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बाड़मेर
जिले के जैन ज्ञान भण्डार
और
मुम्बई
पायधुनी महावीर मन्दिर के
हस्तलिखित ग्रन्थों का
सूची-पत्र
सेवामन्दिर, रावटी, जोधपुर 342024 (भारत)
Page #2
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हस्तलिखित ग्रन्थों का
सूची - पत्र
( प्रथम खण्ड )
जिनदर्शन प्रतिष्ठान ग्रन्थ क्रमाङ्क - ४
बाड़मेर
जिले के जैन मन्दिरों के ज्ञान भण्डारों के
भाग - १
मुम्बई
हस्तलिखित ग्रन्थों
सूची - पत्र
भाग - २
जिनदत्त सूरि ज्ञान भण्डार श्री महावीर स्वामी जैन मन्दिर 8, पायधुनी डाकघर 400003
*
Part - 1
BARMER
District (Rajasthan) Jaanabhandaras
of Jain Temples : Handwritten Manuscripts'
CATALOGUE
(First Volume)
*
* Part-2
*
Jinadatta Suri Jñana Bhandara Shri Mabavira Svami Jain Temple 8, Pāyadhuni P.O. 400003
BOMBAY
Handwritten Manuscripts'
CATALOGUE
Compiled by
संकलनकर्ता कार्यकर्ता गण -
Inmates of :
सेवामन्दिर रावटी जोधपुर 342024 Sevamandir Ravati Jodhpur 342024
राजस्थान ( भारत )
Rajasthan (India)
Page #3
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________________
प्रकाशक
सेवामन्दिर रावटी सूरसागर जोधपुर 342024
संस्करण
प्रथम प्रवेश
विक्रम संवत् 2050, वीर संवत् 2519, शक संवत् 1915 ईस्वी सन 1993
1,000
352
प्राकार
रॉयल प्राक्टेव (20x30 पाठ पेजी)
मूल्य
कागज मेपलीथो नेचुरलशेड 13:6 Kg रोम 46 कंपोजिंग छपाई व प्रूफरोडिंग 44 फरमे जिल्द बंधाई, भाड़ा व अन्य व्यय लगभग
15,640
8,800 10,560
35,000
एक प्रति की लागत=विक्रय मूल्य विदेशी ग्राहकों के लिये विक्रय मूल्य
35.00 रुपये 3500 डॉलर
वितरक
सत्साहित्य वितरण केन्द्र सेवामन्दिर रावटी सूरसागर जोधपुर 342024
शाह प्रिन्टिग प्रेस त्रिपोलिया गली घासमण्डी रोड, जोधपुर 342001
# निवेदन है
1. इस पुस्तक पर किसी भी प्रकार का अधिकार प्रकाशक ने स्वाधोन नहीं
रखा है। 2. पात्रता देखकर ही पुस्तक दी जावेगी। 3. अन्त में मुद्रित शुद्धिपत्र के अनुसार अशुद्धियाँ ठीक करलें। 4. सूची पत्र के सही उपयोग हेतु प्राक्कथन में के संकेत पढ़ने का कष्ट अवश्य
करें।
5. पुस्तकविक्रेता अपना नफा व खर्चा ग्राहक से अतिरिक्त वसूल कर सकेगा
क्योंकि प्रकाशक द्वारा किसी को भी कमीशन बाद नहीं दिया जाता है।
Page #4
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विषय सूची
भाग
विभाग
विवरण
राजकीय प्रति | पृष्ठ विषय क्रम संख्या |खंडा | खं
(प्र)
जैन आगम :-(Jain Canons) अङ्ग सूत्र-आचाराङ्ग
सूत्रकृताङ्ग स्थानाङ्ग समवायाङ्ग व्याख्या प्रज्ञप्ति (भगवती) ज्ञाताधर्मकथाङ्ग उपासकदशाङ्ग अन्तकृतदशाङ्ग अनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग प्रश्न व्याकरण
विपाक (आ)(i)| अङ्गबाह्य-उपाङ्ग सूत्र : औपपातिक
राजप्रश्नीय जीवाजीनाभिगम प्रज्ञापना चन्द्र प्रज्ञप्ति सूर्य प्रज्ञप्ति जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति
निरियावलिकादि पंचोप'ङ्ग (पा) (ii) | अङ्गबाह्य--छेदसूत्र : निशीथ ..
बृहत्कल्प व्यवहार दशाश्रुत स्कन्ध (दशाश्रुत स्कन्ध अष्टमाध्याय-कल्प सूत्र)। महानिशीथ
जीतकल्प iii)| अङ्गबाह्य-चूलिका व : नन्दी
मूलसूत्र अनुयोग द्वार
दशवकालिक उत्तराध्ययन पिण्ड नियुक्ति
प्रोध नियुक्ति (आ)(iv)| अङ्गबाह्म-आवश्यक : सूत्र एवं पाठ तथा श्रमण श्राद्ध प्रति
क्रमण सूत्र, पाक्षिक सूत्र व अतिचार,
चैत्य-गुरुवंदन व प्रत्याख्यान (आ) (v)| अङ्गबाह्य-प्रकीर्णक सूत्र (अकारादिक्रम से)
जैन आचारौपदेशिक सैद्धान्तिक, तात्त्विक, धार्मिक, दार्शनिक एवं न्यायिक (Jain Ethics, Doctrines, Metaphysics, Religion, Philosophy & Logic)
258
258
258 258
24 | 260
262
54 32 | 262
Page #5
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग
বিমান
विवरण
| राजकीय | प्रति | पृष्ठ विषय क्रम संख्या खंड खंड2
(ब)
.
(आ)
ऐ,मो
-
30 | ༅༅༔ } མི ཚེ ཚེ ཕྱེ་
जैन भक्ति व क्रियाः -Jain Hymnology & Rituals):धार्मिक विधि विधान व पर्वव्रत कथायें
365] 78 278 स्तवन, स्तुति, स्तोत्र, पूजादि भक्ति काव्य
| 502| 94284 सांप्रदायिक खण्डन मण्डन
74/ 122 290 जैन कथानुयोग व पुराण (Jain Mythology & | 7 History) :जीवन चरित्र व कथानक
763| 124| 292 ऐतिहासिक व अन्य वृतान्त
164/168| 300 जैनेतर धार्मिक (Non-Jain-Religious) | स्मृति, इतिहास पुराण, दर्शन व न्याय, भक्ति, तन्त्र एवं 3,4,5, | 111| विविध शेष मन्त्र तन्त्र यन्त्र:-(Mantra, Tantra, Yantra)
11 | 1671 1844304 साहित्य व भाषा :- (Literature & Language) काव्यादि साहित्यिक ग्रन्थ
861 190/308 ध्याकरण
66 202|310 शब्द कोश
401 206312 छन्द व काव्य (साहित्य) शास्त्र
29 208312 अलंकार पायुर्वेद -वैद्यक (Medical) Futfag a fafha :- (Astrology & Nimitta) ज्योतिष :- फलित, संगणना, मुहूर्त व प्रश्न शुकुन, सामुद्रिक व अन्य निमित्त विद्यायें
931240314 गणित अवर्गीकृत शेष (Unclassified : Miscellaneous) 17 से 22/ कला, सामाजिकज्ञान, जडविज्ञान, ज्ञानकोशादि
| 4 25 | 31| 246
कुल प्रतियां
परिशिष्ट 1. ग्रन्थकारों की प्रकारादिक्रम से सूची
2. संख्या-सूचक शब्द-संकेत शुद्धि-पत्रक शुद्धिपत्रक
319 326 331
Page #6
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________________
क्रम.
1
नाम
2
1 बङ्गचूलिका 2 बङ्ग विद्या
3 अजीवकल्प
7 धरणोपपात 8 भाषाराङ्ग
धातुर प्रत्याक्यान
4 अनुतरोपपातिक दशांग अम्बवाइमदसाओ
5 अनुयोगद्वार
6 धन्तकृतदशाङ्ग
10 आत्मविभक्ति
11 आत्मविशुद्धि
12 आराधनापताका
आवश्यक (ख)
13 सामायिक 1
फ्र जिनागम नामावली (अकारादि क्रम से) 5
14 चतुविशतिस्तव 2
15 वन्दन 3 16 प्रतिक्रमण 4 17 कायोत्सर्ग 5
18 प्रत्याख्यान 6
19 आशीविष भावना
20 उत्तराध्ययन
प्राकृतनाम
3
अंग पुलिया अंगविण्या
अजीवकप्पो
प्रणुजोगदारा
अंतगड़दसा
मरणोषवाए
श्रायारो
आउरपच्चक्खाण
आयविभक्ती अपविसोही
धारासा पढाया घावरसग
सामाइय
पठवी सत्यव
बंदरण
पडिक्कमण
काउसग्ग
पचचक्खाण
आसी विसभावणाणं उत्तरज्झयणाइ
उपलब्ध प्रथाग्र
4
800
9000
55 गा. 45
200
1900
900
ग्रंथकार
5
यशोभद्र
2000. 36
सुधर्मा वाचना
आर्यरक्षित सुधर्मावाचना
2650 दो स्कंध I II स्थविर
100 T. 84
वीरमद्र
+ गद्य
1200 वा. 990 वीरभद्र 600 सहपाठ
वर्गीकरण
6
का. प्र. C 1
प्र. B1
प्र. B2
अंग का. (9)
चू. (मूल) उत्का.
अंग-का. (8)
का.
जंग-का. ( 1 )
प्र-A 1 उत्का.
उत्का.
उत्का.
प्र. B3
मूल.
"
""
"
31
""
का.
मूलका
नं. पा.
सर्वमान्य भिचरित्र ठा. 755 56
नं.पा.
सर्वमान्य भिन्न 10 चरित्रठा 754
घ. 56
नं.पा.व्य.
सर्वमान्य
नं. पा.
प्रमाण
7
पा. जो.
न. पा.
सर्वमान्य
"
""
"
"
"
व्य. पा. जो नं.पा.ध.
टिप्पणी
8
रचनासंवत् 1078 विक्रम?
X
2,252
अपरनाम अंतकाल प्रत्याख्यान 28, 262
धवला में अनुल्लेख
"
पृष्ठ सं.
9
"
28
X
X
8,252
20
8,252
X
X
28
24 से 28
और 260
"
"
"
"
X
20,258
[ 5
Page #7
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्राकृतमाम
उपलब्ध ग्रंथान
ग्रंथकार
वर्गीकरण
6
क्रम. नाम 12
प्रमाण
7
टिप्पणी पृष्ठ सं. 89
4
5
]
815
21 उत्थान श्रुत 22 उपासकदशाङ्ग 23 ऋषिभाषित 24 प्रोधनियुक्ति 25 ओपपातिक 26 कल्पाकल्प 27 कल्पावतंसिका 28 कल्पिका
उट्ठाणसुयं उवासगदसामो इसिभासियाई मोहनिज्जुत्ति ओवाइयं कप्पिया कप्पियं कप्पवं डिसियाओ कप्पियामओ
800
सुधर्मावाचना
45बुद्धजिन 1355गा.1164 भद्रबाहु 1200
50
12,254
29 कवच कवय
गा. 123 जिनचन्द्र 30 कषायप्रामृत कसायपाहु
गा. 223 गुणधराचार्य 31 कृतिकर्म
किदियम्म 32 क्षुल्लिकाविमानप्रविभक्ति खुड्डियाविमाणपविभत्ती 33 गच्छाचार
गच्छायारं
175 गा.138 34 गणिविद्या
गणिविज्जा
105 गा.86 35 गरुडोपपात
गरुलोववाए 36 चतुःशरण
चउसरण
80 गा.63 वीरभद्र 37 चन्द्रप्रज्ञप्ति
चंदपन्नति
2200 38 चन्द्रवेध्यक
चंदवेज्झय
171 गा. 174 39 चरण विधि
चरणविही 40 चारणस्वप्नभावना चारणसुमिणभावणाण 41 चुल्लकल्पश्रुत चुल्लकप्पसुतं 42 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति जंबुद्दीवपण्णत्ति 4450 43 जम्बू (द्वीप) प्रकरण जंबु पयन्नो
128 गा. 127 या,
न.पा.
का.
व्य.नं.पा. अंग-का. (7) सर्वमान्य दिगंबर नाम-उपासकाध्ययन 6,252 __ का.
नं.पा. मूल.
24,258 उपाङ्ग(1)उत्का. नं पा.
10,254 उत्का .
नं.पा.ध. उपाङ्ग(9)का. नं.पा. का. नं.पा. इसी नामका निरियावलिका x
में वर्ग है प्र.C2 दिगम्बर घ. अपरनाम पेज्जदोसपाहुडं
घ.97 का. प्र. B4 प्र. A 2 उत्का. नंपा. का.
नं.व्य पा. प्र A3
अ.नाम कुसलाणुबंधिअज्झयणं 28,262 उपाङ्ग (7) का. नं.पा.ध. दिगंबर में दृष्टिवाद परिकर्म प्र.A 4 उत्का . नं.पा . उत्का .
नं.पा. का
व्य.पा.जो. उत्का .
नं.पा उपाङ्ग(5)का. न.पा.ध. दिगम्बर में दृष्टिवाद परिकम 10 प्र.c३
x xxx
Page #8
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रम.
1
नाम
2
44 जम्बू (स्वामी) प्रकरण
45 जोतकल्प
( श्रमण + श्राद्ध 2 )
46 जीवविभक्ति
47 जीवाजीवाभिगम
48 ज्योतिषक रण्डक
49 शाताधर्मकथाङ्ग
50 तन्दुवंपारिक
51 तिथिप्रकीर्णक
52 तीर्थोद्गालिक 53 तेजोनिसर्ग
54 दशकालिक
55 दशाश्रुत स्कन्ध
56 दीर्घदशा
57 दृष्टिवाद
58 दृष्टि विषभावना 59 देवेन्द्र स्तब
60 देवेन्द्रोपपात
61 द्विगृद्धिदशा 62 द्वीपसागरप्रज्ञप्ति
63 धरणोपपात
64 ध्यान विभक्ति
65 नन्दी
66 नागपरिज्ञोपनिका 67 निरियावलिका
प्राकृतनाम
3
जब पन्नो
जीवकल्प
तिथिपन्नो
तित्थोगाली
ते अग्गिनिसग्गाणं
दसवेयालिय
आयारदसा
दीहदसा
दिट्ठीवादो
दिट्ठी विसभावणाण
देविदत्थश्रो
देविदोववाए
दोविदिसा
दीवसागरपणत्ति
जीवविभी जीवाभिगम
4700
जोइस करंडग
1830
माहानाया ) धम्मका यो 5400दो स्कंध
तंदुल वेयालिय
500m 400
धरणाववाए
शाणविभक्ति
नन्दी
उपलब्ध ग्रंथाग्र
4
नागपरियारणियाओ निश्यावलियामा
750 अध्या. 21
966 कुलयोग
1565गा.1233
गा 25
700 अ. 10
1830
अनुपलब्ध
375 गा. 300
280 गा. 225
700
419
ग्रंथकार
5
सुधर्मावाचना
जिनमद्रधर्मपोष छेद तिलक, सोमतिलक जिनचन्द्र
शयंगव
भद्रबाहु
सुधर्मावाचना
ऋषिपाल
वर्गीकरण
6
देववाचक
प्र. C 3
प्र. C 4
उपाङ्ग ( 3 ) उरका. नं.पा.
प्र. B 5
अंग ( 6 ) का.
प्र. A 5
प्र. B 6
प्र. B7
का.
मूल उत्का.
छेद, का.
अंग ( 12 ) का.
का.
प्र. A 6 उत्का.
का.
प्र. B 8 का
का.
प्रमाण
7
उत्का.
मूल (नू.) उत्का
सर्वमान्य
उप.पा.जो.
नं.पा.घ.
न.पा.
नं.पा.
नं.. पा
ai. 755
टिप्पणी
8
नं.पा.ध. दिगम्बर में दृष्टिवादपरिकर्म
नं. व्य.पा.
नं.पा.
नं.पा.
का.
उपाङ्ग ( 8 ) का नं.पा.
पृष्ठ सं.
9
नं.व्य.पा. • 'ता' अथवा 'या'
30
258
अपरनाम आचारदशा ठां. 755
X
सर्वमान्य नियूँढ ग्रंथ व वृतान्त उपलब्ध हैं X
प. पा. जो.
X
30
X
X
X
X
X
18,258
X
10,254
X
6,252
30
X
X
20,258
12,254
X
12,254
[ 7
Page #9
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्राकृतनाम
उपलब्ध ग्रंथान
ग्रंधकार
वर्गीकरण
प्रमाण
क्रम.
1
नाम 2
टिप्पणी . पुष्ठ सं. 89..
81
68 निशीथ (निषिद्ध) 69 पञ्चकल्प 70 पर्यन्ताराधना
णिसोहं पंचकप्पो पज्जंताराहणा
815 ___ 1133
300 गा. 263
छेद
-
835 125 गा.103
भद्रबाहु जिनवल्लभ
71 पिण्डनियुक्ति 72 पिण्डविशुद्धि 73 पुण्डरीक 74 पुष्पचूलिका 75 पुष्पिका 76 पौरुषीमण्डल 77 प्रज्ञापना 78 प्रमादाप्रमादम् 79 प्रश्नव्याकरण
पिंडनिन्जुत्ति पिंडविसोही पुंडरीय पुप्फचूलियानो पुफियाओ पोरिसिमंडल पण्णवणा पमायप्पमादं पण्हावागरणाई
80 430
8000
आर्यश्याम
_1250 दो स्कंध
सधर्मावाचना?
छेद का. न.पा.ध. अपरनाम आचार प्रकल्प 12
17वींशताब्दी तक प्राप्य था x प्र.C-5
सोमसूरि की70 गा.को भी 30,262
प्राप्य है मूल.
258 प्र.C6
262 दिगम्बर उपाङ्ग(11)का. नं.पा.
12,254 उपाङ्ग(10)का. नं.पा.
12,254 उत्का .
नं.पा. उपाङ्ग(4) उत्का. नं.पा.
10,254 उत्का .
नं.पा. अंग (10) का. सर्वमान्य प्रक्षिप्तपाठ[संभवतः अपर 8,252
नाम जयपाहुड बाला पाठ
असल हो] प्र.C-7 का. नंव्य पा. अपरनाम सुयहील्लुपति x
ठा.755 छेद का. नं.पा.ध. धवला में कप्पववहारो साथमेंहै 12,254 प्र. A7
30,262 उत्का .
नं.पा. उत्का .
जो. प्र. B9उत्का. नं.पा. अ.नाममरणविभक्तिम.विधि x
म.समाचारी; नं.व्य.पा. नं.पा.ध.
यशोभद्र
xx
473
80 बङ्ग (वर्ग) चूलिका 81 बन्धदशा 82 वृहत्कल्प 83 भक्त परिज्ञा 84 मण्डल प्रवेश 85 मरण विशुद्धि 86 मरण समाधि
बंग (वग्ग) चूलिया बंधदसा कप्पो भत्तपरिन्ना मंडलप्पवेसो मरणविसोहि मरणसमाहि
भद्रबाहु वीरभद्र
255 गा 172
837 गा. 656
xxxxx
87 महतीविमान प्रविभक्ति महल्लियाविमाण पविभती 88 महाकल्पश्रुत
महाकप्पसुतं
Page #10
--------------------------------------------------------------------------
________________
उपलब्ध ग्रंथान
ग्रंथकार
वर्गीकरण
प्रमाण
टिप्पणी
क्रम. नाम 12
प्राकृतनाम
3
नं.पा.
x xxx०
का.
x
89 महानिशीथ
महाणिसीह
4554 उद्धरित,हरिभद्र छेद,का. 90 महापुण्डरीक महापुडरीय
दिगम्बर 91 महाप्रज्ञापना महापन्नवणा
उत्का .
नं.पा. 92 महाप्रत्याख्यान
महापच्चक्खाणं 176 गा. 143
प्र. A 8,उत्का नं.पा. 93 महास्वप्नभावना महासुमिणभावजाणं ।
का.
व्य.पा.जो. 94 योनिप्राभूत
जोणीपाहुड
800 घरसेनाचार्य
प्र.C8 . ध... 95 राजप्रश्नीय
रायपसेरिणयं 2076 उपाङ्ग(2)उत्का . नं.पा.
10,254 96 वरुणोपपात वरुणोववाए
नं.व्य पा. 97 विद्याचरण विनिश्चय विज्जाचरण विणिच्छी
उत्का .
नं.पा. 98 विपाकसूत्र विवागसुयं
1250 दो स्कंध सूधर्मावाचना अंग(11)का. सर्वमान्य (पूरानामकर्मविपाकसुख/दुख) 8,252 99 विहारकल्प विहारकप्पो
उत्का .
नं.पा. 100 वीतरागश्रुत वीयरायसुतं
उत्का .
नं.पा. 101 वीरस्तव
वीरत्ययो 50 गा. 43
प्र.A9 102 वृद्धः चतुः शरण विद्धचउसरण
115 गा.90 देवेन्द्र साधु
प्र.C9
अपर नाम सुप्रणिधान कुलक 262 . 103 वृष्णिदशा
वण्हीदसामो 130 उपाङ्ग(12)का. नं.पा.
12,254 104 वृष्णिका वण्हीयानो
का.
नं.पा.जो. 105 वेलन्धरोपपात वेलंघरोववाए
का.
नं.व्य.पा. 106 वैनयिक वेणइयं
दिगम्बर 107 वैश्रमणोपात वेसमणोववाए
का.
नं.पा.व्य. 108 व्यवहार
ववहारो .
370
भद्रबाहु छेद, का. नं.पा.घ. धवलामेंबृहत्कल्प (82) केसाथ 12,254 109 व्याख्या प्रज्ञप्ति वियाह पन्नति
16,000 सुधर्मावाचना अंग(5)का. सर्वमान्य प्रसिद्ध नाम भगवती सूत्र 4,252 110 व्याख्या चूलिका वियाह (विवाह) चूलिया।
का.
नं.व्य.पा. दिगम्बर में दृष्टिवाद परिकर्म x (प्रज्ञप्ति II) 111 षट्खण्डागम
छक्खंडागमे
6000
पुष्पदंतभूतबलि दिगम्बर 112 सड क्षेपितदशा संखेवियदसा
ठां.755
x xxx
ध.
xx
Page #11
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________________
क्रम.
1.
नाम
2
प्राकृतनाम
उपलब्ध ग्रंथाग्र
ग्रंथकार
वर्गीकरण
प्रमाण
टिप्पणी
पृष्ठ सं.
3
8
9
x 4,252
1700
सुधर्मावाचना
113 सङग्रहणी 114 समवायाङ्ग 115 समुत्थानश्रुत 116 सारावली 117 सिद्धप्राभूत 118 सूत्रकृताङ्ग 119 सूर्यप्रज्ञप्ति 120 संलेखना 121 संस्तारक 122 स्थानाङ्ग
. संगहणी समवायो समुट्ठाणसुयं सारावली सिद्धपाहुड सूयगडं (सूदयदं) सूरपण्णत्ती संलेहणा संथारग ठाणं
145 गा. 116 150 गा. 120 2100 दो स्कंध सुधर्मावाचना 2300
xxx
विधिमया (कौनसी ?) अंग(4)का. सर्वमान्य का.
नं.व्य.पा. प्र.c 10 प्र B 10 अंग(2)का. सर्वमान्य
2,252 उपाङ्ग(6)का. नं.पा.प. दिगम्बर मेंडष्टिवाद परिकर्म 254 उत्का . नं.पा. . प्र. A 10
30,262 अंग (3)का. सर्वमान्य
4,252
155 गा. 122 . 3700
सुधर्मावाचना
संकेत:-का.=कालिक; उत्का.=उत्कालिक; प्र.=प्रकीर्णक; नं.=नंदीसूत्र; पा.=पाक्षिक सूत्र; व्य. व्यवहार सूत्र;
ठा.ठाणाङ्गः घ.=घवलाटीका; जो.=जोगनंदी। विकल्पः-ओपनियुक्ति या पिण्डनियुक्ति; पंचकल्प या जीतकल्प; जंबू द्वीप या जंबू स्वामी प्रकरण तथा दस प्रकीर्णक मान्य
हैं किन्तु ऐसी तीन भिन्न-भिन्न बोड (सेट्स) हैं जिन्हें क्रमशः A1 से A10, B1 से B10 और C1 से C10
बताया गया है। टीप :- सूर्य प्राप्ति व चन्द्रप्रज्ञप्ति के उपलब्ध पाठ एक सरीखे ही है। सची:- में 37 आगम दिगम्बर सम्मत हैं परन्तु वे वर्तमान में षडावश्यक, षटखंडागम और कषाय पाहड को ही उपलब्ध
मानते हैं शेष का विच्छेद कहते हैं। प्राप्य प्रागम मूल रूप में कहीं न कहीं से मुद्रित हो चुके हैं और तदनुसार उनका परिमाण बता दिया गया है। __हो सकता है नाम भेद का पता पड़ने से कुछ संख्या कुछ कम हो जाय । नंदी व अनुयोगद्वार को चू = च्लिका भी कहते हैं। दृष्टव्यः-जन ग्रंथावली- श्व कान्फ्रेस मुम्बई का प्रकाशन ।
Page #12
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________________
० प्राक्कथन ०
सेवामन्दिर जोधपुर के रावटी स्थित जिनदर्शन प्रतिष्ठान द्वारा देश के इस भू-भाग में पाये जैन ज्ञान भण्डारों में और यत्र तत्र बिखरे पड़े हस्तलिखित ग्रन्यों के बारे में कुछ वर्षों से एक परियोजना क्रियान्वित की जा रही है जिसके कतिपय पहलू निम्न प्रकार हैं --
(i) आधुनिक ढंग से इन ग्रंथों का पूर्ण बोगतवाः सूचीकरण और उन सूची पत्रों का मुद्रण;
(ii) ग्रन्थों का संग्रहण भोर भण्डारों का विलीनीकरण; . (iii) अतिप्राचीन, जीणं, प्रथम प्रादर्श, प्रद्यावधि अमुद्रित, दुर्लभ, सचित्र, अत्यन्त शुद्ध, संशोधित या
अन्यथा महत्वपूर्ण ग्रन्थों का फोटु प्रतिबिम्ब या फील्मीकरण; (iv) ग्रन्थों के वैज्ञानिक ढंग से भण्डारीकरण एवं संरक्षण हेतु आवश्यक सलाह, सहायता व साधन
सामग्री का वितरण ।
सूची पत्रों के मुद्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत तृतीय ग्रंथ के रूप में बाड़मेर जिले व मुम्बई के निम्न जैन ज्ञान भण्डारों का यह सूची पत्र तैयार होकर प्रकाशित किया जा रहा है। .
बा
भाग-१
सूची पत्र में स्रोत संकेत (1) श्री शान्तिनाथजी के मन्दिर का ज्ञान भण्डार, बाड़मेर (2) यति श्री माणकचंदजी का ज्ञान भण्डार, बालोतरा
Bo(3) श्री संघ जैन ज्ञान भण्डार, चौहट्टन
चौ०(4) श्री भीकचन्दजी ललवाणी दादावाड़ी शान भण्डार, गढ़ सिवाना
सि०(5) मत्थेण श्री संपतराजजी का ज्ञान भण्डार, बाड़मेर
बा (सं)(6) जैन ज्ञान गच्छ भंडार, रायपुर हवेली कपड़ा बाजार, जोधपुर
माग-२ (7) जिनदत्त सूरि ज्ञान भण्डार, 8 पायधुनी मुम्बई 400003
इस सूची पत्र में कुल 4938 प्रतियों का सूचीकरण किया गया है। प्रतियें विशेष पुरानी नहीं है विक्रम की सोलहवीं शताब्दी बाद की ही हैं। इन भण्डारों को स्थापना का विशेष कोई इतिहास प्राप्य नहीं है। मुम्बई का भण्डार 20वीं सदी में खरतर-गच्छाचार्य श्री जिन रत्न सूरि द्वारा संग्रहीत है और रायपुर हवेली जोधपुर के भंडार को छोड़कर बाकी सब भण्डार जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ की आम्नाय वालों द्वारा स्थापित व व्यवस्थित है। यद्यपि बाड़मेर, चौहट्टन व सिवाना इस क्षेत्र के प्राचीन नगर है परन्तु इन भण्डारों में अधिक प्राचीन ग्रंथ उपलब्ध नहीं है।
यह सूची पत्र किस प्रकार बनाया गया है तत्सम्बन्धी जानकारी व स्पष्टीकरण निम्नलिखित "संकेत" में दिये जा रहे हैं। इस सूची पत्र का सही रूप में उपयोग हो सके उस वास्ते उस लेख को ध्यान पूर्वक पूरा पढ़ लेना अनिवार्य है । उस पर भी यदि मुद्रित जानकारी व सूचना से किसी ग्रन्थ के बारे में पाठक वृन्द को संतोष न हो, शंका हो या विशेष जिज्ञासा हो तो प्रार्थना है कि हमसे सम्पर्क करें; प्रति आदि उपलब्ध कराने में और उन्हें हर प्रकार से सहयोग देने में हम हमारा अहोभाग्य समझेगे। .
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० संकेत ०
मोटे तौर पर यह सूचीपत्र प्रचलित केटेलोगस केटेलोगोरम (Catalogus Catalogorum) पद्धति व भारत सरकार द्वारा निर्धारित प्रपत्रानुसार बनाया गया है । ग्रन्थों का विभागीकरण विषय सूची के अनुसार है। वह भी लगभग सरकारी विषय विभाजन से मेल खाता है। चूंकि यह सूची पत्र न ज्ञान भण्डारों का है इसलिये इसमें जैन ग्रंथों को बहुतायत है। यद्यपि सरकारी प्रपत्र के अनुसार सभी प्रकार के जैन ग्रंथों को केवल एक ही भाग नम्बर सातव में डाला जाता है परन्तु हमने आवश्यक समझकर इन जैन ग्रन्थों को चार भागों 1 से 4) में बांटा है जिनके पुनः क्रमशः 2+2+3+-2 कुल मिलाकर 9 विभाग किये हैं और पहिले भाग के दूसरे विभाग के पांच उप विभाग किये हैं । अतः भाग 1 से 4 तक सभी विभाग व उपविभाग मिलकर सरकार द्वारा निर्धारित सातवें भाग के ही अन्तर्गत आते हैं । भाग 5 नेत्तर धार्मिक ग्रन्थों का है जिसमें सरकार द्वारा निर्धारित भाग 1 से 10 (केवल उपरोक्त भाग 7 छोड़कर) इन 9 भागों के ग्रन्थों का समावेश है और उन्हें क्रमशः (अ) से (ओ) तक विभाजित कर दिया है। इसी प्रकार इस सूची पत्र के भाग 6, 7, 8 और 9 में क्रमशः परकारी निर्धारित भाग 11, 12 से 16, 23 124 के ग्रंथों को अलग-अलग दिखा दिया है। और चुकि भाग 17 से 22 व 25 तक के ग्रन्थ बिल्कुल थोड़े हैं अतः उन्हें इस सूचीपत्र के अन्तिम भाग 10 में अवर्गीकृत शेष रूप में दिखा दिया गया है।
जैन ग्रन्थों के भाग विभाग व उपविभाग के शीर्षकों को देखने से सारा विभाजन लगभग स्पष्ट हो जावेगा । हम आगमों की संख्या के विवाद में नहीं पड़ना चाहते है और जो कोई भी ग्रन्थ किसी भी सम्प्रदाय द्वारा आगम माना जाता है वह हमने प्रागम में ले लिया है। चूंकि साम्प्रदायिक खण्डन मण्डन विशेषकर धार्मिक क्रिया काण्ड से सम्बन्ध रखते हैं अतः इसे उस भाग का ही एक विभाग बना दिया है।
तथा अमुक ग्रन्थ किस विभाग में डाला जाना चाहिये इस बारे में कई बार एक से अधिक मत संभव होते है अथवा एक ही ग्रन्थ में विविध प्रकार की विषय वस्तु होती है अतः एकदम निर्विवाद शुद्ध विभाजन असंभव है और जो विभाजन किया गया है उसके लिये एकान्त रूप से हमारा आग्रह भी नहीं है।
सूचीपत्र के स्तम्भों में दी गई सूचना को मुख्यतः दो भागों में बांट सकते है-कुछ स्तम्भों की बोगत तो उस ग्रन्य से सम्बन्ध रखती है और कुछ स्तम्भों की बोगत उस प्रति विशेष से ही सम्बन्धित है। अब हम प्रत्येक स्तम्भ का थोड़ा विश्लेषण करना उपयुक्त समझते हैं
स्तम्भ 1-क्रमांक :
इसमें हमने विभागोय, यो जहाँ है वहाँ उपविभागीय क्रमांक दिया है। सामान्य अनुक्रमांक सारे ग्रंप तक एक ही चालू रखा जा सकता था परन्तु हमारी राय में विभागीय संख्या का महत्व अधिक है और मुद्रण प्रादि में सुविधाजनक भी है । वैसे विषय सूची में कुल प्रतियों की संख्या का योग आ ही गया है । साधारणतया हर प्रति की अलग प्रविष्टि करके विभागीय क्रमांक दे दिया गया है। परन्तु कई ग्रंथों की पर्वाचीन प्रतियां जो अति सामान्य हैं और पाठ भेद आदि दृष्टिकों से महत्वहीन हैं उनकी प्रविष्टि एक साथ कर दी गई है लेकिन वहां भी जितनी प्रतिणं हैं उतने क्रमांक दे दिये है। (देखिये पृष्ठ 8 अन्तकृतदशाङ्ग सूत्र 20 प्रतियें एक साथ में, क्रमांक 153 से 172) । इस तरह सूची पत्र को अनावश्यक रूप से बड़ा नहीं होने दिया है । इसके विपरीत जिस सयुक्त प्रति में एक से अधिक उल्लेखनीय ग्रन्य हैं उन सभी ग्रन्पों की अलग-अलग प्रविष्टियां विभागानुसार बकारादिक्रम से बीगतवार यथा-स्थान कर दी है और क्रमांक दे दिये है। और चकि ऐसी प्रत्येक प्रविष्टि में पन्नों की संख्या पूरी प्रति को ही लिखी है, जो भ्रमोत्पादक न हो जाए इसलिए पन्नों की संख्या पर तारे का चिन छगा दिया है । तथा जहाँ मावश्यक समझा गया है वहां संयुक्त प्रति के प्रथम ग्रन्थ की प्रविष्टि देखने की सूचना कर दी गई है।
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. इसके अतिरिक्त कई प्रतियां विशेषतः स्तवन मंत्रादि एक दो पन्नों की अति लघु रचनायें होती है। तथा प्रत्येक भण्डार में कई सारे पन्ने स्फुट और त्रुटक भी होते है और कई गुटके भी होते हैं जिनमें बहुत सी छोटी-मोटी कृतियों का संकलन होता है । हमने इन सब लघु ग्रन्थों, स्फुट व त्रुटक पन्नों और गुटकों की पूरी छानबीन करके जो मुख्य या संकलनीय रचनायें प्रतीत हुई उनकी तो अलग-अलग प्रविष्टियां कर दी है; तथा बाकी बचे हुए इन अमहत्वपूर्ण व अनुल्लेखनीय छघु ग्रन्थों व पन्नों को मिलाकर एक ही क्रमांक पर विभागानुसार अन्त में प्रविष्टि कर दी है । कदाचित् विषय की अधिक गहराई में जाने वाले के लिए इन लघुकृतियों व स्फुट त्रुटक व अपूर्ण पन्नों की उपयोगिता हो सकती है। इसी प्रकार गुटकों को भी क्रमांक देकर अलग से भी प्रविष्टि कर दी है । इस तरह हमन भण्डार की समस्त प्रतियों, पूर्ण या अपूर्ण, गुटकों तथा स्फुट पन्नों व त्रुटक या लघु ग्रन्थों प्रादि सबको सूची पत्र में ले लिया है-बाहिर कुछ भी नहीं छोड़ा है। स्तम्भ-2-स्त्रोत परिचयाङ्कः
चूकि यह सूचीपत्र केटेलोगस केटेलोगोरम पद्धति से बनाया गया है अतः इस स्तम्भ की आवश्यकता है ताकि ग्रंथ उपलब्धि आसानी से की जा सके। भण्डारों के सूचक अक्षरों का स्पष्टीकरण सुगम्य है जो उपर दे चुके हैं।
स्तम्भ-3-ग्रन्थ का नाम:
जैन आगम भाग को छोड़कर प्रत्येक विभाग के ग्रन्थों को अकारादिक्रम से लिखा गया है और इसलिये सूचीपत्र में उल्लेखित ग्रन्थों को पुनः परिशिष्ट में अकारादिक्रम से सजाने की विशेष आवश्यकता नहीं समझी गई है। जैन आगम ग्रन्थों को जैन मान्यतानुसार अंगसूत्र और अगबाह्य सूत्र (पांच उप विभागों में विभाजित) का जो क्रम नियत है तदनुसार लिखा गया है और यह विषयसूची से स्पष्ट हो जाता है तथा सामान्य पाठकों की सुविधा के लिये मुख्य विषय सूची के बाद जैन आगमों की एक सूची अकारादिक्रम से भी बनाकर लगादी गई है।
लेकिन विभागीकरण की तरह नामकरण में भी एकरूपता नहीं हो सकती क्योंकि भिन्न-भिन्न प्रक्षर संयोजना से ग्रन्थनाम का प्रथम अक्षर भी भिन्न हो जाता है। उदाहरण स्वरूप "गौड़ी पार्श्व स्तोत्र" और "चितामणि पाश्वं स्तोत्र" को हमने क्रमशः 'पार्श्व (गौड़ी) स्तोत्र' और पार्श्व (चितामणि) स्तोत्र ऐसा नाम देकर दोनों स्तोत्रों को अक्षर 'पा' के नीचे संकलित करना अभीष्ट समझा है । कई बार एक ग्रन्थ विद्वत् जगत् में एक से अधिक नामों से प्रचलित होता है जैसे 'दर्शन-सत्तरी' को 'सम्यक्त्व सत्तरी' भी कहते हैं और विचार
विशिका 'चतुर्विशतिदण्डक' 'चौवीसदण्डक' या केवल 'दण्डक' के नाम से भी प्रसिद्ध है । उपरोक्त कठिनाइयों से उत्पन्न समस्याओं के निराकरण हेतु पाठकों से और विशेषतया शोधार्थी पाठकों से हमारा निवेदन है कि अभिलषित ग्रंथ की प्रविष्टि के बारे में निराश होने के पहले संभावनीय विविध विकल्पों के अनुसार सूचीपत्र को अच्छी प्रकार से ढूढें तथा लेखक परिशिष्ट को भी मदद लें। इस वास्ते पूरी विषय सूची को हृदयंगम करके तथा प्रविष्टि के सभी स्तम्भों को देखना व इस 'प्राक्कथन संकेत' को भी ध्यान पूर्वक पढ़ना आवश्यक है । सूची पत्रों में विभागीकरण, विषय सूची, अकारादिक्रमणिका इत्यादि सुविधा के हेतु हैं परन्तु प्रमादवश उसे ही एक मात्र आधार या बहाना बना लेंगे तो विद्यमान होते हुवे भी ग्रंथ हाथ नहीं लगेगा।
स्तम्भ 3A:
इसमें ग्रन्थ का नाम रोमन लिपि में दे दिया है ताकि देवनागरी लिपि न जानने वालों को कुछ सुविधा हो जाय । तथा उनकी सहलियत के लिए ही सूची पत्र में सर्वत्र भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप ही प्रयोग में लिया गया है।
स्तम्भ 4-ग्रन्थ कर्तादि का नाम :
इस स्तम्भ में ग्रन्थकार का नाम व उसके गुरु या पिता का नाम और उसकी आम्नाय भी दे दी गई है ताकि पूरा नाम परिचय हो जावे । यदि ग्रन्थ वृति आदि सहित होने से दो अथवा दो से अधिक लेखकों की कृति
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है तो उन दोनों या सबका नाम व परिचय दिया गया है। उनमें क्रमानुसार प्रथम नाम मूल लेखक का है और/ करके आगे वृत्तिकार आदि का नाम लिखा गया है । जहां लेखक का नाम प्रति में नहीं है वहां स्तम्भ को खाली ही रखा है। लेकिन जहां पक्का निश्चय हो गया है कि लेखक का नाम मिलने वाला नहीं है वहां 'अज्ञात' शब्द लिख दिया है। कहीं-कहीं साथ में ग्रन्थ की रचना के वर्ष का उल्लेख भी किया है यद्यपि अच्छा यह रहता कि रचना समय की जानकारी एक स्वतन्त्र स्तम्भ में दी जाती।
स्तम्भ 5-स्वरूप :
इस स्तम्भ में सूचना दो दृष्टिकोणों से दी गई है। प्रथमतः यह बताया गया है कि ग्रन्थ गद्य या पद्य या चंपू या नाटक या सारिणी या तालिका या यंत्र मादि किस प्रकार का है तथा दूसरे में यह बताया गया है कि ग्रन्थ का स्वरूप क्या है-मूल, नियुक्ति चूणि, भाष्य, वृत्ति, दीपिका, अवचूरि, टब्बा (स्तबक), बालाविबोध, वाचना, अन्तर्वाच्य, व्याख्यान, टीका, विवरण, स्वोपज्ञ विवृत्ति आदि किस किस्म या जाति का है। प्रायः करके प्रकार या स्वरूप को दर्शाने वाले उपरोक्त शब्दों के प्रथम अक्षर को लिख दिया है जिसका तात्पर्य उस शब्द से लगा लेना चाहिये । बहुधा एक ही प्रति में दो किंवा दो से अधिक स्वरूप साथ में हैं तो वहाँ उतने संकेत दे दिये हैं तथा ग्रन्थ का नाम लिखते हुवे भी कहीं-कहीं यह उल्लेख कर दिया है। उदाहरण :-"प्रवचन सारोद्धार सहवृत्ति" मू(प) + (ग)=अर्थात मूल पद्य में तथा वृत्ति सहित जो गद्य में है।
स्तम्भ 6-भाषा :
अन्य प्राकृत, संस्कृत अपभ्रश आदि जिस भाषा में लिखा गया है उस भाषा को या तो प्रथम अक्षर से दर्शाया गया है और नहीं तो भाषा का पूरा नाम लिख दिया है।
इस प्रकार
प्रा0=प्राकृत सं0-संस्कृत 40%=अपभ्रंश
डि0=डिङ्गल हि0=हिन्दी गु०=गुजराती
रा0-राजस्थानी मा0=मारुगुर्जर के बोधक हैं।
जहाँ ग्रन्थ (मूलवृत्ति मादि) एक से अधिक भाषा में है वहां उन सभी भाषाओं को बता दिया है। मिश्रित होने से कई बार ग्रन्थ की भाषा क्या है इस बारे में मतभेद भी हो सकता है जैसे 'जयतिहुअण' स्तोत्र को कई लोग प्राकृत की रचना कहते हैं तो कई उसे अपभ्रंश की। जिन ग्रन्थों की भाषा को हमने 'मारू गुर्जर' की संज्ञा दी है उस बारे में स्पष्टीकरण करना चाहेंगे ।
पश्चिमी राजस्थान व गुजरात इस भू-भाग की भाषा विक्रम की लगभग 18वीं शताब्दी तक प्रायः एक सी हो रही है और उसमें विपुल साहित्य रचा गया है । अपभ्रंश भाषा के काल के बाद, प्रदेश की इस भाषा को क्या नाम दिया जावे इस बारे में विद्वान एक मत नहीं है। चूकि विगत दो ढाई शताब्दियों से राजस्थानीय गुजराती भिन्न-भिन्न भाषाओं के रूप में उभरी है अतः उस प्रभाव में आकर प्रादेशिक व्यामोह के कारण 13वीं से 18वीं इन 5-6 शताब्दियों में रचे गये ग्रन्थों की भाषा को कई लोग तो गुजराती या प्राचीन गुजराती कहते हैं
और कई लोग राजस्थानी कहते हैं। उदाहरण स्वरूप अहमदाबाद (गुजरात) से छपे सूचीपत्रों में श्री समय सुन्दरजी के ग्रन्थों की भाषा को स्व. आगमप्रभाकर मुनि पुण्यविजयजी ने गुजराती बताई है, जबकि जोधपुर (राजस्थान) से छपे सूची पत्रों में उन्हीं ग्रन्थों की भाषा स्व. पद्म श्री मुनि जिनविजयजी ने राजस्थानी बताई हैं। इस समग्र भू-भाग से विचरण करने वाले होने के कारण जैन साधुओं द्वारा रचित जैन साहित्य में तो यह भाषा एक्यता व साम्य इतना अधिक है कि भाषा भेद की कल्पना ही हास्यस्पद लगती है । ग्रंथकर्ता ने स्वयं की बोलो में रचना की, उस बोली को पराई संज्ञा देकर अन्याय नहीं करना चाहिये, अतः इस भाषा विवाद में न पड़कर हमने मध्यम मार्ग का अनुसरण करना ही श्रेयस्कर समझा है और कुवलयमाला नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ में सुझाये गये
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'मारु गुर्जर' नाम से इस भाषा को बताया है जिसमें 19वीं शताब्दी से पूर्व की लगभग 5-6 शताब्दियों की इस भू-भाग की बोलचाल किंवा साहित्यिक भाषा का समावेश हो गया है।
स्तम्भ 7-विषय संकेत:
यद्यपि मोटे रूप में विभागानुसार विषय संकेत हो जाता है तो भी इस स्तम्भ में ग्रन्थ की वस्तु का अति संक्षिप्ततम सारांश परिचय रूप में दिया है जो पाठकों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगा।
इस प्रकार उपरोक्त सात स्तम्भों में ग्रन्थ सम्बन्धी जानकारी के संकेतों का स्पष्टीकरण के बाद अब उन स्तम्भों का विवेचन किया जाता हैं जो मुख्यतः प्रस्तुत प्रति से ही सम्बन्धित हैं।
स्तम्भ 8-पन्नों की संख्या :
इस स्तम्भ में प्रति के कुल पन्नों की शुद्ध संख्या जो है वह लिख दी गई है जिसको द्विगुणित करने से पृष्ठों की संख्या प्रा जाती है। यथा संभव पन्नों को गिनकर सही संख्या लिखी गई है और बीच में जो पन्ने कम हैं अथवा अतिरिक्त हैं उन क्रमांकों की टिप्पणी दे दी गई है । अधूरी या अपूर्ण तथा कहीं-कहीं त्रुटक प्रति के भी पन्नों के क्रमांङ्क जो उपलब्ध है अथवा कम है बीगतवार लिख दिये हैं। जहां एक से अधिक प्रतियों की प्रविष्टि एक साथ की गई है वहां प्रत्येक प्रति के पन्नों की संख्या अलग-अलग लिखी गई है जिनका क्रम विभागीय क्रमांकानुसार है, ऐसा समझ लेना चाहिये ।
स्तम्भ 8 A-नाप :
इस स्तम्भ में प्रति के बारे में चार प्रकार की सूचना दी गई है । पहिली संख्या प्रति की लम्बाई और दूसरी संख्या प्रति की चौड़ाई दर्शाती है जो दोनों सेन्टीमीटरों में है। तीसरी संख्या प्रतिपृष्ठ (न कि प्रति पन्ने में) कितनी पंक्तियां है, यह बताती है और चौथी संख्या प्रति पंक्ति औसतन कितने प्रक्षर हैं यह दिखाती है । चारों संख्याओं को इसी क्रम से लिखा है और उन्हें अलग-2 करने हेतु सुविधा के लिये बीच में 'x' निशान लगा दिया है। जहां ग्रन्थ केवल यन्त्र तालिका स्वरूप ही है वहां लकीरों व अक्षरों की संख्या नहीं दी है। तथा जहां प्रति पंचपाठी (अर्थात् बीच में मूल ग्रंथ व उसके चारों ओर वृत्ति आदि लिखी हुई) या टब्बार्थ सहित है वहा पंक्तियों व अक्षरों की संख्या मूल की ही दी है । जहां एक से अधिक प्रतियों की प्रविष्टि एक माथ में की गई है वहाँ केवल प्रतियों की लम्बाई चौडाई ही दी है और वे भी जब प्रति प्रति भिन्न है तो लम्बाई व चौड़ाई दोनों की लघुतम व दीर्घतम दो-दो संख्यायें लिख दी गई है । दृष्टांतः-भाग 3 (आ) भक्तामर स्तोत्र 5 प्रतियों की प्रविष्टि के सामने 24 से 26 x 11 से 12 लिखने का तात्पर्य यह है कि इन पांचों प्रतियों की लम्बाई भिन्न-भिन्न हैं जो नीचे में 24 और ऊचे में 26 सेन्टीमीटर है और इसी प्रकार चौड़ाई भी भिन्न-2 है जो नीचे में 11 और ऊंचे में 12 से -टीमीटर है। चूकि सेन्टीमीटर भी कोई बहुत विस्तार वाली दूरी नहीं है अतः हमने मीलीमीटरों में जाना श्रेयस्कर नहीं समझा है-आधे से अधिक को पूरा सेन्टीमीटर गिन लिया है और आधे से कम को छोड़ दिया है।
स्तम्भ 9-परिमाण :
इस स्तम्भ में भी सूचना दो दृष्टिकोणों में दी गई है
ग्रन्थ के स्कन्ध (खण्ड) पर्व, सर्ग, अध्याय, प्रकाश, परिच्छेद, अधिकार, प्रकरण, उद्देशक, ढाल, पद, छन्द, गाथा, श्लोक आदि की संख्या द्वारा उसका परिमाण बताया गया है। जहाँ उपलब्ध है वहाँ ग्रंथान [अन्य के
कुल प्रक्षरों की संख्या को 32 (प्राचीन अनुष्टम् छंद का अक्षर परिमाण) से भाग देने पर आने वाला . भजनफल ग्रंथान कहलाता है] संख्या भी लिख दी है। परन्तु कभी-कभी यह ग्रंथान संख्या वास्तविकता से
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मेल नहीं भी खाती है क्योंकि लिपिक इस संख्या को अनुमान से अथवा बढ़ा-चढ़ाकर अथवा परम्परागत शास्त्र वणित परन्तु वर्तमान में अनुपलब्ध है, वह लिख देते हैं । सूचीपत्र में दी हुई पन्नों की संख्या को दुगना करने से पृष्ठों की संख्या आ जाती है और उसे पंक्ति प्रतिपृष्ठ की संख्या से गुणा करने पर ग्रन्थ के कल पंक्तियों की संख्या आ जाती है और उसे औसतन अक्षरों की संख्या से गुणा करने पर ग्रन्थ के कुल अक्षरों की संख्या आ जाती है जिसमें 32 का भाग देने से ग्रंथान की संख्या आ जावेगी-इस प्रकार पाठक स्वयं ग्रंथान अनुमानित कर सकते हैं ।
साथ में यह भी बताया गया है कि प्रति संपूर्ण है या अपूर्ण या त्रुटक और यदि अपूर्ण है तो कितनी अपूर्णता है। यदि प्रति पूरे ग्रन्थ के एक अंश हेतु ही लिखी गई है और वह अंश पूरा है तो उसे 'प्रतिपूर्ण' कहा गया है। प्रथम या मन्तिम पन्ना बहुधा नहीं होते हैं तो प्रति को अपूर्ण न कहकर वैसी टिप्पणी लिख दी गई है कि पहला या अन्तिम पन्ना कम है । उपरोक्त परिमाण सूचक शब्दों के प्रथम अक्षर ही बहुधा सूची पत्र में लिखे हैं अतः तदनुसार अर्थ लगा लेना चाहिये-जैसे सं. =संपूर्ण, अपूर्ण, ग्रं =ग्रन्थान।
स्तम्भ 10-प्रतिलेखन वर्ष, स्थल व लिपिक :
इस स्तम्भ में प्रति के बारे में तीन प्रकार से सूचना दी गई है :
(i) सर्व प्रथम प्रस्तुत प्रति जिस वर्ष में लिखी गई है वह विक्रम संवत् दिया गया है । कदाचित् कहीं पर शक या
पौर संवत् या अन्य सार है तो वैसा विशिष्ट उल्लेख कर दिया गया है। विक्रम संवत् से शक संवत् व ईस्वी सन कमशः 135 और 56 कम होता है जबकि वीर सम्वत् 470 अधिक होता है, परन्तु बहुत सी प्रतियों में उनका प्रतिलेखन संवत् लिखा हुआ नहीं मिलता है । ऐसी अवस्था में अनुमान से वह प्रति जिस शताब्दी में लिखी प्रतीत हुई वह विक्रम की शताब्दी लिख दी नई है । यद्यपि अनुमान लगाते हुए हमने पर्याप्त अनुदार दृष्टि से काम लिया है (अर्थाद संदेहास्पद मामलों में प्रति को प्राचीन की अपेक्षा मर्दानीन टी बताने की ओर झुकाव रहा है) तो भी अन्दाज तो अन्दाज ही है । अतः पाठकों को सलाह है कि हमारे इस अन्दाज को ठोस आधार न मान लें। भिन्न-भिन्न वर्षों में लिखित प्रतियों की प्रविष्टि जब एक साथ ही गई है वहाँ कालावधि की सीमायें व यथा योग्य सूचना दे दी गई है।
(i) दूसरी सूचना प्रति किस स्थल में लिखी गई है उसकी है और
(iii) तीसरी सूचना लिपिक के नाम की है
स्तम्भ 11-विशेषज्ञातव्य :
उपरोक्त सब के अलावा अन्य अथवा प्रति के बारे में जो भी सूचना देना उपादेय या आवश्यक समझा गया है उस वास्ते इस स्तम्भ की शरण ली गई है। यह तरह-तरह की जानकारी से भरा गया है और इसका अवलोकन किये बिना प्रविष्टि पूरी देख ली है ऐसा नहीं कहा जा सकता । इस स्तम्भ में दी गई जानकारी के कतिपय उदाहरण हैं-चित्रित, संशोधित, अपठनीय, जीर्ण, प्रथम आदर्श, ताड़पत्रीय या वस्त्र पर, देवनागरी से भिन्न लिपि, स्वर्णाक्षरी, ग्रन्थ का दूसरा प्रचलित नाम, प्रशस्ति है, वृत्ति आदि का नाम जो अक्सर वृत्तिकार अपनी कृत्ति को देते हैं, साथ में गौण वस्तु जो संलग्न हो मादि-2 ।
उपरोक्त स्तम्भों के अतिरिक्त सरकारी निर्धारित प्रपत्र द्वारा चार अन्य स्तम्भों की अपेक्षा की गई। जो निम्न प्रकार है :
(1) प्रति किस पर लिखी गई है :-कागज, ताड़पत्र, भोजपत्र, कपड़ा आदि ।
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(2) प्रति किस लिपि में लिखी गई है :- देवनागरी, मोड़ी, अरबी, गुजराती। 13) प्रति जीर्ण है या ठीक है या अपठनीय है इत्यादि सचना । (4) ग्रन्थ अद्यावधि मुद्रित हो चुका है अथवा आज तक अमुद्रित ही है ।
परन्तु इस सूची-पत्र में इन चार स्तम्भों को नहीं रखा है और इसका स्पष्टीकरण निम्न प्रकार है :
लगभग सारी की सारी प्रतियां कागज पर हैं और देवनागरी लिपि (अक्षर अधिकतर जैन मोड दिये हए) में लिखी हुई है अतः प्रलग स्तम्भ बनाकर सर्वत्र " का निशान लगाने में कुछ सार
नहीं प्रतीत होता। इसी प्रकार इस सूची-पत्र में उल्लेखित प्रायः सभी प्रतियों की अवस्था ठीक है, 1 पठनीय है अतः उसका भी स्वतन्त्र स्तम्भ बनाना उपयुक्त नहीं लगा । हाँ, कदाचित यदि कोई प्रति कागज पर नहीं है, अथवा देवनागरी लिपि में नहीं लिखी हुई है अथवा जीर्ण व अपठनीय है तो वैसा उल्लेख अवश्य "विशेष ज्ञातव्य" स्तम्भ में कर दिया है। विशेष उल्लेख के अभाव में पाठक निःशंक यह समझ लें कि प्रति देवनागरी लिपि में कागज पर लिखी हुई है और उसकी दशा ठीक है। तथा ग्रन्थों के अद्यावधि मुद्रित या अमुद्रित होने की जानकारी का संकलन करने में हम प्रसमर्थ रहे हैं। अत: अपूर्ण किंवा प्रसत्य जानकारी देने की अपेक्षा मौन रहना ही श्रेयस्कर समझा है। इसका , पता शोधार्थी या प्रकाशक हमारी अपेक्षा आसानी से लगा सकते हैं।
तथा इस बारे में एक और निवेदन है। अतिरिक्त परिशिष्ट तथा और कई स्तम्भ सूची-पत्र में जोड़े जा सकते हैं और उससे शोधार्थियों को अवश्य कुछ सुविधा हो जाती हैं । परन्तु साथ में हमें यह भी नहीं भूलना चाहिये कि सूची-पत्र की अपनी मर्यादायें होती हैं और सूची-पत्र बनाने वाले की योग्यता भी असीमित नहीं होती। ग्रन्थ के बारे में आवश्यक सूचना सम्मेत सूची बना देना पर्याप्त है, बाकी सब ढेर सारी सामग्री पचाकर शोधार्थी को देने से उसमें प्रमाद पनपता है, अन्वेषण की जिज्ञासा कुण्ठित हो जाती है जो ज्ञान के विकास के लिये घातक सिद्ध होती है । सूची-पत्र कितना भी विस्तत हो, शोधार्थी के लिये तो असल प्रति या फोटो फिल्म प्रतिबिम्ब देखने के अलावा गत्यन्तर नहीं है, यह हमारा निश्चय मत है अन्यथा शोध-कार्य के प्रति न्याय नहीं होगा। केवल सूची बनाने वाले पर ही अधिक भार लादने से यह श्रम-साध्य कार्य और इतना गुरुतर हो जावेगा कि साधारण मनुष्य इस को हाथ में लेने से ही घबरा जावेगा - उसका उत्साह मारा जावेगा । सूची-पत्र सूचना है - जांच के लिये आमन्त्रण है - निर्णय का आधार नहीं।
परिशिष्ट संख्या 2 की सामग्री के बारे में हम आचार्य श्री जिनेन्द्र सूरिजी के कृतज्ञ है जिनके द्वारा संकलित संख्या वाचक शब्दकोश श्री हर्ष पुष्पामृत जैन ग्रंथमाला लाखाबावल शांतिपुरी सौराष्ट्र से प्रकाशित हमा है। हस्तलिखित ग्रंथों में प्रतिलेखन संवत् प्रादि संख्यायें बहुधा सांकेतिक शब्दों में लिखी जाती है जैसे शशि=1 । संख्या सूचक उन सांकेतिक शब्दों की एक सूची हमारे प्रकाशन जिनदर्शन प्रतिष्ठान ग्रन्थ क्रमाङ्क १ जैसलमेर सूचीपत्र द्वितीय खण्ड में परिशिष्ट १ रूप में मुद्रित की गई थी लेकिन उक्तकोश में के जो शब्द हमारी पूर्व सूची में नहीं थे उन नये शब्दों को परिशिष्ट संख्या २ के भाग १ में मुद्रित कर रहे है तथा भारी पूर्व सूची में कई शब्द जो संख्यायें सूचित करते हैं उनसे अतिरिक्त संख्यायें आचार्य श्री के उपरोक्त कोश में सूचित की गई है अतएव परिशिष्ट संख्या २ के भाग २ में उन शब्दों के सभी संख्यार्थों की सम्मिलित सूची बनाकर मुद्रित कर रहे हैं प्रत्येक शब्द के आगे पहिले हमारी पूर्व सूची द्वारा सूचित संख्यार्थ लिखे गये है और फिर 11)निशान लगाकर आचार्य श्री के उपरोक्त कोश में सूचित संख्यार्थ लिखे गये है। इस प्रकार यह
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परिशिष्ट संख्या २ जैसलमेर सूचीपत्र के द्वितीय खण्ड में के परिशिष्ट १ का पूरक समझा जावे। नये संस्करण में समस्त सामग्री को नये सिरे से एकत्रित कर मुद्रित करने का प्रयास करेगे परन्तु साथ में विद्वानों से अनुरोध भी है कि जहां एक शब्द को विभिन्न संख्यायें सूचित की गई है उस बारे में भ्रम निवारण व सही अर्थ निर्धारण के लिए अनुसंधान आवश्यक है।
अन्त में सूची-पत्र में रही हुई भूलों के लिये क्षमा प्रार्थी हूं क्योंकि उन सबका दायित्व एक मात्र मुझ
पर है।
जोधपुर २०५० अक्षय तृतीया दिनांक : 25 अप्रेल 1993
जौहरीमल पारख का प्रणाम
-संचालक
Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________
ॐ समर्पण
यह ग्रन्थ सेवामन्दिर के भूतपूर्व निर्देशक स्वर्गीय श्री अगरचंद जी नाहटा को श्रद्धापूर्वक समर्पित किया जाता है जिन्होंने अपना पूरा जीवन पुरातत्त्व व प्राच्य विद्या की सेवा में लगाया।
व आभार प्रदर्शन
(1) श्रीमान् लण करणजी संखलेचा श्री बाड़मेर वालों के आभारी हैं कि उन्होंने अपने प्राधिपत्य
वाले श्री शान्तिनाथ जी के मन्दिर के ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेतु पूरी व्यवस्था की।
(2) श्रीमान् मुकनचन्द जी चौपड़ा व श्री शान्तिलाल जी श्री बालोतरा वालों के आभारी हैं कि
उन्होंने अपने प्राधिपत्य वाले यतिश्री माणकचन्द जी के ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेत पूरी व्यवस्था की।
(3) श्रीमान् मीकचंद जी ललवाणी गढ़ सिवाना वालों के प्राभारी हैं कि उन्होंने अपने आधिपत्य
वाले ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेत पूरी ब्यवस्था की।
(4) श्रीमान् मोहनलाल जी सेठिया श्री चौहट्टन वालों के आभारी हैं कि उन्होंने अपने आधिपत्य
वाले श्री संघ ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेतु पूरी व्यवस्था की।
(5) म० श्री संपतराज जी बाड़मेर वालों के प्राभारी है कि उन्होंने अपने आधिपत्य वाले ज्ञान
भण्डार के सूचीकरण कार्य हेतु पूरी व्यवस्था की। 16) श्रीमान् धींगड़मलजी गिड़िया श्री जोधपुर वालों के प्राभारी हैं कि उन्होंने रायपुर ठाकुर की
हवेली जोधपुर में स्थित ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेतु पूरी व्यवस्था की। (7) सेवामन्दिर के परिवार में से श्री बंशीधरजी पुरोहित B.A.LL.B, श्री रामलालजी धाडीवाल
और श्री लूणकरणजी बच्छावत के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है जिन्होंने इस सूची-पत्र को बनाने व छपाने में पूरा सहयोग दिया अतः उन्हें एवं ग्रन्थ-मुद्रक शाह प्रिन्टर्स वाले श्रीमान् जेठमलजी व उदयकिशनजी को धन्यवाद दिया जाता है।
-संचालक सेवा मन्दिर, जोधपुर
Page #21
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________________
अनुक्रमांक स्रोत परिचयाङ्क
ग्रन्थ का नाम
भाग-जैन मागम | ग्रन्थ-नाम रोमन लिपि में |
ग्रन्धकार का नाम
व परिचय 3A
स्वरूप
5
|
बा. 1
माचाराङ्ग
Acaranga
सुधर्मा/शीलाङ्क | मू.व./ग प.
