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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir / / कोबातीर्थमंडन श्री महावीरस्वामिने नमः / / / / अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामिने नमः / / / / गणधर भगवंत श्री सुधर्मास्वामिने नमः / / / / योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / ॥चारित्रचूडामणि आचार्य श्रीमद् कैलाससागरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / आचार्य श्री कैलाससागरसूरिज्ञानमंदिर पुनितप्रेरणा व आशीर्वाद राष्ट्रसंत श्रुतोद्धारक आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. जैन मुद्रित ग्रंथ स्केनिंग प्रकल्प ग्रंथांक : 1 * जैन आराध महावीर कोबा. अमृत तु विद्या विद्या श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-३८२००७ (गुजरात) (079) 23276252, 23276204 फेक्स : 23276249 Websit: www.kobatirth.org Email : Kendra@kobatirth.org आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर त्रण बंगला, टोलकनगर परिवार डाइनिंग हॉल की गली में पालडी, अहमदाबाद - 380007 (079)26582355 For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org हामहोपाध्यायीयला बाविजयजामकि न्यायविशारदम P00090 Road स्व.पू. आचार्य श्रीमद विजयलब्धिसूरी प्रहारजी म. के पदालंकार स्व.प. आचार्य श्रीमद विजय भुवनतिलक सूरीश्वरजी म.के पर घर पूज्य आचार्य श्रीमद् विजय भद्रकरसूरीश्वरजी म. सा. MADANIMAENIMURBTarararami For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CHANNEL തികൾ 7 रमजान करामपद्धतिः॥ Cooyous 29099 Comc/ जळग song DOOPOR For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir - १२श्रुतिः 15 जथाख्यसंहिता 13 भागवतम् 14 कठवल्योपनिषद् ११बृहन्नारदीयम् १०वसिष्ठस्मृतिः 9 वाल्मिकि हारितस्मृतिः 7 महागमायण 6 पद्मपुराणम् Mi/ महोदधि काः |31 विष्णुपुराणम् |32 शांडिल्यस्मतिः 33 कात्यायनसंहिता |34 महाशंभुसंहितायां |35 नृसिंहपुराणम् 36 सनत्कुमारसंहिता 7 वाराहपुराणम् 18 ईश्वरसंहिता 39 कर्मकाण्डम् 4. संध्याभाष्यम 41 बृहद्ब्रह्मसंहिता / 42 अगस्त्यसंहिता |43 पाराशरम् 44 मरीचिसंहिता 45 विष्णुधमातरम् |46 पुरुषसूक्तम् 47 पंचरात्रोक्तम् 48 हरिभक्तिविलासः 49 सामवेदेआम्नायोपनिषद् 50 ब्रह्माण्डपुराणम् 51 बौद्धायनः 52 दत्तात्रेयः 53, परमेश्वरसंहिताः व्यासस्मृति 5 आनंदतत्त्वदीपिका |56 उशनाहम् 57 आदित्यपुराणम् |58 भरद्वाजसंहिता 59 आगमे 张杂杂杂杂杂杂杂杂杂路器杂杂杂, हिता 130 सरोजगलि 29 पुलस्त्यस 28 अथवे For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृष्ठांकाः विषयानुक्रमणिका विषयाः विषयाः पृष्ठांकाः विषयाः पृष्ठ 1 गुरुस्तुतिः .........1/14 रामानुजसुप्रभातम् ........ 12/27 तुलसाधारणविधिः२ गुरुध्यानम् -mm-1/15 भगवत्स्मरणम् - 13/28 यथाक्रमपंचसंस्कारमाहा 3 मंगलम् ............-1 26 प्रातःस्तवः .. 14 / त्म्य म् .............23-26 4 दीक्षामाहात्म्यम् |17 रघुनाथचरणचिन्हस्तोत्रम् 1529 तत्रउईपुंडमाहात्म्यम्... 23 5 दीक्षाविधि. - - 18 श्रीरामचंद्रस्यपरमात्मत्वम् 16 30 शंखचक्रादिमाहात्म्यम् .... 6 गुरुलक्षणम् - 19 प्रातःस्नार्थोद्यमः ......1831 धनुर्वाणमाहात्म्यम् ........ 7 गुरुमाहात्म्यम् .mm5 |20 तत्रमृत्तिकाहरणविधिः- 19 32 नामकरणमाहात्म्यम् .. 25 8 शिष्यलक्षणंगुरुध्यानपूर्वकम् 7/21 मृत्तिकानियमः........ 19 33 मंत्रमाहात्म्यम् ........... 25 9 गुरुपुजा .....mmm.8/22 शुद्धिविधिः.......... 2034 धारणाविधिः ........ 26 10 समानुजपंचरत्नधाटी ... ..823 दंतधावनविधिः............ | 35 तत्रादौउईपंडधारणावधिः 26 11 रामानुजपंचकम् 24 स्नानविधिः-.-.-.... |36 निषेधलक्षणम्.. .. 12 रामानुजप्रपत्तिः ........ 025 आसनविधिः - 22 37 शंखचक्रादिप्रार्थना .. 13 भाष्यकारमपत्तिः .. 1126 पंचसंस्कारा: mm-2238 स्वात्मभावना ....... 29) For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृष्ठांकाः به विषयाः पृष्ठांकाः विषयाः विषयाः पृष्ठांकाः |39 तुलसीधारणविधिः - 30 53 ध्यानम् mmm.... 3067 तत्र श्रुत्युक्तप्रमाणम् .. 40 प्राणायामः .mmm.3054 मंत्रोदाहरणम् -mom 3868 पंचरात्रोक्तपुजामंत्राः .. 46 41 कुशपवित्रधारणविधिः- 30 55 जपलक्षणम् ......... 3969 तत्रनैवेद्यविधि:---...-४८ 42 आचमनविधि:mm... 30 56 पूजाविधिः .......... 70 अगस्त्यसंहितोक्तपूजामंत्राः 43 अघमर्षणम्: ...... 3157 विधिपूर्वकमर्चाविधिः - 41/71 हात्रिंशदपराधाः ..... 54|| 44 भूतशुद्धिः 50 तुलसीस्नानमंत्रः .... 72 अष्टयामः........... 45 प्राणप्रतिष्ठा . .. 159 तुलसीविधिः ............ 73 पादतीर्थमाहात्म्यम् .......55 46 गायत्रीविधिः - 33 60 पुष्पग्रहणविधिः -- 43/74 भगवत्प्रसादाशनविधिः-५६|| 47 मुद्राविधिः -...- 33 61 चरणोदकादिविधिः..... 43 75 भगवत्प्रसादमाहात्म्यम् ... 57 *48 गायत्रीसंकल्पन्यासादयः 34 62 धुपविधिः............. 44 76 आम्नायोपनिषदिदैशिक all49 जपः --- - 35/63 आर्तिक्यविधिः .. 44 गुरुपरंपरा .......... 50 स्तुतिः .mmm... 64 दंडवतलक्षणम् ..... 44 77 ग्रंथदेशिकगुरुपरंपरा.... |51 विसर्जनम् ..mmm.36/65 दंडवतमाहात्म्यम् ........ 44 78 हिपंचाशहाराख्याचार्याः 52 तर्पणम् mmmm 36.66 पूजामंत्रविधिः- - 45/71 वैष्णवसंप्रदायसंकेतकं. For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्रीमतेरामानुजायनमः // अथबृहद्वेदोक्तरामपद्धतिप्रारंभः // स्तुतिः॥ॐगुरुर्ब्रह्मागुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवोमहेश्वरः ॥गुरुरेवपरब्रह्मतस्मैश्रीगुर नमः // 1 // अज्ञानतिमिरांधस्यज्ञानांजनशलाकया // चक्षुरुन्मीलितंयेनतरू श्रीगुरवेनमः // 2 // अखंडमंडलाकारंव्याप्तंयेनचराचरम् // तत्पदंदर्शितंये नतस्मैश्रीगुरवेनमः // 3 // सर्वश्रुतिशिरोरत्नविराजितपदांबुजम् // वेदान्ता Malम्बुजसूर्यायतस्मैश्रीगुरवेनमः // 4 // यस्यस्मरणमात्रेणज्ञानमुत्पद्यतेस्वय। म्॥सएवसर्वसम्पत्तिस्तस्मैश्रीगुरवेनमः॥९॥ ॥इतिगुरुस्तुतिः॥अथगुरु ध्यानम्॥ ॥शिष्यशिरसिशुक्काम्बुजंद्विनेत्रंद्विभुजंगुरुम्॥किरीटकुंडलवनमाला ज्ञानमुद्रोपशोभितं // 1 // कर्मणामनसावाचासदाआराधयेद्गुरुम् ॥दीर्घदंड वन्नमस्कृत्यनिर्लज्जोगुरुसन्निधौ // 2 // सप्तसागरपर्यन्तंतीर्थस्नानादिकंफ For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ad लं // गुरोरंघिजलंबिंदुस्तत्कोटयंशेनदुर्लभम् // 3 // श्रीगुरुपंचोपचारैः स सम्पूज्य॥ गुरुपादोदकंपीत्वागुरोरुच्छिष्टमोजनम्॥ गुरुमूर्तिसदाध्यानगुरुमंत्रंस / दाजपेत् // 4 // अखंडसच्चिदानंदमखिलेन्द्रियगोचरम् // भक्तवत्सलभ | तेशमुत्पन्नद्राविडेसुतम् // 5 // श्रीरामानुजयोगींद्रमादिशरणंभजे // श्रीरामाख्यपरंनित्यंजीवन्मुक्तस्वरूपिणं // 6 // ज्ञानमुद्राधरंरामसच्चिदा नदविग्रहम् // ब्राह्ममुहूर्तेचोत्थायचिंतयेद्रघुनंदनम् // 7 // इतिगुरुध्यानं // in अथमंगलम् // // नमोस्तुगुरवेतस्मैत्रयोदेवस्वरूपिणे // यस्यवागमृतंह तिविषसंसारसंज्ञकम् // 1 // वांछाकल्पतरुभ्यश्चकृपासिंधुभ्यएवच पतितानांपावनेभ्योवैष्णवेभ्योनमोनमः // 2 // आचार्यशठकोपदेशि थप्राचार्यपारंपरंश्रीमल्लक्ष्मणयोगिवर्ययमुनावास्तव्यनाथादिकान् // For Private And Personal
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________________ Sho Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri senfandir Jain Aradhana ल्मीकिसहनारदेनमुनिनावाग्देवतावल्लभंसीतालक्ष्मणवायुसूनुसहितं श्रीराम चंद्रभजे ॥३॥वामेभूमिसुतापुरस्तुहनुमान्पश्चात्सुमित्रासुतः शत्रुघ्नोभरतश्च पार्श्वदलयोर्वायव्यकोणादिषु॥ सुग्रीवश्वविभीषणश्चयुवराट्तारासुतोजाम्बवा न्मध्येनीलसरोजकोमलरुचिंरामभजेश्यामलं // 4 // नीलांभोधरकांतिकायम निशंवीरासनाध्यासिनमुद्रांज्ञानमयींदधानमपरंहस्ताम्बुजंजानुनि // सीतांपा गतांसरोरुहकरांविद्युनिभराघवंपश्यंतंमुकुटांगदादिविविधैः कल्पोज्ज्वलां गंभजे ॥५॥इतिमगलम॥अथदीक्षामाहात्म्यं विष्णुयामलादिव्यंज्ञानंय तोदद्यात्कुर्यात्पापस्यसंक्षय। तस्माद्दीक्षेतिसाप्रोक्तादेशिकैस्तंत्रकोविदैः॥३॥ तोगुरुंप्रणम्यैवसर्वस्वंविनिवेद्यच ॥गृह्णीयाद्वैष्णवमंत्रंदीक्षापूर्वविधानतः॥२॥ स्कांदे ब्रह्मनारदसंवादे॥ ॥तपस्विनः कर्मनिष्ठाः श्रेष्ठास्तेवैनरा वि // For Private And Personal
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________________ Shri ir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir बृ. वे. प्राप्तायैस्तुहरेर्दीक्षासर्वदुःखविमोचनी॥॥ तत्त्वसारे॥ // यथाकांचनताया तिकांस्यरसविधानतः॥ तथादीक्षाविधानेनद्विजत्वंजायतेनृणां ॥४॥अवश्य वैष्णवींदीक्षांप्रविशेत्सर्वयत्नतः॥दीक्षितस्यविशेषेणसंसिद्धि त्रसंशयः॥९॥ तत्रमुमुक्षूणांदीक्षायाः कालनियमोनास्ति।तथाहितत्त्वसारे॥ ॥दुर्लभं सद्गुरूणांतुसत्संगंतदुपस्थितम्॥ तदनुज्ञायदालब्धासदीक्षावासरोमहान् // 3 // ग्रामेवायदिवाऽरण्यक्षेत्रेवादिवसेनिशि // आगच्छतिगुरौदैवात्तदादीक्षांप्रकार येत् ॥२॥यदैवेच्छातदादीक्षागुरोराज्ञानुसंयुतः॥ नतीर्थनव्रतंहोमोनस्नानंन / जपः क्रिया ॥३॥दीक्षायाः करणंकिंतुस्वेच्छाप्राप्तेतुसद्गुरौ॥४॥ ॥प्रपन्नामृते रामानुजाचार्यवाक्यंस्वाचार्यप्रति॥ ॥स्वपंतंवापि जानंगच्छंतमपिवर्त्म नि॥युवानमपिबालंवास्ववश्यंकुरुतेविधिः॥५॥ इदमद्यकृतंकार्यश्वोऽन्यत्का 2 For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyerandir र्यकरिष्यते // इतिलोकेसबलवान्कृतांतोनसमीक्ष्यते // 6 // तस्मात्कार्यशुभं| धीमाञ्छ्रेयस्कामोनरोत्तम ॥विलंबेनकथंकर्तुमर्हसिद्विजसत्तम॥७॥ // महो। दधौ॥ // तदैवलग्नंसुदिनंतदैवताराबलंचंद्रवलंतदैव। विद्याबलंदैवबलंतदैव / / सीतापते मयदास्मरेत॥८॥इतिदीक्षामाहात्म्य॥ ॥अथदीक्षाविधिःपंचरा // // सौवर्णराजतंताम्रकांस्यमायसमेववा॥ चक्रंकृत्वातुमेधावीधारयेत्तहि चक्षणः॥१॥ द्वादशारंतुषट्रोणंबलत्रयसमन्वितम् // हरेःसुदर्शनंनित्यंधारये तविचक्षणः // 2 // तथाहि // स्नात्वाशुभेन्हिपुर्वेऽन्हिसम्यगभ्यर्यकेशवम् / स्वातंशिष्यसमाहूयकृतकौतुकमंगलम् // 3 // आचार्योविधिवत्कुर्याञ्चक्रपुंडा दिसत्कियाम्॥पुरतोऽग्निंप्रतिष्ठाप्यस्वगृह्योक्तविधानतः॥४॥तस्माच्चक्रादिसं स्काराः कर्तव्यामुनिसत्तम ।चक्रलांछनहीनेनकृतंकर्मचनिष्फलं // 5 // नारा 路路路路路路路路路路路路路路路路路路路路。 For Private And Personal
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________________ Shrifair Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Bilendir www.kobath.org यणायुधैर्युक्तंकृत्वात्मानंकलौयुगे॥कुरुतेपुण्यकर्माणिमेरुतुल्यानितानिवै॥६॥ // पाने॥भगवद्वाक्यं // ॥सुदर्शनंपांचजन्यंसौवर्णेनचपूरयेत्॥रौप्येणा पिहिताम्रणकांस्येनचायसेनवा॥७॥स्नाप्यपंचामृतैः शुद्धैरर्चयेत्पुरतोमम // अर्चयेद्धपुष्पाद्यैस्तत्तन्मंत्रैविधानतः // 8 // तत्रसंस्थापयेदग्निंस्वगृह्योक्तवि। धानतः॥ आचार्योजुहुयादाज्यमंत्रेणाग्नौद्विजोत्तमः॥९॥अष्टोत्तरंसहस्रंवा शतमष्टोत्तरंतथा॥ जुहुयान्मूलमंत्रेणतथान्यैर्वैष्णवैः शुभैः॥१०॥ मंत्रैः पुरु पसूक्तैश्चजुहुयाहृतपायसं // तस्मिन्नग्नौक्षिपेच्चक्रशंखंचद्विजसत्तमः // 11 // षडक्षरेणजुहुयादष्टाविंशतिसंख्यया।प्रतप्तंचक्रमादायमंत्रेणैवांकयेद्गुरुः // 12 // शंखेनचांकनंकुर्यादुभयोर्बाहुमूलयोः // होमशेषंसमाप्याथपुनः पूजांसमाचरेत् ॥१३॥अथवाधनुर्बाणेनांकयेत् // तथाच॥ महारामायणे॥ ॥अग्नौवि For Private And Personal
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________________ Shri Mahavt Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaradir 杂杂杂杂杂杂学杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 शुद्धहविषाविविधैः सुगंधैहोंमंसवेदविधिनाशरशाईमंत्रः // अष्टोत्तरंशतविधि जुहुयात्सुभत्यारामंस्मरेद्धृदितथाजनकात्मजायाः॥१४॥ तप्तंधनुःशरमथो| खलुतत्रहोमैः प्रेम्णांकितंसुमनसाचगुरुः प्रकुर्यात् // देशेषुचैवसकलेष्वपिसर्व कालेवर्णाश्रमाश्चसकलांकितपुण्यपुजाः // 15 // वामकरेचधनुषाथशरेणचा न्येयश्चांकितोहिमनुजोनरलोकधन्यः // तस्मैनमंतिशिरसाद्रुहिणादिदेवास्तद्द र्शनेनमनुजाः खलुकल्मषघ्नाः॥१६॥ यज्ञंचतीर्थगमनंपितृदेवसर्वकुवैतिकर्म शुभकंश्रुतयोवदंति // योनांकितोधनुश्शरैर्विफलंचसर्वयश्चांकितोधनुः शरैश्च / फलंसहस्रं // 17 // शक्रात्फलंशतगुणधनुषश्शरस्यपश्चांकितोपिसचरामजना ग्रगण्यः // सारूप्यमेवलभतेकिलतत्क्षणंवैरामप्रियः प्रियतरोनुदिनंचमा।। Hin18 // ततः कलशमादायपवित्रोदकपूरितं // मंत्रेणैवाभिमंत्र्याथतस्यमय - For Private And Personal
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________________ Shri Mahirain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyappandir www.kopatirtih.org य भिषेचयेत् ॥१९॥ऊर्ध्वपुंडधरंशिष्यमंत्रमध्यापयेद्गुरुः // मंत्रार्थश्चप्रयोक्त व्योवृत्तिश्चैवविशेषतः॥२०॥ नामधेयविधानंचवैष्णवंपापनाशनं // मूर्तयः केशवाद्याश्चतथासंकर्षणादयः॥२१॥ योजयेन्नामदासांतंभगवन्नामपूर्वकं // तस्याशुआनिनश्यंतिपुण्यभागीभवेन्नरः॥२२॥ एवंतृतीयसंस्कारकृत्वावैवैष्ण वोत्तमः // चतुर्थमंत्रसंस्कारंकुर्वीतद्विजसत्तमः॥२३॥ एवंहिविधिनासम्यङ् मंत्रसंस्कारसंस्कृतं // मंत्रार्थतत्त्वविदुषंयागतंत्रेनियोजयेत् // 24 // ॥तथा चप्रपन्नामृतरामानुजगुरुवाक्यं॥ // इदंतथ्यंतदामत्वारामानुजमभाषत विगाह्यागच्छविप्रेद्रसरस्यस्मिन् शुभोदके॥२५॥चक्रांकनकरिष्यामित्वरमा णस्यतेऽधुना // इत्युक्त्वातंमाहाप्राइंकांतिमत्यात्मसंभवं // 26 // स्नात्वाकृ त्वाह्निकंप्राप्यविष्णोरायतनंशुभातवत्यैवैष्णवैस्साकंप्रतिष्ठाप्यहुताशन।२७ 杂於路路路路路路路路路路路路路路路路路路於米路器 4 For Private And Personal
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________________ Shri hay Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanindir सचक्रेविधिनाहोममाज्यभागांतमादरात ॥ततः पुरुषसूक्तेनमूलमंत्रेणमंत्रवित Him२८॥अन्यैश्चवैष्णवैमैत्रैश्चरुणाज्येनभक्तितः॥अष्टोत्तरसहस्रंतुजुहावाग्नौसभू / सुरः॥२९॥चक्रराजंपांचजन्यगंधपुष्पाक्षतैः शुभैः॥संपूज्यसुमहात्मानलक्ष्म / Mणार्यददर्शतम् ॥३०॥विप्रोत्तमंविष्णुभक्तंप्रांजलिंपुरतः स्थितं // स्नातंविनय संपन्नंनिर्मलं स्वच्छमानसम्॥३१॥सन्निधौरामचंद्रस्यकोदंडशरधारिणः॥ तप्ता भ्यांशंखचक्राभ्यांविधिनाग्नौकृपानिधिः॥३२॥लक्ष्मणार्यस्यभुजयोःसर्वलक्षण युक्तयोः।।कृत्वांकनंतदातस्मैविधिनाऊर्ध्वपुंडकम्॥३३॥आपन्नरक्षकमंत्रंदास्य नामादिकंतथा|अ रूपंदेवराजंप्रददौशिष्यवत्सलः॥३४॥पूर्णाचार्येणगुरुणा कृतसंस्कारपंचकः॥रेजेरामानुजः श्रीमाञ्शरच्चंद्रइवामलः॥३५॥ इतिदीक्षा विधिः॥ अथगुरुलक्षणम्हारीतस्मृतौ // // आचार्यसंश्रयेत्पूर्वमनवा 带路杀*********染法染染染染染路路 For Private And Personal
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________________ Shri Marirain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri V andir रा.प. चवैष्णवम् ॥शुद्धसत्वगुणोपेतंनवज्याकमकारकम् // 1 // सत्संप्रदायसंयुक्तंच मंत्ररत्नादिकोविदम् // ज्ञानवैराग्यसंपन्नंवेदवेदांतपारगम् // 2 // आलोक्य सर्वशास्त्राणिपुराणानिचवैष्णवः॥तदर्थमाचरेद्यस्तुसआचार्यइतिस्मृतः॥३॥ वाल्मीकीयेसुंदरकांडेटीकायां॥ ॥आचार्योवेदसंपन्नोविष्णुभक्तोविमत्सरः मंत्रज्ञोमंत्रभक्तश्चसदामंत्राशयःशुचिः॥४॥ गुरुभक्तिसमायुक्तः पुराणज्ञोवि शेषतः॥एवंलक्षणसंपन्नोगुरुरित्यभिधीयते॥५॥ ॥वासिष्ठस्मृतौ // // जितेंद्रियाशुभाचारान्सत्वस्थान्सर्वलक्षणान् // श्रुतिस्मृतिपुराणार्थबिदुषोदं / भवर्जितान् // 6 // // बृहन्नारदीये॥ // मंत्रदातानचगुरुर्नचमंत्रार्थवाच कः॥मंत्रमंत्रार्थतत्वज्ञोगुरुरित्यभिधीयते ॥७॥इतिगुरुलक्षणं॥ ॥अथगुरु माहात्म्यं तथाचश्रुतिः॥ ॥आचार्यवान्पुरुषोवेदेतिच्छंदोगाः॥१॥ यस्य 5 For Private And Personal
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________________ Shri H ai Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ** *** देवेपराभक्तिर्यथादेवेतथागुरौ॥ तस्यैतेकथितार्थाःप्रकाशंतेमहात्मनः // 2 // देवतायागुरोश्चैवमंत्रस्यापिप्रकीर्तनात् // ऐहिकामुष्मिकासिद्धिईिजस्यास्तिन / संशयः॥३॥ ॥भागवते // // तस्माद्गुरुंप्रपद्येतजिज्ञासुःश्रेयआत्मनः॥ शाब्देब्रह्मणिनिष्णातंब्रह्मण्युपसमाश्रयम् // 4 // यस्यसाक्षाद्भगवतिज्ञानदी। पप्रदेगुरौ।भक्तिर्नस्याकृतंतस्यमन्येकुंजरशौचवत्॥९॥॥कठवल्योपनिषदि।। गुशब्दस्त्वंधकारःस्याद्रुशब्दस्तद्विरोधकः॥ अंधकारविरोधत्वाद्गुरुरित्यभिधीय त॥६॥भागवते॥॥आचार्यमांविजानीयानावमन्येतकर्हि चितानमर्त्यबुद्ध्या सेवेतसर्वदेवमयोगुरुः ॥७॥सर्वेवेदाश्चयज्ञाश्चतपोदानानिचानघ ॥जीवाभय प्रदानस्यनकुर्वीरन्कलामपि॥८॥ब्रह्मरुष्टेहरस्त्राताहररुष्टेहरिस्तथा।।हरिरुष्टेगुरु / स्त्रातागुरुरुष्टेनकश्चन॥९॥ ॥जयाख्यसंहितायाम् ॥॥यस्माद्देवोजगन्नाथः 於******路路路路 For Private And Personal
