री अंचल गछेश्वर श्री जय केसरी सूरीणामुपदेशेन श्री नमिनाथ चतुर्विंशति पट्टः का प्रण श्री श्री. संधेन श्री भिडंपड़ा ग्रामे । शीयालबेट-काठियावाड़। जैन मंदिर। पाषाण की मूर्तियों पर। [1777] १। संवत् १२७२ वर्षे ज्येष्ठ यदि ५ रवो अद्यह । हिंधान के मिहरराज श्री रणसिंह प्रतिपत्तो समस्तसंघेन श्री महावी३ । र यि कारितं प्रतिष्ठितं श्री चन्द्रगठीय श्री शान्तिप्रन सूरि शिष्यैः श्री हरिमन सूरिभिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७४) [1778 ] * & ॥ सं० १३०० वर्षे वैशाष वदि ११ बुधे श्री सह जिगपुर वास्तव्य पही। ज्ञातीय व० देदा नार्या करदेवो कुदिसंबूत परीछ महीपाल महीचन्छ तत् सुन रतनपाल विजय पानिजवज शंकर जाया कदमी क्षिसंजूतस्य संघपति मुधिगदेवस्य निजपरि. वार सहितस्य योग्यं देवकुलिकासहित श्री मलिनाथ विंचं कारितं प्रतिष्ठितं श्री चन्द. गठीय श्री हरिप्रन सूरि शिष्यैः श्री यशोना सूरिनिः ॥ ॥ मंगलमस्तु ॥ ॥ [1779] * सं० १३१५ फागुण वदि ७ शनी अनुगधा नक्षत्रे अद्यद श्री मधुमत्यां श्री महावीर देवचेत्ये प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेष्ठि बामदेव सुन श्री सपान सुन गंधि चिवाकेन श्रात्मनः भूयोर्थ श्री पार्श्वनाथ देव विब कारितं चन्द्रगछे श्री यशोज सूरिनिः प्रतिष्ठितं । [1780] * __ सं० १३५० माघ सुदि ....गुरो प्रारबाट ज्ञात ......."प्र व्या वीरदत्त सुत व्य जाला नार्या माविकया स्वश्रेयोर्थ रांकागलोय श्री महीचन्द्र सूरि नि: महाबोर चैत्ये मी श्यनदेव विंबं कारितं । * वहां के गोरखमएडी में भोयरे के पास पड़े हुए मर्तियों पर ये देख हैं। TENSISTER "Aho Shrut Gyanam" Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ P262PARPERPE22pE2N22222226 .... . . E amPICनियम करणाकल्याएदावतात NEEDEEमराराराचा भातकोलाविता समाहवसानरमासापासासालाइरसरदाना नाउमाका नाविरत कामगावलामामात विजालिम तारामतशीनाशाहायतातिकटविस्टामिन बादामादेश मदानप्रमदातनामविगतोगमतीदर Manाशसादयतिरवतातविरोधी तंद्यानधानता दितिनवरीमोदिवसालन ततिसाहिललावामीरामना मानवतावागावापाटयालयानतिमिसलमानने मायक मानो दियायाधी के हताटवाय दतमा जादा ताटी उहा सामाजिराधमांवोधरदन या ਕਰਵੇਰਟੋ दिनिहाकविरका विनामिनिवास काहाणीमा परिरामकिमीचाही नागरिमान वादिति से मामिलाकर्मविन 50शिदिशामाधामनिमकटीDEmail | Arunातातुर सुमनाम नमरुफली तमाम दलला मातिपदामोइफल्माण मागसमयावरिया लाल कासकरेगावात बनातासगना मादिगाणवता) मदनी शासनधासनिाई कायममतादेदितित नवनवशक्षित मालपोत्र सौविस्तारासादिमोटाशिधारात दायोटरयानमा । मादेवाचतांदा साईनानावनातागाधाम पिटाला पाक्षिकाला कलायतीमाशश्रीमत्तामनिसा वावकाफलीयमावदमानवाशसहा सिदा-३यासादिया मातम् तदसावानापनको तिरलापरवाला मोहिजगत्सवानिमा नापजामहमा नारानापमा Dailyीगलकारागाजावरा माताजीयानारायशि दाजाकामहरदातरमहोदयाहासाहि प्रारिमालसाततन दीराको सुनिस्वासराशावापाड तिम्पदास्यता याममाया माल्यासहीछानसिहा वारिवानाक्षागामधीदानुशालामा । भास्वतीय वदावे करवाए सावकारागालामा प्रसाद दिखाएर यो तिताधिकाविरुपात दिमाग पुगेका मायाम निवारवाकरवधवासारततादासगाव जामीनारा 14 HOROSमा इलाका यस्यासमोदित राग यरिया का एलान एमाण JAMNAGAR TEMPLE PRASHASTI - Dated, Y. S. 1697 (A. D. 1640 ) Seega22g2222222eeee2g222222 "Aho Shrut Gyanam" Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५ ) जामनगर-काठियावाड़। श्री शांतिनाथजी का मन्दिर-बद्धमान सेउवाला । शिला लेख {1781] (शिरोजाग) जाम श्री लक्षराजराज्ये ॥ १। ॥ ए७० ॥ श्री मत्ााजिनः प्रमोदकरणः कल्याणकंदांबुदो। वि. २। नव्याधिहरः सुरासुरनरैः संस्तूयमानकरः ॥ सप्पाको जविनां म. ३। नारथतरुव्यूहे वसंतोपमः । कारुण्यावसथः कलाधरमुखो नी. ।। लडविः पातु वः॥१॥ कीड़ों करोत्यविरतं । कमलाविश्वास। स्थानं ५। विचार्य कमनीयमनंतशोनं । श्री उज्जयंतनिकटे विकटाधिना. ६। थे। हाद्वारदेश अवनि प्रमदाललामे ॥ ५॥ उत्तुंगतोरणमनोहरछ। वीतराग। प्रासादपंक्तिरचनारुचिरीकृतो:। नंद्यान्नवीनग । री वितिसुन्दरीणां वक्ष:)स्थले लक्ष ति साहि खनिकेव ॥३॥ सौराष्ट्रनाए। थः प्रति विधत्ते । कहाधियो यस्य यानिति । बर्मासनं यति मालवेशो १०। जीव्याद्यशोजितस्यकुलावतंसः ॥ ४॥ श्रीवीरपट्टकमसंगतोऽभूत् जाग्या११। धिकः श्रीविजयेंऽसूरिः। श्रीमंधरैः प्रस्तुतसाधुमार्गश्चक्रेश्वरोदत्तवरप्रसा११ । दः ॥ ५॥ सम्यक्त्रमागर्गो हि यशोधनाहो । दृढ़ीकृतो यत् सपरिक दोऽपि । १३ । संस्थापित श्रीविधिपदगछः । संघेश्चतुर्धा परिसेव्यमानः ॥ ६॥ पट्टे तदीये ज. १४ । यसिंहमूरिः । श्री धर्मघोषोऽथ महेंसिंहः । सिंहनश्चाजितसिंहसूरि । २५ । देवेंधसिंहः कविचक्रवत्तीं ॥ ॥ धर्मप्रनः सिंदविशेषकाहः । श्री मा * जामनगर का सेठ वर्द्धमान शाहका बनाया हुआ प्रसिद्ध मन्दिर का यह लेख वहां के पण्डित हीरालालजी हस. राजजी ने अपने “जैनधर्म नो प्राचीन इतिहास" नामक पुस्तक के २ य भाग के पृष्ट १७७-१७६ में अक्षरान्तर छपवाया था. आचार्य महाराज मुनि जिनविजयजी ने अपने प्राचीन जैन लेख संग्रह के २य भागमें पृष्ठ २९६ से २६८ में प्रकाशित किया है, परन्तु मूल शिलालेख की प्रत्येक पंक्तियां दोनों में स्पष्ट नहीं है इस कारण यहां पुन: प्रकाशित किया गया। "Aho Shrut Gyanam" Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७६ ) १६ । न् महेंऽप्रनसूरियः ॥ श्रीमेरुतुंगोऽमितशक्तिमांश्च । कार्यद्भुतः श्री ज. १७। यकीर्ति सूरिः॥ ॥ वादिहिरौधे जयकेसरीशः । सिद्धांतसिंधु वि ना२७। वसिंधुः । सूरीश्वरश्रीगुणशेवधिश्च । श्री धर्ममूर्ति मधुदीपमूतिः ॥ ५ ॥ १७। यस्यांधिपंकज निरंतरसुप्रसन्नात् । सम्यक्फत तिसमनोरथवृक्षमालाः ॥ श्री. २७ । धर्ममूर्तिपदपद्ममनोझहंसः । कल्याणसागरगुरुङयताफरियां ॥१०॥ २१ । पंचाणुव्रतपालकः स करुणः कल्पनुमा नः सतां । गंजीरादिगुणोज्वलः शु. २२। नवतां श्रीजैनधर्मे मतिः । वे काव्ये समतादरः दिनितले श्री उसवंश वितुः २३। श्रीमहालणगोत्रजो वरतगेऽनूत् साहि सीहानिधः ॥ ११ ॥ तदीय पुत्रो इरपालना२४। मा देवाञ्चनंदोऽत्र स पर्वतोऽनृत् । वन्नुस्ततः श्रीअमरातु सिंहो । चाग्याधिकः कोटि२५ । कलाप्रवीणः ॥ १५ ॥ श्रीमताऽमरसिंहस्य । पुत्रामुक्ताफलोपमाः । वर्धमानचापसिंह २६। पद्मसिंहा अमीत्रयः ॥ १३ ॥ साहि श्री वर्षमानस्य । नंदनाश्चंदनापमाः । वीमहो २७ । विजपालाख्यो लामो हि जगमूस्तथा ॥ १४ ॥ मंत्रीश पद्मसिंहस्य । पुत्रारत्नोपमा स्त्रयः। २७ । श्रीश्रीपालकुंरपाल । रणमला वरा श्मे ॥ १५॥ श्रीश्रीपालांगजो जीया। नारायणो मनो. शए। हरः । तदंगल: कामरूमः कृष्णदासो महोदयः ॥ १६ ॥ साहि श्रीकुंरगाहस्य । वर्तते इन्व३० । यदीपको। सुशीलस्थावराख्यश्च । वाघ जिलाग्यसुन्दरः ॥ १७ ॥ स्वपरिकरयुताच्याम मात्य ३१ । शिगेरत्नान्यां साहि श्रीवर्धमानपद्मासंहाशं हबारदेशे नव्यागरे जाम श्रीशत्रु शल्यात्मज ३। श्री जसवन्तजी विजयिराज्ये श्री अंचवगछेश श्री कल्याणसागर सूरीश्वराणामुए. दशेनात्र श्री शां३३ । तिनाथप्रासादादिपुण्यकृत्यं श्रीशांतिनाथप्रभृत्येकाधिकपंचशत्यतिमाप्रतिष्ठायुगं कारा "Aho Shrut Gyanam Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७ ) ३४ । पितं चाद्या सं० १६७६ वैशाख शुक्ल ३ बुधवासरे द्वितीया सं० १६७० वैशाख शुक्ल ५ शुक्रवासरे ३५ । संघ १६७४ मार्गशीर्ष शुक्क ३ गुरुवासरे उपाध्याय श्रीविनयसागरगणेः शिष्य सोजाग्यसागरैः (अधो नाग) ३६ । रोलीयं प्रशस्तिः ॥ मनमोहन सागरपालाद (बाम नाग) ३७ । मंत्रीश्वर श्रीवर्धमान पद्मसिंहान्यां सप्तलक्षरूप्यमुडिकाव्ययीकृतानवकेत्रेषु सादि श्रीधापसिंहस्य पुत्रैः श्रीछामयानिधः । तदंगजी इद्धमती । रामनीमावुनावपि १७ ॥ श्री आदीश्वरजी का मन्दिर । [1782] १। श्री गौतम स्वामीनि लब्धि ॥ न । हारक चक्रवर्ति नहारक श्री ३। हीरविनय सूरीश्वर चरण पाए । कान्यो नमः ॥ सं० १६३३ वर्षे परम ५। गुरु श्रीमत्तपागबाधिराज सकल- ६। नट्टारकपुरंदर नहारक श्री हीरवि । जय सुरिराज्ये तथा जाम श्री शत्रशब । राज्ये पाश्रीरविसागर गणि विशिष्यो ए। पदेशेन नवीननगर सकल संघ मु. १०। खसंधेन स्वश्रेयसे नवीन शिख११ । रं बया प्रासादः कारितः ॥ ततो अक. १३१ वर सुरत्राण प्रेषित मुग्गलरुप१३ । अवकरणान्तरं नहारक श्री श्री १४। हीर विजय सूरि पहोदयानिदिन१५ । कर नहारक श्री ५ श्री विजय से- १६ । न सूरिराज्ये ॥ सं० १६५१ वर्षे १७। श्री श्रीमाली झातीय । लणसाली १७। आणन्द नणसाली अवजीच्या १ए । जसाक्षी थाणन्द सुत जीवरा- २० । ज मेघराज प्रमुखसका कुटुं. ३१ । वयुनाच्यामेक त्रिंशत् सहस्र २५। ३१००० रौप्य मुजाव्ययेन पुनर१३। (प तथैव कारितं । सांप्रतं विज- २४। यमान आचार्य श्री श्री श्री ३ श्री "Aho Shrut Gyanam" Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) २५। विजयदेव सूरीश्वर प्रसादात् । १६ । चिरं तिष्टतु । शिवमस्तु सकल सं२७। घस्य ॥श्री॥ श्री॥श्री॥ आदिनाथ २७। श्रावां कृतः । प्रासादनाम विजयषणः प्रासादः । Paare & I तालाजा-काठियावाड । पाषाण के चरणचौकी पर। [1788 ] * जै सं० १३०२ वैशाख सु०३ धपक्षकका वास्तव्य उ० पदमसीह सुत उ जाला 0 मदन जयता तेन ॥ ७ मदन जाय उष्मा देवी श्रेयोर्थ सुत उ० पाहणेन श्री महा. वीर बिवं पट्टकं च प्रतिष्ठितं श्राचार्य श्री माणिक्य सूरिनिः। [1784] है। संभ १५१ए वर्षे दएड श्री धांध प्रभृति पञ्चकुलन श्री मुनिसुव्रतस्वामी देवा । ..." णि ..." पा विशेषपूजाप्रत्ययमएड पिकायां प्रतिवर्षी हो ३। ..." 5 (२) ४ चतुर्विंशतिधम्माः । ६० खबमादेश. । बहु निर्वसु ४। [धा जुक्ता] राजनिः सगरादिनिः । यस्य यस्य यदा मि तस्य तस्य ५। तदा फलं ॥१॥ तथा समस्तप्रमदाकुलाय अ .... पूर्णिमादि ६। " (रके) ४ चत्वारि उमाश्च ॥ पञ्चकुलसमदे देवद.... ।.."७४ पीजामः ३व रक्षपटा -मबाय * यह लेख तलाज़ा से पूर्व में हजूरापीर की कबर से मिली हुई मूर्तिरहित पाषाण की चरण चौकी पर है और भावनगर वान्टुन लारो के म्युजियम में सुरक्षित है। "Aho Shrut Gyanam" Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७ए ) माङ्गरोल-काठियावाड। पाषाण की मूर्ति पर। [1785 ] * १। ॥ सं० १५५३ वर्षे आषाढ़ सुदि ४ शनौ ३० चाविगन मदं वचराजे(न आत्म श्रेयोर्थ श्री मुनिसुव्रतस्वामि प्रतिमा । कारिता प्रतिष्ठिता च श्री देवना सूरि शिष्यैः श्री जिनचन्द्र सूरितिः ॥ वेरावल-काठियावाड। शिला लेख। [1788 ] + १। ........ निवनाति नित्य मद्यापि वारिधौ ॥ श्रे(?) प्रपा(सा) दनीष्ट संसिद्धये मुखं चन्द्रप्रनं .... । ...... स पाटकान्यं पननं तद्विराजते ॥३॥ मन्ये वेधा विधायत विविधित्सुः पुनरीह .... दे ३। ......... रेन्जैनत्रयमंत्रर्यत्रखदमीः स्थिरीकृता ॥ ५ ॥ तन्निःशेषमहीपालमौली: घृष्टांशि ४। सौ नृपः। तेनोखातासुन्मूलो मूलराजः स उच्यते ॥ 3 ॥ एकैकाधिकपाला सम .... ५। .... सबजखुराहत । अतुन्छलत्युयं पर्वज्रममजीजनत् ॥ ए ॥ पौरुषेण प्रज्ञापन पुण्येन ... * यह लेख रावली मसजीद के पास खुदाई में निकली हुई मूर्ति के चरणचौकी पर है। • यह लेख वहां के फौजदारी उतारे में रखा हुआ है। "Aho Shrut Gyanam" Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १ ) ६ । ....... र न्यून विक्रमः । श्री नीमपतिस्तेषां राज्यं प्राज्यं करोत्ययं ॥ ११ ॥ नावाक्षराएयनत्राणि यो वसज्ञम(वनजम) ७। .... नंदि संघे गणेश्वराः। बनूवुः कुंदकुंदाख्या साक्षात्कृतजगत्रयाः ॥ १३ ॥ येषा माकाशगामित्वं त्य। छ। ...... शत(पं)चकमुज्वलं । रमयित्वाध जन्मांतियेऽन्यनियमपुर्वकं ॥ १४ ॥ कालेऽ. स्मिन् नारते क्षेत्रे जाता ए । ... रीणा तत्व वर्मनि तेषां चारित्रिणो वंशे नूरयः सूरयोऽनवन् ॥ १७ ॥ सवाद्य पि निषाः सकलापंकः १०। प्रना यस्या रुरोह तत् । श्रीकीर्ति प्राप्य सत्कीर्ति सूरि नूरिगुणं ततः ॥ १५ ॥ यदीयं देशनावारिं सम्यग् वि(ग्रो) ११ । ........ कश्चित्रकूटाच्च चालप्तः श्रीमन्ने मिजिनाधिशः तीर्थयात्रा निमित्ततः ॥ २१ ॥ अण हिसपुरं रम्यमाजगा १५ । ..." नीशाय ददौ नृपः। विरुदं मएकलाचार्यः सचत्रं सम्मुखासनं ॥३॥ श्रीमुखवसंति काख्यं जिनजिवनं तत्र १३ । .... संझयैव यतीश्वरः । उच्यतेऽजितचन्दोयस्ततो जूत् स गणीश्वरः ॥ २४ ॥ चारु कीर्चियशः कीर्तिश्च १४ । ........ युक्तो को रत्नत्रयवानपि । यथावविदितात्मा सानुत् क्षेमकीर्तिस्ततो गणि ॥७॥ उदतिस्म लसद्ज्योति १५। ..... पित्रासिते हेमसूरिणा वस्तू प्रायरणं येन वशे .... लेयिनं ॥ ए॥..... १६ । ............. कीर्तिर्यत्कीर्तिनतको व.... । विजुवनरा ..." वासुकि नूपुरशशितिलक निपल्या ॥ ३१॥ ते १७। ....ति ॥ ३२ । समुद्धृतसमुन्नवीर्ष भी जिनालयः । यः कृता रत्ननिर्वाइसमुत्साह शिरोमणि "Aho Shrut Gyanam" Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९०१ ) शयैरखगएयते ॥ ३४ ॥ वादिनो यत्पद इन्द्रनखचन्द्रेषु बिंबिताः । कुर्वते विगत श्रीका: कलेक १७ । दं तीर्थभूतमनादिकं ॥ ३६ ॥ सीतायाः स्थापना यत्र सामेशः पक्षपातकृत् । प्रजोस्त्रैलोक्य २० । .... तडुछ्रुततेन जातोद्धारमनेकशः ॥ ३८ ॥ चैत्यमिदं ध्वज मिषतो निजजुजमुद्धृत्य सक २१ । तो मंडललितिकीर्त्ति सुकीर्त्तिः । चतुरधिकविंशति जसध्वजपटपट्टसूक ॥ मेतदीय सोष्ठिकानामपि गनुकानां ॥ ४१ ॥ यस्य स्तानपयोनु लिप्तमखिलं जुष्टं चन्द्रप्रनः स प्रस्तीरे पश्चिमसागरस्य जयतादिग्व्यससां शासनं ॥ ४२ ॥ जिन पतिद 201 २२ । ..... दवी २३ । २४ । .... २५ । चाय पिय व्रतविनयसमेतैः शिष्यवर्णैरुपेतैः ॥ ४३ ॥ श्रीमविक्रम जूपस्य प्रवरकीर्त्तिरिमां ॥ ४५ ॥ aur द्वादशे क कीर्त्ति लघुः । चक्रे प्रशस्तिः मनघो गणि सं० १२ 2440 जैन मंदिर | शिला बख । [ 1787] १ | ॥ ऐ ए० ॥ संवत् २०७६ वर्षे शाके १७४१ प्रवर्त२ । माने माघ मासे शुक्लपदे अष्ठमी तिथौ शनिवा३ | सरे श्री देवका पाटण नगर श्री चन्द्रप्रन जि. १४ । न जीर्णोद्धार समस्त संघेन कारापितं जहार५ । क श्री श्री विजय जिणेन्द्र सूरि उपदेशात् श्री ६ | मांगओर वास्तव्य शा० नानजी जयकरण ७। सुत मकनर्जी ॥ छ ॥ सुन्दरजीकेन जीर्णोद्धा "Aho Shrut Gyanam" Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९२) । र प्रतिष्ठा कारापितं जट्टारकं श्री श्री विजय. । (जन्छ सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्री मत्तपागडे १०। जब लग मेरु अडग है तब लग शशि श्रो११ । र सूर । (जहां लग ए पट्टक सदा रह जो स्थि. १२। र जरपूर १ लि । वजीर ज्योति लोकविजयेन । गाणेसर-गुजरात । जैन मन्दिर। शिखा खेल। [17883 १। ॥ ए० ॥ स्वस्ति सं० १२११ वर्षे वैशाख सुदि १४ गुरौ श्रीमदण हिलपुर वास्तव्य प्राग्वाट उप श्री चण्डपात्मज ३० (चं)। । डप्रसादांगज व श्री सोमतनुज 3 श्री आशाराज तनुजन्म उप श्री कुमारदेवी कुक्षिसमुद्भूत लूणि(ग) ३। महं० श्रीमालदेवयोरनुजमह श्री तेजःपालाग्रज महामात्य श्री वस्तुपालात्मज महं० श्री जयतसिंह (स्तम्न) ४। तीर्थमुखाव्यापार सं ३० वर्ष पूर्व व्यावृण्वति महामात्य श्री वस्तुपाल महं० श्री तेजःपालाच्यां समस्तमहातीर्थेषु .. ५। तथा अन्यसमस्तस्थानेष्वपि कोटिशोऽनिनवधर्मस्थानानि जीर्णोद्धारश्च कारिताः तथा सचिवेश्वर श्री वस्तु६। पालेन आत्मनः पुण्यार्थमिद गाणनति ग्रामे प्रपा श्रीगाणेश्वरदेवमएमपः पुरतस्तोरणं (अपर)तः प्रतोलीद्वाराल(कृ) "Aho Shrut Gyanam" Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९९३ ) ७ । त प्राकारश्च कारितः || ६ || गांजीयें जलधिर्व निर्वितरणे पूषा प्रतापे स्मरः सौन्दर्ये पुरुषत्रने रघुपति वचस्पतिर्वा ८। ये । लोकेऽस्मिन्नुपमानतामुपगताः सर्वे पुनः सम्प्रति प्राप्तास्तेऽप्युपमेयतां तदधिके श्री वस्तुपाले सति ॥ १ ॥ विद (धति) ए । वितस्तु कौटिल्यवस्तुपाला ये । ते कुर्वते न कस्मात्कूकूनारयोः समतां ॥ २ ॥ वदनं वस्तुपाल (स्थ) १० | कमल को न मन्यते । यत् सूर्यालोकने स्मेर जवति प्रतिवासरं ॥ ३ ॥ श्री वस्तुपाल सम्प्रति परं मति कर्म (कु) ११ | ता जवता | निर्वृतिरर्थिजने च प्रत्यर्थिजने च संघटिता ॥ ५ ॥ तस्मै स्वस्ति चिरं चलुक्य तिलकामात्याय ..... १२ | क्रान्तक्रतुकर्मनिर्मलमति: सौवस्तिकः शंसति । राधे येन विना विना च शिविना ୮ ना १३ | वासित मम्मटा: स्वसदनं गर्छति सन्तः सदा ॥ ५ ॥ महामात्य श्री वस्तुपालस्य प्र (शस्तिरियं ) .... ४६ 0438 प्रभास पाटण- गुजरात | बावन जिनालय मन्दिर | मूर्तियों पर । [ 1780 ] १। ० दीरा देवि पितृ० बोरदेव मातृ सक्तं संघ० पेथम संघ कूशुरा संघ० पदमेल महं० [ ( कम ) सी वयजलदेवि महं० श्राहणसीद महं० महणसीद व्यव० लाषण सो० महिपाल मातृ सक "Aho Shrut Gyanam" Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९०४ ) २ । ० रत्न उ० लूषी ॥ व० ॥ षीमसीह श्रे० डोकर न० घडलसीद उ० धांध ० आमुल नागल श्रे० नागसूर राजब सा० वस्तुपाक्ष धांधलदेवि व० बरदेव ० महत् ३ | फो०रिसीह ० मदथा वदरा श्ररसीह राजपाल श्रे० रतना जा० रामसीह मातृ लक्ष्मी मम्सी दो० लूगा उ० पाता श्रीयादेवी सुहव व पतसीह उ० सिरी ४ । ० सीड़ा ॥ मातृ० वालिपि ० वयरसीह फो० धरणग धाधवदेवि राजल || बापई बाo तेजी वoतिदुपाल व बाबि फो० मूला सुपल प द्वा० सोवल कामलदेवि ३० लघमीचर | चरणचौकी पर | [ 1790] * १ | || ए० ॥ सं० १६० वर्षे फाल्गुन सित द्वादशी सोमवासरे श्री द्वीप बन्दिर वास्तव्य वृद्धशाखोय उकेश ज्ञातीय सा० सुहासी नार्या संपूराई सुत सा० सिवराज नाम्ना श्री कुंकुमरोल पार्श्व बिंबं सपरिकरं कारितं प्रतिष्ठितं च स्वप्रतिष्ठायां । प्रति २। ष्टितं च तपागच्छाधिराज अहारक श्री १७ श्री हरिविजय सूरीश्वर पट्टालंकार ज० श्री १७ श्री विजयसेन सूरीश्वरपट्टप्रजाकर जहारक प्रभु श्री १७ श्री विजयदेव सूरिनिः । स्वप्रतिष्ठिताचार्य श्री ५ श्री विजयसिंह सूरिनिः साथा ( ? ) व शिष्योपाध्याय श्री ५ श्री अवस्यगणप्रमुखपरिकरितैः ॥ शुनं जवतु ॥ श्री ॥ [1791] + १। सं० १३३० वैशाख सुदि (२) शनौ पल्लीवाल ज्ञातीय उ० आसाढ़ ० सापवान्यां जा जाल्ह श्रेयोर्थ ५। श्री मलिनाथ बिंबं वण् यासपालेन कारितं प्रतिष्ठितं श्री पूर्ण नऊ सूरिभिः । [1792 ] + १ | | जे सं० १३४० ज्येष्ठ यदि १० शुक्रे पल्लीवाल जा० वीरपाल चा० पूर्णसिंह जा० वय * यह लेख जमीन से निकली हुई मूर्ति के चरणों की पर है। 1 महिनाथ महादेव के मन्दिर के पास पड़ी हुई खण्डित मूर्तियों पर ये लेख हैं । "Aho Shrut Gyanam" Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १एय) । जलदेवि पु० कुम रिसिंह केलिसिंह ना० ''यात्मश्रेयो) ॥ श्री पार्श्वनाथ विंबं का. ३। रितं प्रतिष्ठितं श्री कोरंटकीय ...." सूरिभिः शुनं ॥ MATRETEST रखंभात-गुजरात। श्री आदीश्वर नगवान का मन्दिर । शिक्षा लेख [1793] ।॥ ए ॥ नमः श्री सर्वज्ञाय ॥ धीराः सत्यमुशंति यधिक्ने ( यन्नेति) नेति श्रुत साहित्योपनिषन्नि । पएणमनसो यत् प्रति मन्वते सार्वझं च यदा मनंति मुनयस्तत्किंचिदत्यद्भुतं ज्योति योतितवि. ३। टपं वितनुता जुक्तिं च मुक्तिं च वः ॥ १॥ श्री मद्गुर्जरचक्रवर्तिनगरप्राप्त प्रतिष्ठो ऽजनि प्राग्वाटायर४। म्य वंशविक्षसन्मुक्तामणिश्चंडपः ॥ यः संप्राप्य समुतां किस दधौ राजप्रसादोससदि क्कूक्षकष. ५। कीर्तिशुनहरीः श्रीमंतमंतर्जिनं ॥२॥ अजनिरज निजानिज्योतिरुद्योतकीर्तिस्त्रिज. गति तनुज६ । न्मातस्य चाडप्रसादः ॥ नखमणिसख(शार्ड)सुन्दरः पाणिपनः कमकृत न कृतार्थ यस्य कदाटुकल्पः । ॥३॥ पत्नी तस्या जायतात्पायताक्षी मूर्तेन्द्र श्रीः पुण्यपात्रं जयश्रीः ॥ जज्ञेतान्याम ग्रिमः सूरसंज्ञः पुत्रः श्री "Aho Shrut Gyanam" Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( रए ) छ। मान् सोमनामा द्वितीयः॥ ५ ॥ निर्माप्यादि जिनेन्द्रविबमसमं शपत्रयोविंशति श्री जनप्रतिमा विराजि. ए। तमसावन्यचितुं वश्मनि ॥ पूज्यः श्री हरि प्रसूरिसुगुरोः । पावीत् प्रतिष्ठाप्य च खस्यात्मीय कुलस्य चाक१०। यमयं श्रेयो निधानं व्यधात् ॥ ५॥ असावत् सावाशाराजं तनुजसमं सोमस चियः प्रियायां सीतायां शुचि च ११। रितनत्यामजनयत् ॥ यशोजिर्यस्यै निर्जगतिविशदे दीरजलधौ निवासकप्रीति मुदस. जजर्दि१५। पुःःप्रतिपदं ॥ ६ ॥ श्री रेवते निम्मितसत्यपात्रः केनोपमान स्त्विह सोऽश्वराजः ॥ कलंकशंकामुपमान१३ । मेव पुष्णात्यहो यस्य यशः शशांके ॥ ७ ॥ अनुजोऽस्यापि सुमनुजस्त्रिजुवनपालस्तथा स्वसाकेली १४ । आशा राजस्याजनि जाया च कुमारदेवीति ॥ ॥ तस्याऽजूत्तनयो जयो प्रथमकः श्री मखदेवोऽपरथं १५ । चञ्चंगमरीचिमएडलमहाः श्री वस्तुपालस्ततः । तेजःपालइति प्रसिझमहिमा विश्वस्त्र तुर्यः स्फुरच्चा१६ । तुर्थः समजायतायतमतिः पुत्रोऽश्वराजादसौ ॥ ए॥ श्री महदेव पौत्रौ लीवू सुन पुण्यसिंह तनुज२७। न्मा ॥ आम्हणदेव्या जातः पृथ्वीसिंहाख्ययाऽस्ति विख्यातः ॥ १० ॥ श्री वस्तुशल सचिवस्य गेहिनी देहिनीव गृ. २७। हलक्ष्मी: ॥ विशदतचित्तवृत्तिः श्री ललितादेवी संझास्ति ॥ ११ ॥ शीतांशुप्रतिवीर पीवर यशा विश्वऽत्र १५। पुत्रस्तयो विख्यातः प्रसरद्गुणो विजयते श्री जैनसिंहः कृती ॥ लक्ष्मीर्यत्करपंकज प्रणयिनी हीनाश्रयात्न "Aho Shrut Gyanam" Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) २० । सा प्रायश्चित्तमिवाचरत्यहग्दः स्त्रानेन दानंजसा ॥ १२ ॥ अनुपमदेव्यां पत्न्यां श्री तेजःपाल सचिव तिलकस्या । २१ । लावण्यसिंह नामा धान्नांश्रामायमात्मजो जज्ञे ॥ १३ ॥ नानूवन्कति नाम संति कतिनो नो वा जविष्यंति के किं. २२| तुकापि न कोपि संघपुरुषः श्री वस्तुपालोपमः ॥ पुण्येषु प्रहरन्नर्निशामदो सर्वा निसारोडुरो येनायं वि. २३ । जितः कविर्विदधता तीर्थेशयात्रोत्सवं ॥ १४ ॥ खधर्माङ्गयागेन स्थेयसीतेन नन्वता ॥ पौषधालयमालायं (लेग्यं) २४ । निर्ममेन विनिर्ममे ॥ १५ ॥ श्री नागेन्द्रमुनीन्द्र गछ तर पिर्ज महेन्द्रप्रभोः पट्टे पूर्वमपूर्ववानि २५ । धिः श्री शांति सूरिर्गुरुः ॥ श्रानन्दामरचन्दसूरियुगजं । तस्मादजूत्तत्पदे पूज्य श्री हरिज सूरि गुरवोऽजून् जु २६ | वो भूषणं ॥ १६ ॥ तत्पदे विजयसेन सूरयस्ते जयंति जुवनैकभूषणं ये तपोज्वलन घूँ विभूति जिस्ते जयंति २७ । निजकीर्त्तिदर्पणं ॥ १७ ॥ स्वकुलगुरुर्गशिरेषः पौधशालाभिमानमात्येन्द्रः ॥ पित्रोः पवित्रहृदयः पुण्यार्थ २७ | कल्पयामास ॥ १८ ॥ वाग्देवतावदनवारिज (मित्र) साम है राज्यदानकलितोरुयशः पताकां चक्रे गुरोर्विज २। यसेन मुनीश्वरस्य शिष्यः प्रशस्तिमुदयप्रन सूरिरेनां ॥ १९ ॥ सं० १२८१ वर्षे महं श्री वस्तुपालन कारित पौषध ३० । शाखाख्य धर्मस्थानेऽस्मिन् श्रेष्ठि० रात्रदेव सुत श्रे० मयधर । जा० सोजाउ जान धारा । व्य० वेला विकल श्रे० पूना ३१ | सुत बीजावेड़ी उदयपाल । उ आसपाल । जा० आइय उ गुणपाल ऐतैर्गोष्टिकत्वमंगीकृतं ॥ एनिगोष्ठिरस्य धर्मस्थानस्य ५७ "Aho Shrut Gyanam" Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (रए ) ३५ । .."स्तम्जतीर्थ - कायस्थवंशेनाद ..."उटैकितः .... सिया ..... लिख .... मिहच ३० सु० ... सूत्रधार कुमरसिंहनोत्कीर्णा ॥ शिक्षा क्षेत्र-जोयरे के द्वार पर । [1794 ] १।। ए ॥ श्री गुरुभ्यो नमः ॥ श्री विक्रम नृपात् संवत् १६६१ वर्षे वैशाख सुदि ७ सामे श्री । स्तंजतीर्थनगर वास्तव्य ॥ ऊकेश झातीय ॥ आबूहरा गोत्रविरूपण ॥ सौवर्णिक ॥ कलासु ३। त ॥ सौवर्णिक ॥ वाधा नार्या रजाई । पुत्र ॥ सौर्णिक व डिआ । नार्या सुहासिलि ॥ पुत्र । सौव४। णिक ॥ तेजपान जार्या ॥ तेजसदे नाम्न्या ॥ निजाति सौवार्षिक तेजपाल प्रदत्ताझ. ५। या ॥ प्रजूत व्यव्ययेन सुमिगृहश्रीजिनप्रासादः कारितः ॥ कारितं च तत्र मूल६। नायकतया स्थापनकृते श्री विजयचिंतामणि पार्श्वनाथ विवं प्रतिष्ठितं च श्रीमत्त। पागहाधिराज नद्दारक श्री आणंद विमल सूरि पहालंकार ॥ नहारक श्री विजयदा। न सूरि तत्पप्रजावक सुविहितसाधुजनध्येय सुगृहितनामधेय । पात ॥ ए । साह श्री अकबरप्रदत्तजगारूविरुद्धारक नट्टारक श्री हीरविजय सूरि १०। तत्पहोदयशक्षसहस्रपाद ॥ पातसाह । श्री अकबरसनासमक्षविजितवा११। दिधृदसमुद्भूतयशः कर्पूरपूरसुाजीकृतदिग्वधूवदनारविंद नारक श्री विजय १२ । सेन सूरिजिः ॥ क्रीडायानसुपर्वराशिरुचिरो यावत् सुवर्णाचलो ॥ मेदिन्यां ग्र२३ । हराएकवं च वियति ब्रहोंदुमुख्यंलशत् ॥ तावत्यागतासे वितपद श्री पार्श्वना१४ । थप्रजो ॥ मूर्ति श्री कलितोऽयमत्र जयतु श्रीमझिानेन्शालयः॥१॥ ॥ ॥ • LEUEUEUELEUELELELELE SE ETELEnanandannan. "Aho Shrut Gyanam" Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पोसिना-भरुअछ। शिलाल [1795 ] * १। भाग्याटवंशे श्रे० उहड यन श्री जिनः । जन सूरि समुपदेशेन पादपरा ग्रामे उं. ३। दिवस हिका चैत्यं श्रीमहावीर प्रतिमा । युतं कारिनं । तत्पुत्रौ ब्रह्मदेव शरणदे५। यौ। ब्रह्मदेवेन सं० १३१५ अत्रैव श्रीन- ६ । मि मंदिर रंगमंडपे दादाधरः कारितः । श्रीमानसूरि समुपदेशन तदनुज श्रेण् । शरणदेव नार्या सूहबदेवि तत्पुत्राः श्रेय ए। धीरचंड पासड़ । आंबड रावण । यैः श्री पर. १०। मानन्द सूरीणामुपदेशेन सप्ततिशततार्थ का. ११। रितं ॥ सं० १३१० वर्षे । वीरचंड नार्या सुषमणि १२। पुत्र पूना जार्या साहग पुत्र लूणा जांऊण आं१३। बड़ पुत्र वीजा खता। रावण नायर्या हीरू पुत्र बो२४ । डा नार्या कामल पुत्र कडुआ ॥ ६0 जयता नार्या मूं. १५ । बा पुत्र देवपाल । कुमरपाल । तृ रिसिंह नाण १६ । गजरदेवि प्रभृतिकुटुम्बसमन्वितैः श्री परमा१७ । नन्द सूरिणामुपदेशन सं० १३३७ श्री वासुपूज्य १७। देवकुलिका । सं० १३४५ श्री समेतशिषर१९ । तीर्थ मुख्यप्रतिष्ठा महातीर्थयात्रां विधाप्या२० । त्मजन्म एवं पुण्यपरंपरथा सफल कृतः । १। तदद्यापि पोसिना ग्रामे श्री संघेन पूज्यमान. २१ । मस्ति ॥ शुलमस्तु श्री श्रमणसंघप्रसादतः ॥ भिराल से मेल दर पर 'पोसिना' प्राम में जैन मन्दिर के भैरवजी की मूर्ति के निचे पत्थर पर यह लेख है। "Aho Shrut Gyanam" Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 0 ) उना-काठियावाड़। जैन मन्दिर-शाहबाला वाग। शिला लेख। [1706] * १। ॐ स्वस्ति श्री संग १६५५ वर्षे कार्तिक वदि ५ बुध । येषां जगगुरूणां संवेगवैराग्यलोजाग्यादिगुणगण३। श्रवणात् चमत्कृतैर्महाराजाधिराज पातिसाहि श्री अकबरालि. ४। धानः गूर्जरदेशात् दिल्लीमएफने सबहुमानमाकार्य धर्मोपदेशा५। कर्णनपूर्वकं पुस्तक कोशसमर्पणं मावनिधानमहासरोमव्यव६। धनिवारणं प्रतिवर्ष पाएमासिकामारिप्रवर्तनं सर्वदा श्री शत्रुजयतीर्थे मुं। डकानिधानकरनिवर्तनं जीजियानिधानकरकर्त्तनं निजसकलदेशे दा। पमृतं स्वमोचनं सदैव बूंद(?)ग्रहण निवारणं सत्यादिधर्मकृत्यानि सकल. ए। लोकप्रतीतानि कृतानि प्रवत्त तेषां श्री शत्रुजये सकल देशसंघयुतकृत. १७। यात्राणां जाउपदशुक्कैकादशीदिने जातनिर्वाणं शरीरसंस्कारस्थानासन्न११। कलितसहकाराणां श्री हीरविजय सूरीश्वराणां प्रतिदिनं दिव्यनाथनाद१। श्रवण दीपदर्शनादिकै यत्स्वजावाः स्तू रसहिताः पापुकाः कारिताः पं० १३ । मेघेन जार्या खामकी प्रमुखकुटुम्बयुतेन प्रतिष्टिताश्च तपागाधिराज - १४। हारक श्री विजयसेन सूरिनिः जा श्री विमलहर्षगणि उ० श्री कल्याण१५। विजय गणि उप श्री सोमविजय गणिनिः प्रणतानव्यजनैः पूज्यमानाश्चि. १६। रं नंदंतु ॥ लिखिता प्रशस्तिः पद्मानन्दगणिना। श्री उन्नतनगरे शुनं नवतु ॥ jottiin etten उना' का प्राचीन नाम उन्नत नगर था। यह शिलालेख मन्दिर के ७ देहरी में पश्चिम तर्फ से पहली देहरीका है। "Aho Shrut Gyanam" Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०१) [ 1707] (१) ॥ ऐ० ॥ स्वस्ति श्री प्रणयाश्रयः शिवमयः श्री वर्षमानाह्वयतीर्थेशश्चरमो वजूब नुव(५) न सौन ग्याजोग्यैकनूः । नंदीश प्रथमोपि पंचमगतिः ख्यात: सुधर्माग्रणी । जझे पंचमपंचमः शमव. (३) ना निग्रथं १ गोग्रणी ॥ १॥ श्री कौटिक २ वनवासिक ३ चष्ट्र । वृद्दल ५ सत्तया ६कलतः । तदा (४) गलानां संझा जातास्त पगन्धस्तथाऽजूत् ॥ २॥ प्राणन्नूदितिपालनाश विक्षसत्कोटीर हीरस्फुरज्यो(५) तिलिजलाभिषेक विधिना (जा)नांबुपंकेरुहः ॥ चिट्ठ)पावलिहोरहीरविजयाह्वानः प्रधान प्र(६) जुः श्रामएयेकनिकेतनतनुभृताम् कल्याणकपागः ॥ ३ ॥ तदादेशवाक्यैः सुधा. सारसारै । मुदा (७) कयर: पातिसाहिः प्रबुद्धः । स्वदेशेऽखिले जीवहिंसा न्यवारीदमुंचकरंचापिशगुं. जयाः ॥४॥ (७) सम्मध्यादपिशेखभौशिमहिमावर्षेसहस्रविपि । जातः श्रीविजयादिसेनसुगुरुः प्रशाल वालारुपः। (ए) येन श्रीमदकब्बरदितियतिः घर्षयनेकहिनान ॥ निर्जित्यैव जयश्रिया सह महां श्च विवाहो (१०) नवः ॥ ५ ॥ (त)त्यदे (सा)रगजमूनि देवराज (सू)रिबनूव जगवान् वि(जया दिदे)वः । य(स्या)त्रसत्यवचना(११) दनले तोकः सादादनौ छुमतस्तपसां वि (ना) शी ॥ ६ ॥ सम्यग् निशम्य च यदीय यश.प्रशस्तिमा(१२) नतद्गुणगणस्य दिदृश्यैव । सूरे हातपातिप्रथितं विरुदं श्रीपातिसा हिरकरोरस सोसमाहि "Aho Shrut Gyanam" Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 202 ) (१३) ॥ ७ ॥ यस्य व्याप्युपदेशपेशल रस द्रोणं जगत्सिंहजी : संबुद्धः सरसोर्थिसार विसरे मारीन्यावारीत्ततः ॥ ( १४ ) [ सं] व्यूढां गुहरा गरंगल लितैः कीर्त्तिस्त्रिलोकोद्रमथांतां स्थान विधानतोऽनुरंमत मिंदिर पिंडिवलात् ॥ (१५) ॥ १ ॥ श्री विद्यापुर पाति[ साहि]मुचितैर्वाचा प्रपंचैर्यकः । स्वर्नोग्यप्रतिमः प्रवोध्य सूरजीरारंजी मोचयन् (१६) तद्वत श्रीमनुजादिमर्दनपतेः श्री पातिसाहेश्वरः । स्थानेऽस्थापयेदनिपातनपरो धर्म सपगतः ॥ (११) ॥ ॥ एवं ( 20 ) देता मालि कुलो( १९ ) रा जरण यो... नामविनामा । नाः ॥ ११ ॥ तस्यांगजोगजइन्द्रो पत्रि श्रीमानि विमलकुलांबुज .... माझी विश्वातिशायियशसा जिन पूर्णचन्द्रः श्री *** ( २० ) .... 0343 .... व्यनगरानवनीतमस्मिन् राजन्य । श्रीमनि चय मूर्त्तिति ... मूर्त्तिः सकलरात्रौध्वज रूपमूचैः ॥ १० ॥ पूज श्री **** राजवं ( २१ ) ... तिस... रितू प्रतापं ॥ १२ ॥ अथ तेनमंशे किमहाय पूर्वस्वद्रव्यस्य सफलीकरणाय श्री विजया (२२) दि सूरीश्वराः श्री गुर्जरदेशात्सौराष्ट्र के पादानांसस्याः कारिताः श्री सिद्धाजियस्थाविप्रणामहम्मदसां ( २३ ) कारिता ॥ ततश्च सं० १७१३ वर्षे आषाढ़ शुद्धैकादशी तिथी । जहारक श्री विजयदेवसूरी ( २ ) वराणा व मुषापाडुका स्तूपोयं श्रीवासपात्मजेन वाई पालखी जन्मना श्री रायचन्द (२५) नाना कारितः प्रतिष्ठापितश्च संप १७१३ वर्षे माघमास सितपञ्चमी तिथी महा महोत्सवेन । "Aho Shrut Gyanam" Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०३ ) (२६) सूरेः श्री विजयादिदेवसुगुरोः पट्टाजसूर्याश्रयः सूरि श्री विजयप्रनाव्यदधत श्रेष्ठा प्रतिष्ठा (२७) मिमां श्रीमहाचकरान् विनीतविजयैः शांत्याह्वयः पावकैर्युक्ताश्चारुयशोजराः प्रतिम(२७) या वाचस्पतः सन्निनाः ॥ १३ ॥ तथा साधु श्री नमिदासेन तथा साधु वाघजीकन विनोप्रमेन का (२) रितः । कृतश्चायं हरजीनाम्ना शिदिगना । मुहर्त्तदातातु अत्र उन्नतपुरवास्तव्य नट्ट गुसांई (३०) पुत्र नट्ट रणछोड़ नामा ॥ श्रीवीपबंदिरवास्तव्यसंघजातिव्याजे जीयतां श्रीदेव विहारना (३१) गः स्तूपरूपः ॥ श्रीमत् श्रीविजयादिदेवगणभृत्यहादयामकृतेः । सूरः श्री विजय प्रनस्य क(३५ ) रुणादृष्ट्या प्रकृष्टोदयः । विद्रूपमणीकृपादिविजयां तेवासिमेणाह्वयो । सेस्यदेव विहार .... (३३) विदिते स्तूपप्रशस्ति श्रिये ॥१४॥ इति प्रशस्ति संपूर्ण ॥ श्रीरस्तु ॥ ॥७॥ LELELEUELSLSUSUSLENSUSUSU बम्बई। श्री आदिनाथजी का मन्दिर-बालकेश्वर। पञ्चतीर्थी पर। [1798] सं० १४ वर्षे श्री श्रीमाल ज्ञाप पं० राणा ना रूपादे सुत आसाफेन स्वमातृश्रेयसे थागमगचे श्री जयानन्दसूरीनामुपदेशेन श्री पार्श्वनाथ पञ्चतीर्थी कारित श्री सूरिलिः। शुनं नवतु॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २०४ चौशिं| पर | [1790] सं० १७६४ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ५ गुरौ स्तम्भतार्थ बंदिर वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय वृद्ध शाषीय वे । मेघराज जा० वैजकुखार सुत सूसगसेन स्वद्रव्येण श्री शांतिनाथ चौविशी पट्ट कारापितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे ज० श्री विजयप्रन सूरि पट्टे सविज्ञरकीय ज० श्री ज्ञानविमलसूरिजिः । घरदेरासर - गामदेवी, वाचागांधी रोड । चविशी पर। [1800] संवत १५२५ वर्षे माघ सुदि १३ बुधे मोढ ज्ञातीय ठकुर वरसिंह नार्या चांपू सुत ठकुर मूलू जार्यो कीचाई सुत ठकुर मधुरेण नार्या संपूरी प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयोर्थं श्री अनिन्दननाथादि चतुर्विंशतिपद्यः श्री श्रागमगछे श्री जयचन्द्रसूरिपट्टे श्री देवरत्न गुरूपदेशेन कारितः प्रतिष्ठापितश्च || श्री स्तम्नतीर्थवास्तव्य ॥ शुनं जवतु ॥ श्रीः ॥ सिरपुर - सागर (सी.पी.) । शिक्षा खेख । [ 1801 ] १। ॥ स्वस्ति श्री सं० १३३४ वर्षे वेशाख सुदि २ बुधदिने श्रीवृदबे सा० प्रहहादन पुत्र सा० रत्नसिंह कारितः श्री शांतिनाथ चैत्ये सा० समधा पुत्र मह नार्या सोहिणी पुत्री कुम २ | राकिया पितामह सा० पूरा श्रेयसे देवकुलिका कारिता ॥ הלבלב "Aho Shrut Gyanam" Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २०५ ) श्री सम्मेत शिखर । टोंक पर के चरणों पर। {1002] ॥ श्री रुपनानन जिन चरण प्रतिष्ठिनं श्री जैन श्वेताम्बर संघेन । [ 1803] । श्री चंझानन जिन चरण प्रतिष्ठितं श्री जैन श्वेताम्बर संघन ॥ [1804] ॥ श्री वारिषेण जिन चरण प्रतिष्ठितं श्री जैन श्वताम्बर संघेन ॥ [ 1805] ॥ श्री वर्धमान जिन चरण प्रतिष्ठितं श्री जैन श्वेताम्बर संघेन ।। ___ [1803] (१) संवत् १९३१ माघ । शु। १० । चंद्र श्री चंद्रप्र (५) जु जिनेन्द्रस्य चरण पादुका। मालधार पूर्णिमा । (३) श्री माह जयगछे । न । श्री जिन शांति सागर सू। (४) निलः । प्रतिष्ठितं । स्थापितं । श्रेयसेस्त । (५) श्री संधन कारारिता । [S07] (१) संवत् १४ मिति माघ मास शुद्ध पदे पंचमी तिथौ । (२) बुधवारे श्री पार्श्वनाथ जिनस्व र हा न्यासः श्री संघाग्रहेण । (३) श्री वृहत् खरतर गाय । जंगम । युग प्रधा (४) ननहारक । श्री जिन बंड सूदितिः प्रतिष्ठितः श्रीरस्तु ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २०६ ) [1800] यांवर सोमवारे श्री चतुविशति जिन साधु १ ) संवत् १९४२ का मि । पोष शुक्ल संख्या पाशुकाः श्री पार्श्व जिन गणधर पाडुका ( 2 ) खरतर गने महो श्री दानसागरजी गणिः नत् शिष्य पं । हित बह्नन मुनिना प्रतिष्ठितं गुज्जर देशान्तरगत मांडत वास्तव्य (३) वीर सोजाम्यवर लक्ष्मीचंदन श्री समेत शिखर प ( ४ ) रि स्थापितं ॥ १ | श्री कूपन १०००० साधुसुं घष्टापद उपर २ । श्री अजित १००० साबु सुं ३ | श्री संतव १००० साधुसुं ४) श्री अभिनंदन १००० साधुसुं ५ । श्री ६ | श्री पद्मन ३०० साधुभुं । श्री सुवश्विनाथ ५०० १००० साधुसुं ए| श्री सुविधि १००० साधुसुं १० । १२ । वासुपूज्य सुमति १००० साधु साधुसुं । श्र चंद्र श्री शीतल १००० साधु ११ | श्री वल १००० साधु ६०० साधु चंपापुर १३ | श्री विमल ६००० साधुसुं १४ | श्री अनंत ७००० साधु १२ | श्री धर्म २०० साधुसुं १६ । श्री शांति ए०० साधुसुं १७ । श्री कुंथु १००० साधुसुं १७ | श्री अरि १००० साधुसुं १ | श्री मल्लि ५०० साधु २० | श्री मुनिसुव्रत १००० साधु ५१ | श्री नवि १००० साधुसुं २३ | श्री नेनि ५३६ साधु गिरनार २३ | श्री पार्श्व ३३ साधुसुं २४ | श्री महावीर एकाकी पावापुरी ॥ [ 1800 ] ॥ सं । १९५९ माघ शुक्रवारे श्री समेत शेव्यस्य पर्वतोपरि नव्य जीवस्य दर्शनार्थ श्रीमत् आदिनाथस्य चरण पादुका स्थापिता गय धनपतिसिंह बाहादेव का० प्र० श्री विजयराज सूरि तथग ॥ [1810] (१) सं। २०२५ फा० कृष्ण २ बुधवासरे श्री बंशपुरे तीर्थ श्री वासपूज्य जी "Aho Shrut Gyanam" Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 101. TIRTHA SAMMET SIKHAR-Jaimandira. "Aho Shrut Gyanam" Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २०० ) (२) पंच कल्याएक चरण न्याम सुदावाद वास्तव्य कुगम साः प्रतापसिंह (३) जाजर्जा महताब कुमर ज्येष्ट सुर सदमीपनस्य कनिष्ट व्रात धनपत सिंह (४) कागरितं प्रतिष्ठिनं नः श्री जिनम सूरनिः वृद्धत्वरतरगडे ॥ [11] (१) ॥ संवत् १ए३४ माघ दि ५ बुधा श्री नमनाथ |जन नीन कल्यानक रेवत ., (२) जयत। तस्य चरण न्याय; ममन शिवरे स्त्र पिना मकसूदाबाद अजीमगंज (३) वास्तव्य दुगड प्रताडि नाजा महताब कुगर सुन लक्ष्मीपत कनिष्ट प्राता (४) धनपत सिंह कागपितं प्रतिष्ठित श्री पूज्य जी ज. श्री जिनइंस सूरीतः खरतर गडे (५) वृहत खरतर गः ॥ [ 1612] (१) ॥ सं १७२४ श्री फागुन वदि ५ श्री बोर वर्धमानजी का चरण पादुका मकसुदा (२) वाद वासी राय धनति सिंह छुपड़ने स्थापित किया था सो उसको बत्री बिजली (३) उपव सु गिरगइ जसपर सं ए६५ के फागुण सुदी ६ को कल मांडवी वासी (४) साः जगजीवन वालजी ने जीरण उधार कराई। जय मंदिर। पाषाण की मूर्तियोंपर । [1813] (१) ॥ संवत् १०२५ वर्षे वैशाख सुदि १३ गुरौ श्री मगसुदावाद वास्तव्य सासुरवा गोत्रीय घोलवंस झाली (५) य वृद्धशाखायाम् ॥ लालचंद मुत सुगालचेदेन श्री मद्गुरुणा उपदेशात् आत्म सं श्रेयार्थ च श्री समेत शैल (३) श्री जैन विहारे श्री सहस्त्र फणा पार्थ जिन विंच कारापितं प्रतिष्टितं च सुविहि तामणी लिः सकल मूरिवः ॥ मंगलं ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (207) [614] (१) ॥ सं १७२२ वर्षे वैशाख सुदि १३ गुगै श्री मगसुदाबाद वास्तव्य साखा गात्रीय श्रोसवंस झातीय (२) बृद्धशाखायां सा सुगालचंद नार्यया के सरकया आत्म संश्रेयाथ श्री समेत गिरा श्री जैन विहार श्री सं(३) नवनाथ विवं कागपितं प्रतिष्ठितं च सुविहिताग्रणी निः । सकन सूरिनिः ॥ इतिः मंगलं ॥ मधुवन। जगतसेवजी का मंदिर। मूर्तियों पर। [1815] ॥ सं १७२५ वर्षे वैशाख सुदि १३ गुगै सा सुगालचंदेन श्रीपाव. विश्वं कारापित। प्रा सकल सूरिनिः। [1818] (१) संवत् १७२५ वर्षे वैशाख सुदि १३ गुरौ मग . . . . . ' ज्ञातीय शाखायां सा रूपचंदजी सुन लखमीचंदजी (२) सत लाखाचंदजी माता मद कपूरचंदजी . . . . . “देत स्वयार्थ श्री समेत गिरो श्रोजन कि (३) हार श्री पार्थ जिन विवं काराषितं . . . . . . [1817) ॥ संवत् १७५२ वैशाख सुदि २३ गुरों श्री खरतर गछ आचार्थीय सा जीमजी सुन सा निहालचंदन पं . . • कारापितं ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०५) [18181 ॥ सं १७२७ शाके १६९३ । प्रवर्तमाने वैसाख सुदि द्वादशी तियो। भृगु बारे योसशन ज्ञाती वृद्धशाखायां ॥ यादि गोत्र। साप झपनदास तद्भार्या गुलाबकुथर सहितेन श्रेयोथं । कायोत्सर्ग सुनास्थित सहस्राणालंकृत श्री पार्श्वनाथ विवं कारितं । [1810] ॥ सं० १७२२ [ ? ] वैशाख सु० १३ गुरौ श्री गहिलडा गात्रीय साह कस्तुरचंद ।। धरणेन्छ पद्मावती की मूर्ति पर । [ 18201 ॥ संग्त् १७२५ माहा सुदि ३ सा । सुगावचंदेन श्री धरणेन्द्र पद्मावत्या कारापिता प्रः तपागच्छ॥ प्रतापसिंहजी का मंदिर। शिलालेख । 118211 (१) ॥ संवत् १७७ मिति माघ शुक्न १० दशम्यां तिथी श्री गो(२) डी पार्श्वनाथस्य हिनूमि युक्त चैत्यं । श्री बालूचर वास्त. (३) व्य जुगक गोत्रीय । श्री प्रतापसिंघेन कारित । प्रतिष्ठि(४) तं च श्री खरतर गजेशाः । यु । ज । श्री जिन हर सूरी. (५) यामुपदेशात् । उ । श्री क्षमाकल्याण गणीनां शिष्यति पाषाण की मूर्तियोंपर। [18221 (१) ॥ सं० १७०७ माघ सुदि ५ सामे श्री गवडी पाश्वनाथ जिन बि. "Aho Shrut Gyanam" Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) (२) बं कारितं ओसवंशे उगड गो । प्रतापसिंहेन । प्र । वृ । न । खरतर ग. (३) छाधिराज श्री जिनचंद्र सूरि . . . . . . . . स्थितैः । [ 1823] ॥ श्री गोडी पार्श्व जिन बिंब ॥ (3)॥ संवत् १७३२ वर्षे ज्येष्ट शुक्ल ११ । चंचे जीपोंछाररूपा। विजय गछे। जट्टारक श्री पूज्य श्री जिन शांतिसागर सूरिनिः प्रतिष्ठितं स्थापितं च ॥ पाषाण के चरणों पर। [1824] (१) संवत् १७० मिति माघ शुक्ल १७ दशम्यां तिथौ श्री गौडी पाश्वनाथ चैत्ये विंशति जिनेश्वराणां घरण न्यासाः श्री बाबूचर नगर वास्त (२) व्य फुगड गोत्रीय साह श्री प्रताप सिंघेन कारिताः प्रतिष्ठिताश्च । श्री महत्खरतर गन्छेशाः जंग(३) म युग प्रधान जट्टारकाः श्री जिन हर्ष सूरीश्वराणामुपदेशात् उपाध्याय पद शा जिता । श्री क्षमाकल्याण गणीनां शि(४) प्य प्राज्ञ ज्ञानानंदन पं। पानंदविमस पं। सुमति शेखर सहितेनेति । श्रेयार्थे । सम्यक्त बृष्ट्यर्थ च ॥ ॥ श्री अजितनाथजी ५ ॥ श्री संजवनाथजी ३ ॥श्री अभिनंदन नाथ जी ४ ॥ श्री सुमति नाथ जी ५॥ श्री पद्मप्रन जी ६॥ श्री सुपार्श्वनाथ जी ७ ॥ श्री चंपनजी ॥ श्री सुविधिनाथ जी ॥ ॥ श्री शीतल नाथ जी १० ॥ श्री श्रेयांस नाथ जी ११ ॥ श्री विमल नाथ जी १३ ॥ श्री अनंत नाथ जी १४ ॥ श्री धर्म नाथ जी १५ ॥ श्री शांति नाथ जी १६ ॥ श्री कुंथुनाथ जी १७ ॥ श्री अरनाथ जी १७॥ श्री मलिनाथ जी रए ॥ श्री मुनिसुव्रत नाथ जी २० ॥ श्री नमिनाथ जी २१॥ श्री पार्श्वनाथ जी ३ ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) पाषाण के चरणों पर। [1825] (१) ॥ संबत् १९३१ ॥ माघे ॥ शुक्का ए। चंगे। गोतम स्वामी ॥ (२) चरण पाएका कारापिता ॥ (३) मुनि गोकल चं ण (४) जट्टारक श्री जिन शांति सागर सूरिनिः । प्रतिष्ठितं ॥ श्री विजय गच्छे । [1826] (१) ॥ संवत् १९३३ मिति माघ शुक्ल ११ अभिनंदन जिन पापुकामिदं मक् (२) सूदाबाद वास्तव्य ओशवंशोय ढुंपक गणोमानाक् जुगड गोत्रीय बाबु (३) प्रतापसिंहस्य नार्या महताब कुमारिकस्य बृक्ष पुत्र राय बहापुर (४) लबमीपत सिंघस्य लघु घातृ रा । धनपत सिंघेन करापितं प्रतिष्ठितं सर्व सूरिणा॥ कानपुरवालों का मंदिर। शिलालेख । [1827] ॥ सं १८४३ का वर्षे शाके १७०७ प्रवर्तमाने माघ मासे कृष्ण पके एकादश्यां बुधे श्रेष्ठी श्री सिखरूप मल तादात्मज भंडारी श्री रघुनाथ प्रसाद तद्भार्या श्री बदामो बीबी तया कारितं श्री पार्श्व जिन मंदिरं महोत्सवेन स्थापना कारापिता श्री शिखर गिरि मधु. बने वृहविजयगच्छे सार्व नौम जट्टारक श्री जं. यु. प्र. श्री पूज्य श्री जिन शांति सागर सुरिनिःप्रतिष्ठितं श्रेयसे । (इसके बाई और एक पंक्ति में) श्री मत्तपागच्छाधिराज जट्टारक श्री १०७ श्री विजयराज सूरि राज्ये शुनं जवतु । मूर्तियों पर। [18281 ॥ सं० १७५४ वर्षे माघ वदि ५ चंझे श्री मत्खरतर पीपल्या गछे श्री जिन देव "Aho Shrut Gyanam" Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) । श्री जिनहर्ष सूरिनिः श्री बृहत् खरतर गछे कारित उ० पुरणचंदेन सन्नार्यया स. पुत्रेण श्रेयोर्थ । __ [1840] ॥ संवत् १ए५४ वैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्थी चंञवासरे अमृत सिद्धि योग राजनगर निवासि वायचाणा शा . . जेचंदेन श्री तपागल सूरीश्वर विजयसिंह सूरोणा . . . . . सुन स्वामीजी का मंदिर। चरणों पर। [1841] (१) सं. २०७५ मि । मार्गशीर्ष ए तिथौ रविवासरे (१) श्रीमच्छी जिनदत्त सूरीणां चरणपंकजानि (३) वृ । ख। जं। यु । प्र। न। जिनहर्ष । सू । प्रतिष्ठितानि ॥ [1842] (१)॥ सं. १७३५ । मिति मार्गशीर्ष शुक्ल ए तिथौ रविवासरे (२) श्री सरुणां पादो बृहत् खरतर ग (३) छ । जं। यु। प्रा न । श्री जिनहर्ष सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री॥ (४)॥ दादाजी श्री जिनकुशल सूरिः hastmaskinnaritails "Aho Shrut Gyanam" Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. " METAL IMAGE OF SHRI SUMATINATH. Jain Swetambara Temple-Tirtha Rajgriba. Dated V. S. 1512 (4.D. 1455) "Aho Shrut Gyanam" Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) श्री राजगृह । गांव मंदिर। पंचतीर्थी पर। [1843] संवत् १५१५ वर्षे वैशाष सुदि १३ उकेश सा० जादा नार्या जरमादे पुत्र सा नायक जार्या नायक दे फदेकू पुत्र साप अदाकेन ना सोनाई जात सा जोगादि कुटुंवयुतेन श्री सुमति नाथ बिबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिनिः॥ वढली वास्तव्यः॥ श्री॥ धातु की मूर्ति पर। [ 1844]. सं० १९५० । म । का। कृक्ष । बुधे उगड़ प्रतापसिंह लायी महताब कंवर श्री संती नाथ जिन बिवं का ॥ सफण मूर्ति पर । [ 18451 संवत् १६२ आषाड वदि । मित्रवाल वंशी घी (वी) सेरवार गोत्रीय सं० गनपति पु० स० तारात पुत्र हेमराज पार्श्वनाथ बिंब कारापितं प्रतिष्ठितं खरतर गछे जिनना सूरिलिः ॥ शुजमस्तु ॥ श्याम पाषाण की मूर्ति पर . [1846] (१) ॥ संवत् १५०४ वर्षे फागण सुदि ए महतीयाण वंशे उस देवसी पुत्र सं० जेलू षड्नी लखाई नार्या बेपी। श्री शांति "Aho Shrut Gyanam" Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२६ ) ( २ ) नाथ त्रिं कारितं प्रतिष्ठितं श्री जिनसागर सूरीणां निदेशेन व शुनशील गणिनिः चरण पर । [1847 || नमः ॥ संवत् १०१७ वर्षे माघमासे शुक्लपदे ६ तिथौ श्री चंद्रप्रन जिनवर चरणकमले शुने स्थापिते || हुगली वास्तव्य यांसवंशे गांधी गोत्रे बुलाकिदास तत्पुत्र साद माणिक चंदेन पत्री कुंडे कुंडघाटे जीर्णोद्धार करापितं ॥ १ ॥ वैजार गिरि । चौथे मंदिर में । चरणों पर । [ 1848] श्री ( १ ) संवत् १९३० वर्षे शाके १८०३ प्रवर्तमाने मासोत्तममासे ( २ ) शुने ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे द्वादशी गुरुवासरे ( ३ ) गिरिशिखरे श्री जिनचैत्यालये मूलनायक श्री ( ४ ) महावीर जिन चरणन्यासः प्रतिष्ठितं श्री तपागछे बृद्धवि (५) जय थापीतं (डू ) साद बाहादरसंह प्रताप(६) सिंह तत् पुत्र राय लखमीपत धनपतसिंग ( 3 ) चाहाद (र) जिरणोद्धार करापितं श्री रस्तु ( ८ ) । प्रथम प्रतिष्ठा संवत २०७४ शा० १७३० मासो ( ९ ) तमासे शुजे ज्येष्ठमासे कृष्णपक्षे पं(१०) चम्यां तिथौ सोमवासरे श्री जिनवन्द्र ( ११ ) सूरिजी महाराज का० श्री । "Aho Shrut Gyanam" व्यवहार Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) [18401 (१) संवत् १ए३० वर्षे शाके १७०३ प्रपर्तमाने मासोत्तम मासे (२) शुजे ज्येष्टमासे शु पदे छादश्यां नियो गुरुवासरे व्यः (३) वहार गिरिशिखरे श्री श्राद दवे चरण न्या(४) सः प्रतिष्ठितं वृष्ठविज [य] गणी राय लमिपत (५) सिंह धनपतमिह जीरणोघा. (६) र करापितं श्रीरस्तु [1850] (१) संवत् १९३० वर्षे शाके १७०३ प्रवर्तमाने (२) मासोत्तममासे ज्येष्टमासे शुकरके (३) छादशम्यां गुरुवासरे श्रीव्यवहारगिरि शिखरे (४) श्री शांतिजिन चरणप्रतिष्टा । प्रथम (५) श्री जिनहर्ष सूरिजः वृक्ष विजय प्रतिष्ठा (६) राय लमिपत धनपत बा. (७) हादर जिरणोझार कराक्तिं श्री (6) रस्तु [1851 ] (१) संवत् १९३७ वर्षे शाके १७०३ प्रवर्तमाने (२) मासोत्तममासे ज्येष्टमासे ( ३ ) शुक्लपक्ष द्वादशम्यां गुरूवासरे (४) श्री व्यवहार गिरिशिखो श्री नेमिजिन (५) चरणन्याप्त प्रतिष्ठ (1) वृद्ध विजयगणि राय लमिपति (६) धनपत संग जिरणोद्धार करापितं श्रीरस्तु । "Aho Shrut Gyanam" Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २१७) [1852] (१) संवत् १९३७ वर्षे शाके १७०३ प्रवर्तमाने मासोत्तममासे (२) ज्येष्टमासे शुक्लपक्ष छादशम्यां तिथौ गुरूवासरे (३) श्री व्यवहार गिरिशिखरे (४) श्री पार्श्वनाथ चरणयनसः प्रतिष्ठितं वृद्ध विज(५) य गणि राय लमिपत सिंह धन(६) पत संग जिरणोद्धार करापीतं के मंदिर में। चरण पर [ 1853] (१) संवत् १९३७ वर्षे ज्यष्टमासे शुक्लप (२) द्वादशम्यां तिथि गुरुवासरे आदिनाथ जिन चरण(३) न्यास प्रतिष्ठितं वृद्धविजय गणि प्रथ. (४) म जीरणोद्वार बूला किचंद तत् पुत्र माणिक (५) चंद जिरणोद्धार करापीतं इति(६)य जिरणोछार राय सबमिपति सं. (७) घ धनपतसंघ करापितं । श्रीरस्तु । व्यवहार गिरी बड़ी मूर्ति पर [1854] ॥ संवत् १५०० वर्षे फागुण सुदि ए दिने मतियाण............श्री पार्श्वनाथ विवं श्री खरतर गछे................श्री जिनसागरसूरीणां निदेशेन श्री शुनशील गुणिनिः ।। "Aho Shrut Gyanam" Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) खंडहर । पाषाण की मूर्तियों पर [1855] ॥ आँ संवत् १५०४ वर्षे फागुण सुदिए दिने महतीयाण वंशे जाटड गोत्रे संग देवराज पुत्र सं० षीमराज पुत्र सं० जिणदासेन श्री महावीर बिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गर्छ श्रीजिनचंप्रसूरि पट्टे श्री जिनसागर सूरीणां निदेशेन वाचनाचार्य शुनशील गणिनिः॥ [1856] (१) संवत् १५०४ फागुण सुदि ए दिने महतोयाण वैशे बार्ति दिया (?) गोत्रे व हरिपा (.२ ) लेन जार्या लाडो पु० व हरसि । श्री पार्श्वनाथ विवं कारितं प्रतिष्टितं । श्री (३) खरतर गछे श्री जिनसागर सूरीणां निदेशेन वाच (४) नाचार्य शुनशील गणिजिः॥ सोन नंडार । [1857 ] * निर्वाणला नाय तपस्वियोग्ये, शुन्ने गूद्देऽर्हत् प्रतिमा प्रतिष्ठे। श्राचार्यरत्नं मुनि वैरदेवः, विमुक्तये कारयदीर्घतेजः॥ मणियार मठ। चरण पर [1858] सं. २०३७ वर्षे माले माह सुदी ५ तदिने श्रीओसवाल वंशे विराणी गोने केशोदास तस्य मोतुवालकस्य नायों बीबी सताबो राजगृह नागस्य शालिनजीकस्य चरण स्थापितः। * देखो-आर्किओलजिकल सर्भे रिपोर्टस् --१९०५-०६ १०१८ *, -, -- - - , - पृ० १०३ "Aho Shrut Gyanam" Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २२०) [242] 'सुस्यासचंदस्य पत्नी के स्थान में 'खुस्थानचंदस्य पीपामा मात्रस्य पत्नी दाना चाहिये । यह टोख विपुल गिरि के मंदिर में है। [2441 'सा श्री हकु-' के स्थान में ‘सा । श्री हनुगतराय-होना चाहिये। [258] 'देवराज सं० षीमराज' के स्थान में 'देवराज पुत्र संग पीमराज' होना चाहिये । संशोधित पाठ। [257] ॥ आँ सं० १५२४ आपाह सुदि १३ खरतर गणेश श्री जिनचंद्रसूरि विजयगज्ये. तदादेश .... श्री कमन्नसंघमोपाध्यायैः स्वगुरु श्री जिनन सूरि पाउके प्रv का श्रीमान वं0 जीपू पुत्र वा बीतमल श्रावकेण श्री वैजार गिरो मुनि मेरुणा लिप ॥ यह चरण गांव के मंदिरमें है। [258] ॥ सं० १५२४ श्राषाढ सुदि १३ श्री जिनचंद्र सूरीणामादेशेन श्री कमवसंघमापाध्यायः धनाशालिजममूर्ति ॥ प्र० का 10 बीतमल श्रावकेण । [288] "पत्नी महाकुमा--तस्या" के स्थान में “पत्नी महाकुमार्या तस्या” होना चाहिये। "Aho Shrut Gyanam" Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) पटना। शहर मंदिर। संशोधित पाठ। [323] ॥ संवत १५ वर्षे वेताप शु'द ३ मुनसंघे जहारक जो श्री जिन चन्म देवा साद जीव राज पापडियाप्त नित्य प्रणमात सर ममासा श्री राजा सिरसिंघ जी रावन ....। [324] संवत १५४३ वर्षे बताष सुदि ३ मुनसंघ नबारक श्री जिन 5 देवा सा० जिवराज पाडिवाल सहर मंमासा श्री राजा सिवसंघजी रावल . . . . । दिगंबरी मंदिर-घीया तमोक्षी गली, सिटी। श्वेत पाषाण की मूर्ति पर। [1850] ॥ संघ १४ वर्षे फागुण वदि १ श्री संडेर गळे उप साह केव्हा नार्या कस्तुरी पुत्र श्री देपाल जाप देवन दे पुत्र मोकन सहितेन श्री शीतल बियं का प्र० श्री शांति सूरिनिः॥ - पटना-म्युजियम। संशोधित पाठ। [555] सम्वत् । १७७४ । वर्षे शाके १७३ए । प्रवर्तमाने । शुन ज्येष्ठमासे कृष्णपक्ष पंचम्यां नियो । सोमदिने श्री व्यवहार गिरि शिवरे श्रो॥ शांति जिन चरणान्प्रतिष्ठितं न । श्र! (जनहर्ष सूरिजः। "Aho Shrut Gyanam" Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२२) [734] ॥ सं. ! १९११ व । सा। १७७५....शुचिः । शु। १० ति। श्री शांनि जिन पादन्यासो प्र। खरतर ग जट्टारक श्री महेन्द्र सूरिजिः का । से। श्री उदेचंद नार्या माहा कुमार्य श्रे॥ बनारस। पाषाण की मूर्तियों पर। [ 1860 ] * (१) आँ संवत् १५११ वर्षे ज्येष्ठ सु० ३ गुरौ (२) श्रीमाल वंशे [ ढोर ] गोत्रे ३० (३) संग नढरव अजीतमस नार्याया (४) पुत्र......... (५) श्री सुमति नाथ विंबं का (६) प्रति श्री जिनचं सूरि... (७) श्री जिनतिलक सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ [1861] * (१) याँ स्वस्ति संवत् १५११ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ पुष्यनक्षत्रे गुरौ श्रीमालवंशे ढोर गोत्रे सोवनपाख जार्या...... (२)..............यादिनाथ...... (३) खरतर ग० श्री जिनहर्षसूरि संताने श्री जिनतिलक सूरि प्रतिष्ठितं [1862 ] * (१) [नर ] पास नार्या । महुरी पुत्र व जरतपाल.... (२) सं० उडरव अजितमच.... श्याम पाषाण की बोटी मूर्ति पर। [1863]. सं० १३१२ वैसाख वदि....... "Aho Shrut Gyanam" Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३) काले पाषाण की दृटी परकर के वांय तर्फ [1864 ] * (१)... ज्येष्ठ सुदि १३ शुक्र वासरे। ब० के...: (२)............। बिवं कारितं । [1865 ] * ( आँ॥ सं०१५०३ वर्षे माघ वदि६ दिने श्रीमाल वंशे नांदी गोत्रे सं० नरपाल नार्या महु. (२) री कारित श्रीमहावीर वियं । श्री खरतर गले प्रतिष्ठितं श्रीजिन पागर सूरिनिः॥ मूलनायकजी पर। [1866] सं० १९१७ शाक. १७७३ मिती आषाढ कृष्ण र श्री गोड़ी पावनाय जिन यिं प्रति ष्टिता कुता बृहत् खरतर जट्टारक गणेश जङ्गम यु० प्रधान नहारक श्री जिनमुक्ति सूसिनः कारिता च नाहटा गोत्रीय लक्ष्मीचन्द्वात्मज दीपचन्न स्वश्रेयोर्थ सोम वासरे ॥ पाषाण की मूर्तियों पर । [1867] सं० १९१७ शाके १७०३ मिती आषाढ कृष्ण १ सोमे श्रीवर्धमान जिन वि प्रतिष्ठा कृता वृहत् खरतर जट्टारक गणश जंण् यु प्रधान श्री जिनमुक्ति सूरिनिः कारित च नाहटा गोत्रीय खक्ष्मीचन्द्र पौत्र मनोरथचन्द श्रेयोर्थ मिति । [1888] .. सं० १९१७ शाके १७३ मिती आषाढ कृष्ण २ सोमे श्री ऋषन देव जिन बिच प्रतिष्ठा * ये मूर्तियां हाल में जौनपुर से डेढ कोस पर गोमती के किनारे खेत से मिली हैं। बाबू शिखरचंद जी जौहरो ने लाकर अपने बनारस के मंदिर में रखी है। "Aho Shrut Gyanam" Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) कृता बृहत् खरतर जट्टारक गणेश जं० यु० प्रधान श्री जिनमुक्ति सूरिनिः कारिता च नाहट गोत्रीय पदमीचमात्मज खूपचन्द्र श्रेयोर्थमिति । धातु की प्रतिमा पर। [1889] सं० १७ए फा सु० ५ श्री पार्श्वनाथ बिंध प्र० श्री जिनमहेन्द्रसूरिणा कारिता नाहटा समीचन्छ तत् नार्या लक्ष्मी बीवी विधत्ते । [1870] संघ र फा० सु० ५ श्री सुपाव विप्र श्री जिनमहेन्द्र सूरिना का वा लक्ष्मीचन्द्र पुत्रो नानको नाम्ना वुद्रोतम श्री कुशलचन्द्र गएयुपदंशतो वृहत् खरतर गर्छ । [1671] सं १५० पा सु० ५ बुधे प्रतापसिंहजी नार्या महताब कुंबर कारितं श्री चन्द्रप्रन श्री सागरचन्छ गणि प्रतिष्ठितं । सिद्धचक्र पर। [18721 सं० १५१७ आषाढ कृष्ण २ सोमे श्री सिद्धचक्र प्रतिष्ठितं जा युगप्र० न० श्रो जिन मुक्ति सूरिनिः कारितं च नाहटा गोत्रीय लक्ष्मी वन्दात्मज दीपचन्देन स्वहितार्थ । REACS302 BENIONLINE "Aho Shrut Gyanam" Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५५) देहली। माला हजारीमलजो का घरदेरासर ।। देवी की मूर्ति पर। [1873] * (१) संवत् ११२५ श्री (१) पचासरीय (!) गछे (३) श्रीमद्भवादि संताने (४) चेखकेन विरोठ्या कारिता ॥ चीरेखाने का मंदिर। धातु की मूर्तियों पर। [1874] सं० ११ए .......। [1875] सं० १२३४ श्रावलू वदि र सनो जात लीवूदेव श्रेयोर्थ नागदेवेन प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता मसवादि श्री पूर्ण चंद्र सूरिनिः । [1876] सं० १४६१ वर्षे माघ सुदि १७ नाहर वंशे सा घेता पुरा साप तोला जार्या तिहुश्री पु० हेमा धर्मात्यां पितृव्य श्रेय से श्री शांतिनाथ विं कारित प्रति श्री धर्मघोष गछे श्री मलयचंज सूरिभिः ॥ गिर .... ग । [1877] संवत् १७०३ वर्षे ज्येष्ट सु० ३........ । [1878] सं० १४७५ .... वदि पु श्री ऋषजानन ........। यह लेख ११ वीं विद्यादेवी को धातु की मूर्ति के पृष्ठ पर खुदा हुवा है। देवी की मूर्ति सुखासन में बेठो दुई रूपैवाहन चार हाथवाली प्राचीन है। "Aho Shrut Gyanam" Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौवीशी पर। [1879] 'संवत् १५५३ वर्षे वैशाष सु० ३ बुधे श्री हुंबड ज्ञातीय सा देवा नाय रामति सुछ जेई थाकेन ना माणिकदे सुण डाहीयानाथ पु० स्वश्वेयसे श्री मुनिसुव्रत स्वामि वि कारित प्र० श्री वृत्तपा पद न श्री उदयसागर सूरिभिः ॥ गिर... ग। -AEFEREFFETTE जोधपुर राजवैद्य न० श्री उदयचंजी का देरासर । पंचतीर्थी पर। [ 1880] संवत् १५१६ बै० सुण ५ प्राग्वाट ज्ञातीय व्य० मोषसी टमकू पु० जाणा हरखु पु० पुजा रणसा० पाहु प० जिनदत्त युतेन श्री संचव वि० कारितं प्र श्री तपा रत्नशेखर सूरिभिः। जसोल (मारवाड़)। पीले पाषाण की मूर्ति पर। [1881] ॥ सं० १५३३ वर्षे ज्येष्ठ सु० १०.....श्री महावीर विंबं..... खरतर श्री जिनचं सूरिनिः। "Aho Shrut Gyanam" Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ) पंचतीथियों पर। [1882] संवत् १४७६ वैशाष वदि २ श्री उकेशवंशे वाजहड़ गोत्रे साता पु० यासधर पुरु करमा नाग कूरमादे पु० जारमलेन ना जरमादे पुरा सहणा सादा यु० श्रीआदिनाथ विवं कारितं धात्मश्रेयसे प्रति श्री पल्लोवास गजे श्री यशोदेव सूरि (निः) । [1883] ॥ संवत् १५१७ वर्षे माघ बदि ५ दिने श्री उकेश गछे श्री ककुदाचार्य संताने श्री उप. केश झातो विवट गोत्रे संग दादू पु० सं० श्रीवत्स पु० सुललित ना० ललतादे पुरा साहणकेन ला संसार दे युनेन पितरौ श्रेयसे श्री अजितनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं श्री कक्क सूरिभिः॥ [1884] सं० १५१५ माघ सुप शुके प्रा० व्या मीचत ना नासल दे पुत्र सूचाकेन ना चांगू माही पु० मेरा तोलादि युतेन स्वश्रेयसे श्री कुंथुनाथ विवं कारि प्र० तपा श्री लक्ष्मीसागर सूरिचिः॥ "- --- नाकोड़ा। श्वी शांतिनाथजी का मंदिर। पीले पाषाण के चरण पर। [ 1885] संवत् १५२५ वर्षे वैशाष वदि ५ दिने श्रोवोरमपुरे श्री खरतर गळे श्री कीतिरत्न सुरिणां स्वर्गः ॥ तत्पापुके संखवालेचा गोत्रे सा । काजल पुत्र सात्रिलोकसिंह षेतसिंह जिणदास गउडीदास कुसलाकेन करापितं । सं० १६३१ वर्षे मगसर सुदिश दिने प्रतिष्ठितं ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) पंचतीधियों पर। [1888] सं० १४०५ वैशाष सुदि ३ ऊएस झातीय बाजहड़ गोत्रे सा गणधर नार्या बसनू पुत्र मोहण जयताकेन पित्रो श्रेयसे श्री श्रादिनाथः कारितं प्रति श्री अजयदेव सूरिभिः । [1887] सं० १५१३ वर्षे माघ मासे ऊकेश वंशे सा बव्हा ना सूटही पुत्र सा बाहड़ नाप गरी मुत डूंगर रणधीर सुरजनैः रणधीर श्रेयसे श्री कुंथुनाथ बिवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री यशोदेव मूरिनि: ॥ बाजहड़ गोत्रे ॥ [1888] आँ संवत् १५३६ वर्षे श्री कीर्तिरत्न सूरि गुरुभ्यो नमः सा जेग पुत्र रोहिनी प्रणमति ॥ बाड़मेर-मारवाड़। पार्श्वनाथजी का मंदिर। [1880] सं० १६६५ वर्षे उकेश वंशे सागकुरसी कु०प्र० क ..... प्रमुख श्री संघेन जम् श्री विद्यासागर गणि शिष्येण श्री विद्याशील गणि शिष्य वा० श्री विवेकमेरु गणि शिष्य पं० श्री मुनिशील गणि नित्यं प्रणमति । श्री अंचल गछे । उदयपुर। श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर-सों की बाड़ी में । पचतीर्थियों पर। [1800] ॥ सं० १५०६ वर्षे मा० वदि ५ दिने श्री संडर गछे उप० ज्ञा० सा यासा पु० सात मा० षेठी पु० पितमा मा धारू पुरा लापर ना० माडी पु० पामा स्वश्रेयसे श्री मुविधिनाथ बिंब का प्र० श्री यशोब्रत सूरि संताने गछेशैः श्री शांति सूरिनिः । "Aho Shrut Gyanam' Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( शए ) [1801] ॥ संवत् १६२७ वर्षे वैशाष सुदि ११ बुधे नारदपुरी वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय सान्टीला सुन सा चूमाख्येन नार्या वाई पानु सुत लाधा हीता प्रभृति कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्री धर्मनाथ विंध का रितं प्रतिष्ठितं तपागछाधिराज जट्टारक श्री हीरविजय सूरिनिश्चिरं नन्दतात् ।। श्री झपनदेवजी का मंदिर-हाथीपोल । पंचतीर्थी पर। [1892 ] ॥ सं० १३४२ ज्येष्ठ शुग ए गुरौ गेपुत्रौशन(?) झातीय व्यव० पुनाकेन जार्या .. श्रेयसे श्री पद्मप्रन विधं का प्र० श्री सुमति सूरिनिः॥ श्री रुपनदेव जी का मंदिर - कसैरी गली। पंचतीर्थियों पर। [1803] ॥ सं० १५०१ बर्षे श्राषाढ सुदि ५ उपकेश ज्ञातीय....श्री आदिनाथ विंचं काय.... [1894] ॥ सं० १५३३ वर्षे वैशाप सुप ५ शुके श्रीमाल झाण व्यण मेला नाय कवकू सुत मुधाकनपित्तमातञात श्रेयोर्थ यात्मश्रेय श्री सुमति नाथ बिंब काप प्रा श्री नागेंज गडे श्री गुणदेव सूरिभिः ॥ बडेचा सषवाराही ग्रामे वास्तव्य ॥ [1805] ॥ संवत् १५५ वर्षे आषाढ सुदि दिने दूगड़ गोत्रे ना सिरिया पुत्र करमस जायर्या फुला धरमाई पुत्र बीमपाल नरपाल नरपति मातृ श्रेयसे श्री शीतलनाथ चिंचं कारित प्र० श्री वृदा न श्री श्री वसन्न सूरिभिः ।। "Aho Shrut Gyanam" Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३०) [1806] ॥ सं० १५७२ वर्षे चैत्र वदि ३ बुधे ऊकशे वंशे वर्शताला गोत्रे साप तोला ना डोडी पुo सा० श्रासाकेन जाग राना दे पु० जीवा द्वितीय जाए अचला दे पुत्र गोव्हा पदमादि परिपार युतेन स्वपुण्यार्थ श्री धर्मनाथ विं का० प्र० श्री खरतर गडे श्री जिनदर्ष सूरि पट्टे श्रो जिनचं सूरिनिः ॥ पं कुशल . . . . सुप.... । श्री गौतमस्वामी की धात की मर्ति पर । [1897) ॥ सं० १६२ए व का० सु० ३ गुरुवारे... सरताण . . .श्री गौतमस्वामि विवं का० . . । धातु के यंत्र पर। [1888] ॥ सं० १९१२ वर्षे मिती आसोज सुदि १५ शुक्र मेदगाट देशे उदयपुर ओशवंशे किशाखायां गोत्र बोल्यां साहाजी श्री एकलिंग दासजी तत्पुत्र साहाजी श्रो नगवान दासजी तत्पुत्र कुंवरजी श्री ......श्री सिद्धचक्र यंत्र कागपितं जट्टारक श्री आनन्द सागर सूरि कारापितं बृहत्तपा गर्छ। श्री ऋषनदेवजी का मंदिर - सेठों की हवेली के पास । मूलनायकजी पर। [1899] (१)॥ ॥ स्वस्ति श्री जिवृद्धि जयो । मंगलाच्युदय श्री ॥ श्रथ संवछरे स्मिन् श्री मन्नृपति विक्रमार्क समयातित संवत् १६एए वर्षे श्री शालिवाहन राज्यात शाके १५६३ (२) ॥ प्रवर्तमाने उत्तरगोले माघ मासे शुक्लपके दशम्यां तिथो गुरुवासरे श्री रामगढ़ दुर्गे महाराजाधिराज महाराव श्री हीसिंघ जी विजयराज्ये ऊपकेश वंशे बृद्धि शाखा "Aho Shrut Gyanam" Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३१ ) (३) या घांघ गोत्रे साइ श्री माब्द तत्नार्या सरूप दे तत्पुत्र संघवि श्री कान्ह जि तस्य वृद्धि जार्या दीपां लघु जार्या सूषम दे पुत्र चिरंजिवी पुन्यपाल सहितेन श्री प्रसाद बिं ( ४ ) चं ॥ श्री रूपनदेव बिंबं स्थापितं प्रतिष्ठित मलधार गछे जहारिक श्री महिमा सागर सूरी तत्पट्टे श्री कल्याणसागर सूरिनिः प्रतिष्ठितं धर्माचार्य विजामति । उदय सागर सूरिः । शुनं । पंचतीर्थयों पर । [ 1900 ] WA " || || सं० १४९५ वर्षे फा० सुदि २ दिने ओसवाल ज्ञातीय सा० ऊाऊण पु० सा० जुदा सुभावक जार्या रतनु तत्सुतेन सा० सोमाकेन पुत्र देवदत्त जगमालादि सहितेन श्री कुंघुनाथ विषं का० प्रतिष्ठितं खरतर गछे श्री जिननत्र सूरिजिः ॥ श्री ॥ [1801] || सं० १४० माद सुदि ६ सोमे उ० ज्ञा० गूंदोवा गोत्रे सा० लाषा जा० खाषण दे पु० मेहाकेन जा० मयल दे पु० पित्रवाल रणपालादि सह नाई देता जा० तल दे निमित्तं सुमतिनाथ का० प्र० चैत्र गछे श्री मुनितिक सूरि गुणाकर सूरिजिः ॥ [1902] ॥ संवत् १५२० वर्षे वै० ० ४ शुक्रे प्रा० ज्ञातीय प० चपली जा० पोमादे सु० सांगाकेन जा० दई सुत करण चा० सदसादि कुटुंबयुतेन स्वमातृपितृश्रेयसे कुंथुनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपा श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः । जाड़जलि ग्राम वास्तव्यः ॥ चौवोशी पर । [ 1903 ] || सं० १५११ ० आषा० ० ० श० उपकेश ज्ञातौ श्रादित्यनाग गोत्रे घाधू शा० सा० "Aho Shrut Gyanam" Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३३२ ) काषा जा० कांब श्री पु० सुवर्णपाल जाय सोमश्री पुत्र सा० लावा केन जा० प्रधकू पु० सदर सूरचंद्र हरिचंद्र युतेन स्वश्रेयसे श्री कुंथुनाथ चिंवं कारितं उपकेश ग० ककुदाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्री कक्क सूरिजि ॥ श्रीः ॥ : प्रतिमा पर । [1904 ] || सं० ११०१७ रा मिगसर सु० १० उसवाल मागा गोत्रे सा० विषमीदास जी जाय अनरुप दे पुत्र नाथजी अनरुप देजी पंच पर ..... • प्रतिष्ठितं । +0000003 करेडा - मेवाड | श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर | धातु की प्रतिमा पर | [1905 ] * ( १ ) ओ देव धम्मयं सुमति गुरो: मध्यम शाखस्य ( ५ ) वसति का० देवसूरि ( ३ ) निः संवतु .. [1906] सं० १६०४ ० ज्येष्ठ व.. बा कहानी (१) श्री कुंथुनाथ व जि... दान स्वत सोनी सीदकरण ... *** [ 1907 ] ॥ संवत् १६१५ वैशाख सुदि ६ श्री आदिनाथ. - पु० ना० सुंदर.. *****.] संवत् के अंकों का स्थान टूट गया है, परन्तु लेख के अन्य अक्षरों से है कि प्रतिमा बहुत प्राचीन है । "Aho Shrut Gyanam" सरपत्र श्री विजयदान सूरि प्र० बा० Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३३ ) [ 1908 ] || सं० १६२२ ० वैशाख सुदि १२ वी श्री शीतलनाथ बिंबं गुरू श्री विजय सूरिनिः ॥ [1909] || सं० १६४६ स० मुदि ६ वाजसा श्री धर्म.... [1910] ॥ संवत् १७१० वर्षे ज्येष्ठ सित ६ गुरौ श्री सुविधि बिंबं श्रेयोर्थं का० प्र० ज० श्री विजयराज सूरिजिः श्रा० कनका ज० श्री विजय सेन सूरिजिः ॥ पंचतीर्थी पर | [ 1911 ] || सं० १५०० वर्षे माघ सुदि ५ शुक्रे प्राग्वाट वंशे सं० कर्मट जा० माजू पु० उधरणेन जाय सोहिणि पुत्र चाहा वोसा नीसा सहितेन श्री अंचल गवेश श्री जयकेसरि सूरि उपदेशेन स्वश्रेयसे श्री वासुपूज्य स्वामी बिंबं कारितं प्र० श्रीसंघन ॥ [1912] || सं० १९९६ वीरम ग्रामे श्रे० वीठा सोनल पुत्र श्रे० जुडसिकेन जा० संपूटी पुत्र धन्ना वाघा जार्या कांक प्रमुख कुटुंबयुतेन श्री नमिनाथ बिंवं कारितं प्रतिष्टितं श्री तपागढ़ नायक श्री रत्नशेखर सूरिजिः ॥ [ 1913 ] || संवत् १५२ वर्षे फागुण सुदि १ शुक्रे श्री श्री ( ? ) बंशे रसोइया गोत्र श्रे० गुहा जाय रंगाई पुत्र o देवर सुनावण जा० कुंवरि चातु सीधा युतेन श्री यंत्रगवेश्वर श्री जयकेसरि सूरीणामुपदेशेन स्वश्रेयोर्थ श्री शांति नाथ विषं कारितं प्रतिष्टित श्रीसंघेन ॥ श्री पत्तन नगरे ॥ ५६ "Aho Shrut Gyanam" Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३४) [1014] ॥ संवत् १५४१ वर्षे वैशाख मासे नागर झाती श्रेण केव्हा ना मानूं सुत चांगा माझ्याकेन सुत हरखा नांगा बाला सहितेन श्रात्मश्रेयोर्थ श्री संनवनाथ बिंब का प्र० वृरू तपापके नए श्री जिनरत्न सूरिभिः ॥ [1915] ॥ संवत् १५०७ वर्षे माघ सुदि गुरौ उपकेश ज्ञा सा० हापा पु० बिजा ना बइ. जस दे पु० गकुर रीडा गकुर जा० अब्बा दे पुत्र कुंरपास युतेन आत्मश्रेण पित्रोः पु० श्री शीतलनाथ बिंवं का० प्र० श्री वृ० को श्री मलयहंस सूरिभिः ॥ कश्चलि वास्तव्य ॥ रंगमंडप के वांये तर्फ थाले के नीचे का शिलालेख । [1010] (१)॥ ओ॥ संवत् १३३४ वर्षे वैशाख सुदि ११ शुक्र श्री श्रांचल गछे । प्राग्वाट ज्ञातीय महं साजण महं तेजा .... सा जांजणेन निज मातृ (२)...... कपूर देवी श्रेयोर्थ रवनक (१) श्री शांतिनाथ विंबं काराप्ति ॥ संताने महं मंडक्षिक महं माला महं देवसीद महं प्रमत्तसीह ..... सनाममप में दरवाजे के दाहिने स्तंन पर। [1917] ॥ ओ ॥ संवत् १४६६ वर्षे चेत्र सुदि १३ सुविहित शत शेषका प्रा रत्नशेखर सरि पट्टांबुधि पूर्णचंग श्री पूर्णचं सूरि गुरुकम कमलहंसाः श्री हे परिकरा करः... सनामंगप के ३ मऊ के स्त्र, [1911 श्री जिनसागर सूरि उदयशीमा गति का गणि मेरुपमा मुनि श्री ...... "Aho Shrut Gyanam" Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३५) बावन जिनायबमें पंचतीर्थीयों पर । [1019] ॥ सं० १२४५......समिणी श्रेयोर्थ पुत्र उधरणेन नात्रि पासधर श्रेयोर्थ श्री पार्श्व. नाथ बिंब कारित ॥ [19201 ओ संवत् १५६२ ज्येष्ठ सुदि १० शनौ बायट ज्ञातीय स्वसुर नायक श्रासल श्रेयोर्थ ......श्री श्रेयांस विंवं कारितं । श्री नागेन्द्र गो श्री वर्षमान सूरिनिः प्रतिष्ठितं । [1921] संवत् १३५१ वर्षे फागुण सु० .... ना घाटी पु० ऊदा ना० रुपिणि सुत आसपासण माता पिता पूर्वज श्रेयोर्थ चतुर्विशति पट्टः कारितः श्री चैत्रगलीध श्री श्रामदेव सूरिनिः श्री शांतिनाथ ......। [19221 सं० १३५५ श्री ब्रह्माण गठे श्रीमाल झातीय रिज पूर्वज श्रेयसे सुत मासाकेन श्री आदि नाथ बिंबं प्र० श्री विमल सूरिभिः।। [ 1023] सं० १३५६ श्री शांतिनाथ विं कारित श्री कक्क सूरिनिः प्रतिष्ठितं । __ [1924] सं० १३०१ वर्षे ज्येष्ठ वदि छ प्राग्वाट झातीय साधीना जार्या देवळं पुत्र चब्जा केन मातृ पितृ श्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथ विंबं श्री पूर्णिमा गळे श्री सोमतिलक सूरि उपदेशेन विंबं का प्रतिष्ठितं श्री सूरिनिः॥ 1925] सं० १३७३ वैशाख वदि ११ श्रेण सिरकुंआर ना सींगार देव्या प्र० सा लू .....: श्री महावीर कारितं । "Aho Shrut Gyanam" Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३६ ) [1026] संवत् १३५१ मा० सुण १५ खरतर गठीय श्री जिन कुशल सूरि शिष्यैः श्री जिन पन सूरिभिः श्री पार्श्वनाथ प्रतिमा प्रतिष्ठिता कारिता च मवा बाहेि सुतन रमसिंहन पुत्र श्राव्हादि परिवृतेन स्वपितृ सर्व पितृव्य पुन्यार्थ । [1927] सं० १४०० ० सु० ५ प्रा० रोस्तरा पदम । साहम साकल श्रेण देवसीदेन का प्रति सिकान्तिक श्री माणचन्छ सूरि । [1928] सं० १४२२ व ज्येव सु० ११ बुधे......मंडलिक नाव माम्हण दे सुत धाणाश्रेयो व्य पानाकेन श्री संभवनाथ बिंब काय... तपा गछे श्री रत्नशेखर सूरीणामुपदेशेन ..... [1920] सं० १४३ए माह वदि । श्रीमाल झाप व्यवण राणासीह ना लक्षती पुत्र वयरा केन श्री सुमतिनाथ बिंबं का श्री विजयसेन सूरि पट्टे.... [1980] सं० १४७१ वर्षे माघ सुदि . . . . . . श्री मुनिसुव्रत विंबं का प्र० कोलीवाल गहे श्री संघतिलक सूरि .... [1981] संप १४०२ वर्षे .... साहलेचा गोत्रे सा हांपा .... ना गयणल दे पुत्र साक्षींबा जा वीरणी पुत्र परहयेन पितृ मातृ श्रेयसे श्री श्रेयांस विं का० प्र० श्री पलीकीय गर्छ श्री यशोदेव सूरिभिः। [1032] श्री सं० १४ए१ वर्षे माघ सुदि ५ बुधे श्रीमाल वंशे वहगटा गोत्रे सा ऊदा पुत्र साम् जगकेन श्रासा जूसा सहसादि पुत्रयुतेन पुन्यार्थ श्री नमिनाथ त्रिचं कारिनं प्रतिष्ठिन श्री खरतर गडे श्री जिनसागर सूरिनिः । "Aho Shrut Gyanam" Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३७) [1033] सं० १४५३ व वैध सु० ५ श्री संमेर गछे पीपलउडे वा गोत्रे श्रे० जा० सा कान्हा ज्ञा० वोमणि पुण् रतनाकेन पित्रो निमित्तं श्री शांतिनाथ बिंव का श्री जशोना सूरि संताने श्री शालि .....। [1984] सं० १५०३ व ज्येण सु० ११ शु० श्री उप० ग० ककुदाचार्य सं० विपड गो सा जीजण पुत्र रामा ना जीवददी पु० निलाकेन पत्नोपुत्रस्वश्रेण श्री श्रेयांस विंग का ......। . [1935] सं० १५०७ मा० ब० १३ उकेश सं० मारंग सुत संना जाहेमा दाणा डुंगर नापा सं० रावा ना० पोबू सुत साहस जहाए ना खदम्या श्री संजव विंबं का० प्र० श्री उदयनंदि सूरिनिः। [1036] संवत् १५१३ वर्षे वैशाख सुदि १ सोमे उपकेश झा कस्याट गोत्रे । सा० धाना जा ससमादे पुत्र सा चडसीडाकेन पितर बालू निमित्त श्री सुमतिनाथ बियं का० प्र० उपकेश कुल श्रावक ......। [1937] सं० १५१७ वर्षे चेत्र वदि १ शुक्रे श्रीश्रीमाख झा ...... सुण बयास पुत्र पोत्र सहितन श्री अजितनाथ मु जिवितस्वामि प्र० श्री पूर्णिमा पर श्री राजतिलक सूरिणामुपदेशेन । [1938] सं० १५२५ वर्षे मार्ग: सु० ए श्रागर वाति प्राग्याट सा० वाया जा० गाक पुत्र सा० माताकेन जा० श्रादहू पुत्र पर्वत ना० नाई प्रमुख कुटुंग्युतेन स्वश्रेयसे श्री शानिनाथ बिक का प्र० सपा श्री सोमसुंदर सूरि शिष्य श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः । "Aho Shrut Gyanam" Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३७) [1930] सं० १५३....। 40 वैशाख सुदि ३ शनो श्री संडेर गछे उ० टप गोत्रे देव्हा जा दम्हण दे गोरा ना मल्हा दे पु० दहा जा करा ना० थानूण दे पु० तोला श्रेण पूर्वज पुन्यार्थ वासुपूज्य बिंचं का...। [1040] ॥ संवत् १५३५ वर्षे वैशाख सुदि ६ सोमे ऊकेश वंशे जाजा गोत्रे सा धर्मा ना० धर्मा दे पुत्र साय काजा सुश्रावकेण लाए जोजा प्रमुख परिवार सहितेन श्री श्रेयांस किंवं का प्रण खरतर गछे श्री जिनन सूरि पट्टे श्री जिनचं सूरिनिः॥ __ [1041] संवत् १५३० वर्षे ज्येष्ठ सु . . . . . . माला जाप माला दे सुत केव्हा ना० सिवा सुन पोचकेन स्वश्रेयसे श्री पद्मपन बिंबं कारित प्रण तपा श्री सोमसुंदर शिष्य श्री जयचं सूरि शिष्य श्री रत्नशेखर सूरिनिः ॥ श्री॥ [1042] संवत् १६३७ वर्षे वैशाख सुदि १३ रखो श्री स्तम्लतार्थ वास्तव्य श्री नागर ज्ञातीय सा पना चार्या कीखादे सुत सा होसा नार्या वा । हांसलदे नाम्ना श्री आदिनाथ पंचतीर्थी करापितं । श्रीमत्तपा गछे नवारक प्रजु श्री हीर विजय सूरिनिः प्रतिष्ठितं । शुज नवतु॥ [1043] ॥ संवत् १६०५ वर्षे वैशाख सुदि ७ गुरुवासरे ...... वास्तव्य उकेश ज्ञातीय दण् साइ यांहसा ना प्रजा सुता नोया...... सुत हेमा कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्री मुनि.... तपा गछे ज० श्री हीरविजय सूरि नए श्री विजयदेव सूरिश्वर.......। [1044] संवत् १७ माघ सु० ५ गुरुदिने आचार्य श्री केमकीर्तीः तत्पढे श्री हेमकीर्ति देवाः "Aho Shrut Gyanam' Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३) श्रोतकान्वये साधु माना जाप क्षीनाही तयोः पुत्राः साधु कौला चुना कोसा गार्या सुनुना तयो पुत्र कीहा नार्या बंदो पुत्र दासू वस्तुपाल नित्यं प्रणमति ॥ चौकोशी पर। [1045] (१) ॐ संवत् १९४५ मार्ग सु०७ सोमे श्री सांवदेवा धमके (?) . . . जाप्तम भावक (२) कया श्रीमत्धसिंकया श्रेयोर्थ चतुर्विशति पट्टकः कारितः ॥ (३) (विबं) शं० वि०.... चालू । का० प्र० तपा गछे ॥ चौवीसी पर। [1940] ॥ सं० १५६५ वै शु० शनी श्री नटीप वास्तव्य श्रीश्रीमाल ज्ञातीय सा कान्हा नार्या फुर्तिगदे सुता साण मेघा ना बारधाई सुत रूपा षीमादि सकुटुंब युतया सा राजा नार्या बीमाई सुता राकू नाम्न्या श्री अनंतनाथ जिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपा गडे श्री सोम सुंदरसूरि संताने श्री हेम विमल सूरिनिः ॥ होकार यंत्र पर। [1047] ॥ संवत् १६४५ वर्षे पोस मासे १० दिने श्री वृहत् खरतर गछे श्री जिनराज सूरि विजय राज्ये चंदा पूम्यां श्रोसवाल ज्ञातीय नाहटा गोत्रे सा सहसराज पुत्र सा सिंघराज तत्पुनाः साप श्री चंद संवतु १ सा० सधारण सा श्री इंस सा करसण हासा सधाः रण नार्या सहयदे सुत तत्पुत्रा सहसकरण सुमति सहोदर शुनकर प्रतिष्ठितं श्रीमतू श्रो परानयन सुदगुरुणा ॥ हितं कारापितं ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०) बावन जिनालय की देह रियों के पाट पर। [1948] (१) संवत् १९३९। (व)र्षे श्री संमेरक गछे श्री यशोजन सूरि संताने श्री स्यामा (?) चार्या...... (२).... प्रा न श्री यशोजा सूरितिः श्री पार्श्वनाथ विधं प्रतिष्ठितं ॥ न ॥ पूर्वचंडण कारितं .... 1949] (१) ॐ संवत् १३०३ वर्षे चैत्र यदि ४ सोमदिने श्री चित्र गछे श्री नरेश्वर संताने - राटउरीय वंशे (२) श्रेजीम अर्जुन कमवट श्रेण बूमा पुत्र श्रे० घयजा धांधल पासम ऊदादिक्षिः कुटुंब समेतैः.... . (३) थ प्रतिमा कारिता । प्रति श्री जिनेश्वर सूरि शिष्यैः श्री जिनदेव सूरिभिः ॥ [19503 (१) ॐ संवत् १३१७ वर्षे ज्येष्ठ वदि ११ बुधे श्री कोरंटक गछे श्री नन्नाचार्य संताने... (२) सानीमा पुत्र जिसदेव रतन अरयमदन कुंता महणराव मातृ लाली श्रेयोर्थ विवं ( कारि) (३) (ता)। प्रतिष्ठितं । श्री सर्वदेव सूरिनिः ॥ [1951] (१) ॥ संवत् १३१७ ) ज्येष्ठ वदि ११ बुधे श्री पंरक गले प्रतिबक चैत्यालये श्री यशो जज सूरि संताने श्रे साद देव पुत्र मह सामंत मह थासपालेन पुरा धांधल सा.. (२) .... () योर्थ श्री संजवनाथ विंचं देवकुलिका सहित कारितं प्रतिष्ठितं श्री शांति सूरि शिष्यः ईश्वर सूरिलिः ॥ ॥ 3 ॥ २ ॥ "Aho Shrut Gyanam' Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २४१) 11052 (१)॥ॐ ॥ संवत् १३३ वर्षे फागुण सुदि ७ शनौ नां देवान्वये साधु पउमदेव सुत संघपनि साधु श्री पासदेव नार्या पढ़ी पुत्राश्चत्वारः सा० देहड साप काजल रउन (२) बाहड पौत्र जिणदेव दिवधर प्रभृतिभिः देवकुलिका सहित श्री सुमति नाथ बिंबं का प्रा वादी श्री धर्मघोष सूरि गई श्री मुनिचंड सूरि शिष्यैः । गुणचंड सूरिभिः ॥ ॥ [ 1053] (१)॥ॐ नमः ॥ संवत् १३३ए फागुण सुदि ज शनों श्री राज गल्ले साधु नेमा सुत पार सत तनुज साधु नाइड तत्पुत्रास्त्रयो यथा सा काकढ नार्या नान्ही पुत्र पाहा ।। (२) ना धर्मसिरि देपाल नायर्या देवश्री तथा साप नरपति पत्नी लक्षतू हि पत्नी नायक देवी पुत्राः सा सहदेव सा हरिपाल नार्या हीरा देवी वि० हरिसिणि पुत्र महोपाल (३) देव तृहिमश्री सा कुमरसिह तथा सा तेजा सार्या लीलू पुत्र धरणिंग पून सीह एतस्मिन्ननुक्रमे पितृ सा नरपति श्रेयसे सा हरिपालेन श्री पंझे ॥ (४) र गछे प्रतिवद्ध श्री पार्श्वनाथ चैत्य देवकुलिका सहित श्री शांतिनाथ विंचं का प्र० वादी श्री धर्मघोष सूरि पट्टको श्री थानंद सूरि शिष्यैः श्री अमरपन सूरिनिः ॥ [ 1054] (१)॥ ॐ ॥ सं० १३३९ वर्षे फा० सुदि ७ शनी श्री राज गछे सानमा सुत सा० धार सत सुत सा गहड़ तत्पुत्रास्त्रयो यथा सा काकढ भार्या नान्ही पुत्र पाहा ना । (१) धर्मसिरि देपाल नार्या देवश्री पुत्र तथा साप नरपनि नार्या सततू हि नायक देवी पुत्राः सा सहदेव सा० हरिपाल पत्नी हीरादचो हि० हरिसिणि पुत्र महीपा. (३) स देव तृ० हेमश्री कुमारसीह तथा साप तेजा जाय लीलू पुत्र धरपिग पूनसीह "Aho Shrut Gyanam" Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४ ) पुत्रादि धर्म कुटुंब समुदये पितृ सारा काकड श्रेयसे सा पाठहाकेन श्री (1) षडेर गछे श्री पार्श्वनाथ चैत्ये देवकृलिका श्री श्रादिनाथच कारितं प्रa वादी श्री धर्मघोष सुम्पिक्रमे श्री श्रानंद सूरि शिष्य श्रमसन सूरिनिः॥ [1035] (१) ॥ संवत् १३५५ वर्षे पौष सुदि ७ वा श्री चित्रकूट स्थाने महाराजाधिराज पृथ्वी. चंड ...... (२) श्री मालदेव पुत्र श्री वणवीर सक्कं सिलदार महमद देव सुइड सींह चउमरा सरकं पुत्र . . . . .. (३) दिवं गतं तस्य सत्कं गोमट कारापितं : ॥ [10561 (१)॥ ॐ ॥ स्वस्ति ॥ संवत् १४५१ वर्षे ॥ माघ मासे शुक्ल पक्षे पंचम्यां तियो बुध वारे श्रीमाल झातीय मठिया गोने सा० बाहर सा० धाना जा इल्हा पुत्र सं० हेमराज सं० थिरराज सं० लालू सं० गश्शाल कु .. (२)... दे पुत्र सा हेमराज पुत्र समुअपाम नार्या . . . . श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ विवं कारापितं प्रतिष्टितं श्री खरतर गछे श्री जनप्रन सूरि अन्वये । श्री जिनसर्व . सरि पहे श्री जिनचं सूरिनिः॥ [1067] ( १ ) ॥ ॐ ॥ सं० १४९६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ बुधवारे श्री अकेशा वंशे नाहट शाखावां । सा० माजण पुत्र साव व (२) वीर पुत्र सा जीमा । वीसा रणपाल प्रमुख पौत्रादि परिवार सहितेन श्री करइटक स्थाने श्री पार्श्व (३) नाथ जुषने श्री विमलनाथ देवस्य देवकुलिका कारापिता ॥ प्रतिष्ठिता श्री खरतर गछे श्री जिनवर्द्धन सू. "Aho Shrut Gyanam" Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २४३.) (४) रोषामनुक्रमे श्री जिनचंड सूरि पट्टकमलमार्तडमंडलिः श्री मशिनसागर सूरिनिः ॥ शिवमस्तु ॥ (५) वरसंग देवराज पुन्याः ॥ नागदा-मेवाड़। श्री शांतिनाथ जी का मंदिर। मूलनायक की श्वेत पषाण की विशाल मूर्ति की चरण चौकी पर । [1058 ] - (१) संवत् १४९४ वर्षे माघ सुदि ११ गुरुवारे श्री (२) मेदपाट देशे श्री देवकुष्ठ पाटक पुरवरे नरेश्वर श्री मोकम पुत्र (३) श्री कुंजकर्ण जुपति विजयराज्ये श्री उससे श्री नवक्षक शाष मंडन सा० समी (४) धर सुत सा साधू तत्पुत्र साधु श्री रामदेव तद्भार्या प्रथमा मेसा दे द्वितीया मादण दे । मेला दे कुक्षि संजत (५) साम् श्री सहणपाल । माम्हण दे कुक्षिसरोजहंसोपम श्री जिनधर्मकर्पूरवातसय धानुक सारा सारंग तदंगना हीमा के सलमा दे १६) प्रमुख परिवार सहितेन सा सारंगेन निजजापार्जित पक्षी सफली करणार्थ निरुपममद्भुतं श्रीमहत् श्री शांति जिनवर बिंबं सपरिकर कारितं (७) प्रतिष्ठितं श्री वर्धमानस्वाम्यन्वये श्री मरखरतर गछे श्री जिनराज सूरि पट्टे श्री जिनवर्धन सूरि त (स्त) पट्टे श्री जिनचंड सूरि त (स्त) पहपूर्वाचलचूलिका स* यह लेख “ भावनगर इन्साकस्सन्स" पृ० ११२-२३-में और " देवकुलपाटक" पृ० १६ नं० १८ में प्रकाशित हुवा है। "Aho Shrut Gyanam" Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४४) हस्त्रकरावतारैः श्री मजिनसागर सूरिभिः ॥ (७) सदा वन्दंते श्रीमद् धर्ममूर्ति उपाध्यायाः घटितं सूत्रधार मदन पुत्र धरणा सोम- पुराध सूत्रधारः रोमी ढंरो रुग्रोवीकान्यां ॥ आचंडार्क नंयात् ॥ श्रीः ॥ ॥ ___ सजामंडप के बायें तर्फ स्तम्ल पर। [1059] (१) संवत् १७ वर्षे वैशाष सुदि ११ सोमे साहाजी श्री जेठमल जी तागचंद जो कोठारी जात श्री........... साद जी श्री उदेचंदजी ......... पाषाण की टूटी चौवीसी पर । [1060] (१) ॐ सं० १४२५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १४ बुश्वारे ऊकेश वंशे नववक्षा गोत्रे साधु श्री रामदेव पुत्रेण माम्हण देवि पुत्र ...... (२) कारकेण निज नार्या । जिनशासन प्रजाविकाया हेमा दे शाविकाया पुराचार्य श्री सप्ततिशत जिनानां कारितं...... (३) तत्पट्टे श्री जिनसागर सूरिभिः । देलवाड़ा-मेवाड़। * श्री पार्श्वनाथजी का बड़ा मंदिर। मूखनायकजी पर। [10010 सं० १४०६ श्री पार्श्वनाथ विंचं सारा सहया ....... ..बह खान प्राचीन है।"देव कुलपाटक" नामकी पुस्तक में लेखों के साथ यहां का वर्णन है। "Aho Shrut Gyanam" Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४५) पुंडरिकजी के मूर्ति पर। [ 1062] संवत् १६०ए वर्षे आषाढ बहुल ४ शनौ देलवाड़ा वास्तव्य शवर गोत्रे ऊकेश झातीय वृद्धशाखीय सा मानाकेन जाय हीरा रामा पुत्र माया रांगा फया युतेन स्वश्रेयसे श्री पुंडरीक मूर्तिः कारापितं प्रतिष्ठितं संझेर गछे च० श्री मानाजी केसजी प्र० ॥ श्राचार्यों के मूर्ति पर। [1963] . . . जिनरतन सूरिगुरु मूर्तिः कारिता प्रतिष्ठिता . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . { 1984] संवत् रथ६ बर्षे ज्येष्ठ वदि ५ दिने नवपद शाखीय सा रामदेव नार्या श्री मला. देच्या श्री जिनवर्द्धन सूरि मूर्तिः कारिता प्र० श्री जिनचं सूरिभिः । [10651 संवत् १४६ वर्षे ज्येष्ठ वदि ५ सा रामदेव नार्या मेला देव्या श्री डोणाचार्य गुममूर्तिः कारिता प्र श्री वरतर गल्छे श्री जिनचं सूरिभिः । श्वेत पाषाण को कायोत्सर्ग मूर्तियों पर । [1986] * (१) ॥ ए ॥ संवत् १४५३ वर्षे वैशाख वदि ५ . . . . . यवम प्रासाद गौष्टिक प्राग्वाट ज्ञातीय व्यव० जांजा ज्ञान * यह लेख घोरीवाय नामक स्थान में मिट्टी से निकला हा विशाल मूर्ति के चरण मौकी पर है "Aho Shrut Gyanam" Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २४६ ) (२) साडि पुत्र देपा नार्या देवा दे पुत्र ७ व्यव . . . . . . कुंरपाल सिरिपति नर दे • धीणा पंडित लषमसी आ(३) स्मश्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथ जिनयुगक्ष कारापितः प्रतिष्ठितः कोलीवाल गछे पूर्णिमा पदे द्वितीय शाखा(४) यां जट्टारक श्री नरेश्वर सूरि संताने तस्यान्वये न श्री रत्नप्रन्न सूरि तत्पढ़ें नहारक श्री सवाण(५) द सूरीणि शिष्य लषमसीहेन आत्मश्रेयोर्थ कारापितः प्रतिष्ठितः ज० श्री सर्वा पद सूरी. (६) णामुपदेशेन ॥ मंगलान्युश्यं ॥ 11067] (१)॥ॐ॥ स्वस्ति श्री नृप विक्रमादित्य संवत् १५७७ वर्षे वैशाष शुदि ३ श्रीमान झातो मांथलपुग गोत्रे सा (२) देहड़ संताने सा काला तत्पुत्र साय मेला केला मेला पुत्र साप सोमा ससा यरकेन पुत्र ढुंफण पुत्र (३) जोला सोमा पुत्र महिपति डुंगर जापर सायर पुत्र बाना पासा ढुंफण पुत्र वस्त पाल त...... (४) स रत्नपाल कुमरपाल तोला पुत्र नरपाल नरपति प्रभृति पुत्र पौत्रादि सहितण एटों पर। [1068] सं० १४ए४ वर्षे फाल्गुन वदि ५ प्राग्वाट सा देपाल पुत्र सा सुहडसी नार्या सुहडा दे पुत्र पीबजलिया साय करणा नार्या चनू पुत्र सा० धांधा हेमा धर्मा कर्मा हीरा काला भ्रातृ साहीसाकेन नार्या साखू पुत्र थामदत्तादि कुटुंबयुतेन श्री हासप्तति जिनपट्टिका कारिता प्रतिष्ठिता श्री तपागबनायक श्री सोमसुंदर सूरिनिः॥ श्रीः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २४७ ) [1969] सं० १५०३ वर्षे ष० शु० ७ प्राग्वाट सा० देपाल पु० सा० सुदडसो जा० सुहडा दे सुत पीलिया सा०करणा जार्या बनू पुत्र सा० धांधा हेमा धर्मा कर्मा होश दोसा काला मा० धर्मान जा० धर्माणि सुन महसा सालिग सहजा सोना साजपादि कुटुंबयुतेन ए६ जिनपट्टिका कारिता || प्रतिष्ठिता श्री तपागचाधिराज श्री सोम सुंदर सूरि शिष्य श्री जय चंद्र सूरिभिः ॥ [ 1970 } सं० १९०६ फा० शुदि १५ श० सा० सोमा जा० रूडी सुत सा० समधरेष जातू फाफा सीधर तिहुणा गोविंदादि कुटुंबयुतेन तीर्थ श्री शत्रुंजय गिरिनारावतार पट्टिका का० प्र० श्री सोम सुंदर सूरि शिष्य श्री रत्नशेखर सूरिजिः ॥ भोयरे में । मूलनायकजी पर । [1971] १४९०४ ऊकेश सा० वाठा गणी पुत्र वीसल खीमाई पुत्र धीरा पत्नी सा० राजा रत्ना दे पुत्री मादण देव का यदि बिंबं प्र० तपा श्री सोमसुंदर सूरिजिः ॥ पट्ट पर । [1972] सं० १४०५ वै० शु० ३ ऊकेश वंश सा० वाछा जार्या राणा दे पुत्र सा० वीसा पस्या सा० रामदेव जार्यो मेला दे पुत्रा सं० खीमाई नाम्न्या पुत्र सा० धीरा च्यांपा दांसादि युतया श्री नन्दीश्वर पट्टः कारितः प्रतिष्ठितः तपागळे श्री देवसुंदर सूरि शिष्य श्री सोमसुंदर सूरिनिः स्थापितः तपा श्री युगादि देवप्रासादे ॥ सूत्रधार नरवद कृतः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४०) [1073] सं० १५०३ वर्षे भाषा शु0 प्राग्वाट साप आका जाप जसल दे चांपू पुत्र सा० देहा जूग सोना पीमायेः चतुर्विशति जिन विंचं पट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्री सोमसुंदर सूरि शिष्यैः श्री जयचंड सूरिनिः॥ देहरी में। मूलनायकजी पर। [1974] सं० १४९५ ज्येष्ठ सुदि १४ बुधे श्री विमलनाथ विवं कारितं जानतिरि श्राविकया। न । श्री जिनसागर सूरिनिः । श्रीमान ज्ञातीय जामिया गोत्रे । पट्टों पर । [ for] सं० १४६५ वर्षे ज्येष्ठ सु० १४ बुधे श्री ऊकेश वंशे नववदा शाषायां सा राम नायर्या नारिंग दे पुण्यार्थ श्री श्री सिजिशिक्षाकायां श्री जिनवर्द्धन सूरि पट्टे श्री जिनचं सूटि पढे श्री जिनसागर सूरिक्तिः ।। [1076] (१) ॥ संवत् १४६५ वर्षे माघ सुदि ६ रवौ ॥ ऊकेशवंशशृंगारो जुवन पास इत्यनुत् । नुबन पाखयत् यः स्युनामनिन्ये (?) यथार्थतः ॥ १ ॥ तदन्वये ततो जात ... तक ...... (३) त्यः पृथु प्रतापी ननु रोष तापी । जिनांविरक्तो गुरुपादनको । गुणानुरागी हृदय विरागी ॥ ४॥ युगक्षकं ॥ तस्यांगना ... ग कुरंगनेत्रा सीतेव ..... (३) धार सहितेन सा सहणा सुश्रावकेण जिनमातृ पुएथार्थ श्री वासुपूज्य वित्रं चतु. विशति पटक विंशति विहरमानादि ...... "Aho Shrut Gyanam" Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४ए ) [1977] (१) संवत् १४५१ वर्षे माघ सुदि ५ बुधे नवलक्ष गोत्रे सा रामदेव जार्या मेला (१) दे पुत्र सहयपाल नार्या नारिंगं देव्या श्री . . . . जिन मूर्ति विवानि प्र. (३) तिष्ठितं श्री खरतर गडे श्री जिनचंड सूरि पेट श्री जिनसागर सूरिभिः ॥ दरवाजों पर। [1978] (१) संवत् १५१५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ४ गुरुवासरे . . . . . . (२). . . . . . . . . . . . . [10791 (१) श्री ॥ सं० १४७३ नागपुरे ऊकेश वंशे सा हीरा नाय धर्मिणि पुन्या सरस्वती पत्तनवासि सा हीरा सुत सा संग्राम सिंह नार्यया सम्यक्त्वदेशविरत्यादि गुण (२) युक्तया श्रा० देऊ नाम्न्या न्यायोपार्जि)तं निजवित्त व्यथेन तपापदे श्रीयादिदे. वप्रासादे श्रीपार्श्वनाथ देवकुलिका कारिता प्रा गबनायक श्रोसोमसुंदर सूरिनिः। [1980] (१) सं० १४ वर्षे श्री अणहिलपुरवासि श्री श्रीमावाति सा समरसी पुत्रेण साथ सोमाकेन संप्रति अहमदावादपुरवासी सत्तार्या . . . . . . (२) सुत मो० वाघादि कुटुंबयुतेन श्री तापक्ष श्री यादिनाथ प्रासादे श्री अजित देवकुलिका कारिता प्रतिष्ठिता श्री तपापके श्री सोमसुंदर सूरिनिः॥ [1981] (१)॥ॐ॥ संवत् १४०६ वर्षे ज्येष्ठ वदि ५ शुके नवसद गोत्रे ११) सा रामदेव नार्या मेला दे श्राविकया निजपुण्यार्थ (३) . . . . . . श्री आदिनाथ प्रासाद कारितं ॥ प्रतिष्ठितं "Aho Shrut Gyanam" Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५० ) (४) श्री खरतर गछे श्री जिनवर्द्धन सूरि पढे श्री जिनचंड सूरिनिः॥ (1082] (१) ॥ संवत् १४०६ वर्षे कार्तिक सुदि ११ सोमे ॥ ऊकेश ज्ञातीय सा० बाहड़ जार्या सुषुव दे पु० राना साना सलषाके(न) निज मातृपितृ श्रेयसे श्री शादिनाथ प्रासा दे श्री सुमतिनाथ देव प्रतिमा (१) कारिता ॥ ऊकेश गछे श्री सिकाचार्य संताने प्रतिष्ठितं । श्री देवगुप्त सूरिभिः ॥ ॥ श्री॥ मल्लधारोयकः॥ [1083] (१) सं० १४७७ फा० सुछ श्रीमाल झा सा० . . . . . . (३) देवकुखिका कारिता प्रतिष्ठिता तपागचनायक श्री सोमसुंदर सूरि श्री मुनि सूरिभिः ॥ श्री अहिलपुरपत्तन वास्तव्य [1084] (१) ॥ॐ ॥ संवत् १४८१ वर्षे माघ सुदि ५ बुधवार ऊकेश वंशे श्री नवलखा गोत्र श्री रामदेव शायर्या श्राविका मेला दे पुत्र साधु श्री सहणपाल जार्यया नारिंग दे भाविकया पुत्र सा रणमल सा रणधीर रणज्रम साए कर्मसी पौत्रादि सहितया निज पुण्यार्थ जिनानां श्री जिनराज सूरि पट्टे श्री जिनवईन सूरि तत्प४ श्री जिनचंड सूरि तत्पपूर्वा चल श्रीयुत श्री जिनसागर सूरिनिः ॥ शुनं नवतु ॥॥॥॥॥ नये मंदिर में। मूलनायकजी पर । [1985] । संप १४८५ वर्षे वैशाख सुदि १ श्री पार्श्वनाथ विंब ॥ सा ससुदय क्ठस्य । "Aho Shrut Gyanam" Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५१ ) कायोत्सर्ग मूर्तियों पर [1986] ( १ ) ॥ ॐ ॥ सं० १४६४ वर्षे आषा० शु० १३ दिने गूर्जर ज्ञातीय ज (२) साली लापण सुत मं० जयतल सुत मं० सादा जार्या सुम ( ३ ) दे सुत मं० वरसिंह जातृ मं० जेसाकेन मार्यो श्रृंगार दे पुत्र ( ४ ) हरिचंद्र प्रमुख सकल कुटुंबसहितेन स्वश्रेयसे प्रभु ( ५ ) श्री पर्श्वनाथ प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता श्री सूरिनिः ॥ [1987] लूं प्रा ॥ ॐ ॥ संवत् १४७५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ७ गुरुवारे श्रीमाल ज्ञातीय मंत्रि सुत नंदिगेस | सुत पुत्र सा० खासा सुश्रावकेष श्री पार्श्वनाथ बिंब स्वपुण्यार्थे कारितं श्री खरतर गठे भो जिनवर्द्धन सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ आचार्यों के मूर्तियों पर | [1988] || ॐ || सं० १३०१ वैशाष वदि । श्रीपत्तने श्री शांतिनाथ विधि चैत्ये श्री जिनचंद्र सूरि शिष्यैः श्री जिनकुशल सूरिभिः श्री जिनप्रबोध सूरि मूर्तिः प्रतिष्ठिता । कारिता च सा० कुंमरपाल रत्नैः सा० महणसिंह सा० देपाल सा० जगसिंह सा० मेदा सुनावकैः सप[रवारैः स्वश्रेयोर्थं ॥ छ ॥ [1980] संवत् १४०१ वर्षे माद सुदि ५ बुधे नवलक गोत्रे सा० सयपाले स्वपुण्यार्थे श्री जनवर्द्धन सूरि पट्टे श्री जिनचंद्र सूरीयां मूर्तिः प्र० श्री जिनसागर सूरिजिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५५ ) ऋषभदेवजी का मंदिर। पंचतीर्थयों पर। [ 1000 ] संग १५१० पौष वदि १० घांघ गोत्रे सा० सारंग ना सुहानिणि सु० सा काबू साम चाहड़ नामान्यां पुण्यार्थ श्री सुमतिनाथ बिंब का० प्र० श्री मलधारि गले श्री विद्यासागर सूरि पट्टे श्री गुणसुंदर सूरिनिः ॥ [1091] ॥ संवत् १५१५ वर्षे माह वदि ए शुक्रे श्री संडेर गछे ज० काश्यप गोत्रे साषेता पुरा षीमा जाप षीमसिरि पु चुडा ना० नरमी पुरा पूजा नयमा बोढा रंगा साइतेन श्री नेमि. नाय पिं० कारितं प्रति श्री ईश्वर सूरिनिः॥ [1002] : ॥सं० १५१२ वर्षे वैशाष सुदि पंचमी सोमे । उ० झाप काउड़ गोत्रे । दो० ऊदा नार्या जमा दे पु० दो रूपा दोष देपा अमर नाथा । रंगा देवा नार्या दाडिम दे पु । पहिराज सादहा रायमल युतेन सुपुण्यार्थं श्री शांतिनाथ विवं कारितं श्री संडेर गजे श्री शांति सूरिनिः प्रतिष्टितं । मूलनायकजी पर। [ 1993 ] ॐ॥ स्वस्ति सं० १४६ए वर्षे माघ .... ६ रवी श्रीमाल वंशे नावर गोत्रे व हड़ संताने श्री पुत्र मंत्रि करम . . . . श्रेयाथ लघु व्रातृ उ० देपावेन ब्रातृव्य 30 जोजराज उप नयणसिंह नार्या मादह दे सहितेन श्री आदिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गले श्री जिनचंद्र सूरिजिः देवकुलपाटके । "Aho Shrut Gyanam" Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५३) श्याम पाषाण की पाजुका पर। ___{ 1994] संवत् १४१ वर्षे माघ वदि ५ दिने बुधे उकेश वंशे नवसखा गोत्रे साधु श्री रामदेव जार्या मला दे तत्पुत्र साधु श्री सहणपासेन नार्या नारिंग दे पुत्र रणमसादि सहितन देवकुसपाटके पूर्वाचलगिरा श्री शत्रुञ्जयावतारे मोरनाग कुटिका सहिता प्रति श्री खरतर गछे श्री जिनवऊन सूरि पट्टे श्री जिनचंड सूरि तत्पट्टे श्री जिनसागर सुरिनिः । पट्ट पर। [ 10051 ॥ॐ ॥ संवत् १४७३ वर्षे ज्येष्ठ सुदि । गुरुवारे सा थांबा पुत्र सा वोराकेन स्वमातृ आंबा श्राविका स्वपुण्यार्थ ॥ श्री चतुर्विशति जिन पट्टकः कारितः श्री खरतर मछे प्रति ष्टितं श्री जिनबर्द्धन सूरिनिः आचार्यों के मूर्तियों पर। [ 1006] संवत् १४६५ वर्षे माघ शुदि६ दिने ऊकेश वंशे साठ सोषा संताने सा० सुद्दडा पुत्रेण सा नान्हाकेन पुत्र वीरमादि परिवारयुतेन श्री जिनराज सूरि मूर्निः कारिता प्रतिष्ठिता श्री खरतर गछे श्री जिनवर्धन सूरिनिः । [ 19973 सं० १४६५ वर्षे सा रामदेव जार्यया मेसा दे श्राविकया स्वत्रातृस्नेहमया श्री जिनदेव सूरि शिष्याणां श्री मेरुनंदनोपाध्यायानई मूर्तिः कारिता प्रतिष्ठिता श्री जिनवर्द्धन सूरिनिः "Aho Shrut Gyanam" Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( श्५४ ) श्री पार्श्वनाथजी की बसी । पंचतीर्थी पर | [ 1998 } ॥ सं० १२०१ वर्षे आषाढ सुदि १० रवौ श्री देवाजिदित गछे श्री शील सूरि संताने मण पुत्रेण कनुदेवेन चातु सुजदेव श्रेयोर्थ आत्मश्रेयोर्थं च प्रतिमा कारिता । तपागल का उपासरा । पंचतीर्थयों पर । [1909] सं० १२७३ | गोसा चातृ जेजा जार्या हेमा पु० धणपाल जा० लाबल दे श्री संडेर गछे श्री यशोज [2000] सं० १४०४ वर्षे वैशाख सुदि ३ शनौ उपकेश वंशे नोसतिकि ( ? ) शाखायां सामू वाल जा० मादण दे लाषाकेन चातृ पुंजा जा० मेला दे पितृ श्रे० शांतिनाथ चिंब कारितं प्र० श्री जयप्रन सूरिजिः । ॐ सं० १४९४ वैशाष वदि बुधे. [2001] ...... • श्रेयोर्थं प्रतिमा कारिता ॥ As.. *****? बिंबं कारितं श्री [2002] ॥ ॐ सं० १५२० वर्षे ज्येष्ठ सु० ५ शुक्रे ऊ० गूगलिया गोत्रे सा० सूरा जा० सुहमा दे हा निमित्तं श्री शीतलनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं सूरि संताने प्रतिष्ठितं श्री शालिनद्र सूरिजिः ॥ धातु की मूर्ति पर । ...... [2003] सं० २००२ आषाड़ सुदि १० श्री कृषजनाथ बिंबं का० दरषा लोत 1 "Aho Shrut Gyanam" Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मानवा आंड प्रामय राघव प्रशमयामेव वार्षकानिकल विशसन 轴 मारला कानदेव सपा इस रातिक गर मण्हाला साहसाद यह काल कद १४ किि एनानिमानसा टिकादिलवाडानी माडलवाडानामायाप इनाम देग बुटा सिटका शव तिषारा वाडा ता पर सूट अप शायद कारक १४ भगवता पूजा जसरास निव मंगल या सुतिका (लापइनदर दिसला श्री समीर राधा श्रासनाला बारा कुकर्मनी श्राढश्रीसंघाचा श्रीप्रणीतमा DEVALVARHA ( MEWAR ) INSCRIPTION Dated, V. S. 1491 (A. D. 1434) "Aho Shrut Gyanam" Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५५) पाषाण की मूर्तियों पर। [ 2004] सं० १४५१ वर्षे माह सुदि ५ बुधे खरतर गछे नाग .... मुनिचंड शिष्य नव्यराज गणि पार्श्वनाथ विंबं...... [2005] सं० १३एए वर्षे माह सु० १३ श्री प्र... लू ना० . . . कुंथुनाथ . . . . . . । शिलालेख [2006] (१) ॥ ॥ श्रेयः श्रेणिविशुद्धसिद्धलहरी विस्तारहर्षप्रदः श्री मस्साधुमरालकेलिरणिनिः ( ५ ) प्रस्तूयमानक्रमः । पुण्यागण्यवरण्यकीर्तिकमलव्याखोललीलाधरः सोयं मानससत्स (३) वरसमः पार्थप्रतुः पातु वः ॥ १ ॥ गंजीरध्वनिसुंदरः दितिधरणिजिरासेवितः सारस्तोत्रप(५) विनिर्जरसरिद्धिष्णुसजीवनः । चंचज्ञान वितान जासुरमणिप्रस्तारमुक्तालयः : सोयं (५) नीरधिव ... नाति नियतं श्री धर्मचिंतामणिः ॥ २ ॥ रंगनांगतरंगनिर्मक्षयशः कर्पूर पूरोद्धरा(६) मोददोदसुवासितविजुवनः कृत्तप्रमादोदयः । नास्वन्मेचककजालद्युतिजरः शेषाहि (७) राजांकितः श्री वामेय जिनेश्वरो विजयते श्री धर्मचिंतामणिः ॥३॥ष्टार्थसंपादन. कल्पवृक्षः (७) प्रत्यूडपांशुप्रशमे पयोदः । श्री धर्मचिंतामणिपार्श्वनाथः समग्रसंघस्य ददातु नऊं ॥ ४॥ संवतू "Aho Shrut Gyanam" Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५६) (ए) १४९१ वर्षे कार्तिक सुदि १ सोमे राणा श्री कुंजणविजयराज्ये उपकेश ज्ञातीय साइ सह. (२०) या साह सारंगेन मांडवी उत्परे खामू कोधु । सेखहषि साजणि कीधु अंके टंका चक्रद १४ जको (११) माझवी लेस्य सु देस्थई । चिहु जणे बश्सी ए रीति कीधी । श्री धर्मचिंतामणि पूजानिमित्त । सा (१५) रणमल महं गूंगर से हाला साद साडा साह चांप बश्सी विडु रीति कीधी एह बोस (१३) खोपया को न सह । टंका ५ देउलवाडानी मांडवी ऊपरि टंका ४ देउखवामाना मापा उप (१४) रि। टंका १ देउवाडाना मण इंड वटा उपरि । टंका र देउसवाडाना पारी वटां ऊपरी । (१५) टंकाउ १ देउखवामाना पटसूत्रीय ऊपरी ॥ एवं कारई टंका १४ श्री धर्मचिंतामलि पूजा (१६) निमित्ति सा सारंगि समस्त संघि लागु कोधन ॥ शुनं जवतु ॥ मंगलान्युदयं ।। श्रीः॥ (११) ए ग्रासु जिको लोप तहेहिं राणा श्री हमीर राणा श्री षेता राणा श्री लाषा रा० मोकल (१७) राणा श्रीकुंजकर्णनी आणल।श्रीसंघनी श्राण । श्रीजीसउक्षा श्रीशत्रुजयतका सम ॥ देवी मूर्ति पर। { 2007 ] * ॥ सं० १४१६ वर्षे मार्ग शु०१० दिने मोढ झातीय सा वनहत्य नार्या साजणि सुत मं मानाकेन अंबिका मूर्तिः कारिता प्रतिष्ठिता श्री ...... रिलिः ॥ * महात्मा श्रीलालजी नाणावाल के यहां मूर्ति है। "Aho Shrut Gyanam" Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५७) खंडहर उपासरा। शिलालेख [ 2008 ] (२) परमात्मने नमः (२॥ ॐ ॥ प्रणम्य श्री सूर्यदेवाय सर्वसुखंकर प्रतो । सर्वसब्धिनिधासस्य (३) सत्यं प्रणमाम्यहं ॥१॥मेदपाटे गिरो देसे गिरजागिरस्थानयो तां नगरो ज. (४) तमा झेया देवको प्रमपट्टणौ ५ तत्र राज्ञा श्रेयो ज्ञेयाः राघवो राज्य सा( ५ ) नयोः षट्दर्शनसदामान्यः श्वेतांबरा श्रनिधियो ३ श्रीमदंचल ग(६ )स्था श्री.उदयसागर सूरिणा। तस्य आज्ञा कारण चारित्र रत्न (3) गुर प्रजौ ४ शिष्य लक्ष्मीरत्नस्य साधुमुना सदा सुखी । राजधर्म सस. (0) नेहादि जिनमंदिर करापितं ५ कोटवर्षचिरंजीवो बह पुत्र(ए) गजवाजिना श्रयलं मेरुकर्णोयं राज्यं पालति राघवः ६ जे (१०) अन्य राजा स्वश्वः लोपतो परदत्तयो नरकं ते नरा जाति ज. (११) स्य धर्मस्य श्रवृथा ७ सं० १७ए वर्षे माघ सुदि ५ तिथौ गुरू (१५) श्री चतुराजी शिष्य कुशलरतन लक्ष्मीरतन उपासरो करा (१३ ) यो श्री पुण्यार्थे । श्री राज श्री राघव देवजी वारके देखवाडा (१४) नगरे श्रीसंघ समस्तां साध अर्थे पं लिखमीरतन चेखा हेमरा(१५) ज जगासरो करायो बोजो को रहे जपीहे गाय ( १६ ) मान्यारो पार है जती आंचल्या टाक्ष रहवा पावे नहीं "Aho Shrut Gyanam Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५ ) दरवाजे की बतरी पर कः लेख । [2009] श्री गणेश ... रतन चेला हेम ... कारापितं ॥ साह अषा साह नाराण साह कुरसी साह हेमा साह हमीर साह सुना साह सिवा साह हर . . . साह फंत्रेल साह मेघा साह जोपा साह विरधा कटाच्या चतुरा जीथा सगता ... समसथ श्रावका ... लघाणा श्री राघ. वदेवजी बारको मंदिर कारा ... लक्ष्मीरतन सं० १७०५ माघ सुदि १३ शुके प्रतिष्ठा करावो ... लक्ष्मीस्तन ......॥ कलकत्ता। श्री श्रादिनाथजी का देरासर - कुमारसिंह हाल । पंचतीथियों पर । [20:00 सं० १४६७ वर्षे मागसिर वदि ११ शुक्र श्री श्रीमाल ज्ञातीय संघ गोवस नार्या माम्हण दे तयोः सुतः महमाश्याकेन श्री सुमतिनाथ स्वामी बिंब कारापितं श्री जिनहंस गणि श्रेयोर्थ प्रतिष्टितं श्री सूरिनिः नघईज वास्तव्यः । [ 201] संवत् १५२७ वर्षे श्राषाढ सुदि १० बुधे श्री श्री (माल) वंशे ॥ संग कर्मा नार्या जासू पुत्र सं० षीमा नार्या चमकू श्राविकया पुत्री कर्माई पुण्यार्थ श्री अंचल गन्छे श्री जयकेसरि सूरिणामुपदेशेन चंप्रन स्वामी बिंबं कारितं प्रतिष्टितं श्री संघेन ॥ श्री पत्तन नगरे ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TIRTHA ABU -Dilwara Temples. "Aho Shrut Gyanam" Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५ ) आबू-रोड। श्री आदिनाथ जी का मंदिर-धर्मशाला । पंचतीर्थी पर। { 2012] सं० १५०ए वै० व ११ शुक्र श्री कोरंट गछे श्री नन्नाचार्य संताने । उवएस वंशे । शंखवालेचा गोत्रे श्रेण लषमसी नाव सांसल दे पुत्र रामा ना राम दे पुण् तेजा नाम्ना स्वमातापित्रोः श्रेयसे श्री वासुपूज्य विंग का०प्र० श्री सांबदेव सूरिनिः । चौवीशी पर। [2013] ॥ संप १५२७ वर्षे माघ सुदि १३ मुगै श्री उदयसागरगुरूपदेशेन श्रीमाल ज्ञातीय श्रेण · मेघा ना माणिकदे सुत श्रेण नाईयाकेन ना बाहा सु० गहिगा राघव गया तथा जा नामक्ष दे प्रमुख कुंटुबयुतेन श्री संभवनाथ चतुर्विंशति पट्ट कारिताः प्र० श्री बृहत्तपा गठे ज्ञानसागर सूरिभिः । आबू-तीर्थ । श्री आदिनाथजी का मंजिर-देखवाड़ा । ___ पाषाणकी कायोत्सर्ग मूर्ति पर । [ 2014] (१) संवत् १४० वर्षे वैशाष मासे शुक्ल पक्षे ५ पंचम्यां तिथौ गु: "Aho Shrut Gyanam" Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६० ) (२) रुदिने श्री कोरंट गळे श्री नन्नाचार्य संताने महं करा (2) नार्या महं कुंरदे पुत्र महं मदन नर पूर्णसिंह जा० पूर्णसि. (४) रि सुत महं उदा मं० धांधल मूस मं० जसपाल गदा रुदा प्रभृति स(५) मस्त कुंटुबं श्रेयसे श्री युगांदि देव प्रसादे महं धांधुकेन श्री जिन(६) युगलमयं कारितं प्रतिष्ठितं श्री नन्न सूरि पट्टे श्री कक्क सूरिचिः । धातु की मूर्ति पर। [2015] सं० १५५१ वर्षे वैशाष सुदि १० रवौ संप रत्ना सं० पन्नाच्यां श्रीशातिनाथ विंचं काय । पंचतीर्थी पर। [ 2016 सं० १४१ वर्षे माघ सुदि १३ बुधे प्रा० व्या सषमण जा रूजी पु० जीलाकेन पित्रो. आत्मश्रेयोर्थ श्री पार्श्वनाथ विवं कारितं प्रति ब्रह्माणीय गछे जय श्री उदयाद सूरिनिः । चौवीशी पर। [ 2017] संग १४G५ प्राग्वाट व्य० मँगर नार्या उम दे पुत्र व्य० माहाकेन नाव माम्हण दे पुत्र कीजा जीनादि युतेन श्री सुपार्श्व चतुर्विशतिका पट्टः कारिताः प्रतिष्ठितस्तका गछे श्री सोमसुंदर सूरिनिः। श्री शांतिनाथजी का मंदिर-अचलगढ़ । पाषाण की मूर्तियों पर । [2018] ॐ सं० १३०२ वर्षे ज्येष्ठ सु० ए शुके . . . . . . . . । "Aho Shrut Gyanam" Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * . . TIRTHA ABU. Cuving vork on ceiling in Dilwara Temples. "Aho Shrut Gyanam" Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६१) [2010] साग धन्ना श्रावकेष श्री श्रादिनाच बिंब कारितं । 