प्रा.सं.
| बा. (सं.)
सुधर्मा
मूट.I,
B51
// पाश्वचंद | मू.बा./,,
B 452
6-18
रा. 1/2-9,1/16 1/20-22, 1/26/
,, 13 प्रतियां
मूट.,
,, 14 प्रतियां
19-32 | रा. 1/10-14,
1/15 1/17-19, 1/23-25,1/27-| 28 15/1
, 2 प्रतियां
रा.1/13,2/21A B 162
पावचंद
मू.बा./,,
B835
"
दृति
,
Vruti | शीलाइ
दू /ग.
सूत्र कृताङ्ग
Sūtrakstaiga
| सुधर्मा/भद्रबाहु
| मू.नि /प.ग.
| बा. 2
। मू दि./,
"/ हर्षकुल ,,/ पार्श्वचंद
B587
41 | रा. 15/4
| B 686
सि. 2
46
सि.3
,,/ पार्श्वचंद
प्रा.मा.
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रतिलखन संवत्, स्थल | विशेष ज्ञातव्य
विषय संकेत
विभाग-१ :-प्रङ्ग सूत्र नाम पंक्त्याक्षर
परिमाण लं- चौ *पं- अ.
8A
पन्ने
लिपिक 10
209
26 x 11*18x80 | सं. दोनो स्कंध
ग्थम अंग प्राचारशास्त्र
| १६ वीं
किञ्चित् दीमकग्रस्त
| प्र. प्रथम स्कन्ध
अ. 9/2 तक है
24 x 11*16 x 42 25 x 11*6 x 30
१७८२, x,ऋ. भोजराज
27x11*22 x 45
१६वीं, मरोट,
26x11*17x50 |
प्रथम स्कन्ध
२० वीं
24 से 26 x 12 से 13 | , ,.
१६/२०वीं, भिन्न भिन्न | अति सामान्य
109
77 से 143
24 से 27x,,
,., द्वितीय स्कन्ध
32,18| 25, 27x11
,प्रथम स्कन्ध
29x 13*11x40 | अ. अ ५/२ तक
१६ वीं
ॐ साधुरत्नका शिष्य
171
पहिले दो उ. कम :
26 x 11*15 x 50 | दोनो स्कन्ध, ग्रं.। 2000 | १७ वीं 27x11*14x45 | सं. ,,
१५८६ लुद्रपुरे
द्वितीय अंग परसमयादि
188
26x !*13x50 I. , ग्रं. 7000
१७ वीं (र.सं. १५८३) प्र. दीपिकाकार की
26x11*13x31
,
8552
१७ वीं
पंचपाठी
26 x 11*5 x 38
सं. प्रथम स्कन्ध
१७६५, जावालपुर, शांति विजय
27x12*7x55
, द्वितीय स्कन्ध
१७५८, शाहामाहनाबाद, भांगा
26 x 11*6 x 48 .
|,दोनो स्कंध ग्रं.10000 | १७८८. विक्रमपुर
जयविजय
26x11*5x43
, प्रथम स्कंध ग्र.4100 | १७८८ फलोदी, धर्मसुन्दर
27-12*6x41
१८१७४ हीरचन्द्र
23x10*16x58
१८३५४ कृष्णदास
25x11*5x36
सं. दोनो स्कंध
१६ वीं
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग १-बने मागम
3A
N
47
B443
सूत्रकृताङ्ग
Sūtrakstaiga
सुषर्मा/पावचंद | मूबा |ग प. |
प्रा.मा.
48 | B 164
प्रा.
49-64
16 प्रतियां
| मू.ट./,
प्रा.मा.
रा.2/1-6,2/1517,2/24-26, 15/2 15/3, 2/1928/9
,
12 ॥
65-76 | रा.2/8-14,2/18/
2/20-23 77-78 | रा.2/21B, 28/8/
79-83
, उद्धरण 5.,
रा. 27/29,60 66-68 B 179
84
| स्थानाङ्ग
Sthananga
85-8
रा. 3/1-3, 11
4प्रति
B794
| सि.4
B90
समवायाज
Samavayanga
सुषर्मा
L
प्रा.
रा.3/4
मू.ट/ग.
प्रा.मा.
| B3
प्रा.
प्रा.मा.
| सि.5
| बा.5
Vitti
अभयदेव
चौ.2
" भाषा
,, Bhara
मेघराज (श्रवण का शिष्य
| बा./ग
100B93
भगवती सूत्र (व्याख्या प्रज्ञप्ति)
Bhagavati Sūtra
सुषर्मा
101-3 रा.4/1,5/1,31/1
3 प्रति
मू.ट/ग.
3 प्रति
104- 6 75/2,5/3,
32/16 107 | B 975
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
विमान-१ प्र:-प्रङ्ग सूत्र
8A
9
10
.
109
24x12*5x40
सं. द्वितीय स्कन्ध
१८५४
द्वितीय अंगरिसमयादि
104
28x13*5x40 |
सं.
,
,
१९१२ x जसविजय
41से66 24 से 26 x 11-12 | सं. प्रथम स्कन्ध ग्र 6000 १६/२०वीं भिन्न, भिन्न
प्रति सामान्य
46 से | 24 से 27x 11 से 13 | सं. द्वितीय स्कन्ध 108 16,15 25 26x11,12 | पू. प्रथम स्कन्ध
,
" अन्तिम पन्ना कम
रस्तुति
1 से 4 | 24 से 25x9 से 12 | केवल छठा प्र
अति सामान्य
267 | 25x12*7x 34
|
सं. ग्रं. 14973
१८६० बालोत्रा रत्नजीत
द्वतीय अंग1 से 10 बोल
सं. दस स्थान तक
178 से 25 से 27x12 210 ।
27x11*11x32
१६/२०वीं भिन्न भिन्न | । अति सामान्य १६६५ स्तंभन तीर्थ
12
25x12*14x33
१६१४
27x11*17x60
सं. प्र. 1767
१६वीं
तुर्थ अंगख्यिानुसार बोल
१६२० में प्रदत्त भाव हर्ष मुनि को
47
26x11*15x43
१६६७,जैसलमेर, गुरसेन
119 | 26x11*6x46
सं. ग्रं. 8175
१६६७, मेडता, लक्ष्मीचंद
64
।
27x11*11x35
सं. ग्रं. 1667
१७वीं
135
24x11*5x46 । सं. ग्रं. 7175
१७२३,सिरोही रत्नगणि १८०४, x,प्रार्या खुशाला
97
|
28x13*8x39
,, 1684
26x11*17x56
,,, 3800
१७वीं (र.सं. 1120)
प्रशस्ति ८ श्लोकों में
26x11*16x44
लगभग पूर्ण
१७वीं
प्रथम व अंतिम पन्ना कम पावचंद गच्छीय
26- 11*12x34
२०वीं
सं. ग्रं. 16000
१५६४
सं. ग्रं. 15775
२०वीं भिन्न-भिन्न
अति सामान्य
म मंग, भ. महा-413 26x11*13x45 रद्वारा प्रश्नोत्तर
25 से 26 x 12 596 86,124, 118 309 | 26 x 11*9x40
प्र. शतक 7 तक है
"
"
"
| १९वीं
Page #25
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग १-जैन आगम
3A
4
5
6
108B878
भगवती सूत्र उद्धरण | Bhagavati sutra
Udbaraņa
सुधर्मा
1098683
110
, रत्नसिंह
मूव/म.
प्रा.सं.
111
सि. 7
सुधर्मा
मू टग.
प्रा मा.
112 | सि. 8
,
शब्दार्थ
बा./यंत्र
113
"
.. वृति
, Vrtti
अभयदेव
/ग
114 | B 643
,. का बीजक
,, Bijaka
सूची
115 | B58
ज्ञाताधर्मकथाङ्ग
सुधर्मा
Jñātadharma Katharga
मू/ग.
116 | बा. (सं)
117] बा 7
प्रा.मा.
118
B 638
119
120
सि.9
रा. 3/5-10 720, 15/5
,, ७ प्रति
128
968 129 | सि 10
.
मू बा./ग
130बा
उपासकदशाङ्ग
Upasakadaśaniga
सुधर्मा
132
, अमयदेव
मूव/ग.
133 सि 11
सुधर्मा
प्रा.मा
134
रा 6/25
135
रा.6/3
136 बा. 12
137
13
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग-१ प्रः-अङ्ग सूत्र
78 8A
10
11
26 x 11*15x50
प्र. पहिला पन्ना कम
| १६ वीं
मिर सुधर्मेन्द्र प्रसंग 4 गियाश्रावक ,, 8
27x11*9x30
१७ वीं
गोदजीवोंकेलक्षण 8
26x13*14x40
प्र. शतक 11/10
१८६जैसलमेर सत्यमूर्ति वृत्तिनाम
निगोदषत्रिशिका १९वीं
24X11*6x50
व पोषध अधिकार 10 स्थिति ४ गति । प्रनुसार पंचम अंग सूत्र की
26x ||*तालिका
26 x 11*17x63
प्र. शतक 24 १८५०किशनगढ प्रार्या फतु | लगभग पूर्ण
१६वीं | सं. 138 श० 1925उद्दे. २०वीं
कुछ पन्ने चिपके हुए
,, विषय सूची
26x11*26x42
८४००० पदों की
27x11*11x38
सं. दोनों स्कंध प्र.5575/ १७वीं
ठा अंगशिक्षाप्रद कथायें
27X11*:3x47 | प्र. प्रथम स्कंध
314 | 26x 11*7x40
सं दोनों स्कंध ग्रं. 5764/ १७६२ भीनमाल
जीर्णशीर्ण
25x116x36
25x11*6x55
,
, ग्रं.18075
१७८७ (प्रथम भादर्श?) | टब्बाकार वा.
विजयशेखर १८२३, नौतन नगर, वीरचंद १९१४, जोधपुर तख्तसिंह राज्ये
26 x 11*7x40
ग्रं. 16709
171 से 25 से 27x12 से 13 |,,
१९२०, भिन्न, भिन्न
|
अति सामान्य
25x11*6x40
केवल १४वी १५वीं कथा १९वीं
24 x 10*8 x 40
त्रुटक प्रति अल्प अंश | १८वीं
त्रिपाठी
26x11*13x37
सं. 10 प्र. .912
| १७वीं
तवां अंगवकाचार
25x11*17x49 | सं. 10 अध्याय
१७०५४ रामविजय
25x11*19x56
.
..ब.ग्र.812
26x116 x 40
ग्रं. 2500
१६वीं १५६५ चेत सुद६ १६६८, घोतका, शिवसी
26x11*6x40
26x11*7x52
| स. १० अध्याय
१७९७ रायरा, सांवनदास
25x117x39
"
, . 2152
१८वीं
26x11*8x42
"
, अं. 2812
१८२२ बावड़ी कर्मचंद
Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग १-जैन आगमः
. 3A
4
5
6
38
उपासक दशाङ्ग
Upāsakadas'ārga
सुधर्मा
मू.ट/ग
प्रा.मा
139 | B 161
140 | बा 14
मू.ट व्याग.
प्रा.मा
7 प्रति
रा 6/1,2,22,31/ 5/6,11; 16/11
म.ट/ग
प्रा.मा
148 | चौ3
,
वृति
,, Vrtti
| बा 15
अभयदेव
150B59
अन्तकृतदशाङ्ग
Antakstadas'ānga
सुधर्मा
मूग
151-2| सि 12-3
2 प्रति
मू.ट/ग
प्रा.मा
20 प्रति
153 | रा6/4-12,23-4,
से 29,30;15/7-10;| 172 18/5; 32/1,8
| बा 16
वति
, Vrtti
अभयदेव
व/ग
174 | B784
अनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग | Anuttaropapatikad- सुधर्मा
as'ānga
मू.टग
175 | बा 17
176
सि. 14
177-8
B193,149
2 प्रति
14 प्रति
| रा6/13-18,20,
21,26-8; 16/1 192 | 13,15
8 प्रति
193से | 6/19,28/3-7, 200 32/22,23
बा 18
201
प्रश्न व्याकरणसूत्र
Prasna Vyakarana- सुधर्मा Sutra
मू/ग
202 | B 165
मू.बा/ग
203 | B 974
मू.ट/ग
204-11 रा7/1-6,14;8/14/
8 प्रति
212
बा.21
विपाक सूत्र
Vipāka Sutra
सुधर्मा/अभयदेव । मू.व/ग
प्रा.सं.
213 | B 495
सुधर्मा
मू.ट/ग
प्रा.मा.
Page #28
--------------------------------------------------------------------------
________________
माग-१२:-अङ्ग सूत्र
17
8A
9
10
11
60
126x 11*6x31
सं. १० अध्याय ग्रं. 4500/ 1881, रिणधा, जयचंद
|वां अंग श्राव
काचार
46
26X13*7x40
1893,काणाणा,सुखविज
212 | 25x12*7x40
1853, महेश्वर, देवकुशल
कथासह
38 से
25 मे27x11 से 13
सं. 10 अध्याय
20वीं विभिन्न विभिन्न
अतिसामान्य
70 तक
1x27*16x58 | सं. , ग्रं, 945
1594, मेहरा, वा. राजचंद्र d/०सहजकीर्ति
27x12*14x46
सं.
,
,
944
18वीं
सं. 8 वर्ग ग्रं. 890
16वीं
वां अंग ऐति-29 27x11*11x45 क धर्म कथायें
56,47| 24,28x7,8
सं.
, ,, 3000
1831, 1912
34 से | 24से 26x5से। 2 79 बक
19/20वीं भिन्न भिन्न
अतिसामान्य
25x11*15x48
20वीं
12
अंग ऐति- क धर्म कथायें
| 25 x 11*6 x 50
| सं. 3 वर्ग टब्बाग्रं 700 1765 ,, ,, (10 अध्य.) 1778 x धर्मसुन्दर
25x11*6x45
25 x 13*7x48
1862, हरिदुर्ग, विजय
16,20 27,28x12,14
12 से | 24से27x5से8 25 तक
|, ,, ( 33 उद्दे.) 19वी, 1911 व्यालपुर ,, 3वर्ग 0अ.33उद्दे. 19/20वीं भिन्न भिन्न सर्व ग्रं.576
अतिसामान्य
5से13 24से 28x11,12.
" तक 3] । 26x11*13x51 | सं. दोनों स्कन्ध 10द्वार | 15वीं
1579 में प्रदत्त/संशोधित
25x11*17x56 ,, ,, ग्रं 7250 18वीं 139 21 x 13*6 x 20 , ,, मू.. 1250 1973 x जैतोदय 55 से | 25से28x5से8
, | 19/20वीं भिन्न भिन्न
1912वाम 141तक
26 x 10*12 x 43 | सं. दोनो स्कंध 20अध्या. | 1742 x हर्षगणि
अतिसामान्य
जाँ अंगकथायें
जीर्णशीर्ण
70
| 27x11*7x46
, ,, ट.ग्रं3000 1846 जसोल सुमतिसागर
Page #29
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग १-जैन आ
ЗА
214 | सि 15
Vipāka Sūtra
सुधर्मा
मू.ट/ग
विपाक सूत्र
,
215-21 रा 7/7-11,15,17
222 | सि 16
223-9 | रा7/12,18,19;
14/17; 27/1,85
32/30 230-54 रा7/13,163
27/2-24 255 सि 17
,
25 प्र.
256-8 बा 19,20,22 259 | B924
.,
वृत्ति
अभयदेव
,, Vrtti भाग १ जैन प्रागम | Aupapatika Sutra
सि. 18
| औपपातिक सूत्र
मू+ट (ग)
प्रा.
2
रा. 16/4
3-9
, 7 प्रति
रा.8/1,5,12%316/ 12,3,16%
318/15 रा. 19/1
, , ,, Ki Hundi]
औपपातिक को हुँडी
11
सि. 19
राजप्रश्नीय सूत्र
| Rajaprasniya Sutra
मू (ग)
| सि. 20
मू+ट (ग)
13-14 B-171415
2 प्रति
-/ मेघराज d/o
ऋषिश्रमण 15-21 रा.8/2,3,6,7,9,1 , 7 प्रति
।।316/5 22-25/ रा.8/4,8,10,13जीवाजीवाभिगमसूत्र 4प्रति Jivajivabhigama
Sutra 26 | B 41 प्रज्ञापना सूत्र
Prajnapana Sutra | श्यामाचार्य 27 सि-21
मू (ग)
मू+ट (ग)
28-30/ रा. 9/9,31/2,3
3 प्रति
32
बा. 23
प्रज्ञपना की टीका
,, Ki Tika | मलयगिरि
, 28
जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Jambudvipa
Prajňapti
मू (ग)
Page #30
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग-अः -१ अङ्ग सूत्र
11.
___ 7 8 | 8A
9
10 - यारहवां अंग
25x11*8x38 सं. दोनों स्कंध 20 अध्याय 19वीं . फिल कथायें 51से91 24 से 27x6 से 9
,
20वीं भिन्न भिन्न तक 25x12*7x42प्र. (सुखविपाक)द्वि.स्कंध | 19वीं
10 अ. 25,26 x 7से 9
20वीं भिन्न भिन्न
अतिसामान्य
अतिसामान्य
4 से 5 | 23 से 25x11 से12. ,,
4
|
24x12*17x42
"
"
"
"
20वीं
अतिसामान्य
, 4 से 10/25से 29x11013
से भिन्न भिन्न ,, |15 | 26x11*19x47 | सं. दोनों स्कंध की20अ. | 17वीं
विभाग-१ मा (i) उपाङ्गसूत्र पम उपाङ्ग 25x15*6x55 | सं.
19वीं
.
114 | 24x13*7x50
सं. ग्रं. 2:00
1785
58से 83 25से27x11से12
सं. ग्रं. 1115से। 509 | 19/0वीं
सामान्य
षय सूची
24
27x12*23x65
सं.
1936
भि+प्रदेशी
25 x 11*1! x 37
| लगभग पूर्ण
18वीं
किञ्चित् टब्बाबाजुमें
96
27x13*7/8x36
सं. ग्रं. 2189+3281 | 1818 सोजत सिंदुराआर्या
168.
| 26x11से12
सं. ग्रं.5981,5238 | 19/26वीं
133
सामान्य
व अजीव मक्तियां
67से 24से26 x 11से13 | सं. ग्रं. 2220+3269 | 19/20वीं 162 193से | 25से26x12से13 सं. ग्रंमू.4000से4800/ 20वीं 326 247 27x11*12x44 | सं.46 पद ग्रं.7787
प्रतिलेखन मिटाहुआ
415
25 x 12*6x48
सं.,, अं. 81 27+ 57989| 1903 हरिदुर्ग हीरालाल
सं.
,
,
| 19वीं 20वीं
सामान्य
438से 25से26x12 497 360 25x11*7x45
त्रुटक
468
26x9*13x47
236 पन्ने नये
लगभगपूर्ण (11,12पद | 15वीं
में कुछ पन्ने कम | त्रुटक पन्ने मात्र 20वीं
11x26*10-34
132 | 27x12*13x41 | सं. ग्रं. 5000
17वीं
Page #31
--------------------------------------------------------------------------
________________
12
1
35-39 रा. 9/1, 12, 13, 16;16/6
ar. 27
चौ. 4
42 B-451
43-44 सि. 22-23
45-57 T. 9/2-8,10, 11,14,15,17,18)
40
41
1
सि. 24
2-6 | रा. 13 / 10;16/
10,14; 18/8,4
20
25
26
27
28
2
29
30
B 6
B 550
चौ. 7.
बा (सं)
3
31-37 B-47,98,525,
688,826,940,
973
38 चौ.8
39-40 T()
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Jambūvipa Pragnapti
निरियावलिका पश्चोपाङ्ग Niryāvalika Par copanga
"
31
7-16 रा.13/11-15, 32, बृहत्कल्प सूत्र 10 प्रति Brhat Kalpa 33; 18/6,16; Sutra 32/11
17- 19 रा. 18 / 7,18; 20/13
सि. 25
निशीच सूत्र
"
व्यवहार सूत्र
33
21-23 रा.12/53,54; दशाश्रुत स्कन्ध 3 प्रति Daśaśruta Skandha
13/9 बा. 28
24
कल्पसूत्र
Kalpa Sutra
B 1120
सि. 29
33
11
33
33
,, 2 प्रति
,,13 afa
=
5 प्रति
11
"
7 प्रति
2 प्रति
भाग १ - जैन आगम
Nigitha Sutra
"
3 प्रति | Vyavahara Sūtra
13
3A
"
17
23
11
"
11
11
-/candra Sari
भद्रबाहु
33
33
21
37
22
4
37
27
भाग १-जैन बा
मू (ग) बृ प्रा.
मू+ वृ (ग)
मू (ग)
13
मू+ट (ग)
मू+ट (ग.)
"
""
17
मू. (ग)
11
"
"
33
"
5
33
11
11
13
प्रा.
प्रा.
प्रा.मा
""
प्रा. म
17
31
त्रा.
11
"
""
".
"
27
21
"
Page #32
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग-अ:-अङ्ग सूत्र
8A
___10
11
सामान्य
38
भूगोल
21 से | 23 से 26*11 से 13 | सं.ग्रं. 15से19हजार तक 19वीं 20वीं
301 कथायें 7से। 2उपांग 10 26 x 11*.0x67 | सं.नं. 1746 16वीं*ऋषि शिवदास 26 x 11*11 x 46| सं.
17वीं 52 26x 1*11x30
1766 x अमरसी 60,611 25 x 12*8 x 37 | सं. 52 उद्देशक 19वीं 38से73 24से27x11से13
| , , पांचवर्ग 19/20वीं
सामान्य
विभाग १ मा (ii)-छंदसूत्र समाचारी दण्ड |90 । 27x12*5x36 । सम्पूर्ण 20 उद्देशक विधान
52से 87 25से 28x12से 13
1818x आर्यासुखा
20वीं बीकानेरादि
सामान्य
25से48| 24से25 x 12.
,
6 उद्देशक
| 20वीं विक्रमपुर आदि
को
10 उद्देशक
| 19/20वीं
,
"
,, संशोधित
55,58, 25से26x12 59 35 | 28x12*7x50.
"
,
"
| 19वीं
33,40, 25से 26x12
20वीं
सामान्य
66
26 x 11*8 x 32
कल्याणक, स्थविरावली व समाचारी
179
1538मंत्रीवाछाक (दशाश्रुतका आठवांअध्याय) अंतमें कालककथाव चौथ संवत्सरी 120प्रा.गाथा 1716? सुनहरी सचित्र38,खरतर प्रशस्ति
42 x 10*7x30
25x10*11x29
1780, वालाकंडा, देवचंद
| 27x12*11x36
,
1788, सांचौर, ज्ञानवल्लभ
25x11*11x41
,
"
1796, गुढा, वा. धर्मसुन्दर
25x10*10x36 | पूर्ण (अन्तिम पन्ना कम)| 18वों
25x11*9x 28
| सं. पं. 1216
32से122| 20से 26*12से12
19/20वीं,सेत्रावादि में 940 में उवसग्गहर
18 गाथा
55 | 26 x 11*11x38
1845, पोढी, पुण्यराज
55,85/26 12*24x10
19/20वीं
Page #33
--------------------------------------------------------------------------
________________
14
1
41-46 f. 30-35
47 रा. 14/10
48-49 B-655,946
बा. 29
50
51
52
133
53
54
58
B-302
55-56 fr. 36, 37
57 चौ-14
59
61
62
133
बा-34
60 B-33A
B-972
63
64
65
66
67
2
68
B 108
बा. 30
74
बा. 32
बा-36
B-860
B-967
fa. 27
"
28
B-194
T-33
बा-35
69-71 B-829,970-1
72-73 f. 40,42
T. 31
कल्पसूत्र
"
33
21
"
"
"
"
"
"
"
सहवृति + अ.त.
सहवृति
"
"
2 प्रति
,, सहव्याख्यान
वृति
"
17
"
3
"
11
"
6 प्रति
सहबुति
11
31
"
"
2 प्रति
"
"
"
"
"
"1
व्याख्यान
वृति
व्याख्यान
"बा.
17
"
"
21
"
"
"
2 प्रति
कल्पसूत्र सह टम्बा दि
3 प्रति
3A
Kalpa Sutra
"
कल्पसूत्र सह बालावबोध | Kalpa Sutra
"
"
"
11
"
17
33
"
11
"3
"
"
"
33
"
33
"
"
"
11
भद्रबाहु
,"
,,/
,,/ जयविजयd/0/ विमल हर्ष (तपा)
,,/ समय सुन्दर
,,/
2. / विनयविजय
/ लक्ष्मीवल्लभ
0/
,,/ लक्ष्मीवल्लभ
"/
०/
2, / समयसुन्दर
"
31
4
»/
21
मद्रबाहु /
"
77
"
"
""
"
"
1
T
1
T
T
1
1
भाग - १ जैन आगम
मू. (ग)
33
11
मू+बु (ग)
"
"
"
"
"
"
"
2
"1
"
5
14
"
155
"
"
"
71
11
"
"
11
33
"
12
"
11
"
"
"
31
6
प्रा.
44
"
"
प्रा. सं.
44
"
"
11
मू+व्या+बा. प्रा.सं.मा.
मू+बा (ग) प्रा.मा.
"
17
"
"
31
"
21.
37
14
"
"
"
"
"
| नू'ट'अं.
Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग १ आ (ii)-छेदसूत्र
15
8A
9
।
10
11
कल्याणक, स्थवि- 37से75| 25से 27x11से13 | सं. ग्रं. 1216
19/20 वीं रावलीव समाचारी 55 | 27x12*13x34
1959 43,54 | 26 x 11428 x 14 अपूर्णग्रं.710/जन्मोत्सवतक 20वीं
26 x 11*3 x 26 संपूर्ण, वृति ग्रं. 1658| 1668 x श्री चंदन 26 x 11*10 x 30 | , , 3532| 1687x जोशीविश्राम वृति कल्पदीपिका
नाम्नि 1677 में रचित
प्रशस्ति है; भावविजय द्वारा संशोधित 27x12*15x49 .. अं. 8225 | 17वीं । प्रशस्ति है। कल्पलता नाम्नि
26x11*16x38
संपूर्ण
18वीं- कनकचन्द्र-रत्नचंद्र
25x11*19x50
18वीं
प्रशस्ति है। सुबोधिका नाम्नि
25x11424x11
ग्रं. 7599
19वीं
,,। कल्पद्र मकलिका नाम्नि
25x11*15x45
1,2,7वीं वाचना
25x11*14x49
अपूर्ण-केवल समाचारी | 18वीं
26x11*11x42
पने चिटके हुवे
,, शुरू के पन्ने हैं ,, तीसरी वाचना से लेकर ,
26x11*22x57
25x10*13x50
,, आमली क्रीड़ा से अन्त 19वीं
24x11*16 x 49
| ,, केवल जन्मोत्सव
| 27x12*15x44 1, प्रारम्भ के18पन कम ..
| 24 x 11*15 x 44 । प्रतिपूर्ण (समाचारी नहीं)। 1768, षट्पट्टनदेशे बृहतर खरतर बेगड़
विरातराग्रामे,मुनिसुंदर शाखा का इतिहास+ क्षमासुंदर
84 गच्छबीगत 23 x 11*14x30 | पूर्ण(बीच में2 पन्ने कम)| 1831 24x11*16 x 36
1850 पादरू रंगविजय
संपूर्ण
"
| 26x12*15x38
1944 हमीरपुर रतनंद
साथ में अन्तर्वाच्य भी 217 24x12*15x34 | अपूर्णस्थविरावलीव नसेन 18वीं
तक 23,59, 24से 30 x 11से12 अपूर्ण
19/20वीं 72,117 25x11427x13
20/21वीं
114 1 26 x 10*13 x 44 | संपूर्ण ग्रं.1216
1795x शुभाचंद्र
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
16
1
75-76 fr.
77
78
79-83
84-87
88
89-91
92
93
94
95
96
97-8
99
100
101
102
103
104
105
106
108
109
सि. 38,39
110
B-56
B-659
B-7,52,189, 226,227 रा.14/14
बा. (सं.)
B-197,474,
555
नी-6
2
-5
रा. 14/8
fer. 26
B-361
T. 14/5,9
सि. 41
B-969
बा-37
107 चौ-12
चौ-9
fer. 43
B-934
ची-10
ची-11
11
-13 B-322
ची-15
कल्पसूत्र सहटम्बार्यादि 2 प्रति
21
33
"
"
"
"
11
"
13
"
"
3
कल्पसूत्र सम्बार्थ
11
11
"
"
11
"
"
11
5 प्रति
4 प्रति
"
3 प्रति
2 प्रति
कल्पसूत्र व्याख्यान
कल्पसूत्रे महावीरचरियं
कसूत्र दुर्गपदनिरुक्तम्
कल्पसून [अन्तर्वाच्य
कल्पलता वृत्ति
कल्पद्रुमकलिका
"
| कलान्तर्वाच्यस्य व्याख्यान
कल्पसूत्र अन्तर्याच्य
3A
Kalpa Sutra
"
"
33
31
17
در
"
"
"
31
"
"
31
31
Kalpa Sutra Vyakhana Kalpa Sütre Mahavira cariyam Kalpa Sutra Durgapada Niruktam
Kalpa Sutra
"
Kalpantarvayasya Vyakhyana Kalpa Sutra Antarvācya
भद्रबाहु
"
""
33
"
11
"
39
33
"
"
भद्रबाह
"
17
4
33
T
1
"
1
|
I
T
विमयेन्दुसूरd/o रत्नसिंह वकयसूरि भक्तिलाभ
Antarvacya Kalpalata Vitti
समय सुन्दर
Kalpadruma Kalika लक्ष्मीवल्लभ
रत्नसार
भाग १-जैन आगम
十万十
11
"
"
77
11
मू+ट (ग)
"
17
17
37
17
27
"
ग
23
11
13
33
5
33
"
6
प्रा.मा.
"
"
"
"
23
"
33
सं.
"
"
27
"
21
"
प्रा.
21
27
"
11
प्रा.सं.मा.
सं.
Page #36
--------------------------------------------------------------------------
________________
विमाग-१ ा (ii) :-छेद सूत्र
___8A .
10
25x11*25x12संपूर्ण द्वितीय का ग्रं.12025/19 वीं
ल्याणक स्थविरा- 15 ली व समाचारी | 14:
144
25x11*6x30
| संपूर्ण ग्रं. 1216
1763 वीरमग्रामे
189
25x11*5x37
1798 जैवारण श्रीचंद
196से228 25 से 27x11 से 12
19 वीं
193से17425x12
19/20 वीं
19026x11*15x43
1804
26से170 23 से 27x10 से 12 अपूर्ण
19/20 वीं
26 x 11*5 x 28 25 x 116x41
पूर्ण (अन्तिम पन्ना कम) | 16 वीं संपूर्ण ग्रं. 1216 16 वीं
130
सोनविमल टब्बाकार
149
26x11*5x29
। 17 वीं
100
26x11*6x33
.. ग्रं. टब्बार्थ 3000 1749 सिवाणा उत्तमकुशल
,, ग्रं. 1216
1877
,, मयासागरादि किंचित् व्याख्याभी
23 x 116 x 30 25 x 11*6 x 42
19 वीं
26x11*6x43
अपूर्ण (बीचमें 54पन्न नहीं) 1810 खमणोर विजयगणि
25x11*5x38
.. (प्रारंभके18पन्न कम) 1827 गूढा मानगणि
27x 13*5 x 41
,,(अपूर्ण समाचारी मात्र) 19 वीं
25x11*14x41
प्रतिपूर्ण
16 वीं
तीर्थकर स्थविरचरित्रादि महावीर कल्याण
पीठिका अष्टान्हिका
व्याख्यान सह आलापक लेकर
25x11*16x54
19 वीं
कादि
कठिन पदों का अर्थ
..- | संपूर्ण ग्रंथाग्र 418
1625(प्रथम आदर्श?) किञ्चित् फटी हुई
26x11*11x52
1659 शिवचंद्र
कल्पसूत्र पूरक व्याख्या वृत्ति
26 x 11*17x41
प्रतिपूर्ण केवल छठी वाचना 17 वीं
.
125x11*15x41
,, ऋषभ चरित्र तक 1850
26x12*15x40 26x11*17x44
,, केवल दूसरी वाचना 20 वीं ., ऋषभ चरित्र तक " "
जीर्ण
स्पसूत्रपूरकव्याख्या 92
26X11*17x58
अपूर्ण
18 वीं
Page #37
--------------------------------------------------------------------------
________________
.. भाग १-जैन आगम
1
2
3
3
3A
4
5
।
111-2 | बा (सं)
कल्पसूत्र वाचना 2 प्रति Kalpa Sutra Vacana
113
चौ-16
114 | B-611
115-16 सि. 44,45
2 प्रति
117
सि. 46 चौ. 17-19
118-20
3 प्रति
121
चौ. 20
कल्पसूत्र स्फुट पन्न
भद्रबाहु
122 | रा. 28/10
महानिशीथ सूत्र
Kalpa Sutra Stray Papers Mahā Nis'Itha Sutra
मू+ट (ग)
प्रा.मा.
भाग१-जैन प्रागम
बा. 38
नंदीसूत्र
Nandi Sūtra
देववाचक d/o दूष्यगणि
मू. (ग.प.) | प्रा.
B-427
मू+बा.
प्रा.मा.
मू+ट (ग.प.)
4 | बा. 40
मू (ग.प.)
मू+ट+कथा
प्रा.मा.
| रा. 18/4
B-163
| B-1085
9-17
9 प्रति
मू+ट
रा-13/1-5A, .19,20; 26/46 बा-41
4
108
(प.ग)
19-24 | सि-48 से 53 |
6 प्रति
31 प्रति
25-550-13/6,7,21,से
30,31,31A;17/1 2,3;26/31-43,
32/17,28 56 | सि. 54
57-58 | सि. 55-56
(लघु) नंदि
2 प्रति| Laghu Nandi .
मू+ग
Page #38
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग-१ आ (ii):-छेद सूत्र
____ 8A
9
10
1
ल्पसूत्र व्याख्यान 140,84 26 x 12*11/13 x 39| संपूर्ण
19/20 वौं
154
25x11*13x32
लगभग पूर्ण
19 वीं
| 134 | 28 x 13*13 x 46 | संपूर्ण
20 वीं
176,
26x12 व 27-130,
19/20 वीं
119 146
26 x 12*15x39
अपूर्ण छठीवाचना तक
००
22, 23 से 25x11 से 13
19/20 वीं
10
24 से 26x11
त्रुटक
17/20 वीं
ल्पसूत्र मूलपाठ चारी दंड विधान 6
27x13*17x55 केवल पांचवा अध्ययन मात्र 1936
विभाग-१ प्रा (ii)-चूलिका एवं मूलसूत्र
न ज्ञान मीमांसा
26 x 11*13x42
| संपूर्ण
1620
25x11*19x48
,६ प्रकार की अणुन्नासह 17 वीं
25x11*6x42
1782 जैतारण धर्मसुन्दर
24x11*11x32
18वीं
25x12*5X35
1876
, ग्रं. 8475
1948, सण, कर्मचंद
| 26 x 13*25 x 50
29 x 13*7x40
1916, यशवल, जसविज
| 26x12*16x55 | अपूर्ण
19वीं
सामान्य
42से 82 24 से 27x13 से 14 संपूर्ण ग्र. 700 19/20वीं 25x11*14x40 | संपूर्ण
19वीं 17से22 24 से 26x11 से 12 | ,, (प्रथम में 20 अणुन्ना) 19/20वीं | 25 से 27X11 से 13
20वीं
सामान्य
"
|
2
25x10*13x46
अपूर्ण-51 गाथा शुरु की है 18वीं
| 25 x 11 व 28X12 | संपूर्ण
19/20वीं
Page #39
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग-१ बैन वाम
3
| 56
B566
अनुयोग द्वार
Anuyogadvāra
आर्य रक्षित
| मू+ग
.
| रा-13/8
"
"
मू+ट (ग)
प्रा.मा
B-1091
दसवैकालिक
Dasavaikälika
शयंभवसूरि
| प्रा.
सि-57
सि-58
मू+ट (प.ग)
B-283
सि-67
" सहवृति
समयसुन्दर
मू+व (प.ग) | प्रा.सं.
मू+बा (..)
मू+ट (1)
"
, 2 प्रति
मू (प.ग)
66 | रा-12/10 ,, सह बालावबोध 57-100| रा-12/1-9,13
,, सहटब्बार्थ 34प्रति 19,39,41,48, 50,51,17/711;18/1-2A 3;26/23%B30/
11; 32/5,25 101-2 | B-18,546 103- रा.12/11,12,20- दसवैकालिक 52 प्रति 15438,40,49,52%;
17/1 26/1-22; 32/2,9,10,21
24 155-62| सि.59से66 163-65| सि.68से69 , 3 , 166 चौ. 21 दसकालिक बालावबोध | Balavabodha
,, Sajjhaya 167 | सि. 862
सज्झाय 168 | सि. 74 169 | ,, 923 170-72,, 71-73
1,3प्रति 173 B-792 174- रा-26/24से30
,,7प्रति 180 181 | बा (सं) उत्तराध्ययन सह दीपिका | Uttaradhyayana
कमलहर्षd/o मानविजय वृद्धिविजयd/o लामविज
जैतसीd/oपुण्यकलश
मू+दी (प.ग)
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग १ अ (iii) :- चूलिका एवं मूल सूत्र
7
रेन व्याख्या विज्ञान 76
"
जैन धर्मसार
11
"
"
37
11
"
"
"
"
"
11
"
31
8
"
95
23
26
46
37
26x10*6x52
25 x 12 विपाठी
26 × 12*17 × 50
13 से 117 24 से 26 × 11 से 13
106
56
231528x13 व 25 x 10
4 से 27 24 से 27 × 9 से 14
12
4
7
8 A
3
27X11*11× 38
25 × 12*7 × 37
27 x 13 * 13 x 42
26x11*11x45
25 x 11*5x45
5
3 से 8
म. महावीर अंतिम 208 उपदेश
संपूर्ण 1674 गाथा; ग्रं. 2000
# 7500
,
17वीं
1877 बीकानेर नंदुड़ी
10 अध्याय - 2लिका 1560 पसन गुण निधान
"
11
"
"
"
"
अपूर्ण
संपूर्ण
संपूर्ण
अपूर्ण
"
11
"
"
"
"
"
वृति पं. 3450 20वीं
20वीं
(केवल 26 / 13अपूर्ण) 19/20 वीं
9
|11 से 29 23 से 25 x 10 से 13
15,8,521 से 25 x 11 से 12
26×11*11 × 35
23 x 13 * 22 x 32
25 x 12 * 12 x 35
16 x 10 * 19 ×14
5,5,324 से 25 x 11 से 12
26×12*11x34
24 से 26 x 11 से 13
19/20 ff
26 × 11*15 × 64 संपूर्ण 36 अध्याय 8670 1579 x
11
700
,, (छ जीवनीकाय तक)
संपूर्ण १० गीत / गुटका पन्ना 53 से 56 संपूर्ण 11 डालें पं. 194
अपूर्ण 3 अध्याय तक
संपूर्ण ढालें सहलिका
"
11
बा. 2500 1770 X हेमविजय
"
... ...
10
1662, अहमदाबाद, रामविजय
1760, सहिलवाड़ा, नारायण
11
,
20वीं (दूसरी 18वीं)
19/20 aff
19/20वीं
19af
17aft
1826 धाणसा रत्नचंद 19वीं
1846
19/20ft
20वीं
11
1691 स्तंभन ती रचना
हंससूरि
21
सामान्य
सामान्य
"
"
1723 जिनचंद्रसूरिराजे सोजत की रचना
गुटका
1777 बीकानेर की रचना
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
________________
_22
भाग १-जैन मागम
2
3
।
3A
56
182
B-गु. 14
त्तराध्ययन
Uttarādhyayana
मू (प.ग)
183
रा-11/4
सहअवचूरी
मू+अ (पग)
प्रा.सं.
184
सि. 75
,
वृति
-/भावविजय . मू+वृ (प.ग)
185
बा. 44
,, दीपिका
-/लक्ष्मीवल्लभ
.186
"
वृत्ति
-/कमलसंयम
187
, टब्बार्थ
मू+ट (प.ग)
प्रा.मा.
188
189
| B-301
, बा+क
-आर्यचंद्र मुनिचंद्र मू+बा+क d/oपापर्वचंद
मू+ट+क
190-1 सि. 76-77
,, ट+कथा
,, 24 प्रति
मू+ट (प.ग)
192- | रा-10/2-6,8,9, 215 111;11/1-3,5,
20-24,21A,27, 28%B17/6332/
14,15,33 216 | B-947
।
मू (प.ग)
217-44 रा-10/7,12-17; उत्तराध्ययन 28 प्रति
| 11/6,9,11,13| 19,25,26; 16/ 7-9;30/10; 32/ 3,4,18-20
5 प्रति
।
245-49 रा.11/7,8; 28/
1,2,12 250 सि. 78
" ___,
सहटब्बार्थ
।
मू+ट (प.ग)| प्रा.मा.
251
बा-46
।
4
89
।
रा, 27,32,10] ,, नौवा अध्याय
38 प्रति सि-79
नमि अध्ययन अर्थ
290
4
Nami Adhyayana
Artba Uttaradhyayapa Kathāyem
291
B-471
उत्तराध्यन कथायें
4
पदमसागर do विमलसागर
49
B-104
4
293
B-770
|
294
रा. 32/35
उत्तराध्ययन सज्झायें
, Sajjhayem | सुमतिविजd/o
लखमीविज अष्टप्रवचन माला सज्झाय|AstaPravacana Mata| ऋ. रायचंद
Sajjbāya
|
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग- १. आ (iii)लिका व मूल सूज
7
भगवान महावीर 100
अन्तिम उपदेश
,
"
11
"
11
31
13
"
11
11
"
"
8
"
opporting ecdots
105
385
258
144
169
161
196
गृहस्वसंवाद 216
4
6
155
8A
95
25 x 11*7x44
26x11*16 x 46
26x11*14 x 56
26 × 11 *14 x 42
26x11*6x36
27x11*6x42
13
26 × 11*6x36
309,
25 x 11 व 25 x 12 सं. ग्रं. 15072
199
51 से 286 23 से 27 x 11 से 13 सं. 36 अध्ययन
अनुवाद भाषार्थ 5
7 से 56 | 24 से 25 x 10 से 13 अपूर्ण
160
26x11*4 × 29
16वीं
1649
(पूर्ण प्रथम 2 व अन्तिम 1 18वीं
पन्ना कम)
संपूर्ण ३६ अध्याय
525
26×11*6x45
पूर्ण (प्रथम व अन्तिम पन्ता कम )
2961 24 से 27 x 11 से 13 संपूर्ण (क्वचित् प्रथम अन्तिम कम)
25 x 11 14 x 40
24 x 12*16x44
संपूर्ण ३६ अध्याय
अपूर्ण, 16 वें से अंत तक है
सं. सूत्र ग्रं. 2000 टब्बा
ग्रं. 4040
"
सं. ग्रं. 9505
9
1980 x संगविनय
18वीं,
1758 मोकलसर लब्धिकुदाल
18वीं
सं. (18वें के बाद केवल 19वीं
मूल है)
"
"
"
"
26 x 11*5x36
21 से 28x10 से 12 प्रतिपूर्ण केवल नमि अध्याय
21 x 11 * 12 x 28
नाँवा संपूर्ण 25वें अध्याय तक गं. 4500
24 x 11*13 x 38
25 x 11*17 x 48
11
11
"2
केवल 2 अध्याय
"
"
8 डाले
"
36 सञ्ज्ञाय नं. 450
10
19/20 ft
19/20वीं
20at
19/20वीं
19/20वीं 18aft
"
11
23
किचित् वार्थ
प्रशस्ति है ।
वृतिसर्वार्थसिद्धि नाम्नी
अंचल गच्छीय
सामान्य 3 प्रतियों में कथाय भी है
"
सामान्य
सामान्य
19/20 (सामान्य) कइयों में टदार्थ भी है
1956 इडेरा (मेवाड़)
सामान्य
1736 नवेनपुर
1657 पीपाड़ की रचना
1757 समरीह
1728 अंबावती
20वीं
"
प्रशस्ति है 1821 की रचना
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
24
1
295
296
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
31
32-36
37
38
39
रा. 32/36
सि-80
B-581
B-604
बा-47
चो-22
B-627
14-18 T.13/18,17/4 28/15,19,20 W. 28/16-18, 21-25
19-26
27-30 B-37,84,97,
fr. 81
B-1069
B-547
2
T-48
T-57
B-695
B-490
B-718
B-309
314
बा. 49 से 53
at-25
सि-85
fer. 83
नमि प्रव्रज्या ढालिया
ओषनियुक्ति
13
33
भाग १ - जैन आगम
आवश्यक सूत्र व गाथायें Avasyaka Sutra & Gathas
31
"
"
11
11
12
"
"
"
"
3
"
}}
31
"
,,, सहस्मरण
11
साधु श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र Sadhu Strāvaka Pratikramaņa आवश्यक सूत्र व गाथायें āvasyaka Sotra & Gäthis
"
""
31
11
""
"
"
"
"
"
5 प्रति
8 प्रति
4 प्रति
5 प्रति
Nami Pravrajya Dhalia
Ogha Niryukti
साघु प्रतिक्रमण सूत्र
"
11
11
""
3A
"
1)
"1
Sadbu Pratikramaga
Sutra
आशकरण
भद्रबाहु
-- / हम हंसगणि
- हेम हंसगणि
संकलन
प
भाग १-जैन बागम
मू ( प )
11
5
मृ+बा+क प्रा.सं.मा + ब्या मू + ट ( प.ग.) प्रा. मा.
मू (प.ग.)
प्रा.सं.
मु (..)
प्रा.सं.मा.
मू+ट (प.ग.)
"
"
भू+ट+व्या
+
मा
प्रा.
नू (प.ग.)
मू+ट+क(ग) प्रा.मा.
मू ( प.ग.)
मू+बा+क प्रा.सं.मा. + क्या मू+बा. (प.ग.)
मू (ग.)
मू (प.ग.)
भू (ग.)
मू. (ग. प.)
सूट. आदि
मू+ट (ग)
,,+ बा. (ग)
27
"1
प्रा.
11
मू + ट ( प.ग.) प्रा.मा.
(,, )
=
"1
""
6
प्रा.सं.मा.
प्रा.
प्रा.सं.मा.
"
प्रा.मा.
"1
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग-१ आ (iii) :- चूलिका व मूलसूत्र
8A
10
11
पद्यानुवाद भावार्थ 4
| सम्पूर्ण 7 ढालें
20वीं
1839 की रचना
साधु समाचारी | 18
26x11* :7x64 पूर्णगा. 11 64पहिला पन्ना 16वीं
61गा. कम
विभाग १ प्रा (iv)-प्रावश्यक सूत्र व साहित्य
भावश्यक क्रिया पाठ 50
26 x 11*17 x 60
प्रतिपूर्ण चार अधिकार | 1519
मुनिसुन्दर के शिष्य
26x11*5x39
संपूर्ण 6 आवश्यक
1597, अमदाबाद,रेवदास शा. जावड़जीवा
ने लिखवाया
,
+भक्ति 31
25x10*13x50
प्रतिपूर्ण
,
16वी
"
"
59
26x11*15x42
17वीं
, (थावक)
8
25x11*11x42
,
17वीं
31. 25 x 11*4x51
अपूर्ण-बुछ पन्ने मूल मात्र 17वीं
25x11*11x40
1748
अन्त में चउ शरणा पाठ
25x11*17x56
संपूर्ण
| 1776, केरु, धर्मसुन्दर
26x12*9x29
,50+33 गाथा 18वीं
पगाम.वंदितु+रात्रि 8
सज्झाय आवश्यक क्रियापाठ 48
26 x 11*19x56
प्रतिपूर्ण चार अधिकार | 1872, जसोल, ज्ञानसागर
22x11*6x28
आवश्यक
20वीं
+भक्ति 50
21
24x12*5x37
20वीं, जसोल
26 x 12*4x38
19वों
20वीं
सामान्य
14,21,8 24 से 26 x 6 से 12
11,13 4 से 21 25से27x11से 12...