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________________ Shri M ar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri G endir IN कृत्वामर्त्यमयींतनुं // मग्नानुदरतेलोकान्कारुण्याच्छास्त्रपाणिना // 10 // त रा.प. स्माद्भक्तिर्गुरौकार्यासंसारभयभीरुणा // 31 // ॥आलुवंदारताप्ये॥ // मंत्र तद्देवतायांचतथामंत्रप्रदेगुरौ॥ त्रिषुभक्तिःसदाकार्यासाहिप्रथमसाधनम्॥१२॥ चक्षुर्गम्यंगुरुत्यकाशास्त्रगम्यंतुयःस्मरेत् // हस्तस्थमुदकंत्यत्काघनस्थमभि / वांछति // 13 // सुलअंतंगुरुंत्यत्कादुर्लभंयदुपासते॥बुद्धत्यत्काधनंमूढोगुप्त मन्वेषतिक्षितौ // 14 // मंत्रनाथंगुरूंमंत्रंसमत्वेनाभिपूजयेत् // 15 // ॥महा। भारत॥ ॥योदद्याद्भगवज्ज्ञानकुर्याहाधर्मदर्शनम् // कृत्स्नांचपृथिवींदद्यान्नत / तुल्यंकथंचन।।१६॥ ॥तंत्र॥ योगुरुःसहरिःसाक्षाद्योहरिःसगुरुःस्वयं॥ रुगु यस्यभवेत्तुष्टस्तस्यतुष्टोहरिःस्वयं ॥१७॥प्रपन्नामृतवररंगाचार्यवाक्यंरामा नुजंप्रति॥॥गुरुरेवपरंब्रह्मगुरुरेवपरंधनम् // गुरुरेवपरःकामोगुरुरेवपरायणः 於***路路路路路路路路路路路路路路路路路路路 For Private And Personal
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________________ Shri Mehevig Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri pinindir Acharya Shri Kalashsagarsuri Kim8 // गुरुरेवपराविद्यागुरुरेवपरागतिः॥ यस्मात्तदुपदेष्टासौतस्माद्गुरुतरोगुरुः // 19 // आचार्यस्तुहरिःसाक्षाच्चररूपीनसंशयः // नमर्त्यबुद्ध्यासेवेतसर्वदे वमयोगुरुः // 20 // इत्युक्तेनप्रकारेणहदिलक्ष्मणदेशिक // उपायश्चाप्युपेय श्वगुरुरेवेतिभावय॥२१॥ इतिगुरुमाहात्म्यम्॥ ॥अथशिष्यलक्षणंगुरुध्या नपूर्वकं॥ ॥ब्रह्मरंध्रस्थितेपद्मेसहस्रदलशोभिते॥श्रीगुरुपरमात्मानंसहस्रादि त्यसन्निभम्॥१॥ द्विनेत्रंद्विभुजंचैवध्यायेदखिलसिद्धिदम्॥किरीटकुंडलवनमा लाज्ञानमुद्रोपशोभितम् // 2 // कर्मणामनसावाचासदाआराधयेद्गुरुं // दीर्घ दंडवन्नमस्कृत्यनिर्लज्जोगुरुसन्निधौ // 3 // सप्तसागरपर्यंततीर्थस्नानादिकंफल म् // गुरोरंब्रिजलंबिंदुस्तकोट्यंशेनदुर्लभम् // 4 // गुरोःपादोदकंपीत्वागुरो रुच्छिष्टभोजनम्॥गुरोर्मूर्तेःसदाध्यानगुरोर्मत्रंसदाजपेत॥५॥ ॥तथाचतंत्र॥ For Private And Personal
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________________ Shri Margirain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Praomandir बृ . 標然染染染染於紫****於*** यत्रयत्रगुरुंपश्येत्तत्रतत्रकृतांजलिः // प्रणमेहंडवद्भूमौछिन्नमूलतरुस्तथा॥६॥ गुरुशय्यासनंपानंपादुकापादपीठकम् // वस्त्रंछायांतथाशिष्योलंघयेनकदाचन // 7 // गुरुसन्निहितेयस्तुपूजयेदन्यमग्रतः // नसद्गतिसमाप्नोतिपूजनंतस्यनि फलम् // ८॥ध्यानमूलंगुरोर्मूर्तिःपूजामूलंगुरोःपद।मंत्रमूलंगुरोवाक्यंभक्तिमू / लंगुरोःकृपा ॥९॥गुर्वधारयेद्देहंगुर्वथैवनोपार्जनं // गुरोःशुश्रूषणकार्यदेह प्राणवनैरपि // 10 // ॥भागवते॥ // सायंप्रातरुपानीयक्षेक्ष्यंतस्मनि वेदयेत् // यच्चान्यदप्यनुज्ञातमुपयुंजीतसंयतः॥ 11 // शुश्रूषमाणआचार्य सदोपासीतनीचवत् // यानशय्यासनस्थानैर्नातिदूरात्कृतांजलिः // 12 // आचार्याधीनवृत्तिस्तुयावज्जीवंभवेत्सदा // यावच्छरीरपातंतुदयमावर्तयेन्म नुम् // 13 // येनकुवैतिगुर्वाज्ञापापिष्ठास्तेनराधमाः॥नतेषांनरकक्केशान्निस्ता 路路路路路路路路路路********** For Private And Personal
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________________ Shri Mara Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri erandir रमुनिसत्तम // 14 // इतिशिष्यलक्षणं // ॥इतिश्रीगुरुंपंचोपचारैःसं पूज्यपश्चादाप्यकारंसंस्मरेत् // तत्रादौपद्मपुराणेपद्मखंडे // // पाषंड। बहुलेलोकेकुदृष्टिजनसंकुले // कलौवैष्णवसिद्धांतैःपुनरुद्धार्यतेयतिः // 1 // अनंतंप्रथमंनामद्वितीयलक्ष्मणंतथा // तृतीयंबलरामंचकलौरामानुजोयतिः // KnR॥क्षागवते॥ // कलौखलुभविष्यंतिनारायणपरायणाः॥ क्वचित्क्वचि / महाराजद्राविडेषुचभूरिशः // 3 // ताम्रपर्णीनदीयत्रकृतमालापयस्विनी॥ कावेरीचमहापुण्याप्रतीचीचमहानदी // 4 // येपिबंतिजलंतासांमनुजामनुजे श्वर // प्रायोभक्ताभविष्यंतिवासुदेवेऽमलाशयाः॥५॥ ॥भार्गवपुराणेब ह्मराक्षसवचनम् // // महासूर्यान्वयेपुण्येकेशवस्यत्रिपाठिनः // जज्ञेपुण्य वतःपुत्रोऽनंतांशोऽनंततेजसा // 6 // तस्यरामानुजइतिपितानामाकरोन्मुदा॥ For Private And Personal
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________________ Shri Mata Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuriyetonindir सर्वचेतनरक्षार्थमवतीर्णोदयानिधिः // 7 // तस्मादयंलक्ष्मणदेशिकेंद्रःसाक्षा रिर्लोकगुरुर्महात्मा // तस्यैवसंबंधबलेनतेनमोक्षोहिसिद्धोनिखिलात्मताना म् // 8 // एनंशेषांशसंभूतंरामानुजमुर्निविना // नान्यःपुमान्समर्थस्स्यान्मज न्मेदंनिवारितुम् // 9 // तस्माद्यतींद्रसामर्थ्यमीश्वरस्यापिनास्तिहि // यतोय तींद्रसंबंधात्पापात्माह्यपिमुक्तिभाक् // 10 // ॥प्रपन्नामृते // // पाषंडबौ चार्वाकैस्त्रयीधर्मेविलोपिते॥दत्तात्रेयस्वरूपेणलोकेपाषंडसंकुले // 11 // त्रिदंडधारिणापूर्वविष्णुनारक्षितात्रयी॥ विष्णोस्तुपार्षदास्त्वद्यशेषशेषाशनादा यः॥१२॥अवतीर्णास्तुतेक्षित्यांदत्तात्रेयादयोयथा // स्वेच्छाविहारिणस्ते चनकर्मवशवर्तिनः // 13 // इतिगुरुपूजा॥ ॥तथाच पंचरत्नधाटी॥॥पा पंडद्रुमखंडदावदहनश्चार्वाकशैलाशनिबौद्धध्वांतनिरासवासरपति नेमकंठीर For Private And Personal
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________________ Shri Nehavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuriye mandir **** ** वः॥ मायावाद जंगभंगगरुडस्त्रविद्यचूडामाणःश्रीरंगेशजयध्वजोविजयतेरा मानुजोऽयंमुनिः॥१॥ पापंडखंडगिरिखंडनवज्रदंडाःप्रच्छन्नबौद्धमकरालयमं / / थदंडाःवेदार्थसारसुखदर्शनदीपदंडारामानुजस्यविलसंतुमुनेस्त्रिदंडा॥२॥ चा रित्रौद्वारदंडंचतुरनयपथालंक्रियाकेतुदंडंसद्विद्यादीपदंडंसकलकलिकथासंहते। कालदंडं॥त्रय्यंतालंविदंडंत्रिभुवनविजयच्छत्रसौवर्णदंडधत्तेरामानुजार्यःप्रति पथिकशिरोवजदंडंत्रिदंडं // 3 // त्रय्यंमांगल्यसूत्रंत्रियुगयुगपथारोहणालंबसूत्रं / सद्विद्यायंत्रसूत्रंसगुणनयपथासंपदाहारसूत्रं॥ प्रज्ञासूत्रंबुधानांप्रशमनमनयत्प मिनीनालसूत्रंरक्षासूत्रंयतीनांजयतियतिपतेर्वक्षसिब्रह्मसूत्रम् // 4 // पाषंडसाग रमहावडवामुखाग्निःश्रीरंगराजचरणांबुजमूलदासः॥ श्रीविष्णुलोकमणिमंडप मार्गदायीरामानुजोविजयतेयतिराजराजः // 5 // इतिपंचधाटी॥ // अथ 於染带染染米路 For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri qy n dir * *** * ** रामानुजपंचकम् // // हेरामानुजहेपतेक्षितिपतेहेभाष्यकारप्रभोहेलीला नरविग्रहानघविनोहेकांतिमत्यात्मज // हेश्रीमन्प्रणतार्त्तिनाशनकृपामत्रप्रस नार्यहेहेवेदांतयुगप्रवर्तकपरंजानामिनत्वांविना // 1 // हेहारीतकुलारविंदत / रणेहेपुण्यसंकीर्तनब्रह्मध्यानपरत्रिदंडधरहेभूतिद्वयाधीश्वर॥हरेंगेशनियोजक त्वरितहेगीःशोकसंहारकस्वामिन्हेवरदांबुदायकपरंजानामिनत्वांविना॥२॥हे श्रीभूतपुरीशलक्ष्मणमुनेहेयादवापादितापार्थार्थद्रुमकृतनोग्रपुरुषहेभक्तिमंदा रक॥ हेब्रह्मासुरमोक्षणक्षमकृपाकूपारहेसज्जनप्रेष्ठामोवयतींद्रदेशिकपरंजा०॥ // 3 // हेपूर्णार्यकृपाब्दसहयमनोमालाधरानुग्रहाज्ञातद्राविडवेदतत्वसुमतेम नाथपृथ्वीधर ॥कांचीपूर्णवरेण्यशिष्यभगवन्हेकेशवस्यात्मजश्रीपद्मेशपदान षट्पदपरंजा० // 4 // हेगोपीजनमुक्तिदानकरहेशास्त्रार्थतत्त्वज्ञहेगोष्ठीपूर्णक *** 9 於**** For Private And Personal
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________________ Shri Marevi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri pendir *茶**** पागृहीतविलसन्मंत्राधिपोद्भास्करः॥ हेत्वंतेष्टफलप्रदायकगुरोहेविठ्ठलेशार्चित / बौधायनसंमतानुगपरंजा०॥५॥ इतिरामानुजपंचकं // ॥अथरामानुजम पत्तिः॥ // श्रीकांतदिव्यपदपंकजसक्तचित्तश्रीकारिसनुचरणांबुजश्रृंगराज // श्रीवत्सचिन्हगुरुमानसराजहंसरामानुजार्यचरणौशरणंप्रपद्ये॥॥ नाथार्यया मुनमुनींद्रकृपाकटाक्षसंलब्धबोधसकलश्रुतिमौलिवेद्य // पूर्णार्यवर्यकरुणार्पित मंत्ररत्नरामा०॥२॥ श्रीरंगशेषगिरिवारणशैलनाथपादारविंदपरमानुभवैकशी ल॥वेदांतयुग्मविशदीकरणैकधुर्यरामा०॥३॥डिल्लीशनीतमुपनीयतदीयकन्यां सन्माननेनपुनरागतयादवाद्रिम्॥संपत्कुमारमभिषिक्तवतस्तवेमौरामा० // 4 // तुंडीरभूमिपतिसात्कृतशंखचक्रशेषाचलाधिपतयेकिलतेवतीयालोकैकनाथगुरु भावमुपयुषस्तेरामा०॥९॥कांचीभवःकतिपयंसमयेनदृष्टकालेनदृष्टपथमेतिपुन ******於***染器器举器 For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gxangandir जनानाम // मूकोजगादभवतःफणिराजभावंरामा०॥६॥बाह्यान्कुदृष्टिनिवहान / पिसंनिरस्याद्वैतविशिष्टमखिलश्रुतिमौलिवेद्यमानिार्यसात्विकजनायनिदर्श || यंतौरामा०॥७॥ श्रीभाष्यनामकमिदंभवदीयभाष्यश्रीभाष्यकारइतितेभुवने प्रथास्यात् // इत्यादरेणकिलसारदयास्तुतौतेरामा० // 8 // प्रयाणकालेचतुरः / स्वशिष्यानपादांतिकस्थान्वरदोपवीक्ष्य // भक्तिंप्रपत्तिरपिवोयदिदुष्करतेरा मानुजार्यचरणौशरणप्रपद्ये // 9 // त्वत्पादसेवनवशादधुनागुरूणांमुक्तिःकरेस्थि तवतीतुपुरागुरूणां // मूर्झन्वयादितिवदंतिविशुद्धावंरामा० // 10 // आर्यैश्च / तुष्कयुतसप्ततिपीठसंस्थैःसंसेवितौविमलसंयमिसप्तसप्त // अन्यैस्तदीयनिव हैरनुभाव्यमानौरामा० ॥११॥रामानुजार्यरमणीयगुणाभिरामरागादिदुर्गम गुरोयतिसार्वभौम // सत्वप्रधानशरणागतवत्सलत्वंरामा०॥१२॥ इतिरामानु For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri farandir जप्रपत्तिः॥ ॥अथक्षाप्यकारप्रपत्तिः॥ // श्रीशैलगोष्ठिपरिपूर्णकृपोपलब्ध रामायणार्थचरमोज्ज्वलपद्यसार // पूर्णार्ययामुनमुनींद्रपदाजहंसश्रीभाष्यका / रचरणौशरणप्रपद्ये // 1 // उत्तारणायभववारिधिमाग्नजंतोरात्र्यडगेमहतिभूत / पुरेवतर्ण // चैत्राख्यमासयतिशेखरलक्ष्मणार्यश्री० // 2 // यांसानुविष्णुरहिरा किमुसैन्ययोर्वासर्वैरतर्कितमहाविभवार्यवयं ॥श्रीरंगनायकपदांबुरुहैकहंस श्री॥३॥ मालाधरात्तवकुलाभरणोक्तिसारश्रीयादवाचलसमादृतनित्यवास॥ सम्यकुमारतरमंबुरुहायताक्षश्री०॥४॥अष्टाक्षराख्यमनुचंद्रसुवासितास्यश्रीमं / त्ररत्नदशसंख्यमहार्थवादिन।कंठावलंबितुलसीनलिनाक्षमालाश्री०॥९॥श्री भक्तिसारकुलशेखरभट्टनाथगोदासरोमुखसरोजसरोजबंधो।कूटाधिनाथमुखदे। शिकचातकाभ्रश्री०॥६॥स्फूर्जत्रिदंडतरुणार्कनिभांबुजाक्षशुभ्रोपवीतशिखयो। For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir www.kobeith.org ज्ज्वलदेशिकेंद्राकाषायचैलरुचिरोल्लसदूर्ध्वपुश्री० // 7 // व्याख्यांकुरुष्वमद नुग्रहतःशठारिसूक्तेरहस्यमपियत्कुरुकाधिनाथ॥इत्यब्रवीत्तुयदभाविगुरूपयो / गंश्री० // // भाष्यामृतेनसकलस्वपदाश्रितानांसंजीवयत्यधिकयाकृपयाचते| Mari|चार्वाकशंकरतथागजदंतिसिंहश्री०।९।वेदार्थसंग्रहमथोनिरवद्यगद्यगीता र्थशाष्यमथनित्यमुदग्रभाष्यावेदांतदीपमपियोकृततस्यसारंश्री०॥१०॥सम्ब धिनामपितुवीक्षसिमांप्रपन्नमुक्तिंप्रयच्छकमलारमणेतियेन॥संप्रार्थितोहरिरथा / स्त्वितियंचभाष्यंश्री० 11 वेतालभूतशठजित्कलिवैरियोगीवेदादिपादसरसी रुहराजहंस // कांचीपुरीमुनिकृपारसपूर्णपात्रश्री०॥१२॥भट्टार्यरम्यवरयःशठ / कोपयोगीवेदांतदेशिकसरोरुहराजहंस // रामानुजार्ययतिराजदयैकसिंधोश्री // 13 // प्रपत्तिंभाष्यकारस्ययोऽधीतेसांप्रदायकीं // सभवेत्सांप्रदायज्ञोरामानु 来路路於*於******* * ***於*** For Private And Personal
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________________ Shri Yr Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri andir जमने प्रियः॥१४॥ इतिभाष्यकारप्रपत्तिः॥ ॥अथरामानुजसुप्रभातं // पूर्णार्यपूर्णकरुणापरिलब्धबोधवैराग्यभुक्तिमुखदिव्यगुणामृताब्धे॥श्रीयामुना / र्यपदपंकजराजहंसरामानुजार्यभगवंस्तवसुप्रभातम् // 1 // आनेतुमद्यवरदस्य गजाद्रिभर्तुःपानीयमच्छमतिशीतमगाधकूपात् // ध्वान्तंनिरस्तमरुणस्यकरै / समंताद्रामानु० ॥२॥श्रीरंगराजपदपंकजयोरशेषकैंकर्यमाकलयितुंसकुतूहल / स्त्वम् // उत्तिष्ठनित्यविधिमप्यखिलंचकर्तुरामा० // 3 // त्वांवीक्षितुंसमु पयातिवृषाचलेशस्त्वत्संप्रकृप्तवरशंखरथांगपाणिः // संयोजितामुरसिमांभव तैवबिभ्रद्रामा० ॥४॥आराधनंरचयितुंकमलासनस्यश्रीयादवाचलपतेर्विवि। धोपचारैः॥ पातुंचदृष्टिकमलेनमहानशेषानुरामा०॥५॥श्रीमत्कुरंगपरिपूर्णवि भुस्त्वदुक्तिश्रीभाष्यशास्त्रमखिलंत्वयिभक्तियुक्तः // श्रोतुंसमीक्षतियतींद्रधु For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri indir रा.प. तोर्ध्वपुंडस्तंबोधयार्थमखिलंतवसुप्रभातम् // 6 // श्रीभाष्यमालिखितुमात्तवि शाललेख्यःश्रीवत्सचिन्हगुरुरानतदिव्यगात्रः॥ वेदान्तसूत्रमपिवक्तुममुष्यस मुत्तिष्ठलक्ष्मणमुनेतवसुप्रभातम् // 7 // श्रीमानसपूर्णपटुरादरतःप्रगृह्यश्रीपा दुकांयतिपतेःपदयोःप्रयोक्तुम् // हारिस्थितिवितनुतेविनतातिहारिनुरामा०॥ // 8 // काषायवस्त्रकटिसूत्रकमण्डलुंचश्रीदंतकष्टमपिदेशिकसार्वभौम // पाणी निधायनिवसंतिविशुद्धगात्रारामा०॥९॥ त्वांबोधयंतिगुरवःप्रथितामहान्तः श्रीवैष्णवाश्चयमिनस्तवपादाक्ताः॥ एकांतिश्चविमलास्त्वदनन्यभावास्तान पालयाद्ययतिशेखरसुप्रभातम् // 10 // ब्राह्मेप्रबुध्यविबुधःस्वगुरून्प्रणम्यरा मानुजायनमइत्यसकढुवाणः॥अष्टाक्षरंसचरमंडयमुच्चरंतिरामा० // 11 // प्रातःपठंतिपरमद्रविडप्रबंधान्गायत्रिमंत्रशतमष्टशिरस्कमर्थान् // श्रीवैष्णवा For Private And Personal
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________________ Shri v ir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuriyanindir स्तवपदाजनिविष्टभारारामा० // 12 // संसेव्यसप्तशतसंयमिसार्वभौमैःसद्देशि कैस्सकलशास्त्रविदांवरिष्ठैः॥एकांतिभिःपरमभागवतैर्निषेव्यरामा०॥१३॥स्ना तुंकवेरतनयासलिलेषुशिष्यैराचार्यपूरुषवरैर्यतिभिर्विशुद्धैः॥श्रीवैष्णवैश्वसह / / सेव्यमहानुभावैरामा०॥१४॥गद्यत्रयनिगमशेखरदीपसारौश्रुत्यर्थसंग्रहमपि प्रथितुंचनित्यम् // गीतार्थभाष्यमपिदेशिकपुंगवानांदातुंप्रसीदयतिशेखरसुप्र भातम् // 15 // पादांबुजंयतिपतेःशरणंप्रपत्तुसंगत्यसंसरणवारिधित कामः॥ आयंतिहस्तकमलोपधतोपहारांस्तान्पालयार्ययतिशेखरसुप्रभातम् // 16 // रामानुजार्यरमणीयगुणाभिरामरागादिदुर्गमगुरोवरसार्वभौम // सत्वप्रधानश। रणागतवत्सलत्वात्पादाजयोरिहपरत्रचकिंकर स्याम // 17 // संसेवितःसंय मिसप्तसप्तपीठश्चतुःसप्ततिभिःसमेतैः // अन्यैरनन्यैरपिविष्णुभक्तैरास्तेधिर For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir गंयतिसार्वभौमः // 18 // व्यासोवाभगवान्पराशरमुनिःश्रीशौनकोवाथवा साक्षान्नारदसंयमिःशठरिपुर्वागीश्वरोवास्वयम् // लोकेशःपुरुषोत्तमःफणिधरः शेषोजगच्छेषिणइत्याख्योजगतांहितायसमभूद्रामानुजोयंमुनिः // 19 // इति रामानुजसुप्रभातम्॥ ॥इतिभाष्यकारंस्तुत्वाततोभगवतंसंस्मरेत॥ // तद्यथा॥ अथभगवत्स्मरणम्॥ ॥ज्ञानमुद्राधरंरामसच्चिदानंदविग्रह ब्राह्ममुहूर्तेचोत्थायचिंतयेद्रघुनदनं॥॥वैदेहीसहितंसुरदुमतलेहैमेमहामंड पेमध्येपुष्पकमासनेमणिमयेवीरासनेसंस्थितं॥अग्रेवाचयतिप्रभंजनसुतेतत्त्वं मुनींद्रैःपरंव्याख्यातंभरतादिभिः परिवृतंरामभजेश्यामलं // 2 // रामरत्नकिरी टकुंडलयुतंकेयूरहारान्वितंसीतालंकृतवामभागममलंसिंहासनस्थंविभुं॥सुग्री वादिहरीश्वरैःसुरगणैःसंसेव्यमासदाविश्वामित्रपराशरादिमुनिभिःसंस्तूयमा For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Vanmandir नं प्रभुं // // सकलगुणनिधानयोगिभिस्स्तूयमानभुजविजितविमानंराक्षसेंद्रा दिमान।महितवृषभयानंसीतयाशोभमानं स्मृतहृदयविमानंब्रह्मरामाभिधानं / Min४॥इतिभगवत्स्मरण॥तथाप्रातस्स्तवः॥प्रातः स्मरामिरघुनाथमुखारविंदं / * मंदस्मितमधुरभाषिविशालभालं // कर्णावलंबिचलकुंडलशोभिगंडंकर्णान्तदी। नियनंनयनाभिरामं // 3 // प्रातर्नमामिरघुनाथपदारविंदंवज्रांकुशादिशुभरेखि सुखावहमे // योगींद्रमानसमधुव्रतसेव्यमानंशापापहंसपदिगौतमधर्मपत्न्याः / २॥प्रातर्भजामिरघुनाथकरारविंदंरक्षोगणायभयदंवरदनिजेभ्यः॥ यद्राजसं सदिविभज्यमहेशचापंसीताकरग्रहणमंगलमापसद्यः॥३॥ प्रातःश्रयेश्रुतिनु, तारघुनाथमूर्तिनीलांबुदोत्पलसितेतररत्ननीलां ॥आमुक्तमौक्तिकविशेषविभूष। णान्यांध्येयांसमस्तमुनिभिर्निजमुक्तिहेतुं॥४॥ प्रातर्वदामिवचसारघुनाथनाम। For Private And Personal
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________________ Shri Mabbi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Canandir वाग्दोषहारिसकलंशमलंनिहंतृ // यत्पार्वतीस्वपतिनासहमुक्तकामाभत्त्यास हस्रहरिनामसमंजजाप॥९॥ यः श्लोकपंचकमिदंमनुजःपठेतनित्यंप्रभातसम येनियतः प्रबुद्धः। श्रीरामकिंकरजनेषुसएवमुख्योभूत्वाप्रयातिहरिलोकमनन्य लभ्यं // 6 // ॥तथाच॥ ॥दूर्वादलद्युतितनुंतरुणाजनेत्रंहेमांबरवरविभूष णभूषितांग // कंदर्पकोटिकमनीयकिशोरमूर्तिपूर्तमनोरथभवंशजजानकीशम् / ॥१॥कर्पूरगौरवपुषंशरदिदुवक्रनीलांबरंसरसिजाक्षमनंतमाद्यं // वामोर्मिलं ललितभूषणभूषितांगरामानुजंभजमनोमयदंनिजानां // 2 // विश्वंभरंभरतमं / बुजपत्रनेत्रंनीलांबुदाभवपुषंकनकाभवस्त्र। भक्ताभयप्रदमनेकविभूषणाव्यंजा व्यंहरंसुजनतांअजमांडवीशं // 3 // कैशोरमूर्तिमनुरूपमनूपमंतं पुष्पेषुसुंदर 14 तनुश्रुतिकीर्तिकांतं ॥गौरसुवर्णमणिभूषणमंबुजाक्षेपीतांबरंभजमनोऽखिलसि / / For Private And Personal
