Book Title: Anant Chaturdashi Pooja
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अHिASIR . gyanmandir@kobatirth.org WWWYYYYYYWwW ACTNDMINS अथअनंतचतुर्दशीपूजापारमः h MAAOINDEED WAHARL PAROADCHIN NANAalA YC For Private and Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir VDEL UXE ROMANA 23 For Private and Personal Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीगणेशायनमः॥ ॥अथअनंतपूजाविधिः॥ ॥पातर्माध्यान्हिकंमालानित्यकर्मसमाप्यचा अनंतहृदयेहवाशचिस्तरसमाहितः॥अवणंकलशंचैववस्त्रयुग्मेनवेष्टितम्॥मुष्टिमात्रेणी स्तफणिराजंचकारयेत्॥स्थापये कलशस्यायेजगदाधारमव्ययम्॥आराधयेदनंनंचतस्मित विशेषतः॥गोचर्ममात्रमालिप्यगोमयेनविचक्षणः। तन्मध्येस्थंडिलंकृत्वापयमाटदलालवत् // तस्योपरिन्यसेत्कुंभचूतपल्लवसंयुतम्॥पाणायामंततः कृत्वातिथ्यादिपरिकल्पयेत्॥ममसहक टुंबस्यक्षेमस्थैर्यआयुरारोग्यचतुर्विधपुरुषार्थसित्भ्यर्थममआचरितस्यआचार्यमाणस्यबत्तस्यसं पूर्णफलावाप्त्यर्थबामदनंतदेवत्तामीत्यर्थयथाज्ञानेनयथामालिनीपचारद्रव्यैःध्यानाहानादिषोड शोपचारेःपुजांकरिष्ये। तथाच आसनादिकलशाराधनंकरिष्य॥ कलशस्य सर्वसमुद्राः सितासिते कलशेवरुणसंपूज्यातनोशंखघरांचपूजयेत्॥ अपवित्र प. पूजादव्याणिआत्मानंचपोक्षयेत्। यमुनांपूजयेत्॥श्रीमदनंतवतांगलेनीयमुनापूजनंकरिष्ये॥ तद्यथा॥ लोकपालकत्तादेवामि द्रनीलसमुद्भवाम्॥यमुनेत्वामहंध्यायेत्सर्वकामार्थसिद्धये॥ध्यानं॥सरस्वतिनमस्तस्यंसर्वकाम For Private and Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनं प्रदायिनि आगछदेवियमुनेबत्तसंपूर्णहेतवे॥इमंमेगंगेइत्यावाद्यासिंहासनेसमारूदेदेवशक्ति / पू. समन्विते॥सर्वलक्षणसंर्णयमनायेनमोस्तो आसनगारुद्रपाटेनमरतायंसर्वलोकहितपिये। सर्वपापपशमनितरंगिण्यैनमोहतापायंागरुडपाटेनमहायशंकरपियशामिनिासर्वकामपदेदेखियमुनेतेनमानमर्याविष्णुपादोइवेदेविसर्वाभरणभूषित रुष्णामूर्तमहादेविरुष्णा वण्यैनमोनमःआचमनासर्वपापहरेदेविविश्वपियपदर्शिनिासौभाग्यंयमुनेदेहियमुनायैनमोस्तु नामधुपर्कसानदिपादमहादेविशंकराशशरणासर्वलोकहितेदेविभीमरथ्यैनमोस्तनापंचाम तस्मानासिंहपादोत्तमेदेविनारसिंहसमपिये।सर्वलक्षणसंपूर्णभवनाशिनिनेनमः॥शोदकरमा नाविष्णुपादाअसंभूतेगंगेत्रिपथगामिनि॥सर्वपापहरेदेविभागार\नमोस्तते॥श्वेतवस्त्रंगाव्य बकजोडूतेगौतमस्यापनाशिनि समधासागरंयांतिगोदावरिनमोस्तते॥कंचुकींगमाणिक्यमुक्तावलिकोकभांश्चगोमेदवैडूर्यसपुष्परागैः॥ वज्जैश्वनीलैश्वसशोभितानिरहाणसभिरणानिदेवि।आभरणानिगा चंदनागरुकस्सूरीरोचनंकुंकुमंतथा॥कर्पूरेणसमायुक्तंगं For Private and Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धंदधिचाक्तितः॥गंधाश्वनांनचंद्रवर्णाभानहरिद्वारागरंजितान्॥अक्षतांश्वसुरश्रेष्ठददामियमुनेशभाअक्षतान्॥मंदारमालतीजातीकेतकीपारलैःझोः॥पूजयामिचदेवेशियमुनेभक्तवसले॥पुष्पाणि॥ ॥अथांगपूजा॥ ॥चंचलायैनमः पादौ पूजयामि चपलाये जानुनीपू. भक्तवत्सलाये कीपू- हरायै नाशिंपू० मन्मथवासिन्यै सुत्यपू. अज्ञानवासिन्यै हरयंपू० भद्रा ये स्तनौपू० अपहंन्यै भुजौपू रक्तव्य कंपू भवत्यै० मुरवपू गोर्योन नेत्रपू० भागीरथ्यै ल लादंपू० यमुनायै शिरःपूज-सरस्वत्यै सर्वांगंपू०॥ ॥अथनामपूजा॥ ॥यमुनाये सिताये कम लाये उत्सलाय अभीष्टमदायै धान्यैन हरिहररूपिण्ये गंगायै नर्मदाये गौन भागीरथ्ये तुं गायै भद्राये कृष्णावेण्ये भवनाशिन्ये सरस्वन्यै कावे सिंधर्वन गौतम्यनमः गोमत्यै गाययै गरुडाय-गिरिजायै चंद्रचूडायै सर्वेश्वर्यै महालक्षेये सर्वपापहरेदेविसर्वोपदवनाशिनि।। सर्वसंपादेदेषियमुनायैनमोस्कने॥ ॥इतिनामपूजा॥ // दशांगंगुग्गुलोडूतश्चंदनागरुसंयुनः कपिलाश्तसंयुक्तोधूपोयंगतिरत्त्यनाम्॥