19/20वीं
| 9,37, 22से 27 x 10से 12 10.13 9 ( 26 x 11*13x36
19वीं
-भक्ति 93.12,75 21 से 28 x 11से 12
| 14,32 " 69
24 से 26x11
,, आदि | 19/20वीं त्रुटक स्फुट पन्ने
17 से 20वीं तक
"
पगाम सम्झाय
26 x 12*4x38
प्राचीन प्रति की नकल
| अपूर्ण, 'थम सात पन्ने । 1743 नहीं है पूरे के ग्रंथाग्र 900/ संपूर्ण
18वीं .
25x11*6x47
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग १-जैन मागम
3
3A
5
Sadhu Pratikramana
Sutra
मू+ट (ग)
प्रा.मा
मू+बा (ग)
40-42 | B-483, 623, | साधु प्रतिक्रमण सूत्र 721,
3 प्रति 43-45 रा. 14/14,18/9,
3 प्रति 28/14 46-48 रा. 13/17,18/11
3 प्रति 28/13|| 49-50 सि. 84,86
2 प्रति
मू+ट (ग)
मू (प.ग)
51
| B-371
| वंदितू सूत्र
Vanditū Sutra
मू+ट (प ग)
52 | सि-87
श्रावक आवश्यक
| Sravaka Avas'yakal
सहज कीर्ति
मू+बा(प.ग)
,
4 प्रति
53-56 रा.13/14;14/12
| 13; 18/100 57 | B-526
मू+बा+क. प्रा.सं.मा.
58-63
सि 88 से 93
6 प्रति
मू (प+ग)
।
B-50
वंदितू सूत्र
Vanditū Sutra
मू (प)
.
प्रा.
65 | सि. 82
आवश्यक नियुक्ति
Avas'yaka Niryukti भद्रबाहु
बा.54
आवश्यक टिप्पणम्
__, Tippanam हेमचंद्र
बा. 55
श्रावक आवश्यक सहवति Slavaka Aavasyaka
with Vpitti
-देवेन्द्र
| मू+व (प.ग.)
प्रा.सं.
,56
B-926
पक्खी सूत्र
Pakhi Sūtra
मू+ट (ग)
B-444
B-676
72-73 | B-644,795
,
दो प्रति
। । । । । । । । ।
74 | सि-97
75
सि-96
76-77 | बा. 58,59
दो प्रति
78-83B-54,238,675,
712,717,765/
चौ. 23
। ।
B-914
श्रावक गुरुपर्व अतिचार | Sravaka Guru
Parva Aticara
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग-१ आ (iv)--आवश्यक सूत्र व साहित्य
7
8
|
8A
9
10
पगाम सज्झाय
8,8,13/
25से 26x11से12
| संपूर्ण
19वीं
सामान्य
.
साधु क्रिया सूत्र 22,29,8/ 25 x 11से13
19/20वीं , 16,10/25से 26x12
20वीं 17 | 8,6 24से25x11से12
19/20वीं श्रावक प्रतिक्रमण | 6 25 x 11*5x37
,, 50 गाथा
1736 जयपुर भाणविजय ,, आवश्यक क्रिया 45 | 25x12*17x38 ,, ग्रंथाग्र 2700 1704, जैसलमेर
64,34, 24से26x12से13 ,, अन्तिम अपूर्ण | 20वीं
46,16/ |97 26x12*15x33 | अपूर्ण, बीच के पन्ने 2से | ,, ..
98 तक 39,8,13 20से 26 x 10से 13 प्रथम दो संपूर्ण शेष अपूर्ण 19/20वीं
| 10,9,6] श्रावक प्रतिक्रमण 3 - 22x10*13x26 | संपूर्ण 50 गाथाग्र 19वीं
सामान्य
सामान्य
आवश्यक सूत्र पर 49
26x11*15x50
अपूर्ण, पीटिका व 65
गाथा कम | संपूर्ण ग्रंथान 4500
1527, श्री पतन, रापकीका 16वीं
अपरनाम आवश्यक
श्रुतस्कन्ध अभयदेव शिष्य
, पर टिप्पणी 94
26 x 11*15 x 52
26 x 11*15 x 60
,
,,2700
16वीं
वृदारुवृति
श्रावक आवश्यक.54
व्याख्या "
65
25x10*15x47 | अपूर्ण-पहिले 4 पाने कम| 17वीं
साधु पाक्षिक
अति चार
26x11*6x37
| सं.
1670 की प्रति पर से
1727, जोधपुर चरित्र सागर 18वीं
26x11*5x50
1800 भीनमाल कीति विजय
27x12*14x43 37,35| 23से25 x 7से11
19वीं
18
26x11*7x43
,
1226x12*10 x 32 ,
9,12 | 25x11 व 23x11
1811-12
10,7,6, 24से 26 x 11से12 7,9,100
19/20वीं
,
1025x ||*15x38
1879 x उत्तम विजय
श्रावक पाक्षिक आलोचना पाठ
5 .
26 x 11*15x47
1676, गोआणा, मु.रयणचंद्र
प्रचलित से भिन्न
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
माग १-जैन आगम
3A
5
सि.-95
मू (ग)
श्रावक पाक्षिक अतिचार| Sravaka Paksika
Aticāra अति चार
। सौ-24
Aticāra
मू (ग प)
बा-141
बा. 60-62
रात्रि दिवस बृहत् अतिचार Ratri Divasa Brbar
Aticāra श्रावक पाक्षिक अतिचार | Sravaka Pakstka 3 प्रति
Aticaral . -.
सि. 94
93 | B-398
भाष्यत्रय -
Bhāşyatraya
मू+वा (प.ग.)
94
B-582
,
मू+बा+क
+व्या मू+ट (प.ग.)
95-97
3 प्रति
B-306,510,
641 सि. 98
98
99बा -63
मू (प.)
100-1
B-488,641
102
सि.-99
103
B-286
प्रत्याख्यान पाठ
Pratyākhyāoa Patha
मू+ट(ग)
प्रा.मा.
B-833
कोष्टक
„ Table
B-733
दस प्रत्याख्यान
D.sa Pratyakhyana!
बा.-64
भाग १-जैन आगम
सि. 100
अङ्ग चूलिका
Angacúlikā
म.(ग)
B-99
आतुर प्रत्याख्यान
Aturapratyā
khyāna Ārādbanā
P-99
आराधना
बा-65
चउशरणा
Caus'arana
वीरभद्र/
मू (प) मू (प) मू + अ(पग) मू+ट(,) मू+बा(,)
,, 66
प्रा.मा.
B-880
B-442A
मू+द(,)
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग- १ आ (iv) आवश्यक सूत्र व साहित्य
बक पाक्षिक
बालोचना पाठ व्रतस्खलना प्रायश्चित
7
श्रावक पाक्षिक बोचना पाठ
"
"
यावश्यक भक्ति व क्रिया
17
11
11
11 अंगों का परिशिष्ट
व्रत तप ग्रहण अंत में
अंत समय साधना
मेटी भक्ति
11
-
11
3
26 × 11 * 17 x 70
26 × 11 * 13 × 48
26×11 *13x40
7,6,14 23428 x 1114
28 × 13*12 x 34
25 × 11*17 x 55
3
3
9
13
प प्रतिज्ञा के पाठ 9
स्थानके आगार 1
तप प्रतिज्ञा के पाठ 3
49
8
9
34, 17, 22 से 26 x 10 से 12
17
35
5,6
4
3
22
49*
49*
9
9
8A
8
5
26×11 *14 x 41
25 x 12*4 x 21
- 25 x 12*11x45
25 x 10 व 24 x 10
25 x 11 * 15 × 40
18×12 *5 × 11 तालिका
25 × 11 * 12 x 37
25 x 12 * 13 × 30
26 × 11*14 × 42
26×11 *13 x 50
26 × 11 * 4 x 35
26 × 11 * 4 x 35
26 × 11 *15 × 50
26 × 11*6 × 42
1 पन्ना कम
संपूर्ण
13
""
"
"
11
"
"
"
33
विभाग-१ (v) प्रकीर्णकसूत्र
संपूर्ण . 800
59 ग्रा.
अ., 389 गा. तक है
सं. 63 गा.
"
ग्रं. 200
तीनों
37
"
"
152-150 गा.
अपूर्ण प्रत्यास्थान की
14 गा. तक संपूर्ण 10 प्रत्याख्यान
सं.
संपूर्ण 10 प्रत्याख्यान
9
"1"
152 गा.
152 गा.
150-153 T. 19at
"
"1
17वीं
18वीं
20वीं
19/20बी
20वीं
10
1787 x भाणसागर
1885 सिवाणा विवेकसागर
1881
19वीं
20वीं
19वीं
17वीं
1744 रामचंद्र
1893 भावनगर विवेकसागर
20वीं बुद्धचन्द्र
1718 आगरा
17वीं
"
प्रचलित से भिन्न
अंतिम प्रति में दैनिक भी
11
29
गुटके के पन्ने हैं ।
1598
1676 x अमरसुंदर
18वीं
1719 काग्रेड़ा ऋ बल्लू
प्रारंभ में 73 पद अन्य है (अगृति मरण माण ? )
पदपाठी
सह संस्कृत स्तवन 1 इलोक
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग १-जैन आग
3
3A
संबा.
चउशरणा
Caus'araņā
मू+ट (प.ग) प्राम
B-515
B-758
बा. 67 B-506B
B-922
| सि 101
,, 102 बा. 329
मू+ट (प.ग.)| प्रा.मा
16
Jambu
Jambu Caritra
1-/पद्मसुन्दर
17-18 | B697,699
2प्र.
मू+ट (प.ग.)| प्रा.मा
सि. 482
20-22
रा.21/5,6,8
3प्र.
23
रा.21/3
, बालाव बोधमात्र
बा. (ग)
24
B-99
तान्दुल वैचारिक
Tāndula Vaicārika
मू (प)
-
प्रा.
25-26 | रा.14/11,20/9
,
2प्र. |
मू+ ट(प. ग).प्रा.मा
, देवेन्द्रस्तव
-21
B-99
| Devendra Stava
मू (प) .
प्रा.
28
पर्यन्त आराधना
Paryanta Aradhana| सोमसूरि/
चौ-26 B-333
मू+अ (प. ग) मू+ट (प ग)
प्रा.सं. प्रा.मा
,789
31-32 | B-281,649
33 | B-99
2प्र.
भक्त परिज्ञा -
Bhaktaparijñā
प्रा.
महा प्रत्याख्यान
Mabāpratyākhyāoa
बा. 68
संस्तारक
Samstāraka
मू+अ (प.ग)
प्रा.सं.
B-99
मू (प)
प्रा.
सि-103
मू+ट (प.ग)
प्रा.मा
रा-1/20° .
बा-69
जैनागम त्रुटक पन्ने
Stray Papers of
Agamās
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग-१ आ (v) :-प्रकीर्णक सूत्र
78 8A
10
11
पंच परमेष्टी भक्ति 6
26X11*6x31
पहिला पन्नाकम,लगभग पूर्ण 1735 xऋ. बल्लू
25x11*4x36
सं. 63 गा.
| 18वीं
24x11*4x28
,
,, टब्बार्य ग्रं.225/..
25x11*4x32 25x11*15x43
,, 63 गा.
1763 बलंदा ऋषि श्रीपत
26x11*11x36
1765 बीकानेर गुणविलास
23x11*14x30
1821 गढवाड़ा ऋ. सांवल
25x11*6x53 26x11*15x43
19वीं 18वीं
नी 20
20 उद्देशक
26X11 व 25X11
,, 21 उद्देशक
कथा व्याख्यासह
20वीं/1878 सिवाण हीर विजय 20वीं नागौर
40
24x12*8x39
10*8x39
"
"
19वीं
सामान्य
सामान्य
33,5025 से 27x11 से 12 ____36 55 19x11*11x26
.
20वीं
अकीर्णक आगम
49* | 26x11*13x50
, 400 गा.
17वीं
22,281 26x11 व 25x13
,
20वीं बीकानेर
सामान्य
देवलोक वर्णन
49*
26x11*13x50
| ,, 303 गा.
17वीं
वन्तिम आराधना 5
,, 70 गा.
26x11*19x53 25x11*4x37
1669 पीपाड़ शुभविजय 18वीं
27x12*6x43
18वीं बीगत मिटाई हुई है
25x11*5x45 26x11*13x50
19वीं 17वीं
49*
,, 172 गा.
भोजन नियमावली मरण विधान 49*
, 143 गा.
8
आवास नियमावली
25x11*9x38
,, 122 गा.
फटी हुई
49*
| 26x11*13x50
, 121 गा.
26x12*10x54 25x12*5x38
19वीं
,, 122 गा. , 122 गा.
20वीं
विभिन्न
स्फुट बिखरे पन्ने
16से 20वी
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
121
32
1
1-2 बा. 70-71
सि. 104
3
4
5
6
7
8-11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22-23
24-25
26
27
30-31
2
32
33
B-338
बा. 72
fe. 890
fær. 105
B-594,1009 1099,170
B-480
सि. 106
चौ. 27
चौ. 28
B-408
28-29 B-421,762.
B-399
सि. 890
चौ. 29
बा. 100
चौ. 30
B-153,603
TT 19/4.29/30
B-701/A
B-212
बा-93,94
सं. बा
चो. 31
"
"
बोलपटुत्व 2. Atthāpubola
महादण्डकानुसार
Alpabahutva
अठारह पापस्थान चौपई | Atharahapāpasthāna आशकरणजी
"
3
अतिचार चौपई
आगमसार
"
11
"
अष्ट (छ) प्राभृत
आगम अट्ठोत्तरी
आगम आलापक
आगम छत्तीसी
"
अध्यात्म गीता प्रति
अध्यात्म गीतादि (पांचसूत्र )
अनेकान्त जयपताका
अन्योक्ति बावनी
अस्वाध्याय व रात्रि भोजन
सज्झाय
अष्टप्रवचनमाज्ञाय
"
11
17
आचारोपदेश
"
सज्झाय
भास
"
"
2 प्रति
2 प्रति
दो प्र.
दो प्र.
"
"
3A
"
Aticara Caupal
Adhyatma Gita
13
Acāropadesa
5158яyfaut Athakarma-KI-158
Prakrtiyath
"
31
"
Anekāntajaipatākā
Anycktibavanl
21
"
"
"
Caupal Bhāsa ब्रह्मकृवि
Sajjhāya यशोविजयजी
"
Asvādhāya &
Rätribhojana Astapravacan Mata देवचंदजी Sajjbaya
Astaprabhṛta
Agama Atthottarl
Agama Alpaka
Agama Chattis
Agamasara
"
4
"
ग
"
प
"
चारित्रसुंदर
"
देवचंद्र / ज्ञानसार मू + बा (प.ग )
देवनंद्रज व अन्य मू (प)
हरिभद्र
विनयकवि (सुन्दर)
रत्नसिंह गणिशिष्य
"
5
मू + ट ( प.ग )
कुन्दकुन्दाचार्य - मू+अ (पग)
मू
भू (प)
भू ( प )
उद्धरण व संकलन मू (ग)
श्री सारमुनि
मू ( प )
देवचंदजी
मू (ग)
मूट (प.ग )
ग.
"
भाग
11
मूट (प.ग)
11
"
मा.
""
"
""
11
मा.
सं.
मा.
1257
प्रा. स
प्रा.म
मा.
"
"
"
सं.मा
मा.
"
11
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
33
| 8
8A
9
10
11
11
त्त्विकबोलसंग्रह 5,4
28x13427x11
पत्याग उपदेश
26 x 12*26x64
संपूर्ण,दूसरीमें 1 पन्नाकम 20वीं मुंबई पुनमचंद | सं. 18 ढाले ,, 19 ढालें
1943-44 नया शहर
1840 की रचना डेह में
-
24x10*10x29
19वीं-लब्धिचंद्र
26X11*14x47
। .. 18
19वीं
श्रावक व्रतस्खलन
33 x 22*57x32
X2 " " , ग्र. 216 1924, अजीमगंज, जीवा | 21 x 11*14 x 30
1957 सेलावास 19,6,8, 23 से 25x11 से 12 | अंतिम अपूर्ण शेष 19/20वीं 44
सं. 49 गा०। 28* 25x12*12x33 संपूर्ण
सामान्य संकलन
आत्म विवेचन
20वीं
11325X11*13x39
1957 विक्रमपुर केशरीचंद
जैन न्याय की
प्रतिष्ठा औपदेशिक पद
25 x 11*13x39 पहिला पन्ना कम 52 कवित्त 1 814, बीकानेर, राजधर्म
भक्तिगुरुखरतर
25x11*12x29 संपूर्ण 25+22+19 गा. 19वीं
सहसुमतिनाथ स्तवन
अध्ययन अयोग्य
समयादि 5समिति 3गुप्ति
26 x 12*6x38
,, ग्रंथान 180
1892 पालीताणा विवेकसागर
संपूर्ण विषय
23
26 x 11*18 x 50 दर्शन,सूत्र,चरण,बोध,भाव | 1872 वल्लभपुर ,, ,,
वमोक्षकुल 6 प्राभृतगा.444 33x22*18X27 | संपूर्ण 108 गाथा 1926 अजीमगंज जीवा । पन्ने 137से142
साधु व्यवहार पर
6
प्रतिमापूजादि पर 12
25x11*13x42
,, नं. 461
1595 मेड़ता
आगम वृतान्त
17*
25 x 11*16x39
सं. 36 पद
19वीं
शास्त्र सारांश
60
26x||*13x41
सं. अंतिम पन्ना गायब | 19वीं
जीर्ण/1776 की रचना
24,64
27 x 13 व 26 x 11. सं. प्रशस्तिसह
19वीं
अपरनाम आगम
सारोद्धार
60,8 24x12 व 25x11 | सं.
28x14*8x39
सं. छवर्ग
1898 बोरसद विवेकसागर रत्नसूरि शिष्य
बीपदेशिक नीति कर्म सिद्धान्त ___4
26 x 11*16x56
सं.
1734 बोडावड़ मु. बिरदा
126x12 व 25x11,
सामान्य
19/20वीं 19/20वीं
23x10 व 28X14, दूसरी में "भले का
अर्थ" भी 25 x 10*12 x 39
20वी
2
26x11*18x54।
। 18वी
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग-२
।
2
3
3A
3A
4
5
6
बा. 76
मू+ट (प.ग)
बा. 73
मू+वृ (प.ग) | सं.
आदिनाथदेशना (द्वार) Ādidātba Des'ana आत्मख्याति सहटीका Atmakhyati with | अमृतचंद्राचार्य
Tikā
शुभचंद्र आत्मगर्हा स्त्रोत Ātmagarbā Stotra रत्नाकरसूरि | आत्मनिन्दा प्र.| Atmeninda ज्ञानसार
36 | B-729
मू+ट (प.ग)
रा.29/27,29
रा.29/28
विनयचंद
B-429
आत्मप्रकाश रास
Atmaprakas'a Rasa| वा. धर्ममन्दिरd/oL,
दयाकुशल खरतर
B-516
B-154
आत्मप्रबोध
Ātmaprabodha
| जिनलाभसूरि
बा. 74
चौ-53
B-999
आत्मप्रबोध कुलक Atmaprabodha जयशेखर?
Kulaka आत्मप्रबोध सज्झाय
, , Sajjbaya| वा. नयसुन्दर आत्मावबोध वचनिका | Amavabodha
Vacanika
B-406
सि. 107
बा. 75
B-346
आराधना
Ārādhana
B-460A
सि. 108
आलोचना
Alocapā
साधु हिम्मतराम
52
सि. 890
आलोचना छत्तीसी
| Alocana Chattisi | समयसुन्दर
मू (प)
बा. 100
,, 77
+विनयविज
आलोचना पद्मावती | Alocana Padmavati विस्तार
Vistāra आलोचना बत्तीसी Alocana Battisi
55
सि. 890
समयसुन्दर
बा. 78
आलोचना स्तवन
1
Stavana
कमल हर्ष
सि. 890
आहारदोष छत्तीसी
| Ahara Dosa
.
जिनहर्ष
58
सि. 109
इक्कीस द्वार
Chattisi Ikkisadvāra
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
7
आत्म स्वरूप
वैराग्योपदेश
समयसार की टीका 53 पर टीका
पदेशिकप्रायवित 3
प्रायश्चित श्री.
शास्त्र सारांश
21
21
"
R
17
"
73
1
21
साधना विधान
8
रात्मिक उपदेश 7
10
23
3,2
3
34
आत्मा का निरूपण 10*
30
153
117
5
4
3
8
श्रावक,,
प्रायश्चित अन्तिम 4
आराधना
प्रायश्चित औपदेशिक 1
15
17*
अंत समय प्रायश्चित 7
प्रायश्चित उपदेश
अंतिम प्रायश्चित 3 साधुवाहार विधान 1
गुण स्थान वर्णन
1
6
8A
26 × 11*5 × 35
26 x 11 * 3 x 51
25 x 12 * 7 x 42
23से 24 x 12 से 13
24 X 12 17 % 49
26x11*14x 33
25×11*14 × 33
27 x 11*13 x 54
26 × 12*17 x 45
26 x 128 x 30
25 × 11 * 12 x 36
25 x 11 * 15 x 50
26 x 1109 x 27
24 x 12*11x34
26×12*11 x 35
25 x 119 18 x 50
26×12*23× 52
33 x 22 * 60 x 32
25 × 11*16 × 39
27 x 13*12 × 31
33 x 22 54 x 32
24 x 12*14 x 32
33 x 22*60 x 32
24 x 11*15x45
सं. 89 गा.
9 अंक
こ
"
"
31
21
"
27
4 प्रकाश ग्रं 6380
पहिले कम हैं सं. 43 गा.
83 TT.
""
"
4 ढालें + दोहे
11
9
25 लोक
"
31 ढाल ग्रं. 1125; | 1873पादरू मनोहरविजय 1742 की कृति गाथा 490 दो खण्ड
मुल्तान में मूलयोगोन्दुदेव के
परमात्म प्रकाशका पद्यानुवाद
11
23
सं. 36 गा.
21
"
ग्रं. 50
"
"
11
35 मा. +8 डालें
32 TT.
54 गा. जिनदत्त
गीत
36 TT.
27
अं. पहिले 3 पन्न नहीं
17वीं
19वी
1885 जालोर विवेक नि
20वीं
अ. प्रारंभ के 9 पक्ष कम 1823 कनकपुर सुमतिसागर
सं.
19वीं
1926 अजीमगंज जीवा
19वीं
1913 x विवेकविजय
1926 अजीमगंज जीवा
1873 आसोत्रा
1926 अजीमगंज जीवा
1910 जोधपुर हुकमचंद
10
अहीपुर
11
"
1843
संसारे नत्थसुहं
1573 की कृति अध्यात्मतरंगिणनाम्नी
1864 x सुखविजय
20वीं
19वीं x भानुसुन्दर
19वीं
1891 जोधपुर पं. विवेक
19वीं
11
35
प्रचारित व बीजक है 1833 की कृति
बड़तपग़च्छ भानुमेरु शिष्य
अपरनाम आत्माको आत्मीयता
किञ्चित् अर्थसह
जिनराजसूरी शिष्य
Page #55
--------------------------------------------------------------------------
________________
36
1
59
60
61
62
63-4
65
66
67
68
69
70
71
122
72
73
74
75
76
77
78
79
80
84
85
बा. 79
86
B-873
B- (गु) 1
सि. |||
fa. 112-3
सं. बा.
बा. 80
"
81
सि. 114
B-445
fer. 928
fr. 115
बा. 82
चौ. 32
ची. 33
fe. 116
बा. 83
B-15
B-155
81-83 B-517,561,616
2
B-394
fer-717
बा - 84
a. 34
सं. बा.
उत्पत्ति साय
उन्तीसी भावना कुछ
"
"
"
"
उन्तीसी भावना सज्झाय
Sajjbaya
उपदेश इक्कीसी 2 प्रति Upades'a Ikktsf
उपदेश कोश
उपदेश चितामणि
"
31
31
3
11
33
"
उपदेशढाल
Upades'a Dhala
| उपदेश प्रासाद सहव्याख्या Upades'a Prasada कथादि)
उपदेश बत्तीसी
Upades'a Battist
उपदेशमाला
Upades'amala
"1
,,सहस्वोपज्ञवृति
उपदेशमाला सह बा.
सह विवरण
सह अवचुरि
"
11
सहदव्बार्थ
सह टब्बार्थ 3 प्रति
"
11
Uttpati Sajjhāya
Unilsh Bhavana
"
"
"
21
"
13
"
3A
Upades'a Kos'a
Upades'a Cintamagil जयशेखर
11
Kulaka
"
"
, with vetti
with Vivaraga
with Avacuri
श्री सार
13
. रायचंद
"
लक्ष्मीसूरिd/o सौभाग्यसूरि
राजसूरि
धर्मदास गणि
"
4
धर्मदासगण
"
"
"
21
प
11
मू + ट ( प.ग )
1
प
प
मू+ट (ग)
प
5
मू + ट ( प.ग.) प्रा.
मू ( प )
मू+ वृ (प.ग )
11
"
भाग
म
"
ЯГ
मा
"
मू ( प. )
"
/
,,/
with 8. धर्मदास / सोमसुन्दर मू + बा (प.ग.) प्रा. मा शिष्य
मू (प)
1, दिवसुन्दर मू+बू (प.ग.) प्रा.
मू (प.)
प्रा.
प्रा.
मा
सं.मं
मा
मू + अ (प.ग.) प्रा.स
प्रा.
प्रा.
3. शिवनिधान मू+ट (प.ग.) प्रा.म.
धर्मदास
मू (प)
मू + ट ( प.ग.) प्रा. म
33
"
11
प्रा.
प्रा.
Page #56
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय पंथ
37
| 8 |
8A
10
11
औपदेशिक विरक्ति
4
24x12*10x32
18 वीं
26x11*5x30
| सं.29 गा. सह7 सुभाषित 16वीं
17x16*20 x 25 , 29 गा.(पन्ने 40से42) 1550 x विनयप्रभ. 25x11*13x40 1, 31
18वीं 25x11 व 20x11 1 , 21 पद
19/20वी 1824 की कृति तिवरी में
2, 4
26x11*6x28
, 36 गा.
| 18वीं
30x12*15x60
, 4 अधिकार गा. 384 16वीं
26313*15x54
अ.बीचके पन्ने है 18से82 20वीं
24x11*15x37
.33 गा.
19वीं, कुरलायां, शृंगारा
1-25x11*6x40
तृतीय स्तम्भ मात्र कथा | 1852xविनीत विजय
31 से 45 सं. 32 गा.
20वीं
व्याख्या उपदेश
संग्रह नाम्नी
24 x 14*18 x 30
गुटके में
औपदेशिक
25x10*13x42
, 544 गा.
1585 x जयवंत
16वीं
29x12*12x48 26 x 11*11 x 39
अमरप्रभ शिष्य (सिद्धिर्षि वृत्त्यानुसार)
26x11*9x30
,544 गा.
1600
25x11*9x29
1634 मालपुर
25x10*6x41
, 543,,
1691x दयाशेखर
किञ्चित् जीर्ण
26x11*13x45 | सं. 545 गा.
17वीं
26x11*15x60
, 544,
1715
नाम काटा हुआ
27- 11*5x50
,543 ,, टब्बा ग्रं3500 1725
टब्बार्थ 1690 जोधपुर कृति
25x11*15x36
"
"
1740 सित्तपट्ट लक्ष्मी विभव
,543-44 गा.
19वीं
अंतिम प्रति सहकथा
117.141, 22से25x11से12
121| 136 | 25x11*4x39
, 543 सहकथाय
1840 बालोत्रा सुमतिसागर
125
26 x 11*5x29
दो पन्ने कम गा. 544
1899
| 26x11*14x35 | संपूर्ण 543 गा.
1 20वीं
Page #57
--------------------------------------------------------------------------
________________
38
87
88
89
90
91
92
135
93
94
95
96
97
98
99.
100
103
104
105
106
107
108
109.
110
चौ. 35
fer. 118
बा. 85
सि. 110
101-2 बा. 89-180
सि. 890
111
B-291
14-332
2
B-651
fa. 119
बा. 86
ar. 87
बा. 88
बा. 100
f. 886
B-273
aT-90
aT-91
B-502
fa-120
B-46
fr-121
सि. 902
B-g. 6
112 B-923
उपदेशमाछा सहवृति
कथायें
उपदेशरत्न कोश सह बा.
31
23
3
17
उपदेश रत्नकोश अर्थ
उपदेश रसाल
उपदेश श्लोक पत्र
उपदेश सतरी
11
सह व्याख्या
सह ट.
"
11
13
ऋषिबत्तीसी
ऋषिमण्डल सह वृति
27
एक प्रहर का राज
औपदेशिक कथायें
दोहे
काका बत्तीसी
करुणा छत्तीसी
कर्म व तीसरा
2 प्र.
3A
Upades'amāla
"
31
Upades'a Ratna
13
33
""
"
Avacurpf (,, )
Kathāyeri | (,, ) वृद्धि विजय ?
पद्मजिनेश्वर /
उपाधि प्रकरण
उस्थानं गाया सहव्याख्या Usthanam Gatha
Kos'a
Upades'a Rasala
***
11
33
Upades'a Sattari
11
,,Artha | (,, )
S'lokapatra
"
11
Rei Battist
Rşi Mandala with
Vrtti
13
"
Ekaprahara kā rāja
Oupadesika
धर्मदास /
Upadhi Prakaraga उदयनाचार्य
Kathayem Dohe
4
"
12
0/
"
1
T
33
श्रीसारd/o रत्न हर्ष प
17
Kaki Battisi
Karupā Chattisl
Karmagrantha 3rd | देवेन्द्र
संकलन
"
32
माधौराम
मू + वृ ( प.ग.) प्रा. तु
सं.
23
मा
मू+बा. (प.ग.) 1.1.मं
मू+ट (प.ग.)
भू (प)
प्रा.
मूख्या (प.ग.) प्रा. मां
ग
11
सं.
मु + व्या (ग. प.) प्रा.सं.म
"
ग
37
7
5
जिन हर्ष
मा.
धर्मबोध / पद्ममंदिर मू + वृ (प.ग.) प्रासं.
शुभवर्द्धन
प
भाग
सू- व्याप.ग.) सं.मा.
ग
प
11
21
"
मा
मा.
"
"
सं.
मू + ट ( प.ग.) प्रा.मा.
"
33
मा.
सं.
मा
11
"
भू---ट (प.ग.) प्रा.मा.
Page #58
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
39
7
|
8A
9
10
॥
औपदेशिक
27x11*17x64
| अपूर्ण (1/3 भाग है)
16 वीं
वृतिहेयोपादेय नाम्नी
11
26x11*25x62
सं. 538 गा ग्रं. 1350
16 वीं
8025x11*19x48 | सं.
1817 बगड़ी रामविजय
26x11*11x40 | सं. 26 गा.
18 वीं
25x11*5x37
1785 खोड आमोदसागर
25x11*9x36 | 25 x 11*17x57
18 वौं 1 3से26 तक हैं | 19 वीं
25x11*15x45
सं. 50 श्लोक का
1724 तरेयां,
25x11*17x47 | सं. सह कथा
1827 जसोल देवचंद
26 x 10*16 x 36 | प्रतिपूर्ण
18वीं
25x11*16x39 | सं.72 गा.
19 वीं
,, नश्वर+ ___ अशुचि
11x9*13x12
|,, ,, (गु.पन्ने 82-90) ,
अपरनाम गर्भावाससत्तरी
साधुउपकरण विधान
6
26x11*15x50
1610 नारदपुरी, सौभाग्यवर्द्धन
5
22x12*12x.33
,,सहधर्मोपदेश सोदाहरण 19 वीं
शोकसभा(उठामणा)
प्रवचन
3,5
25x12 व 26x11 |,.
20 वीं
साधु गुणानुवाद
33 x 22*60 x 32
1926
32 गा.
औपदेशिक कथासह 206
26- 11*13x45
| ,, 218 गा. ग्रं. 7590
17 वीं
प्रशस्ति है
94
25x11*15x51 |
अ. 12 गा. तक ही है | 17 वीं
26x11*17x40 |
सं. 234 गा.
1838पचपद्रा फतेहसागर
नश्वरता उपदेश
25x12*15 x 40
दृष्टान्त कथायें
26x.12*11x25
सं. 19 वीं
रूपकनुमा सं. 15 कथायें . 1897 थोभ हुकमचंद प्र. 85 दोहे 1964 x हुकमी महाराज सं. (गु. पन्ने 77 से 86)1947 सिवाणा रूपचंद साथ में शुकनावली है
औपदेशिक नैतिक
20x11*24x42
अक्षरानुसार उपदेश 10
16X13*15x15 23 x 15*18x35
। औपदेशिक
1889xविवेकसागर
-कर्म सिद्धान्त
४ | 27x11*4x26
, 25 गा.
116वीं वसुन्धरानगर 112से सब नवीन कर्म ग्रं.
Page #59
--------------------------------------------------------------------------
________________
113 .
B-530
कर्मग्रन्थ पहिला
3A 4 | Karmagrantha 1st| देवेन्द्र भावसुन्दर | मू+ट (प.ग.) प्रा.म.
to 6th ,,+चर्षि | , (,)
देवेन्द+चंद्रर्षि
114 | B-592
,
एक से छः
B-652
,,
एक से छः
.
रा. 14/7
,
एक से पांच
hto 5th| देवेन्द्र
117 |
चौ-36
,, to ,
मू (प)
118 |
B-16
एक से तीन
„ to 3rd
मू+ट (प ग) | प्रा. में
119
B-912
चौथा
4th
120
चौ-38
,
1st to 4th
मू+व (प.ग)
प्रा.स
एक से चार सहस्वोपज्ञवृति एक से चार
121
B-599A
"
मू+अ (प.ग)
,
122
B--185
से चार सहवा.
,
देवेन्द्र/मतिचंद्र
मू+बा (,) | प्रा. म
123B-174
" पांचवा
5th
124
B-837
एक से पांच
.
Ist to 5th
125 | चौ. 39
एक से तीन
Ist to 3rd
126
,
40
प्रथम
Ist
127 | रा. 14/6
ट्रा
6th चंद्रर्षि/कुंभऋषि 1st to 6th| देवेन्द्र+चंद्रषि
128
सि. 122
एक से छः
मू+ट (प.ग.)
129-30| B-21 3-351
"
2प्रति
131
B-478
,
एक से पांच
1st to 5th| देवेन्द्र
132
रा. 19/7
B-529
एक से चार
Ist to 4tb.
B-143
एक से तीन
1st to 3rd
,
संबा
चौथा
136 | B-497
एक से छः
6th| देवेन्द्र+चन्द्रर्षि 5th| देवेन्द्र
137 | चौ. 37
एक से पांच
138 | B-73
एक से तीन
, to 3rdi
,
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन संद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
78 8A
9
___10
कर्म सिद्धान्त
25x10*9x36
17वीं
टब्बा 1624 की कृति.
25x11*5x34
सं. 61 गा. ,, ग्रं. 4795 संपूर्ण
1715 जैसलमेर ,, धर्मविजय 1700 में
25x11*6X38
1786
25x11*5x35
1725
11x26*11x37
, 306 गा.
18वीं बडलू राजधर्म 18वीं.
25x11*4x44
, 111 गा.
26 x 11*4x30
(पहिला पन्ना कम) पूर्ण | 1785 जैसलमेर गौड़ीदास
25x12*15x47 | अंतिम 15 गा. कम
19वीं.
25x11*12x42
, 33
,
"
26x12*15x45
स.
20वीं.
26x12*14x36
सं. 100 गाथा
1901
25X11*15x42
अंतिम 15 गा. कम
|
19वीं.
25x12*11x35
13x 25*11x31
सं. 60 गा.
1919x राणीदान
25x11*17x45 |
सं. 93 गा..
19वीं
बृ.तपा (पापर्वचंद) गच्छीय
23x11*7x39
सं.ग्रं. 3000
1821, सुगुणपुर,
25 x 12 व 25x11 | सं. किंचित् सहयंत्र
1816 व 1827
| 26-11*5x36
सं. ग्रं. 654
1810 शिणधरी उदयसागर
26x12*6x40-
सं. मा. 306
1825 विक्रमपुर ऋद्धिविजय
| संपूर्ण
19वीं.
25x12*4 x 31 25x12*12 x 48
, 118 गा.
26x11*10x39
| ,, 86
26x12*12x34
,, 396
20वी.
25x11*15x39
अंतिम 51 गा. कम
19वीं.
| 26 x 11*12 x 30 | सं. 117 गा.
20वीं.
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________
ASAMANE
3
.
3A
4
Liminanminindianduratio
139
बा. 92
-140
सि. 123
(देवकी
कर्म ग्रन्थों की अवचूरी | Avacurl of
Karmagranthas प्रथम कर्म ग्रंथ की वृत्ति | Vrtti of Ist (देवेन्द्र)
Karmagrantha कर्म ग्रंथों की व्याख्या Vyakhya of ,,
1st to 3rd कर्म ग्रंथ के बोल | Bola of K. G 6th/
141 ! B-979
(,)
142
B-740
143 | बा. 129.
144 | सि-124
कर्म ग्रंथ के विचार यन्त्र |Vicārayantra of K.G.
____5th & 6th कर्म चेतन भाव संग्राम Karma Cetana bhava
Sangrāma कर्म छत्तीसी
Karma Chattist
145
सि-125
समयसुन्दर
146
| बा. 100
मू (प)
मू+व्या (प.ग)
प्रा.सं.
B-(गु) । सि-126 रा-30/2 सि. 890
कर्म विपाककुलक Karmavipäkakulaka - कल्याण माला सार्थ व्याख्या Kalyānamala with
Vyākhyā क्रिया पद के थोकड़े Kriyāpada Ke
thokare क्षमा उपदेश बत्तीसी Ksma upadesha जिनराज
battisi कायस्थिति प्रकरण Kāvasthiti
prakaraņa
150
B-725
मू+बा (प.ग) प्रा.
B-831
मू+ट (,)
रा. 24/10
कुशलविलास
Kus'alavilāsa
कुशलसिंह d/o
रामसिंधजी
चौ-41
कुशल...
कृष्णपक्ष शुक्लपक्षस झाय Krsnapaksa
S'uklapakşı Sajjbāya
155 | B-316
केशव बावनी
Kes'ava Bavani
| मुनिकेशव
156
चौ-(गु.) 1
केशवदास के सवैये
Kes'avadasa-ke
Savaiye Gatiigati ke bola
157
गति आगति के बोल
158
भगवती अनुसार
रा.19/9 ,, 19/10
30/4 सि. 127
159
प्रज्ञापनानुसार
160
161
सि. 128
गर्भावास का थोक
Garbhavasa-ka
thoka Gafalagita
162 | सि. 129
गाफलगीत
विनयचन्द
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धांतिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
43
78
8A
कर्मसिद्धान्त
26x11*18x59
सं. ग्रंथ एक से छ: तक
16व
श्रियष्ट प्रतिहार्य
24x11*17x61
अ. 30 गा. तक हो है । 17वीं
कर्मणां विपाकोनुभव
25x11*13x
19वीं
26x11*तालिका
प्रतिपूर्ण केवल छठेकर्म ग्रं. के 19वीं
26x12* ,,
, केवल पांचवें व छठे के 19वीं
जड़ चेतन विवाद
24 x 11*16x43
1885 पाली
कर्मवाद पर उपदेश-7*
25x10*13x33
|,
36 पद
1925 पारलाउ भीमराज
___"
,
17*
15x11*16x39
19वीं
17x16*20x25
,, 21 गा. (गु. पन्ना 43)
1550 x विनयप्रभ
औपदेशिक
25x13*18x36
,52 अनुच्छेद
1944 समबड़ो अचलचंद
क्रिया के प्रकार
24x12*19x60
20वीं
33x 22*60x32
सं. 32 गाथा
1926
क्रोध पर शिक्षा - 1 विभिन्न भव अवधि 2
26x13*18x48
, 24 गाथा
1895, स्तंभनतीर्थ, विवेकसा र
10*
26x11*5x42
18वीं श्रीमलवर्षे
49
44 x 12*21x49
1947 जालोर पुनमचंद
आध्यात्मिक+
धामिक ब्रह्मचर्य उपदेश
124x11*10x33 | सं.26 गाथा
18वीं
हर्षकीर्ति शिष्य
औपदेशिक
25x11*16x50
त्रुटक
19वीं
1838 की रचना
15x10*10x16
9 पद
(अथवा कवि केशवदास)
आवागमन भेद प्रकार 21
27x12 तालिकायें | पूर्ण
1871
25x12
,
20वीं
23x12*22x56 ..
20वीं
27x12 तालिकायें
,, चारों गतियों के
1849 जोधपुर सुखराम
गर्भदुःख व्याख्यान
24x ||*14x38
सं ग्रं.22
19वी
-प्रमाद त्याग पर 3
24x11*13x37
, 44 गा.
1911, सोवनगढ़, धर्मा
Page #63
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग-२
3A
5
1163
B-147
गुणमाला
Gulamala
रामविजयd/o
दयासिंह
चौ. 42
B-109
+व (प.ग
गुणस्थान क्रमारोह
सहस्वोपज्ञ वृति गुणस्थान द्वार
Gupasthana krama| रत्नशेखर
roba Dvāra
167
रा. 20/1 रा. 20/2 B-1025
169
B-812
गौतमकुलक सहवृति+ | Gautama kulaka
कथा
ऋ. गौतम/
ज्ञान तिलक
मू+वृ (प.ग.) प्रा.स.
B-10
171
|
B-578
गौतमकुलक
गौतम ऋषि
मू+ट(प. ग)
B-1083
173
B-653
174
बा.95
175
रा. 14/15
'
"
176
B-663
| मू+बा(प.ग)
सि. 130
Gautama Procha.
-तिलकd/०देवभद्र | मू+व (प ग) । प्रा.सं.
गौतम पच्छा सहवृति+
कथा " ,
बा. 96
- सरसागर/ मू+व+ट(प.ग) प्रा.सं.मा
आमोदसागर - मतिवर्धनd/० | मू+वृ (..)
सुमतिहंस |
179
B-107
180
बा. 97
181
B-91
सह बा.+क.
मू+बा (पग)
182
B-708
B-786
,
सह बा.
184
B-665
,, सह व्याख्या+कथा
मू+ट (प.ग)
सि. 131
186
बा.98
| गौतमपुच्छा
सह बा.
मू+बा(प.ग)| प्रा.मा
187 । रा. 18/13
Page #64
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
8A
9
.
10
11
विविध शास्त्रीय
विषय
26x12*15x33 | संपूर्ण सहप्रशस्ति
1857पाली क्षांतरंग 1817जैसलमेर की कृति
26x12*15x45
1868 देशनोक सत्यसागर
अध्यात्मिक स्तर
विवेचन
25x11*16x50
,, 136 श्लो.
1742,अर्जुनपुर, रत्नसमुद्र हेमतिलकशिष्य
25x12*18x52
,, 54 अपेक्षाओं से
|
20वीं
26x12*25x58
,42
"
,, फलोधी भजुलाल
25x11*14x53
20वीं
औपदेशिक
126x11*15x45
, 20गा. 69 कथा
1670,संग्रामपुर, प्रशरित है, पद्मराज शिष्य
पूर्णकलश वृति 1660 की कृति 1783 बालोतरा
125x11*16x44
,
,
71"
18वीं
24 x 11*5x37 26 x 11*6 x 40
,, बालोतरा उदयसागर
25x11*6x44
1797 लुबरावास प्रतापविज 18वीं
26 x 11*6 x 39
25x12*5x40
|
20वीं
1*17x42
,,, 68 कथायें
1849 जालौर भूपति सागर
महावीर-गौतम तात्त्विक प्रश्नोतरी
26x11* त्रिपाठी , 64 गाथा 48 प्रश्न | 1656 वरकाणा नयसुन्दर लेखक व लिपिक वृति ग्रं. 5500
की प्रशस्तियां 26- 11*17x55 ,, ,, सहकथायें 1790 महेवापुर हरनाथ 22x11*17x40 ,, 64 गा.48 प्रस्न 1848पादरु हस्तिविजय वृत्ति1738की कृति
सहकथा ग्रं. 1682 | 26x12*16x31 , 63 गा. 1910 जैसलमेर वृत्ति 1718 ,, ,,? -25x11*16x55-, 48 प्र. कथासह ग्रं. | 1772
1750 27x12*17x56 ,,,सहकथा + व्याख्या 1901
51
24x 11*13x30
, 64 गा.
1880, पीपाड़, ऋ. मोतीचंद
28x13*19x52 ,61,, सहव्याख्या+ 1860 राधनपुर गुलाबसागर
कथा 25x12*17x46 ,,, 64 गा. 1853 गिवाणा दौलतराम
25x11*15x50
, 64 गा.
.
19वीं
25x12*15x35
"
"
1906 नागौर
Page #65
--------------------------------------------------------------------------
________________
46
'
भाषा-२
-
-
2
3A
4
188
चौ. 44
गौतम पृच्छा लेख
लेख
Gautama Procbā
Lekha Caupal नयरङ्ग
189
बा. 99
चौपई
190
सि.890
191
।
B-222
,
| जयसागर d/o
___- शंकरसौभाग्य , Bakkhanal संकलन
192
चौ. 43
बक्खाण
193 || सि. 132
गौतमवाद
Gautamavāda
194: B-1054.
चार ध्यान
Cāradhyāna
ठाणांगानुसारे
मू+वृ (ग)
। प्रा. मा
195
रा. 7/5
133
चारमङ्गल चौपई
Cāramangala Caupai
197
बा. 100
चित्तछत्तीसी
Cittachattisi
चन्द्र
198 संबा.
चिहुंगतिवेलि
Cimhugativeli
199
B-319
चेतन कर्म संवाद
भगवतीदास
Cetana Karma
Samvāda Cetana Battisi
200
सि.890
चेतन बत्तीसी
जिनराज
सि 134
चौदह गुण स्थान
Caudabaguņa
stbāna
B-264
B-284
204
रा. 30/9
, वीरस्तवन
समरचंद do
Virastavapai पार्श्वचंद चौरासी लाख जीव योनी Caurasi Lakha | संकलन
के बोल | Jivayoni ke bola चौवीस ठाणा के बोल | Cauvisa Thapa
ke bola चौवीस दण्डक | Cauvisa Dandaka | गजसारdo
धवलचंद
रा. 19/13 ना. 101
alo
206
1
मू+ट (प.ग.)
प्रा.मा.
207
B-831
208
सं.बा.
209-11B-593,597,598
3 प्रति
मू+ट (..)
212 | B-538
मू+बा (प.ग)
6 प्रति
मू+ट (प.ग)
213-18| B-27,70,120
580,605,684 219-20 सि. 135-6 ।
2 प्रति
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
8A
10
तात्त्विक
26 x 12*14x39
19वीं
त्रुटक | सं. 3 ढाल+दोहे
13 . 13*13 x 13
गुटका 10 पन्ने 57से64
33 x 22*54x32 |, 4 ढाल/56 गा.
1926 अजीमगंज जीवा
26X11*13x38 |, 64 पदों में 48 प्रश्न | 1944, मलसा बावड़ी, वा. पदारथ
25x15*15x39 |
अपूर्ण
19वीं
गणधरवाद
26x11*16x45
सं. 14 ढालें
20वीं
ध्यान योग संबन्धी 9
| 14x11*19x25 |
1809 सिवियांणा धैर्यसागर
24x12*16x42
| सं.
1974
भक्ति विवेचन
25x11*10x31 | अपूर्ण तीसरे मंगल तक है| 19वीं
मानसिक योग
| 17*
25x11*16x39 | संपूर्ण 36 गा. सहस्तवन
1777 की कृति
संसार भ्रमण पर
4
24x10*15x34 | सं. 134 गा.
1827 सूर्यपुर
जड़ चेतन विवाद | 10
25, 11*15x42
,296 पद
1874 x गुमानसागर
1732 को कृति
औपदेशिक
33 x 22*60x32
, 32 गा.
1926
मार्गणा द्वारों से | 3
19वीं
24 द्वारों से वर्णन
1874 लोद्रपुर जयचंद्र
26x11*19x49 | 26 x 12*17x56 | 25 x 11*19x53
24 x 12*10 x 30
कर्म सिद्धांत गभित 3
| सं. 53 गा.
1731 बगड़ी ऋ. बल्लू
जीवों के भेद
1894
| 10
26x12* तालिकायें । सं.
20वीं
जीव विभक्तियाँ
25X11*6339
सं.38 गा.
18वीं x सूरविजय
अपरनाम विचार
षट्त्रिंशिका
सं. 38 गा.
18वीं श्रीमल वर्षे
1798
10* | 26 x 11*5x42 4 26 x 11*5x36 20,16, 25 x 12* विभिन्न 3 25 x 11*20x51
251
1 46 गा. सहकथा- | 19वीं
व्याख्या
1872x ज्ञान सागर,
1,38
19/20वीं
13,20, 25127x11से13 प्रथम अपूर्ण शेष संपूर्ण 15,9,7,7| । 9,J1 | 22 x 11 व 27x || | सं.
19वीं
Page #67
--------------------------------------------------------------------------
________________
48
माग-2
2
ЗА
4
5
6
221
| सं.बा.
चौबीसदण्डक
गजसार 0
धवलचंद
मू+ट(प.ग)
प्रा.मा.
बा. 102
सि. 137 B-184 B-1072
चौवीसदण्डक-विचार बा. Cauvisadandaka
Vicāra " 30 द्वार
, 3, Dvara
224
,,
क्रम
"
Krama
सि. 138
,,व गुण स्थान |
-
& Gunasthana
Stavana
227 | बा. 100
, स्तवन
धर्मसी
228
सि. 139
चौवीसद्वार
Cauvisa dvāra
229
सि. 140
छ:आरों के बोल
Chah Aromkebola
230-1
, 141-2
छ:काय के बोल 2प्र. ,, Kaya ke , छत्तीस बोल काथोकड़ा | Chattisa-Bola-Ka
Thokarā
232
, 143
233
रा. 19/14
234
रा. 19/5
235
सि. 906
छत्तीस बोलछवीसद्वारादि | Chattisa Bola
Chavisadāra जयमलजी की साखिये | Jajamalaji-ki
Sākbiyeń जिनपूजनं
Jinapūjanar
जयमलजी
236
बा.104
237 B-773 जिनवर उपदेश
Jinavara Upades'a | ऋ. रायचन्दd/o
जैमल 238-9 B-1022-32 जीवभेद 2प्रति | Jivabheda 240-1 | रा. 19/2,20/5 | , 2प्रति 242 | B-640
, नवतत्त्व व शरणा
" etc.
243 बा. 106. जीवस्वरूप नवतत्त्वादि | Jivasvarupa ज्ञानसारd/oरत्नराज प
विचार | Navatattvadi Vicaral 244-50B-24,119,342 | जीवाजीव विचार प्रति | Jivajiva Vicara | शांतिसूरि मू+ट (प.ग) 535,553,610,
847 251-2 | सं.बा
प्रा.मा.
253
सि. 144
254-6| B-49,356,367
मू+व्या (प.ग)| प्रा.मा.
Page #68
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, सात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय पंथ
| 8
|
8A
10
जीवबिभक्तियाँ
12
22x12*12x32 | सं. 46 गा.
26 x 12*13x31
18 31 बाहउमेर, अनूपकीर्ति 20वीं 1797, विशालानगरी, नगर'ज
20वीं
25 x 11*13x43 28 x 13*12 x 30 27 x 11*9x39 24x10*12 x 38
| अपूर्ण
18वों
प्रतिपूर्ण
20वीं
बापसी संबंध कई
द्वारों से जीवविभक्तियाँ
25x11*16x39 | सं. 24 गा.
19वीं
25 » 11*13 x 28
,, 24 बोल
24दंडक का विस्तार 19 कालानुसारपरिवर्तन 4
25x12*17x49
जीव विभक्तियां | 7,1224x12425x11
सं.
तात्त्विक भेदप्रकार
9
25x11*13x43
सं. 1 से 36 तक
26x12*28x40
25x12*19x45
सं. ग्रं. 2166
1909
• सत्संग उपदेश
113x15*11 x 13
सं. 31 छंद
1883, भीवाणी, भानजी
पूजा लाभ 3कथायें
26x11*12x42
18वीं
जैन सिद्धान्त
|
5
124x12*11x30
सं. 21 गा.
19वीं
1808 तिंवरी की कृति
जीवो के प्रकार | 11,4
23x 12 व 25x17 | सं. 563 भेद
19/20वीं
"
18,11
25 x 12 व 25x13 | सं. . ,1397 भङ्गों से
,
, आदि
26x12*14x45
प्रतिपूर्ण बालावबोध मात्र 20वीं
सामान्य
, 3 स्तवन
9 | 26.x12*13x30
सं. 29+33+26गाथा
,
द्रव्यानुयोग
9,11,8, 22 से 26 x 10 से 12 | सं. 49 से 59 गाथा तक 19वीं 6,8,5,9,
24x12*4x29 सं. 51 गा.
25 x 11*6x45
12,15,25.से 26x11 से 12
,50-51 गा...|
151
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________
50
.
. भाग-२,
___3A
4
5
257
जीवाजीव विचार
Jivāji vavicāra
शांतिसूरि
| मू (प)
प्रा.
चौ. 451 बा 105
259
सि. 145
मू+ट (प.ग)
प्रा.मा.
जीव विचार+नौ तत्त्व+Jivavicāra Navat- | शांतिसूरिx
दण्डक atva+Dandaka -- गजसार
+Navatattva
260
B-336
261
चौ. 46
जैन तत्त्वसार
Jaiba Tatvasāra
| सूरचंद्र do
जिनसागर मयाचंद
262
सि. 146
ज्ञान उन्नतीसी ज्ञान उन्नता
Jrāna Unntisi
263
B-1095
तत्त्वार्थ सूत्र
Tattvārtha Sutra | उमास्वाति
मू+संग्रहभाष्य
सं
264 | सि. 147
बा. 107
धर्ममन्दिर
तैतीस बोलका थोकड़ा | Taitts, Bola ka
Thokarā दयाधर्मादि स्वाध्याय Dayadbarmādi
Svadhyāya दसदृष्टान्त सज्झाय Dasa Drstanta
Sajjhāya दान विधि
Dana Vidhi
266
सि. 148.
सूरज उदय
B-893
B-303
अशोक मुनि
मू+ट (प.ग) |
प्रा.मा.
| दानशील तप भावनाकुलक Dana Sila Tapa
Bhāvanā Kulaka
269
B-606
270
बा. 109
देवेन्द्र लाभकुशल
मू+ट (प.ग) |
प्रा.मा.
271
बा. 108
, विनयकुशल
मू+बा (,,)
272-3
सि. 150-1
,, संवाद 2प्र.
,
, Samvada| समयसुन्दर
274
रा. 30/3
दिशाणुउवाइ बोल
| | Disapu-Uvai-Bola
महावीर गौतम
प्रश्नोत्तरी
| बा. 110
दीक्षाकुलक
Diksā Kulaka
मू (प)
सि. 152
देशना पद्धत्ति
- Des'ana Paddhatti
सि. 910
दोहासार
Dohāsāra
संकलन (अज्ञात?)
