Book Title: Badmer Aur Mumbai Hastlikhit Granth Suchipatra
Author(s): Seva Mandir Ravti Jodhpur
Publisher: Seva Mandir Ravti Jodhpur
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाड़मेर जिले के जैन ज्ञान भण्डार और मुम्बई पायधुनी महावीर मन्दिर के हस्तलिखित ग्रन्थों का सूची-पत्र सेवामन्दिर, रावटी, जोधपुर 342024 (भारत) Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्तलिखित ग्रन्थों का सूची - पत्र ( प्रथम खण्ड ) जिनदर्शन प्रतिष्ठान ग्रन्थ क्रमाङ्क - ४ बाड़मेर जिले के जैन मन्दिरों के ज्ञान भण्डारों के भाग - १ मुम्बई हस्तलिखित ग्रन्थों सूची - पत्र भाग - २ जिनदत्त सूरि ज्ञान भण्डार श्री महावीर स्वामी जैन मन्दिर 8, पायधुनी डाकघर 400003 * Part - 1 BARMER District (Rajasthan) Jaanabhandaras of Jain Temples : Handwritten Manuscripts' CATALOGUE (First Volume) * * Part-2 * Jinadatta Suri Jñana Bhandara Shri Mabavira Svami Jain Temple 8, Pāyadhuni P.O. 400003 BOMBAY Handwritten Manuscripts' CATALOGUE Compiled by संकलनकर्ता कार्यकर्ता गण - Inmates of : सेवामन्दिर रावटी जोधपुर 342024 Sevamandir Ravati Jodhpur 342024 राजस्थान ( भारत ) Rajasthan (India) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक सेवामन्दिर रावटी सूरसागर जोधपुर 342024 संस्करण प्रथम प्रवेश विक्रम संवत् 2050, वीर संवत् 2519, शक संवत् 1915 ईस्वी सन 1993 1,000 352 प्राकार रॉयल प्राक्टेव (20x30 पाठ पेजी) मूल्य कागज मेपलीथो नेचुरलशेड 13:6 Kg रोम 46 कंपोजिंग छपाई व प्रूफरोडिंग 44 फरमे जिल्द बंधाई, भाड़ा व अन्य व्यय लगभग 15,640 8,800 10,560 35,000 एक प्रति की लागत=विक्रय मूल्य विदेशी ग्राहकों के लिये विक्रय मूल्य 35.00 रुपये 3500 डॉलर वितरक सत्साहित्य वितरण केन्द्र सेवामन्दिर रावटी सूरसागर जोधपुर 342024 शाह प्रिन्टिग प्रेस त्रिपोलिया गली घासमण्डी रोड, जोधपुर 342001 # निवेदन है 1. इस पुस्तक पर किसी भी प्रकार का अधिकार प्रकाशक ने स्वाधोन नहीं रखा है। 2. पात्रता देखकर ही पुस्तक दी जावेगी। 3. अन्त में मुद्रित शुद्धिपत्र के अनुसार अशुद्धियाँ ठीक करलें। 4. सूची पत्र के सही उपयोग हेतु प्राक्कथन में के संकेत पढ़ने का कष्ट अवश्य करें। 5. पुस्तकविक्रेता अपना नफा व खर्चा ग्राहक से अतिरिक्त वसूल कर सकेगा क्योंकि प्रकाशक द्वारा किसी को भी कमीशन बाद नहीं दिया जाता है। Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय सूची भाग विभाग विवरण राजकीय प्रति | पृष्ठ विषय क्रम संख्या |खंडा | खं (प्र) जैन आगम :-(Jain Canons) अङ्ग सूत्र-आचाराङ्ग सूत्रकृताङ्ग स्थानाङ्ग समवायाङ्ग व्याख्या प्रज्ञप्ति (भगवती) ज्ञाताधर्मकथाङ्ग उपासकदशाङ्ग अन्तकृतदशाङ्ग अनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग प्रश्न व्याकरण विपाक (आ)(i)| अङ्गबाह्य-उपाङ्ग सूत्र : औपपातिक राजप्रश्नीय जीवाजीनाभिगम प्रज्ञापना चन्द्र प्रज्ञप्ति सूर्य प्रज्ञप्ति जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति निरियावलिकादि पंचोप'ङ्ग (पा) (ii) | अङ्गबाह्य--छेदसूत्र : निशीथ .. बृहत्कल्प व्यवहार दशाश्रुत स्कन्ध (दशाश्रुत स्कन्ध अष्टमाध्याय-कल्प सूत्र)। महानिशीथ जीतकल्प iii)| अङ्गबाह्य-चूलिका व : नन्दी मूलसूत्र अनुयोग द्वार दशवकालिक उत्तराध्ययन पिण्ड नियुक्ति प्रोध नियुक्ति (आ)(iv)| अङ्गबाह्म-आवश्यक : सूत्र एवं पाठ तथा श्रमण श्राद्ध प्रति क्रमण सूत्र, पाक्षिक सूत्र व अतिचार, चैत्य-गुरुवंदन व प्रत्याख्यान (आ) (v)| अङ्गबाह्य-प्रकीर्णक सूत्र (अकारादिक्रम से) जैन आचारौपदेशिक सैद्धान्तिक, तात्त्विक, धार्मिक, दार्शनिक एवं न्यायिक (Jain Ethics, Doctrines, Metaphysics, Religion, Philosophy & Logic) 258 258 258 258 24 | 260 262 54 32 | 262 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग বিমান विवरण | राजकीय | प्रति | पृष्ठ विषय क्रम संख्या खंड खंड2 (ब) . (आ) ऐ,मो - 30 | ༅༅༔ } མི ཚེ ཚེ ཕྱེ་ जैन भक्ति व क्रियाः -Jain Hymnology & Rituals):धार्मिक विधि विधान व पर्वव्रत कथायें 365] 78 278 स्तवन, स्तुति, स्तोत्र, पूजादि भक्ति काव्य | 502| 94284 सांप्रदायिक खण्डन मण्डन 74/ 122 290 जैन कथानुयोग व पुराण (Jain Mythology & | 7 History) :जीवन चरित्र व कथानक 763| 124| 292 ऐतिहासिक व अन्य वृतान्त 164/168| 300 जैनेतर धार्मिक (Non-Jain-Religious) | स्मृति, इतिहास पुराण, दर्शन व न्याय, भक्ति, तन्त्र एवं 3,4,5, | 111| विविध शेष मन्त्र तन्त्र यन्त्र:-(Mantra, Tantra, Yantra) 11 | 1671 1844304 साहित्य व भाषा :- (Literature & Language) काव्यादि साहित्यिक ग्रन्थ 861 190/308 ध्याकरण 66 202|310 शब्द कोश 401 206312 छन्द व काव्य (साहित्य) शास्त्र 29 208312 अलंकार पायुर्वेद -वैद्यक (Medical) Futfag a fafha :- (Astrology & Nimitta) ज्योतिष :- फलित, संगणना, मुहूर्त व प्रश्न शुकुन, सामुद्रिक व अन्य निमित्त विद्यायें 931240314 गणित अवर्गीकृत शेष (Unclassified : Miscellaneous) 17 से 22/ कला, सामाजिकज्ञान, जडविज्ञान, ज्ञानकोशादि | 4 25 | 31| 246 कुल प्रतियां परिशिष्ट 1. ग्रन्थकारों की प्रकारादिक्रम से सूची 2. संख्या-सूचक शब्द-संकेत शुद्धि-पत्रक शुद्धिपत्रक 319 326 331 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रम. 1 नाम 2 1 बङ्गचूलिका 2 बङ्ग विद्या 3 अजीवकल्प 7 धरणोपपात 8 भाषाराङ्ग धातुर प्रत्याक्यान 4 अनुतरोपपातिक दशांग अम्बवाइमदसाओ 5 अनुयोगद्वार 6 धन्तकृतदशाङ्ग 10 आत्मविभक्ति 11 आत्मविशुद्धि 12 आराधनापताका आवश्यक (ख) 13 सामायिक 1 फ्र जिनागम नामावली (अकारादि क्रम से) 5 14 चतुविशतिस्तव 2 15 वन्दन 3 16 प्रतिक्रमण 4 17 कायोत्सर्ग 5 18 प्रत्याख्यान 6 19 आशीविष भावना 20 उत्तराध्ययन प्राकृतनाम 3 अंग पुलिया अंगविण्या अजीवकप्पो प्रणुजोगदारा अंतगड़दसा मरणोषवाए श्रायारो आउरपच्चक्खाण आयविभक्ती अपविसोही धारासा पढाया घावरसग सामाइय पठवी सत्यव बंदरण पडिक्कमण काउसग्ग पचचक्खाण आसी विसभावणाणं उत्तरज्झयणाइ उपलब्ध प्रथाग्र 4 800 9000 55 गा. 45 200 1900 900 ग्रंथकार 5 यशोभद्र 2000. 36 सुधर्मा वाचना आर्यरक्षित सुधर्मावाचना 2650 दो स्कंध I II स्थविर 100 T. 84 वीरमद्र + गद्य 1200 वा. 990 वीरभद्र 600 सहपाठ वर्गीकरण 6 का. प्र. C 1 प्र. B1 प्र. B2 अंग का. (9) चू. (मूल) उत्का. अंग-का. (8) का. जंग-का. ( 1 ) प्र-A 1 उत्का. उत्का. उत्का. प्र. B3 मूल. " "" " 31 "" का. मूलका नं. पा. सर्वमान्य भिचरित्र ठा. 755 56 नं.पा. सर्वमान्य भिन्न 10 चरित्रठा 754 घ. 56 नं.पा.व्य. सर्वमान्य नं. पा. प्रमाण 7 पा. जो. न. पा. सर्वमान्य " "" " " " व्य. पा. जो नं.पा.ध. टिप्पणी 8 रचनासंवत् 1078 विक्रम? X 2,252 अपरनाम अंतकाल प्रत्याख्यान 28, 262 धवला में अनुल्लेख " पृष्ठ सं. 9 " 28 X X 8,252 20 8,252 X X 28 24 से 28 और 260 " " " " X 20,258 [ 5 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतमाम उपलब्ध ग्रंथान ग्रंथकार वर्गीकरण 6 क्रम. नाम 12 प्रमाण 7 टिप्पणी पृष्ठ सं. 89 4 5 ] 815 21 उत्थान श्रुत 22 उपासकदशाङ्ग 23 ऋषिभाषित 24 प्रोधनियुक्ति 25 ओपपातिक 26 कल्पाकल्प 27 कल्पावतंसिका 28 कल्पिका उट्ठाणसुयं उवासगदसामो इसिभासियाई मोहनिज्जुत्ति ओवाइयं कप्पिया कप्पियं कप्पवं डिसियाओ कप्पियामओ 800 सुधर्मावाचना 45बुद्धजिन 1355गा.1164 भद्रबाहु 1200 50 12,254 29 कवच कवय गा. 123 जिनचन्द्र 30 कषायप्रामृत कसायपाहु गा. 223 गुणधराचार्य 31 कृतिकर्म किदियम्म 32 क्षुल्लिकाविमानप्रविभक्ति खुड्डियाविमाणपविभत्ती 33 गच्छाचार गच्छायारं 175 गा.138 34 गणिविद्या गणिविज्जा 105 गा.86 35 गरुडोपपात गरुलोववाए 36 चतुःशरण चउसरण 80 गा.63 वीरभद्र 37 चन्द्रप्रज्ञप्ति चंदपन्नति 2200 38 चन्द्रवेध्यक चंदवेज्झय 171 गा. 174 39 चरण विधि चरणविही 40 चारणस्वप्नभावना चारणसुमिणभावणाण 41 चुल्लकल्पश्रुत चुल्लकप्पसुतं 42 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति जंबुद्दीवपण्णत्ति 4450 43 जम्बू (द्वीप) प्रकरण जंबु पयन्नो 128 गा. 127 या, न.पा. का. व्य.नं.पा. अंग-का. (7) सर्वमान्य दिगंबर नाम-उपासकाध्ययन 6,252 __ का. नं.पा. मूल. 24,258 उपाङ्ग(1)उत्का. नं पा. 10,254 उत्का . नं.पा.ध. उपाङ्ग(9)का. नं.पा. का. नं.पा. इसी नामका निरियावलिका x में वर्ग है प्र.C2 दिगम्बर घ. अपरनाम पेज्जदोसपाहुडं घ.97 का. प्र. B4 प्र. A 2 उत्का. नंपा. का. नं.व्य पा. प्र A3 अ.नाम कुसलाणुबंधिअज्झयणं 28,262 उपाङ्ग (7) का. नं.पा.ध. दिगंबर में दृष्टिवाद परिकर्म प्र.A 4 उत्का . नं.पा . उत्का . नं.पा. का व्य.पा.जो. उत्का . नं.पा उपाङ्ग(5)का. न.पा.ध. दिगम्बर में दृष्टिवाद परिकम 10 प्र.c३ x xxx Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रम. 1 नाम 2 44 जम्बू (स्वामी) प्रकरण 45 जोतकल्प ( श्रमण + श्राद्ध 2 ) 46 जीवविभक्ति 47 जीवाजीवाभिगम 48 ज्योतिषक रण्डक 49 शाताधर्मकथाङ्ग 50 तन्दुवंपारिक 51 तिथिप्रकीर्णक 52 तीर्थोद्गालिक 53 तेजोनिसर्ग 54 दशकालिक 55 दशाश्रुत स्कन्ध 56 दीर्घदशा 57 दृष्टिवाद 58 दृष्टि विषभावना 59 देवेन्द्र स्तब 60 देवेन्द्रोपपात 61 द्विगृद्धिदशा 62 द्वीपसागरप्रज्ञप्ति 63 धरणोपपात 64 ध्यान विभक्ति 65 नन्दी 66 नागपरिज्ञोपनिका 67 निरियावलिका प्राकृतनाम 3 जब पन्नो जीवकल्प तिथिपन्नो तित्थोगाली ते अग्गिनिसग्गाणं दसवेयालिय आयारदसा दीहदसा दिट्ठीवादो दिट्ठी विसभावणाण देविदत्थश्रो देविदोववाए दोविदिसा दीवसागरपणत्ति जीवविभी जीवाभिगम 4700 जोइस करंडग 1830 माहानाया ) धम्मका यो 5400दो स्कंध तंदुल वेयालिय 500m 400 धरणाववाए शाणविभक्ति नन्दी उपलब्ध ग्रंथाग्र 4 नागपरियारणियाओ निश्यावलियामा 750 अध्या. 21 966 कुलयोग 1565गा.1233 गा 25 700 अ. 10 1830 अनुपलब्ध 375 गा. 300 280 गा. 225 700 419 ग्रंथकार 5 सुधर्मावाचना जिनमद्रधर्मपोष छेद तिलक, सोमतिलक जिनचन्द्र शयंगव भद्रबाहु सुधर्मावाचना ऋषिपाल वर्गीकरण 6 देववाचक प्र. C 3 प्र. C 4 उपाङ्ग ( 3 ) उरका. नं.पा. प्र. B 5 अंग ( 6 ) का. प्र. A 5 प्र. B 6 प्र. B7 का. मूल उत्का. छेद, का. अंग ( 12 ) का. का. प्र. A 6 उत्का. का. प्र. B 8 का का. प्रमाण 7 उत्का. मूल (नू.) उत्का सर्वमान्य उप.पा.जो. नं.पा.घ. न.पा. नं.पा. नं.. पा ai. 755 टिप्पणी 8 नं.पा.ध. दिगम्बर में दृष्टिवादपरिकर्म नं. व्य.पा. नं.पा. नं.पा. का. उपाङ्ग ( 8 ) का नं.पा. पृष्ठ सं. 9 नं.व्य.पा. • 'ता' अथवा 'या' 30 258 अपरनाम आचारदशा ठां. 755 X सर्वमान्य नियूँढ ग्रंथ व वृतान्त उपलब्ध हैं X प. पा. जो. X 30 X X X X X 18,258 X 10,254 X 6,252 30 X X 20,258 12,254 X 12,254 [ 7 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतनाम उपलब्ध ग्रंथान ग्रंधकार वर्गीकरण प्रमाण क्रम. 1 नाम 2 टिप्पणी . पुष्ठ सं. 89.. 81 68 निशीथ (निषिद्ध) 69 पञ्चकल्प 70 पर्यन्ताराधना णिसोहं पंचकप्पो पज्जंताराहणा 815 ___ 1133 300 गा. 263 छेद - 835 125 गा.103 भद्रबाहु जिनवल्लभ 71 पिण्डनियुक्ति 72 पिण्डविशुद्धि 73 पुण्डरीक 74 पुष्पचूलिका 75 पुष्पिका 76 पौरुषीमण्डल 77 प्रज्ञापना 78 प्रमादाप्रमादम् 79 प्रश्नव्याकरण पिंडनिन्जुत्ति पिंडविसोही पुंडरीय पुप्फचूलियानो पुफियाओ पोरिसिमंडल पण्णवणा पमायप्पमादं पण्हावागरणाई 80 430 8000 आर्यश्याम _1250 दो स्कंध सधर्मावाचना? छेद का. न.पा.ध. अपरनाम आचार प्रकल्प 12 17वींशताब्दी तक प्राप्य था x प्र.C-5 सोमसूरि की70 गा.को भी 30,262 प्राप्य है मूल. 258 प्र.C6 262 दिगम्बर उपाङ्ग(11)का. नं.पा. 12,254 उपाङ्ग(10)का. नं.पा. 12,254 उत्का . नं.पा. उपाङ्ग(4) उत्का. नं.पा. 10,254 उत्का . नं.पा. अंग (10) का. सर्वमान्य प्रक्षिप्तपाठ[संभवतः अपर 8,252 नाम जयपाहुड बाला पाठ असल हो] प्र.C-7 का. नंव्य पा. अपरनाम सुयहील्लुपति x ठा.755 छेद का. नं.पा.ध. धवला में कप्पववहारो साथमेंहै 12,254 प्र. A7 30,262 उत्का . नं.पा. उत्का . जो. प्र. B9उत्का. नं.पा. अ.नाममरणविभक्तिम.विधि x म.समाचारी; नं.व्य.पा. नं.पा.ध. यशोभद्र xx 473 80 बङ्ग (वर्ग) चूलिका 81 बन्धदशा 82 वृहत्कल्प 83 भक्त परिज्ञा 84 मण्डल प्रवेश 85 मरण विशुद्धि 86 मरण समाधि बंग (वग्ग) चूलिया बंधदसा कप्पो भत्तपरिन्ना मंडलप्पवेसो मरणविसोहि मरणसमाहि भद्रबाहु वीरभद्र 255 गा 172 837 गा. 656 xxxxx 87 महतीविमान प्रविभक्ति महल्लियाविमाण पविभती 88 महाकल्पश्रुत महाकप्पसुतं Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपलब्ध ग्रंथान ग्रंथकार वर्गीकरण प्रमाण टिप्पणी क्रम. नाम 12 प्राकृतनाम 3 नं.पा. x xxx० का. x 89 महानिशीथ महाणिसीह 4554 उद्धरित,हरिभद्र छेद,का. 90 महापुण्डरीक महापुडरीय दिगम्बर 91 महाप्रज्ञापना महापन्नवणा उत्का . नं.पा. 92 महाप्रत्याख्यान महापच्चक्खाणं 176 गा. 143 प्र. A 8,उत्का नं.पा. 93 महास्वप्नभावना महासुमिणभावजाणं । का. व्य.पा.जो. 94 योनिप्राभूत जोणीपाहुड 800 घरसेनाचार्य प्र.C8 . ध... 95 राजप्रश्नीय रायपसेरिणयं 2076 उपाङ्ग(2)उत्का . नं.पा. 10,254 96 वरुणोपपात वरुणोववाए नं.व्य पा. 97 विद्याचरण विनिश्चय विज्जाचरण विणिच्छी उत्का . नं.पा. 98 विपाकसूत्र विवागसुयं 1250 दो स्कंध सूधर्मावाचना अंग(11)का. सर्वमान्य (पूरानामकर्मविपाकसुख/दुख) 8,252 99 विहारकल्प विहारकप्पो उत्का . नं.पा. 100 वीतरागश्रुत वीयरायसुतं उत्का . नं.पा. 101 वीरस्तव वीरत्ययो 50 गा. 43 प्र.A9 102 वृद्धः चतुः शरण विद्धचउसरण 115 गा.90 देवेन्द्र साधु प्र.C9 अपर नाम सुप्रणिधान कुलक 262 . 103 वृष्णिदशा वण्हीदसामो 130 उपाङ्ग(12)का. नं.पा. 12,254 104 वृष्णिका वण्हीयानो का. नं.पा.जो. 105 वेलन्धरोपपात वेलंघरोववाए का. नं.व्य.पा. 106 वैनयिक वेणइयं दिगम्बर 107 वैश्रमणोपात वेसमणोववाए का. नं.पा.व्य. 108 व्यवहार ववहारो . 370 भद्रबाहु छेद, का. नं.पा.घ. धवलामेंबृहत्कल्प (82) केसाथ 12,254 109 व्याख्या प्रज्ञप्ति वियाह पन्नति 16,000 सुधर्मावाचना अंग(5)का. सर्वमान्य प्रसिद्ध नाम भगवती सूत्र 4,252 110 व्याख्या चूलिका वियाह (विवाह) चूलिया। का. नं.व्य.पा. दिगम्बर में दृष्टिवाद परिकर्म x (प्रज्ञप्ति II) 111 षट्खण्डागम छक्खंडागमे 6000 पुष्पदंतभूतबलि दिगम्बर 112 सड क्षेपितदशा संखेवियदसा ठां.755 x xxx ध. xx Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रम. 1. नाम 2 प्राकृतनाम उपलब्ध ग्रंथाग्र ग्रंथकार वर्गीकरण प्रमाण टिप्पणी पृष्ठ सं. 3 8 9 x 4,252 1700 सुधर्मावाचना 113 सङग्रहणी 114 समवायाङ्ग 115 समुत्थानश्रुत 116 सारावली 117 सिद्धप्राभूत 118 सूत्रकृताङ्ग 119 सूर्यप्रज्ञप्ति 120 संलेखना 121 संस्तारक 122 स्थानाङ्ग . संगहणी समवायो समुट्ठाणसुयं सारावली सिद्धपाहुड सूयगडं (सूदयदं) सूरपण्णत्ती संलेहणा संथारग ठाणं 145 गा. 116 150 गा. 120 2100 दो स्कंध सुधर्मावाचना 2300 xxx विधिमया (कौनसी ?) अंग(4)का. सर्वमान्य का. नं.व्य.पा. प्र.c 10 प्र B 10 अंग(2)का. सर्वमान्य 2,252 उपाङ्ग(6)का. नं.पा.प. दिगम्बर मेंडष्टिवाद परिकर्म 254 उत्का . नं.पा. . प्र. A 10 30,262 अंग (3)का. सर्वमान्य 4,252 155 गा. 122 . 3700 सुधर्मावाचना संकेत:-का.=कालिक; उत्का.=उत्कालिक; प्र.=प्रकीर्णक; नं.=नंदीसूत्र; पा.=पाक्षिक सूत्र; व्य. व्यवहार सूत्र; ठा.ठाणाङ्गः घ.=घवलाटीका; जो.=जोगनंदी। विकल्पः-ओपनियुक्ति या पिण्डनियुक्ति; पंचकल्प या जीतकल्प; जंबू द्वीप या जंबू स्वामी प्रकरण तथा दस प्रकीर्णक मान्य हैं किन्तु ऐसी तीन भिन्न-भिन्न बोड (सेट्स) हैं जिन्हें क्रमशः A1 से A10, B1 से B10 और C1 से C10 बताया गया है। टीप :- सूर्य प्राप्ति व चन्द्रप्रज्ञप्ति के उपलब्ध पाठ एक सरीखे ही है। सची:- में 37 आगम दिगम्बर सम्मत हैं परन्तु वे वर्तमान में षडावश्यक, षटखंडागम और कषाय पाहड को ही उपलब्ध मानते हैं शेष का विच्छेद कहते हैं। प्राप्य प्रागम मूल रूप में कहीं न कहीं से मुद्रित हो चुके हैं और तदनुसार उनका परिमाण बता दिया गया है। __हो सकता है नाम भेद का पता पड़ने से कुछ संख्या कुछ कम हो जाय । नंदी व अनुयोगद्वार को चू = च्लिका भी कहते हैं। दृष्टव्यः-जन ग्रंथावली- श्व कान्फ्रेस मुम्बई का प्रकाशन । Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० प्राक्कथन ० सेवामन्दिर जोधपुर के रावटी स्थित जिनदर्शन प्रतिष्ठान द्वारा देश के इस भू-भाग में पाये जैन ज्ञान भण्डारों में और यत्र तत्र बिखरे पड़े हस्तलिखित ग्रन्यों के बारे में कुछ वर्षों से एक परियोजना क्रियान्वित की जा रही है जिसके कतिपय पहलू निम्न प्रकार हैं -- (i) आधुनिक ढंग से इन ग्रंथों का पूर्ण बोगतवाः सूचीकरण और उन सूची पत्रों का मुद्रण; (ii) ग्रन्थों का संग्रहण भोर भण्डारों का विलीनीकरण; . (iii) अतिप्राचीन, जीणं, प्रथम प्रादर्श, प्रद्यावधि अमुद्रित, दुर्लभ, सचित्र, अत्यन्त शुद्ध, संशोधित या अन्यथा महत्वपूर्ण ग्रन्थों का फोटु प्रतिबिम्ब या फील्मीकरण; (iv) ग्रन्थों के वैज्ञानिक ढंग से भण्डारीकरण एवं संरक्षण हेतु आवश्यक सलाह, सहायता व साधन सामग्री का वितरण । सूची पत्रों के मुद्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत तृतीय ग्रंथ के रूप में बाड़मेर जिले व मुम्बई के निम्न जैन ज्ञान भण्डारों का यह सूची पत्र तैयार होकर प्रकाशित किया जा रहा है। . बा भाग-१ सूची पत्र में स्रोत संकेत (1) श्री शान्तिनाथजी के मन्दिर का ज्ञान भण्डार, बाड़मेर (2) यति श्री माणकचंदजी का ज्ञान भण्डार, बालोतरा Bo(3) श्री संघ जैन ज्ञान भण्डार, चौहट्टन चौ०(4) श्री भीकचन्दजी ललवाणी दादावाड़ी शान भण्डार, गढ़ सिवाना सि०(5) मत्थेण श्री संपतराजजी का ज्ञान भण्डार, बाड़मेर बा (सं)(6) जैन ज्ञान गच्छ भंडार, रायपुर हवेली कपड़ा बाजार, जोधपुर माग-२ (7) जिनदत्त सूरि ज्ञान भण्डार, 8 पायधुनी मुम्बई 400003 इस सूची पत्र में कुल 4938 प्रतियों का सूचीकरण किया गया है। प्रतियें विशेष पुरानी नहीं है विक्रम की सोलहवीं शताब्दी बाद की ही हैं। इन भण्डारों को स्थापना का विशेष कोई इतिहास प्राप्य नहीं है। मुम्बई का भण्डार 20वीं सदी में खरतर-गच्छाचार्य श्री जिन रत्न सूरि द्वारा संग्रहीत है और रायपुर हवेली जोधपुर के भंडार को छोड़कर बाकी सब भण्डार जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ की आम्नाय वालों द्वारा स्थापित व व्यवस्थित है। यद्यपि बाड़मेर, चौहट्टन व सिवाना इस क्षेत्र के प्राचीन नगर है परन्तु इन भण्डारों में अधिक प्राचीन ग्रंथ उपलब्ध नहीं है। यह सूची पत्र किस प्रकार बनाया गया है तत्सम्बन्धी जानकारी व स्पष्टीकरण निम्नलिखित "संकेत" में दिये जा रहे हैं। इस सूची पत्र का सही रूप में उपयोग हो सके उस वास्ते उस लेख को ध्यान पूर्वक पूरा पढ़ लेना अनिवार्य है । उस पर भी यदि मुद्रित जानकारी व सूचना से किसी ग्रन्थ के बारे में पाठक वृन्द को संतोष न हो, शंका हो या विशेष जिज्ञासा हो तो प्रार्थना है कि हमसे सम्पर्क करें; प्रति आदि उपलब्ध कराने में और उन्हें हर प्रकार से सहयोग देने में हम हमारा अहोभाग्य समझेगे। . Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० संकेत ० मोटे तौर पर यह सूचीपत्र प्रचलित केटेलोगस केटेलोगोरम (Catalogus Catalogorum) पद्धति व भारत सरकार द्वारा निर्धारित प्रपत्रानुसार बनाया गया है । ग्रन्थों का विभागीकरण विषय सूची के अनुसार है। वह भी लगभग सरकारी विषय विभाजन से मेल खाता है। चूंकि यह सूची पत्र न ज्ञान भण्डारों का है इसलिये इसमें जैन ग्रंथों को बहुतायत है। यद्यपि सरकारी प्रपत्र के अनुसार सभी प्रकार के जैन ग्रंथों को केवल एक ही भाग नम्बर सातव में डाला जाता है परन्तु हमने आवश्यक समझकर इन जैन ग्रन्थों को चार भागों 1 से 4) में बांटा है जिनके पुनः क्रमशः 2+2+3+-2 कुल मिलाकर 9 विभाग किये हैं और पहिले भाग के दूसरे विभाग के पांच उप विभाग किये हैं । अतः भाग 1 से 4 तक सभी विभाग व उपविभाग मिलकर सरकार द्वारा निर्धारित सातवें भाग के ही अन्तर्गत आते हैं । भाग 5 नेत्तर धार्मिक ग्रन्थों का है जिसमें सरकार द्वारा निर्धारित भाग 1 से 10 (केवल उपरोक्त भाग 7 छोड़कर) इन 9 भागों के ग्रन्थों का समावेश है और उन्हें क्रमशः (अ) से (ओ) तक विभाजित कर दिया है। इसी प्रकार इस सूची पत्र के भाग 6, 7, 8 और 9 में क्रमशः परकारी निर्धारित भाग 11, 12 से 16, 23 124 के ग्रंथों को अलग-अलग दिखा दिया है। और चुकि भाग 17 से 22 व 25 तक के ग्रन्थ बिल्कुल थोड़े हैं अतः उन्हें इस सूचीपत्र के अन्तिम भाग 10 में अवर्गीकृत शेष रूप में दिखा दिया गया है। जैन ग्रन्थों के भाग विभाग व उपविभाग के शीर्षकों को देखने से सारा विभाजन लगभग स्पष्ट हो जावेगा । हम आगमों की संख्या के विवाद में नहीं पड़ना चाहते है और जो कोई भी ग्रन्थ किसी भी सम्प्रदाय द्वारा आगम माना जाता है वह हमने प्रागम में ले लिया है। चूंकि साम्प्रदायिक खण्डन मण्डन विशेषकर धार्मिक क्रिया काण्ड से सम्बन्ध रखते हैं अतः इसे उस भाग का ही एक विभाग बना दिया है। तथा अमुक ग्रन्थ किस विभाग में डाला जाना चाहिये इस बारे में कई बार एक से अधिक मत संभव होते है अथवा एक ही ग्रन्थ में विविध प्रकार की विषय वस्तु होती है अतः एकदम निर्विवाद शुद्ध विभाजन असंभव है और जो विभाजन किया गया है उसके लिये एकान्त रूप से हमारा आग्रह भी नहीं है। सूचीपत्र के स्तम्भों में दी गई सूचना को मुख्यतः दो भागों में बांट सकते है-कुछ स्तम्भों की बोगत तो उस ग्रन्य से सम्बन्ध रखती है और कुछ स्तम्भों की बोगत उस प्रति विशेष से ही सम्बन्धित है। अब हम प्रत्येक स्तम्भ का थोड़ा विश्लेषण करना उपयुक्त समझते हैं स्तम्भ 1-क्रमांक : इसमें हमने विभागोय, यो जहाँ है वहाँ उपविभागीय क्रमांक दिया है। सामान्य अनुक्रमांक सारे ग्रंप तक एक ही चालू रखा जा सकता था परन्तु हमारी राय में विभागीय संख्या का महत्व अधिक है और मुद्रण प्रादि में सुविधाजनक भी है । वैसे विषय सूची में कुल प्रतियों की संख्या का योग आ ही गया है । साधारणतया हर प्रति की अलग प्रविष्टि करके विभागीय क्रमांक दे दिया गया है। परन्तु कई ग्रंथों की पर्वाचीन प्रतियां जो अति सामान्य हैं और पाठ भेद आदि दृष्टिकों से महत्वहीन हैं उनकी प्रविष्टि एक साथ कर दी गई है लेकिन वहां भी जितनी प्रतिणं हैं उतने क्रमांक दे दिये है। (देखिये पृष्ठ 8 अन्तकृतदशाङ्ग सूत्र 20 प्रतियें एक साथ में, क्रमांक 153 से 172) । इस तरह सूची पत्र को अनावश्यक रूप से बड़ा नहीं होने दिया है । इसके विपरीत जिस सयुक्त प्रति में एक से अधिक उल्लेखनीय ग्रन्य हैं उन सभी ग्रन्पों की अलग-अलग प्रविष्टियां विभागानुसार बकारादिक्रम से बीगतवार यथा-स्थान कर दी है और क्रमांक दे दिये है। और चकि ऐसी प्रत्येक प्रविष्टि में पन्नों की संख्या पूरी प्रति को ही लिखी है, जो भ्रमोत्पादक न हो जाए इसलिए पन्नों की संख्या पर तारे का चिन छगा दिया है । तथा जहाँ मावश्यक समझा गया है वहां संयुक्त प्रति के प्रथम ग्रन्थ की प्रविष्टि देखने की सूचना कर दी गई है। Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 13 . इसके अतिरिक्त कई प्रतियां विशेषतः स्तवन मंत्रादि एक दो पन्नों की अति लघु रचनायें होती है। तथा प्रत्येक भण्डार में कई सारे पन्ने स्फुट और त्रुटक भी होते है और कई गुटके भी होते हैं जिनमें बहुत सी छोटी-मोटी कृतियों का संकलन होता है । हमने इन सब लघु ग्रन्थों, स्फुट व त्रुटक पन्नों और गुटकों की पूरी छानबीन करके जो मुख्य या संकलनीय रचनायें प्रतीत हुई उनकी तो अलग-अलग प्रविष्टियां कर दी है; तथा बाकी बचे हुए इन अमहत्वपूर्ण व अनुल्लेखनीय छघु ग्रन्थों व पन्नों को मिलाकर एक ही क्रमांक पर विभागानुसार अन्त में प्रविष्टि कर दी है । कदाचित् विषय की अधिक गहराई में जाने वाले के लिए इन लघुकृतियों व स्फुट त्रुटक व अपूर्ण पन्नों की उपयोगिता हो सकती है। इसी प्रकार गुटकों को भी क्रमांक देकर अलग से भी प्रविष्टि कर दी है । इस तरह हमन भण्डार की समस्त प्रतियों, पूर्ण या अपूर्ण, गुटकों तथा स्फुट पन्नों व त्रुटक या लघु ग्रन्थों प्रादि सबको सूची पत्र में ले लिया है-बाहिर कुछ भी नहीं छोड़ा है। स्तम्भ-2-स्त्रोत परिचयाङ्कः चूकि यह सूचीपत्र केटेलोगस केटेलोगोरम पद्धति से बनाया गया है अतः इस स्तम्भ की आवश्यकता है ताकि ग्रंथ उपलब्धि आसानी से की जा सके। भण्डारों के सूचक अक्षरों का स्पष्टीकरण सुगम्य है जो उपर दे चुके हैं। स्तम्भ-3-ग्रन्थ का नाम: जैन आगम भाग को छोड़कर प्रत्येक विभाग के ग्रन्थों को अकारादिक्रम से लिखा गया है और इसलिये सूचीपत्र में उल्लेखित ग्रन्थों को पुनः परिशिष्ट में अकारादिक्रम से सजाने की विशेष आवश्यकता नहीं समझी गई है। जैन आगम ग्रन्थों को जैन मान्यतानुसार अंगसूत्र और अगबाह्य सूत्र (पांच उप विभागों में विभाजित) का जो क्रम नियत है तदनुसार लिखा गया है और यह विषयसूची से स्पष्ट हो जाता है तथा सामान्य पाठकों की सुविधा के लिये मुख्य विषय सूची के बाद जैन आगमों की एक सूची अकारादिक्रम से भी बनाकर लगादी गई है। लेकिन विभागीकरण की तरह नामकरण में भी एकरूपता नहीं हो सकती क्योंकि भिन्न-भिन्न प्रक्षर संयोजना से ग्रन्थनाम का प्रथम अक्षर भी भिन्न हो जाता है। उदाहरण स्वरूप "गौड़ी पार्श्व स्तोत्र" और "चितामणि पाश्वं स्तोत्र" को हमने क्रमशः 'पार्श्व (गौड़ी) स्तोत्र' और पार्श्व (चितामणि) स्तोत्र ऐसा नाम देकर दोनों स्तोत्रों को अक्षर 'पा' के नीचे संकलित करना अभीष्ट समझा है । कई बार एक ग्रन्थ विद्वत् जगत् में एक से अधिक नामों से प्रचलित होता है जैसे 'दर्शन-सत्तरी' को 'सम्यक्त्व सत्तरी' भी कहते हैं और विचार विशिका 'चतुर्विशतिदण्डक' 'चौवीसदण्डक' या केवल 'दण्डक' के नाम से भी प्रसिद्ध है । उपरोक्त कठिनाइयों से उत्पन्न समस्याओं के निराकरण हेतु पाठकों से और विशेषतया शोधार्थी पाठकों से हमारा निवेदन है कि अभिलषित ग्रंथ की प्रविष्टि के बारे में निराश होने के पहले संभावनीय विविध विकल्पों के अनुसार सूचीपत्र को अच्छी प्रकार से ढूढें तथा लेखक परिशिष्ट को भी मदद लें। इस वास्ते पूरी विषय सूची को हृदयंगम करके तथा प्रविष्टि के सभी स्तम्भों को देखना व इस 'प्राक्कथन संकेत' को भी ध्यान पूर्वक पढ़ना आवश्यक है । सूची पत्रों में विभागीकरण, विषय सूची, अकारादिक्रमणिका इत्यादि सुविधा के हेतु हैं परन्तु प्रमादवश उसे ही एक मात्र आधार या बहाना बना लेंगे तो विद्यमान होते हुवे भी ग्रंथ हाथ नहीं लगेगा। स्तम्भ 3A: इसमें ग्रन्थ का नाम रोमन लिपि में दे दिया है ताकि देवनागरी लिपि न जानने वालों को कुछ सुविधा हो जाय । तथा उनकी सहलियत के लिए ही सूची पत्र में सर्वत्र भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप ही प्रयोग में लिया गया है। स्तम्भ 4-ग्रन्थ कर्तादि का नाम : इस स्तम्भ में ग्रन्थकार का नाम व उसके गुरु या पिता का नाम और उसकी आम्नाय भी दे दी गई है ताकि पूरा नाम परिचय हो जावे । यदि ग्रन्थ वृति आदि सहित होने से दो अथवा दो से अधिक लेखकों की कृति Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 ] है तो उन दोनों या सबका नाम व परिचय दिया गया है। उनमें क्रमानुसार प्रथम नाम मूल लेखक का है और/ करके आगे वृत्तिकार आदि का नाम लिखा गया है । जहां लेखक का नाम प्रति में नहीं है वहां स्तम्भ को खाली ही रखा है। लेकिन जहां पक्का निश्चय हो गया है कि लेखक का नाम मिलने वाला नहीं है वहां 'अज्ञात' शब्द लिख दिया है। कहीं-कहीं साथ में ग्रन्थ की रचना के वर्ष का उल्लेख भी किया है यद्यपि अच्छा यह रहता कि रचना समय की जानकारी एक स्वतन्त्र स्तम्भ में दी जाती। स्तम्भ 5-स्वरूप : इस स्तम्भ में सूचना दो दृष्टिकोणों से दी गई है। प्रथमतः यह बताया गया है कि ग्रन्थ गद्य या पद्य या चंपू या नाटक या सारिणी या तालिका या यंत्र मादि किस प्रकार का है तथा दूसरे में यह बताया गया है कि ग्रन्थ का स्वरूप क्या है-मूल, नियुक्ति चूणि, भाष्य, वृत्ति, दीपिका, अवचूरि, टब्बा (स्तबक), बालाविबोध, वाचना, अन्तर्वाच्य, व्याख्यान, टीका, विवरण, स्वोपज्ञ विवृत्ति आदि किस किस्म या जाति का है। प्रायः करके प्रकार या स्वरूप को दर्शाने वाले उपरोक्त शब्दों के प्रथम अक्षर को लिख दिया है जिसका तात्पर्य उस शब्द से लगा लेना चाहिये । बहुधा एक ही प्रति में दो किंवा दो से अधिक स्वरूप साथ में हैं तो वहाँ उतने संकेत दे दिये हैं तथा ग्रन्थ का नाम लिखते हुवे भी कहीं-कहीं यह उल्लेख कर दिया है। उदाहरण :-"प्रवचन सारोद्धार सहवृत्ति" मू(प) + (ग)=अर्थात मूल पद्य में तथा वृत्ति सहित जो गद्य में है। स्तम्भ 6-भाषा : अन्य प्राकृत, संस्कृत अपभ्रश आदि जिस भाषा में लिखा गया है उस भाषा को या तो प्रथम अक्षर से दर्शाया गया है और नहीं तो भाषा का पूरा नाम लिख दिया है। इस प्रकार प्रा0=प्राकृत सं0-संस्कृत 40%=अपभ्रंश डि0=डिङ्गल हि0=हिन्दी गु०=गुजराती रा0-राजस्थानी मा0=मारुगुर्जर के बोधक हैं। जहाँ ग्रन्थ (मूलवृत्ति मादि) एक से अधिक भाषा में है वहां उन सभी भाषाओं को बता दिया है। मिश्रित होने से कई बार ग्रन्थ की भाषा क्या है इस बारे में मतभेद भी हो सकता है जैसे 'जयतिहुअण' स्तोत्र को कई लोग प्राकृत की रचना कहते हैं तो कई उसे अपभ्रंश की। जिन ग्रन्थों की भाषा को हमने 'मारू गुर्जर' की संज्ञा दी है उस बारे में स्पष्टीकरण करना चाहेंगे । पश्चिमी राजस्थान व गुजरात इस भू-भाग की भाषा विक्रम की लगभग 18वीं शताब्दी तक प्रायः एक सी हो रही है और उसमें विपुल साहित्य रचा गया है । अपभ्रंश भाषा के काल के बाद, प्रदेश की इस भाषा को क्या नाम दिया जावे इस बारे में विद्वान एक मत नहीं है। चूकि विगत दो ढाई शताब्दियों से राजस्थानीय गुजराती भिन्न-भिन्न भाषाओं के रूप में उभरी है अतः उस प्रभाव में आकर प्रादेशिक व्यामोह के कारण 13वीं से 18वीं इन 5-6 शताब्दियों में रचे गये ग्रन्थों की भाषा को कई लोग तो गुजराती या प्राचीन गुजराती कहते हैं और कई लोग राजस्थानी कहते हैं। उदाहरण स्वरूप अहमदाबाद (गुजरात) से छपे सूचीपत्रों में श्री समय सुन्दरजी के ग्रन्थों की भाषा को स्व. आगमप्रभाकर मुनि पुण्यविजयजी ने गुजराती बताई है, जबकि जोधपुर (राजस्थान) से छपे सूची पत्रों में उन्हीं ग्रन्थों की भाषा स्व. पद्म श्री मुनि जिनविजयजी ने राजस्थानी बताई हैं। इस समग्र भू-भाग से विचरण करने वाले होने के कारण जैन साधुओं द्वारा रचित जैन साहित्य में तो यह भाषा एक्यता व साम्य इतना अधिक है कि भाषा भेद की कल्पना ही हास्यस्पद लगती है । ग्रंथकर्ता ने स्वयं की बोलो में रचना की, उस बोली को पराई संज्ञा देकर अन्याय नहीं करना चाहिये, अतः इस भाषा विवाद में न पड़कर हमने मध्यम मार्ग का अनुसरण करना ही श्रेयस्कर समझा है और कुवलयमाला नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ में सुझाये गये Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 15 'मारु गुर्जर' नाम से इस भाषा को बताया है जिसमें 19वीं शताब्दी से पूर्व की लगभग 5-6 शताब्दियों की इस भू-भाग की बोलचाल किंवा साहित्यिक भाषा का समावेश हो गया है। स्तम्भ 7-विषय संकेत: यद्यपि मोटे रूप में विभागानुसार विषय संकेत हो जाता है तो भी इस स्तम्भ में ग्रन्थ की वस्तु का अति संक्षिप्ततम सारांश परिचय रूप में दिया है जो पाठकों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगा। इस प्रकार उपरोक्त सात स्तम्भों में ग्रन्थ सम्बन्धी जानकारी के संकेतों का स्पष्टीकरण के बाद अब उन स्तम्भों का विवेचन किया जाता हैं जो मुख्यतः प्रस्तुत प्रति से ही सम्बन्धित हैं। स्तम्भ 8-पन्नों की संख्या : इस स्तम्भ में प्रति के कुल पन्नों की शुद्ध संख्या जो है वह लिख दी गई है जिसको द्विगुणित करने से पृष्ठों की संख्या प्रा जाती है। यथा संभव पन्नों को गिनकर सही संख्या लिखी गई है और बीच में जो पन्ने कम हैं अथवा अतिरिक्त हैं उन क्रमांकों की टिप्पणी दे दी गई है । अधूरी या अपूर्ण तथा कहीं-कहीं त्रुटक प्रति के भी पन्नों के क्रमांङ्क जो उपलब्ध है अथवा कम है बीगतवार लिख दिये हैं। जहां एक से अधिक प्रतियों की प्रविष्टि एक साथ की गई है वहां प्रत्येक प्रति के पन्नों की संख्या अलग-अलग लिखी गई है जिनका क्रम विभागीय क्रमांकानुसार है, ऐसा समझ लेना चाहिये । स्तम्भ 8 A-नाप : इस स्तम्भ में प्रति के बारे में चार प्रकार की सूचना दी गई है । पहिली संख्या प्रति की लम्बाई और दूसरी संख्या प्रति की चौड़ाई दर्शाती है जो दोनों सेन्टीमीटरों में है। तीसरी संख्या प्रतिपृष्ठ (न कि प्रति पन्ने में) कितनी पंक्तियां है, यह बताती है और चौथी संख्या प्रति पंक्ति औसतन कितने प्रक्षर हैं यह दिखाती है । चारों संख्याओं को इसी क्रम से लिखा है और उन्हें अलग-2 करने हेतु सुविधा के लिये बीच में 'x' निशान लगा दिया है। जहां ग्रन्थ केवल यन्त्र तालिका स्वरूप ही है वहां लकीरों व अक्षरों की संख्या नहीं दी है। तथा जहां प्रति पंचपाठी (अर्थात् बीच में मूल ग्रंथ व उसके चारों ओर वृत्ति आदि लिखी हुई) या टब्बार्थ सहित है वहा पंक्तियों व अक्षरों की संख्या मूल की ही दी है । जहां एक से अधिक प्रतियों की प्रविष्टि एक माथ में की गई है वहाँ केवल प्रतियों की लम्बाई चौडाई ही दी है और वे भी जब प्रति प्रति भिन्न है तो लम्बाई व चौड़ाई दोनों की लघुतम व दीर्घतम दो-दो संख्यायें लिख दी गई है । दृष्टांतः-भाग 3 (आ) भक्तामर स्तोत्र 5 प्रतियों की प्रविष्टि के सामने 24 से 26 x 11 से 12 लिखने का तात्पर्य यह है कि इन पांचों प्रतियों की लम्बाई भिन्न-भिन्न हैं जो नीचे में 24 और ऊचे में 26 सेन्टीमीटर है और इसी प्रकार चौड़ाई भी भिन्न-2 है जो नीचे में 11 और ऊंचे में 12 से -टीमीटर है। चूकि सेन्टीमीटर भी कोई बहुत विस्तार वाली दूरी नहीं है अतः हमने मीलीमीटरों में जाना श्रेयस्कर नहीं समझा है-आधे से अधिक को पूरा सेन्टीमीटर गिन लिया है और आधे से कम को छोड़ दिया है। स्तम्भ 9-परिमाण : इस स्तम्भ में भी सूचना दो दृष्टिकोणों में दी गई है ग्रन्थ के स्कन्ध (खण्ड) पर्व, सर्ग, अध्याय, प्रकाश, परिच्छेद, अधिकार, प्रकरण, उद्देशक, ढाल, पद, छन्द, गाथा, श्लोक आदि की संख्या द्वारा उसका परिमाण बताया गया है। जहाँ उपलब्ध है वहाँ ग्रंथान [अन्य के कुल प्रक्षरों की संख्या को 32 (प्राचीन अनुष्टम् छंद का अक्षर परिमाण) से भाग देने पर आने वाला . भजनफल ग्रंथान कहलाता है] संख्या भी लिख दी है। परन्तु कभी-कभी यह ग्रंथान संख्या वास्तविकता से Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 ] मेल नहीं भी खाती है क्योंकि लिपिक इस संख्या को अनुमान से अथवा बढ़ा-चढ़ाकर अथवा परम्परागत शास्त्र वणित परन्तु वर्तमान में अनुपलब्ध है, वह लिख देते हैं । सूचीपत्र में दी हुई पन्नों की संख्या को दुगना करने से पृष्ठों की संख्या आ जाती है और उसे पंक्ति प्रतिपृष्ठ की संख्या से गुणा करने पर ग्रन्थ के कल पंक्तियों की संख्या आ जाती है और उसे औसतन अक्षरों की संख्या से गुणा करने पर ग्रन्थ के कुल अक्षरों की संख्या आ जाती है जिसमें 32 का भाग देने से ग्रंथान की संख्या आ जावेगी-इस प्रकार पाठक स्वयं ग्रंथान अनुमानित कर सकते हैं । साथ में यह भी बताया गया है कि प्रति संपूर्ण है या अपूर्ण या त्रुटक और यदि अपूर्ण है तो कितनी अपूर्णता है। यदि प्रति पूरे ग्रन्थ के एक अंश हेतु ही लिखी गई है और वह अंश पूरा है तो उसे 'प्रतिपूर्ण' कहा गया है। प्रथम या मन्तिम पन्ना बहुधा नहीं होते हैं तो प्रति को अपूर्ण न कहकर वैसी टिप्पणी लिख दी गई है कि पहला या अन्तिम पन्ना कम है । उपरोक्त परिमाण सूचक शब्दों के प्रथम अक्षर ही बहुधा सूची पत्र में लिखे हैं अतः तदनुसार अर्थ लगा लेना चाहिये-जैसे सं. =संपूर्ण, अपूर्ण, ग्रं =ग्रन्थान। स्तम्भ 10-प्रतिलेखन वर्ष, स्थल व लिपिक : इस स्तम्भ में प्रति के बारे में तीन प्रकार से सूचना दी गई है : (i) सर्व प्रथम प्रस्तुत प्रति जिस वर्ष में लिखी गई है वह विक्रम संवत् दिया गया है । कदाचित् कहीं पर शक या पौर संवत् या अन्य सार है तो वैसा विशिष्ट उल्लेख कर दिया गया है। विक्रम संवत् से शक संवत् व ईस्वी सन कमशः 135 और 56 कम होता है जबकि वीर सम्वत् 470 अधिक होता है, परन्तु बहुत सी प्रतियों में उनका प्रतिलेखन संवत् लिखा हुआ नहीं मिलता है । ऐसी अवस्था में अनुमान से वह प्रति जिस शताब्दी में लिखी प्रतीत हुई वह विक्रम की शताब्दी लिख दी नई है । यद्यपि अनुमान लगाते हुए हमने पर्याप्त अनुदार दृष्टि से काम लिया है (अर्थाद संदेहास्पद मामलों में प्रति को प्राचीन की अपेक्षा मर्दानीन टी बताने की ओर झुकाव रहा है) तो भी अन्दाज तो अन्दाज ही है । अतः पाठकों को सलाह है कि हमारे इस अन्दाज को ठोस आधार न मान लें। भिन्न-भिन्न वर्षों में लिखित प्रतियों की प्रविष्टि जब एक साथ ही गई है वहाँ कालावधि की सीमायें व यथा योग्य सूचना दे दी गई है। (i) दूसरी सूचना प्रति किस स्थल में लिखी गई है उसकी है और (iii) तीसरी सूचना लिपिक के नाम की है स्तम्भ 11-विशेषज्ञातव्य : उपरोक्त सब के अलावा अन्य अथवा प्रति के बारे में जो भी सूचना देना उपादेय या आवश्यक समझा गया है उस वास्ते इस स्तम्भ की शरण ली गई है। यह तरह-तरह की जानकारी से भरा गया है और इसका अवलोकन किये बिना प्रविष्टि पूरी देख ली है ऐसा नहीं कहा जा सकता । इस स्तम्भ में दी गई जानकारी के कतिपय उदाहरण हैं-चित्रित, संशोधित, अपठनीय, जीर्ण, प्रथम आदर्श, ताड़पत्रीय या वस्त्र पर, देवनागरी से भिन्न लिपि, स्वर्णाक्षरी, ग्रन्थ का दूसरा प्रचलित नाम, प्रशस्ति है, वृत्ति आदि का नाम जो अक्सर वृत्तिकार अपनी कृत्ति को देते हैं, साथ में गौण वस्तु जो संलग्न हो मादि-2 । उपरोक्त स्तम्भों के अतिरिक्त सरकारी निर्धारित प्रपत्र द्वारा चार अन्य स्तम्भों की अपेक्षा की गई। जो निम्न प्रकार है : (1) प्रति किस पर लिखी गई है :-कागज, ताड़पत्र, भोजपत्र, कपड़ा आदि । Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (2) प्रति किस लिपि में लिखी गई है :- देवनागरी, मोड़ी, अरबी, गुजराती। 13) प्रति जीर्ण है या ठीक है या अपठनीय है इत्यादि सचना । (4) ग्रन्थ अद्यावधि मुद्रित हो चुका है अथवा आज तक अमुद्रित ही है । परन्तु इस सूची-पत्र में इन चार स्तम्भों को नहीं रखा है और इसका स्पष्टीकरण निम्न प्रकार है : लगभग सारी की सारी प्रतियां कागज पर हैं और देवनागरी लिपि (अक्षर अधिकतर जैन मोड दिये हए) में लिखी हुई है अतः प्रलग स्तम्भ बनाकर सर्वत्र " का निशान लगाने में कुछ सार नहीं प्रतीत होता। इसी प्रकार इस सूची-पत्र में उल्लेखित प्रायः सभी प्रतियों की अवस्था ठीक है, 1 पठनीय है अतः उसका भी स्वतन्त्र स्तम्भ बनाना उपयुक्त नहीं लगा । हाँ, कदाचित यदि कोई प्रति कागज पर नहीं है, अथवा देवनागरी लिपि में नहीं लिखी हुई है अथवा जीर्ण व अपठनीय है तो वैसा उल्लेख अवश्य "विशेष ज्ञातव्य" स्तम्भ में कर दिया है। विशेष उल्लेख के अभाव में पाठक निःशंक यह समझ लें कि प्रति देवनागरी लिपि में कागज पर लिखी हुई है और उसकी दशा ठीक है। तथा ग्रन्थों के अद्यावधि मुद्रित या अमुद्रित होने की जानकारी का संकलन करने में हम प्रसमर्थ रहे हैं। अत: अपूर्ण किंवा प्रसत्य जानकारी देने की अपेक्षा मौन रहना ही श्रेयस्कर समझा है। इसका , पता शोधार्थी या प्रकाशक हमारी अपेक्षा आसानी से लगा सकते हैं। तथा इस बारे में एक और निवेदन है। अतिरिक्त परिशिष्ट तथा और कई स्तम्भ सूची-पत्र में जोड़े जा सकते हैं और उससे शोधार्थियों को अवश्य कुछ सुविधा हो जाती हैं । परन्तु साथ में हमें यह भी नहीं भूलना चाहिये कि सूची-पत्र की अपनी मर्यादायें होती हैं और सूची-पत्र बनाने वाले की योग्यता भी असीमित नहीं होती। ग्रन्थ के बारे में आवश्यक सूचना सम्मेत सूची बना देना पर्याप्त है, बाकी सब ढेर सारी सामग्री पचाकर शोधार्थी को देने से उसमें प्रमाद पनपता है, अन्वेषण की जिज्ञासा कुण्ठित हो जाती है जो ज्ञान के विकास के लिये घातक सिद्ध होती है । सूची-पत्र कितना भी विस्तत हो, शोधार्थी के लिये तो असल प्रति या फोटो फिल्म प्रतिबिम्ब देखने के अलावा गत्यन्तर नहीं है, यह हमारा निश्चय मत है अन्यथा शोध-कार्य के प्रति न्याय नहीं होगा। केवल सूची बनाने वाले पर ही अधिक भार लादने से यह श्रम-साध्य कार्य और इतना गुरुतर हो जावेगा कि साधारण मनुष्य इस को हाथ में लेने से ही घबरा जावेगा - उसका उत्साह मारा जावेगा । सूची-पत्र सूचना है - जांच के लिये आमन्त्रण है - निर्णय का आधार नहीं। परिशिष्ट संख्या 2 की सामग्री के बारे में हम आचार्य श्री जिनेन्द्र सूरिजी के कृतज्ञ है जिनके द्वारा संकलित संख्या वाचक शब्दकोश श्री हर्ष पुष्पामृत जैन ग्रंथमाला लाखाबावल शांतिपुरी सौराष्ट्र से प्रकाशित हमा है। हस्तलिखित ग्रंथों में प्रतिलेखन संवत् प्रादि संख्यायें बहुधा सांकेतिक शब्दों में लिखी जाती है जैसे शशि=1 । संख्या सूचक उन सांकेतिक शब्दों की एक सूची हमारे प्रकाशन जिनदर्शन प्रतिष्ठान ग्रन्थ क्रमाङ्क १ जैसलमेर सूचीपत्र द्वितीय खण्ड में परिशिष्ट १ रूप में मुद्रित की गई थी लेकिन उक्तकोश में के जो शब्द हमारी पूर्व सूची में नहीं थे उन नये शब्दों को परिशिष्ट संख्या २ के भाग १ में मुद्रित कर रहे है तथा भारी पूर्व सूची में कई शब्द जो संख्यायें सूचित करते हैं उनसे अतिरिक्त संख्यायें आचार्य श्री के उपरोक्त कोश में सूचित की गई है अतएव परिशिष्ट संख्या २ के भाग २ में उन शब्दों के सभी संख्यार्थों की सम्मिलित सूची बनाकर मुद्रित कर रहे हैं प्रत्येक शब्द के आगे पहिले हमारी पूर्व सूची द्वारा सूचित संख्यार्थ लिखे गये है और फिर 11)निशान लगाकर आचार्य श्री के उपरोक्त कोश में सूचित संख्यार्थ लिखे गये है। इस प्रकार यह Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 ] परिशिष्ट संख्या २ जैसलमेर सूचीपत्र के द्वितीय खण्ड में के परिशिष्ट १ का पूरक समझा जावे। नये संस्करण में समस्त सामग्री को नये सिरे से एकत्रित कर मुद्रित करने का प्रयास करेगे परन्तु साथ में विद्वानों से अनुरोध भी है कि जहां एक शब्द को विभिन्न संख्यायें सूचित की गई है उस बारे में भ्रम निवारण व सही अर्थ निर्धारण के लिए अनुसंधान आवश्यक है। अन्त में सूची-पत्र में रही हुई भूलों के लिये क्षमा प्रार्थी हूं क्योंकि उन सबका दायित्व एक मात्र मुझ पर है। जोधपुर २०५० अक्षय तृतीया दिनांक : 25 अप्रेल 1993 जौहरीमल पारख का प्रणाम -संचालक Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐ समर्पण यह ग्रन्थ सेवामन्दिर के भूतपूर्व निर्देशक स्वर्गीय श्री अगरचंद जी नाहटा को श्रद्धापूर्वक समर्पित किया जाता है जिन्होंने अपना पूरा जीवन पुरातत्त्व व प्राच्य विद्या की सेवा में लगाया। व आभार प्रदर्शन (1) श्रीमान् लण करणजी संखलेचा श्री बाड़मेर वालों के आभारी हैं कि उन्होंने अपने प्राधिपत्य वाले श्री शान्तिनाथ जी के मन्दिर के ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेतु पूरी व्यवस्था की। (2) श्रीमान् मुकनचन्द जी चौपड़ा व श्री शान्तिलाल जी श्री बालोतरा वालों के आभारी हैं कि उन्होंने अपने प्राधिपत्य वाले यतिश्री माणकचन्द जी के ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेत पूरी व्यवस्था की। (3) श्रीमान् मीकचंद जी ललवाणी गढ़ सिवाना वालों के प्राभारी हैं कि उन्होंने अपने आधिपत्य वाले ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेत पूरी ब्यवस्था की। (4) श्रीमान् मोहनलाल जी सेठिया श्री चौहट्टन वालों के आभारी हैं कि उन्होंने अपने आधिपत्य वाले श्री संघ ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेतु पूरी व्यवस्था की। (5) म० श्री संपतराज जी बाड़मेर वालों के प्राभारी है कि उन्होंने अपने आधिपत्य वाले ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेतु पूरी व्यवस्था की। 16) श्रीमान् धींगड़मलजी गिड़िया श्री जोधपुर वालों के प्राभारी हैं कि उन्होंने रायपुर ठाकुर की हवेली जोधपुर में स्थित ज्ञान भण्डार के सूचीकरण कार्य हेतु पूरी व्यवस्था की। (7) सेवामन्दिर के परिवार में से श्री बंशीधरजी पुरोहित B.A.LL.B, श्री रामलालजी धाडीवाल और श्री लूणकरणजी बच्छावत के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है जिन्होंने इस सूची-पत्र को बनाने व छपाने में पूरा सहयोग दिया अतः उन्हें एवं ग्रन्थ-मुद्रक शाह प्रिन्टर्स वाले श्रीमान् जेठमलजी व उदयकिशनजी को धन्यवाद दिया जाता है। -संचालक सेवा मन्दिर, जोधपुर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमांक स्रोत परिचयाङ्क ग्रन्थ का नाम भाग-जैन मागम | ग्रन्थ-नाम रोमन लिपि में | ग्रन्धकार का नाम व परिचय 3A स्वरूप 5 | बा. 1 माचाराङ्ग Acaranga सुधर्मा/शीलाङ्क | मू.व./ग प. प्रा.सं. | बा. (सं.) सुधर्मा मूट.I, B51 // पाश्वचंद | मू.बा./,, B 452 6-18 रा. 1/2-9,1/16 1/20-22, 1/26/ ,, 13 प्रतियां मूट., ,, 14 प्रतियां 19-32 | रा. 1/10-14, 1/15 1/17-19, 1/23-25,1/27-| 28 15/1 , 2 प्रतियां रा.1/13,2/21A B 162 पावचंद मू.बा./,, B835 " दृति , Vruti | शीलाइ दू /ग. सूत्र कृताङ्ग Sūtrakstaiga | सुधर्मा/भद्रबाहु | मू.नि /प.ग. | बा. 2 । मू दि./, "/ हर्षकुल ,,/ पार्श्वचंद B587 41 | रा. 15/4 | B 686 सि. 2 46 सि.3 ,,/ पार्श्वचंद प्रा.मा. Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रतिलखन संवत्, स्थल | विशेष ज्ञातव्य विषय संकेत विभाग-१ :-प्रङ्ग सूत्र नाम पंक्त्याक्षर परिमाण लं- चौ *पं- अ. 8A पन्ने लिपिक 10 209 26 x 11*18x80 | सं. दोनो स्कंध ग्थम अंग प्राचारशास्त्र | १६ वीं किञ्चित् दीमकग्रस्त | प्र. प्रथम स्कन्ध अ. 9/2 तक है 24 x 11*16 x 42 25 x 11*6 x 30 १७८२, x,ऋ. भोजराज 27x11*22 x 45 १६वीं, मरोट, 26x11*17x50 | प्रथम स्कन्ध २० वीं 24 से 26 x 12 से 13 | , ,. १६/२०वीं, भिन्न भिन्न | अति सामान्य 109 77 से 143 24 से 27x,, ,., द्वितीय स्कन्ध 32,18| 25, 27x11 ,प्रथम स्कन्ध 29x 13*11x40 | अ. अ ५/२ तक १६ वीं ॐ साधुरत्नका शिष्य 171 पहिले दो उ. कम : 26 x 11*15 x 50 | दोनो स्कन्ध, ग्रं.। 2000 | १७ वीं 27x11*14x45 | सं. ,, १५८६ लुद्रपुरे द्वितीय अंग परसमयादि 188 26x !*13x50 I. , ग्रं. 7000 १७ वीं (र.सं. १५८३) प्र. दीपिकाकार की 26x11*13x31 , 8552 १७ वीं पंचपाठी 26 x 11*5 x 38 सं. प्रथम स्कन्ध १७६५, जावालपुर, शांति विजय 27x12*7x55 , द्वितीय स्कन्ध १७५८, शाहामाहनाबाद, भांगा 26 x 11*6 x 48 . |,दोनो स्कंध ग्रं.10000 | १७८८. विक्रमपुर जयविजय 26x11*5x43 , प्रथम स्कंध ग्र.4100 | १७८८ फलोदी, धर्मसुन्दर 27-12*6x41 १८१७४ हीरचन्द्र 23x10*16x58 १८३५४ कृष्णदास 25x11*5x36 सं. दोनो स्कंध १६ वीं Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग १-बने मागम 3A N 47 B443 सूत्रकृताङ्ग Sūtrakstaiga सुषर्मा/पावचंद | मूबा |ग प. | प्रा.मा. 48 | B 164 प्रा. 49-64 16 प्रतियां | मू.ट./, प्रा.मा. रा.2/1-6,2/1517,2/24-26, 15/2 15/3, 2/1928/9 , 12 ॥ 65-76 | रा.2/8-14,2/18/ 2/20-23 77-78 | रा.2/21B, 28/8/ 79-83 , उद्धरण 5., रा. 27/29,60 66-68 B 179 84 | स्थानाङ्ग Sthananga 85-8 रा. 3/1-3, 11 4प्रति B794 | सि.4 B90 समवायाज Samavayanga सुषर्मा L प्रा. रा.3/4 मू.ट/ग. प्रा.मा. | B3 प्रा. प्रा.मा. | सि.5 | बा.5 Vitti अभयदेव चौ.2 " भाषा ,, Bhara मेघराज (श्रवण का शिष्य | बा./ग 100B93 भगवती सूत्र (व्याख्या प्रज्ञप्ति) Bhagavati Sūtra सुषर्मा 101-3 रा.4/1,5/1,31/1 3 प्रति मू.ट/ग. 3 प्रति 104- 6 75/2,5/3, 32/16 107 | B 975 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विमान-१ प्र:-प्रङ्ग सूत्र 8A 9 10 . 109 24x12*5x40 सं. द्वितीय स्कन्ध १८५४ द्वितीय अंगरिसमयादि 104 28x13*5x40 | सं. , , १९१२ x जसविजय 41से66 24 से 26 x 11-12 | सं. प्रथम स्कन्ध ग्र 6000 १६/२०वीं भिन्न, भिन्न प्रति सामान्य 46 से | 24 से 27x 11 से 13 | सं. द्वितीय स्कन्ध 108 16,15 25 26x11,12 | पू. प्रथम स्कन्ध , " अन्तिम पन्ना कम रस्तुति 1 से 4 | 24 से 25x9 से 12 | केवल छठा प्र अति सामान्य 267 | 25x12*7x 34 | सं. ग्रं. 14973 १८६० बालोत्रा रत्नजीत द्वतीय अंग1 से 10 बोल सं. दस स्थान तक 178 से 25 से 27x12 210 । 27x11*11x32 १६/२०वीं भिन्न भिन्न | । अति सामान्य १६६५ स्तंभन तीर्थ 12 25x12*14x33 १६१४ 27x11*17x60 सं. प्र. 1767 १६वीं तुर्थ अंगख्यिानुसार बोल १६२० में प्रदत्त भाव हर्ष मुनि को 47 26x11*15x43 १६६७,जैसलमेर, गुरसेन 119 | 26x11*6x46 सं. ग्रं. 8175 १६६७, मेडता, लक्ष्मीचंद 64 । 27x11*11x35 सं. ग्रं. 1667 १७वीं 135 24x11*5x46 । सं. ग्रं. 7175 १७२३,सिरोही रत्नगणि १८०४, x,प्रार्या खुशाला 97 | 28x13*8x39 ,, 1684 26x11*17x56 ,,, 3800 १७वीं (र.सं. 1120) प्रशस्ति ८ श्लोकों में 26x11*16x44 लगभग पूर्ण १७वीं प्रथम व अंतिम पन्ना कम पावचंद गच्छीय 26- 11*12x34 २०वीं सं. ग्रं. 16000 १५६४ सं. ग्रं. 15775 २०वीं भिन्न-भिन्न अति सामान्य म मंग, भ. महा-413 26x11*13x45 रद्वारा प्रश्नोत्तर 25 से 26 x 12 596 86,124, 118 309 | 26 x 11*9x40 प्र. शतक 7 तक है " " " | १९वीं Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग १-जैन आगम 3A 4 5 6 108B878 भगवती सूत्र उद्धरण | Bhagavati sutra Udbaraņa सुधर्मा 1098683 110 , रत्नसिंह मूव/म. प्रा.सं. 111 सि. 7 सुधर्मा मू टग. प्रा मा. 112 | सि. 8 , शब्दार्थ बा./यंत्र 113 " .. वृति , Vrtti अभयदेव /ग 114 | B 643 ,. का बीजक ,, Bijaka सूची 115 | B58 ज्ञाताधर्मकथाङ्ग सुधर्मा Jñātadharma Katharga मू/ग. 116 | बा. (सं) 117] बा 7 प्रा.मा. 118 B 638 119 120 सि.9 रा. 3/5-10 720, 15/5 ,, ७ प्रति 128 968 129 | सि 10 . मू बा./ग 130बा उपासकदशाङ्ग Upasakadaśaniga सुधर्मा 132 , अमयदेव मूव/ग. 133 सि 11 सुधर्मा प्रा.मा 134 रा 6/25 135 रा.6/3 136 बा. 12 137 13 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग-१ प्रः-अङ्ग सूत्र 78 8A 10 11 26 x 11*15x50 प्र. पहिला पन्ना कम | १६ वीं मिर सुधर्मेन्द्र प्रसंग 4 गियाश्रावक ,, 8 27x11*9x30 १७ वीं गोदजीवोंकेलक्षण 8 26x13*14x40 प्र. शतक 11/10 १८६जैसलमेर सत्यमूर्ति वृत्तिनाम निगोदषत्रिशिका १९वीं 24X11*6x50 व पोषध अधिकार 10 स्थिति ४ गति । प्रनुसार पंचम अंग सूत्र की 26x ||*तालिका 26 x 11*17x63 प्र. शतक 24 १८५०किशनगढ प्रार्या फतु | लगभग पूर्ण १६वीं | सं. 138 श० 1925उद्दे. २०वीं कुछ पन्ने चिपके हुए ,, विषय सूची 26x11*26x42 ८४००० पदों की 27x11*11x38 सं. दोनों स्कंध प्र.5575/ १७वीं ठा अंगशिक्षाप्रद कथायें 27X11*:3x47 | प्र. प्रथम स्कंध 314 | 26x 11*7x40 सं दोनों स्कंध ग्रं. 5764/ १७६२ भीनमाल जीर्णशीर्ण 25x116x36 25x11*6x55 , , ग्रं.18075 १७८७ (प्रथम भादर्श?) | टब्बाकार वा. विजयशेखर १८२३, नौतन नगर, वीरचंद १९१४, जोधपुर तख्तसिंह राज्ये 26 x 11*7x40 ग्रं. 16709 171 से 25 से 27x12 से 13 |,, १९२०, भिन्न, भिन्न | अति सामान्य 25x11*6x40 केवल १४वी १५वीं कथा १९वीं 24 x 10*8 x 40 त्रुटक प्रति अल्प अंश | १८वीं त्रिपाठी 26x11*13x37 सं. 10 प्र. .912 | १७वीं तवां अंगवकाचार 25x11*17x49 | सं. 10 अध्याय १७०५४ रामविजय 25x11*19x56 . ..ब.ग्र.812 26x116 x 40 ग्रं. 2500 १६वीं १५६५ चेत सुद६ १६६८, घोतका, शिवसी 26x11*6x40 26x11*7x52 | स. १० अध्याय १७९७ रायरा, सांवनदास 25x117x39 " , . 2152 १८वीं 26x11*8x42 " , अं. 2812 १८२२ बावड़ी कर्मचंद Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग १-जैन आगमः . 3A 4 5 6 38 उपासक दशाङ्ग Upāsakadas'ārga सुधर्मा मू.ट/ग प्रा.मा 139 | B 161 140 | बा 14 मू.ट व्याग. प्रा.मा 7 प्रति रा 6/1,2,22,31/ 5/6,11; 16/11 म.ट/ग प्रा.मा 148 | चौ3 , वृति ,, Vrtti | बा 15 अभयदेव 150B59 अन्तकृतदशाङ्ग Antakstadas'ānga सुधर्मा मूग 151-2| सि 12-3 2 प्रति मू.ट/ग प्रा.मा 20 प्रति 153 | रा6/4-12,23-4, से 29,30;15/7-10;| 172 18/5; 32/1,8 | बा 16 वति , Vrtti अभयदेव व/ग 174 | B784 अनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग | Anuttaropapatikad- सुधर्मा as'ānga मू.टग 175 | बा 17 176 सि. 14 177-8 B193,149 2 प्रति 14 प्रति | रा6/13-18,20, 21,26-8; 16/1 192 | 13,15 8 प्रति 193से | 6/19,28/3-7, 200 32/22,23 बा 18 201 प्रश्न व्याकरणसूत्र Prasna Vyakarana- सुधर्मा Sutra मू/ग 202 | B 165 मू.बा/ग 203 | B 974 मू.ट/ग 204-11 रा7/1-6,14;8/14/ 8 प्रति 212 बा.21 विपाक सूत्र Vipāka Sutra सुधर्मा/अभयदेव । मू.व/ग प्रा.सं. 213 | B 495 सुधर्मा मू.ट/ग प्रा.मा. Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माग-१२:-अङ्ग सूत्र 17 8A 9 10 11 60 126x 11*6x31 सं. १० अध्याय ग्रं. 4500/ 1881, रिणधा, जयचंद |वां अंग श्राव काचार 46 26X13*7x40 1893,काणाणा,सुखविज 212 | 25x12*7x40 1853, महेश्वर, देवकुशल कथासह 38 से 25 मे27x11 से 13 सं. 10 अध्याय 20वीं विभिन्न विभिन्न अतिसामान्य 70 तक 1x27*16x58 | सं. , ग्रं, 945 1594, मेहरा, वा. राजचंद्र d/०सहजकीर्ति 27x12*14x46 सं. , , 944 18वीं सं. 8 वर्ग ग्रं. 890 16वीं वां अंग ऐति-29 27x11*11x45 क धर्म कथायें 56,47| 24,28x7,8 सं. , ,, 3000 1831, 1912 34 से | 24से 26x5से। 2 79 बक 19/20वीं भिन्न भिन्न अतिसामान्य 25x11*15x48 20वीं 12 अंग ऐति- क धर्म कथायें | 25 x 11*6 x 50 | सं. 3 वर्ग टब्बाग्रं 700 1765 ,, ,, (10 अध्य.) 1778 x धर्मसुन्दर 25x11*6x45 25 x 13*7x48 1862, हरिदुर्ग, विजय 16,20 27,28x12,14 12 से | 24से27x5से8 25 तक |, ,, ( 33 उद्दे.) 19वी, 1911 व्यालपुर ,, 3वर्ग 0अ.33उद्दे. 19/20वीं भिन्न भिन्न सर्व ग्रं.576 अतिसामान्य 5से13 24से 28x11,12. " तक 3] । 26x11*13x51 | सं. दोनों स्कन्ध 10द्वार | 15वीं 1579 में प्रदत्त/संशोधित 25x11*17x56 ,, ,, ग्रं 7250 18वीं 139 21 x 13*6 x 20 , ,, मू.. 1250 1973 x जैतोदय 55 से | 25से28x5से8 , | 19/20वीं भिन्न भिन्न 1912वाम 141तक 26 x 10*12 x 43 | सं. दोनो स्कंध 20अध्या. | 1742 x हर्षगणि अतिसामान्य जाँ अंगकथायें जीर्णशीर्ण 70 | 27x11*7x46 , ,, ट.ग्रं3000 1846 जसोल सुमतिसागर Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग १-जैन आ ЗА 214 | सि 15 Vipāka Sūtra सुधर्मा मू.ट/ग विपाक सूत्र , 215-21 रा 7/7-11,15,17 222 | सि 16 223-9 | रा7/12,18,19; 14/17; 27/1,85 32/30 230-54 रा7/13,163 27/2-24 255 सि 17 , 25 प्र. 256-8 बा 19,20,22 259 | B924 ., वृत्ति अभयदेव ,, Vrtti भाग १ जैन प्रागम | Aupapatika Sutra सि. 18 | औपपातिक सूत्र मू+ट (ग) प्रा. 2 रा. 16/4 3-9 , 7 प्रति रा.8/1,5,12%316/ 12,3,16% 318/15 रा. 19/1 , , ,, Ki Hundi] औपपातिक को हुँडी 11 सि. 19 राजप्रश्नीय सूत्र | Rajaprasniya Sutra मू (ग) | सि. 20 मू+ट (ग) 13-14 B-171415 2 प्रति -/ मेघराज d/o ऋषिश्रमण 15-21 रा.8/2,3,6,7,9,1 , 7 प्रति ।।316/5 22-25/ रा.8/4,8,10,13जीवाजीवाभिगमसूत्र 4प्रति Jivajivabhigama Sutra 26 | B 41 प्रज्ञापना सूत्र Prajnapana Sutra | श्यामाचार्य 27 सि-21 मू (ग) मू+ट (ग) 28-30/ रा. 9/9,31/2,3 3 प्रति 32 बा. 23 प्रज्ञपना की टीका ,, Ki Tika | मलयगिरि , 28 जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र Jambudvipa Prajňapti मू (ग) Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग-अः -१ अङ्ग सूत्र 11. ___ 7 8 | 8A 9 10 - यारहवां अंग 25x11*8x38 सं. दोनों स्कंध 20 अध्याय 19वीं . फिल कथायें 51से91 24 से 27x6 से 9 , 20वीं भिन्न भिन्न तक 25x12*7x42प्र. (सुखविपाक)द्वि.स्कंध | 19वीं 10 अ. 25,26 x 7से 9 20वीं भिन्न भिन्न अतिसामान्य अतिसामान्य 4 से 5 | 23 से 25x11 से12. ,, 4 | 24x12*17x42 " " " " 20वीं अतिसामान्य , 4 से 10/25से 29x11013 से भिन्न भिन्न ,, |15 | 26x11*19x47 | सं. दोनों स्कंध की20अ. | 17वीं विभाग-१ मा (i) उपाङ्गसूत्र पम उपाङ्ग 25x15*6x55 | सं. 19वीं . 114 | 24x13*7x50 सं. ग्रं. 2:00 1785 58से 83 25से27x11से12 सं. ग्रं. 1115से। 509 | 19/0वीं सामान्य षय सूची 24 27x12*23x65 सं. 1936 भि+प्रदेशी 25 x 11*1! x 37 | लगभग पूर्ण 18वीं किञ्चित् टब्बाबाजुमें 96 27x13*7/8x36 सं. ग्रं. 2189+3281 | 1818 सोजत सिंदुराआर्या 168. | 26x11से12 सं. ग्रं.5981,5238 | 19/26वीं 133 सामान्य व अजीव मक्तियां 67से 24से26 x 11से13 | सं. ग्रं. 2220+3269 | 19/20वीं 162 193से | 25से26x12से13 सं. ग्रंमू.4000से4800/ 20वीं 326 247 27x11*12x44 | सं.46 पद ग्रं.7787 प्रतिलेखन मिटाहुआ 415 25 x 12*6x48 सं.,, अं. 81 27+ 57989| 1903 हरिदुर्ग हीरालाल सं. , , | 19वीं 20वीं सामान्य 438से 25से26x12 497 360 25x11*7x45 त्रुटक 468 26x9*13x47 236 पन्ने नये लगभगपूर्ण (11,12पद | 15वीं में कुछ पन्ने कम | त्रुटक पन्ने मात्र 20वीं 11x26*10-34 132 | 27x12*13x41 | सं. ग्रं. 5000 17वीं Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 1 35-39 रा. 9/1, 12, 13, 16;16/6 ar. 27 चौ. 4 42 B-451 43-44 सि. 22-23 45-57 T. 9/2-8,10, 11,14,15,17,18) 40 41 1 सि. 24 2-6 | रा. 13 / 10;16/ 10,14; 18/8,4 20 25 26 27 28 2 29 30 B 6 B 550 चौ. 7. बा (सं) 3 31-37 B-47,98,525, 688,826,940, 973 38 चौ.8 39-40 T() जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र Jambūvipa Pragnapti निरियावलिका पश्चोपाङ्ग Niryāvalika Par copanga " 31 7-16 रा.13/11-15, 32, बृहत्कल्प सूत्र 10 प्रति Brhat Kalpa 33; 18/6,16; Sutra 32/11 17- 19 रा. 18 / 7,18; 20/13 सि. 25 निशीच सूत्र " व्यवहार सूत्र 33 21-23 रा.12/53,54; दशाश्रुत स्कन्ध 3 प्रति Daśaśruta Skandha 13/9 बा. 28 24 कल्पसूत्र Kalpa Sutra B 1120 सि. 29 33 11 33 33 ,, 2 प्रति ,,13 afa = 5 प्रति 11 " 7 प्रति 2 प्रति भाग १ - जैन आगम Nigitha Sutra " 3 प्रति | Vyavahara Sūtra 13 3A " 17 23 11 " 11 11 -/candra Sari भद्रबाहु 33 33 21 37 22 4 37 27 भाग १-जैन बा मू (ग) बृ प्रा. मू+ वृ (ग) मू (ग) 13 मू+ट (ग) मू+ट (ग.) " "" 17 मू. (ग) 11 " " 33 " 5 33 11 11 13 प्रा. प्रा. प्रा.मा "" प्रा. म 17 31 त्रा. 11 " "" ". " 27 21 " Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग-अ:-अङ्ग सूत्र 8A ___10 11 सामान्य 38 भूगोल 21 से | 23 से 26*11 से 13 | सं.ग्रं. 15से19हजार तक 19वीं 20वीं 301 कथायें 7से। 2उपांग 10 26 x 11*.0x67 | सं.नं. 1746 16वीं*ऋषि शिवदास 26 x 11*11 x 46| सं. 17वीं 52 26x 1*11x30 1766 x अमरसी 60,611 25 x 12*8 x 37 | सं. 52 उद्देशक 19वीं 38से73 24से27x11से13 | , , पांचवर्ग 19/20वीं सामान्य विभाग १ मा (ii)-छंदसूत्र समाचारी दण्ड |90 । 27x12*5x36 । सम्पूर्ण 20 उद्देशक विधान 52से 87 25से 28x12से 13 1818x आर्यासुखा 20वीं बीकानेरादि सामान्य 25से48| 24से25 x 12. , 6 उद्देशक | 20वीं विक्रमपुर आदि को 10 उद्देशक | 19/20वीं , " ,, संशोधित 55,58, 25से26x12 59 35 | 28x12*7x50. " , " | 19वीं 33,40, 25से 26x12 20वीं सामान्य 66 26 x 11*8 x 32 कल्याणक, स्थविरावली व समाचारी 179 1538मंत्रीवाछाक (दशाश्रुतका आठवांअध्याय) अंतमें कालककथाव चौथ संवत्सरी 120प्रा.गाथा 1716? सुनहरी सचित्र38,खरतर प्रशस्ति 42 x 10*7x30 25x10*11x29 1780, वालाकंडा, देवचंद | 27x12*11x36 , 1788, सांचौर, ज्ञानवल्लभ 25x11*11x41 , " 1796, गुढा, वा. धर्मसुन्दर 25x10*10x36 | पूर्ण (अन्तिम पन्ना कम)| 18वों 25x11*9x 28 | सं. पं. 1216 32से122| 20से 26*12से12 19/20वीं,सेत्रावादि में 940 में उवसग्गहर 18 गाथा 55 | 26 x 11*11x38 1845, पोढी, पुण्यराज 55,85/26 12*24x10 19/20वीं Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 1 41-46 f. 30-35 47 रा. 14/10 48-49 B-655,946 बा. 29 50 51 52 133 53 54 58 B-302 55-56 fr. 36, 37 57 चौ-14 59 61 62 133 बा-34 60 B-33A B-972 63 64 65 66 67 2 68 B 108 बा. 30 74 बा. 32 बा-36 B-860 B-967 fa. 27 " 28 B-194 T-33 बा-35 69-71 B-829,970-1 72-73 f. 40,42 T. 31 कल्पसूत्र " 33 21 " " " " " " " सहवृति + अ.त. सहवृति " " 2 प्रति ,, सहव्याख्यान वृति " 17 " 3 " 11 " 6 प्रति सहबुति 11 31 " " 2 प्रति " " " " " "1 व्याख्यान वृति व्याख्यान "बा. 17 " " 21 " " " 2 प्रति कल्पसूत्र सह टम्बा दि 3 प्रति 3A Kalpa Sutra " कल्पसूत्र सह बालावबोध | Kalpa Sutra " " " 11 " 17 33 " 11 "3 " " " 33 " 33 " " " 11 भद्रबाहु ," ,,/ ,,/ जयविजयd/0/ विमल हर्ष (तपा) ,,/ समय सुन्दर ,,/ 2. / विनयविजय / लक्ष्मीवल्लभ 0/ ,,/ लक्ष्मीवल्लभ "/ ०/ 2, / समयसुन्दर " 31 4 »/ 21 मद्रबाहु / " 77 " " "" " " 1 T 1 T T 1 1 भाग - १ जैन आगम मू. (ग) 33 11 मू+बु (ग) " " " " " " " 2 "1 " 5 14 " 155 " " " 71 11 " " 11 33 " 12 " 11 " " " 31 6 प्रा. 44 " " प्रा. सं. 44 " " 11 मू+व्या+बा. प्रा.सं.मा. मू+बा (ग) प्रा.मा. " 17 " " 31 " 21. 37 14 " " " " " | नू'ट'अं. Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग १ आ (ii)-छेदसूत्र 15 8A 9 । 10 11 कल्याणक, स्थवि- 37से75| 25से 27x11से13 | सं. ग्रं. 1216 19/20 वीं रावलीव समाचारी 55 | 27x12*13x34 1959 43,54 | 26 x 11428 x 14 अपूर्णग्रं.710/जन्मोत्सवतक 20वीं 26 x 11*3 x 26 संपूर्ण, वृति ग्रं. 1658| 1668 x श्री चंदन 26 x 11*10 x 30 | , , 3532| 1687x जोशीविश्राम वृति कल्पदीपिका नाम्नि 1677 में रचित प्रशस्ति है; भावविजय द्वारा संशोधित 27x12*15x49 .. अं. 8225 | 17वीं । प्रशस्ति है। कल्पलता नाम्नि 26x11*16x38 संपूर्ण 18वीं- कनकचन्द्र-रत्नचंद्र 25x11*19x50 18वीं प्रशस्ति है। सुबोधिका नाम्नि 25x11424x11 ग्रं. 7599 19वीं ,,। कल्पद्र मकलिका नाम्नि 25x11*15x45 1,2,7वीं वाचना 25x11*14x49 अपूर्ण-केवल समाचारी | 18वीं 26x11*11x42 पने चिटके हुवे ,, शुरू के पन्ने हैं ,, तीसरी वाचना से लेकर , 26x11*22x57 25x10*13x50 ,, आमली क्रीड़ा से अन्त 19वीं 24x11*16 x 49 | ,, केवल जन्मोत्सव | 27x12*15x44 1, प्रारम्भ के18पन कम .. | 24 x 11*15 x 44 । प्रतिपूर्ण (समाचारी नहीं)। 1768, षट्पट्टनदेशे बृहतर खरतर बेगड़ विरातराग्रामे,मुनिसुंदर शाखा का इतिहास+ क्षमासुंदर 84 गच्छबीगत 23 x 11*14x30 | पूर्ण(बीच में2 पन्ने कम)| 1831 24x11*16 x 36 1850 पादरू रंगविजय संपूर्ण " | 26x12*15x38 1944 हमीरपुर रतनंद साथ में अन्तर्वाच्य भी 217 24x12*15x34 | अपूर्णस्थविरावलीव नसेन 18वीं तक 23,59, 24से 30 x 11से12 अपूर्ण 19/20वीं 72,117 25x11427x13 20/21वीं 114 1 26 x 10*13 x 44 | संपूर्ण ग्रं.1216 1795x शुभाचंद्र Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 1 75-76 fr. 77 78 79-83 84-87 88 89-91 92 93 94 95 96 97-8 99 100 101 102 103 104 105 106 108 109 सि. 38,39 110 B-56 B-659 B-7,52,189, 226,227 रा.14/14 बा. (सं.) B-197,474, 555 नी-6 2 -5 रा. 14/8 fer. 26 B-361 T. 14/5,9 सि. 41 B-969 बा-37 107 चौ-12 चौ-9 fer. 43 B-934 ची-10 ची-11 11 -13 B-322 ची-15 कल्पसूत्र सहटम्बार्यादि 2 प्रति 21 33 " " " " 11 " 13 " " 3 कल्पसूत्र सम्बार्थ 11 11 " " 11 " " 11 5 प्रति 4 प्रति " 3 प्रति 2 प्रति कल्पसूत्र व्याख्यान कल्पसूत्रे महावीरचरियं कसूत्र दुर्गपदनिरुक्तम् कल्पसून [अन्तर्वाच्य कल्पलता वृत्ति कल्पद्रुमकलिका " | कलान्तर्वाच्यस्य व्याख्यान कल्पसूत्र अन्तर्याच्य 3A Kalpa Sutra " " 33 31 17 در " " " 31 " " 31 31 Kalpa Sutra Vyakhana Kalpa Sütre Mahavira cariyam Kalpa Sutra Durgapada Niruktam Kalpa Sutra " Kalpantarvayasya Vyakhyana Kalpa Sutra Antarvācya भद्रबाहु " "" 33 " 11 " 39 33 " " भद्रबाह " 17 4 33 T 1 " 1 | I T विमयेन्दुसूरd/o रत्नसिंह वकयसूरि भक्तिलाभ Antarvacya Kalpalata Vitti समय सुन्दर Kalpadruma Kalika लक्ष्मीवल्लभ रत्नसार भाग १-जैन आगम 十万十 11 " " 77 11 मू+ट (ग) " 17 17 37 17 27 " ग 23 11 13 33 5 33 " 6 प्रा.मा. " " " " 23 " 33 सं. " " 27 " 21 " प्रा. 21 27 " 11 प्रा.सं.मा. सं. Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विमाग-१ ा (ii) :-छेद सूत्र ___8A . 10 25x11*25x12संपूर्ण द्वितीय का ग्रं.12025/19 वीं ल्याणक स्थविरा- 15 ली व समाचारी | 14: 144 25x11*6x30 | संपूर्ण ग्रं. 1216 1763 वीरमग्रामे 189 25x11*5x37 1798 जैवारण श्रीचंद 196से228 25 से 27x11 से 12 19 वीं 193से17425x12 19/20 वीं 19026x11*15x43 1804 26से170 23 से 27x10 से 12 अपूर्ण 19/20 वीं 26 x 11*5 x 28 25 x 116x41 पूर्ण (अन्तिम पन्ना कम) | 16 वीं संपूर्ण ग्रं. 1216 16 वीं 130 सोनविमल टब्बाकार 149 26x11*5x29 । 17 वीं 100 26x11*6x33 .. ग्रं. टब्बार्थ 3000 1749 सिवाणा उत्तमकुशल ,, ग्रं. 1216 1877 ,, मयासागरादि किंचित् व्याख्याभी 23 x 116 x 30 25 x 11*6 x 42 19 वीं 26x11*6x43 अपूर्ण (बीचमें 54पन्न नहीं) 1810 खमणोर विजयगणि 25x11*5x38 .. (प्रारंभके18पन्न कम) 1827 गूढा मानगणि 27x 13*5 x 41 ,,(अपूर्ण समाचारी मात्र) 19 वीं 25x11*14x41 प्रतिपूर्ण 16 वीं तीर्थकर स्थविरचरित्रादि महावीर कल्याण पीठिका अष्टान्हिका व्याख्यान सह आलापक लेकर 25x11*16x54 19 वीं कादि कठिन पदों का अर्थ ..- | संपूर्ण ग्रंथाग्र 418 1625(प्रथम आदर्श?) किञ्चित् फटी हुई 26x11*11x52 1659 शिवचंद्र कल्पसूत्र पूरक व्याख्या वृत्ति 26 x 11*17x41 प्रतिपूर्ण केवल छठी वाचना 17 वीं . 125x11*15x41 ,, ऋषभ चरित्र तक 1850 26x12*15x40 26x11*17x44 ,, केवल दूसरी वाचना 20 वीं ., ऋषभ चरित्र तक " " जीर्ण स्पसूत्रपूरकव्याख्या 92 26X11*17x58 अपूर्ण 18 वीं Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. भाग १-जैन आगम 1 2 3 3 3A 4 5 । 111-2 | बा (सं) कल्पसूत्र वाचना 2 प्रति Kalpa Sutra Vacana 113 चौ-16 114 | B-611 115-16 सि. 44,45 2 प्रति 117 सि. 46 चौ. 17-19 118-20 3 प्रति 121 चौ. 20 कल्पसूत्र स्फुट पन्न भद्रबाहु 122 | रा. 28/10 महानिशीथ सूत्र Kalpa Sutra Stray Papers Mahā Nis'Itha Sutra मू+ट (ग) प्रा.मा. भाग१-जैन प्रागम बा. 38 नंदीसूत्र Nandi Sūtra देववाचक d/o दूष्यगणि मू. (ग.प.) | प्रा. B-427 मू+बा. प्रा.मा. मू+ट (ग.प.) 4 | बा. 40 मू (ग.प.) मू+ट+कथा प्रा.मा. | रा. 18/4 B-163 | B-1085 9-17 9 प्रति मू+ट रा-13/1-5A, .19,20; 26/46 बा-41 4 108 (प.ग) 19-24 | सि-48 से 53 | 6 प्रति 31 प्रति 25-550-13/6,7,21,से 30,31,31A;17/1 2,3;26/31-43, 32/17,28 56 | सि. 54 57-58 | सि. 55-56 (लघु) नंदि 2 प्रति| Laghu Nandi . मू+ग Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग-१ आ (ii):-छेद सूत्र ____ 8A 9 10 1 ल्पसूत्र व्याख्यान 140,84 26 x 12*11/13 x 39| संपूर्ण 19/20 वौं 154 25x11*13x32 लगभग पूर्ण 19 वीं | 134 | 28 x 13*13 x 46 | संपूर्ण 20 वीं 176, 26x12 व 27-130, 19/20 वीं 119 146 26 x 12*15x39 अपूर्ण छठीवाचना तक ०० 22, 23 से 25x11 से 13 19/20 वीं 10 24 से 26x11 त्रुटक 17/20 वीं ल्पसूत्र मूलपाठ चारी दंड विधान 6 27x13*17x55 केवल पांचवा अध्ययन मात्र 1936 विभाग-१ प्रा (ii)-चूलिका एवं मूलसूत्र न ज्ञान मीमांसा 26 x 11*13x42 | संपूर्ण 1620 25x11*19x48 ,६ प्रकार की अणुन्नासह 17 वीं 25x11*6x42 1782 जैतारण धर्मसुन्दर 24x11*11x32 18वीं 25x12*5X35 1876 , ग्रं. 8475 1948, सण, कर्मचंद | 26 x 13*25 x 50 29 x 13*7x40 1916, यशवल, जसविज | 26x12*16x55 | अपूर्ण 19वीं सामान्य 42से 82 24 से 27x13 से 14 संपूर्ण ग्र. 700 19/20वीं 25x11*14x40 | संपूर्ण 19वीं 17से22 24 से 26x11 से 12 | ,, (प्रथम में 20 अणुन्ना) 19/20वीं | 25 से 27X11 से 13 20वीं सामान्य " | 2 25x10*13x46 अपूर्ण-51 गाथा शुरु की है 18वीं | 25 x 11 व 28X12 | संपूर्ण 19/20वीं Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग-१ बैन वाम 3 | 56 B566 अनुयोग द्वार Anuyogadvāra आर्य रक्षित | मू+ग . | रा-13/8 " " मू+ट (ग) प्रा.मा B-1091 दसवैकालिक Dasavaikälika शयंभवसूरि | प्रा. सि-57 सि-58 मू+ट (प.ग) B-283 सि-67 " सहवृति समयसुन्दर मू+व (प.ग) | प्रा.सं. मू+बा (..) मू+ट (1) " , 2 प्रति मू (प.ग) 66 | रा-12/10 ,, सह बालावबोध 57-100| रा-12/1-9,13 ,, सहटब्बार्थ 34प्रति 19,39,41,48, 50,51,17/711;18/1-2A 3;26/23%B30/ 11; 32/5,25 101-2 | B-18,546 103- रा.12/11,12,20- दसवैकालिक 52 प्रति 15438,40,49,52%; 17/1 26/1-22; 32/2,9,10,21 24 155-62| सि.59से66 163-65| सि.68से69 , 3 , 166 चौ. 21 दसकालिक बालावबोध | Balavabodha ,, Sajjhaya 167 | सि. 862 सज्झाय 168 | सि. 74 169 | ,, 923 170-72,, 71-73 1,3प्रति 173 B-792 174- रा-26/24से30 ,,7प्रति 180 181 | बा (सं) उत्तराध्ययन सह दीपिका | Uttaradhyayana कमलहर्षd/o मानविजय वृद्धिविजयd/o लामविज जैतसीd/oपुण्यकलश मू+दी (प.ग) Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग १ अ (iii) :- चूलिका एवं मूल सूत्र 7 रेन व्याख्या विज्ञान 76 " जैन धर्मसार 11 " " 37 11 " " " " " 11 " 31 8 " 95 23 26 46 37 26x10*6x52 25 x 12 विपाठी 26 × 12*17 × 50 13 से 117 24 से 26 × 11 से 13 106 56 231528x13 व 25 x 10 4 से 27 24 से 27 × 9 से 14 12 4 7 8 A 3 27X11*11× 38 25 × 12*7 × 37 27 x 13 * 13 x 42 26x11*11x45 25 x 11*5x45 5 3 से 8 म. महावीर अंतिम 208 उपदेश संपूर्ण 1674 गाथा; ग्रं. 2000 # 7500 , 17वीं 1877 बीकानेर नंदुड़ी 10 अध्याय - 2लिका 1560 पसन गुण निधान " 11 " " " " अपूर्ण संपूर्ण संपूर्ण अपूर्ण " 11 " " " " " वृति पं. 3450 20वीं 20वीं (केवल 26 / 13अपूर्ण) 19/20 वीं 9 |11 से 29 23 से 25 x 10 से 13 15,8,521 से 25 x 11 से 12 26×11*11 × 35 23 x 13 * 22 x 32 25 x 12 * 12 x 35 16 x 10 * 19 ×14 5,5,324 से 25 x 11 से 12 26×12*11x34 24 से 26 x 11 से 13 19/20 ff 26 × 11*15 × 64 संपूर्ण 36 अध्याय 8670 1579 x 11 700 ,, (छ जीवनीकाय तक) संपूर्ण १० गीत / गुटका पन्ना 53 से 56 संपूर्ण 11 डालें पं. 194 अपूर्ण 3 अध्याय तक संपूर्ण ढालें सहलिका " 11 बा. 2500 1770 X हेमविजय " ... ... 10 1662, अहमदाबाद, रामविजय 1760, सहिलवाड़ा, नारायण 11 , 20वीं (दूसरी 18वीं) 19/20 aff 19/20वीं 19af 17aft 1826 धाणसा रत्नचंद 19वीं 1846 19/20ft 20वीं 11 1691 स्तंभन ती रचना हंससूरि 21 सामान्य सामान्य " " 1723 जिनचंद्रसूरिराजे सोजत की रचना गुटका 1777 बीकानेर की रचना Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _22 भाग १-जैन मागम 2 3 । 3A 56 182 B-गु. 14 त्तराध्ययन Uttarādhyayana मू (प.ग) 183 रा-11/4 सहअवचूरी मू+अ (पग) प्रा.सं. 184 सि. 75 , वृति -/भावविजय . मू+वृ (प.ग) 185 बा. 44 ,, दीपिका -/लक्ष्मीवल्लभ .186 " वृत्ति -/कमलसंयम 187 , टब्बार्थ मू+ट (प.ग) प्रा.मा. 188 189 | B-301 , बा+क -आर्यचंद्र मुनिचंद्र मू+बा+क d/oपापर्वचंद मू+ट+क 190-1 सि. 76-77 ,, ट+कथा ,, 24 प्रति मू+ट (प.ग) 192- | रा-10/2-6,8,9, 215 111;11/1-3,5, 20-24,21A,27, 28%B17/6332/ 14,15,33 216 | B-947 । मू (प.ग) 217-44 रा-10/7,12-17; उत्तराध्ययन 28 प्रति | 11/6,9,11,13| 19,25,26; 16/ 7-9;30/10; 32/ 3,4,18-20 5 प्रति । 245-49 रा.11/7,8; 28/ 1,2,12 250 सि. 78 " ___, सहटब्बार्थ । मू+ट (प.ग)| प्रा.मा. 251 बा-46 । 4 89 । रा, 27,32,10] ,, नौवा अध्याय 38 प्रति सि-79 नमि अध्ययन अर्थ 290 4 Nami Adhyayana Artba Uttaradhyayapa Kathāyem 291 B-471 उत्तराध्यन कथायें 4 पदमसागर do विमलसागर 49 B-104 4 293 B-770 | 294 रा. 32/35 उत्तराध्ययन सज्झायें , Sajjhayem | सुमतिविजd/o लखमीविज अष्टप्रवचन माला सज्झाय|AstaPravacana Mata| ऋ. रायचंद Sajjbāya | Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग- १. आ (iii)लिका व मूल सूज 7 भगवान महावीर 100 अन्तिम उपदेश , " 11 " 11 31 13 " 11 11 " " 8 " opporting ecdots 105 385 258 144 169 161 196 गृहस्वसंवाद 216 4 6 155 8A 95 25 x 11*7x44 26x11*16 x 46 26x11*14 x 56 26 × 11 *14 x 42 26x11*6x36 27x11*6x42 13 26 × 11*6x36 309, 25 x 11 व 25 x 12 सं. ग्रं. 15072 199 51 से 286 23 से 27 x 11 से 13 सं. 36 अध्ययन अनुवाद भाषार्थ 5 7 से 56 | 24 से 25 x 10 से 13 अपूर्ण 160 26x11*4 × 29 16वीं 1649 (पूर्ण प्रथम 2 व अन्तिम 1 18वीं पन्ना कम) संपूर्ण ३६ अध्याय 525 26×11*6x45 पूर्ण (प्रथम व अन्तिम पन्ता कम ) 2961 24 से 27 x 11 से 13 संपूर्ण (क्वचित् प्रथम अन्तिम कम) 25 x 11 14 x 40 24 x 12*16x44 संपूर्ण ३६ अध्याय अपूर्ण, 16 वें से अंत तक है सं. सूत्र ग्रं. 2000 टब्बा ग्रं. 4040 " सं. ग्रं. 9505 9 1980 x संगविनय 18वीं, 1758 मोकलसर लब्धिकुदाल 18वीं सं. (18वें के बाद केवल 19वीं मूल है) " " " " 26 x 11*5x36 21 से 28x10 से 12 प्रतिपूर्ण केवल नमि अध्याय 21 x 11 * 12 x 28 नाँवा संपूर्ण 25वें अध्याय तक गं. 4500 24 x 11*13 x 38 25 x 11*17 x 48 11 11 "2 केवल 2 अध्याय " " 8 डाले " 36 सञ्ज्ञाय नं. 450 10 19/20 ft 19/20वीं 20at 19/20वीं 19/20वीं 18aft " 11 23 किचित् वार्थ प्रशस्ति है । वृतिसर्वार्थसिद्धि नाम्नी अंचल गच्छीय सामान्य 3 प्रतियों में कथाय भी है " सामान्य सामान्य 19/20 (सामान्य) कइयों में टदार्थ भी है 1956 इडेरा (मेवाड़) सामान्य 1736 नवेनपुर 1657 पीपाड़ की रचना 1757 समरीह 1728 अंबावती 20वीं " प्रशस्ति है 1821 की रचना Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24 1 295 296 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 31 32-36 37 38 39 रा. 32/36 सि-80 B-581 B-604 बा-47 चो-22 B-627 14-18 T.13/18,17/4 28/15,19,20 W. 28/16-18, 21-25 19-26 27-30 B-37,84,97, fr. 81 B-1069 B-547 2 T-48 T-57 B-695 B-490 B-718 B-309 314 बा. 49 से 53 at-25 सि-85 fer. 83 नमि प्रव्रज्या ढालिया ओषनियुक्ति 13 33 भाग १ - जैन आगम आवश्यक सूत्र व गाथायें Avasyaka Sutra & Gathas 31 " " 11 11 12 " " " " 3 " }} 31 " ,,, सहस्मरण 11 साधु श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र Sadhu Strāvaka Pratikramaņa आवश्यक सूत्र व गाथायें āvasyaka Sotra & Gäthis " "" 31 11 "" " " " " " 5 प्रति 8 प्रति 4 प्रति 5 प्रति Nami Pravrajya Dhalia Ogha Niryukti साघु प्रतिक्रमण सूत्र " 11 11 "" 3A " 1) "1 Sadbu Pratikramaga Sutra आशकरण भद्रबाहु -- / हम हंसगणि - हेम हंसगणि संकलन प भाग १-जैन बागम मू ( प ) 11 5 मृ+बा+क प्रा.सं.मा + ब्या मू + ट ( प.ग.) प्रा. मा. मू (प.ग.) प्रा.सं. मु (..) प्रा.