धूपंसाएनवर्निसमायुक्तंवन्हिनायोजितमयारहाण For Private and Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || दीपकंदेविसर्वेश्वर्यपदायिनि दीपं॥शर्करामधसंयक्तंदधिसारंचसर्पिषा।पकमन्नमयादत्तनैवे || पून चंपतिरत्यताम्॥नैवेद्यं पानीयंपावनंश्रेष्ठंगंगादिसरिदुइवम्॥ हस्तपक्षालनंदेचिरहाणमुग्नशोधनम्॥ हस्तमक्षालनामुरवपक्षालनंाकरेणसमायुक्तंयमुनेचारुचंदनम्॥समर्पित्तंमयातु भ्यंकरोडर्ननकंकुरु॥करोहर्तनार्थेचंदनंगा इदंफलमिनिफलाएगीफल मितितांबूलंाहिरण्यगर्ने निदक्षिणां॥ त्रैलोक्यपावनेगंगेअंधकारविनाशिनि॥पंचार्तिक्यंग्रहाणेदंविश्वप्रीत्यैनमोस्तो॥आ| तिक्यंगकेतकाजातिकसमैमल्लिकामालतीभवैः॥पुष्पांजलिर्मयादनीरुद्रमायैनमारतते।पुष्पांजलि सायानिकानीतिपदा अन्यथाशरणं॥नमस्कारान्॥सरासरेंद्रादिकिरीटमौक्तिकैर्युक्तंसदायत्तव पादपंकजं॥परावरंपातुवरंसमंगलंनमामिभन्याममकामसिद्धये॥भवानिचमहालक्ष्मिसर्वकामपदायिनि वतसंपूर्णतायातुयमुनायैनमोस्कते॥इनिपार्थना॥ इतियमुनापू समा०॥यमुनाकलशोपरि पूर्णपात्रनिधायसस्योपरिसनफणायुतंशेषसंस्थाप्यपूजयेत्॥अथध्यान। बह्मांडाधारभूतंचयमः नांतरवासिनाम्॥फणासससमायुक्तंध्यायेनंतहरिपियम्॥ध्यायामि॥शेषसमफणायुक्तंकालपन्नग For Private and Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir नायकम्॥अनंतशयनार्थलांमन्यात्यावाहयाम्यहम्॥आवाहनानवनागकुलाधीशशेषोहारककाश्यपाना नारलसमायुक्तमासनंपनिगृह्यताम्॥आसनं॥अनंतषियशेषेशजगदाधारविग्रह॥पायरहाणभक्त्याखंकाइवेयनमास्तते॥पायंकश्यपानंदजनकमुनिवदितभाममा अर्यरहाणसर्वज्ञसादरंशंकरपिय ॥अर्यासहस्फणिरूपेणवसथोडारकपारहाणाचमनंदेवपावनंचसशीतलम्॥ आचम॥कुमार रूपिणेतायंदधिमध्वाज्यसंयुक्तम्॥मश्पर्कपदास्यामिसर्पराजनमोसते॥मधुपर्काततःपंचामृनस्मानं गंगादिपुण्यतीर्थस्वामभिषिचेयमादरात्॥ बलभद्रावतारेशनंदजः श्रीपतेःसारबन्।स्मानं॥कौशेययुग्म देवेशपात्यातवमयार्पितम्॥पन्नागाधीशनागेशताह्मशत्रोनमोहतविरुासवर्णनिर्मितसूत्रंयाथनक उहारकम्॥अनेकरले स्वचिनसर्पराजनमोस्त॥ यज्ञोप॥अनेकरलान्वितहेमकुंडलेमाणिक्यसंकाशि नकंकणडयम्॥हेमांगुलीयंहतरलमुद्रिकंहेमकिरीरंपणिराजतेर्पितम्॥सर्वाभरणं॥श्रीरसंडगाचंदन॥ अक्षनाश्वसअक्षतान् // करवीरैर्जातिः॥पुष्पं॥अथांगपूजा॥ सहस्त्रपादाय पादीत गूढगुल्फायःगु ल्फी हेमजंघाय जपेपू मंदगतयेन जानुनीपू पानांबरधरा कदापू-गंभीरनाभा नाभिं पचनाशना For Private and Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनं. | उदरं उदराय हस्ती कालियाय-भुजी०कंबुकंठा कंटविषयकाय वक्र फणाभूषणाय ललाटंलक्ष्मणा || पूल य-शिरःपू अनंतषियाय सर्वांगंपू इत्यंगपूजाणवनस्पति॥धूपंगसाज्यंचतिदीपं नवेगानैवेयं मध्येपानीयंकरोदर्तनार्थचंदापूाफलं तांबूलंगाइदंफलमितिफलं॥हिरण्यगतिदक्षिणांनि / यजातामातनाराजनानानाकुसमसंयुक्तांपुष्पांजलिमिमांपाकश्यपानंदजनकसर्पशप्रतियत्यता॥ म्॥मंत्रपुष्यंयानिकानि॥पदक्षिणाानमास्वनंगानमस्कारान्॥अनंतकल्पातफलंदेहिमेलमही श्वरावयूजारहितम्याईफलंपामोतिमानवः॥पार्थना॥इतिशेषपूजा॥ मंडपंडारपूजा॥ माग्हारे हारश्रियेनंदाय सनंदाये धान्यैनमःविधाये चिच्छतेय शरवनिधये पानिधये दक्षिणद्वारे द्वाराश्रयेचंडाये प्रचंडायै धान्यैन विधान्य चिच्छत्तय मायाशक्तयेनमःशंसनिधये पयनिधये पश्चिमहारे हारथिये बलाये अबलाये धाग्य विधायै चिच्छक्त्यै मायाशक्तये शंसनिधये पद्मनिधये उत्तरता रे द्वाराश्रयै महाबलाये अबलाये धाव्यविधात्र्यै चिच्छतंये मायाशक्तये शंखनिय पानिधये // थपीरपूजा॥