सि. 149
दसाणं बोल
Dasāṇam Bola
B-ज्यो. (111)
द्रव्य काश
Dravyaprakās'a
B-625
भाषा
Bhasa देवचंदd/oराजसार
प
28|
शि. 153
(कृष्ण) द्वारका की लावणी Dvaraka-KI-Lavanl जयमलजी
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________
न सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
1
___8A
|
10
बानुयोग
25x10*11x35
19वीं
25x11*12x30
,, तात्त्विक 20*
26x12*5x36
25x11*15x40
मा. श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर
श्रीमहावीर जैन आराधना केन्द्र , 51 गा.
20वीं कोवा ( गांधीनगर) पि ३८२000 , 51+50+12 गा. 1846 ध्रांगध्रा हेमविजय . ,,51-1-59 गा. 1839x सुमतिसागर 1, 21 अधिकार542श्लो. 18वीं, 1679 की कृति प्रशस्ति है
ग्रं. 826 | किञ्चित् साथमें अवचुरी (स्वोपज्ञ?) , 29पद सह 2 अन्य 20वीं, सेलावास, उजला
सज्झाय ,, 10 अ. ग्रं. 2250 । 815 जैसलमेर हर्ष धर्म
स्त्र सारांश ।
26X11*20x39
(क्तिपरक उपदेश
3*
20x11*14X27
न तत्त्व सारांश
25x11*17x50
रङ्ग संगणना
22x11*18x28
सं.
20वीं
झाय संकलन .
5
26x11*15x39
सं 5 ढाल
1884, सिणधरी, वरधा
मोपदेशिक कथा
25x12*14x40
20वीं
मन संबंधी नियम
24x10*14x47
26 गा.
17वीं
वर्म के चार अङ्ग
6
25x11*5x40
, 49 गा.
1770 जालौर
16x11*7x21
,
1845 पादरु रत्नविजय
27x14*14x45
,,81 गा. सह 53 कथा 19वीं
वृद्धिकुशल शिष्य
।
26 x 11*13 x 42 अपूर्ण भावना की 1 5गा.लक 18वी
23x10 व 25x12 | सं. 101 गा./ग्रं. 135
19वीं
सांगानेर 1662 की कृति
शाओं के प्रश्न
25x13*13x40
प्रतिपूर्ण
20वीं
साज्याविधान
25 x 11*13 x 38
| सं. 34 गा.
1802x विद्वत् जयसमुद्र
21 x 10*11 x 28
1927 पारलाउ सागरमल
तत्व विषयक कामिकादि विषय | 45
16 x 10*20 x 34
, 54 भावों के 1701 दोहे 1765 सिवाणा धन्नामुनि 1720में समुद्धृत
जीव विभक्तियाँ
| 19 x 9*15 x 32
20वीं. मोकलसर उजलाजी
बद्रव्य निरूपण
26x1*16x48
, 46 श्लोक
1731 नागौर माणिक विजय
सात्त्विक
26:14*16:40
,, 3 अधिकार 268 गा. 20वी
176 ... मुल्तान की कृति
व की असारता
2
25x11*13x17 | सं. गा.32
। 19वीं
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
माग
__ 2
3
3A
B-660
धर्म कल्पद्रुम सहकथा Dharma kalpadruma
| वीर देशनायां
मू+ट (प.ग)
धर्म का महात्म्य
Dharma-ka-Mahatmya
B-743
सि. 156 285 | सि. 154
?
सहव्यास्या.
संकलन
धर्म चतुधिशिका | Dharma Caturtriinshika आ. तेजसिंधd/o मू+ट (प.ग.)
गणिकेशव धर्म परीक्षा Dharma Pariksa | पयसागर/ मू (प)
विमलसागर धर्मसी कुंडलियाँ+बावनी Dharmasi Kundaliyam | धर्मसिंह ०/०
& Bāvani
विजयहर्ष धर्मसी ग्रंथावली Dharmasi Granthāvalf
287
B-771
288
चौ.48
289 | B-719 | धर्ममी बावनी
Bavani
290
बा. 111
49,गु.1 सि. 155
,
, 2प्रति
293
294
सि. 157 | धर्मोपदेश
Dharmopades'a
प.ग
295
बा. 112 | धर्मोपदेशमाला
Dhar mopades'a mala
| मुनिदेव सूरि/
मू+-वृ (प.ग)
296
B-347 ध्यान व अध्यात्म बत्तीसी Dhyāna Adhyatma Batulsi बनारसीदास
297 |
Nayacakra
298
, भाषा वचनिका
,
Bhasa vacanika | हेमराज
299
रा. 29/16
रा.
,, विचार
,
Vicära
300 | B-565
नवतत्त्व
Nava Tattva
-/उत्तमसागर
मू+ट (प.ग.)| प्रा.मा
301
B-370
B-868
303B-646
मू+ट (प ग)
304
बा. 114
मू+बा (प.ग)
,
305
श्री. 50
-- देवेन्द्रसूरि
मू-+ व (प.ग)
306 | B-466
-/अज्ञात
Page #72
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
"
दानशीलतप भावना 219
बोपदेशिक
धर्म महात्म्योपदेश
दानशीलत भावना 5
तात्विक
पदेशिक नैतिक
भक्ति
11
""
11
17
12
तात्त्विक
"
"
7
11
37
11
8
"
8
55
36
उपदेश व उसके विषय अपदेशिक कथासह 106 3*
ध्यानयोग + उपदेश
न्यायनय विचार
जैन न्याय
6
44
7*
5
7,8
8
5
6
17
10
10
12
9*
12
16
11
13
8A
26 × 11 * 8 x 45
26 × 11 * 17 x 48
23 x 11*14 × 32
26x12 * 5x36
26 × 12 *16 x 55
25 × 12*21 x 49
26×11*12 x 49
26x11*14x42
25 x 10*13x44
23 x 11 व 15 x 10
26 × 11 *13 x 32
27 x 13 * 11 × 37
30 x 13 * 13 x 55
26 x 12*16x44
26×11 *11 × 35
26 × 12 * 12 × 35
25 x 13 18 x 50
26 × 12 * 3_x_40
24 × 11 * 3 × 24
26×11*17 × 41
25 X 11 * 3×34
25 × 9 *17 x 58
26 × 11 * 12 × 55
26 × 12*15 x 47
पूर्ण 4 शाखा
20वीं
प्रतिपूर्ण
20वीं
टक लगभग 51 लीक हैं 19वीं
सं. 36 इलोक
सं. 1515 श्लोक
सं. 57+57 प्रत्येक
संपूर्ण संग्रह
23
लगभग पूर्ण
संपूर्ण
"
"
11
"
20वीं
अपूर्ण 48वीं गा तक है 15वीं
संपूर्ण 35+ 33 पद
संपूर्ण
"
73
""
57 पद
17
"
55. गा.
45
44
""
9
11
55 "
27
"
सह प्रशस्ति
47 गा.
10
11
1793 संरणा भाणसागर
19वीं जेसलाद्री
19वीं
प्रथम व अंतिम पन्ना नहीं है
18वीं X लुकागच्छीय
1762 की कृति / प्रथम आदर्श ? प्रशस्ति है / जीर्ण
1816 x रुपगच्छीय
1885 समदड़ी त्रिलोकचंद 1725 की रचना
19वीं
जीर्ण / 18सदी की रचनायें
1765 कर्णपुर इंद्रसागर
53, (पहिला प. कम) 1786 जैसलमेर खींवराज
18वीं
20वीं
11
53
1892 बालोतरा विवेकसागर
184
सामान्य
प्रा.सं. के उद्धरण सह
गुणानामपिचयोपेतं महामुरुन्
20aff
1726 की कृति
1906 नागौर मूलचंद प्रा. उद्धरण से भरपूर
1716 उग्रसेनपुर पद्मभृंग
1722 बगड़ी तिलकसागर
किञ्चित अपठनीय
1741 x रामचंद्रगणि साथ में जीवविचारभी
संशोधित / 1752 की कृति
Page #73
--------------------------------------------------------------------------
________________
3A
307
| B-650
नवतत्व
Na vatativa
अभवायसुंदर
खरतर
मू+बा (प.ग)| प्रा.मा.
308
B-701
4 प्रति
309-12 B-64,60,
310,772 313-15, B-349,
1630,817 316 | बा. 115
3 प्रति
मू+ट (प.ग.)
,
317
, 116
318-19 B148,1885, (जीव विचार)2प्रति
मू। व्या(प.ग.)| प्रा.मा.
320
सि. 158
मू+ट (प.ग.)
,
321
सं.बा.
मवतत्त्व चौपई
,, C upal
सिंहऋषि
.322
B-(गु) 14 नव तत्त्व बालावबोध
,, Balavabodha
323
बा. 117
धर्मचंद
सि. 159
325
सं.बा.
326
बा. 118
327 ! रा.19/11
328
बा. 119
सुमतिवर्द्धन
329
सि. 160
विस्तार
Vistāra
330
सि. 161
,
,
+संक्षोप
,,+Samkepa
331
मं.बा.
व्याख्यान
Vyākhyāna
332
चौ-51
नवनियाणा कुलक
Navaniālā-Kulaka
मू (प)
333
चौ-52
नवपद विवेचन
Nava pada Vivecana
प्रा.मा
रा. 19/12| निर्ग्रन्थ प्रवचन Nirgrantha Pravacana | चौथमलd/o मू+ट (प.ग)
हीरालाल 335-8 | सि. 165-8/ पच्चीसबात का थोकड़ा | Paccisa Bola ka Thokara ----
4प्र. 339-40 वा. 121-2 , , प्र.
| बा. (ग)
341 । रा.
Page #74
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
78
8A
10
वात्त्विक
68
| 40 |26 x 11*15x55 |, 48 गा. सह व्याख्या |19वीं मेड़ता सुगुणकीर्ति मूल 28वा.कीरचना
+कथा+प्रशस्ति
___ अभयदेव सूरि की बताई है 28x14*16x54 सं. 53 गा. सहकथा+ | 1898 बोरसद विवेक सागर
व्याख्या 28,20, 24 से 26x11 से 13 | सं. 42/52 गा. तक
19वीं 12,15, 7,16,13/ 22 से 24 x 11 144/54" " "
| 27 x 13*4x31 सं. 56 गा. 1885, जैसलमेर, भारमल 25 x 11*12 x 32 ,, 51
19वीं 25 x 11
प्रतिपूर्ण 31/28 गा.तक 19/20वीं
10
| 25x11*4x32
| अपूर्ण बंधतत्व तक
18 वीं
25x12*12x26
सं. 127 गा.
20 वीं
1762 की कृति
16वीं
20 x 15*13 x 20 25 x 12*14x38
पू.ग्रं 3453/पहिला पन्ना 1946 वालाकुंडीपुर देवकुशल 177...की कम
कृति /प्रशस्ति है पूर्ण/पहिला पन्ना कम 1435 अज.मेर सुखलाल
24x 13*11x32
26 x 11*11 x 43
20वीं
27x 12*13x39
28x 13* तालिकायें ।
1952 x कंवरजी 1965, सरदारशहर गुणेश 20वीं
26x12*
"
"
तवतत्त्वों के उपभेद
7
25x11*16x35
19 वीं
24x11-15x .
20वी.
की संक्षिप्त व | विस्तृत भेद सूची तात्त्विक
26x12*12x34
1847x बालचंद
औपदेशिक
26 x 11*13x37
,, 16 गा.
18वीं
26 x 12*16 x 34
20वों
जीर्ण अपठनीय/सामान्य
परमेष्टी व आचार 61
भक्ति आगम सारांश | 17
25x12*10x55
,, 18 अध्याय
1993 जोधपुर रामकृष्णदास.
25 मे 26x12सं
प्रथम प्रति में स्तवनादिहै| 20वों
सामान्य प्रतियें
त्त्विक आदि भेदों 36,6, की संगणना 4,7
5, 3
26x11 व 12
46
1 25x12*11x48 |सं. साथ में नवतत्त्व भी है।
Page #75
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________________
2
3
3A
4
.342
सि. 889 | पञ्चभावनासम्झाय
| Paricabhavana Sajjhāya | देवचंदजी
343 | सि. 169 | पञ्चमहाव्रत का ढालिया |Pancamabavrata ka Dhalial ऋ. रायचंद
344 |
164 | पढमा अपढमा बोक
Padhama Apadbama Bola| भगवती अनुसारे |
345-6 B-355,897 पद्मावती क्षमापनासज्याय Padmavati Ksamāpana | समयसुंदर
2प्रति
Sajjhāya बा. 123
सि. 170
परमात्मा ध्यान
Paramātmā Dhyāna
मू. (१)
परमानन्द स्तोत्र
Paiamānanda Stotra
पर्युषण प्रथम वाचना Paryuşaņa Praibama
Vācană सि. 171 | पांच समिति तीन गुप्ति | Panca Samiti lioa Gupti ऋ. रायचंद
| पिण्ड विशुद्धि सज्झाय | Pinda Vis'uddhi Sajjhāya| सहजविमल
354 | सि. 173 | पुण्य छत्तीतसी
Punya Chattisi
समयसुन्दर
355
बा. 100
356 | B-343A पुण्य प्रकाश स्तवन
| Punya prakasa Stavana | विनयविजय d/o
कीत्तिस्तंभ
357 | B-355
358
सि. 345
,,d/oविजयसूर ?
चौ. 54 B-589
| पुण्य फल कुलं
Punya phalakulam
मू+ट (प.ग.
B-612
पुद्गल परावर्तन
Pudgalaparā varttapa
मू+व (प.ग)
B-105
पुष्पमाला
Puspamala
म. हेमचन्द्र
मू + अ (प.ग)
363
सि. 174
सि. 175 |पंती
| पैंतीस बोल का थोकड़ा Pemtisabola ka Thokara
प्रतिक्रमण हेतु
Pratikramana Hetu
क्षमाकल्याण
366B-406 प्रभञ्जना सज्झाय
Prabhañjanā Sajjbāya
देवचंदजी
367 | B-9
प्रवचन सारोबार
| Pravacana Saroddhara ! नेमीचंद सूरि
। मू (प.)
Page #76
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________________
न सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
8A
10
11
33x22*52x28
सं. 6 ढालें
1926 अजीमगंज जीवेन
हतकल्पे पांच । अनुप्रेक्षा मध्वाचार
26x12*26x64
1943 बागावास सुल्तानमल
बोल संग्रह
25X11*14X46
20वीं
सामान्य
त समय प्रायश्चित 12*325x11 व 26x11, 35 गा.
19वीं 20वौं
26x13*8x23
1933 खींचंद इंद्रचंद
24x11*13x30
, साथ में ऋषभ स्तवन 20वीं
सामान्य
ध्यान विषयक
11x7*8x16
,143 श्लो.
| 1766 स्थटा धर्मचंद
आध्यात्मिक
26x12*8x30
,, 25,,
| 19वीx भानुसुंदर
25x1111x41 |
1706
1943 बामावास सुल्तानमल
भवकार का अर्थ 8 प्रष्ट प्रवचनमाता 87* साधु समाचारी पदेशिक पुण्य पर 7*
26 x 12*26 x 64 25 x 11*13 x 40
18वीं
d/o जुगराज
25x10*13x33
सं. 36 पद
1925
1667 सिद्धपुर में रची
17*
25x11*16x39
19वीं
26 x 12*11 x 32
सं. दस अधिकार
भक्ति औपदेशिक
तत्त्व
1792
25x11*13x36
1894 राधनपुर विवेकसागर राणेर 1729
की रचना अपरनाम शिवगति आराधना 1930
24x12*16x34
8ढाल
26x11*13x33
1969
रुपदेश
26x11*11x38
, 16 गा.
18वीं
व्य व काल संबंधी
27x11*5x44
, 11 श्लोक
20वीं
मोपदेशिक
26x11*9x27
,505 गा.
16वीं
अपरनाम उपदेशमाला
26x11*9x35
अ 160 गा. पंचपाठी
d/o अभयदेव सूरि
17x12*17x25 | सं. 1 से 35 तक
1893 जोधपुर ताराचंद
सामान्य
विभिन्न भेदों की | संगणना तात्त्विक लेख
26x12*13x48
20वीं बीकानेर
हाश्विक
| 10*
25x11*15x50
सं. 4 ढाल
189! जोधपुर विवेक
बास्त्रसार
53
| 27x11*13x45 |, 1606 गा.
| 161
Page #77
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________________
58
1
368
369-70
371
372
373
374
379
380
381
382
388
389
390
391
392
393
394
2
"
375 B-927
बालावबोध
376-7 B192,575 प्रश्नोत्तर सार्द्धशतक बीजक 2प्र. प्रस्ताविक बायनी
378
बा. 128
B-929 (1) प्रस्ताविक श्लोक
ची. 63
at. 57
395
396
397
बा. 126 प्रशमरति वृत्ति
प्रश्नोत्तर
103,
127
सं.बा.
रा. 19/8
at. 56
B-834
B-1026
ار
3
31
प्रश्नोत्तर रत्नमाला
"
"
"
"
او
बनारसी विलास
11
"
2 प्रति
(मुक्तावलि)
"
383-4 B-87,477
2 प्र.
385-7 सि. 1768 बाईस परिषह चौपई3. Balsa Parigaha Caupai
सि-गु.928 | बारह भावना
Baraha Bhāvanā
ar. 130
सि.862 बारह भावना विलास
B-671
बारह भावना देती
"
"
ft. 179 बारह व्रत सज्झाय
fer. 180
बामन बनाचीर्ण
B-312
बावनी
Pras'amarati Vettl हरिभद्र
Pras'nottara
34
"
12
"
12
31
"
11
Banarasi Vilasa
""
Pras’nottara Ratnamala विमला चार्य d/o मू+ वृ
देवेन्द्र
"
| Pras' nottara Sardhas' ataka क्षमाकल्याण Bijaka
Prastavika Bavani
Prastavika S'loka
Balavabodha
"
"
सि-गु 923
बा. 131
बा. 132 बारह व्रतचौदहनियमटीप Baraha Vrata 14 Niyama
Tipa Sajjhāya
"
, Muktavali
"
"
"
"
Vilasa
Vell
4
"
"
I
11
Bāvana Anicira Bavani
11
उ. रूपवल्लभ
लन
17
बनारसीदास
"
11
ॠ. रायचंद
जयसोम d/o प्रमोदगणि
""
राजकवि
जय सोम शिष्य
कृपाविजय
"
27
ग
केशव मुनि d/o
लावण्यरत्न
"
5
31
11
ग
31
मू (प)
प
11
मू+ट (प.ग.) सं.
मू ( प )
11
11
"
"
"
11
11
11
ग
प
भाग
ग
प
6
सं.
मा
11
हि.
सं.
मा.
11
अप.
सं.
हि.
11
11
मा.
33
11
"
11
"
"
"
म
11
11
31
Page #78
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तास्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
7 | 8A
9
10
तात्त्विक औपदेशिक 21
31x18*19-76
सं.ग्रं. 1800
1495
बृहद्गच्छोय
कठिन प्रश्नों का
निराकरण
| 12,16 | 27x12 व 27x13 | प्रथम पूर्ण द्वि. अपूर्ण
20/19वीं
कुल 56 प्रश्न
25x12*13x32
अ. 26वें प्रश्न तक
19वीं
25x11*17x37
सं. 162 प्रवन
20वीं
बीजक है 2 पत्रों में
औपदेशिक
27 - 11*17x42 |, ग्रं. 7700 कथासह | 1673 गुदवचनगर महिमासेन 1299 की
रचना/प्रशस्ति है वृति कल्पलतिकानाम्नी 25x11*4x32 अपूर्ण-27 प्रश्नोत्तर तक है| 18वीं
4
| 26x11*11x34
| सं.
| 18वीं सामेरनगरे लावण्यप्रिय
ग्रंथ की विषय सूची 10,2426x12*16x38 प्रथम अ.88 प्र.द्वि. संपूर्ण 19/20वीं
औपदेशिक पद
9
प्रथम आदर्श
| 25X10*15x41 | सं. 58 छंद साथ में | 1828 बालोतरा हर्षचंद्र
स्त वनादि भी 26x11*16X62 अ. 181 श्लोक
17वीं
26x11*14x43
| अ. 188 श्लोक
18वीं
लघु रचनाओं का
सं. 7 रचनायें
अंत में हर्षकीर्ति कृत हिंडोलगीतम्
संग्रह
26 x 11*15x47 24 x 10*14 x 51
52
प्रतिपूर्ण
83,12
27x11 व,25x11 | प्रथम अपूर्ण द्वि. प्रति. | 19/20वी
साधु समाचारी 8,87*3/ 20से26x10से 12
कायक्लेश धर्म ध्यान चितन | 4 | 24x14*18x30
सं. 22 ढाल अंतिम अ. |
20वों
1261 सं. 72 गा.
1827
25x11*14x39
सं. 72 गा.
20वीं जसोल ताराचंद
1747 की कृति
23x13*21x40 । सं. 52 सवैयादि 1826
(पन्ने 59-61) 25x11*11x38 सं. 126 गा. ग्रं. 175 | 18वीं
1603 जैसलमेर कृति
16 x 10*19x14 | सं. 129 पद(पृ.26से36) 1845
26x12*18x54
सं.
1884 सिणधरी जीतविजय
28x12*12x36
20वीं
श्रावकाचार - व्रतविधान
साधु अनाचार
26 x 12*12x36 25x12*16x32 24x11*16x40
द्वि. पन्ना गायब, 13ढाल. 19वीं
अंत में सम्यक्त्वगीत सं. 52, ग्रं. 32 20वीं बालोतरा कस्तूरोजी सं. 62 पद | 1865 x विवेकसागर 1736 की कृति
बोपदेशिक
Page #79
--------------------------------------------------------------------------
________________
------yubato
2
|
3
3A
4
5
B-994
बासठ बोल स्तवन
Basatha Bola Stavana
जिनेन्द्रसागर तपा.प
.,
सि.गु887 सि. 181 बासठ मार्गणा
400
Bāsatha Margapā
कर्म ग्रन्थानुसार
401
बा. 133
402-3 8363,381
2प्रति
404
रा. 30/6
405
| बा. 134 | बासठ मार्गणा यन्त्र
Yantra
406 | सि. 182 407 रा. 38/8
408-9 | सि. 183-4| बुद्धिरास
2:ति
Buddhi Rasa
शालिभद्र सूरि
410
| सि.गु 903
बुधरास
Budba Rāsa
411 | रा. 20/11 बृहद् आलोयणा
Bộbada Aloyaņā
ला. रणजीतसिंह | प. ग.
Bolànāma
सि-गु 902 | बोलनाम B-673 | बोल संग्रह
Bola Sagraha
B-30
415
B-896
416
बा. 135
2प्रति
417-8 | B-723,
___1082 419-22| सि.
4प्रति
423-4 | रा.20/4,67
2प्रति
425 | B-1116 | बोल स्फुट पन्ने
Bola Stray Folios
"
मा.प्रा.सं.1
426 427
सि.- सी. 58
प्रा.मा.
428-9 | सि. 162-3 ब्रह्मचर्य नवबाड
2प्र. | Bran hacarya Navavada | जिनहर्प
430-1 | B-414,1003
Page #80
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धांतिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
62 मार्गणाद्वार पर 8
विभिन्न द्वारों से जीव विभक्तियां
"
11
31
11
अंत समय उपदेश
धार्मिक भेदभांगे थोकड़े
तास्विक
7
"
"
सैद्धान्तिक, उत्तर गुणों के 1 स्थान से 14
"
11
11
औपदेशिक कर्तव्य 15*3
नैतिक शिक्षायें
"
"
11
10
8
11
6.6
9
2
8
3
2
5
17
26
16
17
2
81
22 x 10 * 18 x 54
| ( गुटका नं. 14 ) 16x14
स्थान तक
तारक भेदभांग 27,40 23 x 10 व 23 x 11
बोकड़े
13,2,2,3 21 से 26 x 14 से 12
192625 x 12 व 26 x 12
18
38
8A
46
शील विषय उपदेश 4,5
24 x 12*12 x 35
22x16*21 × 17
22 x 12*16 x 35
26 × 12*13 × 38
26x12 व 24 x 11
25 x 12 तालिकायें
तालिका
24 x 11* तालिका
25 x 11**
25 x 1* विभिन्न
11
21 × 15 * 13 × 27
25 x 12* 10 × 28
16 x 13 तालिकायें
26 × 11 * 28 x 16
22 × 11 * 16 × 32
25 x 11 * 15 x 50
सं. 84 छंद
सं. 183 मा.
सं.
सं.
सं.
अ.
सं. 62 द्वार
"
15
"
"
11
सं.
"3
11
11
प्र. ( पन्ने 138 से 159,
171-3)
प्रतिपूर्ण
"
9
"
31
"
18at.
19aff.
20at.
64/63
19वीं
66 पद (प.42 से 46 ) 1827
204f.
"
1885
विभिन्न
1807
17
1800 x न्याय विजयजी
1931 फलोदी म. विद्यालाल
19at.
"
1947
प्रथम अपूर्ण द्वितीय प्रति. 20वीं
त्रुटक
24 से 27x10 से 12
24 x 26 x 11 तालिकायें
18/19वीं
24 × 10 व 25 x 11
1 ढाल अंत में स्तवनादि 20 / 19वीं
सं. 7*,525 × 11*16 / 7 x 46 | 11ढाल ( 96गा ) + स्तवन 19वीं
1800
10
1661 जालौर चांपा
1780 सानंद प्रताप विजय
18 वीं साध्वी रूपा
18/20वीं
19वीं
1950 जालोर डालचंद
"
61
1783 उदयपुर कृति
11
अंत में धर्म सीकृत 125 सीख
अंत में पत्र लेखन प्रारूप
अंत में कर्म समाव
Page #81
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाम-२
3A
432
रा-32/29 | ब्रह्मचर्य नववाड
Bramhacarya Navava Ja |अगरचंदd/0रूपचंद प
433
पावचंद
B-गुटका 4 " " चौ. 59 | ब्रह्मचर्य नौ गुप्ति
434
Navagupti
435
B-778
भले का वर्ष
Bhale ka Artha
436
बा. 136
437-8 सि. 185-6
"
439-40/रा.19/3,16 भवन द्वार
2प्र.
Bhavana Dvara
441 | चौ.60
भव भावना
Bhava Bhāvana
म. हेमचन्द्र
442
B-493
443
चौ. 61
, अवचूरी
Avacurt
444
| सं. बा.
भव वैराग्यशतक
Bhava Vairāgya S'ataka
मू+ट (प.ग)
प्रा.मा.
445 |
बा. 137
446
B-633
,
प्रा. मा.
रा. 1/20
2प्र. | Bhava Chattrst
ज्ञानसार
448-9| B-347, | भाव छत्तीसी
1104 450 | B-736 | मण्डणवीर स्तवन
Mandana VTra Stavana | मेघ मुनिd/o
कृपाविजय Manabatttst
B-742
मान बत्तीसी
B-735
मू+ट(प.ग)
सं. मा.
मार्गानुसारी गुण सि. 187 | मुक्ति की डिगरी B-670 | मूर्खशतक
Mārgānusārī Guņa Mukti ki Digaci
Märkba S'ataka
मू.ट (प.ग) | सं.
बा. 138 | मत्यु महोत्सव सार्थ
Mrtyu Mahotsava
मू+अ (प.ग)
B-980
मोक्ष मार्ग प्रकाश
Moksa Mārga Prakās'a
B-491 | मोतीकपासिया संवाद | Moti-Kapasiya Samvada मुनि श्री सार d/0/
रत्नहर्ष सि. 188
459
B-247
!
Page #82
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ :
सीलविषयक उपदेश 8
".
"
S
"
ढोक स्वरूप
औपदेशिक
"
"
सदाचारी का स्वरुप 4
"
"
7
27
"
"
सम्यग्
ओपदेशिक
"
"
"
""
ज्ञानदर्शन
चरित्र
3
25×11*13 × 28
24 x 15 * 29 x 18
25 x 11*17 x 40
25x11*14 x 37
26 × 12 * 14 × 45
5,8
25 x 12 व 20 x 12
27,27 25 x 12 26 x 12
26 x 11 13 x 32
26 × 11 *17 × 59
26×11*17 x 64
26 × 11 * 5 × 34
26 × 12*17 x 45
4
3
8
20
11
5
13
8
गुरु तत्व विषयक 3
कषाय त्यागोपदेश 1
श्रावक के 35 गुण 4
मोक्ष मार्ग वर्णन
11
10
मूर्खो के 100 प्रकार 4
संथारा (अंताराधना) 8
3*1
2
15
4
3
8A
14
25x11 * 6x36
26 × 12 * 5 × 52
26 x 12 व 25 × 11
26 x 12*15 x 43
25 × 11 *14 x 42
26 x 12 * 2 x 24
24 x 13 *12 x 25
25x11*4 x 26
32 × 17 *15 x 50
26 × 12017 x 40
25 x 10 13 x 51
26x10 * 15 x 51
26 × 11 * 13 × 42
सं. 10 ढाल
सं. 40 गा.
"
11
"
11
33
अ. गा. 396 तक है
सं. 104 गा.
"
11
"
531 T.
21
9
31
"
"
""
श्लो.
गा.
95 गा.
अ. 14 गा. तक
सं. 10 पलोक
गा.
39 गा.
संपूर्ण
अ. मोक्ष तत्त्व तक
सं. 104 गा. अंत में
सड़क गाड़ी संवाद 108 IT.
27 श्लोक
107 TT.
1879 रामपुरा
1827
18वीं
1874
20वीं
19/20वीं
20वीं
16वीं
18वीं
1641
18वीं
1834 जोधपुर जयसिंह
20वीं
x व्यास कस्तूरचंद
19वीं बालोतरा विवेकसागर
1889 x विवेकसागर
20वीं
"
11
10
1928
1896 व्यालपुर ज्ञानचंद
1900
20वी
1715
1753 सिणली रूपचंद
19वीं
11
63
मोक
1685 फलोधी कृति
Page #83
--------------------------------------------------------------------------
________________
64 -
..
भाग-२
1
2
3 |
ЗА
460- सि. 189-90/ मोतीकपासिया संवाद | Moti-Kapasiya Samvada]
अज्ञात
2प्र.
462
463
सि.गु.906 | मोहमद राजा की कथा | Moha-marda Raja kr ,, (गुरुगोविद की ,
Katbā | आज्ञा से) बा. 1 39 | युगादि देशना Yugādi Des'anā सोम मण्डनगणि d/o,
मुनि सुंदर सि. 191 | योग शास्त्र
Yoga S'astra
हेमचन्द्रा चार्य
464
465
बा. 140
466
चौ. 64
Ratnasa muccaya
संकलन
मू+ट (प.ग)
प्रा.मा.
467 | B-327 रत्नसमुच्चय
सि. 192 सि.गु.-889 रांचाबत्तीसी बा. 100
Rāmcā Battisi
रांचा
471
472
बा. 142 | रात्रि भोजन पाप विचार Ratribhojana Papa
Vicāra B-635 लेट्याकषायादि निरूपण | Les'ya Kasayadi
Nirupaņa सि. 193 | वर्द्धमान देशना Vardhamāna Des'anā
संकलन
प्रा.मा.
473
राजकीत्ति do | रत्नलाभ खरतर
474
चौ. 65
475
वार्ता विचार
Vārtā vicāra
476
बा. 143 | वास (?) योग्य स्थाने | Vasa yogyasthane
B-1005 | विचार पंचाशिका
Vicāra Pañcās’ikā
। आनंदविमल शिष्य मू+ ट(प. ग) : प्रा.मा.
478 | B-1106
479
बा. 144 | विचार संग्रह
Vicāra Samgraba
सोमसुन्दरसूरि
3 प्र.
480-2 B-933, ,
944,1071 सि. 194 | विरह द्वार
Viraba dvāra
484
B-गु. 1 | विवेक मञ्जरी
Vivekamañja:T
| सि.न. 927| विवेक (विमेक)वार्ता री | Viveka Varta Nisant
निशाणी 486 - B--976 | विवेक विलास
Viveka Vilasa
जिनदत्तसूरि
मू+बा (प.ग)| सं.मा.
487
चौ. गटका 4वैराग्य बावनी ।
Vairagya Bavant
| वैरागी
मा.
Page #84
--------------------------------------------------------------------------
________________
न सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
10
__78 | 8A बोपदेशिक | 5*,5* 24x12*17x45
| सं. 5 ढालें
20वीं
"रूपक
| 13x15*11x33
, 112 गा.
1883 भिवाणी मानजी
औपदेशिक
28x11*19x62
5 उल्लास ग्रं.2396 1548 जैसलमेर ज्ञान मंदिर
जैन योग
26x11*19x56
प्र. चार प्रकाश463 श्लो. 16वीं
26x11*13x47
17वीं
अंत में मुक्तत्रयी
26x11*11x42
अ. प्रथम प्रकाश मात्र
18वीं
औपदेशिक विचार सार
26x12*6x38
सं. 548 गा.
1853 जसोल मयासागर+रयणसांगर
25x12*9x49
1943 जोधपुर
औपदेशिक
33x22*54x32
20वीं
| 25x11*16x39
19वीं
।
25x11*तालिकायें
20वीं
सामान्य
करणयोग भेद
द्वारों से बोपदेशिक
9
26x12*26x60
19वीं
अवकव्रत मयदृष्टांत 111
27x12*17x45 | सं. 10 उल्लास
1941 जयपुर विनयचंद्र
" " 75 26x11*15x33 त्रुटक
20वीं मिकतात्त्विकलेख | 12 27x14*19x 60 । प्र.
1897 ध्रापरा विवेकसागर भुजाक्षुधा ध्यानादि 7 25x10*13x45 | संपूर्ण
18वीं उपदेश व्यानु योग+ 26 x 11*7x 38
1780 जालौर धैर्यसागर उपदेश " " 6+17
| 28 x 13*61 x 40 |, (17 पन्नों में लेख है)| 1898 बोरसद विवेकसागर तात्विक लेख 10 | 25x11*19x60 प्र.
1772xत्रिभुवनसुख ,,,बोलादि । 42,32, 23 से 25x11 अपूर्ण
19/20वीं अंतर काल के बोल| 2 | 19x9*15x27 | सं. 26 छंद 2 स्तवन 20वीं
. 15
सामान्य
17x16*20x25 || | अ. 144 गा.
1550
बोपदेशिक प्रध्यात्मिक समन्वय 8
19x 16*27x21
सं.
1770 सिवाला धनराज
ग्रहस्थी के नियम
| अ. प्रथम 10 पन्ने गायब 19वीं | ससं. 59 दोहे | 17वीं.
औपदेशिक
। 3 । 15x12
Page #85
--------------------------------------------------------------------------
________________
66
1
488
489
सि. 1956 वैराग्य वामी
Vairagya Bavant
लालचंद
बा. 145
शति सुधारस भावना
|Santa sudhārasa bhāvana विनयविजय d/o कीर्तिविजय
रा. 30/7
शांति प्रकाश
S'anti Prakās'a
491-2 B-गु 4,739 शील (नेमि) रास 2. STla Rasa
493 बा. 146
494-5 f. 197-8
490
497
498
499
500
501
502
496 बा. 147
सि. 199
सि. 200 शील रूपकमाला
fer. 111
शील सज्झाय
बा. 148
शीलोपदेशमाला
503
504
505
506
511
2
512
513
514
B-79
515
fer. 201
507 B-102
B-608
508-9 T. 150,
152 510 बा. 151
सि. 203
बा. 149
B-169
33
at. 66
सि. 204
बा. 153
"
बा. 154
शील रास
"
3
11
fer. 202 श्रावक आराधना
"
"
=
मङ्गल
""
"
2 प्र.
2 प्र.
"
2 प्र.
श्रावक व्रत भंगप्रकरण
श्री
3A
"
Sitla Ropaka Mala
S'Tla Sajjhays
17
"
S'Tiupades'a Mala
"
"
मुल ध्यान विवेचन
S'ukladhyana Vivecana
श्राद्ध दिन कृत्य
S'raddha Dina Krtya
श्राद्ध विधि प्रकरणसहवृत्ति Sraddha Vidhi Prakaraga रत्नशेखर d/o भुवनसुंदर समयसुन्दर
S'rävaka Aradhana
23
ܙ ܐ
"
"
श्रावक एकादश प्रतिमा S' rāvaka Ekadas' a Pratima
श्रावक तीन मनोरथ
23
"
"
11
S'rävaka Vratabhanga
Prakarapa
S'rt Madgala,
"
विजयदेवसूरि do प
पासचंद
"
27
33
11
|S' rāvaka Tīna Manoratha | पाइर्वचंद
"
'
प
। ` ।
11
-/
मू. ( प )
14
"
11
धर्मसी०/वि
अज्ञात
पुण्यनन्दि खरतर
हकीति dio चंद्रकीत्ति
जयकीर्ति / मेरुसुंदर मू + बा (प.ग) प्रा. मा
"
77
11
"
"
"
ग
ग
11
11
मू+ व (पग)
मू+बो (प.ग )
"
"
5
प
ग
"
प
भाग-2
"
6
मा.
सं.
मा
13
"
"
"
"
27
"
मा.
प्रा.सं.
"
सं.
11
मा.
मू---अ (प.ग) प्रा.सं.
मा.
Page #86
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, वात्त्विक, दार्शनिक, बाचार व न्याय गंथ
8A
10
11
औपदेशिक
24x11425x12 | सं. 52 छंद सहस्तवन । 19/20वीं
16 भावनाओं पर
10
, 16 प्रकाश 240श्लो. 1947, सुथरी गोपालजी
प्रशस्ति है
27x13*16 x 43 25 x 12*14x40
औपदेशिक
,, 125 गा.
1959
ब्रह्मचर्य विषयक
उपदेश
| गुटका व 26 x 11
,, 70/76 गा.
19वीं
जालौर कृति.
26x11*20x58
,77 गा.
18वीं
8,*5
26x11423x11
| प्रथम सं. द्वि. अपूर्ण
| 18/19वीं
| 25x10*15x33
सं.
19वीं
बिकानेर कृति.
24- 11*13x37
, 16 गा.
1906 अजमेर फूलचंद
25x11*11x37
, 32 गा.
18वीं
25 x 11*13 x 40
22 गा.
औपदेशिक कथासह 20727x11*11x45
, 155गा. बा. ग्रं.7000/ 1529 दसपुरी
25x11*15x45
1682 वणथली
| 23x10*14x34
1819 समुद्रडी तिलकधर्म
ध्यान योग पर लेख
4
27x12*17x48
27X121
20वीं
सामान्य
श्रावकाचार
34
32x14*20x62 सं. 340गा. वृति ग्रं.2561 1648 जैसलमेर मतिसागर
27 x 11*17x53 | सं. 6 प्रकाश ग्रं. 6761| 18वीं (वृत्तिविधिकौमुदीनाम्नी) प्रशस्ति है
1506 कृति 23x10*14x34 सं ग्रं. 166
19वीं 1697 अभिधाननगर कृति
श्रावककृत्य प्रावधान
25x11*17x48
,
26x12 व 27x12 | , द्वि. प्रति सहविधि+ 20वीं
पद्मावती 23x10*12x42
20वीं
9
क्वचित् प्राकृत सह बा.
श्रावकगुण श्रेणी
10
25x11*15x39
|, सह सामान्य सज्झायें
19वीं
श्रावक के लक्ष्य
|
2
25x12*10x41
सं. 27 गा.
20वीं x हंसराज
| 24 x 12*15 x 41
19वीं.
2 3
व्रतविधानअतिचार
26x11*21-85
,41 गा.सहगा.अल्पबहुत्व 15वीं कमल मुनि
बोप.नमस्कारादिपर 17 । 25x12*9x29
1 110 पद
1937 x मालू जेठमल
Page #87
--------------------------------------------------------------------------
________________
68
1
516
517
518
at. 67
519 बा. 1.55
520-1 बा-596,
619
522
523
524
525
526
527
528
529
530
531
532
535
2
536
रा. 30 / 5 | श्री मङ्गल चौपई
7.68
पदर्शन समुच्चय
537
सं. बा.
B-1117
B-1
B-45
B-270
B-35
B-776
बा. 415
533. रा. 20/12
534 B-667
fer. 205
B-928
बा. 151
चो. 147
सि. 208
538 बा. 417
539-42 B-485,599
639,1089 543-4 f. 206-7
T. 158
"
11
(नियुक्ति) बोध
33
"
13
37
"
"
षड् द्रव्य स्वरूप
संग्रहणी (त्रैलोक्यदीपिका) Saagrahap
"
"
"
"
3
,, सह वार्तिक
او
11
=
"
4प्र.
Sirf Mangala ChoupaT
Saddarsana Samuccaya हरिभद्र / गुणरत्न
"
2 प्र.
"
2. Saddravya Svarupa
33
Niryukti Bodha राजशेखर
"
"
11
11
11
"
"
"
"
"
3A
"
"
"
"
"
हरिभद्र / गुणरत्न मू+ वृ (प.ग.) सं.
मू + अ (,, )
श्रीचन्द्र d/o म. हेमचंद्र
"
,,/ देवभद्र श्री चन्द्र
"
"
21
11
11
1
"
"
11
1
1
श्री चन्द्र / सार सिंध खरतर
1
,,/
"
प
../- 1
"
प
ग
मू ( प )
23
"1
21
"
5
,,/ शिवनिधान
,,/ जीव विजय मू+ट (,, )
(,,)
77
"
"
"
11
मू + वृ (प.ग.) प्रा.सं.
मू ( प )
मू+ट (प.ग.) प्रा.मा.
(प)
मू + ट (प.ग) प्रा.मा.
मू ( प )
मूट (पग) प्रा.मा.
मू+बा (पग)
भाग-२
(")
मा.
(,, )
17
"
मा.
प्रा.
R
3)
प्रा.
मू+ट (प.ग.),,
नू+बा (प.)
प्रा.
प्रा.
27
"
ا,
6
"
"
"
"
"
"
Page #88
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
औपदेशिक नमस्कारादि पर दर्शन समन्वय
11
"
पदार्थ विज्ञान
लोक स्वरूप
"
17
"1
11
"
11
"
17
11
31
7
11
"
8
7
88
8
6
34
30
26 × 12*15 x 42
3,20 27 x 11 व 26 × 12
25 × 12 * 5X34
51
16
39
8
31
10
18
58
26
94
61
73
69
8A
11
26 × 12*16 × 44
49
26 × 11 *17 x 50
26 x 115 x 30
26x11*16 x 53
26 × 11 * 18 × 59
26 x 11*11x35
- 26 x 11*6 x 40
27 x 12* 18 x 53
26×11 *6x33
26x11*14 x 47
26 × 11*7 × 49
24 x 11 * 17 x 50
24 x 11*17 x 50
25 x 16*16 x 45
26 × 11*16 x 55
26×12*5x35
25 × 12*11 × 36
25 x 11*17 x 53
27 x 12*6 x 32
सं. पांच ढालें
"
"
31
11
11
23
"
"
19/20
लगभग पूर्ण 261 गा. ग्रं. 16वीं
328
अपूर्ण
संपूर्ण 273 गा. की
311 गा
ار
"
6 अधिकार
86 इलोक
165
"
"1
373 गा.
9
368 T.
,,281 गा.
277 गा.
अ. 231 गा. तक
"
274 TT.
3931 यंत्र चित्र सह 1880 फलोदी
1919 जैसलमेर
अ. 44 गा. तक
19वीं
सं. 341गा. यंत्र चित्रसह 1923 भुज लीलाधर
सं. 269/402 गा.
19/20 ff
52,43, 25 से 26 ×12 18,65
1925 25 × 11 व 26 x 12 प्र. अपूर्ण83 से 239 गा.
हि.सं.
275 TT.
1993 नागौर जेठमल
18वीं रिण्यापुरि विजयसुंदर
1 8वीं कीर्तिसुन्दर
1820
22
त्रुटक
सं. 274 गा. ग्रं. 4052 1798 बीकानेर
10
1647 नागपुरे धर्म मंदिर
17वीं
1713 जोधपुर रामचंद्र
1746 विल्टाबास
1750 फलोधी राजसुंदर
1774
18वीं संभाव
18वीं
1749 जगतारणी रिणमल्ल
"
11
69
वृतितर्क रहस्य दीपकनाम्नी
1828 डांकाबाडा सुमतिसागर
अति सामान्य
जीर्ण
प्रशारित है
Page #89
--------------------------------------------------------------------------
________________
....
भाग-२
ЗА
___ 45
मू (प.)
545-51 B-328,479 संग्रहणी(त्रैलोक्यदीपिका) Sangrahani
584,674,849 _875,1037/
7प्र. 552 चौ. 146
553
बा. 416
554
| रा. 17/5
555
(लघु)संग्रहणी बालावबोध (Laghu),,
556
B-118
| सङ्घ पट्टक
Sangha pattaka
जिनवल्लभ
मू (प)
मू+अ (प.ग.)
557 बा. 313 558. | सि. 209 | सजोगणद्वार (?)
जिनवल्लम
साधुकीति
Sajoga advāra
559 | B-520
सज्जन चित्तवल्लभ
Sajjana cittavallabha
मल्लिषेण
मू+ट (प.ग)|
सं.मा.
2प्र. | Sajjhāya Sangraha
संकलन
560-1| सि. 210-1| सज्झाय संग्रह
बा. 159 सटुरिसय
Satharisaya
मं. नेमीचंद
चौ. 69
5643-गु 14
मू+वृ (प.म)
565
सि. 212 | सन्तोष छत्तीसी
Santoşa Chattīst
समयसुन्दरप
चौ.गु. 1
567 | बा.गु. 1
बा. 314 संदेह दोलावली
Sandha dolāvalt
जिनदत्त सूरि
मू (प)
569 | चौ. 110
।
"
570-1| सि. 215-6| समता सज्झाय
2प्र. | Semata Sajjhaya
| शंभुराम
572 | सि. 217
दयानन्द
573 | रा. 24/13/ समय सारनाटक
Samayasāra Nataka
बनारसीदास
B-358
B-339
B-856
577
सि.गु. 931
| मू+अ (प.ग.)
Page #90
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
78 | 8A
10 लोक स्वरूप 10,14,19 23 से 26X11 से 12 | संपूर्ण(अं में प्र. पन्ना कम 19/20वीं
25 x 12*13 x 42 | सं. 315 गा. 1811 आहोर 25x10*12x39 , 311 गा. 1867 सुहाई रुघनाथ 25 x 11*10x40 |, 263 गा. 20 वीं त्रुटक
बीच के 10 पन्ने (5से14) 18 वीं
27x12*9x35 | सं. 40 श्लोक
19 वीं
शिथिलाचार-प्रहार साधु मर्यादायें
25x12*12x40
"
1946 मुंबई विजयकृष्ण अवचूरिकार की
प्रशस्ति है 20वों
सिद्धों के पूर्व भवबोल 3
25x11*14x32
औपदेशिक
| 25x11*7x46
सं. 25 श्लोक
19वीं
25x12426 x 12
स./अ.
19/20वीं
19/20 की कृतियाँ
व्यंगात्मक शिथिला 2,5
चार पर औपदेशिक+वृतांत 8
29x 13*11x43
,, 161 गा.
16वीं
25x11*11x45
20 x 15*13x20
संपूर्ण
1603 आड़ाग्रामे .
क्षमा संतोष पर
| 25x10*13x33 | सं.36 पद
1925 पारलाउ भीमराज 1684 की कृति
उपदेश
15x10*10x16
,
19वीं
10x16
(पृ. 72 से 76)
विवाद निराकरण
27x11*13x56
, 150 गा.
17वीं
26x11*13x38
, 152 गा.
1723
समत्व योग पर
25 x 11424x11
,, 57/53 छंद
20वीं
25x11*15x54
, 31 गा.
19वीं
आत्म विज्ञान
25x11*13x36
25 x 10*17x69
|, 727 गा. ग्रं. 17071725 बाना वैराग्यसागर 1693 शाहजहाँ
राज्ये कृति ,, 724 , , ,, | 1762 वजीरागुढा |, 727 गा. 1793 कुड़ा धैर्यसागर .
25x11*16x37
22x10*11x28
"
,
"
18वीं
| 25x15*15x38 | अ. अंत के 6 पन्ने गायब 1769
Page #91
--------------------------------------------------------------------------
________________
72
583
578-9 सिगु. 921,929 समयसारनाटक 2 प्र.
580-28-17,615,
at. 70
बा. 161
fer. 218
584
585
586
587
594
595
588
589-93 B-350,422 467,617 636
सि. 219
596
597
600
601
606
2
B-391
B-458
602-3 B-728,987
604 चौ. 71
607
608
1049
609
बा. 162
B-गु. 1
बा. 163
610
605 B-601
611
बा. 164
सि.गु. 0
सम्यक्त्व कुलक
सम्यक्त्व छपनी
सम्यक्त्व बारव्रत चौप
598-9 सि. 213-4 सम्यक्त्व बोल 2 प्र.
सम्यक्त्व विचार सूचक सर्वज्ञ स्तोत्र सम्यक्त्व सिहसठ बोली सज्झाय 2 प्र.
B-570
B-907
"
समाचारी शतक
11
"
13
"
33
सम्बोध रसायण
सम्बोध सत्तरी
3
21
सम्यक्त्व स्तवन
सम्यक्त्व स्तोत्र
सम्यक्त्व स्वरूप
बा. 165 | सम्यक् पराक्रम फल
fer. 220 सलुणा चौपई
सि. गु934 | सवासी सीस
बा. 303
fr. 221
""
11
"
पद सं
3 प्र.
5 प्रति
आदिस्तवन
Samayasara Nataka
"
S'amacart Sataka
"
Sambodha Rasaya
Sambodha Sattarī
"
11
31
"
ار
Samyaktva Kulaka
"1
11
3A
"
13
Bola
"1
Vicara Sucaka Sarvajña
Stotra
Stavana
Stotra
Svarupa
67 Bcil Sajjhāya
11
बनारसीदास /
/ शुभचंद/o
etc.
बनारसीदास
समय सुन्दर
31
|
Chappan!
Baraba Vrata Caupal हिदेव (?)
जयशेखर
""
13
संकलन
I
4
---
उ. यशोविजय
"
देविन्द्रसूरि /
|Samyak Parākrama Phala उ. यशोविजय
Saluga Caupal
Savāsau Sikha
अज्ञात
उ. धमंसी
23
Savaiyūdi Pada Sangrahal संकलन
व अन्य
13
प
मू + अ (प.ग.) हि
मू (ग)
13
ار
79
"
प
23
21
ग
"
मू ( प )
प्रा
मू + ट ( प.ग) प्रा. मा
5
ग
"
प
31
22
11
भाग २
"
"
"
सं
५.
"1
"
13
मू+अ (प.ग.) प्रा.सं.
सूट (प.ग.) मा.
मू ( प )
11
प्रा.सं.मा
मा.
सू+बा (प.ग.) प्रा.मा.
11
प्रा.
6
मा
"
"
""
हि
Page #92
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय पंथ
7
8
8A
9
10
11
आत्म विज्ञान
104,54 22x16425x15
156,189, 23से 26 x 10से 11
144 28 | 26x12*17x42
सं. (अंत में गुणस्थान | 19वीं
विस्तार) सं. (तोसरी का पहिला | 19/20
व अंतिम पन्ना कम) अ.
19वीं
दयानंद खरतर/टब्बार्थ 1798 सोनगिरि कति
26x11*15x57 | सं. पांच प्रकाश 100 प्र. 17वीं
प्रशस्ति (थारुशा वर्णन)
साधु समाचारी | 130 निर्णय
129
26 x 12*15 x 43
-
,
सह टिप्पण 1903 देशणोंक
बोपदेशिक
0 | 26x12*17x54 | अ. प्रथम प्रकाश 37 | 1948 मंडनपुरिबंदर
प्रश्न तक। ___4 17x16*20 x 25 सं. 56 गा.(पन्ने [12 से) 1550 x विनयप्रभ
1425x11*16x30 ,, 74 गा. | 1781 23,17, 23से 26x10से12 ,, 74/217 गा. 19वीं . 9,27,7 27x 12*7x 32
1836 x नवनिधिकुशल
6
|
25x11*16x55
,221 गा.
19वीं
सम्यगाचार व्याख्यापरक
मागमादि से
उद्धरण दार्शनिक तात्त्विक
8 | 16 x 12*8x16
ब्रत सह दृष्टान्त
26x11*13x40
, ग्रं. 503
1631 x सुवधिसागर की निश्रा
1534 की कृति
25x12*15x48
20वीं
सामान्य
अद्धा 67 बोल
व्यवहार दार्शनिक तात्त्विक
| 26 x 11*12 x 23
25 गा. पंचपाठी | 17वीं - सिद्धकुशल
खंडन मंडन
10
26x12*5x44
| 26 x 12426x11
, 68 गा.
1891 जोधपुर विवेकसागर में सरस्वती 19/20वीं
18वीं
26 x 11*11x46 | 26 x 11*15 x 51
19वीं
27x13*18x37
1982x हीरविजय
निश्चय व्यवहार
दृष्टि से उत्तराध्ययन पाठ ६. सारांश बोपदेशिक
25x10*13x37
, 73 बोल
20वीं
27x10*11x27
1937x रामचंद्र
, 36 पद
19वीं
16x16*13x19
X19 9 | 25 x 11*16 x 35
" +भक्ति
20वीं
सामान्य
2
25x12*15x39
,
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________
74
612
613
614
616
617
618
623
624
615 B-647
B-618
B-590
सि. 222
with carcă
619 21 B 621,657 सिद्धांत सारोद्धार विचार Siddhanta Sarodhara 1013 622 f. 889
3 प्र.
सिद्धान्त हुण्डिका सिन्दूर प्रकर
बा. 169
625
631
632
633
B-159
626-30 B-176,320,
508,509,731
fer. 223
638
639
640
641
634-7 B304,364,
763,935
72
642
2
643
644
बा. 166
645
रा. 29/22 | साधु आचार सिद्धांत
B-613
B-448
बा. 170
मि. 224
सि. 225
fer. 226
far. 227
B-103
सं. बा.
B-978
चौ. 74
Sadhu Acara Siddhanta
साधु श्रावकस्थापना बोक, S' rāvaka Sthapana Bola
सामायिक स्तव
Samayika Stava
सिद्ध पञ्चाशिका
Siddha Parcas'ikā
सिद्धान्तसार
Siddhanta Sara
"
"1
"
"
27
"
17
"
"
सुगुण बत्तीसी
सुभाषितसंग्रह
"
3
सूक्तमाला
"
"
""
"
"
71
सहप
5 प्र.
4 प्र.
"
"
Hugdika
Sindura Prakara
11
"
"
"
"
"
3A
11
Suguna Battist
Subhasita Sangraha
Sūktamālā
11
Vicara
::
जिनलब्धि सूरि
देवेन्द्र सूरि
संकलन
कश्रीराम
सोमप्रभसूर
"
""
"
"1
""
"7
"}
4
"
/ हर्ष कत्ति d/o
/ पा. राजशील
पा. रघुपति
संकलन
केसरविमल / धर्म विजय
F
31
"
""
1
ग
प
मू + अ (प.ग )
मू+ट (१.ग )
37
प.ग.
ग
प.ग.
13
"
ग्नू (प)
प
"
5
"
27
11
""
मृ+बू (प.ग)
मू+बा (,, )
(1)
मू (प)
मू + वृ ( प.ग )
मू+ बा (प.ग) सं.म
मू+ट (प.ग )
भाग
नू+ट (11)
मा.
"1
प्रा.सं
प्रा.म
"
मा.
प्रा.म
सं
"
"
""
सं..
"
"
मा.
सं.
मा.
6
मा.र
मा.
"
"
Page #94
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
___75
7
8A
10
25 x 12*21x50
| सं. 112 बोल
20वीं
साधु समाचारी
थोकड़े औपदेशिक
25 11*11 x 39
त्रुटक
18वीं
सामान्य
सामायिक व्रत पर
26 x 11*13x40
सं. 35 गा.
