Book Title: Anuvak Sutram
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir lain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥श्रीगणेशायनमः॥ ॥ॐ अथानुवाकान्वक्ष्यामिब्रह्मणानि मितानपुरा॥ शिष्याणामुपदेशाययज्ञसंस्कारएवच॥ विप्राणांय ज्ञकालेषुजपहोमार्चनादिषु // 1 // ईषेत्वैकावसोः पवित्रतिस्रो मेवतपतेसप्तपवित्रस्थोद्वेशर्मासितिस्रोधृष्टिरसिशर्मासिद्विकौ देव स्यत्वातिस्रोदेवस्यत्वापंचप्रत्युष्ट रक्षस्तिस्रोदशैकविठंशत् // // 10 // 31 // 2 // कृष्णोसिषडनेवाजजित्तिस्रोमयीदमनीषो मयोः पंचावनेदब्धायोचतस्रः संवर्चसापंचामयेकव्यवाहना For Private and Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie अनु० 1 यषट्सप्तचखिठ शत्॥७॥३४॥२॥समिधानिंभूर्भुवः स्वश्च सू.अ तुष्कावनियोतिर्देउपप्रयंतः षड्ठि शतिर्भूर्भुवः स्वश्चतस्रोगृहा मातिस्रःप्रघासिनःपंचपूर्णादविद्वेऽअक्षनमीमदंतषडेषतेसप्तदश विषष्टिः॥ 10 // 63 // 3 // एदद्वेमहीनांपयश्चतस्रआकृत्याक क्सामयोकिौवतंकृणुतषडेखातेचतस्रोवत्यसितिस्रएषतेद्वेशु क्रत्वाचतस्रोदित्यास्त्वगष्टौदशसप्तत्रिठ शत्॥१०॥३७॥४॥अ॥१॥ मेस्तनूरापतयेचतुष्कौतप्तायनीदेइन्द्रघोषस्तिस्रोयुंजतेष्टौदेवस्य For Private and Personal Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्वाचतस्रोदेवस्यत्वापंचविभूरसिचतस्रोज्योतिरसिषडुरुविष्णो तिस्रोदशत्रिचत्वारिठशत्॥१०॥४३॥५॥ देवस्यत्वाषडुपा वीरसिपंचमाहिः षट्संते (तिसंते)तिस्रःसमुद्रंगच्छहविष्मतीचि कौहृदेत्वापंचदेवस्यत्वाष्टावष्टौसप्तविठशत् // 8 // 37 // 6 // वाचस्पतयऽउपयामगृहीतोसित्रिकावावायोयंवाद्विकीयावामे कातंप्रत्नथाचतस्रोर्यवेनोयेदेवासस्त्रिकाविन्द्रायमूर्धानंदिकौयस्त एकाप्राणायतिस्रोमघवइन्द्रामीआगतमाघौमासश्चर्षणीधृतोवि | For Private and Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुः श्वेदेवास आगतेंद्रमरुत्वोमरुत्वंतवृषभमरुतां त्वौजसेसजोषाई सू.अ. दमरुत्वा // इन्द्रमहा ॥इन्द्रोमहा // एकैकोदुत्यमष्टौपंचवि ठशतिरष्टाचत्वारिठशत् // 25 // 48 // 7 // उपयामगृ हीतोसि // आदित्येभ्यः पंचवाममद्यद्वेसुशर्मास्येकाबृहस्पतिसु तस्यदेहरिरसिचतस्रः समिन्द्रणोष्टौमाहिरेजतुदशमास्यः पंचका वातिष्ठयुक्ष्वाहीदमिदकैकायस्मानद्वेऽनेपवस्वोत्तिष्ठन्नदृश्रमुदुत्य // 2 // मेकैकाजिघ्रद्वेविनइन्द्रवाचस्पतिविश्वकर्मन्नेकैकामयेत्वाचतस्त्र For Private and Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इहरतिस्तिस्रःपरमेष्ठीदशवयोविठशतिस्विषष्टिः // 23 // 63 // ॥८॥