सं.मा. मू+ट (प.ग.) " " भू+ट+व्या + मा प्रा. नू (प.ग.) मू+ट+क(ग) प्रा.मा. मू ( प.ग.) मू+बा+क प्रा.सं.मा. + क्या मू+बा. (प.ग.) मू (ग.) मू (प.ग.) भू (ग.) मू. (ग. प.) सूट. आदि मू+ट (ग) ,,+ बा. (ग) 27 "1 प्रा. 11 मू + ट ( प.ग.) प्रा.मा. (,, ) = "1 "" 6 प्रा.सं.मा. प्रा. प्रा.सं.मा. " प्रा.मा. "1 Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग-१ आ (iii) :- चूलिका व मूलसूत्र 8A 10 11 पद्यानुवाद भावार्थ 4 | सम्पूर्ण 7 ढालें 20वीं 1839 की रचना साधु समाचारी | 18 26x11* :7x64 पूर्णगा. 11 64पहिला पन्ना 16वीं 61गा. कम विभाग १ प्रा (iv)-प्रावश्यक सूत्र व साहित्य भावश्यक क्रिया पाठ 50 26 x 11*17 x 60 प्रतिपूर्ण चार अधिकार | 1519 मुनिसुन्दर के शिष्य 26x11*5x39 संपूर्ण 6 आवश्यक 1597, अमदाबाद,रेवदास शा. जावड़जीवा ने लिखवाया , +भक्ति 31 25x10*13x50 प्रतिपूर्ण , 16वी " " 59 26x11*15x42 17वीं , (थावक) 8 25x11*11x42 , 17वीं 31. 25 x 11*4x51 अपूर्ण-बुछ पन्ने मूल मात्र 17वीं 25x11*11x40 1748 अन्त में चउ शरणा पाठ 25x11*17x56 संपूर्ण | 1776, केरु, धर्मसुन्दर 26x12*9x29 ,50+33 गाथा 18वीं पगाम.वंदितु+रात्रि 8 सज्झाय आवश्यक क्रियापाठ 48 26 x 11*19x56 प्रतिपूर्ण चार अधिकार | 1872, जसोल, ज्ञानसागर 22x11*6x28 आवश्यक 20वीं +भक्ति 50 21 24x12*5x37 20वीं, जसोल 26 x 12*4x38 19वों 20वीं सामान्य 14,21,8 24 से 26 x 6 से 12 11,13 4 से 21 25से27x11से 12... 19/20वीं | 9,37, 22से 27 x 10से 12 10.13 9 ( 26 x 11*13x36 19वीं -भक्ति 93.12,75 21 से 28 x 11से 12 | 14,32 " 69 24 से 26x11 ,, आदि | 19/20वीं त्रुटक स्फुट पन्ने 17 से 20वीं तक " पगाम सम्झाय 26 x 12*4x38 प्राचीन प्रति की नकल | अपूर्ण, 'थम सात पन्ने । 1743 नहीं है पूरे के ग्रंथाग्र 900/ संपूर्ण 18वीं . 25x11*6x47 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग १-जैन मागम 3 3A 5 Sadhu Pratikramana Sutra मू+ट (ग) प्रा.मा मू+बा (ग) 40-42 | B-483, 623, | साधु प्रतिक्रमण सूत्र 721, 3 प्रति 43-45 रा. 14/14,18/9, 3 प्रति 28/14 46-48 रा. 13/17,18/11 3 प्रति 28/13|| 49-50 सि. 84,86 2 प्रति मू+ट (ग) मू (प.ग) 51 | B-371 | वंदितू सूत्र Vanditū Sutra मू+ट (प ग) 52 | सि-87 श्रावक आवश्यक | Sravaka Avas'yakal सहज कीर्ति मू+बा(प.ग) , 4 प्रति 53-56 रा.13/14;14/12 | 13; 18/100 57 | B-526 मू+बा+क. प्रा.सं.मा. 58-63 सि 88 से 93 6 प्रति मू (प+ग) । B-50 वंदितू सूत्र Vanditū Sutra मू (प) . प्रा. 65 | सि. 82 आवश्यक नियुक्ति Avas'yaka Niryukti भद्रबाहु बा.54 आवश्यक टिप्पणम् __, Tippanam हेमचंद्र बा. 55 श्रावक आवश्यक सहवति Slavaka Aavasyaka with Vpitti -देवेन्द्र | मू+व (प.ग.) प्रा.सं. ,56 B-926 पक्खी सूत्र Pakhi Sūtra मू+ट (ग) B-444 B-676 72-73 | B-644,795 , दो प्रति । । । । । । । । । 74 | सि-97 75 सि-96 76-77 | बा. 58,59 दो प्रति 78-83B-54,238,675, 712,717,765/ चौ. 23 । । B-914 श्रावक गुरुपर्व अतिचार | Sravaka Guru Parva Aticara Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग-१ आ (iv)--आवश्यक सूत्र व साहित्य 7 8 | 8A 9 10 पगाम सज्झाय 8,8,13/ 25से 26x11से12 | संपूर्ण 19वीं सामान्य . साधु क्रिया सूत्र 22,29,8/ 25 x 11से13 19/20वीं , 16,10/25से 26x12 20वीं 17 | 8,6 24से25x11से12 19/20वीं श्रावक प्रतिक्रमण | 6 25 x 11*5x37 ,, 50 गाथा 1736 जयपुर भाणविजय ,, आवश्यक क्रिया 45 | 25x12*17x38 ,, ग्रंथाग्र 2700 1704, जैसलमेर 64,34, 24से26x12से13 ,, अन्तिम अपूर्ण | 20वीं 46,16/ |97 26x12*15x33 | अपूर्ण, बीच के पन्ने 2से | ,, .. 98 तक 39,8,13 20से 26 x 10से 13 प्रथम दो संपूर्ण शेष अपूर्ण 19/20वीं | 10,9,6] श्रावक प्रतिक्रमण 3 - 22x10*13x26 | संपूर्ण 50 गाथाग्र 19वीं सामान्य सामान्य आवश्यक सूत्र पर 49 26x11*15x50 अपूर्ण, पीटिका व 65 गाथा कम | संपूर्ण ग्रंथान 4500 1527, श्री पतन, रापकीका 16वीं अपरनाम आवश्यक श्रुतस्कन्ध अभयदेव शिष्य , पर टिप्पणी 94 26 x 11*15 x 52 26 x 11*15 x 60 , ,,2700 16वीं वृदारुवृति श्रावक आवश्यक.54 व्याख्या " 65 25x10*15x47 | अपूर्ण-पहिले 4 पाने कम| 17वीं साधु पाक्षिक अति चार 26x11*6x37 | सं. 1670 की प्रति पर से 1727, जोधपुर चरित्र सागर 18वीं 26x11*5x50 1800 भीनमाल कीति विजय 27x12*14x43 37,35| 23से25 x 7से11 19वीं 18 26x11*7x43 , 1226x12*10 x 32 , 9,12 | 25x11 व 23x11 1811-12 10,7,6, 24से 26 x 11से12 7,9,100 19/20वीं , 1025x ||*15x38 1879 x उत्तम विजय श्रावक पाक्षिक आलोचना पाठ 5 . 26 x 11*15x47 1676, गोआणा, मु.रयणचंद्र प्रचलित से भिन्न Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माग १-जैन आगम 3A 5 सि.-95 मू (ग) श्रावक पाक्षिक अतिचार| Sravaka Paksika Aticāra अति चार । सौ-24 Aticāra मू (ग प) बा-141 बा. 60-62 रात्रि दिवस बृहत् अतिचार Ratri Divasa Brbar Aticāra श्रावक पाक्षिक अतिचार | Sravaka Pakstka 3 प्रति Aticaral . -. सि. 94 93 | B-398 भाष्यत्रय - Bhāşyatraya मू+वा (प.ग.) 94 B-582 , मू+बा+क +व्या मू+ट (प.ग.) 95-97 3 प्रति B-306,510, 641 सि. 98 98 99बा -63 मू (प.) 100-1 B-488,641 102 सि.-99 103 B-286 प्रत्याख्यान पाठ Pratyākhyāoa Patha मू+ट(ग) प्रा.मा. B-833 कोष्टक „ Table B-733 दस प्रत्याख्यान D.sa Pratyakhyana! बा.-64 भाग १-जैन आगम सि. 100 अङ्ग चूलिका Angacúlikā म.(ग) B-99 आतुर प्रत्याख्यान Aturapratyā khyāna Ārādbanā P-99 आराधना बा-65 चउशरणा Caus'arana वीरभद्र/ मू (प) मू (प) मू + अ(पग) मू+ट(,) मू+बा(,) ,, 66 प्रा.मा. B-880 B-442A मू+द(,) Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग- १ आ (iv) आवश्यक सूत्र व साहित्य बक पाक्षिक बालोचना पाठ व्रतस्खलना प्रायश्चित 7 श्रावक पाक्षिक बोचना पाठ " " यावश्यक भक्ति व क्रिया 17 11 11 11 अंगों का परिशिष्ट व्रत तप ग्रहण अंत में अंत समय साधना मेटी भक्ति 11 - 11 3 26 × 11 * 17 x 70 26 × 11 * 13 × 48 26×11 *13x40 7,6,14 23428 x 1114 28 × 13*12 x 34 25 × 11*17 x 55 3 3 9 13 प प्रतिज्ञा के पाठ 9 स्थानके आगार 1 तप प्रतिज्ञा के पाठ 3 49 8 9 34, 17, 22 से 26 x 10 से 12 17 35 5,6 4 3 22 49* 49* 9 9 8A 8 5 26×11 *14 x 41 25 x 12*4 x 21 - 25 x 12*11x45 25 x 10 व 24 x 10 25 x 11 * 15 × 40 18×12 *5 × 11 तालिका 25 × 11 * 12 x 37 25 x 12 * 13 × 30 26 × 11*14 × 42 26×11 *13 x 50 26 × 11 * 4 x 35 26 × 11 * 4 x 35 26 × 11 *15 × 50 26 × 11*6 × 42 1 पन्ना कम संपूर्ण 13 "" " " 11 " " " 33 विभाग-१ (v) प्रकीर्णकसूत्र संपूर्ण . 800 59 ग्रा. अ., 389 गा. तक है सं. 63 गा. " ग्रं. 200 तीनों 37 " " 152-150 गा. अपूर्ण प्रत्यास्थान की 14 गा. तक संपूर्ण 10 प्रत्याख्यान सं. संपूर्ण 10 प्रत्याख्यान 9 "1" 152 गा. 152 गा. 150-153 T. 19at " "1 17वीं 18वीं 20वीं 19/20बी 20वीं 10 1787 x भाणसागर 1885 सिवाणा विवेकसागर 1881 19वीं 20वीं 19वीं 17वीं 1744 रामचंद्र 1893 भावनगर विवेकसागर 20वीं बुद्धचन्द्र 1718 आगरा 17वीं " प्रचलित से भिन्न अंतिम प्रति में दैनिक भी 11 29 गुटके के पन्ने हैं । 1598 1676 x अमरसुंदर 18वीं 1719 काग्रेड़ा ऋ बल्लू प्रारंभ में 73 पद अन्य है (अगृति मरण माण ? ) पदपाठी सह संस्कृत स्तवन 1 इलोक Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग १-जैन आग 3 3A संबा. चउशरणा Caus'araņā मू+ट (प.ग) प्राम B-515 B-758 बा. 67 B-506B B-922 | सि 101 ,, 102 बा. 329 मू+ट (प.ग.)| प्रा.मा 16 Jambu Jambu Caritra 1-/पद्मसुन्दर 17-18 | B697,699 2प्र. मू+ट (प.ग.)| प्रा.मा सि. 482 20-22 रा.21/5,6,8 3प्र. 23 रा.21/3 , बालाव बोधमात्र बा. (ग) 24 B-99 तान्दुल वैचारिक Tāndula Vaicārika मू (प) - प्रा. 25-26 | रा.14/11,20/9 , 2प्र. | मू+ ट(प. ग).प्रा.मा , देवेन्द्रस्तव -21 B-99 | Devendra Stava मू (प) . प्रा. 28 पर्यन्त आराधना Paryanta Aradhana| सोमसूरि/ चौ-26 B-333 मू+अ (प. ग) मू+ट (प ग) प्रा.सं. प्रा.मा ,789 31-32 | B-281,649 33 | B-99 2प्र. भक्त परिज्ञा - Bhaktaparijñā प्रा. महा प्रत्याख्यान Mabāpratyākhyāoa बा. 68 संस्तारक Samstāraka मू+अ (प.ग) प्रा.सं. B-99 मू (प) प्रा. सि-103 मू+ट (प.ग) प्रा.मा रा-1/20° . बा-69 जैनागम त्रुटक पन्ने Stray Papers of Agamās Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग-१ आ (v) :-प्रकीर्णक सूत्र 78 8A 10 11 पंच परमेष्टी भक्ति 6 26X11*6x31 पहिला पन्नाकम,लगभग पूर्ण 1735 xऋ. बल्लू 25x11*4x36 सं. 63 गा. | 18वीं 24x11*4x28 , ,, टब्बार्य ग्रं.225/.. 25x11*4x32 25x11*15x43 ,, 63 गा. 1763 बलंदा ऋषि श्रीपत 26x11*11x36 1765 बीकानेर गुणविलास 23x11*14x30 1821 गढवाड़ा ऋ. सांवल 25x11*6x53 26x11*15x43 19वीं 18वीं नी 20 20 उद्देशक 26X11 व 25X11 ,, 21 उद्देशक कथा व्याख्यासह 20वीं/1878 सिवाण हीर विजय 20वीं नागौर 40 24x12*8x39 10*8x39 " " 19वीं सामान्य सामान्य 33,5025 से 27x11 से 12 ____36 55 19x11*11x26 . 20वीं अकीर्णक आगम 49* | 26x11*13x50 , 400 गा. 17वीं 22,281 26x11 व 25x13 , 20वीं बीकानेर सामान्य देवलोक वर्णन 49* 26x11*13x50 | ,, 303 गा. 17वीं वन्तिम आराधना 5 ,, 70 गा. 26x11*19x53 25x11*4x37 1669 पीपाड़ शुभविजय 18वीं 27x12*6x43 18वीं बीगत मिटाई हुई है 25x11*5x45 26x11*13x50 19वीं 17वीं 49* ,, 172 गा. भोजन नियमावली मरण विधान 49* , 143 गा. 8 आवास नियमावली 25x11*9x38 ,, 122 गा. फटी हुई 49* | 26x11*13x50 , 121 गा. 26x12*10x54 25x12*5x38 19वीं ,, 122 गा. , 122 गा. 20वीं विभिन्न स्फुट बिखरे पन्ने 16से 20वी Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 121 32 1 1-2 बा. 70-71 सि. 104 3 4 5 6 7 8-11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22-23 24-25 26 27 30-31 2 32 33 B-338 बा. 72 fe. 890 fær. 105 B-594,1009 1099,170 B-480 सि. 106 चौ. 27 चौ. 28 B-408 28-29 B-421,762. B-399 सि. 890 चौ. 29 बा. 100 चौ. 30 B-153,603 TT 19/4.29/30 B-701/A B-212 बा-93,94 सं. बा चो. 31 " " बोलपटुत्व 2. Atthāpubola महादण्डकानुसार Alpabahutva अठारह पापस्थान चौपई | Atharahapāpasthāna आशकरणजी " 3 अतिचार चौपई आगमसार " 11 " अष्ट (छ) प्राभृत आगम अट्ठोत्तरी आगम आलापक आगम छत्तीसी " अध्यात्म गीता प्रति अध्यात्म गीतादि (पांचसूत्र ) अनेकान्त जयपताका अन्योक्ति बावनी अस्वाध्याय व रात्रि भोजन सज्झाय अष्टप्रवचनमाज्ञाय " 11 17 आचारोपदेश " सज्झाय भास " " 2 प्रति 2 प्रति दो प्र. दो प्र. " " 3A " Aticara Caupal Adhyatma Gita 13 Acāropadesa 5158яyfaut Athakarma-KI-158 Prakrtiyath " 31 " Anekāntajaipatākā Anycktibavanl 21 " " " Caupal Bhāsa ब्रह्मकृवि Sajjhāya यशोविजयजी " Asvādhāya & Rätribhojana Astapravacan Mata देवचंदजी Sajjbaya Astaprabhṛta Agama Atthottarl Agama Alpaka Agama Chattis Agamasara " 4 " ग " प " चारित्रसुंदर " देवचंद्र / ज्ञानसार मू + बा (प.ग ) देवनंद्रज व अन्य मू (प) हरिभद्र विनयकवि (सुन्दर) रत्नसिंह गणिशिष्य " 5 मू + ट ( प.ग ) कुन्दकुन्दाचार्य - मू+अ (पग) मू भू (प) भू ( प ) उद्धरण व संकलन मू (ग) श्री सारमुनि मू ( प ) देवचंदजी मू (ग) मूट (प.ग ) ग. " भाग 11 मूट (प.ग) 11 " मा. "" " "" 11 मा. सं. मा. 1257 प्रा. स प्रा.म मा. " " " सं.मा मा. " 11 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 33 | 8 8A 9 10 11 11 त्त्विकबोलसंग्रह 5,4 28x13427x11 पत्याग उपदेश 26 x 12*26x64 संपूर्ण,दूसरीमें 1 पन्नाकम 20वीं मुंबई पुनमचंद | सं. 18 ढाले ,, 19 ढालें 1943-44 नया शहर 1840 की रचना डेह में - 24x10*10x29 19वीं-लब्धिचंद्र 26X11*14x47 । .. 18 19वीं श्रावक व्रतस्खलन 33 x 22*57x32 X2 " " , ग्र. 216 1924, अजीमगंज, जीवा | 21 x 11*14 x 30 1957 सेलावास 19,6,8, 23 से 25x11 से 12 | अंतिम अपूर्ण शेष 19/20वीं 44 सं. 49 गा०। 28* 25x12*12x33 संपूर्ण सामान्य संकलन आत्म विवेचन 20वीं 11325X11*13x39 1957 विक्रमपुर केशरीचंद जैन न्याय की प्रतिष्ठा औपदेशिक पद 25 x 11*13x39 पहिला पन्ना कम 52 कवित्त 1 814, बीकानेर, राजधर्म भक्तिगुरुखरतर 25x11*12x29 संपूर्ण 25+22+19 गा. 19वीं सहसुमतिनाथ स्तवन अध्ययन अयोग्य समयादि 5समिति 3गुप्ति 26 x 12*6x38 ,, ग्रंथान 180 1892 पालीताणा विवेकसागर संपूर्ण विषय 23 26 x 11*18 x 50 दर्शन,सूत्र,चरण,बोध,भाव | 1872 वल्लभपुर ,, ,, वमोक्षकुल 6 प्राभृतगा.444 33x22*18X27 | संपूर्ण 108 गाथा 1926 अजीमगंज जीवा । पन्ने 137से142 साधु व्यवहार पर 6 प्रतिमापूजादि पर 12 25x11*13x42 ,, नं. 461 1595 मेड़ता आगम वृतान्त 17* 25 x 11*16x39 सं. 36 पद 19वीं शास्त्र सारांश 60 26x||*13x41 सं. अंतिम पन्ना गायब | 19वीं जीर्ण/1776 की रचना 24,64 27 x 13 व 26 x 11. सं. प्रशस्तिसह 19वीं अपरनाम आगम सारोद्धार 60,8 24x12 व 25x11 | सं. 28x14*8x39 सं. छवर्ग 1898 बोरसद विवेकसागर रत्नसूरि शिष्य बीपदेशिक नीति कर्म सिद्धान्त ___4 26 x 11*16x56 सं. 1734 बोडावड़ मु. बिरदा 126x12 व 25x11, सामान्य 19/20वीं 19/20वीं 23x10 व 28X14, दूसरी में "भले का अर्थ" भी 25 x 10*12 x 39 20वी 2 26x11*18x54। । 18वी Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग-२ । 2 3 3A 3A 4 5 6 बा. 76 मू+ट (प.ग) बा. 73 मू+वृ (प.ग) | सं. आदिनाथदेशना (द्वार) Ādidātba Des'ana आत्मख्याति सहटीका Atmakhyati with | अमृतचंद्राचार्य Tikā शुभचंद्र आत्मगर्हा स्त्रोत Ātmagarbā Stotra रत्नाकरसूरि | आत्मनिन्दा प्र.| Atmeninda ज्ञानसार 36 | B-729 मू+ट (प.ग) रा.29/27,29 रा.29/28 विनयचंद B-429 आत्मप्रकाश रास Atmaprakas'a Rasa| वा. धर्ममन्दिरd/oL, दयाकुशल खरतर B-516 B-154 आत्मप्रबोध Ātmaprabodha | जिनलाभसूरि बा. 74 चौ-53 B-999 आत्मप्रबोध कुलक Atmaprabodha जयशेखर? Kulaka आत्मप्रबोध सज्झाय , , Sajjbaya| वा. नयसुन्दर आत्मावबोध वचनिका | Amavabodha Vacanika B-406 सि. 107 बा. 75 B-346 आराधना Ārādhana B-460A सि. 108 आलोचना Alocapā साधु हिम्मतराम 52 सि. 890 आलोचना छत्तीसी | Alocana Chattisi | समयसुन्दर मू (प) बा. 100 ,, 77 +विनयविज आलोचना पद्मावती | Alocana Padmavati विस्तार Vistāra आलोचना बत्तीसी Alocana Battisi 55 सि. 890 समयसुन्दर बा. 78 आलोचना स्तवन 1 Stavana कमल हर्ष सि. 890 आहारदोष छत्तीसी | Ahara Dosa . जिनहर्ष 58 सि. 109 इक्कीस द्वार Chattisi Ikkisadvāra Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 7 आत्म स्वरूप वैराग्योपदेश समयसार की टीका 53 पर टीका पदेशिकप्रायवित 3 प्रायश्चित श्री. शास्त्र सारांश 21 21 " R 17 " 73 1 21 साधना विधान 8 रात्मिक उपदेश 7 10 23 3,2 3 34 आत्मा का निरूपण 10* 30 153 117 5 4 3 8 श्रावक,, प्रायश्चित अन्तिम 4 आराधना प्रायश्चित औपदेशिक 1 15 17* अंत समय प्रायश्चित 7 प्रायश्चित उपदेश अंतिम प्रायश्चित 3 साधुवाहार विधान 1 गुण स्थान वर्णन 1 6 8A 26 × 11*5 × 35 26 x 11 * 3 x 51 25 x 12 * 7 x 42 23से 24 x 12 से 13 24 X 12 17 % 49 26x11*14x 33 25×11*14 × 33 27 x 11*13 x 54 26 × 12*17 x 45 26 x 128 x 30 25 × 11 * 12 x 36 25 x 11 * 15 x 50 26 x 1109 x 27 24 x 12*11x34 26×12*11 x 35 25 x 119 18 x 50 26×12*23× 52 33 x 22 * 60 x 32 25 × 11*16 × 39 27 x 13*12 × 31 33 x 22 54 x 32 24 x 12*14 x 32 33 x 22*60 x 32 24 x 11*15x45 सं. 89 गा. 9 अंक こ " " 31 21 " 27 4 प्रकाश ग्रं 6380 पहिले कम हैं सं. 43 गा. 83 TT. "" " 4 ढालें + दोहे 11 9 25 लोक " 31 ढाल ग्रं. 1125; | 1873पादरू मनोहरविजय 1742 की कृति गाथा 490 दो खण्ड मुल्तान में मूलयोगोन्दुदेव के परमात्म प्रकाशका पद्यानुवाद 11 23 सं. 36 गा. 21 " ग्रं. 50 " " 11 35 मा. +8 डालें 32 TT. 54 गा. जिनदत्त गीत 36 TT. 27 अं. पहिले 3 पन्न नहीं 17वीं 19वी 1885 जालोर विवेक नि 20वीं अ. प्रारंभ के 9 पक्ष कम 1823 कनकपुर सुमतिसागर सं. 19वीं 1926 अजीमगंज जीवा 19वीं 1913 x विवेकविजय 1926 अजीमगंज जीवा 1873 आसोत्रा 1926 अजीमगंज जीवा 1910 जोधपुर हुकमचंद 10 अहीपुर 11 " 1843 संसारे नत्थसुहं 1573 की कृति अध्यात्मतरंगिणनाम्नी 1864 x सुखविजय 20वीं 19वीं x भानुसुन्दर 19वीं 1891 जोधपुर पं. विवेक 19वीं 11 35 प्रचारित व बीजक है 1833 की कृति बड़तपग़च्छ भानुमेरु शिष्य अपरनाम आत्माको आत्मीयता किञ्चित् अर्थसह जिनराजसूरी शिष्य Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 1 59 60 61 62 63-4 65 66 67 68 69 70 71 122 72 73 74 75 76 77 78 79 80 84 85 बा. 79 86 B-873 B- (गु) 1 सि. ||| fa. 112-3 सं. बा. बा. 80 " 81 सि. 114 B-445 fer. 928 fr. 115 बा. 82 चौ. 32 ची. 33 fe. 116 बा. 83 B-15 B-155 81-83 B-517,561,616 2 B-394 fer-717 बा - 84 a. 34 सं. बा. उत्पत्ति साय उन्तीसी भावना कुछ " " " " उन्तीसी भावना सज्झाय Sajjbaya उपदेश इक्कीसी 2 प्रति Upades'a Ikktsf उपदेश कोश उपदेश चितामणि " 31 31 3 11 33 " उपदेशढाल Upades'a Dhala | उपदेश प्रासाद सहव्याख्या Upades'a Prasada कथादि) उपदेश बत्तीसी Upades'a Battist उपदेशमाला Upades'amala "1 ,,सहस्वोपज्ञवृति उपदेशमाला सह बा. सह विवरण सह अवचुरि " 11 सहदव्बार्थ सह टब्बार्थ 3 प्रति " 11 Uttpati Sajjhāya Unilsh Bhavana " " " 21 " 13 " 3A Upades'a Kos'a Upades'a Cintamagil जयशेखर 11 Kulaka " " , with vetti with Vivaraga with Avacuri श्री सार 13 . रायचंद " लक्ष्मीसूरिd/o सौभाग्यसूरि राजसूरि धर्मदास गणि " 4 धर्मदासगण " " " 21 प 11 मू + ट ( प.ग ) 1 प प मू+ट (ग) प 5 मू + ट ( प.ग.) प्रा. मू ( प ) मू+ वृ (प.ग ) 11 " भाग म " ЯГ मा " मू ( प. ) " / ,,/ with 8. धर्मदास / सोमसुन्दर मू + बा (प.ग.) प्रा. मा शिष्य मू (प) 1, दिवसुन्दर मू+बू (प.ग.) प्रा. मू (प.) प्रा. प्रा. मा सं.मं मा मू + अ (प.ग.) प्रा.स प्रा. प्रा. 3. शिवनिधान मू+ट (प.ग.) प्रा.म. धर्मदास मू (प) मू + ट ( प.ग.) प्रा. म 33 " 11 प्रा. प्रा. Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय पंथ 37 | 8 | 8A 10 11 औपदेशिक विरक्ति 4 24x12*10x32 18 वीं 26x11*5x30 | सं.29 गा. सह7 सुभाषित 16वीं 17x16*20 x 25 , 29 गा.(पन्ने 40से42) 1550 x विनयप्रभ. 25x11*13x40 1, 31 18वीं 25x11 व 20x11 1 , 21 पद 19/20वी 1824 की कृति तिवरी में 2, 4 26x11*6x28 , 36 गा. | 18वीं 30x12*15x60 , 4 अधिकार गा. 384 16वीं 26313*15x54 अ.बीचके पन्ने है 18से82 20वीं 24x11*15x37 .33 गा. 19वीं, कुरलायां, शृंगारा 1-25x11*6x40 तृतीय स्तम्भ मात्र कथा | 1852xविनीत विजय 31 से 45 सं. 32 गा. 20वीं व्याख्या उपदेश संग्रह नाम्नी 24 x 14*18 x 30 गुटके में औपदेशिक 25x10*13x42 , 544 गा. 1585 x जयवंत 16वीं 29x12*12x48 26 x 11*11 x 39 अमरप्रभ शिष्य (सिद्धिर्षि वृत्त्यानुसार) 26x11*9x30 ,544 गा. 1600 25x11*9x29 1634 मालपुर 25x10*6x41 , 543,, 1691x दयाशेखर किञ्चित् जीर्ण 26x11*13x45 | सं. 545 गा. 17वीं 26x11*15x60 , 544, 1715 नाम काटा हुआ 27- 11*5x50 ,543 ,, टब्बा ग्रं3500 1725 टब्बार्थ 1690 जोधपुर कृति 25x11*15x36 " " 1740 सित्तपट्ट लक्ष्मी विभव ,543-44 गा. 19वीं अंतिम प्रति सहकथा 117.141, 22से25x11से12 121| 136 | 25x11*4x39 , 543 सहकथाय 1840 बालोत्रा सुमतिसागर 125 26 x 11*5x29 दो पन्ने कम गा. 544 1899 | 26x11*14x35 | संपूर्ण 543 गा. 1 20वीं Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38 87 88 89 90 91 92 135 93 94 95 96 97 98 99. 100 103 104 105 106 107 108 109. 110 चौ. 35 fer. 118 बा. 85 सि. 110 101-2 बा. 89-180 सि. 890 111 B-291 14-332 2 B-651 fa. 119 बा. 86 ar. 87 बा. 88 बा. 100 f. 886 B-273 aT-90 aT-91 B-502 fa-120 B-46 fr-121 सि. 902 B-g. 6 112 B-923 उपदेशमाछा सहवृति कथायें उपदेशरत्न कोश सह बा. 31 23 3 17 उपदेश रत्नकोश अर्थ उपदेश रसाल उपदेश श्लोक पत्र उपदेश सतरी 11 सह व्याख्या सह ट. " 11 13 ऋषिबत्तीसी ऋषिमण्डल सह वृति 27 एक प्रहर का राज औपदेशिक कथायें दोहे काका बत्तीसी करुणा छत्तीसी कर्म व तीसरा 2 प्र. 3A Upades'amāla " 31 Upades'a Ratna 13 33 "" " Avacurpf (,, ) Kathāyeri | (,, ) वृद्धि विजय ? पद्मजिनेश्वर / उपाधि प्रकरण उस्थानं गाया सहव्याख्या Usthanam Gatha Kos'a Upades'a Rasala *** 11 33 Upades'a Sattari 11 ,,Artha | (,, ) S'lokapatra " 11 Rei Battist Rşi Mandala with Vrtti 13 " Ekaprahara kā rāja Oupadesika धर्मदास / Upadhi Prakaraga उदयनाचार्य Kathayem Dohe 4 " 12 0/ " 1 T 33 श्रीसारd/o रत्न हर्ष प 17 Kaki Battisi Karupā Chattisl Karmagrantha 3rd | देवेन्द्र संकलन " 32 माधौराम मू + वृ ( प.ग.) प्रा. तु सं. 23 मा मू+बा. (प.ग.) 1.1.मं मू+ट (प.ग.) भू (प) प्रा. मूख्या (प.ग.) प्रा. मां ग 11 सं. मु + व्या (ग. प.) प्रा.सं.म " ग 37 7 5 जिन हर्ष मा. धर्मबोध / पद्ममंदिर मू + वृ (प.ग.) प्रासं. शुभवर्द्धन प भाग सू- व्याप.ग.) सं.मा. ग प 11 21 " मा मा. " " सं. मू + ट ( प.ग.) प्रा.मा. " 33 मा. सं. मा 11 " भू---ट (प.ग.) प्रा.मा. Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 39 7 | 8A 9 10 ॥ औपदेशिक 27x11*17x64 | अपूर्ण (1/3 भाग है) 16 वीं वृतिहेयोपादेय नाम्नी 11 26x11*25x62 सं. 538 गा ग्रं. 1350 16 वीं 8025x11*19x48 | सं. 1817 बगड़ी रामविजय 26x11*11x40 | सं. 26 गा. 18 वीं 25x11*5x37 1785 खोड आमोदसागर 25x11*9x36 | 25 x 11*17x57 18 वौं 1 3से26 तक हैं | 19 वीं 25x11*15x45 सं. 50 श्लोक का 1724 तरेयां, 25x11*17x47 | सं. सह कथा 1827 जसोल देवचंद 26 x 10*16 x 36 | प्रतिपूर्ण 18वीं 25x11*16x39 | सं.72 गा. 19 वीं ,, नश्वर+ ___ अशुचि 11x9*13x12 |,, ,, (गु.पन्ने 82-90) , अपरनाम गर्भावाससत्तरी साधुउपकरण विधान 6 26x11*15x50 1610 नारदपुरी, सौभाग्यवर्द्धन 5 22x12*12x.33 ,,सहधर्मोपदेश सोदाहरण 19 वीं शोकसभा(उठामणा) प्रवचन 3,5 25x12 व 26x11 |,. 20 वीं साधु गुणानुवाद 33 x 22*60 x 32 1926 32 गा. औपदेशिक कथासह 206 26- 11*13x45 | ,, 218 गा. ग्रं. 7590 17 वीं प्रशस्ति है 94 25x11*15x51 | अ. 12 गा. तक ही है | 17 वीं 26x11*17x40 | सं. 234 गा. 1838पचपद्रा फतेहसागर नश्वरता उपदेश 25x12*15 x 40 दृष्टान्त कथायें 26x.12*11x25 सं. 19 वीं रूपकनुमा सं. 15 कथायें . 1897 थोभ हुकमचंद प्र. 85 दोहे 1964 x हुकमी महाराज सं. (गु. पन्ने 77 से 86)1947 सिवाणा रूपचंद साथ में शुकनावली है औपदेशिक नैतिक 20x11*24x42 अक्षरानुसार उपदेश 10 16X13*15x15 23 x 15*18x35 । औपदेशिक 1889xविवेकसागर -कर्म सिद्धान्त ४ | 27x11*4x26 , 25 गा. 116वीं वसुन्धरानगर 112से सब नवीन कर्म ग्रं. Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 113 . B-530 कर्मग्रन्थ पहिला 3A 4 | Karmagrantha 1st| देवेन्द्र भावसुन्दर | मू+ट (प.ग.) प्रा.म. to 6th ,,+चर्षि | , (,) देवेन्द+चंद्रर्षि 114 | B-592 , एक से छः B-652 ,, एक से छः . रा. 14/7 , एक से पांच hto 5th| देवेन्द्र 117 | चौ-36 ,, to , मू (प) 118 | B-16 एक से तीन „ to 3rd मू+ट (प ग) | प्रा. में 119 B-912 चौथा 4th 120 चौ-38 , 1st to 4th मू+व (प.ग) प्रा.स एक से चार सहस्वोपज्ञवृति एक से चार 121 B-599A " मू+अ (प.ग) , 122 B--185 से चार सहवा. , देवेन्द्र/मतिचंद्र मू+बा (,) | प्रा. म 123B-174 " पांचवा 5th 124 B-837 एक से पांच . Ist to 5th 125 | चौ. 39 एक से तीन Ist to 3rd 126 , 40 प्रथम Ist 127 | रा. 14/6 ट्रा 6th चंद्रर्षि/कुंभऋषि 1st to 6th| देवेन्द्र+चंद्रषि 128 सि. 122 एक से छः मू+ट (प.ग.) 129-30| B-21 3-351 " 2प्रति 131 B-478 , एक से पांच 1st to 5th| देवेन्द्र 132 रा. 19/7 B-529 एक से चार Ist to 4tb. B-143 एक से तीन 1st to 3rd , संबा चौथा 136 | B-497 एक से छः 6th| देवेन्द्र+चन्द्रर्षि 5th| देवेन्द्र 137 | चौ. 37 एक से पांच 138 | B-73 एक से तीन , to 3rdi , Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन संद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 78 8A 9 ___10 कर्म सिद्धान्त 25x10*9x36 17वीं टब्बा 1624 की कृति. 25x11*5x34 सं. 61 गा. ,, ग्रं. 4795 संपूर्ण 1715 जैसलमेर ,, धर्मविजय 1700 में 25x11*6X38 1786 25x11*5x35 1725 11x26*11x37 , 306 गा. 18वीं बडलू राजधर्म 18वीं. 25x11*4x44 , 111 गा. 26 x 11*4x30 (पहिला पन्ना कम) पूर्ण | 1785 जैसलमेर गौड़ीदास 25x12*15x47 | अंतिम 15 गा. कम 19वीं. 25x11*12x42 , 33 , " 26x12*15x45 स. 20वीं. 26x12*14x36 सं. 100 गाथा 1901 25X11*15x42 अंतिम 15 गा. कम | 19वीं. 25x12*11x35 13x 25*11x31 सं. 60 गा. 1919x राणीदान 25x11*17x45 | सं. 93 गा.. 19वीं बृ.तपा (पापर्वचंद) गच्छीय 23x11*7x39 सं.ग्रं. 3000 1821, सुगुणपुर, 25 x 12 व 25x11 | सं. किंचित् सहयंत्र 1816 व 1827 | 26-11*5x36 सं. ग्रं. 654 1810 शिणधरी उदयसागर 26x12*6x40- सं. मा. 306 1825 विक्रमपुर ऋद्धिविजय | संपूर्ण 19वीं. 25x12*4 x 31 25x12*12 x 48 , 118 गा. 26x11*10x39 | ,, 86 26x12*12x34 ,, 396 20वी. 25x11*15x39 अंतिम 51 गा. कम 19वीं. | 26 x 11*12 x 30 | सं. 117 गा. 20वीं. Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ASAMANE 3 . 3A 4 Liminanminindianduratio 139 बा. 92 -140 सि. 123 (देवकी कर्म ग्रन्थों की अवचूरी | Avacurl of Karmagranthas प्रथम कर्म ग्रंथ की वृत्ति | Vrtti of Ist (देवेन्द्र) Karmagrantha कर्म ग्रंथों की व्याख्या Vyakhya of ,, 1st to 3rd कर्म ग्रंथ के बोल | Bola of K. G 6th/ 141 ! B-979 (,) 142 B-740 143 | बा. 129. 144 | सि-124 कर्म ग्रंथ के विचार यन्त्र |Vicārayantra of K.G. ____5th & 6th कर्म चेतन भाव संग्राम Karma Cetana bhava Sangrāma कर्म छत्तीसी Karma Chattist 145 सि-125 समयसुन्दर 146 | बा. 100 मू (प) मू+व्या (प.ग) प्रा.सं. B-(गु) । सि-126 रा-30/2 सि. 890 कर्म विपाककुलक Karmavipäkakulaka - कल्याण माला सार्थ व्याख्या Kalyānamala with Vyākhyā क्रिया पद के थोकड़े Kriyāpada Ke thokare क्षमा उपदेश बत्तीसी Ksma upadesha जिनराज battisi कायस्थिति प्रकरण Kāvasthiti prakaraņa 150 B-725 मू+बा (प.ग) प्रा. B-831 मू+ट (,) रा. 24/10 कुशलविलास Kus'alavilāsa कुशलसिंह d/o रामसिंधजी चौ-41 कुशल... कृष्णपक्ष शुक्लपक्षस झाय Krsnapaksa S'uklapakşı Sajjbāya 155 | B-316 केशव बावनी Kes'ava Bavani | मुनिकेशव 156 चौ-(गु.) 1 केशवदास के सवैये Kes'avadasa-ke Savaiye Gatiigati ke bola 157 गति आगति के बोल 158 भगवती अनुसार रा.19/9 ,, 19/10 30/4 सि. 127 159 प्रज्ञापनानुसार 160 161 सि. 128 गर्भावास का थोक Garbhavasa-ka thoka Gafalagita 162 | सि. 129 गाफलगीत विनयचन्द Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धांतिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 43 78 8A कर्मसिद्धान्त 26x11*18x59 सं. ग्रंथ एक से छ: तक 16व श्रियष्ट प्रतिहार्य 24x11*17x61 अ. 30 गा. तक हो है । 17वीं कर्मणां विपाकोनुभव 25x11*13x 19वीं 26x11*तालिका प्रतिपूर्ण केवल छठेकर्म ग्रं. के 19वीं 26x12* ,, , केवल पांचवें व छठे के 19वीं जड़ चेतन विवाद 24 x 11*16x43 1885 पाली कर्मवाद पर उपदेश-7* 25x10*13x33 |, 36 पद 1925 पारलाउ भीमराज ___" , 17* 15x11*16x39 19वीं 17x16*20x25 ,, 21 गा. (गु. पन्ना 43) 1550 x विनयप्रभ औपदेशिक 25x13*18x36 ,52 अनुच्छेद 1944 समबड़ो अचलचंद क्रिया के प्रकार 24x12*19x60 20वीं 33x 22*60x32 सं. 32 गाथा 1926 क्रोध पर शिक्षा - 1 विभिन्न भव अवधि 2 26x13*18x48 , 24 गाथा 1895, स्तंभनतीर्थ, विवेकसा र 10* 26x11*5x42 18वीं श्रीमलवर्षे 49 44 x 12*21x49 1947 जालोर पुनमचंद आध्यात्मिक+ धामिक ब्रह्मचर्य उपदेश 124x11*10x33 | सं.26 गाथा 18वीं हर्षकीर्ति शिष्य औपदेशिक 25x11*16x50 त्रुटक 19वीं 1838 की रचना 15x10*10x16 9 पद (अथवा कवि केशवदास) आवागमन भेद प्रकार 21 27x12 तालिकायें | पूर्ण 1871 25x12 , 20वीं 23x12*22x56 .. 20वीं 27x12 तालिकायें ,, चारों गतियों के 1849 जोधपुर सुखराम गर्भदुःख व्याख्यान 24x ||*14x38 सं ग्रं.22 19वी -प्रमाद त्याग पर 3 24x11*13x37 , 44 गा. 1911, सोवनगढ़, धर्मा Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग-२ 3A 5 1163 B-147 गुणमाला Gulamala रामविजयd/o दयासिंह चौ. 42 B-109 +व (प.ग गुणस्थान क्रमारोह सहस्वोपज्ञ वृति गुणस्थान द्वार Gupasthana krama| रत्नशेखर roba Dvāra 167 रा. 20/1 रा. 20/2 B-1025 169 B-812 गौतमकुलक सहवृति+ | Gautama kulaka कथा ऋ. गौतम/ ज्ञान तिलक मू+वृ (प.ग.) प्रा.स. B-10 171 | B-578 गौतमकुलक गौतम ऋषि मू+ट(प. ग) B-1083 173 B-653 174 बा.95 175 रा. 14/15 ' " 176 B-663 | मू+बा(प.ग) सि. 130 Gautama Procha. -तिलकd/०देवभद्र | मू+व (प ग) । प्रा.सं. गौतम पच्छा सहवृति+ कथा " , बा. 96 - सरसागर/ मू+व+ट(प.ग) प्रा.सं.मा आमोदसागर - मतिवर्धनd/० | मू+वृ (..) सुमतिहंस | 179 B-107 180 बा. 97 181 B-91 सह बा.+क. मू+बा (पग) 182 B-708 B-786 , सह बा. 184 B-665 ,, सह व्याख्या+कथा मू+ट (प.ग) सि. 131 186 बा.98 | गौतमपुच्छा सह बा. मू+बा(प.ग)| प्रा.मा 187 । रा. 18/13 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 8A 9 . 10 11 विविध शास्त्रीय विषय 26x12*15x33 | संपूर्ण सहप्रशस्ति 1857पाली क्षांतरंग 1817जैसलमेर की कृति 26x12*15x45 1868 देशनोक सत्यसागर अध्यात्मिक स्तर विवेचन 25x11*16x50 ,, 136 श्लो. 1742,अर्जुनपुर, रत्नसमुद्र हेमतिलकशिष्य 25x12*18x52 ,, 54 अपेक्षाओं से | 20वीं 26x12*25x58 ,42 " ,, फलोधी भजुलाल 25x11*14x53 20वीं औपदेशिक 126x11*15x45 , 20गा. 69 कथा 1670,संग्रामपुर, प्रशरित है, पद्मराज शिष्य पूर्णकलश वृति 1660 की कृति 1783 बालोतरा 125x11*16x44 , , 71" 18वीं 24 x 11*5x37 26 x 11*6 x 40 ,, बालोतरा उदयसागर 25x11*6x44 1797 लुबरावास प्रतापविज 18वीं 26 x 11*6 x 39 25x12*5x40 | 20वीं 1*17x42 ,,, 68 कथायें 1849 जालौर भूपति सागर महावीर-गौतम तात्त्विक प्रश्नोतरी 26x11* त्रिपाठी , 64 गाथा 48 प्रश्न | 1656 वरकाणा नयसुन्दर लेखक व लिपिक वृति ग्रं. 5500 की प्रशस्तियां 26- 11*17x55 ,, ,, सहकथायें 1790 महेवापुर हरनाथ 22x11*17x40 ,, 64 गा.48 प्रस्न 1848पादरु हस्तिविजय वृत्ति1738की कृति सहकथा ग्रं. 1682 | 26x12*16x31 , 63 गा. 1910 जैसलमेर वृत्ति 1718 ,, ,,? -25x11*16x55-, 48 प्र. कथासह ग्रं. | 1772 1750 27x12*17x56 ,,,सहकथा + व्याख्या 1901 51 24x 11*13x30 , 64 गा. 1880, पीपाड़, ऋ. मोतीचंद 28x13*19x52 ,61,, सहव्याख्या+ 1860 राधनपुर गुलाबसागर कथा 25x12*17x46 ,,, 64 गा. 1853 गिवाणा दौलतराम 25x11*15x50 , 64 गा. . 19वीं 25x12*15x35 " " 1906 नागौर Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 46 ' भाषा-२ - - 2 3A 4 188 चौ. 44 गौतम पृच्छा लेख लेख Gautama Procbā Lekha Caupal नयरङ्ग 189 बा. 99 चौपई 190 सि.890 191 । B-222 , | जयसागर d/o ___- शंकरसौभाग्य , Bakkhanal संकलन 192 चौ. 43 बक्खाण 193 || सि. 132 गौतमवाद Gautamavāda 194: B-1054. चार ध्यान Cāradhyāna ठाणांगानुसारे मू+वृ (ग) । प्रा. मा 195 रा. 7/5 133 चारमङ्गल चौपई Cāramangala Caupai 197 बा. 100 चित्तछत्तीसी Cittachattisi चन्द्र 198 संबा. चिहुंगतिवेलि Cimhugativeli 199 B-319 चेतन कर्म संवाद भगवतीदास Cetana Karma Samvāda Cetana Battisi 200 सि.890 चेतन बत्तीसी जिनराज सि 134 चौदह गुण स्थान Caudabaguņa stbāna B-264 B-284 204 रा. 30/9 , वीरस्तवन समरचंद do Virastavapai पार्श्वचंद चौरासी लाख जीव योनी Caurasi Lakha | संकलन के बोल | Jivayoni ke bola चौवीस ठाणा के बोल | Cauvisa Thapa ke bola चौवीस दण्डक | Cauvisa Dandaka | गजसारdo धवलचंद रा. 19/13 ना. 101 alo 206 1 मू+ट (प.ग.) प्रा.मा. 207 B-831 208 सं.बा. 209-11B-593,597,598 3 प्रति मू+ट (..) 212 | B-538 मू+बा (प.ग) 6 प्रति मू+ट (प.ग) 213-18| B-27,70,120 580,605,684 219-20 सि. 135-6 । 2 प्रति Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 8A 10 तात्त्विक 26 x 12*14x39 19वीं त्रुटक | सं. 3 ढाल+दोहे 13 . 13*13 x 13 गुटका 10 पन्ने 57से64 33 x 22*54x32 |, 4 ढाल/56 गा. 1926 अजीमगंज जीवा 26X11*13x38 |, 64 पदों में 48 प्रश्न | 1944, मलसा बावड़ी, वा. पदारथ 25x15*15x39 | अपूर्ण 19वीं गणधरवाद 26x11*16x45 सं. 14 ढालें 20वीं ध्यान योग संबन्धी 9 | 14x11*19x25 | 1809 सिवियांणा धैर्यसागर 24x12*16x42 | सं. 1974 भक्ति विवेचन 25x11*10x31 | अपूर्ण तीसरे मंगल तक है| 19वीं मानसिक योग | 17* 25x11*16x39 | संपूर्ण 36 गा. सहस्तवन 1777 की कृति संसार भ्रमण पर 4 24x10*15x34 | सं. 134 गा. 1827 सूर्यपुर जड़ चेतन विवाद | 10 25, 11*15x42 ,296 पद 1874 x गुमानसागर 1732 को कृति औपदेशिक 33 x 22*60x32 , 32 गा. 1926 मार्गणा द्वारों से | 3 19वीं 24 द्वारों से वर्णन 1874 लोद्रपुर जयचंद्र 26x11*19x49 | 26 x 12*17x56 | 25 x 11*19x53 24 x 12*10 x 30 कर्म सिद्धांत गभित 3 | सं. 53 गा. 1731 बगड़ी ऋ. बल्लू जीवों के भेद 1894 | 10 26x12* तालिकायें । सं. 20वीं जीव विभक्तियाँ 25X11*6339 सं.38 गा. 18वीं x सूरविजय अपरनाम विचार षट्त्रिंशिका सं. 38 गा. 18वीं श्रीमल वर्षे 1798 10* | 26 x 11*5x42 4 26 x 11*5x36 20,16, 25 x 12* विभिन्न 3 25 x 11*20x51 251 1 46 गा. सहकथा- | 19वीं व्याख्या 1872x ज्ञान सागर, 1,38 19/20वीं 13,20, 25127x11से13 प्रथम अपूर्ण शेष संपूर्ण 15,9,7,7| । 9,J1 | 22 x 11 व 27x || | सं. 19वीं Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48 माग-2 2 ЗА 4 5 6 221 | सं.बा. चौबीसदण्डक गजसार 0 धवलचंद मू+ट(प.ग) प्रा.मा. बा. 102 सि. 137 B-184 B-1072 चौवीसदण्डक-विचार बा. Cauvisadandaka Vicāra " 30 द्वार , 3, Dvara 224 ,, क्रम " Krama सि. 138 ,,व गुण स्थान | - & Gunasthana Stavana 227 | बा. 100 , स्तवन धर्मसी 228 सि. 139 चौवीसद्वार Cauvisa dvāra 229 सि. 140 छ:आरों के बोल Chah Aromkebola 230-1 , 141-2 छ:काय के बोल 2प्र. ,, Kaya ke , छत्तीस बोल काथोकड़ा | Chattisa-Bola-Ka Thokarā 232 , 143 233 रा. 19/14 234 रा. 19/5 235 सि. 906 छत्तीस बोलछवीसद्वारादि | Chattisa Bola Chavisadāra जयमलजी की साखिये | Jajamalaji-ki Sākbiyeń जिनपूजनं Jinapūjanar जयमलजी 236 बा.104 237 B-773 जिनवर उपदेश Jinavara Upades'a | ऋ. रायचन्दd/o जैमल 238-9 B-1022-32 जीवभेद 2प्रति | Jivabheda 240-1 | रा. 19/2,20/5 | , 2प्रति 242 | B-640 , नवतत्त्व व शरणा " etc. 243 बा. 106. जीवस्वरूप नवतत्त्वादि | Jivasvarupa ज्ञानसारd/oरत्नराज प विचार | Navatattvadi Vicaral 244-50B-24,119,342 | जीवाजीव विचार प्रति | Jivajiva Vicara | शांतिसूरि मू+ट (प.ग) 535,553,610, 847 251-2 | सं.बा प्रा.मा. 253 सि. 144 254-6| B-49,356,367 मू+व्या (प.ग)| प्रा.मा. Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, सात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय पंथ | 8 | 8A 10 जीवबिभक्तियाँ 12 22x12*12x32 | सं. 46 गा. 26 x 12*13x31 18 31 बाहउमेर, अनूपकीर्ति 20वीं 1797, विशालानगरी, नगर'ज 20वीं 25 x 11*13x43 28 x 13*12 x 30 27 x 11*9x39 24x10*12 x 38 | अपूर्ण 18वों प्रतिपूर्ण 20वीं बापसी संबंध कई द्वारों से जीवविभक्तियाँ 25x11*16x39 | सं. 24 गा. 19वीं 25 » 11*13 x 28 ,, 24 बोल 24दंडक का विस्तार 19 कालानुसारपरिवर्तन 4 25x12*17x49 जीव विभक्तियां | 7,1224x12425x11 सं. तात्त्विक भेदप्रकार 9 25x11*13x43 सं. 1 से 36 तक 26x12*28x40 25x12*19x45 सं. ग्रं. 2166 1909 • सत्संग उपदेश 113x15*11 x 13 सं. 31 छंद 1883, भीवाणी, भानजी पूजा लाभ 3कथायें 26x11*12x42 18वीं जैन सिद्धान्त | 5 124x12*11x30 सं. 21 गा. 19वीं 1808 तिंवरी की कृति जीवो के प्रकार | 11,4 23x 12 व 25x17 | सं. 563 भेद 19/20वीं " 18,11 25 x 12 व 25x13 | सं. . ,1397 भङ्गों से , , आदि 26x12*14x45 प्रतिपूर्ण बालावबोध मात्र 20वीं सामान्य , 3 स्तवन 9 | 26.x12*13x30 सं. 29+33+26गाथा , द्रव्यानुयोग 9,11,8, 22 से 26 x 10 से 12 | सं. 49 से 59 गाथा तक 19वीं 6,8,5,9, 24x12*4x29 सं. 51 गा. 25 x 11*6x45 12,15,25.से 26x11 से 12 ,50-51 गा...| 151 Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 50 . . भाग-२, ___3A 4 5 257 जीवाजीव विचार Jivāji vavicāra शांतिसूरि | मू (प) प्रा. चौ. 451 बा 105 259 सि. 145 मू+ट (प.ग) प्रा.मा. जीव विचार+नौ तत्त्व+Jivavicāra Navat- | शांतिसूरिx दण्डक atva+Dandaka -- गजसार +Navatattva 260 B-336 261 चौ. 46 जैन तत्त्वसार Jaiba Tatvasāra | सूरचंद्र do जिनसागर मयाचंद 262 सि. 146 ज्ञान उन्नतीसी ज्ञान उन्नता Jrāna Unntisi 263 B-1095 तत्त्वार्थ सूत्र Tattvārtha Sutra | उमास्वाति मू+संग्रहभाष्य सं 264 | सि. 147 बा. 