1727 मेड़ता पं. भ्वर
सिद्ध स्वरूप
|
8
26 X11*5 x 33
19वीं गोविंद दुर्गपुरे धर्मविजय किञ्चित्जीर्ण
,, 50 गा. प्र. 282 गा.
औ. तात्त्विक
24. 11*5x32
1768 योधपुरे सविधिसागर
अ. 539 गा.
19वीं
46 आगम प्रवचन सार | 165
| 25 x 12*6 x 37 | 25 x 12* विभिन्न
प्र. आगम उद्धरण
20वीं
1906 की कृति भूधरजी समर्थक
संख्या स्थानक बोल 51,20,6 24से 25 x 11 से 12
प्र. बोजकनुमाथोकड़े37तक 19/20वीं
प्रवचन विषय सूचि 1632X22*54x33 प्र. ग्रं. 2001 1924 अजीमगज जीवा औपदेशिक सुभाषित 9:26 x 11*11x43 | सं. 98 श्लोक ग्रं. 220 | 1565 मेड़ता अपर नाम सूक्ति मुक्तावली
26x11*15x48 , 100 श्लोक | 19वीं do चन्द्रकीति तपा नागपुरी 62 28 ». 13*17x50 ,, व्याख्या कथा सह 1911 ब्यालपुर जशविजय
,98/101 श्लोक
18/20वीं
26,16, 25से 26 x 1|से12 22,24,21
25x11*5x30
,, 100 श्लोक
19वीं
26 x 11*14x53
अ. 7वाँ पन्ना फटा हुआ | 18वीं
7
25x11*11x28
अ. 67 श्लोक तक
20वीं
19/20वीं
3,12*, 25से 26x11 सं. 99/101 श्लोक
6,7 11 | 11x22*14x36 । सं.
19वों
गुणों की महिमा -
1
| 33x22*60*32
सं. 32 गा. (पन्ना 382) 1926
धार्मिक साहित्यक
26x11*18X50
प्र. 255 इलोक
17वीं
, ,,+औ. 3 26x10*12x30
19वीं महेवा रूपचन्द धर्मपुरुषार्थ पर ही 114
प्र.75 पद धर्म की कथा सह 1847 काणाणा वृत्ति1830 की कृति
हस्तिविजय वृत्तिकार की प्रशस्ति है अर्थ ,, तक 63 | 26 x 12*16x36
19वीं चारों पुरुषार्थ पर 48 | 26 x 12*15 x 37 | संपूर्ण
1867xमाणकचन्द 36 | 22x13*5x23 सं. चारों वर्ग 1946 बारडन धर्मचन्द
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग-२
3A
646
सूक्तमाला
Suktamāla
केसरविमल
मू+ट (प.ग)
6प्र.
647-28-72,228,
307,761, 764,1074 बा. 167
केसरविमल do मू (प.) कनकविमल (गुरु भाई कल्याण विमल)
चौ. 73
655
चौ. 189
Sukta Muktāvali
हेमराज
मू+बा (प.ग.)
सं.मा.
सूक्त मुक्तावली सूक्त रत्नावली
Sūkta Ratnāvalt
क्षमाकल्याण/स्वोपज्ञ मू+ (..) |
658
B-982
सूक्ताली
Sūktāli
मू (प)
659
B-425
सूक्तावली
Sūktāvali
संकलन
660-1B437,691 मंयम श्रेणि सज्झाय 2प्र. Samyama S'reni Sajjhaya| उ. यशोविजय
। मू+ट (प.ग) ।
662 - बा. 156
संवेग मार्ग
Samvega Mārga
Strt Chattīsi
जैतसागर
B-991 स्त्री छत्तीसी 664-5/रा-19/6,15| स्थानाङ्ग के बोल
2प्र. Sthānanga ke Bola
666 | सि. 889. | स्याद्वाद पूजा बत्तीसी
| Syadvada Puja BattIST
667 | सि. 228 | स्याद्वादमञ्जरी
| Syadvada Maijart
हेमचन्द्राचार्य
मू (प)
668
B-128
हितोपदेश धर्म चर्चा
| Hitopadesa Dharmacarca
669
B-760
"
सज्झाय
Sajjhāya
श्रीसारd/रत्नहर्ष|
670
बा. 171 | हेमदण्डक
Hemadai daka
हेमचंद्र ज्ञानसारd/o मू+व्या. (प.) प्रा. मा.
671
B-748
672
सि. 889
पद्य व्याख्या
Padya Vyakhya ज्ञानसार
B.749
Yantra
,. यन्त्र 674-5 बा. 172-3| स्फुट पन्ने जैन
2प्र.| Stray Folios
विभिन्न
प्रा.सं.मा
676
चौ. 200
"
"
Page #96
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
8A
9
10
.
चारों पुरुषार्थ पर 2427x12*6x44
|सं. चारों वर्ग 174 पद | 1872 काननपूर शिवलालचंद
"
"
,
19वीं
1756 की कृति
18,8, 22से27 x 11से17 12,8,8,
101 1224x12*13x29
, 176 पद
1907
12x26*15x30
पू. 112 गा.
19वीं
प्रथम पन्ना कम
औपदेशिक
27x12*14x37
सं. 55
26x12*17X31 |,, 69 श्लोक
1895xहेम 1884पाडलाऊ मोतीचंद लिपिक की
प्रशस्ति है 1889सुभटपुर अक्षयसुंदर प्रशस्ति है। श्लो.
पदच्छेद में 17वीं
26x12*11x35 | , 104 श्लोक
नैतिक साहित्यिक
4
| 25x11*20x52
अ. 156 श्लोक
औ.+
+,
40
1791x धैर्यसागर
25x11*15x34 | प्र. 1086 श्लोक | 26 x 12 व 26 x 13 | सं. 21 गा. ग्रं. 250
चान पन्नों में सभी
भाषा के
सैद्धान्तिक
19वीं
औपदेशिक
19-12*11x23 |
1919 लश्कर हरकचंद
सामान्य
ब्रह्मचर्य पर
15* 21x12*12x32
3,39 दोहे
1977-8
तात्त्विकादि
जैन न्याय भक्ति
25 x 12 व 25 x 11 , 10 स्थान तक 33x22*54x32 | , 33 गा. 25x11*10x38 |, 32 मूलकारिकायें
19/20वीं 1924 अजीमगंज जीवा 1799फलवर्धी कृति 20वीं +10पद प्रकृत में जप संबन्धी
औपदेशिक
26x11*12x45
1897 सुभटपुर
23x10*13x36
|, 71 छंद
20वीं कुशल
तात्त्विक थोकड़े बोल
| 26x12*11x40
5गा. का 106अनुच्छेद 20वीं
d/o रत्नराज खरतर
26x12*11x38
, 108 गा.
1880xतिलकसागर
व्याख्या 1627 जयपुर कृति
"
---- 3
| 33 x 22*60 x 36
| सं. ,, (पन्ने 203-5) | 1926 बीकानेर
26x12* तालिकायें |, 119 द्वारों से
19वीं
तात्त्विकादि
| 110,61 विभिन्न
त्रुटक बंधन शेष सामान्य 18/20वीं
|
65
"
Page #97
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
1
2
3
3A
सि. 229
अक्षयतृतीया व्याख्यान
| Aksaya Triya Vyakhana क्षमाकल्याण
बा. 187
3
बा. 174
अज्ञात
अट्ठाई पर्व व्याख्यान
| Atthar Parva Vyakbana
1
(उपरोक्त से भिन्न),
चौ. 75
सं.मा.
सि.गु. 948 अष्टादशाभिषेक स्नात्र | Asadas'abhiseka
विधि
Snātravidhi | चौ. 81
(षण) अष्टान्हिका Astanhikā Vyākhāna
व्याख्यान 10-11 B-908,
1100 12 सि. 232
2प्र.
क्षमाकल्याण
13-14 बा. 199-|
200
15
सि. 233
16
B-495A
बा. 201
अज्ञात
बा. 175 | अष्टोत.रो स्नानविधि | Astottari Snātravidhi
B-152
,, (बृहत्),
,, (Brhat)
,
सिन्धुसूरि शिष्य
सं.मा.
बा. 176 | अष्टोत्तरी मात्र विधि
उ. जयसोम
बा. 177
।
सि.गु. 920
,, (बृहत्),
, (Brhat) ,
।
मि. 234
व जलानयन विधि
+Jalanayana Vidhi
।
24
बा. 178 अष्टौतरी विधि
Astautait Vidhi
।
25-6 B 158,446 आचार विधि
2प्र. | Acāra Vidhi
प्रा.सं.मा.
27
बा. 179 | आलोचना दण्ड विधान | Alocana Dada Vidhāna
।
मा
28 । सि. 235 | आलोचना विधि
"
Vidhi
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ - पर्यव्रत कथा धार्मिक विधि विधान
पर्वकथा
"
11
11
"
"
"
"
7
11
"
प्रतिमा, पूजा स्नान | 24
पर्वकथा प्रथम 2 दिन
"
पूजाविधि
"
"
11
33
"
8
"
80*
34*
5
14
13
14+4
32
23x12 * 11 × 33
21 x 11*10 x 21
21 × 16*16 x 23
26 x 11*10 x 40
15,8 - 24 x 10 व 25 x 12
80*
26 × 11 *12 x 42
5
प्रतिष्टा अनुष्ठान 43
23
15,12
10
9
31
8
12
13
9
16
8A
16x13*16x 20
26 × 12*17 x 34
25 x 12* 11 × 34
धार्मिक विधियां 4937 26 × 11 व 25 x 11
अतिचार प्रायचित
25 x 11 *17 x 64
विधान
25 x 12*15 x 45
3
26 x 1112 x 42
5
24 x 12*10x25
25 x 12*17 x 42
26x12*13x41
26 x 13*12 x 37
25 x 12 व 26 × 12
25 x 12*16 x 41
26x11 * 13 x 48
26x13 * 13 x 34
28x15 * 10 x 30
27 x 12*12 x 37
26 × 11 * 15 x 48
26 × 13*13 × 45
सं. 3 पन
"1
"
"
"
अ. (आई. कु. तक )
अ. प्रथम 10 पन्नो कम
सं. 18 स्नानों की विधि
"
11
31
"
"
13
"
"
"
"1
ग्रं. 300
"
21
"
15 पत्र
,, नवग्रह पूजा सह
9
"
10 द्वारों से
प्रतिपूर्ण
ग्रं. 1254
1921 बीकासेर
1934 विनाटनगर मुनिन्द्र
1939 फलोदी मूलचंद
1944
1954 मुर्शिदाबाद पनमुख
20वीं
"
10
11
17बी
19/20वीं
1921 बीकानेर
19वीं
1886 जांगुल मत विशा
20वीं
1922 जयपुर
1944x मूलजी
1856 सूरत मतिकुशल
1706 खंभात खब्धनिधान
1941 जयपुर मयाचंद
1868
20वी
1944 जयपुर केशचंद्र
20वीं
11
79
4 पन्नों में पीठिका
प्रशस्ति है 186... की कृति
1780 गड़ा ताराचंद
2014 सिवाणा कपूरचंद
कुछ पक्ष चिटके हुवे
1814 को कृति
2 पन्ने द्रव्य सामग्री के
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
.1
2
3
3A
|
56
B-589
इरियावहिकुलं
Iiyāvabikulam
मू+ट (प.ग)
प्रा.मा.
सि. 236
उपधान-तप विधि
Upadhāoa-tapa Vidhi
| सि. 237 उपधान विधि
Upadhāna Vidhi
B-583
| उपस्थापन विधि | Upasthāpana Vidhi 34-5 सि. 238-9
" , 2प्र. 36 | सि: 241
शिव निधान गणि
d/o हर्षसार
B-654
एषणाशतक
Eşaņā s'ataka
पापर्वचन्द
बा. 181
जयसार
कात्तिक पूर्णिमा व्याख्यान Karttika Purnima
Vyākhyāna
सि. 242
बा. 182
अज्ञात
ग.मं.
सि. 243 | काल संबंधी विधि विधान Kala Sambandhr Vidhi
Vidhana B-911 गुरु स्तूप व प्रतिमा प्रतिष्ठा| Gurustipa & Pratima गुरुपरंपरागत
Pratişthā B-113 |चउमासी प्रथम व्याख्यान| Caumast Prathama
Vyākhyāna बा. 185 | चातुर्मासिक व्याख्यान I Caturmasika vyakhyana| रंगनिधान
मू+व्या. (प.ग.
44
बा. 10.
समयसुन्दर
45-7 बा.183-4,
| 188| 48-9 बा. 186-7]
क्षमाकल्याण
50 | सि. 244
51-2 चौ. 76-7
53-4B-55,457/
B-781
,, Vartta | सूरचन्द्र
B-782
,,
,
शिवनिधान /| । हर्षसार वाचक
बा. 190
, Bālāvabodba
सि. 247
59
सि. 248
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ व-पर्ववत-कथा धार्मिक विधि विधान
7
8
|
8A
9
10
11
इर्या समिति विधि
अंत में चक्रिऋद्धि 9 गा.
उपधान क्रिया
2* | 26X11*11 x 38 | सं. 12 गा. 18वीं
27x12*12x38 ,, सह मालारोपण विधि 20वीं 5 | 25 x 11*21 x 38 |, सह आलोचना
18वीं
योग उपधान क्रिया
अंत में साहित्यिक सवैये
25x11*13x40
1900 भिन्नमाल सुखविजय
उपधान धार्मिक
क्रिया बड़ी दीक्षा क्रिया
1995 आहोर मोहनलाल
27x14*16x50 | ,, नंदि सूत्रविधि सह 28 x 13*19x57
20वीं
28x12*13x33
1983 बड़ौदा लब्धिमुनि
साधु बाहार चर्या
26x11*11x40
| सं. 101 गा.
18वीं
पर्वकथा
| 25x11*19x45
" 106 ग्रं.
1939 फलोदी
1873 कृति
)* | 26x11*12x42
, 5 पन्ने
20वीं
5 | 24x11*11x29
1983 इन्दौर उदयसागर
साध्वाचार काल- | 10+3 27x12*13x33
ग्रहणादि प्रतिष्ठा किया विधि 2 | 25x12*12x33 |
1939 जयपुर पं. विनेचंद
7
27x13*16x48
,आठ दृष्टान्त सह
1825 बालोतरा सुखविजय
पर्व कर्त्तव्य+ ।
सामायिक पर्वकथा |
5 | 26 x 11*17x49
18वीं नवानगर भाग्यसमुद्र
9,7,1525 से 26 x 12
प्रथम दो संपूर्ण तीसरी | 20वीं
अपूर्ण सं. ग्रं. 402/501
20,3425x12424x12
80*
26x11*12x42
, 16 पन्ने
होली का विशेष
पूर्ण अतिचार सह
19वीं
21x11426x11 26 x 12व25x11
संपूर्ण
19/20वीं
26 x 12*17x44
1852 पचपद्रा हितसमुद्र
26x12*14x36
1873 जैसलमेर जयचंद
25x10*14x35
20वीं
" (अतिचार परक)
| 25x11*15x44
1764 जालोर जैतमाल
, (दृष्टांतमय) ।
7 | 25 x 12*16 x 39
| 1929x व्यासरामनाथ
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
82
1
60 सि. 249 चातुर्मासिक व्याख्यान
61-2B 518,945
T. 189
63
64
65
66
67
68
69
122
72
133
73
74
78
79
80'
2
122
75-7 B-237, 679-80
बा. 213
82
'सं. बा.
83
fa. 246
90
B-264
91
बा. 192
ar. 187
fer. 245
81 B-710
B-995
सि.गु. 889
84-6 B-167, 574,629
87 बा. 195
88-9 f. 255-6
B-678
चौ. 79
B-111
बा. 194
"
चतुर्मासिक आदि पर्व
"
11
11
11
"
3
"
"
"
11
"
"
"
27
चैत्री पूर्णिमा प्रथम पूजा Caitrf Pargims Pujavidhi
विधि
Vyakhyāna
33
37
701 बा-191,
230 बा. 193
मौसठ इन्द्र पूजा
Cousatha Indra Puja
चि. 250
जल यात्रा विधि
Jalayatra Vidhi
सि.गु. 949 जिन वैश्य व पूजा चौपई | Jinacaitya & Poja Coupai वीरविमल 0/0 जिन बिंब प्रवेश विधि
हीरविजे
Jinabimba Praves'a Vidhi
उप्र.
33
व्याख्यान
"
2 प्र.
व्याख्यान
"
जिन स्थापन पूजा विषिस्तव
तपोविधि संग्रह
व्याख्यान
11
33
2 प्र.
Caturmäsika Vyakhyāna
2 प्र.
23
बालाबो
"
"
"
11
77
31
"
adi Parval Vyakhyāna Vyakhyāna
.
3A
11
दीपालिका कल्प 3 प्र. Dipälikä Kalpa
22
11
33
"
11
"
"
"
11
11
|Jina Sthapana Puja Vidhi | नयसुन्दर
Stava
Tapo Vidhi Sangraha
जीवराज
"
11
जयहीरसूर
संकलन
"
भाग ३ - जैन भक्ति व त्रियाकाण्ड
4
17
11
जिन सुन्दरd/o सोमसुन्दर तपा
11
ग
23
11
"
"
"
मू+ट (गद्य)
मू.ग.
""
मु. प
ग
प
ग
11
प
ग
"1
"
ग.प.
"
5
"
Bālāvabodha | उपरोक्त आधार से ग
विनयचंद्र / रत्नसिंह मू (प)
मा
"
"
ار
"
सं.
सं.मा.
सं.
"
11
"
मां
"
21
"
"
"
मू + ट ( प. ग) सं. मा.
प्र.सं.मा.
मा
27
"
6
"
13
सं.
Page #102
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ अ-पर्वव्रत-कथा धार्मिक विधि विधान
7
8
8A
9
10
पर्वकथा(सहविस्तार) 20
28x13*11x43 | संपूर्ण
20वीं
| 25x11*15x18 | प्रथम संपूर्ण द्वितीय अ. | 19/20वीं
12 पर्व कथायें
25x12*14x45
1934 फलोधी जीवराज
पर्व कथा
24x11*14x39
20वीं
25x11*14x49
1747 विठोजा महिमा कल्याण
पर्व विधि विधान
25 x 12*14x34
1858 जैसलमेर कलगणि
पर्वव्रत कथा
26x 12*8x39
20वीं
34*
24 x 12*10x25 |, 450 ग्रं.
1934 विनांतरनगर
80* | 26x11*12x42
,5 पन्ने
1869x जैसमल
5,13* 25x11 425x12
प्रतिष्ठा क्रियाविधि
,, - 1939फलोधी+लोद्रवपुर प्रथम के अंत में
होली व्या. भी ,, 65 पद्यानुच्छेद 20वीं वाराणसी रामसागर
20वी 1 पन्ना ध्वजामूति नाप का ,, 27गा. (पन्ने 54-55पर) 2009
धार्मिक , ,
26x11*16x38 मूर्तिपूजा, मंदिरादि 2 16 x 19*19 x 22
नियम प्रतिष्ठा क्रियाकांड 33,2,226से27x11से13
प्रथम के ग्रं. 1178
20वीं
_42
| 25 x 12*9x37
.
पू. (अंतिम पाना कम)
19वीं
धार्मिक क्रिया
| 26x12*13x41
सं. 88 गा.
20वीं
1641 की कृति
16वीं
विभिन्न तपों के 3 | 26x11*17x61
नियम की गणना 2 | 26x11*15x55 ,, ,विधिये 30 20 x 23*g.x25_
17वीं
1977 उदयपुर
33x22*विभिन्न+यंत्रप्र. पन्ने 95से110,223-5/ 1922
पर्वकथा महावीर
|39,46.
22से26x11 चरित्र
41 26x11*5x40
सं.435श्लो.टब्बाग्र.1000 19वीं टब्बाकार 1483राजनगरेकृति.
दीपसागर1763 में ,437,
1847 बालोत्रा पद्मविजय
54,41| 24x10*5x29
432/427 श्लो.
।
19/20वीं
9 | 26x11*13x40
.1884 सिवाणा रत्नविजय
.. पर्वव्रत कथा
|
9 | 25 x 11*17x44 | , 305 श्लो.
| 18वीं .....
1345 की कृति
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
84
1
92
93
94
95
99985
96
97
888
98
99
दीपावलीकल्प
DIрavalt Kalpa
दिवालीकल्प
Divät Kalpa
दीपावली व्याख्यान
Dipavall Vyakhyāna
देवखी प्रतिक्रमण आदि विधि Devast Pratikramaga
ध्वजादंड रोपण विधि
Adi Vidhi Dhvaja Danda Ropaga
चो. 80
नवपद स्नानविधि
Vidhi Navapada Snätra Vidhi
सि. 260 नवपद क्षमासना सिद्ध Navapada Kamasana etc. चक्राधना विधि 101-28745,903 पक्खी प्रतिक्रमण विधि Pakkhr Pratikramana 2 प्र. सि.गु.- 911 पञ्चमी स्ववन Pañcam Stavana
103
104 बा 202
पञ्चाचक विवरण
Pancas'aka Vivaraga
105-7 B-577,
पडिलेहणकुलक 3 प्र. |Padilehana Kulaka
622,871
B-983
पर्युषण पर्व की स्तुतियाँ
पर्वव्रत व्याख्यान
पौषदसमी कथा
100
108
109
110
111
112
113
114
115
116
117
118
2
119
fær. 257
T. 196
सि. 258
B-32
fer. 259
B-261
T. 193
चौ. 82
B-127
दीपालिकाकल्प
B-266
"
T. 209
बा. 210 पौषदसमी कथानक
3
11
11
सि. 261
सि. 262
पौषध विधि
सि.नु. 861 प्रतिषमण विधि स्तवन
fer. 263
11
"
B-681
B-665 A प्रतिष्ठाकल्प
प्रतिमाह गुणागुण
3A
Dipālrka Kalpa
11
Paryusana Parva kr Stutiyam Parvavrata Vyakhyana
Pousa Dasami Katha
"
"
27
Vidhi
11
Kathanaka
"
"
Pousadha Vidhi
Pratikramana Vidhi
Stavana
Partima Rupa Gunaguga
Pratistha Kalpa
1
अज्ञात
4
T
भाग ३ - जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
नारायण गणि
T
11
नू ( प. )
ग
22
"
.11
"
"
"
"
प
ग
प
33
"
ग
गुण विजय
(मूल हरिभद्र) विजयविमल d/o मूट (पग.) प्रा.मा. आनन्दविमल संकलन
11
11
5
विमलकीर्ति d/o प विमलतिलक
ग
"
सं.
"
"
ग.प. मंत्र
सं.मा.
मा.
सं.
मा.
11
जिनेन्द्रसागर d/o मूट (पग.) सं.मा. यशवंतसागर
33
सं.मा.
मा.
"
सं.
मा.
"
"
सं.
"
6
"
मा.
11
"
11
प्रा.सं.मा.
Page #104
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ अ-पर्वव्रत-कथा धार्मिक विधि विधान
४
|
8A
।
।
पर्वव्रत कथा
80*
| सं. 131 श्लो.
20वीं
13
26 x 11*12 x 42 25 x 11*11 x 33 | 26 x 13*15 x 53
1939 जैसलमेर सुखमुनि.
पर्वमहात्म्य कथा
समुच्चय पर्वकथा
:
1996 बाहोर मोहन
25x11*13x28
, ग्रं. 832
1889 थोभ अमरचंद
हर्षसूरिराज्य
26x11*12x42
सं. 7 पन्नों में
20वीं
शामिक विधि विधान
2 | 26 x 12*15x48
19वीं
प्रतिष्ठा क्रिया
28x15*10x29
20वीं
मूर्तिपूजा क्रिया
26x12*15x37
20वीं
तपविधि
24x12*12x36
20वी
1,1 |-25 x 11 व 26 x 12
20वीं
पाक्षिक आवश्यक
क्रिया भक्तिव्रत कथा
। 5
20x10*12x28
सं.6 ढाल गा. 50
1909
पत्र 30 से 34
| प्र.
17वीं
मात्र पूजा विधिका 9 26x12*17x44 प्रतिलेखन क्रिया | 3,4,2 | 26से27x11से12 पर्वभक्ति 13 20x10*7x17
| सं. 28 गा.
19वीं
बीच की प्रति में 5 मा. मुहपत्ति पर
अपूर्ण 10x4 स्तुतियें | 20वीं अपूर्ण केवल 3 कथायें | 19वीं
पर्वव्रतकथा
25 x 11*12 x 39
27x12*6x40
|
सं. 75 श्लो.
1900 भीनमाल सुखविजय
26x12*6x29
1937 जैसलमेर सर्वसुख
., (सुरदत्त चरित्र)
25 x 12*6 x 32
"
, सरुपचंद
26x12*15x44
,
19वीं
26x11*12x42
, 4 पर
20वीं
श्रावक आवश्यक
25x11*13x33
19वों -
सह 2 पन्न असज्झायकाल
बावश्यक विधि
22x12*11-29
,, 21 गा. सह 7 वचन+ 1850 (पन्न 84से89) 1690 मुल्तानकृति वरदान जिनदत्तसूरि के
20वीं .
26x12*11x32
4.
मूत्ति के लक्षणादि
27x12*13x44
20वीं 1902 म्हेसाना सुरेन्द्रविजय
प्रतिष्ठा क्रिया विधान 32 | 28x13*16x38
सं.प्र. 1178
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
86
भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
3A
456
120-1
बा. 203-4 प्रतिष्ठा कल्प
2प्र. | Pratistha Kalpa
सकलचंद्र do
दानसूरि
ग.प. मंत्र
सं. मा.
122-3 सि. 264-5
, ३
,
124 | B-1090 | प्रतिष्ठाकल्पोविधि
Pratiştbā Kalpovidhi
,
Patha
.
125 सि. 266 || प्रतिष्ठा पाठ 126-7 | बा. 206-7 प्रतिष्ठा विधि 128 बा. 205
2प्र.
, Vidhi
-
129
| संकलन
सं.मा.
बा. 208 | प्रतिष्ठा संबंधी क्रियायें | Partistha Sambandhr
Kriyāyem प्रव्रज्याकुलक
Pravrajyā Kulaka
130
B-76
प्रा.
131
सि. 267
प्रव्रज्या+योग विधि
„+yogavidhi
।
132 | सि. 254
|
, +लोच विधि
„+Locavidhi
सं.प्रा.
। ।
प्र.
Vidhi
:133-9सि, 269-75| प्रव्रज्याविधि 140 | सि. 268
।
+141
बा. 197 |
।
।
रा-29/23 प्रश्न साधुकल्पः .. Pras'na Sadhu Kalpa सि. 276 | प्रायश्चित विधि विधान | Prayascita Vidhi Vidhanal
प्रा.सं.
| बा. 211 बारहवत नियम पाठ | Baraha Vrata Niyama
Patha बा. 212 | , लेख
Lekha सि. 977 | , व तपादि विधियें +Tapadi Vidhiyem| क्षमाकल्याण 147-8| बा. 214-5/ बीस स्थानक तपोविधि | Bisa Sthanaka Tapovidhi
2प्र 149 | B-734
150. | B-541 - मुखवस्त्रिका कुलं
। Mukha Vastrikā Kulam
मू+ट (प.ग.)
प्रा.मा
151
सि. 278 | मेरुत्रयोदशीकथा
Meru Trayodast Katha
क्षमाकल्याण
म
.
,
, 3प्र. |
152-4 बा. 224
25A 155 B-689
156 । बा.226
-
वार्ता
":-- Vartta
Page #106
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ अपव्रत कथा धार्मिक विधि विधान
7
11
प्रतिमा स्थापना 36,23 27 x 15426 × 13
ष्ठान
29, 15 25 x 11427 × 13
28x13*15 x 42
11
21
33
"
11
दीक्षाविधि उपदेश
दीक्षा + स्वाध्याय विधि लघुदीक्षा + लो
लघुदीक्षा शिया
साधु अतिचार
प्रायश्चित अतिचार आलोचना
"
प्रत्याख्यान सदृश
बारत की टीप
धार्मिक क्रियाय
"
"
11
प्रतिलेखना बोल
कथा
11
=
8
25
18
29,4
20
25
25 × 12 * 9 × 34
26x12 * 13 x 38
23 x 11*11 x 30
24×12*16 × 45
-25 x 12 * 13 x 35
6,333, 27 से 28 x 12 से 13
3,7,26
9
27x13*16 x 51
25 x 11 * 10 x 35
44 x 25 * 16 x 50
26x12 * 13 x 40
21 × 7*9 × 38
लंबारोल x 11
25 x 11*15 x 40
24 x 11 15x-38
25 x 11*12 × 31
25x115 x 33
6
11
5
8
4
9
7
1
32
13
13
8A
1
25 x 11*13 × 45
26 × 12*12 x 31
Q
80*
3, 8, 15 25से27 x 11 मे 12
26 x 11*12x42
5 28x12*15 × 47
26y 12*13 x 46
सं.
11
"
"
20वीं
अ. ( प्रथम 3 पन गायब 19वीं
प्र. भिन्न 2
सं. 34 गा. सह पग्गाम
सज्झाय
प्र.
सं.
"
21
1901 व बाद में
20 वीं दुर्ग
20वीं
20वीं
20वी
20वीं
,, सह मंत्रस्तोत्र
1939 जैसलमेर सर्वसुख
37 प्रश्नोत्तर
20 ff
,, साधु श्रावक दोनों के 20वीं बीकानेर टीकमचंद
18वीं
1886
1901 x दानविशाल
20 वीं
27
"
"
9
21
ग्रं. 1080
11
अंतिम प्रति में स्त्री
पुरुष की अलग 2
20 पदों की
अ. 18 तक है
1941 /40 जयपुर मयाचंद
19/20ft
1881 उदयपुर नेमविजय
19वीं
10
"
18वीं
सं. ग्रं. 165
20वीं
बीच की प्रति अ. शेष दो सं. 20वीं
सं.
1894 राधनपुर विवेकाञ्चि
1987
11
87
- सामान्य
छेद सूत्रानुसार
प्रायविचत की
मात्रा
Page #107
--------------------------------------------------------------------------
________________
88
1
157
158
159
160
161
162
163
164
165
166
174
177
180
2
181
बा. 217
बा. 220
167-8B819,844
169 बा. 221
170
B-438
171-2 f. 280,
284
182
B-172
173 B-82
सं. बा.
175-6 fr. 281-2)
fer. 283
178-9 B 136,915
ची. 83
बा. 216
बा. 218
बा.. 241
B-706
सि. 279
बा. 219
B-337
बा. 222
मौनएकादशी कथा
"
"
"1
11
"
ו!
"
-
ני
"
"
11
31
"
21
"
"1
"
"
3
21
योगविधि
33
"
"
"
"
"
बा. 223
1834 सि. 285 6 योगइहन विधि
185
fer. 287
186
बा. 227
11
11
11
"
23
11
"
"
"
2 प्र.
गुणना
2 प्र.
ק
2.प्र.
महात्म्य
व्याख्यान
2 प्र.
,, सहविधि
2 प्र.
3A
Mouna Ekadasi' Katha
11
"
11
"
"
"
11
"
"
33
"
21
"
"
"
"
"
"
11
11
"
"
" Gugans
"
Yoga Vidhi
"
"
"
"
11
"1
Mahatmya
Vyakhyāna
"
Yogadvahana Vidhi
17
अज्ञात
4
"
"
सौभाग्यनंदि
"
"
भाग ३–जैन मक्ति व क्रियाकाष्ट
सौभाग्यनंदिसूरि
धीरविजय
विसागरd/o
11
T
अज्ञात
"
राजसागर
भ. महावोरोक्त
सं. क्षमाकल्याण
अज्ञात
11
मू. प.
मू. प.
मू + ट ( प. ग.) प्रा. मा.
"
11
"
"
"
"
"
ग
11
31
11
ग. मन्त्र
" "
मू. प.
ग
17
5
"
"
""
11
यंत्र
प्रा.
"
सं.
"
"
"
"
6
"
11
"
11
11
11
31
11
11
प्रा.
मा.
"
11
=
सं.
मा.
"
Page #108
--------------------------------------------------------------------------
________________
..बिभाग ३ अ—पर्वव्रत-कथा धार्मिक विधि विधान
78
8A
10
पर्वव्रत कथा
26 x 11*15x39
| सं. 158 गा.
16वीं
17 | 26. 12*5x36
, 157 गा.
1876 काननपुरे रत्नविजय
, 156
1939 जैसलमेर सर्वसुख
25 x 11*6 x 36 26X11*16x60
1640x वा. चरित्रोदय 1576 हमीरपुरे
कृति 1821 x गुणकुमार रत्नकुमार
गणि
25 x 11*16 x 48
25 x 11*15x43
19वीं .
| 26 x 11*12x42
20वीं
25x12*5x32
,
1799
- 1774 की कृति
25X11*16x45
,
1794 x भाणसागर -1637 उन्नतनगरेकति
प्रशस्ति है तपगच्छ 20वीं राजनगर प्रेमचंद
26x11*5X39
"
"
"
, 195
"
19/20वीं
प्रणम्यं वृषभं देवं
26x11424x11 25 x 11*11x31 25 x 11*18x52
-20वीं
13*,80* 25x11426X11
19/20वीं
भ. नेमीनाथ संदर्भ
महात्म्य
1862 कोटला सुखानंद
, सुव्रतऋषिकी पर्व विधि भक्ति |
6 23 x 11*11 ~ 28 3 | 23 x 11*12x25
19वीं
2, 2
25x12424x11:
पर्व तिथि महिमा | 7+2 25x11*11x46
, 162 गा.
18वीं
साथ में 2 पन्ने गुणने के
पर्वव्रत कथा
6,5 | 26x14425XH
19/20वीं
21x12*11x29
19वीं .
26x11*15x37
20वीं x पं. जयहेम
9
22x13*15x36
, पांच जोड़
, 39/41 द्वारों से
(योगवहन, योगदोहन)
स्वाध्याय विधि - 34,60 27x14428XII विधान
5020x11*9x267
17 | 26x11*13x43
,
| 17वीं
Page #109
--------------------------------------------------------------------------
________________
90
भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
23
3A
45
187
B-1093 | योगविधि
Yoga Vidhi
पा. शिवनिधान
d/oहर्षसार
188 | B-910
189
B-694
190
B-858
191
बा. 293
रात्रि संस्थारक सज्झाय | Ratri Samsthāraka धर्मदासगणि
Sajjbāya रोहिणी कथा Robiņt Katbā
अज्ञात लोच आदि विधियाँ Loca Ādi Vidhiyan
192
193 | सि. 288 | विधिप्रपा
V:dbi Prapā
जिनप्रभ
194 |
195
चौ. 84
,, (प्रतिष्ठा विधि
मात्र) बा. 229 | विशंति स्थान विधि
196
Vims'ati Stbāna Vidhi
197
वीसस्थानक क्षमासना
Visa Sthanaka Ksamāsana
198
सि. 291
वीसस्थानक ढाल
Visa Sthanaka Dhala | विजय सौभाग्यसूरि प
199
प. ग. मं.
सं.मा.
बा. 230 वेदिका मण्डप स्थापना | Vedika Mandapa
Sthāpanā बा. 228 | व्रत पौषधालोचनादि | Vrata Pausadhalocanadi
200
प. ग.
प्रा.सं.मा.
201
बा. 231 | शान्तिदण्डक
Santi Dandaka
प.ग. मंत्र
सि. 292
प्रा.मा.
मा.
202
शुद्ध विधि मार्ग Suddha Vidhi Marga | शिवनिधान 203
B-26 श्राद्ध प्रायश्चित विधि | sradha Prayascita Vidhi क्षमाकल्याण B-गु. 1 | श्रावक 12 व्रत सज्झाय s' avaka 12vrata Sajjhayal - - बा. 232 | श्रावक विधि प्रकाश
, Vidhi Prakasa क्षमाकल्याण सि. 293 207 | सि.गु. 865| सतरह प्रकारी पूजाविधान| Sataraha Prakari Pooja
Vidhāna 208 ,, 862 , , 209 | B-340 | सामाचारी
Sāmācārī
संकलित
प्रा.सं.मा.
210-1B 114,707 सौभाग्यपञ्चमी कथा
Soubhagya Pancami Katha कनककुशलd/o |
विजयसेनसूरि
2प्र.
212 | सि. 251 |
"
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ अ पर्वव्रत कथा धार्मिक विधि विधान
7
स्वाध्याय विधि विधान
"
"
त्रि सोने के पहिले
व्रतकथा
साधु आचार नियम
धार्मिक विधियों
ار
"
तपक्रियाकाण्ड
विधि व भक्ति
अनुष्ठान विधि
श्रावक आवश्यक विधि अतिचार अनाचार
दण्डविधान व्रत विधान
भावकावश्यक विधि
"
पूजाविधि
"
तप
प्रतिक्रमणादि विधियां ज्ञानपंचमी व्रत कथा
8
ܕ
16
24
11
2
3
3
75
82
14
मक्ति / प्रतिमा क्रियायें 40
2
19
11.
11
3
13
17*
2
17
7
13
4
33
5,5
80*
8A
26x11*20 × 52
25 x 11*17 x 44
29 x 11 * 16 x 54
18 x 10*10 x 32
25 x 11 * 14 x 46
24 x 12*15 x 49
25 × 11 * 15 x 60
27x12*14 × 49
26 × 11 *16 x 57
25 x 12*9 x 30
26×12*11× 29
24× 12*13 x 30
27 × 13 *9 x 30
25 x 11 13 x 35
25 × 12*11 × 32
25×11*14 x 43
26 × 12*16 x 43
17 x 16 * 20 x 25
25 x 12*13 x 39
26x12*19 x 60
12 × 22*21 x 18
23 x 13 * 17 × 32
26 × 11*13 x 46
16 x 1126 x 11
26×11*12 x 42
सं. बा. मासिकी
"
अ.
सं. 33 गा.
""
11
ור
"
ST.
11
प्र.
सं.
पू. (नौवा पक्षा कम)
सं. 20 पद
"
91
प्र.
9
पू. पहिला पाकम सं. पोषध सम्मेत
11
"
"
11
"
सं. 14 विभि
57 fafiqat .3574 16.
3. 12,,
सं. ग्र. 1254
17 पूजा तक
"
17वीं
है
1733
134/152 श्लोक
148 T.
18वीं
19वीं
1871 सिणधरी पद्मस
19वीं x इन्द्रभाण
39 गा. पन 43 से 45 1950 x विनयत्र न
10
ار
33
1980 जैतारण
198
1950 पालीताणा लखमीचंद
19वीं
20वीं
उपदेश माला से उद्भूत
1943 जयपुर केशरीचंद
1725
1874 जैसलमेर जयचंद्र
11
91
कोसलानयरे कति.
1353 की कृति
1845 संभात कृवि.
1895
20वीं
1769 पत्तनमध्ये
1826
1651 राजनगरे धर्मलक्ष्मी
18/19 ft
20वीं
साथ में अ. सज्झाय इसी पर
संशोधित
1655 कृति
Page #111
--------------------------------------------------------------------------
________________
92
213
बा. 236
214 बा. 235
215-6B 126,585
217 चौ. 78.
बा. 234
218
219
बा. 237
220-1 बा. 238-9
222-3 f. 252-3
224 B-753
225
226
227
228
230
2
231
229 B-559
232
B-669
बा. 241
fer. 296
सि. 295
233 B-511
239
234-5 B-265,
I
"
11
2 प्र.
सौभाग्य पञ्चमी विधि
बा. 240 ( चैत्री) स्नात्र विधि
सि.गु. 862 (पूजा)
B-990
(शांति)
"
सौभाग्य पञ्चमी कथा Soubhāgya Pancamī Katha कनककुदाल d/o मू. प.
विजयसेन सूरि
11
3
"
"
"
"
11
होलीरजपर्व कथा,
"
1027
236 सि. 294 होली आख्यान
"
2 प्र.
2प्र.
,,,, सह
"
"1
31
"
"
3A
"
Snatravidhi (Caitra )
(Puja)
(S'anti)
"
होलीका व्याख्यानम् 2x Holi ka Vyakhyanar Holt Akhyāna
2378 वा. 242-3 जैन विधि विधान स्फुटपत्रं Stray Folios of Jain
24.
Ritnals
ची. 201
Vidhi
"
अज्ञात
"
"
"
बालचन्द्र d/o
अज्ञात
4
"}
अज्ञात
मान इजैन मक्ति व क्रिया
22
राजसागर
मू. प.
ग
मू + ट ( प. ग) संमा.
"
"
Holf Raja Parva Kathā जिनसुंदरसूरिपादे प
ग.प.
"
ग
"
मू+ट (प.ग )
प
5
क्षमाकल्याण d/o ग अमृतधर्म
विनयचंद
प
प.ग.
"
सं
"
सं.
11
मा.
प्र. सं.मा
"
6
मा.
11
सं.
सं.मा.
से...
""
मा.
प्रा.सं.म
"
Page #112
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ 4-पर्वव्रत-कथा धार्मिक विधि विधान
78 |
8A
|
9
10
11
ज्ञानपंचमी व्रतकथा 21*
26- 12*11x39 | सं. 152 श्लोक
20वीं
1226x11*6x41
, 151"
19वीं
.
27x12425x12
25 x 11*5 x 32 25x12*12 x 36
1865 देवीकोट गुणेश 1941 वाराणसी केशरीचंद प्रशस्ति है ।
19...की कृति 1826 x शिवनारायण श्रीनमः वर्द्धमानाय
29x 14*14X50
25 x 12425 x 11
,, ग्रं. 354
1939 लोद्रवपुर रतनसुख
ज्ञानं सारंसर्व संसार मध्ये
| 25x11426x11
19/20वीं
, व्रतविधि
|
7 | 28x12*16x43
20वीं धोराजी रामविजय
मूर्ति पूजा प्रक्रिया
26x12*11x35
1937 जैसलमेर सर्वसुख
.
4
23x13*21x40
, पन्ने 62 से 65
1826 पू. (प्रथम पन्ना कम) । 20वीं पाटण गुलाबचंद
27x12*15x45
।
26x12*15x46
18वीं
पर्वव्रत कथा
24 x 11*15x46 | सं. 52 श्लो.
1871 व्यालपुरे विवेकसागर ।
25x11*16x48 |
1821 x गुणकुमार वर्द्धमान जिननत्वा
रत्नकुमार 1879 सिद्धगिरी विद्याविजय . .
| 28x13*8x35
|
25 x 11*15 x 45
1812 गुढ़ा पुण्यधर्म
25x11*10x46
1871
25x12426x11 |, ग्रंथान 60
1858 जैसलमेर 1835 की कृति. 20वीं x जोशी बद्रीनारायण
5*
22x12*18x48
,4 ढाले
मिश्रण
65,35/ विभिन्न
त्रुटक
18 से 20वीं
60
,
Page #113
--------------------------------------------------------------------------
________________
94
-
भाग ३–जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड :
|
2
3
3A 456
बा. 244
अजित शांति स्तव
AjitaS'anti Stava
नंदिषेण /
मू+अ(प.ग)
प्रा.सं.
B-1042
"/
बा 245
,, / जिनप्रभ मू+
()
सि. 297
B-811
मू (प.)
B-गु. 38 | अजित शांति विवाहलो
Vivahalo
| मेरुनंदन
सि. 889 | अडसठ तीर्थ स्तवन
Adasatha TTrtha Stavara सोमहर्ष
8 | चौ.गु. 5 | अतीतानागत वर्तमान
जिनस्तवन B-1
Attānāgata Vartamana | जिनचंद्रसूरि
Jipa Stavana
बा. 246 | अनादि घन स्तोत्र+ Anadighana Stotra & | लालविनोद
सं.मा. जयमाला
Jayamala B-719 अम्बिका स्तुति Ambika Stuti सि. 298 | अरहणादि स्तोत्र Arahaņādi Stotra सि.गु. 881 | अर्बुदगिरि स्तवन Arbuda Giri Stavana | जिनउदयसूरि सि. 299 | अष्टप्रकारी पूजा Aştaprakārt Paja देवचंदजी d/|
ज्ञानसागर 15 | सि. 300 , पूजायें (दो)
देवचंदजी, शुभवीर | सि. 301 " पूजा
शुभवीर B-542 अष्टापद तीर्थ स्तुति । Astāpada TTrtha Stuti जयसागर/समय मुंदर मू+व (प.ग) प्रा.सं.
सि. 302 | बात्मरक्षा व ग्रहशांति
स्तोत्र B-549 आलोयणा स्तवन
Atmaraksa & Graha
S'anti Stotra Aloyaņā Stavana
विजयसेन सूरि
"
दो प्रति
B-131 बा. 247 | उल्लासिक्कम् स्तोत्र
Ullásikkam Stotra
विनयविजयd/
कीत्तिविजय जिनवल्लभ । |मू+व (पग.)| प्रा.सं.
धर्मतिलक भद्रबाहु/I पार्श्वदेव मू+व (दो) |
II जिनप्रभ धनपाल/नेमीचंद्र | मू· वृ (प.ग)
सि. 303 | उवसग्गहरं स्तोत्र
Uvasaggabaram Stotra
B-462
ऋषभ पञ्चाशिका
R$abha Pancāsikā
बा. 248
26 (सि.गु 883 | ऋषभ सज्झाय
»
Sajjbāya
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ मा-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
8A
।
10
1
क्ति स्त्रोत
X12*4x39
सं.40 गा.
18वीं
अजितं द्वितीयं जिनं
9 | 26x 13*5x31
19वीं
1947 मुंबई
वृति बोधिदीपिकानाम्नी
17वीं
25 x 12*12 x 50 26 x 11*19 x 67 24x11*11 x 33 12 x 10*11 x 14
19वों
साथ में उल्लासिक स्तोत्र
अधूरा
अक्ति चरित्र
1659
अर्थ भक्ति व सूचना
।
33x22*54x32
,5 ढाल
1926 अजीमगंज जीवा 1724 की कृति.
भक्ति गीत
, 23 गा.
18वीं
1550xविनयप्रभ
16x11*विभिन्न 17x16*20 x 25 25 x 12*9x35 26 x 11*14x42 | 27 x 12*15 x 50
|, 24+5 गा.
20वीं
देवी भक्ति
,, 64 गा.
1793 सेरणा भाणसागर
भक्ति
,, 37श्लो.--मंगलाष्टक 20वीं
साथ में ऋषि मंडल भी
तीर्य महात्म्य
| 20x12*19x38
, 35 गा.
1789
भक्ति काव्य
24x12*14x36
27 x 13*15 x 36
,, 8 पूजाये+वस्त्र पूजा 1894 अहिपुर सुमेरचंद्र
1893 पटन खुशालविजय 1913 x पीरदान प्रशस्ति वीगतवार
24x12*13x29
25x11*19x 65 |, 4 पद
1763जालौर इन्द्रसागर अलंकारिक रचना
भक्ति मंत्रमय
21x12*13x 21
,7+12 इलो.
20वीं
प्रायश्चित+भक्ति
26x11*11x34
26 x 12425 x 11 27 x 11*20 x 62 21 x 11*13x18
,58 गा. 1691
1666 की कृति. ,, 7 ढाल (54 गा.) | [ 1844 उमरलाई रत्नविजय ॥ 1882 |,, 16 गा. वृति ग्रं. 320/ 16वीं (अपरनाम लघु प्रशस्ति वृतिकार की
- अजितशांति) 20वीं
द्वि. वृति का नाम
अर्थकल्पलता , 50 गा.
1694 जैसलमेर सूरविजय
5
| 26x 11*5x36
25x11*7x48
18वीं मेड़ता गुणविजय
क्तिमय जीवनी
...
5 | 13x9*13x20
, 65 ग्रंथान.
| 1776
Page #115
--------------------------------------------------------------------------
________________
96
1
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
43
44
45
46
47
37 बा. 251
38-9 fr. 305-6
48
40-2 B-737,
49
2
51
सि.गु 886 ऋषभ सूलही
सि.गु 889 ऋषभ स्तवन
B-855
52
चौ.गु. 1
वा. 31 "
B-411
बा. 249
चौ. 87
चौ. 88
B-124
756,920
B-531
B-156
fer. 308
B-1105
बा. 252
बा. 253
50 बा. 254 270
B-981
B-1043
B-788
53 B-514
54-5-29/9-10
"
11
"
"
"
"
ऋषि मण्डल स्तोत्र
11
".
"
"
11
11
27
3
"
"1
11
"
"1
कल्याणमंदिर स्तोत्र
"
"
11
۱
"
"
"
"
11
11
11
31
"
11
2 प्र.
3 प्र.
2 प्र.
Rsabha Sukhadr
Stavana
"
"
11
11
12
"1
"
"
31
"
Rimandala Stotra
11
"
11
"
"
13
"
3A
"
11
"
"
"
"
"
Kalyāna Mandira Stotra | कुमुदचंद्र / -
"
"
"
"
"
11
"
13
"
11
4
समयसुन्दर
कमलहर्ष
"
विजयतिलक
भाग ३ - जैन भक्ति व
-
,,/
"/
,,/
कुमुदचन्द्र
11
"/
प
"
11
"
11
मू+बा (प.ग.)
31
मू. प.
"
मू + अ (प.ग )
,,/ हर्ष कीत्तिd/o मू+ वृ (,, ) चंद्रकीति तपा
川
1. माणिकचंद्र
,,/ देवसुन्दर
मू + ट ( प.ग.)
मू. प.
"1
"
"
"
5
17
भू + अ (प.ग )
"
"
"
"
""
सूट (प.ग.)
"
सू+बा (प.ग.)
Page #116
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
8
8A
9
10
11
भक्तिमय काव्य
|
6
| 11x9*13x12
सं. 56 गा. पर 23 से 28| 19वीं सदमापुर भाग्यविजय
जीवविचार गर्भित
।
| 33 x 22*54 x 32
| ., ,, ,, पन्ना नं. 393 20वीं
आलोयणा ,
25x11*13x34 |, 31 पद
18वीं
तीर्थंकर भक्ति
15 x 10*10x16
,, 54 मा.
19वीं ,, ,,(पृ.109से15)
15 x 10*10x16
सूक्ष्म विचार गर्मित
26- 11*19x 63
, 20 गा.+कलश
1832x सुमतिसागर पहिल पणमिय...
देखें क्रमांक 388 भी 1794आषाढ़ा सुमतिसुख ,, (बा.1518कृति)
12
23x11*18x40
, 21 गा.
भक्ति स्तोत्र
26x11*15x47
, 82 श्लो.
18वीं
26x11*14x41
सं. 66 श्लो.
18वीं x शंकरदास
-128x12*5x34
, 81 श्लो.
1916 जसोल यशविजय
27x12*13x45
|, 63 लो.
19वीं जैसलमेर क्षमाकल्याण
क्षेपक रहित
21x11425x11 |, 63/81 श्लो.
19/20वीं
5,6,2 | 25 से 26x11से12 प्रथम दो सं.84/101 क्लो. 19/20वीं
अंतिम अ.. 26x11*11x30 | सं. 44 श्लो.
17वीं
26x11*16x57
1752 सुभटपुर राजसोम
25x11*17x52
1831 इंद्राणा आसकरण
महादेव सुंदर द्वारा संशोधित साथ में 1 प्रति
मूलकी d/o रतनचंद्र
25x11*17x48
ग्रं. 680 | 18वीं
25x11*8x40
| 24x13*17352
1821 घाणस। रत्नकुमार
स्तोत्रोत्पत्ति कथा सह
24x 11*6x 28
18वीं
| 21X11*6 x 35
1847 आसोत्रा जुगतेश
25 x 11*13 x 33
10वें श्लो. तक
, 40श्लो. सह अतिरिक्त 19वीं
अ. , 44 श्लो.
1720 सांगानेर रामचंद्र
7 | 26x11*5x36
13
25x11*3x38
1793 जावालपुरे भाणसागर
[ 8,10 | 26x11427x13 ।,
| 19/20वीं
Page #117
--------------------------------------------------------------------------
________________
98
1
सि. 309
चो. 89
58-60 B-63,129,
357
61-2B 818,876
बा. 255
før. 307
56
57
63
64
65
66
67
68
69
70
71
72
73
74
75
76
77
78
79
80
141660400
81
82
2
83
रा. 28/11
fer. 310
B-614
ची. 90
सि. 311
B-709
B-गु. 1
चौ. 91
बा. 257
बा. 258
सि. 315
बा. 259
कल्याणमंदिर स्तोत्र
11
B-519
11
"
बा. 256
fer. 312
fer. 313
सि.गु. 950 गोतम स्तोष
11
वृालगुरु पूजा
गौतम रास
3
"
रा. 24 / 12 चार मंगल
सि. 314
"1
=
कल्याणमन्दिर भाषा
11
11
"
चौवीसी
11
11
(लघु) गोतमरास
"
11
37
3 प्र.
"
2 प्र.
चारशरण वाचना
चैत्यवन्दन चौवीसी
"
11
11
Kalyāpa Mandira Stotra कुमुदचन्द्र
"
"
12
11
"
11
(Small)
Stotra
चतुर्विंशति जिन स्तवन Caturvims'anti Jina
स्तुति
स्तोत्र
11
ܙܙ
3A
-23
Kusalaguru Poja Gautama Rasa
11
Couvist
""
"
Bhara
31
"
"
4
33
Stotra
11
11
"
भाग ३ - जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
11
बनारसीदास
ज्ञानसार
विजयभद्र
"
77
Stavana Stuti रामविजय
ऋ. जयमल
11
मूट (प.ग)
"
"
नू. (प.)
"
"
11
प
""
"
"
11
"}
Cara Mangala
Cara S'araga Vacanā
Caityavandana Couvisī कवि ऋषभ
पद्मविजय
आनंदवन ज्ञान- मू+ ट ( प.ग )
विमल
मू. प.
"
"
ग
5
प
"
21
6
सं.मा.
"
"
सं.
"
11
"
हि.
13
"
मा.
अ. मा
11
11
मा.
सं.
प्रा.
सं.
11
मा
"}
11
"
"1
Page #118
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग 3 था-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
99
| 8
8A
10
भक्ति स्त्रोत
26x12*5x28
सं. 44वलो.
19वीं
1806 बालोत्रा मुकंददास
26 x 12*3 x 40 25से26 x 11से 12 25 x 11*11 x 33
,, 44 श्लो.
19वीं
18/19वीं
26x11*9x29
19वीं
24x13*11x26
,, नागौर जसराज
22x12*15x40
20वीं
25x11*14x38
1820गढवाड़ा ऋ.सांवल
मूलका पद्यानुवाद
27x13*11x29
, 44,
1910 समदड़ी दौलतविजय
| 11 x 26*16 x 44
18वीं
25x13*12x30
1930 समदड़ी अचलचंद
बष्ट प्रकारी सह
विधि | भक्ति चरित्र
26x11*16x47
1788 जोजावर भाणसागर
26x12*8x22
19वीं (संशोधित)
1472 की कृति
1848
1921 उदेचंद
सामान्य स्तवन
23 x 11*13 x 28 25 x 11*11 x 26 16 x 19*19x12 17x16*20 x 25
बक्तिमंत्र गभित
श्लो.+2 श्लो. | 2009 पाटण x पन्न 53-54 संपूर्ण 25 गा. पृ. 108-10 1550 x विनयप्रभ सह सीमन्धर स्तुति
तोय कर भक्ति
26x11*14x49
50 श्लोक
19वीं
26 x 11*17x43 |, 25 ,, 26 x 12*9x39 213 गाथा
20वीं
| भक्ति उपदेश
अक्तिस्तोत्रार्थ
3
| 25x11*17x36
, पाली उज्जवला
सामान्य
यंकर भक्ति
13x19*15x24
,, 26 चैत्यवंदन
1930 x मोहनविजय
28x13*14x35
"24
,
1954 अहमदाबाद
सामान्य
.