मध्येवारूपुरुषाय मंडूकायकालाग्निरुद्राय आधारशक्तये. कूर्माय प्रथिध्ये अमृता For Private and Personal Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir वाय श्वेतहीपाय कल्पनले यो मणिमंदिराय हेमपीरायन धर्माय अधर्मा ज्ञानाय वैराग्याय-ऐपर्याय अनैश्वर्याय सहस्फणान्वितअनंताय सर्वतत्वा पाय आनंदकंदा संविन्नाला विकारम यकेसरेश्योन प्रकृतिमयपत्रेभ्यो सूर्यमंडला चंदमंडला वन्हिमंडला-संसत्वाय रंरजस तंतमसे. आत्मने परमात्मने अंतरात्म ज्ञानात्म याणात्म कालात्मः विद्यात्म-पूर्वादिदशरिक्ष जयायै विजया ये अजिता अपराजिता नित्याये विलासिन्ये दोग्धैःअयोरा मंगलाय आधारशक्तिकमलासनाये | इतिपीरपूजा॥अस्य श्रीपाणपतिक्षामंत्रस्याब्रह्माविष्णुमहेश्वराऋषयः॥ऋग्यजुःसामाथर्वाणिछंदां|| सि।परापाणशक्तिर्देवता॥आंबाजाहीशक्तिःकौंकालकश्रीमदनंतस्यपाणप्रतिष्ठापनेविनियोगः॥ ॐआंहांकोंअंयरलवंशंघसंहलंसंभौंहोआमदनतस्यपाणइहमाणाः॥ॐ आंही जीवइहस्थिनाः ॥ॐआहोआंसद्रियाणिवाङ्मनस्वदचक्षोत्रजिव्हाघाणपाणिपादपायूपस्थइहागत्यसरखंचिरंतितुस्साहा॥असनीत चत्वारिवा-गर्भाधानादिसंस्कारसिभ्यर्थपंचदशपणवात्र्तिकरिष्ये ॥१५॥रतांशोधिःपरानः॥अनंतपूजा। ततस्तमूलमंत्रणनमस्कृत्यजनार्दनम्॥नवाम्रपलवाभा For Private and Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूल संपिंगाश्मश्रलोचनम्।पानांबरधरं देवंशंखचक्रगदाधरम्॥अलंकृतसमुद्रस्थंविश्वरूपंचिचिंतये॥ ध्यायामि।आगछानंतदेवेशतेजोराशेजगत्पते॥इमामयाहनांपूजारहाणपुरुषोत्तम।सहस्रशी-आ|| वाहनाविष्टरंधेहिगोविंदगोवर्धनधरपी अनंनंदायनेयन्मेरलसिंहासनेविश॥ पुरुष आसन। यथासर्वदेवानामिंदादीनांचरक्षासातथामांपालयानंनवदंघिशरणांगनम्॥ एतावा॥ पाद्याअनंतानं तदेवेशअनंतफलदायकाअनंतानंतरूपोसिरहाणार्य्यनमोस्कताधिपादूनाअ॥गंगोरकसमानी तिहेमोनयोजितम्॥आचम्यतांहषीकेशपसीदपुरुषोत्तमातस्माद्विरााआचमाअनंतगुणस्पा यविश्वरूपधरायच॥नमीमाहात्म्यदेवायअनंतायनमोनमः। यत्पुरुआस्मानंगा ततःपंचामृतस्मागास रमेस्तसमुत्पन्नदैवानामपिदुर्लभम्॥पयोददामिदेवेशस्मानार्थपतियत्यताम्॥आप्यायापयःस्मानं॥ |चंद्रमंडलसंकाशंसर्वदेवषियोहयन्॥दधिररामिदेवेशस्मानार्थपत्तियत्त्यताम्॥दधिकागोभकारिष मितिदधिनानं॥आज्यंकराणामाहाराज्यंयज्ञेपनिष्टितम्॥आज्यपवित्रपरमंस्मानार्थपतियत्यताम्। तमिमिसेइनिशनस्मानम्॥सषिधिसमुत्पन्नंपीयूषंसरशंमधास्मानायतेमयादसंग्रहाणपरमेश्न For Private and Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मवानतिमाइसरंडात्समुतांशर्करांमधुरांशभाम्॥स्मानायतेमयारत्तांग्रहाणपरमेश्वर स्वाइन पवस्वैतिशर्करास्मानं॥शहीदकरमानंगा नाममंत्रै पूर्वजांकुर्यात्॥ ॥पुरुषसूक्तेनअभिषेकः॥ // नमकांचनवर्णाभकौशेयंचसनिर्मिनम्॥ वस्त्रंरहाणदेवेशलक्ष्मायुक्तनमास्कने तयज्ञमित्तिवस्त्र वस्वानंतरमाचमनीयं॥रामोदरनमस्तेसत्राहिमांभवसागरात॥ब्रह्मसूत्रसोत्तीयंरहाणपुरुषोतमायज्ञोपवीतंपरमपवित्रातस्माद्यज्ञात्सर्वहनइतिचंदनाअक्षताश्वसरश्रेष्ठाः अलंकारार्थेअक्षतान्॥माल्यादीनिसगंधानि०तस्मादतिपुष्पंगाअथग्रंथिपूजा॥ ॥श्रियैन मोहिन्यै प यिन्यैन महाबलायै अजाये मंगलाये परराये शमाये अजायै विजयाये जयंत्यैनमः पापना शिन्यै विश्वरूपायै-सर्वमंगलाये इतिग्रंथिपूजा॥ ॥अथांगपूजा॥ ॥मत्स्यायनमः पादौपूजया मिर्माय गुल्फो वराहाय जानुनी नारसिंहाय ऊरू वामनाय कीपू-रामाय-उदरं श्रीरामा याटेदयं कृष्णाय मुसंसहस्रशिरसे शिरःपूज० श्रीमदनंता सर्वागंपू॥अथावरणपूजाअ नंतस्यदक्षिणपारमाये वामपार्श्वभूम्ये इतिपथमावरणं॥आउरणदेवत्तामावायहसंपक्षाल्य For Private and Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shil kailassagarsuri Gyanmandir अनं०॥ गंधपुष्पंतर्जनीमध्यमांराष्टे त्वामध्येशंखोदकंग्रहीत्वामंत्रांतेशरवादभूमोनिक्षिप्यपुष्पदेवोपरिनि || पू. क्षिपेत्॥दयाक्षेत्राहिसंसारसान्मांशरणांगतम्॥