107 धर्ममन्दिर तैतीस बोलका थोकड़ा | Taitts, Bola ka Thokarā दयाधर्मादि स्वाध्याय Dayadbarmādi Svadhyāya दसदृष्टान्त सज्झाय Dasa Drstanta Sajjhāya दान विधि Dana Vidhi 266 सि. 148. सूरज उदय B-893 B-303 अशोक मुनि मू+ट (प.ग) | प्रा.मा. | दानशील तप भावनाकुलक Dana Sila Tapa Bhāvanā Kulaka 269 B-606 270 बा. 109 देवेन्द्र लाभकुशल मू+ट (प.ग) | प्रा.मा. 271 बा. 108 , विनयकुशल मू+बा (,,) 272-3 सि. 150-1 ,, संवाद 2प्र. , , Samvada| समयसुन्दर 274 रा. 30/3 दिशाणुउवाइ बोल | | Disapu-Uvai-Bola महावीर गौतम प्रश्नोत्तरी | बा. 110 दीक्षाकुलक Diksā Kulaka मू (प) सि. 152 देशना पद्धत्ति - Des'ana Paddhatti सि. 910 दोहासार Dohāsāra संकलन (अज्ञात?) सि. 149 दसाणं बोल Dasāṇam Bola B-ज्यो. (111) द्रव्य काश Dravyaprakās'a B-625 भाषा Bhasa देवचंदd/oराजसार प 28| शि. 153 (कृष्ण) द्वारका की लावणी Dvaraka-KI-Lavanl जयमलजी Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 1 ___8A | 10 बानुयोग 25x10*11x35 19वीं 25x11*12x30 ,, तात्त्विक 20* 26x12*5x36 25x11*15x40 मा. श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर श्रीमहावीर जैन आराधना केन्द्र , 51 गा. 20वीं कोवा ( गांधीनगर) पि ३८२000 , 51+50+12 गा. 1846 ध्रांगध्रा हेमविजय . ,,51-1-59 गा. 1839x सुमतिसागर 1, 21 अधिकार542श्लो. 18वीं, 1679 की कृति प्रशस्ति है ग्रं. 826 | किञ्चित् साथमें अवचुरी (स्वोपज्ञ?) , 29पद सह 2 अन्य 20वीं, सेलावास, उजला सज्झाय ,, 10 अ. ग्रं. 2250 । 815 जैसलमेर हर्ष धर्म स्त्र सारांश । 26X11*20x39 (क्तिपरक उपदेश 3* 20x11*14X27 न तत्त्व सारांश 25x11*17x50 रङ्ग संगणना 22x11*18x28 सं. 20वीं झाय संकलन . 5 26x11*15x39 सं 5 ढाल 1884, सिणधरी, वरधा मोपदेशिक कथा 25x12*14x40 20वीं मन संबंधी नियम 24x10*14x47 26 गा. 17वीं वर्म के चार अङ्ग 6 25x11*5x40 , 49 गा. 1770 जालौर 16x11*7x21 , 1845 पादरु रत्नविजय 27x14*14x45 ,,81 गा. सह 53 कथा 19वीं वृद्धिकुशल शिष्य । 26 x 11*13 x 42 अपूर्ण भावना की 1 5गा.लक 18वी 23x10 व 25x12 | सं. 101 गा./ग्रं. 135 19वीं सांगानेर 1662 की कृति शाओं के प्रश्न 25x13*13x40 प्रतिपूर्ण 20वीं साज्याविधान 25 x 11*13 x 38 | सं. 34 गा. 1802x विद्वत् जयसमुद्र 21 x 10*11 x 28 1927 पारलाउ सागरमल तत्व विषयक कामिकादि विषय | 45 16 x 10*20 x 34 , 54 भावों के 1701 दोहे 1765 सिवाणा धन्नामुनि 1720में समुद्धृत जीव विभक्तियाँ | 19 x 9*15 x 32 20वीं. मोकलसर उजलाजी बद्रव्य निरूपण 26x1*16x48 , 46 श्लोक 1731 नागौर माणिक विजय सात्त्विक 26:14*16:40 ,, 3 अधिकार 268 गा. 20वी 176 ... मुल्तान की कृति व की असारता 2 25x11*13x17 | सं. गा.32 । 19वीं Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माग __ 2 3 3A B-660 धर्म कल्पद्रुम सहकथा Dharma kalpadruma | वीर देशनायां मू+ट (प.ग) धर्म का महात्म्य Dharma-ka-Mahatmya B-743 सि. 156 285 | सि. 154 ? सहव्यास्या. संकलन धर्म चतुधिशिका | Dharma Caturtriinshika आ. तेजसिंधd/o मू+ट (प.ग.) गणिकेशव धर्म परीक्षा Dharma Pariksa | पयसागर/ मू (प) विमलसागर धर्मसी कुंडलियाँ+बावनी Dharmasi Kundaliyam | धर्मसिंह ०/० & Bāvani विजयहर्ष धर्मसी ग्रंथावली Dharmasi Granthāvalf 287 B-771 288 चौ.48 289 | B-719 | धर्ममी बावनी Bavani 290 बा. 111 49,गु.1 सि. 155 , , 2प्रति 293 294 सि. 157 | धर्मोपदेश Dharmopades'a प.ग 295 बा. 112 | धर्मोपदेशमाला Dhar mopades'a mala | मुनिदेव सूरि/ मू+-वृ (प.ग) 296 B-347 ध्यान व अध्यात्म बत्तीसी Dhyāna Adhyatma Batulsi बनारसीदास 297 | Nayacakra 298 , भाषा वचनिका , Bhasa vacanika | हेमराज 299 रा. 29/16 रा. ,, विचार , Vicära 300 | B-565 नवतत्त्व Nava Tattva -/उत्तमसागर मू+ट (प.ग.)| प्रा.मा 301 B-370 B-868 303B-646 मू+ट (प ग) 304 बा. 114 मू+बा (प.ग) , 305 श्री. 50 -- देवेन्द्रसूरि मू-+ व (प.ग) 306 | B-466 -/अज्ञात Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ " दानशीलतप भावना 219 बोपदेशिक धर्म महात्म्योपदेश दानशीलत भावना 5 तात्विक पदेशिक नैतिक भक्ति 11 "" 11 17 12 तात्त्विक " " 7 11 37 11 8 " 8 55 36 उपदेश व उसके विषय अपदेशिक कथासह 106 3* ध्यानयोग + उपदेश न्यायनय विचार जैन न्याय 6 44 7* 5 7,8 8 5 6 17 10 10 12 9* 12 16 11 13 8A 26 × 11 * 8 x 45 26 × 11 * 17 x 48 23 x 11*14 × 32 26x12 * 5x36 26 × 12 *16 x 55 25 × 12*21 x 49 26×11*12 x 49 26x11*14x42 25 x 10*13x44 23 x 11 व 15 x 10 26 × 11 *13 x 32 27 x 13 * 11 × 37 30 x 13 * 13 x 55 26 x 12*16x44 26×11 *11 × 35 26 × 12 * 12 × 35 25 x 13 18 x 50 26 × 12 * 3_x_40 24 × 11 * 3 × 24 26×11*17 × 41 25 X 11 * 3×34 25 × 9 *17 x 58 26 × 11 * 12 × 55 26 × 12*15 x 47 पूर्ण 4 शाखा 20वीं प्रतिपूर्ण 20वीं टक लगभग 51 लीक हैं 19वीं सं. 36 इलोक सं. 1515 श्लोक सं. 57+57 प्रत्येक संपूर्ण संग्रह 23 लगभग पूर्ण संपूर्ण " " 11 " 20वीं अपूर्ण 48वीं गा तक है 15वीं संपूर्ण 35+ 33 पद संपूर्ण " 73 "" 57 पद 17 " 55. गा. 45 44 "" 9 11 55 " 27 " सह प्रशस्ति 47 गा. 10 11 1793 संरणा भाणसागर 19वीं जेसलाद्री 19वीं प्रथम व अंतिम पन्ना नहीं है 18वीं X लुकागच्छीय 1762 की कृति / प्रथम आदर्श ? प्रशस्ति है / जीर्ण 1816 x रुपगच्छीय 1885 समदड़ी त्रिलोकचंद 1725 की रचना 19वीं जीर्ण / 18सदी की रचनायें 1765 कर्णपुर इंद्रसागर 53, (पहिला प. कम) 1786 जैसलमेर खींवराज 18वीं 20वीं 11 53 1892 बालोतरा विवेकसागर 184 सामान्य प्रा.सं. के उद्धरण सह गुणानामपिचयोपेतं महामुरुन् 20aff 1726 की कृति 1906 नागौर मूलचंद प्रा. उद्धरण से भरपूर 1716 उग्रसेनपुर पद्मभृंग 1722 बगड़ी तिलकसागर किञ्चित अपठनीय 1741 x रामचंद्रगणि साथ में जीवविचारभी संशोधित / 1752 की कृति Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3A 307 | B-650 नवतत्व Na vatativa अभवायसुंदर खरतर मू+बा (प.ग)| प्रा.मा. 308 B-701 4 प्रति 309-12 B-64,60, 310,772 313-15, B-349, 1630,817 316 | बा. 115 3 प्रति मू+ट (प.ग.) , 317 , 116 318-19 B148,1885, (जीव विचार)2प्रति मू। व्या(प.ग.)| प्रा.मा. 320 सि. 158 मू+ट (प.ग.) , 321 सं.बा. मवतत्त्व चौपई ,, C upal सिंहऋषि .322 B-(गु) 14 नव तत्त्व बालावबोध ,, Balavabodha 323 बा. 117 धर्मचंद सि. 159 325 सं.बा. 326 बा. 118 327 ! रा.19/11 328 बा. 119 सुमतिवर्द्धन 329 सि. 160 विस्तार Vistāra 330 सि. 161 , , +संक्षोप ,,+Samkepa 331 मं.बा. व्याख्यान Vyākhyāna 332 चौ-51 नवनियाणा कुलक Navaniālā-Kulaka मू (प) 333 चौ-52 नवपद विवेचन Nava pada Vivecana प्रा.मा रा. 19/12| निर्ग्रन्थ प्रवचन Nirgrantha Pravacana | चौथमलd/o मू+ट (प.ग) हीरालाल 335-8 | सि. 165-8/ पच्चीसबात का थोकड़ा | Paccisa Bola ka Thokara ---- 4प्र. 339-40 वा. 121-2 , , प्र. | बा. (ग) 341 । रा. Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 78 8A 10 वात्त्विक 68 | 40 |26 x 11*15x55 |, 48 गा. सह व्याख्या |19वीं मेड़ता सुगुणकीर्ति मूल 28वा.कीरचना +कथा+प्रशस्ति ___ अभयदेव सूरि की बताई है 28x14*16x54 सं. 53 गा. सहकथा+ | 1898 बोरसद विवेक सागर व्याख्या 28,20, 24 से 26x11 से 13 | सं. 42/52 गा. तक 19वीं 12,15, 7,16,13/ 22 से 24 x 11 144/54" " " | 27 x 13*4x31 सं. 56 गा. 1885, जैसलमेर, भारमल 25 x 11*12 x 32 ,, 51 19वीं 25 x 11 प्रतिपूर्ण 31/28 गा.तक 19/20वीं 10 | 25x11*4x32 | अपूर्ण बंधतत्व तक 18 वीं 25x12*12x26 सं. 127 गा. 20 वीं 1762 की कृति 16वीं 20 x 15*13 x 20 25 x 12*14x38 पू.ग्रं 3453/पहिला पन्ना 1946 वालाकुंडीपुर देवकुशल 177...की कम कृति /प्रशस्ति है पूर्ण/पहिला पन्ना कम 1435 अज.मेर सुखलाल 24x 13*11x32 26 x 11*11 x 43 20वीं 27x 12*13x39 28x 13* तालिकायें । 1952 x कंवरजी 1965, सरदारशहर गुणेश 20वीं 26x12* " " तवतत्त्वों के उपभेद 7 25x11*16x35 19 वीं 24x11-15x . 20वी. की संक्षिप्त व | विस्तृत भेद सूची तात्त्विक 26x12*12x34 1847x बालचंद औपदेशिक 26 x 11*13x37 ,, 16 गा. 18वीं 26 x 12*16 x 34 20वों जीर्ण अपठनीय/सामान्य परमेष्टी व आचार 61 भक्ति आगम सारांश | 17 25x12*10x55 ,, 18 अध्याय 1993 जोधपुर रामकृष्णदास. 25 मे 26x12सं प्रथम प्रति में स्तवनादिहै| 20वों सामान्य प्रतियें त्त्विक आदि भेदों 36,6, की संगणना 4,7 5, 3 26x11 व 12 46 1 25x12*11x48 |सं. साथ में नवतत्त्व भी है। Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2 3 3A 4 .342 सि. 889 | पञ्चभावनासम्झाय | Paricabhavana Sajjhāya | देवचंदजी 343 | सि. 169 | पञ्चमहाव्रत का ढालिया |Pancamabavrata ka Dhalial ऋ. रायचंद 344 | 164 | पढमा अपढमा बोक Padhama Apadbama Bola| भगवती अनुसारे | 345-6 B-355,897 पद्मावती क्षमापनासज्याय Padmavati Ksamāpana | समयसुंदर 2प्रति Sajjhāya बा. 123 सि. 170 परमात्मा ध्यान Paramātmā Dhyāna मू. (१) परमानन्द स्तोत्र Paiamānanda Stotra पर्युषण प्रथम वाचना Paryuşaņa Praibama Vācană सि. 171 | पांच समिति तीन गुप्ति | Panca Samiti lioa Gupti ऋ. रायचंद | पिण्ड विशुद्धि सज्झाय | Pinda Vis'uddhi Sajjhāya| सहजविमल 354 | सि. 173 | पुण्य छत्तीतसी Punya Chattisi समयसुन्दर 355 बा. 100 356 | B-343A पुण्य प्रकाश स्तवन | Punya prakasa Stavana | विनयविजय d/o कीत्तिस्तंभ 357 | B-355 358 सि. 345 ,,d/oविजयसूर ? चौ. 54 B-589 | पुण्य फल कुलं Punya phalakulam मू+ट (प.ग. B-612 पुद्गल परावर्तन Pudgalaparā varttapa मू+व (प.ग) B-105 पुष्पमाला Puspamala म. हेमचन्द्र मू + अ (प.ग) 363 सि. 174 सि. 175 |पंती | पैंतीस बोल का थोकड़ा Pemtisabola ka Thokara प्रतिक्रमण हेतु Pratikramana Hetu क्षमाकल्याण 366B-406 प्रभञ्जना सज्झाय Prabhañjanā Sajjbāya देवचंदजी 367 | B-9 प्रवचन सारोबार | Pravacana Saroddhara ! नेमीचंद सूरि । मू (प.) Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 8A 10 11 33x22*52x28 सं. 6 ढालें 1926 अजीमगंज जीवेन हतकल्पे पांच । अनुप्रेक्षा मध्वाचार 26x12*26x64 1943 बागावास सुल्तानमल बोल संग्रह 25X11*14X46 20वीं सामान्य त समय प्रायश्चित 12*325x11 व 26x11, 35 गा. 19वीं 20वौं 26x13*8x23 1933 खींचंद इंद्रचंद 24x11*13x30 , साथ में ऋषभ स्तवन 20वीं सामान्य ध्यान विषयक 11x7*8x16 ,143 श्लो. | 1766 स्थटा धर्मचंद आध्यात्मिक 26x12*8x30 ,, 25,, | 19वीx भानुसुंदर 25x1111x41 | 1706 1943 बामावास सुल्तानमल भवकार का अर्थ 8 प्रष्ट प्रवचनमाता 87* साधु समाचारी पदेशिक पुण्य पर 7* 26 x 12*26 x 64 25 x 11*13 x 40 18वीं d/o जुगराज 25x10*13x33 सं. 36 पद 1925 1667 सिद्धपुर में रची 17* 25x11*16x39 19वीं 26 x 12*11 x 32 सं. दस अधिकार भक्ति औपदेशिक तत्त्व 1792 25x11*13x36 1894 राधनपुर विवेकसागर राणेर 1729 की रचना अपरनाम शिवगति आराधना 1930 24x12*16x34 8ढाल 26x11*13x33 1969 रुपदेश 26x11*11x38 , 16 गा. 18वीं व्य व काल संबंधी 27x11*5x44 , 11 श्लोक 20वीं मोपदेशिक 26x11*9x27 ,505 गा. 16वीं अपरनाम उपदेशमाला 26x11*9x35 अ 160 गा. पंचपाठी d/o अभयदेव सूरि 17x12*17x25 | सं. 1 से 35 तक 1893 जोधपुर ताराचंद सामान्य विभिन्न भेदों की | संगणना तात्त्विक लेख 26x12*13x48 20वीं बीकानेर हाश्विक | 10* 25x11*15x50 सं. 4 ढाल 189! जोधपुर विवेक बास्त्रसार 53 | 27x11*13x45 |, 1606 गा. | 161 Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58 1 368 369-70 371 372 373 374 379 380 381 382 388 389 390 391 392 393 394 2 " 375 B-927 बालावबोध 376-7 B192,575 प्रश्नोत्तर सार्द्धशतक बीजक 2प्र. प्रस्ताविक बायनी 378 बा. 128 B-929 (1) प्रस्ताविक श्लोक ची. 63 at. 57 395 396 397 बा. 126 प्रशमरति वृत्ति प्रश्नोत्तर 103, 127 सं.बा. रा. 19/8 at. 56 B-834 B-1026 ار 3 31 प्रश्नोत्तर रत्नमाला " " " " او बनारसी विलास 11 " 2 प्रति (मुक्तावलि) " 383-4 B-87,477 2 प्र. 385-7 सि. 1768 बाईस परिषह चौपई3. Balsa Parigaha Caupai सि-गु.928 | बारह भावना Baraha Bhāvanā ar. 130 सि.862 बारह भावना विलास B-671 बारह भावना देती " " ft. 179 बारह व्रत सज्झाय fer. 180 बामन बनाचीर्ण B-312 बावनी Pras'amarati Vettl हरिभद्र Pras'nottara 34 " 12 " 12 31 " 11 Banarasi Vilasa "" Pras’nottara Ratnamala विमला चार्य d/o मू+ वृ देवेन्द्र " | Pras' nottara Sardhas' ataka क्षमाकल्याण Bijaka Prastavika Bavani Prastavika S'loka Balavabodha " " सि-गु 923 बा. 131 बा. 132 बारह व्रतचौदहनियमटीप Baraha Vrata 14 Niyama Tipa Sajjhāya " , Muktavali " " " " Vilasa Vell 4 " " I 11 Bāvana Anicira Bavani 11 उ. रूपवल्लभ लन 17 बनारसीदास " 11 ॠ. रायचंद जयसोम d/o प्रमोदगणि "" राजकवि जय सोम शिष्य कृपाविजय " 27 ग केशव मुनि d/o लावण्यरत्न " 5 31 11 ग 31 मू (प) प 11 मू+ट (प.ग.) सं. मू ( प ) 11 11 " " " 11 11 11 ग प भाग ग प 6 सं. मा 11 हि. सं. मा. 11 अप. सं. हि. 11 11 मा. 33 11 " 11 " " " म 11 11 31 Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तास्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 7 | 8A 9 10 तात्त्विक औपदेशिक 21 31x18*19-76 सं.ग्रं. 1800 1495 बृहद्गच्छोय कठिन प्रश्नों का निराकरण | 12,16 | 27x12 व 27x13 | प्रथम पूर्ण द्वि. अपूर्ण 20/19वीं कुल 56 प्रश्न 25x12*13x32 अ. 26वें प्रश्न तक 19वीं 25x11*17x37 सं. 162 प्रवन 20वीं बीजक है 2 पत्रों में औपदेशिक 27 - 11*17x42 |, ग्रं. 7700 कथासह | 1673 गुदवचनगर महिमासेन 1299 की रचना/प्रशस्ति है वृति कल्पलतिकानाम्नी 25x11*4x32 अपूर्ण-27 प्रश्नोत्तर तक है| 18वीं 4 | 26x11*11x34 | सं. | 18वीं सामेरनगरे लावण्यप्रिय ग्रंथ की विषय सूची 10,2426x12*16x38 प्रथम अ.88 प्र.द्वि. संपूर्ण 19/20वीं औपदेशिक पद 9 प्रथम आदर्श | 25X10*15x41 | सं. 58 छंद साथ में | 1828 बालोतरा हर्षचंद्र स्त वनादि भी 26x11*16X62 अ. 181 श्लोक 17वीं 26x11*14x43 | अ. 188 श्लोक 18वीं लघु रचनाओं का सं. 7 रचनायें अंत में हर्षकीर्ति कृत हिंडोलगीतम् संग्रह 26 x 11*15x47 24 x 10*14 x 51 52 प्रतिपूर्ण 83,12 27x11 व,25x11 | प्रथम अपूर्ण द्वि. प्रति. | 19/20वी साधु समाचारी 8,87*3/ 20से26x10से 12 कायक्लेश धर्म ध्यान चितन | 4 | 24x14*18x30 सं. 22 ढाल अंतिम अ. | 20वों 1261 सं. 72 गा. 1827 25x11*14x39 सं. 72 गा. 20वीं जसोल ताराचंद 1747 की कृति 23x13*21x40 । सं. 52 सवैयादि 1826 (पन्ने 59-61) 25x11*11x38 सं. 126 गा. ग्रं. 175 | 18वीं 1603 जैसलमेर कृति 16 x 10*19x14 | सं. 129 पद(पृ.26से36) 1845 26x12*18x54 सं. 1884 सिणधरी जीतविजय 28x12*12x36 20वीं श्रावकाचार - व्रतविधान साधु अनाचार 26 x 12*12x36 25x12*16x32 24x11*16x40 द्वि. पन्ना गायब, 13ढाल. 19वीं अंत में सम्यक्त्वगीत सं. 52, ग्रं. 32 20वीं बालोतरा कस्तूरोजी सं. 62 पद | 1865 x विवेकसागर 1736 की कृति बोपदेशिक Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ------yubato 2 | 3 3A 4 5 B-994 बासठ बोल स्तवन Basatha Bola Stavana जिनेन्द्रसागर तपा.प ., सि.गु887 सि. 181 बासठ मार्गणा 400 Bāsatha Margapā कर्म ग्रन्थानुसार 401 बा. 133 402-3 8363,381 2प्रति 404 रा. 30/6 405 | बा. 134 | बासठ मार्गणा यन्त्र Yantra 406 | सि. 182 407 रा. 38/8 408-9 | सि. 183-4| बुद्धिरास 2:ति Buddhi Rasa शालिभद्र सूरि 410 | सि.गु 903 बुधरास Budba Rāsa 411 | रा. 20/11 बृहद् आलोयणा Bộbada Aloyaņā ला. रणजीतसिंह | प. ग. Bolànāma सि-गु 902 | बोलनाम B-673 | बोल संग्रह Bola Sagraha B-30 415 B-896 416 बा. 135 2प्रति 417-8 | B-723, ___1082 419-22| सि. 4प्रति 423-4 | रा.20/4,67 2प्रति 425 | B-1116 | बोल स्फुट पन्ने Bola Stray Folios " मा.प्रा.सं.1 426 427 सि.- सी. 58 प्रा.मा. 428-9 | सि. 162-3 ब्रह्मचर्य नवबाड 2प्र. | Bran hacarya Navavada | जिनहर्प 430-1 | B-414,1003 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धांतिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 62 मार्गणाद्वार पर 8 विभिन्न द्वारों से जीव विभक्तियां " 11 31 11 अंत समय उपदेश धार्मिक भेदभांगे थोकड़े तास्विक 7 " " सैद्धान्तिक, उत्तर गुणों के 1 स्थान से 14 " 11 11 औपदेशिक कर्तव्य 15*3 नैतिक शिक्षायें " " 11 10 8 11 6.6 9 2 8 3 2 5 17 26 16 17 2 81 22 x 10 * 18 x 54 | ( गुटका नं. 14 ) 16x14 स्थान तक तारक भेदभांग 27,40 23 x 10 व 23 x 11 बोकड़े 13,2,2,3 21 से 26 x 14 से 12 192625 x 12 व 26 x 12 18 38 8A 46 शील विषय उपदेश 4,5 24 x 12*12 x 35 22x16*21 × 17 22 x 12*16 x 35 26 × 12*13 × 38 26x12 व 24 x 11 25 x 12 तालिकायें तालिका 24 x 11* तालिका 25 x 11** 25 x 1* विभिन्न 11 21 × 15 * 13 × 27 25 x 12* 10 × 28 16 x 13 तालिकायें 26 × 11 * 28 x 16 22 × 11 * 16 × 32 25 x 11 * 15 x 50 सं. 84 छंद सं. 183 मा. सं. सं. सं. अ. सं. 62 द्वार " 15 " " 11 सं. "3 11 11 प्र. ( पन्ने 138 से 159, 171-3) प्रतिपूर्ण " 9 " 31 " 18at. 19aff. 20at. 64/63 19वीं 66 पद (प.42 से 46 ) 1827 204f. " 1885 विभिन्न 1807 17 1800 x न्याय विजयजी 1931 फलोदी म. विद्यालाल 19at. " 1947 प्रथम अपूर्ण द्वितीय प्रति. 20वीं त्रुटक 24 से 27x10 से 12 24 x 26 x 11 तालिकायें 18/19वीं 24 × 10 व 25 x 11 1 ढाल अंत में स्तवनादि 20 / 19वीं सं. 7*,525 × 11*16 / 7 x 46 | 11ढाल ( 96गा ) + स्तवन 19वीं 1800 10 1661 जालौर चांपा 1780 सानंद प्रताप विजय 18 वीं साध्वी रूपा 18/20वीं 19वीं 1950 जालोर डालचंद " 61 1783 उदयपुर कृति 11 अंत में धर्म सीकृत 125 सीख अंत में पत्र लेखन प्रारूप अंत में कर्म समाव Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाम-२ 3A 432 रा-32/29 | ब्रह्मचर्य नववाड Bramhacarya Navava Ja |अगरचंदd/0रूपचंद प 433 पावचंद B-गुटका 4 " " चौ. 59 | ब्रह्मचर्य नौ गुप्ति 434 Navagupti 435 B-778 भले का वर्ष Bhale ka Artha 436 बा. 136 437-8 सि. 185-6 " 439-40/रा.19/3,16 भवन द्वार 2प्र. Bhavana Dvara 441 | चौ.60 भव भावना Bhava Bhāvana म. हेमचन्द्र 442 B-493 443 चौ. 61 , अवचूरी Avacurt 444 | सं. बा. भव वैराग्यशतक Bhava Vairāgya S'ataka मू+ट (प.ग) प्रा.मा. 445 | बा. 137 446 B-633 , प्रा. मा. रा. 1/20 2प्र. | Bhava Chattrst ज्ञानसार 448-9| B-347, | भाव छत्तीसी 1104 450 | B-736 | मण्डणवीर स्तवन Mandana VTra Stavana | मेघ मुनिd/o कृपाविजय Manabatttst B-742 मान बत्तीसी B-735 मू+ट(प.ग) सं. मा. मार्गानुसारी गुण सि. 187 | मुक्ति की डिगरी B-670 | मूर्खशतक Mārgānusārī Guņa Mukti ki Digaci Märkba S'ataka मू.ट (प.ग) | सं. बा. 138 | मत्यु महोत्सव सार्थ Mrtyu Mahotsava मू+अ (प.ग) B-980 मोक्ष मार्ग प्रकाश Moksa Mārga Prakās'a B-491 | मोतीकपासिया संवाद | Moti-Kapasiya Samvada मुनि श्री सार d/0/ रत्नहर्ष सि. 188 459 B-247 ! Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ : सीलविषयक उपदेश 8 ". " S " ढोक स्वरूप औपदेशिक " " सदाचारी का स्वरुप 4 " " 7 27 " " सम्यग् ओपदेशिक " " " "" ज्ञानदर्शन चरित्र 3 25×11*13 × 28 24 x 15 * 29 x 18 25 x 11*17 x 40 25x11*14 x 37 26 × 12 * 14 × 45 5,8 25 x 12 व 20 x 12 27,27 25 x 12 26 x 12 26 x 11 13 x 32 26 × 11 *17 × 59 26×11*17 x 64 26 × 11 * 5 × 34 26 × 12*17 x 45 4 3 8 20 11 5 13 8 गुरु तत्व विषयक 3 कषाय त्यागोपदेश 1 श्रावक के 35 गुण 4 मोक्ष मार्ग वर्णन 11 10 मूर्खो के 100 प्रकार 4 संथारा (अंताराधना) 8 3*1 2 15 4 3 8A 14 25x11 * 6x36 26 × 12 * 5 × 52 26 x 12 व 25 × 11 26 x 12*15 x 43 25 × 11 *14 x 42 26 x 12 * 2 x 24 24 x 13 *12 x 25 25x11*4 x 26 32 × 17 *15 x 50 26 × 12017 x 40 25 x 10 13 x 51 26x10 * 15 x 51 26 × 11 * 13 × 42 सं. 10 ढाल सं. 40 गा. " 11 " 11 33 अ. गा. 396 तक है सं. 104 गा. " 11 " 531 T. 21 9 31 " " "" श्लो. गा. 95 गा. अ. 14 गा. तक सं. 10 पलोक गा. 39 गा. संपूर्ण अ. मोक्ष तत्त्व तक सं. 104 गा. अंत में सड़क गाड़ी संवाद 108 IT. 27 श्लोक 107 TT. 1879 रामपुरा 1827 18वीं 1874 20वीं 19/20वीं 20वीं 16वीं 18वीं 1641 18वीं 1834 जोधपुर जयसिंह 20वीं x व्यास कस्तूरचंद 19वीं बालोतरा विवेकसागर 1889 x विवेकसागर 20वीं " 11 10 1928 1896 व्यालपुर ज्ञानचंद 1900 20वी 1715 1753 सिणली रूपचंद 19वीं 11 63 मोक 1685 फलोधी कृति Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64 - .. भाग-२ 1 2 3 | ЗА 460- सि. 189-90/ मोतीकपासिया संवाद | Moti-Kapasiya Samvada] अज्ञात 2प्र. 462 463 सि.गु.906 | मोहमद राजा की कथा | Moha-marda Raja kr ,, (गुरुगोविद की , Katbā | आज्ञा से) बा. 1 39 | युगादि देशना Yugādi Des'anā सोम मण्डनगणि d/o, मुनि सुंदर सि. 191 | योग शास्त्र Yoga S'astra हेमचन्द्रा चार्य 464 465 बा. 140 466 चौ. 64 Ratnasa muccaya संकलन मू+ट (प.ग) प्रा.मा. 467 | B-327 रत्नसमुच्चय सि. 192 सि.गु.-889 रांचाबत्तीसी बा. 100 Rāmcā Battisi रांचा 471 472 बा. 142 | रात्रि भोजन पाप विचार Ratribhojana Papa Vicāra B-635 लेट्याकषायादि निरूपण | Les'ya Kasayadi Nirupaņa सि. 193 | वर्द्धमान देशना Vardhamāna Des'anā संकलन प्रा.मा. 473 राजकीत्ति do | रत्नलाभ खरतर 474 चौ. 65 475 वार्ता विचार Vārtā vicāra 476 बा. 143 | वास (?) योग्य स्थाने | Vasa yogyasthane B-1005 | विचार पंचाशिका Vicāra Pañcās’ikā । आनंदविमल शिष्य मू+ ट(प. ग) : प्रा.मा. 478 | B-1106 479 बा. 144 | विचार संग्रह Vicāra Samgraba सोमसुन्दरसूरि 3 प्र. 480-2 B-933, , 944,1071 सि. 194 | विरह द्वार Viraba dvāra 484 B-गु. 1 | विवेक मञ्जरी Vivekamañja:T | सि.न. 927| विवेक (विमेक)वार्ता री | Viveka Varta Nisant निशाणी 486 - B--976 | विवेक विलास Viveka Vilasa जिनदत्तसूरि मू+बा (प.ग)| सं.मा. 487 चौ. गटका 4वैराग्य बावनी । Vairagya Bavant | वैरागी मा. Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 10 __78 | 8A बोपदेशिक | 5*,5* 24x12*17x45 | सं. 5 ढालें 20वीं "रूपक | 13x15*11x33 , 112 गा. 1883 भिवाणी मानजी औपदेशिक 28x11*19x62 5 उल्लास ग्रं.2396 1548 जैसलमेर ज्ञान मंदिर जैन योग 26x11*19x56 प्र. चार प्रकाश463 श्लो. 16वीं 26x11*13x47 17वीं अंत में मुक्तत्रयी 26x11*11x42 अ. प्रथम प्रकाश मात्र 18वीं औपदेशिक विचार सार 26x12*6x38 सं. 548 गा. 1853 जसोल मयासागर+रयणसांगर 25x12*9x49 1943 जोधपुर औपदेशिक 33x22*54x32 20वीं | 25x11*16x39 19वीं । 25x11*तालिकायें 20वीं सामान्य करणयोग भेद द्वारों से बोपदेशिक 9 26x12*26x60 19वीं अवकव्रत मयदृष्टांत 111 27x12*17x45 | सं. 10 उल्लास 1941 जयपुर विनयचंद्र " " 75 26x11*15x33 त्रुटक 20वीं मिकतात्त्विकलेख | 12 27x14*19x 60 । प्र. 1897 ध्रापरा विवेकसागर भुजाक्षुधा ध्यानादि 7 25x10*13x45 | संपूर्ण 18वीं उपदेश व्यानु योग+ 26 x 11*7x 38 1780 जालौर धैर्यसागर उपदेश " " 6+17 | 28 x 13*61 x 40 |, (17 पन्नों में लेख है)| 1898 बोरसद विवेकसागर तात्विक लेख 10 | 25x11*19x60 प्र. 1772xत्रिभुवनसुख ,,,बोलादि । 42,32, 23 से 25x11 अपूर्ण 19/20वीं अंतर काल के बोल| 2 | 19x9*15x27 | सं. 26 छंद 2 स्तवन 20वीं . 15 सामान्य 17x16*20x25 || | अ. 144 गा. 1550 बोपदेशिक प्रध्यात्मिक समन्वय 8 19x 16*27x21 सं. 1770 सिवाला धनराज ग्रहस्थी के नियम | अ. प्रथम 10 पन्ने गायब 19वीं | ससं. 59 दोहे | 17वीं. औपदेशिक । 3 । 15x12 Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66 1 488 489 सि. 1956 वैराग्य वामी Vairagya Bavant लालचंद बा. 145 शति सुधारस भावना |Santa sudhārasa bhāvana विनयविजय d/o कीर्तिविजय रा. 30/7 शांति प्रकाश S'anti Prakās'a 491-2 B-गु 4,739 शील (नेमि) रास 2. STla Rasa 493 बा. 146 494-5 f. 197-8 490 497 498 499 500 501 502 496 बा. 147 सि. 199 सि. 200 शील रूपकमाला fer. 111 शील सज्झाय बा. 148 शीलोपदेशमाला 503 504 505 506 511 2 512 513 514 B-79 515 fer. 201 507 B-102 B-608 508-9 T. 150, 152 510 बा. 151 सि. 203 बा. 149 B-169 33 at. 66 सि. 204 बा. 153 " बा. 154 शील रास " 3 11 fer. 202 श्रावक आराधना " " = मङ्गल "" " 2 प्र. 2 प्र. " 2 प्र. श्रावक व्रत भंगप्रकरण श्री 3A " Sitla Ropaka Mala S'Tla Sajjhays 17 " S'Tiupades'a Mala " " मुल ध्यान विवेचन S'ukladhyana Vivecana श्राद्ध दिन कृत्य S'raddha Dina Krtya श्राद्ध विधि प्रकरणसहवृत्ति Sraddha Vidhi Prakaraga रत्नशेखर d/o भुवनसुंदर समयसुन्दर S'rävaka Aradhana 23 ܙ ܐ " " श्रावक एकादश प्रतिमा S' rāvaka Ekadas' a Pratima श्रावक तीन मनोरथ 23 " " 11 S'rävaka Vratabhanga Prakarapa S'rt Madgala, " विजयदेवसूरि do प पासचंद " 27 33 11 |S' rāvaka Tīna Manoratha | पाइर्वचंद " ' प । ` । 11 -/ मू. ( प ) 14 " 11 धर्मसी०/वि अज्ञात पुण्यनन्दि खरतर हकीति dio चंद्रकीत्ति जयकीर्ति / मेरुसुंदर मू + बा (प.ग) प्रा. मा " 77 11 " " " ग ग 11 11 मू+ व (पग) मू+बो (प.ग ) " " 5 प ग " प भाग-2 " 6 मा. सं. मा 13 " " " " 27 " मा. प्रा.सं. " सं. 11 मा. मू---अ (प.ग) प्रा.सं. मा. Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, वात्त्विक, दार्शनिक, बाचार व न्याय गंथ 8A 10 11 औपदेशिक 24x11425x12 | सं. 52 छंद सहस्तवन । 19/20वीं 16 भावनाओं पर 10 , 16 प्रकाश 240श्लो. 1947, सुथरी गोपालजी प्रशस्ति है 27x13*16 x 43 25 x 12*14x40 औपदेशिक ,, 125 गा. 1959 ब्रह्मचर्य विषयक उपदेश | गुटका व 26 x 11 ,, 70/76 गा. 19वीं जालौर कृति. 26x11*20x58 ,77 गा. 18वीं 8,*5 26x11423x11 | प्रथम सं. द्वि. अपूर्ण | 18/19वीं | 25x10*15x33 सं. 19वीं बिकानेर कृति. 24- 11*13x37 , 16 गा. 1906 अजमेर फूलचंद 25x11*11x37 , 32 गा. 18वीं 25 x 11*13 x 40 22 गा. औपदेशिक कथासह 20727x11*11x45 , 155गा. बा. ग्रं.7000/ 1529 दसपुरी 25x11*15x45 1682 वणथली | 23x10*14x34 1819 समुद्रडी तिलकधर्म ध्यान योग पर लेख 4 27x12*17x48 27X121 20वीं सामान्य श्रावकाचार 34 32x14*20x62 सं. 340गा. वृति ग्रं.2561 1648 जैसलमेर मतिसागर 27 x 11*17x53 | सं. 6 प्रकाश ग्रं. 6761| 18वीं (वृत्तिविधिकौमुदीनाम्नी) प्रशस्ति है 1506 कृति 23x10*14x34 सं ग्रं. 166 19वीं 1697 अभिधाननगर कृति श्रावककृत्य प्रावधान 25x11*17x48 , 26x12 व 27x12 | , द्वि. प्रति सहविधि+ 20वीं पद्मावती 23x10*12x42 20वीं 9 क्वचित् प्राकृत सह बा. श्रावकगुण श्रेणी 10 25x11*15x39 |, सह सामान्य सज्झायें 19वीं श्रावक के लक्ष्य | 2 25x12*10x41 सं. 27 गा. 20वीं x हंसराज | 24 x 12*15 x 41 19वीं. 2 3 व्रतविधानअतिचार 26x11*21-85 ,41 गा.सहगा.अल्पबहुत्व 15वीं कमल मुनि बोप.नमस्कारादिपर 17 । 25x12*9x29 1 110 पद 1937 x मालू जेठमल Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 68 1 516 517 518 at. 67 519 बा. 1.55 520-1 बा-596, 619 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 535 2 536 रा. 30 / 5 | श्री मङ्गल चौपई 7.68 पदर्शन समुच्चय 537 सं. बा. B-1117 B-1 B-45 B-270 B-35 B-776 बा. 415 533. रा. 20/12 534 B-667 fer. 205 B-928 बा. 151 चो. 147 सि. 208 538 बा. 417 539-42 B-485,599 639,1089 543-4 f. 206-7 T. 158 " 11 (नियुक्ति) बोध 33 " 13 37 " " षड् द्रव्य स्वरूप संग्रहणी (त्रैलोक्यदीपिका) Saagrahap " " " " 3 ,, सह वार्तिक او 11 = " 4प्र. Sirf Mangala ChoupaT Saddarsana Samuccaya हरिभद्र / गुणरत्न " 2 प्र. " 2. Saddravya Svarupa 33 Niryukti Bodha राजशेखर " " 11 11 11 " " " " " 3A " " " " " हरिभद्र / गुणरत्न मू+ वृ (प.ग.) सं. मू + अ (,, ) श्रीचन्द्र d/o म. हेमचंद्र " ,,/ देवभद्र श्री चन्द्र " " 21 11 11 1 " " 11 1 1 श्री चन्द्र / सार सिंध खरतर 1 ,,/ " प ../- 1 " प ग मू ( प ) 23 "1 21 " 5 ,,/ शिवनिधान ,,/ जीव विजय मू+ट (,, ) (,,) 77 " " " 11 मू + वृ (प.ग.) प्रा.सं. मू ( प ) मू+ट (प.ग.) प्रा.मा. (प) मू + ट (प.ग) प्रा.मा. मू ( प ) मूट (पग) प्रा.मा. मू+बा (पग) भाग-२ (") मा. (,, ) 17 " मा. प्रा. R 3) प्रा. मू+ट (प.ग.),, नू+बा (प.) प्रा. प्रा. 27 " ا, 6 " " " " " " Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ औपदेशिक नमस्कारादि पर दर्शन समन्वय 11 " पदार्थ विज्ञान लोक स्वरूप " 17 "1 11 " 11 " 17 11 31 7 11 " 8 7 88 8 6 34 30 26 × 12*15 x 42 3,20 27 x 11 व 26 × 12 25 × 12 * 5X34 51 16 39 8 31 10 18 58 26 94 61 73 69 8A 11 26 × 12*16 × 44 49 26 × 11 *17 x 50 26 x 115 x 30 26x11*16 x 53 26 × 11 * 18 × 59 26 x 11*11x35 - 26 x 11*6 x 40 27 x 12* 18 x 53 26×11 *6x33 26x11*14 x 47 26 × 11*7 × 49 24 x 11 * 17 x 50 24 x 11*17 x 50 25 x 16*16 x 45 26 × 11*16 x 55 26×12*5x35 25 × 12*11 × 36 25 x 11*17 x 53 27 x 12*6 x 32 सं. पांच ढालें " " 31 11 11 23 " " 19/20 लगभग पूर्ण 261 गा. ग्रं. 16वीं 328 अपूर्ण संपूर्ण 273 गा. की 311 गा ار " 6 अधिकार 86 इलोक 165 " "1 373 गा. 9 368 T. ,,281 गा. 277 गा. अ. 231 गा. तक " 274 TT. 3931 यंत्र चित्र सह 1880 फलोदी 1919 जैसलमेर अ. 44 गा. तक 19वीं सं. 341गा. यंत्र चित्रसह 1923 भुज लीलाधर सं. 269/402 गा. 19/20 ff 52,43, 25 से 26 ×12 18,65 1925 25 × 11 व 26 x 12 प्र. अपूर्ण83 से 239 गा. हि.सं. 275 TT. 1993 नागौर जेठमल 18वीं रिण्यापुरि विजयसुंदर 1 8वीं कीर्तिसुन्दर 1820 22 त्रुटक सं. 274 गा. ग्रं. 4052 1798 बीकानेर 10 1647 नागपुरे धर्म मंदिर 17वीं 1713 जोधपुर रामचंद्र 1746 विल्टाबास 1750 फलोधी राजसुंदर 1774 18वीं संभाव 18वीं 1749 जगतारणी रिणमल्ल " 11 69 वृतितर्क रहस्य दीपकनाम्नी 1828 डांकाबाडा सुमतिसागर अति सामान्य जीर्ण प्रशारित है Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .... भाग-२ ЗА ___ 45 मू (प.) 545-51 B-328,479 संग्रहणी(त्रैलोक्यदीपिका) Sangrahani 584,674,849 _875,1037/ 7प्र. 552 चौ. 146 553 बा. 416 554 | रा. 17/5 555 (लघु)संग्रहणी बालावबोध (Laghu),, 556 B-118 | सङ्घ पट्टक Sangha pattaka जिनवल्लभ मू (प) मू+अ (प.ग.) 557 बा. 313 558. | सि. 209 | सजोगणद्वार (?) जिनवल्लम साधुकीति Sajoga advāra 559 | B-520 सज्जन चित्तवल्लभ Sajjana cittavallabha मल्लिषेण मू+ट (प.ग)| सं.मा. 2प्र. | Sajjhāya Sangraha संकलन 560-1| सि. 210-1| सज्झाय संग्रह बा. 159 सटुरिसय Satharisaya मं. नेमीचंद चौ. 69 5643-गु 14 मू+वृ (प.म) 565 सि. 212 | सन्तोष छत्तीसी Santoşa Chattīst समयसुन्दरप चौ.गु. 1 567 | बा.गु. 1 बा. 314 संदेह दोलावली Sandha dolāvalt जिनदत्त सूरि मू (प) 569 | चौ. 110 । " 570-1| सि. 215-6| समता सज्झाय 2प्र. | Semata Sajjhaya | शंभुराम 572 | सि. 217 दयानन्द 573 | रा. 24/13/ समय सारनाटक Samayasāra Nataka बनारसीदास B-358 B-339 B-856 577 सि.गु. 931 | मू+अ (प.ग.) Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 78 | 8A 10 लोक स्वरूप 10,14,19 23 से 26X11 से 12 | संपूर्ण(अं में प्र. पन्ना कम 19/20वीं 25 x 12*13 x 42 | सं. 315 गा. 1811 आहोर 25x10*12x39 , 311 गा. 1867 सुहाई रुघनाथ 25 x 11*10x40 |, 263 गा. 20 वीं त्रुटक बीच के 10 पन्ने (5से14) 18 वीं 27x12*9x35 | सं. 40 श्लोक 19 वीं शिथिलाचार-प्रहार साधु मर्यादायें 25x12*12x40 " 1946 मुंबई विजयकृष्ण अवचूरिकार की प्रशस्ति है 20वों सिद्धों के पूर्व भवबोल 3 25x11*14x32 औपदेशिक | 25x11*7x46 सं. 25 श्लोक 19वीं 25x12426 x 12 स./अ. 19/20वीं 19/20 की कृतियाँ व्यंगात्मक शिथिला 2,5 चार पर औपदेशिक+वृतांत 8 29x 13*11x43 ,, 161 गा. 16वीं 25x11*11x45 20 x 15*13x20 संपूर्ण 1603 आड़ाग्रामे . क्षमा संतोष पर | 25x10*13x33 | सं.36 पद 1925 पारलाउ भीमराज 1684 की कृति उपदेश 15x10*10x16 , 19वीं 10x16 (पृ. 72 से 76) विवाद निराकरण 27x11*13x56 , 150 गा. 17वीं 26x11*13x38 , 152 गा. 1723 समत्व योग पर 25 x 11424x11 ,, 57/53 छंद 20वीं 25x11*15x54 , 31 गा. 19वीं आत्म विज्ञान 25x11*13x36 25 x 10*17x69 |, 727 गा. ग्रं. 17071725 बाना वैराग्यसागर 1693 शाहजहाँ राज्ये कृति ,, 724 , , ,, | 1762 वजीरागुढा |, 727 गा. 1793 कुड़ा धैर्यसागर . 25x11*16x37 22x10*11x28 " , " 18वीं | 25x15*15x38 | अ. अंत के 6 पन्ने गायब 1769 Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 72 583 578-9 सिगु. 921,929 समयसारनाटक 2 प्र. 580-28-17,615, at. 70 बा. 161 fer. 218 584 585 586 587 594 595 588 589-93 B-350,422 467,617 636 सि. 219 596 597 600 601 606 2 B-391 B-458 602-3 B-728,987 604 चौ. 71 607 608 1049 609 बा. 162 B-गु. 1 बा. 163 610 605 B-601 611 बा. 164 सि.गु. 0 सम्यक्त्व कुलक सम्यक्त्व छपनी सम्यक्त्व बारव्रत चौप 598-9 सि. 213-4 सम्यक्त्व बोल 2 प्र. सम्यक्त्व विचार सूचक सर्वज्ञ स्तोत्र सम्यक्त्व सिहसठ बोली सज्झाय 2 प्र. B-570 B-907 " समाचारी शतक 11 " 13 " 33 सम्बोध रसायण सम्बोध सत्तरी 3 21 सम्यक्त्व स्तवन सम्यक्त्व स्तोत्र सम्यक्त्व स्वरूप बा. 165 | सम्यक् पराक्रम फल fer. 220 सलुणा चौपई सि. गु934 | सवासी सीस बा. 303 fr. 221 "" 11 " पद सं 3 प्र. 5 प्रति आदिस्तवन Samayasara Nataka " S'amacart Sataka " Sambodha Rasaya Sambodha Sattarī " 11 31 " ار Samyaktva Kulaka "1 11 3A " 13 Bola "1 Vicara Sucaka Sarvajña Stotra Stavana Stotra Svarupa 67 Bcil Sajjhāya 11 बनारसीदास / / शुभचंद/o etc. बनारसीदास समय सुन्दर 31 | Chappan! Baraba Vrata Caupal हिदेव (?) जयशेखर "" 13 संकलन I 4 --- उ. यशोविजय " देविन्द्रसूरि / |Samyak Parākrama Phala उ. यशोविजय Saluga Caupal Savāsau Sikha अज्ञात उ. धमंसी 23 Savaiyūdi Pada Sangrahal संकलन व अन्य 13 प मू + अ (प.ग.) हि मू (ग) 13 ار 79 " प 23 21 ग " मू ( प ) प्रा मू + ट ( प.ग) प्रा. मा 5 ग " प 31 22 11 भाग २ " " " सं ५. "1 " 13 मू+अ (प.ग.) प्रा.सं. सूट (प.ग.) मा. मू ( प ) 11 प्रा.सं.मा मा. सू+बा (प.ग.) प्रा.मा. 11 प्रा. 6 मा " " "" हि Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय पंथ 7 8 8A 9 10 11 आत्म विज्ञान 104,54 22x16425x15 156,189, 23से 26 x 10से 11 144 28 | 26x12*17x42 सं. (अंत में गुणस्थान | 19वीं विस्तार) सं. (तोसरी का पहिला | 19/20 व अंतिम पन्ना कम) अ. 19वीं दयानंद खरतर/टब्बार्थ 1798 सोनगिरि कति 26x11*15x57 | सं. पांच प्रकाश 100 प्र. 17वीं प्रशस्ति (थारुशा वर्णन) साधु समाचारी | 130 निर्णय 129 26 x 12*15 x 43 - , सह टिप्पण 1903 देशणोंक बोपदेशिक 0 | 26x12*17x54 | अ. प्रथम प्रकाश 37 | 1948 मंडनपुरिबंदर प्रश्न तक। ___4 17x16*20 x 25 सं. 56 गा.(पन्ने [12 से) 1550 x विनयप्रभ 1425x11*16x30 ,, 74 गा. | 1781 23,17, 23से 26x10से12 ,, 74/217 गा. 19वीं . 9,27,7 27x 12*7x 32 1836 x नवनिधिकुशल 6 | 25x11*16x55 ,221 गा. 19वीं सम्यगाचार व्याख्यापरक मागमादि से उद्धरण दार्शनिक तात्त्विक 8 | 16 x 12*8x16 ब्रत सह दृष्टान्त 26x11*13x40 , ग्रं. 503 1631 x सुवधिसागर की निश्रा 1534 की कृति 25x12*15x48 20वीं सामान्य अद्धा 67 बोल व्यवहार दार्शनिक तात्त्विक | 26 x 11*12 x 23 25 गा. पंचपाठी | 17वीं - सिद्धकुशल खंडन मंडन 10 26x12*5x44 | 26 x 12426x11 , 68 गा. 1891 जोधपुर विवेकसागर में सरस्वती 19/20वीं 18वीं 26 x 11*11x46 | 26 x 11*15 x 51 19वीं 27x13*18x37 1982x हीरविजय निश्चय व्यवहार दृष्टि से उत्तराध्ययन पाठ ६. सारांश बोपदेशिक 25x10*13x37 , 73 बोल 20वीं 27x10*11x27 1937x रामचंद्र , 36 पद 19वीं 16x16*13x19 X19 9 | 25 x 11*16 x 35 " +भक्ति 20वीं सामान्य 2 25x12*15x39 , Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74 612 613 614 616 617 618 623 624 615 B-647 B-618 B-590 सि. 222 with carcă 619 21 B 621,657 सिद्धांत सारोद्धार विचार Siddhanta Sarodhara 1013 622 f. 889 3 प्र. सिद्धान्त हुण्डिका सिन्दूर प्रकर बा. 169 625 631 632 633 B-159 626-30 B-176,320, 508,509,731 fer. 223 638 639 640 641 634-7 B304,364, 763,935 72 642 2 643 644 बा. 166 645 रा. 29/22 | साधु आचार सिद्धांत B-613 B-448 बा. 170 मि. 224 सि. 225 fer. 226 far. 227 B-103 सं. बा. B-978 चौ. 74 Sadhu Acara Siddhanta साधु श्रावकस्थापना बोक, S' rāvaka Sthapana Bola सामायिक स्तव Samayika Stava सिद्ध पञ्चाशिका Siddha Parcas'ikā सिद्धान्तसार Siddhanta Sara " "1 " " 27 " 17 " " सुगुण बत्तीसी सुभाषितसंग्रह " 3 सूक्तमाला " " "" " " 71 सहप 5 प्र. 4 प्र. " " Hugdika Sindura Prakara 11 " " " " " 3A 11 Suguna Battist Subhasita Sangraha Sūktamālā 11 Vicara :: जिनलब्धि सूरि देवेन्द्र सूरि संकलन कश्रीराम सोमप्रभसूर " "" " "1 "" "7 "} 4 " / हर्ष कत्ति d/o / पा. राजशील पा. रघुपति संकलन केसरविमल / धर्म विजय F 31 " "" 1 ग प मू + अ (प.ग ) मू+ट (१.ग ) 37 प.ग. ग प.