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________________ Shity Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri bandir 去年年*杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂路 दिहेतुं // 4 // उद्यदिनेशकररंजितकंजवकंपिंगारुणाजनयनंनयनाभिरामं // सौवर्णवर्णवसनंरशनादिभूभक्तेषुकामदतरुंअजवायुसूनुं // 5 // इतिप्रातः स्तवः॥तथाच॥ अथरघुनाथचरणचिन्हस्तोत्रम् ॥वंदेंबुजांकुशजयध्वज चक्ररेखास्वस्त्यष्टकोणपविचिन्हितदक्षिणांधिं // बिंदुत्रिकोणधनुरंकुशमत्स्यशं खचंद्रार्द्धगोष्पदघटांकितवामपादम् // 1 // संचिंतयेजनमनश्चलषट्पदस्यवा सायसुस्थिरतयांबुजमादधानम् // मोहोपतापहृतयेचकृपारसावंदेसदारघुवर / स्यपदारविंदम्॥२॥संसेव्यमानजनमानसवारणस्यनानार्थोगकलनाकरिणी। कृतस्य ॥दुष्टस्यदोषहतयेंकुशमादधानं वेदे // 3 // विद्यांजनायतनतेविमलां प्रदतुंमोक्षंधनंचमुनिदेवदुरापमाशु // बिभ्राणमुत्तमसुखंयवरूपमकें वंदे // 4 // श्रेयोयशोधनकरीत्यनुमोदकर्तुरेखध्वजोभयहरःस्वबलंवितेने // मत्वादधान 事奉孝路路举杀杂路路路路路於路路路路路路路路等於 For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri istehendir बृ.वे. मसमानतमुन्निदानं वंदे // 5 // सर्वोन्मुखस्यपुरुषस्यसतांप्रसंगात्कामादि रा.प. राक्षसशिरः करिबूतनाय॥चक्रंदधानमनिशंकमलेक्षणस्यवंदे // 6 // योमा मुदंशजतिसंसृतिदोषदृष्टिरेकः सएवपुरुषः पुरुषेषु धन्यः // सर्वोपरीतिगणने दधदूर्ध्वरेखांवंदे०॥७॥मांलुब्धमुग्धमकृतःपुरुषस्यस्वस्तिस्वस्तीतितेप्रचुरमं / गलमूलभूतं // श्रीस्वस्तिकंदधदनंतगुणार्णवस्यवंदे // 8 // ध्यातुःक्षणंकृत वतोविषयोग्रसर्पदंष्ट्रेद्रियस्यमनुजस्यचिकित्सितायां // यंत्रंचशापहरणंदधद | vष्टकोणं वंदे० // 9 // स्तोतुंमनःकृतवतःपुरुषस्यतत्तत्पापादिभेदनकृतेकुलिशं / दधानं // योगींद्रवृंदहृदयाश्रयकोमलांधिं वंदे० // 10 // चित्तंनिजेकिल निपुंजतरावपुंसः सद्योगसिद्धिरितियोगिजनैकाव्यं // बिभ्रत्समस्तपुरुषार्थ | 15 वरंसुबिंदुवंदे०॥ 11 // मत्सन्मुखस्यपुरुषस्यचभाग्ययोगान्नान्यत्रयात्विति | For Private And Personal
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________________ Shri Wert Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri indir 杂杂***********於 मनोखिलमोहयंत्रं // सौभाग्यसारसरणंचदधत्रिकोणंवंदे० // 12 // रामेति / वाचममलांसकृदप्यकस्मात्प्राणात्ययेपिवदतोंतिकमागतांस्तान् // हंतुंयमस्य वशगान्धनुषंदधानंवंदे०॥१॥ नारायणेतिगिरमुद्रितःकदाचिन्मयान्पिधा / यबलवत्तरकालचक्रात् // गोप्तुंदधद्भयजडार्तिहरंसुवासंवंदे०॥३४॥सर्वविहाय / विषयंपुरुषाश्रयमांयस्तेनदुर्जयतरोपिजितोभवाब्धिः॥ इत्थंजनायजयदंजल। जंदधानंवंदे० // 15 // भग्नोनखांचलरुचाविधुरईमस्यभातीरिगंनिजजनश्रुति निःसृतंसत् // इंदुंदधानमपरंशरणागतंतहंदे // 16 // गोपालनेनचलतःपुरुषो त्तमस्यलग्नंसुभृत्यजनवत्सलताप्तिमन्तुः // संसारसिंधुमतिगोष्पदमादधानंव / न्दे॥१७॥ संध्यायतोनिजपदंगमनेनुकूलंमत्स्यंसुमंगलतरंसकलेष्टदोहम् // आनन्दपूर्णममलंचघटंदधानंवन्दे // 18 // // इतिश्रीअगस्त्यमुनिकृतंरघु *****界 * For Private And Personal
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________________ Shri M r Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri handir नाथचरणचिन्हस्तोत्रम् // एवमेव अन्यैश्चप्रातःस्तवादिभिःश्रीरघुना / रा.प. थंसंस्मरेत् // अथश्रीमद्रामचंद्रस्यपरमात्मत्वंनिरूप्यते॥तथाचहिरण्य गर्भसंहितायां॥ ॥सशेषोशंखचक्राभ्यांदेवैर्ब्रह्मादिभिस्सह॥त्रेतायांचदाश रथिर्भूत्वानारायणोभुवि // 1 ॥शेषोभूलक्ष्मणोलक्ष्मीर्जानकीशंखचक्रके॥ जातौभरतशत्रुघ्नौदेवास्सर्वेऽपिवानराः॥२॥ रामानुजनाप्य॥ // रकारा रामस्सगुणपरमैश्वर्यजलधिर्मकारार्थोंजीवस्सकलविधिकैंकर्यनिपुणः / तयो / मध्याकारोयुगलमथसंबंधमनयोरनन्याहब्रूतेत्रिनिगमसरूपोऽयमतुलः॥३॥ जीवानश्रीरमयत्यसौत्रिजगतांस्वानन्दकारीवपुस्तस्मैसद्विभवेकरोमिशरणंत स्यामहंदेहभृत् // तत्कैंकर्यप्रयोजनममसदामंत्रेचतुर्थ्यानम इत्येवप्रतिपाद्यते 16 ऽत्रमनुनाह्यर्थस्तुवेदात्मकः // 4 // // तथाच॥ // मत्स्यःकर्मोंवराहोनरह For Private And Personal
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________________ Shri Maa Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Vallindir रिरतुलोवामनोजामदग्निःसभ्राताकंसशत्रुःकरुणमयवपुम्लेंच्छविध्वंसनश्च // एतेचान्यपिसर्वेतरणिकुलभुवोयस्यजाता कलांशैस्तंव्याप्तंब्रह्मतेजोविमलगुण मयंरामचन्द्रनमामि // 5 // यजुर्वेदेसुदर्शनसंहितायां // // मत्स्यश्चराम हृदयंयोगरूपीजनार्दनः॥ कूर्मश्चाधारशक्तिश्चवराहो जयोर्बलम्॥६॥ नारसिं। होमहाकोपोवामनःकटिमेखला // भार्गवोजंघयोर्जातोबलरामश्चपृष्ठतः॥७॥ बौद्धश्चकरुणासाक्षात्कल्किश्चित्तस्यहर्षतः॥ कृष्णःशृंगाररूपश्चवृन्दावनविभ षणः॥ 8 // एतेचांशकलाःसर्वेरामस्तुभगवान्स्वयम् // 9 // ॥सामवेदेवर द्वाजसंहितायां // ॥अवताराबहवःसंतिकलाश्चांशविभूतयः // रामएवपरं ब्रह्मसच्चिदानंदमव्ययम् // ॥वाल्मीकीये ॥१०॥वेदवेद्येपरेपुंसिजातेदशर थात्मजे ॥वेदःप्राचेतसादासीत्साक्षाद्रामायणात्मना।।३॥ ॥हारीतस्मृतौ॥ For Private And Personal
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________________ Shri Mawavi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Perandir बृ.वे.॥ तस्मिन्नवम्यांशुक्केतुनक्षत्रेदितिदैवते // तत्रजातोजगन्नाथोराघवःपुरुषोत्तमः रा.प. // 12 // // ज्योतिर्निबंधे॥ ॥चैत्रेमेषेसितेपक्षेनवम्यांतुपुनर्वसौ॥ मध्या कर्कटेलग्नेजातोरामस्स्वयंहरिः॥१३॥ ॥ब्रह्मरहस्येब्रह्मनारदसंवादे॥ तत्रजागरिता केचित्केचिद्यानविमोहिताः॥ जपेकेचिच्चक्किश्यतिनैवजानंति तारकम् // 14 // ब्रह्मांडानामसंख्यानांब्रह्मविष्णुहरात्मनाम् // उद्भवेप्रलयेहे , तूरामएवइतिश्रुतिः // 19 // सृष्टिस्थित्यंतकरणेब्रह्मविष्णुमहेश्वराः॥ यस्या युतायुतांशांशायत्तद्ब्रह्मविधीयते // 16 // सहस्रकोटियेसंतिब्रह्मांडास्तिर्यगूर्व गाः॥ ब्रह्माणोहरयोरुद्रास्तत्रतत्रव्यवस्थिताः॥१७॥ मनुस्मृतौ॥ ॥सप्तको टिमहामंत्राश्चित्तविभ्रांतकारकाः॥ एकएवपरोमंत्रोरामइत्यक्षरद्वयम् // 18 // // पाने॥ // ब्रह्मविष्णुमहेशाद्यायस्यांशालोकसाधकाः // तमादिदेवंश्रीरा For Private And Personal
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________________ Shreafir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Pertandir मंविशुद्धपरमभजे // 19 // // अनंतसंहितायां // ॥रामनामप्रभावेणस्व यंभूःसृजतेजगत् // बिभर्तिसकलंविष्णुःशिवःसंहरतेपुनः॥२०॥ // उक्तंच पुलस्त्यसंहितायां // // सर्ववेदाश्रयत्वाच्चसर्वलोकस्यकारणात् // ईश्वर प्रतिपाद्यत्वादखंडब्रह्मवाचकः॥२१॥ बीजेयथास्थितोवृक्षःशाखापल्लवसंयुतः / तथैवसर्वैवेदाहिरकारेषुव्यवस्थिताः॥२२॥रकाराज्जायतेब्रह्मारकाराज्जायतेह / रिः॥रकाराज्जायतेशंभूरकारात्सर्वशक्तयः // 23 // आदावतेतथामध्येरकारेषु / व्यवस्थितम् // विश्वंचराचरंसर्वमवकाशेननित्यशः॥२४॥ यथाकरंडेरत्नानि / गुप्तान्यज्ञैर्नदृश्यते // तहन्मंत्राश्ववेदाश्चरकारेषुव्यवस्थिताः॥२५॥रकाराजा / यतेस्वर्गआकारान्मर्त्यसंभवः॥ रसातलंमकारेणबीजात्रैलोक्यसंभवः // 26 // रामित्येकाक्षरंब्रह्मकारणंप्रणवस्यच // तस्माद्ब्रह्माहरिःशंभुयोगिनःसमुपासते For Private And Personal
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________________ Shristi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyuwandir बृ.वे.॥२७॥ रामनाम्नःपरंकिंचित्तत्त्ववेदेस्मृतिष्वपि // संहितासुपुराणेषुनैवतंत्रेषु रा.प. विद्यते // 28 // // अथर्वणेरामतापनीये // // अकाराक्षरसंभूतःसौमि 28 त्रिर्विश्वभावनः॥ उकाराक्षरसंभूतःशत्रुघ्नस्तैजसात्मकः // 29 // प्रज्ञात्मकस्तु भरतोमकाराक्षरसंभवः॥अईमात्रात्मकोरामोब्रह्मानंदैकविग्रहः॥३०॥श्रीरा मसान्निध्यवशाजगदानंददायिनी॥ सृष्टिस्थितिलयानांचकारिणीसर्वदेहिनाम् 31 // सीताभगवतीज्ञेयामूलप्रकृतिसंज्ञिता // प्रणवात्प्रकृतिरितिवदंतिब्रह्म वादिनः॥३२॥ // इत्यादिश्रुतिस्मृतिभिःश्रीरामचंद्रस्यप्रमाणपरमा|| त्मत्वंप्रसिद्धं // अथप्रातःस्नानार्थोद्यमः॥ // समुद्रमेखलेदेविपर्वतस्तन मंडले॥ विष्णुपत्निनमस्तुभ्यंपादस्पर्शक्षमस्वमे // 1 // इतिपृथिवींसंप्रार्थ्य। श्रीमान्साधकेंद्रोदक्षिणांगेनसमुत्थायश्वासानुसोरणतस्यांपादौनिधायशौचाय For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri B randir व्रजेत् // // तथाच॥ ततोरुणोदयस्यांतेस्नानार्थनिःसरेहाहः॥ कीर्तयनरा मनामानितीर्थगच्छेदनातुरः॥२॥गत्वातीर्थोदकंतत्रनिक्षिप्यस्नानसाधनं // अ थशौचादिकंकर्तुमाहरेन्मृत्तिकांबुधः॥३॥ // अथमृत्तिकाहरणविधिः॥ तद्यथापुलस्त्यसंहितायां // // मृद्गौराब्राह्मणानांचवैष्णवानांविशेषतः॥ नृपाणांलोहिताज्ञेयावैश्यानांतुहरिच्छुभा // स्त्रीशूद्राणामंत्यजानांकृष्णवर्णा| प्रतिष्ठिता // 4 // ॥सरोजगलिकायां // विनाकाष्ठेनलोहेनउद्धृतागाचमृत्ति / का // श्वानविष्टासमाज्ञेयाशौचकालेविवर्जयेत् // 5 // पूर्वसंप्रार्थ्यपृथिवींनित्यं / वैमंत्रपूर्वकं // शुद्धमृत्तिकामानीयत्रिभागंकुर्याद्बुधः॥६॥आद्यंलिंगेगुदेदेशेहि तीयंकरपादयोः // तृतीयंभागमादायस्नानकालेप्रलेपयेत् // 7 // // इतिमृत्ति काहरणविधिः॥ // त्वंधरेसर्वभूतानांक्षमायुक्तासिनित्यशः॥ नित्यकर्मक For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रा.प. रिष्यामिमृत्तिकांदेहिमेमहि ॥८॥येनत्वांखनतिब्रह्मायेनत्वांरुद्रकेशवौ // तेन त्वां खनयिष्यामिशुद्धयर्थकरपादयोः॥९॥ // इतिमृत्तिकाहरणमंत्रः॥ सलिलस्यमुखंदृष्ट्वाविष्णुरूपनमोस्तुते // क्रियार्थमहंगृह्णामिआपोदेव्यःपुनंतु माम॥१०॥ ॥इतिजलग्रहणमंत्रः॥ ॥ततोबहिर्गच्छेनैर्ऋत्यांदिशिगत्वास यदक्षिणेदत्वावलेणशिरःप्रावृत्ययज्ञोपवीतंदक्षिणकर्णेनिधाय // // अथशौ चमंत्रः॥ ॥उत्तिष्ठंतुसरास्सर्वेयक्षगंधर्वकिन्नराः / पिशाचागुह्यकाश्चैवमल , मूत्रंकरोम्यहम् // 11 // // इतिमंत्रणतालत्रयंकृत्वाशौचसमयेउच्चारणं कुर्यात् // // अथमृत्तिकानियमः॥विष्णुपुराणे॥ ॥एकालिंगेगुदेपंचतथा वामकरेदश // उअयोःसप्तदातव्यामृदःशौचोपपादिताः॥१२॥ तिस्रस्तुपाद योर्देयाःशुद्धिकामेननित्यशः // करपृष्ठेचषदेयास्तिस्रश्चनखशोधने // 13 // For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra radhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir दिवाविहितशौचाच्चरात्रावईसमाचरेत् // रुज्यईचतदईचपथिचौरादिबाधिते / / // 14 // तदईयोषितांचापिस्वास्थ्येनूनंनकारयेत्॥अर्धधात्रीफलोन्मानामृदः / शौचेप्रकीर्तिताः॥१५॥वितस्तिमात्रसंत्यज्यकुर्याच्छौचजलाशयो।यस्मिन्स्थाने / कृतंशौचंवारिणातत्तुशोधयेत् // 16 // एतद्गृहस्थप्रमाणंब्रह्मचारिणोद्विगुणम् // वानप्रस्थस्यत्रिगुणसंन्यासिनांचतुर्गुणं // 17 // ॥इतिमृत्तिकानियमः // अथशुद्धिविधिः॥ // अश्वक्रांतेरथकान्तेविष्णुकांतेवसुंधरे॥ मृत्तिकेहरमे पापंयन्मयापूर्वसंचितम् // 38 // // इतिमृत्तिकाशुद्धिमंत्रः॥ अथपात्रनिर्ण यमहाशंभुसंहितायांअगस्त्यवाक्यम्॥ // यज्ञोपवीतंधीतंचकौपीनाच्छा। दनंपरं॥गृहंतुधातुपात्रंवातुम्बिकांरामसेवकाः॥१९॥ ॥तथाच // ॥यतिपा त्राण्यारकूटालाबुदारुमयानिच॥ // तथाच // ॥अलाबुदारुपात्रंचमृन्मयं For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir बृ.वे. वणवंतथा।एतानियतिपात्राणिप्रसिद्धानिभवंतिहि॥२०॥॥अथशुद्धिविधिः॥ रा.प. Minआरकूटस्यरजसादालाब्बोर्जलेनवै॥क्षालनेनैवशुद्धिःस्यात्केषांमृदेणुपात्र कम्॥२१॥ तथाच॥ ॥अस्मनाशुद्ध्यतेकांस्यंताम्रमम्लेनशुद्धयति ॥रजसा शुद्धयतेनानिदीवेगेनशुद्धयत॥२२॥ ॥इतिशुद्धिविधिः॥ ॥ॐजलंदहतिपा पानिकमंडलायतनोभवेत् ॥गंगातोयंसमोनित्यंजलपात्रंचशुद्ध्यति // 23 // इतितुंबिकापात्रशुद्धिमंत्र॥ ॥जलेचाग्निस्स्थलेचाग्निरग्निश्चवायुमंडले॥ त्रिभिरग्निप्रकाशैश्चकाष्ठपात्रंचशुद्धयते॥२४॥॥इतिकाष्ठपात्रशुद्विमंत्रः॥ अथदंतधावनविधिः। ॥खदिरश्चकरंजश्चकदंबश्चवटस्तथा ॥चिंचिणीवेणु पृष्ठंचआनंनिम्बस्तथैवचा२५॥अपामार्गश्चबिल्वश्चअर्कचोदुंबरस्तथा।एताः प्रशस्ता कथितादंतधावनकमणि 26 सर्वेकंटकिनःपुण्याआयुक्षिीरिणस्तथा * * * * * * * * For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Grasmandir 萨等举***********杂路路路路路路 कटुतिक्तकषायाश्चबलारोग्यसुखप्रदाः // 27 // द्वादशांगुलमानेनदंतकाष्ठंविधी यते ॥क्षत्रविट्शूद्रवर्णानांनवषट्चतुरंगुलम् // 28 // कनिष्ठाग्रपरिणाहंसत्व | निव्रणंऋजु॥चूतपत्रं सदाग्राह्यप्रतिषिद्धेदिनेदिने॥२९॥ ॥इतिदंतका विधिः॥ // नमस्तेऽमृतवर्चसेबलवीर्यविवर्धिनि // बलमायुश्चमेदेहिपापा न्मांत्राहिदूरतः॥३०॥ ॥इतिवनस्पतिप्रार्थ्य ॥तथाच कात्यायनः // // आयुर्बलंयशोवर्चःप्रजापशुवसूनिच // ब्रह्मप्रज्ञांचमेधांचत्वन्नोदेहिवनस्पते / // 31 // ॥इतिदंतकाष्टछेदनमंत्रः॥ // दंतरूपमधोगंचदंतधावनमुत्फलं // कुर्वन्तिचत्रयोदेवाममदोषोनदीयतां // 32 // // इतिदंतधावनमंत्रः॥ // कासीकुशीपलाशीचकपासीकंटकीतथा // दन्तधावनकर्त्तव्यंसद्योगोमांसभक्ष णम् // 33 // दक्षिणेपश्चिमेयोवैदंतधावनमाचरेत् // तस्यस्नानफलंनास्तितद For Private And Personal -
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________________ Shri M ar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri lundir * रा.प. * न्यस्यांसमाचरेत् // 34 // ॥अथस्नानविधिः॥ ॥ततोदेहकृत्यंदंतधाव नादिकंकृत्वा नामोच्चारणंकुर्यातूनद्यादौतीर्थेगत्वातत्रहस्तौपादौमुखंचप्रक्षा ल्या|आचम्यषडंगन्यास। ॥ॐवाक् वाक्प्राण प्राण चक्षुःॐ चक्षुःइ तिचकृत्वाप्राणायाममलापकर्षणंस्नानंचकृत्वानाभिमात्रेजलेस्थित्वाविष्णुः / ॐ विष्णुः ॐ विष्णुः इत्याचमनमंत्रः // // तथाचकात्यायनसंहितायां // Miliगोकर्णाकृतिहस्तेनमाषमात्रंजलंपिबेत् // तन्न्यूनमधिकंचैवसुरापानसमंभवे / त॥ // इत्याचमनप्रमाणं॥ // ॐआद्यपुराणपुरुषोत्तमायब्रह्मणेनमः॥ ॐअद्यश्रीब्रह्मणोद्वितीयेपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पेवैवस्वतमन्वंतरे अष्टाविंश तिकलियुगेजम्बुद्दीपेभरतखंडे आर्यावर्ते अमुकसंवत्सरे अमुकमासेअमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरे अमुकनक्षत्रे अमुकक्षेत्रे अमुकतीर्थअमुकदासः ******* - 举路杂参沿路举於路於************* ** For Private And Personal -
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________________ Shrim ir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Hatahfandir श्रीरामप्रीत्यर्थेप्रातःस्नानमहंकरिष्ये // ॥इतिसंकल्पः॥ ॥जलेप्रणवात्म Milकंत्रिकोणंकृत्वाऽष्टदलंमंडलंविलिख्यसूर्यमंडलादंकुशमुद्रयासर्वतीर्थान्यावाह्य ॐ ब्रह्मांडोदरतीर्थानिकरैः स्पृष्टानितेरवे // तेनसत्येनमेदेवतीर्थदेहिदिवाकर // // गंगेचयमुनेचैवगोदावरिसरस्वति // नर्मदेसिंधुकावेरिजलेस्मिन्संनि / धिंकुरु // 2 // ततः सुरभियोनिकुंभकलिंगंमुद्रांप्रदर्शयेत् इतिमंत्रहयेनतीर्था / न्यावाह्यकुंअकमुद्रयाशिरसित्रिरभिषिच्यमूलमंत्रोच्चारणं ततोनिरुध्यसप्तछि द्राणित्रिर्निमज्योन्मज्यचजलेनत्रिराचम्यजलेनतिलकंविधाय गायत्र्याशिखा बंधनंकृत्वामूलेनश्रीरामसंतर्पयामिस्वाहा ॥अथवा॥ ब्रह्मनामसहस्रेणशिव नामशतेनचाविष्णोर्नामसहस्रेस्तुशिखाबंधंकरोम्यहं॥॥इतिशिखाबंधनं॥ ब्रह्मपुत्रीशिखायांचब्रह्मदंडतपस्विनी // सर्वदेवनमस्कारैःशिखामुक्तिंकरोम्यहं 张於於染等於於染染% - %%% For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रा.प. Miln4 // इतिशिखामुक्तिमंत्रः॥इतिस्नानावधिः॥ ततस्तत्रैवस्वस्थानवाग च्छेत् ततोवासांसिजलेनशुद्धीकुर्यात् // अपवित्रःपवित्रोवासर्वावस्थांगतो पिवा // यःस्मरेत्पुंडरीकाक्षंसबाह्याभ्यंतरःशुचिः॥५॥ ॥इतिमंत्रः॥॥ ततःआसनविधिः // // गोमयेनशुद्धमृदाभूमिमादौप्रलेपयेत् // कृष्णा जिनंकुशासनमासनंपरिकल्पयेत् // 6 // ॐ भूर्भुवःस्वः कूर्मायनमःइतिमंत्र मुच्चार्यसुरभिमुद्रांप्रदर्शयेत्॥ॐ पृथ्वित्वयाधृतालोकादेवित्वं विष्णुनाधृता॥ त्वं / / चधारयमांदेविपवित्रंकुरुचासनम् // // इतिमंत्रेणतत्रासनेउपविश्यपंचसंस्का रान्भावयेत् ॥अथपंचसंस्कारा॥ ॥ॐ संप्रदायानुसारेणयथाक्रमंप्रदर्श्यते॥ प्रथमंचयजुर्वेदेहिरण्यकेशिशाखायां // ऊर्ध्वपुंइंहरिपादाकृतिआत्मनोनिर्धार यति // मध्यछिद्रमूर्ध्वपुड्योधारयतिसपरस्यप्रियोभवतिसपुण्यवान्समुक्तिमा For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gragmandir ataya Shri Kaisage भवति // // इतिश्रुतिप्रथमसंस्कारः॥१॥ धृतोर्ध्वपुडूंचक्रधारीविष्णु परंध्यायति // योमहात्मास्वरेणमंत्रेणसदाहदिस्थितंपरात्परंसयातिमहतोमही यान् // इतिश्रुतिद्वितीयसंस्कारः॥ // 2 // पशुपुत्रादिकान्सर्वानगृहोप / करणानिच // अंकयेच्छंखचक्राभ्यांनामकुर्याच्चवैष्णवं // इतिश्रुतिस्मृतित तीयसंस्कारः॥३॥ ॥ॐ रांरामायनमःइतिमंत्रम् // ॥अथर्ववेदेराम तापनीयोपनिषदिचतुर्थसंस्कारः॥४॥ शंखचक्रधरोविद्वान्मालांतुलसि / / जांधृतः॥ सजीवन्मुक्तः॥ इतिश्रुतिपंचमसंस्कारः॥५॥ // तथाचागमे // पुंड्मुद्रातथानाममंत्रोयागश्चपंचम।अमीहिपंचसंस्काराः परमैकांतहेतवः॥६॥ इतिपंचसंस्कारसंस्कृतोयः सवैष्णवःनान्यथेतिभावः // सरामस्यदासोभवति / दासोहमस्मियोयंस्मरेत्सतद्रूपोभवति // कीटश्रृंगन्यायेनस्वस्वरूपस्मरणात्।। For Private And Personal -