भत्यासमर्पयेत्तुभ्यंपथमावरणार्चनम्॥ इनिमं त्रमुच्चार्यजलंत्यत्वापुष्पंदेवोपरिन्यसेत्॥ इतिपूर्वादिक्रमेण॥ बन्होल्काय महोल्काय शतोल्का यसहस्रोल्काय दयाब्धेत्राहिसंसार द्वितीयावरणं०२ तथैव वासदेवाय संकर्ष प्रद्युम्नाय अनि रुडा दयाब्धेत्राहि-तृतीयावर०३माच्या केशवाय नारायणाय माधवाय गोविंदाय विष्णवेन मधुसूदना त्रिविक्रमा वामनाय श्रीधरायः षीक पद्मनाभाय दामोदराय दयाक्षेत्राहिसंसा चतुर्थावरणं०४ पूर्वादिकमेण मत्स्याय कूर्माय वराहायनारसिंहाय वामनाय रामाय श्रीरामा य० रुष्णाय बौद्धायकल्किने अनंतायन विश्वरूपिणेन दयाब्धेत्राहि०पंचमा०५ पूर्वादिकमेण अनंताय दक्षिणायां ब्रह्मणेन पश्चिमायां वायवे उत्तराया ईशानाय आग्नेय्यांवारुण्ये नैर्ऋत्यां गायत्र्यै वायव्यां भारत्यैन ईशान्यां गिरिजाये अग्रेगरुडायन वामेसपुण्यायन दया क्षेत्राहि षष्ठावरणं०६ पूर्वादिक्रमेण इंद्राय अग्नये यमायन नैर्ऋतये वरुणाय वायवेन सो For Private and Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माय ईशानाय दयावाहि सप्तमावरणं. 7 आग्नेय्यांशेषाय नैर्ऋत्यां विष्णवेवायच्यांविधयेन ईशान्यांप्रजापनये दयाब्धेत्राहि इत्यष्टमावरणं.८ आग्नेय्यांगणपतये नेत्यांसप्तमातृभ्यो वायच्यांदुर्गाये ईशान्यांक्षेत्राधिपतये दयावेत्राहिसंनवमावरणं.९ मध्येबह्मणेन भास्कराय शेषाय सर्वव्या पिने ईश्वराय विश्वरूपाय महाकामाय सृष्टिकर्बन हष्णाय हरये शिवाय स्थितिकारकाय अंन काय दयाब्धेत्राहिसं इतिदशमावरणं०१० शोरये वैकुंठगय महाबलाय पुरुषोत्तमाय अजाया पद्मनाभाय मंगलाय हषीकेशाय वरदाय माधवाय मधुसूदनाय अच्युताय अनंताय गोविंदाय वि जयाय अपराजिताय कृष्णाय दयाब्धेत्राहि इनिएकादंशावरणं०११ अनंताय कपिलाय शेषाय संकर्षणाय हलायुधाय तारणाय सीरपाणये बलभद्राय दयावेत्राहिसं इतिहादशावरणं॥१२॥ क्षीराधिशायिने अच्युताय भूम्याधारायः लोकनाथाय फणामणिविभूषणाय सहस्रमूर्धन-सहस्त्रा चिपेन ट्याक्षेत्राहिसं इनित्रयोदशावरणं०१३ केशवास्चितुर्विंशतिनामभिः दयाब्धेत्राहिसं इतिचतु दशावरण- 14 अथपत्रपूजा रूष्णायन पलाशपर्व विष्णवे ओदंबरप- हरयेन अश्वत्थपत्रंश For Private and Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनं पू. भवेन गिराजप-ब्रह्मणेनमःजराधरप भास्कराय अशोकपःशेषायन कपिस्थपत्रं सर्वव्यापिने व टप ईश्वराय आम्रप०विश्वरूपि-कदलीप-महाकायाय अपामार्गप० सृष्टिकर्वे करवीरप स्थितिक न पुन्नागप०अंतकाय नागवल्लीप० 14 अथपुष्पपूजा अनंताय पद्मपुष्पं विष्णवेन जानापुपं अव्ययाय कल्हारपुष्यं सहस्रजितेन केतकीपु० अनंतरूपिणेन बकुलपुष्पं इष्टाय शनपुष्पं. विशिशय-पुन्नागपु-शिष्टेशय करवीरपुःशिरडिने धत्तूरपुष नहुषाय कुंदपुणं विश्वबाहवे. म ॥ल्लिकापु-महीधराय मालतीप०अच्युताय कर्णिकापुष्पं०१४ अशेत्तरशतनामभिःपूजयेत् अनंताय अच्युताय अडुसकर्मणे. अमितविक्रमाय अपराजिताय.अरखंडाय अग्निनेत्राय अमि पुषेन अदृश्याय अधिवाय-१• अनुकूलाय अनाशिने अनपाय अप्सनीलाय अहरहाय अ शमूर्नये अनिरुद्धाय अनिर्विशय अचंचलाय०अब्दादिकाय.२० अचलरूपाय अखिलधरायः अव्यक्ताय अनुरूपाय अभयंकराय अक्षताय अवपुषेन अयोनिजाय अरविंदाक्षाय अशन ॥र्जिताय अधोक्षजाय. ३१॥आदिपुत्राय अंबिकापतिपूर्वजाय अपस्मारनाशिने अव्ययायन For Private and Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनादिने अपमेयाय अयशववे अमरारिमाय अनीश्वराय अजायन- 51 अपौराय आनादिनिधना. अमरमभव अग्राह्याय अराय अनुत्तमाय अरूपाय अन्हेन अमोयाधिपत अजाय. अक्षमा य अमृताय अयोरवीर्याय अभ्यंगाय अविनाय अतींदियाय अमितनेजसेन अभिनये अष्टमूर्तये अनिलायाअवशाय अणोरणीयसे अशोकायाअरविराक्षाय अधिष्ठाय अमिततनया अरण्यवासिने अपमत्ताय अनंतरूपाय अनलाय आनमिवाय अस्वरूपाय अग्रगण्याय अपमिनाया अंन काय अचिंत्यायन अपांनिधये अतिसंदराय अमरपिया असिहिपदा-१ अरविंदपियाय रविंदोड़वाय अनयाय अर्थाय अक्षोभ्याय अर्चिानेन अनेक मूर्तये अनंनब्रह्मांडपन अनंतशय अमराधिप अनाधाराय अनंतनाग्ने अनंतश्रिये असराय अमायोय आश्रमस्थायः आश्रमातीता य अन्नादायाालयोनये अवनीपनये अवनीवरा अनादिने आदित्यायन अमृताय अपवर्ग प्रदायन अनंताय. 100 इत्यशेत्तरशतनामपूजा दशांगंगुरगुलोडूनंचंदनागरुसंयुतम्॥