27
26x12*4x35
स्तवन
1788
-
अंतिम2 ज्ञान विमल के
22 1 26x11*5x46
"
"
"
| 20वीं x रयणसागर
Page #119
--------------------------------------------------------------------------
________________
100
--भाग ३-चैन भक्ति क्रियाका
2
3A
4:
5
6
B-741
/
चौवीसी व अन्य स्तवन
Couvisí
etc.
उदयरत्न व अन्य
| प
B-768
क्षमाकल्याण
B-1044
क्षेमऋषि do -
मानविजय चन्द्रभान
सि.317
, (सवैया)
B-997
जिनेन्द्रसागर
सि.गु. 925||
ज्ञानसागर
B-827
देवचंदजी
बा. 262
न्यायसागर
सि.गु. 925
वा. मानविजय
B-1068
B-1068
मेघविजय
बा. 261
मोहनविजय
B-133
उ. यशोविजय
बा. 260
जिनराजसूरि
98 | B-गु. 4
सि.ग.8891
जिनलाभसूरि विनय चंद्र कुमट
100
| B-गु' 47
17 प्रतिय
101-17 रा. 14/16,
27/69 से 84 | सि. 316 ||
सुन्दर दास/कवि
,
120
सि.गु. 920 B-गु. 40 सि.गु. 884 ,, (सवैया) बा. 263 | छिन्नू जिन स्तवन
121
हरिसोगर
122
Chinnu Jina Stavana
चन्द्रसूरि
123
B-430
जयतिहुअण स्तोत्र
Jaitihuana Stotra
अभयदेव/
मू+अ (प.ग.) प्रा.सं मू+ह (प.ग.),
| चौ. 92 |
॥
Page #120
--------------------------------------------------------------------------
________________
किमान ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
101
7
8A
9
10
तीर्थकर भक्ति
25x11*15x40
प्र.
20वीं
चौवीसी उदयरत्न की
25x11*19x54
सं. 24 स्तवन (स्तुति) | 1872
25x11*14X42
, 24 स्तवन
19वीं
r own w.
25x11*17x45
, 25 सवैया
20वीं
25x12*15x44
24 स्तवन
1875 सैणा ज्ञानसागर तपाd/oजसवंतसागर
19 x 11*14x35
1817
22x12*14x32 | अपूर्ण 15,
19वीं
25x10*9x34
। सं. 24
,
20वीं
o uno = c
19x 11*15 x 26
,, ,,
1816
| 25x12*19x45
1824x सुमति सागर
25x10*15x49
सं.24 स्तवन 5/5 गाथाके 19वीं सादड़ी धीरविजय
| 10x14*12x23
|, 24 गीत
1883 विक्रमपुर मनरूपविजयd/oरूपविजय
| 26*12*15 x 40
स्तवन तक
20वीं
गुटकानं.4 13x11*13x15 | सं. 24 स्तवन
1835 पोहकरणे
1827
| 24x15*29 x 1.8 | 33 x 22*57x 32
1923
55 | 16x10*5x15
|
20वीं
24से26 x 11से12
25x10*13 x 46 16x13*16 x 20
12x10*12x17
L,24 स्तवन पर 16से24/1847अंतिम ढाल प्रशस्ति है राजनगर1821
कृति , ,+9 ढाल 1882 सिणधरी हुकमचंद बड़गच्छ d/o
सुमतिप्रभु अ.9 से 24वें तक 19वीं
11x7*10x17
23x11*11x35
सं. 23 गा.
पार्व भक्ति स्तोत्र
- 26x11*11x34
| सं. 30 गा. मं. 250
17वीं पंचपाठी
अंत में 2 गा. और
23* | 25x11*11x28
सं. 30 गाथा
| 1861 जसोल सदानंद
Page #121
--------------------------------------------------------------------------
________________
102
भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
।
3
3A
126
125 | B-19 जयतिहुअण स्तोत्र Jainihuana Stoira अभयदेव
सिगु 889 जिन अंतरकाल स्तवन | Jina An arakāla Stavana | धरमसो 127 | बा. 264| जिनगुणरस
Jina Guna Rasa वेणीराम 128 सिगु 8701 129-30| B-354,
2प्रति 403A 131 सि. 318 जिनवाणी स्तुति Jina Vāni Stuti
चन्द्रभान
132 | बा. 273 | (अर्हन् ) जिनसहस्रनाम | Jina Sahasra Nama
सिद्धसेन दिवाकर
"
2प्रति
पद्यसागर
133-4B-624
1031 135 चौ. 86
सि.गु. 879
136 137 138
बा. 265
जिनस्तव
Jina Stava
चन्द्ररत्न d/o मू+(प.ग.)
लक्ष्मीभद्र मुनि सुन्दर | मू+ (,) |
B-1011
जिनस्तवन
Jina Stavan
139
B-498
जिनस्तुति
Jina Stuti
B-728
जैन महिम्न स्तोत्र
Jain Mahimna Stotra
141 | सि. 319 | जैन संध्या
Jaina Sandhya
गौतम स्वामी? | प. मंत्र
चौ. 93 | तिजयण पहुत स्तोत्र | B-61 तीर्थकर भक्ति सि. 320 , स्तवन
Tijayanapahuta Stotra Tirthankara Bhakti
मू+ प.ग.) मू (प.ग.)
प्रा.
, Stavana
मू (प.मंत्र)
सं.मा.
145 सि.गु. 883 तीर्थमाना स्तवन
| Tirthamala
,
सहजसागर शिष्य प
146 | B-गृ. 1
सि. 321
दादागुरु स्तवन पन्ने
| Dadaguru Savana
संकलन
148
बा. 266
द्वादस व्रतपूजा
Dvādasa Vrata Puja
वीर विजय
B-785
नन्दीश्वरद्वीप स्तवन
मुनिमेरु d/o
प्रमोद हर्ष
मू+ट(प.ग) |
Nandis'vara Dvipa .
Stavana Namaskāra
प्रा.मा.
B-गु. 1
नमस्कारा
151 । बा. 263 | नमिउण (भयहर) स्तोत्र | Namiuna Stotra
।
मू+अ (प.ग.) प्रा.सं.
Page #122
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
103
8
8A
10
25x12*13x33
सं. 30 गा. ग्रं.75
20वीं
पार्श्वजिन भक्ति | 3 तीर्थकर कालान्तर 1 जिन भक्तिकाव्य | 11
|, 5 ढाल (29 गा.)
1926 अजीमगंज जीवा
33x 22*54x32 24x12*13 x 28
, 189 गा.
1852 पाटोदी मतिकुशल
22 x 31*25X18
,, ग्रं. 311
1859
1769 पीपाड़ कृति
24x12426 x 12
, 195/179 गा.
20/19वीं
माधौसिंह राठौड़ राज्ये
श्रुत भक्ति
25x11*7x26
1952 जालौर वरदीचंद
अर्हत् नामस्मरण
22x10*14x40
22x11व25x12
, दस प्रकास ।।। श्लो./20/19वीं नाडोल रत्नविजय I गणपतसागर II
1008 नाम अ. पहिला प्रकाश नहीं है| 19वीं
26x11*13x45
|-12x14*10x11
सं. 1008 नाम पन्ने 20/ 1876 अन्त में मंत्र स्तोत्र व स्तुतियें सं. में - से 40
1436
11 x 26*21 x 90
" पंचपाठी
25 x 11*15x60
, 6 श्लोक
1763
25x11*7x37
, 111 श्लोक
20वीं
शत्रुञ्जय महात्म्य से
युगादिदेव स्तुति
25x12*16x49
38 श्लोक
1901 सादपुर खुशालसागर अंत में सरस्वती
स्तुति 18 श्लोक 1935 अजीमगंज सुमतिसुख .
मंत्रात्मक प्रार्थना
21x11*10x22 |
*
भक्ति स्तोत्र
11 x 26*15 x 64
14 गा.
17वीं
पूजादि विधिमंत्र
26x11*17x48
93 गा.
18वीं
22x11*10x23
20वीं
भक्ति तंत्र जपादि तीर्थ सूची भक्ति ।
13x9*20x24
, 140 गा.
1776
17x16*20 x 25
, 49 गा. पन्ने 100-7| 1550 विनयप्रभ
साधु भक्ति
विभिन्न
19वीं
आत भक्ति
25x11*13x43 | सं.
1939
1887 को कृति
| भक्ति तीर्थ वर्णन
25x5*5x42
.
1709 स्तंभन समयहर्ष
इमेष्ठी भक्ति
|
2
17x16*20x25
,
1550x विनयप्रभ
क्ति मंत्र
।
5
।
27x12*4x32 ।
| 18वीं x धनराम
यंत्र चित्रित
Page #123
--------------------------------------------------------------------------
________________
104
माग ३–जैन भक्ति व क्रियाका
1
2
3
3A
4
5
152
B-468
नवकार
Navakāra
मू+ट (ग)
153
बा. 267
सार्थ (ग)
मा
154
बा.265
/जिनवल्लभ
मू+व्या. (प.) प्रा.(वा
।
,
"बालावबोध
,, Balavabodha
।
155 सि.गु. 862 156 रा. 29/12 157 | सि. 323 158 बा. 113
।
।
प्रति |
।
159-61 B-390,755 , ,
| 786/ 162 सि. 322 | नवकार कुलक
Navakāra Kulaka
।
Coudḥālia
163 | सि.गु.-889 164 सि. 324
सि. 197B
, चौढालिया , महिमा , रास
धर्ममिंदर do
दया कुशल नेमीचंद
Mahima
Rāsa
166
B-272 | नवपद गुणना
Navapada Gunanā
167 | B-191
, +स्तुति आदि
168-70 सि. 325-7 नवपद (कलश) पूजा
। ,, (Kalasa) Puja | ज्ञानविमल+देव- प
चंदजी+यशोविजय +Astaprakar Puja देवचंदजी
3प्र.
171
B-353 | नवपद+अष्ट प्रकारी पूजा सि. 328 नवपद यन्त्र
172
Navapada Yantra
173 । बा. 270
नवपद स्तुति
Stuti
| पद्मसूरि
174.
बा. 271 | नेमीनाथ (द्वयक्षर) स्तवन Neminātha Stavana
मू+अ (प.ग.)
175 सि.गु. 8890 , (दसत्रिक) ,, ,
लालचंद 176 | सि.गु. 943| , स्तवन
अज्ञात | सि. 329 | नेमी राजुल बारह मासा | Nami Rajula Barahamasa लालविनोद 178 | B-गु. 18
,, (लालचंद)
179 | सि.गु.911
अज्ञात
180
बा. 272 ! पञ्च कल्याणक पूजा
| Parica Kalyanaka Puja
पा. वालचंद
Page #124
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ मा-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
105
-
____8A
9
10
पंचपरमेष्ठी भक्ति
1
| 26x 12*4x28
20वीं
| 25x10*9x33
1599X जयाज मुनि.
12x16*13x27
, 13 गा.
18वीं
23x13*22x32
,
,, (पन्ने 57-58) 1826
45x13*23x50
20वीं
24x11*8x31
पू (पहिला पन्ना कम)
सामान्य
26x11*13x46 | सं.
52 व्रजसर अमीचंद
| 23से28x10से 13
18/19वीं
24x10*11x41
सं. 25 गा.
18वीं
133x22*54x32 |, चार ढालें
20वीं अजीमगंज जीवा
24x11*9x21
, सह गौतम स्तवन
| 1969 सिवाणा(1962 की कृति)d/o
पुनमचंद भीडर 1794x रेयाग्राम
26x11*16x50
, 21 गा.
भत्ति मंच
26x12*13x40
1905 जैसलमेर तिलकसंदर
|., 345 गुणना
प्रतिपूर्ण
सह. पंचकल्याणक टीप
सामान्य
""क्रिया
26 x 12*15x44
20वीं
भक्ति
5,240 24से 25x11से12
|सं 4 खंड 12 ढाल
19/20वीं
26 x 12*15 x 42
1920 जालणा रामचन्द्र
अ. (त्रुटकसो) | सं. गुणना
, मेद तालिका
24x12* यंत्र
20वीं
भक्ति गीत
24x12*11x29
, 9 स्तुतिये
वीर्यकर भक्ति
11 x 26*18x76
1,9पलोक पंचपाठी | 1505 x नंदिमङ्गल
33x22*54x32
, 45 गा.
1924 अजीमगंज जीवा
15x11*11x22
, 32 गा.
1890x जसरूप
पं.राग्य संवाद
13x13*23x30
,, 26 छंद
19वीं
21x14*17x21
20वीं
20x10*12x28
, 40 गा.
1909
तीर्थकर भक्ति ।
8 | 17x15*9x 14
. 2 कल्याणक हैं
। 20वीं
Page #125
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________________
106
1
181
182
183
184
185
186
187
188
189
190
191
192
193
194
195
197
198
199
200
201
202
203
196 B-372
204
2
205
B-407
चौ. 94
मि. 334
f#. 330
सि.गु. 889
B-690
सि. 331
B-375
बा. 273
सि.गु. 949
सि. 333
fer. 332
बा. 274
B-1113
B-372
चौ.
fer. 344
B-820
बा. 280
पञ्चकल्याणक तिथि स्तवन
पञ्च परमेष्ठी स्तुति अर्थ
बा. 279
सि. 335
सि. 355
"
"
"
"
33
44
11
"
"
"
"
स्तोत्र
प्रतिक्रमण स्तवन
Pratikramana Stav - विमलकीति d/o ana विमल तिलक पञ्चमी अष्टमी एकादशी Pancam Agam Ekadas'T समयसुंदर, कांति मुनि Stavana 1 2,3
स्त.
पञ्चमी पीठ
पद्मावती अष्टक
चउपई
"
"
11
11
"
15 तिथि सज्झाय
स्तुतिये
पाक्षिक नमस्कारा
पार्श्व स्तवन (दो)
3
सि. 336 पार्श्व स्तोत्र (अष्टोत्तरनाम)
सि.गु. 889
(कलिकुंड)
(जीरावल्ली)
छंद
स्तोत्र
"1
"
1
स्तवनसार
"
"
""
"1
"
(दो)
(दो)
(आठ)
Pañca Kalyānaka
Tithi Stavana
Panca Paramesghi Stuti
Stavana Sāra
Stotra
"
"
"
13
11
"
"
Padmavati Astaka
Caupai
Chanda
Stotra
"
3A
"
"
"
,,
11
Prtha
15 Tithi Sajjhāya
"
Stutiyeih
Paksik Namaskārā
Pars'va Stavana
11
"1
Stotra
"
"
11
"
"1
साथ जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
4
दानविजय
-
? /वापवं देवमणि
जिनप्रभसूरि
मुनिबंद
"
T
1
लब्धिविजय
नयविमल
पार्श्वचन्द्र
+ शिवसुंदर
तरुणप्रभावि
प
ग
प. मंत्र
पू. प.
प
"
7
"
15
"1
21
ग मंत्र
मू+बू (प.) [सं. (प.गु)
11
11
5
मू+बृ(प.ग )
"
भू. प.
मा.
11
"
सं.
प्रा.
मा.
प्रा.
प्रा+अप.
सं.
"
"1
27
"
मू. प.
प्रा.
मू + अ (प.ग.) सं.
सू. प.
मा...
"
"
"
"
6
"
"
11
प्रा.सं.
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________________
विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
107
8A
10
2
26 x 12*16x38
| सं. 6 ढालें
20वीं
1762 सूरत कृति
तीर्थंकर भक्ति+
जानकारी मक्ति
| 26 x 13*15x30
19वीं
, ज्योतिष परक
4
26 x 12*11x24
1956
26X12*10x26 || सं. 35 गा.
1956 अजीमंगज लालचंद
, , जीवा
, आवश्यक
33x22*54x32
,, 5 ढाल 21 पद
मक्ति
3 | 26x12*14x35
13स्तवन+2 स्तृ.
1916
7+3 | 24x11*7x22
देवीभक्ति
24x11*14x44
, अतिरिक्त नकल 1982 स्वर्णाक्षरी एक ओर
3 पन्नों में ,, 9 श्लो. वृति ग्रं. 500/ 1886 व्यालपुर विवेकसागर 12 ..(तेरहवी
सदी) कृति 18वीं
22X10*14x40
16x19*1921
,, 26 श्लो. पन्ने 59-61
2009 पाटण
प्रचलित से भिन्न
25x12*13x44
1988 सूरत वल्लभ जोशी
| 25 x 12*15x45
0X45
, 33 श्लो.
1831 मांगरोल नैणसी सहपूजा 11 श्लो
24x11*11x36
,, 21 श्लो.
19वीं
25x12*12x35
, 16 श्लो.
, उदयपुर रतनचंद .
बैंकर भक्ति
10.
1887
। तिथि अनुसार
26 x 11*17x48 | 26 x 11*17x48 24x12*14 x 28
, 35 गा.
1888 श्रीनगर गुमानविजय
बकर भक्ति
।
20x10*9x30
। अ. 36 गा. सं. 7 गा. | 20वीं
"
मंत्र
28x12*9x40 .36श्लो.+] ऋषभ स्त- 1898 बोरसद विवेकसमुद्र
वन प्राकृत में सोमसुंदर कृत 26x12*10x28 | सं. 33 श्लो.
20वीं सह 1 स्त. 32 गा.मा. में
लब्धि रुचिकृत है 20x14*24x17 , 38 श्लो. पन्ने 113-5,,
25x11*9x28
,, 9 श्लो.
1940 जैसलमेर केशरीचंद
26 x 12*15x47
,9+7 श्लो .
19वीं
21x11*13x27
,,9+6 श्लो.
20वीं.
0* | 21x11*13x18 |, 7,7,10,32,9 गा. ।
।
Page #127
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________________
108
भाग-जैन भक्ति व क्रियाका
1
2
3
3A
206
चौ. 97 पार्श्व स्तवन (अंतरीक्ष) Pars'va Stavana
al
प
विनयराज d/
ललित कीर्ति
207
208
,920
,,,, (गौड़ी)
जिन इन्द्र
209
B-840
210
सि. 341
नेमविजय
211
बा. 276
, , (गौड़ी वृद्ध) ,, ,, (गौड़ी)
अनोपचंद do
क्षमाप्रमोद प्रीति विमल
212
बा. 277
213
, , (..)
214
राजकवि
,, ,, (देसंतरी) ,, ,, (निशाणी)
215
चौ.96
| जिनहर्ष
216
सि.
स 340
" " (..)
217
,, ,, (पंचकल्याण)
218
सि.गु. 911
, (भटेवा+महि
मदाबाद) ,,, (भाव पूजा)
उत्तमविजय do |
खुशालविजय जिनहर्ष do |
. शांतिहर्ष ज्ञानविमल
219
सि. 342
220
सि.गु. 883,,
, (भीनमाल)
पद्मसूरि
(रणथंभौर)
कुशललाभ
B-899 (मगसी)
सि.गु. 889] , , 223-4 सि. 343, , ,, (स्तंभना) 2प्र. बा. 278
" , (..)
___ गु. 881
| चौ गु. 4 | 227
B-374
तेजपालd/o
कर्णशीश तपा ऋद्धिहर्ष
B-747
संकलन
228
" , +देवी स्तोत्र 229-30 सि. 338-9| पाश्वनाथ सिलोको 29. Pars'vanātha Siloko
जोरावरमल
231 | सि. 347 | बारह व्रत पूजा
Bāraha Vrata Pajā
वीरविजय
232 | सि. 349 | भक्तामर
Bhaktā mara
मानतुङ्ग /
| मू+अ (प.ग.)
सं.
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________________
विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
109
8A
|
10
11
तीर्थ, भक्ति
22x12*13x33 | सं. 32 पद
1873
33 x 22*54 x 32
,, 33 पद (4 ढाल)
| 1926 अजीमगंज जीवा 1712 की कृति
16x13*16x 20
, 106 पद
1847 ब्यालपुर खूबचन्द
स्त.॥
25x12*18x56 |, 111 पद+1 कुशल | 1799/1800 जोधपुर पाली 933 गा.
अभयसोम कृत 21 x 11*विभिन्न |,, 15 ढालें 1807
पाटण पाव का 13x13*11x11 |, 8 ढालें
19वीं
प्रतिष्ठा इतिहास 26x12*10x38 ,, 55 पद
20वीं
वाणी ब्रह्मा. 20 x 14*24x20
भयनिवारण छंद
25x11*16x53
, 47 पद
19वीं
24x10*12x27
" 28 पद
भाषा में पंजाबीपुट
1771 जंबूसर 20वी
24x10*13x36
, 29 पद
1878 उत्तमविजय
26x11*12x33
11*12x33 , 5 ढालें 20x10*12x28 |, दो स्तवन पन्ने 34
से 40 23 x 11*15 x 40
1909
20वीं
13x9*12x19
|
,, 53 पद
1776
25x11*10x25
1921 < दुर्गा
1 | 33x22*54x32
5 ढाल
20वीं अजीमगंज जीवा
21 x 11*18x36
, 18 गाथा ढाल
19वीं/1789
13 | 12x6*7-17
, 20
19वीं
प्रभु भक्ति
-15x12*विभिन्न ,, 36 गा.
17वीं 24x11*9x 26 |, 4 ढालें
20वीं- लाभहर्ष 21 x 12*15x36 , 4 स्तवन
,, सरस्वती व मणिभद्र के स्तोत्र 25x11421x10 | |, 56/58 पद 19/20वीं . 24x12*13x29
1913 x पीरदान . देखें क्र. 148 भी 4 | 30x11*9 x 41 ।, 44 पने. पंचपाठी । 16वीं
व्रत भक्ति
ऋषभ भक्ति
|
Page #129
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________________
110
भाग ३–जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
1 |
2
3
3A
233
B-959
भक्तामर
Bhaktāmara
मानतुङ्ग /
मू+अ (प.ग) | सं.
234
बा. 282
/कनककुशल | मू+वृ (प.ग.),
235
B-440
236
B-711
" , do
हीरविजय मानतुंग///गुणरत्न
237
B-31
238
बा. 285
239-40B122,754
2 प्रति
241 | B-181
,, वृतिमात्र
,,অসম गुणाकरd/oश्रीमान
व (ग) मुनि गुणचंद्र मानतुंग/- | मू+अ (प.ग.)
242
बा. 286
243 |
बा. 287
मू+काव्य(प.ग..,
244
बा. 288
काव्यादि मात्र
प.ग. मंत्र
245
बा. 283
मानतुङ्ग/मेरुसुंदर मू+बा (प.ग.) सं.मा.
246
बा. 284
247
सि. 353
/शुभवर्द्धन
248
चौ. 99
" ,do
साधुविजय
249 | B-397
सि. 352
,,/अज्ञात
251-2| रा-29/3,7
2 प्रति
253 | B-460
"बाला. मात्र
मेरुसुंदर d/
जिनचंद्रसूरि
254 | B-1070
255
B-798
मानतुङ्ग
मू+ट (प.ग.)
5 प्रति
256-60/B-92,130,
341,634,774 261-2/सि. 350-51
2 प्रति
263-4 B-865-68
2 प्रति
265 । सि. 354
,
Page #130
--------------------------------------------------------------------------
________________
भाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
11
8
8A
9
10
षम भक्ति
27x11*11x36
अ. 31 श्लो. पंच पाठी | 16वीं
अहमपि प्रथम देवस्तोष्ये ।
25x11*13x57 | सं. 44 श्लो. व.ग्रं 616/ 1652 विराट नगरे
(प्रथमादर्श ?)
26x11*16x46
,,,समस्त ग्रं.693/ 1762 आउआ भूपतिसागर 1652 विराट .
नगर कृति. सं. 44 गा. 17वीं
प्रणम्य परमानंद पदं
10 | 26x11*15x35
| 26 x 10*15 x 45
ग्रं. 380
180
18वों
11 | 25x11*15x38
1825 जसोल मूत्तिहेम
10,61 26x12428x12
वृतिनाम सुखबोधिका
,, ,, की द्वितीय वृति 1883/1879
मात्र , मंत्र कथा सह ग्रं.1572 1704xजिनहर्ष
--मंत्र
26x11*18x50
सरसूत्ती पट्टन 1426 कृति, प्रशस्ति है। किल इतिसत्ये
21x11*13x31
ब. (1से27 के मंत्र नहीं) 19वीं
16 x 12*12x15
27x12*12 x 19
सं. 48 लो. पद्य मंत्र सह , |, 48 बलो. ऋद्धि मंत्र- 20वीं
यंत्र काव्य 3, 44 श्लो. सह कथा | 1749 मांडवाडा विजयगौतम
विधि सह
षभ भक्ति
25x12*14x40
26x10*14x48
3.
"
"
"
अंतिम पन्ना कम
18वीं
25x11*16x45
सं. 44 श्लो.
1831; मिठोड़ा माणिक्य
23x11*14x31
| पू.
, ग्रं. 1452 1862, वाउसा प्रीतसौभाग्य
25x12*16x51
सं. 44 श्लो. दृष्टांत सह | 1852मयासाग रयसागर सह कल्याणमंदिर
126x10*14x41
19वीं
| 23से26 x 10से 12
पू. 44 श्लो.
20वीं .
9
26x11*18x55 | अ. 33वीं कथा तक है । 19वीं
समयसुंदर शिष्य हेतु
24x11*13x28 | अ.40वे क्लो. तक , 25x11*6x34 | अ. 1,3 पन्ने कटे हुवे जीर्ण 1681 अहमदाबाद: 24से26x11से 12 सं. 44 श्लो.
19/20वीं 11,7 7,12 | 25x12425x14
19वीं
4,9*
26x11*विभिन्न
19वीं/1741 .
द्वितीय में कल्याण
मंदिर भी है
4 | 25x11*15x26
,
1953
Page #131
--------------------------------------------------------------------------
________________
112
भाग-जैन भक्ति व क्रियाका
1
2
3
3A
3A
45
Bhaktā mara
मानतुङ्ग
मू. (प)
4-61
,, Prabhāva
266 पी. 100 भक्तामर 267-71 7. 29/1,2,
5 प्रति 272 | B-929
" प्रभाव | ग. 29/8
, समस्या पूति
मयहर स्तोत्र 275 सि. 355
,, Samasya
गुणचंद्रसूरि उ. धर्मवद्धन d/o | +
विजय हर्षवाचक मानतुंग/अशात | मू+व (प.ग.
Bhayabara Stotra
w ani
276
बा. 289
, वृतिमात्र
कीतिहर्षसूरि
वृ (ग)
277
चौ. 101 | भावारिवारण स्तोत्र
| Bhavarivarapa Stotra
जिनवल्लभ
B-868
niraashaktisadhiwinchhindimana
279
बा. 290
,वृतिमात्र
जयसागर
280
B-392
मणिभद्र छंद
Manibhadra Chanda
राजरत्न पाठक
281
चौ.गु. 4 | मनोरथमाला
Manorathamala
पावचंद
282 | बा. 291 | मल्लिनाथ वृद्ध स्तवन
Mallinatha vrdha Stavana] कुशलाभ
283
B-868
महावीर स्तोत्र
Mabāvfra Stotra
जिनवल्लभ
मू (प)
284 | B-260
मू+व्या (प.ग)
285
सि.गु 889
मू+ट (पग.)
विजयदेवd/o
सिंहसूरि तपा
286.
1949
मू (प.)
287
,
Stavana
288
सि. 356 महावीर स्तवन (जीणंगठ)
.889 , , (नयनिक्षेप) 883 , , (ब्राह्मणवाडि)
कुशलहर्षd/o
हर्ष संयम रामविजयd/o |
दयासिंह खरतर माणिक्य मुनि मा. यशोविजय
289
290
B-410A
, (विज्ञप्ति)
291
B-1021
, (27 भव)
शुभविजयd/o कल्याणविजय तपा
292
चौ. 102
6)
293
B-1017
"
, (स्यादाद)
विनयd/o
कोत्तिविजय मुनिमाल
294 | B-855 B
F
(पाषणा) ।
Page #132
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
113
8A
10
11
ऋषभ भक्ति
| 26x12*12x34
| सं. 44 श्लो.
20वीं- भीमविजय अंतमें पार्श्व स्तोत्र श्लो.
4, 25से31x12से14
, 44/48 श्लो.
20वीं
सामान्य
स्तोत्र महार-य
26x11*19x 62
पहिले 2 पन्ने कम
अ. कथा 8से27 तक है | 18वीं सं. 44 श्लो. सहवृत्तिगद्य 19वीं
महावीर स्तुति
26x11*17x50
1736 की कृति
भक्ति
27x11*20x62
अ. 11 गा. तक है
16वीं
पावर्व स्वामितं स्मृत्वा
21x11*13x18
सं. 23 गा.
20वीं
17x10*13x40
,
,, की
तपागच्छीय
| 26x13*13x49
16वीं
समसंस्कृत
26x11*17x41
1741x रामचंद्रगणि
भक्ति/तात्त्विक
26x10*15x62
"
, की
17वीं
यक्ष भक्ति
25x11*19x50
सं. 21 गा.
19वीं वासाग्रामे रूपविजय
भक्ति
15x12*विभिन्न
26 x 11*11 x 33
जीवनी भक्ति
26x11*17x41
सन्त नयमित
25 x 10*20 x 70 33 x 22*19 x 33 16 x 19*19 x 18
, 44 गा.
17वीं ,, 5 ढाले 10 स्तुतियें | 1882 x पं. चारित्रसिंह पौषध विधि सह ,, 44 गा. 1741x रामचन्द्र दुरय रयसमीर.. ,, ,, की पंचपाठी । 1748 अहिपुर , , ,, 23 श्लो. पन्ना 220 | 1925 ,, 32 वलो. पन्ना 57 - 2009 प्राचीन प्रति की प्रतिलिपि ,, 42 गा. 19वीं ,, 33 गा. पन्ना 202 | 1925 ,, 37 गा. 1776
भाषा में पंजाबीपुट
प्रभु भक्ति
25x11*18x44
न्याय, भक्ति
33 x 22*60 x 36 13x9*12x19
प्रभु भक्ति
23x12*15x50
1850x मयासागर
पूजा स्थापना पूर्व भव वर्णन
24x11*18x42
, 85 गा.
19वीं x मुनिहरनाथ
26x11*10x36 |
1853
स्याद्वाद, भक्ति
3
|
26x13*13x37 |
19वीं
भक्ति प्रसंग
| 3* | 25 x 11*13 x 34
| 18वीं
Page #133
--------------------------------------------------------------------------
________________
114
1
295
296
299
300
297-8 r. 100,
292
सि. 358
चौ.गु. 4
बा. 281
सि. 359
301
302
303
307
308
B-414
304
B-गुटका 3
305- सि.गु 925
306
रा. 25/5
T 294
309
310
311
312
316
317
318
319
2
B-843
fer. 360
313
सि.गु. 889
314-5 f 361,
361A
320
B-285
321
B-1073
B-1010
चौ. गु. 4
सि.गु. 931
B-533
चो. 103
fer. 348
B
महावीर स्तवन
मुनिमालिका
"
"1
=
"1
"
लावणी
Lāvagi
(जिन) वल्लभसूरि गीत Vallabha Suri Grta
विहरमान वीसी
Viharamana VISI
"
17
B- 387
सि.यु. 888 वीरद्वात्रिंशिका
"
3
"
विशतिस्थानक पूजा
शक्रस्तव
वीतराग स्तोत्र
"
"
"
"
11
"
"1
बीस विहरमान स्तवन
"
"
(बृहत्) पाति
"
2 प्रति
11
जय स्वयन
गिरनार स्तवन
"
"
ور
2 प्रति
Mahavira Stavana
Muni Malikā
"
"
"
"
"
11
3A
11
11
"
"
S'akrastava
"
11
Vitaraga Stotra
Vīra Dvātrims'ikā
"
"
"
S'at unjaya Stavana
Giranara Stavaha
S'anti (bhat)
Viris'ati Sthünaka Puja जिनह
"
".
समयसुन्दर
चारित्रसिंह
4
d/oमतिचन्द्र
जिनदास
Visa Viharamāna Stavana धर्मसी
भाग ३–जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
"
"
ज्ञानसागर
क्षमाविजय
भण्डारिय नेमीचंद मू. प.
जिनराजसूरि
हेमचन्द्राचार्य
सिद्धसेन दिवाकर
T
प
पावर्वचंद
समुद्रसूरि d/o चंद्रसूरि वेगड़गच्छ
"
"
"
प
"1
"
"
',
"
मु. प.
"
11
"
भू. ग
प
"
5
€
6
मा.
"
हि.
प्रा.
मा.
11
"1
11
"
11
"
सं.
23
"
मा.
11
सं.
मा.
- इर्षकीति d/o मू+बू (प.ग.) सं. चंद्रकीति नागपुरी
मू ()
मू+ट (,, ) सं.मा.
मू
"1
(G) सं.
Page #134
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
115
8A
10
23x11*16x26 | सं. 19 गा. सह पार्श्व | 19वीं पाटोदी रायचंद जिनहर्ष कृत
स्त.9 गा. 21 x 10*12x30 , 35 गा.
1804
रीणीपुर 1636 कृति
साधु नाम स्मरण
A
173
25x11425 x 10
, 35/36 गा.
19वीं
भक्ति संवाद
25x11*14x39 | अपूर्ण
गुरु भक्ति
15 x 12*विभिन्न
सं. 34 गा.
| 17वीं
तीर्थकर भक्ति
साधु कीति कृत
26x11*17x43 , 20 स्तवन सह 17 | 19वीं
प्रकारी पूजा 22x11*14x25 पू.,,, अंतिम पन्ना कम ,
प्रकारात
1 पाना इनकी चौवीसीका
25x11*17x48
सं. 21 स्तवन
1819
20x16*19x15
, 20 स्तवन
19वीं
19-11*14x35
1817
25x12*20x61 ||
1934 पालणपुर गोदड़ देवचंद अंत में
जिनविजय नाम है। 1934
25x12*11x28 |
23x13*7x44
1887
26 x 11*13x37
, 20 भवप्रकाश
18वीं
20वीं
20x14*24x 20 26 x 13*11 x 38
|, 33
1792 श्री मालपुर भाग्यसागर , 25 गा.+1 कलश | 19वीं 1729 जैसलमेर कृति
22x11*14x25
लेखा
33x22*54x32
,5 ढाल
1926 अजीम गंज जीवा
26x12*13x26 | सं.
20वीं
अपर पर्याय सहस्त्रनाम ।
15x12*विभिन्न
42 गा.
17वीं
25 x 15*17x38
1769
26x11*19x43
17वीं
25 x 11*12 x 33
18वीं
28x13*6x37
, सह लधुशांति 2प्रति | 20वीं
3 | 25x11*13x27 |
Page #135
--------------------------------------------------------------------------
________________
116
माग ३–जैन मक्ति व क्रियाकान
1
2
3
3A
4
5
6
चौ. 93
S'ānti (Laghu)
मानदेव हर्षकीर्ति
| मू+(प.ग.)
B-705
324 | सि. 357
, जसहर्ष
! मू+2 ()
B-901
मू (प)
-~~+मानदेव
S'āntikara Stavana
मू+ट (G)
(बृ - ल) ,, (दोनों) 327 | बा. 295 | शांतिकर स्तवन 328 सि. 362 |
| शांति जिनेश्वर पूजा 329 | B-287 | शांति पूजा
Santi Jines'vara Puja | ज्ञानविमल
santi tuja
ग. मंत्र
B-472
शास्वत जिनबिंब स्तवन | sasvata Jina Bimba | देवेन्द्र/
Stavana
मू+अ(प.ग.)
प्रा.सं.
331 | सि. 363
मू.प.
332 | सि. 364
जिनेन्द्रसागर //
जसवंतसागर शोभन मुनि
333-4 बा. 296-7 शोमन स्तुति
2 प्रति
sobhana Stuti
॥
7 प्रति
335-41 B-121,364,
1482,507,1050,
61, 11121 342 B-637 | सकलाईत् नमस्कार
Sakalarbat Namaskāra | हेमचंद्र कनककुशल मू+व (प.ग.)
doसेनसूरी Sangha Pajā
343
| सि. 365 । सङ्गपूजा
सि. 366
सती गीत
Satt Gsta
भोमा
सती नाम माला
Satī Nāma Māla
कनकसोमdo
दयाप्रकार विमित
346
बा. 298 | सन्त स्मरण
Sapta Smarana
मू+ट(प.ग)
प्रा.म
347
बा. 299
348
| चौ. 105
मू. (प)
349
सि.
मू+ट (प.ग.)
"
5 प्रति
मू (प.ग.)
350-4बा.300-1
11,905,42| 355 सि. 367
356
बा. 302
,, वृति मात्र
जिनप्रभ, जयसागरा- वृ (ग) | जिनप्रभ+ । म. (प)
357
मि.न. 944 सरस्वती स्तोय व छंद. JSirasvaty Stotra
Page #136
--------------------------------------------------------------------------
________________
विमाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
117
8A
__10
11
भक्ति पाठ
5*
26 x 11*15 x 64
सं. 18
17वीं
मूककृति 1644 की
26x11*21x75
, 17 श्लो.
18वीं
वृति 11वें श्लो. तक है
25 x 11*3 x 41
18वीं x जगरूप
24x10*11x41
, 19 श्लो.
20वीं
25x12*13x33
1886 गुढा दौलतविजय
भक्ति
25x11*10x41
.. 13 इला.
18वीं
26 x 12*12x32
1850x माणिकसूरि
24x 11*10x30
1943 कृष्णगढ़ कल्याण ब्राह्मण
+मंत्र जानकारी
27x11*7x35
, 24 गा.
16वीं
तीर्थकर भक्ति
26x11*11x39 , ,, ग्रं. 42 | 17वीं
सह टिप्पणियां 4 | 25 x 11*14 x 39 ,, 60गा.+1 सज्झाय | 19वीं 12,6 | 26x12425x10 | ,, 96 श्लो. (24 x 4) | 1649/17वीं 5,12*7, 23 से 26 x 11से 13 ,, ,, (अंतिम अ.48श्लो 18/20वीं पांचवी प्रति में टब्बार्थ 8.15,6,6||
| 27x12*19x55 ,, वृतिग्रंथा ग्र. 282 1887 योधपुरे विवेकसागर 1654 कृति
25x9*9x45 ,, 50 श्लो. 20वीं x क्षमासागर
संघ महात्म्य
सभी सती वंदना
25x11*14x30
20वों
26x11*13x42
, 21 गा.
18वीं
भक्ति स्तोत्र
25x11*4x29
, सातों स्मरण
16वीं
26x11*5 x 40
1779
26 x 12*15x40
|,,, (उवसग्गहरं का | 18वीं x देवचंदजी
उल्लेख मात्र. +शांति दो, 20वीं
3025x12*6x28
+अन्य प्रचलितस्तोत्र 19/20वीं
(नव स्मरण सहश)
20,30, 20से25x10से12 21,10,37/
28x11*11x35
. 2स्तोत्र-शांति पाठ 20वीं
स्थानक वासी आम्नाय
" व्याख्या
| 10
27x11*19x60
. अंतिम 4स्मरण को है | 16वीं (संपूर्ण के ग्रं. 1500) पहिले 8
पन्ने कम 9 इलो.+18 गा.
देखे क्रमांक 228
भुत मक्ति
| 15x9*8x20सं
Page #137
--------------------------------------------------------------------------
________________
118
माग ३-पैन मक्ति व क्रियाकाण्ड
3A
Sarasvatt Stotra
संललन
358 | सि.गु. 949| सरस्वती स्तोत्र
|,, 904 , छंद
Chanda
शांतिकुशल do
विनयकुशल
360
B-793
, स्तुति
Stuti
361
Savaiyā Sarkalana
विभिन्न
मा.हिं
सवैया संकलन साधु वंदना
Sadhu Vandana
अज्ञात
363 | B-524
पावचन्द
364 ।
B-402
समयसुन्दर
365
बा. 233
366 | सि.गु. 923|
| सि. 370 सि.गु.-889 सि.371
ऋ. देवकुंवर पुण्यसागरd/
जिनहंससूरि
369
ब्रह्म
370
सि. 372
ऋ. जयमलजो
371
चौ. 107
चारितहंसd/o
मतिभद्र अज्ञात
372
सि. 373
373
सि.गु. 875
374
| बा. 304 सिद्धगिरि पूजा
Siddhagiri Paja
सुमति मण्डन
मू. प.
375 | सि.गू. 888| सिद्ध चक्र महिमा पद्धत्ति | Siddha cakra Mahima
Paddhatti 376 | B-645 सिद्ध दण्डिका स्तवन
, Dandika Stavana |
देवेन्द्रसूरि/
| मू+अ (प.ग.)| प्रा.सं.
377
B-959
सिद्धान्त स्तव
Siddhānta Stava
जिनप्रभ/अज्ञात
378 | सि.गु.889
"
B-गु. 1
सीमन्धर स्तवन
STmandbara Stavana
B-540
जयवंतसूरि
B-410A
उ. यशोविजय
B-492 |
गस्तवनादि
Page #138
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग 3 आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
119
-
8A -
9
10
11
रुदेव भक्ति
16x19*19x22सं. 9,11,9श्लो.(3स्तोत्र) 2009
पन्ने 44,48,57 पर
,, 35 पद
1946
16 x 13*13 x 18 25 x 12*11 x 25
, 44 गा.
19वीं
भक्ति
प्र. 20 सवैये
20वीं
24 x 12*16x46 26 x 11*17x46
माघुनाम स्मरण
अ. ऋषय से पुष्यमित्रतक 19वीं
भक्ति भरेण नमि
24 x 11*15 x 46
सं. 86 गा.
1803
देखें – 296-8 भी
13
26x12*17x49
, 18 ढाल, ग्रं. 1001
1832
1697 अमदाबाद कृति
25x11*15x50
"
"
19वीं
16x10*19x14
| "
,
1847
1693 को कृति ?
26x11*13x39
19वीं
33 x 22*54x32
1926 अजीमगंज जीवा
25x11*15x43
, 139 गा.
1723, ने तोड़ा, ज्ञानविजय 19वीं अंत में कबीर का 1 भजन
| 24 x 10*13x51
| ,, 109 गा.
25x12*11x25
. 35गा. अंतिम पन्नाकम 20वीं
1606 की कृति
24x11*18x32 | सं. 42 गा.
19वीं जोधपुर
प्रथम उठियभावसु
| 16x12*10x17 | अ. ढाल 13 गा. 166 19वीं
आदि अंत रहित
आर्य भक्ति
| 16
25x11*9x30
| सं. वस्त्रादि 11 पूजायें | 20वीं
1930 की कृति
कार महात्म्य
20x14*24x20
, 14+36 गा..
प्रथम 14 गा. अलग
27x11*8x34
2 13 गा.
| 19वीं.
त भक्ति
| 27x11*11x36
, 46 श्लो. पंचपाठी | 16वीं
शास्त्र व शास्त्रकार स्मरण
| 33 x 22*54x32
1924 अजीमगंज जोवा
तीर्थकर भक्ति
।
| 17x16*20x25
,, 39 गा. पन्ने 93से95 1550 x विनयप्रभ
2
| 26x11*14x38
,, 27 गा.
1633
भक्ति खंडन मंडन
11* | 23x12*15x50
, 131 गा.
1856x मयासागर
| 25x10*16x50
3 स्तवन;प्र. 125गा. 1876 सिणंदरी
Page #139
--------------------------------------------------------------------------
________________
120
भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
3
3A
45
6
383 |
चौ. 108 | सिमन्धर स्तवन
Sīmandhara Stavana
. यशोविजय
384
सि.374
ओपमा पत्र
,, Opamā Patra
अज्ञात
मू. (ग)
|
385
B-738
सि. 375
सुगुरु पच्चीसी
Suguru Paccsst
| जिनहर्ष
387
B-872
|
सवंत्सरीदान
Samvatsart Dāna
388
स्तवन आदिनाथ
Stavana Adinātha
विजयतिलक
| सि. 376 | स्तवन संग्रह
Stavana Sangraba
रतनचन्द
390
बा. 305
संकलन
391
सि. 377 | स्तवनादि संग्रह
Stavanādi
7-D201242
4प्रति
संकलन
392-5/B-96,242,
523,1067 396-98235,752, स्तुति संग्रह 4 प्रति | Stuti Sangraha
767,846 400 बा. 306 स्तोत्र संकलन
Stotra Sankalana 401 | सि. 379 | स्नात्र पूजा Snātra Puja 402 | सि. 378 | स्नात्र व अष्टप्रकारी पूजा ,& Astaprakari Paja
देवचंदजी
,
403-4B 263-813
"
"2 प्रति
405 | B-939
स्वाध्याय संग्रह
Svadbyāya Sangraha
संकलन
"
, 3 प्रति
406-8| B-447,
724,895/ 409 | चौ. 106 ,
410 बा. 307 स्वाध्याय स्तवन स्फुट पन्ने|Stray Folios of Svadhyaya विभिन्न
etc. 411-5B540-542,
" "5 प्रति 898,902,40 416 चौ. 109
417 | बा. 308 | स्फुट शेष पन्ने विभागीय
,, of this section
Page #140
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग 3 आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य
121
8A
___10
भक्ति खंडन मंडन
| 8
27X12*12 x 36 | सं. 125 गा.
20वीं
भक्ति पत्र उपमा
24x12*23x43
1697 अनर्ण वलु
25x11*12x39
1884
भक्ति
25x10*11x27
|, 25छंद+1समाय: 20वीं उजलाजी
सामायिक पर व्यंग
क्रियावृतान्त
25x11*15x48
19वीं
तीर्थकर भक्ति
25x11*15x48
121 पद
सुरतरुनी परिदोहिलो
27x12*10x32
,, 14 स्तवन
1888/9 होसंगाबाद
26- 12*14x38
प्र.
20वीं
13
26x12*15x57 |
,, .
स्तुति स्तोत्र स्वाध्यायादिवस
19/20वीं
3,29,5, 21से25x10से13
501 9,18,7, 24से27x 11से 12
तीर्थकर भक्ति
भक्ति
6 | 23x 11*8x21
,, 7 स्तोत्र
20वीं
___4
| 27x12*15x37 | सं. सह 11 सिद्धाचल | 1893x खुशालविजय :-विभिन्न कवियों के
स्तवन: 25 x 12*13 x 35
20वीं | 25 x 11424x11
1862/66 . अंत में तप ही रावणी
उपदेशादि प्रसंग | 73 | 26x12*12x33 | प्र.
1884 अमरलाई रत्नविजय पर्याप्त संग्रह
3,4,1
22से 25*10से 13
19/20वीं
24x10*12x36
| अ. लगभग 20 सज्झाय | 18/20वीं
235 विभित्र
5 स्तवन
20वीं
सामान्य
1,2,1, 23 से 26x11से12
1.1 124 24से 26 x 11
गुटक
18/20
56
-
Page #141
--------------------------------------------------------------------------
________________
122
भाग ३--जैन भक्ति व क्रियाका 3A 4 56
1 2
3
380
आगम आलापक
Agama Ālāpaka
सं. क्षमाकल्याण
ग
सि. 382
खरतर तपा भेद
Kharatara Tapā bheda
मा
बा. 309 | गच्छ समाचारी चर्चा |Gaccha Samacari Carca
मू+
प.ग.)| प्रा.स
चर्चापत्र
Carcā Patra
ग
सि.383 गु.
ग. प.
___2 प्रति 889 7 | B-294 | चर्चा बोल विचार
Carca Bola Vicāra
पं. दीपविजय
8
सि. 384 | चार निक्षेपों की ढाल | Cāra Niksepom Ki Dhāla | रा-29/25 | चैत्यमति चर्चा Caityamati Carca
10B-गुटका 11 तिथि विवाद .
Tithi Vivāda
11 | सि. 386 | तेरापंथी चर्चा
Terā Pantbi Carca
अज्ञात
रा-28/26| दिगम्बर श्वेतांबर भेद | Digambara S'vetāmbara
Bbeda बा. 311 निर्णय प्रभाकर Nirnaya Prabbākara | बालचंद्रगणि
| सं. बा. | पक्ली विचार
Pakkhi Vicāra
रा. 29/24/ पश्नोत्तर
Pras'nottara
संकलन
सि.गु. 889/
,
सि. 388 | मूत्तिपूजा कोंकाशावार्ता | Murtti Puja Loikas'a
Vārtā B-796 मूर्तिपूजा समर्थन
Samarthana सि. 389
20 | सि. 385
» Stavana
मानd/ शांतिविजय मू+बा (प.ग.) मा.
21-2 B-718 A, मूर्तिपूजा स्तवन 2प्रति
10191 23 | सि. 389 | 24_B-401A ,
189
"
पार्श्वचंद
शिवनिधान
सि.गु. 889 " , 26 लि. 381
" (आदिजिन) 27 | सि. 337 |, पार्श्वचौढालिया)
विनयप्रमोदd/
साधुरङ्ग रत्नविजय याशिष्य प. ग.
Page #142
--------------------------------------------------------------------------
________________
123
विभाग ३ इ–सांप्रदायिक खण्डन मण्डन 7 8
8A
9
10
11
स्थानव.वासी विरोध
सं.
19वीं
24 x 12*11 x 37 25 x 12*15 x 48
गच्छगच्छांतर
सं. 28 मतभेद
1965
विधि विचार
| 37
| 26x10*15x58 | अ.9 से 45 बीच के पन 17वीं
शास्त्रार्थ वर्णन
26 x 12*11x40 सं. मूर्तिपूजा अनुकंगादि पर 1927 जसोल मयाचंद
सांप्रदायिक विवाद
25x11व 33X22 | प्रथम ब. गा. 27 द्वि. सं. 20वीं
दान आदि पर । 20 प्रश्न 26x11*13x48 सं.भारमल व खेतसी संवाद 1876 के बाद में उदयपुर नाथद्वारे में चर्चा
तेरापंथ विरोध
मूर्तिपूजा विरोध
24x11*19x54 | सं. 7 ढाले
1899 पाल ऋ. पृथ्वीराज
4
25x11*16x45 | प्र-प्रश्नोत्तर
20वीं
व्रतपर्व निर्णय
| 31x25*27x27 | सं. उद्धरण सह
18वीं
जिनाज्ञा पालन
26x12*21x54
1, 65 गा.
19वीं
1841 कृति
सांप्रदायिव. मतभेद
3
24x12*13x37
,, 75 भेद, बोलनुमा
1981 नागौर मूलचंद . 1939 जयपुर विनयचंद
,
57
27x15*12x41
1920 कृति
, पक्खी चर्चा
19वीं
13 7
24 x 11*12 x 43 45 x 11*24 x 51
सांप्रदायिक मतभेद
20वीं
33x22*35x24 ।
251 प्रश्न
1922/5 अजीमगंज जीवा 20वीं
ऐतिहासिक सर्वेक्षण
4
25x11*14x50
प्रतिमा पूजा स्थापना
25x12*14x46
1889x विवेकाञ्चि
33x12*16x66 | सं. सह यशोविजय 2 | 20वीं व्यालपुर प्रसिद्ध
स्तवन:
विजय 27x13*10x38 |, 44 अनुच्छेद 20वीं
सीमंधर विनतो,
67 बोली आगामों से उद्धरण
45
24 x 11024 x 10
, 21 गा. सह 1 सज्झाय 19/20वीं
14* | 33x12*16x66
20वीं व्यालपुर प्रसिद्ध विजय
11* 23x12*15x50
1856Xमयासागर
| 33 x 22*54 x 32
1924 अजीमगंज जोवा.
33x12*16x66
, 23 गा.
20वीं व्यालपुर प्रसिद्ध विजय
5 | 24x12* विभिन्न
, 4 ढालें
| 1869 x रंगकुचल
Page #143
--------------------------------------------------------------------------
________________
___ 124
माग ३–जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
3A
4
5
6
उ. यशोविजय/- | मू+बा (प.ग.) मा.
29-30/
मू (प)
28 वा. 312 | मूर्तिपूजा स्तवन (महावीर) Murti Puja
Stavana सि. 346, , , (..) 2प्र. ,
389 31 - सि. 390
” (वीस बिहरमान) " " 32 | चौ.गु. 1
, (हुडी) "
हरखचंद जिनहर्ष
B-410A
, धीर, सौभाग्य
| B-373 | वीरस्तवन (नयभित) | Virastavana
विनयविजय do
कीति विजय ऋ. जेठमल d/o
रूपचंद
सि. 391
समकितसार
Samakita Sara
चौ. 111
सात प्रश्न
Sáta Pras'na
रा-29/21/ सिद्धान्त प्रश्न चर्चा
| Sidhanta Pras'naCarca | दौलतराय
आगमानुसार
स्वामी कन्नीरामजी प. ग.
B-505 | सिद्धान्तषट् किंशिका
, Sattrimshika रा-10/10| सिद्धान्तसार
„Sāra | रा-18/12
सि. 392 | स्याद्वाद दृढिकरण सञ्झाय Syadvada Drdhikarana | बा. 315 | स्फुट पन्ने खंडन मंडन Stray Folios of this
Section
श्रीसार
विभिन्न
प. ग.
भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
सि. 393 | अगड़दत्त चौपइ Agadadatta Coupai मनिराम do
रतनचंद सि. 397 अधराज चौढालिया Agharāja Coudhaliya नथमलd/सूरज | सि.गु. 927| अङ्गद विष्टि गुण Angada Viștiguņa स्वामी चौ. 112 | अजीतसेन कनकावतीरास Ajrtasena Kanakāvati जिनहर्षd/oशांतिहर्ष
Rāsa B-गु. 15 " " बात
" , Baa | B-556 । अञ्जनारास
Añjanā Rāsa
भुवनकोति/ प
ज्ञाननंदि B-985
विनयमुनि/चंद्रसूरि,
शिष्य B-गु. 44
, दयासागर,
Page #144
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग सांप्रदायिक खण्डन मण्डन
7
★तिमा पूजा स्थापना
"
"
11
11
कार्य समवाय चर्चा
मूर्तिपूजा खंडन
आचारादि चर्चा
विवाद निर्णय
मिनादि
तेरापंथी मंडन
"
मूर्ति मण्डन सांप्रदायिक चर्चा
श्रावक धर्म पर
रामकथा प्रसंग
शोल पर
"
"
8
23
24 × 11 * 12 x 22
4,14 26 x 1233 x 12
33 × 12*16 x 66
15 x 10 * 10 x 16
23 x 12*15 x 50
23 x 11*12 × 35
25 x 12*20 x 48
25 × 11 * 10 × 33
25 x 12*15 × 60
25 x 11 * 19 × 46
25 x 12*8 x 50
26 × 12 * 8 × 48
33 x 12*16 x 66
विभिन्न
14
8
11
3
4
11
20
12
192
69
14*
6
87*
3
4
24
8
19
48
8A
45
26x12*26 x 64
26x12*15 x 45
19 × 16*35 x 24
25 × 12*15 × 42
19 × 15 * 23 x 36
26X11*16 × 53
22 × 12*11x20
21 × 13*14 × 18
सं. 125 गा.
प्रथम अ. 6 ढाल, द्वि. सं. 7 ढाल
सं. 5 ढाल
"
"
"
19ff
20वीं
20वीं व्यालपुर प्रसिद्ध विजय
19वीं
1856 x मयासागर
1848 कणांना पद्मविजय
1732 कृति
5 ढाले, 25 प्रश्नोत्तर 1894 पीठपाली पृथ्वीराज 1879 राजनगर
"
कृति
18वीं
200 प्रश्नोतर
20वीं
1872 x ज्ञानसागर
लगभग पू. 35 कार ग्रं. 757
प्र. (संपादक सेठ फतेमन) 20वीं पोकरण पुरोहित
1936
"
"
64 II.
6 बा
3 स्तवन, 36, 15,
सं. 20 गा.