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तरतिशोकमात्मविद्ब्रह्मविद्ब्रह्मैवभवति // अथतुलसीभगवतोळंदाभावेयाग रा.प. स्थानेतुलसीधारणंनविरोधः॥ // इतियजुर्वेदपंचसंस्कारः ॥अथतुलसी धारणविधिः॥ तथाचशांडिल्यस्मृतौ // ॥शालग्रामशिलातुल्यातुलसी काष्ठमालिका // नभेदोस्तितयोः किंचित्तस्मात्स्नात्वाचधारयेत् // 1 // तथाच पाये॥ // तुलसीमालिकाधृत्वायोभुक्तेगिरिनंदनी // सिक्थेसिक्थेसलभते / / वाजपेयफलंशुभम् // 2 // यत्कंठेतुलसीनास्तितेनरामूढमानसाः // अन्नवि। ठाजलंमूत्रंपीयूषंरुधिरंभवेत्॥३॥ // तथाचस्कान्दे // यज्ञोपवीतवडा किंठेतुलसिमालिका॥ नशौचंधारणेतस्यायतस्साब्रह्मरूपिणी॥४॥ठेशिर सिबाव्होश्चकर्णयोःकरयोस्तथा।बियात्तुलसीयस्तुसज्ञेयोविष्णुनासमः॥५॥२३ // अथयथाक्रमपंचसंस्कारमाहात्म्यं // तथा च पाने॥॥यच्छरीरंम / For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanpandir नुष्याणामूईपंडविनाभवेत् // तस्यदर्शनमात्रेणश्मशानसदृशोभवेत् // 1 // योगोदानंतथाहोमःस्वाध्यायःपितृतर्पणं // भस्मीभवतितत्सर्वमूर्ध्वपुंडविना कृतं // 2 // ऊर्ध्वपुंड्रधरोमोमृत्युमाप्नोतिकुत्रचिता।सगच्छतिपरंस्थानदेवायै / रपिदुर्लभं // 3 // तस्माच्छिद्रान्वितंपुड़हरिद्रांधारयेच्छ्रियं // सात्विकोवैष्ण वोनित्यंहरिसायुज्यसिद्धये॥ 4 // ऊर्ध्वपुंड्रमृजेंसौम्यंललाटेपरिशोभितं // चांडालोपिविशुद्धात्मापूजामाप्नोतिधारणात् // 5 // सर्पदृष्ट्वायथालोकेदर्दुरा। भयकंपिताः // ऊर्ध्वपुंड्रांकितंतहत्कंपतेयमकिंकराः॥ 6 // ऊर्ध्वपुंड्रेणसंयुक्तो / नियतेयस्तुमानवः॥ चांडालोपिविशुद्धात्माविष्णुलोकेमहीयते // 7 // इत्यूछ / पुंड्रमाहात्म्य॥ ॥अथशंखचक्रादिमाहात्म्यंआदित्यपुराणे॥ शंखचक्रोवं पुंड्रादिरहितंब्राह्मणाधमं // गर्दभेतुसमारोप्यराजाराष्ट्रात्प्रवासयेत् ॥१॥शं For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsurf andir खचक्रादिभिश्चिन्हैविप्रःप्रियतमैहरेः // रहितःसर्वधर्मेभ्योमृतोपिनरकंबजेत रा.प. ॥२॥चक्रचिन्हविहीनस्तुयःपूजयतिकेशवं // तत्सर्वनिष्फलंयातिपूजामंत्रजपा दिकं ॥३॥सुदर्शनेनयस्यांगंलांछितंवैभवेत्सदा // तस्यदेहेवसेन्नित्यंश्रि यायुक्तःस्वयंहरिः॥४॥ यत्फलंपृथिवीदानेकुरुक्षेत्रेरविग्रहे // विष्णुचक्रांकि तेदैहेदर्शनात्फलमाप्नुयात्॥५॥ चक्रांकितशरीरस्यगृहेमुक्तिःकरेस्थिता // आरण्यगमनंशुद्धंकिंपुनःपुण्यभूमिका // 6 // ततःप्रकृतिदेवाद्याःसनकादिम नीश्वराः॥देहंकुर्वतिसततंशंखचक्रादिलांछितं // 7 // तथाचमहारामायणे // सर्वैर्गुणैरपिचसंयमनेमयुक्तानिष्कल्मषास्सकलसिद्धिकराश्चनित्यं ॥येनांकिता धनुःशरैर्नचमंत्रराजस्योपासकानस्वजनारघुनंदनस्य // ८॥नित्यंप्रियेप्रियत। रोरघुनंदनस्यबाणोधनुर्विमलमंत्रषडक्षरश्च // बालेतदैवसकलेषुचचिन्हमध्ये / For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuriyentandir श्रेष्ठंमहडनुःशरंसमुपासकेषु ॥९॥ध्यानेजपेविविधपाठतराश्चनित्यपूजारता, षडधिकादशभिःप्रकारैः॥ एतद्धनुःशरविनांकितएवकुर्याद्रामःप्रसीदतिकदापि नचैवतेषां // 10 // श्रीरामसंस्कारविवर्जितायेनिष्पुच्छशृंगाःपशवोनरास्ते॥ शक्तानवेदाअभिवर्णितुंवैत्वत्तोमयाख्यातमविस्तरेण // 11 // इतिशंखचक्रादि / माहात्म्य॥ ॥अथनामकरणमाहात्म्यम् ॥पाने॥॥नवेदयज्ञाध्ययनैनव्रत चोपवासकैः // प्राप्यतेवैष्णवलोकंविनादास्येनकुत्रवित्॥ 1 // तस्मादास्यंह। रेत्याभजेतानन्यमानसः // प्राप्नोतिपरमासिद्धिकर्मबंधविमोचनीं // 2 // हारीते॥ // यस्यवैवैष्णवनामनास्तिचेत्तुद्विजन्मनः ॥अनामकःसविझे, यासर्वकर्मसुगर्हितः॥३॥ दास्यमेवपरंधर्मोदास्यमेवपरहितं // दास्येनैवभवे / / न्मुक्तिरन्यथानिरयंव्रजेत् // 4 // विष्णोर्दास्यपराभक्तिर्येषांतुनभवेत्क्वचित् // For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsura tandir रा.प. 那杂志杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 तेषामेवहिसंसृष्टनिरयंब्रह्मणानृप // 5 // नारायणस्यदासायेनअवंतिनराध माः॥ जीवंतएवचांडालाभविष्यंतिनसंशयः॥६॥ ॥तथाच पाने॥ ॥ब्र ह्माचेंद्रश्चरुद्रश्चयमोवरुणएवच // नारायणस्यदासास्तेयेचान्येंडस्यमध्यगाः Fl // 7 // यःपरःपुरुषोविष्णुारायणउदाहृतः॥ दासभूतमिदंतस्यब्रह्माद्यैःसक लंजगत् // 8 // सृष्टंपुनस्तथासर्गस्तस्मानारायणोच्यते // तस्यदास्यंचतुर्थ्य। तमंत्रेप्रोक्तंतुपार्वति // 9 // // इतिनामकरणमाहात्म्यं // हारीते // थमंत्रमाहात्म्यम्॥ ॥श्रीरामायनमोह्येतत्तारकंब्रह्मनामकम् // नाम्नांविष्णोः / सहस्राणांतुल्यएवमहामनुः॥१॥ // अनंतसंहितायां // // रामनामप्र भावेणस्वयंभूःसृज्यतेजगत् // विभर्तिसकलंविष्णुःशिवःसंहरतेपुनः॥२॥ 25 महारामायणे॥ // परमेश्वरनामानिसंत्यनेकानिपार्वति // परंतुरामनामै For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri v indir वसर्वेषामुत्तमोत्तमम् // // ॥नृसिंहपुराणे॥ // कर्माधीनंजगत्सर्वविष्णुना / निर्मितपुरा // तत्कर्मकेशवाधीनंरामनाम्नाविनश्यति॥४॥प्रणवंकेचिदाहुवैति / श्रेष्ठतथापरे॥तत्तुतेनामवर्णाभ्यांसिद्धिमाप्नोतिमेमतम्॥५॥रामनाम्नः परंकिं चित्तत्वंवेदेस्मृतिष्वपि // संहितासुपुराणेषुनैवतंत्रेषुविद्यते॥६॥ ॥सनत्कुमा रसंहितायां॥ ॥श्रीरामेतिपरंजाप्यंतारकंब्रह्मसंज्ञकम् ॥ब्रह्महत्यादिपापन्न मितिवेदविदोविदुः॥७॥ ॥वाराहपुराणे॥ ॥इदंशरीरंशतसंधिजर्जरंपतत्यव श्यपरिणामदुर्वहम् // किमौषधंपृच्छसिमूढदुर्मतेनिरामयंरामरसायनंपिब / Manश्रीरामनामाखिलमंत्रबीजंसंजीवनंयस्यहृदिप्रविष्टाहलाहलंवाप्रलयानलं वामृत्युर्मुखंवाविषदः कुतोस्ति // 9 // ॥इतिमंत्रमाहात्म्यं॥ ॥अथपंचसंस्का रमाहात्म्यं ॥पानेभगवद्वाक्य॥ ॥कृष्णायुधांकितंविप्रंतुलसीमाल्यभूषितम् / स्र For Private And Personal
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________________ Shri Marpain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri e ndir e Kendra ग.प. Imदृष्ट्वानिंदापरोयस्तुसबोद्धोवैष्णवोनहि // १॥धारयंतिनयेमालांहैतुकाःपाप बुद्धयः॥नरकाननिवर्ततेदग्धाःकोपाग्निनाहरेः॥२॥त्रयोवेदास्त्रयोदेवास्तिस्रः संध्यास्त्रयोग्नयः॥ तुलसीधारिणंविप्रंसदाकुतिमंगलम् // 3 // तुलसींकाष्ठसं भूतामालाधार्यासदामया॥मयातुपूज्यातुलसीमयाधार्यासदैवहि॥४॥तुलसी / कर्णयोःकंठेअईबाव्होः करहय।अशुचिर्वादुराचारीमामेवैतिनसंशयः॥९॥निवे द्यकेशवेमालांतुलसीकाष्ठसंभव।वहतेयोनरोभत्त्यातस्यवैनास्तिपातकम् // प्रायश्चित्तंनतस्यास्तिनाशौचंतस्यविग्रह।तुलसीकाष्ठसंभूतांमालांयोवहतेनरः इत्यादियथाक्रमपंचसंस्कारमाहात्म्यं ॥अथधारणाविधिरुच्यते॥तत्रा। दौऊर्ध्वपुंडधारणविधिःपाने॥ पुंड्राणांधारणार्थायगृह्णीयाच्छेतमृत्तिकाम।। श्रीरंगेवृषभाद्रौचश्रीकूर्मेयादवाचले // 1 // प्रयागेनारसिंहाद्रौवाराहेतुलसी For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri handir वने॥ हारवत्यांशुमेरम्येवासुदेवहृदिस्तथा // 2 // सिंधुतीरेचवल्मीकेहरिक्षेत्रे विशेषतः॥ विष्णोः पादोदकंयत्रप्रवाहयतिनित्यशः // 3 // गृहीत्वामृत्तिका भक्त्याविष्णुपादजलैः सह ॥धृत्वापुंड्राणिचांगेषुविष्णुसायुज्यमाप्नुयात्॥४॥ मत्प्रियाथैशुभार्थवारक्षार्थचतुरानन ॥मत्पूजाहोमकालेचसायंप्रातःसमाहितः Miln5 // द्वादशपुंड्राणिविप्राणांवैष्णवानांतथैवच // पुंइंधारयेहिधिवद्धरिद्रासंयुतं शुभम्॥६॥ चत्वारिभूभृतांप्रोक्तंपुडाणिहेविशांस्मृतम् // एकंपुंडूंतुनारीणांशू द्राणांतुविधीयते // 7 // ललाटेहदिबाहौचचतुःपुंड्राणिधारयेत् // ललाटेहद यहेतुभालेत्वेकंविधीयते // 8 // ऊर्ध्वपुंडललाटेतुसर्वेषांप्रथमंस्मृतम् // मूर्त / / योवासुदेवाद्याश्चतुःपुंड्रेषुधारयेत् // 9 // योगोंविंदकृष्णौनुएकनारायणंधरे / त् // एवंपुंड्रविधिः प्रोक्तः सर्वेषांगिरिजेमया // 10 // आरभ्यनासिकामूले For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri indir रा.प. www.kobert.org ललाटांतेलिखेन्मृदम् // नासिकायास्त्रयोभागानासामूलमितिस्मृतम् // 11 // au मरीचिराह // // चतुरंगुलमूर्वाग्रयंगुलंविस्तृतंतथा // द्विजःपुंड्रमजूं सौम्यसांतरालंतुधारयेत् // 12 // चंगुलंत्र्यंगुलंवापिमध्येछिद्रंप्रकल्पयेत्॥ यंगुलंपार्श्वमेकंतुऊर्द्रपुंड्रस्यलक्षणम् ॥१३॥शांतिदानामिकाप्रोक्तामध्यमायुः करीभवेत्।।अंगुष्ठापुष्टिदाप्रोक्तातर्जनीमोक्षदायिनी॥१४॥इतिपुंड्धारणविधिः॥ aln अथउईपुंड्धारणं // तत्रतिलकायद्रव्यंतारपुटितंरामेतिबीजविलि ख्यमूलमंत्रेणदशवारंअभि मंत्र्य मूर्तिपंजरेणवामूलेनद्वादशतिलकान / विधाया।तथाहि पद्मपुराणे। ललाटेकेशवंध्यायेन्नारायणमथोदगावक्षस्थ लेमाधवंचगोविंदकंठकूबरो॥३॥विष्णुंचदक्षिणेकुक्षौतहाहौमधुसूदनम्॥त्रिविक्र / मकंधरायांवामनंवामपार्श्वके // 2 // श्रीधरंवामबाहौचहषीकेशंतुकंधरे // पृष्ठे For Private And Personal -
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________________ Sh i r Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsu Jablandir 將於杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂*** तुपद्मनाभंचत्रिकेदामोदरंन्यसेत् // 3 // ॥तथाच // ॥श्रीरामायुधंधनुर्बा गंधारयेचैवमूर्द्धनि // ललाटेकेशवायेतिधारयेच्चतुरंगुलं // चतुश्चक्रधरंदेवंशुद्ध जाम्बूनदप्रभम्॥१॥नाभौनारायणायेतिधारयेच्चदशांगुलम।चतुःशंखधरंदेवं / / नीलजीमूतसन्निभम् // 2 // हृदयेमाधवायेतिधारयेदंगुलाष्टकम् // इंदीवरदल श्यामंचतुर्हस्तैर्गदाधरम् // 3 // गोविंदायेतिकंठेचधारयेच्चतुरंगुलं // चतुर्भुज धनुष्मंतंचंद्रभासासमन्वितम् // 4 // विष्णुंचदक्षिणेकुक्षौधारयेच्चदशांगुलम्॥ चतुर्हलधरंदेवंपद्मकिंजल्कसन्निभम् ॥९॥मधुसूदनंबाहुमध्येधारयेदंगुलाष्टकम् Film चतुर्मुशलधरंदेवमरविंद्रानमेवच॥६॥त्रिविक्रमंदक्षिणांगेधारयेच्चतुरंगुलम् // चतुःखड़धरंदेवंज्वालानलसमप्रभम् ॥७॥वामनवामकुक्षौचधारयच्चदशांगुल म्॥चतुर्वज्रधरंदेवंतरुणादित्यसंनिभम् // 8 // श्रीधरंबाहुमध्येतुधारयेदंगुलाष्ट। 李孝路杀张经杂杂杂杂杂杂** * For Private And Personal
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________________ Shrif lain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri setendir **** * कम् // पट्टीशायुधधरंदेवपुंडरीकाअमेवच // 9 // हृषीकेशंचवामाङ्गेवारयेच्चतुरं गुलम् // चतुर्मुद्रधरंदेवंविद्युबर्णवर्चसम् // 30 // पृष्ठेतुपद्मनाभंचधारयेच्चतुरंगु लम्॥ सर्वायुधधरंदेवंसहस्रादित्यसन्निभम् // 11 // दामोदरंकंठपृष्ठेधारयेच्तु रंगुलम् // चतुःपाशधरंदेवमिंद्रगोपसमप्रभम्॥१२॥करप्रक्षाल्यतोयेनवासुदेवे / / तिमुर्द्धनि // स्पर्शेत्सर्वाणिपुंड्राणितत्तन्मत्रैःपृथक्पृथक् // 13 // ॥इतिऊर्ध्व / पुधारयेत् // ततस्तन्मध्येश्रियंधारयेत् // तथाचईश्वरसंहितायाम् // विष्णुदेहपरामृष्टयश्चूर्णशिरसावहेत्॥सोऽश्वमेधफलंप्राप्यविष्णुलोकेमहीयते 1 // विष्ण्वर्पितंचक्रबाणंहरिद्राचूर्णमुत्तमम् // लक्ष्मीनिवाससिद्ध्यर्थदीपा कारंसुशोभितम् // 2 // हरिद्रेणतुचूर्णेनकुंकुमेनसुगंधिना // ऊर्ध्वपुंड्रस्यमध्येतु लक्ष्मीस्थानंप्रकल्पयेत् // 3 // ऊर्ध्वपुंड्रस्यमध्येतुरजनीचूर्णमुत्तमम् ॥लक्ष्मीरू ** * **孝 For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur a ndir पधरंनित्यमन्यद्रव्यंनधारयेत् 4 श्यामंशांतिकरंप्रोक्तंरक्तंवश्यकरंतथा|श्रीकर प्रीतमित्याहुःश्वेतंमोक्षप्रदंशुभम् // 9 // // तत्रलक्ष्मीद्वादशनाम // ॥श्रीदे वीप्रथमंनामद्वितीयममृतोद्भवा // तृतीयंकमलाप्रोक्ताचतुर्थचंद्रशोभिनी॥६॥ पंचमंतुवरारोहाषष्ठंतुहरिवल्लभा / सप्तमंविष्णुपत्नीस्यादष्टमंवैष्णवीतथा। नवमंशाङ्गिणीप्रोक्तादशमंदेवदेविच // एकादशंतुलक्ष्मीःस्याद्वादशंसुरसुंदरी॥ An8 // एवंध्यात्वांतरालेषुहरिद्राधारयेच्छ्रियम्॥९॥इतिऊर्ध्वपुंडधारयेत् // अथनिषेधलक्षणंपाझे॥ ॥वर्तुलंतिर्यगच्छिद्रंहस्वंदीर्घतनुतरं ॥वक्रविरूपं बद्धारांछिन्नमूलंपदच्युतम् ॥१॥अशुभ्रंरूक्षमासक्तंतथानांगुलिकल्पितम् ॥वि Maiगंधंचाप्यसंख्यंचपुंडमाहुरनर्थकम् // 2 // इतिनिषेधलक्षणं // इतिऊर्ध्वपुंड्धा रणविधिः॥ // अथशंखचक्रादिप्रार्थना // // स्फुरत्सहस्रारिशिखातिती For Private And Personal
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________________ Shri Mhe Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri l andir / 於路路路路路路路路路路路路路路路路路路路路於泰然 वसुदशनंभास्करकोटितुल्यम् // सुरद्विषःप्राणविनाशविष्णोश्चक्रंसदाहंशरणं रा.प. प्रपद्य॥१॥विष्णोर्मुखोत्थानिलपूरितस्ययस्यध्वनिर्दानवदर्पहंता॥ तंपांचजन्य शशिकोटिशुभ्रंशंखंसदाहंशरणंप्रपद्ये // 2 // हिरण्मयींमेरुसमानसारांकौमोदकी दैत्यकुलैकहंत्री॥वैकुंठवामाग्रकराभिमृष्टांगदांसदाहंशरणंप्रपद्ये // 3 // रक्षो सुराणांकटिनोप्रकंठछेदक्षरच्छोणितदिग्धधारम् // तंनंदकंनामहरेःप्रदीप्तंखड़ सदाहंशरणंप्रपद्ये // 4 // यज्ज्यानिनादश्रवणात्सुराणांचेतांसिनिर्मुक्तभयानिस द्यः॥ भवंतिदैत्याशनिबाणवर्षशासदाहंशरणप्रपद्ये ॥५॥शंखंचचक्रंचग। दांचनंदकंशाङ्गदधत्यद्भुतविश्वरूपम् // तंपुंडरीकाक्षमुदारशक्तिंविष्णुंसदाहंश रणंप्रपद्ये ॥६॥इतिशंखचक्रादिप्रार्थयेत॥ अथस्वात्मभावना॥ ॥अह मस्मिनारायणदासदासदासस्यदासस्यचदासदासः॥ अन्येभ्यईशोजगतांनरें। For Private And Personal
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________________ Shrea r Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri handir द्रतस्मादहंधन्यतरोस्मिलोके // 1 // मजन्मनः फलमिदंमधुकैटभारेमत्प्रार्थ नीयमदनुग्रहएषएव // त्वमृत्यभृत्यपरिचारकभूत्यभृत्यमृत्यस्यभृत्यइतिमा स्मरलोकनाथ // 2 // नाहंविप्रोनचनरपति पिवैश्योनशूद्रोनाहंवोनचगृहप। ति!वनस्थोयतिर्वा // किंतुप्रोद्यन्निखिलपरमानंदपूर्णामृताब्धेर्लक्ष्मीभर्तुःपद कमलयोर्दासदासानुदासः॥३॥॥इतिस्वात्मानभावयेत् // अथतुलसी साधारणं // // तुलसीकाष्ठसंभूतेमालेविष्णुजनप्रिये // त्वांधारयाम्यहंकंठे कुरुमाहरिवल्लभमा॥३॥इतितुलसीधारयेत् // ततोमंत्र विधिपूर्वकंसंस्मरेत // तत्रादौप्राणायामम् ॥रामितिबीजंजपन् पूरकं 16 कुंअकं 64 रेचकं 32 // अथवामूलमंत्रजपन पूरकं 9 कुंभकं 36 रेचकं 18 इतिसर्वत्रप्राणायामः // Miतथाचकर्मकांडे // ॥आदावतेतथामध्येप्राणायामंसमाचरेत॥ ॥यद्वा॥ For Private And Personal
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________________ Shri sti Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri sendir प्राणायामंत्रयंकृत्वापश्चान्यासंसमाचरेत् // ॥तथाच // // कनिष्ठानामि रा.प. कांगुष्ठर्नासाग्रंकरपीडन॥ॐकारमुद्रासाप्रोक्तायतेश्चब्रह्मचारिणः।।॥पंचांगुली भिर्नासाग्रपीडनंप्रणवेविधौ // मुद्रेयंसर्वपापघ्नीवानप्रस्थगृहस्थयोः // 2 // अथकुशपवित्रधारणविधिः॥ ॥अंगुल्यग्रेतपोवृद्धिर्मध्येचायुश्चसंश्रियःril मूलेकर्मविनाशःस्यात्तस्मान्मूलेनधारयेत् // 3 // ॥अथआचमनविधिः॥त दुक्तंहारीते॥ ॥आचम्यातःपरंमौनीप्राङ्मुखोवाप्युदङ्मुखः॥ नामभिः || शवाद्यैश्चयथासंख्यमुपस्पृशेत् // 1 // हिराचम्यंतुसर्वत्रविण्मत्रोत्सर्जनेत्रयं // पवित्रपाणिराचम्यपश्चात्संध्यांसमाचरेत् // 2 // ॥संध्याभाष्ये // // गोक कृतिहस्तेनमाषमात्रंजलंपिबेत् // तन्यूनमधिकंपीत्वासुरापानसमंभवेत॥३॥ अंगुष्ठानसमाकुंच्यमध्यमामध्यपर्वणि // गोकर्णतद्धिविज्ञेयंसर्वेष्वाचमनेष्वि For Private And Personal
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri F e ndir ह॥४॥ तर्जन्यंगुष्ठसंयोगेराक्षसीमुद्रिकाभवेत॥राक्षसीमुद्रयापीतंतत्तोयंरुधि रंभवेत् // 5 // पूर्वाचमनममृतंसोमपानंतथोत्तरे॥ दक्षिणेरक्तपानंतुसुरापानंतुप श्चिमे // 6 // // तथाच बृहब्रह्मसंहितायां // ॥रतोमूत्रशकृन्मोऽह्यधोवा, युर्विमोक्षणे // परिश्रमेनतेहासेउछिष्टजनसंगमे॥७॥ उछिष्टस्पर्शनेमेध्यादर्श नेचाश्रुपातने रक्तकेशमलस्पर्शजूभायांस्वप्नदर्शने।।८॥छिक्काष्ठीवनसंक्रोधेष्वा चम्यशुचिकाम्यया॥उपक्रमोपसंहारेकर्मणोनीविबंधने ॥९॥केशवादिभिरा। चम्यसद्यःशुद्धिमवाप्नुयात् ॥अकृत्वाचमनंविप्रोनकर्मफलमाप्नुयात् // 10 // यथाऽभिषेकजाशुद्धिर्बहिरेवप्रजायते॥ मंत्रपूतमलैस्तहदाचम्यांतराशुचिः॥ // 11 // // ततोऽघमर्षणंकुर्यात् // अथाघमर्षणसंध्यामहंकरिष्ये // इतिसंकल्पः // अत्राचमनंप्राणायामंचकृत्वामूलमंत्रंपठित्वदिणाक्षहस्तेनजलं For Private And Personal
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________________ Shri M arain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri C a ndir ग्रहीत्वादक्षिणनासांसंस्पृश्यदक्षिणावर्त्यभूमौनिःक्षिपेत् // ॐनमःइतिमंत्रेण रा.प. जलिनाजलमादायवामहस्तेनदक्षिणहस्तस्थंजलमाछाद्याष्टवारं // ॐजानकी / वल्लभायस्वाहा // इतिमंत्रेणमूलेनवाअभिमंत्र्यपिबेत् // पुनस्तथैवत्रिराचम्यां / जलिनाजलमादाय दक्षिणहस्तस्थंवामेनाछाद्य ॥ॐनमोभगवतेरघुनंदनायर / क्षोन्नविशदायमधुरप्रसन्नवदनायामिततेजसेबलायश्रीरामायविष्णवेनमः॥ॐ कीतेजसेरांतारकब्रह्मस्वाहा // इतिमंत्रणसकृदभिमंत्र्यतज्जलंवामहस्तनिक्षि प्यतदंगुलिविवरगतजलबिंदुभिरात्मानंतेनैवमंत्रेणमूलेनवाअष्टवारं मार्जीय त्वा। पुनस्तथैवजलमादायदक्षिणहस्तस्थंवामेनाछाद्या॥ ॐनमोभगवतेइतिस कृत् अभिमंत्र्य दक्षिणनासारंध्रेणाघ्रायतज्जलंशरीरांतर्गतंसर्वकलुषमाक्षालि त // तत्कृष्णवर्णध्यात्वा वामनाड्यानिर्गतंपुनर्हस्तमागतमितिविभाव्यवाम For Private And Personal