सर्वेषामुत्तमंधूपंरहाणसरपूजित॥यपुरुषव्यरधुरिनिधूपं आज्यंचवर्तिसंयुतंवन्हिनायोजिमयादी For Private and Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनं. |पग्रहाणदेवेशत्रैलोक्यनिमिरापह॥बाह्मणस्पतिदीपं। अन्नंचतुर्विधस्वादुपयोदधिरतंतथा॥नाना व्यंजनशोभायनवेयपनिरत्यताम्॥ चंद्रमामनसइतिनैवेनैवेद्यमध्येपानीयम्।उत्तरापोशनार्थतेरधितोयंसवासितम्॥रहाणसमुरगोरखाअनंतायनमोनमः॥उत्तरापोशनं सुखपक्षालन मा हस्तपक्षालनंकरोतनकदेवमयारसंहिभक्तितः॥ चारुचंद्रमभंदिव्यंरहाणजगरीवरकर दर्तनाइरंफलंमयादेवस्थापिनंपुरतस्तवातेनमेसफलावासिवेज्जन्मनिजन्मनि नाराकेलफलं गीफलंगहडिव्यंनागवल्यादलैर्युनम्।।करेणसमायुक्तांबूलंगनिरत्यताम्॥ तांबूलसमाहिरण्य गर्भतिरक्षिणांयानिकानिचपापानिजन्मांतरकतानिचरातानितानिविनश्यंतिपदक्षिणपरेपः॥ नाभ्याआसातिपदक्षिणांना नमस्तेभगवानभूयोनमस्तेधरणीयर॥नमस्तेसर्वनागेदनमस्तेमधुसू. दन।सप्तास्येतिनमस्कारंगनमस्तेदेवदेवेशनमस्तेगरुडध्वजानिमस्तेकमलाकांतअनंतायनमीनमः॥ यजेनयज्ञमितिमंत्रपुष्पं॥ ॥अथोरकमार्थना॥ अनंतायनमस्कायंसहसशिरसेनमः नमोरूपद्मनाभाय नागानांपतयेनमः॥अनंतःकामदः श्रीमान्ननंतोमेपयतु॥अनंतोोररूपेण For Private and Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्रपौत्रान्प्रवर्धत॥ ॥इनिदोरकं॥ ॥अथीरकबंधनमंत्रः॥ ॥अनंतसंसारमहासमुद्रमग्न समयडरवासदेवाअनंसपेविनियोजयस्वत्यनंतसूत्रायनमोनमस्ते॥ ॥इतिबध्वा॥ ॥अथ जागरिकविसर्जनमंत्रः॥ ॥नमःसर्वहितानंतजगदानंदकारकाजीर्णदोरमदेव विसज्येहंसदाशया॥ ॥इतिविसर्जयेत्॥ ॥अथवायनमंत्रः॥ ॥रहाणेदंडिजश्रेष्ठवायनंदक्षिणा सतम्॥लयसादादहेदेवमुच्यतेकर्मबंधनात्॥पतिगण्हडिजश्रेष्ठअनंतफलदायकापक्कान्नफल संयुक्तंदक्षिणाश्नसंयुतम्॥ ॥जीर्णोरकरानमंत्र॥ अनंतःप्रतिराहातिअनंतीवेददातिच अनंतस्तारकोभायाअनंतायनमोनमः॥ ॥इतिरयात्॥ ॥ततः यथाशक्तिबाह्मणानभोजयेत्॥अनेनझनपूजनेनीमरनंतःपीयताम्॥ ॥इतिपूजाविधिः॥ // 7 // ॥अथकथा॥ // सूतउवाच॥ पुरातुजान्हवीतीरेधर्माधर्मपराक्रमः॥जरासंधवधार्थायराजसूयसपाक्रमात्॥ हष्णेनसहधर्मासौभीमार्जुनसमन्वितः॥ यज्ञशालांप्रतिमहेंद्रालयसन्निभाम्॥२॥यज्ञा र्थानभूपतीन्सर्वान्समानायपयलतः॥गांधारीननयोराजाएकदानपनंदनः॥३॥डयोधनइनि For Private and Personal Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनं. रव्यातोसमागत्यमरवालयम्॥दखाडुर्योधनेनात्रपांगणंजलसन्निभम्॥ईहत्वातुवस्त्राणित-क गछन्शनःशनैः॥स्मिनवकाश्वताःसर्वोदौपयादिवरांगनाः॥५॥दुर्योधनस्तनोगच्छन्जलमध्ये पपातह॥पुनःसर्वचपावकषयश्चतपोधनाः॥६॥उपहासंचचकुलाद्रौपद्यादिसलोचनामहाराजाधिराजीसौमहान्कीयपरायणः॥७॥विनिर्गत्यसकंराष्ट्रमातुलेनाहतोपः। तस्मिन्कालेन शकुनिःभोवाचमधुरंवचः॥॥संचराजन्महारोघपुरन कार्यगौरवात्॥गंतुमुत्तिष्ठराजेंद्रसत्रार स्वसदनंपति।तथे मुक्कामहाराजःसमागत्यमखालयात निरगउन्नपाःसर्वेत्यत्कायज्ञस्वरा कम्॥॥डर्योधनाराजभिप्रसमागत्यगजाहयम्॥आनीयपांडुपुत्रांस्तान्धर्मभीमार्जुनान्वरान् // |११॥यूतारंभमकुरुतराज्यंपाप्नुयात्तनः॥यूतेनैवजिताःसर्वेपांडवावीतकल्मषाः॥१२॥ ततोरण्यांना रंगत्वात तेवनचारिणतनोचत्तांतमापन्नोवोभिःसहपांडवः॥१३॥ ॥सूतउवाच॥ ॥