ग. 13 " ग्नू (प) प " 5 " 27 11 "" मृ+बू (प.ग) मू+बा (,, ) (1) मू (प) मू + वृ ( प.ग ) मू+ बा (प.ग) सं.म मू+ट (प.ग ) भाग नू+ट (11) मा. "1 प्रा.सं प्रा.म " मा. प्रा.म सं " " "" सं.. " " मा. सं. मा. 6 मा.र मा. " " Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ ___75 7 8A 10 25 x 12*21x50 | सं. 112 बोल 20वीं साधु समाचारी थोकड़े औपदेशिक 25 11*11 x 39 त्रुटक 18वीं सामान्य सामायिक व्रत पर 26 x 11*13x40 सं. 35 गा. 1727 मेड़ता पं. भ्वर सिद्ध स्वरूप | 8 26 X11*5 x 33 19वीं गोविंद दुर्गपुरे धर्मविजय किञ्चित्जीर्ण ,, 50 गा. प्र. 282 गा. औ. तात्त्विक 24. 11*5x32 1768 योधपुरे सविधिसागर अ. 539 गा. 19वीं 46 आगम प्रवचन सार | 165 | 25 x 12*6 x 37 | 25 x 12* विभिन्न प्र. आगम उद्धरण 20वीं 1906 की कृति भूधरजी समर्थक संख्या स्थानक बोल 51,20,6 24से 25 x 11 से 12 प्र. बोजकनुमाथोकड़े37तक 19/20वीं प्रवचन विषय सूचि 1632X22*54x33 प्र. ग्रं. 2001 1924 अजीमगज जीवा औपदेशिक सुभाषित 9:26 x 11*11x43 | सं. 98 श्लोक ग्रं. 220 | 1565 मेड़ता अपर नाम सूक्ति मुक्तावली 26x11*15x48 , 100 श्लोक | 19वीं do चन्द्रकीति तपा नागपुरी 62 28 ». 13*17x50 ,, व्याख्या कथा सह 1911 ब्यालपुर जशविजय ,98/101 श्लोक 18/20वीं 26,16, 25से 26 x 1|से12 22,24,21 25x11*5x30 ,, 100 श्लोक 19वीं 26 x 11*14x53 अ. 7वाँ पन्ना फटा हुआ | 18वीं 7 25x11*11x28 अ. 67 श्लोक तक 20वीं 19/20वीं 3,12*, 25से 26x11 सं. 99/101 श्लोक 6,7 11 | 11x22*14x36 । सं. 19वों गुणों की महिमा - 1 | 33x22*60*32 सं. 32 गा. (पन्ना 382) 1926 धार्मिक साहित्यक 26x11*18X50 प्र. 255 इलोक 17वीं , ,,+औ. 3 26x10*12x30 19वीं महेवा रूपचन्द धर्मपुरुषार्थ पर ही 114 प्र.75 पद धर्म की कथा सह 1847 काणाणा वृत्ति1830 की कृति हस्तिविजय वृत्तिकार की प्रशस्ति है अर्थ ,, तक 63 | 26 x 12*16x36 19वीं चारों पुरुषार्थ पर 48 | 26 x 12*15 x 37 | संपूर्ण 1867xमाणकचन्द 36 | 22x13*5x23 सं. चारों वर्ग 1946 बारडन धर्मचन्द Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग-२ 3A 646 सूक्तमाला Suktamāla केसरविमल मू+ट (प.ग) 6प्र. 647-28-72,228, 307,761, 764,1074 बा. 167 केसरविमल do मू (प.) कनकविमल (गुरु भाई कल्याण विमल) चौ. 73 655 चौ. 189 Sukta Muktāvali हेमराज मू+बा (प.ग.) सं.मा. सूक्त मुक्तावली सूक्त रत्नावली Sūkta Ratnāvalt क्षमाकल्याण/स्वोपज्ञ मू+ (..) | 658 B-982 सूक्ताली Sūktāli मू (प) 659 B-425 सूक्तावली Sūktāvali संकलन 660-1B437,691 मंयम श्रेणि सज्झाय 2प्र. Samyama S'reni Sajjhaya| उ. यशोविजय । मू+ट (प.ग) । 662 - बा. 156 संवेग मार्ग Samvega Mārga Strt Chattīsi जैतसागर B-991 स्त्री छत्तीसी 664-5/रा-19/6,15| स्थानाङ्ग के बोल 2प्र. Sthānanga ke Bola 666 | सि. 889. | स्याद्वाद पूजा बत्तीसी | Syadvada Puja BattIST 667 | सि. 228 | स्याद्वादमञ्जरी | Syadvada Maijart हेमचन्द्राचार्य मू (प) 668 B-128 हितोपदेश धर्म चर्चा | Hitopadesa Dharmacarca 669 B-760 " सज्झाय Sajjhāya श्रीसारd/रत्नहर्ष| 670 बा. 171 | हेमदण्डक Hemadai daka हेमचंद्र ज्ञानसारd/o मू+व्या. (प.) प्रा. मा. 671 B-748 672 सि. 889 पद्य व्याख्या Padya Vyakhya ज्ञानसार B.749 Yantra ,. यन्त्र 674-5 बा. 172-3| स्फुट पन्ने जैन 2प्र.| Stray Folios विभिन्न प्रा.सं.मा 676 चौ. 200 " " Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ 8A 9 10 . चारों पुरुषार्थ पर 2427x12*6x44 |सं. चारों वर्ग 174 पद | 1872 काननपूर शिवलालचंद " " , 19वीं 1756 की कृति 18,8, 22से27 x 11से17 12,8,8, 101 1224x12*13x29 , 176 पद 1907 12x26*15x30 पू. 112 गा. 19वीं प्रथम पन्ना कम औपदेशिक 27x12*14x37 सं. 55 26x12*17X31 |,, 69 श्लोक 1895xहेम 1884पाडलाऊ मोतीचंद लिपिक की प्रशस्ति है 1889सुभटपुर अक्षयसुंदर प्रशस्ति है। श्लो. पदच्छेद में 17वीं 26x12*11x35 | , 104 श्लोक नैतिक साहित्यिक 4 | 25x11*20x52 अ. 156 श्लोक औ.+ +, 40 1791x धैर्यसागर 25x11*15x34 | प्र. 1086 श्लोक | 26 x 12 व 26 x 13 | सं. 21 गा. ग्रं. 250 चान पन्नों में सभी भाषा के सैद्धान्तिक 19वीं औपदेशिक 19-12*11x23 | 1919 लश्कर हरकचंद सामान्य ब्रह्मचर्य पर 15* 21x12*12x32 3,39 दोहे 1977-8 तात्त्विकादि जैन न्याय भक्ति 25 x 12 व 25 x 11 , 10 स्थान तक 33x22*54x32 | , 33 गा. 25x11*10x38 |, 32 मूलकारिकायें 19/20वीं 1924 अजीमगंज जीवा 1799फलवर्धी कृति 20वीं +10पद प्रकृत में जप संबन्धी औपदेशिक 26x11*12x45 1897 सुभटपुर 23x10*13x36 |, 71 छंद 20वीं कुशल तात्त्विक थोकड़े बोल | 26x12*11x40 5गा. का 106अनुच्छेद 20वीं d/o रत्नराज खरतर 26x12*11x38 , 108 गा. 1880xतिलकसागर व्याख्या 1627 जयपुर कृति " ---- 3 | 33 x 22*60 x 36 | सं. ,, (पन्ने 203-5) | 1926 बीकानेर 26x12* तालिकायें |, 119 द्वारों से 19वीं तात्त्विकादि | 110,61 विभिन्न त्रुटक बंधन शेष सामान्य 18/20वीं | 65 " Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 1 2 3 3A सि. 229 अक्षयतृतीया व्याख्यान | Aksaya Triya Vyakhana क्षमाकल्याण बा. 187 3 बा. 174 अज्ञात अट्ठाई पर्व व्याख्यान | Atthar Parva Vyakbana 1 (उपरोक्त से भिन्न), चौ. 75 सं.मा. सि.गु. 948 अष्टादशाभिषेक स्नात्र | Asadas'abhiseka विधि Snātravidhi | चौ. 81 (षण) अष्टान्हिका Astanhikā Vyākhāna व्याख्यान 10-11 B-908, 1100 12 सि. 232 2प्र. क्षमाकल्याण 13-14 बा. 199-| 200 15 सि. 233 16 B-495A बा. 201 अज्ञात बा. 175 | अष्टोत.रो स्नानविधि | Astottari Snātravidhi B-152 ,, (बृहत्), ,, (Brhat) , सिन्धुसूरि शिष्य सं.मा. बा. 176 | अष्टोत्तरी मात्र विधि उ. जयसोम बा. 177 । सि.गु. 920 ,, (बृहत्), , (Brhat) , । मि. 234 व जलानयन विधि +Jalanayana Vidhi । 24 बा. 178 अष्टौतरी विधि Astautait Vidhi । 25-6 B 158,446 आचार विधि 2प्र. | Acāra Vidhi प्रा.सं.मा. 27 बा. 179 | आलोचना दण्ड विधान | Alocana Dada Vidhāna । मा 28 । सि. 235 | आलोचना विधि " Vidhi Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ - पर्यव्रत कथा धार्मिक विधि विधान पर्वकथा " 11 11 " " " " 7 11 " प्रतिमा, पूजा स्नान | 24 पर्वकथा प्रथम 2 दिन " पूजाविधि " " 11 33 " 8 " 80* 34* 5 14 13 14+4 32 23x12 * 11 × 33 21 x 11*10 x 21 21 × 16*16 x 23 26 x 11*10 x 40 15,8 - 24 x 10 व 25 x 12 80* 26 × 11 *12 x 42 5 प्रतिष्टा अनुष्ठान 43 23 15,12 10 9 31 8 12 13 9 16 8A 16x13*16x 20 26 × 12*17 x 34 25 x 12* 11 × 34 धार्मिक विधियां 4937 26 × 11 व 25 x 11 अतिचार प्रायचित 25 x 11 *17 x 64 विधान 25 x 12*15 x 45 3 26 x 1112 x 42 5 24 x 12*10x25 25 x 12*17 x 42 26x12*13x41 26 x 13*12 x 37 25 x 12 व 26 × 12 25 x 12*16 x 41 26x11 * 13 x 48 26x13 * 13 x 34 28x15 * 10 x 30 27 x 12*12 x 37 26 × 11 * 15 x 48 26 × 13*13 × 45 सं. 3 पन "1 " " " अ. (आई. कु. तक ) अ. प्रथम 10 पन्नो कम सं. 18 स्नानों की विधि " 11 31 " " 13 " " " "1 ग्रं. 300 " 21 " 15 पत्र ,, नवग्रह पूजा सह 9 " 10 द्वारों से प्रतिपूर्ण ग्रं. 1254 1921 बीकासेर 1934 विनाटनगर मुनिन्द्र 1939 फलोदी मूलचंद 1944 1954 मुर्शिदाबाद पनमुख 20वीं " 10 11 17बी 19/20वीं 1921 बीकानेर 19वीं 1886 जांगुल मत विशा 20वीं 1922 जयपुर 1944x मूलजी 1856 सूरत मतिकुशल 1706 खंभात खब्धनिधान 1941 जयपुर मयाचंद 1868 20वी 1944 जयपुर केशचंद्र 20वीं 11 79 4 पन्नों में पीठिका प्रशस्ति है 186... की कृति 1780 गड़ा ताराचंद 2014 सिवाणा कपूरचंद कुछ पक्ष चिटके हुवे 1814 को कृति 2 पन्ने द्रव्य सामग्री के Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड .1 2 3 3A | 56 B-589 इरियावहिकुलं Iiyāvabikulam मू+ट (प.ग) प्रा.मा. सि. 236 उपधान-तप विधि Upadhāoa-tapa Vidhi | सि. 237 उपधान विधि Upadhāna Vidhi B-583 | उपस्थापन विधि | Upasthāpana Vidhi 34-5 सि. 238-9 " , 2प्र. 36 | सि: 241 शिव निधान गणि d/o हर्षसार B-654 एषणाशतक Eşaņā s'ataka पापर्वचन्द बा. 181 जयसार कात्तिक पूर्णिमा व्याख्यान Karttika Purnima Vyākhyāna सि. 242 बा. 182 अज्ञात ग.मं. सि. 243 | काल संबंधी विधि विधान Kala Sambandhr Vidhi Vidhana B-911 गुरु स्तूप व प्रतिमा प्रतिष्ठा| Gurustipa & Pratima गुरुपरंपरागत Pratişthā B-113 |चउमासी प्रथम व्याख्यान| Caumast Prathama Vyākhyāna बा. 185 | चातुर्मासिक व्याख्यान I Caturmasika vyakhyana| रंगनिधान मू+व्या. (प.ग. 44 बा. 10. समयसुन्दर 45-7 बा.183-4, | 188| 48-9 बा. 186-7] क्षमाकल्याण 50 | सि. 244 51-2 चौ. 76-7 53-4B-55,457/ B-781 ,, Vartta | सूरचन्द्र B-782 ,, , शिवनिधान /| । हर्षसार वाचक बा. 190 , Bālāvabodba सि. 247 59 सि. 248 Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ व-पर्ववत-कथा धार्मिक विधि विधान 7 8 | 8A 9 10 11 इर्या समिति विधि अंत में चक्रिऋद्धि 9 गा. उपधान क्रिया 2* | 26X11*11 x 38 | सं. 12 गा. 18वीं 27x12*12x38 ,, सह मालारोपण विधि 20वीं 5 | 25 x 11*21 x 38 |, सह आलोचना 18वीं योग उपधान क्रिया अंत में साहित्यिक सवैये 25x11*13x40 1900 भिन्नमाल सुखविजय उपधान धार्मिक क्रिया बड़ी दीक्षा क्रिया 1995 आहोर मोहनलाल 27x14*16x50 | ,, नंदि सूत्रविधि सह 28 x 13*19x57 20वीं 28x12*13x33 1983 बड़ौदा लब्धिमुनि साधु बाहार चर्या 26x11*11x40 | सं. 101 गा. 18वीं पर्वकथा | 25x11*19x45 " 106 ग्रं. 1939 फलोदी 1873 कृति )* | 26x11*12x42 , 5 पन्ने 20वीं 5 | 24x11*11x29 1983 इन्दौर उदयसागर साध्वाचार काल- | 10+3 27x12*13x33 ग्रहणादि प्रतिष्ठा किया विधि 2 | 25x12*12x33 | 1939 जयपुर पं. विनेचंद 7 27x13*16x48 ,आठ दृष्टान्त सह 1825 बालोतरा सुखविजय पर्व कर्त्तव्य+ । सामायिक पर्वकथा | 5 | 26 x 11*17x49 18वीं नवानगर भाग्यसमुद्र 9,7,1525 से 26 x 12 प्रथम दो संपूर्ण तीसरी | 20वीं अपूर्ण सं. ग्रं. 402/501 20,3425x12424x12 80* 26x11*12x42 , 16 पन्ने होली का विशेष पूर्ण अतिचार सह 19वीं 21x11426x11 26 x 12व25x11 संपूर्ण 19/20वीं 26 x 12*17x44 1852 पचपद्रा हितसमुद्र 26x12*14x36 1873 जैसलमेर जयचंद 25x10*14x35 20वीं " (अतिचार परक) | 25x11*15x44 1764 जालोर जैतमाल , (दृष्टांतमय) । 7 | 25 x 12*16 x 39 | 1929x व्यासरामनाथ Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 82 1 60 सि. 249 चातुर्मासिक व्याख्यान 61-2B 518,945 T. 189 63 64 65 66 67 68 69 122 72 133 73 74 78 79 80' 2 122 75-7 B-237, 679-80 बा. 213 82 'सं. बा. 83 fa. 246 90 B-264 91 बा. 192 ar. 187 fer. 245 81 B-710 B-995 सि.गु. 889 84-6 B-167, 574,629 87 बा. 195 88-9 f. 255-6 B-678 चौ. 79 B-111 बा. 194 " चतुर्मासिक आदि पर्व " 11 11 11 " 3 " " " 11 " " " 27 चैत्री पूर्णिमा प्रथम पूजा Caitrf Pargims Pujavidhi विधि Vyakhyāna 33 37 701 बा-191, 230 बा. 193 मौसठ इन्द्र पूजा Cousatha Indra Puja चि. 250 जल यात्रा विधि Jalayatra Vidhi सि.गु. 949 जिन वैश्य व पूजा चौपई | Jinacaitya & Poja Coupai वीरविमल 0/0 जिन बिंब प्रवेश विधि हीरविजे Jinabimba Praves'a Vidhi उप्र. 33 व्याख्यान " 2 प्र. व्याख्यान " जिन स्थापन पूजा विषिस्तव तपोविधि संग्रह व्याख्यान 11 33 2 प्र. Caturmäsika Vyakhyāna 2 प्र. 23 बालाबो " " " 11 77 31 " adi Parval Vyakhyāna Vyakhyāna . 3A 11 दीपालिका कल्प 3 प्र. Dipälikä Kalpa 22 11 33 " 11 " " " 11 11 |Jina Sthapana Puja Vidhi | नयसुन्दर Stava Tapo Vidhi Sangraha जीवराज " 11 जयहीरसूर संकलन " भाग ३ - जैन भक्ति व त्रियाकाण्ड 4 17 11 जिन सुन्दरd/o सोमसुन्दर तपा 11 ग 23 11 " " " मू+ट (गद्य) मू.ग. "" मु. प ग प ग 11 प ग "1 " ग.प. " 5 " Bālāvabodha | उपरोक्त आधार से ग विनयचंद्र / रत्नसिंह मू (प) मा " " ار " सं. सं.मा. सं. " 11 " मां " 21 " " " मू + ट ( प. ग) सं. मा. प्र.सं.मा. मा 27 " 6 " 13 सं. Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ अ-पर्वव्रत-कथा धार्मिक विधि विधान 7 8 8A 9 10 पर्वकथा(सहविस्तार) 20 28x13*11x43 | संपूर्ण 20वीं | 25x11*15x18 | प्रथम संपूर्ण द्वितीय अ. | 19/20वीं 12 पर्व कथायें 25x12*14x45 1934 फलोधी जीवराज पर्व कथा 24x11*14x39 20वीं 25x11*14x49 1747 विठोजा महिमा कल्याण पर्व विधि विधान 25 x 12*14x34 1858 जैसलमेर कलगणि पर्वव्रत कथा 26x 12*8x39 20वीं 34* 24 x 12*10x25 |, 450 ग्रं. 1934 विनांतरनगर 80* | 26x11*12x42 ,5 पन्ने 1869x जैसमल 5,13* 25x11 425x12 प्रतिष्ठा क्रियाविधि ,, - 1939फलोधी+लोद्रवपुर प्रथम के अंत में होली व्या. भी ,, 65 पद्यानुच्छेद 20वीं वाराणसी रामसागर 20वी 1 पन्ना ध्वजामूति नाप का ,, 27गा. (पन्ने 54-55पर) 2009 धार्मिक , , 26x11*16x38 मूर्तिपूजा, मंदिरादि 2 16 x 19*19 x 22 नियम प्रतिष्ठा क्रियाकांड 33,2,226से27x11से13 प्रथम के ग्रं. 1178 20वीं _42 | 25 x 12*9x37 . पू. (अंतिम पाना कम) 19वीं धार्मिक क्रिया | 26x12*13x41 सं. 88 गा. 20वीं 1641 की कृति 16वीं विभिन्न तपों के 3 | 26x11*17x61 नियम की गणना 2 | 26x11*15x55 ,, ,विधिये 30 20 x 23*g.x25_ 17वीं 1977 उदयपुर 33x22*विभिन्न+यंत्रप्र. पन्ने 95से110,223-5/ 1922 पर्वकथा महावीर |39,46. 22से26x11 चरित्र 41 26x11*5x40 सं.435श्लो.टब्बाग्र.1000 19वीं टब्बाकार 1483राजनगरेकृति. दीपसागर1763 में ,437, 1847 बालोत्रा पद्मविजय 54,41| 24x10*5x29 432/427 श्लो. । 19/20वीं 9 | 26x11*13x40 .1884 सिवाणा रत्नविजय .. पर्वव्रत कथा | 9 | 25 x 11*17x44 | , 305 श्लो. | 18वीं ..... 1345 की कृति Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 84 1 92 93 94 95 99985 96 97 888 98 99 दीपावलीकल्प DIрavalt Kalpa दिवालीकल्प Divät Kalpa दीपावली व्याख्यान Dipavall Vyakhyāna देवखी प्रतिक्रमण आदि विधि Devast Pratikramaga ध्वजादंड रोपण विधि Adi Vidhi Dhvaja Danda Ropaga चो. 80 नवपद स्नानविधि Vidhi Navapada Snätra Vidhi सि. 260 नवपद क्षमासना सिद्ध Navapada Kamasana etc. चक्राधना विधि 101-28745,903 पक्खी प्रतिक्रमण विधि Pakkhr Pratikramana 2 प्र. सि.गु.- 911 पञ्चमी स्ववन Pañcam Stavana 103 104 बा 202 पञ्चाचक विवरण Pancas'aka Vivaraga 105-7 B-577, पडिलेहणकुलक 3 प्र. |Padilehana Kulaka 622,871 B-983 पर्युषण पर्व की स्तुतियाँ पर्वव्रत व्याख्यान पौषदसमी कथा 100 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 2 119 fær. 257 T. 196 सि. 258 B-32 fer. 259 B-261 T. 193 चौ. 82 B-127 दीपालिकाकल्प B-266 " T. 209 बा. 210 पौषदसमी कथानक 3 11 11 सि. 261 सि. 262 पौषध विधि सि.नु. 861 प्रतिषमण विधि स्तवन fer. 263 11 " B-681 B-665 A प्रतिष्ठाकल्प प्रतिमाह गुणागुण 3A Dipālrka Kalpa 11 Paryusana Parva kr Stutiyam Parvavrata Vyakhyana Pousa Dasami Katha " " 27 Vidhi 11 Kathanaka " " Pousadha Vidhi Pratikramana Vidhi Stavana Partima Rupa Gunaguga Pratistha Kalpa 1 अज्ञात 4 T भाग ३ - जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड नारायण गणि T 11 नू ( प. ) ग 22 " .11 " " " " प ग प 33 " ग गुण विजय (मूल हरिभद्र) विजयविमल d/o मूट (पग.) प्रा.मा. आनन्दविमल संकलन 11 11 5 विमलकीर्ति d/o प विमलतिलक ग " सं. " " ग.प. मंत्र सं.मा. मा. सं. मा. 11 जिनेन्द्रसागर d/o मूट (पग.) सं.मा. यशवंतसागर 33 सं.मा. मा. " सं. मा. " " सं. " 6 " मा. 11 " 11 प्रा.सं.मा. Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ अ-पर्वव्रत-कथा धार्मिक विधि विधान ४ | 8A । । पर्वव्रत कथा 80* | सं. 131 श्लो. 20वीं 13 26 x 11*12 x 42 25 x 11*11 x 33 | 26 x 13*15 x 53 1939 जैसलमेर सुखमुनि. पर्वमहात्म्य कथा समुच्चय पर्वकथा : 1996 बाहोर मोहन 25x11*13x28 , ग्रं. 832 1889 थोभ अमरचंद हर्षसूरिराज्य 26x11*12x42 सं. 7 पन्नों में 20वीं शामिक विधि विधान 2 | 26 x 12*15x48 19वीं प्रतिष्ठा क्रिया 28x15*10x29 20वीं मूर्तिपूजा क्रिया 26x12*15x37 20वीं तपविधि 24x12*12x36 20वी 1,1 |-25 x 11 व 26 x 12 20वीं पाक्षिक आवश्यक क्रिया भक्तिव्रत कथा । 5 20x10*12x28 सं.6 ढाल गा. 50 1909 पत्र 30 से 34 | प्र. 17वीं मात्र पूजा विधिका 9 26x12*17x44 प्रतिलेखन क्रिया | 3,4,2 | 26से27x11से12 पर्वभक्ति 13 20x10*7x17 | सं. 28 गा. 19वीं बीच की प्रति में 5 मा. मुहपत्ति पर अपूर्ण 10x4 स्तुतियें | 20वीं अपूर्ण केवल 3 कथायें | 19वीं पर्वव्रतकथा 25 x 11*12 x 39 27x12*6x40 | सं. 75 श्लो. 1900 भीनमाल सुखविजय 26x12*6x29 1937 जैसलमेर सर्वसुख ., (सुरदत्त चरित्र) 25 x 12*6 x 32 " , सरुपचंद 26x12*15x44 , 19वीं 26x11*12x42 , 4 पर 20वीं श्रावक आवश्यक 25x11*13x33 19वों - सह 2 पन्न असज्झायकाल बावश्यक विधि 22x12*11-29 ,, 21 गा. सह 7 वचन+ 1850 (पन्न 84से89) 1690 मुल्तानकृति वरदान जिनदत्तसूरि के 20वीं . 26x12*11x32 4. मूत्ति के लक्षणादि 27x12*13x44 20वीं 1902 म्हेसाना सुरेन्द्रविजय प्रतिष्ठा क्रिया विधान 32 | 28x13*16x38 सं.प्र. 1178 Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 86 भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 3A 456 120-1 बा. 203-4 प्रतिष्ठा कल्प 2प्र. | Pratistha Kalpa सकलचंद्र do दानसूरि ग.प. मंत्र सं. मा. 122-3 सि. 264-5 , ३ , 124 | B-1090 | प्रतिष्ठाकल्पोविधि Pratiştbā Kalpovidhi , Patha . 125 सि. 266 || प्रतिष्ठा पाठ 126-7 | बा. 206-7 प्रतिष्ठा विधि 128 बा. 205 2प्र. , Vidhi - 129 | संकलन सं.मा. बा. 208 | प्रतिष्ठा संबंधी क्रियायें | Partistha Sambandhr Kriyāyem प्रव्रज्याकुलक Pravrajyā Kulaka 130 B-76 प्रा. 131 सि. 267 प्रव्रज्या+योग विधि „+yogavidhi । 132 | सि. 254 | , +लोच विधि „+Locavidhi सं.प्रा. । । प्र. Vidhi :133-9सि, 269-75| प्रव्रज्याविधि 140 | सि. 268 । +141 बा. 197 | । । रा-29/23 प्रश्न साधुकल्पः .. Pras'na Sadhu Kalpa सि. 276 | प्रायश्चित विधि विधान | Prayascita Vidhi Vidhanal प्रा.सं. | बा. 211 बारहवत नियम पाठ | Baraha Vrata Niyama Patha बा. 212 | , लेख Lekha सि. 977 | , व तपादि विधियें +Tapadi Vidhiyem| क्षमाकल्याण 147-8| बा. 214-5/ बीस स्थानक तपोविधि | Bisa Sthanaka Tapovidhi 2प्र 149 | B-734 150. | B-541 - मुखवस्त्रिका कुलं । Mukha Vastrikā Kulam मू+ट (प.ग.) प्रा.मा 151 सि. 278 | मेरुत्रयोदशीकथा Meru Trayodast Katha क्षमाकल्याण म . , , 3प्र. | 152-4 बा. 224 25A 155 B-689 156 । बा.226 - वार्ता ":-- Vartta Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ अपव्रत कथा धार्मिक विधि विधान 7 11 प्रतिमा स्थापना 36,23 27 x 15426 × 13 ष्ठान 29, 15 25 x 11427 × 13 28x13*15 x 42 11 21 33 " 11 दीक्षाविधि उपदेश दीक्षा + स्वाध्याय विधि लघुदीक्षा + लो लघुदीक्षा शिया साधु अतिचार प्रायश्चित अतिचार आलोचना " प्रत्याख्यान सदृश बारत की टीप धार्मिक क्रियाय " " 11 प्रतिलेखना बोल कथा 11 = 8 25 18 29,4 20 25 25 × 12 * 9 × 34 26x12 * 13 x 38 23 x 11*11 x 30 24×12*16 × 45 -25 x 12 * 13 x 35 6,333, 27 से 28 x 12 से 13 3,7,26 9 27x13*16 x 51 25 x 11 * 10 x 35 44 x 25 * 16 x 50 26x12 * 13 x 40 21 × 7*9 × 38 लंबारोल x 11 25 x 11*15 x 40 24 x 11 15x-38 25 x 11*12 × 31 25x115 x 33 6 11 5 8 4 9 7 1 32 13 13 8A 1 25 x 11*13 × 45 26 × 12*12 x 31 Q 80* 3, 8, 15 25से27 x 11 मे 12 26 x 11*12x42 5 28x12*15 × 47 26y 12*13 x 46 सं. 11 " " 20वीं अ. ( प्रथम 3 पन गायब 19वीं प्र. भिन्न 2 सं. 34 गा. सह पग्गाम सज्झाय प्र. सं. " 21 1901 व बाद में 20 वीं दुर्ग 20वीं 20वीं 20वी 20वीं ,, सह मंत्रस्तोत्र 1939 जैसलमेर सर्वसुख 37 प्रश्नोत्तर 20 ff ,, साधु श्रावक दोनों के 20वीं बीकानेर टीकमचंद 18वीं 1886 1901 x दानविशाल 20 वीं 27 " " 9 21 ग्रं. 1080 11 अंतिम प्रति में स्त्री पुरुष की अलग 2 20 पदों की अ. 18 तक है 1941 /40 जयपुर मयाचंद 19/20ft 1881 उदयपुर नेमविजय 19वीं 10 " 18वीं सं. ग्रं. 165 20वीं बीच की प्रति अ. शेष दो सं. 20वीं सं. 1894 राधनपुर विवेकाञ्चि 1987 11 87 - सामान्य छेद सूत्रानुसार प्रायविचत की मात्रा Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88 1 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 174 177 180 2 181 बा. 217 बा. 220 167-8B819,844 169 बा. 221 170 B-438 171-2 f. 280, 284 182 B-172 173 B-82 सं. बा. 175-6 fr. 281-2) fer. 283 178-9 B 136,915 ची. 83 बा. 216 बा. 218 बा.. 241 B-706 सि. 279 बा. 219 B-337 बा. 222 मौनएकादशी कथा " " "1 11 " ו! " - ני " " 11 31 " 21 " "1 " " 3 21 योगविधि 33 " " " " " बा. 223 1834 सि. 285 6 योगइहन विधि 185 fer. 287 186 बा. 227 11 11 11 " 23 11 " " " 2 प्र. गुणना 2 प्र. ק 2.प्र. महात्म्य व्याख्यान 2 प्र. ,, सहविधि 2 प्र. 3A Mouna Ekadasi' Katha 11 " 11 " " " 11 " " 33 " 21 " " " " " " 11 11 " " " Gugans " Yoga Vidhi " " " " 11 "1 Mahatmya Vyakhyāna " Yogadvahana Vidhi 17 अज्ञात 4 " " सौभाग्यनंदि " " भाग ३–जैन मक्ति व क्रियाकाष्ट सौभाग्यनंदिसूरि धीरविजय विसागरd/o 11 T अज्ञात " राजसागर भ. महावोरोक्त सं. क्षमाकल्याण अज्ञात 11 मू. प. मू. प. मू + ट ( प. ग.) प्रा. मा. " 11 " " " " " ग 11 31 11 ग. मन्त्र " " मू. प. ग 17 5 " " "" 11 यंत्र प्रा. " सं. " " " " 6 " 11 " 11 11 11 31 11 11 प्रा. मा. " 11 = सं. मा. " Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ..बिभाग ३ अ—पर्वव्रत-कथा धार्मिक विधि विधान 78 8A 10 पर्वव्रत कथा 26 x 11*15x39 | सं. 158 गा. 16वीं 17 | 26. 12*5x36 , 157 गा. 1876 काननपुरे रत्नविजय , 156 1939 जैसलमेर सर्वसुख 25 x 11*6 x 36 26X11*16x60 1640x वा. चरित्रोदय 1576 हमीरपुरे कृति 1821 x गुणकुमार रत्नकुमार गणि 25 x 11*16 x 48 25 x 11*15x43 19वीं . | 26 x 11*12x42 20वीं 25x12*5x32 , 1799 - 1774 की कृति 25X11*16x45 , 1794 x भाणसागर -1637 उन्नतनगरेकति प्रशस्ति है तपगच्छ 20वीं राजनगर प्रेमचंद 26x11*5X39 " " " , 195 " 19/20वीं प्रणम्यं वृषभं देवं 26x11424x11 25 x 11*11x31 25 x 11*18x52 -20वीं 13*,80* 25x11426X11 19/20वीं भ. नेमीनाथ संदर्भ महात्म्य 1862 कोटला सुखानंद , सुव्रतऋषिकी पर्व विधि भक्ति | 6 23 x 11*11 ~ 28 3 | 23 x 11*12x25 19वीं 2, 2 25x12424x11: पर्व तिथि महिमा | 7+2 25x11*11x46 , 162 गा. 18वीं साथ में 2 पन्ने गुणने के पर्वव्रत कथा 6,5 | 26x14425XH 19/20वीं 21x12*11x29 19वीं . 26x11*15x37 20वीं x पं. जयहेम 9 22x13*15x36 , पांच जोड़ , 39/41 द्वारों से (योगवहन, योगदोहन) स्वाध्याय विधि - 34,60 27x14428XII विधान 5020x11*9x267 17 | 26x11*13x43 , | 17वीं Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 90 भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 23 3A 45 187 B-1093 | योगविधि Yoga Vidhi पा. शिवनिधान d/oहर्षसार 188 | B-910 189 B-694 190 B-858 191 बा. 293 रात्रि संस्थारक सज्झाय | Ratri Samsthāraka धर्मदासगणि Sajjbāya रोहिणी कथा Robiņt Katbā अज्ञात लोच आदि विधियाँ Loca Ādi Vidhiyan 192 193 | सि. 288 | विधिप्रपा V:dbi Prapā जिनप्रभ 194 | 195 चौ. 84 ,, (प्रतिष्ठा विधि मात्र) बा. 229 | विशंति स्थान विधि 196 Vims'ati Stbāna Vidhi 197 वीसस्थानक क्षमासना Visa Sthanaka Ksamāsana 198 सि. 291 वीसस्थानक ढाल Visa Sthanaka Dhala | विजय सौभाग्यसूरि प 199 प. ग. मं. सं.मा. बा. 230 वेदिका मण्डप स्थापना | Vedika Mandapa Sthāpanā बा. 228 | व्रत पौषधालोचनादि | Vrata Pausadhalocanadi 200 प. ग. प्रा.सं.मा. 201 बा. 231 | शान्तिदण्डक Santi Dandaka प.ग. मंत्र सि. 292 प्रा.मा. मा. 202 शुद्ध विधि मार्ग Suddha Vidhi Marga | शिवनिधान 203 B-26 श्राद्ध प्रायश्चित विधि | sradha Prayascita Vidhi क्षमाकल्याण B-गु. 1 | श्रावक 12 व्रत सज्झाय s' avaka 12vrata Sajjhayal - - बा. 232 | श्रावक विधि प्रकाश , Vidhi Prakasa क्षमाकल्याण सि. 293 207 | सि.गु. 865| सतरह प्रकारी पूजाविधान| Sataraha Prakari Pooja Vidhāna 208 ,, 862 , , 209 | B-340 | सामाचारी Sāmācārī संकलित प्रा.सं.मा. 210-1B 114,707 सौभाग्यपञ्चमी कथा Soubhagya Pancami Katha कनककुशलd/o | विजयसेनसूरि 2प्र. 212 | सि. 251 | " Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ अ पर्वव्रत कथा धार्मिक विधि विधान 7 स्वाध्याय विधि विधान " " त्रि सोने के पहिले व्रतकथा साधु आचार नियम धार्मिक विधियों ار " तपक्रियाकाण्ड विधि व भक्ति अनुष्ठान विधि श्रावक आवश्यक विधि अतिचार अनाचार दण्डविधान व्रत विधान भावकावश्यक विधि " पूजाविधि " तप प्रतिक्रमणादि विधियां ज्ञानपंचमी व्रत कथा 8 ܕ 16 24 11 2 3 3 75 82 14 मक्ति / प्रतिमा क्रियायें 40 2 19 11. 11 3 13 17* 2 17 7 13 4 33 5,5 80* 8A 26x11*20 × 52 25 x 11*17 x 44 29 x 11 * 16 x 54 18 x 10*10 x 32 25 x 11 * 14 x 46 24 x 12*15 x 49 25 × 11 * 15 x 60 27x12*14 × 49 26 × 11 *16 x 57 25 x 12*9 x 30 26×12*11× 29 24× 12*13 x 30 27 × 13 *9 x 30 25 x 11 13 x 35 25 × 12*11 × 32 25×11*14 x 43 26 × 12*16 x 43 17 x 16 * 20 x 25 25 x 12*13 x 39 26x12*19 x 60 12 × 22*21 x 18 23 x 13 * 17 × 32 26 × 11*13 x 46 16 x 1126 x 11 26×11*12 x 42 सं. बा. मासिकी " अ. सं. 33 गा. "" 11 ור " ST. 11 प्र. सं. पू. (नौवा पक्षा कम) सं. 20 पद " 91 प्र. 9 पू. पहिला पाकम सं. पोषध सम्मेत 11 " " 11 " सं. 14 विभि 57 fafiqat .3574 16. 3. 12,, सं. ग्र. 1254 17 पूजा तक " 17वीं है 1733 134/152 श्लोक 148 T. 18वीं 19वीं 1871 सिणधरी पद्मस 19वीं x इन्द्रभाण 39 गा. पन 43 से 45 1950 x विनयत्र न 10 ار 33 1980 जैतारण 198 1950 पालीताणा लखमीचंद 19वीं 20वीं उपदेश माला से उद्भूत 1943 जयपुर केशरीचंद 1725 1874 जैसलमेर जयचंद्र 11 91 कोसलानयरे कति. 1353 की कृति 1845 संभात कृवि. 1895 20वीं 1769 पत्तनमध्ये 1826 1651 राजनगरे धर्मलक्ष्मी 18/19 ft 20वीं साथ में अ. सज्झाय इसी पर संशोधित 1655 कृति Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 92 213 बा. 236 214 बा. 235 215-6B 126,585 217 चौ. 78. बा. 234 218 219 बा. 237 220-1 बा. 238-9 222-3 f. 252-3 224 B-753 225 226 227 228 230 2 231 229 B-559 232 B-669 बा. 241 fer. 296 सि. 295 233 B-511 239 234-5 B-265, I " 11 2 प्र. सौभाग्य पञ्चमी विधि बा. 240 ( चैत्री) स्नात्र विधि सि.गु. 862 (पूजा) B-990 (शांति) " सौभाग्य पञ्चमी कथा Soubhāgya Pancamī Katha कनककुदाल d/o मू. प. विजयसेन सूरि 11 3 " " " " 11 होलीरजपर्व कथा, " 1027 236 सि. 294 होली आख्यान " 2 प्र. 2प्र. ,,,, सह " "1 31 " " 3A " Snatravidhi (Caitra ) (Puja) (S'anti) " होलीका व्याख्यानम् 2x Holi ka Vyakhyanar Holt Akhyāna 2378 वा. 242-3 जैन विधि विधान स्फुटपत्रं Stray Folios of Jain 24. Ritnals ची. 201 Vidhi " अज्ञात " " " बालचन्द्र d/o अज्ञात 4 "} अज्ञात मान इजैन मक्ति व क्रिया 22 राजसागर मू. प. ग मू + ट ( प. ग) संमा. " " Holf Raja Parva Kathā जिनसुंदरसूरिपादे प ग.प. " ग " मू+ट (प.ग ) प 5 क्षमाकल्याण d/o ग अमृतधर्म विनयचंद प प.ग. " सं " सं. 11 मा. प्र. सं.मा " 6 मा. 11 सं. सं.मा. से... "" मा. प्रा.सं.म " Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ 4-पर्वव्रत-कथा धार्मिक विधि विधान 78 | 8A | 9 10 11 ज्ञानपंचमी व्रतकथा 21* 26- 12*11x39 | सं. 152 श्लोक 20वीं 1226x11*6x41 , 151" 19वीं . 27x12425x12 25 x 11*5 x 32 25x12*12 x 36 1865 देवीकोट गुणेश 1941 वाराणसी केशरीचंद प्रशस्ति है । 19...की कृति 1826 x शिवनारायण श्रीनमः वर्द्धमानाय 29x 14*14X50 25 x 12425 x 11 ,, ग्रं. 354 1939 लोद्रवपुर रतनसुख ज्ञानं सारंसर्व संसार मध्ये | 25x11426x11 19/20वीं , व्रतविधि | 7 | 28x12*16x43 20वीं धोराजी रामविजय मूर्ति पूजा प्रक्रिया 26x12*11x35 1937 जैसलमेर सर्वसुख . 4 23x13*21x40 , पन्ने 62 से 65 1826 पू. (प्रथम पन्ना कम) । 20वीं पाटण गुलाबचंद 27x12*15x45 । 26x12*15x46 18वीं पर्वव्रत कथा 24 x 11*15x46 | सं. 52 श्लो. 1871 व्यालपुरे विवेकसागर । 25x11*16x48 | 1821 x गुणकुमार वर्द्धमान जिननत्वा रत्नकुमार 1879 सिद्धगिरी विद्याविजय . . | 28x13*8x35 | 25 x 11*15 x 45 1812 गुढ़ा पुण्यधर्म 25x11*10x46 1871 25x12426x11 |, ग्रंथान 60 1858 जैसलमेर 1835 की कृति. 20वीं x जोशी बद्रीनारायण 5* 22x12*18x48 ,4 ढाले मिश्रण 65,35/ विभिन्न त्रुटक 18 से 20वीं 60 , Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 94 - भाग ३–जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड : | 2 3 3A 456 बा. 244 अजित शांति स्तव AjitaS'anti Stava नंदिषेण / मू+अ(प.ग) प्रा.सं. B-1042 "/ बा 245 ,, / जिनप्रभ मू+ () सि. 297 B-811 मू (प.) B-गु. 38 | अजित शांति विवाहलो Vivahalo | मेरुनंदन सि. 889 | अडसठ तीर्थ स्तवन Adasatha TTrtha Stavara सोमहर्ष 8 | चौ.गु. 5 | अतीतानागत वर्तमान जिनस्तवन B-1 Attānāgata Vartamana | जिनचंद्रसूरि Jipa Stavana बा. 246 | अनादि घन स्तोत्र+ Anadighana Stotra & | लालविनोद सं.मा. जयमाला Jayamala B-719 अम्बिका स्तुति Ambika Stuti सि. 298 | अरहणादि स्तोत्र Arahaņādi Stotra सि.गु. 881 | अर्बुदगिरि स्तवन Arbuda Giri Stavana | जिनउदयसूरि सि. 299 | अष्टप्रकारी पूजा Aştaprakārt Paja देवचंदजी d/| ज्ञानसागर 15 | सि. 300 , पूजायें (दो) देवचंदजी, शुभवीर | सि. 301 " पूजा शुभवीर B-542 अष्टापद तीर्थ स्तुति । Astāpada TTrtha Stuti जयसागर/समय मुंदर मू+व (प.ग) प्रा.सं. सि. 302 | बात्मरक्षा व ग्रहशांति स्तोत्र B-549 आलोयणा स्तवन Atmaraksa & Graha S'anti Stotra Aloyaņā Stavana विजयसेन सूरि " दो प्रति B-131 बा. 247 | उल्लासिक्कम् स्तोत्र Ullásikkam Stotra विनयविजयd/ कीत्तिविजय जिनवल्लभ । |मू+व (पग.)| प्रा.सं. धर्मतिलक भद्रबाहु/I पार्श्वदेव मू+व (दो) | II जिनप्रभ धनपाल/नेमीचंद्र | मू· वृ (प.ग) सि. 303 | उवसग्गहरं स्तोत्र Uvasaggabaram Stotra B-462 ऋषभ पञ्चाशिका R$abha Pancāsikā बा. 248 26 (सि.गु 883 | ऋषभ सज्झाय » Sajjbāya Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ मा-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 8A । 10 1 क्ति स्त्रोत X12*4x39 सं.40 गा. 18वीं अजितं द्वितीयं जिनं 9 | 26x 13*5x31 19वीं 1947 मुंबई वृति बोधिदीपिकानाम्नी 17वीं 25 x 12*12 x 50 26 x 11*19 x 67 24x11*11 x 33 12 x 10*11 x 14 19वों साथ में उल्लासिक स्तोत्र अधूरा अक्ति चरित्र 1659 अर्थ भक्ति व सूचना । 33x22*54x32 ,5 ढाल 1926 अजीमगंज जीवा 1724 की कृति. भक्ति गीत , 23 गा. 18वीं 1550xविनयप्रभ 16x11*विभिन्न 17x16*20 x 25 25 x 12*9x35 26 x 11*14x42 | 27 x 12*15 x 50 |, 24+5 गा. 20वीं देवी भक्ति ,, 64 गा. 1793 सेरणा भाणसागर भक्ति ,, 37श्लो.--मंगलाष्टक 20वीं साथ में ऋषि मंडल भी तीर्य महात्म्य | 20x12*19x38 , 35 गा. 1789 भक्ति काव्य 24x12*14x36 27 x 13*15 x 36 ,, 8 पूजाये+वस्त्र पूजा 1894 अहिपुर सुमेरचंद्र 1893 पटन खुशालविजय 1913 x पीरदान प्रशस्ति वीगतवार 24x12*13x29 25x11*19x 65 |, 4 पद 1763जालौर इन्द्रसागर अलंकारिक रचना भक्ति मंत्रमय 21x12*13x 21 ,7+12 इलो. 20वीं प्रायश्चित+भक्ति 26x11*11x34 26 x 12425 x 11 27 x 11*20 x 62 21 x 11*13x18 ,58 गा. 1691 1666 की कृति. ,, 7 ढाल (54 गा.) | [ 1844 उमरलाई रत्नविजय ॥ 1882 |,, 16 गा. वृति ग्रं. 320/ 16वीं (अपरनाम लघु प्रशस्ति वृतिकार की - अजितशांति) 20वीं द्वि. वृति का नाम अर्थकल्पलता , 50 गा. 1694 जैसलमेर सूरविजय 5 | 26x 11*5x36 25x11*7x48 18वीं मेड़ता गुणविजय क्तिमय जीवनी ... 5 | 13x9*13x20 , 65 ग्रंथान. | 1776 Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 96 1 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 43 44 45 46 47 37 बा. 251 38-9 fr. 305-6 48 40-2 B-737, 49 2 51 सि.गु 886 ऋषभ सूलही सि.गु 889 ऋषभ स्तवन B-855 52 चौ.गु. 1 वा. 31 " B-411 बा. 249 चौ. 87 चौ. 88 B-124 756,920 B-531 B-156 fer. 308 B-1105 बा. 252 बा. 253 50 बा. 254 270 B-981 B-1043 B-788 53 B-514 54-5-29/9-10 " 11 " " " " ऋषि मण्डल स्तोत्र 11 ". " " 11 11 27 3 " "1 11 " "1 कल्याणमंदिर स्तोत्र " " 11 ۱ " " " " 11 11 11 31 " 11 2 प्र. 3 प्र. 2 प्र. Rsabha Sukhadr Stavana " " 11 11 12 "1 " " 31 " Rimandala Stotra 11 " 11 " " 13 " 3A " 11 " " " " " Kalyāna Mandira Stotra | कुमुदचंद्र / - " " " " " 11 " 13 " 11 4 समयसुन्दर कमलहर्ष " विजयतिलक भाग ३ - जैन भक्ति व - ,,/ "/ ,,/ कुमुदचन्द्र 11 "/ प " 11 " 11 मू+बा (प.ग.) 31 मू. प. " मू + अ (प.ग ) ,,/ हर्ष कीत्तिd/o मू+ वृ (,, ) चंद्रकीति तपा 川 1. माणिकचंद्र ,,/ देवसुन्दर मू + ट ( प.ग.) मू. प. "1 " " " 5 17 भू + अ (प.ग ) " " " " "" सूट (प.ग.) " सू+बा (प.ग.) Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 8 8A 9 10 11 भक्तिमय काव्य | 6 | 11x9*13x12 सं. 56 गा. पर 23 से 28| 19वीं सदमापुर भाग्यविजय जीवविचार गर्भित । | 33 x 22*54 x 32 | ., ,, ,, पन्ना नं. 393 20वीं आलोयणा , 25x11*13x34 |, 31 पद 18वीं तीर्थंकर भक्ति 15 x 10*10x16 ,, 54 मा. 19वीं ,, ,,(पृ.109से15) 15 x 10*10x16 सूक्ष्म विचार गर्मित 26- 11*19x 63 , 20 गा.+कलश 1832x सुमतिसागर पहिल पणमिय... देखें क्रमांक 388 भी 1794आषाढ़ा सुमतिसुख ,, (बा.1518कृति) 12 23x11*18x40 , 21 गा. भक्ति स्तोत्र 26x11*15x47 , 82 श्लो. 18वीं 26x11*14x41 सं. 66 श्लो. 18वीं x शंकरदास -128x12*5x34 , 81 श्लो. 1916 जसोल यशविजय 27x12*13x45 |, 63 लो. 19वीं जैसलमेर क्षमाकल्याण क्षेपक रहित 21x11425x11 |, 63/81 श्लो. 19/20वीं 5,6,2 | 25 से 26x11से12 प्रथम दो सं.84/101 क्लो. 19/20वीं अंतिम अ.. 26x11*11x30 | सं. 44 श्लो. 17वीं 26x11*16x57 1752 सुभटपुर राजसोम 25x11*17x52 1831 इंद्राणा आसकरण महादेव सुंदर द्वारा संशोधित साथ में 1 प्रति मूलकी d/o रतनचंद्र 25x11*17x48 ग्रं. 680 | 18वीं 25x11*8x40 | 24x13*17352 1821 घाणस। रत्नकुमार स्तोत्रोत्पत्ति कथा सह 24x 11*6x 28 18वीं | 21X11*6 x 35 1847 आसोत्रा जुगतेश 25 x 11*13 x 33 10वें श्लो. तक , 40श्लो. सह अतिरिक्त 19वीं अ. , 44 श्लो. 1720 सांगानेर रामचंद्र 7 | 26x11*5x36 13 25x11*3x38 1793 जावालपुरे भाणसागर [ 8,10 | 26x11427x13 ।, | 19/20वीं Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 98 1 सि. 309 चो. 89 58-60 B-63,129, 357 61-2B 818,876 बा. 255 før. 307 56 57 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 141660400 81 82 2 83 रा. 28/11 fer. 310 B-614 ची. 90 सि. 311 B-709 B-गु. 1 चौ. 91 बा. 257 बा. 258 सि. 315 बा. 259 कल्याणमंदिर स्तोत्र 11 B-519 11 " बा. 256 fer. 312 fer. 313 सि.गु. 950 गोतम स्तोष 11 वृालगुरु पूजा गौतम रास 3 " रा. 24 / 12 चार मंगल सि. 314 "1 = कल्याणमन्दिर भाषा 11 11 " चौवीसी 11 11 (लघु) गोतमरास " 11 37 3 प्र. " 2 प्र. चारशरण वाचना चैत्यवन्दन चौवीसी " 11 11 Kalyāpa Mandira Stotra कुमुदचन्द्र " " 12 11 " 11 (Small) Stotra चतुर्विंशति जिन स्तवन Caturvims'anti Jina स्तुति स्तोत्र 11 ܙܙ 3A -23 Kusalaguru Poja Gautama Rasa 11 Couvist "" " Bhara 31 " " 4 33 Stotra 11 11 " भाग ३ - जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 11 बनारसीदास ज्ञानसार विजयभद्र " 77 Stavana Stuti रामविजय ऋ. जयमल 11 मूट (प.ग) " " नू. (प.) " " 11 प "" " " 11 "} Cara Mangala Cara S'araga Vacanā Caityavandana Couvisī कवि ऋषभ पद्मविजय आनंदवन ज्ञान- मू+ ट ( प.ग ) विमल मू. प. " " ग 5 प " 21 6 सं.मा. " " सं. " 11 " हि. 13 " मा. अ. मा 11 11 मा. सं. प्रा. सं. 11 मा "} 11 " "1 Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग 3 था-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 99 | 8 8A 10 भक्ति स्त्रोत 26x12*5x28 सं. 44वलो. 19वीं 1806 बालोत्रा मुकंददास 26 x 12*3 x 40 25से26 x 11से 12 25 x 11*11 x 33 ,, 44 श्लो. 19वीं 18/19वीं 26x11*9x29 19वीं 24x13*11x26 ,, नागौर जसराज 22x12*15x40 20वीं 25x11*14x38 1820गढवाड़ा ऋ.सांवल मूलका पद्यानुवाद 27x13*11x29 , 44, 1910 समदड़ी दौलतविजय | 11 x 26*16 x 44 18वीं 25x13*12x30 1930 समदड़ी अचलचंद बष्ट प्रकारी सह विधि | भक्ति चरित्र 26x11*16x47 1788 जोजावर भाणसागर 26x12*8x22 19वीं (संशोधित) 1472 की कृति 1848 1921 उदेचंद सामान्य स्तवन 23 x 11*13 x 28 25 x 11*11 x 26 16 x 19*19x12 17x16*20 x 25 बक्तिमंत्र गभित श्लो.+2 श्लो. | 2009 पाटण x पन्न 53-54 संपूर्ण 25 गा. पृ. 