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________________ Shri Mael Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun landir भागे कल्पितायां वज्रशिलायां // ॐ रःअस्त्रायफट् इतिमंत्रेणगाढमास्फालय / त्॥ // इत्यघमर्षणं॥ // अहंरामोनचान्योस्मिब्रह्मैवाहनशोकाक् // सच्चिदानंदरूपोहंनित्यमुक्तस्वभाववान् // 3 // ॥इतिक्षावयेत् // ॥ॐ पवित्रःपवित्रोवासर्वावस्थांगतोपिवा॥ यःस्मरेत्पुंडरीकाक्षंसबाह्याभ्यंतरःशुचिः Mil // ॥इतिमार्जनं // ॥ॐविष्णुःॐविष्णुःॐ विष्णुः॥ ॥इत्याचमन॥ अथभूतशुद्धिः॥श्रीरामाराधनयोग्यतासिद्ध्यर्थभूतशुद्धिमहंकरिष्ये॥इतिसंक। ल्पः॥ // अत्राचमनंप्राणायामंचकुर्यात् कच्छपिमुद्रयाहदिस्थितंदीपकर्णिका कारंजीवज्योतिः परंतेजसिलीनंविचिंत्यतत्रैवपृथिव्यप्तेजोवाय्वाकाशाहंकारमा हत्तत्त्वप्रकृत्येतानितत्त्वानिलिंगानिविचिंत्यचवामकुक्षौकृष्णवर्णपापपुरुषरूपं ध्वात्वा // // यरलंवहिं // // यमितिमंत्रणवायुबीजेनशरीरपापशोषणं॥ For Private And Personal
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________________ Shri Maham Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri i ndir बृ . रमितिमंत्रेणअग्निबीजेनशरीरपापदहनं लमितिमंत्रणपृथिविबीजेनदेहंदृढंक रा.प. त्वावमितिमंत्रेणवरुणबीजेनभस्मोच्चाटनं शमितिमंत्रेणचंद्रबीजेनचंद्रमामृत वृष्टिकरणंतेनशरीरोत्पत्तिविभाव्य // हमितिमंत्रेणकाशबीजेनदेहसुषिराणि / भावयेत् // एकैकबीजंजपेत् // पूरकं१६कुंभकं६४रेचकं३२एवंषट्प्राणायाम सहयंकुर्यात् // // इतिभूतशुद्धिः॥ // अथप्राणप्रतिष्ठामंत्रस्यब्रह्मविष्णुमहे / श्वराऋषयः ऋग्यजुःसामानिछंदांसिप्राणशक्तिर्देवताआंबीजंहीशक्तिःौंकी। लकं प्राणप्रतिष्ठार्थेजपेविनियोगः॥ // इतिसंकल्पः॥ ॥अत्राचमनंप्राणा यामंचकारयेत् // ॐप्राणप्रतिष्ठामंत्रायनमःमूर्ध्नि // ॐब्रह्मविष्णुमहेश्वराय पयेनमः ध्रुवोर्मध्ये // ॐऋग्यजुःसामानिछंदांसिनमःमुखेप्राणशक्तिर्देवतायै / / नमांहदि॥ॐआंबीजायनमःदक्षिणस्तने॥ॐन्हीशक्तयेनमःवामस्तने ॥ॐ 2 For Private And Personal
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________________ Shri xavf Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuriyadgrandir ********* ******米米米杂* क्रौंकीलकायनमःनाभौ // ॐप्राणप्रतिष्ठायैनमःपादयोःजपेविनियोगायनमःस गे॥अत्रमूलेनकरन्यासंहृदयादिन्यासंचकारयेत् // ततोहदिहस्तंदत्वा॥ॐ आहीकौंयरलवंशंघसंहहंसःसोहंममप्राणाइहतिष्ठंतुस्वाहा // ॐआहीक्रौंयं रवंशंषसंहहंसःसोहंममजीवइहस्थितःस्वाहा // ॐआंहींक्रौंयरलवंशंषसः सोहंममसर्वैदियाणिवाङ्मनश्चक्षुःश्रोत्रघाणप्राणाइहागत्यसुखंचिरंतिष्ठंतुस्वा हा // ततोहृदयंस्पृष्ट्वाहादशप्रणवावृत्त्यायथोचितंसंस्कारान्भावयेत् ॥इतिप्राण प्रतिष्ठाविधिः॥अथगायत्रीविधिः॥ आदौऋष्यादिकन्यासंकरशुद्धिस्ततः परं॥हृदादिव्यापकन्यासमक्षरन्यासमेवच॥१॥ध्यानपूजाजपश्चैवततोनत्वावि सर्जनम्॥शान्यासंविनाभवेन्मूकःसुप्तःस्यादासनविना॥ऋषिदेवताछंदोभिःप रित्यक्तोभुजंगमः॥३॥॥अथसंकल्पावाहनपुनःसंकल्पऋष्यादिन्यासकर For Private And Personal
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________________ Shri v ir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri jamindir ब.वे 关於容杂张洋於**杀杀杀杀杀 न्यासांगन्यासपदन्यासाक्षरन्यासध्यानजपविसर्जनं यथाक्रमंप्रदर्श्यते / ॐउत्तिष्ठतुमहाभूतायेभूताभूमिपालकाः॥भूतानामविरोधेन ब्रह्मकर्मसमाचरेत् ॥ॐ अस्यश्रीरामगायत्रीमंत्रस्यवामदेवऋषिर्गायत्रीछंदः॥ श्रीजानकीवल्ल भोदेवता।।श्रीरामेतिबीजादाशरथायेतिशक्तिः॥गायत्र्यावाहनेजपेविनियोगः॥ इतिसंकल्पः। अत्राचमनंप्राणायामंचकृत्वा॥ॐ श्रीरामगायत्रींसूर्यमंडलादावा हयाम्यहंदेवी॥ ॐ आगच्छवरदेदेवित्रिपदेरामवादिनि।गायत्रीछंदसांमातारा मयोनेनमोस्तुते // 1 // ॐ तेजोसिशुक्मस्यमृतमसिधामनामासिप्रियंदेवानाम नाधृष्टदेवायजनमसि ॥ॐ तेजसेशुक्वर्णमंत्रस्यभावनमानसप्रियंदेवानामधि ष्ठायजन्मस्य इत्यावाहन। ॥श्रीसीतायैनमः॥ इतिमंत्रेणासनंदद्यात् ॥ततःपा द्यार्थ्याचमनींपूजांमानसींचकारयेत॥ ॥अथमुद्राविधिःततोमुद्रांप्रदर्शयेत् / For Private And Personal
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________________ Shriat Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri fy n dir 染杀杀杀杀杀杀杀杀杀杀杀杀杀张宗路*彩** सुमुखंसम्पुटंचैवविततं विस्तृतथा|एकमुखंचहिमुखंत्रिमुखंचचतुर्मुख॥२॥पंच मुखंषण्मुखंचऊ/जलिमधोमुखं ॥शकटंयमपाशंचग्रथितंसन्मुखोन्मुखं // 2 // प्रलंबमुष्टिकंचैवमत्स्यंकूर्मवराहकं // सिंहाक्रांतमहाक्रांतंमुद्गरंपल्लवंतथा॥॥ए तामुद्राश्चतुर्विंशागायत्र्यादौप्रकीर्तिताः // एतामुद्रानजानातिगायत्रीनिष्फला भवेत् // 4 // इतिमुद्राविधिः॥ अथगायत्री॥ॐ दाशरथायविद्महे॥सीतावल्ल भायधीमहि // तन्नोरामःप्रचोदयात् ॥ॐ कारस्यजानकीऋषिर्गायत्रीछंदः // श्रीरामोदेवता॥रांबीजंनमःशक्तिः॥रामायकीलकं॥श्रीरामप्रीत्यर्थे जपेविनि योगः॥ इतिसंकल्पः॥अत्राचमनंप्राणायामंचकृत्वा॥ ॐ कारस्यजानकी षयेनमःशिरसि॥गायत्रीछंदसेनमःमुखे॥श्रीरामोदेवतायैनमःहदि॥रांबीजा यनमःनाभौानमःशक्त्यैनमःगुह्यो।रामायकीलकायनमःपादयोः॥जपेविनियो For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Pretundir ** ***** गायनमःसर्वांगे॥इतिऋष्यादिन्यासः॥ॐदाशरथायअंगुष्ठाभ्यांनमः॥ ॐविद्म तर्जनीभ्यांनमः॥ ॐसीतावल्लभायमध्यमाभ्यांनमः॥ ॐधीमहिअनामिका भ्यांनमः॥ ॐतन्नोरामःकनिष्ठिकाभ्यांनमः॥ ॐप्रचोदयातकरतलकरपृष्ठाभ्यांन माइतिकरन्यासः॥ॐदाशरथायहृदयायनमः॥ ॐविद्महेशिरसेस्वाहाॐसीता वल्लभायशिखायैवषट् ॐ धीमहिकवचायतुं॥ॐ तन्नोरामःनेत्रत्रयायवौषट।।* प्रचोदयात्अस्त्रायफट्।। इतिहृदयादिन्यासः॥ॐदाशरथायमूर्ध्नि ॥ॐविद्महेश्रु वोर्मध्ये ॥ॐसीतावल्लभायहृदि ॥ॐधीमहिनाभौ // तन्नोरामलिंगे॥ॐ प्रचोदयात्पादयोः // इतिपदन्यासः॥ ॐदाकारंपादतलयोः॥ॐ शकारंपादां गुष्ठेयोः॥ॐरकारंगुल्फयोः॥ॐ थाकारंजंघयोः॥ॐ यकारंजान्वोः // ॐव कारंऊर्वोः॥ॐकारंगुह्ये॥ॐहेकारलिंगे॥ॐसीकारकट्यां // ॐताकारंना * ** For Private And Personal
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________________ Sh a vir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsu n andir भौ॥ॐवकारंउदरे॥अल्लकारस्तनयोः॥ ॐाकारहदय॥ॐयकारकंठ।। ॐ धीकारंमुखे // ॐमकारं तालुदेशे॥ॐ हिकारंनासिकायां ॥ॐ तकारनेत्रयोः। ॐन्त्रोकारं भ्रुवोर्मध्ये॥ॐराकारललाटे ॥ॐमकारपूर्वदिशि ॥ॐप्रकारं दक्षि / दिशि॥ॐ चोकारंपश्चिमदिशि ॥ॐ दकारं उत्तरदिशि ॥ॐ याकारंमूर्ध्नि // व्यंजनतकारंसर्वव्यापकं / इत्यक्षरन्यासः॥ततआचमनं प्राणायामंच॥ // थध्यानं // ॥ॐ हस्तहयेनकमलेधारयंतीस्वलीलया॥हारनपुरसंयुक्ताल क्ष्मीदेवींविचिंतयेत् ॥१॥ॐ वेदेलक्ष्मीपरशिवमयींशुद्धजांबूनदानांतेजोरूपां। कनकवसनांसर्वभूषोज्ज्वलांगीम्॥बिजापूरकनककलशंहेमपमंदधानामाद्यांश तिसकलजननींविष्णुवामांकसंस्थां॥२॥इतिध्यानं तत्रप्रातःकाले॥ब्र ह्मरूपिणी रक्तवर्णाश्वेतवर्णहंसवाहनी॥ मध्याह्नेरुद्ररूपिणीधूम्रवर्णाश्वेतवर्ण / For Private And Personal
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________________ ShriMar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri handir ** रा.प. * * बु.वे. वृषभवाहनी॥सायाह्नवैष्णवीश्वेतवर्णापीतवर्णगरुडवाहनी॥अर्द्धरात्रौतुरीया स्वरूपधारिणी पीतवर्णा एवंचतुर्वपिकालेषुश्रीलक्ष्मीध्यात्वातथाच॥उत्त मादृष्टनक्षत्रामध्यमालुप्ततारका। कनिष्ठाउदितेभानौप्रातःसंध्यात्रिधामता॥३॥ अर्कमंडलेश्रेष्ठामध्यमास्तगतेरवौ।कनिष्ठादृष्टनक्षत्रासायंसंध्यात्रिधामता प्रातश्चप्राङ्मुखंकृत्वामध्यान्हेचउदङ्मुखं // सायंपश्चिमदिक्कैवएवंसंध्यांसमा चरेत॥॥प्रातर्नाौकरंकृत्वामध्याह्नेहदिसंस्थितम्॥ सायंनासागतंकृत्वात्रिसं ध्यंजपलक्षणम्॥४॥प्रातरूलकरश्चैवमध्याह्नमुपपाणिन। सायमधोमुखंकुर्यात् / त्रिसंध्यंजपलक्षण॥९॥अंगुष्ठायांतुमोक्षार्थतर्जन्यांशत्रुसाधनम्॥मध्यमायांध नवृद्धिःशांतिकर्मण्यनामिका // 6 // कनिष्ठाव्यभिचारेतुजपकर्मणिसिध्यति॥ एवं ध्यात्वाजपेन्मंत्रंसहस्रंतुदिनेदिने॥ त्रिशतंवाजपेन्मंत्रंशतंवाथयथाक्रमः॥७॥ ****於*****杂杂杂杂染。 For Private And Personal
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________________ Shri Malait Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri de indir ॐदाशयथारविद्महेसीतावल्लभायधीमहि तन्नोरामःप्रचोदयात्॥ इतिमंत्रजपे / त्॥जपांतेचाचमनंषडंगन्यासंचकुर्यात् ॥ॐ वाक् ॐ वाक् ॐ वाक् ॐ प्राणः / प्राणः ॐ चक्षुःचक्षुःॐश्रोत्रंश्रोत्रं ॐललाटे ॐनाऔ*हृदि कंठे शिरसि / अशिखायां कवचे एवंषडंगन्यासं ततःप्राणायामंचकृत्वापुनःअष्टौमुद्रांप्रदर्श येत॥सुरभिर्ज्ञानवैराग्यंयोनिःकूर्मोऽथपंकज।। लिंगनिर्वाणशंखाश्चजपांतेऽष्टौप्र। कीर्तिताः॥३॥ततःस्तुतिमुच्चारयेत॥ ॥जयतुजयतुलक्ष्मीर्लक्षणालंकृतांगी। जयतुजयतुपद्मापद्मसद्मादिवंद्या // जयतुजयतुविद्याविष्णुवामांकसंस्थाजय / तुजयतुसम्यक्सर्वसंपत्करीश्रीः // 1 // जयतुजयतुदेवीदेवसंघाभिपूज्या / जयतुजयतुभद्राभार्गवीभाग्यरूपा // जयतुजयतुनित्यानिर्मलज्ञानवेद्या ज यनुजयतुसत्यासर्वभूतांतरस्था॥२॥जयतुजयतुरम्यारत्नगर्भातरस्था ज For Private And Personal
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________________ Shri Vallart Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsurierandir 3 6 बृ.वे.यतुजयतुशुद्धाशुद्धजाम्बूनदासा // जयतुजयतुकांताकांतिमद्भासितांगी जय राप. तुजयतुशांताशीघ्रमागच्छसौम्या ॥३॥अथविसर्जनं // ॥उत्तरेशिखरेजाता भूम्यांपर्वतवासिनि ॥वैष्णवैःसमनुज्ञातागच्छदेवियथासुखं ॥४॥पाहिदेविवे। दमातःसूर्यसादृग्बलक्रमात्॥प्रविश्यपरमात्मानज्योतीरूपनमोस्तुते // 5 // एवंत्रिष्वपिकालेषुगायत्र्यावाहनादिकंविधाय ध्यानंकृत्वा // श्रीजानकीवल्ल भायनमःइतिसमर्पयेत् // ॐनमोभगवतेतुभ्यंविष्णवेप्रभविष्णवे // गृहाणेदं / मयादत्तंदेवदेवनमोस्तुते ॥१॥अत्राचमनंषडंगन्यासंप्राणायामद्वयंचकारयेत् // इतिसंध्याविधिः॥अथतर्पणम् ॥ॐ अस्मद्गुरूंस्तर्पयामि।ॐ अस्मत्परमगुरूं। स्तर्पयामि।।ॐ अस्मत्सर्वगुरूंस्तर्पयामि॥ॐ नमोभगवतेविष्णवेसर्वभूतात्मने वासुदेवायसर्वात्मनेसंयोगपीठात्मनेनमः॥संयोगपीठात्मकंरामसंतर्पयामि इ For Private And Personal
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________________ Shri ir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Paimindir तिपीठदेवान्सतर्पयामि।मूलमंत्रमुच्चार्य श्रीरामसंतर्पयामि।।इतिअष्टाविंशतिवा रतीर्थजलेनसंतर्पयामि।सीतादीश्चसंतर्पयामिश्रीसीतायैस्वाहा इतिसीतांतर्प यामि॥ॐ लंलक्ष्मणायनमः इतिलंलक्ष्मणंतर्पयामि॥ॐभरतायनमःइति भरतंतपर्यामि॥ ॐशंशत्रुघ्नायनमःइतिशंशत्रुघ्नंतर्पयामि ॥ॐशंशायनमःइ तिशंशाईतर्पयामि॥ॐ शंशरेभ्योनमःइतिशंशरांस्तर्पयामि।मूलेनांजलिंदत्वा॥ ॐ हनुमतेनमःइतिहहनुमंतंतर्पयामि॥ॐवंवरुणायनमःइति वरुणतर्पयामि / ॐसंसूर्यायनमः इतिसूर्यतर्पयामि॥ॐनमोरामायश्रीजानकीवल्लभायनमः॥ इतिमंत्रेणत्रिवारंतर्पयेत्॥ मातृपितृपितॄश्चतर्पणानिददाम्यहंसर्वतीर्थानिसूर्यम डलादागतानिश्रीसूर्यमंडलंगच्छंतु // अथ सूर्यगायत्री ॐ भास्करायवि द्महे / / ॐ महातेजायधीमहि ॥ॐ तन्नोसूर्यःप्रचोदयात् // इतिसूर्यगायत्री 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 For Private And Personal
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________________ Shri M45 ir pain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri C a dir बृ. . ॐ श्रीविष्णुतेजसेमहाज्वालायमणिकुंडलायस्वाहा // इतिसूर्यमंत्रः॥इति रा.प. तर्पणं॥ एवंसंध्यावंदनादिकंसमाप्यमंत्रविधिपूर्वकंसाधयेत् // ॐ अस्यश्री षडक्षरश्रीराममंत्रस्यश्रीजानकीऋषिर्गायत्रीछंदः॥ श्रीरामोदेवतारांबीज़नमः शक्ति रामायकीलकंइष्टार्थेजपेविनियोगः॥इतिसंकल्पः॥ अत्राचमनंप्राणाया। मंचकारयेत् // ॐजानकीऋषयेनमःशिरसि // गायत्रीछंदसेनमःमुखे ॥श्रीरा मोदेवतायैनमःहृदि ॥रांबीजायनमःनाभौ // नमःशक्तयेनमःगुह्ये // रामाय कीलकायनमःपादयोः॥जपेविनियोगायनमः सर्वाङ्गे।। इतिऋष्यादिन्यासः॥ ॐरांरीरूंरैरौंरः // ॐरांअंगुष्ठाभ्यांनमः // ॐरीतर्जनीभ्यांनमः // ॐकंमध्य माभ्यांनमः॥ अनामिकाभ्यांनमः // ॐ कनिष्ठिकाभ्यांनमः // ॐरक रतलकरपृष्ठाभ्यांनमः // इतिकरन्यासः // ॐरांहृदयायनमः॥ॐ रीशिरसे For Private And Personal
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________________ Shri Mar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri a ndir स्वाहा // ॐरूंशिखायैवषट् // रैकवचायतुं // ॐ नेत्रत्रयायवौषट् // ॐ रःअस्त्रायफट् // इत्यंगन्यासः // ततःतालत्रयंकृत्वामूलमंत्रेणदशदिग्बंधनंक त्वा // ॐआंरक्षतुप्राच्यां॥ ॐ रक्षतुदक्षिणे॥ॐरांरक्षतुप्रतीच्यां॥ॐरांरक्षतुउ दीच्यां // ॐरांरक्षतुआग्नेय्यां // ॐरांरक्षतुनैर्ऋत्यां // ॐरांरक्षतुवायव्यां // संरक्षतुईशान्यां // ॐरांरक्षतुऊवारांरक्षतुअधोमां॥ ॥इतिदिग्बंधन म्॥ॐरांनमोमूर्ध्नि // ॐरामायनमःनाभौ // ॐ नमोनमःपादयोः // इति / पदन्यासः॥ ॐनमोमूईि॥ॐरांनमोध्रुवोर्मध्ये ॥ॐमांनमोहदि॥ ॐयंन / मोनाभौ // ॐनमोगुह्ये // ॐमनमःपादयोः // इत्यक्षरन्यासः // ततोरां इतिबीजंषोडशवारंजपन् // पूरकम् // 16 // चतुःषष्ठिवारंकुंभकम् // 64 // द्वात्रिंशहारंजपन् रेचकम्॥३२॥ इतिप्राणायामं // // अथध्यानम् // ॥ध्या For Private And Personal
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________________ Shri M a in Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri indir रा.प. येत्कल्पतरोर्मूलेसुवर्णमयमंडपे // पुष्पकाख्येविमानेतुसिंहासनपरिच्छदे॥३॥ पञवसुदलेदेवमिंद्रनीलमणिप्रभम् // वीरासनसमारूढदिव्यमुद्रोपशोभितम।। // 2 // वामेचजानकीयुक्तंदक्षिणेलक्ष्मणयुतम् // सर्वधर्मेणसंपन्नध्यात्वाराम जपेन्मनुं ॥३॥इतिध्यानं॥ ॥अथमंत्रोदाहरणं॥अगस्त्यसंहितायामग स्त्यवाक्यम् // // मंत्ररूपंप्रवक्ष्यामिशृणुनारदतत्पर // रकारादिमकारांतमं षड्वर्णसंयुतम् // 1 // षडक्षरात्मकंमंत्रंतारकंब्रह्मवाचकम् ॥राजेंद्रराघवंरामं राजानंरघुनंदनम् // २॥राजीवलोचनंवंदेरावणारिरघूत्तमम् // रामचंद्ररघुप तिप्रपद्येरावणांतकम् ॥३॥माधवंमन्मथाधीशमथुरेशंमहत्तमम् ॥मायातीतं महाविष्णुमापतिप्रणमाम्यहम् // 4 // यज्ञाधीशं यज्ञयोनियज्ञेशंयज्ञभावनम् // प्रपद्येयज्ञभोक्तारंयज्ञपालनतत्परम्॥५॥नरोत्तमंनराधीशंनौमिनागारिवा For Private And Personal
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________________ Shri M EM Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Andir हनम् // नारायणनमस्तुभ्यंनारदादेरभीष्टदम् // 6 // महादेवायमहतेमहेशा यमहात्मने // मंत्ररूपायरामायमहेशायनमोनमः॥७॥ इत्येतद्रामचंद्रस्यम राजात्मकंस्तवम् // जन्ममृत्युजराव्याधिघोरसंसारतारकम् // ८॥अगस्त्य नारदप्रोक्तंयःपठेच्छृणुयाद्यदि // सयातिपरमंस्थानरामभद्रप्रसादतः // 9 // अ टोत्तरंसहस्रंवात्रिशतंवाथशक्तितः॥ रामचंद्रप्रसादार्थपठेत्स्तोत्रंतुभक्तितः।।१० नरोनलिप्यतेपापैर्भुक्तिमुक्तिंचविंदति।इतिस्मृत्वाजपेन्मंत्रंषट्सहस्रंदिनदिने। ॥११॥तथाच // मंत्रराजप्रतिदिनंषट्सहस्रंजपेहुधः // अष्टोत्तरंसहस्रंवा त्रिशतंवाथशक्तितः // 1 // ॐरांरामायनमः // इतिमंत्रः॥ पश्चाद्रामगायत्री न्यासंप्राणायामंचकृत्वायथासंख्यंगायत्रींजपेत् // तत्रप्रथमतःषलक्षणपुर श्चरणंतद्दशांशेनहोमंहोमदशांशेनतर्पणतपर्णदशांशेनमार्जनमार्जनदशांशेनबा For Private And Personal
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________________ Shri MEM Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂学学杂路路路路路路 ह्मणवैष्णवभोजनंदद्यात् // तत्रजपलक्षणम् // वाचिकस्त्वेवमेकंस्यादुप शुशतमुच्यते // सहस्रंमानसंप्रोक्तंत्रिविधाजपलक्षणम् // 1 // ॥तथाच॥ उच्चै पादुपांशुश्चसहस्रंफलमुच्यते // मनसाचमनुजाप्यमनंतंफलमुच्यते // // 2 // पूर्वाश्रमंतुरीयंतुनारीसंगंविवर्जयेत् // जपेमौनंतथायोगोब्रह्मचर्य / दमस्तथा // 3 // कामक्रोधंतथालोअंमोहमानमदस्त्यिजेत् // मत्सरद्वेषरौक्षोक्ति / निद्रालस्यादिवर्जयेत् // 4 // स्नात्वाशुक्लांबरधरःकृतकृत्योयथाविधिः॥तदेहय नेनचवैसारूप्यत्वमवाप्नुयाता५॥इतिमंत्राराधनविधिः॥ ॥अथपूजाविधि / निरूप्यते।तथाचशांडिल्यस्मृतौ ॥प्रातःकृत्यमकृत्वातुयःपूजयतिकेशवं // तस्यपूजानिष्फलास्यान्मद्यस्पर्शपयोयथा // 1 // तस्मात्पूर्वप्रयत्नेननित्याचार समाचरेत् // 2 // चरणपद्मसंभूतंशालग्रामस्यचोदकम् // यःपिबेद्भक्तितोनित्यं - 於染染染於路 For Private And Personal