त्रुटक
"
9
विभाग ४ अजीवन चरित्र व कथानक
सं. 6 दा
11
31
. 13,000
"
ܙܐ
"
7 बातें
105 IT.
सं. 31 ढाल
11 गा.
30
31
777गा. ढा. 43 ग्रं. 1014
"
10
11
125
10 सामान्य चित्र
20वीं व्याहपुर प्रसिद्ध विजय
18/20वीं
आगम उद्धरण
प्रश्नकर्त्ता दलपतराम
1795 x मोहन विजट
1813 x नेमविजय
707 गा. 3 खंड पं. 19वीं (प्रशारित है लेखककी) 1776 उदयपुर कृति तपगच्छ की पट्टावली है
1000+
20वीं
20af
1979 की रचना
1906 या कृति
1943 बागावास सुतानमल 1909 नागौर 20वीं वीरमगांव करमचंद 1464 की कृति
कृति
1778 सिवाणा
Page #145
--------------------------------------------------------------------------
________________
___126
भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड
3A
5
B-1077
अञ्जनारास
Añjanā Rāsa
पूण्यसागर
अज्ञात
| सि. 394 11-2 सि. 395-6
| बा. 316
2 प्रति
बा. 319
सि. 398 | अतिमुक्तकुमार चौपई Atimukta Kumāra coupar हीराचंदd/०मनरूप, B-887 अनन्त कत्ति चरित्र Apantakirtti Caritra वीरसुंदर do ,
मणिभद्र B-751 बनाथी ऋषि सज्झाय Anāthi R$i Sajjbāya । मुनिराम do
कनकविज अभयकुमार कथानक | Abhaya Kumara Katha सि. 399 |. , चौपई
" , Coupai अमरसेन जयसेन चौपई | Amarasena Jayasera C.
सुमतिहस चौ. 113
जिनहर्ष | बा. 317
धर्म समुद्र सि. 401 | अमरसेन चौढालिया
, Coudhalia
कुशालचंद ,, वयरसेन चौपई , Vayarasena C. | जयरंग do
पुण्यकलश बा. 318 | अम्बड़ चरित्र Ambada Caritra अमरसुंदर रा. 24/6 अरदास चरित्र Aradāsa
कुशालचंद | अर्जुनमाली चरित्र Arjun Malr Caritra ऋ. जयमलजी सि. 406-7 , चौढालिया 2प्रति , Coudhalia अज्ञात सि. 405
सि. 408
29
,, चौपई
B-1056 अन्त्रिक चरित्र
Arhannaka Caritra
राजहर्ष d/o
ललितकीत्ति | सि. 402
, Coupai
नयप्रमोद d/o |
हीरउदय सि. 403 ,, पांचढालिया » Pāñcbạbāliā कुशालचंद सि. 404 | अर्हन्नक रास Arbannaka Rāsa महिमासागर बड़अवन्तीकुमार चौपई ।
खरतरगच्छ 34-6 सि. 409,
3 प्रति Avantrkumāra Coupai शांतिहर्षd/oजिनहर्ष -
410-11 37 | रा. 25/1 | सज्झाय
Sajjhayya' जिनहर्ष
Page #146
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ -जीवन चरित्र व कथानक
127
7
8A
9
10
11
शील पर .
| 19
25 x 11*16x44
25x12*16x38
11,18
| 25 x 11*विभिन्न
अ. तीसरे खंड को 5वीं 20वीं (सांचौरकी कृति) साथ में 2 पर अन्य ढाल तक
अंजना चौपाई के सं. 158 छंद 19वीं
पहिलइनकदवै हो ,, 134/149 गा. 19/20वीं तिंवरी/पालो सील समोवर को
नहीं , 158 छंद, दोहे | 19वीं
सीलतणी महिमाघणी अतिरिक्त , 14 पद
1934x ऋ. नथमल 1912 वीसलपुर कृति
25x12*12x34
गौतम जीवन प्रसंग
2
25x11*10x28
शोल पर
26x11*13x37
, 304 गा.
18वीं
1596 मोहननगरी कृति
विरक्ति पर
| 16x7*9x32
, 30 गा.
संतोष पर
29 x 12*13x44
, 110 श्लो.
17वीं
अस्तीह चित्य श्रेणी
नवकार प्रभाव
20x11*11x33
, 52 छंद
1978
सामान्य
रात्रि भोजन पर
25 x 11*14X43
.9 ढाल (164गा.)तक है| 19वीं
12x19*17x26 | त्रुटक
23X10*15X43
सं. 156 गा.
1724 लुणावा पदम 20वीं x उजलाजी
दान पुण्य पर
19x 10*15x23
, 24 ढालें
1898 महिपुर कृति
24x 15*29X18
, 20,
1827
1700 जैसलमेर कृति
जिन भक्ति पर
27x12*11x37
, आठ आदेश
1942 जैसलमेर रत्नचंद
सम्यक्त्व पर
25x12*15x46
,64 ढालें
1959 (प्रशस्ति है)
1879 की कृति
जीवन परिवर्तन
26X12*26X64
24x10व25x11
22x12*16x30
, 11 ढालें | 1943 बागावास सुल्तानमल 1 , 9/8 ढा. सह अरणक| 19/20वीं वर्द्धमान जिनवर नमु.
प्रसंग , 5 ढा.
20वीं, ऊंझा, रंगा सौदागर मिलिया पछे 1767 असाढा ज्ञानशेखर 1732 दंतवास
कृति 19वीं जालोर नवनीत 1713 की कृति
विजय 1943 नयाशहर सुल्तानमल 1886 की कृति
परीषह पर
25x10*15x44
24x10*14X40
26x12*26x64
परीषह पर
3
25x11*15x40
,, 8 ढा.
18वीं (केशरदेपठनार्थ) 1774 कृति ,, 102/5गा. = 1 2 ढा. 19/20वीं 1741 राजगृही कृति
ऐतिहासिक कथा 5,3,
524से26 x 10से 12
21* | 24x12*10x27
4 ढा.
| 20वीं
Page #147
--------------------------------------------------------------------------
________________
128
भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
1
2
3
3A
5
38-40/ B-254, | अष्टप्रकारी पूजा रास | Astaprakari Puja Rasa | उदयरत्न d० प 419,504 3 प्रति
शिवरत्न 41-2| सि.412-3 आनन्द पावक संधि | Ananda Sravaka Sandhi श्रीसारd/रत्नहर्ष ,,
2 प्रति 43-4B275,850 , , 2 प्रति ॥
| रा. 24/4 46 | सि 414
--
आराधना स...कथा
. Aradhana S... Katha
चौ. 114 आरामनंद कथा
Ārāmananda Katha
B-885
आरामशोभा (देवकुमार)| Aramasobha Prabandha धर्ममेरुd/oधर्मसुंदर प
प्रबंध आर्द्रकुमार चौपई Ardra kumara Coupai ज्ञानसागर
बा. 320
सि.415
"d/o
माणिक सागर ,, Dhamala | कनकसोम
, धमाल
सि.गु. 889
सि. 416
, चौढालिया
,, Coudhalia | अज्ञात
सि. 417 | आषाढ़ अति चौपइ
Āsādhabbūti Coupai
| भक्तवत्सल
कनकसोम
"
रास
»
Rāsa
55 | सि.गु. 889 , चौढालिया , Coudhalia 56 | B-543 57-9 सि. 418-20 , पंचढालिया
Pañcadhālia
3 प्रति 60 | B-890 विलास
Vilasa 61-2| सि. 421, |
" , 2 प्रति
925/ 63--5| B-255, | इलापुत्र चौपई 3 प्रति| Ilaputra Coupai
355, 1030/ | सि.गु. 925
भाग्यसागरd/o
शुभवर्द्धन | मु. रायचंद d/
जैमल ज्ञानसागर djo
माणिक
,
"
"
| सि.गु. 918 सि. 422
सुन्दरसूरि d/o
जिनसमुद्र | अज्ञात
" चौढालिया
,
Coudhalia
सि. 423
उत्तमकुमार चरित्रं
Uttamakumara Caritra
मू (प ग.)
" प्रबन्ध
सि. 424 B-1080 |
1
Prabandha ataka
"
विनीतविजय
Page #148
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ ब - जीवन चरित्र व कथानक
श्रावकाचार
भक्तिपूजा कथानक 51,44, 25से26x11
ज्ञानदर्शन चरित्र
बम्यवत्व पर
अदत्तादान पर
जीवन प्रसंग
11
21
"
"
"
"
औपदेशिक
54
"
भावना पर
पिंड विशुद्धि पर
7
15
" " "
44
"
-
21
दान पर
"
"
-
8
11
""
72 88 25 x 11*16 × 40
13,22 | 25 x 10 व 26 x 12
22 x 11 *9x32
21
47
11
18
9
25x11*17x50
2,4,424 x 11व21 x 9 (दो) |
21 × 11 * 13 x 30
8,11 26 x 10719 x 11
स्त्रीभाव कर्म 110,120 25 x 11 * विभिन्न
6
19 × 11*16 x 34
13 x 13*13 × 13
26x12*26 x 64
15
4
1
3
87*
2
13
7
40
8A
87*
55 565
27 x 9*10 × 39
1 33 x 22 * 54 x 32
15
11 × 26*17 × 50
35
26 × 11 * 12 x 48
25 × 10*19 × 35
25 x 10*12 × 31
24 x 11*13 x 36
33 x 12 * 54 × 32
25x12*18× 37
26x12*26 x 64
15 26x11*9 x 36
25x10*14x41
25 x 11 13 x 40
17
"
अ
सं. 78 ढा. 2104 गा. 19वीं ( प्रशस्ति है तपगच्छ ) 1755 पाटणकृति ग्रं. 3000
15 ढा. = 250 गा. 19वीं
1684 पोहकरण कृति 7वें अंगानुसार
#576
=====
"1
33
सं. 538एको
ग्रं. 405
"
"
49 गा.
सं. 4 ढाल
5 ढा.
31
"
"
11
"
33
"
विक्रमपुर /तिमरी
1897 कुचामण व्यास गुफा
15वीं
18वीं
18वीं सुभटपुरे रनवर्द्धन 1755 अमीचंद
1778 देलवाड़ा मेघराज
19वीं गोली भावविजय
1926 बजीमगंज जीबा
20वीं (1855 की कृति प्रणमु प्रभाते उडिने
1943 बागावास सुल्तानमळ
1926 अजीमगंज जीवा
1638 कृति
50 गा. (प्रथम आदर्श) 1731 विरमगांव भाग्यसागर 1731 कृति
19वीं
1836 नागौर कृति
1765 जोधपुरे
1724 चक्रापुर कृति
1728 व 1817
11
19 ढा. = गा. 301
9 ढा.
9
4 ढा.
5 ढा.
TT. 325
16 वा. अं. 351
"
4 ढा.
T. 221
17
ग्रं 259 ..18ढा. (वेगढ़ चन्द्रगच्छ ) 1769 स.. नकगढ़, क्षमासुंदर 1943 बागावास सुल्तानमल
18ff
19वीं
10
"
अ. 64 अनुच्छेद
त्रुटक 17 ढाल तक
सं. 43 ढाल
11
1817
129
अंचलगच्छीय
16 डा. गा. 29.2671823-94 ( विधिपक्षीय) 1719 दोषपुरकृति
लूंग
1751 विरातरा कृति
1668 बायडाकवकृति
1727 सप्ट प्रकृति
1644 अमरसर कृति
"
"1
दानयशो वितनुते
Page #149
--------------------------------------------------------------------------
________________
130
1
1242
72
73
74
75
76
बा. 321
सि 425
सि. 426
77-8 सि. 428-9 ऋषमचरित्र
79-82 T. 21/10
12, 32/32 सि. 427
83
84
87
90
91
92
96
चोपड़
B. 998
विवाहला
85-6 सि. 4301 ऋषिता चौपाइ 2 प्रति कठिया कान्हू चौपड़
बा. 322
88-9 f. 432-3
बा. 323
97
2
सं. बा.
98
B-83
93-4 B-544-57
95 सि. 434
चौ. 115
101
105
B-207
B-293
B-783
उत्तमकुमार कथा
उत्तर चरित्रं
उत्तराध्ययन कथायें
"
B-552
उधराजा छडालिया
ار
ار
3
कथा ग्रन्थ
31
33
"
11
कर्तवला चोपड़
11
"
"
कर्मचन्द प्रबन्ध
"
2 प्रति
2 प्रति
102
रा. 24 / 8 कामदेव चौपद
103-4 सि. 439-40 कार्तिक सेठ चोपड़ 2 प्रति कालकाचार्य कथा
Urtamakumara Katha
2 प्रति Rsabha Caritra
4 प्रति
Uttara Caritram
Uttaradhyayana Kathay
em
"
3A
11
Udai Raja Chadhalia
"
"
Caupai
Vivahalau
"
Rsidatta Caupai
Kathiyārā Kanhada
"
Katha Grantha
31
"
Caupai
Kayavanna Caupai
.
11
सि. 435 कर्म शुभाशुभ फल Karma S'ubbas'ubba 99-100 सि. 436-7 कलावती चौपद 2 प्रति Kalāvatī Caupai fer. 438 काबंदी धन्ना सताया Kakandr Dhanna Satadhalia
Kamadeva Caupai
Kārtika Selha Caupai
Kalakacārya Katha
11
31
Phala
अज्ञात
4
रायचंदd / जैमल
3
"
ऋ. चौथमलजी
भाग ४ - जैन इतिहास व वृतान्त
मानत/०जीत तपा.
T
Karmacanda Frabandha गुणविनय d/o
जयसोम रनसागरd/o विजयसेनरि ऋ. रायचंदd/०जैमल
31
33
आसकरण
ऋ रायचंद / जैम
समयसुन्दर
F
ग.प. (ना)
ग
32
प
"
लाभोदय सूरि खरतर प d/oभुवनकीर्ति जयरंग /०
पुण्य कलश जयरुको d/o
धर्म मंदिर जय रंग (जयतसी)
""
11
प. ग.
21
11
"
"
"
".
13
5
मू.ग
मा.
सं.
"
"
मा.
11
"
"
"
11
"
सं.
मा.
21
11
11
17
21
11
6
=
सं.
Page #150
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
131
-
8A
10
दान पर
27x13*14x42
1942 गोंडल व्रजलाल
साहित्यिक ऐति.
125x11*13x31
17वीं
आगम पर दृष्टान्त
55
26x11*17x50
| प्र. 19वें अध्याय तक
1779
26 x 11*16x48
| अ. 18वें
|
1788 खिदावरी आर्या राई
___87* 26 x 12*26 x 64
ऐति. प्रसंग तीर्थकर जीवनी
, कुछ छठी ढाल अधूरी | 1944 नयाशहर सुल्तानमल सं. 47 ढालें | 19/20वीं
1840 पीपाड़ कृति
23,3425x11*विभिन्न
20वीं
सामान्य
25से26 x 12से । 3 25.25 87* | 26x12*26x64
, 15 ढालें
25x11*11x35
,, 236 गा.
1943 बागावास सुल्तानमल 1936 जैसलमेर विजचंद सासन देवीय
पायपणमें 19/20वीं ____1864 देवगढ़ कृति
21.28
23x11425x11
57 ढाले
22x11*14x35
,, 9 ढालें
1852 धान्यपुर
1747 पद्मावती कृति
7,25*
12424X10
"
, = 162 गा. | 19वीं
मरुधर देशे
"
"
बोपदेशिक
अ. बीच के पन्ने
25x12*16 x 42 27x11*17x38
| सं.77 ढा.(प्रशस्ति है)
1748, बांता, मोहन विजय 1673 ? कृति
26
25x11*12x35
, 31 ढालें
19वीं
1721 कृति
14,17| 26x11425x11
द्वि. सं. प्र. अपूर्ण 7से 31 ढा. 19/20 (प्रशस्ति है) 1731 बीकानेर कृति
25x10*15x37
पू.31 ढाल(अंतिमपन्नाकम) 19वीं
92से95 एक ही हैं ? पणमिय पास जिगेसर
27x11*13x45
| अ.
18वीं
जीवन चरित्र
।
| 26x11*13x45 |
1655 की कृति
पदी आदि दृष्टान्त
4
24x12*10x31
|, 45 पद
1980 मोकलसर
शील पर
22 x 1024x11
,, 16 ढा. द्वि.अ. 3से 16| 19/20वीं 1837 मेड़ता कृति
| 1943बागावास सुल्तानमल 1859की कृति
बोपदेशिक प्रसंग | 87*
26 x 12*26 x 64
,, 7 ढालें
श्रावक जीवन
68*
नवपदाराधना
24x11*19x14 |, 4 ढा. (सातवें अंगानु- 20वीं
1827 जोधपुर कृति
सार) 5,87* | 20 x 11426 x 12 , 5 ढालें
9 | 25x11*17x52 , ग्रं. 451 |1740प्रेमापुर रामसागर 1646वीरमपुरेकृति
20वीं
घद्वारा लोक सेवा
Page #151
--------------------------------------------------------------------------
________________
132
भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
___2
3A
3A
____ 456
106
चौ. 116 | कालकाचार्य कथा
Kālakācārya Katha
107
लक्ष्मीवल्लभ
चौ. 117
"
सि. 441
B-886
| जिनभक्तिसूरि राज्ये
B-777A सि. 442
कीत्तिधर व्याख्यान
Kirttidhara Vyakhyana | चौथमलd/oनथमल प
112
सं.बा.
कुंचक सेठ कथा
Kuscaka Sețba Katha
सि. 443 | वण्डरीक पुण्डरीक
चौढालिया बा. 324 || कुमारपाल रास
Kundatka PundarTka | अज्ञात
Caudbālia Kumārapāla Rasa जिनहर्षd/oशांतिहर्ष
114
115
B-431
116
चौ. 118
. 117 | सि. 444 | कुसमश्री वीरसेन चौपइ | Kusumasi Virasena | जिनहर्ष
Caupai 118 | सि.445 | कृपाचन्द्र चरित्र Krpacandra Caritra जयसागरसूरि
119
सि. 446 | कृष्णजी की ऋद्धि
Kranji-KI-Rddhi
ऋ. जयमलजी
121-2
मू+ट (प.ग.)
120 | सि. 447 | केलावती सती चरित्र | Kelavatr Satr Caritra अज्ञात
सि. 448-9 कौणिक चौपइ 2 प्रति Kaunika Caupai
सि. 450 | (चेड़ा),, चरित्र , Caritra 124 | B-1051 | कौशल राजर्षि चरित्र Kaus'ala Rājarki Caritral -
क्षुल्लकुमार चौपइ Ksullakumara Caupai | क्षमाप्रमोद 126 B-1000 | क्षेमऋषि सज्झाय Kşema Rşi Sajjbāya अमरकीत्ति 127 | बा. 325 गजसुकमाल चौपइ Gajasukamāla Caupai 128 सि. 451
जिनराज d/o
सिंहसूरि रतनचंद
125
सि. 452
130-1 सि. 453-54
, लावणी 2 प्रति
Lāvaņi
रामकृष्ण d/o
हीरानंद
Page #152
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
133
8
.
8A
10
10
11
साधु द्वारा लोक सेवा 14
11x26*13x41
1887x महाजन चरित्रसिंह कल्पसूत्रान्तर्गत
12x26*15x40
25x12*13x33
20वीं
जीर्ण व चिपको हुई 1920 विक्रमपुरे चिजोरा . पू. प्र. पन्ना योगशास्त्र | 1715x चारुदत्र कर्ता मेरुसुंदर
बा. का:
1797 गुढा परत्रसागर प्रशस्ति है
| 25 x 11*15 x 53
परीषह-मोक्षगमन
25x12*14x46
, 11 ढा.
20वीं
जयमल संप्रदाय
औपदेशिक जीवन
25x13*11x35
1944 बोटाद जयशंकर
शिथिलाचार
26x12*26x64
,, 6 ढा.
1944 ब्यावर सुल्तानमल पुंडरीकणी नामे
वोजे
जीवन चरित्र
26 x 11*16x40
26x11*17x43
1, 129ढा. = 2876गा. 1806 आषाढा सुमतिशिष्य 1742पाटणकृति
प्रशस्ति है , , , ग्रं. 4050|1820तलडांवावाड़ा सुमतिसागर ,, 130ढा. ,, I.4160| 1845पौढीनगर पुण्यराज जीर्ण व चिपकी
25x11*17x41
26x 11*17x46 | त्रुटक 27 ढा. गा.782
27x13*16x50 | सं. 5 सर्ग
.
1995 आहोर मोहनलाल
कृष्ण महिमा
25x12*17x35
,31 पद ग्रं.50
20वीं
शील पर
87* 26x12*26x64
,, 15 ढालें
जीवन चरित्र
" 24X12426X12
, 26/27 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल जुगबाहु जिन
जगतगुरु 19/20वीं आठ भवेपहिलोहुतो 11943बागावास सुल्तानमल तपसीहुतो पूरवर्भवे
87* | 26x12*26x64
, 23 ढा.
25 x 11*11 x 53
पू. प्र. पन्ना कम गा-102 1887x विवेकसागर
काम निवारण
18x 11*10X20
18वीं
साधु पारणा प्रसग
2.25x11*11x38
क्षमा केवली चरित्र 10 | 25x11*22x 63
,30 ढाल
| 1709 मेड़ता प्रह्लाद मुनि. नेमीसर जिन
वरतणा 19वीं राजनगरेकनक निधान 1699की कृति
26- 11*18x51
30
.750
|, 7 ढाल
1943 बागावास सुल्तानमल
नागौर कृति
26 x 12*26 x 64 26 x 12425 x 11
20वीं
1867 चित्रकूट कृति
Page #153
--------------------------------------------------------------------------
________________
134
भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
1
2
3
3A
456
132 | सि.गु. 889 गजसुकमाल सज्झाय Gajasukamāla Sajjhāya | देवचंदd/०दीपचंद | प 133 | सि. 455 | गजसिंह चरित्र Gjasigha Caritra रामचंद्रd/oवृद्धिचंद, 134 | सि. 456
." " मोतीलालd/oसंतोष , 135-6 सि. 457-8| गुणकरंड गुणावली चौपइ Gupakaranda Gupavali ऋ.दीपाd/०वर्द्धमान
2 प्रति | सि. 459
जिनहर्ष B-216
गजकुशल do
दर्शनकुशल सि. 460
140 | सि. 461 | गणमालासती चौपइ
| B-13 गुणवर्मारास सि.गु. 931 गुणसुन्दरी चौपइ
B-221 | ,, (सागरचंद), | B-991 | गुरु अमरसिया
Gunamala Sath Caupai ! ऋ.सवितd/o |
विनचंद Gunavarmā Rāsa क्षमाप्रमोद d/o |
___ धर्मचंद Guņasundari Caupai | सुंदरसूरिः
समुद्रसूरि
144
Guru Amarasiya
जैतसागर
145-6 सि.462-3 चन्दनबाला वार्ता 2 प्रति Candana Bala Vārtha
| अज्ञात
147-50| सि. 464-7
,
रास
4 प्रति
, Rasa
ऋ. ब्रह्मराय
151-
B-249
| चन्द्र चरित्र
Candra Caritra
विद्यारुचि d/o
लक्ष्मीरुचि
152-3 सि.468-9
2 प्रति
154
बा. 326 |
मोहनविजयd/o
रूपविजय
155 | रा. 25/6
156-7 सि. 472/3
2 प्रति
158-64B-195,256,
7 प्रति 389,432,986,
*241,288 B-889 चन्द्रधवल धर्मदत्त चरित्र | Candradhavala Dharma- जयनिधान d/o
datta Caritra
जिन भद्र 166 सि. 470 | चन्द्रप्रभा चौपइ Candraprabbā Caupai
दयाचन्द्रजी
165
167
सि. 471 | चन्द्रलेखा चौपइ
Candralekha Caupai
| मतिकुशल d/o
मतिवल्लभ
/
168B-424
169 | रा-25/7 |
Page #154
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ - जीवन चरित्र व कथानक
क्षमा केवली चरित्र
सी पर
जैन मुनिराजा कथा
पुण्य पर
71
"
पदेशिक प्रसंग
पूरा पर
पर
7
चंद्रसूरि मृत्यु व पाट
उत्सव
फोक, दान, ऐति
1
11
शील उपदेश
11
"
"1 "1
"
दान पर
शील पर
सामायिक पर
8
1
14
25 x 12*15 x 43
24×11*17x43
13, 18 25 x 1126 X 11
4
28
14
15
87*
113
3243
22
15*
62
29,8
102
59
13
8A
21×12*12×32
2,2
25 x 12*23 x 35
5,5,7,8 24x11*fafar
20
33 x 22 * 54 × 32
20
70*
25 x 13*15 × 30
26 x 11 16 x 48
26 x 11 16 x 41
26 x 12*26 x 64
26 × 12*17 x 42
25 × 15 * 15 × 38
26x11*15 x 45
7071 25 x 1126 x 11
90.99.114 25से27 x 11 से 12 79,114,68,
33
14
26×11 * 16 × 51
24 x 11*16 × 46
25 x 12*20x45
25 x 12*16 x 45
24 x 10*16 x 50
25 x 11*16x40
25 x 13 17 x 37
सं. 38 गा.
27 ढा.
"
11
"
अपूर्ण 4 डा. अंतराल .. (1978 जोधपुर कृति )
सं. 27 ढा ग्रं. 751
1884/1793
1887 समदाणा परमानंद
1748... कितनगर
29ढा. = गा. 519, प्रशस्ति
अ. 27 मी डा. 10वीं गा तक है 19वीं
"
,
3 खंड 40ढा. 700गा. 1769
"
"
"
11
27 ढा.
सं. 7 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल
1885 दिस्मी कृति
ढा. 102 खण्ड 6 प्रशस्ति 1825 जैसलमेर रूपचंद 1815जैसलमेर कृति
"
1754 विरातरा कृति
"
9
17
"
"
40 ढा. 692 गा.
85 पद
2 ढा.
25 × 1024 x 11
अ.प्र. 4 खंड हि. 1 खंड अ. 19वीं
भीनमाल सिरोही कृति
25 × 10 * 15 × 41 सं. 4 खंड, 108ढा, 2671गा. 1845 सोजत जयसिंह 1738 राजनगरकृति
1902 उग्रवास रूपचंद
प्रशास्ति है
ܕ ܕ
नं. 4000 अंतिम 2प्रति
"
अपूर्ण
651
65/79/149/149पद 20वीं
6 खंड 102ढा. प्रशस्ति 1802 नवसरावाधकी 1771-7 कृति तपगच्छ
31
"
"
1926, अजीमगंज, जीवा
20वीं
10
27 डा.
29 ढा. 624 गा.
29 ढा. 646 गा.
29 T.
जमलजी संप्रदाय
अति अल्प अंश
1757कृति गुजराती गच्छ
1757 की कृति
शिष्य
11
135
1714 कृति
तपगच्छ
1769 समुद्री मोहनविजय खरतरगच्छ
1977/8
20वीं
चनणबाला री वारता कहे
1842/1829
18 / 19वीं
19वीं
1976 x गोपीनाथ
1793 गुठा ज्ञानाल
1878 काणांना विवेकसागर
1946 घमणोर इन्द्रचंद
तिलवाड़ा कृति
1728 कृति खरतर
पिचिया के कृति
Page #155
--------------------------------------------------------------------------
________________
136
भाग ४–जन इतिहास व वृतान्त 4 5
23
ЗА
170
बा. 327 | चन्द्रायणरास
Candrāyana Rāsa
अज्ञात
171
172
B-892 | चन्द्रोदय चौपई रा. 32/26| चंपकचरित्र रा. 25/4 | चित्त ब्रह्मदत्त चौपइ
Candrodaya Caupai अभयसोम d/o
सोमसुंदर Campaka Caritra
चौथमळd/o
हीरालाल Citta Bramhadatta Caupai कनीराम
173
174
24/7
175
| चित्तसंभूत चौढालिया Citta Sambhita Caudhalia| अज्ञात 176 | बा. 328 | चित्रसेन पद्मावती कथा | Citrasena Padmavatr पा. राजवल्लभ do मू. प.
Katha महिमानिधान 177 | सि. 475
" ॥ मू+ट (प.ग.)
178 |
B-400
179
|
B-26
180
,, Caupai
B-95
, चौपइ रा. 14/20| चेलणा चौपइ | सि. 476
रामविजय d/o
जिनहर्ष ऋ. दयाचंद
181
Celnā Caupai
,
182
रामd/oकनकविजे
183
सि. 477
184
185
चौढालिया
Ceinā Caudbāliyā
ऋ. रायचंद
186
रा. 24/8 | चौढाल्या चौपइ संग्रह बा. 330 जंबकुमार चरित्र
Caudhalia Caupai । संकलन
Sangraha Jamba kumāra Caritra | भुवनकीति
187
188-90/ B-198, | चौपइ 3 प्रति
454 गू.71 191-3/ रा. 21/9, जंबूगुणरत्न माला 3 प्रति
32,34,12| 194-5 रा.21/4,7| जंबूरास 2 प्रति
" , Caupai | नयविमल d/o
धीरविमल ,, Gupa Ratan Mala| अज्ञात
„ Rāsa
196
चौ. 119 | जंबू स्वामी कथा
,,Svāmī Katha
197 | B-39
198
| सं.बा.
199 | सि. 480 |
Page #156
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ - जीवन चरित्र व कथानक
चन्द्र राजा चरित्र
जीव दया पर
जीवन चरित्र
उत्तराध्ययन कथा
=
शील पर
उत्तराध्ययन प्रसंग
31
21
दानशील
जीवनी ऐति
11
7
ऐति. जीवन प्रसंग
4:5
"
19
11
11
"
"1
"
8
43
3
6
ལྷ ཛྱཱ ཎཱུ ཀླུ ང ཞ
21
৩oon
6
औपदेशिक चरित्र 68
जीवन चरित्र
10
9
5
7*
35
9
23
42
8A
19
24 x 10*14 x 38
26 × 11*15 × 56
25 x 12*18 × 57
26x12*12 x 45
26 ×19 *19 × 50
25 × 11*18× 48
25 × 10 * 18 × 48
24 x 11 * 16 × 37
24 x 11*19 x 44
24 x 10*17 x 50
27, 26, 24 से 26 × 13 से 17 30
36,31, 26x12*fafw 25
30,37 25 x 1226 x 13
11 × 26*17 x 36
24 x 11*13x 30
26 x 11 12 x 34
24 × 1। * 7 × 44
25 x 11 *9 x 48
26 × 12*16x43
23x11*15 x 40
24x13 *13 × 38
24 x 10*15 x 45
24 x 10 * 13 x 33
28 × 13 * 10 × 31
25 x 11 * 10 x 34
33
पू 9 अधिकार | 237 गा. 19वीं जीतसागर ग्रं. 1610
सं. 7 ढा.
"
"
अ. दूसरे खंड की 10वीं ढा. तक
सं. 4 ढालें
,"
"
"
37
31
"1
TT. 257
9
चार खंड
20 वी
19af
18वों
1524 की कृति
ग्रं. 1228 टब्बासह 1979 सिवाणा कपूरचंद टब्बाकर नयविजय
"
1872 × बालसागर
1874 जैसलमेर जयचंद्र
1823 बीकानेर कीर्तिधर्म 20वीं x रामकृष्ण
"
"1
"
513 दलो.
505 लो
13 ढा.
17ढा. (अंतिम दाल 20वीं
अ. ढाल 3 से 24 अंत तक
504 लो
31. ढा. गा. 495
1930 करमावास
20 वीं
सं. 4डा. 1स्त तीर्थकर 20वीं संतान ÷ प्र. 30 चरित्र
सं. 4 अ. ढा. 55
12 T.
35 ढा.
50 डा. (प्र. में 1
पक्षा कम) पू. (छठा पन्ना कम )
सं.
35 ढा. ग्रं. 1100
L
ग्रं. 400
1760 बिल्हावास भत्ता
1987
1957
10
31
31
18वीं
19वीं ( है
20वीं
1929
137
11
पहिला पन्ना कम
1981 सादड़ी कृति
पीपाड़ कृति
1708 करमावास आत्मानंद
1882 षोभ हितसमुद्र
1814 बीकानेर कृति खरतर बेमशाखा
÷ ऋ. रायचंदजी कृत पहिले 2 पन कम है
गृही नगरी क
मेला सांकृत
मुख्यर की अलग प्रविष्टिी की है
1893 पालीताणा माणिकचंद
1738 की कृति
जीर्ण
Page #157
--------------------------------------------------------------------------
________________
138
1
200
201
202
203
204
205
रा. 24 / 3 | जिनदास सुगुणी चरित्र
सि.नु. 923 जिनदास सोहगदे सहाय
.सि. 484
जीरण सेठ पारणाधिकार
रा. 25 / 7 झणकारकासती चौपड़
fir, 489
208-11 f. 485-88
212-3 सि. 490-91 झूठल सम्बध
206
207
214
215
218
219
220
216-7.21/1-2
fer, 492
221
222
223
224
225
226
227
2
228
229
सि. 481
रा. 24 / 8
सि. 483 जब (यव) मुनि चौपड़
बा. 331
B-965
सि. 493
-1064
रा. 24 / 8
बा. 332
बा. 333
बा. 334
बा. 335
बा. 359
at. 336
B-702
जंबू स्वामी कथा
जयघोष चौपद
fer. 494
"
ढालसागर
"
"
"
Jtrapa Segha Paragādhi- मुनिमान
kāra
Jhagakārakā Sati Caupai
षभ
झांझरिया ऋषि सझाय Jhathjhariya Rai Sajjhāya
चौढालिया 4 प्रति
Caudhaliya
17
3
"
"
"
33
"
"
"
"
"
"
"
2 प्रति
तावली तापस ढालिया Tambali Tapasa Dhaliyā | अज्ञात
तिलोक सुन्दरी चौपड़
Tiloka Sundari Caupai
तेजसार चौपइ
Tejasar. Caupai
वैतसीपुत्र चौपड़
Taitaliputra Caupai
त्रिषष्ठी शलाका पुरुष
Tripathi Shalaka Paruta हेमचन्द्राचार्य
Caritra
"
चरित्र
"
11
2 प्रति Jhuthala Sambandha
Dhalasagara
"
"
Jambu Svāmī Katha
Jaya Ghosa Caupai
Java Muni Caupai
"
21
"
"
अज्ञात
Jindāsa Sugunf Caritra अमोलख ऋषि
Sohagde Sajjhāya| गुणहर्ष शिष्य
"
"
21
3A
ور
11
"1
"
11
31
"
11
"
"
"
11
15
""
आसकरण /o प रायचंद
लब्धिविजय d/o गुण
भावरश्न d/o
महिमाप्रम रामचंद मुनि
27
4
गुणसागर d/o
,,
माग ४ जैन इतिहास व वृतान्त
ار
सबलदास
"
बुशललाभ d/o उभयधर्म जयमलजी
"
पद्मसागर
"
21
ग
""
"
11
33
"
"
11
"
"
11
23
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.
मू. प.
"
31
"
11
52
हि.
मा.
13
11
31
11
11
11
11
"
"
33
22
"
"
11
सं.
"
ار
6
"}
11
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________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
139
8A
1
1011
जीवन चरित्र
।
20
27x13*11x33
सं. ग्रं. 850
1965 सिवाणा कपूरचंद ... सामान्य
उत्तराध्ययन कथा 68* | 24x11*19x44 |, 7 ढा.
20वीं
1830 मेड़ता कृति अज्ञान परीषह 22 x 12*18 x 48 , 10 ढा.
, xजांशी बद्री परिसहो इकसमो नामे दया पर 24x12*16 x 48 ,, 4 खंड प्रशस्ति है | 20वीं
1960 की कृति शील पर
16 x 10*19x14 ,, 23 गा. पन्ने 36-37 1845 महावीर जीवन प्रसंग 26 x 11*9 x 35 ,, 28 गा.
1922 औपदेशिक जीवन | 70* | 25 x 13*17x37 ,, 35 ढा. = गा. 909 1946 घमणोर इन्द्रचंद . 1934 कृति क्षमा शील पर | 34* 25 x 11*13x14 , 38 गा.
18वीं 2,3,2,2 23 से 26 x 10से 12 , 4 ढालें
19/20वीं 1756 कृति पुन मियागच्छ श्रावक व्रत महिमा 3,87* | 25x11व26x12
1943/51 1910 जोधपुर कृति पाण्डव यादवरास 85 | 26x12*17x62 , 9 अधिकार 151 ढा. 1863जसोल पविजय 1672 ऋषिटेश्वर
कृति __108 | 25x11*14x46 पू. अंतिम पन्ना कम | 19वीं
, 5 ढालें
वरन
105, | 25x12*विभिन्न सं. 151 ढा. ग्रं. 4000 20वीं 1676 तुर्कटेश्वर ? कृति
1351 भगवती सूत्रे कथा 87* | 26 x 12*26 x 64 , 9 ढा.
1944ब्यावर सुल्तानमल चौविसवां जिनगोल पर
6 25 x 11*15 x 37 |., 12 ढा. 1998 देवीपाली, उजला 1892फलोदीकृति गोक्षगामीको जीवनी 15 26x10*14x51 | पू. 415 गा. प्र. पन्ना कम 19 वीं दी।नगर रत्नसागर 1624 वीरम
पुरी कृति सम्यक्त्व पर 8* | 24x11*19x44 | सं. 8 ढालें
20वीं
1825 नागौर कृति
7वां पर्व राम कथा 89
25x10*15x49 | प्र. 13 सर्ग
17वीं नागपुर तुलसीदास
3वां पर्व यादव कथा 136
31*13*14x48+, 12 सर्ग, ग्रं 4689 1447भगकच्छपुर सहजतिलक प्र.2 पन्ने कम
25x11*15x45
4710 | 16वीं
25x11*13x37
17वीं
27x12*10x30
| संपूर्ण
1942 जैसलमेर रूपचन्द
महावीर चरित्र परिशिष्ट पर्व
26x11*16x55
सं. 13 सर्ग ग्रं. 3457 - 16वीं
स्थविर चरित्र
27x11*11x37
अ. आठवा सर्ग अधूरे तक 18वीं
61 | 28x12*11x37 । प्र. तीसरे सर्य तक
। 20वीं
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________________
140
1
230
231
232
233
234
235
236
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238
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243
244
245
246
247
250
251
252
253
254
2
सि.गु. 889 थावरचापुत चौढालिया
सि. 495
""
सि.गु. 889 दर्शाणभद्र चौढालिया
वा. 339
fer. 501
248
सि 502
249 fer, 504
सि. 503
fer. 505
fir 506
चौ. 131
ar. 372
11
सि. 496
बा. 337
B-1066
B-202
बा. 338
सि. 499
चौ. 122 देवपाल कथा
सि. 500 देवश्रेणा चरित्र
द्रौपदी चौपद
11
11
11
दस दृष्टान्त बालाविबोध
ख. 497
दामनकारी चरित्र
fer. 498
देवकी चौप
रा. 24 / 2 | देवकी ( षट्पुत्र) रास
B-779
,( गजसुकमाल ),"
11
21
31
11
देवदत्त ढालिया
ا"
"
11
3
"
11
"
31
"
(पूर्वभव) सझाय
द्वारिका नगर नी दाह
धनाजी चौढालिया
धना शालिभद्र परित्र
23
""
Thāvaracāputra Caudha क्षमाकल्याण
liya
"
अज्ञात
Dars'āpa^hadra Caudha - धर्मसी / विजयहर्ष
liya
31
Dasa Dretanta Bälävi
"
"
Damanakart Caritra
Devaki Caupai
11
3A
11
"
"
"
Devadatta Dhaliya
Devapala Katha
Devas'rega Caritra
Draupadi Caupai
"
Rāsa
"
11
21
ر
bodha
Calitra
11
अज्ञात
कुशलसागर d/o रामहंस
4
मागनुमार शिष्य
रतनचंद
अज्ञात
11
23
भाग ४ - जैन इतिहास व वृतान्त
रतनधर्म
अज्ञात
Sajjhaya
रतनचंद
Dvārika Nagara ni Dahal अज्ञात
Dhannāji Cauḍbālia
Dhanna S'alibhadra
वृशालचंद
समयसुन्दर
कनककीति d/o जयमंदिर
(हीरविजयराज्ये)
"
आसकरण d/o रायचंद
धर्म कुमार
)
प
;1
"
"
ग
"
7
21
11
मू. प.
प
"
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5
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31
11
11
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11
सं.
मा.
""
"
"1
6
"3
""
"1
27
मू-+-अ (१.ग.) सं.
भू.प.
ご
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________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
141
-
____ 7
8
|
8A
|
___10
संयमजीवनी
|
2
33x22*54x32
सं. 4 ढा.
1926 अजीमगंज जीवा .
87*
26X12*26x64
, 6 ढा.
1943 बागावास सुल्तान मल
जीवन प्रसंग
33 x 22*54x32
1926 अजीमगंज जीवा
87*
26 x 12*26x64
1943 वागावास सुल्तानमल
चरमजिनेसर
नितन
तत्त्व उपदेशात्मक
25 x 11*13 x 46
, 10 दृष्टान्त
17वीं
25X13*17x35
अ.9
तक
19वीं
औपदेशिक
87*
26x12*26x64
सं. 8 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल
ऐति. जीवनी
25x11*16x34
20वीं
रिठनेमी नामेहुवा
,, 11 ढा. , 19 ढा. गा. 307
25 : 12*15x37
गजसुकमाल प्रसंग
27x11*15x40
अ. राज्याभिषेक तक है | 1882
भद्दलपुर नयरमझे
87* | 26X12*26X64
सं. 7 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल 1891कोसाणा
कृति
जिन पूजा पर
26 x 11*19x54
, 123 श्लोक.
18वीं
औपदेशिक
26 - 12*26x64
,, 9 ढा.
| 1943 बागावास सुल्तानमल 1898 सोजत
कृति
ऐ. जीवन चरित्र
25
24 x 10*15x45 ,, 3खंड34ढा.606गा., 1721 जोधपुर सुगुणकीति 1700 अहमदा1001 ग्रं.
बाद कृति 21x10*13x31 |, 39 ढा. प्रशस्ति है । 1843 शिवाणा पद्मविजय 1693 की कृति
26X11*15x50
अ. बीच के पन्ने त्रुटक | 19वीं
25x10*18x45 | सं. 14 ढालें
1879सोजाली पृथ्वीराज शील बड़ो ब्रतोमधे
25x11*19X35
, 17 ढा. 20वीं (भूमिका में कर्ता रतनचंद 16वीं ढा. में
गुणसागर) अ. 24 ढा. से अधिक | 1943 बागावास सुल्तानमल
26x12*26 x 64
26 x 11*14x27
सं.4 ढा.+ 1धर्म सज्झाय 20वीं
ऐ. वृतांत
26x12*26 x 64
,, 16 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल
श्री नेमीनाथ
समोसर्या
कठोर तप
25x12*19x58
,, 7 ढा.
20वीं
दान पर
26x12*14x50
,7.प्र. 1224 ग्रं.
16वीं
20 | 28x11*20x67
, 1224 श्लो.
Page #161
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________________
142
भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त
1
2
3
3A
4
5
6
255 | B-132 | धन्न शालिभद्र चरित्र
सं.मा.
256 | चौ. 132
Dhanna Salibhadra कीर्तिसूरि d/o | मू+ट (प.ग.)
Caritra सोमसुंदर " Caupai जिनराजसूरि (मति-प
साराजिनसिंहसूरि
"
, चौपइ
"
5प्रति
257-61 सि. 603-6,
गु. 912 262-4B476,777,
10291 265 बा. 340 |
प्रति
सबलदास
266-7 रा. 23/12
13 सि. 507 ||
चौढालिया
,,Caudhaliya| फतेहचंद
269 | सि. 607
नौपइ
,, Caupai
270
B-1076
271
सि. 608
सिलोको
, Siloko Dharmadatta Kathāgaka
272 |बा. 341 | धर्मदत्त कथानक
मू.ग.
273
B-696
धर्मपरीक्षा कथा
मू.ग.प.
Dharma Pariksa Katha | जयविजय d/o
विजयप्रभ Divjakumāra Kathā
274 | B-666
ध्वजकुमार कथा
मू.ग.
..
"
275 | सि. 508 | नंदबत्रीसी कथा
Nanda Batrisi Katha
मू+टो(प.ग.)
सं.मा.
276 सि. 508 नंदमणियार चौढालिया | Nanda Manjiyara
अज्ञात
Caudhāliyā 277-8B251,417 नम्मयासुन्दरीरास 2 प्रति Namaya Sundari Rasa | मोहनविजय d/o |
रूपविजय 279 | बा. 342
280 | सि. 514
नर्मदा सुंदरी चौपइ
Narmada Sundari Caupai ऋ. रायचंद
281-4 सि. 510-3| नमिराजर्षि चौपइ 4प्रति| Nami Rajarsi Caupai
| ऋ. धर्मी मुनिराय
285-7 रा-27/63-5/
, ढालिया 3प्रति
,
,
Dhaliya
आसकरण
288 | बा. 343 | नल दमयन्ती चौपइ
N ala Damayanti Caupai | समयसुन्दर
,
, 4 प्रति
,
,
, d/oसकलचंद
289-92/B203,276,
423,882 293 | रा. 24/9
मू+ट प.ग.)| प्रा.मा.
294 चौ. 120 | नवकारमहात्म्य कथायें | Navakāra Mahatmya
Kathāyem 295 | सि. 515 |
,
मेरुतुङ्ग (अंचलगच्छ) मू. प.
Page #162
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________________
बभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
143
8A
10
11
न पर
94 | 25x11*6x42
सं. 9 पल्लव
1875 काणाणा रत्न विजय
तपगच्छीय
25 | 24x11*13x35
, 29ढा.गा.500.675/ 18वीं
1678 की कृति
प्र. अ. शेष पूर्ण
18/20वीं
8,19,31 22से25 x 11से 12
14,24| 14,20, 25x11*विभिन्न
13| 15 24x10*16x45
सं.
19वीं
,, 29ढा.497गा.675. 1811 जसोल शुभाचंद
39,39, 25x13*18x34
,, 61 ढा.
1960 बीकानेर
1863 नागौर कृति
87*
26x12*26x64
5 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल
24x10*13x44 | अ.
19वीं
शासन नायक समीरइ
22x13*13x25
25x11*14x42
सं.
1978 कोटड़ी हस्तीमल
पदेशिक
26X11*15x53
17वीं
इह भरत क्षेत्रे कवमीर देशे
फल
25 x 11*15 x 43 |, 367 अनुच्छेद
1871xविवेकसागर
पर
26x13*13x39
1647
ति. औपदेशिक
25x11*19x60
पदेशिक
26x12*26x64
|, 4 ढाले
+आर्द्रकुमार व चन्द्रवा
दृष्टांत 1943 बागावास सुल्तानमल तिणकाले
तिणसमे चौथा 1,63,64ढा. गा.1454 | 1855/1905 1764 समो कृति
प्रशस्ति है। |, 63 ढा. 1466 गा. | 1904 पचपदा विवेकविजे
25x11*17x47
15 125x11*13x34
10
27x11*20 x 37
1, 28 ढा.
20वीं
इस गृहस्थ संवाद 5,3,3,3/ 20से25x10से12-
7 ढा.
20वीं
उत्तराध्ययन अनुसारे
4,5,6 | 25x12*विभिन्न
7 ढा.
=95 गा.
1964 .
1839 कुचेरा कृति
विन चरित्र
23
25x10*16x58
6
प्रशस्ति है
3 गा., | 17वीं x दयाशेखर 1350 ग्रं.
18/19वीं
1673 मेड़ता कृति
28,37, 24से 26 x 10से11 27,38/ 20 | 25x12*18x65
20वीं पीपाड़ जीवनदास
, (आणंद)
2725x12*15x42
X42
अ.
18वीं
20* | 29x12-17x50 । सं. 294 लो.
| 16वीं
। 10
1444 कृति
Page #163
--------------------------------------------------------------------------
________________
144
भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त
3A
296
चौ.92
नवकार महात्म्य कथायें | Navakāra Mahātmya
Katbāyem
297
बा. 344
298
बा. 345 | नागमन्तु (त्र) कथा ।
| Nagamantu (ra) Katha
299
|
सि. 516 | निर्मोही राजा चौढालिया Nirmobi Raja Caudhalia रतनचंद
300
सि. 517 | नेमीजिण चरियं
Nemi Jima Cariya
301
बा. 347 | नेमीनाथ चरित्रं
Nemi Natha Caritra
302 |
B-321
, पंचकल्याणक
, Paicakalyapakal
, फागरास
„ Phāga Rāsa
पुण्यरत्न
|| सि.गु. 923 304 | B-378
रूपचन्द
305-6 सि.गु. 862, नेमीनाथ नवरसा 2 प्रति| Nemi Natha Navarasa
914| 307-8| B-85,759 चौक 2 प्रति
Cauka 309 | चौ. 121 |
अमृतविज do
विवेकविज
सि.गु. 889|
"
चौपइ
" Caupai
रत्नमुनि
311 | रा-32/38
, ,, चरित्र
,
Caritra
ऋ. जयमलजी
312 | सि. 518
जीकेकड़े 3 प्रति
,, Kade
313-5 सि.519, |
520 गु.914/ 316 | सि. 521
,, चौढालिया
, Caudhaliya
317 | B-गु. 11
___, नवमङ्गल
, Navamaigala| लाल , Katha
विमलसूरि
बा. 346
"" कथा
"
B-435
| पउम चरियं
Paumacariyam
Pañcada da Caupai
Padmiot Caupai
रा. 25/2 पञ्चदण्ड चौपइ B-1081 पद्मिनी चौपइ
बा. 348 पर्वरत्नावली 323 वा. 353 | पाण्डव चरित्र 324-5| रा-22/1-21 , , 2 प्रति
लाभवर्द्धन d/o |प
शातिहर्ष लब्धोदय djo
ज्ञानसमुद्र जयसागर o | मू+4 जिनराज
मू+ग
Parva Ratnāvalt
Papdava Caritra
,
,
लालचंद (लाभवर्धन) प
Page #164
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अजीवन चरित्र व कथानक
भक्तिफल
"
सर्प विष
जीवन चरिष
तीर्थंकर चरित्र
"
पांच कल्याणक
जीवन प्रसंग
11
11
7
जीवनी
"
भक्ति / प्रसंग
जीवन प्रसंग
"
8
23*
87*
56
11
6
6
5
6
2
2,3
7,6
5
I
12
जीवनी
सीताराम कथा
विक्रम चरित्र प्रसंग 21
शील
धर्म कथायें
महाभारत कथा
13
6,3,8
11
6
7
73
24
12
8A
113
25 × 11*11 × 28
22 x 10 * 12 × 31
26 × 11*16 × 53
26 x 12 * 26 x 64
27 x 11 * 11 × 27
25 × 11*11x44
24 x 11*15 x 45
26 x 11 22 x 48 26×11*14 × 45
30 x 12*19 × 54
26 × 12*18 × 54
7175 26x12* विभिन्न
16 x 10*19 x 14
25 x 11*14 x 57
23 x 13*16 x 3
25 x 12* विभिन्न
26 × 11*14 × 41
33 × 22*54 x 32
25 x 12*15X44
23x 11*14x44
16 से 25 x 11 से 13
25 x 11 * 13 x 34
21 × 14 * 17 × 21
25 x 12*16 x 39
26 × 11*14 × 39
सं.
==
"
11
"
अ. गा. 97 से 1066 अंत तक ग्रं. 1334
सं.
अ. चौथे कल्याणक तक
सं. 65 गा.
"
11
31
"
11
"
9/8 ढ
, 24 x 4 = 96 पद
"
2 कथा
5 ढा.
अ.
" "
11
63 गा.
9
ग्रं. 525
,
1861 जसोल सदानंद
20वीं
19वीं
1943 बागावास सुल्तानमल
19वीं
1760 सीप्री सुथा अमीचंद
20वीं
1845
20बीं
52/53 मा.
पू. 50गा. अंतिम गा. कम 20वीं
सं. 9 मंगल
11
1826/20 ff
19/20at
1867 x बखतचंद
1926 अजीमगंज जीवा
20वीं
10
19/20 f
11
19वीं
,, लगभग 2500गा. तक है। 16वीं
सं. 85 ढा. 974 गा.
20वीं
अ. (पहिले 4 पन क्रम) 3 खंड 1785 x धैयं सागर ( प्रशस्ति है ) 1478 परिवसरे नगरपतने
सं. 616 श्लो.
18 (प्रथम पत्राक्रम) 1800 जसील
"
150 वा. ग्रं. 3785 19/20वीं
145
1876 पाली
कृति प्रथम के 6 पन्न े कम हैं
कल्पान्तवच्य
कल्पसूत्रानुसार
जीर्ण
सामान्य
1839 कृति
""
1874 कृति
नयरसोरीपुर राजियोरे
1744 जयपुर कृति
1733 की कृति
1773 उदयपुर कृति
1767 बिलावास कृति
Page #165
--------------------------------------------------------------------------
________________
146
माग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
3A
4
5
6
326
327
B-57 पाप बुद्धिराजा धर्मबुद्धि- Papabuddhi Raja Dharma
मू.ग.प. मंत्री
buddhi Mantri B-66 (,) , चौपइ
, Caupai | दानविजय d/o
कमलसोम B-244
.) " "
लालचंद(लाभवर्द्धन),
....d/o हर्षगणि बा. 354 पार्श्व नाथ चरित्र Pars'va Natha Caritra | भावदेवसूरि | मू. प.
328 |
329 |
330 IB. 187
मू+ट (प.
(प.ग.)
,, d/o जिनदेव उदयवीरd/०संघवीर मू.ग
331 | B-186
,,d/oहेमसोम? Pundarika Caudhaliya , रतनचंदd/oगुमान
B-393
पुण्डरीक चौढालिया 334
पुण्यधन कथा 335 | बा. 370 | पुण्यविलास रास
Punyadbana Katha
Punya Vilasa Rāsa
जिनहर्ष ,,d/o शांतिइर्ष
336 |
B-464
सि. 525 | पुण्यसार चौपइ
Punya-ara Caupai
पुण्यकत्ति do
हंसप्रमोद
338 | B-259
339
सि.524
340
सि. 523
चौथमलd/oनथमल
341
सि. 526 | पुण्यसेन चौढालिया।
Puņyasena Cauļbāliyā
| अज्ञात
342 |
पुरंदर चौपइ
Purandara Caupai
मालदेव आणंद
343
| सि.527 |
पुष्पचूला चौढालिया
Pupacālā Caudhāliyā
ऋ. रायचंद
344 बा.356 पूजाष्टकं
Pajāatakam 345 | सि 528 पृथ्वीचंद सागरचंद Prthvicanda Sagaracanda| अज्ञात
चौढालिया
Cauļbāliya 346 | B-220 प्रत्येकबुद्ध चौपइ P ratyekabuddha Caupai | समयसुंदर d/o
सकलचंद 347-9 सि. 205,
" , 3 प्रति 211,573 350 सि. 529 , चौढालिया
, Caudhaliya रा. 24/8 | 352 बा. 351 | प्रदेशी केषी अधिकार | Prades'T Kesh Adhikāra । ज्ञानचंद
Page #166
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________________
विभाग-४ अ--जीवन चरित्र व कथानक
147
-
| 8
8A
9
10
11
धर्मोपदेशक
25x11*16 x 43
सं. गद्य+51 श्लो.