अरण्ये| वर्तमानासपांडवाटुःखकर्शिताः॥रुष्णरस्वामहात्मानमणिपत्यय थाक्रमम्॥१५॥ ॥युधिष्ठिरउवाच॥ ॥अहंदुःरवीहसंजातोघातभिःपरिवारितः॥कथंमुक्तिदास्माकंमनंतादुःखसागरात्॥१५॥ For Private and Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | देवपूजयिष्यामिराज्यंगाप्स्यामिउत्तमम्॥अथवाकिंवनसत्तात्वत्प्रसादाइवेडितम्॥९॥ ॥श्रीकृष्णउवा च॥ अनंनवतमस्त्येकंतिथावस्थामनुत्तमम्॥सर्वपापहरहणांस्त्रीणांचैवयुधिष्ठिर॥१॥शक्लप सेचतुर्दश्यांमासिभादपदेभवेत्॥नस्यानुष्ठानमात्रेणसर्वपापंच्यणहति॥१०॥ // युधिष्ठिरउवाच। रुष्णकोयमनतनिपोच्यतेयस्वयाविभो।किशेषनागआहोस्तिअनंतस्तक्षकस्मृतः॥१९॥परमात्माथवानंनउताहोबह्मगीयते॥कएपोनंतसंज्ञोवैतथ्यमेवहिकेशव॥२०॥ रुष्णाउवाच॥ ॥अनंतकस्यहपार्थममरूपंनिबोधत॥ आदित्यादिरहामासीय कालनिपन्यते॥२१॥कलाकाशमुहूदिदिवारा विशरीरवान्।पक्षमास पणियुगकालव्यवस्थया॥२२॥ योयंकालीमयारयानोसोनंतोइनिकायने। सोहंरुष्णोवतीर्णावभूभारोतारणायच॥२३॥ दानवानांचधार्थायवसदेवकुलोड़वम्॥मांविद्धिमत्तनंपाथ साधूनांपालनायच॥२४॥अनादिमध्यनिधनंहष्णविष्णुहरिशिवम्॥वकभास्करंसोमंसर्वच्यापिनमी श्वरम्॥२५॥विश्वरूपंमहाबाहोयोगिध्येयमनुत्तमम्॥विश्वरूपमनंनंचयस्मिनिंदाश्रतुर्दश॥२६॥वस योडादशादित्यारुद्राएकादशस्मृताः॥समर्षयःसमुदाश्चपर्वनाःसरितोद्रुमाः॥२७॥नक्षत्राणिदिशोभू For Private and Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनं मिःपानालंधर्भवारिकम्॥माकुरुक्षेत्रसंदेहंसोहंपार्थनसंशयः॥२८॥ युधिष्टिरउ०॥ ॥अनंतव्रतमाहा-| स्यविधिवदविदांवर॥ किंपण्यकिंफलंचास्यअनुष्शनवनांनणाम्॥ २९॥केनचादीपराचार्णमर्यकेनप्रका|शितम्॥एवंसविस्तरंसर्वब्रूत्यनंतवतंमम॥२९॥ ॥ष्णार॥ ॥आसीसराहनयुगेसमंतुर्नामवैरिजः॥ वसिष्पगोत्रसंचनांसरूपांचटगोःसताम्॥३॥दीक्षानाम्नांचोपयेमेवेरोक्तविधिनानपातस्या कालेनसं जानादुहितानंतलक्षणा॥३॥शीलानाम्नासशीलासावर्धनेपिटनेश्मान। मानाचतस्याःकालेनज्वराहेन पारिता॥३३॥विनशसानीतोयेययोसर्गपनिवतासमंतुकतत्तान्यांवैधर्मपंस मतांपुनः॥ ३१॥उपयुमेनि धानेनदुःशीलांनामनामतः॥शीलांकर्कशीचंडीनित्यंकलहकारिणीम्॥ ३५॥सापिशालापितुगैहेरहार्चन परावौयस्तंभबहिरदेहलीतोरणादिषु॥३६॥वर्णकैश्वित्रमकरोन्नीलपीत्तसित्तासितैः स्वस्तिके शंखपयेश्वअर्चयंतीपुनःपुनः॥३॥ततःकालेबहुगतेकोमारवशवर्तिनी एवंसाकईतेशालापिनवेश्मान मंगला॥३८॥तांदृस्वाचितयामासवराननुगणान्सवि॥ कस्मैरेयामयाकन्याविचार्येतिसरिक्तः॥३९॥ए नस्मिन्नेवकालतमुनिर्वेदविदांवरः॥कन्यार्थाचागतःश्रीमान्कौंडिण्यामुनिसत्तमः॥१०॥उवाचरूपसंपन्ना For Private and Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वरीयांननयारणेपिनादौडिजेंडायकोंडिण्यायश दिने॥१॥रयोक्तविधिनापार्थविवाहमकरोत्तदा।मंगल्य चारनिर्योपंतप्रतियोषितः॥४२॥बाह्मणाःस्वस्तिवचनंजययोपंचबंदिन शनिवाडाहिकंसर्वपोक्तवानक ईशादिः॥४३॥ ॥समंतः॥ // किंचिहायादिकदेयजामातुःपरितोषकम्॥ तच्छुत्वाकर्कशाकुडापोत्सा रहमंडनम्॥ ५५॥पेटकेसस्थिरंबधास्परहंगम्यत्नामिनि उवाचवित्तनवास्तिगहेपश्यपरिस्थितम्॥ १५॥तच्छुत्ताविमना पार्थसंयतात्मामुनिस्तदा। भोज्यावाशिष्टचूर्णेनपाथेयंचचकारसा॥६॥कौंडिण्यापिविचात्यैनांपथिगच्छन्शनैःशनैः शीलांसमनोरादायनवोदांगोरथेनहि॥४॥ददर्शयमुनापण्यांतामुत्ती यतटेरयम्॥संस्थाष्यावश्यकंकर्तगतःशिष्यान्नियुज्यवै॥१८॥मध्यान्हे भोज्यवेलायांसमुत्तार्यसरित्तदा दर्शशीलासास्त्रीणांसमूहरतवाससाम्॥१९॥ चतुर्दश्यामर्चयतंभक्त्यादेवंजनार्दनम्।उपगम्यशनैःशालापपछवीकरंबकम्॥५॥आर्याः किमेतन्मेबूतकिन्नामवतमीरशम्॥ताउँचोषितस्तांतशीलांशीलविभूषणाम्॥५१॥अनंनवतमेनटिवनेनंतरूपूज्यते।साबचारहमष्येनकरिष्येवतमुत्तमम्॥५२॥विधानकारशं खबकिंदानंकीत्रपूज्यते॥