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________________ Shri M ar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri lag hendir 路於公路经济洛路路路路路***** विष्णुलोकंसगच्छति॥एवंध्यात्वामानसोपचारैःसंपूज्य पुनःगुरुदत्तमंत्रेणैव / प्रत्यक्षं पूजांकुर्यात्॥ॐ क्रीरांरामायनमःइत्यष्टाक्षरमंत्रेण|आसनंपाद्यंअर्घआ। चमनस्नानंवस्त्रआभरणंयज्ञोपवीतंगधंपुष्पंधूपंदीपनैवेद्यंतांबूलं आर्तिकंकल्प यामि // इतिपूजयेत् // तथैवच // श्रीसीतायैस्वाहा // इतिसीतामंत्रेणसीतां / पूजयेत् // एवंलक्ष्मणादीनामपितत्तन्मंत्रैःपूजांकुर्यात् ॥ॐ लंलक्ष्मणायनमः॥ ॐ अंभरतायनमः॥ॐ शंशत्रुघ्नायनमः ॐ शंशाङ्गायनमः // ॐ शंशरेभ्योन महंहनुमतेनमः॥सांगायसपरिवारायसवाहनायसायुधायश्रीजानकीव ल्लभाय गंधंपुष्पंधूपंदीपनैवेद्यताम्बूलंसमर्पयामि।इति जानकीनाथायपुष्पांज लिंदत्वा // बलिवाभीषणोभीष्मः कपिलोनारदोऽर्जुनः॥ प्रहादोजनकोव्यास श्वांबरीषस्तथैवच // 1 // विष्वक्सेनोवोक्रूरोप्नुवोथहनुमांस्तथा॥ अत्रिर्वसिष्ठ For Private And Personal
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________________ Shri Mafel Main Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri greindir यवनःसनकाद्याःशुकादयः॥२॥रामचंद्रप्रसादंवैसर्वेगृहंतुवैष्णवाः॥॥इति हरिपादोदकंस्वनिकटवर्तिभ्यःसर्वेभ्योवैष्णवेभ्योदयात्॥इतिप्रधानपूजा॥ Hinॐ आयताभ्यांविशालाभ्यांशीतलाभ्यांकृपानिधे // करुणापूर्णनेत्राभ्यांकुरु निद्रांजगत्पते // 1 // // इडिशयनमंत्रः॥ ॥ॐ उत्तिष्ठोत्तिष्ठश्रीरामउत्तिष्ठग रुडध्वजाउत्तिष्ठजानकीकांतत्रैलोक्यंमंगलंकुरु॥॥उत्तिष्ठोत्तिष्ठभद्रतेउत्तिष्ठज गदीश्वर // त्वयिचोत्थायमानेतुउत्थितंभुवनत्रयम् // 2 // इतिउत्थापनमंत्रः Film अथावाहनादिमुद्रा॥आवाहनीस्थापनीसन्निहितीसन्निरुडीसन्मुखीअव गुंठनीशकलीकृत् // धेनुशंखचक्रगदापद्मशाशरकौस्तुभवनमालायोनिनम स्काराः॥इतिमुद्राः // श्रीरामपूजामध्ये क्रियते // यद्वा / शंखचक्रगदापमं / शाईमुशलमेवच // पाशांकुशौवैनतेयंश्रीवत्संकौस्तुभंतथा ॥१॥वीक्षणंप्रोक्षणं For Private And Personal
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________________ sitiivir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri de u ndir ताडणंअवगुंठनंशकलीकृतम् ॥धेनुमुद्रामहामुद्राप्रणामीकरणंतथा // 2 // आ सनंस्वागतंपाद्यमय॑माचमनीयकम् // मधुपर्काचमनस्नानवस्त्राभरणानिच // Mam // सुगंधंसुमनोधूपंदीपनैवेद्यवंदनम् // प्रार्थनाचरणाचनाचअर्पणानिचषो / डश॥४॥ अथविधिपूर्वकं अर्चाविधिनिरूप्यते / तदुक्तंपाराशरे // अथ यागविधिवक्ष्येसंस्कारांतरमुत्तमम।अभिवाद्यनमस्कृत्यूप्रणिपत्यततोगुरुम् // // 1 // तस्यप्रसादलब्धंवैगृहीत्वाविग्रहहरेः // श्रीभूमिलीलासहितंसायुधंस, परिच्छदं॥२॥अर्चयेत्प्रयतोनित्यंयथाकालमतंद्रितः // अप्सुव्योम्नितथा र्चायांवन्हौहदितथागुरौ // 3 // पाने॥ जम्बुहीपेमहापुण्येवर्षेवैभारतेशु / ॥अर्चायांसनिधोविष्णुर्नेतरेषुकदाचन // 4 // तस्मात्तुभारतेवर्षमुनिभिस्त्रि दशैरपि // सेवितंऋषिभिर्देवितपोयज्ञक्रियादिभिः॥५॥ ऐंद्रद्युम्नेतथाकूर्मेसि For Private And Personal
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________________ Shri Malayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaapandir ब..हादौबदरीवने // कृतशौचप्रयागेचपौंड्रकेचैवदंडके ॥६॥वैकुंठाद्रौपदेचैवश्वेता रा.प. दौकरवीरके // कांच्यामनंतशयनेश्रीरंगेभैरवाचले॥७॥नारायणाचलेसौम्ये वाराहेवामनाश्रमे // एवमाद्याःस्वयंव्यक्ताःसर्वकामफलप्रदाः॥८॥ अथवास्था / पनविष्णोःस्वगहेतद्विशिष्यते॥सिकतादारुलोहाद्यैःकृत्वाप्रतिकृतिहरेः॥९॥वि ष्णुयामलोमृदाचरम्यरत्नेनताम्रणरजतेनवा॥कृत्वादारुमयंबिंबमर्चनंकांचने नवा ॥१०॥पुण्यंशतगुणंदद्यादेतेषामुत्तरोत्तरा।यस्मिन्सन्निहितोविष्णुः स्वयमे / वनृणां वि॥११॥शागवत।शैलीदारुमयीलौहीलेप्यालेख्याचसकती।मणि मयीमनोमयीप्रतिमाष्टविधास्मृता॥१२॥ ॥अन्ये॥श्रीभूमिसहितंदेवंकारये। च्छुभविग्रह।एकादश्यांशुक्लपक्षेद्वादश्यांश्रवणेपिवा 13 रोहिण्यांमिंदुवारेवात / थैवद्वितीयेशुभे॥ कार्तिकेमार्गशीर्षवानभस्येचोत्तरायण॥३४॥शुभेन्हिशुभलग्ने For Private And Personal
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________________ Shri Mabayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gavandir वाशुभग्रहनिरीक्षणप्रतिष्ठाकारयेद्विद्वान्यथोक्तविधिनाद्विजः॥१५॥शालग्राम शिलायांतुपूजनंपरमात्मनः।। कोटिकोटिगुणाधिक्यंभवेदत्रनसंशयः॥१६॥ जपोनाधिवासश्चनचसंस्थापनक्रिया। शालिग्रामार्चनेविष्णुस्तस्मिन्सन्निहितः। सदा // 17 // मूर्तीनांचहरेःस्वस्ययस्यप्रीतिरनुत्तमा ॥तस्यामेवतुतांध्यात्वापू जयेत्तद्विधानतः॥१८॥ खंडितंस्फुटितंभिन्नमग्निदग्धंतथैवच // शालिग्राम शिलाभूतशैलदोषोन विद्यते // 19 // सूतकेमृतकेवापिविष्णुंनित्यंतथार्चयेत् // शालिग्रामशिलांस्पृष्ट्वासद्यएवशुचिर्भवेत् // 20 // मद्भक्तिबलमाश्रित्यमद्भ सक्तोदीक्षितोयदि॥ नत्यजेन्ममकर्माणिसूतकेमृतकेपिवा // 21 // अशुचिर्वाद राचारीसत्यशौचविवर्जितः॥शालग्रामशिलांस्पृष्ट्वासद्यएवशुचिर्भवेत् // 22 // ब्रह्मक्षत्रियवैश्यानांशूद्राणामथवापिवा // शालिग्रामेधिकारोस्तिनचान्येषांक For Private And Personal
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________________ Shrg Melayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyomandir दाचन॥२३॥अतिपापसमाचाराःकर्मण्यनधिकारिणः॥शालिग्रामार्चकायेवैनै वयांतियमालयं // 24 // // इतिअर्चाविग्रहविधिः॥ // गोविंदवल्लभे देविजगच्चैतन्यरूपिणि // स्नापयामिजगद्धात्रिविष्णुभक्तिप्रदायिनि // 1 // तितुलसीस्नानमंत्रःअथतुलसीविधिः॥माप्रसीदजननिसर्वसौभाग्यव। हिनि॥आधिव्याधिहरेदेवितुलसित्वांनमोस्तुते // 2 // // इतिनमस्कार। मंत्रः॥ तुलस्यमृतनामासिसदात्वंकेशवप्रिये // केशवाचिनोमित्वांवरदाभ वशोभने // 3 // कुसुमैःपारिजाताद्यैःसुगंधैरपिकेशवः // त्वांविनानचतृप्तः / स्याच्चिनोमित्वामतःशुभे // 4 // त्वयाहीनंमहाभागेसमस्तंकर्मनिष्फलं // अतस्तुलसिदेवित्वांचिनोमिवरदाभव // 5 // पत्रंचयुगलंयुक्तंमंजरीमध्यसं स्थितं // तुलसीविष्णुप्रीत्यर्थेददामिविष्णवेसदा॥६॥मरीचिसंहितायां॥ For Private And Personal
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________________ She Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri fyqumendir hamakernote इदमन्नव्हवैतुलस्यासंस्कृतप्पुरुषाराधनार्ह भवतितस्मात् तुलसीमिश्रितहस मर्पणंकुर्यात् तुलसीरहित निवेदितंयोभुंक्तेसकिल्बिषसर्वभुंजानोपापीयान / भवति ससर्वलोकगर्हितोभवतिसकृष्णोऽभक्तोभवति इतिश्रुतेगातथाचपाने विष्णोनिवेदनार्थान्नंतुलसीमिश्रितंनचेत् // तत्सर्वराक्षसैनीत पूर्तमंत्रपदैरपि 7 // इतितुलसीविधिः // अथपुष्पग्रहणविधिः // नशुष्कैःपूजयेद्देवनपुष्प धरणीगतैः॥नविदीर्णदलैःपुष्ठीशु धकाशिभिः॥१॥ पूतगंधीन्यगंधी / निअल्पगंधीनिवर्जयेत् ॥नग्राह्यंकरवीरैस्तुकुसुमैरर्चयेद्धरिं॥२॥ कुशपुष्पस मिहारिब्राह्मणः स्वयमाहरेत् // शूद्रानीतंत्रियानतिकर्मकुर्वन्व्रजेदधः // 3 // करानीतंपरानीतंशूद्रानीतंतथैवच // एरंडपत्रैर्वानीतंपत्रंपुष्पंविवर्जयेत् // 4 // विष्णुधर्मोत्तरे // ॥श्रीशस्याराधनायकुर्यात्पुष्पस्यसंचयमातुलसीबिल्व For Private And Personal
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________________ Shri Maheri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri G uendir रा.प. 惡杂*於**** बृ.वे. पत्राणिदूर्वाकौशेयमेवच // 5 // विष्णुक्रांतमरुबकंकारुलंदमनंतथा॥ औशोर जातिकुसुमकुदंचैवकुरुंडकम् // 6 // शमिंचंपकदंबंचचूतपुष्पंचमाधवीं // पुन्नागंबकुलंनागकेशराशोकमल्लिकं॥ 7 ॥शतपत्रंचहारीतंकरवीरंचवर्जयेत॥ in नीलोत्पलंशत्पलंचसंध्यावतंचकैतकम् // 8 // घटजलस्थंपनचसर्वाणिज लजानिच // तत्तत्कालोद्भवंपुष्पंगृहीत्वागृहमाविशेत् // 9 // इतिपुष्पग्रहणवि धिः॥ अथचरणोदकविधिः॥उदकंचंदनंचक्रशंखंचतुलसीदलंघंटानादंशि लाताम्रमष्टाभिश्चरणोदकम् // // // तथाच हारीते॥ ॥गंडकीगोमतीचक्र तुलसीताम्राजनं // घंटानादंशंखतोयमष्टमंचानुलेपनम् // 2 // सर्वेषामप्य लाभेतुशंखएकोविशिष्यते // शंखोदकंसदापूतमतिप्रियतमंहरेः॥३॥ पंचसं स्कारयुक्तानांवैष्णवानांविशेषतः॥ग्रहार्चन विधानेतुशंखघंटांविवर्जयेत् // 4 // ***杂杂杂杂杂杂杂杂杂 For Private And Personal
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________________ Shriyar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyomandir पाद्यार्थ्याचमनस्नानपात्राणिस्थाप्यपूजयेत् // पूरयित्वाशुलजलंपात्रेषुकुसुमै / युतं॥५॥द्रव्याणिनिःक्षिपेत्तेषुमंगलानियथाक्रमं॥द्रव्याणामप्यलाभेतुतुल सीपत्रंनिःक्षिपेत् ॥६॥उद्धरण्याततोदद्यात्पाद्यार्थ्याचमनंहरेः // स्नानपात्रो दकेनाद्यनापयेत्कमलापतिम् // 7 // कस्तूरीतिलकंगंधंपुष्पाणिसुरभीणिच॥व स्वचैवोपवीतंचदद्यादाभरणानिच॥८॥पुनरादिकंदत्वाधूपंदीपंनिवेदयेत् ॥गु ग्गुलुमहिषाख्यंच शालनिर्यासमेवच॥९॥अगरुंदेवदारुंचउशीरंश्रीफलंतथा॥ हीबेरंचंदनंमुस्तादशांगंधूपमुच्यते॥३०॥गवाज्येनसमंयोज्यदद्याइपंसुवासि तं // संयोज्यवन्हिनादीपंअत्याविष्णोनिवेदयेत् ॥११॥गुडपायससपीषिश कुल्यापूपमोदकान॥ संयावदधिसूपांश्चनैवेद्यसतिकल्पयेत् // 12 // दत्वाचम नमुच्छेषंविष्वक्सेनायकल्पयेत्।मुखवासंसुरभिमत्तांबूलाद्यमथार्पयेत्॥३३॥ For Private And Personal
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________________ Shri Yabsyi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaradir बृ.वे. आदौचतुष्पादतलेचकृत्वाहिनाभिदेशेमुखमंडलैकम्॥ सर्वांगदेशेषुवसप्तवारत रा.प. थार्तिकंभक्तजनैस्तुदेयम् ॥१४॥सर्वैश्ववैष्णवैमैत्रैःकुर्यात्पुष्पांजलिंतथा।प्रणमे / चततोष्टांगंभत्क्याविष्णोनिवेदयेत् // 19 // स्तवैउच्चावचैस्स्तोत्रैःपौराणैःप्राकृत / रपी॥ स्तुत्वाप्रसीदागवन्नितिदेतदंडवत् // 16 // शिरोमत्पादयोःकृत्वाबाहु भ्यांचपरस्परं। प्रपन्नंपाहिमामीशभीतंमृत्युग्रहार्णवात॥३७॥पद्भ्यांकराभ्यांजानु / भ्यामुरसाशिरसातथा॥मनसावचसादृष्टयाप्रणामोष्टांगउच्यते॥१८॥प्रसार्यबा हूपादौचबद्धनांजलिनासह // स्तुवंस्तुतिभिरेवंतुप्रणामोदीर्घउच्यते॥१९॥ अग्रेपृष्ठेतथावामेसमीपेगर्भमंदिरे॥ जपहोमनमस्कारंनकुर्यात्केशवालय॥२०॥ वस्त्रप्रावृतदेहस्तुयोनरःप्रणमेत्तुमां // स्त्रीत्वंतुजायतेमूर्खःसप्तजन्मनिभामिनि 44 // 21 // एकहस्तप्रणामंचएकांचैवप्रदक्षिणाम् // अकालेदर्शनंविष्णोर्हतिपुण्यं / / For Private And Personal
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________________ Shri Mabawy Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyawadir पुराकृतम् // 22 // तथाच // दुर्गसंसारकांतारमपारमधिधावताम् // एकोवि ष्णुनमस्कारोमुक्तितीरस्यदेशिकः // 23 // इतिचरणोदकादिविधिः॥ // अथ / / पूजामंत्रविधिः॥ तथाच॥ ॥पंचरात्रविधानेनयथावैखानसेनवा।स्मृत्युक्ते / नाथवाकुर्याक्रियालोपंनकारयेत् // 1 // ॥तत्रादौश्रुत्युक्तप्रमाणं // ॐa सहस्रशीर्षापुरुषःसहस्राक्षःसहस्रपात् // सभूमि सर्वतस्मृत्वात्यतिष्ठदशांगुल म॥३॥ // इत्यावाहनं // ॥ॐ पुरुषएवेदश्सर्वयद्भूतंयच्चभाव्यं / उता मृतत्वस्येशानोयदन्नेनातिरोहति // इत्यासनम् ॥२॥ॐ एतावानस्यमहि / माऽतोज्यायांश्चपूरुषः॥पादोऽस्यविश्वाभूतानि त्रिपादस्यामृतंदिवि // इति / पाद्यम् ॥३॥ॐ त्रिपादूर्ध्वउदैत्पुरुषःपादोस्येहाभवत्पुनः॥ ततोविष्वङ्ख्य कामत्साशनानशनेअभि // इत्यर्षम्॥४॥ ततोविराडजायतविराजोअधि For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaasandir ****等********** पूरुषः॥ सजातोअत्यरिच्यतपश्चाद्भूमिमथोपुरः॥ // इत्याचमनं॥ ॥५॥ॐ तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतःसंभृतम्पृषदाज्यं // पशूस्तांश्चकेवायव्यानारण्यान्ग्राम्या श्चये // // इतिस्त्रानम् // // 6 // ॐ तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतऋचःसामानिज ज्ञिरे // छंदांसिजज्ञिरेतस्माद्यजुस्तस्मादजायत॥ // इतिवस्त्रम् // 7 ॐ तस्मादश्वाअजायंतयेकेचोभयादतः॥ गावोहजज्ञिरेतस्मात्तस्माज्जाताअ जावयः // // इतियज्ञोपवीतं // ॥८॥ॐ तयज्ञबर्हिषिप्रौक्षन्पुरुषजातम ग्रतः॥ तेनदेवाअयजंतसाध्याऋषयश्चये ॥॥इतिगंधम् // // 9 // ॐ य त्पुरुषव्यदधुःकतिधाव्यकल्पयन् // मुखंकिमस्यासीत्किंबाहूकिमूरूपादाउच्ये ते॥ इतिपुष्पम्॥१०॥ॐ ब्राह्मणोस्यमुखमासीहाहूराजन्यःकृतःऊरूतदस्य। यद्वैश्यःपद्भयांशूद्रोअजायत // इतिधूपम् // 11 // ॐचंद्रमामनसोजातश्च **** For Private And Personal
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________________ Shri Mabayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyerlerdir - - क्षोस्सूर्योअजायत // श्रोत्राहायुश्चप्राणश्चमुखादग्निरजायत // इतिदीपं // | // १२॥ॐ नाभ्याआसीदन्तरिक्ष शीर्णोद्यौःसमवर्तत // पद्भयांभूमिदि / शःश्रोत्रात्तथालोका अकल्पयन् // इतिनैवेद्यं ॥१३॥ॐ यत्पुरुषेणहविषादे वायज्ञमतन्वतावसंतोऽस्यासीदाज्यंग्रीष्मइध्मःशरद्धविः // इतिनमस्कार // १४॥ॐ सप्तास्यासन्परिधयस्त्रिःसप्तसमिधःकृताः // देवायद्यद्वतन्वाना अबध्नन्पुरुषंपशुम् // इतिप्रदक्षिणा ॥१५॥ॐ यज्ञेनयज्ञमयजन्तदेवास्ता निधर्माणिप्रथमान्यासन् // तेहनाकंमहिमानःसचन्तयत्रपूर्वसाध्याःसंतिदेवाः इतिविसर्जनं ॥१६॥ॐअद्भयःसंमृतपृथिव्यैरसाच्चविश्वकर्मणः समवर्तता / Rig // तस्यत्वष्टाविदधदूपमेतितन्मय॑स्यदेवत्वमाजानमग्रे॥१७॥ॐ वेदाहमे तंपुरुषंमहान्तमादित्यवर्णतमसःपरस्तात्॥तमेवविदित्वातिमृत्युमेतिनान्याप For Private And Personal
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________________ Shri Malayiq Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Grennandir बृ.वे. थाविद्यतेऽयनाय॥१८॥ॐ प्रजापतिश्चरतिगर्भअंतरजायमानोबहुधाविजायते / रा.प. तस्ययोनिम्परिपश्यन्तिधीरास्तस्मिन्हतस्थुर्भुवनानिविश्वा ॥१९॥ॐ योदेवे / / भ्यआतपतियोदेवानांपुरोहितापूर्वोयोदेवेभ्यो जातोनमोरुचायब्राह्मण॥२०॥ ॐरुचंब्राह्मजनयंतोदेवाअग्रेतदब्रुवन् // यस्त्वेवंब्राह्मणोविद्यात्तस्यदेवाआस न्वस॥२१॥ॐश्रीश्चतेलक्ष्मीश्वपत्न्यावहोरात्रेपार्चेनक्षत्राणिरूपमश्विनौव्यात माइष्णन्निषाणामुमइषाणसर्वलोकंमइषाण ॥२२॥इतिश्रुत्युक्तपूजामंत्राः॥ अथपंचरात्रोक्तपूजामंत्राः॥॥त्वंपुरासागरोत्पन्नोविष्णुनाविधृतःकरे।नमंति सर्वदेवास्तुपांचजन्यनमोस्तुते॥॥इतिशंखप्रार्थना।। सर्वनादमयीघंटादेवदे। वस्यवल्लभा॥ त्वांविनादेविसर्वेषांशुभंभवतिनशोभने॥२॥ इतिघंटाप्रार्थना / मंत्राउत्तिष्ठोत्तिष्ठश्रीराम उत्तिष्ठजानकीपतो।उत्तिष्ठकमलाकांतत्रैलोक्यंमंगलं 然杂路路路路路路路路路路路路染於染法染路路路路 For Private And Personal
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________________ Shri Melay Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyerdir कुरु॥३॥उत्तिष्ठोत्तिष्ठभद्रतेउत्तिष्ठजगदीश्वर // त्वयिउत्थायमानेतुउत्थितंभुवन त्रयम् // 4 // ॥इतिउत्थापनं // ॥आगच्छभगवन्विष्णोस्वस्थानात्परमेश्व र // अहंपूजांकरिष्यामिसदात्वंसंमुखोभव // 5 // ॥इत्यावाहनं॥ ॥सिंहा। सनेसुवर्णस्यनानारत्नोपशोभिते // अनंतफणपत्रस्थउपविश्यासनेप्रभो // 6 // Muइत्यासनं // ॥स्नानार्थस्वच्छतोयानिगंधपुष्पयुतानिचापाद्यगृहाणदेवेश / / भक्तानुग्रहकारक // 7 // // इतिपाद्यं // ॥शंखतोयंसमानीतंगंधपुष्पादि वासितम् // अर्घ्यगृहाणदेवेशप्रीत्यर्थमेसदाप्रभो॥८॥ // इत्यय // ॥ॐ विष्णुः ॐविष्णुः ॐविष्णुः // इत्याचमनं // ॥दधिदुग्धमधुसर्पिःशर्करांच तथाप्रभो // समर्पयामिदेवेशप्रीत्यर्थप्रतिगृह्यताम् // ९॥इतिमधुपर्कादि / स्नानं // // गंगासरस्वतीतापीपयोष्णीनर्मदार्कजा // तज्जलैःनापितोदेवतेन / For Private And Personal
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________________ Shri Melay Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gratandir बृ.अ. शांतिकुरुष्वमे // 10 // इतिस्नानं // // गंगातोयंसमानीतंसुवर्णकलशेध रा.प. तम् // आचम्यदेवदेवेशप्रीत्यर्थप्रतिगृह्यताम् // 11 // इत्याचमनं // ॥शी तवातोष्णसंत्राणेपरलज्जानिवारणे // सुवेषेधारितेयस्माहाससीप्रतिगृह्यता म् // 12 // इतिवस्त्रं // ॥ब्रह्मणानिर्मितंसूत्रविष्णुग्रंथिसमन्वितम् // इदं यज्ञोपवीतंचगृह्यतांतुजनाईन // 13 // इतियज्ञोपवीतं // ॥ॐविष्णुः॥ इत्याचमनं // किरीटंकुंडलंहारकंकणांगदनपुरम् // नानारत्नमयंत्वंगेभूषणं प्रतिगृह्यताम् // 34 // इतिभूषणं // // मलयाचलसंभूतंशीतमानंदवर्धनम्।। काश्मीरघनसाराढ्यंचंदनम्प्रतिगृह्यताम् // 19 // इतिचंदन। // ब्रह्मार्पित समज्योतिःशकाद्याःसर्वदेवताः // वस्त्रंगहाणदेवेशप्रीत्यर्थमेसदाप्रभो॥१६॥ // इतिउत्तरीयवस्त्रं // ॥ॐ विष्णुः // 3 // इतिआचमनं // नानाविधानिपु g7 For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Graumandir पाणिऋतुकालोद्भवानिच // मयार्पितानिसर्वाणिपूजार्थप्रतिगृह्यतां // 17 // इतिपुष्पं // वनस्पतिरसोत्पन्नंसुगंधाब्यंमनोहरं // आप्रेयःसर्वदेवानांधूपोयं / प्रतिगृह्यतां // 38 // इतिधूपं // घृतवर्तिसमायुक्तं तथाकर्पूरसंयुतम् // दीपंग हाणदेवेशत्रैलोक्यतिमिरापहं // 19 // इतिदीपं // अन्नंचतुर्विधंस्वादुरसैःषड्। जिसमन्वित।भक्ष्यभोज्यसमायुक्तं नैवेद्यंप्रतिगृह्यताम् // 20 // इतिनैवेद्यं / तथाच // सामवेदेआम्नायोपनिषदि नैवेद्यविधिः // कृतान्हिकोवेदाध्या / / यकोद्विजः // पूतनाचारेण / पूतेनमनसाऽभ्यंतराचारेण॥बाह्याचारेण ॥धा न्यं संस्कृत्य पचित्वा पाकं / वाग्जितोनारायणस्य पुरःसरं समर्प्य / पार्षदान् / सन्नह्य / घंटानादं निनदन् / दरवरोदकेनतुलसीदलमिश्रितेन पाकानंसर्वतो परिवृताकृतिसंवेष्टयित्वाऽऽपोशनंदद्यादमृतोयस्तरणमसीत्यमृतं पिधानमसी For Private And Personal