108-10 1550 x विनयप्रभ सह सीमन्धर स्तुति तोय कर भक्ति 26x11*14x49 50 श्लोक 19वीं 26 x 11*17x43 |, 25 ,, 26 x 12*9x39 213 गाथा 20वीं | भक्ति उपदेश अक्तिस्तोत्रार्थ 3 | 25x11*17x36 , पाली उज्जवला सामान्य यंकर भक्ति 13x19*15x24 ,, 26 चैत्यवंदन 1930 x मोहनविजय 28x13*14x35 "24 , 1954 अहमदाबाद सामान्य . 27 26x12*4x35 स्तवन 1788 - अंतिम2 ज्ञान विमल के 22 1 26x11*5x46 " " " | 20वीं x रयणसागर Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 100 --भाग ३-चैन भक्ति क्रियाका 2 3A 4: 5 6 B-741 / चौवीसी व अन्य स्तवन Couvisí etc. उदयरत्न व अन्य | प B-768 क्षमाकल्याण B-1044 क्षेमऋषि do - मानविजय चन्द्रभान सि.317 , (सवैया) B-997 जिनेन्द्रसागर सि.गु. 925|| ज्ञानसागर B-827 देवचंदजी बा. 262 न्यायसागर सि.गु. 925 वा. मानविजय B-1068 B-1068 मेघविजय बा. 261 मोहनविजय B-133 उ. यशोविजय बा. 260 जिनराजसूरि 98 | B-गु. 4 सि.ग.8891 जिनलाभसूरि विनय चंद्र कुमट 100 | B-गु' 47 17 प्रतिय 101-17 रा. 14/16, 27/69 से 84 | सि. 316 || सुन्दर दास/कवि , 120 सि.गु. 920 B-गु. 40 सि.गु. 884 ,, (सवैया) बा. 263 | छिन्नू जिन स्तवन 121 हरिसोगर 122 Chinnu Jina Stavana चन्द्रसूरि 123 B-430 जयतिहुअण स्तोत्र Jaitihuana Stotra अभयदेव/ मू+अ (प.ग.) प्रा.सं मू+ह (प.ग.), | चौ. 92 | ॥ Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किमान ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 101 7 8A 9 10 तीर्थकर भक्ति 25x11*15x40 प्र. 20वीं चौवीसी उदयरत्न की 25x11*19x54 सं. 24 स्तवन (स्तुति) | 1872 25x11*14X42 , 24 स्तवन 19वीं r own w. 25x11*17x45 , 25 सवैया 20वीं 25x12*15x44 24 स्तवन 1875 सैणा ज्ञानसागर तपाd/oजसवंतसागर 19 x 11*14x35 1817 22x12*14x32 | अपूर्ण 15, 19वीं 25x10*9x34 । सं. 24 , 20वीं o uno = c 19x 11*15 x 26 ,, ,, 1816 | 25x12*19x45 1824x सुमति सागर 25x10*15x49 सं.24 स्तवन 5/5 गाथाके 19वीं सादड़ी धीरविजय | 10x14*12x23 |, 24 गीत 1883 विक्रमपुर मनरूपविजयd/oरूपविजय | 26*12*15 x 40 स्तवन तक 20वीं गुटकानं.4 13x11*13x15 | सं. 24 स्तवन 1835 पोहकरणे 1827 | 24x15*29 x 1.8 | 33 x 22*57x 32 1923 55 | 16x10*5x15 | 20वीं 24से26 x 11से12 25x10*13 x 46 16x13*16 x 20 12x10*12x17 L,24 स्तवन पर 16से24/1847अंतिम ढाल प्रशस्ति है राजनगर1821 कृति , ,+9 ढाल 1882 सिणधरी हुकमचंद बड़गच्छ d/o सुमतिप्रभु अ.9 से 24वें तक 19वीं 11x7*10x17 23x11*11x35 सं. 23 गा. पार्व भक्ति स्तोत्र - 26x11*11x34 | सं. 30 गा. मं. 250 17वीं पंचपाठी अंत में 2 गा. और 23* | 25x11*11x28 सं. 30 गाथा | 1861 जसोल सदानंद Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102 भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड । 3 3A 126 125 | B-19 जयतिहुअण स्तोत्र Jainihuana Stoira अभयदेव सिगु 889 जिन अंतरकाल स्तवन | Jina An arakāla Stavana | धरमसो 127 | बा. 264| जिनगुणरस Jina Guna Rasa वेणीराम 128 सिगु 8701 129-30| B-354, 2प्रति 403A 131 सि. 318 जिनवाणी स्तुति Jina Vāni Stuti चन्द्रभान 132 | बा. 273 | (अर्हन् ) जिनसहस्रनाम | Jina Sahasra Nama सिद्धसेन दिवाकर " 2प्रति पद्यसागर 133-4B-624 1031 135 चौ. 86 सि.गु. 879 136 137 138 बा. 265 जिनस्तव Jina Stava चन्द्ररत्न d/o मू+(प.ग.) लक्ष्मीभद्र मुनि सुन्दर | मू+ (,) | B-1011 जिनस्तवन Jina Stavan 139 B-498 जिनस्तुति Jina Stuti B-728 जैन महिम्न स्तोत्र Jain Mahimna Stotra 141 | सि. 319 | जैन संध्या Jaina Sandhya गौतम स्वामी? | प. मंत्र चौ. 93 | तिजयण पहुत स्तोत्र | B-61 तीर्थकर भक्ति सि. 320 , स्तवन Tijayanapahuta Stotra Tirthankara Bhakti मू+ प.ग.) मू (प.ग.) प्रा. , Stavana मू (प.मंत्र) सं.मा. 145 सि.गु. 883 तीर्थमाना स्तवन | Tirthamala , सहजसागर शिष्य प 146 | B-गृ. 1 सि. 321 दादागुरु स्तवन पन्ने | Dadaguru Savana संकलन 148 बा. 266 द्वादस व्रतपूजा Dvādasa Vrata Puja वीर विजय B-785 नन्दीश्वरद्वीप स्तवन मुनिमेरु d/o प्रमोद हर्ष मू+ट(प.ग) | Nandis'vara Dvipa . Stavana Namaskāra प्रा.मा. B-गु. 1 नमस्कारा 151 । बा. 263 | नमिउण (भयहर) स्तोत्र | Namiuna Stotra । मू+अ (प.ग.) प्रा.सं. Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 103 8 8A 10 25x12*13x33 सं. 30 गा. ग्रं.75 20वीं पार्श्वजिन भक्ति | 3 तीर्थकर कालान्तर 1 जिन भक्तिकाव्य | 11 |, 5 ढाल (29 गा.) 1926 अजीमगंज जीवा 33x 22*54x32 24x12*13 x 28 , 189 गा. 1852 पाटोदी मतिकुशल 22 x 31*25X18 ,, ग्रं. 311 1859 1769 पीपाड़ कृति 24x12426 x 12 , 195/179 गा. 20/19वीं माधौसिंह राठौड़ राज्ये श्रुत भक्ति 25x11*7x26 1952 जालौर वरदीचंद अर्हत् नामस्मरण 22x10*14x40 22x11व25x12 , दस प्रकास ।।। श्लो./20/19वीं नाडोल रत्नविजय I गणपतसागर II 1008 नाम अ. पहिला प्रकाश नहीं है| 19वीं 26x11*13x45 |-12x14*10x11 सं. 1008 नाम पन्ने 20/ 1876 अन्त में मंत्र स्तोत्र व स्तुतियें सं. में - से 40 1436 11 x 26*21 x 90 " पंचपाठी 25 x 11*15x60 , 6 श्लोक 1763 25x11*7x37 , 111 श्लोक 20वीं शत्रुञ्जय महात्म्य से युगादिदेव स्तुति 25x12*16x49 38 श्लोक 1901 सादपुर खुशालसागर अंत में सरस्वती स्तुति 18 श्लोक 1935 अजीमगंज सुमतिसुख . मंत्रात्मक प्रार्थना 21x11*10x22 | * भक्ति स्तोत्र 11 x 26*15 x 64 14 गा. 17वीं पूजादि विधिमंत्र 26x11*17x48 93 गा. 18वीं 22x11*10x23 20वीं भक्ति तंत्र जपादि तीर्थ सूची भक्ति । 13x9*20x24 , 140 गा. 1776 17x16*20 x 25 , 49 गा. पन्ने 100-7| 1550 विनयप्रभ साधु भक्ति विभिन्न 19वीं आत भक्ति 25x11*13x43 | सं. 1939 1887 को कृति | भक्ति तीर्थ वर्णन 25x5*5x42 . 1709 स्तंभन समयहर्ष इमेष्ठी भक्ति | 2 17x16*20x25 , 1550x विनयप्रभ क्ति मंत्र । 5 । 27x12*4x32 । | 18वीं x धनराम यंत्र चित्रित Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 माग ३–जैन भक्ति व क्रियाका 1 2 3 3A 4 5 152 B-468 नवकार Navakāra मू+ट (ग) 153 बा. 267 सार्थ (ग) मा 154 बा.265 /जिनवल्लभ मू+व्या. (प.) प्रा.(वा । , "बालावबोध ,, Balavabodha । 155 सि.गु. 862 156 रा. 29/12 157 | सि. 323 158 बा. 113 । । प्रति | । 159-61 B-390,755 , , | 786/ 162 सि. 322 | नवकार कुलक Navakāra Kulaka । Coudḥālia 163 | सि.गु.-889 164 सि. 324 सि. 197B , चौढालिया , महिमा , रास धर्ममिंदर do दया कुशल नेमीचंद Mahima Rāsa 166 B-272 | नवपद गुणना Navapada Gunanā 167 | B-191 , +स्तुति आदि 168-70 सि. 325-7 नवपद (कलश) पूजा । ,, (Kalasa) Puja | ज्ञानविमल+देव- प चंदजी+यशोविजय +Astaprakar Puja देवचंदजी 3प्र. 171 B-353 | नवपद+अष्ट प्रकारी पूजा सि. 328 नवपद यन्त्र 172 Navapada Yantra 173 । बा. 270 नवपद स्तुति Stuti | पद्मसूरि 174. बा. 271 | नेमीनाथ (द्वयक्षर) स्तवन Neminātha Stavana मू+अ (प.ग.) 175 सि.गु. 8890 , (दसत्रिक) ,, , लालचंद 176 | सि.गु. 943| , स्तवन अज्ञात | सि. 329 | नेमी राजुल बारह मासा | Nami Rajula Barahamasa लालविनोद 178 | B-गु. 18 ,, (लालचंद) 179 | सि.गु.911 अज्ञात 180 बा. 272 ! पञ्च कल्याणक पूजा | Parica Kalyanaka Puja पा. वालचंद Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ मा-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 105 - ____8A 9 10 पंचपरमेष्ठी भक्ति 1 | 26x 12*4x28 20वीं | 25x10*9x33 1599X जयाज मुनि. 12x16*13x27 , 13 गा. 18वीं 23x13*22x32 , ,, (पन्ने 57-58) 1826 45x13*23x50 20वीं 24x11*8x31 पू (पहिला पन्ना कम) सामान्य 26x11*13x46 | सं. 52 व्रजसर अमीचंद | 23से28x10से 13 18/19वीं 24x10*11x41 सं. 25 गा. 18वीं 133x22*54x32 |, चार ढालें 20वीं अजीमगंज जीवा 24x11*9x21 , सह गौतम स्तवन | 1969 सिवाणा(1962 की कृति)d/o पुनमचंद भीडर 1794x रेयाग्राम 26x11*16x50 , 21 गा. भत्ति मंच 26x12*13x40 1905 जैसलमेर तिलकसंदर |., 345 गुणना प्रतिपूर्ण सह. पंचकल्याणक टीप सामान्य ""क्रिया 26 x 12*15x44 20वीं भक्ति 5,240 24से 25x11से12 |सं 4 खंड 12 ढाल 19/20वीं 26 x 12*15 x 42 1920 जालणा रामचन्द्र अ. (त्रुटकसो) | सं. गुणना , मेद तालिका 24x12* यंत्र 20वीं भक्ति गीत 24x12*11x29 , 9 स्तुतिये वीर्यकर भक्ति 11 x 26*18x76 1,9पलोक पंचपाठी | 1505 x नंदिमङ्गल 33x22*54x32 , 45 गा. 1924 अजीमगंज जीवा 15x11*11x22 , 32 गा. 1890x जसरूप पं.राग्य संवाद 13x13*23x30 ,, 26 छंद 19वीं 21x14*17x21 20वीं 20x10*12x28 , 40 गा. 1909 तीर्थकर भक्ति । 8 | 17x15*9x 14 . 2 कल्याणक हैं । 20वीं Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 106 1 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 197 198 199 200 201 202 203 196 B-372 204 2 205 B-407 चौ. 94 मि. 334 f#. 330 सि.गु. 889 B-690 सि. 331 B-375 बा. 273 सि.गु. 949 सि. 333 fer. 332 बा. 274 B-1113 B-372 चौ. fer. 344 B-820 बा. 280 पञ्चकल्याणक तिथि स्तवन पञ्च परमेष्ठी स्तुति अर्थ बा. 279 सि. 335 सि. 355 " " " " 33 44 11 " " " " स्तोत्र प्रतिक्रमण स्तवन Pratikramana Stav - विमलकीति d/o ana विमल तिलक पञ्चमी अष्टमी एकादशी Pancam Agam Ekadas'T समयसुंदर, कांति मुनि Stavana 1 2,3 स्त. पञ्चमी पीठ पद्मावती अष्टक चउपई " " 11 11 " 15 तिथि सज्झाय स्तुतिये पाक्षिक नमस्कारा पार्श्व स्तवन (दो) 3 सि. 336 पार्श्व स्तोत्र (अष्टोत्तरनाम) सि.गु. 889 (कलिकुंड) (जीरावल्ली) छंद स्तोत्र "1 " 1 स्तवनसार " " "" "1 " (दो) (दो) (आठ) Pañca Kalyānaka Tithi Stavana Panca Paramesghi Stuti Stavana Sāra Stotra " " " 13 11 " " Padmavati Astaka Caupai Chanda Stotra " 3A " " " ,, 11 Prtha 15 Tithi Sajjhāya " Stutiyeih Paksik Namaskārā Pars'va Stavana 11 "1 Stotra " " 11 " "1 साथ जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 4 दानविजय - ? /वापवं देवमणि जिनप्रभसूरि मुनिबंद " T 1 लब्धिविजय नयविमल पार्श्वचन्द्र + शिवसुंदर तरुणप्रभावि प ग प. मंत्र पू. प. प " 7 " 15 "1 21 ग मंत्र मू+बू (प.) [सं. (प.गु) 11 11 5 मू+बृ(प.ग ) " भू. प. मा. 11 " सं. प्रा. मा. प्रा. प्रा+अप. सं. " "1 27 " मू. प. प्रा. मू + अ (प.ग.) सं. सू. प. मा... " " " " 6 " " 11 प्रा.सं. Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 107 8A 10 2 26 x 12*16x38 | सं. 6 ढालें 20वीं 1762 सूरत कृति तीर्थंकर भक्ति+ जानकारी मक्ति | 26 x 13*15x30 19वीं , ज्योतिष परक 4 26 x 12*11x24 1956 26X12*10x26 || सं. 35 गा. 1956 अजीमंगज लालचंद , , जीवा , आवश्यक 33x22*54x32 ,, 5 ढाल 21 पद मक्ति 3 | 26x12*14x35 13स्तवन+2 स्तृ. 1916 7+3 | 24x11*7x22 देवीभक्ति 24x11*14x44 , अतिरिक्त नकल 1982 स्वर्णाक्षरी एक ओर 3 पन्नों में ,, 9 श्लो. वृति ग्रं. 500/ 1886 व्यालपुर विवेकसागर 12 ..(तेरहवी सदी) कृति 18वीं 22X10*14x40 16x19*1921 ,, 26 श्लो. पन्ने 59-61 2009 पाटण प्रचलित से भिन्न 25x12*13x44 1988 सूरत वल्लभ जोशी | 25 x 12*15x45 0X45 , 33 श्लो. 1831 मांगरोल नैणसी सहपूजा 11 श्लो 24x11*11x36 ,, 21 श्लो. 19वीं 25x12*12x35 , 16 श्लो. , उदयपुर रतनचंद . बैंकर भक्ति 10. 1887 । तिथि अनुसार 26 x 11*17x48 | 26 x 11*17x48 24x12*14 x 28 , 35 गा. 1888 श्रीनगर गुमानविजय बकर भक्ति । 20x10*9x30 । अ. 36 गा. सं. 7 गा. | 20वीं " मंत्र 28x12*9x40 .36श्लो.+] ऋषभ स्त- 1898 बोरसद विवेकसमुद्र वन प्राकृत में सोमसुंदर कृत 26x12*10x28 | सं. 33 श्लो. 20वीं सह 1 स्त. 32 गा.मा. में लब्धि रुचिकृत है 20x14*24x17 , 38 श्लो. पन्ने 113-5,, 25x11*9x28 ,, 9 श्लो. 1940 जैसलमेर केशरीचंद 26 x 12*15x47 ,9+7 श्लो . 19वीं 21x11*13x27 ,,9+6 श्लो. 20वीं. 0* | 21x11*13x18 |, 7,7,10,32,9 गा. । । Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108 भाग-जैन भक्ति व क्रियाका 1 2 3 3A 206 चौ. 97 पार्श्व स्तवन (अंतरीक्ष) Pars'va Stavana al प विनयराज d/ ललित कीर्ति 207 208 ,920 ,,,, (गौड़ी) जिन इन्द्र 209 B-840 210 सि. 341 नेमविजय 211 बा. 276 , , (गौड़ी वृद्ध) ,, ,, (गौड़ी) अनोपचंद do क्षमाप्रमोद प्रीति विमल 212 बा. 277 213 , , (..) 214 राजकवि ,, ,, (देसंतरी) ,, ,, (निशाणी) 215 चौ.96 | जिनहर्ष 216 सि. स 340 " " (..) 217 ,, ,, (पंचकल्याण) 218 सि.गु. 911 , (भटेवा+महि मदाबाद) ,,, (भाव पूजा) उत्तमविजय do | खुशालविजय जिनहर्ष do | . शांतिहर्ष ज्ञानविमल 219 सि. 342 220 सि.गु. 883,, , (भीनमाल) पद्मसूरि (रणथंभौर) कुशललाभ B-899 (मगसी) सि.गु. 889] , , 223-4 सि. 343, , ,, (स्तंभना) 2प्र. बा. 278 " , (..) ___ गु. 881 | चौ गु. 4 | 227 B-374 तेजपालd/o कर्णशीश तपा ऋद्धिहर्ष B-747 संकलन 228 " , +देवी स्तोत्र 229-30 सि. 338-9| पाश्वनाथ सिलोको 29. Pars'vanātha Siloko जोरावरमल 231 | सि. 347 | बारह व्रत पूजा Bāraha Vrata Pajā वीरविजय 232 | सि. 349 | भक्तामर Bhaktā mara मानतुङ्ग / | मू+अ (प.ग.) सं. Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 109 8A | 10 11 तीर्थ, भक्ति 22x12*13x33 | सं. 32 पद 1873 33 x 22*54 x 32 ,, 33 पद (4 ढाल) | 1926 अजीमगंज जीवा 1712 की कृति 16x13*16x 20 , 106 पद 1847 ब्यालपुर खूबचन्द स्त.॥ 25x12*18x56 |, 111 पद+1 कुशल | 1799/1800 जोधपुर पाली 933 गा. अभयसोम कृत 21 x 11*विभिन्न |,, 15 ढालें 1807 पाटण पाव का 13x13*11x11 |, 8 ढालें 19वीं प्रतिष्ठा इतिहास 26x12*10x38 ,, 55 पद 20वीं वाणी ब्रह्मा. 20 x 14*24x20 भयनिवारण छंद 25x11*16x53 , 47 पद 19वीं 24x10*12x27 " 28 पद भाषा में पंजाबीपुट 1771 जंबूसर 20वी 24x10*13x36 , 29 पद 1878 उत्तमविजय 26x11*12x33 11*12x33 , 5 ढालें 20x10*12x28 |, दो स्तवन पन्ने 34 से 40 23 x 11*15 x 40 1909 20वीं 13x9*12x19 | ,, 53 पद 1776 25x11*10x25 1921 < दुर्गा 1 | 33x22*54x32 5 ढाल 20वीं अजीमगंज जीवा 21 x 11*18x36 , 18 गाथा ढाल 19वीं/1789 13 | 12x6*7-17 , 20 19वीं प्रभु भक्ति -15x12*विभिन्न ,, 36 गा. 17वीं 24x11*9x 26 |, 4 ढालें 20वीं- लाभहर्ष 21 x 12*15x36 , 4 स्तवन ,, सरस्वती व मणिभद्र के स्तोत्र 25x11421x10 | |, 56/58 पद 19/20वीं . 24x12*13x29 1913 x पीरदान . देखें क्र. 148 भी 4 | 30x11*9 x 41 ।, 44 पने. पंचपाठी । 16वीं व्रत भक्ति ऋषभ भक्ति | Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110 भाग ३–जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 1 | 2 3 3A 233 B-959 भक्तामर Bhaktāmara मानतुङ्ग / मू+अ (प.ग) | सं. 234 बा. 282 /कनककुशल | मू+वृ (प.ग.), 235 B-440 236 B-711 " , do हीरविजय मानतुंग///गुणरत्न 237 B-31 238 बा. 285 239-40B122,754 2 प्रति 241 | B-181 ,, वृतिमात्र ,,অসম गुणाकरd/oश्रीमान व (ग) मुनि गुणचंद्र मानतुंग/- | मू+अ (प.ग.) 242 बा. 286 243 | बा. 287 मू+काव्य(प.ग.., 244 बा. 288 काव्यादि मात्र प.ग. मंत्र 245 बा. 283 मानतुङ्ग/मेरुसुंदर मू+बा (प.ग.) सं.मा. 246 बा. 284 247 सि. 353 /शुभवर्द्धन 248 चौ. 99 " ,do साधुविजय 249 | B-397 सि. 352 ,,/अज्ञात 251-2| रा-29/3,7 2 प्रति 253 | B-460 "बाला. मात्र मेरुसुंदर d/ जिनचंद्रसूरि 254 | B-1070 255 B-798 मानतुङ्ग मू+ट (प.ग.) 5 प्रति 256-60/B-92,130, 341,634,774 261-2/सि. 350-51 2 प्रति 263-4 B-865-68 2 प्रति 265 । सि. 354 , Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 11 8 8A 9 10 षम भक्ति 27x11*11x36 अ. 31 श्लो. पंच पाठी | 16वीं अहमपि प्रथम देवस्तोष्ये । 25x11*13x57 | सं. 44 श्लो. व.ग्रं 616/ 1652 विराट नगरे (प्रथमादर्श ?) 26x11*16x46 ,,,समस्त ग्रं.693/ 1762 आउआ भूपतिसागर 1652 विराट . नगर कृति. सं. 44 गा. 17वीं प्रणम्य परमानंद पदं 10 | 26x11*15x35 | 26 x 10*15 x 45 ग्रं. 380 180 18वों 11 | 25x11*15x38 1825 जसोल मूत्तिहेम 10,61 26x12428x12 वृतिनाम सुखबोधिका ,, ,, की द्वितीय वृति 1883/1879 मात्र , मंत्र कथा सह ग्रं.1572 1704xजिनहर्ष --मंत्र 26x11*18x50 सरसूत्ती पट्टन 1426 कृति, प्रशस्ति है। किल इतिसत्ये 21x11*13x31 ब. (1से27 के मंत्र नहीं) 19वीं 16 x 12*12x15 27x12*12 x 19 सं. 48 लो. पद्य मंत्र सह , |, 48 बलो. ऋद्धि मंत्र- 20वीं यंत्र काव्य 3, 44 श्लो. सह कथा | 1749 मांडवाडा विजयगौतम विधि सह षभ भक्ति 25x12*14x40 26x10*14x48 3. " " " अंतिम पन्ना कम 18वीं 25x11*16x45 सं. 44 श्लो. 1831; मिठोड़ा माणिक्य 23x11*14x31 | पू. , ग्रं. 1452 1862, वाउसा प्रीतसौभाग्य 25x12*16x51 सं. 44 श्लो. दृष्टांत सह | 1852मयासाग रयसागर सह कल्याणमंदिर 126x10*14x41 19वीं | 23से26 x 10से 12 पू. 44 श्लो. 20वीं . 9 26x11*18x55 | अ. 33वीं कथा तक है । 19वीं समयसुंदर शिष्य हेतु 24x11*13x28 | अ.40वे क्लो. तक , 25x11*6x34 | अ. 1,3 पन्ने कटे हुवे जीर्ण 1681 अहमदाबाद: 24से26x11से 12 सं. 44 श्लो. 19/20वीं 11,7 7,12 | 25x12425x14 19वीं 4,9* 26x11*विभिन्न 19वीं/1741 . द्वितीय में कल्याण मंदिर भी है 4 | 25x11*15x26 , 1953 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 112 भाग-जैन भक्ति व क्रियाका 1 2 3 3A 3A 45 Bhaktā mara मानतुङ्ग मू. (प) 4-61 ,, Prabhāva 266 पी. 100 भक्तामर 267-71 7. 29/1,2, 5 प्रति 272 | B-929 " प्रभाव | ग. 29/8 , समस्या पूति मयहर स्तोत्र 275 सि. 355 ,, Samasya गुणचंद्रसूरि उ. धर्मवद्धन d/o | + विजय हर्षवाचक मानतुंग/अशात | मू+व (प.ग. Bhayabara Stotra w ani 276 बा. 289 , वृतिमात्र कीतिहर्षसूरि वृ (ग) 277 चौ. 101 | भावारिवारण स्तोत्र | Bhavarivarapa Stotra जिनवल्लभ B-868 niraashaktisadhiwinchhindimana 279 बा. 290 ,वृतिमात्र जयसागर 280 B-392 मणिभद्र छंद Manibhadra Chanda राजरत्न पाठक 281 चौ.गु. 4 | मनोरथमाला Manorathamala पावचंद 282 | बा. 291 | मल्लिनाथ वृद्ध स्तवन Mallinatha vrdha Stavana] कुशलाभ 283 B-868 महावीर स्तोत्र Mabāvfra Stotra जिनवल्लभ मू (प) 284 | B-260 मू+व्या (प.ग) 285 सि.गु 889 मू+ट (पग.) विजयदेवd/o सिंहसूरि तपा 286. 1949 मू (प.) 287 , Stavana 288 सि. 356 महावीर स्तवन (जीणंगठ) .889 , , (नयनिक्षेप) 883 , , (ब्राह्मणवाडि) कुशलहर्षd/o हर्ष संयम रामविजयd/o | दयासिंह खरतर माणिक्य मुनि मा. यशोविजय 289 290 B-410A , (विज्ञप्ति) 291 B-1021 , (27 भव) शुभविजयd/o कल्याणविजय तपा 292 चौ. 102 6) 293 B-1017 " , (स्यादाद) विनयd/o कोत्तिविजय मुनिमाल 294 | B-855 B F (पाषणा) । Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 113 8A 10 11 ऋषभ भक्ति | 26x12*12x34 | सं. 44 श्लो. 20वीं- भीमविजय अंतमें पार्श्व स्तोत्र श्लो. 4, 25से31x12से14 , 44/48 श्लो. 20वीं सामान्य स्तोत्र महार-य 26x11*19x 62 पहिले 2 पन्ने कम अ. कथा 8से27 तक है | 18वीं सं. 44 श्लो. सहवृत्तिगद्य 19वीं महावीर स्तुति 26x11*17x50 1736 की कृति भक्ति 27x11*20x62 अ. 11 गा. तक है 16वीं पावर्व स्वामितं स्मृत्वा 21x11*13x18 सं. 23 गा. 20वीं 17x10*13x40 , ,, की तपागच्छीय | 26x13*13x49 16वीं समसंस्कृत 26x11*17x41 1741x रामचंद्रगणि भक्ति/तात्त्विक 26x10*15x62 " , की 17वीं यक्ष भक्ति 25x11*19x50 सं. 21 गा. 19वीं वासाग्रामे रूपविजय भक्ति 15x12*विभिन्न 26 x 11*11 x 33 जीवनी भक्ति 26x11*17x41 सन्त नयमित 25 x 10*20 x 70 33 x 22*19 x 33 16 x 19*19 x 18 , 44 गा. 17वीं ,, 5 ढाले 10 स्तुतियें | 1882 x पं. चारित्रसिंह पौषध विधि सह ,, 44 गा. 1741x रामचन्द्र दुरय रयसमीर.. ,, ,, की पंचपाठी । 1748 अहिपुर , , ,, 23 श्लो. पन्ना 220 | 1925 ,, 32 वलो. पन्ना 57 - 2009 प्राचीन प्रति की प्रतिलिपि ,, 42 गा. 19वीं ,, 33 गा. पन्ना 202 | 1925 ,, 37 गा. 1776 भाषा में पंजाबीपुट प्रभु भक्ति 25x11*18x44 न्याय, भक्ति 33 x 22*60 x 36 13x9*12x19 प्रभु भक्ति 23x12*15x50 1850x मयासागर पूजा स्थापना पूर्व भव वर्णन 24x11*18x42 , 85 गा. 19वीं x मुनिहरनाथ 26x11*10x36 | 1853 स्याद्वाद, भक्ति 3 | 26x13*13x37 | 19वीं भक्ति प्रसंग | 3* | 25 x 11*13 x 34 | 18वीं Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 1 295 296 299 300 297-8 r. 100, 292 सि. 358 चौ.गु. 4 बा. 281 सि. 359 301 302 303 307 308 B-414 304 B-गुटका 3 305- सि.गु 925 306 रा. 25/5 T 294 309 310 311 312 316 317 318 319 2 B-843 fer. 360 313 सि.गु. 889 314-5 f 361, 361A 320 B-285 321 B-1073 B-1010 चौ. गु. 4 सि.गु. 931 B-533 चो. 103 fer. 348 B महावीर स्तवन मुनिमालिका " "1 = "1 " लावणी Lāvagi (जिन) वल्लभसूरि गीत Vallabha Suri Grta विहरमान वीसी Viharamana VISI " 17 B- 387 सि.यु. 888 वीरद्वात्रिंशिका " 3 " विशतिस्थानक पूजा शक्रस्तव वीतराग स्तोत्र " " " " 11 " "1 बीस विहरमान स्तवन " " (बृहत्) पाति " 2 प्रति 11 जय स्वयन गिरनार स्तवन " " ور 2 प्रति Mahavira Stavana Muni Malikā " " " " " 11 3A 11 11 " " S'akrastava " 11 Vitaraga Stotra Vīra Dvātrims'ikā " " " S'at unjaya Stavana Giranara Stavaha S'anti (bhat) Viris'ati Sthünaka Puja जिनह " ". समयसुन्दर चारित्रसिंह 4 d/oमतिचन्द्र जिनदास Visa Viharamāna Stavana धर्मसी भाग ३–जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड " " ज्ञानसागर क्षमाविजय भण्डारिय नेमीचंद मू. प. जिनराजसूरि हेमचन्द्राचार्य सिद्धसेन दिवाकर T प पावर्वचंद समुद्रसूरि d/o चंद्रसूरि वेगड़गच्छ " " " प "1 " " ', " मु. प. " 11 " भू. ग प " 5 € 6 मा. " हि. प्रा. मा. 11 "1 11 " 11 " सं. 23 " मा. 11 सं. मा. - इर्षकीति d/o मू+बू (प.ग.) सं. चंद्रकीति नागपुरी मू () मू+ट (,, ) सं.मा. मू "1 (G) सं. Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 115 8A 10 23x11*16x26 | सं. 19 गा. सह पार्श्व | 19वीं पाटोदी रायचंद जिनहर्ष कृत स्त.9 गा. 21 x 10*12x30 , 35 गा. 1804 रीणीपुर 1636 कृति साधु नाम स्मरण A 173 25x11425 x 10 , 35/36 गा. 19वीं भक्ति संवाद 25x11*14x39 | अपूर्ण गुरु भक्ति 15 x 12*विभिन्न सं. 34 गा. | 17वीं तीर्थकर भक्ति साधु कीति कृत 26x11*17x43 , 20 स्तवन सह 17 | 19वीं प्रकारी पूजा 22x11*14x25 पू.,,, अंतिम पन्ना कम , प्रकारात 1 पाना इनकी चौवीसीका 25x11*17x48 सं. 21 स्तवन 1819 20x16*19x15 , 20 स्तवन 19वीं 19-11*14x35 1817 25x12*20x61 || 1934 पालणपुर गोदड़ देवचंद अंत में जिनविजय नाम है। 1934 25x12*11x28 | 23x13*7x44 1887 26 x 11*13x37 , 20 भवप्रकाश 18वीं 20वीं 20x14*24x 20 26 x 13*11 x 38 |, 33 1792 श्री मालपुर भाग्यसागर , 25 गा.+1 कलश | 19वीं 1729 जैसलमेर कृति 22x11*14x25 लेखा 33x22*54x32 ,5 ढाल 1926 अजीम गंज जीवा 26x12*13x26 | सं. 20वीं अपर पर्याय सहस्त्रनाम । 15x12*विभिन्न 42 गा. 17वीं 25 x 15*17x38 1769 26x11*19x43 17वीं 25 x 11*12 x 33 18वीं 28x13*6x37 , सह लधुशांति 2प्रति | 20वीं 3 | 25x11*13x27 | Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 माग ३–जैन मक्ति व क्रियाकान 1 2 3 3A 4 5 6 चौ. 93 S'ānti (Laghu) मानदेव हर्षकीर्ति | मू+(प.ग.) B-705 324 | सि. 357 , जसहर्ष ! मू+2 () B-901 मू (प) -~~+मानदेव S'āntikara Stavana मू+ट (G) (बृ - ल) ,, (दोनों) 327 | बा. 295 | शांतिकर स्तवन 328 सि. 362 | | शांति जिनेश्वर पूजा 329 | B-287 | शांति पूजा Santi Jines'vara Puja | ज्ञानविमल santi tuja ग. मंत्र B-472 शास्वत जिनबिंब स्तवन | sasvata Jina Bimba | देवेन्द्र/ Stavana मू+अ(प.ग.) प्रा.सं. 331 | सि. 363 मू.प. 332 | सि. 364 जिनेन्द्रसागर // जसवंतसागर शोभन मुनि 333-4 बा. 296-7 शोमन स्तुति 2 प्रति sobhana Stuti ॥ 7 प्रति 335-41 B-121,364, 1482,507,1050, 61, 11121 342 B-637 | सकलाईत् नमस्कार Sakalarbat Namaskāra | हेमचंद्र कनककुशल मू+व (प.ग.) doसेनसूरी Sangha Pajā 343 | सि. 365 । सङ्गपूजा सि. 366 सती गीत Satt Gsta भोमा सती नाम माला Satī Nāma Māla कनकसोमdo दयाप्रकार विमित 346 बा. 298 | सन्त स्मरण Sapta Smarana मू+ट(प.ग) प्रा.म 347 बा. 299 348 | चौ. 105 मू. (प) 349 सि. मू+ट (प.ग.) " 5 प्रति मू (प.ग.) 350-4बा.300-1 11,905,42| 355 सि. 367 356 बा. 302 ,, वृति मात्र जिनप्रभ, जयसागरा- वृ (ग) | जिनप्रभ+ । म. (प) 357 मि.न. 944 सरस्वती स्तोय व छंद. JSirasvaty Stotra Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विमाग ३ आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 117 8A __10 11 भक्ति पाठ 5* 26 x 11*15 x 64 सं. 18 17वीं मूककृति 1644 की 26x11*21x75 , 17 श्लो. 18वीं वृति 11वें श्लो. तक है 25 x 11*3 x 41 18वीं x जगरूप 24x10*11x41 , 19 श्लो. 20वीं 25x12*13x33 1886 गुढा दौलतविजय भक्ति 25x11*10x41 .. 13 इला. 18वीं 26 x 12*12x32 1850x माणिकसूरि 24x 11*10x30 1943 कृष्णगढ़ कल्याण ब्राह्मण +मंत्र जानकारी 27x11*7x35 , 24 गा. 16वीं तीर्थकर भक्ति 26x11*11x39 , ,, ग्रं. 42 | 17वीं सह टिप्पणियां 4 | 25 x 11*14 x 39 ,, 60गा.+1 सज्झाय | 19वीं 12,6 | 26x12425x10 | ,, 96 श्लो. (24 x 4) | 1649/17वीं 5,12*7, 23 से 26 x 11से 13 ,, ,, (अंतिम अ.48श्लो 18/20वीं पांचवी प्रति में टब्बार्थ 8.15,6,6|| | 27x12*19x55 ,, वृतिग्रंथा ग्र. 282 1887 योधपुरे विवेकसागर 1654 कृति 25x9*9x45 ,, 50 श्लो. 20वीं x क्षमासागर संघ महात्म्य सभी सती वंदना 25x11*14x30 20वों 26x11*13x42 , 21 गा. 18वीं भक्ति स्तोत्र 25x11*4x29 , सातों स्मरण 16वीं 26x11*5 x 40 1779 26 x 12*15x40 |,,, (उवसग्गहरं का | 18वीं x देवचंदजी उल्लेख मात्र. +शांति दो, 20वीं 3025x12*6x28 +अन्य प्रचलितस्तोत्र 19/20वीं (नव स्मरण सहश) 20,30, 20से25x10से12 21,10,37/ 28x11*11x35 . 2स्तोत्र-शांति पाठ 20वीं स्थानक वासी आम्नाय " व्याख्या | 10 27x11*19x60 . अंतिम 4स्मरण को है | 16वीं (संपूर्ण के ग्रं. 1500) पहिले 8 पन्ने कम 9 इलो.+18 गा. देखे क्रमांक 228 भुत मक्ति | 15x9*8x20सं Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 माग ३-पैन मक्ति व क्रियाकाण्ड 3A Sarasvatt Stotra संललन 358 | सि.गु. 949| सरस्वती स्तोत्र |,, 904 , छंद Chanda शांतिकुशल do विनयकुशल 360 B-793 , स्तुति Stuti 361 Savaiyā Sarkalana विभिन्न मा.हिं सवैया संकलन साधु वंदना Sadhu Vandana अज्ञात 363 | B-524 पावचन्द 364 । B-402 समयसुन्दर 365 बा. 233 366 | सि.गु. 923| | सि. 370 सि.गु.-889 सि.371 ऋ. देवकुंवर पुण्यसागरd/ जिनहंससूरि 369 ब्रह्म 370 सि. 372 ऋ. जयमलजो 371 चौ. 107 चारितहंसd/o मतिभद्र अज्ञात 372 सि. 373 373 सि.गु. 875 374 | बा. 304 सिद्धगिरि पूजा Siddhagiri Paja सुमति मण्डन मू. प. 375 | सि.गू. 888| सिद्ध चक्र महिमा पद्धत्ति | Siddha cakra Mahima Paddhatti 376 | B-645 सिद्ध दण्डिका स्तवन , Dandika Stavana | देवेन्द्रसूरि/ | मू+अ (प.ग.)| प्रा.सं. 377 B-959 सिद्धान्त स्तव Siddhānta Stava जिनप्रभ/अज्ञात 378 | सि.गु.889 " B-गु. 1 सीमन्धर स्तवन STmandbara Stavana B-540 जयवंतसूरि B-410A उ. यशोविजय B-492 | गस्तवनादि Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग 3 आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 119 - 8A - 9 10 11 रुदेव भक्ति 16x19*19x22सं. 9,11,9श्लो.(3स्तोत्र) 2009 पन्ने 44,48,57 पर ,, 35 पद 1946 16 x 13*13 x 18 25 x 12*11 x 25 , 44 गा. 19वीं भक्ति प्र. 20 सवैये 20वीं 24 x 12*16x46 26 x 11*17x46 माघुनाम स्मरण अ. ऋषय से पुष्यमित्रतक 19वीं भक्ति भरेण नमि 24 x 11*15 x 46 सं. 86 गा. 1803 देखें – 296-8 भी 13 26x12*17x49 , 18 ढाल, ग्रं. 1001 1832 1697 अमदाबाद कृति 25x11*15x50 " " 19वीं 16x10*19x14 | " , 1847 1693 को कृति ? 26x11*13x39 19वीं 33 x 22*54x32 1926 अजीमगंज जीवा 25x11*15x43 , 139 गा. 1723, ने तोड़ा, ज्ञानविजय 19वीं अंत में कबीर का 1 भजन | 24 x 10*13x51 | ,, 109 गा. 25x12*11x25 . 35गा. अंतिम पन्नाकम 20वीं 1606 की कृति 24x11*18x32 | सं. 42 गा. 19वीं जोधपुर प्रथम उठियभावसु | 16x12*10x17 | अ. ढाल 13 गा. 166 19वीं आदि अंत रहित आर्य भक्ति | 16 25x11*9x30 | सं. वस्त्रादि 11 पूजायें | 20वीं 1930 की कृति कार महात्म्य 20x14*24x20 , 14+36 गा.. प्रथम 14 गा. अलग 27x11*8x34 2 13 गा. | 19वीं. त भक्ति | 27x11*11x36 , 46 श्लो. पंचपाठी | 16वीं शास्त्र व शास्त्रकार स्मरण | 33 x 22*54x32 1924 अजीमगंज जोवा तीर्थकर भक्ति । | 17x16*20x25 ,, 39 गा. पन्ने 93से95 1550 x विनयप्रभ 2 | 26x11*14x38 ,, 27 गा. 1633 भक्ति खंडन मंडन 11* | 23x12*15x50 , 131 गा. 1856x मयासागर | 25x10*16x50 3 स्तवन;प्र. 125गा. 1876 सिणंदरी Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 120 भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 3 3A 45 6 383 | चौ. 108 | सिमन्धर स्तवन Sīmandhara Stavana . यशोविजय 384 सि.374 ओपमा पत्र ,, Opamā Patra अज्ञात मू. (ग) | 385 B-738 सि. 375 सुगुरु पच्चीसी Suguru Paccsst | जिनहर्ष 387 B-872 | सवंत्सरीदान Samvatsart Dāna 388 स्तवन आदिनाथ Stavana Adinātha विजयतिलक | सि. 376 | स्तवन संग्रह Stavana Sangraba रतनचन्द 390 बा. 305 संकलन 391 सि. 377 | स्तवनादि संग्रह Stavanādi 7-D201242 4प्रति संकलन 392-5/B-96,242, 523,1067 396-98235,752, स्तुति संग्रह 4 प्रति | Stuti Sangraha 767,846 400 बा. 306 स्तोत्र संकलन Stotra Sankalana 401 | सि. 379 | स्नात्र पूजा Snātra Puja 402 | सि. 378 | स्नात्र व अष्टप्रकारी पूजा ,& Astaprakari Paja देवचंदजी , 403-4B 263-813 " "2 प्रति 405 | B-939 स्वाध्याय संग्रह Svadbyāya Sangraha संकलन " , 3 प्रति 406-8| B-447, 724,895/ 409 | चौ. 106 , 410 बा. 307 स्वाध्याय स्तवन स्फुट पन्ने|Stray Folios of Svadhyaya विभिन्न etc. 411-5B540-542, " "5 प्रति 898,902,40 416 चौ. 109 417 | बा. 308 | स्फुट शेष पन्ने विभागीय ,, of this section Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग 3 आ-स्तवन, स्तुति, स्तोत्रादि भक्ति साहित्य 121 8A ___10 भक्ति खंडन मंडन | 8 27X12*12 x 36 | सं. 125 गा. 20वीं भक्ति पत्र उपमा 24x12*23x43 1697 अनर्ण वलु 25x11*12x39 1884 भक्ति 25x10*11x27 |, 25छंद+1समाय: 20वीं उजलाजी सामायिक पर व्यंग क्रियावृतान्त 25x11*15x48 19वीं तीर्थकर भक्ति 25x11*15x48 121 पद सुरतरुनी परिदोहिलो 27x12*10x32 ,, 14 स्तवन 1888/9 होसंगाबाद 26- 12*14x38 प्र. 20वीं 13 26x12*15x57 | ,, . स्तुति स्तोत्र स्वाध्यायादिवस 19/20वीं 3,29,5, 21से25x10से13 501 9,18,7, 24से27x 11से 12 तीर्थकर भक्ति भक्ति 6 | 23x 11*8x21 ,, 7 स्तोत्र 20वीं ___4 | 27x12*15x37 | सं. सह 11 सिद्धाचल | 1893x खुशालविजय :-विभिन्न कवियों के स्तवन: 25 x 12*13 x 35 20वीं | 25 x 11424x11 1862/66 . अंत में तप ही रावणी उपदेशादि प्रसंग | 73 | 26x12*12x33 | प्र. 1884 अमरलाई रत्नविजय पर्याप्त संग्रह 3,4,1 22से 25*10से 13 19/20वीं 24x10*12x36 | अ. लगभग 20 सज्झाय | 18/20वीं 235 विभित्र 5 स्तवन 20वीं सामान्य 1,2,1, 23 से 26x11से12 1.1 124 24से 26 x 11 गुटक 18/20 56 - Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 भाग ३--जैन भक्ति व क्रियाका 3A 4 56 1 2 3 380 आगम आलापक Agama Ālāpaka सं. क्षमाकल्याण ग सि. 382 खरतर तपा भेद Kharatara Tapā bheda मा बा. 309 | गच्छ समाचारी चर्चा |Gaccha Samacari Carca मू+ प.ग.)| प्रा.स चर्चापत्र Carcā Patra ग सि.383 गु. ग. प. ___2 प्रति 889 7 | B-294 | चर्चा बोल विचार Carca Bola Vicāra पं. दीपविजय 8 सि. 384 | चार निक्षेपों की ढाल | Cāra Niksepom Ki Dhāla | रा-29/25 | चैत्यमति चर्चा Caityamati Carca 10B-गुटका 11 तिथि विवाद . Tithi Vivāda 11 | सि. 386 | तेरापंथी चर्चा Terā Pantbi Carca अज्ञात रा-28/26| दिगम्बर श्वेतांबर भेद | Digambara S'vetāmbara Bbeda बा. 311 निर्णय प्रभाकर Nirnaya Prabbākara | बालचंद्रगणि | सं. बा. | पक्ली विचार Pakkhi Vicāra रा. 29/24/ पश्नोत्तर Pras'nottara संकलन सि.गु. 889/ , सि. 388 | मूत्तिपूजा कोंकाशावार्ता | Murtti Puja Loikas'a Vārtā B-796 मूर्तिपूजा समर्थन Samarthana सि. 389 20 | सि. 385 » Stavana मानd/ शांतिविजय मू+बा (प.ग.) मा. 21-2 B-718 A, मूर्तिपूजा स्तवन 2प्रति 10191 23 | सि. 389 | 24_B-401A , 189 " पार्श्वचंद शिवनिधान सि.गु. 889 " , 26 लि. 381 " (आदिजिन) 27 | सि. 337 |, पार्श्वचौढालिया) विनयप्रमोदd/ साधुरङ्ग रत्नविजय याशिष्य प. ग. Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 123 विभाग ३ इ–सांप्रदायिक खण्डन मण्डन 7 8 8A 9 10 11 स्थानव.वासी विरोध सं. 19वीं 24 x 12*11 x 37 25 x 12*15 x 48 गच्छगच्छांतर सं. 28 मतभेद 1965 विधि विचार | 37 | 26x10*15x58 | अ.9 से 45 बीच के पन 17वीं शास्त्रार्थ वर्णन 26 x 12*11x40 सं. मूर्तिपूजा अनुकंगादि पर 1927 जसोल मयाचंद सांप्रदायिक विवाद 25x11व 33X22 | प्रथम ब. गा. 27 द्वि. सं. 20वीं दान आदि पर । 20 प्रश्न 26x11*13x48 सं.भारमल व खेतसी संवाद 1876 के बाद में उदयपुर नाथद्वारे में चर्चा तेरापंथ विरोध मूर्तिपूजा विरोध 24x11*19x54 | सं. 7 ढाले 1899 पाल ऋ. पृथ्वीराज 4 25x11*16x45 | प्र-प्रश्नोत्तर 20वीं व्रतपर्व निर्णय | 31x25*27x27 | सं. उद्धरण सह 18वीं जिनाज्ञा पालन 26x12*21x54 1, 65 गा. 19वीं 1841 कृति सांप्रदायिव. मतभेद 3 24x12*13x37 ,, 75 भेद, बोलनुमा 1981 नागौर मूलचंद . 1939 जयपुर विनयचंद , 57 27x15*12x41 1920 कृति , पक्खी चर्चा 19वीं 13 7 24 x 11*12 x 43 45 x 11*24 x 51 सांप्रदायिक मतभेद 20वीं 33x22*35x24 । 251 प्रश्न 1922/5 अजीमगंज जीवा 20वीं ऐतिहासिक सर्वेक्षण 4 25x11*14x50 प्रतिमा पूजा स्थापना 25x12*14x46 1889x विवेकाञ्चि 33x12*16x66 | सं. सह यशोविजय 2 | 20वीं व्यालपुर प्रसिद्ध स्तवन: विजय 27x13*10x38 |, 44 अनुच्छेद 20वीं सीमंधर विनतो, 67 बोली आगामों से उद्धरण 45 24 x 11024 x 10 , 21 गा. सह 1 सज्झाय 19/20वीं 14* | 33x12*16x66 20वीं व्यालपुर प्रसिद्ध विजय 11* 23x12*15x50 1856Xमयासागर | 33 x 22*54 x 32 1924 अजीमगंज जोवा. 33x12*16x66 , 23 गा. 20वीं व्यालपुर प्रसिद्ध विजय 5 | 24x12* विभिन्न , 4 ढालें | 1869 x रंगकुचल Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___ 124 माग ३–जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 3A 4 5 6 उ. यशोविजय/- | मू+बा (प.ग.) मा. 29-30/ मू (प) 28 वा. 312 | मूर्तिपूजा स्तवन (महावीर) Murti Puja Stavana सि. 346, , , (..) 2प्र. , 389 31 - सि. 390 ” (वीस बिहरमान) " " 32 | चौ.गु. 1 , (हुडी) " हरखचंद जिनहर्ष B-410A , धीर, सौभाग्य | B-373 | वीरस्तवन (नयभित) | Virastavana विनयविजय do कीति विजय ऋ. जेठमल d/o रूपचंद सि. 391 समकितसार Samakita Sara चौ. 111 सात प्रश्न Sáta Pras'na रा-29/21/ सिद्धान्त प्रश्न चर्चा | Sidhanta Pras'naCarca | दौलतराय आगमानुसार स्वामी कन्नीरामजी प. ग. B-505 | सिद्धान्तषट् किंशिका , Sattrimshika रा-10/10| सिद्धान्तसार „Sāra | रा-18/12 सि. 392 | स्याद्वाद दृढिकरण सञ्झाय Syadvada Drdhikarana | बा. 315 | स्फुट पन्ने खंडन मंडन Stray Folios of this Section श्रीसार विभिन्न प. ग. भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त सि. 393 | अगड़दत्त चौपइ Agadadatta Coupai मनिराम do रतनचंद सि. 397 अधराज चौढालिया Agharāja Coudhaliya नथमलd/सूरज | सि.गु. 927| अङ्गद विष्टि गुण Angada Viștiguņa स्वामी चौ. 112 | अजीतसेन कनकावतीरास Ajrtasena Kanakāvati जिनहर्षd/oशांतिहर्ष Rāsa B-गु. 15 " " बात " , Baa | B-556 । अञ्जनारास Añjanā Rāsa भुवनकोति/ प ज्ञाननंदि B-985 विनयमुनि/चंद्रसूरि, शिष्य B-गु. 44 , दयासागर, Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग सांप्रदायिक खण्डन मण्डन 7 ★तिमा पूजा स्थापना " " 11 11 कार्य समवाय चर्चा मूर्तिपूजा खंडन आचारादि चर्चा विवाद निर्णय मिनादि तेरापंथी मंडन " मूर्ति मण्डन सांप्रदायिक चर्चा श्रावक धर्म पर रामकथा प्रसंग शोल पर " " 8 23 24 × 11 * 12 x 22 4,14 26 x 1233 x 12 33 × 12*16 x 66 15 x 10 * 10 x 16 23 x 12*15 x 50 23 x 11*12 × 35 25 x 12*20 x 48 25 × 11 * 10 × 33 25 x 12*15 × 60 25 x 11 * 19 × 46 25 x 12*8 x 50 26 × 12 * 8 × 48 33 x 12*16 x 66 विभिन्न 14 8 11 3 4 11 20 12 192 69 14* 6 87* 3 4 24 8 19 48 8A 45 26x12*26 x 64 26x12*15 x 45 19 × 16*35 x 24 25 × 12*15 × 42 19 × 15 * 23 x 36 26X11*16 × 53 22 × 12*11x20 21 × 13*14 × 18 सं. 125 गा. प्रथम अ. 6 ढाल, द्वि. सं. 7 ढाल सं. 5 ढाल " " " 19ff 20वीं 20वीं व्यालपुर प्रसिद्ध विजय 19वीं 1856 x मयासागर 1848 कणांना पद्मविजय 1732 कृति 5 ढाले, 25 प्रश्नोत्तर 1894 पीठपाली पृथ्वीराज 1879 राजनगर " कृति 18वीं 200 प्रश्नोतर 20वीं 1872 x ज्ञानसागर लगभग पू. 35 कार ग्रं. 757 प्र. (संपादक सेठ फतेमन) 20वीं पोकरण पुरोहित 1936 " " 64 II. 6 बा 3 स्तवन, 36, 15, सं. 20 गा. त्रुटक " 9 विभाग ४ अजीवन चरित्र व कथानक सं. 6 दा 11 31 . 