12020] पं० माजू श्राविकया श्री सुमतिनाथ कारित . . . . .! [2021] श्री खरतर गळे श्री पार्श्वदेव द्वितीयनूमौ पार्श्वनाथ सा माखा ना मांजू श्राविका कारितः। देवो की मूर्ति पर। ___ [ 2022] सं० १५१५ वर्षे आषाढ वदि १ शुके श्री उकेश वंशे दरडा गोत्रे सा० श्रासा ना सोखु पुत्रेण संव मंडलिकेन जा हीराई सु० साजण हिना रोहिणि प्र० घ्रा सा पाहादि परिवार संयुतेन श्री चतुर्मुख प्रासादे श्री अंधिका मूर्ति का श्री जिनचंड सूरितिः । श्री षनदेव जी का मंदिर-अचलगढ़। पाषाण की कायोत्सर्ग मूर्ति पर। [2023] सं० १३०५ वर्षे . . . . . . अमरचंड सूरि जयदेव सूरिभिः । पंचतीर्थी पर। [ 2024] सं० १५२० वर्षे आए सु०५ प्राग्वाट ज्ञातीय व्यः सा . . . . . . ना रूपिणि सुत सोमा दे ना वोकमादि कुटुंबयुतेन श्री मुनिसुव्रतनाथ विवं कारितं प्रा भो तपागलनायक श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः। "Aho Shrut Gyanam" Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६) धातु की मूर्तियों पर। [ 2025] सं० १५२५ फाण सु०७ शनि रोहिण्यां श्री अर्बुद गिगै देवड़ा श्री रावधर सायर मंगर सिंह विजय राज्ये साता जीमचेत्ये गुर्जर श्रीमाल राजमान्य मंघ मंडन नार्या जोली पुत्र मं० शूफ पु० मं० गदाज्यां जार्या हासी पद्माई मं० गदा ना० आसू पुत्र श्रीरंग वाघादि कुटुंबयुताच्या १०७ मन प्रमाण सपरिकर प्रथम जिन विवं कारितं तपागलनायक श्री सोम. सुंदर सूरि पट्टे श्री मुनिसुंदर सूरि श्री जयचंद्र सूरि पट्टे श्री रत्नशेस्वर सूरि पट्ट प्रक्षाकर श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्री सुधानंदन सूरि श्री सोमजय सूरि महोपाध्याय श्री जिनसोमगणि प्रमुख । विज्ञानं सूत्रधार देवाकस्य श्री रस्तु । कृतं मेवाड़ ज्ञातीय सत्र धार मिहीपा जाप नागल सुन सूत्रधार देवा जार्या करमी सुत सूप हला गदा हापा नाला हाना कलाः सहित व्यापाद्यताः । [20201 संवत् १५५५ वर्षे वैशाख वदि ४ शुके मूंगरपुर नगरे राउल श्री सोमदास वि राय तत्प्रधान प्रजावक पुरंदर सा साना प्रमुख श्री संघोपक्रमेन . . . . . . . . . . . . श्री आदिनाथ विंबं प्र० तपागलनायक श्री सोमसुंदर सूरि पट्टे मुनिसुंदर सूरि श्री जयचं सूरि पट्टे श्री रत्नशेखर सूरि तत्पदे श्री लक्ष्मीसागर सूरि श्री सोमजय सूरि महोपाध्याय : जिनहंसगणि प्रमुख सुदरादि शिष्य परिवार परिवृतः [20271 संवत् १५६६ वर्षे फाट्युन सुदि १० सोमे श्री अचलगढ़ महादूर्गे महाराजाधिराज श्री जगमाल विजयराज्ये संग सालिग सुत संग सहसा कारित श्री चतुर्मुखविहारे जनप्रासादे श्री सुपार्श्व बिंबं श्री संपेन कारित प्र० तपागड श्री सोमसुंदर सूरि संताने श्री कमलकलस सूरि शिष्य श्री जयकल्याण सूरिनिः जा श्री चरणसुंदर सूरि प्रमुख परि. वार परिवृतैः श्रीरस्तु श्री संघस्य सूत्रधार हरदास ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "Aho Shrut Gyanam" Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ M . 1999 TIRTHA PAWAPURI-JALAMANDIR. (Front View) "Aho Shrut Gyanam" Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६३ ) [2028] संवत् १५६६ वर्षे फाल्गुन सुदि १० सोमे श्री अचलगढ़ महादुर्गे महाराजाधिराज श्री जगमाल [विजयराज्ये सं० सालिग सुत सं० सहसा कारित श्री चतुर्मुख विहारे न प्रासादे श्री यादिनाथ बिंबं श्री संघेन कारित प्र० तपागल श्री सोमसुंदर सूरि संताने श्री कमलकलस सूरि शिष्य श्री जयकल्याण सूरिजिः ज० श्री चरणसुंदर सूरि प्रमुख परिवार परिवृतैः श्री रस्तु श्री संघस्य । सूत्रधार दरदास ॥ RERY SAYAYALAYAYALAYS श्री पावापुरी तीर्थ । जल मंदिर | पंचतीर्थी पर | [ 2020 ] सं ( ) तू १२६० ज्येष्ठ सुदि २ रेनुमा ( ? ) पु० चोराकेनात्मश्रेयोर्थ श्री महावीर बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्री अजयदेव सूरिजि सूवेदी के दाहिने तर्फ का लेख [2030] ( १ ) सं० १५२९ मि: यासिन सुदि १ ( २ ) श्री मंदिरजी के बीच के फेरी में वः नी ( ३ ) चे के फेरी में पत्थर बैठाया नानकचं ( ४ ) द जीवनदास जैन श्वेताम्बरी के तर (५) फ से साः कलकत्ता शुजं "Aho Shrut Gyanam" Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६४) सोने के चरण पर। [20313 सं० १९२३ दूगड़ धनपतसिंह कारापितं सर्व सूरि प्रतिष्ठित (श्री)संघस्य श्रेयस जातु । दादाजी के चरण पर। [ 20323 रए५७ साल मिति अधन वदि १५ सोमवार निहालचंद इंजचंद उगड़ तस्य परिवार प्रतिष्ठा कारापितं मुर्शिदाबाद ॥ श्री जिन कु(शाख सूरि महाराज का चरन ॥ शुचं भवतु ॥ समोसरन । मंदिर का शिलालेख । [2038] (१) श्री शुल संवत् १९५३ मिती कातिक वदी (२) त्रयोदशी मंगलवार श्री महावीर स्वामी जी के समोस (३) रनजी में मंदिर कराया श्री संघ ने श्वेताम्बरी आमनाये (४) वः मनिजर गोविन्द चंद सचेती विहारवाले के (५) हस्ते वना । इदं प्रतिष्ठितं गंगारीखी जति महताब बिबि का मंदिर। शिलालेख । [20341 (१) संवत् १९३१ का मिति माघ शुक्क १० तिथी (२) चंडवारे श्री मन्महावीर स्वामी मंदिर श्री वंगदे. "Aho Shrut Gyanam" Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६५) ( ३) शे। मकसुदावादाजीमगंज वासिनी उधेड़िया (४) मोत्रे श्री नेमिचंद्र तस्य नार्या महताब कुमारि(५) या कारापितं च श्री हर्षचंदजी तत् पुत्र बुधसीह (६) विसनचंडेण प्रतिष्ठा कारापिता । श्री वृहद्धापक (७) गोर्जराधिपति श्री अखयराज सूरि तत्पट्टालंकृ (७) त् श्री अजयराज सूरिणा प्रतिष्ठितं श्री शुनं नूयात् । (ए) ॥ श्लोकः ॥ जवारएयगोपालक त्रैशलेयं । जाबोधि(१०) संस्तारणे यानतुल्यं । मुक्तिस्त्रिनाथं मयायं जिनें (११) प्रसंस्तौमि श्री वर्धमानं वितुं च ॥१॥ गांव मंदिर। दक्षिण तर्फ के दिवार पर का लेख । [2035] ११) श्री गांव मंदिर जि मे दक्ष (२) ण पश्चिम उत्तर दालान (३) तथा चारो कोठे मे पत्थल (४) जैन श्वेताम्बर अंडार के तर (५) फ से मैनेजर गोविंदचंद सुचं (६)ति विहारवालो ने बैठाया सुन (७) संग रए६४ आसिन बाद ५ सजा मंमय के दाहिने तर्फ के श्राले का लेख । 2036] (१) श्रीमदविर जानें प्रणम्य श्री पावापुपी नगरी मधे आ श्री जिन (२) बीब स्थानापन करोती स्वेतांबर आमनाय धारक शा० रूपचंद "Aho Shrut Gyanam" Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५६६ ) ( ३ ) रंगीलदास देवचंद सा पाटन वाला हाल मुकाम येवला तथा मुंबई ( ४ ) वाला गो खजार तथा सजा मंरुपमां जमती सहीत आरस कराव्यो ( ( ) संवत् १९६० सं० सेवक उत्तमचंद वालचंद मंत्री नगरवाला । सजा मंडप के बांये तर्फ के छाले का लेख । [ 2037 ] ( १ ) श्रीमद विर जिनेंद्र प्रणम्य श्री पावापुरी नगरी मधे या श्री जि ( २ ) न बींब स्थापनं शा० रूपचंद रंगीलदास सा पाटन वा ( ३ ) ला हाल मुकाम येवला तथा मुंबई स्वेतांबर घामना धारक वा खाये कराव्या वे संवत् १९६० ( ) ( ५ ) मीली जाईचंद जगजीवन सलाट पालीताणा वाला । 符 ** हैदराबाद - दक्षिण । * श्री पार्श्वनाथ जी का मंदिर - बेगम बजार | मूलनायक जी पर | { 2038 ] सं० १५५ वर्षे || महा सुदि ९ सोमे श्री पार्श्वजिन बिंबं कारितं . . . पाषाण की मूर्ति पर । [ 2039 ] संवत् १५४८ वैशाख सुदि ३ श्री संघे जट्टारक जी श्री जिन तपापति वाक जी प्रति० यहां के लेख स्वर्गीय पं० घालचंद्रजी यति से प्राप्त हुवे थे । 1 "Aho Shrut Gyanam" Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६७) श्री राजा जशसिंध राजे . . . . . .। [2040] संवत् १५४७ वर्षे वैशाख सुदि १ श्री चंप्रनु विवं कारापितं । धातु की प्रतिमाओं पर। [2041] संवत् १६६० फागुण सुदि १३ साह मनोरथ सदापगामे प्रा. . . . . . । [2042] संवत १७०० वर्षे मार्ग सदि शुके राजनगर वास्तव्य ओसवंस झा सा वर्षमान तरपुत्र सा रायसिंघ केन स्वश्रेयोर्थ श्री पद्मावतो विंव कारित प्रतिष्टितं तपा पं० श्री किर्तिः रत्नगणिनिः॥ [ 2048 ] सं० १७०७ व फा सु० सोमे श्रीमाली झा० साए कुंवरजा नाप रतनवाई नाम्न्या न श्री विवेकहर्षजी श्री शांतिनाथ बिंध का प्र० श्री तपा० न० श्री विजयदेव सूरितिः ॥ पंचतीर्थियों पर। _[2044] सं० १५१२ माघ वदि . . • सोमे नागर ज्ञातीय श्रे० कर्मसी ना फहू सुत जोगी नाम्ना ना नटि सुत मऊयादि कुटुंबयुतेन श्री धर्मनाथ बिंब का प्र० बृहत्तपा श्री रत्नः सिंह सूरिनि ॥ [2045] सं० १५३० वर्षे वैशाख वदि १५ बुधे वडाउला गोत्रे ओस वंशे सा० पेटा जा० माल्ही सुत सा धर्मा नामह पुत्र नापा बाला हीरादि कुटुंवयुतेन आत्म श्रेण श्री शीतलनाथ बिंबं का प्रण श्री संडेर गछे श्री यशवंत सूरिनिः ॥ श्री॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (शक्षा) [ 2046] संवत् १५६५ वर्षे माघ सुदि १५ दिने जकेश वंश घोरवाड गोत्रे सा० वाचा जाम वादिण दे पुत्र सा रंगाकेन ना० रत्ना दे पुत्र सा माहा घेता वेता प्रमुख परिवारयुतेन श्री सुमतिनाथ विवं का०प्र० श्री खरतरगडे श्री जिनहंस सूरिभिः ॥ श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर - कारवान साहुकारी । धातु की प्रतिमाओं पर । [2047] संवत् १३२२ वर्षे बैशाख सुदि ११ गुगै श्री श्रीमाल झातीय नाव जयतेन निजमा. तामह वा सोढ ना उस श्रियादेवी श्रेयसे श्री शांतिनाथ विवं कारित प्रश्रो पृथीचंच सूरि शिष्यैः श्री जयचंड सूरिनिः ॥ [2048 ] संवत् १४५७ वर्षे फा0 सुदि १ जौमे प्राग्वाट झातीय श्रेण धरणि सुत सिंघा श्रेयोर्थ तद् त्रातृ श्रेण कान्हदेन श्री पार्श्वनाथ बिवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री तपागलीय जहारक श्री देवसुंदर सूरिनिः॥ [2048] संवत् १४७र वर्षे वैशाख सुदि ३ शनौ प्रारबाट ज्ञातीय श्रेण सामत ला सामल दे सु० धमाकेन जात हीरा सिवा सहदे सहितन पितृ मातृ श्रेयसे श्री अनिनदंन विवं का प्र० मडाहड गछे श्री उदयप्रन सूरिनिः॥ [2050] सं० १६७७ वा फाण सुरु ७ सोमे ओ झा सारा शिव साए जा० सुजारादि पुत्र साथ रामाकेन जा रतनवाई प्रमुख कुटुंबयुतेन श्री सुविधिनाथ विवं कारित प्रा तपा गछे विवेकहर्षगणिनिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६ ) श्री पार्श्वनाथ जी का मंदिर-रेसीडेन्सी बजार । पंचतीर्थयों पर। [ 2051] संवत् १४ए४ मा सु० ११ ओस वंशे काहणसीह लाइणि सुत कोवापाकेन श्री अंचलग श्री जयकोलि सूरिणामुण नो नमिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिचिः ॥ श्रीः ॥ [2052 ] सं० १५३४ वर्षे अाषाढ सुदि १ मुरौ उकेश झातौ श्रेष्ठी गोत्रे मा कमला म० सिंघा जा० लखमा दे पुण् साजण युतेन स्वश्रेयसे श्री पद्मप्रन बिंबं कारितं श्री ककुदाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्री देवगुप्त सूरिसनः ॥ [2053] संवत् १५३२ वर्षे महाव दि १३ शुक्रवारे सूराणा गोत्रे सा नाथू पुत्र थिरा नार्या मुद्दडादे पुत्र सा धेना नार्या हिमा दे पुण्यार्थ श्री विमलनाथ बिंवं कारितं श्री धर्मघोष गळे प्रतिष्ठितं नहारक श्री मानदेव सूरिनिः॥ {2054] सं० १५४१ माघ सुदि १२ प्राग्बाट झाप श्रेण कांटा जाप सूखेसिरि सु० जिणदासेन जा लखी सुत हरदास सूरदासादि कुटुंश्युतेन स्वश्रेयोर्थ श्री धर्मनाथ विंबं कारितं प्रति. ष्ठितं तपा गछे श्री ३ सदमीसागर सूरिभिः ॥ मोर । पोयाणा वासी। श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर-चार कबान । पंचतीषियों पर। [2055] सं० ११५० फा सु ४ श्राण वाकूकया स्वश्रेयसे श्री महावीर प्रतिमा कारिता । "Aho Shrut Gyanam" Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [2056] सं० १४१ वा मार्ग सु० ५ बार चतुर नाम्ना श्री संखेश्वरपार्श्व वि का प्र० तपा श्री विजयहर्ष सूरिनिः॥ [20571 सं० १६६७ वर्षे फागुण सुदि सोमे श्रीमाल ज्ञातीय सा सूरज कुटुंबयुतेन श्री शांतिम बिंद कारितं प्रतिष्ठितं श्री तपा गछे जट्टारक श्री विजयदेव सूरिनिः॥ 2058 ]. सं० १६ए 40 का सु० ५ गुरो दौखत्तीमाद ज झा सा श्रीमंत चापमाबाई नाम श्री शांतिनाथ बिंबं का प्र० तपा गो . . . . . . । 2059] सं० १६ए फाय सु० ५ वृ० उकेश वा धीरा नाम्नी श्री शांति बिंद का प्र श्री तपा गछे विजयदेव सूरिनिः॥ F20001 सं० १७०१ (?) व मार्ग सुद० ५ वा बृ० प्रा० बा० कानू नाम्ना श्री पाश्र नाथ बिंग का प्रा तपा श्री विजयदेव सूरिनिः ॥ दादाजी के चरणों पर। [2061] ॥ संवत् १६१ का वर्षे मिति माघ सुदि ५ गुरूबासरे श्री जं० युग प्रधान जगद चूडामणि दादा साहिव १०० श्री जिनदत्त सूरि गुरूराज चरणपाका श्री चारकवाण का श्रीसंघेन कारापितं । पं० चारित्रसुखेन प्रतिष्ठापितम् श्रीसंघस्य कल्याण खेम कुशलम् .. समुपस्थिता । हैदरावाद ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २७१ ) [ 2062 ] 3 || सं० २०६१ वर्षे मि । माघ सु । ५ दिने । जं युग प्र० १००० दादा साहेब श्री जिनकुशल सूरि पाडुका । व्यारकबांण । [2063] श्री जिनकुशल सूरि चरणकमल पाडुकेल्यो नमः ॥ शुन संवत् १९६४ वैशाख धवल १० गुरुवासरे प्रतिष्ठितम् ॥ LEUCH ta मद्रास । * स्वामी का मंदिर - शूला बजार । मूल मंदिर का लेख । [ 2064] ( १ ) ॥ संवत् १९५२ रा शाके १०१७ मासोत्तममासे ज्येष्ट मासे शुक्ल पक्ष तिथि दशम्या रविवारे शूलाग्रामस्थः मालू गोत्रे सा० । कालू ( २ ) राम रतनचंद खरतरगणोपासकेन कारापित जिनजवने चंद्रप्रभु बिंबं स्थापितं खरतर छे 'मकीर्ति शाखायां विद्वग्रामचंद्रगणि ( ३ ) तविष्य पं प्र । उदयचंद्रगणिः तच्चरणांतेवासी उपाध्याय नेमिचंद्रेण प्रतिष्ठिर्त जिनजवनं स्थापितं बिंबं च पं० । श्यामलाल साकम् मूलनायक जी पर । [ 2065] कारितं श्री संघेन H संवत् १७६० वैशाष सुदि ६ .. .. * यहां के लेख वर्गीय पं० बालचंद्रजी यति से मिले थे । "Aho Shrut Gyanam" I Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) मूर्तियों पर। [2068] ॥ सं० । १५२१ माह सुदि गुरु । श्री चंजिन बिंबं कारितं । श्री बृहत्खरतरगबीय जा श्री जिनहंस सूरिजिः प्रति . . . . . .। [2067] ॥ सं० १९२१ माद ॥ सु।७।। श्री सुमतिजिन विवं कारितं । श्री वृहत्खरतरगहीय जय श्री जिनहंस सूरिनिः प्रति . . . . . . । धातु को पंचतीर्थी पर। [2068] ॥ सं० १५०५ वर्षे पोस सुदि १५ आ० विणवट गोत्र पा स्तदा जाट सूदख दे पु। सहसा ना सुदड़ दे पितृमात पु० श्री चंचप्रमोबिंब कारित प्रा श्री धर्मघोष गळे पूर्ण सूरि पट्टे श्री महेंद्र सूरिभिः ॥ श्री॥ ताम्रपट्ट पर। [ 2060] ॥ संवत् १ए० रा शाके १७३५ रा ज्येष्ठ मासे कृष्ण पदे तिथो त्रयोदश्यायां चंडवासरे ॥ जट्टारक श्री जिनफत्तेऽ सूरि प्रतिष्टितं श्री मास शूलामध्ये ।। चंऽप्रचस्वामी का मंदिर-साहूकार पेठ । शिलालेख । - { 2070] (२) ॥ नमः श्री वीतरागाय ॥ (३ ) ॥ श्लोकः ॥ आसीत्सूरिपदप्रतिधितरणेः श्री हेमसूरिप्रनुस्तत्पी प्रतिवादिवृन्द "Aho Shrut Gyanam" Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७३ ) ( ४ ) जयदो विद्याकानां निधिः ॥ श्री सूरीश्वरमूर्द्धवन्दितपदः श्री सिद्धमूरिगुरु( ५ ) मजोदयत्ता रकत्येतिनिपुणो वर्वर्त्ति सर्वोपरि ॥ १ ॥ प्रासादस्य कृतास्य तेन ( ६ ) विदुषा माघस्य शुक्के बुधौ व्योदश्यां श्रुतिससनन्दकुमिते श्री विक्रमाब्देऽधुना । ( 9 ) सौजन्यात मृतसागरेण जगतां धर्मोपकाराय वै श्रीमऔौनधुरंधरेण कृतिना नूनं (८) प्रतिष्ठानघाः ॥ २ ॥ श्री विक्रम संवत् १९७३ माघ शुद्ध १३ बुधवारके दि ( ए ) न श्री मदरास पत्तन शाहूकार पेठ में श्री चन्द्रप्रस्वामी विश्व प्रतिष्ठा श्री. (१०) मौनाचार्य बृहत्स्वरतरगच्छीय जं । खु । जट्टार्क श्री जिनसिद्ध सूरिजी । ( ११ ) महाराज के करकमलों से समस्त संघ सहित जैरुबकसजी सुखलालजी । ( १२ ) समदमिया ने बड़े महोत्सव से कराई। दषचंद रूपचंदजी ने वित्र स्थाप (१३) न किया वादरमलजी ने कलश चढ़ाया और इंसराजजी सागरमलजी ( १४ ) ने ध्वजा खारोपण करी यह मंगल कार्य श्री संघको सर्वदा श्रेयकारी हो । (१५) ॥ इस्ताक्षराणि यति किशोरचन्द्रजीतविष्य मनसा चन्द्रस्य ॥ श्री दादाजी के बंगले में । ॐ नमः दत्तसूरिजी [ 2071 ] ॐ नमः कुशलसूरिजी मिति माइ सुदि ५ संवत् १९३६ का । पेठ 1 जैन मंदिर - साहुकार पंचतीर्थयों पर | [2072] संवत् १४९१ वर्षे माघ सुदि ५ बुधौ श्रीमाल ज्ञातीय नान्दी गोत्रे सा० प्रढहा पुत्र शा० प्रेतान पुत्र हरेराज सहित तत् पिता पुण्यार्थं श्री अजितनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गये श्री जिनसागर सूरिनि ॥ ६६ "Aho Shrut Gyanam" Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 2073] संवत् १५१७ वर्षे पौष वदि ५ गुरू श्री श्रीमाल झातीय महं वित्रा ना जासी सुत सोना ना हीरू बारमश्रेयोऽर्थ जीवितस्वामी श्री श्री श्री आदिनाथ विवं कारितं प्रतिष्टितं पिप्पल गछे त्रितविया श्री धर्मसागर सूरिनिः । जीलुटग्रामे । [2074] संवत् १५१ए वर्षे माघ शुक्ल १३ पालण पुर ऊकेश ज्ञातीय साप पर्वत जा जीविणी पुत्र शाए गेहाकेन ना० वारू पुत्र वस्त्रा जावड प्रमुख कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे पार्श्वबिंब कास्तिं प्रतिष्ठितं तपा श्री रत्नशेखर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः ॥ चौवीसी पर। [2075] संवत् १४७७ वर्षे माघ ... दि . . . वाइमा ज्ञातीय श्रेणखीमा जाप बाहिकू सुत थाया ना हीसु पुत्र हापा गोपा जीरादि कुटुंव्युतेन श्रेयोर्थ श्री श्रेयांसनाथ चतुर्विंशति पट्टकारितः प्रतिष्ठितं तपागछाधिराज नए श्री सोमसुंदर सूरिचिः ॥ श्रीशुभं शवतु ॥ [2076] संवत् १५२१ वर्षे ज्येष्ठ शुक्ल प्राग्वाट झातीय सं अर्जुन ज्ञाय टबकु सुत सं० वस्ता नाम रामी सुत सं० चान्दा ना जीविणि सुत लींबा थाका प्रमुख कुटुंबयुतेन २५ चतुर्विशतिपट्टान कारयितश्च श्रेयसे श्री पद्मप्रनः चतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः। श्री तपा पदे श्री सोमसुंदर सूरि संताने श्री रत्नशेखर सूरि तत् पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः ॥ RSS TELETELELEEP Ramana "Aho Shrut Gyanam" Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७५) रायपुर-सी० पी० ।* जैन मंदिर-सदर बजार। शिलालेख। [2077] (१)॥ श्री मदिष्ठदेवेन्यो नमः ॥ श्रीमच्छीवीरविक्रमादित्य राज्यात् ननवर्ण(२) निधिछब्द (१९५०) शाके इंजिचंसिद्धि नक्षत्रेश प्रमिते मासोत्तममासे हि (३) तीय आसाढ मासे शुक्लपके अष्टम्यां तिथौ नार्गववासरे स्वाति नद (४) त्रे साध्ययोगे बुधमार्गे एवं पंचांग शुझावत्र समये कर्काकै गते रवी शेषे. (५) षु प्रजनिरिक्षित वेलायां श्री मजाजयुरवरे मालु गोत्र साह तनसुखदा (६) स(दास) तत्पुत्र साह आसकरणेनासौ श्री मचंप्रन जिन्प्रजो प्रासा (७) द कारितं स्वयोर्थ श्री बृहत्खरतर नट्टारक गठाधिपं जट्टारक श्री १) जिनचंद सूरीश्वर प्रतिष्ठितश्चेति पं सिवलाल मुनिरुपदेशात् । ताम्रपत्र पर। [ 2078] (१) श्री जिनायनमः ॥ श्रीमत् वीर सं० २४१ विक. (१) म सं० । १९५१ शाके १७१६ प्रवर्तमाने मासोत्तम मा. (३) से आषाढ शुक्लपक्ष तृतिया तिथौ गुरूवारे पु. (४) ष्यनक्षत्रे मिथुनार्कगते रखौ शेष शुन्ज निरिक्षित (५)त वेलाया थ। रतं(राज)वरे मालू गोत्रे साह धन१६) रूपजी तत्पुत्र साह फूलचंदजी कस्या जार्या * स्वर्गीय पं० बालचंद्रजी यति से प्राप्त । "Aho Shrut Gyanam" Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २७६ ) ( ७ ) दीरादेवी तथा श्री अजिनंदन जिनप्रजो प्रासाद (८) कारित स्वयं श्रीवृहत् खरतर गछे श्री जिनचंद सूरीश्वर (v) जी यादेशात् श्री शिवलाल मुनि प्रतिष्ठितम् ॥ श्री शुजम् ॥ 5555555555555959595 उथमण - सिरोही । जैन मंदिर | पब्बास के नीचे का लेख । [ 2079] ॥ सं० १२४३ वर्षे मादा सुदि १० बुधदिने नायकीय गछे जयमण चैत्ये घणेसर जा धारमती पु० देवधर जेसड थाल्दा पाल्दादि कुटुंब संयुते मातृ निमित्तं जलवटु करापितं ॥ 6666666666666666 रोहेड़ा - सिरोही । जैन मंदिर | पंचतीर्थयों पर | [ 2080] सं० १२३ वर्षे फागण सुदिप कोरंट गछे . जीला धर्मनाथ त्रिं कारितं प्रतिष्ठितं कक्क सूरिजिः ॥ सं० १३४१ वर्षे नायकिय गछे . महेन्द्रसूरिजिः ॥ [ 2081 ] चतुर्विंशतिष कारितं प्रतिष्ठितं जहारक "Aho Shrut Gyanam" Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२ ) [2082] संग १४ फागण सुदि १२ गुरौ कोरंटवाल गळे उपकेश ज्ञातीय संखबालेय गोत्रे नपसी पुण् जाणाकेन श्रेयने श्री धर्मनाथ बिंब कारित प्रतिष्ठितं सांबदेव सूरिनिः ॥ 2083] सं० १४९३ वर्षे माघ सुदि १३ उपकेश ज्ञातीय म मांडण ना सिरियांदे पु० काजा. कम भार्या जल्ली सहितन यात्मश्रेयसे श्री नमिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं जट्टारक श्री धनप्रन सूरिजिः ॥ 