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________________ Shri Mabar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyamandir रा.प. तिततोन्नं भगवद्रूपायशालिग्रामस्वरूपायनिवेद्यांतर्पुटंदत्वा बहिरागच्छेत् // रुषसूक्तं तारक ब्रह्मजपःकृत्वा॥मध्येजलं निवेद्य क्षणिकोभूत्वा नैवेद्यंपरिसरेत / पुनर्नादंनिनदन्नाचमनीयं चपेयं पीयूषममृतंफलेक्ष्वादिकंदत्वाप्साशुद्धेनसाम्ना मुखशुद्धिंदत्वातुलस्यांजलिंदद्यात्॥इतिश्रुतिः॥ ॐ विष्णुः॥३॥इत्याचमनं नागवल्लीदलंदिव्यंपूगीखदिरसंयुतम् // वकंसुरभिकृत्स्वादुतांबूलंप्रतिगृह्यताम् / 21 // ॥इतिताम्बूलं॥ // सदीप्तंघृतकर्पूरपूरितंसप्तवर्तिकम् ॥आर्तिक्यं / देवदेवेशसंग्रहीष्वमयार्पितम् // 22 // // इत्यार्तिक्यं // ॥चंद्रसूर्यसमज्यो / तिराकाशतारासमन्वितम्॥शब्दोर्यत्रिदेवेशसंगृहाणार्तिकंप्रभो॥२३॥ ॥इति / पुनरार्तिक्य॥ ॥यन्मयाभक्तियोगेनदत्रंपुष्पंफलंजलम।आवेदितंचनैवेद्यंत 18 डहाणानुकंपया // 24 // आवृतांमृदुपुष्पाणांवनस्पतिरसायुताम् // पुष्पांजलि For Private And Personal
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________________ Shree ayir Jain Aradhana Kendra ana www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyomapdir महंदद्मिसंगृहाणकृपानिधे // 25 // // इतिपुष्पांजलिः॥ ॥उपचारसमस्तै / स्तुयत्पूजाचमयाकृता॥ तत्सर्वपूर्णतायातुअपराधक्षमस्वमे॥२६॥ // इति पराधक्षमापनं // ॥यानिकानिधपापानिब्रह्महत्याशतानिच // तानितानि / विनश्यतिप्रदक्षिणपदेपदे // 27 // // इतिप्रदक्षिणां॥ // त्राहिमांपापि नघोरंधर्माचारविवर्जितम्॥ नमस्कारेणदेवेशसंसारार्णवपातकम्।।२८॥ इति / नमस्कारं // // नीलांभोधरकांतिकायमनिशंवीरासनाध्यासनंमुद्रांज्ञानमयीं दधानमपरंहस्तांबुजंजानुनि // सीतांपार्श्वगतांसरोरुहकरांविद्युनिभराघवंप श्यंतमुकुटांगदादिविविधैःकल्पोज्ज्वलांगं भजे // 29 // // इतिध्यानं // ॥क्षी रसागरसमुद्रेतुशेषशय्यामहाशुभ।तस्यास्वपिहिदेवेशकुरुनिद्रांजगत्पते // 30 ॥इतिशयन॥ ॥तच्छय्यासुप्तोविष्णुर्लक्ष्मीश्चरणसेवनम् ॥प्रणामंऋषयःसर्वे For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyer pendir रा.प. ब्रह्माभृगुश्चनारदः॥३२॥॥इतिचरणसेवन॥ // मंत्रहीनंक्रियाहीनंभक्तिहीन / परात्परापूजितोसिमयादेवपरिपूर्णतदस्तुमे॥३२॥ ॥इतिस्तुतिकाआवाहनं न जानामिनजानामिविसर्जनम्॥पूजांचैवनजानामित्वंगतिःपरमेश्वर॥३॥ तिविसर्जनमंत्रः॥आसनस्वागतंपाद्यमय॑माचमनीयकम।मधुपर्काचमनंना नवसनाभरणानिय // 34 // सुगंधंसुमनोधूपंदीपनैवेद्यमेवच // प्रार्थनाचरणा र्चनाचअर्पणानिचषोडश // 35 // // इतिपंचरात्राक्तपूजाविधिः समाप्तः॥ // अथागस्त्यसंहितोक्तपूजाविधिर्निरूप्यते // ॥सुतीक्ष्णउवाच // हदयेमानसीपूजाकीदृशीवदमेप्रभो // उपचारैः कतिविधैः पूज्यतेरघुनंदनः |॥१॥॥अगस्त्यउवाच // रामपद्मविशालाक्षेनीलाम्बुदसमप्रभम् // स्मित वक्रंसुखासीनंचिंतयेचिंतितार्थदम् // 2 // रागादिकलुषंचित्तवैराग्येणसुनिर्मलं। For Private And Personal
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________________ Shri H eyir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyomandir कृत्वाध्यायेत्सदारामंभवबन्धविमुक्तये ॥३॥प्रातः शुद्धतनुर्भूत्वाशौचादिभिर तंद्रितः // विविक्तदेशमाश्रित्यध्यानपूजांसमारभेत् // 4 // नाभिकंदसमुद्भूत कदलीकुसुमोपमम्।।अष्टपत्रंस्निग्धवर्णध्यायेद्धृदयपंकजम्।।५॥ तत्परामनाम्नै वफुल्लंकृत्वास्यमध्यमे // भावयेत्सूर्यसोमाग्निमण्डलान्युत्तरोत्तरम् // ६॥त स्योपरिन्यसेदिव्यंपीठंरत्नमयोज्ज्वलम् ॥तन्मध्येराघवंध्यायेत्कोटिसूर्य्यसमा प्रभम्॥७॥इन्दीवरनिभशांतंविशालाक्षसुवक्षसं॥उद्यद्दीधितिमद्भासकुंडला भ्यांविराजितम् // ८॥सुनासंसुकिरीटंचसुकपोलंशुचिस्मितम् // विज्ञानमुद्रा द्विभुजंकम्बुग्रीवंसुकुंतलम् // 9 // नानारत्नमयैर्दिव्यैहीरैर्भूषितमव्ययम् // विद्युत्पुंजप्रतीकाशवस्त्रयुग्मधरंहरिम् ॥१०॥वीरासनस्थंसंतानतरुमूलंनिवा सिनं // महासुगंधलिप्तांगंवनमालाविराजितम् // 11 // वामपार्थेस्थितांसी For Private And Personal
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________________ Shri Matavi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanja dir II वे . तांचामीकरसमप्रभा // नीलपद्मधरांदेवींचारुहासांशुभाननाम् // 12 // पश्यं / / रा.प. तस्निग्धयादृष्टयादिव्याकल्पविराजिताम्॥छत्रचामरहस्तेनलक्ष्मणेनसुसेधित म् ॥१३॥हनुमत्प्रमुखैर्नित्यंवानरैःपरिसेवितम् ॥स्तूयमानमृषिगणैःसेवितं / भरतादिभिः॥१४॥सनन्दनादिभिश्चान्योंगिदैश्वसेवितम् // सर्वशास्त्रा र्थतत्त्वज्ञंयोगज्ञयोगसिद्धिदं // 15 // शुद्धेनमनसारामंपूजयेत्सततंहदि॥१६॥ // इतिध्यानम् // // आवाहयामिदेवेशंजानकीवल्लभविभुं // कौसल्यातनयं / / विष्णुंश्रीरामंप्रकृतेःपरम् // 17 // // इत्यावाहनम् // // राजाधिराजराजें। द्ररामचंद्रमहीपते // रत्नसिंहासनंतभ्यंदास्यामिस्वीकरुप्रो // 18 // // त्यासनम् // श्रीरामागच्छभगवन् रघुवीरनृपोत्तम // जानक्यासहराजेंद्रसु स्थिरोक्षवसर्वदा॥३९॥रामचंद्रमहेष्वासरावणान्तकरायव ॥यावत्पूजांसमर्थे For Private And Personal
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________________ Shri lahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyapmandir ***於*於**苏於於於洛洛 हतावत्त्वंसन्निधोभव // 20 // // इतिसंनिधानं // रघुनंदनराजर्षेरामराजी वलोचन ॥रघुनंदनमेदेवश्रीरामाभिमुखोभव // 23 // // इतिसन्मुखीक रणं॥ प्रसीदजानकीनाथसुप्रसीदसुरेश्वर // प्रसन्नोभवमेराजनप्रसन्नोमधुसूद न॥२२॥ // इतिप्रसन्नकरणं // ॥शरणंमेजगन्नाथशरणंभक्तवत्सल // वरदोभवमेराजनशरणंमेरघूत्तम // 23 // ॥इतिप्रार्थना॥ // त्रैलाक्यपावना नंतनमस्तेरघुनायकापाद्यंगृहाणराजर्षेरामराजीवलोचन॥ 24 // ॥इति पाद्यं ॥॥परिपूर्णपरानंदनमोरामायवेधसे॥ गृहाणाय॑मयादत्तंकृष्णविष्णो जनार्दन // 25 // इत्यध्य // ॥नमः सत्यायशुद्धायज्ञानविज्ञानरूपिणे // गहाणाचमनंनाथसर्वलोकैकनायक ॥२६॥॥इत्याचमनं // // नमोस्तुवा सुदेवायतत्त्वज्ञानस्वरूपिणे // मधुपर्कगृहाणेमंजानकीपतयेनमः॥२७॥ इति For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyappapdir 部落等等杀杀杀杀杀杀杀器容器然 मधुपर्क // // पंचामृतमयानीतंपयोदधिघृतंमधु // सशर्करंतथादत्तंरामत्वंप्र तिगृह्यताम् // 28 // इतिपंचामृतं // // ब्रह्मांडोदरमध्यस्थैस्तीथैश्चरघुनंद न॥स्नापयिष्याम्यहंभक्त्यासंगृहाणजनाईन ॥२९॥॥इतिस्त्रान॥ // संत / सकांचनप्रख्यंपीतांबरमिदंहसंगृहाणजगन्नाथरामचंद्रनमोस्तुते॥३०॥ इति / वस्त्रं ॥॥श्रीरामाच्युतयज्ञेशश्रीधरानन्तराघव // ब्रह्मसूत्रंचोत्तरीयंगृहाणर घुनायक // 31 // इतियज्ञोपवीतं // // किरीटहारकेयूररत्नकुंडलमेखलाः // अवेयकौस्तुभोरस्कंरत्नकंकणनपुराः // 32 // एवमादीनिसर्वाणिभूषणानिन् पोत्तम ॥अहंदास्यामिसद्भक्त्यासंगृहाणजनाईन॥३३॥इत्याभूषण।प्रधान देवनीयश्चसर्वमांगल्यकर्मणि|प्रगृह्यतांदीनबंधोगंधोयंमंगलप्रद३४इतिगंध कुंकुमागरुकस्तूरीकर्पूरोन्मिश्रचंदनम् // तुभ्यंदास्यामिविश्वेशश्रीरामस्वीकुरुप 採祭器杂杂杂杂杂杂杂杂杂路路路路路路路路路路路 For Private And Personal
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________________ Shri Mabeyir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyarpapdir **終於終於終於教杂***於萨米米米 भो॥३५॥इतिचंदन।तुलसीकुंदमंदारजातीपुन्नागचंपकैः॥कदंबकरवीरैश्चकुसु मैःशतपत्रकैः // 36 // नीलांबुर्बिल्वपत्रैःपुष्पमाल्यैश्चराघव // पूजयिष्याम्यहं / भक्त्यासंगृहाणजनाईन // 37 // // इतिपुष्पं // // पादौश्रीरामभद्रायनमः॥ गुल्फौश्रीराजीवलोचनायनमः।।जंघेविश्वरूपायनमःजान्वोःश्रीरावणांतकाय नमः॥ कटौश्रीलक्ष्मणाग्रजायनमः॥ मेट्रेश्रीविश्वमूर्तयेनमः॥ नाऔश्रीवि श्वामित्रप्रियायनमः॥ हदिश्रीपरमात्मनेनम• // कंठेश्रीकंठायनमःबाहौश्री सर्वास्त्रधारिणेनमः॥ मुखेश्रीरघूहहायनमः // जिव्हायांश्रीपद्मनाभायनमः॥ दंतेश्रीदामोदरायनमः॥ नासिकायांश्रीजलदवर्णायनमः // कर्णेश्रीश्रुतिगोच रायनमः॥नेत्रेश्रीपुंडरीकाक्षायनमः॥ ललाटेश्रीसीतापतयेनमः॥ शिरसिश्री ज्ञानगम्यायनमः ॥सर्वागेश्रीसर्वात्मनेनमः।इत्यंगपूजा॥ वनस्पतिरसैदिव्यः For Private And Personal
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________________ Shy Wahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyuwandir ***************** गंधाब्यैस्सुमनोहरैः। रामचंद्रमहीपालधूपोयंप्रतिगृह्यताम॥३८॥॥इतिधूपं॥ ज्योतिषांपतयेतुभ्यंनमोरामायवेधसे // गृहाणदीपकरामत्रैलोक्यतिमिरापह।। // 39 // इतिदीपं // // इदंदिव्यान्नममृतरसैःषड्भिस्समन्वितम् // रामरा जेंद्रनैवेद्यंसीतेशप्रतिगृह्यताम् ॥४०॥॥इतिनैवेद्यं // // कर्पूरवासितंतोयंस्तु वर्णकलशेस्थितम् // गृहाणाचमनंनाथजानक्यासहराघव ॥४१॥॥इत्याच मनं ॥॥इदंफलंमयादेवस्थापितंपुरतस्तव // तेनमेसकलावाप्तिर्भवेजन्मनिज न्मनि // 42 // इतिफलदानं // नागवल्लीदलैर्दिव्यंपूगीफलसमन्वितम् ॥ता म्बूलंगृह्यतारामकर्पूरादिसमन्वितम् ॥४३॥॥इतिताम्बूलं॥ // नृत्यगीतादि वाद्यादिपुराणपठनादिभिः॥राजोपचारैरखिलैस्संतुष्टोभवराघव ॥४४॥॥इ तिराजोपचारः॥॥नमस्तेजानकीनाथरामचंद्रमहीपते // पूर्णानन्दैकरूपाय 於***洛染染染器深深務*於於於米米米米器 For Private And Personal
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________________ Shy Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyengandir * * * गृहाणार्यनमोस्तुते // 45 // इत्यध्ये ॥मंगलार्थमहीपालनीराजनमिदंहरे॥ संगृहाणजगन्नाथरामचंद्रनमोस्तुते // 46 // // इतिनीराजनं // अथस्तुति प्रारंभः॥ // नमोदेवाधिदेवायरघुनाथायशाङ्गिणे // चिन्मयानंदरूपायप्सीता याःपतयेनमः॥४७॥सर्वलोकशरण्यायरामचंद्रायवेधसे // ब्रह्मानंदैकरूपायसी तायाःपतयेनमः॥४८॥ श्रीरामाच्युतयज्ञेशश्रीधरानंतराघव ॥श्रीगोविंदहरे / कृष्णनमस्तेजानकीपते ॥४९॥ॐ नमोभगवतेश्रीरामायामिततेजसे // ब्रह्मा। नंदैकरूपायससीतायनमोनमः॥५०॥ॐ नमोभगवतेरांरामचंद्रायवेधसे // सर्वलोकशरण्यायससीतायनमोनमः॥५१॥ॐ नमोभगवतेश्रीवासुदेवायवि ष्णवे ॥पूर्णानन्दैकरूपायससीताय० // 52 // ॐ रांनमोभगवतेविष्णवेपरमा त्मने॥परात्परायरामायससीताय०॥५३॥ॐ नमोभगवतेरांरामायपरमात्मने For Private And Personal
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________________ Shri Melayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyomandir ग.प. 然杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 // सर्वभूतांतरस्थायससीता०॥५४॥ॐनमोअगवतेश्रीरामकृष्णायचक्रिण। विशुद्धज्ञानरूपायससीता०॥५५॥विशुद्धज्ञानदेहायरघुनाथायविष्णवे॥अन्तः करणसंशुद्धिंदेहिमेअक्तवत्सल // 56 // नमोनारायणानन्तश्रीरामकरुणानिधे॥ मामुद्धरजगन्नाथघोरसंसारसागरात् // 57 ॥रामचंद्रमहीपालशरणागततत्पर ॥मांत्राहिसर्वलोकेशतापत्रयमहानलात् // 58 // श्रीकृष्णश्रीकरश्रीशश्रीराम श्रीनिधेहरे॥श्रीनाथश्रीमहाविष्णोश्रीनृसिंहकृपानिधे // 59 ॥गर्भजन्मज राव्याधिघोरसंसारसागरात् // मामुद्धरजगन्नाथकृष्णविष्णोजनार्दन // 6 // श्रीरामगोविंदमुकुंदकृष्णश्रीनाथविष्णोभगवन्मुरारे॥श्रीवल्लभानंतजगन्निवा सश्रीरामराजेंद्रनमोनमस्ते // 61 // नमोस्तुनारायणविश्वमूर्तेनमोस्तुतेशाश्वत सर्वयोगिने // त्वमेवविश्वंसचराचरंचत्वयैवसर्वप्रवदतिसन्तः ॥६२॥नमोस्तु For Private And Personal
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________________ Shriyawayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyermendir कारणकारणायनमोस्तुकैवल्यफलप्रदाय // नमोनमस्तेस्तुजगन्मयायवेदांत / वेद्यायनमोनमस्त॥६शानमोनमस्तेभरताग्रजायनमोस्तुयज्ञप्रतिपालकाया। नंतविश्वेशहरेमुकुंदगोविन्दविष्णोभगवन्नमस्ते ॥६४॥श्रीवल्लभानंतजगन्नि / |वास श्रीरामराजेंद्रनमोनमस्ते॥त्वयासनाथंकुरुमामनाथनाथप्रभोदीनदयालु मूर्ते॥६५॥ इतिस्तुतिः // तप्तजाम्बूनदेनैवनिर्मितं रत्नभूषणम् // स्वर्ण परघुश्रेष्ठदास्यामिस्वीकुरुप्रभो // 66 // हृत्पद्मकर्णिकामध्येसीतयासहरा घव॥ निवसत्वंरघुश्रेष्ठसर्वैरनुपरैःसह // 67 // // इत्यासनं // // मनो। वाकायजनितंकर्मयहाशुभाशुभम् // तत्सर्वप्रीतयेभूयान्नमोरामायशार्डिणः॥ // 68 // अपराधसहस्राणिक्रियतेऽहर्निशंमया।दासोहमितिमांमत्वाक्षमस्व / रघुनंदन॥६९॥॥ इतिप्रार्थना // // एवंयःकुरुतेपूजांहदयेवाबहिस्सदा॥ For Private And Personal
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________________ Shy chayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gommandir सकृत्पूजनमात्रेणरामएवावेन्नरः // 70 // किंपुनःसततंकुर्याद्ब्रह्मण्येवस्थितोहि सः॥सर्वान्कामानवाप्नोतिइहलोकेपरत्रच // 7 // इतिश्रीमदगस्त्यसंहिता यांश्रीसुतीक्ष्णागस्त्यसंवादेश्रीसीताराममानसीपूजाकथनंनामत्रयस्त्रिं शोऽध्यायःसंपूर्णः॥अथद्वात्रिंशदपराधाः॥ // आगमे // यानैर्वापादुकै पिगमनंभगवद्गृहे / देवोत्सवाद्यासेवाचअप्रणामस्तदग्रतः॥१॥ उच्छिष्ठे वा ऽथवाऽशौचेभगवद्दर्शनादिकं॥एकहस्तप्रणामश्चतत्पुरस्ताददक्षिणं // 2 // पादप्रसारणंचाग्रेतथापयंकबंधनं॥शयनंअक्षणंवापिमिथ्याभाषणमेवच॥ 3 // उच्चैऔषामिथोजल्पोरोदनानिचविग्रहःनिग्रहानुग्रहौचैवषुचक्रूरभाषणं॥४ कंबलावरणंचैवपरनिन्दापरस्तुतिः॥ अश्लीलभाषणंचैवअधोवायुविमोक्षणम् ॥५॥शक्तौगौणोपचारश्चअनिर्वेदितभक्षणं // तत्तत्कालोद्भवानांचफलादीना For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Pravnendir मनर्पणम्॥६॥विनियुक्तावशिष्टस्यप्रदानंव्यंजनादिके॥ पृष्टीकृत्यासनंचैव प रेषामभिवादनम् ॥७॥गुरौमौनं निजस्तोत्रंदेवतानिंदनंतथा॥ अपराधास्तथा विष्णोद्वात्रिंशत्परिकीर्तिताः॥८॥ नामापराधयुक्तानांनामान्येवहरत्यघं // विश्रांतप्रयुक्तानितान्येवार्थकराणिच ॥९॥इतिहरिभक्तिविलासे // अथा। टयाम // निशांतःप्रातःपूर्वाण्डं मध्यान्हमपरान्हकं // सायंप्रदोषोनक्तंचकाला टकमिदंविदुः॥१॥ स्नानंवेनिशान्तेच करोतिरघुनंदनः // प्रभातेमृगया। लीलांगजाश्वरथपत्तिगैः॥२॥ पूर्वाण्हेभोजनंनिद्रांमध्यान्हेचसभागतं॥नृत्य गीतादिवाद्यंचजलक्रीडादिकंतथा॥३॥ अपराण्हेपुनीलामनशस्त्रादिशिक्ष, // सायंकालेद्यूतक्रीडांप्रेमोध्यासमहोत्सवं // 4 // पुनःस्नानप्रदोषेचवेषादियो। जनंतथा॥नक्तंपर्य्यकशयनंप्रियाप्रेमपरायणम्॥५॥ श्रीसीतारामपादाब्जेसे For Private And Personal
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________________ Shridabavy Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaopandir 杂落於於*******亦****** वायामानसीपरा॥ ब्राह्ममुहूर्तेचीत्थाय स्मरेत्तांसाधोकोत्तमः // 6 // श्रीपाद रा.प. तीर्थमाहात्म्यं // // ब्रह्माण्डे // त्रिषुलोकेषुयत्तीर्थतेषुस्नानेषुयत्फलं // वि ष्णुपादोदकंमू धारणात्सर्वमाप्नुयात् // 1 // मानवोयस्तुगंगायांस्नानंदानंस। माचरेत् // तस्ययादृग्भवेत्पुण्यंतापादांबुधारणात् // 2 // पृथिव्यांयानिती निप्रयागपुष्करादिकं // तत्पादयुग्मेकृष्णस्यतत्रतिष्ठतिनित्यशः // 3 // ह दिरूपंमुखेनामनैवेद्यमुदरेहरेः॥पादोदकंचनिर्माल्ययस्यमूर्ध्निसवैष्णवः // 4 // भागवते // पादोदकस्यमाहात्म्यं जानात्येवहिशंकरः॥ विष्णुपादोदकंपीत्वा शुद्धिमाप्नोतितत्क्षणात् ॥५॥विष्णुपादोदकंदेविपीत्वाशिरसिधारयेत्॥पुण्यपा पविनिर्मुक्तोवैष्णवींगतिमाप्नुयात् // 6 // विष्णुगात्रेणसंस्पृष्टपत्रंवापुष्पमेववा // शिरसाधारयेद्योवैसयातिहरिमंजसा // 7 // पादोदकंपिबेन्नित्यंचक्रांकितशि For Private And Personal