५३॥ ॥स्त्रियऊचः॥ ॥शीलेसदन्नपस्थस्यपुन्नाम्नासंस्कृतस्यच॥अधिषा For Private and Personal Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir का यदातव्यमर्धमात्मनिभोजनम्॥५४॥शक्त्याचदक्षिणादयाहिनशाच्यविवर्जितः॥कर्तव्यंयत्सारत्तीरेकथांव खाहरेरिमाम्॥५५॥ शेषंकुशमयंकृत्वावंशपावेनिभायच॥स्मासानंतंसमध्यर्चमंडलेगंधदीपः॥५६॥पुपथपश्चनवचनानापकान्नसंयुत्तेः॥ तस्यायतोरदसूचंतकुमासदोरकम्॥५७॥चतुर्दशथियनंबामेया रतलेन्यसेत॥अनंतसंसारमहासंमुहम समभ्युद्धरवासदेव॥अनंतरूपविजयोजयस्वत्यनंनसूत्रायनमोना | मस्ते॥५॥अनंतंचकरेबवाभोक्तव्यस्तस्थमानसः॥ध्याखानारायणदेवमनत्तविश्वरूपिणम्॥ ५९॥भुक्ता चांनेबजेद्देश्मनदेपोक्तंबननव॥६॥ ॥ष्णउवाच॥ एवमाकर्ण्यराजेंद्रमदृऐनांतरात्मना।सापि चोवतंशीलाकरेबध्यासदोरकम्॥६॥ चतुर्दशथियुनंबामेबाहीयथोदिनम्॥पाथेयमविपायदत्त्वामुत्ता स्वयंतनः॥२॥ पुनर्जगामसंदशगोरथेनस्वरहम्॥ भासहेवशनकैःमत्ययस्तत्सणारत् ॥३॥तेना नंनवतेनास्यबभौगोधनसंकुलम्॥रहाश्रमश्रियाजुष्टंधनधान्यसमन्वितम्॥६॥आकुलंच्याकलंरम्यंसवंदातिथिप्रजनेवासापिमाणिक्यकाचीभिर्मक्ताहारविभूषिता॥६५॥देवागवस्त्रसंछनासावित्रीपतिमान वन्॥विचचारग्रहे भर्तुःसमापेसवरूपिणी॥कदाचिदुपविशयारशेष:सदोरकः॥शालायाहस्त For Private and Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मूलेतभानस्यदिजन्मना॥६॥किमिदंदोरकंशालेममवश्यायकल्पितम्॥श्तंसदोरकत्वेनकिमर्थेबहिनवनः। रायस्यमसादात्सकलाधनधान्यादिसंपदः।लम्यनेमानवैश्वापिसानंतोयंमयानः॥९॥शालायासहनःश्रत लाभ तनाहजन्यना।श्रीमदांयेनकौरच्यसातपंचोटिनस्तरा॥७०॥ कोनंतइतिसूटेनजल्पनापापकारिणाक्षि सोज्वालाकुलेवन्हीहाहाहत्वापथावती॥७॥शीलाराहीत्वातसूत्रंक्षारमध्येसमाक्षिपत्॥ तेनकर्मविपाकेन| जन कलहोनित्यंबंशुभिताडनंनथा॥अनंताक्षेपदोषेणदारिद्यपतितंरहे॥४ानकनिहदनेलोकेतेनसा | युधिष्ठिर॥शरीरेणानिसनसोमनसाप्यनिरिखनःनिर्वेदं परमंप्राप्त कौंडिण्यःपाहनांपियम्।।७५॥ ॥कों डिण्यउ॥ ॥शीलेममेदमुत्पन्नंसहसाशोककारणम्॥येनानिदुःखिनोस्माकंजातःसर्वधनलयः॥६॥स्वज निकलहोगेहनकश्चिन्यांपभापते।शरीरेनित्यसंतापरवेदश्वेतसिदारुणः॥जानासिटुर्नयःकोवहिवासकृतं भवेत्॥७॥ ॥शीलोपाच॥ प्रत्युवाचायतंशीलासशीलाशीलमंडना॥पायो नहनाक्षेपपापसंभवजफ लं॥७॥भविष्यतिमहासागतदर्थयलमाचर॥ एवमुक्तःसविषर्षिर्जगाममनसाहरिम्॥७९॥निरं निर्जगा For Private and Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |माथकौंडिन्यापागनोवनमानपसेहतसंकल्पोवायुभसोहिजोत्तमः॥८॥मनसाध्यायमानंतंकद्रस्याभिचत्तवि शं॥यस्यपसारासंजातमाक्षेपान्निधनंगतम्॥धनादिकंममानीवसरवदुःखभदायकम्॥एवंसंचिंनयन सोथबनामविपिनेवने॥२॥तत्रापश्यन्महाचूतंपुष्पित्तफलितंद्रुमम्॥वर्जिनपक्षिसंघातकीरकोरीसमारन मानमछाहजानंतःकचिहरीमहामुमाबहिसौम्यममानीनदुःसंचेतसिवनतासोबचाइदनानंनोकवि दृष्टोमयारिजाशाएवं निराहतस्तनसंजगामाथदुःस्वितः॥ कदरस्यामानिगच्छन्सगांददर्शसनत्सकांगावनमध्यपधावंतीमितश्वेतश्चपांडवासीबचीडेनुकब्रूहियद्यनंतस्तयेक्षितः॥६॥ गोतम्युवाच॥ ॥गोरुवा चाथकौडिन्यंनानंतेवेश्यहरिजाननोवजन्ददर्शायरषभंशालेस्थिनमारस्वापपच्छगोस्वामिन्नाननीचीक्षित स्त्वयापास्तमुवाचेदंनानंतीवीक्षितीमयातनोबजन्ददर्शायेरम्यंपुष्करिणीयम्॥८॥अन्योन्यजल कल्लोलैवीचापर्यंतसंगमम्॥छन् कमलकल्हारै कुमदोत्पलमंडिनम्॥९॥सचिननमरे सैश्वककारंडकै गतेअपच्छद्धिजीनंतीयुवाभ्यांनोपलक्षितः॥९॥चतुरलेपुष्करिण्योनानंतोषीक्षिनोरिजाततोवजन्ददर्शा ग्रेगर्दकंजरंतथा॥९॥नावश्यहिजोनंतोमवड्यांनोपलक्षितः॥एवंसपउन्नशास्तत्रैवनिषसादह॥९॥कौं For Private and Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डिन्योविन्दलीमनोनिराशोजावितोनपदार्यमुष्णचनिःश्वस्यपपान विभारत॥