2084] संवत् १५१३ वर्षे फागुण वदि ११ नागें गछे उपकेश झातीय कोठारी ... मा लक्ष्मी पु० मेघा ना हीरु पु नेरा डंगर तोहा युतेन श्री श्रारमपुण्या श्री वासुपूज्य विवं कारितं प्रतिष्टितं विनयप्रत सूरिनिः ॥ '[2085] सं० १५१७ वर्षे वैशाष वदि शुक्र श्री श्रीमान श्रेष्टी नामा ना साही घुछ गोदहा मा० आलि पु० पहिराज कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ विवं कारित पूर्णिमापके पुएबरत्न सूरीणां प्रतिष्ठितं बाराही नामे ॥ 2086] सं० १५१७ वर्षे माघ पदि ५ प्रवाट ज्ञातोय व्यव० कोहाकेन भार्या कामल दे चुत नादहा हीदा युतेन धर्मनाथ विवं कारितं कडोलीबाल गछे पूर्णिमापके गुणसागर सूरितिः ॥ [2087] सं० १५७६ आसाढ सुदि ए वो उपकेशज्ञातीय नाग़ गोत्ने साह मोजा ना नावल दे 'पुणे मांडण आम्हा जेसा सहितेन माडण जाप माणक दे पुण् रंगा युतेन आत्मपुण्यार्थे संजनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं नाणांवाल गले नट्टारक नी . . . . .। "Aho Shrut Gyanam" Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४ ) भारज-सिरोही। जैन मंदिर । पंचतीर्थी पर। [2088] सं० १५५४ वर्षे वैशाख सुदि शनो श्रीमाल झातीय पितृ धरकण जाण धरणा सुल कालु नाप कुंथि करमी सुत सहिता युतेन श्री नमिनाथ विंबं कारितं बृह्मणिया गले प्रति ष्ठतं श्री विमल सूरिनिः वटपत वास्तव्य ॥ गडा-सिरोही। जैन मंदिर। पंचतीर्थी पर। [2089] संघ १५३४ वर्ष वैशाख सुदि ३ गुरो उसबाल वृहद् सनने साकुर गात्रे साह पोमादे पू० जावड़ नावड़ गीदा साब माणाकेन ना मणिक दे पु० मेघराज हांसादि कुटुंवयुतेन स्वश्रेयोर्थ श्री सुमतिनाथ चतुर्विंशति पट्ट कारापितं । नाणावाल गछे श्री धनेश्वर सूरि निः प्रतिष्टितं तथा श्री सोमसुंदर सूरिभिः सं . . . . . ॥ तिवरी-सिरोही। जैन मंदिर। काउसम्म प्रतिमा पर । 20801 सं० १३३४ वर्षे वैशाख सुदि ५ गुरौ प्राण ज्ञा श्रे0 जवा जादा जा० रुपलं दे ७० . . . श्री नयगल कारितं प्रतिष्ठितं चित्रगठीय श्री देवजन सूरि संतानीय राण पं० सोमचंप्रेण ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ए) पाडीव-सिरोही। जैन मंदिर। पंचतीर्थी पर। [2001] सं० १५३६ वर्षे वैशाख सुदि ३ गुरौ श्रीमाली झातीय राउत नाप वाला पु देवा नाम सालयता सुत तेजा श्री विमलनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं आगम गछे अमरत्न सूरि गुरूपदेशेन करापितं प्राविधिना पत्तन वास्तव्य ॥ मडिया-सिरोही। जैन मंदिर। पंचतीर्थी पर। [2002] सं० १४७० वर्षे माघ सुदि २ गुरौ वाफणा गोत्रे साह बुंना सुत देपाल ना मेला दे पु जोगराज ना जसमादे श्री पार्श्वनाथ विवं कारितं प्रतिष्टितं उपकेश गठे श्री ककुदाचार्यानिधान प्र० देवगुप्त सूरिनि ॥ निंबज-सिरोही। जैन मंदिर। पंचतीर्थी पर। [2093] सं० १५०५ वर्षे वैशाख सुदि ३ गुरौ श्री नावहेड़ा गछे श्री कालिकाचार्य संताने उप. केश झातोय खांटेड गोत्रे साह लाला नाग : : : पुण् सामंत ना हांसल दे पु० नोपाल "Aho Shrut Gyanam" Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२ ) उदा नोपाल ना० नतु दे पु० नामहा सीवा उदा ना० उमा दे पु० रतना समरथ कुटुंबन सह स्वयसे श्री शांतिनाथ विवं कारितं श्री विजयसिंह सूरि पट्टे प्रतिष्टितं वीर सूरिभिः॥ छुड़वाल-सिरोही। जैन मंदिर। पाषाण की प्रतिमा पर। {2004] संप १६४४ वर्षे फागण वदि १३ बुधे हालवामा वास्तव्य श्री संघेन कारित श्री शांति. नाथ विंबं प्रतिष्ठितं तपागलाधिराज श्री हीरविजय सूरि निः॥ FELLERS डीसा। श्री आदीश्वरजी का मंदिर। पंचतीर्थयों पर। [ 20851 सं० १५५४ वर्षे का वा ५ शुक्र श्री नावडार गछे श्रीमाल ज्ञातीय मधिरणल ना ब्रह्मादेवि पु मना ना मारहण दे पुण् सिंघा मेघा मेहा साणा जुग सहितेन जोवि. तस्वामी श्री पद्मप्रनु प्रमुख चतुर्विशति पट्ट का० प्र० कालिकाचार्य संताने श्री जावदेव सूरिनिः श्री वनरिया ग्रामे ॥ [20961 सं० १५६३ वर्षे माघ सुदि १५ गुरौ उरकेश ज्ञातीय गा कनुज सोप करणा नारा शरय पु विसाल पितृव्य नयमा निमित्त श्री विमलनाथ चिंब कारित प्रजिनमाल बने श्री कम्मतिक सूरिनिः॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २७१ ) [ 2007 ] सं० १६६३ वर्षे वैशाख वदि ११ दिने श्री श्रीमाल ज्ञातीय व्य० टाहापान जाए चोबु निमित्तं सुत लिंबा राणा जाजल सहितेन श्रात्मश्रेयोर्थं श्री श्री आदिनाथ विं कारितं प्रतिष्टितं ब्रह्माण गछे ज० जाजीग सूरिजिः स्थिराज वास्तव्यः ॥ श्री महावीर स्वामी का मंदिर । पंचतीर्थयों पर [ 2008 ] सं० १३२० वर्षे फागण सुदि १ शुक्रे ब्रह्माण गछे श्री जऊक सूरि गुरौ श्रीमाल ज्ञातीय विपनालक वास्तव्य याचा सुत देवघर श्रेयोर्थे खासघर सुत जाणेन पितृव्य श्रेयोर्थे महावीर बिंबं कारितं प्र० श्री वयरसेोपाध्याय प॥ि - 2000 | सं० १३४४ वर्षे जे० व० ४ शुक्रे ओसवाल ज्ञा० श्रे० वीरमस्य सुत बीजडेन निजमातु चयज देवि भयोर्थं श्री पार्श्वनाथ बिंबं कारितं प्र० मलधारि श्री रत्नदेव सूरिद्धिः ॥ { 2100 ] सं० १४७६ वर्षे चैत्र वदि १ शनौ उपकेश झा० वडालिया गोत्रे सा० जेता जा० जश्ती. श्री सुत जीमा जा० सनपतच्या श्रेयोर्थं श्री खादिनाथ बिंबं कारितं प्रति० मत्रधारि गठे श्री विद्यासागर सूरिचिः ॥ [2101] सं० १४०३ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ए जौमे श्री श्रीमाल ज्ञातीय सिंघा जा० मेला दे पितृमातृ श्रेयसे सुत क्षषमपेन श्री शांतिनाथ विकारितं प्र० ब्रह्माण गछे श्री वीर सूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 252 ) [ 2102] सं० १४८४ वर्षे वैशाख सुदि १० रवौ श्री कोरंटकीय गछे श्री नन्नाचार्य संताने उपकेश ज्ञातीय मं० मलयसिंह जा० माला देवि स० म० मदनेन पु० लुणा सहितेन जा० हेमा' श्रेयोर्थं श्री संजवनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं कक्क सूरिचिः ॥ [ 2103 ] सं० १५२० वर्षे वैशाप वदि ५ शुक्रे श्री श्रीमाल ज्ञातीय सदा जा० सहजू पु० धीराकेम जा० काली सहितेन पितृमातृ श्रेयोर्थं श्री शांतिनाथ धिंवं कारितं प्र० श्री नागेंद्र गछे श्री गुणसमुद्र सूरिभि: प्र० सर्व सूरिनिः ॥ [ 2104] सं० २०१२ वर्षे कार्तिक बदि ९ गुरौ पाल्हाउस गोत्रे सा० शिवाराज जा० कर्मणि तत्पुत्र मेघा जार्या युतेन पु० सालिग मातृ श्रेयोर्थं श्री आदिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं धारि ग श्री गुणसुंदर सूरिजिः ॥ [ 2105 J सं० १५३० बर्षे वैशाख सुद ३ उपकेश गछे श्री ककुदाचार्य संताने नृपकेश ज्ञातीय बाफणा गोत्रे सा० वक जा० जसमा दे पु० सोहडा दे पु० वस्ता आत्मश्रेयोर्थ श्री अजितनाथ बिंबं कारितं प्र० श्री देवगुप्त सूरिजिः ॥ . [ 2106] सं० १८४७ वर्षे वैशाख सुदि ५ गुरौ वायमा ज्ञातीय व साह नारिंग सुत व० राजाकेन जा० रई पु० रीड़ा मेघा रोड़ा जा० डु प्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्री वासुपूज्यादि पंचतीर्थी आगम गछे श्री अमररत्न सूरिजिः गुरूपदेशेन कारितं प्र० विधिना पत्तन वास्तव्यः ॥ GE GD §5 3D obt Coop (4) "Aho Shrut Gyanam" Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५०३) गुडली-मेवाड़। जैन मंदिर। पंचतीधियों पर। {2107] सं० १५४५ वर्षे वैशाख वदि ५ उपकेश झातीय सा० करमा ना साहु पुत्र षीदा जात लखमा दे पु० गोदा उजल जाए वडी पु० जेसा मेघा केमा हरमा सहितेन जिदम निमित्तं श्री वासुपूज्य विंवं कारित प्रतिष्टितं वृहम नद्वारक श्री धनप्रन मूरिभिः ।। 2108] सं० १५५ए वर्षे वैशाख सुदि १५ शनौ उपकेश ज्ञातीय मानींग ज्ञा नंदि पु० देपा. केन पितृयुतेन श्री वासुपूज्य विधं कारितं प्रतिष्ठितं ब्रह्माण गछे द्रुमतिलक सूरि पट्टे श्री जदयाणंद सूरिनिः॥ SELENALISHERSee खारची-मारवाड़। जैन मंदिर। पंचतीर्थी पर। [2109] ११३ वर्षे ज्येष्ठ वाद ७ . . . . . . धर्मनाथ विष कारितं प्रतिष्ठितं मर गछे श्री शांति सूरिनिः हाविल ग्रामे ॥ "Aho Shrut Gyanam" Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०४) खंडप-मारवाड। धातु की प्रतिमा पर । [2110] सं० १५२७ वर्षे वैशाखु सुदि ३ श्रीसवाल ज्ञातीय साह हंसा पु० उधरण देदा वेला जात वाइनु मोदरेचा गोत्रे साद साधु ना नामल दे पुत्रिका नानुं यात्मपुण्यार्थे श्री चंद्र प्रजु विंबं कारितं श्री नाणकीय गछे धनेश्वर सूरिनिः॥ {2111] ___ सं० १५२७ वर्षे . . • उपकेश झातीय बाजेड़ गोत्रे पना ना सुइवि दे पु० नरसिंग विनणा सहितेन श्री मुनिसुव्रत विंबं कारितं प्रतिष्ठितं पबीवाल गजे श्री यशोदेव सूरि पट्टे श्रीश्री नन्न सूरिभिः ॥ 4.0..14sasra..P24N.PN99.44 मांकलेश्वर-मारवाड। जैन मंदिर। धातु की प्रतिमा पर। [1187] सं० १५३० वर्षे फागुण सुदी १० श्री ज्ञानकीय गछे उ. उसज गोत्रे सं० जांमा जाए पदमिनी पु० सादा पोथा स्था प्रतिष्ठितं श्री शांतिनाथ विवं कारितं प्रसिद्धसेन सूरि पट्टे श्री धनेश्वर सूरिनिः॥ veverentar CBRANVEENHANSARSHA....:.१.१.१............. C HORDNxxwwents ॥ श्री जैन लेख संग्रह द्वितीय खण्ड समाप्तः । SSEEEEEEEEEEEEEEEEESLEESHESE * "Aho Shrut Gyanam" Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * आचार्यों के गच्छ और संवत् की सूची। संवत् नाम लेखक | संवत् नाम लेखांक अंचल गछ। १४५६, १५२०,१५७८-१५८४ १६७१ कल्याणसागर सूरि १६७६ १३५१ १४६६ मेस्तुंग सूरि १४८३ जयकोति सूरि १७४३ १४६४ १५०५ जयकेसरी सूरि २०५१ १५६६ १७०२ , , १६६७ उपाध्याय विनयसागर १६६७ सोभाग्यसागर १७६८ पं० लक्ष्मी रतन २००८ १५१३ १४७३ १७६८ पं० हेमराज ... १०१६ आगम गल। १५२७ १९२१ रनशेखर सूरि ११२६, १२७३, १७७६ १३१६, १६०६, २०११ १६१६ १४८८ जयानंद सूरि ... १६१३, १५०६ हेमरत्न सूरि १२८४ १५१७ , , १७६८ १५२८ १५२६ , १००४ १५४९ सिद्धान्तसागर सूरि १७२१ १४१२, १५७३ : १५१७ आनन्दप्रभ सूरि १७७२ . १५२५ देवरत्न सूरि १४३६ १५३१ "" १४५२ १२२ अमररत्न सूरि १८८६ १५३६ - १८०० १७११ १५७६ गुणनिधान सूरि ... १६२१ धर्ममूर्ति सूरि ... ६५ मुनिशोल गणि २०६१ "Aho Shrut Gyanam" Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) लेखांक | संवत् संवत् नाम नाम नाम लेखांक १५४७ अमररत्न सुरि १५३६ सिंघदत्त सूरि १५६१ सोमरत्न सरि १७३७ १५२१ " " ... ११२८. १९७१ १३८६ ... १२७१. १४४३ ... १५७७ १५२८ देवगुप्त मूरि १५७१ उपकेश १३६२५६ कक्क सूरि २१२५ १५४६ १०४३ १३८० , , १३८५ , , १५५७ रामदेव सूरि १४६८ देवगुप्त सूरि १२६३ १६३४ ११०२, १९८६ १३३ १०६२ १५६ सिद्ध सूरि २०६२ १५७ १४८४ , १४८६ ,, (मलधारोयक) १४८२ सिद्ध सरि १९८२ १०७० . १५८८ ૧૨૮૨ १३४७ १०२४ १४६३ सिद्ध सूरि १५६२ " " १४६५ सर्व सूरि १६४१ १५०३ ककुदाचाये (कक मूरि) ... १६३४ , १५२७) सिद्ध सरि ... .... १५०५ कक सूरि ११४८, १४७६ | १७८१ कपूरप्रियगणि १९४६ : १८४० सिद्धसूरि ( कमलगिच्छ) ... १०८३, १९५० १५०८ , , कबोलीवास गछ। ... ... १३३२ ... १२५६ १४७१ संघतिलक सूरि ... ... ११५३, १२६१, १२६३, १३७३, १५०४ १४६३ सर्वाणंद सूरि ( पूर्णिमापक्ष) ... .. १८८३ | १४६३ लषमसीह (, ) ... १४७४ १६३० १६ "Aho Shrut Gyanam" Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखांक लेखाक संवत् नाम ... २०८६ १३६१ जिनपद्म सरि १३६१ १४८२ जिनभद्र सूरि ... १३८२ १४६३ , , १६०० संवत् नाम १५१८ गुणसागर सूरि (पूर्णिमापक्ष ) १५३० विद्यासागर सूरि १५३४ विजयप्रभ सूरि ___ कोरंट गछ। १२६३ कक सूरि १३१७ सर्वदेव सूरि १३४० ... सूर १४०६ का परि १४३७ सांवदेव मूरि १४८४ का सरि १४६१ सांवदेव सरि २०८० १५०७ , , १३२५ ११५१, १४०० १२५५,१३३३ ... २००४ २०१४ १५१७ , १०५७ १४६१ भव्यराज गणि २१०२ : १५२६ जिनतिलक सूरि २०८२ १५११ , , १३३० १५२८ , . ११८३ १५१५ जिनचंद्र सरि ___ १७३३ १५१६ १२५७ १८६०-६१ १५०६ २०२२ १३३५ १२७० २०१२ १४३४ १५२६ १३७६ १५२६ १५०६ १५१७ श्री पाद... १५१८ सांवदेव सूरि १५३२ , , १५५३ नन्न सूरि १५६७ नत्र सूरि १५३१ १६४२ । १५३ १२०६ १९४० ... १८८१ १२८७, १२८६, १३१७ १०५६, १३४१ खरतर गह। ...... वर्तमान सरि १३८१ जिन कुशल सरि १११० , १५१७ विवेकरन सूरि । १५२५ कीर्तिरत्न सूरि १३५० १५२८. जिनप्रभ सूरि १५४५ | १५५३ जिनसमुद्र सूरि ११५८ १६९२ १३६६ "Aho Shrut Gyanam" Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवत् नाम १५९५ जिनसमुद्र सूरि १५५६ जिनहंस सूरि (४) लेखाक संवत् नाम लेखांक .... १२२४ १८५२ लालचंद्र गणि १२०५. १२१२ १२६८, १४६३ १८५४ जिनदेव सुरि ... १८२८ ... २०४६ १८६३ जिनहर्ष मूरि .... १३५१ १८६४ , १५२६-२८ १४४८, १८४५ १८७१ ... ११९६ - १८७३ ... १३८८ १८७५ १८०१ ४२ १०२७, १६५७५६,१६६२.-६६.१८३६-३८ १६०६ जिनमाणिक्य सुरि १६२८ जिनभद्र सरि १६५३ जिनचंद्र सूरि १६२७१) जिनसिंह सूरि गुणरत्न गणि , रत्नविशाल गणि १६६८ जिनचंद्र सूरि १८२१, १८२४ ... १४९७ १९३८ , , १५८५ : १८७७ उ० रनसुन्दर गणि १४५१ १८७७ हारधर्म ( पाठक ) १८६३ जिन महेन्द्र मूरि ... ... १६६८ लब्धिवर्द्धन १६७५ जिनराज सूरि १०२७ १६८६ , , १८६७ , , १९४७ १६७३.१८३०-३२ १६८९ परानयन (8) १६१८ समय राज उपध्याय अभयसुन्दर गणि (वाचनाचार्य) कमललाम उपाध्याय ... लब्धकीर्ति गणि , पं. राजहंस गणि ... , पं० देवविजय गण ... १६६० जिनकीर्ति सूरि ... - जिनसिंह सूरि ... १७२७ मा राम विनय गणि १८४६ जिनचंद्र सूरि .... , १८६३ जिन सौभाग्य सूरि ... १६२२ १०१७, १०२०-२१ १८६३ आनन्द वल्लभ गणि १८९७ कुशलचंद्र गणि. १८०७ - १९१८ जिन मुक्ति सरि १९२०.२१ .. १८७० १८६६-६८१८७२ "Aho Shrut Gyanam" Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवत् नाम नाम लेखांक (५) लेखांक संवत् १६.१६, १७०१ १४६४ १४६५ ... १८१०, १४९६ १९२० जिनहस सरि १२४, १६७४. १६५९ १९२७ १६३१ , .. , , , , १०१८/१४६७ १२४८ १९२० सदालाभ गणि १९३२ कनकनिधान मुनि १६३६ विवेककोर्ति गणि १९४२ हितवलभ मुनि १९५७ जिनच्द्र मूरि १५०१ १५०३ २०१८ १५०७ १६५७ १५०६ १८०८.१५१० २०७७ १५०४ शुभशील गणि २०७८ | १५२३ जिनहर्ष सरि १३७२,१७२५ .... १२३२ १४१५ १६५६ , १६५२ उ० नेमिचंद्र १६७० जिन फत्तेन्द्र सूरि १९७२ जिन सिद्ध सूरि १९७९ होराचंद यति २०६४ : ३५६७ जिनचंद्र सूरि २०६६ : १५७२ , २०७० : १६६८ लब्धिवईन रंगविजय शाखा । १४५१ १००८ खरतर गछ। जिनवर्द्धन सूरि शाखा। १६२३ (१) जिनरंग सूरि १८५६ जिनचंद्र सूरि १९७६, १२२७ १४६ जिनवर्द्धन सूरि १४७३ , १४६६ जिनचंद्र सूरि १४७६ . . १४८६ - - १४६१ जिनसागर सूरि - १२३८, १९६५ : १८७७ , , ... १००७, १२२६, १५६५ ... १९८७ . १८७६ ___११३६, १६९३ १८८८ . . १५८६, १६२६, १६८३, १८२२, १८३४ ... १२०६ / १९०२ जिन नंदिवर्द्धन सूरि ... ... १२२८ ... १६३० १०७५, १३६६,१९१८,१६३२. १६१६ जिन जयशेखर सूरि १५३३, १६३७ १९७७, १९८४, १९६४ | १९२१ जिन कल्याण सूरि ... "Aho Shrut Gyanam" Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखांक १६७८ संवत् नाम लेखांक संवत् नाम चंड गह। बहितेरा गछ। १०७२ सोलगल सूरि ३८६ १६१२ धर्ममूर्ति सरि १२३५ पूर्णभद्र सूरि १६८८ , भावसागर सरि १२५८ देवभद्र सूरि १०३४ जापडाण गब। १२७२ हरिप्रभ सूरि १७७७ १५३४ कमलचंद्र सरि १३०० यशोभद्र सूर १७७६ जीरापल्लीय गठ। चाणांचाल गछ। १४०६ रामचंद्र सूरि ... १५२७ उदयचंद्र सरि १५२६ वज्रेश्वर सूरि ... ... १९५६ तप गह। चित्रवास (चैत्र गछ। १४०१ विजयहर्ष सरि १३०३ जिनदेव सूरि १९४६ १४२२ रनशेखर सूरि २३२१ आमदेव सूरि १९२१ . १४३६(?) देवचंद्र सूरि १३३४ ५० सोमचंद्र २०१० १४५३ हेमहंस सूरि १३४० अजितदेव सूरि १९३४ १४६६ १३१२ गुणचंद्र सूरि १०४१ १४७५ १४६६ मुनितिलक सूरि ... १०४६ १९२८ १७.१२ १४८६ १३२६ १४८१ १४६६ गुणाकर सूरि १३६० १९८२ १९०१ १४६८ १२६४ १५०१ १०६० १५०४ १०६४ १०६६ १५११ १९४७ १५१५ रामदेव सरि १५२७ चारुचंद्र सूरि १५३१ नारचंद्र सूरि १५३४ लक्ष्मोसागर सूरि १९५२ १४१० | १४५८ देव सुंदर सूरि १०८६, १२६६. १३७४ ... २०४८ "Aho Shrut Gyanam" Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखक संवत् नाम १४८२ सोमसुंदर सूरि लेखांक ; संवत् नाम ... १४२१ १५१३ - ५ ... १६८० १५१६ , , १९७२, २०१७ : १५१७ ... २०७५ , ११३८ ... १६८३ | | १५०३ जिनरत्न सुरि १०२६, १०५७, १७३१/१५३६ १०७४, ११८१ | १५४१ , , | १५०३ जयचंद्र सुरि १९८४,१४०३ १८८०,१६१२ १०३०, १९८९ ... १६४२ १४८६ ... १७७७ १४६२ १४६४ १४८८ मुनिसुंदर सूरि १६६६, १६७३ ... १३७० ... १९८३. | १५०८ उदयनंदि सूरि १४६२ । १५१० रत्नसागर सूरि ११२६ । १५१७ कमलवज्र सूरि , लक्ष्मोसागर सूरि १५०१ . . १४८६ रत्नसिंह सूरि १०६१ १५१८ १५११ , , १२६८, १८८७,२०७४ ___... २०२१ १२७२, १३१४, २०७६ १५६ विजयनिलक सूरि १५०२ रनशेखर सरि १५२४ .... ११११२, १९७० १२०८, १५६०, १५६६ १४८५.१५७०, १९३८ .... १०८४ १५२६ २५७२,१६०२,२०२६ १९६०-६१,१२८२-८३ १९६७,१२६१, १३१६ १५१२ १२६०, १२६२, १७५४ । १५३६ "Aho Shrut Gyanam" Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवत् नाम १५४१ लक्ष्मीसागर सूरि १५४२ . " लेखांक । संवत् नाम ... २०५४ : १५४८ भ० वाफजो ... ११०० | १५५२ जिनसुंदर सरि ... १७३ | १५९५ धर्मरत सूरि १५६३ इनदि सूरि सेखांक २०३६ १२६४ .....१७७१ १६१० १५१८ हेमविमल १५५२ १३५४ ११.३. २०२७-२८ १५५७ २०२७-२८ १९६६ चरणसुंदर सूरि १०२६ १५६६ नन्दकल्याण सूरि १३२०, १५६६ जयकल्याण सूरि १३४५ : १५७५ , , १५०६ सौभाग्यसागर सूरि ११०२, १९७० १५१५ आणंद विमल सरि २७३०, १७३५ १५९६ विजयदान सूरि १४०५ : १६०१ १४०७ ... ... १३८७ १७३८ ११०४, १५०७ १५०८, १५०६, १५४० १५१८ सुरसुंदर सुरि १५२१ उदयवल्लभ सूरि १५२२ सोमदेव हि १५२५ सोमजय सूरि , सुधानंदन रि , म जिनसोम गणि , मानसागर सूरि ... १६०० १६२२ १९०८ ६४७२ १५६७ सुमतिसाधु सरि १६१५ तेजरत्न सूरि १५६०, २०१३ १६१७ हीरविजय सूरि १६२४ , १५२६ संवेगसुंदर १५३३ उदयसागर सूरि १६२० १५५२ , १५५३ ११६५,१२२५ ... १७४० ... १३४८ १२१४, १८६१ ..... १७८२ १७६२,१९४२ ... १२१५ , ... १०६१ / १६२८. , , ... १५३४ पुण्यवईन सूरि १५३७ हेमरज सूरि .... १२६० १६३७ " " ... "Aho Shrut Gyanam" Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखांक संवत् नाम १६४१ हीरविजय सुरि १६४२ १६४४ (ए) लेखांक । संवत नाम ५४५६ : १७०५ , , ... १००२ १७०७ म १६६१, १७१२, २०६४ १:५२ सोमविजय गणि ... . १६१३ २०४३ १६३३ रविसागर गणि शत्रशल विजयसेन सूरि १७१७ १६४३ १६५२ विमलहर्ष गणि | कल्याणविजय गणि , पद्मानंद गणि १६७७ विवेक हर गणि कल्याण कुशल , दया कुशल , भक्ति कुशल १७६६ १६८२ मा मुनि सागर गणि १६८६ विजय सिंह सूरि १७६४ ११०५ १६६६ , , १६२८, ९७४१ १७०१ १६५२ २७२४ १०२८ १३१०-११, १७१० १५७२ १६७० १६५१ विजयदेव सूरि ... ... २०५७ । १६९३ मतिचंद्र गणि ... १४६० १६६४ उ० लावण्यविजय गणि १०२८ १९०८ ... २०४२ १६८६ १६८७ १६६४ ... १६४३ / १७०० ५० कीर्तिरन गणि ११०६ / १७०६ विजयानंद त्रि ११७३ , विजयराज सूरि ११०८ २०५६ , विजयसेन सूरि १७६० १७१२ , , २०६०। १७१३ विजयप्रभ सरि १६१४, १९१. ... १९१० "Aho Shrut Gyanam" Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखांक १२३५ १० १८७६ १२२० १२८० १४६२ १५३८ १२०४ १२४७ संवत् नाम लेखांक | संवत् नाम १७४४ विजयप्रभ सूरि ११४७, १४३८ पद्मशेखर सूरि , मुक्तिचंद्र गणि २०६४ ज्ञानविमल सूरि १८०५ ५० कुशल विजय गणि : १४५९ सर्वापद सूरि १४६१ मलयचंद्र सूरि १८१८ , , १८०८ विजयधर्म सूरि १४७३ पासिंह सूरि १८४८ विजयजिनेंद्र सूरि १२०४ १४८६ महीतिलक सूरि १८७३ " , " १५०१ , १५०३ १७३४ १५११ १८१८ पं० पुण्यविजय गणि १४६५ विजयचंद्र सूरि १६०५ शांतिसागर सूरि १४६८ १९१२ आनन्दसागर सूरि १८६८ १९३१ धरणेन्द्रविजय सूरि १५०३ , , १९३८ वृद्धविजय गणि १८४८-५३ १५०४ , " १६४३ विजयराज सूरि ... १८२७ | १५०१ विजयप्रभ सूरि १५०५ महेन्द्र सूरि १९१४ ए० पवा बिजै (2) १५०७ - - , विजयसिंह सूरि १५२७ पद्माणंद सूरि १६६४ उ० वीर विजय १४६६, १५०१ १५२६ . कृष्णर्षि गठ-(तपगढ़ शाखा)। १५१३ साधुरत्न सूरि १५२५ कमलचंद्र सूरि ... ... १२७५ | १५२० , देवानिदित गह। | १५१३ पद्माणक सूरि १२०१ कनुदेव १५३४ लक्ष्मीसागर सूरि । १५६३ , , १३३६ गुणचंद्र सूरि १९५२ , १५३७ मानदेव सूरि १३६६ २०६८ १६६० १२५१ १०६८ १०८८ १३७७ १४७७ ... ... (८ १९६८ | १५२२ साधु - धर्मघोष गछ। १२६६ "Aho Shrut Gyanam" Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवत् नाम १५६३ श्रुतसागर सूरि १५६६ नंदिवद्धन सुरि ... सेखांक | संवत् नाम लेखांक ... १३८४ नाणकीय जानकीय, नाणावाल) गछ। ११६१ १२४३ --..