13,000 " ܙܐ " 7 बातें 105 IT. सं. 31 ढाल 11 गा. 30 31 777गा. ढा. 43 ग्रं. 1014 " 10 11 125 10 सामान्य चित्र 20वीं व्याहपुर प्रसिद्ध विजय 18/20वीं आगम उद्धरण प्रश्नकर्त्ता दलपतराम 1795 x मोहन विजट 1813 x नेमविजय 707 गा. 3 खंड पं. 19वीं (प्रशारित है लेखककी) 1776 उदयपुर कृति तपगच्छ की पट्टावली है 1000+ 20वीं 20af 1979 की रचना 1906 या कृति 1943 बागावास सुतानमल 1909 नागौर 20वीं वीरमगांव करमचंद 1464 की कृति कृति 1778 सिवाणा Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___126 भाग ३-जैन भक्ति व क्रियाकाण्ड 3A 5 B-1077 अञ्जनारास Añjanā Rāsa पूण्यसागर अज्ञात | सि. 394 11-2 सि. 395-6 | बा. 316 2 प्रति बा. 319 सि. 398 | अतिमुक्तकुमार चौपई Atimukta Kumāra coupar हीराचंदd/०मनरूप, B-887 अनन्त कत्ति चरित्र Apantakirtti Caritra वीरसुंदर do , मणिभद्र B-751 बनाथी ऋषि सज्झाय Anāthi R$i Sajjbāya । मुनिराम do कनकविज अभयकुमार कथानक | Abhaya Kumara Katha सि. 399 |. , चौपई " , Coupai अमरसेन जयसेन चौपई | Amarasena Jayasera C. सुमतिहस चौ. 113 जिनहर्ष | बा. 317 धर्म समुद्र सि. 401 | अमरसेन चौढालिया , Coudhalia कुशालचंद ,, वयरसेन चौपई , Vayarasena C. | जयरंग do पुण्यकलश बा. 318 | अम्बड़ चरित्र Ambada Caritra अमरसुंदर रा. 24/6 अरदास चरित्र Aradāsa कुशालचंद | अर्जुनमाली चरित्र Arjun Malr Caritra ऋ. जयमलजी सि. 406-7 , चौढालिया 2प्रति , Coudhalia अज्ञात सि. 405 सि. 408 29 ,, चौपई B-1056 अन्त्रिक चरित्र Arhannaka Caritra राजहर्ष d/o ललितकीत्ति | सि. 402 , Coupai नयप्रमोद d/o | हीरउदय सि. 403 ,, पांचढालिया » Pāñcbạbāliā कुशालचंद सि. 404 | अर्हन्नक रास Arbannaka Rāsa महिमासागर बड़अवन्तीकुमार चौपई । खरतरगच्छ 34-6 सि. 409, 3 प्रति Avantrkumāra Coupai शांतिहर्षd/oजिनहर्ष - 410-11 37 | रा. 25/1 | सज्झाय Sajjhayya' जिनहर्ष Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ -जीवन चरित्र व कथानक 127 7 8A 9 10 11 शील पर . | 19 25 x 11*16x44 25x12*16x38 11,18 | 25 x 11*विभिन्न अ. तीसरे खंड को 5वीं 20वीं (सांचौरकी कृति) साथ में 2 पर अन्य ढाल तक अंजना चौपाई के सं. 158 छंद 19वीं पहिलइनकदवै हो ,, 134/149 गा. 19/20वीं तिंवरी/पालो सील समोवर को नहीं , 158 छंद, दोहे | 19वीं सीलतणी महिमाघणी अतिरिक्त , 14 पद 1934x ऋ. नथमल 1912 वीसलपुर कृति 25x12*12x34 गौतम जीवन प्रसंग 2 25x11*10x28 शोल पर 26x11*13x37 , 304 गा. 18वीं 1596 मोहननगरी कृति विरक्ति पर | 16x7*9x32 , 30 गा. संतोष पर 29 x 12*13x44 , 110 श्लो. 17वीं अस्तीह चित्य श्रेणी नवकार प्रभाव 20x11*11x33 , 52 छंद 1978 सामान्य रात्रि भोजन पर 25 x 11*14X43 .9 ढाल (164गा.)तक है| 19वीं 12x19*17x26 | त्रुटक 23X10*15X43 सं. 156 गा. 1724 लुणावा पदम 20वीं x उजलाजी दान पुण्य पर 19x 10*15x23 , 24 ढालें 1898 महिपुर कृति 24x 15*29X18 , 20, 1827 1700 जैसलमेर कृति जिन भक्ति पर 27x12*11x37 , आठ आदेश 1942 जैसलमेर रत्नचंद सम्यक्त्व पर 25x12*15x46 ,64 ढालें 1959 (प्रशस्ति है) 1879 की कृति जीवन परिवर्तन 26X12*26X64 24x10व25x11 22x12*16x30 , 11 ढालें | 1943 बागावास सुल्तानमल 1 , 9/8 ढा. सह अरणक| 19/20वीं वर्द्धमान जिनवर नमु. प्रसंग , 5 ढा. 20वीं, ऊंझा, रंगा सौदागर मिलिया पछे 1767 असाढा ज्ञानशेखर 1732 दंतवास कृति 19वीं जालोर नवनीत 1713 की कृति विजय 1943 नयाशहर सुल्तानमल 1886 की कृति परीषह पर 25x10*15x44 24x10*14X40 26x12*26x64 परीषह पर 3 25x11*15x40 ,, 8 ढा. 18वीं (केशरदेपठनार्थ) 1774 कृति ,, 102/5गा. = 1 2 ढा. 19/20वीं 1741 राजगृही कृति ऐतिहासिक कथा 5,3, 524से26 x 10से 12 21* | 24x12*10x27 4 ढा. | 20वीं Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128 भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त 1 2 3 3A 5 38-40/ B-254, | अष्टप्रकारी पूजा रास | Astaprakari Puja Rasa | उदयरत्न d० प 419,504 3 प्रति शिवरत्न 41-2| सि.412-3 आनन्द पावक संधि | Ananda Sravaka Sandhi श्रीसारd/रत्नहर्ष ,, 2 प्रति 43-4B275,850 , , 2 प्रति ॥ | रा. 24/4 46 | सि 414 -- आराधना स...कथा . Aradhana S... Katha चौ. 114 आरामनंद कथा Ārāmananda Katha B-885 आरामशोभा (देवकुमार)| Aramasobha Prabandha धर्ममेरुd/oधर्मसुंदर प प्रबंध आर्द्रकुमार चौपई Ardra kumara Coupai ज्ञानसागर बा. 320 सि.415 "d/o माणिक सागर ,, Dhamala | कनकसोम , धमाल सि.गु. 889 सि. 416 , चौढालिया ,, Coudhalia | अज्ञात सि. 417 | आषाढ़ अति चौपइ Āsādhabbūti Coupai | भक्तवत्सल कनकसोम " रास » Rāsa 55 | सि.गु. 889 , चौढालिया , Coudhalia 56 | B-543 57-9 सि. 418-20 , पंचढालिया Pañcadhālia 3 प्रति 60 | B-890 विलास Vilasa 61-2| सि. 421, | " , 2 प्रति 925/ 63--5| B-255, | इलापुत्र चौपई 3 प्रति| Ilaputra Coupai 355, 1030/ | सि.गु. 925 भाग्यसागरd/o शुभवर्द्धन | मु. रायचंद d/ जैमल ज्ञानसागर djo माणिक , " " | सि.गु. 918 सि. 422 सुन्दरसूरि d/o जिनसमुद्र | अज्ञात " चौढालिया , Coudhalia सि. 423 उत्तमकुमार चरित्रं Uttamakumara Caritra मू (प ग.) " प्रबन्ध सि. 424 B-1080 | 1 Prabandha ataka " विनीतविजय Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ ब - जीवन चरित्र व कथानक श्रावकाचार भक्तिपूजा कथानक 51,44, 25से26x11 ज्ञानदर्शन चरित्र बम्यवत्व पर अदत्तादान पर जीवन प्रसंग 11 21 " " " " औपदेशिक 54 " भावना पर पिंड विशुद्धि पर 7 15 " " " 44 " - 21 दान पर " " - 8 11 "" 72 88 25 x 11*16 × 40 13,22 | 25 x 10 व 26 x 12 22 x 11 *9x32 21 47 11 18 9 25x11*17x50 2,4,424 x 11व21 x 9 (दो) | 21 × 11 * 13 x 30 8,11 26 x 10719 x 11 स्त्रीभाव कर्म 110,120 25 x 11 * विभिन्न 6 19 × 11*16 x 34 13 x 13*13 × 13 26x12*26 x 64 15 4 1 3 87* 2 13 7 40 8A 87* 55 565 27 x 9*10 × 39 1 33 x 22 * 54 x 32 15 11 × 26*17 × 50 35 26 × 11 * 12 x 48 25 × 10*19 × 35 25 x 10*12 × 31 24 x 11*13 x 36 33 x 12 * 54 × 32 25x12*18× 37 26x12*26 x 64 15 26x11*9 x 36 25x10*14x41 25 x 11 13 x 40 17 " अ सं. 78 ढा. 2104 गा. 19वीं ( प्रशस्ति है तपगच्छ ) 1755 पाटणकृति ग्रं. 3000 15 ढा. = 250 गा. 19वीं 1684 पोहकरण कृति 7वें अंगानुसार #576 ===== "1 33 सं. 538एको ग्रं. 405 " " 49 गा. सं. 4 ढाल 5 ढा. 31 " " 11 " 33 " विक्रमपुर /तिमरी 1897 कुचामण व्यास गुफा 15वीं 18वीं 18वीं सुभटपुरे रनवर्द्धन 1755 अमीचंद 1778 देलवाड़ा मेघराज 19वीं गोली भावविजय 1926 बजीमगंज जीबा 20वीं (1855 की कृति प्रणमु प्रभाते उडिने 1943 बागावास सुल्तानमळ 1926 अजीमगंज जीवा 1638 कृति 50 गा. (प्रथम आदर्श) 1731 विरमगांव भाग्यसागर 1731 कृति 19वीं 1836 नागौर कृति 1765 जोधपुरे 1724 चक्रापुर कृति 1728 व 1817 11 19 ढा. = गा. 301 9 ढा. 9 4 ढा. 5 ढा. TT. 325 16 वा. अं. 351 " 4 ढा. T. 221 17 ग्रं 259 ..18ढा. (वेगढ़ चन्द्रगच्छ ) 1769 स.. नकगढ़, क्षमासुंदर 1943 बागावास सुल्तानमल 18ff 19वीं 10 " अ. 64 अनुच्छेद त्रुटक 17 ढाल तक सं. 43 ढाल 11 1817 129 अंचलगच्छीय 16 डा. गा. 29.2671823-94 ( विधिपक्षीय) 1719 दोषपुरकृति लूंग 1751 विरातरा कृति 1668 बायडाकवकृति 1727 सप्ट प्रकृति 1644 अमरसर कृति " "1 दानयशो वितनुते Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 130 1 1242 72 73 74 75 76 बा. 321 सि 425 सि. 426 77-8 सि. 428-9 ऋषमचरित्र 79-82 T. 21/10 12, 32/32 सि. 427 83 84 87 90 91 92 96 चोपड़ B. 998 विवाहला 85-6 सि. 4301 ऋषिता चौपाइ 2 प्रति कठिया कान्हू चौपड़ बा. 322 88-9 f. 432-3 बा. 323 97 2 सं. बा. 98 B-83 93-4 B-544-57 95 सि. 434 चौ. 115 101 105 B-207 B-293 B-783 उत्तमकुमार कथा उत्तर चरित्रं उत्तराध्ययन कथायें " B-552 उधराजा छडालिया ار ار 3 कथा ग्रन्थ 31 33 " 11 कर्तवला चोपड़ 11 " " कर्मचन्द प्रबन्ध " 2 प्रति 2 प्रति 102 रा. 24 / 8 कामदेव चौपद 103-4 सि. 439-40 कार्तिक सेठ चोपड़ 2 प्रति कालकाचार्य कथा Urtamakumara Katha 2 प्रति Rsabha Caritra 4 प्रति Uttara Caritram Uttaradhyayana Kathay em " 3A 11 Udai Raja Chadhalia " " Caupai Vivahalau " Rsidatta Caupai Kathiyārā Kanhada " Katha Grantha 31 " Caupai Kayavanna Caupai . 11 सि. 435 कर्म शुभाशुभ फल Karma S'ubbas'ubba 99-100 सि. 436-7 कलावती चौपद 2 प्रति Kalāvatī Caupai fer. 438 काबंदी धन्ना सताया Kakandr Dhanna Satadhalia Kamadeva Caupai Kārtika Selha Caupai Kalakacārya Katha 11 31 Phala अज्ञात 4 रायचंदd / जैमल 3 " ऋ. चौथमलजी भाग ४ - जैन इतिहास व वृतान्त मानत/०जीत तपा. T Karmacanda Frabandha गुणविनय d/o जयसोम रनसागरd/o विजयसेनरि ऋ. रायचंदd/०जैमल 31 33 आसकरण ऋ रायचंद / जैम समयसुन्दर F ग.प. (ना) ग 32 प " लाभोदय सूरि खरतर प d/oभुवनकीर्ति जयरंग /० पुण्य कलश जयरुको d/o धर्म मंदिर जय रंग (जयतसी) "" 11 प. ग. 21 11 " " " ". 13 5 मू.ग मा. सं. " " मा. 11 " " " 11 " सं. मा. 21 11 11 17 21 11 6 = सं. Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 131 - 8A 10 दान पर 27x13*14x42 1942 गोंडल व्रजलाल साहित्यिक ऐति. 125x11*13x31 17वीं आगम पर दृष्टान्त 55 26x11*17x50 | प्र. 19वें अध्याय तक 1779 26 x 11*16x48 | अ. 18वें | 1788 खिदावरी आर्या राई ___87* 26 x 12*26 x 64 ऐति. प्रसंग तीर्थकर जीवनी , कुछ छठी ढाल अधूरी | 1944 नयाशहर सुल्तानमल सं. 47 ढालें | 19/20वीं 1840 पीपाड़ कृति 23,3425x11*विभिन्न 20वीं सामान्य 25से26 x 12से । 3 25.25 87* | 26x12*26x64 , 15 ढालें 25x11*11x35 ,, 236 गा. 1943 बागावास सुल्तानमल 1936 जैसलमेर विजचंद सासन देवीय पायपणमें 19/20वीं ____1864 देवगढ़ कृति 21.28 23x11425x11 57 ढाले 22x11*14x35 ,, 9 ढालें 1852 धान्यपुर 1747 पद्मावती कृति 7,25* 12424X10 " , = 162 गा. | 19वीं मरुधर देशे " " बोपदेशिक अ. बीच के पन्ने 25x12*16 x 42 27x11*17x38 | सं.77 ढा.(प्रशस्ति है) 1748, बांता, मोहन विजय 1673 ? कृति 26 25x11*12x35 , 31 ढालें 19वीं 1721 कृति 14,17| 26x11425x11 द्वि. सं. प्र. अपूर्ण 7से 31 ढा. 19/20 (प्रशस्ति है) 1731 बीकानेर कृति 25x10*15x37 पू.31 ढाल(अंतिमपन्नाकम) 19वीं 92से95 एक ही हैं ? पणमिय पास जिगेसर 27x11*13x45 | अ. 18वीं जीवन चरित्र । | 26x11*13x45 | 1655 की कृति पदी आदि दृष्टान्त 4 24x12*10x31 |, 45 पद 1980 मोकलसर शील पर 22 x 1024x11 ,, 16 ढा. द्वि.अ. 3से 16| 19/20वीं 1837 मेड़ता कृति | 1943बागावास सुल्तानमल 1859की कृति बोपदेशिक प्रसंग | 87* 26 x 12*26 x 64 ,, 7 ढालें श्रावक जीवन 68* नवपदाराधना 24x11*19x14 |, 4 ढा. (सातवें अंगानु- 20वीं 1827 जोधपुर कृति सार) 5,87* | 20 x 11426 x 12 , 5 ढालें 9 | 25x11*17x52 , ग्रं. 451 |1740प्रेमापुर रामसागर 1646वीरमपुरेकृति 20वीं घद्वारा लोक सेवा Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 132 भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त ___2 3A 3A ____ 456 106 चौ. 116 | कालकाचार्य कथा Kālakācārya Katha 107 लक्ष्मीवल्लभ चौ. 117 " सि. 441 B-886 | जिनभक्तिसूरि राज्ये B-777A सि. 442 कीत्तिधर व्याख्यान Kirttidhara Vyakhyana | चौथमलd/oनथमल प 112 सं.बा. कुंचक सेठ कथा Kuscaka Sețba Katha सि. 443 | वण्डरीक पुण्डरीक चौढालिया बा. 324 || कुमारपाल रास Kundatka PundarTka | अज्ञात Caudbālia Kumārapāla Rasa जिनहर्षd/oशांतिहर्ष 114 115 B-431 116 चौ. 118 . 117 | सि. 444 | कुसमश्री वीरसेन चौपइ | Kusumasi Virasena | जिनहर्ष Caupai 118 | सि.445 | कृपाचन्द्र चरित्र Krpacandra Caritra जयसागरसूरि 119 सि. 446 | कृष्णजी की ऋद्धि Kranji-KI-Rddhi ऋ. जयमलजी 121-2 मू+ट (प.ग.) 120 | सि. 447 | केलावती सती चरित्र | Kelavatr Satr Caritra अज्ञात सि. 448-9 कौणिक चौपइ 2 प्रति Kaunika Caupai सि. 450 | (चेड़ा),, चरित्र , Caritra 124 | B-1051 | कौशल राजर्षि चरित्र Kaus'ala Rājarki Caritral - क्षुल्लकुमार चौपइ Ksullakumara Caupai | क्षमाप्रमोद 126 B-1000 | क्षेमऋषि सज्झाय Kşema Rşi Sajjbāya अमरकीत्ति 127 | बा. 325 गजसुकमाल चौपइ Gajasukamāla Caupai 128 सि. 451 जिनराज d/o सिंहसूरि रतनचंद 125 सि. 452 130-1 सि. 453-54 , लावणी 2 प्रति Lāvaņi रामकृष्ण d/o हीरानंद Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 133 8 . 8A 10 10 11 साधु द्वारा लोक सेवा 14 11x26*13x41 1887x महाजन चरित्रसिंह कल्पसूत्रान्तर्गत 12x26*15x40 25x12*13x33 20वीं जीर्ण व चिपको हुई 1920 विक्रमपुरे चिजोरा . पू. प्र. पन्ना योगशास्त्र | 1715x चारुदत्र कर्ता मेरुसुंदर बा. का: 1797 गुढा परत्रसागर प्रशस्ति है | 25 x 11*15 x 53 परीषह-मोक्षगमन 25x12*14x46 , 11 ढा. 20वीं जयमल संप्रदाय औपदेशिक जीवन 25x13*11x35 1944 बोटाद जयशंकर शिथिलाचार 26x12*26x64 ,, 6 ढा. 1944 ब्यावर सुल्तानमल पुंडरीकणी नामे वोजे जीवन चरित्र 26 x 11*16x40 26x11*17x43 1, 129ढा. = 2876गा. 1806 आषाढा सुमतिशिष्य 1742पाटणकृति प्रशस्ति है , , , ग्रं. 4050|1820तलडांवावाड़ा सुमतिसागर ,, 130ढा. ,, I.4160| 1845पौढीनगर पुण्यराज जीर्ण व चिपकी 25x11*17x41 26x 11*17x46 | त्रुटक 27 ढा. गा.782 27x13*16x50 | सं. 5 सर्ग . 1995 आहोर मोहनलाल कृष्ण महिमा 25x12*17x35 ,31 पद ग्रं.50 20वीं शील पर 87* 26x12*26x64 ,, 15 ढालें जीवन चरित्र " 24X12426X12 , 26/27 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल जुगबाहु जिन जगतगुरु 19/20वीं आठ भवेपहिलोहुतो 11943बागावास सुल्तानमल तपसीहुतो पूरवर्भवे 87* | 26x12*26x64 , 23 ढा. 25 x 11*11 x 53 पू. प्र. पन्ना कम गा-102 1887x विवेकसागर काम निवारण 18x 11*10X20 18वीं साधु पारणा प्रसग 2.25x11*11x38 क्षमा केवली चरित्र 10 | 25x11*22x 63 ,30 ढाल | 1709 मेड़ता प्रह्लाद मुनि. नेमीसर जिन वरतणा 19वीं राजनगरेकनक निधान 1699की कृति 26- 11*18x51 30 .750 |, 7 ढाल 1943 बागावास सुल्तानमल नागौर कृति 26 x 12*26 x 64 26 x 12425 x 11 20वीं 1867 चित्रकूट कृति Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134 भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त 1 2 3 3A 456 132 | सि.गु. 889 गजसुकमाल सज्झाय Gajasukamāla Sajjhāya | देवचंदd/०दीपचंद | प 133 | सि. 455 | गजसिंह चरित्र Gjasigha Caritra रामचंद्रd/oवृद्धिचंद, 134 | सि. 456 ." " मोतीलालd/oसंतोष , 135-6 सि. 457-8| गुणकरंड गुणावली चौपइ Gupakaranda Gupavali ऋ.दीपाd/०वर्द्धमान 2 प्रति | सि. 459 जिनहर्ष B-216 गजकुशल do दर्शनकुशल सि. 460 140 | सि. 461 | गणमालासती चौपइ | B-13 गुणवर्मारास सि.गु. 931 गुणसुन्दरी चौपइ B-221 | ,, (सागरचंद), | B-991 | गुरु अमरसिया Gunamala Sath Caupai ! ऋ.सवितd/o | विनचंद Gunavarmā Rāsa क्षमाप्रमोद d/o | ___ धर्मचंद Guņasundari Caupai | सुंदरसूरिः समुद्रसूरि 144 Guru Amarasiya जैतसागर 145-6 सि.462-3 चन्दनबाला वार्ता 2 प्रति Candana Bala Vārtha | अज्ञात 147-50| सि. 464-7 , रास 4 प्रति , Rasa ऋ. ब्रह्मराय 151- B-249 | चन्द्र चरित्र Candra Caritra विद्यारुचि d/o लक्ष्मीरुचि 152-3 सि.468-9 2 प्रति 154 बा. 326 | मोहनविजयd/o रूपविजय 155 | रा. 25/6 156-7 सि. 472/3 2 प्रति 158-64B-195,256, 7 प्रति 389,432,986, *241,288 B-889 चन्द्रधवल धर्मदत्त चरित्र | Candradhavala Dharma- जयनिधान d/o datta Caritra जिन भद्र 166 सि. 470 | चन्द्रप्रभा चौपइ Candraprabbā Caupai दयाचन्द्रजी 165 167 सि. 471 | चन्द्रलेखा चौपइ Candralekha Caupai | मतिकुशल d/o मतिवल्लभ / 168B-424 169 | रा-25/7 | Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ - जीवन चरित्र व कथानक क्षमा केवली चरित्र सी पर जैन मुनिराजा कथा पुण्य पर 71 " पदेशिक प्रसंग पूरा पर पर 7 चंद्रसूरि मृत्यु व पाट उत्सव फोक, दान, ऐति 1 11 शील उपदेश 11 " "1 "1 " दान पर शील पर सामायिक पर 8 1 14 25 x 12*15 x 43 24×11*17x43 13, 18 25 x 1126 X 11 4 28 14 15 87* 113 3243 22 15* 62 29,8 102 59 13 8A 21×12*12×32 2,2 25 x 12*23 x 35 5,5,7,8 24x11*fafar 20 33 x 22 * 54 × 32 20 70* 25 x 13*15 × 30 26 x 11 16 x 48 26 x 11 16 x 41 26 x 12*26 x 64 26 × 12*17 x 42 25 × 15 * 15 × 38 26x11*15 x 45 7071 25 x 1126 x 11 90.99.114 25से27 x 11 से 12 79,114,68, 33 14 26×11 * 16 × 51 24 x 11*16 × 46 25 x 12*20x45 25 x 12*16 x 45 24 x 10*16 x 50 25 x 11*16x40 25 x 13 17 x 37 सं. 38 गा. 27 ढा. " 11 " अपूर्ण 4 डा. अंतराल .. (1978 जोधपुर कृति ) सं. 27 ढा ग्रं. 751 1884/1793 1887 समदाणा परमानंद 1748... कितनगर 29ढा. = गा. 519, प्रशस्ति अ. 27 मी डा. 10वीं गा तक है 19वीं " , 3 खंड 40ढा. 700गा. 1769 " " " 11 27 ढा. सं. 7 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल 1885 दिस्मी कृति ढा. 102 खण्ड 6 प्रशस्ति 1825 जैसलमेर रूपचंद 1815जैसलमेर कृति " 1754 विरातरा कृति " 9 17 " " 40 ढा. 692 गा. 85 पद 2 ढा. 25 × 1024 x 11 अ.प्र. 4 खंड हि. 1 खंड अ. 19वीं भीनमाल सिरोही कृति 25 × 10 * 15 × 41 सं. 4 खंड, 108ढा, 2671गा. 1845 सोजत जयसिंह 1738 राजनगरकृति 1902 उग्रवास रूपचंद प्रशास्ति है ܕ ܕ नं. 4000 अंतिम 2प्रति " अपूर्ण 651 65/79/149/149पद 20वीं 6 खंड 102ढा. प्रशस्ति 1802 नवसरावाधकी 1771-7 कृति तपगच्छ 31 " " 1926, अजीमगंज, जीवा 20वीं 10 27 डा. 29 ढा. 624 गा. 29 ढा. 646 गा. 29 T. जमलजी संप्रदाय अति अल्प अंश 1757कृति गुजराती गच्छ 1757 की कृति शिष्य 11 135 1714 कृति तपगच्छ 1769 समुद्री मोहनविजय खरतरगच्छ 1977/8 20वीं चनणबाला री वारता कहे 1842/1829 18 / 19वीं 19वीं 1976 x गोपीनाथ 1793 गुठा ज्ञानाल 1878 काणांना विवेकसागर 1946 घमणोर इन्द्रचंद तिलवाड़ा कृति 1728 कृति खरतर पिचिया के कृति Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 136 भाग ४–जन इतिहास व वृतान्त 4 5 23 ЗА 170 बा. 327 | चन्द्रायणरास Candrāyana Rāsa अज्ञात 171 172 B-892 | चन्द्रोदय चौपई रा. 32/26| चंपकचरित्र रा. 25/4 | चित्त ब्रह्मदत्त चौपइ Candrodaya Caupai अभयसोम d/o सोमसुंदर Campaka Caritra चौथमळd/o हीरालाल Citta Bramhadatta Caupai कनीराम 173 174 24/7 175 | चित्तसंभूत चौढालिया Citta Sambhita Caudhalia| अज्ञात 176 | बा. 328 | चित्रसेन पद्मावती कथा | Citrasena Padmavatr पा. राजवल्लभ do मू. प. Katha महिमानिधान 177 | सि. 475 " ॥ मू+ट (प.ग.) 178 | B-400 179 | B-26 180 ,, Caupai B-95 , चौपइ रा. 14/20| चेलणा चौपइ | सि. 476 रामविजय d/o जिनहर्ष ऋ. दयाचंद 181 Celnā Caupai , 182 रामd/oकनकविजे 183 सि. 477 184 185 चौढालिया Ceinā Caudbāliyā ऋ. रायचंद 186 रा. 24/8 | चौढाल्या चौपइ संग्रह बा. 330 जंबकुमार चरित्र Caudhalia Caupai । संकलन Sangraha Jamba kumāra Caritra | भुवनकीति 187 188-90/ B-198, | चौपइ 3 प्रति 454 गू.71 191-3/ रा. 21/9, जंबूगुणरत्न माला 3 प्रति 32,34,12| 194-5 रा.21/4,7| जंबूरास 2 प्रति " , Caupai | नयविमल d/o धीरविमल ,, Gupa Ratan Mala| अज्ञात „ Rāsa 196 चौ. 119 | जंबू स्वामी कथा ,,Svāmī Katha 197 | B-39 198 | सं.बा. 199 | सि. 480 | Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ - जीवन चरित्र व कथानक चन्द्र राजा चरित्र जीव दया पर जीवन चरित्र उत्तराध्ययन कथा = शील पर उत्तराध्ययन प्रसंग 31 21 दानशील जीवनी ऐति 11 7 ऐति. जीवन प्रसंग 4:5 " 19 11 11 " "1 " 8 43 3 6 ལྷ ཛྱཱ ཎཱུ ཀླུ ང ཞ 21 ৩oon 6 औपदेशिक चरित्र 68 जीवन चरित्र 10 9 5 7* 35 9 23 42 8A 19 24 x 10*14 x 38 26 × 11*15 × 56 25 x 12*18 × 57 26x12*12 x 45 26 ×19 *19 × 50 25 × 11*18× 48 25 × 10 * 18 × 48 24 x 11 * 16 × 37 24 x 11*19 x 44 24 x 10*17 x 50 27, 26, 24 से 26 × 13 से 17 30 36,31, 26x12*fafw 25 30,37 25 x 1226 x 13 11 × 26*17 x 36 24 x 11*13x 30 26 x 11 12 x 34 24 × 1। * 7 × 44 25 x 11 *9 x 48 26 × 12*16x43 23x11*15 x 40 24x13 *13 × 38 24 x 10*15 x 45 24 x 10 * 13 x 33 28 × 13 * 10 × 31 25 x 11 * 10 x 34 33 पू 9 अधिकार | 237 गा. 19वीं जीतसागर ग्रं. 1610 सं. 7 ढा. " " अ. दूसरे खंड की 10वीं ढा. तक सं. 4 ढालें ," " " 37 31 "1 TT. 257 9 चार खंड 20 वी 19af 18वों 1524 की कृति ग्रं. 1228 टब्बासह 1979 सिवाणा कपूरचंद टब्बाकर नयविजय " 1872 × बालसागर 1874 जैसलमेर जयचंद्र 1823 बीकानेर कीर्तिधर्म 20वीं x रामकृष्ण " "1 " 513 दलो. 505 लो 13 ढा. 17ढा. (अंतिम दाल 20वीं अ. ढाल 3 से 24 अंत तक 504 लो 31. ढा. गा. 495 1930 करमावास 20 वीं सं. 4डा. 1स्त तीर्थकर 20वीं संतान ÷ प्र. 30 चरित्र सं. 4 अ. ढा. 55 12 T. 35 ढा. 50 डा. (प्र. में 1 पक्षा कम) पू. (छठा पन्ना कम ) सं. 35 ढा. ग्रं. 1100 L ग्रं. 400 1760 बिल्हावास भत्ता 1987 1957 10 31 31 18वीं 19वीं ( है 20वीं 1929 137 11 पहिला पन्ना कम 1981 सादड़ी कृति पीपाड़ कृति 1708 करमावास आत्मानंद 1882 षोभ हितसमुद्र 1814 बीकानेर कृति खरतर बेमशाखा ÷ ऋ. रायचंदजी कृत पहिले 2 पन कम है गृही नगरी क मेला सांकृत मुख्यर की अलग प्रविष्टिी की है 1893 पालीताणा माणिकचंद 1738 की कृति जीर्ण Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 1 200 201 202 203 204 205 रा. 24 / 3 | जिनदास सुगुणी चरित्र सि.नु. 923 जिनदास सोहगदे सहाय .सि. 484 जीरण सेठ पारणाधिकार रा. 25 / 7 झणकारकासती चौपड़ fir, 489 208-11 f. 485-88 212-3 सि. 490-91 झूठल सम्बध 206 207 214 215 218 219 220 216-7.21/1-2 fer, 492 221 222 223 224 225 226 227 2 228 229 सि. 481 रा. 24 / 8 सि. 483 जब (यव) मुनि चौपड़ बा. 331 B-965 सि. 493 -1064 रा. 24 / 8 बा. 332 बा. 333 बा. 334 बा. 335 बा. 359 at. 336 B-702 जंबू स्वामी कथा जयघोष चौपद fer. 494 " ढालसागर " " " Jtrapa Segha Paragādhi- मुनिमान kāra Jhagakārakā Sati Caupai षभ झांझरिया ऋषि सझाय Jhathjhariya Rai Sajjhāya चौढालिया 4 प्रति Caudhaliya 17 3 " " " 33 " " " " " " " 2 प्रति तावली तापस ढालिया Tambali Tapasa Dhaliyā | अज्ञात तिलोक सुन्दरी चौपड़ Tiloka Sundari Caupai तेजसार चौपइ Tejasar. Caupai वैतसीपुत्र चौपड़ Taitaliputra Caupai त्रिषष्ठी शलाका पुरुष Tripathi Shalaka Paruta हेमचन्द्राचार्य Caritra " चरित्र " 11 2 प्रति Jhuthala Sambandha Dhalasagara " " Jambu Svāmī Katha Jaya Ghosa Caupai Java Muni Caupai " 21 " " अज्ञात Jindāsa Sugunf Caritra अमोलख ऋषि Sohagde Sajjhāya| गुणहर्ष शिष्य " " 21 3A ور 11 "1 " 11 31 " 11 " " " 11 15 "" आसकरण /o प रायचंद लब्धिविजय d/o गुण भावरश्न d/o महिमाप्रम रामचंद मुनि 27 4 गुणसागर d/o ,, माग ४ जैन इतिहास व वृतान्त ار सबलदास " बुशललाभ d/o उभयधर्म जयमलजी " पद्मसागर " 21 ग "" " 11 33 " " 11 " " 11 23 ;1 . मू. प. " 31 " 11 52 हि. मा. 13 11 31 11 11 11 11 " " 33 22 " " 11 सं. " ار 6 "} 11 Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 139 8A 1 1011 जीवन चरित्र । 20 27x13*11x33 सं. ग्रं. 850 1965 सिवाणा कपूरचंद ... सामान्य उत्तराध्ययन कथा 68* | 24x11*19x44 |, 7 ढा. 20वीं 1830 मेड़ता कृति अज्ञान परीषह 22 x 12*18 x 48 , 10 ढा. , xजांशी बद्री परिसहो इकसमो नामे दया पर 24x12*16 x 48 ,, 4 खंड प्रशस्ति है | 20वीं 1960 की कृति शील पर 16 x 10*19x14 ,, 23 गा. पन्ने 36-37 1845 महावीर जीवन प्रसंग 26 x 11*9 x 35 ,, 28 गा. 1922 औपदेशिक जीवन | 70* | 25 x 13*17x37 ,, 35 ढा. = गा. 909 1946 घमणोर इन्द्रचंद . 1934 कृति क्षमा शील पर | 34* 25 x 11*13x14 , 38 गा. 18वीं 2,3,2,2 23 से 26 x 10से 12 , 4 ढालें 19/20वीं 1756 कृति पुन मियागच्छ श्रावक व्रत महिमा 3,87* | 25x11व26x12 1943/51 1910 जोधपुर कृति पाण्डव यादवरास 85 | 26x12*17x62 , 9 अधिकार 151 ढा. 1863जसोल पविजय 1672 ऋषिटेश्वर कृति __108 | 25x11*14x46 पू. अंतिम पन्ना कम | 19वीं , 5 ढालें वरन 105, | 25x12*विभिन्न सं. 151 ढा. ग्रं. 4000 20वीं 1676 तुर्कटेश्वर ? कृति 1351 भगवती सूत्रे कथा 87* | 26 x 12*26 x 64 , 9 ढा. 1944ब्यावर सुल्तानमल चौविसवां जिनगोल पर 6 25 x 11*15 x 37 |., 12 ढा. 1998 देवीपाली, उजला 1892फलोदीकृति गोक्षगामीको जीवनी 15 26x10*14x51 | पू. 415 गा. प्र. पन्ना कम 19 वीं दी।नगर रत्नसागर 1624 वीरम पुरी कृति सम्यक्त्व पर 8* | 24x11*19x44 | सं. 8 ढालें 20वीं 1825 नागौर कृति 7वां पर्व राम कथा 89 25x10*15x49 | प्र. 13 सर्ग 17वीं नागपुर तुलसीदास 3वां पर्व यादव कथा 136 31*13*14x48+, 12 सर्ग, ग्रं 4689 1447भगकच्छपुर सहजतिलक प्र.2 पन्ने कम 25x11*15x45 4710 | 16वीं 25x11*13x37 17वीं 27x12*10x30 | संपूर्ण 1942 जैसलमेर रूपचन्द महावीर चरित्र परिशिष्ट पर्व 26x11*16x55 सं. 13 सर्ग ग्रं. 3457 - 16वीं स्थविर चरित्र 27x11*11x37 अ. आठवा सर्ग अधूरे तक 18वीं 61 | 28x12*11x37 । प्र. तीसरे सर्य तक । 20वीं Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 140 1 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 250 251 252 253 254 2 सि.गु. 889 थावरचापुत चौढालिया सि. 495 "" सि.गु. 889 दर्शाणभद्र चौढालिया वा. 339 fer. 501 248 सि 502 249 fer, 504 सि. 503 fer. 505 fir 506 चौ. 131 ar. 372 11 सि. 496 बा. 337 B-1066 B-202 बा. 338 सि. 499 चौ. 122 देवपाल कथा सि. 500 देवश्रेणा चरित्र द्रौपदी चौपद 11 11 11 दस दृष्टान्त बालाविबोध ख. 497 दामनकारी चरित्र fer. 498 देवकी चौप रा. 24 / 2 | देवकी ( षट्पुत्र) रास B-779 ,( गजसुकमाल )," 11 21 31 11 देवदत्त ढालिया ا" " 11 3 " 11 " 31 " (पूर्वभव) सझाय द्वारिका नगर नी दाह धनाजी चौढालिया धना शालिभद्र परित्र 23 "" Thāvaracāputra Caudha क्षमाकल्याण liya " अज्ञात Dars'āpa^hadra Caudha - धर्मसी / विजयहर्ष liya 31 Dasa Dretanta Bälävi " " Damanakart Caritra Devaki Caupai 11 3A 11 " " " Devadatta Dhaliya Devapala Katha Devas'rega Caritra Draupadi Caupai " Rāsa " 11 21 ر bodha Calitra 11 अज्ञात कुशलसागर d/o रामहंस 4 मागनुमार शिष्य रतनचंद अज्ञात 11 23 भाग ४ - जैन इतिहास व वृतान्त रतनधर्म अज्ञात Sajjhaya रतनचंद Dvārika Nagara ni Dahal अज्ञात Dhannāji Cauḍbālia Dhanna S'alibhadra वृशालचंद समयसुन्दर कनककीति d/o जयमंदिर (हीरविजयराज्ये) " आसकरण d/o रायचंद धर्म कुमार ) प ;1 " " ग " 7 21 11 मू. प. प " " " "" 5 मा. " " " " "1 31 11 11 " "" 11 सं. मा. "" " "1 6 "3 "" "1 27 मू-+-अ (१.ग.) सं. भू.प. ご Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 141 - ____ 7 8 | 8A | ___10 संयमजीवनी | 2 33x22*54x32 सं. 4 ढा. 1926 अजीमगंज जीवा . 87* 26X12*26x64 , 6 ढा. 1943 बागावास सुल्तान मल जीवन प्रसंग 33 x 22*54x32 1926 अजीमगंज जीवा 87* 26 x 12*26x64 1943 वागावास सुल्तानमल चरमजिनेसर नितन तत्त्व उपदेशात्मक 25 x 11*13 x 46 , 10 दृष्टान्त 17वीं 25X13*17x35 अ.9 तक 19वीं औपदेशिक 87* 26x12*26x64 सं. 8 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल ऐति. जीवनी 25x11*16x34 20वीं रिठनेमी नामेहुवा ,, 11 ढा. , 19 ढा. गा. 307 25 : 12*15x37 गजसुकमाल प्रसंग 27x11*15x40 अ. राज्याभिषेक तक है | 1882 भद्दलपुर नयरमझे 87* | 26X12*26X64 सं. 7 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल 1891कोसाणा कृति जिन पूजा पर 26 x 11*19x54 , 123 श्लोक. 18वीं औपदेशिक 26 - 12*26x64 ,, 9 ढा. | 1943 बागावास सुल्तानमल 1898 सोजत कृति ऐ. जीवन चरित्र 25 24 x 10*15x45 ,, 3खंड34ढा.606गा., 1721 जोधपुर सुगुणकीति 1700 अहमदा1001 ग्रं. बाद कृति 21x10*13x31 |, 39 ढा. प्रशस्ति है । 1843 शिवाणा पद्मविजय 1693 की कृति 26X11*15x50 अ. बीच के पन्ने त्रुटक | 19वीं 25x10*18x45 | सं. 14 ढालें 1879सोजाली पृथ्वीराज शील बड़ो ब्रतोमधे 25x11*19X35 , 17 ढा. 20वीं (भूमिका में कर्ता रतनचंद 16वीं ढा. में गुणसागर) अ. 24 ढा. से अधिक | 1943 बागावास सुल्तानमल 26x12*26 x 64 26 x 11*14x27 सं.4 ढा.+ 1धर्म सज्झाय 20वीं ऐ. वृतांत 26x12*26 x 64 ,, 16 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल श्री नेमीनाथ समोसर्या कठोर तप 25x12*19x58 ,, 7 ढा. 20वीं दान पर 26x12*14x50 ,7.प्र. 1224 ग्रं. 16वीं 20 | 28x11*20x67 , 1224 श्लो. Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 142 भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त 1 2 3 3A 4 5 6 255 | B-132 | धन्न शालिभद्र चरित्र सं.मा. 256 | चौ. 132 Dhanna Salibhadra कीर्तिसूरि d/o | मू+ट (प.ग.) Caritra सोमसुंदर " Caupai जिनराजसूरि (मति-प साराजिनसिंहसूरि " , चौपइ " 5प्रति 257-61 सि. 603-6, गु. 912 262-4B476,777, 10291 265 बा. 340 | प्रति सबलदास 266-7 रा. 23/12 13 सि. 507 || चौढालिया ,,Caudhaliya| फतेहचंद 269 | सि. 607 नौपइ ,, Caupai 270 B-1076 271 सि. 608 सिलोको , Siloko Dharmadatta Kathāgaka 272 |बा. 341 | धर्मदत्त कथानक मू.ग. 273 B-696 धर्मपरीक्षा कथा मू.ग.प. Dharma Pariksa Katha | जयविजय d/o विजयप्रभ Divjakumāra Kathā 274 | B-666 ध्वजकुमार कथा मू.ग. .. " 275 | सि. 508 | नंदबत्रीसी कथा Nanda Batrisi Katha मू+टो(प.ग.) सं.मा. 276 सि. 508 नंदमणियार चौढालिया | Nanda Manjiyara अज्ञात Caudhāliyā 277-8B251,417 नम्मयासुन्दरीरास 2 प्रति Namaya Sundari Rasa | मोहनविजय d/o | रूपविजय 279 | बा. 342 280 | सि. 514 नर्मदा सुंदरी चौपइ Narmada Sundari Caupai ऋ. रायचंद 281-4 सि. 510-3| नमिराजर्षि चौपइ 4प्रति| Nami Rajarsi Caupai | ऋ. धर्मी मुनिराय 285-7 रा-27/63-5/ , ढालिया 3प्रति , , Dhaliya आसकरण 288 | बा. 343 | नल दमयन्ती चौपइ N ala Damayanti Caupai | समयसुन्दर , , 4 प्रति , , , d/oसकलचंद 289-92/B203,276, 423,882 293 | रा. 24/9 मू+ट प.ग.)| प्रा.मा. 294 चौ. 120 | नवकारमहात्म्य कथायें | Navakāra Mahatmya Kathāyem 295 | सि. 515 | , मेरुतुङ्ग (अंचलगच्छ) मू. प. Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 143 8A 10 11 न पर 94 | 25x11*6x42 सं. 9 पल्लव 1875 काणाणा रत्न विजय तपगच्छीय 25 | 24x11*13x35 , 29ढा.गा.500.675/ 18वीं 1678 की कृति प्र. अ. शेष पूर्ण 18/20वीं 8,19,31 22से25 x 11से 12 14,24| 14,20, 25x11*विभिन्न 13| 15 24x10*16x45 सं. 19वीं ,, 29ढा.497गा.675. 1811 जसोल शुभाचंद 39,39, 25x13*18x34 ,, 61 ढा. 1960 बीकानेर 1863 नागौर कृति 87* 26x12*26x64 5 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल 24x10*13x44 | अ. 19वीं शासन नायक समीरइ 22x13*13x25 25x11*14x42 सं. 1978 कोटड़ी हस्तीमल पदेशिक 26X11*15x53 17वीं इह भरत क्षेत्रे कवमीर देशे फल 25 x 11*15 x 43 |, 367 अनुच्छेद 1871xविवेकसागर पर 26x13*13x39 1647 ति. औपदेशिक 25x11*19x60 पदेशिक 26x12*26x64 |, 4 ढाले +आर्द्रकुमार व चन्द्रवा दृष्टांत 1943 बागावास सुल्तानमल तिणकाले तिणसमे चौथा 1,63,64ढा. गा.1454 | 1855/1905 1764 समो कृति प्रशस्ति है। |, 63 ढा. 1466 गा. | 1904 पचपदा विवेकविजे 25x11*17x47 15 125x11*13x34 10 27x11*20 x 37 1, 28 ढा. 20वीं इस गृहस्थ संवाद 5,3,3,3/ 20से25x10से12- 7 ढा. 20वीं उत्तराध्ययन अनुसारे 4,5,6 | 25x12*विभिन्न 7 ढा. =95 गा. 1964 . 1839 कुचेरा कृति विन चरित्र 23 25x10*16x58 6 प्रशस्ति है 3 गा., | 17वीं x दयाशेखर 1350 ग्रं. 18/19वीं 1673 मेड़ता कृति 28,37, 24से 26 x 10से11 27,38/ 20 | 25x12*18x65 20वीं पीपाड़ जीवनदास , (आणंद) 2725x12*15x42 X42 अ. 18वीं 20* | 29x12-17x50 । सं. 294 लो. | 16वीं । 10 1444 कृति Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 144 भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त 3A 296 चौ.92 नवकार महात्म्य कथायें | Navakāra Mahātmya Katbāyem 297 बा. 344 298 बा. 345 | नागमन्तु (त्र) कथा । | Nagamantu (ra) Katha 299 | सि. 516 | निर्मोही राजा चौढालिया Nirmobi Raja Caudhalia रतनचंद 300 सि. 517 | नेमीजिण चरियं Nemi Jima Cariya 301 बा. 347 | नेमीनाथ चरित्रं Nemi Natha Caritra 302 | B-321 , पंचकल्याणक , Paicakalyapakal , फागरास „ Phāga Rāsa पुण्यरत्न || सि.गु. 923 304 | B-378 रूपचन्द 305-6 सि.गु. 862, नेमीनाथ नवरसा 2 प्रति| Nemi Natha Navarasa 914| 307-8| B-85,759 चौक 2 प्रति Cauka 309 | चौ. 121 | अमृतविज do विवेकविज सि.गु. 889| " चौपइ " Caupai रत्नमुनि 311 | रा-32/38 , ,, चरित्र , Caritra ऋ. जयमलजी 312 | सि. 518 जीकेकड़े 3 प्रति ,, Kade 313-5 सि.519, | 520 गु.914/ 316 | सि. 521 ,, चौढालिया , Caudhaliya 317 | B-गु. 11 ___, नवमङ्गल , Navamaigala| लाल , Katha विमलसूरि बा. 346 "" कथा " B-435 | पउम चरियं Paumacariyam Pañcada da Caupai Padmiot Caupai रा. 25/2 पञ्चदण्ड चौपइ B-1081 पद्मिनी चौपइ बा. 348 पर्वरत्नावली 323 वा. 353 | पाण्डव चरित्र 324-5| रा-22/1-21 , , 2 प्रति लाभवर्द्धन d/o |प शातिहर्ष लब्धोदय djo ज्ञानसमुद्र जयसागर o | मू+4 जिनराज मू+ग Parva Ratnāvalt Papdava Caritra , , लालचंद (लाभवर्धन) प Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अजीवन चरित्र व कथानक भक्तिफल " सर्प विष जीवन चरिष तीर्थंकर चरित्र " पांच कल्याणक जीवन प्रसंग 11 11 7 जीवनी " भक्ति / प्रसंग जीवन प्रसंग " 8 23* 87* 56 11 6 6 5 6 2 2,3 7,6 5 I 12 जीवनी सीताराम कथा विक्रम चरित्र प्रसंग 21 शील धर्म कथायें महाभारत कथा 13 6,3,8 11 6 7 73 24 12 8A 113 25 × 11*11 × 28 22 x 10 * 12 × 31 26 × 11*16 × 53 26 x 12 * 26 x 64 27 x 11 * 11 × 27 25 × 11*11x44 24 x 11*15 x 45 26 x 11 22 x 48 26×11*14 × 45 30 x 12*19 × 54 26 × 12*18 × 54 7175 26x12* विभिन्न 16 x 10*19 x 14 25 x 11*14 x 57 23 x 13*16 x 3 25 x 12* विभिन्न 26 × 11*14 × 41 33 × 22*54 x 32 25 x 12*15X44 23x 11*14x44 16 से 25 x 11 से 13 25 x 11 * 13 x 34 21 × 14 * 17 × 21 25 x 12*16 x 39 26 × 11*14 × 39 सं. == " 11 " अ. गा. 97 से 1066 अंत तक ग्रं. 1334 सं. अ. चौथे कल्याणक तक सं. 65 गा. " 11 31 " 11 " 9/8 ढ , 24 x 4 = 96 पद " 2 कथा 5 ढा. अ. " " 11 63 गा. 9 ग्रं. 525 , 1861 जसोल सदानंद 20वीं 19वीं 1943 बागावास सुल्तानमल 19वीं 1760 सीप्री सुथा अमीचंद 20वीं 1845 20बीं 52/53 मा. पू. 50गा. अंतिम गा. कम 20वीं सं. 9 मंगल 11 1826/20 ff 19/20at 1867 x बखतचंद 1926 अजीमगंज जीवा 20वीं 10 19/20 f 11 19वीं ,, लगभग 2500गा. तक है। 16वीं सं. 85 ढा. 974 गा. 20वीं अ. (पहिले 4 पन क्रम) 3 खंड 1785 x धैयं सागर ( प्रशस्ति है ) 1478 परिवसरे नगरपतने सं. 616 श्लो. 18 (प्रथम पत्राक्रम) 1800 जसील " 150 वा. ग्रं. 3785 19/20वीं 145 1876 पाली कृति प्रथम के 6 पन्न े कम हैं कल्पान्तवच्य कल्पसूत्रानुसार जीर्ण सामान्य 1839 कृति "" 1874 कृति नयरसोरीपुर राजियोरे 1744 जयपुर कृति 1733 की कृति 1773 उदयपुर कृति 1767 बिलावास कृति Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 146 माग ४-जैन इतिहास व वृतान्त 3A 4 5 6 326 327 B-57 पाप बुद्धिराजा धर्मबुद्धि- Papabuddhi Raja Dharma मू.ग.प. मंत्री buddhi Mantri B-66 (,) , चौपइ , Caupai | दानविजय d/o कमलसोम B-244 .) " " लालचंद(लाभवर्द्धन), ....d/o हर्षगणि बा. 354 पार्श्व नाथ चरित्र Pars'va Natha Caritra | भावदेवसूरि | मू. प. 328 | 329 | 330 IB. 187 मू+ट (प. (प.ग.) ,, d/o जिनदेव उदयवीरd/०संघवीर मू.ग 331 | B-186 ,,d/oहेमसोम? Pundarika Caudhaliya , रतनचंदd/oगुमान B-393 पुण्डरीक चौढालिया 334 पुण्यधन कथा 335 | बा. 370 | पुण्यविलास रास Punyadbana Katha Punya Vilasa Rāsa जिनहर्ष ,,d/o शांतिइर्ष 336 | B-464 सि. 525 | पुण्यसार चौपइ Punya-ara Caupai पुण्यकत्ति do हंसप्रमोद 338 | B-259 339 सि.524 340 सि. 523 चौथमलd/oनथमल 341 सि. 526 | पुण्यसेन चौढालिया। Puņyasena Cauļbāliyā | अज्ञात 342 | पुरंदर चौपइ Purandara Caupai मालदेव आणंद 343 | सि.527 | पुष्पचूला चौढालिया Pupacālā Caudhāliyā ऋ. रायचंद 344 बा.356 पूजाष्टकं Pajāatakam 345 | सि 528 पृथ्वीचंद सागरचंद Prthvicanda Sagaracanda| अज्ञात चौढालिया Cauļbāliya 346 | B-220 प्रत्येकबुद्ध चौपइ P ratyekabuddha Caupai | समयसुंदर d/o सकलचंद 347-9 सि. 205, " , 3 प्रति 211,573 350 सि. 529 , चौढालिया , Caudhaliya रा. 24/8 | 352 बा. 351 | प्रदेशी केषी अधिकार | Prades'T Kesh Adhikāra । ज्ञानचंद Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग-४ अ--जीवन चरित्र व कथानक 147 - | 8 8A 9 10 11 धर्मोपदेशक 25x11*16 x 43 सं. गद्य+51 श्लो. 19वीं राजनगर, मानशेखर 26x11*15x48 , 341 गा. प्रशस्ति है | 1758 कालू, रामचन्द्र 25x12*16x38 तीर्थंकर चरित्र | 26x11*18x69 25x12*7x40 ,, 532 गा. = ढाल 39 | 1865 x परवारेण 1742 कृति ,, 8 सर्ग गा. 6500 15वों प्रशस्ति है। |, ,, कुल ग्रं. 