19वीं राजनगर, मानशेखर
26x11*15x48
, 341 गा. प्रशस्ति है | 1758 कालू, रामचन्द्र
25x12*16x38
तीर्थंकर चरित्र |
26x11*18x69
25x12*7x40
,, 532 गा. = ढाल 39 | 1865 x परवारेण 1742 कृति ,, 8 सर्ग गा. 6500 15वों
प्रशस्ति है। |, ,, कुल ग्रं. 18,221 1865 काणाणा रत्नविज पाटण 1212 कृति |, 8 सर्म ग्रं. 5,500 1746 मेदिनीपुर सुगुणकोत्ति 1454 कृति प्रशस्ति है।
तपगच्छ 1850 जसोल रयणसागर 1444 कृति
26- 11*15x52
26 x 12*
कामभोग पर
| 24x 11*19x44
,, 8 ढाल
20वीं
1891 रणसीगाँव कृति 1891 रणसागाव
पुण्य प्रभाव
29x7*विभिन्न
अ. 912 श्लो. प्रारंभ । 19वीं (कटी-फटी) 1496 की कृति
पन्ने कम | सं. 20 स्था. कथासह | 1810 राथसिंह गौड़ोदास
पुण्य 20 स्थानक | 104-24x11*17x48
25x 11*16x52
20वीं x बालसागर
पुण्य पर
25x10*15x44
,, 202 गा.
1733 न उहलाई ऋ. जीवण
26x 11*14x57
,9ढाल प्रशस्ति है | 1796 गोपालपुरा उदैचंद
1666 कृति
26 x 11*19x 49
|, ,, गा. 201
1811 समदड़ी
25x12*18x
।, 51 ढाल
20वीं (जयमल संप्र.) 1979 नागौर कृति
दया पर
25x11*13x36
।
19वीं
अरिहंत सिद्धने साधुजी
शील पर
27x11*16x56
,367 गा.
18वों
साध्वी संस्तारक
24x11*18x39
, 9ढाल
1900 मोकलसर उजलाजी 1840 जोधपुर
कृति
पूजा कथानक
26--11*18x51
, 1012 गा.
17वीं
अष्ट प्रकारी पूजा के
भावना पर
25x.11*15x40
, 4 ढाल
20वीं
4जीवनियाँ
26 x 11*14x39 |, 4खंड,45 ढा.870गा. 1767 बासणी दीपविजय 1662 आग्राकृति
1200 ग्रं 27,27, 22मे 26x11.
18/19वीं
भैरू शा. के आग्रह से 25x11*18x48 , 5 ढालें
19वीं
24x11*19x44
"
"
20वीं
तत्त्ववाद प्रसंग । 20 | 25x11*17x47
, 41 ढा., 587 गा. 1786जैसलमेर भीमराज राज प्रश्नीयानुसार
Page #167
--------------------------------------------------------------------------
________________
148
.
भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त ।
-
-
__ 1
| ..2
30;
__ 45
मा.
353-4l B-252. देशो केशी अधिकार | Pradisi Kesi Adhikāra | ज्ञानचंद 418|
2 प्रति 355-6 सि. 530-1| प्रदेशा राजा चौपई |
, Raja Caupain ऋ. जयमलजी
2 प्रति 357 . 25/8
358
B-715
तिलकचंद do
जयरंग अज्ञात
359-60/ रा.23/5-6
2 प्रति
"
"
361
| बा. 349 | प्रद्युम्न चरित्र
| Pradyumna Caritra
मुनिदेवसूरि
म.प.
बा. 350
वा. रत्नचंद
363 | B-1075 | प्रद्युम्न चौपइ
,
Caupai
समयसुन्दर
364
सि. 532
" सज्झाय
नंदलाल शिष्य
,, Sajjbāya , Dhaliya
365 | सि. 534
ढालिया
-
366
सि. 533
|
, चौपइ.
,
Caupai
367 | बा. 352 | प्रबोध चितामणि
368 |
| सि.गु. 889 प्रभंजना सज्झाय सि. 535 | प्रसन्नचन्द्र चौढालिया सि. 536 | प्रियमेलक चौपइ
Prabodha Cintamani | जयशेखर अंचल- | मू.प.
गच्छीय Prabhanjana Sajjhāya | देवचंदजी do |प
दीपचंद Prasanna Candra हीराचंद
Caudbāliyā Priyamelaka Caupai समयसुन्दर
370
371
| बा. 355
372 | B-215
373-4B243,884/
2 प्रति
d/o सकलचंद
375 | B-234 बंकचूल चौपइ Bankacula Caupai नारद d/o ऋ.धाउ सि. 538
लालचंद do
दौलतराम 377 सि. 537 , ढालिया
, phaliya राय रतनचंद बल्कलचीरि चौपइ B alkalacrri Caupai समयसुन्दर | बावनाचंदनकुमारी चौपई| Bavana Candana Kumari| मोहनविमल
Caupai B. 821 ( बुद्धि दृष्टान्त ( Buddhi Destanta
Page #168
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________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
149:
7
8A
.
9
__10
11
तत्ववाद प्रमंग
28,21 25x11425x12 | सं. 41 ढा.
| 1870/1875
राजनगर कृति..
21,13/ 25x11425x12
,34/21 ढा. ग्रं.735 | 19वीं
_12_25 x 12*15 x 46
, 21
. 1877 कृति 1747 कृति खरतर
6
25x11*15x45
| 20वीं .
, | 1898/1953
, 13 ढा. प्रशस्ति है
18,22] 25x12424x12
,
कृष्ण पुत्र चरित्र
30x12*13 x54
, ग्रं. 4955 प्रशास्ति है। 1479
26x11*15x45
,, 17सर्ग,35693. ,, 1677 राजनेरवंदिरे : 1674 कृति अकबर
रत्नचंद्र
प्रसंग लगभग पूर्ण 20 ढा. 19वीं
25x11*16x41
24x12*15x41 सं.22छंद+2व्यंग सम्झाय 1984इंदाड़ा शिवनारायण 1964निमाहेड़ा
कृति 24x11*17x35
1917 , मन+...सुद्धसु, नेमनमु
23x10*11x30 | अ. 7वीं ढाल तक है
वा ढाल तक है
19वीं
नेमीसर गुण निलु
बीपदेशिक रूपक
26- 11*15x46 | सं.7अधिकार 996श्लो. 1714 तिलक शेखर
जीवन प्रसंग
| , 3 ढाल = 46 गा. | 1926 अजीमगंज जीवा
33 x 22*54 x 32 26x12*26 x 64
,5ढा,
1943 बागावास सुल्तानमल 1891 कृति
41710
17x10*22x42
पू. गा. 23से214अंत तक 1764 गढा म. थानचंद 1672 मेड़ताकृति
24x10*15x45
सं. 233 गा.
1819 लूणकरणसर पुण्यकमल
प्रशस्ति है
26 x 11*13x42
|, 11 ढा. ग्रं. 305
1723x रत्नविजय
16,10
24x11*विभिन्न
19वों
. खरतर
सील पर
28
।
25x11*15x35
कुसुमपुरे 16.3 कृति
,751 ढा. 781 गा. | 18वीं ऋ. नाथा 1111 ग्रं.
19वीं
| 25 x 11*16 x 53
1859 कुचामण कृति
26 x 12*26 x 64
, 6 ढा. 1943 बागावास सुल्तानपल 1891 रिणसी
गांव कृति 2 26 गा. प्रशस्ति है | 1700 x क्षमाशेखर 1681 जैसलमेर कृति
भावना पर
26x11*15x48
दया, शील पर
25x11*13x42
, 35 ढा.
:
20वीं
,
1758 देवगढ़ कृति
प्रकार कथाये
3 | 27x12*14x45
,, 4 कथायें
19वीं विवेकसागर
Page #169
--------------------------------------------------------------------------
________________
150
भाम ४-जैन इतिहास-व वृतान्तः
56
ЗА
381
सि. 540
अज्ञात
भरत चक्रवर्ती ढालिया | Bharala Cakravarir
Dhaliyā भरत बाहुबली संग्राम , Bahubalr Saigrama
B-166
भरहेसर बाहुबली वृति |Bharabesara,
vrtti शुभशील तपगच्छ
मू+बा (ग.) |
.
सं.मा.
384 | सि: 541 || भवदत्त भावदेव ढालिया| Bhavadata Bhavadeva | रायरत्नचंद
Dhaliya 385. सि. 542 भवदेव नागला चौपाइ Bhavadeva Nagala Caupai . चौथमल
सि. 543 भवान्तरी
Bbavāntart
सोहन मुनि सि.गु. 931 भीमसेन चौपइ Bhimasena Caupai सुन्दर सूरि do |
समुद्रसूरि सि. 544
चौथमलd/
नथमल सिः 545 | भृगुपुरोहित चौढालिया Bbrgu Purohita Caudha- | जयमलजी
liyā B-173 भोज चरित्र . Bhoja Carita
राजबल्लभ घोषगच्छ मू+ट (प.ग.)
390
391 | बा. 357
392
| Maigala kalasa Caupai लक्ष्मी हर्ष
Matisagara Setha Katha| कांतिविजय
सि 546 | मङ्गलकलश चौपई सि. 547 मतिसागर सेठ कथा रा. 32/27 मदनकुमार चरित्र चो. 124 | , वार्ता
Madankumara Caritra | अमोलक ऋषि
"
, Vartta
दाम ऋषि
396 |
B-1014
397 | बा. 358 | मदनरेखा सज्झाय
Madana Rekha Sajjhaya| अज्ञात
398 | सि.549 |
"
"
,
- उपरोक्त
399.
रा. 25/1
B-780.
401
सि. 548
मदनसेन चरित्र
Madana Sena Caritra
ऋ. सांवतd/
बक्तावर सबलदास
402:
सि. 550
| मरुदेवी चौढालिया
Marudevt Cauļbāliā
403
सि. 551 मल्लिनाथ चौपइ
Mallfpātha Caupai
भेरवd/उज्जवल
404
सि. 552
,
,
Page #170
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________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
151
क
8A
__ 10
11
ऐति. जीवनी
26x12*26x64
सं.9 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल अनित्य भावना
मन शुद्धे 19वी विक्रमपुरे
ऐति. प्रसंग
26x11*19x58
औपदेशिक कथायें
25x128x44 प्र. दो अधिकार60-38| 1852 पाट रुजीत विजय 1509 कृति कथाये
प्रशस्ति है 26x12*26x64. सं. 8 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल 1872 देवगढ़
,, जीवनी
कृति
शीलपर
25x12*23x35 |, 8 ढाल
20वीं
अंतिम ढाल रतनचंद कृत
3
26- 11*23x67
अ. बीच का 1 पन्ना कम
रामायण पात्रों के
पूर्वभव भावना पर
25x15*16x38
.4 खंड 59ढा.1428 गा. 1769x सुंदरसूरि क्षमासुंदर स्वयं लिखित
दयाभावना पर
9*
22 x 11*21 x 42 | सं. 14 ढाल
-1974 x चौथमल प्रथमादर्श 1974वृचेराकृति
उत्तराध्ययन कथा
24x12*17x36
जीवन चरित्र
27x12*6x42
, 4 ढाल+1 सज्झाय | 1904 पाली टोकमदास
नसिंह कृत , 5 प्रस्ताव 6019 ग्रं. 1872 काननपुर भक्तिविजय धर्मसूरि संतानीय
टब्बे के | ,, , ,मू.श्लो. 1599 1858 बूआड़ा पद्मविजय ...
27X12*6x42
दान पर
| 25x11*15x35
, 27 ढाल
1967
काकंदी कृति
रविव्रत कथा
23x11*15x34
|, 32 गा.+1सज्झाय | 18वीं
अंत. में बिच्छू मंत्र
जीवनी
90
25 x 12*15x48
,,7 खंड
:
1964 कृति
20वीं 19वीं
पुण्य ब्रह्मचर्य उपर
7
20x11*15x34
, गद्य+100 गा.
5 | 22x11*10x35
, 117 गा. पद
,, x सागर गणि
शील पर
25 x 11*10 x 31
|, 161 गा.
19वीं
जूआ मांस दार तणो
25x11*14x37
, 185+22 गा.
20वीं
24x12*10 x 27-|,, 178 गा.
अ. बीच के पन्ने कम
जोधपुर
... माया पुणतणी सहु
पुण्य पर
24x12*17x52 | सं. 30 ढा. प्रशस्ति है | 19/20वीं
1898 बीकानेर ऋति
जीवनी
25 x 10*13x43
, 6 ढाल+सज्झाय | 20वीं जालोर पार्वती आर्या
10
तीर्थकर चरित्र । 25x11*20x47 पू (प्र. पन्ना कम)26ढाल P3 25x11*20x55 | अपूर्ण
अपूर्ण
20वी
सुभटनगर
Page #171
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________________
152
भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त
1 | 2 | 3
3A 45 405 553 महाबल मलयासुंदरी चौपइ Mahābala Malaya जिनहर्षd/oशांतिहर्ष प
Sundari Caupai 406 रा. 24/5
407
सि. 554 | महावीर चौढालिया
Mabāvīra Caudbālia
| ऋ. रायचंद
408
B-1041
Stavana
| महावीर स्तवन रा. 24/8 महासंतक चौपइ वा. 360 | महिपाल चरित्र
सहज कुशलd/o
बानंदविमल | जयमलजी
Mahasantaka. Caupai
410
Mabipāla Caritra
वीरदेवगणि
मू+ट(प.ग.)
24.
"
411-2 रा. 17/12,
| 24/1 *413. | B-571
विनयचंदd/o
ताराचंद कुशललाम
माधवानल कामकंदला | Madhavanala Kama
चौपइ Kandala Caupai
414 | B-201
सि. 754
B-894
Caupai
बा. 493 :418 | सि.गु.931 मानतुङ्ग मानवती चौपइ | Manatunga Manavatt | सुन्दरसूरिd/o |
समुद्रसूरि | सि.गु. 861 420 सि. 555
मोहनविजय do
रूपविनय 434 .16
422-5 B-2,253,
200551
जिणचदासरत
सामान्यसुंदर
438ौ . 125
.
CJ
मुनिपदि दरित
-
Manipariirs
.
:"PUnrn
2 प्रति
433बा . 36!
निपति चरित्र
Muninati Caritra
हरिभद्र उद्धरित ! मु. प.
प्रा.
प्रा.मा.
434 | B-279 | 435 | बा. 394
, सारोद्धार
| मू+८ (प.ग.) , Saroddhāra | (..) अज्ञाव | मू. ग..
Page #172
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________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
153
8
8A
10
11
शीलपरीषह पुण्य
26x12*16x43 | सं.4 प्र. 144 ढाल 19वीं
बागमियागच्छ खरतर 3398 गा. 3875
जिनचंदसूरि राज्ये 25x11*17x54 ,,,3009 गा. | 1902 विक्रमपुर केसरीचंद 1751 पाटण 4875 ग्रं.
कृति 24x11*14x36 |4 ढा.+1 स्तवन 1906 सोजत लक्ष्मीचंद 1939नागौर कृति
तीर्थंकर जीवन
जन्म कल्याणक
20x10*4x26
, 108 गा.
1949
1521 कृति
श्रावक चरित्र
24x11*19x44
13 ढाल
20वीं
उपासक दशाङ्ग कथा
जीवनचरित्र
23x11*8 x 37 अ. गा. 1836 1848
(पहले 8 पन्ने कम) 97,941 26X13424x12 |, 4 खंड 133 ढाल | 20वीं
1887 बाहदपुर कृति
शोल/साहित्यिक
25 x 11*17x57 |, 550 गा. 1691 सिरोही भीमा 1616 जैसलमेर कृति 25x10*13x45 " "
1750 फलवर्नी सुमतिविजय रावल हरिराज
___ हेतु रचित 25 x 10*15x58 | ., (650?, 550 गा. | 1762 जानियाना मथीण धनराज
26x11*16x45
,, 550 गा.
1815 रतलाम मेघराज
14X10*14X20
,,564 गा. 865 ग्रं.
1825 तिवरी हितधीर
सत्य पर
25x15*15x38
3 खंड23 ढा.484गा. 1769 (प्रशस्ति है) 1750 वीरातणा कृति
22x12*14x27
,
29 ढाल । | 1824 सिवाणा गोयदास
24x10*13x36
47 ढाल.
1787 वटपनगरे कनकविजय 1760
अणहिलपूर पाटण 20वीं
दुर्गादास राठौड़ राज्ये कृति
22x10*12 x 27
त्रुटक
80,27 23 से 27x11से 12
सं. 47 ढाल, अंतिम में | 19वीं .
प्रशस्ति है केवल 4 ढा. , ४ ढाल
20वीं सिवाणा उजलाजी जयनगर 1882कृति
6, 6
25x11*18x35
26x12*12X33
"7 ढा.
1904
25x11*11x34
,255 गा.
19वीं
25x10424X10
,, 14 ढा.
1727 कृति
भोजताउ कथा
25x11*16x52
,, ग्रं. 100
जीवन चरित्र
26x11*13x44
,650 गा. 721 ग्रं.
17वीं
27x12*6 x 40
,, 656 गा.
1898 बोरसद विवेकसागर
26 x 10*10x39
1929 जसवलपुर मनसुख जंबूद्वीपे भरतक्षेत्रे
Page #173
--------------------------------------------------------------------------
________________
154
:: भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
1
2
3
3A
4
5
Munipati Caritra Rāsa
436 | बा. 395 | मुनिपति चरित्र रास 437 - चौ. 127 |
"
धर्ममंदिर d/o
दयाकुशल
438
| सं.बा.
सम्बन्ध
| Sambandha
439-40 सि. 561-2|
"
, 2प्रति
441-5/रा.23/1-4, मृगलेखा चौपइ
5 प्रति
Mrgalekha
Caupai
ऋ. रायचंद
30/1/
446 | B-554
मृगाङ्कुलेखा चौपइ
| Mrgaika Lekha
,
जिनहर्षd/ कमलहर्ष
| सि. 563
,, खरतर 448 | B-277 | मृगापुत्र चरित्र Mfgāputra Caritra सि. 564 , सज्झाय
, Sajjhaya उदयविजय 450 B-1012 | मृगावती चौपइ Mrgavatr Caupai . । समयसुंदर खरतर
doसकलचंद 451-3 सि. 565-7 मेघकुमार चौढालिया Meghakumara Caudhaliya गुणसागर
3 प्रति 454 | सि.गु. 889 , ,
जिनहर्ष शिष्य 455 | बा. 396 | मेतार्य मुनि चरित्र Metarya Muni Caritra
2 प्रति| Metaraja Caupai
ऋ. रायचंद
Yas'odhara Caritra
क्षमाकल्याण
456-7 सि. 568-9 मेतारज चौपइ 458 | वा. 362 | यशोधर चरित्र 459-60| सि. 570-1| यादवरास 461
B-658 | रत्नचूड़ चौपइ
वा. पुण्यरत्न
2 प्रति Yadava Rasa
| Ratnacuda Caupai
कनकनिधान खरतर ,
462-4B-204, | रपाल रत्नवती चौपइ | Ratnapala Ratnavarr | सूरविजय d/o | 267,278] 3 प्रति
Caupai | सिद्धविजय तपा. 465 चौ. 128
मू+ट (ग)
प्रा. मा.
466 | B-248 | , रास
, Rasa
| मोहनविजय do
रूपविजय 467 | B-1051 | रत्न शेखर रत्नवती चरित्र Ratnasekhara Ratnavati] गौतम महावीर
Caritra
प्रश्नोत्तरे 468-70 सि. 572-4| रहनेमी चौढ़ालिया Rah nomT Caudhalia | ऋ. रायचंद
3 प्रति 471 | B-1084 | राजमार की कथा Rajakumara KT Katha
472
सि.575 | राजाउदाइ सज्झाय
Rājā Udai Sajjbāya अज्ञात | Ratri Bhojana Caupai | लक्ष्मीवल्लभ
। मं.बा.
। रात्रि भोजन चौपइ
Page #174
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ - जीवन चरित्र व कथानक
जीवन चरित्र
"
पर
"
"
उत्तराध्ययन कथा
17
"
7
जीवदया
दुगंछा पद
जीवन चरित्र
दान पर
8
27
53
54
514
7
3
25×13 * 11× 35
45,56 27 x 13425 x 11
18,21, 2444 x 1113 23,23,17
17
25 x 11 * 20 x 51
सती जीवनी
26×11*11× 43
ज्ञाता. प्रथम कथा 5, 87*3 2626 × 10 से 12
20
1
2
ऐतिहासिक
8,3
ओपदेशिक जीवनी 34*
58
39
8
ओपदेशिक जीवन 199
शीनपर
जीवनी
जीवन प्रसंग
ओपदेशिक
24 x 11 14 x 34
26 x 10 * 20 x 53
10,10 24×11*16×40
27 × 11 * 9 × 48
18 × 11 * 13 × 34
18
2
24 × 11 * 13 × 40
20
25 x 11 * 12 x 40
26 x 11425x11
25 × 11* 16 × 46
18,40, 23 से 25 x 11 से 12 33
21
21× 11 * 16 × 37
26 x 11 * 16 × 45
25 x 11 11 x 53
26 x 12*12 x 30
33 x 22*54 x 32
3, 7,521 से 25 × 11
23 × 11 * 15 × 37
20 x 10*16 x 27
26×11 * 14 x 35
सं. 4 खंड 65 ढाल 1165 गा. कथा मह 2025. कथासह
"
"1
"
"
सं.
"
"
37
"
"
"
,
62 ढाल ग्र. 1144
41 ढाल ग्रं. 1125 18वीं
त्रुटक
टक बीच के 8 पन्न
20वी
सं. 10 ढाल
1868 विवेकसागर 1715 तात्यपुरेकृति
19वी
1788 वटपद्रे यशविजय
20वीं
1926 अजीमगंज जीवा
18वीं
20वीं
1944 × मूलचंद
1794 / 19वीं
1787 x भावनगर
1728 कृति
,, 3 खंड, 36/34 बाल 1786 / 1898 / 1875 1732 बुरहानपुर 849 गा. ग्रं. 1135 कृति, प्रशस्ति है अपूर्ण द्वि. खंड 13 मी
19वीं
ढाल तक सं. 4 खंड 68 ढाल
1827x हस्ति विजय
1887 x विवेकसागर
"
17
31
प्र. 1200 लगभग
11
9
3 खंड
1 II 1 I
5/9/3 1
4 ढाल 44 गा.
25 ढाल (द्वि. में अंतिम पक्षा कम) आठ भत्र प्रशस्ति है
65 गा. + उत्पत्तिस -
माय
24 ढा.
500 ग्रं. लगभग
5 टाल
10
1896 रायपुर रूपविजय
20वीं पोर मनान
1944 बोटाद शंकर
19/20at
1963/77
11
20/19
अ. बाच के पन्ने 421 19वीं
सं. 26गा. + 1 सज्झाय
20बों
28 ढा. 420 गा.
176 बीली ढालकीति
155
1725 कृति प्रशस्ति है
1838 जोधपुर कृति
1700 लूणकरण कृति
1668 कृति
1849 नागोर कृति
जैसलमेर कृति
बार्थ बात है
कुसुमपुर के
राजा उदाइसा साधु फिरता
Page #175
--------------------------------------------------------------------------
________________
156
1
482
483
474 B-69
4756 14/18
23/8
477-80 रा.23/7,10 रामयशोरसायन 4प्र.
481
484
485
490
491
493
496
497
498
499
500
501
502
B-576
4869 सि. 578-81 रेणादेवी चौडालिया 4. Regadevi Caudhaliya
सि. 582
रेवती
सि. 583
रोहा की कथा
492 सि. 584
रोणिया चीरकथा
सि. 585 ललितकुमार दीप
4945 सि. 586-7 लीळापत झणकार चौपद Lilapata Jhapakāra
2 प्र.
fa. 588
503
504
2
505
506
रामकृष्ण चौपड
रामचरित्र
11, 25/3 B-484
सि.गु. 927 रामरासी
बा. 363
बा. 364
3
स्वमणि हरण
रूपसेन कथा
B-1036
11
"
11
11
"
लीलावती चौपद
"
2प्र.
"
"
"
.
Rāmakrsapa Caupai
Rama Caritra
Rāmayas'o Rasayana
"
चौपइ
"
Rama Rasau
Rukmani Harapa
Rapasena Katha
"
बा. 365
fer. 589
रा. 24/11
fer. 590
सि. 591
सि. 592
वरस्वामी चौप
सि.गु. 889 वस्तुपाल तेजपाल संबंध Vastupala Tejapala
Sambandha
,,Caupai
Revati
3A
"
Roha Ki Katha
Rohaniya Cora Kath
Lalitakumara Caupai
11
Lilavati Caupai
"
11
"
Caupai
""
4
""
लावण्यकीaिd/o ज्ञानविसाल
चौथमल
केशवराजd/o गुणसागर
"
माधवदास
गुणमुनि
जिनसूर d/o विशालराजसूर
11
अज्ञात
लीलावती सुमतिविकास Līlavaur Sumati Viläsa अज्ञात चौपड Caupai कुमारचरित्र Vajrakumara Caritral
भाग ४ –— जैन इतिहास व वृतान्त
ऋ. चौथमल
I
Vayarasvami Caupai जिन / शांति
समय सुंदर
रंगमुनि
B-215 विक्रम खापराचोर चौपइ Vikrama Khāparā Cora साधुहंस / ० राजशील
Caupai
ST. 367
लाभवर्द्धन
"
"
खरतर
"
प
"
"
"1
"
मू.ग.
चौथमलd / oनथमल प
कानू/धर्मदास एकलिंगदास श्री पूज्य
लालचंद (लाभवर्द्धन)
11
प
"1
ग
"
"
"
י,
"
11
"
S
11
5
6
मा.
"
11
11
डि.
21
मा.
11
"
"
"
11
"1
"
"
11
"
"
"1
Page #176
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ-जीवन चरिन व कथानक
157
78 8A
____10
11
बलदेवकृष्ण चरित्र 27 | 25x11*20x45 | सं. 6खंड प्रशस्ति खरतर 1711 नवानगर धरमसी 1677 विक्रम पूरी
कृति रामायण कथा 118,81 25x12*विभिन्न , महाकाव्य ।-7 पन्ने | 20वीं
1862 जोधपुर कृति
सीता वनवास के रामायण ,
55,111, 23126x12से 13 , 4 अ. 62 ढा.3220 19/20वी 1680 अंतरपुर विजयगच्छ 81,119
कृति 25 x 12*21x55 , "
1925नागोर
66
53
19x16*27x21
1766 सिवाणा ध्यानचद
कृष्णजीवन प्रसंग
27x12*13x35
L, 230 गा.
1848 नाथसूर विद्यासमुद्र
मन्मथ पुत्र कथा
25x11*15x51
पू. 30) अनुच्छेद
1859 (पहिला पन्ना कम)
26x11*18x48
1872xविवेकसामर
ज्ञाता धर्म कथा से
5*
25x11*16x40
, 4 ढाले
20वीं
जिनपाल जिनरख की
महावीर जीवन प्रसंग
?
24x11*15x32
, ढालें
20वीं
गगवती अनुसार 1852 कृति
चोरी पर दृष्टांत
25x1111x31 ।
17वी
24x13*13x37
19वीं
दान पर
23-11*21x42
शील पर
24 x 11*14x50
11 ढा. प्रथम आवशे। 1974xचौथमल स्वयं 1974 कृति
संशोधित प्रशस्ति है 31 पद+कलश | 20वीं सिवाणा कपूरचंद 1968 की कृति
पाठ भेद है (द्वि.प्रति में रिखबदास का भी नाम कर्ता में) पू. ग्रं. 300 लगभग 19वीं " अंतिम लकीरे कम सं. 29 ढा. गा. 601
1810
24x12-16x44
25x11*16x40
23x11*12x36
"
,
गा. 590
188 खाखर दौलतविजय 1728 सेतरावा
कृति
26x13*15442
___गा. 825
1835
1721?,,
,
औपदेशिक
26 x 22*22 x 40
26x12*26x64
, 4 ढा.?
20वींलब्धिविजय 1825 कृति प्रथम
विनायक 1943 बागावास सुल्तानमल रामदसरथ पेला
हुआ 1767 पट्टन ज्ञातिसमुद्र 1925 अजीमगंज जीवा 1681 तिवरी कृति
जीवनी
25x11*10x38
, 15 ढा.
संक्षिप्त प्रसंग
, 42 गा.
33 x 22*30x36 | 25 x 11*16 x 48
जीवन चरित्र
19वी
1729 कृति
परोपकार प्रसंग
18*
26x 11*13x42
,205 गा.
1723x रत्नविजय
1563 चित्रकूट कृति
। 1125x11*16x46
, 27 डा.
1822x गोड़ीदास
.
Page #177
--------------------------------------------------------------------------
________________
158
____ माग ४ -जैन इतिहास व वृतान्त
3A
507 | B-217
117
विक्रमखापराचोर चौपइ | Vikrama Khapara Cora | अभयसोमd/o
Caupai सोमसुंदर , चोबोली चौपद ,Coboli Caupai
, d/oजिन चंद
508
B-206
509.-10 सि. 593-4|| , नौ सो कन्या चौपइ | , 900 Kanya Caupai | चौथमलd/o 2 प्रति
एकलिंगदास 511 बा. 366 ,, चिदण्डात पत्रस्य चरित्र, Paicadapdata रामचंद्रd/oअभयदेव मू. (प.ग.)
Patrasya Caritra B-240 ,, पंच दण्डिया चौपइ , Palicadandiya Caupai | | अज्ञात
रा-24/-14 , पंच दण्डछत्र चौपइ , Paicadapda Chatra | लक्ष्मीवल्लभ
__Caupai | B-412 , , , 515 | चौ. 129 विक्रमादित्य विक्रम चरित्र Vikramaditya Vikrama | शुभशीलगणीd/o | मू. प.
Caritra
| जयचंद्र तपा 516-7|B 236,560| विक्रमसेन चौपइ 2 प्रति| Vikramasena Caupai परमसागर d/o | प
लावण्यसागर 518_ B-232 | , ,
मानसागर d/o ,
जीतसागर सि.गु. 914 विजयसेठ का कड़ा Vijayasetha-Ka-Kada लालचंद d/o
दौलतराय 520 520 सि. 596 | विजयकुमारी ,, Vijayakumari | रामचंद्र /o
चौढालिया
Caudbāliya | बिरदीचंद 521-2B 230,401 विद्याविलास चौपई Vidyavilisa Caupaiजिनहर्षd/oसोमगणि
2 प्रति 523 सि. 595
519
| बा. 368
बा. 369 | विनोद कथा
Vinoda Katha
B-199 | विमल प्रबन्ध
Vimala Prabandha
लावण्य समय
प
..)
Siloko
B-672 ,, सिलोको चौ. 130 | वीर उपसर्गा
Vira Upasargā
529 | सि. 597 | विष्णुकुमार चौढालिया | Vispukumāra Caudhāliya रामचन्द्र मुनि
530
सि. 598 | वेणीसंहार
Vepi Samhāra
मू. नाटक
531-2B888,891 वैदर्भी चीपद
2 प्रति Vaidarbhi Caupai
प्रमराज
533
सि. 599
सि. 600
535 | सि. 601 |शल कलावती चौपई | Sankha KalavattCaupail ऋषि साधु
Page #178
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ ब-जीवन चरित्र व कथानक
159
8A
10
|
11
परोपकार प्रसंग
25x 11*18x43
19वीं
1723 सिरोही कृति
बीवन
"
25x10*14x48
, 17 ढा.
1782 पालनपुर उद्योतविज 1724 कृति
खरतर | 20वीं
1977 आगरा कृति
25x12*16x48
... 222 गा.
26 x 11*16x55
, ग्रं 3000 प्रशस्ति । 16वी
24-11*13x45
, 4 आ. 373 गा. 1749 अणहिलपुर पाटण 1556 कृति "हुयो
नयविजे पास जिराउलो..." 6 खंड ग्रं. 3784 । 1847
1728 कृति प्रशस्ति है
25x12*15x44
25x11*18x55
1872 x बालसागर
बीवन चरित्र
| 38 |
26x11*18x62
,5 सगं
16वीं
विक्रमादित्य पुत्र | 35,38 26x11 विभिन्न । कथा
26 x 12*17 x 42 बाचर्य पर
16x 13*16x22
, 64 ढा. (दान पर) | 1840/1797 (तपागच्छीय) 1724 गढवाड़
कृति 52 ढा. 1100 गा. | 1859 चौपड़ा, रंगविजय 1724 कूडनगर प्रशस्ति है
कृति , 23 गा. 20वीं
1861 रामपुर कृति
87* | 26x12*26x64
, 4 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल 1910 नागौर
कृति 19/20वीं
1711 की कृति
16,10/26x12*विभिन्न
, 30/24 ढा.
24 x 11*14x30
1890 पाडलाउ मोतीचंद
22x11*14x35
19वी
बटान्त संग्रह
26x11*15x54
17वीं
| 26x11*16x42
9 खंड, 1356 ग्रं.
1652 आना ग्रामे
26x11*17x45 |
111 पद
1816
26x11*14x37 ।
1663
(महावीर जीवन ।
प्रसंग | बीवन प्रसंग | 87*
26x12*26x64
, 5 ढा.
|1943 बागावास सुल्तानमल रक्षा बंधन पर?
द्रौपदी कथा
।
26 x 11*18x69
,, 6 अंक ग्रं. 1561 ,, ग्रं. 20
15... x हेमसागर 1789/18वीं
व्ण रूकमणि व्याह 4,8
26x11425x11
25x12*14x37
, 7 हाल-1-विरतार | 20वीं
|
6 | 24x 11*16 x 38
अ. 7 ढाल
'जिनधर्म माहि दीपता'
| 24X 11*20x42 । सं.4 खड 37 ढा.
1878 सावर जगराम वर्धमान स्वामींतणा
Page #179
--------------------------------------------------------------------------
________________
160
भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
ЗА
456
S'antinātha Caritra
भावचन्द्र सूरि
| मू. ग.
B-463+ | शान्तिनाथ चरित्र
931 बा.371
537
538 | सि. 602 | शाम्ब प्रद्युम्न सम्बन्ध | Samba Pradyumna | समयसुंदर ----
Sambandha सि. 609 शिवकुमार सज्झाय S'iva Kumāra Sajjhāya
शीलमञ्जरी चौपइ S’īla Mañjari Caupai | नथमलd/oरेखराज शीलवन्ती चौपइ S'ilavantt Caupat ऋषभ | श्यामकुमार चौपइ s'yama kumāra Caupai | नंदलाल शिष्य
श्रीपाल चरित्र
Sripāla Caritra
मू+व (प.ग.)|
प्रा.सं
+
रत्नशेखर/
क्षमाकल्याण रत्न शेखर
मू+अ
)
545-6 बा. 373-4]
2 प्रति
मू+2 (..)
547-8|B 151,231|
2 प्रति
549
बा.378
सत्यराज d/o
गुणसागर शुभविजय
550
| बा. 376
551
सि. 613
(महावीरोक्तानुसार) मू (ग)
552
B-506
553
जयकीति'जीवराज मू+ट (ग) |
चौ. 133 | बा. 377
554
555
सं.बा.
श्रीपाल रास
Srpāla Rāsa
जिनहर्षd/oशांतिहर्ष प
4 प्रति
556-98214,239]
360,800/ 560 | सि. 614
प्रति
,,Caupai
561-3|B 210,323| श्रीपाल चौपइ
353 564 चौ. 134 565 | चौ. 135 | श्रीपाल रास 566-7| B-692-3
Rasa
नयविजेजसविज
568-70 सि.815,817-8
,
"
3प्रति
Page #180
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
161
___7
8
8A
10
।1
तपकर जीवनी
सं. 6 प्र. 7000 ग्रं.
1836x रामविजय
26x12*15x50
1848 पलांणा माणिक विजय
तिहासिक जीवनी
25x11*19x51
1659 स्तंभन तीर्य कृति
| पू. 2 खंड 21 डा. प्रथम | 19वीं
पन्ना कम सं. 16 गा.
18वीं
प्रौपदेशिक
25x11*13x40
पील पर
25x12*16x45
25x13*17x37
तिहासिक कथा
24x12*15x41
सिद्धचक्रमहात्म्ये | 138
26x12*13x40
, 15 ढा. प्रशस्ति है | 1986 समदरड़ी गोपीनाथ 1935 रत्नपुरि
__. कृति ,, 25 ढा.
1946 घमणोर इन्द्रचंद 1930 की कृति , 29 छंद 1984 दुन्दाड़ा शिवनारायण 1965 चित्रकूट
(मेवाड़) कृति 1343 गा. 4572 ग्रं. 19वीं
शिष्य हेमचन्द्र संकलित , 1342 गा.1450 ग्रं. 1887 विक्रमपुरे कीर्ति 1428 की कृति अ. ग्रं. 3032]
रत्नसूरि , 1342/3 गा. 1835/1880 द्वि. प्रति चिपकी हुई ,, 1348/1343 गा. | 1846/1835 ,, 489 श्लो. 1565
2 दिशीकुमारी चित्र
23x11*5x34
95,121 25x11426x14
22 x 11426 x 11
26x11*11x40
23x10*13x47
, पन्ने चिटके हुवे
1782
1774 उदयपुर कृति
25x11*15x45
1812 गुढा पुण्यधर्म
25x11*15x45
1871
24x10*11x28 पू. (प्रथम पन्ना कम) | 1896, जैसलमेर 1868 कृति, जीर्ण
प्रशस्ति है 26x11*13x41 सं. 4 प्रस्ताव
1929 यशोल सरुपचंद जब पद सिद्ध चक्र 30 | | 25 x 11*13 x 43
1849
खरतर । महिमा
37,25,
124से26x11से 12 1749ढा.835गा1200. 1852 से 84 तिमरी आदि में 1740 23,261
पाटण कृति 106 | 25x12*9x23 74 खंड
1903 बीकानेर खूबचंद 9,12,12/ 22से25 x 11 ,, 20ढा.(म.काप्र.पन्नाकम) 1791 से 1865 1742 पाटण कृति
25x12*15x43
1861 वैसाला सौभाग्य मुनि
38 | 26x11-12x36
,, 4 खंड ग्रं. 2400 | 1845 चुतृविजय
किंचित् टब्बार्थ
68,12| 26x13430x14
1738 राणेर कृति
प्र.सं.द्वि.अ. अंतिम 1899/1910
2 खंडही प्र.सं.द्वि.तृ. अपूर्ण | 19/20वीं
148,35,4824से 25x11से12
प्रशस्ति है
Page #181
--------------------------------------------------------------------------
________________
162
भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
1
2
ЗА
श्रीपाल रास
S'ripāla Rāsa
नयविज जसविज मू+बा (प.ग.)
चौ. 136 | श्रीपाल कथा
Katha
573
सि. 619 | श्रीमति चौढालिया
Srimati Caudhaliya
हरषचन्द्र
574 | सि. 620
ढाकिया
,
Dhāliyā
গলার
श्रेणिक चौपइ
S'iepika Caupai
,
576 | सि. 622
वल्लभकुशलd/o
सुंदरकुशल त्रिलोक ऋ
धनजी
॥
॥
577-87 रा.22/3-11
" " 11 प्रति
, 11 प्रति 14/19,21 588 B-379 सङ ग्रामसूर कथानक
Sangrama Sara Kathānaka| मेरुप्रभ
सि. 623 | सत्यघोष चरित्र
Satyaghola Caritra
नथमलd/-रेखराज प
590 | सि. 624 | सनत्कुमार चौढालिया Sanatkumara Caudhāliya चौथमल
चो. 137 सप्तव्यसन कथा Saptavyasana Katha सोमकृत्याचार्य
B-567
सम्यक्त्व कौमुदी
Samyaktva Kaumudi
मू+ट(ग.प.)
मू+ग.प.
सं.
बा. 380 B-842 रा-20/10
"
, चौपद
, Caupai | विनेचंद
596
रा-24/8 | सागरचंद श्रावक ढालिया Sagarcanda s'ravaka | रतनचंद
Dbāliya सि. 625
,, (यादुरगदास)
597
रा-24/8 | सिकडाल संधि
Sikaờāla Sandhi
जयमलजी
Stā Rāma Caupai
समयसुन्दर
बा. 384 सीताराम चौपइ
सीताराम चौपइ B-200 रा. 23/9 सि. 626-8|
. 3 प्रति रा. 14/18 सीता वनवास | वा. 385 सुदर्शन सेठ रास
Sītā Vapavāsa
| चौथमलd/o
हीरालाल Sudars'ana Setha Rasa | मु.गौतमशिष्य तपा ,,
606
Page #182
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ - जीवन चरित्र व कथानक
नवपद सिद्धचक्र
7
11
नवकार महिमा
जीवनी
ار
11
11
सभ्यवत्व,
"
सत्य पर
चक्रवर्ती चरित्र
प. कथायें
"
"
〃
महिमा
""
33
दया
उपाशक दशा कथा
रामायण कथा
8
जीवन प्रसंग
शोल, मोक्ष
52
73
87*
87*
52
55
4
3983 24 से 27 x 12
विभिन्न
5
3*
36
76
31
आवश्यक नियुक्ति 68*
कथा
28
32
៖
87*
68*
47
75
8A
26 x 2 * विभिन्न
24 × 13*15 × 27
26x12*26 x 64
26 × 12 * 26 x 64
27 x 12 * 13 x 38
25 x 12*16 x 47
و
25 x 11 * 18 x 47
25 x 12 * 16 x 46
26x12*15 x 40
26 × 13 * 15 × 45
25 x 12*7x47
26x11*18 x 45
25 × 12*18×35
24 x 12*21 x 40
24 x 11 * 19 × 44
26 x 12*26 x 64
24 × 11 * 19 × 44
25 x 10*20x52
26×11 * 18 × 45 x
88 26 × 12*15 x 40
x
104,80, 2527 x 11fafaw 152
7
24 x 10*15 x 40
25 x 10 * 17 x 47
अ. अंत के 2 खंड है
अपूर्ण
सं. 4 ढा.
"
"1
व
सं.
"
31
"
19
1922 पलिका अमदत्त
पू. 84 ढा. प्रशस्ति जीर्ण 20वीं (अंतिम पनना नहीं)
"}
"
अ.
"
"
"
11
6 -
11
49 T.
सं. 42 ढा.
6 ढालें
""
199 श्लोक
7 ढा.
4 ढा + ढण सज्झाय
6
9
अर्हदास मुख्यपात्र
383 श्लोक
17
8 ढा.
9 खंड 3700 गा.
पू. "
सं. 3700
"
सं. 141 गा.
1878
301 गा.
20वीं
1943 बागावास सुल्तानमल.
"
11
10
19वीं हरजी
20वीं
"1
(अंतिम पना कम) 18वीं
1843
"
11
शीखसुख उपजे
1943 ब्यावर सुल्तान मल
20वीं
1724 श्रावणाड पदमसी
163
1845 पीपाड़ जसरूप
19/2041
20वीं
18वीं
जीर्ण
1920 सुभटपुर कृति
पीपाद कृति
जीर्ण
1880
1828 जय देवीचन्द श्री वर्द्धमानमानम्य
19वीं
1936 नागौर देवकृष्ण
20वीं
1775 जीरणगढ़
कृति 1939 घोड़ नदी कृति 1940 11
"
1885 कैलि 1851 सिद्धपुर कृति
प्रशस्ति है
जिनराजसूरि राज्ये
1972 कोशीथल कृति
Page #183
--------------------------------------------------------------------------
________________
-164
भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त
1
2
.
3A
56
607-8|सि. 629, | सुदर्शन सेठ कवित्त 24. Sudars'ana Se tha Kavitta| दीपd/oवर्धमान
। गु.921 609-11B-78,178
" , 3प्र. 225 B-401 | सुदर्शन रास
Sudars'apa Rasa ऋषिके वलो do
- मुनिसुंदर 613 | सि. 630 ,, चौपई
, Caupai कवि अमर 614 सि. 631
अज्ञात
615 |
B-1059
सुबाहु संधि
Subābu Sandbi
पुण्यसागर
616
सि. 632
ढालिया
,
Dhaliya
जयमलजी
2 प्रति| Subhadra Adhikara
617-8 B-218, | सुभद्रा अधिकार
1008| बा. 386
, चौपइ
मानसागरd/o
जीतसागर कवि रुघपति
619
,
Caupai
620
सि.गु. 889|
, चौढालिया
, Caudhaliya
परमसागर do
लावण्य सागर विनयचंद
| सि. 633
"
चरित्र
"
Caritra
622
B-1087
सुरसुन्दर कथा
Surasundara Katbā
623 | बा. 387 | सुरसुन्दरी चौपइ.
Surasundari Caupai
| धर्मशील
624 | B-गु. 4
(धर्मवर्द्धन)
625 | सि. 634
,, (धर्मसी) सुलसा चौढालिया Sulasă Caudhaliyā हीराचंदd/०मनरूप सुव्रत सेठ ढालिया Suvrata Setha Dhāliyā सुसढ़ चरित्र
Susadha Caritra | (निशोथ में से) । मू+2 (प.ग.) | सोहन गुलका चरित्र Sohana Gulakā Caritra कुशालचंद 630 सि. 638 | सौभाग्यसुंदरी चौपइ
चौथमलd/नथमल
Caupai 631 | सि. 639 | संयतीराजा चौढालिया Samyati Raja. Caudhaliya/ अज्ञात
628
629
632 | बा. 382 | स्कन्धक ऋषि चौढालिया Skandhaka Caudhaliya | जयमल जी
633-6 सि. 641-4
4 प्रति
637
हा. 381
अज्ञात
638 | सि. 640
Page #184
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
165
10
78 8A ल, मोक्ष | 20,19.25 x 12व 22 x 16 | सं. 124/125 कवित्त , 1888/1859 (लोकाशाहमत को)
प्रशस्ति है
1532 की कृति 14,12, 25से26 x 11 से 12 | ,, 124 , 19/20वीं , जसवंतसिंह शासने 26x11*19x53 |, 254 गा. 1995, शाणोल
1571 कृति 27x11*18X51 लगभगपूर्ण ढा. 38 अधूरी 19/20वीं
87*
26x12*26x64
सं. 11 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल
वैपाक सूत्र कथा
5
25x11*16x44
, 91 गा.
1825
1674 जैसलमेर कृति
26 x 12*26 x 64
1943 बागावास सुल्तानमल
शोल पर
25x11व26x11
प्रशस्ति तपगच्छ 1769/19वीं
1759 बच्छराजपुर कृति
25x10*12 x 38
25 ढा.
1849 वसता
| 33x22*54 x 32
1926 अजीमगंज जीवा
26x12*26x64 । ,, 10 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल 1916 जयपुर
कृति
भावना पर
18वी
24 x 11*13x37 15 x 11*17 x 45
शील, भक्ति
1736 कृति
सं.4 खंड40ढा. 691 गा. 1783 आषाढा सुभाचंद
900 ग्रं. , 621गा. 957. 1827
24x15*29x18
26x11*15x38
लगभग पूर्ण ची. खंडढा. 19वीं
तक
शाल, सतीकथा
| 26x12*26x64
सं.4 ढा.
1943 बागावास सुल्तालमल
बोपदेशिक
|
"
"
,
6 ढा.
,
,, वीसलपुर 1841 कृति
यतनाविषये
28x12*5x35
,, 520 गा.
1884 राजनगर
बोपदेशिक
26x12*26x64
,, 6 ढा.
1943 बागावास सुल्तानमल जपाली 1908
कृति 20वीं
1966 की कृति
शील
24x10*12x52
उत्तराध्ययनानुसारे
25x11*18x48
, 4 ढा.
19ों
परीषह पर
27x13*12 x 26
1933खीचंद सर्वसुखमुनि 1871 लाडनू कृति
24x12*17x45
, 5 डा.
20वीं
23x13*11x24
4 ढा. 67 गा.
1920
सावत्थीनगरी सुहावणी
87* | 26x12*26 x 64 ।, 8 ढा.
.
। 1943 बागावास सुल्तानमल
Page #185
--------------------------------------------------------------------------
________________
166
1
639
640
641
642
643
644
645
646
647
648
649
653
654
655
656
657
658
650-2 B-233, 409,1078
ft. 649
659
660
661
2
667
सि.गु. 295 स्थूलीभद्र नवरसो
बा. 389
fer. 645
B-404
B-372.
B-. 38
B-250
Fr. 646
पी. 139
बा. 392
सि. 647
B-456
B-775
B-881
B-81
662-3 बा. 390-1
664-6 B-245,
"
658,790 पी. 140
"
"
हरिकेशीय संधि
हरिबल चौपइ
"
"
"
3
हरिविक्रम राजर्षि चरित्र
हरिश्चन्द्र आख्यानक
हरिश्चन्द्र चौपड़ 3 प्रति
"
13
इकवीसो
चौपड
"
"
रास
"
"
Stbulibhadra Navaraso
"1
"
11
Ikaviso
C1upai
Harikest'ya Sandhi
Haribala Caupai
"
सि. 648
सि.गु. 914
सि.गु. 883 ही रविजय इनोक (सिलोक) Hrravijaya Shloka
fer 650
सझाये
Sajjhayem
"
"
"
3A
"
"
Rāsa
11
〃
"
हंसवनूप चौप
हंसपाल क्षत्रिय सम्बन्ध
Hamsa Kesava Nipa Caupai Hamsapala Ksatriya Sambandha हंसराज वत्सराज चौपइ | Hansaraja Vataraja
2 प्रति
3ufa
"
""
"
Harivikrama Rajarti
Caritra Haris 'candra ākhyānaka d / o तेजविजय
Haris candra Caupai
Caupai
"
17
11
उदय रत्न
4
"
D. + दीप मुनि
लावण्य समय
भाग ४ जैन इतिहास व तान्त
बीरविजय d/o शुभविजय
31
कनोकरोम d/o अमरमणिक
चारुचंद्रd/o
चारित्रसार जीत विजय d/o भावविजय
जयतिलक d/o चरित्रसूरि
कनकसुंदर d/o महेशजी
भावड़गचा
लालचंद d/o होरनन्दन
, d/ 0 सिंहरि
"
प्रेममुनि
दानमूरि/वि/ विवेकह जिन हर्षd/oशांतिहर्ष
सुखसागर d/o जिनराज सूरि
"
मानमुनि d/o शिव निधान जिनोदयसूरि लरतर
,,d/oजयतिलक
"1
प
"
"
"1
"
,,
"
"
मू. प.
"
प
"
"
"
"1
"1
17
"1
5
"
6
मा.
11
11
13
"
"
"
"
सं.
"
मा.
""
"
"
"
21
"}
12
"
"
11
"1
11
Page #186
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक
167
78 8A
9
10
11
साधु जीवन प्रसंग
सं. 9 ढा.
1816
1759 कृति
19X13*11X24
20वीं
स्व. कोशा संवाद
24x11*15x43
, 65 अ.9ढा.(बोचके 2पन्ने कम) 1853 जोधपुर जीतमल अंत में समयसुंदर कृत
पद स्थूल भद्र पर 5गा.का सं. 42 छ.
19वों
मधु जीवन प्रसंग
25x11*15x46
26x11*17x48
" 18
202 गा.
1887
राजनगर 1862 कृति
इतराध्ययन कथा
12x10*11x14
, 118 गा. (खरतर)
1659
पाटण 16...कृति
जीव दया पर
।
26x11*13x47
, 127 गा.
17वीं
1581 कृति माल्हंतडी शाखा
25x11*18x47
, 33 ढा.
1859 भगत विमल
13 x 26*16 x 36 27x11*19 x 47
|,,, 975 ग्रं. प्रशस्ति 1945 खारडा धर्मचंद, प्रशस्ति है, 1770कृति
, 12 सर्ग 7584 ग्रं. | 17वीं x अमरकीत्ति . प्रशस्ति है
पदेशिक जीवनी 99
स्य पर
26X11*14x38 अ.(बीचके 4 पन्ने कम)5001675सूर्य पुरेनयविजय सचमेवनणां तत्त्वं,सत्वं ।
श्लो.(श्लो.22से 314 नहीं) 42,31, 25x11से12*विभिन्न सं.5 खंड 39 ढा.781गा. 19वीं (अंतिम प्रति अपूर्ण) 1697 सोजत
कृति
(7) | 25x11*14x10 | अत्यल्प अंश
1824
जसवंतसिंह राज्ये
26- 11*16x50सं.38ढा.858गा.1245ग्रं. 1830
1679 कृति, प्रशस्ति है
25x11*17x41 | अपूर्ण 15 ढा. तक
19वों
-
16x13*13x18 | | सं. 25 ढा.
| 20वीं
1808 धागेराव कृति
-
चार्य जीवनी
9 | 13x9*12x19
,80 गा.
| 1776
जीवन संबन्धी
, 17+91-22 गा.
18वीं
25 x 11*13x40 25 x 11*13 x 29
रात्रि भोजन पर
बान पर
26x11*15x37
, 18 ढा. 270 गा. | 1881 सिणदरी हितसमुद्र 1728 राधनपुर
.. कृति , 24 ढा. (खरतर) 18वीं
1696 मुल्तान कृति , 541 गा. 1704 योधपुरे मानविजय
वर्ष पुण्य पर
19
26 x 11*15x40
35,44|| 25x9424x11
|, 46 ढा. 4 खंड
33 34, 25से26 x 11 से 12 31
907 ग्रं. 38 | 26x11*12x35 |, 48ढा. 1225 ग्रं.
1798/1853 भाव हर्षसूरि के पाट 20वीं/1787/1857तिमरी 1680कीकृति 1833 लोढोति श्रीचंद
Page #187
--------------------------------------------------------------------------
________________
168
माग ४-जैन इतिहास व वृतान्त
3A
668-70| सि. 651-2, हंसराज वत्सराज चौपइ | Hamsaraja Vatsaraja जिनोदयसूरि खरतर प | गु. 887
3 प्रति
Caupai | d/0 जयतिलक 671 सि. 653
चौथमल d/o
एकलिंगदास 672 | चौ. 202 जीवन चरित्रों के स्फुट पन Stray Folios of this विभिन्न
Secti.n बा. 393
प्रा.सं.मा.
673
भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त
मू+बा (प.ग.)
प्रा.मा.
सि. 654 अगणाई का थोकड़ा Agaņās Kā Thokada B-539 अङ्गपूर्व सज्झाय | Angapurva Sajjhaya B-345 | अट्ठावीसलब्धि स्तवन Athavisa Labdhi Stavana| धर्मवर्द्धनd/o
हर्षविजय बा. 100 अन्तरकाल देहायु स्तवन | Antarakāla Dehayu | धर्मसी
Stavana! बा. 397 | अर्बुदकल्प
Arbuda Kalpa | रा. 29/18| अर्हत् लक्षण Arhat Lakşaņa | सि. 655 | आबू पर नरजू उत्पत्ति | Abu Para Naraja Utpatti | सि.गु. 943| आबू यात्रा स्तवन
बोल. ग.
मू+बा(प.ग.)| प्रा. अ.
9-10 | B-917 | इक्वीसयंठाण 2 प्रति Ikvisayam Thapa सिद्धसेनसूरि
1023 11 | B-442
____12-15 B473,588/ , 4 प्रति
626,744 सि. 656 | इन्द्राणियों का यन्त्र | Indraniyom Ka Yantra | (शातानुसार)
मू+ट (प.ग.)
प्रा.मा.
यंत्र
B-991 उदयपुर राणा से मुलाकाव| Udaipura Rapa Se जैतसागर
Mulākāta चौ. ग. 1 | ओसवाल गौत्र वंशावली |oswāla Gautra Vamsavali
स. बा..
.
"
"
"
संकलन
सि. 657 | कालचक्र चौपइ
Kālacakra Caupai
__
B-921
कुमार, राजादि पदवी | Kumara Rajadi Padavr
B-704
कुमारपाल विहार शतक | Kumāra Pala Vihara
मू.प.
S'atakal | क्षेत्र समास Kļetra Samāsa
जिन भद्रगणिक्षमा- मू+प
B-864
श्रमण
Page #188
--------------------------------------------------------------------------
_