३॥पाप्यसंज्ञामनंतेतिजल्पलस्थायसडिजः॥नूनंत्यक्ष्याम्यहंगाणानिनिसंकल्प्यचेतसि॥२४॥उत्थायोध्यरतोस्मिंस्तावडरतसत्तम पयानंतदेवोपिपत्यक्षसमजायन॥९५॥बबाह्मणरूपेणइनएहीत्युवाचतम्॥परत्वदक्षिणेपाणीगृहायांपनिवेशतम्॥९६॥सांपुर्वीदर्शयामासदिव्यनारीनरैर्युताम्॥यस्यांनिविष्टमात्मानंदिन्यसिंहासनेशो // 97 पार्श्वस्थशंखचकाअगदागरुडशोभितम्॥दर्शयामासविपायविश्वरुपमनंतकम्॥९९॥ विभूतिभेदेना नंतैरनंतममितीजसम्॥कोस्तीनविराजतंवनमालाविभूषितम्॥१०॥रस्वोतादृशंरूपमनंतमपरा जिनम्॥वंद्यमानोजगारीचैर्जयशब्दपुरःसरम्॥१॥पापोहंपोपकमर्माहंपापात्मापापसंभवः॥बाहिमापुंडरी काक्षसर्वपापहरोमव॥२॥तलानंतदेवेश माहसस्निग्धयागिरामानेस्लंबहिविद्वयत्तेमनसिवन | ते॥३॥ ॥कौडिण्यउ॥ ॥मयाभूत्यविलिसेनबोरिनोननदोरकानेनपाकविपाकैन तिमपलयंगता॥४॥ वजनैः कलहोगेहेनकश्चिन्यांमभाषते॥निराइमतेरण्येतवदर्शनकांक्षया॥५॥लपयादेवदेवेशवयात्मा संपदर्शिनः॥नस्यपापस्यमेशांतिकारुण्याइतुमर्हसि॥६॥ ॥श्रीकृष्याउ०॥ तच्छुतानंतदेवेशउवाच For Private and Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अनं. दिजसत्तमम्॥भत्तयासंतोषितोदेवः किनद्यायधिष्टिर॥॥ अनंतउना सगडेगळकोरिण्यमनिलंबं || कुरुहिजाचरानंतवतंभक्त्यानववर्षाणिपंचच॥सर्वपापविशडात्मापाप्स्यसेसिरिमुत्तमाम्॥पुत्रपौत्रान्स सत्पायभुक्ताभोगान्यसेप्सिनान्॥९॥अनेमत्स्मरणप्राप्यमामुपेष्यस्यसंशयम्॥अन्यंचतेवरंदग्रिसर्वलो कोपकारकम्॥१०॥इदमारल्यानकवरंशीलानंतबनादिकम्॥करिष्यतिनरोयतकुर्वन्वतमिदंशाम्॥१॥सो| चिराणापनिर्मुक्तःपापोतिपरमांगतिम्॥गछविपरहंशीयंयथायेनागतीत्यसि॥१२॥ ॥कौंडिण्यउ॥ ॥स्सा मिन्यूछामिनेबूहिकिंचित्कौतूहलंमया॥अरण्येवमनाइनहदलजगद्गुरो॥१३॥ यशूनचक्षकस्लवकागोः कोपभस्तथा।कमलोत्पलकल्हारैः शोभितंसमनोहरम्॥१४॥मयादृष्टमहारण्येकिंतष्करिणीयम्॥को रन कुंजर कोसोकोसौरोहिजोत्तमः॥१५॥ ॥अननउ॥ ॥सचूनरक्षोविपोसौविद्याविशारदः॥वियानदत्ताशिष्येभ्यस्नसौनसनांगतः॥१६॥यागीर्वसंधराशपूर्वसाबीजहारिणी॥षोधर्मस्वयादृष्टःशाह लंसत्यमास्थितः॥१॥धर्माधर्मव्यवस्थानंतञ्चपुष्करिणीयम्॥बाह्मण्योकेचिदप्यास्तांभगिन्यौतेपरस्प| रम्॥१८॥धर्माधर्मादियत्किंचिननिवेदयनोमिथः॥विपायवेरविदुषोनदत्तंदुर्बलायवै॥१९॥शिक्षादत्तान For Private and Personal Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनं का चार्थियःलेनपापनकर्मणा॥वाचाकलोलमालाभिर्गछत्तपरस्परम्॥२०॥रवरस्कीधस्तथादृष्टःकुंजरीमद उच्यते॥बाह्मणोसावनंनोहंगुहासंसारगव्हरम्॥२१॥इत्यतादेवदेवेशस्तवांतरधीयतास्वप्रपायंतनोरखानतःस्वरहमागतः॥२२॥कलानंतबसम्यानववर्षाणिपंचचा तासर्वमननयोक्तंपडुन रन॥२३॥अंतेचस्मरणमाष्यगतीनंतपुरेदिजः॥तथात्वमसिराजर्षेकथांशृण्वन्बनडरु॥२४॥ पाप्स्यसे चिंतिनंसर्वमनंतस्यवचोयथा॥नचतुर्दशेवर्षेफलंपाप्तद्विजन्मना॥२५॥वर्षेननदामोनिहलोपारव्या नकवनम्॥एननेकथिनरपवतानामुत्तमबनम्॥२६॥यलासर्वपापेभ्योमुच्यनेनात्रमशयः॥येपिन वंतिसतनंपन्यमा परनिये॥णातपिपापविनिर्मुक्ताःपाप्स्यनिचहरे पदम्॥ससारगव्हरगुहासस संविहवांछतियेकुरुकुलोभवशडसलाः॥संपूज्यचत्रिभुवनेशमनंतदेवंबध्नतिदक्षिणकरेपरदोरक। ते॥२८॥ ॥इनिअनंतकतकथासमाप्ता॥ ॥श्रीकृष्णार्पणमस्त॥ ॥शसंभवतु॥ // संबईत बापुहरशेट देवळेकर याणी आपले छापरवान्यांत छापिलें शके 170 कालयुक्तनामसंवठिकाणाहनुमा 13 For Private and Personal Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इतिअनंतवतकथासमाप्त. Knoraxnmorrowarsoonococococcoong|| जा For Private and Personal Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharva Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only