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________________ Shri Haley Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanardir लाहरेः // प्रक्षालयतितत्तोयंब्रह्महत्यादिकंहरेत् // 8 // पेयंपादोदकंविष्णोवै ष्णवानांविशेषतः // तत्रनाचमनंकुर्याद्यथासोमेद्विजोत्तमैः ॥९॥तीर्थप्रसा सदस्वीकारानंतरंवैष्णवोद्विजः // नहस्तक्षालनंकुर्यात्नतत्राचमनक्रिया॥१०॥ // पद्मपुराणे॥ // संसारमलपंकस्यविष्णुपादोदकंविना॥प्रक्षालनंनपश्या / मिकल्पकोटिशतैरपि // 11 // विष्णुश्रीपादतीर्थचकोटिजन्माघनाशनं ॥त देवाष्टगुणंपापंभूमौबिंदुनिपातनात् // 12 // परमाणुसमंतीर्थयावत्संपतितंभु की वि॥ तावहर्षसहस्राणिपतंतिनरकेनरः // 13 // वस्त्रंचद्विगुणीकृत्यपाणौपाणि निवेशयेत् // तस्मिंस्तीर्थप्रतिष्ठाप्यत्रिःपिबेबिंदुवर्जितम् // 14 // विष्णुदेह / परामृष्टमाल्यंपापहरंशुरं // योनरः शिरसाधत्तेसयातिहरिमंजसा // 15 // स्कंदपुराणे॥ // सिरस्यातिष्ठतेयेषांनित्यंपादोदकंहरेः॥ किंकरिष्यंतितेलो For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyappandir M रा.प. कास्तीर्थकोटिमनोरथैः // 16 // // पाझे॥॥छिन्नस्तेनमहासिनागर्भवासो ऽतिदारुणः॥पीतयेनसकृद्भक्त्याश्रीकृष्णचरणोदकम् // 17 // सुलभंकिंनसे वेतहरेःपादोदकंशुभम् // यस्यस्पर्शनमात्रेणप्रीतोभवतिमाधवः ॥१८॥सब मचारीसवतीआश्रमीचसदाशुचिः // विष्णोःपादोदकंयेनमुखेशिरशिधार्यते॥ // 19 // ॥सामवेदेआनायोपनिषदःआंगिरसभाष्यभगवत्प्रसादाशन विधिः॥ ॥तत्प्रसादंषोडशाविष्वक्सेनादिपार्षदप्रवरेभ्यः सकाशात् गृहीत्वाघ णाऽतस्तेषांकृपातदनुज्ञाआपोशानमशित्वा॥ प्राणायस्वाहेतितर्जन्यंगुष्ठमध्य माभिर्घसेत् // अपानायस्वाहेतिमध्यमानामिकांगुष्ठेनचानामिकाकनिष्ठिकांगु छैः॥ व्यानायस्वाहेतितर्जन्यानामिकांगुष्ठैः॥उदानायस्वाहेतिसर्वैःपंचांगुली भिः॥समानायस्वाहेतिपंचमान जिव्हयाग्रसेत् // पुनःआपोपिधानमसीतिज For Private And Personal
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________________ She havir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmaqdir लंग्रसित्वाइष्टमंत्रैःमौनेनाशनंकरोतियोविद्वानवैष्णवेइदंमहाप्रसादयोगिदुर्ल अष्टादशदोषरहितमशित्वा॥इंद्रियवान् भवति ॥जीवतियोग्येनजीवतिआ युष्मानूदीर्घजीवीतेजस्वीयशरच्यन्नादोभवतिधर्मेणसप्तकेनधर्मीभवति॥अथ भगवत्प्रसादमाहात्म्यं ॥महोपनिषदि।विष्णुनाऽश्रीतमश्नंतिविष्णुनाघ्रा तंजिघ्रतिविष्णुनापीतंपिबंति // विष्णुनारसितंरसयंतितस्माद्विद्वांसोविष्णूपहु अक्षयेयुरिति // 1 // नैवेद्यमन्त्रंतुलसीविमिश्रंविशेषतःपादजलेनसिक्तम् // योनातिनित्यंपुरतोमुरारेःप्राप्नोतियज्ञायुतकोटिपुण्यम् // 2 // विष्णोनिवेदितं / चानयोश्नातिभुविमानवः॥सयातिपरमंस्थानपुनरावर्तिवर्जितम् ॥३॥पाये। भत्तयालोभात्कौतुकाहाक्षुधासंयमनेपिवा // आकंठभुक्तितोय?पुनातिसक लोदयात् // 4 // ममानिंदयेद्यस्तुममनिंदांकरोतियः // मद्दर्शनेनयत्पुण्यंतत्स For Private And Personal
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________________ Shri Mabayir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gagadir * * * * * तस्यनश्यति॥५॥विष्णोनिवेदितानयोनानातिस्पर्शशंकया // वायसोविड्व राहश्चविष्ठायांजायतेकृमिः॥६॥ परमेष्ठिसंहिताया // विष्णोर्नैवेद्यंसंत्यज्य यःकुर्यादन्नअक्षणं // सयातिनरकेघोरयावच्चंद्रदिवाकरौ // 7 // विष्णुनिवेदि। तंशुद्धपावनानांचपावनम् ॥दुर्लभंपावनभोज्यंनत्याज्यस्यात्कदाचन // 8 // दालायः॥ अन्नपानादिकंविष्णोः प्रसादंनित्यसेवनं // सर्वाषनाशनंसर्वपुण्य / दमुक्तिदंशुभम् ॥९॥विष्णोनैवेद्यमश्रीयात्वैष्णवस्तुविशेषतः॥शतजन्मक पापंतत्क्षणादेवनश्यति // 30 // विष्णोनैवेद्यंदुष्यंतियेनरामूढचेतसः॥श्वान योनिशतंप्राप्यपुनःसूकरतामियात्॥११॥ ॥पंचरात्रे॥॥यःश्राद्धकालेहरि भुक्तशेषंददातिभक्तःपितृदेवतानाम् ॥तेनैवपिंडांश्चतिलैर्विमिश्रांस्तत्कोटिकल्पं पितरः सुनृप्ताः॥१२॥विष्णोनिवेदितान्नेनयष्टव्यदेवतांतरम्॥ पितृभ्यश्चापितद्दे * * * SXESXXXXXXX For Private And Personal
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________________ Shri Mabeyir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaemandir यंतदानंत्यायकल्पते॥१॥श्रा होमेतथाभक्ष्येउपहारेतथैवचानदूष्यवैष्णवं / चानंपचेद्भक्त्यायथाविधि॥३४॥ ॥हारीतस्मृतौ॥ // कृपादत्तंहस्तदत्तंप्र सादंवैष्णवैर्दिजः॥उपवासच्छलान्नात्तितमाहुर्ब्रह्मघातकम्॥१९॥बौधायनः बदरीफलमात्रंवाप्यथवामलमात्रकम् // उपवासदिनेश्नीयात्प्रसादंविष्णुमंदिरे 16 // // दत्तात्रेयः॥ // भगवन्मंदिरंगत्वाप्रसादंपरमेष्ठिनः // उपवासे तिनाश्नीयात्सएवहरिकंटकः // 17 // // परमेश्वरसंहितायां ॥॥एकादश्यां | तुयोविप्रोनारायणपदच्युतम् // तीर्थप्रसादंनाश्नीयाद्विष्ण्वाज्ञाभंगकृद्विजः // Min८॥अगवन्मंदिरेदत्तंकृपयावैष्णवैर्यदि॥ तत्रामलकमात्रंतुप्राशयेद्धरिवास। रे॥१९॥ // भरद्वाजसंहितायां // // योनदद्याद्धरे(क्तंपितॄणांश्राद्धकर्म णि // अनंतिपितरस्तस्यविष्ठामूत्रंतुसद्विजैः॥२०॥ विष्णोनिवेदितंनित्यदेवे For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaraydir रा.प. भ्योजुहुयादविः॥पितृभ्यश्चविशेषेणसर्वमानंत्यमश्नुते 21 विष्णवेकल्पितंचान दद्याद्भक्तेभ्यएवच॥वैश्वदेवंततःकुर्याच्छाद्धकर्मादिकंतथा ॥२२॥हरिशुक्तशेषंद / द्यात्पितॄणांचदिवौकसां // तदेवजुहुयादग्नौमुंजीतापिस्वयंनरः // 23 // यदा, लभेत्स्वसिद्धानं जीतप्रोक्ष्यमंत्रतः॥ विष्णुभुक्तमितिध्यात्वासात्विकस्तुविशे , षतः॥२४॥ ॥वसिष्ठस्मृतौ॥ // स्वयंव्यक्तानिस्थानानिश्रीरंगव्यंकटा / दयः॥ मद्भक्तःशेषमादायगृहबिंबेनिवेदयेत् // 25 // // उशनाआह // ग्रामप्रतिष्ठाशेषतुगृहा_यांनिवेदयेत् // ततोतर्यामिनंदद्यात्स्वयंभुंजीतवैष्ण। वः // 26 // प्राणेभ्योजुहुयादन्नमन्निवेदितमुत्तमं॥ ममापिहृदयस्थस्यपितृभ्यश्च / विशेषतः॥२७॥ वैष्णवानंसदाश्नीयाद्विष्णुसायुज्यहेतवे॥ वैष्णवान्नंत्यजे द्योवैसयातिनरकंध्रुवं // 28 // ॥भागवते॥ // महाप्रसादेगोविंदेनामब्रह्म For Private And Personal
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________________ Shri, Mabeyir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gramandir माणिवैष्णवे॥स्वल्पपुण्यवतांराजन् विश्वासोनवजायते॥२९॥ व्यासस्मृती विष्णोस्तुपादसलिलंप्रसादममशासनात्॥उपवासदिने वापिप्राशयेदविचारय न ॥३०॥श्रीविश्वेश्वरदासनामविदुषायोध्यापुरीवासिना। श्रीरामानुजसम्प्र। दायविधिनोपात्तामयापद्धतिः // सेयंश्रीरघुराजमंत्रविषयाश्रीवैष्णवानांमुदं॥ कुर्वन्तीपरमांसदासुशुअगाववर्तुसर्वोपरि // 31 // // इतिबृहद्वेदोक्त रा मपद्धत्तिःसमाप्ता॥ ॥अथग्रंथकृतदैशिकगुरुपरंपरा // अथसामवेदे आम्नायोपनिषदिदैशिकगुरुपरंपरा // // अथैतामाम्नायोपनिषदं महाम होपयुक्तां प्रथममाद्यौनारायणःश्रियै अनुशशास // तदा श्रीःसबुध्यामहदा दितत्वपुरुषेभ्यश्च // पार्षदेभ्योविष्वक्सेनादिभ्यश्च ब्रह्मणेऽनुशशास // तेतत्व पुरुषाद्या बृहदाचार्याः शतधृतिपुत्रेभ्यःसनकादिभ्योनारदाग्नयेंद्रायांगिरसाय For Private And Personal
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________________ Shriyar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gerandir putain denerana Konto 一於來於然於於然然然然然然然然然然然然然然路器 लोमशादित्येभ्यो रुद्रेभ्यःसर्वायचवरुणाय पितृपतये वसुभ्यश्च पिप्पलादयो / हालकायचप्रदातएतेहब्रह्मविदःशतधृतिपुत्राद्यावृदाचार्यानुयायिनस्त्वाचा | -बभूवुः॥ पुनस्तेभ्योभृगुःभार्गवःरोचिष्मान ज्योतिष्मान् ज्योतिर्मुखवेदनि / धिवेदशिरपिप्पलादःशालावत्पोविषष्टंक्युतुंगागस्त्यगभस्तिश्चवनमेधावी गौ। ल्गुल्वादयश्चान्येप्यन्ये वार्वेद्यादयस्त्रातारश्चपोषकाआनायधर्माणामित्यनेना चार्याभविष्यन्ति॥ आचार्यास्तेभ्योभारद्वाजातैतरेयोवसिष्ठात्पराशरःपिप्पला दाहात्सहयं तृतीयोऽगिरसाहार्हस्पत्यादयश्चैतन्येप्यन्येभ्योयथाम्नायेनोपदिश त्यन्योन्यमितियदायदाविरिष्टिंगताम्नायधर्मस्तदातदाहवेवावतारं गृभ्णाति | संदधामि॥तमुपदिष्टमार्गेणैवाहंचतुष्कलांतर्गतकश्चित्कलारूपधृगहमुद्धरिष्या मिविशिष्टिलाप्स्यामि संदधिष्यामि // तदाहंपूर्णश्चतुष्पात् चतुष्कलश्चतुयूँहा For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmapdir www.kobetrih .org त्मनारायणस्तुष्येत।।इतिधर्मत्राताअविष्मेहमित्यजसृजस्व ममोदरस्थविश्वमि / त्युक्तासमेपापात्तुविहरेरन्समानंपरसमानं परमिति।।इतिसामाम्नायोपनिषदिदै। शिकगुरुपरंपरा // अथग्रंथकृदेशिकगुरुपरंपरा॥अस्मद्देशिकमस्मदीयपरमा / चार्येण शेषानगुरून्॥श्रीमल्लक्ष्मणयोगिपुंगवमहापूर्णमुनियामुनम् // रामंप। अविलोचनमुनिवरं नाथंशठदेषिणसेनिशंश्रियमिन्दिरासहचरंनारायणंसंश्रये / लक्ष्मीनाथसमारम्भानाथया।मुनमध्यमाम्॥अस्मदाचार्यपर्यंतांवन्देगुरु / परम्पराम्॥२॥मंत्राधिकारिणो तेसम्प्रदायप्रवर्तकाः॥येषांमंत्रोपदेशेनप्राप्ता गवतःपदम् 3 श्रीमन्नारायणःसाक्षाज्जीवलोकानुकम्पया।गुह्याद्रुह्यतममंत्रंतार। कंतिमिरापहम् 4 देव्यानुबोधितःश्रीमान् विष्णुःसर्वजनेश्वरायाहयामासतां देवीमंत्रराजंतुतारकम्॥५॥ददौप्रीत्याततोदेवीविष्वक्सेनायसोपितम् ॥बोपदे / For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gennandir बृ.वे. वायोपदिशहोपदेवःपराङ्कुशमााग्राहयामाससमुनिःश्रीनाथमुनयेतदास पुनपुण्डरीकाक्षंमुनयेप्रददौमनुमािराममिश्रायसददौराममिश्रोपियामुनम्॥ मनुग्राहयामासदासनामपराङ्कुशम् ॥८॥पराङ्कुशस्यचत्वारःशिष्यालोकेषु / विश्रुताः॥श्रुतदेवःश्रुतप्राज्ञः श्रुतधामश्रुतोदधिः॥९॥ त्रिदण्डिनः शिष्यायु। क्तारामानुजश्चपंचमारामानुजंसमाराध्यमन्त्रराजंषडक्षरम्॥३०॥ श्रीरामतार कंनामकूरेशः प्राप्तवान्मुनिः॥ भट्टःपराशरस्तस्माल्लेले मंत्रं रघूत्तमम् // 1 // लोकाचार्यस्ततोलेभेततोदेवाधिपस्तथा // श्रीशैलेशस्तस्यशिष्यस्तस्मादरव रोमुनिः॥१२॥पुरुषोत्तमस्तस्यशिष्यस्तस्यगङ्गाधरोऽभवत् // सदाचार्यस्तस्य शिष्यस्तस्यरामेश्वरोऽभवत् ॥१३॥हारानन्दस्तस्यशिष्योदेवानंदोऽभवत्ततः ॥श्यामानंदस्तस्यशिष्याश्रुतानंदस्ततोऽस्यच ॥१४॥चिदानंदस्तस्यशिष्यः For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Graemandir * ********* पूर्णानन्दस्ततोभवत् // श्रियानंदस्तस्यशिष्योहानंदोमहामतिः // 15 // राघवानन्दएतस्यरामानन्दस्ततोऽभवत् // साईद्वादशशिष्याःस्युःश्रीरामानं दसद्गुरोः॥१६॥ द्वादशादित्यसंकाशास्तंसारतिमिरापहाः॥श्रीमदनन्तानन्द स्तुसुरसुरानंदस्तथा।।१७॥नरहरीयानन्दस्तयोगानन्दस्तथैवच // सुखाभावा गालवंचसप्तैतेनामनन्दनाकबीरंचरमादासंसेनापिपाधनास्तथा॥१८॥ पद्मा वतीतदईचषडेतेचजितेंद्रिया।येषांशिष्यप्रशिष्यैश्चव्याप्ताभारतभारती॥१९॥ श्रीरामानंदशिष्योभूदनन्तानन्दनामवान्॥येनप्रोक्तंकृष्णदासमंत्रराजषडक्षर | म् 20 दुग्धाहरिमहायोगंज्ञानवैराग्यशालिनम्॥कृष्णदासस्यशिष्योभूदग्रदा सःप्रतापवान॥२१॥येनप्रवर्तितोलोकेराममंत्रार्थविस्तरः॥एवंपरम्पराप्राप्तंमंत्र राजषडक्षरम् // 22 // येनराःकीर्तयिष्यन्तिवैष्णवास्तेप्रकीर्तिताः॥२३॥ ऐ * ** For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रा.प. हलौकिकमैश्वर्यस्वर्गाद्यपारलौकिकम् // कैवल्यंभगवन्तं च मंत्रोयंसाधयिष्य ति ॥२४॥अश्वमेधसहस्राणिराजसूयशतानिच // सकृत्षडक्षरंजप्त्वालभते नात्रसंशयः॥२५॥ सर्वेषामेवमंत्राणांप्रथमंगुह्यमुत्तमम्॥ मंत्ररत्नंनृपश्रेष्ठस। द्योमुक्तिफलप्रदम्॥२६॥अथ द्विपंचाशद्वाराख्या।रामानन्दोनिम्बादित्योवि ष्णुश्यामः श्रीमाधवः॥ चत्वारोधर्मशीलाश्चजगतिधर्मस्थापकाः॥ 1 ॥एतेषा। मनुयायिनोद्विपंचाशद्विजज्ञिरे॥अनन्तानंदालखरामौसुखानंदोनरहरिः // 2 // भावानन्दकिलागौचसुरसुरानन्दस्तथा।पीपाखोजिजंगमाश्चत्यागिविरमथंभ। णा॥शादेवाकरानभानन्दौगोकुलोविठ्ठलस्तथा // नाभाटीलाशोभुरामाःराघव चेतनस्तथा // 4 // ज्ञानिनामापरशुरामौनामदेवकबीरको // कुवाख्योदेवमुरारि दुंदुरामभगंडिनौ ॥५॥चेतनस्वामीनागाख्यआत्मारामस्तथैवच // नित्यान For Private And Personal
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________________ Shrimahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir दोयोगानन्दोघडिमलुकस्तथा // ६॥भगवन्नारायणश्चरामरंगीतथैवच // पूर्णवैराठीगोविंदोरामरावलएवचाराधावल्लभीहनुमान् लालतुरंगीएवच॥ चतुर्भुजीकर्मचन्दः कालुनयनाख्यस्तथा ॥८॥श्रीमहनखंडीचैवरामरमाणि / एवच // श्रीयुतमाधवश्चैवश्रीतनतुलसीतथा॥९॥ इतिश्रीद्विपंचाशद्धर्मदा रप्रवर्तकाआचार्याः // रामश्रीजानकीशं मनुकुलतिलकम् नागरीर्मोदयंतरा जन्यागर्वघातंयजनसुनिरतं नम्रशक्रादिदेवम् ॥दारोद्धारंजनेशं सकलगुणग नणंदीनबंधुंदयालुम यावद्वन्देसदाहमिनतनयसखं यंशिवोध्यायतीशम् // 1 // // श्रीमतेरामानुजायनमः॥शतानंदउवाच // // अथवक्ष्येश्रीगुरुणांसं प्रदायचतुष्टयम् // तत्रापिप्रथमंश्रीमद्रामानुजगुरोःक्रमात् // 1 // रामानुज गुरोःकिंवाध्यानस्थानकिमुच्यते // किंक्षेत्रंकिंचतीर्थस्यातकिंधामाथप्रकीर्तित For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gagmandir म् // 2 // तथासुखविलासः कःकिमिष्टंकाउपासना // कादीक्षाकिञ्चनामस्या न्मत्रंकिंवाऋषिश्चकः॥३॥ देवताकाचकथितावैष्णवःकइहोदितः // काशि खाकिंचगोत्रस्यात्काशाखावसनंतुकिम् // 4 // मेखलाअंचलाकंथावाथसूत्रं कथंभवेत्॥ किमासनंचकःसंगःकोगुणश्चप्रकीर्तितः // 5 // काभिक्षाकिंचपात्रं स्यात्कामुद्रातिलकंकथम् // आनंदःकश्चकःशंखःकामालाकिंचतंत्रकम् // 6 // किंचातिगुह्यकाभक्तिःकिंगुाकथितंबुधैः॥ एतेषांप्रश्नराशीनामुत्तरंकथयाम्यह। म् // 7 // सनत्कुमारउवाच // // ध्यानस्थानंचशिरसिसहस्रदलपंकजे॥ अयोध्यानगरक्षेत्रंधनुःकोटिश्चतीर्थकम् // 8 // रामनाथाख्यकंधामबहुभिःप रिकीर्तितम्॥ तथासुखविलासःस्याच्चित्रकूटाख्यपर्वते // 9 // इष्टविदेहतनयार घुनाथउपासना ॥ऋग्वेदस्तुवेदःस्यान्नामश्रीहरिनामकम् // 10 // षडक्षरम For Private And Personal
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________________ Sho Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmaydir हामंत्रंकथितंरामतारकम् // योगवासिष्ठकंनामऋषिश्चकौशिकोमुनिः // 11 // देवताहनुमान्प्रोक्तोवैष्णवश्वश्रीवैष्णवः // शिखावैस्वर्गनगरीगोत्रंचाच्युतगो त्रकम् ॥१२॥शाखाअनंतशाखाचवसनंशुक्रमेवच // कौपीनस्यहयंकुर्यात्म त्यहादशांगुलम् // 13 // मेखलाकथिताह्यत्रतिस्त्रोवैमुंजमेखलाः ॥अंचला शुक्रवस्त्रस्याहस्त्रहयप्रमाणतः॥ 14 // पंचहस्तप्रमाणंचसप्तदोरकशोभिनी प्रशस्ताकथिताकंथाशुक्लवस्त्रचतुष्टयम् // 15 // साईहस्तहयंकायनामसूत्रैःसि तैर्गुणैः॥ आसनंकथितंचात्रशुक्लकृष्णाजिनासनम् // 16 // विष्णूपासकसंगो त्रसंगःसत्त्वगुणोगुणः॥तथाभिक्षाशुक्लभिक्षापात्रंचालाबुपात्रकम् // 37 // अत्र मुद्रातप्तमुद्राशंखचक्रगदादिकम्।।उर्ध्वपुडूंचतिलकंद्वादशांगेषुविन्यसेत् // 18 // आनंदोविजयानंदःशंखश्चोदधिसंभवः // मालाचक्रांकतुलस्याःशतमष्टोत्तरंत For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रा.प. था॥१९॥अगस्तिसंहितातंत्ररामतत्वंतुगोपितम् // भक्तिस्तत्पादसेवात्रम नोवाकायकर्मभिः॥२०॥गुह्यश्रीवैष्णवानांचशरणामृतसेवनम।। एवंयःसंप्रदा यीस्यात्सहिवैष्णवउच्यते॥२१॥इतिश्री आनंदतत्त्वदीपिकायांशतानंद सनत्कुमारसंवादे श्रीरामानुजसंप्रदायचतुपष्टिपटलंसपूर्णम् ॥श्रीअयो ध्यानिवासिनाश्रीमद्भगवन्नारायणवंशोद्भव वैष्णव. रामनारायणदासे नसंशोधितावृहद्वैष्णव पद्धति समाप्ताः॥ // // इदं बृहदेदोक्त रामपद्धतिग्रंथः मुंबय्यां रासग्रामनिवासिनाश्रीश्री१०८ ___ महांतः श्रीगोकुलदासस्य शिष्य वैष्णव रामदासेन जगदीश्वराख्य मुद्रालयेमुद्रापितम् संवत् 1947 भाद्रपद कृष्णपक्ष त्रयोदश्यां अस्यग्रंथस्य पुनर्मुद्रणाघधिकाराग्रंथप्रकाशीकेन स्वहस्तेन रक्षिताः॥ For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyengrandir रणहर पुस्तकशालाका सूचीपत्र. १बृहहेदोक्तरामपद्धति की0-11-२ रामपद्धति -1-3 रामपटल बडाअक्षरका .. 4 चोवीस गायत्री बडाअक्षर * ... 5 सिद्धांतपटल-1-६ भजनरत्नावलीमोटी जिस्मेप्रभाती. मंगलाआरती. सातोबारकबालभोग. सिंघारआरती. सातोवारकेमंगल.गारी. आचवन. पानकीबीरधिरानका.पंघतकीधुन. चारोधामकीबडीज.सातोवारकीगौरी. मंगलसंजाके. सातोवारकीआरती. सातोवारकीधुन. आरतीसमयखडेगानेकीधुन. व्यारी. सयनआरती. पौढनी.इत्यादि के पीछे झुलण. वसंत. होली स्तुतिहे. सोसंतमहात्मा और भगवतके प्रेमीजनोकोतो बहुत उपयोगी हे सुगमकेलीयेकीमतभी १रुपाया। रखीहे टपालखर्चदोआने. 7 गुरुचरितामृतमाषा. जीसमेआठविश्रामहै प्रथमगुरुमहिमा. दुसरासरण महिमा. तिसराम"उपदेशमहिमा चौथाशेवामहिमा पांचवाकृपामहिमा छठाज्ञानमाहमा सातवांअनुभवमहिमा आठवामोक्षमहिमा. और त्तम आठमहिमाका वरणन,सो तो जोकोईगुरुउपदेसीक में उन्होको बहोत उपयोगी है गुरुमहाराजका भजनके वास्ते की क्त.।- है. वैदिक. वेदांत. पुराण.धर्मशास्त्र. न्याय. छंद. ज्योतिष.काव्य. अलंकार. चंपु.नाटक. कोश. वैद्यक.सांप्र*दा स्तोत्रादी संस्कृत. हिंदुस्थानी. गुजराती.मराठी.इंग्रेजी इत्यादी भाषाके पुस्तके मीलसकतेहें मुंबई भावसे.जीनमहा शयोका चाहिये वाबसक मगवाई लीजीये हम भेजेंगे पत्र आयगा ओही दिनको. अपना नाम गाम जीला. तालुका पोष्टाफीस *देव नागरी अक्षरोसे बरोबरलीखके भेजना हमको तमामजातका पुस्तक मिलनेका ठिकाणा. वैष्णव. रामदासजी गुरुश्रीगोकुलदासजीमहाराज (रणहरपुस्तकशाला ) मु०डाकोर. *********** का ***路 器杀杀杀。 - For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir R ecenefAPNA-PegHAmegappRITTE apso- - - - -2- -000- - moto-a-co-~ H / ॥इतिबृहद्वेदोक्तरामपद्धतिः॥ -olton-r-000- -00-00 -00 -000- -00 For Private And Personal
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir -:प्रकाशक:भुवन-भद्रंकर साहित्य प्रचार केन्द्र। c/o. V.V. VORA 34, KRISNAPPANICKEN TANK ST. MADRAS-600079. प्राप्ति स्थान:लब्धि-भुवन जैन साहित्य सदन 'C/0. नटवरलाल चुनीलाल शाह कापडनी दुकान, मः आणी-३९१७४०. जि: वडोदरा-गुजरात. For Private And Personal