देवसवितश्चतस्रइंद्रस्यवजःपंचदेवस्याहंदशापयेतिस्रोवा जस्येममष्टावग्निरेकाक्षरेणैषतेचतुष्कौसविताद्वेअष्टौचत्वारिठ शत्॥८॥४०॥ 9 // अपोदेवाश्चतस्रः सोमस्यत्विषिःपंचावे टाः सप्तसोमस्यत्वाचतस्रइन्द्रवजःपंचस्योनासिचतस्रः सवित्रे काश्विभ्यांचतस्रोष्टौचतुर्छिन्शत् // 8 // 34 // 10 // युंजानए कादशप्रतूर्तठ षोडशदेवस्यत्वादशापोदेवीदिशापोह्येकादशादि | For Private and Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनु० तिष्टापंचाकूतिमष्टादशसप्तअशीतिः॥७॥ 83 // 11 // दृशानः सूअ. // 3 // सप्तदशदिवस्परिद्वादशसमिधानिपंचदशापेतसप्तदशाऽसुन्वन्तंत्र | योदशयाओषधीः सप्तविठ शतिर्मामाषोडशसप्तसप्तदशठ शतं // ॥७॥११७॥१२॥मयिगृह्णामिपंचदशधुवासिमधुवाताएकादश को सम्यक्स्रवंतिनवेमंमाषडपांत्वैकाऽयंपुरःपंचसप्ताष्टापंचाश त्॥७॥५८॥१३॥ ध्रुवक्षितिः षट्सजूक्रतुभिर्मूवियोर्द्धिका // 3 // विन्द्रामीआयुर्मेषट्कावाशुस्विवृदेकाऽमेागोस्यकयाचतुष्काव For Private and Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ष्टावकविठशत् ॥८॥३१॥१४॥अनेजातानपंचरश्मिनास त्यायचतस्रोराज्यस्ययंपुरःपंचकावमिर्दुकोनविठ शत्येनऋष योष्टौतपश्चनवसप्तपंचषष्टिः॥७॥६५॥१५॥नमस्तेषोडशहि रण्यबाहवऽउष्णीषिणेतक्षायोज्येष्ठायपंचकाः स॒त्यायचतस्रः शंभवायैकापार्यायपंचद्रापेअंधसोविठशतिर्नवषट्षष्टिः॥ 9 // // 66 // 16 // अश्मन्नूजंदशनमस्तेपंचाग्निस्तिग्मेननवचक्षुषः पिताष्टावाशुः शिशानःसप्तदशोदेनंकमध्वमग्निनापंचदशकौशुक्र For Private and Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie अनु० ज्योतिः सप्तेमठ स्तनंत्रयोदशनवैकोनशतम् // 9 // 99 // 17 // |सू.अ. वाजः सप्तमूर्कचतुष्काअश्मानिस्विकार्छशुः पंचैकाचतस्रोवा जायवेवाजस्यत्वष्टावृतापाट्त्रयोदशामिंयुनज्मीसप्तयदाकूताद्वा हत्यायदशकौत्रयोदशसप्तसप्ततिः // 13 // 77 // 18 // स्वा द्वीत्वैकादशदेवायज्ञविठ शतिःसुरावंतठसप्तदशोदीरतांत्रयोदशा च्याजानर्दशसोमोराजाष्टौसीसेनतंर्छ षोडशसप्तपंचनवतिः // man 7 // 95 // 19 // क्षत्रस्ययोनिस्त्रयोदशयद्देवादशाभ्यादधाम्य For Private and Personal Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टोयोभूतानांचतस्रः समिद्धइंद्रएकादशायात्वष्टौसमिद्धोअमिा दशाश्विनाहवित्रयोदशाश्विनातेजसैकादशनवनवतिः॥९॥९० // 20 // इमम्मेसमिद्धोअग्निरेकादशकौवसन्तेनऋतुनाषदहोता यक्षत्समिधामिंद्वादशाश्विनौछागस्यसप्तदेवंबर्हिश्चतुर्दश षडेकष ष्टिः॥६॥६१॥२१॥ तेजोसिपंचामयएकाहिंकारायद्वेतत्सवि तर्दशविभूत्रिकाकायद्वेआब्रह्मस्त्रयोदशशेषादेकैकोनविठ शति चतुस्बिठशत्॥१९॥३४॥२२॥ हिरण्यगर्जयःप्रणतोद्विकौ\ For Private and Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुः जत्यष्टौवायुष्ट्वापंचप्राणायतिस्रउत्सक्थाद्वादशगायत्रीकस्त्वाष सू. ट्रोकास्विदष्टौकाविद्दशसुभूःस्वयंभूस्तिस्त्र एकादशपंचषष्टिः // // 11 // 65 // 23 // अश्वस्तूपरोधूम्रान्वसंतायसमुद्रायशिशु मारान्मयुःप्राजापत्योदशकाश्चत्वारश्चत्वारिठशत् // 4 // 40 // ॥२४॥शादंदद्भिर्नवैकैकाहिरण्यगर्भश्चतस्त्रआनोदशमानोमित्रो यदश्वस्याष्टकौयत्तेषडिमानुकंद्वेपंचदशसप्तचत्वारिठशत् // 15 // // 5 // // 47 // 25 // अमिश्चपंचदशोचातएकादशद्वौषठिशतिः॥२॥ For Private and Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 26 // 26 // समास्त्वादशोटअस्यपीवोअन्नाद्वादशकावभि त्वैकादशचत्वारःपंचचत्वारिठशत्॥४॥४५॥२७॥ होतायक्ष |देकादशदेवंबर्हिादशपुनरप्येवंचत्वारःषट्चत्वारिठ शत् // 4 // // 46 // 28 // समिद्धोअंजनेकादशयदकंदस्त्रयोदशसमिद्धोअ द्यद्वादशकेतुंकण्वंश्चतविठशतिश्चत्वारःषष्टिः॥४॥६०॥२९॥ दिवसवितःषट्तपसेकौलालठषोडशद्वौद्वाविर्छन्शतिः॥२॥२२॥ // 30 // सहस्रशीर्षाषोडशायः संभृतःषबौद्वाविठशतिः // 2 // For Private and Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सू.अ. अन. // 6 // // 22 // 31 // तदेवसप्तवेनस्तन्नवद्वौषोडश // 2 // 16 // 32 // अस्याजरासःसप्तदशापश्चित् द्वादशवित्राट्चतुर्दशप्रवावृजएका दशपवायुप्रवीरयापंचदशकावानस्त्रयोदशसप्तसप्तनवतिः // 7 // // 97 // 33 // यज्जायतःपंचनद्यः सोमोधेनुमाकृष्णनपूषंतवद शकानतदष्टौषडष्टापंचाशत्॥६॥५८॥३४॥ अपेतोदशापाद्यं / द्वादशद्वौद्वाविठशतिः॥२॥२२॥३४॥ऋचंवाचठषोडशद्यौः।। शांतिरष्टौद्वौचतुर्विशतिः ॥२॥२४॥३६॥देवस्यत्वादशय / For Private and Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मायत्वैकादशद्वावेकविठशतिः॥२॥२१॥३७॥ देवस्यत्वाष्टौ / यमायत्वाक्षत्रस्यत्वादशकौत्रयोष्टाविठशतिः॥३॥२८॥३८॥ स्वाहाप्राणेभ्यःषडुयश्चसप्तद्वौत्रयोदश // 2 // 13 // 39 // ईशा वास्यमष्टावंधंतमोनवद्वौसप्तदश // 2 // 17 // 40 // // दशा ध्यायेसमाख्याताअनुवाकास्तुसंख्यया॥शतंदशानुवाकश्चनवा न्येचमनीषिभिः॥१॥सप्तषष्टिरमौज्ञेयासोक्तद्वाविंशतिस्तथा। अश्वएकोनपंचाशत्पंचविंशखिलेस्मृताः // 2 // शुक्रियेषुतुवि For Private and Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञेयाएकादशमनीषिभिः॥ एकीकृत्यसमाख्यातंत्रिंशतंअधिकंम |सू.अ. // 7 // तम्॥३॥ इत्यनुवाकासूबाध्यायः॥ // समाप्तः॥ // 7 // For Private and Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // इति अनुवाकसूत्र समाप्तम् * // For Private and Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only