18,221 1865 काणाणा रत्नविज पाटण 1212 कृति |, 8 सर्म ग्रं. 5,500 1746 मेदिनीपुर सुगुणकोत्ति 1454 कृति प्रशस्ति है। तपगच्छ 1850 जसोल रयणसागर 1444 कृति 26- 11*15x52 26 x 12* कामभोग पर | 24x 11*19x44 ,, 8 ढाल 20वीं 1891 रणसीगाँव कृति 1891 रणसागाव पुण्य प्रभाव 29x7*विभिन्न अ. 912 श्लो. प्रारंभ । 19वीं (कटी-फटी) 1496 की कृति पन्ने कम | सं. 20 स्था. कथासह | 1810 राथसिंह गौड़ोदास पुण्य 20 स्थानक | 104-24x11*17x48 25x 11*16x52 20वीं x बालसागर पुण्य पर 25x10*15x44 ,, 202 गा. 1733 न उहलाई ऋ. जीवण 26x 11*14x57 ,9ढाल प्रशस्ति है | 1796 गोपालपुरा उदैचंद 1666 कृति 26 x 11*19x 49 |, ,, गा. 201 1811 समदड़ी 25x12*18x ।, 51 ढाल 20वीं (जयमल संप्र.) 1979 नागौर कृति दया पर 25x11*13x36 । 19वीं अरिहंत सिद्धने साधुजी शील पर 27x11*16x56 ,367 गा. 18वों साध्वी संस्तारक 24x11*18x39 , 9ढाल 1900 मोकलसर उजलाजी 1840 जोधपुर कृति पूजा कथानक 26--11*18x51 , 1012 गा. 17वीं अष्ट प्रकारी पूजा के भावना पर 25x.11*15x40 , 4 ढाल 20वीं 4जीवनियाँ 26 x 11*14x39 |, 4खंड,45 ढा.870गा. 1767 बासणी दीपविजय 1662 आग्राकृति 1200 ग्रं 27,27, 22मे 26x11. 18/19वीं भैरू शा. के आग्रह से 25x11*18x48 , 5 ढालें 19वीं 24x11*19x44 " " 20वीं तत्त्ववाद प्रसंग । 20 | 25x11*17x47 , 41 ढा., 587 गा. 1786जैसलमेर भीमराज राज प्रश्नीयानुसार Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 148 . भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त । - - __ 1 | ..2 30; __ 45 मा. 353-4l B-252. देशो केशी अधिकार | Pradisi Kesi Adhikāra | ज्ञानचंद 418| 2 प्रति 355-6 सि. 530-1| प्रदेशा राजा चौपई | , Raja Caupain ऋ. जयमलजी 2 प्रति 357 . 25/8 358 B-715 तिलकचंद do जयरंग अज्ञात 359-60/ रा.23/5-6 2 प्रति " " 361 | बा. 349 | प्रद्युम्न चरित्र | Pradyumna Caritra मुनिदेवसूरि म.प. बा. 350 वा. रत्नचंद 363 | B-1075 | प्रद्युम्न चौपइ , Caupai समयसुन्दर 364 सि. 532 " सज्झाय नंदलाल शिष्य ,, Sajjbāya , Dhaliya 365 | सि. 534 ढालिया - 366 सि. 533 | , चौपइ. , Caupai 367 | बा. 352 | प्रबोध चितामणि 368 | | सि.गु. 889 प्रभंजना सज्झाय सि. 535 | प्रसन्नचन्द्र चौढालिया सि. 536 | प्रियमेलक चौपइ Prabodha Cintamani | जयशेखर अंचल- | मू.प. गच्छीय Prabhanjana Sajjhāya | देवचंदजी do |प दीपचंद Prasanna Candra हीराचंद Caudbāliyā Priyamelaka Caupai समयसुन्दर 370 371 | बा. 355 372 | B-215 373-4B243,884/ 2 प्रति d/o सकलचंद 375 | B-234 बंकचूल चौपइ Bankacula Caupai नारद d/o ऋ.धाउ सि. 538 लालचंद do दौलतराम 377 सि. 537 , ढालिया , phaliya राय रतनचंद बल्कलचीरि चौपइ B alkalacrri Caupai समयसुन्दर | बावनाचंदनकुमारी चौपई| Bavana Candana Kumari| मोहनविमल Caupai B. 821 ( बुद्धि दृष्टान्त ( Buddhi Destanta Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 149: 7 8A . 9 __10 11 तत्ववाद प्रमंग 28,21 25x11425x12 | सं. 41 ढा. | 1870/1875 राजनगर कृति.. 21,13/ 25x11425x12 ,34/21 ढा. ग्रं.735 | 19वीं _12_25 x 12*15 x 46 , 21 . 1877 कृति 1747 कृति खरतर 6 25x11*15x45 | 20वीं . , | 1898/1953 , 13 ढा. प्रशस्ति है 18,22] 25x12424x12 , कृष्ण पुत्र चरित्र 30x12*13 x54 , ग्रं. 4955 प्रशास्ति है। 1479 26x11*15x45 ,, 17सर्ग,35693. ,, 1677 राजनेरवंदिरे : 1674 कृति अकबर रत्नचंद्र प्रसंग लगभग पूर्ण 20 ढा. 19वीं 25x11*16x41 24x12*15x41 सं.22छंद+2व्यंग सम्झाय 1984इंदाड़ा शिवनारायण 1964निमाहेड़ा कृति 24x11*17x35 1917 , मन+...सुद्धसु, नेमनमु 23x10*11x30 | अ. 7वीं ढाल तक है वा ढाल तक है 19वीं नेमीसर गुण निलु बीपदेशिक रूपक 26- 11*15x46 | सं.7अधिकार 996श्लो. 1714 तिलक शेखर जीवन प्रसंग | , 3 ढाल = 46 गा. | 1926 अजीमगंज जीवा 33 x 22*54 x 32 26x12*26 x 64 ,5ढा, 1943 बागावास सुल्तानमल 1891 कृति 41710 17x10*22x42 पू. गा. 23से214अंत तक 1764 गढा म. थानचंद 1672 मेड़ताकृति 24x10*15x45 सं. 233 गा. 1819 लूणकरणसर पुण्यकमल प्रशस्ति है 26 x 11*13x42 |, 11 ढा. ग्रं. 305 1723x रत्नविजय 16,10 24x11*विभिन्न 19वों . खरतर सील पर 28 । 25x11*15x35 कुसुमपुरे 16.3 कृति ,751 ढा. 781 गा. | 18वीं ऋ. नाथा 1111 ग्रं. 19वीं | 25 x 11*16 x 53 1859 कुचामण कृति 26 x 12*26 x 64 , 6 ढा. 1943 बागावास सुल्तानपल 1891 रिणसी गांव कृति 2 26 गा. प्रशस्ति है | 1700 x क्षमाशेखर 1681 जैसलमेर कृति भावना पर 26x11*15x48 दया, शील पर 25x11*13x42 , 35 ढा. : 20वीं , 1758 देवगढ़ कृति प्रकार कथाये 3 | 27x12*14x45 ,, 4 कथायें 19वीं विवेकसागर Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150 भाम ४-जैन इतिहास-व वृतान्तः 56 ЗА 381 सि. 540 अज्ञात भरत चक्रवर्ती ढालिया | Bharala Cakravarir Dhaliyā भरत बाहुबली संग्राम , Bahubalr Saigrama B-166 भरहेसर बाहुबली वृति |Bharabesara, vrtti शुभशील तपगच्छ मू+बा (ग.) | . सं.मा. 384 | सि: 541 || भवदत्त भावदेव ढालिया| Bhavadata Bhavadeva | रायरत्नचंद Dhaliya 385. सि. 542 भवदेव नागला चौपाइ Bhavadeva Nagala Caupai . चौथमल सि. 543 भवान्तरी Bbavāntart सोहन मुनि सि.गु. 931 भीमसेन चौपइ Bhimasena Caupai सुन्दर सूरि do | समुद्रसूरि सि. 544 चौथमलd/ नथमल सिः 545 | भृगुपुरोहित चौढालिया Bbrgu Purohita Caudha- | जयमलजी liyā B-173 भोज चरित्र . Bhoja Carita राजबल्लभ घोषगच्छ मू+ट (प.ग.) 390 391 | बा. 357 392 | Maigala kalasa Caupai लक्ष्मी हर्ष Matisagara Setha Katha| कांतिविजय सि 546 | मङ्गलकलश चौपई सि. 547 मतिसागर सेठ कथा रा. 32/27 मदनकुमार चरित्र चो. 124 | , वार्ता Madankumara Caritra | अमोलक ऋषि " , Vartta दाम ऋषि 396 | B-1014 397 | बा. 358 | मदनरेखा सज्झाय Madana Rekha Sajjhaya| अज्ञात 398 | सि.549 | " " , - उपरोक्त 399. रा. 25/1 B-780. 401 सि. 548 मदनसेन चरित्र Madana Sena Caritra ऋ. सांवतd/ बक्तावर सबलदास 402: सि. 550 | मरुदेवी चौढालिया Marudevt Cauļbāliā 403 सि. 551 मल्लिनाथ चौपइ Mallfpātha Caupai भेरवd/उज्जवल 404 सि. 552 , , Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 151 क 8A __ 10 11 ऐति. जीवनी 26x12*26x64 सं.9 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल अनित्य भावना मन शुद्धे 19वी विक्रमपुरे ऐति. प्रसंग 26x11*19x58 औपदेशिक कथायें 25x128x44 प्र. दो अधिकार60-38| 1852 पाट रुजीत विजय 1509 कृति कथाये प्रशस्ति है 26x12*26x64. सं. 8 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल 1872 देवगढ़ ,, जीवनी कृति शीलपर 25x12*23x35 |, 8 ढाल 20वीं अंतिम ढाल रतनचंद कृत 3 26- 11*23x67 अ. बीच का 1 पन्ना कम रामायण पात्रों के पूर्वभव भावना पर 25x15*16x38 .4 खंड 59ढा.1428 गा. 1769x सुंदरसूरि क्षमासुंदर स्वयं लिखित दयाभावना पर 9* 22 x 11*21 x 42 | सं. 14 ढाल -1974 x चौथमल प्रथमादर्श 1974वृचेराकृति उत्तराध्ययन कथा 24x12*17x36 जीवन चरित्र 27x12*6x42 , 4 ढाल+1 सज्झाय | 1904 पाली टोकमदास नसिंह कृत , 5 प्रस्ताव 6019 ग्रं. 1872 काननपुर भक्तिविजय धर्मसूरि संतानीय टब्बे के | ,, , ,मू.श्लो. 1599 1858 बूआड़ा पद्मविजय ... 27X12*6x42 दान पर | 25x11*15x35 , 27 ढाल 1967 काकंदी कृति रविव्रत कथा 23x11*15x34 |, 32 गा.+1सज्झाय | 18वीं अंत. में बिच्छू मंत्र जीवनी 90 25 x 12*15x48 ,,7 खंड : 1964 कृति 20वीं 19वीं पुण्य ब्रह्मचर्य उपर 7 20x11*15x34 , गद्य+100 गा. 5 | 22x11*10x35 , 117 गा. पद ,, x सागर गणि शील पर 25 x 11*10 x 31 |, 161 गा. 19वीं जूआ मांस दार तणो 25x11*14x37 , 185+22 गा. 20वीं 24x12*10 x 27-|,, 178 गा. अ. बीच के पन्ने कम जोधपुर ... माया पुणतणी सहु पुण्य पर 24x12*17x52 | सं. 30 ढा. प्रशस्ति है | 19/20वीं 1898 बीकानेर ऋति जीवनी 25 x 10*13x43 , 6 ढाल+सज्झाय | 20वीं जालोर पार्वती आर्या 10 तीर्थकर चरित्र । 25x11*20x47 पू (प्र. पन्ना कम)26ढाल P3 25x11*20x55 | अपूर्ण अपूर्ण 20वी सुभटनगर Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त 1 | 2 | 3 3A 45 405 553 महाबल मलयासुंदरी चौपइ Mahābala Malaya जिनहर्षd/oशांतिहर्ष प Sundari Caupai 406 रा. 24/5 407 सि. 554 | महावीर चौढालिया Mabāvīra Caudbālia | ऋ. रायचंद 408 B-1041 Stavana | महावीर स्तवन रा. 24/8 महासंतक चौपइ वा. 360 | महिपाल चरित्र सहज कुशलd/o बानंदविमल | जयमलजी Mahasantaka. Caupai 410 Mabipāla Caritra वीरदेवगणि मू+ट(प.ग.) 24. " 411-2 रा. 17/12, | 24/1 *413. | B-571 विनयचंदd/o ताराचंद कुशललाम माधवानल कामकंदला | Madhavanala Kama चौपइ Kandala Caupai 414 | B-201 सि. 754 B-894 Caupai बा. 493 :418 | सि.गु.931 मानतुङ्ग मानवती चौपइ | Manatunga Manavatt | सुन्दरसूरिd/o | समुद्रसूरि | सि.गु. 861 420 सि. 555 मोहनविजय do रूपविनय 434 .16 422-5 B-2,253, 200551 जिणचदासरत सामान्यसुंदर 438ौ . 125 . CJ मुनिपदि दरित - Manipariirs . :"PUnrn 2 प्रति 433बा . 36! निपति चरित्र Muninati Caritra हरिभद्र उद्धरित ! मु. प. प्रा. प्रा.मा. 434 | B-279 | 435 | बा. 394 , सारोद्धार | मू+८ (प.ग.) , Saroddhāra | (..) अज्ञाव | मू. ग.. Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 153 8 8A 10 11 शीलपरीषह पुण्य 26x12*16x43 | सं.4 प्र. 144 ढाल 19वीं बागमियागच्छ खरतर 3398 गा. 3875 जिनचंदसूरि राज्ये 25x11*17x54 ,,,3009 गा. | 1902 विक्रमपुर केसरीचंद 1751 पाटण 4875 ग्रं. कृति 24x11*14x36 |4 ढा.+1 स्तवन 1906 सोजत लक्ष्मीचंद 1939नागौर कृति तीर्थंकर जीवन जन्म कल्याणक 20x10*4x26 , 108 गा. 1949 1521 कृति श्रावक चरित्र 24x11*19x44 13 ढाल 20वीं उपासक दशाङ्ग कथा जीवनचरित्र 23x11*8 x 37 अ. गा. 1836 1848 (पहले 8 पन्ने कम) 97,941 26X13424x12 |, 4 खंड 133 ढाल | 20वीं 1887 बाहदपुर कृति शोल/साहित्यिक 25 x 11*17x57 |, 550 गा. 1691 सिरोही भीमा 1616 जैसलमेर कृति 25x10*13x45 " " 1750 फलवर्नी सुमतिविजय रावल हरिराज ___ हेतु रचित 25 x 10*15x58 | ., (650?, 550 गा. | 1762 जानियाना मथीण धनराज 26x11*16x45 ,, 550 गा. 1815 रतलाम मेघराज 14X10*14X20 ,,564 गा. 865 ग्रं. 1825 तिवरी हितधीर सत्य पर 25x15*15x38 3 खंड23 ढा.484गा. 1769 (प्रशस्ति है) 1750 वीरातणा कृति 22x12*14x27 , 29 ढाल । | 1824 सिवाणा गोयदास 24x10*13x36 47 ढाल. 1787 वटपनगरे कनकविजय 1760 अणहिलपूर पाटण 20वीं दुर्गादास राठौड़ राज्ये कृति 22x10*12 x 27 त्रुटक 80,27 23 से 27x11से 12 सं. 47 ढाल, अंतिम में | 19वीं . प्रशस्ति है केवल 4 ढा. , ४ ढाल 20वीं सिवाणा उजलाजी जयनगर 1882कृति 6, 6 25x11*18x35 26x12*12X33 "7 ढा. 1904 25x11*11x34 ,255 गा. 19वीं 25x10424X10 ,, 14 ढा. 1727 कृति भोजताउ कथा 25x11*16x52 ,, ग्रं. 100 जीवन चरित्र 26x11*13x44 ,650 गा. 721 ग्रं. 17वीं 27x12*6 x 40 ,, 656 गा. 1898 बोरसद विवेकसागर 26 x 10*10x39 1929 जसवलपुर मनसुख जंबूद्वीपे भरतक्षेत्रे Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154 :: भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त 1 2 3 3A 4 5 Munipati Caritra Rāsa 436 | बा. 395 | मुनिपति चरित्र रास 437 - चौ. 127 | " धर्ममंदिर d/o दयाकुशल 438 | सं.बा. सम्बन्ध | Sambandha 439-40 सि. 561-2| " , 2प्रति 441-5/रा.23/1-4, मृगलेखा चौपइ 5 प्रति Mrgalekha Caupai ऋ. रायचंद 30/1/ 446 | B-554 मृगाङ्कुलेखा चौपइ | Mrgaika Lekha , जिनहर्षd/ कमलहर्ष | सि. 563 ,, खरतर 448 | B-277 | मृगापुत्र चरित्र Mfgāputra Caritra सि. 564 , सज्झाय , Sajjhaya उदयविजय 450 B-1012 | मृगावती चौपइ Mrgavatr Caupai . । समयसुंदर खरतर doसकलचंद 451-3 सि. 565-7 मेघकुमार चौढालिया Meghakumara Caudhaliya गुणसागर 3 प्रति 454 | सि.गु. 889 , , जिनहर्ष शिष्य 455 | बा. 396 | मेतार्य मुनि चरित्र Metarya Muni Caritra 2 प्रति| Metaraja Caupai ऋ. रायचंद Yas'odhara Caritra क्षमाकल्याण 456-7 सि. 568-9 मेतारज चौपइ 458 | वा. 362 | यशोधर चरित्र 459-60| सि. 570-1| यादवरास 461 B-658 | रत्नचूड़ चौपइ वा. पुण्यरत्न 2 प्रति Yadava Rasa | Ratnacuda Caupai कनकनिधान खरतर , 462-4B-204, | रपाल रत्नवती चौपइ | Ratnapala Ratnavarr | सूरविजय d/o | 267,278] 3 प्रति Caupai | सिद्धविजय तपा. 465 चौ. 128 मू+ट (ग) प्रा. मा. 466 | B-248 | , रास , Rasa | मोहनविजय do रूपविजय 467 | B-1051 | रत्न शेखर रत्नवती चरित्र Ratnasekhara Ratnavati] गौतम महावीर Caritra प्रश्नोत्तरे 468-70 सि. 572-4| रहनेमी चौढ़ालिया Rah nomT Caudhalia | ऋ. रायचंद 3 प्रति 471 | B-1084 | राजमार की कथा Rajakumara KT Katha 472 सि.575 | राजाउदाइ सज्झाय Rājā Udai Sajjbāya अज्ञात | Ratri Bhojana Caupai | लक्ष्मीवल्लभ । मं.बा. । रात्रि भोजन चौपइ Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ - जीवन चरित्र व कथानक जीवन चरित्र " पर " " उत्तराध्ययन कथा 17 " 7 जीवदया दुगंछा पद जीवन चरित्र दान पर 8 27 53 54 514 7 3 25×13 * 11× 35 45,56 27 x 13425 x 11 18,21, 2444 x 1113 23,23,17 17 25 x 11 * 20 x 51 सती जीवनी 26×11*11× 43 ज्ञाता. प्रथम कथा 5, 87*3 2626 × 10 से 12 20 1 2 ऐतिहासिक 8,3 ओपदेशिक जीवनी 34* 58 39 8 ओपदेशिक जीवन 199 शीनपर जीवनी जीवन प्रसंग ओपदेशिक 24 x 11 14 x 34 26 x 10 * 20 x 53 10,10 24×11*16×40 27 × 11 * 9 × 48 18 × 11 * 13 × 34 18 2 24 × 11 * 13 × 40 20 25 x 11 * 12 x 40 26 x 11425x11 25 × 11* 16 × 46 18,40, 23 से 25 x 11 से 12 33 21 21× 11 * 16 × 37 26 x 11 * 16 × 45 25 x 11 11 x 53 26 x 12*12 x 30 33 x 22*54 x 32 3, 7,521 से 25 × 11 23 × 11 * 15 × 37 20 x 10*16 x 27 26×11 * 14 x 35 सं. 4 खंड 65 ढाल 1165 गा. कथा मह 2025. कथासह " "1 " " सं. " " 37 " " " , 62 ढाल ग्र. 1144 41 ढाल ग्रं. 1125 18वीं त्रुटक टक बीच के 8 पन्न 20वी सं. 10 ढाल 1868 विवेकसागर 1715 तात्यपुरेकृति 19वी 1788 वटपद्रे यशविजय 20वीं 1926 अजीमगंज जीवा 18वीं 20वीं 1944 × मूलचंद 1794 / 19वीं 1787 x भावनगर 1728 कृति ,, 3 खंड, 36/34 बाल 1786 / 1898 / 1875 1732 बुरहानपुर 849 गा. ग्रं. 1135 कृति, प्रशस्ति है अपूर्ण द्वि. खंड 13 मी 19वीं ढाल तक सं. 4 खंड 68 ढाल 1827x हस्ति विजय 1887 x विवेकसागर " 17 31 प्र. 1200 लगभग 11 9 3 खंड 1 II 1 I 5/9/3 1 4 ढाल 44 गा. 25 ढाल (द्वि. में अंतिम पक्षा कम) आठ भत्र प्रशस्ति है 65 गा. + उत्पत्तिस - माय 24 ढा. 500 ग्रं. लगभग 5 टाल 10 1896 रायपुर रूपविजय 20वीं पोर मनान 1944 बोटाद शंकर 19/20at 1963/77 11 20/19 अ. बाच के पन्ने 421 19वीं सं. 26गा. + 1 सज्झाय 20बों 28 ढा. 420 गा. 176 बीली ढालकीति 155 1725 कृति प्रशस्ति है 1838 जोधपुर कृति 1700 लूणकरण कृति 1668 कृति 1849 नागोर कृति जैसलमेर कृति बार्थ बात है कुसुमपुर के राजा उदाइसा साधु फिरता Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 156 1 482 483 474 B-69 4756 14/18 23/8 477-80 रा.23/7,10 रामयशोरसायन 4प्र. 481 484 485 490 491 493 496 497 498 499 500 501 502 B-576 4869 सि. 578-81 रेणादेवी चौडालिया 4. Regadevi Caudhaliya सि. 582 रेवती सि. 583 रोहा की कथा 492 सि. 584 रोणिया चीरकथा सि. 585 ललितकुमार दीप 4945 सि. 586-7 लीळापत झणकार चौपद Lilapata Jhapakāra 2 प्र. fa. 588 503 504 2 505 506 रामकृष्ण चौपड रामचरित्र 11, 25/3 B-484 सि.गु. 927 रामरासी बा. 363 बा. 364 3 स्वमणि हरण रूपसेन कथा B-1036 11 " 11 11 " लीलावती चौपद " 2प्र. " " " . Rāmakrsapa Caupai Rama Caritra Rāmayas'o Rasayana " चौपइ " Rama Rasau Rukmani Harapa Rapasena Katha " बा. 365 fer. 589 रा. 24/11 fer. 590 सि. 591 सि. 592 वरस्वामी चौप सि.गु. 889 वस्तुपाल तेजपाल संबंध Vastupala Tejapala Sambandha ,,Caupai Revati 3A " Roha Ki Katha Rohaniya Cora Kath Lalitakumara Caupai 11 Lilavati Caupai " 11 " Caupai "" 4 "" लावण्यकीaिd/o ज्ञानविसाल चौथमल केशवराजd/o गुणसागर " माधवदास गुणमुनि जिनसूर d/o विशालराजसूर 11 अज्ञात लीलावती सुमतिविकास Līlavaur Sumati Viläsa अज्ञात चौपड Caupai कुमारचरित्र Vajrakumara Caritral भाग ४ –— जैन इतिहास व वृतान्त ऋ. चौथमल I Vayarasvami Caupai जिन / शांति समय सुंदर रंगमुनि B-215 विक्रम खापराचोर चौपइ Vikrama Khāparā Cora साधुहंस / ० राजशील Caupai ST. 367 लाभवर्द्धन " " खरतर " प " " "1 " मू.ग. चौथमलd / oनथमल प कानू/धर्मदास एकलिंगदास श्री पूज्य लालचंद (लाभवर्द्धन) 11 प "1 ग " " " י, " 11 " S 11 5 6 मा. " 11 11 डि. 21 मा. 11 " " " 11 "1 " " 11 " " "1 Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरिन व कथानक 157 78 8A ____10 11 बलदेवकृष्ण चरित्र 27 | 25x11*20x45 | सं. 6खंड प्रशस्ति खरतर 1711 नवानगर धरमसी 1677 विक्रम पूरी कृति रामायण कथा 118,81 25x12*विभिन्न , महाकाव्य ।-7 पन्ने | 20वीं 1862 जोधपुर कृति सीता वनवास के रामायण , 55,111, 23126x12से 13 , 4 अ. 62 ढा.3220 19/20वी 1680 अंतरपुर विजयगच्छ 81,119 कृति 25 x 12*21x55 , " 1925नागोर 66 53 19x16*27x21 1766 सिवाणा ध्यानचद कृष्णजीवन प्रसंग 27x12*13x35 L, 230 गा. 1848 नाथसूर विद्यासमुद्र मन्मथ पुत्र कथा 25x11*15x51 पू. 30) अनुच्छेद 1859 (पहिला पन्ना कम) 26x11*18x48 1872xविवेकसामर ज्ञाता धर्म कथा से 5* 25x11*16x40 , 4 ढाले 20वीं जिनपाल जिनरख की महावीर जीवन प्रसंग ? 24x11*15x32 , ढालें 20वीं गगवती अनुसार 1852 कृति चोरी पर दृष्टांत 25x1111x31 । 17वी 24x13*13x37 19वीं दान पर 23-11*21x42 शील पर 24 x 11*14x50 11 ढा. प्रथम आवशे। 1974xचौथमल स्वयं 1974 कृति संशोधित प्रशस्ति है 31 पद+कलश | 20वीं सिवाणा कपूरचंद 1968 की कृति पाठ भेद है (द्वि.प्रति में रिखबदास का भी नाम कर्ता में) पू. ग्रं. 300 लगभग 19वीं " अंतिम लकीरे कम सं. 29 ढा. गा. 601 1810 24x12-16x44 25x11*16x40 23x11*12x36 " , गा. 590 188 खाखर दौलतविजय 1728 सेतरावा कृति 26x13*15442 ___गा. 825 1835 1721?,, , औपदेशिक 26 x 22*22 x 40 26x12*26x64 , 4 ढा.? 20वींलब्धिविजय 1825 कृति प्रथम विनायक 1943 बागावास सुल्तानमल रामदसरथ पेला हुआ 1767 पट्टन ज्ञातिसमुद्र 1925 अजीमगंज जीवा 1681 तिवरी कृति जीवनी 25x11*10x38 , 15 ढा. संक्षिप्त प्रसंग , 42 गा. 33 x 22*30x36 | 25 x 11*16 x 48 जीवन चरित्र 19वी 1729 कृति परोपकार प्रसंग 18* 26x 11*13x42 ,205 गा. 1723x रत्नविजय 1563 चित्रकूट कृति । 1125x11*16x46 , 27 डा. 1822x गोड़ीदास . Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 158 ____ माग ४ -जैन इतिहास व वृतान्त 3A 507 | B-217 117 विक्रमखापराचोर चौपइ | Vikrama Khapara Cora | अभयसोमd/o Caupai सोमसुंदर , चोबोली चौपद ,Coboli Caupai , d/oजिन चंद 508 B-206 509.-10 सि. 593-4|| , नौ सो कन्या चौपइ | , 900 Kanya Caupai | चौथमलd/o 2 प्रति एकलिंगदास 511 बा. 366 ,, चिदण्डात पत्रस्य चरित्र, Paicadapdata रामचंद्रd/oअभयदेव मू. (प.ग.) Patrasya Caritra B-240 ,, पंच दण्डिया चौपइ , Palicadandiya Caupai | | अज्ञात रा-24/-14 , पंच दण्डछत्र चौपइ , Paicadapda Chatra | लक्ष्मीवल्लभ __Caupai | B-412 , , , 515 | चौ. 129 विक्रमादित्य विक्रम चरित्र Vikramaditya Vikrama | शुभशीलगणीd/o | मू. प. Caritra | जयचंद्र तपा 516-7|B 236,560| विक्रमसेन चौपइ 2 प्रति| Vikramasena Caupai परमसागर d/o | प लावण्यसागर 518_ B-232 | , , मानसागर d/o , जीतसागर सि.गु. 914 विजयसेठ का कड़ा Vijayasetha-Ka-Kada लालचंद d/o दौलतराय 520 520 सि. 596 | विजयकुमारी ,, Vijayakumari | रामचंद्र /o चौढालिया Caudbāliya | बिरदीचंद 521-2B 230,401 विद्याविलास चौपई Vidyavilisa Caupaiजिनहर्षd/oसोमगणि 2 प्रति 523 सि. 595 519 | बा. 368 बा. 369 | विनोद कथा Vinoda Katha B-199 | विमल प्रबन्ध Vimala Prabandha लावण्य समय प ..) Siloko B-672 ,, सिलोको चौ. 130 | वीर उपसर्गा Vira Upasargā 529 | सि. 597 | विष्णुकुमार चौढालिया | Vispukumāra Caudhāliya रामचन्द्र मुनि 530 सि. 598 | वेणीसंहार Vepi Samhāra मू. नाटक 531-2B888,891 वैदर्भी चीपद 2 प्रति Vaidarbhi Caupai प्रमराज 533 सि. 599 सि. 600 535 | सि. 601 |शल कलावती चौपई | Sankha KalavattCaupail ऋषि साधु Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ ब-जीवन चरित्र व कथानक 159 8A 10 | 11 परोपकार प्रसंग 25x 11*18x43 19वीं 1723 सिरोही कृति बीवन " 25x10*14x48 , 17 ढा. 1782 पालनपुर उद्योतविज 1724 कृति खरतर | 20वीं 1977 आगरा कृति 25x12*16x48 ... 222 गा. 26 x 11*16x55 , ग्रं 3000 प्रशस्ति । 16वी 24-11*13x45 , 4 आ. 373 गा. 1749 अणहिलपुर पाटण 1556 कृति "हुयो नयविजे पास जिराउलो..." 6 खंड ग्रं. 3784 । 1847 1728 कृति प्रशस्ति है 25x12*15x44 25x11*18x55 1872 x बालसागर बीवन चरित्र | 38 | 26x11*18x62 ,5 सगं 16वीं विक्रमादित्य पुत्र | 35,38 26x11 विभिन्न । कथा 26 x 12*17 x 42 बाचर्य पर 16x 13*16x22 , 64 ढा. (दान पर) | 1840/1797 (तपागच्छीय) 1724 गढवाड़ कृति 52 ढा. 1100 गा. | 1859 चौपड़ा, रंगविजय 1724 कूडनगर प्रशस्ति है कृति , 23 गा. 20वीं 1861 रामपुर कृति 87* | 26x12*26x64 , 4 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल 1910 नागौर कृति 19/20वीं 1711 की कृति 16,10/26x12*विभिन्न , 30/24 ढा. 24 x 11*14x30 1890 पाडलाउ मोतीचंद 22x11*14x35 19वी बटान्त संग्रह 26x11*15x54 17वीं | 26x11*16x42 9 खंड, 1356 ग्रं. 1652 आना ग्रामे 26x11*17x45 | 111 पद 1816 26x11*14x37 । 1663 (महावीर जीवन । प्रसंग | बीवन प्रसंग | 87* 26x12*26x64 , 5 ढा. |1943 बागावास सुल्तानमल रक्षा बंधन पर? द्रौपदी कथा । 26 x 11*18x69 ,, 6 अंक ग्रं. 1561 ,, ग्रं. 20 15... x हेमसागर 1789/18वीं व्ण रूकमणि व्याह 4,8 26x11425x11 25x12*14x37 , 7 हाल-1-विरतार | 20वीं | 6 | 24x 11*16 x 38 अ. 7 ढाल 'जिनधर्म माहि दीपता' | 24X 11*20x42 । सं.4 खड 37 ढा. 1878 सावर जगराम वर्धमान स्वामींतणा Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 160 भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त ЗА 456 S'antinātha Caritra भावचन्द्र सूरि | मू. ग. B-463+ | शान्तिनाथ चरित्र 931 बा.371 537 538 | सि. 602 | शाम्ब प्रद्युम्न सम्बन्ध | Samba Pradyumna | समयसुंदर ---- Sambandha सि. 609 शिवकुमार सज्झाय S'iva Kumāra Sajjhāya शीलमञ्जरी चौपइ S’īla Mañjari Caupai | नथमलd/oरेखराज शीलवन्ती चौपइ S'ilavantt Caupat ऋषभ | श्यामकुमार चौपइ s'yama kumāra Caupai | नंदलाल शिष्य श्रीपाल चरित्र Sripāla Caritra मू+व (प.ग.)| प्रा.सं + रत्नशेखर/ क्षमाकल्याण रत्न शेखर मू+अ ) 545-6 बा. 373-4] 2 प्रति मू+2 (..) 547-8|B 151,231| 2 प्रति 549 बा.378 सत्यराज d/o गुणसागर शुभविजय 550 | बा. 376 551 सि. 613 (महावीरोक्तानुसार) मू (ग) 552 B-506 553 जयकीति'जीवराज मू+ट (ग) | चौ. 133 | बा. 377 554 555 सं.बा. श्रीपाल रास Srpāla Rāsa जिनहर्षd/oशांतिहर्ष प 4 प्रति 556-98214,239] 360,800/ 560 | सि. 614 प्रति ,,Caupai 561-3|B 210,323| श्रीपाल चौपइ 353 564 चौ. 134 565 | चौ. 135 | श्रीपाल रास 566-7| B-692-3 Rasa नयविजेजसविज 568-70 सि.815,817-8 , " 3प्रति Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 161 ___7 8 8A 10 ।1 तपकर जीवनी सं. 6 प्र. 7000 ग्रं. 1836x रामविजय 26x12*15x50 1848 पलांणा माणिक विजय तिहासिक जीवनी 25x11*19x51 1659 स्तंभन तीर्य कृति | पू. 2 खंड 21 डा. प्रथम | 19वीं पन्ना कम सं. 16 गा. 18वीं प्रौपदेशिक 25x11*13x40 पील पर 25x12*16x45 25x13*17x37 तिहासिक कथा 24x12*15x41 सिद्धचक्रमहात्म्ये | 138 26x12*13x40 , 15 ढा. प्रशस्ति है | 1986 समदरड़ी गोपीनाथ 1935 रत्नपुरि __. कृति ,, 25 ढा. 1946 घमणोर इन्द्रचंद 1930 की कृति , 29 छंद 1984 दुन्दाड़ा शिवनारायण 1965 चित्रकूट (मेवाड़) कृति 1343 गा. 4572 ग्रं. 19वीं शिष्य हेमचन्द्र संकलित , 1342 गा.1450 ग्रं. 1887 विक्रमपुरे कीर्ति 1428 की कृति अ. ग्रं. 3032] रत्नसूरि , 1342/3 गा. 1835/1880 द्वि. प्रति चिपकी हुई ,, 1348/1343 गा. | 1846/1835 ,, 489 श्लो. 1565 2 दिशीकुमारी चित्र 23x11*5x34 95,121 25x11426x14 22 x 11426 x 11 26x11*11x40 23x10*13x47 , पन्ने चिटके हुवे 1782 1774 उदयपुर कृति 25x11*15x45 1812 गुढा पुण्यधर्म 25x11*15x45 1871 24x10*11x28 पू. (प्रथम पन्ना कम) | 1896, जैसलमेर 1868 कृति, जीर्ण प्रशस्ति है 26x11*13x41 सं. 4 प्रस्ताव 1929 यशोल सरुपचंद जब पद सिद्ध चक्र 30 | | 25 x 11*13 x 43 1849 खरतर । महिमा 37,25, 124से26x11से 12 1749ढा.835गा1200. 1852 से 84 तिमरी आदि में 1740 23,261 पाटण कृति 106 | 25x12*9x23 74 खंड 1903 बीकानेर खूबचंद 9,12,12/ 22से25 x 11 ,, 20ढा.(म.काप्र.पन्नाकम) 1791 से 1865 1742 पाटण कृति 25x12*15x43 1861 वैसाला सौभाग्य मुनि 38 | 26x11-12x36 ,, 4 खंड ग्रं. 2400 | 1845 चुतृविजय किंचित् टब्बार्थ 68,12| 26x13430x14 1738 राणेर कृति प्र.सं.द्वि.अ. अंतिम 1899/1910 2 खंडही प्र.सं.द्वि.तृ. अपूर्ण | 19/20वीं 148,35,4824से 25x11से12 प्रशस्ति है Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 भाग ४-जैन इतिहास व वृतान्त 1 2 ЗА श्रीपाल रास S'ripāla Rāsa नयविज जसविज मू+बा (प.ग.) चौ. 136 | श्रीपाल कथा Katha 573 सि. 619 | श्रीमति चौढालिया Srimati Caudhaliya हरषचन्द्र 574 | सि. 620 ढाकिया , Dhāliyā গলার श्रेणिक चौपइ S'iepika Caupai , 576 | सि. 622 वल्लभकुशलd/o सुंदरकुशल त्रिलोक ऋ धनजी ॥ ॥ 577-87 रा.22/3-11 " " 11 प्रति , 11 प्रति 14/19,21 588 B-379 सङ ग्रामसूर कथानक Sangrama Sara Kathānaka| मेरुप्रभ सि. 623 | सत्यघोष चरित्र Satyaghola Caritra नथमलd/-रेखराज प 590 | सि. 624 | सनत्कुमार चौढालिया Sanatkumara Caudhāliya चौथमल चो. 137 सप्तव्यसन कथा Saptavyasana Katha सोमकृत्याचार्य B-567 सम्यक्त्व कौमुदी Samyaktva Kaumudi मू+ट(ग.प.) मू+ग.प. सं. बा. 380 B-842 रा-20/10 " , चौपद , Caupai | विनेचंद 596 रा-24/8 | सागरचंद श्रावक ढालिया Sagarcanda s'ravaka | रतनचंद Dbāliya सि. 625 ,, (यादुरगदास) 597 रा-24/8 | सिकडाल संधि Sikaờāla Sandhi जयमलजी Stā Rāma Caupai समयसुन्दर बा. 384 सीताराम चौपइ सीताराम चौपइ B-200 रा. 23/9 सि. 626-8| . 3 प्रति रा. 14/18 सीता वनवास | वा. 385 सुदर्शन सेठ रास Sītā Vapavāsa | चौथमलd/o हीरालाल Sudars'ana Setha Rasa | मु.गौतमशिष्य तपा ,, 606 Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ - जीवन चरित्र व कथानक नवपद सिद्धचक्र 7 11 नवकार महिमा जीवनी ار 11 11 सभ्यवत्व, " सत्य पर चक्रवर्ती चरित्र प. कथायें " " 〃 महिमा "" 33 दया उपाशक दशा कथा रामायण कथा 8 जीवन प्रसंग शोल, मोक्ष 52 73 87* 87* 52 55 4 3983 24 से 27 x 12 विभिन्न 5 3* 36 76 31 आवश्यक नियुक्ति 68* कथा 28 32 ៖ 87* 68* 47 75 8A 26 x 2 * विभिन्न 24 × 13*15 × 27 26x12*26 x 64 26 × 12 * 26 x 64 27 x 12 * 13 x 38 25 x 12*16 x 47 و 25 x 11 * 18 x 47 25 x 12 * 16 x 46 26x12*15 x 40 26 × 13 * 15 × 45 25 x 12*7x47 26x11*18 x 45 25 × 12*18×35 24 x 12*21 x 40 24 x 11 * 19 × 44 26 x 12*26 x 64 24 × 11 * 19 × 44 25 x 10*20x52 26×11 * 18 × 45 x 88 26 × 12*15 x 40 x 104,80, 2527 x 11fafaw 152 7 24 x 10*15 x 40 25 x 10 * 17 x 47 अ. अंत के 2 खंड है अपूर्ण सं. 4 ढा. " "1 व सं. " 31 " 19 1922 पलिका अमदत्त पू. 84 ढा. प्रशस्ति जीर्ण 20वीं (अंतिम पनना नहीं) "} " अ. " " " 11 6 - 11 49 T. सं. 42 ढा. 6 ढालें "" 199 श्लोक 7 ढा. 4 ढा + ढण सज्झाय 6 9 अर्हदास मुख्यपात्र 383 श्लोक 17 8 ढा. 9 खंड 3700 गा. पू. " सं. 3700 " सं. 141 गा. 1878 301 गा. 20वीं 1943 बागावास सुल्तानमल. " 11 10 19वीं हरजी 20वीं "1 (अंतिम पना कम) 18वीं 1843 " 11 शीखसुख उपजे 1943 ब्यावर सुल्तान मल 20वीं 1724 श्रावणाड पदमसी 163 1845 पीपाड़ जसरूप 19/2041 20वीं 18वीं जीर्ण 1920 सुभटपुर कृति पीपाद कृति जीर्ण 1880 1828 जय देवीचन्द श्री वर्द्धमानमानम्य 19वीं 1936 नागौर देवकृष्ण 20वीं 1775 जीरणगढ़ कृति 1939 घोड़ नदी कृति 1940 11 " 1885 कैलि 1851 सिद्धपुर कृति प्रशस्ति है जिनराजसूरि राज्ये 1972 कोशीथल कृति Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -164 भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त 1 2 . 3A 56 607-8|सि. 629, | सुदर्शन सेठ कवित्त 24. Sudars'ana Se tha Kavitta| दीपd/oवर्धमान । गु.921 609-11B-78,178 " , 3प्र. 225 B-401 | सुदर्शन रास Sudars'apa Rasa ऋषिके वलो do - मुनिसुंदर 613 | सि. 630 ,, चौपई , Caupai कवि अमर 614 सि. 631 अज्ञात 615 | B-1059 सुबाहु संधि Subābu Sandbi पुण्यसागर 616 सि. 632 ढालिया , Dhaliya जयमलजी 2 प्रति| Subhadra Adhikara 617-8 B-218, | सुभद्रा अधिकार 1008| बा. 386 , चौपइ मानसागरd/o जीतसागर कवि रुघपति 619 , Caupai 620 सि.गु. 889| , चौढालिया , Caudhaliya परमसागर do लावण्य सागर विनयचंद | सि. 633 " चरित्र " Caritra 622 B-1087 सुरसुन्दर कथा Surasundara Katbā 623 | बा. 387 | सुरसुन्दरी चौपइ. Surasundari Caupai | धर्मशील 624 | B-गु. 4 (धर्मवर्द्धन) 625 | सि. 634 ,, (धर्मसी) सुलसा चौढालिया Sulasă Caudhaliyā हीराचंदd/०मनरूप सुव्रत सेठ ढालिया Suvrata Setha Dhāliyā सुसढ़ चरित्र Susadha Caritra | (निशोथ में से) । मू+2 (प.ग.) | सोहन गुलका चरित्र Sohana Gulakā Caritra कुशालचंद 630 सि. 638 | सौभाग्यसुंदरी चौपइ चौथमलd/नथमल Caupai 631 | सि. 639 | संयतीराजा चौढालिया Samyati Raja. Caudhaliya/ अज्ञात 628 629 632 | बा. 382 | स्कन्धक ऋषि चौढालिया Skandhaka Caudhaliya | जयमल जी 633-6 सि. 641-4 4 प्रति 637 हा. 381 अज्ञात 638 | सि. 640 Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 165 10 78 8A ल, मोक्ष | 20,19.25 x 12व 22 x 16 | सं. 124/125 कवित्त , 1888/1859 (लोकाशाहमत को) प्रशस्ति है 1532 की कृति 14,12, 25से26 x 11 से 12 | ,, 124 , 19/20वीं , जसवंतसिंह शासने 26x11*19x53 |, 254 गा. 1995, शाणोल 1571 कृति 27x11*18X51 लगभगपूर्ण ढा. 38 अधूरी 19/20वीं 87* 26x12*26x64 सं. 11 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल वैपाक सूत्र कथा 5 25x11*16x44 , 91 गा. 1825 1674 जैसलमेर कृति 26 x 12*26 x 64 1943 बागावास सुल्तानमल शोल पर 25x11व26x11 प्रशस्ति तपगच्छ 1769/19वीं 1759 बच्छराजपुर कृति 25x10*12 x 38 25 ढा. 1849 वसता | 33x22*54 x 32 1926 अजीमगंज जीवा 26x12*26x64 । ,, 10 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल 1916 जयपुर कृति भावना पर 18वी 24 x 11*13x37 15 x 11*17 x 45 शील, भक्ति 1736 कृति सं.4 खंड40ढा. 691 गा. 1783 आषाढा सुभाचंद 900 ग्रं. , 621गा. 957. 1827 24x15*29x18 26x11*15x38 लगभग पूर्ण ची. खंडढा. 19वीं तक शाल, सतीकथा | 26x12*26x64 सं.4 ढा. 1943 बागावास सुल्तालमल बोपदेशिक | " " , 6 ढा. , ,, वीसलपुर 1841 कृति यतनाविषये 28x12*5x35 ,, 520 गा. 1884 राजनगर बोपदेशिक 26x12*26x64 ,, 6 ढा. 1943 बागावास सुल्तानमल जपाली 1908 कृति 20वीं 1966 की कृति शील 24x10*12x52 उत्तराध्ययनानुसारे 25x11*18x48 , 4 ढा. 19ों परीषह पर 27x13*12 x 26 1933खीचंद सर्वसुखमुनि 1871 लाडनू कृति 24x12*17x45 , 5 डा. 20वीं 23x13*11x24 4 ढा. 67 गा. 1920 सावत्थीनगरी सुहावणी 87* | 26x12*26 x 64 ।, 8 ढा. . । 1943 बागावास सुल्तानमल Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 166 1 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 653 654 655 656 657 658 650-2 B-233, 409,1078 ft. 649 659 660 661 2 667 सि.गु. 295 स्थूलीभद्र नवरसो बा. 389 fer. 645 B-404 B-372. B-. 38 B-250 Fr. 646 पी. 139 बा. 392 सि. 647 B-456 B-775 B-881 B-81 662-3 बा. 390-1 664-6 B-245, " 658,790 पी. 140 " " हरिकेशीय संधि हरिबल चौपइ " " " 3 हरिविक्रम राजर्षि चरित्र हरिश्चन्द्र आख्यानक हरिश्चन्द्र चौपड़ 3 प्रति " 13 इकवीसो चौपड " " रास " " Stbulibhadra Navaraso "1 " 11 Ikaviso C1upai Harikest'ya Sandhi Haribala Caupai " सि. 648 सि.गु. 914 सि.गु. 883 ही रविजय इनोक (सिलोक) Hrravijaya Shloka fer 650 सझाये Sajjhayem " " " 3A " " Rāsa 11 〃 " हंसवनूप चौप हंसपाल क्षत्रिय सम्बन्ध Hamsa Kesava Nipa Caupai Hamsapala Ksatriya Sambandha हंसराज वत्सराज चौपइ | Hansaraja Vataraja 2 प्रति 3ufa " "" " Harivikrama Rajarti Caritra Haris 'candra ākhyānaka d / o तेजविजय Haris candra Caupai Caupai " 17 11 उदय रत्न 4 " D. + दीप मुनि लावण्य समय भाग ४ जैन इतिहास व तान्त बीरविजय d/o शुभविजय 31 कनोकरोम d/o अमरमणिक चारुचंद्रd/o चारित्रसार जीत विजय d/o भावविजय जयतिलक d/o चरित्रसूरि कनकसुंदर d/o महेशजी भावड़गचा लालचंद d/o होरनन्दन , d/ 0 सिंहरि " प्रेममुनि दानमूरि/वि/ विवेकह जिन हर्षd/oशांतिहर्ष सुखसागर d/o जिनराज सूरि " मानमुनि d/o शिव निधान जिनोदयसूरि लरतर ,,d/oजयतिलक "1 प " " "1 " ,, " " मू. प. " प " " " "1 "1 17 "1 5 " 6 मा. 11 11 13 " " " " सं. " मा. "" " " " 21 "} 12 " " 11 "1 11 Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विभाग ४ अ-जीवन चरित्र व कथानक 167 78 8A 9 10 11 साधु जीवन प्रसंग सं. 9 ढा. 1816 1759 कृति 19X13*11X24 20वीं स्व. कोशा संवाद 24x11*15x43 , 65 अ.9ढा.(बोचके 2पन्ने कम) 1853 जोधपुर जीतमल अंत में समयसुंदर कृत पद स्थूल भद्र पर 5गा.का सं. 42 छ. 19वों मधु जीवन प्रसंग 25x11*15x46 26x11*17x48 " 18 202 गा. 1887 राजनगर 1862 कृति इतराध्ययन कथा 12x10*11x14 , 118 गा. (खरतर) 1659 पाटण 16...कृति जीव दया पर । 26x11*13x47 , 127 गा. 17वीं 1581 कृति माल्हंतडी शाखा 25x11*18x47 , 33 ढा. 1859 भगत विमल 13 x 26*16 x 36 27x11*19 x 47 |,,, 975 ग्रं. प्रशस्ति 1945 खारडा धर्मचंद, प्रशस्ति है, 1770कृति , 12 सर्ग 7584 ग्रं. | 17वीं x अमरकीत्ति . प्रशस्ति है पदेशिक जीवनी 99 स्य पर 26X11*14x38 अ.(बीचके 4 पन्ने कम)5001675सूर्य पुरेनयविजय सचमेवनणां तत्त्वं,सत्वं । श्लो.(श्लो.22से 314 नहीं) 42,31, 25x11से12*विभिन्न सं.5 खंड 39 ढा.781गा. 19वीं (अंतिम प्रति अपूर्ण) 1697 सोजत कृति (7) | 25x11*14x10 | अत्यल्प अंश 1824 जसवंतसिंह राज्ये 26- 11*16x50सं.38ढा.858गा.1245ग्रं. 1830 1679 कृति, प्रशस्ति है 25x11*17x41 | अपूर्ण 15 ढा. तक 19वों - 16x13*13x18 | | सं. 25 ढा. | 20वीं 1808 धागेराव कृति - चार्य जीवनी 9 | 13x9*12x19 ,80 गा. | 1776 जीवन संबन्धी , 17+91-22 गा. 18वीं 25 x 11*13x40 25 x 11*13 x 29 रात्रि भोजन पर बान पर 26x11*15x37 , 18 ढा. 270 गा. | 1881 सिणदरी हितसमुद्र 1728 राधनपुर .. कृति , 24 ढा. (खरतर) 18वीं 1696 मुल्तान कृति , 541 गा. 1704 योधपुरे मानविजय वर्ष पुण्य पर 19 26 x 11*15x40 35,44|| 25x9424x11 |, 46 ढा. 4 खंड 33 34, 25से26 x 11 से 12 31 907 ग्रं. 38 | 26x11*12x35 |, 48ढा. 1225 ग्रं. 1798/1853 भाव हर्षसूरि के पाट 20वीं/1787/1857तिमरी 1680कीकृति 1833 लोढोति श्रीचंद Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 168 माग ४-जैन इतिहास व वृतान्त 3A 668-70| सि. 651-2, हंसराज वत्सराज चौपइ | Hamsaraja Vatsaraja जिनोदयसूरि खरतर प | गु. 887 3 प्रति Caupai | d/0 जयतिलक 671 सि. 653 चौथमल d/o एकलिंगदास 672 | चौ. 202 जीवन चरित्रों के स्फुट पन Stray Folios of this विभिन्न Secti.n बा. 393 प्रा.सं.मा. 673 भाग ४–जैन इतिहास व वृतान्त मू+बा (प.ग.) प्रा.मा. सि. 654 अगणाई का थोकड़ा Agaņās Kā Thokada B-539 अङ्गपूर्व सज्झाय | Angapurva Sajjhaya B-345 | अट्ठावीसलब्धि स्तवन Athavisa Labdhi Stavana| धर्मवर्द्धनd/o हर्षविजय बा. 100 अन्तरकाल देहायु स्तवन | Antarakāla Dehayu | धर्मसी Stavana! बा. 397 | अर्बुदकल्प Arbuda Kalpa | रा. 29/18| अर्हत् लक्षण Arhat Lakşaņa | सि. 655 | आबू पर नरजू उत्पत्ति | Abu Para Naraja Utpatti | सि.गु. 943| आबू यात्रा स्तवन बोल. ग. मू+बा(प.ग.)| प्रा. अ. 9-10 | B-917 | इक्वीसयंठाण 2 प्रति Ikvisayam Thapa सिद्धसेनसूरि 1023 11 | B-442 ____12-15 B473,588/ , 4 प्रति 626,744 सि. 656 | इन्द्राणियों का यन्त्र | Indraniyom Ka Yantra | (शातानुसार) मू+ट (प.ग.) प्रा.मा. यंत्र B-991 उदयपुर राणा से मुलाकाव| Udaipura Rapa Se जैतसागर Mulākāta चौ. ग. 1 | ओसवाल गौत्र वंशावली |oswāla Gautra Vamsavali स. बा.. . " " " संकलन सि. 657 | कालचक्र चौपइ Kālacakra Caupai __ B-921 कुमार, राजादि पदवी | Kumara Rajadi Padavr B-704 कुमारपाल विहार शतक | Kumāra Pala Vihara मू.प. S'atakal | क्षेत्र समास Kļetra Samāsa जिन भद्रगणिक्षमा- मू+प B-864 श्रमण Page #188 -------------------------------------------------------------------------- _