१६२०,१६६३ १३४१ महेन्द्र सुरि १३४६ , १७१६ ... १३२१ १४०५ शांति सूरि १४६३ --- .... |१५०१ शांति सूरि १३०३ १५७६ १५७७ , , . , ... १४८३ ... २०८३ १६०६ | १५७६ , १५१६ धनेश्वर सूरि (पृ०२८) १० नमदाल गह। १५३६ देवगुप्त सूरि ... नागपुरीय गठ। -- हेमरत्न सूरि नागेन्ड गढ़। १९६१ विजयतुंग सूरि १२६२ वर्द्धमान सूरि १२८१ उदयप्रभ सूरि १४०५ रतनागर सूरि १४२२ रत्नप्रभ सुरि १४३७ , , १४४६ उदयदेव सरि १४५० देवगुप्त सूरि १४७४ सिंहदत्त सूरि १४८४ पद्मानंद सरि १४६६ गुणसमुद्र सूरि २०४८ १५३६ ११३६ १५५७ महेन्द्र सूरि ११२४ , निति गठ । १०६५ . १४६६ श्री सूरि १०७३ निवृत्त गछ। १३६८ | १५०६(१) महणं गणि ... पंचासरीय गठ। १६०५ ११२५ चेलक ... पल्लीवाल गछ। १३१२ : १४५८ शांति सूरि ... ... १०.३ १८६४ ... १८७३ १५३३ गुणदेव सूरि १५५८ हेमरत्न सुरि १५७० हेमसिंघ सूरि १५७२ --- २०१५ रनाकर सूरि ... १२३ "Aho Shrut Gyanam" Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखांक (१५) लेखांक संवत् नाम ... १८८२ १५३२ , , ... १९३१ / १५२३ साधुसुंदर सूरि .... १८८७ | १५२६ , , ... २१९१ . १५४७ जयरत्न सूरि । १४२२१५५५ : १५४८ सौभाग्यरत्न सुरि १५५६ मनसिंह सूरि ... १५६१ पूर्णिमा गछ। जीमपल्लीय शाखा। १२८१ १७६० १६७५ १४८२ जयचंद सरि संवत् नाम १४७६ यशोदेव सरि १४८२ " १५१३ , , १५२८ नन्न सूरि १५३६ उद्योतन सूरि पार्श्वचन्छ गछ। ३.7 पाचन्द्र सूरि ... पिप्पल गह। १४६१ वीरप्रभ सरि १५१६ शालिभद्र सूरि १५१७ धर्मसागर सरि १५३० चंद्रप्रभ सूरि १५७० तिलकप्रम सूरि , गुणप्रभ मूरि पूर्णिमा पद) गछ २३८१ सोमतिलक सूरि श्रीसूरि १४८५ सर्वानन्द सरि १४८६ विद्याशेखर सूरि १५०१ गुणसमुद्र सूरि १५११ राजतिलक सरि ... १३०२ ... १०४२ | १५७६ मुनिचंद्र सूरि ... १२२२ प्राया गह। १३७४ शीलभद्र सूरि ... बापदीय गह। | १२४२ जीवदेव सूरि ... १६२४ घोकड़िया गछ । १२४१ / १४५७ धर्मतिलक सूरि ... ... १६८६ १२४६ १५४६ मणिचंद्र सूरि १५८० १४१४ . १५८७ मलयहंस सूरि ... ... ११६६ १५१७ पुण्यरत्न सूरि २०८५ १५३२ , , १५२१ गुणतिलक सूरि ... " ब्रह्माण गडा ११६८ १३२० वयरसेण उपाध्याय. ... १७९८ ! , जझक सूरि "Aho Shrut Gyanam" Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९२२ १९३० संवत् नाम लेखांक संवत् नाम लेखक १३५५ विमल सूरि मध्यम शाखा। १३७५ विजयसेन सुरि १४३४ - - देव सूरि १४३७ हेमतिलक सूरि ११२३ १४३६ बुद्धिसागर सूरि ११३७ __ममाहम(मड्डारुडिय,महड़) गढ । १४६६ धीर सूरि | १३५१ सोमतिलक सूरि ... ... १०४६ १४८३ * " १४८० धम्मचंद्र सूरि .... १०६८ १५१६ .. , १४८१ उदयप्रभ सूरि १०५, २०४६ १४७१ उदयाणंद सूरि २०१६ / १५२७ नयचंद्र सूरि १५०० विमल सरि १३६८ १५४१ कमलचंद्र सूरि १३६० १०११ ... ... १३६२ १२६६ १५५७ गुणचंद्र सूरि २०८८ | , उ आणंदनंद सूरि ११११ मुनिचंद्र सूरि १२२१ मधुकर गह। १५१३ उदयप्रम सूरि १०८६, १३७४ १५१६ ---- ... ... १४६५ .... १५६३ हेमहंस सरि मबधारि(मववादि) गछ । १३७४ ३११५९ बुद्धिसागर सूरि ... ११८८ १२३४ पूर्णचंद्र सूरि - उदयाणंद सूरि .... २१०८ - १३४४ रत्नदेव सूरि २०६६ १६६३ जाजीग सूरि १४७६ विद्यासागर सूरि । २१०० जावडार(जावड़, नावहेड़ा) गछ । मुनिशेखर सूरि ११२५ १५१० गुणासुंदर सूरि १५५२६ वीर सूरि ... २०६३ २७७५ १५२४ भावदेव सूरि .... १५३७ , , १५२२ २१०४ १२३० जिन्नमाल गछ। १५२७ गुणशेखर सूरि १५६३ कानिक्त सूरि ... ... २०६६ ' १५३२ पुण्यनिधान सूरि । १२४५ २०६५ १५१५ " ... १३४२ १३४२ २५२५ " "Aho Shrut Gyanam" Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) लेखांक संवत् नाम ... १३३८ १५३८ देवसुंदर सरि ... लौंपक गछ। १९३२ अजयराज सूरि १६५३ गंगारिखो यनि लेखांक ... १६२१ २०३४ वड गवा संवत् नाम १५३४ गुणविमल सूरि १५५७ गुणवधान सूरि १५६. लक्ष्मीसागर सूरि १५८१ " . ... १६६६ कल्याणसागर सूरि ... , उदयसागर सूरि ... __ मोढ गह। १२२७ जिनभद्राचार्य रमुख गह। १५७६ श्रीसूरि रांका गह। १३२० महीचंद्र सूरि ... १३८६ । १५७२ चंद्रप्रभ सूरि ... विजय गछ। १९२१ शांतिसागर सूरि ... ... १५९६-१७ ... . १७० १९३२ १६३३ १५६८,१६००-०१,१६०८,६१५,१६२१ ... १८०६, १८२५. १८३३ , ... . १७०२-०३ १९४३ गन्न १३३६ अमम सूरि १५०६ पद्माणंद सूरि ... १५५२ पुण्यवद्धन सूरि रामसेनीय गढ़। १४.५८ धर्मदेव सूरि १५०३ मलयचंद्र सूरि ... , ११७४ १५६१ : १४११ विजयप्रभ सूरि १४१३ विनयप्रम सूरि १५१८ हेमप्रभ सरि २०८४ ... ... १६२४ १३१३ १०८० १०८७ विवंदणीक गह। :१५१२ सिद्ध सुरि १५२४ कक्क सरि १७२७ अपनीय गठ। १२६० अभयदेव सूरि १४२१ जिनराज सूरि १५१३ सोमसुंदर सूरि वृहब। .... ... १३१५ १३१६ हीरभद्र सूरि १२६७ | १३३४ --- ... १८०१ "Aho Shrut Gyanam" Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवत् १३८६ धर्मघोष सूरि १४६१ रामदेव सूरि १४६१ म सरि १५०३ मलयचंद्र सरि १५१६ १५०७ सागर सरि १५०८ महेन्द्र रि १५१३ कमलप्रभ सूरि सागरचंद्र परि " " १५१८ मेस्प्रभ सूरि १५४२ " नाम " १५३१ श्री सूरि १५४२ धनप्रसूरि 23 १५५६ मुनिदेव सुरि मनिचंद्र सूरि वल्लभ सूरि — १०३२ यशोभद्रसूरि १२१० १३१७ ईश्वर सूरि १३२८ शायरि १३३८ सुमति सरि १३४२ १४२५ ईश्वर सूरि १४६२ सुमति दि ફુલ सूरि व्यवसीद गछ । (सं)डेर (क) गठ । AAAAAAA *** ( १५ ) लेखांक | संवत् १२१३ १४९३ शालिभद्र सरि १४३६ १५२० " 2) १४९४ शांति रि १२०७. १६७६ १४६६ ६०८० 310 १८६५ १५३२ " १५०१ २०१२ १५०६ १६५० १५०८ १५३७ १५१८ १२६५ १५२० १३०५ १५३३ १४०६१५३० १२११ १५०५ १२२३१५१३ ईश्वर सूरि २१०० १५१५ " 15 १२९७ १५३० यशचंद्र सरि १४१४ १५३ २००६ १५५६ 94 १६८७ 〃 " ار " 27 >> , १५३६ सालि सूरि १५४६ सुमति सूरि शांति सूरि " नाम " "Aho Shrut Gyanam"; १५७२ १५६६ भ्र १५८१ ईश्वर सूरि १३५१ १६८६ भ० मानाजी केसजी १०३६ " १७०८ १८९२ १५०४ पूर्णचंद्र १४८८१५२१ चंद्र सरि १२६५१५३३ जयशेखरसूरि ... 144 *** साधु पूर्णिमा पक्ष ( ग ) । ... लेखांक REP २००२ P १८५६ १९४२ ko १५४८ R १५५४ १४०८ २१०६ २०८१ १०२५ १६६१ २०४५ १९३६ १३३७ १०६६, १२१० १३८३ १२६६ ११६० १६६२ १३०६ १४१६ १६६२ २०३२ १३७८ १३८१, १४०१ Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लम्बाके नाम सिद्धान्तिक गछ। १४२७ संवत् लेखांक । संवत् नाम १ १३८२ पद्मानंद सूरि १४०८ माणचंद्रसरि स , जगतिलक सरि । १३८६ धर्मप्रभ सूरि हर्षपुरीय गर्छ । १३६६ भावदेव सूरि १५५५ गुणसुंदर सूरि ... ... १२६६ . १४०५ अभयदेव सरि हुँबड़ गछ। १४०७ गुणप्रभ सरि १४५३ सिंहदत्त सूरि ... ... १०५६ १४०६ सर्वानंद सूरि , सर्वदेव सरि जिनमें गलों के नाम नहीं हैं १४२३ शालिभद्र सुरि १३७ उद्योतन मुरि ___, अभयचंद्र सरि , वच्छवल देव ११६६ श्रामदेव सूरि १४६८ श्री सूरि १२५३ जिनचंद्र सूरि १४७८ , , १२६२ भावदेव सूरि ७० देव सरि १२., सर्वगुप्त सूरि १४८४ जयप्रभ सरि १३०२ माणिक्य सूरि १७८३ / -- जिनरतन स्ि " जयदेव सरि २०२३ १४६३ अमरचन्द्र सूरि १६१० परमानंद सूरि , धनप्रभ सूरि " १४६६ शीलरत्न सरि १३२२ अयचंद्र सूरि २०४७ १४६७ मुनिप्रभ सूरि १३२३ उद्योतन सूरि १०३७ : १५०१ मंगलचंद्र सूरि १३३८ श्री सूरि १५०३ धर्मशेखर सूरि , पूर्णभद्र सूरि १७६१, १५०६ सर्व सूरि १३४२ प्रद्युम्न सूरि १५०६ साधु सूरि १३६१ विबुधप्रभ सूरि ११२२ १५१६ श्री सूरि १३७५ जिनभद्र सूरि १७६५ । १५३३ , , , रत्नप्रभ सरि १७६५ १५२१ सुविहित सूरि २०५३ १५२३ कनकरत्न सूरि २०१० १०६६ m ::::::::::: १६३ १२४३ २०८३ १४२२ :::: :::: १४७० "Aho Shrut Gyanam" Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखांक लेखांक | संवत् नाम ... १७७४ : १८५६ हेमगणि १६२७ १९२२ अमृतचंद्र सूरि १९७१ : , सागरचंद्र गणि १३५६ : १९३१ विजय सूरि ११७२ । १९४४ सं० रणधीरविजय १९६३ : १६६१ चारित्र सुख .... १३४६ १६०७, १६७४ ... १८७१ १४४६ १४६८ ... ... संवत् नाम १५५३ धर्मवल्लभ सूरि १५६७ सर्वदेव सूरि १५७१ देवरत्न सूरि १५७३ नंदिवर्धन सूरि १५८७ श्री सूरि १५६७ जिनसाधु सूरि १६०४ हर्षरत्न सूरि १६२२ विजय सूरि १६६६ रत्नविशाल गणि १६.३ मतिचंद्र गणि १७७७ उ० क्षेत्रराम गणि १७६८ विजयऋदि सूरि १८३५ विद्याविजय गणि , द्धिविजय गणि १८५२ लालचंद्र गणि १८५५ लावण्य कमल गणि ११०८ १४१८ जिनमें सम्बत् नहीं है। १७१५ देव सूरि १०२८ १५५७ महप्प गणि १७४५ जिनसागर सरि उदयशील गणि স্থান শখি १२७८,१४४१ क्षेमसंदर गणि १४१७ / ... मेषभ मुनि ... RSA XXX "Aho Shrut Gyanam" Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवत् १३६० तिहुणकीर्त्ति 33 माम - १४६७ जिनचंद्र १५०६ मलकीर्ति GE १४९७ कोर्त्तिदेवा १५११ विमलको १४४३ क्षेमकोत्ति काष्ठा संघ | काची संघ | नंदि संघ | मूल संघ । ( १० ) दिगम्बर संघ | लेखांक संवत् १४५७ पद्मनंदि ११३५ १४७२ १२२६ १५३४ भ० ज्ञानभूषण १४८३ ! भ० भूवनकीि १२५२ रत्नकोर्त्ति १३४३ | १५४६ जिनकेंद्र १५६२ " 〃 १५५२ १६१६ सुमनकीर्त्ति १६५२ चंद्रकीर्त्ति १६८६ पद्मनंदि १४२७ १४२८ १७८६ ג " އ 11 नाम १८२० | १६०८ क्षेमकीर्त्ति "Aho Shrut Gyanam" :::::::: जिनमें संघ के नाम नहीं है । लेखांक : २००६ १०६३ ११२० & १४५८ १०१५ १४४७ १४२६ १६३६ ११३२ २०६५ १४४० Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ श्रावकों की ज्ञाति-गोत्रादि की सूची। - -0000000 लेखांक झाति - गोत्र लेखांक झाति-गोत्र अग्रोत(क) [अग्रवाल। अरडक सोनी २६४४ आईरी | आदि गोत्र। आदित्यनाग १४५१, १४५७ ... १२२५३ .... १८१८ १९५३. १९८२, १२६१.१२६३, १२७४, १३०५, १३४७, १३९६, १४८६, १५४७, १५७४, १६०३ ... १७६४ १४२८ मोगल ओसवाल [जपकेश]। ... ... १२६२ १२६६, १४९२ ११८७(पृ. २८४), १३२८, १४८७ १२४२ १२८७ १४२७ आबूहरा आयत्रिण्य १०१६,१०३६,१०५७-५८,१०६८,२०७२-७३, ! आयार १११२, १११७, १९१६, ११२३, ११२७-२८, १९४१-४२, ११४५, ११७१, १९८४, १९६४ ईटोदड़ा -६५, १२०६. १२३७, १२३८, १२४३-४४, ! उच्छितवाल १२४६, १२५४, १२५६, १२७-७७, १२८२, | उसम १२६४.१३१६.१३२०, १३३०,१३३५,१३४४, १३८३, १३६३. १३६५, १४००, १४०७,१४१४, । कच्छा १४३६, १४४४, १४६१, १४७३, १४८८,१४६३, | कटारिया १४६५, १५०३, १५०६,१५१६, १५२२,१५३५, " : कठडतिया १५४२, १५५४, १५६८,१५७३, १५८७,१६०४, १६१३.१६३५.१६३६,१६५४-५५.१६५९-६०, कनोज १६६२, १७०६, १७४०, १७६४, १७७०-७१, राणा १७६०, १८२८, १८४३, १८८६-१०, १८६३, १६००, १९१५. १६३५, १९४३, १९७१-७२ करमदिया १६७६,१६७६, १६८२, १६६६. २००६, २०४२, कस्याट २०५०-५१, २०५८-५६,२०७४,२०८३, २०६६, २०६६, २१०२, २१०७-०८ काकरेचा कांकरिया गोत्र । ! काठड़ ... १५८५ कालापमार __... १५४७ : कावड़िया १२४८ १५२६, १५२८ ... १९९२ १४०४ अगडकछोलो ममेरा "Aho Shrut Gyanam" Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाति-गोत्र (२०) लेखांक | झाति -- गोत्र १०३१ छाजहड़ (छाजेड़) लेखांक काबू १८८२. १८८६-८७, २१११ काश्यप किलासीया कुचेरा केकड़िया कोठारी खा(पा टड़ खामलेचा खोथेपरिया गहिलड़ा गादहिया गांधी गुगलिया छाहखा छोहरिया जड़ (जहड़) जाइलबाल १०२५, १३९५, १४४१, २२८४ : जाजा ... ११६५. १४६१, २०६३ जोजाइरा .... १४०१ ११५०, १२८६ १९८०, १३२६, १५३८ ... १६४० ... १०६० टप ... ... २००६ १९१३ १५६५, १६०४ ... १९०७ ग्दोचा ठाकुर ... १२२५, १२७८, १८१६ डवेयता डागलिक १४१२, १४३६, १४८६, १६४५, १८४७ डागा डांगरेचा १०६४. १२६४, १३८५, १६०६ तातहड़ ... १३८८ ताल .... १८३६ नाहि १४४४, १८६६, १६६७ तेलहा ... २०४६ __... १५६० । ददा (इरडा) गोठ गोलबछा १०८८ १०६५ यांव घोरवाड़ ६. धंभ बउथ चलउट चलद (१) ... १०८७ विपड़ ... ११६७, २०२२, २०३१. १०१७-१८, १०२२, १०२७, १२६७, १२८०, १४६८, १६२५, १६७४, १७०१-०३, १८१० -१२, १८२१-२२, १८२४, १८२६. १८३६, १८४४, १८६५.२०३२ ... २०३४ १३३५, १५५० ." १२०७ ... चोपड़ा चोरडिया (वोरवेडिया) १३५५, १५९७ | दूधेडिया १०२४, १३५५, १४५२, १४६७. दोसी १५२४, १५३०, १५७६, १५८६. १६००, १६०८, १६८५ । घरकट १९६८, १२८५ धरावही ... .३४६, धाडीवाल चंडालिया छजलाणी १४२५ "Aho Shrut Gyanam" Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१) खेखांक | ज्ञाति-गोत्र शाति गोत्र लेखांक ... . १६१८ घामो .... .१३५३ नखत रवलक्ष (नवलना) १३१७, १३४१ नाग ... ... १३६ | बारडेचा १६७१ चाहटिआ ११३८, १३५०, १८३४, १९५८ बिराणी १६६०. १६६३, १९७५, १६७७, बोधग १६८१, १६८४, १६८६, १९६४ भणसाली ... २००७ সভা १०१८, २०२१, १५२५.१५२७, १६४६, १८६६-६६, १८७२, १९४७, १९५७ भाद्र १२४१, १०५२, १३२८,१३२१, १३६०, भूरा १३९६, १४६०, १९२३. १८७६ : मंडलेचा ... १५६१ मारू १३०६, १८२७ ... १३३४ नाहर मड़ाहड़ नासतिकि?) ... पटालिया (पटोल) पंचाणेचा प्रहलावत (पाल्हाउत) ... १५१६-१७, १५५६, १८३८ १३२५,१३३३, १३७२, २०६४, २०७७-७८ माम्हेचा पूलिया पोमालेवा फूलपगर बड़ालिया चडेर बढाला (वडाडला) बरडिया, (वरहडिया) मालकस ...१५२६, १५४१, १६२९-३०, .. २०१५, २१०४ मालू ( माहू) ... १३४२, १३७६ मिडिया मेड़तावाल ... १३८६ / मोदना ... २२०० ' रांका ... १६४६ राणु द्राथेव(?) १२९६, २०४५ लाटण ... ११०६, १९६२-६६, १९९२ लिंगा ११३१, १२६५ ... २११० १००८, १०७०, १३०० ... १४०८ ... १७८३ बलही ( वलह ) ... ... १७५९ १०१०, ११०५,११५१, १२२३, १२६६, १३१५, १४१७, १४४६, १४५६, १४६६, १४८२, १५२० बंभ (बांभ) चाफ(पाणा पावेल १४५०,१५७१ लोढा .. ... १५४२ ! १३३८, १६६१ १११५, १३८६, २०६२, २१०५ लोलस ." १०६४, १२३०, १२८६ | वईताला . ... ... ... १८६६ "Aho Shrut Gyanam" Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) लेखांक | ज्ञाति-गोत्र झाति-गोत्र लेखांक वच्छाश . वड . वड़ाहड़ा वर्तमान वमा १९५४ | सिंघाडिया १४७० | सीतोरेचा १२४० सुचती ... ... १२११ ... १२३१ ११४८. ११.८३, १३३२, १३७३,१४३१, १४६४. १५१८. १५३५, १५६६-१८, १६०२.१६४१-४२.२०३३ २०३५-३६ १०५६, १२१३. १९७३. ११६१, १२३८, १३०३, १३२६, १३, १४२३, १४७४, १५९६, १६२०, १६९३, २०५३ १६७३ वायचांणा १८४० सुराणा वासुत वाहना विणवट (हिंघर) विद्याधर निक १०८१ ... १७१२ १०६०, १८८३, २०६८! सेठिया ... १०१२ सोनी ... १३७४ हट्टचायि १४५४, १६२१, १७६६, १९०६ ... १२३७ विमल __... १०८६ इंडोयुरा वीरोलिया बेद (मुहता) १४७८, १५१२, १५१४-१५, १५३४ ओसवाल [साधुशाखा]। घोहड़ ... १२५९ चौकरिया शंखवाल (शंखवालेवा) ओसवाल [लघुशाखा] । शीसोद्या गोत्र। ...११६-१७, १२६८, १५६२, १८८५,२०१२, २०८२ १२१०, १४१६ ... १३३६ फमण ... १२५६, १२७१, १२६३, युरा १३६२, १३६०, २०५२ : ... २०७० १८१३-१४ १०७७. १०६८ पहाड्या ... १६३१ ... १७२५ खंडेलवाल । गोत्र। समदडिया साउसुखा साषु(खु)ला साहलेवा साहु सिराहट गुर्जर। "Aho Shrut Gyanam" Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाति - गोत्र भणशाली अलिय ण गोत्र । ... yatareer | जसवाल । ... दीवाल नागर । गोत्र | पल्लोवाल | ... पापड़ीवाल | ( २३ ) लेखांक | ज्ञाति - गोत्र १६८६ १८६२ १३८७, १६१४, १६४२, २०४४ अंबाई कोठा० कोकी १४४० १७०७ १०१६ १३५६ १७२८, १०६१-६२ १०१५ प्राग्वाट [ पोरवाड़ ] | १०१४१०२६, १०२८-३० १०४७.१०५३-५४, १०६१. १०६६-६७ १०६६, १०७१, १०७६, १०८४-८५, १०६१-६२, १०६७, ११००-७४, ११२५-२६, ११३०, ११३६, १९४६, ११६० -६१, ११६४, ११७०, ११७२, ११८५, ११६३, ११८, १२१३, १२४१ १२५८, १२६०, १२६८, नाग भंडारी "Aho Shrut Gyanam" लेखांक १२७२-७३, १२७६, १२८३, १३०८, १३१४, १३१९, १३२२, १३२७, १३३१, १३५४, १३६१. १३७८ १३८१-८२, १३६१ १४०२-०३, १४११. १४३७, १४६५ १४०७, १४६६, १५४६ १५६१. १५६६-७०, १५०२, १६०२. १६४३, १६६५ १७१३-१४, १७२३, १०३०-३२, १७३५. १७५१ -५४, १०५६ १७६१, १७७६-८०, १०८८, १०९३. १७१५, १७६६, १८८०, १८८४, १८६१, १६०२, १६११. ११६, १२४, १६२७१६३८, १६६६, १६६८-६६, १६७३, २०१६-१७, २०२४, २०४८ -४६, २०५१, २०५४ २०६०, २०७६ २०८६, २०६० गोत्र । ::: ... प्राग्वाट [ लघुशाखा ] । घेरवाल | " वायड़ा [ वायट ] | देवरा | १२१४ १२५० १३०८ १७४३ १११६ १६१४ १५६४ १२१६, १३२३. १५७७, ११२०, २००५, २१०६ १६३१ Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञांति - गोत्र - कश्या? कावड़ा चोपड़ा जाजोयाण जाड़ जूझ नान्हड़ा पाहड़िया महधा माणवाण मुंड राहदाय वजागरा वार्त्तिदिया संघेला श्रीसेरवार लड़िया वंश [ साधुशाखा ] । जेणी वंश | मदतिया [ मंत्रिदलीय ] | गोत्र । :: *** मित्रवाल । गोत्र । ( २४ ) लेखांक १५३६ ૪૯ १०५६. १८४६, १८५४ み ૭ " १८४५ ૨૭ 23 ११,७ ૧૨૭ " १८५६ १८४५ ज्ञाति - गोत्र . "Aho Shrut Gyanam" मेवाड़ | मोड । *** राटउरीय | वीर वंश | *** लेखांक : २०२५ १११८, १३१३ १६१०. १६२४, १८००, २००७ १६४६ ܘܐ श्रीमान । १००४, १०११, १०४२, १०४४, १०४८, १०५०, १०५५, ११२४, ११३७, ११५५. ११६२ ११७५-७६, ११८१, ११८८, १२१२, १२१५, १२२१-२२. १२६२, १२६६, १२८१, १२८४, १३०२, १३१२. १३६४, १३६८-६६, १३६४, १३६७-६८, १४०५, १४१०, १४२१-२२, १४४२. १४४५, १४६६, १४७२, १४७५, १४८० १४६०, १५०४-०५, १५०८, १५३९. १५५१, १५६५ ६७, १५६०, १६०० १६२७. १६६१, १७१७-१८, १७२१. १७२७ २८, १७३६-३७, १७३६, १७४६, १७५७–६०, १७७२-७३. १७७५, १७१७ - ६८, १८६४, १६२२, १६२६, १९६३७. १६४६, १६८०, १६८३, १६८७, २०१० -११, २०१३, २०४३ २०४७ २०५७, २०७३, २०८५ २०८८, २०११, २०१५ २०६७-६८ २१०१, २१०३ Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छाति - गोत्र (१५) लेखाक झाति -गोत्र लेखक श्रीमाल लधुशाखा]। गोत्र। एलहर गोत्र । खा(पोरड जुनीवाल ११५८ सखाणा कुंगटिया ... १९४७ श्रीवंश । साड़ी टांक २१२६, १३०१. १०७४, १७७६ हउड़ा ... १३७७ ढोर १२०६, १८६०-६१ गोश धांधीया ... १४१५ ! राउत मावर नांडी १८६५, २०७२ हूंबड़। परणी १२०४, १५६२ १०५१, १०५६, १०७८, १०८६, ११२०, पावड़ १२६७, १४०६ १९३५, ११४०, १३०७, १३४५. १४२४, फोफलिया ११७६, १२२८, १५६४, १७२०, १७६५. १८७६ १६४४, १६८३, १६८६ गोत्र। भणशाली ... १७८२ भांडिया १५३५, १६१५. १६७४ , फड़ी मउठिया ... १९५६, बध मांथलपुरा १४८६, १६६७ मंत्रिभर १३०७, १६१६ ... १४८५ : रनघणा घहकटा (धगदा) १४६३, १६३२ वजीयाणा .... १६३६ श्रेष्ठि ... २०८५ वरजा (?) ... सीधड़ १२२४, १२२७ । गोत्र-जिनमें ज्ञाति, वंशादि का श्रीमान [गूर्जर]। उल्लेख नहीं है। : काजड़ ... ... १३४८ . ... ... १४७६ | निरूत ... . ... ११४४ गोत्र। "Aho Shrut Gyanam" Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोत्र चंडेजरिया चंदवाड़ छाहणा तइट दहवहड़ा फाफटिया भाईलेवा मुडिया चूत R ྨ ཐ ུ བྷཱུ རྟ ༗སྱཱ སུཿ ཕླ २७ ३० ३६ ५४ દૂ ૮૨ १९६ :::::::: ले० १०५६ १०५७ ११०३ » १९६५ १२८७ १३१७ १४२५ १५१२ ::::::: अशुद्ध १४३६ कारंट नंदकल्याण जिनचंद्र जिनभद्र द्वारा विजय जिनचंद्र (१) " जिनराज १८२४ ( २६ ) गोत्र १३६७ | वज्रजातीय विणनट लेखांक ११३२ १४८१ विड़ १३४० | वेलुयुतो १०८० पटपड़ १२४७ | साठा १५५५ सामलिया १२५७ हिंगड़ शुद्धि पत्र | शुद्ध पृ० १५३६ १५१ कोरंट २१३ जयकल्याण २२४ जिनख २३९ जिनचंद्र २४४ जिनहर्ष ક્ÆRL हीरविजय २६५ २०३६ जिनभद्र प्रतिष्ठा स्थान ( उधमण ) ( चारकबांण ) " " " ले० १६६५ १८३४ "Aho Shrut Gyanam" ક્ १९२३ १६६० ( च्यारकवण ) (दौलताबाद ) अशुद्ध १७ १८०८ १०२० १३५६ १४२५ पावापुपी ૨૦૧૦ २०५२ २०५३ २०४८ लेखांक १६११ १०६० १९३४ १८३३ १२५१ १२२० १५३७ ११५२ शुद्ध १८७७ १८८८ १६२० १३७६ १४६५ पावापुरी २००६ २०६१ २०÷२ २०५० Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ શ્રી જિનશાસના જય હો !!! II શ્રી ગૌતમસ્વામીન નમઃ | | શ્રી સુધમસ્વિામીને નમ: || જિનશાસનના અણગાર, કલિકાલના શણગારા પૂજ્ય ભગવંતો અને જ્ઞાની પંડિતોએ શ્રુતભક્તિથી પ્રેરાઈને વિવિધ હરતલિખિત ગ્રંથો પરથી સંશોધન-સંપાદન કરીને અપૂર્વજહેમતથી ઘણા ગ્રંથોનું વર્ષો પૂર્વેસર્જનકરેલછે અને પોતાની શક્તિ, સમય અને દ્રવ્યનો સવ્યય કરીને પુણ્યાનુબંધી પુણ્ય ઉપાર્જન કરેલ છે. કાળના પ્રભાવે જીણ અને લુપ્ત થઈ રહેલા અને અલભ્ય બની જતા મુદ્રિત ગ્રંથો પૈકી પૂજ્ય ગુરુદેવોની પ્રેરણા અને આશીર્વાદિથી સ.૨૦૦૫માં 54 ગ્રંથોનો સેટ નં-૧ તથા .૨૦૦૬માં 36 ગ્રંથોનો સેટ ની 2 સ્કેન કરાવીને મર્યાદિત નકલ પ્રીન્ટ કરાવી હતી. જેથી આપણો શ્રુતવારસો બીજા અનેક વર્ષો સુધી ટકી રહે અને અભ્યાસુ મહાત્માઓને ઉપયોગી ગ્રંથો સરળતાથી ઉપલબ્ધ થાય, પૂજ્યા સાધુ-સાધ્વીજી ભગવંતોની પ્રેરણાથી જ્ઞાનખાતાની ઉપજમાંથી તૈયાર કરવામાં આવેલ પુસ્તકોનો સેટ ભિન્ન-ભિન્ન શહેરોમાં આવેલા વિશિષ્ટ ઉત્તમ જ્ઞાનભંડારોની ભેટ મોકલવામાં આવ્યા હતા. આ બધાજપુસ્તકો પૂજ્ય ગુરુભગવંતોને વિશિષ્ટ અભ્યાસ-સંશોધના માટે ખુબજરુરી છે અને પ્રાયઃ અપ્રાપ્ય છે. અભ્યાસ-સંશોધના જરૂરી પુસ્તકો સહેલાઈથી ઉપલળળની તીમજ પ્રાચીન મુદ્રિત પુસ્તકોનો શ્રુત વારસો જળવાઈ રહે તો શુભ આશયથી આ થોનો જીર્ણોદ્ધાર કરેલ છે. જુદા જુદા વિષયોના વિશિષ્ટ કક્ષાના પુસ્તકોનો જીર્ણોદ્ધાર પૂજ્ય ગુરૂભગવતીની પ્રેરણા અને આશીર્વાદિથી અમો કરી રહ્યા છીએ. લો અભાઈ તથા સંશોધના માટે વધુમાં વઘુઉપયોગ કરીને શ્રુતભક્તિના કાર્યની પ્રોત્સાહન આપશી. લી.શાહ બાબુલાલ સરેમા જોડાવાળાની વંદના મંદિરો જીર્ણ થતાં આજકાલના સોમપુરા દ્વારા પણ ઊભા કરી શકાશે...! = પણ એકાદ ગ્રંથ નષ્ટ થતા બીજા કલિકાલસર્વજ્ઞ કે મહોપાધ્યાય શ્રી યશોવિજયજી ક્યાંથી લાવીશું...???